मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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चतुर्दश विधान सभा                                                                                             द्वादश सत्र

 

 

दिसम्बर, 2016 सत्र

 

मंगलवार, दिनांक 6 दिसम्बर, 2016

 

(15 अग्रहायण, शक संवत्‌ 1938 )

 

 

[खण्ड-  12 ]                                                                                                          [अंक- 2 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

मंगलवार, दिनांक 6 दिसम्बर, 2016

 

(15 अग्रहायण, शक संवत्‌ 1938 )

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.

 

{ अध्यक्ष महोदय (डॉ सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}

 

 

निधन का उल्लेख

सुश्री जे. जयललिता के निधन का उल्लेख

 

            अध्यक्ष महोदय -- मुझे सदन को सूचित करते हुए अत्यन्त दु:ख हो रहा है कि तमिलनाडु की पुर्व मुख्यमंत्री सुश्री जे. जयललिता का दिनांक 5 दिसम्बर, 2016 को निधन हो गया है.

          सुश्री जे. जयललिता का जन्म 24 फरवरी, 1948 को मैसूर में हुआ था. आपने 1982 में ए.आई.ए.डी.एम.के. के सदस्य के रूप में राजनीति में प्रवेश किया. आप 1984 से 1989 तक राज्य सभा सदस्य, 1989 से 1996, 2002 से 2014 तथा 2015 से 2016 की अवधि में तमिलनाडु विधान सभा की सदस्य, 1989 एवं 2011 में नेता प्रतिपक्ष तथा 1991 से 1996, 2001, 2002 से 2006, 2011 से 2014, 2015 से 2016 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं. आप दिनांक 23 मई, 2016 से पुन: मुख्यमंत्री का पद सम्हाल रहीं थीं.

          सुश्री जयललिता ने अनेक भाषाओं की फिल्मों में काम किया था और आप एक कुशल शास्त्रीय नृत्यांगना भी थीं. आपको अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से विभूषित किया गया था.

          आपके निधन से देश की राजनीति में एक पड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है और देश ने एक वरिष्ठ नेत्री, कुशल प्रशासक तथा कर्मठ समाजसेवी खो दिया है.

            श्री जयंत मलैया (वित्‍त मंत्री) -- अध्‍यक्ष महोदय, सुश्री जे. जयललिता का जीवन इस बात का प्रेरक उदाहरण है कि बचपन की कठनाइयां बड़ी होने पर किस तरह से कठिन से कठिन परिस्‍थितियों से मुकाबला करने के लिए वह कैसे हमें तैयार करती हैं और बचपन के अभाव बड़े होकर ऐसे ही अभावों में पलते साथी मनुष्‍यों के कल्‍याण के लिए कैसी तड़प और संवेदना विकसित करते हैं. सुश्री जे. जयललिता ने गरीबोन्‍मुखी कल्‍याणकारी योजनाओं से गरीबों के दिल में वह जगह बनाई कि वह भविष्‍य में राजनीति के क्षेत्र में काम करने वाले सभी लोगों के लिए निरन्‍तर प्रेरणा और स्‍पर्धा का विषय रहेगी. वे 5 बार तमिलनाडु की मुख्‍यमंत्री रहीं और उनका बार-बार लौटकर आना इस बात का प्रमाण है कि कैसे वे जनता की निरन्‍तर आशा और आकर्षण का केन्‍द्र बनी रही हैं.

          आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, तमिलनाडु इस बात का उदाहरण है कि किस तरह से क्रिएटिव लोग रजत पर्दे पर काम करने वाले रचनात्‍मक कलाकार सार्वजनिक जीवन में भी उत्‍कृष्‍ट और अद्वितीय भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं. सुश्री जे. जयललिता जी ने लगभग 140 फिल्‍मों में काम किया और तमिल भाषा के अलावा अन्‍य भाषाओं की फिल्‍मों में भी काम किया है. ध्‍यान देने वाली बात यह है कि वे रजत पर्दे की माया में नहीं उलझीं बल्‍कि उन्‍होंने तमिलनाडु की गरीब जनता की हकीकतों को, उनके कड़वे यथार्थ को समझा, उनकी हमदर्द बनीं. आज तमिलनाडु की मध्‍याह्न भोजन योजना पूरे विश्‍व में विख्‍यात है और जानी जाती है तो उसके पीछे जयललिता जी का कठिन परिश्रम स्‍पष्‍ट है. देश भर के कई राज्‍यों ने उसका अनुसरण किया. उनके द्वारा समाज के विभिन्‍न वर्गों के लिए जो कल्‍याण बोर्ड बनाये गये, उन्‍होंने मुश्‍किल परिस्‍थितियों में रहने वाले बहुत से वंचित वर्गों और व्‍यक्‍तियों की सहायता की है.

          आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, उनकी पालना शिशु योजना से लेकर उनकी गर्ल चाइल्‍ड वेलफेयर स्‍कीम, अम्‍मा थाली स्‍कीम उनकी रचनात्‍मक राजनीति की परिचायक रही है. स्‍वास्‍थ्‍य व शिक्षा के क्षेत्र में आज तमिलनाडु की अग्रणी स्‍थिति उन्‍हीं की नीतियों व कार्यक्रमों का परिणाम है. मैं उनके चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ.

          श्री बाला बच्‍चन (प्रभारी नेता प्रतिपक्ष) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बड़े दु:ख की खबर है और मैं समझता हूँ कि पूरा देश सुश्री जे. जयललिता जी के नहीं रहने से शोकाकुल है. 24 फरवरी, 1948 को मैसूर, कर्नाटक में जन्‍मी सुश्री जे.जयललिता जी तमिलनाडु राज्‍य की 6 बार मुख्‍यमंत्री रही हैं. कल तक वे तमिलनाडु राज्‍य की मुख्‍यमंत्री थीं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सुश्री जे. जयललिता केवल 2 वर्ष की थीं जब उनके पिताजी का निधन हो गया था और तब से उनके जीवन में संघर्ष जारी हो गया था. फिर भी उन्‍होंने संघर्ष किया और मैं आपको बताना चाहता हूँ कि उसके बाद भी पढ़ाई में 10वीं कक्षा में वह तमिलनाडु राज्‍य में सेकंड नंबर पर आई थीं. इसके बाद उन्‍होंने फिल्‍मों में काम करना शुरू किया. कन्‍नड़, तमिल, तेलुगु और हिन्‍दी फिल्‍मों में उन्‍होंने काम किया. अपना राजनीतिक जीवन तो उन्‍होंने एआईएडीएमके पार्टी से शुरू किया. वे राज्‍यसभा सदस्‍य भी रही हैं, तमिलनाडु में नेता प्रतिपक्ष भी रही हैं, 6 बार मुख्‍यमंत्री रही हैं और पूरे देश की महिलाओं की प्रेरणास्‍त्रोत रही हैं. आज हमारे बीच में उनके नहीं रहने से हमें अविस्‍मरणीय क्षति हुई है और मैं समझता हूँ कि इस क्षति की पूर्ति नहीं की जा सकती है. वे केवल तमिलनाडु राज्‍य तक ही नहीं बल्‍कि पूरे देश में प्रसिद्ध थीं. आज वे हमारे बीच नहीं हैं उनके नहीं रहने से हमने एक बहुत बड़ा नेता खोया है, एक कुशल प्रशासक खोया है, एक बड़ी नृत्‍यांगना खोई है, बड़ी समाजसेवी खोई है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अपनी तरफ से तथा मेरे दल की तरफ से उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ और शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना व्‍यक्‍त करता हूँ और ईश्‍वर से इस बात की प्रार्थना करता हूँ कि उनकी आत्‍मा को शांति प्रदान करें. धन्‍यवाद.

          श्री सत्‍यप्रकाश सखवार ( अम्‍बाह ) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे सदन को सूचित करते हुए अत्‍यंत दु:ख हो रहा है कि तमिलनाडु की पूर्व मुख्‍यमंत्री सुश्री जे. जयललिता जी का 5 दिसम्‍बर 2016 को निधन हो गया है. उनके निधन से पूरा देश शोकाकुल है और ऐसी महान विभूति, ऐसी विलक्षण शक्ति की धनी एक लाचारी से उठकर के और बचपन में ही उनके पिता का साया उठ गया था. उनकी माता ने उनका पालन-पोषण किया और सुश्री जे.जयललिता यहां तक पहुंची हैं तो उनमें अद्भुत शक्ति जरूर रही है और ऐसी महान विभूतियॉं देश में अपना छाप छोड़ती हैं प्रेरणा का एक केन्‍द्र बनती हैं. ऐसी महान विभूतियॉं के संबंध में एक विद्वान ने लिखा था कुछ लोग महान होते हैं, कुछ लोग महानता प्राप्‍त कर लेते हैं और कुछ लोगों पर महानता थोप दी जाती है तो ऐसी विलक्षण शक्ति, जिन्‍होंने अपने बलबूते पर, अपनी योग्‍यता से, अपने संघर्ष से, अपने त्‍याग और बलिदान से पूरे देश में एक नाम गौरवान्वित किया और मैं तो कहॅूंगा महिलाओं में ही नहीं, पूरे देश में उन्‍होंने पुरूषों को भी पीछे छोड़ा. ऐसी विलक्षण शक्ति जो आज हमारे बीच में नहीं है मैं अपनी ओर से, अपने दल की ओर से और उनसे एक प्रेरणा भी लेनी चाहिए. ऐसी महान विभूतियॉं जो राष्‍ट्र और देश में पैदा होती हैं और जो इतिहास साक्षी है कि लाचार लोगों ने, भूखे मरने वाले लोगों ने इतिहास रचा है. इतिहास में जब-जब लोगों ने नाम लिखाया है. ऐसी विभूतियॉं रहीं हैं जो बहुत ही लाचार रही हैं. मैं तो कहूंगा कि भूखे मरने वाले लोगों ने इतिहास को रचा है उनमें से ही हमारी सुश्री जे.जय‍ललिता जी जो कल तक मुख्‍यमंत्री थीं, आज हमारे बीच में नहीं हैं. मुझे खेद है, पूरे राष्‍ट्र को खेद है. मैं अपनी ओर से, अपने दल की ओर से, आप सभी की ओर से, सदन की ओर से सुश्री जे.जयललिता जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हॅूं और कुदरत से कामना करता हॅूं कि इस दु:ख की घड़ी में उनके परिवारजनों को इस दु:ख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे.

 

 

 

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं सदन की ओर से तमिलनाडु राज्‍य की जनता के प्रति संवेदना प्रकट करता हॅूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगत आत्‍मा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.

 

( दिवंगत के सम्‍मान में सदन द्वारा 2 मिनट का मौन रखा गया. )

ओम शांति.

          दिवंगत के सम्‍मान में सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्‍थगित की जाती है.

 

( 11.14 बजे से 11.25 बजे तक अंतराल )


 

11.25 बजे                            विधान सभा पुनः समवेत हुई.

{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए}

तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न क्रमांक 1 श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक अपना प्रश्न करें.

          श्रीमती इमरती देवीमाननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं कि आज भारत रत्न, संविधान के रचयिता डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि है और मैं चाहती हूं कि सबकी सहमति से बाबा साहब की तस्वीर इस सदन में होना चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय--  आपकी बात आ गई है, आप बैठ जाइए, इनका कुछ नहीं लिखा जाएगा.

          श्रीमती इमरती देवी--  (XXX)

          अध्यक्ष महोदय--  श्रीमती उमादेवी आप अपना प्रश्न पूछिये.

         

            कृषक अनुदान योजना अन्‍तर्गत स्‍थापित ट्रांसफार्मर

[ऊर्जा]

1. ( *क्र. 458 ) श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014-15, 2015-16 में दमोह जिले के हटा, पटेरा विकासखण्‍ड में कृषक अनुदान योजना के अन्‍तर्गत कितने ट्रांसफार्मर रखे गये? कृषक का नाम पतावार जानकारी उपलब्‍ध करायें (ख) प्रश्‍नांश (क) में क्‍या उल्‍लेखित योजना अन्‍तर्गत लगाये गये वितरण ट्रांसफार्मर संबंधी ए.ई. हटा एवं जे.ई. पटेरा की लेनदेन संबंधी शिकायत प्रश्‍नकर्ता द्वारा विभागीय मंत्री को की गई थी? यदि हाँ, तो शिकायत की जांच व ए.ई. हटा जे.ई. पटेरा पर आज दिनांक तक क्‍या कार्यवाही हुई? छायाप्रति उपलब्‍ध करायें एवं कार्यवाही नहीं हुई तो कब तक होगी?

ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) दमोह जिले में कृषक अनुदान योजना के अंतर्गत हटा विकासखण्‍ड में वर्ष 2014-15 में 64 व वर्ष 2015-16 में 34 ट्रांसफार्मर रखे गये एवं पटेरा विकासखण्‍ड में वर्ष 2014-15 में 11 तथा वर्ष 2015-16 में 12 ट्रांसफार्मर रखे गये। वर्षवार, विकासखण्‍डवार, कृषक का नाम एवं पते सहित प्रश्‍नाधीन चाही गई जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र 'अ-1', 'अ-2', 'ब-1' एवं 'ब-2' अनुसार है। (ख) जी हाँ। शिकायत की जांच कार्यपालन अभियंता, उत्‍तर संभाग, दमोह द्वारा की गई एवं जांच प्रतिवेदन पत्र क्रमांक 330 दिनांक 18.11.2016 के माध्‍यम से अधीक्षण अभियंता (संचा./संधा.) वृत्‍त दमोह को प्रेषित किया गया है, जिसकी छायाप्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है।

उक्‍त जांच में श्री सुनील कुमार साहू, सहायक अभियंता हटा को प्रथम दृष्‍टया दोषी पाये जाने पर मुख्‍य अभियंता, सागर के आदेश क्रमांक 4296-97, दिनांक 25.11.2016 द्वारा उन्‍हें कार्यालय अधीक्षण अभियंता (संचा./संधा.) दमोह में स्‍थानान्‍तरित कर दिया गया है, जिसकी छायाप्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। माननीय प्रश्‍नकर्ता विधायक महोदय द्वारा की गई शिकायत दिनांक 11.08.2016 की जांच में श्री संजय कुमार जैन, कनिष्‍ठ अभियंता-पटेरा के विरूद्ध कोई अनियमितता नहीं पाई गई तथापि शिकायत को दृष्टिगत रखते हुए एवं श्री संजय कुमार जैन, कनिष्‍ठ अभियंता के तीन वर्ष से पटेरा वितरण केन्‍द्र में पदस्‍थ रहने के कारण उन्‍हें वैकल्पिक व्‍यवस्‍था होने पर स्‍थानान्‍तरित कर दिया जायेगा। 

          श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीकअध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विकासखंड हटा, पटेरा में पदस्थ एई और जेई की लापरवाही की शिकायत माननीय मंत्री जी से की गई थी जिसकी माननीय मंत्री जी द्वारा तत्परता से जांच कराकर दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की गई है जिससे मैं संतुष्ट हूं एवं मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं और अनुरोध करती हूं कि हटा,पटेरा में अच्छे कार्यकुशल अधिकारियों की स्थापना अविलंब कराई जाए जिससे किसान व जनता परेशान न हो.

          श्री पारस चन्द्र जैन---  माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य के कहे अनुसार बहुत जल्दी अच्छे अधिकारियों की नियुक्ति कर देंगे.

          श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक--  अध्यक्ष महोदय, मेरा एक सुझाव भी है कि मध्यप्रदेश में ट्रांसफार्मर बदलने की समयसीमा निश्चित होना चाहिए.जिससे उपभोक्ताओं को परेशान न होना पड़े.

          अध्यक्ष महोदय--  ठीक है, प्रश्न क्रमांक 2.

          श्री रामनिवास रावत--  माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य ने प्रश्न किया है उसका जवाब आ जाये...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  वह उनका सुझाव है, प्रश्न नहीं. है, उन्होंने खुद कहा है कि वह सुझाव है. कृपया आप ध्यान से सुने...(व्यवधान)..

          श्री रामनिवास रावतसुझाव का ही निराकरण कर दें.

          श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक--  अध्यक्ष महोदय, उसकी समय सीमा निश्चित कर दी जाये. ..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--- (अनेक माननीय सदस्यों के एक साथ बोलने पर) वह प्रश्न उससे उद्भूत भी नहीं हो रहा है और माननीय सदस्या ने सुझाव दिया है मंत्री जी ने उसको सुन लिया आप लोग कृपया बैठ जायें. श्री रामनिवास कृपया अपना प्रश्न करें.

          श्री मुकेश नायकअध्यक्ष महोदय,(xxx).

          अध्यक्ष महोदयआप बैठ जाइए, यह रिकार्ड से निकाल दीजिये.

          श्री मुकेश नायक—(XXX)

            अध्यक्ष महोदय--  आपको अनुमति किसने दी है. प्रश्न क्रमांक 3 श्री रामनिवास रावत अपना प्रश्न करें.

          वनमंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)अध्यक्ष महोदय, आप जरा मौका दीजिये, कुछ संभावनायें नजर आ रही हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  नो कमेंट्स.

          प्रश्न संख्या 2 (अनुपस्थित)

 

          मा. सांसद एवं विधायकों के पत्रों पर कार्यवाही

[सामान्य प्रशासन]

3. ( *क्र. 1087 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्‍ड जिले के अंतर्गत 01 जनवरी, 2016 से प्रश्‍न दिनांक तक किन-किन माननीय विधायकगण एवं क्षेत्रीय सांसद द्वारा कलेक्‍टर भिण्‍ड को किस-किस संबंध में कब-कब पत्र लिखे गए एवं म.प्र. शासन, सामान्‍य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार क्‍या प्राप्‍त सभी पत्रों की अभिस्‍वीकृति दी गई है? (ख) यदि हाँ, तो क्‍या माननीय विधायक एवं सांसदों के पत्रों को पंजीयन रजिस्‍टर में इन्‍द्राज किया जाता है? (ग) उपरोक्‍त प्रश्‍नांश के परिप्रेक्ष्‍य में क्‍या प्रश्‍नकर्ता के परिवर्तित अतारांकित प्रश्‍न संख्‍या 162      (क्र. 3081), दिनांक 18.07.2016 के उत्‍तर में दी गई जानकारी अनुसार प्रश्‍नकर्ता द्वारा लिखे गए पत्रों में की गई कार्यवाही से प्रश्‍नकर्ता को अवगत कराने की जानकारी दी गई थी? (घ) यदि हाँ, तो प्रश्‍नकर्ता के पत्रों को अवगत कराये जाने हेतु भेजे गए पत्रों की छायाप्रति उपलब्‍ध कराएं?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ, माननीय विधायक एवं क्षेत्रीय सांसद द्वारा लिखे गये सभी पत्रों की अभिस्‍वीकृति दी गई है। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ख) एवं (ग) जी हाँ। (घ) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है।

श्री रामनिवास रावत--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आप भी जानते हैं और पूरे सदन के सभी सदस्य चाहते हैं कि सदन के सदस्यों के हितों का संरक्षण हो और सरकार के नियमों का पालन हो. डॉ. गोविंद सिंह जी ने इसी को लेकर के प्रश्न किया है कि हमारे जो विधायक पत्र भेजते हैं उन पर कार्यवाही हो और कार्यवाही की अभिस्वीकृति के पश्चात् पत्र का जवाब सम्माननीय विधायकों को मिले. गोविंद सिंह जी ने प्रश्न किया है कि 1 जनवरी 2016 से प्रश्न दिनांक तक कितने पत्र भेजे गये तो आपने पत्रों की संख्या तो बता दी है और पत्रों की सूची भी सम्मिलित कर दी है. डॉ. गोविंद सिंह जी ने लगभग 81 पत्र भेजे हैं और आपने जवाब में जानकारी दी है कि जानकारी संलग्न परिशिष्ट के अनुसार है.प्रश्नांश (ख) एवं (ग) में उत्तर दिया है जी हाँ. 9 में उन्होंने प्रश्न किया था कि  क्या प्रश्नकर्ता के परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 162 दिनांक 18.7.2016  के उत्तर में दी गई जानकारी के अनुसार प्रश्नकर्ता द्वारा लिखे गये पत्रों में की कार्यवाही से प्रश्नकर्ता को अवगत कराने की जानकारी दी गई थी  तो आप लिख रहे हैं कि जी हाँ और आपका यह सामान्य प्रशासन विभाग का परिशिष्ट है, माननीय मंत्री जी, आप भी भिण्ड के हो, संबंधित सदस्य भी भिण्ड के हैं, सर्क्यूलर भी आपने ही जारी किया है और उसका पालन कराना भी आपका दायित्व है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप देख लें जो पुस्तकालय परिशिष्ट है एक भी पत्र की जानकारी का पत्र इसमें नहीं है जो विधायक को भेजा गया हो कि विधायक को जानकारी प्रस्तुत की गई है, भेजी गई हो कि क्या कार्यवाही की गई. अध्यक्ष महोदय, यह बड़ी गंभीर और सदस्यों के अधिकारों से संबंधित बात है. मैं चाहता हूँ कि सम्मानित सदस्यों के पत्रों का जवाब दिया जाना सुनिश्चित करें और अभी तक नहीं दिए गए हैं, इसके लिए कौन-कौन दोषी हैं, इसकी जाँच कराएँ और संबंधित के खिलाफ कार्यवाही करें?

          राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य गोविन्द सिंह जी द्वारा जो प्रश्न पूछा गया था, उसकी जो मूल भावना थी कि पत्रों पर कार्यवाही की गई कि नहीं की गई? अध्यक्ष महोदय, बहुत स्पष्ट है, मैंने उत्तर दिया है, अभिस्वीकृतियाँ दी गई हैं, कार्यवाहियाँ की गई हैं. अध्यक्ष महोदय, दो पत्रों की, जो उन्होंने अतारांकित प्रश्न में पूछे थे, उनकी जानकारी, माननीय गोविन्द सिंह जी को दे भी दी गई. अध्यक्ष महोदय,  जहाँ तक कृत कार्यवाही से सूचना का सवाल है, समय-समय पर हम माननीय विधायक, सासंदों को देते हैं, लेकिन हम फिर से निर्देश जारी करेंगे कि जिन विधायकों को जवाब अगर नहीं पहुँचा है तो कृत कार्यवाही की जानकारी भेज देंगे.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक--   प्रभारी मंत्री जवाब नहीं देते उसके बारे में भी मंत्री जी बताएँ.

          अध्यक्ष महोदय--  अभी आपको एलाऊ नहीं किया है.

          श्री रामनिवास रावत--  अध्यक्ष महोदय, आप अपने आज के विधान सभा में दिए हुए प्रश्न का उत्तर भी पढ़ लें. प्रश्न () के संबंध में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के अनुसार है. () एवं (ग) जी हाँ. (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के अनुसार है. इसमें लिखा है कि यदि हाँ, तो प्रश्नकर्ता के पत्रों को अवगत कराए जाने हेतु भेजे गए पत्र की छायाप्रति उपलब्ध कराएँ,  (घ) में लिखा है जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट ब के अनुसार है. कहाँ तो इसमें परिशिष्ट ब है? और कहाँ इसके भेजे गए पत्रों की प्रति है? मुझे यह बता दें कम से कम हाउस को तो मजाक न बनाएँ. माननीय मंत्री जी, आप हाउस में उत्तर भेजने से पहले देख तो लिया करो कि आप क्या उत्तर भेज रहे हों. हाउस को तो कम से कम मजाक मत बनाइये, संवैधानिक संस्था का तो सम्मान करिए.

          श्री लाल सिंह आर्य--  माननीय अध्यक्ष महोदय, हाउस को हास्यास्पद बनाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. यह आपके समय में होता होगा. अध्यक्ष महोदय, हम सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देश समय-समय पर जारी भी करते हैं, उसकी समीक्षा भी करते हैं और अध्यक्ष महोदय, यह पत्र में पूरी जानकारी लगी हुई है कि उनकी अभिस्वीकृतियाँ दी गई हैं. अतारांकित प्रश्न का जो आप हवाला दे रहे हैं, वह दो पत्र, माननीय गोविन्द सिंह जी के थे, उनका जवाब गोविन्द सिंह जी को भेज दिया गया है.

          श्री रामनिवास रावत--  अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से तो कोई उम्मीद नहीं है. मैं आप से आशा करता हूँ कि आप प्रश्न पढ़ें और उत्तर पढ़ें.

          अध्यक्ष महोदय--  इसमें परिशिष्ट ब है, प्रपत्र ब है, उसमें उन्होंने जो लिखा है उसको पढ़ लें. हालाँकि वह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है, यह बात ठीक है.

          श्री रामनिवास रावत--  अध्यक्ष महोदय, आप भी इनको क्यों बचा रहे हों?

          अध्यक्ष महोदय--  मैं बचा नहीं रहा हूँ पर आपने कहा परिशिष्ट ब है ही नहीं.

          श्री रामनिवास रावत--  आपका निर्देश आ जाए.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रपत्र ब है किन्तु उसमें यह लिखा है कि जानकारी उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया गया है. आप उसको पढ़ लें, प्रपत्र ब है.

          श्री रामनिवास रावत--  अध्यक्ष महोदय, प्रपत्र ब में दिया क्या है. यह तो बता दें.

          अध्यक्ष महोदय--  हाँ, प्रपत्र ब है उसमें.

          श्री रामनिवास रावत--  और प्रश्न तथा उत्तर पढ़ें. प्रश्न में दिया है कि उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या प्रश्नकर्ता को परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या के उत्तर में दी गई जानकारी के अनुसार प्रश्नकर्ता द्वारा लिखे गए पत्रों में की गई कार्यवाही से प्रश्नकर्ता को अवगत कराने की जानकारी दी गई है. आपने कहा है, जी हाँ, यदि हाँ तो प्रश्नकर्ता के पत्रों को अवगत कराए जाने हेतु भेजे गए पत्रों की छाया प्रति उपलब्ध कराएँ. जी हाँ, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट ब के अनुसार है. एक पत्र की छाया प्रति नहीं है जो प्रश्नकर्ता को दी गई है.

          अध्यक्ष महोदय--  हाँ, वह पूरा नहीं है पत्र.

          श्री लाल सिंह आर्य--  अध्यक्ष महोदय, जो दो प्रश्नों का जवाब दिया है, हम उनको उपलब्ध करा देंगे.

          श्री रामनिवास रावत--  क्यों उपलब्ध करा दोगे? हाउस में क्यों पूछते हैं? (राजस्व मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता के खड़े होने पर) यह चिंतनीय विषय है, माननीय मंत्री महोदय, आज आप मंत्री हैं, कल आप विधायक भी रह सकते हैं. विधायकों के हितों का संरक्षण करवाना सरकार की जिम्मेदारी है.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--  वह ठीक है.

          श्री रामनिवास रावत--  मजाक बनते जा रहे हों आपकी भी अधिकारी नहीं सुन रहे हैं.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--  (XXX)

            श्री रामनिवास रावत--  अध्यक्ष महोदय, स्थायी निर्देश आ जाएँ, आसंदी की ओर से, यह निवेदन है.

          अध्यक्ष महोदय--  माननीय मंत्री जी, कृपया यह सुनिश्चित करें कि जो इसमें उत्तर दिया है वह पत्र भी इसमें लगाएँ.

श्री लाल सिंह आर्यमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके आदेशों का पालन करके करवा दूंगा.

श्री रामनिवास रावतविधायकों को समय सीमा में जबाव देने के सुनिश्चित करा  दें.

