मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मार्च, 2017 सत्र
मंगलवार, दिनांक 7 मार्च , 2017
( 16 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 13 ] [अंक- 10 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 7 मार्च, 2017
( 16 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
मुख्य कार्यपालन अधिकारी की स्थाई पदस्थापना
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
1. ( *क्र. 1423 ) श्री हरवंश राठौर : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बंडा विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जनपद पंचायत बंडा में विगत एक वर्ष से स्थाई मुख्य कार्यपालन अधिकारी की पदस्थापना न होने से प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा सप्ताह में एक दो दिवस का समय देकर कार्यों का संपादन किया जा रहा है, जिससे संबंधित प्रभारी अधिकारी द्वारा दो-दो जगहों का कार्य संपादन करने के पश्चात् जनपद पंचायत बंडा का कार्य संपादित किया जाता है, जिसके कारण समस्त जनपद पंचायत के प्रतिनिधि एवं सरपंचों के कार्य समयावधि में न होने एवं अधिकारी के न मिलने के कारण त्रस्त हैं? (ख) क्या जिला स्तर के अधिकारी को स्वयं के प्रभार के साथ-साथ दो-दो जनपदों का प्रभारी बनाया जा सकता है? प्रावधान बताया जाए। (ग) जनपद पंचायत बंडा में स्थाई मुख्य कार्यपालन अधिकारी की पदस्थापना कब तक की जावेगी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जनपद पंचायत बंडा में मुख्य कार्यपालन अधिकारी की पूर्णकालिक पदस्थापना दिनांक 15/12/2016 को की गई थी। मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत के दिनांक 09/01/2017 से निलंबित होने से जिला स्तर के अधिकारी को प्रभार सौंपा गया है। (ख) जी हाँ। जिला स्तर के अधिकारियों को स्वयं के प्रभार के साथ जनपद पंचायतों का प्रभारी बनाये जाने पर निषेध नहीं है। (ग) लोक सेवा आयोग से चयनित मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के प्रशिक्षण उपरांत मार्च 2017 में पदस्थापना की जाना संभावित है।
श्री हरवंश राठौर :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि जनपद पंचायत बंडा में स्थायी मुख्य कार्यपालन अधिकारी की स्थापना कब तक की जायेगी. मुझे उत्तर मिल गया है कि यहां पर स्थायी जनपद मुख्य कार्यपालन अधिकारी की पदस्थापना हो चुकी है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद करता हूं.
प्रस्तावित स्टेडियम का निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
2. ( *क्र. 2411 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र सारंगपुर अंतर्गत ग्राम बख्यतायपुरा में निर्माणाधीन खेल परिसर के अंतर्गत क्या-क्या कार्य होना है एवं निर्धारित समय-सीमा तक क्या-क्या कार्य हो चुका है? कार्य के प्राक्कलन से तुलनात्मक जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) खेल परिसर के निर्माण कार्य को प्रारम्भ करने एवं पूर्ण करने हेतु निर्धारित तिथि क्या है? क्या निर्धारित तिथि में कार्य पूर्ण हो गया है? यदि नहीं हुआ तो विलंब हेतु कौन जिम्मेदार है? विलंब के लिये ठेकेदार के विरुद्ध क्या कार्यावाही की गयी एवं कार्य कब तक पूर्ण हो जावेगा? (ग) निर्माणाधीन कार्य की गुणवत्ता की जाँच किस-किस अधिकारी द्वारा किस-किस दिनांक को की गयी है? अधिकारी का नाम एवं पद सहित जानकारी देवें। बतावें की कार्य पूर्ण गुणवत्ता का किया गया है या नहीं? यदि नहीं, तो ठेकेदार के विरुद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गयी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) विधानसभा क्षेत्र सारंगपुर अंतर्गत ग्राम बख्यतायपुरा में निर्माणाधीन खेल परिसर के अंतर्गत पवेलियन, खेल मैदान, बाउन्ड्रीवॉल एवं गेट निर्माण का कार्य प्राक्कलन अनुसार निर्धारित समयावधि में कराया गया है। (ख) कार्य दिनांक 30/04/2016 को प्रारंभ किया गया। कार्य अनुबंधानुसार पूर्ण कराने की निर्धारित तिथि 29/04/2017 है, कार्य समय-सीमा में पूर्ण हो गया है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होता। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होता।
श्री कुँवरजी कोठार :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न '' क '' में विभाग द्वारा जो जानकारी दी गयी है, वह अपूर्ण है. मैंने अपने प्रश्न में प्राक्कलन में दिये गये कार्य के विरूद्ध कराये गये कार्य की तुलनात्मक जानकारी चाही गयी थी, जिसमें विभाग द्वारा दिये गये उत्तर में खेल परिसर के अंतर्गत पवेलियन, खेल मैदान, बाऊंड्रीवाल एवं गेट का निर्माण कार्य प्राक्कलन अनुसार निर्धारित समयावधि में कराया गया है, यह जानकारी दी गयी है. जबकि मैंने प्रावधानित प्राक्कलन में प्रावधानित मात्रा और कराये गये कार्य की आर्थिक एवं भौतिक तुलनात्मक प्रपत्र चाहा है. माननीय मंत्री जी मुझे क्या तुलनात्मक जानकारी देंगे ?
श्री गोपाल भार्गव :- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने जानना चाहा है, अधिकांश काम पूरा हो चुका है. 29.4.2017 तक सी.सी जारी हो जायेगी. कम्प्लीशन रिपोर्ट उसकी आ गयी है. समय-समय पर निरीक्षण भी हुआ है. काम गुणवत्ता का है चार बार एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अहिरवार ने निरीक्षण किया है.90 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है.
श्री कुँवरजी कोठार :- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो हमारी सरकार ने खिलाडि़यों के उत्थान के लिये यह एक अच्छी योजना चलायी है, जिससे प्रत्येक ग्रामवासियों के लिये खेल मैदान उपलब्ध कराया गया है, लेकिन माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि कार्यपालन यंत्री से चार बार इसकी जांच करा ली गयी है और कार्य संतोषजनक पाया गया है, लेकिन मेरे द्वारा स्थल पर पाया गया है कि जो कार्य मैदान समतलीकरण के लिये कराया जाना था, उसको सेंड से भरना था और रिवर बांड मटेरियल का उपयोग किया जाना था, लेकिन भौतिक रूप से देखा कि उसमें जो डब्ल्यू.बी.एम सड़क बनाते हैं तो जो ओवर साईज के मेटल उपयोग करते हैं, वह शार्ट मेटल से, हार्ड पत्थर से मैदान का समतलीकरण किया गया है तो यह जो कार्यपालन यंत्री जी संतोषजनक गुणवत्ता बता रहे हैं तो क्या उसकी जांच मुख्य तकनीकी परीक्षक से करायेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव :- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह ग्रामीण विकास विभाग की बहुत महत्वपूर्ण योजना थी, जिसमें हर विधानसभा क्षेत्र में एक ग्रामीण खेल परिषद बनाने का निर्णय हम लोगों ने किया था, जिसकी लागत 80 लाख रूपये थी. जहां-जहां भूमि उपलब्ध हो सकी वहां पर हमने काम शुरू कराया. कार्य पूर्ण भी हो चुके हैं और कार्य पूर्णता की ओर हैं. जहां तक ग्राउंड की लेबलिंग का सवाल है, तो यह तकनीकी विषय है. यह काम हमें खेल विभाग के सहयोग से और खेल विभाग के जो तकनीकी अधिकारी और विशेषज्ञ हैं उनके साथ में पूरा करना है. स्टेडियम के डिजाईन में जो कुछ कमी रहीं थीं, जैसे कल भी जब मैंने समीक्षा की थी तो मैंने देखा था कि ग्राउंड में दो-तीन तरफ बैठने के लिये कोई दर्शक दीर्घा बनाने का प्रावधान नहीं था. इसलिए मैंने अपने अधिकारियों से भी कहा है कि उसको भी इसमें जोड़ लें और जो भी कमियां इसमें होंगी उनको भी हम सप्लीमेंट्री कुछ बजट उपलब्ध कराकर पूरा करायेंगे. माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि एक आईडियल खेल स्टेडियम ग्रामीण क्षेत्रों के लिये उपलब्ध कराया जायेगा.
श्री कॅुंवरजी कोठार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न जो कार्य कराया गया है, उसकी गुणवत्ता से संबंधित है. क्या माननीय मंत्री महोदय उस काम की गुणवत्ता की जांच मुख्य तकनीकी परीक्षक से करायेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्यपालन यंत्री श्री एस.पी.अहिरवार हैं, इन्होंने दिनांक- 09/08/2016 , 27/09/2016, 05/02/2016 एवं 23/12/2016 को लगातार निरीक्षण किया है. कार्य की गुणवत्ता सही है और ऐसा बताया गया है कि ग्राउंड में ड्रेनेज ठीक करने के लिये दानेदार मिट्टी का उपयोग किया गया है, इसलिए शायद दानेदार मिट्टी के कारण यह लग रहा होगा कि ग्राउंड का फर्श ठीक नहीं है. हम उसको ठीक करा लेंगे, इसमें कोई बहुत बड़े तकनीकी विशेषज्ञ की आवश्यकता नहीं है.
श्री कॅुंवरजी कोठार - माननीय अध्यक्ष महोदय, दानेदार मिट्टी और पत्थर में बहुत अंतर है.
अध्यक्ष महोदय - आपका पूरा प्रश्न आ गया है, अब कुछ नहीं आयेगा. प्रश्न क्रं.-03 श्री कुंवर सिंह टेकाम.
श्री कॅुंवरजी कोठार - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री यह गारंटी ले लें कि उससे कोई खिलाड़ी चोटिल नहीं होगा, यह जवाबदारी माननीय मुख्यमंत्री जी ले लें. मैंने खुद उस ग्राउंड को देखा है और मैं समझता है कि दानेदार मिट्टी और पत्थर में क्या अंतर होता है.
अध्यक्ष महोदय - बस अब आप बैठ जाईये. मैंने आपको तीन प्रश्न करने की अनुमति दी है, साधारणतया दो प्रश्न करने की ही अनुमति दी जाती है. प्रश्नकाल में अब ज्यादा नहीं, आप बैठ जायें.
श्री कॅुंवरजी कोठार - माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन काम गुणवत्ता का हुआ है नहीं है तो आप कैसे मान रहे हैं कि काम गुणवत्ता का हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी आपसे कह रहे हैं कि यदि उसमें कुछ कमी रह गई हो तो उसको वह ठीक करा लेंगे.
सीधी भर्ती के प्राध्यापकों की परिवीक्षा अवधि की समाप्ति
[उच्च शिक्षा]
3. ( *क्र. 2071 ) श्री कुंवर सिंह टेकाम : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में संचालित शासकीय महाविद्यालयों के लिये विभिन्न विषयों में वर्ष 2010-11 में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा प्राध्यापकों की सीधी भर्ती की गई है? यदि की गई है तो विषयवार/वर्गवार प्राध्यापकों की सूची उपलब्ध करावें। (ख) क्या वर्ष 2010-11 में सीधी भर्ती के प्राध्यापकों को दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि पर नियुक्त किया गया है? यदि हाँ, तो उनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त करने के नियम/निर्देश क्या हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में क्या सीधी भर्ती के प्राध्यापकों की परिवीक्षा अवधि समाप्त कर दी गई है? यदि हाँ, तो परिवीक्षा अवधि समाप्त किये गये विषयवार प्राध्यापकों की सूची उपलब्ध करायें? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में यदि सीधी भर्ती के प्राध्यापकों की परिवीक्षा अवधि अभी तक समाप्त नहीं की गई है तो कारण सहित जानकारी देवें। उनकी परिवीक्षा अवधि कब तक समाप्त कर आदेश जारी कर दिये जायेंगे?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जयभान सिंह पवैया ) : (क) जी हाँ। वर्ष 2010-11 में 115 प्राध्यापकों की सीधी भर्ती की गई। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। मध्यप्रदेश शैक्षणिक सेवा (महाविद्यालयीन शाखा) भर्ती नियम 1990 के बिन्दु 22 की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (घ) सीधी भर्ती से नियुक्त प्राध्यापकों की नियुक्ति के संबंध में प्राप्त शिकायतों की जाँच प्रचलित है। परिवीक्षा अवधि समाप्त करने के संबंध में प्राध्यापक संघ द्वारा याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी. 17095/2015 माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर की गई है, जिसमें पारित आदेश दिनांक 01.12.2016 के तारतम्य में वैधानिक परीक्षण किया जा रहा है। न्यायालयीन प्रकरण के परिप्रेक्ष्य में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री कुंवर सिंह टेकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक सेवा आयोग के द्वारा सहायक प्राध्यापक से प्राध्यापकों के पद पर सीधी भर्ती के द्वारा वर्ष 2010-11 और 2011-12 में 235 नियुक्ति की गई थी जिसमें से 190 के करीब शासकीय महाविद्यालयों से चुने गये थे, उनकी परिवीक्षा अवधि दो साल की होती है. छ: वर्ष हो गये हैं, लेकिन अभी तक परिवीक्षा अवधि समाप्त नहीं की गई हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में भी दिया है कि माननीय उच्च न्यायालय में यह प्रकरण विचाराधीन था और उसका निर्णय 01 दिसंबर, 2016 को आया है और उसमें समय सीमा 90 दिन के अंदर शासन से उनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त करने के लिये निर्देशित किया गया था, लेकिन अभी तक उनकी परिवीक्षा अवधि को समाप्त नहीं किया गया है. इस कारण उनको वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल रहा है. माननीय मंत्री जी ने इसमें यह भी लिखा है कि बहुत लोगों की जांच चल रही है, तो मेरा आग्रह है कि क्या जिनकी जांच चल रही है उनको छोड़कर, जिन लोगों की जांच नहीं चल रही है, उनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त करेंगे?
श्री जयभान सिंह पवैया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय उच्च न्यायालय में एनुअल ग्रेड-पे को लेकर याचिका दायर की है और उस प्रकरण का निराकरण अभी तक नहीं हुआ है. इसमें जांच जिनकी चल रही है और जिनकी जांच नहीं चल रही है, दोनों ही उसमें शामिल होते हैं. क्योंकि शासन ने नौ हजार एनुअल ग्रेड पे किया है और उनकी कोर्ट में मांग दस हजार ग्रेड पे करने की है, तो यह प्रकरण जब तक निराकृत नहीं होगा, तब तक किस ग्रेड पे पर उनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त करके उन्हें नियमित किया जाये, यह प्रश्न उठता है. इसलिए इस प्रकरण का निराकरण जैसे ही होगा, परिवीक्षा अवधि समाप्त करके जो पात्र होंगे उनको नियमित करेंगे और इस बीच का उनको ऐरियस भी दे दिया जायेगा.
श्री कुंवर सिंह टेकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्राध्यापकों की जो पे-ग्रेड होगी, उसमें तो उनको नियमित करना है, इसलिए उसमें नौ या दस हजार की बात आती ही नहीं है. इसलिए मेरा माननीय मंत्री महोदय से निवेदन था कि आप परीक्षण करा लें और उनको लगातार जो उनकी वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल पा रहा है और इसका पढ़ाई पर भी कहीं न कहीं असर पड़ता है. मेरा माननीय मंत्री महोदय से निवेदन है कि वह यथाशीघ्र कितने दिन में परीक्ष्ाण कराकर उनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त करेंगे ?
श्री जयभान सिंह पवैया - अध्यक्ष महोदय, इसमें मैं माननीय सदस्य से अनुरोध करना चाहूंगा कि शासन के स्तर पर परीक्षण का विषय यह नहीं है क्योंकि विज्ञापन ही 9000 रुपए ग्रेड-पे का जारी हुआ था, जिसके विरुद्ध नियुक्तियां हुई हैं और वे चाहते हैं कि 10000 रुपए ग्रेड-पे हो तो यह बड़ी मूल समस्या है कि 10000 रुपए ग्रेड-पे पर शासन जिसने विज्ञापन ही 9000 रुपए ग्रेड-पे एन्युअल ग्रेड-पे का किया था, जब तक इसका निराकरण कोर्ट में नहीं हो जाएगा. लेकिन शासन की ओर से कोई विलंब नहीं होगा. न्यायपालिका की कार्यवाही में हम अपनी ओर से जितना जल्दी हो सकता है, उसकी कोशिश कर रहे हैं.
श्री कुंवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, केवल इतना था कि यदि 9000 रुपए ग्रेड-पे में उनकी सीधी भर्ती की गई है तो 9000 रुपए ग्रेड-पे पर क्या परिवीक्षा अवधि की समाप्ति की घोषणा करेंगे?
श्री जयभान सिंह पवैया - अध्यक्ष महोदय, जब दूसरा पक्ष 10000 रुपए ग्रेड-पे को लेकर कोर्ट में है और हाईकोर्ट जब तक निर्णय नहीं देता है तो शासन यह निर्णय कैसे ले पाएगा?
सीधी एवं सिंगरौली जिले में अधूरे निर्माण कार्य
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
4. ( *क्र. 4184 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग अन्तर्गत जनपद पंचायत सिहावल, सीधी जिले में निर्माण कार्य विगत दस वर्षों से स्वीकृत होकर अधूरे हैं? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन-कौन जिम्मेदार है? (ख) ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग अन्तर्गत विगत पाँच वर्षों में जनपद पंचायत सिहावल में कितने कार्य स्वीकृत किये गये? कितने प्रारंभ, अपूर्ण, पूर्ण एवं अप्रारंभ हैं? जनपद सिहावल अन्तर्गत गेरूआ कुढेरी नाला रपटा एवं पुलिया कितने वर्षों से बंद है? क्यों बंद हैं? कार्य पूर्ण नहीं कराने में कौन दोषी है एवं क्या कार्यवाही की गई है? व्यौहारखांड रोड व लौआरबिछरी रोड ग्राम सोनवर्षा में सामुदायिक भवन इत्यादि कार्यों की जानकारी देवें। (ग) जनपद पंचायत सिहावल जिला सीधी में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा अन्तर्गत मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क खेत सड़क के कितने कार्य स्वीकृत किये गए उनमें से कितने प्रारंभ, अप्रारंभ, पूर्ण, अपूर्ण हैं? अप्रारंभ एवं अपूर्ण का क्या कारण है? उक्त के संबंध में क्या कार्यवाही की गई है? (घ) क्या शासन स्तर से ग्रामीण यांत्रिकी सेवा में नये कार्यों की स्वीकृति पर प्रतिबंध लगाया गया है? यदि हाँ, तो क्यों? प्रतिबंधित कार्य जो अधूरे हैं, क्या उन्हें पूर्ण कराया जावेगा? कार्यों के लंबित भुगतान किये जायेगें? यदि हाँ, तो कब तक?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। निर्माणाधीन कार्यों की अपूर्णता के कारण निजी भूमि, भूमि विवाद होना, सामग्री-मजदूरी का अनुपात असंतुलन एवं निविदा में ठेकेदारों की अरूचि है। (ख) प्रश्नाधीन अवधि में जनपद पंचायत सिहावल में 06 कार्य स्वीकृत हुए। 02 कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति निरस्त। 04 कार्य अपूर्ण हैं। प्रश्नांश की शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के अंतर्गत जनपद पंचायत सिहावल में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के 07 कार्यों में से 04 कार्य एम.पी.आर.आर.डी.ए. को अंतरित किये गये। 02 कार्य भूमि उपलब्ध नहीं होने से निरस्त हुये। 01 कार्य ठेकेदारों द्वारा निविदा में भाग न लेने के कारण विभागीय तौर पर किया जा रहा है। यह कार्य पूर्णता पर है। (घ) जी नहीं। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा में भुगतान संबंधी कोई कठिनाई नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के द्वारा जो जवाब आया है, वह आधा अधूरा है. आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से मेरा निवेदन सिर्फ इतना है कि सरकार कहीं भी राशि खर्च करती है. 10 सालों से आधे अधूरे कार्य पड़े हुए हैं और सरकार की आधी राशि भी लग गई और कार्य पूर्ण नहीं हुए. मेरा माननीय मंत्री महोदय से यह निवेदन है, एक तो जो जवाब आया है हम उसकी बात कर रहे हैं. वे कहीं ठेकेदारों की अरुचि बता रहे हैं. अगर जब कोई भी कार्य स्वीकृत होता है, उसकी निविदा होती है तो उस समय निविदा में सारी चीजों का उल्लेख होता है, उसकी नियम शर्तें रहती हैं. यह जो जवाब विभाग की तरफ से आया है तो मेरा पहला प्रश्न तो यह है कि जो अधूरे कार्य पड़े हुए हैं, क्या वे समय-सीमा में पूरे कर लिये जाएंगे? दूसरा प्रश्न यह है कि इसके लिए कौन-कौन लोग जिम्मेदार हैं, क्यों 10 साल से ये अधूरे कार्य पड़े हुए हैं, क्या उच्च स्तरीय अधिकारी भेजकर एक महीने के अंदर जो अधूरे कार्य हैं, उसको पूर्ण कराएंगे और क्षेत्रीय विधायक को भी उसमें साथ में रखेंगे?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, विभिन्न कारणों से हर जगह अलग-अलग कारण हैं, जिनके कारण से ये कार्य पिछले लंबे समय से अधूरे हैं. एक तो माननीय सदस्य ने जैसा जानना चाहा था कि 5 साल तक के ऐसे कौन-से काम हैं. इसमें एक स्टेडियम 80 लाख रुपए का बनना था, वह कार्य भी अधूरा है. बारिश के पहले वह पूरा हो जाएगा. बहुत-से काम ऐसे हैं जो भूमि विवाद के कारण यथास्थिति में बंद कर दिये गये हैं और कामों को निरस्त भी कर दिया गया है. जैसे बेहरी हनुमना रोड से परसोना, यह वर्ष 2011-12 का रोड है. अमिलियाबीछी मार्ग से व्यौहार खांड मार्ग वर्ष 2011-12 का है, यह मार्च, 2017 तक पूरा हो जाएगा. मयापुर खुटेली रोड से बिछरी का मार्ग है, यह निजी भूमि होने से कार्य निरस्त कर दिया गया है. कुछ मार्ग आईएपी में शामिल थे तो यह मार्ग आरआरडीए को ट्रांसफर कर दिये गये हैं. लेकिन मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि जो योजनाएं बंद हो गई हैं, उन योजनाओं के लिए किसी दूसरे योजना से राशि समायोजित करके उन कामों को हम शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण करा लेंगे और माननीय सदस्य ने जैसा कहा है तो आपको भी हम उसमें शामिल करेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क, खेत सड़क के कितने कार्य स्वीकृत किये गये, कितने अधूरे हैं? बहुत सारे कार्य स्वीकृत कर दिये गये, उनमें थोड़ा बहुत काम भी हो गया. खासकर मुख्यमंत्री जी के नाम पर अगर कोई सड़क योजना शुरू हुई तो वह तो पूरी होनी चाहिए. कहीं न कहीं योजनाएं तो आप बहुत सारी बनाते हैं, उनका क्रियान्वयन नहीं होता है. आपसे मेरा निवेदन है और इसी तरह से यह कोई सिहावल विधान सभा क्षेत्र की बात नहीं कर रहे हैं. पूरे मध्यप्रदेश में सीधी सिंगरौली जिले में, हमारे क्षेत्र में देवसर ब्लाक भी आता है. वहां भी यही हालत है. आपके माध्यम से मेरा निवेदन है कि सभी जगह समीक्षा कराकर और इस तरह से जहां शासन की राशि लग चुकी है, वह शासन की राशि का दुरुपयोग नहीं हो. माननीय मंत्री जी ने आश्वासन दिया है. मुझे विश्वास है कि कहीं न कहीं दूसरी योजना में समायोजन करके अधूरे कार्य पूर्ण कराएंगे और जो भी लापरवाह लोग है, जैसे एक बिछरी रोड का इसमें उल्लेख है. उसका जो सर्वे हुआ तो किसी रोड की स्वीकृति तभी होती है, निविदा तभी होती है, तो कैसा उन्होंने सर्वे किया था, किस आधार पर उसकी राशि मंजूर हुई तो पहले उसका निरीक्षण करना चाहिए था? अब भूमि का विवाद आड़े आ गया तो कितनी बार अधिकारियों ने उसके लिए बैठक की, कितनी बार हम लोगों को शामिल किया? कहीं कोई प्रयास नहीं किया गया. मेरा निवेदन है कि माननीय मंत्री जी इसके लिए आश्वस्त करेंगे?
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य भी जानते हैं यह नियम है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत जो सड़कें बनती हैं और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से सड़कें बनती हैं इनमें जो सड़कें बनती हैं उसमें चाहे कृषि भूमि हो या अन्य भूमि हो उसमें किसी भी प्रकार का मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है. यह लोगों की सुविधा के लिये है और लोगों की इच्छा के अनुसार ग्रामीण लोगों की सुविधा के लिये बनती हैं. अब इसमें सड़क मंजूर हुई उसके बाद किसी व्यक्ति ने आपत्ति लगा दी कि मुझे अपनी जमीन पर सड़क नहीं बनाना है तो यह व्यवधान आ जाते हैं, लेकिन मैं चाहूंगा कि माननीय सदस्य एवं सभी लोग बैठकर उसका समाधान निकाल लें और यदि समझौता होता है सड़क बनाने की सहमति होती है उसमें सड़क स्वीकृत है पैसे का भी प्रावधान है तो मैं समझता हू कि सड़क बनने में कोई दिक्कत नहीं है यदि समन्वय के साथ में बैठक करके उसका समाधान कर लिया जाएगा. दूसरी बात पूरक प्रश्न पांच में सड़कवार उल्लेखित जानकारी है उसको आप देख लें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री सड़क में मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है. मेरे ख्याल से प्रधानमंत्री सड़क में यह प्रावधान नहीं है, यह सही है, लेकिन जो नीतिगत पहले से ही सड़क रहती है उसी में प्रधानमंत्री सड़क बनायी जाती है उसमें कोई विवाद नहीं होता है. मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत जरूर कहीं न कहीं जमीनी विवाद होते हैं. आप इसमें नीतिगत निर्णय ले लें. यदि चार-पांच साल से ऐसे विवाद हैं उसके लिये विभाग के अंदर उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर के यह सुनिश्चित कर लें कि कम से कम यह काम इस वर्ष में पूरे हो जाएं. नहीं तो आधे-अधूरे काम इनके तथा मेरे क्षेत्र में और सम्पूर्ण क्षेत्रों में इसी तरह से पड़े हैं. इसमें उत्तर देना बड़ा ही आसान है. जमीनी विवाद 3 सड़कों के आपके क्षेत्र में भी हैं.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, जिला स्तर पर ऐसी समिति बनायी जा सकती है जो इन सारे विषयों के लिये विचार करके सभी पक्षों को बिठाकर के समन्वय कर लें तो इसके लिये निर्देश जारी कर देंगे.
घोड़ाडोंगरी ब्लॉक में भूमि का नवीनीकरण
[वन]
5. ( *क्र. 3742 ) श्री मंगल सिंग धुर्वे : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बैतूल जिले के वर्तमान घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के अन्तर्गत वन विभाग ने अधिक अन्न उपजाओं योजना के अन्तर्गत 1965-66 में जिन जमीनों को राजस्व विभाग को अन्तरित किया है, उन जमीनों का राजपत्र में प्रश्नांकित दिनांक तक भी नवीनीकरण वन विभाग ने नहीं किया? (ख) यदि हाँ, तो घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के किस ग्राम की कितनी भूमि संरक्षित वन सर्वे में शामिल कर वनखण्डों में अधिसूचित की गई? कितनी भूमि किन कारणों से वनखण्डों के बाहर छोड़ी गई? इसमें कितनी भूमि किस आदेश क्रमांक, दिनांक से अन्तरित की गई? कितनी भूमि किस दिनांक को राजपत्र में निर्वनीकृत की गई? (ग) वनखण्डों के बाहर छोड़ी गई किस ग्राम की कितनी भूमि का किन-किन कारणों से प्रश्नांकित दिनांक तक भी निर्वनीकरण नहीं किया गया? इन भूमियों को निर्वनीकृत किए जाने के प्रस्ताव वनमंडल एवं वनवृत से किस दिनांक को प्रेषित किए? यदि प्रस्ताव प्रेषित नहीं किए हों तो उसका कारण बताएं? (घ) भारत सरकार एवं सर्वोच्च अदालत से निर्वनीकरण की अनुमति प्राप्त की जाकर वन भूमि का निर्वनीकरण किए जाने पर किस दिनांक को किसने रोक लगाई है? यदि नहीं, लगाई तो अनुमति के प्रस्ताव प्रेषित क्यों नहीं किए? कब तक प्रस्ताव प्रेषित कर दिए जावेंगे?
वन मंत्री ( डॉ. गौरीशंकर शेजवार ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) परिशिष्ट के कॉलम-7 में दर्शित संरक्षित वनभूमियों के निर्वनीकरण की कार्यवाही माननीय सर्वोच्च न्यायालय की याचिका क्रमांक 337/1995 में पारित आदेश दिनांक 13.11.2000 द्वारा निर्वनीकरण पर अस्थाई रूप से रोक लगाये जाने के कारण लंबित है। (घ) भारत सरकार एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति लेकर निर्वनीकरण पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। प्रकरण विशेष में आवश्यक होने पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति हेतु प्रकरण भारत सरकार को प्रेषित किया जाता है। वनखण्डों के बाहर छोड़ी गई वनभूमियों के निर्वनीकरण की समय-सीमा बतायी जाना संभव नहीं है।
श्री मंगलसिंह ध्रुवे--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि सर्वोच्च अदालत की सिविल याचिका क्रमांक 33795 में 13 नवम्बर 2000 को वनग्रामों की वन भूमि संबंधी रोक लगायी है जिसमें न्यायालय की अनुमति प्राप्त किये जाने की भी शर्त है. वन विभाग ने 1966 से 2000 आज तक में अंतरित भूमि के डी-नोटिफाईड की अनुमति का प्रस्ताव माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत क्यों नहीं किया ?
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, जब भी हम किसी वनभूमि को अन्य प्रयोजन के लिये उपयोग करने के लिये अनुमति लेना चाहते हैं तो केन्द्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हमें पालन करना पड़ता है. यह बैतूल जिले का प्रकरण है इसमें यदि हम निर्वनीकरण के लिये प्रस्ताव भेजते हैं तो उसमें आवश्यकता इस बात की है कि जमीन की वर्तमान कीमत है जिसके नाम यह जमीन हस्तांतरित कर रहे हैं उसकी तरफ से उसको पैसा भरना पड़ेगा. दूसरा वैकल्पिक वृक्षारोपण के लिये भी हमें पैसा चाहिये. बैतूल के प्रकरण में जो पहले जमीन दी गई थी वह राजस्व विभाग के पास में है. वर्तमान कीमत और वृक्षारोपण की व्यवस्था नहीं होने के कारण हम प्रस्ताव को नहीं भेज पायेंगे.
श्री हेमंत खण्डेलवाल-- अध्यक्ष महोदय, यह जनहित का मुद्दा है.28 जुलाई को नियम 52-क की चर्चा हुई थी उसमें मंत्री जी ने बड़े स्पष्ट निर्देश दिए थे कि इस संबंध में वन विभाग दिशा-निर्देश जारी कर देगा. अध्यक्ष महोदय, मैंने सुप्रीम कोर्ट के, राज्य सरकार के, आपके विभाग के और भारत सरकार के 27 पत्र आपको दिए हैं. जिसमें कहीं पर भी इस जमीन को,छोटे-बड़े झाड़ के जंगल को नारंगी भूमि नहीं माना गया. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि इस बारे में स्पष्ट निर्देश जारी करें और सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश है उसका अवलोकन करें. उसमें कहीं भी नहीं कहा कि डी-नोटिफाई के लिए आप आवेदन नहीं कर सकते. अगर किसी भूमि में जंगल है ही नहीं तो डी-नोटिफाईड किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट में पिछले 16 साल से हमने कोई अपील ही दायर नहीं की. इस संबंध में हमें पूरे प्रदेश के लिए सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की जरुरत है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, प्रश्न तो स्पष्ट हुआ ही नहीं?
अध्यक्ष महोदय-- उनका प्रश्न यह है कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर्स में जो जमीन बिलकुल खाली पड़ी है, उसको डी-नोटिफाई किया जा सकता है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष जी, वन संरक्षण अधिनियम में किसी दूसरे उपयोग के लिए जब हम जमीन को हस्तांतरित करते हैं तो उसके अपने नियम हैं उन्हीं नियमों के अनुसार हम हस्तांतरित कर सकते हैं. उसमें नेट प्रेजेन्ट वेल्यू और वैकल्पिक वृक्षारोपण अनिवार्य है. बैतूल के प्रकरण में वास्तव में यह हुआ है कि सबसे पहले नजरिया आंकलन जिसको ब्लेंक नोटिफिकेशन कहते हैं, के आधार पर एक जमीन का नोटिफिकेशन हुआ कि यह भूमि वन विभाग की है. इसके बाद सर्वे डिमार्केशन स्कीम में उसका सर्वे हुआ और फिर धारा 4(1) के अधिसूचित वन खंडों में शामिल किया गया. जमीन दूसरी तो हस्तांतरित हो गई लेकिन उसका डी- नोटिफिकेशन नहीं हुआ. इसके बाद 1980 में वन संरक्षण अधिनियम आ गया. वन संरक्षण अधिनियम में डी-नोटिफिकेशन के लिए कुछ चीजों की अनिवार्यता है. आज की तारीख में उन अनिवार्यताओं को पूरी नहीं कर पा रहे हैं और किन्हीं कारणों से वह डी-नोटिफिकेशन वन भूमि से अलग हो नहीं पाया. नियमानुसार तो वह भूमि जंगल की है लेकिन कई स्थानों पर कब्जा राजस्व विभाग का है.
अध्यक्ष महोदय-- बैतूल जिले के माननीय सदस्यों के साथ बैठकर चर्चा करके,निराकरण कर दें.
श्री हेमंत खंडेलवाल-- अध्यक्ष जी....
अध्यक्ष महोदय-- हेमंत जी मैंने वही कहा है कि आप माननीय सदस्यों के साथ बैठ कर इसका निराकरण कर दें.
डॉ गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष जी, हम बार बार बैठ सकते हैं लेकिन सदस्यों के साथ बैठ कर निराकरण नहीं हो पाएगा. वन संरक्षण अधिनियम से निराकरण होगा. वन संरक्षण अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट ये दोनों हमें पालन करने के लिए बाध्य करते हैं. यहां यह परेशानी है.
अध्यक्ष महोदय-- जैसा कि वह कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट..
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- उनसे हम तैयार हैं, हम बैतूल भी जा सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप उनको कंवीन्स कर दें.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- हम बार बार बैठ सकते हैं लेकिन यह भी हमें मालूम है कि परिणाम में निराकरण नहीं हो पाएगा तो ऐसे आश्वासन का कोई औचित्य नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- एक बार आप तैयारी से बैठें.
श्री हेमंत खण्डेलवाल-- आप बैठक का आश्वासन दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठक का आश्वासन दे दीजिए.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- आप बैठक का विषय बदल दीजिए फिर रोज बैठक करिए. (हंसी) लेकिन यदि यह विषय रहेगा तो निराकरण उसका होना नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य इस विषय पर माननीय मंत्री जी से समय लेकर बैतूल जिले के सभी सदस्य बैठ जाएं.
श्री हेमंत खण्डेलवाल-- ठीक है.
11.24 बजे स्वागत उल्लेख
लोक सभा बीपीएसटी के अधीन प्रशिक्षणरत् 28 देशों के विधायी अधिकारियों का सदन में स्वागत.
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अध्यक्ष महोदय-- आज सदन की विशिष्ट दीर्घा में लोक सभा बीपीएसटी के अधीन प्रशिक्षणरत् 28 देशों के विधायी अधिकारी उपस्थित हैं, सदन की ओर से उनका स्वागत है. We welcome you in our assembly.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
प्रधानमंत्री आवास योजना का क्रियान्वयन
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
6. ( *क्र. 3680 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रधानमंत्री आवास योजना के ग्रामीण क्षेत्रों में क्रियान्वयन के क्या दिशा-निर्देश हैं एवं आवास स्वीकृति हेतु पात्रता के क्या पैमाने हैं एवं इस हेतु क्या प्रक्रिया अपनाई जा रही है? सन् 2022 तक सबको आवास उपलब्ध कराने हेतु मध्यप्रदेश में योजनान्तर्गत इस वर्ष कितना आवंटन प्राप्त हुआ है? जिलेवार विवरण देवें। (ख) आगर जिला अंतर्गत इस वर्ष कितना आवंटन/लक्ष्य प्रधानमंत्री आवास योजनान्तर्गत प्राप्त हुआ है? प्राप्त आवंटन/लक्ष्य/मध्यप्रदेश को प्राप्त आवंटन/लक्ष्य का कितना प्रतिशत है? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित पात्रता/पैमाने अनुसार प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र सुसनेर अंतर्गत कितने लोग आवास योजना अंतर्गत पात्र हैं? ग्रामवार सूची उपलब्ध करावें। इनमें से कितने लोगों को आवास स्वीकृत किये जाकर प्रथम किस्त जारी की जा चुकी है एवं शेष हितग्राहियों को कब तक आवास स्वीकृत होंगे? (घ) क्या आवास हेतु पात्र व्यक्तियों/परिवारों के परीक्षण हेतु अधिकारी/कर्मचारी के दल द्वारा निरीक्षण किया था? यदि हाँ, तो क्या निरीक्षण दल ने प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रावधान अनुसार जाँच की है? यदि नहीं, तो क्या जाँच में विसंगतियों का स्वतः संज्ञान लिया जाकर पात्र व्यक्तियों को आवास उपलब्ध कराने हेतु प्रभावी कार्यवाही की जावेगी व जिम्मेदारों पर कार्यवाही की जावेगी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) एवं (ख) प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत् हितग्राहियों का चयन सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना-2011 (SECC-2011) में सूचीबद्ध परिवारों की परस्पर वंचितता की तीव्रता के आधार पर करने के दिशा-निर्देश हैं। सर्वोच्च प्राथमिकता आवासहीन परिवारों को, दूसरी प्राथमिकता शून्य कक्ष कच्चा परिवारों को एवं तीसरी प्राथमिकता एक कक्ष कच्चा श्रेणी आवास परिवारों को वंचितता की तीव्रता के क्रम से देने की है। SECC-2011 के अनुसार मध्यप्रदेश में 23,023 आवासहीन 53,562 शून्य कक्ष कच्चा आवास एवं 29,22,647 एक कक्ष कच्चा आवास वाले परिवार हैं। भारत सरकार ने वर्ष 2019 तक के लिए मध्यप्रदेश के लिए 11.78 लाख आवास निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें से वर्ष 2016-17 के लिए 4.48 लाख व वर्ष 2017-18 के लिए 4.96 लाख आवास का लक्ष्य निर्धारित है। इसके विरूद्ध प्रदेश में विभिन्न ग्रामों के लिए 9.44 लाख लक्ष्य देते हुए हितग्राहियों के भौतिक सत्यापन पश्चात् पात्र पाये जाने वाले परिवारों को स्वीकृति के निर्देश दिये गये हैं। (ग) सुसनेर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों में लक्षित हितग्राही संख्या 3509 है, जिनमें से 1024 हितग्राहियों को प्रथम किश्त की राशि जारी की गई है। शेष हितग्राहियों की पात्रता का भौतिक सत्यापन एवं भारत सरकार की वेबसाईट पर स्वीकृति की प्रकिया पूरी होने पर स्वीकृति संभव है। स्वीकृत प्रकरणों की ग्रामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) SECC-2011 में सूचीबद्ध परिवारों की पात्रता का भौतिक सत्यापन कराये जाने के उपरांत अपात्रों को चिन्हित कर पात्रता क्रम में अगले परिवार का चयन करने की प्रकिया अपनाई गई है। SECC-2011 में सूचीबद्ध परिवारों में नाम जोड़ना अथवा संशोधन करना राज्य शासन के क्षेत्राधिकार में नहीं है।
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले तो प्रधानमंत्री आवास योजना के लिये देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि सबके लिये आवास की सुध उन्होंने ली और क्राईटीरिया बनाया जिसमें सबको आवास सुनिश्चित हो सके और जिस तरह से हमारे प्रदेश में मुख्यमंत्री जी और पंचायत मंत्री जी ने इसको अंजाम दिया उसके लिये मैं उनको बधाई देता हूं. मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि यह जो सूची है यह किसी के पास उपलब्ध नहीं है. 2022 तक किन-किन को आवास की पात्रता है उसकी सूची अगर नोटिस बोर्ड पर चस्पा हो जाये,पंचायतों में बोर्ड पर पेंट हो जाये ताकि जो लोग कुछ लोगों को भ्रमित करते हैं तो वे लोग भ्रमित होने से बचेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का बहुत अच्छा सुझाव है और हम लोगों ने यह तय किया है निर्देश भी जारी हो गये हैं कि अगले तीन वर्षों में 2017-18,2018-19,2019-20, जितने भी आवास आवंटित होना है जो लाभान्वित हितग्राही हैं उनकी सूची पूरी पारदर्शिता के साथ पंचायतों की दीवाल पर टांग दें,सार्वजनिक कर दें. सरपंचों,पंचों सबके लिये उपलब्ध करा दें ताकि किसी भी प्रकार की कोई गड़बड़ी उसमें न हो, यह माननीय सदस्य का सुझाव बहुत अच्छा है. इसके लिये हमने निर्देश भी जारी कर दिये हैं और हमारा प्रयास है जो प्रधानमंत्री जी की मंशा है और हम सबकी मंशा है उसी के अनुसार हम यह काम करेंगे और जो लक्ष्य है उस लक्ष्य की हम समय से पहले ही पूर्ति कर देंगे और मुझे कहते हुए खुशी है कि हम देश में फिलहाल सबसे आगे हैं. हमारे आवास बनना भी शुरू हो गये हैं. पहली किश्त भी हमारी जारी हो चुकी है इस कारण हमें डेढ़ लाख अतिरिक्त आवास भी मिले हैं और आगे भी हमें और भी ज्यादा आवास प्राप्त होंगे और कोई भी आवासहीन व्यक्ति मध्यप्रदेश में नहीं रहेगा.
श्री मुरलीधर पाटीदार - अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसर प्रश्न मंत्री जी से यह है कि कई जगह इनके पास मकान बनाने की जमीन नहीं है तो उनको ग्राम आबादी में भी पट्टा देना चाहिये और मेरे विधान सभा क्षेत्र में 19 पंचायतें शाजापुर जिले की पड़ती हैं. आपने सुसनेर जनपद पंचायत की 742 की लिस्ट दी,नलखेड़ा जनपद की 386 की और मोहन बड़ौदिया जनपद की 19 पंचायतों के नाम इसमें नहीं है तो क्या वहां एक भी प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत नहीं किया है या अधिकारी ने जानबूझकर उसको माना ही नहीं है. क्या मोहन बड़ौदिया इसके अंतर्गत नहीं आता है, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार ने 2011 में एस.ई.सी.सी. की सूची प्रकाशित की थी.सामाजिक आर्थिक जनगणना की सूची के आधार पर ही आवासहीनों की सूची बनाई गई जिसे 2016 में जारी किया गया. मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि ऐसा कई गांवों में हुआ है जहां इस समय शून्य या एक या दो आवास हैं और कई ग्राम ऐसे हैं जहां 100 हैं लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि एक भी व्यक्ति आवासहीन है वह या जिसका एक कच्चा कमरा है वह, इसकी पात्रता में जो भी व्यक्ति आएंगे वह एक भी व्यक्ति मध्यप्रदेश में नहीं रहेगा यह प्रधानमंत्री जी का भी कहना है और जो निर्देश हैं उसके अनुसार हम करेंगे. कई जगह ऐसा हुआ है कि जो पहली सूची आई है पहली सूची में नाम नहीं है लेकिन अगले वर्ष की सूची में नाम है. माननीय सदस्य को उनके विधान सभा क्षेत्र की 3 वर्ष की उपलब्ध करा दूंगा शायद वे इससे संतुष्ट हो जायेंगे कि एक भी व्यक्ति,एक भी गांव ऐसा नहीं रहेगा जहां पात्र व्यक्ति आवास से वंचित हो.
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा उत्तर नहीं आया. मेरा प्रश्न यह है कि आप अंदाज लगा लें 19 पंचायतें हैं उस बड़ौदिया जनपद में.
अध्यक्ष महोदय - आप सूची तो देख लीजीये.
श्री मुरलीधर पाटीदार - सूची मिली ही नहीं अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - वे उपलब्ध कराएंगे उसके बाद आप संतुष्ट न हों तो उनसे बात करें.
श्री मुरलीधर पाटीदार - अध्यक्ष महोदय, आज क्यों नहीं मैंने प्रश्न पूछा है. प्रश्न यह है कि मोहन बड़ौदिया जनपद पंचायत के तीन विधायक हैं मैं, अरुण जी और हाड़ा साहब, उस जनपद के बारे में कोई सुनने को तैयार नहीं है. अधिकारियों ने जानबूझकर लापरवाही की है और उनको दण्ड मिलना चाहिये. 19 पंचायतों में क्या एक भी आवास नहीं है ?
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, शायद सदस्य इस विषय को समझ नहीं पा रहे, मेरे स्वयं के विधान सभा क्षेत्र में जब मैंने इस वर्ष की सूची देखी तो कहीं पर 50 आवास थे और कहीं पर एक आवास भी नहीं था. मैंने अपने अधिकारियों से चर्चा की, भारत सरकार से भी चर्चा की और अगले 3 वर्षों के अंदर मैंने देखा कि वह सारे गांव जो इस साल की सूची में नहीं थे, जहां एक भी आवास नहीं था, वहां पर अगले साल की सूची जब हमने देखी तो उसमें सौ-सौ, डेढ़-डेढ़ सौ आवास हैं, इस कारण से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि आप यह आशंका बिलकुल छोड़ दें. मैं फिर कहना चाहता हूं कि अभी यह वर्ष 2011 का सर्वे है जिसके आधार पर यह आवंटन हो रहा है, वर्ष 2011 से वर्ष 2016-2017 के बीच तक यदि किसी व्यक्ति ने योजना का लाभ अन्य किसी योजना में ले लिया होगा जिसमें इंदिरा आवास योजना है, मुख्यमंत्री आवास मिशन है, होम स्टेट है, अंत्योदय आवास है, इसके अंतर्गत ले लिया होगा तो उसको लाभ नहीं मिलेगा. दूसरी बात यह है कि यदि वह व्यक्ति वहां से चला गया होगा, वहां रहता नहीं होगा, तब भी उसको लाभ नहीं मिलेगा और तीसरी बात यदि उसने अपना पक्का मकान बना लिया होगा तो फिर उस व्यक्ति को उसमें से पृथक कर दिया जायेगा. इसके अलावा एक भी व्यक्ति राज्य में ऐसा नहीं रहेगा जो आवासहीन हो और उसके लिये आवास नहीं मिले. इसकी मैं सदन में घोषणा करता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- (श्री मुरलीधर पाटीदार के खड़े होने पर) नहीं अब नहीं, आप बैठ जायें बहुत लंबा प्रश्न हो गया आपका. अब कोई अलाऊ नहीं है, कुछ नहीं लिखेंगे. श्री कश्यप जी को पूछने दें. एक मिनट कश्यप जी विपक्ष के नेता जी खड़े हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय मंत्री महोदय ने कहा कि आपके क्षेत्र की अगले 3 साल की सूची मैं दे दूंगा. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है, सभी विधान सभा क्षेत्रों को वह सूची उपलब्ध हो जाये, अगले 3 साल के लिये कौन-कौन से पात्र हैं, विभाग की जो भी सूची बनी हो वह सूची, हर विधायक को ब्लॉकवार उनके क्षेत्र की मिल जाये.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक नेता प्रतिपक्ष जी का सवाल है, 3 वर्षों की सूची जनपदों में ही उपलब्ध हैं और उनके पास में ही उसका डेटा है. सारे जनपदों को पहले भी निर्देश जारी किये जा चुके हैं और अभी भी हम कर देंगे कि वह माननीय सदस्यों को 3 वर्षों की सूची उपलब्ध करा दें. पूरी पारदर्शिता के साथ में वह सूची जनपदों में उपलब्ध रहे और जिन-जिन पंचायतों और जिन-जिन ग्रामों के लिये आवंटन हुआ है उन ग्रामों के लिये भी उपलब्ध करवा दें, हितग्राहियों के नाम उपलब्ध करवा दें, संख्या उपलब्ध करवा दें, यदि उसका मकान बन गया होगा तो उसके लिये पृथक कर दिया जायेगा, इस कारण से अगली जो ग्रामसभा होगी उसमें यह प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी.
विशेष औद्योगिक क्षेत्रों की स्थिति
[वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार]
7. ( *क्र. 4361 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम में बांगरोद के 33.500 हेक्टेयर तथा करमदी के 18.150 हेक्टेयर क्षेत्र में निर्माणाधीन विशेष औद्योगिक क्षेत्रों की क्या स्थिति है? इसके उद्योग कब से प्रारंभ होंगे? (ख) करमदी में बन रहे नमकीन कलस्टर में अब तक कितना काम हो चुका है? यह कब तक पूरा होगा? (ग) इसमें अब तक कितने प्लॉट आवंटित किये जा चुके हैं?
खनिज साधन मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) रतलाम जिले के औद्योगिक क्षेत्र बांगरोद एम.एस.एम.ई. विभाग के अधीन जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र रतलाम के आधिपत्य में है। विभाग के अंतर्गत रतलाम जिले के औद्योगिक क्षेत्र करमदी में 18.15 हेक्टेयर भूमि पर दिनांक 22.12.2015 को अधोसरंचना विकास कार्य प्रारंभ किये गये हैं। औद्योगिक क्षेत्र करमदी में दिसंबर 2018 तक उद्योग प्रारंभ होने की संभावना है। (ख) करमदी में बन रहे नमकीन क्लस्टर में अभी तक निम्न निर्माण कार्य पूर्ण किये गये हैं :- 3.0 कि.मी. सीमेंट कांक्रीट रोड, 2.5 कि.मी. स्ट्रॉम वाटर ड्रेन, जल प्रदाय हेतु 2.20 कि.मी. पाईप लाईन का कार्य, 2.72 कि.मी. सीवर लाईन, बॉटम डोम स्तर तक पानी की टंकी का कार्य, अपर डोम स्तर तक भूमि का सम्पवैल निर्माण कार्य। दिनांक 31.12.2017 तक कार्य पूर्ण होना संभावित हैं। (ग) नमकीन क्लस्टर करमदी जिला रतलाम में अभी तक 05 प्लाट आवंटित किये गये हैं।
श्री चेतन्य कुमार काश्यप-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा उद्योग मंत्री जी से प्रश्न था कि रतलाम के बांगरोद में साढ़े 33 हेक्टेयर भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव था परंतु अभी तक वह भूमि उद्योग विभाग के कब्जे में है, ऐसा मुझे जवाब दिया है, परंतु उसकी क्या स्थिति है, क्योंकि उस भूमि पर जाने का मार्ग बांगरोद ग्राम के अंदर से जाता है, कोई भी उद्योगपति अगर वहां आता है तो उसे जाने का मार्ग भी नजर नहीं आता है. अत: कोई भी उद्योगपति वहां उद्योग लगाने में रूचि नहीं दिखाता है. इसके बारे में मैं जवाब चाहूंगा कि उसके आगे की क्या कार्य योजना है. दूसरा करमदी के अंदर नमकीन कलस्टर जिसका शिलान्यास माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा किया गया मुझे जवाब में बताया गया कि उसकी सड़कें तथा अधोसंरचना का कार्य प्रगति पर है और वर्ष 2018 के अंदर वहां पर उद्योग प्रारंभ होंगे और उसके निर्माण कार्य की जो पूर्णता है वह वर्ष 2017 बताई गई है, जबकि अभी तक वहां पर पावर स्टेशन की कोई व्यवस्था नहीं है. जब वहां पर पॉवर स्टेशन बनेगा तभी उद्योग लग सकते हैं इसका बड़ी स्पष्टता से उत्तर में उल्लेख नहीं है और जब तक पॉवर स्टेशन नहीं लगेगा तब तक उद्योग लग नहीं सकता है.रतलाम में नमकीन का व्यवसाय है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाने के लिये हमने जीआई की व्यवस्था भी की है परंतु डेढ़ वर्ष तक कोई इंतजार करेगा तो वहां का नमकीन का व्यवसाय प्रभावित होगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक करमदी औद्योगिक क्षेत्र का सवाल है वह सीधा मेरे विभाग के अंतर्गत आता है, जैसा जवाब में है कि दिसम्बर, 2017 तक इस काम को पूरा कर लेंगे. पॉवर स्टेशन के काम में भी 4-6 माह से अधिक का समय लगता नहीं है इसलिये दिसम्बर 2017 तक माननीय सदस्य की इच्छा के अनुसार इस काम को पूरा करने का काम होगा. जहां तक बांगरोद का सवाल है यह सीधे मेरे विभाग के अंतर्गत नहीं आता है, एम.एल.एम.ई. विभाग जब से बन गया है यह जिला उद्योग केन्द्र के अंतर्गत आता है क्योंकि यह इन्ड्रस्ट्रीइल एरिया है जिसका फिजिबिल्टी स्टडी और सर्वे के काम के लिये राशि की मांग की गई है. अपने संचालनालय से उन्होंने मांग की है. अभी वह स्वीकृत नहीं हुआ है और माननीय सदस्य जैसा कह रहे हैं कि वहां पर पोटेन्शियल उतना ज्यादा नहीं है इसीलिये शायद वहां के लिये राशि स्वीकृत नहीं हो पाई है.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बांगरोद के बारे में बड़ा स्पष्ट जवाब है कि वह एम.एस.एम.ई. विभाग के पास आरक्षित है, उन्हें भूमि प्राप्त हो चुकी है. अत: मंत्री जी के विभाग का सीधा कार्य है और पोटेन्शिलिटी के बारे में तो अभी मैंने बताया ही नहीं है. पोटेन्शिलिटी वहां पर काफी है , काफी उद्योगपति आकर के गये हैं परंतु वह गांव के अंदर से रास्ता है जिसके कारण वहां से न कोई ट्रक अंदर जा सकता है न जाने का कोई एप्रोच है . जब तक उद्योग विभाग ऐसी संरचना नहीं करेगा तब तक वहां पर उद्योगपति रूचि क्यों बतायेगा. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एम.एस.एम.ई. विभाग के मंत्री श्री संजय पाठक जी से मैं चर्चा कर लूंगा . एम.एस.एम.ई. विभाग उनके अंतर्गत आता है. उनसे बात करके जैसा माननीय सदस्य कह रहे हैं कि वहां पर पोटेन्शियल अच्छा है, तेजी से जो प्लाट विकसित होंगे वह तेजी से बिकेंगे तो निश्चित रूप से इसमें आगे बढ़ने के लिये संबंधित विभाग के मंत्री जी से मैं बात कर लूंगा.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप-- मंत्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष(श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा तो भारतीय जनता पार्टी के कोषाध्यक्ष महोदय से अनुरोध है कि वह अगली इन्वेस्टर्स समिट का इंतजार करें, उसके बाद ही कुछ होगा.
मनरेगा के तहत् स्वीकृत कार्यों में मजदूरी का भुगतान
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
8. ( *क्र. 3690 ) श्री रामनिवास रावत : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माह जनवरी, 2017 की स्थिति में श्योपुर जिले में मनरेगा के तहत् स्वीकृत कार्यों में कितने कार्य अपूर्ण एवं अप्रारम्भ हैं? अपूर्ण रहने के क्या कारण हैं। इन कार्यों में कितनी राशि का भुगतान क्रय की गई सामग्री एवं कितना मजदूरी का किया जाना शेष है? अपूर्ण कार्यों को पूर्ण कराने एवं मजदूरों को शेष राशि का भुगतान कब तक करा दिया जावेगा। जनपदवार जानकारी देवें। (ख) वर्ष 2016-17 में मनरेगा के तहत् कौन-कौन से कार्य, कितनी राशि के कब स्वीकृत कर किसे एजेंसी बनाया गया है? इन पर प्रश्न दिनांक तक कितना व्यय किया गया, कौन-कौन से कार्य स्वीकृत करने पर किस कारण से रोक लगी हुई है? (ग) क्या मनरेगा अधिनियम की अनुसूची II पैरा 29 के प्रावधानों के अनुरूप मजदूरी भुगतान में 15 दिनों से अधिक देरी से किये गए सभी भुगतानों के लिए क्षतिपूर्ति तुरंत प्रदान करने के आदेश हैं? यदि हाँ, तो उक्त आदेशों के क्रम में श्योपुर जिले में कुल कितनी क्षतिपूर्ति राशि दी जाना थी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) माह जनवरी 2017 की स्थिति में श्योपुर जिले में महात्मा गांधी नरेगा के तहत् स्वीकृत कार्यों में से 3419 कार्य अपूर्ण हैं। जिनकी जनपद वार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। योजना मांग आधारित होने से कार्यों का पूर्ण होना जॉबकार्डधारी श्रमिकों द्वारा रोजगार की मांग पर निर्भर है। इन कार्यों में सामग्री व मजदूरी का भुगतान शेष नहीं है। (ख) वर्ष 2016-17 में महात्मा गांधी नरेगा के तहत् खेल मैदान, शांतिधाम, आंगनवाड़ी, सुदूर सड़क एवं तालाब आदि 384 कार्य रू. 2114.56 लाख के स्वीकृत किए गए। क्रियान्वयन ऐजेन्सी संबंधित ग्राम पंचायत है। प्रश्न दिनांक तक राशि रू. 755.21 लाख व्यय किए गए। महात्मा गांधी नरेगा के तहत् मजदूरी मूलक कार्य जिनसे स्थाई परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है, को छोड़कर शेष पर रोक है। (ग) जी हाँ। श्योपुर जिले में कोई क्षतिपूर्ति राशि अधिरोपित नहीं है।
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय पंचायत मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मंत्री जी ने अपने जवाब में बताया है कि अभी 3419 कार्य अपूर्ण है. मंत्री जी बतायें कि पूर्ण कितने हुये थे और पूर्ण की संख्या क्या है. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने उत्तर में बताया है कि महात्मा गांधी नरेगा के तहत मजदूरी मूलक कार्य जिनसे स्थाई परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है वही किये हैं. रोजगार गारंटी योजना अधिनियम के तहत क्या अन्य कार्यों जैसे बंधान, मेढ़ बंधान, जमीन का समतलीकरण करना, सड़कें बनाना क्या इन कार्यों पर रोक लगी है. यदि है तो आपने रोक किन कारणों से लगाई है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न मैं भी पूछना चाहता हूं कि इस पूरे सत्र में रामनिवास जी क्यों नहीं आ रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय- रामनिवास जी का पत्र भी आ गया था. उनके बच्चे की शादी है. पारिवारिक कार्यक्रम में व्यस्थ होने के कारण वे सदन में नहीं आ रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- या अन्य कोई कारण है तो डॉ.साहब बता दें और फिर प्रश्नों के लिये डॉ.साहब को ही क्यों नियुक्त किया है.(हंसी)
श्री अजय सिंह -- क्योंकि आप नाच देख रहे थे, आपको जानकारी पूरी नहीं है कि उनके यहां पर बच्चे की शादी है.
श्री बाला बच्चन -- आप मंत्री पूरे प्रदेश के हैं या रेहली विधानसभा के ही मंत्री हैं.बड़ा ध्यान रखते हैं आप कि कौन विधायक नहीं आया .
श्री गोपाल भार्गव -- मैं प्रदेश का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंत्री हूं.
श्री बाला बच्चन- आपने 95% ग्रांटफंड रेहली में लगा दिया है.
वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रतिपक्ष के नेता और अन्य सदस्य अकारण सदन का समय बर्बाद कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न आने वाला है. (हंसी)
कुं.विक्रम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यवधान पुरूष आज बोल रहे हैं कि व्यवधान हो रहा है . (हंसी)
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने प्रश्न किया है कि 3419 कार्य अपूर्ण हैं पूर्ण कितने है. मैं जानकारी में लाना चाहता हूं कि इसमें से 3400 में कार्य पूर्ण कर लिये गये है .इसमें 1197 कार्य सामुदायिक नेचर के हैं और 2204 कार्य हितग्राहीमूलक कार्य हैं इस तरह से 3400 कार्य पूर्ण कर लिये गये हैं. और जो सामुदायिक कार्य अपूर्ण है, ये भी लगभग 50 प्रतिशत से ज्यादा पूर्णता की ओर है और इस वर्ष शीघ्रता से पूर्ण कर लिए जाएंगे. दूसरा प्रश्न जो आपने किया है कि क्या मनरेगा के अंतर्गत जो कार्य चल रहे हैं, उनको बंद कर दिया गया है. काम कोई भी बंद नहीं किया गया है सिर्फ पशु शेड का दुरूपयोग हो रहा था, पशु थे नहीं और पशु शेड का दुरूपयोग हो रहा था, पशु शेड की स्वीकृतियां हो रही थी और उसका उपयोग कई तरह से रहने के लिए हो रहा था, जब इस तरह की शिकायत आई तो इस कारण सिर्फ पशु शेड का कार्य बंद किया गया है, बाकी सड़कों का काम, ग्रेवल रोड का काम, मेढ़ बंधान का काम सभी तरह के काम चालू हैं, इसमें कोई रोक नहीं है.
डॉ गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि अभी मजदूरों के माध्यम जो सड़कों बगैरह के कार्य हुए हैं, अभी तक दो-दो तीन-तीन महीने से राशि नहीं आई है जनपद पंचायत के सीईओ का कहना था कि शासन से पैसा नहीं आ रहा है, इसलिए हम पेमेंट नहीं करेंगे. 6-6 महीनों का भुगतान नहीं हुआ है और कई लोगों का साल-साल भर का भी भुगतान नहीं हुआ है. मैं जानना चाहता हूं कि भिण्ड जिले में जनपद पंचायत में पुराने कार्य का मजदूरों का शेष भुगतान कब तक भेज देंगे. दूसरा, कई जगह ऐसा बताया गया है कि सड़कों के काम और मिट्टी के काम पर भी रोक लगाई गई है. इस प्रकार की सड़कें, मेढ़बंधान, समतलीकरण के कार्य के लिए क्या आप शासन स्तर से निर्देश जारी करेंगे और क्या जिन मजदूरों को समय पर भुगतान नहीं हुआ उनको मनरेगा अधिनियम की अनुसूची II पैरा 29 के प्रावधानों के तहत अलग से इन्सेंटिव देने संबंधी भुगतान कराएंगे.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा सभी जानते हैं कि पूरे देश में डिजिटलाइेजेशन एवं कैशलैस व्यवस्था का काम आगे बढ़ रहा है. हमारे पास में पर्याप्त बैंक और पोस्ट आफिसों की इतनी शाखाएं नहीं हैं कि मजदूरों का भुगतान हम समय पर कर सकें. हालांकि माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि वर्तमान में मनरेगा के अंतर्गत हमारे पास राशि की कोई कमी नहीं है, राशि पर्याप्त है. भिण्ड एवं श्योपुर जिले में जिन जिन मजदूरों की राशि शेष होगी उसका हम परीक्षण करवा लेते हैं. वैसे भिण्ड जिले में रोजगार गारंटी का काम ज्यादा होता नहीं है (हंसी..) सबसे कम लेबर भिण्ड जिले में हैं, वहां जितने कर्मचारी है उतने तो लेबर भी नहीं है, वहां तो कंधों पर बंदूक टांगी और घूमना लोगों का शौक है.
वित्तीय अनियमितता के दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
9. ( *क्र. 4602 ) पं. रमेश दुबे : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में मनरेगा स्कीम के तहत् वित्तीय अपराध करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों/सरपंचों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु किन नियमों में क्या प्रावधान हैं? नियम एवं आदेश-निर्देश की प्रति संलग्न करें। (ख) क्या ग्राम पंचायत जमुनिया विकासखण्ड चौरई जिला-छिन्दवाड़ा में मोक्षधाम निर्माण, फर्जी जॉब कार्ड के आधार पर मजदूरी में अनियमितता तथा नियम विरूद्ध पशु शेड निर्माण में हितग्राहियों का चयन, बिना तकनीकि स्वीकृति के भुगतान, स्वीकृत राशि से अधिक भुगतान के लिए पूर्व सरंपच, सचिव एवं इंजीनियर्स को वित्तीय अपराध का दोषी पाया गया है? यदि हाँ, तो दोषियों के नाम, पता एवं पदनाम सहित जानकारी दें? (ग) अभी तक दोषियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं कराने के क्या कारण हैं? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? क्या यह माना जाय कि जनपद पंचायत और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी दोषियों को प्रश्रय दे रहे हैं? यदि नहीं, तो कब तक दोषियों के विरूद्ध थाने में समस्त सुसंगत दस्तावेजों सहित प्राथमिकी दर्ज करा दी जावेगी? (घ) क्या शासन, पृथक-पृथक समय पर तीन बार जाँच में ग्राम पंचायत जमुनिया के पूर्व सरपंच, सचिव व इंजीनियर्स को वित्तीय अपराध का दोषी पाये जाने पर भी उनके विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं करने, वित्तीय अपराधियों को प्रश्रय देने वाले अधिकारियों को भी वित्तीय अपराध के दोषियों के साथ सह आरोपी बनाते हुए उनके विरूद्ध थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश देगा?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) मध्यप्रदेश में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत् वित्तीय अपराध करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों/सरपंचों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु पृथक से कोई विशेष प्रावधान नहीं है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। वित्तीय अपराध एवं अनियमितता की गंभीरता को देखते हुए भारतीय दण्ड संहिता, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (1988), पंचायतराज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993, मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1966 एवं संबंधित अधिकारी/कर्मचारी की संविदाकर्मी की सेवा-शर्तों के तहत् यथोचित कार्यवाही करने की व्यवस्था है। (ख) जी हां जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) परिशिष्ट अनुसार कार्यवाही की गई है. शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता (घ) परिशिष्ट अनुसार कार्यवाही की गई है. शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता.
पंडित रमेश दुबे - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पांचवी बार प्रश्न लगाया, जिसमें जवाब प्राप्त हुआ, मोक्षधाम निर्माण, गुणवत्ताहीन कार्य, अपात्र पशु शेड की राशि प्रदाय कराया जाना, फर्जी जॉबकार्ड, मजदूरी का भुगतान कराया जाना, एक बिल को दोबारा भुगतान किया जाना. इस प्रकार से फर्जी तरीके से पंचायत में घोटाले हुए, मेरे द्वारा पिछले समय में भी इस प्रकार के प्रश्न लगाए गए. मेरे द्वारा लगाया गया प्रश्न क्रमांक 1805, दिनांक 14.12.2015 के उत्तर में जो आज उत्तर दिया गया है, यही उत्तर दिया गया था कि पशु शेड निर्माण में पात्रता की शर्तों एवं प्राथमिकता की प्रक्रिया का पालन किया गया है. दूसरी बार जब मैंने प्रश्न किया, प्रश्न क्रमांक 7768, दिनांक 31.03.2016 में जबाव मिला कि नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है. तीसरी बार प्रश्न लगाया प्रश्न क्रमांक 572, दिनांक 22.02.2016 में उत्तर मिला कि अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं. जब पांचवीं बार यह प्रश्न चर्चा में आया कि फर्जी मस्टर रोल के माध्यम से आहरण करने की राशि और वसूली करने की प्रक्रिया बताई गई है. माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, मैं जानना चाहता हूं कि पांचवी बार प्रश्न लगाने के पश्चात हमारे जिला के सीईओ और मनरेगा के प्रभारी द्वारा लगातार फर्जी मस्टर रोल के द्वारा आहरण करना और इस प्रकार से उनको संरक्षण प्रदान करने का काम जिला पंचायत के सीईओ के माध्यम से और मनरेगा के प्रभारी के माध्यम से किया जा रहा है. लाखों रुपये का गबन आपकी 2 या 3 पंचायतों में हुआ है. यह बात जांच के माध्यम से निकलकर आ रही है. मैं मंत्री जी से इस बात का आग्रह करुंगा कि जिस प्रकार का भ्रष्टाचार, बल्कि जिस लेखाधिकारी को पृथक किया गया है और उसके बैंक के खाते में लाखों रुपये जमा बताया गया है. मैं ऐसा चाहता हूं कि हमारे जो जिले के अधिकारी, जिस प्रकार का संरक्षण और प्रश्रय देने का काम कर रहे हैं, जिला पंचायत के सीईओ और मनरेगा के प्रभारी, श्री प्रदीप उपासे, क्या इनको हटाकर इसकी प्रदेश स्तरीय जांच कराई जायेगी.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जैसा प्रश्न किया है, यह बात सही है कि गड़बड़ी हुई है और गुणवत्ताहीन काम हुए हैं. मूल्यांकन में भी गड़बड़ी हुई है. इन सब बातों को सिद्ध पाया गया है और इस कारण से हमने जो भी संबंधित व्यक्ति हैं, उनके विरुद्ध कार्यवाही कर दी है. माननीय सदस्य की यदि और भी अधिक कार्यवाही की कोई अपेक्षा है, तो वे इसके लिये भी बता दें. मैं अपने यहां भोपाल से वरिष्ठ अधिकारी को भेज करके माननीय सदस्य की उपस्थिति में और जांच करा लूंगा.
पं. रमेश दुबे -- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न पांचवीं बार सदन में चर्चा में आया, तब जाकर इस प्रकार की कार्यवाही की स्थिति निकलकर आई है और जिले के अधिकारी इस प्रकार के भ्रष्टाचार को प्रश्रय दे रहे हैं, जिसमें मैं इस बात का उल्लेख करुंगा कि जिला पंचायत के हमारे सीईओ एवं मनरेगा के प्रभारी, श्री उपासे और यह लाखों रुपये का भ्रष्टाचार सिद्ध हो चुका है, नितीश महावरे, जिसको सेवा से पृथक किया गया है, जिसके बैंक के खाते में यह राशि जमा निकली है और फर्जी मस्टर रोल के माध्यम से आहरण किया गया है. मैं मंत्री जी से इतना आग्रह करना चाहता हूं कि इस प्रकार का करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार छिंदवाड़ा जिले में हुआ है. जब तक जिला पंचायत के सीईओ और मनरेगा के प्रभारी, श्री उपासे, उनको हम जिले से बाहर नहीं करेंगे, तब तक सही जांच निकलकर नहीं आ पायेगी, यह स्थिति निकलकर आ रही है. मैं चाहता हूं कि हमें इनको हटाना चाहिये और इसकी भोपाल के अधिकारियों के द्वारा उच्च स्तरीय जांच कराना चाहिये, ऐसा मैं आग्रह करना चाहता हूं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, अपात्र व्यक्तियों को फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर लाभ देने तथा फर्जी मस्टर रोल बनाकर धनराशि आहरित करने के लिये पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गई है. यहां से अधिकारी भेज देंगे, जो भी दोषी होंगे, चाहे वे किसी भी स्तर के अधिकारी हों, चाहे जिला स्तर के अधिकारी हों, चाहे जनपद स्तर के हों, 7 दिन के अंदर हम पूरी जांच कराकर और कार्यवाही सुनिश्चित कर देंगे.
पं. रमेश दुबे -- अध्यक्ष महोदय, जिला स्तर के जो अधिकारी हैं, सीईओ, जिला पंचायत और मनरेगा प्रभारी, श्री उपासे, इनके माध्यम से यदि जांच करायेंगे, तो स्पष्ट स्थिति निकलकर नहीं आयेगी. ये उनको बचाने का काम कर रहे हैं और इसमें लाखों- करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है. पांचवीं बार विधान सभा के उत्तर में यह बात सिद्ध हो चुकी है. चार बार मेरे विधान सभा के प्रश्न में इनको निर्दोष करने का काम उन्होंने किया है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब प्रदेश स्तर से भेज रहे हैं. मंत्री जी, आप उनका समाधान करा दें.
पं. रमेश दुबे -- अध्यक्ष महोदय, नहीं, लेकिन जब तक जिला पंचायत के सीईओ और मनरेगा के प्रभारी को हटायेंगे नहीं, तब तक यह सम्भव नहीं हो पायेगा. सदन में प्रश्न के उत्तर में इस बात का जवाब दिया गया है. उनको आप हटाकर जांच करायें और यदि गलत सिद्ध हो जाये,तो मैं विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के लिये तैयार हूं, लेकिन आपको ऐसे भ्रष्ट लोगों को हटाना चाहिये.
..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, इस्तीफा देने की कोई आवश्यकता नहीं है. बड़ी मुश्किल से लोग जीतकर आ पाते हैं. बड़ी मुश्किल से टिकट मिलते हैं. रमेश जी, इस्तीफा देने की कोई जरुरत नहीं है, आपकी इच्छा के अनुसार सारे काम होंगे, आप चिंता नहीं करें.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें. उत्तर आने दीजिये. उत्तर तो आ जाने दें.
श्री आरिफ अकील -- मंत्री जी, जब वे कह रहे हैं, तो उनको वहां से हटाइये.
अध्यक्ष महोदय -- आरिफ अकील साहब, मंत्री जी की पूरी बात सुन लें, वे क्या कह रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, वहां का जो मनरेगा का अधिकारी है, उसको हम तत्काल हटा देंगे और चूंकि जिला पंचायत के सीईओ का क्षेत्राधिकार मेरा नहीं है, इसके बारे में भी हम मुख्यमंत्री जी से चर्चा कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या 10. ..(व्यवधान).. अभी जांच हो जाने दीजिये. जांच प्रदेश स्तर के अधिकारी से होगी.
पं. रमेश दुबे -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - अध्यक्ष महोदय, (XXX)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 10 श्रीमती प्रमिला सिंह.
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, उन्होंने इतनी गम्भीर बात की है. माननीय मंत्री महोदय जो बहुत सक्षम है,(XXX).
अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दें. जो पहले बोला था, वह भी कार्यवाही से निकाल दें.
श्री गोपाल भार्गव - (XXX).
श्री अजय सिंह - (XXX). इसको गम्भीरता से लें.
श्री शंकरलाल तिवारी - वह विधायक, जिसने प्रश्न लगाया है, वह धन्यवाद दे चुका है.
श्री अजय सिंह - पण्डित जी, 'अपना तो विराजी'.
श्री शंकरलाल तिवारी - (XXX).
श्री अजय सिंह - पाय लागी गुरुदेव, विराजी.
श्री शंकरलाल तिवारी - प्रश्न भाजपा विधायक का, (XXX).....
अध्यक्ष महोदय - यह भी कार्यवाही से निकाल दें और जो लिखा है, वह भी कार्यवाही से निकाल दें.
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक महोदय यह सदन सम्पूर्ण पार्टियों का है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 11 श्री प्रताप सिंह.
श्री अजय सिंह - एक सत्ता पक्ष के विधायक ने अपनी पीड़ा बताई, क्या हम उस पर नहीं उठ सकते हैं ?
श्री शंकरलाल तिवारी - वे विधायक जी धन्यवाद दे चुके हैं.
श्री अजय सिंह - धन्यवाद से बात नहीं होती है.
श्री शंकरलाल तिवारी - प्रश्नकाल का समय खराब हो रहा है.
श्री अजय सिंह - पण्डित जी, धन्यवाद से काम नहीं होता है.
अध्यक्ष महोदय - मेरा अनुरोध है कि नेताजी, अब आप इस विषय को समाप्त करें और आगे बढ़ने दें.
श्री अजय सिंह - आप समाप्त करिये, आगे बढि़ये. लेकिन जो बात उन्होंने कही, यह सिर्फ उनके क्षेत्र की बात नहीं है. बहुत सारे क्षेत्रों में इसी तरह है. माननीय मंत्री महोदय ने कहा कि हम सी.एम. से चर्चा करेंगे, लेकिन जब उन्होंने पहले कह दिया है कि उसे हटाने के बाद ही कुछ होगा तो हटवा दो.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, अब यह विषय समाप्त हो गया है.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राहुल जी नेता प्रतिपक्ष जब इस विभाग के मंत्री थे. यह विभाग आपके पास भी था और आपके जनपदों के सी.ई.ओ. आप शिक्षकों को बनाए थे, बाबूओं को बनाए थे, ओवरसियरों को बनाये थे. हमने व्यवस्था सुधारी है. आपके समय में पूरी व्यवस्था भंग हो गई थी.
श्री अजय सिंह - आपने तो व्यवस्था बिगाड़ी है.
श्री प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक 10 है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं. वह प्रश्न गया.
श्री प्रताप सिंह - मेरी विधानसभा का क्षेत्र का मामला था.
अध्यक्ष महोदय - आपने नहीं पूछा.
श्री प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने हाथ उठाया था.
अध्यक्ष महोदय - क्या उन्होंने आपको अधिकृत किया है ?
श्री प्रताप सिंह - नहीं, अधिकृत नहीं किया है.
अध्यक्ष महोदय - वह प्रश्न गया.
प्रश्न क्रमांक 10 - (अनुपस्थित)
प्रश्न क्रमांक 11 - (अनुपस्थित)
मिनी इंडोर स्टेडियम का निर्माण
[खेल और युवा कल्याण]
12. ( *क्र. 2778 ) श्रीमती योगिता नवलसिंग बोरकर : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नगर परिसर पंधाना में प्रस्तावित मिनी इंडोर स्टेडियम निर्माण की क्या स्थिति है? (ख) कौन से कारणों से मिनी इंडोर स्टेडियम नहीं बन रहा है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ) : (क) नगर परिसर पंधाना में प्रस्तावित इण्डोर खेल परिसर निर्माण की योजना को भारत सरकार के पत्र क्र. 30-01/एम.वाई.ए.एस./आर.जी.के.ए./2015/6419/6428, दिनांक 05.11.2015 द्वारा योजना की पुनः समीक्षा के कारण स्थगित रखे जाने की जानकारी दी गई है। भारत सरकार का पत्र संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार।
श्रीमती योगिता नवलसिंग बोरकर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूँगी और सर्वप्रथम तो मैं उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ कि उन्होंने मेरे नगर परिसर पंधाना विधानसभा में इंडोर स्टेडियम स्वीकृत किया. किन्तु 2-3 वर्ष हो गए अभी तक इसकी कोई प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है. मेरे प्रश्न में जो उत्तर आया है, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूँगी कि अविलम्ब उसका निर्माण हो और क्या भारत सरकार इसके लिए कोई प्रयास करेगी ?
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह राजीव गांधी खेल अभियान अब बंद हो गई है. इसके बाद अब 'भारत खेलो अभियान' चल रही हैं तो इसमें जो इंडोर हाल का इन लोगों ने जो निर्णय लिया था, वह अब पूरा का पूरा स्थगित हो गया है. भारत सरकार की जो योजनाएं अब नहीं चल रही हैं, उसमें हम अब कैसे दखल दें ?
श्रीमती योगिता नवलसिंग बोरकर - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह स्टेडियम स्वीकृत है किन्तु यह योजना की समीक्षा के लिए, भारत सरकार को लिखा गया है और माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करूँगी कि राज्य सरकार इसमें कुछ मदद करे ताकि खेल परिसर तैयार हो और खिलाडि़यों को इसका लाभ मिले.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया - अध्यक्ष महोदय, मैं भारत सरकार को लिखूँगी कि इसके ऊपर और थोड़ी सी और क्लेरिटी या स्पष्टीकरण मिल जाये तो हम देखने के लिए तैयार हैं.
श्रीमती योगिता नवलसिंग बोरकर - धन्यवाद, माननीय मंत्री जी.
जनपद पंचायत पवई एवं शाहनगर के अंतर्गत स्वीकृत निर्माण कार्य
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
13. ( *क्र. 3861 ) श्री मुकेश नायक : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनपद पंचायत पवई एवं शाहनगर के अंतर्गत वर्ष 2014 से दिसम्बर 2016 तक ऐसे कितने स्वीकृत निर्माण कार्य हैं, जो समय-सीमा में पूर्ण नहीं हुये हैं। (ख) स्वीकृत निर्माण कार्य समयावधि में पूर्ण नहीं होने पर उत्तरदायी अधिकारियों के विरूद्ध विभाग द्वारा अभी तक क्या कार्यवाही की गई है। (ग) अपूर्ण कार्यों से संबंधित अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की गई है। (घ) अपूर्ण निर्माण कार्यों को कब तक पूर्ण किया जाएगा।
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) :
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर मैं अभी इसी क्षण यह सिद्ध कर दूँ कि विभाग ने गलत जानकारी दी है तो क्या माननीय मंत्री जी संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - यह काल्पनिक प्रश्न है. आप व्यवस्थित प्रश्न पूछिये. (हंसी)
श्री मुकेश नायक - अध्यक्ष महोदय, यह काल्पनिक प्रश्न नहीं है. मैं मंत्री जी से विनम्रतापूर्वक यह ......
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नों में यदि नहीं होता है.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरा क्लब करके एक प्रश्न को दो भागों में पूछना चाहता हूं. मूल प्रश्न में मैंने मंत्री महोदय से जो जानकारी मांगी थी वह वर्ष 2012 से दिसम्बर 2016 तक की जानकारी मांगी थी. लेकिन इन्होंने प्रश्न को बदल दिया. इन्होंने वर्ष 2012 की जगह वर्ष 2014 से दिसम्बर 2016 तक की जानकारी दी जो अपने आप में भ्रामक है. दूसरी बात यह है कि विधान सभा में किस तरह से जवाब दिए जाते हैं इसकी चिन्ता सम्माननीय सदस्यों ने समय समय पर सदन में की है कि किस तरह से भ्रामक जवाब विधान सभा में दिए जाते हैं. विधान सभा लोकतंत्र का सबसे शक्तिशाली फोरम है. ऐसे जवाबों से उसकी गरिमा कितनी कम होती है.
अध्यक्ष महोदय-- आप भाषण न दें कृपया सीधे अपना प्रश्न करें.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, परिशिष्ट ''ब'' देखें. पंचायत में निर्माण कार्यों की जांच को लेकर जानकारी मांगी गई थी. परंतु क्या जानकारी दी गई है वह मैं आपको पढ़कर सुनाता हूं
अध्यक्ष महोदय-- आपके प्रश्न में कहां है?
श्री मुकेश नायक --- अध्यक्ष महोदय, पूरे निर्माण कार्यों की जानकारी दी है और उसके उत्तर में जो जानकारी आई है मैं आपको पढ़कर सुनाता हूं. परिशिष्ट में कार्यालयीन पत्र क्रमांक 2839 जिला पंचायत एस.बी.एम./201 पृष्ठ 46 दिनांक 10.05.2016 के माध्यम से जनपद पंचायत शाह नगर को जांच हेतु पत्र प्रेषित किया गया. मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत शाह नगर द्वारा जांच के आधार पर पत्र क्रमांक 1278 / 4.06.2017 के माध्यम से अनुविभागीय अधिकारी शाह नगर को सरपंच सचिव के विरुद्ध वसूली की कार्यवाही के लिए पत्र प्रेषित किया गया. मंत्री जी अभी 2017 कहां आया है. 04.06.2017 को जिला पंचायत ने पत्र कहां से लिख दिया?
अध्यक्ष महोदय-- इसमें परिशिष्ट कहां है?
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, परिशिष्ट इस समय मेरे पास मौजूद है. माननीय मंत्री जी दूसरा उत्तर आपने दिया है. 2431 अपूर्ण कार्य हैं. इसमें मैंने जो मूल प्रश्न पूछा है. 2012 से 2016 तक कितने अपूर्ण कार्य हैं? वह आप मुझे बताने की कृपा करें और आप यदि तैयारी से नहीं आए हैं तो उसकी जानकारी मुझे पत्र द्वारा प्रेषित कर दें.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, आप मेरी संवेदनशीलता तो देखें. आपको जो पहले उत्तर दिया गया था उसकी जब मैंने ब्रीफिंग की तो मैं भी इस उत्तर से संतुष्ट नहीं था. आपको भी शायद जानकारी प्राप्त हुई होगी जब मुझे जिले से जानकारी मिली तो मैंने उन्हें कहा कि आप पूरी जानकारी लाएं, अद्यतन लाएं और उसके बाद में मैंने फिर से संशोधित उत्तर बुलवाया. यह प्रश्नों में संशोधन पढ़ने का प्रारूप है. यह मैंने माननीय सदस्य को लिए पूरा विस्तृत रूप से उपलब्ध कराया है. यह बात सही है कि कुछ कार्य अपूर्ण हैं. इसमें अूपर्णता के कारण भी बताए गए हैं लेकिन माननीय सदस्य जो जानना चाहते हैं कि कार्य पूर्ण हो तो मैं यही कहना चाहता हूं कि आपको हम शीघ्रातिशीघ्र जानकारी देंगे कि किन कारणों से काम अपूर्ण है और हम जल्दी से जल्दी उन कार्यों को पूर्ण करा लेंगे.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, मैं एक और प्रश्न पूछना चाहता हूं. अतिरिक्त स्कूल भवन में कक्ष निर्माण के लिए जो राशि आवंटित की गई थी. वर्ष 2007, 2008, 2009, 2010 में जो राशि स्वीकृत की गई वहां के अतिरिक्त भवन के निर्माण आज तक नहीं हुए हैं . जिन सरपंचों को, ग्राम पंचायतों को वह राशि दी गई उनका कार्यकाल खत्म हो गया है तो यह राशि कहां गई यह आज तक पता नहीं है. क्या माननीय मंत्री जी इसकी जांच कराएंगे?
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में जो सर्व शिक्षा अभियान चला था. उसके अंतर्गत एक कक्ष या दो कक्ष बनाने की राशि शिक्षा विभाग के द्वारा पंचायत विभाग को दी गई थी. निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत देती है. जिस कार्यकाल में राशि दी गई थी उस कार्यकाल के सरपंचों का पीरियड खत्म हो चुका है और जो माननीय सदस्य कह रहे हैं यह बात सही है कि सिर्फ पन्ना जिला ही नहीं बल्कि हमारे अधिकारियों ने समीक्षा की है तो हमने देखा है कि राज्य के कई जिलों में उस राशि का उपयोग नहीं किया गया और जो निर्माण कार्य होना थे वह कार्य निर्मित नहीं हुए. इस कारण से हमने कलेक्टर को, जिला पंचायत के सी.ई.ओ. को निर्देशित किया है कि उन तमाम सचिवों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए. जिन्होंने राशि का प्रभक्षण किया है या राशि का उपयोग नहीं किया है हम जल्दी से जल्दी उनके विरुद्ध सिविल जेल की कार्यवाही भी करेंगे, उनकी जायदाद की कुर्की की कार्यवाही भी करेंगे और अन्य प्रकार की जो भी विधिक आवश्यकताएं होंगी, प्रावधान होंगे उनके अन्तर्गत कार्यवाही करेंगे. यह सिर्फ पन्ना जिले में नहीं बल्कि पूरे राज्य में होगा.
श्री मुकेश नायक--जिन्होंने 2017 को पत्र लिखा है उनको समझाइश देंगे कि भविष्य में इस तरह की जानकारियां विधान सभा को न दें.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे स्वागत उल्लेख
श्री रघुनंदन शर्मा, पूर्व सांसद एवं लोकसभा बीपीएसटी के सलाहकार का सदन में स्वागत
अध्यक्ष महोदय--आज सदन की दीर्घा में पूर्व सांसद एवं लोकसभा बीपीएसटी के सलाहकार श्री रघुनंदन शर्मा उपस्थित हैं. सदन की ओर से उनका स्वागत है.
12.02 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय--निम्नलिखित सदस्यों की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी--
1. श्री मधु भगत
2. श्री केदारनाथ शुक्ल
3. श्री मेहरबान सिंह रावत
4. श्री भारत सिंह कुशवाह
5. श्रीमती शीला त्यागी
6. श्री घनश्याम पिरौनिया
7. श्री के.के. श्रीवास्तव
8. श्री फुन्देलाल सिंह मार्को
9. श्री बहादुर सिंह चौहान
10. श्री अशोक रोहाणी
12.02 बजे शून्यकाल में उल्लेख
(1) श्री हर्ष यादव (देवरी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है. मेरी विधान सभा क्षेत्र के सिलारी गांव के घायल व्यक्तियों के परिजनों द्वारा अपने हक की लड़ाई के लिए धरना प्रदर्शन किया गया था. उनके ऊपर पुलिस के द्वारा कार्यवाही की जा रही है, केस बनाए जा रहे हैं. उनके परिजन तो वैसे ही घायल हैं उनके ऊपर पुलिस केस न बनाए जाएं.
(2) श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है. शहडोल जिले की जयसिंहनगर तहसील अन्तर्गत सन्नौसी ग्राम के विजौरा नाले में जल संसाधन विभाग द्वारा बांध निर्माण का कार्य प्रारंभ है किन्तु स्थानीय ग्राम सभा सहित डूब प्रभावित किसानों को भारी आपत्ति है उन्होंने आन्दोलन कर वरिष्ठ अधिकारियों के सामने अपनी मांग रखी है. यह भी आरोप है कि बांध बलौड़ी में प्रस्तावित था किन्तु प्रस्तावित जगह को छोड़कर सन्नौसी में बनाया जा रहा है जिससे किसानों में भारी रोष एवं आक्रोश व्याप्त है.
(3) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के सात विश्वविद्यालय के अधिकारी और कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी और माननीय सदस्य कृपया अपने-अपने स्थान पर बैठें (कुछ माननीय मंत्रियों एवं सदस्यों द्वारा अधिकारी दीर्घा में उपस्थित अधिकारियों से बात करने पर)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, 5 लाख छात्र-छात्राओं पर इसका असर पड़ रहा है. परीक्षा नजदीक है सारा काम प्रभावित हो रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी सदन मैं बैठे हुए हैं उनसे आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूँ कि 7 विश्वविद्यालय अचानक हड़ताल पर हैं, यह चरणबद्ध है इसमें समन्वय की कहीं-न-कहीं कमी है. कुलपतियों, प्रबंधक और सरकार की तरफ से यदि समन्वय बैठक हो जाती है तो शीघ्र निराकरण हो सकता है. उनकी मांगें न्यायोचित हैं.
(4) श्री दिनेश राय (सिवनी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, सिवनी जिले में भीमगढ़ नहर में आठ साल का एक बच्चा कल दोपहर से डूब गया है किन्तु अभी तक उसकी लाश नहीं ढूंढी जा सकी है इससे उसका परिवार काफी दुखी है और पूरा क्षेत्र बड़ा रोषित है.
(5) श्री गिरीश भण्डारी (नरसिंहगढ़)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है. एक ओर जहां शासन द्वारा प्रदेश में बेहतर कानून व्यवस्था का दावा किया जा रहा है. राजगढ़ जिले के नगर कुरावर निवासी श्री रामेश्वर नायक द्वारा चिटफण्ड कंपनी बीएनपी-11, इंडिया एवं जीएफ गोल्ड रियल स्टेट कंपनियों का संचालन बतौर मुखिया किया जा रहा है. उक्त आरोपी पर 420, 406, 120 (बी) के तहत मुकदमा कायम हो चुका है लेकिन यह आरोपी खुलेआम कुरावर में घूम रहा है. पुलिस के द्वारा उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है जिसके कारण जनता में रोष व्याप्त है. कृपया कार्यवाही करने का कष्ट करें.
(6) श्री बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, गोविन्दपुरा क्षेत्र के अंतर्गत भारत सरकार का बीएचईएल का कारखाना है. वहां नगर निगम द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों हेतु बीएचईएल द्वारा अनुमति नहीं दी जाती है. इसलिए वहां सड़क निर्माण, नालियों का निर्माण या चौराहों का निर्माण, जैसे कार्य नहीं हो पा रहे हैं. हमने भारत सरकार को बीएचईएल के कारखाने हेतु वह जमीन लीज़ पर दी है. उस जमीन का बीएचईएल को पट्टा नहीं दिया गया है, लेकिन फिर भी मेरे क्षेत्र में निर्माण कार्यों की अनुमति नहीं मिलती है. मैं मध्यप्रदेश सरकार से यह अनुरोध करता हूं कि वह बीएचईएल को गोविन्दपुरा क्षेत्र में निर्माण कार्य करने के निर्देश जारी करे.
(7) श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज)- माननीय अध्यक्ष महोदय, रीवा जिले के हनुमना ब्लॉक अंतर्गत स्थित ग्राम पंचायत हटवा निर्भयनाथ में खाद्यान्न वितरण व्यवस्था में लगातार कालाबाजारी की जा रही है. खाद्यान्न ग्राम पंचायत हटवा में न रखकर दूसरी पंचायत में रखकर वितरण व्यवस्था की जा रही है. जिससे लगातार हितग्राहियों को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं. इससे लोगों में काफी आक्रोश है. मैं आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध करना चाहता हूं कि खाद्यान्न हटवा निर्भयनाथ में ही रखने की व्यवस्था की जाए जिससे कि वहां के हितग्राहियों को समुचित लाभ मिल सके.
12.07 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का चतुर्दश वार्षिक प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2015-2016
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का चतुर्दश वार्षिक प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2015-2016 पटल पर रखता हूं.
(2) (क) महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, करौंदी, जिला-कटनी (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
(ख) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
12.08 बजे ध्यानाकर्षण
(1) जौरा तहसील के ग्राम रकेरा में भूदान की जमीन पर कब्जा किया जाना
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री सूबेदार सिंह रजौधा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी द्वारा सदन में दिया गया उत्तर पूरी तरह से मेरे पक्ष में है, लेकिन मंत्री जी द्वारा दिया गया जवाब सौ प्रतिशत असत्य है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक तो आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपने मेरे ध्यानाकर्षण को ग्राह्य कर लिया, लेकिन आप से एक प्रार्थना यह करता हूँ कि बीच में मुझसे यह नहीं कहेंगे कि कृपया भाषण मत दो, अपनी बात कहो.
अध्यक्ष महोदय-- भाषण नहीं देंगे, अपनी बात संक्षेप में स्पष्ट करिए.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, अगर मैं भूमिका नहीं बनाऊँगा तो न सदन समझेगा न आप समझ पाओगे.
अध्यक्ष महोदय-- आप संक्षेप में एक मिनट में समझाइये.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं ऐसे क्षेत्र की बात कर रहा हूँ, जो गाँव बसे हैं, वे जंगल में हैं. वहाँ जमीन नहीं है, सिंचाई के लिए कोई साधन नहीं है, तालाब नहीं हैं, पशु हैं और थोड़ी बहुत जमीन है. 240 बीघा जमीन राजस्व विभाग ने पट्टे पर इन किसानों को दी. उसके बाद में माननीय मंत्री जी के जवाब में आया है कि किसान खेती कर रहे हैं, उसमें कोई व्यवधान नहीं है. मैं मंत्री जी को यह जानकारी देना चाहता हूँ कि कम से कम दर्जनों मुकदमे, वन विभाग ने, उन किसानों के ऊपर लगाए हैं. तारीख कर-कर के आदमी परेशान हो रहा है और खेत में जाने का तो नाम ही नहीं है. खेत में जाते ही मुकदमा दर्ज, ऐसे 10-12 मुकदमे, कम से कम 25 किसानों पर लगाए हैं. मैं मंत्री जी से यह प्रार्थना करता हूँ कि या तो आपकी राजस्व विभाग में चलती नहीं है, वन विभाग हावी है. वन विभाग, शेर तो एक तरफ से खाता है, लेकिन चारों तरफ मुँह है. अध्यक्ष महोदय, मेरे मुरैना जिले में जो फॉरेस्ट विभाग का जंगल है....
अध्यक्ष महोदय-- अब आप इसी विषय पर रहिए और अपनी समीक्षा भी मत करिए.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- इसी विषय पर हूँ. अध्यक्ष महोदय, कब्जा तो वन विभाग ने ही किया है. वन विभाग उन खेतों में किसानों को जाने नहीं देता.
अध्यक्ष महोदय-- अब आप बैठ जाएँ. आप मंत्री जी से उत्तर तो ले लें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- मंत्री जी से मैं उत्तर ले लेता हूँ, लेकिन उनको समझा देता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- वे समझ गए हैं, बहुत समझदार हैं.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- नहीं समझे. माननीय अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल नहीं समझे हैं. उन्होंने तो जवाब दिया है कि खेती कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप उत्तर तो ले लें. आपकी बात इस पूरे सदन को समझ आ गई.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी बात तो कह दूँ.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात पूरी हो गई.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा हूँ कि किसानों के नाम भू-अधिकार पुस्तिका है, उनका स्वामित्व है, गेल इंडिया कंपनी ने, उसने लाइन डाली. अगर वह जमीन उन पट्टेधारियों की नहीं होती, राजस्व विभाग की नहीं होती तो लोग वहाँ वन विभाग से एनओसी प्राप्त करते.
अध्यक्ष महोदय-- आप सुन तो लें. अब आप बैठ जाएँ. यह बात ठीक नहीं है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, उनको मुआवजा मिला है. उन्होंने कर्ज लिया है. इसके बावजूद वन विभाग उसमें जाने नहीं देता.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ तो जाएँ.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय सदस्य कह रहे हैं, वही मैं स्वीकार कर रहा हूँ कि उस भूमि पर उनका कब्जा है, हमारे रिकार्ड में वे भू-स्वामी हैं, यह ठीक है कि वन विभाग उस पर अपनी जमीन बता रहा है, लेकिन अभी रेवेन्यू के रिकार्ड में वही पट्टेधारी हैं, मेरे पास सारी नकल है. अगर कोई वन विभाग का अधिकारी किसी को परेशान कर रहा है या कहीं वन विभाग ने सो-मोटो कुछ मुकदमे दर्ज कर लिए हैं, ऐसे किसान कलेक्टर को अगर लिख कर देंगे, तो यह उनको अधिकार नहीं है, लेकिन इसके बाद भी यह झंझट खत्म होना चाहिए इसलिए केवल जौरा के लिए ही नहीं है, माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने जो भू-सुधार आयोग बनाया है, जिसके अध्यक्ष माननीय दाणी जी हैं, उनको प्रायर्टी पर, मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि भू-दान यज्ञ से संबंधित जो मामले हैं, उसके बारे में वे अध्ययन करके रिपोर्ट दें. अध्यक्ष महोदय, उसका प्रारंभिक प्रतिवेदन इस महीने उन्होंने प्रस्तुत भी कर दिया है, उसका भी हम अध्ययन कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करता हूँ कि अब यह काम दाणी जी के भू-सुधार आयोग को देंगे कि जौरा की यह जो समस्या है, उसका निपटारा वे कर दें और अगर वन विभाग जबरन कोई मुकदमे दर्ज कर रहा है, तो कलेक्टर उस पर संज्ञान लेगा.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, वन विभाग तो इसमें इन्वॉल्व नहीं है, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि जो माननीय मंत्री जी ने कहा है कि किसान खेती कर रहा है, वह उसका स्वामी है और उसको कोई बेदखल नहीं कर सकता. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से आश्वासन चाहता हूँ कि आप वन विभाग को निर्देशित करें कि जो असत्य दर्जनों मुकदमे लगाए हैं, उनको वन विभाग, उनसे वापस ले और आगे उनको खेती करने से न रोके. यह मैं आपके माध्यम से पूरा आश्वासन चाहता हूँ.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि ऐसी सूची माननीय विधायक या वे सदस्य जिनके खिलाफ, किसानों के खिलाफ, कोई मुकदमे बने हैं.कलेक्टर को उपलब्ध कराएंगे, हम कलेक्टर को निर्देशित करेंगे कि अभी जब तक भूमि स्वामी हुए हैं तो जब तक इस प्रकार का कोई फैसला नहीं होता है तब तक वन विभाग ऐसी कार्यवाही नहीं करेगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप सूची उपलब्ध करा दीजिए.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सूची उपलब्ध करा दूंगा. अध्यक्ष महोदय -- कलेक्टर को और माननीय मंत्री जी को सूची उपलब्ध करा दीजिए.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हॅूं लेकिन एक बात आपने शंका की कही है कि इसलिए आपने कहा कि जब तक, अरे जब हम स्वामी हैं भू-स्वामित्व है तो जब तक काहे का. जॉंच काहे की. जब आपने स्वीकार कर लिया है आप उसको वापिस ले लें.
अध्यक्ष महोदय -- आपने जो एक लेक्यूना रखा, वह उन्होंने पकड़ लिया है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी फॉरेस्ट के बैतूल वाले मामले में आपने वन मंत्री जी को सुना है. कई मजबूरियॉं रहती हैं इसलिए फैसला कराना पडे़गा. लेकिन चूंकि वे काबिज हैं भू-दान की जमीन है तो हम ऐसा मानते हैं कि वह निजी भूमि ही रही होगी, फॉरेस्ट की नहीं. अगर कहीं विसंगति है तो उसको दूर करेंगे लेकिन कोई न कोई वैधानिक स्वरूप तो देना पडे़गा और इसलिए हम भू-सुधार आयोग को निवेदन कर रहे हैं कि प्रॉयोरिटी पर बहुत जल्दी इस मामले का निपटारा करे.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे संज्ञान में आया है कि इसी तरह का प्रश्न इसी जगह का वर्ष 2008 और 2013 के बीच में भी आया था. तब भी इसी तरह का आश्वासन हुआ था. क्या बात सही है ? वर्ष 2008 और 2013 के बीच में भी वहीं के विधायक ने यहीं का प्रकरण सदन में उठाया था. क्या उस समय भी आश्वासन इसी तरह दिया गया था ?
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, उस प्रकरण को दिखवा लेंगे, यदि ऐसी कोई बात है तो.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने मजबूरी की बात बोली तो मजबूरियों से निजात पाने के लिए तो सरकारें होती हैं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री कमलेश्वर पटेल.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मजबूरी से उपाय पाने के लिए ही तो सरकार है.
अध्यक्ष महोदय -- आप उनको पढ़ लेने दीजिए, वह भी कठिन आदमी हैं बहुत.
(2) सीधी जिले के अमिलिया स्थित जागृति विद्यालय के छात्र परीक्षा देने से वंचित होना
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह सच नहीं है कि पूरे मध्यप्रदेश में मिल बाँचों कार्यक्रम चलाया गया, इस कार्यक्रम में कहीं भी..
अध्यक्ष महोदय-- स्पेसीफिक प्रश्न पूछिये.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न से ही जुड़ा हुआ है. एक तरफ सरकार बड़े-बड़े दावे करती है. क्या यह दिखाई नहीं दिया कि अगर जिला शिक्षा अधिकारी के यहाँ आवेदन किया था या जो भी विसंतियाँ थीं, अगर बच्चे अध्ययनरत् थे पिछले साल यदि वहाँ पर दसवीं की मान्यता प्राप्त थी और बच्चों ने एक्जाम भी दिया और इस साल अगर नहीं हुआ तो क्या उनको निर्देशित नहीं कर सकते थे? क्योंकि बच्चों के भविष्य का सवाल है, 47 बच्चे परीक्षा से वंचित रह गये.
अध्यक्ष महोदय-- इसलिए इस ध्यानाकर्षण को लिया है और आप इधर उधर की बात करेंगे तो बच्चों के भविष्य के बारे में बात नहीं हो पाएगी आप सीधा-सीधा उन बच्चों के बारे में क्या चाहते हैं वह बात मंत्री जी से करिये.
श्री कमलेश्वर पटेल-- एक तो हम यह चाहते हैं कि उन बच्चों का साल खराब नहीं हो और इसके लिए जो भी दोषी लोग हैं, उनके ऊपर कठोर कार्यवाही होना चाहिए,चाहे वह शिक्षा विभाग के सरकारी अधिकारी कर्मचारी हो या संस्था के संचालक हों, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटना ना हो. क्योंकि यह पूरे मध्यप्रदेश के ऊपर धब्बा है. (XXX).
कुं. विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह के आरोप माननीय सदस्य सरकार और अधिकारियों के ऊपर लगा रहे हैं, यह नियम संगत नहीं है. नियम संगत यह था कि समय-सीमा पर उस सीधी जिले में रहने वाले माननीय अजय सिंह जी, अब मैं नहीं जानता कौन से अजय सिंह जी हैं. लेकिन उस सीधी जिले में रहने वाले इस स्कूल के संचालक अजय सिंह जी, ने अपनी जवाबदारी की निर्वहन ठीक ढंग से नहीं किया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, घोर आपत्ति है. आप अच्छी तरह से जानते हैं कि कौनसे अजय सिंह होंगे.वह स्कूल संचालक है. मंत्री जी मेरी तरफ देख कर क्यों कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात सही है. मंत्री जी, स्कूल संचालक बोलिये.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बता रहा हूं कि वह अजय सिंह कौन हैं, वह अजय सिंह वह हैं,(XXX), जिन्होंने 47 बच्चों का भविष्य खराब किया है.
कुं. विजय शाह-- अध्यक्ष जी,मैंने किसी अजय सिंह का नाम लिया, जो संचालक है, वह किस पार्टी से हैं.(XXX), मैंने यह नहीं कहा है.
श्री कमलेश्वर पटेल-- घोर आपत्ति है यहाँ नेता प्रतिपक्ष की बात नहीं हो रही है. अमलिया की बात हो रही है.
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री अजय सिंह-- यहाँ नेता प्रतिपक्ष कहाँ से आ गया. वह अजय सिंह दूसरा है,अजयप्रताप सिंह दूसरा है और अजय सिंह नेता प्रतिपक्ष तीसरा है.
श्री कमलेश्वर पटेल-- (XXX).
कुं. विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष को अगर आहत हुआ है तो मैं माफी चाहूँगा लेकिन वह जो संचालक था उसने लापरवाहीपूर्ण काम किया है और जिस तरीके के आरोप हमारे अधिकारी और सरकार पर लग रहे हैं. ये बिल्कुल असत्य है. उसकी जवाबदारी थी कि समय-सीमा पर वह ऑनलाईन आवेदन करता, उसने नहीं किया, बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले वे संचालक, चाहे वे अजय सिंह जी हों या कोई सिंह जी हों, उन पर आज ही एफ.आई.आर. दर्ज की जाएगी और उन्हें जेल भेजा जाएगा.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष जी, बच्चों के बारे में नहीं बताया कि उनका साल खराब न हो, सरकार को कोई अल्टरनेट व्यवस्था करनी चाहिए, सप्लीमेंट्री इक्जाम के जरिए या जैसे भी हो.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, बच्चों के लिए क्या करेंगे ?
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह शिवराज सिंह जी की सरकार बहुत संवेदनशील है. अध्यक्ष जी, जैसी कि आपकी भी हमेशा भावना रहती है, बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाएगा, शिक्षा मंत्री होने के नाते यह मेरा नैतिक दायित्व है कि उन बच्चों के भविष्य के साथ हम खिलवाड़ नहीं होने देंगे, उन्हें ''रुक जाना नहीं'' योजना के अंतर्गत ओपन स्कूल की परीक्षा में बैठाएंगे और 25 जून को वह परीक्षा होगी, वे विद्यार्थी नियमित कहलाएंगे, लेकिन इस तरह के लापरवाहीपूर्वक कार्य करने वाले और भी जो संचालक होंगे, उन पर कठोर कार्यवाही की जाएगी.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष जी, जो हमारे पास सूची है और मंत्री जी के नाम लेटर भी है, हम मंत्री जी को दे देते हैं, आपके माध्यम से हम यही चाहेंगे कि बच्चों का भविष्य खराब न हो, मुझे उम्मीद है कि उनका भविष्य खराब नहीं होगा. माननीय मंत्री जी, सिर्फ ताल ठोंकने से काम नहीं चलेगा, सरकार ताल बहुत ठोंकती है, क्यों बच्चे सरकारी स्कूल छोड़कर प्राइवेट स्कूलों में जा रहे हैं ? ...(व्यवधान) ...
अध्यक्ष महोदय -- आप अगर विषय परिवर्तन कर देंगे तो मुख्य विषय रह जाएगा.
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, रीवा और सीधी जिले में कितने स्कूल हैं ...(व्यवधान) ... तिवारी जी के परिवार के आठ-आठ, दस-दस स्कूल हैं. घरों में काम करने वाले नौकरों को मास्टर बना दिया.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपके माध्यम से बच्चों का भविष्य सुरक्षित चाहते हैं. अब मंत्री जी कार्यवाही करें.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने बोल तो दिया.
कुँवर विजय शाह -- माननीय सदस्य जी, दूसरे पर उंगली उठाने से पहले आप स्वयं देखें कि 4 उंगली आपकी ओर उठ रही है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का बहुत बढ़िया उत्तर आया है.
12.27 बजे प्रतिवेदन की प्रस्तुति
याचिका समिति का अभ्यावेदनों से संबंधित सप्तम् प्रतिवेदन
श्री शंकरलाल तिवारी (सभापति) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं याचिका समिति का अभ्यावेदनों से संबंधित सप्तम् प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.
12.27 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएँ प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
अध्यक्षीय घोषणा
(1) माननीय सदस्यों के लिए भोजन विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था दोपहर 1.30 बजे से सदन की लॉबी में की गई है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
(2) लाला हरदौल के चरित्र पर आधारित नाटक ''लाला हरदौल'' का मंचन
अध्यक्ष महोदय -- आज दिनाँक 7 मार्च, 2017 को सायं 7.00 बजे से विधान सभा भवन के मानसरोवर सभागार में बुंदेलखण्ड के लोक जीवन में रचे बसे लाला हरदौल के चरित्र पर आधारित नाटक ''लाला हरदौल'' का मंचन होगा एवं उसके पश्चात् परिसर में भोज आयोजित है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि दोनों कार्यक्रमों में पधारने का कष्ट करें.
12.28 बजे वर्ष 2017-2018 की अनुदानों की मांगों पर मतदान
(1) मांग संख्या - 1 सामान्य प्रशासन
(2) मांग संख्या - 2 सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय
(3) मांग संख्या - 65 विमानन
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूँ कि 31 मार्च, 2018 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को -
मांग संख्या - 1 सामान्य प्रशासन विभाग के लिए चार सौ दस करोड़, अड़सठ लाख, इक्कीस हजार रुपये,
मांग संख्या - 2 सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय के लिए एक सौ इक्तीस करोड़, बत्तीस लाख, सात हजार रुपये,
मांग संख्या - 65 विमानन के लिए चौंतीस करोड़, अस्सी लाख, इक्यासी हजार रुपये,
तक की राशि दी जाये.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए, अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिण्डोरी):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या-1 और 2 का में विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का मैं समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है और मुख्यमंत्री जी सामान्य प्रशासन का डंडा समय-समय पर 56 विभागों में चलाते रहते हैं और यह जो सामान्य प्रशासन विभाग का बजट पेश हुआ है, इसके आंकड़े ही गलत हैं. अध्यक्ष महोदय, यह जो वर्ष 2017-18 के लिये छयालीस लाख, बीस हजार, दौ सौ छियासठ हजार रूपये की मांग इन्होंने की है और इसमें पीछे जो योजनावार सूची लगी है, सब स्कीम प्रावधानों का विवरण, इसमें उनसठ लाख, चौंतीस हजार, सात सौ तेईस रूपये है, तो जिस तरह से सरकार की लापरवाही आंकड़े में है, यह सामान्य प्रशासन विभाग के लिये जो बजट की मांग की है, उसमें ही (XXX) है.यह आंकड़े ही सही नहीं हैं तो इनका बजट ही गलत है. क्योंकि आंकड़े तो कम से कम स्पष्ट होना चाहिये. यह स्पष्ट रूप से जो है, उसमें हम चाहते हैं कि मंत्री जी गंभीरता से इन आंकड़ों को देखकर के बजट के प्रावधानों को देखें और समझें. क्योंकि आप जो बजट के रूप में धनराशि ले रहे हैं, यह जनता के परिश्रम का पैसा है. परिश्रम की धनराशि का जो पैसा आपके पास है, उसके आप कम से कम आंकड़े तो सही लायें और साथ में आपका जो सामान्य प्रशासन विभाग है उसमें आप जो राज्य आनन्द संस्थान, की स्थापना कर रहे हैं, यह आनन्द शब्द आप लोगों के लिये तो है, आप सरकार में हो,आप आनंद लेते रहते हो. जनता को कोई आनन्द नहीं है, आपने आनन्द संस्थान के लिये चार करोड़, पचहत्तर लाख रूपये का प्रावीजन किया है. आप चार करोड़ पचहत्तर लाख रूपये में प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता को आनंद देना चाहते हैं. इसका मतलब है एक व्यक्ति को पचास पैसे में आप आनंद देना चाहते हैं. आप पचास पैसे में प्रदेश की जनता को आनंद नहीं दे पायेंगे.पचास पैसे में तो एक माचिस भी नहीं मिल रही है, जिससे आप लोगों की जिंदगी में आग लगाने के लिये समस्या पैदा करते हैं, परन्तु आपने आनंद के लिये इतना पैसे भी नहीं लिया है.इसमें आपका जो आनंद संस्थान है. आनंद संस्थान में आपको पर्याप्त बजट रखना चाहिये ताकि प्रदेश की जो साढ़े सात करोड़ जनता है, उन तक आपका आनंद एक रूपये में पहुंचने के लिये संस्थान में होना चाहिये.
दूसरा, आपने यहां पर जो दुर्घटना में मृतकों के परिवार के लिये सहायता राशि रखी है, वह मात्र तीन करोड़ रूपये ही रखी है. यह आपने जो बजट रखा है, वह बहुत ही कम है.
12.33 बजे {सभापति महोदय (श्री कैलाश चावला) पीठासीन हुए.}
माननीय सभापति महोदय, आपको धन्यवाद कि आपकी कृपा से हम इसमें और अपनी बात रखेंगे. आपने यहां पर गोदाम का निर्माण- सामान्य प्रशासन विभाग कौन सा गोदाम बनाने लगा? आपने इसमें गोदाम के निर्माण के लिये एक रूपये का प्रावधान भी नहीं किया है और इसमें गोदाम के किराये के लिये 7 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. इसका मतलब है कि सामान्य प्रशासन विभाग गोदाम का किराया देने में बहुत बड़ी गड़बड़ी करके 7 करोड़ रूपये किराया देने वाले हैं. आप 7 करोड़ रूपये का किराया दे रहे हैं, तो आप गोदाम बनाने के लिये 1 रूपये भी क्यों नहीं रख रहे हैं. आपको गोदाम बनाना चाहिये. आप कब तक किराया देते रहेंगे. सभापति महोदय, यह जो 7 करोड़ रूपये किराया दे रहे हैं. मैं आपको चुनौती देना चाहता हूं कि आपने जो भवन किराये पर लिया है, उसके निर्माण की आप लागत देखेंगे तो वह पांच या चार करोड़ रूपये की लागत नहीं होगी. जिसमें आप सात करोड़ रूपये किराया दे रहे हो. आप यह सीधे-सीधे हमारे प्रदेश के गरीब जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा कर रहे हो. आपको मेरा इसमें सुझाव है कि गोदाम के किराया प्रतिपूर्ति के लिये आप सात करोड़ रूपये की राशि दे रहे हो, इसमें आप गोदाम निर्माण के लिये भी राशि देने के लिये प्रावधान करें ताकि गोदाम निर्माण होने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग को गोदाम की आवश्यकता होगी उसकी पूर्ति की जा सके.
माननीय सभापति महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि आज यहां पर इनका सामान्य प्रशासन विभाग सोया हुआ है. सामान्य प्रशासन कहीं पर भी व्यवस्था कर पाने में पूरी तरह से अक्षम है. माननीय सभापति महोदय, आप देख रहे हैं पूरे मध्यप्रदेश के अंदर डिप्टी कलेक्टरों की यह पदस्थापना आप नहीं कर पा रहे हैं, जिसके कारण इनका जो सत्कार विभाग जिसमें एस.डी.एम. अधिकतर सत्कार की जिम्मेदारी संभालते हैं. यह जो इनके विभाग है उसमें कहीं पर भी यह डिप्टी कलेक्टर और संयुक्त कलेक्टरों की पदस्थापना नहीं कर पा रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, प्रदेश के अंदर सामान्य प्रशासन के अमले के माध्यम से रेवन्यू का जो सबसे बड़ा वर्क इनको करना चाहिए, उसमें ये पूरी तरह से असफल है. उसके लिये यह उसमें कोई बहुत बड़ा उपाय नहीं कर पा रहे हैं. आज इनका सामान्य प्रशासन विभाग पूरी तरह से सोया हुआ है. प्रदेश में अंधेर मचा हुआ है. विभाग अपने-अपने आदेश ऐसे कर रहे हैं, जैसे उनकी कोई स्वतंत्र इकाई, संस्था हो. ट्राइबल डिपार्टमेंट की इकाईयों में, ब्लॉकों में सी.ई.ओ. की पदस्थापना, ट्राइबल्स के सी.ई.ओ. की पदस्थापना कमिश्नर करते थे. मैं आपको बता दूं कि अभी कल ही हमारे डिंडोरी में हमने देखा कि सी.ई.ओ. की ग्रामीण विकास ने ही पदस्थापना कर दी. अब वहां दो सी.ई.ओ. हैं. अब दोनों सी.ई.ओ. में से कौन काम करेगा, वहां कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है. इनका जो सामान्य प्रशासन विभाग है, उसमें कोई काम नहीं कर रहा है.
माननीय सभापति महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग की जो जिम्मेदारी है उस जिम्मेदारी से सामान्य प्रशासन विभाग आज प्रदेश के अंदर जो रोस्टरों का, पदन्नोतियों का, जो आरक्षण के अनुसार आपको पदोन्नोतियों डी.पी.सी. से करना चाहिए थी, उसमें आप पूरी तरह से असफल रहे हैं. आप उसमें 53 विभागों में मात्र 20 विभागों का डी.पी.सी. करके 6 सालों में आपने उसमें कोई डी.पी.सी. नहीं कर पाये हैं. इनका जो सामान्य प्रशासन विभाग है इस समय पूरी तरह से आदिवासी और दलित विरोधी है. सामान्य प्रशासन विभाग वहां पर निरंतर हमारे लोगों की, दलित लोगों की पूरी तरह से सीआर बिगाड़कर और उनको उच्च पदों पर जाने से रोकता है. उसका एक उदाहरण है कि शशि कर्णावत को सामान्य प्रशासन विभाग ने जानबूझकर के कनिष्ठ करके उसको वहां पद पर जाने से रोक रहे हैं. इसी प्रकार से जो आदिवासी वर्ग के जो अधिकारी हैं, वह 33 विभाग में पदोन्नतियों के लिये देख रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि सामान्य प्रशासन विभाग की यह पूरी असफलता है. मेरे डिंडोरी जिले में जो एक्जीक्यूटिव इंजीनियर था, उसको 4-6 बार तक एक्सटेंशन देकर डब्ल्यू.आर.डी. में चीफ इंजीनियर बनाकर इसलिए रखा गया था ताकि रिजर्व केटेगिरी का कोई काबिल व्यक्ति वहां पर नहीं पहुंच पाये. सामान्य प्रशासन विभाग इस तरह पूरी तरह से हमारे एस.टी.,एस.सी. के जो अधिकारी हैं, उन अधिकारियों को उनके हक तक नहीं जाने देता है, उनकी पूरी सी.आर. बिगाड़कर रख देते हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि सबका साथ सबके विकास की इनके नेता बात करते हैं और मध्यप्रदेश में ही यह उसका पालन नहीं करते हैं. मध्यप्रदेश में आप भेद-भाव करते हैं, आप निरंतरता के साथ देखें. मध्यप्रदेश के अंदर हमारे गरीब छात्र पढ़ाई करते हैं. अभी आप श्यामला हिल्स मुख्यमंत्री के सामने का जो छात्रावास है, वहां जाकर के देख लीजिये, वहां एक टाईम भोजन मिलता है. पांच सौ रूपये उनको भोजन के लिये दिया जाता है. क्या आज के वर्तमान समय में पांच सौ रूपये में एक छात्र को तीस दिन का भोजन दिया जा सकता है ? अगर आप देखेंगे तो वहां मिलेगा कि चूंकि वह बच्चे हमारे आदिवासी वर्ग के हैं, दलित समाज से हैं, क्या इसलिए उनकी व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया जायेगा ? ऐसी स्थिति में हमारा सामान्य प्रशासन विभाग अपने बजट में जिस तरह से यहां पर केंद्रीय जो भवन है, इनके साज सज्जा के लिये जो पैसा ले रहा है. आज मैं आपको बताना चाहता हूं कि विशिष्ट गणमान्य व्यक्तियों के भ्रमण के लिये दस करोड़ पैसा जा रहा है. आज भी मध्यप्रदेश में अगर अंतिम व्यक्ति तक सरकार के पहुंचने के उद्देश्य को आप लोग मानते हैं. तो अंतिम व्यक्ति तक जो लाभ पहुंचाने की योजना है, उसको वहां तक पहुंचाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को काम करने की आवश्यकता है.
सभापति महोदय - अब आप समाप्त कीजिए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - सभापति महोदय, आपसे इस विषय में एक और अनुरोध करना चाहता हूं. चूंकि सामान्य प्रशासन विभाग को बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के साथ काम करने की जरूरत है. जो पीएससी है, जिसमें अनुसूचित जाति, जनजाति के परीक्षार्थी हैं, उनसे अत्यधिक फीस वसूली जा रही है. साथ ही जो जन शिकायत निवारण विभाग है, कंप्यूटरीकृत प्रणाली के लिए 25 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है. प्रदेश में आप 25 लाख रुपए में क्या कर लेंगे? क्या 25 लाख रुपए में आप हर आदमी तक पहुंच जाएंगे. इस समय डिजिटल इंडिया के कॉंसेप्ट के साथ में आगे बढ़ने के लिए आपके नेता कहते हैं और आप प्रदेश में पैसा नहीं दे रहे हैं. 25 लाख रुपए में आप कौन-सा काम कर देंगे? इसमें कितने कंप्यूटर आ जाएंगे? जन शिकायत निवारण में जो सामान्य प्रशासन विभाग है, यह गरीबों के साथ खुला मजाक कर रहा है. यह जो जन शिकायत निवारण विभाग है, पूरी तरह से निःशुल्क इसमें ऑन-लाइन में कार्यवाही होना चाहिए. जन शिकायत निवारण में मात्र 25 लाख रुपए रखकर यह बहुत बड़ा आपने प्रदेश के लोगों के साथ में अन्याय किया है. सामान्य प्रशासन विभाग के और सारे विषय है, परन्तु सभापति महोदय जी, आप वहां पर बैठे हैं तो हम आपके आदेश के पालन के लिए तैयार हैं. परन्तु इतना जरूर कहेंगे कि माननीय मंत्री जी, आपसे भी मेरा अनुरोध है. आप चूंकि वहां पर मंत्री हैं. हमारी आपसे बहुत उम्मीद है. आप हमारे निवेदन को जरूर स्वीकार करेंगे कि यह सामान्य प्रशासन विभाग मध्यप्रदेश में आदिवासी, दलितों के साथ जिस तरह से भेदभाव कर रहा है और अगर आज आप न्याय करना चाहेंगे. अगर सरकार वाकई में दलित की हितैषी है तो सुश्री शशिकर्णावत की पदस्थापना करके यहां से इस सदन से घोषणा होना चाहिए और जो दलितों के साथ, आदिवासियों के साथ, उनको सही जगह में पहुंचने से जो रोक रहे हैं, समय पर उनकी सीआर को देखा जाय, यह हम सब माननीय मंत्री जी से उम्मीद करते हैं. अगर समाज में हमारे हितैषी हैं तो जरूर आप इसमें कोशिश करेंगे. सभापति महोदय जी, आपने बोलने का जो समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) - सभापति महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित मांग संख्या 1, 2 एवं 65 का समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से भी किसी ऐसे बच्चे का जिसकी उम्र मात्र 7-8 वर्ष की हो और भोपाल में 24 मई, 2014 को हाईटेंशन लाइन से उसके दोनों हाथ चले जाएं, उस नन्हें से बच्चे की जिंदगी को कैसे संवारा जाय, उसको कैसे आगे बढ़ाया जाय. सुनने में लगता है कि यह विषय सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित नहीं है, लेकिन रतलाम के उस बालक की उम्र जब 7 वर्ष थी, आज वह 10 वर्ष की हो गई है. अब्दुल कादिर इंदौरी पिता श्री हुसैन इंदौरी रतलाम, उसके दोनों हाथ जब हाईटेंशन लाइन से चले जाते हैं. आज मैं यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता और गर्व महसूस कर रहा हूं, उस बालक को 27 मार्च से 31 मार्च, 2017 को जयपुर में संपन्न होने वाली नेशनल पैरा ऑलम्पिक प्रतियोगिता में, जिस बालक के दोनों हाथ नहीं हैं, उसको भाग लेने का अवसर मिल रहा है, उसका कारण माननीय मुख्यमंत्री जी की स्वेच्छा अनुदान से 13 लाख लाख रुपए की राशि उस बालक को यदि मिलती है तो उस बालक का जीवन सुधर जाता है. सभापति महोदय, अक्सर भारतीय जनता पार्टी के प्रशिक्षण वर्गों में और विधायक दल की बैठकों में माननीय मुख्यमंत्री जी एक घटना से अवगत कराते हैं. उनके भोपाल स्थित बंगले पर एक व्यक्ति आता है वह स्वागत करने के लिये आतुर होता है उस समय मुख्यमंत्री जी केबिनेट की बैठक में जाने के लिये तैयार होते हैं. स्टॉफ के लोग कहते हैं कि एक व्यक्ति जिद कर रहा है आपसे मिलना है. मुख्यमंत्री जी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद उस व्यक्ति से मिलने के लिये जाते हैं. वह व्यक्ति अपने दोनों हाथों से माननीय मुख्यमंत्री जी के गले में पुष्प माला पहनाता है. मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि तुम इसीलिये इतनी जिद कर रहे थे यह तो कभी भी कर सकते थे. उस व्यक्ति ने जो शब्द कहे यह दोनों हाथ जो आपके गले तक माला पहना रहा हूं, यह आपकी कृपा है मुख्यमंत्री स्वैच्छानुदान से जब मेरे दोनों हाथ लग गये तो सामान्य प्रशासन विभाग के मुखिया उनकी संवेदनशीलता ने इस अनुदान में 2002-03 में पांच करोड़ रूपये की राशि मुख्यमंत्री जी स्वैच्छानुदान मद में प्रारंभ की थी. आज वर्ष 2016-17 में यह बढ़ करके 17 करोड़ के आसपास हो गई है इनसे लोगों को जिन्दगी मिली है, जिन्दगी जीने का अवसर मिला हैं. माननीय सभापति जी यह बानगी दी है. एक समय था तत्कालीन सरकार के समय 14 एवं 26 फरवरी 2000 में 28 हजार दैनिक वेतन भोगियों की सेवाएं एक साथ समाप्त कर दीं जरा आप उन दिनों को याद करें. इसीलिये निकाल दिया था कि वेतन बांटने की व्यवस्था नहीं थी. सरकार में ओव्हर ड्राफ्ट हुआ करती थी. माननीय मुख्यमंत्री तथा माननीय लालसिंह जी यहां पर विराजित हैं उन्हें बताते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि 21 जनवरी 2004 से उन हटाये गये दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नयी जिन्दगी मिली उनके मन में नयी किरण की रोशनी जागृत हुई है आज वह व उनके परिवारस सारे के सारे सरकार को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं. जिन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सेवाएं 10 अप्रैल 2006 को 10 वर्ष पूर्ण हो चुकी थी उनको प्रक्रिया के अनुसार नियमित करने के निर्देश शासन की ओर से दिये गये हैं. 2007 से 2016 की अवधि में 58 हजार में से 10 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित भी किया जा चुका है, यह सामान्य प्रशासन विभाग की कार्य प्रणाली है. एक ऐतिहासिक निर्णय 7 अक्टूबर 2016 द्वारा दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों के स्थान पर स्थायी कर्मी श्रेणी दिये जाने के निर्देश विभाग के द्वारा जारी किये गये. वेतनमान, वेतनवृद्धि, महंगाई भत्ता, अद्धिवार्षिकी आयु पूर्ण होने पर अकुशल के रूप में रूपये 1 लाख 25 हजार, अर्ध्दकुशल के रूप में 1 लाख 50 हजार रूपये एवं कुशल के लिये 1 लाख 75 हजार रूपये दिये जाने का निर्णय सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा दिया गया है. इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के लगभग 28 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी लाभांवित हुए हैं. बजट में प्रावधान किया गया है कि सब दूर से चर्चा थी कि भारत सरकार के द्वारा मध्यप्रदेश की सरकार भी कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ देगा. विभाग ने 1 जनवरी, 2016 से सातवां वेतनमान लागू करने का एक साहसिक निर्णय किया है. केन्द्र के समक्ष 6 माह में एक बार महंगाई भत्ता दिया जाता है उसी के अनुरूप महंगाई भत्ता भी दिया गया है. कर्मचारी संघों की मांगों के संबंध में समय समय पर समन्वय-सौजन्यता, परस्पर संवाद यह काम सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा मैत्री का भाव अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बीच में शासन एवं प्रशासन दोनों के साथ एवं जनप्रतिनिधि का संवाद के माध्यम से यह बड़ा काम हुआ है. वह जमाना गया जब सरकारें हुआ करती थीं तब नौकर और राजा का कहीं न कहीं भाव परिलक्षित होता था आज एक गाड़ी के दो पहिये के समान यह गाड़ी एवं विकास का रथ, यह हितग्राहीमूलक योजानाओं का रथ निरंतर चल रहा है. सभापति महोदय, पूर्व की सरकार में जब अनुकंपा नियुक्ति के लिए जाते थे तो उस समय परिवार के सदस्यों को कह दिया जाता था कि 2 लाख रुपये ले लो और चले जाओ. यानी पैसे लो और चले जाओ. इससे ज्यादा कोई बड़ा काम नहीं होता था.
सभापति महोदय, स्थानांतर की सुविधा अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े उन लोगों के परिवारों को जिनको सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान किया था उनके लिए 31 अगस्त 2016 से स्थानांतर की सुविधा मिलना प्रारंभ हुई है.
सभापति महोदय, अनुकंपा नियुक्ति एवं समयमान वेतनमान दिए जाने से लगभग 60 हजार कर्मचारी लाभान्वित हुए हैं.
सभापति महोदय,अनेक उल्लेखनीय उपलब्धियां सामान्य प्रशासन विभाग के खाते में जाती हैं. दिल्ली में मध्यप्रदेश भवन में विधायकों को सुविधाएं देने का काम शुरु हुआ है. 5 दिन निःशुल्क ठहरने की पात्रता दी गई है. मुंबई में वार्सी नवी में लगभग 3879 वर्ग मीटर के भूखंड पर मप्र शासन द्वारा एक अतिथि गृह का निर्माण किया जा रहा है जिसका नाम मध्यालोक रखा गया है.
सभापति महोदय, लोकायुक्त संगठन को ताकत देने के लिए अनेक उल्लेखनीय, अनुकरणीय काम हुए हैं, उनको स्वतंत्रता दी गई. उनको अधिकार दिए गए हैं. 1 जनवरी 2016 से 31 दिसम्बर 2016 तक संगठन में कुल 5008 शिकायतें प्राप्त हुई थीं उनमें से 906 शिकायतें जांच हेतु पंजीबद्ध की गई. संगठन ने उक्त अवधि में 3848 शिकायतों को नस्तीबद्ध करते हुए 254 शिकायतों पर आवश्यक कार्रवाई की गई है.
सभापति महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग के सहयोग से विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो अंतर्गत आर्थिक अपराध प्रकोष्ठों को मजबूती प्रदान की गई. उनको संसाधनों से सुसज्जित किया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग में अनेक उल्लेखनीय काम किए गए हैं.
सभापति महोदय, प्रशासन अकादमी में 10 वर्षों में 3201 प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करके 57069 शासकीय सेवकों को प्रशिक्षित किए जाने का अनुकरणीय काम किया गया है.
सभापति महोदय, केस स्टडी को लेकर नवाचार किया गया है. नगरीय केन्द्रीय सेवाओं के आधार पर अनेक नवीन संरचना की गई है. गुणवत्ता के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के अनुरुप कार्य करने हेतु प्रशासन अकादमी में 23 अप्रैल 2015 से 3 वर्षों के लिए ISO प्रमाण पत्र प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की है.
सभापति महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पारितोषिक के रुप में विभिन्न संस्थाओं को पुरस्कृत करने का काम प्रारंभ किया गया है. उसमें सैनिक, असैनिक अनेक प्रकार के सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देने के लिए शौर्य पुरस्कार है जिसमें अशोक चक्र श्रंखला. राज्य स्तरीय वीरता कार्य पुरस्कार. राज्य स्तरीय महाराणा प्रताप शौर्य पुरस्कार. संत-महापुरुषों के नाम पर पुरस्कार. इंदिरा गांधी साम्प्रदायिक सौहार्दता पुरस्कार, भैया श्री मिश्रीलाल गंगवाल सद्भावना पुरस्कार, मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार. इस प्रकार से अनेक पुरस्कारों की घोषणा करके प्रदेश में अनेक सुव्यवस्थित व्यवस्था देने का काम किया है.
सभापति महोदय, स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों को जो मानदेय, सम्मान निधि प्राप्त होती थी वह तत्कालीन सरकारों के समय ऊंट के मुंह में जीरा के समान थी. यह कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि उन आजादी के दीवानों को स्मरण करते हुए, उनके परिवार को आर्थिक रुप से सक्षम और सम्मान देते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार को जो सम्मान निधि दी है वह 25 हजार रुपये करने का ऐतिहासिक काम किया है.
सभापति महोदय, मृत सैनिकों के परिवार के सदस्यों को शासकीय सेवा में प्राथमिकता देना. सेनानियों के पुत्र-पुत्रियों के कृषि विश्वविद्यालय में प्रवेश देना. प्रदेश के सेनानियों को शासकीय चिकित्सालयों में निशुल्क चिकित्सा व्यवस्था करना. सेनानियों के पुत्र-पुत्रियों को मेडिकल कॉलेज में स्थान आरक्षण की सुविधा देना. ऐसे अनेक उल्लेखनीय काम किए गए हैं. शायद इसी कारण से आज हिंदुस्तान में सबसे बड़ा, सबसे पहला कोई शौर्य स्मारक स्थापित हुआ है तो वह राजधानी भोपाल में हुआ है जिसका लोकार्पण, उद्घाटन, अनावरण माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया है. वह ऐतिहासिक क्षण था. सभापति महोदय, श्री लाल सिंह जी आर्य सदन में विराजमान हैं, मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं कि लोक सेवा गारंटी अधिनियम के माध्यम से एक ऐतिहासिक काम हुआ है. इतनी बड़ी संख्या में जो आपने स्थाई रूप से जाति प्रमाणपत्र देने का काम किया है उसके चौंकाने वाले आँकड़े आए हैं. लोगों को बार-बार भटकना पड़ता था,बार-बार परेशान होना पड़ता था. 1 करोड़ 24 लाख 65 हजार 390 आवेदकों के प्रकरणों का निराकरण करके मध्यप्रदेश में हिन्दुस्तान ने जाति प्रमाणपत्र का स्थाईकरण करने का एक रिकार्ड बनाकर अभूतपूर्व काम किया है उसके लिये मैं मंत्री जी आपको और आपके विभाग को और मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं यह काम वास्तव में ऐतिहासिक और अनुकरणीय है. प्रशासनिक सुधार को लेकर मंथन,2014 की अनुशंसाओं को मूर्त रूप देने के कारण प्रदेश में चहुमुखी विकास हुआ है जिसके कारण हितग्राही मूलक योजनाएं भोपाल से चलकर चौपाल तक पहुंची हैं. सुराज मिशन,अधिकारियों द्वारा मासिक डायरी का संधारण,जनसुनवाई,परख,सुशासन जैसे अनेक उल्लेखनीय काम हुए हैं. मंत्रालय में वाई-फाई कनेक्टिविटी जोड़ने का काम हुआ है. " आओ बनाएं अपना मध्यप्रदेश " मध्यप्रदेश का अपना कोई गान नहीं था लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से,मुख्यमंत्री जी की मंशा के अनुरूप, अपना मध्यप्रदेश,स्वर्णिम मध्यप्रदेश,मध्यप्रदेश विकास की दौड़ में किस प्रकार आगे बढ़े इसको लेकर सम्मेलनों का आयोजन आओ बनाए अपना मध्यप्रदेश के गान के साथ प्रारंभ हुआ उससे न केवल सरकार के प्रति जनता का भाव जुड़ा है बल्कि आमजन में सूचना का अधिकार अधिनियम,2000 के क्रियान्वयन में भी मदद मिली है. सामान्य प्रशासन विभाग के साथ-साथ विमानन विभाग की बात करें तो मध्यप्रदेश के 51 जिलों में से 30 जिलों में विमानन विभाग के द्वारा हवाईपट्टी उपलब्ध करा दी गई हैं. इन्दौर,भोपाल,ग्वालियर,छतरपुर,खजुराहो तथा जबलपुर में राष्ट्रीय स्तर के विमान तल सुसज्जित होकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. दमोह में डायमण्ड सीमेंट के द्वारा,शहडोल में ओरियेंट पेपर मिल के द्वारा,नागदा में ग्रेसी मिल के द्वारा निजी रूप से हवाईपट्टियां निर्मित की गई हैं यह भी एक उल्लेखनीय उपलब्धि है. मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि सागर एवं गुना में उड़ान प्रशिक्षण को लेकर 2 हवाईपट्टियों का निर्माण निजी संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है और जिस क्षेत्र मन्दसौर का मैं प्रतिनिधित्व करता हूं सभापति जी, आप भी वहीं के निवासी हैं मन्दसौर में मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी हवाईपट्टी 2 किलोमीटर की बनकर तैयार हुई है जिसका मुख्यमंत्री जी ने अनौपचारिक रूप से 17 जनवरी 2017 को लोकार्पण किया है उस हवाईपट्टी से पर्यटन के क्षेत्र में क्योंकि मन्दसौर भगवान पशुपतिनाथ की नगरी है और औद्योगिक क्षेत्र में भी उसका लाभ मिलेगा.
सभापति महोदय,आनन्द विभाग की कल्पना 2016-17 में उन बिन्दुओं के माध्यम से तय की गई जिसकी चिंता चाहे सत्ता पक्ष हो या प्रतिपक्ष हो या मीडिया हो सबने उसकी चिंता की थी कि आदमी तनाव में परेशान होता है तनाव में मर जाता है तो आनन्द का अनुभव लोगों को हो और वह सीधे-सीधे शासन,प्रशासन के साथ जुड़े और उसी के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतियोगिताओं का आयोजन करना, नेकी की दीवाल बनाकर लोगों को भावनाओं से जोड़ने का काम पूरे प्रदेश स्तर पर किया गया है. आनन्द की अनुभूति के लिये एक्शन प्लान एवं गतिविधि निर्धारण करने का काम इस विभाग ने किया है. मैं सामान्य प्रशासन विभाग को इसके लिये बधाई देता हूं और बजट में इसके लिये 2 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है मैं समझता हूं कि यह कम है क्योंकि 7 करोड़ 50 लाख मध्यप्रदेश की जनता है और लोगों को आनन्द भाव से जोड़ने को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी मुख्यालय तक जोड़ने के लिये यह 2 करोड़ की राशि कम है. इसको और अधिक आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. आनन्द विभाग का गठन समाज में जीवन जीने की कला से संबंधित है. जीवन जीने की कला के निर्माण के उद्देश्य से इसका निर्माण किया गया है. आज प्रतिपक्ष को लगता होगा कि कैसे विभाग का गठन कर दिया इसके क्या परिणाम आएंगे लेकिन जो लोग तनाव में रहते हैं तो आनन्द उत्सव में 14 जनवरी 2017 से 21 जनवरी 2017 के बीच इतने कम समय में पंचायतों के समूह बनाकर जो खेल-कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया,सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया गया यह पहली बार हुआ और जिन ग्राम पंचायतों में जहां स्थानीय कलाकार हैं, स्थानीय खिलाड़ी हैं उनको अवसर मिले उसको लेकर फोटोग्राफी प्रतियोगिता,वीडियोग्राफी प्रतियोगिता,अल्पविराम, आनंद सभा, इस प्रकार के जो आयोजन हुए हैं तो सामान्य प्रशासन विभाग ने अपने दायित्व का निर्वाह किया है वह पूरे मध्यप्रदेश की 7 करोड़ 50 लाख जनता के लिये किया है उसके लिये मैं उसकी प्रशंसा करता हूं और मुख्यमंत्री जी और लाल सिंह आर्य जी की प्रशंसा करता हूं और सामान्य प्रशासन विभाग की अनुदान मांगों का समर्थन करते हुए उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं. आपने बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)-- माननीय सभापति महोदय, अनुदान मांगों की संख्या क्रमांक 1, 2 और 65 पर बोलने के लिये मैं खड़ा हुआ हूं. अभी सिसौदिया जी बहुत प्रशंसा कर रहे थे. अब आंनद मंत्रालय से शुरू करें कि कहां से शुरू करें. माननीय सभापति महोदय, सरकार बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करती है और खासकर जो सामान्य प्रशासन विभाग है, हम समझते हैं कि जो हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय मंत्रीगण, सभी कार्पोरेशन के अध्यक्ष हैं, जितने आयोग हैं आपका लोक सेवा प्रबंधन से लेकर चाहे आपका लोकायुक्त संगठन हो, ईओडब्ल्यू हो, जितने भी विभाग हैं या जो प्रमुख संस्थायें हैं उनकी जड़ें सामान्य प्रशासन विभाग से जाती हैं. अगर हम मंत्रालय से शुरू करें तो सामान्य प्रशासन विभाग पूरी तरह से असामान्य कार्य कर रहा है. बड़े-बड़े दावे तो किये गये थे, पूरा वल्लभ भवन पेपरलैस हो जायेगा, ऐसा पिछले बजट में उल्लेख भी किया गया था, पर आज तक हुआ नहीं. हां पेपरलैस बनाने पर करोड़ों रूपये जरूर खर्च हो गये. सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन में आरक्षण मामले की सुनवाई के कारण कई पदों पर सक्षम अधिकारियों के रहते पोस्टिंग नहीं हो पा रही है, जबकि कई विभाग नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेतों, अधिकारियों का प्रमोशन कर रहे हैं. सामान्य प्रशासन विभाग के सर्कुलर का जमीनी स्तर पर कितना पालन हो रहा है इसे देखने की फुर्सत नहीं है. कई विभागों में गोपनीय प्रतिवेदन का फार्मेट ठीक नहीं है, प्रत्येक पद के निर्धारित कर्तव्यों और कार्यकलापों के आधार पर गोपनीय प्रतिवेदन भरवाना चाहिये ताकि संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों की कार्यक्षमता का आंकलन सही परिप्रेक्ष्य में हो, पर हर पद के लिये एक ही सीआर फार्म भरवाया जाता है, इस पर विचार करना चाहिये.
माननीय सभापति महोदय, सार्वजनिक कार्यक्रमों में जनप्रतिनिधियों को, क्षेत्रीय विधायक, सांसद को बार-बार हम लोगों के पास सर्कुलर आ जाता है पर इसका क्रियान्वयन नहीं हो रहा है तो कहां से हम मान लें कि सामान्य प्रशासन विभाग सामान्य है. हम तो यही कहेंगे कि यह असामान्य हो गया है. माननीय सभापति महोदय, हमारे विधान सभा क्षेत्र में ही कई आयोजन हो जाते हैं और क्षेत्रीय विधायकों को पता नहीं चलता है, विधायकों को बुलाने की आवश्यकता नहीं समझते. हमने विधान सभा में भी प्रश्न लगाया था. हमारे पास प्रमुख सचिव महोदय का सर्कुलर आ गया कि हमने यह परिपत्र जारी किया है, उसकी कापी हमारे पास आ गई. माननीय सभापति महोदय, मेरा आपके माध्यम से यह निवेदन है कि इसको क्रियान्वयन कराने की जिम्मेदारी किसकी है. जनप्रतिनिधियों को सिर्फ सर्कुलर भेज दें, विभाग के अधिकारियों को भेज दें, अगर उसका सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है तो इसकी जिम्मेदारी हम समझते हैं कि यह सामान्य प्रशासन विभाग की है. हमारे यहां कई कार्यक्रम अभी आयोजित हुये, दो-तीन कार्यक्रमों का हम उदाहरण दे सकते हैं. प्रधानमंत्री सड़कों का लोकार्पण हो गया, भूमिपूजन कर दिया गया और क्षेत्रीय विधायक को, सांसद को नहीं बुलाया गया. कहीं जिला पंचायत अध्यक्ष लोकार्पण कर रहे हैं तो कहीं सरपंच कर रहे हैं. ऐसे ही अभी एक रेस्ट हाउस बहरी में बना था उसका लोकार्पण हो गया, हमको सूचना तक नहीं दी गई, जबकि हम क्षेत्र में थे. ऐसे ही हमारे क्षेत्र में एक मॉडल स्कूल का देवसर में निर्माण हुआ था उसका भी लोकार्पण जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा कर दिया गया.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया)-- सभापति महोदय, यह बात सही है, जो सदस्य अपनी भावना रख रहे हैं, हम लोगों के साथ भी यही स्थिति बन रही है. इसमें सामान्य प्रशासन विभाग को ध्यान देने की आवश्यकता है.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय सभापति महोदय, हम समझते हैं पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था से लेकर सारे विभागों की व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग की है. अगर लाइन आर्डर ठीक नहीं है, अनुविभागीय अधिकारी से लेकर अगर आप निचले स्तर से बात करें, डिप्टी कलेक्टर जो अनुविभागीय अधिकारी रहते हैं, जिले में जो कलेक्टर, अपर कलेक्टर होते हैं अगर इनकी मानसिकता ठीक है, इनके क्रियाकलाप ठीक है तब कानून व्यवस्था से लेकर के सारे विभाग की जो क्रियान्वयन एजेंसी हैं वह बहुत अच्छे से काम करती हैं. जिलों में खण्डस्तरीय जो अधिकारी हैं वह राजस्व का पूरा काम देखते हैं वहां पर बिना लेन देन के कोई काम नहीं होता, जिला पंचायतों में आप चले जाईये. जनता का प्रतिनिधि बोलता रहे लेकिन करेंगे वही (XXX). यह हालत पूरे प्रदेश में है. मुख्यमंत्री बहुत अच्छे हो सकते हैं. मंत्री जी बहुत अच्छे हो सकते हैं परंतु व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी सरकार की है.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय सभापति महोदय, कमलेश्वर जी अच्छा बोल रहे हैं लेकिन प्रदेश के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर टिप्पणी करना एक कर्मचारी विरोधी कदम है इसलिये सभी को चिह्नांकित न करें.
सभापति महोदय- मंत्री जी जब आप विभाग की मांगों पर जवाब दें उस समय बोल लेना.
श्री कमलेश्वर पटेल--सभापति महोदय, बहुत अच्छे अधिकारी और कर्मचारी भी हैं. हमारे जिले में कलेक्टर अच्छा काम कर रहे थे उनको हटा दिया. अभी जिस कलेक्टर की पदस्थापना मेरे जिले में की गई है उनकी पदस्थापना कई वर्षों तक कार्पोरेशन में रही है इसलिये उनको ज्यादा जानकारी जिले की नहीं है. जो अच्छे अधिकारी या कर्मचारी हैं उसका उदाहरण भी आप देख लीजिये. हाल की घटना है बालाघाट में किसी के खिलाफ में कार्यवाही कर दी तो वहां से आईजी, एसपी सबका स्थानांतरण कर दिया. सबको हटा दिया. ऐसा नहीं होना चाहिये अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी अच्छा कार्य कर रहा है चाहे वह मंत्रालय का हो या जिले का हो उनको सरकार को प्रशस्ति पत्र देना चाहिये. परंतु दु:ख के साथ में कहना पड़ता है कि प्रशस्ति पत्र ऐसे लोगों को मिलता है जो सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं. जो उल्टे काम करते हैं और इसी से हमको समझ में आता है कि हम कितने आनंद में हैं. आनंद मंत्रालय में आनंद हो सकता है, खेल कूद कराने के लिये सरकार ने प्रावधान भी कर दिया, आनंद उत्सव भी सभी गांव में मनाया गया परंतु अगर आप देखें कि यदि गरीबों को समय पर खाद्यान नहीं मिल रहा है, उनका निराश्रित पेंशन में नाम नहीं है, गरीबी रेखा में नाम नहीं है तो किस बात का आनंद, बिजली के बिल के कारण लोग परेशान है किस बात का आनंद. हर विभाग में यदि प्रबंध संचालक से लेकर के ऊपर के स्तर पर जो आईएएस-डिप्टी कलेक्टर हैं इन्हीं की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है. यह भी सुनने को मिलता है कि कलेक्टर कई बार जिले में पदस्थापना करने के लिये भी लेन देन करते हैं. हमारे जिले में आज अपर कलेक्टर नहीं है, कई डिप्टी कलेक्टर के पद रिक्त हैं, और ऐसे ही हालात पूरे प्रदेश में है इसलिये सभापति महोदय मेरा आपके माध्यम से सामान्य प्रशासन मंत्री जी से निवेदन है कि जो भी डिप्टी कलेक्टर के रिक्त पद हैं, तहसीलदार के पद रिक्त हैं, आरआई के पद रिक्त हैं, शिक्षक हैं, डाक्टर्स हैं यही सब जिले में सारी प्रक्रिया का निर्वहन यह लोग सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से ही करते हैं. जिन संस्थाओं में आज पद रिक्त हैं मंत्री जी उनकी पूर्ति होना चाहिये क्योंकि जब तक अधिकारी और कर्मचारी पदस्थ नहीं होंगे तो योजनाओं का क्रियान्वयन कराने में भी बहुत दिक्कत आती है.
माननीय सभापति महोदय, लोक सेवा गारण्टी प्रदेश में (XXX) में बदल गई है. हमने सारी योजनाओं को लोक सेवा गारण्टी योजना से जोड़ दिया है. परंतु काम वही होता है, लोक सेवा गारण्टी में भले ही आप आवेदन लगा दें, इसकी समय सीमा भी निर्धारित है परंतु जब तक वहां पर जाकर के चढौती नहीं चढ़ायेंगे तब तक फाईल नहीं हिलती तब तक न्याय नहीं मिलता.
श्री सुरेन्द्र पटवा, राज्यमंत्री संस्कृति -- माननीय सभापति महोदय, माननीय सदस्य द्वारा लूट सेवा बोला गया है. इसको विलोपित करना चाहिये.
श्री कमलेश्वर पटेल-- मंत्री जी, ऐसा है. आपको इसकी चिंता करनी चाहिये. मुझे मालूम है कि लोक सेवा नाम है परंतु यह लोक सेवा लूट सेवा की तरह हो गया है. आपने लोक सेवा गारण्टी बनाई बहुत अच्छी है, हम भी इसका स्वागत करते हैं परंतु उसका सही ढंग से पालन तो हो. मुख्यमंत्री आनलाइन में कितने लोगों ने आवेदन देकर के रखा है, उसकी क्या स्थिति है. लाखो की संख्या में आवेदन पेंडिंग है. वहां पर एक कम्प्यूटर आपरेटर बैठा दिया है वह अटेण्ड करता है, रिप्लाई देते रहते हैं लेकिन कोई क्रियान्वयन नहीं होता है. यही स्थिति है. कई जगह तो लोक सेवा गारण्टी का भवन नहीं है, यदि भवन है तो वहां पर कर्मचारी नहीं है. इसलिये मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि जो संस्थायें आपने बनाई हैं उनका सही ढंग से क्रियान्वयन हो.
माननीय सभापति महोदय, हमारे जो अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी हैं आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, इनकी संपत्ति का विवरण भी आना चाहिये. बातें तो कई होती हैं मंत्रियों-विधायकों की संपत्ति की विवरण आना चाहिये. हम लोग तो दे देते हैं किंतु इन आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, अधिकारियों की संपत्ति का विवरण सरकार के पास में होना चाहिये इसमें हमें अभाव नजर आता है. बहुत सारे अधिकारी और कर्मचारी प्रदेश में ऐसे भी हैं जो कि बहुत निष्ठा भाव से आम जनता को, जनतिनिधियों को, जो जिसकी जिम्मेदारी है, बहुत अच्छे तरीके से उसका निर्वहन करते हैं. जो व्यवस्थाएं हैं, जो प्रावधान है, उसका सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं होता है. अच्छे काम करने वाले हैं, उनको सम्मान देने की बजाए उन्हें एक किनारे कर देते हैं. कई बार हमने यह भी देखा है कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय भी बहुत बढि़या चालाकी से जो मंत्री उनके गुडविल में नहीं हैं वहां ऐसे अधिकारी बैठा देते हैं जिससे उनकी न चले. यह सारी चीजें हम समझते हैं कहीं न कहीं प्रदेश की जनता इसको सफर कर रही है. आम जनता को न्याय मिलने में कठिनाई हो रही है. मेरा निवेदन है कि मध्यप्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण विभाग समान्य प्रशासन विभाग है, जिसके माध्यम से सभी विभाग संचालित होते हैं. मुझे पूरी उम्मीद है कि अच्छी व्यवस्था बनाएंगे, जो कमियां हैं, उनको दुरूस्त करेंगे और जो मैंने बोला है, उसको गलत तरीके से नहीं लेंगे, उसको अच्छे तरीके से लेंगे. सभापति महोदय मेरा आपके माध्यम से यही निवेदन है. खासकर के जहां तक प्रोटोकॉल की बात की है, तो हम जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं, हम समझते हैं. हमारा पांच साल और सरकारी अधिकारी के कर्मचारियों का पूरा सर्विसकाल बराबर होता है, इसका विशेष ध्यान रखें, हम लोग जनता की सेवा के लिए 24 घंटे लगे रहते हैं, रात में भी फोन आ जाता है, सुबह से लेकर रात तक हम लोग कार्य में लगे रहते हैं और जो कानूनी व्यवस्था है, जो संवैधानिक व्यवस्था है, इसकी खिल्ली नहीं उड़ना चाहिए. सभापति महोदय, मेरा माननीय मंत्री से विशेष आग्रह है कि वे ऐसी व्यवस्था बनाएंगे. बजट में आपने बहुत सारी व्यवस्थाएं की हैं, उसका सही ढंग से क्रियान्वयन होना चाहिए और आनंद मंत्रालय सिर्फ आनंद मंत्रालय तक ही सीमित न रहे, वह हम सारे लोग सत्ता पक्ष और विपक्ष सभी इसको महसूस करें, बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय - मंत्री जी यह सुनिश्चित करें कि प्रोटोकॉल का पालन होना चाहिए, आप इसके लिए पुन: सर्कुलर निकाले.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लाल सिंह आर्य) - सभापति जी हां.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक (विजावर) - माननीय सभापति महोदय, मैं सामान्य प्रशासन विभाग, सामान्य प्रशासन से संबंधित विभाग एवं विमानन विभाग की मांग संख्या 1, 2 एवं मांग संख्या 65 के समर्थन में अपनी बात आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूं. शासन की कार्यप्रणाली में उत्तरोत्तर प्रभावी और जनहितकारी व्यवस्था बने, सुशासन की ओर हमारी शासन व्यवस्था चले इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग कार्यरत रहता है. भारतीय इतिहास के स्त्रोत चाहे वे ज्ञात हों, अल्पज्ञात हों, लिखित हों, अलिखित हों या श्रुति आधारित हों. इतिहास में अवध नरेश रघुकुल तिलक दशरथ नंदन राजाराम का उल्लेख मिलता है. सुशासन के प्रतिमान के रूप में रामराज्य की व्याख्या की जाती है, जब भी किसी उल्लेखनीय घटना का जिक्र होता है, जब भी कोई जनता के हित की बात होती है तो उसकी रामराज्य से तुलना की जाती है. किसी भी शासन व्यवस्था में रामराज्य की तरफ बढ़ना, एक तरह से प्रतिमान होता है और उस मानदंड को प्राप्त करने की कोशिश प्रत्येक राज्य शासन व्यवस्था को करना चाहिए. मध्यप्रदेश की शासन व्यवस्था इस दिशा में कार्यरत रहती है, इसके लिए मैं शासन के इन विभागों की मांग के समर्थन में अपने कुछ विचार व्यक्त करना चाहता हूं. वर्तमान में संवैधानिक व्यवस्था के आधार पर शासन प्रशासन का कार्यभार चलाना सामान्य प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी है. इसके लिए जो उल्लेखनीय काम हुए हैं, उनमें आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी के नवीन प्रशिक्षण के द्वारा प्रशासकीय अधिकारियों की क्षमता बढ़ाने की निरंतर प्रक्रिया का चलना, मुझे एक उल्लेखनीय घटना क्रम लगता है, इसके लिए मैं विभाग की मांगों का समर्थन करता हूं. राज्य शासन की सेवाओं में महिलाओं की भागीदार बढ़ाने के प्रयास हुए हैं. कल चूंकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है इसलिए इसका मैं विशेष रूप से आज उल्लेख करना चाहता हूं. राज्य शासन ने अपनी सेवा में 33 प्रतिशत का आरक्षण महिलाओं को देने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए हैं. इसमें वन विभाग को छोड़कर अन्य विभागों में जो 33 प्रतिशत का आरक्षण होगा, इससे महिलाओं की उपस्थिति प्रशासन में बढ़ेगी.यह अपने आप में उल्लेखनीय उपलब्धि मध्यप्रदेश के प्रशासनिक अमले के लिये मानी जायेगी. स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत का आरक्षण देकर मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने जो प्रदेश में क्रांतिकारी कदम उठाया है, उसका यह नतीजा है कि अपने यहां सामाजिक परिवेश में महिलाओं की जो कुल सीमा होती थी, वह उनके चूल्हे-चौके से बढ़कर आंगन में आकर खत्म हो जाती थी, उनकी सीमाओं को विस्तार दिया है. उनको इतना बड़ा खुला आकाश दिया है, जिससे सोचने समझने में और प्रशासन के कामों में हिस्सेदारी बढ़ाने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. उसका लाभ निश्चित रुप से हमारे सामाजिक उत्थान की दिशा में बढ़ा है, इसके लिये मैं सामाजिक उन्नति के लिये किये गये प्रयास के लिये सामान्य प्रशासन विभाग की प्रशंसा करता हूं. लोक सेवा गारंटी के अंतर्गत अनेक महत्वपूर्ण काम हुए हैं. सबसे बड़ा विशेष अभियान जो हुआ है, प्रमाण पत्रों को लेकर हुआ है. जहां तक कि मुझे अपने स्कूल के दिनों की याद है, जब भी हमें किसी सर्टिफिकेट की जरुरत रहती थी, तो अपने सर्टिफिकेट्स को एप्रूव्ह कराने के लिये गजेटेड ऑफिसर की खोज में हमको भागना पड़ता था, तमाम तरह के और कागजों को प्राप्त करने के लिये तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन मुझे इस उपलब्धि को बताते हुए हर्ष हो रहा है कि जाति प्रमाण पत्र के लिये 1.25 करोड़ से ज्यादा आवेदन प्राप्त होने के विरुद्ध 1.13 करोड़ का विभाग ने निराकरण किया है. यह उपलब्धि महत्वपूर्ण है. स्थाई निवास प्रमाण पत्रों की बात करें, तो 70,945 आवेदन पत्रों के विरुद्ध 64097 आवेदनों का समाधान हुआ है, यह उल्लेखनीय उपलब्धि मैं विभाग की कह सकता हूं. आय प्रमाण पत्र के मामले में भी 1,07501 आवेदनों के विरुद्ध 1,04293 आवेदनों का निराकरण हुआ है. यह एक प्रशासनिक क्षमता की उपलब्धि के लिये मैं इसको उल्लेखित कर सकता हूं. सामान्य प्रशासन विभाग ने मंथन,2014 के माध्यम से 7 समूह में चर्चा करके 27 और 28 सितम्बर,2014 को एक उल्लेखनीय ऐसा काम किया था, जिससे प्रशासनिक जमावट के लिये निश्चित ही मुझे इसमें अच्छा प्रयास हुआ प्रतीत होता है. विकासखण्ड स्तर पर लोक कल्याण शिविरों का आयोजन हुआ, जो लगातार जारी है. स्वराज मिशन के माध्यम से इस तरह के आयोजन से जनता को बहुत लाभ हुआ है और मध्यप्रदेश की जनता अपने अपने कामों को लेकर, अपनी परेशानियों को लेकर जो निराकरण इसमें प्राप्त करती है, इससे उन्हें जो संतोष प्राप्त होता है, मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश की सरकार इसके लिये बहुत ही ज्यादा जनता की ओर से जनता की कृतज्ञता को प्राप्त करने की हकदार है. प्रत्येक मंगवार को जन सुनवाई होती है. जन सुनवाई में लगातार जो उसके प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है,आस्था बढ़ी है, चाहे वह जिला स्तर के कार्यालय हों अथवा विकास खण्ड स्तर के कार्यालय हों, उनमें जनता की उमड़ती हुई भीड़ से ही यह अंदाज लगता है कि इस व्यवस्था के प्रति जनता के मन में एक विश्वास है और जनता को उसमें अपने समाधानकारक नतीजे प्राप्त होते हैं.
सभापति महोदय, परख के माध्यम से प्रत्येक माह के तीसरे गुरुवार को आम लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं के लिये मुख्यमंत्री स्वयं और मुख्य सचिव स्वयं बैठकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा करते हैं, इसके भी नतीजे अच्छे आये हैं. यह भी प्रदेश की जनता के लिये एक सुखदायी कदम साबित हुआ है. स्व-अभिप्रमाणित, जो भी प्रमाण पत्र होते हैं, उनको जारी करने में जो सरलीकरण हुआ है, उसका लाभ छात्रों को मिला है, विशेष करके छात्र,छात्राओं को प्रवेश के समय ही स्कूलों के द्वारा जाति प्रमाण पत्र दिये जाने की जो व्यवस्था बनाई गई है, यह बहुत उल्लेखनीय है, क्योंकि जब विद्यार्थी जीवन में तो बच्चों को समझ में नहीं आता है कि उनके लिये प्रमाण पत्रों की क्या आवश्यकता है, लेकिन कालान्तर में जब वे परीक्षाएं उत्तीर्ण करके प्रतियोगिता की दुनिया में आगे बढ़ते हैं, तो उनको उन प्रमाण पत्रों की आवश्यकता रहती है, तब उन्हें ध्यान में आता है कि उनके साथ कितनी सरलता के व्यवहार से यह सर्टिफिकेट प्राप्त हो गये हैं. एक और उल्लेखनीय बात है. कृषि कर्मण अवार्ड की तो चर्चा हमने बहुत सुनी है, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग में भी केन्द्र सरकार से पुरस्कार मिले हैं. भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के द्वारा 2015 में दो पुरस्कार मध्यप्रदेश की प्रशिक्षण अकादमी को मिले हैं, मैं इसके लिये इस विभाग का अभिनन्दन करना चाहता हूं. प्रशिक्षण में नवाचार के राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार, प्रदेश के दूरस्थ अंचलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिये विद्या परियोजना का शुभारंभ हुआ है, इसके लिए मिला है. मैं इसके लिए विभाग के मंत्री एवं मुख्यमंत्री जी का अभिनन्दन करता हूँ.
माननीय सभापति जी, दिल्ली स्थित मध्यप्रदेश भवन और मध्यांचल भवन की व्यवस्थाएं प्रभावी रूप से ठीक हुई हैं. इस सदन के सभी माननीय सदस्यों का वहां जाना होता है और पूरे सदस्यों को इसके लिए विभाग को धन्यवाद और आभार व्यक्त करना चाहिए. एक और उल्लेखनीय उपलब्धि भी मध्यांचल भवन के लिए है कि सितम्बर, 2015 में प्रधानमंत्री और केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के कई सदस्यों के द्वारा वहां 5 दिवसीय बैठक हुई थी, जो अपने आप में उल्लेखनीय है, उसमें सम्मिलित होने वाले हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी और मंत्रियों ने इसकी व्यवस्था की सराहना भी की है.
सभापति महोदय, एक विशेष बात अनेकानेक प्रकार के पुरस्कार प्रदान कर सामाजिक सरोकार की दिशा में सामान्य प्रशासन विभाग ने जो महत्वपूर्ण काम किए हैं. मैं उनका भी यहां उल्लेख करना चाहता हूँ. जो अशोक चक्र श्रृंखला पुरस्कार होते हैं, भारत सरकार से पुरस्कृत जो मध्यप्रदेश के निवासी होते हैं, उनको मध्यप्रदेश की सरकार भी अपने विभाग के माध्यम से पुरस्कृत करती है और उन्हें इसके लिये भूमि के लिए कुछ कम्पनसेशन देती है. इस प्रकार के पुरस्कारों से मध्यप्रदेश के निवासियों की हौंसला-अफजाही होती है, इसके लिये मैं विभाग के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ. राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार, जिसमें 25, 15 और 10 हजार रूपये की व्यवस्था है, राज्य स्तरीय महाराणा प्रताप शौर्य पुरस्कार, इसके अलावा सन्तों, महापुरुषों के नाम पर भी पुरस्कार देने की व्यवस्था विभाग ने की है, जिसमें कबीरदास जी महाराज, शंकाराचार्य जी, गुरुनानक जी, गौतम बुद्ध जी और रहीम के नाम पर जो पुरस्कार हैं, यह भी अपने आप में सामाजिक सरोकार की दृष्टि से किया गया महत्वपूर्ण काम है, इसके लिए मैं विभाग की सराहना करता हूँ और उनके द्वारा की गई मांगों का समर्थन करता हूँ. साम्प्रदायिक उपद्रवों की रोकथाम और सौहार्द्र वृद्धि के लिये भी पुरस्कारों की घोषणा हुई, उसके लिये भी मैं विभाग की मांगों के समर्थन में अनुशंसा करना चाहता हूँ.
सभापति महोदय, मांग संख्या 65 में विमानन विभाग की कई बातें इसमें आई हैं. सामान्यत: विभाग ने यह निर्धारित किया है कि लगभग सभी जिला मुख्यालयों पर हवाई पट्टियों का निर्माण हो. वास्तव में, आज इसकी जरूरत भी है क्योंकि धीरे-धीरे हवाई परिवहन बढ़ा है. कुछ यह जानकारी मिली है कि झाबुआ, पन्ना, पचमढ़ी एवं खरगौन की अनुपयोगी हवाई पट्टियों की जो स्थिति है, उनको उपयोगी बनाया जायेगा तो यह हमारे लिये एक उपलब्धि की बात होगी और जितने जिले अभी वंचित हैं, वहां पर भी यदि हवाई पट्टी बनेगी तो एक अच्छा कार्य हो सकता है. हमारे गृह नगर नौगांव में हवाई पट्टी सातवें दशक से कार्यरत् रही है. मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूँगा कि इस हवाई पट्टी में, मैंने अपने बचपन में वहां हवाई जहाज उतरते देखें हैं, लेकिन अब वह भारतीय रक्षा मंत्रालय के आधिपत्य में आ गई है. यदि मध्यप्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार से चर्चा करके इसका उन्नयन करायेगी तो अच्छा होगा. यह छतरपुर जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर है और हम इसको भी संचालित करेंगे तो हमारे लिये एक उपलब्धि का काम होगा. खजुराहो, विश्व स्तर का पर्यटन स्थल है. जो कि मेरे छतरपुर जिले में स्थित है, जिसके लिये मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूँ, लेकिन वहां अभी केवल दिल्ली से कनेक्टिविटी है. यदि विमानन विभाग केन्द्र के उड्डयन मंत्रालय से सम्पर्क करके अपनी ओर से यह प्रयास करे कि कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई, इन्दौर एवं बैंगलोर आदि स्थानों से भी जोड़कर खजुराहो को कुछ महत्वपूर्ण स्थान देंगे. मेरा ख्याल है कि पर्यटन मंत्री जी और श्री लाल सिंह आर्य जी, दोनों इस बात का समन्वयन करेंगे तो हमें निश्चित रूप से लाभ होगा. यह पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मांग है.
सभापति महोदय, मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि विमानन, विभाग सामान्य प्रशासन विभाग और सामान्य प्रशासन से संबंधित अन्य विभागों के संबंध में, जो मांगें आई हैं, उनका भरपूर समर्थन करता हूँ और कटौती प्रस्तावों के माध्यम से जो माननीय सदस्यों ने अनावश्यक फिजूल बातें की हैं, उनको मैं निरस्त करते हुए, यह चाहूँगा कि सारी मांगों को माना जाये. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2 एवं 65 का विरोध करता हूँ और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूँ. सामान्य प्रशासन विभाग का नियंत्रण समूचे विभागों पर रहता है और मध्यप्रदेश सरकार की नीति, रीति, कानून-कायदे जितने भी बनते हैं, वे सामान्य प्रशासन के माध्यम से और मंत्रिमण्डल के माध्यम से बनाये जाते हैं. अभी मैं कहना चाहता हूं कि आजादी के समय जब राज्यों का, रजवाड़ों का विलय हुआ उनके विलय का मध्यप्रदेश गवाह है. ग्वालियर, छत्तीसगढ़, होल्कर स्टेट यह सब मिलाकर उस समय तय हुआ था कि कौन-कौन से विभागों में, कौन-कौन से स्थानों में कौन-कौन सी सुविधाएं दी जाएंगी. उसके तहत मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट जबलपुर को मिला, पब्लिक सर्विस कमीशन इन्दौर को मिला और राजस्व मंडल, परिवहन और एक्साइज इन तीनों विभागों को तय किया गया कि यह विभाग ग्वालियर में रहेंगे. परंतु मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा राजस्व मंडल को उजाड़ने का काम प्रारंभ कर दिया गया है. इसके बारे में मैं कहना चाहता हूं कि यदि राजस्व मंडल में एक, दो अधिकारी गड़बड़ कर रहे हैं, भ्रष्टाचार कर रहे हैं तो उसमें सुधार की आवश्यकता है. लेकिन जो आजादी के समय एग्रीमेंट हुआ था प्रदेश की राजधानी भोपाल को बनाने का तो भोपाल राज्य को राजधानी मिली. यदि राजस्व मंडल की आपको जरूरत है तो आप ज्यूडीशियल के जजों को बैठा सकते हैं ताकि हमें न्याय मिले सके. लेकिन एक दो लोग यदि भ्रष्टाचार फैलाएं उसके कारण आप आयोग गठित करके राजस्व मंडल राजस्व विभाग के तहत समाप्त कर दें जो आपका षड्यंत्र है, वह उचित नहीं है. ग्वालियर संभाग के लिए यह मांग बहुत जरूरी है. यह हो सकता है कि सीधे एस.डी.एम. के द्वारा जो फैसले लिखे जाते हैं, कलेक्टर के द्वारा थ्रू प्रॉपर चैनल पहुंचे, सीधे न पहुंचे उस पर संशोधन किया जा सकता है. लेकिन उसको उजाड़ने का काम ग्वालियर के संभाग के आठ जिलों के लिए कष्टदायक होगा. इसके साथ मैं कहना चाहता हूं कि अभी अनुकम्पा नियुक्ति के बारे में सिसौदिया जी ने लंबे चौड़े भाषण दिए. कांग्रेस की दस साल की सरकार रही, मैं भी उसमें मंत्री था. उसमें साफ प्रावधान था कि अगर कोई टाइपिस्ट नहीं है तो उसे तीन वर्ष की छूट दी जाती थी ताकि वह टायपिंग सीख लें क्योंकि उस समय कम्प्यूटर ज्यादा चलता नहीं था यदि तीन वर्ष तक टायपिंग नहीं सीखी होगी तो उनकी सेवा समाप्त कर सकते थे. इस डर के कारण सब लोग सीख लिया करते थे. इसी प्रकार आपने अध्यापक वर्ग के लिए कर दिया अध्यापक में अगर डी-एड है तो अध्यापक अनुकम्पा नियुक्ति के लिए हर जिलों में तमाम प्रकरण पडे़ हैं. लेकिन उसमें आपने डी-एड आवश्यक कर दिया है परंतु अब उसे पता तो रहता नहीं है कि हमारे पिताजी मरने वाले हैं तो हम बी.एड., डी-एड कर लें. यह सारे नियम अनुकम्पा नियुक्ति में बाधक हैं और अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरण के कारण जिले में जगह खाली है. इसे जिले में ही कलेक्टर स्तर पर, विभागीय स्तर पर सॉल्व होना चाहिए. वहीं उसका निदान होना चाहिए. महीनों तक चक्कर लगाओ, वहां से कमिश्नर, कमिश्नर से भोपाल चक्कर लगाना पड़ता है. यहां क्यों इस परम्परा को आपने चालू रखा है. इसे जिला स्तर पर या भोपाल स्तर पर समाप्त करें. अगर पद खाली नहीं हैं तब यहां प्रदेश स्तर पर भेजे जाएं. इसी प्रकार आपने अभी एक और काम किया विवेकाधीन. विवेकाधीन मंत्रियों ने स्वयं बढ़ा ली. मनमाने तरीके से स्वेच्छानुदान मंत्रियों ने अपना बढ़ाकर लाखों रुपए कर लिया है और उसमें विधायक रहने के बाद दोनों-दोनों सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं. विधायकों की भी स्वेच्छा वृद्धि ले रहें हैं, मंत्रियों की भी ले रहे हैं. और अपने वेतन भत्ते बढ़ा रहे हैं. मंत्री इसका आंनद ले रहे हैं आनंद विभाग इसीलिए गठित किया गया है कि आंनद प्राप्त करें मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जिस प्रकार कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग बनता है उसी प्रकार मंत्री विधायकों के लिए भी बनना चाहिए मनमाने तरीके से अपने स्वयं फैसला करने वाले लोग नहीं हों वेतन भत्ते बढ़ें तो आयोग के द्वारा बढ़ें.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--माननीय सभापति महोदय, क्या उपाध्यक्ष जी पर आपको विश्वास नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह--हमारा तो आप पर भी विश्वास नहीं है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--उपाध्यक्ष जी उस समिति के अध्यक्ष थे और उस समय आपको इस बात को विरोध करना था.
डॉ. गोविन्द सिंह--आप चुपचाप गटर-पटर कर लो.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--अच्छा आप बढ़ा हुआ वेतन मत लीजिए. आप यह घोषणा कर दीजिए आपको पसंद नहीं है तो आप घोषणा कर दें.
डॉ. गोविन्द सिंह--मैंने मंत्रियों के लिए कहा है जिनके वेतन आपने मनमान बढ़ाए हैं, विधायकों का वेतन तो विधान सभा में आया है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--माननीय सभापति महोदय, थोड़ा सा गटर-पटर का विश्लेषण कराएं.
डॉ. गोविन्द सिंह--इसी प्रकार मैं कहना चाहता हूँ कि लोक सेवा आयोग में सदस्य कौन हैं इसकी भी समीक्षा योग्यता के आधार पर होना चाहिए. लोक सेवा आयोग के द्वारा डीएसपी, डिप्टी कलेक्टर और द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों की भर्ती की जाती है जो आगे जाकर प्रदेश को सम्हालते हैं. आपने वहां किन लोगों को बैठा दिया है अयोग्य लोगों को लोक सेवा आयोग का मेंबर बना रहे हैं जो कि आपकी विचारधारा के बारे में प्रश्न पूछते हैं. ऐसे लोगों को वहां भेजने का काम कर रहे हैं यह षडयंत्र आपका बंद होना चाहिए. अभी सिसौदिया जी चर्चा कर रहे थे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पेंशन बढ़ा दी है. अब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बचे कहां है. भिण्ड जिले में तो एक भी नहीं बचा है. पूरे मध्यप्रदेश से भी निकालेंगे तो 10-50 निकलेंगे. देश को आजाद हुए 72-73 साल हो गए हैं उसके बाद अब कितनी उम्र के होंगे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जो भी एक दो बचे होंगे (XXX)...
श्री सतीश मालवीय--सभापति महोदय, यह फर्जी वाला काम तो आपके समय ही चलता था.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--माननीय सभापति महोदय, यह आपत्तिजनक बात है, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को आप फर्जी बता रहे हैं तो यह घोर आपत्तिजनक है(व्यवधान)
श्री सतीश मालवीय-- यह आपत्तिजनक बात है, यह इनके जमाने की याद कर रहे हैं इनके समय में चलता था इनकी आदतें अभी गई नहीं हैं (व्यवधान)
श्री के.के. श्रीवास्तव--माननीय सभापति महोदय, यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान कर रहे हैं (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह-- (XXX).
श्री सतीश मालवीय--अरे आप अपने जमाने की थोड़ी बहुत बातें तो भूलो, कुछ तो भी बोले जाआगे (व्यवधान)
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--डॉक्टर साहब बात मिर्च की नहीं है (व्यवधान)
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)--सभापति महोदय, इस बात को कार्यवाही से निकाला जाए (व्यवधान)
श्री के.के. श्रीवास्तव--कभी गटर-पटर, कभी मिर्चें कभी कुछ भी बोल रहे हैं यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान कर रहे हैं(व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह--आपके कारनामों को उजागर कर रहे हैं (व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को फर्जी कहना यह अपमानजनक है.
श्री सतीश मालवीय--आप स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का और मीसा बंदियों का अपमान कर रहे हो, इनको माफी मांगना चाहिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान कर रहे हैं (व्यवधान)
सभापति महोदय--आप सभी लोग बैठ जाइए.इसे कार्यवाही से निकाला जाए.
डॉ. गोविन्द सिंह--आपने पहले किया कि मीसा बंदियों को छह महीने में आधी पेंशन देंगे, आप बढ़ाते चले गए मीसा बंदियों को आज आपने 25 हजार रुपए कर दिया है जबकि पहले प्रावधान था कि...
श्री सतीश मालवीय--गोविन्द सिंह जी आपका पेट क्यों दुख रहा है.
श्री शंकरलाल तिवारी--गोविन्द सिंह जी आप तो सोशलिस्ट रहे हो आप तो इस तरह मत रो गाओ.
डॉ. गोविन्द सिंह--पहले सुन तो लो कि क्यों कह रहे हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी--क्या सुन लें. पूरे देश को काला कर दिया था और 20-20 महीने लोग जेल में रहे. लोगों के जीवन खत्म हो गए और आप फालतू की बातें कर रहे हो.
श्री कमलेश्वर पटेल--सभापति महोदय, मीसा बंदियों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को एक समान नहीं रखा जा सकता है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा मीसा बंदी नहीं ले सकते हैं (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह--इसमें आप चार सौ बीसी कर रहे हो नकली लोगों को देने का काम कर रहे हो जो मीसा में गये नहीं जो कभी जयप्रकाश के आन्दोलन में रहे नहीं अब आपने उसमें प्रावधान कर दिया कि जो जेल में रहे में रहे हैं उनको प्रमाणित कर दें उनको भी हम देंगे. इसके नाम पर आप फर्जी नियुक्तियां कर रहे हैं.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--माननीय सभापति महोदय, कृपया सदस्य को बतायें कि अब लोकतंत्र सेनानी हैं न कि मीसा बंदी. नामकरण लोकतंत्र सेनानी है.
डॉ. गोविन्द सिंह--यह जो संशोधन किया है उसका मैं विरोध करता हूँ.
श्री कमलेश्वर पटेल--स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और मीसा बंदियों को एक बराबर नहीं रख सकते हैं सरकार ने इसी तरह का प्रावधान किया है इसकी भी हम निंदा करते हैं. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश को आजाद कराने वाले लोग हैं मीसा बंदी वह नहीं हैं मीसा बंदियों की उनसे तुलना नहीं की जा सकती है. सरकार की मानसिकता ठीक नहीं है.
श्री के.के. श्रीवास्तव--उन्होंने आपातकाल से आजादी दी वे भी स्वतंत्रता सेनानी हैं. कांग्रेस ने काला अध्याय लिखा था. काले अध्याय के खिलाफ आजादी थी.
श्री शंकरलाल तिवारी--स्वतंत्रता तो इमरजेंसी लगाकर चुरा ली गई थी. उन्हें लोकतंत्र सेनानी कहो.
सभापति महोदय--तिवारी जी कृपा करके आप बैठिए.
डॉ. गोविन्द सिंह--सभापति महोदय, लोकायुक्त में अध्यक्ष का पद खाली है इसी प्रकार सूचना अधिकारी के 10 में से 7 पद खाली हैं. पहले नेता प्रतिपक्ष न होने से यह पद नहीं भरे जा सकते थे अब नेता प्रतिपक्ष पदासीन हो गए हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत- माननीय सभापति महोदय, मेरा एक छोटा सा निवेदन है. अभी सदन में कुछ सदस्यों ने बहुत ही आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं. जिन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की चर्चा हो रही है, आपातकाल में क्या हुआ था, इसकी जानकारी पूरे देश को है. किन लोगों को जेलों में बंद किया गया था, देश में पूरे संविधान को बलाय ताक रखकर, न वकील, न अपील, न दलील की स्थिति कर दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के भी पावर छीन लिए गए थे. ....(व्यवधान)....
श्री गोपाल परमार- उस समय इंदिरा जी की हिटलरशाही देश में चल रही थी.
सभापति महोदय- गोविन्द सिंह जी, आप अपनी बात जारी रखिये.
डॉ.गोविन्द सिंह- मैं यह कहना चाहता हूं कि आपके लोग तो आंदोलनकारी थे, त्यागी पुरूष थे, महान लोग थे तो आपके लोग पेंशन क्यों ले रहे हैं. क्या आप लोग पेंशन के लिए जेल में गए थे ? मैं कहता हूं कि खाली पदों को तत्काल भरा जाए. आपकी सरकार के सुशासन में माननीय मुख्यमंत्री जी की जो घोषणायें हैं, उन घोषणाओं का पालन नहीं होता है. अखबारों में यह छपा है कि मुख्यमंत्री जी ने स्वयं बैठक में कहा था कि ''जब मेरी ही घोषणाओं का यह हाल है तो अन्य का क्या होता होगा''. माननीय मुख्यमंत्री जी और मंत्री अगर कोई घोषणा करते हैं तो सामान्य प्रशासन विभाग की यह ड्यूटी है कि वह कलेक्टर को इसे भेजे और वह इसका पालन करवाये. आप देखिये आपका सामान्य प्रशासन विभाग कैसे कार्य कर रहा है, जो घोषणायें मुख्यमंत्री ने नहीं की, जिसके बारे में उन्होंने कुछ बोला ही नहीं है, उस बारे में भी अफसर लिखकर दे देते हैं. आपके जो अफसर गलत जानकारी देते हैं, उन पर आपको नियंत्रण रखना चाहिए, लगाम लगानी चाहिए. आज तमाम पद खाली पड़े हैं. आपने पूरा प्रशासनिक तंत्र ही बर्बाद कर दिया है. जहां कहीं चले जाओ अस्पतालों में डॉक्टर नहीं, स्कूलों में मास्टर नहीं, आंगनबाड़ी में कार्यकर्ताओं की कमी है. हर जगह पद खाली पड़े हैं. पूरे ब्लॉक के तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी, डिप्टी कलेक्टर के पद खाली हैं. इस पदों को भरने का दायित्व सामान्य प्रशासन विभाग का है. आप एक नियत समय में नीति निर्धारित कर इन पदों को भरवाईये. आज चारों ओर तमाम बेरोजगार लोग घूम रहे हैं. करीब ढ़ाई-पौने तीन लाख पद मध्यप्रदेश में खाली हैं. अध्यापकों के करीब एक लाख छप्पन हजार पद खाली हैं.
मैं कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश भवन की आवश्यकता ही क्या है. जब आपने पिछले 2-3 सालों में ही 10-12 करोड़ रूपये मध्यप्रदेश भवन पर खर्च किए हैं तो फिर इसे तोड़कर बनवाने की क्या आवश्यकता है. आपके सिसौदिया जी कह रहे थे कि मध्यप्रदेश भवन में विधायकों को पांच दिन फ्री कर दिए गए हैं तो क्या आपने कोई एहसान किया है ? आपने कुल दिनों की संख्या को तो घटाकर 30 दिन कर दिया है. ई.ओ.डब्लू. में वकीलों के पद खाली पड़े हैं. जिससे तमाम प्रकरणों का निराकरण नहीं हो पा रहा है. सूचना के अधिकार का विषय जहां तक है तो इस हेतु मैं आपको उदाहरण देना चाहता हूं कि मैंने स्वयं पिछले दो वर्षों से मुरैना और ग्वालियर जिले में कांग्रेस के समय अनुसूचित जनजातियों को जो पट्टे हुए थे, उसके संबंध में जानकारी मांगी थी. वहां धरना भी दिया था, लेकिन सूचना के अधिकार के तहत आज तक न तो मुझे कोई जानकारी मिली और न ही कोई कार्यवाही हुई है.
मुख्यमंत्री जी ने जब लोक सेवा गारण्टी कानून बनाया था तो हमने 13 वर्षों में केवल एक पत्र लिखकर धन्यवाद दिया था कि आपका कानून अच्छा है. लेकिन आज लोक सेवा गारण्टी कानून का कितना पालन हो रहा है, आप देख लीजिए. भिण्ड में पी.एच.ई. विभाग में भ्रष्टाचार मचा हुआ है. हमारे 10-12 कार्यकर्ताओं ने लिखकर दिया था परंतु दो-दो वर्षों के बाद भी आज तक न कोई जानकारी मिली और न ही उन पर कोई कार्यवाही हुई है.
विमानन विभाग के संबंध में मैं कहना चहता हूं कि आपके पास केवल तीन हैलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट है. आप समूचे प्रदेश के मंत्री हैं. यदि आपकी नहीं चलती है तो आप पद पर बैठे ही क्यों हैं ? आज प्रदेश में 30 हवाई पट्टियां हैं. प्रदेश के छोटे-छोटे जिलों दतिया, नीमच में हवाई पट्टियां हैं. ये जिले भिण्ड जिले की आधी आबादी के बराबर हैं. ये भिण्ड जिले के सामने बच्चे जिले कहलाते हैं. आप इन छोटे जिलों में हवाई पट्टी बना सकते हैं परंतु भिण्ड में नहीं बना पा रहे हैं. आप ग्वालियर, चंबल संभाग के रहने वाले हैं. मुरैना, श्योपुर और भिण्ड कहीं भी हवाई पट्टी नहीं है. जब नरोत्तम मिश्र जी स्वास्थ्य मंत्री थे तो दतिया में मेडिकल कॉलेज, वैटनरी कॉलेज, हवाई पट्टी, कलेक्ट्रेट सब कुछ उन्होंने वहां बनवा दिया. अरबों रूपये खर्च किए गए. आपका कर्तव्य है कि आप भिण्ड में भी हवाई पट्टी बनवायें. आपने आनंद विभाग बनाया है. आप देखिये कौन आनंद में है. आप समाचार पत्र उठाकर देखिये प्रदेश में 2-4 किसान प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे हैं. 16 से लेकर 30-35 साल के नौजवानों में से प्रतिदिन कोई न कोई आत्महत्या कर रहा है. क्या आनन्द विभाग में आनन्द प्राप्त करने की बात है? आपने आनन्द विभाग बनाया है, अपने लिए परम आनन्द और आपके आनन्द विभाग से महिला विधायक नीलम मिश्रा कितनी परेशान है, पीड़ित है. आनन्द विभाग में केवल मंत्री अपना आनन्द कर रहे. परमानंद आप प्राप्त करो. इस आनन्द विभाग में पैसे का दुरुपयोग क्यों कर रहे हों?
श्री हेमन्त खण्डेलवाल(बैतूल)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2 एवं 65 के पक्ष में अपनी बात रखना चाहता हूँ. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ. उनके नेतृत्व में हमारी प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त है. सभी विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री की अपेक्षानुरूप काम कर रहे हैं. चाहे कृषि का मामला हो, चाहे सिंचाई या ऊर्जा का हो. प्रशासनिक कसावट के कारण ही ये क्षेत्र पूरे देश में, प्रदेश के लिए एक उदाहरण बन गए हैं. माननीय सभापति महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी को आपके माध्यम से धन्यवाद देना चाहूँगा कि स्वेच्छानुदान के माध्यम से हर व्यक्ति का इलाज हो सके, उसके लिए 80 करोड़ रुपये की राशि, इस साल निर्धारित की गई है.
सभापति महोदय, जाति प्रमाण-पत्र को लेकर भी प्रक्रिया को सरल किया गया है. मेरा मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि हमारी प्रशासनिक व्यवस्था में अगर हम कुछ परिवर्तन करें तो हमारी जो प्रक्रिया है, हमारी जो चुस्त-दुरुस्त रखने की इच्छा-शक्ति है, वह और भी अच्छी हो पाएगी. इस हेतु मेरा आदरणीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि हमारे प्रदेश में भी केन्द्र और दूसरे राज्यों की तर्ज पर 05 दिन का सप्ताह किया जाए, समय को बढ़ाया जाए. फर्स्ट हाफ में कार्यालयीन काम हो और लंच के बाद बैठकों का दौर हो. अभी देखने में आता है कि दिन भर बैठकें चलती रहती हैं और जन प्रतिनिधियों को अगर मिलना हो तो पूरे-पूरे दिन इन्तजार करना पड़ता है और इसलिए इसकी सुचारु व्यवस्था बनाई जानी चाहिए. इसी के साथ ही साथ मेरा आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि हफ्ते के एक दिन कुछ घंटे मंत्री और पीएस निश्चित समय पर अपने कक्ष में विधायकों से, सांसदों से, मिल सकें ताकि एक ही दिन हम भोपाल में रह कर अपना काम कर लें और बाकी दिन अपने क्षेत्रों का दौरा कर लें. मैं समझता हूँ कि इस व्यवस्था से न सिर्फ अधिकारियों को, मंत्रियों को, बल्कि जन प्रतिनिधियों को भी सुविधा होगी.
माननीय सभापति महोदय, एक और सुझाव मुख्यमंत्री जी को देना चाहूँगा कि हमारे प्रदेश में, हमारे मंत्री और पीएस तो वल्लभ भवन में बैठते हैं और बाकी अधिकारी सतपुड़ा भवन, विंध्याचल भवन या अन्य भवनों में बैठते हैं. अगर हम दिल्ली सरकार का अध्ययन करें तो दिल्ली में जब हम जाते हैं तो रक्षा मंत्रालय में मंत्री से लेकर सारे अधिकारी रहते हैं. ट्रांसपोर्ट मंत्रालय में मंत्री से लेकर सारे अधिकारी रहते हैं और इसके कारण उनमें समन्वय रहता है. मेरा अनुरोध है कि मध्यप्रदेश में भी एक ही भवन में सारा मंत्रालय, मंत्री सहित यदि लगेगा तो मंत्रियों की विभाग पर पकड़ भी मजबूत होगी और हम जन प्रतिनिधियों को भी आसानी होगी. मैं इस संबंध में एक उदाहरण देना चाहूँगा. हमारे विधान सभा अध्यक्ष जी के नेतृत्व में आवास समिति दिल्ली के दौरे पर गई थी. वहाँ हमने सुरेश प्रभु जी से मिलने का समय मांगा था. सुरेश प्रभु ने हमारी बैठक अधिकारियों के साथ कराई, उसके बाद वे हमारे साथ बैठे और उसके बाद अधिकारी, मंत्री और हमारी संयुक्त बैठक उन्होंने की और ये सारी प्रक्रिया एक घंटे में हो गई क्योंकि सारे अधिकारी और मंत्री एक ही भवन में थे और इसलिए समन्वय में आसानी हुई. मेरा अनुरोध है कि मध्यप्रदेश में भी प्रशासन ठीक चले और आपस में समन्वय रहे, जन प्रतिनिधि भी मिलने का समय चाहें तो मिल सके इसलिए यह परिवर्तन हमें अपनी व्यवस्था में करना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से पुनः मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देते हुए विमानन मंत्रालय से संबंधित एक मांग करना चाहूँगा कि मेरा बैतूल जिला जो यहाँ से 200 किलोमीटर है, जहाँ एयर फोर्स का स्टेशन है, जहाँ कोयले का उत्पादन होता है, जहाँ एमपीईबी का 1300 मेगावॉट का पावर हाउस है, वहाँ पर भी अगर हवाई अड्डा, बाकी जिलों की तरह बनाया जाए तो उससे सुविधा होगी.
माननीय सभापति महोदय, अंत में मैं अपने मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देते हुए सर्वोच्च प्रशासनिक नियंत्रण के लिए उन्हें बधाई देना चाहूँगा और उम्मीद करूँगा कि उनके नेतृत्व में सरकार अच्छा काम कर रही है, मैंने जो सुझाव दिए उन्हें भी मानते हुए हम और भी उसे अच्छा करने का प्रयास करेंगे. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए धन्यवाद करते हुए मैं अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा.
1.45 बजे { उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए }
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 1 एवं 2 पर बोलने के लिए खड़ी हुई हॅूं. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग में 1 अध्यक्ष सहित 5 सदस्यों के पद स्वीकृत हैं. वर्तमान में 2 सदस्य एवं 1 अध्यक्ष का पद भरा है. 2 सदस्य के पद आज भी खाली हैं. लोकायुक्त के कार्यकाल की समाप्ति के बाद से लेकर आज तक वह पद खाली है. राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ई.ओ.डब्ल्यू.) में स्टॉफ की भारी कमी है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी कहना चाहती हॅूं कि जब विपक्ष में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली था तो सामने से बहुत कमेंट आया करते थे. कौन बन रहा है, कब भर रहे हैं, कब तक पूर्ति हो रही है ? जितनी चिन्ता प्रतिपक्ष के नेता के चयन को लेकर आप कर रहे थे उससे यदि थोड़ी भी चिन्ता आप इन पदों की पूर्ति के लिए कर लेते, तो शायद आज परिस्थ्िाति कुछ और होती.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भारतीय प्रशासनिक सेवा तथा राज्य प्रशासनिक सेवा में स्थानांतरण के नियम है कि विशेष परिस्थितियों को छोड़कर पदस्थापना के बाद 3 वर्ष तक इनका स्थानांतरण नहीं किया जा सकता, लेकिन आप मुझे बताइए, सरकार हफ्ते में दो बार या तीन बार इनके ट्रांसफर कर देती है तब सरकार को कोई नियम नहीं लगता लेकिन यदि कोई आईएएस या राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यदि अपनी जरूरत के आधार पर स्थानांतरण चाहते हैं तो आप नियम का हवाला देकर उनका स्थानांतरण नहीं करते जबकि इन अधिकारियों को हम जानते हैं कि होम डिस्ट्रिक्ट में इनकी पोस्टिंग नहीं कर सकते लेकिन इनकी पदस्थापना यदि इनकी इच्छा के अनुसार की जाएगी तो हमें पूरा विश्वास है कि इनकी पसंद के अनुसार इनको स्थान दिया जाएगा तो वे अपने काम को और बेहतर तरीके से कर सकते हैं और अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहती हूं कि आपके पास इस तरह के जितने आवेदन आए हैं आप उन पर गौर करें और निश्चित रूप से उनको चाही गई इच्छा के अनुसार यदि आप उनको जगह देंगे तो मुझे विश्वास है कि हमारे प्रदेश की उन्नति में वे आपका वही काम करेंगे, जिसकी अपेक्षा हम और आप उनसे करते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग का गठन वर्ष 1956 में हुआ था. वर्ष 1956 से लेकर 2011 तक मतलब 55 वर्ष तक जो पीएससी की परीक्षाएं होती थीं उसमें प्रारम्भिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा ये दोनों परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं को दो वर्ष तक संधारित करके रखने की अवधि थी. परीक्षा परिणाम के दो वर्ष तक इनकी उत्तर पुस्तिकाओं को संधारित करके रखने का प्रोविजन था लेकिन 2011 में ऐसा क्या हुआ, ऐसी कौन-सी आवश्यकता आ पड़ी कि आपने संधारण की अवधि, उत्तर पुस्तिका को सम्भालकर रखने की अवधि को दो वर्ष से कम करके 3 महीने कर दिया. सरकार खुद संदेह की स्थिति को उत्पन्न करती है कि वर्ष 2011 में ऐसी क्या जरूरत आ पड़ी. क्या सरकार के पास इनको सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षा की कमी थी, यदि सुरक्षा की कमी थी तो बजट मांग लेते. क्या आपके पास गोडाउन की कमी पड़ रही थी ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहती हॅूं कि जब आप उत्तर दें तो इस बात का स्पष्ट उल्लेख करें कि क्यों 2011 में आपने उत्तर पुस्तिका 3 महीने में नष्ट करने का प्रोविजन किया है. प्रश्न के माध्यम से भी यह बात सदन के अंदर आई थी और एक बार फिर मैं कहना चाहती हॅूं कि जो भारतीय प्रशासनिक सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों द्वारा जो जाँच की जाती है जो हमारे कलेक्टर, एसडीएम,एडीएम द्वारा जो जाँच की जाती है और उसके जाँच प्रतिवेदन जब शासन को भेजे जाते हैं. जब शासन के पास, विभाग प्रमुखों के पास जब वह प्रतिवेदन आते हैं तो वह प्रतिवेदन सालों-साल धूल खाते हैं और उन कोई कार्यवाही नहीं होती है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि उसके लिए भी आप समय-सीमा निर्धारित करें. क्योंकि उस दिन जब मैंने प्रश्न किया था तो शायद मंत्री जी उसको स्पष्ट रूप से समझ नहीं पाये थे इसलिए मैं आज चर्चा के माध्यम से कहना चाहती हूं कि जो जाँच प्रतिवेदन आते हैं उन पर कार्यवाही होनी चाहिए और कार्यवाही नहीं होती है उसका परिणाम यह होता है कि जब जनप्रतिनिधि अधिकारियों से किसी भी तरह की जाँच बात करते हैं तो जनप्रतिनिधियों को यह जवाब दिया जाता है कि आप जिससे चाहे उससे जाँच करवा लीजिये.क्योंकि वह जानते हैं कि यदि जाँच होगी भी तो जाँच प्रतिवेदन पर कोई कार्यवाही होने वाली नहीं है. इसीलिये कहीं-न-कहीं जन प्रतिनिधयों के अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए आपको यह कदम उठाने चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना बनाई है. मैं सरकार के इस प्रयास को बहुत बधाई देती हूं और धन्यवाद भी करती हूँ. लेकिन इसमें जो आपने 12वीं में 85 परसेंट का बेस रखा है, उसमें मैं कहना चाहती हूं कि जितने भी नेशनल इन्स्टीट्यूट हैं चाहे आईआईटी हो,एनआईटी हो, आईआईएम हो या एमबीबीएस हो, इनमें सलेक्शन के लिए 12 वीं के परसेंटेज का कोई आधार नहीं होता और जनरली जो बच्चे इन परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, वह कोचिंग करते हैं और कोचिंग में वह इतने व्यस्त रहते हैं कि 12वीं की परीक्षा में 85 परसेंट बनाने पर उनका उतना ध्यान नहीं रह पाता है और वह चाहकर भी उतना ध्यान नहीं दे पाते हैं. कई बच्चे ऐसे हैं जो पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं लेकिन उनका सिलेक्शन इन सब संस्थाओं में हो जाता है तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ और निवेदन ही नहीं मुझे पूरा विश्वास है कि यह बात यदि माननीय मुख्यमंत्री जी तक जाएगी तो वह इस बात को जरूर स्वीकार करेंगे कि 85 परसेंटेज का बंधन कम करके इसको 75 परसेंट करना चाहिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने पिछड़ा वर्ग के बच्चों को यह आश्वासन दिया था कि जिस तरीके से बीएड में, डीएड में और नर्सिंग में हमारे एससीएसटी के बच्चों की जो फीस निजी विश्वविद्यालयों के लिए विनियामक आयोग द्वारा निर्धारित की जाती है, उनकी प्रतिपूर्ति सरकार करती है और वैसे ही उसमें ओबीसी के बच्चों के लिए भी शासन की तरफ से प्रतिपूर्ति की जाती है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से और मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि आपने उनको यह आश्वासन दिया है और मैं तो यह बता रही हूं कि मेरे पास ओबीसी की एक बच्ची आई थी और उसका एक निजी एमबीबीएस कॉलेज में सिलेक्शन हुआ है,उन्होंने मुझे बताया कि जब हम मुख्यमंत्री जी के पास गये थे, उनसे मिले तो उन्होंने कहा कि एक साल आप कैसे भी इसको कर लीजिये. आने वाले वर्ष में जैसे ही हम यह योजना बनाएंगे उसमें ओबीसी के बच्चों को भी एमबीबीएस में निजी विश्वविद्यालयों या निजी संस्थाओं में यदि वह एडमीशन लेंगे तो पूरी छात्रवृत्ति के रूप में हम उनको सारी सुविधायें देंगे जो एससी और एसटी के बच्चों को मिलती है. यह बहुत अच्छी योजना है और मैं चाहती हूं कि इसका लाभ ओबीसी के बच्चों को जरूर मिलना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस सदन में एक और बात गोवारी जाति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र जारी करने की आई थी मैं मंत्री जी को यह बताना चाहती हूं कि यह बहुत ही सीधा-सीधा सा मामला है. गोवारी जाति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा रहा है. उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आज भी ओबीसी की जो सूची है, उसमें आज भी गोवारी जाति का उल्लेख है जब तक आप ओबीसी की सूची में से गोवारी जाति को विलोपित नहीं करवाएंगे तब तक अनुसूचित जनजाति की जो सूची है, उसमें भी एक दिक्कत है उसमें गोंड जाति का दो बार जिक्र किया गया है और सबसे बड़ी दिक्कत यही आ रही है कि उसमें गोंड शब्द का उपयोग दो बार हुआ है. 16 नंबर पर अंकित है और उसमें गोंड कॉमा करके गोवारी लिखा है और इसीलिये यह दिक्कत आ रही है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि जब तक आप उसको अन्य पिछड़ा वर्ग से विलोपित नहीं करवाएंगे तब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता. और इस मामले में जब हमारे यहाँ के विधायक आदरणीय श्री के.डी. देशमुख जी ने प्रश्न लगाया था तो आसंदी से अध्यक्ष जी की तरफ से उनको यह कहा गया था कि आप इसके लिए चर्चा उठा लीजिए. मैंने भी इसी विषय पर अपना ध्यानाकर्षण दिया हुआ है लेकिन आज जब बात इसकी हो रही है तो मुझे पूरा विश्वास है कि अब शासन इसको काफी गंभीरता से लेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज आपने बिना टोके मुझे अपनी बात रखने दी, एक बार भी आपने नहीं टोका, आपने मुझे बोलने का समय दिया, मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूँ.
स्कूल शिक्षा मंत्री (श्री दीपक जोशी) -- माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय सदस्या ने अभी मेधावी छात्र योजना का जिक्र किया था जिसमें इन्होंने कहा कि योजना हेतु 85 प्रतिशत से कम का प्रावधान किया जाना चाहिए, तो मैं इनको स्पष्ट करना चाहता हूँ कि 85 प्रतिशत से कम अंक लाने वाले बच्चों के लिए भी प्रावधान किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- बिना ब्याज का लोन देने का प्रावधान है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह प्रावधान तो है लेकिन बॉण्ड भी उनको भरकर देना होगा, मेरा निवेदन यह है कि ओ.बी.सी. के छात्रों को भी लाभ दें, जैसे एस.सी.एस.टी. के छात्रों को आप दे रहे हैं. बाकी डी.एड. में आप दे ही रहे हैं, बी.एड. में आप दे ही रहे हैं, नर्सिंग में भी आप दे ही रहे हैं, माननीय मंत्री जी, ओ.बी.सी. के बच्चों का एम.बी.बी.एस. में बड़ी मुश्किल से सिलेक्शन होता है, इसलिए इसको प्लीज आप ध्यान में रखिएगा.
श्री दीपक जोशी -- सभी का समावेश किया गया है.
श्री राजेन्द्र मेश्राम (देवसर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या - 1 सामान्य प्रशासन, मांग संख्या - 2 सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय और मांग संख्या - 65 विमानन के पक्ष में अपने विचार रखने के लिए खड़ा हुआ हूँ तथा कटौती प्रस्तावों का मैं विरोध करता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक लाइन से अपनी बात प्रारंभ करूंगा कि - प्रशासन की डोर, सुशासन की ओर - मध्यप्रदेश ने पिछले 10 वर्षों में उल्लेखनीय विकास किया है. कृषि, सड़क, सिंचाई, पेयजल, औद्योगीकरण आदि क्षेत्रों में मध्यप्रदेश की एक नई पहचान बनी है. अगर हम 12 साल पूर्व का चित्रण याद करें तो हमें याद आता है कि मध्यप्रदेश बीमारू राज्य के नाम से जाना जाता था. मैं अपने प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री, विकास पुरुष माननीय शिवराज सिंह चौहान जी एवं हमारे राज्यमंत्री सम्मानीय लालसिंह आर्य जी को धन्यवाद और साधूवाद देना चाहता हॅूं कि आपकी दूरदर्शी सोच और गाँव का विकास करने की जो जनकल्याणकारी योजनाएँ हैं और जो आपने मध्यप्रदेश में चहुँमुखी विकास किया है उसका परिणाम यह है कि आज मध्यप्रदेश विकसित राज्य की श्रेणी में आकर खड़ा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विगत कुछ वर्षों से मध्यप्रदेश घरेलू उत्पाद में प्रचलित दरों के आधार पर 16 प्रतिशत की निरंतर वृद्धि हुई है. यह सूचकांक प्रदेश की भौतिक प्रगति को इंगित करता है, परंतु इससे नागरिकों की खुशहाली का स्तर ज्ञात नहीं होता. मानव के परिपूर्ण जीवन के लिए आंतरिक तथा बाह्य सकुशलता आवश्यक है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद एवं साधूवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने मध्यप्रदेश में आनन्द विभाग का गठन कर एक अनोखा कार्य किया है जिससे संतुलित जीवन शैली के लिए नागरिकों को ऐसी विधियाँ तथा उपकरण उपलब्ध कराएंगे जिससे उनके जीवन में आनन्द का कारक बने. इस पावन कार्य को सुव्यवस्थित रूप देने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने अगस्त, 2016 में आनन्द विभाग का गठन किया है, निश्चित रूप से माननीय मुख्यमंत्री जी बधाई के पात्र हैं. इस पवित्र उद्देश्य की पूर्ति के लिए विभाग के द्वारा पंजीकृत सोसायटी के रूप में राज्य आनन्द संस्थान का गठन किया गया है जो आनन्द की प्राप्ति के लिए एक्शन प्लॉन एवं गतिविधियों का निर्धारण करेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नर्मदा घाटी विकास विभाग, नमामि देवी नर्मदे, नर्मदा नदी प्रदेश की एक जीवन रेखा है. नर्मदा नदी को संरक्षित करने के पावन उद्देश्य से माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा एक जन अभियान प्रारंभ किया गया है जो सराहनीय है. नदी के तट पर पूजन-हवन सामग्री के विसर्जन के लिए पृथक कुंड बनाए जा रहे हैं. नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु इससे लगी हुई भूमि पर वृक्षारोपण किया जाएगा. वन्य भूमि पर वृक्षारोपण हेतु हमारी सरकार ने रु. 15 करोड़, कृषि वानिकी के लिए रु. 37 करोड़ तथा फलदार वृक्षारोपण हेतु रु. 50 करोड़ का बजट में प्रावधान किया है. इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान, वित्त मंत्री तथा माननीय राज्य मंत्री श्री लाल सिंह आर्य जी को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. नदी में प्रदूषित जल को मिलने से रोकने के लिये नदी के तट पर स्थित कसबों में मल-जल शोधन संयंत्र स्थापित करने के लिये प्रथक से प्रावधान किये हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रदेश के जन नायक लोकप्रिय विकास पुरूष श्रीमान मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि नर्मदा नदी प्रदेश में आस्था का केन्द्र बिंदु है. नर्मदा नदी के तट पर शराब बंदी का पवित्र निर्णय लेकर प्रदेश की जनता की भावनाओं का सम्मान किया है. उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान के दृढ़ संकल्प के परिणाम स्वरूप नदियों को जोड़ने की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिये नर्मदा मालवा लिंक परियोजना, नर्मदा क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना, नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक परियोजना, चिंकी माईक्रो ईरीगेशन लिंक परियोजना, अलीराजपुर उद्वहन सिंचाई परियोजना] से मालवा क्षेत्र की 6.5 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई और लगभग तीन हजार गांवों में पेयजल उपलब्ध होगा. नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना से वर्ष 2016 में आयोजित सिंहस्थ के महापर्व में परियोजना से क्षिप्रा नदी में सफलतापूर्वक जल प्रवाहित किया गया, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की गयी है. इस परियोजना से उज्जैन, देवास नगर की पेयजल समस्या का समाधान हो गया है, इससे क्षिप्रा नदी के दोनों तटों पर बसे दौ सौ पचास से अधिक गांवों को पीने का पानी उपलब्ध होगा. नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक परियोजना से इंदौर तथा उज्जैन जिलों में पचास हजार हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई होगी. साथ ही नगरीय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 158 गांवों के लिये परिश्रकृत जल भी उपलब्ध कराया जायेगा. ऐसी अद्भूत योजना भी निर्माणाधीन है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चिंकी-माईक्रो इरीगेशन परियोजना से नरसिंहपुर तथा रायसेन जिले में एक लाख चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होगा. इस परियोजना की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें कोई डूब क्षेत्र नहीं होगा. इस परियोजना के लिये राशि रूपये 1494. 6 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गयी है. अलीराजपुर उद्वहन सिंचाई परियोजना से 35 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी.
उपाध्यक्ष महोदय :- मेश्राम जी, अभी नर्मदा घाटी पर चर्चा नहीं है. यह बाद में भी चर्चा में आयेगा.
श्री राजेन्द्र मेश्राम :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग में उसको भी रखा गया है.
श्री लाल सिंह आर्य :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हर बार से नर्मदा घाटी, सामान्य प्रशासन विभाग के साथ आ रहा था. इसलिये हो सकता है कि मेश्राम जी को वही याद हो.
श्री राजेन्द्र मेश्राम :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं दोबारा सुधार कर लूंगा. आपको सही सलाह देने के लिये धन्यवाद. मैं एक निवेदन यह कर रहा था कि मेरे विपक्ष के जितने लोग हैं, वह बहुत विद्वान लोग हैं. मेरा एक निवेदन है कि यदि हम प्रदेश के विकास की बात करते हैं तो देश की जनता और प्रदेश की जनता ने 50 साल दिये थे,आजादी के 70 साल के बाद लगभग साढे़ अड़तालीस साल कांग्रेस के मित्रों ने राज किया. उपाध्यक्ष महोदय, 50 साल एक बहुत बड़ा काल खण्ड होता है और इस काल खण्ड में इन मित्रों न देश की चिंता की और न ही कभी प्रदेश की चिंता की. अगर प्रदेश की किसी ने चिंता की, वह हमारे प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री, संवेदनशील देश के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री परमश्रदेय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने की . आज मध्यप्रदेश विकसित राज्य की श्रेणी में खड़ा है. मैं अपने मित्रों से निवेदन करना चाहूंगा कि आप अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग की बात करते हैं. आप 12 साल पूर्व की याद करें और आप अध्ययन करके देखें, आप सिर्फ विरोध के लिये विरोध मत करिये. मेरा कहना यह है कि अगर सच है तो सच भी बोलने का प्रयास करना चाहिए. आपने अपने पचास सालों में भी काम नहीं किया है. हम जब भी अगर अपने विचार रखें तो सकारात्मक सोच के साथ विचार रखना चाहिए लेकिन हम हमेशा नकारात्मक सोच के साथ विचार रखते हैं. मेरी अपने मित्रों से करबद्ध प्रार्थना है कि जब भी अगर आप सदन में बोलें तो सकारात्मकता को जरूर आत्मसात करें. इतना ही निवेदन करके मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - आपको भी धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2 और 65 का समर्थन करता हूं. साथ ही मैं मांग संख्या 6 और 7 का भी समर्थन करता हूं. मैं पूर्व में भी सभी मांगों का समर्थन करते आ रहा हूं और साथ ही अपने क्षेत्र की समस्या से भी अवगत कराते रहा हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन से मेरा आग्रह है कि हम धरातल में देख रहे हैं कि पटवारी बहुत कम है. आपको पटवारियों की संख्या बढ़ाना चाहिए. आप पटवारियों की संख्या जरूर बढ़ायें क्योंकि हेडक्वार्टर नगरीय क्षेत्रों में बड़े-बड़े शहरों में बना लिये गये हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में कभी हमको पटवारी देखने को मिलते नहीं है क्योंकि समय पर नामांतरण नहीं हो रहे हैं. संबंधित अधिकारी उन नामांतरण को दबाकर रखते हैं और काफी हीला-हवाली करते हैं. उसमें काफी समय लगता है, अब आप समझ सकते हैं कि बिना लेन-देन के कोई काम नहीं हो रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक बात और कहना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने लखनादौन में ए.डी.एम. आफिस की स्थापना के बारे में कहा था, वे कुछ दिन आये, हफ्ते में दो दिन आये, उसके बाद फिर उनका भी वहां आना बैठना बंद हो गया है. मेरे जिले में संभाग को लेकर एक चर्चा चल रही है, उसको लेकर काफी उसमें दावे आपत्तियां भी आई हैं, जिसमें छिंदवाड़ा को लेकर दावे, आपत्तियां हैं. लेकिन भौगोलिक परिस्थितियों और आपके राजस्व महकमे के हिसाब से सिवनी को ही मुख्य माना गया है, जिसमें बालाघाट, छिंदवाड़ा और मंडला समाहित करके सिवनी को ही संभाग बनने की संभावना है. मेरा आग्रह है कि जब कहीं से भी सिवनी के लिये आपत्ति नहीं है, तो उसमें क्यों हीला-हवाला करे रहे हैं, इसमें कहीं न कहीं कोई राजनीतिक षड़यंत्र है. आप तत्काल ही सिवनी जिले को संभाग घोषित करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुकंपा नियुक्ति की बात हो रही थी. काफी अनुकंपा नियुक्ति होती है. मैं देखता हूं कि बहुत बहन-भाई मेरे पास आते हैं. वे लोग विभागों के दो दो तीन तीन साल से चक्कर काट रहे हैं और अनुकंपा नियुक्ति के लिये बहुत परेशान है. एक समय सीमा निश्चित की जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जन सुनवाई होती है और पूरे जिले के अधिकारी वहां बैठते हैं, यह बात सत्य है. परंतु पता नहीं जनसुनवाई में क्या चल रहा है. टी.एल. की बैठक के नाम से वरिष्ठ अधिकारियों ने हमारे जिले के विकास को रोक रखा है. हफ्ते में तीन बैठक कलेक्टर के वहां पर होती है, वरिष्ठ अधिकारी वहीं रहते हैं. क्षेत्र की जनता या अगर क्षेत्र में उनको घूमना हो तो वह अधिकारी निकल नहीं पा रहे हैं. आप कम से कम इन बैठकों को खत्म कर दें.आप एक तो मध्यप्रदेश को डायरेक्ट वीडियो कान्फ्रेंस से भी जोड़ते हैं, एक ओर हमारे वरिष्ठ अधिकारी एक बड़े हॉल या कुनबे मैं बैठ जाते हैं और पूरी जनता त्राहिमाम त्राहिमाम हो जाती है. धरातल पर देखने जाने के लिये अधिकारियों के पास समय नहीं है. मेरा आग्रह सामान्य प्रशासन विभाग से है कि आप यह बैठकें कम करिये और उन वरिष्ठ अधिकारियों को धरातल पहुंचाईये, तब कहीं जाकर हमारे क्षेत्र का विकास हो सकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय,मेरा एक और आग्रह है कि हमारे क्षेत्र में हवाई पट्टी बनी है, लेकिन उसको प्रायवेट कंपनी को दे दिया है वह अपना एडवेंचर का कार्य भी नहीं कर रही है. कुछ दिनों तक तो उस कंपनी ने कुछ काम किया था लेकिन उसके बाद से वह कंपनी गायब है. इससे अच्छा किसी और कंपनी को दे दें, तो उस हवाई पट्टी का विस्तार हो और वह उपयोग में भी आ सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी एक बात समाज को लेकर आई थी. एक बघेल समाज, बाघरी समाज मेरे सिवनी जिले में बहुतायत है. बहुत लोगों को वहां पर अनुसूचित जाति में माना गया है और वह लोग हमारे पुलिस विभाग में अभी काम कर रहे हैं. सिवनी जिले में सिर्फ एक विभाग में पता नहीं बार-बार उन लोगों को जांच के नाम पर, उन लोगों से प्रमाण पत्र मांग-मांगकर बहुत प्रताडि़त किया जा रहा है. वह लोग पूर्व से दस बीस साल से नौकरी कर रहे हैं और वर्तमान में अगर उनके परिवार के बच्चे, उस बाघरी समाज के अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र के लिये आवेदन करते हैं तो उनके आवेदन को निरस्त कर देते हैं और किसी का भी प्रमाण पत्र नहीं बना रहे हैं. जो बाप अपने बेटे का प्रमाण पत्र बनवाना चाह रहा है, अब उसको और क्या प्रमाण पत्र देना पड़ेगा की वह उसका ही बेटा है ? इसके लिये क्या डीएनए टेस्ट करवाना पडे़गा, क्या करवाना पड़ेगा तब आप उसका प्रमाण पत्र बनायेंगे ? जिन लोगों के प्रमाण पत्र बने हुए हैं, उनकी औलादों तक को आप प्रमाण पत्र नहीं बता रहे हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि इस संबंध में मेरे जिले के लिये आप निर्देशित करें, मैं वित्तमंत्री जी को भी धन्यवाद देता हूं कि मेरे क्ष्ोत्र का नाम इस बार पढ़ने में नहीं आया है. मेरा आग्रह है और मैंने आपको काफी नाम भी दिये हैं, जिन्हें आप उसमें सम्मिलित कर लें, आपकी बहुत-बहुत दया होगी, बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 1 सामान्य प्रशासन, 2 सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय एवं 65 विमानन, के समर्थन में तथा कटौती प्रस्तावों का विरोध करते हुए मैं इन मांगों पर अपनी बात रखना चाहता हूं. मध्यप्रदेश सरकार का जो सामान्य प्रशासन विभाग है, यह अति महत्वपूर्ण विभाग है. इस विभाग को यदि की-डिपार्टमेंट कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगा. पूंजी डिपार्टमेंट कहा जाय तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. इस विभाग के अंतर्गत नीति निर्धारण, नियम निर्धारण तथा लोकायुक्त जैसे संगठन, मानवाधिकार आयोग, राज्य सेवा आयोग, राज्य सूचना आयोग, जैसी संवैधानिक संस्थाओं का प्रशासनिक कार्य, सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा किया जाता है. इस विभाग के द्वारा जो भी सर्क्यूलर निकलता है, समस्त विभाग उसका पालन करते हैं. मुझे कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि वर्ष 2003 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, उसके पूर्व जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए कितने आफिसों के चक्कर गरीब लोगों को काटने पड़ते थे, उस समय मैं जनपद में, जिले में हुआ करता था, मुझे इसकी जानकारी है. जाति प्रमाण पत्र को लेकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने, श्री शिवराज जी सरकार ने और माननीय श्री लाल सिंह आर्य साहब ने 1 जुलाई 2014 से 30 जून, 2017 जो अभी नहीं आया है, इसका एक समय निर्धारित किया गया है. इसके बीच 17 जनवरी से लेकर आज तक कुल 12657398 आवेदन आए हैं, उसमें से 12465390 आवेदनों का निराकरण किया जा चुका है. मात्र 192008 ऐसे आवेदन है, जिसका निराकरण होना शेष है. यह प्रमाण पत्र जो बनाये गये हैं वह करोड़ों की संख्या में प्रदेश में बनाये गये हैं.
श्री बाला बच्चन - ऐसे आवेदन किस-किस प्रकार के हैं?
श्री बहादुर सिंह चौहान - यह जाति प्रमाण है, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के हैं. यह डिजिटल प्रमाण पत्र बनाकर छात्रों को उनके स्कूलों में वितरित किये गये हैं. हम जब पढ़ते थे आय का प्रमाण पत्र लेना पड़ता था, आप सब जानते हैं कि हमें कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. इस सरकार ने यह ऐतिहासिक कार्य जाति प्रमाण पत्र का किया है. महिला सशक्तिकरण को लेकर हमारी सरकार ने दिनांक 15.2.2016 को जेंडर सेल का गठन किया गया है. इसमें सिर्फ वन विभाग को छोड़कर मध्यप्रदेश राज्य के अंदर जितनी भी नौकरियां है उसमें महिलाओं को 33 प्रतिशत का प्रावधान इस सरकार ने किया है. यह एक ऐतिहासिक कदम श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार का और माननीय मंत्री जी का है. स्थायी निवासी प्रमाण-पत्र और आय प्रमाण-पत्र के लिये नोटरियों में जाते थे वहां पर दौ सो से ढाई सौ रूपये देने पड़ते थे वहां एक शपथ-पत्र भी होता था वहां पर चक्कर लगाने के बाद आय का प्रमाण-पत्र बनता था. मैं कहना चाहता हूं कि इसके लिये इस सरकार ने बहुत ही सरलीकरण किया. स्थायी निवासी का, आय का प्रमाण-पत्र बनाने के लिये स्वघोषणा करना उसको मान्य कर दिया गया, साथ ही दस्तावेजों का खुद का प्रमाणीकरण करने से आसानी से उसका स्थायी निवासी और आय प्रमाण पत्र उसको मिल जाता है इससे कितना खर्च गरीब, दलित, शोषित, पीड़ित लोगों का बचा है. यह बात कहने में तो सरल है, लेकिन जो एसडीएम कार्यालय तथा तहसील कार्यालय के चक्कर काटता है वह जानता है कि कितना कठिन होता है. यह बहुत ही ऐतिहासिक कदम उठाया है इसके लिये सरकार की भूरि-भूरि प्रशंसा की जाती है. स्वैच्छानुदान पहले बहुत कम होता था आज 80 करोड़ रूपये हो गया है हमारे मुख्यमंत्री जी के पास में कोई भी सदस्य जाते हैं स्वैच्छानुदान के लिये तो उसी समय ही हस्ताक्षर कर देते हैं. मैं तो चाहता हूं कि इस स्वैच्छानुदान को 200 करोड़ रूपये करना चाहिये. रोज मध्यप्रदेश में दुर्घटनाएं होती हैं इतना बड़ा साढ़े सात करोड़ जनता का मध्यप्रदेश है. हर क्षेत्र में घटनाएं होती हैं. मैं स्वैच्छानुदान को 200 रूपये करवाना चाहता हूं, यह मेरी इच्छा है. मैं व्यक्तिगत बोलने के लिये स्वतंत्र हूं.
श्री के.के.श्रीवास्तव--मैं स्वैच्छानुदान अपने क्षेत्र के लिये 80 लाख रूपये ले चुका हूं.
श्री सतीश मालवीय----इन्होंने धर्म तो कभी किया ही नहीं.
नेता प्रतिपक्ष ( श्री अजय सिंह )--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कोई इधर से-उधर से खड़ा हो जाता है, कुछ टिप्पणी करने लगते हैं.पहले सुनिश्चित करें, फिर संख्या के आधार पर कुछ लोगों को बुलायें.
उपाध्यक्ष महोदय--आप स्वयं बहादुर भी हैं बहुत अच्छा बोलते हैं आपको इतने सलाहकारों की जरूरत आपको नहीं है.
डॉ.गोविन्द सिंह--बहादुर तो हैं, लेकिन (XXX) करने में बहादुर हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसे डॉ.साहिब आप हैं उसी तरह से मेरे जिले के विधायक हैं. मैंने किसी अधिकारी एवं नेता की (XXX) आज तक नहीं की है. हमारा कोई गॉड फादर नहीं जनता ही हमारी गॉड फादर है. मैं आपकी बड़ी प्रशंसा करता हूं आप मिलते हैं मेरी तारीफ करते हैं मैं भी आपकी तारीफ करता हूं. मैं तो बहुत ही जूनियर सदस्य हूं.
श्री बाला बच्चन--बहादुर सिंह जी यह रिकार्ड में आ गया है समय आने पर प्रस्तुत कर देंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान--हम जनता की (XXX) करते हैं और किसी की नहीं करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--आप विषय पर बोलिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विमानन विभाग में एक सुझाव देना चाहता हूं कि हमारी नगरी उज्जैन में वहां पर हवाई पट्टी भी है रात्रि के समय लाईटिंग के जो भी नियम हैं उसमें कोई भी विमान लेंडिंग नहीं कर पाता है. मैं आपके माध्यम से आग्रह करता हूं कि यह विश्व प्रसिद्ध महाकाल का स्थान है. मैं चाहता हूं कि वहां पर बहुत अच्छी हवाई पट्टी तथा रात्रि में भी विमान उत्तर सके ऐसी व्यवस्था करें. धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- उपाध्यक्ष जी, सुबह मेरे वक्तव्य एक महत्वपूर्ण सुझाव छूट गया था. मैं सामान्य प्रशासन विभाग को एक सुझाव देना चाहता था.
उपाध्यक्ष महोदय-- पहले उनको बोल लेने दीजिए.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- एक लाईन कहना चाहता हूं. बैंकों में द्वितीय और चतुर्थ शनिवार का अवकाश रहता है. शासन में द्वितीय और तृतीय शनिवार अवकाश रहता है. मैं आपके माध्यम से यह व्यवस्था चाहूंगा कि दूसरा और चौथा शनिवार अवकाश का कर दें ताकि बैंकों और शासन के कार्य में जो असुविधा हो रही है, उसका निराकरण हो सकेगा.
श्री सत्यप्रकाश सखवार(अम्बाह )-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं सामान्य प्रशासन तथा विमानन विभागों की अनुदान मांगों का विरोध करते हुए कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति देने के लिए 2017 में नियम बनाने की घोषणा की गई थी. चूंकि 2002 में जो पदोन्नति नियम बनाये गए उसमें कुछ कमियां थीं जिसके कारण माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने का फैसला दिया गया. इस कारण लगभग 1 लाख अधिकारी/कर्मचारी पदोन्नति से वंचित हो गए हैं और लगभग 10 हजार सेवानिवृत्त हो गए हैं. मुख्यमंत्री जी द्वारा सरकार की तरफ से संशोधन विधेयक सदन में नहीं लाया गया जिसके कारण उनकी मंशा पर सवाल उठ रहे हैं कि आरक्षण की वकालत करने वाले मुख्यमंत्री जी, आखिर ठोस कानून बनाने की पहल क्यों नहीं कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या एक के संबंध में चर्चा करना चाहता हूं कि मप्र शासन के विभिन्न विभागों में आरक्षित वर्ग के लगभग 1 लाख 4 हजार पद बैकलॉग के रिक्त हैं, उन्हें भरने की कार्रवाई नहीं की जा रही है. मैं मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि अविलंब उक्त दोनों मांगों की प्राथमिकता से पूर्ति की जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, अध्यापक संवर्ग का शिक्षा विभाग में संविलियन एवं वेतन विसंगति दूर करते हुए छठवां एवं सातवां वेतनमान दिया जाए. पंचायत सचिव, रोजगार सहायकों को नियमित कर, छठवां वेतनमान स्वीकृत किया जाए. संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों, एनआरएचएम को नियमित किया जाए. भर्ती विज्ञापनों पर रोक लगाई जाये पहले पूर्ण रुप से नियमितीकरण किया जाए. धन्यवाद.
डॉ रामकिशोर दोगने(हरदा)-- उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया. उसके लिए धन्यवाद. मैं सामान्य प्रशासन तथा विमानन विभागों की अनुदानों की मांगों के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं जिस प्रकार सामान्य प्रशासन विभाग के बजट की बात चल रही थी. आप जानते हैं कि सरकार का सबसे मुख्य विभाग सामान्य प्रशासन है लेकिन उसमें बहुत सारी खामियां हैं. उन खामियों को दूर करने की जरुरत है. मैं यह कहूंगा कि बजट भी बढ़ाने की जरुरत है. लालसिंह आर्य जी के विभागों का बजट बढ़ाएंगे तो ठीक रहेगा. क्योंकि इसमें बहुत सारे विभाग, बहुत सारे आयोग और बहुत सारे विभागों की समस्याएं जुड़ी हुई हैं जिनका हल होना जरुरी है.
उपाध्यक्ष महोदय, हम लोक सेवाओं के प्रदाय की गांरटी अधिनियम को देखें तो इसमें जो काम हो रहा है वह बिलकुल ठीक नहीं हो रहा है. भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है. हर जिले में लोक सेवा गारंटी के नाम से गरीबों से, छोटे वर्ग के लोगों से प्रमाण पत्रों के नाम से काम के नाम से या खसरा‑किश्तबंदी के नाम से पैसे वसूले जाते हैं. यह सब चीजें बंद होना चाहिए. इसको फ्री कर देना चाहिए. और जो फीस है वह सामान्य प्रशासन विभाग की ओर भरना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, पिछड़ा वर्ग में आरक्षण चल रहा है वह पूरे भारत में 27 प्रतिशत है. लेकिन हमारे प्रदेश में 14 प्रतिशत मिल रहा है. इसमें सरकार को ध्यान देना चाहिए. कुछ तकनीकी समस्याएं हैं लेकिन केन्द्र सरकार ने कैसे लागू किया उसके हिसाब से, चूंकि मुख्यमंत्री जी भी पिछड़ा वर्ग से है और मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या भी सबसे ज्यादा है इसलिए 14 प्रतिशत को 27 प्रतिशत तक कैसे ले जाएं इसका विचार होना चाहिए और इस संबंध में कार्रवाई होना चाहिए. मैं इसी के साथ आपको बताना चाहता हूं कि हमारे मध्यप्रदेश में कई घुमक्कड़ जातियां हैं और कई जातियों को एक जिले में आरक्षण मिल रहा है दूसरे जिलों में नहीं मिल रहा है और छोटे-छोटे शब्दों का गलत अर्थ निकाला जा रहा है. मेरे हरदा जिले में एक निहाल जाति है तो नहाल और निहाल में अंतर कर दिया गया और नहाल को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है बल्कि खण्डवा जिले में निहाल जाति एस.सी. में आती है. पहले उनको आरक्षण मिला परंतु वर्तमान में शब्दों के कारण,मात्रा के कारण बंद कर दिया गया तो उस पर चर्चा कराई जानी चाहिये और उसका सर्वे कराकर उनको एस.सी. के आरक्षण में जोड़ना चाहिये. इसके साथ ही पारदी और पादरी यह जातियां घुमक्कड़ जातियां हैं इसको भी हमारे हरदा में आरक्षण नहीं मिल रहा है और कई जगह नहीं मिल रहा है. तो यह शब्दों का छोटा-छोटा अंतर है. आरक्षण लिस्ट में इसको दूर किया जाना चाहिये और उनको सुविधा मिलना चाहिये. इसके साथ ही कर्मचारी कल्याण आयोग बना है,मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग है, इनकी व्यवस्थाओं में भी सुधार होना चाहिये. पूर्व वक्ताओं ने कर्मचारियों की बात कही, पूरे कर्मचारी हड़ताल पर चल रहे हैं. संविदा वाले हड़ताल पर चल रहे हैं,शिक्षक संघ हड़ताल पर चल रहे हैं अतिथि विद्वान हड़ताल पर चल रहे हैं.एन.आर.एच.एम. के कर्मचारी हड़ताल पर चल रहे हैं. इनकी समस्याओं का समाधान होना चाहिये. इसके लिये सामान्य प्रशासन विभाग की समिति अच्छे से बने, क्योंकि मैं सामान्य प्रशासन समिति में हूं परंतु साल भर में मीटिंग कल होने जा रही है. एक साल पहले एक मीटिंग अटेंड की थी दूसरी मीटिंग कल होगी. इस तरह की मीटिंगों में इन बातों पर चर्चा होनी चाहिये और समस्याओं का समाधान होना चाहिये. इसके साथ-साथ लोकायुक्त को प्रभावी बनाना चाहिये जो भ्रष्टाचार दूर करने का काम करे.मानव अधिकार आयोग,महिला आयोग को सशक्त बनाना चाहिये जैसे अभी बलात्कार के केस मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा हो रहे हैं उसका समाधान होगा और मध्यप्रदेश में जो छोटे-छोटे आयोग बने हैं उन्हें आयोग का दर्जा दिया गया काम कुछ नहीं कर रहे हैं. मैं किसान कल्याण आयोग की बात करना चाहूंगा लेकिन वहां स्टाफ तक नहीं है. इनको सुविधाएं न हीं देंगे तो वे काम कैसे करेंगे. ऐसे कई आयोग हमारे कागजों पर हैं. उनके अध्यक्ष बने हुए हैं. लाल बत्ती का वे फायदा ले रहे हैं सुविधाएं ले रहे हैं बाकी स्टाफ नहीं है कोई काम नहीं है कोई काम नहीं हो रहा है. इसको प्रभावी ढंग से लागू करें. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि जो अधिकारी,कर्मचारी तीन साल से ज्यादा एक-एक जिले में बैठे हुए हैं जबकि हमारा नियम बना हुआ है कि 3 साल से ज्यादा नहीं रह सकते लेकिन वर्तमान में अधिकारी 20-20 साल से बैठे हैं तो हमारी व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और व्यवस्था अच्छे से चलेगी.
उपाध्यक्ष महोदय, विमानन विभाग की बात करना चाहता हूं. हमारा हरदा छोटा जिला है और नया बना है वहां अभी तक कोई हवाई पट्टी न हेलिकाप्टर उतरने के लिये हेलीपेड भी नहीं है तो मेरा निवेदन है कि वहां हेलीपेड बनाया जाये क्योंकि स्टेडियम में 500-700 बच्चे रोज वहां खेलते हैं, तो कोई भी कार्यक्रम होता है तो वहां हेलिकाप्टर उतार दिया जाता है. स्टेडियम को खोदकर खराब कर दिया जाता है. वहां हेलीपेड बनाकर स्टेडियम को सुरक्षित रखा जाये और मैं तो कहूंगा कि जहां भी प्रदेश में खेल की गतिविधि होती है वहां कोई भी सम्मेलन नहीं, कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं, कोई हेलिकाप्टर नहीं उतारा जाये. जैसे हम देखते हैं कि अनार की खेती विदिशा में कर रहे हैं परंतु हेलिकाप्टर का खर्च भी उसके लागत मूल्य में जोड़कर उसका प्राफिट निकालना चाहिये. तो वे हेलिकाप्टर से विदिशा कितनी बार गये तो विमानन विभाग को उसको देखना चाहिये. आपने बोलने का अवसर दिया. धन्यवाद.जय हिन्द.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री वेलसिंह भूरिया जी. आप पांच मिनट में अपनी बात समाप्त करना.
श्री वेलसिंह भूरिया(राजपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पहली बार हमारी सरकार में तो किसी आदिवासी नेता को बोलने का मौका दिया जाता है कांग्रेस के राज में तो बोलने ही नहीं दिया जाता था.
श्री बाला बच्चन - कांग्रेस के राज में आप थे क्या.
श्री वैलसिंह भूरिया-- आपके राज में राजा दिग्विजय सिंह जी के द्वारा आदिवासी नेताओं की बोलती बंद कर दी जाती थी, हमारे राज में ऐसा नहीं होता है. हम लोग स्वतंत्र हैं, हमारी सरकार में खुलकर बात करते हैं, ऐसी स्वतंत्रता आपकी सरकार में नहीं थी.
उपाध्यक्ष महोदय-- वैलसिंह जी, जसवंत सिंह जी कुछ कह रहे हैं.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा (शुजालपुर)-- उपाध्यक्ष जी, यह लोग बहुत चमका रहे हैं वैलसिंह को, उसको सही-सही बात कहने का हक है और एक पढ़ा-लिखा आदमी डबल एम.ए. आदमी एक बकरी से इतना ऊपर आया तो बारीकी जानता है. आप उसको खड़े होकर क्या संदेश देना चाहते हैं कि तुम बोलों मत (विपक्ष की तरफ इशारा करते हुये), थोड़ी आपकी कृपा रहे उपाध्यक्ष जी.
उपाध्यक्ष महोदय-- ऐसा कुछ नहीं है, आप बैठ जायें. जारी रखें वैलसिंह जी.
श्री वैलसिंह भूरिया-- माननीय उपाध्यक्ष जी, मेरी एक शायरी से आनंद मंत्रालय की बात शुरू करता हूं.
''चाय में शकर नहीं तो पीने का क्या मजा.
शिवराज जी के राज में आनंद नहीं तो जीने का क्या मजा.''
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश ने पिछले 10 सालों में उल्लेखनीय विकास को हासिल किया है. वित्तीय वर्ष 2005-2006 से वर्ष 2013-2014 तक की 8 वर्षों की अवधि में प्रचलित दरों के आधार पर 16.9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर प्राप्त की है, जो कि प्रदेश की भौतिक प्रगति को इंगित करती है. केवल भौतिक विकास से नागरिकों की खुशहाली, स्तर ज्ञान करना संभव नहीं हो पाता. मेरे विचार में नागरिकों की खुशहाली एवं उनके परिपूर्ण जीवन के लिये आंतरिक तथा सकुशलता आवश्यक है. कांग्रेस के राज में क्या होता था एक शेर मेरे को याद आता है-
अंगूर की डाली पे अंगूर लटक रहे थे.
कांग्रेस के राज में समाज और जनता के आंसू टपक रहे थे.
राज्य का पूर्ण विकास नागरिकों की मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक उन्नति तथा प्रसन्नता से ही संभव है. अत: नागरिकों को ऐसी विधियां तथा उपकरण उपलब्ध कराने होंगे जो उनके लिये आनंद का कारक बने. विकास का मापदण्ड मूल्य आधारित होने के साथ-साथ नागरिकों के आनंद प्रदान करने वाला होना चाहिये. इससे माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मानसिक तनाव ठीक होगा जो तनाव शरीर में, मन में जो चलता रहता है उसको भूलकर जो लोग गलत रास्ता अपना लेते हैं उसको भूलकर आनंद में गम को भूल जाते हैं और आनंद में यदि गम को भूल जाता है तो व्यक्ति गलत स्टेप नहीं उठाता है, इसका यही अर्थ है. आनंद मंत्रालय की आवश्यकता बहुत जरूरी थी. राज्य में दिनांक 6 जुलाई 2016 को आनंद विभाग की स्थापना की गई. इस प्रकार का कदम बढ़ाने वाला मध्य प्रदेश देश में पहला राज्य है. आनंद विभाग देश में अपनी तरह की अनूठी पहल है जिसका उद्देश्य आनंद एवं कुशलता के पैमाने की पहचान करना तथा उनका क्रियान्वयन कर जन का जीवन आनंदमयी बनाना इस हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ तथा अनेक देशों में नागरिकों के आनंद की स्थिति के आंकलन के लिये अपनाये गये पैमानों का अध्ययन किया जा रहा है.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज)-- वैलसिंह जी इस तरह से पढ़ाई चलेगी तो बहुत समय लगेगा.
श्री वैलसिंह भूरिया-- आप तो दोस्त हैं मेरे....(हंसी)... माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ताकि उनकी अवधारणाओं को भी यथोचित एवं यथासंभव राज्य के हैपीनेस इंडेक्स के घटकों में सम्मिलित किया जा सके.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक अवसाद मंत्रालय भी बना दिया जाये ताकि रेप और अत्याचार से पीडि़त लोग पहले अवसाद मंत्रालय में चले जायें, जनवेदना मंत्रालय में चले जायें उसके बाद आनंद मंत्रालय में जायें.
श्री वैलसिंह भूरिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अब मैं कांग्रेस के लिये एक बात बता देना चाहता हूं. कांग्रेस के राज में क्या होता था.
उपाध्यक्ष महोदय-- यह भी शेर होगा.
श्री वैलसिंह भूरिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शेर ही है. कांग्रेस इतनी गायब क्यों हो गई है पूरे देश में और प्रदेश में, क्योंकि कांग्रेस ने समाज और जनता के साथ में दगा किया है इसलिये कांग्रेस देश और प्रदेश से गायब हो गई है. कांग्रेस अब कभी आने वाली नहीं है, इसलिये मैंने एक शेर लिखा है, मुझे याद आया है-
दगा किसी का सगा नहीं होता, दगा करके देख,
जिसने भी जिसके साथ दगा किया उसके घर जाकर देख.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह कांग्रेस के लिये लागू होता है.
उपाध्यक्ष महोदय, आनंद मंत्रालय इतना अच्छा मंत्रालय है कि इसके अंतर्गत हम लोग आनंद सा महसूस कर रहे है. आनंद मंत्रालय के अंतर्गत राज्य आनंद संस्थान की वेबसाइड नवम्बर, 2016 में आरंभ की गई. आज के नये युग में नौजवान लेपटाप में, कम्प्यूटर में, मोबाइल में अच्छे अच्छे आनंद से भरे, आनंद लेने वाले नृत्य है, आदिवासी नृत्य हैं उनको देखने से आनंद की अनुभूति होती है. कांग्रेस के राज में गुलाब जामुन की थाली गरीबों को परोसकर के वापस ले ली जाती थी, क्या आनंद वह लेते.
श्री बाला बच्चन-- वेल सिंह जी, आप किस विभाग पर बोल रहे हैं. किसकी अनुदान मांगों पर बोल रहे हो.
श्री वेल सिंह भूरिया- उपाध्यक्ष महोदय, मैं आनंद मंत्रालय पर बोल रहा हूं. इसकी मांग संख्या 1, 2, 65 पर बोल रहा हूं. उपाध्यक्ष महोदय, वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिये बजट में 2 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय- वेल सिंह जी कृपया समाप्त करें, नहीं तो सारा आनंद समाप्त हो जायेगा.(हंसी)
श्री वेल सिंह भूरिया- उपाध्यक्ष महोदय, हैप्लीनेस इंडेक्स राज्य में नागरिकों के जीवन में आनंद के स्तर को मापने के लिये विस्तृत सर्वेक्षण करवाने का प्रस्ताव विभाग में विचाराधीन है. यह सर्वे आंतरिक तथा बाह्य सकुशलता आंकने का कार्यक्रम भी होगा तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित एवं मान्य उत्कृष्ट विधि के आधार पर तैयार किया जायेगा. इस सर्वे के आधार पर राज्य के हैप्पीनेस इंडेक्स की गणना भी करना प्रस्तावित है. आनंद विभाग के द्वारा यूएनडीपी भूटान सरकार के द्वारा तथा असम राज्य से इस संबंध में विचार-विमर्श किया जा रहा है. उपाध्यक्ष महोदय, आनंद वह स्वयं सेवक कार्यकर्ता है जो कि नि:शुल्क रूप से राज्य आनंद संस्थान की गतिविधियां करने के लिये प्रेरणा से तैयार है. आनंद के बिना जीवन अधूरा है इसीलिये मध्यप्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी ने आनंद मंत्रालय के विस्तार हेतु बजट में प्रावधान किया है उसके लिये मुख्यमंत्री जी को बधाई देता हूं,आदरणीय लाल सिंह आर्य जी को बधाई देता हूं और आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया, इसके लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सदन में लगभग 13 सदस्यों ने इस चर्चा में भाग लिया. विभाग पर चर्चा का प्रारंभ हमारे कांग्रेस के माननीय सदस्य ओमकार सिंह मरकाम जी ने किया था यशपाल सिंह सिसौदिया, कमलेश्वर जी पटेल, पुष्पेन्द्र पाठक जी, डॉ.गोविन्द सिंह जी. हालांकि वे अभी सदन में उपस्थित नहीं हैं...
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)--उपाध्यक्ष महोदय मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. चूंकि आज पहले विभाग की मांग पर चर्चा हो रही है मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना भी है व्यवस्था के प्रश्न के साथ साथ कि बजट की अनुदान मांगों पर चर्चा जो भी सदस्य प्रारंभ करे कम से कम उस सदस्य को जब विभाग के मंत्री उसका जवाब दे रहे हों, उस वक्त उनको सदन में उपस्थित रहना चाहिये. ऐसी कोई व्यवस्था आपकी तरफ से आ जाये.
उपाध्यक्ष महोदय- आसंदी से पहले भी इस बारे में व्यवस्था दी जा चुकी है, संबंधित सदस्य से कहा गया है, अनुरोध किया गया है, स्मरण कराया गया है कि जो चर्चा प्रारंभ करें वह कम से कम मंत्री का जवाब तो सुनें.
श्री लाल सिंह आर्य -- उपाध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविंद सिंह जी, हेमंत खण्डेलवाल जी, सुश्री हिना कांवरे जी, राजेन्द्र मेश्राम जी, दिनेश राय जी, सत्यप्रकाश सखवार जी, बहादुर सिंह चौहान जी, रामकिशोर दोगने जी, वेल सिंह भूरिया जी ने चर्चा में भाग लिया.माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुदान मांगों में इन सभी सदस्यों ने भाग लिया, मैं सभी सदस्यों को धन्यवाद देना चाहता हूं. सामान्य प्रशासन विभाग ने जो भी निर्णय किए हैं, उनकी बहुत सारे सदस्यों ने अपने वक्तव्य में कहीं न कहीं प्रशंसा की है, इसका मतलब है कि सरकार काम कर रही है. मध्यप्रदेश में उस मूल मंत्र को साकार करने की कोशिश माननीय मुख्यमंत्री जी कर रहे हैं कि जनता की सरकार, जनता के द्वारा चुनी गई और जनता के लिए सरकार. 1 नवंबर, 1956 को मध्यप्रदेश बना था, तब से लेकर अब तक मध्यप्रदेश में लगभग 43 वर्ष एकमुश्त कांग्रेस की सरकार रही है. बीच में केवल 1977 का कालखंड छोड़ दे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अब जनता सुकून महसूस कर रही है, जनता को ऐसा लगा रहा है कि वास्तव में सरकार क्या होती है और सरकार के निर्णय क्या होते हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी के लिए दो लाइनें जरूर बोलना चाहता हूं-
सबल भुजाओं में रक्षित है, नौकावी पतवार
चीर चले सागर की छाती पार करे मझधार. (मेजों की थपथपाहट)
चरैवेति, चरेवेति के इस मंत्र के साथ शिवराज जी चौहान मध्यप्रदेश में जनकल्याण के लिए एवं मध्यप्रदेश के विकास के लिए एक नहीं कई ऐतिहासिक निर्णय कर रहे हैं, उन ऐतिहासिक निर्णयों में हो सकता है हमारी देखने की दृष्टि अगर दूर तक नहीं है तो अच्छे कामों में भी बुराई दिखाई देती है. बजट के बारे में सम्माननीय सदस्यों ने तमाम टिप्पणी की थी, मैं उन लोगों को यह बताना चाहता हूं कि वर्ष 2017-18 का जो बजट है, उसमें सामान्य प्रशासन विभाग के बजट में 14 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है. सम्माननीय सदस्यों ने विशेष भर्ती अभियान के ऊपर भी कहीं न कहीं प्रश्नवाचक चिन्ह लगाने का काम किया था. मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि 55 हजार 23 पदों में से अनुसूचित जाति के 16 हजार 3 पद और अनुसूचित जनजाति के 27 हजार 966 तथा अन्य पिछड़ वर्ग के 11 हजार 54 बैकलॉग पदों की पूर्ति हमने 2015 तक कर ली. अभी हमारे पास नई भर्ती की जो प्रक्रिया है वह विभिन्न विभागों के माध्यम से पीएससी, व्यापम को जो देने की प्रक्रिया है वह भी हमने की है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लगभग 65 सालों में कांग्रेस की सरकारों में कार्यभारित कर्मचारी काम कर रहे थे, दैनिक वेतनभोगी काम कर रहे थे. कर्मचारी एक आशा लगाए हुए थे कि कोई सरकार आएगी और वह सरकार हमारा भला करेगी, जो मजदूर सड़कों के गड्डों को मिट्टी से भरते हैं , जो सड़कों में तपती हुई दोपहरी में काम करते हैं, किसी के यहां कर्मचारी बनकर काम कर रहे हैं, ऐसे कर्मचारियों की आशा की किरण कांग्रेस की सरकार को दिखाई नहीं देती थी, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि जब सामान्य प्रशासन विभाग की बैठक हुई और मुख्यमंत्री जी ने अधिकारियों को और कहा मुझे कि लालसिंह जी अध्ययन कीजिए कि कार्यभारित कर्मचारी और दैनिक वेतन भोगी, ये भी तो कर्मचारी है, ये भी तो सम्मान से जीना चाहते हैं. इसलिये मैं गर्व के साथ कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में 60 हजार जो कार्यभारित कर्मचारी थे, उनको समयमान वेतनमान देने का काम शिवराज सिंह जी की सरकार ने किया है. उनको केवल समयमान वेतनमान नहीं दिया है, उनको हमने अनुकम्पा नियुक्ति में भी अधिकार दे दिये हैं. ऐसा कर्मचारी, उसको अनुकम्पा नियुक्ति का भी अधिकार होगा. ये 48 हजार दैनिक वेतन भोगी, यह भी सोच रहे थे कि हमारा भविष्य अंधकार में ही रहेगा कि कभी उजाले की तरफ आयेगा, लेकिन मैं सदन के सामने मुख्यमंत्री जी की इस दूरदर्शी निर्णय की प्रशंसा करना चाहता हूं. उन्होंने 48 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को भी स्थाई कर्मी बनाकर उनको भी लाभ देने का काम किया है, ऐसे कुल मिलाकर 1 लाख 8 हजार दैनिक वेतन भोगी और कार्यभारित कर्मचायों का जो जीवन अंधकार में था, उसको एक रास्ता दिखाया है. मैं मध्यप्रदेश के बहुत जिलों में प्रवास करता हूं. दैनिक वेतन भोगी, कार्यभारित कर्मचारी लोग मिलने आये कि भाई साहब हम जिस प्रकार की आशा इस सरकार, मुख्यमंत्री जी से करते थे, वह आशाएं आज हमारी शिवराज सिंह जी ने पूरी कर दी हैं. अब 1 लाख 8 कर्मचारियों का कितना बड़ा आंकड़ा है है. विषय आया, मरकाम जी चले गये. पिछले दिनों के.पी. सिंह जी ने एक विषय उठाया था और कल भी चर्चा के समय में कह रहे थे कि जो विशेष पिछड़ी जातियां हैं, इनके लिये सरकार कुछ नहीं कर रही है. 677 पदों पर मध्यप्रदेश की सरकार ने जो विशेष पिछड़ी जातियां हैं, वह भिण्ड, शिवपुरी, गुना, मुरैना, दतिया, अशोकनगर में जो सहरिया जाति के लोग हैं, मंडला डिण्डौरी, शहडोल, उमरिया, बालाघाट, अनूपपुर में जो बैगा जाति के लोग हैं और छिंदवाड़ा में जो तामिया विकासखण्ड में भारिया जाति के जो अनुसूचित जनजाति के हमारे विशेष पिछड़े लोग हैं, उनके 677 पदों को भरने का हमने काम किया है. जाति प्रमाण पत्र की बात आ गई, लेकिन मैं दोहराना इसलिये चाहता हूं कि क्या सरकार केवल सरकार में बैठे हुए लोगों के लिये है. सरकार तो जिस आनन्द विभाग पर कई लोगों ने प्रश्नवाचक चिह्न लगाये हैं. मैं इससे उस चीज को जोड़ना चाहता हूं. अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी, घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़, ये जो जातियां हैं, इनका जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिये 1950 में एक सुप्रीम कोर्ट से निर्णय हुआ कि आपको अपनी जाति बताने की गारंटी देना पड़ेगी. मैं उस आदेश का अनादर नहीं करना चाहता, उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन इस देश के मूल निवासियों को अपनी जाति बताने के लिये प्रमाणित करना पड़े और इस बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री जी ने निर्णय किया. उन्होंने एक यह निर्णय किया कि जो अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी, घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ जाति के लोग हैं, यदि इनको जाति सिद्ध करने के लिये कोई प्रमाण नहीं है, तो फिर एसडीएम पटवारी को, आरआई को निर्देशित करेगा और वह पंचनामा बनाकर जाति प्रमाण पत्र की अनुशंसा करेगा, जिसके आधार पर जाति प्रमाण पत्र बनेगा. पिछले वर्ष जब मुख्यमंत्री जी के साथ समीक्षा बैठक हो रही थी, तो हम लोगों ने कहा कि भाई साहब इसमें दिक्कत आती है. यह जाति प्रमाण पत्र जो गरीब बनवाने जाता है, उसे कभी-कभी अपमानित भी होना पड़ता है, दुत्कार मिलती है, उसको लगता है, उसका तिरस्कार हो रहा है, उसका मां-बाप अगर मजदूरी छोड़कर जाता है, तो फिर या तो मजदूरी छोड़े या बच्चों का पेट पाले. इसलिये मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमने निर्णय किया कि अब अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी, घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ जाति के बच्चे कक्षा एक से लेकर बारहवीं तक जो एडमीशन लेने जायेंगे, वहीं जाति प्रमाण पत्र का प्रवेश पत्र के साथ उनको फार्म दे दिया जायेगा. इतना ही नहीं, उसके साथ जो शपथ पत्र लगता है. यह शपथ-पत्र भी 100 रुपये का स्टाम्प होता था एवं 200 रुपये नोटरी पर लगते थे और इस देश में, जब लोग मनरेगा की मजदूरी कर रहे हों और उनके बच्चे स्कूल में पढ़ने जाएं, उस पर शपथ-पत्र 300 रुपये का लगे. हमने कानून को पढ़ा तो समझ में आया कि शपथ-पत्र पर आप अगर कुछ प्रतिज्ञा करते हैं और कोरे कागज पर प्रतिज्ञा करते हैं तो दोनों में सजा बराबर है, फिर शपथ-पत्र क्यों लिया जाये ? इसलिए शासन ने यह व्यवस्था खत्म कर दी कि जाति प्रमाण-पत्र के साथ अब कोई शपथ-पत्र नहीं लगेगा बल्कि कोरे कागज पर आप शपथ-पत्र दे दीजिये. हमने 300 रुपये से करोड़ों अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, घुमक्कड़ और गरीब लोगों को बचाने का काम किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को इसलिए धन्यवाद देना चाहता हूँ कि समीक्षा के दौरान जब यह बात चली थी और जब मैं सामान्य प्रशासन विभाग की समीक्षा कर रहा था तब मैंने कहा कि वे क्या कारण हैं, वे कौन-कौन से जिले हैं, जिनमें धीमी गति से प्रमाण-पत्र बन रहे हैं ? हमने मुख्यमंत्री जी से बात की तो उन्होंने कहा कि आप चिंता मत कीजिये. जिन जिलों के कलेक्टरों के यहां विशेष अभियान के तौर पर जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया नहीं अपनाई जायेगी, उनकी सी.आर. में यह लिख दिया जायेगा कि यहां गलत और धीमी गति से काम हो रहा है.
श्री नानाभाऊ मोहोड़ - घुमक्कड़ समाज के हमारे दो हॉस्टल खुले हैं लेकिन वहां विद्यार्थी नहीं हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है.
श्री लाल सिंह आर्य - वह उस विभाग में आएगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने इन 2 वर्षों में एक करोड़ पच्चीस लाख सोलह हजार एक सौ पच्चीस जाति प्रमाण-पत्र बिना किसी एस.डी.एम., बिना किसी कार्यालय के चक्कर लगाये हुए, बनाकर उन परिवार के बच्चों को स्कूल के माध्यम से सौंप दिये हैं. एक सम्मान होना चाहिए, लोगों को जीवन में लगना चाहिए कि कोई सरकार श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बनी है, जो हमारे अपमान एवं तिरस्कार को रोकने का काम कर रही है और कहीं न कहीं सम्मान देने का काम कर रही है. यह है आनन्द. आज मैं जब किसी सभा या किसी गांव में जाता हूँ और पूछता हूँ कि आपको कोई प्रमाण-पत्र मिले तो प्लास्टिक कोटेड, डिजिटल हस्ताक्षरयुक्त उसका भी डाटा तैयार कर रहे हैं. हमने पिछले दिनों का काम देखा कि किसी का प्रमाण-पत्र खो गया तो डाटा होना चाहिए और वह बेचारा भटकता है. इसलिए डाटा तैयार हो रहा है कि आप आने वाले भविष्य में नौकरी के लिए कोई भी किसी भी राज्य में फॉर्म भरने जाता है और उसका प्रमाण-पत्र खो जाता है तो उसको डरने की आवश्यकता नहीं है. वह मध्यप्रदेश की सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट खोलेगा और कम्प्यूटर पर आपके सामने, आपका जाति प्रमाण-पत्र होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे दिव्यांगों की कांग्रेस के समय बहुत धीमी गति थी, यदि उन 43 वर्षों में दिव्यांगों को आरक्षण मिल गया होता तो मध्यप्रदेश का एक भी दिव्यांग नौकरी के लिए नहीं भटकता मिलता. मैं आपके माध्यम से, सदन को बताना चाहता हूँ.
श्री बाला बच्चन - आरक्षण नहीं मिलता तो क्या आप मंत्री होते ?
श्री लाल सिंह आर्य - मुझे गौरव है.
उपाध्यक्ष महोदय - वे दिव्यांग की बात कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन - इसलिए मैंने कांग्रेस के समय में आरक्षण की बात जोड़ी, अभी कोड किया कि कांग्रेस आरक्षण नहीं देती तो क्या आप मंत्री होते ?
उपाध्यक्ष महोदय - आप जारी रखें.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे गौरव है. जिस व्यक्ति ने आरक्षण की विवशता संविधान में की थी. उसी बाबा साहेब अम्बेडकर को हराने का पाप कांग्रेस ने सन् 1952 में किया था और सन् 1953 में किया था.
श्री बाला बच्चन - उनको कानून मंत्री तो कांग्रेस ने ही बनाया था.
श्री लाल सिंह आर्य - वह कांग्रेस ने नहीं बनाया था, वह सम्यक सरकार थी.
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुँवर विजय शाह) - बाबा साहेब को हराने का पाप तो आपने किया है.
श्री बाला बच्चन - कानून मंत्री, कांग्रेस ने बनाया था.
कुँवर विजय शाह - बाबा साहेब को राजनीति से अलग करने का पाप किसी ने किया है तो वह कांग्रेस पार्टी ने किया है.
श्री बाला बच्चन - वे प्रथम प्रधानमंत्री जी के कार्यकाल में कानून मंत्री थे. आगे का काम तो आप लोगों ने किया था, वहां की पूरी आर.एस.एस. ने किया था.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कांग्रेस की केन्द्र में सरकार रहते बाबा साहेब अम्बेडकर को भारत रत्न का भी पुरस्कार कभी नहीं मिला.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) - उपाध्यक्ष महोदय, क्या दिया है इस कांग्रेस ने, फिर भी उसकी वकालत कर रहे हो. (XXX) एक आदिवासी की किस तरीके से बेइज्ज्ती की है.
श्री बाला बच्चन-- क्या अभी मैं आपको मूर्च्छित लग रहा हूं? जिस पोजीशन पर मैं पहले था उस पोजीशन पर आज भी हूं और सरकार को घेरूंगा, जहां बेलगाम सरकार दिखेगी मैं उसको ठीक करूंगा.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- एक शेर याद आ गया-
''दिल को बहला ले इजाजत है मगर इतना न उड़
रोज सपने देख ले लेकिन इस तरह प्यारे न देख''
कुंवर विक्रम सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, जो वार्षिक प्रतिवेदन है वह आज भी गोल है. अभी तक पिज़न बॉक्स में नहीं आया है.
श्री लाल सिंह आर्य-- उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार में नि:शक्तजनों के लिए भी 6 प्रतिशत के आरक्षण की व्यवस्था है और इसीलिए द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ श्रेणी के जो कर्मचारी हैं मैं आपको बताना चाहता हूं कि अस्थि-बाधित कर्मचारियों के 625 पद हमने आरक्षण के माध्यम से भरे हैं और इसके लिए कोई लिखित परीक्षा नहीं हुई, कोई साक्षात्कार नहीं हुआ. दृष्टिबाधितों के हमने 108 पद भरे हैं. श्रवण बाधितों के 104 पद भरे हैं. कुल मिलाकर 837 पद हमने नि:शक्तजनों के भी आरक्षण की प्रक्रिया के माध्यम से भरने का काम किया है. लोक सेवा गारंटी के ऊपर भी प्रश्नवाचक चिह्न लगाने का काम किया है. मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र 8 लाख 88 हजार 507 जारी किए गए हैं और 11 लाख 30 हजार 471 आय प्रमाण पत्र भी लोक सेवा गारंटी के माध्यम से हमने पूरे मध्यप्रदेश में प्रमाण पत्र बनाने का काम किया है. स्वैच्छानुदान के ऊपर प्रश्नवाचक चिह्न लग रहा था. वर्ष 2002 और 2003 में यह स्वैच्छानुदान होता था केवल 5 करोड़ रुपए. आज की तरीख में 70 करोड़ रुपए स्वैच्छानुदान के माध्यम से कहीं न कहीं गरीबों को परेशान लोगों को मध्यप्रदेश की सरकार मदद देने का काम कर रही है. लोक सेवा आयोग के बारे में भी कहा गया कि पद भरे नहीं जा रहे हैं. लोकसेवा आयोग क्या कर रहा है पद खाली हैं. पद यदि खाली हैं तो इससे काम प्रभावित नहीं हो रहा है और उन पदों को भरने की जो प्रक्रिया होती है.....
डॉ. गोविन्द सिंह -- मैंने लोकायुक्त के रिक्त पद के बारे में कहा था चूंकि अब नेता प्रतिपक्ष बन गए हैं इसीलिए अब इसे भर दिया जाए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- यह सब सोनिया गांधी जी की वजह से खाली है. उसमें नेता प्रतिपक्ष लगता है, वह आपने पूर्ति नहीं की थी.
डॉ. गोविन्द सिंह-- मैंने यही कहा था कि नेता प्रतिपक्ष के न होने से हुआ. अब नेता प्रतिपक्ष आ गए हैं अब जल्दी वह पद भर दीजिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- खाली तो मैडम की वजह से है.
श्री लाल सिंह आर्य--उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा भी 7 हजार 495 उम्मीदवारों का चयन कर शासन को अनुशंसा कर दी गई है. वर्तमान में आयोग द्वारा 2015 में 410 पदों का साक्षात्कार भी अभी चल रहा है और इस विषय में भी लगातार कहीं न कहीं सरकार काम कर रही है. अभी लोक सेवा आयोग के बारे में आपने बताया, राज्य सूचना आयोग के बारे में यह टिप्पणी की जा रही थी. मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहता हूं 10 फरवरी 2017 तक सरकार ने आवेदन बुलवाए हैं. 117 आवेदन प्राप्त भी हो चुके हैं. सूचना आयुक्त में जो पद रिक्त हैं उनको भरने की प्रक्रिया भी सरकार जल्द करने वाली है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और मीसाबंदी जो नाम दिया था मैंने मध्यप्रदेश में एक काम जरूर किया है. मीसाबंदी का मतलब ऐसा लगता था जैसे किसी ने अपराध किया हो. संविधान को कहीं-न-कहीं पैरों तले रौंदा जा रहा था उसको बचाने के लिए मध्यप्रदेश के और हिन्दुस्तान के लोगों ने काम किया था इसलिए हमने एक साल पहले निर्णय लिया कि "मीसा बंदी" शब्द को हटाकर "लोकतंत्र सेनानी" शब्द होगा. मध्यप्रदेश में लोकतंत्र सेनानी 2604 हैं और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 750 हैं. गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस पर हम दोनों को सम्मानपूर्वक बुलाकर उनके प्रति आदर का भाव रखते हैं. हमने उनकी मानदेय की राशि 15 हजार रुपए से बढ़ाकर 25 हजार रुपए कर दी है. अभी लोकायुक्त के मामले में टिप्पणी की जा रही थी. वर्ष 2016 की अवधि में लोकायुक्त ने 221 ट्रेप के प्रकरण पंजीबद्ध किए थे. 339 प्रकरणों में माननीय विशेष न्यायालय में चालान प्रस्तुत किए. माननीय न्यायालय द्वारा 94 प्रकरणों में दण्डादेश भी दिए गए. लोकायुक्त की भूमिका की सराहना होना चाहिए और यह मध्यप्रदेश में हो रही है. जहां तक लोकायुक्त के अध्यक्ष के पद के खाली रहने की बात कही गई. जैसा संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा है उसके कारण खाली था. अब नेता प्रतिपक्ष बन गए हैं, अगर दो साल पहले ही यह प्रक्रिया हो गई होती तो शायद उसकी पूर्ति अब तक मध्यप्रदेश सरकार ने कर ली होती. वर्ष 2016 में 57 आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किए गए. 23 प्रकरणों में चालान एवं पूरक चालान प्रस्तुत किए गए. ईओडब्ल्यू भी पूरी तरह से अपनी भूमिका अदा कर रहा है. अनुकंपा नियुक्ति मध्यप्रदेश में बहुत क्लिष्ट थी, बहुत कठोर थी. हमने अभी समीक्षा बैठक करके अधिकारियों को कहा है कि जब पद खाली हैं तो फिर अनुकंपा नियुक्ति वाले आवेदक है को भटकना नहीं चाहिए इसलिए मध्यप्रदेश के हर जिले में किस विभाग में किस श्रेणी का कौन-सा पद खाली है उसका डाटा बनाने का हम काम करें ताकि मध्यप्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग के पास, प्रमुख सचिव के पास, सचिव के पास कोई आवेदन आता है तो कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिख जाए कि भिण्ड में, मुरैना में, सिवनी में या नरसिंहपुर जिले में कौन-सा पद खाली है ताकि जो गरीबों को परेशान करने का काम करते हैं उस पर प्रभावी ढंग से रोक लगाने का काम हो सके. मध्यप्रदेश सरकार ने अब अनुकंपा नियुक्ति में यह भी कर दिया है कि (1) जिस परिवार में यदि लड़का नहीं है तो शादीशुदा लड़की को भी हम अनुकंपा नियुक्ति के दायरे में लाए हैं (2) यदि लड़का-लड़की भी नहीं है तो कानून के हिसाब से आपने जिसको गोदनामा लिया हुआ है उसको भी अनुकंपा नियुक्ति के दायरे में हम लाए हैं. यह एक ऐतिहासिक निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है. इस नियम की कॉपी मैं सभी माननीय सदस्यों को भिजवा दूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय, एक विषय बहुत दिन से चल रहा था. सीधी भर्ती की आयु सीमा में हमने छूट दी है. अभी तक मध्यप्रदेश के जो अभ्यर्थी नौकरी के फार्म भरते थे और मध्यप्रदेश के बाहर के जो अभ्यर्थी फार्म भरते थे उनकी आयु सीमा की छूट एक समान रहती थी. सरकार ने निर्णय किया है कि मध्यप्रदेश के बाहर के जो आवेदक होंगे उनकी आयु सीमा 40 वर्ष से घटाकर 35 वर्ष कर दी गई है ताकि मध्यप्रदेश के बेरोजगारों को इसका ज्यादा लाभ मिल सके.
3.05 बजे [अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए]
श्री लाल सिंह आर्य (...जारी...)- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से शासकीय सेवा के आरक्षित वर्ग, निगम मंडल, आयोग, स्वायत्त संस्थायें, नगर सेवक महिलाओं की आयु सीमा में बढ़ोत्तरी की गई है, इसे हमने 45 वर्ष कर दिया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि मध्यप्रदेश में सुशासन की बात नहीं होगी तो मैं समझता हूं कि बात अधूरी रह जाएगी. मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमने सुशासन की दृष्टि से एक नहीं कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं. हमने भर्ती प्रक्रिया को भी पारदर्शी बनाने का काम किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया और वे बातें खोजने का प्रयास किया जिससे आम जनता को तकलीफें होती हैं. हमने मंथन की अनुशंसाओं को मध्यप्रदेश में लागू करने का काम किया है. वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से, लोक सेवा गारण्टी के माध्यम से, सी.एम. हेल्पलाईन के माध्यम से, सूचना के अधिकार के माध्यम से, ई-फाईलिंग, ई-टेंडरिंग और ई-पेमेंट के माध्यम से हमने एक नहीं अपितु कई कदम सुशासन की राह में उठाये हैं. चूंकि समय कम है इसलिए मैं दो-तीन बातें और करके अपनी बात समाप्त करूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रशासनिक अकादमी, सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत काम करती है. मुझे कहते हुए हर्ष हो रहा है कि हमारी प्रशासनिक अकादमी को आज पूरे देश में देहरादून की प्रशासनिक अकादमी के बाद दूसरे नंबर पर गिना जाता है. हमारी अकादमी को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विमानन विभाग के बारे में कहना चाहता हूं कि सदन में मेरे कुछ मित्रों ने कहा है कि हमारे यहां भी हवाई पट्टी होनी चाहिए. हवाई पट्टी के निर्माण में करोड़ों रूपये खर्च होते हैं और इनके संधारण का भी ध्यान रखना पड़ता है. कुछ लोगों ने सदन में कहा कि दतिया छोटा जिला है, मैं मानता हूं कि दतिया छोटा जिला है लेकिन मां पीताम्बरा तो दतिया जिले में ही बैठी हैं. जहां पूरे देश से लोग दर्शन के लिए आते हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- गोविंद सिंह जी, आप हर बात में दतिया जिले को बीच में क्यों ले आते हैं ? आपको लहार का विकास करने से किसने रोका था ?
डॉ. गोविंद सिंह- मैंने कहा था कि दतिया बच्चा जिला है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- दतिया बच्चा जिला कैसे है, आप दतिया जिले वालों का दिल देखिये, वह कितना बड़ा है.
डॉ. गोविंद सिंह- फिर ये क्यों मंत्री बने हैं ? जब चलती नहीं है तो फिर अपना विभाग छोड़े.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- किस बात में नहीं चलती है ?
डॉ. गोविंद सिंह- अपने जिले में तो हवाई पट्टी बना नहीं सके हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- जब आप मंत्री थे तो लहार में हवाई पट्टी क्यों नहीं बनवाई ?
डॉ. गोविंद सिंह- इस बार जब हम मंत्री बनेंगे तो लहार में भी हवाई पट्टी बनवा लेंगे और लहार को जिला भी बनवायेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- दादा, इस बार क्या आपकी सरकार बनने वाली है ? आप तो उत्तरप्रदेश की चिंता करिये कि वहां 27 सीटें भी वापस आ रही है कि नहीं.
डॉ. गोविंद सिंह- उत्तरप्रदेश में सीटें आयें या न आयें, 2018 में हम सामने वाली सीटों पर बैठेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- जागते में सपने नहीं देखने चाहिए.
डॉ. गोविंद सिंह- आप 5 बार सदन में आकर भी पीछे बैठे हुए हैं. हम 5 बार सदन में आयेंगे तो आगे बैठेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- आपकी बात ठीक है. हमारे सभी नेता एक मुट्ठी से शिवराज जी के साथ कसे हुए हैं. क्या आप सिंधिया जी के साथ हैं ? खड़े होकर मेरी बात का जवाब दीजिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, नरोत्तम जी दिल से बोलें कि वे शिवराज जी के साथ हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- मैं बिल्कुल मनसा, वाचा, कर्मणा कह रहा हूं कि मैं शिवराज जी के साथ हूं. गोविंद सिंह जी बोलें कि वे सिंधिया समर्थक हैं.
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में सामान्य प्रशासन पर चर्चा हो रही है ?
अध्यक्ष महोदय- आप सभी बैठ जाईये. मंत्री जी, आप अपनी बात जल्दी कहकर समाप्त करें.
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, विमानन विभाग के अंतर्गत जहां कहीं राष्ट्रीय महत्व एवं पर्यटन की दृष्टि से आवश्यक है, वहां हवाई पट्टियां बनी हुई हैं. पिछली बार नरोत्तम जी ने केबिनेट की बैठक में दतिया के संबंध में कहा था. मैं कहना चाहता हूं कि दतिया का विकास बहुत तेजी के साथ हो रहा है. हवाई पट्टी बनने के बाद और अधिक पर्यटक वहां आना शुरू हो गए हैं और जहां कहीं जरूरत होगी तो विकास कार्य किए जायेंगे.
डॉ. गोविंद सिंह- (XXX)
अध्यक्ष महोदय- ये कार्यवाही से निकाल दीजिए.
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति का होने के नाते मुझे कहा गया कि आपको पूछ कौन रहा है तो मैं कहना चाहता हूं कि मुझे इस पार्टी में रहकर गर्व है. हमारी पार्टी कम से कम ऐसी पार्टी नहीं है जो अंबेडकर का अपमान करती हो. हमारी पार्टी ऐसी पार्टी नहीं है जो संत रविदास का महत्व न जानती हो. हमारी पार्टी ऐसी नहीं है जो अंबेडकर को जीते जी ''भारत-रत्न'' का सम्मान न देती हो. हमारी पार्टी ऐसी नहीं है जो बाला बच्चन जी जैसे अच्छे नेता को प्रभारी नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाती हो. (मेजों की थपथपाहट)
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- रविदास का नाम आपने यहाँ किस संदर्भ में लिया है?
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाएँ. लाल सिंह जी, आप तो अपनी बात समाप्त करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, रविदास जी का नाम आपने किस संदर्भ में लिया है, यह सदन को बताएँगे?
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- बता भी देंगे तो आप समझ जाएँगे?
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हाँ बिल्कुल समझ जाएँगे. जवाब देंगे. उस सन्त आदमी को आप जाति में बाँध रहे हों. किसी सन्त को आप जाति के आधार पर बाँट रहे हों. सन्त को समुदाय में बाँट रहे हों.
श्री लाल सिंह आर्य-- आपने तो 70 साल रविदास को याद ही नहीं किया और...
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- रविदास जी को छोटा कर रहे हों. बड़ा नहीं कर रहे हों. ..(व्यवधान)..सन्त को भी नहीं छोड़ रहे हों, सन्त को भी आप जाति के आधार पर बाँट रहे हों. यह कोई अच्छी बात है?
श्री लाल सिंह आर्य-- जब भारतीय जनता पार्टी याद कर रही है.. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, कृपया अपनी बात समाप्त करें. ..(व्यवधान)..
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूँ--
जैसा चाहूँ राज में, मिले सभी को अन्न.
छोटे-बड़े सब से रैदास है प्रसन्न.
अध्यक्ष महोदय, ऐसे सन्त को हम महत्व दे रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैं आप से निवेदन करना चाहता हूँ रविदास सबके सन्त थे. हम सब लोग उनके चरणों में अपना सिर नवाते हैं और उनको जाति में सीमित न करें.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय, बैठ जाएँ.
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, सीएम हेल्प लाइन की बात आई थी तो मैं कहना चाहता हूँ कि केवल मेरे विभाग में चौंतीस हजार में से अट्ठाईस हजार का निराकरण हमने कर दिया है. अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री की घोषणाओं की बात आ रही. केवल सामान्य प्रशासन विभाग के बारे में मैं बताना चाहता हूँ कि एक सौ बत्तीस घोषणाओं में से एक सौ तेरह घोषणाओं की पूर्ति हमने कर दी है.
अध्यक्ष महोदय, आनन्द विभाग की बात करते हुए मैं अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ. अध्यक्ष महोदय, किसी बात को हल्के में लिया जा सकता है, मजाक उड़ाया जा सकता है, लेकिन मैं केवल एक ही बात कहना चाहता हूँ कि क्या मुख्यमंत्री, मंत्री, की कुर्सी पर बैठ कर केवल यही काम किया जा सकता है कि हम सरकार को चलाने का काम करें. क्या किसी की बिवाई फटी हुई है, क्या किसी गरीब के चेहरे मुरझाए हुए हैं, उनके चेहरे पर मुस्कराहट लाना क्या सरकार का धर्म और कर्त्तव्य नहीं है? अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने यदि लोगों को आनन्दम् विभाग के माध्यम से खेलकूद गतिविधियाँ, सांस्कृतिक गतिविधियाँ, उनके विकास के लिए अगर अच्छे काम किए हैं, तो यह एहसास लोगों को हो, इसमें मुझे लगता है आपको पीड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि आपको यह और करना चाहिए कि ठीक है आप अच्छा काम कर रहे हों. नेकी की दीवार, करोड़ों लोग जिनके पास बहुतायत संख्या में चीजें हैं, यदि उनका दुरुपयोग हो रहा हो और गरीब लोगों को मिल जाए तो उसमें नुकसान क्या है? अध्यक्ष महोदय, मैं बालाघाट गया हूँ, अम्बेडकर जी के चौराहे पर खड़े होकर, नेकी की दीवार में, सैकड़ों महिलाओं ने जब नये वस्त्र, पुराने वस्त्र और बर्तनों को लाकर इकट्ठा किया तथा जब गरीब लोग आए, उन्होंने कहा कि मुझे दे दीजिए. यह अगर हमने ईश्वरीय कार्य किया है, सेवा का काम किया है, इसमें किसी को बुराई नहीं होना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, मैं और ज्यादा इस विषय पर बोलना नहीं चाहता. मैं माननीय सदस्यों को धन्यवाद देना चाहता हूँ और जिन सदस्यों ने अपनी बात को रखा है, उनके अगर कोई विचारणीय बिन्दु हैं, जिनको हम दायरे में लाकर अगर कोई लाभ देने की स्थिति लोगों के कल्याण के लिए बनती है तो हम जरूर उसको सम्मिलित करने की कोशिश करेंगे और आप सभी को धन्यवाद देता हूँ. अध्यक्ष महोदय, आपका भी आभार व्यक्त करता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष जी, अभी आप नहीं थे, उपाध्यक्ष जी थे, तब एक व्यवस्था का प्रश्न उठाया था, उस पर व्यवस्था उपाध्यक्ष जी की आ भी गई थी, पर माननीय नेता प्रतिपक्ष उस समय नहीं थे. मैं नेता प्रतिपक्ष जी से एक विनम्र प्रार्थना करना चाहता था कि एक ऐसी परंपरा बन जाए, चूँकि अभी बजट सत्र है और इस बजट सत्र में विपक्ष के सम्मानित सदस्य विभाग पर ओपनिंग करते हैं, तो ऐसा तय हो जाए, जब ओपन करे कि जब माननीय मंत्री जवाब दें उस वक्त वे जरूर उपस्थित रहें. जो भी हमारा सम्मानित सदस्य इसको ओपन करता है. यह मैंने निवेदन किया था.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल उचित सुझाव है, सुनिश्चित करूँगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, यह तो है ही.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- दादा आपको तो उठना ही है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- वह किताब पढ़ लीजिए उसमें लिखा है, जो सदस्य बोलेगा, जब तक जवाब नहीं आएगा, उसको सुनेगा, वह व्यवस्था है.
अध्यक्ष महोदय-- आपके दल के नेता जी ने बोल दिया.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, वैसे वह सीट ऐसी है, उसकी जाँच कराओ. वह कल्पना परूलेकर वाली सीट है, कृपा करके इसको चेंज कर दो. आप से मैं प्रार्थना कर रहा हूँ.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अभी बदली थी अध्यक्ष महोदय ने, 126 की थी, लगता है आप ही ने दबाव देकर इसको फिर से 127 कराया है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- ओमकार सिंह जी ने प्रारंभ किया था, वह नहीं हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- लेकिन इस बार इतिहास बदलेगा .
अध्यक्ष महोदय-- मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूँगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 1, 2 एवं 65 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जाएँ.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अध्यक्ष महोदय -- अब, मैं मांगों पर मत लूंगा.
(2) मांग संख्या - 6 वित्त
मांग संख्या - 7 वाणिज्यिक कर
(3) मांग संख्या - 30 ग्रामीण विकास
मांग संख्या - 34 सामाजिक न्याय
मांग संख्या - 53 त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं को वित्तीय सहायता
मांग संख्या - 59 ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाऍं
मांग संख्या - 62 पंचायत.
अध्यक्ष महोदय -- उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कटौती प्रस्ताव के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. स्वर्गीय राजीव गाँधी जी ने संविधान में संशोधन लाकर पंचायतों को अधिकार दिये थे उसके पहले जब चाहे पंचायतें भंग कर दी जाती थीं. पंचायतों के चुनाव भी नहीं होते थे भले कोई भी सरकार रही हो और इसको अनिवार्य उन्होंने कर दिया कि पंचायतों को आप आसानी से भंग नहीं कर सकते. पंचायतों के चुनाव आपको समय पर करवाने पड़ेंगे इस सब व्यवस्था का क्रेडिट राजीव गाँधी जी को है और उसके साथ-साथ उन्होंने विकेंद्रीकरण भी किया. पंचायतों को, सरपंचों को, पंचों को अधिकार भी दिये. पंचायती राज अधिनियम 1994 के तहत बहुत सारे अधिकार कांग्रेस शासन में सरपंचों को, पंचों को , जिला पंचायत अध्यक्षों को दिये थे लेकिन आपने, आपके विभाग ने मंत्री जी, परिपत्र जारी कर-कर के अधिकांश अधिकार सरपंचों के, जिला पंचायत अध्यक्ष के, पंचों के छीन लिये. आपने जिला सरकार खत्म कर दी. जिला सरकार से विकेंद्रीकरण हुआ था. जिलों में अधिकार गये थे और जिला पंचायत बहुत अच्छा काम कर रही थी हर बात के लिए भोपाल नहीं आना पड़ता था काफी अधिकार जिलों में दे दिये गये थे. उस जिला सरकार को आपने खत्म कर दिया जो कि कांग्रेस सरकार के समय हुआ करती थी और उससे सत्ता का विकेंद्रीकरण हुआ है लेकिन आपने वापस केंद्रीकरण कर लिया है. पिछले दो वर्षों से पंचायतों के चुनाव के बाद पंचायतों के चुने हुए प्रतिनिधि बार-बार आपसे माँग कर रहे हैं. बार-बार आंदोलन भी कर रहे हैं. कई बार आपसे और मुख्यमंत्री जी से मिले उनको आश्वासन भी मिले लेकिन आप उनकी वाजिब माँगों को बिल्कुल नहीं मान रहे यह बहुत दुख की बात है. पंचायतों के सचिव और रोजगार सहायक भी अपनी माँगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं उनकी भी वाजिब माँगों को आप नहीं मान रहे हैं. आप वाजिब माँगों को जरूर मानिये गैर वाजिब को मत मानिये लेकिन आप वह भी नहीं कर रहे हैं. 26 जनवरी 2001 में कांग्रेस शासन में ग्राम स्वराज्य लागू किया था उसके तहत सरपंच को वेरीफिकेशन का अधिकार था.अध्यापक, नर्स, पटवारी, पीएचई के हेंडपंप ठीक करने वाले ग्रामसेवक आदि की तनख्वाह सरपंच के वेरीफिकेशन के बाद निकलती थी इसके कारण यह होता था कि यह सभी कर्मचारी अच्छी तरह से काम करते थे उनको मालूम था कि यदि उन्होंने काम नहीं किया और वहाँ नहीं गये तो सरपंच वेरीफिकेशन नहीं करेगा और उनकी तनख्वाह नहीं निकलेगी.माननीय अध्यक्ष महोदय, नामांतरण भी पंचायतों के सरपंच के सामने होते थे. सरपंच, पटवारी के साथ तहसीलदार बैठे रहते थे और वाजिब नामांतरण फटाफट हो जाते थे आज आपके यहाँ आपने सिटीजन चार्टर भी लागू किया वह भी फेल हो गया. इसके बाद आपने कानून बनाया और नामांतरण व सीमांकन की समय सीमा निर्धारित की लेकिन उसके बाद भी आप खुद विधायक हैं, आप जानते हैं कि पटवारी बिना पैसे लिये नामांतरण नहीं करते हैं. आजकल तो परसेंटेज तय हो गया है. इस पर अंकुश लगाने के लिए आपको सरपंचों को इन्वाल्व करना चाहिए कि सरपंच की उपस्थिति में पटवारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार बैठे और नामांतरण के समस्त प्रकरण निपटायें जायें. यह सब पहले होता था उसको आपने खत्म कर दिया. मैंने आपसे प्रश्न पूछा था कि आपने कौन-कौन से अधिकार खत्म किये. आपने उत्तर दे दिया कि नहीं किये हैं तो मैं बता रहा हूं कि कौन-कौन से अधिकार आपने खत्म किये हैं. ग्राम समितियाँ थीं, वन समितियाँ थी, वह भी काम नहीं कर रही हैं. पटवारी मुख्यालय पर रहता था,डर के मारे, ग्रामसेवक भी आता था लेकिन आज कोई भी परवाह नहीं करता है क्योंकि सरपंचों के पास कोई अधिकार नहीं है.
3.24 बजे {सभापति महोदय (श्री दुर्गालाल विजय) पीठासीन हुए}
सभापति महोदय, हर कार्य जो विकास कार्य होता था या जो भी महत्वपूर्ण कार्य होता था उसमें नस्ती पर जिला पंचायत के अध्यक्ष के दस्तखत होते थे और उनके अनुमोदन के बाद ही काम होता था लेकिन यह भी आपने खत्म कर दिया अब जिला पंचायत के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जिला पंचायत के चुने हुए सदस्य उनको पता ही नहीं होता है कि सीईओ क्या कर रहा है और क्या नहीं कर रहा है और सी.ई.ओ. उनकी परवाह नहीं करता. सरपंच पहले चेक से राशि निकालते थे लेकिन अब इलैक्ट्रानिक पे ऑर्डर (ई.पी.ओ.) लागू कर दिया है और राशि सीधे खाते में जाती है, इससे भी हमें कोई एतराज नहीं है लेकिन आप सरपंच का इन्वाल्वमेंट तो रखिए, वह चेक विथड्रावल नहीं कर सकता लेकिन उसको काम तो करने दीजिए. उसको कुछ तो अधिकार दीजिए ताकि वह काम करे.
माननीय सभापति महोदय, पंचायत के पास कम से कम 10 हजार रुपये से 50 हजार रुपये तक का फण्ड ऐसा होना चाहिए जिसका उपयोग कर छोटे-मोटे काम सरपंच कर सके जैसे कि हैण्डपंप की मरम्मत करना, इसके लिए पी.एच.ई. विभाग के पास पैसे नहीं हैं. अभी ऐसा ही हुआ था, मार्च में पी.एच.ई. विभाग के पास पैसा ही खत्म हो गया था, पार्ट का रिपेयर कहाँ से होगा ? अगर सरपंच को आप अधिकार देंगे तो कम से कम वह पार्ट खरीदकर रिपेयर करा देगा. आपने छोटा-मोटा मुरम का काम भी रोक दिया, सरपंचों पर कुछ तो विश्वास करिए, कुछ गड्ढे भरने हैं तो वे कैसे भरेंगे ? विधायक फण्ड से भी मुरम के लिए पैसे नहीं दे सकते, 4-5 हजार रुपये के मुरम के लिए तो सरपंच पर विश्वास करिए. रेत माफिया मजे कर रहा है लेकिन निर्माण कार्यों के लिए अगर कोई मुरम लाता है, रेत लाता है तो आपका एस.डी.ओ. और तहसीलदार उसको पकड़ लेते हैं. आज यह हालत है कि कुछ एस.डी.ओ. ने इसे कमाने का साधन बना लिया है, सुबह से वह घूमने निकल जाता है कि आज किस-किस को पकड़ना है ? इसमें रेत माफिया के साथ-साथ बेचारे सरपंच भी फँस जाते हैं. सरपंच ग्रामीण विकास कैसे करेगा यदि आप उसको मुरम लाने का अधिकार नहीं देंगे ?
माननीय सभापति महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में पंच-परमेश्वर योजना के अंतर्गत सी.सी. रोड का एक एस्टीमेट आपने बना दिया है कि इसी प्रकार का एस्टीमेट बनाया जाएगा, लेकिन आप थोड़ा तो विवेक दीजिए, कहीं गड्ढे हैं, नालियाँ हैं, नाले हैं, वहाँ पर अगर सी.सी. रोड बन रही है तो उस स्थल के स्थल निरीक्षण के बाद एस्टीमेट में थोड़े परिवर्तन की तो इजाजत सरपंच को दीजिए. आप एक ही एस्टीमेट रखिए लेकिन कभी-कभी तो परिवर्तन की इजाजत दें, लेकिन आप यह भी नहीं करते हैं. शहर से 2 किलोमीटर या 5 किलोमीटर से सामान लाना है तो परिवहन व्यय कितना लगेगा और अगर 25 किलोमीटर दूरदराज पहाड़ में गाँव है तो परिवहन व्यय कितना लगेगा, यह भी आपने नहीं देखा. इसका भी थोड़ा सा सरपंच को विवेक देना चाहिए. आप सीधे-सीधे हितग्राहियों को पैसे दे रहे हैं यह बहुत अच्छी बात है लेकिन साथ ही साथ आप सरपंच से यह अपेक्षा कर रहे हैं कि वह शौचालय और दूसरी जो आपकी अन्य योजनाएँ हैं जिनका पैसा आप सीधे हितग्राहियों को देते हैं उसके लिए वह जिम्मेदार है और उसी को करना है. अधिकार कुछ नहीं हैं लेकिन आप उसको परेशान कर रहे हैं, अधिकारी इस चीज को लेकर उसको परेशान करते हैं. जैसे कि मैं एक उदाहरण देता हूँ कि अगर आप कुम्हार से ईंटे ले आइये तो सस्ती पड़ती हैं लेकिन अब आपके आदेश के कारण उनको दुकान से ईंटे लानी पड़ती हैं, किसी दुकान का बिल बनवाना पड़ता है और पक्का बिल बनाने पर 10 से 13 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है. अधिकारी-कर्मचारी लाखों खा रहे हैं लेकिन सरपंच पर आपको इतना शक है कि आपको लगता है कि थोड़े से अधिकार यदि उसको दे देंगे तो वह पैसा खा जाएगा. आप उस पर कोई विश्वास ही नहीं कर रहे हैं. कपिलधारा, शौचालय हितग्राही को आप डायरेक्ट पैसे देते हैं, कुटीर के लिए पैसे देते हैं और अगर वह नहीं बनते हैं तो आप सरपंच को धारा-40 के अंतर्गत नोटिस दे देते हैं. सरपंच को आप कहते हैं कि यह तुम्हारी जिम्मेदारी है, जब आप सीधे हितग्राही को पैसे दे रहे हैं तो सरपंच जिम्मेदार कैसे होगा, अगर हितग्राही शराबी है तो वह शराब पी जाता है और कुछ काम नहीं करता है तो उसके लिए सरपंच कैसे दोषी हो सकता है ? सरपंचों की बहुत बड़ी दुर्दशा हो रही है. रोजगार सहायक और सचिव बिल्कुल उनकी परवाह नहीं करते हैं. पर्ची वितरण, मध्याह्न भोजन, राशन की दुकान इनमें आप सरपंचों और पंचों को इनवाल्व क्यों नहीं करते ताकि भ्रष्टाचार न हो. अनपढ़ महिला या पुरुष सरपंच को सचिव के आतंक से बचाया जाए क्योंकि कुछ भी करता है सचिव और फँसता बेचारा सरपंच है. सांसद फण्ड और विधायक फण्ड में भी 5 प्रतिशत मांगते हैं. यह मैं आपको बता रहा हूँ, मैंने वहाँ जिलाधीश को भी बताया है. कल ही मुझे बरखेड़ा के सरपंच मुकेश लोधी ने फोन किया कि जनपद मुंगावली में कोई मुकेश गुप्ता नाम का व्यक्ति है जो 5 हजार रुपये मांग रहा है विधायक फंड से 50 हजार रुपये देने के लिए, कल ही मुझे मुकेश लोधी ने फोन किया, आप जाँच करवा लीजिए. तारइ के सरपंच को पांच लाख रूपये कमीशन देना पड़ा सांसद फंड के लिये, योजना विभाग में. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको कुछ उदाहरण दे रहा हूं कि प्रदेश की क्या स्थिति है. सिंघाड़ा के सरपंच हरविंदर कौर,उनके पति आपके पास आये हैं और उन्होंने आपको बताया कि किस प्रकार उनका सचिव और रोजगार सहायक उनको परेशान कर रहा है और काम नहीं करने दे रहा है. क्योंकि पूर्व सरपंच के समय उन्होंने खूब पैसा बनाया और जब पूर्व सरपंच हार गये तो वर्तमान सरपंच को परेशान करने के लिये वह उनका उपयोग कर रहे हैं, क्योंकि मैंने उनको आपके पास भेजा था. एक झागर के सरपंच लाखन सिंह यादव, उनका सचिव एक वर्ष से निलंबित हो गया है, लेकिन उसके बाद से वह राजस्व बोर्ड से स्टे ले आया है. आठ महीने तक तो वह स्टे रहा.(XXX). राजस्व बोर्ड से कोई भी स्टे ला सकता है. कम से कम आप मेहरबानी करके ऐसा कानून बनाये कि आपके सचिव को अगर कलेक्टर या सचिव दंडित करे तो कम से कम वह राजस्व मंडल तो न जाये.
सभापति महोदय :- इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा :- सभापति महोदय, लगेश्री के सरपंच और सचिव. मैंने इनकी शिकायत की और मैंने शुरू में एक साल में ही आपसे एक प्रश्न पूछा था, तो आपने इसकी सदन में उत्तर दिया था कि उन पर आरोप थे कि सरपंच के परिवार के लोग मनरेगा में मजदूरी ले रहे है, उनका बेटा और कहीं सरपंच है, उसका भी मनरेगा में नाम है. जो मृत लोग हैं, उनका भी मनरेगा में है. यह आपने इसी विधान सभा में उत्तर दिया है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि साल भर बाद एस.डी.ओ ने जांच कि कोई सिसौदिया एस.डी.ओ थे वह छह: महीने भर बाद रिटायर होने वाले थे. उन्होंने रिकार्ड में हेराफेरी करके उस सरपंच और सचिव को बिल्कुल निर्दोष साबित कर दिया कि कोई भी दोष सिद्ध नहीं होता है. यह रिटायर होने वाले को आप कोई भी जांच न दें. यह मेरा आपसे अनुरोध है. वह भी राजस्व बोर्ड से स्टे लेकर आ गया था. मेरा आपसे अनुरोध है कि कडराना पंचायत है, वहां से सरपंच हैं शेर सिंह, उन्होंने अपने सचिव की बहुत गंभीर शिकायतें की और भास्कर लक्क्षकार एस.डी.ओ आई.ए.एस. थे चन्देरी के. उन्होंने उन सब आरोपों को प्रमाणित पाया और उन्होंने एक पत्र लिखा एस.डी.ओ चन्देरी को कि इनको कार्यमुक्त किया जाये, सेवामुक्त किया जाये क्योंकि यह बहुत भ्रष्ट हैं. आपको ताज्जुब होगा कि जावक नम्बर है एस.डी.ओ कार्यालय में, कलेक्टर कार्यालय में आवक नंबर है, लेकिन वह कागज गायब हो गया. आप यह बताइये कि वह कागज कौन गायब करवायेगा. वह कागज हमने कहीं से ढ़ूढकर ले आये. हमने यहां के पंचायत विभाग के सचिव, प्रमुख सचिव, संचालक और कलेक्टर को दिया तो हुआ यह कि वह चार्चशीट में वह बिंदु रखा ही नहीं.उसको निलंबित कर लिया लेकिन उसके बाद वहां के प्रभारी मंत्री ने दबाव देकर ऐसे भ्रष्ट सरपंच को वापस बहाल करा दिया. इसके खिलाफ कडराना, सिंगपुर, चालदा में बहुत गंभीर शिकायतें हैं और प्रमाणित शिकायतें हैं उसको अब लावनी में चार्ज दे दिया गया है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सभी सचिव खराब होते हैं. पंचायत सचिव, सरपंच अच्छे भी होते हैं, ईमानदार भी होते हैं. आप उनको प्रमोट करिये, लेकिन ऐसे भ्रष्ट सचिवों को जो कि गिनती के हैं, उनको तो मेहरबानी करके, आप उनक खिलाफ तो कार्यवाही करिये. मैं आपको एक उदाहरण देता हूं कि चंदेरी जनपद में 1987 से, यानी 30 वर्ष हो गये हैं, एक बारेलाल नाम का ग्राम सहायक है. मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास, मध्याह्न भोजन आदि में जबरदस्त अनियमितता है और छपराचट में भी उसने मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री आवास में बहुत पैसे लिये हैं. उसके विरूद्ध सरपंच और ग्रामवासियों ने शिकायत की तो उसने क्या किया कि अनुसूचित जाति के लोगों से और महिलाओं से जिसने शिकायतें की थी उसके विरूद्ध असत्य शिकायतें कर दी हैं. वह तीस वर्ष से अभी वहीं चंदेरी जनपद में डटा हुआ है, वहां से नहीं जा रहा है, आप लिखकर पता कर लें. जनपद चंदेरी में एक और मामला मनरेगा में लेखापाल का है, उनका नाम है श्री एन.एस. कलावत. उन पर भ्रष्टाचार, अनियमितताएं आदि बहुत आरोप और शिकायतें थी, इसलिए स्थानीय अधिकारियों ने आदेश किया कि उसका चार्ज हरीप्रसाद चौबे ग्रेड-2 को दे दिया जाये. कलेक्टर, सी.ई.ओ., जिला और जनपद पंचायत कह कहकर परेशान हो गये लेकिन वह आदमी कलावत चार्ज नहीं दे रहा है. इस प्रकार प्रशासन में कसावट नहीं लायेंगे तो यह सब अनयिमतताएं होती रहेंगी. जो शातिर सचिव लोग हैं, वह क्या करते हैं, ऐसी जगह पोस्टिंग करवाते हैं, जहां या तो अनपढ़ महिला सरपंच हो या एस.सी., एस.टी. को कोई अनपढ़ व्यक्ति सरपंच हो या सामान्य वर्ग का भी कोई अनपढ़ व्यक्ति सरपंच हो ताकि वह बेईमानी कर सके.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपको एक टीला गांव के बारे में बताता हूं, जो मुंगवाली से लगा हुआ है. टीला गांव में एस.सी., एस.टी. महिला सरपंच थी, तब तक एक सचिव वहां रहे और उन्होंने खूब भ्रष्टाचार किया, लेकिन जैसे ही अभी बाबूलाल यादव एडवोकेट वहां के सरपंच बन गये, उसने अपना स्थानांतरण ऐसी जगह करा लिया जहां अनपढ़ एस.सी.,एस.टी. सरपंच है. मेरा आपसे अनुरोध है यह है कि कम से कम ऐसी शातिर सचिवों को पहचाने और उनको दंडित करिये . कस्बा रेंज के बारे में आपको पूरी जानकारी है. चुनाव के टाईम पर वहां चुनाव आफिस था, मैंने चुनाव आयोग को शिकायत की तो सरकारी भवन को खाली कराया गया. लेकिन उसके बाद सरपंच और सचिव पर दबाव देकर कस्बा रेंज के डिपो भवन बंगले को जो कि एक अच्छा बंगला है और उसके साथ ही एक और बिल्डिंग है, उन दोनों बिल्डिंगों पर पंचायत में सरपंच से और सचिव से किरायानामा असामाजिक तत्वों के नाम लिखवा लिया और वह लोग तीन साल तक किरायानामा के बल पर वहां डटे रहे और वह वहां से हटे नहीं और जब आपने खाली करने का निर्देश दिया तो वह राजस्व बोर्ड चले गये और वहां से स्टे ले आये. अभी भी उन लोगों से खाली
करवा लिया गया है और उसको पंचायत को सौंप दिया गया है लेकिन पीछे के दो कमरों पर अभी भी उनका कब्जा है और असामाजिक तत्व जब चाहे बंदूक लेकर जाते हैं और उसको खाली करवा लेते हैं. सभापति महोदय इस तरह के कुछ उदाहरण मैं आपको दे रहा हूं, ऐसे सैकड़ों उदाहरण प्रदेश में होंगे लेकिन यहां मुंगावली में ऐसे उदाहरण ज्यादा हैं, तो आप मेहरबानी करके इनको नोट करें और कोशिश करें कि इसमें कुछ कार्यवाही हो जाये.
माननीय सभापति महोदय, आपके आर.ई.एस. में एक रघुवंशी नाम के एस.डी.ओ. हैं. जब मैं मुंगावली से विधायक बना तो मैंने देखा कि सड़कें, पुलियां बहुत खराब गुणवत्ता की बनी हुई हैं, तो मैंने इस संबंध में जबरदस्त शिकायतें की थीं और उनको सस्पेंड कर दिया गया था. वह सिंचाई विभाग के हैं, लेकिन अब उनको वापस जिस गांव के वह निवासी हैं, अशोक नगर में वहीं पोस्ट कर दिया गया है. यानि ऐसे लोग आपके आर.ई.एस. में हैं, सिंचाई विभाग के इंजीनियर हैं, लेकिन यहां कई वर्षों से डटे हुए हैं. आप मेहरबानी करके उनको वापस करिये क्योंकि उनका गांव भी उसी क्षेत्र में आता हूं जहां उनको एस.डी.ओ. बना दिया गया है. आप उनका डेप्यूटेशन वापस करिये और उनको वापस सिंचाई विभाग में भेज दें.
माननीय सभापति महोदय, एक रिटायर्ड फौजी श्री राव, जागीर के सरपंच हैं, वह अपने सचिव से परेशान हैं. वह मारे-मारे घूम रहे हैं, लेकिन कोई उनकी परवाह नहीं करता है. इसी प्रकार छेवलाई, सांवलहेड़ा के गांव हैं, वहां पर स्वसहायता ग्रुप हैं. आप इन एन.जी.ओ. पर मेहरबानी करके जांच करवाईये. यह एन.जी.ओ. मध्याह्न भोजन में और राशन में बहुत गड़बड़ कर रहे हैं. आप अच्छे और बुरे एन.जी.ओ.में अंतर करिये. आप बुरे एन.जी.ओ. को हटाईये और अच्छे एन.जी.ओ. को आप जरूर काम दें.
माननीय सभापति महोदय, जनपद मुंगावली में बामौरीटांका गांव हैं और अन्य दो गांव हैं, जहां तीस-तीस हजार की तनख्वाह लेने वाले अध्यापक किराये का मास्टर भेज रहे हैं. मैंने आपके जनपद के सी.ई.ओ. को भी शिकायत की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है. वह तीन-चार हजार रूपये महीने देकर किसी अन्य आदमी को वहां भेजते हैं और वह स्वयं घर पर रहकर कुछ काम करते हैं. आप इन लोगों को भी पहचान करें और इनके संबंध में कुछ कार्यवाही करें.
माननीय सभापति महोदय, दूसरा यह है कि बी.पी.एल. कार्ड में सचिव का महत्वपूर्ण रोल होना चाहिए क्योंकि वह गांव के हर व्यक्ति को जानता है. यहां पर श्री रोहाणी साहब विधानसभा के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने निर्देश दिये थे कि जो अपात्र लोग पात्र लोगों का हक मार रहे हैं, उनके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज होनी चाहिए और उनसे वसूली होनी चाहिए. मेरा आपसे अनुरोध है कि यह एफ.आई.आर. का नियम लागू करिये क्योंकि जो बी.पी.एल. पात्र व्यक्ति को वंचित कर रहा है वह बहुत बड़ा पाप कर रहा है. उस बेचारे गरीब को न तो राशन मिल रहा है न पर्ची मिल रही है, न उसको बीमे का लाभ मिल रहा है. तो यह आप सचिव को जिम्मेदारी दे दीजिए कि दो महीने में, एक गांव तो उसके पास है ही, वह पात्र और अपात्र की सूचना आपको दे दे. उसके बाद आप अपात्रों को हटा दीजिए, उनसे वसूली कर लीजिए क्योंकि इतने साल तक उन्होंने फायदा लिया और पात्र को यह दे दीजिए. मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि पंचों को 200 रुपए प्रति बैठक भत्ते दिये जाएंगे. लेकिन 263 करोड़ रुपए का इसमें खर्चा बता दिया गया है. परन्तु उनको भत्ता नहीं मिला है. सरपंचों को भी 3 महीने का ही भत्ता मिला है. एक कमेटी भी बनी थी, उसकी रिपोर्ट आई कि नहीं आई, इस बात की जांच करें? अध्यक्ष को लाल बत्ती, उपाध्यक्ष को पीली बत्ती की आपने घोषणा की है, लेकिन आदेश नहीं निकाला है. मेहरबानी करके यह लाल-पीली बत्ती आप मत दीजिए. यह सासंदों को भी नहीं मिलती है. मेहरबानी करके पंचों को, सरपंचों को, जनपद अध्यक्षों को अधिकार दीजिए. आपके बलराम तालाब में 359 गायब, 10 तय स्थान पर नहीं, 73 मापदंड पर खरे नहीं, यह भ्रष्टाचार हुआ है. राजीव जल ग्रहण मिशन योजना बहुत अच्छी है. लेकिन उसको अभी ठीक ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है, उसको ठीक करिए. मनरेगा में सांसद और विधायक फंड को मिलाकर विकास की अनुमति दीजिए. पिछले 9 महीने से मेरा विधायक फंड पड़ा हुआ है, लेकिन उन्होंने यह कंनवर्शन अलाऊ नहीं किया है, अब शायद अलाऊ किया है, लेकिन अब मार्च आ गया है.
सभापति महोदय, आप आरईएस को ठीक करें. आरईएस में सब-इंजीनियर बिना सरपंचों से पैसे लिये कोई चीज सर्टिफाई नहीं करते हैं. मेहरबानी करके आप कुछ करिए कि सरपंचों को कमीशन नहीं देना पड़ेगा.
सभापति महोदय, सामाजिक न्याय में वृद्धावस्था, विधवा विकलांग पेंशन पात्र को नहीं मिलती है. इसमें भी आप सचिव के साथ-साथ सरपंच को शामिल करिए क्योंकि सरपंच हर व्यक्ति को जानता है. सरपंचों का इन्वॉल्वमेंट आपने हर योजना में खत्म कर दिया है, उसको वापस करिए. मंत्री जी, जब आप सहकारिता मंत्री थे, तब आपने रोहित गृह निर्माण समिति की जांच एचटीएफ से करवाने की घोषणा की थी. अब भले ही आपके पास वह विभाग नहीं है, लेकिन आपकी घोषणा पूरी होनी चाहिए. धन्यवाद, जय-हिन्द.
3.43 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30,34,53,59 एवं 62 का समर्थन करते हुए कटौती प्रस्ताव के विरोध में अपनी बात इस सदन में रखना चाहता हूं. त्रिस्तरीय पंचायतीराज, इसमें मध्यप्रदेश की लगभग 75 प्रतिशत जनता इस विभाग से जुड़ी हुई है. चूंकि हमारी विधान सभा ग्रामीण होने के नाते हर कार्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से अधिक पड़ता है. माननीय सदस्य भी जो जीतकर आए हैं, अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र से हैं. त्रिस्तरीय पंचायतीराज को समझने के लिए हमें मध्यप्रदेश के स्ट्रक्चर को समझना होगा. 1 नवम्बर, 1956 को हमारे प्रदेश का गठन हुआ, उस समय छत्तीसगढ़ भी हमारे प्रदेश में था. उसके पूर्व में महाकौशल के 17 जिले हुआ करते थे, मध्य भारत के 16 जिले थे, विन्ध्य प्रदेश के 8 जिले थे और भोपाल राज्य के 2 जिले थे और राजस्थान का कोटा, सिरौंज जिला मिलाकर ऐसे हमारे मध्यप्रदेश का गठन किया गया था. लेकिन वर्ष 2000 में हमसे छत्तीसगढ़ अलग हो गया. आज जो मध्यप्रदेश की जो स्थिति है, इसमें 51 जिले हैं, 341 तहसीलें हैं और 313 जनपद पंचायत विकासखण्ड हैं.
अध्यक्ष महोदय, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत बहुत सारी योजनाएं हैं. यह मध्यप्रदेश शासन का बहुत बड़ा विभाग है. मैंने जैसा कहा है कि नगरीय प्रशासन विभाग जो होता है वह 25 प्रतिशत लोगों का नेतृत्व करता है, लेकिन 75 प्रतिशत लोग इस विभाग से जुड़े रहते हैं. सब योजनाओं का संचालन पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा ही होता है. अध्यक्ष महोदय, मैं जनपद में भी रहा हूं, पंचायतों से जुड़ा रहा हूं. त्रिस्तरीय पंचायती राज में हमें ग्राम पंचायत को भी समझना पड़ेगा.
जनपद पंचायतों, जिला पंचायतों को भी समझना पड़ेगा. त्रिस्तरीय पंचायती राज में पंचायत के अपने अलग अधिकार हैं. उसका एक अलग संविधान है. जनपद पंचायत का अलग नियम, संविधान है और जिला पंचायत की शक्ति अलग है. आज पूरे मध्यप्रदेश में 51 जिलों में पहले जिला पंचायतों को कोई राशि नहीं मिलती थी, जिला सरकार जरूर बन गई थी, लेकिन चुने हुए जनप्रतिनिधि कोई भी विकास अपने क्षेत्र में नहीं करा पाते थे. जिला सरकार तो जिले में पहुंच गई थी, लेकिन विकास के नाम पर गांव में कोई पैसा नहीं हुआ करता था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि आज एक जिला पंचायत को 2 करोड़ रूपये ग्रामीण विकास के द्वारा मिलते हैं उसमें भी ऐसा नहीं है कि अध्यक्ष मनमानी कर लें. अध्यक्ष सिर्फ 25 लाख रूपये अपने अधिकार क्षेत्र से खर्च कर सकता है. 15 लाख रूपये उपाध्यक्ष खर्च करेगा और 10 लाख रूपये उस जिला पंचायत के जितने भी सदस्य हैं वह खर्च करेंगे. इसी प्रकार प्रत्येक जनपद पंचायत को एक करोड़ रूपये दिये गये हैं उसमें भी ऐसा नहीं है कि अध्यक्ष अपनी मनमानी कर लें. अध्यक्ष को 1 करोड़ रूपये में से 12 लाख रूपये खर्च करने का अधिकार है. 8 लाख रूपये उपाध्यक्ष खर्च करेंगे और 4 लाख रूपये अपने जनपद के सदस्य खर्च करेंगे. अध्यक्ष महोदय, ग्राम पंचायत में पैसा जाता है और उसको विकास के रूप में ग्राम पंचायतें खर्च करती हैं, लेकिन इसके पहले हमें पंच परमेश्वर योजना 10 जनवरी 2012 को माननीय मुख्यमंत्री जी ने प्रारंभ की. पहले पंचायत को छोटे-मोटे कार्य करने के लिये अथवा रिपेयर करने के लिये भी पैसा नहीं हुआ करता था. एक पाईप खराब हो जाता था अथवा लाईट खराब हो जाती थी तो उसको सुधारने के लिये पैसा नहीं था उसको खर्च करने का अधिकार नहीं था उनके खातों में पैसा नहीं हुआ करता था अब यह निश्चित कर दिया गया कि कम से कम एक वित्तीय वर्ष में पांच लाख रूपये दिये गये हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह--जनपद पंचायत की व्ही.आर.जी.एस.योजना को भूल गये हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान--नहीं भूला हूं. कांग्रेस के समय में जिला सरकार की बात बताना चाहता हूं कि जिस व्यक्ति के 50 नम्बर थे और एक व्यक्ति के 60 नंबर थे. 50 नंबर वाले की नौकरी लग गई 60 नंबर वाले की नौकरी नहीं लगी. नंबर देने का अधिकार जनपद के उपाध्यक्ष को था. आज 36 हजार अध्यापकों की भर्ती कर रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह--व्यापम के बारे में कुछ बता नहीं रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यापम में सीबीआई की जांच हो गई वहां कुछ भी नहीं पाया गया. आप व्यापम को इससे क्यों जोड़ रहे हैं. यह तो प्रामाणिक चीज है. मैं तो जनपद का सदस्य था मेरे समर्थक की मैं नौकरी लगाना चाहता था तो मैंने सोचा कि इनके तो अच्छे नंबर हैं, लेकिन बाकी सदस्यों ने उसको नंबर ही नहीं दिये. 50 नंबर वाला नौकरी पर लग गया और 60 नंबर वाले को आज तक नौकरी नहीं मिली. उस समय जितना भ्रष्टाचार नौकरियों के मामले में हुआ था उसके चित्रण करने का समय नहीं है और भी विभागों के ऊपर बोलना है. मैं विषयान्तर हो जाऊंगा.
जिला सरकार जिले से होकर के भोपाल में आ गई है. सबसे बड़ा महत्वपूर्ण कार्य जब हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी थे उन्होंने बहुत कुछ काम किये. उन्होंने तीन योजनाएं बहुत ही महत्वपूर्ण चलायी एक किसान क्रेडिट कार्ड चूंकि यह कृषि से जुड़ा हुआ है उसमें बोलने की आवश्यकता है. नदी से नदी जोड़ने का काम चल रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना माननीय कालूखेड़ा जी भी बैठे हैं. में मेरे विधान सभा में 244 गांव हैं. 2003 में जब विधायक बना वहां पर 38 गांवों में रोड़ थी बाकी गांवों में रोड़ नहीं थी. अब सिर्फ छः गांव बचे हैं. सभी जगहों पर रोड़ बन गये हैं. बाकी 18 गांवों में रोड़ के काम चल रहे हैं. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की अवधारणा पंडित बाजपेयी जी नहीं करते तो मैं कह सकता हूं कि हमारे गांवों में इतने रोड नहीं बनते, लेकिन इसमें मैं सुधार चाहता हूं कि इन रोड़ों को बनाने के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना में 3 हजार पांच सौ करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है वर्ष 2022 तक हिन्दुस्तान में कोई भी व्यक्ति बिना मकान के नहीं रहेगा. इस वित्तीय वर्ष में 6 लाख 23 लाख मकान बनाने का लक्ष्य भारतीय जनता पार्टी ने लिया है इसमें 2 हजार 850 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत किया गया है. स्वच्छ भारत अभियान के तहत 1750 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, हम जानते हैं कि पूरी जमीन मुफ्त में दे दी गई. गौ माता के चरने के लिए भूमि नहीं बची. शौचालय के संबंध में कहना चाहता हूं कि गांव की महिलाएं सड़कों पर शौच के लिए जाती हैं. रात में जब बिजली नहीं होती है तब शौच के लिए जाती हैं. इस सब स्थिति को देखते हुए हमारे प्रधानमंत्री जी ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव-गांव में शौचालय बनवाने का अभियान प्रारंभ किया है. मुझे कहने में अत्यंत प्रसन्नता है कि उज्जैन जिले में मेरा महिदपुर ब्लाक ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) हो गया है.
अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 18545 सड़कें बनीं जिसकी लंबाई 64656 किमी है. इसके अलावा मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 14124 सड़कें बनाई गईं जिसकी लंबाई 18365 किमी है. अध्यक्ष महोदय, ग्रेवल रोड्स में इस साल लक्ष्य है कि 10 हजार सड़कों का इस वित्तीय वर्ष में डामरीकरण कर दिया जाएगा. हमें गांवों में डामर की सड़कें मिल जाएंगी.अध्यक्ष महोदय, ये दोनों योजनाएं बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. इसमें जितना कहा जाए,उतना कम है.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री आवास योजना में 400 करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में रखा गया है. प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत कई आवास बनाये जा रहे हैं. मुख्यमंत्री अंत्योदय आवास योजना के तहत 33.63 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है.
अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के तहत 2 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में रखा गया है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यान्ह भोजन को लेकर कई समूह मुझे मिले. अध्यक्ष जी, प्राथमिक विद्यालय के लिए, माध्यमिक विद्यालय के लिए मध्यान्ह भोजन योजना बहुत सफल हुई है.अध्यक्ष महोदय, मध्यान्ह भोजन के लिए 1 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. मैं अपने क्षेत्र की बात 1 मिनट में कह कर समाप्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपका ध्यान चाहूंगा.बड़ी विडम्बना है. मेरी विधान सभा की एक सड़क एमपीआरआरडीए की है. मैंने उस सड़क को एनओटी में बनाना चाहा. मेरा लालच था कि मैं टू लेन रोड बनाऊं. जब एनओटी में बनवाने के लिए प्रस्ताव गया तो वित्त विभाग ने आपत्ति लगा दी. जब बैठक हुई तो एमपीआरडीसी ने कह दिया कि यह रोड हम बनाएंगे फिर वह एमपीआरआरडीए से एमपीआरडीसी को चली गई. 8 महीने उन्होंने अपनी हियरिंग की और एमपीआरडीसी ने पुनः उस रोड को एमपीआरआरडीए को भेज दिया. पहले एमपीआरआरडीए बोला कि चूंकि यहां रेत बहुत निकलती है, बहुत हेवी डम्पर जाते हैं तो इस रोड़ को डामरीकृत सीसी रोड बनाएंगे. अध्यक्ष महोदय, मैं सीसी का डीपीआर बता दूं 60 लाख 58 हजार रुपये का बन चुका है मैं उस रोड को 2014 से बनवाना चाह रहा हूं. मैंने कई निर्माण करवा लिए लेकिन वह कभी एमपीआरडीसी में, कभी एमपीआरआरडीए में घूम रही है. मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करुंगा कि मेरी यह रोड निश्चित रुप से बनवाएंगे. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि वे तीन-तीन मिनट में अपनी बात समाप्त करें. दो विभाग अभी और लेना है.
श्री जयवर्द्धन सिंह(राघोगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं मांग संख्या 30,34,53,59 एवं 62 के कटौती प्रस्तावों के पक्ष में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. पंचायती राज और ग्रामीण विकास मध्यप्रदेश के विकास की नींव है और जिस प्रकार से हम सब विधायक विधान सभा के अंतर्गत हमारे हक के बारे में उल्लेख करते हैं उसी प्रकार से मैं मानता हूं कि पंचायती राज में सरपंच की भूमिका और जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्य की भूमिका बहुत महत्व रखती है लेकिन पिछले 13 सालों में हमने मध्यप्रदेश में देखा है कि किस प्रकार से हर साल सरपंच का दायित्व उनसे छीना गया है और अधिकतर काम जो सरपंच करता था वही निर्णय आज भोपाल में होता है, कलेक्ट्रेट में होता है. चर्चा इस बात की होती है कि हर विकास कार्य के लिये बाटमअप एप्रोच होनी चाहिये, मतलब क्या काम जरूरी है इसका निर्णय जमीनी स्तर पर होना चाहिये और उसकी अनुशंसा उस स्तर पर होनी चाहिये लेकिन मध्यप्रदेश में ग्रामीण विकास का हर निर्णय टापडाउन एप्रोच से होता है. निर्णय होता है भोपाल में और अब सरपंच को सिर्फ आदेश मिलते हैं और उनको सिर्फ उसी आदेश का पालन करना पड़ता है. मनरेगा शायद पूरे प्रदेश और देश में सबसे बहुचर्चित विषय रहता है. मुझे याद है हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक बहुत विचित्र स्टेटमेंट दी थी. उन्होंने कहा था कि मनरेगा कांग्रेस की असफलता का प्रतीक है लेकिन इस स्टेटमेंट को कहने के बाद इस साल के बजट में सबसे अधिक राशि आवंटित की है तो वह मनरेगा में की है भारतीय जनता पार्टी सरकार ने. मनरेगा चर्चित विषय इसलिये होता है क्योंकि आज भी हम देखते हैं और यह बात आती है कि अभी भी मनरेगा में पारदर्शिता से काम नहीं हो पाता है. यह महत्वपूर्ण विषय है. यूपीए सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी लेखा परीक्षा योजना नियम, 2011 में पारित किया था.इसमें मध्यप्रदेश सरकार ने भी मध्यप्रदेश राज्य सामाजिक संपरीक्षा समिति गठित की थी जिसके माध्यम से हर जिले में,हर ब्लाक में मनरेगा के सोशल आडिट के लिये 5 हजार से अधिक लोगों को चिन्हित करना था लेकिन आज भी ऐसे कोई पद भरे नहीं गये हैं. आज भी इसका निर्णय वित्त विभाग में अटका पड़ा हुआ है. मैं मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि जो पद आवंटित होने हैं वे जल्द से जल्द हों क्योंकि इस प्रदेश में बेरोजगारी की बहुत समस्या है मंत्री जी, यह जो 5 साल से पद रिक्त पड़े हुए हैं इनको भरने की घोषणा कर देंगे तो युवाओं को रोजगार मिल सकता है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, मनरेगा में हम मध्यप्रदेश की स्थिति देखें तो वर्ष 2014 से 2017 के बीच में ऐसे 30 लाख मजदूर हैं जिनका नाम लिस्ट में था लेकिन उनको रोजगार नहीं मिल पाया. वर्ष 2014-15 में 58 लाख मजदूरों को रोजगार मिला था और वर्ष 2016-17 में यह 20 लाख कम होकर सिर्फ 38 लाख मजदूरों को रोजगार मिल पाया था. यह इसीलिये हो रहा है क्योंकि केन्द्र से मनरेगा की राशि सही समय पर नहीं पहुंच पा रही है जिसके कारण आज ग्रामीण क्षेत्र में गांव का काम ठीक से नहीं हो पा रहा है. इसके साथ-साथ परफार्मेंस ग्रांट की बहुत राशि आती है लेकिन अगर हम देखें तो परफार्मेंस ग्रांट की जो राशि प्रदेश में आवंटित हुई है उसमें गिने चुने 3-4 जिले हैं जहां पर बहुत ही प्रभावशाली मंत्री और मुख्यमंत्री जी के जिलों में ही विशेषकर उसकी राशि जाती है और अन्य जिलों में इतनी राशि नहीं आ पाती है. शौचालय निर्माण के बारे में हमारे प्रधानमंत्री ने बहुत कुछ कहा है. जहां तक मेरी सोच है, शौचालय निर्माण में मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जब ग्रामीण क्षेत्र में पानी की व्यवस्था नहीं हो पा रही है तो शौचालय का उपयोग कैसे हो पायेगा. शौचालय के निर्माण में आज स्थिति ऐसी बन गई है, सरकार के आदेश यह पहुंच गये हैं कि जब तक शौचालय का निर्माण हितग्राही के पास नहीं होगा, तब तक उसको राशन नहीं मिल पायेगा, जबकि एक बीपीएल हितग्राही का मानव अधिकार है कि चाहे शौचालय हो या न हो फिर भी उनको राशन मिलना चाहिये तो इस आदेश में संशोधन हो. उसके साथ में यूपीए सरकार के समय बीआरजीएस के माध्यम से करोड़ों रूपये हर जिले में आते थे, लेकिन मोदी जी ने यह भी योजना पूरी तरह से बंद कर दी है और अब जो बड़े पुल और पुलिया इससे बनते थे वह भी नहीं बन पा रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि आज निष्कासित गौवंश का और उपेक्षित गौमाता की समस्या हर बड़े गांव में है और हर बड़े कस्बे में है. आप आदेश दें कि हर पंचायत में गौशाला बनाना अनिवार्य हो, इससे मैं मानता हूं कि गौमाता की भी हम अच्छी सेवा कर पायेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, सीएजी रिपोर्ट के माध्यम से मैं कुछ बोलना चाहता हूं. वर्ष 2016 की सीएजी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि राज्य सरकार द्वारा अंशदान नहीं दिया गया है. राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के दिशा निर्देशों के अनुसार राज्यों में कम से कम केन्द्र सरकार के द्वारा दी गई सहायता के बराबर के अतिरिक्त राशि दिये जाने हेतु दृढ़ता से आग्रह किया गया था. राज्य सरकार इंदिरा गांधी राज्य विधवा पेंशन योजना और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मिशन पेंशन योजना की राशि नहीं दे पाई.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये. श्री हरदीप सिंह डंग, पाठक जी आ गये क्या. पाठक जी आप बोलिये.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक (बिजावर)-- अध्यक्ष महोदय, हम तो शुरू से बैठे हैं अनुशासन के चक्कर में, हम चुपचाप थे.
अध्यक्ष महोदय-- हो गया अनुशासन, अब आप शुरू करिये.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो राशि राज्य सरकार को पेंशन के द्वारा देनी थी वह नहीं दे पाई जिसके कारण करोड़ों लोगों को उनकी पूरी पेंशन नहीं मिल पाई. बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिन्द, जय भारत.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30 ग्रामीण विकास, मांग संख्या 34 सामाजिक न्याय, मांग संख्या 53 त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्था, मांग संख्या 59 ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित एवं मांग संख्या 62 पंचायत के संबंध में अपनी बात रखने के लिये यहां उपस्थित हूं. पंच परमेश्वर योजना विभाग के द्वारा 10 जनवरी 2012 को शुरू की गई और इसके माध्यम से हर ग्राम पंचायत को कम से कम 5 लाख रूपये मिले. इससे कई ऐसे विकास के काम हुये हैं जो पंचायतें अपने लेविल पर कभी कर ही नहीं सकती थीं. ग्राम पंचायत स्तर पर छोटे ग्रामों में पेयजल की व्यवस्था हो, चाहे वह जल प्रदाय की व्यवस्था हो, सामूहिक स्वच्छता का मामला हो, जल संरक्षण व संवर्द्धन का विषय हो, इनमें पंच परमेश्वर योजना से बहुत लाभ हुआ है. पंचायत विभाग की परिसंपत्तियों के रखरखाव के लिये इस योजना से लाभ हुआ है. वर्ष 2016-2017 में कुल सीसी रोड के साथ-साथ नाली निर्माण और साफ सफाई के लिये इस मद से जो पैसा गया है उससे ग्राम पंचायतों में बहुत लाभ हुआ है.
अध्यक्ष महोदय, योजना के प्रारंभ में 8 हजार 571 करोड़ रूपये की राशि दी गई जिससे 1 लाख 22 हजार 506 कार्य स्वीकृत हुये, 14 हजार किलोमीटर की सीसी रोड्स बनीं, नालियों का निर्माण हुआ, ग्रामीण क्षेत्रों में यह अपने आपमें उपलब्धि है. इसलिये मैं इस विभाग की मांगों का समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, "मुख्यमंत्री ग्राम हाट बाजार योजना" महत्वपूर्ण उपलब्धि विभाग की कही जायेगी. अपने भारतीय समाज में मेलों का, साप्ताहिक हाट बाजारों का एक विशेष महत्व रहा है. एक सामाजिक सरोकार के साथ साथ आर्थिक आयाम भी अपने यहां तय करते हैं. कई जगहों पर साप्ताहिक हाट बाजार लगते थे लेकिन वहां पर कोई साधन और संसाधन नहीं थे इस हाट बाजार परियोजना का लाभ हुआ है और कई पंचायतों में प्लेटफार्म का निर्माण, शौचालयों का निर्माण, दुकानों का निर्माण आदि काम हुये हैं. कई जगहों पर साप्ताहिक हाट नहीं थे वहां पर साप्ताहिक हाट लगना भी शुरू हो गये हैं. इनमें बड़ी बड़ी पंचायतें जहां पर हैं वहां पर कार्यालय भवन का निर्माण भी होना है, भण्डार गृह का निर्माण होना है, प्रसाधनों के साधन बनना है यह ऐसे विषय हैं जिनके बारे में बताना चाहूंगा कि यह हाट बाजार की योजना आने से ग्राम पंचायतों का विकास सीधे रूप से हमें दिखाई देता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्राम पंचायतों में स्वीकृति 711 की बताई गई है जिसमें 15 लाख रूपये दिये गये हैं और ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से ग्रामीण यांत्रिकी सेवा में 50 लाख रूपये के मान से 404 स्वीकृत कार्य हुये हैं. यह विभाग की उपलब्धि है इसलिये मैं इन मांगों का समर्थन करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, "राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान" के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण हुआ है. इसमें प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण की बात आई है. इसके माध्यम से पंचायती राज व्यवस्था का जो सुदृढ़ीकरण हुआ है इसलिये मैं इन मांगों का समर्थन करता हूं. प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना केन्द्र से संबंधित इस योजना के माध्यम से भी मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने काफी उल्लेखनीय कार्य किये है. अनुसूचित जाति बाहुल्य बस्तियों में 50 प्रतिशत से अधिक आबादी के जो गांव हैं ऐसे 275 गांव चयनित करके 20 लाख रूपये प्रति गांव के मान से जो राशि दी गई है उससे उनके उन्नयन का काम हुआ है . यह उल्लेखनीय कार्य है इसके लिये मैं विभाग की इन मांगों का समर्थन करता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया इसके लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि समय की सीमा है इसलिये मैं संक्षेप में कहना चाहता हूं कि मनरेगा की राशि से जो विकास के काम गांव में कराये जा रहे हैं उसमें खेत सड़क योजना के तहत जो 1 किलोमीटर की सड़कें बनाई गई हैं उसमें 14 से 15 लाख रूपये खर्च किये गये हैं यदि इसका भौतिक सत्यापन किया जाये तो मात्र वहां पर 4 या 5 लाख रूपये खर्च करके अतिश्री कर दी गई है मेरी मंत्री जी से मांग है कि भौतिक सत्यापन करवाकर के इसकी जांच कराई जावे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां पर शौचालय बनाये गये हैं वहां पर 5 या 6 हजार रूपये लगाकर के 12 हजार रूपये की राशि सीधे खाते में डालने की बात कही जा रही है.इसकी जांच करायेंगे तो मंत्री जी हकीकत आपके सामने आ जायेगी. कपिल धारा कुंओ में 500 मीटर की दूरी का प्रावधान रखा गया है. अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को जो पट्टे मिले हैं वह एक से देढ़ बीघा के मिले हैं जो 500 मीटर की दूरी पर कुंए आ जाते हैं उनको कपिल धारा योजना के तहत कुंए खोदने की अनुमति सरकार द्वारा नहीं दी जा रही है.500 मीटर के अंदर अगर आते हैं तो उनको भी कुंए खोदने की अनुमति दिये जाने की मैं मंत्री जी से मांग करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खेल मैदान जो पंचायतों के माध्यम से बनाये जा रहे हैं वहां पर कई व्यक्तियों द्वारा अतिक्रमण किया गया है जिसके कारण खेल मैदान पंचायतों के माध्यम से नहीं बनाये जा रहे हैं और जो बनाये गये हैं उसमें भी भारी भ्रष्टाचार हो रहा है.इसकी भी जांच कराये और अतिक्रमण हटाकर के खेल मैदान बनाये जायें. गांव में पहले 40 प्रतिशत विकलांग होने पर पेंशन मिलती थी, उसको 80 प्रतिशत विकलांग होने पर पेंशन का प्रावधान सरकार के द्वारा कर दिया गया है . मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि पुन: 40 प्रतिशत विकलांग होने पर विकलांगों को पेंशन दी जाये. जिस तरह से विधवा पेंशन 300 रूपये प्रतिमाह की गई है उसी तरह से विधवा पेंशन 300 रूपये से 500 रूपये और बल्कि 1000 रूपये तक की जाये.
अध्यक्ष महोदय, ग्राम सभा की जो खानापूर्ति हो रही है उस पर विशेष ध्यान रखा जाये क्योंकि घर पर बैठकर के हस्ताक्षर करके सब खानापूर्ति कर ली जाती है. "प्रधानमंत्री आवास योजना" में जिनको पात्रता है उनके नाम शामिल नहीं किये गये हैं वह ग्राम सभा का नाम लेकर के उनसे चक्कर कटवाये जा रहे हैं और जिनके नाम इस योजना में आ चुके हैं उसकी लिस्ट ओपन नहीं कर रहे हैं उसके कारण भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है. जनपद की जो किश्त मिली थी, जनपद की गाईड लाईन थी कि इस पैसे को गाईड लाईन से हटकर के अन्यत्र कार्यों में खर्च किया जा रहा है. मंत्री जी से मांग करता हूं कि इसकी भी जांच कराई जाये. आज यशपाल सिंह जी का एक प्रश्न लगा था जिसमें कहा गया है कि हमें राशि प्राप्त नहीं हुई है. वाटरशेड का जो काम ग्राम पंचायतों में हो रहा है वहां मात्र मिट्टी डालकर बांध बनाया जा रहा है, उसका न तो भौतिक सत्यापन हो रहा है, न कोई अधिकारी जांच करता है, उसकी भी जांच कराई जाए. मृत्यु होने पर कई दिनों तक जनपद में राष्ट्रीय परिवार सहायता के आवेदन पड़े रहते हैं, उनको कोई सहायता नहीं मिलती है, बार बार उनको घर वाले चक्कर काटते हैं. मुक्तिधाम के लिए अनिवार्य रूप से राशि का प्रावधान रखें, मुक्तिधाम जाने के लिए रास्ता सही नहीं रहता है, मुक्तिधाम जाने के लिए सड़क हेतु मनरेगा की राशि से प्रावधान रखा जाए, मुक्तिधाम और कब्रिस्तान दोनों के लिए प्रावधान रखा जाए. पुराने धार्मिक मंदिर जो जंगलों में हैं, वहां तक सड़क बनाने की योजना बनाएंगे तो अच्छा रहेगा. बहुत सी पंचायतों में मुख्यालय के साथ 8 से 10 पंचायतें शामिल हैं, जैसे हमारे बसई पंचायत में खड़दामिया, धानड़ी, धांडी, हरिपुरा, तकतपुरा, बांगली और आसपुरा जबकि बसई में ही तीन हजार की जनसंख्या है और इसमें सात गांव शामिल है. ऐसे ही गड़रा में गड़राखेड़ा, रनाना, रनाकाखेड़ा और बारनी, मेरियाखेड़ी में पिपल्या, छत्या और टाटका है. साताखेड़ी में एकलगड़, दलावदा, रलायता, गुड़बेली है, अरण्यागोड़ में गुरवल्यागोड़, खेड़ी, खेड़ा और लखुपिपिया है. मेरा निवेदन है कि जिस पंचायत में गांव ज्यादा हो गए हैं, उनका परिसीमन करके नई पंचायत बनाई जाए जिससे विकास की राशि का अच्छा उपयोग हो सके, जो ज्यादा जनसंख्या वाले गांव है, उनके प्रस्ताव बनाकर नगर पंचायत में भेजा जाए, या उसके विकास के लिए अधिक राशि दी जाए, धन्यवाद.
श्री हेमन्त विजय खंडेलवाल (बैतूल) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से मांग संख्या 30, 34, 53, 59 और 62 के समर्थन में अपनी बात रखना चाहूंगा. मैं आपके माध्यम से आदरणीय मुख्यमंत्री जी और गोपाल भार्गव जी को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा कि गांव के विकास का इनके मंत्रालय ने पूरा ध्यान रखा है. चाहे हम हाट बाजार की बात करें, मुख्यमंत्री आवास की बात करें, मुख्यमंत्री सड़क योजना की बात करें, प्रधानमंत्री आवास की बात करें या स्वच्छता मिशन की बात करें. हर योजना सफल हो रही है, जिसका श्रेय मुख्यमंत्री जी और विभाग के मंत्री और उनकी टीम को जाता है. मंत्री जी के द्वारा अपने विभाग में ग्राम पंचायतों में मूलभूत सुविधाओं के लिए 1127 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया, वहीं 14 वें वित्त आयोग में 4642 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया. महात्मा गांधी मनरेगा योजना के लिए 2000 करोड़ रूपए सामग्री के लिए प्रावधान किया गया, निर्मल भारत के लिए 23 लाख शौचालय बनाने के लिए प्रावधान किया. सामाजिक सुरक्षा की राशि भी 150 से बढ़ाकर 300 की, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में 6 लाख 33 हजार मकान बनाने के लिए ढाई हजार करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया. पंचायती राज व्यवस्था सुदृढ़ हो इसके लिए कई काम सरकार कर रही है, लेकिन मेरे विचार से त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था और छोटी छोटी आकार की पंचायतों के कारण हमारी पंचायत व्यवस्था सही दिशा में काम नहीं कर रही है. छोटी पंचायतों की बात करें तो वह पंचायत न तो बड़ी पुल पुलिया बना पाती है, न सड़कों का मेंटेनेंस करा पाती है, न ही विक्रय केन्द्रों का निर्माण करा पाती है न ही सबसे जरूरी चीज पेयजल व्यवस्था का संचालन कर पाती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उदाहरण देना चाहूंगा कि केरल राज्य की आबादी हमसे मात्र 50 प्रतिशत है, केरल में कुल 991 पंचायतें हैं, वहां पर एक पंचायत 25 से 30 हजार आबादी की होती हैं. हमारे राज्य में 22800 पंचायतें हैं अगर हम बड़ी पंचायतें बनाए तो 2000 बड़ी पंचायतों में ही हमारा काम हो जाएगा. अगर बड़ी पंचायत बनती है तो एक मॉडल स्कूल, आंतरिक सड़कों के निर्माण होने से पंचायतों के आपस में गांव जुड़ जाएंगे, नगरपालिका और नगरपंचायतों की भांति ये पंचायतें काम करने में सक्षम होगी, ज्यादा कर्मचारी होंगे और हमारे मुख्यमंत्री जी की इच्छा के अनुरुप ग्रामीण सचिवालय भी चल पायेंगे. इसके अलावा मेरा मनरेगा से संबंधित मंत्री जी और उनके विभाग से अनुरोध है कि हम केंद्र सरकार की गाइड लाइन का अध्ययन करें. केंद्र सरकार ने तो बड़ी स्पष्ट गाइड लाइन दी है कि 60/40 का रेशो स्थानीय स्तर की मांग के अनुसार माना जाये और जिला स्तर पर इसे मेंटेन किया जाये, लेकिन मैं उदाहरण देना चाहता हूं कि भोपाल से हमारे यहां मोक्षधाम के लिये 2 लाख 35 हजार की राशि हर गांव के लिये निर्धारित कर दी. मेरे विधान सभा क्षेत्र के 20 गांव मिलकर एक मोक्षधाम बनाना चाहते हैं, क्योंकि ताप्ती वहां से गुजरती है. तो 2 लाख 35 हजार रुपये के हर गांव में मोक्षधाम की क्या जरुरत है और 15 लाख का मोक्षधाम क्यों नहीं बनना चाहिये. आखिर ये सारी चीजें हम जिला स्तर पर क्यों नहीं छोड़ते. सुदूर सम्पर्क और मेढ़ बंधान पर भी हमने प्रदेश से रोक लगा रखी है, जबकि केंद्र की गाइड लाइन कहीं भी नहीं कहती कि इस तरह के कामों पर रोक लगाई जाये. मेरा आपसे अनुरोध है कि स्वच्छ भारत मिशन में भी हमने पहले पंचायतों के माध्यम से काम कराये और उसके बाद हमने हितग्राहियों को शौचालय बनाने के लिये आगे कर दिया, लेकिन उसके बाद भी हमें आशा अनुरुप परिणाम नहीं मिले. मेरा आपसे अनुरोध है कि हम पंचायत पद्धति को भी अपनायें, हितग्राही के खाते में भी पैसे दें और जरुरी हो तो टेंडर भी करें, ताकि हमारे शौचालय बन सकें, इसकी चिंता हम करें. नीति क्या होगी, इसे हम जिला स्तर पर रहने दें. ऐसे ही 14वें वित्त आयोग में हमारी पंचायतों को पूर्ण स्वतंत्रता होनी चाहिये. यहां से हमने रोक लगा दी है कि वह पुरानी रोड का निर्माण न करें, उसे रिपेयर न कंरे. हमारी जो पानी की आपूर्ति है, उसमें राशि न खर्च करें और हमने रोड का एक ही टीएस यहां से बनाकर दे दिया, जबकि हर जगह भौगोलिक स्थिति अलग रहती है. इसलिये हमें जिला स्तर पर और पंचायत स्तर पर इसकी स्वतंत्रता करनी चाहिये. अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि हमारी पंचायतों का पुनर्गठन किया जाये और यह बात पूरी गंभीरता के साथ कहना चाहूंगा कि कार्यों का निर्धारण हम जिला स्तर या पंचायत स्तर पर करें, एक सी गाइड लाइन, एक से डायरेक्शन हम भोपाल से न दें, ताकि स्थानीय जरुरत के हिसाब से पंचायतें कर सकें. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, इसलिये धन्यवाद देते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं. धन्यवाद.
श्री यादवेन्द्र सिंह (नागौद) -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि पिछले वर्ष सूखे की स्थिति में ग्राम पंचायतों को एसडीएम की मंजूरी से पानी की ढुलाई का कार्य मिला था. उसके बाद सतना जिले की हर ग्राम पंचायत को एक साल हो गया उनको पैसा नहीं मिला. तो उसका पैसा दिलाया जाये, ताकि वहां की जो पंचायतें हैं, इस समय फिर पानी कम है,. पानी की सप्लाई की जरुरत है, तो सरपंच काम नहीं करेंगे, तो उसका पैसा दिलाया जाये. दूसरा निवेदन था कि यह आपकी जो गाइड लाइन थी कि जो पंचायतें निर्विरोध आयेंगीं, जहां पंच, सरपंच निर्विरोध है, वहां एक लाख रुपया, जहां पूरी पंचायत पंच सहित सरपंच निर्विरोध आयेंगे, वहां 2 लाख रुपया निर्माण के लिये मिलेगा. इसके तहत अभी तक पंचायतों को पैसा नहीं गया, जो पंचायतें निर्विरोध आई हैं. तो मेरा यह निवेदन था कि वहां पैसा दिया जाये. मेरा यह भी निवेदन है कि दो साल पहले जो सचिवों की नियुक्ति हुई थी, अब वहां पर कम से कम 10-20 परसेंट सचिव ऐसे हैं कि उन्हें जिले में कहीं भी स्थानांतरण नीति बनाई जाये. चौथा, मेरा निवेदन यह था कि मैं तो समझता था कि हमारे भार्गव जी बड़े दबंग मंत्री हैं, तो इनसे भी ज्यादा बाहुबली प्रमुख सचिव, जुलानिया जी आ गये हैं. पूरे पंचायती राज में उनके नाम का डंका पिट रहा है. अब आप यह बतायें कि पिछले साल जब ये इस विभाग के प्रमुख सचिव नहीं थे, तो कपिल धारा में सवा तीन लाख रुपये में कुआं इस्टीमेट से बनता था, अब यह 1 लाख 80 हजार हो गया. मैं इनसे पूछता हूं कि इसमें कैसे किसानों के कूप बनेंगे. हर काम सुदूर सड़क हो, चाहे आपके कोई मेड़ बंधान हो, सब मैं कटौती कर दी है और जमाना कहां से कहां बढ़ रहा है..
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, यह अगर बाहुबली हैं, तो कटप्पा कौन है.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हम तो आप सबको बाहुबली मान रहे हैं. आप मध्यप्रदेश शासन के मंत्री हैं, दबंग लोग हैं, मध्यप्रदेश संभाल रहे हैं. अब आपके जो कर्मचारी हैं, इनसे ज्यादा बाहुबली तो कोई नहीं है. मैं यह पूरे जिले एवं प्रदेश में सुन रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय, इन्होंने किसानों का कुंआ 3.25 लाख रूपये का 1.80 लाख रूपये कर दिया है. सिन्दूर सड़क किस अधिकार पर रोक दी गई जबकि केन्द्र सरकार से मनरेगा का कोई भी काम नहीं रूकता. इसमें इतनी तानाशाही तो नहीं होनी चाहिए. इस पर मंत्री जी सोचें. मंत्री जी से बड़े प्रमुख सचिव हैं या मंत्री. इसका निर्णय होना चाहिए. मैं यही आपसे निवेदन कर रहा हूँ. सरकार बड़ी होती है कि कर्मचारी बड़ा होता है. आप हम लोगों को मौका ही नहीं देते हैं. आप हमारी विधायकी का भी हनन कर देते हैं.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें. आपको लाईन छोड़कर मौका दिया है.
श्री यादवेन्द्र सिंह - मैं सही लाईन बता रहा हूँ. मैं आपसे यही पूछना चाहता हूँ कि शासन बड़ा है कि प्रशासन.
श्री अजय सिंह - आप बहुत सही लाईन देते हैं. आप उनका समय क्यों रोक रहे हैं, आप यह तय कर दें, कौन बड़ा होता है ?
श्री यादवेन्द्र सिंह - शासन बड़ा है कि प्रशासन ? श्री गोपाल भार्गव जी बता दें. आपने मुझे अलग से बोलने का मौका दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 30, 34, 53, 59 एवं 62 पर चर्चा करने का अवसर दिया. अभी सत्ता एवं विपक्ष दोनों ओर से बातें हो रही थीं. सत्ता पक्ष के लोग निश्चित रूप से यह कह रहे थे कि रोड़ों का जाल मध्यप्रदेश में बिछ रहा है, चाहे प्रधानमंत्री सड़क योजना हो या मुख्यमंत्री सड़क योजना हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूँ कि निश्चित रूप से सड़क जब बनती है तो किसानों की रोड़ जाती है. जब किसानों की रोड़ जाती है तो क्या किसानों के मुआवजे के लिए प्रावधान सरकार के द्वारा किया जा रहा है और नहीं किया जा रहा है तो क्या किया जायेगा ? मेरा कहना यह है कि गांवों में छोटे-छोटे किसान होते हैं, जिनकी रोड़ें जाती हैं तो वे बड़ी तकलीफ महसूस करते हैं. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि जब प्रधानमंत्री सड़क योजना या मुख्यमंत्री सड़क योजना बने तो निश्चित रूप से किसानों का ख्याल रखा जाये, उनके मुआवजे का जरूर ख्याल रखा जाये. जी मंत्री जी.
श्री गोपाल भार्गव - भूमि का तबादला करवा देंगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह - आप सक्षम हैं, आप कुछ भी कर सकते हैं. हमारे साथी विधायक श्री यादवेन्द्र सिंह ने बताया है कि आप कुछ नहीं कर पाते हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - तो क्या करें ? क्या रीवा स्टेशन पर लड़ें और हाथापाई करें ?
श्री सुखेन्द्र सिंह - निश्चित रूप से अगर जरूरत पड़े तो ऐसा भी करना चाहिए. अगर ऐसी जरूरत पड़ेगी तो होगा भी.
अध्यक्ष महोदय, मनरेगा की मजदूरों की स्थिति यह है कि आज भी 170-175 रुपये मजदूरी है जबकि मजदूरों का हाल मैं समझता हूँ कि यहां पर जितने विधायक उपस्थित हैं, सभी समझते हैं. अन्य प्रदेशों में मजदूरी यहां से ज्यादा है. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि मनरेगा की मजदूरी का ध्यान रखा जाये. अब मजदूरों की कुछ और मजदूरी बढ़ाई जाये. शौचालय की स्थिति पर, मैं ज्यादा चर्चा इसलिए नहीं करना चाहता क्योंकि सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक इस पर चर्चा किये हैं लेकिन इसमें खाद्यान्न रोककर, शौचालय बनाने का जो निर्णय लिया गया है. अक्सर हर जिले के कलेक्टर यही स्थिति बनाकर रखे हुए हैं और खास कर हमारे रीवा जिले में भी यही स्थिति है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूँ कि मेरी विधासभा सबसे ज्यादा हाईट की विधानसभा क्षेत्र है. वह पहाड़ी इलाका है, वहां पानी का इतना बड़ा संकट है कि शौचालय कैसे बनें ? मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि पहले पानी की व्यवस्था करवाई जाये और उसके बाद शौचालय के लिए दबाव बनाया जाये, नहीं तो इसमें कुछ ऐसी व्यवस्था की जाये कि डायरेक्ट हितग्राहियों को ही उसके लिए पैसा दे दिया जाये. हितग्राही उसमें अपना भी पैसा लगाकर शौचालय बनवायें, जो कि बन जाएं, नहीं तो ऐसे शौचालय बनाये जा रहे हैं कि जो जबर्दस्ती बनाये भी जा रहे हैं कि लास्ट में उसमें ऊपरी कण्डा रखने का माहौल रहता है बाकी उसका उपयोग नहीं होता है.
श्री यादवेन्द्र सिंह - नहीं तो एडवांस पैसा हितग्राही को दें.
श्री सुखेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहता हूँ बस मेरे क्षेत्र की एक-दो समस्याएं हैं. अभी श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी ने एक महत्वपूर्ण बात रखी कि हैंडपम्पों के पाईप नल-जल योजनाएं यह गंभीर संकट आने वाला है. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि कुछ सरपंचों को ऐसे पावर दिये जायें जिससे कि वहां पर जो नल-जल योजनाएं की पाइपें हैं वह सब खरीद सकें, व्यवस्था बना सकें. कम से कम जनता सरपंचों से कह सकें. सरपंच कह देते हैं कि मेरे पास कोई ऐसा फंड नहीं है जिसमें कि 10 प्रतिशत पंच परमेश्वर की राशि की बात आती है, लेकिन उससे हो नहीं पाता है. यह संकट निश्चित रूप से हमारे रीवा जिले में खास तौर पर हमारे क्षेत्र में मऊगंज आएगा. इस पर विशेष ध्यान दिया जाए. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र में तीन सड़कें हैं. एक सड़क है मऊगंज भाटी सेंगर से लेकर बहेरा डाबर तक जो कि प्रधानमंत्री सड़क योजना में थी फिर पी.डब्ल्यू.डी. में चली गई. अब फिर से लौटकर प्रधानमंत्री सड़क योजना में आई है. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि हमारी यह जो भाटी सेंगर से लेकर बहेरा डाबर की सड़क है इसको हो सके तो प्रधानमंत्री सड़क योजना के माध्यम से बनवाने की कृपा करें. दूसरी बात यह है कि प्रतापगंज गुरमा बांध से लगी हुई एक सड़क है जो सड़क प्रधानमंत्री सड़क योजना के माध्यम से बन रही है, लेकिन वह रुक गई है उसे और अच्छे तरीके से बनाया जा रहा है. लेकिन वह काम रुका हुआ है. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि उस सड़क को बनाने की मंजूरी दे दी जाए ताकि वह सड़क बन सके.
श्री दिनेश राय (सिवनी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30, 34, 53, 59, 62 का समर्थन करता हूं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि मेरे यहां प्रधानमंत्री सड़क आपने काफी दी है, किन्तु उनके काम काफी अधूरे हैं. आपसे आग्रह है कि उनको तेजी से पूर्ण कराएं. मुझे इस बात को कहते कहते काफी समय हो गया है कि एक ही ठेकेदार ने काफी काम ले लिया है और वह कई काम लेने के बाद एक-एक रोड का काम कर रहा है उससे हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में काफी जनाक्रोश भी है. इसी प्रकार एक छिंदवाड़ा जिले से ग्रामीण क्षेत्रों में चार सड़कें आती हैं. दो- दो किलोमीटर तक कई कारणों से वह छूट रही हैं. न प्रधानमंत्री सड़क योजना में आ पा रही हैं, न मुख्यमंत्री सड़क योजना में आ पा रही हैं. उससे उन सड़कों के बीच का जो गेप है न उसमें बसें चल पाती हैं न तो कार या जीप और न ही कोई आदमी पैदल चल पा रहा है. मेरा आपसे आग्रह है और आपके पास उसका प्रस्ताव भी आ गया है. प्राक्कलन तैयार होकर आ गया है आप उसकी स्वीकृति दे दें. उसी तरीके से मेरे विधान सभा क्ष्ेात्र में ग्रामीण क्षेत्र में जो राशि आप विश्व बैंक से ले रहे हैं उनके कार्य पर भी आपकी निगरानी होना चाहिए आप उस पर ध्यान दें. ग्रामीण क्षेत्रों के संबंध में मैं आपसे बहुत विनम्र आग्रह करता हूं हमारे यहां सिवनी में जो जनपद सी.ई.ओ. है उनके द्वारा लगातार महिला सरपंचों से अभद्र व्यवहार किया गया जिसकी थाने में भी रिपोर्ट लिखाई गई. मेरे स्वयं के द्वारा भी आपको शिकायत पत्र दिया गया है किन्तु आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है. पंचायती राज में आपने सरपंचों को भी अधिकार नहीं दिया है. और आप कहते हैं कि हम महिलाओं को भी समानता का अधिकार दे रहे हैं. लेकिन अगर महिलाओं के साथ इस तरीके का अभद्र व्यवहार वहां के जनपद सी.ई.ओ. करेंगे तो मैं उम्मीद नहीं करता हूं कि वहां जनपद अध्यक्ष को भी नहीं मालूम है कि कब बैठक होना है, क्या कार्यक्रम होना है कोई भी योजनाओं का लाभ हमारे ग्रामीण क्षेत्र में नहीं उठा पा रहे हैं. सरपंच परेशान हैं. मैं इस बात को सदन में बोलता हूं बिना पैसा लिए सिवनी का जनपद सी.ई.ओ. किसी भी राशि को नहीं निकालता है. मैं आग्रह करता हूं कि आप उसको हटाएं. आप ग्राम पंचायत क्षेत्र पर जरूर ध्यान दें. धन्यवाद.
इंजी. प्रदीप लारिया (नरयावली) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30, 34, 53, 59, 62 समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं. भारत की जनसंख्या अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. लगभग 65 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और गांव-गांव स्वावलंबी बने लेकिन हम देख रहे थे कि लगातार गांव से लोग शहर में पलायन कर रहे हैं और इस कारण से गांव सबल बनें, स्वावलंबी बनें इसके लिए मध्यप्रदेश की सरकार ने हमारे मुख्यमंत्री ने हमारे ग्रामीण विकास मंत्री जी ने बहुत तेजी के साथ काम किया है. इन 13 वर्षों में गांव को खड़ा करने का प्रयास किया गया है. हम देखते थे गांव में अधोसंरचना विकास होता नहीं था लेकिन सरकार ने बहुत तेजी के साथ मध्यप्रदेश में खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र में विकास के बहुत काम किए हैं. पंच-परमेश्वर योजना की यदि हम बात करें तो जब हम शहर से गांव में जाते थे तो कल्पना करते थे कि जैसे ही गांव में जाएंगे तो हमें दलदल मिलेगा. लेकिन पंच-परमेश्वर जैसी योजनाएं मध्यप्रदेश की धरती पर आईं और आज हमें देखने को मिलता है कि तेजी के साथ इस योजना के माध्यम से पक्की सड़कें जो कि हमें शहर में देखने को नहीं मिलती हैं ऐसी सड़कें अब गांवों में बन गई हैं. आपके समय में तो यह स्थिति थी कि गांव में जाना मुश्किल था, अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.
श्री यादवेन्द्र सिंह--यह तो आप भी जानते हो जो मनरेगा योजना है वह यूपीए की सरकार द्वारा लाई गई थी. 10 साल यूपीए सरकार ने प्रधानमंत्री सड़क योजना में सड़कें बनाई हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप तो अपनी बात करें.वाद विवाद न करें.
इंजी. प्रदीप लारिया--आप 50 साल रहे, 50 साल कांग्रेस का राज रहा लेकिन शहर का भी डब्बा गोल कर दिया और गांव का भी डब्बा गोल कर दिया. आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश में है. तेजी के साथ शहर में भी काम हो रहा है गांव में भी काम हो रहा है तेजी से गांव विकास की ओर बढ़ रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--सिर्फ प्रदीप लारिया जी का लिखा जाएगा.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- (XXX)
इंजी. प्रदीप लारिया--इस कारण आज भारतीय जनता पार्टी यहां है कांग्रेस वहां पर है. अध्यक्ष महोदय, आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जो हमारे देश के प्रधानमंत्री थे उन्होंने जब इस बात को देखा कि गांव का विकास क्यों नहीं हो पा रहा है तो उसकी मुख्य वजह थी कि गांव सड़कों से नहीं जुड़े थे. अटल बिहारी वाजपेयी जी ने गांव को सड़क से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री सड़क योजना प्रारंभ की जिससे पहले 500 की आबादी वाले गांव फिर 250 की आबादी वाले गांव जोड़े गए. आदिवासी आबादी वाले गांव मुख्य सड़क से जुड़ गए और उससे नीचे की आबादी वाले गांव हैं वे मुख्यमंत्री सड़क योजना के माध्यम से जुड़ गए. यह योजना हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह जी ने प्रारंभ की थी. आज हम देखते हैं कि हमारे मजरे-टोले भी मुख्यमंत्री सड़क योजना के माध्यम से मुख्य सड़क से जुड़ गए हैं. अभी ग्रेवल सड़क बनी थी और अतिशीघ्र मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार उसको डामरीकृत करने का काम करने वाली है और आने वाले समय में हमारे मजरे-टोले डामरीकृत सड़कों से जुड़ जाएंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मैं विधायक बना था तो लगभग 100 ऐसे गांव थे जो मुख्य सड़कों से नहीं जुड़े थे आज केवल तीन गांव मेरे विधान सभा क्षेत्र के बचे हैं जो मुख्य सड़कों से नहीं जुड़े हैं. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ एक कर्रापुर का खिरिया, एक पडरिया पंचायत का भगवंतपुरा है और एक सड़क धारखेड़ी की है. यदि यह तीन गांव मुख्यमंत्री सड़क योजना के माध्यम से जुड़ जाएंगे तो नरयावली विधान सभा क्षेत्र में शत-प्रतिशत सड़क का निर्माण हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय, हम चाहे प्रधानमंत्री आवास की बात करें चाहे मुख्यमंत्री आवास की बात करें. एक आम आदमी के लिए रोटी, कपड़ा और मकान प्राथमिक आवश्यकता होती थी. सरकार ने रोटी के लिए एक रुपए किलो गेहूं देने का प्रयत्न किया है. वर्ष 2022 तक प्रत्येक व्यक्ति के लिए छत हो इसके लिए प्रधानमंत्री आवास एवं मुख्यमंत्री आवास योजना चलाई गई है. मैं एक विषय की ओर माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. आज यदि गांव की सबसे बड़ी समस्या है तो वह पेयजल की है मैं समझता हूं सभी विधायक इस बात से सहमत होंगे. आज वाटर लेवल नीचे जा रहा है. हमें गांवों के लिए पेयजल की योजना बनाना पड़ेगी इसके लिए भू-जल पर आधारित नहीं सतही जल पर आधारित योजना बनाना पड़ेगी. मुझे विश्वास है कि जो भी पेयजल की योजना बनेगी वह दूरगामी दृष्टि को ध्यान में रखते हुए बनेगी. आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर (खरगापुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30, 34, 53, 59 एवं 62 के विरोध में अपनी बात रखने के लिए खड़ी हुई हूं.
अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण विकास की बात की जाए तो प्रदेश में ग्राम पंचायतों की हालत खराब है. सरपंच अधिकारों से विहीन हैं और त्रि-स्तरीय पंचायती राज के सारे नियम टूटे पड़े हैं. यदि किसी ग्राम पंचायत में कोई जानवर मर जाए तो उसे हटवाने तक के लिए ग्राम पंचायत के सरपंच के पास ऐसी कोई मद नहीं है जिसे खर्च करके वह इसकी व्यवस्था कर सके. माननीय अध्यक्ष महोदय, खरगापुर सहित पूरे टीकमगढ़ जिले के मजदूर बड़े-बड़े शहरों में मजदूरी के लिए जा रहे हैं. ग्राम पंचायतों में कोई काम नहीं चल रहे हैं. मजदूर परेशान हैं फिर भी सत्ता पक्ष के विधायक सदन में जोर-जोर से चिल्लाकर कहते हैं कि पूरे प्रदेश में मजदूरों के चेहरे खिल रहे हैं जबकि मजदूर पूरे प्रदेश में मायूस हो रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सामाजिक विकास की बात करें तो आज विकलांगों को साईकिल प्रदान करने में भी गड़बड़ी चल रही है. यदि विकलांग व्यक्ति भाजपा को वोट देता है तो उसे साईकिल प्रदान की जायेगी. मेरी अपनी विधान सभा खरगापुर में सैकड़ों विकलांग साईकिल पाने के लिए परेशान घूम रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण विकास विभाग में विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाओं की बात करें तो मुझे खरगापुर सहित समूचे टीकमगढ़ जिले में ऐसी किसी परियोजना का कार्य होते हुए दिखाई नहीं दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पंचायत विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों के सचिवों के स्थानांतरण की नीति बार-बार बनाकर निरस्त की गई है और अंत में किया यह गया है कि जो सचिव भारतीय जनता पार्टी को सपोर्ट करने वाला था, उसका स्थानांतरण किया गया है एवं जो सत्ताधारी व्यक्तियों के साथ नहीं थे और प्रशासन के नियमों से नहीं आता था, उसका स्थानांतरण 90 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ जिले में किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, इस हेतु धन्यवाद.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात प्रारंभ करने से पूर्व आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि कृपया मुझे थोड़ा अधिक समय दें.
अध्यक्ष महोदय- मैं आपको अधिक समय नहीं दे पाऊंगा. बोलने वाले बहुत लोग हैं. आप थोड़ा सहयोग करें. सभी को अधिक समय चाहिए.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हमारा नंबर आता है तो हमें समय ही नहीं मिल पाता है. हम सदन में अपनी बात ही नहीं रख पाते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30, 34, 53, 59 एवं 62 के विरोध में मैं अपनी बात रखना चाहता हूं. ग्रामीण विकास 2017-18 के मूलभूत कार्यों के लिए 1227 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. 14 वें वित्त आयोग में 2642 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण विकास हेतु 14 वें वित्त आयोग में राशि बढ़ाई जानी चाहिए क्योंकि राशि की कमी से ग्रामीण विकास के कार्य प्रभावित होते हैं. 14 वें वित्त आयोग से जो राशि मिलती है, उससे ग्राम पंचायतों का विकास नहीं हो पाता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना चाहता हूं कि 14 वें वित्त आयोग में जनसंख्या के आधार पर आप जो आंकलन करते हैं, उसे कहीं न कहीं बढ़ाने की आवश्यकता है. उसे फिर से रिव्यू करने की आवश्यकता है क्योंकि आप जो राशि दे रहे हैं, उससे ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों में विकास नहीं हो पा रहा है. इसके साथ ही मैं कहना चाहता हूं कि रोजगार गारण्टी के जो कार्य चल रहे हैं, हमारे साथी श्री यादवेन्द्र सिंह जी ने भी अपनी बात रखी है, यह आज पूरे प्रदेश में यह चर्चा का विषय है. मैं मंत्री महोदय का ध्यान इस ओर दिलाना चाहता हूं कि जब हम अधिकारियों, कर्मचारियों से बात करते हैं तो वहां से सीधे यह कह दिया जाता है कि हमारे प्रमुख सचिव के माध्यम से यह आदेश जारी हुआ है कि रोजगार गारण्टी में सिर्फ तालाब के काम ही चलेंगे, दूसरे काम नहीं चल पायेंगे. आज मेरी विधान सभा के क्षेत्रों में तालाब के काम के अलावा न रोड के काम चल पा रहे हैं, न मेढ़बंधान के काम चल पा रहे हैं और न ही कुंए के काम चल पा रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में रोजगार गारण्टी के काम बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं और जिन मजदूरों को काम मिलना चाहिए उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. मेरी विधान सभा के अंतर्गत ऐसी बहुत सी पंचायतें हैं, जहां ग्रामीण अपने क्षेत्रों में रोजगार के अवसर न मिलने के कारण पलायन कर चुके हैं. जो काम रोजगार गारण्टी के अंतर्गत खुलने चाहिए वे नहीं खुल पा रहे हैं. निश्चित रूप से आपको इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, रोजगार गारंटी में जो मजदूर काम करते हैं, ऐसे बहुत से लोगों का पेमेंट नहीं हो पा रहा है. पेमेंट न होने के कई कारणों में से एक कारण ग्राम पंचायतों में सर्वर डाउन होना भी है जिससे मस्टर रोल में पेमेंट नहीं चढ़ पाते हैं. जिसके चलते महीनों तक मजदूरों को पेमेंट नहीं हो पाता है. आज मेरी विधान सभा में ऐसे कई मामले मेरे सामने हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सामाजिक न्याय के संबंध में मैं कहना चाहता हूं कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन, जिसे आपने 150 रूपये प्रतिमाह से 300 रूपये प्रतिमाह विधवाओं के लिए किया है, इसमें समानता लाने की जरूरत है. मैंने पहले भी कहा था कि जिस प्रकार आपने विधवा महिलाओं के लिए योजना बनाई है, इसी तरह से आप परित्यक्ता महिलाओं के लिए भी व्यवस्था बनायें. परित्यक्ता महिलाओं की पेंशन में भी बढ़ोत्तरी होनी चाहिए और वह उनको मिलना चाहिए. यह गरीबी रेखा का जो आपने दायरा बनाया, उसको कहीं न कहीं खत्म करने की आवश्यकता है क्योंकि बहुत लोग प्रभावित हो रहे हैं. बहुत सारे ऐसे वृद्ध हैं जिनका कोई नहीं है, आज उनके बच्चों ने उनको छोड़ दिया है, दूसरी जगह वे अपना पालन पोषण कर रहे हैं, तो उनको भी इस दायरे में रखना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको एक सुझाव भी देना चाहता हूँ कि परित्यक्ता महिलाओं के अलावा ऐसी भी बहुत सारी महिलाएँ हमारे प्रदेश में हैं, मेरे क्षेत्र में भी हैं, जिनका विवाह नहीं हो पाया, न वे घर की रह पाती हैं, न कहीं की रह पाती हैं और समाज उनको तिरस्कृत नजरों से देखता है, तो उनकी भी कहीं न कहीं आर्थिक रूप से आप व्यवस्था करें, ताकि वे अपना जीवनयापन कर सकें.
अध्यक्ष महोदय, आपने जो पेंशन राशि बढ़ाई है, मेरा यह प्रस्ताव है कि कम से कम जो आज की परिस्थिति है, जिस तरीके से महँगाई का जो दौर चल रहा है, इस तीन सौ रुपये से किसी का परिवार नहीं चलने वाला है, तीन सौ रुपये से किसी को सहायता नहीं मिलने वाली, दूसरे राज्यों में जिस तरीके से व्यवस्था है, पेंशनधारियों को एक हजार रुपये पेंशन मिलती है, तो पेंशनधारियों को कम से कम एक हजार रुपये पेंशन देने का काम होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार में पंचायती राज के कार्यों के अधिकार जिस तरीके से प्रभावित हो रहे हैं, आज पूरे मध्यप्रदेश में पंचायती राज को धीरे-धीरे समाप्ति की ओर ले जाया जा रहा है. जो हम लोगों के लिए एक बहुत गंभीर विषय है. जिस तरीके से जो जनप्रतिनिधि चुन कर आता है उस जनप्रतिनिधि को जो अधिकार मिलना चाहिए, वह अपने अधिकार का उपयोग नहीं कर पाता है, उससे ज्यादा अधिकार आपका एक उप यंत्री उपयोग कर लेता है, एक सचिव उपयोग कर लेता है. आज सरपंचों से ज्यादा सचिवों की चल रही है. सचिव के बिना कोई काम नहीं हो पाता है. सचिव चमका कर पंचायत चला रहे हैं, सरपंच नहीं चला पा रहे हैं. कोई अधिकारी, कर्मचारी, आज सरपंचों से दबने की स्थिति में नहीं हैं, यह परिस्थिति आज पंचायती राज की हो गई है. मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि आज की तारीख में पूरे प्रदेश में, खासतौर से मेरे विधान सभा क्षेत्र में, पानी के लिए अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. अधिकतर पंचायतों में हैण्डपंप खराब हैं, नल जल योजनाएँ बंद हैं और कोई व्यवस्था ऐसे नहीं हो पा रही है कि जिसके चलते आज पानी की व्यवस्था बन जाए. मेरे विधान सभा क्षेत्र में बहुत सारे ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं, पंचायतें ऐसी हैं, कि जहाँ फ्लोराइड युक्त पानी निकलता है उस हैण्डपंप को बंद कर दिया जाता है. इस तरीके से स्थिति बहुत खराब हो गई है.
श्री अनिल जैन(निवाड़ी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30, 34, 53 59 एवं 62 का मैं समर्थन करता हूँ. अध्यक्ष जी, यदि हम बात करें पंचायत एवं ग्रामीण विकास की तो इसमें कोई दो मत नहीं कि हमारे मुख्यमंत्री जी एवं माननीय मंत्री जी ने ग्रामीण जीवन को खुशहाल बनाने के लिए तथा ग्रामीण जनों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अनेक हितग्राहीमूलक जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू किया. जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना, महात्मा गाँधी रोजगार गारंटी योजना, मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना, मुख्यमंत्री सड़क योजना, स्वच्छ भारत अभियान जैसी अनेक योजनाएँ संचालित हैं. इन योजनाओं के माध्यम से हमारे गाँवों में बसने वाले गरीब लोगों को तो आसमान से तारे तोड़ लेने जैसा लाभ हुआ. जिन लोगों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा, उनके सपने आज साकार हुए. इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए अभी और अधिक तीव्र गति की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय, निवाड़ी विधान सभा में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रधानमंत्री सड़क एवं मुख्यमंत्री सड़कों से हमारे यहाँ कई गाँवों को जोड़ा गया, लेकिन फिर भी इस योजना से कई गाँवों का संपर्क अभी छूटा हुआ है. जैसे ग्राम मड़ोर में प्रधानमंत्री सड़क से गौड़ बाबा मंदिर तक , जिखनगाँव रोड से भमौरा रेल्वे फाटक तक, बरवाहा से झिगौरा मार्ग, पौहा से बसंतपुरा रामनगर मार्ग, अतर्रा से लड़वारी मार्ग, सेंदरी से मांदरी मार्ग, दुर्गापुर से सेंदरी मुख्य मार्ग, उबौरा से श्यामसी मार्ग, माननीय अध्यक्ष जी, इन मार्गों के होने से हमारी विधान सभा के इन गाँव के लोगों को आवागमन की असुविधा दूर होगी. इसी तरह कुछ गाँवों में अनुसूचित जाति बस्तियों में, मंगल भवन की आवश्यकता है. जैसे ग्राम लड़वारी, बिनवारा, गुवावली, टीला, असाटी, पौहा, चुरारा, जनौली, धौर्रा, टेरहका आदि . माननीय अध्यक्ष जी, इन गाँवों में अगर मंगल भवन बन जाएँगे तो निश्चित रूप से वहाँ के लोगों को बहुत बड़ा लाभ होगा. आपने मुझे बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया (दिमनी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा चंबल क्षेत्र से लगी हुई है जहां पर ज्यादा से ज्यादा बीहड़ है और वहां पर सड़कों की बहुत कमी है. मेरी विधानसभा में 4-5 ऐसी रोड हैं जिनके बारे में मैंने लिखकर भी दिया है तो उन रोडों के लिए पैसा दिया जाए और उन रोडों के लिए जैसे मैंने पहले भी लिखा था मनफुलफुला से गोपीगंज तक, मैं माननीय अध्यक्ष महोदय के माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हॅूं कि रोड बन तो रही है अच्छी-अच्छी रोड बन रही है पर 4-5 रोडो की मेरे विधानसभा क्षेत्र में कमी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले भी माननीय मंत्री जी को लिखकर दे आया हॅूं फिर जाकर दूंगा. मेरी विधानसभा में पानी की सबसे ज्यादा समस्या है. पेयजल की समस्या है वहां पर पीएचई हमारे मुरैना जिले में बिल्कुल फेल है. अगर पीएचई की जगह आरईएस से ले लें या विधायक निधि से, किसी से भी पानी की व्यवस्था के लिए हैंडपम्प लगाए जाएं. मैंने पीएचई में दो साल पहले पैसा दिया था. आज तक हैंडपम्प नहीं लगे हैं. पानी की सबसे ज्यादा समस्या है चंबल में पानी का स्तर बहुत नीचे चला गया है तो पानी की समस्या को देखते हुए हैंडपम्प लगाएं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया तीन मिनट में समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट में समाप्त कर दूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझ पर विशेष कृपा रखते हैं. मैं मांग संख्या 30, 34, 53 एवं 62 का विरोध करता हूँ और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हॅूं. मध्यप्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी की यह देन है कि आज गांवों में, कस्बे में, टोले में जिसकी नींव मजबूत है और उसके ऊपर सुंदर-सा भवन बनाने का काम सत्ता पक्ष के लोग कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण विकास और त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था वर्ष 1993-94 से लागू होकर इस प्रदेश में अधिकारों का विकेन्द्रीकरण किया गया और अधिकारों के विकेन्द्रीकरण के साथ ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायतों को पृथक-पृथक अधिकार दिए गए. वर्ष 2003-04 में प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के साथ ही त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अधिकारों पर केन्द्रीयकरण किया गया, जिसके कारण ग्राम पंचायत 15 अगस्त और 26 जनवरी में बच्चों को मिठाई तक नहीं खिला पाते. यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य इस प्रदेश की व्यवस्था का है कि गांवों में हमारे जो निर्वाचित सरपंच हैं जनपद सदस्य हैं, जिला पंचायत के अध्यक्ष्ा, उपाध्यक्ष और सदस्य हैं जिस अवधारणा के साथ इस प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गयी, आज पंचायत प्रतिनिधि प्रदेश की नीति से काफी परेशान हैं, दुखी हैं और यह किसी से छिपा नहीं है. मैं ज्यादा ना कहते हुए मात्र मैं यह चाहूंगा कि बहुत सारे ग्राम पंचायतों में हम लोगों ने तालाब का निर्माण किया. पिछले बजट में भी हमने सरकार से निवेदन किया कि तालाबों का निर्माण करते हैं, बांधों का निर्माण करते हैं परन्तु वहां स्नानघाट नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो मिनट दे दीजिए. इतना बड़ा विभाग है.
अध्यक्ष महोदय -- बडे़ विभाग तो हैं पर बडे़ लोग भी हैं ना बोलने वाले.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट आप आशीर्वाद स्वरूप दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए, आप एक मिनट में समाप्त करिए.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हॅूं कि जो बडे़-बडे़ तालाब बनाए हैं वहां स्नानघाट न होने के कारण उन तालाबों का कोई औचित्य नहीं है. वहीं गाय भी पानी पी रही है. सारे लोग निस्तार, स्नान भी करते हैं. लेकिन कई ऐसी घटनाएं होती हैं जहां छोटे-छोटे बच्चे स्नान करते हैं, तालाबों में डूब जाते हैं तो मैं चाहता हॅूं कि वहां स्नानघाट का निर्माण कम से कम एक तट या दूसरे तटों में दो या ढाई-ढाई, तीन-तीन लाख के छोटे-छोटे स्नान घाट बना दिये जायें यह मैं ग्रामीण विकास मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि उनका निर्माण कराने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें, श्री वैलसिंह भूरिया अपना भाषण प्रारंभ करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी विधानसभा क्षेत्र की बात ही नहीं कर पाया हूं.एक मिनट में बोल दूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- पहले बोलना था क्षेत्र की बात. आप एक मिनट में नहीं बोल सकेंगे. आपने 6 मिनट बोल लिया है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- एक मिनट दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- आप अच्छे विधायक हैं पर बहुत समय ले रहे हैं, आप अब बैठ जाइए.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--- अध्यक्ष महोदय, आपने बैठने के लिए आदेश दिया उसके लिए धन्यवाद और बोलने के लिए भी धन्यवाद.
श्री वैलसिंह भूरिया(सरदारपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 30, 34, 53 और 59, 62 का मैं समर्थन करता हूं. हमारी सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है.मध्यप्रदेश में जब से भाजपा की सरकार बनी है तब से पंचायत एवं ग्रामीण विकास के माध्यम से गाँवों की स्थिति सुधरी है गाँवों में रोड बन रहे हैं. गाँवों में ग्राम पंचायतों का विस्तारीकरण हो रहा है. विस्तारीकरण का मतलब यह है कि हर गाँव में सीमेंट, कांक्रीट रोड हो रहा है, हर गाँव में कीचड़ से निजात मिल रही है.
अध्यक्ष महोदय-- आप तो क्षेत्र की बात करें.फिर आप बाद में एक मिनट माँगते हैं.
श्री वैलसिंह भूरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने कुछ अच्छा किया है, बढ़िया किया है वह तो बताना पड़ेगा क्योंकि जंगल में मोर नाचा, किसने देखा इसलिए बताना तो पड़ेगा. फिर मैं मेरे क्षेत्र की समस्या बताऊँगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय गोपाल जी..
ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- वैलसिंह जी, आप तो क्षेत्र की बात कह दो क्योंकि आज बुलेट ट्रेन चल रही है.(हंसी)
श्री वैलसिंह भूरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने सबसे बढ़िया एक काम यह किया है कि जो पंच परमेश्वर की राशि होती थी उसके अलावा औऱ 30 परसेंट राशि ग्राम पंचायत को देने का प्रावधान कर दिया है. ग्राम पंचायत के हर वार्ड में सीमेंट, कांक्रीट हो जाएगा, कोई भी ऐसा वार्ड ग्राम पंचायत में नहीं रहेगा जो कि सीमेंट से अछूता रहेगा. माननीय मुख्यमंत्री जी ने और गोपाल जी ने बहुत अच्छा काम किया है उसके लिए मैं उनको धन्यवाद देता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की कुछ समस्यायें बताना चाह रहा हूं मेरे यहाँ दसई से लूहारी 5 किलोमीटर रोड छूट गया है उसको यदि पंचायत ग्रामीण विकास से स्वीकृत करेंगे तो यह सरदारपुर से धार को जोड़ता है, जिला मुख्यालय को जोड़ने वाला रोड है इसको स्वीकृत करेंगे तो बहुत अच्छा रहेगा. कचनारिया में कोटेश्वरी नदी पर पुल निर्माण होना है, यह सरदारपुर, धार से झाबुआ जिले को जोड़ता है यदि यहाँ बड़ा पुल बनेगा तो बहुत अच्छा रहेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्राम पंचायत माछलीया भंडारिया में बड़ी नदी पर पुल निर्माण होना है, यह आदिवासी गाँव है, देश को आजाद होकर 67 साल हो गये हैं. अभी तक उन आदिवासियों को शहर में आने के लिए पुल और रोड नहीं बना है. तो इस भंडारिया नदी माछलीया में पुल बन जाएगा तो बहुत बढ़िया रहेगा.ग्राम पंचायत बोला में रेनघाट पुलिया बनाने की कृपा करें. ग्राम मांगोद से मिण्डा, मिण्डा से बोरखेड़ी, बोरखेड़ी से खमालीया, खमालीया से बड़ोदिया, बड़ोदिया से बिछिया तक बिछिया से भीलखेड़ी, भीलखेड़ी से गुमानपुरा, गुमानपुरा से तिरला और रतनपुरा से भीलखेड़ी का रोड जोड़ने की कृपा करें तो मेरे विधानसभा के यह आदिवासी गाँव भी जु़ड़ जाएंगे इससे ग्रामीण क्षेत्र को काफी फायदा होगा और मेरा भी नाम चलने लगेगा तो मैं अगली बार आपके सामने खड़ा होकर भाषण देने लायक रहूँगा.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें, श्री जतन उइके अपना भाषण प्रारंभ करें.
श्री वैलसिंह भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट चाह रहा हूं. मध्यप्रदेश में हमारी जो सरकार काम कर रही है वह बहुत अच्छा काम कर रही है. मैं एक बात बता देना चाहता हूं कि कांग्रेस के समय में सरपंच सांसद, विधायक के और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगाते थे और अब कोई चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- अब आप बैठ जाइए, जतन उइके जी आप बोलिये, वैलसिंह जी आप बैठ जाएं.
श्री वैलसिंह भूरिया-- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.
श्री जतन सिंह उईके (पांढुर्णा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30, 34, 53, 59 एवं 62 की मुखालफत करने लिए खड़ा हुआ हूँ. त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में सबसे सेन्टर प्वॉइन्ट ग्राम पंचायत होता है और ग्राम पंचायत अगर मजबूत है तो जनपद पंचायत मजबूत है, जनपद पंचायत अगर मजबूत है तो जिला पंचायत मजबूत है. मैं पिछली बार जनपद पंचायत का अध्यक्ष था और आदरणीय गोपाल भार्गव जी उस वक्त भी पंचायत मंत्री थे, हमारे मंत्रि-मण्डल ने आपसे मुलाकात कर कुछ मांगें की थीं उन्हें आपने दिया भी है लेकिन आज पंचायतों में सरपंचों को अधिकार नहीं हैं, उनको चेक के अधिकार तक नहीं हैं इससे वास्तव में पंचायतों की स्थिति बहुत गंभीर है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खासतौर से मेरे पांढुर्णा विधान सभा की बात आप अच्छी तरह से जानते हैं कि पूरे मध्यप्रदेश में अच्छी बारिश हुई है लेकिन मेरे विधान सभा क्षेत्र पांढुर्णा में सबसे कम बारिश हुई है. मेरे पूरे विधान सभा क्षेत्र के लिए मात्र 15 नलकूप दिए गए हैं. मैंने पी.एच.ई. विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की थी लेकिन कुछ नहीं हुआ. मेरे पास तकरीबन 40 गाँवों की सूची है यदि आप चाहें तो मैं पटल पर रख सकता हूँ. इन गाँवों में नलकूपों की बहुत आवश्यकता है या तो निर्मल नीर योजना के तहत पंचायतों से कुएँ खुदवाए जाएँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र में खासतौर से बेलगाँव, कोकाडाना, लोनादेही, जामघाट, पैलेपार, चांगोबा आदि गाँवों में पुलिया बनाना अत्यन्त आवश्यक है, मैं आपसे मांग करता हूँ कि इन गाँवों में पुलिया बनवाने का कष्ट करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दूसरी बात यह कहना चाहता हूँ कि मनरेगा योजना के अंतर्गत जो मजदूर काम करने के लिए जाते हैं तो जाते हैं 10 मजदूर और 20-25 जॉबकार्ड भर दिये जाते हैं और धन का आहरण भी कर लेते हैं तो मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि रोजगार सहायकों को कहें और मजदूरों को भी जागरूक करें कि आप अपने जॉबकार्ड लेकर जगह पर जाएं ताकि आपकी हाजिरी भरी जाए और इसमें भ्रष्टाचार न हो. जितने मजदूर मजदूरी करने के लिए जाएं उतनों को ही उसमें इनवाल्व किया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात और मैं बताना चाहता हूँ कि मेरा विधान सभा क्षेत्र पूरा आदिवासी क्षेत्र है. जैसे अभी बगैर बी.पी.एल. कार्ड के सभी विधवा महिलाओं को पेंशन की पात्रता दी गई हैं तो वैसे ही मैं आग्रह करना चाहता हूँ कि तमाम लोगों के लिए चाहे वह वृद्धा पेंशन हो, विकलांग पेंशन हो, परित्यकता पेंशन हो, इन सभी पेंशन के लिए भी बी.पी.एल. की पात्रता समाप्त की जाए, ऐसा मेरा अनुरोध है और आखिरी में अध्यक्ष महोदय, एक बात मैं आपके लिए कहना चाहता हूँ जो मैं हर बार ही कहता हूँ कि - ''का तुमसे कहूँ ऐ होशंगाबाद के कुँवर, तुम जानत हो पांढुर्णा की बतिया, तुम जानत हो पांढुर्णा की बतिया'', जय हिंद.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- अध्यक्ष जी, यह सबको नहीं मालूम, इस बात का खुलासा आप कर दीजिए, पांढुर्णा के संबंध में खुलासा कर दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- आप छिंदवाड़ा जिले के हैं, आप ही यह खुलासा कर सकते हैं.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- मैं इस सदन में बताना चाहता हूँ कि हमारे अध्यक्ष जी का ससुराल पांढुर्णा का है, इसलिए विशेष ध्यान पांढुर्णा में रहता है.
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण विकास विभाग में बजट का अभाव दिख रहा है कि किस तरह से प्रदेश के गाँवों का विकास करेंगे, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. मनरेगा बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना रही है, लेकिन आज मनरेगा अपनी सुसुप्तावस्था में चली गई है. मजदूरी भुगतान न मिलने के कारण आज मजदूर मजदूरी करने के लिए शासकीय कार्यों में नहीं जाते हैं बल्कि पलायन कर रहे हैं. आज मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि मनरेगा के बहुत से ऐसे काम हैं जो औचित्यहीन हैं, स्टाप डेम बने हैं लेकिन उनमें आज भी पानी नहीं है. इसी तरह से आई.ए.पी. में खासतौर से ट्राइबल ब्लॉक में, जयसिंहनगर की बात मैं करना चाहूंगा, माननीय मंत्री जी इसे गंभीरता से लें, आपके जितने हाट-बाजार बने हैं उनकी उपयोगिता आज भी नहीं है, क्यों ? पैसों का दुरुपयोग क्यों किया गया ? माननीय मंत्री जी इसे आप गंभीरता से लेंगे. स्वच्छ भारत अभियान, ग्रामीण स्वच्छता अभियान, पहले भी यह निर्मल भारत अभियान के रूप में चल रहा था लेकिन यह बताएं कि स्वच्छता के लिए शौचालय बने कितने हैं ? पंचायतों के तह में जाएं तो सबसे खराब स्थिति है, इसमें एक चीज यह भी है कि शौचालय बने हैं तो वहाँ पानी की व्यवस्था नहीं है. शौचालय कितना अच्छा है, पंचायतों का सर्वेक्षण किया जाये तो भौतिक स्थिति क्या होगी. अगर हम भौतिक स्थिति देखेंगे तो निश्चित रूप से हमें पता लग पायेगा कि जमीनी स्थिति क्या है. अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण जगहों पर आज भी नल जल काफी पुअर स्थिति में है. नल जल योजनाएं बंद है, लोगों को पानी पीने की कोई व्यवस्था नहीं है. पीएचई विभाग से नल जल योजनाओं के संधारण हेतु ग्राम पंचायतों को दे दिया है और ग्राम पंचायत विभाग के सचिव को न तो राशि ही इसकी मरम्मत के लिये दी गयी है और न ही कोई ग्राम पंचायत में मैकेनिक की व्यवस्था की गयी है, न ही आपके पास पंचायतों में कोई सुविधा है न ही कोई व्यवस्था है कि नल जल योजना कैसे ठीक हो. माननीय मंत्री जी इस पर भी आप ध्यान देंगे. आज अगर पात्रता पर्ची की बात करें, जिसमें गरीबों को खाद्यान्न मिलता है. मैं खास तौर से यह कहना चाहूंगा कि मेरे क्षेत्र में बहुत से लोग खाद्यान्न नहीं पाये हैं. पात्रता पर्ची के अभाव के कारण वह खाद्यान्न नहीं पा रहे हैं. सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त कल्याण विभाग की बात की जाये, पंचायत ग्रामीण विभाग से प्राप्त शासकीय प्रतिवेदन में मैंने देखा है और मैं यह कहना चाहता हूं कि सरकार प्रदेश के अंतिम पंक्ति में खड़ी उन व्यक्तियों तक नहीं पहुंच पा रही है, यह गंभीरता से लिया जाना चाहिये. मैं एक बात और कहकर अपनी बात को समाप्त करूंगा कि पंचायतों के जो निर्माण कार्य चल रहे हैं, चाहे वह आज प्रधानमंत्री आवास योजना हो, चाहे अन्य पुल पुलियों की बात हो या शौचालय की बात हो, उनके लिये तो रेत, गिट्टी की आवश्यकता होती है, किन्तु आज माईनिंग,फारेस्ट विभाग या पुलिस विभाग के द्वारा पकड़कर काफी परेशान किया जाता है. अवैध रूप से वसूली की जाती है.इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, उसके लिये धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा(खण्डवा):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या- 30, 34,53, 59 और 62 के पक्ष में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं.
अध्यक्ष महोदय, जब हम पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की बात करते हैं तो निश्चित ही मेरे पूर्व सदस्यों ने कहा कि असली भारत गांव में बसता है और निश्चित रूप से यदि हम चाहते हैं कि हमारा गांव और देश विकास करे तो आवश्यक है कि गांव की और विकास की रफ्तार और विकास की योजनाओं की योजनाओं को मोड़ने की आवश्यकता है. निश्चित ही जब हम इस प्रकार बोलते हैं तो ध्यान में आता है कि एक समय गांव के स्वयं के सिंचाई के साधन होते थे, अर्थात् सभी साधन गांव में होते थे और गांव आत्मनिर्भर हुआ करते थे. लेकिन पूर्व सरकारों के द्वारा ऐसी नीतियां अपनायी गयी कि गांव की आत्मनिर्भरता पूरी तरह से खत्म हो गयी और गांव आज पूरी तरह से शहरों और सरकार पर निर्भर है.लेकिन हम हमारे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी का पिछले वर्षों का कार्यकाल देखें तो आज हमको पता चलता है कि जहां आज प्रधानमंत्री आवास योजना हो, जिसमें पूर्व में इंदिरा आवास जैसी योजना चलती थी और एक एक गांव में दो-दो, तीन-तीन या किसी गांव में तो जीरो इंदिरा आवास मिलते थे और प्रतिवर्ष एक विवाद की स्थिति बनी रहती थी. लेकिन आज मैं अगर मेरे विधान सभा क्षेत्र की बात करूं तो एक-एक गांव में पचास और सौ-सौ प्रधानमंत्री आवास देने का काम हमारी सरकार ने किया है, जो एक लाख बीस हजार रूपये में बनने जा रहे हैं. मुख्यमंत्री आवास योजना के माध्यम से हमारे ग्रामीणवासियों ने अपने मकान बनाये. अर्थात् आज गांव और शहर की दूरी और गांव और शहर का फर्क दूर हुआ है अर्थात् यह एक विकास की धारा आज गांव की ओर मोड़ी है. जहां एक ओर हमारे पक्के मकान बने हैं. पंच परमेश्वर योजना के माध्यम से गांव की प्रत्येक सड़क पक्की बनी है. प्रत्येक घर में आज शौचालय बन रहे हैं अर्थात् आज विकास की धारा आज गांव की ओर मुड़ी है. चौबीस घंटे आज गांव को बिजली मिल रही है, प्रत्येक गांव को चौबीस घंटे बिजली से जोड़ने का काम किया है और निश्चित रूप से अगर हम कहें तो आज गांव और शहर का अंतर खत्म करने का काम हमारी सरकार ने किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय इसके अतिरिक्त माननीय मंत्री महोदय से मेरे कुछ सुझाव यह हैं कि निश्चित रूप से विकास के कार्य हमारी सरकार ने किये हैं. लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी निवेदन है कि निश्चित रूप से आज ग्रामीण क्षेत्र में सबसे बड़ी पेयजल की समस्या है. जो पी.एच.ई.की नल जल योजनाएं हैं, उनका आज ठीक तरह से संधारण नहीं हो पा रहा है, निश्चित रूप से यह आवश्यक है कि उन पर ध्यान दिया जाए. इसी प्रकार मैं यह भी बताना चाहता हूं कि प्रत्येक गांव के पास एक गांव अतिरिक्त बस गया है, जिसे हम इंदिरा आवास, फोकटपुरा अर्थात इस तरह के अनेक नामों से पुकारते हैं. ऐसे गांवों के पास जो अतिरिक्त आबादी बसी है, इनका सर्वे भी कराया जाए. यह आबादी या तो छोटे झाड़ की जमीन पर बसी हैं या छोटे घास की जमीन पर बसी हैं या नजूल की जमीन पर बसी हैं. उनको न किसी प्रकार का पट्टा दिया गया है और न वह किसी प्रकार की योजना में शामिल हो पाते हैं, इनको सर्वे में शामिल करके इनको भी मुख्यधारा में अर्थात मुख्य गांव में शामिल किया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से इसी प्रकार निवेदन है कि कहीं न कहीं जो राजस्व ग्राम के सर्वे होते हैं, इनका सर्वे ठीक तरीके से कराया जाए. अर्थात अगर हम पांच सौ और एक हजार की आबादी के जो गांव एक से दो किलोमीटर की दूरी पर हैं, ऐसे गांवों को अगर राजस्व गांवों में शामिल करते हैं, तो वह प्रधानमंत्री सड़क योजना में शामिल हो सकेंगे और निश्चित रूप से हम ऐसे ग्रामीण क्षेत्र का और अच्छे से विकास कर सकेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार मेरे दो छोटे-छोटे सुझाव यह हैं कि पूर्व में मनरेगा के माध्यम से छोटे रपटे और पुलिया बनाई जाती थी, उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. अगर इस प्रकार के छोटे पुल और रपटों को शामिल करेंगे तो निश्चित रूप से और ज्यादा खेतों तक जाना और गांवों के विकास के काम ज्यादा हो सकेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि पूर्व में प्रत्येक ब्लॉक में एक-एक मांगलिक भवन दिया गया था, लेकिन पिछले तीन, चार और पांच वर्षों से कोई मांगलिक भवन की योजना नहीं है. मैं आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि एक-एक विधानसभा में कम से कम पांच- पांच मांगलिक भवन देंगे तो निश्चित रूप से गांवों में ज्यादा से ज्यादा मांगलिक कार्यक्रमों में यह भवन काम आ सकेंगे. इसी प्रकार पूर्व में सचिवों के स्थानातंरणों की लिये नीति आई थी. प्रभारी मंत्री जी द्वारा अनुशंसा कर दी गई थी लेकिन सचिवों के स्थानांतरण नहीं हो पाये थे, इस ओर भी ध्यान देंगे तो निश्चित रूप से गांवों का विकास ज्यादा से ज्यादा कर सकेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सचिन यादव (कसरावद) - माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि समय का अभाव है, इसलिए मैं सीधे अपने विधानसभा क्षेत्र की बातें आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में महेश्वर बांध का निर्माण कई वर्षों से हो रहा है और पूर्व में उन प्रभावित गांवों में पंचायतों के माध्यम से निर्माण और विकास के कार्य होते थे, लेकिन पिछले विगत तीन वर्षों वह सभी निर्माण कार्य एक आदेश के माध्यम से बंद हो गये हैं. चूंकि वह गांव हमारे मध्यप्रदेश और मेरी विधानसभा क्षेत्र में आते हैं और आज भी वहां एक बड़ी आबादी निवासरत है. मैं समझता हूं कि यह बहुत ही गलत होगा कि सरकार जिस प्रकार से हमारे उन गांवों के पुनर्वास पर कोई ध्यान नहीं दे रही है और न ही सरकार पुनर्वास करने की दिशा में कोई कदम उठाने जा रही है. ऐसी स्थिति में बहुत निम्न स्तर का जीवन उन गांवों के लोग बिताने को मजबूर हो रहे हैं. मैं अभी पहले माननीय मंत्री जी का वक्तव्य सुन रहा था, उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा था कि प्रदेश में सभी तरह की योजनाएं चालू हैं, सिर्फ पशु शेड की योजना उन्होंने बंद की है. मैंने कुछ सत्ता पक्ष के हमारे साथियों से चर्चा भी की थी, उनके क्षेत्रों में मुख्यमंत्री ग्राम हाट बाजार योजना चालू है, लेकिन मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है चूंकि मैं विपक्ष से आता हूं इसलिए मेरे विधानसभा क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों से एक भी योजनाएं चालू नहीं हुई हैं. इन ग्रामों में ग्राम खामखेड़ा, बोरावां, पीपलगोल, बानसंवद और मुलठान इन ग्रामों के प्रस्ताव पिछले तीन सालों से माननीय मंत्री जी आपके विभाग में जाकर के अटके हुए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आप समय समय पर अभियान चलाते हैं. मैं एक बात की प्रशंसा जरूर करना चाहता हूं कि आप जो अभियान चलाते हैं उनके नाम तो बड़े अच्छे लेकर आते हैं. आपने एक अभियान चलाया था, ग्राम उदय से भारत उदय अभियान, एक साधिकार अभियान आपने चलाया था. लेकिन उन अभियानों के चलाने के पश्चात् आज भी जो आवेदन उन अभियानों के तहत प्राप्त हुए, उनका निराकरण नहीं हो पाया है.
अध्यक्ष महोदय, आज मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि पशु शेड योजना, उसकी दोबारा से शुरुआत करने के लिए उस दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए क्योंकि यह असेट बिल्डिंग का काम करते हैं. यह एक बहुत ही अच्छी योजना है. एक-दो लोग उस योजना का गलत लाभ ले रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह योजना खराब है. मैं माननीय मंत्री जी के संज्ञान में एक और चीज लाना चाहता हूं कि जिस प्रकार से हर चीज में, हर योजना के लाभ के लिए गरीबी की रेखा की जो पात्रता डाल रखी है, उस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. कई जो हमारे ऐसे किसान साथी हैं, जिनके पास 5 एकड़ से कम जमीन है, ऐसे लोगों को किसी भी प्रकार की कोई योजना का लाभ नहीं मिल पाता है.
अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि पूर्व में जब कांग्रेस की सरकार थी, उस समय जो अधिकार हमने ग्राम पंचायतों को दे रखे थे और आपकी सरकार बनने के बाद आपने वह सारे अधिकार उनसे वापस ले लिये है. मैं एक उदाहरण देना चाहूंगा कि जब हमारी सरकार थी तो उस समय जो गौण खनिज होते थे, उन गौण खनिजों के लिए ग्राम पंचायतों को सारे अधिकार दे रखे थे. विशेषकर गौण खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन के नियंत्रण का काम ग्राम पंचायतें करती थीं. सामान्य अथवा विशेष रूप से उत्खनन के दुष्प्रभावों को बेअसर करने के लिए व्यक्तियों पर जिम्मेदारी तय करने का काम पंचायतें करती थीं. ग्राम सभा क्षेत्रों में गौण खनिजों से जो आय प्राप्त होती थी, वह ग्राम के कोष में जाती थी. इस तरह से बहुत सारे अधिकार उनको दिये हुए थे. आपकी सरकार और आपके मुख्यमंत्री अवैध उत्खनन को लेकर वाकई गंभीर हैं और बार-बार सदन में आप जो यह वक्तव्य देते हैं कि हमारे पास अमले की कमी है, हमारे पास अधिकारियों, कर्मचारियों की कमी है और इसके कारण उसका सही से पालन नहीं हो पाता है तो आप यह अधिकार पुनः ग्राम पंचायतों को देने का काम करें ताकि इस पर सही से नियंत्रण किया जा सके. अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का अवसर दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) - अध्यक्ष महोदय, एक जमीनी और व्यावहारिक कठिनाई के संबंध में माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहते हैं कि यह स्वच्छ भारत अभियान जो चल रहा है. यह गत कई वर्षों से चल रहा है. इसमें पहले भी जब आदरणीय श्री मनमोहन सिंह जी, इस देश के प्रधानमंत्री थे, उस समय यह चला. उस समय भी यहां सरकार आपकी थी तो बहुत-सी पंचायतों को निर्मल पंचायत घोषित कर दिया गया, यह कहकर कि यहां पूरा गांव स्वच्छ हो गया है और शौचालय हर घर में निर्मित हो गये हैं. इस दिशा में जिलों में एक सर्वे कराया गया तो विभिन्न पंचायतों में यह सर्वे कराया गया. किसी पंचायत में 40 प्रतिशत, किसी पंचायत में 50 प्रतिशत, किसी पंचायत में आपने 100 प्रतिशत दिखवा दिया. वहां जो तत्कालीन कलेक्टर थे, जो ज्यादा उत्साहित थे. इनाम लेने के लिए दिल्ली में बुलाते थे, फिर इनाम देते थे तो तत्कालीन कलेक्टरों ने उत्साह में, जो सर्वे कराया उसकी सूची में दो चीज लिखवाई यस ऑर नो. जहां निर्माण दिखा दिया, उनके घरों में यस दिखा दिया और जहां निर्माण नहीं है, वहां नो दिखा दिया. अब इसमें गड़बड़ी क्या आ गई कि उस सर्वे सूची में जहां शौचालय का निर्माण नहीं है, उन घरों में भी यस लिखा है और यहां जिला कलेक्टर या प्रशासन, उसका मेरा विरोध नहीं है, वे कहते हैं कि शौचालय बनवाइए. अब वह गरीब आदमी विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए शौचालय बनवाए और जो शौचालय बनवाया, उनको पैसा यह कहकर इसलिए नहीं दिया जा रहा है कि सर्वे की सूची में यस लिखा है तो अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कर रहा हूं कि वह जो यस लिखा है, उसको किस तरह से, क्या व्यवस्था माननीय मंत्री जी करेंगे कि जिससे उन बेचारों को पैसा मिल सके और वह यस आपका हट सके, जो धरातल में वास्तविक स्थिति है. एक समस्या और है गांव में कि जो शौचालय निर्माण में अगर जमीन का मालिकाना हक गरीब आदमी के पास नहीं है, उसके पास पट्टा नहीं है तो उसको भी पैसा नहीं मिलता है, यह बड़ी भारी समस्या है? ये दो व्यावहारिक समस्याएं थीं. इनका निराकरण कर देंगे तो अच्छा होगा.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि विगत अनेक वर्षों से एक परंपरा चल रही है, एक व्यवस्था चल रही है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बीपीएल की अनिवार्यता नहीं थी. लेकिन अभी यह अनिवार्यता लागू हो गई है, जिससे हजारों लाखों परिवार सामाजिक सुरक्षा पेंशन पाने से वंचित हो रहे हैं. मैं माननीय मंत्री महोदय से आग्रह करूंगा कि इस पर विशेष चिंता करें और यह जो राशि डेढ़ सौ, ढ़ाई सौ, तीन सौ रुपया है, यह अत्यंत कम है. यह राशि 1000 रुपए मिनिमम राशि की जाय. यह मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का अवसर दिया, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री प्रदीप अग्रवाल(सेवढ़ा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे हटकर मैं एक बात कहना चाहता हूं कि हम लोग किसी न किसी विधान सभा से आते हैं सभी की विधान सभा में वोटों से ही जीता जाता है आप पहले बोलने वालों को तो 20-25 मिनट दे देते हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप रिकार्ड देख लेना 4 मिनट से ज्यादा किसी को समय नहीं दिया है.
श्री प्रदीप अग्रवाल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30,34,53,59,62 के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूं. मैं अपने क्षेत्र की बात करूंगा. जहां तक हम सड़कों की बात करते हैं तो हमने अधिकांश ग्रामों को सड़कों से जोड़ा है. उसके बाद भी मेरे क्षेत्र के 20 से 25 ग्राम ऐेसे रह गये हैं जिन्हें अभी सड़कों से जोड़े जाने की आवश्यकता है. मेरे क्षेत्र में इन्डोर एवं ऑऊटडोर स्टेडियम जो स्वीकृत हुए थे, आज दिनांक तक उनका काम चालू नहीं हो पाया है. बहुत शीघ्र उनका भी काम शुरू किया जाये.
अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र के अधिकांश ग्रामों में शमशान घाट की कोई व्यवस्था नहीं है जो हैं उसमें पहुंच मार्ग की व्यवस्था मंत्री जी नहीं है तो मेरे क्षेत्र के ग्रामों में मुक्तिधाम बनाये जाएं और जो हैं उनमें पहुंच मार्ग बनाये जाएं.
अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आवास में हमने हर वर्ग के लोगों को मकान देने का प्रयास किया है, किन्तु स्थानीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों की लापरवाही से या उनकी खराब मानसिकता के कारण जिनको आवास मिलने चाहिये थे उन्हें नहीं मिल पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास15-20 हजार रूपये की राशि सचिवों को देने के लिये नहीं है. जिस तरह से विधवा महिलाओं को पेंशन में गरीबी रेखा के कार्ड से मुक्त किया गया है. उसी तरह से विकलांग एवं 70 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को भी इसी तरह की पेंशन की व्यवस्था की जाए, जिससे कि उनको लाभ मिल सके. धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को दो सुझाव अपने क्षेत्र के बारे में देना चाहता हूं. पांच मजरे-टोले राजस्व ग्राम के रूप में परिवर्तित हुए हैं. उनमें सड़क बनाने की पहले ही बड़ी आवश्यकता थी, लेकिन वहां मजरे टोले होने के कारण सड़क नहीं बनायी जा सकी.
अध्यक्ष महोदय, नया राजस्व ग्राम बना है दीवानचन्द का डेरा एक, कच्छार दो, राजस्व ग्राम चक तीन, वसुन्धर का टपरा चार, माधो का डेरा पांच, तिली डेरा छः. यह जो राजस्व ग्राम बने हैं उसके अंदर प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत और जनसंख्या के कारण से कहीं पर कोई कमी आती है तो मुख्यमंत्री सड़क योजना के माध्यम से इन गांवों को जोड़कर के शीघ्र ही उसमें सड़क बनाने की आवश्यकता है. अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरे दो सुझाव हैं. रोजगार गारंटी में जो एक पुरानी रोड बनी है उनके मरम्मत के लिए अभी कोई स्वीकृति प्रदान नहीं की जाती है उसके कारण बहुत बड़े बड़े गड्डे हो गए हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरा यह भी निवेदन है कि पशु आश्रय के काम बिलकुल बंद कर दिए हैं. यह मध्यप्रदेश शासन का महत्वपूर्ण काम था. श्योपुर में पशु आश्रय के कार्य लंबित पड़े हैं. जिन्होंने आधे-अधूरे बना लिए हैं उनको भुगतान नहीं हो रहा है. नए कार्यों की स्वीकृति प्राप्त नहीं हो रही है, मेरा निवेदन है कि पशु आश्रय की स्वीकृति बहुत आवश्यक है. धन्यवाद.
श्री मुरलीधर पाटीदार(सुसनेर)--अध्यक्ष महोदय, आप बोलने का अवसर दे रहे हैं इसके लिए आपको धन्यवाद. मैं मांग संख्या 30,34,53,59 और 62 का समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा में डेरीपाल -मुंजारे का डेरा और पारडा से छोटा पारडा नामक दो मजरे-टोले हैं वहां पर मुख्यमंत्री सड़क बनवाई जाये.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा मेरे क्षेत्र में देहरियासोयत जिसकी आबादी 3 हजार है. मैंने कई बार पत्र व्यवहार किया लेकिन वहां पर प्रधान मंत्री सड़क बन ही नहीं रही है क्योंकि इस्टीमेट डेढ़ करोड़ रुपये का बन रहा है. मेरा आग्रह है कि उस गांव को भी वंचित नहीं रखें. क्योंकि प्रधानमंत्री सड़क योजना के क्राइट एरिया में जितने गांव आ गये हैं वहां तो सड़क बन गई केवल देहरिया से छोटा देहरियासोयत शेष है वहां भी बना दें.
अध्यक्ष महोदय, आरईएस ने पुराने तालाब बनाये थे उसमें से कई फूट गए हैं या उनमें मिट्टी भराव हो गया है. विभाग के पास उनके जीर्णोद्धार की कोई कार्य योजना नहीं है. आग्रह है कि सिंचाई विभाग बड़े बड़े तालाब बनाता है. छोटे तालाब की कई साइट हैं. मेरी विधानसभा में विगत 3 साल में एक भी तालाब का निर्माण नहीं हो पाया तो नए तालाब भी बनाये जाएं. हमने ग्राम उदय से भारत उदय में प्रस्ताव भेजे हैं और जो पुराने तालाब टूट-फूट गए हैं, उनका जीर्णोद्धार भी कराया जाए.
अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का जो सेकंड फेस शुरु हुआ है उसमें मेरे यहां की एक सड़क सोयत-मोड़ी-नलखेड़ा इसे मोहनबडोदिया तक बढ़ाया जाए. धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पंवार(ब्यावरा)--अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा क्षेत्र में बीआरजीएस योजना बंद होने के बाद आवश्यक पुलियाएं बनने से छूट गई हैं. मंत्री जी उनके निर्माण की स्वीकृति प्रदान करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, सलेपुर निस्तारी तालाब पुलिया, लालपुरा-भगवानपुरा तालाब पुलिया, मलावार-भगवतीपुर पुलिया,बेरियाखेड़ी निस्तार पुलिया और बोरदा-बूढ़ाखेड़ा पुलिया तथा दो सड़कें जो वन ग्राम तक आती हैं उसमें खजूरखड़ी और भोपालपुरा. ये दोनों बहुत आवश्यक सड़कें हैं.
अध्यक्ष महोदय, मेरे यहां कुछ मजरे-टोले हैं जो 500 से 1000 की आबादी के हैं लेकिन चूंकि राजस्व ग्राम घोषित नहीं हैं अतः ऐसे ग्राम जैसे जामुन का पुरा और हात्याखो की सड़कें अगर मंजूर हो जाएगी तो निश्चित रुप से आबादी को लाभ मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, कुछ तालाब टूटे-फूटे पड़े हैं यदि उनका निर्माण हो जाए तो एक बड़ी आबादी उससे लाभान्वित हो सकती है, थोड़े से रिपेयर के अभाव में वह तालाब टूटे पड़े हैं. मैंने कलेक्टर महोदय को सूची दे रखी है. कृपया उनके मरम्मत कराने के निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें. धन्यवाद.
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर(मान्धाता)--अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में इंदिरा सागर बांध के कारण कुछ गांव की जमीनें तो डूब में चली गई लेकिन गांव वहीं बसे हुए हैं. उस कारण से वहां पर प्रधानमंत्री सड़क योजना के रोड़ जो स्वीकृत होना थे वह नहीं हो पाए हैं. अभी भी सीईओ कार्यालय में प्रधानमंत्री सड़क योजना की कनेक्टिविटी दर्शाई नहीं गई उसको ब्लेंक छोड़ दिया है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि ऐसे 8 रोड़ प्रधानमंत्री सड़क योजना के हैं जो बनाये जाना बहुत आवश्यक है. उन रोड्स के नाम हैं जूनापानी, बलड़ी ब्लाक, झागरिया, धनवानी, जैतापुर,अम्बाखाह,डांग, डंठा और झिंगादा. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इन रोड्स की स्वीकृति प्रदान करें.
अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा निवेदन है कि मुख्यमंत्री सड़क योजना में जिन रोड्स को बना दिया है उनका डामरीकरण करना है उसमें से जो 5 रोड्स बने हैं उनको माइनस कर दिया है. मेरा उसमें सुझाव और निवेदन है कि मुख्यमंत्री सड़क योजना में जो रोड बन गए हैं, उन सभी को इसमें शामिल कर, डामरीकरण किया जाए.
अध्यक्ष महोदय, मेरा चौथा निवेदन है कि जो मजरे-टोले हैं. मेरे यहां पुनर्वास हुआ है. कई लोग डूब के कारण अलग अलग जाकर बस गए हैं, वहां पर भी मुख्यमंत्री सड़क योजना में रोड्स स्वीकृत की जाए ताकि ग्रामीणों को आवागमन की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी. धन्यवाद.
डॉ.रामकिशोर दोगने - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - नहीं अब किसी को अनुमति नहीं दी जायेगी.
श्रीमती ऊषा चौधरी - अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक मिनट दे दीजिये.
डॉ.रामकिशोर दोगने - मेरे यहां एक स्टेडियम बन रहा है. स्टेडियम ग्राम पंचायत में दिया है विभाग द्वारा वह नहीं बन पा रहा है..
डॉ.रामकिशोर दोगने - XXX
अध्यक्ष महोदय - नहीं लिखा जायेगा सिर्फ माननीय मंत्री जी का लिखा जायेगा.
श्रीमती ऊषा चौधरी - अध्यक्ष महोदय सिर्फ एक मिनट दे दीजिये.
डॉ.रामकिशोर दोगने - XXX
अध्यक्ष महोदय - आप कृपा करके बैठ जाईये. श्रीमती ऊषा चौधरी एक मिनट में अपनी बात बोल दीजिये.
श्रीमती ऊषा चौधरी(रैगांव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहली बात है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पूर्व में सी.सी.ए. एवं आर.एस.रेट को निरस्त करके मनमाने तरीके से नया नियम बनाकर 800 रुपये क्यूबिक मीटर के हिसाब से पी.सी.सी. रोड का नियम बनाया गया है उसमें पूरे प्रदेश में सरपंचों द्वारा काम बंद कर दिया गया है और इंजीनियरों का कोई मतलब नहीं रह गया है क्योंकि वे पहले इस्टीमेट बनाते थे. सरपंचों ने काम बंद कर दिया है. सी.सी.ए. और पी.सी.सी. रेट को निरस्त किया जाये. दूसरा मेरे रैगांव विधान सभा क्षेत्र के रामपुर चौरासी में एक तालाब है जिसमें एक ही बरसात में तालाब भर जाता था उन तालाबों में खनिज माफियाओं द्वारा खोद दिया गया है उस तालाब की भराई करके उसको ठीक कर दिया जाये और सिमरवारा ग्राम पंचायत में टोलाचोराई ग्राम है उस ग्राम में कोई सड़क नहीं है जिससे डिलेवरी वाली महिलाओं को दिक्कत हो रही है. दो महिलाओं की मौत भी हो चुकी है. उस रोड को बनवा दिया जाये. साथ ही पंचायतों में वर्ष 2005 से पूर्व से जो कर्मचारी कार्यरत् हैं उन्हें सामान्य भविष्य निधि के तहत् पेंशन दिये जाने के आदेश दिये जायें. जिला जनपदों में पंचायतों में मात्र 2500 कर्मचारी हैं. नयी पेंशन योजना में भी वर्ष 2005 से पूर्व के कार्यरत् कर्मचारियों को एन.एस.डी.एल. कंपनी द्वारा पेंशन के लिये रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया.आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे अनुदानों के विभागों की चर्चा में भाग लेने वाले हमारे वरिष्ठ सदस्य सर्वश्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी,बहादुर सिंह,जयवर्द्धन सिंह,पुष्पेन्द्रनाथ पाठक, हरदीपसिंह डंग,हेमंत खंडेलवाल,यादवेन्द्र सिंह,सुखेन्द्र सिंह,दिनेश राय,प्रदीप लारिया,श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर,सोहनलाल बाल्मीक,अनिल जैन, बलबीर डण्डौतिया,फुन्देलाल सिंह मार्को,वेलसिंह भूरिया,जतन उईके,रामपाल सिंह जी,ब्यौहारी, देवेन्द्र वर्मा,सचिन यादव,सुन्दरलाल तिवारी,शैलेन्द्र जैन,प्रदीप अग्रवाल,दुर्गालाल विजय,मुरलीधर पाटीदार,नारायण सिंह पवार,लोकेन्द्र सिंह तोमर,श्रीमती ऊषा चौधरी जी और अन्य सदस्यों ने भी बीच-बीच में एक-दो विषय पर चर्चा की है. अध्यक्ष महोदय, मैं विधान सभा सचिवालय से सारा रिकार्ड प्राप्त करके खास तौर से जो विषय आये हैं,खास तौर से अपने क्षेत्र की समस्याओं के बारे में उल्लेख किया है मैं उस रिकार्ड को देखकर मैं इस बात का प्रयास करूंगा कि उन सदस्यों की भावना को दृष्टिगत रखते हुए उन समस्याओं का निराकरण करते हुए समय पर उन्हें सूचित भी करेंगे. जिन माननीय सदस्यों ने भाषण नहीं दिया हो वे भी मुझे अपनी समस्या लिखकर दे सकते हैं. सभी लोग जानते हैं कि गांव के विकास के बिना हमारे प्रदेश का विकास अधूरा है और वास्तव में गांव का श्रंगार राज्य का और देश का श्रंगार होता है. गांव के अन्दर जो अधोसंरचना है. गांव की आवश्यक्ताएं पूरी हों.
5.30 बजे अध्यक्षीय घोषणा
(1) सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 6 के उप पद क्रमांक 4 का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
(2) विधान सभा भवन के मानसरोवर सभागार में बुंदेलखंड के लोक जीवन चरित्र पर आधारित नाटक लाला हरदौल का मंचन
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य, जैसा कि मैंने पूर्व में भी उल्लेख किया था कि आज सायं 7.00 बजे से विधान सभा भवन के मानसरोवर सभागार में बुंदेलखंड के लोक जीवन में रचे बसे हरदौल के चरित्र पर आधारित नाटक लाला हरदौल का मंचन होगा एवं उसके पश्चात परिसर में भोज आयोजित है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि दोनों कार्यक्रमों में पधारने का कष्ट करें.
5.31 बजे वर्ष 2017-2018 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में 52 हजार ग्राम हैं जो 23 हजार ग्राम पंचायतों के अंतर्गत आते हैं. हमारी 313 जनपदें हैं जो 51 जिला पंचायतों के अंतर्गत आते हैं. इन सभी में एक साथ विकास हो, सभी का साथ, सबका विकास जो हमारा एक संदेश है पूरे समाज के लिये, देश के लिये, इसी के अनुरूप विभाग ने अपनी योजनायें बनाकर काम शुरू किया है. मुझे कहते हुये खुशी है कि पिछले वर्षों में हमने पहुंच मार्गों के मामले में प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़कों के मामले में, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़कों के मामले में और इसके अलावा हमने गांवों के अंदर पक्के सीसी रोड बनाने के मामले में हिन्दुस्तान में एक नया इतिहास बनाया है. हमारा रिकार्ड शायद दूसरे राज्य के रिकार्ड से बहुत ज्यादा ऊपर है. गांव के अंदर विकास को एक समग्र रूप देने के लिये जहां सड़कें समग्र रूप से आवश्यक होती हैं. आज स्वच्छता की बात हम सभी लोग करते हैं, स्वच्छता में यदि सबसे ज्यादा योगदान होता है तो वह सड़कों का होता है, नालियों का होता है. इसके बाद शौचालय का है, सेनीटेशन का काम. अध्यक्ष महोदय, जिसके घर के ऊपर छत नहीं है, पत्तों का छत होता है, छप्पर होता है, टूटे-फूटे कवेलू होते हैं, त्रिपालें होती हैं, लोग पॉलीथिन लगा लेते हैं, बाजू की दीवारे कच्ची होती हैं, मिट्टी की होती हैं, जमीन भी कच्ची होती है और जब बारिश होती है, पानी टपकता है तो हमने देखा है सावन-भादो के समय जो पानी चूता है, बच्चों को इधर से लेकर उधर, उधर से लेकर इधर, इस कोने से उस कोने तक माता पिता होते रहते हैं, इस प्रकार से वह पूरी रात काटते हैं. रात में सोते हैं तो चंद्रमा दिखता है, दिन में सोते हैं तो सूर्य दिखता है. ऐसे लोगों के बारे में प्रधानमंत्री जी ने सोचा, कल्पना की और मुझे कहते हुये खुशी है कि पहली बार इस साल इतने आवासों का आवंटन हिन्दुस्तान के लिये तो हुआ है, लेकिन मध्यप्रदेश के लिये सर्वाधिक प्राप्त हुआ है, यह हमारे लिये गर्व की बात है. कभी कल्पना नहीं कर सकता था कि गरीबों को आवास बनाने के लिये डेढ़ लाख रूपया मिलेगा. पहुंच मार्ग के बारे में, आवास के बारे में, स्वच्छता रहे शौचालयों के बारे में, आंगनबाड़ी भवनों के बारे में, स्कूल भवनों के बारे में, मृत्यु हो जाये गरीब आदमी की बारिश में पानी गिरता हो तो शेड हो मोक्षधाम के बारे में, बच्चों के लिये छोटे-छोटे खेल मैदान के बारे में, तमाम बातों के बारे में हमने समग्र रूप से विचार करके कार्य योजना तैयार की है. मुझे कहते हुये खुशी है कि हम उसके अंतिम स्तर पर पहुंच गये हैं, हम लक्ष्य को प्राप्त करने की स्थिति में आ गये हैं. प्रधानमंत्री सड़कों के बारे में आज हम अव्वल स्थिति में हैं. मैं रिपीटेशन नहीं करना चाहता. अधिकांश सदस्यों ने पर्याप्त प्रकाश डाल दिया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप कितना समय लेंगे माननीय मंत्री जी.
श्री गोपाल भार्गव-- बस 10-15 मिनट.
अध्यक्ष महोदय-- यह अधिकार आपने कब से ले लिया. ....(हंसी)....
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अधिकार तो उनके पास बहुत पहले से थे.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, अभी तक हमारी जो 3 आवास की योजनायें मध्यप्रदेश में चलती थीं, एक हमारी इंदिरा आवास योजना थी, एक मुख्यमंत्री आवास मिशन था.एक हमारा अंत्योदय आवास था. माननीय अध्यक्ष महोदय एक होमस्टेट का भी बीच में आया था इन सब योजनाओं के माध्यम से हम लोगों ने पिछले पांच वर्षों में 10 लाख 77 हजार से अधिक आवास पूर्ण करवा लिये हैं. अब हमें जो नया आवंटन प्राप्त हुआ है, मैं मानकर के चलता हूं कि मध्यप्रदेश के आवासहीन, गरीब लोगों के लिये, मुफलिसों और बदहाल लोगों के लिये,बेबस और लाचार लोगों के लिये जिनके पास में आज भी छत नहीं है, जो जून की रोटी की व्यवस्था नहीं है, वह घर कैसे बनवा सकते थे, उनके लिये बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना "प्रधानमंत्री आवास योजना" हमारे प्रधानमंत्री जी ने हमें दी है. मुझे कहते हुये खुशी है कि शुरू में प्रदेश को 3 लाख 5 हजार आवासों का आवंटन हुआ था लेकिन हमारे विभाग ने जो गति पकड़ी, विभाग ने निरंतर इसका सुपरवीजन किया, हमने समीक्षा की, लगातार हमने इसके लिये तैयारी की वीडियोकांफ्रेंस की जो प्रयास हमने किये उसके बाद 1 लाख 50 हजार आवास प्रदेश को तुरंत एक माह के बाद भारत सरकार ने आवंटित कर दिये. इस तरह से लगभग 5 लाख आवास मध्यप्रदेश में इस वर्ष हम बनाने जा रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, गरीब आदमी कभी कल्पना नहीं कर सकता था कि उसके लिये 1 लाख 50 हजार रूपये की राशि आवास बनाने के लिये मिलेगी. पारदर्शिता रहे इसके लिये 40 हजार रूपये की पहली किश्त खाते में जायेगी, एक-एक पैसे का हिसाब रखा जायेगा. 40 हजार रूपये का काम हो जायेगा उसके बाद में फोटो अपलोड होगा फिर 40 हजार रूपये की किश्त मिलेगी ऊपर तक जायेगा और छत तक जाते जाते जब पूरी तरह से बन जायेगा उसके बाद में पूरी राशि की व्यवस्था होगी,शौचालय की व्यवस्था होगी, स्नानघर की व्यवस्था होगी, किचन की व्यवस्था है. हिन्दुस्तान में एक गरीब आदमी कल्पना नहीं कर सकता था कि ऐसा आवास जिसमें यह सारी सुविधाये है उसको मिलेगा. मुझे कहते हुये खुशी है और मैं प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद दूंगा, भारत सरकार को धन्यवाद दूंगा और हमारे मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद दूंगा क्योंकि इसमें 60% और 40% का रेश्यो है. 60% भारत सरकार का है तो 40% हमारे राज्य का भी है लेकिन बड़ी ही उदारता के साथ में हमारे मुख्यमंत्री जी, वित्त मंत्री जी ने सभी ने इसकी राशि के लिये पर्याप्त राशि का प्रावधान कर दिया है जो कि बजट के सामने परिलक्षित है जो वित्त मंत्री जी के द्वारा हाल ही में यहां प्रस्तुत किया गया है. अध्यक्ष जी, इससे प्रदेश में 5 लाख आवास बनेंगे और हमारा यह प्रयास है कि हम इन आवासों को जल्दी से जल्दी बना लें तो अन्य राज्य यदि कोई नहीं बना पायेंगे तो उन आवासों को भी हम मध्यप्रदेश में ले लेंगे तो मुझे लगता है कि आने वाले तीन वर्षों के अंदर हम कम से कम 12 लाख से लेकर के 13 लाख आवास मध्यप्रदेश के अंदर बनाने में सफल हो जायेंगे . इससे बड़ी उपलब्ध और कोई नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री सड़क योजना के बारे में कहना चाहूंगा कि जितने भी पुल पुलिया प्रधानमंत्री सड़क योजना हो सकते हैं 400 मीटर तक के पुल हमारा विभाग बना रहा है. 100 से ज्यादा पुलों का निर्माण हम कर चुके हैं और इससे ज्यादा के काम अभी चल रहे हैं. लोक निर्माण विभाग जितने पुल बनाता है उससे भी ज्यादा पुल इस समय प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत बन रहे हैं. अच्छी गुणवत्ता के पुल बन रहे हैं. हमारी जो सड़कें ग्रेवल रोड बने थे, 500 से कम की आबादी के मान से जो गांव थे लोगों को यही चिंता रहती थी कि हमारे गांव का नंबर कब आ पायेगा, हमारे गांव की जनसंख्या 100 है, 50 है, हमने चार साल पहले तय किया था क्योंकि अभी तो हम 500 की आबादी पर आ गये हैं उस समय तो 1000 की आबादी पर थे, फिर हम लोगों ने कोशिश की कि भारत सरकार यदि नहीं कर पा रही है तो हम राज्य के संसाधनों से इनको पूरा करेंगे . हमने मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के नाम से 19 हजार किलोमीटर की स्वीकृति दी है. 19 हजार किलोमीटर की लंबी सड़क बनाने का काम जिसके लिये लगभग साढ़े 3 हजार करोड़ रूपये का हमने इसके लिये प्रावधान किया है. 14 हजार किलोमीटर के ग्रेवल रोड़ बन गये हैं इसको पक्का करने के लिये, क्योंकि हमें मालूम था ग्रेवल रोड़ बनाने के बाद यदि 4 से 5 साल हो जाते हैं तो वह सड़कें धीरे धीरे खराब हो जायेंगी, पानी में धुल जायेंगी, इसके लिये हमने अलग से बैंक से चर्चा करके ऋण लेकर के मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंदर जो सड़के बनी हैं उसमें पहले चरण के अंदर हमने 10 हजार किलोमीटर तक की सड़कें डामरीकृत करने का काम हाथ मे ले लिये है और वित्त मंत्री जी ने और मुख्यमंत्री जी ने इसके लिये हमें अनुमति दी है. एक तरफ गांव में पहुंच मार्ग, गांव की आंतरिक सड़कें, माननीय विधायिका महोदय बता रहीं थी कि गांव के अंदर जो सीसी रोड बन रहे हैं उनके अलग अलग नार्म्स हैं. कोई नार्म्स नहीं है, सिर्फ समझने की दिक्कत है. स्थानीय अधिकारी समझ नहीं पाते हैं तो उसके लिये हमने यहां पर एक प्रकोष्ठ बनाया है. उस प्रकोष्ठ से आप सभी लोग जानकारी ले सकते है, विभाग समय समय पर आप लोगों को परिपत्र भी भेजता रहता है. समय समय पर कि इसमें कोई भी कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए. जरूरी नहीं है कि सकरी गली हो और हम उसमें नाली बनाएं. गांव के अंदर यदि पांच या छ: फीट चौड़ी सड़क है तो उसमें दो फीट की नाली बनायी जाए कोई आवश्यक नहीं है, ढाल बना दें पानी बहता रहता है. मेरा प्रयास है कि यदि हम नाली नहीं बनाएंगे तो 35 प्रतिशत और ज्यादा हमको एक्सेस मिलेगा, जहां 100 मीटर नाली बनना होगी वहां 135 मीटर बनेगी. हम इसी तरह से स्थानीय व्यवस्था के अंतर्गत सारा काम कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, 2 अक्टूबर, 2014 से शौचालय का काम प्रारंभ हुआ था, प्रदेश के 77 लाख 50 हजार घरों में शौचालयों की सुविधा नहीं थी, यह बहुत बड़ा कलंक है. हिन्दुस्तान की आजादी के 70 साल हो गए हैं, लेकिन लोग खुले में शौच करने के लिए जाएं और उन्हें शौच करने का तरीका सिखाना पड़ रहा है इससे लगता है कि कहीं न कहीं हमारी सामाजिक जागरुकता में कमी आई है, जितनी जागरुकता होनी चाहिए उतनी नहीं है. इस कारण से इस मिशन को हमने हाथ में लिया और 31 लाख घरों में स्वच्छ शौचालय बनाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है. हमने इस साल जो लक्ष्य तय किया था और भारत सरकार ने स्वीकृत किया था, इस साल साढ़े अठारह लाख घरों में शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया था और हमने इसको शत प्रतिशत पूरा कर लिया है और इससे भी ज्यादा लगभग 110-120 प्रतिशत तक एचीवमेंट कर सकते हैं. अध्यक्ष महोदय, शौचालय के निर्माण की बात हमारे बहुत से माननीय सदस्यों ने कही है कि शौचालय गुणवत्ता के नहीं बन रहे हैं, राशि के संबंध में उनका यह कहना है कि राशि हितग्राही के खाते में जाती है, जिससे सरपंचों और सचिवों को दिक्कत होती है. यह इस कारण से किया गया था कि शौचालय बनाने के लिए12000 रूपए का प्रावधान रूपए है, हितग्राही अपनी इच्छानुसार शौचालय बना सकते हैं, इसी कारण से टेण्डर ठेका, दूसरी एजेंसी के माध्यम से न बनाकर हितग्राही स्वयं शौचालय बना लें और फोटो डाल दें तो हितग्राही को दो किश्तों में राशि उनके खातों में डाल दी जाती है, इसमें मार्गदर्शन का जो काम है वह सरपंच सचिव एवं हमारे तकनीकी अधिकारी करते हैं, उसके अंतर्गत थोड़ी समस्या आती है, लेकिन पारदर्शिता रहती है. हमारे एक माननीय सदस्य कह रहे थे कि चैक बुक जमा हो जाती है, मैंने पिछले कार्यकाल में देखा है कि चेक बुक जब रहती थी, तो कितने का ही चेक हो, मान लो हमने 100 शौचालयों के लिए किसी गांव में राशि उपलब्ध कराई और 12 लाख रूपए की राशि होती थी तो पूरे 12 लाख रूपए ही खर्च हो जाते थे और एक भी शौचालय वहां नहीं बनते थे. इसके बाद यदि हम किसी के विरूद्ध आरआरसी जारी करें, एफआईआर करें तो काफी संख्या में लोग जेल में होंगे, इस कारण हमने सोचा कि कोई ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे हितग्राही के खातों में सीधे राशि जाए और किसी दूसरे के हाथ में राशि न जाए, इसी कारण से हमने आरटीजीएस की पृथा को आगे बढ़ाया और इलेक्ट्रानिक ट्रांसफर इसके लिए किया. हमने सभी योजनाओं के लिए चाहे वह रोजगार गारंटी योजना हो, निर्माण योजना हो, आवास योजना हो, शौचालय हो, चाहे सीसी रोड हो, यह व्यवस्था इसीलिए की इसमें सभी को सहयोग करना चाहिए. एक बात और आई थी कि ग्रामीण संस्थाओं के अधिकार छीन लिए गए हैं, किसी का कोई अधिकार नहीं छीना गया है. एक बात और स्मरण कराना चाहूंग कि चाहे सचिव हो, सरपंच हो, चाहे उससे बडे़ प्रतिनधि के बारे में जितना मानदेय उनको पहले मिलता था, उससे कई गुना ज्यादा मानदेय हम दे रहें है. पहले ग्राम पंचायत की बैठक के लिए कोई राशि नहीं मिलती थी, इसलिए पंच बैठक में नहीं आते थे, बैठक में रूचि नहीं थी . हमने इसलिए यह तय किया कि प्रति बैठक 200 रूपए ग्राम पंचायत के पंच के लिए देंगे, ताकि वह रूचि के साथ में आए उसकी मजदूरी का नुकसान न हो. सरपंचों के वेतन में भी हमने वृद्धि की, जिला पंचायत, जनपद पंचायत के प्रतिनिधि के अधिकारों में कोई कटौती नहीं हुई है. कोई कटौती ऐसी यहां से कोई परिपत्र के माध्यम से अधिकारों में नहीं हुई है. मैं अवगत करना चाहता हूं कि हमारी जो सारी निर्वाचित संस्थाएं हैं, वह काम कर रही हैं, चूंकि पैसे का आवंटन बढ़ा है, फ्लो बढ़ा है, पिछले 15 साल पहले जब यह व्यवस्था थी जिला सरकार में, तब से लेकर अभी तक व्यवस्था में काफी अंतर, परिवर्तन आया है. इस कारण से माननीय सदस्य जो कह रहे थे, यह बात मैं जहां तक सोचता हूं कि निर्मूल है और इस बात के लिये हमें सबको सहयोग करना चाहिये कि जो जन धन है, इसकी हम बर्बादी नहीं करें और इसके लिये हम पूरी तरह से सदुपयोग करें. महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के बारे में भी चर्चा हुई. खास तौर से पेमेंट के बारे में, कामों के स्वभाव के बारे में, जैसे यादवेन्द्र सिंह जी ने कहा कि कपिलधारा के जो कुएं हैं, उसकी राशि कम कर दी है. मैं बताना चाहता हूं कि भारत सरकार ने यह निर्देश दिये हैं कि कुओं से जल स्तर कम होता है, इस कारण से उनके लिये, कहीं न कहीं उनकी चार्जिंग के लिये इस कारण से कुओं के साथ में वह एक छोटा तालाब बनाने का निर्णय लिया गया था और मैं इसको देख रहा हूं कि जिन जिलों में स्टेटा जिस तरह का होगा, हम इसको फिर से रिवाइज करके अलग अलग जिलों के लिये कहीं कोई मैं मानकर चलता हूं कि पूरे राज्य में यूनिफाई डेट इसके लिये हम लागू नहीं कर सकते, अगर करेंगे, तो फिर ऑडिट आपत्तियां भी आ सकती हैं और अन्य बातें हो सकती हैं. इसके कारण से जहां पर हार्ड स्टेटा होगा, वहां के लिये अलग, जहां पर साफ्ट स्टेटा होगा, वहां के लिये अलग हम इस प्रकार से इसकी व्यवस्था करेंगे. पंच परमेश्वर योजना के बारे में काफी चर्चा हो चुकी है. हमने इसमें कई सुविधायें दी हैं. सिर्फ सीसी रोड बनाना नहीं है. सीसी रोड के अलावा हमारे शायद सदस्य, मार्को जी कह रहे थे कि घाट बनाना चाहिये. आप घाट बना सकते हैं, इसमें कोई रोक नहीं है. इसमें घाटों की व्यवस्था है, चौपालों की व्यवस्था है, आंगनवाड़ी भवनों की व्यवस्था है और भी अनेकों काम कर सकते हैं. इसमें हमने किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई है. हमेशा जो कनफ्यूजन होता है कि रोजगार गारंटी का रेट क्या होना चाहिये. इसके बारे में हम और पारदर्शी सिद्धांत बना देते हैं, ताकि सदस्यों के लिये बताने में कोई दिक्कत नहीं हो. कनवर्जेंस विधायक निधि, सांसद निधि से आप कर सकते हैं, इसमें कोई दिक्कत की बात नहीं है. बहुत सी योजनाएं जो प्रचलन में हैं, आजीविका की भी, आईडब्ल्यूएमपी, जो हमारा वाटर शेड कमीशन है, इसके बारे में भी भारत सरकार ने यह तय किया है कि अब प्रधानमंत्री सिंचाई योजना उन्होंने इस साल देश में लाई है. तो प्रधानमंत्री सिंचाई योजना में यह सारा का सारा काम, उसी स्वभाव का, उसी प्रकार का हम लोग करवाने वाले हैं और इसमें पर्याप्त स्टाफ की भी व्यवस्था प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के अंतर्गत होगी, जिससे हमारा भूमिगत जल स्तर भी बढ़ेगा. इसके अलावा सरफेस वाटर भी हमारा काफी बढ़ेगा. सबसे उल्लेखनीय बात एक और आई थी कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत जो सड़कें बनती हैं, जहां बहुत हेवी ट्रेफिक है, 60 टन,70 टन के वाहन निकलते हैं, ट्रक निकलते हैं, माइनिंग का काम है,रेत, गिट्टी निकलती है. तो इसके बारे में भारत सरकार से तो हमें कोई राशि नहीं मिलती है. लेकिन हमने राशि का प्रावधान करके मध्यप्रदेश में जहां लगभग 27 ऐसे जिले हैं, इन 27 जिलों को हमने चिह्नित किया है और जिन जिन जिलों में इससे बहुत ज्यादा सड़कें खराब हो गई हैं, हेवी ट्रेफिक के कारण जर्जर हो गईं हैं, तो उनके उन्नयन, मजबूतीकरण के लिये हमने अलग से राशि की व्यवस्था की है और काम भी वहां पर शुरु हैं. मुझे यह विश्वास है कि धीरे धीरे हम अपनी पूरी ऐसी सड़कें, जहां पर इस प्रकार की आवश्यकता थी, उसके लिये काम कर लेंगे. अध्यक्ष महोदय, अनेकों विषय हैं, इसमें कपिलधारा के कुएं हैं..
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, आप और कितना समय लेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, जैसा आप एलाऊ करें. हमें तो आपकी आज्ञा मानने में कोई दिक्कत नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आज शाम को कार्यक्रम भी है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, असत्य तो बोलना है, जितना बुलवाइये, बोलते रहेंगे. इसमें क्या है. कोई तथ्य तो है नहीं.
श्री गोपाल भार्गव -- तिवारी जी, एक शब्द आप बता दें, अगर मैंने असत्य बोला हो तो. एक भी शब्द, एक भी वाक्य, एक भी योजना असत्य बोली हो,तो उसके बारे में आप बता दें. मैं एक ऐसा मंत्री हूं, गलती, चूक हुई होगी, तो मैं सदन में स्वीकार कर लूंगा, मुझे कोई दिक्कत नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- चलिये, बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, ये जो व्यक्ति हैं, ये हमेशा गलत ही बोलेंगे. ..(हंसी).
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें. मंत्री जी बोलें.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, पंच परमेश्वर योजना हमारे कुछ सदस्यों ने यह कहा है कि पहले मंगल भवन मिले थे तो मैंने जैसे शुरूआत में कहा है कि मैं देख लेता हूँ कि जहां-जहां जो आवश्यकताएं होंगी. वह एक क्षेत्र विशेष के लिए नहीं, आवश्यकता होगी तो हम अपने अधिकारियों से चर्चा करके हमारे राज्य मद में जो भी राशि उपलब्ध होगी तो हम सारे विधायकों के लिये फिर से जैसे पहले हमने मंगल भवन बनाने के लिए राशि दी थी, हम राशि उपलब्ध करवाने का काम भी कर रहे थे. जो सर्वोपयोगी चीज हो.
श्रीमती ऊषा चौधरी - लेकिन माननीय मंत्री जी, अभी तक मंगल भवन नहीं बने हैं, जो पिछले वर्ष स्वीकृत हुए थे. मेरे क्षेत्र में नहीं बने हैं.
श्री गोपाल भार्गव - आप लिखकर दे दीजियेगा कि क्या खामी है ? नहीं तो सारे विधानसभा क्षेत्र में, मैंने समान रूप से दिए हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी - जनपद पंचायतों से हर ब्लॉक में 4-4 होते थे. वे स्वीकृत हुए हैं, लेकिन नहीं बने हैं.
श्री गोपाल भार्गव - समान रूप से सभी के लिए राशि दी थी लेकिन उसमें दल विशेष का नहीं है. आप बता देना. जहां तक स्टेडियमों का सवाल है, स्टेडियम के लिए एक स्थान पर नहीं मिला तो हम .....
डॉ. रामकिशोर दोगने - मैं एक रिक्वेस्ट करना चाहूँगा.
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाएं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, प्रश्नोत्तर नहीं करें. जो भी संभव होगा, दिखवा लूँगा.
अध्यक्ष महोदय - आप तो अपनी बात कहकर समाप्त कर दीजिये.
डॉ. रामकिशोर दोगने - मैं प्रश्नोत्तर नहीं चाह रहा हूँ. आपका इ.इ. रिपोर्ट दे रहा है और ए.सी. उसको रिजेक्ट कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय - बहस नहीं हो रही है.
डॉ. रामकिशोर दोगने - गलत रिपोर्ट दे रहे हैं, उसके संबंध में बात करना चाह रहा था. ए.सी. गलत रिपोर्ट दे रहा है और इ.इ. सही रिपोर्ट दे रहा है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - आप तो सब विधायकों को मंगल भवन दे दो.
डॉ. रामकिशोर दोगने - आप हरदा विधानसभा की जांच करवा लें.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, 10-10 लाख रुपये के तीन-तीन मंगल भवन, हर विधानसभा क्षेत्र के लिए दिये जाते हैं. (मेजों की थपथपाहट)
श्री वैलसिंह भूरिया - बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव - जो मांगोगे, वही मिलेगा. स्टेडियम दे दिया, आंगनबाडि़यां दे दीं, सीसी रोड़ दे दिये, डामर रोड़ दे दिये, पीएमजीएसवाय, सीएमजीएसवाय एवं आवास दे दिये और मांग लो, जो मांगना है, वह सब मिलेगा.
श्री सुखेन्द्र सिंह - किसानों को मुआवजा दे दीजिये. जो रोड़ें बन रही हैं.
श्री गोपाल भार्गव - मुआवजे के बारे में प्रावधान हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय विधायक की अनुशंसा पर है.
श्री मुरलीधर पाटीदार - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, आप विधायक निधि में मनरेगा कन्वर्जन परमिट कर दीजिये. खाली सीसी रोड़ है, उसके अलावा नहीं है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - माननीय मंत्री जी, एक अनुरोध है कि जो गांव सर्वे में रह गये थे. उनका सर्वे पुन: करा लिया जाये और उनको जुड़वा दिया जाये.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, आप अपनी बात पूरी कर लें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - मैं एक सुझाव दे रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय - यह सुझाव एण्डलैस है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यह राजस्व विभाग का विषय है.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध कर रहा हूँ कि यह जो आप मांगलिक भवन तीन-तीन दे रहे हैं, यह विधायक जानता है कि कौन सा बड़ा गांव है, 240 गांव हैं तो उसकी अनुशंसा पर ही दिया जावे. आप यह घोषणा कर दें. मैं यह चाहता हूँ.
श्री गोपाल भार्गव - यह अण्डरस्टुड है. आपको इसके बारे में व्यवस्था देंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान - धन्यवाद मंत्री जी.
श्री मुरलीधर पाटीदार - मनरेगा कन्वरजेन्स में विधायक निधि बन्द कर दी.
अध्यक्ष महोदय - यह ग्रामीण विकास विभाग का प्रश्नकाल नहीं है.
श्री मुरलीधर पाटीदार - यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है. इसमें हमारी विधायक निधि 2 करोड़ रूपये की जगह 4 करोड़ रूपये हो जायेगी. माननीय मंत्री जी करवा दीजिये.
श्री गोपाल भार्गव - इसमें बाद में बात करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - आप समाप्त करेंगे तभी सदस्य बैठेंगे.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सिर्फ इतना कहना चाहूँगा कि जो गांव राजस्व सर्वे में रह गए हैं, उनको भी जुड़वा दिया जाये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, क्या वन मंत्री जी, आपने जुलानिया जी से पूछ लिया है या नहीं ?
अध्यक्ष महोदय - मैंने उनसे दो तीन बार निवेदन कर लिया है.
श्री मुरलीधर पाटीदार - आपसे पूछने की जरूरत पड़ेगी तिवारी जी, जब आप कभी भविष्य में बनेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - वित्त मंत्री जी से पूछ लीजिये कि उनके यहां जुलानिया जी थे.
श्री मनोज निर्भय पटेल - तिवारी जी, कांग्रेस के दिन गये. जब अधिकारियों से पूछकर कुछ होता था.
श्री गोपाल भार्गव - तिवारी जी, लोक हित और जनहित में मैं रहूँ, चाहे कभी कोई मेरे अधिकारी रहें. कभी इन्कार नहीं किया जायेगा. आप इस बात की चिन्ता न करें. पेंशन की दर हमने 150 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए कर दी है. 60 वर्ष से 79 वर्ष की बी.पी.एल. की वृद्धि 100 रुपए राज्यांश से की गई है. शासकीय वृद्धाश्रम में निवासरत अंत:वासियों को भी 300 रुपए दिए जाएंगे भले ही वह उसकी सुविधाएं ले रहे हों. बड़वानी में उस समय जो दृष्टिबाधित हो गए थे उन 68 लोगों के लिए हम 5 हजार रुपए महीना पेंशन दे रहे हैं. शायद पूरे हिन्दुस्तान में ऐसा कोई उदाहरण देखने को नहीं मिलेगा. 55731 बहुविकलांगों और नि:शक्तजनों का बीमा करवाकर स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए गए हैं जो दृष्टिबाधित हैं उनके लिए लेपटॉप की व्यवस्था की है. जो कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स हैं यदि वह प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होते हैं तो उनके लिए यंत्र चलित मोटर सायकल की व्यवस्था का भी प्रावधान कर दिया है. पेंशन की जितनी भी योजनाएं हैं इन योजनाओं के लिए हम अब सीधे भोपाल से हितग्राही के खाते में पहुंचाने की व्यवस्था करेंगे ताकि स्थानीय स्तर पर किसी प्रकार की समस्या न हो.
श्री हरदीप सिंह डंग-- आप बी.पी.एल. की अनिवार्यता ही समाप्त कर दें.
श्री गोपाल भार्गव-- यह भारत सरकार की व्यवस्था है. इसमें हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय मंत्री महोदय, मूल्य सूचकांक से तो जोड़ सकते हैं.
श्री प्रदीप अग्रवाल-- इसमें विधवाओं के साथ जो 40 प्रतिशत से ऊपर विकलांग हों, उनको भी जोड़ा जाए.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, अंत में मैं यही कहना चाहता हूं कि वित्तीय संसाधन जैसी भी अनुमति देंगे, वित्त मंत्री जी बैठे हुए हैं यह अनुमति दें तो मुझे क्या है. मुझे कोई दिक्कत नहीं है.
श्री शैलेन्द्र जैन--आप तो घोषणा कर ही दो बाकी तो वित्त मंत्री जी को हम लोग मना लेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, मैं असत्य और हवाहवाई बात नहीं करूंगा. अंत में मैं यही कहना चाहता हूं कि समाज कल्याण के मामले में गांव के विकास, तरक्की और गांव की अधोसंरचना के मामले में हम जितना आगे बढ़ सकते थे उतना आगे बढ़ने का काम किया है. साथ ही गांव में आधुनिकीकरण के लिए हम लोगों ने ब्राडबैंड कनेक्टिविटी दी है और भी अनेक पंचायत भवनों में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं. उसका काम भी किया है. कुल मिलाकर ग्रामीण भारत खासतौर से इस समय मध्यप्रदेश में हमारे 52 हजार गांव एक स्मार्ट गांव के रूप में स्थापित हो रहे हैं. अगले साल मैं मानकर चलता हूं कि शहर के अंदर जो भी सुविधाएं होंगी, एक भी सुविधा गांव में कम नहीं होगी ताकि हमारे राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में पलायन नहीं हो. आज मुझे कहते हुए खुशी है कि हमारे यहां लगभग स्थिरता है. अन्य राज्यों में 50-50 का अनुपात हो गया है लेकिन मध्यप्रदेश में अभी भी 70 अनुपात 30 है. आज भी सिर्फ इसी कारण से क्योंकि हमने गांव तक पहुंचने की व्यवस्था, वहां पाठशाला की व्यवस्था, वहां बच्चों के लिए आंगनवाड़ी की व्यवस्था, खेल की व्यवस्था, मुक्तिधाम की व्यवस्था और तमाम प्रकार की व्यवस्थाएं ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सुविधा के लिए की है. रोजगार की व्यवस्था, स्वरोजगार की व्यवस्था, मध्याह्न भोजन की व्यवस्था, सारी व्यवस्थाएं की हैं. मेरा यह मानना है कि हम रोजाना तरक्की कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिए समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या - 30, 34, 53, 59 एवं 62 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए
अब, मैं मांगों पर मत लूंगा.
6.04 बजे मांग संख्या- 10 वन
मांग संख्या- 31 योजना, आर्थिक और सांख्यिकी
मांग संख्या- 60 जिला परियोजनाओं से संबंधित व्यय
मांग संख्या- 61 बुन्देलखण्ड पैकेज से संबंधित व्यय
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10, 31, 60 और 61 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वन और पर्यावरण और पर्यावरण के साथ शुद्ध, स्वच्छ वातावरण मिले, शुद्ध ऑक्सीजन मिले और इन सबको बनाए रखने के लिए जल, जंगल और भूमि इनसे सबसे बड़ा गहरा नाता है. वर्तमान में बढ़ते प्रदूषण, अवैध उत्खनन, अवैध कटाई और गुणात्मक जनसंख्या वृद्धि के साथ मानव समाज को यह सोचने के लिए विवश होना पड़ता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज देश और प्रदेश में जिस तरीके से जनसंख्या और प्रदूषण बढ़ रहा है और वनों का क्षेत्रफल कम हो रहा है. उस पर निश्चित ही समग्र चिंतन होना चाहिए. जिस तरीके से पिछले वर्षों में प्रदेश में वनों की स्थिति रही है, वह काफी चिंतनीय है. जिसके कारण जंगल के जल स्त्रोत भी प्रभावित हुए हैं. हैवी ब्लास्टिंग जंगलों में की गई है. जंगल में रेत, गिट्टी, मिट्टी का अवैध उत्खनन हुआ है. इन उत्खननों के कारण जंगलों के तमाम जल स्त्रोत सूख गए, पेड़-पौधों की जड़े कमजोर हुई, हवा-तूफान-पानी से भू-कटाव तेज होने के कारण हजारों पेड़-पौधे गिर जाते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज हमारे प्रदेश की स्थिति यह है कि वन अधिकार अधिनियम के तहत पेश किए गए 20 लाख आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं. जंगलों, पहाड़ों में जो लोग आज निवास कर रहे हैं, उन्होंने बड़ी आशा और उम्मीद के साथ वर्ष 2006-07 के वन अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन किया था. ऐसे 28 लाख गरीबों के आवेदन निरस्त कर दिए गए और दूसरी ओर वन अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुए प्रदेश की करीब 10 लाख एकड़ भूमि विभिन्न परियोजनाओं को बांट दी गई. माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2015-16 में 35 हजार हेक्टेयर फॉरेस्ट लैण्ड का डायवर्जन किया गया. इसमें 9800 हेक्टेयर अर्थात् 25 हजार एकड़ भूमि मध्यप्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर गैर वानिकी प्रयोजन के लिए परिवर्तन किया गया. जिस भूमि का परिवर्तन किया गया, वह कम से कम 500 विभिन्न प्रोजेक्टों को दी गई है. जब हमारे जंगलों में निवास कर रहे मूल निवासी अपने वन अधिकार के लिए आवेदन करते हैं तो उनके आवेदन निरस्त कर दिए जाते हैं, उन्हें इसका लाभ नहीं मिलता है. वे परंपरागत जातियां जो सदियों से जंगलों में निवास कर रही हैं, उनके आवेदन विभिन्न कारणों से निरस्त कर दिए जाते हैं परंतु मध्यप्रदेश सरकार की अनुशंसा से कई एकड़ जमीन का परिवरर्तन कर, उस बेशकीमती जमीन को पूंजीपतियों को हस्तानांतरित कर दिया जाता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, 18 करोड़ 9 लाख से अधिक.........
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, वन विभाग पर चर्चा चल रही है और विपक्ष की सामने की लाईन के सारे सिंह गायब हैं ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र- ये सींग वाले नहीं, रोजड़ों वाले हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया- तो ये रोजड़ों पर वापस आ जायेंगे. रोजड़ों पर तो बोलना ही पड़ेगा.
कुँवर विक्रम सिंह- मैं जिस जगह का प्रतिनिधित्व करता हूं, वहां सिंह ही सिंह रहे हैं. महाराज छत्रसाल की भूमि है. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. नरोत्तम मिश्र- आप अभी की बात करें. अभी तो रोजड़े ही हैं न ?
कुँवर विक्रम सिंह- रोजड़ों की समस्या तो पूरे मध्यप्रदेश की समस्या है.
6.09 बजे [उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए]
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 25 हजार एकड़ वन भूमि मध्यप्रदेश सरकार के प्रस्ताव से गैर वानिकी प्रयोजन के लिए दी गई है. जिस भूमि का परिवर्तन मध्यप्रदेश में किया गया है, वह देश की 30 प्रतिशत से अधिक है. मैं यह बताना चाहूंगा कि एक तरफ सरकार अपनी उपलब्धियों में यह बताती है कि वह किस तरीके से वन संरक्षण और पर्यावरण के लिए काम करती है. परन्तु यह आँकड़े मेरे नहीं हैं, ये आँकड़े भारत सरकार के हैं, जो पिछले बजट में भारत सरकार की ओर से दिए गए हैं. उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में 18 करोड़ 9 लाख से ज्यादा पौधे पिछले 3 सालों में रोपित किए गए.
उपाध्यक्ष महोदय-- मार्को जी, अब आप समाप्त करें.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- उपाध्यक्ष जी, मैंने तो अभी शुरू ही किया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- नहीं, आपको 7 मिनट हो गए.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- मैं तो ओपनर बैट्स मेन हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- मुझे अध्यक्ष जी यही निर्देश दे गए हैं, कृपया आप समाप्त करें.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- उपाध्यक्ष जी, चूँकि यह सत्य थोड़ा सा कड़वा है इसलिए आप थोड़ा सा समय दे दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- नहीं, आज कार्यक्रम भी है. इसको एक घंटे में समाप्त करना है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- उपाध्यक्ष जी, मैं यह बताना चाह रहा था कि 18 करोड़ 9 लाख से ज्यादा पौधे इस प्रदेश में पिछले 3 वर्षों में रोपित किए गए और 44 करोड़ से ज्यादा की राशि इन्हें लगाने में खर्च की गई और 10 हजार हैक्टेयर से ज्यादा की जगह पर लगाए गए परन्तु इतनी रोपणी और पैसे खर्च करने के बाद 60 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र मध्यप्रदेश में कम हुआ है. उपाध्यक्ष जी, जब एक तरफ आप रोपणी कर रहे हैं...
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें. श्री हेमंत खण्डेलवाल जी बोलिए.
श्री हेमन्त खण्डेलवाल(बैतूल)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं वन विभाग की मांग संख्या 10, 31 और 60 के पक्ष में अपनी बात रखना चाहता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, दुनिया के मामले में हमारा देश वनों के मामले में पहले नंबर पर नहीं है. ब्राजील, कनाडा, आस्ट्रेलिया और पेरू जैसे देश वनों के मामले में हमसे आगे हैं. हमारे देश में 68 करोड़ हैक्टेयर में वन हैं, लेकिन हमारे लिए उपलब्धि की बात है कि दुनिया में हमारा देश भले ही आगे न हो लेकिन हमारा प्रदेश पूरे देश में सबसे आगे है और पूरे देश का 11.22 प्रतिशत वन और पूरे प्रदेश का 30.72 प्रतिशत वन मध्यप्रदेश में हैं और पूरे देश में वनों के मामले में प्रदेश सबसे अग्रणी है. इसके लिए मैं वन मंत्री और उनकी पूरी टीम को बधाई देना चाहूँगा. हमारे यहाँ अगर हम वन्य प्राणियों के संरक्षण की बात करें तो 10 राष्ट्रीय उद्यान और 25 वन्य प्राणी अभ्यारण्य हमारे प्रदेश में हैं और इनमें से कई तो अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हैं. उपाध्यक्ष महोदय, कान्हा, बाँधवगढ़ और पेंच, ऐसे राष्ट्रीय उद्यान हैं जिन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं और बाघों के पुनर्स्थापन के मामले में पन्ना को जो सफलता मिली है उसकी चर्चा पूरी दुनिया में होती है. उपाध्यक्ष महोदय, इसके लिए मैं वन विभाग को बधाई देना चाहूँगा. वन विभाग ने 2017-18 में वनों के समुचित वन प्रबंधन हेतु 373 करोड़ की राशि की उम्मीद की है, टाइगर रिजर्व के लिए जो अन्दर गाँव हैं, हमारे सतपुड़ा और बाकी जगह, उसके लिए 296 करोड़ की राशि की है, संरक्षित वनों के जो गाँव हैं उनकी पुनर्स्थापना के लिए 108 करोड़ की राशि और वनों की अन्य योजनाओं के लिए दो हजार करोड़ की राशि, हमारे वित्त मंत्री जी ने आज वनों के लिए रखी है. आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं वन मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूँगा कि पर्यावरण और वनों के भीतर रहने वाले ग्रामीणों के पुनर्स्थापन के लिए उन्होंने बजट दिया है. मैं अंत में हमारे वन मंत्री को इस बात के लिए बधाई देना चाहूँगा कि अवैध कटाई, अवैध उत्खनन, वन प्राणियों का शिकार, न हो इसके लिए वन विभाग ने कड़े कानून बनाए हैं और ये रहने भी चाहिए लेकिन इसके साथ ही साथ जो ऐसे आदिवासी, जो वनवासी, जो वनों पर निर्भर हैं, उनके लिए कानूनों में थोड़ा फर्क होना चाहिए. जैसे मैं उदाहरण देना चाहूँगा कि अगर कोई वन माफिया की वनोपज पकड़ी जाती है तो उसके लिए भी उसकी उपज से दोगुना-तिगुना फाइन किया जाता है और कोई गरीब आदिवासी के घर अगर एक लकड़ी भी मिल जाती है तो उसकी गणना भी वैसे ही होती है. ऐसे ही अगर मुरम या गिट्टी या कोई वनोपज किसी ट्रेक्टर में रख कर वन माफिया की गाड़ी पकड़ाती है तो उसकी भी गाड़ी राजसात होती है और कोई गरीब आदिवासी जो वन में रहता है अपने मकान के लिए अगर रेत निकालता है तो उसकी भी गाड़ी राजसात होती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि यह जो राशि है इसका निर्धारण 1000 से बढ़ाकर 5000 कर दिया जाए और साथ ही अंत में मेरा आपसे अनुरोध है कि नारंगी भूमि जो मेरा मंत्री जी का बड़ा प्रिय विषय है उसके संबंध में मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा कि जुलाई 2016 में 52 (क) के तहत जो चर्चा हुई थी, उसमें आश्वस्त किया था कि ये जमीन हम राजस्व विभाग को स्थानांतरित करेंगे. अगर ये जमीन राजस्व विभाग को मिलती है क्योंकि यह पूरे प्रदेश में 10 लाख हेक्टेयर का मामला है. बैतूल जिले में 1 लाख 30 हजार हेक्टेयर है. इसके मिलने से बांध बन सकेंगे, शालाऍं बन सकेंगी, आवासीय पट्टे मिल सकेंगे और चरनोई के अतिरिक्त भी राशि आपको मिल पाएगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पुन: सरकार को और वन मंत्री जी को धन्यवाद देते हुए इस बात की उम्मीद रखते हुए कि वन मंत्री आदिवासियों के हितों का ख्याल रखेंगे, मैं अपनी बात समाप्त करते हुए धन्यवाद देता हॅूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद. श्री जतन सिंह उईके जी, दो मिनट में आप अपनी बात रखें.
श्री जतन सिंह उईके (पांढुर्णा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10, 31, 60 और 61 के विरोध में एवं कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हॅूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप अपने क्षेत्र, जिले की बात कर लें, बस. सात बजे समाप्त करना है.
श्री जतन सिंह उईके -- जी, माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में वन विकास निगम के तहत पेड़ों की कटाई हो रही है और उसमें पेड़ों को लगाना होता है. वह दो तरह के होते हैं. एक रूट सूट होता है एक पौधा होता है. पौधे से कहीं ज्यादा उत्तम रूट सूट होता है. पौधे को चूंकि इस वक्त अभी पानी का खात्मा हो चुका है. रूट सूट जिंदा रह जाता है. जून में बारिश हो जाएगी, फिर वह पुन: निकल जाएगा. दूसरी बात यह है कि जब निराकरण होता है, फर्ज करो कि हमको कूप नंबर चार में 100 हेक्टेयर जमीन से वन विकास निगम को पेड़ों को काटना है लेकिन गांवों का आदमी यह नहीं जान पाता है कि ये कूप नंबर 04 में 100 हेक्टेयर में काटना था और उससे ज्यादा कटाई हो जाती है और फिर करप्शन होता है. ट्रकों के द्वारा माल की ढुलाई हो जाती है और वह अन्य दलालों के हाथों में चला जाता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मेरे पांढुर्णा क्षेत्र में बहुत ज्यादा तकरीबन 60 फीसदी एरिया फॉरेस्ट का है और हमारे यहां जंगली सुअर का बहुत ज्यादा आतंक है. उसके लिए कुछ ऐसा प्रावधान किया जाए ताकि हम लोगों को, आदिवासियों को, गरीबों को फसलों का नुकसान न हो. बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक जी दो मिनट में समाप्त करें.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक ( बिजावर) -- जी, माननीय अध्यक्ष महोदय. मैं मांग संख्या 10, 31, 60 और 61 वन योजना, आर्थिक सांख्यिकी जिला परियोजना संबंधी एवं बुंदेलखण्ड पैकेज संबंधी मांगों के समर्थन में मैं यहां उपस्थित हॅूं. मैं आपसे दो-तीन मुख्य-मुख्य बातें बता देता हूँ. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघों का पुनर्स्थापन एक उल्लेखनीय उपलब्धि है इसके लिए मैं विभाग को, माननीय मंत्री जी को और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हॅूं और अभिनंदन करता हॅूं. वन्य प्राणी संरक्षण में जनभागीदारी के आधार पर सकारात्मक परिणामकारी प्रयोग सफल हुए हैं. इसके लिए मैं विभाग को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हॅूं. वन सरंक्षण की आवश्यकता बढ़ी है, वनोपज की मांग और आपूर्ति के अंतर से, यह इसका मुख्य कारण है. व्यावसायी वन शत्रुओं को क्षमा न किया जाए, ऐसा मुझे लगता है लेकिन ग्रामीण और वनवासी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां घरेलू उपयोग के लिए जलाऊ लकड़ी लेने में कठिनाई होती है. इसके लिए कोई समुचित समाधान किया जाना चाहिए. वन संरक्षण के लिए किए गए कार्यों की मैं प्रशंसा करता हॅूं और विभाग की मांगों का समर्थन करता हॅूं. वन भूमि के व्यपवर्तन से काफी व्यवस्थाएं सुधरी हैं. जैसा कि इसमें बताया गया है कि वनमंडलाधिकारी को इसकी सशर्त अनुमति के अधिकार दिए गए हैं जो 25.10.1980 के पूर्व की स्थिति थी. इसमें पाठशाला, चिकित्सालय, आगंनवाड़ी, विद्युत लाईन, पेयजल लाईन आदि के लिए उदारतापूर्वक.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री पुष्पेन्द्र जी, आप अपने क्षेत्र के कुछ सुझाव हों, वह बताइए.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक -- जी, माननीय अध्यक्ष महोदय. रूके हुए विकास कार्यों को गति मिलने से विभाग की छवि विकासोन्मुखी बनी है इसलिए मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि जटाशंकर धाम में वहां कई ऐसे विकास के काम रूके हुए हैं जिसमें यदि भूमि परिवर्तन की व्यवस्था हो जाएगी, तो हमारे विकास कार्य इस समय आगे बढ़ पाएंगे.
हरियाली महोत्सव के माध्यम से अच्छे काम हुए हैं इसके लिए मैं विभाग की प्रशंसा करना चाहता हूं. लघु वनोपज संरक्षण और विपणन के माध्यम से बिजावर विधानसभा क्षेत्र में कई विकास के काम हुए हैं इसके लिए मैं विभाग की, मंत्री जी की और उनकी टीम की प्रशंसा करता हूं. बुंदेलखंड पैकेज से बिजावर विधानसभा क्षेत्र में भी विकास के काम हो सके इस बात की चिंता माननीय मंत्री जी करेंगे. विशेषकर हमारा बुंदेलखंड रोज-रोजड़े, नीलगाय से बहुत पीड़ित है तो जैसा कि एक सामान्य प्रक्रिया यह हो रही है कि वनों से मनुष्यों को विस्थापित करने की योजना होती है तो मनुष्यों के बीच से इन रोज-रोजड़ों को विस्थापित करके वनों में भेजने की कोई समुचित व्यवस्था हो जाये तो बहुत अच्छा होगा.
डॉ. रामकिशोर दोगने(हरदा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माँग संख्या 10, 31, 60, 61 वन, योजना आर्थिक और सांख्यिकी जिला परियोजना संबंधित व्यय, बुंदेलखंड पैकेज के संबंधित माँगों का विरोध करने के लिए और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोल रहा हूं. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि हमारे हरदा में जो नर्मदा डैम जो बना है, पुनासा या इंदिरा सागर डैम बना हुआ है, उसका बैकवॉटर में बहुत सारा वन एरिया आ गया है और वहाँ वन ग्राम भी हैं पर वह ग्राम वालों को जो वहाँ बसे हुए हैं उनको या तो कहीं शिफ्ट करा दिया जाये या फिर उनको सुविधा दी जाये. क्योंकि आजू-बाजू उनको काम करने के लिए कुछ नहीं है . ना तो उनको हटाया जा रहा है ना ही मकानों का मुआवजा दिया जा रहा है. वह वन से हट जायें तो ज्यादा सुविधा हो जाएगी. क्योंकि वहाँ पर मूलभूत सुविधाओं के लिए जैसे वहाँ उनको हैंडपंप खुदवाना है तो वन विभाग से परमीशन लेना होता है, मकान बनाना है तो वन विभाग से परमीशन लेना होता है, रास्ते बनाना है तो परमीशन लेना पड़ता है लेकिन परमीशन मिलती नहीं है इसीलिये या तो उन ग्रामवासियों को शिफ्ट किया जाये या उनको सुविधा दी जाये, यह मेरा निवेदन है. इसके साथ ही हमारे क्षेत्र में काकड़दा,जामुनवाली, नयापुरा, उचान, जोगा, करनपुरा, मगरदा में झिर्री जल्लार, कुठानिया और मोरगढ़ी, बावरदी इन गाँवों में आदिवासियों को पट्टे नहीं दिये जा रहे हैं तो वह वनग्रामों के जो पट्टे दिये जाते हैं उन पट्टों की फाइलें पूरी जमा हैं लेकिन वन विभाग एनओसी नहीं देता है, कभी कलेक्ट्रेट से काम नहीं होता है तो इस कारण से समस्यायें आ रही हैं और गरीबों को शासकीय योजनाओं की लाभ नहीं मिल पा रहा है. जैसे इंदिरा आवास और बहुत सारे आवासों की सुविधा या दूसरी मूलभूत सुविधायें जो उनको मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रही हैं तो उनको पट्टे जल्दी दिलवायें जायें तो निश्चित रूप से उनका भला हो जाएगा. गरीबों को सुविधा हो जाएगी और रहने की व्यवस्था हो जाएगी. यही मेरी माँग है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- श्री बहादुर सिंह जी चौहान, अपना भाषण शुरु करें. आपका नाम संसदीय कार्यमंत्री जी ने भेजा है और आप एक मिनट बोलना चाहते हैं यह लिखा हुआ है.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माँग संख्याओं का समर्थन करते हुए मेरे क्षेत्र की सीधी-सीधी बात कर रहा हूं. मेरी महिदपुर विधानसभा से आगर जिला और राजस्थान का झालावाड़ जिला ,रतलाम जिले की बार्डर लगी हुई है. वहाँ पर हजारो हेक्टेयर भूमि खाली है. मैं चाहता हूं कि वन अभ्यारण्य के लिए वन विभाग उसका समुचित सर्वे करा लें कि वहाँ पर उस भूमि का वन अभ्यारण्य के लिए क्या हो सकता है क्योंकि मालवा क्षेत्र में वन नहीं के बराबर हैं और मैं चाहता हूं मंत्री जी इस विषय में कुछ निर्देश दें और मैंने जो वन अभ्यारण्य के लिए माँग रखी है उसके लिए कुछ कार्यवाही करायें.बहुत धन्यवाद.
श्री आर.डी. प्रजापति(चंदला)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माँग संख्या 10, 31, 60, 61 के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूं. मेरे क्षेत्रों में किसानों की सबसे बड़ी समस्या नीलगाय की है और माननीय मुख्यमंत्री जी ने इसकी घोषणा भी की थी. हमारे यहाँ सिजई ग्राम में माननीय मुख्यमंत्री जी का कार्यक्रम था, मैंने माँगपत्र भी रखा था. मैंने अपने पत्र क्रमांक 498 दिनाँक 24.11.2015 को 14 सूत्रीय माँगें रखी थीं. जिसमें मुख्य रूप से नीलगायों के लिए तार फेंसिंग, चेन फेंसिंग बनाई जाए. और इसका प्रस्ताव भी वन विभाग से उनके पत्र क्रमांक 438 दिनाँक 18.06.2014 द्वारा भेजा गया था जिसमें करीब 4 करोड़ रुपये की लागत से अगर यह बन जाएगा, जिसमें 900 हेक्टेयर जमीन पड़ी हुई है और उसका कक्ष क्रमांक पी-731, 732 और 733 है, यह बहुत बड़ा एरिया है. अगर ये जंगली जानवर वहाँ चले जाएंगे तो जंगल की कटाई बंद हो जाएगी और लोग जो उस पर अनाधिकृत कब्जा करते हैं, कब्जा भी नहीं कर पाएंगे और जंगली जानवरों को सरंक्षण मिलेगा, पर्यावरण का सुधार होगा. यह माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है, अत: मेरा व्यक्तिगत निवेदन है कि अगर यह वहाँ दे दिया जाए तो बात बन सकती है.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, समाप्त करें.
श्री आर.डी. प्रजापति -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, थोड़ी सी बात रह गई है.
उपाध्यक्ष महोदय -- डण्डौतिया जी, कृपया अपनी बात रखें.
श्री आर.डी. प्रजापति -- उपाध्यक्ष जी, कभी-कभी तो बोलने के लिए मिलता है तो मेरा निवेदन है कि मेरी बात सुन लें.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, प्रजापति जी बैठ जाएं. अब ये जो बोलेंगे वह नहीं लिखा जाएगा.
श्री आर.डी. प्रजापति -- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, बिल्कुल नहीं. मैंने पहले ही आपसे दो मिनट बोलने के लिए निवेदन किया था.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया (दिमनी) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विधायकों की जो राशि थी तो पूर्व में राशि जिला योजना समिति और विधायक की अनुशंसा से डायरेक्ट विभाग को दे दी जाती थी, अब वह योजना भोपाल से संचालित हो रही है. मैंने एक सी.सी. रोड के लिए 20 लाख रुपये की राशि दी है, दो साल हो गए, न तो वह राशि भोपाल से लौटकर गई है अत: ऐसी योजना बनाई जाए कि विधायक निधि का पैसा डायरेक्ट पी.डब्ल्यू.डी., सिंचाई या आर.ई.एस.विभागों को दे दिया जाए ताकि काम हो सकें. पैसा भोपाल से जाएगा, 10-5 जगह जाएगा तो कमीशन बढ़ेगा, कमीशन के चक्कर में या जाने किस चक्कर में भोपाल कर दिया है. विधायक निधि से भी कमीशन लेंगे, काम कराएंगे तो क्या काम होगा, दो साल हो गए मेरा पैसा अभी तक नहीं लौटा है. ठेकेदार मुरैना में मेरे घर पर सबेरे ही आ जाते हैं कि तुम्हारी निधि से पैसा मिलना है. पैसा मेरा भोपाल में है, मैंने मुख्यमंत्री जी को दो बार लिखकर दे चुका है अत: मेरा निवेदन है कि सीधे ही राशि दी जाए जैसे पहले दी जाती थी कि सीधे एजेंसी बनाकर कलेक्टर के माध्यम से डायरेक्ट राशि पहुँच जाती थी. ऐसी नीति बनाई जाए तो कुछ फायदा होगा, आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 10, 31, 60 और 61 का मैं समर्थन करता हूँ और आपके मार्फत माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में कुछ तालाबों की स्वीकृति मिलना बाकी है, कुछ सड़कों की स्वीकृति मिलना बाकी है, तो आपसे आग्रह कर दें कि एक चम्हारी क्षेत्र है जहाँ पर गेहूँ और धान के लिए खरीदी केन्द्र बनाया गया है, यह फारेस्ट के क्षेत्र में है, इसमें कल से ही फेंसिंग प्रारंभ कर दी गई है, वह समतल क्षेत्र है और गाँव से लगा हुआ है, एक ही स्थान है उसमें फेंसिंग करते हुए अनुमति प्रदान करें. मेरा आग्रह है कि हमारे यहाँ समतल क्षेत्रों में भी काफी मात्रा में काले हिरण पाए जाते हैं और बाकी सभी क्षेत्रों में सुअर पाए जाते हैं तो आपसे आग्रह है कि उन जानवरों को अपने क्षेत्र में वापस ले जाएँ क्योंकि वे किसानी क्षेत्रों में काफी नुकसान कर रहे हैं. उन नुकसानों के बारे में जब अवगत कराया जाता है तो वन विभाग और राजस्व विभाग उनका किसी प्रकार का मुआवजा देने में असमर्थता बताता है. अत: आपसे आग्रह है कि या तो उनको मारने की परमीशन दें या उनको वापस ले जाएँ. मेरा यह भी आग्रह है हालाँकि यह वन विभाग से हटकर है लेकिन आवारा कुत्ते बहुत घुमते हैं और उनको मारने की अनुमति नहीं मिलती है तो या तो वन विभाग उनको अपने अधीनस्थ कर लें और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा कुत्तों को भी मारने की अनुमति प्रदान कर दें. एक और विनम्र आग्रह है कि जो हमारे मंत्री जी हैं, उनसे हम कभी-कभी नमस्ते करते हैं तो वे कृपया सर हिला दिया करें क्योंकि ऐसा लगता है कि सिर्फ पलकों से ही आपने नमस्ते की है. आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद. श्री वैलसिंह भूरिया जी, आप केवल अपने क्षेत्र के सुझाव देंगे, आप बहुत लंबा लिखकर ला लेते हो.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा घर ही जंगल में है तो मेरे से अच्छा जंगल को कौन जान सकता है, इसलिए मुझे कम से कम तीन मिनट दिए जाएं.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप मंत्री जी को अपने क्षेत्र में दौरे पर बुला लें.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जरूर बुलाएंगे, माननीय मंत्री जी तैयार भी हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने वन विभाग की नीतियों और योजनाओं में महिलाओं को उपयुक्त स्थान दिया है. संयुक्त वन प्रबंधन प्रणाली के अंतर्गत महिलाओं को महत्व प्रदान किया गया है. प्रदेश में गठित संयुक्त वन प्रबंधन समितियों की कार्यप्रणाली में महिलाओं की 33 प्रतिशत सदस्यता आरक्षित की गयी है. यह हमारी मध्यप्रदेश की पहली सरकार है, जो वन में निवास करने वाले हमारे वनवासी भाई हैं, वन में निवास करने वाली हमारी महिलाओं को हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ने 33 प्रतिशत आरक्षण देकर अपनी अहम भागीदारी में सम्मिलित होने के लिये, विकास की मुख्य धारा में जोड़ने के लिये काम किया है, उसके लिये मैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और माननीय मंत्री जी को मैं बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूं तथा प्रदेश की समस्त वन समितियों में से अध्यक्ष के पद महिलाओं के लिये आरक्षित किये गये हैं. प्रदेश में लघु वन उपज का संग्रह सहकारिता के माध्यम से किया जाता है. इसके अंतर्गत गठित वन उपज सहकारी समितियों की कार्यप्रणाली में महिलाओं की एक निश्वित संख्या आरक्षित की गयी है. तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य में नियुक्त फंड मवेशियों में से यथासंभव पचास प्रतिशत महिलाओं को नियुक्त करने का प्रावधान है. मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा चिन्हांकित ईको पर्यटन गंतव्य स्थलों पर महिला एवं स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पारंपरिक एवं अभिवन शिल्प कला जैसे पेपरलेस बांस, लकड़ी आधारित शिल्प आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि प्रदेश के ग्रामीण अंचल में ऊर्जा के वैकल्पिक साधन जैसे सोलर कुकर, प्रेशर कुकर और बोयोगैस इत्यादि के अधिक से अधिक उपयोग के लिये जागरूकता लाने की दिशा में अधिक प्रयास करायें. (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय :- वेल सिंह जी आप बैठ जाइये. आप लिखित में माननीय मंत्री जी को दे दीजिये. मैं आपको अलाऊ नहीं करूंगा.वेल सिंह जी जो बोलेंगे वह नहीं लिखा जायेगा.
श्री वेल सिंह भूरिया :- (XXX)
कुंवर विक्रम सिंह(राजनगर) :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मांग संख्या 10, 31, 60 और 61 का विरोध करते हुए मैं कुछ बातें माननीय मंत्री जी और कुछ सुझाव माननीय मंत्री जी को देना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री जी को और मध्यप्रदेश सरकार को धन्यवाद देना चाहूंगा कि रोज़ जो एक एंटिलो प्रजाती का जानवर है उसको गाय शब्द हटाकर वापस अपनी जगह पर पहुंचाया इसके लिये बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. दूसरी बात मैं आपके माध्यम से मंत्रीजी से (XXX) कहना चाहता हूं कि आपने खूब हेलिकाप्टर उड़ाया और खूब घोड़े दौड़ाये. वह बूमा मंदसौर जिले में फैल हो गया, जो आप अफ्रीका से लाये थे उस बूमा एक्टिविटी को. उस पर 55 लाख रूपये खर्च हो गये. उसमें आप देखिये की 55 लाख रूपये के खर्च में यदि हम ट्रेंक्युलाईज करके भी बूल्स को जो नर रोज़ थे उनको यदि आप ट्रेंकलाईज कर देते तो ट्रेंक्युलाइजर डार्ट खर्च करने में कितना खर्चा होता और उनको बधिया करने में कितना खर्च होता. ऐसी व्यवस्था करें जो यहां पर लागू हो सके और मेरा माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपसे विनम्र निवेदन है क्योंकि यह मेरा सब्जेक्ट का विषय है.मेरी विधान सभा क्षेत्र में स्यौंडी, नवाधा, बमोहरी, बहादुर जो गांव हैं जहां के खेती के पट्टे जो रियासतकालीन समय के पट्टे थे उनको निकालकर वह जमीन वन भूमि में दे दी गयी है. इसी प्रकार पन्ना राष्ट्रीय उद्यान से स्थापित हुए ग्रामों के हमारे मोटाचौकन, रेपुरा, चमारी में आज तक उन लोगों को वन भूमि के पट्टे नहीं मिल पाये हैं. वह अभी तक काबिज नहीं हो पाये हैं. उनको वन विभाग की तरफ आज तक वन भूमि के पट्टे नहीं मिल पाये हैं. काबिज नहीं हो पाये हैं. उनको वन विभाग की तरफ से कब भूमि अधिकार दिया जायेगा. राजस्व विभाग और वन विभाग की बैठक नहीं होती है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं, इसको जल्दी से जल्दी करवायें. आखरी बात एक और मैं बोलना चाहता हूं कि मेरे
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
क्षेत्र में धार्मिक आस्था के भी कई क्षेत्र हैं, सर्वेश्वर,ननारण और झलारिया उनको बसंत पंचमी के लिये खोला जाये यही मेरा आपसे अनुरोध है. आपने बोलने का समय दिया, उसके लिये धन्यवाद.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल (वारासिवनी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय शिवराज सिंह जी को धन्यवाद देता हूं कि इन 12 वर्षों में जो वनों का प्रिजर्वेशन, संवर्धन और संरक्षण किया गया है, उसके लिये वह धन्यवाद के पात्र हैं. मेरे क्षेत्र में वन विभाग में डोकरिया नाला है और मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी निवेदन करूंगा कि उस डोकरिया नाले पर अगर स्टाप डेम बन जायेगा तो मेरे क्षेत्र की जो कृषि भूमि जहां पानी की सिंचाई नहीं होती है, वहां तीन हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित हो जायेगी, ऐसा मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा धन्यवाद.
श्री मानवेन्द्र सिंह (महाराजपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10,31,60 और 61 का समर्थन करने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं वन के संबंध में माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहूंगा कि वन और राजस्व का झगड़ा चलता रहता है, तो आप उसकी व्यवस्था करके वन की सीमाओं का निर्धारण करवायें. उनकी सुरक्षा के लिये यह आवश्यक नहीं है कि बहुत बड़ी बड़ी राशि खर्च की जाये, आप ट्रेन्च खुदवाकर लगातार जहां पर लेबर से काम हो सकता हो वहां लेबर से, बाकी जहां मशीनों से ट्रेन्च करवाकर जो मिट्टी बंधी में पड़ती है, वह काफी मुलायम रहती है, उसमें बबूल का प्लाटेंशन करवाकर उसकी फेसिंग के काम की व्यवस्था की जाए, जिससे उसकी सीमा भी हो जाये और अंदर जानवरों का आना जाना भी रूके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जहां पर आर्मी सेन्टर्स हैं. आर्मी वालों ने भी यह प्रस्ताव दिया था कि जहां के सेन्टर्स हैं, वहां के आसपास के वनों में अगर उनको दे दिया जाये तो हमें जो कर्मचारियों की कमी होती है, वह भी न हो. आर्मी वाले कुछ न कुछ काम चाहते हैं तो उनको व्यवस्था में लगाने से उनके माध्यम से काफी वनों की सुरक्षा हम कर सकते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तीसरी बात यह कहना चाहता हूं कि जहां पर यह छोटे-छोटे पोंड्स हैं, वनों में थोड़ा उनका गहरीकरण किया जाए. जिससे यह वन पशु जो गांव की तरफ आते हैं और मारे भी जाते हैं, यह रूके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह सांख्यिकी विभाग के बारे में यह जो विधायक निधि है, इसकी पूर्व की तरह व्यवस्था हो जाए क्योंकि जो यहां राशि गई भी है वह राशि ग्लोबल में डाल दी गई है. इससे व्यवस्था काफी बिगड़ी है और किसी विधायक की निधि कहीं पहुंच रही है और बुंदेलखंड पैकेज का भी पेमेंट नहीं हुआ है उसकी भी व्यवस्था कराने का कष्ट करें. आपने बोलने के लिये समय दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग ( सुवासरा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं धन्यवाद देना चाहूंगा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र सुवासरा से रोजड़े पकड़ने का काम सबसे पहले प्रारंभ किया, इसके लिये आपको धन्यवाद. क्योंकि इस विधानसभा में आज भी तीन हजार रोजड़े हैं, उनसे प्रतिदिन किसान परेशान हैं. मैं चाहता हूं कि इसका समापन जब तक न हो जब तक दूसरे इलाके में इसको पकड़ने का काम चालू न करें. रोजड़े पकड़ने का काम पहले जहां पर शुरू किया वहां पर इसको खत्म करें उसके बाद ही दूसरे स्थान का चयन करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन है कि वहां पर बोमा पद्धति से जो किराये के सामान लाये गये थे, चाहे वह पर्दे हों या अन्य सामान हों आप अगर किराये से लायें है तो किराया उससे कहीं गुना ज्यादा लगा है. आप अगर खरीदेंगे तो आपका रूपया भी कम खर्च होगा और उसकी उपयोगिता भी ज्यादा बढ़ेगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक और जो जिला स्तर और प्रदेश स्तर पर योजनाएं बनती हैं इसके संबंध में मैंने एक बार जब अधिकारियों से पूछा तो वह कहते हैं कि हमारे यहां कोई योजना नहीं बनती है और मुझे उत्तर में दिया गया है कि सब जिला स्तर पर यह योजनाएं बनाई गई हैं. चाहे वह सी.पी.टी. हो, जुताई हो डबरी हो या तार फेसिंग का काम हो, यह लघु उद्योग से जो किये जा रहे हैं. यह काफी मंहगा पड़ रहा है, इसलिए आप इसको लोकल स्तर पर करायेंगे तो आपकी बहुत बचत होगी और अच्छे काम होंगे, धन्यवाद.
श्री इन्दरसिंह परमार (कालापीपल) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मध्यप्रदेश में एक पहला प्रयोग काले हिरणों के लिए, उनका संरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए शुरुआत की है, परन्तु अभी उसका नोटिफिकेशन नहीं हुआ है. यह नोटिफिकेशन हो जाएगा तो मैं समझता हूं कि उसमें राशि का प्रावधान हो सकेगा, क्योंकि अभी काले हिरणों के कारण से हमारे विधान सभा क्षेत्र में किसानों की फसलों का जो नुकसान होता है, उसके मुआवजे का किसी प्रकार से आकलन नहीं हो पाता है. किसानों को इससे बड़ी राहत मिलेगी, इसलिए माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि उस संरक्षित क्षेत्र का जल्दी से नोटिफिकेशन कर दें, उसके लिए पर्याप्त धन उपलब्ध करा दें ताकि किसानों को राहत मिल सके और हिरणों का भी संरक्षण हो सके. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
कुंवर विक्रम सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, मेरा सबकी तरफ से निवेदन है कि आइन्दा इस तरीके से बोलने का समय कम हो तो उस विषय को अगली तारीख में ले लिया जाय. उपाध्यक्ष महोदय, कम समय मिलता है, हम लोग तैयारी करके आते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - जितना समय है उतना ही समय दे रहे हैं. आप बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी...
श्रीमती ऊषा चौधरी - उपाध्यक्ष महोदय, बहुत महत्वपूर्ण बात है, एक मिनट का समय दे दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय - मेरे पास समय नहीं है. आप पहले नाम क्यों नहीं देती हैं? आप प्रस्ताव माननीय मंत्री जी को लिखकर दे दीजिएगा. आप बैठ जाइए.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) - वन विभागों की मांगों पर चर्चा में जिन माननीय सदस्यों ने भाग लिया है, माननीय श्री फुन्देलाल सिंह मार्को, माननीय श्री हेमंत विजय खंडेलवाल जी, माननीय श्री जतन सिंह ऊइके, माननीय श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक जी, माननीय डॉ. रामकिशोर दोगने, माननीय श्री बहादुर सिंह चौहान, माननीय श्री आर.डी.प्रजापति, माननीय श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया, माननीय श्री वैलसिंह भूरिया, माननीय कुंवर विक्रम सिंह, माननीय श्री मानवेन्द्र सिंह, माननीय श्री हरदीप सिंह डंग, माननीय श्री इन्दरसिंह परमार, मैं इन माननीय सभी सदस्यों का बहुत-बहुत हृदय से धन्यवाद करता हूं और सदन को यह आश्वासन देना चाहता हूं कि माननीय सदस्यों द्वारा जो महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये हैं और विभाग के बारे में कहीं कोई कमी बताई गई है तो निश्चित रूप से गंभीरता से इन सभी विषयों को लेकर हम इनका पालन करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भाषण जो है वह मैं बहुत व्याख्यात्मक नहीं दूंगा. केवल जो मेरे बिन्दु हैं उनको गिनाते हुए इन्यूमरेट करूंगा, जिस तरीके से माननीय सदस्यों ने सदन का सहयोग करके संक्षेप में अपनी बात कही है. मैं भी अपनी बात को वैसे ही रखूंगा. मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है. वन और वन्य प्राणियों के लिए यह जाना जाता है. यहां जहां सब विभागों के विकास का काम का अंत है, इसके बाद वन विभाग का विकास के लिए हम काम शुरू करते हैं. वनों का संरक्षण और वनों का संवर्धन और विशेष रूप से वन क्षेत्र में जो वनवासी, आदिवासी जनसंख्या है और जो लोग रहते हैं, उनके विकास के लिए, उनको विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए वन विभाग अपना काम करता है. इसके लिए कृतसंकल्पित है. हम सदन को आश्वासन दिलाना चाहते हैं कि हम वनों का संरक्षण भी करेंगे, वनों का संवर्धन भी करेंगे और वहां रहने वाले वनवासियों को आर्थिक रूप से और अन्य रूप से उनके विकास और उनको मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास करेंगे. वनों का संरक्षण और वनों का संवर्धन जनभागीदारी के माध्यम से हम करते हैं. जनभागीदारी का अर्थ है, संयुक्त वन प्रबंधन. संयुक्त वन प्रबंधन में हमारी 15288 समितियां हैं. वन सुरक्षा समिति, ग्राम वन समिति, ईको विकास समिति, तीन प्रकार की ये समितियां हैं. ग्राम वन समितियों का काम जो है, वह बिगड़े वनों का सुधार करना है. इसको हम कार्य आयोजना के माध्यम से करते हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--माननीय उपाध्यक्ष महोदय,मुख्य रूप से जो काम होते हैं उसमें मृदा तथा जल संरक्षण और अच्छे वनों का दोहन यह हम मुख्य रूप से वन समितियों के माध्यम से काम करते हैं. वन विभाग जागरूकता के लिये बहुत काम करता है उसमें विशेष रूप से वन महोत्सव का आयोजन करते हैं. 8 करोड़ पौधे पिछड़े वन क्षेत्रों में वन विस्तार वानिकी के माध्यम से हमने लगाय हैं इसमें स्कूल कालेज व अन्य सामाजिक संस्थाएं पर भी हमने वृक्षारोपण का काम किया है. नर्मदा जी, क्षिप्रा जी के किनारे हमने पिछले वर्षों में जो वृक्षारोपण का काम किया है. यहां पर जीवित पौधों की संख्या लगभग 70 से 80 प्रतिशत आज भी है और हम जुलाई के महीने तक हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि जीवित पौधों का प्रतिशत ज्यादा रहे. जागरूकता के लिये हम वन प्राणी सप्ताह का आयोजन करते हैं यह अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में होता है. मुख्य रूप से राजधानी में इसका आयोजन होता है और इसमें 1 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं को हम बुलाते हैं और ऐसे कार्यक्रम जिला मुख्यालय पर भी करते हैं. जहां पर भी छात्र-छात्राओं की संख्या बहुत अच्छी रहती है इसमें चित्रकला, निबंध, फोटोग्राफी क्विज आदि प्रतियोगिताओं के माध्यम से हम वन्य प्राणियों से संबंधित विषयों पर जागरूकता के लिये यह प्रतियोगिताएं करते हैं ताकि बच्चों में प्रकृति के प्रति लगाव बढ़े और वन प्राणियों के संरक्षण के लिये और उनके प्रति उनका आकर्षण बढ़े. एक बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम अपने हाथ में लिया है यह अनुभूति कार्यक्रम है. अनुभूति का अर्थ है पर्यावरण व वनों के संरक्षण के प्रति जनता में विशेष रूप से नयी पीढ़ी है उसमें जागरूकता लाना यह एक दिवसीय कार्यक्रम होता है यह 15 दिसम्बर से 15 जनवरी के बीच में अलग अलग स्थानों पर इसको करते हैं. इसमें रोपणी अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान में पार्क में डिण्डोरी और धार में बच्चों को हम भ्रमण करवाते हैं. एक महत्वपूर्ण और बड़ा संवेदनशील कार्यक्रम हाथ में लिया है इसमें हमने जो दिव्यांग बच्चे हैं विशेष रूप से दृष्टिबाधित एवं मूक बधिर बच्चे हैं इनको कान्हा नेशनल पार्क में ले गये इसमें हाथी एवं वृक्ष वगैरह अन्य जो जानवर हैं इनकी अनुभूति करवायी उनके स्पर्श से यह एहसास करवाया कि हाथी का आकार कैसा होता है. वृक्ष जो विशेष प्रकार से है जिसकी छाल व अन्य चीजें होती हैं. बच्चों के स्पर्श से उनको यह एहसास तथा आभास करवाया कि इनके आकार कैसे होते हैं. हमारा जो कान्हा में इंटरपिटेशन सेन्टर है जहां पर ऐसी व्यवस्था है कि अलग अलग वन्य प्राणियों के आवाजें और उनके बारे में विवरण बताया गया है. खास तौर से दृष्टि बाधित बच्चों को हमने आवाज के माध्यम से यह पहचान करवायी की शेर कैसा होता है वह कैसा बोलता है. यह बहुत ही अच्छा प्रयोग है. ब्रेल लिपि के माध्यम से हमने वन्य जीवों के बारे में उनको जानकारी उपलब्ध करवायी है. निश्चित रूप से हमारा प्रयास जो दिव्यांगों के प्रति है जो हमारी संवेदनशीलता है इसमें जनता एवं सामान्य आदमी के मन अच्छा विश्वास जागरूकता पैदा करेगा वहीं जो दिव्यांग बच्चे हैं इन्हें ऐसा अहसास होगा कि पढ़ाई के अलावा अन्य जो कार्य ऐेसे हैं जिसकी हम अनुभूति हम कर सकते हैं. हमारे वन में वृक्षों की रक्षा लकड़ी चोरों से करते हैं, वन प्राणियों की रक्षा हम शिकारियों से करते हैं.
उपाध्यक्ष जी, हमारे वनवासी हैं उनकी हम बीमारियों से सुरक्षा करते हैं. यह हमारी नई योजना है. यह वर्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्मशती वर्ष है. पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय जी ने यह उपदेश दिया है और ऐसा कहा है कि दरिद्र नारायण की सेवा, सबसे बड़ी सेवा है. यदि दरिद्र की हम कोई परिभाषा देखें और आंकलन करें तो सबसे कमजोर और आर्थिक दृष्टि से सबसे कमजोर वर्ग के लोग कहां रहते हैं तो निश्चित रुप से जो सघन वन हैं, वहां पर ऐसे लोग निवास करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, कई बार स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसी रिपोर्ट्स आती हैं. वहां अलग-अलग चार्ट बने रहते हैं. हमको आखरी के कॉलम में कई बार पढ़ने में आया और रिमार्क मिले कि टीकाकरण का काम कहां कम रहा तो तो सघन क्षेत्रों में टीकाकरण का काम कमजोर रहा. इंस्टीट्यूशनल डिलेवरी के संबंध में हमको यह रिमार्क पढ़ने को मिला कि सघन वन क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव उतने अच्छे नहीं हो रहे हैं. कई बार कुपोषण की बात आती है. शहर की तुलना में कुपोषण सघन वन क्षेत्रों विशेष रुप से आदिवासी-वनवासी के यहां ज्यादा पाया जाता था. कई बार मच्छरों के प्रकोप से मलेरिया के उपचार आदि की सुविधाएं नहीं मिल पाती थी. वन विभाग ने यह तय किया हम कुछ विभागों की सहायता करेंगे. उसके लिए कुछ ऐसे कार्यक्रम बनाएंगे जिसकी वजह से हम अलग अलग क्षेत्रों में दूसरे विभागों की मदद कर सकें. विशेष रुप से स्वास्थ्य विभाग,महिला-बाल विकास, आदिम जाति कल्याण विभाग की मदद कर सकें. इसके लिए हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से योजना की लांचिंग की है.
उपाध्यक्ष महोदय, यह दीनदयाल उपाध्याय जन्मशती वर्ष है और इसमें दरिद्र नारायण की सेवा करने का जैसा मैंने उल्लेख किया था, तो हम दीनदयाल वनांचल सेवा नामक एक योजना प्रारंभ की है. इसमें हम स्वास्थ्य विभाग की मदद करेंगे. सुदूर वनांचलों में जहां मलेरिया का प्रकोप है, वहां हमारे वन के कर्मचारी मलेरिया वर्कर का प्रशिक्षण लेने के बाद उनका वहां टेस्ट करेंगे. उनको किट मिलेगा उस किट में अलग अलग रंगों की गोलियां निर्धारित की गई हैं जैसा मलेरिया वर्कर काम करता है, ऐसा ही मलेरिया का इलाज करेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, हरदा, होशंगाबाद और बेतूल इसके सबसे बड़े उदाहरण है कि पिछले दो वर्षों में हम अधिकारिक तौर पर यह कह सकते हैं कि वहां मलेरिया से वनांचल क्षेत्र में एक भी मृत्यु नहीं हुई.
उपाध्यक्ष महोदय, कुपोषित बच्चों के लिए हमने वेइंग मशीन दी है. हमारे वन विभाग के कर्मचारियों को इस बात का प्रशिक्षण दिया गया है कि वह कुपोषित बच्चों की पहचान कैसे करेंगे. इसका बहुत अच्छा उदाहरण इंदौर के चौरल क्षेत्र में आया है. वहां लगभग 80 बच्चों को हमारे वन कर्मियों ने गोद लिया है. हमारा ग्लोबिट जो लघु वनोपज संघ का एक उत्पाद है, उसको उन्होंने अपने पैसों से उन कुपोषित बच्चों को खिलाया है और इसके बाद वहां एक किलोग्राम से लेकर 1 किलो 43 ग्राम तक कुपोषित बच्चों का वज़न बढ़ा है. हम इसका बराबर अध्ययन कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, गर्भवती महिलाओं के लिए जो योग्य, विशेषज्ञ डॉक्टर हैं, उन डॉक्टरों के द्वारा जांच होना चाहिए. WHOऔर दूसरी संस्थाओं ने यह प्रिस्काइब किया है कि हर महीने उनकी जांच होना चाहिए लेकिन हमने यह तय किया है और हमने तीनों जिलों-डिंडोरी,बैतूल और मंडला को इसमें लिया है. इन तीन जिलों में जितनी भी महिलाएं जो वनांचल क्षेत्र में रहती हैं, उनकी जांच महिला विशेषज्ञ से जांच करवाएंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी आप कितना समय लेंगे? 7 बजे से पहले समाप्त कर दीजिए.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- दो मिनट और लूंगा. उपाध्यक्ष महोदय, हमने 2600 गर्भवती महिलाओं का 100% परीक्षण डिंडोरी जिले में किया है. इस रविवार को बैतूल जिले में 10 ब्लाकों में 10 केम्प करके गर्भवती महिलाओं की पूरी जांच और इलाज किया है. इसके अच्छे परिणाम आए हैं.उपाध्यक्ष महोदय, टीकाकरण में हम सहयोग करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, निजी वानिकी को प्रोत्साहन देने के लिए वन विभाग की हमारी योजना है. इसमें प्रति पौधे 10 रुपये के हिसाब से 3 वर्षों तक हम किसानों को उपलब्ध कराएंगे. एक वनदूत योजना है, इसमें हम 4 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से वनदूत को उपलब्ध करा रहे हैं. 43 लाख 65 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि का अभी तक हम वितरण कर चुके हैं. पिछले काष्ठ लाभांश में इसकी धनराशि को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है. बांस में लाभांश को हम 100 प्रतिशत मजदूरों में बांट रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, अब मैं सदन का और माननीय सदस्यों की रुचि का जो विषय है और उनकी जो समस्या है रोजड़े की उस पर चर्चा करना चाहता हूं. कुछ आलोचना हुई,जब हम काम प्रारंभ करते हैं तो कहीं न कहीं उनमें कमियां रहती हैं और आलोचनाएं भी हमें सुनना पड़ेंगी लेकिन हमें विश्वास है कि रोजड़ों की समस्या से जो किसान परेशान है उससे हम उनको किसी भी हालत में राहत दिला पाएंगे.
वन्य जीवों को पकड़ना और सुरक्षित रूप से उनका ट्रांसलोकेशन करना महत्वपूर्ण काम है. ये वन्य जीव जहां एक तरफ आपका नुकसान करते हैं वहीं इतने सेंसटिव्ह भी होते हैं कि आदमी इन्हें पकड़े तो तत्काल कई बार इनकी मृत्यु भी हो सकती है. हम मारने के पक्ष में नहीं हैं हम तो पकड़ने और ट्रांसलोकेशन के पक्ष में हैं क्योंकि मारने का तो बहुत दिनों से कानून बना है और लाईसेंस भी लिये और कोशिश कर रहे हैं लेकिन कहीं कोई सफल नहीं हुआ और वन्य प्राणियों की संख्या इतनी ज्यादा है तो मैं कम से कम मारने में विश्वास नहीं रखता न इससे इनकी संख्या में कमी आयेगी. बोमा पद्धति के बारे में एक-दो सदस्यों ने आलोचना की है. बोमा पद्धति ऐसी पद्धति है कि हम जमीन पर एक बड़े आकार का बाटल नेक जिसको बोलते हैं वह स्ट्रक्चर जैसा निर्माण करते हैं और जहां नेक आती है वहां पर हमारा वाहन होता है और जिस जानवर को हम इस वाहन में पहुंचाना चाहते हैं तो सामने की तरफ से कुछ अलग-अलग तरीकों से आगे हांक कर या भगाते हुए आगे बढ़ाते हैं और धीरे-धीरे गेट बंद करते जाते हैं और आखिरी में जो हमारा वाहन होता है उसमें जाकर वह वन्य प्राणी बंद हो जाता है उसको जहां हमें ट्रांसलोकेट करना होता है वहां ले जाते हैं. पहली बार इससे हमने नीमच में रोजड़ों को पकड़ने का प्रयोग किया है. निश्चित रूप से यह प्रयोग सफल होगा. बहुत सी बातें आती हैं कि रोजड़ों की नसबंदी कर देना चाहिये. व्यवहारिक क्या है, सफलता क्या है किसी ने उसका अध्ययन नहीं किया. ट्रेंकुलाईज करने की बात कही है. ट्रेकुलाईज करने की परमीशन की हम बात कर रहे हैं. कितनों को हम ट्रेंकुलाईज करेंगे. ट्रेंकुलाईजेशन में खर्चा कितना होगा और सफलता कितनी मिलेगी इस पर विचार-विमर्श करें तो सबसे अच्छी पद्धति है इन जानवरों का ट्रांसलोकेशन करें तो बोमा पद्धति इतनी सुरक्षित और अच्छी पद्धति है हो सकता है कहीं किसी ने ज्यादा खर्च कर दिया हो हमने तीन स्थानों का चयन किया है मंदसौर,नीमच जिले में जहां एक बार बोमा पद्धति से रोजड़ों को पकड़ा गया है. दूसरा हम टीकमगढ़,छतरपुर के पास जहां ज्यादा मात्रा में रोजड़े हैं वहां बोमा पद्धति से उन्हें पकड़कर ट्रांसलोकेट करेंगे तीसरा रीवा के पास जहां ज्यादा मात्रा में रोजड़े हैं वहां करेंगे और यह कार्यक्रम हम जल्दी से जल्दी प्रारंभ कर रहे हैं और हमारा प्रयास रहेगा. दूसरी तरफ हम इन्हें इंदिरा सागर के जो टापू हैं पर्यटन विभाग से मांग आई है कि यहां कुछ न कुछ वन्य प्राणी रहना चाहिये या जहां-जहां से मांग आती है वहां हम उन्हें ट्रांसलोकेट करेंगे तो एक तरफ किसानों की फसल नष्ट होने से बचेगी दूसरी तरफ पर्यटन वन्य प्राणियों का आनंद लेंगे.
जनहानि के बारे में भी हमने कुछ निर्णय लिये हैं. यदि किसी जंगली जानवर से मृत्यु् होती है तो उसको हमने 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया है. स्थाई रूप से कोई अपंग होता है तो उसके ईलाज की व्यवस्था सरकार की तरफ से करेंगे और 2 लाख रुपये उसको देंगे. लघु वनोपज संघ एक हमारा महत्वाकांक्षी विभाग है.
उपाध्यक्ष महोदय - दो मिनट में समाप्त करें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- उपाध्यक्ष महोदय, लघु वनोपज संघ के बारे में मैं आपको बताना चाहता हूं कि तेंदूपत्ता की मजदूरी 950 से बढ़ाकर 1250 प्रति मानक बोरा कर दी है, इससे तेंदूपत्ता संग्राहकों को लाभ हुआ है. 33 लाख संग्राहक हमसे जुड़े हैं, 44 प्रतिशत इसमें महिलायें हैं, महिलाओं को रोजगार देने के मामले में वन विभाग अग्रणी है. 232 करोड़ रूपये की मजदूरी हमने वर्ष 2016 में बांटी है. वर्ष 2014 में 58 करोड़ रूपये का बोनस दिया गया है. 71 करोड़ रूपये वर्ष 2015 का बनता है, इसे हम शीघ्रातिशीघ्र वितरित करेंगे. एकलव्य योजना के अंतर्गत जो तेंदूपत्ता संग्राहक हैं उनके बच्चों की पढ़ाई के लिये अलग-अलग योजना है, इसमें 8वीं तक पढ़ने वाले बच्चों को 1200 रूपये देते हैं, वहीं हम प्रोफेशनल कॉलेज में, इंजीनियरिंग, मेडीकल कॉलेज में जिनके एडमीशन होते हैं उन्हें 50 हजार रूपये प्रतिवर्ष देते हैं. एक और खुशखबरी और बड़ी अच्छी घोषणा माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो हमारे ईकोटूरिज्म ने, वन विभाग ने निर्णय लिया है वह घोषणा करना चाहता हूं. मध्यप्रदेश में चिडि़याघर नहीं के बराबर हैं और जो हैं वह भी इस मापदण्ड के नहीं हैं जो लोगों को आकर्षित करें. मुकुंदपुर में हमने एक बड़ा चिडि़याघर और रेस्क्यू सेंटर बनाकर भारत में अपना नाम स्थापित किया है और टूरिस्ट की संख्या वहां निरंतर बढ़ रही है. इसी प्रकार से हम 5 चिडि़याघर 5 बड़े-बड़े शहरों में बनाना चाहते हैं. भोपाल के पास खरबई में हमारा एक बड़ा सेंटर बनेगा, दूसरा इंदौर में रालामंडल में बनेगा, जबलपुर डुमना में बनेगा और दवाब आ रहा है कि दतिया में भी बनना चाहिये, निश्चित रूप से इसकी भी हम प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवाकर जल्दी ही इसकी स्वीकृति देंगे और इसके बाद ग्वालियर और सागर में बनेगा. उपाध्यक्ष महोदय, हम बायोडायवर्सिटी जैव विविधता की दृष्टि से 2 चीजें बहुत महत्वपूर्ण बना रहे हैं जो कि मध्यप्रदेश में नहीं है और भारत में भी शायद एक स्थान कर्नाटक में कहीं है, उनको बहुत ज्यादा प्रसिद्धी नहीं मिली है, हम तितली पार्क का निर्माण कर रहे हैं, इन चिडि़याघरों के साथ-साथ तितली पार्क रहेंगे और इनमें विभिन्न प्रजातियों की तितलियां कम से कम 5 महीनों तक बच्चों को आकर्षित करने के लिये रखेंगे और विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को संरक्षित करने का भी जैव विविधता संरक्षण का भी एक काम होगा. इसके साथ में हम मछलीघर एक्वेरियम भी बड़े-बड़े आकार के इन सब स्थानों पर बना रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- (अपनी सीट पर बैठे-बैठे) दतिया में भी बना दीजिये.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- दतिया में भी बनायेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, अब योजना के बारे में भी संक्षेप में बताना चाहूंगा. माननीय मुख्यमंत्री जी की प्रेरणा से नमामि देवी नर्मदे, नर्मदा सेवा यात्रा एक महत्वाकांक्षी यात्रा है. उपाध्यक्ष महोदय, नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा परिणामजनक यात्रा है कि आज से ही यात्रा प्रारंभ हुई और आज से ही इसके परिणाम आ गये. इसमें संक्षेप में आपको बताना चाहता हूं, मां नर्मदा की धारा अविरल रहे और मां नर्मदा की धारा निर्मल रहे, दोनों के लिये काम किया जा रहा है. मां नर्मदा के दोनों तटों पर एक-एक किलोमीटर वृक्षारोपण का कार्य होगा. सरकारी जमीन पर वन विभाग वृक्षारोपण करेगा, निजी जमीन पर किसान वृक्षारोपण करेंगे, इसमें 40 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी और 20 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से क्षतिपूर्ति मिलेगी. मां नर्मदा का जल निर्मल रहे इसलिये सरकार ने निर्णय लिया है कि जितना भी सीवेज डिस्पोजल नर्मदा जी में होता है उनको 100 प्रतिशत हम ट्रीटमेंट प्लान में परिवर्तित करेंगे और माननीय मुख्यमंत्री जी मौके पर खड़े होकर प्रशासकीय स्वीकृति दे रहे हैं. अब सीवेज का एक बूंद भी मां नर्मदा जी में विसर्जित नहीं किया जायेगा. सामाजिक सरोकार की दृष्टि से यदि हम देखे तो बहनें पर्व पर नर्मदा जी में स्नान करती हैं लेकिन वस्त्र बदलने में उन्हें कष्ट होता है इनके लिये हम अच्छे परमानेंट चेंजिंग रूम बना रहे हैं और मां नर्मदा के जो तट हैं जहां जहां पर घाट बने हैं उनका निर्माण करेंगे इसके बाद दोनों तरफ के जितने भी गांव हैं हम उनको ओडीएफ कर रहे हैं. इस काम को मेकेनाइज्ड तरीके से बांटा गया है. वृक्षारोपण का काम वन विभाग और वानिकी विभाग का है. ओडीएफ करने का काम और घाट के निर्माण का काम ग्रामीण विकास विभाग को दिया है, चेंजिंग रूम का भी काम ग्रामीण विकास विभाग को दिया है . पुरातत्व के स्थानों को संरक्षित करने का काम नर्मदा घाटी को दिया गया है, सीवेज डिस्पोजल ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का काम नगरीय प्रशासन विभाग को दिया गया है. यह विश्व की सबसे बड़ी नदी संरक्षण की यात्रा है यह मैं नहीं कह रहा हूं. दुनियां के बड़े बड़े विशेषज्ञों ने इस बात को कहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, अपना भाषण समाप्त करने के पहले मैं कहना चाहता हूं कि "नमामी देवी नर्मदे" यात्रा प्रारंभ हुई थी उसके बारे में संक्षेप में कहना चाहता हूं कि सबसे पहले वक्ता थे प्रो.राजेन्द्र सिंह, राजस्थान के हैं पर्यावरण संरक्षण और नदी संरक्षण के लिये विश्व विख्यात हैं, उनका नाम बहुत बड़े लोगों में गिना जाता है. पहला उनका भाषण हुआ तो उन्होंने कहा कि पहले इतिहास में संत दिशा देते थे और सरकारें उन संतों के मार्गदर्शन में विकास और सेवा के काम करती थीं लेकिन आज सरकार अर्थात शिवराज सिंह जी ने यह आयोजन किया है और पूरा संत समाज उनके समर्थन में है. उनकी पूरी सद्भावना है, उनका आशीर्वाद है . उपाध्यक्ष जी मैं ऐसा मानता हूं कि शिवराज सिंह जी को इतना बड़ा काम्पलीमेंट शायद ही किसी ने पहले दिया हो जो प्रो. राजेन्द्र सिंह जी ने दिया है.उपाध्यक्ष महोदय, जो चमत्कार हो रहे हैं उनके बारे में दो शब्द कहना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- डॉ.साहब इस राजेन्द्र सिंह जी की भी बात मान लीजिये. समाप्त करें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार- उपाध्यक्ष महोदय, कोई जादू नहीं सिर्फ चमत्कार बताकर के मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा. संत धार्मिक और नर्मदा पुराण पर संक्षेप में भाषण करते हैं और वृक्षारोपण पर 40-40 मिनट भाषण करते हैं. यह एक चमत्कार है. यदि नमामी देवी नर्मदे- द्वितीय पादे पंकजं. यह नारा हो गया, यदि मंत्र नारे बन जायें तो यह चमत्कार है और कार्यक्रम की सफलता है. उपाध्यक्ष जी, अध्यक्ष महोदय आसंदी पर नहीं हैं. मैं उनके यहां पर भागवत जी पर गया था वहां कंस वध का प्रसंग था आप आश्चर्य करेंगे कंस वध पर व्यासगादी से बाद में बातें की गई और नर्मदा जी में फूल माला मत डालो, हवन सामग्री मत डालो, नर्मदा जी में दीप दान मत करो ऐसा ब्यासगादी से यदि प्रवचनकर्ता और विद्वान यदि प्रवचन कर रहे हो तो इससे बड़ा चमत्कार दूसरा नहीं हो सकता. और यह नमानी देवी नर्मदे यात्रा बहुत बड़ा चमत्कार है और विश्व का सबसे बड़ा अभियान है. बहुत बहुत धन्यवाद. मेरा सभी से निवेदन है कि मांगों को निर्विरोध पास करने का कष्ट करें.
उपाध्यक्ष महोदय- मैं पहले कटोती प्रस्ताव पर मत लूंगा. प्रश्न यह है कि मांग संख्या 10, 31, 60 और 61 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुये.
अब मैं, मांगों पर मत लूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- विधानसभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 8 मार्च, 2017 के प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 7.00 बजे विधानसभा की कार्यवाही, बुधवार, दिनांक 8 मार्च, 2017 (फाल्गुन 17, शक संवत् 1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
अवधेश प्रताप सिंह
भोपाल, प्रमुख सचिव
दिनांक : 7 मार्च, 2017 मध्यप्रदेश विधानसभा