मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
चतुर्दश विधान सभा द्वादश सत्र
दिसम्बर, 2016 सत्र
बुधवार, दिनांक 7 दिसम्बर, 2016
(16 अग्रहायण, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 12 ] [अंक- 3 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 7 दिसम्बर, 2016
(16 अग्रहायण, शक संवत् 1938)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्र. 1
श्री जितू पटवारी -- आदरणीय अध्यक्ष जी..
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल हमारे आग्रह पर आपने यह व्यवस्था नहीं दी. ...(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल तो होने दीजिए भाई.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने किसानों से संबंधित स्थगन दिया है, नियम-139 के अंतर्गत हमने चर्चा मांगी है. किसान लोग बेहाल है, त्राहि-त्राहि मची हुई है, हा-हाकार है, बोवनी नहीं कर पा रहे हैं. ...(व्यवधान..)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष से निवेदन है कि प्रश्नकाल हो जाने दें. ...(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- कल भी आपने यह विषय उठाया था, पहले भी हम लोग यह बात कर चुके हैं और अनेक बार अनुरोध किया है कि प्रश्नकाल होना चाहिए.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल होना चाहिए लेकिन प्रश्नकाल के पहले आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप इस पर व्यवस्था दे दें कि नियम-139 के तहत किसानों की समस्याओं को लेकर जो हमने प्रस्ताव दिया है, उस पर चर्चा होगी, आप केवल व्यवस्था दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- क्या आप सब व्यवस्थाएं प्रश्नकाल में ही मांग लेंगे.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, कल भी आपसे चर्चा हुई थी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- नियम-139 की चर्चा की बात नहीं हुई थी.
अध्यक्ष महोदय -- कल नियम-139 की चर्चा की बात नहीं हुई थी पर श्री रामनिवास रावत जी ने कल विषय उठाया था तो मैंने उनको कहा था कि किसी न किसी रूप में लेंगे, पर अभी प्रश्नकाल तो होने दीजिए. ...(व्यवधान..)
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय, मुझे भी प्रश्नकाल के बाद एक मिनट का समय प्रदान करें.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अधिकतम विधायकों का स्थगन है, मेरा भी स्थगन है, आदरणीय श्री रामनिवास रावत जी का है, आदरणीय आरिफ भाई का है, आदरणीय कालूखेड़ा जी का है, मुकेश नायक जी का भी है, जितू पटवारी जी का भी है, डॉ. गोविंद सिंह का भी है. ...(व्यवधान..)
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष जी, आप तो प्रश्नकाल प्रारंभ करें, मेरा प्रश्न 17 नंबर पर है, नहीं तो मेरे प्रश्न का नंबर ही नहीं आएगा.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्र. 1 ...(व्यवधान..)
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष जी, मेरा एक विषय महत्वपूर्ण है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- अरे जितू भाई, प्रश्नकाल होने दो. प्रश्नकाल से जरूरी क्या है.
...(व्यवधान..)
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष जी, जिस तरीके से आईएएस और आईपीएस लोग.. ...(व्यवधान..)
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न भी किसानों से संबंधित है, 17वें नंबर पर है नहीं तो वह प्रश्न ही नहीं आएगा. ...(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- पहले एक विषय तो हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- यह कांग्रेस की अंतर्कलह है. नेता प्रतिपक्ष कुछ कह रहे हैं. स्थगन की बात कह रहे हैं. कोई नियम 139 की बात कह रहा है, कोई आईएएस कोई आईपीएस की बात कह रहा है समझ नहीं आ रहा है कि मांग किस बात की है.... (...व्यवधान...)
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में किसानों द्वारा खाद, बीज न खरीद पाने से बोवनी में हो रहे विलंब के संबंध में स्थगन दिया है. (....व्यवधान....)
श्री जितू पटवारी -- आपका नियंत्रण हट गया है. अधिकारियों और कर्मचारियों पर से आपका नियंत्रण हट गया है, सरकार जाने वाली है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, स्थगन पर चर्चा मांग रहे हैं. 139 पर चर्चा मांग रहे हैं या आईएएस, आईपीएस पर मांग रहे हैं. अपने दल को तो एक करो.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, हमारा स्पष्ट आग्रह है कि किसानों को जो दिक्कत हुई है और इससे संबंधित हमने स्थगन मांगा है उस पर हम चर्चा करना चाहते हैं. लेकिन ऐसा लग रहा है कि सरकार की मंशा ठीक नहीं लग रही है. शायद चर्चा में नहीं आएगा इसलिए हम प्रारंभ में ही इस बात को रख रहे हैं. हमारे स्थगन को स्वीकार करें. उस पर चर्चा कराएं जिससे कि सरकार किसानों के साथ खड़ी दिखे और किसानों को जो दिक्कतें आ रही हैं वह दिक्कतें दूर हों.
श्री के.के.श्रीवास्तव – (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- पहले आप अपनी पार्टी को तो एक कर लो. आप लोग अलग-अलग विषय की मांग उठा रहे हैं. कोई 139 की मांग उठा रहा है कोई आईएएस, आईपीएस की मांग उठा रहा है. कांग्रेस का नेता प्रतिपक्ष नहीं होने से यह सारी की सारी दिक्कतें हैं. (.....व्यवधान....)
श्री बाला बच्चन -- माननीय मंत्री जी, हमारी यही मांग है.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, कोई अलग-अलग मांग नहीं उठा रहा है. पूरा विपक्ष एकजुट है. हम मांग करते हैं कि किसानों की समस्याओं पर चर्चा की जाए. (......व्यवधान...)
श्री आरिफ अकील -- आप जिस विषय पर भी चर्चा कराना चाहते हैं करवाएं तो. किसी एजेंडे पर, किसी बात पर, किसी मुद्दे पर चर्चा कराना चाहते हैं तो करवाएं. (......व्यवधान.....)
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे दल के अधिकांश सदस्यों ने प्रदेश में हो रही किसानों की बदहाली के संबंध में स्थगन दिया था. आसंदी से व्यवस्था आई थी कि चर्चा कराएंगे, विचार करके चर्चा कराएंगे. आज तीसरा दिन है और दो दिन शेष बचे हैं. अब बात आती है कि आसंदी पर भरोसा करना चाहिए. हमें आसंदी पर पूरा भरोसा है विश्वास है, लेकिन जिस तरह से कार्यसूची बनाई जा रही है, कार्य मंत्रणा में यह तय हुआ था कि दो 139 के विषयों पर चर्चा की जाएगी. एक कुपोषण की और दूसरी बीहड़ कृषिकरण की. बीहड़ कृषिकरण की चर्चा तो समाप्त हो गई तो 139 कुपोषण की चर्चा भी आ जाना चाहिए था. यह आपने नहीं ली. अब आप हमें बताएं कि हम सरकार पर भरोसा करें, आसंदी पर भरोसा करें. विश्वास का संबंध सबसे बड़ा है. किसानों की बदहाली पर हम चर्चा कराना चाहते हैं. प्रदेश में किसान खाद, बीज नहीं ले पा रहा है. प्रदेश में किसान कौडि़यों के भाव माल बेचने को मजबूर हो रहा है.(...व्यवधान...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मना कौन कर रहा है ? (...व्यवधान...)
श्री रामनिवास रावत -- क्या सरकार को अधिकार है.......(...व्यवधान...)
सभापति महोदय -- कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(11.09 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.20 बजे विधानसभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय--- प्रश्न क्रमांक 1.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा आग्रह है और हमारा आग्रह जब तक आसंदी व्यवस्था नहीं देती और सरकार चर्चा नहीं कराती, हमारे स्थगन पर तब तक..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- नेताजी, प्रश्नकाल तो होने दें.
श्री बाला बच्चन--- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा यह आग्रह है,आदरणीय मुख्यमंत्री जी भी आ गये हैं, किसानों को व्यवहारिक दिक्कतें आ रही हैं.
वन मंत्री(डॉ. गौरीशंकर शेजवार)—माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कौनसी परंपरा है मतलब विपक्ष के नेता प्रश्नकाल को खुद बाधित कर रहे हैं, आपको अहसास है कि आप कितनी बड़ी गद्दी पर हैं और आप कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं.विपक्ष के नेता होते हुए आप प्रश्नकाल को बाधित कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन--- किसान बिजली का बिल नहीं भर पा रहे हैं, बोनी नहीं कर पा रहे हैं, फसल बीमा उनको मिला नहीं है, राहत राशि नहीं मिली है.अध्यक्ष महोदय,माननीय मुख्यमंत्री जी भी आ गये हैं. माननीय मंत्री जी,हमारे बहुत सारे विधायक साथियों ने इस विषय पर स्थगन दिया है. ..(व्यवधान)...
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- आप प्रश्नकाल को बाधित कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- बाधित नहीं कर रहे हैं, हम किसानों की मांग रख रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- आप बाधित कर रहे हैं, आपको अपनी गलती का अहसास करना चाहिए.
श्री बाला बच्चन—मंत्री जी, आप हमको इसके लिए बाध्य नहीं कर सकते हो.माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का यह कोई तरीका है? आप भी जब इधर थे, आप इस भूमिका में थे आपकी बात सरकार मानती थी और चर्चा कराती थी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अभी आप मेरे ऊपर चिल्ला रहे थे, अब शेजवार जी को आप बोल रहे हैं यह क्या तरीका है...(व्यवधान)..
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- मैं आपके जैसी अभद्रता नहीं करता हूं, आपका व्यवहार संसदीय कार्यमंत्री जी से सम्मानजनक नहीं था.
मुख्यमंत्री((श्री शिवराज सिंह चौहान)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय नेता प्रतिपक्ष ने चर्चा की बात कही है, हम चर्चा के लिए तैयार हैं, हम चर्चा से कहाँ भागते हैं. (मेजों की थपथपाहट) मैं आपसे यह प्रार्थना करता हूं कि चर्चा तत्काल प्रारंभ करें.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप हमारे इस आग्रह को स्वीकार करें, हम लोग भी तैयार हैं. हम तो दो दिन से इस बात के लिए आसंदी से आग्रह कर रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- नेताजी, हमने चर्चा को मना नहीं किया, हाथ जोड़ रहे थे कि प्रश्नकाल चल जाने दीजिये. चर्चा के लिए आपसे मना ही नहीं किया था.
श्री बाला बच्चन—हमको ऐसा लगा कि व्यवस्था नहीं होगी.
श्री रामनिवास रावत-- आप मना भी नहीं कर रहे थे लेकिन हाँ भी नहीं कर रहे थे...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, अब तो सदन के नेता ने बोल दिया है ,चर्चा प्रारंभ करें.
श्री बाला बच्चन—माननीय अध्यक्ष महोदय, अब तो माननीय मुख्यमंत्री जी भी तैयार हो गये हैं, सरकार तैयार हैं तो आप इस पर व्यवस्था दें. आज ही इस पर चर्चा के लिए हम लोग भी तैयार हैं क्योंकि मध्यप्रदेश के किसानों का यह ज्वलंत मुद्दा है.
पं. रमेश दुबे-- अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रश्न लगे हुए हैं.
डॉ. राजेन्द्र पांडे-- हमारे भी किसानों से संबंधित प्रश्न लगे हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय--- प्रश्नकाल का आधा घंटा बचा है. मेरा ऐसा मत है कि माननीय सदन के नेताजी तैयार हैं तो इस पर चर्चा तत्काल कराई जा सकती है किन्तु प्रश्नकाल का आधा घंटा ही बचा है.
डॉ नरोत्तम मिश्र—अध्यक्ष महोदय,अब इस पर चर्चा करवा ही दें.
डॉ.राजेन्द्र पांडे-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल का आधा घंटा बचा है, हमारा भी किसानों से संबंधित मामला था हम भी उस पर बात करना चाहते थे...(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, चर्चा प्रारंभ करें, नेता भी तैयार हैं, उपनेता भी तैयार हैं, काहे के लिए विलंब कर रहे हैं.आप तो चर्चा प्रारंभ करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बिना कारण के हमारा आधा घंटा चला गया. हमारा आपसे आग्रह है कि हाउस का आधा घंटे का समय बढ़ा दें. हमारे भी महत्वपूर्ण प्रश्न लगे हुए हैं. आप हमको समय दें. प्रश्न कभी-कभी तो लग पाते हैं.
डॉ. राजेन्द्र पांडे—अध्यक्ष महोदय, हमारा मामला भी किसानों से संबंधित है ,हम तीन साल से कोशिश कर रहे हैं, आधे घंटे का समय जो इन्होंने बाधित किया है तो इनका समय कम किया जाये.
अध्यक्ष महोदय—चूंकि शासन इस स्थगन पर चर्चा के पक्ष में है इसलिए मैं इसे चर्चा के लिए स्वीकार करता हूं जिसमें सभी पक्षों के सदस्य भाग ले सकेंगे. यह चर्चा अभी प्रारंभ की जाती है.
डॉ. राजेन्द्र पांडे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा मामला भी अत्यंत आवश्यक है और किसानों को मामला है, किसानों से संबंधित बात है तो हमारा प्रश्न तो चला गया, हमारी बात तो फिर अगले सत्र पर चली गई. हम भी किसानों के मामले पर प्रश्न के माध्यम से चर्चा करना चाहते थे, ध्यान आकृष्ट कराना चाहते थे.
11:25 बजे स्थगन प्रस्ताव
नोटबंदी किये जाने से प्रदेश में उत्पन्न स्थिति
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन )— माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे पूरे दल की तरफ से बहुत- बहुत धन्यवाद कि आपने हमारे इस लोक महत्व के मुद्दे को स्वीकार किया, किसानों से संबंधित मुद्दे को स्वीकार किया और आज की कार्यसूची में जो उल्लेख किया गया था और जो कार्यों का एजेन्डा था उसको स्थगित करते हुए किसानों के मुद्दे को आपने लिया है. उसके लिए मैं, मेरी तथा मेरे दल की तरफ से आपका धन्यवाद अदा करता हूं. गांव के किसान बिजली के बिल नहीं भर पा रहे हैं, बीज नहीं खरीद पा रहे हैं. उसके बाद जो सोसायटियों में जिला सहकारी बैंकों में जहां उनका जो व्यवहार था वहां उनका व्यवहार बंद हो गया है जिससे काफी दिक्क्तें भी आ रहीं हैं. बिजली का बिल अदा नहीं हो पा रहा है. उसके बाद अभी तक जो बोवनी होनी चाहिए थी, पिछले वर्ष जो बोवनी हुई थी उसकी लगभग 50 प्रतिशत बोवनी ही हो पाई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी भी यहां बैठे हुए हैं पूरी सरकार यहां पर है. माननीय मुख्यमंत्री जी, हम यह आग्रह करना चाहते हैं कि आपने यह बात पहले भी कही थी कि जो किसान बिजली के बिल नहीं भर पा रहे हैं जहां 25 प्रतिशत बिजली के बिल जिन ट्रांसफार्मर से जुडे़ हुए कंज्यूमर्स ने अगर भर दिया है तो उनकी बिजली सप्लाई बंद नहीं की जा सकती है. इससे वह भी दिक्क्त में आ गए हैं. ट्रांसफार्मर जल जाते हैं, खराब हो जाते हैं तो भी ट्रांसफार्मर बदले नहीं जा रहे हैं माननीय मुख्यमंत्री जी, आप इससे भी उनको निजात दिलवाएं और अभी रबी का सीजन है गेहूं, चना और सरसों की इतनी कम बोवनी अभी तक क्यों हो पाई है. 50 प्रतिशत कम हो पाई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी की जानकारी में लाना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी आज फिर राजस्व विभाग का जवाब देने का दिन है. पिछले सत्रों में 113 प्रश्नों के जवाब एक जैसे आए थे कि संबंधित जिलों के कलेक्टरों से जानकारी एकत्रित की जा रही है. आज तक उनके जवाब हमें नहीं मिले और आज भी 66 प्रश्नों का एक जैसा जवाब है कि संबंधित जिलों के कलेक्टरों से जानकारियां एकत्रित की जा रही हैं. इससे यह स्पष्ट झलकता है कि विधानसभा के जवाब देने में, विधायको के प्रश्नों के जवाबों को बनाने में शायद सरकार उतनी गम्भीर नहीं है. मेरा किसानों की तरफ से यह प्रश्न खड़ा होता है कि जब हम विधायकों के प्रश्नों का जवाब सरकार नहीं दे पा रही है 113 प्रश्न पिछले सत्रों के और 66 आज तो क्या फसल बीमा बंटा होगा और क्या किसानों के लिए राहत राशि का काम होगा. माननीय मुख्यमंत्री जी आप इसको भी दिखवाएं इससे धीरे- धीरे हम विधायको की गरिमा भी कम होती जा रही है और हमारी तंत्र पर जो पकड़ होना चाहिए वह भी कम होती जा रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, विशेषकर राजस्व विभाग का जिस तरह से अभी जो आचरण हैं इसको आप दिखवाएं. इसके अलावा भी हमारा यह कहना है कि जहां किसान 20 लाख की डिमांड करते हैं वहां उन्हें 2 से 4 लाख रुपए मिलते हैं क्या मध्यप्रदेश शासन ने इस मामने में कोई पत्र आर.बी.आई. को लिखा है नहीं तो 13 साल की सत्ता में सब (XXX) हैं. प्रदेश की किसी भी जिला सहकारी बैंक में शादी का कार्ड दिखाकर या किसी को शादी का कार्ड भी अगर दिखातें हैं तो ढ़ाई लाख रुपए....
अध्यक्ष महोदय—यह शब्द निकाला दिया जाए.
श्री बाला बच्चन—….तक की जो बात बोली गई है लेकिन ढ़ाई लाख रुपए तक की राशि मिलती नहीं है. इसी तरह मृत्यु भोज भी है माननीय अध्यक्ष महोदय एक शादी की तारीख तो बदली जा सकती है लेकिन जिनके यहां डेथ हुई है उनको 2 हजार और 4 हजार मिल पाते हैं इससे काफी दिक्कतें हो रही हैं. लोगों को एटीएम और बैंकों की लाइन में लगना पड़ता है, व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं. मध्यप्रदेश में जहां तक मेरी जानकारी है 14 से 15 किसानों की मृत्यु हो गई है. इसी प्रकार देश में 60-70 लोगों की मृत्यु हुई है. माननीय मुख्यमंत्री जी आप कम से कम मध्यप्रदेश में इस बात को दिखवाएं. इसी प्रकार रबी के सीजन में किसानों को 15 हजार करोड़ के ऋण वितरण के लक्ष्य के सामने मात्र 50 प्रतिशत ऋण ही वितरित हो पाया है. यह बड़ी विडम्बना है. ऋण नहीं मिलने से बोवनी का रकबा भी काफी कम हुआ है. वे सुचारु रुप से खाद, बीज ले सकें बोवनी कर सकें और बिजली के बिल भर सकें, आप इस पर व्यवस्था दें. आपने यह चर्चा स्वीकार की उसके लिए हम आपको धन्यवाद देते हैं.
अध्यक्ष महोदय, किसान व ग्रामीण अपने खून पसीने की कमाई की एफ डी कराते हैं वे एफ डी मेच्योर हो जाने के बाद भी उसकी राशि इन लोगों को नहीं मिल पा रही है. गांव वाले इस बात को नहीं जानते हैं कि उनका बैंक एकाउंट सहकारी बैंकों में है या राष्ट्रीयकृत बैंकों में है. जब वे बैंक जाते हैं और उन्हें पता चलता है कि यह सहकारी बैंक है यहां उनको राशि नहीं मिल पाएगी इससे उनको दिक्कत होती है और बैंक वाले भी जहां उनका एकाउंट है वहां से राशि न देते हुए चेक देकर दूसरी जगह उनको दौड़ लगवाते है. इस प्रकार काफी अनियमितताएं और दिक्कतें हो रही हैं, मुख्यमंत्री जी इस पर ध्यान दें.
अध्यक्ष महोदय, जहां तक समर्थन मूल्य की बात है. मध्यप्रदेश में धान की फसल बहुत होती है. धान, मक्के और कपास को समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद पा रहे हैं. आप समर्थन मूल्य पर धान, मक्का और कपास की खरीदी करवाएं तो मैं समझता हूं कि सरकार किसानों के साथ खड़ी दिखेगी और जो किसान आज मायूस हैं, उन किसानों को लगेगा कि सरकार हमारे साथ है. किसानों की माली हालत खस्ता होती जा रही है ऐसे में सरकार को उनके साथ दिखना चाहिए. जहां तक मेरी जानकारी है धान की खरीदी 1000 रुपये में ली जा रही है. समर्थन मूल्य के हिसाब से खरीद नहीं हो पाने के कारण काफी दिक्कतें हो रही हैं. खेतिया, पानसेमल और निमाड़ में यह हो रहा है कि अगर आप 500 रुपये का नोट ले जाओगे तो व्यापारी बोलते हैं कि 5000 रुपये प्रति क्विंटल कपास लेंगे और यदि 100-100 के नोट लेंगे तो फिर 4000 रुपये प्रति क्विंटल कपास लिया जाएगा. इस प्रकार 500 और 1000 रुपये के नोटों की बोली लगने कारण भी किसानों को दिक्कतें आ रही हैं. 500 और 1000 रुपये के नोटों का मैंने मेरे स्थगन में कहीं उल्लेख नहीं किया है. लेकिन सरकार ने पूरे देश और प्रदेश में जो फरमान जारी किया है यह हाहाकार मचाने वाला फरमान जारी किया है. इससे काफी अनियमितताएं और दिक्कतें हुई हैं. इस कारण हमने यह मांग की थी कि इस पर तत्काल चर्चा होनी चाहिए. इसी प्रकार हम लोगों की जो बैंकों में राशि जमा है वह बैंक की लाइन में लगने बाद भी जितनी राशि चाहिए उतनी नहीं मिल पा रही है. यह तमाम हमारे मुद्दे हैं इसके अलावा भी मैं आपको बताना चाहता हूँ कि ऐसे लोगों की जांच होना चाहिए जिन्होंने 1-1 करोड़ रुपए भी बैंक में जमा करवाए हैं. ऐसे 15-16 लोग मध्यप्रदेश में हैं. मुख्य मुद्दा तो हमारा यह है कि यह जो दिक्कतें हुईं हैं. पूर्व में ओलावृष्टि, अतिवृष्टि, सूखा पड़ा उसकी राशि किसानों को नहीं मिल पाई है. खाद, बीज नहीं ले पा रहे हैं, सब्जियां मंडियों में सड़ रही है, गल रही है.
माननीय मुख्यमंत्री जी मेरे बाद हमारे और भी विधायक साथी इस पर बोलेंगे आप उस पर व्यवस्था दें. मैं समझता हूँ कि प्रदेश की जनता की, किसानों की आप मदद करते हैं आप अपने सरकारी तंत्र को उनके साथ लगाएं नहीं तो जैसा मैंने उल्लेख किया है कि राजस्व विभाग के यह हाल हैं, ऐसे ही ग्राम सेवक और पटवारी खेतों में पहुंचे नहीं है. पूरे में हाहाकार मचा हुआ है. आप हमारी इन बातों को ध्यान में रखें और आज ही इस बात का आग्रह करेंगे कि मध्यप्रदेश के जो सीमावर्ती राज्य हैं जैसे महाराष्ट्र, गुजरात या छत्तीसगढ़ उन राज्यों में मध्यप्रदेश के लाखों लोग जा रहे हैं आप इसको भी रुकवाएं. मनरेगा का पेमेंट बंद है, मनरेगा के काम बंद है, बीआरजीएफवाय बंद हो गई है इसको आप चालू करवाएं जिससे प्रदेश में सर्वहारा वर्ग को, मजदूरों को काम मिल सके. अभी तक की जो मजदूरी नहीं मिली है उसका भी भुगतान करवाएं. हमारे पास ऐसी बहुत सारी बातें हैं जिसको मैं समझता हूँ कि हमारे विधायक साथी उठाएंगे. मैं तो यही आग्रह करना चाहता हूँ कि आपने जो हमारा स्थगन प्रस्ताव स्वीकार किया है उसके लिए आपका धन्यवाद करना चाहता हूँ. हमारे इन मुद्दों को सरकार गंभीरता से ले. माननीय मुख्यमंत्री जी आपने किसानों के लिये शून्य प्रतिशत ब्याज योजना लागू की थी यह मैंने अपने स्थगन प्रस्ताव में भी दिया है कि उसमें ऋण जमा करने की तिथि 28 मार्च को परिवर्तित करके 28 फरवरी कर दी है, इससे भी किसानों को दिक्कत आ रही है. आपने एक महीना कम क्यों कर दिया है, मुख्यमंत्री जी जब आप बोलें तो इस पर भी आप व्यवस्था दें. किसानों और कृषक मजदूरों की भी प्रतिदिन आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. हमारे पास यह आंकड़े है कि वर्ष 2015 में मध्यप्रदेश में 2400 किसानों ने आत्महत्यायें की हैं. हमारे प्रश्न के जवाब में यह भी आया है कि अभी फरवरी 2016 से अप्रैल 2016 तक करीब 561 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं. तो माननीय मुख्यमंत्री जी आप उनके साथ खड़े हों और कम से कम जो किसान आत्महत्या करते जा रहे हैं और यह प्रवृति जो बढ़ती जा रही है, इसको अगर आप रोक पाने में सफल होंगे तो मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश के किसानों के लिये और हम सबके लिये ज्यादा ठीक होगा. अध्यक्ष महोदय, बाकी और बातें हमारे विधायक साथीगण बोलेंगे. मैं तो बस इतना कहना चाहता हूं कि आपने हमारी इस बात को स्वीकार किया, आपने हमारी बात को माना, हमने नियम 139, स्थगन और ध्यानाकर्षण भी दिये थे. आज हमको यह रूख इसलिये अख्तियार करना पड़ा कि हमें कल शाम तक इस बात की उम्मीद कर रहे थे कि आसंदी व्यवस्था देगी, लेकिन व्यवस्था नहीं दिखी, इस कारण से हमें लगा कि यह ज्वलंत मुद्दा मध्यप्रदेश के किसानों का है, यह उठना चाहिये और सरकार को गंभीरता से लेना चाहिये, सरकार को उनके साथ उठना चाहिये. हमारी पार्टी के तमाम साथियों ने ध्यानाकर्षण, नियम 139 और स्थगन प्रस्ताव के अंतर्गत किसानों को आने वाली दिक्कत के लिये व्यवस्था मांगी थी और आज आपने जो व्यवस्था दी प्रश्नकाल को रोककर आपने हमारी बात को माना है, और आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने यह बात स्वीकार की है, इसके लिये हमारे दल की तरफ से शुरूआत में धन्यवाद तो दे ही चुका हूं. आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी को बताना चाहता हूं कि यह चर्चा तब सार्थक होगी जब मध्यप्रदेश के किसानों के साथ सरकार खड़ी दिखेगी, जो मुद्दे मैंने अपने स्थगन प्रस्ताव में लगाये वह और जो मैं बोल रहा हूं वह मुद्दे, दूसरा अभी जितनी भी देर की जो चर्चा होगी,हमारे विधायक साथियों की ओर से जो बात आयेगी, उनका निराकरण होगा, उनका हल होगा तब जाकर यह लगेगा कि यह चर्चा सार्थक है नहीं तो इस पर भी कोई राजनीति न हो जाये. इसके लिये आपको और सरकार ....
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान):- इसमें राजनीति कहां से आ गयी.
श्री बाला बच्चन :- भाषणबाजी के अलावा कुछ ऐसा न हो कि, देखिये मैंने बोला है, आपके माध्यम से मैंने यह आग्रह किया है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:-बहिर्गमन मत करना, पूरी बात सुन लेना. आपके नेतृत्व में लोग चले न जायें.
श्री बाला बच्चन :- मुझे जो अंदेशा है, मैंने वह बात बोली है. अध्यक्ष महोदय, मैंने अपनी बात रखी है. अब हमारे विधायक साथी और अन्य भी सदन के सदस्यगण भी अपनी बात रखेंगे. आदरणीय मुख्यमंत्री जी भी यहां पर बैठे हैं. किसानेां के लिये कोई हल और कोई निराकरण होगा जो अभी तक वर्ष 2013 की कहीं सूखा राशि, बीमा राशि कोई मुआवजा राशि, आप किसानों से बीमा की राशि तो जमा करवाते हैं तो मैं समझता हूं कि इस चर्चा के बात किसानों की समस्या का निराकरण तो निकलेगा. सरकार जो आग्रह पटवारी से आर.आई, ग्राम सेवकों से तहसीलदारों से और उनको अपने खेतों में सर्वे और मुआवने के लिये तैयार करती है, किसी भी तरह से तो मैं समझता हूं कि उस पर भी दबाव बनेगा, जिससे अभी तक सर्वे नहीं हुआ था वहां पर सर्वे भी होगा. उसके बाद सब जगह जहां हा-हाकार और त्राहि-त्राहि मची हुई है, वह भी खत्म होगी. मैं समझता हूं कि यह अच्छी बात है कि आपने व्यवस्था दी और जो तत्काल चर्चा करायी है और भी बहुत सारे मुद्दे हमारी साथी बोलेंगे. मैं आपको धन्यवाद देता हूं, धन्यवाद्.
श्री शिवराज सिंह चौहान :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा केवल इतना निवेदन है कि माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने विषय उठाया, हम लोगों ने चर्चा स्वीकार की, लेकिन मैंने देखा कि जो विषय स्थगन प्रस्ताव में लिखकर दिया था, उस पर तो वह बहुत कम बोले हैं, प्रारंभ में थोड़ा बहुत बोले हैं. बाद में वह इधर उधर की बातें वह उठाते रहे,मेरा केवल इतना निवेदन है कि जिस विषय पर स्थगन दिया गया है, माननीय सदस्य उस विषय पर चर्चा करें.वही प्रासंगिक होगा.
श्री बाला बच्चन :- मैंने लगभग वही मुद्दे कवर किये हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा--माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस वर्तमान में देश के अंदर बड़े भ्रम की स्थिति में जी रही है. आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जो स्थगन दिया है नोटबंदी को लेकर उसमें पता ही नहीं चल रहा है कि वह नोटबंदी के समर्थन में हैं अथवा विरोध में हैं.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, नोटबंदी के बारे में मेरा कहीं पर भी उल्लेख नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा--आप इसको पढ़ लें मैंने उसको पढ़ा है. मैं आपके पास इसको भिजवा देता हूं. आरिफ भाई आपने भी दिया है.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, उससे जो व्यवहारिक दिक्कतें आ रही हैं उसका उल्लेख किया है.
श्री आरिफ अकील--अध्यक्ष महोदय,फिर हम नोटबंदी पर चर्चा करेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा--हां करिये ना. आरिफ भाई हर विषय पर चर्चा करें उसमें स्थिति तो स्पष्ट करें कांग्रेस नोटबंदी के पक्ष में हैं अथवा खिलाफ में है. कुछ तो कांग्रेस के लोग बोलें, (XXX). प्रदेश में कांग्रेस की क्या स्थिति है एक नोटबंदी ने एक तीर से इतने शिकार हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय-- इसको विलोपित करें.
श्री अजय सिंह--अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस की जहां तक बात है, वह नोटबंदी के पक्ष में है, लेकिन उससे जो व्यवहारिक कठिनाई किसान एवं समाज को उठानी पड़ रही है, उसके ऊपर हमारी चर्चा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, एक नोटबंदी देश में हुई उससे कई चीजें बदल गईं. काश्मीर में जिस दिन नोट बंद हुआ उस दिन से पत्थर फिकना बंद हो गये वहां पर 2 महीने से लगा कर्फ्यू भी शांत हो गया. उन जवानों से जो उरी में शहीद हुए, आपका नेता मिलने नहीं गया, लेकिन कन्हैया से मिलने जाता है. जो कहता है कि भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह-इंशाअल्लाह, उनसे मिलने आपके उपाध्यक्ष दौड़ कर के जाते हैं. कांग्रेस की सरकार नोटबंदी का विरोध करने वाली सरकार है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के करोड़ो किसानों के साथ में आप मजाक कर रहे हैं. यह कौन सा विषय है. प्रदेश के किसानों की पीड़ा का मजाक उड़ा रहे हैं आप.
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी आप विषय पर आयें. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत-- क्या तरीका है इनका, आसंदी इनको कुछ भी बोलने देगी.
प्रदेश का किसान समस्याओं से जूझ रहा है, यह यहां पर कैसी बातें कर रहे हैं.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी के अलावा जो भी बोलेंगे उनका नहीं लिखा जाएगा.
श्री रामनिवास रावत (XXX)
डॉ.गौरीशंकर शेजवार (XXX)
श्री बलबीर सिंह दण्डोतिया (XXX)
श्रीमती उषा चौधरी (XXX)
श्री मुकेश नायक (XXX)
अध्यक्ष महोदय – कृपया सुन लें. कृपया विषय पर आयें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – माननीय अध्यक्ष महोदय, जवानों की बात वहां से आई थी. अगर कोई मुझसे सवाल करेगा तो मैं उसका जवाब दूँगा, लेकिन इसमें पूरी की पूरी बातें जितनी आईं हैं एवं जो नेता प्रतिपक्ष ने कही है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक – अध्यक्ष महोदय, यह गलत चीज है. संसदीय कार्यमंत्री सदन का समय खराब कर रहे हैं. जिस विषय में स्थगन दिया गया है, उस विषय पर चर्चा करनी चाहिए. इस तरह के भ्रम फैलाने की कोशिश न करें. सरकार को जवाब देना चाहिए. जो हमारे नेता प्रतिपक्ष ने कहा है, उसका जवाब देना चाहिए. हम लोग एवं और भी लोग किसानों पर बोलने के लिए बैठे हैं. इस तरह का व्यवहार सदन में होगा तो निश्चित रूप से सदन गुमराह होगा.
अध्यक्ष महोदय – आप बैठ जाएं.
श्री रामेश्वर शर्मा – माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर सदस्य को इतना ही ज्ञान था तो अपने नेता प्रतिपक्ष को देते. हमारा तो समय खराब किया. हमारे तो प्रश्नोत्तर थे. क्या हम निर्वाचित सदस्य नहीं हैं ? जो संवैधानिक व्यवस्था थी, आपने उसको तो खराब किया. यह आपके नेताओं को देना चाहिए था. आपने सदन को पहले बाधित किया था. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत – आप अपने नेताओं को चेलेन्ज करो. आप व्यवस्थाओं को चेलेन्ज कर रहे हो. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – कृपया सभी बैठ जाएं. यदि आप यह समझते हैं कि विषय महत्चपूर्ण है तो आप कृपया बैठ जाएं. माननीय मंत्री जी अपनी बात पूरी करें.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – आप पूरा क्यों नहीं सुन रहे हैं, पूरा सुनने में क्या दिक्कत है ?
अध्यक्ष महोदय – आप लोग बैठ जाएं. कृपया सुनिये. डण्डौतिया जी एवं बाल्मीक जी बैठ जाइये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो चर्चा मांगने के पहले ही सोचना चाहिए था. अगर बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एटीएम की लम्बी-लम्बी लाईन लगी हैं. मैं बहनजी पर बोल रहा हूँ, आप रूकिये. आप बैठो, नोटों की माला अब नहीं पहन पाओगे.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया – कांग्रेस, बीजेपी से मिली हुई है.
अध्यक्ष महोदय – कृपया बैठ जाएं. (व्यवधान) मंत्री जी अपनी बात जल्दी समाप्त करें.
श्रीमती ऊषा चौधरी – (XXX)
अध्यक्ष महोदय – यह कुछ लिखा नहीं जायेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष में कहा है कि एटीएम पर लम्बी-लम्बी लाईनें लगी हैं एवं प्रदेश में 15 मौतें हो गईं. इन्होंने कैसे कहा कि 15 मौते हो गई हैं? प्रदेश के अन्दर यह भ्रम फैलाने की राजनीति गलत है. एटीएम की लम्बी लाईन में नेताजी लोग नोट बदलने को नहीं लगे हैं, लोग देश बदलना चाहते हैं इसलिए एटीएम की लाईन में लगे हैं.
बच्चन जी, इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब-जब देश को, जिस-जिसने बदलने की कोशिश की, चाहे वह द्वितीय विश्य युद्ध के अन्दर इज़रायल में वहां के नेता ने मांग की थी कि हमारे पास हथियार कम पड़ रहे हैं, असलाह कम पड़ रहा है, आपके घर में जितना आयरन का सामान है, वह हमें दे दीजिये. लोगों ने हथियार और असलाह बनाने के लिए चम्मच और थालियां तक दे दी थीं और खंदकों में रहने चले गए थे. लेकिन देश का प्रश्न सबसे पहले आया था इसलिए उन्होंने वह काम किया था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं है कि इनकी पार्टी के नेताओं ने नहीं कहा था. सन् 1965 में लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था कि एक दिन का खाना देश की जनता छोड़ दे तो देश की जनता ने सोमवार का भोजन त्यागा था. श्रीमती इन्दिरा गांधी जी ने भी कहा था कि जब बांग्लादेश से युद्ध हुआ था कि सेना के जाने के लिए आप लोग ट्रेनों में सफर न करें और देश के लोगों ने उस दिन ट्रेन में यात्रा नहीं की थी, जिस दिन ट्रेनों में सेना गई थी. माननीय प्रधानमंत्री जी ने 50 दिन देश बदलने के लिए मांगे हैं. इसलिए उस हिसाब से देश बदल भी रहा है.
श्री रामनिवास रावत – माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह सब विषय वस्तु है?
अध्यक्ष महोदय – आप मंत्री जी को बोलने दीजिए. आप कृपया बैठ जाइये.
श्री रामनिवास रावत – वे प्रदेश के किसानों का मजाक नहीं उड़ा रहे हैं. वे क्या कुछ भी बोलेंगे. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – आपने जो विषय उठाया है. वे क्या आपके हिसाब से बोलेंगे?
श्री बाला बच्चन – लेकिन हमने जो स्थगन दिया है, वे उस पर तो बोलें.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – इसमें क्या मजाक उड़ गया है ?
श्री बाला बच्चन – वे किसानों से संबंधित बोलें. मंत्री जी जो उत्तेजित हो रहे हैं. आज उन्हीं के प्रश्न का जवाब था एवं 66 प्रश्नों का जवाब क्यों ऐसा दिया ? अब उनके मुद्दे पर ही आ गए हैं.
अध्यक्ष महोदय – चलिये. मंत्री जी, आप बोलिये.
डा. नरोत्तम मिश्र – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं किसान पर ही आ रहा हूं और मैं फिर कह रहा हूं कि नेता जी आपने पूरी गलत जानकारी देकर के इस प्रदेश को गुमराह करने की कोशिश की है. माननीय अध्यक्ष महोदय, ये कह रहे हैं किसान बोवनी नहीं कर पा रहा है, पिछले साले जो बोवनी 77.28 लाख हेक्टेयर हुई थी, इस साल वही बोवनी अभी तक 95 लाख हेक्टेयर हुई है. बताइये किसने गुमराह किया, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं फिर कह रहा हूं कि देश इसलिए बदल रहा है. लाखनसिंह जी, आपके पास बगल में बैठे हैं भितरवार से विधायक है, अभी बहन इमरती देवी जी, डबरा से आई नहीं है विधायक है, पूछिए उनसे आड़त बंद नहीं हो पाई आज तक आजादी के बाद से डबरा में, इनके भितरवार के भी लोग जाते हैं, डबरा के भी लोग जाते हैं, मैं वहां का रहने वाला हूं, जिस दिन से नोट बंद हुआ माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यापारी और किसान के बीच से आड़तिया हट गए, जिसे ब्रोकर और दलाल कहते हैं. एक एक किसान को एक महीने के अंदर 50-50 हजार रूपए का लाभ हुआ है, ये परिवर्तन आया है देश के अंदर माननीय अध्यक्ष महोदय, (मेजों की थपथपाहट) ये परिवर्तन आया है देश के अंदर. चैक से भुगतान हो रहा है, डबरा मंडी के अंदर मैं वहां से आता हूं और मैं कह रहा हूं कि देश बदल रहा है, बीच का दलाल हट गया है. इसलिए बदलने की कोशिश है, इस देश को.
श्री लाखन सिंह यादव - किसान परेशान है, पिछले 15 दिन से मंडी बंद है.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए आप, कमेंट पर कमेंट करना उचित नहीं है, माननीय मंत्री जी कितना समय लेंगे.
डा. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर पैसा नहीं मिल रहा था, तो मैं शासकीय आंकड़ा दे रहा हूं कि पिछले साल से ज्यादा बोवनी हुई. मैं आधिकारिक रूप से बोल रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें आप.
डा. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, शुरू किया है तो बोलने दीजिए, व्यवधान का समय भी काटे न आप.
श्री गोपाल भार्गव - नरोत्तम जी, बोवनी इनकी बिगड़ गई है, असल में दिक्कत यह है.
डा. नरोत्तम मिश्र - इनका एक नेता कह रहा था कि मोदी जी ने तैयारी नहीं की, ये नहीं कहा कि मोदी जी ने तैयारी नहीं करने दी. ये स्थिति हो गई है, माननीय अध्यक्ष महोदय, हम तो आपके सामने प्रारंभ से आए हैं और आप परिवर्तन की बात पर फिर रोकने लगेंगे मुझे. आप देखें तो सही कैसे परिवर्तन आया देश में, ये जो तीन चार नेता नोटबंदी का विरोध कर रहे हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, आप कल्पना करेंगे, केजरीवाल की खांसी ठीक हो गई, मुलायम सिंह जी का पूरा कुनबा बिखरा हुआ, इकट्ठा हो गया, नोटबंदी उधर बंद हुई, ये सभी एकजुट हो गए, माननीय अध्यक्ष महोदय, नोटों की माला पहनना बंद हो गई. हाथी पिचककर भैंसों के झुंड में छिप गया, लोग ढूंढ रहे हैं कि भैंसों के झुंड में हाथी कहां है, ये स्थिति हो गई है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें आप.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया –(XXX), हाथी नहीं पिचक सकता, हाथी तो घूम रहा है, यू.पी. में.
अध्यक्ष महोदय - मानननीय मंत्री जी कृपया समाप्त करें, 15 मिनट हो गए.