अध्‍यक्ष महोदयमेरी इस बात से सारी बात स्‍पष्‍ट हो गई है.

          श्री रामनिवास रावत- जबाव देने के लिए सुनिश्चित करा दें. हम इसी से संतुष्‍ट हो जाएंगे.

          अध्‍यक्ष महोदयमैंने जो कहा है, वह स्‍पष्‍ट है.

          श्री आरिफ अकीलविधायक समय सीमा में जबाव दें उसके लिए आप आदेश दे दीजिए. 

          अध्‍यक्ष महोदयमैंने बोल दिया है.

          श्री आरिफ अकीलआपने प्रश्‍न का कहा है सारे विधायकों का नहीं कहा है.

          अध्‍यक्ष महोदयआपको आशय समझना चाहिए. यह जरूरी नहीं है कि जो शब्‍द आप बोलें वही मैं भी बोलूं. आपके आशय को मैंने मंत्री जी को समझा दिया है और उन्‍होंने सहमति दे दी है.

चीलर बांध का पर्यटन स्‍थल के रूप में विकास

[पर्यटन]

4. ( *क्र. 630 ) श्री अरूण भीमावद : क्या राज्‍यमंत्री, संस्कृति महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्‍यप्रदेश शासन की पर्यटन स्‍थलों को वि‍कसित करने हेतु क्‍या कार्य योजना प्रस्‍तावित है? (ख) क्‍या जिला शाजापुर मुख्‍यालय पर पर्यटन स्‍थल चीलर बांध को विकसित करने हेतु कोई कार्ययोजना लंबित है? (ग) यदि प्रश्‍नांश (ख) के अनुसार लंबित है तो पर्यटन विभाग द्वारा चीलर बांध को पर्यटन स्‍थल के रूप में कब तक विकसित किया जावेगा?

राज्‍यमंत्री, संस्कृति ( श्री सुरेन्द्र पटवा ) : (क) पर्यटन स्‍थलों को विकसित करने हेतु पर्यटन नीति 2016 के अनुसार कार्यवाही की जाती है। (ख) जी नहीं। (ग) प्रश्‍नांश '''' के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न ही उपस्थित नहीं होता।

 

          श्री अरुण भीमावद माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है मैं उस जवाब से संतुष्‍ट हूं. 2013-14 में आगर और शाजापुर जिले को पर्यटन की दृष्टि से बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना बनाई गई थी लेकिन किसी कारण से वह राशि बड़ी होने के कारण रुक गई है. मेरा माननीय मंत्री जी से दूसरा प्रश्‍न यही है कि महत्‍वपूर्ण बिंदु है कि मां राजेश्‍वरी मंदिर जो वहां पर्यटन की दृष्टि से आस्‍था का केन्‍द्र है नवरात्रि में वहां करीब 25 से 30 हजार लोग प्रतिदिन दर्शन के लिए आते हैं उसको विकसित करने के लिए प्रस्‍तावित एक करोड़ की राशि की मांग की गई है क्‍या वह स्‍वीकृत करेंगे?

          श्री सुरेन्‍द्र पटवामाननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदस्‍य ने जो जानकारी चाही है उसमें चीलर बांध के विकास के संबंध में डेव्‍हलपमेंट के लिए राशि मांगी थी मध्‍यप्रदेश शासन की 2016 की जो पर्यटन नीति है उसमें कंडिका क्रमांक 13 में जल पर्यटन के विकास के लिए हमारे द्वारा स्‍पष्‍ट नीति तैयार की गई है. अभी शासन द्वारा वर्तमान में पांच बांधों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है. इंदिरा सागर, बाण सागर, गांधी सागर, बरगी डेम और तवा डेम. चीलर बांध की क्षमता उन पांच बांधों के समान नहीं है तो आने वाले समय में जब इन बड़े बांधों का विकास हो जाएगा उसके बाद हम आने वाले समय में छोटे बांधों के लिए विचार करेंगे.

          श्री अरुण भीमावदमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, उस कार्ययोजना में चीलर बांध, माताजी का मंदिर, आगर का बैजनाथ का मंदिर इस तरह से पूरी कार्ययोजना आठ करोड़ की बनी हुई थी. उसमें माताजी का मंदिर भी शामिल है उसी संदर्भ में मेरा प्रश्‍न है, उसमें एक करोड़ की राशि का प्रावधान पहले आपकी कार्ययोजना में किया गया था, क्‍या उसे स्‍वीकृत करेंगे?

          श्री सुरेन्‍द्र पटवाअध्‍यक्ष जी, इस प्रश्‍न में यह कहीं आता नहीं है.

          श्री अरुण भीमावद आपकी कार्ययोजना में शामिल है.

          श्री सुरेन्‍द्र पटवा प्रश्‍न से उद्भूत नहीं हो रहा है.

श्री अरुण भीमावदमाननीय अध्‍यक्ष महोदय मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. नया विधायक हूं मैं शाजापुर जैसे जिले से आया हूं.

          अध्‍यक्ष महोदयआप स्‍पष्‍ट करें कि आप क्‍या चाहते हैं?

          श्री अरुण भीमावदमाताजी के मंदिर में एक करोड़ की राशि का प्रावधान उस कार्ययोजना में बनाया गया था. आगर और शाजापुर जिले को उसमें शामिल किया गया था. क्‍या उसमें एक करोड़ की राशि माताजी के मंदिर के लिए दी गई थी मैं चीलर बांध की बात नहीं कर रहा हूं क्‍योंकि वह आपके मापदण्‍ड में नहीं आ रहा होगा वह कार्ययोजना में शामिल था.

          अध्‍यक्ष महोदय आपने पूछा नहीं है.

          श्री अरुण भीमावदवह कार्ययोजना में शामिल था. वह बांध के नाम से बनाया गया था लेकिन उसमें शाजापुर जिले के पांच प्रमुख स्‍थानों को लिया गया था.

          अध्‍यक्ष महोदयमाननीय सदस्‍य जो जानकारी दे रहे हैं उसका आप परीक्षण करा लें और उनको जानकारी दे दें.

          श्री सुरेन्‍द्र पटवापरीक्षण कराकर आवश्‍यकतानुसार काम किया जाएगा.

लोकायुक्‍त पुलिस द्वारा रिश्‍वत लेते पकड़े गए अधिकारियों के विरूद कार्यवाही

[सामान्य प्रशासन]

5. ( *क्र. 861 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोकायुक्‍त पुलिस द्वारा रिश्‍वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए अधिकारियों के विरूद्ध निलंबन/बर्खास्‍तगी के बारे में क्‍या नियम/निर्देश हैं? क्‍या यह नियम म.प्र. के सभी शासकीय विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों के प्रकरणों में लागू होते हैं? (ख) क्‍या प्रश्‍नांश (क) में वर्णित नियम/निर्देश वाणिज्यिक कर विभाग पर लागू नहीं होते हैं?     (ग) क्‍या पुलिस विभाग में पदस्‍थ कतिपय अधिकारियों/कर्मचारियों को रिश्‍वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने पर तत्‍काल बर्खास्‍त किया गया है, जबकि वाणिज्यिक कर विभाग में 3 लाख एवं 40 हजार की रिश्‍वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए सागर एवं इंदौर के अधिकारियों को निलंबित तक नहीं किया गया, ऐसा क्‍यों?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) रिश्‍वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने पर आरोपी अधिकारी/कर्मचारियों को प्रथमत: तीन कार्य दिवस के भीतर अन्‍यत्र स्‍थानांतर किये जाने के निर्देश हैं। जांच एजेन्‍सी की विवेचना उपरांत आरोपी अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध शासन द्वारा अभियोजन स्‍वीकृति के उपरांत माननीय न्‍यायालय में चालान प्रस्‍तुत किये जाने पर आरोपी अधिकारी/कर्मचारियों को निलंबित किये जाने के निर्देश हैं। माननीय न्‍यायालय द्वारा दोषसिद्धि‍ उपरांत आरोपी अधिकारी/कर्मचारियों को सेवा से पदच्‍युत अथवा पेंशन रोके जाने के निर्देश हैं। जी हाँ। (ख) जी नहीं। (ग) उत्तरांश (क) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।

 

          श्री आर.डी. प्रजापति माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में जो जवाब आया है मैं उससे पूर्ण रूप से संतुष्‍ट हूं लेकिन मैं एक निवेदन करना चाहता हूं कि भ्रष्‍ट अधिकारियों के विरुद्ध तात्‍कालिक कार्यवही के लिए शासन नियम बनाए क्‍योंकि अगर वह न्‍यायालय में चला जाता है तो सही नहीं रहता हैं. मैं एक ही निवेदन करना चाहता हूं कि जो भी बड़ा भ्रष्‍टाचार करते हैं और रिश्‍वत लेते हैं उनके ऊपर तत्‍काल कार्यवाही होना चाहिए ऐसा मैं सदन से या माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं.

          राज्‍यमंत्री सामान्‍य प्रशासन, (श्री लाल सिंह आर्य) अध्‍यक्ष महोदय, शासन कार्यवाही करता ही है और भविष्‍य में भी जो दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.

महिदपुर में बिना टिन नंबर एवं अन्‍य फर्मों द्वारा कर चोरी

[वाणिज्यिक कर]

6. ( *क्र. 1583 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परि.अता. प्रश्‍न संख्‍या 186 (क्रमांक 3230), दिनांक 26.07.2016 के प्रश्‍नांश (ख) अनुसार जिन फर्मों पर कार्यवाही संस्‍थापित बतायी गयी, उन पर 10.11.2016 तक क्‍या कार्यवाही की गई है? फर्मवार पृथक-पृथक विवरण देवें (ख) इन फर्मों पर कितनी पेनल्‍टी आरोपित की गई एवं कितनी राशि वसूली गई? पृथक-पृथक बतावें अगर पेनल्‍टी वसूली नहीं हुई है तो कब तक वसूली की जावेगी? (ग) प्र.क्र. 1135, दिनांक 19.07.2016 के अनुसार सुबोध एंटरप्राईजेस ने वर्ष 2013-14 में केवल दो त्रैमास विवरण प्रस्‍तुत किए शेष विवरण विभाग ने इस प्रश्‍न दिनांक तक क्‍यों नहीं लिए? कारण बतावें कब तक ले लिए जायेंगे? (घ) प्र.क्र. 1135, दिनांक 19.07.2016 के प्रश्‍न में उल्‍लेखित फर्मों की परचेस लिस्‍ट एवं बिल बुक नहीं दी गई? कब तक उपलब्‍ध करायी जाएगी

वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रश्‍न संख्‍या 186 (क्रमांक 3230), दिनांक 26.07.2016 के '' अनुसार मे. न्‍यू स्‍टैंडर्ड शू पैलेस गांधीमार्ग महिदपुर द्वारा दिनांक 27.07.2016 को टिन 23419191577, मे. रंगरेज शू पेलेस, सुबायत कॉम्‍पलेक्‍स महिदपुर द्वारा दिनांक 26.07.2016 को टिन-23299191589 तथा मे. श्री कृषि सेवा केंद्र नगर पालिका कॉम्‍पलेक्‍स महिदपुर द्वारा ‍दिनांक 02.09.2016 को टिन 23089195012 प्राप्‍त कर लिया है। पंजीयन दिनांक तक उक्‍त तीनों फर्मों की बिक्री कर-दायित्‍व सीमा से कम है। मे. मनीष मावा भण्‍डार भीमा खेड़ा रोड महिदपुर एवं मे. रातड़‍िया स्‍टील फर्नीचर, शासकीय अस्‍पताल के सामने महिदपुर के प्रकरणों में कर-दायित्‍व निश्चित करने की कार्यवाही दिनांक 22-07-2016 को संस्‍थापित की गई। (ख) जिन फर्मों द्वारा पंजीयन लिया गया है, उन पर पेनल्‍टी की कोई कार्यवाही अपेक्षित नहीं है। मे. मनीष मावा भण्‍डार भीमा खेड़ा रोड महिदपुर एवं मे. रातड़‍िया स्‍टील फर्नीचर, शासकीय अस्‍पताल के सामने महिदपुर पर कर-दायित्‍व नि‍श्चित करने की कार्यवाही दिनांक 22-07-2016 को संस्‍थापित की गयी है। प्रावधान अनुसार कर-दायित्‍व एवं कर निर्धारण के पश्‍चात ही शास्ति आरोपण संभावित है। (ग) व्‍यवसाई मेसर्स सुबोध इंटरप्राईजेस द्वारा वर्ष     2013-14 के दो त्रैमासिक विवरण-पत्र प्रस्‍तुत नहीं किए गए हैं, किन्‍तु इस अवधि का कर निर्धारण किया गया है। (घ) प्रश्‍न क्रमांक 1135, दिनांक 19-07-2016 के प्रश्‍न में उल्‍लेखित फर्मों के विवरण पत्रों की छायाप्रतियां पूर्व में प्रेषित की गई हैं। विवरण पत्रों में पर्चेस की जानकारी उल्‍लेखित है। विभाग में व्‍यवसाईयों के खरीदी बिलों की छायाप्रतियां संधारित नहीं की जाती है।

            श्री बहादुर सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा दिनांक 19.7.2016 व 26.7.2016 को प्रश्न लगाया गया था. प्रश्न संख्या 186 व 1135 है. मेरा मुख्य प्रश्न यह है कि कुछ व्यवसायी टिन नंबर लेकर व्यवसाय करते हैं और कुछ बिना टिन नंबर के व्यवसाय करते हैं. जो सेल्स टैक्स की चोरी करते हैं उनको लाभ होता है और जो सेल्स टैक्स भरते हैं उनको हानि होती है. माननीय मंत्री जी का उत्तर बहुत संतोषप्रद आया है. मैं इसमें यह पूछना चाहता हूँ कि दिनांक 22.7.2016 को मे. रातड़िया स्टील फर्नीचर पर जो कार्यवाही संस्थापित की है वह क्या कार्यवाही की है, बता दें.

          श्री जयंत मलैया--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझ नहीं पाया एक बार पुन: दोहरा दें किसके ऊपर कार्यवाही की बात कर रहे हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर में लिखा है मे. रातड़िया स्टील फर्नीचर पर दिनांक 22.7.2016 को कार्यवाही संस्थापित की गई. यह सबसे बड़ी फर्म है जो टैक्स की चोरी करती है बाकी लोगों ने टिन नंबर ले लिया है उनका असिसमेंट हो गया है, सिर्फ इनका बता दें.

          श्री जयंत मलैया--मे. रातड़िया स्टील फर्नीचर महिदपुर के द्वारा पंजीयन प्राप्त नहीं किया गया किन्तु उनके विरुद्ध कर निर्धारण दायित्व हेतु संस्थापित कार्यवाही पश्चात् इस फर्म पर और इसके अलावा एक और फर्म है मनीषा मावा भंडार दोनों फर्मों पर 1.4.2015 से कर चुकाने का दायित्व आना निर्धारित किया गया है. नियमित कर निर्धारण हेतु प्रकरण सहायक वाणिज्यक कर अधिकारी को दिया गया है. सहायक वाणिज्यक कर अधिकारी द्वारा इन दोनों प्रकरणों में कर निर्धारण हेतु दिनांक 30.11.2016 को सूचना पत्र जारी किया गया है जिसमें दिनांक 7.12.2016 की पेशी नियत की गई है. मैं यहां निवेदन करना चाहता हूँ कि सामान्य तौर से ऐसे प्रकरणों के निर्धारण की सीमा 31.12.2017 तक होती है परन्तु इस प्रकरण के बारे में माननीय सांसद महोदय ने जानकारी चाही थी तो इसकी प्राथमिकता के आधार पर निर्धारण की कार्यवाही पूर्ण कर ली जाएगी.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--धन्यवाद मंत्री जी.

 

 

 

 

 

वनग्राम टेकापार का विद्युतीकरण

[ऊर्जा]

7. ( *क्र. 1570 ) पं. रमेश दुबे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या आजादी के 70 वर्ष बाद भी विकासखण्‍ड बिछुआ जिला छिन्‍दवाड़ा के एक गांव वनग्राम टेकापार के अंधेरे में होने की जानकारी शासन को है? क्‍या उक्‍त शीर्षक से छिन्‍दवाड़ा जिले के स्‍थानीय समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित होने का मामला प्रकाश में आया था? (ख) क्‍या प्रश्‍नकर्ता भी वर्ष 2004 से वनग्राम टेकापार के विद्युतीकरण के संबंध में लगातार ऊर्जा विभाग के और आदिवासी विकास विभाग के स्‍थानीय और शासन में बैठे अधिकारियों को पत्र प्रेषित करते चले आ रहे हैं? क्‍या इस वर्ष भी प्रश्‍नकर्ता ने उक्‍त के संबंध में ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को एवं पत्र क्रमांक 105, दिनांक 26.09.2016 माननीय ऊर्जा मंत्री म.प्र. शासन को पत्र प्रेषित किया है? यदि हाँ, तो अब तक ग्राम टेकापार को विद्युतीकरण नहीं करने के क्‍या कारण हैं? (ग) क्‍या अधीक्षण यंत्री छिंदवाड़ा के द्वारा उनके कार्यालयीन पत्र क्रमांक 729, दिनांक 03.05.2016 के द्वारा वन विभाग से आवश्‍यक अनुमति प्राप्‍त कर वृ‍हद सर्वे करवाकर विद्युत उपकेन्‍द्र खमारपानी से निर्गमित चिकलापार फीडर को ग्राम जामलापानी से विस्‍तारित किया जाकर ग्राम टेकापार को विद्युतीकरण किये जाने का लेख किया गया है? (घ) यदि हाँ, तो उक्‍त पत्र पर कब तक अमल कर ग्राम टेकापार को विद्युतीकृत कर दिया जावेगा? क्‍या शासन आजादी के 70 साल बाद भी वनग्राम टेकापार के अविद्युतीकृत रहने की बात को संज्ञान में लेकर प्राथमि‍कता के तौर पर एक      समय-सीमा में विद्युतीकरण कराने का आदेश देगा? यदि नहीं, तो क्‍यों?

ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। जी हाँ, प्रश्‍नाधीन उल्‍लेखित पत्र प्राप्‍त हुआ है। ग्राम टेकापार वन ग्राम है तथा इस ग्राम को पूर्व में गैर परम्‍परागत ऊर्जा स्‍त्रोत से दिनांक 20.02.1994 को विद्युतीकृत किया गया था। वर्तमान में सोलर पैनल प्रणाली खराब है तथा इस ग्राम को पुन: गैर-परंपरागत ऊर्जा से विद्युतीकृत करने हेतु कार्यवाही नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अन्‍तर्गत म.प्र. ऊर्जा विकास निगम द्वारा की जा रही है। उक्‍त ग्राम के विद्युतीकरण का कार्य पारंपरिक रूप से लाईन विस्‍तार कर विद्युतीकृत करने हेतु किसी योजना में सम्मिलित नहीं है। (ग) जी हाँ, किन्तु उत्‍तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार प्रश्‍नाधीन ग्राम का कार्य गैर-परंपरागत ऊर्जा स्‍त्रोतों से किया जाना प्रस्‍तावित है। (घ) उत्‍तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्‍य में वन ग्राम टेकापार को गैर-परंपरागत ऊर्जा स्‍त्रोत से विद्युतीकृत करने की कार्यवाही नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अन्‍तर्गत ऊर्जा विकास निगम द्वारा की जा रही है, तथापि वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। 

          पं. रमेश दुबे--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में मेरे विधान सभा क्षेत्र के ग्राम टेकापार वनग्राम में विद्युतीकरण करने के लिए मैंने प्रश्न लगाया था जिसका उत्तर मुझे यह प्राप्त हुआ है कि समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से इस बात को जानना चाहता हूँ कि परम्परागत तरीके से उस वनग्राम का विद्युतीकरण कब तक किया जाएगा. इसकी समय सीमा निश्चित करना सुनिश्चित करें.

          श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, वितरण कंपनी द्वारा उक्त ग्राम को परम्परागत ऊर्जा के माध्यम से विद्युतीकृत करने हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किया है एवं अगर अनुमति प्राप्त होती है तो दीनदयाल योजना में सम्मिलित करके अतिशीघ्र उस काम को कर देंगे.

          प. रमेश दुबे--अब यह प्रस्तावित है. मैं आपके माध्यम से जानना चाहता हूँ कि इसमें बहुत लंबा समय हो गया है. वर्ष 1994 में हमने इसे सौर ऊर्जा से विद्युत प्रदाय किया था लेकिन वह सिस्टम चल नहीं पाया लेकिन विभाग से लगातार पत्राचार करने व ध्यान में लाने के पश्चात् आज यह उत्तर आ रहा है कि हम इसकी स्वीकृति के लिए भारत सरकार को भेज रहे हैं. मैं यह जानना चाहता हूँ कि 1994 से अब तक आपका विभाग इस वन ग्राम के विद्युतीकरण के लिए क्या प्रयास करता रहा. एकमात्र वन ग्राम है जिसका परम्परागत तरीके से विद्युतीकरण करना है उसके लिए निश्चित तौर पर समय सीमा तो निश्चित करें. वह ग्राम भी विद्युतीकृत हो सके, उसे भी प्रकाश प्राप्त हो सके. मंत्री जी इस काम की समय सीमा तो निश्चित कर सकते हैं.

          श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बताया कि प्रस्ताव हमने भेजा है जैसे ही स्वीकृति आएगी हम जल्दी से जल्दी इस काम को कर देंगे. हम इस काम को करने के लिए तैयार हैं.

          प. रमेश दुबे--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जानना चाहता हूँ कि स्वीकृति के लिए भारत सरकार को पत्र कब भेजा गया है ?

 

          श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, 01 सितंबर 2016 को पत्र भेजा है.

          प. रमेश दुबे--मेरा प्रश्न लगने के पश्चात् व पत्राचार के बाद यह स्थिति है. यह विभाग की लापरवाही निकलकर आ रही है.

          अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी इसको आप परस्यू कर लें एक ही ग्राम बचा है विशेष रुप से इस पर ध्यान देकर कर लें.

          श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका आदेश शिरोधार्य है अतिशीघ्र करेंगे.

          प. रमेश दुबे--माननीय अध्यक्ष महोदय,अतिशीघ्र के विषय में  आप भलीभांति जानते हैं.

          अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी जल्दी परस्यू करेंगे मैंने भी उनसे कहा है.

          प. रमेश दुबे--देश को आजाद हुए 70 वर्ष हो गए हैं और वह ग्राम आज की स्थिति में विद्युतीकृत नहीं है. मेरे इतने पत्राचार करने के बाद विभाग इतनी देर से भारत सरकार को लिख रहा है.

          अध्यक्ष महोदय--आप इसको परश्यू कर लें जितने जल्दी हो सके क्योंकि एक ही ग्राम बचा है.

          श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कहा है इसको बहुत जल्दी कर लेंगे.

                                                                                               

गंधवानी विधान सभा क्षेत्रांतर्गत विद्युतीकरण

[ऊर्जा]

        8. ( *क्र. 957 ) श्री उमंग सिंघार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार जिले की गंधवानी विधान सभा क्षेत्र के गंधवानी, बाग एवं तिरला ब्‍लॉक के अंतर्गत राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना (आर.जी.जी.व्‍ही.वाय.) 12वां चरण अंतर्गत कितने ग्रामों में कार्य प्रस्‍तावित है तथा कितने ग्रामों में कार्य पूर्ण हो चुका है? ब्‍लॉकवार जानकारी उपलब्‍ध करावें। (ख) प्रश्‍नांकित (क) अनुसार उक्‍त योजना अंतर्गत किये गये पूर्ण, अपूर्ण एवं प्रस्‍तावित ग्रामवार एवं मजरे-टोलेवार कार्यों की प्रशासकीय स्‍वीकृति उपलब्‍ध करावें। (ग) प्रश्‍नांकित (क) अनुसार उक्‍त योजना अंतर्गत किये जाने वाले कार्यों का सर्वे कार्य कब किया गया है? किये गये सर्वे की जानकारी उपलबध करायें। (घ) प्रश्‍नांकित (क) अनुसार उक्‍त योजना का कार्य किस एजेन्‍सी के द्वारा किया जा रहा है तथा अनुबंध अनुसार संबंधित एजेन्‍सी को कार्य कब पूर्ण किया जाना था? अगर गंधवानी विधानसभा में कार्य प्रारंभ नहीं किया गया या अपूर्ण है, तो उसका कारण बतावें।

        ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) धार जिले के गंधवानी विधानसभा क्षेत्र में गंधवानी, बाग एवं तिरला विकासखण्‍डों के अंतर्गत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (12 वाँ प्‍लान) में कुल 155 ग्रामों में योजना के प्रावधानों के अनुसार 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरे-टोलों/बसाहटों के विद्युतीकरण सहित सघन विद्युतीकरण का कार्य प्रस्‍तावित है, जिसमें गंधवानी विकासखण्‍ड के 99, बाग विकासखण्‍ड के 49 एवं तिरला विकासखण्‍ड के 7 ग्राम सम्मिलित हैं। उक्‍त में से गंधवानी विकासखण्‍ड के 2 तथा बाग विकासखण्‍ड के 4 ग्रामों के सघन विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण हो चुका है। (ख) राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (12 वाँ प्‍लान) में सम्मिलित प्रश्‍नाधीन सभी कार्यों की प्रशासकीय स्‍वीकृति के पत्र की छायाप्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ग) उक्‍त योजना में किये जाने वाले कार्यों का सर्वे माह मार्च-2015 से अप्रैल-2015 तक किया गया था। सर्वे की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (घ) प्रश्‍नांश "क" अनुसार उक्‍त योजना का कार्य मेसर्स यूबीटेक प्रा.लि. फरीदाबाद द्वारा किया जा रहा है। अनुबंध के अनुसार ठेकेदार एजेन्‍सी द्वारा उक्‍त कार्य दिनांक 23/02/2017 तक पूर्ण किया जाना है। गंधवानी विधानसभा क्षेत्रांतर्गत उत्‍तरांश "क" में दर्शाए अनुसार कार्य प्रारंभ कर दिया गया है एवं 10 ग्रामों का कार्य प्रगति पर है, ठेकेदार एजेंसी द्वारा अनुबंध की शर्तों अनुसार कार्य किया जा रहा है, जिसे पूर्ण करने की समय-सीमा उक्‍तानुसार दिनांक 23/02/2017 तक है।

 

          श्री उमंग सिंघार:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन है कि  मैंने वर्ष 2014  में भी मैंने प्रश्‍न लगाया था, प्रश्‍न क्रमांक - 426, 5 मार्च, 2014, तब सरकार ने जवाब दिया था कि वहां पर खम्‍बे, तार लग चुके हैं और 141 गांव के अंदर बिजली आ चुकी है, जब मैंने फिर प्रश्‍न लगाया तो आज सरकार कहती है कि 155 गांव प्रस्‍तावित हैं और 314 मंजरे हैं तो सरकार ने पहले जो जानकारी दी थी वह सही थी या अभी जो जानकारी दे रही है वह सही है. मेरा कहना यह है कि दो-दो साल अंतर में सरकार अपने जवाब बदल देती है, एक तरफ सरकार कहती है कि पूरे गये हैं और आज भी गंधवानी विधान सभा में 314 ऐसे मंजरे हैं, जहां पर बिजली नहीं है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री  जी से जानना चाहूंगा कि आपने जो 155 प्रस्‍तावित गांव बताये हैं, इन गांव के प्रत्‍येक मंजरे में बिजली लगेगी या हर गांव के एक मंजरे में बिजली लगेगी, कृपया बतायें ?       

