मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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चतुर्दश विधान सभा                                                                                                   षोडश सत्र

 

 

फरवरी-मार्च, 2018 सत्र

 

बुधवार, दिनांक 07 मार्च, 2018

 

(16 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1939)

 

 

[खण्ड- 16 ]                                                                                                                 [अंक- 4 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

बुधवार, दिनांक 07 मार्च, 2018

 

(16 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1939)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}

 

तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

 

शासकीय भूमियों का निजी भूमि में हस्‍तांतरण

[राजस्व]

1. ( *क्र. 757 ) श्री अजय सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि  (क) क्‍या म.प्र. शासन राजस्‍व विभाग मंत्रालय वल्‍लभ भवन के ज्ञाप क्रमांक एफ 16-36/20/2013/सात/शा. 2, भोपाल दिनांक 17.01.2014 के अनुसार भूमि स्‍वामी के हक में आवंटित भूमि के शासकीय पट्टेदारों द्वारा व्‍यक्तिगत परिस्थितियों के कारण भूमि विक्रय/अंतरण के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं, उसके अनुसार संहिता की धारा 165 (7) ख में प्रावधान है कि धारा 158 (3) के सभी भूमि स्‍वामी अपने धारणाधिकार की ऐसी कृषि भूमि को बिना कलेक्‍टर की आज्ञा से 10 वर्षों तक विक्रय नहीं कर सकते हैं? (ख) प्रश्नांश (क) हाँ तो कलेक्‍टर एवं जिला दण्‍डाधिकारी सतना के आदेश क्र./राजस्‍व/2017/87 सतना दिनांक 22.03.2016 के निर्देशों का पालन तहसील रघुराजनगर के ग्राम रामस्‍थान में एक हजार एकड़ से अधिक की शासकीय भूमि को खुर्द-बुर्द किये जाने के प्रकरणों में हुई शिकायतों पर कब-कब कार्यवाही की गयी? प्रकरणवार बतायें। (ग) क्‍या तहसीलदार, तहसील रघुराजनगर के पत्र क्रमांक 306/आ.क्र./तह.रघु/2017, दिनांक 31.08.2017 के जरिये क्‍या 04 शासकीय भूमियों के अवैध कब्‍जाधारियों को नोटिस जारी कर प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है? क्‍या हल्‍का पटवारी रामस्‍थान द्वारा प्रिज्‍म सीमेंट, अल्‍ट्राट्रेक, अमीरे कोल सहित उक्‍त ग्राम के 50 अवैध कब्‍जाधारियों के विरूद्ध तहसीलदार के हस्‍ताक्षरित नोटिसों को क्‍या प्रश्‍न तिथि तक तामील करवाया गया है? अगर तामील करवाया गया है तो क्‍या प्रश्‍न तिथि तक उन्‍हें तहसीलदार के कार्यालय में जमा करवाया गया है? ता‍मील हुये सभी नोटिसों की एक-एक प्रति दें। (घ) प्रश्‍नांश (ग) में उल्‍लेखित भूमियों को राज्‍य शासन कब तक निष्‍क्रांत संपत्तियों का अंतरण अवैधानिक मानते हुये शासकीय संपत्ति भू-अभिलेखों में दर्ज करेगा? अगर नहीं करेगा तो क्‍यों? कारण व नियम उपलब्‍ध करायें।

        राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित भूमि-स्वामी हक में आवंटित भूमि/शासकीय पट्टेदार के क्रय विक्रय के संबंध में कोई शिकायत कार्यालय को प्राप्त नहीं है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। पत्र क्रमांक 306, दिनांक 31.08.2017 के जरिये 04 व्यक्तियों को नोटिस जारी कर उनके स्वत्व के संबंध में जानकारी चाही गयी थी न कि शासकीय भूमि में अवैध कब्जाधारियों के संबंध में। इसके अलावा अन्य 16 व्यक्तियों को नोटिस तैयार कर तामिली हेतु कार्यवाही की जा रही है, जिसमें प्रिज्म सीमेन्ट, अल्ट्राटेक, अमीरे कोल सहित अन्य 13 व्यक्ति शामिल हैं। तामील हुई नोटिस की छायाप्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट अनुसार है। (घ) उत्‍तरांश () में वर्णित भूमियों निष्क्रांत भूमियां नहीं है। वर्ष 1958-59 की खतौनी अधिकार अभिलेख में शासकीय भूमियां थी, जिनका नियमानुसार बंटन/व्यवस्थापन किया गया है।

          नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा सौभाग्‍य है, इस सत्र के प्रश्‍नकाल के दिन मेरा पहला प्रश्‍न, वैसे तो मिलता ही नहीं कोई प्रश्‍न, लेकिन पता नहीं कैसे मेरा प्रश्‍न आ गया. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने पहला उत्‍तर दिया, फिर दूसरा उत्‍तर दिया, फिर तीसरा उत्‍तर दिया, संशोधन पर संशोधन है. मूल बात यह है कि माननीय मंत्री महोदय ने कहा कि ऐसी कोई शिकायत नहीं पाई गई. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यदि आपकी अनुमति हो तो मैं एक पत्र पढ़ दूं? कलेक्‍टर सतना दिनांक 22.03.2016 को आदेश करते हैं, क्रमांक/87/राजस्‍व/2016, सतना जिले में खासतौर से सतना नगरी क्षेत्र में हेराफेरी में पूर्व में ही दर्ज शासकीय भूमि को पिछले कुछ वर्षों के दौरान कतिपय निहित स्‍वार्थी भू-माफियाओं ने फर्जी पट्टों के माध्‍यम से कानून एवं नियमों तथा प्रक्रियाओं का उल्‍लंघन करते हुए, या अतिक्रमण कर बेनामी पट्टों के माध्‍यम से षड्यंत्रपूर्वक कतिपय निहित स्‍वार्थी तत्‍वों के नाम भू-अभिलेखों में इन्‍द्राज किए जाने की शिकायतें प्राप्‍त हुईं. आपने कहा कोई शिकायत प्राप्‍त नहीं हुई, कलेक्‍टर ने पत्र लिखा 2016, उक्‍त अवैध कार्य भू-अभिलेख राजस्‍व अधिकारी एवं कर्मचारीगण की मिलीभगत से किया गया. उक्त अवैध कार्य में सुनियोजित तरीके से दर्जनों ग्रामों की भूमि-नक्शों आदि का गुम होना बताया जा रहा है तथा अनेक स्थानों पर फर्जी नक्शे एवं भू-अधिकार अभिलेख को प्रचलित करा दिया गया है. उक्त अवैध कृत्य एवं कार्यवाही के कारण जहां शासकीय जमीन हड़पने का षणयंत्र हुआ वहीं दूसरी ओर जन सामान्य को भी अनेक कुचक्रों का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण राजस्व आदि से संबंधित गंभीर अपराध और समस्यायें पैदा हो रही हैं. साथ ही कानून और व्यवस्था की स्थिति भी पैदा हो रही है और जमीन से संबंधित अनेक हिंसक वाद-विवाद भी हो रहे हैं. अत: उक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में वर्णित प्रकरणों की पूर्व बंदोबस्त एवं वर्ष 1958-59 में भूमि स्वामी पर शासकीय सिट के आधार पर कार्यवाही करते हुये उनकी जांच करने और शासकीय भूमि जो खुर्द-बुर्द हुई उन्हें उक्त षणयंत्रों से मुक्त कर पुन: शासकीय अभिलेख में दर्ज करने हेतु तथा अन्य अनुषांगिक कार्यवाही करने एवं दोषी लोगों के विरूद्ध एफ.आई.आर.दर्ज करने और आपराधिक मामला चलाने के संबंध में सतना जिले के समस्त अनुविभागो के संबंधित अनुविभागीय अधिकारियों की अध्यक्षता में एक विशेष जांच समिति गठित की जाती है जिसके सदस्य प्रत्येक तहसील के तहसीलदार, प्रभारी तहसीलदार होंगे तथा प्रभारी अधिकारी भू-अभिलेख इसके समन्वयक होंगे. उक्त जांच समिति अपना प्रतिवेदन तीन माह के अंदर आवश्यक रूप से मुझे प्रस्तुत करेगी. यह कलेक्टर का पत्र है.

          अध्यक्ष महोदय, मंत्री महोदय का उत्तर है कि कोई जांच प्राप्त नहीं हुई है.मैं यह कलेक्टर का पत्र पढ़कर के बता रहा हूं जो कि वर्ष 2016 का है. अध्यक्ष महोदय, जब मैंने विधानसभा में प्रश्न पूछा उसके बाद के एक पत्र का उल्लेख और करना चाहता हूं. कार्यालय अभिभाषक एवं लोक अभियोजक, सतना का पत्र क्रमांक 38/शासकीय दिनांक 20.2.2018 का यह तीसरा स्मरण पत्र है. यह पत्र कलेक्टर औऱ पुलिस अधीक्षक दोनों को लिखा जाता है कि आवेदन पत्र वास्ते चालानी कार्यवाही किये जाने हेतु धारा 73(8) के तहत आरोपीगण रामानंद सिंह पटवारी, शिवभूषण सिंह ,पटवारी, रामशिरोमणी सिंह, पटवारी, तहसीलदार श्री खरे तथा मनोज श्रीवास्तव और बहुत सारे लोगों के नाम हैं इनके ऊपर अभी तक एफ.आई,आर. दर्ज क्यों नहीं की गई . यह पत्र अभियोजक ने कलेक्टर और एस.पी. दोनों को लिखा है . एक तरफ मंत्री जी कह रहे हैं कि कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है.

          अध्यक्ष महोदय, एक हजार करोड़ का घपला है सिर्फ दो तहसीलों में दो गांव में किस तरह से 1958-59 की जमीन पट्टे की दी जानी थी, शासकीय जमीन थी, मंत्री जी ने कबूल किया है कि वह शासकीय जमीन थी, शासकीय जमीन के पट्टे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों को दी उसका नामांतरण करने का अधिकार सिर्फ कलेक्टर का होता है. मंत्री जी बता दें कि ऐसे कितने प्रकरण हैं जहां पर कलेक्टर को नामांतरण के लिये प्रकरण पेश किया गया हो. दूसरा प्रश्न यह है कि जब कलेक्टर लिख रहे हैं, अभियोजक लिख रहे हैं उसके बाद भी एफ.आई.आर.दर्ज नहीं हो रही है. तीन चार निचले तबके के लोगों के ऊपर तो कार्यवाही कर दी.

          अध्यक्ष महोदय, अनेक सत्रों में कई विधायकों ने, भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने भी इसी तरह के प्रकरण में ग्राम सुनोरा और ग्राम सांज के बारे मे प्रश्न पूछे हैं लेकिन सभी प्रश्नों के उत्तर इसी तरह से गोल मोल आते रहे हैं. मैं तथ्यों के साथ कह रहा हूं, कलेक्टर ने जो पत्र लिखा उसका उल्लेख कर रहा हूं उसके बाद भी इस प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. आखिर कौन ऐसा प्रभावशाली व्यक्ति है जिसके कारण से मंत्री जी कार्यवाही नहीं हो रही है.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो जवाब प्राप्‍त हुआ है और मैंने दिया है इसमें इस पत्र के बारे में मना नहीं किया कि कलेक्‍टर ने पत्र नहीं लिखा है, लेकिन ऐसी कोई शिकायत स्‍पेसिफिक कार्यालय को प्राप्‍त नहीं हुई है या जवाब मिला है, लेकिन मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी की इस बात से सहमत हूं कि सारे प्रश्‍नों को मेरे भी अध्‍ययन करने के बाद लग रहा है कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है और इसलिये नोटिस दिये हैं, फार्मेलिटी हुई है लेकिन कार्यवाही नहीं हुई है, मैं इसको स्‍वीकार करता हूं. और इसलिये संभागायुक्‍त की अध्‍यक्षता में पूरे जिले के ऐसे मामलों की हम जांच करायेंगे.

          श्री अजय सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह फिर से एक तरह से मामला टालने की बात है, उन्‍होंने कबूल किया इसके लिये मैं माननीय मंत्री महोदय को धन्‍यवाद देता हूं, कल शायद ब्रीफिंग ली है, काफी अधिकारी बुलाये गये थे और ब्रीफिंग हुई होगी, उससे उनको भी पता चल गया कि इसमें कुछ न कुछ दाल में काला है. यदि सही में आप कार्यवाही करना चाहते हैं और इसकी तह तक जाना चाहते हैं तो विधान सभा की सर्वदलीय समिति बनाकर इसकी जांच करवा दें, वह बेहतर रहेगा. क्‍या जांच करवायेंगे ?

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे लगता है इसकी जरूरत अभी नहीं है, हम संभागायुक्‍त की अध्‍यक्षता में एक दल गठित करके और सतना जिले के पूरे मामलों की जांच करायेंगे.

          श्री अजय सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सिर्फ दो गांव का मामला है सुनोरा और रामस्‍थान, शहर से लगे हुये हैं. आरटीओ विभाग टीपी दे रहा है कि 16 टन निकलना चाहिये, उसमें 40 टन निकल रहा है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उन जमीनों में भयंकर माइनिंग हो रही है, वह शासकीय जमीन है. मेरा आरोप है कि हजार करोड़ रूपये का घोटाला है और आप बचाना चाहते हैं. यदि आप निष्‍पक्ष हैं, यदि सुशासन चाहते हैं, भ्रष्‍टाचार समाप्‍त करना चाहते हैं तो सदन में घोषणा कर दें कि पूरी सर्वद‍लीय समिति बनाकर, विधायकों की समिति बनाकर जांच करवा लें क्‍योंकि संभागायुक्‍त से जांच की आप कह रहे हैं, मुख्‍य सचिव ने तक रेवेन्‍यू की वहां पर हर संभाग में बैठक ले ली, क्‍या हुआ ? यह मामला वहां पर उजागर हुआ, कुछ नहीं हुआ. कलेक्‍टर एफआईआर दर्ज करने के लिये कह रहा है, कलेक्‍टर पत्र लिख रहा है कि 2016 में एफआईआर दर्ज होना चाहिये, तत्‍कालीन पटवारियों के नाम, तहसीलदारों के नाम तक लिख रहा है उसके बाद 2 साल हो गये कुछ नहीं हो रहा. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है, माननीय मंत्री महोदय बहुत संवेदनशील हैं और इस तरह से भ्रष्‍टाचार को बचाना नहीं चाहते हैं तो कृपया करके इस तरह की कमेटी घोषित कर दें.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता--  माननीय सदस्‍य जो कह रहे हैं कि कलेक्‍टर ने कोई पत्र लिखा है, इस‍की जानकारी अभी मेरे पास नहीं है, लेकिन अगर लिखा है तो उस पर भी कार्यवाही होगी. मैंने स्‍वयं जब यह कहा है कि मैंने जब इस सारे मामले को समझा है और इसमें मुझे लगा है कि कहीं न कहीं इसमें गड़बड़ है, इसलिये संभागायुक्‍त की अध्‍यक्षता में हम जांच करायेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय--  वह पत्र तो बता रहे हैं न.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं उस पत्र को भी ले लूंगा और उस पर भी आगे कार्यवाही करेंगे.

          श्री बाबूलाल गौर--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर मामला है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आपको टाइम देंगे, पहले प्रतिपक्ष के नेता जी पूछ लें.

          श्री अजय सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तत्‍कालीन कलेक्‍टर संतोष मिश्र जी ने यह पत्र लिखा है, यह पूरी जानकारी किस तरह से ब्रीफिंग होती है इस पत्र का भी हवाला नहीं दिया गया और अभियोजक ने साफ कहा है कि फलाने-फलाने लोगों के ऊपर केस दर्ज हो, एफआईआर हो, माननीय मंत्री महोदय कह रहे हैं कि पूरे सतना जिले की जांच करा लो. मैं तो सीधे आरोप लगा रहा हूं कि दो पटवारी हल्‍का सुनोरा और रामस्‍थान आप उसकी जांच एक विधान सभा की समिति से करा लीजिये न, दूध का दूध और पानी का पानी पता चल जायेगा, यदि आप सही में मुख्‍यमंत्री महोदय की मंशा चाहते हैं कि भ्रष्‍टाचार मुक्‍त हो, स्‍वर्णिम मध्‍यप्रदेश बने, तो समिति से करा दीजिये.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसी जांच में कोई आपत्ति नहीं है आप दो तहसील का कह रहे हैं मैं पूरे जिले का कह रहा हूं.

          श्री अजय सिंह--  मैं 2 तहसील नहीं कह रहा हूं, 2 पटवारी हल्‍के की बात कर रहा हूं, हजार करोड़ का मामला है.

          श्री रामनिवास रावत--  2 पटवारी हल्‍के, 2 गांव की बात कर रहे हैं.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता--  हां करा देंगे. हम कह रहे हैं न हम पूरी तहसील की करा देंगे. सतना जिले की करा देंगे, जांच में कोई आपत्ति नहीं हैं, लेकिन संभागायुक्‍त की अध्‍यक्षता में हम कमेटी बनायेंगे और वह जांच करेगी.

          श्री अजय सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बड़ा गंभीर मामला है.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता--  यदि जांच में कोई विधायक जी शामिल होना चाहें हम शामिल कर देंगे कोई आपत्ति नहीं है.

          श्री अजय सिंह--  विधायक शामिल होना चाहते हैं, इसमें शामिल होने की हमें कोई रूचि नहीं है. मैं तो कह रहा हूं शंकर लाल तिवारी वहां के विधायक हैं, आदरणीय उपाध्‍यक्ष महोदय स‍तना जिले के विधायक हैं, एक दो लोगों को और बना दीजिये एक बीजेपी के, एक कांग्रेस के, दो, तीन और विधायक बना दीजिये. एक बहुजन के विधायक हैं उनको बना दीजिये. इनकी समिति से दो पटवारी हल्कों की जांच आप जांच करा लीजिये इससे पता चल जायेगा कि वहां क्या है ?

            श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि संभागीय आयुक्त के ऊपर हम लोगों को भरोसा करना चाहिये उनसे हम जांच करा लेंगे. मुझे किसी भी समिति से जांच कराने में आपत्ति नहीं है.

          श्री मुकेश नायक--अध्यक्ष महोदय, इनको संभागायुक्त पर भरोसा है, अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है. प्रतिपक्ष के नेता माननीय विधायकों से जांच कराने के लिये कह रहे हैं और निष्पक्ष जांच चाहते हैं तो इन्हें इनकी भावनाओं का आदर करना चाहिये.

          श्री बाबूलाल गौर--अध्यक्ष महोदय, यह बड़ा ही गंभीर प्रश्न है. शासकीय भूमि का है इसमें कलेक्टर पुलिस को एफ.आई.आर लिखने के लिये आदेशित कर रहा है तो क्या इसमें एफ.आई.आर. लिखी गई कि नहीं लिखी गई. इसमें कार्यवाही क्यों नहीं हुई है प्रश्न इस बात का है, न्याय का प्रश्न है.

          अध्यक्ष महोदय--आप प्रश्न तो करें.

          श्री बाबूलाल गौर--अध्यक्ष महोदय, मेरा यही तो प्रश्न है. कलेक्टर के द्वारा थाने के अंदर शिकायत की गई कि यह गलत काम हो रहा है. तो उनके खिलाफ कार्यवाही हुई कि नहीं हुई ?

          श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, वह पत्र मेरे पास में नहीं है. माननीय नेता प्रतिपक्ष ने कहा है तो मैं इसकी जानकारी प्राप्त करके दे दूंगा.

          श्री अजय सिंह--अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर ने एफ.आर.आर.दर्ज करने का कहा उसके बाद पुलिस अधीक्षक पत्र लिखता है कि फलाने फलाने लोगों के ऊपर जितने नाम मैंने पहले पढ़े हैं उनके ऊपर एफ.आई.आर दर्ज हो. एस.पी.ने, सीताराम यादव नगर पुलिस अधीक्षक थाना कुलगंवा के अपराध क्रमांक 168/2016 धारा 420, 467, 468 प्रकरण में विस्तृत जांच भेजने बाबत. मैं यही तो कह रहा हूं कि जब कलेक्टर लिख रहा है, एस.पी. एफ.आई.आर के लिये लिख रहा है 2016 में मैं और कुछ नहीं मांग रहा हूं. सर्वदलीय विधायकों की एक समिति बना दी जाए और इसकी जांच हो जाए. दो साल से क्या संभागायुक्त नहीं थे, क्या दूसरे कलेक्टर नहीं आ गये? लेकिन मामला वहीं का वहीं है. यह बहुत गंभीर मामला है. एक जिले के दो पटवारी हल्कों का मामला है. अब आप सोच लीजिये कि और जिलों में भी सरकारी जमीनों की किस तरह की हेरा-फेरी हो रही है उसके बारे में नहीं कह रहा हूं. मैं तो सिर्फ आपसे अनुरोध करता हूं कि यदि आप सही में निष्पक्ष हैं और भ्रष्टाचार समाप्त करना चाहते हैं, सरकारी जमीनों को बचाना चाहते हैं. अगर आपकी यह मंशा है तो एक सर्वदलीय समिति गठित कर लीजिये या चीफ सेकेट्री से कह दीजिये कि यह जांच कर लें.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, मैं चीफ सेकेट्री से कह दूंगा कि इस प्रकरण की जांच कर लें.

परियोजनावार प्रबंधक के पद की पूर्ति

[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]

2. ( *क्र. 1518 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्‍या पी.एच.ई. विभाग द्वारा जल निगम का गठन किया गया है? यदि हाँ, तो क्‍या जल निगम में परियोजनावार प्रबंधक के पद पर प्रचार-प्रसार हेतु नये सिरे से विज्ञापन जारी किये गये थे? (ख) यदि हाँ, तो कब-कब किस परियोजना के लिए कितने पद स्‍वीकृत थे? नियमावली क्‍या थी? क्‍या इसमें कोई संशोधन किया गया था? यदि किया गया था तो क्‍यों? स्‍पष्‍ट कारण बताएं। किसका चयन किया गया है, उसका पूर्ण विवरण साक्षात्‍कार के प्राप्‍त अंक सहित देंवे। (ग) क्‍या पी.एच.ई. विभाग से जिला सलाहकार (आई.ई.सी.) को जल निगम में प्रबंधक के पद पर प्रतिनियुक्ति पर लिया जा सकता था? यदि नहीं, तो क्‍यों नहीं? यदि हाँ, तो जल निगम में प्रबंधक के पद पर विज्ञापन जारी करने की क्‍या आवश्‍यकता थी? (घ) क्‍या जल निगम द्वारा संविदा पर नियुक्त प्रबंधकों को भविष्‍य में स्‍थाई किया जाएगा? यदि नहीं, तो क्‍यों नहीं? यदि हाँ, तो कब तक?

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जी हाँ। जी नहीं, परियोजना क्रियान्वयन इकाई स्तर पर प्रबंधक (जनसहभागिता) के पद हेतु विज्ञापन जारी किये गए थे।                                              (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। संविदा कर्मी को प्रतिनियुक्ति पर लिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।                                     (घ) जी नहीं। संविदा कर्मी को स्थाई किए जाने का प्रावधान नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।

          श्री शंकरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर साफ-सुथरा एवं सटीक आया है छपकर के मैं माननीय मंत्री जी से इतना ही पूछना चाहता हूं कि क्या भविष्य में इन कर्मचारियों के प्रति इनको रेग्यूलर कर स्थायी किये जाने का कोई प्रावधान बनाएंगी ?

            सुश्री कुसुम सिंह महदेले--अध्यक्ष महोदय, अभी संविदा कर्मचारियों के लिये नियमित करने का कोई नियम नहीं है. भविष्य में सरकार यदि ऐसे कोई नियम बनाती है तो जरूर उन पर विचार करेंगे.

          श्री शंकरलाल तिवारी--धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.

          जहांगीराबाद थाने में दर्ज अपराध पर कार्यवाही

[गृह]

3. ( *क्र. 1618 ) एडवोकेट सत्‍यप्रकाश सखवार : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अपराध क्रमांक 889/2013 में थाना जहांगीराबाद, भोपाल द्वारा जिला एवं सत्र न्‍यायालय भोपाल में चालान किस दिनांक को प्रस्‍तुत किया गया? प्रस्‍तुत चालान में किस-किस आरोपी द्वारा नियमित जमानत प्राप्‍त की गयी है? प्रत्‍येक का तिथिवार विवरण दें। (ख) उक्‍त अपराध के संबंध में उच्‍च न्‍यायालय में प्रस्‍तुत एम.सी.आर.सी. 3267/2014 में स्‍थगन किस दिनांक को जारी किया गया है? स्‍थगन में किसे आदेशित किया गया है? चालान प्रस्‍तुत होने के पश्‍चात् एफ.आई.आर. पर स्‍थगन किस तरह प्रभावशील होगा? (ग) जिला अभियोजन अधिकारी किस विभाग के अधीन है? उसके द्वारा उक्‍त प्रकरण में जिला न्‍यायालय के समक्ष एफ.आई.आर. पर दिये गये स्‍थगन को किस आधार पर न्‍यायालयीन कार्यवाही के लिये स्‍थगन के रूप में समर्थित किया जा रहा है? (घ) जिन विधिक कार्यवाहियों में कार्यवाही अंतिम हो जाती है, तो ऐसे प्रकरणों में कार्यवाही अंतिम होने के पश्‍चात् जारी/प्राप्‍त न्‍यायालयीन स्‍थगन की प्रभावशीलता के‍ नियमों की प्रति उपलब्‍ध करावें।

गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) थाना जहांगीराबाद, जिला भोपाल के अपराध क्रमांक 889/13 में चालान दिनांक 10.04.2014 को माननीय न्यायालय में पेश किया गया है। जानकारी संलग्‍न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर द्वारा एम.सी.आर.सी. क्र. 3267/2014 में दिनांक 11.04.2014 को स्थगन जारी किया गया है। माननीय उच्च न्यायालय ने यह स्थगन आगामी समस्त कार्यवाहियों हेतु जारी किया गया है, जो सभी पक्षकारों के लिये प्रभावशील है। माननीय न्यायालय से संबंधित होने से टिप्पणी करना न्यायसंगत नहीं होगा।                                                       

   (ग) जिला अभियोजन अधिकारी, गृह विभाग के अधीन है। प्रश्नांश विवेचना/न्यायालयीन प्रक्रिया से संबंधित होने से उत्तर दिया जाना न्यायसंगत नहीं होगा। (घ) न्यायालयीन प्रक्रिया से संबंधित होने से उत्तर दिया जाना न्यायसंगत नहीं होगा।

परिशिष्ट - ''एक''                                                                              

                      एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न जहांगीराबाद थाने में दर्ज अपराध क्रमांक 889/2013 से संबंधित है. दिनांक 10 अप्रैल,2014 को चालान पेश होने के एक दिन बाद दिनांक 11 अप्रैल,,2014 को एम.सी.आर.सी. से 3267/2014 में एफ.आई.आर. पर मिले स्टे को लोक अभियोजन संचालनालय द्वारा चालान पर स्टे क्यों नहीं माना जा रहा है ? इस संबंध में विधि वेत्ताओं का मार्गदर्शन क्यों नहीं लिया गया ? दूसरी बात जिन लोगों ने जिला एवं सत्र न्यायालय से नियमित जमानत नहीं ली है उनको फरार घोषित करने के संबंध में लोक अभियोजन संचालनालय द्वारा कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है ?

          श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें माननीय न्यायालय की ओर से रोक है इस कारण से विभाग कोई कार्यवाही अभी नहीं कर पा रहा है. न्यायालय का जैसा निर्णय आयेगा उस आधार पर हम आगे कार्यवाही करेंगे.

          एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.

आदिवासी की भूमि का नामांतरण

[राजस्व]

4. ( *क्र. 1545 ) श्री कल सिंह भाबर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                                             (‍क) क्‍या आदिवासी वर्ग के नाम की कृषि भूमि सामान्‍य वर्ग के नाम पर की जा सकती है? यदि नहीं, तो झाबुआ जिले के ग्राम मेघनगर तहसील मेघनगर सर्वे नम्‍बर 332 क्षेत्रफल 1.35 हेक्‍टेयर कृषि भूमि, जो वर्ष 2010-11 तक आदिवासी वर्ग के व्‍यक्ति के नाम पर थी, वह वर्ष 2011-12 में अचानक सामान्‍य वर्ग के व्‍यक्ति के नाम पर कैसे की गई? (ख) क्‍या ऐसे मामलों की जाँच कर आदिवासी वर्ग की भूमि गैर आदिवासी के नाम पर करने वाले अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध कोई कार्यवाही की जावेगी।

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) म.प्र. भू-राजस्‍व संहिता 1959 की धारा 165 (6) के उपबंधों के अध्‍यधीन अधिसूचित क्षेत्रों में अ.ज.जा. की भूमि का गैर अ.ज.जा को अंतरण प्रतिबंधित है। ग्राम मेघनगर स्थित सर्वे नं. 332 रकबा 1.35 हेक्‍टर कृषि भूमि राजस्‍व रि‍कॉर्ड में वर्ष 2010-11 में अनुसूचित जनजाति के सदस्‍य श्री सोमला पिता कुवरा जाति पटलिया के नाम दर्ज थी। वर्ष 2011-12 में यह भूमि राजस्‍व रिकार्ड खसरा के कालम नं. 12 कैफियत में अनुविभागीय अधिकारी राजस्‍व थांदला के प्रकरण क्रमांक 2/अ-23/2007-08 आदेश दिनांक 09.04.2009 द्वारा नामांतरण होकर गैर अनुसूचित जनजाति की सदस्‍य सुगरा बेवा अब्‍दुलरहीम के नाम दर्ज होना पाई गई है। (ख) जी हाँ तहसीलदार मेघनगर के न्‍यायालय में प्रकरण क्रमांक 0007/अ-6 (अ)/2017-18 पंजीबद्ध कर जाँच प्रारंभ की गई है। जाँच उपरांत अग्रिम कार्यवाही की जावेगी।

          श्री कल सिंह भाबर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में आदिवासी जमीन पर गैर आदिवासी ने कब्जा किया है और उसका नामांतरण भी करवाया है. ऐसी जो नगर के आसपास आदिवासियों की जमीनें रहती हैं उस पर हमेशा गैर आदिवासी कब्जा करके उस पर अपना व्यवसाय करते हैं. मेरे प्रकरण में जो  काम करने वाला है उससे जबरन नामांतरण करवा लिया और बड़े अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके नामांतरण करवाया है. छोटे कर्मचारियों को दण्ड देकर कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं. मैं मंत्री जी से आग्रह करना चाहूंगा कि क्या वह बड़े अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे ?

          श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो मामला उठाया है वह बिल्कुल ठीक है इसकी जब हमने जांच की तो पटवारी ने कैफियत में लिखकर कि एस.डी.ओ. के आदेश से नामांतरण किया जा रहा है किया था. जांच में जब एस.डी.ओ. के यहां देखा गया तो प्रकरण कोई पंजीबद्ध नहीं पाया गया. इसलिये पटवारी को हमने निलंबित किया है और एफ.आई.आर. के भी हमने निर्देश दिये हैं. हम पूरी जांच करवाएंगे.

          श्री कल सिंह भाबर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे यहां इसी प्रकार के करीब 100 के आसपास प्रकरणों में आदिवासियों की जमीनों पर सामान्य लोग कब्जा किये हुए हैं. मैं चाहूंगा कि सारे प्रकरणों की जांच करवाकर उन सभी को कब्जा वापस दिलाया जाएगा ?

          श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भी ऐसे मामले हमें दिये जायेंगे, हम सबकी जांच कराएंगे.

          श्री कल सिंह भाबर - माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.

किसानों की फसल का मुआवजा भुगतान

[राजस्व]

5. ( *क्र. 708 ) श्री दीवान सिंह विट्ठल पटेल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या दिनांक 07.09.2017 एवं 10.10.2017 को विकासखण्‍ड पानसेमल जिला बड़वानी में तेज बारिश एवं आंधी तूफान से किसानों की खड़ी फसल खराब हुई है? (ख) यदि हाँ, तो क्या विभाग के द्वारा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया गया है? सर्वे में कितने किसानों की फसल खराब होने की जानकारी प्राप्त हुई? प्रभावित किसानों की सूची उपलब्ध करायें। (ग) क्या प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर प्रभावित किसानों को शासकीय नियमानुसार मुआवजा प्रदान किया गया है? यदि हाँ, तो ऐसे किसानों की सूची उपलब्ध करावें? यदि नहीं, तो कब तक किसानों को मुआवजा प्रदान किया जावेगा?

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। आंशिक क्षति हुई है। (ख) जी हाँ। राजस्‍व एवं कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा विकासखण्‍ड पानसेमल के ग्राम जाहूर, भड़गोन, बबुलताड़, मोरतलाई, कानसुल, निसरपुर में सर्वे किया गया। सर्वे अनुसार कुल 210 किसानों की फसल को आंशिक क्षति हुई है। आंशिक प्रभावित किसानों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। सर्वे अनुसार फसल क्षति का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ग) राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र खण्‍ड छ: क्रमांक 4 (आर.बी.सी. 6-4) के नियमानुसार फसल क्षति 25 प्रतिशत से कम होने से आर्थिक सहायता राशि दिये जाने के प्रावधान नहीं हैं। शेष प्रश्‍नांश उदभूत नहीं।

 

          श्री दीवान सिंह विट्ठल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहूंगा. मेरा किसानों से संबंधित मामला है और उनसे मैं आग्रह करना चाहूंगा कि दिनांक 7.9.2017 एवं दिनांक 10.10.2017 को मेरे विधान सभा क्षेत्र के विभिन्न गांवों में अतिवृष्टि और आंधी,तूफान से फसलों का नुकसान हुआ, जैसे मक्का,गन्ना,ज्वार,बाजरा की फसलों का, उसमें आपने बताया कि आंशिक क्षति हुई है और कुल ऐसे 210 किसान हैं जिनकी फसलों की क्षति हुई है. फसलों के नुकसान का जो आकलन हुआ है वह क्या उन किसानों की उपस्थिति में या कोई जनप्रतिनिधि की उपस्थिति में सही आकलन हुआ ? और मैंने खुद भी उस क्षेत्र के किसानों के मध्य जाकर देखा और उसका जो आकलन है वह अलग है तो उन किसानों को जो वास्तविक मुआवजा मिलना चाहि,ये वह उनको मिले और जिन अधिकारियों,कर्मचारियों ने जिन्होंने यह जांच की उन्होंने क्या वास्तविक जांच की है ?

          श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जवाब में बताया है कि आंशिक क्षति हुई है और मुआवजे के अंतर्गत नहीं आता है. जब सर्वे के लिये जाते हैं उस समय रेवेन्यू का पंचायत का,वहां का कोई जनप्रतिनिधि शामिल होता है और उनकी उपस्थिति के पंचनामे मेरे पास हैं, जिनके सामने यह आकलन हुआ.

          श्री दीवान सिंह विट्ठल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा आपने बताया कि अधिकारी,कर्मचारी गये थे और मैं खुद वहां गया हूं. उसमें मैंने वहां के कलेक्टर, तहसीलदार, एसडीएम से भी कहा था कि मेरी उपस्थिति में भी कार्यवाही हो. अधिकांश किसानों को जानकारी का अभाव होता  है वहां पर क्या आंकलन हुआ और किस तरह का आंकलन हुआ और कैसा पंचनामा हुआ? इस तरह की बात कहीं से कहीं तक स्पष्ट नहीं है. मैं आग्रह करना चाहूंगा कि पुनः उसकी अपने स्तर से जांच कर ली जाएगी या जिन कर्मचारियों ने सही जांच नहीं की है, क्या उनके खिलाफ कोई जांच होगी?

श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, अब तो कोई जांच उसकी हो सकती नहीं है और चार-चार, पांच-पांच लोगों ने देखा है. राजस्व विभाग, पंचायत विभाग, कृषि विभाग, इन 3 विभागों के प्रतिनिधि रहे हैं. राजस्व पटेल, कृषक इन सबकी उपस्थिति में पंचनामें बने हैं.

 

व्ही.आई.पी. सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी के साथ अभद्र व्‍यवहार

[गृह]

            6. ( *क्र. 559 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि व्ही. आई.पी. की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी का कार्य शासकीय कार्य की श्रेणी में आता है या नहीं? यदि हाँ, तो फिर प्रश्नकर्ता के अंगरक्षक के साथ दिनांक 08.01.2016 को मांगलिया टोल प्लाजा कर्मचारियों द्वारा की गई मारपीट की घटना होने पर पुलिस थाना क्षिप्रा में धारा 341, 323, 294, 506, 34 भा.द.वि. के तहत् दर्ज अपराध क्र. 09/16 में प्रश्नकर्ता द्वारा नियमानुसार धारा 353 बढ़ाने के संबंध में पूछे गये प्रश्न क्रमांक 1186, दिनांक 20.07.2016 के उत्तर में किस नियम के तहत उक्त अपराध शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाला नहीं बताया जाकर धारा 353 एवं 332 भा.द.वि. की श्रेणी में नहीं होना बताया गया है? नियम की प्रति उपलब्ध करावें।

            गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : जी हाँ। प्रकरण में अनुसंधान के दौरान यह पाया गया था कि घटना दिनांक को धरमपुरी धार के माननीय विधायक श्री कालुसिंह अपनी प्रायवेट कार से क्षिप्रा होते हुए धरमपुरी जा रहे थे। वाहन पर विधायक पास नहीं था और न ही वाहन पर विधायक लिखा था। गनमेन आरक्षक श्री मोतीलाल, सुरक्षा वाहिनी, भोपाल सादे कपड़ों में था। इस कारण टोल कर्मचारियों का विवाद हुआ था। वर्तमान में थाना क्षिप्रा के अप.क्र. 09/16 का प्रकरण न्यायालय में धारा 294, 332, 353, 341 एवं 506 भाग-2 के अंतर्गत विचारण में है।

श्री कालुसिंह ठाकुर - अध्यक्ष महोदय, मेरे जवाब में माननीय मंत्री जी ने जो जानकारी दी है, उससे संतुष्ट तो हूं परन्तु मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि एक विधायक होते हुए जब टोल पर विवाद होते हैं. 11 बजे से 5 बजे तक  मैं थाने में बैठा रहा हूं, जब तक एफआईआर नहीं की गई. अन्य धाराओं में एफआईआर की गई. मेरे गनमैन के साथ अभद्र व्यवहार एवं मारपीट की गई. न्यायालय में उसका आवेदन किया, न्यायालय ने शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने की धारा के आदेश दिये तब धारा लगाई. जबकि पुलिस को वहां रहकर मौजूद दस्तावेज बताए कि विधायक की सिक्युरिटी में गनमैन था, उसको उन्होंने दौड़ा-दौड़ा कर मारा. टोल नाके से पता नहीं क्या मेरी राशि में ही कुछ न कुछ गड़बड़ है, माननीय मंत्री जी मेरे प्रश्न का जवाब दें? मैं अब बस आ रहा हूं, मैंने गाड़ी से भोपाल आना बंद कर दिया है क्योंकि यह मेरे साथ में दूसरी बार ऐसी घटना हो गई है. दो बार घटना हो गई इसकी वजह से मैं बस से आ रहा हूं. मुझसे यह सहन होता  नहीं है, उन्होंने मेरे गनमैन को मारा है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूं कम से कम ऐसे दोषी लोगों पर कार्यवाही करें, जबकि वहां पर विधायक 5 घंटे बैठा रहा. 

नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - अध्यक्ष महोदय, यह एक भाजपा के विधायक हैं. भारतीय जनता पार्टी का विधायक कितना असुरक्षित महसूस कर रहा है कि गाड़ी से न आकर बस से आ रहा है?

श्री रामनिवास रावत - गृह मंत्री जी, सुरक्षा तो प्रदान करें.

श्री निशंक कुमार जैन - अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की यह हालत है कि बसों में जा रहे हैं. यह सुरक्षा व्यवस्था की क्या स्थिति है?  

अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं.

श्री यादवेन्द्र सिंह - (XXX)

अध्यक्ष महोदय - इसे कार्यवाही से निकाल दें.

श्री यादवेन्द्र सिंह - (XXX)

डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, यह बाद का भी विलोपित करा दें.

अध्यक्ष महोदय - यह भी विलोपित कर दें. माननीय मंत्री जी..

श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, इसमें सारी कार्यवाही हो गई है और कार्यवाही से विधायक जी संतुष्ट भी हैं. मैं उनसे निवदेन करूंगा कि आप तो अपनी गाड़ी से आए जाएं. हम आपकी पर्याप्त सुरक्षा करेंगे.

श्री यादवेन्द्र सिंह - मंत्री जी आप बार-बार कहते हैं.

अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं.

श्री कालुसिंह ठाकुर - माननीय मंत्री जी आपका सम्मान करता हूं. आपकी बात से संतुष्ट तो हूं. लेकिन एक विधायक को 4 घंटे अधिकारियों ने बैठाया, उस पर कार्यवाही होना चाहिए.

श्री यादवेन्द्र सिंह - हमने यही कहा कि आज आपके विधायकों के साथ यह हो रहा है और मदद करने वाली यही बात आप बार-बार कहते हैं.

श्री कालुसिंह ठाकुर - अगर पुलिस वहीं पर मौके पर कार्यवाही कर देती तो मैं संतुष्ट होता, लेकिन ऐसे अधिकारी पर कुछ कार्यवाही होना चाहिए.

श्री यादवेन्द्र सिंह - यह दोबारा, तिबारा केस हो रहा है. आप आज निर्णय कर दें.

अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं.

श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, सभी हमारे माननीय विधायकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर सरकार की ओर से, हमारे विभाग की ओर से सभी माननीय विधायकों को सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराए गए हैं. अगर कभी अतिरिक्त भी कोई..

श्री शंकर लाल तिवारी - सभी को नहीं, मैंने आज तक सुरक्षा गार्ड लिया ही नहीं. आपके आशीर्वाद से मैं सुरक्षित हूं. मुझे गनमैन की जरूरत ही नहीं है.

श्री अजय सिंह - (XXX)..(हंसी)..

श्री शंकर लाल तिवारी - (XXX)

अध्यक्ष महोदय - इसे विलोपित कर दें.

(व्यवधान)..

अध्यक्ष महोदय - आप सब बैठ जाएं. माननीय मंत्री जी.                                       श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है और विभाग की तरफ से फिर से इस बात के आदेश जारी कर रहे हैं कि जो हमारे सुरक्षागार्ड हैं, सुरक्षागार्ड्स का पहचानपत्र हो, वह यूनिफार्म में हों, तो सामने वाले को पहचानने में सुविधा होती है. उस समय जो घटना हुई वह इस कारण हुई कि सुरक्षागार्ड के पास न कोई पहचान पत्र था, न कोई इस तरह से पहचानने की स्थिति थी कि टोलकर्मी उसको पहचान पाते. इसलिये मेरा सभी माननीय विधायकों से आग्रह है कि कृपया इस बात को देखें कि आपको शासन ने जो सुरक्षागार्ड उपलब्‍ध कराये हैं कम से कम उनके गले में पहचान पत्र हो, तो लोग पहचान सकें कि यह सुरक्षागार्ड है और इससे कई बार घटनायें नहीं हो पाती हैं. यह निर्देश भी हम जारी कर रहे हैं और सभी माननीय सदस्‍यों से आग्रह भी है.

          श्री कालुसिंह ठाकुर -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के जवाब से संतुष्‍ट नहीं हूं क्‍योंकि मेरे सुरक्षागार्ड के पास पहचान पत्र था एवं वह ड्रेस में भी था. उसके बाद भी मैं थाने में 5 घण्‍टे बैठा. यहां गलत जानकारी दी गई है, उससे मैं सहमत नहीं हूं.

          श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि यहां अपराधी शब्‍द का इस्‍तेमाल हुआ है वह उचित नहीं है.

          श्री कालुसिंह ठाकुर -- अध्‍यक्ष महोदय, मुझे जवाब दिलाया जाये. मैंने बताया कि मेरे सुरक्षागार्ड के पास उसका पहचानपत्र था, वह ड्रेस में भी था और मैंने थाने में जाकर पास बताया उसके बाद भी मुझे थाने में 5 घण्‍टे बैठाया गया. यह गलत तरीका है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप क्‍या चाहते हैं ? आप बैठ जायें.

          श्री कालुसिंह ठाकुर -- यहां बिल्‍कुल गलत जानकारी दी गई है. मैंने स्‍वयं जाकर अपना पास बताया और गनमैन का पास भी बताया फिर भी मुझे थाने में बैठाया और यह गलत आरोप भी लगा दिया कि तीन फायर किये थे. थाने में गन भी चेक की गई. क्‍या यह भी पता नहीं कि वह गन शासकीय है. जिस भी अधिकारी ने गलत किया है उसके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिये.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, इसमें माननीय विधायक जी जैसा चाहते थे वैसी कार्यवाही हो गई है.

          श्री कालुसिंह ठाकुर -- कार्यवाही कोर्ट ने की है आपने नहीं की. हमने कोर्ट से वह कार्यवाही करवायी. आपने क्‍या किया ? हमको 5 घण्‍टे थाने में बैठाया ? यह गलत है इस पर कार्यवाही होना चाहिये. अन्‍यथा मैं गाड़ी से नहीं आऊंगा बस से आऊंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रतिपक्ष के नेता जी खड़े हैं. आप कृपया एक मिनट बैठ जाये फिर आपकी बात भी सुन लेंगे.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय गृहमंत्री जी ने कार्यवाही की या नहीं की, लेकिन विधायक महोदय की पीड़ा को आप समझें. यह केवल एक विधायक की पीड़ा नहीं है बहुत सारे विधायकों की है. 

          श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्‍यक्ष महोदय, श्री राहुल सिंह जी यह शब्‍द वापस लें कि मैं अपराधी हूं. मैंने गनमैन नहीं लिया इसके लिये इनको मुझे धन्‍यवाद देना चाहिये. मैंने तो 14 साल से सरकार का पैसा बचाया है. आपने मुझे अपराधी कह दिया.

          अध्‍यक्ष महोदय -- इस शब्‍द को विलोपित कर दिया गया है. आपको कोई अपराधी नहीं मानता है.

          श्री अजय सिंह -- मैंने क्‍या आपको नाम से अपराधी कहा था ? हमने कहा जो अपराध करता है. अब उसमें आपको इतनी चींटी लग गई तो मैं क्‍या करूं ?

          श्री शंकरलाल तिवारी -- आप इशारों से हमला करते हैं.

          श्री अजय सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, अभी विधायक महोदय ने जो पीड़ा प्रकट की यह बहुत सारे विधायकों की पीड़ा है. यादवेन्‍द्र सिंह जी भी बात कर रहे थे कि सुरेन्‍द्र सिंह जी चित्रकूट के पूर्व विधायक के साथ भी ऐसी घटना हुई थी. कोई ऐसा नियम बना दें. माननीय गृहमंत्री जी ने कहा कि पास होना चाहिये, यूनिफार्म में होना चाहिये. वह बता रहे हैं कि पास था, यूनिफार्म में भी था, विधायक स्‍वयं थे, उन्‍होंने अपना पास भी दिखाया, तो और कौन सा प्रमाण हम लोग दे दें जिससे हम बच जायें ? यह बात आप हमको बता दीजिये. इस बात का आप निराकरण करा दें. चाहे गृहमंत्री जी से वाद-विवाद करके, लेकिन विधायकों की सुरक्षा करायें.

                      श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष  महोदय, माननीय विधायकों की  सुरक्षा को लेकर  सरकार पूरी तरह से गंभीर है  और इसलिये माननीय विधायकों की सुरक्षा के लिये  सुरक्षा गार्ड  शासन की तरफ से उपलब्ध कराये गये हैं,  परन्तु  उसके बाद भी अगर कोई इस तरह की घटना होती है, तो  उसमें  जो तात्कालिक कार्यवाही शासन, विभाग  की ओर से  होना चाहिये,  वह हम लोगों ने तात्कालिक कार्यवाही  इसमें की है या  और भी जो प्रकरण होंगे, उसमें करेंगे. विधायकों की सुरक्षा को लेकर,  जैसा मैंने पहले भी निवेदन किया है कि  हमें यह  देखना पड़ेगा कि हमारे जो  सुरक्षा गार्ड हैं,  जो हमें पीएसओ मिले हुए हैं,  वह पीएसओ कम से कम उनकी  पहिचान स्पष्ट रुप से दिखे,  यह हम सबको इस बात के  लिये सजग होना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, यह जो घटनाएं होती हैं,  यह  कई बार  इसी कारण से हो जाती हैं कि सुरक्षा गार्ड   की पहिचान न  हो पाने के कारण इस  तरह की घटनाएं होती हैं और इसलिये   सभी  माननीय विधायकों से आग्रह है कि   इसको सभी लोग सुनिश्चत करेंगे.     नेता प्रतिपक्ष जी को हम विश्वास दिलाते हैं कि   कहीं पर भी अगर कोई भी विषय आपकी तरफ से ऐसा आता है,  कहीं पर भी कोई ऐसा आपको लगता है, तो आप बतायें,  हम अतिरिक्त सुरक्षा  भी  कहीं करना होगी, तो हम अतिरिक्त  सुरक्षा  भी करेंगे,  परंतु विधायकों की सुरक्षा में सरकार  की तरफ से  कोई कमी हम नहीं रखेंगे.

11.36 बजे                                 अध्यक्षीय व्यवस्था

        टोल नाकों पर पदस्थ कर्मचारियों का  पुलिस  वेरिफिकेशन सुनिश्चित किया जाना.

                      अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, टोल नाकों पर  जो कर्मचारी रखे जाते हैं,  वह आपराधिक प्रवृत्ति के होते हैं और इसलिये यह झगड़े होते हैं. इसलिये कृपया यह सुनिश्चित करें कि  उनका पुलिस वेरिफिकेशन हो  और  उनकी एंट्री  निकट के  पुलिस थाने में हो,  ताकि  भविष्य में यह घटनायें न घटें. .(मेजों की थपथपाहट) 

                   श्री भूपेन्द्र सिंह -- जी, माननीय अध्यक्ष महोदय.

11.37 बजे                       तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमशः)

                   श्री कालुसिंह ठाकुर --  अध्यक्ष महोदय, मुझे 5 घण्टे तक वहां पर थाने में बिठाया  गया.

                   अध्यक्ष महोदय -- आप जो  कार्यवाही चाहते हैं, वह बता दीजिये , वह भी  करवा देंगे.

                   श्री कालुसिंह ठाकुर --  अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी एक ही बात कह दें कि  जिस अधिकारी ने अनियमितता की है, उस पर कार्यवाही  होना चाहिये.  मैं केस भी वापस ले लूंगा, पर मुझे पूरी रात थाने में बिठाया गया, इसके लिये  तो उस पर  कार्यवाही होनी चाहिये.

                   श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय,  मैं माननीय विधायक जी से अलग से बैठकर चर्चा कर लूंगा.

                   अध्यक्ष महोदय -- आप क्या चाहते हैं,  वह  बात कर लीजियेगा.

                   श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं अलग से उनसे चर्चा कर लूंगा.

                   श्री कालुसिंह ठाकुर --  अध्यक्ष महोदय, ठीक है, धन्यवाद.

                   प्रश्न संख्या - 7           (अनुपस्थित)

भवन निर्माण हेतु भूमि आवंटन

[राजस्व]

                8. ( *क्र. 1514 ) श्री पुष्‍पेन्‍द्र नाथ पाठक : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र बिजावर अंतर्गत कितने ऐसे प्रकरण हैं, जिनमें शासन द्वारा भवन निर्माण स्वीकृत कर दिया है, परंतु विभाग द्वारा भूमि उपलब्ध नहीं कराई गई है? ऐसे प्रकरणों की सूची उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में उक्त भवनों के निर्माण की स्वीकृति कब प्राप्त हुई? विभाग अथवा एजेंसी द्वारा भूमि आवंटन हेतु कब-कब पत्राचार किया गया? उपरोक्त पत्राचार पर क्या कार्यवाही की गई? भवन निर्माण हेतु भूमि आवंटन कब तक कर दी जायेगी?

        राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है।

परिशिष्ट - ''दो''

                   श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक -- अध्यक्ष महोदय,  मैंने  आपके माध्यम से मंत्री जी से प्रश्न में यह जानना चाहा था कि  मेरे विधान सभा  क्षेत्र में ऐसे कितने प्रकरण हैं,  जिनमें  भूमि आवंटन का विषय  लंबित है.  कुल मिलाकर जवाब में  4  जगह के आवंटन के संबंध में  जानकारी आई है,  जिसमें से  2 स्वास्थ्य, 1 ग्रामीण  विकास और 1 सहकारिता  का है और  जवाब में जो जानकारी कालम 8  में   आई है, उसमें आखिरी में लिखा है कि  औपचारिक आवंटन की  प्रक्रिया जारी है. तो मैं निवेदन यह कर रहा हूं कि  यह आवंटन की  प्रक्रिया  जारी कितने दिन तक  रहना है, क्या एकाध हफ्ते में इसका समाधान  हो जायेगा.  दूसरा,  प्रश्न बहुत ज्यादा विषयों को लेकर था. एक हमारे यहां बजरंगगढ़ मिडिल स्कूल की बिल्डिंग बनना है, वह लम्बे समय से लंबित है, उसका  जिक्र नहीं है.  एक गोपालपुरा गांव है, वहां  प्रधानमंत्री  सड़क योजना से सड़क बनना है,  एक बार पैसा वापस जा चुका है, खींचतान कर दोबारा लाये हैं, उसका कोई जिक्र नहीं है. तो   मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि  प्रश्न हम कुछ भी पूछते हैं,  आपका विभाग उसका सुविधानुसार अर्थ  निकालता है,  उससे  ज्यादा सुविधानुसार  जवाब देता है. तो इसका समाधान कैसे होगा कि   हमें जिन भवनों की  आवश्यकता है, जिन रोड्स की आवश्यकता है,  उनकी  भूमि  आवंटन की  प्रक्रिया पूरी करके  10 दिन में यह  विकास के काम की गति   बढ़ सकती है या  भूमि आवंटित हो सकती है.

                   श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, चारों आवंटन हो  गये हैं, आदेश की कॉपी मैं आज दे दूंगा.

                   श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक -- अध्यक्ष महोदय, मैंने आगे जो पूछा है कि  प्रधानमंत्री ग्राम सड़क की एक सड़क है और एक मिडिल स्कूल की बिल्डिंग है और  दो हायर सेकेण्ड्री स्कूल की और  एक हायस्कूल  की बिल्डिंग, यह लंबित हैं, इनके लिये अभी तक   जमीन  नहीं मिल पाई है. मंत्री जी,यह काम कब तक करा देंगे.

                   श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, नहीं, लंबित  प्रकरण की जानकारी जिले  से जो मेरे पास आई है,  उसमें यह सूची में नहीं है.  यह अगर  है, आप देंगे, तो मैं उसकी जानकारी लूंगा.

                   श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक --  जी, मैं कलेक्टर महोदय को  दे चुका हूं.

                   श्री उमाशंकर गुप्ता --  दिये होंगे,  लेकिन  आवंटन के लिये संबंधित  विभाग   ने  दिया है कि नहीं दिया है, अगर संबंधित विभाग ने आवंटन के लिये  कलेक्टर को  दे दिया है, तो आजकल तो  मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर  यह सरकारी विभागों  का आवंटन का पावर हमने कलेक्टर को ही दे दिया है.  तो यहां तक  भी मामले नहीं आते, ताकि  जल्दी हो जाये और विलम्ब नहीं हो.  तो अगर कोई मामला होगा, तो  कलेक्टर  स्तर पर निपटायेंगे, हमें जानकारी देंगे, तो  हम भी कलेक्टर  से  करायेंगे.

          श्री पुष्‍पेन्‍द्र नाथ पाठक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इससे संबंधित एक और विषय भूमि आवंटन का है जो इसमें नहीं आया है. हम चाहते थे कि यह विषय इसमें आए लेकिन नहीं आया. हम बता देते हैं कि पटवारी यह गड़बड़ करते हैं कि जो जमीनें उनकी मर्जी की होती हैं वह देते हैं और कई जमीनें जो उपयोगी हैं, उनका मन नहीं होता है तो वे नहीं देते हैं, कब्‍जा बना रहने देते हैं. इससे असुविधा हो रही है और इस बात के लिए मैंने लिखित में जानकारी दे दी है, माननीय मंत्री जी, कृपया उसका समाधान करवा दें.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- अध्‍यक्ष महोदय, जो इनको शिकायत है, वह मुझे भी दे दें, मैं उसका निराकरण कराऊंगा.

          श्री पुष्‍पेन्‍द्र नाथ पाठक -- अध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          कुंडालिया परियोजना अंतर्गत डूब क्षेत्र की भूमि

[राजस्व]

9. ( *क्र. 1445 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कुंडालिया बाँध परियोजना अंतर्गत सुसनेर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत डूब क्षेत्र में कौन-कौन से ग्रामों की भूमि है? ग्रामवार सर्वे नम्बर वार जानकारी उपलब्ध करावें उक्तानुसार भूमि में कौन-कौन सी सिंचित है एवं कौन सी असिंचित? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित जमीन के डूब क्षेत्र में आने से पूर्व असिंचित होने एवं बाद में सिंचित करने या इसके विपरीत अर्थात् सिंचित से असिंचित करने संबंधी कोई शिकायत प्राप्त हुई है या कोई प्रकरण संज्ञान में आए हैं? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्‍या प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्रमांक 958, दिनांक 09.11.2017 से प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संबंध में अनुविभागीय अधिकारी सुसनेर से जानकारी चाही गयी थी एवं कार्यवाही हेतु लेख किया था? पत्र के संदर्भ में क्या कार्यवाही की गई? पूर्ण विवरण देवें। (घ) क्‍या प्रश्नांश (ख) एवं (ग) के संदर्भ में जवाबदारी सुनिश्चित की जाकर ठोस कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या व कब तक? क्या दोषियों पर उचित कार्यवाही की जावेगी?

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) कुंडालिया बांध परियोजना अंतर्गत सुसनेर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत डूब क्षेत्र में कोठडी, पिपल्या सोगनरा, रोजडी ढाबला सोनगरा, पटना भीलखेडी, भण्डावद, गडिया, गोयल, महेन्दी, बिसनी, दात्या, कचनारिया, टिकोन, सामरी, लटूरीउमठ, लाडोन, कनाली, पनाली, पनाला, गुंजारिया, गोकुलपूर, धनोरा, मोल्याखेडी, गोठडा, बेरछाखेडी ग्रामों की भूमि है। ग्रामवार सर्वे नंबरवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। सिंचित व असिंचित अभिनिर्धारित करने के संबंध में प्रकरणों में भूमि अर्जन अधिनियम 2013 की धारा 19 के प्रकाशन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, धारा 20 की प्रक्रिया में सुनिश्चित होगा कि कौन-सी भूमि सिंचित अथवा असिंचित है, ग्राम कोठडी, मोल्याखेडी, गोठडा (सहायक बांध) एवं गोठडा की कुछ भूमियों को आपसी सहमति से क्रय नीति से लिया गया है, सर्वे की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र "ख" अनुसार है। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। चाही गई जानकारी के संबंध में चूंकि भू-अर्जन प्रकरणों में धारा 19 के प्रकाशन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है तथा धारा 20 की प्रक्रिया में विनिश्‍चय होगा, अत: तदनुसार जानकारी उपलब्‍ध होगी। (घ) प्रश्नांश (क) से (ग) के उत्‍तर के प्रकाश में प्रश्‍न उत्‍पन्‍न नहीं होता।

          श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न बहुत सरल और सीधा था कि कुंडालिया बांध के जो गांव प्रभावित हैं, वहां कौन सी जमीन सिंचित है ? कितना रकबा है और कौन सी जमीन असिंचित है ? इसका जवाब तो आ नहीं रहा है. इसके लिए मैंने नवंबर महीने में पत्र भी लिखा. ये धारा 19 और 20 की जानकारी दे रहे हैं, मेरा आग्रह है कि हम सबके पास जो जमीनें हैं उसका रिकार्ड तो है कि वह सिंचित है या असिंचित है. मैं तो केवल जानकारी मांग रहा हूँ कि वर्तमान स्‍थिति में उस जमीन का क्‍या स्‍टेटस है ? मैं यह जानकारी माननीय मंत्री जी से चाहता हूँ.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अधिग्रहण के बाद इसका निर्धारण मुआवजे के लिए फिर से होता है.

          श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि मैं यह जानकारी नहीं मांग रहा हूँ कि अधिग्रहण के बाद क्‍या होगा, मैं तो वर्तमान में किसान बो रहा है या नहीं बो रहा है, वह जमीन सिंचित है या असिंचित है या पड़त है, मैं इसकी जानकारी मांग रहा हूँ. उसके लिए मैंने पत्र भी लिखा, अधिकारियों से बातचीत भी की, लेकिन वे जानकारी देना नहीं चाहते हैं, वे क्‍यों जानकारी नहीं देना चाहते, यह पूरा सदन समझता है.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे पास पूरी सूची है.

          श्री मुरलीधर पाटीदार -- अध्‍यक्ष महोदय, मुझे सिंचित और असिंचित की जानकारी चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं, उत्‍तर ले लें.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जानकारी मेरे पास है लेकिन माननीय सदस्‍य का प्रश्‍न सिंचित, असिंचित का मुआवजा देने के लिए है तो मुआवजा देने के पहले एक बार फिर से वेरिफिकेशन होता है. काफी ग्रामों का हो गया है, कुछ ग्रामों का रह गया है, वह इस महीने के अंदर हो जाएगा और उसकी जानकारी माननीय सदस्‍य को भी दे दी जाएगी. संबंधित एसडीओ ने माननीय विधायक जी को यह अवगत भी कराया है और पत्र भी लिखा है कि यह प्रक्रिया में है और प्रक्रिया पूरी होते ही जानकारी दे दी जाएगी.

          श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे पास अभी तक कोई पत्र नहीं आया है. मेरा आग्रह केवल जमीन का स्‍टेटस बताने का है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- इनका प्रश्‍न सिर्फ यह है कि आपके रिकार्ड में कौन सी जमीन असिंचित बताई गई है, कौन सी सिंचित बताई गई है, यह पटवारी के रिकार्ड में होता है. मुआवजा जब तय होगा तब होगा, तो माननीय सदस्‍य यही जानना चाहते हैं कि कौन सी जमीन सिंचित है और कौन सी जमीन असिंचित है ?

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- अध्‍यक्ष महोदय, हम तीन दिन में जानकारी उपलब्‍ध करवा देंगे.

          श्री मुरलीधर पाटीदार -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद. एक और मेरा प्रश्‍न इसमें यह है कि कुआं एक होता है और चार भाइयों में जमीन बंट गई है. अब ये कह रहे हैं कि जिसकी जमीन में कुआं है उसका मुआवजा सिंचित का देंगे और बाकी को असिंचित घोषित कर रहे हैं. अब आप यह बताएं कि जब कुआं एक ही है तो बंटवारे में एक ही जगह कुआं आएगा, चार जगह तो हो नहीं सकता, कुएं के चार टुकड़े तो हो नहीं सकते. कुआं तो एक ही जगह रहेगा. अत: इसका निर्धारण करना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, आप इसका कुछ समाधान कर दें.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- अध्‍यक्ष महोदय, जिसके हिस्‍से में कुआं होगा..(हंसी)

          श्री मुरलीधर पाटीदार -- अध्‍यक्ष महोदय, बाकी का क्‍या होगा ?

            श्री मुकेश नायक -- अध्‍यक्ष महोदय, एक खसरे के अंदर दो चीजें कैसे हो सकती हैं ?

            श्री लखन पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, यह बहुत सी जगहों पर हुआ है कि एक खसरा नंबर में जिसमें कुआं बना हुआ है, उसी को सिंचित मान रहे हैं, बाकी को सिंचित नहीं मान रहे हैं. जबकि उस कुएं से मान लें कि 10 एकड़ जमीन में सिंचाई होती है और मान लें कि खसरा नंबर आधे एकड़ का है तो सिर्फ उस आधे एकड़ को सिंचित मान रहे हैं बाकी की साढ़े 9 एकड़ जमीन को सिंचित नहीं मान रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- वैसे यह विषय महत्‍वपूर्ण है, इस पर विचार करना चाहिए.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- इसको दिखवा लेते हैं.

          श्री लखन पटेल -- इससे बहुत से किसानों को लाभ हो जाएगा.

          श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद. माननीय मंत्री जी को भी धन्‍यवाद, आप बहुत वरिष्‍ठ मंत्री है, थोड़ा लगे कि विधान सभा में आप बोल रहे हैं.

          नाप तौल निरीक्षकों की नियुक्ति में अनियमितता

[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण]

10. ( *क्र. 2156 ) श्री मुकेश नायक : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                                (क) वर्ष 2012 के पश्‍चात् व्‍यापम द्वारा प्रदाय की गई सूची के आधार पर क्‍या नाप तौल निरीक्षकों की नियुक्ति की गई थी? यदि हाँ, तो व्‍यापम द्वारा प्रदाय की गई सूची की प्रति बतायें।                                             (ख) उक्‍त सूची में से शैक्षणिक योग्‍यता प्रमाण पत्रों के सत्‍यापन हेतु कौन-कौन से उम्‍मीदवारों को बुलाया गया था, चयन सूची/प्रतीक्षा सूची के मेरिट क्रम में उनके नाम तिथि सहित बतायें और उनमें से कौन-कौन उपस्थित हुये थे? (ग) उपरोक्‍त सूची में से दस्‍तावेजों के सत्‍यापन उपरांत        कौन-कौन से उम्‍मीदवार पात्र पाये गये थे, उनके नाम, पते बतायें तथा किस-किस के नियुक्ति आदेश जारी किये गये थे? (घ) सत्‍यापन के पश्‍चात् पात्र पाये गये कौन-कौन से उम्‍मीदवारों के नियुक्ति‍ आदेश जारी नहीं किये गये? उनका नाम तथा कारण बतायें। (ड.) नियुक्ति आदेश                   जिन-जिन के जारी हुए थे, उनमें से किस-किस ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया? उनके नाम पते सहित बतायें। (च) क्‍या नियुक्ति आदेश रजिस्‍टर्ड डाक से नहीं भेजे गये थे और न ही उन्‍हें विभागीय पोर्टल/वेबसाईट पर अपलोड कर प्रचारित किया गया? यदि हाँ, तो ऐसा क्‍यों? यदि नहीं, तो सभी के रजिस्‍ट्री क्रमांक, दिनांक बतायें।

खाद्य मंत्री ( श्री ओम प्रकाश धुर्वे ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट '' अनुसार है। (ग) पात्र उम्‍मीदवारों को नियुक्ति आदेश जारी किये गये थे, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (घ) सत्‍यापन के पश्चात् ऐसे उम्‍मीदवार जिनके नियुक्ति आदेश जारी नहीं किये गये, उनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (च) सभी पात्र उम्‍मीदवारों को नियुक्ति आदेश स्‍पीड पोस्‍ट के माध्‍यम से भेजे गये थे। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। आदेश विभागीय पोर्टल/वेबसाईट पर अपलोड नहीं किये गये।

          श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न विश्‍वविख्‍यात व्‍यापमं घोटाले से संबंधित है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप भूमिका न बांधें, सीधे प्रश्‍न करें.

          श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मैं माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूँ कि मूलत: कितने पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन हुए थे ? कितने पदों पर भर्ती की गई ? किस-किस तारीख को पदों की भर्ती की गई ?

            श्री ओम प्रकाश धुर्वे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 27 पदों के लिए विज्ञप्‍ति हुई और 27 पद भरे गए. जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट में उपलब्‍ध है.

          श्री मुकेश नायक -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरे पास पूरी जानकारी है. मंत्री महोदय, अब आप सुनें, जो मैं बोल रहा हूँ.

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं सुन रहा हूँ.

          श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 27 पदों के लिए नहीं, बल्कि 33 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया है. विभाग ने पहले 27 पदों के लिए अनुमति ली, उसके बाद 6 अतिरिक्‍त पदों के लिए व्‍यापम से अनुमति ली गई.

          सभापति महोदय -- पहले आप उनकी बात सुन लें, उसके बाद आप अपनी बात कहें.

          श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी का उत्‍तर तो आ गया.

          अध्‍यक्ष्‍ा महोदय -- मंत्री जी खडे़ ही थे और आप बीच में बोल पडे़. ठीक है आप बोलिए.

           श्री ओम प्रकाश धुर्वे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ठीक है. माननीय नायक जी बहुत वरिष्‍ठ सदस्‍य हैं. मैं निवेदन करना चाहता हॅूं कि आपने जो पूछा, वह मैंने बताया. व्‍यापम के द्वारा 27 पद ही भरती किए गए हैं. विभाग ने 6 पद बाद में भरा है. मेरा जवाब बिल्‍कुल सही है, सटीक है. यह आप मानेंगे या नहीं मानेंगे. मैं कहां गलत बोल रहा हॅूं.

          श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह उदाहरण है कि सरकार किस तरह से जवाब देती है. मुझे जो परिशिष्‍ट दिया गया है, मैं उसे पढ़कर सुना देता हॅूं. इसमें पहले 27 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी हुई, इसके बाद व्‍यापम ने 6 पदों के लिए अतिरिक्‍त अनुमति मांगी. मेरे पास विभाग के सचिव का पत्र है, मैं इसे पढ़कर सुना देता हॅूं. यह पत्र आपने हमारे प्रश्‍न के उत्‍तर में दिया है. यह पत्र विभाग के अपर सचिव ने दिनांक 06.07.2013 को जारी किया है और इसमें यह कहा गया है कि पहले 27 पदों के लिए हमने अनुमति मांगी, विज्ञापन जारी किए फिर 6 अतिरिक्‍त पदों के लिए हमने व्‍यापम से अनुमति मांगी. इस तरह से 33 पदों के लिए हमने विज्ञापन जारी किया और माननीय मंत्री महोदय सदन को यह कह रहे हैं कि केवल 33 पदों पर ही नियुक्तियां हुई हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने विधानसभा में जो उत्‍तर दिया है उसमें कहा है कि 52 पदों के लिए नियुक्तियां की हैं. पूरी सूची मुझे दी गई है और 52 पदों के लिए जो नियुक्तियां की गई हैं मैं उसकी तारीख बता देता हॅूं.

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ठीक कह रहे हैं लेकिन कुछ नियम, कानून-कायदे भी होते हैं.

          श्री मुकेश नायक -- आपने पहले 33 कहा, फिर 52 कहा.

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 5 प्रतिशत से ऊपर है तो व्‍यापम द्वारा सीधी भर्ती से पद भरे जाते हैं. उससे नीचे है तो विभाग द्वारा अपने स्‍तर से पद भरने की प्रक्रिया है और जो 6 पद बता रहे हैं जो प्रतीक्षा सूची के लिए वहां निवेदन किया गया है कि आप प्रतीक्षा सूची भेजिए ताकि हम 6 पद भर सकें. उसको पूरा व्‍यापम से भरने के लिए नहीं था. इस प्रकार से 27 पद व्‍यापम से और 6 पद हैं जो विभाग द्वारा 5 प्रतिशत भरे जाते हैं उसकी अनुमति के लिए भेजा गया है. इस प्रकार 33 पद होते हैं.

          श्री मुकेश नायक -- ठीक है. माननीय मंत्री जी मैं विनम्रतापूर्वक आपसे यह पूछ रहा हॅूं कि किस-किस तारीख को आपने यह सूची जारी की ? यह एक स्‍पेसीफिक प्रश्‍न है.

          किसान कल्‍याण तथा कृषि विकास, मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार) -- माननीय नायक जी, सामने वाले को अहसास भी तो होना चाहिए. आप कभी आइने के सामने बोल कर देखें कि विनम्रता है उसमें या नहीं है. (हंसी..)

          श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हॅूं कि जो 52 पदों की नियुक्तियां की गई हैं क्‍या वह सूची वेबसाइट पर अपलोड की थी या इन्‍होंने किसी रजिस्‍टर्ड डाक के माध्‍यम से, जो लोग चयनित हुए हैं उन्‍हें सूचना दी गई ? 52 पदों में से किस-किस तारीख को कितने-कितने पदों पर आपने कितने लोगों को नियुक्तियां दीं ? यह आप बता दें.

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सही पूछा जाए तो आप जो प्रश्‍न पूछना चाहते हैं वह आप नहीं पूछ पा रहे हैं (हंसी..) मैं बताने वाला भी नहीं हॅूं जब तक आप नहीं बताएंगे. (हंसी..) उसका उत्‍तर मैं बता रहा हॅूं जो 52 पद हैं जो परिशिष्‍ट में है. उसे आप देख लीजिएगा. हमने उसका उत्‍तर दे दिया है और किस-किस तारीख को 52 लोगों की नियुक्तियां हुई हैं और कब उन लोगों को बुलाया गया है, उसमें सारी बातों का उल्‍लेख है. पांचवे महीने में है, सातवें महीने में है, दसवें महीने में है, ग्‍यारहवें में है और अंत में सबका उल्‍लेख है.

          श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने क्‍या किया कि जिन पदों पर नियुक्तियां कीं, दिनांक 17.05.2013 को...

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे -- माननीय मुकेश नायक जी, आप ढूंढ लीजिए. (हंसी..)

          नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसका मतलब इनको मालूम है कि घोटाला हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- वे तैयारी से आए हैं. (हंसी..)

          श्री अजय सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप जानते हैं कि कुछ न कुछ दाल में काला है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सामने श्री मुकेश नायक जी हैं इसीलिए वे तैयारी से आए हैं.

          श्री मुकेश नायक-- मंत्री जी हमेशा तैयारी से आते हैं. मैं यह कह रहा हूँ कि दिनाँक 17.5.2013 को आपने 10 लोगों के नियुक्ति पत्र जारी किये, 17.5.2013 को उसी दिन,अलग से फिर से 5 नामों की सूची जारी की दिनाँक 9.7.2013 को आपने फिर से 17 लोगों के नियुक्ति पत्र जारी किये. एक ही पद है, एक ही विज्ञापन है, दिनाँक 4.10.2013 को आपने 12 नियुक्तियाँ फिर से जारी कर दी,दिनाँक 16.12.2013 को फिर से 3 आदेश निकाले और उसी दिन दूसरी बार 5 आदेश फिर से निकाले इस प्रकार एक ही दिन में दो भागों में 8 आदेश निकाले. अध्यक्ष महोदय, यह मामला ऐसा है कि (XXX).

          अध्यक्ष महोदय--  यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.

          श्री बाबूलाल गौर--  अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  उसको कार्यवाही से निकाल दिया है.

          श्री मुकेश नायक-- इसमें क्या असंसदीय है?

          श्री सुंदर लाल तिवारी--  आदेश अलग-अलग क्यों निकला, इसकी जाँच होनी चाहिए.

          श्री शंकर लाल तिवारी--  पर इस तरह की बात और सिर्फ फर्जी बयानबाजी प्रश्न में नहीं होनी चाहिए आप किसी चौराहे पर कांग्रेस पार्टी का भाषण नहीं दे रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  मुकेश नायक जी आप अपना प्वाइंटेड प्रश्न करिये.

          श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह जानना चाहता हूं कि एक ही विज्ञापन था, एक ही पद है तो अलग-अलग आदेश क्यों निकाले. एक दिन में दो-दो आदेश क्यों निकाले, वेबसाईट पर अपलोड क्यों नहीं किया, रजिस्टर्ड डाक से क्यों नहीं भेजे?

          अध्यक्ष महोदय--  रजिस्टर्ड डाक से भेजे हैं उत्तर में लिखा है आप पढ़ तो लीजिये.

          श्री मुकेश नायक-- स्पीड पोस्ट से भेजे हैं.

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, तत्समय हमारा पोर्टल सिस्टम डेवलप नहीं था इस कारण से स्पीड पोस्ट से हमने आदेश भेजे हैं और निश्चित रूप से आपने जो कहा है कि 17.5.2013 को पहले 10 लोगों को आदेश भेजे फिर 5 को आदेश भेजे दोनों मिलाकर के 15 हो गये और इसी प्रकार से 5 और 3 आदेश फिर निकाले यह कुल 8 थे. दिनाँक 16.12.2013 को यह  5 बार भेजे गये. कई लोगों को,अभ्यर्थियों को बुलाया गया, कुछ लोग समय पर नहीं आए, कुछ ने ज्वाइन नहीं किया इस कारण से यह अलग-अलग समय आपको दिख रहे हैं.

          श्री सुंदर लाल तिवारी--  अध्यक्ष महोदय, इसमे भ्रष्टाचार की बू आ रही है एक ही दिन में कभी 3 ऑर्डर, कभी 5 ऑर्डर , कभी 7 ऑर्डर. क्या यह सदन को बताएंगे नहीं.मंत्री जी को बताना चाहिए उनकी जवाबदेही है.

          अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइए . इसमें बहुत समय हो गया है.  प्रश्न क्रमांक 11 श्री रजनीश सिंह अपना प्रश्न करें.

          श्री निशंक जैन--  अध्यक्ष महोदय, इसमें व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है..(व्यवधान)...

          श्री सुंदर लाल तिवारी--  यह ठीक कह रहे हैं. इसमें इस बात का अहसास हो रहा है कि (XXX).

          अध्यक्ष महोदय--   यह कार्यवाही से निकाल दें...(व्यवधान)...

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे--  अध्यक्ष महोदय, आपको जो यह अंतर दिख रहा है उसका कारण है कि अलग-अलग केटेगिरी के हिसाब से एक ही दिन आदेश निकाले गये थे.जो 3 आदेश हैं उसमें अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के अलग-अलग आदेश जारी किये गये हैं.

          श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह प्रश्न पूछना चाहता हूं कि....

          अध्यक्ष महोदय--  आप कई प्रश्न पूछ चुके हैं.

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे--  अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें निवेदन करना चाहता हूं कि मैं इसकी जाँच करा लूँगा.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरी जिज्ञासा है हम लोग बैठे-बैठे सुन रहे थे मुकेश नायक जी के प्रश्न में कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि 27 पद हैं या 33 पद हैं और 52 की भर्ती कैसे हो गई?  माननीय मंत्री महोदय ने कहा कि 5 प्रतिशत विभाग के ऊपर रहता है और उससे वेटिंग ले ली जाती है तो 27 पद से डबल पद कैसे हो गये?  यह थोड़ा हमको क्लियर कर दीजिये.

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे--  माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने लोगों को नियुक्ति आदेश भेजे. कुछ लोगों ने ज्वाइन नहीं किया तो वेटिंग से नहीं लेना पड़ेगा क्या?

          श्री यादवेन्द्र सिंह--  हम लोग भी शिक्षाकर्मी भर्ती करते थे..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  आप बैठ जाए, रजनीश जी आप पूछिये. इस पर बहुत चर्चा हो गई.

          श्री मुकेश नायक--अध्यक्ष महोदय, जिनके नाम ही नहीं हैं उनकी भर्ती कर ली...(व्यवधान)...

          श्री अजय सिंह--  हमारा यह आरोप है कि जिनका नाम वेटिंग लिस्ट में भी नहीं था उनको भी इन्होंने नियुक्ति दी है..(व्यवधान)...

            अध्यक्ष महोदय--मैंने रजनीश जी को अलाउ किया था पर आप लोग खड़े हो जाते हैं. रजनीश सिंह जी आप प्रश्न करें. इस प्रश्न पर बहुत चर्चा हो गई है.

          श्री यादवेन्द्र सिंह--हम लोग भी शिक्षाकर्मी भर्ती किया करते थे.

          श्री मुकेश नायक--जिनका नाम ही नहीं हैं उनको भर्ती कर लिया. (व्यवधान)

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे--भर्ती के लिए बुलाया गया कुछ लोग नहीं आए. (व्यवधान)

          श्री अजय सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आरोप है जिसका नाम वेटिंग लिस्ट में भी नहीं था उसको भी इन्होंने नियुक्ति दी है.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे--नहीं बिलकुल नहीं हुई है. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--. रजनीश सिंह जी अपना प्रश्न करिए. आप लोगों का यह तरीका सही नहीं है, आप लोग बार-बार खड़े होते हैं. कृपया बैठिए. नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया है और मंत्री जी ने नकार दिया है.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे--आप बहुत जवाबदार व्यक्ति हैं, गलत बात यहां पर कर रहे हैं.

            श्री विश्वास सारंग--यह तो प्रश्न ही उद्भूत नहीं होता है. न्यूज बनाने के लिए कर रहे हैं.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे--अध्यक्ष महोदय, यह बिना जानकारी के प्रश्न कर रहे हैं.

 

11.56 बजे                                          बहिर्गमन

प्रश्न संख्या 10 (क्रमांक 2156) पर शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर बहिर्गमन

          श्री अजय सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी व्यापम जैसे घोटाले पर बिलकुल सही उत्तर नहीं दे रहे हैं इसलिए हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.

(शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर श्री अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा बहिर्गमन किया गया)

          श्री बाबूलाल गौर--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने बिलकुल सही और निष्पक्ष उत्तर दिया है.

 

11.57 बजे            तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर (क्रमश:)

 

सोयाबीन/धान की फसलों की क्षतिपूर्ति

[राजस्व]

11. ( *क्र. 813 ) श्री रजनीश सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                       (क) क्‍या सिवनी जिले में सूखे से प्रभावित नष्‍ट हुई सोयाबीन की फसलों एवं धान की फसलों के लिये क्षति का आंकलन किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार यदि हाँ, तो उक्‍त क्षति पर शासन द्वारा कितना-कितना मुआवजा दिया गया, विकासखण्‍डवार बताएं (ग) यदि सर्वे कर आंकलन नहीं किया गया तो क्‍यों? स्‍पष्‍ट करें। मुआवजे की राशि कब तक वितरित की जायेगी?

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी नहीं, सूखा मैन्‍युअल 2016 के अनुसार जिला सिवनी में वैज्ञानिक मापदण्‍डों की पूर्ति नहीं होने से जिला सिवनी को सूखाग्रस्‍त घोषित नहीं किया गया हैं। अत: प्रश्‍न उदभूत नहीं होता। (ख) एवं (ग) उत्‍तरांश (क) के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उदभूत नहीं होता।

          श्री रजनीश सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि सिवनी जिले के केवलारी विधान सभा क्षेत्र में और सिवनी जिले में सोयाबीन और धान की फसल बर्बाद हो गई थी. सूखे की स्थिति निर्मित हो गई थी. माननीय मंत्री जी का जो उत्तर आया है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूँ. मुझे ऐसा लगता है कि माननीय मंत्री जी को गलत जानकारी दी गई है. जो उत्तर आया है मेन्युअल 2016 के अनुसार जिला सिवनी में वैज्ञानिक मापदण्डों की पूर्ति नहीं होने से सिवनी जिले को सूखा घोषित नहीं किया गया है. माह सितम्बर में जिले के अधिकारियों द्वारा जो वर्षा का रिकार्ड आंका गया उसके अनुसार 378.8 सेमी कम बरसात हुई है. विगत वर्ष 1057.2 सेमी बरसात हुई थी. प्रदेश के कृषि मंत्री, जिले के प्रभारी मंत्री गौरीशंकर बिसेन जी आए. 5 व 6 सितम्बर को सासंद फग्गन सिंह कुलस्ते जी आए मैंने स्वयं उनके साथ गांव-गांव और खेत-खेत का दौरा किया. हम सब लोगों ने माना की सूखे की स्थिति है. सोयाबीन और धान की फसल नष्ट हो गई है. हमने मुख्यमंत्री जी से आग्रह किया. 15 सितम्बर को मुख्यमंत्री जी वैज्ञानिकों को लेकर पलारी आए. 4 वैज्ञानिकों ने यह कहा कि आपके क्षेत्र में अल्प वर्षा हुई है. आप लोग गेहूं मत बोना. चना, मसूर, तेवड़ा, अलसी यह कम बरसात वाली फसल की बोवाई करना.  इसके बाद भी सूखा घोषित नहीं किया गया. सोयाबीन के फसल बीमा की राशि भी नहीं मिली न ही धान की मिली. हमारी मांग और हमारा प्रश्न था कि मुआवजा क्यों नहीं दिया गया.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जवाब में कहा है कि सूखा घोषित करने के जो मापदण्ड हैं उसके हिसाब से माइनस 24 प्रतिशत अगर वर्षा होती है तो सूखा घोषित किया जाता है. सिवनी का आंकड़ा माइनस 18 प्रतिशत आया है इसलिए सूखा घोषित नहीं किया गया है. लेकिन इसके कारण फसल बीमा नहीं मिलेगा, इसके कारण फसल का मुआवजा नहीं मिलेगा. इसका सूखे से कोई लेना देना नहीं होता है.  सूखा घोषित करने के केन्द्र सरकार के मापदण्ड हैं उसका निर्धारण प्रदेश सरकार नहीं करती है. एजेंसियां निर्धारण करती हैं उसके हिसाब से सिवनी उसमें नहीं आया है. जो जिले और तहसील आई हैं उनको घोषित किया गया है.

          श्री रजनीश सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास विकासखण्डवार जानकारी है कि कहां पर कितने सेंटीमीटर बरसात हुई है. मुख्यमंत्री जी ने स्वयं स्वीकार किया है कि मैं वैज्ञानिकों को इसलिए साथ लेकर आया हूँ कि आपके जिले में केवलारी में सूखा की स्थिति है.

          अध्यक्ष महोदय--यह बात आप कह चुके हैं.

          श्री रजनीश सिंह--अब जब वैज्ञानिक भी कह रहे हैं कि सूखा है तो फिर अलग से कौन से आंकड़े आयेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास आंकड़े हैं जो इसको फुलफिल कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी आप माननीय सदस्य के आंकड़ें देख लें और अपने आंकड़ों से मिलान कर लें.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--जी. मैं उनके आंकड़े देख लूंगा और उसमें कोई विसंगति होगी तो दिखवा लूंगा.

          श्री रजनीश सिंह--अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि लगातार किसान भूख हड़ताल पर बैठा है.

          अध्यक्ष महोदय--भाषण मत दीजिए. आप मंत्री जी के पास जाकर आंकड़ें दीजिए वे मिलान करेंगे.

          श्री रजनीश सिंह--क्या माननीय मंत्री जी फिर से जांच करवा लेंगे. क्या फसल बीमा का पैसा दिलवाएंगे.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--फसल बीमा का तो इससे कोई लेना देना नहीं है. यह माननीय सदस्य को जानकारी होगी. क्षतिपूर्ति, सूखे का इससे कोई लेना देना नहीं है.

          श्री रजनीश सिंह--अध्यक्ष महोदय, जब सूखा रहेगा तो फसल बीमा तो मिलेगा ही मिलेगा. फसल बीमा भी नहीं मिल रहा है. मेरा अनुरोध है कि माननीय मंत्री जी फिर से इसकी जांच करवा लें.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि वे आपके आंकड़े देखकर बताएंगे.

          श्री रजनीश सिंह--मेरे पास आंकड़े हैं मंत्री जी आप आदेश करें.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--आप मुझे आंकड़े दे दीजिए यदि आंकड़ों में कोई विसंगति है तो हम जांच करा लेंगे.

                                                                                               


 

यात्री बसों को स्‍थाई/अस्‍थाई परमिट का प्रदाय

[परिवहन]

12. ( *क्र. 1850 ) श्री जतन उईके : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                                      (क) क्‍या छिंदवाड़ा जिले में परिवहन विभाग द्वारा जिलों में यात्री बसों का स्‍थाई एवं प्रतिमाह अस्‍थाई परमिट दिया जाता है? (ख) क्‍या सभी यात्री बसों को अस्‍थाई परमिट प्रतिमाह दिया जा रहा है? यदि हाँ, तो किन-किन यात्री बसों को प्रतिमाह दिया जा रहा है? (ग) क्‍या छिंदवाड़ा जिले में बिना परमिट की अवैध रूप से यात्री बसें भी चलाई जा रही हैं? यदि हाँ, तो कितनी बसें चल रही हैं? प्रश्नांश (ख) अवधि में निरीक्षण के दौरान बिना परमिट अथवा वैधता समाप्‍त होने के बाद भी चलती पाई गई यात्री बसों पर क्‍या कार्यवाही किस अधिकारी के द्वारा की गई? यदि कोई अर्थदण्‍ड वसूला गया तो कितनी राशि वसूली गई, वसूली राशि का क्‍या उपयोग किया गया? (घ) क्‍या विभाग द्वारा बस मालिकों को जो परमिट जारी किये जाते हैं, उसमें वाहन की क्‍या कंडीशन है, क्‍या यह भी दर्शाई जाती है कि विभाग द्वारा कितने वर्ष पुराने वाहन को यात्री बसों के संचालन हेतु परमिट दिया जाता है?

गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) जिला परिवहन अधिकारी छिंदवाड़ा द्वारा अस्थायी परमिट जारी किये जाते हैं तथा स्थायी परमिट क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार जबलपुर द्वारा स्वीकृति के पश्चात् आर.टी.ओ. जबलपुर द्वारा जारी किये जाते हैं। (ख) जिन बस संचालकों द्वारा अस्थाई अनुज्ञापत्र मार्ग पर प्राप्ति हेतु विहित फीस एवं टैक्स निर्धारित प्रपत्रों को संलग्न कर प्राधिकार के समक्ष आवेदित किये जाते हैं, उन्हें गुण-दोष के आधार पर नियमानुसार अनुज्ञापत्र स्वीकृत कर जारी किये जाते हैं। अस्थाई अनुज्ञापत्रों की सूची पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ग) जी नहीं। परिवहन एवं पुलिस विभाग द्वारा समय-समय पर निरंतर विशेष अभियान चलाकर अवैध रूप से बिना परमिट चल रही वाहनों की चैकिंग की जाती है। अवैध रूप से चल रही वाहनों से राशि रूपये 15000/- की शास्ति अधिरोपित की गई है। अधिरोपित राशि शासकीय कोष में जमा कराई गई। (घ) जी हाँ। मध्यप्रदेश शासन के राजपत्र दिनांक 24.11.2010 के अनुसार 15 वर्ष तक की आयु तक के यात्री वाहनों को स्टेज कैरिज के स्थाई/अस्थाई परमिट दिये जाते है। परिपत्र की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है।

            श्री जतन उईके-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा जिला परिवहन कार्यालय छिंदवाड़ा की जानकारी से संबंधित प्रश्‍न था इसमें मैं मुतमईन नहीं हूं. मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि हमारे जिले में संतोष कौल नामक अधिकारी है वह कितने जिलों के प्रभारी हैं ? कृपया करके बताएं.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य का जो प्रश्‍न है उसमें परमिटों के बारे में जानकारी मांगी गई है परमिटों की जानकारी इसमें दी गई है.

          श्री जतन उईके-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, परमिट अस्‍थाई और स्‍थाई के संबंधित थी और जांच की थी, वसूली की थी. वह अधिकारी मात्र 15 दिन में या सप्‍ताह में केवल एक दिन बैठता है वह क्‍या जांच कर पाएगा ? क्‍या परमिटों की वसूली कर पाएगा ?

          अध्‍यक्ष महोदय-- प्रश्‍नकाल समाप्‍त.

 

 

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

 

 

          श्री रामनिवास रावत-- प्रश्‍न कम कर दें. 25 की जगह 12 ही कर दें तो ज्‍यादा अच्‍छा है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- मुकेश नायक जी और आदरणीय प्रतिपक्ष के नेता जी के प्रश्‍न के बाद 12 प्रश्‍न आ गए हैं आपको तो धन्‍यवाद देना चाहिए.

          श्री रामनिवास रावत-- सरकार संतुष्‍ट करे, सरकार सही समय पर सही जवाब दे सदस्‍य संतुष्‍ट हों तो प्रश्‍नकाल आगे चले.

 

12.01 बजे                   नियम 267 (क) के अधीन विषय 

 

(1) सुमावली ग्राम के बारादरी मंदिर से गुढ़ा चम्‍बल नहर तक सड़क मार्ग निर्माण किया जाना

        श्री सत्‍यपाल सिंह सिकरवार (सुमावली) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

(2) उज्‍जैन संभाग में गरीब परिवारों को पट्टे न दिया जाना

 

      डॉ. मोहन यादव (उज्‍जैन दक्षिण)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

          

       (3) इंजी. प्रदीप लारिया- (अनुपस्थित)

 

 

 

 

(4) प्रदेश के हजारों स्‍कूल शिक्षक विहीन होना

 

     श्री सुखेन्‍द्र सिंह (मऊगंज) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

          (5) श्री दिनेश राय मुनमुन- (अनुपस्थित)

 

(6) उज्‍जैन संभाग के शासकीय चिकित्‍सालयों की भोजनशालाओं को आई.एस.ओ. तथा नेशनल क्‍वालिटी इंश्‍योरेंस संस्‍थाओं से रजिस्‍टर्ड किया जाना

       

        श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

                                                                                                             

 (7) शासकीय कन्‍या उच्‍चतर माध्‍यमिक विद्यालय में वाणिज्‍य एवं कृषि विज्ञान की कक्षाएं प्रारंभ किया जाना

 

          श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 (8) कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्‍पताल में सोनोग्राफी की सुविधा न होने से मरीजों को परेशानी होना

 

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी (गुढ़)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 (9) भोपाल के शिवाजी नगर के मुख्‍य मार्ग पर 5 एवं 6 नंबर के बीच बने पार्क की दुर्दशा होना

 

          डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 (10) प्रदेश में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को कार्यानुसार मानदेय प्राप्‍त न होना

 

          श्री शैलेन्‍द्र जैन (सागर)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

12.09 बजे

शून्‍यकाल में मौखिक उल्‍लेख

 

(1) विजया राजे सिंधिया कॉलेज में प्रोफेसरों की नियुक्ति किया जाना

 

          श्री घनश्‍याम पिरौनियॉ (भाण्‍डेर)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा भाण्‍डेर के ''विजया राजे सिंधिया कॉलेज'' में लंबे समय से प्रोफेसरों की कमी है. इस संबंध में मैंने निवेदन भी किया है. कुछ समय पूर्व जब मैं कॉलेज गया था तो वहां से सारे छात्रों ने इसके लिए मुझसे निवेदन किया था इसलिए मैं पुन: शून्‍यकाल के माध्‍यम से आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि वहां पर यदि शीघ्र प्रोफेसरों की नियुक्ति की जायेगी तो कॉलेज में अध्‍ययन-अध्‍यापन का कार्य सुचारू रूप से हो सकेगा. धन्‍यवाद.

           

2.  भीषण ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान पर सहायता राशि उपलब्‍ध कराया जाना.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह(केवलारी):- अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना इस प्रकार है कि विगत 13 तारीख को मेरे विधान सभा क्षेत्र केवलारी और सिवनी जिले में लगभग 278 ग्रामों में भीषण ओलावृष्टि हुई है और किसान 26 तारीख से आज दिनांक तक भूख हड़ताल पर बैठे हैं. अभी तक शासन के किसी भी वरिष्‍ठ अधिकारी ने कोई सुध नहीं ली है. मेरा आपके माध्‍यम से अनुरोध है कि तत्‍काल सहायता राशि उपलब्‍ध करायी जाये और उनकी व्‍यवस्‍था करायी जाये.

 

3.  शासकीय महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के अध्‍यक्ष को हटाया जाना.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक(परासिया):- अध्‍यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक शासकीय महाविद्यालय है और उस शासकीय महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति का अध्‍यक्ष बनाया गया है, उस पर धारा-110 और गुण्‍डा एक्‍ट की कार्यवाही चल रही है. ऐसी शासकीय संस्‍था में ऐसे लोगों को बैठाना कहीं न कहीं गलत काम हुआ है, यह उचित नहीं है. मेरा आपसे आग्रह है कि मेरी शून्‍यकाल की सूचना पर जांच कर ऐसे व्‍यक्ति को हटाना चाहिये.

 

 

 

 

 

12.11 बजे                         अध्‍यादेशों का पटल पर रखा जाना

 

    (क)मध्‍यप्रदेश हाई स्‍पीड डीजल उपकर अध्‍यादेश, 2018 (क्रमांक 1 सन् 2018),

    (ख) मध्‍यप्रदेश मोटर स्पिरिट उपकर अध्‍यादेश, 2018 (क्रमांक 2 सन् 2018); तथा

(ग) मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) अध्‍यादेश, 2018 (क्रमांक 3 सन् 2018).

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.12 बजे                         पत्रों का पटल पर रखा जाना

 

1.          मध्‍यप्रदेश वित्‍त निगम का 62 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-17

 

 

 

2.      

 

 

 

(क)

(i)

अवधेश प्रताप सिंह विश्‍वविद्यालय, रीवा (म.प्र.) का 49 वां प्रगति प्रतिवेदन वर्ष    2016-2017 तथा

 

(ii)

महाराजा छत्रसाल बुन्‍देलखण्‍ड विश्‍वविद्यालय, छतरपुर (मध्‍यप्रदेश) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017,

(ख)

मध्‍यप्रदेश भोज (मुक्‍त) विश्‍वविद्यालय अधिनियम, 1991 की धारा 29 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश भोज (मुक्‍त) विश्‍वविद्यालय, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017; तथा

(ग)

चित्रकूट ग्रामोदय विश्‍वविद्यालय अधिनियम, 1991 (क्रमांक 9 सन् 1991) की धारा 36 की उपधारा (5) की अपेक्षानुसार महात्‍मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्‍वविद्यालय, चित्रकूट, जिला सतना (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017,

 

 

 

 

3.  मध्‍यप्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-2014

 

12.13 बजे

 नवम्बर-दिसम्बर, 2017 सत्र निर्धारित अवधि के पूर्व स्‍थगित हो जाने  के फलस्‍वरूप शेष दिनांकों की प्रश्‍नोत्‍तरी तथा इसी सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्‍तरों  के पूर्ण उत्‍तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.

 

12.14 बजे

नियम 267 - क  के अधीन नवम्बर-दिसम्बर, 2017 सत्र में पढ़ी  गई सूचनाओं तथा

उनके उत्‍तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.

 

12.14 बजे                 राज्‍यपाल की अनुमति प्राप्‍त विधेयकों की सूचना.

12.15 बजे                     

 

            अब, इसके संबंध में डॉ. नरोत्‍तम मिश्र, संसदीय कार्य मंत्री, प्रस्‍ताव करेंगे.

                                                                                                                          

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हूँ कि अभी अध्‍यक्ष महोदय जी ने जिन कार्यों पर चर्चा के लिए समय निर्धारित करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति के प्रतिवेदन की सिफारिशें पढ़कर सुनाई हैं. उन्‍हें सदन स्‍वीकृति देता है.  

 

12.16 बजे      [उपाध्‍यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.]

 

          उपाध्‍यक्ष महोदय - प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ.

          प्रश्‍न यह है कि जिन कार्यों पर चर्चा के लिए समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़कर सुनाई गईं, उन्‍हें सदन स्‍वीकृति देता है.

 

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

 

 

12.17 बजे                               ध्‍यानाकर्षण

 

(1) प्रदेश में गेहूँ की खरीदी शीघ्र प्रारंभ न किया जाना.

 

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल (इछावर) [श्री बहादुर सिंह चौहान] उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है:-

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण मंत्री (श्री ओम प्रकाश धुर्वे) उपाध्‍यक्ष महोदय,

 

            उपाध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी आपने जवाब में 1800 से 1840/- रूपये मॉडल रेट का उल्‍लेख किया है, जबकि अभी अपने जवाब में 1900/-रूपये पढ़ा है. माननीय सदस्‍य श्री शैलेन्‍द्र पटेल आप बोलें.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि उन्‍होंने बहुत सारी जानकारियां दे दी हैं. मेरा उद्देश्‍य इतनी सारी जानकारियां लेने का नहीं था. मेरी बहुत सरल सी बात है और मैं इस ध्‍यानाकर्षण के माध्‍यम से सीधा सरकार का ध्‍यानाकर्षित करना चाहता था कि हमारे क्षेत्र में खासकर मालवा, इंदौर में गेहूँ की कटाई लगभग खत्‍म हो चुकी है क्‍योंकि आजकल हार्वेस्‍टर से जल्‍दी काम हो जाता है. मंत्री जी यदि कृषि मंत्री होते तो शायद ज्‍यादा बेहतर तरीके से समझ सकते थे कि इस वर्ष मावठा नहीं गिरा है और फसलों से आपकी अपेक्षा थी कि बाद में फसल आयेगी लेकिन फसल उससे बहुत पहले ही आ चुकी है. मैं अभी होली और रंगपंचमी की छुट्टियों में अपने क्षेत्र में था और सारे विधायकगण भी अपने-अपने क्षेत्र में गये थे, फसलें कटकर तैयार हो चुकी है और एक ओर आप कह रहे हैं कि फसलें मंडियों में भी जा रही है, यह आपने स्‍वीकार किया है. मैं आपको इस बात के लिये भी धन्‍यवाद दे रहा हूं कि फसलें 1800 से 1840/- रूपये के रेट में जा रही है और कहीं न कहीं उस रेट में भी जा रही होंगी जैसा अपने उत्‍तर दिया है, तब भी 150 से 200 रूपये का घाटा किसानों को हो रहा है. अगर यह समर्थन मूल्‍य की खरीदी पहले हो जाती तो शायद किसानों को यह घाटा नहीं होता.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से एक बात पूछना चाहता हूं कि अगर हम समर्थन मूल्‍य का निर्णय लेते हैं कि इस मूल्‍य पर खरीदा जाये तो क्‍यों वह उस समर्थन मूल्‍य पर मंडी पर नहीं खरीदा जाता है ? अगर उसी समर्थन मूल्‍य पर मंडी में खरीद लेते तो यह व्‍यवस्‍था नहीं आती. भावांतर योजना में भी यही हुआ है कि भावांतर में समर्थन मूल्‍य कुछ ओर था, मंडी का मूल्‍य कुछ ओर था लेकिन जब किसान वह सोयाबीन मंडी में लेकर गया तो वह सोयाबीन जिसका समर्थन मूल्‍य 3050 रूपये था, वह 2400-2500 रूपये तक गया और वह राशि सरकार को देनी पड़ी.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - कृपया आपका जो प्रश्‍न हो वह आप पूछ लें.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं उसी के परिप्रेक्ष्‍य में कह रहा हूं कि अगर मंडी में समर्थन मूल्‍य पर ही गेहूँ की खरीदी हो जाये तो कोई दिक्‍कत वाली बात नहीं होती है. शासन जो मूल्‍य निर्धारित करती है, उस समर्थन मूल्‍य पर मंडियों में कोई भी खरीदी नहीं होती है. हमारी सरकार ने आज तक इस पर कोई मैकेनिज्‍म नहीं बनाया है, जिससे जो समर्थन मूल्‍य की राशि घोषित हुई है उस पर खरीदी करवाई जा सके.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से नम्र निवेदन है कि 20 मार्च तक बहुत देरी हो जायेगी. आज हम मंडी के आंकड़ें निकालेंगे तो बहुत सा गेहूँ  मंडी में बिक रहा है और उसके कारण किसानों को घाटा जा रहा है. किसानों को जो राशि मिलना चाहिए वह नहीं मिलती है. शासन ने मंशा जाहिर की है कि 2000/- रूपये क्विंटल में गेहूँ खरीदा जायेगा लेकिन उनकी मंशा कुछ ओर है और वह राशि उन्‍हें मिल नहीं पा रही है. इसलिए यहां पर यह प्रश्‍न उत्‍पन्‍न होता है कि शायद उनकी मंशा में ही कहीं खोट होगा, अगर खोट नहीं है तो वह पहले से ही फसल खरीदना चालू कर दें तो सरकार जो राशि देना चाहती है वह किसानों तक   पहुंच जायेगी. अगर 15 मार्च, 20 मार्च और 25 मार्च से फसल खरीदेंगे तो किसानों का बहुत सा गेहूँ मंडी में चला जायेगा और वह घाटा किसान को होगा. क्‍या वह घाटा सरकार भावांतर में पूरा करेगी?  या तो वह समर्थन मूल्‍य में खरीद ले और जो घाटा होगा वह कैसे पूरा होगा ? मेरा आपके माध्‍यम से मंत्री जी से निवेदन है कि वह इस स्थिति को वह स्‍पष्‍ट करें.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, आपने जवाब इतना लंबा जवाब दे दिया है और इतनी सारी जानकारियां दे दी हैं कि उससे बहुत सारे प्रश्‍न उत्‍पन्‍न हो गये हैं. माननीय सदस्‍य को सिर्फ यह जानकारी चाहिए थी कि क्‍या 07 मार्च से आप खरीदी चालू करेंगे या जो अन्‍य तिथियां 15, 20 एवं 27 मार्च हैं, से शुरू करेंगे ?

                                                                              

श्री ओम प्रकाश धुर्वे माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, एक सप्‍ताह ही तो बचा है. आज 7 तारीख है 15 मार्च, कोई ज्‍यादा दिन नहीं हैं. माननीय सदस्‍य की चिन्‍ता ठीक है. मैं तो इससे उद्भूत होते हुए कोई और नया प्रश्‍न खड़ा न हो जाए, इसलिए आपको संतुष्‍ट करने के लिए ढेर सारी जानकारियां दे दी थी.

उपाध्‍यक्ष महोदय उससे बहुत सारे प्रश्‍न उत्‍पन्‍न हो जाते हैं.

श्री ओम प्रकाश धुर्वे हां ठीक है, हो सकते हैं. यह तो जलवायु के ऊपर निर्भर करता है, जितनी नमी रहेगी, सिंचाई जहां होगी वहां फसल लेट होगी.

उपाध्‍यक्ष महोदय मंत्री जी क्‍या आप जो तारीख है उससे दो-चार दिन पहले कर सकते हैं?

श्री ओम प्रकाश धुर्वे एक सप्‍ताह तो अब बच गया हैं, हमें तैयारी भी करनी पड़ती है. माननीय सदस्‍य ने कहा कि आप जो उत्‍तर दे रहे हैं उसमें 6000-7000 क्विंटल आवक प्रतिदिन आप बता रहे हैं वह भी सही है, लेकिन हम लोगों की भी एक मजबूरी, हम लोग जो सरकार का जो मापदंड है, जो मानक है, एफएक्‍यू है, उसके अनुसार ही हम लोग खरीदी कर पाते हैं. अभी गेहूं की फसल जहां ज्‍यादा पानी नहीं है या सूखे क्षेत्र हैं, पथरीली भूमि है वहां कटाई हो गई है, थ्रेसिंग भी हो गई है या चल रही है, लेकिन उसमें नमी ज्‍यादा है और ऐसे सूखे वाले क्षेत्र जहां हैं, आप मुस्‍कुरा रहे हैं हो सकता है वहां पहले बुआई हो गई होगी, या पानी की उपलब्‍धता कम होगी माननीय श्री शैलेन्‍द्र पटेल से कहना चाहता हूं, लेकिन एफएक्‍यू जो हमारा मापदंड है उसके अनुसार नहीं आ पाता, इसलिए यह सब विसंगतियां हो रही हैं. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि एक सप्‍ताह है, एक सप्‍ताह और इंतजार कर ले, जब तक गेहूं और सूख जाएगा.

श्री शैलेन्‍द्र पटेल माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, किसानों को परेशानी न हो. मैं खुद किसान हूं और स्थिति को भलीभांति जानता हूं. मैं यह नहीं कहता हूं कि शासन से कहां गलती हुई है, लेकिन वह यह अंदाजा नहीं लगा पाए कि इस बार मावठा नहीं गिरने के कारण और जो मौसम रहा उसके कारण फसलें बहुत जल्‍दी आ गईं.पिछले बार 15 मार्च को हुई कोई दिक्‍कत नहीं थी, फसलें आईं थीं लेकिन इस वर्ष उसके पहले फसल आ गई. दूसरी बात यह है कि जब हार्वेस्‍टर से गेहूं कटता है तो उसमें गीला गेहूं कट ही नहीं पाता, गेहूं में कोई नमी भी नहीं है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से सरकार से बहुत निवेदन है, ठीक है आप 20 मार्च और 25 मार्च वालों को तो 15 मार्च कर दीजिए. ठीक है इंदौर, उज्‍जैन में आप 15 मार्च से खरीद रहे हैं. मालवा और हमारे होशंगाबाद संभाग में और जो दूसरी जगह है, उनकी भी पहले कर दीजिए. मैं भोपाल संभाग से आता हूं, मेरे क्षेत्र का लगभग 90 प्रतिशत गेहूं कट चुका हैं. मैं मंत्री जी को यही ध्‍यानाकर्षित करना चाहता हूं. पूरे जिले में लगभग बुधनी, नसरूल्‍लागंज को छोड़ दें वहां पर नहर वगैरह है.

उपाध्‍यक्ष महोदय माननीय सदस्‍य, मंत्री जी समझ गए हैं.

श्री ओम प्रकाश धुर्वे माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, हम लोग तो जबलपुर से आते हैं. मेरे प्रभार का सतना जिला भी है, तो यहां से आप ट्रेन से निकल जाइएगा कहीं आपको गेहूं की कटाई चालू नहीं दिखेगी इतनी दूरी में, हो सकता है इधर हो, मैं इधर बहुत दिनों से नहीं गया हूं, लेकिन माननीय सदस्‍य जो बता रहे हैं उसका मैं परीक्षण करवा लूंगा.

उपाध्‍यक्ष महोदय माननीय मंत्री जी, मध्‍यप्रदेश के अलग अलग अंचलों में फसल कहीं पहले आती है, कहीं बाद में आती है, अभी विन्‍ध्‍य क्षेत्र में तो फसल हरी है.

श्री ओम प्रकाश धुर्वे उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं उसका परीक्षण करवा लूंगा, अगर ऐसा है तो जल्‍दी चालू करवा देंगे.

उपाध्‍यक्ष महोदय कुछ दिन पहले इसको करवा लीजिए.

श्री शैलेन्‍द्र पटेल मंत्री जी, आप ऐसा करते हैं तो अभी से मैं आपको धन्‍यवाद देता हूं, सभी किसानों की तरफ से जिनको कि आज राशि का नुकसान हो रहा है. आप समय से 15 मार्च से करवा देंगे तो मैं बहुत बहुत आभारी रहूंगा.

श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) माननीय उपाध्‍यक्ष जी, शासन द्वारा समर्थन मूल्‍य पर गेहूं खरीदी के लिए 15 मार्च 2018 में खरीदी के केन्‍द्र प्रारंभ करने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि इस वर्ष गेहूं की फसल वर्तमान में कट चुकी है और फरवरी के अंतिम दिनों में कटाई व थ्रेसिंग का कार्य लगभग पूरा हो जाएगा. किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए 15 दिनों इंतजार करना पड़ेगा. दूसरी तरफ किसानों को तुरंत पैसों की आवश्‍यकता होने के कारण वे अपने उपज मंडी में कम दामों पर बेचने के लिए विवश हैं. किसानों द्वारा समर्थन मूल्‍य पर खरीदी 7 मार्च से किए जाने की मांग की गई है समय पर समर्थन मूल्‍य पर गेहूं की खरीदी की व्‍यवस्‍था नहीं होने से किसानों में रोष व्‍याप्‍त है.

श्री ओम प्रकाश धुर्वे मैंने बता दिया न जिस क्षेत्र की जानकारी नहीं है, हम उधर का परीक्षण करवा लेंगे.

श्री बहादुर सिंह चौहान माननीय उपाध्‍यक्ष जी, आपने कहा है कि विन्‍ध्‍य में फसल अलग समय में आती है, चंबल में अलग समय में आती है, निमाड़ में अलग समय में आती है.

उपाध्‍यक्ष महोदय इस साल मावठा नहीं गिरा, इसलिए फसल पहले आ गई.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं कृषि उपज मंडी के आंकड़े लाया हूं. उज्जैन जिले में 7 मंडियां हैं. 1 लाख 70 हजार 400 क्विंटल गेहूं 26 फरवरी, 2018 तक उज्जैन संभाग में बिक चुका है और यह गेहूं 1600 से 1700 के रेट में बिका है. उपाध्यक्ष महोदय,  अन्य अंचलों में नवम्बर में सोयाबीन होती है और उज्जैन संभाग में अक्टूबर में प्रारंभ हो जाती है.इसका कारण यह है कि हमारे यहां पर कुंओ और ट्यूव वेल से सिंचाई होती है. गत वर्ष यह खरीदी जब हमने आग्रह किया तो 15 मार्च हुई थी क्योंकि गत वर्ष मावठा गिरा था. एक किसान होने के नाते मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि 1600 से1700 में जो गेहूं 26 फरवरी, 2018 तक बिक चुके हैं, इनके उपार्जन केन्द्र तैयार है और मुख्यमंत्री जी द्वारा यह कहा गया कि  किसानों के गेहूं 2,000 रूपये क्विंटल में खरीदेंगे इस पर मेरा प्रश्न है कि जो 1 लाख 70 हजार 400 क्विंटल गेहूं जो 1600 से 1700 में बिक चुका है, इसका एवरेज 3500 रूपये क्विंटल का घाटा हमारे यहां के किसान को हो रहा है. 100 क्विंटल में किसान को 35 हजार का नुकसान हो रहा है, अंतिम तारीख बीत गई है, क्या आज से ही उज्जैन संभाग में जितने उपार्जन केन्द्र हैं उनकी खरीदी के निर्देश मंत्री जी देंगे ?

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे-- उपाध्यक्ष महोदय, मंडियों में गेहूं के जो आंकड़े सदस्य ने बताये हैं इसमें नये और पुराने दोनों किस्म के गेहूं आते हैं.साल भर आदमी थोड़ी थोड़ी बिक्री करता है. मैंने पहले भी कहा है कि मैं इसका परीक्षण करा लूंगा अगर ऐसी स्थिति है तो वहां  जल्दी प्रारंभ करेंगे.

          उपाध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, एक सुझाव यह है कि जो आपने तारीखें दी हैं क्षेत्र विशेष को लेकर के पांच दिन उसको और बढ़ा दें.

          श्री बहादुर सिंह चौहान- ऐसा कर दें तो बहुत कृपा होगी.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे-- उपाध्यक्ष महोदय, अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग फसल बोने का समय है, इसी के हिसाब से अलग अलग संभाग में अलग अलग तारीखें दी हैं. उज्जैन-इंदौर तरफ 15 मार्च से ही खरीदी प्रारंभ कर देते हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय- आप परीक्षण करा लें.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे- मैंने कह दिया है, परीक्षण करा लूंगा.

          श्री बहादुर सिंह चौहान- उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जो कह रहे हैं कि पुराने गेहूं भी बिक्री के लिये आ रहे हैं यह उत्तर न्याय संगत नहीं है. 99 प्रतिशत नई फसल है. हम किसान हैं, मालवा के लोग हैं, मंत्री जी, माननीय उपाध्यक्ष जी के सुझाव के अनुसार परीक्षण करके कम से कम पांच दिन आगे बढ़ा दें ताकि किसान को फायदा हो सके.

          उपाध्यक्ष महोदय- मंत्री जी परीक्षण के लिये कह रहे हैं, बहुत सारी चीजें देखना पड़ती है, व्यवस्थायें देखना पड़ती हैं.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक(परासिया) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं छिंदवाड़ा जिले के बारे में जानकारी चाहता हूं. 28 फरवरी,2018 तक सोसायटी में पंजीकरण करने का अवसर किसानों को मिला था चूंकि सोसायटी में कर्मचारियों की हड़ताल के कारण पंजीयन नहीं हो पा रहा है, क्या किसानों के हित में पंजीयन करने की वैकल्पिक व्यवस्था सरकार करेगी ?

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे-- उपाध्यक्ष महोदय, पिछले वर्ष जिन जिन ने पंजीयन किया था उन सबको ले रहे हैं, दुबारा पंजीयन की उन्हें आवश्यकता नहीं है. इस साल जो तारीखें निर्धारित की हैं उसमें सारे पंजीयन मेरे ख्याल से हो गये होंगे.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक --मंत्री जी, चूंकि मेरे क्षेत्र में सोसायटी के कर्मचारी हड़ताल में है, वहां पंजीयन नहीं हो पा रहा है.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे-- मैं वही कह रहा हूं कि पिछले साल जिनका पंजीयन था उनको अब पंजीयन कराने की आवश्यकता नहीं है. कोई बच गया था, उसके लिये पर्याप्त समय दिया गया है.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक--  माननीय उपाध्‍यक्ष जी, मैं यह कह रहा था कि आपने बोला कि जो पिछले किसान जिनका पंजीयन था, फिर से उन्‍हीं को मौका मिल जायेगा, रिव्‍यू हो जायेगा, मगर सोसायटी में ऐसे निर्देश जारी नहीं हुये हैं, कर्मचारी हड़ताल पर हैं, आज भी सोसायटी में किसान पंजीयन कराने के लिये लाइन लगाकर खड़े हुये हैं लेकिन पंजीयन नहीं हो पा रहा, तो एक बार निर्देश जारी कर दें.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  उनको पंजीयन करने की आवश्‍यकता नहीं है.

          मुख्‍यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)-- एक-एक किसान का पंजीयन होगा, आवश्‍यकता पड़ेगी तो तिथि भी बढ़ा दी जायेगी लेकिन जो पात्र किसान है वह कोई भी पंजीयन से वंचित नहीं रहेगा एक बार रिव्‍यू करके वैसी व्‍यवस्‍था बना लेंगे, बिल्‍कुल होगा, कोई वंचित नहीं रहेगा.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक--  जी धन्‍यवाद. यही निर्देश जारी कर दें ताकि किसानों को राहत मिल जाये.

 

 

 

 

 

2. उज्‍जैन-जावरा बी.ओ.टी. सड़क मार्ग के किनारे नाली का निर्माण न किये जाने से 

उत्‍पन्‍न स्थिति

 

          श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा-खाचरोद)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है-

          लोक निर्माण, विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह)--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय,

          श्री दिलीप सिंह शेखावत--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को यह बताना चाहूंगा कि यह जो बी.ओ.टी सड़क है यह बहुत ही महत्‍वपूर्ण सड़क है. राजस्‍थान, गुजरात के सारे या‍त्री और विशेषकर उज्‍जैन हमारा एक प्रसिद्ध धार्मिक और तीर्थ स्‍थल है वहां पर काफी लोग आते हैं. जैसा माननीय मंत्री जी ने बताया कि जो गुड़गांव की कंपनी है उसके हिसाब से उन्‍होंने यह सारा बनाया है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि वास्‍तव में जो अनुबंध हुआ है उस अनुबंध की शर्तों को लागू करवाने का काम वास्‍तव में किसका है एक प्रश्‍न मेरा यह है. दूसरा मैं यह पूछना चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी ने यह बताया है कि 935 मीटर की लंबाई जल निकासी हेतु निवेशक द्वारा बनाई गई है. जब डी.पी.आर.बनी थी उस वक्त टोटल नाली कितनी बननी थी और अभी तक उनसे कितनी राशि जो उन्होंने नाली नहीं बनायी है, वह वसूल कर ली गई, मंत्री जी बतायेंगे तो ठीक होगा.

          श्री रामपाल सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, पहले प्रस्ताव के अनुसार तो इसकी 30.9 किलोमीटर लंबाई का प्रावधान इसमें किया गया था. निर्माण के द्वारा पाया गया कि 935 मीटर नाली का निर्माण किया गया है. तीसरा प्रश्न माननीय सदस्य जी ने पूछा है कि 9 करोड़ के लगभग राशि की वापसी के लिये पत्र संबंधित को दिया गया है.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत--उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि ऐसा क्या कारण है कि 2013 में विभाग को यह कार्य हैंडओव्हर कर दिया गया है. 2013 से 2018 तक अधिकारियों द्वारा जो 9 करोड़ रूपये की राशि ठेकेदार से वापस लेना थी वह राशि वापस नहीं ली गई, तो क्यों नहीं ली गई ? इसमें अधिकारियों की चूक है तो क्या उनके ऊपर कार्यवाही करेंगे.

          श्री रामपाल सिंह--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मूल प्रश्न माननीय सदस्य जी का है नाली निर्माण का, जहां पर पानी भर रहा है वहां का आप प्रस्ताव दे दें. वहां मैं अधिकारियों को भेजकर दिखवा लूंगा अगर वहां पानी भरता है तो नाली का निर्माण कर देंगे. दूसरा विषय जो आपने उठाया है इसमें पूरी प्रक्रिया का पालन हुआ है, लेकिन फिर भी माननीय सदस्य जी को कहीं पर किसी तरह की बात आपके ध्यान में है तो इसकी जांच कराने में हमें कोई आपत्ति नहीं होगी.

          उपाध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी इन्होंने जो पूछा है कि 9 करोड़ रूपये जो वापस आने हैं अभी तक वापस क्यों नहीं आये ? इसमें कौन दोषी हैं, उन पर क्या कार्यवाही करेंगे और अनुबंध लागू करने वाली एजेंसी कौन सी है, अनुबंध कौन लागू करता है, यह दो महत्वपूर्ण प्रश्न हैं ?

            श्री रामपाल सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, उत्तर में सारी जानकारी दे दी गई है उसमें कम्पनी का नाम भी दिया हुआ है.

          उपाध्यक्ष महोदय--अनुबंध कौन कराएगा  ? बनाने वाले का आपने नाम दिया है क्या? उसको लागू कौन करेगा ?

            श्री रामपाल सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, बनाने वाले का नाम दे दिया है.

          उपाध्यक्ष महोदय--अनुबंध लागू कौन करेगा ?

            श्री रामपाल सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, अनुबंध विभाग ने लागू किया है, जो एजेंसी है उन्होंने शर्तों का पालन किया है और अनुबंध के हिसाब से उनको नाली का निर्माण करना था. 30 किलोमीटर में करना था 935 मीटर में किया है. बाकी उपयुक्त नहीं समझा है इसलिये उसका निर्माण कार्य कम कर दिया है.

12.42 बजे            {अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}

          श्री दिलीप सिंह शेखावत--अध्यक्ष महोदय, मैं विनम्रता से पूछना चाहता हूं कि 30 किलोमीटर की डी.पी.आर बनी थी उसमें मात्र 935 मीटर नाली बनी है. यह गंभीर मामला है. क्या संबंधित अधिकारियों पर इसकी जांच करेंगे ? वर्तमान में आप कह रहे हैं कि पानी कहीं नहीं भर रहा है. घिनोदा जो मेरा गांव है उसमें लगातार चार वर्षों से विभाग को इस बारे में पत्र भी दे रहा हूं कि पानी घुस रहा है. इसमें कई प्रकरण राजस्व के मुआवजे के भी बने हैं. मेरे समक्ष एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी यहां से भेजकर जांच कराएंगे ? मेरा प्रश्न एक और है कि वर्तमान में जो संधारण होना चाहिये व शर्तों का पालन भी नहीं हो रहा है क्या ? आप मेरे समक्ष अधिकारियों को भेजकर दोनों मामलों की जांच कराएंगे ?

            श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय सदस्य जी से निवेदन है कि जानकारी इसकी आपको दे दी है. अगर आपके ध्यान में जो ज्यादा जरूरी है वहां स्थान बता दें, वहां पर नाली का निर्माण करवा देंगे. दूसरा अनुबंध के हिसाब से पूरा काम वहां पर हुआ है. अगर वहां पर उसका उल्लंघन हुआ है तो निश्चित रूप से हमारी एम.पी.आर.टी.सी की पूरी जवाबदारी है. हमें इसकी वरिष्ठ अधिकारियों से जांच कराने में दिक्कत नहीं है इसमें माननीय सदस्य जी को विश्वास भी दिलाते हैं कि अगर ऐसी कोई बात है, अगर कोई कमी अथवा शर्तों का उल्लंघन हुआ है उसकी वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा जांच करा लेंगे.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत - ये जो संधारण वाली है उसकी मेरे समक्ष जांच कराएंगे.यह बहुत गंभीर विषय है और 100 कि.मी. की रोड है और वह इतनी खराब है और टोल पूरा वसूला जा रहा है. मैं अधिकारियों को बताऊंगा कि कहां-कहां गड़बड़ है.

          अध्यक्ष महोदय - जब जांच करने जाएं तो विधायक जी को सूचना दे दें.

          डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, नीमच जिला,मंदसौर जिला इसी पर निर्भर करता है.गांव भी आते हैं.

          अध्यक्ष महोदय - उन्होंने काम करवाने का कह दिया है.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत - अध्यक्ष महोदय,मेरा आखिरी प्रश्न, अनुबंध की कापी मुझे उपलब्ध कराई जायेंगी ?

          श्री रामपाल सिंह -  अनुबंध की कापी उपलब्ध करा दी जायेगी और जहां तक नाली की बात है, विधायक जी की महत्वपूर्ण सड़क है वहां का अधिकारी परीक्षण करेंगे. जहां जरूरत होगी, नाली बनेगी. मैंने विस्तार से बता दिया है आपकी भावना से लोग काम करेंगे.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत - अध्यक्ष महोदय, घिनौदा, जहां पर लगातार 5 साल से दिक्कत है उसका तो आप परीक्षण कराकर नाली बनवा दें.

          अध्यक्ष महोदय - आप बैठें. अनन्त काल तक नहीं चलेगा.

 

 

12.46 बजे                         सभापति तालिका की घोषणा

          अध्यक्ष महोदय - मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 9 के उपनियम(1) के अधीन,मैं,निम्नलिखित सदस्यों को सभापति तालिका के लिये नाम-निर्दिष्ट करता हूं :-

          1.       श्री कैलाश चावला

          2.       डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय

          3.       श्रीमती नीना विक्रम वर्मा

          4.       श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा

          5.       श्री रामनिवास रावत

          6.       श्री के.पी. सिंह

 

                                                याचिकाओं की प्रस्तुति

          अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की गईं मानी जाएंगी.

 

 

12.47 बजे                        

राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री रामेश्वर शर्मा,सदस्य द्वारा दिनांक 26 फरवरी,2018 को प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा

        अध्यक्ष महोदय - राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधनों पर चर्चा.  अब श्री रामेश्वर शर्मा,सदस्य कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव के संबंध में अपना भाषण प्रारम्भ करेंगे.

        श्री रामेश्वर शर्मा(हुजूर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल जी के द्वारा इस विधान सभा में जो अभिभाषण दिया उस पर कृतज्ञता व्यक्त करने के लिये यहां पर खड़ा हूं. आप और हम यह जानते हैं कि मध्यप्रदेश की जो प्रगति हुई है और आज मध्यप्रदेश जिस स्थान पर खड़ा है. हम उन सरकारों का भी उल्लेख कर सकते हैं जो पहले रही हैं और वर्तमान सरकारों का भी उल्लेख कर सकते हैं. विगत चौदह सालों की यात्रा हम देखें तो इन चौदह सालों में मध्यप्रदेश ने प्रगति के जो नये आयाम छुए हैं. चौदह सालों में मध्यप्रदेश जिस स्थान पर पहुंचा है आज वह संपूर्ण देश के अंदर बधाई का पात्र है.  मध्यप्रदेश आज बीमारू राज्य से ऊपर उठकर अपने पैरों के ऊपर विकसित राज्य के रूप में खड़ा है.  इस विकसित राज्य को ऊंचे स्थान पर पहुंचाने में किसी का नेतृत्व काम आया है, किसी ने हमारे मध्यप्रदेश को उन्नत बनाया है तो उसमें हमारे मुख्यमंत्री जी शिवराज सिंह चौहान जी का महत्वपूर्ण योगदान है. माननीय अध्यक्ष महोदय आप और हम जानते हैं कि  2003 के पहले की जो स्थितियां थीं. यह राज्य बीमारू था. इस राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति चौपट हो गई थी. इस राज्य में कानून-व्यवस्था इतनी खराब थी कि उस समय तत्कालीन मंत्री की हत्या तक इस राज्य में हुई. आप और हम जानते हैं कि ग्वालियर-चंबल संभाग के बीहड़ों में डाकुओं का आतंक था. मध्यप्रदेश इस दुर्गति के दौर से कांग्रेस के नेतृत्व में गुजरा. कांग्रेस के नेतृत्व में " अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा " जैसे उदाहरण उस समय प्रस्तुत किये जाते थे.

          नेता प्रतिपक्ष(श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सम्माननीय विधायक जी से पूछना चाहता हूं कि  आप 2005,2006,2007,2008,2009,2010 कब का भाषण दे रहे हैं. चौदह साल आपकी सरकार हो गई. आप अपनी बात तो करो.

          श्री रामनिवास रावत - बोलते जाओ आप तो. बोलते जाओ.

          श्री रामेश्वर शर्मा - नेता प्रतिपक्ष जी ने सही कहा कि कब की बात,मैंने शुरुआत में कहा कि मध्यप्रदेश की स्थिति में जिन-जिन का योगदान है हम उसका भी उल्लेख करेंगे लेकिन मध्यप्रदेश इन चौदह सालों में प्रगति के रास्ते पर आया उसका भी उल्लेख करेंगे. हम मध्यप्रदेश में यह सवाल भी पूछेंगे क्योंकि वर्तमान और भूतकाल दोनों सामने रखे जाते हैं. अगर उस समय तत्कालीन मंत्री की हत्या होती है तो समझ आता है कि कानून-व्यवस्था क्या थी.

          श्री के.पी.सिंह - "भूत" से पीछा कब छूटेगा आपका. "'भूत" से कभी पीछा छूटेगा,नहीं छूटेगा.

          श्री रामेश्वर शर्मा - अगले चुनाव में आप सबसे पीछा छूट जायेगा तो "भूत" से पीछा छूट जायेगा.

          श्री के.पी. सिंह-  हमसे छोड़ो "भूत" से कब छूटेगा यह बता दो.

          श्री अजय सिंह - रामेश्वर शर्मा जी, हमने कोलारस में देख लिया.

          श्री रामनिवास रावत - कोलारस से अभी आये हो. तीन महीने रामेश्वर जी आप कोलारस पड़े रहे. तीन महीने से कोलारस थे भोपाल नहीं देखा.

          श्री के.पी. सिंह - "भूत" का पीछा नहीं छूट पाया.

            श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष जी, कोलारस में जो कुछ भी स्थिति है. मैं यही तो कहना चाहता हूं कि कांग्रेस की जो स्थिति है. वह धुंधकारी की तरह है. बारिश में जो माचिस गीली हो जाती है, उसको रगड़-रगड़कर जब कभी वह जल जाती है तो कांग्रेस चीखने और चिल्लाने लगती है. 4 उपचुनाव जीतने से कांग्रेस यह नहीं समझ सकती कि प्रदेश जीत गई. प्रदेश आज भी शिवराज जी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है और आगे बढ़ता रहेगा. मध्यप्रदेश आज उन्नति के पथ पर है. आप विचार करिए, कोलारस के पिछले चुनाव का आपके पास क्या रिकॉर्ड है? जो सीट आप 48000 वोट से जीते थे, उसमें आप 8000 वोट पर आ गये. जो सीट कभी आप 35000 वोट से जीतते थे, उसमें आज 3000 वोट पर आ गये. यह बात मैं जानता हूं. अजय भैया, मैं आपकी भावना जानता हूं. मैं आपकी भावना भी जानता हूं श्री के.पी. सिंह जी कि आप यह चाहते हैं कि कोलारस और शिवपुरी में भारतीय जनता पार्टी का झंड़ा गड़े और (XXX), यह आपकी भावना है.

नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है.

अध्यक्ष महोदय - इसे विलोपित कर दीजिए.

श्री के.पी. सिंह - मतलब जो आप बखान कर रहे हैं, उसमें हमारा योगदान है?

श्री रामेश्वर शर्मा - के.पी. सिंह जी, मैं तो बोल ही रहा हूं.

श्री के.पी. सिंह -मतलब आपका कुछ योगदान नहीं है? आप सीधी बात कहें.

श्री रामेश्वर शर्मा - आप इसी तरह से सहयोग करते रहिए.

श्री के.पी. सिंह - आप कहें तो कि हमारा योगदान है, आपका कुछ योगदान नहीं है.

श्री रामेश्वर शर्मा - अब क्या कह दें?

श्री के.पी. सिंह - आप कहें, क्यों नहीं कह रहे हैं?

अध्यक्ष महोदय - आप अपनी बात करें, यह प्रश्नोत्तर काल नहीं है.

श्री रामनिवास रावत - यह और बता दें कि कितना-कितना रुपया खर्च करके आए?

श्री रामेश्वर शर्मा -अध्यक्ष महोदय, मैं आपको यह भी बता देना चाहता हूं कि आज जो प्रदेश की स्थिति है. आप देखिए कि डेढ़ दशक के शासनकाल में आज मध्यप्रदेश की विकास दर 18 से 20 प्रतिशत प्रतिवर्ष के आधार पर बढ़ी हैं. मध्यप्रदेश 2 लाख करोड़ रुपए के बजट को पार कर चुका है. आज बेहतर वित्तीय प्रबंधनों का नतीजा है कि  लगातार मध्यप्रदेश की विकास की दर देश के औसत विकास की दर से अधिक है. गरीबों की उन्नति में भागीदार है. राज्य में समावेशी विकास की नीतियों को ध्यान में रखते हुए शासन ने गरीबों के लिए रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई-लिखाई, दवाई की व्यवस्था और रोजगार के इंतजाम किये हैं. ऐसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को लेकर माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में आज हम चल रहे हैं. आप और हम यह भी जानते हैं कि मध्यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है. मध्यप्रदेश में अगर किसानों के लिए कोई बात है, अभी हमारे तमाम कांग्रेस के विधायक, भाजपा के विधायक यह बात उठा रहे थे कि जहां पर सिंचाई है, वहां पर अभी फसल कटने में 10-15 दिन की देरी है. जहां पर सूखा क्षेत्र है, वहां पर फसलें कट गई हैं. आप यह विचार करिए. माननीय मुख्यमंत्री जी अनेक बार वह बात कह चुके हैं. मैं भी यह बात करता हूं. आप भी यह जानते हैं  कि विगत 60 साल के आपके शासनकाल में और पुराने राजा, नवाब, इनके शासनकाल में  केवल 7 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित थी. मध्यप्रदेश के नागरिको को, किसानों को और इस सदन के सदस्य होने के नाते मुझे, आज हम सबको फक्र है. आज हम माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में 40 लाख हेक्टेयर से ज्यादा सिंचाई का रकबा सिंचित करने जा रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट)..केवल इतना ही नहीं, वर्ष 2025 तक इसकी जो योजना है वह 80 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचाई करने की योजना है. मैं आप सबको यह भी बता देना चाहता हूं कि हमारे कर्मचारी भाइयों की स्थिति क्या थी? हमारे पुलिस विभाग की स्थिति क्या थी. आप देखिए गुरुजियों की स्थिति क्या थी? आज श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में  जहां पर हम लंबी-लंबी सड़कें बना रहे हैं. खेत तक सड़क पहुंचाने का काम कर रहे हैं, जहां पर गरीब के लिए पक्का मकान देने के लिए श्री नरेन्द्र मोदी जी का हमको आशीर्वाद मिल रहा है. जहां गरीब का चूल्हा कभी बेशरम की लकड़ी से जला करता था, उसकी रोटी काली पड़ जाती थी.  सदन के माध्यम से मैं धन्यवाद देता हूं श्री नरेन्द्र मोदी जी को कि उन्होंनें गरीब की इस परेशानी को समझा, उस बहन की आंखों के आंसू को समझा और उन्होंने गरीब को पक्के मकान देने के साथ गैस का चूल्हा देने का जो काम किया है, उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं.

            अध्यक्ष महोदय, आप विचार करिए, मैं आपसे एक प्रार्थना करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में हमने बहुत से मुख्यमंत्री देखे. आदरणीय श्री अर्जुन सिंह जी को भी हमने देखा, आदरणीय श्री मोतीलाल वोरा जी को देखा, आदरणीय श्री दिग्विजय सिंह जी को देखा, लेकिन इनके मुख्यमंत्रित्व काल का  एक भी उदाहरण ऐसा नहीं है कि किसी भी बेटी को लाड़ली लक्ष्मी बनाया गया हो, एक भी उदाहरण नहीं है कि किसी भी गरीब की बेटी का विवाह कराया हो. मैं फक्र के साथ कह सकता हूं  और श्री शिवराज जी को मैं धन्यवाद भी दे सकता हूं कि अगर 27 लाख बेटियों को लाड़ली लक्ष्मी बनाया तो वह माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने बनाया.( मेजों की थपथपाहट) 5 लाख से अधिक बेटियों का विवाह कराया. वह गरीब की बेटियां थीं, हिन्‍दू की बेटियां थीं, मुसलमान की बेटियां थी, सिख की बेटियां थीं, लेकिन शिवराज सिंह चौहान जी ने कहा कि बेटी कोई भी हो, पर मामा शिवराज सिंह चौहान इन बेटियों के हाथ पीले करायेगा. यह जिम्‍मेदारी माननीय शिवराज सिंह जी ने बखूबी निभायी. मैं एक बात और भी बता देना चाहता हूं कि माननीय प्रधानमंत्री जी, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने दिव्‍यांगों को, जो चलने में असहाय महसूस करते थे, जिनको आंखों की परेशानी थी, जिनको पैर की परेशानी थी, ऐसे लोगों के लिये भी पर्याप्‍त सुख-सुविधायें उपलब्‍ध कराकर, उनका मेडिकल परीक्षण कराकर उनको विशेष प्रकार के यंत्र उपलब्‍ध कराये. यह भी बहुत बड़ा काम मध्‍यप्रदेश सरकार और केन्‍द्र सरकार के सहयोग से हुआ है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप और हम यह जानते हैं. आप तो स्‍वयं डॉक्‍टर रहे हैं. आप विचार करिये कि हमीदिया अस्‍पताल की हालत वर्ष 2003 में क्‍या थी ? इसके पहले आपके यहां के अस्‍पतालों की हालत क्‍या थी ? आज मैं यह कह सकता हूं कि माननीय मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की सहज, सरल और गरीब को लाभ देने वाली मेडिकल सुविधाओं के आधार पर हर गरीब को दवा उपलब्‍ध हो, उसका सस्‍ता इलाज हो, उसकी पूर्ण जांच यहां पर हो, आज सरकारी अस्‍पतालों में मरीजों की लंबी-लंबी कतारें खड़ी हो गई हैं. उनके अंदर यह भरोसा पैदा हो गया है कि हम सरकारी अस्‍पताल में जायेंगे तो हमारा नि:शुल्‍क इलाज होगा, हमको दवायें फ्री मिलेंगी, वहां पर हमारा मेडिकल चेकअप होगा, हम वहां पर जल्‍दी स्‍वस्‍थ होंगे. आप उस समय गिनें तो केवल 2-3-4 मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे और आज मैं मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को इस बजट भाषण के माध्‍यम से धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि आज उनके नेतृत्‍व में पूरे प्रदेश में 7 नये मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं.

          श्री सुखेन्‍द्र सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, वहां पर डॉक्‍टर एक भी नहीं है.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- आपने पहले डॉक्‍टर नहीं बनने दिये. तुरंत तो डॉक्‍टर नहीं हो जायेंगे, यह 7 नये मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप उनकी बात का उत्‍तर न दें अपनी बात करें. आप वाद-विवाद नहीं करें.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह नहीं समझ सकता कि विपरीत परिस्थितियां होने के बाद भी देश में कांग्रेस के इतना चिल्‍ला-चोट करने के बाद भी त्रिपुरा जैसे राज्‍य में जहां भारतीय जनता पार्टी का नाम लेने पर वहां के कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया जाता था, वहां पर शाखा लगाने वाले लोगों को मार दिया जाता था, अगर त्रिपुरा की धरती ने केसरिया स्‍वीकार किया है, तो आप इससे अहसास करो कि यह लहर कहां तक जायेगी ? यह ध्‍वनि कहां तक जायेगी ? अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको एक बात और बता देना चाहता हूं. माननीय मुख्‍यमंत्री, माननीय प्रधानमंत्री जी के कारण हमारे यहां गर्भवती महिलाओं, माताओं-बहनों के लिये विशेष प्रावधान किये गये हैं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी के द्वारा उनको 4000 रुपये की विशेष राशि, केन्‍द्र सरकार के द्वारा, माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा 6000 रुपये विशेष राशि उपलब्‍ध कराकर क्‍योंकि वह इस बात को जानते हैं कि गरीबी के कारण किसी गर्भवती महिला के पेट में जो शिशु पल रहा है वह कहीं कमजोर न हो, कहीं कुपोषण का शिकार न हो इसलिये उसको भी इस तरह की सहायता उपलब्‍ध कराई गई है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह भी बता देना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश में विकास की जो योजनायें हैं उन योजनाओं पर आप विचार करिये. आज मध्‍यप्रदेश विकास की तरफ चल रहा है. आज मध्‍यप्रदेश के 20-21 शहर सफाई के मामले में नंबर एक पर खड़े हैं. मध्‍यप्रदेश में आज भोपाल और इंदौर ये दोनों शहर मेट्रो की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि हम दिल्‍ली और मुम्‍बई की तरह प्रगति कर रहे हैं. यह दोनों हमारे विशेष शहर थे. राजधानी होने के कारण भोपाल और उद्योग नगरी इंदौर होने के कारण इनमें जो सुविधा उपलब्‍ध करायी जा रही हैं, इनको मेट्रो से जोड़ा जा रहा है वह अपने आपमें अभूतपूर्व है. मैं आपसे यह भी प्रार्थना करना चाहता हूं कि मैं भी ग्रामीण क्षेत्र से आता हूं और अनेक विधायकगण ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं. पहले एक-एक हैण्‍डपम्‍प के लिये तरसते थे, हैण्‍डपम्‍प नहीं मिलता था. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि मुख्‍यमंत्री पेयजल योजना के अंतर्गत, पीएचई विभाग की अनेक योजनाओं के अंतर्गत आज हमारे विधानसभा क्षेत्र में और भी अन्य सदस्यों के विधान सभा क्षेत्रों में  घर-घर  नल जल योजना केवल चार इमली  की बहन  के यहां  ही नहीं होना चाहिये कि उसके  घर में टोंटी खोलेंगे, तो  पानी होगा, बल्कि  गांव में  बैठी हुई बहन के घर में भी  नल लगेगा  और  जब वह नल खोलेंगे, तो उसको पानी  प्राप्त होगा. ऐसी सुविधायें सरकार   वहां पर पहुंचा रही है. गरीबों के  प्रगति के लिये सरकार  लगातार   अपने अपने कामों पर लगी है.  मध्यप्रदेश के 150 शहरों को  हम   शीघ्र  और  तीव्र गति के विकास   कार्य  में   और तेजी  से उन्नति की तरफ  आगे बढ़ा रहे हैं. मैं  आप सबसे प्रार्थना  करना चाहता हूं कि  आज आप देखिये, हम  कभी कभी मध्यप्रदेश   की पुलिस पर कमेंट्स कर देते हैं. कभी कभी तो  लोग सेना  के बारे में कमेंट्स कर देते हैं.  और तो और  अच्छे अच्छे बुद्धिजीवी,  जिनको राष्ट्रीय   पार्टी का नेता होने का सौभाग्य  प्राप्त है,  वह भी देशद्रोही नारों का   समर्थन कर देते हैं, लेकिन  इन देशद्रोहियों से लड़ता है, तो  सीमा  पर खड़ा हुआ हमारा सैनिक  और  अंदर कोई लड़ता है, तो  हमारा पुलिस का नौजवान.  इन पुलिस के नौजवानों के लिये  मध्यप्रदेश में  विशेष रुप से योजना तैयार की गई है. प्रदेश में पुलिस  रक्षित केंद्र  बनाये जा रहे हैं.  लगातार इनके आवास की  व्यवस्था सुचारु रुप से की जा रही है.  इनके छुट्टी  और मेडिकल परीक्षण के लिये भी  विशेष योजनाएं मध्यप्रदेश  सरकार ने  तैयार की है. अपराधियों पर नियंत्रण करने के लिये  100 डॉयल को और सुचारु रुप से  बढ़ाया जा रहा है.  पूरे प्रदेश में  100  डॉयल की हजारों गाड़ियां  गली और मोहल्लों में घूम रही हैं.  जहां पर अपराधियों पर  अंकुश लगया जा रहा है और अपराधियों  के खिलाफ  सख्त  कार्यवाही  की जा रही है.  आज मुझे बताने में बड़ा हर्ष हो रहा है कि  जिला मुख्यालय पर चिह्नित 61  शहरों में निगरानी करने के लिये  यातायात प्रबंधन को ठीक करने के लिये  सी.सी.टी.व्ही. कैमरे भी लगवाये जा रहे  हैं,  उज्जैन, भोपाल, इन्दौर , जबलपुर, ग्वालियर जैसे  बड़े शहर,  खण्डवा, कटनी, सागर जैसे संवेदनशील  नगरों के कार्य पूर्ण  हो चुके हैं.  दूसरे  चरण में  शेष 50 शहरों में  सी.सी. टी.व्ही.  सिस्टम को स्थापित किया जायेगा.  मैं आपसे यह भी प्रार्थना करना चाहता हूं कि  मध्यप्रदेश सरकार  यहीं नहीं रुकेगी,  मध्यप्रदेश सरकार उस हर गरीब के पास,  जिसके पास रहने का मकान नहीं है या जिसके पास  रहने के लिये जमीन का कोई टुकड़ा  नहीं है.  यह पहली सरकार है,  आजादी का सपना  और पंडित दीनदयाल  उपाध्याय जी के अंत्योदय अभियान   की अगर सार्थक भूमिका  अदा की है,  तो माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने अदा की है.  मैं शिवराज सिंह चौहान जी को हृदय  से  धन्यवाद देता हूं कि  आज आप इस बारे में विचार करें कि  मध्यप्रदेश के अन्दर इतने काम किये हैं.  गरीब के लिये, मजदूर के लिये 10 लाख  पक्के आवास  बनाकर  दिये जा रहे हैं, जिनके पास रहने के लिये  जमीन का टुकड़ा नहीं है, उनको  जमीन का मालिक बनाया जा रहा है.  इतने काम मुख्यमंत्री जी के द्वारा  लगातार किये जा रहे हैं.  मैं आप सबसे यह प्रार्थना  करना चाहता हूं कि    मध्यप्रदेश के विकास में  योजना  बनाकर मुख्यमंत्री जी ने  और  वित्त मंत्री जी ने जो बजट हमारे  सामने प्रस्तुत किया है,  वह अपने आप में अनुकरणीय है.  अध्यक्ष महोदय,  आप और हम विचार करते हैं कि  पहले सड़कों की  क्या हालत  थी.  कोई सड़कें ही नहीं थीं. सड़क  थी कि गड्ढा था,  गड्ढा था कि सड़क थी, दोनों एक बराबर थे. लेकिन आज हम यह कह सकते हैं कि  मध्यप्रदेश में  हर  जिला मुख्यालय, हर   तहसील मुख्यालय, हर ब्लॉक मुख्यालय, हर पंचायत मुख्यालय तक अगर  पक्की सड़क है, तो  वह माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में  गांव तक   को   जोड़ने  के लिये सड़क के प्रावधान किये गये हैं.  मैं आपसे यह भी प्रार्थना करना चाहता हूं कि  विकास की इस नीति के  तहत  मध्यप्रदेश में  सबका कल्याण  हो रहा है. ..

                   नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- अध्यक्ष महोदय,मुझे कुछ ध्यान  आ रहा है कि कुछ महीने पूर्व   एक विधायक  जी भोपाल के ही  हैं, खड़े होकर कोई रोड बनवा रहे थे.  14 साल बाद शायद वहां पर कोई रोड बन रही थी.  अब पता नहीं वह कौन से विधायक जी थे. आपको शायद जानकारी होगी.

                   श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय,  नेता प्रतिपक्ष जी ने इतना तो ध्यान रखा कि कोई विधायक  खड़े होकर सड़क बनवा रहे थे.  अगर ये सड़कें पहले के विधायक खड़े होकर बनवाते  रहते, तो यह दुर्दशा सड़कों की नहीं होती.  आपकी सड़क तो मैंने वैसे ही बनवा दी.

                   श्री अजय सिंह -- डागा जी से पूछो.

                   श्री रामेश्वर शर्मा --डागा जी से क्या पूछो.   वह  तो आपकी  सड़क तो मैंने बनवा दी ना.

                   श्री अजय सिंह --  नहीं, मेरी सड़क आपने नहीं बनवाई.

                   श्री रामेश्वर शर्मा -- अच्छा, रामपाल सिंह जी ने बनवाई. चलो ठीक है साहब, किसी ने तो सड़क बनवाई.  नेता प्रतिपक्ष जी,आज मैं आपको यह भी बता देना चाहता हूं कि   आप जिस सड़क की  बात कर रहे हैं,  वह सड़क अभी फोल लेन है, लेकिन  आने वाले एक साल बाद वह सड़क भी  सिक्स लेन के रुप में होगी. और केवल इतना ही नहीं कि अकेले कोलार क्षेत्र के लोगों को उसका लाभ मिलेगा, होशंगाबाद, इटारसी, हरदा और बैतुल जाने वाले लोगों को भी उस सड़क का लाभ मिलेगा. आज आप देखिए कि सड़कों का जाल फैल रहा है. आपके यहां की सड़कें भी देख लीजिए कि किस तरह की सड़कें थीं. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की सड़कें देख लीजिए. पहले हम पंचायतों में जाते थे तो पंचायत भवन नहीं थे. गांवों में अगर कोई आयोजन होते थे, किसी की बेटी का विवाह हो या किसी गरीब के यहां मौत हो जाए तो उसकी रसोई करने के लिए कोई स्‍थान नहीं हुआ करते थे. मैं पंचायत विभाग को इस बात के लिए धन्‍यवाद दूंगा कि आज वहां पर एक-एक विधान सभा क्षेत्र में एक-एक नहीं, दो-दो नहीं, तीन-तीन नहीं, चार-चार नहीं, कई जगह तो दस-दस, बीस-बीस मंगल भवन बनकर तैयार हैं. यह अपने आप में एक उपलब्‍धि है. हमने ग्रामीण मॉडल को आगे बढ़ाया है. हमने इसे महात्‍मा गांधी जी की तर्ज पर आगे बढ़ाया. जब ग्राम में विकास होगा, जब ग्राम सुरक्षित होगा, जब ग्राम के लोग संस्‍कारित होंगे, तब देश का विकास होगा. आप विचार करिए, क्‍या कभी श्रमोदय विद्यालय खुले हैं. मेरे पास मंत्री जी बैठे हुए हैं, एक गांव में श्रमोदय विद्यालय खुल रहा है. वहां पर बच्‍चे की भर्ती पहली क्‍लास में होगी और आखरी तक उसकी पढ़ाई वहां पर होगी. सीधे वहीं पर वह इंटरव्‍यू देगा. कैम्‍पस सिलेक्‍शन तक की व्‍यवस्‍था वहां पर गरीब बेटा-बेटियों के लिए की गई है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या कभी अनुसूचित जाति के बेटा-बेटी विदेश में पढ़ने के लिए गए, क्‍या कभी इसकी व्‍यवस्‍था की गई ? आज मध्‍यप्रदेश की सरकार ने अनुसूचित जाति के 1400 बेटा-बेटियों को विदेश में पढ़ने के लिए भेजने की व्‍यवस्‍था की है. यह अपने आपमें एक सराहनीय कार्य है. आप विचार करिए, आप अनुसूचित जाति के नाम पर नारा देते हैं. आप अंबेडकर जी की बात करते हैं लेकिन अंबेडकर जी के लिए आपने क्‍या किया, कौन सा अंबेडकर भवन बनाकर तैयार हुआ, अंबेडकर जी की क्‍या पूजा हुई. क्‍या रविदास जी को आपने माना, क्‍या संत वाल्‍मी जी की पूजा की, लेकिन आज मैं यह कह सकता हूँ कि मुख्‍यमंत्री जी की इस कल्‍पना ने गरीब की उस झोपड़ी तक जाकर कहा कि झोपड़ी तो पक्‍की बनेगी ही, पर तेरे आराध्‍य देव के मंदिर का भी निर्माण होगा. यह संकल्‍प अगर किसी ने लिया है तो यह माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने लिया है.

          अध्‍यक्ष महोदय, आज किसी भी क्षेत्र में हम चले जाएं, सभी क्षेत्रों में मध्‍यप्रदेश का विकास निरंतर हो रहा है. मध्‍यप्रदेश चौतरफा विकास कर रहा है. आप विचार करें कि क्‍या कभी ऐसा हुआ है कि 2017 में किसान का गेहूँ खरीदा गया हो और गेहूँ खरीदने के बाद भी लगा कि किसान परेशान न हों, मैं मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूँ कि उस पर भी 200 रुपये प्रति बोरे के हिसाब से उन्‍हें बोनस दिया गया है, एक बार ताली बजाकर माननीय मुख्‍यमंत्री जी का हृदय से धन्‍यवाद दिया जाए. (मेजों की थपथपाहट). यह है किसानों की चिंता, क्‍या किसानों की कभी ऐसी चिंता की गई, क्‍या किसानों को कभी इतना उपकृत किया गया. आप कहते हैं कि भावांतर योजना का क्‍या लाभ है, मैं इस सदन में बैठे हुए सभी माननीय सदस्‍यों से पूछना चाहता हूँ जो अपने आपको किसान कहते हैं, यदि वे किसान हैं, अगर उन्‍होंने फसल बोई है, फसल काटी है, फसल बेची है तो इस सदन को आप बताएं कि  आपको भी भावांतर योजना का लाभ मिला है. उससे आप वंचित नहीं हैं. लेकिन कहा जाता है कि क्‍या है भावांतर योजना. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को हृदय से धन्‍यवाद देता हूँ कि आज भावांतर योजना में मध्‍यप्रदेश में जो सफलता अर्जित की गई है, इस भावांतर योजना का अध्‍ययन देश के अन्‍य प्रदेश भी कर रहे हैं. किसानों की प्रगति के लिए एक नया रास्‍ता हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने ढूंढा है कि हम फसल के समानांतर क्‍या रेट किसान को दे सकते हैं, कैसे किसानों को अपने पैरों पर खड़े कर सकते हैं. किसानों को सिंचाई के साधन, किसानों को सड़कों की व्‍यवस्‍था, किसानों को डेयरी लगाने की व्‍यवस्‍था, किसानों को समय पर बीज उपलब्‍ध कराने की व्‍यवस्‍था, किसानों की फसल खरीदने की व्‍यवस्‍था इस सरकार ने की है और तो और पहले मंडियों में दो-दो, तीन-तीन दिन तक किसानों की लाइन लगी रहती थी, लेकिन आज कहा जाए तो किसान के द्वार के सामने सोसाइटियों ने कैम्‍प लगा दिए हैं और वहां पर वे गेहूँ खरीद रहे हैं. एक क्‍विंटल नहीं, दो क्‍विंटल नहीं, आपके समय तो जरा सा माल हुआ करता था, आज भगवान की कृपा है कि लाखों मेट्रिक टन अनाज मध्‍यप्रदेश की सरकार किसानों से खरीद रही है और भण्‍डार गृह भरे पड़े हैं. आप तो कृषि प्रधान देश का तमगा लेकर आगे बढ़ना चाहते थे, लेकिन पिछली सरकार में, मनमोहन सिंह जी के नेतृत्‍व वाली सरकार में न जाने कौन से देश से लाल गेहूँ आया, इधर आदमी ने रोटी खाई, उधर लोटा लेकर निकल गया. बीमार पड़ गया. आज हम यह तो कह सकते हैं कि मध्‍यप्रदेश के अंदर गेहूँ के इतने भण्‍डारण हैं कि हम प्रदेश के लाखों-करोड़ों गरीबों को तो उपलब्‍ध कराएंगे ही, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो देश के अन्‍य प्रदेशों को भी मध्‍यप्रदेश गेहूँ देने में सक्षम है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अगर किसानों की मेहनत, परिश्रम, कृषि नीतियों का आगाज अच्‍छे नये अनुकरणीय ढंग से नहीं हुआ होता, तो 5-5 कृषि कर्मण अवॉर्ड इस प्रदेश को नहीं मिलते. अगर 5-5 कृषि कर्मण अवॉर्ड इस प्रदेश को मिले हैं तो वह माननीय मुख्‍यमंत्री जी की सफल कृषि नीति के कारण मिले हैं, सफल योजनाओं के कारण मिले हैं. आप बताइएं. आप भी बडे़ किसान हैं कभी इससे पहले आपको फसल बीमा योजना का लाभ मिला है. क्‍या किसी को मिला है. लेकिन आज हम फख्र के साथ कह सकते हैं कि कम से कम लाखों किसानों को अरबों रूपए का फसल बीमा योजना का लाभ मिला है और अगर यह मिला है तो यह माननीय श्री नरेन्‍द्र मोदी जी की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सफल व्‍यवस्‍थापन करने पर माननीय मुख्‍यमंत्री जी की सफल कृषि नीतियों के कारण मिला है. आज सिंचाई के साधन गांव-गांव तक बढ़ाए जा रहे हैं. जहां-जहां सूखा था, वहां पानी की नहरें पहुंचाने का काम किया जा रहा है. उस समय जो डेम बंद थे, उसके लिए नवीन डेम तैयार किए जा रहे हैं. 40 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र और बढे़गा तब मध्‍यप्रदेश का कृषि का जो बजट आएगा, मध्‍यप्रदेश के सदन में बैठे हुए जो लोग होंगे, वे लोग प्रफुल्लित होंगे और वे यह कह रहे होंगे कि वास्‍तव में अगर कृषि प्रधान प्रदेश है तो वह मेरा मध्‍यप्रदेश है और यहां का किसान अगर सफलता के साथ खड़ा है तो वह माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी की नीतियों के कारण, सफलता के साथ खड़ा है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पुलिस ने कानून व्‍यवस्‍था को और सुचारू रूप से चलाने का जो काम किया है वह भी बहुत अनुकरणीय है. मैं माननीय गृह मंत्री जी को भी हृदय से धन्‍यवाद देता हॅूं कि उन्‍होंने नवीन थानों की स्‍थापना की है और भी थाने क्षेत्र में बढ़ाने हैं. जहां थानों की आवश्‍यकता है, जहां नवीन पापुलेशन बढ़ रही है, जहां दूरदराज प्रांतों के लोग भी आ रहे हैं, विभिन्‍न भाषाएं बोलने वाले लोग भी आकर जहां निवास कर रहे हैं ऐसी जगह नये थाने खोलने की और आवश्‍यकता है, पुलिस को और सुविधाएं देने की आवश्‍यकता है. माननीय गृह मंत्री जी ने अपनी योजनाओं में इस बात को भी सम्मिलित किया है और आज चारों तरफ सुरक्षा का वातावरण है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज जो मध्‍यप्रदेश की नीतियां सफल बनकर सामने आयीं हैं, मैं इस बात के लिए आज आप सब को धन्‍यवाद देता हॅूं कि जो हमारी योजनाएं हैं, मध्यप्रदेश सरकार ने जो योजनाएं बनाकर प्रस्‍तुत की हैं, जो हमारे सामने बजट प्रस्‍तुत किया है, माननीय राज्‍यपाल महोदय ने जिस पर अपना भाषण दिया है, मैं माननीय राज्‍यपाल महोदय के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए यह निवेदन करना चाहता हॅूं कि मध्‍यप्रदेश की उन्‍नति में, मध्‍यप्रदेश की प्रगति में हम सब को सहभागी होना चाहिए. चाहे एक नवंबर का स्‍थापना दिवस हो. एक नवंबर का स्‍थापना दिवस, भारतीय जनता पार्टी का स्‍थापना दिवस नहीं होता है बल्कि मध्‍यप्रदेश की साढे़ सात करोड़ जनता का स्‍थापना दिवस होता है. उसका बहिष्‍कार करके, उससे दूर रहकर प्रदेश में अच्‍छा संदेश नहीं जाएगा. जहां प्रदेश का तिरंगा झंडा फहराया जाए, जहां पर राष्‍ट्रगान हो वहां हमारे और आपके बीच मतभेद या कुछ भी हो, वह सब त्‍याग कर हम राष्‍ट्र के ध्‍वज को सलामी देने के लिए, हम अपने प्रदेश की ताकत को मजबूत करने लिए, प्रदेश के किसानों के हित में लड़ाई लड़ने के लिए, प्रदेश की साढे़ सात करोड़ जनता के हितों के सम्‍मान के लिए, यहां के बेटा और बेटियों की सुरक्षा के लिए, उनको सुचारू रूप से काम और रोजगार देने के लिए संपूर्ण सदस्‍य एक साथ होकर अगर उन्‍नत मध्‍यप्रदेश की कल्‍पना करेंगे तो माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वह दिन दूर नहीं जब हम हिन्‍दुस्‍तान के प्रदेशों में नंबर वन प्रदेश तो होंगे लेकिन दुनियां के देशों के अंदर भी मध्‍यप्रदेश सीना तानकर खड़ा होकर अपनी योजनाओं पर चर्चा कर सकता है. मध्‍यप्रदेश अपनी उपस्थिति का एहसास करा सकता है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया, उसके लिए मैं हृदय से आपको धन्‍यवाद देता हॅूं और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को, माननीय मंत्रीगणों को भी हृदय से धन्‍यवाद देता हॅूं और सभी माननीय सदस्‍यों को भी, जो उन्‍होंने मुझे जो थोड़ा बहुत सुना है उसके लिए मैं उन्‍हें हृदय से धन्‍यवाद करता हॅूं. मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को भी हृदय से धन्‍यवाद देता हॅूं. (मेजों की थपथपाहट).

          अध्‍यक्ष महोदय -- राज्‍यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्‍ताव में मेरे पास माननीय सदस्‍यों के संशोधनों की 1840 सूचनाएं प्राप्‍त हुई हैं. उनमें से जो संशोधन नियमानुसार नहीं थे, उन्‍हें अग्राह्य किया गया है.

          संशोधन बहुत विस्‍तृत स्‍वरूप के हैं, इसलिए पूरे संशोधनों को न पढ़कर केवल उनके प्रस्‍तावकों के नाम और संशोधन क्रमांक ही पढॅूंगा. जो माननीय सदस्‍य सदन में उपस्थित होंगे उनके संशोधन प्रस्‍तुत हुए माने जायेंगे.

          सदस्‍य का नाम                                       संशोधन क्रमांक

          डॉ. गोविन्‍द सिंह                                                         1

          श्री आरिफ अकील                                                       2

          श्री सचिन यादव                                                         3

          डॉ. रामकिशोर दोगने                                                   4

          श्रीमती ऊषा चौधरी                                                     6

          श्री सुखेन्‍द्र सिंह                                                 9

          श्री नीलेश अवस्‍थी                                                       10

          श्री रामनिवास रावत                                                    11

          श्री रामपाल सिंह (ब्‍यौहारी)                                           12

          श्रीमती चंदा सुरेन्‍द्र सिंह गौर                                           15

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल                                                         18

          राज्‍यपाल के अभिभाषण पर श्री रामेश्‍वर शर्मा, सदस्‍य द्वारा प्रस्‍तुत प्रस्‍ताव और संशोधनों पर एक साथ चर्चा होगी.

          डॉ. गोविंद  सिंह(लहार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय सदस्य रामेश्वर शर्माजी द्वारा राज्यपाल महोदय को कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए वक्तव्य दिया जा रहा था उसमें ऐसा लग रहा था कि रामेश्वर शर्माजी सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर ना बोलकर आम सभा में अपना भाषण दे रहे हैं और उन्होंने अपने भाषण में 4 बार  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की योजनाओं का उल्लेख किया है और (XXX).

          अध्यक्ष महोदय-- इसको कार्यवाही से निकाल दें.

          डॉ. गोविंद सिंह--  अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि कई बातें ऐसी आई जो कि बजट भाषण में थीं उनका भी आपने यहाँ उल्लेख कर दिया और ज्यादातर जो बातें वह बोलते रहे उसमें राज्यपाल के अभिभाषण में जो बिंदु थे, जो किताब में लिखे थे उनको हूबहू दोहरा दिया. हम चाहते थे कि  शासन की दिशा और दशा बताने वाला जो राज्यपाल का अभिभाषण होता है उस पर आप विस्तार से बात करते. मैं कहना चाहता हूं कि यह आपका चौदहवीं विधान सभा का माननीय राज्यपाल महोदय का पांचवा अभिभाषण है. इस अभिभाषण में 9 बार प्रधान मंत्री योजनाओं का उल्लेख किया गया है. मैं कहना चाहता हूं कि यह भाषण मध्यप्रदेश के राज्यपाल का अभिभाषण था ना कि राष्ट्रपति महोदय का. इस अभिभाषण में 9 बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का उल्लेख हुआ है. यह भाषण तो राष्ट्रपति जी के वहाँ लोकसभा में होना चाहिए था. आपको तो मध्यप्रदेश का उल्लेख करना था. लगातार भारत सरकार का उल्लेख इस अभिभाषण में हुआ है ऐसा लग रहा है कि यह भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत माननीय राष्ट्रपति महोदय का अभिभाषण है और उनका एजेंडा है. मैं इसके बाद भी कहना चाहता हूं पेज क्रमांक 52 और बिंदु क्रमांक 139 पर आपने लिखा है कि "प्रदेश कई क्षेत्रों में सबसे तेजी से आगे बढ़ता प्रदेश है."

          श्री वेल सिंह भूरिया-- (XXX)

          डॉ. गोविंद सिंह-- (XXX), जो ट्रेनिंग मिली है.

          अध्यक्ष महोदय--  इसको निकाल दें.

          श्री रामेश्वर शर्मा--  ग्वालियर के बेल्ट में माहौल ठीक नहीं है आप अजय भैया को छोड़कर कहीं और जा रहे हैं.

          डॉ. गोविंद सिंह--  हम कहीं भी जाये उससे क्या लेना-देना है. हम रोजाना आते-जाते हैं. इधर भी जाते हैं उधर भी जाते हैं. जहाँ मर्जी होगी वहाँ जाएंगे. स्वतंत्र भारत में हम लोग रह रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, पेज क्रमांक 52 में आपने उल्लेख किया है कि प्रदेश आज सबसे आगे हैं. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप किस-किस बात में आगे हो? मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा घोटाले हुए हैं आप घोटालों में आप नंबर एक पर हो, यह आप आगे बढ़ते हुए प्रदेश में जा रहे हो? एनसीआरबी की रिपोर्ट में  महिला और बच्चियों के अत्याचारों में आपने  प्रथम स्थान प्राप्त किया है. आपकी सरकार ने इतना कर्जा ले डाला है कि अब भारत सरकार ने भी आपको प्रतिबंधित किया है कि आप 15 हजार करोड़ से ज्यादा कर्जा नहीं ले सकते हैं. जब 2003 में दिग्विजय सिंह जी की सरकार गई थी उस समय मध्यप्रदेश में 20 हजार 147 करोड़ रुपयों का कर्जा था और आज आप मध्यप्रदेश में पौने 2 लाख करोड़ रुपयों से भी ज्यादा कर्जा ले चुके हो, पूरा प्रदेश कर्ज के गर्त में डुबो चुके हो. इसके अलावा भ्रष्टाचार में भी आप आगे हैं. किसानों की आत्महत्या के मामले में आप प्रथम स्थान प्राप्त करने की ओर बढ़ रहे हैं, बेरोजगार नौजवानों की आत्महत्याओं में आप महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर हैं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय,आप क्या इन बातों पर भी रोक लगाएंगे, इन बातों का भी आपको महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में उल्लेख करना था. रामेश्वर जी ने बड़े जोर-शोर से लाड़ली लक्ष्मी योजना का जिक्र किया. लाड़ली लक्ष्मी योजना में आपकी सरकार ने बच्चियों को धोखा देकर ठगा है और आज आप गाँवों में जाएं तो पता चल जाएगा कि वह बच्चियाँ क्या कह रही हैं?  वह कह रही हैं कि हमें इस मामा से बचाइए, जिसने हमसे वादा करके वादाखिलाफी की है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके सामने उदाहरण रख रहा हूं कि मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना में यह तय किया था और यह घोषणा की थी कि जब बच्ची 21 साल की हो जाएगी तो उसको सरकार 1 लाख 18 हजार रुपये देगी.बच्ची के कक्षा-6 में प्रवेश में समय 2 हजार, कक्षा-9 में प्रवेश के समय 4 हजार, कक्षा 11 के प्रवेश के समय 6 हजार और 12 वीं कक्षा में प्रवेश के समय 6 हजार रुपए. कुल मिलाकर 1.18 लाख रुपए आप शादी के समय देंगे. मैं आपसे यह पूछना चाहता हूँ कि जब आपने यह घोषणा की, 27 लाख बच्चियों का आपने उल्लेख किया. रामेश्वर जी यह जान लें कि सरकार ने उन्हें देकर छीनने का काम किया है. सरकार ने जो नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट पोस्ट आफिस के द्वारा दिए थे. मध्यप्रदेश सरकार ने वह सभी बच्चियों के पालकों से वापस ले लिए हैं. इसका पैसा जो कि 3 हजार करोड़ से अधिक है इसे आपने वेतन-भत्ते पर और हवाई यात्रा में उड़ाने का काम किया है.

          अध्यक्ष महोदय, यदि आप अनुमति दें तो मेरे पास इसके प्रमाण हैं मैं प्रस्तुत कर सकता हूँ. लाड़ली लक्ष्मी योजना, महिला एवं बाल विकास विभाग, मध्यप्रदेश शासन. इसमें लिखा है "मैं वचन देता हूँ कि", वचन कौन दे रहा है प्रत्येक जिले का परियोजना एवं एकीकृत बाल विकास अधिकारी. एनएससी का पैसा आपने निकाल लिया है, सर्टिफिकेट वापिस ले लिए हैं. अब आपने लिखित में एक प्रमाण-पत्र दे दिया है वह भी जिला परियोजना अधिकारी के द्वारा, उसमें कई शर्तें जो पहले नहीं थीं वह आपने जोड़ दी हैं. उसमें आपने जोड़ दिया है कि लड़की जब 12 वीं पास करेगी तब ही मिलेगा पहले इसका उल्लेख कहीं नहीं था. हाई स्कूल से कम पर अलग से सहायता देने का कहा गया था. अब आपने बच्चियों के साथ धोखाधड़ी करके लिख दिया है कि 18 वर्ष पूर्व विवाह न करने और 21 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर 1 लाख रुपए का वचन देता है. वचन कौन देता है परियोजना अधिकारी देता है. जो पैसा था वह आपने वापिस ले लिया और परियोजना अधिकारी जिसने वचन दिया है वह उस समय रिटायर हो जाएगा उस समय खजाना खाली होगा. उस समय जो सरकार में होगा, उस समय न आपके पास बजट होगा, न प्रावधान होगा. आप यह नकली प्रमाण-पत्र देकर बच्चियों और उनके पालकों को धोखा नहीं दे रहे हैं. अगर ऐसा नहीं है तो माननीय मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी जब भी बोलें इसे स्पष्ट करें कि आपने बच्चियों के साथ धोखा क्यों किया है. एनएससी वापिस लेकर केवल एक प्रमाण-पत्र दे दिया है कि 21 साल के बाद ले लेना. उसमें तमाम शर्तें जोड़ दीं जिससे कि वे ले ही न पाएं. आप देंगे कहां से ? "घर में नहीं है दाने अम्मा चली भुनाने". खजाना खाली होगा तो आप कहां से दे देंगे. 21 साल बाद परियोजना अधिकारी को ढूंढने जाएंगे. कौन मुकदमा लगाएगा.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर चर्चा चल रही है. रामेश्वर शर्मा जी के बाद कांग्रेस के प्रथम वक्ता बोल रहे हैं. सरकार में कितनी जवाबदेही है आप उधर देख लें (अधिकारी दीर्घा की तरफ इशारा करते हुए) एक भी प्रमुख सचिव नहीं है. विधान सभा की कार्यवाही का स्तर कितना गिर रहा है.  मंत्रिमंडल के सदस्य कुछ व्यवस्था कर दें. संसदीय मंत्री तो सदन में उपस्थित रहते ही नहीं हैं.

          श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई व्यवस्था दे दें. (बैठे-बैठे कहा गया)

          अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्रीगण बैठे हैं. वरिष्ठम् मंत्री बैठे हैं.

          श्री आरिफ अकील--अध्यक्ष महोदय, अधिकारी भी तो होना चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय--डॉ. गोविन्द सिंह जी अपना भाषण जारी रखें.

          डॉ. गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार पिछले साल 12 फरवरी, 2017 को माननीय राज्यपाल महोदय के चतुर्थ अभिभाषण में बिंदु क्रमांक 116 पर सामाजिक सुरक्षा पेंशन 150 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए प्रतिमाह देने का उल्लेख था. पिछले वर्ष जब माननीय वित्त मंत्री जी ने भी बजट भाषण दिया उसमें बिंदु क्रमांक 176 पर स्पष्ट उल्लेख किया है कि जो महिलाएं विधवा हैं और अगर शासकीय सेवा में नहीं हैं, सेवारत नहीं हैं और पेंशन नहीं ले रहीं उन विधवा  महिलाओं को चाहे वह किसी भी जाति की हों, चाहे उनके लिए गरीबी रेखा का उल्‍लेख हो या न हो हम सबको पेंशन देंगे और 1501 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया था परंतु मैं पूछना चाहता हूं कि उसी बात का उल्‍लेख इस बार दोबारा किया गया. एक वर्ष में जो 1501 करोड़ रुपए का बजट आपने रखा था वह बजट आपने कहां व्‍यय किया, कहां ले गए. वह आदेश इसी पवित्र सदन में किया गया था. माननीय राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण का आपने अपमान किया और उसका उल्‍लंघन करती हुई वही बातें आपने दोबारा लिखने का काम किया है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जो आप सदन में वायदा करते हैं, जनता को आश्‍वासन देते हैं उसको पूरा करना चाहिए. नर्मदा संरक्षण, नर्मदा हमारी जीवनदायिनी नदी है उसके संरक्षण के लिए सरकार बहुत ज्‍यादा चिंतित है, संकल्पित है. लगातार करोड़ों रुपए नमामि देवी नर्मदा यात्रा के नाम पर खर्च कर दिया है. मैं कहना चाहता हूं कि नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए आपने अभिभाषण में पृष्‍ठ संख्‍या 2 पर बिंदु क्रमाक 4 में नर्मदा नदी के संरक्षण की बातें लिखी हैं. नर्मदा नदी को जनआंदोलन बनाएंगे. जनआंदोलन बनाने के लिए जगह-जगह विज्ञापन, टी.वी. पर विज्ञापन, स्‍वच्‍छता अभियान का जो पैसा था उसको निकालकर आपने स्‍वच्‍छता के नाम पर नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए रखा था कि  6 करोड़ पेड़ पौधे लगाएंगे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं चार दिन अलग- अलग समय पर यात्रा कर चुका हूं. अध्‍यक्ष महोदय, आपके होशंगाबाद जिले से ही यात्रा में गया था जहां हम गए वहां पर मैंने देखा नर्मदा नदी को पूरा खोखला किया गया है. रात में जब मैं वापस आया तो पूरी रात भर ट्रक   10-10 बड़े-बड़े हाइवा ओवरलोड भरे हुए लगातार 8-8, 10-10 किलोमीटर पर हर जगह मिले. इन वाहनों से आने जाने में भी दिक्‍कत होती है. इस प्रकार नर्मदा नदी का पूरा दोहन करके, पूरा शोषण करके अपनी गरीबी दूर राजनेताओं और अन्‍य अधिकारी कर्मचारी जो लोग हैं हम नहीं कहते कि किस दल के हैं लेकिन सभी हो सकते हैं. अपनी जुगाड़-तुगाड़ लगाकर ठेके लेते हों, काम करते हों उन लोगों ने खोखला कर दिया. जब मैं दोबारा नर्मदा यात्रा में गया वह माननीय दिग्‍विजय सिंह जी की नर्मदा यात्रा थी. आपकी यात्रा उड़न खटोला से थी. साढ़े तीन हजार किलो मीटर की यात्रा 144 दिन में पूरी कर दी. कुछ लोगों को पैदल चलाया बाकी उड़न खटोला में उड़कर पूरी साढ़े तीन हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली. आपकी यात्रा 144 दिन में पूरी हो गई और माननीय दिग्‍विजय सिंह जी की यात्रा को 6 महीने हो रहे हैं.

          लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह) -- आपने नर्मदा जी में स्‍नान नहीं किया.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- आप कहां देख रहे थे. कमल पटेल जी ने हम लोगों का स्‍वागत किया था आप उनसे पूछ लीजिए उन्‍हें पता है हमने स्‍नान किया था कि नहीं किया. आप तो थे नहीं. देवास जिले में फतेहपुर गांव है. फतेहपुर के पास मंदिर बना हुआ है. काफी ऊंचाई पर मंदिर है. नीचे कुछ नहीं है. जमीन के किनारे नर्मदा नदी आ रही है. इधर से एक दूसरी छोटी सी नदी है उसका मिलन हो रहा है. क्‍योंकि नर्मदा यात्रा पवित्र यात्रा है उसको  क्रॉस नहीं कर सकते इसीलिए बगल की जो नदी है उससे निकलना था वहां के जनपद अध्‍यक्ष यादव जी हैं उन्‍होंने करीब करीब 60 नाव लगा दीं. बड़ी-बड़ी नाव थीं. उसमें  पन‍डु‍ब्‍बी मशीन लगी हुई थी. मैंने कहा यह करीब 100 से 150 नाव कहां से आईं तो वह बोले यह नर्मदा नदी के अंदर जो मोटर लगी है वह पानी के अंदर से रेत खींचती है और अभी हमारी यात्रा की वजह से यह खाली करके खड़ी कर दी हैं और उनके द्वारा पुल बनाकर हम लोग निकले हैं और वहां पर 186 नाव फतेहपुर गांव के पास जहां पर नर्मदा नदी का मिलन होता है छोटी नदी जाती है वहां पर मिलती हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि जब 186 मशीन एक स्‍थान पर लेक‍र रेत निकालती हैं और नर्मदा नदी के पेट से चीरकर मोटर के द्वारा पानी की पनडुब्‍बी रेत निकालती हैं वह आपने नहीं देखा है. क्‍या यही नर्मदा यात्रा  है ? 6 करोड़ पेड़ लगाए. मैं कहना चाहता हूं आप चलो.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय सदस्‍य का वक्‍तव्‍य जारी रहेगा. सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्‍थगित.

 

 

 

 

 

 

(1.31 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

03.13 बजे

{उपाध्‍यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्‍द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}

          डॉ.गोविन्‍द सिंह (लहार)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, नर्मदा यात्रा के बारे में चर्चा चल रही थी. मैं कहना चाहता हूं कि यात्रा में करीब 4-5 दिन हमारे साथ आप भी थे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-  आप कब से नर्मदा यात्रा कर रहे हैं ?

          श्री के.पी.सिंह-  गोविंद सिंह जी, चार बार नर्मदा यात्रा कर चुके हैं.  

          डॉ.गोविन्‍द सिंह-  यात्रा में हमारे साथ उपाध्‍यक्ष जी भी थे. हम दोनों पैदल ही चले लेकिन कहीं भी हमें 6 करोड़ नए लगे हुए पेड़ नहीं दिखाई दिए.

          श्री के.पी.सिंह-  डॉ.साहब ने सभी जगहों पर पैदल चल-चलकर देखा है कि पेड़ कहां-कहां लगे हुए हैं ?

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-  डॉ.साहब, माननीय दिग्विजय सिंह जी जैसी नर्मदा परिक्रमा यात्रा कब कर रहे हैं ? मैं उसके बारे में पूछ रहा हूं.

          श्री के.पी.सिंह-  ऐेसी परिक्रमा यात्रा आप ही करेंगे.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, अलग-अलग दिनों में मैं करीब 58 किलोमीटर पैदल चला हूं. कहीं भी एक नया पेड़ नजर नहीं आया. आपने लाखों-करोड़ों रूपये खर्च करके 6 करोड़ पेड़ लगाये हैं और कहीं कोई पेड़ नहीं दिख रहा है तो इसकी जांच करवानी चाहिए कि बीच में कौन ले गया, कौन खा गया ? यह हमारा सुझाव है कि यदि भ्रष्‍टाचार हुआ है तो उस पर रोक लगानी चाहिए.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्‍त मैं यह भी कहना चाहता हूं कि ''नेमावर'' में नर्मदा नदी की नाभि है. वहां नर्मदा का पानी अथाह है.

          श्री के.पी.सिंह-  डॉ.साहब ने पूरा नर्मदा पुराण पढ़ा है और उसके बाद नर्मदा यात्रा पर गए थे.

        डॉ.गोविन्‍द सिंह-  मैंने कुछ नहीं पढ़ा है. (हँसी)

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र:- आप डॉक्‍टर साहब को ही पढ़ लो तो ही तर जाओगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदय:- वैसे चम्‍बल के लोग सच बोला करते हैं.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र:- तो क्‍या के.पी. सिंह जी चम्‍बल के नहीं हैं ? ये तो असत्‍य ही बोल रहे हैं, डॉक्‍टर साहब ने ही बोल दिया है.

          श्री के.पी.सिंह :- हम लोग सिंध वाले हैं.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह:- हम तो सिंध बचाने में लगे हैं.इसलिये मैं कह रहा हूं कि आप इसको भी देखें. वहां पर हमेशा नर्मदा नदी में 20-25 फीट नीचे पानी रहता था, वहां पर आज रेत निकल आयी है और ऐसा लग रहा है कि वहां पर नर्मदा नदी मई-जून के महीने में सूख जायेगी, इसलिये यदि सरकार ने नर्मदा नदी के संरक्षण की बात की है और वाहवाही लूटने में लाखों- करोड़ों रूपये खर्च किये हैं. वोटरों को रिझाने में और माननीय नरेन्‍द्र मोदी जी को बुलाकर, करोड़ों रूपये जो स्‍वच्‍छता अभियान का था, एक-एक महिला और पुरूष को सभा में शामिल कराने के लिये पांच-पांच सौ रूपये देकर, स्‍वच्‍छता अभियान के पैसों से देकर जो भ्रष्‍टाचार किया है, यह सब आपने पाप किया है. आपको प्रदेश की जनता और नर्मदा नदी आपको नहीं बख्‍शेगी.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, इसके साथ ही मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूं कि रोजगार देने का वायदा आपके घोषणा पत्र में भी था और वर्ष 2017-18 की जो आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट आयी है, उसके पेज नंबर-258 में भी रोजगार देने का वायदा किया था. मैं कहना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश में पिछले 2016 तक की स्थिति में 11 लाख, 22 हजार बेरोजगार नौजवानों ने रोजगार के लिये पंजीयन कराया था, उनमें से केवल 2 वर्ष में 2018 तक 422 लोगों को रोजगार मिला. प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ रही है और शासकीय अधिकारियों/कर्मचारियों की संख्‍या भी लगातार घट रही है. आज तमाम पद खाली पड़े हैं. आज मध्‍यप्रदेश में 2.33 प्रतिशत कर्मचारियों की संख्‍या है, उसमें कमी आयी है. बिना रोजगार के नौजवान बेरोजगार रहेगा तो वह कहां जायेगा, क्‍या करेगा. आप प्रतिवर्ष रोजगार के लिये विज्ञापन निकालते हों, पटवारियों की भर्ती के लिये विज्ञापन निकालते हों और फीस भी ले लेते हों. इसमें हमारा सरकार से कहना है कि बेरोजगारों से फीस नहीं लेना चाहिये क्‍योंकि जो पढ़े-लिखे लड़के हैं, वह बेरोजगार हैं, वह कहां से पैसे लायेंगे, इसलिये जो कांग्रेस की सरकार में नीति थी कि वह सादे पेपर में आवेदन दें बिना फीस के, उसी को आवेदन मान लिया जाता था. उस पर सरकार विचार करे, चिंतन करे.

          मैं आपसे कहना चाहता हूं कि पशुधन के बारे में सरकार ने कहा है कि प्रदेश में दूध उत्‍पादन बढ़ा है, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि दूध का उत्‍पादन बढ़ेगा कैसे ? माननीय राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण के पेज-8 के बिन्‍दु क्रमांक 21 में आपका ध्‍यान आकर्षित कर रहा हूं कि पशुपालन के संरक्षण के संबंध में आपने बड़े-बड़े दावे किये हैं, जिसको हमने देखा. 27 फरवरी, 2018 को जो आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्‍तुत किया है, उसमें पेज क्रमांक -23 पर लिखा है कि सरकार की पोल खुल रही है. आपने 2007 में मध्‍यप्रदेश में पशुओं की संख्‍या, जो पशुधन है, वह 4 करोड़, 7 लाख था, जो 2012 में घटकर 3.66 करोड़ पशु ही रह गये हैं. आखिर यह बीच के पशु कहां गये ? इससे स्थिति स्‍पष्‍ट होती है कि 2012 में मध्‍यप्रदेश में जहां 40 हजार मीट्रिक टन मांस का व्‍यापार मध्‍यप्रदेश सरकार करती थी, वह 2012 में बढ़कर 79 हजार मीट्रिक टन हो गया, मतलब डबल हो गया.परंतु दूध उत्‍पादन की मात्रा केवल 25-30 प्रतिशत ही बढ़ी है. परंतु मांस का व्‍यापार 100 प्रतिशत बढ़ गया. यह पशुधन लगातार जा कहां रहा है ? इसीलिये पशुधन का लगातार दुरूपयोग हो रहा है या कमी आ रही है या पशुधन कट-कट कर बाहर भेजने का काम हो रहा है और मध्‍यप्रदेश के पशुधन में कटौती आ रही है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, राज्‍यपाल महोदय का जब प्रथम भाषण हुआ था, उसमें भ्रष्‍टाचार के विरुद्ध लिखा था. बिन्‍दु क्रमांक 6 पर उल्‍लेख किया था कि भ्रष्‍टाचार  जीरो टॉलरेंस पर रहेगा यह सरकार की नीति है. इस नीति का सरकार कठोरता से पालन करेगी परन्‍तु मैं कहना चाहता हूँ कि अगर सरकार की यह नीति थी तो करीब 15 वर्षों से माननीय एन.के.जैन, न्‍यायाधीश ने इन्‍दौर में जो गरीबों को, महिलाओं को, निराश्रितों को पेंशन मिली थी. उस पेंशन का घोटाला बड़े भारी पैमाने पर हुआ था, करोड़ों रुपये का हुआ था एवं रिपोर्ट में भी माननीय न्‍यायाधीश ने अपनी इस बात में भ्रष्‍टाचार का उल्‍लेख किया है. लेकिन लगातार 15 वर्षों के बाद मंत्रिमण्‍डल की समिति बनी, समिति ने क्‍या कार्यवाही की, वह आज तक पटल पर नहीं रखी गई है और अपराधी कौन है ? उसको सामने लाने में क्‍या दिक्‍कत है ? आज तक उसको सामने लाने पर आपने कोई विचार नहीं किया और न ही लाये. यह आपके भ्रष्‍टाचार की जीरो टॉलरेंस की नीति, इच्‍छा एवं नीयत बताती है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, अब पोषण आहार आता है. पोषण आहार लगातार पिछले 5-7 वर्षों से इसी सदन में, डेट तो मुझे याद नहीं है, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि स्‍व-सहायता समूहों को नहीं देंगे क्‍योंकि उसमें भ्रष्‍टाचार है परन्‍तु उसके दो वर्षों के बाद उसमें छापा पड़ा. जो लोग लगातार व्‍यापार कर रहे हैं, पोषण आहार के नाम पर 1,200 - 1,300 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष लूट कर खा रहे हैं. भ्रष्‍टाचार कर रहे हैं, उनके यहां छापे में सोने की ईंटें पकड़ी गईं लेकिन उनके खिलाफ क्‍या कार्यवाही हुई ? और लगातार वही नीति जारी रही. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने समीक्षा बैठक जो विभाग की की थी, दिनांक 14/09/2016 को ली थी, उसमें कहा था कि पोषण आहार की नीति पर, भ्रष्‍टाचार पर या जो भी सच्‍चाई सामने रखेंगे, उस पर श्‍वेत पत्र जारी करेंगे और मंत्रिमण्‍डल की समिति भी गठित की थी परन्‍तु मैं शिवराज सिंह जी, माननीय मुख्‍यमंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि आपकी समिति का क्‍या हुआ ? आखिर अधिकारियों के दबाव में सरकार क्‍यों काम कर रही है ? अगर सरकार दबाव में काम कर रही है तो इसका प्रमाण है कि कहीं न कहीं सरकार में बैठे लोग भी अधिकारियों के साथ भ्रष्‍टाचार में लिप्‍त हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं कुपोषण की जहां तक बात कर रहा हूँ, अक्‍टूबर, 2017 से जनवरी, 2018 तक केवल 123 दिन में मध्‍यप्रदेश में 11,000 से अधिक कुपोषित बच्‍चों की मृत्‍यु हो गई है एवं प्रतिदिन 90 बच्‍चों की मृत्‍यु हुई है. मध्‍यप्रदेश में डेढ़ लाख से 10 लाख तक बच्‍चे अभी भी कुपोषण के शिकार हैं, इनमें से डेढ़ लाख बच्‍चों की हालत बड़ी नाजुक है एवं अभी माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने अब जनवरी में पत्र लिखा है, पोषण आहार के संबंध में पत्र माननीय मुख्‍यमंत्री जी के यहां दिया है कि आप स्थिति स्‍पष्‍ट करें तो उसके बाद वहां से कोई जवाब नहीं आया. दिनांक 18 जनवरी को पत्र मुख्‍यमंत्री सचिवालय पहुँच चुका है एवं उनकी जानकारी में आ गया है. उसके बाद भी माननीय मुख्‍यमंत्री एवं सरकार ने नेता प्रतिपक्ष जी को जवाब देने का औचित्‍य नहीं समझा. यह प्रजातंत्र में नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष की एक तरह की अवमानना है. उस पर जब मैंने विधानसभा में प्रश्‍न लगाया तो दिनांक 28 तारीख को जवाब आया और उसमें बताया गया कि अभी उस पर कार्यवाही विचाराधीन है, जवाब देने की कार्यवाही भी विचाराधीन है. आखिर ऐसी कौन सी बात थी कि उसमें जो बिन्‍दु लिखे गए हैं, उनका उल्‍लेख सामने करना चाहिए. इससे साफ जाहिर है कि सरकार की नीयत साफ नहीं है और सरकार गले तक डूबी हुई है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, इस प्रकार प्रदेश में लगातार घोटाले हुए. व्‍यापमं घोटाला हुआ, पोषण आहार घोटाला हुआ, आबकारी घोटाले के बारे में माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने पूछा था. जिला इन्‍दौर में आबकारी घोटाला हुआ है. जिन अधिकारियों ने घोटाला किया, उनके विरुद्ध भ्रष्‍टाचार की टिप्‍पणी आई कि इनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए, इनके विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज होनी चाहिए लेकिन वह न होकर, उन्‍हीं को माफ करके दोबारा टेण्‍डर दे दिए गए एवं ब्‍लैकलिस्‍ट लोगों को भी दोबारा शराब के ठेके दिए गए और शराब रोकने की बात करते हैं. पिछले 7 वर्षों में नई दुकानें नहीं खुलीं, हो सकता है कि आपके रिकॉर्ड में नहीं खुली हो. लेकिन गांव-गांव में अवैध रूप से 2,000, 1,500 एवं 1,000 की आबादी का यदि गांव है तो हर गांव में खुले आम शराब के ठेके चल रहे हैं और दुकानें बाजार में बन्‍द करके और गांव-गांव खोल देंगे तो यह आपकी नीयत का स्‍पष्‍ट इजहार करता है. आप लगातार भ्रष्‍टाचार के जीरो टॉलरेंस की बातें करते हैं. मैं पूछना चाहता हूँ कि व्‍यापमं का इतना बड़ा घोटाला कैसे हुआ ? पोषण आहार का घोटाला कैसे हुआ ? आबकारी घोटाला कैसे हुआ ? सहकारिता में विभाग ने ऋण माफी के संबंध में भ्रष्‍टाचार के मामलों में आपके तत्‍कालीन सहकारिता मंत्री श्री गौरीशंकर चतुर्भज बिसेन जी ने विधानसभा में स्‍वीकार किया था कि इसमें दोषी करीब 2 हजार से 21 सौ कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे. आज तक उनके खिलाफ कार्यवाही क्‍यों नहीं हुई है ? मैंने इस संबंध में विधानसभा में प्रश्‍न लगाया है और पूछा है कि कितने शासकीय अधिकारी, कर्मचारी, आई.ए.एस., आई.पी.एस. और वरिष्‍ठ नेताओं और मंत्रियों पर भ्रष्‍टाचार के केस दर्ज हैं और उन पर क्‍या कार्यवाही हुई है ? उस पर जवाब आता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. आप जीरो टोलरेंस की बात करते हो आप क्‍यों भ्रष्‍टाचार के पाप में डूबना चाहते हो? अगर आपकी नियत साफ है तो जो बात मैं उठा रहा हूं, उसके संबंध में एक-एक के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए. 

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, बिंदु क्रं-12 में डीजल और पट्रोल के बारे में कहा गया है कि डीजल में 27 से घटाकर 22 प्रतिशत वैट किया है और पेट्रोल में 31 से घटाकर 28 प्रतिशत वैट किया है. प्रति लीटर डेढ़ रूपये अतिरिक्‍त कर समाप्‍त किया गया है. जब यह सब आपने समाप्‍त कर दिया है तो मैं इस संबंध में कहना चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र से आठ किलोमीटर दूरी पर पवई नदी के उस पर झांसी जिले में समथर कस्‍बा है. लहार और दमोह नगर से केवल आठ किलोमीटर की दूरी पर समथर कस्‍बे में दो रूपये अठारह पैसे डीजल आज भी कम मिल रहा है. मैं अभी दस दिन पहले राजस्‍थान में धौलपुर में एक शादी के कार्यक्रम में गया था. धौलपुर में एक रूपये छियासी पैसे डीजल का भाव कम है जो कि मध्‍यप्रदेश से कम है. चंबल नदी को पार करके तीन किलोमीटर दूर मुरैना में इतना भाव कम क्‍यों हैं? अगर आपने टैक्‍स कम किये हैं तो फिर उत्‍तरप्रदेश और राजस्‍थान के बराबर टैक्‍स के रेट होना चाहिए परंतु यह रेट ज्‍यादा क्‍यों हैं ?

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं भावांतर और सौभाग्‍य योजना के बारे में कहना चाहता हूं. आपने कहा है कि सौभाग्‍य योजना में 35 लाख घरों को रोशन करने का काम किया है. आपने राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में आठ लाख पचास हजार का उल्‍लेख किया है लेकिन मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आपने यह कहां पर किया है. भिंड जिले में हमारे विधानसभा क्षेत्र में मैंने कल ही एस.ई. श्री गुप्‍ता जी से पूछा तो उनका कहना है कि अभी पैसा नहीं आया है, जब पैसा आयेगा तब होगा. आप यह सब घोषणायें कहां से करते रहते हो. हाथ न मुठी खुरखुराये उठी. जब आपके पास पैसा नहीं है तो किसलिये आप इस तरह की बातें करते रहते हो. अगर आपके पास पैसा है तो आप सभी क्षेत्रों को दें या फिर यह पैसा कहां खर्च हो रहा है. आठ साढ़े लाख रूपये कहां पर खर्चा हो गया है इसको स्‍पष्‍ट करें ?

          उपाध्‍यक्ष महोदय, यह कहा गया कि भण्‍डारण क्षमता प्‍याज के लिये साढ़े तीन लाख मैट्रिक टन कर दी है लेकिन प्‍याज की क्षमता के लिये आपने किस जगह, साल भर में कहां-कहां पर भण्‍डारण क्षमता कितनी कर दी है, हमें इसका पूरा जवाब मिलना चाहिए. क्‍यों‍कि आप लगातार राज्‍यपाल महोदय से असत्‍य अभिभाषण करा रहे हो, यह उचित नहीं है. यह राज्‍यपाल के अपमान के साथ-साथ प्रदेश का अपमान है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रदेश में भ्रष्‍टाचार के मामलों के बारे में कहना चाहता हूं कि इन्‍होंने यह कहा था कि सबका साथ सबका विकास, तो कहां है सबका साथ सबका विकास ? क्‍या कभी आपने इन 15 सालों में तमाम जन समस्‍याओं और तमाम जगह जहां पर सूखा और ओला पड़ा है, के संबंध में विपक्ष को बिठालकर चर्चा की है क्‍या आपने कभी सोचा है कि विपक्ष की भी सदन में राय लेना चाहिए ? क्‍या आप ही सर्वज्ञाता हो गये हैं, कहीं पूरा ज्ञान का भण्‍डार आपके दिमाग में ही भरा हुआ है ? आपको विपक्ष को बुलाकर साथ में लेना चाहिए था. भावांतर योजना का भी ज्‍यादा लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. भावांतर का मतलब है समर्थन मूल्‍य, वह समर्थन मूल्‍य जो भारत सरकार ने तय किया है. अगर भारत सरकार ने पिछले वर्ष सरसों का समर्थन का मूल्‍य 3750/- रूपये घोषित किया था और हमारे लहार में 3132/- रूपये क्विंटल का भाव मिला है. इस प्रकार 650/-रूपये का अंतर था, यह था भाव का अंतर इसको ही भावांतर कहते हैं. परंतु आपने मध्‍यप्रदेश में अगर भाव  3100/- रूपये है तो राजस्‍थान में 3300/- रूपये है और कहीं पर 3200/- रूपये तो इस प्रकार तीनों का कुल मिलाकर हिसाब करेंगे तो किसान को कुछ नहीं मिलता है. किसान को जीरो भागित जीरों मिलता है. आप केवल प्रचार करके बजट में तमाम प्रावधान करके जैसे बच्चियों को आपने गुमराह किया है वैसे ही आप जनता और किसानों को गुमराह करके धोखा दे रहे हैं.  उपाध्‍यक्ष जी, इसके साथ ही अंत में एक बात और कहना चाहता हूं मुख्‍यमंत्री जी ने घोषणा की कि अभी हम गेहूं और धान का मूल्‍य बढ़ाएंगे. उप चुनाव के पहले ही यह घोषणा हो गई कि हम 2000 रूपए क्विंटल गेहूं खरीदेंगे. अब मुख्‍यमंत्री जी ने अपने मुखारबिन्‍द से यह घोषणा की, सभी समाचार पत्रों और टी.वी. पर मैंने मुख्‍यमंत्री जी का भाषण सुना. इसके बाद मैं कहना चाहता हूं कि पिछले पांच वर्ष में 150 रूपए क्विंटल गेहूं का बोनस देते थे, पिछले 5 वर्षों में प्रतिवर्ष 150 रूपए क्विंटल का गेहूं 750 रूपए का होता है. वित्‍तमंत्री जी ने बजट भाषण में कहा था कि हम 200 रूपए प्रति क्विंटल देंगे, मतलब मुख्‍यमंत्री की घोषणा के अनुसार 1735 पहले 265 मिलना चाहिए था लेकिन आपने बजट में वह भी कटौती कर दी. अब आप केवल 1735 एवं 200 कुल 1935 रूपए में गेहूं मिलेगा, उसमें भी आपने 65 रूपए की कटौती की है पांच साल से और जो 750 मिलना चाहिए था, उसमें भी 200 कम करके 550 रूपए देकर किसानों के साथ धोखा किया है, उनके साथ छल किया है. मैं कहना चाहता हूं कि राज्‍यपाल का अभिभाषण सरकार के दबाव में राज्‍यपाल महोदय से पढ़ाया गया और उसमें अनेक बातें असत्‍य हैं, वह आपकी मातृसंस्‍था के द्वारा जो प्रचार के रूप में ट्रेनिंग दी जाती है, उसके अनुरूप है. उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिए धन्‍यवाद.

डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) धन्‍यवाद उपाध्‍यक्ष जी, महामहिम राज्‍यपाल जी के अभिभाषण पर आज प्रस्‍ताव में चर्चा करते समय मैं सदन को बताना चाहूंगा कि मध्‍यप्रदेश में शिवराज जी की सरकार को 14 वर्ष हो गए. हम जब सरकार के कामों की चिन्‍ता करते हैं और सरकार के कामों को ले जाकर जब जनता के बीच में जाते हैं तो उसका परिणाम हमें चुनावों में और तमाम क्षेत्रों में देखने को मिलता है, लेकिन वर्तमान में जिस तरीके का विपक्ष हमको मिला है. उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने देखा होगा कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता अभी भाषण दे रहे थे, सिवाये भ्रम फैलाने के कोई काम नहीं, आप काम की तारीफ नहीं कर सकते तो कम से कम उसके अंदर जो चल रहा है उस विषय पर चर्चा तो कर सकते हैं, लेकिन कांग्रेस के नेता सिवाये भ्रम फैलाने के अलावा कोई काम नहीं करते. मुझे इस समय माननीय अटल जी का एक छोटा सा वक्‍तव्‍य मुझे याद आता है

          छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता,

          टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता.

माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, ये दो लाइन पर अगर विपक्ष चलेगा तो मैं समझता हूं कि हमारे सदन की गरिमा भी रहेगा और हम अपने अच्‍छे विचार के साथ जनता के बीच में जा पाएंगे. हमारी सरकार का एक नारा था, सबका साथ-सबका विकास. हम इस विकास के रास्‍ते पर आगे बढ़े. माननीय शिवराज जी के नेतृत्‍व में 14 वर्षों में जिस तरीके से मध्‍यप्रदेश में काम हुआ. अभी विपक्ष के साथी बोल रहे थे कि मध्‍यप्रदेश ने कर्जा लिया, कर्जा कांग्रेस के समय में भी था. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, उस समय पर भी आपने देखा होगा, कितने आंदोलन होते थे, जब कर्मचारियों को तनख्‍वाह नहीं मिलती थी, कितने आंदोलन होते थे जब रोड नहीं बनती थी, कितने आंदोलन होते थे जब बिजली नहीं मिलती थी, कितने आंदोलन होते थे जब किसान आंदोलन करता था, आत्‍महत्‍या करता था, उस समय का विपक्ष आप देखिए कहां था. हम लोग सड़क पर थे, हम लोग सरकार के खिलाफ में जाकर के बात करते थे और उसके बाद कड़े संघर्ष के फलस्वरूप 14 साल के बाद हम सरकार में आये थे, आज आप देखें किसान कहां पर पहुंच गया, सड़क की प्रदेश में क्या स्थिति है, बिजली की प्रदेश में क्या स्थिति है. राशन वितरण प्रणाली की क्या स्थिति है , इन सबमें बेहतर सुधार आया है. कर्ज हमने नेताओं के विकास के लिये नहीं लिया, प्रदेश के विकास के लिये लिया है. मैं इसके लिये माननीय शिवराज सिंह जी और वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि हमने विकास के रास्ते पर चलने के लिये जो वचन प्रदेश की जनता को दिया था हम उस पर आगे बढ़े हैं.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जाति धर्म की राजनीति करने वाली कांग्रेस पार्टी आज हमें सदन में बताती है कि धर्म क्या होता है, धर्म पर कैसे चलना चाहिये ? मैं सदन के सदस्यों को बताना चाहूंगा कि जब तक देश का किसान, गरीब और दलित वर्ग उपेक्षित रहेगा तब तक इस प्रदेश का विकास सही दिशा में नहीं हो सकता. 14 साल में शिवराज सिंह जी की सरकार ने प्रदेश में इन तीनों वर्गों के हित के लिये काम करने का जो बीड़ा उठाया था आज उसके आंकड़े आपके सामने हैं, आप उनको पढ़ सकते हैं.प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की सामुदायिक नेतृत्व क्षमता कितनी बढी है, आप यह देख सकते हैं. कांग्रेस पार्टी की जो काम करने की शैली रही है उसमें गरीबों को आगे लाकर उन्हें बढ़ाने का काम नहीं किया जाता था, हम शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह गरीबों को स्कॉलरशिप दे रहे हैं, प्रोत्साहन के लिये लेपटॉप-मोबाइल दे रहे हैं , ट्यूशन फीस फ्री कर रहे हैं, उच्च शिक्षा के लिये विदेश भेज रहे हैं, क्या ऐसी शिक्षा कांग्रेस अपने कार्यकाल में नहीं दे सकती थी. अगर कांग्रेस दे सकती तो हम लोग आज कहां पर होते.

          उपाध्यक्ष महोदय, आज प्रधान मंत्री आवास योजना का आवास जब प्रदेश के गरीब को मिलता है तो कांग्रेस पार्टी के पेट में दर्द होता है, कांग्रेस पार्टी के लोग इन वर्गों के लिये काम नहीं करते और गांव में जाकर के बताते हैं कि यह 2011 की सूची है और 2011 में हमारी सरकार केन्द्र में थी इसलिये यह सूची बनकर के आपके पास में आई है. अरे भाई अगर आप 70 साल में एक-एक मकान भी देते तो क्या गरीब बचते ? कांग्रेस का एक नारा था "गरीबी भगाओ" लेकिन गरीबी इस देश से हटी नहीं. "गरीब का हाथ-कांग्रेस के साथ" यह भी कांग्रेस का नारा था, इस नारे से आप लोग सत्ता में आये थे, लेकिन आप विचार करें कि उस समय यदि हम दो -दो गरीबों को हम अमीर बना देते, अगर दो दो गरीबों की कुटिया बना देते, दो-दो गरीबों के यहां शौचालय बना देते, सड़क, पानी और बिजली की व्यवस्था कर देते तो क्या आज हम यहां पर होते ? हम सिर्फ कांग्रेस की गलत नीतियों की वजह से आज सत्ता में हैं. आज कांग्रेस फिर वही गलती कर रही है. जो सरकार गरीबों के लिये काम कर रही है, उसकी चिंता कर रही है उसकी उपेक्षा कर रही है. अरे हम तो खुला मंच आपको देते हैं कि आप आईये बात करिये हमारे 14 साल के विकास पर.

          उपाध्यक्ष महोदय, एक दिन हम पेपर पढ़ रहे थे राज्यपाल जी का अभिभाषण था, कांग्रेस का बयान आया कि राज्यपाल का अभिभाषण झूठ का पुलिंदा है. कांग्रेस पार्टी झूठ के पुलिंदे पर 60 से 70 साल सत्ता में रही, आज हम त्रिपुरा में चले गये, कभी बोलते हैं कि हम वामपंथियों के साथ में नहीं हैं लेकिन आज कांग्रेस पार्टी उनके साथ में है. त्रिपुरा में जो कुछ हो रहा है गलत हो रहा यह कांग्रेस का बयान आता है. कांग्रेस पार्टी संविधान की रक्षा करने वालों के साथ में नहीं हैं. देश को राष्ट्रमाता के नाम पर समर्पित होने वालों के साथ नहीं हैं, लेकिन जो देश को तोड़ने वाले लोग हैं, साम्प्रदायिक लोग हैं उनके साथ में कांग्रेस पार्टी खड़ी हुई है. आखिर कैसे राष्ट्र का निर्माण आप चाहते हैं ? 14 साल में मध्यप्रदेश में जिस गति से विकास हुआ है उसके आंकड़े आपके पास में हैं.उसको आप देख लें. स्थिति स्पष्ट हो जायेगी.

          उपाध्यक्ष महोदय, दुग्ध उत्पादन के बारे में हमारे कांग्रेस के माननीय सदस्य अभी बोल रहे थे तो मैं उनकी जानकारी में यह लाना चाहता हूं कि वर्तमान में जब कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तब दुग्ध की उत्पादन क्षमता 5.30 थी, आज उसकी उत्पादन क्षमता 10.70 है. अगर यह दुग्ध उत्पादन उस समय बढ़ता तो आज गो-संरक्षण के लिये हमारी सरकार को काम नहीं करना पड़ता, गाय को बचाने के लिये जो काम हमारी सरकार कर रही है उसके लिये विपक्ष को धन्यवाद देना चाहिये.

          उपाध्यक्ष महोदय, बिजली के बारे में कांग्रेस कार्यकाल की स्थिति बताना चाहता हूं कि जब खेत में जाते थे तो लड़का कहता था कि बिजली आ गई और बाप कहता था कि बिजली चली गई. आज हम बिजली के बारे में मध्यप्रदेश में सरप्लस हैं.अगर हमने कर्जा लिया है तो बिजली के क्षेत्र में हम आगे बढ़े हैं. एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लान्ट आज प्रदेश के रीवा में चालू होने वाला है.उसका काम शुरू हो चुका है. कई बार जब हम विकास के रास्ते पर चलते हैं तो बहुत सारी बातों को लेकर के परेशानियां भी होती हैं.  अनुसूचित जाति वर्ग के बारे में कहना चाहूंगा कि यह अनुसूचित जाति वर्ग पहले था किसके पास ? 60 साल यह वर्ग किस पार्टी को वोट देता था ? इसको बहला-फुसला के अपने पास में कौन रखता था ? अनुसूचित जाति वर्ग का विकास की बात करने वाली कांग्रेस, आज जब वह वर्ग कांग्रेस पार्टी से छूटकर के हमारे पास में आता है तो इनके पेट में दर्द होता है. इसका अर्थ यह है कि कहीं न कहीं हमारी सरकार की योजनायें हैं जो उन गरीबों तक, उन अनुसूचित जाति वर्ग की बस्तियों तक पहुंच रही हैं. मैं इस अवसर पर सदन का ध्‍यान इस ओर आकर्षित करूंगा कि अनुसूचित जाति, जनजाति के लिये कृषि के क्षेत्र में 9 हजार 500 करोड़ रूपये की सब्सिडी वर्ष 2017-18 में दी गई है. आप इसके पहले का रिकार्ड उठाकर देखें कि कांग्रेस के शासनकाल में इतनी सब्सिडी कभी दी गई है क्‍या ? लेकिन नहीं, हम इसे स्‍वीकार नहीं करेंगे, इसलिये स्‍वीकार नहीं करेंगे कि हमारी सरकार नहीं है. अभी सौभाग्‍य योजना की बात हो रही थी, सौभाग्‍य योजना में और अटल ज्‍योति योजना में और उसके पहले राजीव गांधी योजना जब चलती थी, राजीव गांधी योजना के गड्ढे की जो भरपाई है वह हम सौभाग्‍य योजना से करने वाले है. राजीव गांधी योजना के समय पर उस समय भी आश्‍वासन दिया गया था कि गरीबों के घर में हम बिजली पहुंचायेंगे, लेकिन ठेकेदारों और नेताओं की मिलीभगत से हम सिर्फ तार पहुंचा पाये और मीटर लगाकर छोड़ दिये गये. आज जब वह गड्ढा भरने के लिये माननीय प्रधानमंत्री जी सौभाग्‍य योजना लाते हैं तो कांग्रेस को दर्द होता है, क्‍योंकि वह गरीबों के घर में जा रही है और जब गरीबों के घर में कोई योजना जाती है तो स्‍वभाविक रूप से कांग्रेस उसमें परेशान होती है. हम सबको यह सोचना चाहिये कि हम ऐसे वर्ग को कब तक अपने पास में रखेंगे और कितने दिनों तक हम इनको बेवकूफ बनायेंगे. किसी भी प्रदेश का विकास तभी होगा, जब वहां की सड़क ठीक होगी. राज्‍यपाल महोदया के भाषण में आपने देखा होगा मुख्‍यमंत्री सड़क योजना, यह योजना कांग्रेस नहीं ला सकती थी क्‍या ? हम डामरीकरण नहीं कर पाये, हमने मुख्‍यमंत्री सड़क योजना के माध्‍यम से डब्‍ल्‍यूबीएम किया. डब्‍ल्‍यूबीएम के बाद में आज हमने करीब-करीब 1 हजार सड़कों का मुख्‍यमंत्री सड़क योजना के माध्‍यम से डामरीकरण का कार्य शुरू किया है और यह सड़क भी सीधे-सीधे गांव में जायेगी और गांव में गरीबों का भला होगा, जो सब्‍जी भाजी उगाते हैं, जो मुर्गा, मछली बेचते हैं उनको वहां से शहर आने में समय नहीं लगेगा, इलाज के लिये प्रसूता के लिये कोई टाइम नहीं लगेगा, तो गांव का विकास तभी होता है जब सड़कें जुड़ती हैं. खेत सड़क योजना में करोड़ों रूपये मनरेगा में दिया गया, मनरेगा से खेत सड़क योजना बनाई गई, क्‍या कांग्रेस 14 साल पहले नहीं बना सकती थी ? अगर कांग्रेस यह उस समय नहीं बना पाई तो आज जब गरीबों के लिये सड़क बनती है तो उसे दर्द होता है. इसलिये मैं बोलता हूं कि भ्रम की राजनीति मत करो. प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत 500, 700 की आबादी के ऊपर के जो गांव हैं, आज अधिकांश गांव प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत जुड़े हुये हैं. क्‍या यह गलत है, अगर हमने किसी से ऋण लेकर सड़क और बिजली का काम किया तो यह गलत किया क्‍या ? बार-बार भ्रम फैलाना और बार-बार जनता को भ्रम के बारे में बताना ऐसा ठीक नहीं है. आप जो सत्‍यता है उसको स्‍वीकार करें और सत्‍यता के साथ आगे बढ़ें. राजनीतिक क्षेत्र में बहुत सारे वैचारिक मतभेद होते हैं लेकिन जो सरकार वास्‍तव में काम कर रही है, आप देखें कि 3803 किलोमीटर की लंबी सड़क का निर्माण, यह वर्ष 2016-17 में 5015 किलोमीटर, 189 बड़े पुल 3433 करोड़ रूपये की लागत से, यह आंकड़े असत्‍य हो सकते हैं क्‍या ? नहीं हैं तो आप जाकर देखें अपने क्षेत्र में. मेरे अकेले क्षेत्र में, मैं वर्ष 2014 में विधायक बना था, आज हम वर्ष 2018 में बात कर रहे हैं, इन 4 सालों में 6 अरब के काम हुये हैं सिर्फ गोटेगांव विधान सभा में, आप चाहें तो मैं उसका रिकार्ड आपको दिखाऊंगा,   एक-एक काम को मैंने लिस्‍टेड किया है, यह सरकार के काम हैं और सरकार गरीबों तक पहुंची है और कहीं न कहीं कांग्रेस के मित्रों को यह समझ में नहीं आ रहा कि सरकार कर क्‍या रही है. आज हमारे जो छोटे-छोटे आंदोलन होते हैं, हमारे अपने लोग हैं, अगर उसमें कहीं कोई कमी है तो सरकार उसे पूरा करेगी, हम उसकी चिंता करेंगे. लेकिन उसमें भी जाकर नेतागिरी करना, उसमें भी जाकर उनको भड़काना, असत्‍य आश्‍वासन दिलवाना. अभी माननीय गोविंद सिंह जी बोल रहे थे कि कन्‍यादान योजना का क्‍या हुआ, उसके सर्टिफिकेट का क्‍या हुआ, उसमें पैसा नहीं है. एक व्‍यक्ति अगर यह खड़ा करके बता दें कि उसको 21 वर्ष की उम्र में पैसा नहीं मिलेगा तो मैं मान जाऊंगा. अभी 900 करोड़ रूपये का बजट हमनें स्‍वीकृत किया है, बजट भाषण जब आयेगा उसमें माननीय वित्‍त मंत्री जी इस बात को रखेंगे. पहले हम पढ़ें फिर बाद में भ्रम को फैलायें. लाड़ली लक्ष्‍मी योजना में जिस तरह से माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने बच्चियों को लखपति बनाने का काम किया है यह आपको सोचना चाहिये. आप सदन में बात कर रहे हैं, सदन में भ्रम की स्थिति मत फैलाइये. उन बच्चियों का जिनका कोई ठोर ठिकाना नहीं था, आज मामा ने अगर उनको गले लगाया है तो पेट में दर्द नहीं होना चाहिये. आपको उनको और बढ़ावा देना चाहिये, हम तो चाहते हैं कि आप समर्थन करिये हम उस पैसे को और बढ़ाने वाले थे. माननीय वित्‍त मंत्री जी अगर स्‍वीकार करेंगे तो मेरी तो इच्‍छा है कि उनको 1 लाख 12 हजार की जगह डेढ़ लाख मिलना चाहिये. इससे उन गरीब बच्चियों को आगे बढ़ने का संसाधन मिलेगा. हमने राज्‍यपाल के अभिभाषण में जो चर्चा की उसमें माननीय मुख्‍यमंत्री जी को, माननीय वित्‍त मंत्री जी को और पूरी टीम को मैं आज इस सदन के माध्‍यम से धन्‍यवाद देना चाहूंगा कि उन्‍होंने इस अवसर पर मुझे बोलने का मौका दिया. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.  

            श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव के विरोध मैं बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं.

          श्री लालसिंह आर्य--उपाध्यक्ष महोदय, आज सदन में कैलाश जी का भाषण बहुत अच्छा हुआ. आप भी बड़े गौर के साथ सुन रहे थे, बिल्कुल टोका-टाकी नहीं हुई.

          उपाध्यक्ष महोदय--निसंदेह बहुत अच्छा भाषण था.

          श्री शैलेन्द्र पटेल--उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने भाषण की शुरूआत चंद लाईनों से करना चाहता हूं.

          प्रश्न है पर जवाब है ही नहीं,

          आंकड़े हैं तो हिसाब है ही नहीं.

          चापलूसों की मेहरबानी है,

          वरना तू गुलाब है ही नहीं.

          आज भारतीय जनता पार्टी के लगातार 14 वर्ष पूरे होने को आ रहे हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी की तारीफ करना चापलूसी हो गई जिन्होंने प्रदेश को अच्छे राज्यों में पहुंचा दिया. इसको आप चापलूसी मानते हो?

          श्री शैलेन्द्र पटेल--आप इसको जो मान लें.

          श्री बहादुर सिंह चौहान-- यह आपकी गलत बात है.

          श्री शैलेन्द्र पटेल--उपाध्यक्ष महोदय, यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप बात को किस ओर ले जाते हैं. लगातार इस सरकार को 14 वर्ष हो गये हैं. मध्यप्रदेश की जनता ने 3 कार्यकाल भारतीय जनता पार्टी की सरकार को दिये हैं. एक और बात है कि लगातार 12 वर्षों से एक ही इंसान को प्रदेश के मुखिया होने का गौरव प्राप्त हुआ. आपको पूरा समय मिला. 15 साल का कार्यकाल और 12 साल का मुख्यमंत्री का कार्यकाल जिसमें आप जो चाहें वह कर सकते हैं इसमें कोई बात नहीं है. आपके कार्यकाल में पूर्ण बहुमत आपको यह भी चिन्ता नहीं है कि कहीं और से मतों का विभाजन हो अथवा विधायकों की कोई खींचतान हो, पूर्ण रूप से बहुमत है. पिछले तीन सालों से केन्द्र में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. एक तरीके से कह सकते हैं कि उनको एक आदर्श माहोल मिला है काम करने के लिये, लेकिन उस आदर्श माहोल में जो बातें कही जाती है वह कहीं न कहीं तो कहने में तो अच्छी लगती है, लेकिन धरातल पर बहुत ही उलट स्थितियां हैं. क्योंकि इतने लम्बे कार्यकाल में मध्यप्रदेश की स्थिति कुछ और होना चाहिये. भाषणों में तो बहुत अच्छी अच्छी बातें होती हैं, लेकिन हकीकत में बातें कुछ और होती हैं. सिर्फ उनकी बातें कागजी हैं और अपने आप की पीठ थपथपाने के लिये है और हकीकतों से कोसों दूर है.

          उपाध्यक्ष महोदय, क्या किसान आत्महत्याएं नहीं कर रहे हैं ? माननीय नेता प्रतिपक्ष के प्रश्न के जवाब में सरकार ने स्वीकार किया है कि 15 हजार से ज्यादा लोगों ने पिछले 14 साल के कार्यकाल में किसानों ने आत्म-हत्याएं कीं. यह गंभीर चिन्तन का विषय है. सरकार किसानों के हित में काम कर रही है तो किसान आत्म-हत्याएं क्यों कर रहे हैं ? हम उन लोगों की आत्म हत्याओं को क्यों नहीं रोक पा रहे हैं ? बड़ा यह प्रश्नचिन्ह उठता है, उस सरकार के ऊपर जो अपने आप को किसान हितैषी सरकार बताती है. दूसरी बात जनता महंगाई से त्रस्त है, महंगाई पर अभी कोई कंट्रोल नहीं हो रहा है. आज हम देख रहे हैं कि कर्मचारी आंदोलित हैं. सारे कर्मचारी चाहे संविदा शिक्षकों की बात हो, चाहे हमारे अध्यापकों की बात हो, चाहे अतिथि विद्वानों की बात हो, हम चाहे अपने स्वास्थ्य कर्मियों की बात करें, चाहे हम सहकारिता क्षेत्र के बारे में बात करें. लिस्ट बहुत लंबी है. अभी पंचायत सचिवों ने कुछ दिनों पहले आंदोलन किया. लंबी लिस्ट है वे क्यों आंदोलित है, यह प्रश्न उठता है ? अगर इतना खुशनुमा माहौल है तो उनको आंदोलन की आवश्यकता क्यों पड़ रही है. और तो और हम बात करें कानून व्यवस्था की, अपराध के रिकार्ड को हम देखेंगे तो देश में पहला अथवा दूसरा नंबर आता है. और तो और हम स्वास्थ्य सेवाओं की हालत को देख लें. अस्पतालों में डॉक्टरों के पते ही नहीं है. अस्पतालों में ताले लगे हुए हैं. मेरे खुद की विधान सभा क्षेत्र में कई मामले हैं यह माननीय मुख्यमंत्री जी का गृह जिला है वहां पर भी अस्पतालों में ताले तक लगे हुए हैं, यह स्थिति है. और तो और कहीं पर उपकरण हैं तो डॉक्टर नहीं हैं ? कहीं पर डॉक्टर हैं तो उपकरण नहीं हैं ? भ्रष्टाचार की बातें नित नई आती जाती हैं. आज भ्रष्टाचार किस चरम सीमा पर है, वह आप सभी को मालूम है. इन सभी सवालों का जवाब लेंगे तो ईमानदारी से जवाब दिया जायेगा कि इन पर कोई रोकथाम नहीं हुई है. दूसरी तरफ आप कहते हैं कि पैराग्राफ 2 में आपने कहा है कि सबका साथ सब का विकास की भावना से हम काम कर रहे हैं, बिल्कुल विकास हुआ है, लेकिन कुछ चुनिन्दा लोगों का विकास हुआ है. उन्हीं लोगों का ही डवलपमेंट कहीं न कहीं आगे बढ़ा है. वहीं आम जनता से विकास तो कोसों दूर है. अभिभाषण के पैरा क्रमांक 4 एवं 5 में जीवन रेखा नर्मदा नदी के संरक्षण की बात कही गई है. उस कवायद में मुख्यमंत्री जी ने अपनी ब्रांडिंग की है. देश में नहीं विदेशों तक में तक में फ्लेक्स लगे थे इसकी कई बार चर्चा इस सदन में हो चुकी है. उस ओर मैं डिटेल में नहीं जाना चाहता. लेकिन आप कहते हैं कि हमने किसान और इस जनता की गाढ़ी कमाई से इस प्रदेश को खड़ा किया है. उनकी मेहनत की कमाई को अपनी ब्रांडिंग में खर्च कर दिया जाये, क्या यह न्यायोचित है ? क्या नर्मदा सेवा ब्रांडिंग यात्रा थी या वाकई सेवा यात्रा थी? आज इसलिये कहने में आता है कि आज नर्मदा जी की स्वच्छता यात्रा का समय पूरा हो गया. साल भर होने वाला है, आज नर्मदा जी की स्थिति क्या है, क्या जो पौधे लगाये गये वह सुरक्षित हैं ?

          श्री लालसिंह आर्य - शैलेन्द्र जी, एक रिपोर्ट आई है पर्यावरण की उसमें नर्मदा जी को हिन्दुस्तान की सबसे स्वच्छ नदी बताया गया है.

          श्री शैलेन्द्र पटेल - आप थोड़ा अध्ययन कर लें देश में नहीं विश्व में होगी लेकिन जिस नाम से यात्रा निकाली गई नर्मदा जी की बड़े-बड़े फिल्म स्टार्स, न जाने कहां-कहां से लोगों को बुलाकर कितने पैसे खर्च किये गये.क्या इस मध्यप्रदेश की जनता की गाड़ी कमाई को खर्च करना उचित था या अनुचित था यह प्रश्न उठता है. आप चिंतन,मनन करिये. क्योंकि यह सदन में चर्चा का विषय है. हमें कहीं न कहीं सोचना पड़ेगा.क्या आवश्यक्ता थी उनकी. उन चीजों को कम खर्च पर नहीं किया जा सकता था. मैंने जो प्रश्न लगाया था तो मुझे जवाब मिला था कि नर्मदा सेवा यात्रा में हम सरकारी खर्च नहीं करेंगे लेकिन ज्यों-ज्यों यात्रा की तैयारी आगे बढ़ी और बाद में आंकड़े आये उसमें करोड़ों,अरबों रुपये खर्च कर दिये. इन सब बातों से प्रश्न उठते हैं मैं यात्रा को कम्पेयर नहीं करना चाहता. एक यात्रा और निकल रही है. यह जनता में चर्चा का विषय है कि आज जो नर्मदा यात्रा निकल रही है एक पूर्व मुख्यमंत्री ने निकाली और एक वर्तमान मुख्यमंत्री ने.दोनों में जमीन आसमान का फर्क है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -  फर्क तो है मुख्यमंत्री जी के साथ जनसैलाब उमड़ा था इनके साथ कोई नहीं उमड़ रहा है.

          श्री शैलेन्द्र पटेल - कोई बात नहीं. जनसैलाब कैसे बुलाया जाता है यह आपको मास्टरी हो गई है. सरकारी पैसे का कैसे दोहन किया जाता है, इसमें आपकी मास्टरी है.कलेक्टर,एस.डी.एम.,तहसीलदार इसी काम में लगे हुए हैं इसीलिये प्रदेश का विकास नहीं हो रहा है कि कोई आयोजन होगा और उनको लिस्ट दे दी जायेगी कि इतने लोग लाना है. बस लगाना है और बस वालों के आज तक इन्दौर,उज्जैन के किराये नहीं मिले हैं. बस वाले चक्कर लगा रहे हैं ,इसी नर्मदा सेवा यात्रा के पैसे के लिये. करोड़ों,अरबों रुपयों का उनका भुगतान रुका हुआ है. आप जांच कर लीजियेगा.बगैर आंकड़ों के बात न हीं कह रहा हूं. आज स्थिति यह है कि हम आयोजन के नाम पर प्रदेश के विकास की जगह आयोजन स्थल बन गया है. जहां पर नित्य नये आयोजन की बात आती है. एकात्म यात्रा निकाली गई. हम सब कहीं न कहीं अपने धर्म पर विश्वास करते हैं.मैं भी सनातन धर्म में विश्वास रखता हूं. मैं भी सनातन धर्मी हूं. हम सबकी धर्म के प्रति अगाढ़ श्रद्धा है लेकिन उसका दुरुपयोग होगा तो उस पर प्रश्न उठता है. शंकराचार्य जी के नाम पर एकात्म यात्रा निकाली मैं भी कहीं न कहीं धार्मिक गुरुओं से जुड़ा हुआ हूं. जब चर्चा हुई तो पता चला कि यात्रा के पहले किसी से कोई चर्चा ही नहीं की. न जाने किसने आईडिया दिया और निकल चले. जो पैसा,ताम्बा और धातुओं को इकट्ठा करने की बात आई तो सरपंचों ने कहा कि प्रत्येक सरपंच से एक-एक हजार रुपये देना है. उसने अपनी जेब से दिये.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -  यह असत्य जानकारी है.

          श्री शैलेन्द्र पटेल - मुझे जो जानकारी मिली वह मैं कह रहा हूं. आपको शायद लगता हो आपके यहां नहीं हुआ होगा मेरे यहां तो यही हुआ.

          श्री रणजीत सिंह गुणवान - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे जिले के ये इछावर से ही विधायक हैं. बहुत देर से यह कह रहे हैं कि क्या विकास हुआ. आप खुद उठाकर देख लें सबसे ज्यादा विकास आपका ही हुआ है. जरा सही तो बोलो हकीकत.

          श्री वेलसिंह भूरिया - भावांतर योजना का लाभ भी मिला है. ईमानदारी से बता दें शैलेन्द्र भईया कि नहीं मिला.

          श्री रणजीत सिंह गुणवान - थोड़ा बहुत तो सही बात बताओ.

          श्री शैलेन्द्र पटेल - हमारे पड़ोसी हैं. थोड़ा दर्द होने लगता है. ईछावर,आष्टा लगा हुआ है.

          उपाध्यक्ष महोदय - प्रेम उमड़ता है. कृपया बैठ जाएं.

          श्री रणजीत सिंह गुणवान - आप भांजे लगते हो इसलिये ज्यादा बात नहीं कह रहा हूं.

          श्री शैलेन्द्र पटेल - धन्यवाद मामा जी, अभी तो एक ही मामा फेमस हैं. आप अलग मामा हैं. उपाध्यक्ष महोदय, जब एकात्म यात्रा निकाली तो लोटे लिये गये कोई धातु इकट्ठा नहीं हुई. आप देख लें कि जो बाजार से तांबे के लोटे खरीदकर सरपंचों ने अपने-अपने गांवों से दान दिये. हमें इस यात्रा पर कोई एतराज नहीं लेकिन जिस तरीके से निकाली गई. क्या वह धर्म को जोड़ पाई और लोग आये, किस तरीके से आये, क्या आम जनता जुड़ पाई, धर्म पर उसका क्या प्रभाव पड़ा, यह सोचने की बात है. उज्जैन में हमारे मोहन यादव जी बैठे हुए हैं. मैंने भी  शिव महोत्सव कार्यक्रम को देखा था. किस तरीके से पैसे की बरबादी हुई हम भली-भांति जानते हैं. आंकड़े मेरे पास नहीं है इसलिये उसमें गहराई तक नहीं जासकता. कौन से कार्यक्रम में कितना खर्च हुआ,हिसाब किताब बाकी रह गया हो तो दूसरा कार्यक्रम कर लो बराबर हो जायेगा उस तर्ज पर यह कार्यक्रम होने लगे हैं यह गंभीर प्रश्न है कि हम धर्म को ही राजनीति बना लेंगे तो कैसे काम चलेगा. हमारा धर्म विकास का धर्म होना चाहिये जनता की भलाई का धर्म होना चाहिये लेकिन धर्म के नाम पर हम कहीं बरगलाएंगे तो यह आज गहन चिंतन का विषय है.

          मैं "" प्रणाली की बात करता हूं. पैराग्राफ - 8,9,10 में कहा गया है अधिकतर समय सर्वर डाउन होते हैं. जब कोई इंट्री करने जाता है तो वह हो ही नहीं पाती है, उसके लिए इंतजार करना पड़ता है. डिजिटलाइजेशन के लिए हमें वह सिस्टम विकसित करना पड़ेगा, जिसमें हम बहुत पीछे हैं. जब तक वह सिस्टम विकसित नहीं होगा, तब तक हम ई-प्रणाली में पीछे रहेंगे, उसको हम विकसित करेंगे तो निश्चित रूप से  प्रदेश को आगे आने में कहीं न कहीं सहूलियत होगी. पैराग्राफ क्रमांक 14 में 5 बार कृषि कर्मण अवॉर्ड की बात कही है, उसके अंतर्गत कहा गया है कि हमने यह काम किया, वह काम किया. जब प्याज की खरीदी हुई तो जो अधिकतर पैसा प्याज खरीदी में लगा, उसमें से 25 प्रतिशत पैसा परिवहन के लिए वेयर हाउसेस को दिया गया. एक ओर तो हम कहते हैं कि हमने वेयर हाउसिंग की क्षमता बढ़ा दी है. अगर क्षमता बढ़ा दी है तो हमें वेयर हाउसेस को किराया क्यों देना पड़ता है? हम किसानों को ही इस तरीके से सक्षम क्यों नहीं कर पाए, जिसमें वह प्याज रखे जाते, जिससे वह सढ़ता नहीं. उसके बाद में जो आप भावांतर योजना लेकर आए हैं. सोयाबीन के लिए जो भावांतर योजना लागू की है, उस योजना में किसानों ने, मैंने खुद ने, मामाजी कह रहे थे, मैंने भी सोयाबीन बेचा, 2400 रुपए क्विंटल में वह बिका. बाद में वह सोयाबीन आज 3600-3700 रुपए क्विंटल का हो गया. वह फायदा उन व्यापारियों ने उठा लिया.

उपाध्यक्ष महोदय, आज ध्यानाकर्षण के माध्यम से मैंने वही बात रखी थी. मैं वह बात फिर दोहराना चाहता हूं कि अगर केन्द्र सरकार किसानों की उपज का मूल्य तय करती है तो राज्य सरकार की यह ड्यूटी बनती है, उसका यह दायित्व बनता है कि वहां पर उस भाव पर वह उत्पाद बिके क्योंकि मंडी हमारी है, अगर उत्पाद सही दाम पर नहीं बिकते हैं, व्यापारी अगर जालसाजी करते हैं, चालबाजी करते हैं तो उसको कंट्रोल करने का जो काम है वह राज्य सरकार का है और उसमें कहीं न कहीं राज्य सरकार नाकाम हो रही है. जो किसानों को मूल्य मिलना चाहिए, मंडी में जो बोली लगती है, हम में से  बहुत से लोग जाते हैं जो विधायकगण हैं, मैं यह नहीं कहता कि नहीं जाते हैं. किस तरह से वहां पर बोली लगाई जाती है? अगर वह आप सीन देख लेंगे तो ऐसा लगता है कि किसानों की उपज के साथ में मजाक किया जा रहा है. किस तरीके से वह उछाल-उछाल कर फसलों की बात करते हैं. जब एक-दूसरे से उनकी बात होती है, इशारे-इशारे में कौन-सा माल कम में खरीदना है, कौन-सा माल ज्यादा में खरीदना है, अगर वह हम पिक्चराइज करेंगे तो एक बड़ी भयानक तस्वीर आती है, किसानों के जख्मों पर नमक डालने वाली स्थिति सामने आती है.

          उपाध्यक्ष महोदय, पैराग्राफ 15 में फसल बीमा योजना की बात कही है. फसल बीमा योजना का क्या हश्र है? मैंने कई बार सवाल लगाए, बातें की. मैंने तो यहां तक आसंदी से मांगा था कि एक बार इस पर चर्चा हो जाय ताकि जो कमियां हैं वह कमियां दूर हों. लेकिन आज तक उस पर चर्चा का मौका नहीं मिला. सेमीनार आयोजित करने की बात की कि उस पर सेमीनार आयोजित हो, लेकिन वह नहीं हो पाया. अगर फसल बीमा योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है, नयी योजना लाई गई, अच्छी इंटेंशन से लेकर आए, लेकिन अगर उसका क्रियान्वयन नहीं हो रहा है तो इस पर हमें चर्चा करना पड़ेगी, विचार करना पड़ेगा और क्या-क्या कमियां है उन्हें दूर करना पड़ेगी और उसके लिए गहन मंथन की आवश्यकता है क्योंकि उसमें इतनी टेक्नीकल प्रॉब्लम्स हैं कि आसानी से उसको कोई आदमी समझ नहीं पाता. बहुत से अधिकारी नहीं समझ पाते. हम जैसे लोग भी समझ नहीं पाते हैं. उसको समझने और समझाने के लिए कहीं न कहीं इस पर विस्तार से चर्चा की आवश्यकता है.

          उपाध्यक्ष महोदय, पैराग्राफ 21 में पशुपालन की बात हो रही थी, अभी हमारे साथी जाटव जी कह रहे थे. अगर पशुओं की इतनी अच्छी स्थिति होती तो वह रोड पर क्यों होते? खासकर गौ वंश रोड पर क्यों हैं? यह प्रश्न उठता है कि अगर इतनी अच्छी पशुपालन की स्थिति होती, दूध के धंधे की स्थिति होती तो वह रोड पर क्यों होते? आज आम किसान उन जानवरों से परेशान है, उसको रात-रात भर जागना पड़ता है कि कहीं फसल को वह नहीं खा जाय. वह रोड पर होता है. बारिश के दिनों में एक्सीडेंट में कई गायें मारी जाती हैं, वह दिखती नहीं हैं. क्यों? क्योंकि दूध का भाव नहीं मिल पा रहा है. खासकर गाय के दूध का जो भाव है वह नहीं मिल पा रहा है, उस मजबूरी में किसान अपनी गाय को, अपने जानवरों को रोड पर भेज देता है. वही किसान जिसको वह देवी-देवता के तुल्य मानता है, दीपावली के अगले दिन उसकी पूजा करता है, लेकिन आर्थिक कमी के कारण, मजबूरी के कारण उसे रोड पर भेजने पर मजबूर है और वह इसलिए कि उसका भाव नहीं मिल पा रहा है. सरकार उसमें कोई मदद नहीं कर पा रही है. कई बार यह चर्चा आई कि बिस्लरी का पानी, जो मिनरल वॉटर है वह तो महंगा है लेकिन दूध सस्ता है. किसान के लिए आज की तारीख में यह घाटे का सौदा हो गया है. बिजली की बात हुई. मध्यप्रदेश में बिजली सरप्लस में होने लगी है. निश्चित रूप से सरप्लस होने लगी है, लेकिन अभी कुछ दिनों पहले दिल्ली से एक मुख्यमंत्री जी आए थे, वह मध्यप्रदेश में कहकर गये कि हम मध्यप्रदेश से बिजली खरीदते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश से सस्ती बिजली देते हैं. जो प्रदेश बिजली खरीद रहा है, वह सस्ती दे रहा है और जहां बिजली का उत्पादन हो रहा है वहां पर बिजली महंगी है? यह कौन-सी व्यवस्था हुई? हम बिजली पैदा कर रहे हैं लेकिन हमारे राज्य के नागरिकों को महंगी बिजली दे रहे हैं और दूसरे राज्य में नागरिकों को सस्ती बिजली मिल रही है, यह क्या कारण है? अगर लाइन लॉस और सब पर आपने कंट्रोल कर लिया है, बिजली का उत्पादन आपने बढ़ा लिया है तो यह आंकलित खपत के बिल क्यों हमसे बसूले जा रहे हैं? आज ऊर्जा विभाग का यह हाल है, हमारे गांव में आम चर्चा है कि हिसाब-किताब खुद संभालकर रखो, विभाग के पास कोई हिसाब-किताब नहीं है. कभी कौन-सा बिल आ जाएगा, कभी कौन- सा? यह जमीन की हकीकत है.

          उपाध्यक्ष महोदय, मैं सहकारिता की बात कर रहा हूं. सहकारिता आन्दोलन की स्थिति आज दयनीत होती जा रही है. सहकारिता आंदोलन की स्थिति आज दयनीय होती जा रही है. पिछले 14 साल में सरकार जिला सहकारी बैंकों का निर्वाचन भी नहीं करवा पायी है और तो और सहकारी आंदोलन का ऑक्‍सीजन कहलाने वाला सहकारी संघ आज मरणासन्‍न स्थिति में है. अभी चुनाव आगे बढ़ा दिये. क्‍या उप चुनाव आने के कारण इनको आगे नहीं बढ़ाया गया ? क्‍या सरकार को यह डर लगा कि चुनाव के पहले कुछ गड़बड़ नहीं हो जाये तो चुनाव पर रोक लगा दी, मंडी के चुनाव आगे बढ़ा दिये, सहकारिता के चुनाव आगे बढ़ा दिये. क्‍या यह प्रजातंत्र का सही चेहरा है ? अगर आपको उप चुनाव से इतना डर लगता है तो कैसे काम चलेगा ? आप सहकारिता के चुनाव होने देते, आप मंडी के चुनाव होने देते. किस कारण से आपने रोक लगायी ? उसके पीछे कोई लॉजिक है ? कोई कारण है कि हमने इस कारण से चुनाव पर रोक लगा दी ? अगर हम प्रजातंत्र पर विश्‍वास रखते हैं तो यह सब चुनाव होने देना चाहिये. स्‍वस्‍थ काम्‍पटीशन होना चाहिये. सड़कों की बात कही गई है.     

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- अब आप समाप्‍त करें.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल -- उपाध्‍यक्ष महोदय, एक मिनट में समाप्‍त कर रहा हूं. एडीबी की बात कही गई है कि हमने एडीबी योजना के अंतर्गत एशियन डेवलपमेंट बैंक से लोन लिया है, लेकिन आज उसकी स्थिति यह है कि कंसलटेंट्स नहीं मिल रहे हैं. योजनाओं के लिये लोन तो मिल गया लेकिन नीचे धरातल पर आज कंसलटेंट्स की भारी कमी हो गई है. अब कंसलटेंट क्‍यों नहीं मिल रहे ? क्‍योंकि पहले आपने बनाये नहीं और अब इतने सारे इकट्ठे हो गये तो कंसलटेंट्स की कमी के कारण एडीबी योजना के लोन अभी भी पेंडिंग हैं. जो सड़कें आज बननी चाहिये वह न जाने कब जाकर बनेगी. स्‍वच्‍छ भारत की हम बात करते हैं. स्‍वच्‍छ भारत अभियान में लोगों से शौचालय बनवा लिये गये लेकिन पैसा नहीं मिला. आज भी वह दर-दर भटक रहे हैं. और तो और स्‍कूल शिक्षा की यह हालत है कि सरकारी स्‍कूलों में कोई अपने बच्‍चों को पढ़ाना नहीं चाहता. उद्योग-धंधे चौपट हो रहे हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है. उपाध्‍यक्ष महोदय, आंकड़ों में तो अभिभाषण बहुत अच्‍छा लगता है लेकिन जमीनी हकीकत से बहुत दूर है. आपने बोलने का मौका दिया बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          डॉ. मोहन यादव (उज्‍जैन दक्षिण) -- उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर पक्ष की ओर से कृतज्ञता ज्ञापित करते हुये अपनी बात कहना चाहूंगा. मेरे मित्र शैलेन्‍द्र जी ने अभी एक अच्‍छी बात रखी थी उसके पहले भी दिग्विजय सिंह जी की यात्रा पर बात निकली. मैं थोड़ा याद दिलाना चाहूंगा कि इसी सदन में जब माननीय दिग्विजय सिंह जी मुख्‍यमंत्री थे तब नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना के बारे में उनका बयान आज भी दर्ज है, तब उन्‍होंने कहा था कि कौन मूर्ख कह रहा है कि यह योजना संभव है ? दोनों की उचाइयां इतनी ज्‍यादा है कि कभी यह योजना सफल नहीं हो सकती. मैं विपक्ष के मित्रों को याद दिलाना चाहूंगा कि वे उज्‍जैन आयें और नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना अपनी आखों से देखें बल्कि एक करोड़ से ज्‍यादा तीर्थ यात्री जब कुम्‍भ मेले में स्‍नान करने आये, उनमें हमारे विपक्ष के मित्र भी आये होंगे, उनको याद दिलाना चाहूंगा कि नर्मदा जी का पानी क्षिप्रा जी में था जब हमारा कुम्‍भ पूर्ण हुआ है. इन योजनाओं को लेकर के जिनकी जवाबदारी थी आज से 40 साल पहले लंबे समय तक सरकार में रहे. माननीय मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह जी खुद वर्ष 1993 से 2003 तक मुख्‍यमंत्री रहे. उस समय अगर वे नर्मदा पर बांधों की श्रृंखला बना लेते तो यह नौबत नहीं आती. मुझे लगता है कि अब (XXX) जिसके कारण वे नर्मदा जी से माफी मांग रहे हैं कि हमने देर कर दी मध्‍यप्रदेश के किसानों के संदर्भ में.

          श्री रजनीश सिंह -- उपाध्‍यक्ष महोदय, ''पापों के प्रायश्चित'' के बारे में जो विधायक जी ने कहा उसको विलोपित किया जाये.

          डॉ. मोहन यादव -- आप विलोपित करा लें उससे कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है. जो रिकार्ड है वह आप देख लीजिये.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है उसको विलोपित कर दें...(व्‍यवधान)..                  

          श्री रजनीश सिंह -- उपाध्‍यक्ष महोदय, जहां धूल उड़ रही थी वहां बेसमेंट बनाया, नदी बनवायी, पुल बनवाया, बिजली लायी..(व्‍यवधान)..    

          श्री सुखेन्‍द्र सिंह -- उपाध्‍यक्ष महोदय, क्‍या पिछले 14 सालों में ही मध्‍यप्रदेश दिखायी दे रहा है उसके पहले नहीं था ?

          डॉ. मोहन यादव -- उपाध्‍यक्ष महोदय, जब आप बोलते रहे तब हम सुनते रहे और जब हम बोलेंगे तब थोड़ा सहन भी करने की आदल डालिये...(व्‍यवधान).. आप अपना हाजमा बढ़ाइये. आपके कक्‍का जी बीमार हो जायेंगे. तथ्‍यात्‍मक बात कही जा रही है. ..(व्‍यवधान)...

..(व्यवधान)..

                   उपाध्यक्ष महोदय -- रजनीश सिंह जी, आप पहली बार  सदन में आये हैं, थोड़ा अनुशासन सीखिये,  मैंने पहले ही विलोपित कर दिया. फिर   इसमें लम्बा प्रसंग खींचने की क्या आवश्यकता थी.

                   डॉ. मोहन  यादव --  थोड़ा सा सहन   करने की  आदत डाल लें. सब ठीक हो जायेगा.

                   उपाध्यक्ष महोदय -- मोहन जी,  अब आप विषय पर आयें.

                   डॉ. मोहन  यादव --  जी, उपाध्यक्ष महोदय, आपका धन्यवाद.  मैंने इसलिये कहा कि मैं कोई बात कह रहा हूं, वह मैंने अपनी मर्जी से नहीं कहा है.  अगर आप लायब्रेरी में जायेंगे,  तत्समय भाषणों को देखेंगे,  उसमें उनका किया गया कथन, उल्लेख मिलेगा.  अब यह अलग बात है कि  इस  समय वे सदस्य नहीं हैं, तो उनके बाशिंदे इस बात के लिये खेद व्यक्त करें कि हां  हमसे गलती हुई थी, अतीत में हुई थी, कोई बात नहीं है.  आपने दुरस्त कर ली, अच्छी बात है.  अब मैं इसके आगे की बात करना चाहता हूं, चूंकि  अगर गलती होती है, तो उसका अहसास भी करना चाहिये. हमारी इसी दृष्टि से अभी जो माननीय  राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में विषय आया है,  हमारी सरकार द्वारा  दृष्टिपत्र  2018 के 700 के लक्ष्य के विरुद्ध  740 लघु सिंचाई परियोजनाएं जो पूर्ण की गई हैं, अब इसके संबंध में कुछ कहना चाहेंगे.  34 हजार हेक्टेयर क्षमता की नवीन 79  लघु  परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं.  हम सब वर्तमान के दौर से  देखें, तो  खास करके मालवा के संदर्भ में  मैं बताना चाहूंगा कि  जो योजना अनाउंस की गई थी कि  न केवल नर्मदा- क्षिप्रा,  बल्कि नर्मदा- गंभीर, नर्मदा-पार्वती,  आगे चलकर हम नर्मदा को चंबल से भी जोड़ने वाले हैं.  समूचे मालवा के सदस्यगण यहां बैठे हुए हैं, जो पहले न भूतो न भविष्यति, सोच नहीं सकते थे ऐसे बड़े एरिये को जो आगे चलकर  के  राजस्थान के रेगिस्तान को भी मात  करने  वाला था, ऐसे  समूचे  क्षेत्र के लिये अगर जल  राशि  की व्यवस्था  मां नर्मदा से की जा सकती है, तो  यह जो 40 साल का लम्बा समय गया है,  इसका आखिरकार  जवाब देने के लिये कांग्रेस के मित्रों को  आगे  आना ही पड़ेगा.  उनको माफी मांगना पड़ेगी,  वाकेही  यह जब नर्मदा के  7 डेम बनने वाले थे,  तब  अगर इन  डेम्स की रचना  के साथ ही पाइप लाइन्स  का काम होता तो  जो आज नर्मदा का पानी  इन क्षेत्रों में पहुंच रहा है, यह लम्बा समय नहीं गुजरता.  मैं आज भी इसके लिये बात करना चाहूंगा कि  जो नर्मदा-गंभीर लिंक योजना की बात  कही है. अब नर्मदा-गंभीर लिंक  योजना से आगे जाकर  नर्मदा-कालीसिंध की तरफ भी  लगभग 2 हजार करोड़ रुपये की सैद्धांतिक  स्वीकृति जो दी गई है.  नर्मदा-क्षिप्रा, नर्मदा-गंभीर,  अम्बा-रोडिया,  चौड़ी- जामनिया, बलकवाड़ा और सिमरोल-अम्बाचंदन  परियोजना के कार्य भी शीघ्र शुरु  कर रहे हैं. यहां तक कि  नर्मदा से बदनावर  का क्षेत्र भी  सिंचित करने की लगभग 50 हजार हेक्टेयर  की  नवीन योजना की जो स्वीकृति  दी गई है,  वाकेही यह मालवा को बचाने का प्रयास है.  इसी के कारण से हमारा पूरा क्षेत्र बचेगा. और  यह मालवा या रेवांचल या   बुंदेलखण्ड  इनको हम  टुकड़े में नहीं देख सकते.  विकास करेंगे, तो  वाकेही समग्र रुप से विचार  करने की जरुरत है और जो  जल राशि उपलब्ध है, उस जल राशि का  अगर बंटवारा बराबरी से होता है,  मुझे इसकी तरफ आपका ध्यान आकर्षित कराना पड़ेगा कि  अगर यह हम एग्रीमेंट नहीं देख पाते, जो राज्यों के बीच में हुआ था, जिसके माध्यम से गुजरात, मध्यप्रदेश , राजस्थान और महाराष्ट्र, ये चारों राज्यों में जल राशि का बंटवारा होने वाला था.  अगर समय रहते दिग्विजय सिंह जी  के बाद  हमारे माननीय शिवराज सिंह जी चौहान  नहीं चेतते, तो यह हमारे   अपने हक से  हम वंचित हो जाते  या घर में हम कभी लड़ लेते, लेकिन हमारे इतने बड़े भू-भाग को जो जल राशि  उपलब्ध हो सकती थी, उसके नुकसान की भरपाई हम कभी नहीं कर पाते.  तत्कालीन समय में मुख्यमंत्री जी सहित  मैं  सभी मंत्री-गण एवं माननीय वित्त मंत्री जी को भी  बधाई देना  चाहूंगा कि इन्होंने लगातार चाहे  दूसरे  मामलों में कटौती की है, लेकिन नर्मदा-गंभीर लिंक योजना, नर्मदा-कालीसिंध योजना, नर्मदा  पार्वती योजना,  इसी बजट में जो  उनकी मंजूरी मिली है,  इसका लाभ हमको मिलेगा.  यह तो मैंने इस तरफ  की बात की, जो हमारे अपने  उत्तरी हिस्से में आता है.  दक्षिणी  हिस्से के अंदर भी जिस प्रकार से  पानी की बात कही है, उसका लाभ हमको आगे जाकर  के पूरे  खरगोन सहित पूरे  निमाड़   बेल्ट को मिलने वाला है.  मैं उम्मीद करुंगा कि   सीहोर, देवास, शाजापुर एवं राजगढ़ जिले के 366 गांवों में  2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में  सिंचाई सुविधा के लिये नर्मदा-कालीसिंध लिंक  माईक्रो सिंचाई परियोजना जो स्वीकृत की गई है, इससे पूरा क्षेत्र जल राशि से न केवल लबालब  होगा,  बल्कि भविष्य की दृष्टि से  जो रेगिस्तान  की संभावना थी, उसको भी समाप्त   करेगा.  कोई  कल्पना कर सकता है कि  कोई अपने   इतने बजट के माध्यम से, जिसमें आज इतनी मारा-मारी है, हर विभाग का अपना अपना दबाव होता है.  लेकिन   ऐसे दबाव के बावजूद भी  जिस प्रकार से 2 लाख करोड़ का बजट  प्रस्तुत किया है,  उसमें भी खास करके  विकास दर के मामले में जो ध्यान दिया गया है. हमारी  जो अपनी प्रति व्यक्ति आय है,  वह आय  अपने आप में विकास के यात्रा  की  सारी कहानी कह देती है.  आवश्यक  यह है कि न केवल  विकास दर  अधिक रहे, बल्‍कि वह समावेशी भी हो. गरीबों की भी उतनी ही भागीदारी हो जितनी बड़े लोगों की हो. यदि समग्र सोच न हो तो उसका दुष्‍परिणाम हमारे सामने आता है. समग्र रूप से सोचने के कारण ही आज सभी क्षेत्रों में मध्‍यप्रदेश की सरकार, माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार आगे बढ़ रही है और हम सब यह महसूस कर रहे हैं जिसके बारे में यह बात की है. आपने कहा 'शैव महोत्‍सव', अब 'शैव महोत्‍सव' अगर आप नहीं समझ सकते तो मैं आपके बारे में क्‍या कहूँ. यह तो समझने वाली बात है कि 'शैव महोत्‍सव' होता किसलिए है. ज्‍योतिर्लिंग आज के नहीं हैं, ये ज्‍योतिर्लिंग हजारों सालों से हैं, चाहे ओंकारेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग हो या महाकालेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग हो, लेकिन इन ज्‍योतिर्लिंगों के अंदर भी जो ऊर्जा छिपी हुई है, जो धार्मिक दृष्‍टि से इनका महत्‍व है या धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देकर बाकी लोगों को रोजगार देने की बात हम कर रहे हैं तो हमको इन आयोजनों पर आना पड़ेगा. हम अपने घर के हीरो को नहीं पहचानेंगे तो इसका नुकसान कौन उठाएगा ? यह जो बात सरकार करने जा रही है इसका एहसास करने की आवश्‍यकता है. मैं एक उदाहरण आपको देना चाहूँगा, उज्‍जैन के मामले में, उज्‍जैन में वर्ष 2004 के कुंभ के बाद जब वर्ष 2016 का कुंभ मेला आयोजित हुआ, वर्ष 2004 के पहले जितने भी कुंभ मेले हुए, हमारे उज्‍जैन में केवल एक या दो होटल खुलते थे, बाद में बंद हो जाते थे और उनका किसी और प्रकार से उपयोग होता था. लेकिन तिरुपति की तर्ज पर वर्ष 2004 के बाद हमने इस बात की कोशिश की है कि हम बाबा महाकाल के माध्‍यम से यहां रोजगार कैसे उत्‍पन्‍न कर सकते हैं. यहां की महत्‍ता कैसे रेखांकित कर सकते हैं. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मुझे कहते हुए गर्व है कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी के कारण ही वर्ष 2004 के बाद भस्‍म आरती के मामले में हमने नियमित स्‍वीकृतियां चालू कीं. मुझे तो इस बात का बहुत गर्व होता है, मैं वहां का विधायक हूँ, इस नाते से कि सरकार क्‍या कर सकती है, मात्र तिरुपति की तर्ज पर हमने स्‍वीकृतियां चालू कीं कि जिसको भी आना है, दर्शन करना है, एक दिन पहले वह लिखित स्‍वीकृति ले लेगा. इस भस्‍म आरती में सालों तक 20-25 लोग बड़ी मुश्‍किल से सुबह 4 बजे इकट्ठा होते थे. आज की स्‍थिति यह है कि हम 50 से बढ़ाकर 500 पर ले गए, 500 के बाद आज 2500 लोगों के लिए प्रतिदिन हम अनुमति देते हैं. इसके बाद भी 2500 लोग वेटिंग में रहते हैं. जो दो होटल्‍स थे, आज की स्‍थिति में हमारे उसी उज्‍जैन में लगभग 1500 कमरों के होटल्‍स खुल चुके हैं और 1500 कमरों के होटल्‍स की और भी संभावना है. क्‍योंकि किसी भी आदमी को अगर 4 बजे उज्‍जैन पहुँचना है तो रूकने के लिए होटल की जरूरत होगी, और केवल होटल ही नहीं, ऑटो वाले, किराने वाले, भोजनालय आदि तमाम प्रकार की दुकानों की आवश्‍यकता होगी. अब चाहे महाकालेश्‍वर का मामला हो, चाहे ओंकारेश्‍वर का मामला हो, हम अगर 'शैव महोत्‍सव' करके ज्‍योतिर्लिंग की महत्‍ता स्‍थापित करने के लिए आगे बढ़ेंगे तो इसका लाभ तो मिलना ही है. जब इसके द्वारा तिरुपति आगे बढ़ सकता है तो मध्‍यप्रदेश क्‍यों नहीं. यह सोचने की बात है. इसको दलगत भावना से ऊँचे उठकर सोचने की आवश्‍यकता है कि और इसमें क्‍या जोड़ा जा सकता है. हम तो चाहते हैं आगे चलकर ओरछा जुड़े, मैहर की माता जी जुड़े. इसीलिए बहुउद्देश्‍यीय सांस्‍कृतिक कला संकुल निर्मित किए जाने की योजना का जिक्र राज्‍यपाल के अभिभाषण में है. अगर बहुउद्देश्‍यीय सांस्‍कृतिक कला संकुल योजना आप देखेंगे तो हमने उसमें प्रयास किया है कि अकेले उज्‍जैन में जो धार्मिक दृष्‍टि से आने वाला व्‍यक्‍ति है और ऐसा व्‍यक्‍ति भी है जो पूजा-पाठ में विश्‍वास नहीं करता है. वह किसी और धर्म का हो सकता है, वह मुस्‍लिम समाज का हो सकता है, ईसाई हो सकता है, यहूदी हो सकता है. अगर वह हमारे इतिहास, हमारी संस्‍कृति को समझना चाहता है तो उसको कौन सी जगह उपलब्‍ध रहेगी, उचित रहेगी. वह कैसे समझेगा कि हमारा प्राचीन मूर्तिशास्‍त्र कैसा था, संस्‍कृति की धारा कैसे बही, वाद्यों का आविष्‍कार कैसे हुआ, तो इस सबके लिए हमने बहुउद्देश्‍यीय सांस्‍कृतिक कला संकुल की स्‍थापना की. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, उस बहुउद्देश्‍यीय सांस्‍कृतिक कला संकुल में कभी मौका पड़े तो सभी मित्रों को ले जाकर हम उज्‍जैन दिखाना चाहेंगे, जहां हमने एक ही स्‍थान पर कृष्‍णायन, दुर्गायन और शिवायन की स्‍थापना की है. इस स्‍थान पर यदि आप जाकर देखें तो भगवान कृष्‍ण की सुंदरतम मूर्तियां, अतीत से लेकर वर्तमान तक, सबका संग्रह करके हमने भगवान कृष्‍ण की लीलाओं को दिखाने का प्रयास किया है. पूरे देश में चित्रों की जो विभिन्‍न प्रकार की शैलियां चलती हैं, उन शैलियों के आधार पर इन चित्रों को चित्रित कर दिखाने का प्रयास किया है. चित्रित करने के लिए केवल सामने से ही नहीं, आप जहां पर भी आंखें दौड़ाएंगे, कृष्‍णायन आपको हर दिशा में नजर आएगा. चाहे आप छत पर देखें, दीवारों पर देखें, चाहे मूर्ति में देखें. इसी प्रकार से दुर्गायन में, माता दुर्गा की जो लंबी परंपरा है, उसमें दुर्गायन की सभी विशेषताओं को जोड़ने का प्रयास इस बहुउद्देश्‍यीय सांस्‍कृतिक कला संकुल में किया गया है, जिस संकुल को राज्‍यपाल के अभिभाषण में स्‍थान मिला है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इसी प्रकार से हमने शिवायन की बात की है कि शिव परिवार के जो सदस्‍यगण हैं, उनकी जो उत्‍कृष्‍ट कलाएं हैं, उनका अपना उत्‍कृष्‍ट इतिहास है, उसमें सभी पक्षों को समाहित करके दुर्गायन, कृष्‍णायन और शिवायन को बनाने का प्रयास किया है और आगे चलकर कोशिश कर रहे हैं कि चित्रकूट में लीला संस्‍थान बने और आगे चलकर जो ऐसे धार्मिक दृष्‍टि के स्‍थान हैं, उन धार्मिक स्‍थानों में कार्य हों. हमारी यह भी कोशिश है कि धार्मिक पर्यटन के माध्‍यम से हम रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराएं. आज के इस अवसर पर जितने प्रकार से हम विचार कर सकते हैं, विचार कर रहे हैं. सरकार के माध्‍यम से अगर हम देखें तो अगर हम आंखें खोलकर देखेंगे तो इसका लाभ लगातार मिलता जाएगा. अगर नहीं देखेंगे तो उसके हाल वही होंगे जो मैंने बात की शुरूआत के साथ कही थी. कहना सरल है. मेरे मित्र श्री शैलेन्‍द्र जी वहां आते हैं सबने देखा है कि हमने सर्प उद्यान को बनाने का प्रयास किया है जिस प्रकार से बाय डिस्ट्रिक्‍ट पार्क को बनाना चाहिए. उसी प्रकार से हमने कोशिश की है कि ऐसे जो स्‍थान हैं जिनका कोई न कोई संबंध होगा. अगर शिव की नगरी है तो उसमें इस प्रकार का कोई न कोई संबंध सर्प से भी होना चाहिए तो हमने सर्प उद्यान बनाने का प्रयास किया. हम सर्प उद्यान के माध्‍यम से सर्प की सभी प्रजातियों को बचाने की बात भी कर रहे हैं. हम यह जानते हैं कि एक जीव की हत्‍या में कितना बड़ा पाप लगता है. सभी प्रकार के सर्पों को बचाने के लिए जिस प्रकार से यह काम चालू किया है, वह समझने वाली बात है. आज जिस प्रकार से आपने मेडिकल शिक्षा की बात कही है कि 7-7 मेडिकल कॉलेज खोलने के साथ-साथ जिस प्रकार से हम पर आरोप लगते थे तो हमने उसका जवाब देने का प्रयास किया है. अब लगातार जो बच्‍चे परीक्षा में पास तो हो जाते हैं लेकिन पैसा नहीं मिल पाता, उसके कारण से उन्‍हें मेडिकल कॉलेज में एडमीशन नहीं हो पाते थे. सीबीएसई बोर्ड में 75 परसेंट से ऊपर वाले और 70 परसेंट हॉयर सेकेण्‍डरी स्‍टेट बोर्ड वाले ऐसे सभी विद्यार्थियों को परीक्षा में पास होने के साथ ही सरकार यदि इनकी फीस भरने का प्रयास करती है इसके आधार पर उनके एडमीशन कराने की बात कही है तो न केवल इससे चिकित्‍सकों की कमी पूरी होगी बल्कि व्‍यावसायिक परीक्षा...

          उपाध्‍यक्ष्‍ा महोदय -- अब आप दो मिनट में समाप्‍त करें.

          डॉ. मोहन यादव -- जी, उपाध्‍यक्ष महोदय. मेरा इतना ही कहना है कि हमारी जो चर्चा है, वह बहुत अच्‍छे माहौल में हुई है. बहुत अच्‍छे माहौल में होना भी चाहिए और अच्‍छी बातों को अच्‍छे ढंग से लेने की आदत डले. जिस प्रकार से हमने सरकार के माध्‍यम से काम कराने का प्रयास किया है लोकतंत्र में सरकार इसीलिए बनती है कि वह काम करे. लेकिन काम करने वाले ही काम करते हैं. अगर काम करने का मौका मिले और काम न करें तो बाद में ताने उसी प्रकार से सुनने पड़ते हैं जो मैंने शुरूआत में कही है. मेरी इच्‍छा नहीं थी कि ऐसी बात बोलें. लेकिन अगर रिकॉर्ड में दर्ज है तो उसको जरूर कोट करने की आवश्‍यकता पड़ती है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- धन्‍यवाद.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर चर्चा के लिए खड़ी हुई हॅूं. अभिभाषण के बिन्‍दु क्रमांक 14 को मैंने जब पढ़ा, इसमें भावांतर भुगतान के 1,512 करोड़ रूपए के जो आंकड़े दिए गए हैं मुझे ऐसा लगा कि शायद यह आंकडे़ मैं गलत पढ़ रही हॅूं लेकिन पूरा पढ़ने के बाद मुझे ऐसा लगा कि गलत मैं नहीं, वास्‍तव में आंकडे़ ही गलत हैं क्‍योंकि 1,512 करोड़ रूपए का भुगतान भावांतर के तहत किया गया है और जहां तक मुझे याद है कि नवंबर में जब अनुपूरक बजट आया था उसमें भावांतर भुगतान योजना के लिए लगभग 4000 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया था और जहां तक मुझे लगता है कि अनुपूरक बजट में प्रावधान करने का उद्देश्‍य केवल यही होता है कि मुख्‍य बजट आते तक जो भी खर्चा करना है वह हमको इसी अनुपूरक बजट के माध्‍यम से ही खर्च करना है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय वित्‍त मंत्री जी ने जब बजट भाषण पढ़ा, उसमें उन्‍होंने स्‍पष्‍ट रूप से कहा कि 1,500 करोड़ रूपए आपके भावांतर में भुगतान किया गया है. ठीक है, 12 करोड़ का अंतर तो यही दिख गया. अभिभाषण में 1,512 करोड़ और माननीय वित्‍त मंत्री जी ने 1,500 करोड़ की बात कही, 12 करोड़ तो अभी भी बांटने बाकी हैं लेकिन आगामी बजट के लिए भी आपने भावांतर भुगतान योजना के लिए 1000 करोड़ रूपए का प्रोवीज़न किया है. पुराना बंटा और भविष्‍य में जो आप बांटने वाले हैं इन दोनों को भी यदि मिला दें तो कुल मिलाकर 2,500 करोड़ रूपए ही होता है. 4000 करोड़ रूपए का आपका प्रावधान, किस हिसाब से आप लोगों ने भावांतर भुगतान योजना का अनुमान लगाया था. मुझे आपके अनुमान पर जरा भी शक नहीं है क्‍योंकि आप इतने सीनियर, इतने सिंसियर मिनिस्‍टर हैं कि आपकी क्‍वॉलिटी पर कहीं किसी को कोई संदेह नहीं है क्‍योंकि भावांतर योजना का जो कांसेप्‍ट पहली बार आया था उस हिसाब से यदि उसी कांसेप्‍ट के आधार पर यदि भावांतर भुगतान योजना को लागू किया जाता तो शायद 4000 करोड़ रूपए भी कम पड़ जाते, लेकिन नहीं, वह तो  अब आपसे और इस सदन से ज्यादा अच्छा कोई नहीं समझ सकता कि उस योजना का जो हाल हुआ है उसका हम सब मिल- बांट कर अनुमान लगा सकते हैं. जब मुझे कोलारस और मुंगावली उप चुनाव में मेरी पार्टी की तरफ से जाने का अवसर मिला और मैं वहाँ गई. आज जब मैं यहाँ अभिभाषण की किताब पढ़ रही थी तो मैंने देखा कि चना, मसूर और सरसो को भावांतर भुगतान योजना में शामिल कर लिया गया. पहले तो मुझे जरा भी एहसास नहीं था कि इन सब चीजों को अभी शामिल करने का सरकार का क्या उद्देश्य हो सकता है लेकिन जब मैं मुगांवली और कोलारस में दौरे कर रही थी और मैंने वहाँ की फसलों को देखा, किसानों से बातचीत की तो वहाँ मसूर शानदार, सरसो शानदार, चना शानदार. किसानों से बात की तो वह बोले कि हमारे यहाँ तो चने,मसूर, सरसो की बहुत बढ़िया फसल होती है तो मैं समझ गई कि भावांतर योजना में इन तीन फसलों को जो शामिल किया गया है उसका उद्देश्य आखिर क्या था. आपने जिस उद्देश्य के कारण यह किया था उसमें तो आपको सफलता नहीं मिली लेकिन चलो उप चुनाव के बहाने से ही सही, जो-जो किसान चना उगाते हैं, मसूर उगाते हैं, सरसो उगाते हैं उनका तो  लाभ हो गया इस बात को मैं जरूर कहना चाहती हूं.

          उपाध्यक्ष महोदय,दूसरी बात प्रधानमंत्री फसल बीमा को लेकर इसमें कही गई है कि "प्रदेश में खरीफ 2017 की दावा राशि अनुमानतः देश का सबसे बड़ा फसल बीमा दावा होगा." निःसंदेह हम भी चाहते हैं कि होना चाहिए क्योंकि इसमें यदि किसानों को बीमे की राशि मिलेगी तो उससे ज्यादा खुशी की बात हम सबके लिए और कुछ नहीं हो सकती है. लेकिन पिछले जो आंकड़े हमारे सामने हैं वर्ष 2016 के, खरीफ फसलों पर जो प्रधानमंत्री फसल बीमा दिया गया था जिसका जिक्र बजट भाषण में वित्तमंत्री जी ने किया है वह 1660 करोड़ रुपये कृषकों के खातो में जमा किया गया. कुल 1660 करोड़ रुपये जमा हुए हैं. इस प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए सरकार को जो प्रीमियम देना पड़ता है, केंद्र की सरकार को, राज्य की सरकार को, दोनों को आधा-आधा देना पड़ता है और किसानों का जो प्रीमियम जाता है, मेरे पास पूरे आंकड़े हैं केंद्र और राज्य ने मिला कर 2305.78 करोड़ रुपये प्रीमियम बीमा कंपनी को दिया है. किसानों ने 396 करोड़ रुपये का प्रीमियम जमा किया. यदि इन दोनों को मिला कर हम देखें तो 27 सौ करोड़ रुपये का प्रीमियम कुल जमा हुआ और इसके एवज में जो किसान को प्रधानमंत्री फसल बीमे का लाभ मिला, वह मिला 1660 करोड़ रुपये. अब आप मुझे बताइए कि यह कैसी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना है? यदि प्रीमियम से ज्यादा की राशि किसानों को दी जाती तब हम मानते कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सार्थक हुई. अब मुझे यह कहने में कोई दिक्कत नहीं है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना टोटल फेल है और जब पुराना इतिहास हमारे पास इस तरह का है तो भविष्य में आगे की  हम क्या उम्मीद कर सकते हैं.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी बात, कुपोषण के बारे में बिंदु क्रमांक 82 में कहा गया है ,इसके बारे में एक चीज मैं कहना चाहती हूं कि कुपोषण के लिए हाईकोर्ट के स्पष्ट रूप से निर्देश हैं कि कुपोषण की वजह यदि कोई है तो मुझे लगता है कि कई दिनों से जो एक ही कंपनी  पोषण आहार का वितरण कर रही है, वह है. कुपोषण का यह बहुत बड़ा कारण   निश्चित रूप से हाईकोर्ट के संज्ञान में आया है और हम सब भी भली-भाँति इस बात को समझते हैं क्योंकि आज देश में कुपोषण के मामले में  मध्यप्रदेश की स्थिति या तो 1 नंबर पर है या 2 नंबर  पर है, 1 या 2 पर ऊपर-नीचे होता रहता है उससे कभी बदलता नहीं है और उसका एकमात्र कारण यह है कि आज भी जो पोषण-आहार वितरित किया जा रहा है वह एक ही कंपनी के द्वारा किया जा रहा है. हाई कोर्ट ने स्पष्ट रुप से कहा है कि स्व-सहायता समूहों के माध्यम से पोषण-आहार का वितरण किया जाना चाहिए. इसमें कोई दो मत नहीं है कि हमारे मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी ने इस बात को संज्ञान में भी लिया. मुझे याद है  26 जनवरी को मैं उनका संदेश वाचन कर रही थी उसमें इस बात का जिक्र है कि हम स्व-सहायता समूह के माध्यम से पोषण-आहार का वितरण करेंगे, लेकिन यह केवल उनके भाषण में है. पिछले दो साल से इस सदन में और सदन के बाहर हम सुनते आ रहे हैं. हर बार उनके भाषण में तो इस बात का जिक्र होता है लेकिन फील्ड में आज भी पोषण-आहार का वितरण स्व-सहायता समूह के माध्यम से नहीं हो रहा है. यह कुपोषण का बहुत बड़ा कारण है इसमें कोई दो मत नहीं है.

          उपाध्यक्ष महोदय, अभिभाषण में बिंदु क्रमांक 27 पर इस बात जिक्र है कि मेरी सरकार ने जले तथा खराब ट्रांसफार्मरों को बदलने के लिए बकाया राशि के 40 प्रतिशत जमा की शर्त को 20 प्रतिशत कर दिया है. यह कैसा काला कानून है ? एक तरफ आप कह रहे हैं कि हमारे यहां सरप्लस बिजली होती है. बहुत अच्छी बात हमारे शैलेन्द्र भाई ने कही कि सरप्लस बिजली हमारे पास है फिर भी हम सस्ती दरों पर बिजली दूसरे प्रदेशों को बेच रहे हैं. आज तो स्थिति यह है कि जिन लोगों ने बिजली का बिल जमा कर दिया है वे भी अंधेरे में हैं. वैसे तो नियम यह है कि ट्रांसफार्मर जलने के तीन दिन के अन्दर बदल दिया जाना चाहिए, लेकिन बकाया राशि का 40 प्रतिशत जमा नहीं हो पा रहा है तो सारे लोग अंधेरे में रहें. जिन्होंने राशि समय पर जमा की है वे भी अंधेरे में रहें और जिन्होंने राशि जमा नहीं की है वे भी अंधेरे में रहें.

          ऊर्जा मंत्री (श्री पारस चन्द्र जैन)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं किसी के भाषण में टोका-टाकी नहीं करता हूँ. माननीय सदस्या का बताना चाहूंगा कि 30 प्रतिशत के स्थान पर अब उसे 20 प्रतिशत कर दिया गया है. यह बात वे ध्यान में रखें.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को मैं एक उदाहरण बताना चाहती हूँ. एक बार कुछ गांव के लोग मुम्बई घूमने जाते हैं उसमें से 2-4 लोग अपने आपको बहुत एक्सट्रा ऑर्डनरी समझते हैं. यह 2-4 लोग मुम्बई घूमने के लिए निकल जाते हैं बाकी लोग एक जगह पर रहते हैं. यह लोग जाकर ताज होटल के सामने खड़े हो जाते हैं और गौर से उसे निहारते रहते हैं. वहीं इनके बगल में एक मुम्बइया खड़ा रहता है वह इन लोगों के ताज को निहारने के अंदाज से समझ जाता है कि यह लोग किसी गांव से आए हैं. वह उनके पास जाता है और बोलता है यह क्या कर रहे हो ? वे लोग बोलते हैं हम कुछ नहीं कर रहे हैं बस इस बिल्डिंग को देख रहे हैं. वह बोलता है इस बिल्डिंग को देखने के कितने पैसे लगते हैं ? 1-1 मंजिल को देखने का 100-100 रुपए लगता है. फिर वह पूछता है कि तुमने कितनी मंजिल तक देखा है. वे लोग एकदूसरे की ओर देखते हैं चूंकि वे अपने आपको एक्सट्रा ऑर्डनरी समझते थे तो वे मन में सोचते हैं कि हमने देखा तो 20 मंजिल तक है परन्तु इसे 10 मंजिल ही बता देते हैं और ऐसा सोचकर वे उसे कहते हैं कि हमने 10 मंजिल तक ही देखा है. वह बोलता है 100 रुपए मंजिल के हिसाब से 10 मंजिल का 1000 रुपए दो. 1000 रुपए वह मुम्बइया ले लेता है. इसके बाद जब वे लोग अपने कुनबे में वापिस जाते हैं तो इतनी वाहवाही करते हैं और कहते हैं कि हमको लगता था कि मुम्बई के लोग तो बहुत चालाक होते हैं लेकिन आज तो हमने उनको भी चकमा दे दिया. हमने देखी तो 20 मंजिल थीं परन्तु पैसा सिर्फ 10 मंजिल का ही दिया. (हँसी)

          उपाध्यक्ष महोदय--आप 2 मिनट में अपनी बात समाप्त करें.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--उपाध्यक्ष महोदय,ठीक है. मंत्री जी न छेड़ते तो मुझे किस्सा कहानी बताने की जरुरत कहां थी.

          उपाध्यक्ष महोदय--वे न कहते तो हम लोग इतनी बेहतरीन कहानी न सुन पाते.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--उपाध्यक्ष महोदय, मैं पेंशन के बारे में एक बात कहना चाहती हूँ. बिंदु क्रमांक 116 पर इसका उल्लेख है. यह बात अभिभाषण में लिखी हुई है यह मुझे बहुत पसंद आई कि एक क्लिक पर 116 करोड़ रुपए से अधिक पेंशन की राशि प्रतिमाह एक तारीख को भुगतान की जा रही है बहुत अच्‍छी बात है कि एक क्लिक में आप पेंशन उनके खातों  में डाल रहे हैं. 300 रुपए, 500 रुपए चाहे वह विधवा पेंशन हो, विकलांग पेंशन हो जितनी भी पेंशन होती हैं उनकी राशि 500 से ज्‍यादा नहीं होती है. इस राशि को लेने के लिए आप एक बार में एक क्लिक से पूरा पैसा खाते में डलवा रहे हो लेकिन आप देख लें कि कियोस्‍क के सामने इस 300 और 500 रुपए की पेंशन को लेने के लिए बुजुर्गों को, महिलाओं को कई-कई दिन तक लाईन में खड़ा रहना पड़ता है. मुझे अच्‍छे से याद है कि जिस समय मेरा वन विभाग का ध्‍यानाकर्षण लगा था मंत्री जी का तो जो जवाब आया वह तो आया ही लेकिन मुख्‍यमंत्री जी ने भी उस समय यह बात खड़े होकर कही थी कि जो बात हमारी विधायक कह रही हैं वह बिलकुल सही है कि छोटी-छोटी राशियों को लेने के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता है. उन्‍होंने इस बात का जिक्र भी किया था कि हम ऐसी व्‍यवस्‍था करेंगे कि छोटी रकम का नगद भुगतान कर दिया जाए. ऐसी व्‍यवस्‍था करने की उन्‍होंने इस सदन के अंदर बात कही थी लेकिन मुझे यह कहने में शर्म महसूस हो रही है कि उस बात पर आज दिनांक तक भी अमल नहीं हो पाया है. आपने एक क्लिक करके पैसा तो डाल दिया लेकिन पेंशनधारी ए.टी.एम. कार्ड लेकर तो घूम‍ते नहीं हैं, ए.टी.एम. से खरीदी तो करते नहीं हैं कि आपने उनके खातों में पैसा डाला नहीं और उन्‍होंने कार्ड का इस्‍तेमाल किया नहीं. मुझे नहीं लगता है कि इस सरकार को अपनी बात पर कायम रहना आता है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका इशारा समझ रही हूं मैं जाते-जाते एक बात जरूर कहूंगी कि प्रधानमंत्री आवास योजना का जिक्र इसके अंदर है. पिछली बार भी था और आगे भी होने वाला है लेकिन अभी हमारे जो भाईसाहब सदन से चले गए वह बड़ी अच्‍छी बात कह रहे थे. मैं हमारी भारतीय जनता पार्टी के जितने मंत्री और विधायक यहां पर बैठे हुए हैं निश्चित रूप से मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सभी के सम्‍मेलन करवाते हैं मैं चाहती हूं कि आप लोग एक सम्‍मेलन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिन लोगों को भी आवास मिला है उन हितग्राहियों का सम्‍मेलन एक बार आयोजित करवा लीजिए यह मेरा दावा है कि आप जब उन हितग्राहियों से बात करेंगे तो आपको पता चलेगा कि जिस व्‍यक्ति को म‍कान मिला है चाहे उसने रोजगार सहायक को पैसा दिया हो, सचिव को पैसा दिया हो इन सब लोगों को पैसा देने के बाद ही उस हि‍तग्राही को उस मकान का लाभ मिल रहा है. यह आप लोगों की प्रशासनिक क्षमता की परीक्षा है. आप लोग उनसे पता करवा लीजिए आपकी सरकार को यदि आपकी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता उसका एकमात्र कारण यह है कि आपके यहां जो प्रशासन की स्थिति है उसकी पकड़ नीचे मजबूत नहीं है जिस तरीके के लोग पैसे ले रहे हैं वह आप लोगों की सबसे बड़ी नाकामी है. आप जब उन हितग्राहियों के आयोजन करवाओ तो आप उन सभी हितग्राहियों से यह पूछ लेना कि निश्चित रूप से बिना पैसे लिए किसी को मकान नहीं मिला है. यह कोई साधारण बात नहीं है. एक अंतिम बात मैं कहना चाहती हूं कि कृषि यंत्रों को लेकर इसमें एक बात कही गई है. वह है कि सरकार ने कृषि यंत्रों एवं सिंचाई उपकरणों का अनुदान  वितरण ऑनलाईन कर दिया है यह बहुत अच्‍छी चीज मुझे अभिभाषण में लगी और यह होना भी चाहिए, लेकिन आज के दौर में वास्‍‍तविकता यह है कि जब भी बजट आता है, कृषि विभाग का बजट तो अलग से आता नहीं है मूल बजट में ही कृषि का बजट भी शामिल रहता है. आज यह बात मुझे कहने में जरा भी आश्‍चर्य नहीं हो रहा है कि कृषि  बजट  का इंतजार आज हमारे प्रदेश का किसान नहीं करता. कृषि बजट का इंत‍जार यदि कोई क‍रता है तो वह बीज सप्‍लाई करने वाले सप्‍लायर करते हैं, खाद सप्‍लाई करने वाले सप्‍लायर करते हैं, ट्रेक्‍टर सप्‍लाई करने वाले सप्‍लायर करते हैं, कृषि उपकरणों को सप्‍लाई करने वाले सप्‍लायर करते हैं और इसीलिए करते हैं कि उनको जितना फायदा उस अनुदान से मिल रहा है उतना तो शायद ही किसी और को मिल रहा होगा. एक मैग्‍जीन में मैंने पढ़ा था कि इन कं‍पनियों का मुनाफा पिछले कुछ वर्षों से इतनी तेजी में बढ़ा है कि जिसका अनुमान लगाना मुश्किल है और इस चीज का सबसे बड़ा उदाहरण मैं आपको बताती हूं कि हमारे यहां से सांसद हैं आदरणीय बोध सिंह भगत जी जो भारतीय जनता पार्टी से चुनकर गए हैं कई ऐसे सार्वजनिक कार्यक्रम हुए हैं जिसमें आदरणीय बोध सिंह भगत जी ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि मैंने सरकार के माध्‍यम से प्राप्‍त बीज अपने खेत में डाले लेकिन उपज ही नहीं हुई. मैंने सरकार से प्राप्‍त खाद का ही इस्‍तेमाल किया लेकिन मुझे उस खाद का कोई असर फसल पर दिखाई नहीं दिया. मैंने उन दवाओं का इस्‍तेमाल किया जो शासकीय दुकानों पर मिलती हैं लेकिन वे दवायें भी बेअसर रहीं. इन सभी बातों का उल्‍लेख सांसद बोध सिंह भगत जी ने सार्वजनिक कार्यक्रमों में, सार्वजनिक मंचों पर किया है. चूंकि ऐसे आयोजन शासकीय होते हैं तो वहां भार‍तीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों से जुड़े लोग एक साथ, एक ही मंच साझा करते हैं और सांसद महोदय द्वारा यह सब कुछ केवल हमारी उपस्थिति में नहीं अपितु प्रदेश के कृषि मंत्री आदरणीय गौरीशंकर बिसेन जी के सम्‍मुख कहा गया है. उन्‍होंने इतना खुला विरोध किया है. आप अनुमान लगा सकते हैं कि वे तो एक सांसद हैं, उन्‍हें अपनी बात रखने का अवसर कहीं न कहीं मिल ही जाता है और उन्‍होंने अपनी बात रखी भी है. लेकिन हमारे प्रदेश का किसान कहां जायेगा ? क्‍योंकि जो बीज सांसद जी ने अपने खेतों में इस्‍तेमाल किया है वही बीज हमारे किसान भी उपयोग में लाते हैं और उन किसानों के साथ भी ऐसी ही स्थितियां निर्मित होती हैं. हमारे प्रदेश का किसान कहां जाकर रोयेगा ? निश्चित रूप से यदि हमारा किसान रोयेगा तो कोलारस और मुंगावली के उप चुनावों के परिणाम जैसे ही, परिणाम आपको देखने को मिलेंगे. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात सदन में रखने का अवसर दिया, इसके लिए धन्‍यवाद.

(कुछ माननीय सदस्‍यों के सदन से बाहर जाने पर)

          नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, 14 सालों से जो लोग बोल रहे थे, वे सभी तो बाहर जा रहे हैं. शंकरलाल तिवारी जी हैं, ओपनिंग बैटस्‍मैन. वे नहीं बोल रहे हैं. हमारे मंदसौर वाले विधायक जी भी नहीं बोल रहे हैं, क्‍या बात है ? मंत्रिमंडल के विस्‍तार में इनका नंबर नहीं लगा तो ये सभी बहिष्‍कार कर रहे हैं.

          डॉ. रामकिशोर दोगनेइंतजार कर रहे हैं कि मंत्रिमंडल का एक और विस्‍तार हो जाये.

          श्री अजय सिंह-  बहादुर सिंह जी आप चलो.

          उपाध्‍यक्ष महोदयश्री बहादुर सिंह चौहान जी आशावादी हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं मननीय राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए अपनी बात सदन में रखना चाहता हूं कि मैं एक कृषक हूं. मुझे अपने भाषण की शुरूआत कृषि विभाग से करनी चाहिए थी परंतु मैं उसमें परिवर्तन करते हुए अपने भाषण को ''प्रधानमंत्री आवास योजना'' से प्रारंभ कर रहा हूं.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, हम गांव में रहते हैं और गरीबों के लिए पहले कभी आवास नहीं हुआ करते थे. प्रधानमंत्री आवास योजना, मध्‍यप्रदेश में बहुत ही सफल योजना है और प्रधानमंत्री जी द्वारा लागू की गई, यह योजना पूरे देश के लिए बहुत ही अच्‍छी है. माननीय राज्‍यपाल के अभिभाषण की कंडिका 45 में बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में अभी तक 7 लाख 56 हजार मकान स्‍वीकृत कर दिए गए हैं और सन् 2018 तक 5 लाख मकान और स्‍वीकृत करने का लक्ष्‍य रखा गया है. इसके अतिरिक्‍त सन् 2022 तक 10 लाख मकान और स्‍वीकृत कर दिए जायेंगे. इस प्रकार लगभग 25 लाख मकान पूरे प्रदेश में गरीबों के लिए बनकर तैयार हो जायेंगे. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, ये मकान किसी सक्षम व्‍यक्ति को नहीं मिल रहे हैं. ऐसा व्‍यक्ति जिसका दो मंजिला मकान बना हुआ हो, उसे नहीं मिल रहे हैं. ये मकान प्रदेश के ऐसे गरीब, दलित, शोषित, पीडि़त व्‍यक्तितों को मिल रहे हैं जो समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े हैं. प्रदेश की 378, चाहे नगर-निगम हो, चाहे नगर-पालिका हो या नगर-परिषद हो, इन 378 नगरीय निकायों में भी 5 लाख 11 हजार मकान स्‍वीकृत कर दिए गए हैं और तो और दिसंबर 2014 में जो लोग काबिज हैं, उनको प्रदेश की सरकार द्वारा 10 लाख पट्टे आवंटित कर दिए गए हैं और वहां मकान बन रहे हैं. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, देश के सभी राज्‍यों में से मध्‍यप्रदेश ही एक ऐसा राज्‍य है जहां हमारे वित्‍त मंत्री जी द्वारा राज्‍य की मद से 2 हजार 8 सौ करोड़ रुपये इसमें सम्मिलित किए गए हैं. जिससे ये मकान बन रहा हैं और आज हमारा राज्‍य इस क्षेत्र में अग्रणी है. (मेजों की थपथपाहट)

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत वर्ष 2003 में प्रत्‍येक विधान सभा की क्‍या स्थिति थी ? सड़क नहीं बनने के कारण गांवों की स्थिति बहुत ही खराब थी. मेरी विधान सभा में 244 गांव हैं. जिसमें मात्र 7 गांवों की सड़कें बनना बाकी हैं. ये सड़कें भी माननीय मंत्री जी से संपर्क करने से अब बन जायेंगी. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 3 हजार 803 किलोमीटर की सड़क इस वित्‍तीय वर्ष में बनाई गई है. इन सड़कों से मध्‍यप्रदेश के 1 हजार 447 गांव और बसाहटें जुड़ी हैं. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना फेस-II के अंदर 5 हजार किलोमीटर सड़कों को स्‍वीकृत किया गया है और साथ ही 189 पुलों को भी स्‍वीकृत किया गया है. इस प्रकार 3,447 करोड़ रूपये का प्रावधान इन सड़कों को बनाने के लिये इस राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण के कंडिका क्रमांक-44 में उल्‍लेखित है. उपाध्‍यक्ष महोदय, ऐसी छोटी-छोटी बसाहटें, जहां पर 200-300 लोग निवास करते हैं. जहां पर एक किलोमीटर, डेढ़ किलोमीटर और दो किलोमीटर जहां पर सड़कें नहीं थीं, उन्‍हें मुख्‍यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत 10 हजार किलोमीटर जो ग्रेवल रोड बनायी गयी थीं, उन सड़कों का 5 हजार मिलियन डॉलर लगाकर करीब-करीब  70 प्रतिशत सड़कों का डामरीकरण हो गया है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, मुख्‍यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत मेरे विधान सभा क्षेत्र में 37 सड़कें बनी हैं, उनमें से चार पैकेज में से तीन के टेण्‍डर हो गये हैं, तीनों के बन गये हैं और एक पैकेज का टेण्‍डर पुन: होना है तो वह भी बन जायेगी. अब 10 हजार किलोमीटर मुख्‍यमंत्री ग्राम सड़क योजना प्रत्‍येक विधान सभा में है, वह चाहे कांग्रेस के विधायक हों या भारतीय जनता पार्टी के हों, सभी के विधान सभा क्षेत्रों में बनायी जा रही है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, 2011 से 12 तक पंच परमेश्‍वर योजना में 12,699 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.जिसमें एमपीआरआरडीए विभाग के द्वारा 18 हजार किलोमीटर और नालियों का निर्माण पंच परमेश्‍वर योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायतों के द्वारा किया गया है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, जहां तक शिक्षा की बात है तो चूंकि जब हम लोगों ने 5 वीं कक्षा की पढ़ाई की तो हमारे गांव में स्‍कूल भवन नहीं हुआ करता था, हमने वृक्ष के नीचे बैठकर पढ़ाई की और आज कक्षा से एक से लेकर बारहवीं तक कितने विद्यालय बनें,उसका चित्रण करने का समय मेरे पास नहीं है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी के द्वारा मुख्‍यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना, यह प्रदेश के विद्यार्थियों के लिये एक बहुत ही महत्‍वपूर्ण योजना है और इसमें वह विद्यार्थी जो कक्षा 12 वीं में 70 प्रतिशत अंक लेकर आयेगा तो उसको उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त करने के लिये, चाहे उसको एमबीबीएम, पोलीटेक्निक या इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्‍त करना हो, उस व्‍यक्ति का पूरा खर्च मध्‍यप्रदेश की सरकार उठा रही है. आज गरीब व्‍यक्ति भी 12 वीं कक्षा पास करने के बाद उच्‍च शिक्षा आराम से प्राप्‍त कर सकता है. अभी तक इस योजना से 27,680 विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं और इसमें 55 करोड़, 5 लाख रूपये का भुगतान अभी तक कर दिया गया है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, विद्यार्थियों के लिये एक और महत्‍वपूर्ण योजना प्रारंभ की गयी है, वह है मुख्‍यमंत्री प्रतिभा प्रोत्‍साहन योजना, जो सामान्‍य वर्ग या पिछड़े वर्ग के विद्यार्थी जो 12 वीं कक्षा में 85 प्रतिशत मार्क्‍स लेकर आते हैं तो उनको 25 हजार रूपये लेपटॉप के लिये या 25 हजार रूपये उनके खाते में डाला जायेगा. ऐसे बंधु जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हैं यदि वह 75 प्रतिशत मार्क्‍स लायेंगे तो उनको भी 25 हजार रूपये लेपटॉप लेने के लिये उनके खाते में डाल दिये जायेंगे. इस योजना से प्रदेश के 18 हजार विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिये क्रमश: अम्‍बेडकर योजना, एकलव्‍य योजना लागू की गयी है. अम्‍बेडकर योजना के तहत विदिशा जिले के लटेरी में नि:शुल्‍क पोलीटेक्निक कॉलेज चलाया जा रहा है. खण्‍डवा जिले के हरसूद में भी इस योजना का लाभ मिल रहा है.

        उपाध्‍यक्ष महोदय, राष्‍ट्रीय उच्‍चतर शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश के 50 महाविद्यालयों को भवन बनाने के लिये इसमें राशि दी गयी है, उसका कार्य प्रगति पर है. माननीय उपाध्‍यक्ष जी, वह बम्‍बई के ऊर्जा विभाग के मंत्री की चर्चा चल रही थी. मैं उसमें ज्‍यादा नहीं पड़ना चाहता हूँ. सन् 2003 में मध्‍यप्रदेश में 6,027 मेगावाट बिजली थी और आज 18,043 मेगावाट बिजली है और बिजली महँगी है. मैं किसान हूँ. 1,400 रुपये प्रति हार्स पॉवर से बिजली दी जा रही है, इस प्रकार 5 एचपी की मोटर चलाने के लिए मात्र 7,000 रुपये लिये जा रहे हैं. 

 

4.46 बजे       [सभापति महोदय (श्री रामनिवास रावत) पीठासीन हुए.]

 

          सभापति महोदय, अब सरकार उस पर 32,000 रुपये दे रही है और किसान 7,000 रुपये दे रहा है और 7,000 रुपये वह भी दो किश्‍तों में, रबी की फसल में अलग और खरीफ की फसल में अलग. 3,500 रुपये एक बार दे  6 महीने में और 3,500 रुपये एक बार दे. मैं कृषक व्‍यक्ति हूँ. सन् 2003 में जनेरेटर और इंजन चलाते-चलाते कपड़े काले हो जाते थे, जब बहुत जोर लगाते थे तो कहीं से भी कुछ लाभ नहीं मिलता था. आज बिजली के मामले में किसानों को सिंचाई के लिए 10 घण्‍टे बिजली दी जा रही है और गांवों में कितने घण्‍टे बिजली दी जा रही है ? अगर मैं बोलूंगा तो आप खड़े हो जाएंगे. आप खुद ही सोच लेना कि कितने घण्‍टे बिजली मिल रही है ?

          सभापति महोदय, ऊर्जा विभाग द्वारा 9,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी मध्‍यप्रदेश के किसानों को अन्‍य-अन्‍य मदों में दी गई हैं. मैं माननीय राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण पर भाषण दे रहा हूँ लेकिन मैं ऊर्जा मंत्री जी को भी धन्‍यवाद देना चाहता हूँ कि मुख्‍यमंत्री स्‍थायी कृषि पम्‍प कनेक्‍शन योजना जो आज तक हिन्‍दुस्‍तान के जितने राज्‍य हैं, उसमें सबसे महत्‍वपूर्ण योजना हुई है. 27,500 रुपये में ऐसा कृषक जिसकी 2 हेक्‍टेयर से जमीन कम है, उस पर 2,500 रुपये खर्च करके, सरकार ट्रांसफॉर्मर लगा रही है. ऐसे किसान जो ओबीसी और सामान्‍य हैं, दो हेक्‍टेयर से जमीन कम हैं, उनसे 37,500 रुपये ले रही है एवं ऐसे किसान जिनकी 2 हेक्‍टेयर से अधिक जमीन हैं, उनसे 45,500 रुपये लेकर उनका ट्रांसफॉर्मर 25,000 रुपये का लगाया जा रहा है, जिसमें प्रत्‍येक किसान जो हैं, उस पर 2.5 लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं. पूरे मध्‍यप्रदेश में 5 लाख अस्‍थाई कनेक्‍श्‍ान हैं. यह अस्‍थाई कनेक्‍श्‍ान कब तक रहेंगे ? सरकार ने तय किया है कि जून, 2019 तक 5 लाख जो अस्‍थाई कनेक्‍शन हैं, उनको स्‍थाई में बदलने का लक्ष्‍य रखा है. यह किसानों के हित में ऐतिहासिक निर्णय है.

          सभापति महोदय - आप समाप्‍त करें. आप ऊर्जा विभाग की मांगों पर बोल लीजिएगा.

          श्री बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदय, लेकिन 35 लाख ऐसे उपभोक्‍ता हैं, जिनके घर में बिजली नहीं है. मैं दो बातें कर अपनी बात समाप्‍त करूँगा. सन् 2003 में रोड कहां थे ?  जब हम उज्‍जैन से आते थे और गाड़ी वहां पर रख देते थे और शाम को जो गाड़ी चलती थी, उसमें बैठ कर आते थे, अब रोड हो गया है. 2,142 किलोमीटर रोड, सन् 2016-2017 में नवीन सड़कें बना दी गई हैं और 3,263 किलोमीटर सड़कों का नवीनीकरण किया गया है. 3,778 किलोमीटर एन.एच. सड़कों को सैद्धान्तिक स्‍वीकृति दे दी गई है एवं यहां तक ही नहीं, जिला मार्ग जिसको हम एम.डी.आर. कहते हैं, सन् 2016-2017 एवं सन् 2017-2018 में जितने भी जिला मुख्‍यालय के रोड एमडीआर हैं, इस प्रकार 5,139 किलोमीटर की स्‍वीकृति दे दी गई है. जो हमारी तहसीलों के रोड सीधे जिला रोडों से, टू लेन से जुड़ जाएगा. यह ऐतिहासिक कार्य हुआ है.

          सभापति महोदय - आप कृपया समाप्‍त करें.

          श्री बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदय, मैं कृषि पर एक बात कहकर अपनी बात समाप्‍त करूँगा.

          सभापति महोदय - चौहान जी, आप जब कृषि विभाग की मांगें आएंगी, उस पर बोल लेना. आप तो विद्वान हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदय, 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा के द्वारा 1,660 करोड़ रुपये और भावांतर योजना में अक्‍टूबर, नवम्‍बर एवं दिसम्‍बर में 1,512 करोड़ रुपये किसानों को वितरित किये गये हैं. समय की कमी है. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, मैं अपनी बात को विराम देता हूँ. आपका बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय - धन्‍यवाद.      

           श्री कमलेश्‍वर पटेल (सिहावल) - माननीय सभापति महोदय, माननीय वित्‍तमंत्री महोदय बड़ी कारीगरी से बड़ा दिग्‍भ्रमित करने का काम लगातार सदन में कर रहे हैं. वह जब बजट पेश करते हैं और उसमें जब आंकड़े पेश करते हैं चाहे वह आप 2015-16 का बजट देखें या 2016-17 का बजट देखें, वह जो बजट पेश करते हैं और जो वास्‍तविक बजट होता है वह बिल्‍कुल कम हो जाता है. मैं समझता हूं कि उनके द्वारा इस सदन को गुमराह करने का काम लगातार चल रहा है और ऐसा नहीं होना चाहिए. आप चाहे 2015-16 का बजट देखें उसमें 1 लाख 31 हजार 199/- रूपये का बजट था और जो वास्‍तविक व्‍यय हुआ है वह 1 लाख 19 हजार 766/- रूपये का हुआ है. राज्‍यपाल के अभिभाषण में माननीय राज्‍यपाल महोदया से जो सरकार ने जो प्रवचन करवाया है, मैं समझता हॅूं कि यह पूरी तरह से असत्‍य का पुलिंदा है.

          डॉ. कैलाश जाटव - माननीय सभापति महोदय, माननीय राज्‍यपाल महोदया के बारे में यह प्रवचन शब्‍द बोल रहे हैं. यह प्रवचन शब्‍द का उपयोग कर रहे हैं, यह सही नहीं है. 

          श्री कमलेश्‍वर पटेल - प्रवचन तो बड़े-बड़े संत महात्‍मा करते हैं. मैंने प्रवचन ही तो बोला है. मैं कुवचन थोड़े ही बोल रहा हूं. मैं सुवचन ही बोल रहा हूं.

          श्री वेलसिंह भूरिया - माननीय सभापति महोदय, जो चांदी की चम्‍मच लेकर पैदा हुआ है उसको क्‍या मालूम होगा कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने और माननीय राज्‍यपाल महोदया ने गरीबों के लिये इतना ज्‍यादा बजट दिया है.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल - सुनो भाई आप बैठ जाओ मैं गरीबों की ही पीड़ा बता रहा हूं. माननीय राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण के पैरा क्रं-1 से 139 तक मैंने पूरा अध्‍ययन किया है और इसमें कहीं भी धरातल पर कोई भी योजना साकार नहीं है. यह पूरी तरह से असत्‍यता का प्रतीक है इसलिए मैंने इस तरह की बातें की है. मैं वर्ष 2017 की बात कर रहा हॅूं, जब भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े महान पुरूष पंडित दीनदयाल जनशताब्‍दी वर्ष मनाया गया था. सरकार ने वर्ष 2017 में गरीब कल्‍याण वर्ष मनाया था लेकिन आज गरीब किसान ही सबसे ज्‍यादा परेशान है. आज गरीबों का गरीबी रेखा में नाम नहीं जुड़ रहा है. विधवा, विकलांग, वृद्धा, पेंशन के लिये जगह-जगह भटक रहे हैं. गरीबी रेखा के लिये बार-बार शिविर लगाये जाते हैं. ग्राम उदय से भारत उदय अभियान चलाया जाता है पर कोई काम नहीं होता है सिर्फ गरीबों से आवेदन लिये जाते हैं.

          माननीय सभापति महोदय, एक तरफ नारा है सबका साथ सबका विकास. विकास हुआ होगा पर कुछ तथाकथित लोगों का विकास हुआ होगा. आज गरीब वहीं का वहीं हैं और जो योजनायें गरीबों के लिये संचालित थीं वह लगातार बंद होती जा रही हैं. इसी सरकार ने नियम बनाया है कि गरीबी रेखा में जिनका नाम नहीं होगा उनको विधवा,विकलांगता और वृद्धा पेंशन नहीं मिलेगी. मैं शुरूआत के बिंदु की ही चर्चा कर रहा हूं यह दो नंबर पर अंकित है. सरकार द्वारा वर्ष 2017 में गरीब कल्‍याण वर्ष मनाया गया है. अभी 2017 पूरे हुए सिर्फ दो माह हुये हैं और आज भी जगह-जगह लोग भटक रहे हैं. हमारे विधानसभा क्षेत्र में तो यह हालत है ही परंतु यही हालत पूरे प्रदेश में भी है. मैंने इसके साथ ही लगातार ध्‍यानाकर्षण, स्‍थगन प्रस्‍ताव और प्रश्‍न के माध्‍यम से सरकार को जगाने की कोशिश की है परंतु लगातार यह सरकार गुमराह करने की कोशिश कर रही है और जिस तरह का अभिभाषण माननीय राज्‍यपाल महोदया से यहां प्रस्‍तुत करवाया गया है वह असत्‍य का पुलिंदा है.

          माननीय सभापति महोदय, आज हमारे यहां फसल बीमा का किसी भी किसान को फायदा नहीं मिल रहा है इनके यहां फायदा मिला होगा.  भारतीय जनता पार्टी के विधायक लोगों के क्षेत्रों में फसल बीमा का लाभ किसानों को मिला हो तो मिला होगा. लेकिन मुझे कोई किसान ऐसा नहीं मिला जिसे फसल बीमा का फायदा मिला हो. बहुत ही जोश-खरोस के साथ पूरे प्रदेश की जनता को सीहोर में एकत्रित किया गया, जिसमें माननीय प्रधानमंत्री भी आये थे और उसका शुभारंभ हुआ था. आने-जाने में हजारों करोड़ रूपये खर्च हुये होंगे इससे कम खर्चा नहीं किया गया होगा परंतु उससे कुछ नहीं निकला. हो सकता है कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी के विधानसभा क्षेत्र में फायदा मिला हो. हो सकता है कि सीहोर जिले, विदिशा जिले में किसानों को फायदा मिला हो क्‍योंकि वहां से मुख्‍यमंत्री जी भी हैं और सुषमा स्‍वराज जी जो हमारी मंत्री हैं, सांसद हैं, हो सकता है लाभ मिला हो पर किसानों को लाभ नहीं मिला. माननीय सभापति महोदय, भावांतर योजना की क्‍या स्थिति है? भावांतर योजना ने पूरी तरह से किसानों को भंवर जाल में डालकर रख दिया.आज भी हमारे यहां किसान जो धान बेचे थे सोसायटियों में दो महीने से उनका भुगतान नहीं हुआ, किसी के यहां शादी होना है, वे हमारे साथी जो बात कर रहे थे न वह गरीब और किसान की ही बात कर रहे थे. दो महीनों से भटक रहे हैं अपनी धान बेची है, सोसायटियों में उसका भुगतान नहीं हो रहा है, फिर यह गरीब कल्‍याण वर्ष कहां है? किस तरह का गरीब कल्‍याण वर्ष मनाया जा रहा है? यह समझ से परे हैं. आज सीधी जिला सूखा प्रभावित घोषित है, इसी तरह से पूरे मध्‍यप्रदेश में कई तहसीलें घोषित हैं, पर सूखा का जो प्रावधान है उसका कहीं भी पालन नहीं किया गया है, न राहत कार्य शुरू किए गए हैं, न ही मनरेगा की मजदूरी तक का भुगतान नहीं हो रहा है. मनरेगा के अधिनियम में भी पलीता लगाने की काम हुआ है. इसी तरह राहत राशि अभी तक नहीं बांटी गई हैं, जो सर्वे हुआ है उसमें कई गांव छोड़ दिए गए हैं, जबकि वह तहसील सूखा प्रभावित घोषित है. हमारे विधान सभा क्षेत्र में भी एक भूतपुरा पंचायत है, ऐसे कई गांवों को छोड़ दिया गया है. जबकि पूरी तहसील सूखा प्रभावित है. क्‍योंकि तहसीलदार ने पैसे की मांग की थी सरपंच से, इस तरह का काम नहीं होना चाहिए. इससे कहीं न कहीं किसान और गरीब परेशान हो रहा है. दूसरी तरफ हमारे जो माननीय मंत्री जी अभी उठे थे, हमारी बहन हिना जी जब बात कर रही थीं तब बड़े तेजी से उठे थे, माननीय मंत्री जी इनका आंकलन कर लीजिएगा. आप लोग कुड़की का आदेश जारी कर रहे हैं. आपने उपयंत्रियों को जो तहसीलदार का अधिकार दे दिया है उसका दुरूपयोग आपके इशारे पर हो रहा है या वे स्‍वयं कर रहे हैं. सरकार को उस पर ध्‍यान देने की जरूरत है. माननीय सभापति महोदय, जो गरीब, जो गरीबी रेखा में है उनका बिजली का बिल अगर भुगतान नहीं हुआ है तो कुड़की के आदेश हो रहे हैं और एक तरफ उद्योगपति जो करोड़ों रूपए का सरकार को धोखा देकर चले जाते हैं, उन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है, उनकी कुड़की नहीं होती. अगर किसान पचास हजार या एक लाख का कर्जा लिया है और उसने भुगतान नहीं किया है तो बैंक उसकी कुड़की करता है. अगर गरीब किसान बिजली का बिल भुगतान नहीं करता है तो उसे जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया जाता है और जब तक वह भुगतान नहीं करता है तब तक उसकी जमानत नहीं होती. इसको माननीय मंत्री जी को संज्ञान में लेना चाहिए.

          माननीय सभापति महोदय, एक तरफ आपने गरीब कल्‍याण वर्ष मनाया इसके लिए आपको बधाई, लेकिन ऐसे महान पुरूष का फोटो आपने बिल में लगा दिया जो गरीबों के यहां पर जाता है, जिनके नाम पर आप लोग गाना गाते हैं, ऐसे पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी की फोटो बिजली बिल में लगी हैं, क्‍यों ऐसे महान पुरूष को बदनाम करते हो, जिसके नाम की आप लोग इतनी स्‍तुतिगान करते हो, उनकी कम से कम ऐसी जगह तो फोटो नहीं लगाओ जो गरीबों के यहां इस तरह से बिल भेजते हो आप लोग. 25 हजार, 26 हजार, 35 हजार इस तरह के बिल हैं गरीबों के. एक बार समाधान योजना में अगर गरीबों ने बिजली का बिल जमा भी कर दिया है तो फिर जुड़कर बिल आ जाता है जब अधिकारियों से बात की तो बोले तीन महीने इनको लगातार जमा करना था, तीन महीने अगर ये लगातार जमा करते तो नहीं आता, तो जमा करवाते समय बताते, तब नहीं बताया था. इस तरह लगातार ट्रांसफार्मर जले हैं, गांव के गांव में खंभे टूटे हुए हैं. इसके  लिए समय नहीं है बिजली विभाग के पास. हम समझते हैं कि सरकार जिस तरह से घाटे में चल रही है वह किसान और गरीब के पैसे से सरकार प्रदेश चलाना चाहती है, यह उचित नहीं है. इस पर सरकार को चिन्‍तन, मनन करना चाहिए. किसानों की आय दोगुनी करनी की तो सरकार बात करती है, पर सबसे ज्‍यादा पीड़ा अगर कोई पहुंचा रहा है तो यह सरकार गरीबों को और किसानों को पहुंचा रही है और दूसरी तरफ गरीब कल्‍याण वर्ष मनाया जा रहा है सरकार का यह दोहरा चेहरा समझ नहीं आ रहा है.

            सभापति महोदय, एक तरफ पूरे देश में शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य में सबसे ज्‍यादा बजट का प्रावधान है, लेकिन मध्‍यप्रदेश में शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य में सबसे कम बजट का प्रावधान लगातार किया जा रहा है. किसी प्रदेश के लोग अगर शिक्षित नहीं होंगे, स्‍वस्‍थ नहीं होंगे तो वह प्रदेश कैसे तरक्‍की करेगा. एक तरफ भाषण में मंत्री जी और मुख्‍यमंत्री जी अपने आपको बहुत अग्रणी राज्‍य बताते हैं. दूसरी तरफ अगर हम शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य में ही ध्‍यान नहीं देंगे तो इस पर भी सरकार को विचार करना चाहिए.

          सभापति महोदय, स्थिति यह है कि आज स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, शिक्षकों की भर्ती यह सरकार नहीं कर रही है जो शिक्षाकर्मियों को अभी नियमित करने की मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है उसका क्या प्रारूप होगा ? कैसे करेंगे ? उसका क्लीयर कंसेप्ट नहीं है. कोई भी जबाव नहीं दे रहा है. अगर शिक्षा की व्यवस्था ठीक नहीं होगी तो प्रदेश के नो-जवान और आगे आने वाली पीढ़ी है उसकी स्थिति बहुत खराब होगा. आज गांव की तरफ देखें तो पायेंगे कि शासकीय स्कूलों में उतनी छात्र संख्या नहीं है जितनी गांव गांव में प्रायवेट स्कूलों में छात्र संख्या है, यह सरकार के लिये गंभीर  चिंता का विषय है. हम समझते हैं कि सरकार को इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिये.

          सभापति महोदय, इसी तरह स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रदेश में भारी अभाव है. जो उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं वहां पर डॉक्टर नहीं हैं, जिला चिकित्सालय में डॉक्टर नहीं है, अन्य कोई स्वास्थ्य सुविधा की व्यवस्था नहीं है. मरीज जब स्वास्थ्य केन्द्रों में जाता है तो मरीज को जिला मुख्यालय में रेफर कर देते हैं, जिला मुख्यालय वाले संभागीय मुख्यालय में रेफर कर देते हैं मरीज की और परिजन की यह स्थिति होती है कि संभागीय मुख्यालय से कोई बनारस लेकर के जाता है, कोई इलाहाबाद जाता है तो कोई नागपुर लेकर के जाता है. इसलिये सरकार से अनुरोध है कि सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिये. सरकार को इसके लिये और ज्यादा बजट में प्रावधान करने की आवश्यकता है और बजट का दुरूपयोग नहीं हो यह भी सरकार को देखना पड़ेगा.

          सभापति महोदय, हमारे जिले में एक रोजगार कार्यालय संचालित था, उसको बंद कर दिया गया है. एक तरफ सरकार रोजगार के अवसर भी उपलब्ध नहीं करवा पा रही है, शिक्षित बेरोजगार भटक रहे हैं , अगर कहीं उनका ऋण जिला उद्योग केन्द्र से स्वीकृत हो गया तो बैंक वाले उसको ऋण देने के लिये तैयार नहीं होते हैं, ऐसे कई उदाहरण है जो हम लोगों के सामने आते हैं और हम लोग अधिकारियों को सिफारिश करते हैं उसके बाद भी उनके प्रकरण का निराकरण नहीं होता. दूसरी तरफ सरकार के द्वारा राज्यपाल महोदय के अभिभाषण को काफी बढ़ा चढ़ा के पेश किया है कि हमने उद्यमियों के लिये, नो-जवानों के लिये, शिक्षित बेरोजगारों के लिये यह स्कीम बनाई है, पर स्थिति यह है कि सरकार की किसी भी योजना का लाभ नो जवानों को नहीं मिल पा रहा है. प्रधानमंत्री पद पर बैठे और बड़े बड़े संवैधानिक पदों पर बैठे लोग पकोड़ा बेचने को हुनर की बात कहते हैं, हम समझते हैं कि यह बहुत गंभीर चिंता का विषय है. अगर नो जवान ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, डॉक्टरी की पढ़ाई की है, एमबीए की शिक्षा ली है, उच्च शिक्षित है तो सरकार को उसके लिये रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना चाहिये. सभी विभागों में कर्मचारियों की भारी कमी है लेकिन यह सरकार भर्ती नहीं कर रही है, आउटसोर्सिंग पर काम चल रहा है और हमे तो यह लगता है कि यह सरकार भी आउटसोर्सिंग पर ही आ गई है.

          सभापति महोदय- कृपया दो मिनट में अपनी बात को समाप्त करेंगे.

          श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय सभापति महोदय, आपके आदेश का पालन होगा. उच्च शिक्षा के बारे में कहना चाहूंगा कि यहां पर कई सदस्य स्कॉलरशिप की बात कर रहे थे. हमारे पास में एक डेलीगेशन मिलने आया था इसी सरकार ने उच्च शिक्षा में अध्ययनरत जो ओ.बी.सी. वर्ग के छात्र हैं उनकी छात्रवृत्ति रूपये 25 हजार से घटाकर के रूपये 1 हजार कर दी गई है. बीच शैक्षणिक सत्र मे सरकार के द्वारा ऐसा करने से उस वर्ग के लोग अधर में लटक गये हैं. इस पर सरकार को और वित्त मंत्री जी को संज्ञान में लेना चाहिये कि यह किसकी गलती से इस तरह की अव्यवस्था हुई है . अगर ओ.बी.सी. वर्ग के छात्रों के लिये छात्रवृत्ति का प्रावधान था तो किसके इशारे पर इसको बंद किया गया है. इस पर सरकार को गंभीरता दिखाते हुये संज्ञान लेना चाहिये.

          सभापति महोदय, उज्जवला योजना का बड़ा गुणगान किया गया है. उज्जवला योजना के तहत गैस के कनेक्शन तो बहुत सारे बांटे गये हैं, फ्री में नहीं बांटे गये हैं, 200 रूपये किश्त भी है. 1600 रूपये जमा भी करवाये परंतु जो गैस सिलेन्डर 300 रूपये या 350 रूपये में मिलती थी वह 800 रूपये में मिल रहा है और गरीब के घर ले जाते हुये 900 और 1000 रूपये का पड़ रहा है. यह कहां से गैस का सिलेन्डर भरायेंगे, आपने दे तो दिया उनके ऊपर कर्ज अलग से बढ़ गया और वह गैस सिलेन्डर या तो घर के कौने में पड़ा हुआ है या किसी व्यापारी के यहां गिरवी रख दिया है.तो इस व्यवस्था पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिये कि अगर गैस बांटे हैं चाहते हैं कि बहने खुशहाल हों, बीमारी से बचें तो उनके लिये यह गैस सिलेन्डर का रेट इतना बढ़ गया है इस पर भी ध्यान देना चाहिये सिर्फ व्यापारियों को फायदा पहुंचाने वाला काम नहीं होना चाहिये.

          सभापति महोदय, हमारे जिले की ज्यादातर नल जल योजनायें बंद हैं, पेयजल का हमारे यहां भारी संकट है, सूखा प्रभावित जिला है. माननीय वित्त मंत्री जी से निवेदन है कि आपने बजट में प्रावधान तो लगातार किया है पर मौके पर काम नहीं हो रहा है नल जल योजनायें जो बंद पड़ी हैं उनको तत्काल चालू करवाई जायें और भी जो रिसोर्सेस हो सकते हैं क्योंकि सभी नदी नाले सूख गये हैं. पानी का संकट बहुत भयावह है तो आपके माध्यम से यह भी निवेदन है. एक निवेदन यह भी है कि हमारे सिंगरौली जिले की देवसर तहसील है, पूरा जिला सूखा प्रभावित है. विधान सभा में पहले भी उठाया था, अभी भी बहुत खराब स्थि‍ति है. पीने के पानी का संकट भी खड़ा हुआ है, पर अधिकारियों ने गलत जानकारी दे दी है और वहां के सूखे का प्रावधान नहीं किया है, आपके माध्‍यम से माननीय वित्‍त मंत्री जी से निवेदन है.

          सभापति महोदय--  कृपया समाप्‍त करें, ओमप्रकाश सखलेचा जी.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल--  सभापति महोदय, कुछ बातें बहुत जरूरी थीं.

          सभापति महोदय--  अब अनुदान मांगे आयेंगी तब आप चर्चा करना.

          श्री कलेश्‍वर पटेल--  पता नहीं उस समय होंगे की नहीं होंगे. एक और बड़ा महत्‍वपूर्ण मेटर था, सिर्फ एक मिनट चाहिये.

          डॉ. कैलाश जाटव--  सभापति महोदय, इन्‍हें अभी से डाउट है कि होंगे कि नहीं होंगे.

          सभापति महोदय--  नहीं, नहीं कोई डाउट नहीं है, पूरी तरह सुरक्षित हैं.

          श्री कलेश्‍वर पटेल--  पार्टी संगठन के कुछ कामकाज की वजह से हो सकता है बाहर जाना पड़े, इसलिये सभापति महोदय से इजाजत ले रहे हैं.

          सभापति महोदय--  थोड़ा जल्‍दी करें.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल--  माननीय सभापति महोदय, प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्‍यमंत्री आवास योजना तो बंद हो गई, ऐसी कई योजनायें हैं जिन्‍हें सरकार शुरू करती है फिर बंद कर देती है, यह कोई नई बात नहीं है. ऐसे ही सुदुर अंचल ग्रामीण पहुंच मार्ग था वह बंद कर दिया और कई जगह आधी-अधूरी राशि भी लग गई है वह पैसा सरकार का खराब हो गया, उसको भी पूरा कराने का प्रावधान होना चाहिये. इंदिरा आवास योजना की द्वितीय किश्‍त अभी भी जारी नहीं हुई है, बहुत सारे लोग भटक रहे हैं, उसका भी प्रावधान वित्‍त मंत्री जी करें कि वह जल्‍दी से और प्रधानमंत्री आवास में भी यही हालात बने और यही हालात स्‍वच्‍छता मिशन के तहत जो शौचालय बने हैं, लोग भटक रहे हैं, हितग्राही लोग हम लोगों के कहने पर बना तो लिये वह किसी काम के भी नहीं है, जिन लोगों ने अपने-आप बनाये हैं वह काम के हैं पर उनका भुगतान नहीं हो रहा है, इस पर भी आपको मंथन करना चाहिये. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद)--  माननीय सभापति महोदय, मैं राज्‍यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता प्रकट करने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं काफी देर से कई वक्‍ताओं के भाषण भी सुन रहा था. कुछ बातें सभी एक दूसरे के विरोध में कर रहे थे. कांग्रेस पक्ष के कुछ नेता बोल रहे हैं कि बजट में पैसे की कमी है, कुछ बोल रहे हैं अति है, कुछ बोल रहे हैं क्‍या है. मैं थोड़ा सा देख रहा था 30 हजार करोड़ से लेकर 2 लाख करोड़ तक की तरक्‍की, वर्ष 2003 के बजट का टोटल आंकड़ा और आज का आंकड़ा, इसमें जो परिवर्तन आया और यह जो पैसा बढ़ा इसी कारण दुनियाभर की जनकल्‍याणकारी योजनायें चालू हो पाई हैं, यह केवल एक ही योजना नहीं है, एक ही विषय नहीं है, कई विषयों पर भारत में पूरे भारत ही नहीं दुनिया में मध्‍यप्रदेश की योजनाओं की तारीफ हुई है. आप किसी एक योजना की बात कर रहे हैं, एक विषय की बात कर रहे हैं. अभी कोई बात कर रहा है कि इंदिरा आवास या कुटीर, कुटीर 10 हजार से लेकर 50 हजार रूपये तक की देते थे. आज साढ़े तीन लाख रूपये का आवास मिल रहा है. ढाई लाख रूपये का शहरी आवास मिल रहा है और उसमें भी श्रमिक कार्ड का इंट्रेस्‍ट जोड़ लें तो साढ़े तीन लाख रूपये का एक आवास एक गरीब के लिये सरकार ने चिंता की. किसी जमाने में केवल सढ़ा हुआ गेंहू देकर चुप कराने के लिये उस बीपीएल कार्ड की लाइन की बात करते थे. आज की सरकार यह बात करती है कि हर व्‍यक्ति जिसका भारत में और मध्‍यप्रदेश में जन्‍म हुआ है उसके पास जमीन भी होगी, मकान भी होगा और आवास के साथ-साथ उसके खाने, स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा की भी चिंता होगी. कई लोग कमेंट कर रहे थे कि डॉक्‍टर की कमी है. कितने साल शासन किया, कितने मेडिकल कॉलेज खोले जरा आंकड़ा तो देखो. किस व्‍यवस्‍था में आपने स्थिति छोड़ी थी अगर अभी यह 7 कॉलेज और खोलकर सीटों की संख्‍या डबल नहीं करते तो क्‍या हालत होती. हमारे उज्‍जैन के सम्‍मानीय विधायक जी पानी की पेयजल की बात कर रहे थे. वास्‍तव में अगर वर्ष 1980 में नर्मदा के पानी का बंटवारा हुआ, 25 साल तक हर व्‍यक्ति ने जो भी शासन में रहा कितना बड़ा क्राइम हुआ कि पूरे मध्‍यप्रदेश का किसान पानी के लिये तरसता रहा और हमारे हिस्‍से का पानी समेट नहीं पाये सिर्फ यह कह कहकर कि हम व्‍यवस्‍था नहीं कर पाये, क्‍या व्‍यवस्‍था में आपने सारे फंड डायवर्ट कर रखे थे. स्थिति का आंकलन आरोप और प्रत्‍यारोप करना बड़ा आसान है.

          मैं बात कर रहा था कि चाहे पेयजल की बात हो. 1980 में बंटवारा हुआ आपने 25 साल में उस पानी के उपयोग का क्या किया ? सिंचित रकबा 7 लाख से बढ़ाकर आज हमने 40 लाख हैक्टेयर जमीन पर सिंचित रकबा कर दिया उसमें भी आपको शिकायत है. आप लोग स्पष्ट कहो कि क्या शिकायत है ?  गैस की टंकी की उपलब्धता की बात कर रहे थे जब जब कांग्रेस की सरकार देश में रही गैस की कमी और गैस की टंकी को ब्लैक में बेचने का काम किया. कभी भी ऐसा मुझे याद नहीं है कि कांग्रेस की सरकार में बिना ब्लैक के गैस की टंकी मिली हो. हमने जो भी पैसा लिया था वह पैसा सरकार के खाते में आया तो उसका गरीब को लाभ मिला. एक गांव में फारेस्ट वालों के साथ मैं बैठा था तो उन्होंने बताया कि एक गैस की टंकी का मतलब 10 पेड़ साल में कम कटना. देश में 5 करोड़ टंकियां बंटी उसके कारण हर साल 50 करोड़ पेड़ कटने से हर साल बच गये. यह बात समझ में नहीं आयेगी कि 50 करोड़ पेड़ न कटने के का क्या अर्थ है ? 50 करोड़ पेड़ 10 साल तक बड़ा करने में कितना पैसा और श्रम लगेगा सिर्फ एक दिमाग की योजना प्रधानमंत्री जी ने सोची कि मैं देश की हर गरीब महिला के स्वस्थ जीवन की कामना के लिये गैस की टंकी अनिवार्य है. आप लोग क्या बात करते हैं शिक्षा और दीक्षा की ? अगर 31 लाख गैस कनेक्शन उज्ज्वला योजना में मिले तो उसका फायदा पूरे प्रदेश को उतने पेड़ काटने से बचने का तथा उतनी आक्सीजन की उपलब्धता यह दूरदृष्टि कितनी लंबी है. यह आप लोगों के समझ की बाहर की बात है.

          सभापति महोदय, आप लोग बात कर रहे थे पेंशन की पेंशन को ऑनलाईन करने में पहली बार पूरे भारत में व्यवस्था की. केश बांट दो ताकि बीच में दलालों की जेब में पैसे पड़े रहें.

          श्री कमलेश्वर पटेल--सभापति महोदय, उनके अंगूठे नहीं लग रहे हैं बुजुर्ग लोग रोज जाते हैं और वापस आ जाते हैं. उनके अंगूठे मेच नहीं कर रहे हैं.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा--जिन्दगी भर अंगूठे लगवाकर शिक्षा के काम करवाते रहो और अनपढ़ लोग पैदा करते रहो, जिसके कारण मध्यप्रदेश की सबसे ज्यादा दुर्गति हो रही है. जहां तक नीतिगत बात आ रही है.

          श्री कमलेश्वर पटेल--आप लोग पकौड़े बिकवाओगे. (व्यवधान)

          श्री बहादुर सिंह चौहान--कांग्रेस ने गरीबों से अंगूठा लगवाकर शासन किया है. (व्यवधान)

          सभापति महोदय--सखलेचा जी जो माननीय कमलेश्वर पटेल जी ने कहा कि उसका आशय अंगूठा टेक से नहीं है उसका आशय है कि जो क्योस्क बैंक हैं वह अंगूठे से संचालित होती हैं वह ओपन नहीं हो पा रही हैं उस बारे में शिकायते प्रदेश में आ रही हैं, जिसके कारण कई लोग पेंशन लेने से वंचित हो रहे हैं.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा--सभापति महोदय, उसका उत्तर भी सरकार ने ढूंढा है. कोई भी नयी योजना शुरू होती है. कुछ दिनों तक उसमें करक्शन करने में समय लगता है. उसमें आंखों की फिल्म को लेकर उससे खोलने के प्रयास की योजना चालू कर दी गई है. मेक्सिमम तीन से चार महीने में लागू हो जाएगी.

          कमलेश्वर पटेल--अभी चुनाव आयेगा तो उस समय नकद पैसे बंटवाएंगे अभी शहडोल उप चुनाव के दौरान नकद पैसे बंटवाये थे.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा--सभापति महोदय, मैं बात कर रहा था शिक्षा की. पूरे मध्यप्रदेश में मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूं कि जावद विधान सभा के सभी सरकारी हायर सेकेड्री एवं हाईस्कूल डिजीट्लाईज्ड हो गये हैं उसको देखकर पूरे देश में उसी चीज की लाईन पर काम हो रहा है. यह वह बात है कि शिक्षा को जमीनी स्तर पर कैसे सुधारा जाये. जावद तहसील के विधान सभा के 40 के 40 स्कूल डिजीट्लाईज्ड हो गये वहां पर आदिवासी बच्चों को भी उसी स्तर की शिक्षा मिलने लग गई जिस स्तर की दिल्ली एवं मुम्बई में है. यह स्तर को सुधारने का काम नहीं है तो क्या है. 50 साल में जो स्थिति बिगाड़ी थी उसको सुधारने में समय लगा और यह लोग 15 साल की बात कर रहे हैं. यह निजी स्कूल और निजी कालेज की बात नहीं हो रही है. यह सरकारी स्कूलों के हायर सेकेण्डरी स्कूलों की बात हो रही है ना की प्रायवेट स्कूलों की. वहां के सभी बच्चे,लगभग दस हजार बच्चे बैठे थे, जब प्रकाश जावड़ेकर जी ने आकर उस योजना को शुरू किया और उस योजना को पूरे भारत में लागू करने का, हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा कि अगले 5 वर्षों में हर सरकारी स्कूल से ब्लैक बोर्ड हटा दिया जायेगा. यह इनकी कल्पना के बाहर की बातें हैं. इनको तो हर चीज में निजी व्यवस्था की बात करना है. अभी बात आ रही थी किसान औॅर गरीब के फायदे की,  डीजल और पेट्रोल पर प्रदेश ने वैट टैक्स कम किया. अभी कोई बात कह रहा था कि राजस्थान से यहां दो रुपये डीजल महंगा था. मेरा पूरा क्षेत्र राजस्थान से लगा हुआ है.पहले हमारे यहां के लोग डीजल राजस्थान से लाते थे. अब हम दो

5.16 बजे             उपाध्यक्ष महोदय( डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.

रुपये सस्ते हैं क्योंकि प्रदेश सरकार ने वैट कम किया. डीजल और पेट्रोल सस्ते होने का अर्थ यह होता है कि हर चीज की कीमत पर उसका असर पड़ना. मध्यप्रदेश ने  डेढ़ रुपये अतिरिक्त कर भी माफ किया जिससे राजस्थान से दो रुपये डीजल हमारा सस्ता हुआ और आज राजस्थान के लोग मध्यप्रदेश से डीजल भरवाते हैं. सम्पत्ति का पंजीयन कम्प्यूटराईज्ड करने से जितनी धोखाधड़ी होती थी उसमें कमियों की बात किसने की. भावांतर पर चर्चा हो रही थी. मैं बड़ी गंभीरता से सुन रहा था. पूरे भारत में पहली बार किसी ने सोचा और सोचकर उसे लागू किया और सफलता से किसानों को फायदा पहुंचाया. उसमें भी लोग यह बोलें कि बजट में इतना प्रोवीजन कम हो गया,ज्यादा हो गया. क्या किसी को सपना आ रहा है कि भावांतर में कितना भाव कम होगा और ज्यादा होगा ? यह तो डिमाण्ड और सप्लाई की बात है. किसानों की चिंता करना यह सबसे महत्वपूर्ण विषय है. किसान की गाड़ी मेहनत का,उसके पसीने की एक-एक बूंद का लाभ उस तक पहुंचाने का सरकार ने प्रयास किया. तकलीफ लोगों को यह है कि बड़े सेठों को उसमें फायदा नहीं हुआ. किसान को सीधा पैसा मिल गया. उन्हें चाहिये था कि कैश की व्यवस्था करते तो उसमें भी कुछ सेटलमेंट करने की कोशिश करते. विषय है फसल बीमा का, इस विषय पर भी मैं ध्यान से बातें सुन रहा था. पहली बार पैसा तो मिला. 80 प्रतिशत पैसा मिला है आपके आकलन में. मैं वह आंकड़े लेकर नहीं आया कि कितना पैसा आया लेकिन पहले तो  पचासों साल तक वह पूरे का पूरा पैसा गायब होता था.

          उपाध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.

          श्री सुदर्शन गुप्ता -  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबेरे प्रतिपक्ष के नेता आपत्ति ले रहे थे कि कोई नहीं बैठा है अब आप देखें कि सब गायब हो गये हैं. कितना महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा चल रही है और पूरा प्रतिपक्ष गायब है.

          श्री सुखेन्द्र सिंह  - (XXX)

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा – (XXX) एक-एक वाक्य जो मैंने बोला उसके लिये मैं जिम्मेदार हूं. मैं कोई कागजों पर नहीं व्यवहारिक और वास्तविक स्थिति का आकलन कर रहा हूं.

          उपाध्यक्ष महोदय -  इसको निकाल दें.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा - जितने पुरानी समस्याएं थीं उसको एक-एक करके सुधारने में जितना समय लगा. क्या आप इस बात से इंकार करते हैं कि नर्मदा के पानी का 1980 में बंटवारा नहीं हुआ. क्या किसानों को  25 साल पानी की जरूरत नहीं थी.

          श्री सुखेन्द्र सिंह  - और भी क्षेत्र हैं सिर्फ नर्मदा..नर्मदा.

श्री ओमप्रकाश सखलेचा - क्या शिक्षा में जरूरत नहीं थी. क्या यह डिजिटलाईजेशन 20 साल पहले नहीं हो सकता था. प्रायवेट इंस्टीट्यूशंस खोलना  सिर्फ आपकी पालिसी थी. कैसे सिर्फ प्रायवेट शिक्षा का का काम करो और गरीब बच्चा मरे. पहले किसने सोचा कि गरीब बच्चे के बारहवीं में 70 प्रतिशत नंबर आयेंगे तो उसकी आगे की पढ़ाई का खर्चा करेंगे. अरे बजट की केपेसिटी ही नहीं थी कि किसी के भले की सोच सकते. सिवाय अपने परिवारों के पशुपालन में भी किसी को आपत्ति थी. मैं सुन रहा था. आज पूरे भारत में दूसरे नम्बर पर प्रदेश का दुग्ध का उत्पादन आ गया है, यह कैसे आ गया? यह तो आंकड़ा है. आपने तो बच्चों को दूध पीने लायक नहीं छोड़ा था.

श्री सुखेन्द्र सिंह - फिर कुपोषण में क्यों एक नम्बर है मध्यप्रदेश?

श्री ओमप्रकाश सखलेचा- आज मध्यप्रदेश में इतना सरप्लस दूध है.

उपाध्यक्ष महोदय - आप दो मिनट में समाप्त करें.

श्री ओमप्रकाश सखलेचा- उपाध्यक्ष महोदय, मुझे कहा गया था कि आज बीच में टीका-टिप्पणी नहीं करेंगे. आपको बोलने दिया जाएगा. अगर चाहें तो मैं बैठ जाता हूं. जैसे आपकी आज्ञा हो. मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा. उपाध्यक्ष महोदय, ट्रांसमिशन की हानियों में बिजली में प्रोडक्शन के साथ-साथ ट्रांसमिशन लॉस भी आज भारत में सबसे कम स्तर पर आने की स्थिति में आ रहे हैं. केवल 2.7 प्रतिशत ट्रांसमिशन लॉस है क्योंकि लाइन सुदृढ़ की. अब ट्रांसमिशन लॉस के नाम पर पॉवर की चोरी नहीं होती है. पॉवर गायब नहीं होता है. अगर मैं वितरण की बात करूं तो वितरण में भी हर वर्ष  2 से 3 प्रतिशत लॉसेस कम हो रहा है. ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्युशन लॉसेस को और कम करने का हर संभव प्रयास किया गया है. यह जो बिजली बेची जा रही है. मुझे वह दिन भी याद है कि वर्ष 2004 में इसी मध्यप्रदेश की विधान सभा में, जब सबसे पहले बिजली की चर्चा पर मेरा भाषण हुआ था, तब कहीं सरकारी आंकड़ा था कि मध्यप्रदेश में बिजली की जरूरत में 0.6 प्रतिशत से सालाना दर में वृद्धि होगी. ऐसे विधान सभा को गुमराह किया जाता था. तब मैंने कहा था, मुझे याद है कि 8 प्रतिशत की राष्ट्रीय खपत बढ़ने का रेशो है और प्रदेश अभी डिवेल्पिंग स्टेज पर है तो उसकी तो 10 प्रतिशत, 11 प्रतिशत से ज्यादा की जरूरत होगी, तब जाकर वापस चर्चा हुई थी. आप चाहें तो वर्ष 2003-04 का रिकॉर्ड खुलवाकर सरकारी आंकड़ा देख लें. कैसे ब्यूरोक्रेसी द्वारा गुमराह किया जाता था? सरकार में उसका कोई अध्ययन भी नहीं करता था. क्या सोलर पंप आज की जरूरत का विषय नहीं है. 80 से 90 प्रतिशत तक का अनुदान सोलर पंप पर देकर किसानों की क्षमता में वृद्धि हो रही है.

उपाध्यक्ष महोदय - अब आप समाप्त करें.

श्री ओमप्रकाश सखलेचा- उपाध्यक्ष महोदय, दो मिनट और दे दें. मैं कोई भी बात रिपीट नहीं कर रहा हूं. कोई भी ऐसा विषय नहीं रख रहा हूं, मैं सीधा विषय पर बोल रहा हूं, न किसी भूमिका पर मैंने समय लगाया है. उपाध्यक्ष महोदय, वॉटर कंज़र्वेशन की अगर मैं बात करूं तो जितनी भी नयी वृहद और मध्यम योजनाएं हैं, उनकी कच्ची नहरें बनाकर, पानी की बर्बादी 50 प्रतिशत रोकने के लिए सरकार ने यह संकल्प किया कि प्रेशराइज पाइप या खुली नहर की जगह पक्की नहर बनाकर पानी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो, "per drop more crop" जो हमारे देश के प्रधानमंत्री जी का वाक्य है, उस पर चिंतन करते हुए हमारे माननीय सिंचाई मंत्री जी ने उस पर काम शुरू किया है कि प्रेशराइज पाइप से ड्रिप तक की सब्सिडी देकर उसी पानी में 5 गुनी खेती कैसे बेहतर बने, कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों का फायदा हो, उसका प्रयास किया.

उपाध्यक्ष महोदय - आपका बहुत बहुत धन्यवाद. 

श्री ओमप्रकाश सखलेचा- उपाध्यक्ष महोदय, जैसा आपका आदेश, मैं तो यही कहूंगा कि योजनाओं पर जितनी चर्चा करें, उतना ही कम है. मैं पुनः आपका धन्यवाद करता हूं. आपने इतनी देर बोलने का जो समय दिया.

उपाध्यक्ष महोदय - श्रीमती शीला त्यागी जी..

श्रीमती शीला त्यागी - उपाध्यक्ष महोदय, मैं कल बोलूंगी.

उपाध्यक्ष महोदय - आप अभी बोल लीजिए, कल और वक्त दे देंगे.

श्रीमती शीला त्यागी - उपाध्यक्ष महोदय, मैं कल ही बोलना चाहूंगी.

उपाध्यक्ष महोदय - ठीक है.

          डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर चर्चा में भाग लेते हुये मैं बताना चाहता हूं कि राज्‍यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण में बताया कि मेरी सरकार सबका विकास, सबका साथ की अवधारणा से कार्य कर रही है. मेरी सरकार की निगाह से कोई भी वर्ग और तबका भूला-बिसरा नहीं रहा है, जाति, धर्म और वर्ग से परे सरकार की योजनाओं का लाभ सभी के लिये सुनिश्‍चित किया गया है और गरीबों के कल्‍याण के लिये समर्पित सरकार गरीबों के कल्‍याण के रूप में वर्ष 2017 को माना है. मेरा कहना है कि क्‍या सरकार 14 साल से सो रही थी ? यह आखरी साल में गरीबों के कल्‍याण के लिये आयी है ? 14 साल से कोई विकास नहीं किया, कोई काम नहीं किया और 2017 में आकर गरीबों के कल्‍याण की बात कर रही है. इससे स्‍पष्‍ट होता है कि यह चुनावी घोषणा है, चुनावों के अलावा कुछ नहीं है. सखलेचा जी हंस रहे हैं, वह आज स्‍मार्ट भी लग रहे हैं. स्‍मार्ट सिटी की बात भी आयी है.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- मैंने स्‍मार्ट सिटी की कोई चर्चा नहीं की. अगर विकास नहीं हुआ तो बताइये.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- स्‍मार्ट सिटी बने या नहीं बने, लेकिन सखलेचा जी आप स्‍मार्ट दिख रहे हैं.

          डॉ. रामकिशोर दोगने -- उपाध्‍यक्ष महोदय, विकास की बात हम करें तो हमको सरताज सिंह जी ने बता दिया है, सरकार को सोचना चाहिये. अभी दो-तीन दिन पहले सरताज सिंह जी ने क्‍या बयान दिया था ? अपने पैसे निकलवाने के लिये मंत्रालय में बाबू पैसे मांग रहे हैं. तो यह बड़े शर्म की बात है कि सरकार किस तरह से चल रही है और कैसे काम कर रही है ? यह सोचने की बात है. मैं ज्‍यादा विरोध नहीं करते हुये, सच्‍चाई बताते हुये अपनी बात को चालू रखूंगा. इसमें आपने देखा है कि जब देश आजाद हुआ तब रोटी, कपड़ा और मकान की बात चली थी और वह बात करते हुये देश की लड़ाई लड़ने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू, महात्‍मा गांधी, भीमराव अम्‍बेडकर जी, अब्‍दुल कलाम जी और सरदार पटेल जी ने लड़ाई लड़कर रोटी, कपड़ा और मकान की व्‍यवस्‍था की बात की थी. वर्तमान में हमारे लिये शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और रोजगार की बात आ गई है. सरकारों को इसी क्षेत्र में काम करना चाहिये, तो अपने आप ही विकास हो जायेगा. अगर सरकार शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और रोजगार पर काम करेगी तो निश्चित ही यह प्रदेश विकसित प्रदेश हो जायेगा, यह गरीब कल्‍याण वर्ष मनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, न बीमारू राज्‍य कहने की जरूरत पड़ेगी. बीमारू राज्‍य हर भाषण में पक्ष के वक्‍ता ने बोला कि बीमारू राज्‍य, बीमारू राज्‍य, अरे भाई 15 साल से आप सरकार चला रहे हैं अभी तक आप खत्‍म नहीं कर पाये ? दूसरे के ऊपर क्‍यों ढोल रहे हो ? ठीक है जनता ने हमको अस्‍वीकार किया, आपको अधिकार दिया है, आपको चुना है, तो आप ही हटा के दिखाओ, फिर गरीब कल्‍याण वर्ष आप क्‍यों ले आये ? यह सोचने की बात है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं बात कर रहा था कि आपने देखा कि नर्मदा सेवा यात्रा की लोग बात कर रहे हैं. आप बताइये नर्मदा सेवा यात्रा से किसको फायदा हुआ है ? कौन गरीब को फायदा हुआ ? कौन किसान को फायदा हुआ ? कौन आम आदमी को फायदा हुआ ? कौन अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के भाई को फायदा हुआ   है ? सिर्फ हवा-हवाई यह यात्रा रही है और यात्रा में हैलीकॉप्‍टर उड़े हैं, फाईव स्‍टार बसें चली हैं इसके अलावा कुछ नहीं हुआ है. आज जितनी घोषणायें नर्मदा सेवा यात्रा में हुई आप बताइये अगर एक भी पूरी हुई हो ?

          श्री आशीष गोविंद शर्मा -- दोगने जी पूरी हो गई है. नेमावर में माननीय मुख्‍यमंत्री जी सूरज प्‍लांट का भूमिपूजन करने जाने वाले हैं.

          डॉ. रामकिशोर दोगने -- जब भूमि पूजन कर दें तब बता देना अभी तो आश्‍वासन में ही चल रही है.

          श्री आशीष गोविंद शर्मा -- उसमें आपको बुलायेंगे, आपको भी आमंत्रित किया जायेगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- शर्मा जी आप बैठ जाइये.

          डॉ. रामकिशोर दोगने -- धन्‍यवाद, लेकिन मेरी पूरी बात तो सुन लें. नहीं तो हम पड़ोस में मिल लेंगे वहीं पूरी बात कर लेंगे. मेरा यह कहना था कि नर्मदा सेवा यात्रा जो निकाली गई उसमें 4000 करोड़ रुपये फर्जी तरीके से खर्च किये गये हैं. मेरा निवेदन है कि अगर सरकार उन 4000 करोड़ रुपयों से 4000 स्‍कूल बना देती तो बच्‍चे पढ़ जाते और प्रदेश का विकास हो जाता, पर उस बारे में नहीं सोचा, उस हवाई यात्रा में पैसे उड़ा दिये गये. इसके बाद एकात्‍म यात्रा आ गई. आदि शंकराचार्य की मूर्ति स्‍थापित करेंगे. ये कौन सा तरीका है ? देश को किस तरफ ले जा रहे हैं ? आने वाले समय में देश को कहां ले जायेंगे ?

          श्री आशीष गोविंद शर्मा -- देश को उसके सांस्‍कृतिक गौरव की तरफ यह सरकार ले जा रही है. देश के सांस्‍कृतिक गौरव की बात करना गलत नहीं है.

          डॉ. रामकिशोर दोगने -- आप यह शिक्षा देंगे कि आपने 108 फुट की आदि शंकराचार्य की मूर्ति लगा दी ? यही शिक्षा हम देंगे कि हमने यात्रा कर दी ? 500 करोड़ रुपये से 500 स्‍कूल बन जाते, 500 अस्‍पताल बन जाते.

          श्री आशीष गोविंद शर्मा -- स्‍कूल भी बन रहे हैं, अस्‍पताल भी बन रहे हैं, लेकिन शंकराचार्य जी की यात्रा निकालना कोई अपराध नहीं है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अष्‍टधातु की प्रतिमा का आप विरोध कर रहे हैं ? ...(व्‍यवधान)..

          डॉ. रामकिशोर दोगने -- आपके यहां पशुपति नाथ जी हैं वहीं आप दर्शन कर लिया करें, तो एकात्‍म यात्रा निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी. पशुपति नाथ जी की बहुत बड़ी मूर्ति लगी है आपके यहां वहीं दर्शन कर लिया करें. ..(व्‍यवधान)..

 

5.29 बजे                             अध्‍यक्षीय घोषणा

                                सदन के समय में वृद्धि विषयक

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य का वक्‍तव्‍य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है        

                                                                      (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)

                                                                                                                                                                                                    

5.30  बजे         राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 26                         फरवरी,2018  को प्रस्तुत  प्रस्ताव पर चर्चा (क्रमशः)

 

                        डॉ. रामकिशोर दोगने-- उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.

                   चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी --  उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य से यह निवेदन करुंगा कि  इनका यह मानना है कि 4 हजार करोड़  रुपये खर्च  होते हैं नर्मदा यात्रा में.

                   डॉ. रामकिशोर दोगने-- हुए हैं.

                   चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी --   और भी कोई नर्मदा यात्रा कर रहा है, तो वह इतना ही कर रहा होगा.

                   डॉ. रामकिशोर दोगने-- नहीं, वह पैदल कर रहा है,  उसमें कोई हेलीकाप्टर नहीं चल रहा है.  वह आदमी पैदल कर रहा है, बगैर डीजल के यात्रा कर रहा है.

..(व्यवधान)..

                   चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी --   अच्छा है कि वे  प्रायश्चित कर रहे हैं.

                   श्री आशीष गोविंद शर्मा -- दोगने जी,  आप भी यात्रा करके आये हैं,  15 दिन में गाड़ी से बढ़िया.

                   चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी --  (XXX)

                   उपाध्यक्ष महोदय -- मुकेश जी, आज क्या ज्यादा  समय तक बैठना चाहते हैं . जब तक  उनका भाषण खत्म नहीं होगा,  उठने को नहीं मिलेगा.

                   श्री कमलेश्वर पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय,  यह सब विलोपित करवा दीजिये.

                   उपाध्यक्ष महोदय -- यह प्रायश्चित वाली बात विलोपित कर दें.

                   श्री  आशीष गोविंद शर्मा -- दोगने जी, आप मूर्ति लगाने के पक्ष में हो कि  खिलाफ में हो.

                   डॉ. रामकिशोर दोगने-- मैं मूर्ति के पक्ष में नहीं हूं. मैं  मूर्ति  के पैसे से  हास्पीटल खोलने के पक्ष में हूं. मूर्ति पर जो 500 करोड़ रुपये लग रहे हैं,  उनसे 500 अस्पताल बन जाते.  गांव-गांव में एक एक अस्पताल बन जाता  तो  जनता की सेवा होती. मूर्ति  से कोई सेवा नहीं होगी, जनता  का कोई भला नहीं होगा, न किसी  व्यक्ति का भला होता है.

..(व्यवधान)..

                   श्री आशीष गोविंद शर्मा --  (xxx)

                   उपाध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें. देखिये,  यह फोरम वाद-विवाद का है, मंच है, इसमें आप अपने विचार रखें,  वह अपने रखते हैं,  एक दूसरे  में  क्यों आप दखल  दे रहे हैं. उनके विचार उनको   रखने दीजिये.  जब आपका नम्बर आयेगा, तब  आप अपनी बात कहियेगा.

                   डॉ. रामकिशोर दोगने--  उपाध्यक्ष महोदय, मैं मूर्ति के विरोध में नहीं हूं,  धर्म के विरोध में नहीं हूं. मैं भी सनातन  धर्म का हूं. मैंने भी  नर्मदा परिक्रमाएं की हैं.  आप पूछ लें, सामने विधायक जी बैठे हैं  और मैं धर्म का विरोध नहीं करता हूं,  लेकिन  जब हमारा देश ..

                   श्री ओमप्रकाश सखलेचा --  (xxx)

                   डॉ. रामकिशोर दोगने-- उपाध्यक्ष महोदय,  बहुत तकलीफ हो रही है मेरी बातों से.  बहुत पिंच कर रही हैं मेरी बात इन लोगों  को.  

..(व्यवधान)..

                   उपाध्यक्ष महोदय -- ऐसा है कि  दोगने जी के अलावा  जो कुछ बात हो रही है, उसको रिकार्ड में न लें.

                   डॉ. रामकिशोर दोगने-- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना था कि  जब एकात्म यात्रा में अगर  500 करोड़ रुपये खर्च किये, वह 500 करोड़ रुपये से हमारे यहां  अगर 500 स्वास्थ्य केंद्र   खुल जाते,  तो  वह विकास होता, वह आम आदमी  के काम आते, गरीबों के काम आते और गरीबों का स्वास्थ्य अच्छा रहता  तो  वह आगे बढ़ते.  जब हमारा  प्रदेश विकसित हो जाये,  जब  प्रदेश की पूरी विधान सभाओं को  विकसित मान लें,  तब यह  मूर्तियां लगाते या बड़े बड़े मंदिर  बनाते,  तो अच्छा रहता. यह मंदिर की बात करते हैं, पर तारीख नहीं बताते हैं.  मंदिर की बात तो करेंगे, पर  तारीख कभी नहीं बतायेंगे कि कब बनेगा.  राम मंदिर में  लटकाकर रखा है लोगों को.  इसके बाद  बात करते हैं कि अब  एकात्म

यात्रा की, कब  मूर्ति बनेगी, समझ में नहीं आ रहा है अभी तो बन जाये,  तब है. 6 महीने में सरकार  चली जायेगी, फिर कहां से बनाओगे.  तो इसलिये  सोच समझ करके  काम करो.

                   श्री दिलीप सिंह परिहार --  (xxx)

                        श्री कमलेश्वर पटेल -- (xxx)

                        उपाध्यक्ष महोदय -- दोगने जी के अलावा जो बात हो रही है, वह रिकार्ड में नहीं आएगी.

                   डॉ. रामकिशोर दोगने-- उपाध्यक्ष महोदय, जिस तरह की जो बातें चल रही हैं और जो अभिभाषण में चर्चाएं हुई हैं,  मैं उसके संबंध में ही बात कर रहा था और उसी  में जैसे वृक्षारोपण की  बात  हुई है, वृक्षारोपण  किया गया. मेरे  हरदा में भी  50 लाख वृक्ष लगाये हैं.  वहां 50 लाख  वृक्षों की संख्या नहीं है उतनी, 4.5 लाख, 5 लाख  विधान सभा में जनसंख्या है और  50 लाख कहां से वृक्ष लग जायेंगे. और फील्ड में  आज एक भी वृक्ष नहीं दिख रहे हैं.  तो यह इस तरह से फिजूलखर्ची की जा रही है और  पूरे  हमारे प्रदेश  में  6 करोड़ से ज्यादा वृक्षारोपण हुआ है, पर कहां गया वह पैसा और कहां गये वह वृक्ष. मैंने  देखा कि तामेसर की  डंडी गढ़ी हुई थी. चिरोटा  के पौधे की डंडी गढ़ी हुई थी. किसी पौधे की डंडी गढ़ी हुई थी और  वह दिखाकर लगा दिये गये. इस तरह से फालतू खर्चा किया गया है,  उस पैसे को  अगर शिक्षा,  रोजगार या  स्वास्थ्य के अंतर्गत लगाते, तो निश्चित ही  लोगों का भला होता. जीएसटी की बात निकली थी, जीएसटी में भी वही हुआ. जीएसटी से आम आदमी परेशान, व्‍यापारी परेशान, कर्मचारी परेशान, सब परेशान हैं. आज हम देखें कि पहले तो नोटबंदी हुई, फिर जीएसटी ले आए, तो सब परेशान हो रहे हैं और

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XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

 

सरकार वाहवाही लूटने पर लगी हुई है. प्रधानमंत्री आवास योजना की बात की थी, मेरा चेलेंज है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में, दूसरे पक्ष के भी सभी माननीय सदस्‍य परेशान हैं कि आज भी हम जब गांवों में जाते हैं तो सबसे ज्‍यादा प्रधानमंत्री आवास योजना के भ्रष्‍टाचार की बात लोग करते हैं या पेंशन की समस्‍या की बात करते हैं या फिर बिजली विभाग की समस्‍या की बात होती है. इन तीन समस्‍याओं के अलावा गांवों में और कोई भी समस्‍या की बात नहीं आती है, और शौचालय की समस्‍या की बात भी होती है. शौचालय भी आज तक नहीं बने हैं, उसके पैसे भी खा गए हैं.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- तीन विषय के अलावा तो खुलकर तारीफ करो.

          डॉ. रामकिशोर दोगने -- सखलेचा जी, आप तो पूर्व मुख्‍यमंत्री के पुत्र हैं, हम लोग तो नीचे से आए हैं, हमको भी बोल लेने दो. आप लोगों को तो बोलने का बहुत मौका मिलता है. हमारा भी थोड़ा ध्‍यान रखो.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बात यदि करें तो यह योजना आज तक किसान को भी क्‍लियर नहीं है. जब तक हम किसान को क्‍लियर नहीं करेंगे तो वह बीमे की राशि कैसे प्राप्‍त करेगा. आज भी उसको पता नहीं है कि मुझे आवेदन कहां देना है, बीमे की राशि कहां से मिलेगी, किस कंपनी ने बीमा किया है. जब तक यह सब किसान को क्‍लियर नहीं करेंगे, उसे कैसे लाभ मिलेगा. इसलिए लाभ लेने के लिए या लाभ देने के लिए हमारी योजनाएं क्‍लियर होनी चाहिए. हमारा मन पवित्र होना चाहिए और हमारा काम करने का तरीका अच्‍छा होना चाहिए, जो कि नहीं है,  इसमें सुधार करना चाहिए. योजनाएं तो बहुत सी बन जाती हैं, घोषणाएं भी 22 हजार पड़ी हुई हैं, पर इम्‍प्‍लीमेंट कितनी हुईं, उसके संबंध में आपको सोचना पड़ेगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, स्‍वास्‍थ्‍य की बात हो रही थी. कॉलेज खोल दिए, कॉलेज कब से डिक्‍लेयर हैं, आज कॉलेज डिक्‍लेयर हुए 4 साल हो गए, और इसके पहले की घोषणाएं थीं, इसके बाद भी आज तक जमीन पर कॉलेज नहीं आए हैं. अगर कॉलेज आ जाते और बच्‍चे वहां से एमबीबीएस करके निकलते तो वे बच्‍चे डॉक्‍टर के रूप में आपके काम आते. आज गांवों में अस्‍पतालों में डॉक्‍टर्स नहीं हैं. छोटे-छोटे पीएचसी तो बन गए, केन्‍द्र की योजना थी, केन्‍द्र ने पैसा दिया, ट्रामा सेंटर बन गए, पर वहां डॉक्‍टर नहीं हैं. डॉक्‍टर नहीं होने के कारण इलाज नहीं हो रहा है और लोग परेशान हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, अभी खनिज विभाग की बात हो रही थी. सखलेचा जी, आप सोचिए, आपके साथी एक मंत्री हमारे यहां के कमल पटेल जी, अभी कल ही उन्‍होंने चार डम्‍पर पकड़े. आपकी सरकार के सामने कल चार डम्‍पर पकड़े, सरकार क्‍या कर रही है, सरकार का खनिज विभाग क्‍या कर रहा है, तहसीलदार क्‍या कर रहा है, वहां का थानेदार क्‍या कर रहा है, वहां का कलेक्‍टर क्‍या कर रहा है, जो आपके पूर्व मंत्री को जाकर पकड़ना पड़ रहा है. सरकार को आपकी पार्टी के लोग ही आईना दिखा रहे हैं. उनको आप देखो. मेरा यह कहना है कि सरकार को चाहिए कि अगर विकास करना है तो विकास सिर्फ कहने से नहीं होता है. घोषणाओं को पूरा कीजिए, घोषणाओं को इम्‍प्‍लीमेंट कीजिए और इसके साथ ही शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और रोजगार के लिए काम करेंगे तो निश्‍चित ही विकास होगा अन्‍यथा विकास नहीं होगा. इसलिए विकास के लिए सबको सोचना पड़ेगा. हम सबको मिलकर प्रदेश का विकास करना पड़ेगा. उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, इसके लिए धन्‍यवाद. जिनको बुरा लगा, उनसे मैं माफी चाहता हूँ, आगे फिर और बात करेंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनांक 8 मार्च, 2018 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्‍थगित.

          अपराह्न 5.38 बजे विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनांक 8 मार्च, 2018 (17 फाल्‍गुन, शक संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्‍थगित की गई.

 

 

भोपाल :

दिनांक  : 7 मार्च, 2018                                                         ए.पी. सिंह

                                                                                      प्रमुख सचिव,

                                                                               मध्‍यप्रदेश विधान सभा