डा. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, देश किधर जा रहा था मुझे समझ नहीं आया. हम तो विधानसभा और लोकसभा में भाषण देते हैं, अपनी बात रखते हैं और घर पर जाकर खाट पे सोते हैं और लोग खाट पर भाषण दे रहे हैं और लोकसभा में सो रहे हैं. ये मुझे समझ नहीं आ रहा है कि ये कौन सी राजनीति है. माननीय अध्यक्ष महोदय बिगड़ी हुई व्यवस्थाओं को संभालने के लिए, इस देश से भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए, कालाधन वापस लाने के लिए, किसानों की खुशहाली के लिए, 75 से 80 प्रतिशत किसान इस देश के अंदर है, उनकी खुशहाली के लिए ये लाया गया है. आप देखिए नोटबंदी हुई 8 तारीख को तो 10 तारीख से खाद की कीमत कम हुई, डीजल की कीमत कम हो गई.
श्रीमती उषा चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं ये पूछना चाहती हूं कि गरीबो के, किसानों के, मजदूरों के अलावा अगर कोई बड़ा आदमी लाइन में लगा हो 2000 रूपए निकालने के लिए तो बताईए, क्या बाबा रामदेव 2000 रूपए निकालने के लिए लाइन में लगे हैं.
डा. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, बोलने तो दीजिए आज, व्यवधान तो जोड़ों उसमें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी कृपया समाप्त करें 15 मिनट हो गए हैं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, आपने मेरे स्थगन प्रस्ताव को स्वीकारा और उस पर चर्चा कराई है. मंत्री जी, आपने मेरे स्थगन को लगता है कि पढ़ा नहीं है. उसमें नोट बंदी का एक शब्द भी नहीं है. अभी बैठ कर पढ़ लीजिये और फिर बोलिये. इसमें नोट बंदी का एक शब्द नहीं है. मेरे स्थगन प्रस्ताव को शायद मुख्यमंत्री जी ने अभी पढ़ा होगा. नोट बंदी का कहीं पर भी एक शब्द नहीं है. आप संसदीय कार्य मंत्री हैं और उसके बाद ऐसा बयान कर रहे हैं. इसमें कहां नोट बंदी का उल्लेख है. इसमें एक भी नोट बंदी का उल्लेख नहीं हैं. चूंकि मेरे स्थगन पर चर्चा हो रही है. आप गलत बयान कर रहे हैं.
..(व्यवधान)..
श्री मनोज सिंह पटेल -- नेता प्रतिपक्ष जी, पांच और लोगों ने स्थगन दिया है, पांचों में तो देखो आप.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- नेता जी, मैं पढ़ कर सुना दूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप मत पढ़िये. ..(व्यवधान).. कृपया बैठ जायें. दो दिन से प्रतिपक्ष के माननीय सदस्यों, वरिष्ठ सदस्यों द्वारा भी यह बात उठाई जा रही थी कि जो नोट बंदी के कारण परेशानियां जनता को आ रही हैं, उन पर चर्चा कराई जा रही है. उसी संबंध में यह स्थगन स्वीकार किया है और आपने जो समस्याएं लिखी हैं, वह नोट बंदी से उत्पन्न स्थिति की ही हैं. उसी पर मंत्री जी आपकी बात का उत्तर दे रहे हैं, जिन माननीय सदस्यों के मैंने नाम पढ़े हैं स्थगन प्रस्ताव में. अब मंत्री जी कृपया समाप्त करें. श्री मुकेश नायक.
श्री बाला बच्चन -- मंत्री जी, मेरे स्थगन में कही पर भी नोट बंदी का एक शब्द नहीं है. आपने उधर से ओपनिंग की है, मेरे स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है, उसमें नोट बंदी का एक शब्द भी नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- नेता जी, मेरे पास आपका स्थगन है और उसमें लिखा है.
श्री बाला बच्चन -- आप चाहें, तो पढ़कर सुना दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपया बैठ जायें. जो मैंने नाम पढ़े हैं, उसमें नोट बंदी से उत्पन्न स्थिति के संबंध में ही है.
श्री बाला बच्चन -- मेरे स्थगन प्रस्ताव में नोट बंदी शब्द नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- है.
श्री बाला बच्चन -- आप पढ़कर सुना दो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैंने पूरा पढ़ा है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये. श्री मुकेश नायक.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य) -- अध्यक्ष महोदय, ये नोट बंदी से कितने डरे हुए हैं, यह बाला बच्चन जी के बयान से लगता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, चवन्नी बन्द करने वाले लोग पांच सौ और एक हजार का नोट बंद हो गया, तो दिक्कत तो उन्हें आयेगी. ये चवन्नी से ऊपर ही बढ़ नहीं पाये थे.
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपया बैठ जायें. श्री मुकेश नायक.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, कृपया बोल लेने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- 12.00 बज रहे हैं. श्री मुकेश नायक.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री मुकेश नायक (पवई) -- अध्यक्ष महोदय, नोट बंदी को लेकर और उसके पड़ने वाले प्रभाव, खास तौर से पूरी ग्रामीण अर्थ व्यवस्था, चूंकि भारत पूरा देश ग्रामोन्मुखी है और पूरे देश के किसानों पर, मध्यम वर्गीय लोगों पर और आम जनता पर पड़ने वाले प्रभाव पर हम चर्चा कर रहे हैं. जब प्रधानमंत्री जी ने नोट बंदी की घोषणा की..
श्री जालम सिंह पटेल -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य नोट बंदी की चर्चा कर रहे हैं, जबकि बाला बच्चन जी कह रहे थे कि हमने स्थगन प्रस्ताव में नोट बंदी का उल्लेख नहीं किया है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उसी पर चर्चा हो रही है. यह परिस्थितियां उसी से उत्पन्न हुई हैं, यही बात दो दिन से उठ रही है. यह आज की बात नहीं है.
श्री मकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, मूलतः प्रधानमंत्री जी ने चार बातों का उसमें उल्लेख किया कि भारत में काले धन के प्रवाह को खत्म करने के लिये, भारत में हवाला व्यापार को खत्म करने के लिये, भारत में तस्करी को रोकने के लिये और नकली नोट, जो पूरे देश की अर्थ व्यवस्था में चलन में है, इनको रोकने के लिये हम भारत वर्ष में वर्तमान 500 और 1000 के नोट की लीगल वेलेडिटी को खत्म करते हैं. इस देश में पूरी अर्थ व्यवस्था की 86 फीसदी करेंसी लगभग 14 लाख 60 हजार करोड़ रुपये एक दिन में बंद कर दिये गये. तैयारी नहीं थी, उद्देश्य अच्छा था कि भारत में जो नकली नोट चलते हैं, जिसका फायदा आतंकवादी भी उठाते हैं, तस्कर एवं ड्रग व्यापारी उठाते हैं. इन तमाम गलत कारोबार को रोकने के लिये जरुरी है कि इन बड़े नोटों को खत्म कर दिया जाये, इसको चलन से बाहर कर दिया जाये. लेकिन तैयारी नहीं होने के कारण और पूरे अनुमान बिगड़ जाने के कारण जो देश की जनता के ऊपर प्रभाव पड़ा है वो बहुत विलक्षण किस्म का प्रभाव है. हम साफ साफ देख रहे हैं कि भारत की अर्थ-व्यवस्था में एक समानान्तर करेंसी होती है जो लाखों-करोड़ों रूपये की है. किसान अपना 100 बोरा गेहूं बेचता है उसको पैसे मिलते हैं और उस पैसे का वह उपभोग करता है, किराने वाले को देता है, कपड़े वाले को देता है, बस के किराये में देता है और यह जो धन का उपभोग है यह समानान्तर आर्थिक चक्र है भारत की यह पेरेलल करेंसी है. मैं आपसे विनम्रतापूर्वक यह कहता हूं कि यह पेरेलल करेंसी ही है जिसने अंतर्राष्ट्रीय रिसेशन के समय, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंदी के समय जो भारत में बीच में जिसने स्लेब का काम किया, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को बताया यह भारत की पेरेलल करेंसी है जो इस निर्णय से देश में खत्म हो गई. इसका भयंकर प्रभाव आने वाले तीन से चार साल तक भारत की पूरी अर्थव्यवस्था पर होगा. आज तो हम साफ साफ देख रहे हैं कि सारा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, छोटे व्यापार खतम हो गये हैं. भारत में कपड़े का व्यापार, किराने का व्यापार, चमड़े का व्यापार, छोटे छोटे व्यापार ग्रामीण क्षेत्रों में जो भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं, रोजगार जनरेट करते हैं यह सारी की सारी पेरेलल करेंसी एक निर्णय में, पूरे भारत वर्ष में ध्वस्त हो गई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दूसरी बात आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि माननीय भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने भी लोक सभा में कही थी. वैसे तो पूरी दुनियां में अनेक बार इस तरह के निर्णय हुये. लोकसभा में भी हमारे सम्मानित नेताओं ने इस बात का उल्लेख किया था और अपनी बात कही थी. एक बार मुसोलिनी ने इस तरह का निर्णय लिया, एक बार सद्दाम हुसैन ने इस तरह का निर्णय लिया, एक बार कर्नल गद्दाफी ने इस तरह का निर्णय लिया और एक बार हिटलर ने इस तरह का निर्णय लिया और अब की बार माननीय मोदी जी ने इस तरह की मुद्रा को बंद करने का निर्णय लिया .
अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि पहली बार इस तरह की मुद्रा चलन से बाहर नहीं हुई है. आपको मैं याद दिलाना चाहता हूं, सदन को याद दिलाना चाहता हूं और सम्मानीय सदस्य भी जानते हैं कि 1947 में आजादी के बाद लगभग 4 से 5 साल तक भारत औऱ पाकिस्तान में एक ही मुद्रा का चलन था मुद्रा बदली नहीं गई थी. उसके बाद पाकिस्तान ने अपनी मुद्रा बनाई, अपने रूपये बनाये उनका आर्थिक प्रवाह बना, उनकी आर्थिक नीतियां बनीं, और...
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव )-- मुकेश भाई आपने मुसोलिनी, गद्दाफी, सद्दाम हुसैन, हिटलर इन सबसे मोदी जी की तुलना की. भारत में ही इसके पूर्व में नोट बदले जा चुके हैं.
श्री मुकेश नायक -- मैं सब बता रहा हूं, पूरा बता रहा हूं, आप सुनिये तो.
श्री गोपाल भार्गव-- तो आप उसके लिये...
श्री मुकेश नायक-- कितने बार बदले गये मैं तारीखें तक बताता हूं, बैठें तो आप. अभी बताता हूं. भाई मोरारजी भाई देसाई ने भी एक मुद्रा बदली थी.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, हमारा पक्ष आ नहीं पाया था.
श्री मुकेश नायक-- सुन लीजिये आपने जब चर्चा उठाई है तो बता हूं. जब मोरारजी भाई देसाई ने बड़ा नोट बंद किया था तो भारतीय जनता पार्टी ने अपने कार्यालय में आफिसियल प्रेस कान्फ्रेन्स बुलाई थी और उस निर्णय का विरोध किया था. क्या आपको मालूम नहीं क्या यह बात ? बीजेपी ने अपने कार्यालय में आफिसियल प्रेस कान्फ्रेन्स बुलाई थी.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल- उस समय भारतीय जनता पार्टी नहीं थी.
श्री गोपाल भार्गव- मुकेश भाई, आप अपनी जानकारी दुरस्त कर लें. उस समय जनता पार्टी थी और जनसंघ जब मर्ज हुई थी, यह 1978 की बात है. उस समय बीजेपी नहीं थी, बीजेपी तो 1980 में बनी.
श्री मुकेश नायक-- आप पूरी बात तो सुनें महानुभाव. आप बाल की खाल क्यों निकाल रहे हैं. आप मेरे बोलने का आशय भी समझ रहे हो कि नहीं समझ रहे हो.
श्री गोपाल भार्गव- कम से कम असत्य जानकारी तो सदन में न कहें.बीजेपी थी ही नहीं उस समय.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल- कोई भी आरोप लगाना, मनगढंत आरोप लगाना है, इससे यह साबित होता है कि पूरी कांग्रेस इस नोटबंदी के मामले में मनगढंत आरोप लगा रही है.
श्री मुकेश नायक- आप मेरा आशय समझ रहे हो, मेरे बोलने का अर्थ समझ रहे हो.माननीय अध्यक्ष महोदय, कम से कम मुझे बोलने तो दें.
श्री बाबूलाल गौर-- मुकेश भाई, मोरारजी भाई जनता पार्टी के प्रधान मंत्री थे. भारतीय जनता पार्टी नहीं थी उस समय.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, इस सदन में बीजेपी के नेताओं की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह पूरी बात सुनना ही नहीं चाहते, हमारी पूरी बात सुन लें. आपको अवसर मिलेगा, उस समय आप जवाब दे दें. आपको किसने मना किया है. मुझे पता नहीं है क्या कि 1977 में किस पार्टी की सरकार थी.
श्री बाबूलाल गौर- हमें डिस्टर्ब करने का अधिकार है.
श्री मुकेश नायक -- डिस्टर्ब करने का अधिकार है (हंसी) तो आप उस अधिकार का उपयोग करें. आप बहुत सीनियर लीडर हैं.
अध्यक्ष महोदय- आप अपनी बात कृपया जारी रखें.
श्री मुकेश नायक -- अगर आप कहते हैं कि डिस्टर्ब करने का अधिकार है तो आप तो मुख्यमंत्री रहे हैं, बड़े बड़े पदों पर रहे हैं और जो पहली बार चुनकर के आये हैं यह आपसे क्या सीखेंगे ?
अध्यक्ष महोदय-- कृपया अपनी बात जारी रखें, सीधी बहस नहीं करें. .( व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विचार श्रृंखला टूट जाती है और (XXX) अध्यक्ष महोदय-- यह विषय नहीं है, इसको निकाल दीजिये कार्यवाही से, अब आप दो-तीन मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री मुकेश नायक-- 1977 की बात कर रहा हूं, जब भिन्न-भिन्न घटक दलों ने मिलकर भारत मे एक सरकार बनाई थी.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं वह तो आ गई बात, आप दूसरी बात करिये.
श्री मुकेश नायक-- और उस समय आरएसएस से रिलेटेड बीजेपी की विचारधारा के जितने भी नेता थे, उन्होंने पत्रकारवार्ता बुलाकर उस निर्णय का विरोध किया था. ... (व्यवधान)....
श्री बाबूलाल गौर-- हम तो जनता पार्टी में थे. ...(व्यवधान)...
श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी किसानों की बात करते हैं, अभी संसदीय कार्यमंत्री जी ने यह कहा कि हमारा बोया गया क्षेत्र भी बढ़ा, पिछले साल की तुलना में ज्यादा किसानों ने बीज बो दिया, मैंने पिछले बजट सत्र में जब माननीय मुख्यमंत्री जी ने कृषि कर्मण पुरस्कार लिया, इसकी असली कहानी बताई थी और उस समय मैंने कहा था कि बीजेपी की सरकार ने पावर पाइंट प्रजेंटेशन में जो कृषि उत्पादन के आंकड़े दिये, बोये गये क्षेत्र के आंकड़े दिये, सिंचाई क्षमता के प्रयोग के आंकड़े दिये और आपने तो राज्यपाल के अभिभाषण में यह तक लिख दिया कि रूपांकित क्षमता से ज्यादा हमने सिंचाई की है, जरा इसको समझाइये कि आपने रूपांकित क्षमता से ज्यादा सिंचाई की है.
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया विषय पर आयें और अपनी बात करें.
श्री मुकेश नायक- यह असत्य कथन करते हैं और दूसरों पर आरोप लगाते हैं. यह पूरे फर्जी आंकड़े सदन में देते हैं उसका उत्तर भी नहीं देते. मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी से यह पूछा था कि माननीय मुख्यमंत्री जी अभी उत्तर दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय-- स्थगन प्रस्ताव पर तात्कालिक विषयों पर चर्चा होती है, भाषणों पर नहीं होती.
श्री मुकेश नायक-- मैं आपसे प्रश्न करता हूं कि पावर पाइंट प्रजेंटेशन के समय जो आपने मध्यप्रदेश में कृषि उत्पादन के आंकड़े दिये थे और जो सदन को आपने आंकड़े दिये, इसमें अंतर क्यों था, इस बात को बतायें मध्यप्रदेश की विधान सभा को.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य से मेरा अनुरोध है, तात्कालिक विषय पर है आप भाषणों का विश्लेषण यदि पुरानों का करने लगेंगे तो, आप जो अभी विषय उठा है, जो परेशानी हो रही है, उसकी चर्चा करिये.
श्री मुकेश नायक-- संसदीय कार्यमंत्री जी ने जो विषय विधान सभा में रखा है, मैं उसको इलेबरेट कर रहा हूं. ... (व्यवधान)...
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके पास विषय नहीं हैं बोलने के लिये ....(व्यवधान).... पहले तो इनसे विषय पर आने के लिये कहें. यह अभी माननीय गौर साहब को कह रहे थे कि यह सीनियर मुख्यमंत्री रहे हैं, इनसे हम क्या सीखेंगे.
श्री मुकेश नायक-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दीजिये. श्री विश्वास सारंग जी.
श्री मुकेश नायक-- इसमें ऐसा क्या निकालने लायक है. यह पूरे देश को जो दिख रहा है, उसी पर चर्चा हो रही है.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री मुकेश नायक-- मध्य प्रदेश में यह हालत है नोटबंदी के कारण ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जायें कृपया.
श्री मुकेश नायक-- पूरी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है, पूरा किसान परेशान है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं ...(व्यवधान).. मेरे प्रश्न के उत्तर में यह कहा गया कि केवल 4 किसानों ने मध्यप्रदेश में आत्महत्या की, यह पूरा रिकार्ड है मेरे पास वर्ष 2010 में ....(XXX)
अध्यक्ष महोदय--- आप बैठ जायें, नायक जी का कुछ नहीं लिखा जायेगा. माननीय विश्वास सारंग जी को बोलने दें. आप बैठ जाइये कृपया.
श्री मुकेश नायक-- (XXX), आपका समय खत्म हो चुका है ...(व्यवधान)...(XXX) अध्यक्ष महोदय-- यह शब्द कार्यवाही से निकाल दीजिये. ...(व्यवधान)... चलिये उत्तर दे देंगे वह. ...(व्यवधान)...
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुकेश नायक जी बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, आप पूछिये 10 करोड़ लोग बैंक की लाइन में लगे होंगे, कहां आगजनी हुई, कहां गुण्डागर्दी हुई, कहां शहर बंद हुआ अरे नोटबंदी में तो पूरी कांग्रेस बंद हो गई इसलिये बौखला रहे हो. ...(व्यवधान)...
राज्यमंत्री,सहकारिता(श्री विश्वास सारंग) - माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के सदस्यों द्वारा नोटबंदी और उसके बाद हो रही तथाकथित किसानों को हो रही परेशानी को लेकर स्थगन प्रस्ताव यहां रखा और एक बार कांग्रेस फिर हिट विकेट हो गई. (XXX) और बाला बच्चन जी को मैं थोड़ी सी सलाह देना चाहता हूं वे बहुत वरिष्ठ हैं.
अध्यक्ष महोदय - यह निकाल दें कार्यवाही से..यह उचित नहीं है माननीय मंत्री जी.
श्री बाला बच्चन - यह कोई दावेदारी की होड़ के लिये थोड़े किया है.
अध्यक्ष महोदय - यह निकाल दें कार्यवाही से..यह उचित नहीं है माननीय मंत्री जी.
(..व्यवधान..)
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के नेताओं ने बहुत बातें कहीं. एक शेर है कौम के गम में,..(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - वह कार्यवाही से निकाल दिया. उनसे भी अनुरोध कर लिया वे नहीं बोलेंगे.
श्री मुकेश नायक - सहकारी बैंकों में एक बोरे की सूजे से सिलवाई 17 रुपये ली और करोड़ों बोरों की सिलवाई में 20-25 करोड़ रुपये खा गये.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाईये नायक जी कृपया.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी ने कहा है-
"कौम के गम में डिनर खाते थे हुक्काम के साथ,
रंज लीडर को बहुत था मगर आराम के साथ "
नोट बंदी को लेकर इतनी बड़ी-बड़ी बातें हुईं. मुकेश नायक जी ने हिटलर की बात कह दी. यह बात सही है कि कांग्रेस के नेताओं और विपक्ष के नेताओं के पेट में दर्द जरूर हो गया. पप्पू भी लाईन में लग गया. ढाई हजार रुपये बदलवाने के लिये 25 लाख की गाड़ी में पहुंच गया.
(..व्यवधान..)
श्री के.के.श्रीवास्तव - आप बताओ पप्पू कौन है.
(..व्यवधान..)
श्री विश्वास सारंग - आप किसको समझ रहे हो. अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाईये सभी सदस्यगण.
श्री सुखेन्द्र सिंह - प्रधानमंत्री जी की मां भी लाईन में लग गईं.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे लाल कपड़ा सांड़ को दिखाने से वह बिदकता है. यह पप्पू शब्द कांग्रेस किसको मानती है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के नेताओं का...
श्री सुखेन्द्र सिंह - 90 साल की बूढ़ी माता को लाईन में लगाकर राजनीति की गई.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - सभी बैठ जाईये.
श्री रामेश्वर शर्मा - पप्पू पर क्यों नाराज होते हो.
अध्यक्ष महोदय - सभी सदस्यगण बैठ जाएं.
(..व्यवधान..)
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, इस देश में नोटबंदी के बाद लगातार एक सकारात्मक माहौल बना है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाईये. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी—(XXX)
श्री सुन्दर लाल तिवारी—(XXX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- तिवारीजी, कृपया बैठ जाएं. (व्यवधान) तिवारी जी जो बोल रहे हैं वह कार्यवाही से निकाल दीजिए. विश्वास जी आप तो बोलिए. तिवारी जी कोई बात रिकार्ड में नहीं आती. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय,नोटबंदी को लेकर पूरे देश में सकारात्मक माहौल है. पूरे देश की जनता खुश है. इस देश में मोदी जी की नोटबंदी के बाद पहली बार जाति और धर्म की बहस खत्म होकर, अमीर और गरीब और दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात कि बेईमान और ईमानदार की बहस शुरु हुई है. जो बेईमान हैं, उनके पेट में दर्द होगा. जैसा नरोत्तम जी ने बताया अशोका गार्डन में मेरे विधान सभा क्षेत्र में (व्यवधान) अध्यक्ष जी, ये बोलने नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जाईये.
एक माननीय सदस्य-- क्या किसान बेईमान हैं. (व्यवधान)
श्री तरुण भनोत-- सारंग जी ईमानदार हैं क्योंकि लाइन में नहीं लगे. (व्यवधान) करोड़ों लोग लाइन में लगे वह सब हिंदुस्तान में बेईमान हैं.
अध्यक्ष महोदय-- भानोत जी कृपया बैठ जाएं.
श्री तरुण भनोत—(XXX). ये जब बोलते हैं तो आप उनको नहीं बैठाते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- उनको मैंने बोलने का अवसर दिया है, आपको नहीं दिया है. यह आपकी क्या बात हुई !
श्री तरुण भनोत-- यह कुछ भी बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- मैंने उनका नाम पुकारा है. आपका नाम पुकारा है क्या? बैठ जाईये. आप बहुत व्यवधान करते हैं, यह बात ठीक नहीं है.
श्री सुन्दर लाल तिवारी--अध्यक्षजी, व्यापम में....
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, बैठ जाएं. कौन सा विषय चल रहा है, पढ़ कर तो आया करें. (व्यवधान) अपना कैसेट बदलो और बैठ जाएं. (हंसी) वह नहीं समझते तो क्या करें. विश्वास जी आप बोलिए.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष जी, कैसे बोलूं.
अध्यक्ष महोदय-- वह नहीं समझते. उनका कोई उपाय मेरे पास नहीं है.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, देश में एक सकारात्मक माहौल बना है. पहली बार इस देश की जनता ने यह माना है कि कोई सरकार या सरकार का प्रधानमंत्री इस देश के हालात और इस देश की अर्थ व्यवस्था को बदलने के लिए काम कर रहा है. मेरा सीधा आरोप है जो भी इस देश में नोटबंदी का विरोध करते हैं वह आतंकवाद के खात्मे का विरोध करते हैं. जो भी इस देश में नोटबंदी का विरोध करते हैं, वह इस देश से काला धन को मिटाने का विरोध करते हैं.
श्री तरुण भनोत--अध्यक्ष महोदय, हम नोटबंदी का विरोध नहीं करते उससे जो अव्यवस्था हुई उसका विरोध करते हैं. (व्यवधान) पति, पत्नी को घर में रखेगा वह राष्ट्रद्रोही है. यह परिभाषा देंगे कि कौन राष्ट्रभक्त है और कौन राष्ट्रद्रोही है. (व्यवधान) जो जो विरोध कर रहे हैं, वह राष्ट्रद्रोही है. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष जी, तरुण भनोत जी इसका विरोध कर रहे हैं. मुझे कुछ आश्चर्यजनक नहीं लग रहा क्योंकि (XXX).
अध्यक्ष महोदय-- ये व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाएं. इसको कार्यवाही से निकाल दें. व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाएं. (व्यवधान) आप अपनी बात कहें. मंत्री जी, कृपया समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष जी, एक बहुत गंभीर बात आयी है. प्रदेश के मंत्री ने यह कहा कि (XXX).(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - मैंने डिस-अलाऊ कर दिया. आप बैठ जाएं. यह भी कार्यवाही से निकाल दें.
(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग - यह आपने ही तो बताया था.
अध्यक्ष महोदय - अब आप कृपया समाप्त करें.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - श्री जितू पटवारी जी ने मान लिया कि तरूण भनोत जी के नौकर लाइन में लगे थे. यह श्री जितू पटवारी जी ने मान लिया.
अध्यक्ष महोदय - आप सब बैठ जाइए.
(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत - अध्यक्ष महोदय,(XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठें.
श्री विश्वास सारंग - मुझे श्री जितू ने बताया. अध्यक्ष महोदय, यह बात श्री जितू ने बोली थी कि भनोत जी के यहां यह हुआ.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी आप बैठ जाएं.
(व्यवधान)..
श्री मधु भगत - क्या आप देखने के लिए लाइन में खड़े थे?
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं....आप सुन तो लीजिए. जब मंत्री जी ने कहा तो मैंने तत्काल मंत्री जी को भी अनुरोध किया कि वह व्यक्तिगत बात न करें और उसको कार्यवाही से निकाल दिया, उसके बाद उसको किन्हीं सदस्यों ने आगे बढ़ाया, दोनों बातें अनुचित हैं. उसको कार्यवाही से निकाल दी है. उस विषय को समाप्त करें. श्री विश्वास सारंग जी, कृपया करके दो मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री विश्वास सांरग - अध्यक्ष महोदय, मैं माफी मांगता हूं. मैं श्री तरूण भाई से माफी मांग रहा हूं. आप इतने नाराज क्यों हो गये? अध्यक्ष महोदय, अभी बात हुई, मैं यहां पर एक आंकड़ा देना चाहता हूं कि कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 25 नवम्बर, 2016 तक सप्ताह में बुआई हिन्दुस्तान में 35 प्रतिशत हुई. उसके बाद 7 दिनों में 27 प्रतिशत बुआई में बढ़ोतरी हुई, जिसको लेकर आप बोल रहे हैं कि बुआई नहीं हो पाई. इसी तरह से पिछले साल की तुलना में इस साल लगभग 9 प्रतिशत ज्यादा इस देश में खेती में बुआई हुई है.
श्री बाला बच्चन - आप गलत आंकड़ें कह रहे हैं. पिछले साल इस समय तक 109 लाख हैक्टेयर बुआई हुई थी और उससे 50 प्रतिशत बुआई अभी कम हुई है.
अध्यक्ष महोदय - आपको फिर अवसर मिलेगा, आप सुन लीजिए. आपने अपने आंकड़ें दिये, वे अपने आंकड़ें दे रहे हैं.
श्री बाला बच्चन - आप भ्रमित आंकड़ें दे रहे हैं. इस समय तक पिछले साल 109 लाख हैक्टेयर बुआई हुई थी.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, उसी तरह से उपार्जन के मामले में बहुत सारी बातें यहां पर हुई हैं. मैं बताना चाहता हूं कि मक्का में अभी तक 113934 मीट्रिक टन का उपार्जन हो गया, राशि लगभग 162 करोड़ रुपए और इसी तरह से धान का 275200 मीट्रिक टन और राशि लगभग 409 करोड़ रुपए है, जो कि पिछले साल से ज्यादा है. आप कह रहे हैं कि नोटबंदी के कारण दिक्कत हो गई.
अध्यक्ष महोदय - (श्री सुन्दरलाल तिवारी, सदस्य के अपने आसन से खड़े होकर बोलने पर) यह प्रश्नकाल नहीं है. आप बैठ जाएं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - कितने किसानों ने आत्महत्या की है?
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी, यह प्रश्नकाल नहीं है. कृपा करके आप समझा तो करिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन तो सुनेंगे...
अध्यक्ष महोदय - नहीं सुनेंगे. सिर्फ जो समझते हैं उनका निवेदन सुना जाता है, आप बैठ जाइए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - हिन्दुस्तान में कितने किसान फांसी लगाकर मरे हैं यह भी बता दीजिए?
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, इस देश में जब परिवर्तन की बात आ रही है, देश में सुव्यवस्था लाने की बात हो रही है तो कांग्रेस नहीं चाहती, विपक्षी दल नहीं चाहते, अभी बहुजन समाज पार्टी के भी बहुत सारे विधायक खड़े हुए, उत्तर प्रदेश में हमें मालूम है कि किस ढंग से टिकट बंटते हैं और अब तो नयी बात आ गई, अब पैसे से टिकट नहीं बंट रहे, अब तो बदल देंगे तो टिकट ले जाओ, मुद्दा यह है कि पैसे पूरे के पूरे वापस हो गये.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया - ..(व्यवधान)..(XXX).. (व्यवधान) ..
श्री विश्वास सारंग- अंत में मैं यही कहूंगा कि प्रदेश में माननीय अध्यक्ष महोदय, शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में एक-एक किसान सुखी है और इसका सीधा-सीधा परिणाम है, शहडोल और नेपानगर का उपचुनाव, जहां हम प्रचंड बहुमत से जीते हैं. लोकतंत्र में केवल जनता का वोट ही मापदंड होता है.
श्री सुंदरलाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX).
अध्यक्ष महोदय- तिवारी महोदय, आप बैठ जाईये.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के नेता विरोध कर रहे हैं, (XXX)
अध्यक्ष महोदय- यह कार्यवाही से निकाल दिया जाये.
श्री बाला बच्चन- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री महोदय के पास सहकारिता विभाग है. 52 लाख किसानों के सहकारी बैंकों में खाते हैं. इन खाताधारकों का लेनदेन पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है. मंत्री ने इस पर एक शब्द भी नहीं बोला है. इससे ये स्पष्ट होता है कि आपने हमारे स्थगन को पढ़ा ही नहीं है, देखा ही नहीं है. यह किसानों की बहुत बड़ी अवमानना है. मंत्री ने सदन में गलत बयानी की है.
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री महोदय ने जो बोफोर्स वगैरह कहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विनम्रतापूर्वक प्रार्थना है पूरा सदन, मीडिया देख रहा है. सदन किस तरह से चल रहा है ? किस तरह के शब्दों का प्रयोग हो रहा है ? आसंदी का भी कुछ कर्त्तव्य हो जाता है. मेरा आपसे निवेदन है कि कृपया विषयवस्तु पर ही बुलवायें और विषयवस्तु तक ही सीमित रखवायें.
अध्यक्ष महोदय- मैंने तत्काल वे शब्द कार्यवाही से निकलवा दिए हैं. मैं आपकी बात से सहमत हूं. आपके द्वारा जो आपत्ति उठाई गई है, वह बात निकलवा दी है. दोनों ही पक्षों को केवल विषयवस्तु पर ही बोलना चाहिए और रिपीटेशन नहीं होना चाहिए. इसका ध्यान सभी रखेंगे.
श्री रामनिवास रावत- इस प्रकार की स्थिति सदन में कभी नहीं हुई है.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो विषय पर ही बोला हूं. नोटबंदी और भ्रष्टाचार की बात ही कही है. भ्रष्टाचार बोफोर्स में हुआ है, इसमें नई कौन सी बात है.
श्री रामनिवास रावत- तुम तेंदूपत्ता मजदूर थे क्या ? सी.बी.आई. से जांच करा लो. भ्रष्टाचार की बात करते हो.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, बोफोर्स में भ्रष्टाचार हुआ. कांग्रेस ने किया. इसमें नई कौन सी बात है. नोटबंदी का विरोध करते हो. भ्रष्टाचार की बैसाखी पर चलते हो.
अध्यक्ष महोदय- आप सभी बैठ जाईये. श्री आरिफ अकील के सिवाय किसी का नहीं लिखा जाएगा.
श्री कमलेश्वर पटेल- (xxx)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल- (xxx)
श्रीमती शकुंतला खटीक- (xxx)
श्री आरिफ अकील (भोपाल-उत्तर)- (XXX) माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यवस्था थी नहीं. पप्पू और इस तरह की भाषा इनको अच्छी लग रही थी. अब भाषा बुरी लगेगी. घर में व्यवस्था है नहीं कि लोगों को नोट बदल के दे दो. उनको लंबी-चौड़ी लाईन में लगा दिया है. लोग लाईन में लगे हैं, हार्ट-फेल हो रहे हैं, मर रहे हैं. बीज के लिए परेशान हैं, रोटी के लिए परेशान हैं, खाने के लिए परेशान हैं और इसके बाद हम कहें कि (XXX) तो आप कहेंगे कि ये क्या शब्द हैं.
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- आप तो गाली में प्रथम आयेंगे आपको कौन रोक सकता है.
श्री आरिफ अकील -- अरे आपके शब्द तो, मैं आपके लिए तो एक शब्द कह चुका हूं और वह डिक्शनरी में लिख दें कि मैंने कभी नहीं सुना है कि (XXX).
अध्यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही से निकाल दें....(व्यवधान)..
श्री आरिफ अकील –(XXX)...(व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय क्या आपको यह नहीं लगता कि यह ज्यादा हो रहा है.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय मैंने तो एक कहावत कही है किसी का नाम नहीं लिया है इसलिए यह आपत्ति उचित नहीं है मैंने कहा कि (XXX) आप निकालना चाहते हैं तो निकाल दें यह आपका अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय -- यह सदन है, यह प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत है, यहां पर भाषा की मर्यादा को नियंत्रित रखना ही पड़ेगा और मुहावरे वह ही बोले जायेंगे जो कि व्यावहारिक हों और जिनकी भाषा ठीक हो.
श्री आरिफ अकील -- आप कार्यवाही देख लें कि मैंने किसी का नाम लिया है क्या.
अध्यक्ष महोदय -- यह बात उचित नहीं है कोई भी मुहावरे कहीं भी बोलेंगे, यह कार्यवाही से निकालें, यह ठीक बात नहीं है.
श्री आरिफ अकील -- आप निकाल दें, वह अधिकार है आपका, लेकिन मैंने किसी का नाम नहीं लिया है....(व्यवधान)..
श्री बाबूलाल गौर -- शेजवार जी खड़े हुए हैं इसके बाद में आपने यह शब्द कहा है तो यह किसके लिए कहा है (XXX).
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय आप हमें लड़ाना चाह रहे हैं, मैंने तो केवल मिसाल दी है, एक कहावत कही है, अब आप जिस पर फिट बैठती है उस पर लगा दें..(व्यवधान).. इसके लिए मैं आपको अधिकृत करता हूं. मैंने वित्त मंत्री जी को फोन किया था, आपके सचिवालय को फोन किया था कि जिन जिन लोगों को आपने 24 - 24 हजार रूपये निकालने का अधिकार दिया है, वह लोग बैंक में पैसे निकालने के लिए जा रहे हैं, उनको मात्र 5 हजार रूपये दिये जा रहे हैं. मैं वित्त मंत्री जी का आभारी हूं उन्होंने कहा कि मैं आपकी बात को ऊपर पहुंचाऊंगा, लेकिन आज तक उसका परिणाम नहीं आया है, बहुत सारी बैंकें ऐसी हैं जिसमें आज भी लोग परेशान हो रहे हैं.
श्री वेल सिंह भूरिया --आरिफ जी कांग्रेस को सबसे ज्यादा तकलीफ हो रही है. पहले पढ़ लिखकर आया करो, चाहे जो यहां पर सदन में बोलने की अनुमति आपको नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- वेल सिंह जी आप बैठ जायें.
श्री आरिफ अकील -- अब तो ठीक है. मैं इतना पढ़ा लिखा हूं कि इन जैसे 365 को पढ़ा सकता हूं, और रोज क्लास लेने लगूंगा अगर आप हुकूम देंगे तो, मैं कह रहा हूं कि व्यवस्था है, आपकी विधान सभा में जो बैंक है उसमें आप पता कर लें, विधायकों ने जो पैसा लेने के लिए आवेदन दिया है, जनता की बात तो छोड़ दें, उनको 5 - 5 हजार रूपये देने की बात कही गई है कि 24 हजार रूपये हमारे पास में नहीं है हम नहीं दे सकते हैं...(व्यवधान) मैं तो यहां पर विधायकों की बात के साथ में जनता की बात भी कह रहा हूं, दोनों की बात कह रहा हूं, जो पढ़ लिखने के लिए कह रहे हैं उनको पढ़ा रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि स्थगन प्रस्ताव इसलिए लिया जाता है कि तात्कालिक विषय जो कि बहुत महत्वपूर्ण होता है सारे काम रोककर लिये जाते हैं, इस तरह से व्यवधान न करें, इसके बाद में ध्यानाकर्षण लिये जायेंगे, सारी व्यवस्थाएं आप चलने दें जो माननीय सदस्य बोल रहे हैं उनको बोलने दें और जो माननीय सदस्य बोल रहे हैं उनसे मेरा अनुरोध है कि विषय पर बोलें पुनरावृत्ति न करें और संसदीय भाषा का प्रयोग करें, कोई भी व्यवधान नहीं डालेगा.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय आसंदी से अभी आपने निर्देश दिये हैं कि इसके बाद में ध्यानाकर्षण लिये जायेंगे. मैं समझता हूं कि स्थगन तो तब ही लिया जाता है कि सदन के समस्त कार्य स्थगित करके स्थगन प्रस्ताव लिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय -- हां तो कार्य स्थगित करके ही तो लिया है.
श्री रामनिवास रावत -- उसके बाद में कोई कार्यवाही नहीं होती है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, ऐसा नहीं है पूर्व के पचासों उदाहरण हैं,
श्री रामनिवास रावत -- आप जरा स्थगन के बारे में नियम और प्रक्रियाओं को देख लें.
अध्यक्ष महोदय -- आप जरा पढ़ लिया करें, मैं मानता हूं कि आप बहुत विद्वान सदस्य हैं, स्थगन प्रस्ताव का यह अर्थ होता है ...
श्री रामनिवास रावत -- आसंदी तो आपको चलाना है जैसे चाहे वैसे चलायें...(व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आसंदी चलाती है सदन को बहुमत नहीं चलाता है, इस तरह की अनेक परंपरा रही हैं.
अध्यक्ष महोदय -- स्थगन प्रस्ताव का अर्थ भी उन्होंने गलत समझ लिया है, स्थगन प्रस्ताव का अर्थ सदन को दिन भर के लिए स्थगित करना नहीं है, स्थगन प्रस्ताव का अर्थ है कि जो भी कार्यवाही चल रही है उसको रोककर के तत्काल उस अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा करवाई जाय, उसके बाद में शासन का उत्तर सुनकर, क्योंकि उसके बाद में शासन को उस पर जो भी कार्यवाही करना है उसके बारे में उत्तर में बतायेगा, उसके बाद में सामान्य रूप से कार्यवाही चल सकती है, थोड़ा सा पढ़ ले इसको तो ठीक रहेगा.
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सारी सोसाइटीज में किसानों के पैसे जमा हैं. किसान वहां पैसे लेने के लिए जा रहे हैं तो सोसाइटी वाले उनको जवाब दे रहे हैं कि हमारा तो खाता बैंक में है, बैंक वाले अगर हमें 24000 रुपये देंगे तो जो 50 हजार हितग्राही हैं हम उन पैसों को उनमें बांट देंगे. मैंने इस संबंध में पीएस, सहकारिता से भी अनुरोध किया कि सोसाइटीज को इतने पैसे दे दो कि जो किसान बोवनी करना चाहते हैं उनकी बोवनी हो जाए, वे डीजल की व्यवस्था करने के लिए पैसे लेना चाहते हैं तो उनके लिए पैसों की व्यवस्था हो जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम तो यह सोच रहे थे कि हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी गरीबों के ऐसे हितैषी हैं, गरीबों की आवाज सुनने वाले हैं कि जब यह काला कानून बनकर देश में लागू हुआ तो उस वक्त इनको कोई ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए थी कि कोई भी गरीब भूखा न सो पाएगा, उनको घर में रोटी मिलेगी. किसी भी किसान को अपने खेत में यदि बोवनी करने के लिए बीज की आवश्यकता होगी तो उसे बीज मिलेगा.
श्री वेलसिंह भूरिया -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- प्लीज बैठ जाइए. वेलसिंह जी का कुछ नहीं लिखा जाएगा. आप बार-बार व्यवधान डालते हैं यह ठीक बात नहीं है. बैठिए आप.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष जी, मुझे लग रहा था कि मुख्यमंत्री जी ऐसी व्यवस्था करेंगे और जिसके लिए ये जाने जाते हैं, गरीबों की मदद करते हैं, वह मदद होगी, लेकिन इनका कहीं भी कोई स्टेटमेंट नहीं आया, न ही इनकी सरकार के किसी मंत्री का स्टेटमेंट आया. मैंने तो यह सुना है ट्रांसपोर्ट वाले बता रहे थे कि (XXX). गरीबों की, उनके हितों की, प्रदेश के लोगों की इनको कोई चिंता नहीं थी, ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी. नहीं तो आप बताओ कि जो कल तक मजदूर थे आज वे करोड़पति कैसे हो गए ? आपकी पार्टी के जिन कार्यकर्ताओं के पास कल तक साइकिल थी आज वे बोलेरो गाड़ी में कैसे घूमते फिर रहे हैं. उनके पास कहां से यह आई, क्या आप इस बात की जांच करवाएंगे ? मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या इस बात की व्यवस्था करोगे. मां किसे कहते हैं मां को लाइन में लगाने की आवश्यकता नहीं होती, बीबी के क्या हक होते हैं उसको अदा करने के लिए किसी की जरूरत नहीं पड़ती, बीबी के जो हक हैं उनको अदा करने के लिए आदमी को सक्षम होना चाहिए.(XXX). अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- आखरी की लाइन कार्यवाही से निकाल दें. (...व्यवधान...)
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, आप निकालने के लिए पूरा भाषण निकाल सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, पूरा नहीं निकाला.