          श्री पारस चन्‍द्र जैन:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बात सही है, जो सदस्‍य ने पूछा है इसमें हम लेट हुए हैं, क्‍योंकि हमने जिनको ठेके दिये थे, उन्‍होंने समय पर काम भी नहीं किया है और हमने उनको 9 पत्र भी दिये हैं और अभी स्थिति यह है कि अभी वर्तमान में 38 प्रतिशत कार्य हुआ है. बाकी कार्य शेष है, हम चाहते हैं कि इन्‍होंने जो कार्य बताये हैं वह भी जल्‍दी हो जाये और हमने उन पर पेनल्‍टी भी लगायी है. लेकिन उसके बाद टेण्‍डर फिर टेण्‍डर होते हैं, टेण्‍डर होने के बाद हम जैसा माननीय सदस्‍य चाहते हैं कि हर मंजरे टोले में लगने चाहिये, उसकी व्‍यवस्‍था हम करेंगे.         

          श्री उमंग सिंघार :- अध्‍यक्ष जी, मेरा स्‍पेसिफिक सवाल है कि 155 गांव प्रस्‍तावित हैं तो मैं यह जानना चाहता हूं कि 155 गांव के अंदर हर मंजरे में बिजली लगेगी कि उस गांव के एक ही मंजरे में बिजली लगेगी ?

          अध्‍यक्ष महोदय:- वह कह रहे हैं कि हर मंजरे टोले में, एक गांव के एक मंजरे में लगेगी या हर मंजरे-टोले में लगेगी.

          श्री पारस चन्‍द्र जैन  :- 155 गांव में ही लगायेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय :- उनका कहना है कि मंजरे-टोले कितने लेंगे

          श्री पारस चन्‍द्र जैन :- जितने मंजरे -टोले होंगे, उन सब में लगायेंगे.

          श्री उमंग  सिंघार :- सरकार के पास पैसा नहीं है, जो 50 करोड़ का टेण्‍डर हुआ है वे पूरे जिले के जिले के लिये हैं.  या तो मुझे आश्‍वासन दिलाये कि ठीक है हर मंजरे के अंदर लग जायेगी. यह आप स्‍पष्‍ट करवा दें.

        अध्‍यक्ष महोदय :- वह कह तो रहे हैं कि लगेगी. आप स्‍पेसिफिक प्रश्‍न कर लीजिये.

          श्री उमंग सिंघार:- मेरा कहना है कि आपने जो 155 ग्रामों का कहा है उसके हर मंजरे-टोले में बिजली लगेगी, आप यह बता दीजिये.

            श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय,155 गांव हैं उनमें जो टोले हैं उसमें हम बिजली लगायेंगे.

          श्री उमंग सिंघार--अध्यक्ष महोदय, इसमें समय सीमा बतायें?

          श्री पारस चन्द्र जैन--इस कार्य में समय लगेगा क्योंकि मजरे टोले बहुत सारे हैं, यह बात आप भी जानते हैं.

          श्री उमंग सिंघार--अध्यक्ष महोदय, यह हर मजरे में बिजली नहीं लगा पायेंगे यह स्पष्ट कर दें कि उस गांव का जो मजरा है उसके सिलेक्शन का मापदण्ड क्या है, यह स्पष्ट कर दें. ?

          अध्यक्ष महोदय--यह इसमें लिखा है.

          श्री उमंग सिंघार--10 मजरे हैं जहां पर 100 से अधिक आबादी वाले हैं उनका सिलेक्शन कैसे करेंगे ?

          अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी भी बोल रहे हैं उसमें बिजली लगायेंगे.

          श्री उमंग सिंघार--1 से ज्यादा मजरों में 100 से अधिक आबादी है उसका सिलेक्शन कैसे करेंगे ?

          अध्यक्ष महोदय--बिजली लगाने का बोल रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--आप () का उत्तर पढ़ लीजिये उसमें स्पष्ट लिखा है.

          श्री पारस चन्द्र जैन--100 की जनसंख्या से जितने भी अधिक मजरे होंगे उनमें हम बिजली लगायेंगे.

          श्री उमंग सिंघार--अध्यक्ष महोदय, एक गांव में अगर 10 मजरे हैं, जिसमें 100 से अधिक आबादी है, उसमें लगेंगे क्या ?

            अध्यक्ष महोदय--वही उन्होंने कहा है.

          श्री उमंग सिंघार--अध्यक्ष महोदय एक मजरे में लग जाए बहुत है, सरकार के पास में पैसा ही नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय--यह आपका विषय नहीं है.

         

 

          प्रश्न संख्या-9

नवीन विद्युत ग्रिड की स्‍थापना

[ऊर्जा]

9. ( *क्र. 321 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या राजगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र ब्‍यावरा के अंतर्गत ग्राम संवासी (नरसिंहगढ़) एवं ग्राम आगर सहित आसपास के लगभग 20 ग्राम विद्युत निम्‍न दाब के गंभीर संकट में होने से सिंचाई कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है? (ख) यदि हाँ, तो क्‍या प्रश्‍नकर्ता द्वारा प्रश्‍न क्रमांक 5827, दिनांक 18 मार्च, 2016 में उक्‍त क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति में लो-वोल्‍टेज की समस्‍या नहीं होना बताया गया था, जबकि गत वर्षों अनुसार इस वर्ष भी सभी प्रभावित ग्राम पूर्ण वोल्‍टेज के अभाव में विद्युत पंप संचालित नहीं होने से सिंचाई सुविधा का पूर्ण लाभ नहीं ले पा रहे हैं? (ग) प्रश्‍नांश (क) के परिप्रेक्ष्‍य में यदि हाँ, तो क्‍या शासन किसानों की इस विकराल समस्‍या पर गंभीरता से विचार करते हुए उक्‍त दोनों स्‍थानों पर नवीन विद्युत ग्रिड स्‍थापित करने की स्‍वीकृति‍ प्रदान करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों?

ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) जी नहीं, प्रश्‍नाधीन क्षेत्र में ऐसी कोई समस्‍या नहीं है। (ख) विगत बजट सत्र में तारांकित प्रश्‍न क्रमांक 5827, ‍दिनांक 18 मार्च 2016 के संदर्भ में प्रश्‍नाधीन क्षेत्रान्‍तर्गत पर्याप्‍त वोल्‍टेज पर विद्युत प्रदाय किये जाने एवं संबद्ध भार के अनुरूप अधोसंरचना उपलब्‍ध होने की जानकारी दी गई थी। इस वर्ष भी विगत वर्ष की भांति निर्धारित प्रावधानों के अनुसार पर्याप्‍त विद्युत प्रदाय किया जा रहा है तथा किसानों को पर्याप्‍त वोल्‍टेज पर विद्युत प्रदाय उपलब्‍ध करवाकर उन्‍हें सिंचाई सुविधा का पूर्ण लाभ दिया जा रहा है। (ग) उत्‍तरांश '' के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न नहीं उठता।

 

          श्री नारायण सिंह पंवार--अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के संदर्भ में पिछली बार 18 मार्च, 2016 को 5028 नंबर के माध्यम से प्रश्न लगाया था. मेरी विधान सभा के दो ग्राम ऐसे हैं जहां पर वोल्टेज की बेहद समस्या है. ग्राम संवासी एवं ग्राम आगर के बारे में पिछली बार भी बहुत गोल-मोल जवाब दिया गया था इस बार भी वही उत्तर पकड़ा दिया गया है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है, वास्तव में वहां पर वोल्टेज नहीं मिल रहा है, खम्बे व लाईनें टूट रही हैं. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि वह फिर से धरातल का सर्वे करके उसकी वास्तविकता जानेंगे तथा वहां पर नये ग्रिड बनाने का आदेश करेंगे ?

          श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, जहां तक सदस्य महोदय ने पूछा है वहां पर वोल्टेज 380 से 385 वोल्टेज अभी मिल रहा है, यह पहले भी कहा था और अभी भी कह रहे हैं इसके अलावा भी आप कहेंगे तो उसकी जांच करा लेंगे हमको कोई दिक्कत नहीं है, अगर वोल्टेज कम मिल रहा है.

          श्री नारायण सिंह पंवार--अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं वह मीटर लेकर के कब देखने के लिये वहां पर गये थे?

          श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय,यह तो विभाग वोल्टेज चेक करने के लिये जाता है मैं नहीं जाता हूं.

          श्री नारायण सिंह पंवार--अध्यक्ष महोदय, इनका बार-बार उत्तर यही आ रहा है मेरा आग्रह मंत्री महोदय से यह है कि धरातल की जानकारी लेकर के मुझे सूचित करें तथा आने वाले वर्षों में ग्रिड लगाने की व्यवस्था करेंगे?

          अध्यक्ष महोदय--आप इसको एक बार और दिखवा लें और यदि वहां पर वोल्टेज नहीं आ रहा है तो उसकी व्यवस्था करवाएं.

          श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, 33 के.बी.के 2 उपकेन्द्रों की अगली पंचवर्षीय योजना में इसमें शामिल किया है.

          अध्यक्ष महोदय--अभी जो तात्कालिक समस्या है.

          श्री नारायण सिंह पंवार--अध्यक्ष महोदय, मेरे दोनो गांव उस पंचवर्षीय योजना में शामिल हैं ?

            श्री पारस जैन--अध्यक्ष महोदय, 2 उपकेन्द्रों के बारे में उन्होंने जो कहा है वह तो इसमें शामिल हैं.

          अध्यक्ष महोदय--आप जानकारी लेकर के इनको दे दीजियेगा.

          श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, जी हां.

          प्रश्न संख्या--10

          सागर जिले में अवैध शराब बिक्री

[वाणिज्यिक कर]

10. ( *क्र. 1592 ) श्री हर्ष यादव : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अवैध शराब का विक्रय रोकने हेतु शासन की क्‍या नीति, नियम, निर्देश हैं? क्‍या इन नियम-‍नीतियों का पालन सागर जिले में किया जा रहा है? नहीं तो क्‍यों? संपूर्ण जिले में गांव-गांव अवैध शराब बिक्री हेतु कौन उत्‍तरदायी है? (ख) वर्ष 2013-14 से प्रश्‍न दिनांक तक सागर जिले में कहां-कहां अवैध शराब विक्रय, भण्‍डारण और आबकारी एक्‍ट अंतर्गत कितने प्रकरण दर्ज किये गए हैं? प्रकरणवार जानकारी दें इन मामलों को कब माननीय न्‍यायालयों में प्रस्‍तुत किया गया और किन-किन प्रकरणों का निराकरण कराया गया? (ग) संपूर्ण सागर जिले में गांव-गांव में बिक रही अवैध शराब, अवैध भण्‍डारण आदि के संबंध में क्‍या विभाग विशेष निर्देश देकर अभियान चलाकर समुचित कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो क्‍यों? (घ) दो वर्षों में जनता, जनप्रतिनिधियों ने किन-किन दुकानों को हटाने की मांग की है? उन पर अब तक विभाग ने क्‍या कार्यवाही की है?

वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) मध्‍यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 के अन्‍तर्गत अवैध शराब का विक्रय, भण्‍डारण, परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण रखे जाने हेतु अधिनियम की धारा 34 (1) (2) धारा 36, धारा 54 एवं धारा 49 में प्रावधानित है। सागर जिलान्‍तर्गत इन प्रावधानों का पालन किया जा रहा है। जिलान्‍तर्गत अनियमितता पाये जाने पर एवं प्राप्‍त सूचनाओं के आधार पर त्‍वरित कार्यवाही की जाकर प्रकरण पंजीबद्ध किये गये हैं। (ख) सागर जिलान्‍तर्गत अवैध शराब विक्रय, भण्‍डारण और आबकारी एक्‍ट के अन्‍तर्गत विभाग द्वारा वर्ष 2013-14 से प्रश्‍न दिनांक तक 2326 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये हैं। पंजीबद्ध प्रकरणों में माननीय न्‍यायालय में प्रस्‍तुत किये जाने एवं माननीय न्‍यायालयों से उनका निराकरण किये जाने संबंधी कायम/निराकृत प्रकरणों की प्रकरणवार जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट अनुसार है। (ग) सागर जिलान्‍तर्गत गांव-गांव में अवैध शराब विक्रय, भण्‍डारण पर प्रभावी नियंत्रण रखे जाने के उद्देश्‍य से माह अगस्‍त 2016 में दिनांक 15.08.2016 तक विशेष अभियान चलाया गया। तदंतर प्रतिमाह 10 दिवस अभियान चलाया जा रहा है।         (घ) विगत दो वर्षों में जनप्रतिनिधियों एवं जनता द्वारा जिला सागर के सागर नगर स्थित देशी शराब दुकान काकागंज, तिली, विदेशी मदिरा दुकान मधुकरशाह वार्ड, देवरी क्षेत्रान्‍तर्गत देशी शराब दुकान गौरझामर, देशी शराब दुकान टडा एवं विदेशी मदिरा दुकान बीना खुरई रोड, बीना को हटाये जाने की मांग की गई। देशी मदिरा दुकान काकागंज एवं तिलीगांव का स्‍थान परिवर्तन किया गया है। उक्‍त के अतिरिक्‍त बण्‍डा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत शाला अध्‍ययन केन्‍द्र के समीप स्‍थापित देशी मदिरा दुकान बिनायका को हटाये जाने संबंधी माननीय विधायक महोदय के पत्र प्राप्‍त हुये थे, जिनमें जांच के दौरान संचालित देशी मदिरा दुकान, बिनायका निर्धारित अवस्थिति में होने एवं उक्‍त मदिरा दुकान प्रश्‍नाधीन शाला से 125 मीटर दूरी पर संचालित होने तथा इसी तारतम्‍य में ग्राम सरपंच श्रीमती दमयंती बाई एवं श्री मोहन सिंह गौड़ प्रधान अध्‍यापक, शासकीय प्राथमिक शाला बिनायका द्वारा आगामी वर्ष 2017-18 में नवीन स्‍थल पर दुकान स्‍थानांतरित किये जाने की लिखित स‍हमति दिये जाने से वर्ष की शेष अवधि हेतु यथा स्‍थान पर ही देशी मदिरा दुकान‍ बिनायका वर्तमान में संचालित है। शेष प्राप्‍त आवेदन/शिकायतों की जांच उपरांत उक्‍त मदिरा दुकानें मध्‍यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 अन्‍तर्गत बने सामान्‍य प्रयोग के नियम 1 अनुसार दुकानों के अवस्‍थापन संबंधी नियमों का पालन करते हुये निर्धारित अवस्थिति में संचालित होना पाया गया। 

          श्री हर्ष यादव--अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि गांव-गांव, घर-घर शराब बेची जा रही है मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि शराब माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही?

          श्री जयंत मलैया--अध्यक्ष महोदय, आबकारी विभाग एवं पुलिस विभाग लगातार अवैध शराब बेचने वालों के लिये तथा उसका परिवहन करने वालों के ऊपर लगातार कार्यवाही करता जा रहा है और इसके बाद अगस्त माह से माननीय गृहमंत्री जी ने यह भी निर्देश दिया है कि हर माह के 10 दिन में एक विशेष अभियान के अंतर्गत कार्य किया जाए और उसके तहत सागर जिले में अगस्त माह में 266 प्रकरण, सितम्बर में 276 प्रकरण, अक्टूबर, 2016 में 309 प्रकरण और नवंबर, 2016 में 299 प्रकरण दर्ज किये गये हैं.

          श्री हर्ष यादव--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने स्वीकार किया है कितने सारे प्रकरण पंजीबद्ध हुए हैं इसका मतलब यह है कि पूरे जिले में अवैध शराब का काम चल रहा है और अगर सख्ती के साथ कार्यवाही की गई होती गांव-गांव एवं घर-घर में जो शराब बिक रही है शराब माफिया का पूरे जिले में कुचक्र चल रहा है. मैं चाहता हूं कि वहां पर सख्ती के साथ कार्यवाही हो?

          श्री जयंत मलैया--मैंने पूर्व में भी निवेदन किया कि हर जगह पर यह जो होता है उसमें सरकार सख्त कार्यवाही करती है. यह कार्यवाही का ही नतीजा है. आप देखेंगे कि पिछले वर्ष पूरे प्रदेश में 8 माह में 49,114 प्रकरण दर्ज हुए थे और इस बार यह संख्‍या 52,182 है. मैं यही निवेदन करना चाह रहा था.

अध्‍यक्ष महोदय जिन पर केस बनते हैं, वही लोग फिर शराब बेचने लगते हैं. उसके लिए आप क्‍या करेंगे ?

श्री हर्ष यादव अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि जो बार-बार शराब माफियाओं के खिलाफ प्रकरण बनाये जा रहे हैं. क्‍या उन शराफ माफियाओं, शराब ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही होगी ? क्‍या उनको ब्‍लैक लिस्‍टेड किया जायेगा ? क्‍या उनके ठेके निरस्‍त होंगे ?

श्री जयन्‍त मलैया अध्‍यक्ष महोदय, इस प्रकार के जो भी प्रकरण आएंगे, उनके ऊपर उचित कार्यवाही की जायेगी.

श्री शैलेन्‍द्र जैन माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा भी यही प्रश्‍न है.

अध्‍यक्ष महोदय तिवारी जी, आप बैठ जाइये.

श्री सुन्‍दरलाल तिवारी अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश में स्‍कूलों में, कॉलेजों में सब जगह अवैध शराब बिक रही है. इनका जवाब सब असत्‍य है. हमारे रीवा जिले में होम डिलीवरी है.

अध्‍यक्ष महोदय आप बैठ जाइये. मात्र 4 मिनट शेष हैं. इस तरह से नहीं चलने देंगे. तिवारी जी जो कुछ बोल रहे हैं, वह कुछ नहीं लिखा जायेगा.

श्री सुन्‍दरलाल तिवारी (XXX)

श्री रामनिवास रावत अध्‍यक्ष महोदय, सुन लीजिये.

अध्‍यक्ष महोदय नहीं, अब आगे बढ़ गए हैं.

श्री रामनिवास रावत माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शराब के बिकने से आप भी चिन्तित हैं, आसन्‍दी भी चिन्तित है. मैं एक प्रश्‍न पूछना चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी द्वारा 49,114 प्रकरण बनाये जाने की जानकारी दी गई है. जो शराब कमीशन पर बेची और पकड़ी जाती है, जिन पर प्रकरण बनते हैं. वह कहीं न कहीं ठेकेदार द्वारा दी जाती है. अगर आप अवैध शराब की बिक्री को रोकना चाहते हैं तो क्‍या यह जांच कराकर कि जिस ठेकेदार की ऐसी शराब पाई जाये, उस ठेकेदार का लाइसेन्‍स निरस्‍त कर उस पर कार्यवाही करेंगे और उस पर पेनाल्‍टी लगायेंगे ?

अध्‍यक्ष महोदय आपकी बात आ गई है. श्री गोविन्‍द सिंह पटेल प्रश्‍न पूछेंगे.

 

 

 

 

11.56 बजे                            गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी

इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍य सर्वश्री सुन्‍दरलाल तिवारी, यादवेन्‍द्र सिंह एवं जितू पटवारी का तारांकित प्रश्‍न सं.10 पर चर्चा के दौरान

गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी.

 (इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍य सर्वश्री सुन्‍दरलाल तिवारी, यादवेन्‍द्र सिंह एवं जितू पटवारी द्वारा अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आए एवं अध्‍यक्ष महोदय की समझाइश पर वापस अपने आसन पर गए.)

परियोजना अधिकारी/पर्यवेक्षक के स्‍वीकृत/रिक्‍त पद

[महिला एवं बाल विकास]

11. ( *क्र. 155 ) श्री गोविन्‍द सिंह पटेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कितने पद परियोजना अधिकारी एवं कितने पद पर्यवेक्षक के स्‍वीकृत हैं, जिसमें कितने पद भरे हुए हैं तथा कितने पद रिक्‍त हैं? क्‍या रिक्‍त पदों के कारण योजनाओं के क्रियान्‍वयन में कठिनाई नहीं हो रही है? रिक्‍त पदों की पूर्ति कब तक कर दी जाएगी? (ख) गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र में कितने आंगनवाड़ी केन्‍द्र संचालित हैं, जिसमें कितनों के पास अपने स्‍वयं के भवन हैं तथा कितने भवन विहीन हैं? भवन विहीन आंगनवाड़ी केन्‍द्रों में भवन की व्‍यवस्‍था कब तक कर दी जाएगी? () विगत वर्ष 2014-15 में नरसिंहपुर जिले में कितने आंगनवाड़ी केन्‍द्र स्‍वीकृत हुए थे? क्‍या स्‍वीकृत सभी आंगनवाड़ी केन्‍द्रों को एक ही ब्‍लाक चावरपाठा में आवंटित कर दिया गया था? य‍ह किस नियम के तहत किये गये हैं? इसके लिये कौन अधिकारी दोषी हैं? क्‍या इसकी जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो क्‍यों?

महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक के स्‍वीकृत भरे एवं रिक्‍त पदों की जानकारी निम्‍नानुसार है :-

क्र.

पदनाम

स्‍वीकृत

भरे

रिक्‍त

1.

परियोजना अधिकारी

02

00

02

2.

पर्यवेक्षक

11

09

02

रिक्‍त पदों का प्रभार अन्‍य अधिकारियों को सौंप कर कार्य सुचारु रुप से कराया जा रहा है। पदों की रिक्ति एवं पूर्ति निरंतर प्रक्रिया है। समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (ख) गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र में कुल 272 आंगनवाड़ी केन्‍द्र संचालित हैं। जिसमें से 65 आंगनवाड़ी केन्‍द्र स्‍वयं के विभागीय भवनों में, 142 आंगनवाड़ी केन्‍द्र अन्‍य शासकीय भवनों में तथा 65 आंगनवाड़ी केन्‍द्र किराये पर (भवनविहीन) संचालित हैं। विधानसभा क्षेत्र गाडरवारा में भवनविहीन आंगनवाड़ी केन्‍द्रों के लिये विभाग द्वारा मनरेगा योजना के अभिसरण से वर्तमान तक 71 आंगनवाड़ी भवनों की स्‍वीकृति दी जा चुकी है। जिले से प्राप्‍त प्रस्‍ताव एवं उपलब्‍ध आवंटन के अनुरुप शेष भवन विहीन आंगनवाड़ी केन्‍द्रों के लिये भवन निर्माण की स्‍वीकृति मनरेगा योजना के अभिसरण से आंगनवाड़ी भवन निर्माण योजना अंतर्गत दी जाना विचाराधीन है। (ग) वित्‍तीय वर्ष 2014-15 में नरसिंहपुर जिले के लिये कोई भी नवीन आंगनवाड़ी केन्‍द्र स्‍वीकृत नहीं किया गया है। अत: शेष जानकारी का प्रश्‍न ही उपस्थित नहीं होता है ।

श्री गोविन्‍द सिंह पटेल माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में यह आया है कि परियोजना अधिकारी के दोनों पद खाली हैं. सांईखेड़ा परियोजना अधिकारी का पद एक वर्ष से खाली है और चिचली परियोजना अधिकारी का पद 6 माह से खाली है एवं 2 पर्यवेक्षकों के पद भी खाली हैं. मैं माननीय मंत्री महोदया जी से पूछना चाहता हूँ कि परियोजना अधिकारी के पद कब तक भर दिये जायेंगे ?

श्रीमती अर्चना चिटनिस माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सीधी भर्ती से हमारे यहां सिलेक्‍शनस हो गए हैं और उस सिलेक्‍शन की प्रक्रिया करके पदों की पूर्ति की जायेगी.

श्री गोविन्‍द सिंह पटेल माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्‍न है कि 272 ऐसे आंगनवाड़ी हैं, जिनके पास स्‍वयं के भवन नहीं हैं. ये भवन कब तक बनवा दिये जायेंगे ? मेरे प्रश्‍नांश के उत्‍तर में आपने एक विकासखण्‍ड में 65 आंगनवाड़ी भवन बनाये हैं. जो भवन गलत दिये गये हैं क्‍या उसकी जांच कराई जायेगी एवं जो इसमें दोषी हैं, क्‍या उन पर कार्यवाही की जायेगी ?

श्रीमती अर्चना चिटनिस अध्‍यक्ष महोदय, निश्चित तौर पर. जैसा माननीय विधायक जी कह रहे हैं कि किसी एक ब्‍लॉक में सारे भवन दिये गये हैं और शेष में नहीं दिए गए हैं तो इसकी जांच भी करवा लूँगी और आगामी जो भी भवन स्‍वीकृत होंगे, उन आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण माननीय विधायकों की सहमति से ही होगा.

श्री गोविन्‍द सिंह पटेल धन्‍यवाद.

 

अविद्युतीकृत ग्रामों का विद्युतीकरण 

[ऊर्जा]

12. ( *क्र. 1351 ) श्री संजय शर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नवम्‍बर 2016 की स्थिति में रायसेन जिले के अविद्युतीकृत ग्रामों की सूची दें, उनके विद्युतीकरण हेतु विगत एक वर्ष में माननीय मंत्री जी को किन-किन विधायकों के पत्र कब-कब प्राप्‍त हुए तथा उन पर क्‍या-क्‍या कार्यवाही की गई ? (ख) रायसेन जिले में फीडर सेपरेशन तथा राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत कौन-कौन से कार्य अपूर्ण तथा अप्रारंभ हैं? कारण बतायें। उक्‍त कार्य कब तक पूर्ण होंगे? (ग) क्‍या उक्‍त कार्य करने वाली एजेंसियों ने रायसेन जिले में संबंधित विभाग की बिना अनुमति के सड़क किनारे विद्युत पोल खड़े कर दिये गये हैं? यदि हाँ, तो क्‍यों? (घ) 10 नवम्‍बर 2016 की स्थिति में रायसेन जिले में किन-किन ग्रामों की विद्युत सप्‍लाई क्‍यों बंद कर दी गई है? किन-किन ग्रामों के ट्रांसफार्मर जले एवं खराब हैं, उनको कब तक बदला जायेगा?

ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) माह नवम्‍बर-2016 की स्थिति में रायसेन जिले में 4 वन बाधित अविद्युतीकृत ग्राम हैं जो कि गैर-परंपरागत ऊर्जा स्‍त्रोतों से विद्युतीकृत करने हेतु प्रस्‍तावित हैं। इन ग्रामों की सूची पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। विगत एक वर्ष में रायसेन जिले में विद्युतीकरण कार्य हेतु श्री रामपाल सिंह जी माननीय मंत्री, लोक निर्माण, विधि एवं विधायी कार्य, मध्‍य प्रदेश शासन का पत्र क्रमांक 604/2016 दिनांक 24.10.2016 प्राप्‍त हुआ है, जिसमें 19 ग्रामों/मजरे-टोलों के विद्युतीकरण बावत् लेख किया गया है। उक्‍त 19 ग्रामों/ मजरे-टोलों में से 07 ग्राम पूर्व से सौर ऊर्जा से तथा 8 ग्राम परम्‍परागत रूप से लाईन विस्‍तार कर विद्युतीकृत हैं एवं 2 अविद्युतीकृत ग्रामों को सौर ऊर्जा से विद्युतीकृत करने हेतु नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अंतर्गत म.प्र. ऊर्जा विकास निगम को प्रस्‍ताव प्रेषित किया जा चुका है, शेष 02 अविद्युतीकृत मजरे-टोलों के विद्युतीकरण का कार्य 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्‍वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (वर्तमान में दीनदयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना) में प्रस्‍तावित है। उक्‍त 19 ग्रामों/मजरे-टोलों का विवरण पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ख) फीडर सेपरेशन योजना के अंतर्गत कोई भी कार्य अपूर्ण नहीं है। 11वीं पंचवर्षीय योजना में स्‍वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में ग्रामों/मजरे-टोलों में बी.पी.एल. कनेक्‍शन देने का कार्य कर रही ठेकेदार एजेंसी मेसर्स इरा इन्‍फ्रा द्वारा कार्य में अत्‍यधिक विलंब करने के कारण मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा पत्र क्रमांक प्र.स./म.क्षे./प्रोजेक्‍ट/आर.जी.जी.व्‍ही.व्‍हाय./72, दिनांक 15.04.2015 से कांट्रेक्‍ट निरस्‍त करने के कारण कार्य अपूर्ण हैं। उक्‍त कार्य हेतु निविदा प्रक्रिया के द्वारा ठेकेदार एजेंसी मेसर्स ड्रैक एंड स्‍कल वॉटर एनर्जी इंडिया लिमिटेड को अवार्ड क्रमांक प्र.स./म.क्षे./प्रोजेक्‍ट/आर.जी.जी.व्‍ही.व्‍हाय./11वां प्‍लान/ एल.ओ.ए. रायसेन/587, दिनांक 01.07.2015 जारी कर, शेष कार्य करवाया जा रहा है। यह कार्य उक्‍त ठेकेदार एजेंसी के माध्‍यम से मार्च-2017 तक पूर्ण किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। योजनान्‍तर्गत शेष/प्रारंभ कार्यों की सूची पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र स-1 अनुसार है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्‍वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकण योजना में रायसेन जिले के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरे-टोलों में बी.पी.एल. हितग्राहियों को विद्युत कनेक्‍शन दिये जाने के कार्य हेतु मेसर्स सेनफील्‍ड इंडिया लिमिटेड, भोपाल को मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के पत्र क्रमांक प्र.स./म.क्षे./प्रोजेक्‍ट/ आर.जी.जी.व्‍ही.व्‍हाय./12वां प्‍लान/ एल.ओ.ए. रायसेन/620 दिनांक 10.09.2014 के द्वारा अवार्ड जारी किया गया है। उक्‍त ठेकेदार एजेन्‍सी के माध्‍यम से इन कार्यों को मार्च-2017 तक पूर्ण किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। योजनान्‍तर्गत शेष कार्यों की सूची पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र स-2 अनुसार है। (ग) उक्‍त ठेकेदार एजेन्‍सी द्वारा तृतीय पक्ष निरीक्षण इकाई से समन्‍वय कर भौतिक निरीक्षण के उपरान्‍त ही विद्युत पोल खड़े करने का कार्य नियमानुसार किया जा रहा है। सिलवानी-बटेरा, सियरमउ-सुल्‍तानगंज एवं सिलवानी-गैरतगंज-उदयपुरा मार्ग पर जहां सड़क निर्माण विभाग द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई है, वहां पर संबंधित ठेकेदार एजेन्‍सी मेसर्स ड्रैक एंड स्‍कल वॉटर एनर्जी इंडिया लिमिटेड को विद्युत पोल हटाये जाने के समुचित निर्देश दिये गये हैं। (घ) 10 नवम्‍बर, 2016 की स्थिति में रायसेन जिले में किसी भी ग्राम की विद्युत सप्‍लाई बंद नहीं की गई है। तथापि 45 ग्रामों के 76 फेल ट्रांसफार्मरों से संबद्ध उपभोक्‍ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं कराए जाने के कारण इन ट्रांसफार्मरों को बदला नहीं जा सका है। उक्‍त ग्रामों की सूची पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। नियमानुसार संबंधित उपभोक्‍ताओं द्वारा बकाया राशि का न्‍यूनतम 40 प्रतिशत भुगतान करने या 75 प्रतिशत उपभोक्‍ताओं द्वारा राशि जमा करने पर उक्‍त ट्रांसफार्मर बदले जा सकेंगे, अत: इन्‍हें बदले जाने की निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। 

श्री संजय शर्मा माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में जो जानकारी दी गई है. जिस ठेकेदार ने समय-सीमा में काम नहीं किया है, उस ठेकेदार के खिलाफ क्‍या आप कार्यवाही करेंगे ?

श्री पारस चन्‍द्र जैन माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही कर उसका ठेका भी निरस्‍त किया है और 12 करोड़ रूपये की जप्‍ती भी की है. उसके खिलाफ कार्यवाही कर 12 करोड़ रूपये राजसात किए हैं और नये टेण्‍डर करके, हम इस काम को पूरा भी करेंगे.

श्री संजय शर्मा माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अटल ज्‍योति योजना के अंतर्गत कई ग्रामों को लाईट चालू नहीं की गई है और बहुत सी जगह तार चोरी हुए हैं, इसकी एफ.आई.आर. हो गई है लेकिन अभी तक वहां तार नहीं लगाए जा रहे हैं. 25 केव्‍हीए के जितने ट्रांसफॉर्मर जलते हैं, तकनीकी खराबी मान लें या विभाग की लापरवाही, हर जगह ओवरलोड बताकर ट्रांसफॉर्मर जल रहे हैं और वह कृषि आधारित पूरा क्षेत्र है, ट्यूबवेल से सिंचाई होती है और किसान लगातार परेशान है. न ट्रांसफार्मर बढ़ा रहे हैं, बिल की सूची फर्जी बनाकर रखी गई है कि यहां पर लोग रह नहीं रहे हैं और उनको लाइट नहीं दी जा रही है. माननीय अध्‍यक्ष्‍ा जी जहां पर ट्रांसफार्मर ओवरलोड है, उनको बड़े किए जाएं और जो लाइन 11 केव्‍ही की रोड क्रास करके जा रही है, जिससे अभी कई दुर्घटनाएं हो रही है, ट्रालियों में तार लग जाते है, जिससे ड्रायवरों की मौत हो रही है, ये कार्य कब ठीक कराए जाएंगे?

          श्री पारस चन्‍द्र जैन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदस्‍य ने जो पूछा है, लाइन वाला मामला, कहां की लाइन खराब है, यदि बता देंगे तो हम सुधरवा देंगे.

          श्री संजय शर्मा - माननीय अध्‍यक्ष जी यह समस्‍या पूरे क्षेत्र में है.

          अध्‍यक्ष महोदय - उनकी तीन बात है, एक तो तार चोरी हो जाते है, उनको जल्‍दी नहीं बदलते.

          श्री पारस चन्‍द्र जैन - यदि उसकी थाने में रिपोर्ट हुई होगी तो हम उसके तार बदलवा देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - तार जल्‍दी बदलवाने की व्‍यवस्‍था कर दें, दूसरा जो तार नीचे लटक रहे है, बरखेड़ी क्षेत्र में.

          श्री पारस चन्‍द्र जैन - जो तार नीचे लटक रहे हैं, उनको भी सुधारेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - सुधार देंगे जल्‍दी, आप सूची दे दीजिए उनको.

          श्री संजय शर्मा - ओवरलोड ट्रांसफार्मर है, पूरे जिले में हाहाकार मची है और विभाग ने लगातार वसूली का धंधा बना रखा है, वहां पर दो सब-स्‍टेशन हमारे दो साल से स्‍वीकृत है, अभी तक नहीं लगाए गए हैं.

            अध्‍यक्ष महोदय - प्रश्‍नकाल समाप्‍त .

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त )


 

12:01 बजे                               शून्‍यकाल में उल्‍लेख

नोटबंदी के कारण मंडियों में किसानों द्वारा फसल न बेचे जाने पर दिए गए स्‍थगन पर चर्चा करायी जाना

          श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)- अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय - पहले जो शून्‍यकाल की सूचनाएं है, उस पर विचार करें.

          श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसानों की फसल कौडि़यों के भाव मंडी से हटकर बेचने के लिए किसान मजबूर है, किसान मंडियों में फसल भी नहीं बेच पा रहा है और नोटबंदी के कारण पूरे प्रदेश में बेरोजगारी उत्‍पन्‍न हो गई है. फैक्ट्रियों ने ब्‍लैक आउट कर दिया है, मजदूरों को निकाल दिया है, इस पर स्‍थगन दिया है, इस पर चर्चा कराई जाए अध्‍यक्ष महोदय, किसान आत्‍महत्‍या कर रहा है, किसानों की स्थिति खराब है.

          अध्‍यक्ष महोदय - मैं आपको आश्‍वस्‍त कर रहा हूं, उस पर विचार कर लेंगे, आपको सूचित करेंगे.

          श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज और अभी चर्चा कराई जाए, इतना महत्‍वपूर्ण विषय है. 

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं, अभी चर्चा नहीं करना.

          प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्‍चन) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह मध्‍यप्रदेश का ज्‍वलंत और बहुत बड़ा मुद्दा है, इस पर चर्चा करना चाहिए, माननीय अध्‍यक्ष महोदय किसान बोवनी नहीं कर पा रहे हैं, पिछले साल जितनी बोवनी हुई थी, उससे पचास प्रतिशत भी अभी तक किसान बोवनी नहीं कर पाए हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है, नेता जी, रावत साहब आपकी बात आ गई है, उस पर विचार कर लेंगे.

          श्री बाला बच्‍चन - नोटबंदी के कारण जो दिक्‍कत आई है माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने इससे संबंधित स्‍थगन दिया है, आप इस पर चर्चा कराएं, आप हमारे आग्रह को स्‍वीकार करें.

 

 

 

 

 

12:03 बजे                       नियम 267-क के अधीन विषय

          अध्‍यक्ष महोदय - नियम 267-क के अधीन लंबित सूचनाओं में से 15 सूचनाएं नियम 267-क(2) को शिथिल कर आज सदन में लिए जाने की अनुज्ञा मैंने प्रदान की है. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.

                                                              (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

1. गरीब उपभोक्‍ताओं को अपनी सुविधा, अपना राशन(असर) योजना संबंधी.

          श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्‍तर)- अध्‍यक्ष महोदय, मेरी सूचना पढ़ी हुई मान लें और इसका जबाव दिलवा दें.               

          अध्‍यक्ष महोदय - ठीक है आपकी सूचना पढ़ी हुई मानी जाएगी.

12:04 बजे                            शून्‍यकाल में उल्‍लेख(क्रमश:)

नोटबंदी के कारण मंडियों में किसानों द्वारा फसल न बेचे जाने पर दिए गए स्‍थगन पर चर्चा करायी जाना

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष जी माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं. हमने जो स्‍थगन दिया है, उस संबंध में माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं, उनका जबाव आने दें.

          संसदीय कार्यमंत्री (डा. नरोत्‍तम मिश्रा) - माननीय अध्‍यक्ष जी, संबंधित व्‍यक्ति फसल की बोवनी के बारे में, बिकने के बारे में, नोटबंदी के बारे में जिस पर भी चर्चा करना चाहते हैं, करने दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय - मैं उनको कह रहा हूं कि उनसे चर्चा कर लेंगे और उनके विषय को लेंगे.

          श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - सरकार की आय कितनी गिरी है, यही बता दें. पूरे प्रदेश की हालत खराब है, किसान परेशान है, मजदूर परेशान है.

          अध्‍यक्ष महोदय - उसको लेंगे चर्चा में. आप कृपया बैठ जाए. उसको मैंने मना नहीं किया है, शासन भी कह रहा है, इसमें कोई दिक्‍कत नहीं है, इतने गुस्‍सा होने की बात नहीं है, आप केवल बैठ जाए.

          डा. नरोत्‍तम मिश्रा - उधर बात करें, हर चीज का जबाव मिल जाएगा आपको.

          श्री बाला बच्‍चन - हमारे बहुत सारे विधायक सार्थियों ने एक्‍शन लिया है और नोटबंदी से जो व्‍यवस्‍थाएं बिगड़ी है, हमारे किसान भाईयों की, बीज नहीं खरीद पा रहे हैं, बिजली का बिल नहीं भर पा रहे हैं, आप इस पर चर्चा कीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप अभी सब बोल लेंगे तो चर्चा के टाइम क्‍या बोलेंगे, बैठ जाए कृपया अभी.

          श्री आरिफ अकील - सरकार तैयार है, आप तैयार क्‍यों नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय - तैयार है, लेकिन आज नहीं.आपको बराबर सूचना मिल जाएगी.

          श्री रामनिवास रावत- इस सत्र में कर लेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -  श्री सुन्‍दर लाल तिवारी आप वैसे बहुत जोर से बोलते हैं, अभी जोर से नहीं बोल रहे हैं.

         

11.55 बजे                                   अध्यक्षीय व्यवस्था

                शासन द्वारा शून्यकाल की सूचनाओं के उत्तरों का संकलन अगले सत्र से पहले पटल पर रखे जाने संबंधी.

 

                        श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी एक आपत्ति है.  शून्यकाल लगाना हम सब  सदस्यों का अधिकार है.  शून्यकाल की सूचनाएं यहां पढ़ी जाती है  और शून्यकाल  की सूचनाएं संबंधित  विभाग को जाती हैं. पहले यह व्यवस्था थी और  नियमों में भी था कि  शून्यकाल की सूचनाएं भेजने के बाद  उनके  उत्तर  अगले विधान सभा सत्र  प्रारंभ होने से पहले  माननीय सदस्य को मिल जाते थे.  आपके द्वारा  कार्य सूची में यह तो लिख दिया गया कि  है कि नियम 267-क के अधीन  जुलाई-अगस्त,2016  सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा  उनके उत्तरों का संकलन  पटल पर रखा गया है. लेकिन अभी तक  बजट सत्र का भी संकलन  हमें प्राप्त नहीं  हुआ है.  वह हमें जो  व्यक्तिशः  सूचना के  उत्तर  प्राप्त होते थे,  वह भी आज तक प्राप्त नहीं हुए हैं.  इससे स्थिति यह बन रही है कि  इन सूचनाओं को अधिकारी बड़े मजाक में लेते हैं, चाहे वे कितने भी बड़े भ्रष्टाचार से संबंधित हों. इससे   संवैधानिक संस्थाओं का  अवमूल्यन होता जा रहा है, लोगों का भय कम होता जा रहा है..

                   अध्यक्ष महोदय --  आप बैठ जायें,  आपका  समाधान करते हैं. संसदीय कार्य मंत्री जी, कृपया यह सुनिश्चित करें कि जो शून्यकाल की सूचनायें जाती हैं,  उनके उत्तर समय पर मिलें. यह माननीय सदस्य, रावत जी ने जो आपत्ति उठाई है, वह सही है.  बहुत सी सूचनाओं के उत्तर अभी तक  नहीं आये हैं, उसके लिये  प्रशासन को यद्यपि  हमारे सचिवालय द्वारा अवगत  करा दिया गया, किन्तु आप कृपा करके  इसको व्यक्तिगत रुप से  दिखवायें और  सारी शून्यकाल की सूचनाओं  के जवाब अगले सत्र  के पहले आने चाहिये.

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, आसंदी के  निर्देश का अक्षरशः  पालन होगा.

                   श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय..

                   अध्यक्ष महोदय --  अब तो आप धन्यवाद दे दो.

                   श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, हम आपको धन्यवाद देते हैं.  आप इतने सहृदय हैं कि सरकार   द्वारा  भी आज सूचनाओं के उत्तर भेज दिये गये  और आपके द्वारा कार्य सूची में  अंकित करवाकर  लिख भी दिया गया.

                   अध्यक्ष महोदय --  नहीं, अधिकांश आ गये हैं.

                   श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, लेकिन वह पटल पर नहीं आये. अभी तक हमें नहीं मिले. आप तो इतने सहृदय हैं, तो कम से कम उन्हें डांट तो दो कि  भाई कम से कम  विधान सभा का  उपयोग तो न करें. ..(हंसी).. 

                   अध्यक्ष महोदय -- अधिकांश आ गये और थोड़े से रह गये. श्री सुन्दरलाल तिवारी.

11.58 बजे                           नियम 267-क के अधीन विषय (क्रमशः)

                (2) रीवा, सीधी,सतना एवं सिंगरौली जिलों में स्वास्थ्य बीमा योजना संबंधी.

                   श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) -- अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 

 

 

 

                   (3)  रीवा जिले के वर्ष 2015 में जिला सहकारी समिति द्वारा बीमा राशि न मिलना.

                   श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) -- अध्यक्ष महोदय,

 

         

 

(4)  भोपाल शहर के टी.टी.नगर क्षेत्र में गेमन इंडिया द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्य संबंधी.

 

                   डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) --  अध्यक्ष महोदय, भोपाल शहर के टी.टी.नगर क्षेत्र में गेमन इंडिया द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्य में गेमन इंडिया द्वारा शासन से प्रोजेक्ट हेतु खरीदी गई जमीन के अतिरिक्त शासकीय भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है.  अंकुर स्कूल के पीछे शासकीय आवास गृह 9 व 10 ब्लॉक के सामने रातों-रात खम्भे गाढ़कर टीनें आगे किये जा रहे हैं व गेमन इंडिया द्वारा खुदाई के मलबे  का ढेर मुख्य सड़क मार्ग पर डाला जा रहा है. मुख्य सड़क मार्ग पर  मलबा डालने से आये दिन वहां से गुजरने वाले वाहनों का आवागमन अवरुद्ध हो रहा है व वाहनों के गिरने का खतरा बना रहता है. शासकीय भूमि को दबाते हुए टीनें मुख्य सड़क मार्ग तक लगाई जा रही हैं, जिससे वहां के स्थानीय क्षेत्रवासियों में शासकीय भूमि पर अतिक्रमण से भयंकर आक्रोश व्याप्त है.

 

 

 

 

 

5.

श्योपुर जिले में 220 के.व्ही.ए. उप केन्द्र की स्थापना

 

          श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है :-

6.

छतरपुर जिले के राजनगर विधानसभा क्षेत्र के तहत शासकीय माध्यमिक शालाओं का हाईस्कूल में उन्नयन किया जाना

 

            कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर)    :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है :-

            छतरपुर जिले के राजनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली शासकीय माध्यमिक शाला, कुरेला, लखेरी, इमिलिया, नहदौरा, खर्रोही, बरा का हाईस्कूल में उन्नयन नहीं किया गया जबकि छात्र संख्या एवं दूरी हेतु विभाग द्वारा मापदंड बनाये गये हैं. उक्त संस्थाओं में छात्र संख्या अधिक है एवं दूरी भी अधिक है. सरकार द्वारा उक्त शालाओं का उन्नयन न किये जाने के कारण विभिन्न ग्रामों के लोगों में सरकार के प्रति रोष एवं आक्रोष व्याप्त है.

 

 

 

 

 

 

7.

धानासूता से कमगना मार्ग के टेंडर संबंधी.

 

          श्री दिलीप सिंह शेखावत(नागदा-खाचरौद) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है :-

          मध्यप्रदेश में सड़क निर्माण हेतु लोक निर्माण विभाग द्वारा जो एस्टीमेट बनाये जा रहे हैं. सड़क ठेकेदार उससे 20% कम की राशि से (टेण्डर) ठेका ले रहे हैं जो कि सड़कों की गुणवत्ता से समझौता कर रहे हैं और संदेहास्पद प्रतीत हो रहे हैं. धानासूता से कमगना मार्ग का टेण्डर भी ठेकेदार के द्वारा 20% कम में लेकर के कार्य किया जा रहा है जिससे सड़क का निर्माण गुणवत्ताविहीन होकर निर्धारित मापदण्ड के अनुसार नहीं बन रही है. इस कारण से क्षेत्र की जनता में आक्रोश व्याप्त है.

8.

छिंदवाड़ा जिले के ग्राम पंचायतों में सचिवों के रिक्त पद संबंधी.

 

            श्री सोहनलाल बाल्मिक(परासिया) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है :-

 

          श्री आशीष गोविंद शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मेरी भी शून्यकाल की सूचना थी, थोड़ा विलंब हो गया है. कृपया अनुमति देने की कृपा करें.

          अध्यक्ष महोदय- यह क्रम हो जाये इसके बाद में आपको अनुमति दूंगा.

 

 


 

9. मध्‍यप्रदेश में वन क्षेत्र तेजी से घटने संबंधी

          श्री सुदर्शन गुप्‍ता आर्य (इंदौर-1)--  अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-

          मध्‍यप्रदेश में वन क्षेत्र तेजी से घट रहा है. इसकी एक बड़ी वजह अवैद्य कटाई और अतिक्रमण तो है ही, विकास भी है. सड़कों के निर्माण के नाम पर ही पिछले वर्ष दो लाख के करीब पेड़ों को काटा गया. हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक बार-बार यह निर्देश जारी किये गये हैं कि, एक पेड़ गिराओ तो पांच लगाओ. कागज पर लगते भी हैं, लेकिन जमीन पर दिखते नहीं. लगाने के बाद भी उन्‍हें जीवित रखने के कोई प्रयास नहीं किये जाते हैं. ऐसे में पूरी योजना ही खटाई में पड़ जाती है. वृक्षों की कटाई से जनता में भारी रोष व्‍याप्‍त है.

          प्रदेश में नई सड़कों के निर्माण, विस्‍तार और चौड़ीकरण के लिये पांच साल में पौने दो लाख से ज्‍यादा पेड़ काटने पड़े. पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से जहां पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है, वहीं दो साल में प्रदेश की वन भूमि छह हजार हेक्‍टेयर (60 वर्ग किमी) घट गई है. प्रदेश में टाईगर स्‍टेट का तमगा तो छिन चुका है, लेकिन वन क्षेत्र का दायरा सिमटने से अब ग्रीन स्‍टेट का तमगा भी छिनने के आसार बन रहे हैं. प्रदेश में कुल 94668 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 31 प्रतिशत एवं देश का 12 प्रतिशत है.

          प्रदेश शासन को इस ओर ध्‍यान देते हुये पेड़ों की लगातार हो रही अवैद्य कटाई पर रोक लगाना चाहिये व विकास के नाम पर जिन पेड़ों को काटा गया है उनके स्‍थान पर लगाये नवीन पौधों को जीवित रखने के लिये कठोर कदम उठाये जाना अति आवश्‍यक हैं.

 

10. सीधी व सिंगरौली में विद्युतविहीन ग्रामों के विद्युतीकरण संबंधी

          श्री कमलेश्‍वर पटेल (सिहावल)--  अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-

          सीधी और सिंगरौली जिलों में केन्‍द्रीय ऊर्जा राज्‍य मंत्री ने वर्ष 2013 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना द्वितीय फेस का शुभारंभ किया था और 80 करोड़ रूपये की राशि दोनों जिलों के लिये अलग-अलग जारी करने की घोषणा की थी. किंतु आज दिनांक तक सिहावल विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत सिंगरौली जिले के देवसर और सीधी के सिहावल विकासखंड के ज्‍यादातर ग्राम उक्‍त योजना के लाभ से वंचित हैं. यदि जल्‍द ही विद्युतविहीन ग्रामों में उक्‍त योजना को पूर्ण नही किया गया तो स्थिति जन आंदोलनात्‍मक हो सकती है.

11. माह अक्‍टूबर में श्‍योपुर के बड़ौदा में ओलावृष्टि से धान फसल बर्बादी का मुआवजा न‍ मिलना

          श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)--  अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-

          माह अक्‍टूबर 2016 में श्‍योपुर जिले के तहसील बड़ौदा के पटवारी हल्‍का नं. 19 ग्राम राडे़प में हुई ओलावृष्टि, तेज आंधी तूफान के साथ हुई वर्षा के कारण ग्राम राड़ेप, खेड़ली, खानपुरा में धान की फसल पूर्णत: नष्‍ट हो गई थी. फसलों को हुई नुकसानी का सर्वे तत्‍समय हल्‍का पटवारी द्वारा कर लिया था. सर्वे उपरांत ग्राम राड़ेप के किसानों की फसल नुकसानी की राहत राशि मिल गई किंतु इसी हल्‍के के ग्राम खेड़ली एवं खानपुरा के ग्रामीणों को उनकी धान की फसल नष्‍ट होने की राहत अभी तक नहीं मिल पाई है. जो कि राजस्‍व अधिकारियों की लचर एवं लापरवाहपूर्ण कार्यप्रणाली को स्‍पष्‍ट करता है. इतना ही बैंक आफ इंडिया शाखा पांडोला जिला श्‍योपुर द्वारा किसानों को बिना बताये ग्राम राड़ेप, खेड़ली एवं खानपुरा के किसानों की धान की फसल की बजाय सोयाबीन की फसल का फसल बीमा कर दिया जबकि उन्‍होंने सोयाबीन तो बोआ ही नहीं था हल्‍का पटवारी के रिकार्ड में भी उक्‍त ग्रामों में धान की फसल बोये जाना दर्ज हैं. इस कारण ग्रामों के कृषक फसल बीमा की दावा राशि पाने से वंचित हो गये हैं. उक्‍त ग्रामों के ग्रामीण अपनी फसलों को हुये नुकसान का मुआवजा दिये जाने की गुहार स्‍थानीय प्रशासन से कई बार कर चुके हैं किंतु अभी तक प्रशासन द्वारा ग्रामीणों की मांग को संज्ञान में नहीं किया गया है. इस प्रकार राजस्‍व कर्मचारियों, अधिकारियों एवं बैंक प्रबंधन की लचर एवं लापरवाहपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण उक्‍त ग्रामों के कृषकों में तीव्र रोष एवं आक्रोश व्‍याप्‍त है.

12. सातनारी बांध का कार्य पूर्ण करने संबंधी

          श्री मधु भगत (परसवाड़ा)-- अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-

          सातनारी जलाशय जिसका 60 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने के उपरांत वन विभाग की आपत्ति के चलते कार्य रोक दिया गया है. उक्‍त कार्य पूर्ण होने से हजारों किसान लाभांवित होंगे. मेरे विधान सभा अंतर्गत ग्राम बुढ़ीया गांव, ढाकावर्रा, अतरी, लामता सहित अनेक ग्राम विगत दस वर्षों से लगातार सूखे की चपेट में आ रहे हैं. उक्‍त ग्राम ढूटी बांध के किनारे होने के बावजूद सिंचाई का लाभ नहीं ले पाते. अत यह अत्‍यंत आवश्‍यक हो गया है कि उक्‍त कार्य की तकनीकी एवं प्रशासकीय प्रदान कर सातनारी बांध का कार्यपूर्ण किया जावे. मंत्री महोदय के उक्‍त बांध के संबंध में असमर्थता व्‍यक्‍त करने के कारण किसानों में भारी रोष व्‍याप्‍त हो गया है एवं मैं भी उनके साथ हर आंदोलन में साथ हूं.

 

13. नरसिंहपुर जिले के ग्राम व नगरीय क्षेत्र में आबादी मद की जमीनधारी को राजस्‍व न नजूल भूमि समान सुविधायें दिये जाने संबंधी

          श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर)--  अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-

          नरसिंहपुर जिला एवं प्रदेश के अंतर्गत आने वाली ग्रामों एवं नगरीय क्षेत्र में आबादी मद की जमीन (भूखण्‍ड) पर निवासरत् व्‍यक्तियों के नाम, दर्ज नहीं हैं. आबादी के भूखण्‍डों एवं मकानों पर बैंक द्वारा ऋण स्‍वीकृत नहीं किये जाते जबकि नजूल एवं राजस्‍व पर निवासरत लोगों को मकान एवं भूखण्‍ड पर ऋण मिलता है. आबादी मद की जमीन पर निवासरत् एवं निस्‍तारकर्ता व्‍यक्ति का नाम दर्ज कर राजस्‍व एवं नजूल भूमि के समान सुविधायें प्रदान की जावे. 