श्री आरिफ अकील -- मैंने क्या किसी का नाम लिया.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने केवल आखरी की लाइन निकाली है.
श्री आरिफ अकील -- ये डर क्यों रहे हैं, ये क्या समझ रहे हैं हमारा इशारा किसकी तरफ हैं ये बताएं. हम तो माफी मांग लें लेकिन पहले बताओ तो कि क्या समझे.
अध्यक्ष महोदय -- कुछ मत बताओ आप.
श्री आरिफ अकील -- किसने मां का हक नहीं निभाया, किसने बीबी का हक नहीं निभाया, उसका नाम तो बताओ, हम माफी मांग लेंगे.
श्री बाबूलाल गौर -- समझदार को इशारा काफी है.
अध्यक्ष महोदय -- आरिफ भाई, बैठ जाइये. वह कार्यवाही से निकाल दिया है. माननीय मंत्री जी.
श्री भूपेन्द्र सिंह, गृह एवं परिवहन मंत्री -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने हमारे इस देश के विकास के लिए और हमारे देश से भ्रष्टाचार समाप्त हो, गरीबों के कल्याण में सरकार अधिकतम पैसा खर्च कर सके, देश में महंगाई कम हो, देश में प्रॉपर्टी के दाम कम हों, इन सब बातों को ध्यान में रखकर यह ऐतिहासिक निर्णय हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लिया है. जैसा हमारे मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि ऐसा निर्णय कोई देशभक्त ही इस देश के अंदर ले सकता है, वह निर्णय लेने का काम हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने किया.
माननीय अध्यक्ष जी, मैं इस बात को नहीं कह रहा हूँ कि विपक्ष क्या चाहता है, न मेरा विपक्ष के ऊपर कोई आरोप है, पर प्रधानमंत्री जी ने जो निर्णय लिया वह निर्णय देश के हित में लिया और अगर प्रधानमंत्री जी ने यह निर्णय देश के हित में लिया है तो देश के प्रति विपक्ष की भी उतनी ही जिम्मेदारी है जितनी सत्ता पक्ष की है...
12.40 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
श्री भूपेन्द्र सिंह -- स्वाभाविक रूप से इतना बड़ा निर्णय हुआ था. एकदम कोई इतना बड़ा निर्णय हुआ है तो कुछ शुरूआती कठिनाइयाँ आएंगी. सरकार इस बात को कहीं यह नहीं कह रही है कि शुरूआती कठिनाइयॉं लोगों को नहीं हुईं. निश्चित रूप से शुरूआती कठिनाइयॉं होंगी चूंकि निर्णय बड़ा था परन्तु विपक्ष की यह जिम्मेदारी थी कि विपक्ष इस देश हित के निर्णय में सरकार का सहयोग करता परन्तु माननीय उपाध्यक्ष जी, यह दुर्भाग्यजनक है कि देश के हित में इतना बड़ा निर्णय जब सरकार ने लिया तो लगातार देश के संपूर्ण विपक्ष ने देश में ये वातावरण बनाने का प्रयास किया कि देश के समक्ष बहुत बड़ा संकट आ गया है. तमाम तरह से विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाने का काम किया. लोगों को देश में भड़काने का काम किया. लोग चाहते थे कि देश में ऐसे हालात उत्पन्न हो जाएं कि देश में लॉ एंड ऑर्डर की समस्या उत्पन्न हो जाए और सरकार को निर्णय वापस करना पड़े परन्तु मैं देश की जनता का अभिनंदन करता हॅूं कि इस देश की जनता ने लाइन में खड़े होकर कई चैनल मुहं में माइक ठूंसते थे पर उसके बाद भी लाइन में खडे़ होकर नागरिक ये कहता था कि मैं प्रधानमंत्री के इस निर्णय का स्वागत करता हॅूं. यह देश के नागरिकों ने कहा और विपक्ष ने इस देश में जो षड़यंत्र किया था कि देश में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बन जाए आज मैं आपसे पूछता हॅूं कि कहां पर आज की तारीख में है. आज व्यवस्था धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. आज प्रॉपर्टी के दाम 30 परसेंट कम हुए हैं. क्या इसका लाभ गरीब आदमी को नहीं मिलेगा, मैं नेता प्रतिपक्ष जी से पूछना चाहता हॅूं ?
श्री बाला बच्चन -- आपने मुझे कोट किया, इसलिए मैं बोल रहा हॅूं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- मैं आपकी प्रशंसा कर रहा हॅूं. मैं आपको कोट करके आपके खिलाफ नहीं बोल रहा हॅूं. आप बैठिए.
श्री बाला बच्चन -- मैंने स्थगन में कहीं भी इसका उल्लेख नहीं किया है.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- आप बैठ जाइए. आप भले आदमी हैं.
श्री बाला बच्चन -- मैंने जो स्थगन दिया है उस पर तीनों मंत्री हट कर बोल रहे हैं. किसानों की चिन्ता कीजिए. मध्यप्रदेश के किसानों के क्या हालात हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- क्या किसान प्रॉपर्टी नहीं खरीदते हैं ?
श्री बाला बच्चन -- मध्यप्रदेश में किसानों के क्या हालात हो गए है, उससे संबंधित हमारा स्थगन है.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- नेता प्रतिपक्ष जी, अगर प्रॉपर्टी के रेट कम होंगे, तो क्या किसान प्रॉपर्टी नहीं खरीदेगा ? हमारे देश के अंदर प्रॉपर्टी के दाम 30 प्रतिशत कम हो गए हैं. 8 तारीख के इस फैसले के बाद आज की तारीख में लगभग 11 लाख करोड़ रूपये बैंकों में जमा हुए हैं. यह 11 लाख करोड़ रूपये बैंकों में जमा होने के बाद आज देश के अनेक बैंकों ने अपने ब्याज की दरें कम कर दी हैं. क्या बैंकों के ब्याज की दरें कम नहीं हुई हैं ? क्या इसका लाभ किसानों को नहीं मिलेगा ? क्या इसका लाभ गरीब आदमी को नहीं मिलेगा ? आज देश में महंगाई कम हुई है. अगर देश में महंगाई कम हुई है तो इसका लाभ देश के गरीब को नहीं मिलेगा ? तो आखिर सरकार ने इस देश के अंदर कौन-सा अपराध कर दिया. हमने भ्रष्टाचार रोकने की कोशिश की. हमने इस देश में जो पैसा लोगों के पास पड़ा हुआ था हम इस बात को नहीं कहते कि सारा पैसा बेईमानी का था. कुछ ईमानदारी का पैसा भी लोगों का होगा, परन्तु हमारे देश के अंदर बैंकों की स्थिति यह आ गई थी कि अगर बैंकों के अंदर पैसा नहीं जाता तो हमारे देश की मार्च तक 21 बैंकें एनपीए हो जातीं और इसका परिणाम देश के अंदर क्या होता, गरीब आदमी को पैसा कहां से मिलता ? गरीब आदमी व्यवसाय कहां से करता ? बैंकें कहां से चलतीं ? और इसलिए यह जो निर्णय सरकार ने लिया है इस निर्णय की पूरी दुनिया ने प्रशंसा की है. अकेले भारत ही नहीं, पूरी दुनिया ने इस निर्णय की प्रशंसा की है और यहां तक की चीन की मीडिया ने भी कहा है कि मोदी जी ने जो निर्णय लिया है वह दुनिया में कोई व्यक्ति ऐसा निर्णय नहीं कर सकता था, जो निर्णय हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने लिया है और इसलिए मेरा विपक्ष से यह निवेदन है कि शुरूआती कठिनाइयॉं थीं. हम इसको मानते हैं और विपक्ष की जिम्मेदारी देश की प्रति जितनी हमारी है उतनी आपकी भी है. जितने देशभक्त हम हैं उतने ही देशभक्त आप भी हैं. परन्तु माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे तकलीफ इस बात की होती है कि मैं अभी शहडोल के चुनाव में था और वहाँ कांग्रेस के नेता जाकर जो भाषण देते थे उसकी मेरे पास पूरी रिकार्डिंग है, आप कहेंगे तो मैं उसको हाउस में सुनवा दूंगा. कांग्रेस के नेताओं ने वहाँ जाकर यह भाषण दिया कि अभी इन्होंने यह कालाधन बंद किया है. अब यह लोगों की जमीन छीन लेंगे, अब यह लोगों का सोना छीन लेंगे. क्या यही आपकी देश के प्रति देशभक्ति है? क्या यही आपकी देश के प्रति जिम्मेदारी है कि अगर हम कोई ठीक काम कर रहे हैं, सरकार कोई ठीक काम कर रही है और जनता ने जनादेश उसी बात पर दिया है. हमारी पार्टी ने, हमारी सरकार ने चुनाव के समय जब हम जनता के पास गये थे हम यह मेंडेट लेकर गये थे कि हम देश को एक पारदर्शी सरकार देने का काम करेंगे, हम देश को भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का काम करेंगे, हम देश के अंदर जो ब्लैकमनी है, उसको रोकने का काम करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अकेले एक साल में 600 करोड़ रुपये का हवाला धन रोकने का काम भारत की, मोदी जी की सरकार ने किया है, कौनसा अपराध कर दिया मोदी जी ने? माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस देश के अंदर हमारी सरकार ने लोगों को अवसर दिया, हमने 30 सितंबर तक का समय दिया और उसके बाद इस देश में 65 हजार करोड़ रुपये लोगों ने स्वीकार किया और जिससे सरकार को 40 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ और इस 40 हजार करोड़ रुपये के राजस्व से हम प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से गरीबों का मकान बनाने का काम कर रहे हैं तो हम कौनसा अपराध कर रहे हैं? इस देश के अंदर हमारी सरकार और हमारे मुख्यमंत्री जी का संकल्प है कि हमारे प्रदेश और देश के अंदर 2022 तक एक भी गरीब परिवार ऐसा नहीं बचेगा जिसका हम प्रधानमंत्री आवास योजना के अंदर मकान बनाकर देने का काम नहीं करेंगे, कौनसा अपराध कर रहे हैं हम ? यह 40 हजार करोड़ रुपये जो भ्रष्टाचार में जा रहा था, जो कालेधन में जा रहा था, वह पैसा लाकर के यदि हम गरीब का मकान बनाने का काम देश के अंदर कर रहे हैं तो कौनसा अपराध सरकार कर रही है. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा विपक्ष से विनम्र आग्रह है कि मैं किसी पर कोई आरोप नहीं लगाना चाहता हूं, परन्तु सरकार की नीयत ठीक है, सरकार देश के लिए काम करना चाहती है, सरकार देश की जनता के लिए काम करना चाहती हैं. जितने हम जिम्मेदार हैं उतने आप भी जिम्मेदार हैं इसीलिये इस अच्छे निर्णय में जो शुरुआती दिक्कतें आई होंगी वह लगभग अब ठीक हो गई हैं. इसलिए इस निर्णय में आप सभी सरकार का सहयोग करें और माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में आज मध्यप्रदेश जिस तेजी से देश में आगे बढ़ रहा है, जो मध्यप्रदेश बीमारू राज्य कहलाता था, वह मध्यप्रदेश आज देश की अग्रिम पंक्ति के पांच राज्यों में माननीय शिवराज जी के नेतृत्व में खड़ा हुआ है. आप सब सहयोग करने का काम करिये यह मैं निवेदन मैं आप सबसे करना चाहता हूं. बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम, विपक्ष के सदस्यों द्वारा प्रदेश में किसानों की बदहाली,किसानों की समस्या से संबंधित स्थगन प्रस्तुत किया गया.हम आसंदी के आभारी हैं कि आसंदी ने यह स्थगन स्वीकार किया और सरकार ने भी स्थगन ग्राह्य करने का आग्रह किया, उनको भी हम धन्यवाद देते हैं.माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लेकिन जिस तरह से स्थगन की विषयवस्तु को बदला जा रहा है, जिस तरह से स्थगन की विषयवस्तु को विषयांतर करने का काम किया जा रहा है, यह बड़ी दुर्भाग्यजनक स्थिति है. मैं समझता हूं कि यह पहली बार मैं अपने इतने संसदीय जीवन में, विधानसभा के कार्यकाल में देख रहा हूं कि किसी स्थगन की विषयवस्तु अलग है और चर्चा कुछ अलग हो रही है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विषयवस्तु थी कि प्रदेश में किसानों की हो रही बदहाली,प्रदेश में आत्महत्या करते हुए किसान, प्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात करने वाले भाजपा की सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी और मोदी जी, कि हम दुगुनी आय बढ़ाएंगे . आज किसान की आय कहाँ से कहाँ पहुंच गई है, किसान की स्थिति क्या है इस पर स्थगन लगाया गया था. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे आज ही के प्रश्न मे मैंने पूछा था कि मध्यप्रदेश में कितने लोगों ने आत्महत्या की माननीय मुख्यमंत्री जी, आप पढ़ लेना लगभग 22 लोग प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे हैं. इनमें से 4 लोग किसान कृषक वर्ग से और कृषक मजदूर वर्ग से हैं. प्रदेश के चार किसान रोज आत्महत्या कर रहे हैं यह मेरे प्रश्न की जानकारी में है मेरा आज का प्रश्न क्रमांक 150 (क्रमांक 15,18) यह गृह विभाग से संबंधित है. हम किस तरह से किसानों की चर्चा को विषयान्तर करने का प्रयास कर रहे हैं यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम चाहते हैं कि प्रदेश का किसान खुशहाल रहे, प्रदेश का गरीब बर्ग खुशहाल रहे, प्रदेश के मजदूर को मजदूरी मिले और हम इसमें सरकार के साथ हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी, जैसा सहयोग चाहें वैसा सहयोग करने के लिए तैयार हैं हम इसमें बिल्कुल भी पीछे नहीं हैं. लेकिन माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज जो स्थिति है सरकार की जिम्मेदारी बनती है हम चाहते हैं मिनिमम सपोर्ट प्राइज़ क्यों घोषित किया जाता है माननीय मुख्यमंत्री जी आप बताएंगे अपने भाषण में. मिनिमम सपोर्ट प्राइज़ इसलिए घोषित किया जाता है कि यदि किसान की फसल का सही मूल्य किसान को न मिले तो सरकार उसको सही मूल्य दिलानं के लिए व्यवस्था करगी या सरकार उस किसान के खाद्यान की खरीदी करेगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहूंगा कि अभी जो 2016-17 का कुछ जिन्सों का जो मूल्य है बाजरा का समर्थन मूल्य 1330 है किसान मंडी में बाजरा 1200 में बेच रहा है, मक्का का समर्थन मूल्य 1365 किसान मंडी में 1200 में बेच रहा है, अरहर का मूल्य 5050 है किसान को 3200 रुपए में अरहर बेचनी पड़ रही है. इसी तरह से मूंग समर्थन मूल्य 5025 और किसान को बेचना पड़ रही है 3200 रुपए में, उड़द 5000 रुपए है मार्केट में 4000 रुपए में देना पड़ रही है. हमारा प्रदेश सोयाबीन का बहुत बड़ा उत्पादक प्रदेश है. सोयाबीन के बहुत बड़े उत्पादक किसान हैं इसका समर्थन मूल्य 2775 रुपए है लेकिन किसान को मजबूर होकर के 2200 रुपए में बेचना पड़ रहा है. अगर आप इनकी खरीदी की व्यवस्था करें तो निश्चित रूप से हम आपके साथ हैं. आप यह प्रण लें, आप यह संकल्प लें कि हम किसान के मूल्य का उचित दाम दिलवाएंगे तो आपकी सरकार के साथ पूरा विपक्ष आपके साथ है. आप जैसा सहयोग चाहें वैसा सहयोग करने के लिए तैयार है. आज किसान इतना मजबूर है मंडियां किसानों की जिस दिन से नोटबंदी हुई है या जिस दिन से करेंसी की समस्या उत्पन्न हुई है प्रदेश की सारी की सारी मंडियां बंद हैं हम चाहते हैं कि अपने जवाब में यह जरूर बताएं कि 8 नवंबर से लेकर आज तक प्रदेश की मंडियों में कितनी कम आवक हुई है. तभी हम मानेंगे कि निश्चित रूप से आप किसान के हितैषी हैं हम यह भी चाहते हैं आप अपनी सरकार के माध्यम से किसान हितैषी योजनाएं चला रहे हैं और इन योजनाओं का पैसा आप रेवेन्यू से वसूल करते हैं हम चाहते हैं कि 8 नवंबर से लेकर आज तक मध्यप्रदेश की सरकार के रेवेन्यू में कितनी गिरावट आई यह आप स्पष्ट करें. अगर रेवेन्यू में गिरावट आई है तो आपके पास पैसा कहां से आया किसानों का हित करने के लिए गरीबों के लिए गरीबों के उत्थान के लिए आप कहां से राशि लाओगे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने देखा है कि एक किसान जिसका बेटा बीमार है उसको इलाज के लिए ज्वार का मूल्य जो बजार में 5000 से 6000 था दो हजार रुपए में मजबूर होकर किसी व्यापारी की दुकान पर जाकर बेचकर इलाज के लिए ले जाना पड़ रहा है यह स्थिति माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश की हो रही है इसी कारण से प्रदेश का किसान आत्महत्या कर रहा है. प्रदेश के किसानों की फसलों का लागत मूल्य बढ़ा है लागत मूल्य की तुलना में हम मिनिमम सपोर्ट प्राइज़ नहीं बढ़ा पाए हैं. पिछले दो वर्षों में मिनिमम सपोर्ट प्राइज़ इस वर्ष बढ़ाया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बड़े दुर्भाग्य की स्थिति है जिनकी आप तारीफ कर रहे हो पूरी सरकार तारीफ कर रही है पूरा सत्ता पक्ष तारीफ कर रहा है उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद राज्यसरकार द्वारा दिया जाने वाला बोनस बंद कराने का नोटिस दिया. और आपने डर की वजह से बोनस भी बंद कर दिया माननीय मुख्यमंत्री जी यह कितने बड़े दुर्भाग्य की बात है आप हित करना चाहते थे किसानों का लेकिन प्रधानमंत्री जी के डर की वजह से आपने बोनस बंद किया और केन्द्र सरकार से मिलने वाला बोनस भी आपने बंद कर दिया आप अपने आपको किसान हितैषी बनने की बात कर रहे हैं. आप अगर बोनस देते हैं पूरी सरकार साथ हैं इस बजट में जो प्रावधान करोगे कि हम किसानों को बोनस देंगे उसका पूरा कांग्रेस पक्ष समर्थन करेगा पीछे नहीं हटेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसानों की सब्जियां महंगाई किस चीज में कम हुई है. जिंस भी बता देते कि जो उत्पादन किसान करता है उसमें महंगाई कम हुई है सब्जियों को किसान ट्रेक्टर में लाता है फेंककर जा रहा है, बाजार में नहीं बिक रही हैं, मंडियों में नहीं बिक रही हैं, बांटकर जा रहा है यह स्थिति किसान की बनी हुई है. किसान बोवनी नहीं कर पा रहा है. हम चाहते थे कि आप समुचित व्यवस्था करते जिससे किसान को सब्जियों का उचित मूल्य मिले. आप महंगाई कम करने की बात करते हैं. आप बता दें क्या स्टील के दाम कम हुए हैं, क्या सीमेंट के दाम कम हुए हैं, या पहनने वाले कपड़ों के अथवा जूतों के दाम कम हुए हैं. अगर इनके दाम कम हुए हैं तो मान लेंगे कि महंगाई कम हुई है. रियल इस्टेट में उतार आया है उसमें महंगाई कम हुई है. लेकिन कोई किसान भोपाल में मकान खरीदकर रहने के लिए नहीं आ रहा है. किसान अपनी जीविका के लिये संघर्ष कर रहा है उनका सहयोग करने का आप काम करेंगे तो बड़ी कृपा होगी. आप सहकारी बैंकों के माध्यम से शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण देते हैं. आज आपकी बैंकों ने शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण देना बंद कर दिया है. कुछ फसल उत्पादित कीं खरीफ की मोटे अनाज की उनके पास पुराने नोट थे किसान रबी की फसल बोना चाहता था, बीज लेना चाहता था, खाद लेना चाहता था वह भी अगर किसानों ने बैंक में जमा किए तो केन्द्रीयकृत बैंकें किसानों ने उनके ऋण के पेटे, केसीसी के पेटे जमा कर लिए भले ही उनकी अवधि नहीं हुई थी. प्रदेश में आज किसान खाली हाथ खड़ा है. सहकारी बैंकों द्वारा ऋण नहीं दिया जा रहा है न नोट बदले जा रहे हैं जबकि सहकारी बैंक भी आरबीआई से स्वीकृति प्राप्त बैंक हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नोटबंदी के कारण फेक्ट्रियों में पूरी तरह से ताले लग गए हैं. हजारों मजदूर मध्यप्रदेश में बेरोजगार हो रहे हैं. अभी भाई सचिन यादव बता रहे थे कि उनके यहां बड़वानी में, खरगोन में सेंचुरी फेक्ट्री बंद हो जाने के कारण एक हजार मजदूरों को ब्लेक-आउट कर दिया है. उन मजदूरों के परिवारों को जीविका के लाले पड़ रहे हैं. अगर उनके साथ माननीय मुख्यमंत्री जी आप खड़े हों तो कांग्रेस आपका साथ देगी. सत्ता अगर अच्छे काम करे, सरकार अगर अच्छे काम करे तो हमें किसी भी तरह की कोई आपत्ति नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री बीमा योजना की बात आई. माननीय मुख्यमंत्री जी आपने एक महासम्मेलन करके प्रधानमंत्री बीमा योजना का प्रचार करने के लिए करोड़ों अरबों रुपए व्यय किया. हमें कोई आपत्ति नहीं है. बीमा योजना अगर किसानों के लिए चलती है, किसानों को उसका लाभ मिले तो कोई आपत्ति नहीं है. मेरे 5 तारीख के एक प्रश्न के जवाब को मैं पढ़कर सुनाता हूँ मुख्यमंत्री जी आप भी सुन लेना. प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत मध्यप्रदेश में खरीफ 2016 हेतु लगभग 34 लाख 27 हजार 321 कृषकों का फसल बीमा किया गया. कृषक अंश के रुप में एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी आफ इंडिया लिमिटेड को राशि 231.35 करोड़ रुपए, एचडीएफसी जनरल इंश्योरेंस कंपनी को 60.04 करोड़ रुपए और आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी को 104.62 करोड़ रुपए. इस प्रकार किसानों के अंश की राशि कुल 396.01 करोड़ रुपए की प्रीमियम राशि कृषकों की इन इंश्योरेंस कम्पनियों को दी गई. माननीय मुख्यमंत्री जी आप भी जानते हैं. आप आगे देखें कुल प्रीमियम राशि में से कृषक अंश घटाकर शेष अनुमानित राशि 2305.78 करोड़ राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा दी जाना थी लेकिन इसमें एचडीएफसी जनरल इंश्योरेंस कंपनी को मात्र 3.17 करोड़ का अग्रिम भुगतान राज्य शासन द्वारा किया गया है शेष राशि जमा किया जाना बाकी है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने किसानों से इंश्योरेंस कंपनी को राशि दिलवा दी. जब तक राज्य सरकार और केन्द्र सरकार अपने हिस्से की राशि नहीं देगी तो बीमा कंपनियां किस तरह से किसानों का बीमा करेंगी, किस तरह से आप बीमा दिलवाओगे. पूरे प्रदेश में सोयाबीन की फसल में नुकसान हुआ, उड़द में नुकसान हुआ, कई अन्य फसलों में नुकसान हुआ. केवल दतिया में आपने बीमे की राशि दिलवाई है बाकी पूरे प्रदेश में आप कहीं भी बीमे की राशि नहीं दिलवा पाए हैं क्योंकि कृषक के बीमा अंश की जो राशि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा जमा की जाना थी वह राशि अभी तक जमा ही नहीं की गई.
उपाध्यक्ष महोदय--रावत जी आप समाप्त करें. आपको 10 मिनट हो गए हैं.
श्री रामनिवास रावत--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इन्होंने एनपीए की बात की, अब मैं सिंक्रोनाइज करना चाहूंगा, कम करना चाहूंगा, नोटबंदी की बात की 8 नवंबर को, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 8 नवम्बर, को माननीय प्रधानमंत्री जी ने नोट बंदी की की घोषणा की, उस दिन नोटबंदी में घोषणा करते समय जो उन्होंने नोटबंदी के समय देश के नाम संदेश दिया था, उसमें कालेधन पर रोक और आतंकवाद को समाप्त करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि हमें देश से कालाधन समाप्त करना है और आतंकवाद समाप्त करना है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, क्या आतंकवाद समाप्त हुआ, नहीं हुआ. आतंकवाद की स्थिति यह है कि आज भी सीमाओं पर लगातार रोज हमले और आक्रमण हो रहे हैं. रोज हमारे वीर जवान सीमाओं की सुरक्षा करते हुए शहीद हो रहे हैं. क्या उसमें रूकावट आयी नहीं आयी. उसके बाद मोदी जी धीरे-धीरे आये कि हमें भ्रष्टाचार मिटाना है, यह नोटबंदी का शब्द ऐसा है कि किसी से पूछा जाये कि भष्टाचार मिटाना है तो हर व्यक्ति हां करेगा कि हां भ्रष्टाचार मिटाना है. कोई इसका विरोधी नहीं है, कालाधन समाप्त करना है, हां करना है. इसके सारे पक्षधर हैं, लेकिन क्या यह सब हुआ और रोज जिस दिन से नोटबंदी की घोषणा की, उस दिन से रोज नियम बदलते रहे, कभी चार हजार निकालने के आदेश,कभी दो हजार निकालने का आदेश, कभी चाबीस हजार निकालने का आदेश.
उपाध्यक्ष महोदय :- रावत जी अब आप समाप्त करिये. आपको बोलते हुए 12 मिनट हो गये हैं.
श्री रामनिवास रावत :- इसी तरह से रोज-रोज चलता रहा. कोई विजन नहीं था, कोई नीति नहीं थी और आज आ गये, आज कालाधन भी समाप्त हो गया, भ्रष्टाचार भी समाप्त हो गया, अब इस पर आ गये कि हमें कैशलेस इकानॉमी बनानी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश की, देश की शिक्षा की क्या स्थिति हे. कितने लोग कैशलेस ईकानॉमी के लिये तैयार हैं. मध्यप्रदेश में मजदूरी करने वाला कोई मजदूर चैन्नई में जाता है, दिल्ली में जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय :-रावत जी यह विषयांतर हो रहा है. यह तो आप दूसरी बात पर चर्चा कर रहे हैं. आपने किसान की बात तो कह ली है. अब आप समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात कहना चाहूंगा कि मोदी जी भाषण तो अच्छा देते हैं. इन्होंने जुमला कहा था कि अच्छे दिन लायेंगे, यह भी जुमला था, 15 लाख हर व्यक्ति के खाते में पहुंचायेंगे, यह भी जुमला था. यह आप लोग जुमला कहते हैं, लेकिन यह सरासर असत्य है, (XXX) , आपने तो कुछ भी कह दिया. आपने तो कह दिया कुछ भी, अगर हम कहें कि (XXX) की घोषणा ऐसी चलती रहेगी, इनको देश की कोई चिन्ता नहीं है, तब आपको कैसा लगेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री से और पूरी सरकार से चाहते हैं कि प्रदेश के किसानों की भलाई के लिये काम करे और समर्थन मूल्य पर खरीदी जारी करे और किसानों द्वारा उत्पादित की जा रही फसलों का उत्पादन मूल्य सही तरीके से दिलवायें. इसमें हम उनके साथ हैं लेकिन आज पूरे प्रदेश में चार किसान रोज आत्महत्या कर रहे हैं, हमें बड़ा दुख है. हम चाहते हैं कि प्रदेश के किसानों का उत्थान करें. आपने मुझे समय दिया, इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद्.
डॉ गौरीशंकर शेजवार (वन मंत्री) :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भारत सरकार द्वारा नोटबंदी के निर्णय पर चर्चा के लिये यह स्थगन प्रस्ताव ग्राह्य हुआ है. इसमें जो विषय उठाये गये हैं, वह बड़े भ्रामक और असत्य हैं. अस्थायी विद्युत कनेक्शनों कि दरों में बढ़ोत्तरी, नोटबंदी से इसका कोई संबंध नहीं है और न ही किसानों के लिये अस्थायी कनेक्शन में बढ़ोत्तरी की गयी है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि किसानों ने आवश्यकता के अनुसार व्यापक अस्थायी कनेक्शन लिये हैं और हमारी जो विद्युत वितरण कंपनी हैं इसमें अस्थायी कनेक्शनों की संख्या बढ़ा है. दूसरी बात इन्होंने कहा है कि ट्रांसफार्मर बदले नहीं जा रहे हैं. इसका कहीं दूर-दराज तक कहीं कोई संबंध नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय:- डॉक्टर साहब,विषय नांटबंदी नहीं है. इसको आप देख लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- उपाध्यक्ष जी, इसको देख लिया है. विषय नोटबंदी भी है. आप देख लें.
श्री बाला बच्चन:- कहां पर है. आप हमारे स्थगन को देख लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- वह देख रहे हैं.वह आपको बता देंगे.
श्री बाला बच्चन :- हमारे स्थगन में कहीं नोटबंदी नहीं है. आप सरकार की ओर से मंत्री होकर बोल रहे हैं और बिना स्थगन को पढ़े बोल रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र :- उन्होंने पढ़ा है. आसंदी ने पढ़ा है. आया है शब्द नोट बंदी.
उपाध्यक्ष महोदय :- नोटबंदी से उत्पन्न समस्या.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- आया है तो वह ठीक बोल रहे हैं.
डॉ गौरी शंकर शेजवार :-माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोग बराबर बिजली के बिल भर रहे हैं, किसान बिजली के बिल भर रहे हैं.
1.05 बजे {माननीय अध्यक्ष (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, कहीं भी किसान को दूर-दूर तक कोई समस्या नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने गांवों के लिये और सिंचाई के लिये अलग-अलग फीडर बनाने की बात कही है उसका बराबर रूप से पर्याप्त काम चल रहा है. गांव में 24 घंटे बिजली आज उपलब्ध है और किसानों को 10 घंटे बिजली दी जा रही है.
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय मंत्री जी असत्य बोल रहे हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, कृषकों को जहां तक ऋण का सवाल है, पर्याप्त मात्रा में दिया जा रहा है उनको ऋण मिला है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने बहुत महत्वाकांक्षी अपना कार्यक्रम जारी किया है. सबसे पहले तो उन्होंने 18 प्रतिशत ब्याज को जीरो प्रतिशत ब्याज किया और इसके बाद कहीं कोई आवश्यकता पड़ने पर हमने कहीं कोई किसान का प्रोक्योरमेंट में बोनस बंद किया तो उसकी ज्यादा भरपाई की और हमने जो 10 प्रतिशत पैसा है जो टोटल ऋण था उसमें से आप 100 रूपये का ऋण लीजिये उसमें से 90 पैसे जमा कीजिये टोटल हम इसका हिसाब जोड़ें तो पहले की तुलना में ज्यादा पैसा किसानों को सरकार दे रही है और ज्यादा संख्या में किसानों को इसका लाभ मिल रहा है. इसका नोटबंदी से दूरदराज तक संबंध नहीं है, पता नहीं नोटबंदी का नाम लेकर इस विषय को यहां पर उठाना चाहते थे. जहां तक मजदूरों के भुगतान का तथा पेंशन हितग्राहियों का सवाल है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने साल भर पहले से ही इसका अच्छा निर्णय लेकर ई पेमेन्ट से निरंतर इसको सुनिश्चित किया है कि हर आदमी तथा मजदूर को भी समय पर पेमेन्ट मिलना चाहिये और जो पेंशनधारी हैं उनको भी समय पर पेमेन्ट मिलना चाहिये. निरंतर बड़ी-बड़ी बैठकों में माननीय मुख्यमंत्री जी इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, कहीं कोई रोजगार पर असर नहीं आया है, खाद्यान्न संकट कहीं नहीं है. बराबर हमारी जो सस्ते मूल्य की दुकानें हैं उन दुकानों पर पर्याप्त राशन मिल रहा है. दुकानों पर हर चीज हितग्राहियों के लिये उपलब्ध है. पता नहीं इन्होंने बोला है कि आर.टी.जी.एस. से तथा चैक से भुगतान बड़े बड़े लोग पेमेन्ट करना चाहते हैं लोग बराबर बैंक के माध्यम से उनके पैसे ट्रांसफर हो रहे हैं. चैक जो दे रहे हैं बराबर उनका ऑनर हो रहा है और सही समय पर सब चीजें आ रही हैं. यह कैसे इस विषय को जोड़ना चाहते थे, यह बात मेरी समझ में नहीं आयी. कुछ चीजें ऐसी हैं जो आपके तथा माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय नेता प्रतिपक्ष के संज्ञान में लाना चाहता हूं. विपक्ष के नेता जी ने अपने भाषण में कहा कि हमने स्थगन दिया, ध्यानाकर्षण दिया, शून्यकाल की सूचना दी और 139 में भी विषय को उठाया. मेरी बात पर थोड़ा सा ध्यान देंगे स्थगन के विषय को हम शून्यकाल में उठाते हैं क्या ? नहीं उठाते हैं. हमारे विद्वान सदस्य अपनी वरिष्ठता बता रहे थे संयोग से मैं भी बहुत सालों से आप सबकी तथा मेरे क्षेत्र की जनता की कृपा से चुनकर के आ रहा हूं, लेकिन जो स्थगन का विषय है उसको स्थगन में ही उठाया जाता है, जो शून्यकाल का विषय है उसको शून्यकाल में उठाया जाता है. विपक्ष के नेता जी ने जो बात कही है एक विषय में आपने शून्यकाल में भी उठाया और उसी को स्थगन में भी उठाया और इसका मतलब है कि आप विषय के महत्व को ही नहीं समझ पाये.
श्री बाला-बच्चन--अध्यक्ष महोदय, हमारे स्थगन को लेने की मांग की थी माननीय मंत्री जी और मेरे साथियों ने सब ने मांग की थी कि इस पर चर्चा करायी जाए, उसको आपने पढ़ा नहीं है आप खुद ही दिशा-भ्रमित हो रहे हैं. हमने यह मांग की थी चर्चा करायी जाये. मेरे स्थगन में नोटबंदी का कहां है मेरे पास इसकी कापी रखी है, बताएं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, मैं सब कुछ बताता हूं आप बैठ जाएं.
मैं अपने दल के सदस्यों से विनम्र प्रार्थना करना चाहता हूं कि कभी-कभी बीच बीच में बोल देते हैं कि बच्चन जी आपके नेतृत्व में, आप क्यों भ्रमित हैं नेतृत्व इनका है, कौन इनके नेतृत्व को मान रहा है, उसका उदाहरण मेरे सामने है. यह कह रहे हैं कि मैंने नोटबंदी की बात ही नहीं की. उन्होंने नोटों की व्याख्या कर दी तब कब नोट बन्द नहीं हुए थे.
श्री बाला बच्चन – माननीय मंत्री जी, अभी श्री अजय सिंह का भाषण कहां हुआ?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – नेता कह रहा है कि नोटबंदी की बात नहीं की तो सच क्या है ?
श्री जितू पटवारी – अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से थोड़ा नाराज हो गया था. जब उन्होंने गौर साहब और सरताज सिंह जी को मंत्रीमण्डल से बाहर किया था.
अध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी, समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी – मुख्यमंत्रीजी, आप सही थे कि उम्र का अपना तकाजा होता है. श्री अजय सिंह जी का भाषण हुआ ही नहीं है फिर भी बोल रहे हैं कि हुआ है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – मैं विनम्र प्रार्थना कर रहा हूँ कि नेता प्रतिपक्ष की लाईन में जो लोग खड़े हैं. उन्होंने नोटबंदी का समर्थन किया और यहां माननीय प्रधानमंत्री जी की तारीफ की है. उन्होंने कहा है कि नोटबंदी का निर्णय बहुत अच्छा है. श्री मुकेश नायक ने नोटबंदी का कहीं-कहीं विरोध किया है और प्रधानमंत्री जी तारीफ की है. उन्होंने ठीक किया है, मैं यह मानता हूँ. यह अच्छा काम किया है. जब नोटबंदी पर स्थगन आया है तो नोटबंदी पर चर्चा है तो आप खड़े होकर क्यों मना कर रहे हैं कि मैंने नोटबंदी के स्थगन की कोई बात नहीं की है. यदि मुझे आपत्ति है तो इस बात की है कि जो स्थगन का विषय है, वह स्थगन में ही उठाना चाहिए और जो शून्यकाल का विषय है, वह शून्यकाल में ही उठाना चाहिए. क्या ऐसा नहीं लग रहा है कि शून्यकाल के विषय पर आज स्थगन के रूप में चर्चा हो रही है.
अध्यक्ष महोदय – मंत्री जी, आप समाप्त करें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – अध्यक्ष महोदय, मेरे पास पर्याप्त समय है और मैंने तो बोला ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय – आपके 10 मिनट हो चुके हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे विनम्र प्रार्थना करना चाहता हूँ कि माननीय भूपेन्द्र सिंह जी ने माननीय प्रधानमंत्री जी की प्रशंसा करते हुए देश की अर्थव्यवस्था नोटबंदी से कैसे सुधरेगी ? आम आदमी को क्या लाभ होगा, गरीब को क्या लाभ होगा और किसान को क्या लाभ होगा. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय – यह कार्यवाही से निकाल दीजिए.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – अब मुझे बोलने दीजिए. आपने बोल लिया है. ‘जाकी रही भावना जैसी, तिन देखी प्रभू मूरत तैसी’ मैं एक इंसान हूँ. ये हमेशा जानवरों की ही बातें करते हैं. इसके पहले और पालतू जानवरों की बात हुई.
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय मंत्री जी, क्या आप जंगल के पशुओं के विरोधी हैं?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – (XXX)
अध्यक्ष महोदय – यह कार्यवाही से निकाल दीजिए.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – आपने जो मर्जी आई, वह बोला. मैंने कोई आपत्ति नहीं उठाई. आपके और मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं.
श्री जितू पटवारी – इसमें मुझे आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय – इसको कार्यवाही से निकलवा दिया है, जो उचित नहीं है.
श्री जितू पटवारी – वे डायरेक्ट एवं इनडायरेक्ट गालियां दे रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – (XXX)
अध्यक्ष महोदय – यह कार्यवाही से निकाल दिया जाये. तिवारी जी आप बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – यह चर्चा नियमों के विरूद्ध हो रही है.
अध्यक्ष महोदय – – मंत्री जी, समाप्त करें.
श्री आरिफ अकील – मैं भी आज तक इन्हीं के साथ रहा हूँ.
श्री जितू पटवारी – अध्यक्ष जी, इन्होंने शब्दों का दोहरा अर्थ निकालकर गालियां दी हैं. मेरा अनुरोध है इनसे माफी मंगवाना चाहिए. ये सीनियर सदस्य होकर इस तरह की भाषा बोलते हैं. ये जानवर का उपयोग करते हैं. ये (XXX) कहते हैं.
अध्यक्ष महोदय – बैठ जाइये.
श्री शंकरलाल तिवारी – माननीय अध्यक्ष महोदय, ये विधानसभा के (XXX) जितू पटवारी हैं, उनको बैठाइये. (XXX) बैठ जाइये (व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात यह कही गई कि फसल की कीमत बाजारों में नहीं मिल रही है और कहा गया है कि धान 1,000 रूपये क्विंटल बिक रही है. आप रायसेन में चले जाइये, धान 2100 रूपये क्विंटल बिक रही है. हजारों की संख्या में वहां ट्रालियां आ रही हैं और बराबर लोग धान खरीद रहे हैं. आप सदन को असत्य जानकारी क्यों दे रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय, आपने यहां पर चर्चा करवाकर बड़ी कृपा की है. यह नोटबंदी का विषय केन्द्र सरकार का है, लेकिन यहां जो लोगों के मन में भ्रम है. माननीय मुख्यमंत्री जी अपनी बात विस्तार से रखेंगे और तर्कसंगत और तथ्यात्मक रखेंगे. कम से कम लोग इस बात को समझ पायेंगे कि हमारे प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए एक अच्छा निर्णय लिया है. हमारे प्रधानमंत्री जी ने जो अवैधानिक करेंसी थी, उसको खत्म करने के लिए एक अच्छा निर्णय लिया है, आतंकवाद को समाप्त करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने एक अच्छा निर्णय लिया है, माननीय भूपेन्द्र सिंह जी ने बहुत अच्छा बात रखी और माननीय मुख्यमंत्री जी इसको विस्तार से बताएं यही मेरी प्रार्थना है, लेकिन भैया नियम कानून पढ़ो और नियम पर चलो यार और आपका तो बनना बहुत मुश्किल है, भविष्य में आप कभी नहीं बन सकते इस सदन के नेता.
श्री जितू पटवारी - आप भी नहीं बन सकते मुख्यमंत्री.
अध्यक्ष महोदय - श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा(मुंगावली) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय.
डा. गौरीशंकर शेजवार - जो पहुंच चुके है मंजिल पर, वो करते नहीं है, जिक्र-ए-सफर, जिराती जी, ये आपके लिए समर्पित है पटवारी जी आपको समर्पित है कि दो चार कदम जो चले अभी, रफ्तार की बातें करते हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी ये पटवारी जी है, जिराती जी उधर है.
डा. गौरीशंकर शेजवार - जिराती जी ही बनेगा, मेरे मुंह से अगर बात निकली है, उस विधानसभा क्षेत्र के लिए तो बनेगा जिराती ही बनेगा, तुम जिंदगी में कभी नहीं आओगे.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - मैंने किसानों की समस्याओं के बारे में 139 में इसका निवेदन किया था कि यदि 139 में इसको ले लिया जाता तो आज प्रश्नकाल बाधित नहीं होता और स्थगन लेने की नौबत नहीं आती, लेकिन हमारे संसदीय कार्यमंत्री ने एक षडयंत्र किया और एक छोटे से विषय को भिंड, मुरैना के कटान के मामले को 139 में ले लिया जो कि शून्यकाल का मामला था, या ज्यादा से ज्यादा ध्यानाकर्षण में आ जाता. दूसरा षडयंत्र ये हुआ कि नोटबंदी इसको करार कर दिया गया. हमारे बाला बच्चन जी ने जो स्थगन दिया, जिसको आपने तथ्यात्मक होने के कारण स्वीकार किया.
राजस्व मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता) - ये षडयंत्र का आरोप आप आसंदी पर लगा रहे हैं या संसदीय कार्यमंत्री पर.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - मैं संसदीय कार्यमंत्री पर लगा रहा हूं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - ये संसदीय कार्यमंत्री स्वीकार करते हैं या आसंदी स्वीकार करती है कि कौन सा विषय कब लिया जाए? आप क्या इस षडयंत्र का आरोप आसंदी पर लगा रहे है क्या?
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - नाम नहीं ले रहा हूं मैं, आप समझ जाओ.
श्री उमाशंकर गुप्ता - ये संसदीय कार्यमंत्री स्वीकार करते हैं क्या की कौन सा विषय कब लिया जाए.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - षडयंत्र तो उन्हीं का है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - मुझे लगता है, माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको आप दिखवा लीजिए ये आरोप कि 139 स्वीकार संसदीय कार्यमंत्री ने किया है, या षडयंत्रपूर्वक लिया हे, ऐसा उचित नहीं है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - ऐसा विषय लिया है जो जिला स्तर का भी नहीं है, जो शून्यकाल में आना चाहिए, जो ध्यानाकर्षण के भी लायक नहीं है. (XXX)
श्री उमाशंकर गुप्ता - तो क्या ये संसदीय कार्यमंत्री लेता है क्या, आप इतने सीनियर हो, आप ये अध्यक्ष पर, आसंदी पर आरोप लगा रहे हैं क्या, ये स्वीकार कौन करता है. . (XXX)
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - मैंने अध्यक्ष महोदय जी के लिए कुछ नहीं कहा. . (XXX)
अध्यक्ष महोदय - इसको कार्यवाही से विलोपित कर दें, श्री महेन्द्र सिंह जी अपनी बात रखें
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - अध्यक्ष महोदय, श्री बाला बच्चन जी के स्थगन में नोटबंदी का कहीं जिक्र नहीं आया है. मैंने 139 में जो दिया है, उसमें नोटबंदी का मामला नहीं उठाया है, लेकिन इसको योजनाबद्ध तरीके से नोटबंदी षडयंत्र करके नोटबंदी में परिवर्तित कर दिया है. हमने किसानों की समस्याओं को उठाने का निर्णय लिया है और वही लिखकर दिया है. आज मध्यप्रदेश में किसानों की पिछले तीन वर्ष में बहुत बुरी हालत है, क्योंकि कभी सूखा और कभी अतिवृष्टि के कारण और कभी सोयाबीन और चने की फसल के अफलन के कारण किसान परेशान था, पिछले तीन सालों से लेकिन उसको मुआवजा भी नहीं मिला, बोवनी की धनराशि भी नहीं मिली, उसके नुकसान का आंकलन उचित तरीके से नहीं हुआ और उसको पैसा नहीं मिला और मनरेगा के पास पैसा नहीं था, जिसकी वजह से गरीब किसान और मजदूर को मजदूरी नहीं मिली. किसान की दुर्दशा इतनी जबरदस्त हुई है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता. बिजली का बिल नहीं चुकाने के कारण किसानों को बिजली नहीं मिल रही है, लेकिन ये नहीं सोचा जा रहा है कि उसको बिजली मिले तो फसल का उत्पादन होगा और जिससे वह बिजली का बिल चुकाने में किसान समर्थ हो जाएगा. बिजली वाले कर्मचारी कभी स्टार्टर ले जाते हैं, कभी तार खोल देते है, डीपी ट्रांसफार्मर बिलकुल ठीक नहीं होते हैं, इस तरह से किसान बहुत परेशान है. नकली बीज, खाद और कीटनाशक से किसान तो परेशान है ही, लेकिन जब अभी बुआई का समय है तो किसान के पास पैसा ही नहीं है बीज बगैरह खरीदने के लिए, इसके कारण किसानों को बुआई में बहुत तकलीफ हुई और साहूकारों से उसको पैसा लेना पड़ा, जिसका ब्याज बहुत ज्यादा किसानों को देना पड़ेगा. मेरे क्षेत्र के भरियाखेड़ी में सब स्टेशन है कुकरेटा. पिछले 15 दिनों से उस सब स्टेशन से बिजली उसके आस पास के पचासों गांवों में नहीं जा रही है. एक तरफ आप किसानी को लाभ का धंधा बनाने की बात करते हैं और दूसरी तरफ सोयाबीन के भाव क्या हैं, यह आप बता दीजिये और इतनी धान की कम कीमत एवं धान की कीमत तथा सोयाबीन की कीमत जितनी किसानों को मिलनी चाहिये, वह नहीं मिल रही है. सहकारी बैंकों का बहुत बुरा हाल है. सहकारी बैंकों के 52 लाख खाता धारक हैं. पहले उनसे पैसा ले लिया गया और उसके बाद में कई दिनों बाद एक आदेश आ गया कि उनको पैसा नहीं लेना है और उनको पैसा बदलना भी नहीं है. इसके कारण सैकड़ों किसान कठिनाई में आ गये. मंडी में छोटे किसानों की फसल नहीं बिक रही है. कम मात्रा में फसल नहीं ले रहे हैं और जो फसल बिक रही है, उसके चेक मिल रहे हैं. चेक का भुगतान नहीं हो रहा है. कब चेक में कितना पैसा मिलेगा, यह भी जानकारी किसान को नहीं मिल रही है और किसान हर तरफ भटक रहा है. मंडिया काफी लम्बे समय तक बंद रहीं और किसानों का माल नहीं बिका. व्यापारियों के पास पैसा ही नहीं था कि वह किसानों का भुगतान करें. किसानों की फसल का आंकलन सही नहीं किया गया और उनको मुआवजा नहीं मिला, बीमा नहीं मिला. बीमे के मामले में कितना प्रीमियम आपने लिया है और किसानों को कितना बीमा मिला है, यह आप बता दीजिये पिछले 13 सालों में. प्रधानमंत्री बीमा योजना में किसानों के लिये इंशोरेंस कम्पनीज से बात करनी चाहिये, उनका डीटेल बनाना चाहिये. इंशोरेंस कम्पनी के लोग टेलीफोन पर नहीं मिलते और वे प्रधानमंत्री बीमा योजना को असफल करने में जुटे हुए हैं. अब मंत्री जी ने कश्मीर में पत्थरबाजी की बात कर दी. नोटबंदी की बात कर दी. अब पाकिस्तान के दो टुकड़े किसने किये और सर्जीकल स्ट्राइक हुई है, तो सुषमा जी कहती थीं कि एक के बजाये दस सिर लाना चाहिये. एकाध तो सिर ले आते. सर्जीकल स्ट्राइक के बाद आक्रमण बंद नहीं हुए हैं. इसके कारण आतंकवाद तो और फैल रहा है और बढ़ गया है. तो आप कैसे कहते हैं कि आतंकवाद खत्म हुआ और उसके लिये यह सर्जीकल स्ट्राइक किया था.
अध्यक्ष महोदय, वर्षों तक लोकसभा को बिलकुल नहीं चलने देने वाले लोग, अब कहते हैं कि आप संसद नहीं चलने देते हैं. मीनाक्षी लेखी, बीजेपी की स्पोक्समेन हैं. जब मनमोहन सिंह जी ने यही नोटबंदी करने का विचार किया था, तब उन्होंने स्पोक्समेन होने के नाते इसका विरोध किया था. तो जब नोटबंदी का विरोध मीनाक्षी लेखी ने किया था और यह वीडियो भी वायरल हुआ है. तो जब आप लोग नोटबंदी का विरोध करते थे, जिस तरह से आप जीएसटी का विरोध करते थे, अब आप जीएसटी का पक्ष ले रहे हैं. मनमोहन सिंह जी आरबीआई के गवर्नर थे, उन्होंने उसके बारे में पार्लियामेंट में बहुत अच्छा भाषण दिया है. सवाल यह है कि इससे लोगों को तकलीफ इसलिये हुई है कि बिना तैयारी के आपने यह सब निर्णय ले लिया और बिना एक्सपर्ट की राय के यह निर्णय ले लिया. आपने एंटीसिपेट नहीं किया कि इससे क्या क्या प्राबलम्स किसानों को हो सकती हैं. इसलिये यह सारी समस्या हुई है. किसानों की दाल के भाव 150 एवं 200 रुपये बेसन के भाव हो गये और आप कह रहे हैं कि महंगाई कम हो गई है. किसान और मजदूर इतनी महंगी दाल खरीद कैसे सकते हैं. बड़ी मुश्किल से आप दो हजार रुपये के नोट दे रहे हैं, तो वह छुट्टे नहीं हो रहे हैं. उससे क्या दूध या सब्जी का बिल दिया जा सकता है. आज प्रधानमंत्री जी किसानों की दोगुनी आय करने की बात कर रहे हैं. हमारे मुख्यमंत्री जी खेती को लाभ का धंधा करने की बात कर रहे हैं. लेकिन किसानों की जो दुर्दशा है, वह बहुत जबरदस्त है और आप लोग जिक्र करते हैं कि वह लाइन में लगा और यह लाइन में नहीं लगा. (XXX) लाइन में क्यों लगी, यह क्यों नहीं बोला आप लोगों ने. मेरा आपसे अनुरोध है कि किसानों को राहत दिलायें और किसानों को पैसा मिले. धन्यवाद, जय हिन्द.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- कालूखेड़ा जी, आपने जिक्र किया, मैं आपको सच बता रहा हूं कि जिस दिन से नोटबंदी हुई, उस दिन से कश्मीर में पत्थर फिकना बंद हो गये. आप यह तय मान कर चलो कि अभी तक गोलीबारी वहां से चालू होती थी, इधर से शांति की अपील होती थी. अब बराबरी से गोली चल रही है. शांति की अपील वे कर रहे हैं, हम नहीं कर रहे हैं. आप चिंता न करें, आतंकवाद को खत्म करने की जो बात है, वह पूरी करके ही रहेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, कृपया बैठ जायें.
श्री रामनिवास रावत -- कुछ भी फेंकते रहो. थोड़ी बहुत तो शर्म करो. कुछ भी फेंके जा रहे हो.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- आतंकवाद और बढ़ गया है और हमारे सिपाहियों की मौत ज्यादा हो रही है.
श्री रामनिवास रावत -- हमारे लोग ज्यादा शहीद हुए हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- हम कह रहे हैं कि हम बराबरी से जवाब दे रहे हैं. ईंट का जवाब पत्थर से दे रहे हैं और छोड़ेंगे नहीं आप बस प्रतीक्षा करो.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- अभी फिर हमारे सिपाही का सिर काटकर ले गये.
अध्यक्ष महोदय- इस स्थगन प्रस्ताव पर लगभग 2 घण्टे चर्चा हो चुकी है. प्रस्ताव पर पर्याप्त चर्चा हो गई है अब पुनरावृत्ति हो रही है. मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि यदि आप सबकी सहमति हो तो मैं उन्हीं सदस्यों के नाम पुकारूं जिनका नाम है, जिससे शासन का उत्तर भी आ जाये.
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा अनुरोध है कि किसी सदस्य ने ध्यानाकर्षण लगाया है,किसी ने स्थगन प्रस्ताव लगाया है तो यदि आप सभी को थोड़ा थोड़ा समय दे देंगे तो बेहतर होगा. हम सदन में बैठेंगे और आज की कार्यसूची के सारे विषय को निपटाने के लिये भी हम तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय- माननीय मुख्य सचेतक जी, आपकी बात से हम इस शर्त के साथ में सहमत होते हैं कि कोई भी सदस्य पुनरावृत्ति नहीं करेगा और 2 मिनट से ज्यादा कोई सदस्य नहीं बोलेगा, अपनी बात कहे और नये पाईंट को कहे.
श्री रामनिवास रावत- जी ठीक है.
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों की समस्या पर सदन में चर्चा चल रही है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--कसम खाओ कि जो भी कहोगे सच कहोगे सच के सिवाय कुछ नहीं कहोगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान- आपकी कसम सच कहेंगे. अब आपकी कसम खा ली है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- नाम के अनुरूप ही बोलियेगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान- वही बोलता हूं. जो मन में विचार आते हैं उनको कभी नहीं रोकता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों की समस्या को लेकर के सदन में चर्चा चल रही है. मैं स्वयं एक किसान हूं. यहां पर हमारे मित्रों द्वारा यह कहा गया है कि 50 प्रतिशत रकवे में सिंचाई नहीं हो पाई है. मैं इस सदन में दावे के साथ में कहता हूं कि मध्यप्रदेश में 19 तारीख को मंडियां चालू हुई थीं लेकिन आप महिदपुर का रिकार्ड उठाकर के देख लें 15 तारीख को चेक के द्वारा मंडियां प्रारंभ हो गई थीं और किसान की सोयाबीन 2900 से 3100 के बीच में बिक रही है, इसके मैं प्रमाण भी प्रस्तुत कर सकता हूं. यहां पर 2100-2200 की बात कह रहे हैं जिसका मैं विरोध करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2004 में कुल जींस का उत्पादन 2.14 करोड़ मैट्रिक करोड़ टन था इन 12-13 वर्षो में 4.2 करोड़ मैट्रिक टन हुआ. मेरे कहने का मतलब है कि बिजली और पानी के कारण ही यह पैदावार हुई है. जहां तक नकली खाद, बीज और दवाई किसानों को मिलने की बात है उसके बारे में, मैं कहना चाहता हूं कि किसानों को पर्याप्त खाद एडवांस में मिल रही है. हमारे विरोधी भाई सदन में असत्य कथन कह रहे हैं कि किसानों को खाद नहीं मिल रही है फिर किसान को बीज और खाद लेने के लिये पैसे की आवश्यकता ही नहीं है उसका तो वहां पर एकाउन्ट है जिससे निकालकर के सभी किसानों ने अपनी सिंचाई अच्छी तरीके से कर ली है. मैं इस सदन को बताना चाहता हूं कि रवी की फसल का उत्पादन प्रदेश में आयेगा और पिछले 12-13 वर्षों में जो रवी की फसल का उत्पादन आया है उससे अधिक आयेगा. यह मैं दावा कर रहा हूं. अगर 50 प्रतिशत के रकवे में सिंचाई नहीं होगी तो पैदावार कहां से होगी. 2003 में प्रदेश में 2900 मेगावॉट बिजली थी और उस समय कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और उस समय बिजली की ग्रिड किसान जलाता था, उस समय बिजली के ट्रांसफारर्मर एक-एक माह में बदले जाते थे, आज मैं दावे के साथ में कह सकता हूं कि मेरी विधानसभा में 2 से 3 दिन में सामान्य रूप से ट्रांसफार्मर बदले जाते हैं, कहीं कहीं पर 7 दिन लग जाते होंगे. मैं यह बात गारंटी के साथ में कह रहा हूं. आपके जमाने में किसानों को बिजली नहीं मिलती थी, किसान परेशान था. आप किसानों की बात करते हैं, आपकी सरकार जब प्रदेश में थी उस समय 2004 में सिंचाई का रकवा साढ़े सात लाख हेक्टेयर था अब 37.50 लाख सिंचाई का रकबा है इसलिये , एक बार नहीं, दो बार नहीं तीन तीन बार महामहिम राष्ट्रपति महोदय जी ने प्रदेश को चार बार कृषि कर्मण्य अवार्ड से नवाजा है. और आने वाले वर्ष में भी यह अवार्ड मध्यप्रदेश को ही मिलेगा.किसान कहीं पर भी परेशान नहीं है, परेशान तो कांग्रेस है.
अध्यक्षीय घोषणा
स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि
अध्यक्ष महोदय- स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
श्री बहादुर सिंह चौहान (जारी)-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं किसान हूं, मैं खेत में ट्रेक्टर चलाना जानता हूं, खेतों में मैंने काम किया है, मेरी बात को ध्यान से सुनें आप लोग. 2003 में जनरेटर चलाते थे.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष जी, बाला बच्चन जी के हिसाब से पूरी तरह किसानों के ऊपर बोल रहे हैं बहादुर सिंह जी, इसलिये इनको तो समय दिया ही जाना चाहिये. क्यों बाला बच्चन जी पूरी तरह आपकी बात का जवाब दे रहे हैं यह.
श्री बाला बच्चन-- अभी आसंदी ने उनको मना कहां किया है. अभी आसंदी ने तो कुछ बोला ही नहीं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- उन्होंने बैठने का कहा तो मैंने निवेदन किया है कि बाला बच्चन जी के हिसाब से कहा है.
अध्यक्ष महोदय-- संक्षेप में, कृपया एक मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- अब नोटबंदी के कारण ....(हंसी).... माननीय अध्यक्ष जी इस प्रदेश में जो स्थगन लाया गया है विपक्ष द्वारा, ऐसी कोई समस्या नहीं है, इस समस्या को बनाया जा रहा है, हर कार्य हो रहा है, किसान को व्यापारी के यहां से उधार मिलता है. पहले परंपरा है कि किसान जाकर 100 क्विंटल, 200 क्विंटल व्यापारी को माल तौल देता था, 10 हजार, 5 हजार रूपया जितनी आवश्यकता होती थी, उतना लाकर अपना काम करता था, पूरा पैसा किसान घर लेकर नहीं जाता आप इस बात को अच्छी तरह से जानते हो और मैं भी जानता हूं इस बात को, इसलिये कोई समस्या नहीं है. माननीय अध्यक्ष जी इंदौर से उज्जैन की दूरी 50 किलोमीटर है, लेकिन उसके आसपास, आप पधारे मेरी महिदपुर विधान सभा में वहां पर जमीनों के रेट 5 हजार, 10 हजार बीघा हो गये थे, अब उन जमीनों को आधे रेट में लेने को कोई तैयार नहीं था, इस रियल स्टेट में जितना भी पैसा लगा हुआ था वह देश का कालाधन लगा हुआ था इस कारण उन जमीनों के रेट कम हो गये हैं. आज किसान 1 बीघा जमीन खरीदने की स्थिति में नहीं था, इतने रेट बढ़ा दिये थे.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- मैं अंतिम यह कहना चाहता हूं कि-
"सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है.
वक्त आने पर बता देंगे तुझे ए आसमां,
हम अभी से क्या बतायें, क्या हमारे दिल में है."
"इतिहास कांच के टुकड़ों के नहीं हीरों के बनते हैं,
इतिहास घास के तिनकों के नहीं, तारों के बनते हैं,
ओ जीवन संग्राम में जीने वालों, समय जब पक जाता है तो इतिहास कायरों का नहीं शूरवीरों का बनता है. "
मोदी शूरवीर हैं, देश का प्रधानमंत्री शूरवीर है, उन्होंने बहुत अच्छा निर्णय लिया है, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया (दिमनी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों की सबसे ज्यादा समस्या मैंने कल अपने यहां देखी है, मैंने मंत्री जी को भी बताई है, हमारे यहां एक विधायक जी ने कहा है कि पूरी किसानों को बिजली, बिजली तो मिल रही है, 24 घंटा की लाइट है, लेकिन जिन किसानों की जमीन है उनका 10-10 सालों का जो बिल है वह 2-2, 3-3 लाख रूपये का बिल दे दिया है, उनकी डीपी उतार ली गई है, किसान भयंकर परेशान है, डी.पी. उतार ली गई है उनके खेत बंजर पड़े हुये हैं. कल मंत्री जी ने आश्वासन दिया है कि मैं दिखवाकर उसका निराकरण करूंगा तो यह तो केवल (XXX) में लगे हैं, यह वहां जाकर देखें कि किसानों की हालत क्या हो रही है. मैंने कल एक प्रश्न लगाया था गायों के बारे में कि गायों की क्या हालत हो रही है, किसान 5 किलोमीटर गायों को लेकर जाता है और फिर 5 किलोमीटर लौटकर आता है, डंडों से उनको भगाया जाता है. हमारा मध्यप्रदेश गायों की पूजा करता है, गायों की स्थिति देखो क्या हो रही है. किसान गायों से इतना परेशान है कि अगर कानून नहीं बनाया, मैंने प्रश्न लगाया 2 साल में एक बार आया मेरा प्रश्न वह भी आज कैंसिल करवा दिया, प्रश्न बोलने का कोई मौका नहीं मिला, क्योंकि हमारे कांग्रेसी वालों ने भी हल्ला कर दिया, यह मिले हुये हैं क्या बात है. मेरा यही निवेदन है कि किसानों की समस्याओं को सुनी जायें, बिजली का बिल है तो उनकी 4 किश्त की जायें, अगर बिल नहीं भरें तो उनका कनेक्शन काटा जाये, जैसे 1 लाख रूपये है तो 25 हजार रूपये अभी जमा करा लें और 25 हजार चैत्र में जमा करा लें, तब तो किसान की समस्या हल होगी. इन्होंने कहा है कि लाइन में नहीं लगें, लाइन में किसान ही लगा है, किसान की बेटी की शादी है, जिस लड़की की शादी है वह भी लाइन में लगकर पैसा निकाल रही है, समस्या तो है, समस्या यहां बैठकर नहीं सुलझाई जायेगी, वहां पर जाकर देखें, मैं अपने जिले की कह रहा हूं. मुझे और जिलों की नहीं पता, हमारे मंत्री जी बैठे हैं, बिजली की समस्या कितनी कठिन है, लाइट जरूर 24 घंटे की है, पर जिन पर बिल रख दिया गया है 1 लाख का 4 लाख, 75 प्रतिशत बिल बढ़ा दिया है और सबसे ज्यादा गरीबों का बिल, वहां चाहे एसी, कूलर कुछ भी चल रहा होगा उसका बिल नहीं हैं और जो किसान एक लट्टू, एक पंखा चला रहा है उसका हजार,पांच सौ रुपये का बिल आ रहा है. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि इसकी जांच कराई जाये. मीटर सही लगाये जायें इससे किसानों की भलाई होगी और गायों के लिये एक कानून बनाया जाये. हर किसान एक गाय रखे एवं दो बैल हल चलाने हेतु रखे ऐसा पहले था तो वे आज जो फालतू खर्च कर रहे हैं. वह गाय का दूध पियेगा तो अच्छा रहेगा. इससे प्रदेश का भला होगा. गायों का ख्याल नहीं रखोगे तो गायों का इतना बड़ा श्राप लगेगा. बिजली के बारे में जैसा मैंने कहा कि इस पर ध्यान दिया जाये. नहीं तो किसान फसल में पानी नहीं दे सकेगा. अब तो वह खेत बेचकर भी बिल नहीं भर सकता है. धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी(राऊ) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, इतने महत्वपूर्ण विषय पर नेता प्रतिपक्ष ने किसानों के दर्द पर किसानों की तकलीफों पर और किसानों के आत्महत्या करने पर आपसे चर्चा का समय मांगा और सरकार और संसदीय कार्य मंत्री जी ने इसको स्वीकार किया उसके लिये मैं उनको धन्यवाद देता हूं. कोई भी सरकार जब चुनकर बनती है नरेन्द्र मोदी जी को लोगों ने चुना,देश की सरकार बनाई. 30-35 साल बाद देश में कोई भारी बहुमत से मजबूत सरकार बनी और मोदी जी ने जो वादे किये लोगों से उन वादों में चाहे वह पंद्रह लाख रुपये की बात हो,किसानों के हित की बात हो,या वह दिक्कतें जो पिछली यूपीए की सरकार में आ रही थीं उनको उभार कर उन्होंने लोगों की भावनाओं से खेला वह किसी से छिपा नहीं है. बाला बच्चन जी ने जो आपको स्थगन दिया था वह कृषि से जुड़े हुए मुद्दों,किसानों की तकलीफ,मजदूरों की तकलीफों के आधार पर दिया था.उसकी कापी यह है.(कापी दिखायी गयी) इसमें कहीं भी नोटबंदी का जिक्र नहीं था पर जो आसंदी की तरफ से हमें जो सूचना मिली उसमें एक लाईन नोटबंदी की जुड़ी. खैर वह लाईन कैसे जुड़ी यह तो अध्यक्ष महोदय, आपका विषय है परंतु आप विपक्ष और पक्ष दोनों को चलाने के साथ-साथ दोनों पर वरदहस्त रखें इस भाव से मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आगे से ऐसी गल्ती नहीं होनी चाहिये. गल्ती के रूप में मैं इसको प्रतिपादित करता हूं. आज सरकार जो भी बने वह कोशिश करती है कि मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों का मन जीतूं,लोगों की सेवा करूं,आम जनता की मदद करूं. कोई भी मुख्यमंत्री बने,प्रधानमंत्री बने,विधायक बने वह सोचता हूं कि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को खुश कैसे रख सकूं इसके लिये वह प्रयास करता है. उसके अच्छे या बुरे जो परिणाम आयेंगे वह काम पूरा होने के बाद पता चलता है. जहां तक कृषि के बारे में इस नोटबंदी के बाद की परिस्थितियों पर बात करें. भारत के किसानों की अर्थव्यवस्था नब्बे प्रतिशत नगद पर आधारित है और यह नोटबंदी उस समय हुई जब उसको फसल बोना था. उसको सिंचाई के लिये संसाधन की आवश्यक्ता थी. जो बढ़े हुए बिजली के टेरिफ हैं अस्थाई कनेक्शनों पर उससे किसानों को दिक्कत हुई. उसके बाद मंडी पंद्रह दिन बंद रही तो मंडी बंद रहने से जिस तरह किसानों को तकलीफ आई उस पर हमें बात करना थी तो सहकारिता के क्षेत्र में सहकारी बैंकों पर,सोसायटियों पर रिजर्व बैंक ने जो प्रतिबंध लगाया उससे किसानों को जो समस्याएं आईं उस पर हमें बात करना थी. आदरणीय सहकारिता मंत्री खड़े हुए उन्होंने वह सब बातें कहीं जिसमें राजनीति थी परंतु एक भी बात ऐसी नहीं कही उनके विभाग ने बदली हुई परिस्थिति में क्या किसानों के लिये किया.सहकारिता क्षेत्र में क्या बदलाव किया. रिजर्व बैंक ने जब प्रतिबंध लगाया तो हमारी सरकार ने यह प्रयास किया.यह नहीं बताया सिर्फ राजनीति. वन मंत्री खड़े हुए, तेंदू पत्ता और वन उपज से अपना जीवन निर्वाह करने वाला गरीब इस परिस्थिति में कैसे जिया इस प र बात नहीं कही. पप्पू कहा, किसी को श्राप दिया,किसी को आशीर्वाद दिया और मुझे कहा कि अगली बार मैं नहीं आऊंगा.किसी को पप्पू कहा. किसी को श्राप दिया. किसी को आशीर्वाद दिया. मुझे कहा कि तू अगली बार नहीं आएगा. वह यहां पर हैं नहीं. लेकिन उनसे अनुरोध करना चाहता हूं कि पापी आदमी का कभी श्राप लगता नहीं और दानवीर आदमी कभी श्राप देता नहीं. आप दानवीर होंगे तो मुझे आपका श्राप लगेगा नहीं और आगे की बात आप खुद समझते हैं. क्योंकि जैसे शब्द आपने उपयोग उधर से, वैसे ही शब्दों की हमें अपेक्षा करनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, कुछ बातें ऐसी हैं. आदरणीय गृह मंत्री जी भी खड़े हुए थे. उन्होंने सारी बातें कहीं. सरकार की भावना बतायी. प्रधानमंत्री जी की भी भावना बतायी कि किस तरीके से आतंकवाद पर, कालेधन पर और फेक (नकली) मनी पर कंट्रोल होगा, यह बताया. कैशलेस इकॉनामी बनानी है, इस पर भी बात कही लेकिन एक भी बार यह नहीं कहा कि फलां जगह लाईन में एक भी व्यक्ति को हार्ट अटैक आया, उसके लिए गृह मंत्रालय ने यह किया. एक भी बार यह नहीं कहा कि एक पालक ने, एक बाप ने बेटी की शादी नहीं कर पाने के कारण आत्महत्या कर ली, उसके लिए सरकार ने क्या किया. विपक्ष को कितना कोस सकते हैं, कितनी गाली दे सकते हैं, इसके अलावा कुछ नहीं कहा.
अध्यक्ष महोदय, जब मुख्यमंत्रीजी यहां चुन कर आये और पहली बार बोलने का अवसर मिला. मैं हमेशा मानता हूं और स्पष्टतः यह स्वीकार करता हूं कि भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री नहीं हैं. आदरणीय शिवराज सिंह, प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. जब प्रदेश की बात आती है तो आदरणीय शिवराज सिंह जी मेरे भी मुख्यमंत्री हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि मैंने चिट्ठी के माध्यम से भी उनको कहा था. जब वह अपने दल के विधायकों की बैठकें लेने लगे, क्षेत्र की समस्याएं पूछने लगे तो प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए तो सारे विधायक एक जैसे हैं. आपने सिर्फ बीजेपी के विधायकों से ही क्यों पूछना हैं. क्या आधार बनता है एक प्रदेश के ऐसे मुख्यमंत्री का जो खुद सदन के सारे सम्मानित सदस्यों के साथ भेदभाव करता है. मुख्यमंत्री जी, इसमें सुधार की आवश्यकता है.
श्री अनिल फिरोजिया--अध्यक्ष महोदय, जितू पटवारी जी विषय से भटक रहे हैं. (व्यवधान) आप स्थगन पर चर्चा कर रहे हैं, यह विषय से भटक रहे हैं.
एक माननीय सदस्य-- मुख्यमंत्री जी से मिलने से इनको किसी ने मना किया क्या? ये उनसे मिलते क्यों नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय--कृपया समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी,अभी मुझे ज्यादा समय नहीं हुआ. यदि रोक-टोक होगी तो मैं चुप रहूंगा. मैं सकारात्मक बातें करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- जितनी बातें स्थगन में थी वह सब आपने कह दी. सकारात्मक बातें कह रहे हैं लेकिन बीच में विषय से भटक जाते हैं.
श्री जितू पटवारी-- मैं वह बातें करना चाहता हूं जो प्रदेश सरकार को सुझाव के रुप में है. मेरा अनुरोध यह है कि जब किसानों पर इतनी बड़ी गाज गिरी. कृषि आधारित नकद अर्थ व्यवस्था होती है. (व्यवधान) ऐसी परिस्थिति में जब किसानों को इस बात की आवश्यकता थी कि बिजली को बिलों को भरना है और आपने टैरिफ बढ़ा दिया. इस बार 7 से 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जो एक महीने का कनेक्शन ले सकता था, उसको भी जबरन 3 और 4 महीने के कनेक्शन दिए गए. अगर एक भी माननीय सदस्य इसको असत्य बता दे तो बताएं. बिजली विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने नोटबंदी के पहले किस तरीके का तांडव मचाया. लोगों की मोटर सायकलें कुर्क की. लोगों को डराया-धमकाया. 10 तरीके से उसको बे-इज्जत करने की कोशिश की. इसके संबंध में भी मैंने मुख्यमंत्री जी और उर्जा मंत्री जी को चिट्ठी लिखी थी. उसका जवाब नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, मैंने भी यह स्थगन लगाया है इस नाते मेरा पूरा हक बनता है.
अध्यक्ष महोदय-- जो आपने दिया उसमें कहीं भी बिजली के संबंध में उल्लेख नहीं है. सिर्फ सहकारिता में नोटबंदी के कारण समस्या आयी है उसका उल्लेख है. एक ही विषय पर बात की जा सकती है.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, गेहूं बिकता है तो उसका पैसा मिलता है. कोई वस्तु बिकती है तो उसका पैसा मिलता है लेकिन नोट बिकता है तो उसके बदले नई करंसी मिलती है.
श्री वेलसिंह भूरिया-- अध्यक्ष जी, जितू पटवारी जी एकदम असत्य बोल रहे हैं कहीं पर भी किसी की मोटर सायकल कुर्क नहीं हुई. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष जी, नोट बिकने लगे और सरकार ने, गृह मंत्रालय ने क्या किया इसका उत्तर किसी ने नहीं दिया. मेरा मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि समर्थन मूल्य की बात आदरणीय रामनिवास रावत जी ने की थी. समर्थन मूल्य के हालात आप मुझसे बेहतर समझते हैं.
सोयाबीन के भाव बढ़े हैं, यह सभी ने कहा है. सोयाबीन के तेल के भाव बढ़े हैं, परन्तु सोयाबीन जहां 4500, 4000 रुपए थी, वह 2500 रुपए में कितनी सोयाबीन बिक रही है, जरा आप गांव-गांव जाकर देखें. यह जो 1500 रुपए की कमी है, इससे क्या खेती किसान के लिए लाभ का धंधा बनेगी? आज तक मुझे यह समझ में नहीं आया कि जिस तरीके से किसान के बच्चे बीमारी का इलाज नहीं करा पाए, उसके लिए क्या आगे बढ़कर सरकार ने डॉक्टरों से बात की?
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - आपकी बात कर रहा हूं, सोयाबीन के भाव 2500, 3000 रुपए हैं, कांग्रेस के शासनकाल में वही उत्पादन दो क्विंटल का होता था. आज माननीय मुख्यमंत्री जी के कारण वही उत्पादन 8 से 10 क्विंटल एकड़ का हो रहा है. इसके साथ-साथ अध्यक्ष महोदय, एक बात और कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, अब समाप्त करें. श्री दिनेश राय....अनंतकाल तक कोई नहीं बोल सकता.
श्री जितू पटवारी - आयकर विभाग के नोटिस किसानों को मिलने लग गये. जिस किसान को आयकर से छूट मिलती है..
अध्यक्ष महोदय - यह यहां का विषय नहीं है.
श्री जितू पटवारी - यह विषय ही है.
अध्यक्ष महोदय - सिर्फ विषय यह था कि इसके कारण प्रदेश में जो परेशानी हो रही है, जो मूल विषय था...
श्री जितू पटवारी - ..यह विषय से बाहर नहीं है कि किसान का बेटा जब पढ़ने के लिए फीस नहीं भर पाया तो उसको एग्जाम से बाहर होना पड़ा, यह स्थगन का विषय है. मेरा आपसे अनुरोध है, अध्यक्ष महोदय, हम आपसे आशीर्वाद चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, अनंतकाल तक किसी भी विषय पर बहस नहीं चल सकती. आपके दल को बहुत समय दिया है. दूसरे लोगों को भी बोलना है. कृपा करके अब समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय दे दें. मेरे सम्मानित सदस्यों से अनुरोध करना चाहता हूं कि इस नोटबंदी का समर्थन किसने किया, अमिताभ बच्चन ने किया, नोटबंदी का समर्थन किसने किया, वीरेन्द्र सहवाग ने किया, अनुपर खेर ने किया और इसका विरोध किसने किया? अमर्त्य सेन, नोबेल पुरस्कार विजेता ने किया, इसका विरोध किसने किया, डॉ. मनमोहन सिंह ने किया, जो कि विश्व के सर्वश्रेष्ठ वित्तमंत्री हैं उन्होंने किया. इसका विरोध उसने किया श्री रघुराम राजन ने, जो इससे पहले गर्वनर थे, उन्होंने किया, इसलिए नोटबंदी में कांग्रेस पार्टी ने व्यवस्था का विरोध किया, (व्यवधान)...श्री मुकेश नायक ने अगर प्रधानमंत्री की बात का समर्थन किया तो मेरे भी देश के प्रधानमंत्री हैं, उनसे आशा करता हूं कि 15 लाख रुपए जो उन्होंने वायदा किया था वह डालें. उस गरीब के घर में, उस किसान के घर में (व्यवधान).. मैं नहीं समझता कि इन सब बातों पर आप राजनीति कर पाएंगे.
अध्यक्ष महोदय ‑ कुछ नहीं लिखा जाएगा. आप बैठ जाएं.
श्री जितू पटवारी - (xxx)
श्री दिनेश राय (सिवनी)- अध्यक्ष महोदय, नोटबंदी का मैं पूरा समर्थन करता हूं. (मेजों की थपथपाहट).. नोटबंदी वास्तव में प्रदेश और देश के लिए हितकारी है. नोटबंदी के साथ मैं यह भी आग्रह करता हूं केन्द्र सरकार से तो नहीं, मध्यप्रदेश से कि जिस तरीके से नोटबंदी हुई है, उसी तरीके से शराबबंदी हो जाय. उसी तरीके से मैं शासन से चाहता हूं कि जमीन खरीदी की तरफ भी सीलिंग एक्ट 10 एकड़ का लगा दिया जाए. 10 एकड़ से ज्यादा जमीन किसी ट्रस्ट के पास न हो, कोई कंपनी बनाकर न ले, न कोई व्यक्तिगत ले. अगर यह भी मध्यप्रदेश सरकार लागू कर देगी, वास्तव में मध्यप्रदेश को लोग सोने की चिड़िया कहेंगे. किसानों की वर्तमान में जो स्थिति है, किसानों ने जो बोनी की है, कुछ लोगों ने कहा है कि शासन की योजनाओं का उन्होंने फायदा लिया है. लेकिन मैं निवेदन करता हूं कि किसान सिर्फ दो फसल लेता है, उसको इस बार फसल बोना था, इसलिए आपके आंकड़े बढ़ सकते हैं, उसकी मजबूरी थी, उसने उधार में पैसा लिया. उन्होंने व्यापारियों को सस्ती कीमत में दाना दिया, उधार राशि लेकर उसने बीज बोया है, इसलिए आंकड़े बढ़ रहे हैं. लेकिन किसान कहीं न कहीं इस समस्या से उबर नहीं पा रहा है. मेरा आग्रह है कि बिजली कटौती हमारे क्षेत्र में बहुत हो रही है. वहां पर वोल्टेज सही नहीं मिल रहा है. बिजली विभाग कहता है कि ट्रांसफार्मर 3 दिन में बदल देंगे. माननीय मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि महीने-महीने भर वहां के ट्रांसफार्मर नहीं बदल रहे हैं. 3 एचपी की मोटर में वहां के लाइनमैन, कर्मचारी चमकाते हैं, लाइनमैन भी पैसा मांगता है. जूनियर इंजीनियर तो मांग ही रहा है, लाइनमैन भी राशि मांगता है, बिना राशि दिये कहीं पर ट्रांसफार्मर नहीं बदल रहे हैं. मेरा आग्रह है कि सबसे ज्यादा नोट भ्रष्ट अधिकारियों के पास हैं. उसके बाद नेताओं, व्यापारियों और उद्योगपतियों के पास भी नोट हैं. एक नंबर में रखी हुई राशि बैंकों में बदली जा रही है. मेरा माननीय मुख्यमंत्री से आग्रह है कि जिन बैंकों में टोकन सिस्टम से कार्य हो रहा है, वहां कोई व्यक्ति परेशान नहीं हो रहा है. मध्यप्रदेश शासन को एटीएम में भी टोकन सिस्टम कर देना चाहिए. जिस प्रकार हम डॉक्टर के पास इलाज कराने जाते हैं, तो हमें डॉक्टर के पास से टोकन नंबर प्राप्त होता है. यदि एटीएम मशीनों पर भी टोकन बांट दिए जायें तो कोई व्यक्ति लाईन में घंटों खड़ा होकर अपना समय बर्बाद नहीं करेगा. यदि उस व्यक्ति का 3 घंटे के बाद का नंबर होगा तो वह भोजन करेगा, अपने काम करेगा, मार्केट घूमेगा उसके लाईन में आकर अपने 15 मिनट खराब करेगा. यदि शासन सभी बैंकों और एटीएम मशीनों में टोकन सिस्टम कर दे तो कोई भी व्यक्ति परेशान नहीं होगा. मेरा एक और आग्रह है मंडियों में केवल बड़े व्यापारी ही खरीदी कर रहे हैं, छोटे व्यापारी खरीदी नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वे कम राशि का माल खरीदते हैं. जिसके कारण किसान परेशान हैं. मेरा निवेदन है कि मंडी के अधिकारी कहीं न कहीं भ्रष्टाचार कर रहे हैं. वे मंडी में केवल बड़े व्यापारियों से खरीदी करवा रहे हैं. छोटे किसान जो 25 से 50 किलो अनाज बेचना चाहते हैं, वे नहीं बेच पा रहे हैं. इसके अतिरिक्त मैं कहना चाहता हूं कि यदि शासन की ओर से अभी मंडियों में 5/- रूपये थाली के हिसाब से भोजन की व्यवस्था कर दी जाये तो मैं समझता हूं कि यह एक बहुत बड़ा उपकार होगा. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- स्थगन प्रस्ताव पर कुल 15 सदस्यों द्वारा चर्चा की जा चुकी है.
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे निवेदन किया था कि आप सभी सदस्यों को अपनी बात रखने दें. सभी सदस्यों ने किसानों से संबंधित कोई न कोई समस्या किसी न किसी माध्यम से रखी है.
अध्यक्ष महोदय- रावत महोदय, आपने बहुत लंबी लिस्ट दी है. मैं केवल इस शर्त पर सभी सदस्यों के नाम पुकारूंगा कि कोई भी सदस्य 2 मिनट से ज्यादा नहीं बोलेगा और कोई रिपीटेशन नहीं होगा. लगभग सभी बातें आ चुकी हैं. मुख्य सचेतक महोदय एवं माननीय सदस्य इसमें सहयोग करें.
श्री बाला बच्चन- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके लिए आपका धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- कृपया करके कोई व्यवधान न करें. यदि आप लोग व्यवधान करेंगे तो उनका टाईम बढ़ेगा और उनको 1 मिनट बोनस का दिया जायेगा.
श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री सदन में मौजूद हैं. माननीय मुख्यमंत्री हमारे सांसद रहे हैं. मैं एक कला में इन्हें अपना गुरू पहले भी मानता था और आज भी मानता हूं. वह है, उनकी भाषण कला. मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री को कुछ साल पीछे ले जाना चाहता हूं. माननीय मुख्यमंत्री अपने क्षेत्र में और पूरे प्रदेश में भाषण देते थे कि किसान मेरा देवता है.
अध्यक्ष महोदय- इस बात का स्थगन से क्या संबंध है ?
श्री निशंक कुमार जैन- अध्यक्ष महोदय, मैं उसी बात पर आ रहा हूं. मुख्यमंत्री कहते थे किसान मेरा भगवान है. मध्यप्रदेश की जनता मेरा मंदिर और मैं इस मंदिर का पुजारी हूं.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, ये हैसियत की बात करें. अपने स्तर की बात करें. ये जबरदस्ती की बात रह रहे हैं.