 

                             14.मुरैना में पोरसा से अटेर फूफ रोड का जर्जर होना

          श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार(सुमावली) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है:-

          मुरैना नवम्बर,2016 पोरसा से अटेर-फूफ रोड जो कुछ भी समय पूर्व बनाई गयी थी वह कई जगह टूट कर जर्जर हो गई. खास उक्त सड़क मार्ग में जहां-जहां पुलिया बनाई गई है उनके दोनों तरफ किनारे काफी क्षतिग्रस्त हो गये जिससे आवागमन में राहगीरों वाहनों को कोफा परेशानी होती है कई बार तो खराब रास्ते के कारण घंटों जाम की स्थिति निर्मित हो रहती है. शादी विवाहों के समय जब वाहनों का आना जाना काफी संख्या में होता है तब कई माल वाही वाहन खराब रास्ते में फंस जाते हैं. वहीं छोटे चार परियों के बहनों यात्री बसों का निकलना मुश्किल हो जाता है उक्त रोड का गारंटी पीरियेड समाप्त नहीं हुआ है उससे पहले ही नवनिर्मित उक्त सड़क जिस पर शासन द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किये गये थे उसका इतनी जल्दी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाना चिंता का विषय है और निर्माण ऐजेंसी तथा संबंधित विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत,लापरवाही से सरकारी धन के दुरुपयोग को उजागर करता है. क्षेत्र कीज जनता,वाहन स्वामियों में रोष व्याप्त है. शासन की छवि धूमिल हो रही है.

 

 

          15.देवास जिले के खातेगांव अंतर्गत ग्राम उमेड़ा से हरण गांव मार्ग जर्जर होने

 

          श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगांव) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है:-

          देवास जिले की खातेगांव तहसील अंतर्गत ग्राम उमेड़ा से हरडण गांव को जोड़ने वाला मार्ग विगत एक वर्ष पूर्व नदी की बाढ़ से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है जिसके कारण वाहनों का आवागमन बंद हो गया है. स्कूल के विद्यार्थि एवं मरीजों को लाने ले जाने में काफी परेशानी हो रही है. पीडब्लूडी विभाग के अधिकारियों को बार-बार कहने के बाद भी इस मार्ग का दुरुस्तीकरण नहीं हो पा रहा है. लगभग 10 गांव के लोगों में आवागमन के इस मार्ग के खराब होने से असंतोष व्याप्त है.

(12.02बजे)                          शून्यकाल में उल्लेख(क्रमश:)

शासन की पीडीएस दुकानों से घटिया खाद्यान्न वितरित होने एवं वितरित होने वाली शक्कर 

                                      के मूल्य में वृद्धि होने

          प्रभारी नेता प्रतिपक्ष ( श्री बाला बच्चन ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय के मुताबिक पीडीएस में घटिया खाद्यान्न बांटने वाला मध्यप्रदेश देश का दूसरा राज्य बन गया है. यह मानवता के विरुद्ध एक अपराध है. ऐसा नहीं होना चाहिये.

          अध्यक्ष महोदय - यह कोई विषय नहीं है.

          श्री बाला बच्चन - ऐसे ही पीडीएस में शक्कर जो साढ़े तेरह रुपये  प्रति किलोग्राम दी जाती थी उसको बीस रुपये किलोग्राम कर दिया. लगभग 50 प्रतिशत प्रति किलो राशि बढ़ा दी गयी है. नोटबंदी के बाद जनता के साथ यह अत्याचार है.

          अध्यक्ष महोदय - इसको किसी नियम में लाईये आप. आरोप यदि लगा रहे हैं  तो नियम में तो लाईये उसको आप ताकि शासन को सूचना दे सकें.

          श्री बाला बच्चन -  सरकार को इस पर विचार करना चाहिये. और घटिया खाद्यान्न बंद करना चाहिये शक्कर के जो रेट बढ़े हैं उसको सरकार कम करे क्योंकि नोटबंदी के दौर में जनता पर यह अत्याचार है.

                   पूर्व स्वीकृत पेंच व्यपवर्तन योजना के अनुसार ही नहर का काम होने

          श्री दिनेश राय(सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है.पेंच व्यपवर्तन योजना के तहत मेरे विधान सभा क्षेत्र में नहर का काम चल रहा है किन्तु कुछ क्षेत्रों को छोड़ देने की अफवाह फैलायी गयी है. इससे पूरे किसान चिंतित हैं. मेरा आग्रह है कि जो पूर्व में स्वीकृत पेंच व्यपवर्तन योजना है उसके आधार पर ही काम कराया जाये. मेरा पखारी क्षेत्र है. परासिया और गोपालगंज क्षेत्र में किसान काफी आक्रोषित है. अत:आग्रह है कि शीघ्र ही उसकी जांच करकर पूर्ण नहर का निर्माण किया जाये.

                                     

 

 

(12.03 बजे)                  अध्यादेश का पटल पर रखा जाना

मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश( संशोधन     तथा   विधिमान्यकरण )अध्यादेश,2016   (क्रमांक 3 सन् 2016)

          विधि और विधायी कार्य मंत्री(श्री रामपाल सिंह) - अध्यक्ष महोदय, मैं, भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश(संशोधन तथा विधिमान्यकरण)अध्यादेश,2016(क्रमांक 3 सन् 2016) पटल पर रखता हूं.

 

(12.04बजे)                       पत्रों का पटल पर रखा जाना

मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अधिसूचना क्रमांक 1439-मप्रविनिआ-2016 दिनांक 02.09.2016

अधिसूचना क्रमांक 1450-मप्रविनिआ-2016 दिनांक 03.09.2016(शुद्धि पत्र)

अधिसूचना क्रमांक 1490-मप्रविनिआ-2016दिनांक 14.9.2016

अधिसूचना क्रमांक 1578-मप्रविनिआ-2016दिनांक 29.09.2016, तथा

अधिसूचना क्रमांक 1616-मप्रविनिआ-2016दिनांक05.10.2016

 

          ऊर्जा मंत्री(श्री पारस चन्द्र जैन) - अध्यक्ष महोदय, मैं, विद्युत अधिनियम,2003 की धारा 182 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की-

          (क) अधिसूचना क्रमांक 1439-मप्रविनिआ-2016 दिनांक 02.09.2016

          (ख) अधिसूचना क्रमांक 1450-मप्रविनिआ-2016 दिनांक 03.09.2016(शुद्धि पत्र)

          (ग) अधिसूचना क्रमांक 1490-मप्रविनिआ-2016दिनांक 14.9.2016

          (घ) अधिसूचना क्रमांक 1578-मप्रविनिआ-2016दिनांक 29.09.2016, तथा

          (ड़) अधिसूचना क्रमांक 1616-मप्रविनिआ-2016दिनांक05.10.2016

          पटल पर रखता हूं.

 

मैग्जीन ओर इंडिया लिमिटेड(मॉयल)की 53वीं वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2014-15, मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम लिमिटेड,उज्जैन का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-14 एवं 2014-15, तथा मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम(इन्दौर)लिमिटेड,का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-14 एवं 2014-15

 

          खनिज साधन मंत्री(श्री राजेन्द्र शुक्ल) - अध्यक्ष महोदय, मैं,

          (क) कंपनी अधिनियम,2013 की धारा 395 की उपधारा (1)(ख) की अपेक्षानुसार                मैग्जीन ओर इंडिया लिमिटेड(मॉयल)की 53वीं वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2014-15,

          (ख) कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 619-क की उपधारा (3)(ख) की अपेक्षानुसार -

          (1) मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम लिमिटेड,उज्जैन का वार्षिक प्रतिवेदन

               वर्ष 2013-14 एवं 2014-15, तथा

          (2) मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम(इन्दौर)लिमिटेड,का वार्षिक प्रतिवेदन

                वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 पटल पर रखता हूं.

 

3.       मोटरयान कराधान अधिनियम,1988(क्रमांक 59 सन् 1988) की धारा 212 की उपधारा(3) की अपेक्षानुसार परिवहन विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ 22-54-2002-आठ,दिनांक 01 जुलाई,2016.

 

 

4.       जुलाई-अगस्त,2016 सत्र के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का पटल पर रखा जाना.

 

 

          नियम 267-क के अधीन जुलाई-अगस्त,2016 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा उनके उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.

 

            श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, ये विषय तो कल की कार्यसूची में भी आ गए थे,फिर ये कौन से रखे जा रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- ये विषय कार्यसूची में थे लेकिन कल विधान सभा स्थगित हो गई थी. इसलिए आज सदन को जानकारी दे रहे हैं.

 

 

 

 

 

 

6.       राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना.

 

 

 

7.       कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन.

 

 

 

 

 

 

 

8.     ध्यानाकर्षण.

 

नरसिंहपुर जिले में धान एवं गेहूं खरीदी केन्द्र बंद किये जाने.

 

          श्री गोविन्द सिंह पटेल (गाडरवाडा)-- अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 


 

खाद्य मंत्री (श्री ओमप्रकाश धुर्वे)- माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

श्री गोविन्द सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, गाडरवारा क्षेत्र में धान और गेहूं की जमीन पूरी तरह से सिंचित है और इनका अच्छा उत्पादन होता है. हर सहकारी समिति में कम से कम 2-3 सेंटर बनाये गये थे, जिनमें धान और गेहूं की खरीदी होती थी. अब यह नयी व्यवस्था के तहत एक वेयरहाउस में 2-2, 3-3 सोसाइटी को बुलाया जाएगा, लेकिन वेयरहाउस में उतनी जगह है नहीं कि वहां पर तुलाई हो सके एवं ढेर लग सके. किसान वहां पर ट्रेक्टर लेकर आता है और वह खड़ा रहता है. पहले किसान सोसाइटी में जाकर ढेर लगा देता था और सुविधानुसार तुलाई करा देता था. लेकिन अब वह वहां पर 2-2 दिन तक खड़ा रहता है. उसकी न अब बोनी हो रही है, न बखन्नी हो रही है, न गन्ना की ढुलाई हो रही है. इससे किसान को परेशानी हो रही है. वेयरहाउस में न पानी की सुविधा है, न चाय की सुविधा है. एक सहावन गांव का सेंटर बदला है, जिसका मंत्री जी ने हवाला दिया है. वहां के  किसान ने एक तौला धान नहीं बेचा कि हमारा सेंटर जब तक नहीं बनाया जाएगा, हम एक तौला धान नहीं देंगे. बावईकला की बात आ रही है, तो वहां के एक-दो किसान ही आएं, पूरे किसान अभी घर में धान रखे हुए हैं. मैं गाडरवारा क्षेत्र की बात खासतौर से इसलिए कर रहा हूं कि वहां धान ज्यादा पैदा होती है. एक-एक एकड़ में 25 से 40 क्विंटल तक धान पैदा होती है.

अध्यक्ष महोदय - कृपया प्रश्न करें.

श्री गोविन्द सिंह पटेल - मेरा कहना यह है कि फिलहाल बाबईकला सेंटर में पुरानी व्‍यवस्‍था कर दी जाए. पुरानी व्‍यवस्‍था में सहकारी समितियों में धान तुलाई की जो व्‍यवस्‍था थी, उसे ही जारी रखा जाए. मंत्री महोदय इसका आश्‍वासन प्रदान करें.

          अध्‍यक्ष महोदय-  माननीय मंत्री महोदय, आप बतायें.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नरसिंहपुर जिले में उपार्जन के 29 केंद्र हैं. इनमें से 8 स्‍थानों पर वेअरहाउस में धान खरीदी की व्‍यवस्‍था की गई है. यह कोई नई व्‍यवस्‍था नहीं है. यह व्‍यवस्‍था पिछले साल भी थी.

          श्री गोविंद सिंह पटेल-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पिछली बार भी हमने इस व्‍यवस्‍था का विरोध किया था. धान खरीदी हेतु एक समिति का निर्माण किया जाता है, जो कि इसका निर्धारण करती है. इस समिति में डी.एम.ओ., कलेक्‍टर इस प्रकार 4-5 लोग होते हैं. इनके द्वारा ही यह निर्धारण किया जाता है कि कहां धान की तुलाई होगी. प्रशासनिक अमले को जमीनी हकीकत पता नहीं होती है. इस समिति में जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए. विधायक, सांसद इस समिति में रहेंगे तो कम से कम वस्‍तुस्थिति बता सकेंगे कि किस वेअरहाउस में किस सोसायटी का धान जाना चाहिए. मनमाने ढंग से समितियों को कहीं भी अटैच कर दिया जाता है. मंत्री महोदय का कहना है कि किसानों के बीच कोई रोष नहीं है. ये गलत है. किसानों में भयंकर रोष व्‍याप्‍त है. किसान मजबूरी में अपनी उपज सेंटरों में न बेच कर व्‍यापारियों को 1300 रूपये में बेच रहा है. इससे किसानों को बहुत नुकसान हो रहा है. कोई भी किसान दो दिन तक सेंटरों में खड़ा नहीं रहना चाहता है. किसानों की बोवनी, बखरनी, गन्‍ना ढुलाई का काम भी चालू है. मेरा कहना है कि पुरानी व्‍यवस्‍था ही लागू की जाए. मैं पूरे जिले की बात नहीं कर रहा हूं. मैं फिलहाल गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र की बात कर रहा हूं. आप गाडरवारा विधान सभा में रबी सीजन से पुरानी व्‍यवस्‍था जारी रखें और बाबईकला सोसायटी में किसानों ने धान बेचा ही नहीं है. बाबईकला में आप पुरानी व्‍यवस्‍था अभी से लागू करें.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम परीक्षण करवा लेंगे. यदि वहां उपार्जन में वाकई किसान किसी प्रकार की कोताही बरत रहें हैं तो हम वहां नई व्‍यवस्‍था चालू करवा देंगे. मैं माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूं कि जिला कलेक्‍टर की अध्‍यक्षता में समिति द्वारा कहां पर खरीदी होनी है, इसका निर्धारण किया जाता है. भविष्‍य में इस संबंध में माननीय विधायकगणों से भी सलाह ली जायेगी.

          श्री गोविंद सिंह पटेल-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आपकी बात का निराकरण हो गया है.

          श्री गोविंद सिंह पटेल-  अध्‍यक्ष महोदय, 15-15, 20-20 किलोमीटर दूर किसानों से धान की ढुलाई करवाई जा रही है. क्‍या किसान को भाड़ा नहीं दिया जाना चाहिए ?

          अध्‍यक्ष महोदय-  मंत्री जी के उत्‍तर में 3 से 5 किलोमीटर लिखा है. यदि उनके उत्‍तर में कोई विसंगति हो तो आप बतायें.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(2) छिंदवाड़ा जिले के परासिया विधान सभा क्षेत्र में अपराधिक घटनाएं घटित होने संबंधी

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक (परासिया)-

         

                                                                                               

           

           

              


 

          गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) --

 

 

          श्री सोहन लाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है उससे मैं सहमत नहीं हूं.  मैं इसमें आपका ध्यान भी आकर्षित कराना चाहता हूं कि एक तो पहली बात तो यह है कि अंत में मंत्री जी के द्वारा यह वाक्य कहा गया है कि यह कहना सही नहीं है कि आपराधिक घटऩाएं दिनोंदिन बढ़ रही हैं. मेरा स्पष्ट तौर पर यह कहना है और  लिखित में भी यह बात समझ में आती है कि जो हत्याओं का दौर है वह लगातार प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. एक हत्या से पांच तक हत्याएं हो गई हैं. यह इस तरह की हत्याएं हुई हैं कि सड़क पर खड़े होकर गोली मार दी गई है, मोहल्ले में खड़े होकर गोली मार दी गई है खुले आम हत्या कर दी गई है, तो मेरा कहना है कि अपराध कहीं न कहीं पर बढ़ रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय, मैं यहां पर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि इस गोली कांड के, हत्या के जितने भी प्रकरण हैं, उसमें चिन्हित लोगों के, कुछ ही लोगों के नाम बार बार आ रहे हैं चाहे वह दिन्ना का नाम हो या कोई और नाम आप लें. चारों पांचों प्रकरणों में कुछ ही लोगों के नाम आ रहे हैं. क्या उससे इस बात पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगता कि पुलिस द्वारा पूरी तरह से कार्यवाही नहीं हो रही है या जिन्होंने हत्या की है उनको पुलिस नहीं पकड़ पा रही है इसलिए कुछ चिन्हित लोगों के ही नाम बार बार प्रस्तावित कर रही हैं और केस बना रही है. मैं आपका यहां पर ध्यान दिलाना चाहूंगा कि दिनांक 12-10-2009 को दिलीप भार्गव की जो हत्या की गई थी उसमें भानू प्रताप सिंह, कौशल कैथवास, राजू ठाकुर इन लोगों का हत्या से कोई संबंध ही नहीं है, न ही हत्या से कोई लेना देना है. चूंकि आपसी रंजिश के कारण,  पुलिस सही जगह पर नहीं पहुंच पायी है, इस कारण से यह स्थिति बना दी गई है कि निर्दोष लोगों के ऊपर भी कार्यवाही कर दी गई है. मेरा यह कहना है कि लगातार ऐसी जो घटनाएं हैं वह समाज के लिए, क्षेत्र के लिए बहुत चिंता का विषय बनी हुई हैं, इस तरह से जो घटनाएं हो रही हैं इससे यह स्पष्ट होता है कि  प्रोफेशनली लोग जो हत्या करते हैं यह हत्याएं उनसे करवाई जा रही हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- आप सीधा प्रश्न करें.

                                   

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्‍न यही है कि इसमें जो जांच की गई है, जो प्रकरण बनाए गए हैं इनकी सूक्ष्‍म रूप से एक बार पुन: जांच होनी चाहिए और एक हाईपावर कमेटी बने जो सच्‍चाई का पता लगाए. मैं उनकी पैरवी नहीं कर रहा हूँ मगर जो हत्‍याएं कर रहे हैं क्‍या वे आज भी पर्दे के पीछे रहकर हत्‍याएं नहीं करवाएंगे और ऐसी घटनाएं नहीं बढ़ेंगी ? मान लीजिए आज मैंने ही यह प्रश्‍न उठाया है तो क्‍या कल मेरी हत्‍या नहीं कर दी जाएगी, क्‍या मुझ पर भी वार नहीं किया जाएगा ?

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष जी, जो हत्‍याओं के प्रकरण हुए हैं, उनमें कुछ प्रकरण नामजद हैं और उस आधार पर पुलिस ने कार्यवाही की है. कुछ अपराध ऐसे हैं जिनमें आरोपी अज्ञात थे और विवेचना के आधार पर, पुलिस ने साक्ष्‍य के आधार पर अपराध सिद्ध पाए जाने पर उनके विरुद्ध न्‍यायालय में चालान प्रस्‍तुत किया है और इन सारे प्रकरणों में अधिकांश में लंबा समय हो गया है. आरोपी लगभग एक वर्ष से जेल में हैं, अनेक बार वह माननीय न्‍यायालय में जमानत के लिए आवेदन कर चुके हैं पर माननीय न्‍यायालय ने भी अभी एक वर्ष में उनको जमानत नहीं दी है. इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि पुलिस ने बिना किसी साक्ष्‍य के आधार पर आरोपी बनाया है. सभी में अभी तक न्‍यायालय से जमानत नहीं हुई है और जो आरोपी हैं उन सब पर पूर्व से ही 12-13 गंभीर अपराध पंजीबद्ध हैं और चूँकि चालान भी न्‍यायालय में प्रस्‍तुत हो गया है और चालान प्रस्‍तुत होने के बाद अब इसमें सरकार के स्‍तर पर हम लोग कोई भी निर्णय करने की स्‍थिति में नहीं हैं. 

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने पहले भी कहा है कि जिनके नाम आए हैं, मैं उनकी पैरवी नहीं कर रहा हूँ, मेरा तात्‍पर्य यह है कि ये जो घटनाएं घट रही हैं, मान लीजिए आज कुछ लोग, जिनका हत्‍या में नाम है, वे आज जेल में हैं फिर भी हत्‍याएं हो रही हैं. अभी हाल ही में 24 तारीख को जो हत्‍या हुई है वह इस बात को स्‍पष्‍ट तौर पर जाहिर करती है कि कहीं न कहीं जो लोग यह काम कर रहे हैं वे आज भी बाहर हैं. अत: मेरा आपसे यही आग्रह है कि इसमें पुलिस प्रशासन द्वारा, माननीय मंत्री जी द्वारा एक हाईपावर कमेटी बना दी जाए और इसकी सूक्ष्‍म रूप से जांच की जाए कि आखिर इसके पीछे कौन लोग हैं और क्‍यों इस तरह की घटनाएं दिनोंदिन बढ़ती चली जा रही हैं.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष जी, जैसा माननीय विधायक जी चाहते हैं हमारे किसी वरिष्‍ठ अधिकारी को हम यह निर्देश देंगे कि वह इसको गंभीरता से देखें और आगे कोई इस तरह की घटना न हो, इसको सुनिश्‍चित करें.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद.

 

12.48 बजे                        विधान सभा की सदस्‍यता से त्‍याग पत्र

 

12.49 बजे                               प्रतिवेदनों की प्रस्‍तुति

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.49 बजे                                  सभापति तालिका की घोषणा

            अध्‍यक्ष महोदय -- मध्‍यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 9 के उपनियम (1) के अधीन, मैं, निम्‍नलिखित सदस्‍यों को सभापति तालिका के लिए नाम-निर्दिष्‍ट करता हूँ :-

                   1.       श्री कैलाश चावला,

                   2.       श्री दुर्गालाल विजय,

                   3.       श्रीमती नीना विक्रम वर्मा,

                   4.       श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल,

                   5.       श्री लाखन सिंह यादव, तथा

                   6.       श्री के.पी. सिंह.

 

 

12.50 बजे                                  याचिकाओं की प्रस्‍तुति

        अध्‍यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्‍मिलित सभी याचिकाएं * प्रस्‍तुत की हुई मानी जाएंगी.

                                                                                                   

 

12.50 बजे                            शासकीय विधि विषयक कार्य

 

(1)       मध्‍यप्रदेश माध्‍यस्‍थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 24 सन् 2016)

का पुर:स्‍थापन

 

 

          विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश माध्‍यस्‍थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 24 सन् 2016) के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहता हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश माध्‍यस्‍थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 24 सन् 2016) के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाए.

अनुमति प्रदान की गई.

 

          विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश माध्‍यस्‍थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 24 सन् 2016) का पुर:स्‍थापन करता हॅूं.

 

(2)        मध्‍यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन तथा विधिमान्‍यकरण) विधेयक, 2016

(क्रमांक 25 सन् 2016) का पुर:स्‍थापन

 

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन तथा विधिमान्‍यकरण) विधेयक, 2016 (क्रमांक 25 सन् 2016) के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहती हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन तथा विधिमान्‍यकरण) विधेयक, 2016 (क्रमांक 25 सन् 2016) के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाए.

अनुमति प्रदान की गई.

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन तथा विधिमान्‍यकरण) विधेयक, 2016 (क्रमांक 25 सन् 2016)  के पुर:स्‍थापन करती हॅूं.

 

(3)    मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 26 सन् 2016)

का पुर:स्‍थापन

 

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 26 सन् 2016) के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहती हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 26 सन् 2016) के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाए.

 

अनुमति प्रदान की गई.

 

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश नगरपालिक विधि (तृतीय संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 26 सन् 2016) का पुर:स्‍थापन करती हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्‍थगित.

 

 

 

 

( अपराह्न 12.52 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल )

 

 

 

 

3.05 बजे                      विधानसभा पुनः  समवेत हुई.

 

{उपाध्यक्ष महोदय(डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}

 

नियम 139 के अधीन अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा

 

चंबल-ग्वालियर संभाग में नदियों से मिट्टी कटाव के कारण कृषि भूमि का रकबा घटने एवं गांवों के अपने मूल स्थान से विस्थापित होने संबंधी चर्चा

 

 

          उपाध्यक्ष महोदयअब, चंबल-ग्वालियर संभाग में नदियों से मिट्टी कटाव के कारण कृषि भूमि का रकबा घटने एवं गांवो के अपने मूल स्थान से विस्थापित होने के संबंध में श्री सत्यपाल सिंह  सिकरवार, सदस्य चर्चा प्रारंभ करेंगे.

          श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--- (अनुपस्थित)

          श्री कमलेश्वर पटेल--  प्रस्तावक सदस्य अनुपस्थित हैं, सदस्य गंभीर नहीं हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय--- श्री सोहनलाल बाल्मीक,सदस्य अपना भाषण शुरु करें.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक(परासिया)--  उपाध्यक्ष महोदय,यह बड़ा खुशी का विषय है कि पहली बार मैंने तुरंत दान दिया और तुरंत आ गया. (हंसी)

          उपाध्यक्ष महोदय--  पूरा अवसर भी है आपके पास.

          श्री  सोहनलाल बाल्मीक--  उपाध्यक्ष महोदय, नियम 139 के अधीन जो आज विषय आया है कि चंबल-ग्वालियर संभाग में नदियों से मिट्टी कटाव के कारण कृषि भूमि का रकबा घटने एवं गांवो के अपने मूल स्थान से विस्थापित होने के संबंध, मैं इस मौके पर कहना चाहता हूं कि चंबल नदी इस प्रदेश की बहुत विशेष नदी है और इस नदी में बहुत सारे कृषि और  लोगों को जीवन-यापन के लिए प्रतिदिन पानी की उपलब्धता रहती है परन्तु कुछ वर्षों से जिस तरह से आपदा और विपदा आ रही है....

 

 

3.07 बजे                              औचित्य प्रश्न एवं अध्यक्षीय व्यवस्था

प्रस्तावक सदस्य के अनुपस्थित रहने पर सदन की सहमति से चर्चा कराने विषयक

         

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं व्यवस्था चाहता हूं और अपनी व सदन की जानकारी में थोड़ी वृद्धि करना चाहता हूं कि नियम 139 के अंतर्गत जिन लोगों चर्चा मांगी थी, जो नाम कार्यसूची में दिया हुआ है यदि प्रस्तावक  सदस्य उपस्थित नहीं है तो क्या व्यवस्था होना चाहिए.

          उपाध्यक्ष महोदययह प्रस्ताव है, यह अब सदन की प्रापर्टी बन गई है, अब सदन में जो माननीय सदस्य हैं अगर वह बोलना चाहते हैं तो वह इस पर बोल सकते हैं.

          श्री गोपाल भार्गवउपाध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार ध्यानाकर्षण या स्थगन सूचना कोई सदस्य देता है. यदि ध्यानाकर्षण सूचना देने वाला सदस्य उपस्थित नहीं है तो पूरक प्रश्न कैसे पूछा जा सकता है.

          उपाध्यक्ष महोदय--  ध्यानाकर्षण अलग है और यह 139 एक अलग विषय है इसमें सूचना देने वाले के अलावा दूसरे सदस्य भी बोला करते हैं.वह व्यवस्था ध्यानाकर्षण में नहीं है.

          श्री गोपाल भार्गव--  माननीय आसंदी से अन्य सदस्यों को प्रश्न पूछने दिया जाता है यह बात बाद में होती है लेकिन जब प्रश्नकर्ता सदस्य जो मूल सदस्य है वही उपस्थित नहीं होता है तो ऐसी स्थितियों में क्या होना चाहिए.

          उपाध्यक्ष महोदय--  नियम 139 में यह है कि दूसरे  सदस्य चर्चा में भाग ले सकते हैं.

          श्री गोपाल भार्गव--  कोल एंड शकधर और कश्यप जी के अनुसार इसके लिए अनुमति नहीं मिलना चाहिए यह व्यवस्था दी हुई है. कई साइटेशन्स हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय--  कोल एंड शकधर में जो व्यवस्था है वह 139 के लिए यह नहीं है.

          श्री दुर्गालाल विजय--  उपाध्यक्ष महोदय, प्रस्तावक के रूप में मेरे हस्ताक्षर हैं मैं उपस्थित हूं.

उपाध्यक्ष महोदयअब सोहनलाल जी ने अपना भाषण शुरु कर दिया.

श्री सोहनलाल बाल्मीक--  उपाध्यक्ष महोदय, यदि यह पहले बोलना चाहते हैं ,पहले इनको बोल लेने दीजिये, मैं बाद में बोल लूंगा.

उपाध्यक्ष महोदय--  अब आपने अपना भाषण शुरु कर दिया है तो पूरा कर लें. आज सब माननीय सदस्य बड़े उदार हैं, अपना अपना समय दूसरे को दे रहे हैं. (हंसी)

श्री राजेन्द्र पांडे(जावरा)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नियम 139 के अधीन अविलंबनीय लोक महत्व का विषय मानकर के संबंधित विधायक महोदय ने इसे सदन में रखा. अब इसका लोक महत्व का जो महत्व है, वह उनके नहीं होने से वैसे ही शून्य हो जाता है. बाकी प्रस्तावक हैं, समर्थक हैं उनकी जो मूल भावना रही होगी, अब वह रखने वाला सदस्य जाने,उस विषय की गंभीरता उनकी जानकारी में है तो फिर कैसे प्रस्तावक और समर्थक के आधार पर चर्चा की जा सकती है . यह मैं भी जानना चाहता हूं.

          उपाध्यक्ष महोदय--  जो विषय है वह सदन में आ गया और माननीय सदस्य सब समझ रहे हैं कि अविलंबनीय लोक महत्व का विषय है, वह सदन की प्रॉपर्टी बन चुका है, तो जो सदस्य इसमें चर्चा में भाग लेना चाहते हैं वह ले सकते हैं.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--  उपाध्यक्ष जी, हमारी विधान सभा के कार्य और प्रक्रिया संचालन संबंधी नियम बहुत स्पष्ट हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मुझे कहीं यह जानकारी दे दी जाए तो मैं कृतार्थ होऊँगा.

          श्री राजेन्द्र पाण्डे--  चूँकि वह सदस्य स्वयं अनुपस्थित है, उसकी मूल भावना क्या रही होगी?

          उपाध्यक्ष महोदय--  अब आप व्यवस्था आसंदी से चाहते हैं....

          श्री गोपाल भार्गव--  उपाध्यक्ष महोदय, इस प्रकार की परंपरा कभी रही हो, नियम नहीं हो तो परंपरा ही बता दें.

          श्री मुकेश नायक--  उपाध्यक्ष महोदय, अगर कोई नियम नहीं भी है तो आसंदी को वह अधिकार है संचालन और प्रक्रिया में कि वह उस ढंग से सदन का संचालन कर सकते हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय--  भार्गव जी, आपने आसंदी से व्यवस्था मांगी है. हमने अपनी व्यवस्था दे दी है. आप उसको अन्यथा समझते हैं मतलब आपका जो सोच है आसंदी की व्यवस्था से भिन्न है, वह अलग बात है लेकिन जो व्यवस्था आपने मांगी है, मैंने दे दी है.

          श्री गोपाल भार्गव--  मेरा कोई निजी सोच नहीं है...

          उपाध्यक्ष महोदय--  और वह आसंदी की व्यवस्था से चलेगा कि आप जो सोचते हैं उससे चलेगा? यह आप मुझे बता दें.

          श्री गोपाल भार्गव--  उपाध्यक्ष जी, मेरा निजी सोच नहीं है और जहाँ तक मैं बहुत अल्प ज्ञान से कह सकता हूँ कि आसंदी.....

          उपाध्यक्ष महोदय--  नहीं, नहीं, यह तो नहीं है. आप बहुत ज्ञानी हैं, बुद्धिमान हैं, आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं.

          श्री गोपाल भार्गव--  उपाध्यक्ष महोदय, जहाँ तक मैं जानता हूँ आसंदी भी निजी सोच से कोई व्यवस्था नहीं दे सकती. यह सारी प्रक्रिया, नियम और विधान जो हमारा है, उसी के अनुसार चलना चाहिए...(व्यवधान)..

          उपाध्यक्ष महोदय--  आप बोल लीजिए फिर हम अपनी व्यवस्था लास्ट में देंगे. पटवारी जी, आप क्या कहना चाहते हैं?

          श्री जितू पटवारी(राऊ)--  उपाध्यक्ष महोदय,  मूल तो यह है कि जो विषय आया है, सदस्य ने गंभीरता इसमें समझी होगी और तभी वे लाए पर यह लोक महत्व कैसे हुआ, मुझे नहीं पता, पूरे प्रदेश का समावेश तो इसमें आता नहीं है, यह लिया, सदन ने लिया या जिसने भी लिया, मैं आरोप-प्रत्यारोप या कोई आक्षेप नहीं लगा रहा हूँ. सदन का जितना भी समय था उसको बर्बाद करने की पहल से ही यह होगा इसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण विषय थे और हमने स्थगन लगाए थे, उन पर अगर 139 में चर्चा होती तो ज्यादा महत्वपूर्ण था पर चूँकि आ गया है तो उस पर चर्चा होनी चाहिए.

          उपाध्यक्ष महोदय--  पटवारी जी, अब तो आप विषय से हट रहे हैं. अविलंबनीय लोक महत्व का विषय है सदन अपनी प्रक्रिया के लिए सर्वोपरि है. सदन की सहमति से चर्चा हो सकती है. क्या सदन इस पर चर्चा नहीं करना चाहता? मैं मत ले सकता हूँ.

          श्री गोपाल भार्गव--  नहीं, नहीं, करें, करें.

          उपाध्यक्ष महोदय--  तो आ गई व्यवस्था ना? भार्गव जी, चर्चा प्रारंभ की जाए?

          श्री गोपाल भार्गव--  उपाध्यक्ष महोदय, चर्चा करें, चर्चा होना चाहिए. इसमें मुझे आपत्ति नहीं है. मैं तो इसमें थोड़ी सी जानकारी चाहता था.

          कृषि कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन)--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विषय महत्वपूर्ण है चर्चा कराइये. सरकार उत्तर देगी, कोई दिक्कत नहीं है, हम उत्तर देंगे. 139 का यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है, इस पर चर्चा कराइये.

          श्री राजेन्द्र पाण्डे--  उपाध्यक्ष महोदय, सदस्य की मूल भावना ही नहीं आ पाएगी, मैं यह कहना चाहता था.

          उपाध्यक्ष महोदय--  अब वह चर्चा प्रारंभ होने दीजिए.

          श्री राजेन्द्र पाण्डे--  उपाध्यक्ष महोदय, सदस्य की मूल भावना ही नहीं आ पाएगी तो सदन किस आधार पर चर्चा करेगा? किस प्रकार से चर्चा होगी?

          श्री गौरीशंकर बिसेन--  उपाध्यक्ष महोदय, और भी माननीय सदस्य हैं चर्चा कराइये.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--  उपाध्यक्ष जी, चर्चा प्रारंभ करा लें तब तक माननीय सदस्य आ जाएँगे.

          उपाध्यक्ष महोदय--  आप यह बताएँ कि आप चर्चा नहीं चाहते हैं?

          श्री गौरीशंकर बिसेन--  चर्चा कराना चाहते हैं.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक--  उपाध्यक्ष महोदय, सदस्य को इतनी गंभीरता होती इस मामले में तो शायद समय पर उपस्थित रहते. इतनी बहस करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती.

          उपाध्यक्ष महोदय--  बाल्मीक जी, अब काफी हो चुका, आप शुरू करें.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक--  उपाध्यक्ष महोदय, मैं बोल लेता हूँ चूँकि जिन सदस्य ने लगाया है....

          उपाध्यक्ष महोदय--  यह बात जरूर है कि सबका ज्ञानवर्धन हो गया, मेरा भी हुआ, यह अच्छा रहा, इतनी जो चर्चा इस विषय पर हो गई. अब आप चर्चा शुरू करें.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक--  मगर इसमें कुछ व्यवस्था भी करना चाहिए कि 139 जो लगाते हैं और वे समय पर उपस्थित नहीं रहते तो, 139 पर दूसरी जो व्यवस्था लगाने की बात होती इसके कारण रुक जाती है, तो क्या इस तरीके की प्रक्रिया बार बार सदन में चलेगी?

          उपाध्यक्ष महोदय--  नहीं, होना नहीं चाहिए.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक--  इसमें कहीं न कहीं व्यवस्था बनना चाहिए.

          उपाध्यक्ष महोदय--  सामान्यतः तो नहीं होना चाहिए, यह उचित नहीं है.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक--  उसके बाद फिर सदन का समय खराब होगा.

          उपाध्यक्ष महोदय--  आप कुछ बोलना चाहते हैं कि नहीं बोलना चाहते हैं?

          श्री सोहनलाल बाल्मीक--  मैं बोलना चाह रहा हूँ.

          उपाध्यक्ष महोदय--  तो फिर कृपा करके बोलिए.

3.09 बजे

नियम 139 के अधीन अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा (क्रमशः)

चंबल-ग्वालियर संभाग में नदियों से मिट्टी कटाव के कारण कृषि भूमि का रकबा घटने एवं गाँवों के अपने मूल स्थान से विस्थापित होने संबंधी.

 

          श्री सोहनलाल बाल्मीक--  मैं तो बोल ही रहा था, वह तो मुझे रोक दिया गया. उपाध्यक्ष महोदय, चंबल ग्वालियर संभाग के संबंध में, इस नदी के संबंध में जो कटाव की बात रखी गई है निश्चित रूप से यह हम सबके लिए गंभीर विषय है और इससे चंबल नदी में जिस तरीके की जो बाढ़ आई और बाढ़ के कारण बहुत सारे गाँवों के किसानों को जो कष्ट हुआ है और जो नुकसान हुआ है, निश्चित रूप से इस ओर सरकार का विशेष रूप से ध्यान जाना चाहिए. मैं इस मौके पर कहना चाहता हूँ कि हजारों किसान इससे प्रभावित हुए हैं, हजारों मकान प्रभावित हुए हैं. बहुत सारे हितग्राही इसके अन्दर में हैं जिनको आज भी कृषि की भूमि नहीं मिल पाई है उनका कृषि का...

          श्री रामनिवास रावतमाननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, सूचनाकर्ता सदस्‍य उपस्थित नहीं हैं क्‍या चर्चा को प्रारम्‍भ किया जा सकता है. नियम 139 (3) (4) को देख लीजिए. 

          उपाध्‍यक्ष महोदय बात आगे बढ़ गई है मैं आपको इसकी अनुमति नहीं देता हूं. अब चर्चा शुरू हो चुकी है. अब उसको रख लीजिए चर्चा प्रारम्‍भ हो चुकी है.

          श्री रामनिवास रावतउपाध्‍यक्ष महोदय, नियमों का पालन तो होना ही चाहिए.
          उपाध्‍यक्ष महोदय
मैंने तो सदन के मत‍ लेने तक की बात कह दी है.

          श्री रामनिवास रावतयह इसलिए दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि 139 की चर्चा ऊर्जा से संबंधित लगी है, 139 की चर्चा कुपोषण से संबंधित लगी है.   

          उपाध्‍यक्ष महोदययह बताइए चर्चा माननीय सदस्‍य नहीं करना चाहते हैं तो चूंकि यह विषय कार्यसूची में है.

श्री रामनिवास रावतऔर विषय भी तो  कार्यसूची में आ सकते थे.

          उपाध्‍यक्ष महोदयइस पर आगे के लिए विचार किया जा सकता है. आप इसे अगले दिन के लिए लिखकर दे दीजिए. आज तो कार्यसूची में नहीं है.

          श्री रामनिवास रावतउपाध्‍यक्ष महोदय, यह गम्‍भीर आपत्तिजनक है.

          श्री जितू पटवारीयह बहुत ही अव्‍यावहारिक बात है इससे भी महत्‍वपूर्ण विषय थे वह नहीं आए और जिस विषय का कोई लेना-देना नहीं है वह आ गया. सरकार इससे उन विषयों पर से ध्‍यान भटकाना चाहती है.

          श्री रामनिवास रावत139 के संबंध में नियम 141 पढ़ लें. इसमें क्‍या दिया है. इसमें साफ कहा गया है कि सभा के सामने न कोई औपचारिक प्रस्‍ताव होगा न कोई मतदान होगा. जिस सदस्‍य ने सूचना दी है वह संक्षिप्‍त.......

          श्री जितू पटवारी(XXX).

          उपाध्‍यक्ष महोदयजितू पटवारी जी ने जो कहा है उस शब्‍द को विलोपित कर दीजिए.

          श्री राजेन्‍द्र पांडे—(XXX).

          श्री रामनिवास रावतनियमों का पालन भी नहीं....

          उपाध्‍यक्ष महोदयकार्यसूची में चर्चा के लिए यही विषय निर्धारित है. आप जिस विषय को कह रहे हैं कक्ष में चर्चा कर लीजिए अगले दिन लिया जा सकता है.

          श्री रामनिवास रावतक्‍या सूचनाकर्ता की अनुपस्थिति में चर्चा प्रारम्‍भ की जा सकती है.

          उपाध्‍यक्ष महोदयदेखिए अब बात आगे बढ़ गई है.

          श्री रामनिवास रावतनियम 141 क्‍या कह रहा है.

          श्री राजेन्‍द्र पांडे माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, नियमों की क्‍या आवश्‍यकता है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय आप 141 की बात कर रहें रावत जी आपने पूरा पढ़ा है.

          श्री रामनिवास रावतजी उपाध्‍यक्ष महोदय.

          उपाध्‍यक्ष महोदयसभा के सामने न तो कोई औपचारिक प्रस्‍ताव होगा,  न मतदान होगा जिस सदस्‍य ने सूचना दी हो वह संक्षिप्‍त वक्‍तव्‍य दे सकेगा और मंत्री संक्षिप्‍त उत्‍तर देगा. जिस सदस्‍य ने अध्‍यक्ष को पहले से सूचित कर दिया हो उसे चर्चा में भाग लेने की अनुज्ञा दी जा सकती है.

          श्री रामनिवास रावतलेकिन कब दी जा सकती है पहले सूचनाकर्ता सदस्‍य संक्षिप्‍त वक्‍तव्‍य देगा मंत्री उत्‍तर देगा उसके बाद.

          उपाध्‍यक्ष महोदयअगर किसी सदस्‍य ने भी सूचित किया है.

          श्री रामनिवास रावतउसके बाद ही तो किया जाएगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय बा‍ल्‍मीक जी ने सूचित किया है.

          श्री रामनिवास रावतउठाने वाला सदस्‍य ही नहीं है.

          उपाध्‍यक्ष महोदयएक तरह से इसमें पैरा ही अलग है. जिस सदस्‍य ने अध्‍यक्ष को पहले से सूचित कर दिया हो उसे चर्चा में भाग लेने की अनुज्ञा दी जा सकेगी.

          श्री रामनिवास रावतजैसा आसंदी का आदेश.

          उपाध्‍यक्ष महोदययह बताइए सदन के मत से ज्‍यादा बडा कोई है सदन का मत मैंने ले लिया है. नियम प्रक्रिया सदन के मत से ही बनते हैं .

          श्री रामनिवास रावतआपका आदेश शिरोधार्य है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय आपको पता नहीं क्‍यों परहेज है. आप भी तो उसी इलाके से आते हैं जहां कटाव होता है रावत जी क्‍या आपके आसपास चंबल नदी नहीं है.

          श्री सोहन लाल बाल्‍मीकउपाध्‍यक्ष महोदय, इसीलिए बोल रहे हैं.

          श्री रामनिवास रावतचर्चा कराना चाहते हैं चर्चा से नहीं भाग रहे हैं लेकिन यह कितनी गम्‍भीर बात है कि महत्‍वपूर्ण चर्चाएं जो सदन में होना चाहिए उससे ज्‍यादा म‍हत्‍वपूर्ण चर्चाओं को रोकने का सरकार द्वारा कुत्सित प्रयास किया जाता है ऐसी चर्चाओं को लाकर इसकी आपत्ति है चर्चा की आपत्ति नहीं है.

          श्री जितू पटवारीजिसमें लोग चर्चा करना चाह रहे हैं उसमें चर्चा नहीं करवाई जा रही है.

          उपाध्‍यक्ष महोदयआप अध्‍यक्ष जी से चेम्‍बर में बात कर लें उसे अगले दिन लिया जा सकता है.

          श्री गोपाल भार्गवउपाध्‍यक्ष महोदय, मुझे आपत्ति है आप भी उपस्थित होते हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदयशुरुआत ही आपने की है.

          श्री गोपाल भार्गव-- उपाध्‍यक्ष महोदय, हमारी जो कार्यमंत्रणा समिति की बैठक होती है उसमें यह सारे विषय तय होते हैं कि 139 में कौन सी चर्चा ली जाना चाहिए कौन सी नहीं ली जाना चाहिए. फिर इसकी हाउस में भी चर्चा होती है कि यह ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण था यह कम महत्‍वपूर्ण था यह क्‍यों लिया गया.

          उपाध्‍यक्ष महोदयकार्यमंत्रणा समिति में तय हुआ है इस पर चर्चा होनी है तो इस पर चर्चा हो रही है. रावत जी आप भी कार्यमंत्रणा समिति के सदस्‍य हैं. आपको भी मालूम है.

          श्री गोपाल भार्गवउस समय तो आपत्त्ति की नहीं अब आपत्ति कर रहे हैं.

          श्री रामनिवास रावतआप उसे भी तो पहले ले सकते थे.

          उपाध्‍यक्ष महोदयअब आप जारी रखें.

          श्री सोहन लाल बाल्मीक --जैसा मैं अपनी बात रख रहा था कि चंबल नदी में जिस तरह से जो बाढ़ आई है और बाढ. से मिट्टी का कटाव हुआ है कृषि भूमि का जो नुकसान हुआ है बहुत सारे गांव वहां पर विस्थापन की स्थिति में निर्मित हो गए हैं, परन्तु जिस तरीके से जो देखा जा रहा है जिस तरह से सरकार की गंभीरता होना चाहिए वह गंभीरता नहीं हो पा रही है. उस गंभीरता को ध्यान में रखा जाना चाहिए कि बहुत सारे किसानों की जमीन जो किसान सिर्फ किसानी और खेत पर निर्भर थे इस मिट्टी कटाव से बहुत सारों के खेत बह गए हैं ऐसे बहुत सारे मकान  बहुत सारे बहुत सारे गांव हैं जहां विस्थापन की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है और उनके विस्थापन की पूर्ण रुप से व्यवस्था नहीं की गई है. हजारों किसान व नागरिक इससे प्रभावित हुए हैं. यह सरकार और हम सबके लिए  गंभीर विषय है. जब कोई आपदा, विपदा आती है कोई इस तरह की परिस्थिति निर्मित होती है तो सरकार का इस पर पूरा ध्यान रहना चाहिए कि किसानों या प्रभावितों को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कैसे करें. जो ग्रामीणजन प्रभावित हुए हैं उनके विस्थापन की कैसे व्यवस्था करें उनको आर्थिक रुप से भी कैसे मदद दी जाए इस ओर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए. परन्तु अभी तक चंबल नदी के आसपास जो गांव या खेत प्रभावित हुए हैं, मिट्टी का कटाव हुआ है उसमें उल्लेखनीय रुप से कोई उपलब्धि नहीं हो पाई है न ही कोई काम हो पाया है. यह सरकार की उदासीनता है जिसके चलते आज भी हजारों लोग प्रभावित हैं और पीड़ित हैं. वे अपने व्यवस्थापन के लिए यहां वहां भटक रहे हैं. जिन किसानों की खेती बह गई है उनकी भी व्यवस्था नहीं हो पाई है जिसके चलते उन सबको बहुत भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. आज की स्थिति में उनके परिवार के पालन-पोषण की स्थिति भी नहीं बन पा रही है. आज की इस 139 की चर्चा के अन्तर्गत सरकार का ध्यान विशेष रुप से इस ओर जाना चाहिए, चंबल की नदी में जितना भी कटाव हुआ है यह कटाव भविष्य में न हो इसलिए सरकार को यह व्यवस्था बनाना चाहिए कि इस कटाव को कैसे रोका जा सके. इस कटाव में नदी के कारण जिन कृषकों की मिट्टी बह गई है, खेत बह गए हैं निश्चित रुप से उनको खेत उपलब्ध कराना चाहिए या रोजगार के अवसर उनको उपलब्ध कराना चाहिए. सरकार का ध्यान आवश्यक रुप से इस पर रहना चाहिए.

          उपाध्यक्ष महोदय, साथ ही साथ मैं यह भी कहना चाहता हूँ यह स्थिति पूरे प्रदेश में बनी हुई है सिर्फ चंबल नदी की बात ही हम नहीं कर रहे हैं जहां-जहां इस तरीके की नदियां गई हैं उन सारी नदियों में आसपास की कृषि की भूमि व गांव प्रभावित हुए हैं. विगत 4 वर्षों से जिस तरह से प्राकृतिक आपदा व विपदा आ रही है उससे चाहे छोटी नदी हो या बड़ी नदी हो उनसे कटाव बहुत अधिक मात्रा में हो रहा है. कटाव होता है तो लोगों के पूरे के पूरे खेत बह जाते हैं. जब खेत बह जाते हैं तो सरकार और शासन की तरफ से उन किसानों को कोई मदद नहीं मिल पा रही है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी ऐसी कुछ नदियां हैं उन नदियों के आसपास के बहुत सारे खेत और मिट्टी बह गई है जिनका मुआवजा आज तक नहीं मिल पाया है. मैंने बार-बार प्रभारी मंत्री जी को भी ध्यान दिलाया है और सदन में भी प्रश्न लगाया है.

          किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन)-- उपाध्यक्ष महोदय, विषय बीहड़ों से संबंधित है यदि माननीय सदस्य बीहड़ों के कटाव को रोकने के सुझाव देंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा अन्यथा विषयान्तर हो जाएगा. यह जो 139 की चर्चा है वह बीहड़ों के संधारण को लेकर है. वहां पर जो किसानों को नुकसान हुआ है उसको लेकर है प्रदेश के अन्य स्थानों की बात करेंगे तो विषयान्तर होगा.

          श्री सोहन लाल बाल्मीक--उपाध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही बताया है कि मैंने तो अपनी बात रखी है जवाब सरकार दे देगी. मैं यह कहना चाहता हूँ कि सरकार ने उन गावों के लिए क्या..

          उपाध्यक्ष महोदय--आप विषय पर अपने आपको सीमित रखें.

          श्री सोहन लाल बाल्मीक--मैं विषय पर ही हूं मैंने पहले ही बोला है, मैं विषय से बाहर नहीं जा रहा हूँ. प्रदेश में ऐसी बहुत सारी नदियां हैं जहां इस तरह की हानि हो रही है और उन हानियों को रोकने के लिए, कटाव को रोकने के लिए सरकार के पास क्या कोई व्यवस्था है.

          उपाध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी आप उतना ही ग्रहण करें जो आपका विषय है बाकी छोड़ दें. क्रिकेट में कुछ गेंदे छोड़ दी जाती हैं.

          श्री रामनिवास रावत--उपाध्यक्ष महोदय, क्यों सीमित कर रहे हैं वे विद्वान हैं तो ग्रहण तो करेंगे ही.

          उपाध्यक्ष महोदय--अब यह उनके ऊपर है.

          श्री सोहन लाल बाल्मीक--वे प्रदेश के मंत्री हैं किसी एक क्षेत्र के मंत्री नहीं हैं. कृषि मंत्री हैं मेरे जिले के प्रभारी मंत्री हैं मैं उस तरह थोड़ा ज्यादा ध्यान दिलाना चाहूंगा.

          उपाध्यक्ष महोदय--आप उनके जिले के प्रभारी मंत्री हैं इसीलिये इतना विस्तार से बोल रहे हैं.

          श्री सोहन लाल बाल्मीक--उपाध्यक्ष महोदय, क्योंकि मैंने माननीय प्रभारी मंत्री जी को भी दिया और माननीय प्रभारी मंत्री ने कहा था कि मैं दौरा करुंगा जो आज तक नहीं किया है तो मैं एक बार फिर उनसे निवेदन करुंगा कि वे एक बार दौरा करके देखें कि क्या स्थिति निर्मित हो रही है.

          डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चंबल तो हमारे नीमच जिले तक आ रही है, रतलाम व मंदसौर जिले से होते हुए नीमच जिले तक पहुंच रही है. इस पर विस्तार से ही चर्चा हो जाए तो आसपास वालों को भी उसका लाभ मिल जाएगा.

          श्री सोहन लाल बाल्मीक--इस पर तो उपाध्यक्ष महोदय व्यवस्था बना देंगे जिनको बोलना है वे बोलेंगे.

          उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात रख रहा था जिस तरह की परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं जो प्राकृतिक आपदा विपदा आ रही है यह सिर्फ चंबल नदी की बात नहीं है. चंबल नदी में तो मैंने कहा कि जिस तरह से सरकार को गंभीरतापूर्वक उनके विस्थापन के लिए या कृषकों की व्यवस्था के लिए जमीन की व्यवस्था करना चाहिए वह नहीं हो पाई है. आज भी कटाव की स्थिति बनी हुई है क्या इस कटाव को रोकने की कोई योजना सरकार बना रही है. मैं इस मौके पर यह भी कहना चाहता हूँ कि यह पूरे प्रदेश का विषय है. एक नदी पर 139 की चर्चा की जा रही है ठीक है लेकिन ऐसी बहुत सारी नदियां हैं बहुत सारे नाले हैं जहां पर बाढ़ आ रही है और उससे लोग प्रभापित हो रहे हैं उस कटाव को रोकने के लिए व विस्थापितों को रोकने के लिए उनकी कृषि भूमि, उस मिट्टी को रोकने के लिये, जो भूमि बही है, उस भूमि को दूसरी जगह देने के लिये, क्‍या व्‍यवस्‍था सरकार के माध्‍यम से बनायी जा रही है. मैंने जैसा कहा कि मेरे क्षेत्र में लगभग 3-4 नदियां हैं वहां पर कम से कम 10-12 एकड़ एक एक किसान के खेत बह गये हैं.  लोगों के मकान बह गये हैं, वहां आवागमन की व्‍यवस्‍था खराब हो गयी है. मैंने प्रभारी मंत्री को भी बताया था कि जिस तरह अधिक बाढ़ से कटाव से एक पुल बहा है उसके कारण लगभग 50 गांव प्रभावित हुए हैं, जिसका टेण्‍डर आज तक नहीं हुआ है, वहां नदी के अन्‍दर से आना जाना लोग कर रहे हैं. मेरा यही कहना है आने वाले समय में ऐसी आपदा- विपदा को रोकने के लिये सरकार को इस तरह की व्‍यवस्‍था बनाना चाहिये, ताकि कटाव से जो नुकसान हो रहा है और गरीबों का आर्थिक नुकसान हो रहा है, उसकी कैसे भरपाई करें, कटाव को कैसे रोकें, कैसे किसानों को फायदा दें. इन सब चीजों पर सरकार को गंभीरतापूर्वक ध्‍यान देना चाहिये. मेरा आपसे यही निवेदन है. जय हिन्‍द, जय भारत.

        श्री रामनिवास रावत (विजयपुर):-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं सिर्फ 2-3 मिनट लूंगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय:- रावतजी उनके इलाके से तो चम्‍बल नदी भी नहीं जाती है. वह करीब 9 मिनट बोलें है. आपके इलाके से तो चम्‍बल नदी जाती है, आपको तो पूरे सदन का ज्ञानवर्धन करना चाहिये.

          श्री रामनिवास रावत:-माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, नियम 139 में चम्‍बल और ग्‍वालियर संभाग में नदियों के कटाव के संबंध में चर्चा उठायी है. वैसे तो मुख्‍यत: जो सर्वाधिक भूमि का कटाव होता है, भूमि का जो सर्वाधिक कटाव कर रही है वह चम्‍बल नदी है. वैसे मेरे यहां पर कुनो और क्‍वारी नदी भी है और दोनों नदियां ही ग्‍वालियर और चम्‍बल संभाग में जबरदस्‍त रूप से करती है. चम्‍बल नदी के कारण प्रतिवर्ष हजारों एकड़ खेती का कटाव होता जा रहा है, हजारों एकड़ जमीन का कटाव होता जा रहा है और इतने बड़े-बड़े रिर्वाइन्‍स बनते जा रहे हैं कि उनको रोक पाना मुश्किल है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, यह भी सही है कि ऐसे कई गांव जिन्‍हें मैंने देखा है कि वह तीन-तीन बार विस्‍थापित होकर धीरे-धीरे वह पहले नदी के किनारे थे, वे फिर दुबारा उठे, वहां से फिर दुबारा उठे, वहां पर ऐसी स्थितियां बनती जा रही है. उपाध्‍यक्ष महोदय, इतना ही नहीं सरकारें चिन्तित रही हैं, जनप्रतिनिधि चिंतित रहे हैं. पहले एक बीहड़ कृषिकरण आयोग भी बनाया गया था. बीहड़ों के समतलीकरण करने का भी और बीहड़ कटाव करने का भी प्रयास किया गया था. काफी प्रयास चलते भी रहेंगे. मैं समझता हूं कि कृषि मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्रीजी यदि सरकार सोच ले तो इसे रोका भी जा सकता है. जिस समय कटाव बह रहा था उस समय पेड़ लगाने का भी प्रयास किया और भी काफी प्रयास किये, लेकिन कटाव नहीं रूका और निरंतर कटाव बरकरार है. अब पूरे ग्‍वालियर, चंबल संभाग में जनसंख्‍या लगातार बढ़ती जा रही है. जनसंख्‍या का दबाव भी बढ़ता जा रहा है और लोग भूमिहीन होते जा रहे हैं.

          मैं माननीय मंत्री जी आपको केवल एक ही सलाह दूंगा कि अगर चम्‍बल बीहड़ या किसी भी नदी की मिट्टी का क्षरण रोकना है बहाव रोकना है तो हमारे गांवों में बसने वाले जो भूमिहीन लड़के हैं भूमिहीन नौजवान हैं, उनको भूमि के पट्टे प्रदान कर दें वह अपने-आप उस जमीन को समतल करके भूमि योग्‍य बना लेंगे. भूमियों का कटाव अपने आप रूक जायेगा, जो हम ग्रामीण विकास में मेड़ बंधान के लिये पैसा देते हैं , ग्रामीण विकास में छोटे-छोटे बंट बनाने के लिये पैसा देते हैं, ऐसे पैसा दे देकर पेड़ लगाने का एग्रीमेंट करके एक नई योजना तैयार कर ली जाये और हम सरकार पर छोड़े तो सरकार मिट्टी का क्षरण रोके, बीहड़ों को रोके, मैं नहीं समझता कि रोक पायेंगे. अभी तक नहीं रोक पाये इस पर करीब 100 करोड़ रूपये खर्च हो गये होंगे. अगर इसका आप हिसाब-किताब निकालोगे तो नहीं रोक पायेंगे. इसका केवल एक ही तरीका है कि भूमिहीन व्यक्ति जो खेती करना चाहते हैं वहां के नौजवानों को भूमि के पट्टे मुहैया करा दिये जायें तो निश्चित रूप से इसका कटाव रोका जा सकता है. पहले बड़ी-बड़ी कम्पनियों को देने का प्रयास किया था उन कम्पनियों की मंशा दूसरी थी. आज से कुछ वर्ष पहले मैं समझता हूं कि इसी सरकार के समय देने का प्रयास किया था दो तीन जगह मेरे यहां पर बीहड़ दिये भी थे, लेकिन उनकी मंशा दूसरी थी कि जमीनें पूरी तरह से अपने नाम कराकर कोई बड़ा लोन लेकर उसका मालिकाना हक प्राप्त कराकर अपना काम चला रहे हैं, लेकिन उसका समय समय पर लोगों ने विरोध किया तथा वह मुद्दा हमने भी उठाया तो निरस्त कर दिया वह जमीन का समतलीकरण करके छोड़कर चले भी गये. लेकिन यदि वहां के नौजवानों को जो भूमिहीन हैं जो खेती करना चाहते हैं उनको रोजगार भी मिलेगा उनकी बेरोजगारी भी मिटेगी और चंबल का कटाव भी रूकेगा. वैसे सभी नदियों का कटाव रूकेगा. जहां जहां पर ऐसे लोग हैं सरकार उनको जमीन मुहैया कराये यही मेरा निवेदन है. आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद. भूमि के पट्टे तो देगा राजस्व विभाग आपकी तो कोई मानेगा नहीं. तो आप घोषणा करेंगे.

          उपाध्यक्ष महोदय--रावत जी यह प्रश्नकाल नहीं है. आप नियम एवं कानूनों का हवाला देते हैं.

          श्री रामनिवास रावत--उपाध्यक्ष महोदय--हम भूमिहीन युवा बेरोजगारों को भूमि का पट्टा दिलाएंगे.

          उपाध्यक्ष महोदय--आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार (सुमावली)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, क्या है?

          उपाध्यक्ष महोदय--आप भविष्य में सूचना देते हैं चर्चा की तो आपको समय पर उपस्थित रहना चाहिये.

          श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गाड़ी खराब होने की वजह से पैदल आया हूं यहां पर.

          उपाध्यक्ष महोदय--आप हांप तो रहे नहीं हैं नार्मल हैं.

          श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--उपाध्यक्ष महोदय, दूसरे गेट से आया हूं.

            उपाध्यक्ष महोदय--चलिये भविष्य में आप इसका ध्यान रखिये.

            श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--उपाध्यक्ष महोदय, भूमि की ऐसी संरचना जो जल एवं वायु द्वारा भूमि के कटाव से निर्मित हुई तथा नदियों के मुहाने पर इनका विकास ज्यादा हुआ है ऐसी प्रथाओं की संरचना हल्की तथा उत्पादकता बहुत ही कम होती है, क्योंकि जल के वेग के कारण मृदा में उपस्थित खनिज लवण एवं अन्य पोषक तत्व पानी के साथ बह जाते हैं तथा मिट्टी की हल्की संरचना एवं पानी के वेग के कारण कई सौ वर्षों में इनकी स्थिति उथली मध्यम एवं गहरी दो मीटर से तीस मीटर तक की बन गई है, ऐसी संरचनाओं को बीहड़ कहते हैं. ग्वालियर-चंबल संभाग के मुरैना में कुआंरि आसन्न नदियां भिण्ड में चंवल कुआंरि सिंध, श्योपुर में चंबल पार्वती सीप, दतिया डबरा में सिंध नदी. उक्त नदियों से प्रतिवर्ष हजारों हैक्टेयर खेति वाली जमीन बीहड़ में तब्दील हो रही है. सैकड़ों गांव मूल स्थान से हटकर कई मील दूर स्थापित हो रहे हैं ऐसे पुनः कटाव की स्थिति में आते हैं. मुरैना के लगभग 520 गांव, भिण्ड के 173 गांव, श्योपुर के 147 गांव मूल गांव से कुल 1030 गांव गायब हो चुके हैं. चंबल घाटी में हो रही मिट्टी के क्षरण की समस्या चंबल-ग्वालियर के साथ-साथ राजस्थान, भरतपुर, करौली धोलपुर उत्तरप्रदेश के आगरा-फतेहाबाद-इटावा-तीनों प्रांतों की राष्ट्रीय आपदा समस्या है. इसमें जो प्रभावित गांव हैं, सबलगढ़ में बरेठा, काछिन्दा, निवाड़ी, रापड़ी, रायसेन, गौदाली, बेहड़, शैजापुरा, अटार, डिगवार, रूऊगांव, बनवारा, नौरावली, अलीपुरा, खैरोन, बटेश्वरा, हीरापुर. जौरा विधान सभा के भी 20-25 गांव हैं, बर्रेड, सिंगरौली, चिन्नौनी, तिदोश्वर, डबोखरी, मल्लपुरा, हीराबदाहा, गुनापुरा, बीढगाड़ा, बृजगर्ढा, ठैगीपुर, बापूपुरा, मिलुआ, छीतरियापुरा, कोटरा, अहरौली, कोह्लदाडा, गुर्जा, कलुआपुरा, छिनवरा, अजीतपुरा, सहजपुरा, उत्तमपुरा, ताजपुर, अजबाकापुरा, बहादुरपुरा, बरसैनी, सुखपुरा, भवनपुरा, सरसैनी, पचमपुरा, पठानपुरा, लहोरीकापुरा. सुमावली विधान सभा के भी 20-25 गांव हैं जैसे देवगढ़, विण्डवा, छतरपुरा, डाबरकापुरा, गुढ़ाचम्बल, गलेथा, नहरावली, भैसरोली, बागचीनी, नन्दगांगोली, मौंधनी, बहरारा (खडौली) खेरेवपालोंपुरा, केमरा, कैथरी, जैतपुर, अर्जुनकापुरा, तस्सीपुरा, नायकपुरा, गडौरा, रिठौरा, मृगपुरा, गौसपुर, कुल्हाड़ा, मऊखेड़ा, छत्तेकापुरा, रायपुर गढ़ी जरवौना, बद्यपुरा, पक्कापुरा, ऐसाह ऐसे लगभग 30-40 गांव हैं जो बीहड़ कटाव के कारण अपने मूल गांव हैं उनके ऊपर निकलकर आ गये हैं. बीहड़ कटाव का जो रेशो है. 34 साल में लगभग 36 गुना बढ़ा है.

माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, सन् 1943 से सन् 1944 तक बीहड़ की जो स्थिति थी, वह 1.380 लाख हेक्‍टेयर भूमि मुरैना और श्‍योपुर की स्थिति थी. सन् 1950 से सन् 1951 तक में यह बढ़कर 1.477 लाख हेक्‍टेयर और सन् 1975 से सन् 1976 में यह  1.913 लाख हेक्‍टेयर के करीब हो गई थी. ऐसे ही भिण्‍ड में बीहड़ 0.903 लाख हेक्‍टेयर भूमि की स्थिति थी और उसके बाद यह स्थिति सन् 1975 और सन् 1976 में 1.19 लाख हेक्‍टेयर हो गई. चम्‍बल संभाग में स्थिति सन् 1943 में 2.238 लाख हेक्‍टेयर थी, वह 32 वर्षों में 36 गुना बढ़कर 3.107 लाख हेक्‍टेयर हो गई है.

माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, अगर इस पर ध्‍यान नहीं दिया गया तो मुझे लगता है कि कई लाख हेक्‍टेयर भूमि कटाव के कारण जो कृषि योग्‍य भूमि है, वह भी धीरे-धीरे खत्‍म हो जायेगीं. मैं चाहता हूँ कि इस विषय पर सरकार चिन्‍ता करे और कोई ठोस कदम उठाये क्‍योंकि हर बार कदम उठाये जाते हैं. मेरी माननीय मंत्री महोदय जी से मुलाकात हुई थी एवं इस बारे में बात हुई थी. उन्‍होंने कहा कि हमने इसका प्रस्‍ताव बनाकर केन्‍द्र सरकार की ओर भेजा है लेकिन करीब 4 वर्ष या 5 वर्ष हो चुके हैं लेकिन उसका कोई ठोस प्रबन्‍ध नहीं हो पाया है. चम्‍बल के बीहड़ों में नाइट्रोजन, फास्‍फोरस, पोटाश, जस्‍ता व कार्बनिक पदार्थों की मात्रा में निरन्‍तर कमी आ रही है एवं बीहड़ निरन्‍तर बढ़ते जा रहे हैं.

कोटा एवं आगरा के बीहड़ हेतु केन्‍द्र व राज्‍य सरकार की परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है किन्‍तु इस तरह की कोई परियोजना मुरैना के बीहड़ हेतु नहीं चल रही है इसलिए इन बीहड़ों को सुधारने हेतु व इन ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों की भूमि कृषि से जोड़ने हेतु परियोजना राजमाता कृषि विश्‍वविद्यालय को दी गई है. मैं इसमें यह चाहता हूँ कि जैसे आगरा और कोटा में जो परियोजनाएं चल रही हैं, चम्‍बल क्षेत्र में भी ऐसी परियोजनाएं चलाई जायें, जिससे बीहड़ कटाव का प्रबन्‍धन हो सके.

उपाध्‍यक्ष महोदय धन्‍यवाद.

श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर) माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं 139 के अधीन अविलम्‍बनीय लोक महत्‍व के विषय पर अपनी बात कहना चाहता हूँ कि चम्‍बल-ग्‍वालियर संभाग में अटेर विधानसभा के भी कुछ गांव हैं, जहां कटाव हो रहे हैं, रमाकोट चिलांग, कोषण मुकुटपुरा, देवालय, खैराट, कचपुरा अटेच एवं भिण्‍डवा इसके अलावा प्रदेश में और भी बहुत सारी नदियां में कटाव हो रहे हैं, जिसके कारण कई गांव भी प्रभावित हो रहे हैं.

नर्मदा नदी मेरे विधानसभा क्षेत्र से आती है, उसके अलावा और भी नदियां हैं. उसमें भी नरसिंहपुर तहसील में एक नीमखेड़ा गांव है, महादेव पिपरिया है, गरारूड़ है, मुर्गाखेड़ा है एवं बरमान घाट हैं- जो नर्मदा नदी से प्रभवित हैं और सेढ़ नदी से भी मर्घदा, घाट पिंडरई सड़क को उसने खत्‍म कर दिया है. उमन नदी में आंकीबाड़ा एक ग्राम है, वह उससे प्रभावित है. इसके अलावा भी नदियों का एक अलग सिस्‍टम है, वह अपने हिसाब से बहती हैं. जैसा कि प्राकृतिक संसाधनों का दुरूपयोग विनाश का कारण है. जिस प्रकार से नदियों के किनारे से अन्‍धाधुंध जंगल काटे जा रहे हैं, उनसे रेत निकाली जाती है एवं उसके किनारे के पत्‍थरों को काटने के कारण भी बहुत सारी समस्‍याएं पैदा हो गई हैं.

प्रदेश के मुखिया सम्‍माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने एक बहुत अच्‍छी पहल माँ नर्मदा जी के लिए की है. नमामि देवी नर्मदे के कारण नदी को संरक्षित करने के लिए 11 दिसम्‍बर, 2016 से एक यात्रा निकल रही है. उसके कारण, मैं ऐसा मानता हूँ कि नर्मदा नदी प्रदेश के 16 जिलों को प्रभावित करती है, उन 16 जिलों को संरक्षित करने का काम करेगी. खासकर हमारा नरसिंहपुर जिला, उसमें जो भूमि कलमेटा की है, वह सबसे उपजाऊ भूमि है और जब नर्मदा जी की बाढ़ आती है तो हमारे यहां ट्यूबवेल हैं, कुंआ है, तालाब उसमें भी पानी भर जाता है. वे एक दूसरे से काम कर लेते हैं. मैं ऐसा मानता हूँ कि नदियों के किनारे जैसे तालाब हैं, उनको गहरे किये जायें तो उससे भी पानी रूकता है और नदी को भी संरक्षण मिलेगा और नदियों के बहुत सारे किनारे ऐसे हैं, जो हमारे यहां पहले डांग कही जाती थी, जो जंगल हैं.      

                                                                                        

          किसानों ने खत्‍म कर दिया है, किसान उसमें खेती करने लगे हैं, उसके कारण उसका क्षरण हो रहा है. इस प्रकार के जो काम आज हो रहे हैं, उस पर रोक लगनी चाहिए. एक और निवेदन करना चाहता हूं कि नर्मदा नदी से लगभग जबलपुर, नरसिंहपुर, रायसेन और होशंगाबाद में ही रेत निकाली जाती है, बाकी में तो बांध बन गए हैं. मैं निवेदन करना चाहता हूं आसंदी से कि उस नदी से रेत न निकाले और रेत पत्‍थरों से पीसकर बनाई जाएगी तो नर्मदा नदी का क्षरण नहीं होगा. इसी प्रकार से अन्‍य नदियों में जहां भी क्षरण हो रहा है या इस प्रकार की समस्‍या आ रही है, तो इसमें रोक लगेगी. सम्‍माननीय सदस्‍य अभी मुआवजा की बात कर रहे हैं तो, नदियों में कटाव के कारण, अतिवृष्टि के कारण, बहाव के कारण जो फसलों का नुकसान होता है, या किनारे में रेत आ जाती है, खेतों में तो उसमें मुआवजा दिया जाता है. हमारे यहां भी कुछ ऐसी स्थिति बनी थी खेतों में, तो सरकार ने उसमें मुआवजा दिया था और मुरैना के आसपास भी यह बहुत बड़ी समस्‍या है, वहां की मिटटी बहुत कमजोर है, पहले मिट्टी बह जाती है, उसके बाद पानी बहता है. मैं आप सबसे निवेदन करता हूं कि अगर नदियां बची रहेगी, पेड़ पौधे बचे रहेंगे, तभी हमारा जीवन बचेगा, इसके लिए सरकार अवश्‍य ध्‍यान देगी. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद.       

          श्री दुर्गालाल विजय (श्‍योपुर) - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, बहुत ही महत्‍वपूर्ण विषय पर यह चर्चा है, हमारे चम्‍बल संभाग में, चम्‍बल नदी के बीहढ़ों में लगातार वृद्धि होने के कारण चम्‍बल का जो पानी आता है, उसके कटाव के कारण से बहुत सारा क्षेत्र इससे प्रभावित हो रहा है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, अभी हमारे मित्र चले गए, वे कह रहे थे कि इसमें चर्चा कराने का एक कुत्सित प्रयास है, वे भी चम्‍बल क्षेत्र से ही हैं. मैं निवेदन करना चाहता हूं और मध्‍यप्रदेश की सरकार को धन्‍यवाद भी देना चाहता हूं कि जब से यह सरकार आई है. मध्‍यप्रदेश की सरकार और माननीय मुख्‍यमंत्री जी के प्रयासों के कारण हमारे चम्‍बल क्षेत्र की डाकू समस्‍या का समाधान हो गया, नहीं तो जब वो मंत्री होते थे, तब चम्‍बल में बन्‍दूक लेकर कूदने की बात करते थे, उनकी सरकार में आज उन परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ रहा है और वर्तमान में सरकार ने उस समस्‍या का तो समाधान कर दिया, लेकिन जो कटाव लगातार चल रहा है, वह बहुत अधिक चिंताजनक है. वर्तमान समय में लगभग 3,000 किलोमीटर क्षेत्र के अंदर, हमारे श्‍योपुर के 350 गांव के आसपास और भिंड, मुरैना के अन्‍य गांव सहित एक हजार से ऊपर गांव चम्‍बल नदी के उन बीहढ़ों में जहां लोग बसे हुए थे, इस कटाव के कारण से उनको अपना स्‍थान छोड़कर अन्‍य स्‍थानों पर अपना आशियाना बनाना पड़ा और उन स्‍थानों पर रहकर के वे अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, कटाव जिस गति से आगे बढ़ रहा है, उस गति के कारण आने वाले वर्ष में ऐसी उम्‍मीद की जाती है कि 2016 के आखिरी तक लगभग साढ़े पांच हजार हेक्‍टेयर में यह फैलाव हो जाएगा और ज्‍यादा बीहढ़ होंगे, कटाव भी निरंतर होगा. ये अनुमान लगाया जा रहा है कि अभी तक एक हजार गांव प्रभावित हुए हैं, लेकिन आने वाले समय में दो हजार गांव से अधिक गांवों के प्रभावित होने की संभावना है. लोगो के द्वारा जो वहां पुशपालन और खेती करने का काम था, वह काम अभी लगभग समाप्‍त होते जा रहा है, क्‍योंकि बीहढ़ लगातार बहुत ऊंचाईयों पर बढ़ते जा रहे हैं, इसके कारण यह चिंता होना स्‍वभाविक है, वहां रहने वाले जनप्रतिनिधियों के सामने, वहां पर कार्य करने वाले लोगों के सामने जब जनता की ये वेदना आती है और दु:खी मन से वह कहते हैं कि एक तरफ तो घड़ियाल का प्रोजेक्ट प्रारंभ हो जाने के कारण चंबल नदी में लगभग 1 किलोमीटर तक लोगों को खेती करने से रोक दिया गया. अब उसके आगे जितना भी स्थान है वह स्थान बीहड़ों के कारण अब खेती करने योग्य नहीं रह गया और चंबल के कटाव के कारण लोग वहां से हटकर के दूसरे स्थानों पर आ रहे हैं. तो यह बहुत चिंताजनक विषय है इसको दूर करने की आवश्यकता है. मैं, मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि जहां पर यह "भरके" बने हैं जिनको बीहड़ के स्थान पर "भरके" बोलते हैं उस जगह पर रहने वाले लोगों को, वहां पर जो छोटे छोटे किसान खेती करने वाले हैं यदि उनको पट्टे दे दिये जायें तो उस जमीन को वह समतल बना सकेंगे और कटाव के बहुत सारे प्रयत्न भी वह अपने हिसाब से कर सकेंगे जिससे वह कटाव निरंतर आगे नहीं बढ़ें, उनको रोकने के लिये यह एक अच्छा कारगर उपाय है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा अनुरोध मेरा यह है कि यदि उन स्थान पर यदि किसानों को ही वनीकरण करने के लिये वह स्थान दे दिया जाये औऱ सरकार की ओर से उनको सुविधा भी उपलब्ध करा दी जाये कि आप इस स्थान पर फलदार वृक्ष लगायें या अन्य प्रकार से वनीकरण करके उस स्थान को उपयोगी बनायें तो उनको रोजगार भी मिलेगा, उनके साधन भी ठीक हो सकेंगे और वह अपने कामकाज को ठीक तरीके से संचालित कर सकेंगे.

          उपाध्यक्ष महोदय, बीच में बीहड़ समतलीकरण के नाम से जब यह बात आई थी कि इसका समतलीकरण करने के लिये बड़ी बड़ी कंपनी और बड़े बड़े लोगों ने शासन को आवेदन किये थे उस समय उनको कुछ जमीन भी आवंटित करा ली थी लेकिन उसमें कोई कारगर पहल नहीं हो सकी और कोई काम उन्होंने आगे नहीं बढ़ाया इसलिये हमारा अनुरोध है कि जो गांव में लोग रहते थे, जिन्होंने वहां से विस्थापित होकर के दूसरे स्थान पर अपने आपको जमाया है उन्हीं लोगों को आप इस जमीन को दें. छोटे छोटे पट्टे के रूप में उनको जमीन दें 5-6-7 बीघा के पट्टे दें और खेती योग्य बनाने के लिये कुछ संसाधन उपलब्ध करायें तो यह बीहड़ के कटाव की गंभीर समस्या को रोका जा सकता है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह बात न केवल चंबल नदी के लिये है, श्योपुर में पार्वती नदी, सीप नदी और कूनो नदी है इन सभी नदियों में भी कटाव निरंतर बढ़ता जा रहा है जिसके कारण से वहां के किसान चिंतित है कि आगे आने वाले समय में उनका पालन पोषण, उनके परिवार का भरण पोषण वे किस प्रकार से कर पायेंगे इसकी वह बहुत अधिक चिंता करते हैं , इस कारण से मैं यही निवेदन करना चाहता हूं कि यह जो महत्वपूर्ण और गंभीर समस्या श्योपुर और मुरैना जिले में है उसके समाधान की दृष्टि से मुख्यमंत्री जी,कृषि मंत्री जी, गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे तो निश्चित रूप से यह कटाव रोका जा सकेगा और उस स्थान को कृषि योग्य, उपजाऊ, वनीकरण के लिये उपयुक्त बनाया जा सकेगा. अन्यथा परिस्थितियों के बदलाव के कारण उन्हें उसी प्रकार की समस्या जो बहुत पहले पूर्व की सरकार में हुआ करती थीं जिनके लिये लगातार वहां के ग्रामवासियों को कठिनाई का सामना करना पड़ता था, भयभीत रहते थे, वहां रहने में भी भारी कठिनाई महसूस करते थे उसी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो जाये इसको ध्यान में रखते हुये बहुत जल्दी अच्छे प्रयत्न करके और उन लोगों को भूमि का आवंटन करके, भूमि का समतलीकरण के लिये, कटाव को रोकने के लिये सार्थक प्रयत्न करने की आवश्यकता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपने विचार रखने के लिये जो समय प्रदान किया है उसके लिये धन्यवाद.

          श्री जितू पटवारी(राउ)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद कि आपने मुझे भी इस चर्चा में हिस्सा लेने का अवसर प्रदान किया है. दो बातें हैं जिस तरीके से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के आधार पर समय समय पर आग से, अतिवर्षा से, तूफान से, और कहीं पर भी प्राकृतिक आपदाओं से इस तरह का प्रभाव-दुष्प्रभाव पड़ता रहता है जिसका समाज, जनजीवन, मानव जीवन और आज की आधुनिक जीवन शैली पर असर पड़ता रहता है.यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है...

          डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- उपाध्यक्ष महोदय, अब कौन सा षडयंत्र हो रहा है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  इनकी बात आगे बढ़ने दीजिये.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय उपाध्‍यक्ष जी, ऐसा नहीं है 4-5 वक्‍ता बोल लिये जितू भाई को समझ में आ गया कि मेटर क्‍या है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  जितू भाई बड़े ज्ञानी है, वह सब जानते हैं.

          श्री जितू पटवारी--  धन्‍यवाद सभी सम्‍मानित हमारे माननीय परिवार के साथियों को मेरी चिंता है यह तो मुझे पता चला, पर साथ ही जैसा मैं बोल रहा था.

          श्री रामनिवास रावत--  चंबल नदी भी महू की पहाडि़यों से निकलती है, वह भी इंदौर के पास में ही है.

          श्री जितू पटवारी--  यह बात मैं कहने वाला था उससे पहले हमारे रामनिवास जी ने आपका सबका ज्ञानवर्द्धन किया. चंबल का जहां तक प्रश्‍न है वह मेरी विधान सभा के ऊपर महू विधान सभा है और मेरा ससुराल है जानापाव वहां से निकलती है तो वह भी मेरा धर्म बनता है कि उसके लिये कहीं न कहीं, किसी न किसी प्रकार के कोई भाव हमारे बीच में आना चाहिये. मैं कह रहा था उपाध्‍यक्ष जी कि यह प्राकृतिक न्‍याय के सिद्धांत में नदियों का बहाव, नदियों का कटाव प्राकृतिक आपदायें, प्रकृति से बनने वाली अच्‍छी और बुरी बातें आती हैं, पर समय-समय पर शासन ने या उस समय की सरकारों ने जब तक उन्‍नति नहीं हुई थी, ध्‍यान दिया या न दिया वह एक अपनी बात हो सकती है, पर नये सिरे से जैसे रामनिवास रावत जी ने कहा कि नये युवाओं को, बेरोजगार युवाओं को, स्‍थानीय युवाओं को अगर रोजगार का माध्‍यम भी बनें और जितनी भी नदियों के बीच में शासन की जमीन है, 10 साल के 15 साल के पट्टे अलाटमेंट करके उन पर खेती करने के लिये, उद्यानिकी लगाने के लिये या ऐसे पेड़ पौधों की कोई संरचना प्रतिबंधित करके नियमानुसार कुछ की जाये तो यह कटाव रूक सकता है, पर सबसे महत्‍वपूर्ण जो बात है जिसके लिये मैं खड़ा हुआ हूं अगर जितना भी जहां भी कटाव की बात आती है, मध्‍यप्रदेश को देश की सरकार ने एक तमगा दिया है अभी जिसने पिछले 3 साल में 9 अरब रूपये से ज्‍यादा रेत का भंडार, रेत का माफिया, रेत के कारोबारियों ने यहां से अवैद्य खनन किया है, और वह सबसे बड़ा महत्‍वपूर्ण कारण है कि यह कटाव बढ़ता गया, भारत सरकार ने कोयला मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की और उसमें कहा कि मध्‍यप्रदेश की सरकार के तीन साल में पिछले 9 अरब रूपये का अवैध खनन हुआ. होशंगाबाद, चंबल और नर्मदा जहां-जहां से निकलती है उन जिलों का भी उसमें जिक्र किया गया है. मैं समझता हूं यह रूकना चाहिये. मुझसे पहले हमारे भाई ने कहा, माननीय सदस्‍य ने कि डाकुओं का, बी‍हड़ों का क्षेत्र था, रामनिवास जी बंदूक लेकर चल रहे थे. डाकुओं की जब बात आई तो वह भी कांग्रेस के मुख्‍यमंत्री थे अर्जुन सिंह जी जिन्‍होंने डाकुओं को विधायक बनाया, फूलन देवी सांसद बनीं, डाकुओं का समर्पण करवाया और बीहड़ों में जिस तरीके से अच्‍छा एक प्रसार करके, लोगों के मनोभाव को बचाकर .... (व्‍यवधान)...

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  (XXX). .. (व्‍यवधान)...

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--  जितू जी ने आज सत्‍य की स्‍वीकारोक्ति की है. .... (व्‍यवधान)....

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  जितू जी डाकूओं की बजाय आप मिट्टी के कटाव की बात कीजिये.

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--  (XXX).

          श्री जितू पटवारी--  (XXX)...(हंसी)....

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--  उपाध्‍यक्ष जी, इनका छोटा भाई ही हूं मैं.

          श्री जितू पटवारी--  आदरणीय उपाध्‍यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया और यह बड़ा ही चिंता का विषय है, आने वाले समय में एक ऐसी कार्य योजना बननी चाहिये, एक ऐसी योजना बनना चाहिये कि इस प्रकृति के न्‍याय के सिद्धांत के साथ हम उनके साथ भी न्‍याय कर पायें और आने वाले भविष्‍य के साथ 100 साल, 50 साल बाद की जो जनरेशन है, उसके साथ भी हम न्‍याय कर पायें. जो भी सरकारें हों, जो भी मुख्‍यमंत्री बने, हार-जीत अपनी जगह है पर इन भावों को सर्वोपरि मानकर हम अपना काम करेंगे तो बेहतर होगा. मैं सरकार से, मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि इसमें से एक विस्‍तृत कार्य योजना जो भविष्‍य के निर्माण में सहायक बने, ऐसी बने इसके लिये धन्‍यवाद.

          श्री गोविन्द सिंह पटेल(गाडरवारा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज जो चंबल ग्वालियर संभाग में नदियों से मिट्टी कटाव के कारण कृषि भूमि का रकबा घटने एवं गांवों के अपने मूल स्थान  से विस्थापित होने के संबंध में जो नियम 139 की चर्चा हो रही है.

XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

यह अकेले ग्वालियर चंबल संभाग की समस्या नहीं है जहां-जहां बड़ी नदियां बहती हैं वहां मिट्टी के कटाव से कृषि भूमि को भी नुकसान होता है और गांव भी बहते हैं और ऐसी उपजाऊ जमीन में रेत बढ़ती है  जिससे नुकसान होता है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में दुधी और शक्कर दो ऐसी नदियां हैं जो बड़ी हैं और उनमें कटाव के कारण भी बहुत से गांवों का नुकसान होता है. हमारे यहां शक्कर नदी में रायपुर,चांदनखेड़ा,कुड़ारी,डोंगरगांव,नरसरा,कल्याणपुर,इमलिया,चोरबरेटा,मेहराखेड़ा,केंकराऔर घाटपिपरिया और कजरोटा और दूधी नदी के प्रभावित गांव हैं बेरागढ़,छेनाकछार,केंकरा,अर्जुनगांव,पनागर,केसला,ढाना,सांईखेड़ा,तूमड़ा,मेहरागांव,महेश्वर आदि हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय - यह किन नदियों की बात कर रहे हैं गोविन्द सिंह जी.

          श्री गोविन्द सिंह पटेल - यह शक्कर और दुधी नदी हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय - चंबल की बात करिये.

          श्री गोविन्द सिंह पटेल - प्रदेश भर की सब नदियों की बात हो रही है. जहां नुकसान होता है. मैं यह कह रहा हूं कि इनमें भी नुकसान हो रहा है और कई जगह किसानों की जमीन गिर जाती है और विवाद बनता है. कई तो एक जिले से दूसरे जिले में जमीनें पहुंच जाती हैं और खासकर जो रेत उपजाऊ जमीन में गिरती है उसका मुआवजा सरकार को जरूर देना चाहिये क्योंकि उपजाऊ जमीन रेतीली हो जाती है और कटाव रोकने के लिये जो रेत उत्खनन होता है वह मुख्य कारण है और रेत के बड़े टीले कटाव रोकते थे लेकिन रेत किनारे से लोगों ने उठा ली तो नदी की धार किनारे तक सीधे आती है और रेत उत्खनन न हो और किनारे से तो बिल्कुल न हो तो अच्छा है. वृक्षारोपण एक बहुत अच्छा उपाय है. हमारे मुख्यमंत्री जी ने "नमामि नर्मदे" कार्यक्रम चलाया जिसमें एक किलोमीटर तक फलदार वृक्ष लगेंगे. वास्तव में इससे नर्मदा नदी का कटाव रुकेगा.  हर नदियों में कृषि भूमि पर किसानों को मुआवजा देकर या प्रोत्साहन देकर वृक्षारोपण कराया जाये जिससे कटाव रुक सकता है. यह चिंता का विषय है कि कटाव रुकना चाहिये.  बेशकीमती जमीन हर वर्ष खराब होती है और नुकसान होता है.आपने मुझे बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी(गुढ़) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि यह मामला बहुत गंभीर है. हम यहां कटाव की बात कर रहे हैं.दोनों पक्षों का विचार-विमर्श हो रहा है. मेरा यह मानना है कि जब से सिष्ट का जन्म हुआ तब से नदियां रही होंगी. कटाव होता रहा होगा और फिर भी नदियों का स्वरूप अभी तक जिंदा है. क्या इस बारे में कभी सरकार की तरफ से कोई अध्ययन कराया गया कि इसके जो प्राकृतिक नियम हैं कि पानी बहेगा और नदी का किनारा कटेगा और उसको आर्टिफिशियल तरीके से अगर हम रोकते हैं तो उसके क्या-क्या दुष्परिणाम आयेंगे,इस बात पर भी हमको विचार करना चाहिये कि उसके परिणाम क्या होंगे. कई जगह हम लोगों ने ऐसे काम किये हैं लेकिन उसके बाद के परिणाम गलत आये हैं. जहां तक क्षरण का मामला है यह तो पूरे प्रदेश और देश का मामला है. केवल ग्वालियर तक यह मामला सीमित नहीं है या चंबल रिये में जो नदियां है वहां तक सीमित नहीं है.यह हर क्षेत्र का मामला है तो मेरा यह मंत्री जी को सुझाव  है कि हजारों वर्षों में इन नदियों का कितना कटाव हुआ, उससे क्या नुकसान हुआ और उस कटाव को हम अचानक रोक देंगे तो उसके क्या दुष्परिणाम होंगे इसका भी अध्ययन हो. उसके बाद इस पर निर्णय हो. यह हमारा कहना है. धन्यवाद.

          उपाध्यक्ष महोदय - सुन्दरलाल जी आज आपकी सबसे शार्ट स्पीच हुई है हमें लगता है. आपने रिकार्ड बना दिया.

 

 

 

समय 4.00 बजे       अध्यक्ष महोदय (डॉ सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.

 

            किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,चम्बल एवं ग्वालियर संभाग की नदियों में मिट्टी कटाव के कारण कृषि भूमि का रकबा घट रहा है एवं गांव अपने मूल स्थान से विस्थापित हो रहे हैं. इस अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर हमारे चम्बल और ग्वालियर के बीहड़ों के संधारण को लेकर 139 की अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर हम सदन में आज विस्तार से चर्चा कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय, मैं, सबसे पहले आपको धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं कि पिछले दो-तीन सत्रों में अशासकीय संकल्प के माध्यम से यह विषय आया था.

 

 

 

 

 

 

 

 

समय 4.01 बजे                                अध्यक्षीय व्यवस्था

 ग्राह्य चर्चा के मूल सदस्य के अनुपस्थित रहने पर समर्थक सदस्य/अऩ्य सदस्य द्वारा चर्चा उठाये जाने विषयक.

 

        अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्रीजी कृपया दो मिनट रुक जायें.  इसके पहले जब यह चर्चा आज प्रारंभ हुई थी तब माननीय मंत्री गोपाल भार्गव जी ने एक व्यवस्था का प्रश्न उठाया था. जिस पर अनेक माननीय सदस्यों ने अपनी राय व्यक्त की और माननीय उपाध्यक्ष जी ने उस यह व्यवस्था दी थी वह चर्चा जारी रह सकती है, जारी रखेंगे. उसी के परिप्रेक्ष्य में यह चर्चा हो रही है. मैं उसी व्यवस्था को विस्तार देते हुए सदन को यह बतलाना चाहता हूं कि नियम 139 में जो चर्चा ग्राह्य की जाती हैं, उसमें दो सदस्यों के समर्थन भी होते हैं. स्वाभाविक है कि यदि मूल सदस्य उपस्थित नहीं है तो जो समर्थक सदस्य हैं, वह उस चर्चा को उठा सकते हैं यह प्राकृतिक न्याय भी है. श्री दुर्गालाल विजय ने यह बात कही भी थी कि समर्थन करने वाला सदस्य भी मामले को उठा सकता है.

          दूसरी बात, कौल एवं शकधर की पुस्तक में लिखा है चर्चा हेतु प्रक्रिया-

चर्चा उसी सदस्य द्वारा प्रारंभ की जाती है जिसका नाम कार्यसूची के मद में सबसे पहले है. यदि वह सदस्य अनुपस्थित हो, तो चर्चा दूसरे सदस्य,यदि वह उपस्थित हो, उठायी जाती है. यदि सदस्य अनुपस्थित हो तो दूसरा सदस्य इस चर्चा को उठा सकता है. इसलिए वह व्यवस्था बिलकुल ठीक है और नियमानुकूल है. विशेष परिस्थितियों में अध्यक्ष उस सदस्य को जिसका नाम कार्यसूची में उस मद के सामने लिखा हो, इस बात की अनुमति दे देता है कि उसके स्थान पर कोई अन्य सदस्य भाषण दे. अन्य सदस्य भी दे सकता है.

          तीसरी बात, एक माननीय सदस्य ने यह बोला कि इससे महत्वपूर्ण और चर्चाएं भी थीं और उन्होंने आक्षेप लगाया कि जानबूझकर इसको लिया गया. मेरा यह कहना है कि यह भी महत्वपूर्ण चर्चा है. हर सदस्य को अपने अपने क्षेत्र की चर्चा महत्वपूर्ण लगती है. श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार जी ने जो विषय उठाया है इस पर विस्तृत चर्चा पूरे प्रदेश के जरुरी थी नदियों में कटाव सभी जगह होता है. उन्होंने चम्बल का उठाया. यह चर्चा सिर्फ 139 या 142 में ही हो सकती थी क्योंकि ध्यानाकर्षण में भी इतना समय नहीं मिलता और न प्रश्न में मिलता है. बाकी अन्य विषय जो तात्कालिक होते हैं, उनके लिए तो और भी रास्ते हैं लेकिन दीर्घकालीन निर्णयों के लिए नियम 139 या 142 ही है. इसलिए बिलकुल सम सामयिक और नियमानुकूल यह चर्चा ली गई है. मेरा माननीय सदस्यों से निवेदन है कि पहले नियम पढ़ लें इसके बाद किसी प्रकार की बात करें, उचित होगा.

          श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, आपने व्यवस्था दी, माननीय उपाध्यक्ष महोदय ने व्यवस्था दी, हमें स्वीकार है. उसमें आपत्ति नहीं थी. चर्चा भी हो गई और माननीय मंत्री जी का जवाब भी आ रहा है. अध्यक्ष महोदय, जैसा आपने कहा, मैं उस पर आपका ध्यान दिलाना चाहूंगा कि कोई भी सदस्य नियम 139 की सूचना देता है और उस पर दो सदस्यों का समर्थन रहता है. सामान्यतः उस कार्यसूची में प्रथमतः सूचना देने वाले का नाम और दोनों अनुसमर्थन करने वालों के नाम भी लिखे जाते हैं या फिर बताना चाहिए. आपने कहा कि दूसरा अनुसमर्थन करने वाला सदस्य भी चर्चा उठा सकता है. लेकिन आज यहां जो चर्चा उठायी, अनुसमर्थन करने वाले सदस्यों ने नहीं उठायी और न यह स्पष्ट किया कि समर्थन किस किस ने किया. न ही यह स्पष्ट किया कि अनुसमर्थन किस-किस ने किया? इसलिए यह बात उद्भूत हुई और कोई बात नहीं थी. आसंदी नियम शिथिल भी कर सकती है, यह हमने मान भी लिया.

अध्यक्ष महोदय - वह तो विशेष परिस्थितियों में कर ही सकते हैं.

श्री रामनिवास रावत - और बात भी श्री गोपाल भार्गव जी के द्वारा उठाई गई. चूंकि जिस सदस्य ने चर्चा प्रारंभ की, उसने न अनुसमर्थन किया, केवल उन्होंने अपना नाम दिया.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, आपत्ति और सुझाव के बाद भी रावत साहब ने डिस्कशन में पूरा भाग भी लिया.

 

4.06 बजे  नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा (क्रमशः)

चंबल-ग्वालियर संभाग में नदियों से मिट्टी कटाव के कारण कृषि भूमि का रकबा घटने एवं गांवों के अपने मूल स्थान से विस्थापित होने संबंधी

किसान कल्याण तथा कषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन) - अध्यक्ष महोदय, मैं अपना उत्तर देने से पूर्व में कह रहा था कि पिछले 3 सत्रों में यह अशासकीय संकल्प में विषय आया था,  लेकिन उस पर चर्चा नहीं हो सकी थी. माननीय श्री गोविन्द सिंह जी ने भी चर्चा को उठाया था. आज हमारे श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार जी ने नियम 139 में चर्चा उठाई है, जिसमें श्री सोहनलाल बाल्मीक, श्री रामनिवास रावत, श्री जालम सिंह पटेल, श्री दुर्गालाल विजय, श्री जितू पटवारी, श्री गोविन्द सिंह पटेल और श्री सुन्दरलाल तिवारी, ऐसे हमारे सम्मानीय 8 सदस्यों ने इस चर्चा में भाग लिया और अनेक सुझाव  दिये.

अध्यक्ष महोदय, चंबल संभाग के मुरैना जिले के अति गहरे बीहड़ प्रभावित अनुमानित क्षेत्र 12690 हैक्टेयर, श्योपुर जिले के चंबल तथा क्वारी नदियों में मिट्टी के क्षरण के कारण अति प्रभावित कुल अनुमानित क्षेत्र 12942 हैक्टेयर तथा भिण्ड जिले में अनुमानित 16800 हैक्टेयर भूमि बीहड़ क्षेत्र के कटाव के कारण ज्यादा प्रभावित है. ग्वालियर संभाग में चंबल संभाग की तुलना में बीहड़ों का क्षेत्रफल कम है. श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के जिस शोध पत्र का उल्लेख किया गया है, उसमें 8 वर्षों में चंबल के बीहड़ का क्षेत्रफल  45 प्रतिशत बढ़ने का उल्लेख नहीं है. यह भी कि उल्लेख किये गये शोध पत्र में श्योपुर, भिण्ड, दतिया जिले में 3000 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में 1043 गांव अपने मूल स्थान से गायब होने का भी उल्लेख नहीं है. उक्त शोध पत्र में वर्ष 2016 तक 55000 हैक्टेयर कृषि भूमि बीहड़ में बदलने तथा 2000 गावों को चंबल के बीहड़ों द्वारा निगलने का उल्लेख नहीं है. उक्त शोध पत्र में वर्ष 1943-44 से वर्ष 1975-76 तक बीहड़ क्षेत्रफल में बढ़ोतरी होने तथा वर्ष 2013-14 की स्थिति में बीहड़ क्षेत्र में कमी आने का उल्लेख है. चंबल संभाग में बीहड़ क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए तथा टिकाऊ खेती के माध्यम से क्षेत्र के एकीकृत विकास हेतु राज्य सरकार ने अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है.

आयुक्त, चंबल संभाग की अध्यक्षता में गठित विशेष समिति द्वारा बीहड़ प्रभावित गांवों को सम्मिलित करते हुए योजना तैयार की गई है. उक्त योजना के अंतर्गत मुख्य रूप से कृषि भूमि को बीहड़ में परिवर्तित होने से रोकने एवं उसे कृषि योग्य भूमि बनाने तथा अन्य संबंधित विभाग उद्यानिकी, वानिकी, पशु चिकित्सा, पशु पालन तथा कृषि यांत्रिकी की गतिविधियों को क्षेत्र का एकीकृत विकास किये जाने हेतु शामिल किया गया है, जिससे कृषि भूमि को बीहड़ क्षेत्र में बदलने में कमी लाने तथा विस्थापन का नियंत्रण किया जा सके. श्रीमंत राजमाता कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के द्वारा किये गये अनुसंधान के परिणाम अनुसार बीहड़ भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है तथा इस पर विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और फसल लगाई जा सकती है. इसके साथ ही इस भूमि में मृदा क्षरण एवं जल अप्रवाह को रोककर प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सकता है. इस हेतु बीहड़ क्षेत्र के एकीकृत विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा संबंधित परियोजना के प्रस्ताव अनुसार 1200 करोड़ रुपए की परियोजना भारत सरकार को प्रेषित की गई है, जो कि प्रक्रियाधीन है. मुरैना में इसके अतिरिक्त जो मीडियम प्रभावित क्षेत्र हैं, उसको जोड़ा जाय तो मुरैना के जिले में 72144, भिण्ड में 19532, श्योपुरकला में 18848, ग्वालियर में 13900 और दतिया में 3945, इस तरह से 128 हजार से भी अधिक हैक्टेयर प्रभावित क्षेत्र वर्ष 2013-14 की स्थिति में है.माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो एरिया घटा है, इसके पीछे अनुमान यह है कि जब से जमीनों की कीमत बढ़ी है, तो कुछ किसानों ने उस पर खेती करना प्रारंभ कर दिया. जिसके कारण वहां जो बीहड़ थे उनका अब कृषि क्षेत्र में उपयोग होने लगा है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, खाद्य एवं आजीविका सुरक्षा हेतु बीहड़ प्रबंधन पर एक अंतर्राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी 7 मार्च से 10 मार्च 2016 तक श्रीमंत राजमाता सिंधिया कृषि विश्‍वविद्यालय में संपन्‍न हुई. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे यह बताते हुए प्रसन्‍नता है कि जी.आर.सी. में 247 प्रतिभागियों ने चर्चा में भाग लिया. विदेशों से 8 राष्‍ट्रों के वैज्ञानिक आए थे. जर्मनी, जापान, अमेरिका, स्विजरलैण्‍ड, ले‍बनान, अफगानिस्‍तान, श्रीलंका एवं नेपाल के विशेषज्ञ यहां आये थे. मैं माननीय सदस्‍य एवं इस सदन को आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि सरकार इस योजना हेतु पूर्ण रूप से सजग है और हमने इस मामले में भारत सरकार के आर्थिक मामलों के मंत्रालय, जो बाह्य पोषित योजनाओं का निर्धारण करता है, उससे सतत् संपर्क एवं परामर्श किया है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले हमारे द्वारा जो योजना बनाई गई थी, उसमें 80 प्रतिशत भारत सरकार और 20 प्रतिशत भागीदारी राज्‍य सरकार की रखी गई थी. इसमें भारत सरकार द्वारा कुछ बिंदुओं पर आपत्ति लगाई गई. जिसमें ऋण की अदायगी की शर्तें, ब्‍याज का निर्धारण एवं इसकी समयावधि शामिल है. इन सभी बिंदुओं का निराकरण करते हुए भारत सरकार के सुझाव अनुसार अब 70 प्रतिशत राशि भारत सरकार एवं 30 प्रतिशत राशि का वहन राज्‍य सरकार करेगी. इस प्रकार एक पूरी योजना बनाकर हमारे द्वारा भारत सरकार को भेजी गई है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ग्‍लोबल एन्‍वायरमेंट फण्‍ड के अंतर्गत भी संयुक्‍त राष्‍ट्र संस्‍थान के फूड एवं एग्रीकल्‍चर ऑर्गेनाईजेशन तथा कृषि मंत्रालय के माध्‍यम से भी बीहड़ विकास की कार्य योजना बनाई जा रही है. जिसकी समयावधि 5 वर्ष की होगी. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूं हमारे नेशनल ब्‍यूरो ऑफ सॉईल साइंस एवं भूमि उपभोक्‍ता प्रबंधन के अनुसार भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 328 मिलीयन हेक्‍टेयर है. जिसमें से 147.7 मिलीयन हेक्‍टेयर भूमि समस्‍या से ग्रसित है और 2.06 मिलीयन हेक्‍टेयर भूमि बीहड़ क्षेत्र के अंतर्गत आती है. जिसमें 6.83 लाख हेक्‍टेयर भूमि मध्‍यप्रदेश में पाई जाती है. इसमें सर्वाधिक बीहड़ प्रभावित 1.82 लाख हेक्‍टेयर बीहड़ क्षेत्र चंबल नदी एवं अन्‍य नदियों के किनारे आता है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन में 243 शोध-पत्र, 60 व्‍याख्‍यान शोध-पत्र प्रस्‍तुत किए गए. इसी के साथ-साथ सम्‍मेलन में 8 तकनीकी सत्र, 3 पोस्‍टर सत्र, 2 पैनल चर्चा एवं 1 दिन का परिक्षेत्र भ्रमण रखा गया था.

          श्री रामनिवास रावत-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री को पूरे ग्‍लोबलाइजेशन की चर्चा है. पूरे विश्‍व के भूमि कटाव की चिंता है.

(व्‍यवधान......)

          श्री गौरीशंकर बिसेन-  हमें संपूर्ण विश्‍व के भूमि कटाव की चिंता है. इस भूमि कटाव को रोका कैसे जाये ? यह एक अंतर्राष्‍ट्रीय समस्‍या है. जिस प्रकार के बीहड़ हमारे मध्‍यप्रदेश में है, उसी प्रकार के बीह‍ड़ दुनिया के अन्‍य राष्‍ट्रों में भी है. इसलिए हमारे द्वारा अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहली बार इसका वर्कशॉप किया गया. हिन्‍दुस्‍तान के इतिहास में बीहड़ों की समस्‍या के निराकरण हेतु अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहली बार सम्‍मेलन माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने किया है.

(मेजों की थपथपाहट.......)

          श्री सुंदरलाल तिवारी-  उसकी रिपोर्ट कहां है ? अगर आप कह रहे हैं तो वो रिपोर्ट अभी तक विधायकों को मिली ही नहीं है.

(व्‍यवधान.....)

          अध्‍यक्ष महोदय-  आप बैठ जाईये. चर्चा के दौरान प्रश्‍नोत्‍तर नहीं होते हैं. आप सीनियर विधायक हैं, आप नियम पढि़ये.

          श्री सुंदरलाल तिवारी-  हम कौन-कौन से नियम पढ़ लें ? ये कह रहे हैं, रिपोर्ट बनी है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  नियमों में चर्चा के दौरान प्रश्‍नोत्‍तर का कोई प्रावधान नहीं है.

                                                                                               

          श्री गौरीशंकर  बिसेन --यह जो वहां पर चर्चा हुई है और चर्चा का जो निचोड़ आया हैं उन बिन्दुओं के बारे में मैंने यहां पर कहा है अगर आप चाहेंगे तो हमारा जो अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेन्स हुआ था उसके मिनिट्स भी आपको उपलब्ध करा सकते हैं यह ओपन मिनिटस हैं.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी -- उसके निष्कर्ष क्या निकले हैं यह बतायें ?

          श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय हमारे सांसद अनूप मिश्रा जी वहां पर उपस्थित थे. मैं कह सकता हूं कि हम इसके प्रति सजग हैं. मैं एक बात कहना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने तय किया है कि इन बीहड़ों को हम समाप्त करेंगे जैसे डाकूओं का उन्मूलन किया है,इन बीहड़ो को समाप्त करके हम वहां पर खेती करेंगे. मैं यहां पर सदन  को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार जो कहती है उसे करेगी. हम आने वाले समय में बीहड़ों को सुधार कर इस प्रदेश और इस देश के सामने रखेंगे.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय वह रिपोर्ट्स हैं कहां पर , रिपोर्ट में क्या निष्कर्ष निकले हैं, उस पर क्या कार्यवाही होगी यह किसी को मालूम नहीं है ?

          श्री रामनिवास रावत -- मंत्री जी यह बतायें कि सरकार क्या करेगा.

          श्री गौरीशंकर बिसेन -- सरकार ने जो किया है वह ही तो बताया है सरकार ने 1200 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाकर भारत सरकार को भेजा है. 30 प्रतिशत भार राज्य सरकार उठायेगी 70 प्रतिशत भार केन्द्र सरकार उठायेगी और हम बीहड़ों को ठीक करेंगे.

          अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 7 दिसम्बर, 2016 के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.

            अपराह्न 04.16 बजे विधान सभा की कार्यवाही  बुधवार, दिनाँक 7 दिसम्बर, 2016(     16 अग्रहायण, शक संवत् 1938) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.

 

 

भोपाल,                                                                                             अवधेश प्रताप सिंह

दिनांक : 6 दिसम्बर,2016                                                        प्रमुख सचिव,

                                                                                                       मध्यप्रदेश विधानसभा