श्री निशंक कुमार जैन- विश्वास भाई आप बैठ जाईये. मैं अपने स्तर की ही बात कर रहा हूं. मैं पुजारी की बात कर रहा हूं. हैसियत की बात नहीं कर रहा हूं. मैं माननीय मुख्यमंत्री को याद दिलाना चाहता हूं और उनसे कहना चाहता हूं कि जब सीहोर में देश के प्रधानमंत्री आए तो एक बड़े कार्यक्रम में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की घोषण प्रधानमंत्री द्वारा की गई. मैं आपके माध्यम से पूरे सदन के अपने साथियों से पूछना चाहता हूं कि यदि आपकी गाड़ी का एक्सीडेंट होगा तो बीमा की राशि किसे मिलेगी, आपको या मुझे ? मगर इस प्रदेश का दुर्भाग्य देखिये शासन ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की और इकाई किसे बनाया ? उड़द की फसल में इकाई बनाया गया है कि जब तक पूरे जिले के उड़द का नुकसान नहीं होगा, तब तक किसान को उसके उड़द के बीमे का लाभ नहीं मिलेगा. सोयाबीन में जब तक पूरी पंचायत का नुकसान नहीं होगा तब तक उसके बीमे का लाभ उसे नहीं मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय- इसे अनुपूरक में बोलियेगा. ये यहां का विषय नहीं है. आप बैठ जाईये. निशंक महोदय का अब कुछ नहीं लिखा जाएगा. जो बोल लिया उन्होंने वो बोल लिया. उन्होंने विषय पर एक बात भी नहीं बोली. श्री उमंग सिंघार जो बोलेंगे केवल वही लिखा जाएगा.
श्री उमंग सिंघार ( गंधवानी ) --माननीय अध्यक्ष महोदय मैं एक बात से शुरूआत करना चाहता हूं कि नरोत्तम मिश्र जी ने एक बात कही थी सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर. देश में यह कहा गया कि पाकिस्तान में घुसकर हिन्दुस्तान की सेना ने मारा. यह हमें मालूम होना चाहिए कि हम पाक अधिकृत कश्मीर में गये थे कश्मीर तो हमारा पहले से है. हम पाकिस्तान में कहां घुसे हैं, पाकिस्तान में घुसकर जिस दिन आप सर्जिकल स्ट्राइक करवायेंगे उस दिन हमारी पार्टी भी आपका साथ देगी. मेरा कहना है कि नरोत्तम मिश्र जी थोड़ा करेक्शन कर लें.
दूसरा मैं यह कहना चाहता हूं कि आरबीआई के द्वारा सहकारी सोसायटियों के अंदर शुरूआत के तीन दिन पैसा लिया गया उसके बाद में बंद कर दिया गया है. मेरा आपसे अनुरोध है कि इन सोसायटियों के अंदर जो खातेदार थे जो ऋणदाता थे उन लोगों के खातों की जांच सरकार को कराना चाहिए कि उनके खातों में शुरूवात के तीन दिन में किन किन के पैसे जमा हुए हैं, अधिकतर सोसायटी भाजपा बाहुल्य की हैं, अगर मुख्यमंत्री इस पर गौर करेंगे कि शुरूआत के तीन दिन में इनमें किसका पैसा जमा हुआ है, गया प्रसाद - राम प्रसाद को पता ही नहीं है कि उसके खाते में पैसा जमा हो गया है, अगर वास्तव में आप किसान की बात करते हैं तो किसान के लिए आप पहल करें कि इन सोसायटियों की आप जांच करायें. पूरे प्रदेश के अंदर 74 लाख अमानतदारों के खाते हैं 54 लाख किसानों के खाते हैं इन सवा करोड़ किसानों के खातों की जिन्होंने ऋण लिया है, लेकिन उनको पता ही नहीं है कि उनके नाम से पैसा जमा कर दिया गया है. उनकी जांच की अगर पहल करेंगे तो यह सच्ची कालेधन की मुख्यमंत्री जी की पहल होगी.
यह बात सच है कि फसल के भाव कम हुए हैं जहां पर 7 हजार रूपये क्विंटल सोयाबीन का बीज बोया था वहां पर आ ज किसान को 2 हजार रूपये क्विंटल मिल रहा है. आज तीन से साढ़े तीन हजार रूपये क्विंटल के भाव में व्यापारी खरीद रहा है लेकिन किसान की मजबूरी है कि उसको अपने घर में शादी करना है, उ से आज खाद के लिए पैसा चाहिए. व्यापारी उसको कहते हैं कि 2 हजार के अंदर देना है तो दे दो नहीं तो रहने दें. वह चैक लेकर जाता है आपकी सदन की जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि 21 प्रतिशत जनता बैंक से दूर है हमारे 21 करोड़ लोग बाहर हैं जिनके पास में बैंक के खाते नहीं हैं. मैं नोटबंदी के खिलाफ नहीं हू न ही हमारी पार्टी नोटबंदी के खिलाफ है, लेकिन इसके व्यापक रूप से जो दुष्परिणाम आये हैं उसके लिए प्रदेश स्तर पर माननीय मुख्यमंत्री जी को सहकारिता के क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए. आपने समय दिया धन्यवाद.
कुंवर सौरभ सिंह ( बहोरीबंद ) -- अध्यक्ष महोदय आपने अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद, सबसे पहले तो मैं आपकी अनुमति से शेजवार जी, के के श्रीवास्तव, मनोज पटेल और वेलसिंह जी को प्रणाम करना चाहूंगा क्योंकि यह ही व्यवधान उत्पन्न करेंगे.
हमारे जिले में धान का समर्थन मूल्य 1460 रूपये है लेकिन वास्तविक हकीकत यह है कि 750 से लेकर 900 रूपये प्रायवेट में धान खरीदी जा रही है. माननीय खेती को हम लोग लाभ का धंधा बोल रहे हैं. हकीकत यह है कि 1950 में मेरे यहां पर ट्रेक्टर इंपोर्ट हुआ था. मेरे दादा जी लाये थे और कटनी जिले में लगभग सबसे बड़े किसानों की गिनती में हमारा नंबर आता है और आज भी किसानी से आगे हम लोग नहीं बड़ पाये, जिस भी व्यक्ति के पास में कोई व्यापार है या साधन है वह आगे बढ़ जाता है लेकिन किसानी से आगे नहीं बढ़ पाता है. आदरणीय मेरा इस स्थगन के माध्यम से निवेदन है कि भाषण भर देने से खेती नहीं बढ़ने वाली है, जब किसान रात में पानी लगाता है तो सांप बिच्छू गोहरा पता नहीं कितनी तरह की समस्याएं हम लोगों के बीच में आती हैं और किसान मरता है, उसका कहीं नाम तक नहीं आता. जहां तक बिजली के बिल का विषय है, माननीय मुख्यमंत्री जी ने 100 रु. प्रति हॉर्सपावर बढ़ाया है पर मेरा निवेदन है कि आप हर किसान से 6 माह का एडवांस ले रहे हैं, क्या किसान चोर हैं जो उनसे 6 माह का एडवांस लिया जाता है. माननीय, न आप व्यापारी से एडवांस ले रहे हैं, न किसी उपभोक्ता से एडवांस ले रहे हैं, जब डीपी जलती है, ट्रांसफार्मर जलता है तो पहले आप 50 प्रतिशत पैसे हमसे जमा करवा रहे हैं. विगत 3-4 साल से हमारे यहां सूखा पड़ रहा है, किसान की हालत खराब है. माननीय, जब किसान सोसाइटीज में अपना गल्ला देता है तो 2-3 माह में उसके पास पैसा आता है. अभी तो 30 प्रतिशत बोवनी बची हुई है. मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहता हूँ कि जिस तरह किसान जब भी कोई प्रोजेक्ट लेता है तो बीज निगम आधा पैसा किसान को देता है उसी तरह किसानों को भी पैसा मिलना चाहिए, 2-3 महीने तक नहीं रुकना चाहिए. रही बात समर्थन मूल्य और बोनस की तो हर किसान के उत्पादन का बहुत बड़ा हिस्सा मजदूरी में जाता है, बीज के लिए वह रख लेता है या पहले से उसने लोकल किसानों से, लोकल व्यापारियों से एडवांस लेकर रखा होता है जिसके कारण वह अपने उत्पाद का 50 प्रतिशत हिस्सा ही समर्थन मूल्य और बोनस के रेट में बेचता है. मेरा आपसे निवेदन है कि कृपया इस पर ध्यान दें. समिति में अधिकांशत: वही किसान जाता है जो सक्षम होता है. माननीय, हम नोटबंदी के खिलाफ नहीं है पर समस्या इस बात की है कि 200 रुपये लेकर एक किसी प्राइवेट संस्था का कर्मचारी कटनी से जबलपुर जाता है और वह दोपहर का खाना न खाकर दो समोसे में अपना काम चलाता है कि रात को 12 बजे घर पहुँचकर खाना खा लूंगा. वह रात को ट्रेन से वापस आता है और जो खाने का 60-70 रुपये बचाता है यह उसका कालाधन है. कालाधन वह भी निकल रहा है जो हमारी माताओं-बहनों ने घर खर्च से बचाकर रखा था. माननीय, यह सब आंकड़ों का खेल है, मेरा खासतौर से माननीय मुख्यमंत्री जी से भी यह निवेदन है कि सारे किसान लगान देते हैं, पर यदि आंकड़ों में जाएं तो माननीय मुख्यमंत्री जी के ऊपर भी अभी लगान बकाया आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें, आप हमेशा सहयोग करते हैं आज भी करें.
कुँवर सौरभ सिंह -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद. आज चर्चा हो रही है, हमारे जिले के प्रभारी मंत्री जी ने सबसे पहले शुरुआत की है और उन्होंने दो प्रधानमंत्रियों का जिक्र किया, लाल बहादुर शास्त्री और स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी जी का, उन्होंने यह कहा कि उन्होंने भी ऐसे निर्णय लिए थे, उन्होंने एक-एक दिन का समय जनता से मांगा था. जनता ने अपना एक-एक दिन का समय सहर्ष दिया था. लेकिन श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 50 दिन का समय मांगा तो जनता को सहर्ष देना चाहिए. हमारे कहने का मतलब हमारे देश में 80 प्रतिशत जनसंख्या किसानों की है. क्या किसानों को 50 दिन का समय नहीं दिया जा सकता. ट्रांसफार्मर तभी लगेंगे जब तक पूरे किसानों के बिल जमा नहीं हो जाते. बिजली तभी दी जाएगी जब पूरे बिल जमा हो जाएंगे. क्या इस तरीके का निर्णय होना चाहिए या किसानों को पूरी सुविधा देनी चाहिए. किसान इस समय आपदा से परेशान है. हमारे जिले में पिछले वर्ष किसान सूखे से परेशान था और आज भी वही स्थिति बनी हुई है. किसान समुचित रूप से अपनी जुताई-बुवाई नहीं कर पा रहा है. अत: अध्यक्ष महोदय के माध्यम से मेरा अनुरोध है कि जिस तरीके से 50 दिन का समय सरकार ने मांगा है उसी तरीके से 50 दिन का समय किसानों को भी दिया जाए. जैसी कि अभी सर्जिकल स्ट्राइक की बात हुई, तो हमारे कहने का मतलब यह है कि 56 इंच का सीना सिर्फ पाकिस्तान से लड़ने के लिए ही है या चीन के लिए भी है जो हमारे ऊपर डायरेक्ट, इनडायरेक्ट आक्रमण करता रहता है, क्या चीन से भी लड़ाई होगी. चीन की भी बात करनी चाहिए न कि सिर्फ पाकिस्तान, पाकिस्तान, धन्यवाद.
कुँवर विक्रम सिंह (राजनगर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मेरे छतरपुर जिले में मैंने अधिकतर देखा है कि जब साढ़े तीन सौ रुपये की यूरिया की बोरी खरीदने के लिए किसान सोसाइटी में जाता है तो उसको यह कह दिया जाता है कि खुल्ले पैसे नहीं हैं. खुल्ले पैसे न होने की वजह से उसको परेशानी होती है. 500 रु. या अगर 2000 रु. का नोट है तो जो भी पैसा वह जमा करता है तो उसको चेंज पैसे नहीं मिलते हैं.नोटबंदी के कारण यह स्थिति वास्तव में उत्पन्न हुई है और मैं एक बात कहना चाहूंगा कि हमारे क्षेत्र का किसान पिछले 5 साल से सूखे की चपेट में रहा. अब इस वर्ष तीता इतना ज्यादा हो गया कि उड़द, तिल्ली की फसल, अरहर की फसल सब बर्बाद हो गई. किसान को देने के लिए 100 रूपये जो समर्थन मूल्य रखा गया है उस बोनस से कुछ नहीं होता. कम से कम समर्थन मूल्य 1000 रूपये प्रति किसान क्विंटल के हिसाब से दिया जाए, यह अच्छी बात होगी. शादी का जब समय आता है तो शादी के लिए ढाई लाख रूपये की व्यवस्था बैंक से हो जाती है परन्तु इस ढाई लाख रूपये को लेकर जिसके घर में शादी है वह जाता है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सचिन यादव (कसरावद) -- अध्यक्ष महोदय, आज की हमारी जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था है वह पूरी तरह से चरमरा गई है और विशेषकर हमारे जो किसान हैं उन किसानों को भारी समस्या का सामना कर पड़ रहा है. जिन किसानों ने हमारी सेवा सहकारी सोसायटियों से और जिला बैंकों के जो खातेदार हैं जहां से वे ऋण लेते हैं अपना व्यवहार करते हैं आज उनके सामने बहुत सारी परेशानियॉं, बहुत सारी दिक्कतें हैं. लगभग 1 करोड़ 26 लाख जो खातेदार हैं वे अपना व्यवहार प्राथमिक सोसायटियों से और जिला बैंकों से करते हैं और हमारी जो जिला बैंकें हैं उन जिला बैंकों को आरबीआई से लायसेंस प्राप्त है और आरबीआई से लायसेंस लेने के कारण वह वैध तरीके से अपना व्यवसाय और व्यवहार कर रही है और बैंकिंग की सेवायें किसानों को दे रही है. मेरा यह कहना है कि जो सरकार का निर्णय है, सरकार ने जो फैसला लिया है और जो दोहरी नीति सरकार अपना रही है उससे कहीं न कहीं हमारा किसान ठगा महसूस कर रहा है. आप सभी जानते हैं कि जो सेवा सहकारी सोसायटियॉं होती हैं जो अपेक्स बैंक हैं जो हमारे जिला सहकारी बैंक हैं उसमें जो व्यवहार करते हैं वह हमारे सारे किसान साथी होते हैं और सरकार ने नोटबंदी का जो फैसला लिया है और जो 500 और 1000 रूपये सरकार ने बंद किए हैं उसके कारण किसान ऋण की अदायगी नहीं कर पा रहा है जिसके कारण आने वाले समय में निश्चित ही उसको अधिक ब्याज अपने ऋण के अगेंस्ट में देना पड़ेगा. चूंकि माननीय मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हैं, सहकारिता मंत्री जी बैठे हुए हैं मैं उनसे आग्रह करना चाहता हॅूं, मैं उनसे निवेदन करना चाहता हॅूं कि आप केन्द्र सरकार से निवेदन करें, ये प्रार्थना करें और ऐसे कोई कदम उठाएं जिससे इतनी भारी संख्या में हमारे किसान जो इन सेवा सहकारी सोसायटियों से कई वर्षों से व्यवहार करते आ रहे हैं, जिला बैंको से व्यवहार करते आ रहे हैं और अपनी मेहनत की कमाई इन बैंकों में जमा कर रहे हैं उनके साथ ठीक व्यवहार हो, यही मेरी प्रार्थना है. आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो नोटबंदी पर चर्चा चल रही है. मैं ग्रामीण क्षेत्र से आता हॅूं. मेरे विधानसभा क्षेत्र में 355 गांव हैं. यदि बैंकों की गिनती की जाए तो मात्र 25 से 30 बैंकें हैं और जब ग्रामीण क्षेत्र की जनता वहां पर आती है तो 5-5, 6-6 दिन के बाद भी उनको रूपए नहीं मिल पा रहे हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि जो एटीएम की बात की जा रही है, मैं आपको ध्यान दिलाना चाहता हॅूं कि एक एटीएम चंदवासा में जब नोटबंदी हुई थी उसके कम से कम दो महीने पहले उस एटीएम में चोरी हुई थी, वह एटीएम आज तक चालू नहीं हो पाया है जिसके कारण एटीएम भी हमारे क्षेत्र में बंद पड़े हैं. आज लम्बी-लम्बी कतारें किसानों की लगी हुई हैं. पहले सोसायटी के माध्यम से मुआवजे का वितरण किया गया था तो क्या कारण रहा कि अभी सोसायटियों में किसानों का जो लेन-देन होना था, नोटबंदी के बाद वह नहीं हो पाया. क्या उसको सोसायटियों पर भरोसा नहीं रहा? जबकि उन्होंने मुआवजे का वितरण अच्छी तरह किया था और कृषि उपज मंडी में जो किसानों को चेक दिये जा रहे हैं, जब वह बैंक में चेक जमा कराने जाते हैं उनके साथ जो अपमानित भाषा का उपयोग किया जाता है और बैंक में चेक देकर के किसानों को 15-15 दिन हो गये हैं, आज तक उनको भुगतान नहीं हो पा रहा है इस पर भी ध्यान दिया जाये और वास्तव में अगर गरीबों का भला करना है तो 15 लाख रुपये का जो आपका वादा था और उससे पहले का 50 हजार पहले वादा था, उस तरह से साढ़े 15 लाख रुपये गरीबों के खाते में जमा करायें तो नोटबंदी का अर्थ निकलेगा. जयहिंद.
श्री गिरीश भंडारी (नरसिंहगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि यह हमारा स्थगन प्रस्ताव आज किसानों की बदहाली और किसानों के साथ जो हालत हुई है उसको लेकर यह लिया गया है तो मैं किसानों के संबंध में सिर्फ दो बात आपके माध्यम से इस सदन में रखना चाहता हूं. सबसे बड़ी बात यह है कि 8 तारीख के बाद से कुल 6 या 7 दिन ही मंडियां चालू हो पाई और फिर मंडियाँ बंद हो गई. आज किसान की हालत यह है कि रोजमर्रा की चीजें खरीदने के लिए भी उसके पास पैसा नहीं है और उसने जो 7 दिन मंडियाँ खुली थी उसमें जो अनाज बेचा था, उसके बदले हाथ में चेक पकड़ा दिये गये और वह चेक आज बैंकों में भुनाने के लिए उसको 8-8, 10-10 दिन हो चुके हैं लेकिन उसको भुगतान नहीं मिल पा रहा है. उसके कारण अव्यवस्था हुई है. व्यापारी बिना पैसे के आज मंडी में व्यापार कर रहा है, उसने चैक दे दिया, उसने अपना माल खरीदा, दूसरे दिन प्लान्ट में माल भेज दिया. आरटीजीएस के माध्यम से उसके पास तो पेमेंट आ गया, उसके खाते में पैसा आ गया, लेकिन किसान को 10-10, 15-15 दिन हो गये उसको भुगतान नहीं मिल पा रहा है, वही व्यापारी बिना पैसे के रोज लगातार इनके सोयाबीन का व्यापार कर रहा है. आज हालत यह है कि किसान को यदि मोटर साइकिल में पेट्रोल भरवाना है, ट्रेक्टर में डीजल डलवाना है, उसके लिए उसको कहीं से भी उधार नहीं मिल पा रहा है और हजार पांच सौ रुपये के लिए भी वह कहीं-न-कहीं व्यापारियों के चक्कर लगा रहा है कि वह उसको हजार पांच सौ रुपये दे दें और आज हालत यह है कि मेरे यहाँ कुल 7 दिन मंडी चालू हो पाई हैं, 23 तारीख को मंडी चालू हुई थी, कुल 7 दिन चली उसके बाद से पूरे समय के लिए मंडी बंद कर दी गई है. मेरे पूरे नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 4 मंडियाँ लगती हैं और चारों बंद पड़ी हैं. आज किसान की यह हालत है कि पिछली सोयाबीन का फसल बीमा किसान ने कराया था लेकिन आज तक किसान फसल बीमा के लिए पैसों के लिए भटक रहा है, उसको फसल बीमा नहीं मिल पाया है.
अध्यक्ष महोदय, आज जो किसानों का पैसा कोपरेटिव्ह या सहकारी सोसायटियों में जमा था उस पैसे के लिए भी किसान दर-दर भटक रहा है. आज मजदूरों की हालत यह है कि उनको उनकी मजदूरी नहीं मिल रही है, मजदूर को जो शाम को पैसा चाहिए वह उसको नहीं मिल पा रहा है. मेरा यह निवेदन है कि सबसे ज्यादा बदहाली आज किसानों की हो रही है इस बात को लेकर शासन को कहीं-न-कहीं कोई प्रयास करना चाहिए. शासन को मंडियों में ऐसी व्यवस्था करना चाहिए ताकि किसानों को नगद पैसा मिल सके और वह अपने रोजमर्रा के जीवन उपयोग की वस्तु खरीद सके. धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को(पुष्पराजगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरीके से पूरे प्रदेश में जो नोटबंदी के बाद परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं और रोजमर्रा का जीवन जी रही प्रदेश की जनता परेशान है. इसको देखकर आपने सहजता से इस स्थगन को स्वीकार किया उसके लिए मैं धन्यवाद देता हूं और उन विकसित और विकासशील देशों के बारे में भी बताना चाहूंगा कि कुछ ऐसे देश हैं जिन्होंने अपने देश के पूर्व उनके देशों में नोटबंदी कानून लागू किया और इस नोटबंदी कानून से जो परिस्थितियां उन देशों में उत्पन्न हुईं उनके बारे में भी मैं सदन के माध्यम से बात रखना चाहूंगा. नाइजीरिया ने 1984 में नोटबंदी कानून लागू किया, घाना 1982, जिम्बावे, नार्थ कोरिया 2010 और मयांक 1987 सोवियत यूनियन और इसके बाद 124 वर्ष पूर्व अमेरिका देश ने भी नोटबंदी कानून लागू किया और बाद में ऐसे विकसित देश ने यह महसूस किया कि अमेरिका में नोटबंदी कानून लागू करने की यह सबसे बड़ी भूल रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज पूरे देश और प्रदेश में मध्यप्रदेश में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि गांव में जो मजदूर है वह अपने मेहनत और मशक्कत के साथ 500 और 1000 रुपए बचाकर रखा था कि कहीं मैं बीमार पड़ जाऊं, मेरे बेटे की फीस दूंगा, कहीं बेटी की शादी करना है, लड़के का एडमीशन कराना है और जब जिस दिन यह कानून लागू किया गया, नोट बंद किए गए. अपनी गांठ में बांधे वह माता 500 के नोट को लेकर जब वह बाजार में जाती है, मैं अपनी आंख की देखी हुई घटना बता रहा हूं, जब वह बाजार में गई, अपने नाती को इस विकराल ठण्डी में पुष्पराजगढ़ में स्वेटर पहना दी और अपने आंचल से खोलकर 500 रुपए जब उस व्यापारी को दिए तो उस व्यापारी ने मना कर दिया कि यह नोट अब बंद हो गए हैं.
अध्यक्ष महोदय—कृपया आप समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को— माननीय अध्यक्ष महोदय, यह नोट अब बाजा़र में नहीं चल रहे हैं. हम चाहते हैं कि इस नोटबंदी का सकारात्मक परिणाम इस देश में आए, खुशहाली और बहाली हो, इस देश की एक अच्छी आर्थिक स्थिति बने. यह आतंकवाद को समाप्त करने के उद्देश्य से लागू किया गया है वास्तव में इसका फायदा हमें मिलता है. हम मानते हैं कि नोटबंदी से हमारे देश में प्रदेश में खुशहाली और बहाली होगी, ऐसा मुझे पूरा विश्वास है, धन्यवाद.
श्री मधु भगत (परसवाड़ा) —अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया आपको बहुत बहुत धन्यवाद देते हैं. साथ में मैं सिर्फ दो मिनट में कुछ बातें अपनी सार्थक रखना चाहता था. मैं चाहता था इस दो मिनट तक और मुख्यमंत्री जी बैठे रहें. या उन तक मेरी आवाज जा रही है तो मैं किसान के हित की ही बात करना चाहता हूं. सबसे पहले तो मैं यहां बैठे हमारे माननीय मंत्री जी, सिंचाई विभाग नरोत्तम मित्रा जी से निवेदन करना चाहता हूं उसके पूर्व में वित्त मंत्री जो आज हैं पहले सिंचाई विभाग मंत्री थे, श्री जयंत मलैया जी, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं 1980 की मेरी सातनारी के बांध की किसानों से संबंधित मांग है जिसमें 16 गांव हैं उसके चलते वहां पर 90 गांव के बाजू में ढूटी बांध से पानी जाता है, मैं लगातार तीन वर्षों से इस मुद्दे के ऊपर प्रश्न उठा रहा हूं. सारे मंत्रियों ने आश्वासन दिए, सारे कलेक्टरों ने आश्वासन दिए इस सदन से भी आश्वासन मिला, पर मेरे उस 16 गांव के 20 हजार किसानों को पानी नहीं मिला. जिस प्रकार से मैंने विधानसभा प्रश्न लगाया तो उस प्रश्न का जवाब सीधा सीधा आया कि इसके लिए धन व्यवस्था और दूसरी अन्य व्यवस्थाओं का सार्थक कदम नहीं उठा सकते इसलिए इसको रद्द कर दिया गया मैं जानना चाहता हूं कि क्या यहां पर मंत्री शेजवार साहब जिनसे मैंने निवेदन किया उनसे मैंने कहा कि आपको तो सिर्फ भूमि ट्रांसफर करनी है लेकिन इसका सार्थक जवाब नहीं आया. अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं आपके माध्यम से मंत्री जी मेरी इस मांग को गम्भीरता से लेते हुए कहीं धोखे से ऐसा न हो कि इस सातनारी बांध को बनाते-बनाते मेरी जान न चली जाए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—यह फॉरेस्ट लैंड का मामला है.
अध्यक्ष महोदय—यह प्रश्नकाल नहीं है, कोई विषय भी नहीं है. आप बाद में उनसे चर्चा कर लीजिए.
श्री मधु भगत – आप लोग इसके ऊपर गम्भीर नहीं हैं, क्योंकि आप किसानों की बात करते हैं पर आप किसानों के लिए गम्भीर नहीं हैं बहुत तकलीफ होती है जब मैं वहां जाता हूं. 1980 से इस मुद्दे को लेकर के बैठा हुआ हूं. हमारे माननीय कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन जी जो मेरे जिले से आते हैं मैंने कल उनसे बाहर निकलते से ही बोला कि सातनारी बांध के लिए आप कुछ करते क्यों नहीं आप तो जिले के मंत्री हैं तो उन्होंने कहा आप बोलते क्यों नहीं, आप आइए मिलिए. साहब मैं आपसे तीन साल से मिल रहा हूं आपसे और कैसे मिलूं.
अध्यक्ष महोदय--कृपया अपनी बात समाप्त करें. धीरज रखें क्रोधित न हों. आप उनसे मिल लीजिएगा वे अभी उत्तर दे रहे थे आप बाद में मिल लीजिएगा. अभी रहने दीजिए इस विषय में आप बाद में माननीय सदस्य को बुलाकर उनसे बात कर लें. बाद में बात कर लें यहां कोई प्रश्नकाल नहीं है. आपकी बात आ गई जो आप कहना चाहते थे, अब कृपा करके उनको बोलने दें, वे आखिरी वक्ता हैं.
श्री मधु भगत--धन्यवाद. अगर यह बन गया तो मैं धन्य मानूंगा इस भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी, नरोत्तम मिश्रा जी, गौरीशंकर शेजवार जी, जयंत मलैया जी, श्री गौरीशंकर बिसेन जी को. माननीय अध्यक्ष महोदय इसकी घोषणा आज करवा दीजिए.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में मध्यप्रदेश में जो स्थिति चल रही है उस संबंध में बात करने के लिए आपने समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय, आज हम देखें कि किसान की बात हर आदमी करता है परन्तु उसके लिए काम कोई नहीं करता है. आज सदन में बैठे 230 विधायकों में से 80-90 प्रतिशत विधायक किसान हैं पर किसान के बारे में कोई सोच नहीं रहा है. लागत मूल्य की बात हर आदमी करता है और यहीं नियम और कानून बनते हैं पर यहां कोई लागत मूल्य की बात नहीं करता है. न लागत मूल्य के हिसाब से मूल्य निश्चित करके उसको दिलवाया जाता है. आज किसान हर जगह परेशान है. हरदा में अभी किसानों को 10 एकड़ पर बीमे की राशि 440 रुपए मिली है. अभी अभी सूचना मिली है कि एक किसान को 18 रुपए भी बीमे की राशि मिली है, किसी को 1000 रुपए एकड़ भी मिली है. यह बीमा राशि किस हिसाब से दी जा रही है और किसान का आप क्या भला करना चाहते हैं. पुरानी बीमा पॉलिसी थोड़ी बहुत ठीक थी. अभी नई बीमा पॉलिसी आई है उसके अनुसार तो मेरे ख्याल से किसी भी किसान को बीमा नहीं मिल पाएगा. मुआवजा देना तो सरकार ने बंद ही कर दिया है. यदि बीमा और मुआवजा नहीं मिलेगा तो उसकी आर्थिक स्थिति और भी खराब होगी. यह बड़ी विडम्बना है कि हर आदमी स्वीकार करता है कि मैं किसान हूं, किसान का बेटा हूं और यहां पर जो बैठे हैं वे किसान के बारे में कोई बात नहीं कर रहे हैं. मेरा मुख्यमंत्री जी से निवेदन है क्योंकि उन्होंने बार-बार घोषणा की है कि लागत के हिसाब से फसलों का मूल्य होना चाहिए. मेरा निवेदन है कि आज यह घोषणा करें. जैसे गेहूं के लिए 1600 रुपए आप दे रहे हैं, गेहूं को बोने से लेकर खाद, बीज, कटाई सब मिलाकर 3000 रुपए के लगभग लागत आती है इसकी घोषणा करें तो ही किसान का भला हो सकता है. दूसरी फसलों की भी यही स्थिति है सभी फसलों में लागत मूल्य के हिसाब से मूल्य देंगे तो ठीक रहेगा, किसान का भला होगा.
अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया उसके लिए धन्यवाद, जयहिंद.
श्री यादवेन्द्र सिंह (नागौद)--माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे साथियों ने आपसे नोटबंदी आदि की बात की. नोट की चिंता सांसदों को और हमारे द्वारा चुने हुए राज्यसभा सांसदों को होना चाहिए. इसकी चिंता करने के लिए देश में बहुत लोग हैं. मैं अपने क्षेत्र की बात करना चाहता हूँ. गौ-माता हमारे संभाग में किसान की सबसे बड़ी समस्या बन गई है. बुंदेलखंड और रीवा संभाग में किसान सबसे ज्यादा आवारा पशुओं से परेशान है. गायों के साथ उनके पति जो बैल हैं उनके लिए मुख्यमंत्री जी, जो कानून बनाए हैं. छत्तीसगढ़ में ट्रेक्टर से खेती नहीं होती है वहां पर बैलों से खेती होती है पहाड़ी क्षेत्रों में. यदि बैलों के परिवहन की अनुमति छत्तीसगढ़ के लिए दे दी जाए तो शायद किसान स्वतंत्र होकर सो सके. पूरी रात जागता है. सर्पदंश से मौतें हो रही हैं, खलिहानों में आग लग रही है. राजस्व विभाग से उनकी मृत्यु के बाद पैसा नहीं जा रहा है, वैसे ही 50 हजार दिया जाता है जो कि कम है वह भी नहीं दिया जाता है. हिंदी में बता रहे हैं, हम अपने गांव की भाषा में बोल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--अच्छी है आपकी भाषा.
श्री यादवेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, बिजली वाले जनता के साथ बहुत सख्ती कर रहे हैं, उनका कनेक्शन काट रहे हैं. तीन हार्स पॉवर की मोटर है और सात हार्स पावर का बिल बनाकर ले रहे हैं इस वसूली को एक महीने के लिए रोक दीजिए जनवरी में धान का पैसा आ जाएगा उस समय किसान 50 प्रतिशत नहीं 100 प्रतिशत बिजली के बिल का भुगतान कर देगा. जो धान की फसल कटी है वह बो दे किसान, 15 दिन शेष बचे हैं दिसंबर तक बोवनी है. हम सब आंकड़े सुन रहे थे. न भारतवर्ष की जमीन बढ़ रही है.जितना आंकड़ा है, वह सब हम सुन रहे थे न तो जमीन भारत वर्ष की बढ़ रही है न ही मध्यप्रदेश की जमीन बढ़ रही है. जिसका पैसा जमा है, उसका भी नहीं लगा है. मैं कोई असत्य बात नहीं बोल रहा हूं, मैं सही बात बोल रहा हूं. आप किसानों को एक नहीं दो महीने का समय दें. फिर पचास नहीं सौ प्रतिशत दें. आपके पास धारा 138, 155 उसमें जेल भेज दें. आप बैलों का परिवहन कर दें. जिससे हमारी खेती बचे.
दूसरी एक महत्वपूर्ण बात और कहना चाहता हूं यहां पर सारंग जी बैठे हैं. बाऊपुर सोसायटी ऊचहरा ब्लॉक में है, वहां पर गेंहू उपार्जन का पैसा पिछले साल का 6 लाख रूपये, जो सूखा राहत की राशि थी,उसको राम लोटन नाम का समिति सेवक उससे उसने राईस मिल लगा ली, उससे हार्वेस्टर खरीद लिया परन्तु वह पैसा आज तक किसान को नही मिला है. उस समिति सेवक के ऊपर कार्यवाही की जाये. यह सारंग जी के विभाग का मसला है. यह बहुत ही जरूरी है, उसने करोड़ों रूपये का गबन किया है. उस पर कार्यवाही की जाये. धन्यवाद्.
श्री सोहनलाल बाल्मीक(परासिया):- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज स्थगन पर जो चर्चा चल रही है. इस मौके पर मैं भी अपनी बात रखना चाहता हूं. लगातार चार वर्षों से प्रदेश में विपदा, आपदा आने के कारण किसानों की फसलें अत्यधिक खराब हो गयी है और किसानों का आर्थिक नुकसान हुआ है. निश्चित रूप से किसानों की जिस तरह से सरकार की मदद करनी चाहिये थी, उतनी मदद सरकार नहीं कर पायी है. कहने को हमारे विभिन्न सदस्यों और मंत्रियों ने अपनी बात रखी है. मगर सच्चाई यह है कि आज किसान बहुत बदहाल स्थिति में है. मैं अपने क्षेत्र की बात कहना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में भी किसानों की लगभग चार वर्षों से खराब हुई है. पिछली बार परासिया विधान सभा में किसी भी किसान को मुआवजा नहीं मिला. सिर्फ नौ लाख पैंतीस हजार रूपये किसानों को मुआवजा बंटा है. जबकि पीलामौजक से जो किसानों की फसलें खराब हुई थी. उससे सोयाबीन की अत्यधिक फसलें खराब हुई थी. लगभग 80 प्रतिशत फसलें खराब हुई थी और मात्र नौ लाख, पैंतीस हजार रूपये इनको मुआवजा बंटा था. इसी तरह से पिछले वर्ष भी फसलें खराब हुई. मैंने बहुत शिकायतें की, बहुत सारी बातें हुई. एक कृषि विभाग की टीम बनी जिसमें काफी लोग शामिल थे. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि जहां-जहां मैंने चिन्हित किया कि यहां पर मेरे क्षेत्र की फसलें खराब हुई हैं, जहां पर लोगों के खेत बह गये हैं, मट्टी बह गयी है, पुलिया टूट गयी है, उन सब जगहों का निरीक्षण किया गया. मगर इस निरीक्षण के दौरान मुझे उस समिति में शामिल नहीं किया गया. मेरा आपसे निवेदन है कि मैं अपने विधान सभा क्षेत्र का विधायक हूं और मैं किसानो के बारे में अपनी बात रख रहा हूं और किसानों के बारे में अपनी चिन्ता व्यक्त कर रहा हूं और लिखित में दे रहा हूं कि मेरे क्षेत्र में यहां-यहां मेरे क्षेत्र में नुकसान हो रहा है, किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है. परन्तु जब विभाग की टीम जाती है तो मुझे शामिल नहीं करती है. ऐसी स्थिति क्यों निर्मित होती है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि ऐसी कोई टीम बनती है तो उस क्षेत्र के किसानो को भी उसमें शामिल किया जाना चाहिये. मैं साथ ही साथ यह भी कहना चाहता हूं कि जिन किसानों की नदियों के पास में भूमि थी, उसकी मिट्टी बही है, उसमें बताया गया है सिर्फ 7 किसानों को सिर्फ एक लाख पांच हजार रूपये का मुआवजा दिया गया है. क्या जिन किसानों का खेत बहा है, क्या उसका इस तरह से आंकलन होगा. निश्चित रूप से कहीं न कहीं हम सब लोगों की चिन्ता का विषय है. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि नोटबंदी के कारण किसानों ने 1365 रूपये जो सोसायटी में मक्का दिया जाना चाहिये. (XXX)
अध्यक्ष महोदय :- श्री सुन्दर लाल तिवारी, आप बोलिये, उनका समय पूरा हो गया है. उनका कुछ नहीं लिखा जा रहा है.
श्री सुंदरलाल तिवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी तथा सरकार का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. सत्तापक्ष के लोगों ने किसानों को बहुत राहत दी है, यह बात उधर की तरफ से आयी है. मैं केवल एक सवाल माननीय मुख्यमंत्री जी से करना चाहता हूं कि प्याज आपने किसानों से क्या भाव खरीदा है 6 रूपये किलो खरीदा है.
अध्यक्ष महोदय--यह स्थगन का विषय है क्या ?
श्री सुंदरलाल तिवारी--किसान की समस्या की बात है.
अध्यक्ष महोदय--नोटबंदी के पहले की बात है.
श्री सुंदरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, नोटबंदी की बात नहीं कर रहे हैं हम किसानों की बात कर रहे हैं कि हमारे जिले में हजारों ट्रक प्याज 6 रूपये किलो के रूप में खरीदी और हजारों ट्रक हमारे जिले के किसानों ने फेंक दी तथा सड़ा भी दी उनको कोई लेने वाला आदमी नहीं मिला. एक किलो प्याज की लागत कम से कम 5 रूपये प्रति किलो आती है. यह सरकार ऐसा व्यवहार किसानों के साथ कर रही है. अब हमारा कहना है कि पिछली बार भी मैंने निवेदन किया था और माननीय मुख्यमंत्री जी ने मेरी प्रशंसा भी की थी उसके लिये उनको फिर से धन्यवाद दे रहा हूं. एक मांग हमने रखी थी कि कम से कम किसान परिभाषित हो जाए कि आखिर किसान है कौन ? डॉ.नरोत्तम जी, डॉ.गौरीशंकर शेजवार, माननीय मुख्यमंत्री जी भी किसान हैं और वह सबसे बड़े किसान हैं. करोड़ो करोड़ इन्कम टैक्स देने वाला भी किसान ही हैं. मुख्यमंत्री जी ने हिम्मत की कि एक आदेश पारित किया कि जो इन्कम टैक्स देते हैं या इतनी लंबा वेतन पा रहे हैं उनको मुआवजा नहीं दिया जाएगा यह आदेश पूरे प्रदेश में दिया.
अध्यक्ष महोदय--यह अनुपूरक का विषय है तिवारी जी.
श्री सुंदरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मैं किसान की बात कर रहा हूं मेरा एक शब्द भी गलत हो तो बोल दीजिये, लेकिन पता नहीं माननीय मुख्यमंत्री जी को इतना डरवा दिया कि आपके पूरे वोट ही खत्म हो गये.
अध्यक्ष महोदय--अब आप समाप्त करें. आपकी बात आ गयी है आप कृपया बैठ जाएं.
श्री सुंदरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, एक अंतिम बात कहना चाहता हूं कि अभी तो मैं किसानों की हालत पर आ रहा हूं. अब बिजली मंत्री जी ने हमको चिट्ठी लिखी है.
अध्यक्ष महोदय--आपके दो मिनट हो गये हैं आप बैठ जाएं.
श्री सुंदरलाल तिवारी--नहीं हुए दो मिनट एक बात और बोलने दें.
अध्यक्ष महोदय--चलिये बोलिये.
श्री सुंदरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, किसानों से 6 रूपये किलो प्याज लिया था उसको भविष्य में कम से कम 25 रूपये किलो सरकार किसानों से खरीदे और सरकार उनकी फसलों का समर्थन मूल्य दें. रही बात नोटबंदी की हम तो 100 रूपये के नोट बंद करवाना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय--अब आप बैठिये. हमेशा से ही आप ऐसा करते हैं. यह बात ठीक नहीं है. यह जो बोल रहे हैं उनका नहीं लिखा जाएगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (XXX)
श्रीमती उषा चौधरी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे भी एक मिनट बोलने के लिये समय दें.
अध्यक्ष महोदय--ठीक है बोलें.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) – माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, उसके लिए धन्यवाद. आज जो देश के अन्दर ढाई साल में हालात पैदा हुए हैं. माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि हम विदेशों से 100 दिन के अन्दर काला धन वापस लायेंगे, लेकिन ढाई साल में ऐसी कौन सी स्थिति बनी कि प्रधानमंत्री जी ने नोटबंदी का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि 10 महीने पहले से हमारी तैयारी चल रही थी लेकिन अभी निर्णय लेने का क्या मकसद था ?
अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से किसान, मजदूर और गरीब लोग लाईन में लगे हैं. मैंने अपनी आंखों से देखा है कि एक लकड़ी वाली ने 100 रूपये की लकड़ी बेची और जिसने लकड़ी खरीदी, उसने उस लड़की को 500 रूपये का नोट थमा दिया. वह लकड़ी वाली 500 रूपये का नोट लेकर पूरे बाजार में शाम तक घूमती रही लेकिन उसे छुट्टा नहीं मिला और न ही उसे खाने को अनाज मिला. वह रोज का अनाज घर पर ले जाने वाली लड़की थी.
अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहती हूँ कि जिस तरह से सदन के अन्दर हमारे दल के किसी भी विधायक ने नोटबंदी पर चर्चा नहीं की और न ही चर्चा करना चाहते थे, लेकिन माननीय मंत्री महोदय ने हमारी बहन जी के ऊपर टिप्पणी की है, वह बहुत गलत है. मैं बताना चाहती हूँ कि हमारी बहन सुश्री मायावती जी ने अगर नोटों की माला पहनी है तो वह गरीब पोलिंग एवं सेक्टर के कार्यकर्ताओं ने 100-100 रूपये इकट्ठा करके अपनी जिंदा देवी को नोटों की माला पहनाई है, वह कोई काला धन नहीं था. इस देश के अन्दर सबसे ज्यादा टैक्स भरने वाली बहन जी हैं. बहन जी का कोई खाता नहीं है, उसकी जांच करवा ली जाये. इस देश में सबसे ज्यादा काला धन मंदिरों के अन्दर चढा़या जाता है. रूपया, पैसा, सोना एवं चांदी, उस पर यह सरकार गौर नहीं करती है.
अध्यक्ष महोदय – आप समाप्त कीजिये. आप मर्यादा रखिये. यह बात ठीक नहीं है, आप बैठ जाइये. अब कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्रीमती ऊषा चौधरी – (XXX)
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) – माननीय अध्यक्ष महोदय, आज आम तौर पर परम्परा से हटकर क्योंकि अक्सर प्रतिपक्ष के मित्रों और सत्ता पक्ष के भी माननीय सदस्य चाहते हैं कि प्रश्नकाल चले, लेकिन कल से माननीय नेता प्रतिपक्ष जो बहुत शालीन एवं बहुत गंभीर हैं. वे लगातार यह कह रहे थे कि इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए, इसलिए आज जब प्रश्नकाल प्रारंभ हुआ और सदन स्थगित हुआ तो मैंने कारण पता किया तो यह पता चला कि नोटबंदी के कारण उत्पन्न परिस्थितियों पर चर्चा होना है. अब इस पर भी, हमारे प्रतिपक्ष के मित्रों में मतभेद थे कि चर्चा नोटबंदी पर होना है, नोटबंदी से उत्पन्न किसानों की समस्याओं या अन्य समस्याओं पर होना है लेकिन यह बात तय थी कि आज चर्चा होना है. मुझे भी लगा कि माननीय प्रतिपक्ष के नेता और बाकी सदस्य अगर इस विषय पर चर्चा करना चाहते हैं तो सदन में चर्चा होनी चाहिए इसलिए सरकार ने भी सहमति दी. चर्चा सार्थक हो, यह आपने प्रयास किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि चर्चा इतनी व्यापक हो गई. नेता प्रतिपक्ष जी अलग कह रहे थे लेकिन बाकी हमारे विद्वान विधायक श्री मुकेश जी ने नोटबंदी के और कई पक्षों की चर्चा की, हमारे जितू जी ने उसमें कुछ पक्ष जोड़े, आरिफ भाई ने कुछ पक्ष जोड़े. वह चर्चा इतनी व्यापक हो गई कि कुछ हमारे विधायक साथी उसको अपने क्षेत्र की तरफ भी ले गये, लेकिन चर्चा अच्छी हुई. मेरा ये निवेदन है, चूंकि चर्चा बहुत व्यापक हुई है इसलिए हमको ये स्वीकार करना पड़ेगा कि नोटबंदी का फैसला आसान नहीं था. आमतौर पर कोई नहीं ले सकता ऐसा फैसला, क्योंकि नोटबंदी के बाद जो परिस्थितियों पैदा होती है, उसका कोई चुनावी गणित गुणा-भाग अगर देखता तो कोई ये फैसला नहीं कर पाता, लेकिन एक फैसला आतंकवाद के खिलाफ, कालेधन के खिलाफ, कालेधन के कारण जो अर्थव्यवस्था पनपी थी उसके खिलाफ, भ्रष्टाचार के खिलाफ लेना था तो ये फैसला लिया, श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी ने और मैं यह कह सकता हूं कि कोई युगपुरुष कर्मनिष्ठ और देशभक्त प्रधानमंत्री ही ऐसा फैसला ले सकता था. (मेजों की थपथपाहट) फैसला सोच समझकर लिया, जानकार लिया, कठिनाई हो सकती है, लेकिन प्रतिपक्ष के मित्र भी कम से कम इस बात से तो सहमत होंगे, जब यूपीए की सरकार थी, तब भी अक्सर हम यह समाचार पढ़ते थे कि यहां फेक करेंसी पकड़ी गई, यहां जाली नोट पकड़े गए, हमारे पड़ौसी राष्ट्रों से बड़ी संख्या में जाली नोट भारत में आ रहे थे, बड़ी संख्या में आ रहे थे और वह केवल नकली नोट चलाने वालों गिरोह का नहीं था जो लगातार हमारे राष्ट्र में नकली मुद्रा भेजकर भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करना चाहते थे.
कालाधन एक कारण था, नरोत्तम जी ने और उसके बाद हमारे मित्र भूपेन्द्र सिंह जी ने उस पर विस्तार से चर्चा की, लेकिन मैं उस गहराई पर नहीं जा रहा हूं, उस पर जाने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री का यह फैसला देश के हित में था, राष्ट्र के हित में था. अब ये बात अनेकों बार कही गई बिना तैयारी के फैसला लिया लिया गया. अब ऐसे फैसले, माननीय अध्यक्ष महोदय, बताकर नहीं किए जा सकते, अगर पहले से सूचित कर देते तो जो उद्देश्य उसके पीछे था, वह उद्देश्य पूरा नहीं होता. अब यहां भी हमारे मित्र भ्रम की स्थिति में थे, अच्छा कहे कि बुरा कहे, लेकिन यह केवल यहां की बात नहीं थी, दिल्ली की भी यही स्थिति थी, समर्थन करें कि विरोध करें, विरोध करने मैदान में उतरे जहां लोग बैंक में लाइन में लगे थे, पैसा निकालने के लिए हमारे कुछ राष्ट्रीय दलों के नेता उन लाइन में लगे लोगों के पास पहुंच गए, वे चाहते थे कि लोग विद्रोह करें, परिस्थितियां बिगड़े और कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा हो, लेकिन जब लाइन में लगे हुए लोगों के पास हमारे ऐसे नेतागण गए तो लोगों ने वहां पर मोदी, मोदी, मोदी के नारे लगाए और कहा कि कष्ट सह लेंगे, तकलीफ सह लेंगे लेकिन ये फैसला देश के हित में है इसलिए हम इस फैसले के साथ खड़े हैं. अब आप माने या न माने मैं गंभीरता से कह रहा हूं, मैं हल्के फुल्के अंदाज में नहीं कह रहा हूं, आप माने या न माने लेकिन देश की जनता यह मानती है कि ये फैसला देश के व्यापक हित में है कम अवधि के लिए नहीं, लंबे समय के लिए यह भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत आगे ले जाएगा. एक साहसी प्रधानमंत्री ने ये फैसला किया है, इसलिए हम इस फैसले का समर्थन करते हैं.(मेजों की थपथपाहट) और आप भी इस भ्रम की स्थिति में न रहे इस फैसले का समर्थन आप में से अनेक मित्रों ने भी किया है और बाद में स्टैण्ड बदला, स्टैण्ड दिल्ली में भी बदला, स्टैण्ड यहां भी बदला कि नहीं नहीं हम नोटबंदी के खिलाफ नहीं है, हम तो नोटबंदी के कारण जो समस्या हो रही है, उसके खिलाफ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस दिक्कत का अंदाजा पहले दिन से भारत के प्रधानमंत्री को था, इसलिए 8 तारीख को जब नोटबंदी का फैसला जनता के बीच में अपने संदेश के माध्यम से ले जा रहे थे, तब उन्होंने जनता से विनम्रता से कहा था, कुछ दिक्कतें हो सकती है, परेशानी हो सकती है, लेकिन देश के लिए आप ये दिक्कत और परेशानी सहन करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है. पचास दिन का समय प्रधानमंत्री जी ने मांगा था, मैं मानता हूं कि थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन आज जिस तरह की चर्चा यहां हुई है, उसमें यह बता दिया गया कि किसान पूरी तरह से बेहाल है, परेशान है और मुख्यमंत्री, मेरी सरकार, मेरे मंत्री सब के सब बस किसान को परेशान करने में लगे हैं, किसान की तकलीफ की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है. हमारे एक मित्र ने कहा कि मुख्यमंत्री कहते हैं, वो भूल गए होंगे, मैं कहता हूं तो शब्दों से नहीं कहता, पूरे मन से, आत्मा से कहता हूं, आज फिर दोहरा रहा हूं कि मध्यप्रदेश मेरा मंदिर है, उसमें रहने वाली जनता मेरा भगवान है और उस जनता का पुजारी शिवराज सिंह चौहान है, ये मेरे लिए शब्द नहीं है, मंत्र है. प्रतिपक्ष में होने के कारण आप स्वीकार करें या न करें, आपकी मर्जी विरोध करने का आपको अधिकार भी हैं, लेकिन हम ऐसे बुरे तो नहीं हैं कि अपने किसान को, अपने प्रदेश की जनता को दर दर की ठोकरे खाने के लिए बाध्य कर दें, ऐसी बातें कही गई कि किसान मर रहा है, किसान परेशान है. मैं याद दिलाना चाहता हूं कि एक युग में किसानों की हालत क्या थी. मुझे यह कहते हुए गर्व है कि प्रदेश की सरकार ने, प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने, सरकार पूरी जनता की है, लेकिन चुनकर भारतीय जनता पार्टी आई, किसानों के हित में जैसे फैसले किये 60 सालों में पहले कभी नहीं किये गये. यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं. 18 प्रतिशत ब्याज को जीरो परसेंट पर ले आना. अब केवल जीरो परसेंट पर नहीं, अब तो हमने फैसला किया है, आपकी जानकारी में है. खाद और बीज का कर्जा अगर एक लाख ले जाओ, तो साल भर बाद 90 हजार दे जाओ. ऐसी सरकार कब थी, मैं यह पूछना चाहता हूं. यहां कई तरह के किसानों और खेती के मामले में आरोप लगाये गये. अभी बात हो रही थी फसल बीमा योजना की. कभी कह दिया कि फसल खराब हो गयी, क्या मिल गया किसानों को. मैं कहना चाहता हूं कि हिन्दुस्तान के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, पिछले साल जब खरीफ, सोयाबीन की फसल खराब हुई और तब मैं भी क्षेत्र में गया था. किसानों के खेतों में गया था. तब भी हमारे कुछ प्रतिपक्ष के मित्रों ने कहा था कि मुख्यमंत्री तो ओला पर्यटन कर रहे हैं. अब किसान के खेतों में जाना ओला पर्यटन करना था, लेकिन वह केवल पर्यटन नहीं था, 4600 करोड़ रुपये की राहत की राशि पहली बार मध्यप्रदेश की सरकार ने किसानों के खातों में भेजने का काम किया. कौन इससे इंकार कर सकता है. 4600 करोड़ रुपया उस समय किसानों के खातों में गया और अब हिन्दुस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना की राशि अगर वितरित होने वाली है, तो 10 तारीख से किसानों के खातों में जायेगी 4400 करोड़ रुपया साढ़े बीस लाख किसानों के खाते में जायेगी. 4600 करोड़ रुपया पहले, 4400 करोड़ रुपया अब. मैं कहना चाहता हूं कि केवल 9 हजार करोड़ रुपया खरीफ, जिसमें सोयाबीन प्रमुख था, उसकी राहत की राशि और बीमा की राशि मिलाकर मध्यप्रदेश के किसानों के खातों में जा रही है. यह कब हुआ, क्या इसके बाद भी हम किसान विरोधी हैं और यह राशि जा रही है. आप जानते हैं कि 2 हजार करोड़ रुपया प्रदेश की सरकार ने अपने खजाने से दिया, 2 हजार करोड़ रुपया केंद्र की सरकार ने दिया. मैं एक नहीं अगर किसानों को दी जाने वाली सुविधाओं पर बोलूंगा, तो यहां शाम हो जायेगी. इतने फैसले प्रदेश की सरकार ने किसानों के हित में किए हैं. अब सिंचाई के सवाल कई जगह उठाये गये हैं. कब सिंचाई ऐसी होती थी, मैं पूछना चाहता हूं. एक जमाना था बांध बन गये थे, लेकिन बांध बनाकर पानी किसानों के खेत तक पहुंच जाये, इसका इंतजाम 20-22 वर्ष तक नहीं किया गया. इन्वेस्ट हो गया, पानी भरा रहा, लेकिन नहरें नहीं बनीं, तो किसान के सूखे खेतों की प्यास नहीं बुझी. यह सरकार जो इस तरफ बैठी है, उन खेतों में जहां 20-22 सालों में पानी नहीं गया था भिण्ड जैसे जिलों में, वहां पानी पहुंचाने का चमत्कार किया है, तो इसी सरकार ने किया है. इसलिये अगर कोई कहता है कि हम किसान विरोधी हैं, पूरे मध्यप्रदेश के अलग अलग हिस्सों में देख लीजिये कि कितनी सिंचाई की योजनाएं पहले बनीं, कितनी अभी बनी हैं. कितनी हम पूरी कर रहे हैं. कितनी लगातार हम स्वीकृत करते जा रहे हैं. अभी अगर मैं पूरे मध्यप्रदेश का विवरण देना शुरु करुं, तो कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां सिंचाई की किसी न किसी योजना पर काम न चल रहा हो, क्योंकि मैं यह मानता हूं कि खेती को अगर लाभ का धंधा बनाना है, तो सिंचाई की क्षमता बढ़ाये बिना काम नहीं चलेगा. किसान को और कुछ मत दो, पानी दे दो बाकी काम किसान अपने आप कर लेगा. इसलिये मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि जहां साढ़े सात लाख हेक्टेर जमीन में सिंचाई होती थी कांग्रेस, राजा, नवाब, अंग्रेज सब की मिलाकर केवल कांग्रेस शासन की बात नहीं कर रहा हूं. साढ़े सात लाख हेक्टेयर राजा, नवाब,अंग्रेज, कांग्रेस सब की थी और अब बढ़ाकर वह हो गयी है कुल मिलाकर 40 लाख हेक्टेयर. यह काम सरकार अगर कर पाई, तो इसलिये कर पाई कि हम किसानों के हित में फैसले करते हैं. बाला बच्चन जी मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं. लेकिन उसके कारण उनके नम्बर नहीं कट जायें, यह मत कह देना. कई बार तो दिक्कत होती है. मेरे एक मित्र कह रहे थे कि मुख्यमंत्री जी हमको बुलाते ही नहीं हैं. मेरे प्रतिपक्ष के अनेकों विधायक साथी जानते हैं कि जब भी कोई मित्र आया हो, मैंने पूरा आदर, सम्मान दिया है और जो काम हो सकता है, मैंने करने की कोशिश की है. यह बात सही है, मैं मुख्यमंत्री हूं, तो पूरे मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री हूं. जब आप आयेंगे, मैं कभी इंकार नहीं करुंगा, जो हो सकता है. जितना सम्मान भारतीय जनता पार्टी के विधायकों का करुंगा, उतना ही सम्मान मैं प्रतिपक्ष के विधायकों का भी करुंगा. लेकिन अगर कोई इतना डर जाये कि मुख्यमंत्री जी के बगल में जाने से हाईकमान की नजरें टेढ़ी हो जायेंगी.लोग कहेंगे कि मुख्यमंत्री से मिल रहा है,गड़बड़ है. क्योंकि वह तो एक ही उद्देश्य उनको लगता है. मुख्यमंत्री की प्रतिमा खंडित करो. आरोप लगाओ. इसलिये कई लोग डर जायें तो मैं क्या करुंगा. आप कभी भी आइये. मैं निश्चित तौर पर इस बात को मानता हूं कि सब के कहने पर जायज जनता के काम हैं, वह होने चाहिये, उसमें हम कोताही भी नहीं बरतेंगे. लेकिन किसानों के मामले में जिस ढंग के आरोप लगाये गये उन आरोपों में सत्यता नहीं है हां यह मैं जरूर मानता हूं कि नोटबंदी के फैसले के बाद कुछ समय तक निश्चित तौर पर तकलीफें आई है, परेशानियां हुई हैं लेकिन उन परेशानियों को दूर करने की गंभीर कोशिश भी की है. किसी मित्र ने यह भी कहा कि भारत सरकार ने रोज फैसले बदले, अरे भाई जैसी परिस्थितियां होती थीं और लगता था कि उस परिस्थिति से निपटने के लिये एक फैसला करना जरूरी है तो वह संवेदनशील सरकार थी , भारत सरकार जिसने अगर जरूरत पड़ी तो फैसले बदले पहले 4,000 रूपये एक्सचेंज करने की बात आई, फिर 24,000 रूपये प्रति सप्ताह निकाल सकते हैं, यह तय हुआ फिर यह हुआ कि किसान 24,000 यह भी निकाल सकता हैं, 25,000 रूपये हर सप्ताह और वह निकाल सकता है तो जब जब जैसी आवश्यकता पड़ी उस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये कई बार फैसले बदलने की कोशिश हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आश्वस्त करता हूं प्रतिपक्ष के मित्रों को भी और सदन के सत्ता पक्ष और बाकी मित्रों को भी कि यह सरकार की प्रतिबद्धता है किसानों का कल्याण. खेती को फायदे का धंधा बनाना है, उस दिशा में हम लगातार प्रयास करेंगे लेकिन कुछ चीजें कहीं गई हैं मैं उसका उत्तर देना चाहता हूं. एक बात यह कही गई कि बोवनी की स्थिति बड़ी खराब है, बोवनी नहीं हो रही है, किसान बुवाई नहीं कर पा रहा है. मैं एक बार फिर माननीय सदन के सामने यह आंकड़े दोहराना चाहता हूं 2016-17 में जो अब तक बोवनी हुई है वह है 95 लाख हेक्टेयर में, इसी अवधि में पिछले साल 2015-16 में बोवनी हुई थी 77.23 लाख हेक्टेयर में. पिछले साल से ज्यादा बोवनी इस साल ज्यादा हो चुकी है अगर आप गेहूं की बोवनी देखेंगे 48 लाख 11 हजार हेक्टेयर में हुई है, पिछले साल 36 लाख 74 हजार हेक्टेयर में हुई थी . चने की बोवनी देखें 31 लाख 65 हजार हेक्टेयर में हुई है. विगत वर्ष इस समय तक 25 लाख 54 हजार हेक्टेयर में हुई थी. सरसों की बोवनी अगर देखें 6 लाख 20 हजार हेक्टेयर में हुई है विगत वर्ष इसी समय तक 4 लाख 68 हजार हेक्टेयर में हुई थी.
माननीय अध्यक्ष जी, मुझे यह कहते हुये प्रसन्नता है कि इस वर्ष मानसून भी अच्छा रहा है और इसलिये 2016-17 में 15 जनवरी तक 115 लाख हेक्टेयर रबी की बोवनी की जायेगी जो अपने आपमें एक रिकार्ड होगा, अपने आपमें इतिहास होगा. इसलिये यह कहना कि किसान बोवनी नहीं कर पा रहा है यह कहना सच नहीं है फिर भी जिन जिन माननीय विधायकों ने अपने अपने क्षेत्र की जो समस्या कही है, कठिनाईयां बताई हैं मैं उन्हें आश्वस्त करता हूं कि आपने जो कहा है उसको गंभीरता से लूंगा . क्षेत्र विशेष में अगर कोई समस्या है तो पूरी सरकार, सरकार से संबंधित हर मंत्री अगर उसके विभाग से संबंधित समस्या है तो उसको हल करने में पूरी गंभीरता से अपनी क्षमता झोंकेगा और मैं भी कोई कसर नहीं छोडूंगा. क्योंकि हम हों या आप हों आखिर जनता की बेहतरी के लिये काम कर रहे हैं, जनता की भलाई के लिये काम कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात आई कि किसान बीज नहीं खरीद पा रहे हैं, बीज की बड़ी समस्या है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि कुल उपलब्धता बीज की इस वर्ष है 22 लाख 22 हजार लाख क्विंटल, आवश्यकता जितनी है वह उपलब्ध है. पर अभी तक जो बीज का वितरण हुआ है, जो बीज किसानों ने उठाया है 16 लाख 32 हजार क्विंटल .पिछले साल इसी अवधि में 10 लाख 24 हजार क्विंटल उठा था इसलिये बीज की मात्रा पर्याप्त है. बीज उपलब्ध है और उसी के कारण यह लगातार बोवनी भी होती जा रही है और रबी की जो फसल है उसका रकबा बढ़ता जा रहा है. खाद की अगर बात करें, किसी मित्र ने कहा खाद के लिये किसान दर दर भटक रहे हैं. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि भण्डारण हमारे पास 20 लाख 23 हजार मैट्रिक टन का है, हमने वर्ष 2015-16 में जो हमारा भण्डारण था उससे ज्यादा भण्डारण है. वर्ष 2016-17 में अब तक 9 लाख 44 हजार मैट्रिक टन खाद वितरित किया जा चुका है पिछले साल इसी अवधि में 8 लाख 62 हजार मैट्रिक टन खाद वितरित हुआ था. अभी बात आ रही थी कि रेट बढ़ रहे हैं तो मैं कहना चाहता हूं कि यह सरकार की नीति का परिणाम है. मैं केन्द्र सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं, प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं डीएपी के जो रेट थे पिछले साल के इस साल के अगर आप रेट देखें तो 165 रूपये प्रति बोरी से ज्यादा कम हुये हैं.और यह 165 रूपये कम हुआ है और एक जमाना था जब डीएपी आता था और यूरिया तो दूसरी जगह अलग अलग फैक्ट्रियों में चला जाता था, नीम कोटेड यूरिया की व्यवस्था करके इसी केन्द्र की सरकार ने मोदी जी के नेतृत्व में इस तरह की कालाबाजारी और गलत उपयोग को पूरी तरह से समाप्त कर दिया और किसानों को 10 प्रतिशत खाद भी कम लगता है. अगर हम किसान विरोधी होते तो खाद की कीमतें कम क्यों होती. नीम कोटेड यूरिया का नया प्रयोग क्यों कर पाते, इसलिये खाद की उपलब्धता को भी बनाकर के रखा गया है.एक बात आई मंडियों की, कि मंडियों में बिक्री नहीं हो रही, किसान का माल आ रहा है और मंडियों में खरीदा नहीं जा रहा है, यह बात सही है कि प्रारंभ में दिक्कतें हुईं थी, तत्काल नोटबंदी के फैसले के बाद ही 9 तारीख को मैंने बैठक बुलाई थी, 9 तारीख की शाम को हमने बैठक की थी, बैठक में सारी परिस्थितियों की समीक्षा की थी और समीक्षा करके यह तय किया था कि हम सुनिश्चित करें कि जनता को दिक्कत और परेशानी न हो, अगर कोई तकलीफ आती है तो उस तकलीफ को कैसे दूर किया जाये और अगर आज की अद्यतन स्थिति आप देखेंगे तो हमनें मंडियों में यह व्यवस्था की, क्योंकि तत्काल कैश उतना नहीं था. कैश के अभाव में चेक से और आरटीजीएस के माध्यम से भी किसानों को पेमेंट किया जाये, इस भुगतान को मान्य किया जाये. यह भुगतान मान्य किया गया और व्यापारी और किसानों ने मिलकर कैशलैस ट्रांजेक्शन भी किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, कई व्यापारियों के पास जब चेकबुक समाप्त हो गई, चेक बचे नहीं थे, तब हमने फिर बैंकर्स के साथ बैठक की और यह व्यवस्था करवाई कि व्यापारी अगर सूची बनाकर भी लिखकर दे देता है कि फलाने किसान को इतना देना है, फलाने किसान से इतना खरीदा, इतना देना है, सूची के आधार पर अगर व्यापारी लिखकर दे देता है कि इतने किसानों का अनाज मैंने खरीदा है और मेरे खाते से निकालकर यह पैसे इन किसानों के खातों में भेज दिया जाये तो इसको भी मान्य किया जाये और बैंकों ने इसको भी मान्य किया और इसलिये थोड़े दिनों के बाद मंडियों में स्थिति सामान्य हो गई. हमने एक तत्काल व्यवस्था यह की थी कि किसान अगर तत्काल अपना अनाज नहीं बेचना चाहता तो मंडी के गोदाम में उसके माल को निशुल्क रखने की व्यवस्था भी की जाये ताकि बाद में वह बेच सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, धान, मक्का, कपास के मिनिमम सपोर्ट प्राइज की भी हमने समीक्षा की कि इसको कैसे हम तेजी से शुरू कर सकते हैं और इसलिये पहले दिन से हम लोगों ने यह कोशिश की कि जनता की विशेषकर किसानों की तकलीफें कम से कम हों. मैं दैनिक मंडी की आवक इस सदन के सामने रखना चाहता हूं, नवम्बर 2016 की अगर बात करें तो यह बात सच है कि पहले-पहले यह आवक कम हुई 3 लाख 17 हजार क्विंटल रह गई जबकि 2015 में 6 लाख 93 हजार क्विंटल थी, लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, आज दिसम्बर की आप बात करें मैं यह कहना चाहता हूं स्थिति सामान्य है, दिसम्बर के महीने में जो रोज की आवक है उसका विवरण मैं आपके सामने रख रहा हूं, 8 लाख 57 हजार क्विंटल अब रोज आ रहा है, पिछले साल 8 लाख 53 हजार क्विंटल आता था और 2 दिसम्बर के मैंने आंकड़े बुलवाये तो 2 दिसम्बर 2016 को 10 लाख 54 हजार क्विंटल आवक मंडी में हुई है तो अब मंडी में भी स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है और जो परिस्थिति पहले थी उन परिस्थितियों को पूरी तरह से ...
श्री यादवेन्द्र सिंह (नागौद)-- एक मिनट आप भाषण रोक दें, मेरा निवेदन है 1000 से 1100 रूपये में किसानों की धान ली जा रही है, 1 हजार में ली जा रही है मेरे सतना जिले में, 13 साल हो गये आपको मुख्यमंत्री बने. दांयी तटवर्ती बरगी नहर का आज तक जहां काम रूका है 13 साल से आगे नहीं बढ़ा.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये आपकी बात आ गई . ...(व्यवधान).... बैठ जाइये आप लोग, कायदा यही है कि जब सदन के नेता खड़े रहें तो हमको बैठना चाहिये.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय-- मुख्यमंत्री जी बैठ जायें तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है. आप बैठ जाइये, यादवेन्द्र सिंह जी बैठ जाइये, आ गई बात आपकी.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- यादवेन्द्र सिंह जी आंकड़े जरा याद रखा करो, आप भूल जाते हो 13 साल थोड़ी हुये हैं अभी 11 साल ही हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यादवेन्द्र सिंह जी कृपया बैठ जायें. बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दोनों तरह के भाषण दे सकता हूं या तो मैं आरोप, प्रत्यारोप का हंसी मजाक में हल्के में तैश में जवाब देकर बात समाप्त कर दूं, वह भी मैं कर सकता हूं, लेकिन दूसरी बात यह है कि तथ्यों के साथ आंकड़ों सहित मैं अपनी बात रखूं, अगर यह भाषण थोड़ा शुष्क और नीरस लग रहा हो तो मैं दूसरे फॉर्म में आ जाता हूं, मुझे कोई दिक्कत नहीं.
श्री रामनिवास रावत-- यह कौन सा फॉर्म है, (XXX).
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दे.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- रावत जी यह तो जनता से पूछिये यह कौन सा फार्मूला है और मैं एक बात और प्रतिपक्ष के मित्रों से कहना चाहता हूं.
श्री रामनिवास रावत-- इसके लिये प्रतिपक्ष को धन्यवाद दो, विपक्ष की वजह से ही हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- और भगवान करे ऐसे ही रहो आप, अगले 13 साल भी ऐसे ही रहो. ... (हंसी)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अब अपनी कमजोरी खुद ही बता रहे हैं माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं क्या करूं.
श्री रामनिवास रावत-- अपनी कमजोरी स्वीकार करेंगे, तभी सुधार होगा.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी आपने 12 नवम्बर को एक आपात बैठक बुलाकर उसमें यह निर्णय लिया था कि मंडियों में बैंकिंग सुविधा शुरू कराई जायेगी दूसरा व्यापारियों को यह कहा था कि एक हजार रुपये वाले चेक भी तैयार रखे जायें तो ये दोनों चीजें नहीं हुई हैं.
श्री जितू पटवारी - माननीय अध्यक्ष होदय, आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने बहुत अच्छी बातें कहीं. ऐसा कह रहे हैं जैसे इससे अच्छी खुशहाली तो हो ही नहीं हो सकती.इतनी ज्यादा आपने आवक तारीखवार बताई है तो किसान को उसके उत्पादन का जितना मूल्य मिलना था उसके भी आंकड़े आप बता दें तो मेहरबानी होगी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, एक आंकड़ा जरूर बता दें माननीय मुख्यमंत्री जी आपने कहा कि बोवनी का क्षेत्र बहुत बढ़ा है..
अध्यक्ष महोदय - नहीं लिखा जायेगा. आप बैठ जायें तिवारी जी. यह प्रश्नकाल है क्या.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी आप बैठ जायें.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, तिवारी जी महान विद्वान हैं. अब वे मुझसे पूछ रहे हैं कि बोवनी तो बढ़ गई लेकिन जनसंख्या कितनी बढ़ गई ये भी बताओ. यह कौन से फार्मूले से होगा कि जनसंख्या बढ़े तो जमीन भी तन कर बढ़ जाये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान - तिवारी जी जैसे विद्वान महापुरुष को मैं प्रणाम करता हूं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी बैठ जाओ आप. आप क्या बोल रहे हो क्या कर रहे हो कुछ समझा तो करो.
श्री शिवराज सिंह चौहान -माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि प्रदेश में एक भी आत्महत्या हो वह दुखद है लेकिन जब हम आत्महत्या को राजनीति का विषय बनाते हैं और हर चीज को जोड़कर देखते हैं कि इस कारण हुआ. कांग्रेस के जमाने के आंकड़े उठा लीजिये कितनी आत्महत्याएं होती थीं. सारे विद्वान मित्र यहां बैठे हैं कितने किसान आत्महत्या करते थे. मैं यह दावे के साथ कहता हूं कि किसानों की आत्महत्याएं जब श्रीमान दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री थे तब बहुत ज्यादा होती थीं यह तथ्य हैं और वह खेती के कारण नहीं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
(..व्यवधान..)
राज्यमंत्री,सामान्य प्रशासन(श्री लालसिंह आर्य)- कांग्रेस की सरकार में बैतूल में जिन किसानों को मारा गया था यह भी मध्यप्रदेश का किसान भूला नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - उन्हीं किसानों की आह ने उनको भगा दिया और यही किसानों की आह आपको भी भगा देगी.
श्री शिवराज सिंह चौहान - यह आह किसी के कहने से नहीं लगती. यह सच्चाई क्या है उसके आधार पर आप फैसला कीजिये. मैं दावे के साथ दृढ़तापूर्वक कह रहा हूं कि भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश सरकार ने किसानों के कल्याण के जो काम किये हैं कभी कांग्रेस ने सोचे भी नहीं करने की बात तो अलग है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप तिवारी जी, कहां से कहां पहुंच जाते हो. आप तो कुछ भी उठाकर बोल देते हो.विषय क्या चल रहा है बोलते कुछ भी हैं आप. न तो समय का ध्यान न अवसर का न विषय का ध्यान रखते हैं.
श्री रामनिवास रावत - 73 हजार करोड़ रुपये का कर्ज आप माफ करेंगे ?
(..व्यवधान..)
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, अब कर्जे की स्थिति के बारे में कई बार हमारे...
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष जी, मेरा निवेदन है कि सही आंकड़े दे दें कि कितने किसानों ने...
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- यह फिर से गलत परम्परा शुरु कर रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, तिवारी जी की इस बात की जांच तो होना चाहिए कि वे बार बार खड़े क्यों होते हैं. अगर चर्चा गंभीरता से करना चाहे, जैसा मैंने पहले ही कहा था, फिर तथ्यों के साथ बात करें और चर्चा इसी दिशा में ले जाना है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--माननीय मुख्यमंत्री जी, मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि तिवारी की बात का जवाब देना कोई आवश्यक नहीं है. अपनी बात रखें.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश में बैंकों की स्थिति का भी जिक्र करना चाहूंगा. कुल मिलाकर 8 नवम्बर से 30 नवम्बर तक नोटबंदी की घोषणा के बाद बैंक में कुल 26 हजार करोड़ रुपये जमा किए गए और इसके बदले में 13 हजार करोड़ रुपये की नकदी भी उपलब्ध करवायी गई. यह बात सही है कि शुरु में दिक्कतें और परेशानी थीं. प्रदेश में 9 हजार 700 एटीएम हैं. मैं इस सदन के माध्यम से जनता के बीच भी अपनी बात रख रहा हूं. उन एटीएम में से 97 प्रतिशत आज कार्यरत् हैं. आप जाएंगे तो उनमें से पैसा आपको मिलेगा. अब नए नोट भी मिल रहे हैं. पहले थोड़ी सी दिक्कत हुई लेकिन केन्द्र सरकार ने त्वरित कार्यवाही करके, उन दिक्कतों को समाप्त किया है. अध्यक्ष महोदय, 9 हजार 600 बिजनेस कॉरस्पेंडेंट (बीसी) इस समय कार्यरत हैं इसलिए जो प्रारंभिक दिक्कत थी, उससे अब प्रदेश उबर रहा है. रिमोट एरियाज़ में भी अब ठीक ढ़ग से व्यवस्था होने की कोशिश हो रही है. वित्त मंत्री जी की अध्यक्षता में हमने टास्क फोर्स बनायी है. उसकी नियमित बैठकें हो रही है. आरबीआई के साथ, बैंकों के साथ मिल कर हम लगातार चर्चा कर रहे हैं. मैं इसके पहले लगातार कई बैठकें कर चुका हूं. आज मैं फिर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा करुंगा. हमारी पहले दिन से यह चिन्ता थी कि जनता की दिक्कतें, तकलीफ और परेशानी कम हो. परेशानी कम करने के लिए हमने कई कदम लगातार उठाएं हैं. हमने नीतिगत कदम भी उठाएं हैं. इसलिए जो प्रारंभिक दिक्कतें थीं, वह दिक्कतें अब धीरे-धीरे कम हो रही है और स्थिति लगातार सामान्य होती चली जा रही है.
अध्यक्ष महोदय, एक बात यह भी आयी कि जनधन खाते में पता नहीं कौन कौन पैसा जमा कर गया. अब जो काला धन जमा कर गए, यह बात आयी कि उसकी जांच होना चाहिए, बिलकुल जांच होना चाहिए और मैं दावे के साथ कहता हूं जांच होगी और अगर किसी ने काला धन जमा किया है तो वह मोदी जी की सरकार में बचेगा नहीं. नहीं बचेगा.
श्री बाला बच्चन-- माननीय मुख्यमंत्री जी, काले धन की परिभाषा क्या है?
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, अब ये तो और भी विद्वान निकले कि काले धन की परिभाषा बताओ. (हंसी)
श्री बाला बच्चन-- माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने पूरा विषयान्तर कर दिया है. हमने काले धन को और नोटबंदी पर मेरा जो स्थगन था वह तो है ही नहीं. आपने पूरा विषयान्तर कर दिया. नोटबंदी अलग विषय है. हमने किसानों को जो दिक्कतें आ रही हैं वह हमने उठाया है. आपने नोटबंदी, काला धन पर ले आये.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, ये प्रारंभ से एक ही बात कह रहे हैं. पहले तो यह मेरा,मेरा कहने की जगह प्रतिपक्ष के नेता के नाते हमारा कहें. दूसरा आपने यहां से नाम पढ़े हैं. उसमें अकेले इनका नाम नहीं पढ़ा. आपने आधा दर्जन से अधिक नाम पढ़े हैं. और आधा दर्जन से अधिक नाम आसंदी के पास हैं जिनमें वह सारे विषय हैं जिन विषयों पर माननीय मुख्यमंत्री जी चर्चा कर रहे हैं. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत-- हमारा इसमें कोई विषय नहीं है. देख लें. मेरा पास भी है.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- आरिफ भाई की सूचना उठाओ. उसमें यह विषय है या नहीं? आप आरिफ भाई वाली सूचना को पढ़ें.(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत-- लेकिन आसंदी से भाई बाला बच्चन जी की सूचना पढ़ी गई. यह विषय बाला बच्चन ने दिया उससे संबंधित है.(व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र-- जो पढ़ा गया वह भी आप सुन लें. वह टेबल हो गया है और वह पूरा प्रदेश देखेगा.
श्री रामनिवास रावत-- यह संसदीय कार्य मंत्री की मर्जी से नहीं चलेगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- आपकी मर्जी से भी नहीं चलेगा. जो पढ़ा गया वह भी देख लें. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - जो पढ़ा गया, वही चलेगा, जिसमें आसंदी चर्चा कराना चाहती है, वही चलेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदय ने उसको क्लेरिफाई भी किया.
अध्यक्ष महोदय - मैं आपकी इस बात से सहमत नहीं हूं रावत जी कि जो पढ़ा गया वही पढ़ा जाता है, सबसे सुसंगत.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - समर्थन मूल्य कितना बढ़ा है, इतना ही हम लोग सुनना चाहते हैं, किसानों का लाभ हो जाय.
अध्यक्ष महोदय - सुसंगत और स्पष्ट पढ़ा जाता है. माननीय सदस्यों ने जो विषय दिये हैं स्थगन प्रस्ताव में इसमें नोटबंदी का स्पष्ट उल्लेख है, उसमें यह सारे विषय उठाए गए हैं. अलग-अलग सदस्यों ने अलग-अलग विषय उठाए, इसके अलावा जिनके नाम आपके दल से आए थे, उन्होंने भी बहुत से विषय यहां उठाए, इसीलिए उनमें से यदि कुछ लिखित में नहीं भी होंगे तो यहां उठाएंगे और वह नाम आपके दल ने ही दिये थे, इसलिए उनके भी यदि उत्तर दिये जा रहे हैं तो वह समसामयिक हैं. अब इस पर वाद-विवाद नहीं होगा, माननीय मुख्यमंत्री बोलेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान - (श्री कमलेश्वर पटेल, सदस्य के अपने आसन से खड़े होकर बोलने पर) अब नहीं.
अध्यक्ष महोदय - अब नहीं, यह वाद-विवाद नहीं है. नॉट एट ऑल. आप कृपया बैठ जाइए. आपका कुछ लिखा नहीं जाएगा. आप बैठ जाइए. आप क्या कह रहे हैं वह सुनाई ही नहीं पढ़ रहा है. आपका बोलने का कोई मतलब ही नहीं है. (व्यवधान)..(श्री कमलेश्वर पटेल, सदस्य के अपने आसन से लगातार बोलते रहने पर) आपका भी टाइम वेस्ट कर रहे हैं और सदन का भी कर रहे हैं. यह प्रश्नकाल नहीं है, एक मिनट भी नहीं, आधा मिनट भी नहीं. इस तरह से आप इंटरफियर नहीं कर सकते. पटेल साहब, आप बैठ जाइए. आपने कुछ लिखकर नहीं दिया था. तिवारी जी आप भी बैठ जाइए. तिवारी जी कृपा करके आप बैठ जाओ.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, मेरे स्थगन पर चर्चा हो रही है और मेरा स्थगन जो आपने पढ़ा, उसमें बिल्कुल भी यह नोटबंदी वाला विषय नहीं है. यह सरकार विषयांतर कर रही है और माननीय मुख्यमंत्री जी ..
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, यह बहिर्गमन की दिशा में बढ़ रहे हैं. मुझे ऐसा लग रहा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - किसानों को समर्थन मूल्य कितना देंगे?
3.13 बजे गर्भ गृह में प्रवेश एवं बहिर्गमन
श्री बाला बच्चन, प्रभारी नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर गर्भ गृह में प्रवेश एवं बहिर्गमन
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - माननीय मुख्यमंत्री जी के जवाब से हम संतुष्ट नहीं हैं, हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(श्री बाला बच्चन, प्रभारी नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर गर्भगृह में आए और नारेबाजी करने लगे एवं कुछ देर पश्चात् सदन से बहिर्गमन किया गया.)
स्थगन प्रस्ताव (क्रमशः)
नोटबंदी किये जाने से प्रदेश में उत्पन्न स्थिति
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) - अध्यक्ष महोदय, ऐसा दयनीय विपक्ष कभी नहीं देखा, जो चर्चा करके भगे और हंगामा मचाए. पूरा प्रदेश यह देख रहा है कि ये पलायनवादी हैं, जनता की समस्याओं से इनका कोई लेना-देना नहीं है, केवल हंगामा खड़ा करते हैं. पूरा प्रदेश आज देख रहा है. ऐसा दयनीय विपक्ष मैंने आज तक नहीं देखा. अध्यक्ष महोदय, सच सुनने का साहस प्रतिपक्ष में नहीं है, इसलिए हंगामा कर रहे हैं मैं प्रतिपक्ष के इस व्यवहार की निंदा करता हूं, चर्चा नहीं करना चाहते, चर्चा करके भगना चाहते हैं.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि विपक्ष के इस व्यवहार की पूरा सदन निंदा करता है.
(व्यवधान)..
श्री सुंदरलाल तिवारी- मुख्यमंत्री जी आप किसानों की फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाईये और सदन में घोषणा कीजिये.
श्री जितू पटवारी- सदन को भाषण नहीं, समर्थन मूल्य चाहिए.
(व्यवधान........)
श्री शिवराज सिंह चौहान- उनको जाने दीजिये. फिर हमारी बात रिकॉर्ड में आ जायेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़े दुख के साथ कहता हूं कि मैं पूरी गंभीरता से प्रतिपक्ष के माननीय सदस्यों द्वारा उठाये हुए हर मुद्दे का उत्तर दे रहा था. क्योंकि मैं इस चर्चा को सार्थक बनाना चाहता था. मेरे मन में यह भाव था कि प्रतिपक्ष के विधायक मित्रों ने भी अगर जनता की कुछ समस्यायें रखी हैं तो मैं उसका भी जवाब दूं और यदि कहीं कोई कदम उठाने की जरूरत है तो कदम भी उठाऊं. परंतु मैंने ऐसा दयनीय विपक्ष कहीं नहीं देखा है. जो चर्चा करके मुद्दे उठाये और सदन छोड़ के भाग जाए. (मेजों की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष महोदय, आज कांग्रेस के सदस्यों ने सदन का अपमान किया है, चर्चा करके भाग जाना, आरोप लगाना, मुद्दे उठाना और जवाब सुने बिना भाग जाना, यह सदन का अपमान है. लोकतंत्र का और इसके साथ ही ये मध्यप्रदेश की जनता का भी अपमान है. यह मैं ऑन रिकॉर्ड कहना चाहता हूं. यह कोई बात नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री सदन में बैठकर लगातार घंटों सुने, एक-एक चीज लिखे कि कौन सा विधायक क्या कह रहा है और इसके बाद बिना जवाब सुने, बिना तथ्यों के आधार पर विपक्ष सदन में कुछ भी मांग करने लगे. ये लोग कुछ भी मांग कर रहे हैं फिर कहते हैं इसे पूरी करो, सदन में घोषणा करो, फलाना ऐलान करो. ऐसा होता है क्या ? प्रतिपक्ष की यह स्थिति लोकतंत्र के लिए सही नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं ऐसी बात कभी नहीं कहता हूं. लेकिन मैं आज की इस घटना के कारण आहत हूं और प्रतिपक्ष की निंदा करता हूं. जिस प्रकार का व्यवहार प्रतिपक्ष ने किया है, यह निश्चित तौर पर अत्यंत लज्जाजनक है. मैं कालेधन की स्थिति बता रहा था. उनका कहना है कि कालाधन जमा हुआ है. अगर किसी ने जमा किया है तो उस पर कार्यवाही होगी. मैं आपके माध्यम से सदन और जनता के सामने मध्यप्रदेश के आंकड़े रखना चाहता हूं. प्रदेश में जन-धन योजना के विभिन्न बैंकों में 2 करोड़ 23 लाख खाते हैं. नोटबंदी के पहले इन खातों में 2 हजार करोड़ रूपये जमा थे और 30 नवंबर तक इनमें 3 हजार करोड़ रूपये जमा हुए हैं. लगभग 1 हजार करोड़ रूपये नोटबंदी के बाद जन-धन खातों में जमा हुए हैं. यदि खातों के औसत से निकालें तो 500 रूपये प्रति जन-धन खाते जमा हुए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, गरीब के पास 500 रूपये तो होंगे ही. ये हमारा राज है. गरीब के पास पैसा ज्यादा आया है. उसकी क्रय शक्ति बढ़ी है. अब गरीब इतना विपन्न नहीं रहा है. मैं दावे के साथ कहता हूं कि गरीब आज 1 रूपया किलो चावल, गेहूं और नमक के कारण चैन की जिंदगी जी रहा है. गरीब भी सरकार की बनाई योजनाओं के कारण मकान में रहने की स्थिति में पहुंचा है. इलाज की व्यवस्था हो या बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम, ये सरकार सब कुछ बेहतर ढंग से करने का प्रयास कर रही है. जहां कहीं थोड़ा बहुत कालाधन जमा हुआ होगा तो उस पर कार्यवाही की जायेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रतिपक्ष समर्थन मूल्य की बात कर रहा था. मैं बताना चाहता हूं कि भारत सरकार ने धान का समर्थन मूल्य इसी साल 60 रूपये बढ़ाया है. मक्के का 40 रूपया, बाजरे का 55 रूपया और ज्वार का 55 रूपया समर्थन मूल्य इसी साल बढ़ाया है. जहां तक समर्थन मूल्य पर खरीदी की बात है, मैं दावे के साथ कहता हूं कि कुछ फसलों में चाहे वह मक्का हो या धान हो, अगर समर्थन मूल्य के नीचे कहीं भाव गये हैं, तो हम समर्थन मूल्य पर खरीदी कर रहे हैं. मैं आपके माध्यम से मध्यप्रदेश के किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनकी फसल के एक-एक दाने की खरीदी समर्थन मूल्य पर यह सरकार करेगी. किसानों को हम रास्ते पर नहीं छोड़ेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन कई फसलें ऐसी हैं, जिनके मूल्य समर्थन मूल्य से काफी अधिक हैं. वे फसलें बाजार में बिक रही हैं. इसलिए इस बारे में प्रतिपक्ष का कुछ भी कहना गलत है. मनरेगा की बात शायद नेता प्रतिपक्ष ने ही उठाई थी कि मनरेगा में काम नहीं मिल रहा है. आज की तारीख में 4 लाख 7 हजार श्रमिक मनरेगा के अंतर्गत कार्यरत हैं. 10 नवंबर के बाद अब तक 43 करोड़ 81 लाख रूपये का भुगतान इन श्रमिकों को हुआ है. इस दिशा में भी सरकार पूरी गंभीरता के साथ काम कर रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय मैं और भी सब मुद्दों का उत्तर दे सकता हूं. लेकिन मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि यह जो फैसला है यह राष्ट्र के हित में किया गया है.प्रधानमंत्री स्वप्नदर्शी प्रधानमंत्री हैं, प्रधानमंत्री दूरदृष्टा प्रधानमंत्री हैं, प्रधानमंत्री युग दृष्टा प्रधानमंत्री हैं . यह कदम प्रधानमंत्री जी ने इसलिए उठाया कि कालेधन की अर्थव्यवस्था समाप्त हो, और अब केवल नोटबंदी का फैसला नहीं है, नोटबंदी के बाद में कैशलेस व्यवस्था की तरफ ले जाना चाहते हैं. अगर कालेधन की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करना है तो जेब में अब रूपया लेकर घूमने की आवश्यकता नहीं है, वह युग चला गया कि नोटो के बिना लेन देन के काम नहीं चलता था. एक जमाना था जब वस्तु विनिमय की प्रणाली भारत में थी, फिर रूपयों के लेन देन की बात आयी और आज जब कैशलेस की बात करते हैं तो कई बार प्रतिपक्ष के मित्र कहते हैं कि कैसे होगा.
अध्यक्ष महोदय, एक जमाना जब मोबाइल फोन की कोई कल्पना नहीं करता था कि हर एक हाथ में मोबाइल फोन होगा . मुझे अच्छी तरह से याद है जब देश में पहले पहले मोबाइल फोन आये थे तो हमारे स्वर्गीय नेता प्रमोद महाजन जी ने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना शुरू किया था तब उन पर आरोप लगे थे कि फाइव स्टार कल्चर है. ये मैन टू मैन कांटेक्ट की जगह मोबाइल फोन पर जा रहे हैं. लेकिन उस समय किसने सोचा था कि मजदूरी करने वाला, दैनिक मजदूरी करने वाला मजदूर भी मोबाइल फोन रखेगा और सेल्फी खींचने का काम करेगा. वह सपना आज साकार हो गया है हर हाथ में आज मोबाइल फोन है. मैं यह दावे के साथ कहता हूं कि प्रधानमंत्री जी के प्रयत्नों के कारण जिसमें हम सब सहभागी होंगे यह कैशलेस ट्रांजेक्शन का सपना भी साकार होगा, पहले लेस कैश होगा, मतलब जितना जरूरत है सब्जी भाजी खरीदने केलिए, उतना जेब में पैसा हो. अब डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड अब केवल यह ही नहीं , मोबाइल के बारे में प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि मोबाइल को बटुआ बना लो. मोबाइल से भी हम पेमेण्ट कर सकते हैं आज यह सपना लगता है. लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार तीनों काम कर रही है. एक माइंड सेट बदलने के लिए प्रशिक्षण का कार्यक्रम व्यापक पैमाने पर प्रारम्भ करेगी. मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि 8 तारीख को कैसे कैशलेस ट्रांजेक्शन हो इसकेलिए माननीय विधायको को विधान सभा में प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम रखा गया है. कैशलेस ट्रांजेक्शन कैसे करें यह सीखेंगे और इसके बाद में जनता को सिखायेंगे, व्यापारियों के बीच में भी हम जा रहे हैं, आज ही मैं एक वीडियो कांफ्रेंस कर रहा हूं, हर जिले में अभियान चलेगा कि कैशलेस ट्रांजेक्शन क्यों, क्योंकि परमानेंट कालेधन की अर्थव्यवस्था को समाप्त करना है. यही तरीका है नोटों के लेन देन में ही कालाधन जमा होता है. अगर एकाउण्ट टू एकाउण्ट आन लाइन भुगतान होगा तो आन रिकार्ड सब चीजें होंगी, हमारे व्यापारी भाई बेइमान हैं ऐसा हमारा कहना नहीं है वह भी ईमानदारी से व्यापार करना चाहते हैं. कर का जो दायरा है वह बढ़ेगा, कैशलेस ट्रांजेक्शन जब होंगे तो सब चीजें रिकार्ड पर आयेंगे उसके कारण सरकारों को भी ज्यादा कर मिलेगा, ज्यादा कर मिलेगा तो जो इंफ्रास्ट्रक्चर के काम हैं उनमें हम ज्यादा पैसा लगायेंगे, ज्यादा पैसा वहां लगेगा तो रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे और आज भी जो पैसा जमा हो रहा है मेरे मित्रों ने कहा वह बता चुके हैं कि उस पैसे का उपयोग भी गरीबों के कल्याण में और देश और प्रदेश के विकास में किया जायेगा, कैशलेस ट्रांजेक्शन की तरफ बढ़ाने केलिए एक तो ट्रेनिंग और दूसरा व्यवस्थाएं खड़ी करना, माइंड सेट बनाना इसकी कोशिश हम कर रहे हैं, कैसे प्वाइंट आफ सेल मशीन ज्यादा से ज्यादा व्यापारी भाइयों के पास में आये इसकी हम कोशिश करेंगे, उनको हम टैक्स मुक्त करने का काम करेंगे, और मोबाइल से कैसे हम पेमेंट कर सकते हैं इसकी ट्रेनिंग हम व्यापक पैमाने पर जनता को भी देने का काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, अगर हमें डिजिटल इंडिया का सपना साकार करना है तो मोबाइल क्रांति के बाद में यह जरूरी है कि हम इस व्यवस्था की तरफ बढ़ें और हर गरीब के खाते खुल गये हैं अभी भी हम अभियान चला रहे हैं कोई रह गया है तो उसको ढूंढ ढूंढकर खाता खोल रहे हैं बिना खाते के किसी गरीब को न रहने दें, यह व्यवस्था आने वाले समय गरीब के हित में भी है, यह कालेधन की अर्थव्यवस्था को भी समाप्त करेगी, आतंकवाद की रीढ़ पर चोट करेगी और कुल मिलाकर देश बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा. तात्कालिक रूप से हमें उस समय कुछ कठिनाइयां हमें अवश्य दिखाई दी होंगी लेकिन अब स्थिति सामान्य हो रही है, देश तेजी से आगे बढ़ रहा है, भारत बदल रहा है, भारत बढ़ रहा है, मोदी जी के नेतृत्व में और मेरा विश्वास है कि आने वाला समय यह केवल मैं ही नहीं कह रहा हूं जो बड़े विद्वान हैं इस क्षेत्र के तात्कालिक रूप से कुछ स्लो डाऊन आ सकता है लेकिन मध्यप्रदेश में तो अब वह भी समाप्त हो रहा है.
अभी मैं आंकड़े ले रहा था वित्तमंत्री जी यहां पर बैठे हैं. मध्यप्रदेश में कामर्शियल टैक्स में 24 प्रतिशत की वृद्धि और रजिस्ट्रेशन में 9 प्रतिशत की वृद्धि नवम्बर में दर्ज की गई है. यह आशंका की थी कि यह कम होगी लेकिन अब यह धीरे धीरे व्यापार अपने रंग में आ रहा है. देश को आगे बढ़ाने के लिए जो प्रयास प्रधानमंत्री जी ने किये हैं और कैशलेस ट्रांजेक्शन की तरफ जिस तेजी के साथ हम बढने का प्रयास करेंगे निश्चित तौर परभारत को विकास के एक नये युग में यह फैसले ले जायेंगे. मुझे वह दिन दूर नहीं लगता जब भारत दुनिया के सरताज राष्ट्रों में से एक होगा. वैसे भी हमारे प्रधानमंत्री पर्सन आफ द ईयर हो गये हैं डोनाल्ड ट्रम्प पीछे रह गये हैं और बराक ओबामा साहब पीछ रह गये हैं और यह ऐसे ही नहीं होता है कोई बात तो होगी जो मोदी जी को वहां तक ले जा रही है. मोदी जी इस देश को आगे ले जायेंगे. भारत आगे बढ़ेगा मध्यप्रदेश आगे बढ़ेगा., देश की जनता की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, मैं सचमुच में कहता हूं कि सचमुच में भारत खुद तो बदलेगा ही भौतिकता की अग्नि में दग्ध विश्व मानवता को भी शाश्वत शांति के पथ का दिगदर्शन करायेगा और इसलिए ऐसे फैसलों के लिए हम प्रधानमंत्री जो को धन्यवाद देते हैं, उनके साथ खड़े हैं, उनका समर्थन करते हैं, छोटी मोटी तकलीफें हम दूर करते हुए लगातार आगे बढ़ेंगे. बहुत बहुत धन्यवाद्.
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही अपराह्न 04.45 बजे तक के लिए स्थगित.
( 03.26 बजे से 04.45 बजे तक अंतराल )
4.50 बजे विधानसभा पुन: समवेत हुई.
{उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
नियम 267-क के अधीन विषय
4.51 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश अधोसंरचना विनिधान निधि बोर्ड का 15वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
(2) मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड का 41वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-
2015
(3) (क) मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स डेव्लपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 30वां वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2013-2014, तथा
(ख) राजस्व विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ-12-2-2014-सात-2ए, दिनांक 20 अक्टूबर,
2016
(4) ऊर्जा विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ-3-02-2011-तेरह, दिनांक 05 अगस्त, 2016
(5) नानाजी देशमुख चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक लेखा प्रतिवेदन वर्ष
2014-2015 एवं 2015-2016
(6) एम.पी.स्टेट एग्रो इण्डस्ट्रीज डेव्लपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 46वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं
लेखे वर्ष 2014-2015
4.54 बजे ध्यानाकर्षण
(1) मध्यप्रदेश पश्चिम मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा विद्युत ट्रांसफार्मर क्षमता में वृद्धि हेतु सहयोग योजना के नाम पर कृषकों से वसूली किया जाना.
श्री कैलाश चावला (मनासा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है:-
ऊर्जा मंत्री (श्री पारस चंद्र जैन) --
श्री कैलाश चावला--- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में जितनी बातें कही हैं उसमें से आधे से ज्यादा तो ध्यानाकर्षण से संबंधित नहीं है. जो ध्यानाकर्षण मैंने उठाया है उसमें मात्र दो बिंदु है कि 16 नवंबर को पश्चिमी क्षेत्र सीएमडी ने एक आदेश जारी किया जिसमें सहयोग योजना के नाम क्षमतावृद्धि के लिए किसानों से पैसा वसूल करने के निर्देश दिये गये. इसी प्रकार दूसरा बिंदु उसमें यह था कि किसान संभागीय कार्यालय से अपना ट्रांसफार्मर लेकर जाएगा वहाँ का जला हुआ ट्रांसफार्मर भी लाएगा और वह लाइनमेन के निर्देशन में लाइट बंद करवाकर, बिजली सप्लाई बंद करवाकर ट्रांसफार्मर चढ़ाएगा और अगर कोई दुर्घटना घटती है तो उसके लिए भी जवाबदार किसान स्वयं होगा.तीसरी बात यह है कि यह प्रायोगिक तौर पर जो कहा जा रहा है, इसमें शासन का अनुमोदन भी सीएमडी ने प्राप्त नहीं किया और एक कंपनी ने केवल प्रायोगिक किया. अगर सभी कंपनियाँ एक साथ करती तो बात समझ में आती कि एक प्रयोग के तौर पर हमने किया. एक कंपनी में दूसरी नीति,दूसरी कंपनी में दूसरी नीति. यह व्यवहारिक कैसे हो सकता है. इसलिए मेरा निवेदन यह है कि एक तो सभी सीएमडी को निर्देश दिये जाना चाहिए. क्या मंत्री जी इसमें निर्देश देंगे कि इस प्रकार की कोई योजना अगर बनाई जाती है तो उसमें एकरूपता हो और शासन का अनुमोदन पहले प्राप्त किया जाये. इसके बाद में अगला प्रश्न करूंगा.
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पहले तो यह जो लागू किया था उसको वापस ले लिया है जैसे आपने कंपनियों के लिए बात की तो उसके लिए हम आदेशित करेंगे कि कोई भी कंपनी इस प्रकार करे तो पहले शासन से आदेश प्राप्त करें.
उपाध्यक्ष महोदय-- पूर्व में अनुमोदन ले लें शासन से.
श्री कैलाश चावला-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,एक रूपता के लिए यह आदेश सभी कंपनियों को जाना चाहिए कि इस तरीके का प्रयोग करने से पहले वह शासन से अनुमोदन कराये, जो इसमें नहीं कराया गया, यह गंभीर त्रुटि हुई है और इससे मैं मानता हूं कि शासन की छवि भी खराब हुई है. अगर एक क्षेत्र में आपने 70 ट्रांसफार्मरों का प्राक्कलन बनाया है और उसमें पैसा लिया है और दूसरे क्षेत्र में नहीं लिया है तो यह भेदभावपूर्ण है.
उपाध्यक्ष महोदय-- इसमें शासन ने अनुमोदन नहीं दिया है इसलिए उन्होंने निरस्त कर दिया है.
श्री कैलाश चावला-- मेरा निवेदन है कि उन्होंने बिना अनुमोदन के पैसा वसूल कर लिया है, यह मंत्री जी ने स्वीकार भी किया है और दूसरी कंपनियों ने ऐसा नहीं किया. दो क्षेत्रों में अलग-अलग बात होती है तो यह शासन की छवि खराब करने वाली बात है. माननीय मुख्यमंत्री जी जब किसानों को पर्याप्त बिजली देने की बात कर रहे हैं तो इस तरीके का हर्डल पैदा करना यह उचित नहीं है इसके लिए मंत्री जी समुचित निर्देश दें. दूसरा मेरा निवेदन यह भी है कि किसानों के लिए तो आपने नियम बना दिया कि वह अपना ट्रांसफार्मर जल गया तो लेकर आएगा और वापस ले जाकर के उसको लगाएगा. पर क्या शहरी क्षेत्र के लिये कंपनी ने यह नियम लागू किया था. शहरी क्षेत्र के लिए यह नियम लागू नहीं किया था. इसका मतलब यह है कि आप शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में भी भेदभाव करना चाहते हैं, यह कैसे संभव है. माननीय मंत्री जी आप इस बारे में गंभीरता से विचार करें कि ऐसे बिना विवेकपूर्ण निर्णय यदि हमारे अधिकारी करते हैं और शासन की छवि खराब होती है तो उनको कड़े निर्देश दिये जाने चाहिए कि वह इस तरीके की कार्यवाही न करें. मेरा आखिरी सवाल यह है कि जिन लोगों से पैसा वसूल कर लिया गया, चूंकि आपने इसको लागू न करने का निर्णय कर लिया इसके लिए तो मैं आपको और विभाग को धन्यवाद देता हूं परन्तु उनके पैसे वापस लौटाने के निर्देश आप देंगे क्या.
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसे ही हमारे संज्ञान में आया इसको हमने वापस लिया. लेकिन सदस्य ने यह पूछा है कि ऐसे 70 स्थानों में क्षमता वृद्धि की स्वीकृति की गई थी, 15 लाख 45 हजार रुपये प्राप्त हुए हैं, यह राशि किसानों को वापिस दी जाएगी क्योंकि यह किसानों की सरकार है आज सुबह भी किसानों की ही बात हो रही थी. मुख्यमंत्री जी भी चाहते हैं कि किसानों को राहत मिले. मैं आदरणीय सदस्य को धन्यवाद देता हूं कि इतना अच्छा मुद्दा आपने उठाया है और सदस्य की मंशानुसार सरकार भी पूरी तरह से सहमत है. उपाध्यक्ष महोदय—एक और चीज उन्होंने पूछी है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में भेदभाव क्यों किया है
श्री पारस चन्द्र जैन-- उपाध्यक्ष महोदय, भेजना तो हमको ही चाहिए लेकिन कभी कभी ऐसा होता है कि ग्रामीण क्षेत्र में किसान जल्दी आकर ले जाता है. इसका हम पूरा ध्यान रखेंगे और आपने जो कहा है हम उसका पालन करवाएंगे कि हमारे ही कर्मचारी लोग वहां भेजें.
उपाध्यक्ष महोदय— अपने किसान जागरुक हैं.
श्री कैलाश चावला—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बिजली कंपनी के पास इतने साधन ही नहीं हैं कि वह ट्रांसफार्मर लेकर आए, साधन बढ़ाए जाने चाहिए. ताकि किसान को ट्रांसफार्मर उसके मौके पर पहुंचाकर दिया जाए. परंतु होता यही है कि जब ट्रांसफार्मर उपलब्ध हैं गाड़ी उपलब्ध नहीं हैं तो मजबूर होकर किसान अपना ट्रेक्टर लेकर आता है. जला हुआ ट्रांसफार्मर लेकर आता है. उस दिन उसको कहते हैं कि ट्रांसफार्मर नहीं है. फिर वह अपना ट्रेक्टर खाली लेकर जाता है फिर तीसरे दिन फिर आता है. इस प्रकार किसान को कम से कम एक ट्रांसफार्मर बदलने के लिए ट्रांसफार्मर का किराया 4, 5 हजार रुपए भरना पड़ता है यह स्थिति ठीक की जानी चाहिए, ऐसा मेरा मंत्री जी को सुझाव है.
उपाध्यक्ष महोदय—शासकीय वाहन उपलब्ध रहे.
श्री पारस चन्द्र जैन—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो सदस्य ने बात कही है कि हम भेजने की व्यवस्था और एक सर्कुलर और निकाल देंगे कि उसका पालन किया जाए.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) – यह जो पूरी परिस्थितियां उत्पन्न हो रही हैं इसकी भूमिका में भी जाना पड़ेगा.
उपाध्यक्ष महोदय – निराकरण हो गया है समस्या का.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—मैं एक मिनट में अपनी बात समाप्त कर दूंगा पिछले आठ महीने से कितने क्षमता वृद्धि के ट्रांसफार्मर रोके हुए हैं क्षमता वृद्धि न करके उनके सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर की रिकमेन्डेशन के बाद सी.एम.डी.कार्यालय ने रोके हुए हैं पहली बात सी.एम.डी. कार्यालय ने वह उन पर क्या एक्शन लेंगे, वह आठ महीने से परेशान हैं. दूसरा विषय जितने भी डी.पी. पर ट्रांसफार्मर पर ओव्हरलोड हैं, आव्हरलोड जे.ई. की मर्जी और लाइनमेन की स्वीकृति के बिना हो ही नहीं सकता है पिछली बार माननीय मंत्री जी जब दौरे पर आए थे जावद तो उनके सामने भी कई किसानों ने यह बात रखी थी, उनके सामने यह बात आई थी लेकिन आज यहां से कुछ निर्देश दें कि अगर कोई ओव्हरलोड ट्रांसफार्मर है तो उस जगह का जूनियर इंजीनियर उसके लिए जिम्मेदार होगा और उसके ऊपर क्या अतिरिक्त कार्यवाही करेंगे. अगर कोई भी लोड है और किसान को कनेक्शन समय पर मिलना चाहिए और अगर वह ओव्हरलोड है तो उसकी क्षमता वृद्धि सीजन के पहले करना अनिवार्य होना चाहिए क्योंकि कन्ज्यूमर फोरम में जाएगा किसान तो एक नई दिक्क्त होगी और उसकी समय सीमा भी तय होना चाहिए.
श्री पारस चन्द्र जैन—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैने जवाब में भी बताया था कि 4110 वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि आंकलित की गई थी. जिसमें से 2852 ट्रांसफार्मर क्षमता वृद्धि का कार्य पूरा किया गया. बाकी है वह भी अतिशीघ्र कर रहे हैं हम और जितना जिस प्रकार सदस्य ने पूछा है यदि डी.पी. के ट्रांसफार्मर की वृद्धि है तो उसको तुरंत काम कराने का हम आदेशित करेंगे यदि कोई दोषी होगा तो हम उस विचार करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय—आपका क्लेरिफिकेशन हो गया है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—कितने दिन में ओव्हरलोड ट्रांसफार्मर पर क्षमता वृद्धि कर दी जाएगी उसकी सीमा तय कर दें क्योंकि उस समय सीमा में उतनी हो जाए.
उपाध्यक्ष महोदय—मंत्री जी आप कोई समय सीमा देना चाहेंगे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- सबसे महत्वपूर्ण बात वही है.
श्री पारस चन्द्र जैन—जल्दी से जल्दी.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—डिपार्टमेंट भी उतना बड़ा है और कर्मचारी भी उतने ही हैं. कर्मचारियों की कोई कमी नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय—मंत्री जी ने कहा है अतिशीघ्र कर देंगे. समय सीमा बताना संभव नहीं होगा.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—फसल निकलने के बाद क्या फायदा.
उपाध्यक्ष महोदय—वह भी किसान हितैषी हैं, सरकार किसान हितैषी है. ऐसा कैसे होगा कि जल्दी नहीं करेंगे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—हमने मंत्री जी के सामने सब किसानों को खड़ा कर दिया था और उस दिन तय किया था उनके आदेश के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई.
उपाध्यक्ष महोदय—बात संज्ञान में आ गई है शीघ्र कर देंगे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा – जब फसल चली जाएगी फिर क्या बात है.
श्री पारस चन्द्र जैन—उपाध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण के माध्यम से जो पूछा था वह मैंने बताया भी उसमें हमने 2822 ट्रांसफार्मर क्षमता वृद्धि की है. समय तो लगता है लेकिन फिर भी हम चाहेंगे जो हमारे सदस्य ने बात उठाई है कि हम जल्दी से जल्दी कोई भी फसल आती है उसके पहले हम सर्वे करवा लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी वे ट्रांसफार्मर विशेष की बात कर रहे हैं जहां आप दौरे पर गए थे वहां यह बात आपके संज्ञान में लाई गई थी.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--उपाध्यक्ष महोदय, वहां पर किसानों द्वारा 20-25 ट्रांसफार्मरों की सूची दी गई थी.
उपाध्यक्ष महोदय--मंत्री जी ने कहा है कि शीघ्र कर देंगे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--दूसरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है कि जिस जगह जो भी ओव्हरलोड ट्रांसफार्मर हैं उनकी तुरंत सूचना देने की जिम्मेदारी लाइनमेन व जेई की होना चाहिए यह काम विभाग का होना चाहिए न कि किसान का अभी तक किसानों को परेशान कर रहे हैं यह बात उस दिन भी आई थी.
उपाध्यक्ष महोदय--आपका प्रश्न आ गया.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--उपाध्यक्ष महोदय, लेकिन उसका उत्तर नहीं आया है.
उपाध्यक्ष महोदय--जहां ओव्हरलोडेड ट्रांसफार्मर होंगे वहां लाइनमैन और जेई सूचना देंगे.
श्री पारस चन्द्र जैन--जहां ओव्हरलोडेड ट्रांसफार्मर हैं वह आंकड़ा भी मैंने बताया है और इनसे कहा है कि यदि कहीं होगा तो हम करेंगे ना, हम कहां मना कर रहे हैं. मैं इनके क्षेत्र में गया था. विभागीय मंत्री होने के कारण मैंने कहा था कि विधायक जी आप सबको बुलाओ हम लाइट की समस्या के बारे में बात करेंगे. मैंने वहां बात भी की है और वहां की समस्या का हमने निराकरण भी किया है.
उपाध्यक्ष महोदय--बहुत साधारण बात उन्होंने पूछी है कि जहां ओव्हरलोडेड ट्रांसफार्मर होंगे उसकी सूचना देना किसान का नहीं बल्कि जेई और लाइनमेन का काम होगा. इसमें आपको कोई दिक्कत नहीं होना चाहिए.
श्री पारस चन्द्र जैन--उपाध्यक्ष महोदय, यह बिलकुल लाइनमेन और जेई का ही काम है. वे हमको सूचना देंगे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--यदि कोई लाइनमेन या जेई आगे एक महीने में दोषी पाया गया तो, इसकी सूचना तो करवा दें. यदि दोषी पाया गया तो क्या भविष्य में जेई पर कार्यवाही होगी ? मैं एक महीने बाद की बात कर रहा हूँ आज की बात नहीं कर रहा हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी तैयार है इसके लिए.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- इस पर मंत्री जी ने सहमति नहीं दी है, प्लीज इस पर सहमति दिलवा दीजिए. माननीय मंत्री जी ने बहुत सहृदयता से वहां आकर हमारी मदद की लेकिन नीचे वाले फॉलो करने को तैयार नहीं हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से हाथ जोड़कर निवेदन है कि सदन में घोषणा कर दें कि अगर एक महीने की समय सीमा में सभी रिपोर्ट नहीं हुए तो उसके लिए जेई पर कार्यवाही होगी. बस मैं इतना ही चाहता हूं.
श्री पारस चन्द्र जैन--मैं आपकी बात से सहमत हूँ यदि जेई और लाइनमेन ने सूचना नहीं दी तो उसको बदलने का हमारा काम है नहीं बदलेंगे तो हम उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय चावला जी को धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा कुएं और विद्युत पंप के कनेक्शन नीमच और मंदसौर जिले में हैं. इसी हाउस में ऊर्जा विभाग जब माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी के पास था. तब मेरा प्रश्न था, ध्यान आकर्षण था तब यह बात सामने आई थी कि कंपनियां किसानों के खेतों से विद्युत के ट्रांसफार्मरों को लाने का परिवहन नहीं कराएंगी यह कंपनियों की जवाबदारी होगी. लेकिन अमूमन यह देखा जाता है कि ट्रेक्टर ट्राली और पिक-अप गाड़ियों से किसान अपने खेतों से ट्रांसफार्मर ले जाने का काम करते हैं. मैं यहां तक कह रहा हूँ कि कंपनियां उन ट्रांसफार्मरों को सुधारने के बाद बिल प्रस्तुत करती हैं कि प्रायवेट ठेकेदार ने इन ट्रांसफार्मरों को लाकर स्थापित किया है और रिपेयरिंग कराई है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा इस विषय पर. किसान एक उपभोक्ता है. कंपनी का ट्रांसफार्मर यदि जलता है खराब होता है तो दायित्व कंपनियों का बनता है.
उपाध्यक्ष महोदय--यह बात मंत्री जी ने कह दी है वे इसके लिए आदेश जारी करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--उपाध्यक्ष महोदय, आदेश पूर्व में भी सदन में जारी हुए हैं. आदरणीय राजेन्द्र शुक्ल जी ने आश्वस्त किया था और घोषणा की थी लेकिन पालन नहीं होता है इसका सख्ती से पालन कराया जाना चाहिए.
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सख्ती से पालन कराएंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--उपाध्यक्ष महोदय, जितने किसान उन ट्रांसफार्मरों को लेकर आ रहे हैं क्या ऐसी व्यवस्था माननीय मंत्री जी कर देंगे कि उनका और आपका जो परिवहन है उसमें कितना अंतर आ रहा है किसान लेकर आ रहा है ट्रांसफार्मर ट्रेक्टर ट्रालियों में आ रहा है और आप कह रहे हैं कि दिखवा लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय--भविष्य में नहीं होगा ऐसा मंत्री जी कह रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--उपाध्यक्ष महोदय, पहले भी व्यवस्था आई है लेकिन ढाक के तीन पात.
उपाध्यक्ष महोदय--एक बार और देख लीजिए नये मंत्री हैं नया अंदाज देख लीजिए.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--उपाध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहते हुए यह तय हो जाना चाहिए कि कितने किसान उसको ला रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ.)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से एक निवेदन करना चाहता हूँ कि आपने एक पत्र विधायकों को लिखा था व आदेश जारी किया था कि यदि एक ट्रांसफार्मर पर 40 प्रतिशत से ज्यादा पैसा बकाया है तो वह ट्रांसफार्मर बंद कर दिया जाएगा और उससे बिजली सप्लाई नहीं होगी. या 70 प्रतिशत कंज्यूमर पेमेंट दे रहे हैं तो वह ट्रांसफार्मर चलेगा, नहीं तो नहीं चलेगा. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्रीजी से कहना है कि जो आनेस्ट कन्जूमर्स हैं जो निरंतर पैसा दे रहें तो वह भी उससे प्रभावित हो रहे हैं और वह भी अंधेरे में रहे हैं और हर महीने निरंतर पैसा देते चले जा रहें है, तो उनकी क्या गलती है. उनको क्यों सजा मिल रही है,क्या आप इन नियमों में कोई संशोधन करेंगे कि जो आनेस्ट कन्यूमर्स हैं वह उससे प्रभावित न हों और उनको बिजली मिल सके. यह हमारा आपसे आग्रह है.
उपाध्यक्ष महोदय :- इनका कहना है कि बाकी उपभोक्ता जो बिल दे रहे हैं.
श्री पारसचन्द्र जैन :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने तीन अमेण्डमेंट किये हैं. पहले पचास प्रतिशत पर ट्रांसफार्मर मिलता था उसको अब हमने चालीस प्रतिशत पर किया है, किसानों की चिन्ता को देखते हुए. फिर हमने यह भी किया है यदि कोई व्यक्ति ऐसा है कि जो तीन साल से गांव छोड़कर चला गया तो वह भी हम ट्रांसफार्मर लेस करेंगे और तीसरा यह कि यदि कोई मर गया तो उसको भी ट्रांसफार्मर लेस करेंगे. इतनी सुविधा हमारी सरकार दे रही है. अब इनका कहना है कि यदि ऐसा है तो हम कहते हैं कि यदि पैसा है तो ही काम चलेगा. आपने यह कहा है कि जो आदमी पैसा भर रहा है और यदि उसका कनेक्शन है तो हम चाहेंगे कि उसको तक तकलीफ न हो.
श्री सुन्दरलाल तिवारी :- मंत्री जी, मेरा कहना है कि जो ऑनेस्ट कंज्यूमर्स हैं उनके लिये आप क्या करेंगे ?
उपाध्यक्ष्ा महोदय :- आप सुन लीजिये, मंत्रीजी ने बताया है कि इतनी सुविधाएं उन्होंने दी हैं, बाकी जो कंज्यूमर्स हैं, पैसे नहीं दे रहे हैं. 40 प्रतिशत की श्रेणी में लाने के लिये आपका भी कुछ काम है. आप भी लोगों को प्रोत्साहित करिये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी :- मंत्री जी, मेरा कहना है कि जो अंधेरे में रह रहे हैं, क्या आप उनके लिये कुछ योजना बनायेंगे ? आपने इमानदार को भी चोर बना दिया है. वह पैसा भी दे रहे हैं.
श्री लाल सिंह आर्य :- तिवारी जी,आपके समय में तो बिल में करंट आता था.
डॉ राजेन्द्र कुमार पाण्डेय :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं दो बातों पर आपका ध्यान आकर्षित करूंगा. रीडिंग नहीं ली जाती है और बिना रीडिंग के बिल आ जाते हैं. उसका दिखवाया जाये. यदि 20 कंज्यूमर्स हैं और उनमें से 17-18 लोगों ने पैसा जमा करा दिया, शेष 2 या 3 बचते हैं तो उनके कनेक्शन ऑफ करके शेष 17 को लाभ दिया जाना चाहिये. उनको विद्युत की सप्लाई की जाना चाहिये और यह किया जा सकता है.
श्री पारसचन्द्र जैन :- माननीय उपाध्यक्ष जी, तीन दिन पहले हमने एक सलाहकार समिति बनायी है.
(2) विदिशा जिले के विकास खण्ड गंजबसौदा एवं ग्यारसपुर अंतर्गत अनेक विद्यालयों में पहुंच मार्ग न बनाये जाने से उत्पन्न स्थिति
श्री निशंक कुमार जैन :- (अनुपस्थित) .
5.18 बजे
अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 67-रामपुर बघेलान से निर्वाचित सदस्य, श्री हर्ष सिंह को विधान सभा से दिसम्बर, 2016 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा.
5.19 बजे
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) याचिका समिति का अभ्यावेदनों से संबंधित षष्ट्म प्रतिवेदन
श्री शंकरलाल तिवारी( सभापति):- मैं याचिका समिति का अभ्यावेदनों से संबंधित षष्टम् प्रतिवेदन करता हूं.
(2) महिलाओं एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति का प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदन
सुश्री उषा ठाकुर(सभापति)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं महिलाओं एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति का प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदन(चतुर्दश विधान सभा) पटल पर रखती हूं.
5.21 बजे वर्ष 2016-2017 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन
वित्तमंत्री (श्री जयंत मलैया)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के निर्देशानुसार वर्ष 2016-2017 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--मैं इस द्वितीय अनुपूरक अनुमान पर चर्चा और मतदान के लिये दिनांक 8 दिसम्बर 2016 को 2 घंटे का समय नियत करता हूं.
5.22 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
उपाध्यक्ष महोदय--आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
5.22 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 24 सन् 2016
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाये.
5.23 बजे {माननीय सभापति (श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल) पीठासीन हुए.
(मेजों की थपथपाहट)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)--माननीय सभापति महोदय, सभी का अभिवादन स्वीकार नहीं कर रहे हैं.
सभापति महोदय--सभी का धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी--सभापति महोदय, आपको बहुत बहुत बधाई हो.
श्री कमलेश्वर पटेल--सभापति महोदय, आसन्दी ग्रहण करने पर आपको बधाई.
सभापति महोदय--सभी का धन्यवाद.
सभापति महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाये.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)--माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2016 के संबंध में आपके माध्यम से मंत्री जी एवं सरकार को यह कहना है कि जब हाईकोर्ट ने अपने आदेश दिनांक 4 दिसम्बर, 2000 में रियायती करार को "संकर्म संविदा" के अंतर्गत नहीं माना तो सरकार को यह संशोधन विधेयक लाने की क्या जरूरत पड़ गई. हाईकोर्ट ने ही इसको नहीं माना. तो क्या यह हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना नहीं है, उनकी भावनाओं के खिलाफ नहीं है ? क्या जरूरत पड़ गई संशोधन विधेयक की माननीय मंत्री जी आप जब बोलें तो आप इसको स्पष्ट करें और आपने इसमें यह भी किया है कि "संकर्म संविदा" में सेवाओं का विस्तार करते हुए इसमें भाड़े पर ली गईं सेवाएं भी शामिल कर ली गई हैं. हाईकोर्ट ने इसको निरस्त कर दिया. दूसरा आगे यह भी किया है कि "संकर्म संविदा" में सेवाओं का भी विस्तार करते हुए भाड़े पर ली गईं सेवाएं भी शामिल कर ली हैं और राज्य की बगैर सहायता वाले विभाग भी शामिल कर लिये गये हैं, जबकि मेरे हिसाब से यह आना होना नहीं चाहिये था और इस संशोधन विेधेयक की आवश्यकता भी नहीं थी. जब सरकार सहकारिता में ट्रिब्यूनल के पदों को नहीं भर पा रही है. तो सरकार उसको नहीं कर पा रही है तो जब हाईकोर्ट शासन को इस बारे में आदेश जारी कर चुका है तो फिर ऐसा क्यों किया है. माननीय मंत्री जी, जब आप बोलें तो इसको स्पष्ट करें और अपने उत्तर में इस बात को बताएं तब तो मैं समझता हूँ कि यह संशोधन विधेयक लाने की सार्थकता होगी अन्यथा इसका कोई मतलब नहीं होगा. धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) – माननीय सभापति महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष ने माननीय मंत्री जी से ही कोर्ट, न्याय से संबंधित मामलों को लेकर अपनी बात कही है. मैं स्वयं चाहूँगा कि माननीय मंत्री जी उसका कुछ स्पष्टीकरण दे दें.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) – सभापति महोदय, मैं केवल 2 मिनट बोलूँगा. आपको बहुत-बहुत बधाई. अभी माध्यस्थम् अधिकरण का जो संशोधन यहां पर प्रस्तावित किया है. मैं इस संशोधन का समर्थन करता हूँ. हाईकोर्ट ने मना नहीं किया है. जो प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत हुआ था, उस प्रकरण में चूँकि ये सेवाएं माध्यस्थम् अधिकरण के अंतर्गत शामिल नहीं थीं, इसके कारण से उस प्रकरण में इसको मान्य नहीं किया तो स्वाभाविक प्रक्रिया है कि अधिनियम में बहुत अधिक सेवाओं को जोड़े जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है. इसके कारण इस माध्यस्थम् अधिकरण के अंतर्गत, जो प्रावधान हैं, उसका लाभ सबको प्राप्त हो सके, इसी को दृष्टिगत रखते हुए यह संशोधन प्रस्तावित किया गया है और इस संशोधन में ऐसी सभी सेवाओं को जोड़ने का प्रयास किया गया है, जो शासकीय न भी हों लेकिन लोगों की दृष्टि से जो लोग सेवाओं में लगे हुए हैं, उनमें टोल टैक्स एवं अन्य बहुत सारी सेवाएं हैं, जो माध्यस्थम् अधिकरण के अंतर्गत शामिल नहीं थीं, इसको व्यापक बनाने एवं विस्तार देने की दृष्टि से सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से यह संशोधन लाया गया है. मैं इसका समर्थन करता हूँ. धन्यवाद.
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह) - सभापति महोदय, यह जो मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक 2016 हम लाये हैं. इसको बहुत सोच-समझ कर विचार कर लाये हैं. माननीय हमारे साथी जो कह रहे थे कि माननीय न्यायालय में पहले यह शामिल नहीं था लेकिन सरकार की सुविधा की दृष्टि से समय पर निर्णय हो और पहले कई योजनाएं चलती नहीं थीं. नये नियम बनें, हम उस हिसाब से इसको लाये हैं और इसलिए हम इसमें रियायती करार को संशोधन करके शामिल कर रहे हैं.
सभापति महोदय, सरकार की स्पष्ट मंशा है कि समय पर काम हो और निराकरण हो और जो पक्षकार हैं. कई लोग सड़क बना रहे हैं, उनका भी समय पर निराकरण हो, निर्णय हो और इसलिए हम इसमें आंशिक संशोधन कर रहे हैं. सन् 1983 में जो व्यवस्था थी, हम उसमें दो लाईनें बढ़ाकर, इसमें रियायती करार को भी शामिल कर रहे हैं. इसमें सरकार की मूल भावना यह है कि समय पर निराकरण हो और पक्षकार को इधर-उधर न भटकना पड़े, इसलिए हम यह महत्वपूर्ण संशोधन लाये हैं. इसमें माननीय न्यायालय का सम्मान ही है, कोई ऐसी बात नहीं है. इसका आपने जो अध्ययन किया है, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) – माननीय सभापति महोदय, 4 दिसम्बर 2013 का हाईकोर्ट का यह आदेश है जिसमें रियायती करार को संकर्म संविदा के अंतर्गत नहीं माना है, तो मैंने मंत्री जी जानना चाहा कि क्या हाईकोर्ट की अवमानना नहीं होगी. यह तो हाईकोर्ट का आदेश है कि यह रियायती करार जिसके लिए आप संशोधन विधेयक लाए हैं इसको संकर्म संविदा के अंतर्गत इसको जो शामिल कर रहे हैं, हाईकोर्ट तो पहले ही कह चुका है.
अध्यक्षीय घोषणा
5:30 बजे सदन के समय में वृद्धि विषयक
सभापति महोदय - आज की कार्यसूची का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए, मैं समझता हूं, सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति व्यक्त की गई)
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह) - स्पष्ट है, आप अध्ययन कर लें, सरकार ने एक निर्णय लिया है, इसको आप देख लें, पहले ये शामिल नहीं था, इसलिए माननीय न्यायालय ने कहा, पहले ये योजना चलती नहीं थी कई योजनाएं मध्यप्रदेश सरकार ने चलाई है. टोल से वसूली कर रहे हैं, ठेकेदार आ रहे हैं, उनका निराकरण के लिए हमने सहजता के लिए ये नियम हम उसमें शामिल कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन - तो क्या सरकार हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करेंगी.
श्री रामपाल सिंह - हम तो अक्षरश: पालन करेंगे.
श्री बाला बच्चन - हाईकोर्ट का उसमें तो आर्डर है.
श्री रामपाल सिंह - आदेश सही है, जब नहीं था, अब इसमें हम उसको आर्डर को जोड़ रहे हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी - हम है सरकार में बच्चन जी, इसलिए जोड़ रहे हैं.
सभापति महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
सभापति महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खंड 2 इस विधेयक का अंग बने,
खंड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खंड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खंड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री रामपाल सिंह - माननीय सभापति महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
सभापति महोदय - प्रस्ताव हुआ कि मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2016
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) - मैं प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
सभापति महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
श्री बाला बच्चन - माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश संशोधन विधेयक 2016 के संबंध में मेरा कहना है कि ये विधेयक जनता के अधिकारों का हनन करने वाला विधेयक है, क्योंकि इसमें जिन धाराओं के अंतर्गत भू अर्जन से संबंधित कार्यवाही होती थी, उन धाराओं को ही विलोपित करने का इस विधेयक में आपने प्रस्ताव रखा है, धारा 5 और 6 को, जो धारा (5) और (6) आपत्तियों व सुझावों के लिये गठित कमेटी पर थी, उसका आप इस संशोधन के माध्यम से लोप करने जा रहे हैं. भू-अर्जन कार्यवाही इन धाराओं से ही होती थी. मैं समझता हूं कि मंत्री महोदय यह गलत होगा और जहां तक मेरी जानकारी में है कि जो कालोनी डेवलेपर है ,जो गरीब तबके के लिये, गरीब जनता के लिये 10 से 15 प्रतिशत तक की जो जमीन का हिस्सा गरीब लोगों के लिये रखते थे, और कलेक्टर के मुताबिक उसका निराकरण और निर्धारण होता था वह भी अब समाप्त हो जायेगा, अब कलेक्टर का रोल खत्म हो जायेगा और जो कालोनी डेवलेपर है वह अपने हिसाब से लिस्ट कलेक्टर को देगा और कलेक्टर से वह मनवायेगा इससे जो 10 से 15 प्रतिशत का गरीबों का हिस्सा है वह उनको नहीं मिल पायेगा, और इस संशोधन के बाद में प्रदेश का गरीब तबका उस सुविधा से वंचित हो जायेगा. मंत्री जी, आपको इस पर विचार करना चाहिये क्योंकि यह संशोधन विधेयक तो वैसा ही होगा जैसे कि गरीब जनता की आवाज को दबा देना और पूरी छूट इस संशोधन के माध्यम से हम कालोनी डेवलपर को देने जा रहे हैं. कालोनी डेवलपर और बिल्डर मनमानी करेंगे और 10 से 15 प्रतिशत का जो हिस्सा गरीबों का मिलना चाहिये वह उनको नहीं मिलेगा, उनको परेशानी होगी. इसलिये मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि इस पर आप एक बार और विचार कर लें . मैं समझता हूं कि इस संशोधन को सरकार सोच समझकर के लाती और गरीबों को वंचित करने से बचा सकेंगी तो मैं समझता हूं कि बेहतर होगा नहीं तो बड़े लोगों को फायदा पहुंचाने के लिये और कालोनी डेवलपर और बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिये लाया गया संशोधन विधेयक होगा, उन्हीं लोगों को इसका लाभ होगा तो आप इस पर एक बार फिर से विचार कर लें, यह मेरा आपसे आग्रह है.
डॉ. मोहन यादव(उज्जैन-दक्षिण) -- माननीय सभापति महोदय, बड़े आश्चर्य की बात है कि नेता प्रतिपक्ष ने जो बात रखी है , मुझे लगता है कि इस संशोधन को उन्होंने ठीक से पढ़ा नहीं है. यह संशोधन बहुत अच्छा है. दूरगामी दृष्टि से शहर के विकास के लिये प्रदेश भर के लिये एक नई सौगात लेकर के आने वाला यह संशोधन है. जिसके माध्यम से हम अपने प्रत्येक मास्टर प्लान का ठीक से प्रकाशन के साथ ही उसका विकास करने के लिये एक नया रास्ता देने का प्रयास करेंगे. बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जो गरीबों के हित की बात हो सकती है नेता प्रतिपक्ष उसमें भी अपनी भावना पता नहीं वह किस कारण से बता नहीं पा रहे हैं या उन्होंने संशोधन विधेयक पढ़ा नहीं. अगर आपने संशोधन विधेयक को देखेगें, तो आप पायेंगे कि धारा 50 की उप धारा (5) और (6) के विलोपन के साथ ही अभी तक जो अधिनियम 1973 था जिस बात को लेकर के मैं इस संशोधन विधेयक का समर्थन कर रहा हूं मध्यप्रदेश ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 जिसमें धारा 50 की उप धारा (5) और (6) के लिये जो कमेटी गठित थी वह मात्र मूल्यांकन कमेटी थी जो कि भूमि का मूल्यांकन करती थी, कीमत का निर्धारण करती थी. कीमत निर्धारण मामले में पुराने अनुभव यह कहते हैं कि आज तक उन कमेटियों ने कभी कीमत का निर्धारण नहीं किया. मूलत: उन्होंने किसानों के साथ सदैव अहित ही किया है. दूसरी बात जब योजना का प्रकाशन होता है उस योजना के प्रकाशन के साथ ही उस शहर की दिशा तय होती है कि अगला विकास किस प्रकार से होगा, कहां पर स्टेडियम बनेगा, कहां पर कामर्शियल मार्केट बनेगा, कहां पर कालोनियां बनेंगी, कहां पर बगीचे बनेंगे और इनको विकास करने के लिये मास्टर प्लान में कोई एग्जीक्यूशन एजेंसी नहीं होती थी. आमतौर पर एग्जीक्यूशन के लिये विकास प्राधिकरण ही उसमें मजबूत सशक्त निकाय है और ऐसे में विकास प्राधिकरण को सशक्त करने की अत्यंत आवश्यकता है. मैं समझता हूं कि जिस प्रकार से स्कीमों को लागू किया जाता है .इसमें जो एक विसंगति खड़ी हुई थी उस विसंगति को इस संशोधन के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया गया है. धारा 38 के माध्यम से यह जो हमारे जोनल प्लान निकलते हैं, जिन जोनल प्लान का एग्जीक्यूशन स्थानीय निकाय करते हैं वह नगरीय निकाय, नगर निगम, नगर पालिका हो सकती है . इनकी कन्ट्रोवर्सी को बचाने के लिये यह संशोधन लाया गया है ताकि प्राधिकरण अपने ढंग से उस मास्टर प्लान का प्रकाशन जो उन्होंने किया था उसका एग्जीक्यूशन कर सके कहां पर बायपास निकालना है या किसी प्रकार का विकास करना है, मैं समझता हूं कि जिस ढंग से उन्होंने प्लान किया है , यह बात भी सही है कि प्राधिकरण के पास भी खुद का बोर्ड होता है और प्राधिकरण अगर एग्जीक्यूशन की कार्यवाही करता है तो भूमि अधिनियम के अंतर्गत इसमें यह प्रावधान भी है कि जो हमारे अपने लैंड एग्जीक्यूशन एक्ट के अंतर्गत जो किसानों को छूट दी गई है वो शहरी मूल्य के हिसाब से दो गुना या ग्रामीण के हिसाब से चार गुना जिस ढंग से चाहे और एक और जानकारी देना चाहेंगे कि इसमें कहीं पर भी यह बाध्यता नहीं है कि किसान को जमीन देना ही पडेगी लेकिन चूंकि मास्टर प्लान का प्रकाशन शहर नहीं प्रदेश के लिये भी आवश्यक है और किसी भी शहर की सु-व्यवस्था के लिये विकास की अत्यंत आवश्यक अवधारणा होती है और उसको पूरा करने के लिये यह अत्यंत आवश्यक है. मुझे लगता है कि जिस ढंग से यह संशोधन किया गया है न केवल यह शहर के लिये आवश्यक होगा बल्कि इसमें ही इस बात को परिलक्षित किया गया है कि गरीब वर्ग के लिये भी जो भूखंड देना है या भवन बनाकर के देना है या जो अभी अर्बन डेवलेपमेंट स्कीम के अंतर्गत काम करना है. सभी की जमीनें इसके बाद ही मिलेगी, मुझे लगता है कि यह अत्यंत आवश्यक संशोधन है और निश्चित रूप से मैं इसका समर्थन करता हूं, उम्मीद करता हूं कि संशोधन पारित होने के साथ ही हमारे प्रत्येक प्राधिकरण के दरमियान या साडा के अंतर्गत होने वाले विकास के कामों को ठीक ढंग से बढ़ावा मिलेगा. मैं अपनी ओर से एक बार फिर मंत्री जी को धन्यवाद देते हुये इस विधेयक का समर्थन करता हूं. धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन-- माननीय यादव जी यह बात तो मैंने बोली है कि बड़े लोगों को फायदा पहुंचाने वाला संशोधन विधेयक जो वीकर सेक्शन है जिनको 10 से 15 प्रतिशत उस जमीन का हिस्सा जो मिलना चाहिये, मैंने इसलिये अपनी चिंता जाहिर की कि उन लोगों को मिलना चाहिये, क्योंकि कॉलोनी डेव्हलपर जो कलेक्टर के अंडर में होता था तो कलेक्टर इसका पालन करवाते थे, अब कलेक्टर को कॉलोनी डेव्हलपर बतायेगा तो वह भी अधिकार उनका वंचित हो जायेगा.
श्री मोहन यादव-- बच्चन जी, इसमें मैं आपका संशोधन की तरफ ध्यान दिला दूंगा, जो बात आपने कही वह है नहीं, आपकी जानकारी के लिये बता दूं ईडब्ल्यूएस सेक्टर के जो हमारे अभी तक दो-दो साल के तीन-तीन साल के हैं उसका निवर्तन नहीं हो पाया तो इससे कैसे उसका निवर्तन होगा. यह अपने समझने की जरूरत है कि जिनका जो हक है, उस हक को दिलाने के लिये अगर प्राधिकरण बीच में आता है तो एक शासकीय निकाय होने के कारण से उसकी गारंटी ज्यादा अच्छी है, बजाय प्राइवेट सेक्टर में जाने के, तो निश्चित रूप से मुझे लगता है कि यह बहुत ही जनोपयोगी प्रस्ताव है जिस पर हमको इस अधिनियम के पारित होने के साथ शहर को और बाकी सभी लोगों को लाभ मिलेगा.
श्री सुंदरलाल तिवारी (गुढ़)-- माननीय सभापति जी आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से मैं निवेदन करना चाहता हूं और सभी मंत्रियों से यह निवेदन करना चाहता हूं.
सभापति महोदय-- आप विषय पर रहेंगे तो मुझे अच्छा लगेगा.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- मैं विषय से बाहर कभी जाता ही नहीं.
सभापति महोदय-- सभी मंत्रियों पर कहां आ गये आप.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- सभापति जी, हम बता रहे हैं, आप उसको सुने तो अगली लाइन. ये जो संशोधन एक्ट कल पुर:स्थापित किया गया है और आज इस पर बहस हो रही है और पास होने की सामने बात आ गई. मेरा कहना है कि कुछ ऐसे गंभीर कानून रहते हैं जो सदन में प्रस्तुत किये जाते हैं, जिनको हमको देखना पड़ता है, विधायकों को समझना पड़ता है, किताबों को कंसर्न करना पड़ता है, लोगों से बातचीत करना पड़ता है क्योंकि यह पूरे राज्य में लागू होगा, किसी एक व्यक्ति की बात नहीं है, तो आपने जादू की तरह कल पेश किया और आज पास करने के लिये बात करने लगे. अब सारे विधायकों के पास लायब्रेरी तो है नहीं कि घर में लायब्रेरी है तो हम उसे जल्दी खोलकर देख लें. तो मेरा यह कहना है कि जो गंभीर संशोधन आते हैं और जिस पर पूरे राज्य के लोग इफेक्ट होते हैं उनमें थोड़ा सा समय देना चाहिये जिससे हम विधिवत तैयारी करके और मंत्री का और सरकार का सहयोग कर सकें और उनका ध्यान आकर्षित कर सकें कि इसमें यह त्रुटि हो रही है और इसमें यह संशोधन होना चाहिये, एक नया संशोधन होना चाहिये. मेरा आपके माध्यम से यह निवेदन है सभी मंत्रियों से और अध्यक्ष महोदय यहां नहीं है, उनसे भी मेरा यही निवेदन है.
सभापति महोदय-- ठीक है, आपकी बात आ गई, अब संशोधन पर कुछ बोल दें.
श्री मोहन यादव-- सभापति महोदय, इनको जानकारी नहीं है.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- हां हो सकता है जैसा वह कह रहे हैं मैं अज्ञानी आदमी हूं, स्वीकार कर रहा हूं. ...(हंसी)... मैं अज्ञानी हूं फिर इसीलिये कह रहा हूं. यह विधायिका है, हम विधायक बनकर आये हैं और (XXX) के रूप में यहां से कानून पास होकर चले जाते हैं. …….
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
यहां वित्तमंत्री जी बैठे हैं, मैंने पिछली बार एक सवाल उठाया था जो किसी की नजर में नहीं आया और बाद में बड़ी देर से हमारी नजर में आया, हमने उठाया भी, वित्तमंत्री जी को उसकी गंभीरता मालूम है. मेरा कहना है कि जो गंभीर विषय हैं उनमें थोड़ा सा समय मिलना चाहिये.
सभापति महोदय-- आप तो सीधे विषय पर आयें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय तिवारी जी, सूचना केन्द्र पर दस्तखत करने आप पधारे होंगे जहां पर हस्ताक्षर करते हैं, वहां अपने खाने बने हुये हैं, यह कल नहीं बंटा है, यह परसों बंटा है. आप खाना संभालते ही नहीं, दस्तखत करके आ जाते हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- हमको कल मिला है. हो सकता है जानबूझकर हमारे खाने में नहीं रखा हो तो मैं क्या करूं. तो मेरा यह कहना है कि आपने विकास योजना डेव्हलपमेंट प्लान इनक्लूड्स जोनिंग प्लान, अब यहां से जोनिंग प्लान को आपने रिमूव कर दिया कि जोनिंग प्लान हटा दिया जाये. अब यह सेक्शन 20 में प्रिप्रेशन आफ जोनिंग प्लान यह नगर निगम को जोनिंग प्लान बनाने का एक अधिकार था जिसके तहत वह डेव्हलपमेंट प्लान में से एक एरिया लेकर एक प्लान बनाया करते थे. और उस पर कार्यवाही उस शहर में होती थी. मेरा सभापति जी निवेदन है कि अब जोनिंग प्लान को परिभाषा से अलग कर दिया. अब सवाल यह है कि उस जोन का प्लान कौन बनाएगा. दो लोग बनाएंगे. एक प्राधिकरण को भी आपने अधिकार दे दिया, एक नगर निगम को भी प्लान बनाने का अधिकार दे दिया. ठीक है कि जो प्लान सरकार स्वीकृत करेगी तभी लागू होगा लेकिन शहर में जो दो इकाईयां काम कर रही हैं उनमें सामन्जस्य कैसे स्थापित होगा. प्राधिकरण वाले अपना नया प्लान तैयार करेंगे, नगर निगम वाले दूसरा प्लान तैयार करेंगे तो उसमें विवाद होंगे. हमारा यह कहना है. मेरा यह कहना है कि एक डिस्ट्रिक्ट लेबिल पर कोई एक पर्टिक्यूलर एजेंसी होनी चाहिये जो उस प्लान को फाईनलाईज्ड करे. सरकार तो करती है लेकिन डिस्ट्रिक्ट लेबिल पर इसके लिये कोई भी कमेटी नहीं है जो इसको फाईनल करे. दूसरे हमारा यह कहना है कि यह एक्ट तो बना है लेकिन यह प्रदेश के अंदर कहीं लागू नहीं है और इसीलिये अवैध कालोनियां बनती हैं और अवैध कंस्ट्रक्शंस हो जाते हैं. इतने बड़े स्तर पर कंस्ट्रक्शंस हो जाते हैं तो फिर सरकार उस पर कुछ नहीं कर सकती क्योंकि प्रजातंत्र में वोट की कीमत हो जाती है. जो आंकड़े आ रहे हैं, अभी हमारे शहर की आबादी 32 प्रतिशत है. 68 प्रतिशत आबादी हमारी गांवों में है और जो विद्वानों ने कहा है कि आने वाले तीस वर्ष के अंदर हमारी 72 प्रतिशत हमारी शहर में आ जायेगी और 28 प्रतिशत आबादी गांवों में रहेगी तो अगर हम इसका पालन सुनिश्चित नहीं करेंगे तो शहर का जो जीवन है उसका वही हाल होगा जो दिल्ली में हो रहा है. प्रदूषण होगा, पानी पीने को नहीं मिलेगा, हवा साफ नहीं मिलेगी. मेरा कहना है कि यह टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का जो यह एक्ट है इसका पालन कराने में ध्यान देना चाहिये और गरीबों का ख्याल किया जाये. जैसा हमारे नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि गरीबों के खिलाफ यह एक्ट लाया जा रहा है. गरीबों को उससे दूर रखा जा रहा है. तो गरीबों को और जगह दें. जहां तक शहरों में गरीबों के लिये मकान बनाने की बात है, यह पहले भी बने हैं आज भी बने हैं. पहले भी गांवों में गरीबों के लिये इंदिरा आवास योजना लागू थी. आज से पच्चीस साल पहले जब मैं जनपद अध्यक्ष था तो मुझे मालूम है कि गांवों में इंदिरा आवास योजना के तहत् गरीबों को पैसा दिया जा रहा था और वहां गरीबों के घर बनवाये जा रहे थे. इसीलिये आज जो लंबी-लंबी बातें सरकार द्वारा कही जा रही हैं वह कोई नयी बात नहीं हैं. बहुत पुरानी बातें हैं. कांग्रेस पार्टी हमेशा गरीबों का ध्यान रखती थी. मेरा फिर से यह कहना है कि इस तरह के जब कानून लायें तो हमें उसका अध्ययन करने के लिये पर्याप्त समय दिया जाये. धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - एक साल में एक ग्राम पंचायत को कुल दो इंदिरा आवास.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) - माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश संशोधन विधेयक,2016 में जैसी अभी चर्चा में बात आई. संशोधन में ऐसा कोई विषय नहीं है. संशोधन में केवल भूअर्जन की जो कार्यवाही में विलंब हुआ है उस विलंब को रोकने की दृष्टि से कुछ धाराओं में संशोधन किया है. सभापति महोदय, दूसरा संशोधन धारा-50 में किया है जिसके कारण पूर्व में स्थानीय शासन- नगर निगम,नगर पालिका और नगर पंचायत या स्थानीय प्रशासन के द्वारा जो भू-अर्जन की कार्रवाईयां की गई हैं, उन कार्रवाईयों को इस अधिनियम के अंतर्गत लाने की दृष्टि से यह संशोधित प्रस्तावित किया है.
सभापति महोदय, शहरी विकास की गति बढ़ाने की दृष्टि से अधिनियम में जो कठिनाईयां थीं और भू-अर्जन अधिनियम और नगर निवेश अधिनियम थोड़ा स्पष्टतः नहीं हो पाने के कारण निर्णय लेने में कठिनाईयां आ रही थीं, उन कठिनाईयों को दूर करने की दृष्टि से यह प्रावधान इसमें किए गए हैं.
सभापति महोदय, इसमें गरीबों के हक को जैसा यहां पर माननीय नेता प्रतिपक्ष ने कहा है, उसको हटाने के लिए इस संशोधन में कोई प्रावधान नहीं है और न ही इस संशोधन के माध्यम से कलेक्टर के अधिकारों को समाप्त करने की बात है. पहले मूल्यांकन करने की दृष्टि से जिला स्तर पर समितियां बनायी गई थीं, उन धाराओं को विलोपित करने का इस संशोधन के माध्यम से प्रावधान किया गया है. उसमें धारा 4 (अ) 5 और 6 है उन दो धाराओं को विलोपित करते हुए उसमें यह प्रावधान किया गया कि पहले से भू-अर्जन की कार्रवाई, भू-अर्जन अधिनियम 2013 के अंतर्गत, 2008 के पहले तक की गई कार्रवाईयां हैं, उनमें भले ही लोगों को मुआवजा न दिया गया हो, भले ही उनका कब्जा प्राप्त नहीं किया गया हो लेकिन ऐसे सब विषय अब नगर निवेश अधिनियम के अंतर्गत सक्षम अधिकारी निपटाने के लिए पात्र होंगे. उनको इसमें समाविष्ट करने का कार्य किया गया है. इसके कारण गरीबों का हक छीन लिया ऐसा कुछ नहीं है.
सभापति महोदय, मैं संक्षेप में पढ़कर सुनाना चाहता हूं. इसमें धारा- 20 में उपधारा(1) जोड़कर पूर्व के प्रावधान को ही उपधारा (1) में लाया गया है और एक नई उपधारा (2) प्रतिस्थापित करने का प्रावधान किया गया है. उस प्रावधान के अंतर्गत “इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां कोई परिक्षेत्रिक योजना उपधारा (1) के अधीन तैयार नहीं की जाती है, वहां पूर्व अधिसूचित और क्रियान्वित या क्रियान्वित की जा रही या अधिसूचित और क्रियान्वित की जाने वाली नगर विकास योजनाओं के लिए अध्याय-सात के अधीन उपबंधित शक्ति और कृत्यों का प्रयोग और पालन नगर विकास योजनाओं के अनुसार किया जा सकेगा.”
सभापति महोदय-- दुर्गालाल जी, आपकी बात आ गई.
श्री दुर्गालाल विजय-- सभापति महोदय, संशोधन नगर विकास की दृष्टि से बहुत आवश्यक है. लंबे समय से भू-अर्जन के प्रकरण नगरीय क्षेत्र में लंबित हैं, उनका भी निराकरण होगा. इसमें शहरी विकास की जो योजनाएं जो बहुत सालों से लंबित हैं,उनके लिए अच्छा मार्ग प्रशस्त होगा और तेजी से काम आगे बढ़ेगा यही उद्देश्य इस संशोधन का है. मैं इसका समर्थन करता हूं. आपने समय दिया. धन्यवाद.
श्री शंकरलाल तिवारी (सतना) - सभापति महोदय, मैं सोचता हूं कि काफी बातें आ चुकी हैं. यशस्वी मंत्री जी द्वारा जिस ढंग से नगरीय निकाय और विकास प्राधिकरण के बीच में जो थोड़ी-सी दिक्कत यह होती थी कि कई बार समितियां उसे पास नहीं करती थीं और जोन के चक्कर में यह विकास प्राधिकरण की योजनाएं रखी रह जाती थीं. इसका सीधा-सीधा एक ही फायदा होने वाला है कि यदि यह धारा विलोपित कर दी जाएगी तो विकास प्राधिकरण के काम जो अनावश्यक रूप से कई बार लापरवाही, कई बार देरी करने के कारण और समितियों में जाने की बाध्यता के कारण रुक जाते थे या देर से होते थे, उन कामों गति आएगी. मैं इसका समर्थन करता हूं.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - सभापति महोदय, इस संशोधन के उद्देश्यों और कारणों के कथन के बिन्दु 4 में यह लिखा है कि चूंकि मामला अत्यावश्यक था और मध्यप्रदेश विधान सभा का सत्र चालू नहीं था, अतः मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अध्यादेश, 2016 लाना बताया गया है . मैं पहले अपनी बात रख चुका हूं लेकिन मैं इसमें यह जानना चाह रहा था कि जब सत्र नहीं था तब अध्यादेश लाने की जरूरत क्यों पड़ी?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह ) - सभापति महोदय, मध्यप्रदेश नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 के अनुसार प्रदेश के प्राधिकरणों द्वारा क्षेत्र के विस्तार और सुधार के लिए मास्टर प्लान तैयार कर भूमि को अर्जित किया जाता है. इसमें मध्यप्रदेश नगर ग्राम निवेश अधिनियम के समान ही छत्तीसगढ़ का भी अधिनियम है. छत्तीसगढ़ के एक प्रकरण में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने प्राधिकरण के द्वारा अर्जित की गई भूमि को, एक योजना को शून्य और अवैध घोषित किया था, जिसमें मुख्य आधार यह था कि जोनल प्लान की अनुपस्थिति में टाऊन डेवलपमेंट स्कीम बनाया जाना विधि अनुकूल नहीं है. इसी तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी अनेकों याचिकाएं लग गईं थी. चूंकि अधिनियम की धारा 38 (2) और 50 में टाऊन डेवलपमेंट स्कीम के पहले जोनल प्लान के अंगीकृत होने की कोई शर्त नहीं थी, अतः यह संशोधन आवश्यक था. महाधिवक्ता की सहमति से और हमने बहुत सारी विभिन्न संबंधित धाराओं, उपधाराओं के विलोपन और संशोधन का प्रावधान इसमें रखा, जिसमें मुख्य रूप से यह संशोधन है कि जोनल प्लान के अभाव में टाऊन डेवलपमेंट स्कीम में सम्मिलित क्षेत्र के लिए ऐसी योजनाओं का जोनल प्लान मान्य करने का प्रावधान प्रस्तावित है, इसलिए यह लाया है. जोनल प्लान के अभाव में मास्टर प्लान का क्रियान्वयन रोकना उचित नहीं है और यही कारण था कि यह संशोधन लाया गया है. इसमें मैं यह कहना चाहती हूं कि यह अधिनियम की धारा 20 में जो संशोधन किया गया है, उसमें जोनल प्लान और मास्टर प्लान का अंतर संबंध जो है, वह और अधिक स्पष्ट होगा. श्री बाला बच्चन जी ने जो सवाल उठाया था, आप अधिनियम में संशोधन के स्थान पर कॉलोनाइजर का नियम जो है, वह बोल रहे थे. यह अधिनियम जो है वह मास्टर प्लान और जोनल प्लान से संबंधित है. कॉलोनाइजर नियम पृथक है, इसलिए मध्यप्रदेश में नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 में संशोधन, नगर विकास योजनाओं से संबंधित है इसलिए लाया गया है. श्री तिवारी जी ने एक बात उठाई थी और श्री बच्चन जी ने यह भी कहा कि इसको सरकार ने बिल्डरों और बड़े लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए लाया है. नहीं, बल्कि मैं यह कहना चाहती हूं कि आम लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए और खासतौर से शहरी विकास को ध्यान में रखते हुए हमने यह कदम उठाया है. इसे हम कोई जल्दबाजी में नहीं लाए हैं, अध्यादेश के रूप में पहले लाए थे क्योंकि यह जरूरी था, उस वक्त मध्यप्रदेश की विधान सभा नहीं चल रही थी और अब अध्यादेश के बाद यह विधेयक के रूप में आज सदन में यहां प्रस्तुत है. इसलिए मैं आग्रह करना चाहूंगी कि इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया जाय.
श्री बाला बच्चन- माननीय सभापति महोदय, मैं यह जानना चाहता हूं कि कमजोर वर्ग हेतु 10 से 15 प्रतिशत का जो आरक्षण पूर्व में रहता था, वह इसमें रहेगा या नहीं ?
श्रीमती माया सिंह- विधायक जी, इस विधेयक से उसका कोई संबंध ही नहीं है.
सभापति महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
सभापति महोदय- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 7 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 7 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह)- सभापति महोदय, मैं, प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2016 पारित किया गया.
सभापति महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह)- सभापति महोदय, मैं प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
सभापति महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए. श्री बाला बच्चन जी.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)- माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री महोदया द्वारा लाए गए मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 पर मेरा यह कहना है कि 6 माह बाद मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों के 80 से 90 स्थानीय निकायों के चुनाव हैं. यह संशोधन विधेयक लाने के पूर्व उन्हें सूचना नहीं दी गई है. मैं यह आग्रह करना चाहता हूं कि इन नगर पंचायतों एवं स्थानीय निकायों की बहुत सारी कॉलोनियां वार्डों में शामिल नहीं हो पाई हैं, क्योंकि वे अर्द्धविकसित कॉलोनियां हैं. बहुत सी कॉलोनियों एवं गांवों से सटे इलाकों में लोगों ने मकान बना लिए हैं. यदि ये इलाके वार्डों में शामिल नहीं हुए तो उस इलाके के लोग स्थानीय निकाए के चुनावों में वोटिंग से वंचित हो जायेंगे. यदि ये लोग वोटिंग से वंचित रह गए तो बाद में वे कॉलोनियां विकसित नहीं हो पायेंगी. जहां तक मैंने इस संशोधन विधेयक को समझा है, इसे जल्दबाजी में और बिना तैयारी के बिना विचार-मंथन के लाया गया है. इसलिए मंत्री महोदया इस पर पुन: विचार करें कि कम से कम जो कॉलोनियां बन चुकी हैं वे वार्डों में शामिल हो जायें ताकि बड़ी संख्या में लोग इन स्थानीय निकाए के चुनाव में वोटिंग से वंचित न रह जायें, क्योंकि हम लोकतंत्र में हैं और यदि यहां कोई वोटिंग से वंचित रह जाता है तो यह उसका बहुत बड़ा नुकसान है. इसलिए यह संशोधन विधेयक अलोकतांत्रिक भी है. माननीय मंत्री महोदया आपसे आग्रह है कि मेरे द्वारा रखे गए सुझावों पर आप चिंतन-मनन करें. जिससे वहां के स्थानीय निकाय के चुनाव में मतदाताओं को उनके वोटिंग का अधिकार भी मिले और उसके बाद कॉलोनियों का विकास भी समुचित रूप से हो. इस संशोधन विधेयक पर मेरा यह सुझाव है और सरकार से मेरा विनम्र आग्रह भी है.
श्री अशोक रोहाणी ( जबलपुर केंटोनमेंट ) -- माननीय सभापति महोदय सबसे पहले तो आपको बधाई आप सभापति की कुर्सी पर विराजमान हैं . राज्य निर्वाचन आयोग की मंशानुसार प्रस्तुत संशोधन आवश्यक हो गया था. निर्वाचन आयोग के सुझावों के चलते प्रस्तुत संशोधन एवं अधिनियम का मैं स्वागत करता हूं. संशोधन किये जाने पर स्थानीय निकायों के निर्वाचन समय पर पूर्ण हो जायेंगे, निर्वाचन की प्रक्रिया के पूर्व परिसीमन के बाद में उपजी परिस्थितियों के चलते कई मामलों में प्रकरण अनावश्यक रूप से न्यायालयीन प्रक्रिया में उलझ जाते थे. इस संशोधन के बाद में न्यायालयीन प्रकरणों की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी. राज्य निर्वाचन आयोग निर्धारित समय सीमा में निर्वाचन प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेगा जिला प्रशासन को भी निर्वाचन की समस्त प्रक्रिया का संपादन करने में सहूलियत होगी. स्थानीय निकायों उम्मीदवारों, महापोर, अध्यक्ष एवं पार्षदों को निर्वाचन क्षेत्र के वार्डों की सीमावार सही जानकारी प्राप्त होगी. धन्यवाद्.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया ( मंदसौर ) -- माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री महोदया को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस तृतीय नगरपालिका विधिक संशोधन, 2016 को लाकर के इसलिए भी कि सरकार से सुझावों को लेकर के, व्यवस्था में सुधार को लेकर, राज्य निर्वाचन आयोग ने ही अपनी मंशा जाहिर की है, यह आयोग की मंशा है कि वार्डों के परिसीमन को लेकर, निर्वाचन की प्रक्रियाओं को लेकर, मतदाता सूचियों को संशोधित करने को लेकर के वार्डों में सुधार को लेकर के वार्डों का परिसीमन, वार्डों को मिलाना हटाना, जोड़ना काटना, इन सब बातों को लेकर व्यर्थ का विलंब होता था और कभी कभी स्थानीय स्तर के चुनाव होते हैं वह नगर निगम के हों या नगरपालिका के होते या वह नगर पंचायतों के क्यों न हों. इसमें सभापति महोदय स्थानीय निकायों की सूचनाएं राज्य निर्वाचन आयोग तक जाने में विलंब हो जाता था और उस कारण से न्यायालयीन प्रक्रिया में भी मामला उलझ जाता था और कई ऐसे प्रकरण स्थानीय तौर पर जो चुनाव के वार्ड के विभाजन को लेकर के परिसीमन को लेकर के समयानुकूल परिस्थिति में राज्य निर्वाचन आयोग के साथ कहीं न कहीं कम्यूनिकेशन गेप को लेकर, कहीं पर व्यवस्थाओं में दूरियों को लेकर कमी होती थी तो उसमें व्यर्थ का विलंब होता था.
नेता प्रतिपक्ष जी ने फिर एक बार डरावना व भयावह चेहरा दिखाने की कोशिश की है. यह किसी प्रकार से मतदाताओं को रोकने का काम नहीं है. इन वार्डों के परिसीमन से कोई अवैध कालोनी वैध नहीं हो जायेगी और कोई वैध कालोनी अवैध नहीं हो जायेगी. यह मंशा राज्य निर्वाचन आयोग की है क्योंकि उन्होंने सुझाव दिया है इस प्रकार से 1961 की धारा 29 में किया जाना प्रस्तावित आवश्यक संशोधन का प्रारूप जो है उसमें अगर आवश्यक संशोधन कर लिया जायेगा तो राज्य निर्वाचन आयोग को इसमें सहूलियत होगी और जो लिटिगेशन होते हैं जो न्यायालयीन प्रकरण जबरदस्ती के बनते हैं, स्थानीय स्तर का जनप्रतिनिधि भी चाहते हैं कि समयानुकूल चुनाव हो जायें और वार्डों के नागरिक हैं जो मतदाता हैं वह भी उसकी चतुर सीमा से कहीं न कहीं अनभिज्ञ होते हैं उससे भी इसको मदद मिलेगी क्योंकि जनता मतदाताओं के बीच में इस विधेयक के संशोधन के बाद में एक सीधा दिशा निर्देश जायेगा कि उनका नाम किस मतदाता सूची में है, उनका परिसीमन क्या है वार्ड की सीमा रेखा क्या है, पोलिंग बूथ क्या है, इन सबके पहुंचने के कारण से निश्चित रूप से मतदाताओं को भी आसानी होगी न केवल चुनाव तक बल्कि आने वाले चुनाव तक भी, स्थानीय जनप्रतिनिधि होते हैं उनके लिए भी राज्य निर्वाचन आयोग का सुझाव स्वागत योग्य माना जा सकता है.
माननीय सभापति महोदय, स्थानीय जनप्रतिनिधि जो होते हैं उनके लिए भी राज्य निर्वाचन आयोग का यह सुझाव स्वागत योग्य माना जा सकता है जिसमें पार्षद होते हैं, अध्यक्ष होते हैं, महापौर होते हैं. इनके निर्वाचनों को लेकर समय-समय पर उनको जानकारियां प्राप्त हो सकेंगी और साथ ही मतदाताओं से संपर्क करने में पर्याप्त समय भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों को, महापौर को, अध्यक्ष को, नगर परिषद् के पार्षद इन सबको मिल पाएगा.
माननीय सभापति महोदय, पहले नगरीय निकायों के वार्डों की सीमावृद्धि, वार्डों के पुनर्निर्धारण की सूचना में अनिश्चितता थी, अस्पष्टता थी, इसलिए कहीं न कहीं राज्य निर्वाचन आयोग को यह लगा कि इसमें संशोधन आवश्यक है और इस संशोधन को लेकर उन्होंने यह पहल की है और उन्होंने ही यह सुझाव दिया है कि इसमें संशोधन की अति आवश्यकता है ताकि समय पर मतदाता सूचियां तैयार हो जाएं और समय पर सारी प्रक्रियाएं पूर्ण कर ली जाएं ताकि न्यायालयीन प्रक्रियाओं के दायरे में आगे चलकर कहीं न कहीं स्थगन के मामले न बने और स्थानीय चुनावों में विलंब न हो. इसलिए परिसीमन को लेकर, संवैधानिक कृत्यों के समय-सीमा में पालन को लेकर यह जो संशोधन विधेयक आया है, मैं इसके लिए माननीय मंत्री महोदया का हृदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूँ जिन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग के इस गंभीरता वाले विषय को त्वरित संज्ञान में लेते हुए इस संशोधन विधेयक की आवश्यकता को प्रतिपादित किया है. मैं समझता हूँ कि पूरा सदन इस संशोधन विधेयक को सर्वानुमति से यदि पास करेगा तो बहुत अच्छा होगा, बहुत खुशी होगी. माननीय सभापति महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) -- माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 जो है, उसमें मध्यप्रदेश नगरपालिका निगम अधिनियम, 1956 की धारा-10 और मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1961 की धारा-29, इसमें क्रमश: नगर निगम और नगरपालिका वार्डों की संख्या और उसके विस्तार से संबंधित है. वर्तमान में नगरीय निकायों की वार्डों की सीमा में परिवर्तन या पुनर्निर्धारण की सूचना निर्वाचन आयोग को निश्चित समयावधि में देने संबंधी कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं था. इससे कई परेशानियां भी खड़ी होती थीं. मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग द्वारा विभाग को लेख किया गया कि नगरीय निकायों का परिसीमन एक निश्चित समय-सीमा में कराया जाना जरूरी है. इसी के आधार पर निर्वाचन आयोग के सुझाव और समिति की बैठक से यह संशोधन का प्रस्ताव आया कि नगरीय निकायों का कार्यकाल पूर्ण होने के 6 माह पहले ही उसकी सीमावृद्धि या उसमें कमी या नए वार्ड जोड़े जाने या वार्डों के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया अनिवार्य रूप से पूरी कर ली जानी चाहिए अन्यथा क्या होता है कि निर्वाचन आयोग पूर्व निर्धारित और प्रचलित परिसीमन के आधार पर निर्वाचन प्रक्रिया शुरू कर देता है. उन्होंने कहा कि अगर 6 महीने तक इस कार्य को कर लिया तो ठीक है परंतु 6 महीने से पूर्व नहीं किया तो वह जो निर्धारित प्रक्रिया है उसके आधार पर चुनाव कराएगा. इससे न केवल निर्वाचन संबंधी कार्य निर्धारित समय पर पूरे होंगे बल्कि मैं यह कहना चाहती हूँ कि अनावश्यक न्यायालयीन प्रकरण जो बन जाते हैं वैसी स्थिति भी निर्मित नहीं होगी, लेकिन मैं यह भी कहना चाहती हूँ कि निर्वाचन आयोग के सुझाव के अनुसार जो संशोधन किए हैं, मैं बाला बच्चन जी को भी यह बताना चाहती हूँ कि इससे निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन हेतु मतदाता सूची तैयार करने संबंधी कार्य समय पर पूरे होंगे, साथ ही साथ अनावश्यक न्यायालयीन प्रकरण होने की स्थिति भी उत्पन्न नहीं होगी. इसमें स्थानीय निर्वाचन के कार्यों में भी सुविधा होगी और नागरिक भी इस तथ्य से अवगत हो जाएंगे कि वे किस वार्ड के निवासी हैं, मतदाता सूची में उनका नाम किस वार्ड में दर्ज है, पोलिंग बूथ में क्या है, यह सारी जानकारी विस्तार से उनको हो सकेगी और जिला प्रशासन को मतदाता सूची तैयार करने में और पोलिंग बूथ तैयार करने में या पोलिंग पार्टी जो तैयार करते हैं इन सब कामों में, निर्वाचन और अन्य काम संपादित करने में इसके माध्यम से सहूलियत भी होगी और फिर पार्षद, अध्यक्ष, महापौर आदि जो प्रत्याशी चुनाव लड़ते हैं वे भी अपने निर्वाचन क्षेत्र या वार्ड के बारे में समय पर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. मैं यह कहना चाहती हूँ कि यह सारी प्रक्रिया जुलाई, 2017 में 52 निकायों के चुनाव होने वाले हैं उसके लिए भी यह आवश्यक है.दूसरा वार्ड के परिसीमन की कार्यवाही है वह फरवरी माह तक पूरी हो सकती है तो वार्ड की वृद्धि या उसमें कालोनी जोड़ने की बात जो आपने उठाई है उसमें कोई प्रतिबंध नहीं है. इसके लिए हमने प्रतिबंध लगा दिया है कि उसके बाद यह सब नहीं होगा. कोई ऐसा प्रतिबंध नहीं है. मात्र समय-सीमा निर्धारित की गई है. परिसीमन जो है वह सामान्य निर्वाचन के 6 माह में हमें पूरा करना है. उससे संबंधित छोटा सा संशोधन है जो कि यहां आपके सामने प्रस्तुत है. मैं आग्रह करना चाहूंगी कि इसे सर्वसम्मति से पारित किया जाये.
श्री बाला बच्चन -- माननीय सभापति महोदय, इसमें 6 माह पूर्व तक वार्ड बन जाना चाहिए था. अगर वह नहीं बन पाया है. अभी क्या था कि अगर इलेक्शन के पहले तक जो नये मकान बनते थे, नई कॉलोनियॉं बनती थीं, डेव्हलप होने के बाद वह बाद में वार्ड में परिवर्तित हो जाती थी. वहां के लोग वोटिंग से वंचित नहीं हो पाते थे. यह जो समय 6 महीने का रखा है इस दरमियान वे वोटिंग से वंचित हो सकते हैं. कृपया उसको दिखवा लें.
श्रीमती माया सिंह -- अगर 6 माह में यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, तो पूर्व में जो निर्धारित और प्रचलित परिसीमन है उसके आधार पर वह चुनाव कराएंगे.
श्री बाला बच्चन -- ठीक है.
सभापति महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिका विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
सभापति महोदय -- अब विधेयक के खंडों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) -- माननीय सभापति जी, मैं, प्रस्ताव करती हॅूं कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
सभापति महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
सभापति महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनांक 08 दिसम्बर, 2016 के 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
सायं 6.18 बजे विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनांक 08 दिसम्बर, 2016 (अग्रहायण 17, शक संवत् 1938) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 7 दिसम्बर 2016 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा