मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा षष्टम सत्र
जुलाई-अगस्त, 2025 सत्र
बुधवार, दिनांक 6 अगस्त, 2025
(15 श्रावण, शक संवत् 1947 )
[खण्ड- 6] [अंक- 8 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
जुलाई-अगस्त, 2025 सत्र
बुधवार, दिनांक 6 अगस्त, 2025
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पहाड़ से पानी का एक सैलाब और उसके साथ ढेर सारा मलबे के अचानक बह जाने के कारण उसकी चपेट में आने से धराली गांव पूरी तरह से बह जाने से, अनेक लोगों की मृत्यु हो गयी है तथा अनेक लोग लापता हैं. यह बहुत भयंकर प्राकृतिक आपदा है. जनमानस की बड़ी क्षति है.
सदन दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है.
उप मुख्यमंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्यपाल मलिक जी के स्वर्गवास की सूचना हम सब को मिली, सभी को काफी कष्ट हुआ. क्योंकि सार्वजनिक जीवन में उनका योगदान हमेशा याद किया जायेगा, चाहे वह केन्द्रीय मंत्री के रूप में रहे हों, चाहे राज्यपाल के रूप में रहे हों और उन्हीं के समय में कल ही के दिन धारा-370 जो समाप्त हुई, जो देश के माथे पर एक कलंक था, वह मिटाने का जो काम हुआ है. उस दौरान जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में वह रहे हैं उनका कहीं न कहीं इसमें योगदान रहा है, उनके निधन से एक क्षति हुई है. मैं उनको श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं और उनके परिजनों को यह कष्ट सहन करने की क्षमता ईश्वर प्रदान करे, ऐसी प्रार्थना है.
उसी के साथ उत्तरकाशी में जिस तरह से कल बहुत ही दर्दनाक हादसा हुआ है और बहुत सारे लोग हताहत हुए हैं, बहुत लोग लापता हैं. यह भी एक प्राकृतिक आपदा जिस तरह से केदारनाथ में हुई थी, उस प्रकार से यह जो घटना हुई है, उससे पूरा देश दु:खी है. इससे पूरा का पूरा गांव प्रभावित हुआ है. पूरा देश न सिर्फ दु:खी है, बल्कि स्तब्ध है. उन सभी हताहत लोगों को मैं श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं और जो परिवार प्रभावित हुए हैं. ईश्वर उनको शक्ति दे कि इस दुर्घटना को सहन करने की उनमें ताकत आ सके. ओम शांति.
श्री अजय अर्जुन सिंह (चुरहट)-- अध्यक्ष महोदय,जैसा कि आपने उल्लेख किया है, देश के वरिष्ठ नेता, आदरणीय सत्यपाल मलिक जी, उनका स्वर्गवास हुआ, उससे देश की बड़ी क्षति हुई है. ऐसे कम व्यक्ति होंगे, जो 5-6 राज्यों के राज्यपाल रहे हों, केंद्रीय मंत्री रहे हों, उनमें से आदरणीय सत्यपाल मलिक जी एक छोटी सी जगह हिसावाड़ा, जिला मेरठ से निकल कर पूरे देश की राजनीति में उन्होंने अपनी छाप छोड़ी. उनके इस दुखद निधन से सदन के उप नेता जी की तरफ से जो बातें आईं, उसमें मैं अपनी बात को जोड़ते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनके परिवार जनों को इस दुखद समय में उनको शांति प्रदान करें. साथ ही कल उत्तराखण्ड में जो धराली गांव में बादल फटने से और अन्य नदी के उफान से जो पूरे उस गांव में अस्त व्यस्त हालत हुई है. पूरा देश इस विषय पर निशब्द है और इस तरह की घटनाएं उत्तराखण्ड में बढ़ती जा रही हैं, इस पर भी थोड़ा चिंता का विषय है कि जो एक प्राकृतिक रुप उत्तराखण्ड का रहा है, वह बना रहे. उससे ज्यादा छेड़-छाड़ न हो. नहीं तो आने वाले समय में और भी इस तरह की घटना भगवान न करे, हों. मैं उन सभी दिवंगतों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं और देश की जनता की तरफ से जो लोग बचे हैं, उनके लिये कामना करता हूं कि जो बीमार हैं, अस्पताल में, वह जल्दी ठीक हों. ओम शांति.
मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव)—अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपने उल्लेख किया कि माननीय सत्यपाल मलिक जी, जिनका जन्म 24 जुलाई,1946 को हिसावाड़ा, जिला मेरठ में हुआ, आप विधान सभा, राज्य सभा, लोक सभा, हमारी पार्टी, दूसरी पार्टी सभी में रहे. लेकिन वे समान आदर का केंद्र रहे और न केवल मंत्री के नाते से, विधान सभा के माननीय विधायक के नाते से, माननीय सांसद के नाते से, बल्कि गवर्नर के रुप में भी उनका जो योगदान रहा, वह अद्वितीय रहा है. वह भी उस दौर के अलग अलग प्रकार के जैसे जम्मू कश्मीर, गोवा, मेघालय, बिहार एवं उड़ीसा प्रत्येक स्थान पर आपने राज्यपाल के पद का निर्वहन जो किया है, कई चुनौतियां थीं, लेकिन उसके बावजूद भी उनका अपना एक काम करने का तरीका है. हमारे पास दुरदेव से वे नहीं हैं, उनके कार्य को हम सदैव स्मरण करेंगे. मैं आपके माध्यम से एक अपने सुयोग्य नेता के हमारे बीच में से जाने का दुख व्यक्त करता हूं. साथ ही साथ जो कल उत्तराखण्ड के अन्दर प्राकृतिक आपदा के साथ पूरे के पूरे गांव में मात्र 36 सेकण्ड के अन्दर जो तबाही आई है. 10 मीटर की नदी 30 मीटर में कैसे बदल जाती है और उसकी गर्जना भीषण सब देखते हैं, तो वाकई हतप्रभ हो जाते हैं कि यह दृश्य ऐसे कैसे अपनी आंखों के सामने से भूल नहीं पाते हम. केदार नाथ की घठना का पुनः स्मरण कर लेते हैं, ऐसा हो जाता है. लेकिन इस पर किसी का बस नहीं है. अभी बारिश जो हो रही है, जिस प्रकार का समय चल रहा है, ऐसा लगता है कि वाकई पर्यावरण की दोबारा इस पूरी प्रकृति की लीला प्रकृति ही जाने, लेकिन ऐसे दुखद हादसे में जो हमारे बीच में से नहीं रहे, ऐसे प्रत्येक मृतक के लिये मैं परमात्मा से कामना करता हूं कि उनको मोक्ष प्रदान करे और जिस प्रकार से मेरी उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री जी से बात हुई है. माननीय प्रधान मंत्री जी ने चिंता ली है और हम सब कामना करते हैं कि वह राज्य इस आपदा से तुरन्त निकल कर बाहर आये और सब सामान्य जन जीवन वापस हो. ओम शांति.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से मलिक साहब की जम्मू कश्मीर के गवर्नर रहते एक विशेष भूमिका रही. अपने पद के प्रति जवाबदारी के साथ उन्होंने न्याय किया. मैं समझता हूं कि निश्चित तौर पर देश में उन्होंने एक अपनी छबि बनाई. एक सत्य की, सच की लड़ाई को लेकर ऐसे लोग बिरले होते हैं, जो सत्ता और सरकार से लड़ने के लिये सामने खड़े रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि श्री सत्यपाल मलिक का निधन होने से देश की क्षति हुई है जिसकी भरपाई संभव नहीं है. श्री सत्यपाल मलिक के निधन से देश ने एक वरिष्ठ नेता और कुशल प्रशासक खो दिया है. मैं दिवंगत के प्रति अपनी पार्टी की तरफ से शोक संवेदना व्यक्त करता हूं तथा ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह दिवंगत के परिजनों, ईष्ट मित्रों को इस दु:ख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे. ओम शांति.
अध्यक्ष महोदय,उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मंगलवार को बादल फटने से बड़ा हादसा हुआ है. गंगोत्री धाम और मुखवा के पास स्थित धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने से कई लोग मृतक हो गये हैं. 100 लोगों से ज्यादा अभी भी लापता हैं, वहां पर जन धन की हानि हुई है. मै इस दुर्घटना में मारे गये लोगों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करता हूं तथा जो लोग लापता हैं ईश्वर से प्रार्थना करता हू कि वे स्वास्थ्य हो और शीघ्र अपने परिजनों से मिलें, घायल जो लोग हुये हैं भगवान उन्हें जल्दी स्वस्थ्य करे, यही प्रार्थना करता हूं. अध्यक्ष महोदय, मृतकों के प्रति मैं अपनी और अपने दल की ओर से शोक संवेदना व्यक्त करता हूं. ओम शांति.
अध्यक्ष महोदय- मैं, सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन कुछ समय मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनिट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई)
अध्यक्ष महोदय- दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 12.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(समय 11.12 बजे सदन की कार्यवाही 12.00 बजे तक के लिये स्थगित.)
(11.12 बजे से 12.00 बजे तक अंतराल)
12.00 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, आज कुर्ता बड़ा चमकदार है. (हंसी)..
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि सदन में शोक संदेश के बाद एक घंटे का समय चला गया उसमें सभी लोगों के महत्वपूर्ण प्रश्न थे. ऐसा तो कभी नहीं हुआ है ?
12.01 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश नहीं होना
अध्यक्ष महोदय -- शून्यकाल की सूचनाएं भोजनावकाश के बाद ली जाएंगी. आज भोजनावकाश नहीं होगा. सभी लोगों के लिए लॉबी में भोजन उपलब्ध रहेगा, अपनी-अपनी सुविधा से भोजन ग्रहण कर सकते हैं.
श्री अजय अर्जुन सिंह -- अध्यक्ष महोदय, क्या आज भण्डारा है और उसके बाद आज समाप्ति है ?
12.02 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम, 1991 (क्रमांक 25 सन् 1991) की धारा 21 की उपधारा (3) की अधिसूचनाएं
(क) क्रमांक एफ 22-02-2019-आठ, दिनांक 14 जनवरी, 2025,
(ख) क्रमांक 51/1813970/2024-आठ, दिनांक 14 जनवरी, 2025,
(ग) क्रमांक 305-1763-2022-आठ, दिनांक 20 फरवरी, 2025,
(घ) क्रमांक TRP-03-0001-2025-Sec-1-आठ-, दिनांक 28 मार्च, 2025,
(ङ) क्रमांक 857/2320711/2024/आठ, दिनांक 9 अप्रैल, 2025,
(च) क्रमांक 858/1813970/2024/आठ, दिनांक 9 अप्रैल, 2025,
(छ) क्रमांक 994/TRP/8/0003/2025-Sec-1/08, दिनांक 28 अप्रैल, 2025,
(ज) क्रमांक 1400-TRP-8-0003-2025-Sec-01-आठ, दिनांक 6 जून, 2025 (शुद्धि पत्र), तथा
(झ) क्रमांक 3-3-4-0002-2025-Sec-01-आठ (TRP), दिनांक 19 जून, 2025
श्री उदय प्रताप सिंह, परिवहन मंत्री -- अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम, 1991 (क्रमांक 25 सन् 1991) की धारा 21 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार निम्नलिखित अधिसूचनाएं :-
(क) क्रमांक एफ 22-02-2019-आठ, दिनांक 14 जनवरी, 2025,
(ख) क्रमांक 51/1813970/2024-आठ, दिनांक 14 जनवरी, 2025,
(ग) क्रमांक 305-1763-2022-आठ, दिनांक 20 फरवरी, 2025,
(घ) क्रमांक TRP-03-0001-2025-Sec-1-आठ-, दिनांक 28 मार्च, 2025,
(ङ) क्रमांक 857/2320711/2024/आठ, दिनांक 9 अप्रैल, 2025,
(च) क्रमांक 858/1813970/2024/आठ, दिनांक 9 अप्रैल, 2025,
(छ) क्रमांक 994/TRP/8/0003/2025-Sec-1/08, दिनांक 28 अप्रैल, 2025,
(ज) क्रमांक 1400-TRP-8-0003-2025-Sec-01-आठ, दिनांक 6 जून, 2025 (शुद्धि पत्र), तथा
(झ) क्रमांक 3-3-4-0002-2025-Sec-01-आठ (TRP), दिनांक 19 जून, 2025.
पटल पर रखता हूं.
12.03 बजे अध्यक्षीय घोषणा
श्रीकृष्ण नाटिका का प्रस्तुतिकरण किया जाना
अध्यक्ष महोदय -- मानननीय सदस्यगण, आज सायंकाल 7.00 बजे अपने मानसरोवर सभागार में मध्यप्रदेश और कृष्ण का जो संबंध है इस पर भोपाल के बहुत सारे कलाकारों ने एक बहुत अच्छी नाटिका तैयार की है उसका प्रस्तुतिकरण होगा. हम सभी लोग उस समय उपस्थित रहें तो मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश और कृष्ण जी के संबंध के बारे में हमारी जानकारी भी बढ़ेगी और आनंद भी होगा. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष, सभी मंत्रीगण और सदस्यों को अनुरोध करना चाहता हूं कि समय पर उपस्थित होने का कष्ट करें.
12.04 बजे ध्यानाकर्षण
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा नियमावली के नियम 138(3) के अनुसार किसी एक बैठक में दो से अधिक ध्यानाकर्षण की सूचनाएं नहीं ली जा सकती हैं, परन्तु सदस्यों की ओर से प्राप्त ध्यानाकर्षण की सूचनाओं में दर्शाए गये विषयों की अविलम्बनीयता तथा महत्व के साथ ही माननीय सदस्यों के आग्रह को देखते हुए नियम को शिथिल कर मैंने आज की कार्यसूची में चार सूचनाएं सम्मिलित किये जाने की अनुज्ञा प्रदान की है, लेकिन इसके साथ ही मेरा अनुरोध है कि जिन माननीय सदस्यों के नाम सूचनाओं में हों केवल वे ही प्रश्न पूछकर इन ध्यानाकर्षण सूचनाओं पर यथाशीघ्र चर्चा समाप्त हो सके, इस दृष्टि से कार्यवाही पूरी कराने में सहयोग प्रदान करें. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आपका व्यक्तित्व तो वैसे भी बहुत आकर्षक है लेकिन आपने आज जो जैकेट पहनी है वह अति सुंदर है, बड़ा अच्छा संदेश दे रही है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, कुर्ते की तारीफ मैंने कर दी, जैकेट की इन्होंने कर दी. बाकी भी कपड़े आपने पहन रखे हैं अध्यक्ष महोदय ..(हंसी)..
अध्यक्ष महोदय -- कैलाश विजयवर्गीय जी और राजेन्द्र कुमार सिंह जी की वेवलेंथ काफी मिलती जुलती है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, जो दिखेगा उसी की तो तारीफ होगी. जो दिखा वह बोल लिया.
श्री तुलसीराम सिलावट -- वे व्यक्ति भी अच्छे हैं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी तो पेस बॉलर हैं हम तो स्पिन करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आज बिजनेस काफी है इसलिए हमको थोड़ा संक्षिप्त भी करना पड़ेगा और जल्दी भी करना पड़ेगा. समय की सीमा भी निश्चित करना पड़ेगी.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सत्र में सदन में यह मेरा पहला विषय आया है.
अध्यक्ष महोदय -- पहले विषय का मतलब यह नहीं रहता है कि डबल बोलना है. बोलिए.(हंसी)
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- वैसे तो कम्पाउंडिंग इंटरेस्ट मिलना चाहिए, शेष आपकी इच्छा है.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपनी सूचना पढ़िए.
(1) विधान सभा क्षेत्र अमरपाटन के उमराही मधुरियान की भूमि को राजस्व अभिलेखों में मध्यप्रदेश शासन दर्ज नहीं किया जाना.
श्री राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री (श्री करण सिंह वर्मा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, शासकीय भूमियों की जो हेराफेरी हो रही है और माफिया निचले स्तर पर शासकीय कर्मचारियों का जो गठजोड़ है वह इसका एक ज्वलंत उदाहरण है. लगभग 10 से 15 करोड़ रुपए की भूमि अमरपाटन के मुख्य मार्केट में है. मंत्री जी अपने जबाव में कह रहे थे कि किसी न्यायालय से स्टे है. मैं मंत्री जी से सहमत नहीं हूं. मंत्री जी को जो भी बनाकर दिया गया है वह गलत है. किसी न्यायालय से स्टे नहीं है. मैं इस पर आपका थोड़ा सा संरक्षण चाहूंगा. वर्ष 2003 में तहसीलदार के आदेश से यह भूमि सरकारी घोषित हुई. तहसीलदार ने मुकम्मिल आदेश दिया है, स्पीकिंग ऑर्डर है, 12 पन्ने का ऑर्डर है. उन्होंने विधिवत जांच कराई थी, क्योंकि यह जमीन सरकारी थी. किसी व्यक्ति ने अपने नाम फर्जीवाड़ा करके चढ़वा लिया था. तहसीलदार ने तहकीकात कराई और उन बाबुओं से बयान लिये जो उस वक्त वहां पर थे, पंजी संधारण करते थे. जितने स्टॉफ के लोग हैं बाबुओं ने, सभी ने कहा कि यह गलत हुआ है पंजी में किसी तरह से एंट्री ही नहीं है. जब पंजी में ही एंट्री नहीं है तो सरकारी जमीन कैसे किसी के नाम दर्ज हो गई. यह तो हो गई वर्ष 2003 की बात, फिर वर्ष 2018 में पुन: तहसीदार ने ऑर्डर किया और उन्होंने लिखा है, उक्त के संबंध में इस प्रकरण में संलग्न मूल प्रकरण का अवलोकन किया अत: पूर्व पीठासीन अधिकारी के द्वारा राजस्व प्रकरण क्रमांक फलां फलां. अत: राजस्व प्रकरण क्रमांक, आदेश दिनांक को पालन में हल्का पटवारी रिकॉर्ड दुरुस्त करें. टीप में अंकित की जाती है और रिकॉर्ड दुरुस्त करने की बात है. यह तो इनकी बात हो गई इसके बाद यह प्रकरण एसडीएम महोदय के यहां गया. एसडीएम ने भी तहसीलदार के आदेश को यथावत रखा. एसडीएम के आदेश के खिलाफ आयुक्त रीवा, न्यायालय में गये और आयुक्त ने भी एक 15, 16 पन्ने का ऑर्डर दिया मुकम्मिल आदेश हैं इसमें. यह मंत्री जी के संज्ञान में होगा, नहीं होगा तो मैं उपलब्ध करा दूंगा. मैं सारे कागज जो मेरे पास हैं, यदि आप अनुमति देंगे, तो सदन के पटल पर रख दूंगा, मंत्री जी उसे देख लेंगे. मंत्री जी, माननीय जबलपुर न्यायालय की बात कर रहे हैं, जबलपुर से आपने स्टे की बात की है, सिविल न्यायालय में भी प्रकरण है, वह इससे पूरी तरह से संबंधित नहीं है. मंत्री जी, सिविल न्यायालय में प्रकरण चलना और स्टे प्राप्त करना दोनों अलग-अलग स्थितियां होती हैं. कहीं से कोई स्टे नहीं है. माननीय जबलपुर न्यायालय ने भी दो आदेश दिये हैं, उनके अंतिम आदेश में लिखा हुआ है, मैं ये सभी कागज मंत्री जी को उपलब्ध करवा दूंगा.
अध्यक्ष महोदय, माननीय उच्च न्यायालय ने लिखा है कि अगर कोई स्टे है भी तो सभी वैकेट किये जाते हैं. अब बात आती है महाधिवक्ता की, जो बात आपने यहां रखी, महाधिवक्ता से भी राय लेने का कार्य, उसे लंबित रखने के लिए साजि़श के तहत यह किया गया, इसकी कोई जरूरत नहीं थी, फिर भी तहसीलदार गए, क्योंकि बहुत महत्वपूर्ण भूमिका इसमें तहसीलदार और पटवारी की है. ऊपर स्तर पर कोई भूमिका मुझे नहीं दिखाई देती. वे महाधिवक्ता कार्यालय गए और महाधिवक्ता महोदय ने जो अपनी राय दी, उन्होंने कहा कि यह मुकम्मल नहीं है, फाइल भी लेकर आयें, लेकिन आज तक ये फाइल लेकर गए नहीं. अंग्रेजी बहुत अच्छी नहीं है लेकिन 2-4 लाइनें पढ़ देता हूं. That the letter does not clarity spelt out the entire issue, in these circumstances it is suggested that, the Teshildar Amarpatan may contacted the office of the Advocate General at early date. But it is also suggestible that all endeavour should be made to protected the Govt. land at an every situation. शासकीय भूमि की रक्षा हर स्थिति-परिस्थिति में करनी चाहिए. Deputy Advocate General उनकी ओर से यह पत्र है. उनके पत्र में अंत में यह भी लिखा है कि That if the Govt. land is not being protected then various controversy could have been arises. इसमें अंग्रेजी थोड़ी गलत है. यह कहानी Advocate General के ऑफिस की है.
अध्यक्ष महोदय, इस प्रकरण में संबंधित लोगों ने राजस्व विभाग में अपील की, तब राजस्व से पत्र जाता है, इसमें पहले पत्र की दिनांक मेरे पास उपलब्ध नहीं है, लेकिन दूसरा पत्र, स्मरण पत्र के रूप में दिनांक 28.5.2025 को गया था. ग्राम उमराही मधुरियान, तहसील अमरपाटन आ.नं. क्रमांक 158/2, 179 इस विभाग के पत्र में कहा गया है कि विषयांतर्गत संदर्भित पत्रों का अवलोकन करें, जिसके संबंध में चाही गई जानकारी आज दिनांक तक अप्राप्त है. कृपया वांछित जानकारी तत्काल उपलब्ध करवाने का कष्ट करें अर्थात् सरकार को भी वे जवाब नहीं दे रहे हैं. अब इसमें वहां की कलेक्टर दो नाव में पैर रखकर खड़ी हैं. उन्होंने दो पत्रों, मूल पत्र और स्मरण पत्र के बाद भी इसका जवाब नहीं भेजा है, लेकिन उन्होंने एक सुनवाई दिनांक 10.01.2025 में आदेश किया है, जिसकी मूल फाइल की नस्ती मेरे पास है (सदन में दस्तावेज प्रदर्शित करते हुए) प्रकरण पेश, अधिवक्ता उपस्थित, तर्क सुने, प्रकरण मूलत: कार्रवाई हेतु तहसीलदार को प्रेषित करने हेतु मैं सहमत, आवेदन तहसीलदार को भेजा जाये अर्थात् कलेक्टर भी सहमत है. उसके बाद भी तहसीलदार उस भूमि को शासकीय दर्ज नहीं कर रहा है. क्या 10-20 करोड़ रुपये की भूमि ऐसे ही दे देनी है ? अगर यह खेल चलना ही है, तो मंत्री जी जो कोई आवेदन करे, सभी को भूमि दे दीजिये और एक मापदण्ड तय कर दीजिये कि जिसकी वार्षिक आय रुपये 12 लाख से ज्यादा हो, उसी को भूमि दी जायेगी, गरीबों को नहीं दी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय- राजेन्द्र जी, मुझे लगता है कि आपके कई प्रश्न आ गए हैं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- जी हां. प्रश्न तो आ गए हैं, लेकिन मंत्री जी तो यही कह रहे हैं कि प्रकरण न्यायालय में है. मैं कह रहा हूं, दावे के साथ कह रहा हूं कि कहीं, किसी न्यायालय से स्थगन नहीं है और मंत्री जी को गलत जानकारी दी गई है. फिर भी मैं अपना प्रश्न पूछ लेता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न तो इसमें आ ही गया है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, अब वह तो कहते हैं कि शासकीय है ही नहीं, मामला चल रहा है और वहां पर बहुत बड़ा कॉम्प्लेक्स बन चुका है, इसमें लोगों के बहुत स्वार्थ निहित हैं. माननीय मंत्री जी, कब तक इसको शासकीय भूमि रिकॉर्ड में दर्ज कराने की कार्यवाही करेंगे या आदेश देंगे. क्या पटवारी, तहसीलदार या जो संबंधित लोग हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे ? और सरकारी भूमि की रक्षा न कर पाने के कारण या मिलीभगत के कारण आपराधिक लापरवाही, जो इसमें स्पष्ट है, उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत ई.ओ.डब्ल्यू. (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) से इसकी जांच भी करवाएंगे. मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ. मैं जो कागज दे रहा हूँ, वह रिकॉर्ड में ले लिया जाये.
श्री करण सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट कहा है कि आ.नं. 179 दिनांक 11.1.2023 को विसंख्या सरकार के विरुद्ध हुई है. लेकिन यह कोर्ट में लगा हुआ है और प्रकरण अभी विचाराधीन है. माननीय अध्यक्ष महोदय, कोर्ट में हालांकि हमारा विभागीय सेल में अगर कोई मामला हो, हाई कोर्ट में हो तो हम सुप्रीम कोर्ट तक लड़ते हैं ताकि हमारी मध्यप्रदेश की जमीन सुरक्षित रहे. हम पूरा प्रयास कर रहे हैं, परन्तु आप हमसे ज्यादा विद्वान हैं और कोर्ट का स्टे आ जाता है, तो उसमें यह तो शासन का उत्तर है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, यही विरोधाभास है. कोर्ट से कहीं भी स्टे नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - राजेन्द्र जी, मंत्री जी का उत्तर आ जाने दें.
श्री करण सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, 150 (2) में वर्ष 2003 में सिविल कोर्ट से डिक्री संबंधित के पक्ष में है, डिक्री का पालन किया गया है. उसके पास डिक्री है. तीसरा, 154 हाईकोर्ट में स्टे दिया गया है, आज पेशी भी है, जवाबदाता पेश कर दिया है, हाई कोर्ट से निर्णय के बाद पालन किया जायेगा. अध्यक्ष महोदय, अगर किसी ने स्टे न किया हो, जैसा आपने कहा कि आप दमदारी से कह रहे हैं. मैं भी दमदारी से कह रहा हूँ कि अगर कोई स्टे न हो, तो जिस अधिकारी ने गलत किया है, उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्यवाही तो आप करेंगे. शासकीय दर्ज करेंगे कि नहीं करेंगे. मूल बात तो वह है. अगर स्टे नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि प्रकरण न्यायालय में चल सकता है, लेकिन अगर न्यायालय स्टे देता है, तभी कार्यवाही रुकती है, अन्यथा कार्यवाही तो चलती रहती है. दूसरा, अध्यक्ष महोदय, मेरा अंतिम प्रश्न है. मैं सरकार एवं मंत्री जी का रुख जान रहा हूँ, लेकिन एक बात आपने कही है कि अगर स्टे नहीं होगा, तो यह कार्यवाही करेंगे, शासकीय भी करेंगे और उन अधिकारियों के खिलाफ आप कार्यवाही भी करेंगे, यह मंत्री जी ने कहा है. मैं चाहूँगा कि आप एक उच्चस्तरीय जांच, चूँकि इतना विवादित प्रकरण है, आपके कमिश्नर, तहसीलदार, एसडीएम सब उसको सरकारी बता रहे हैं, तो यहां से वरिष्ठ अधिकारियों की टीम भेजकर उच्चस्तरीय जांच करवा लें , दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. आप फिर कार्यवाही कीजिये.
श्री करण सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी ने प्रश्न उठाया है, इसमें मुझे भी कुछ हल्का सा लग रहा है कि इसमें गड़बड़ है.
अध्यक्ष महोदय - आपको थोड़ी बदबू आ रही है.
श्री करण सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वीकार कर रहा हूँ. आप कह रहे हैं कि ऐसा है. अगर ऐसा मामला है, तो मैं भोपाल से कमिश्नर लेवल के अधिकारी को भेजकर उसकी पूरी उच्चस्तरीय जांच करवा लूँगा. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - बिना लेकिन के धन्यवाद दीजिये.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, बहुत ही कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार मंत्रियों में से एक हैं. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय - वाह, वाह. (मेजों की थपथपाहट)
12.25 बजे (2) बुरहानपुर मंडी के इन्ट्रीगेटेड पैक हाउस (केला कोल्ड स्टोरेज) में चोरी से उत्पन्न स्थिति
श्रीमती अर्चना चिटनीस (बुरहानपुर) -- अध्यक्ष महोदय,
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (ऐदल सिंह कंषाना) -- अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय- मेरा अर्चना जी से अनुरोध है कि 2 स्पेसिफिक प्रश्न आप सीधे-सीधे करें.
श्रीमती अर्चना चिटनीस - जी. अध्यक्ष महोदय, मेरे ही द्वारा विभाग के सचिव और मंडी बोर्ड के एमडी को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी गई इसके पूर्व उनको जानकारी भी नहीं थी. उन्होंने जांच तो संस्थित की है. एपिडा की टीम आई उन्होंने देखा कि झाड़ियां बहुत थीं अंदर पहुंचा ही नहीं जा सकता था. झाड़ियां निकालीं ताला लगा था खोला तो अंदर से सामान गायब था. 2 तारीख से लेकर 12 तक इनका मंडी सचिव एफआईआर कराने के लिये संघर्ष करता रहा.उसने आवेदन किया पर थाने ने चोरी की एफआईआर नहीं की. कलेक्टर के इंटरवेंशन से बड़ी मुश्किल से एफआईआर हुई और वह भी अज्ञात के नाम से हुई और हास्यास्पद यह है कि अज्ञात के नाम से की गई एफआईआर अमानत में खयानत की एफआईआर हुई. जब दूसरी पार्टी स्पष्ट ही नहीं है कौन है तो अमानत में खयानत किसने की. मेरी माननीय जी से यह अपेक्षा है सरकार से यह अपेक्षा है और गृह मंत्रालय से भी यह अपेक्षा है कि पहले जो एफआईआर चोरी की होनी चाहिये थी वह अमानत में खयानत की क्यों हुई आपने जांच कराई है उच्च स्तरीय समिति से जांच कराई है उस जांच के आधार पर विभाग इसको चोरी की एफआईआर इसकी तुरंत दर्ज करें. एक उच्च स्तरीय कमेटी इस पर बने पुलिस द्वारा आईजी स्तर के अफसर से कम से कम और वह इस पूरे विषय की जांच कराएं. जिस कंपनी एम.के.ट्रेडर्स ने इसको 5 साल के लिये लिया था वह कभी बुरहानपुर आये नहीं. उनके साथ कोई अनुबंध किया नहीं गया तो जिसके कब्जे में 5 साल तक रहा वह स्टोरेज उसके कब्जे में कैसे आया और कब्जा देने के बाद चाबी हमारे कर्मचारियों ने उसको दी है इस पूरी परिस्थिति की जांच कृषि विभाग द्वारा भी होनी चाहिये और गृह विभाग को भी इसमें संज्ञान लेना अति आवश्यक है.
श्री एदल सिंह कंषाना - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्या जी ने कहा कि 3 उच्च स्तरीय जांच कराई जाए. निश्चित तौर पर पुलिस विवेचना कर रही है पुलिस विवेचना आने पर आगे की कार्यवाही की जायेगी इसके बावजूद भी जो सदस्य का कहना है कि इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए इसकी हम उच्च स्तरीय जांच करा लेंगे और वर्तमान में उस वक्त जो अधिकारी,कर्मचारी मौजूद थे चाहे वह सचिव हो चाहे अन्य कोई उन्होंने चोरी की एफआईआर नहीं कराई उनको हम सस्पेंड करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - अब तो मुझे लगता है कि बिना लेकिन के धन्यवाद दे दो आप.
श्रीमती अर्चना चिटनीस - जी. अध्यक्ष महोदय,मैं बिना लेकिन के अपनी बात कर लूंगी. आपसे निवेदन इतना है कि उच्च स्तरीय जांच कराएं और समय सीमा में कराएं और एफआईआर चोरी की हो जाए और जब से एफआईआर हुई है आज दिनांक तक गृह विभाग ने इस पर क्या किया है यह अवश्य पता लगाया जाए वह कहे कि कुछ नहीं किया है तो दोषियों को एक प्रकार से हम सहयोग ही कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने सुन लिया है. आपकी भावना समझ गये हैं. श्री ओमकार सिंह मरकाम.
(3) डिण्डौरी क्षेत्र के विध्यालयों के भवन जर्जर होने से उत्पन्न स्थिति
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी) - अध्यक्ष महोदय,
जनजातीय कार्य मंत्री (डॉ. कुंवर विजय शाह)-- माननीय अध्यक्ष जी,
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य मरकाम जी, दो स्पेसिफिक प्रश्न करो, भूमिका नहीं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, शिक्षा समाज की, विकास की बुनियाद है. मानव समाज अगर शिक्षा रहित है तो उसकी गणना किस तरह से की जाती है सर्वविदित है और जिस तरह से शिक्षा पर आज हम बात कर रहे हैं माननीय अध्यक्ष महोदय जी, यह न भाजपा की बात है और न ये कांग्रेस की बात है, यह बात है देश के भविष्य की जहां से हमारे आने वाले भविष्य का निर्माण होना है. माननीय मंत्री जी प्रश्न क्रमांक 1866 में दिनांक 01.08.2025 को आपने उत्तर दिया है, आपने कहा है कि उपयुक्त भवन सब जगह उपलब्ध है. दूसरा...
अध्यक्ष महोदय-- आप तो प्रश्न पूछो आप क्या पूछना चाहते हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं माननीय मंत्री जी को आपके क्षेत्र की खालवा ब्लॉक की मैं बताना चाहूंगा. खालवा में....
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, खालवा का प्रश्न कहा पैदा हो गया.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय, आपके क्षेत्र में बिल्डिंग नहीं है, यह सूची.....
अध्यक्ष महोदय-- मरकाम जी, जो विषय आपने लगाया है उस विषय पर केन्द्रित रहो और उससे संबंधित प्रश्न पूछो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, माननीय कह रहे हैं कि सब जगह उपलब्ध है. उनके उत्तर में है.
अध्यक्ष महोदय-- आप अपने क्षेत्र के बारे में जो बात है, उसको रखें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आप ही ने कहा है अभी आपके उत्तर में कि 66 हाईस्कूल हायर सेकेण्डरी स्कूलों का संचालन, भवनों का रखरखाव जनजाति कार्य विभाग करता है. आप अपने पत्र में 1866 में कह रहे हैं कि हाई स्कूल बिल्डिंग बनाने का काम स्कूल एजूकेशन का है, यह आपका ही उत्तर है.
डॉ. कुंवर विजय शाह-- मेरी बात सुन लें एक बार. माननीय अध्यक्ष जी, मैंने केवल यह निवेदन किया कि प्राथमिक शालायें और माध्यमिक शालायें सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत भारत सरकार से पैसा आता है और शिक्षा विभाग ट्राइबल एरिये में भी उसका संचालन करता है, हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी केवल.....
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आपने ही कहा है न और मेरे उत्तर में आपने ही कहा है कि शासकीय हाईस्कूल सहनगुड़ा जिला डिंडोरी के भवन निर्माण कराये जाने हेतु इस कार्यालय के पत्र क्रमांक और दिनांक 22.01.2025 के माध्यम से आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय, माननीय अध्यक्ष जी यही अनुरोध है कि....
अध्यक्ष महोदय-- अनुरोध मत करो, प्रश्न करो कृपया, मंत्री जी से क्या पूछना चाहते हो.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, कबीर दास जी का वह दोहा याद आता है.
अध्यक्ष महोदय-- मुझे आगे बढ़ना पड़ेगा मरकाम जी, प्लीज. आप मंत्री जी से उत्तर चाहते हो तो स्पेसिफिक प्रश्न करो, तो वह उत्तर देंगे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, माननीय मंत्री जी से मेरा सिर्फ एक प्रश्न यह है कि आपके माध्यम से सभी शिक्षकों का वेतन दिया जाता है. संचालन आप कर रहे हैं और निर्माण का काम स्कूल शिक्षा के ऊपर आप कर रहे हैं. क्या आप जिम्मेदारी लेकर के...आपका जो पत्र क्रमांक है, जिसमें आपने दिनांक- 21/01/2025 को लोक शिक्षण संचालनालय को लिखा है, आपका आयुक्त ट्रायबल डिपार्टमेंट का पत्र क्रमांक भी है और मैं आपसे जिम्मेदारी लेकर पूछना चाहता हूं कि क्या आप चाहते हैं कि आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले या न मिले, यह मेरा पहला प्रश्न है कि आप चाहते है कि नहीं चाहते हैं?
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें, माननीय मंत्री जी आप बोलें.
डॉ. कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की यह सरकार आदिवासियों की पढ़ाई के प्रति जितनी गंभीर है और उतनी ही मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अभी तो माननीय सदस्य ने पूछा नहीं है, लेकिन मैं जवाब दे रहा हूं कि डिण्डौरी जैसे आदिवासी जिलों में हम आने वाले समय में 51 करोड़ रूपये हायर सेकेण्डरी और हाईस्कूल के लिये राशि दे रहे हैं (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मरकाम जी आप दूसरा प्रश्न करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि आप सरकार की वाहवाही तो करते हैं, यह स्वाभाविक भी है. आपकी सरकार का ही प्रश्न क्रमांक-3015 पर जो उत्तर आया है, आवश्यकतानुसार बजट उपलब्ध नहीं होने के कारण नियमानुसार व्यवस्था नहीं है, एक तरफ तो मोदी जी कह रहे हैं कि पैसे की कमी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्लीज प्रश्न करिये, उद्बोधन नहीं करिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न यह कर रहा हूं कि शिक्षा व्यवस्था के लिये आपके पास बजट नहीं है, यह आपने उत्तर दिया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके संरक्षण में आपसे चाहूंगा कि आप बात बड़ी-बड़ी नहीं करें और अभी बतायें कि जो हमारे 1364 प्रायमरी स्कूल और 449 मिडिल स्कूल में से 178 नवीन भवन की मांग किया गया है और 529 के लिये मरम्मत की मांग की गई है और जो हमारे डिण्डौरी जिले में 21 हाईस्कूल, मण्डला जिले में 31 हायर सेकेण्डरी और आपके क्षेत्र में 6 हाईस्कूल नहीं है, क्या आज आप स्वीकृति जारी करने का हमें आश्वासन देंगे, आप बतायें कि कितनी राशि दे रहे हैं, आप राशि बताईये?
डॉ. कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैंने स्पष्ट कर दिया है कि प्रायमरी स्कूल, मिडिल स्कूल और मिडिल स्कूल से जो हाई स्कूल होते हैं, वह सब शिक्षा विभाग देखता है और जो आपका पत्र है, वह हमने विभाग को भिजवा दिया है, वह उस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार भी करेगा और देखेगा भी. हमारे पास जहां तक सवाल है, मैंने जैसा आपको बताया है कि हम लोग अभी मेरे पास डॉक्यूमेंट्स है, हम 51 करोड़ 28 लाख रूपये इसी साल डिण्डौरी जिले में हायर सेकेण्डरी स्कूलों को नवीन भवन के लिये दे रहे हैं, अभी मैं नाम इसलिए नहीं बता रहा हूं कि आपने पूछा नहीं है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी आपने ही कहा है, आप दो तरह के उत्तर क्यों दे रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी, मंत्री जी अभी बोल रहे हैं.
डॉ.कुंवर विजय शाह -- मैंने आपसे निवेदन किया है कि अगर कोई बहुत ज्यादा छूट गया है, अगर 51 करोड़ में भी आपका हायर सेकेण्डरी स्कूल नहीं आ रहा है, तो आप लिखकर दे दें, वह हो जायेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- आपके पास प्रस्ताव रखा हुआ है, अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है. (..व्यवधान)
श्री ओमप्रकाश ध्रुवे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, डिण्डौरी जिले का मामला है. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं ओमप्रकाश जी आप लोगों का नाम नहीं है. श्रीमती गायत्री राजे पवार जी आप बोलें. श्रीमती गायत्री राजे पवार जो बोलेंगी कार्यवाही में सिर्फ वही आयेगा. (श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्य द्वारा अपने आसन से लगातार कहने पर)आप बैठ जायें, प्लीज अनुशासन बनाकर रखिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- XXX
अध्यक्ष महोदय -- (श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्य द्वारा अपने आसन से लगातार कहने पर) प्लीज आप बैठ जायें, प्लीज कार्यवाही अब आगे बढ़ गई है, श्रीमती गायत्री राजे पवार बोल रही हैं, गायत्री जी आप बोलें.
(4) देवास क्षेत्र से बहने वाली नागधम्मन नदी में इंडस्ट्रीज का केमिकलयुक्त पानी मिलने से उत्पन्न स्थिति.
श्रीमती गायत्री राजे पवार(देवास) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री कैलाश विजयवर्गीय(संसदीय कार्यमंत्री) – ओमकार जी मंत्री जी से मिल लेना कर देंगे वे.
श्री उमंग सिंघार(नेता प्रतिपक्ष) –अध्यक्ष जी, आप मंत्री जी को बोल दें, वे बात कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय – संसदीय कार्यमंत्री जी ने कह तो दिया है. मंत्री जी आप कन्टीन्यू कीजिए.
श्री दिलीप अहिरवार(पर्यावरण राज्यमंत्री)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्रीमती गायत्री राजे पवार – माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो बोला है, वह सही है, कोशिश की जा रही है, पर जितनी होनी चाहिए, उतनी नहीं हो रही है. एक स्ट्रांग वाटर पाइप लाइन जो इंडस्ट्रियल एरिया में अंडरग्राउंड बिछी हुई है, जिसमें क्लीन वाटर जाना चाहिए, उसमें छोटे और मीडियम स्केल के उद्योग अपना कैमिकल युक्त पानी भी छोड़ देते हैं. क्योंकि ये ईटीपी प्लांट्स, मैं मानती हूं कि 26 से 28 ईटीपी प्लांट्स लगे हैं, बड़ी बड़ी फैक्टरीज में, पर जो छोटे हैं, जो मीडियम स्कैल के हैं जिनके पास ईटीपी प्लांट्स नहीं है, उनका पानी कहां जा रहा है. मंत्री जी से मैं जानना चाहूंगी और इसी तरह से जो ये पाइप लाइन के माध्यम से नागधम्मन नदी में पानी जा रहा है, उसे कैसे क्लीन किया जाए, क्या इसमें मंत्री महोदय कॉमन ईटीपी प्लांट लगाने के लिए राशि देंगे, जगह देंगे, ताकि छोटी छोटी इंडस्ट्रीज का कैमिकल युक्त पानी वहां से क्लीन होकर क्षिप्रा नदी में जा सके, क्योंकि सिंहस्थ में इसी पानी से करोड़ों की जनसंख्या आचमन भी करेंगी, स्नान भी करेंगे, इसे जीरो कैमिकल युक्त बनाना अति आवश्यक है, धन्यवाद.
श्री दिलीप अहिरवार – माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सदस्य बहन को मैं बताना चाहूंगा कि हमारे औद्योगिक क्षेत्र में कुल 53 जल प्रदूषणकर इकाई है और सभी में ईटीपी दूषित जल उपचार संयंत्र भी लगाए गए हैं प्रमुख रूप से सात इकाईयां द्वारा ईटीपी से आगे की उच्च तकनीकी जेडएलडी जीरो दूषित जल स्त्राव उपचार की व्यवस्था भी की गई है. जिसमें इकाईयों के उत्पादन निकलने वाले जल को शून्य कर दिया जाता है. इन सभी की सतत निगरानी हेतु पीडीजेड कैमरे भी लगाए गए हैं, आपको बता दें कि जो हमारी नागधम्मन नदी है उसके किनारे 7 बड़ी इंडस्ट्रीज भी है, आपको भी पता है कि उसमें कैमरे भी लगाए गए हैं, ऐसे कैमरे लगाए गए है कि जिससे रात को और दिन को भी पूरा हम लोग निगरानी रखते है हमारे जो अधिकारी रहते है तो निश्चित रूप से ऐसी कोई स्थिति नहीं है और मुझे लगता है कि जिस प्रकार से हम लोग और हमारे शासन, मुख्यमंत्री जी और विभाग के द्वारा जो व्यवस्था है तो निश्चित रूप से ऐसी कोई स्थिति नहीं है कि क्षिप्रा नदी में ऐसे कोई स्थिति हो रही है.
श्रीमती गायत्री राजे पवार—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह मानती हूं कि केमरा लगे हैं मेरे पास लिखित में इंड्रस्टियल एसोसिएशन की तरफ है कि 20 परसेंट प्रदूषण से लेकर अब हम कम होकर के 5 परसेंट तक पहुंचे हैं. पर 5 परसेंट भी बहुत ज्यादा होता है. मैं मानती हूं कि केमरा लगे हैं, ई.टी.पी.प्लांट्स लगाये गये हैं माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में इंड्रस्टियल एरिया में बहुत अच्छा काम हुआ है. हमारे देवास का इंडस्ट्रियल एरिया बहुत पनप रहा है. पर उसको और बेहतर बनाने के लिये और सिंहस्थ के लिये जल को शुद्ध करने के लिये 5 परसेंट का प्रदूषण भी हमें खत्म करना है, इसका मैं निवेदन करने के लिये आयी हूं और बहुत आशा के साथ आयी हूं.
श्री दिलीप अहिरवार—अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी को बता दूं कि निश्चित रूप से हमारा जो घरेलू पानी है जो हमारे शहर का पानी है. शहर का पानी थोड़ा बहुत निकलता है तो उसके उपाय के लिये भी हम लोगों ने एस.टी.पी.के समीप से निकलने वाले नाले के गंदे पानी को रोककर व पम्प कर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में लाये जाने की योजना भी बनाई है. इस हेतु नगर निगम द्वारा टेण्डर भी जारी कर दिये गये हैं, यह कार्य पूर्णतः सम्पूर्ण कर लेंगे. मैं निश्चित रूप से आपको आश्वस्त करना चाहता हूं. आने वाले समय में हमारी बहन को कोई तकलीफ नहीं होगी. श्रीमती गायत्री राजे पवार—माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और प्रश्न पूछना चाहती हूं कि क्या माननीय मंत्री जी हमें एक कॉमन ई.टी.पी.प्लांट देंगे जो स्ट्रांग वॉटर में लीकेज है गंदे पानी का उसे क्लीन करने के लिये जो छोटी इंडस्ट्रीज हैं जो खुद का अफोर्ड नहीं कर पाती हैं ई.टी.पी.प्लांट तो उनके लिये एक कॉमन ई.टी.पी.प्लांट सरकार की तरफ से अगर बन जाता है जहां उस प्वाईंट पर जहां नाक दमन नदी क्षिप्रा में मिलती है तो हमारा पानी एकदम स्वच्छ होकर क्षिप्रा में मिल पाएगा.
श्री दिलीप अहिरवार—अध्यक्ष महोदय, मैं बहन को बुलाकर के उनसे मिल लूंगा जो भी उनकी परेशानी है शीघ्रतिशीघ्र पूर्ति कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय—आप मंत्री जी से मिल लीजियेगा.
12.52 बजे प्रतिवेदन की प्रस्तुति
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक—अध्यक्ष महोदय, मैं प्रत्यायुक्त विधान समिति का पंचम प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं. मेरी समिति के सभी माननीय सदस्यगण और विधान सभा सचिवालय के सभी संबंधित अधिकारी/कर्मचारी साथियों का जिन्होंने इस प्रतिवेदन को बनाने में अपना सहयोग प्रदान किया उनका भी धन्यवाद प्रेषित करता हूं.
12.53 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय—आज की कार्यसूची में क्रमांक 1 से 66 तक उल्लेखित समस्त याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
12.54 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 16 सन् 2025)
श्री उदय प्रताप सिंह—अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. अब चर्चा प्रारंभ होगी. श्री भैरोसिंह बापू जी.
श्री भैरोसिंह बापू जी (सुसनेर)—अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) बिल पर मैं आज आपके माध्यम से जो विधेयक माननीय मंत्री जी ने पेश किया है. इसमें भी कई ऐसे नियम हैं मोटरयान कराधान के अंदर जिससे मध्यप्रदेश के राजस्व को बहुत ही हानि हो रही है. माननीय मंत्री महोदय आज मैं सदन में अध्यक्ष महोदय जी के माध्यम से कहना चाहता हूं कि सदन के हमारे जितने भी सदस्य हैं. जब हम रोड़ के ऊपर निकलते हैं उसमें क्या कारण है कि उसमें से 90 परसेंट बसें जो सिलीपर कोच एवं ए.सी.कोच गाड़ियां हैं या तो नागालेंड में रजिस्टर्ड हैं, या अरूणाचल में रजिस्टर्ड हैं, या दमनद्वीप में रजिस्टर्ड हैं. आज प्रदेश का राजस्व का जो हिस्सा है. वह अन्य प्रदेशों में जा रहा है. इसलिए जो नियम बनाए गए हैं चाहे वह फायर अलॉर्म सिस्टम हो, जो सिर्फ मध्यप्रदेश में वर्ष 2023 के बाद से लागू है और बस मालिकों को एक बस के अंदर फायर अलॉर्म सिस्टम लगाने के लिए करीबन 2 लाख रूपए से ऊपर का खर्च आता है जो एफडीएसएस (फॉयर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम) है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि इस संशोधन बिल में हम फायर अलॉर्म सिस्टम के लिए जिससे बस मालिक परेशान हैं और आज अन्य प्रदेशों में जाकर अपनी गाड़ियों को रजिस्टर्ड करा रहे हैं. दूसरा वीएलटीडी पर पैनिक बटन (व्हीकल लोकेशन ट्रेडिंग डिवाइस) है, क्या वह भी इस बिल के अंदर आप लाना चाहेंगे ? मध्यप्रदेश के अंदर आज यह सिस्टम लगाने के लिए बस मालिकों को करीबन 15 हजार रूपए का खर्च उठाना पड़ता है और अन्य राज्यों में इसकी तुलना में 25 परसेंट खर्चे पर यह पैनिक बटन सिस्टम आता है. समस्या वहां नहीं है समस्या बस मालिकों को वहां पर आती है कि जब एक साल के बाद में फिटनेस के लिए वापस रिन्युअल के लिए आफिस के अंदर एप्लाई करते हैं तो एक-एक महीने तक बस मालिकों को चक्कर काटने पड़ते हैं, लेकिन वह रिन्युअल नहीं होता है, तो इससे परेशान होकर मध्यप्रदेश का मोटर मालिक आज अन्य प्रदेशों में जा रहा है और हम देखते जा रहे हैं. मैं कहना चाहता हॅूं कि जब हम सड़क के ऊपर से जायेंगे, तो आज हमें मध्यप्रदेश एमपी लिखे हुए 10 परसेंट व्हीकल मिलेंगे, जो ऑल इंडिया एसी गाड़ियां हों या नॉन एसी गाड़ियां हों, रात में जितनी भी गाड़ियां उज्जैन से इंदौर चल रही हों. आज लगभग 200 ट्रिप गाड़ियां चलती होंगी. वह भी अगर हम देखेंगे, तो टोटल ही एआरआर और एआर मिलती हैं. हमारे मध्यप्रदेश की सड़कें खराब हो रही हैं और टैक्स अन्य प्रदेश प्राप्त कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हॅूं कि बिल के अंदर यदि यह चीजें जोड़ी जायेंगी तो हमारे मध्यप्रदेश का राजस्व बढे़गा और किस कारण से यह त्रुटि हम देख नहीं पा रहे हैं. आज बसों के परमिट की बात करें तो अस्थायी परमिट पर रोक लगा दी गई है और स्थायी परमिट की मीटिंग नहीं हो रही है. आज उसमें भी राजस्व की हानि हो रही है. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि स्थायी/अस्थायी परमिट वापस जारी किये जायें. अगर स्थायी परमिट वापस दिये जायेंगे या उनकी मीटिंग की जाये, तो परमिट बस मालिकों को मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं बॉर्डर पर रहता हॅूं. मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहूंगा कि आज जो चेकपोस्ट बंद हुए हैं, वह क्यों बंद हुए हैं यह तो पूरे प्रदेश और हिन्दुस्तान ने देखा है और उसकी जांच का विषय सरकार का था. लेकिन बंद होने के बाद आज आये दिन धड़ल्ले से बॉर्डर से इस तरीके की जो व्यवस्था थी, वह चेकपोस्ट बंद होने से उसकी यह हालत है कि वहां ओवरलोडिंग होने से बॉर्डर के आसपास की सारी सड़कों की हालत खराब हो गई. मैं माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहता हॅूं कि क्या चेकपोस्ट नियम वापस लायेंगे ? बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) - अध्यक्ष महोदय, मैं वास्तव में बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2025 के माध्यम से कुछ और नये सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय - विधेयक छोटा है, लेकिन महत्वपूर्ण है, गागर में सागर भरने लायक है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- अध्यक्ष महोदय, आपका इशारा समझ गया हूं. वैसे भी आप जानते हैं कि जिस क्षण बोलेंगे, उसी क्षण में मैं बैठ जाऊंगा.
अध्यक्ष महोदय - आप बोलिए, महत्वपूर्ण सब बातें बोलिए.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- अध्यक्ष महोदय, कुछ महत्वपूर्ण बातें प्रदेश के सभी लोगों को जानने का अधिकार होता है, वह उन तक पहुंचाने की हमारी ड्यूटी का हिस्सा है, इसलिए मैं इस पर कुछ बात बोलना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं वास्तव में बधाई दूंगा कि माननीय मंत्री जी ने मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में पहली बार जो 10 से 12 साल से हम चेक पोस्ट खत्म करने की लड़ाई लड़ रहे थे, वह पूर्ण की, उसके लिए बहुत बहुत अभिनंदन, बहुत बहुत धन्यवाद क्योंकि वहां पर घंटों ट्रैफिक जाम रहता था और कई बार दुर्घटनाएं होती थीं, हमारे नीमच से उदयपुर की तरफ जाते थे, रास्ते में कई लोगों की दुर्घटनाएं में मृत्यु हो जाती थी तो वास्तव में केवल आर्थिक रूप से ही नुकसान नहीं, बल्कि ट्रांसपोर्टरों के खर्चे के अलावा कई मानव जीवन का अकाल मृत्यु होने से बचाव हुआ. मैं वास्तव में इस नियम के लिए बहुत धन्यवाद देते हुए कहूंगा कि इस नियम में 4 जो महत्वपूर्ण बातें उन्होंने की है, मोटरयान कर नियम 13.1 में 2 गुना से बढ़ाकर जो 4 गुना किया है ताकि जो गलतियां ट्रांसपोर्टर करते हैं उन पर उचित दंड इतना हो कि वह उस चीज के लिए भविष्य में भी ध्यान रखें और पेनाल्टी को भी किलोमीटर से हटाकर, पहले किलोमीटर केलक्यूलेट करते थे, फिर वहां मैनेजमेंट होता था, उसे हटाकर अब प्रति सीट के हिसाब से 1000 रुपया जितनी बस की केपेसिटी है, प्रति सीट 1000 रुपये की फिक्स पेनाल्टी कर दी तो वहां पर आरटीआई के अधिकार बिल्कुल फ्रोजन हो गये ताकि मेनुप्यूलेशन कम से कम हो और ट्रांसपरेंसी बढ़ें, जिसके लिए ये दोनों सरकारें बहुत तेजी से काम कर रही है, चाहे केन्द्र की सरकार का निर्देशन हो, चाहे हमारी राज्य की सरकार का हो, ऐसे ही माल वाहक में, कहां से आ रहा है, कितना आ रहा है, उन सबको मैनेजमेंट से हाटकर प्रति टन 1000 रुपये की पेनाल्टी फिक्स कर दी. यह वास्तव में एक ऐसा ट्रांसपरेंट सिस्टम है कि जिसमें डिस्क्रिशन कम करके एक व्यक्ति के बारे में स्पष्टवादिता आ जाए और उस स्पष्टवादिता से काफी फायदा होगा. पुरानी कई चीजें जो हमारे टेस्टिंग के सिस्टम थे, जो पहले मेन्युअल थे, उनको आटोमेटिक कर दिया गया ताकि उसमें भी डिस्क्रिशन कम हो. मैं इसके लिए बहुत बहुत बधाई भी देता हूं लेकिन मैं एक दो सुझाव भी देता हूं. आप मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में चाहते हैं कि कोई भी मैनेजमेंट लोकल स्तर पर भी न हो. आपने आपके स्तर पर पूरा सुधार कर दिया. आपने मंत्री जी और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर लेवल तक भी सुधार किया, लेकिन नीचे जो 2-2 साल से जमे हुए पुराने आरटीआई बैठे हुए हैं वह आप सबसे, वह कहते हैं ना कि तू डाल-डाल, मैं पात-पात वाली कहावत से कैसे बचाना, मेरा ख्याल है इतना इशारा मंत्री जी और सरकार के लिए काफी होगा.
1.04 बजे {सभापति महोदय (श्री अजय विश्नोई) पीठासीन हुए.}
मैं इस बिल को लाने के लिए वास्तव में माननीय मंत्री जी का बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं और यह आशा रखता हूं कि जैसे आपने मंत्री बनते हैं ही 2 बैरियर हटाए और जो ट्रांसपरेंट सिस्टम ला रहे हैं. इस गति को और तेजी से बढ़ाते हुए और भी संभव ट्रांसपरेंसी के साथ सुविधाएं बढ़ा सकें, उसके ऊपर ध्यान रखते हुए, आपका अभिनंदन करते हुए बिल का समर्थन करता हूं. सभापति महोदय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद, जो आपने समय दिया.
श्री विजय रेवनाथ चौरे( सौंसर)- माननीय सभापति महोदय, जितने भी हम मोटरयान, व्हीकलयान, चाहे हम संशोधन ले आयें, पर विभाग में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है. अभी माननीय सदस्य जी ने बात कही कि मैं स्वागत करता हूं जो चेक पोस्ट बंद किये. मैं स्वागत नहीं करता हूं कि चेक पोस्ट बंद करने से सरकार को करोड़ों रूपये का चूना लगाया गया है और जो राजस्व की हानि हुई, वह तो हुई. लेकिन उसके बाद भी क्या चेक पोस्ट बंद करने से भ्रष्टाचार रूक गया ? डबल भ्रष्टाचार चालू हो गया है.
सभापति महोदय, कहने का आशय है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में बार्डर में एक चेक पोस्ट है, जो कि साल में 12 करोड़ रूपये की आय देता था. आपने अब वह चेक पोस्ट कर दिया. अब सरकार ने नया नियम चेक पाइंट चालू कर दिया. सब सिस्टम बना हुआ है कि किससे कितने रूपये महीने लेना है, किस ट्रक वाले से कितना पैसा लेना है, सारा सिस्टम बना है, क्योंकि पहले से ही जमा जमाया सिस्टम था. इससे डबल फायदा मध्यप्रदेश सरकार के नेताओं को हो रहा है. अब मुख्यमंत्री जी और परिवहन मंत्री जी की आपस की सजा सरकार के खजाने को मिली. मेरा कहने का आशय है कि 12 करोड़ रूपये मेरे सातुर चेक पोस्ट से आता था, वह अब सीधा-सीधा 24 करोड़ आने लग गया. इसलिये वह नेताओं और सत्ताधीशों के घरों में जा रहा है. सौरभ शर्मा तो एक छोटी से मछली है, 52 किलो सोना और 25 करोड़ रूपये का कितना बड़ा भ्रष्टाचार हुआ.इसके पीछे कौन है, क्या इसमें मध्यप्रदेश की सरकार का संरक्षण नहीं था, क्या उसको वरदहस्त नहीं था, जो इतना बड़ा घोटाला हो गया.
सभापति महोदय- माननीय सदस्य विषयांतर हो रहा है. मेरा अनुरोध है कि आप विषय पर बात करें, जो अधिनियम आया है और उस पर आप चर्चा करने के लिये खड़े हैं, आप उस पर आइये.
श्री विजय रेवनाथ चौरे- सभापति महोदय, विषय पर ही आ रहा हूं. मेरा कहने का आशय है कि आपने टोल बंद कर दिये, कोई बात नहीं सरकार को नुकसान हुआ.
सभापति महोदय, मेरा दूसरा अनुरोध है कि जो बसें चलती हैं, मेरे यहां नागपुर से छिंदवाड़ा रूट पर बसें चलती हैं. उसमें जो आपरेटर होते हैं वह अंधाधुंध लोगों को भरकर लेकर जाते हैं, वह 50 सीटों की जगह 100 -100 लोगों को लेकर जाते हैं और पूरी लूट मची हुई है, उसमें कोई रेट लिस्ट नहीं लगी हुई है, उसमें प्रतिव्यक्ति क्या किराया है उसका कोई निर्धारण नहीं है. इस पर भी इस बिल में संशोधन होना चाहिये कि एक तो रेट लिस्ट लगायी जाये और ऊपर से जो लोगों को जानवर की तरह भरा जाता है. उसका कोई मापदण्ड नहीं है, सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है.
मेरा कहने का आशय है कि इसमें भी बहुत सारे संशोधन करने की जरूरत है. दूसरा एक और अनुरोध करना चाह रहा हूं कि हमारे मध्यप्रदेश से जितनी भी हम लोग गाड़ी खरीदते हैं, चाहे 12, 15 लाख की खरीदें उस पर सबसे ज्यादा टैक्स हिन्दुस्तान में कहीं पर है तो वह मध्यप्रदेश में है. अभी हमारे एक माननीय सदस्य ने कहा कि गुजरात में हम लोग अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराने जाते हैं, वहां हमारे सीधे-सीधे दो, ढाई लाख रूपये बचते हैं तो जितनी भी गाडि़यां पासिंग की हैं, यह मध्यप्रदेश सरकार के राजस्व को चूना लगाने का काम हो रहा है. कहीं न कहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी और परिवहन मंत्री जी आपसे अनुरोध है कि टैक्स में भारी छूट दी जाये. आप जितना चार पहिया वाहनों से रोड टैक्स लेते हैं, वह सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में है, सबसे कम छत्तीसगढ़ में है और उससे कम गुजरात में है तो एक-एक आदमी के दो, ढाई लाख रूपये बचते हैं तो वह वहां जाता है. कहीं न कहीं सरकार को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है.
सभापति महोदय, एक और अनुरोध करना चाह रहा हूं कि जितनी गाडि़यां चाहे आप उनको ट्रक कह लें, पिकअप कह लें, छोटा हाथी कह लें, इन सब वाहनों में गौवंश भरकर जा रहा है. यह पूरा कत्लखाने में जाता है. क्या मध्यप्रदेश सरकार के परिवहन विभाग ने या आर.टी.ओ विभाग ने कभी उन गौवंश पर भरे हुए ट्रकों पर कोई कार्यवाही की, राजसात किये ? माननीय मुख्यमंत्री जी जब हम एक तरफ गौ संरक्षण और संवर्धन की बात करते हैं तो ढेरों कत्लखानों में गौवंश कटने के लिये जा रहा है. आप एक भी कोई ऐसा कानून बनाइये, हम कानून तो खूब बना लेते हैं, गाड़ी राजसात हो जायेगी, परंतु एक भी गाड़ी आज तक राजसात नहीं हुई है. इसका व्हीकल एक्ट में प्रावधान किया जाये. दूसरा एक ओर अनुरोध करना चाहता हूं कि आज हम देख रहे हैं कि बहुत सारे लोग खुश हो गये हैं, आर.टी.ओ चेक पोस्ट बंद करने से, पर खुश नहीं हुए हैं उससे और ज्यादा तकलीफ हो रही है. वसूली और ज्यादा शुरू हो गयी है. इसलिये आप इन सब चीजों को गंभीरता से लें.
मेरा आपसे यही अनुरोध है कि जो नियम माननीय मंत्री जी और मुख्यमंत्री के द्वारा लाया गया है. इसका मैं घोर विरोध करता हूं और इसमें संशोधन करने की आगे और आवश्यकता है. आपने मुझे बोलने का समय दिया बहुत-बहुत, धन्यवाद.
श्री भगवानदास सबनानी (भोपाल दश्रिण-पश्चिम) – सभापति महोदय, धन्यवाद. मैं मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान(संशोधन) विधेयक,2025 के समर्थन में अपनी बात रखने के लिये खड़ा हुआ हूं. एक भारत, श्रेष्ठ भारत की अवधारणा माननीय प्रधान मंत्री, नरेन्द्र मोदी जी के और उसको लेकर के लगातार म.प्र. भी कदम से कदम मिलाकर के तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है और मोटर यान के क्षेत्र में भी हम तेजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं और जो आवश्यक सुधार हैं, उसको समय समय पर कर रहे हैं. मैं मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री, डॉ. मोहन यादव जी, मध्यप्रदेश के सम्मानीय परिवहन मंत्री, राव उदय प्रताप सिंह जी को बहुत बहुत बधाई देता हूं कि बहुत महत्वपूर्ण संशोधन लेकर के वे आये हैं और इस संशोधन के माध्यम से म.प्र. के परिवहन के क्षेत्र में और प्रगति होगी और सुविधायें बढ़ेंगी. जहां सम्पूर्ण भारत में परिवहन विभाग की सेवाओं में एकरुपता लाने, प्रक्रिया को सरल बनाने तथा आम जनता को परिवहन विभाग की अधिकतम सेवाओं को फेसलेस प्रक्रिया के माध्यम से प्रदाय किये जाने हेतु प्रदेश में एनआईसी के पोर्टल वाहन तथा सारथी का उपयोग प्रारंभ किया जा चुका है. वर्तमान में परिवहन विभाग की समस्त सेवाएं वाहन तथा सारथी पोर्टल के माध्यम से प्रदाय की जा रही हैं. नवीन वाहनों का रजिस्ट्रेशन संबंधी कार्य, यात्री बसों के शादी, पार्टि आदि के अस्थायी परमिट जारी करना, लर्निंग लायसेंस जारी करना, लाइसेंस नवीनीकरण, लाइसेंस में पता परिवर्तन, डुप्लिकेट लाइसेंस जारी करना आदि सेवाएं एनआईसी के पोर्टल वाहन तथा सारथी के माध्यम से फेसलस प्रदान किया जाना प्रारंभ किया गया है. इसके लिये म.प्र. के माननीय परिवहन मंत्री जी को मैं बहुत बहुत बधाई देता हूं. इसके साथ ही आवेदक को सेवा प्राप्त करने हेतु किसी भी स्थान से ऑनलाइन आवेदन करने के उपरांत कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं होती. विभाग द्वारा पूर्व में दी जाने वाली 22 फेसलेस सेवाओं की संख्या को बढ़ाकर के 50 किया जाना, यह बताता है कि म.प्र. किस तेजी के साथ इस क्षेत्र में भी अपनी उपलब्धि बढ़ा रहा है और म.प्र. मोटरयान के माध्यम से जो विसंगतियां थीं, उनको दूर करने का प्रयास मंत्री जी के द्वारा किया जा रहा है. मोटरयान अधिनियम,1988 के धारा 87(1)(क) के तहत जारी किए जाने वाले यात्री बसों की शादी, पार्टी आदि के अस्थायी परमिट तथा उक्त अधिनियम की धारा 87(1)(ख) के तहत जारी किए जाने वाले मौसमी कारोबार के प्रयोजन हेतु मालयान के अस्थायी परमिट हेतु पोर्टल पर प्राप्त ऑनलाइन आवेदनों को प्रदेश में ऑटो एप्रूवल सेवा के माध्यम से जारी किया जाना प्रारंभ किया गया है. सभापति महोदय, जो पूर्व के हमारे विधायक जी ने भी अपनी बात कही कि पहले जहां एक तरफ पैनाल्टी की गणना अलग प्रकार से होती थी. उसके वेट के हिसाब से होती थी, अब यात्री संख्या निर्धारित करके, ताकि उस पर पैनाल्टी का भय भी रहे, लेकिन सुरक्षित यात्रा भी हो, इसके नाते से जो मोटर का व्यवसाय करते हैं कि एक हजार सीट के आधार पर पैनाल्टी लगेगी. वहीं दूसरी तरफ जो ट्रक इत्यादि जिसमें माल जाता है, इसको भी अब, उसमें भी माल में कोई अलग अलग जो होता था कि कितने किलोमीटर चलें, कैसे चलें, इसकी तुलना में एक हजार टन के आधार पर पैनाल्टी, यानि पैनाल्टी केवल इसलिये कि उनको यह एक आभास होगा कि हमने अगर गलत काम किया है, तो हमारी पैनाल्टी इतनी होगी. इससे इसको रोकने का प्रयास म.प्र. की हमारी सरकार कर रही है. मैं इसके लिये बहुत बधाई देता हूं मंत्री जी को. साथ ही मैं आग्रह करता हूं कि ऑनलाइन पंजीयन, लाइसेंस इत्यादि की जो व्यवस्था आपने की है, इसके साथ जो प्रिंट लिकलता है, वह कागज का प्रिंट होता है, उसकी बहुत आयु नहीं होती है. वह कार्ड के माध्यम से जिस प्रकार से पासपोर्ट आवेदक के घर पहुंच जाता है, वैसी ही अगर हम सुविधा कर देंगे, तो वह कार्ड स्थाई रुप से रहता है. हम लोगों के पास भी जो जैसे मतदाता कार्ड हो, चाहे अन्य कार्ड होते हैं, तो उनकी लाइफ ज्यादा रहती है. ऐसे ही उनको वह कार्ड मिल सकें. साथ ही मैं आज के इस अवसर पर आपसे आग्रह करना चाहूंगा कि बहुत सारी सारी गाड़ियां, जो स्कूल के परिवहन के रुप में छात्रों को ले जाने का काम करती हैं, वह डीजल, गैस की गाड़ी होगी, लेकिन अब हमको आवश्यकता है कि हम जहां पर्यावरण को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, ई व्हीकल के लिये भी हम उसमें प्रयास करेंगे, तो मुझे लगता है कि यह एक सार्थक कदम होगा. मैं इस संशोधन विधेयक का समर्थन करता हूं. धन्यवाद.
श्री दिनेश गुर्जर (मुरैना) -- माननीय सभापति महोदय, अभी हमारे कुछ साथियों कहा है मैं भी उस ओर सदन का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि पहले जब मध्यप्रदेश में चेकपोस्ट की व्यवस्था होती थी उससे मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग को राजस्व का लाभ होता था. इन चेक पोस्ट के बंद होने से आज जो वातावरण पूरे प्रदेश में बना है. माननीय सभापति जी मैं मुरैना से आता हूं और मुरैना के अंदर चेकपोस्ट होती थी, चेकपोस्ट न होने के कारण वहां पर भारी वाहनों का आये दिन जाम लगता है, भारी वाहन जब जाते हैं और वहां पर उड़न दस्ता की टीम खड़ी रहती है तो भारी वाहन रूकते नहीं है क्योंकि उनको पता है कि मध्यप्रदेश में चेक पोस्ट खतम हो गई है. परिवहन विभाग के अधिकारियों को वाहन चेक करने में दिक्कतें आ रही हैं, तस्करी बढ़ रही है, अवैध शराब वाहनों में जा रही है, हथियार जा रहे हैं. गोवंश जा रहा है, यह तस्करी चेक पोस्ट बंद होने के कारण हो रही हैं, आये दिन अधिकारी और कर्मचारी उन वाहनों का जुर्माना नहीं कर पाते हैं क्योंकि सड़क पर कहां व्यवस्था है. परिवहन विभाग में जो महिला कर्मचारी हैं उनके शौचालय की व्यवस्था नहीं है,सड़कों पर खड़े हैं, वह भी कर्मचारी हैं क्या उनको कोई जीवन नहीं है.
सभापति महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से यह आग्रह है कि जिस तरह से चेक पाईंट बनाये गये हैं, उड़न दस्ता की पद्धति को लेकर के आये हैं इससे भ्रष्टाचार फेल रहा है, जाम लगने से दुर्घटना का अंदेशा रहता है, रास्ते जाम होते हैं, इसलिये मध्यप्रदेश सरकार के राजस्व के हित में फिर से चेक पोस्ट मध्यप्रदेश में प्रारंभ करना चाहिये .
माननीय सभापति महोदय, मंत्री जी के द्वारा जो मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक 2025 प्रस्तुत किया गया है इस पर कुछ राज्यों ने चिंता जताई है क्योंकि यह विधेयक राज्य सरकार को अधिकार देता है, राज्य स्तर पर पंजीकरण, रोड टेक्स , मैनेजमेंट की शक्तियां, अब केन्द्र सरकार को दी जा रही हैं जिससे संविधान और संघवाद कमजौर होगा .
माननीय सभापति महोदय, यह कानून मुख्य रूप से कारपोरेटर के हित के लिये बनाया गया है. जैसे वाहन पंजीकरण की अनुमति अब निजी डीलर के यहां से मिलेगी. जुर्माने की राशि को 10 गुना बढ़ा दिया गया है, जुर्माना अधिक होने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा. क्योंकि जुर्माने की बड़ी राशि आम जनता दे नहीं पायेगी इसलिये इसमें भ्रष्टाचार की पूरी संभावना है. जो 10 से 15 वर्ष के वाहन को स्क्रेप करने का नियम रखा है वह भी ठीक नहीं है क्योंकि हमारे ग्रामीण परिवेश में कई लोग बड़ी मुश्किल से वाहन खरीदते हैं अगर10-15 साल में वाहन स्क्रेप कर दिया जायेगा तो हर आदमी के लिये यह संभव नहीं है कि फिर वह अपना वाहन खरीद सके. तो इसमें संशोधन होना चाहिये .
माननीय सभापति महोदय मैं मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान(संशोधन) विधेयक , 2025 का विरोध करता हूं. आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
परिवहन मंत्री(श्री उदय प्रताप सिंह) -- माननीय सभापति महोदय, धन्यवाद. सभापति जी मैं प्रस्तावित मोटरकार कराधान (संशोधित) विधेयक, 2025 में अधिनियम की धारा 13 में जो संशोधन करने के लिये प्रस्ताव सदन में प्रस्तुत हुआ है उस पर माननीय सदस्य श्री भैरोसिंह बापू जी, माननीय श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी,माननीय सदस्य श्री विजयच चौरे जी, माननीय श्री भगवानदास सबनानी जी और दिनेश गुर्जर जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने इस महत्वपूर्ण अधिनियम की 2 धाराओं में जो आंशिक संशोधन है उस पर अपनी बात रखी.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से बहुत विस्तारित नहीं करूंगा क्योंकि आधा घंटा की सीमा निर्धारित है और मुझे लगता है कि इस संशोधन विधेयक पर बहुत व्यापक रूप से बताने की इस संशोधन अधिनियम में आवश्यकता भी नही है. पहले जो हमारा मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम 1991 में जो हमने मुख्य संशोधन किया है मैं उसका एक तुलनात्मक विवरण सदन के सामने रखना चाहता हूं जिससे चीजें समझने में आसानी होगी. सभापति महोदय, पहले जो हमारा देयकर था उस देयकर पर 4 प्रतिशत की दर से हम पैनाल्टी को उसमें केल्कुलेट करते थे. जो लंबित देय कर की दोगुनी से अधिक नहीं होगी मतलब जो पेंडिंग टैक्स है उससे दोगुनी नहीं होगी. दूसरा, अन्य राज्यों में पंजीकृत वाहनों के संबंध में कोई प्रावधान नहीं था. जैसा माननीय सदस्यों ने कहा कि बाहर के राज्यों से जो वाहन आते हैं और घूम रहे हैं मध्यप्रदेश राज्य के रजिस्टर्ड वाहन कम दिखते हैं, यह उनकी चिंता जायज थी और इसी कारण से हम यह संशोधन लेकर आए हैं. अब हमने प्रस्तावित संशोधन का प्रावधान इसमें किया है वह जो उनका देय कर है, जो पेंडिंग उनका टैक्स है, उस पर 4 प्रतिशत् की दर से हम पेनाल्टी कैलकुलेट करेंगे और जो उनका पुराना पेंडिंग है उस पर 4 गुना से अधिक पेनाल्टी न हो इसका हम प्रावधान करेंगे. पहले दोगुना थी उसे हम 4 गुना कर रहे हैं. अन्य राज्यों के पंजीकृत वाहन की जो देय कर जमा नहीं करने संबंधी शिकायतें आती थीं उनका उल्लंघन करने पर, उनका जो बकाया टैक्स है उसको भी हमने 4 गुना पेनाल्टी करने का इसमें प्रावधान किया है. यह एक मेजर चेंजेस इसमें किए गए हैं. यह सभी तरह के टैक्स के ऊपर मतलब यह सभी तरह के टैक्स को कव्हर भी करता है.
सभापति महोदय, दूसरा जो एक परिवर्तन धारा 13(2) में है वह मासिक तिमाही, वार्षिक मोटरयान कर जमा करने वाले मोटर वाहनों पर प्रदेश में बिना परमिट, परमिट शर्त के उल्लंघन की दशा में उनके देय मोटरयान कर की 4 गुना पेनाल्टी राशि देय होती थी, अब उसमें हमने परिवर्तन किया है और इसमें परमिट नहीं है या परमिट की शर्तों का उल्लंघन किया गया है उस तरह के सारे वाहन शामिल हैं. यह यात्री वाहनों तथा स्कूल बस आदि के बिना परमिट, परमिट की शर्त के उल्लंघन की दशा में पंजीकृत बैठक क्षमता अनुसार जो रजिस्टर्ड वाहन में सीट कोड की गई हैं, उसमें 1,000 रुपये प्रति सीट के हिसाब से हम पेनाल्टी लेंगे. मतलब नीचे स्तर पर उनके पास कोई विकल्प नहीं होगा कि इसमें 10 हजार लगाना है कि 20 हजार लगाना है. अगर वह नियमों का उल्लंघन करता है, रूल्स का वायलेशन करता है तो अगर 42 सीटर में पास है तो सीधे 42 हजार रुपये उसमें कम से कम पेनाल्टी उसके ऊपर होगी यह एक निर्धारण इसमें किया गया है. यह व्यवस्था को पारदर्शी करेगा और मुझे लगता है कि यह जो टैक्स चोरी होती थी या पेनाल्टी की चोरी स्थानीय स्तर पर हो जाती थी उस पर रोक लगाने का भी काम करेगी.
सभापति महोदय, इसमें हमारे ऐसे यान जिनके पूर्व से जीवन काल मोटरयान कर जमा हैं, उनके बिना परमिट, परमिट शर्त की उल्लंघन की दशा में उन पर उनके जीवन काल की राशि के 25 प्रतिशत् की पेनाल्टी उनकी देय होती थी, इस पर भी हमने जो माल वाहन हैं उन पर चेंजेस किए हैं. माल वाहन की श्रेणी में बिना परमिट, परमिट की शर्त का उल्लंघन करने की दशा में ऐसे मोटरयान के सकल यान भार का, उनका जो वेट है 1,000 रुपये प्रति टन के हिसाब से हम पेनाल्टी उसके ऊपर लगाएंगे. यह व्यवस्था इस तरह से है कि जो शिकायतें आती हैं कि मोटर पकड़ी और छोड़ दी गई या इसको पेनाल्टी 12 हजार लगाई, उसको 25 हजार लगा दी, तो इस तरह की छूट नहीं रहेगी और रजिस्टर्ड वाहन की कैपेसिटी और टन के हिसाब से वह किया जाएगा. माननीय सदस्यों की आशंकाएं थीं, चूंकि इसमें बहुत विस्तार से बोलने की आवश्यकता नहीं है. माननीय बापू जी ने कहा था कि बाहरी रजिस्टर्ड वाहनों और वीएलटीडी ठीक से काम नहीं कर रहा और फायर सिस्टम में अनावश्यक खर्च हो रहा है और यह केवल मध्यप्रदेश राज्य में है. मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि एफडीएसएस, एफडीस और एफएपीएस का हमारा एक इन्फॉर्मेटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड जो हमारा है 135 के अनुसार 01.10.2023 के पश्चात् पंजीकृत एम थ्री कैटेगरी के वाहनों पर फायर सिस्टम लगाना अनिवार्य किया गया है. यह पूरे भारत में लागू है और यात्रियों की सुरक्षा के लिए यह अनिवार्य किया गया है. पूरे भारतवर्ष में हर राज्य में इसको लागू किया गया है. इसलिए यह कहना ठीक नहीं है कि यह केवल मध्यप्रदेश में ही हम इस तरह से चल रहे हैं, क्योंकि परिवहन विभाग में बहुत सी चीजें भारत सरकार की गाईडलाइन के हिसाब से चलना पड़ता है. मॉर्थ की गाईडलाइन के हिसाब से चलना पड़ता है और आज कल जो सिस्टम है वह ऑनलाइन है. सारी चीजें दिखती हैं. पूरे देश में समान अनुपात से टैक्स सिस्टम हो, पूरे देश में सुविधाएं वाहनों के हिसाब से कैसे दी जा रही हैं, वह सब चीजें नज़र आती हैं. इसलिए मुझे लगता है कि उसमें बहुत अनियमितता की गुंजाइश नहीं है. दूसरा VLTD (Vehicle Location Tracking System) यह AIS 140 के अन्दर महिला सुरक्षा हेतु अति आवश्यक है. इसमें कीमत का वेरिएशन हो सकता है लेकिन यह पूरे भारतवर्ष में लागू है. हर राज्य में VLTD वाहन के अन्दर लगाना आवश्यक है. हमारे दूसरे माननीय सदस्यों ने विस्तार से चीजें रखी हैं. माननीय सखलेचा जी ने कहा है कि आरटीआई वहां पर हैं. हमारा विभाग इस पर लगातार काम करता है. आप इस बात से सहमत भी होंगे माननीय मुख्यमंत्री आदरणीय मोहन यादव जी के नेतृत्व में हमने बहुत ही पारदर्शी व्यवस्था लाने की इस प्रदेश में कोशिश की है. हमने फेसलेस सिस्टम चालू किया है. कोई नियमों के उल्लंघन में पैनाल्टी नीचे करता था वहां पर हमने नगद कलेक्शन बंद कराया है. उनको मशीन दी है कि आप ऑनलाइन ही पैनाल्टी वसूलें, नगद वसूली नहीं करेंगे. विभाग लगातार इसकी मॉनिटरिंग करता है. दूसरी एक स्थाई और अस्थाई परमिट की बात आपने की थी. स्थाई परमिट की जो बैठकें हैं आरटीए अर्थात् संभागायुक्त. अगर आरटीए नहीं है तो उसके पॉवर डेलीगेट करते हैं कमिश्नर को. लगभग 2750 परमिट अभी तक हम जारी भी कर चुके हैं. अस्थाई परमिट की धारा 87 (1) (सी) के तहत दिए जाते हैं. आकस्मिक आवश्यकता के तहत यह परमिट दिए जाने पर रोक नहीं है. इस हेतु परमिट आदेश में आकस्मिक आवश्यकता का उल्लेख करना पड़ता है. अस्थाई परमिट आवश्यकता के हिसाब से हमेशा चालू रहते हैं. मोटरयान अधिनयम की धारा 87 में उल्लिखित प्रावधानों के तहत परमिट जारी करने के निर्देश हैं. इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय की भी बड़ी सख्त टिप्पणी है, उनका निर्णय भी है. इस तरह के परमिट पर रोक नहीं लगाई जाएगी. परमिट लगातार जारी होते रहेंगे. दूसरा नागालैण्ड और अरुणाचल की गाड़ियों का आपने कहा है. जो टूरिस्ट परमिट हैं वे प्राप्त करके मध्यप्रदेश में गाड़ियां चल सकती हैं. भारत एक फेडरल कंट्री है, संघीय ढांचा है. इनकी संख्या बहुत ही कम है. ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट टैक्स 2023 में पहले 700 रुपए था. अब इन्होंने घटाकर 200 रुपए प्रति सीट कर दिया है. इसके कारण लगता है कि आपका प्रश्न पैदा हो रहा है. टैक्सेस की बात आपने की है. हमारे यहां पर 10 लाख रुपए से कम कीमत वाले जो पेट्रोल वाहन हैं उन पर मध्यप्रदेश में पड़ोसी राज्यों की तुलना में सबसे कम टैक्स हम लेते हैं. मध्यप्रदेश में 8 प्रतिशत टैक्स है, छत्तीसगढ़ में 10 प्रतिशत है, महाराष्ट्र में 11 प्रतिशत है, राजस्थान में 10 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 9 प्रतिशत टैक्स है. यह कहना कि हमारे यहां टैक्स ज्यादा लगता है यह भी उचित नहीं है. ई-इनफोर्समेंट का सिस्टम हम शीघ्र लागू कर रहे हैं. जिसमें प्रभावी कार्यवाही होगी, पारदर्शिता की इसमें गुंजाइश रहेगी. टैक्स वसूली करना, दण्ड देना, मॉनिटरिंग करना यह तो मूलरुप से ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का काम है ही साथ ही आम नागरिक को सुविधाएं उपलब्ध कराना यह भी हमारी जिम्मेदारी है. आज हम लोग इस पर काम भी कर रहे हैं. जैसा माननीय सखलेचा जी ने कहा, आदरणीय सबनानी जी ने कहा कि ड्रायविंग लायसेंस की व्यवस्था को बेहतर किया जाए. हम लोग फेसलेस व्यवस्था कर रहे हैं. बहुत जल्दी जो डीएलआरसी है अभी इसको आप लोग ऑनलाइन पेपर पर निकाल रहे हैं. जिस तरह से आप पासपोर्ट बनाने जाते हैं तो पासपोर्ट आफिस आपके पासपोर्ट को घर भेजने का काम करता है. हम बहुत जल्दी यह व्यवस्था करने वाले हैं कि आपका ड्रायविंग लायसेंस है या रजिस्ट्रेशन की किताब है उसकी हम पासपोर्ट की तरह घर पहुंच सेवा परिवहन विभाग में भी चालू करेंगे. (मेजों की थपथपाहट) व्यक्ति को जाने की आवश्यकता नहीं है, यह घर पर मिलेंगी. विभाग में हम लोग फेसलेस चीजें करने जा रहे हैं. हमारे माननीय सदस्य दिनेश जी ने, बापू जी ने चेकपोस्ट के बारे में कहा है. आप जानते हैं कि पहले चेक पोस्ट पर अनियमितताएं होती थीं. माननीय मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में निर्णय हुआ कि एक स्थान पर खड़े होकर जांच करने की बजाए हम एक मूवेबल, घूमता हुआ सिस्टम बनाएं.
श्री दिनेश गुर्जर-- माननीय सभापति महोदय, इससे खतरा बढ़ रहा है. अव्यवस्थाएं फैल रही हैं, भ्रष्टाचार बढ़ रहा है. मध्यप्रदेश सरकार को राजस्व की हानि हो रही है.
सभापति महोदय-- माननीय सदस्य आपकी बात पहले आ चुकी है. आप मंत्री जी का जवाब सुनिये. वह उसी का जवाब दे रहे हैं.
श्री दिनेश गुर्जर-- माननीय सभापति महोदय, परिवहन विभाग के कर्मचारी सुरक्षित नहीं हैं. सड़कों पर खड़े होते हैं और ट्रक वाले कभी भी दुर्घटना कर देंगे, रुकते नहीं हैं. जाम लगता है. सरेआम सड़कों पर लूट हो रही है.
श्री बाला बच्चन-- माननीय सभापति महोदय, आधा मिनट.
सभापति महोदय-- मंत्री जी का जबाव खत्म होने वाला है. आपके पक्ष से दो की जगह तीन सदस्यों को बोलने दिया गया है.
श्री बाला बच्चन-- माननीय सभापति महोदय, मैं, केवल आधा मिनट चाहता हूं. इससे संबंधित इश्यू है.
सभापति महोदय-- कहिए.
श्री बाला बच्चन-- माननीय सभापति महोदय, मोटरयान कराधान, संशोधन विधेयक पर चर्चा चल रही है. माननीय मंत्री जी ने विधायक साथियों के प्रश्नों का जवाब भी दिया है. मैं, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि मेरा भी दिनांक 30 जुलाई, 2025 को प्रश्न था कि 30 जून 2025 तक यात्री वाहन और माल वाहन से 2 हजार 474 करोड़ रुपए केवल चार संभागों, इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर से वसूलना है. सरकार क्यों यह टैक्स वसूल नहीं पा रही है. आप अभी टैक्स लगा रहे हैं, जुर्माना लगा रहे हैं कि कर की वसूली करेंगे, लेकिन वह कर वसूल नहीं हो पा रहा है. केवल चार संभाग में ढ़ाई हजार करोड़ रुपए. आपका जो प्रथम अनुपूरक था वह लगभग 2 हजार 335 करोड़ 36 लाख 80 हजार 898 रुपए का था. उससे ज्यादा आपको केवल चार संभाग से आपके विभाग से संबंधित कर वसूलना है वह क्यों नहीं वसूल पा रहे हैं? मैं समझता हूं कि यह प्रदेश का बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है.
सभापति महोदय-- धन्यवाद. आपकी बात आ गई है. माननीय मंत्री जी बोलेंगे.
श्री
उदय प्रताप
सिंह-- माननीय
सभापति महोदय,
मुझे लगता है
कि आज हमने
यहां पर जो
मध्यप्रदेश
मोटरयान
कराधान
संशोधन
विधेयक पेश
किया था एक
आंशिक संशोधन
के लिए इस पर
लगभग सारे विषय
आ गये हैं और
माननीय सदस्यों
ने जो शंका
जाहिर की थी
उनका भी हमने
निराकरण करने
की कोशिश की
है. इसके बाद
भी अगर आपको
लगता है तो यह
बिलकुल
डेमोक्रेटिक
व्यवस्था
है. सारी
चीजें ओपन
हैं. आपको यदि
लगता है कि कोई
परिवर्तन की
आवश्यकता है,
इस प्रदेश की
मोटर मालिकों
की,
वाहनों की
बेहतरी के लिए
किसी और नियम
को लागू करने
की आवश्यकता
है. आपके
सुझाव से इस
प्रदेश में
कुछ और बेहतर
हो सकता है तो
हमारा विभाग
हमेशा इस तरह के
सुझावों को
आमंत्रित भी
करता है और
उसका स्वागत
भी करेगा.
श्री भवंरसिंह शेखावत-- माननीय मंत्री जी एक निवेदन है, आपने बहुत अच्छी व्यवस्था की है इसके बावजूद भी भ्रष्टाचार कम करने के लिए आपने बहुत से नार्म्स बताएं, लेकिन भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा है इसका और अध्ययन कराइये कि क्या कारण है. जनता की जेब तो वैसे ही कट रही है. इंदौर का उदाहरण देते हुए मैं दूसरी बात जो कहना चाहता हूं, उसी माध्यम से आपके जितने कर्मचारी हैं जो परमिट इश्यू करते हैं आरटीओ ऑफिस में बैठते हैं, एफजी काम कर रहे हैं. पूरे के पूरे इंदौर के अंदर सारे के सारे एफजीओ के हाथ में हैं क्योंकि कर्मचारी वहां बैठते ही नहीं हैं, अधिकारी वहां बैठते ही नहीं हैं. कई बार अखबारों में छप चुका है, भ्रष्टाचार और लूट मची हुई है. मुझे समझ नहीं आता है कि जो आपका कर्मचारी नहीं है वह वहां बैठकर परमिट इश्यू करता है, सारी कार्यवाही करता है. आप इसे दिखवाइये. मेरा निवेदन है कि यह जो एफजीओ की जो व्यवस्था है, इंदौर का तो पूरा ऑफिस उसी पर चलता है. आरटीओ ऑॅफिस के अंदर कर्मचारी मिलते ही नहीं हैं. एफजी काम करते हैं. बाहर ही ठेका ले लेते हैं. बाहर ही उनका सारा मामला चलता है. माननीय मंत्री जी इस पर ध्यान दे दें इस पर विशेषकर ध्यान देना है.
डॉ सीतासरन शर्मा-- सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी हम लोगों की उम्र के जो व्यक्ति हैं उनको आपका विभाग लाइसेंस नहीं देता है. ड्राइवर मिलते नहीं हैं तो कृपया करके आप ऐसी व्यवस्था करें कि हमें लाइसेंस मिलने लगे.
सभापति महोदय-- डॉ. साहब की बात का समर्थन मैं आसंदी से बैठकर कर रहा हूं.
श्री उदय प्रताप सिंह-- माननीय सभापति महोदय, मैं शेखावत जी की बातों को बिलकुल डिनाय नहीं कर रहा हूं. व्यवस्थाएं गड़बड़ रहती हैं इसलिए बेहतरी की गुंजाइश भी रहती है. अगर पहले कमियां थीं तो विभाग और बेहतर करने की कोशिश कर रहा है. इसलिए हम यह प्रयास कर रहे हैं कि संपर्क विहीन व्यवस्था इस विभाग में लागू हो. जब व्यक्ति को कर्मचारी के पास जाने की आवश्यकता नहीं होगी. मोबाईल पर अपना लर्निंग लायसेंस घर बैठे बना सकता हैं. घर बैठे उसको ड्राईविंग लायसेंस, उसकी रजिस्ट्रेशन की कॉपी और दूसरी चीजें मिलेंगी. हमारी कोशिश होगी कि उसे 100 फीसदी कार्यालय जाने की आवश्यकता न पड़े. कहीं अगर उसके कहीं अगर उसके चेहरे को कैमरे के अंदर कैद करने की आवश्यकता हो, तो उसे जाना पड़े, उसके अलावा उसे जाने की आवश्यकता न पड़े. इसकी हम व्यवस्था कर रहे हैं. टैक्स, पैनाल्टी आदि ऑनलाईन घर से जमा की जा सकती है. इस तरह की पारदर्शी व्यवस्था की तरफ हमारी सरकार और विभाग आगे बढ़ रहा है, इसलिए मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि हमारे इस आंशिक संशोधन, जो हमने यहां प्रस्तुत किया है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि इसे सर्वानुमति से पारित करने की कृपा करें.
(मेजों की थपथपाहट)
1.38 बजे
(2) मध्यप्रदेश जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2025
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया)- सभापति महोदय, मध्यप्रदेश जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2025 आया है. जन विश्वास 1.0 ने कितना विश्वास बनाया है, इसके कोई आंकड़े हमारे पास नहीं आये हैं और आपसे आग्रह करूंगा कि मंत्री जी जब जवाब दें तो इसके बारे में जरूर उल्लेख करें. जन विश्वास 1.0 को लागू हुए लगभग 1 वर्ष से अधिक हो गया है. अब सरकार बताये कि इससे व्यवस्थाओं में कौन सा ठोस सुधार हुआ है, मुझे तो नहीं लगता कि विगत 1 वर्ष में कोई ठोस सुधार हुआ हो. जो सुधार की कड़ी है, उसे भी विश्वास में नहीं लिया गया है. यह भी एक बहुत बड़ा उल्लंघन है, इसे भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है. अगर जन विश्वास 1.0 जितना ही सरकार के पास नहीं है तो 2.0 लाने की जरूरत किस आधार पर हो रही है. हम 1.0 का ही विश्वास नहीं जीत पा रहे हैं, तो 2.0 को किस आधार पर लाया जा रहा है. वास्तविकता यह है कि लोक सहभागिता का अभाव इस जन विश्वास के विधेयक में है, क्योंकि जो लोग इससे प्रभावित होते हैं और जो इसके विशेषज्ञ होते हैं, उनसे जरूर चर्चा करनी चाहिए. कई बार यह होता है कि मंत्री जी एवं शासन के विभाग के अधिकारी उनसे बात कर लेते हैं, मगर जिन्हें जमीनी स्तर पर, जिन्हें रोजमर्रा के जीवन में इस तरह की कठिनाइयां आती हैं, चाहे आम नागरिक हों, व्यापारी हों, शिक्षक संघ हो, नगर पालिका ट्रांसपोर्ट यूनियन वाले हों, इन सभी से इन विधेयकों में सुझाव लेने की आवश्यकता होती है, क्योंकि ये जो काम करते हैं, इन्हें प्रतिदिन की बहुत सारी जानकारियां होती हैं. ऐसे जानकार लोगों को बुलाकर विधेयकों पर चर्चा करनी चाहिए. सिर्फ अधिकारियों के साथ बैठकर चर्चा हो जाती है तो वह केवल एक मानसिकता की होती है, सार्वजनिक रूप से ये बातें नहीं हो पाती है.
सभापति महोदय, मेरा दूसरा विषय यह है कि 16 कानून, 80 धारायें और जनता अंधेरे में है. जन विश्वास विधेयक के नाम पर एक ही झटके में 16 अलग-अलग कानूनों की, लगभग 80 धाराओं में संशोधन कर दिया गया. इस विधेयक को सत्र के आखिरी दिनों में इसीलिए लाया जा रहा है कि इसमें व्यापक रूप से चर्चा न हो पाये, न ही ठोस बहस हो पाये, इस पर विस्तारपूर्वक बात होनी चाहिए. जब 80 धाराओं में, यदि यह तबदील किया गया है, तो इसमें व्यापक रूप से चर्चा होनी चाहिए थी, जो शायद आज नहीं हो पायेगी.
सभापति जी, इसमें गौण अपराधों को अपराधमुक्त किया जा रहा है. इसमें पैसे वाले जो लोग हैं, उनको बहुत फायदा होगा, जो गरीब लोग हैं, उनको बहुत बड़ा नुकसान होगा क्योंकि गौण अपराध में जो बदलाव किया गया है कि अब गौण अपराध में सिर्फ पेनाल्टी लगाई जायेगी. जैसे मान लीजिये कि कोई अपराध कर रहा है, तो जो अपराध कर रहा है, उसको मालूम है कि मुझे राशि देनी है, जैसे एक लाख रुपये की राशि देना है, तो मैं छूट जाऊँगा. पहले इसमें यह व्यवस्था थी कि मामला न्यायालय में जाता था, वहां अपराध कायम होते थे, उसको कहीं न कहीं सजा भी होती थी, मगर इस व्यवस्था को अब बदला जा रहा है, अब इसमें यह जरूर होगा कि जिनके पास पैसा है, वह अपना काम करवा लेंगे. जिनके पास पैसा नहीं है, वह इस अपराध के अंतर्गत आएंगे, वह लोग जेल में जाएंगे. यह न्यायसंगत बात नहीं है. उदाहरण के तौर पर, मध्यप्रेदश आयुर्विज्ञान परिषद् अधिनियम, 1987 संशोधित धारा 24 में पहले बिना पंजीकरण के इलाज करने पर 3 वर्ष तक की सजा होती थी, मगर इसमें अब यह कर दिया गया है कि आप इलाज करो, इलाज के दौरान किसी को मारो या आप कुछ भी करो, आप करते हो तो आपका अपराध यही कायम होगा कि आप एक लाख रुपये की राशि जमा कर दो, आपको छूट मिल जायेगी. अब आप जितना कर सकते हो, उतना करने के प्रयास करते रहें. यह भी एक बड़ा प्रश्न है.
माननीय सभापति जी, अब यह जो जन विश्वास का विधेयक है, यह अदालतों की शक्ति को कमजोर कर रहा है, अदालत की शक्ति इस तरह से कमजोर हो रही है कि इसमें अफसरशाही को खुली छूट मिल गई है, अब न्यायाधीश का इसमें कोई ज्यादा रोल नहीं रहा है. अफसर लोग ही तय करेंगे कि कौन दोषी है और किसको मात दिया जायेगा ? अब यह कार्य अफसर तय करेंगे, तो आप सब जानते हैं कि यदि अफसर तय करते हैं तो उनके भी कुछ अपने लोग रहते हैं और कई बार राजनीतिक दबाव में भी इस विधेयक को कहीं न कहीं कमजोर किया जा रहा है. अफसर कोई चीज तय करेगा तो उसमें वह बात नहीं रहेगी, जो अदालत में होती थी, अफसरशाही में अब चीज नहीं हो पायेगी. इसमें भी ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है.
सभापति महोदय, उदाहरण के तौर पर, मध्यप्रदेश कृषि उपज मण्डी अधिनियम 1972 संशोधित धारा 46 (2) में पहले मण्डी लाइसेंस उल्लंघन पर न्यायालय द्वारा कार्यवाही होती थी, अब मण्डी सचिव स्वयं 5,000 रुपये जुर्माना लगायेगा और उनको छोड़ देगा तो ऐसे अपराधों में बढ़ावा मिलेगा. आप यदि पैसे वाले हो, आपके पास पैसा हो, तो आप चाहे 5,000 रुपये जमा करो या एक लाख रुपये जमा करो, आप अपराध करते रहें. इस संशोधन में बहुत सारी कमियां हैं, माननीय मंत्री जी, जब बोलेंगे तो उसमें ध्यान रखेंगे. अब जन विश्वास के नाम पर स्थानीय स्वशासन के हाशिये पर धकेला जा रहा है, इसका मैं एक उदाहरण बताना चाहता हूँ कि जिन मामलों में पंचायतें एवं नगर निगम निर्णय लेते थे, वहां वरिष्ठ अधिकारी अंतिम फैसला करेंगे, अब जो जन प्रतिनिधि हैं या जो लोग बैठकर अपनी बातें करते हैं, चाहे परिषद् में हों, चाहे पीआईसी में हों, अब इसमें वरिष्ठ अधिकारियों को अंतिम फैसला करने का मौका मिल गया. मैं, उदाहरण के तौर पर बताना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1956 संशोधित धारा 208 नगर पालिक के क्षेत्र में अवैध निर्माण जो होते थे या उनके लाइसेंस शर्तों के उल्लंघन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज होता था, वह अब नगर निगम के जो आयुक्त हैं, वह 5,000 रुपये सीधा जुर्माना लगाकर उसको कर देंगे, आप अधिक्रमण करते रहे, कोई नहीं बोलेगा. आप करते रहें और 5,000 रुपये देते रहें.
माननीय सभापति महोदय, यह जो बिल है. ''ईजी ऑफ डूइंग'' बिल नहीं, अब ''ईजी ऑफ ब्रेकिंग लॉ'' है. अब हमको काम करने की जरूरत नहीं है. आप जितना लॉ को तोड़ सकते हो, आप जितना कानून को नरम कर सकते हो, तो वह इस तरीके का इस विधेयक के अन्दर कर सकते हैं, बहुत सारी चीजें हैं. बिना रजिस्ट्रेशन के नर्सिंग होम चलाना अपराध था. एक सस्ता जोखिम बन गया है, जो लोगों की जान को जोखिम में डालने का विषय बन गया है. अब सिर्फ जुर्माने के दायरे पर वह काम होता रहेगा और वह आगे चलता रहेगा. उदाहरण के तौर पर, मध्यप्रदेश उपचर्या गृह रूजोपचार अधिनियम, 1973 में संशोधित धारा 8/10 पहले बिना लाइसेंस के प्रायवेट नर्सिंग होम चलाने में 3 माह तक की जेल का जुर्माना होता था, अब इस पर दस हजार रुपये से एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा और वह भी अधिकारियों के विवेक पर निर्भर है. इस तरह विधेयक को लेकर कानून को कमजोर करने की में क्या कारण है ? आखिर सरकार चाहती क्या है ? क्यों इस विधेयक को इस तरीके से कानूनन कमजोर किया जा रहा है ? तो निश्चित रूप से कहीं न कहीं यह जो हमारे कानून हैं, जो नियम हैं, जो अदालत के अधिकार हैं. इस सदन के माध्यम से कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है, जो नहीं होना चाहिए. साथ ही साथ सभापति जी, मेरा एक सुझाव है कि इस तरह के विधेयकों के जो जानकार लोग हैं और सीधे तौर से इनसे जुड़े हुए लोग रहते हैं, उनसे पूरी जानकारी लेनी चाहिए. उनका भी समावेश करना चाहिए. सारी चीजें अधिकारियों के बीच में और चंद लोगों के बीच में चर्चा करके नहीं करनी चाहिए. इतना बड़ा मध्यप्रदेश है और इतने बड़े विधेयक के माध्यम से बदलाव लाकर बहुत सारी जनसुविधाओं को कम करना और कानून को कमजोर करना, मान्यवर, यह परिस्थिति नहीं बननी चाहिए. मेरा आपसे निवेदन है कि इस विधेयक में जो आप बदलवा करना चाह रहे हैं, इस पर व्यापक रूप से चर्चा करें और पुन: विचार करते हुए संशोधन करने की कार्यवाही करें. धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) -- माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2025, हमारे मंत्री आदरणीय चेतन्य कुमार काश्यप जी ने जो यहां पर प्रस्तुत किया है, यह भारत सरकार, आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की जो आमजन के प्रति भावना है और भारत की जो औद्योगिकरण नीति है, भारत जो विश्व व्यापार की तरफ और तेजी से गतिमान है, उसमें फायदेमंद है. उसी का माहौल बनाने की तैयारी की दृष्टि से आज मध्यप्रदेश देश का यह पहला राज्य है, जो इस तरह के नियमों में, उपबंधों में संशोधन करके एक माहौल बना रहा है, जिससे आमजन को यह भरोसा और विश्वास हो कि जो नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं, वे नीतिगत निर्णय उनके फायदे के लिए हैं और हमारी सरकार डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में लगातार वह काम कर रही है. चाहे भारत सरकार ने गृह मंत्रालय से संबंधित जो धाराएं हैं, उन पर संशोधन की बात हो, उसमें भी हमारे प्रदेश ने सबसे पहले कार्यवाही की. बड़े स्तर पर कार्यवाही की. हमारे मुख्यमंत्री जी जो आज हैं, उस समय उच्च शिक्षा मंत्री थे, जब उच्च शिक्षा में सुधार की बात आई तो मध्यप्रदेश सरकार देश की वह पहली सरकार रही, जिसने शिक्षा के सुधार के लिए भी काम किया.
सभापति महोदय, आज जो यह जन विश्वास विधेयक यहां लेकर के आए हैं, यह भारत की वैश्विक निवेश को आकर्षित करने की नीति के तहत है. जिस तरह हमारे माननीय सदस्य ने यहां पर बात कही है, यह विधेयक किसी को सताने के लिए नहीं है. यह व्यापार, व्यवसाय को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए है. इसलिए आप देखेंगे कि इस अधिनियम के तहत अनेक कानूनों में संशोधन इसलिए किया जा रहा है कि उन कानूनों का बहुत लाभ जनता के लिए नहीं था. वे केवल फाइलों में उलझाकर सिस्टम को रोकती थी और आम नागरिक को उसका कोई लाभ नहीं मिलता था. वर्षों तक उसके न्याय की प्रक्रिया वहीं लंबित रहती थी. इस तरह हमारी सरकार ने कहा जाए तो जो कृषि कल्याण बोर्ड है, हम सब लोग किसानों से संबंधित हैं. मध्यप्रदेश में किसानों के लिए कपास आदि के लिए बात करते हैं, पर उसमें जो किसान की नीति है या कृषि कल्याण विभाग है, जो विभाग उसमें संशोधन ला रहा है. 1972 के जो महत्वपूर्ण प्रस्ताव थे, उन प्रस्तावों में जो अप्रसांगिक हो गए थे, जिनकी आज कोई जरूरत नहीं है, उनमें संशोधन ला रहे हैं. धारा 48 के अंतर्गत, धारा 6 (ख) के अंतर्गत मण्डी बोर्ड के जो नियम थे, उनमें संशोधन ला रहे हैं. उसमें कारावास का प्रावधान था. बिना किसी काम के कारावास रख दिया. उसमें कोई कारावास होता नहीं था. केस लंबा पेंडिंग रहता था. अब कोई व्यापार करने के लिए आ रहा है, वह ईमानदारी से अगर व्यापार कर रहा है तो उसको जेल भेजना जरूरी है क्या. हमने कारावास की जगह पैनाल्टी रखी है. अगर कोई अच्छा और ईमानदार आदमी होगा और वह व्यापार कर रहा होगा तो पैनाल्टी भी लगेगी तो भी वह इस बारे में सुधार और विचार करेगा कि मेरे से कहीं गलती हुई है, तब सरकार ने मुझ पर पैनाल्टी लगाई है. भविष्य में और अच्छा सुधार करके वह अपना व्यापार ठीक से चलाएगा क्योंकि वह आखिरकार मध्यप्रदेश का ही नागरिक है. मध्यप्रदेश के नागरिक को रोजगार करने का अधिकार है. सरकार चाहती है कि हर नागरिक अपने पैरों पर खड़ा हो, वह व्यापार करे और व्यापार में जो सरकार के नियम हैं, पॉलिसी है और जनता के प्रति जो उसकी जवाबदेही है, वह नागरिक भी अपनी जवाबदेही में सम्मिलित हो क्योंकि व्यापार करके घर भरने के लिए नहीं, व्यापार करके वह नागरिकों को सुविधा भी मुहैया कराए और सरकार के नियमों का पालन करे. इसके तहत हमने इन नियमों में सुधार और संशोधन किया है. और भी इसकी कई धाराएं हैं, जिन धाराओं की बात यहां पर हुई है, 49(1) में, 49(2) में, 49(4) में, 49(6) में, 49(7) में, इस तरह की तमाम जो धाराएं हैं, ये गल्ला मण्डी से संबंधित हैं, कपास से संबंधित हैं, इस तरह के प्रस्ताव यहां पर हैं. अब आप खण्डवा, उधर बुरहानपुर, उधर की जब बात करेंगे. तो यह सारा व्यापार वहां प्रभावित करता है वहां की परेशानियां. छोटी-छोटी चीजें हैं. अब मध्य भारत कृषि उपज में तौल अधिनियम के बारे में थोड़ा सा है उसमें संशोधन लाये गये जिनकी आवश्यक्ता नहीं थी और वह केवल कानून की एक पोथी बनकर वहां पर पड़े थे धारा उपधाराओं के बीच में यह सारी चीजें झूल रही थीं. आज मैं मध्यप्रदेश की मोहन यादव जी की सरकार को चेतन्य कश्यप मंत्री जी को हृदय से बधाई और धन्यवाद देता हूं कि वह इस तरह के संशोधन ला रहे हैं जो व्यापार को व्यवहारिक करने में,सुधार करने में और उनका साहस और ईमानदारी के प्रति भरोसा बढ़ाने के लिये यह हमारा विधेयक कारगर साबित होगा. जनविश्वास अर्जित करेगा इस दृष्टि से है. अब इसमें 12-13 विभाग हैं. जो छोटी-छोटी उपधाराओं के तहत अगर हम बात करें जो हमारे सदस्य ने भी उन बातों को रेखांकित किया था. अब कृषि कल्याण बोर्ड जिसके बारे में मैंने आपको बताया दूसरा मध्यप्रदेश कपास नियंत्रण अधिनियम 1954 है. मध्य भारत कृषि उपज तौल अधिनियम 1956 है. मध्यप्रदेश चेचक टीकाकरण अधिनियम 1968 है और किसान कल्याण तथा कृषि विभाग मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी 1972 है इसमें 48(1) है.49(1) है.49(2) है. 49(6) है. 49(7) है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 है. इसकी भी कई उपधाराएं हैं. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग है उसके अंतर्गत मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987 है ऐसे मध्यप्रदेश उपचार के बारे में है और मछुआ कल्याण बोर्ड के बारे में है और खाद्य नागरिक आपूर्ति के बारे में है. यहजो सारे नियम हैं यह केवल इसलिये सुधार कर रहे हैं कि इन नियमों के तहत आज दिनांक तक बहुत बड़ी कार्यवाही नहीं हुई लेकिन जब कार्यवाही होती थी तो कई जगह यह नियम आड़े भी आते थे और लगातार प्रोसीजर दर प्रोसीजर समेटते रहते थे लेकिन अधिनियम सरल होगा व्यापारियों को भी क्लियर पता होगा. बिकवाल को भी क्लियर पता होगा. हमारी और सरकार की जनप्रतिनिधि की जवाबदारी नागरिकों के प्रति होती है उस जवाबदेही को हम सामूहिक निर्णय के तहत भारत सरकार वैश्विक स्तर पर उद्योग जगत की नीति परिवर्तन कर रही है तो कुछ अधिनियम ऐसे हैं जो हमारे इसमें आड़े आ रहे थे अब इन आड़े..
समय 1.53 बजे अध्यक्ष महोदय(श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.
..आ रहे थे. अब इनमें हम अगर सुधार लाते हैं इसमें अगर संशोधन करते हैं और इन संशोधनों से मध्यप्रदेश की व्यापार नीति में,मध्यप्रदेश की कृषि नीति में, मध्यप्रदेश की कपास नीति में,मध्यप्रदेश की उपचार नीति में,मध्यप्रदेश की पंचायत नीति में,मध्यप्रदेश के नगरीय विकास की नीति में कोई अगर परेशानी नहीं है और आम नागरिक को आसानी से सुविधा मिल रही है तो मैं नहीं समझता कि विधेयक का विरोध किया जाना चाहिये बल्कि यह पूरा सदन चाहता है कि मोदी जी के नेतृत्व में डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में,चेतन कश्यप जी ने जो प्रस्ताव किया है वह प्रस्ताव जन विश्वास का प्रस्ताव है. आमजन की मांग पर हमारी सरकार ने यह प्रस्ताव पटल पर रखा है. इस विधेयक में जो सुधार,संशोधन है वह जनता के हितों के लिये है और जो इसमें विभाग लिये गये हैं वह विभाग जनता से सीधे जुड़े हुए विभाग हैं उन विभागों की कार्यप्रणाली जब आसान होगी तो आम जनता को उसका लाभ मिलेगा. मैं इस प्रस्ताव के समर्थन का समर्थन करता हूं और मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि जो वे प्रस्ताव लेकर आए हैं वह जनविश्वास का प्रस्ताव है और हम जो वैश्विक स्तर पर मोदी जी चाहते हैं कि भारत की औद्योगिक नीति और भारत की जनसुविधा की नीति अच्छी हो सरल हो उसको मूर्त रूप देने का काम मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - श्री आशीष गोविंद शर्मा. थोड़ा-थोड़ा संक्षिप्त करेंगे.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हर सरकार को जनभावना के अनुरूप कार्य करना चाहिये. हमारा देश 1947 में आजाद हुआ उससे पहले अंग्रेजों द्वारा बनाये गये कानून इस देश में लागू थे. मान्यवर नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता एवं कई सारे विषयों पर कानूनों में संशोधन करने का काम किया. लोकतंत्र हमें कानूनों में संशोधन का अधिकार देता है और जनता की और देश की और समाज की मांग के अनुरूप नियमों को बनाने की शक्ति देता है. इसलिये मध्यप्रदेश की सरकार भी मध्यप्रदेश जन विश्वास उपबंधों का संशोधन विधेयक 2025 इस विधान सभा में रख रही है. मैं इसका समर्थन करता हूं. वास्तव में कई बार कानून की जटिलतायें, व्यापार, व्यवसाय, तरक्की और इन सब चीजों में बाधा उत्पन्न करती है और हर सरकार को चाहिये कि वह समय-समय पर उन कानूनों में आवश्यक संशोधन करे ताकि प्रक्रिया का सरलीकरण हो, अपराधियों के हौसले पस्त हों और निवेश को बढ़ावा मिले, व्यापार को बढ़ावा मिले और एक सभ्य समाज की दिशा में हम आगे बढ़ें, इस दृष्टि से 180 अपराधों का गैर अपराधिकरण किया गया है. कारावास को जुर्माने में बदला जा रहा है. साथ ही साथ उन अपराधों को जिनके लिये पहले न्यायालय दण्ड का प्रावधान करता था, कारावास भुगतना पड़ता था, अब उन्हें आर्थिक रूप से पेनाल्टी लगाकर समाप्त करने का काम हमारी सरकार कर रही है, मैं ऐसा मानता हूं. इससे मध्यप्रदेश में अनुपालन के भार को कम किया जा सकेगा तथा राज्य के विभिन्न अधिनियमों में गौण अपराधों के अपराध मुक्तकरण और तर्कसंगतिकरण के द्वारा ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा, इसलिये गौण अपराधों को अपराध मुक्त करने और दंड की राशि को विधिसंगत बनाने के लिये इस अधिनियम के प्रावधानों का मैं समर्थन करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज न्यायालयों के पास मुकदमों का बहुत भारी बोझ है और कई बार छोटे-छोटे मामलों में भी जो गरीब व्यक्ति रहते हैं वह अपनी पैरवी नहीं कर पाते. इसके बाद जो संशोधन आने वाला है विधि विभाग का उस पर भी मैं कहना चाहूंगा, लेकिन इन मुकदमों के भार के कारण न्याय प्रक्रिया बहुत विलंब से अपना काम कर पाती है और सही समय पर व्यक्ति को न्याय नहीं मिल पाता. इसलिये अगर निकायों को शक्ति दी जाये, ग्राम पंचायतों को, कृषि उपज मंडी को जिन संस्थाओं के लगभग 16 कानूनों में बदलाव किया जा रहा है, उनको यदि यह शक्ति दे दी गई कि आप संबंधित अपराध पर श्रवण कर सकें, दण्ड आरोपित करके, शुल्क आरोपित करके तो मैं ऐसा मानता हूं कि अपराधी को सबक तो मिलेगा ही मिलेगा, साथ ही साथ आने वाले समय में यह अपराध भी कम हो सकेंगे. मैं एक बात और कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा कि सरकार की यह भी आवश्यकता रहती है कि जिन कानूनों का अब उपयोग नहीं है जैसे साइबर लॉ यह नया अपराध आया है, इलेक्ट्रॉनिक्स अपराध अब बड़े पैमाने पर देश और दुनिया में हो रहे हैं, इसलिये सरकार को समयानुकूल कानून भी बनाना चाहिये. अपराध के तरीक बदलते हैं, अपराधी बदलते हैं, उनका चरित्र बदलता है, इसलिये अपराध को दृष्टिगत रखते हुये कानूनों में संशोधन समय अनुसार होना ही चाहिये क्योंकि हम अगर अपराधी को दंड नहीं दिला पायेंगे, कानूनों में संशोधन नहीं कर पायेंगे, विवेचना की शक्ति नहीं बढ़ा पायेंगे, दंड और ज्यादा नहीं आरोपित कर पायेंगे तो इसके कारण अपराध मुक्त समाज बनाने का हमारा स्वप्न पूरा नहीं होगा. इसलिये मैं मध्यप्रदेश सरकार, माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय चेतन काश्यप जी को धन्यवाद देता हूं जो इस तरह का संशोधन लेकर आये हैं. आपने बोलने का अवसर दिया. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद आशीष जी. इस बिल पर पक्ष की ओर से श्री भगवान दास सबनानी जी और डॉ. सीतासरन शर्मा जी के भी नाम हैं. सोचा यह था कि दोनों तरफ से दो-दो लोग ही रहे हैं इसलिये अभी 6 बिल और हैं उन पर आपके द्वारा विचार व्यक्त किया जा सकता है. माननीय मंत्री जी.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, बहुत देर से मेहनत कर रहे थे, पर अब आपका आदेश स्वीकार्य है. सोहनलाल जी के प्रश्नों का भी उत्तर देते.
अध्यक्ष महोदय-- आज सदन में बहुत अनुशासित तरीके से चल रहा है.. (हंसी).. आप सोचो 50 मिनट में 4 ध्यानाकर्षण हुये हैं, व्यापक चर्चा के साथ.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, इसका श्रेय आपको जाता है. अध्यक्ष महोदय, पूरे सदन की ओर से आपको धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- इसका श्रेय सभी सदस्यों को जाता है. मंत्री जी.
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री (श्री चेतन्य कुमार काश्यप)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके संरक्षण में सदन के अंदर जो अनुशासित चर्चायें हो रही हैं निश्चित ही इसमें सभी सदस्यों को काफी लाभ मिला है और आज जन विश्वास बिल के उपबंधों के संशोधन 2025 पर चर्चा अभी प्रारंभ हुई, इस पर हमारे माननीय सदस्य बाल्मीकी जी द्वारा कुछ विषय उठाये गये थे तथा हमारे साथी सदस्य श्री रामेश्वर शर्मा जी और आशीष जी के द्वारा इसके प्रभावों के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है.
अध्यक्ष महोदय, यह जन विश्वास बिल हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी की एक बहुत बड़ी पहल है, क्योंकि शासन में जब-जब नये कानून लाये जाते हैं, नये नियंत्रण लगाये जाते हैं, तो उसके साथ में हमारे प्रचलित कानूनों के माध्यम से जो किसी समय में जब वह कानून बनाये जाते हैं, प्रासंगिक हो सकते हैं, तो उनमें विचार भी किया जाये और उनमें संशोधन भी किया जाये, उनका एक महत्वपूर्ण पक्ष था कि इसमें जनप्रतिनिधियों के साथ में चर्चा भी की जाये और सुनवाई भी की जाये तो जनविश्वास बिल के ऊपर लगातार चर्चा भी हुई और विस्तृत रूप से इसका अध्ययन भी किया गया है कि कौन-कौन सी धाराओं के अंदर कितने प्रकरण लग रहे हैं, कितने प्रकरण नहीं लग रहे हैं, कितने अप्रसांगिक हैं? क्योंकि इसमें जैसे एक कपास अधिनियम का बिल है, अब गैरोलीच कपास जो आज उत्पादन में ही नहीं रहा है, किसी समय में यह एक आवश्यकता थी, उनके आंकड़ें रखने की आवश्यकता थी, तो इन सारी चीजों को अध्ययन करने के बाद में ही आज यह बिल लाया गया है. वर्ष 2024 का बिल जो था, पांच विभाग के 64 प्रकरणों में एक प्रश्न था कि उसका कितना लाभ मिला? मेरा तो यही कहना है कि जन विश्वास बिल ईज ऑफ डूईंग और ईज ऑफ लिविंग का है और जनवरी, 2025 में लागू हुआ है. जनवरी, 2025 से प्रथम संशोधन लागू होने के बाद छ: महीने में इसका तत्काल आंकलन तो नहीं किया जा सकता है, परंतु यह कह सकते हैं कि जो मध्यप्रदेश में औद्योगिक वातावरण बना है और जो पूरे देश में दुनिया के उद्योगपतियों का मध्यप्रदेश की ओर आकर्षण बढ़ा है, इसमें कहीं न कहीं ईज ऑफ डूईंग बिजनेस की भी बहुत बड़ी भूमिका है और उसमें हमारी मध्यप्रदेश की सरकार बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, हमने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में भोपाल के अंदर जी.आई.एस. का एक सफल प्रयोजन किया है और आज 4 लाख करोड़ रूपये के करीब प्रस्ताव हमें प्राप्त हुए हैं, तो यह सारे प्रस्ताव प्राप्त होने का कारण यही है कि कहीं न कहीं जनता के बीच में एक विश्वास बढ़ा है और यह जो बिल है, यह बिल सिर्फ उद्योग के लिये नहीं है, इसमें व्यापार के लिये भी और कई सेवाओं के लिये भी, इसके अंदर संशोधन लाये गये हैं क्योंकि सेवाएं देते समय तनावमुक्त माहौल बने, अच्छे माहौल में आदमी सेवा दे, परंतु उसे कहीं न कहीं कानून का डर भी रहे, परंतु जब अपराध की श्रेणी में लाते हैं, तो वह व्यक्त्िा भयमुक्त रहता है और उसका पूरा परिवार भयमुक्त रहता है और आम लोगों को जो पात्रता रखते हैं और किसी कारण से मानवीय भूल होती है, तो ऐसी भूलों को सुधार करना या उस पर अर्थदण्ड लगाकर समाज व्यवस्था को चलाना, यह भी शासन का कार्य है, तो मैं ऐसा मानता हूं कि इस बिल के माध्यम से जो सारे प्रावधान लाये गये हैं, वह सारे प्रावधान एक महत्व के हैं, क्योंकि जो आपने उल्लेख किया था नगर पालिका और नगर अधिनियम का अब उसमें शौचालय के बारे में भी उल्लेख इस वाले उपबंध में है, पूर्व में कमिश्नर के द्वारा पेनाल्टी लगाने का, क्योंकि कई जगह पर मकान में छोटे बड़े परिवर्तन भी होते हैं और वह मामला कोर्ट में जाता है, तो मालिक को बड़ी परेशानी होती है, इन सारे मामलों को देखते हुए आज इन सारे प्रावधानों को हमने करा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं रामेश्वर शर्मा जी व आशीष जी ने जो कहा है कि भयमुक्त वातावरण देना चाहिए, यह सबसे बड़ा कार्य शासन का होता है और शासन कम से कम भूमिका में रहे और समाज के अंदर हर तरीके के व्यक्ति जो सेवा दे रहे हैं, व्यापार कर रहे हैं या उद्यम कर रहे हैं, रोजगारों के अवसर बढ़ा रहे हैं, उनको अवसर मिले, क्योंकि मण्डी में व्यापार होता है, मण्डी के व्यापारी जब आगे बढ़ते हैं, तो निश्चित रूप से उनके मन में यह डर नहीं होना चाहिए, अगर कोई गलती हो भी जाती है और वह रजिस्टर्ड व्यापारी है, तो उसको आर्थिक दंड लगा दिया जाये, जिससे वह सचेत भी रहे और आगे भविष्य में वह व्यापार को सुचारू रूप से चलाये, तो इन सारे उपबंधों को लाते हुए पहले बिल के बाद वर्ष 2025 में हमने 12 विभागों में 20 अधिनियमों में परिवर्तन करा है और उसी के साथ में जो हमारे केंद्र सरकार के बिल के माध्यम से केंद्र अभी वापस से जन विश्वास बिल नंबर 2 के ऊपर भी विचार कर रहा है और उन्होंने करीब करीब 168 धाराओं और अधिनियम के 1100 से अधिक आपराधिक प्रावधानों की समीक्षा की है. मुझे उम्मीद है कि मध्यप्रदेश के अंदर जो यह शुरूआत हमने की है और मध्यप्रदेश सबसे पहला राज्य है, जिसने जन विश्वास उपबंधों का, 2024 पारित किया और अब हम 2025 को यहां पर हमने प्रस्तुत किया है तो गैर अपराधिकरण इसका मुख्य उद्देश्य है, अपराधिकरण या जो कोर्ट के मामले है वह कम हो और आर्थिक दंड के माध्यम से व्यक्ति को सचेत भी किया जाए और एक सुचारू व्यवस्थाएं व लोकहित के अंदर सारी व्यवस्थाएं लगे. हम मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमने पूरे देश के अंदर, विदेश के भी बड़े बड़े उद्योगपतियों के अंदर एक माहौल बनाया है कि मप्र में आए और निवेश करें, निवेश करने के लिए, अनुकूल माहौल बनाना, एक विश्वास पैदा करना और वहां पर ऐसी सुविधाएं हो और उन सुविधाओं के माध्यम से जो उद्योगपति कार्य करें तो भय मुक्त होकर के कार्य करें और इसके माध्यम से मध्यप्रदेश के विकास में हम आगे बढ़े, जो विषय थे आपके सामने रखे हैं और मैं चाहूंगा कि इसमें सभी सदस्य सहमत भी होंगे कि इस तरीके के परिवर्तनों के माध्यम से हम समाज के अंदर एक अच्छे शासन की छवि प्रस्तुत करें, इस बिल के ऊपर अब मैं चर्चा समाप्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश जन विश्वास(उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खंडों पर विचार होगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप, मंत्री (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम् उद्योग) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश जन विश्वास(उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश जन विश्वास(उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय - मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2025 एवं दूसरा मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिए विधिक सहायता तथा विधिक सलाह (निरसन) विधेयक, 2025 श्री गौतम टेटवाल जी दोनों विधेयक एक साथ प्रस्तुत करेंगे, चर्चा एक साथ होगी, पारित अलग अलग होंगे.
2:07 बजे (3) मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 17 सन् 2025)
राज्यमंत्री (श्री गौतम टेटवाल) – माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके आशीर्वाद से मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
(4) मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिए विधिक सहायता तथा विधिक सलाह (निरसन) विधेयक, 2025
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिए विधिक सहायता तथा विधिक सलाह (निरसन) विधेयक, 2025 विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ,
अब दोनों विधेयकों पर एक साथ चर्चा होगी. डॉ. हिरालाल अलावा.
डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर)—अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिये विधिक सहायता तथा विधिक सलाह निरसन विधेयक 2025 पर बोलने का अवसर दिया. आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि इस विधेयक पर अपनी बात रखते हुए कि मध्यप्रदेश विधिक सहायता तथा विधिक सलाह निशुल्क विधेयक, 2025 यह उन नागरिकों के लिये आशा की किरण है जो सामाजिक रूप से, आर्थिक रूप से और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं. अपने न्याय के लिये कहीं न कहीं, किसी न किसी परिस्थितिवश न्याय पाने में असमर्थ हैं. यह विधेयक एस.टी.एस.सी.ओ.बी.सी. वृद्ध महिला, बच्चों असंगठित क्षेत्र के मजदूरों और खासकर बी.पी.एल.कार्डधारी गरीबों के लिये महत्वपूर्ण है. मैं विधेयक के माध्यम से बताना चाहता हूं कि न्याय केवल सम्पन्न वर्गों का ही अधिकार नहीं है. यह एक बुनियादी मानव अधिकार है. इस विधेयक के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 39 (ए) में निहित संकल्प की पूर्ति की ओर अग्रसर करता है जो सभी नागरिकों को न्याय प्राप्ति का समान अवसर प्रदान करने की बात करता है. इस विधेयक के माध्यम से जो पूर्व विधेयक था 1976 को हम निरसन कर रहे हैं इसलिये कर रहे हैं, क्योंकि 1987 में केन्द्र ने जो नियम कानून बनाया है. उन कानूनों में निश्चित ही सुप्रीम कोर्ट की निगरानी और एक सशक्त कानून है. यह कानून अगर धरातल पर लागू होता है तो निश्चित ही इस कानून के माध्यम से गरीब, पिछड़ा वर्ग, अशिक्षित गरीब वर्गों को इसके माध्यम से इसका लाभ होगा. मैं इस विधेयक में निम्नलिखित सुझाव जोड़ने का आग्रह करता हूं. मेरे सुझाव इस प्रकार हैं कि जिला स्तर पर विधिक सहायता केन्द्रों की स्थापना अनिवार्य की जाये. जहां पर प्रशिक्षित अधिवक्ता उपलब्ध हों और पीड़ित व्यक्तियों को तुरंत मार्गदर्शन करें. इस अधिनियम के माध्यम से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, दिव्यांग एवं वृद्धजनों को प्राथमिकता के आधार पर विधिक सहायता मिले, ऐसा मेरा सुझाव है. इस अधिनियम के बारे में जनजागरूकता के लिये खासकर ग्रामीण इलाकों के लिये एक अभियान चलाया जाये ताकि ग्रामीणों को यह पता चल सके कि ऐसी व्यवस्था भी है कि उनके लिये निशुल्क वकील केस लड़ सकता है और न्यायालय में भी विशेष छूट मिल सकती है इस अधिनियम के तहत, लेकिन इसके लिये जनजागरूकता ग्रामीण इलाकों में खासकर आदिवासी इलाकों में बहुत कम है. किसानों को, गरीबों को, मजदूरों को, इस कानून के बारे में बहुत कम जानकारी है, तो इसका प्रचार प्रसार व्यापक स्तर पर होना चाहिये. विधिक सहायता का लाभ ले रहे लाभार्थियों की नियमित निगरानी हो और उसकी मूल्यांकन प्रणाली स्थापित की जाये ताकि इसके दुरूपयोग की संभावनाएं खत्म हों. प्रशिक्षण और संवेदनशील कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिये खासकर अधिवक्ताओं और कर्मचारियों के लिये अनिवार्य किया जाना चाहिये जिससे कि कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशील एवं सहानुभूति रहे. यह विधिक केवल कानून नहीं बल्कि के उस वर्ग के न्याय का एक माध्यम है जो वर्षों से चुप्पी और असाहय स्थिति में हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि यह जो मेरे सुझाव हैं इनको शामिल किया जाये और इस कानून का लाभ ज्यादा से ज्यादा गरीबों तक पहुंचे उसके बारे में जो भी मेरे सुझाव हैं इसका जमीनी स्तर पर इस कानून को लागू किया जाये और प्राधिकरण की कार्य-प्रणाली को पारदर्शी उत्तरदायी बनाया जाये, वकीलों की जवाबदेही तय हो और खराब प्रदर्शन करने वाले वकीलों के ऊपर कार्यवाही होनी चाहिये. इनके प्रदर्शन पर निगरानी रखी जाये. फीडबेक कार्य-प्रणाली लागू हो, लोक अदालतों को सशक्त बनाया जाये और ज्यादा से ज्यादा लोक अदालत लगाई जाये ताकि गरीब लोगों को लोक अदालतों के माध्यम से न्याय मिल सके. ग्रामीण इलाकों का विशेष ध्यान रखा जाये ताकि ग्रामीण इलाकों में जो अशिक्षित गरीब मजदूर, किसान वर्ग रहते हैं उनको इस न्याय का लाभ मिले, ऐसी मेरी अपेक्षा है. आपने मुझे बात रखने का अवसर दिया. मैं उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दिये गये सुझावों का शामिल किया जाये. प्रदेश के गरीब तथा किसान वर्ग को लाभ मिलेगा. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री फूलसिंह बरैया (भाण्डेर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिये विधिक सहायता तथा विधिक सलाह (निरसन) विधेयक, 2025 लाया गया है. इसमें कहा गया है कि केन्द्र सरकार द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 अधिनियमित किया गया था, अतएव केन्द्रीय अधिनियम के अस्तित्व में आ जाने के पश्चात् मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिये विधिक सहायता, विधिक सलाह अधिनियम, 1976 अनावश्यक हो गया है. अगर अनावश्यक हो गया है, तो सरकार को यह बात कानून बनने के लगभग 50 वर्ष बाद याद क्यों आयी ? इसके पहले भी तो अनावश्यक हो गया होगा.
अध्यक्ष महोदय, जब केन्द्र सरकार का कानून आया था, तभी उसी समय यह कानून अगर निरसन कर दिया जाता, तो इसमें षडयंत्र की बू नहीं आती. लेकिन 48 वर्ष बाद यह निरसन किया जा रहा है तो जो कमजोर वर्ग के लोग हैं उनके साथ कहीं न कहीं छलावा हो रहा है. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से इसके बारे में चाहूंगा कि वे अपने भाषण में इसके बारे में स्पष्टीकरण भी दें कि उनको लगभग 50 साल बाद याद क्यों आयी. यही नहीं, यह जो कानून है इसमें जो कमजोर वर्ग के लोग हैं इनको विधिक सहायता और विधिक सलाह के लिए अधिकारी माना गया है उसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचति जनजाति के सदस्य हैं. महिला और बालक भी हैं. उनसे बेगार करायी जाये और उनके साथ बडे़ भारी जुल्म हों, जैसे बहु विनाश जाति हिंसा, जाति अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूंकप, औद्योगिक संकट जैसी विसंगति के शिकार बन जायें, तो निश्चित रूप से इनके पास न ही विधिक सहायता है और न ही विधिक सलाह है. ये ऐसे तड़प-तड़प कर ही अपनी जीवनलीला को समाप्त कर लेंगे. कभी-कभी तो यह भी देखा गया है कि कमजोर वर्गों को किसी भी केस में उलझाकर जेल में डाल दिया जाता है. मैं एक बार जेल का दौरा करने के लिए गया था, तो उसमें देखा गया कि 80 परसेंट लोग इन्हीं वर्गों से हैं और जेल में पड़े हुए हैं. हमने पता भी किया कि इनका जुल्म क्या है, तो वे बोले कि कोई केस है. कोई उनकी जमानत ही कराने नहीं आए. उनको विधिक सलाह, विधिक सहायता की आवश्यकता है जो उन्हें नहीं मिली और उन्हें मुहैया नहीं करायी गई, तो वह जेल में ही पूरे जीवन पड़ा रहेगा. बहुत विषय हैं हालांकि राज्य सरकार अपना कानून 48-49 साल बाद खतम कर रही है और केन्द्र सरकार के द्वारा जो कानून बनाया गया है उस कानून की इन्हें मदद मिले, तो जब राज्य की मदद नहीं मिल पायी, तो केन्द्र सरकार की मदद कैसे मिलेगी. इसमें माननीय न्यायालय में अगर इसका कोई प्रकरण जाता है, तो प्राधिकरण वकील हायर करके और वकील का बकायदा भुगतान किया जाये. निम्न कोर्ट में 8-9 हजार रूपए की राशि है और उच्चतम न्यायालय के समक्ष अगर कोई जाएगा, तो 12 हजार रूपए की राशि वकील को दी जायेगी, जो इनके बारे में बहस करेंगे और उनको वहां से निकालने का काम करेंगे और यही नहीं, इसमें एक बड़ी बात और है कि जिन वर्गों के मैंने नाम लिये हैं, उन वर्गों के लिये स्पष्ट कानून बने हैं. उन कानूनों का कभी प्रचार नहीं किया जाता, न ही कभी इसका एडवरटाइज दिया जाता है कि यह लोग नहीं समझ पायेंगे कि यह कौन-सा कानून है. इस कानून को समझाने के लिए एक बड़ा एडवर्टाईज होना चाहिए, जो विभाग के द्वारा कभी नहीं होता है. आज तक नहीं हुआ है. जैसे मैं एक उदाहरण देना चाहूंगा कि कभी कोई अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति की नॉन अनुसूचित जाति, नॉन अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति ने उसकी हत्या कर दी तो सरकार उसे 8 लाख 25 हजार रुपये देती है, लेकिन उसके अलावा भी व्यवस्थाएं हैं. आज तक सरकार ने कभी भी यह प्रचार नहीं किया कि यह इन वर्गों को जो 8 लाख 25 हजार रुपये दिये जाते हैं इसके अलावा भी है, जैसे मृतक की विधवा के लिए पांच हजार रुपये पेंशन और पांच हजार रुपये अनुग्रह महंगाई भत्ता, दस हजार रुपये लगभग 6 माह तक देना चाहिए. आज तक पूरे मध्यप्रदेश में मैंने जगह-जगह जाकर बात की है, डीओ से पूछा है, कई जगह तो कलेक्टर्स से भी पूछा है, लेकिन वह कहते हैं कि ऐसा हमारे यहां कोई प्रावधान नहीं है. यही नहीं, अगर वह व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है तो उसको अनुकंपा की नौकरी मिलनी चाहिए, लेकिन अनुकंपा की नौकरी को भी खत्म कर दिया गया है. क्या सरकार इन वर्गों के प्रति संवेदनशील नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, उसकी जगह पर रोजगार लाए हैं लेकिन अभी तक इन्होंने रोजगार की परिभाषा स्पष्ट नहीं की है कि कैसा रोजगार है, क्या उससे झाड़ू लगवाएंगे, क्या कहीं सरकारी नौकरी देंगे? क्या लोन देकर रोजगार के लिए कहीं और भेजेंगे? अभी तक उन्होंने इस पर कहीं भी स्पष्टीकरण नहीं दिया है और उसमें आगे यह भी लिखा है कि अगर रोजगार सरकार नहीं दे पाती है तो उसे 2 एकड़ कृषि भूमि दी जाय. 2 एकड़ कृषि भूमि उसे दे देंगे तो अपना जो परिवार है, उसके पालक की जिसकी हत्या हो गई है तो वह परिवार पुनः खड़ा हो सकता है. यही नहीं, बच्चे जो अनाथ हो गये हैं उनकी शिक्षा अधूरी रह गई है छोटे छोटे बच्चे हैं तो उनकी स्नातक की शिक्षा की सरकार उसकी पूरी व्यवस्था करे, लेकिन अभी तक इसका कोई प्रचार नहीं है. स्कूल या आवासीय स्कूलों में दाखिला जो जिले में सबसे अच्छा स्कूल होगा, उसमें उसके बच्चों को दाखिला दिया जाएगा और जब तक बच्चे अपनी पूरी डिग्री न कर लेते हैं तब इसका खर्चा सरकार उठाएगी. यही नहीं, जब तक पीड़ित परिवार में उसकी महिला रोती रहती है, जब उसका पति खत्म हो जाता है, जब वह विधवा हो जाती है तो लगातार 4 महीने, 5 महीने तक रोती रहती है, ऐसी महिला जब वह रोती रहेगी तो उसके बच्चे क्या खाएंगे, उसके लिए सरकार बर्तन, गेहूं, चावल, दालें 3 माह तक देगी और उसकी मानिटरिंग कराएगी कि देखिए, इतने में इसके बच्चे अभी भूखे तो नहीं हैं. या अभी इसका कोई दुरुपयोग तो कोई नहीं कर रहा है. यह सरकार की जिम्मेदारी है. अगर किसी ने घर जला दिया है तो जले हुए घर को उसी जगह पर सरकार पुनः एक पक्का मकान बनाकर देगी. अगर जल्दी से बनाकर नहीं दे सकती है तो उन लोगों को उचित सुविधा जिसमें मिलती है तो उन लोगों के लिए मकान खरीदकर भी देना पड़ेगा, यह सरकार का कानून है. लेकिन आज तक यह बात अभी तक किसी को पता नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहूंगा कि बच्ची अगर नाबालिग है, अब उसकी शादी कौन करेगा तो सरकार ही उस बच्ची की शादी करे. न्यायालय में अगर यह पीड़ित जाता है तो विधिक सहायता और विधिक सलाह यह प्राधिकरण उनको दिलवाएगा और प्राधिकरण खुद मानिटरिंग कराएगा कि आप जाइए, उनकी प्रापर तरीके से सहायता हो रही है कि नहीं हो रही है.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहूंगा और आपके माध्यम से मंत्री जी से भी जानना चाहूंगा कि मैंने इतने बिन्दु आपके सामने रखे हैं. इसमें तीन विभागों का इन्वाल्वमेंट रहता है. एक तो कलेक्टर, दूसरा डी.ओ. और तीसरा है एस.पी. जब तक पुलिस पोस्ट मार्टम करा के और एफ.आई.आर. करके नहीं देगी, तब तक उसको किसी भी प्रकार की राहत राशि नहीं दी जायेगी, इसके लिये पुलिस भी जिम्मेदार है और कलेक्टर, यह सारी जिम्मेदारी कलेक्टर की है. कलेक्टर इसकी जांच कराये कि इसमें कौन-कौन दोषी हैं और तत्काल कौन से दिन हमें राहत राशि मिलनी चाहिये या तो उसका पोस्ट मार्टम होने के तत्काल बाद उसके घर में राहत राशि पहुंच जानी चाहिये. लेकिन उसमें प्रावधान है कि आठ लाख, पच्चीस हजार की जगह पर चार लाख, साढ़े बाहर हजार रूपये पोस्ट मार्टम के दिन ही पहुंच जाना चाहिये, लेकिन 6-6 महीने हो जाते हैं और कहीं- कहीं तो मैंने देखा है कि वह भूल ही गये और उसमें बीच में दलाल घूस गये तो वह डी.ओ. से मिलकर बीच में दलाली करके उस परिवार का पूरा सत्यानाश कर दिया तो राहत रशि मिलने में 6-6 महीने हो जाते हैं, जो आधी राशि रह जाती है वह राशि दी जानी चाहिये. जब चालान पेश होता है तो उसी दिन उसके घर पर दे देनी चाहिये. इसमें डी.ओ., जिसको जिला संयोजक कहते हैं. यह तीन विभाग इसमें इन्वाल्व हैं. वह तो हमेशा ही यह कहते रहते हैं कि जिला डी.ओ. कि हमारे पास पैसा नहीं है, बजट नहीं है या बजट था खत्म हो गया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इन कमजोर वर्गों के लिये कम से कम जिनके साथ नाइंसाफी होती है, जिसके मर्डर हो जाते हैं..
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय )- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है कि विधेयक के बहुत बाहर चर्चा हो रही है. इसमें आपने समय निश्चित किया है तो माननीय सदस्य विधेयक पर बोलें, बहुत वरिष्ठ हैं तो ज्यादा बेहतर होगा.
अध्यक्ष महोदय- ज्यादा तो बोला लेकिन अनुसूचित जाति से संबंधित और कमजोर वर्ग के लिये बोल रहे थे. अब आप कृपया पूरा करें.
श्री फूल सिंह बरैया- मैं बंद ही कर रहा हूं, पूरा क्यों करूं. मैं यह समझ गया कि अनुसूचित जाति, जनजाति के प्रति माननीय विजयवर्गीय जी का जो आब्जेक्शन है. इससे यह पता चलता है कि इनके दिल में कितनी एस.सी.एस.टी के प्रति संवेदना है.
अध्यक्ष महोदय- उनकी आपत्ति यह नहीं है.
(व्यवधान)
डॉ. चिंतामणि मालवीय- अध्यक्ष महोदय, विषय और तथ्यों पर बात होना चाहिये. यह विषय के बाहर बात कर रहे हैं. (व्यवधान)
श्री आशीष गोविंद शर्मा- पूरा इंदौर जानता है कि कैलाश जी ने इन वर्गों को ऊंचा उठाने के लिये कितना काम किया है.
अध्यक्ष महोदय- आप सब बैठ जाइये. राजेन्द्र जी कृपया बैठ जायें.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे- माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी ने संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते कहा है, क्योंकि वह विषय से भटक रहे थे और समय ज्यादा लग रहा था और भी सदस्य बोलना चाह रहे थे इसलिये उन्होंने इंटरफेयर किया.
अध्यक्ष महोदय- डॉ. राजेन्द्र जी, आशीष जी आप लोग बैठ जायें. माननीय विजयवर्गीय जी ने अनुसूचित जाति, जनजाति के मामले में कोई आपत्ति नहीं ली. समय और विषय, उतनी भर उनकी आपत्ति थी. इसलिये हमें क्लियर रहना चाहिये, ऐसी कोई आपत्ति नहीं थी.
श्री फूल सिंह बरैया- अध्यक्ष महोदय, मैं तो अपनी बात खत्म ही कर रहा था. मैंने तो आपके माध्यम से मेरा अनुरोध यह था कि यह बहुत संवेदलशील मुद्दा है. इसके ऊपर अकेला मध्यप्रदेश, भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया इसके ऊपर संवेदनशीलता में बिल्कुल चिंतित है. लेकिन हमारे सदन में देखिये, मैंने एक-दो नाम ले लिये तो कितने लोगों को बुरा लगा. इससे एस.सी.एस.टी. के बारे में इनकी मानसिकता गलत है. बाबा साहब अम्बेडकर ने चिंता भी जाहिर की थी कि डेमोक्रेसी तो आ जायेगी, लेकिन जरूरी नहीं है, इससे पता चल गया है कि डेमोक्रेसी आ जायेगी तो इन वर्गों का क्या होगा, यह चिंता बाबा साहब अम्बेडकर जी ने की थी. धन्यवाद. जय भीम, जय भारत.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि मैं विधान सभा के सात चुनाव के और एक चुनाव महापौर का लड़ा हूं. मैं कभी भी एक भी एस.सी.एस.टी पोलिंग पर हारा नहीं हूं.एक भी एससी,एसटी पोलिंग पर मैं कभी हारा नहीं हूं.हर बार जीता हूं. तो ये क्या मुझे प्रमाण पत्र देंगे. मेरे शहर की जनता मुझे प्रमाण पत्र देती है और इसलिये आप मुझे प्रमाण पत्र मत दीजिये. अपने गिरेबान में झांकिये जरा कि किस प्रकार आप लोग एससी,एसटी का (**) कर रहे हैं उनके नेता बनकर.
श्री उमंग सिंघार—अध्यक्ष जी, अब आप संसदीय कार्य मंत्री जी ने अभी हाल ही सदस्य जी के लिये टिप्पणी की, क्या वह विलोपित नहीं होना चाहिये. आप (**) कर रहे हैं, बोल रहे हैं. अभी आपने सुना है. इसको कृपया विलोपित करें. यह विलोपित होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- मेरी बात तो सुनिये. संसदीय कार्य मंत्री जी ने यह कहा कि मुझे आपसे प्रमाण पत्र नहीं चाहिये. मैं चुनाव लड़ता हूं और उन सारे वार्डों से जीतता हूं, जिनमें यह वर्ग रहते हैं. ठीक है ना. अगर शोषण जैसा कोई शब्द आया है, तो उसको विलोपित किया जाये.
डॉ. चिन्तामणि मालवीय (आलोट)—अध्यक्ष महोदय, आज जो आपने इस महत्वपूर्ण बिल मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिए विधिक सहायता तथा विधिक सलाह (निरसन) विधेयक, 2025 पर बोलने के लिए अवसर दिया है. एक मजबूत और निष्पक्ष न्याय प्रणाली किसी भी सभ्य समाज के लिये, किसी भी सभ्य राज्य के लिये बहुत आवश्यक होती है और कोई समाज, कोई देश कितना न्याय प्रिय, कितना लोकतांत्रिक है, यह उससे तय होता है कि उसकी न्याय प्रणाली कितनी सशक्त और पारदर्शी है. प्लेटो ने रिपब्लिक में कहा कि न्याय आत्मा और राज्य दोनों के सद्भाव की स्थिति है. जहां उन्होंने आत्मा कहा, व्यक्ति नहीं कहा. यानि लोगों के दिलों में सुकून न्याय के प्रति यदि हो, तो वह सबसे अच्छी, वह सबसे अच्छा राज्य हो सकता है, जहां लोग न्याय व्यवस्था से सुखी हों. मुझे लगता है कि यह जो आज का विधेयक है, यह उसी उद्देश्य की ओर है. स्वाभाविक रुप से सन् 1976 में एक विधेयक, जो मध्यप्रदेश की विधान सभा ने पास किया था और उसके बाद सन् 1987 में केंद्र सरकार ने एक विधेयक पास किया इसी संदर्भ का, इन्हीं तथ्यों का, इसी उद्देश्य को लेकर के. तो स्वाभाविक रुप से जब केंद्र ने ज्यादा व्यापक कोई कानून पास किया है, तो वह हमारे कानून, जो मध्यप्रदेश का कानून है, उसको ओव्हर लोपित करता है, उसको अधिलोपित करता है और ऐसी स्थिति में म.प्र. सरकार ने यह बहुत अच्छा निर्णय लिया कि ऐसे कानूनों का निरसन किया. यही काम मैं कहना चाहूंगा कि केंद्र सरकार ने बड़े पैमाने पर किया और करीब मोदी सरकार ने इतने समय बाद जो प्रश्न हमारे एक सदस्य कर रहे थे कि इतने साल में क्यों किया. आप देखिये कि मुझे लगता है कि जो नरेन्द्र मोदी जी की सरकार है, इतने सालों बाद पहली ऐसी सरकार है, जिन्होंने पुराने कानूनों का रिव्यू किया और करीब 1562 ऐसे कानून जो निष्क्रिय हो चुके थे. ऐसे कानून जिनका कोई औचित्य नहीं था. जो संदर्भ रहित थे. यानि ऐसे ऐसे कानून आप देखिये कि आंध्र प्रदेश में एक ऐसा कानून था कि यदि किसी इंस्पेक्टर के दांत चमकीले न हुए, तो उसे नौकरी से हटाया जा सकता है. तो यह कानून में था. यदि उसकी छाती पिचकी हुई है या घुटने मिले हुए हैं, तो उसको नौकरी से हटाया जा सकता है, यह कानून था. तो ऐसे अनेक जो कानून हैं, जो समय के साथ समीचीन नहीं हैं, ऐसे कानूनों को हटाना, उनको निरसित करना, यह एक सजीव और एक जो निरन्तर जीवंत न्याय व्यवस्था है या जीवंत कार्य प्रणाली है या जीवंत लोकतंत्र है, उसमें यह एक बहुत अनिवार्य अंग है. इसलिये मुझे लगता है कि इसकी पूरे सदन को एक मत से इसे पास करना चाहिये. क्योंकि समय गतिशील है और समय बहता है. जब समय बहता है, तो सब कुछ परिवर्तन होता है, तो निश्चित रुप से बाकी चीजें, कानून भी परिवर्तित होते रहना चाहिये, क्योंकि समाज में जटिलता आती रहती है. केवल इतना नहीं है. हम देखते हैं कि कानून का जो विषय है, अब इसमें हम इसके संदर्भों में जायें, इसके तथ्यों में जायें, तो एक बड़ी सक्षम व्यवस्था केंद्र सरकार ने बनाई है. जिन वर्गों की चिंता आदरणीय सदस्य कर रहे थे, उन्हीं वर्गों के संरक्षण के लिये, उन्हीं वर्गों को पोषित करने के लिये, उनको कानून में कोई तकलीफ न हो, यह केंद्र का लाया गया है 1987 का और वह ज्यादा उसको अपने में समेटता है. इसलिये दो-दो कानून नहीं होना चाहिये, क्योंकि किसी भी व्यवस्था में एकरूपता होना चाहिये, अगर दो कानून होंगे और आपस में टकरायेंगे तो यह लोकतंत्र के लिये अच्छी स्थिति नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कानून ऐसा होना चाहिये कि जो अपराधी है उसकी भी सुनवाई होकर के उसको सजा देना चाहिये. वह समाज सबसे अच्छा होता है जो हर व्यक्ति को सुने और उसके बाद में सजा निर्धारित करे. अभी एक संदर्भ भारत में चल रहा है एक भारतीय महिला मिनिषा प्रिया वह यमन में बंद है. यमन में उसको मौत की सजा दी गई है. चूंकि इससे जुड़ी यह बात है इसलिये मैं इसका संदर्भ दे रहा हूं कि उसको मौत की सजा इसलिये दी गई कि उसने एक यमनी व्यक्ति की हत्या कर दी और हत्या इस तरह हुई कि वह व्यक्ति इस महिला के साथ में जबर्दस्ती कर रहा था , उसका पास पोर्ट उसने छीन लिया था, वह उसके साथ में गलत कर रहा था ऐसी स्थिति में उसकी हत्या हो गई. हत्या होने के बाद चूंकि यमन का जो क्षेत्र है वह यहूदी के कब्जे में है ,इसलिये सरकार कूटनीतिक प्रयासों से बात नहीं कर पा रही है और इसलिये बार बार यह कहा जा रहा है कि एक मोलाना ने जान बचाई लेकिन उसमें 8 करोड़ रूपये जो रक्त व्यय है वह मांगा गया, ब्लड मनी मांगी गई कि भाई इसके लिये आप 8 करोड़ रूपये देंगे क्योंकि वहां पर कानून नाम की चीज नहीं है, वहां का कानून कहता है कि आंख के बदले आंख, हाथ के बदले हाथ और मौत के बदले मौत, यदि वहां पर भी हमारे यहां जैसी सभ्य व्यवस्था होती तो उस महिला को भी अपना पक्ष रखने का समय मिलता उससे भी कहा जाता कि तुमने किन परिस्थितियों के अंदर हत्या की, उसके गुण दोष पर बात होती लेकिन आज हम जो इस कानून को निरसित करने जा रहे हैं मुझे लगता है कि कमजोर वर्ग को हम और समर्थ करने जा रहे हैं और बलशाली करने जा रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात भी सही है कि बहुत सारे लोग जानकारी के अभाव में पीड़ित रहते हैं, कई समय तक बंद रहते हैं लेकिन जानकारी देना और जो बातें यहां पर कही गई हैं, ठीक है लेकिन एजेंडे के तहत कहना कि आप दलित विरोधी हैं और आप इसलिये हमारी बात का विरोध कर रहे हैं, पूरे सदन ने इनको शांति से सुना, पिनड्राप साइलेंट सदन था क्योंकि वह बोल रहे थे, वंचित वर्ग के लिये बोल रहे थे, लेकिन उसको उन्होंने दूषित कर दिया, उसे उन्होंने करप्ट कर दिया यह कहकर कि आप दलित विरोधी हैं.
अध्यक्ष महोदय- चिंतामणी जी आप अपनी बात करें. सदस्य का जवाब मत दो, आप अपनी बात कहें.
श्री फूलसिंह बरैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर से इस बात...
अध्यक्ष महोदय- फूल सिंह जी मैंने स्वयं ही कह दिया है. कृपया बैठें.
डॉ.चिन्तामणि मालवीय -- अध्यक्ष महोदय, अत्याचार निवारण समिति भी विभिन्न जिलों में है. इस समिति का अध्यक्ष पहले कोई दलित या अनुसूचित जनजाति का विधायक हुआ करता था, जिले की समिति का. पिछले कुछ समय से इस समिति का अध्यक्ष जिले के कलेक्टर को कर दिया गया है. ठीक बात है. कलेक्टर प्रशासनिक व्यवस्था का जिले का प्रमुख है, लेकिन यहां पर अध्यक्ष महोदय मैं केवल आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं क्योंकि इससे जुड़ा मामला है. जब जिले में अनुसूचित जाति या जनजाति का विधायक अत्याचार निवारण समिति का अध्यक्ष रहता है तो वह ज्यादा विषयों को जानता है, अभी बहुत समय से इसकी बैठक नहीं हो रही है और एक ओर चीज है कि इसमें प्रोटोकॉल टकराता है क्योंकि विधायक का जो प्रोटोकाल है वह चीफ सेकेट्री के ऊपर है, अब चीफ सेकेट्री के ऊपर के व्यक्ति की बैठक अगर कलेक्टर लेता है जो कि 37वें 38वें नंबर पर प्रोटोकाल मे आता है अगर वह लेगा तो टकराव की स्थिति निर्मित होती है कि चीफ सेकेट्री से ऊपर प्रोटोकाल में होने के बाद में नीचे के क्रम में आने वाला कलेक्टर कैसे बैठक ले रहा है. इसलिये अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि यह भी एक विसंगति है और इस तरह की विसंगतियों का निरसन भी इन कानूनों के साथ में होना चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिये विधिक सहायता तथा विधिक सलाह निरसन विधेयक 2025 का समर्थन करता हूं और सदन से भी यह अपेक्षा करता हूं कि इस विधेयक को सर्वानुमति से पारित करे.बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--श्री कमलेश्वर डोडियार जी, आप बोलना चाहते हैं क्या. कृपया 1 मिनिट में अपनी बात को समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर डोडियार(सैलाना) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज अत्याचार निवारण के संबंध में रतलाम जिले में बैठक चल रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय. 8 अगस्त, 2025 तक विधानसभा का सत्र चल रहा है, यह पूरे भारत को पता है लेकिन रतलाम के कलेक्टर बहुत महान हैं. अभी सदन में ही एक माननीय सदस्य ने कह दिया है कि प्रोटोकाल में हम लोग कहां पर हैं और कलेक्टर कहां पर है.
अध्यक्ष महोदय, आज रतलाम में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत रतलाम में बैठक चल रही है और हम लोग उसके सदस्य है. हमारी पीड़ा है और आपके माध्यम से हमारा सरकार से अनुरोध है कि इस प्रकार जिलों में कलेक्टर अगर ज्यादती करेगा , हमारा जो विशेषाधिकार है उसका हनन करेगा और अपने हिसाब से सब कुछ चीजें चलायेगा, अभी पूरे सदन में लंबे समय से कानून की बात चल रही है, भारत में संविधान का राज है, कानून का राज है तो हमारे रतलाम जिले के कलेक्टर क्या कर रहे हैं इसके ऊपर थोडा सा विचार किया जाये, क्योंकि कलेक्टर भी कानून से ऊपर नहीं है. कम से कम वह कानून के दायरे में रहकर के अपनी ड्यूटी को निभायें. अध्यक्ष जी आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री हरिशंकर खटीक -- अध्यक्ष महोदय, मुझे भी अवसर देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- हरिशंकर जी, इसमें आपका नाम नहीं था. इसके बाद वाले में बोल लेना. मेरे पास अकेले चिंतामणि जी का नाम था. डोडियार जी ने चूंकि उस समय हाथ उठा दिया था तो मैंने उनको बुलाया.
राज्यमंत्री, कौशल विकास एवं रोजगार (श्री गौतम टेटवाल) -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) बिल पर चर्चा की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप इसके बाद बोल लेना. मंत्री जी ने बोलना शुरू कर दिया है. इसके बाद 4 बिल अभी और हैं उन पर बोल लेंगे.
श्री गौतम टेटवाल -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) बिल पर अभी विपक्ष के साथियों द्वारा चर्चा की गई. यह संशोधन मुख्य रूप से माननीय उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश, जबलपुर खण्डपीठ के द्वारा दिनांक 21.04.2025 को पारित किया गया था. संजय कुमार पटेल बनाम मध्यप्रदेश राज्य के प्रकरण में यह पारित किया गया था. इसमें समिति का जो गठन किया गया है उसमें एक पद के साथ में किया गया है. व्यावसायिक विवादों के त्वरित निपटारे हेतु मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण में लंबित मामलों में शीघ्र सुनवाई हो सके एवं निपटारे सुनिश्चित करने हेतु स्वीकृत पदों पर शीघ्र नियुक्तियां करने हेतु समिति का गठन किया गया था. निम्नलिखित सदस्य इस समिति में होंगे- माननीय उच्च न्यायालय, मध्यप्रदेश के एक न्यायाधीश इस समिति में होंगे. मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन इस समिति में सदस्य रहेंगे. सचिव, विधि एवं विधायी कार्य, समिति में सदस्य रहेंगे. मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण तथा निर्माण विभाग सचिव, मध्यप्रदेश शासन इस समिति के सदस्य होंगे. समय-समय पर इस समिति के द्वारा व्यावसायिक विवादों के समय जो अधिक खर्च होता था, वह अधिक धन खर्च नहीं हो और निर्णय विलम्ब से न हो, पक्षकारों की आर्थिक एवं मानसिक हानि न हो बल्कि राज्य की व्यावसायिक साख और निवेश अनुकूल वातावरण में प्रतिकूल प्रभाव न डाले इसलिए यह विधि विधेयक लाया गया है.
अध्यक्ष महोदय, निर्धारित समय सीमा में वीडियोग्राफी के माध्यम से भी सुनवाई की जाएगी. माध्यस्थम् अधिकरण अधिनियम में 2 वर्ष, 6 माह के भीतर निर्णय देने के लिए अनिवार्य किया गया है, जबकि पूर्व में ऐसी कोई स्पष्ट समय सीमा निर्धारित नहीं थी. साथ ही इस कार्यवाही में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भी पक्षकार की सुनवाई की जा सकती है और इस प्रावधान के निर्णय की प्रक्रिया में पारदर्शिता, समयबद्धता एवं उत्तरदायित्व सुनिश्चित होगा जिससे ने केवल पक्षकारों को शीघ्र न्याय मिल सके बल्कि अधिकरण की कार्यप्रणाली भी अधिक प्रभावी और विश्वसनीय होगी. यह परिवर्तन हाल ही में पारित माध्यस्थम् सुलह संशोधन अधिनियम, 2019 के केन्द्रीय संशोधन के आलोक में किया गया है. राज्य की प्रतिस्पर्धा और निवेश यह संरचनात्मक सुधार मध्यप्रदेश के एक प्रतिस्पर्धी निवेश अनुकूल राज्य के रूप में विस्थापित करने में सहायक सिद्ध होगा जिससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक समूह राज्य में निवेश के लिए प्रेरित हो सकें.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा, मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्ग के लिए विधिक सहायता तथा विधिक सलाह (निरसन) विधेयक प्रस्तुत किया गया है. मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्ग के लिए विधिक सहायता तथा विधिक सलाहकार अधिनियम में मैं आपसे कहना चाहता हूं कि यह कमजोर वर्ग की बात हुई. मेरे साथियों सम्माननीय फूल सिंह बरैया जी ने, सम्माननीय हिरालाल अलावा जी ने और सम्माननीय हमारे डोडियार जी ने चर्चा की. मैं इस विधेयक के माध्यम से आपको बताना चाहूंगा कि कमजोर वर्ग में केवल अनुसूचित जाति या जनजाति के ही लोग नहीं होते, कमजोर वर्ग में प्रत्येक वर्ग का कमजोर व्यक्ति हो सकता है वह भले ही उच्च वर्ग का हो, वह भी कमजोर हो सकता है. यह विधेयक उच्च वर्ग के लिए भी वही कानून लागू करेगा जो अनुसूचित जाति, जनजाति या हमारे सामान्य वर्ग के लिए या जनजाति वर्ग के लिए होगा. माननीय बरैया जी ने बहुत अच्छे तरीके से बहुत अच्छी बात कही है. में उनका बहुत स्वागत करता हूं अभिनंदन करता हूं और अनुसूचित जाति वर्ग के लिए उनकी चिंता भी है और वे उस विषय में सोचते भी हैं. मैं एक बात आप सबसे कहना चाहता हूँ. माननीय संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय जी पर टिप्पणी की गई. मैं आपको और इस सदन को बताना चाहता हूँ मैं 20 वर्षों से जब से राजनीति कर रहा हूँ माननीय कैलाश जी अंबेडकर जी की जयंती पर और रविदास जी की जयंती पर उज्जैन में बड़ा कार्यक्रम करते हैं और माननीय कैलाश जी वहां पर उपस्थित होते हैं. कैलाश जी वहां पर गरीब वर्गों के लिए..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विषय से भटक रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, वो विषय समाप्त हो गया है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह इतना विचलित क्यों हो रहे हैं. इतना टेंशन क्यों ले रहे हैं.
श्री गौतम टेटवाल -- मैं विषय पर ही बोल रहा हूँ. बाल्मीक जी मैं विषय पर ही बोल रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- गौतम जी कानून पर रहो.
श्री महेश परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी तो ऐसे बता रहे हैं जैसे महापुरुषों की जयंती अभी मनाना शुरु हुई है. ऐसे बोल रहे हैं जैसे अभी 8-15 दिन, महीने-दो महीने में भाजपा ने चालू की है. अपने भाषण पर मंत्री जी थोड़ा ध्यान दो. (व्यवधान)
श्री गौतम टेटवाल -- वर्षों से चालू है.
श्री महेश परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ. मंत्री जी क्या बोल रहे हो, थोड़ा सा सोच-समझकर बात करो.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- महेश परमार जी बैठ जाएं, आगे आपको बोलना है.
श्री गौतम टेटवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सन् 1976 के अधिनियम के अन्तर्गत राज्य एवं जिला स्तर पर विधिक सहायता बोर्ड की स्थापना की गई थी. जबकि सन् 1987 के विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के लागू होने के पश्चात् इसकी व्यापक एवं प्रभावशीलता के कारण सन् 1976 का अधिनियम अप्रभावी हो गया है. सन् 1987 के अधिनियम के अन्तर्गत राष्ट्र, राज्य, जिला, तालुका स्तर पर विधिक सेवा प्राधिकरणों की सुदृढ़ संरचना स्थापित की गई. जिसकी निगरानी राष्ट्रीय स्तर पर भारत के उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम् न्यायाधीश होंगे. राज्य स्तर पर उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम् न्यायाधीश तथा जिला स्तर पर जिला न्यायालय के प्रधान जिला न्यायाधीश द्वारा की जाती है. इन प्राधिकरणों के माध्यम से केवल विधिक सहायता प्रदान की जा रही है. बल्कि विधिक साक्षरता एवं जनजागरुकता हेतु राज्य के दूरस्थ ग्रामों में विधिक शिविरों का आयोजन किया जाएगा. नियमित रुप से विधिक शिविरों का आयोजन किया जाएगा. वर्तमान परिदृश्य में 1976 का अधिनियम अप्रासंगिक एवं निष्प्रभावी हो चुका है. इसका उद्देश्य पूर्णत: 1987 के अन्तर्गत अधिनियम में समाहित हो चुका है तथा विधिक सहायता अब एक अधिक संगठित प्रभावशाली व्यापक व्यवस्था के अन्तर्गत दी जा रही है. इसके अतिरिक्त राज्य सरकार कमजोर वर्ग, महिलाएं एवं निरुद्ध बंदियों को निशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराएगी. इसके लिए एक अरब, तीन करोड़, 74 लाख 88 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की गई है और साथ में कमजोर वर्ग के उस व्यक्ति को.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक लाख, एक अरब यह फिगर समझ में नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय -- टेटवाल जी थोड़ा आराम से भी बोलो तो राशि कम नहीं होती है. (हंसी) आप आराम से बोलो. बहुत जोर से मत बोलो.
श्री गौतम टेटवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 103 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है.
श्री उमंग सिंघार -- अब तो सीधे नीचे आ गए, 100 करोड़ पर आ गए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- धीरे बोले तो सही राशि आ गई है. जैसे ही जोर बढ़ता है तो राशि बढ़ जाती है. (हंसी)
श्री गौतम टेटवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, साथ ही लीगल डिफेंस काउंसलिंग योजना के अन्तर्गत योग्य अधिवक्ताओं को मासिक मानदेय पर नियुक्ति कर समाज के कमजोर वर्ग को गुणवत्तापूर्वक विधिक सहायता प्रदान की जाएगी. कम से कम 30 हजार रुपए अधिकतम 1 लाख रुपए की फीस उस अधिवक्ता को दी जाएगी उस पीड़ित व्यक्ति के लिए. यह मध्यप्रदेश की सरकार है और इस मध्यप्रदेश की सरकार ने भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी के निर्देशानुसार जो हमने तय किया था कि इन कानूनों का उपयोग नहीं हो सकता. उन कानूनों को बदलने की आवश्यकता है और इसलिए यह कानून हमने बदले हैं. अत: वर्तमान परिस्थिति में सन् 1976 का अधिनियम अनावश्यक अनुपयोगी हो गया है. समाज के कमजोर वर्ग के हितों की पूर्ति एवं 1987 के केन्द्रीय अधिनियम के अंतर्गत कहीं अधिक प्रभावशाली ढंग से यह होगा. इस कारणवश राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्ग के लिए विधिक सहायता तथा विधिक सलाह (निरसन) विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि पुराने एवं अप्रासंगिक अधिनियम की विधिकता को निरस्त किया जा सके. धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने एक बात कही कि विधिक सलाह के शिविर हम ब्लॉक स्तर पर या ग्रामीण स्तर पर लगाएंगे. मंत्री जी साल में कितने शिविर लगेंगे बजट तो आप ले रहे हैं. कितने शिविर रहेंगे. ब्लाक स्तर पर रहेंगे, गांव स्तर पर रहेंगे, साल में कितने शिविर रहेंगे सदन को यह भी बता दें.
श्री गौतम टेटवाल-- नेता प्रतिपक्ष जी, यह शिविर लोक अदालत के माध्यम से लगाएंगे, उनका निराकरण किया जाएगा.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह सवाल है कि शिविर ग्रामीण स्तर पर लगेंगे या ब्लॉक स्तर पर लगेंगे. साल में कितने शिविर लगेंगे सिर्फ यह जानना चाह रहा हूं.
श्री गौतम टेटवाल-- सभी स्तर पर शिविर लगाए जाएंगे. मैं तो यह कहना चाहूंगा कि अधिकतम शिविर ब्लॉक स्तर पर लगेंगे.
श्री उमंग सिंघार-- शिविर बता दो कितने लगेंगे. अच्छा आप पूछकर बता देना बाद में.
अध्यक्ष महोदय-- गौतम जी, मैं समझता हूं कि कुल मिलाकर हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि अब हम शिविर की या किसी भी प्रकार की ऐसी बात करते हैं तो उस समय उन शिविरों का क्या स्तर होगा. जिला, विधान सभा, ब्लॉक, पंचायत तो यह अपने ध्यान में रहना चाहिए. मैं समझता हूं कि कानून पर, उसकी महत्ता पर आपने अपने विचार व्यक्त किये हैं, लेकिन मेरा अनुरोध होगा, मैं समझता हूं कि सरकार अनुसूचित जाति जनजाति तथा कमजोर वर्ग के उत्थान और कल्याण के लिए पूरी तरह दृढ़ संकल्पित है और इसलिए हम सभी लोगों की जिम्मेवारी है कि जब विधान सभा में कानून पर चर्चा हो या अन्य किसी नियम के अंतर्गत चर्चा हो रही हो तो जो विषय इन वर्गों से संबंधित सदस्यों के माध्यम से ध्यान में आते हैं तो उनको नोट करके उनका निराकरण करना अथवा आवश्यकता हो तो जैसे बरैया जी, चिन्तामणि जी ने अपने विचार व्यक्त किये इनके साथ बैठकर, बुलाकर हम लोगों को उस पर काम करना चाहिए जिससे कि निश्चित रूप से हमारे उद्देश्य की पूर्ति हो.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माध्यमस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय:- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
:- प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 16 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 16 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
श्री गौतम टेटवाल, राज्यमंत्री:- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
श्री गौतम टेटवाल, राज्यमंत्री:- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिए विधिक सहायता तथा विधिक सलाह (निरसन) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय- मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिए विधिक सहायता तथा विधिक सलाह (निरसन) विधेयक, पारित करने का आग्रह मंत्री जी पूर्व में ही कर चुके हैं
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिए विधिक सहायता तथा विधिक सलाह (निरसन) विधेयक, 2025 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(मेजों की थपथपाहट)
2.56 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
चार विधेयक एक साथ प्रस्तुत किये जाना
अध्यक्ष महोदय- माननीय वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री जी के चार विधेयक हैं, मैं, समझता हूं कि चारों को एक साथ वित्त मंत्री जी प्रस्तुत कर दें और उन पर एक साथ चर्चा करवाकर, पृथक-पृथक उसे पारित किया जायेगा.
(5) भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 7 सन् 2025)
उप मुख्यमंत्री, वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 7 सन् 2025) पर विचार किया जाए.
(6) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 8 सन् 2025)
उप मुख्यमंत्री, वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 8 सन् 2025) पर विचार किया जाए.
(7) रजिस्ट्रीकरण (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 9 सन् 2025)
उप मुख्यमंत्री, वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि रजिस्ट्रीकरण (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 9 सन् 2025) पर विचार किया जाए.
(8) भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 10 सन् 2025)
उप मुख्यमंत्री, वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 10 सन् 2025) पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- सभी प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब इन पर एक साथ चर्चा प्रारंभ होगी. बाला बच्चन जी.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश राज्य में लागू हुए भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 को और संशोधित करने हेतु जो विधेयक है, भारतीय स्टाम्प (क्रमांक 7 सन् 2025) इस पर मंत्री जी ने चर्चा रखी है. इससे संबंधित मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि यह संशोधन विधेयक सरकार की वित्तीय बदहाली को दर्शाता है. जनता की जेब खाली करवाने के लिए आप यह संशोधन विधेयक लेकर आये हैं. पहले जनता महंगाई से त्रस्त है मध्यप्रदेश में जनता परेशान है और यह संशोधन विधेयक उनकी जेब खाली करवायेगा, ऐसा मेरा मानना है. जिस तरह से मैंने इस संशोधन को पढ़ा है और मैंने जो समझा है तो मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं. सरकार का स्थापना व्यय बहुत ही बढ़ता जा रहा है और फिजूलखर्ची इतनी बढ़ रही है, जिससे सरकार की स्थिति बहुत बुरी तरह से चरमरा गई है, वित्तीय स्थिति बदहाल हो चुकी है और उसको सरकार व्यवस्थित नहीं कर पा रही है और उसके बाद फिजूलखर्ची पर भी रोक नहीं लगा पा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तरफ सरकार को इन सब पर अंकुश लगाना चाहिए, बजाय सरकार खर्च बढ़ाते जा रही है, स्थापना व्यय बढ़ता जा रहा है और इस कारण से प्रदेश की स्थिति ऐसी बनती जा रही है. मेरा यह मानना है कि स्टाम्प शुल्क बढ़ाकर जनता की जेब के ऊपर डाका डालने का काम यह संशोधन विधेयक करेगा. स्टाम्प संशोधन विधेयक, इस पर माननीय वित्त मंत्री जी आपको विचार करना चाहिए. आपका बजट से संबंधित जो प्रबन्धन है, वह मेरे हिसाब से व्यवस्थित नहीं है. अगर वह व्यवस्थित होता, तो मैं आगे बता रहा हूँ कि आप उसका जवाब दें, आप इस पर ध्यान दें. जब आप बोलें, तब आप उसका जवाब दें.
3.01 बजे
(सभापति महोदया (श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी) पीठासीन हुईं)
आदरणीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी और सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. अभी कुछ दिन पहले विधान सभा में कैग की रिपोर्ट आई है और उसमें स्पष्ट बताया गया है कि पिछले 5 वर्षों में लगभग 5,442 करोड़ रुपये की राशि लैप्स हो गई, जिस राशि को सरकारी व्यवस्थाओं पर खर्च करना था, सरकारी योजनाओं पर वह राशि खर्च न होते हुए राशि लैप्स हो गई. एक तरफ, आप इन्हीं कामों के लिए बजट मांगते हैं, बजट लेते हैं, योजनाओं के लिए आप एलोकेट करते हैं, पर वहां राशि खर्च नहीं कर पा रहे हैं, 5,442 करोड़ रुपये की राशि बहुत बड़ी राशि होती है, जो राशि लैप्स हुई है. आप इस पर ध्यान दें. जब आप बोलें तो इस बात का जवाब भी दें कि ऐसा क्यों कर रहे हैं ?
सभापति महोदया, दूसरी तरफ आप लगातार कर्ज ले रहे हैं, जैसा यह कहावत चरितार्थ होती जा रही है कि सरकार कर्ज लेकर घी पीने का काम कर रही है, वित्त मंत्री जी और मंत्रिमण्डल के मंत्रीगण आप उसका हिस्सा हैं कि आपने जो कर्ज लिया है, उस कर्ज के ब्याज की एक दिन की अदायगी, जो मैंने समझा है, वह लगभग 80 करोड़ रुपये प्रतिदिन है. आप इतना कर्ज लेकर एक दिन का ब्याज, जो लगभग 80 करोड़ रुपये भर रहे हैं, एक तरफ आप कर्ज लेते जा रहे हैं और दूसरी तरफ आप राशि लैप्स कराते जा रहे हैं तो इसलिए मैंने यह बात कही है कि आपका बजट का जो प्रबन्धन है, वह आपका ठीक ढंग से नहीं है, आप उसको व्यवस्थित करें. दूसरी बात, जहां आपको टैक्स वसूलना है, जैसे मैंने अभी मोटरयान कराधान संशोधन विधेयक पर भी अपनी बात को कोट किया था.
सभापति महोदया, मेरा अभी दिनांक 30 जुलाई को एक प्रश्न था. प्रश्न क्रमांक 1247 था, मैंने उस पर यह पूछा था कि मोटर वाहनयान से संबंधित टैक्स, सरकार को लेना कितना बाकी है, तो केवल चार संभाग- इन्दौर, जबलपुर, ग्वालियर और भोपाल में लगभग-लगभग सरकार को जो टैक्स लेना था, वह करीब 2,474 करोड़ रुपये चार संभाग का लेना है और यह दिनांक 30 जून, 2025 तक की स्थिति थी. आप एक तरफ टैक्स नहीं ले पा रहे हैं. भारत सरकार से मध्यप्रदेश का जो करों का हिस्सा है, वह आप नहीं ले पा रहे हैं. आप बजट का प्रबन्धन करते हैं, आप उसको ठीक ढंग से खर्च नहीं कर पा रहे हैं और उसके बाद जनता के ऊपर, जनता की जेब खाली कराने के लिए यह जो स्टाम्प संशोधन विधेयक लाये हैं, मेरे हिसाब से यह जो कर्ज आपने लिया है, उसके ब्याज की अदायगी के लिए, मैं समझता हूँ कि यह बोझरूपी संशोधन विधेयक है और इसमें जो कमियां हैं, मैं उसको उजागर करना चाह रहा हूँ कि आपने संशोधन विधेयक के बिन्दु क्रमांक 3 के अंतर्गत कण्डिका 1 के तहत सामान्य शपथ पत्र जो अभी तक 50 रुपये का आता था, उसको आपने 200 रुपये का कर दिया है और यह सामान्य शपथ पत्र कहां उपयोग में आता है ? मैं समझता हूँ कि कमजोर और मध्यम वर्ग के लोग इसका उपयोग करते हैं और यह स्कूल, नगरीय निकाय, किरायानामा और छोटे अन्य कार्यों में इसका उपयोग होता है और गरीब तथा मध्यम वर्गों के लिए उपयोग होता है और 50 रुपये की जगह, आप उसे 200 रुपये करने जा रहे हैं, आप लगभग 4 गुना स्टाम्प शुल्क और इससे संबंधित राशि जो आप बढ़ा रहे हैं, मैं समझता हूँ कि वह मध्यप्रदेश के हित में नहीं है, यह मध्यप्रदेश के अहित में है, इस पर आप विचार करें.
सभापति महोदया, दूसरा, इसी संशोधन विधेयक में बिन्दु क्रमाक 3 की कण्डिका 2 के अनुच्छेद 6 (1) के तहत जब संपत्ति का कब्जा नहीं दिया जाता है, इसका स्टाम्प शुल्क वर्तमान में एक हजार रुपये है, इसको आप बढ़ाकर पांच हजार रुपये कर रहे हैं, यह भी मैं समझता हूँ कि यह जो किरायानाम है, मकानों में, दुकानों में, कृषि भूमि से संबंधित कामों में आता है और एक हजार रुपये की जगह आप उसे पांच हजार रुपये कर रहे हैं. माननीय वित्त मंत्री जी, इस पर मैं समझता हूँ कि प्रदेश की जनता के ऊपर इससे संबंधित जुड़े हुए लोगों पर एक बोझ के समान होगा. यहां, मैं बैठे हुए हमारे सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथियों तथा मंत्रियों को भी सुनता हूँ और वे किसानों के हमदर्द होने की बात कहते हैं. लेकिन इस तरह के संशोधन विधेयक लाकर जनता की जेब खाली कराने का काम करते हैं. इस पर एक शब्द भी आप नहीं कहते हैं. यह दुर्भाग्य की बात है और मैं समझता हूँ कि मध्यप्रदेश के हित में यह नहीं है. माननीय सभापति महोदया, इससे संबंधित एक और तीसरा प्वॉइन्ट है, बिंदु 3, इसी तरह कण्डिका 2 के अनुच्छेद 6 के बिंदु 2 के भाग 1 में संविदा मूल्य के 50 लाख रुपये तक का स्टॉम्प शुल्क अभी 500 रुपये में मिलता था, उसको आप लोग 1,000 रुपये करने जा रहे हैं. इसके भाग 2 में 50 लाख रुपये से अधिक संविदा मूल्य पर 0.1 प्रतिशत की जगह 0.2 प्रतिशत आपने जो कर दिया है, तो चारों, पांचों जगह और सभी जगह आप जबरदस्त स्टॉम्प शुल्क बढ़ाते जा रहे हैं. यह मेरे हिसाब से प्रदेश के हित में बिल्कुल भी नहीं है.
माननीय सभापति महोदया, चौथा जो प्वॉइन्ट है, बिंदु क्रमांक 3 का ही है, यह कण्डिका 5 के अनुच्छेद 38 में खनन पट्टों पर जो शुल्क है, 1.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.00 प्रतिशत करने का जो प्रावधान आप कर रहे हैं. सरकार एक तरह से प्रदेश के लोगों की जेबों पर डाका डालने का कार्य कर रही है. माननीय वित्त मंत्री जी, इस बात पर आप ध्यान दें. मेरे हिसाब से आपको यह संशोधन विधेयक वापस लेना चाहिए. प्रदेश के हित में यह नहीं है.
सभापति महोदया, पांचवां बिंदु इसका है, वसीयत, जो कि सामान्य पारिवारिक व्यवहार में काम में आता है. इसको भी आप 1,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये कर रहे हैं. माननीय वित्त मंत्री जी, इस तरह से आपने लगभग-लगभग 23 बिंदुओं पर शुल्क बढ़ाने का काम किया है. आपने जो चुनावी वादा किया था, मध्यप्रदेश में जो वर्ष 2023 में चुनाव हुआ था, तो मध्यप्रदेश की जनता से आपने वादा किया था, वह मैं समझता हूँ कि 23 बिंदुओं पर आपने शुल्क बढ़ाया है और मध्यप्रदेश की जनता को आप इस दृष्टिकोण से चूना लगाने का काम कर रहे हैं. यह प्रदेश की जनता के साथ धोखा और छलावा है. आप जब बोलें तो इसको भी स्पष्ट करें या तो फिर आप इस संशोधन विधेयक को वापस लें.
माननीय सभापति महोदया, ये संशोधन विधेयक पूरी तरह से जनविरोधी है. सरकारी तंत्र को आपको कसना चाहिए. बजट मैनेजमेंट को ठीक ढंग से आपने देखना चाहिए और मॉनिटरिंग सही ढंग से करनी चाहिए. जो राशि लैप्स होती है, कर की जो वसूली नहीं हो पाती है, चारों तरफ से प्रदेशवासियों को इसकी मार पड़ रही है. यह प्रदेश की जनता को सहन करना पड़ता है. झेलना पड़ता है. जब आप अपना जवाब दें, तब आर्थिक तंत्र को ठीक ढंग से लागू करने पर बात करें. कसावट करें. इसमें आप सुधार करें. मेरे हिसाब से जितनी कमियां और खामियां मैंने बताई है, उनको आप कम करें या फिर इस संशोधन विधेयक को आप वापस लें क्योंकि यह पूरी तरह से जनता के ऊपर थोंपा हुआ और जनता की जेब खाली कराने वाला संशोधन विधेयक है. मेरा इस पर पुरजोर विरोध है. इस जनविरोधी संशोधन विधेयक को आप वापस लें, यही मेरा आपसे आग्रह है. आपने मुझे वक्त दिया, इसके लिए धन्यवाद.
सभापति महोदया -- डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदया, एक मिनट, चारों विधेयक एक साथ पुट अप हुए हैं ?
सभापति महोदया -- जी हां, एक साथ पुट अप हुए हैं.
श्री बाला बच्चन -- माननीय सभापति महोदया, मुझे रजिस्ट्रिकरण (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 पर भी बोलना था तो मैं इस विधेयक पर भी बोल देता हूँ.
सभापति महोदया, माननीय वित्त मंत्री जी, आपने चार संशोधन विधेयक एक साथ पुट अप किए हैं तो रजिस्ट्री से संबंधित भी कुछ बातें मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूँ. यह संशोधन विधेयक, इसके जो उपाबंध होते हैं, उपाबंध में प्रचलित जो धाराएं होती हैं, वे धाराएं हैं ही नहीं. आपने कम्प्लीट विधेयक पुट अप ही नहीं किया है. मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूँ कि धारा 17 के उपाबंध का आप जिक्र कर रहे हैं, लेकिन इसकी उपधारा 2 में उपाबंध है ही नहीं. हम उन धाराओं को कहां से पढ़ेंगे जो वर्तमान में प्रचलित धाराएं हैं. बिंदु क्रमांक 3 का आपने जो उल्लेख किया है तो रजिस्ट्री से संबंधित फुलप्रूफ और कम्प्लीट विधेयक आप पुट अप करें तो हम उसको पढ़कर, समझकर उस पर बोल सकेंगे. वर्तमान की प्रचलित धाराएं जो हैं, इसका उल्लेख उपाबंध में नहीं है. धारा 17 का उपाबंध में जिक्र नहीं है. इसी तरह से आपने बिंदु 4 में धारा 80(ख) का उपाबंध गायब किया है और आप उसमें 80(ग) जोड़ रहे हैं. जब 80(ख) है ही नहीं, तो हम 80(ग) को कहां से पढ़कर उसमें उसका प्रावधान कराने की बात करेंगे.
सभापति महोदया, जब माननीय वित्त मंत्री बोलें, आपने उपाबंध में इसको रखा नहीं, प्रचलित धाराओं का उल्लेख नहीं है तो हम उसको कहां से पढ़कर बोलेंगे और बताएंगे. आप इनकम्प्लीट संशोधन विधेयक लाए हैं, जब आप बोलें तो इस बात को आप बताएं. आगे, मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूँ कि सरकार केवल कर वसूलने और कर को बढ़ाने पर ही केन्द्रित है. लेकिन रजिस्ट्री से संबंधित जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए, जो व्यावहारिक दिक्कतें हैं, उन दिक्कतों को खत्म करना चाहिए. जैसे हम लोग एकदम इन्टिरियर से, ट्राइबल एरिया से, दूर-दराज के एरिए से आते हैं, वहां आपका रजिस्ट्री से संबंधित सर्वर डाऊन हो जाता है. रजिस्ट्री कराने में लोगों को 4-4, 5-5 दिन, एक-एक सप्ताह लग जाता है. व्यावहारिक दिक्कतों को आप ठीक ढंग से कंट्रोल करें, जिससे कि रजिस्ट्री समय पर हुआ करे. पहले ठीक ढंग से और समय पर रजिस्ट्रियां होती थीं, अब समय पर रजिस्ट्रियां होनी बंद हो चुकी हैं. ऐसे, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मेरे राजपुर विधान सभा क्षेत्र में, सभापति महोदया, मैं समझता हूँ कि जहां से आप आती हैं, बहुत से हमारे विधायक साथी मध्यप्रदेश के दूर-दराज से और इन्टिरियर से और ट्राइबल एरिया से आते हैं. वहां पर सर्वर डाउन की बहुत समस्याएं हैं इसलिये इससे संबंधित दस्तावेज लोड भी नहीं हो पाते हैं और दिक्कतें होती हैं तो इस व्यवहारिक दिक्कत को खत्म करें और फर्जी रजिस्ट्रियां बहुत हो रही हैं कुछ दिन पहले इन्दौर में एक बहुत बड़ा रजिस्ट्री से संबंधित चोरी वाला मामला आया था.सरकार के टैक्स की चोरी हो रही है राजस्व कम प्राप्त हो रहा है इस पर आप ध्यान दें. मेरी राजपुर विधान सभा क्षेत्र के बघाड़ी गांव में नकली लोग खड़े करके रजिस्ट्री कराने का काम कर लिया और लगभग 50 आदिवासी परिवार के लोग जिनका कई सालों से जमीन पर कब्जा था फर्जी लोगों को खड़ा करके रजिस्ट्री करा दी गई है मैं समझता हूं कि यह तो उदाहरण है ऐसा पूरे मध्यप्रदेश में हो रहा है तो जब भी वित्त मंत्री जी जवाब दें तो इनको फुल फिल करें कंपलीट करें और फुल प्रूफ आपका संशोधन विधेयक हो जाए तो ज्यादा अच्छा होगा नहीं तो इसमें उपबंध में वर्तमान में प्रचलित दरों का भी प्रावधान नहीं है हम उसको पढ़ भी नहीं पाए हैं. इसको स्पष्ट करें. धन्यवाद.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय(जावरा) - माननीय सभापति महोदया, मै स्वागत करता हूं सरकार का और माननीय मंत्री जी का जिन्होंने जटिल प्रक्रिया को आसान और सुगम बनाने का काम किया है. प्रक्रिया का कैसे सरलीकरण हो. दस्तावेज कैसे आसानी से संबंधित कार्यालय तक पहुंच जाएं. पक्षकार का नुकसान न हो और उस पक्षकार को इधर-उधर चक्कर न खाना पड़े. पक्षकार के मन में किसी प्रकार का असंतोष है अगर वह चाहता है कि वह किसी प्रकार की आपत्ति करे तो उसे अपना पक्ष रखने का आपत्ति करने का भी इसमें औचित्य प्रदान किया गया है. कुल मिलाकर के विगत वर्षों से जो नियम कानून लागू हैं उनका सरलीकरण कैसे किया जासके उसमें कैसे सरलता लाई जा सके कैसे पक्षकारों को अधिक सुविधाएं मिल सके और उसमें पारदर्शिता रहे अगर किसी प्रकार की आपत्ति है तो संबंधित कार्यालय में आपत्ति कर सके. इस तरह के संशोधन भिन्न-भिन्न विषयों में लाये गये हैं और उन विषयों की जो कार्य पद्धति है कार्य प्रणाली है उसमें वह सुगमता सरलाता लाने वाले हैं इसमें कहीं किसी प्रकार की जटिलता आने वाली है और न बहुत अधिक राशि लगने का प्रावधान संभावित है न कहीं बहुत अधिक राशि पक्षकारों को चुकानी पड़ेगी वैसी स्थिति है यह सब माननीय मंत्री जी विस्तार से ब ताएंगे. मैं बताना चाहता हूं कि संपत्ति बंधक रखकर ऋण लेने के मामले निश्चित तौर से आम आदमी की आवश्यक्ता होती है और इसके लिये बैंक में बंधक पत्र माडगेज रखता है. संपत्ति बंधक रख दी उसने समय-समय पर अपने ऋण का भुगतान किया जब वह बंधक मुक्त हुआ ऋण को चुकाने के बाद में तो उसे बैंक के द्वारा एक दस्तावेज दिया जाता है उस दस्तावेज को इस रजिस्ट्रेशन की भाषा में बंधक मोचन दस्तावेज कहा जाता है लेकिन उस संबंधित व्यक्ति को रजिस्ट्रार कार्यालय जाये बिना पंजीयन कार्यालय जाये बिना प्राप्त नहीं होता जब तक कि बैंक अधिकारी और वह संबंधित पक्षकार रजिस्ट्रार कार्यालय पर जाकर फिर से पंजीयन करवाए उस बंधक से मुक्त होने का बंधक मोचन प्रमाणपत्र का और उसके बाद उससे वह मुक्त होता था.
माननीय सभापति महोदय, इसमें यह जो संशोधन लाया गया है कि अब पक्षकार बैंक में अगर बकाया ऋण पूरा भुगतान कर देता है, उसका पूरा भुगतान हो जाता है तो संबंधित बैंक अधिकारी वहीं पर दस्तावेज को तैयार कर ले उसे पक्षकार को और बैंक अधिकारी को दोनों को संयुक्त रूप से रजिस्ट्रार कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं है, यह दोनों वहां पर जाने के लिये बाध्य नहीं हैं. इसमें स्वेच्छिक भी दिया गया है, वैकल्पिक व्यवस्था भी दी गई है कि यदि संबंधित पक्षकार वहां जाना चाहे तो वह जा सकता है और पंजीयन करा सकता है. लेकिन उन दोनों को साथ-साथ जाने की जो बाध्यता थी उसे शिथिलता दी गई, उसका सरलीकरण किया गया.
माननीय सभापति महोदय, दूसरा अनेक ऐसे दस्तावेज होते हैं जिनकी संबंधित विभागों में फाइलिंग होती है. विभिन्न संस्थायें, विभिन्न व्यवस्थायें अपने-अपने दस्तावेजों की फाइलिंग करती है और वह फाइलिंग सुनिश्चित करती है कि वह तत्समय इस तरह का अनुबंध, इस तरह का दस्तावेज तैयार किया गया था और वह दस्तावेज फाइलिंग के माध्यम से हमारे पास में उपलब्ध है. यह जो बंधक मोचन का जो पत्र है जिसका पंजीयन कार्यालय में जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होता था दोनों पक्षों को साथ में जाना होता था, इसके साथ-साथ में इस फाइलिंग को भी जोड़ा गया है सरलीकरण करते हुये कि अब बैंक के द्वारा जो पत्र भेजा जायेगा बंधक से मुक्त होने का, वह रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंच जायेगा और रजिस्ट्रार कार्यालय में उसे फाइलिंग में ले लिया जायेगा, वह पंजीयन कार्यालय में फाइलिंग के रूप में क्रमानुसार जो उनकी सूचीबद्ध फाइलिंग करने की स्थिति रहती है, उसे फाइल किया जायेगा जो कि वहां पर उपलब्ध रहेगा, वह पक्षकार भी उसका उपयोग कर सकता है, बैंक अधिकारी भी अगर आगामी समय में आवश्यकता हो तो उसका उपयोग किया जा सकता है. यह तो एक तरह से सरलीकरण का कार्य किया गया है. बार-बार बैंक अधिकारी और पक्षकार को वहां पर जाने की आवश्यकता न हो और उसका दस्तावेज भी वहां पर फाइलिंग में आ जाये.
माननीय सभापति जी, तीसरा जब पंजीयन के लिये आप, हम सभी जानते हैं, अभी उल्लेख भी आया 100 रूपये से अधिक की अचल सम्पत्ति उस पर स्टॉम्प शुल्क के रेवेन्यू की व्यवस्था रहती है लगभग जो मेरी जानकारी में है, 100 रूपये से अधिक की अचल सम्पत्ति पर करते हैं. अब इसमें सरलीकरण किया जा रहा है कि पहले पंजीयन शुल्क भी और स्टाम्प शुल्क भी, लेकिन स्टाम्प शुल्क के बारे में तो अपील की जा सकती थी कि कम या ज्यादा या उसकी राशि में कहीं अंतर या राशि में किसी प्रकार की कोई विसंगति है तो वह जिला पंजीयन कार्यालय तक पहुंच जाता था और वहां पर आपत्ति के माध्यम से उस पर पुनर्विचार करके किया जा सकता था. यह स्टाम्प के बारे में, स्टाम्प ड्यूटी के बारे में तो था किंतु जो पंजीयन शुल्क है उस पंजीयन शुल्क के बारे में कहीं किसी प्रकार का उल्लेख नहीं था. माननीय सभापति महोदय, जब किसी भी दस्तावेज का रजिस्ट्रेशन किया जाता है तो उसके पंजीयन शुल्क और स्टाम्प शुल्क दोनों के बारे में निर्णय किया जाता है. अब अगर कोई पक्षकार असंतोष है और वह अपील में जाता है, जिला पंजीयन अधिकारी निर्णय करने के लिये जब बैठता है तो वह स्टाम्प के बारे में तो निश्चित रूप से उसमें सुविधा दी गई थी पूर्ववर्ती धारा में, लेकिन पंजीयन के बारे में किसी प्रकार की कोई धारा का उल्लेख नहीं था, अब निर्णय दोनों एक साथ-साथ करना है जिला पंजीयन अधिकारी को और एक विसंगति आ रही है इसलिये पंजीयन शुल्क को भी धारा 80(ग) के माध्यम से जोड़ते हुये यह प्रयास किया गया है कि जब अपील की जाये तो दोनों शुल्कों का निराकरण साथ-साथ में किया जा सके तो कुलमिलाकर के माननीय सभापति महोदया, यह प्रक्रिया का एक नियम की आगामी सुगमता का, सरलता का मार्ग प्रशस्त करने वाला निश्चित रूप से कार्य किया जा रहा है. मैं इसका समर्थन करता हूं और माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. माननीय सभापति महोदया, आपने बोलने का समय दिया. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री राजन मण्डलोई(बड़वानी) -- माननीय सभापति महोदया,मैं भारतीय स्टाम्प(मध्यप्रदेश संशोधन)विधेयक, 2025 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. क्योंकि इसके माध्यम से सरकार द्वारा भारतीय स्टाम्प शुल्क अधिनियम की अनुसूची के विभिन्न अनुच्छेदों में संशोधन कर अत्यधिक शुल्क वृद्धि की गई है, जो लगभग वर्तमान से चार गुना से ज्यादा होने जा रही है.
सभापति महोदया, सरकार द्वारा राजस्व वृद्धि के लिये हम आमजनों पर खासकर मध्यम वर्गीय और गरीब व्यक्तियों के उपयोग में आने वाले दस्तावेजों पर अत्यधिक स्टाम्प शुल्क अधिरोपित किया जा रहा है. जनता पर कर वृद्धि कर उनको कर्ज में जाने के लिये मजबूर किया जा रहा है. अब सरकारी दस्तावेजों की खानापूर्ति के लिये कागजी कार्यवाही अत्यंत मंहगी होने जा रही है. मध्यप्रदेश में इससे पहले भी सरकारें कई बार स्टाम्प ड्यूटी में संशोधन करके इसे बढ़ाती रहीं हैं और अब स्टाम्प ड्यूटी में आप कोई भी भूमि या कोई भी बिक्री इकरारनामा तस्दीक कराने जायेंगे, तो उसमें स्टाम्प ड्यूटी लगभग साढ़े नौ प्रतिशत से ऊपर हो जायेगी और साथ में पंजीयन शुल्क के रूप में तीन प्रतिशत अतिरिक्त रहेगा और उसमें मार्केट सर्कल रेट भी देखा जायेगा.
सभापति महोदया, अभी सरकार ने जो यह रजिस्ट्री सुधार के अंदर जैसे रजिस्ट्री कराते समय कुछ गलती हो गई तो उसमें सुधार के लिये भी जो पहले राशि थी, अब उसकी पांच गुना से अधिक राशि अभी वर्तमान में देना होगी. ऐसे ही कब्जारहित अचल संपत्ति खरीदने के लिये जो कोई अनुबंध करता है, तो उसमें पहले एक हजार रूपये के स्टाम्प पर एग्रीमेंट हो जाता था, अब उसको पांच हजार रूपये का स्टाम्प लगेगा.
सभापति महोदया, अब कोई अनुबंध जो पचास लाख रूपये से अधिक है तो संपत्ति मूल्य का .02 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी उसको देना होगी, यह कब्जा रहित वाली है. इसमें कन्वेंस डीड में भी पहले एक हजार रूपये होते थे, लेकिन अब वह एक हजार रूपये के बदले पांच हजार रूपये होगी. ट्रस्ट की संपत्ति के मामले में भी एक हजार रूपये से बढ़कर पांच हजार रूपये हो जायेगी.
सभापति महोदया, हमारे कई किसान लोग जो बंदूकों का लाईसेंस रखते हैं, तो पिस्टल या बंदूक की जो फीस है, वह पांच हजार रूपये से बढ़ाकर दस हजार रूपये कर दी है और जो पुरानी बंदूकें हैं, यदि आप उनका नवीनीकरण कराने जायेंगे, तो उसमें जो पहले दो हजार रूपये नवीनीकरण शुल्क लगता था, उसके भी पहले तो यह पांच सौ रूपये था, फिर बाद में दो हजार रूपये हो गया और अब सरकार इसको दो हजार रूपये से बढ़ाकर पांच हजार रूपये करने जा रही है.
सभापति महोदया, खनिज लीज के जो पट्टे हैं, उसमें भी 1.2 से दो प्रतिशत सरकार बढ़ाने जा रही है और खासकर जो सबसे बड़ी कठिनाई आने वाली है, जो शपथ पत्र एक ऐसा दस्तावेज है, जो हर जगह अनिवार्य रूप से लगता है. आप कहीं भी किसी भी विभाग में कोई भी काम कराने जायेंगे, तो आपसे शपथ पत्र जरूर लिया जायेगा तो शपथ पत्र का शुल्क पचास रूपये था, उसको बढ़ाकर दो सौ रूपये कर रहे हैं, यह शपथ पत्र आपको आप बिजली कनेक्शन लेने जाओ, नल कनेक्शन लेने जाओ, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, निवासी प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने कहीं पर भी किसी भी विभाग में जाओ, तो आपको अनिवार्य रूप से शपथ पत्र देना होता है, इस प्रकार से पहले जो स्टाम्प पर पचास रूपये में शपथ पत्र तैयार होता था, अब उसकी जगह दो सौ रूपये लगेंगे.
सभापति महोदया, इसके अलावा आप देखेंगे तो आजकल न्यायालय के अंदर कोई भी किसी भी अपराध में कोई मामला दर्ज होता है, तो उसकी जमानत के लिये जब आप कोर्ट में जाओगे तो जमानत के साथ में जो जमानतदार का शपथ पत्र लिया जाता है, वह भी तस्दीक करने के लिये पहले पचास रूपये का स्टाम्प लगता था, अब इसमें सीधा दो सौ रूपये लग जायेगा. सभापति महोदया, इस तरह से प्रतिदिन किस प्रकार से चाहे इसमें मध्यमवर्गीय परिवार हो, अमीर हो या गरीब हो, हर व्यक्ति के जेब में सरकार इस संशोधन के माध्यम से डाका डालने जा रही है.
सभापति महोदया, अब मकान के अनुबंध की बात करें, आज हर अनुबंध करने के लिये अनुबंध शुल्क इतना बढ़ा दिया है तो चाहे वह कोई मकान किराये से ले रहा हो, दुकान किराये से ले रहा हो, या किसी भी प्रकार का अनुबंध करता है, तो उसको किस प्रकार की कठिनाई होने जा रही है, उसको शुल्क किस प्रकार से बढ़कर देना पड़ेगा, यह सबके सामने है. इस प्रकार से यह जो सरकार है, वह स्टाम्प ड्यूटी के नाम पर लोगों की जेब खाली करने जा रही है और इस प्रकार का यह जो बिल आया है, जो लगभग पुरानी स्टाम्प ड्यूटी से चार गुना बढ़ने जा रहा है, इसका मैं घोर विरोध करता हूं और मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी और सरकार से निवेदन करता हूं कि इसको वापस लिया जाये और इसमें राहत दी जाये, माननीय सभापति महोदया जी आपने बोलने का समय दिया इसके लिये आपका धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) – माननीय सभापति महोदय, जो टैक्स इकट्ठा होता है, उसी से सब इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप होता है. वरना इंदौर से यहां आने में कितने घंटे लगते थे, आप मुझसे ज्यादा बता पाएंगे. इसलिए आदिकाल से व्यवस्था है, शासन को एक सीमित कर लगाकर, जीएसटी उसका स्वरूप बदल गया, उससे सरकार को पूरा मैनेजमेंट करना होता है और वह व्यवस्थित होना चाहिए. टैक्स लगेगा तो ही डेवलपमेंट होगा, नहीं तो आप क्या करोगे Either of the way क्या हम उस काल को याद करें, जब पूरे प्रदेश के विकास का बजट 4 हजार 200 करोड़ रुपए था, वर्ष 2003 में. इससे ज्यादा तो अकेले मेरे एक जिले में, केवल एक व्यवस्था पर खर्च हो रहा है.
श्री भंवर सिंह शेखावत – जनता की जेब कटे जा रही है चारों तरफ से. पांच-पांच गुना बढ़ रहा है. एक भी जनप्रतिनिधि, जनता के पक्ष में बोलने को तैयार नहीं है..अरे कम से कम जनता की बात तो रखें, जिसने वोट देकर जितवाया है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा – बिल्कुल, जनता की सुविधा और करेंसी की वेल्यू और उसके अनुरूप..
श्री बाला बच्चन – आप 2003 की ही बात क्यों करते हो, वर्ष 2019 की बात क्यों नहीं करते हो, उसमें हमारा 3 लाख करोड़ रुपए का बजट था.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा – 2018 में आप एक योजना नीमच जिले में नहीं दे पाए थे, मैं केवल यह बता रहा हूं कि जितना पूरा बजट था 2003 में, उससे ज्यादा तो केवल पेयजल और खेती के जल के लिए, उससे डेढ़ गुना केवल नीमच जिले को दिया है. मैं मध्यप्रदेश माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक का समर्थन करते हुए यह बात कहना चाहता हूं कि जीएसटी की शुरूआत 1/07/2017 में एनडीए की सरकार ने लागू किया और उसके कारण हमारा धीरे धीरे बजट भी बढ़ता गया और चीजें भी बढ़ती गई. इन सभी बिलों में व्यवहारिकरण बहुत तेजी से किया. ऐसा नहीं कि केवल एक ही विषय पर किया, किसी में कम, किसी में ज्यादा, यह तो व्यवस्था है. एक चीज बड़ी अच्छी आई है, इसमें कि पहले जब बजट आता था तो पहले लोग चिन्ता करते थे, किसमें कितना बढ़ेगा, शाम को आता था, क्या एडजस्टमेंट करनी है दुनिया भर की व्यवस्था सोची जाती है. आजकल बहुत कम परिवर्तन होते हैं टैक्सेशन के रेट में, लेकिन जिस पर बहुत गंभीरता से चर्चा होती है, उस पर करते हैं. मैं अभी बात कर रहा था कि मप्र माल सेवा कर अधिनियम 2017 की 10 और 11 दो धाराओं में परिवर्तन करना है, करदाताओं के साथ सुनिश्चित करना पड़ता है कि उसका विषय, उसमें एक महत्वपूर्ण विषय है कि पान मसाला व्यवसायियों के द्वारा पालन किये जाने योग्य प्रक्रिया का प्रावधान नहीं था, जो वास्तव में बहुत ही गंभीर विषय था, उसमें संशोधन करके कुछ नई धाराएं जोड़ी, जिससे अपवचन योग्य वस्तुओं के लिए विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करने के लिए नियम बनाए हैं. उक्त प्रक्रिया के पालन में असफल कर दाताओं पर शास्ति आरोपण का प्रावधान भी किया. उक्त प्रावधान से मसाला संबंधी कर अपवचन पर रोक लगाया जाना संभव होगा और राजस्व में भी प्राप्ति की वृद्धि होगी. अब ये जरूरी था कि पान मसाला जैसी चीजों पर टैक्स की करेक्शन और सख्ती से पालन करना जायज है या नहीं है. इसके बारे में तो मैं माननीय शेखावत जी से आग्रह करूंगा कि वे भी सोचकर बताएं कि क्या वह कितना जरूरी है, कितने लोगों को कैंसर होता है और कितनी व्यवस्थाएं उससे बिगड़ती है, उसका कितना उदाहरण है इसी में दूसरा जो सबसे महत्वपूर्ण विषय है जिसके बारे में मैं कहना चाहता हूं कि अपीलों के प्रावधानों में भी 20 प्रतिशत की जगह 10 प्रतिशत करके कोई भी अपील कर सकता है, क्योंकि कई बार ऐसा होता था कि कुछ विवाद में जरूरत से ज्यादा दंड कर दिया जाता था, तो अपील करते समय व्यापारियों को बहुत परेशानी होती थी तो उसको 50 प्रतिशत कम किया है.
कम करने से अपील भी जल्दी हो और उसका निराकरण भी जल्दी हो ताकि सरकार का टैक्स जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा जमा हो सके. इसमें करदाताओं की सुविधा के लिये उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णयों के परिप्रेक्ष्य में इनपुट पर जिसमें परिभाषा करदाताओं को संयुक्त एवं मशीनरी पर इनपुट की पात्रता होती थी. उस शब्द को बदलकर विषय कर दिया प्लांट एवं मशनरी शब्द किया ताकि इसके कारण कोर्ट के केसेस में विवाद न आये. यह छोटे छोटे बिन्दु हैं, लेकिन इनके कारण कई केस चलते रहते हैं. इन सबके माध्यम से अलग अलग विषयों के माध्यम से विशेष आर्थिक जोन जिसमें एक्सपोर्ट के और भण्डारण का विषय था जहां पर जो हमारे एक्सपोर्ट के होते थे उनको पहले से मुक्त कर दिया ताकि वह पहले जमा करे फिर उसका वापसी का इंतजार करे, तो ईज ऑफ डूइिंग बिजनेस भी है और सबकी मंशा है कि व्यापार की सुविधाएं भी बढ़नी चाहिये. आदमी आज के समय एक रीजनेबिल टैक्स देने के लिये तैयार रहता है, लेकिन वह सुविधा चाहता है कि कहीं व्यक्तिगत रूप से आना जाना ना पड़े सब काम ऑन लाईन और व्यवस्थित हो जाये. मैं बहुत गंभीरता के साथ माननीय वित्तमंत्री जी का अभिनन्दन करता हैं कि इतनी छोटी छोटी बातें जहां करोड़ो का बजट है उसमें इन छोटी छोटी बातों पर ध्यान देकर इन सब की सुविधाओं के लिये एक्सरसाइज कर रहे हैं. मैं इनपुट सर्विस के मामले में भी एम.पी.सी.एस.टी एक्ट की धारा 2 ई एवं धारा 20 में इनपुट संशोधन भी प्रस्तावित किया है. इनपुट में सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर आई.जी.एस.टी. के तहत रिवर्स चार्ज में जमा किये गये कर को वितरित करने का प्रावधान नहीं था. इसको इनपुट सर्वित डिस्ट्रीब्यूटर की परिभाषा में संशोधन करके इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर को उक्त जमा राशि के वितरण संबंधी जीएसटी रजिस्ट्रेशन पर किये जाने की सुविधा की गई है. यह जीएसटी और टैक्स के बारे में मैं बात कर रहा हूं यह केवल पेनल्टी की बातें हैं, जनता पर लोड नहीं है. यह दोनों पक्ष के लिये भिन्न-भिन्न सिच्यूएशन है. जितने भी इन्टरप्रेरन्योर्स हैं या व्यापारी हैं उनके लिये भी यह सुविधा की बात है. इसलिये इसका पूर्णतः शत-प्रतिशत समर्थन करके अभिनन्दन करता हूं वित्तमंत्री जी का इन सब छोटी बातों को ध्यान रखकर व्यापारियों ओर इन्टरप्रेरन्योर्स को सुविधा देने के लिये यह संशोधन के लिये प्रस्ताव रखा है, उसका मैं समर्थन करता हूं. आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिये धन्यवाद.
श्री दिनेश जैन “बोस” (महिदपुर)--अध्यक्ष महोदय, इस संशोधन विधेयक में विपक्ष की दृष्टि से संशोधन के विरूद्ध कुछ ठोस तर्क रखना चाहता हूं. इस विधेयक के अंदर बंधक के ट्रांसफर, माडगेज ट्रांसफर पर अब रजिस्ट्री जरूरी नहीं है, यह बिल में लिखा हुआ है. धारा 17.2 13 जोड़कर ऋण चुकाने के बाद बंधक सम्पत्ति माडगेज के ट्रांसफर पर रजिस्ट्रीकरण की अनिवार्यता समाप्त की जा रही है. अब सवाल यह उठता है कि अगर रजिस्ट्रीकरण की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है, तो फिर ऋण चुकाने के बाद व्यक्ति को बंधक सम्पत्ति का ट्रांसफर का प्रमाण पत्र कैसे मिलेगा. यह सवाल उठता है कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि बैंक के लिखित प्रमाण डाकूमेंट्स एवीडेंस देगा. दूसरा अपील और पुनर्निरीक्षण का अधिकार स्पष्ट क्यों नहीं किया गया है. बिल में लिखा है कि धारा 80 (ग) जोड़ी जायेगी ताकि कम रजिस्ट्रीकरण शुल्क की वसूली के आदेशों के खिलाफ इंडियन स्टाम्प (1) 1899 जैसे नियम लागू होंगे, तो हमारी आपत्ति यह है कि बिल में यह नहीं बताया गया है कि किस स्तर पर अपील संभव होगी. समय-सीमा क्या होगी और नागरिकों को किस प्रकार की प्रक्रिया मिलेगी. क्या यह संशोधन पुराने मामलों पर भी लागू होगा, यानि यदि किसी व्यक्ति ने पहले गलत शुल्क भर दिया, तो क्या उसे अब न्याय मिलेगा. तीसरा बैंकों को एकतरफा फाइलिंग की छूट देना पक्षपातपूर्ण है. बिल में लिखा है कि ऋण चुकाने के बाद बंधक की लिखित बैंक बिना पक्षकार की उपस्थिति में सीधे रजिस्ट्री कार्यालय भेज सकेगा. यहां पर सबसे प्रश्न यह उठता है कि बंधक ने बैंक में पैसा जमा कराया और बैंक सीधे रजिस्ट्रार आफिस को सूचना दे देगी. लेकिन समस्या यहां पर ही खतम नहीं होती है. अगर किसानों के हित में बात की जाये, तो किसान सबसे ज्यादा परेशान बंधक से ही हो रहा है.
सभापति महोदया, जहां तक मैं सोचता हॅूं कि पूरे मध्यप्रदेश के अंदर, सभी विधानसभा के अंदर बंधक की समस्या किसानों के लिए बहुत बड़ी है. किसान की रजिस्ट्री तो हो जाती है, उसके बंधक होने के बाद भी रजिस्ट्री हो जाती है लेकिन जब वह तहसीलदार के पास नामांतरण कराने जाता है, तब इश्यू आता है कि आप बंधक हटाकर लाइए, तो मैं यह चाहता हॅूं कि वह बंधक भी हटे. जब किसान पैसा भर रहा है, बैंक में राशि जा रही है तो किसानों को फायदा तब होगा, जब वह सीधे रजिस्ट्रार आफिस के पास जाने के साथ-साथ अगर यह रिपोर्ट राजस्व अधिकारी के पास भी जाये, तहसीलदार के पास भी जाये, पटवारी के पास भी जाये क्योंकि किसान सबसे ज्यादा परेशान बंधक से हो रहा है. बैंक जितनी परेशान नहीं होती है, उतना किसान परेशान होता है क्योंकि बंधक के कारण उसका नामांतरण नहीं होता है. बंधक लिखा होने के कारण वह लगातार कई दिनों तक चक्कर काटता रहता है. पटवारी, तहसीलदार उसका पूरा फायदा उठाते हैं तो मैं यह चाहता हॅूं कि इस बिल में संशोधन हो. यह सूचना राजस्व अधिकारी के पास भी, तहसीलदार के पास भी और पटवारी के पास भी जाये कि इस किसान ने या इस व्यक्ति ने यहां से बंधक हटा लिया है और अब इसके नामांतरण में भी कोई रोक नहीं लगेगी, तो मेरा सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि अगर किसानों के हित में यह कानून बनता है और इसमें संशोधन होता है तो मैं आपके माध्यम से माननीय राजस्व मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि इस चीज को वे क्लीयर करें क्योंकि बंधक एक बहुत बड़ी समस्या है. यदि बैंक गलत सूचना भेजे या फिर जानबूझकर देरी करे, तो सामान्य नागरिक के पास अपनी बात कहने का कोई सीधा मंच नहीं रहता.
सभापति महोदया, मैं सरकार से यह भी प्रश्न पूछना चाहता हॅूं कि विधेयक के कुछ प्रावधान जनहित में भी दिखाई देते हैं. लेकिन सरकार इन बिन्दुओं पर और अधिक स्पष्टता देना चाहेगी. उदाहरण स्वरूप यदि बंधक संपत्ति मॉडगेज के ट्रांसफर पर पंजीयन, रजिस्ट्रीकरण की अनिवार्यता समाप्त की जाती है तो आम जनता के पास प्रमाणित करने का क्या साधन होगा कि उन्होंने ऋण चुका दिया. साथ ही बैंक या वित्तीय संस्था ई-फाइलिंग में देरी करती है या गलत जानकारी देती है तो आम लोगों के पास इसका क्या उपाय होगा. दस्तावेजों के पंजीयन की प्रक्रिया नवीन पोर्टल-2.0 में काफी जटिल है. दस्तावेज का पंजीयन साधारण व्यक्ति नहीं कर सकता है बल्कि नवीन प्रक्रिया को लांच करने का उद्देश्य पब्लिक फ्रेंडली या पब्लिक यूजर बनाना था. इससे साइबर क्राइम बढ़ गये हैं. एक आदमी एक रजिस्ट्री कराने जाता है तो उसको धोखे में रखकर और भी रजिस्ट्री कर दी जाती है. हमारे महिदपुर के अंदर भी एक उदाहरण है. यह मुख्यमंत्री जी का जिला है. अभी 15-20 दिन पहले ही एक न्यूज आयी है कि एक के ऊपर एफआईआर हो गई. एक व्यक्ति के पास एक प्लॉट की 5 बीघा जमीन थी. डॉ.जायसवाल अपने प्लॉट की रजिस्ट्री कराने गये, तो उसके साथ-साथ उसके 5 बीघा की जमीन की भी रजिस्ट्री कर दी गई. मेरी एसपी साहब से बात हुई, तो वे बोले कि सबके ऊपर कार्यवाही होगी. लेकिन केवल 3 लोगों पर कार्यवाही कर दी गई. रजिस्ट्रार और उसके नीचे जो काम करने वाले लोग हैं उनके ऊपर अभी तक कार्यवाही नहीं हुई, तो यदि इस कानून को लाना है तो इसमें किसानों को भी देखना होगा, क्योंकि बंधक शब्द से किसान काफी परेशान होते हैं.
सभापति महोदया, मैं एक बार और दोहराना चाहूंगा कि अगर बैंक रजिस्ट्रार को सूचना देती है, तो उसके साथ-साथ वह राजस्व अधिकारी को भी सूचना दे, ताकि हमारे किसानों को इससे फायदा मिले और मैं इस संशोधन में यह चाहता हॅूं कि जरूर हमारी बातों को ध्यान में रखा जाए, विपक्ष को ध्यान में रखा जाए और इन संशोधनों को उसमें जोड़ा जाये. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू - सभापति महोदया, माननीय उपमुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा जी ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में चारों संशोधन प्रस्तुत किये हैं. इन चारों संशोधनों का मैं समर्थन करता हूं और मूल रूप से अपनी बात माल कर अधिनियम पर करना चाहूंगा कि प्रस्तावित माल कर और सेवा कर अधिनियम, 2017 में मूल रूप से 11 संशोधन और 2 नयी धाराओं का अंतःस्थापन होना है. सबसे बढ़िया बात तो इस संशोधन में यह है कि बिना कोई कर लगाए, बिना कहीं कुछ आरोपित किये सरकार की आय कैसे बढ़े, ये इसके उपाय हैं और इससे किसी पर बोझ नहीं बढ़ेगा और राजस्व की आय बढ़ जाएगी.
सभापति महोदया, निश्चित रूप से माननीय वित्त मंत्री जी का मैं इस बात के लिए स्वागत करना चाहूंगा कि पान मसाला व्यवसाइयों की कोई भी ऐसी योग्य प्रक्रिया नहीं थी, जिसका पालन किया जाता और उस वजह से वह बीच का कोई रास्ता टैक्स चोरी के लिए निकाल लेते थे, कोई भी कर अपवंचन के अन्यान्य रास्ते चुन लेते थे, उस कारण से राजस्व की हानि सरकार को हो रही थी, सिर्फ इस कारण से और वही संशोधन में लाया गया है कि कम से कम वे कोई अन्य रास्ता नहीं अपनाए. कर अपवंचन सबसे बड़ी खराब बात है. मैं तो धन्यवाद देना चाहूंगा देश के प्रधानमंत्री मान्यवर श्री नरेन्द्र मोदी जी को कि वह जीएसटी कानून लेकर आए. जब यह जीएसटी का कानून आया था तब काफी हल्ला हुआ था, लेकिन सारी करों की जटिलताओं को खत्म करते हुए इस देश में व्यापार को सुगम बनाने का काम किया गया, जो टैक्स लाएब्लिटी अन्यान्य तरीकों से लगती थी, पेनाल्टी लगती थी, उससे व्यापारी मुक्त हुआ, उत्पादकर्ता मुक्त हुआ और सब कुछ प्रक्रिया जब आसान हो गई तो आज व्यापारी स्वयं भी टैक्स की चोरी नहीं करना चाहता है. वह भी चाहता है कि वह जीएसटी के अंतर्गत ही काम करे, वह भी उसमें लेन-देन करके ही काम करना चाहता है और इसीलिए सरकार की आय में इतनी वृद्धि हुई कि तब की हम बात करें, जिनसे तुलना करने का कोई मतलब नहीं है, जब कुछ होता ही नहीं था.
सभापति महोदया, हम अब की बात करें तो जिस तेजी से प्रदेश और देश का विकास हो रहा है, वह निश्चित रूप से स्वागत योग्य है और वह इसी कारण से है कि सारा हमारा युक्तियुक्तकरण हुआ है. समय समय पर तकलीफें आई तो उनमें संशोधन लाये गये और इसीलिए उक्त संशोधन लाया गया. आज जैसे एमपी जीएसटी अधिनियम की धारा 12.4 और धारा 13.4 में ऐसे वाउचर जो कंपनियां और व्यवसायी अपने ग्राहकों को बांटती है, उनको छूट देती है लेकिन उसमें भी टैक्स का प्रावधान था. दोनों प्रावधानों को हटाने का जो प्रावधान किया गया है तो निश्चित रूप से ग्राहकों को भी छूट प्राप्त होगी और दुकानदारों को भी इसका लाभ मिलेगा कि उनको अनावश्यक कर नहीं भरना पड़ेगा. ऐसा ही अन्य धाराओं में भी संशोधन हुए हैं. अपील में पहले जो दंडराशि होती थी, उसमें 20 प्रतिशत जमा करके अपील करना पड़ती थी, लेकिन अब 10 प्रतिशत राशि ही जमा करानी पड़ेगी. ऐसा ही अनुसूची 3 में संशोधन किया गया. इकानामिक जो ट्रेड जोन हैं, ट्रेड वेयर हाउसिंग हैं, एक्सपोर्ट क्लियरेंस से पूर्व सप्लाई और डोमेस्टिक टैरिफ एरिया को जीएसटी अधिनियम से बाहर किया गया है. उसी केम्पस में अगर वह माल इधर से उधर ट्रांजिट हो रहा है तो उस पर टैक्स आरोपित नहीं होगा, जब तक वह उससे बाहर नहीं जाएगा, निर्यात संबंधी प्रक्रियाओं को पूरी नहीं कर लेगा, तब तक वह टैक्स आरोपित नहीं किया जाएगा. निश्चित रूप से यह व्यापार में सुविधा बढ़ाने के लिए ये सारे संधोधन लाये गये हैं. मैं धन्यवाद देता हूं माननीय वित्त मंत्री जी को, माननीय उपमुख्यमंत्री जी को कि उन्होंने यह संशोधन प्रस्तुत करके व्यापारियों को और अधिक सुविधा प्रदान की, उनकी तकलीफें दूर कीं तो निश्चित रूप से वह भी टैक्स अपवंचन पर कभी नहीं जाएंगे. मेरा ऐसा विश्वास है. इसी विश्वास के कारण हमारी आय बढ़ी है. अभी स्टाम्प के लिए चर्चा हो रही थी कि बैंक से एनओसी सीधे रजिस्ट्रार के यहां जाएगी कि बैंक से एन.ओ.सी. रजिस्ट्रार के यहां जायेगी. निश्चित रूप से यदि रजिस्ट्रार को सीधी एन.ओ.सी. जायेगी तो जो ऑन लाइन डेटा होता है, उसमें से बंधक शब्द हट जायेगा तो वह बंधक शब्द सारे रिकार्ड में से हटेगा. जब उसको तहसीलदार, पटवारी, एसडीएम उस रिकार्ड को खोलेगा तो उसको यह नजर आयेगा कि यह बंधकमुक्त हो चुकी है. उसके लिये अलग-अलग भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, ऐसा मेरा मानना है. हमारी भूमियों का आजकल जब सारा रिकार्ड ऑन लाइन हो गया है तो उस ऑन लाइन रिकार्ड के बाद एक जगह से जैसे ही वह बंधक शब्द हटा रजिस्ट्रार के यहां से तो वह सारा रिकार्ड ठीक जो जायेगा. इसीलिये मेरे हिसाब से अलग से कोई प्रावधान मेरे हिसाब से करने की आवश्यकता नहीं है. निश्चित रूप से यह हमारे किसान भाइयों की सुविधा की सुविधा के लिये यह संशोधन लाया गया है. मैं धन्यवाद देता हूं हमारे मुख्यमंत्री जी को और उप मुख्यमंत्री जी को कि यह सारे संशोधन जनहित में और प्रदेश की आय बढ़ाने में सहयोगी होंगे. जिससे निश्चित रूप से हमारी विकास की दर और ज्यादा होगी. मैं वैसे भी बधाई देना चाहता हूं भारत के प्रधानमंत्री जी को कि उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था, आज हमारी जी.डी.पी 6.4 है. पूरी दुनिया में हम सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली कंट्री हैं और जिस तेजी से हम आगे बढ़ रहे हैं तो निश्चित रूप से एक दिन भारत फिर से विश्वगुरू होगा. हम विश्व की सबसे शक्तिशाली इकानॉमी होंगे. हम विश्व के सबसे शक्तिशाली देश होंगे, हम उस ओर बढ़ रहे हैं. मैं इसके लिये आप सबको बधाई देता हूं और मुख्यमंत्री जी, उप मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में जो संशोधन लाये गये हैं, मैं उनका समर्थन करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री फूल सिंह बरैया( भाण्डेर)- माननीय सभापति महोदया, यह जो संशोधन भारतीय स्टाम्प रजिस्ट्रीकरण विधेयक और चार विधेयक साथ-साथ आये हैं. इसमें मूल अधिनियम की अनुसूची-1 (क) में स्टाम्प का संशोधन किया जा रहा है. अनुसूची-5 में जो संशोधन किया है. वर्तमान में शपथ पत्र में 50 रूपये का स्टाम्प लगता था, जिसे बढ़ाकर के 200 रूपये किया जा रहा है और यही नहीं कई योजनाओं में स्टाम्प की जरूरत होती है. यह एक जनता के ऊपर भार आ गया है. माननीय उप मुख्यमंत्री जी को इसके ऊपर विचार करना चाहिये. वर्तमान में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी, इनके लिये स्टाम्प नि:शुल्क है लेकिन जब वह किसी कार्य के लिये जाते हैं तो उनसे भी स्टाम्प ले लिये जाते हैं. इसकी कोई निगरानी नहीं है ना ही इसके ऊपर कोई जांच की जाती है. ऐसा क्यों हो रहा है.
सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से माननीय उप मुख्यमंत्री से उम्मीद करूंगा कि इसके ऊपर कोई एक्शन लें जो यह इस तरह का काम हो रहा है. अनुसूची-6 के अनुसार इसमें जो बदलाव आये हैं, इसमें एग्रीमेंट आता है, इकरारनामा करार, अचल संपत्ति का क्रय विक्रय, जिसमें अचल संपत्ति को रखा गया है. एक हजार रूपये के स्थान पर पांच हजार रूपये किये जा रहे हैं. यह पांच गुना बढ़ाया जा रहा है. यह आम जनता के हित में नहीं है. यही नहीं और भी दूसरे प्रकार के एग्रीमेंट होते हैं, जिसमें संपत्ति नहीं मानी गयी, नल कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, गैस कनेक्शन, जाति प्रमाण पत्र और कई प्रमाण पत्रों पर स्टाम्प की जरूरत होती है, उसे 500 रूपये के स्थान पर 1000 रूपये किया गया है. तो 500 के स्थान पर एक हजार किया गया है. यह बिलकुल कमजोर, गरीब लोगों से जुड़ा हुआ विषय है. अनुसूची 50 में पॉवर ऑफ अटॉर्नी, मुख्तियार नामा. इसमें परिवार के मध्य अगर पॉवर ऑफ अटॉर्नी दी जाती है, तो एक हजार रुपये उसमें लेते हैं. जबकि परिवार के बीच में मैं समझता हूं कि इसको एक हजार रुपये को नहीं लेना चाहिये, इसमें संशोधन उलटकर यह करना चाहिये कि परिवार के मध्य एक हजार रुपये की जरुरत नहीं है और यही नहीं, अगर परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति है, तो उसको पावर ऑफ अटॉर्नी है, तो उसको एक हजार से बढ़ाकर के दो हजार किये हैं. जबकि उसको बिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है. तो जब बिक्री करने का अधिकार नहीं है, तो एक हजार ही काफी था. विक्रय अधिकार देने पर सम्पत्ति का जो बाजार मूल्य है, उस बाजार मूल्य पर 5 प्रतिशत राशि ली जायेगी. यह भी 5 प्रतिशत काफी है. मैं समझता हूं कि इसके ऊपर मंत्री जी विचार करेंगे. रजिस्ट्रीकरण के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि एक अच्छे उद्देश्य के लिये रजिस्ट्रीकरण का विधेयक लाया गया है. जनता के लिये यह प्रक्रिया पारदर्शी बनाने की बात कही गई है. अधिक कुशल उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने की बात कही गई है. यही नहीं ऑनलाइन आवेदन भुगतान जैसी बातें भी इसमें हैं. लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि इसमें एक बार मंत्री जी इसके ऊपर विचार करें और जो धरातल पर हैं लोग, उनको भी भेजें. यही नहीं कि हम आपस में ही चर्चा कर लें. गांव में भी जाकर के पता करें, गलियों में भी जाकर के मालूम करें कि भले ही आपने ऑनलाइन व्यवस्था कर है, इससे सारे किसान, गरीब, मजदूर इससे कोई भी सहमत नहीं है. उनकी दुनिया से यह वस्तु हट गयी है, यह उनसे जुड़ा हुआ विषय नहीं है. जो व्यक्ति, जिसमें खुश है, उसकी तरफ भी हमें ध्यान देना चाहिये. यह सही है कि एडवांस समाज जब हो जाये, हम संतुष्ट हो जायें कि शिक्षा का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंच चुका है, सभी जागरुक हो ये हैं,तो ऑनलाइन पद्धति उस व्यवस्था में, उस समाज में मैं समझता हूं कि अनुकूल रिजल्ट देगी. यही नहीं कि इसमें अगर हम बात करते हैं, तमाम लोग इसकी शिकायतें लेकर के आ रहे हैं कि उन्हें यह ऑनलाइन पद्धति बिलकुल ही पसंद नहीं है. वहप ले की बात करते हैं मेनुअल प्रक्रिया की कि रजिस्ट्री एक घण्टे में मिलती थी. कभी कभी तो रजिस्ट्री और ही कम समय में मिल जाती थी. तो यह उनकी सुविधाओं की बात थी. लेकिन जो वर्तमान प्रक्रिया है, जितनी हम कहने के लिये तो सुलभ बना रहे हैं. लेकिन उनके लिये वह कहीं जटिल बनती चली जा रही है. जैसे वर्तमान की प्रक्रिया है, जिसमें बहुत परेशान हैं लोग. आपसे ई कहे या न कहे, लेकिन उनकी तरफ से मैं आपके बीच में कहना चाहूंगा कि जो सम्पदा एक थी, आप लोग लाये थे, वह उसमें तो थोड़ा बहुत ठीक था, चल गया. वह उतना खराब नहीं मान सकते हैं. लेकिन सम्पदा दो ने तो गजब ही ढा दिया है. उसमें तो मंत्री जी, लोग इतने दुखी हैं कि उसकी एक बार थोड़ा सा जांच करवा लें.लोगों के बीच में जायें, तो लोगों को बुला लें अपने पास, तो इस संबंध में उनसे पूछा भी जा सकता है. इसमें यह दोनों प्रक्रियाएं इतनी खराब हैं कि लोगों की इस प्रणाली से विश्वास ही उठता जा रहा है. या तो उधर एक हमारी टीम लगी हो कि इनको जागरुक बनाने के लिये तो हम जागरूक बनाने के लिये तो लगे नहीं है और यह विश्वास भी टूटता जा रहा है.मंत्री महोदय से कहना चाहूंगा कि आपके रजिस्ट्री कार्यालय में भले ही अधिकारी हैं, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वह अधिकारी पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन आज का डिजिटल कोर्स अगर वह नहीं किये हैं तो वह अधिकारी उस क्षेत्र मे किसी भी काम के नहीं हैं, वो भी परेशान है और इसका खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ता है. आपके क्षेत्र में अगर स्टाफ की बात करूं तो आप तो नहीं जायेंगे किसी अधिकारी को भेजकर के दौरा करा लें कि लोगों की समस्यायें हम सरल कर रहे हैं कि कठिन कर रहे हैं, स्टाफ की कमी है तो कितनी कमी है, चपरासी नहीं है यह तो छोटी बात है रजिस्टार खुद आफिस में जाकर के झाड़ू लगाता है, सफाई करता है और एक सेठ की तरह से दुकान खोलकर के बैठ जाता है. यह कंडीशन आपके दफ्तरों की हैं इसके बारे में भी आप कभी जांच करायें क्योंकि उसमें संशोधन की गुंजाइश है.
माननीय सभापति महोदय, माननीय उप मुख्यमंत्री जी से यह भी कहना चाहूंगा कि स्टाफ की कमी है और इतनी कमी है कि आप आउट सोर्स कर्मचारियों से स्टाफ का काम ले रहे हैं , आउट सोर्स से आप काम करवा रहे हैं उन्होंने तो शपथ ली नहीं थी कि हम इस काम के लिये आये हैं तो हम इस काम को बखूबी निभायेंगे. आउट सोर्स वालों का काम आप समझ सकते हैं, यह एक ठेकेदारी प्रथा है. स्टाफ की कमी के कारण जो हमारे नौ-जवान हैं चाहे वह अनुसूचित जाति के हो, चाहे अनुसूचित जनजाति के हों, अन्य पिछड़ा वर्ग के हो, या सामान्य वर्ग के हों उनकी भर्ती अगर आपका विभाग करता है तो मैं समझता हू कि स्टाफ की कमी भी दूर हो जायेगी और लोगों को भी रोजगार मिल सकता है. सभापति महोदय, जब यह नहीं होता है तो बाबा साहब डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी का सपना था कि जिसकी जितनी संख्या है अनुपात में अगर उसे जगह मिलती है और सभी एक दूसरे से गले मिलकर के रहते हैं यही उनकी मंशा थी और यही भारतीय संविधान की मंशा है.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय उप मुख्यमंत्री जी से कहना चाहूंगा कि यह प्रमुख विभाग है कि सरकार इस विभाग की तरफ 24 घंटे में 48 बार देखती है. लेकिन इस विभाग को क्या कहें, दूसरों के घर तो यह विभाग बहुत चमका रहा है और खुद की परिस्थिति क्या है खुद की स्थिति यह है कि कई जगहों पर किराये पर इनके आफिस खुले हुये हैं. इसके ऊपर भी थोड़ा विचार करें. मैं समझता हूं कि अच्छा विभाग है. बस इसी के साथ में अपनी बात को समाप्त करता हूं. सभापति महोदया, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय- धन्यवाद फूलसिंह बरैया जी.
श्री नीरज सिंह ठाकुर (बरगी) -- माननीय सभापति महोदय, मैं भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 की शेड्यूल 18 का समर्थन करता हूं. माननीय उप मुख्यमंत्री जी के द्वारा इसमें जो संशोधन प्रस्तावित किये गये हैं उनका समर्थन करता हूं. मैं अपनी बात यह कह कर शुरू करता हूं कि संशोधन केवल व्यवहारिक ही नहीं,वित्तीय रूप से व्यवहारिक तो हैं ही, प्रशासनिक रूप से आवश्यक भी हैं और सामाजिक रूप से संवेदनशील भी हैं. भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 में ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में हमारे देश में लागू किया गया था. इसका उद्धेश्य विभिन्न दस्तावेजों में स्टाम्प ड्यूटी लगाना जिससे राजस्व बढ़ सके .दस्तावेजों की वैधानिकता को न्यायालय में दस्तावेजों को मान्यता मिले इस वजह से अधिनियम की शुरूवात की गई थी. इसके 1899 में, ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में, भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 (Indian Stamp Act, 1899) पारित किया गया था, जो लेनदेन पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क से संबंधित था. "शेड्यूल वन (ए)" संभवतः इस अधिनियम के तहत एक अनुसूची को संदर्भित करता है, जो विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों पर लागू स्टाम्प शुल्क को निर्दिष्ट करती है. यह जो शेड्यूल वन(ए) है इसमें उन सभी दस्तावेजों की सूची है जिस पर राज्य सरकार या सरकारें स्टाम्प शुल्क लगा सकती हैं इसके बारे में बात की जाती हैं. इसके बारे में बात की जाती है और इसमें राज्य सरकारों को अधिकार दिया गया है कि हम संशोधन कर सकते हैं. यह तो केन्द्रीय कानून है, लेकिन राज्य सरकारों को अधिकार है कि वह इनमें समय-समय पर संशोधन कर सकें. शेड्यूल 1(ए) में जो प्रमुख दस्तावेज आते हैं वह हम सब जानते हैं कि वह हम सबके जीवन से कहीं न कहीं जुड़े हुए हैं. सेल डीड, पार्टीशन डीड, ट्रस्ट डीड, पार्टनरशिप डीड, बॉण्ड, विल, मॉर्डगेज, अडॉप्शन डीड आदि रोजमर्रा की जिन्दगी से जुड़े हुए बहुत सारे ऐसे दस्तावेज होते हैं चाहे सामान्य शपथपत्र हो, एग्रीमेंट हो, यह सभी इसी शेड्यूल 1(ए) के तहत आते हैं. स्टाम्प ड्यूटी बढ़ाने का अधिकार न सिर्फ हमें राजस्व की वृद्धि के लिए आवश्यक है बल्कि मैंने आपको बताया कि कानूनी रूप से भी यदि किसी दस्तावेज को मान्यता चाहिए तो उसमें यदि विधिवत् स्टाम्प शुल्क पे करेंगे तो ही वह कानूनी रूप से मान्य होगा. एक बात और बहुत महत्वपूर्ण है कि क्यों इसमें संशोधन करने की आवश्यकता होती है. हम सब जानते हैं कि महंगाई हर चीज की बढ़ती है. बाजार मूल्य में भी परिवर्तन होता है. कुछ प्रशासनिक लागत भी होती है. इन सब कारणों से भी अति आवश्यक होता है कि हम समय-समय पर शेड्यूल 1(ए) में उल्लिखित दस्तावेजों की स्टाम्प ड्यूटी में परिवर्तन करें, मगर जब हम यह परिवर्तन करें तो इस बात का ध्यान रखें कि यह न्यायसंगत हों, पारदर्शी भी हों और टाईम एफिशिएन्ट भी हों. सीधे तौर पर यह कहीं न कहीं जनता के लिए व्यावहारिक भी हों, इस तरह से हमें इन संशोधनों को करने की जरूरत होती है.
सभापति महोदया, मध्यप्रदेश में बहुत महत्वाकांक्षी बजट हमारे वित्तमंत्री जी ने 4.21 लाख करोड़ का प्रस्तुत किया था. उसमें हमें स्टाम्प ड्यूटी से कितनी राजस्व प्राप्ति होती है तो मैं उसके बारे में बताउंगा कि वर्ष 2024-25 में हमें 9,423 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी प्राप्त हुई थी. जिसको हमने बजट वर्ष 2025-26 में 11,905 करोड़ किया है. अभी हमारे एक माननीय सदस्य कह रहे थे कि सरकार कर्ज बस ले रही है हमारा बजट प्रबंधन ठीक नहीं है, तो मैं यह बताना चाहता हूं कि हमारा राजस्व आधिक्य वाला बजट है और विगत कई वर्षों से मध्यप्रदेश का बजट राजस्व आधिक्य वाला है. हम एफआरबीएम एक्ट के तहत जिस लिमिट के अंदर हमारे प्रदेश को कर्ज लेना चाहिए उस लिमिट के भीतर ही कर्ज ले रहे हैं. मैं यह भी आपसे कहना चाहता हूं कि सिर्फ इस वर्ष में ही संशोधन विधेयक नहीं लाया जा रहा है, वह मध्यप्रदेश में पूर्व के वर्षों में भी लाया जा चुका है. वर्ष 2002 में जब कांग्रेस की सरकार थी तब भी संशोधन विधेयक लाया गया था. वर्ष 2014 में, वर्ष 2020, वर्ष 2022 एवं वर्ष 2024 में भी लाया गया था. जब समय-समय पर इसकी आवश्यकता होती है तो हमें अपने वित्तीय स्त्रोतों को भी बढ़ाने की आवश्यकता है.
सभापति महोदया, हमारे बहुत से सदस्य हमेशा इस बात की चिंता करते हैं कि टैक्सेशन बढ़ा रहे हैं, तो टैक्सेशन हम नहीं बढ़ाएंगे तो हम अपने मध्यप्रदेश को प्रगति के पथ पर आगे नहीं ले जा पाएंगे. इसलिए यह बहुत आवश्यक है. हमने संशोधन विधेयक में, संशोधन सिर्फ उन दस्तावेजों में जिन पर फिक्स्ड ड्यूटी लगती है उन पर हमने 2 से 5 गुना वृद्धि प्रस्तावित की है. कुल 9 अनुच्छेदों में संशोधन किया गया है. जो प्रमुख रूप से अभी हमारे सभी सदस्य बता रहे थे कि शपथपत्र में 50 रुपये से 200 रुपये की बढ़ोत्तरी, अनुबंध में 1,000 से 5,000, कंसेन्टर की सहमति से जहां रजिस्ट्री होती है 1,000 से 5,000 का शुल्क लगेगा. रजिस्ट्री में कुछ अमेंडमेंट है तो 1,000 से 5,000 का संशोधन, पार्टनरशिप दस्तावेज में 2,000 से बढ़ाकर शुल्क 5,000 लिया जाएगा. कहीं पार्टनरशिप को डिजोल्यूट करना है तो उसके लिए भी 1,000 से शुल्क बढ़ाकर 5,000 किया है. बंधक संपत्ति की वापसी रिलीज़ के लिए 1,000 से शुल्क 5,000 रुपये बढ़ाया गया है. यदि पट्टा समर्पित करना है उसके लिए शुल्क 1 हजार से 2 हजार रुपए किया गया है. ट्रस्ट को यदि समाप्त करना है उसके लिए भी 1 हजार से 5 हजार रुपए का शुल्क प्रस्तावित किया गया है. इसमें एक उल्लेखनीय बात यह है कि जो नए पिस्टल और रिवाल्वर के लायसेंस होते हैं उसमें पहले स्टाम्प शुल्क 5 हजार रुपए लगता था अब उसको 10 हजार रुपए किया जा रहा है. जो पुराने पिस्टल और रिवाल्वर थे उनके रिनुअल में अब 2 हजार रुपए से शुल्क बढ़ाकर 5 हजार रुपए किया गया है. अन्य हथियारों में जो शुल्क 2 हजार रुपए था उसको बढ़ाकर 5 हजार रुपए किया है. अन्य हथियार में यदि रिनुअल होना है तो 1 हजार से बढ़ाकर 2 हजार रुपए किया गया है.
सभापति महोदया, इसको करने के पीछे हमारी मंशा यह है कि रिवाल्वर या हथियार रखने के पीछे लोगों में एक आकर्षण होता है उस चीज में कमी लाना भी इस विधेयक का मुख्य मकसद है. हम चाहते हैं कि हमारा समाज सुरक्षित रहे, समाज में शांतिपूर्ण माहौल बना रहे. यह एक बहुत सकारात्मक कदम सरकार के द्वारा उठाया गया है.
माननीय सभापति महोदया, एक बहुत बड़ी विसंगति देखी जाती थी कि यदि किसी व्यक्ति के भाई की कभी मृत्यु हो जाती थी तो उसकी पत्नी और बच्चों को परिवार में नहीं माना जाता था और उस स्थिति में यदि रजिस्ट्री करनी होती थी तो स्टाम्प ड्यूटी 5 प्रतिशत लगती थी. अब उसकी पत्नी और बच्चों को परिवार की परिभाषा में शामिल करते हुए 0.5 प्रतिशत ही स्टाम्प ड्यूटी लगेगी. यह विधवा और उनके बच्चों के लिए बहुत अच्छा कदम उठाया गया है.
सभापति महोदया, माइनिंग लीज जो मेजर मिनरल की श्रेणी में नहीं आते हैं जो माइनर मिनरल की श्रेणी में नहीं आते हैं उन पर कोई स्पष्ट स्टाम्प ड्यूटी शुल्क की स्पष्टता नहीं होती थी. उनके लिए भी खासतौर से खनिज तेल और नेचुरल गैस में भी मुख्य खनिज मेजर मिनरल की तरह ही दो प्रतिशत की स्टाम्प ड्यूटी लगाएंगे.
सभापति महोदया, अंत में, मैं यही कहूंगा कि समय बहुत गतिशील होता है. सरकार को उसकी धारा के अनुसार चलना होता है. कहा भी गया है कि जो वक्त के साथ नहीं बदलते हैं वे वक्त के पन्नों में कहीं गुम हो जाते हैं. इसलिए अधिनियमों में समय के साथ संशोधन न केवल वैधानिक दृष्टि से आवश्यक हैं बल्कि यह सरकार के सुशासन का भी संकेतक है. मैं संशोधन विधेयक पर अपनी बात को खत्म करने से पहले पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की लाइनों को दोहराना चाहूंगा.
"समय की शिला पर शिलालेख बनते हैं
मोम सा पिघलना होगा, दीपक बन जलना होगा."
सभापति महोदया, हमारी सरकार प्रगतिशील निर्णय ले रही है. समय-समय पर नियम और अधिनियम और कानूनों में सुधार कर रहे हैं. सुधार ही लोकतंत्र की संजीवनी है. बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिंद.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघौगढ़) -- सभापति महोदया, आज माननीय उप मुख्यमंत्री जी के द्वारा वाणिज्यिक कर विभाग के अधीन 4 विधेयकों पर संशोधन प्रस्तावित किये गये है. इनमें से भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 7 सन् 2025) पर मैं बोलना चाहूंगा. अधिकतर जो विधेयक सदन में पारित होते हैं, जिन पर चर्चा होती है. यह बात सही है कि सरकार के हित में निर्णय लिया जाता है. लेकिन सरकार के हित के साथ-साथ हर विधेयक और हर चर्चा में मध्यप्रदेश के एक विशेष वर्ग का भी ध्यान जाता है. उदाहरण के लिए कल महानगर के विधेयक पर चर्चा हुई, उसमें विशेषकर जो महानगर के आसपास लोग रहते हैं उनके हित के बारे में बात हुई थी. उसी प्रकार से विधेयक क्रमांक 7 जिस पर मैं चर्चा करना चाहता हूं. इन संशोधनों से कहीं न कहीं सीधा मध्यप्रदेश के आम आदमी पर एक अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. सरकार की हर नीति से आम जनता पर या तो सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. कल ही माननीय मुख्यमंत्री जी ने उनकी सरकार के औद्योगिक नीति पर वक्तव्य दिया था. अनेक बातें उनने सामने रखी थीं उद्योग के संबंध में. उस वक्तव्य में मुझे एक बात याद आ रही है. उन्होंने उदाहरण दिया था कि उनकी सरकार के द्वारा पूणे में स्थित फोर्स मोटर कंपनी को 300 करोड़ रुपये का अनुदान बिना कंपनी के मांगे हुए दे दिया. जब खाते में राशि आ गई तो फोर्स मोटर के मालिक ने जैसे ही सीएम साहब ने कार्यक्रम में प्रवेश किया तो गले लगा लिया धन्यवाद मुख्यमंत्री महोदय, आपने मुझे 300 करोड़ रुपए का अनुदान दे दिया.
सभापति महोदया, यह स्पष्ट दिखाता है कि सरकार की नीति किसके हित में हे और किसके विरोध में है. आप तुलना कीजिए एक तरफ उद्योगपतियों को जो हमारे प्रदेश के भी नहीं हैं उनको तत्काल 300 करोड़ रुपए का अनुदान दे रहे हो और यहां इस भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 7 सन् 2025) के माध्यम से जैसे हमारे पूर्व वक्ताओं ने कहा चाहे बाला बच्चन जी हों, राजेन्द्र मण्डलोई जी हों, चाहे दिनेश जैन जी हों, या फूलसिंह बरैया जी हों सभी विपक्ष के विधायकों ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि ऐसा क्या कारण है. माननीय वित्त मंत्री महोदय, लगभग 12 अनुच्छेद हैं जिसमें उनके अधीन कुछ खण्ड भी हैं जिनके शुल्क में वृद्धि की जा रही है, लेकिन जहां तक मुझे याद है कुछ दिन पहले ही जब बजट के अनुदान की मांगों पर चर्चा हो रही थी तब तो माननीय मंत्री महोदय ने बहुत गर्व के साथ कहा था कि सरकार के पास पर्याप्त पैसा है. हमारे सत्ता पक्ष के साथी ठाकुर जी ने बहुत विस्तृत रूप से कहा कि हम एफआरबीएम की लिमिट के अधीन अभी भी काम कर रहे हैं तो अगर वित्तीय स्थिति अनुकून है तो कोई ऐसी दिक्कत नहीं है तो ऐसा क्या कारण है कि सरकार को इन विभिन्न स्टॉम्प शुल्कों में इतनी बड़ी वृद्धि की जा रही है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मोहन यादव जी की सरकार को लगभग डेढ़ साल पूरे हो चुके हैं. अनेकों ऐसी योजनाएं हैं जिसके माध्यम से सीधे जनता के पास, हितग्राही के पास राशि पहुंचती है. चाहे किसान सम्मान निधि हो, चाहे वृद्धावस्था पेंशन हो, चाहे विधवा पेंशन हो, चाहे दिव्यांग पेंशन हो, चाहे लाड़ली बहना योजना हो. लाड़ली बहना योजना के संबंध में माननीय सीएम साहब ने घोषणा की है कि रक्षा बंधन के बाद इसमें 250 रुपए की वृद्धि होगी, लेकिन केवल एक योजना में 250 रुपए की वृद्धि हो रही है बाकी पेंशन.
श्री उमाकांत शर्मा-- सभापति महोदया, मैं कहना चाहता हूं...
श्री जयवर्द्धन सिंह-- गुरुदेव, गुरुदेव. सभापति महोदया, यह तो हमारे पड़ोस के हैं. आपको भी कुछ दान करेंगे. (हंसी) जैसा गुरुदेव मांग करेंगे, आपको भी दान करेंगे महराज, चिंता न करें. हमारे बहुत खास मित्र हैं. हमारे पड़ोस के ही साथी हैं और हमारे बहुत पुराने संबंध भी हैं. हमारा मजाक चलते रहता है, लेकिन जैसा मैं कह रहा था कि वृद्धावस्था पेंशन में, दिव्यांग पेंशन में, विधवा पेंशन में कोई वृद्धि नहीं, किसान सम्मान निधि में कोई वृद्धि नहीं. लेकिन जब हम बात करते हैं स्टाम्प ड्यूटी की, तो लगभग 20 अलग-अलग प्रकार की स्टाम्प ड्यूटी में 2 से 5 गुना तक वृद्धि हो गई है. जैसा मैं कह रहा था इसके संबंध में कि संपत्ति के लेनदेन, कानूनी दस्तावेज, उपहार, पट्टा, बंधक जैसे विशेष समझौते इसमें शामिल होते हैं. मेरे पास जो जानकारी है उसके अनुसार जब हम स्टाम्प ड्यूटी अधिनियम की बात करते हैं तो लगभग 8 प्रकार की अलग-अलग स्टाम्प ड्यूटी लगती है. जिसमें विशेषकर दस्तावेजों से संबंधित स्टाम्प ड्यूटी में अनेक संशोधन किये गए हैं. उदाहरण के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी के लिए जो निश्चित स्टाम्प ड्यूटी है, उसमें काफी बड़ी वृद्धि की गई है. हस्तांतरण ड्यूटी के संबंध में बात करें तो ज्यादातर मामले स्टाम्प ड्यूटी के साथ-साथ ओवरलैप करते हैं, लेकिन जिनका विशेष कानूनी संदर्भ होता है, उसमें 2 से 5 गुना वृद्धि की गई है. बंधक ड्यूटी, बंधक विलेख और इन समझौतों के संबंध में भी अनेक स्थानों पर 2 से 5 गुना शुल्क में वृद्धि की गई है. उपहार विलेख स्टाम्प ड्यूटी की बात करें तो इसमें अनेक स्थानों पर वृद्धि की गई है. पट्टा ड्यूटी में भी वृद्धि हुई है. जैसा बरैया जी कहा था कि शपथ-पत्र पर एक ऐसा दस्तावेज, जिसका प्रतिदिन किसान उपयोग करता है, एक पंचायत में, छोटे कस्बे में इसका उपयोग होता है. किसान चक्कर काटता है, उनके लगातार ऐसे सौदे होते हैं लेनदेन की बात होती है, जहां अधिकतर आम आदमी इसका उपयोग करता है. इस सरकार द्वारा ऐसी ड्यूटी में 4-5 गुना वृद्धि की गई है. शपथ-पत्र को 50 रुपये से 200 रुपये कर दिया गया, अनेक स्थानों पर 1000 से 5000 रुपये ड्यूटी की गई.
सभापति महोदय, मेरा मंत्री जी से, इस सरकार से आग्रह है कि आपको यह तय करना है, आप इस संशोधन विधेयक को पारित कर, प्रदेश में क्या संदेश दे रहे हैं. मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि विपक्ष पूर्ण रूप से इसका विरोध करता है और मैं, मंत्री जी से निवेदन करूंगा, क्योंकि आप उपमुख्यमंत्री भी हैं, वरिष्ठ नेता भी हैं, तो ऐसा क्या कारण है कि आप यह अतिरिक्त बोझ जनता पर डाल रहे हैं, अगर हो सके तो इस विधेयक को आप वापस लें, यह जनता के हित में नहीं है, धन्यवाद.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल)- सभापति महोदय, मुझे केवल एक बात कहनी है कि जब सरकार कोई शुल्क लेती है तो उसका उपयोग कैसे होता है. मैं विस्तार में नहीं जा रहा, लेकिन जब स्टाम्प ड्यूटी की बात सुन रहा था तो बताना चाहूंगा कि मेरे ही विभाग में पिछले बजट में रुपये 19 सौ करोड़ थे, इस बार रुपये 6 हजार करोड़ हैं. 2500 अटल ग्राम सेवा सदन के नाम पर पंचायत भवन और 100 जनपद भवन रुपये 5 करोड़ 24 लाख का एक भवन, अगर आप 8 माह के भीतर ये फैसले कर लेते हो तो पैसे का सदुपयोग कैसे होता है, बाकी का मैं नहीं जानता लेकिन जब आप स्टाम्प ड्यूटी की बात कर रहे हैं, तो पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री होने के नाते कह रहा हूं, आप देख रहे हैं, अन्य सरकारें भी देख रहे हैं और पहले चरण में प्रधानमंत्री जी ने जो किश्त डाली थी, वे भवन पूर्ण हो गए हैं. मुझे लगता है वह वक्तव्य भी मैंने यहां सदन में दिया था, हमें पैसे के उपयोग को देखना होगा. मुझे लगता है कि हर जगह आलोचना करना ठीक नहीं है. पैसा आता है, लेकिन उसका सदुपयोग हो रहा है कि नहीं यह महत्वपूर्ण बात है, धन्यवाद.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी) (बदनावर) - माननीय सभापति महोदया, आदरणीय प्रहलाद जी ने बहुत महत्वपूर्ण बात कही. आपने यही कहा है कि सरकार पैसा ले रही है तो सरकार पैसा खर्च भी कर भी रही है, लेकिन अगर पूरा अध्ययन किया जाये और जिस प्रकार सारे समाचार-पत्रों और जनता के बीच में संदेश जा रहा है, सरकार की जो वर्किंग है, आपने फिजूलखर्जी पर तो कोई कमी नहीं की है. कितना भ्रष्टाचार हो रहा है? आप किसी भी विभाग को देखें, उसमें लाखों करोड़ों रुपयों के भ्रष्टाचार हुए हैं, हजारों रुपयों का भ्रष्टाचार हुआ है. आप भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगा रहे हैं, मिसयूज पर रोक नहीं लगा रहे हैं. सरकार का पैसा फालतू खर्च हो रहा है, उस पर आप रोक नहीं लगा रहे हैं. आप जनता की जेब काटने में लग जाते हैं. जनता से पैसा लीजिये, पैसा तो जनता ही दे रही है. चाहे जीएसटी से ले रहे हो, चाहे आप जैसे ले रहे हो. कोई विभाग ऐसा नहीं है, जिसके अन्दर लूट न मची हो. जिसके अन्दर सरकार के पैसे का दुरुपयोग न हो रहा हो. हम रोज समाचार-पत्र पढ़ते हैं, तो वही बात आती है कि किसी विभाग में 200 करोड़ रुपये का घोटाला, कहीं 100 करोड़ रुपये का घोटाला, तो कहीं 50 करोड़ रुपये का घोटाला होता है. नल जल योजना में ही दस हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. हमारा यह कहना है कि आप विकास के लिए पैसा लीजिये, विकास पर पैसा लगाइये और मितव्ययिता भी कीजिये.
श्री हरदीपसिंह डंग (सुवासरा) - माननीय सभापति महोदया, माननीय हमारे उपमुख्यमंत्री आदरणीय श्री जगदीश देवड़ा जी द्वारा प्रस्तुत रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक के समर्थन में, मैं यहां बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
सभापति महोदया, मैं भारतीय जनता पार्टी की सरकार को धन्यवाद देता हूँ कि जिस प्रकार से वह अपने हर काम को, जनता के हित में करती है, तो उसका रिजल्ट है कि आज चारों तरफ विकास की बात होती है. अभी हमारे पंचायत मंत्री जी ने कहा है. हमारे वित्त मंत्री जी अपना खजाना खोलकर हमेशा मध्यप्रदेश के विकास के लिए बैठे रहते हैं. उसी का एक उदाहरण यहां पर है कि जो यहां पर राजस्व आता है, उससे मध्यप्रदेश का विकास कैसे और अच्छी तरह से हो सके, उसमें अहम् भूमिका हमारी रजिस्ट्री और स्टाम्प शुल्क से होगी. मैंने बहुत ही कम शब्दों में कहा है. मैं, माननीय उपमुख्यमंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहूँगा कि जो रजिस्ट्री के मान से फील्ड में दिक्कतें आती हैं, रजिस्ट्री एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है कि जैसे हम रजिस्ट्री कार्यालय में कहीं बैठ जाते है, तो कोई हमसे पूछता है कि आपकी रजिस्ट्री हो गई क्या ? तब रजिस्ट्री का जैसे ही नाम आता है, तो हम उसको मालिक घोषित कर देते हैं. रजिस्ट्री एक प्रकार का कानूनी तौर पर महत्वपूर्ण दस्तावेज है. एक रजिस्ट्री, वैध रजिस्ट्री और दूसरी फर्जी रजिस्ट्री होती है, तो फर्जी रजिस्ट्री का नाम जो पड़ा है, यह बात समझ में नहीं आती है कि फर्जी रजिस्ट्री करवाने वाले कौन होते हैं ? उसमें बड़े-बड़े भू-माफिया होते हैं, उसमें सरकार को जांच करना चाहिए. यह महत्वपूर्ण बात है. यह सत्ता पक्ष या विपक्ष का मामला नहीं है. एक ही जमीन हो, एक ही खसरा हो, एक ही सर्वे नम्बर हो, तो क्या उसकी दो रजिस्ट्री हो सकती हैं ? अगर दो रजिस्ट्री हो जाती हैं, तो एक वैध और दूसरी, फर्जी रजिस्ट्री होती है. जब वे लोग कोर्ट में जाते हैं, कलेक्टर के यहां जाते हैं, एसडीएम के यहां पर अपील करते हैं और तारीख पर तारीख मिलती है और जब फैसला आता है कि यह फर्जी रजिस्ट्री थी, तो फर्जी रजिस्ट्री के बाद वह घर चले जाता है, क्या उस पर कार्यवाही होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ? जो फर्जी रजिस्ट्री होती है, उस पर कार्यवाही करने के लिए भी कोई न कोई प्रावधान हमको करना चाहिए. रजिस्ट्री करवाने के लिए अगर कोई छोटा सा कर्मचारी कोई प्लॉट खरीदता है, कोई खेत खरीदता है, तो उसकी राशि इकट्ठा करने और रजिस्ट्री करने के लिए वह अपने घर को बेचकर रजिस्ट्री करवाता है, वह कई जगह से लोन लेता है और उसके बाद यदि उसके प्लॉट या खेत की कोई फर्जी रजिस्ट्री करवा ले, तो इस पर मेरा मानना है कि हमको इस पर ध्यान देना चाहिए. जो फर्जी रजिस्ट्री कराये, उस पर कार्यवाही करने का अधिकार होना चाहिए.
सभापति महोदया, दूसरा, जो बंधक भूमि की बात आई है. बंधक भूमि पर एक यह नियम बने कि या तो रजिस्ट्री हो या रजिस्ट्री न हो. बहुत से लोगों की बंधक भूमि पर रजिस्ट्री कर दी जाती है और बहुत से व्यक्तियों को रजिस्ट्री करने से रोक दिया जाता है कि तुम्हारी बंधक जमीन है. मेरा मानना यह है कि इस पर भी एक नियम बने, अगर बंधक भूमि है तो रजिस्ट्री होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए. बंधक भूमि की रजिस्ट्री हो जाती है और वह मामला जाकर नामान्तरण में अटक जाता है, क्योंकि उसको बाद में पता चलता है कि आपने जो रजिस्ट्री करवाई थ, उसका कोई मतलब नहीं है, क्योंकि इस पर बंधक भूमि है, तो वह जो रजिस्ट्री करा रखी है, उस राशि का नुकसान कौन सहन करेगा ? मेरा मानना है कि बंधक भूमि पर रजिस्ट्री होना या न होना, इसके लिए एक कदम उठाना चाहिए. मेरा तीसरा सुझाव है कि जब भी किसी कॉलोनी में प्लॉट काटे जाते हैं, यह ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा देखने को मिलता है कि जब भी प्लॉट काटे जाते हैं, तो उसमें सड़क का रास्ता, जो कॉलोनी में आने-जाने के लिए रखे जाते हैं, वह पावती में कम नहीं होते हैं, उनको पावती में दर्शाते हैं और रास्ते की जमीन कम नहीं होती है और वह पावती के कारण रास्ते की जमीन पर कोई प्लॉट की रजिस्ट्री कर देते हैं. तो ऐसे में भी इस बात का ध्यान रखा जाए कि जो कालोनी काटते हैं, जो रास्ते उनके लिए आने-जाने के लिए छोड़े जाते हैं, उसकी रजिस्ट्री न हो सके, ताकि किसी और के साथ धोखा न हो सके. इस पर ध्यान दिया जाए. आजकल एक और एप चल रहा है कि अगर 50 साल, 30 साल से जो खेती कर रहे हैं तो आजकल कोई एक एप आया है, मध्यप्रदेश एप अलग आया है, विदेशी एप अलग आये हैं. उसमें उस सर्वे नंबर पर गूगल पर देखकर कह देते हैं कि तेरी जमीन तो वहां पर है या तेरी जमीन तो इधर निकल रही है और उस एप में देखकर वे तहसील में रजिस्ट्री कराने के लिए जाते हैं और वहां पर कुछ गड़बड़ करके वे रजिस्ट्री करा लेते हैं. इसके कारण शहरी क्षेत्रों में और ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मेरा निवेदन है कि इस पर भी हमें ध्यान देना चाहिए. साथ ही सर्वर डाउन के बारे में भी लगातार बातें होती हैं कि जब भी रजिस्ट्री कराने के लिए जाओ तो सर्वर डाउन चलता है, इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रजिस्ट्री के लिए कैसे सर्वर डाउन न हो, उस पर भी अगर चिंता की जाए तो बहुत अच्छा होगा. इस तरह से मैंने अपने सुझाव आपके सामने रखे हैं और जो संशोधन विधेयक आया है, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन -- माननीय सभापति महोदया, मुझे आधा मिनट चाहिए. अभी डंग जी ने जो रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक पर बोला है, धारा 17 का इसमें संशोधन है, बिंदु 3 में, वह इसके उपाबंध में है ही नहीं, जो प्रचलित धाराएं हैं, वे हैं ही नहीं. फिर उसके बाद धारा 80(ग) इसमें अंत:स्थापित करना चाहते हैं, उसके पहले धारा 80(ख) होनी चाहिए. ये संशोधन विधेयक ही पूरा नहीं है तो हम पढ़ेंगे क्या और हम विचार क्या करेंगे और हम क्या सुझाव देंगे. यह संशोधन विधेयक इनकम्प्लीट है. माननीय मंत्री जी से मैंने निवेदन किया है, उसमें उपाबंध में है ही नहीं, उपाबंध में होगा कि पहले से जिन-जिन धाराओं के अंतर्गत आपका जो संशोधन विधेयक काम कर रहा है, जो प्रावधान है, उस पर काम कर रहा है, उसको पढ़कर तो हम आगे की बात करेंगे. यह संशोधन विधेयक तो इनकम्प्लीट है, कम्प्लीट नहीं है. जिन धाराओं का इसमें संशोधन करना है और जल्दीबाजी में लाया गया है. इस पर विचार करना चाहिए. माननीय मंत्री जी को इस विेधेयक को वापस लेना चाहिए. इसलिए मैंने आपको टोका है कि आपने पढ़ा कहां से है, इसमें तो है ही नहीं.
श्री हरदीप सिंह डंग -- माननीय सभापति महोदया, मैंने खाली अपनी तरफ से सुझाव दिए हैं. बहुत सी परेशानियां आती हैं, उन बातों का ध्यान रखा जाए. धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया) -- माननीय सभापति महोदया, मैं भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. इसमें धारा 35 और धारा 40 पर जो संशोधन किया गया है, उस संशोधन पर यह विधेयक गरीब, मध्यम व अन्य वर्ग के कल्याण के बीच कार्य करने का एक विधेयक है. सभापति महोदया, यह विधेयक हर अचल संपत्ति की खरीद, बिक्री या हस्तातंरण से संबंधित कानूनी दस्तावेजों पर लागू होता है. स्टाम्प ड्यूटी यह सुनिश्चित करती है कि संपत्ति का लेनदेन कानूनी रूप से दर्ज हो और राज्य या स्थानीय सरकार को हस्तांतरण से वित्तीय लाभ हो सके. लेकिन जिस प्रकार कर के नाम से स्टाम्प शुल्क बढ़ाने का काम जो किया गया है, वह जनता के हित में नहीं है. अभी हमारे विपक्ष के सभी साथियों ने विस्तार से अपनी बात कही, लेकिन जो स्टाम्प शुल्क बढ़ाया गया है, इसमें अधिकतर गरीब और मध्यम तबके के लोगों को जो अनुच्छेद 5 के कालम नंबर 2 में जो हमारे वरिष्ठ साथी बाला बच्चन जी ने जो डिटेल में इस पर सुझाव दिये और सरकार को एक तरह से चार गुना जो टेक्स बढ़ाया गया है. वह कहीं न कहीं इस वर्ग के हित में नहीं है. उसी प्रकार आप देख रहे होंगे कि अनुच्छेद 5 के (1) के खण्ड-ड में जिस तरह से यह अनुबंध और किरायानामा को लेकर उल्लेख किया गया है यह भी मैं समझ पा रहा हूं कि हमारे जो मध्यम वर्ग के लोग हैं चाहे वह अनुबंध के माध्यम से हो या किरायानामा के माध्यम से हो इस वर्ग के लोग ज्यादातर उपयोग करते हैं और उनके हित में यह काम आता है लेकिन यहां भी किस तरह से जो चार गुना वृद्धि की गई है यह कहीं न कहीं प्रदेश और जनता के हित में नहीं है मैं वित्त मंत्री जी से कहूंगा कि हमारे सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथियों ने यह जो अधिनियम है जो विशेषकर स्टाम्प शुल्क पर बहुतसारे सुझाव दिये लेकिन इसमें जो विपक्ष के साथियों ने सुझाव दिये उसमें मैं सुझाव देना चाहूंगा कि जिस प्रकार हम ग्राम पंचायत से चूंकि आते हैं उसमें रहने वाले जो बीपीएल मजदूर श्रेणी में आने वालों के लिये एक विशेष प्रावधान इस विधेयक में किया जाए और जो स्टाम्प शुल्क सीमा की छूट के लिये हो जिस प्रकार आदिवासी क्षेत्रों में उनकी भूमि को गैर आदिवासी नहीं खरीद सकता वैसे ही इस अधिनियम में उस वर्ग के लिये प्रावधान हो तो निश्चित माना जायेगा कि सरकार उस वर्ग की हितैषी है चाहे उस वर्ग को उसका लाभ मिल सके.आपने जो शुल्क बढ़ा दिया है मैं सुझाव देना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश के 89 ब्लाकों में पेसा एक्ट कानून लागू है वहां पर बढ़ी हुई स्टाम्प ड्युटी में सुधार होगा तो निश्चित रूप से यह अनुसूचित क्षेत्रों में एक सरकार का महत्वपूर्ण कदम माना जायेगा क्योंकि पेसा एक्ट अनुसूचित क्षेत्रों में बढ़ी हुई स्टाम्प शुल्क को उन वर्ग को प्रावधानित करते हैं तो यह कहीं न कहीं आर्थिक बोझ उन पर होगा क्योंकि ड्युटी में सुधार हो सके नहीं तो माना जायेगा कि सरकार स्टाम्प ड्युटी शुल्क बढ़ाकर जनता का शोषण कर रही है. अंत में मेरे विधान सभा क्षेत्र में सिविल न्यायालय है. आपसे अनुरोध है कि रजिस्ट्रार पंजीयन कार्यालय यदि वहां पर खोल दिया जाए तो निश्चित रूप से उस क्षेत्र के साथ-साथ अन्य क्षेत्र के लोगों को भी लाभ होगा और जो रजिस्ट्री के नाम पर जो बीच की कड़ी में भूमिका निभाने वाले लोग होते हैं जो जिला मुख्यालय पर ले जाते हैं और आर्थिक रूप से कहीं न कहीं वह चाहे विक्रेता हो क्रेता हो दोनों को क्षति होती है उससे बचाव होगा और उससे उस क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा तो मेरा अनुरोध है वित्त मंत्री जी से कि आप पंजीयन कार्यालय खोलने पर सहमति और स्वीकृति दे दें तो यह मेरे सुझाव हैं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)-- माननीय सभापति महोदया, माननीय वित्तमंत्री महोदय जी 4 संशोधन विधेयक आप लाये हैं. मैं मध्यप्रदेश माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2025 पर अपनी बात रखूंगा और इस विधेयक का मैं विरोध भी करता हूं. इस देश में जब जीएसटी वर्ष 2017 में लागू किया गया तो इसको इतना ज्यादा महिमा मंडित किया गया, प्रचार प्रसार किया गया, प्रेस मीडिया, मीडिया, पत्र, पत्रिकाओं में सरकार से जुडे लोगों द्वारा ऐसा बना दिया, लोगों के बीच में वातावरण बनाने का प्रयास किया कि ये जो हम जीएसटी लाये हैं वह पूरी जनता के हित में होगा, इससे बहुत सारे कल्याण होंगे और पूरे देश और प्रदेश के लोग अमन चैन का जीवन बितायेंगे. आज की स्थिति में जिस तरीके से इस जीएसटी से जो लोग परेशान हैं, गरीब लोग, मध्यम लोग, उनसे बढ़ती महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी के साथ जो जीवन यापन कर रहे हैं. आम लोग आज जो है जीएसटी से परेशान है.
माननीय सभापति महोदया, एक बिस्किट बना और वह बिस्किट वहां से बाजार में चला, जब तक उसको हम खा न लेंगे तब तक जीएसटी लगती रहेगी. कुरकुरे आज बहुत प्रचलन में हैं, कहीं भी लेकर लोग घूमते रहते हैं, बाजारों में, दुकानों में, गांवों में, टोला में, मंजरे में उसकी जीएसटी आज 18 प्रतिशत है. आज हमारा मसाला दालचीनी, जायफल, लोंग, इलायची स्वागत करने के लिये हम परेशान हैं इस सरकार में कि हम आज इस स्थिति में पहुंच गये हैं कि आम लोगों को हम सत्कार करने की स्थिति में नहीं है, आपने 5 प्रतिशत उस पर जीएसटी लगा दिया. हल्दी, नमक जो रोजमर्रा का हमारा है, जो जीवन है, जिसका दैनिक उपयोग हम कर रहे हैं, कहीं न कहीं आप जनता के लिये तो छोडि़ये. नमक में 5 प्रतिशत जीएसटी, हल्दी में 5 प्रतिशत जीएसटी, आप जनता की जेब कितना खाली करेंगे. इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर आपने 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया. सीमेंट पर 18 प्रतिशत जीएसटी आप वसूल कर रहे हैं. जब एक समान जीएसटी आपने लगाया, टैक्स लगाया और टैक्स बढ़ने के साथ ही वस्तु के मूल्य में वृद्धि हो जाती है और जब भी मूल्य में वृद्धि होगी तो उससे आम जनता प्रभावित होती है. आपने कहा कि कपड़े में एक हजार रूपये तक का यदि आप लेगें उसमें आपको जीएसटी नहीं लगेगा. यह जनता को पता नहीं है. जब आम आदमी बाजार में जायेगा तो 1 हजार का ले, चाहे वह 500 का ले, दुकानदार यह बोलता है कि भैया यह महंगाई जीएसटी के कारण बढ़ी हुई है. हम तो आपको सस्ता देना चाहते थे, लेकिन क्या करें सरकार की जीएसटी ने हमें तोड़ दिया, 500 में भी जीएसटी लगेगा और 5000 में भी जीएसटी लगेगा. इसी तरीके से आपने बच्चों को भी नहीं छोड़ा, पढ़ने वाली पुस्तकों में भी आपने जीएसटी लगा दिया. निशुल्क शिक्षा की हम बात करते हैं और एक तरफ जीएसटी आप ठोके पड़े हैं.
उससे आप धनार्जन कर रहे हैं, प्रदेश की आय आप उससे संग्रहित कर रहे हैं. आपने खेल सामग्रियों को भी नहीं छोड़ा है, वह फुटबाल जो बच्चे खेलते थे, वह पहले दो सौ रूपये में, तीन सौ रूपये में, चार सौ रूपये में, पांच सौ रूपये में मिल जाया करती थी, आज वह फुटबाल और बॉलीबाल एक हजार रूपये नीचे नहीं आती है, क्योंकि आप इन खेल सामग्रियों पर 12 प्रतिशत जी.एस.टी. वसूल कर रहे हैं, फिर आपका विद्यालयों में खेल कहां से हो पायेगा? माननीय मंत्री स्कूल शिक्षा यहां पर बैठे हैं, किसी भी विद्यालय में आज खेल नहीं चल रहा है, उनके यहां पर खेल सामग्रियां नहीं पहुंच पा रही हैं, वहां बच्चे खेल ही नहीं रहे हैं, क्योंकि आपकी सामग्री इतनी महंगी है. हम लोग इसके प्रत्यक्षदर्शी हैं और 12 प्रतिशत आप फुटबाल में, गेंद में, क्रिकेट में, बल्ले में वसूल कर रहे हैं.
माननीय सभापति महोदया, जब यह सरकार जी.एस.टी. लागू कर रही थी, तब उस समय सरकार का उद्देश्य था कि चाहे वो आपका वैट टैक्स हो, चाहे एक्साइज ड्यूटी हो, सर्विस टैक्स हो, इन सबको मिलाकर आपने एक टैक्स बना दिया है और जो बच गया, उसको अभी आपने लेकर आ गये कि अब टोल टैक्स, उपकर शुल्क जो भी होंगे, अब इससे ग्राम पंचायत और नगर पंचायत वसूल करने लगेंगी. मतलब जनता को आप छोड़ेंगे नहीं, जनता के जेब में आप एक पैसा नहीं रहने देंगे, यह आपकी मानसिकता इस प्रदेश में हो गई है.
माननीय सभापति महोदया, मध्यप्रदेश में जी.एस.टी. तेजी से बढ़ा, जिससे आपकी आय भी बढ़ी और आप नंबर वन पर भी हैं. आप जी.एस.टी. वसूलने में नंबर वन पर हैं और इसके लिये हम आपको बधाई देते हैं क्योंकि सबके जेब आपने खाली कर दी और सारी वस्तुओं पर आपने जी.एस.टी. ठोंक दिया है. अब आप आय का स्त्रोत बढ़ाकर नंबर वन आकर अपनी पीठ थपथपा सकते हैं, लेकिन वास्तव में आप जनता के हित में क्या दे रहे हैं? उस पैसे से हम आम जनता को क्या सुविधा दे पा रहे हैं? वह पैसा आप जिससे वसूल कर रहे हैं, क्या उनकी समस्याओं का समाधान उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हम कर पा रहे हैं या नहीं कर पा रहे हैं? इस पर ज्यादा विचार करने की आवश्यकता है.
सभापति महोदया -- मार्को जी अब समाप्त करें, आपका समय लगभग हो गया है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- अब मैं बोल रहा हूं, तो समय हो ही गया होगा(हंसी) हम बोलेंगे तो समय तो समाप्त ही होगा.
सभापति महोदया -- नहीं, बाकी लोगों ने बिना कहे ही समय सीमा का ध्यान रखा है, इसलिए आप भी समय का ध्यान रखें.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- यह मैं नहीं कह रहा हूं, अब बोल रहे हैं तो समय तो जा ही रहा है, वह तो समाप्त ही होगा(हंसी)
सभापति महोदया -- अभी नेता प्रतिपक्ष जी को भी बोलना है और इधर माननीय मंत्री जी भी जवाब देंगे.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- अब हम यह नहीं कहेंगे, यदि कुछ बचा हो तो इसमें भी आप जी.एस.टी. लगा दें कि आप ज्यादा बोलोगे तो उसमें भी आप जी.एस.टी. ठोंक देंगे, फिर लो बात खत्म हो जायेगी.
संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- श्री फुंदेलाल सिंह मार्को जी आप कबड्डी खेलो, सितोलिया खेलो, गदामार खेलो, आपको क्या जरूरत है दूसरे खेल खेलने की जिसमें जी.एस.टी. लगे, हम सभी लोग गांव के लोग हैं, हमने तो वही अत्ती पत्ती खेला है, (हंसी)
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय सभापति महोदया, बहुत अच्छा विकल्प कैलाश जी ने बताया है, सरकार इसको अपना थंब रूल कर ले कि सारे खेल समाप्त करके सिर्फ कबड्डी खिलाओ सबको और कबड्डी की जगह खो-खो बहुत अच्छा है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी हम तो गांव में गिल्ली डंडा खेला करते थे और गढ़ा गेंद खेलते थे, जो आज क्रिकेट हो गया है. हम पिट्ठू भी खेले हैं. मैं तो इसलिए बता रहा था कि कल संसदीय कार्यमंत्री जी बता रहे थे और इस तरीके से माननीय वित्तमंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि जो पैसा जी.एस.टी के माध्यम से आप संग्रह करते हैं. मध्यप्रदेश में जीएसटी में जो राशि आपने संग्रह किया है, सबसे ज्यादा देश में आ रही है और अन्य जो शुल्क है, जहां पर हमारे जाति प्रमाण पत्र बन रहे हैं, वहां भी आपने शुल्क लगा दिया है, अन्य जगह जो शुल्क आप ले रहे हैं इन शुल्कों को कम कीजिए और जो जनहित की आवश्यकताएं है, अन्य निर्माण कार्य है, जिस उद्देश्य से आपने संग्रह किया है, गांव का एक आदमी भी जीएसटी दे रहा है, उस पैसे का लाभ वहां तक पहुंचना चाहिए. ऐसा मेरा अनुरोध है, सभापति जी आपने बोलने का मौका दिया आपको बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय – श्री नितेन्द्र सिंह राठौर जी.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर (पृथ्वीपुर)– सभापति जी धन्यवाद मैं बोलना नहीं चाहता.
श्री सुरेश राजे – माननीया सभापति, मेरा इतना निवेदन है माननीय मंत्री जी से, वर्ष 2013 से डबरा के अंदर राजस्व के नामांतरण बंद है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि आखिरकार वह नामांतरण क्यों बंद है और कब खुलेंगे. रजिस्ट्री पर आप स्टाम्प शुल्क बढ़ाओ, कोई बात नहीं, लेकिन यह तो बताओ की ये नामांतरण कब खुलेंगे, हम रजिस्ट्री भी करवा लेते हैं, लेकिन नामांतरण नहीं होते, सभापति जी धन्यवाद.
श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी) –सभापति महोदया, मैं बस एक मिनट लूंगा, चाहे वह रजिस्ट्री शुल्क हो, चाहे पंजीयन शुल्क हो, सरकार ने सब बढ़ाने का काम किया. पर दिक्कत कहां होती है, जहां कलेक्टर गाइडलाइन है, कीमत उससे कम का पता चल रहा है, जहां वास्तविक कीमत ज्यादा है, ये त्रुटियां हैं. मैं आपके माध्यम से सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि आदमी रजिस्ट्री बड़ी मुश्किल से करवाता है और उसके बाद नक्शा छोटा हो जाता है, कहीं बड़ा हो जाता है. साल भर बाद फिर से सीमांकन नपाई का आवेदन दिया जाता है, फिर उसकी कम ज्यादा जगह हो जाती है और इन सब चीजों में उसको वर्षों इस सुधार के लिए लगना पड़ता है. लगातार एसडीएम और राजस्व विभाग के चक्कर लगाना पड़ता है. मैं राजस्व मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना चाहता हूं कि कोई किसान या कोई व्यक्ति अपनी जमीन का सीमांकन करवाता है तो 250 की धारा की तहत उसको कब्जा भी दिलाया जाता है, पर उसके अलावा भी अपील में वह आदमी चला जाता है और सालों साल उसको कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं इस पर भी सुधार होना चाहिए यह मेरा अनुरोध है धन्यवाद.
सभापति महोदया – माननीय नेता प्रतिपक्ष जी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) – माननीय सभापति महोदया, भारतीय स्टाम्प मध्यप्रदेश संशोधन विधेयक, 2025 क्रमांक 7, मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 8 सन् 2025), रजिस्ट्रीकरण (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 9 सन् 2025), भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 10 सन् 2025) पर विचार करने की बात है. स्वाभाविक है सदन को नियम कानून बनाने का अधिकार है. लेकिन हम आम जनता के लिए कानून और नियम बनाते है. कहने को कहते हैं कि हम जनप्रतिनिधि है, जनता की आवाज है. जो इन पर विचार के बिन्दु आए क्या प्रदेश की जनता या प्रदेश के लोग, या जो स्टाम्प ड्यूटी भरते हैं, जो टैक्स भरते हैं, क्या उनसे हमने राय ली. उप मुख्यमंत्री जी से उम्मीद करुंगा कि वे जवाब देंगे और राय ली तो कब ली, कब प्रकाशित हुई, किस वेंडर को पता है.
यह मैं समझना चाहता हूं कि एक तरफ सरकार कर्ज ले रही है और विकास की बात करती है कि हम जनता पर कर्ज नहीं डालेंगे. कई बार कई मंत्रियों ने कहा, माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी कहा, लेकिन यह स्टॉम्प ड्यूटी बढ़ाना, इस प्रकार के शुल्क बढ़ाना क्या जनता से पैसा वसूलने की तैयारी नहीं है. एक तरफ आप कह रहे हैं कि विकास के लिये कर्ज ले रहे हैं, पूंजीगत व्यय के लिये कर्ज ले रहे हैं हम. भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 शिड्यूल वन जो केन्द्र से संबंधित दस्तावेजों के लिये होता है. शिड्यूल वन में आप बदलाव करना चाह रहे हैं. सरकार ने विधेयक में कहा है कि महंगाई बढ़ रही है. महंगाई बढ़ रही है इसलिये हम प्राइस इंडेक्स है इस कारण हम शुल्क लगा रहे हैं. बिल्कुल सही बात है कि महंगाई बढ़ रही है. हर व्यक्ति के लिये इतनी महंगाई हो गई है दाल, चावल, आटा महंगा हो गया है. लेकिन उस पर हम जीएसटी भी लगा रहे हैं. मैं कुछ उदाहरण देना चाहता हूं कि शपथ-पत्र के लिये 50 से 200 रूपये यानि कि 300 परसेंट वृद्धि. एक गरीब जब किसी दुकानदार के पास टाईप कराने जाता है शपथ-पत्र बनाने के लिये उसको 4 सौ रूपये से 5 सौ रूपये देने पड़ते हैं. लीगल पैसे आप अलग लेंगे. वह कैसे पैसे लाता है ? कैसे शपथ-पत्र देता है जब सरकार कामों में उसे शपथ-पत्र लगता है, तो क्या आपने उसके बारे में सोचा है? कैसे वह एक गरीब महिला पैसे निकालती है साड़ी के पल्लू से, कैसे उसने मेहनत करके मजदूरी करके जब उसे पैसे की उसको जरूरत पड़ती है. सरकार की उस गरीब महिला के पैसे पर भी नियत खराब है. अचल सम्पत्ति के लिये एग्रीमेंट, एग्रीमेंट के लिये आपने सीधे सीधे 400 परसेंट बढ़ा दिये. एक हजार से सीधे पांच हजार. कोई अगर एग्रीमेंट कर रहा है उस पर आप ड्यूटी लगा रहे हैं. विकास, निर्माण प्रतिपूर्ति बाण्ड से संविदा मूल्य ठीक है इसके अंदर 50 लाख था उसको भी बढ़ा दिया है. सहमति कंवेयंस डीड सहमति पत्र के अंदर भी आपने सीधे सीधे 400 परसेंट यानि एक हजार से पांच हजार रूपये बढ़ा दिये. यह मैं समझता हूं कि इस बारे में सरकार को विचार करना चाहिये. रिवाल्वर पिस्टल के लायसेंस के लिये 5 हजार से 10 हजार यानि की 100 प्रतिशत वृद्धि. कलेक्टर ऑफिसों में जब हम जाते हैं लायसेंस के लिये 50-50 हजार रूपये रिश्वत देना पड़ती है. पीछे हमारे सदस्य जी कह रहे थे कि पांच पांच लाख रूपये देने पड़ते हैं. अब सरकार एक नंबर में उनसे पैसे अलग से लेगी. नवीनीकरण के लिये 2 हजार से 5 हजार रूपये इसमें भी 100 प्रतिशत वृद्धि. पॉवर ऑफ अटार्नी सिंगल ट्रांजेक्शन के लिये 1 हजार से 2 हजार रूपये यानि 100 प्रतिशत वृद्धि. अभी ट्रांजेक्शन के लिये 5 हजार रूपये यथावत् रखा है. मतलब कि पैसा आदमी खर्च करे उसको यथावत्, लेकिन बाकी सबमें सरकार ने कहा है कि प्राइस इंडेक्स के कारण हम पैसा बढ़ा रहे हैं. महंगाई से राहत देने के बजाय उसी महंगाई को आपने आधार बनाया है. सरकार को महंगाई से राहत देना चाहिये प्रदेश की जनता को लेकिन उसी महंगाई को आप आधार बना रहे हो इससे जनता को बोझ डालने का एक नया प्रयास करके इस प्रकार का फैसला लिया जा रहा है. माननीय सभापति महोदया, मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 के संबंध में कहना चाहता हॅूं कि पिछले 5 वर्षों में जीएसटी जब से आया है, तब से प्रदेश देश के अंदर 75 हजार एमएसएमई यूनिट्स बंद हुई हैं और यह मैं नहीं कह रहा हॅूं यह राज्य सभा के अंदर प्रश्न पूछा गया था, उसका जवाब है. जीएसटी से पूरे देश और प्रदेश में क्या स्थिति रही, यह केन्द्र सरकार के जवाब से स्पष्ट होता है.
माननीय सभापति महोदया, पहले राज्यों में वेट के माध्यम से वसूली की जाती थी, टैक्स लगाया जाता था. मतलब मध्यप्रदेश की सरकार केन्द्र पर निर्भर हो गई. आत्मनिर्भर केन्द्र होगा, लेकिन मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर नहीं हो पाया, यह नई प्रणाली है.
5.56 बजे { अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए. }
अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हॅूं कि आपका यह विधेयक एक राजस्व की भूख है और जनता की लूट है. महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है. वॉशिंग मशीन, फ्रीज में आपने 18 परसेंट जीएसटी लगा दिया. सीमेंट, जिससे गरीब आदमी घर बनाता है उस पर 28 परसेंट जीएसटी है. आपने रोटी तक को नहीं छोड़ा. आटे पर 5 परसेंट जीएसटी है तो सरकार एक आधार बनाती है कि महंगाई बढ़ गई है, इस कारण हम टैक्स लगा रहे हैं. लेकिन क्या आम जनता, प्रदेश की जनता से आप पूछ रहे हैं, नहीं पूछ रहे हैं. हम कैसे जनप्रतिनिधि हैं जो सदन के अंदर साढे़ आठ करोड़ की जनता की बात करते हैं लेकिन उनके मन की बात हम जानना नहीं चाहते हैं. हम हमारे मन की बात उन पर थोपना चाहते हैं. यह कैसे होगा ? मैं सरकार से कहना चाहता हॅूं कि इस पर आम जनता से विचार होना चाहिए, उसके बाद चाहे आप स्टॉम्प में शुल्क बढ़ायें या इस पर टैक्स बढ़ायें, उसके बाद आपको विचार करना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब जीएसटी गुड एंड सिम्पल आया था, तब माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि वन नेशन-वन टैक्स. न तो गुड है और न ही सिम्पल है. जीएसटी में 5 तरह के स्लैब हैं. रिटर्न फाइल करने के लिए जीएसटी के 4 से अधिक फार्म भरने पड़ते हैं फिर यह सिम्पल टैक्स कैसे हो गया ? प्रदेश के व्यापारी से पूछो. कैसे सिम्पल टैक्स हो गया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पेट्रोल पर, डीज़ल पर दिल्ली और मुंबई से ज्यादा मध्यप्रदेश में टैक्स है. कोई भी राज्य का ट्रक अगर मध्यप्रदेश से गुजरता है तो पहले वह राजस्थान से डीज़ल भरवाएगा, यूपी में डीज़ल भरवाएगा, उसके बाद मध्यप्रदेश से निकलेगा. एक बार मैंने ट्रक वाले से पूछा कि यहां से डीजल क्यों नहीं भरवाते हैं तो उसने कहा कि आपकी सरकार, बीजेपी की सरकार पेट्रोल, डीज़ल के दाम कम ही नहीं करती, इसलिए हम राजस्थान में भरवा लेते हैं. यह स्थिति कब बनेगी कि बाहर के राज्य के जो ट्रक गुजरते हैं, जिस मध्यप्रदेश को आप इंडिया के सेंटर का लॉजिस्टिक हब कहते हैं, साउथ और नॉर्थ के बीच में जो ट्रांजेक्शन होता है, क्या इस लॉजिस्टिक हब के लिए आपने सोचा, नहीं सोचा. आप आम जनता के लिए डीज़ल, पेट्रोल की बात करते हैं लेकिन उसके बारे में सरकार नहीं सोचती. लेकिन आपको जनता पर बोझ देना है. महंगाई के नाम पर आप टैक्स बढ़ाएंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा-2 जो परिभाषा दी गई है यूनिक आईडी मॉर्किंग में है. इस प्रकार की जटिल स्थिति है. इसकी आर्थिक जिम्मेदारी किसकी है ? क्या इस पर विचार करेंगे ? धारा-12, 13 में वॉऊचर को सप्लाई से बाहर करना. पहले वॉऊचर गिफ्ट, कूपन कार्ड पर टैक्स लगता था. आपकी सरकार स्वीकारती है कि वर्षों से जो टैक्स है, क्या जनता और कंपनियों से गलत वसूली की गई, उसमें आप बदलाव करें. क्या आप जनता और उन कंपनियों को वापस पैसा देंगे, सरकार यह बताए. धारा 17 प्लांट एंड मशीनरी, वर्ष 2017 से प्रभावी है. 7 साल से कानून स्पष्ट नहीं था. व्यापारियों को मुकदमों में वित्तीय नुकसान हुआ. प्रदेश के व्यापारियों को प्लांट एंड मशीनरी में धारा 17 में जो वित्तीय नुकसान हुआ, उनको क्या आप वापस से पैसा देंगे? बताए सरकार. धारा 20 आईएसडी द्वारा रिवर्स चार्ज आईटीसी के वितरण के लिए वर्ष 2025 से अध्यक्ष महोदय, स्माल डिस्ट्रीब्यूटर्स को एक्सट्रा कंप्लायंस करना पड़ रहा है क्या इस पर सरकार विचार करेगी? अध्यक्ष महोदय, ऐसी कई धाराएं हैं, धारा 38, 39, रिटर्न फाइलिंग धारा 107, 112, 122 ख, 48 क, ये सब वह धाराएं हैं इन पर मैं समझता हूं कि सरकार को नियमों के अंदर विचार करना चाहिए कि हम प्रदेश की जनता के लिए किस प्रकार से न्याय कर सकते हैं. अभी एक और आया स्टाम्प अधिनियम, 2025, धारा 10 में आप संशोधन करना चाह रहे हैं. आपने स्टाम्प शुल्क किया, जुर्माना आपने कम कर दिया. 2 परसेंट की बजाय 1 परसेंट कर दिया, लेकिन आपने उसमें ब्याज लगा दिया. पहले ब्याज नहीं था. अगर उसने शुल्क जमा नहीं किया तो अब आप 1 परसेंट उससे हर महीने ब्याज लेंगे. आप इधर 2 से 1 परसेंट कर रहे हो, लेकिन उधर आप ब्याज लगा रहे हो, यह कैसी आप सुलभ व्यवस्थाएं कर रहे हैं? आपने धारा 41 में संशोधन किया. पहले यह था कि 6 महीने से ज्यादा पर ब्याज नहीं लिया जाता था. अब आपने संशोधन कर दिया. ब्याज की दर आपने 2 परसेंट से 1 परसेंट कर दी, लेकिन आपने चतुराई से वह 6 महीने का नियम हटाकर अब उसको जब तक वह शुल्क जमा नहीं करेगा, तब तक उससे पैसे लिये जाएंगे, यह सरकार का तरीका है कि नये तरीके से कैसे वसूली की जाय, मैं समझता हूं कि ऐसे कई मामले हैं जो मैंने आपको नियम के साथ बताएं हैं, लेकिन इस पर सरकार को विचार करना चाहिए. ठीक है, आप बहुमत में हैं, लेकिन प्रदेश की जनता देख रही है कि आप किस प्रकार से हर व्यक्ति पर शुल्क लगा रहे हैं, एक स्टाम्प शपथ पत्र वाले पर, छोटे से व्यक्ति पर उन पर विचार करना चाहिए, टैक्स पेअर्स और उन व्यापारियों के बारे में सोचना चाहिए, यही मैं कहना चाहता हूं इसलिए मैं इस विधेयक का विरोध करता हूं. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी.
उपमुख्यमंत्री, वित्त (श्री जगदीश देवड़ा) - (मेजों की थपथपाहट) अध्यक्ष महोदय, विधेयक पर सभी विद्वान साथी, माननीय श्री बाला बच्चन जी, डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी, श्री राजन मण्डलोई जी, श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी, श्री दिनेश जैन बोस जी, श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू जी, श्री फूलसिंह बरैया जी, श्री नीरज सिंह ठाकुर जी, श्री जयवर्द्धन सिंह जी, श्री हरदीप सिंह डंग जी, श्री नारायण सिंह पट्टा जी, श्री फून्देलाल सिंह मार्को जी, श्री सुरेश राजे जी, श्री रजनीश हरवंश सिंह और नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार जी, मैं सभी विद्वान साथियों का हृदय से अभिनंदन करता हूं, स्वागत करता हूं कि आपने बहुत महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये और जहां कहीं संशोधन में कोई आपको कमी लगी तो उस कमी को भी आपने बताया. निश्चित रूप से उन सब पर हम गंभीरता से विचार करेंगे.
श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि यह जो शपथ पत्र, अचल संपत्ति में और रिवाल्वर नवीनीकरण के लिये जो 200-400 प्रतिशत टैक्स बढ़ाया है तो क्या आप इसको वापस लेंगे ?
श्री जगदीश देवड़ा- अध्यक्ष महोदय, समय-समय पर सभी परिवर्तन होते हैं, संशोधन होते हैं..
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी को जवाब देना था ना.
श्री उमंग सिंघार- हम तो सीधे यह पूछ रहे हैं कि आप जो ड्यूटी लगा रहे हैं, टैक्स लगा रहे हैं. इसको आप कम करेंगे, खत्म करेंगे या वापस लेंगे यह पूछ रहा हूं. इसको आप बता दें. इसमें घुमाकर क्या जवाब देना है. यदि नहीं कर रहे हैं तो बोल दें कि नहीं कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, पूरा जवाब देंगे ना.
श्री जगदीश देवड़ा- अध्यक्ष महोदय, बतायेंगे, बोलेंगे भी. अभी मैं खड़ा हुआ हूं...
अध्यक्ष महोदय- अभी उन्होंने जवाब देना शुरू ही किया है. प्रश्न आपका आ गया है.
श्री उमंग सिंघार- हम तो यह पूछ रहे हैं कि आप करेंगे या नहीं ? तो हम सुने आपकी बात. नहीं तो आप पूरे मध्यप्रदेश का व्याख्यान करोगे तो उसका क्या मतलब है.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश की बात हो रही है. प्रदेश की जनता की बात हो रही है. प्रदेश के हित में बात हो रही है. मैं आपसे सिर्फ यह जानना चाह रहा हूं कि आप यह जो शपथपत्र वगैरह पर जो ड्यूटी बढ़ायी है तो आप क्या इसको वापस लेगें या नहीं ? यह बता दें.
अध्यक्ष महोदय- नेता प्रतिपक्ष जी, आपने मंत्री जी के सामने सारी बात रखी है. मंत्री जी जवाब दे रहे हैं तो आप जवाब सुनो ना.
श्री जगदीश देवड़ा- जैसा माननीय सदस्य ने भी कहा था कि था शपथ पत्र के बारे में...
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, जवाब दे रहे हैं. आपके सवाल के.
श्री उमंग सिंघार- अध्यक्ष महोदय, इसका जवाब आना चाहिये, नहीं तो मालूम पड़ा कि जवाब ही नहीं दिया है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल)- माननीय अध्यक्ष जी, मंत्री जी जवाब देने के लिये खड़े हुए और नेता प्रतिपक्ष जी पहले मिनट से ही शुरू हो गये. सदन ने उनको इतनी शांति से सुना है तो मुझ लगता है माननीय वित्त मंत्री जी को इंटरेप्ट कर रहे हैं. मैं आपको इंटरेप्ट कर सकता था.
श्री उमंग सिंघार- यहां आप और हम बैठे हैं, प्रदेश की जनता के लिये.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल- हां, यह सदन प्रदेश की जनता के लिये है.
श्री उमंग सिंघार- हम असत्य सुनने के लिये नहीं आये हैं. आप जवाब तो हम सुनेंगे.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल- तो आपको सुनना पड़ेगा.
श्री उमंग सिंघार- ठीक है.
श्री जगदीश देवड़ा- अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि संशोधन तो उस समय भी बहुत आये. हर सरकार में विधेयक में संशोधन आते हैं और राशि बढ़ायी जाती है. उदाहरण दिया था श्री प्रहलाद सिंह पटेल जी ने कि अगर राशि बढ़ायी है तो काम किये हैं. जी.एस.टी. आया है तो देश में दृश्य बदल गया है. वन नेशन, वन टैक्स से पूरे हिन्दुस्तान का नक्शा बदला है. (मेजों की थपथपाहट) .. केवल इस पर कि बढ़ायेंगे की घटायेंगे, जो बढ़ाया है वह सोच-समझकर बढ़ाया है. यह आपने शपथ पत्र के बारे में कहा कि 100 रूपये का, यह एस.सी.एस.टी और ओबीसी के लिये नि:शुल्क है.
अध्यक्ष महोदय- सुरेश राजे जी आप बैठ जायें. आप मुक्त हो.
श्री जगदीश देवड़ा- अध्यक्ष महोदय, भारतीय स्टाम्प अधिनियम की अनुसूची-1(क) के कुछ अनुच्छेदों में संशोधन हेतु भारतीय स्टाम्प मध्यप्रदेश
( संशोधन) विधेयक, 2025 लाया जा रहा है.
प्रथम अनुसूची-1, संघ सूची पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क से संबंधित है. द्वितीय अनुसूची- 1(क), उन दस्तावेजों पर स्टाम्प शुल्क की दरें निर्धारित करती हैं जो राज्य सूची के विषय के अंतर्गत आता है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष महोदय, यह जो नौ पाइंट हैं, इसमें से कौन सा नि:शुल्क है.
अध्यक्ष महोदय- सोहन जी, आप बैठ जायें. पूरा जवाब आने दें.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल- अध्यक्ष महोदय, यह डिस्टर्ब करना है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी कि बात से यदि आप संतुष्ट नहीं हो तो अपनी बात करना.
श्री जगदीश देवड़ा- मैंने शपथ पत्र के बारे में भी बताया है वह एस.सी.एस.टी और ओबीसी पर नि:शुल्क है.
अध्यक्ष महोदय- अनुसूची-1 (क) में कुल 64 अनुच्छेदों में विभिन्न दस्तावेजों का उल्लेख है. 64 में से हम केवल 12 अनुच्छेदों के लिये हम संशोधन प्रस्ताव लायें हैं. यह संशोधन भी 11 वर्ष के पश्चात् आये हैं. 11 वर्ष बाद. मैं इस संशोधन प्रस्ताव में शासन द्वारा मानवीय दृष्टिकोण को अपनाते हुए एक विसंगित को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. वर्तमान प्रावधानों में परिवार की परिभाषा के अंतर्गत माता, पिता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, भाई, बहन, पुत्र वधू, पौत्री, नातिन एवं पौत्र नाती को सम्मिलित किया गया है, जबकि विधवा भाभी एवं उनके बच्चों को शामिल नहीं किया गया, जिसके कारण परिवार में सम्पत्ति विभाजन की दशा में उस विधवा भाभी एवं उनके बच्चों से स्टाम्प ड्यूटी पाइंट फाई प्रतिशत के स्थान पर 5 प्रतिशत ली जाती थी, इसका संशोधन करके अब नवीन संशोधन प्रस्ताव से आर्टिकल 18 परिवार में सम्पत्ति विभाजन में विधवा भाभी तथा उसके बच्चों को परिवार की परिभाषा में शामिल किया जाना प्रस्तावित है, जिसके परिणाम स्वरुप स्टाम्प ड्यूटी पाइंट फाई प्रतिशत ही ली जायेगी, यह मानवीय दृष्टिकोण से पहले नहीं था, इसको हमने संशोधित किया. इस संशोधन प्रस्ताव के समर्थन में एक तथ्य यह भी है कि इसका प्रभाव मात्र 10 प्रतिशत दस्तावेजों पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क पर पड़ेगा. शेष दस्तावेजों के संबंध में स्टाम्प शुल्क यथावत् रखा गया है. रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17, 18 एवं धारा 89 में संशोधन तथा धारा 80 (ग) के अंतःस्थापन हेतु रजिस्ट्रीकरण (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 लाया गया है. धारा 17 एवं धारा 89 में संशोधन-मूल प्रावधान 17 एवं 89 में बैंक में सम्पत्ति गिरवी रख कर जो ऋण प्राप्त किये जाते हैं, उस ऋण की पूर्ण अदायगी हो जाने के पश्चात् पश्रकार को व्यक्तिगत रुप से उस पंजीयक कार्यालय में उपस्थित होकर बंधक सम्पत्ति की वापसी डी मार्टगेजिंग संबंधी दस्तावेज का पंजीयन अनिवार्य था. अब इसमें संशोधन किया कि ऋण की पूर्ण अदायगी हो जाने के पश्चात् पक्षकार को व्यक्तिगत रुप से उप पंजीयक कार्यालय में उपस्थित होकर बंधक सम्पत्ति की वापसी डी मार्टगेजिंग दस्तावेज के पंजीयन की अनिवार्यता को समाप्त करते हुए बैंक अथवा स्वयं के द्वारा केवल सूचना दिया जाना पर्याप्त होगा. अब वह चक्कर लगाना, वकील करना पड़ता था उसके लिये, काफी राशि भी खर्च होती थी. उससे इससे मुक्ति मिलेगी. जन सामान्य के समय में बचत भी होगी और उप पंजीयक कार्यालय में भीड़ कम होगी. अध्यक्ष महोदय, धारा 80 (ग) का अंतःस्थापन जोड़ा जाना. वर्तमान में रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 में ऐसे प्रकरण, जिनमें कम पंजीयन फीस जमा की गई हो तथा शासन द्वारा उक्त विषय में शुल्क वसूली के लिये आदेश जारी कर दिया गया हो, इस संबंध में ऐसे आदेश के विरुद्ध पुनरीक्षण एवं अपील का प्रावधान वर्तमान में नहीं है. शासन द्वारा इस वैधानिक कमी को पूरा करने के लिये एक नई धारा 80 (ग) जोड़ा जाना प्रस्तावित है. संशोधन प्रस्ताव से ऐसे आदेशों के विरुद्ध पुनरीक्षण एवं अपील की जा सकेगी. पहले यह प्रावधान नहीं था, अब यह प्रावधान इसमें जोड़ा गया है. इस संशोधन से प्राकृतिक न्याय आम जन को उपलब्ध हो सकेगा, उनके अधिकारों का संरक्षण होगा. अध्यक्ष महोदय, भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1999 की धारा 35,40 व 41 में संशोधन हेतु भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 लाया गया है. मूल प्रावधान धारा 35 एवं 40 ऐसे दस्तावेज, जिन पर पूरा स्टाम्प शुल्क नहीं चुकाया गया, उनके संबंध में वर्तमान में कमी स्टाम्प शुल्क की राशि का दो प्रतिशत प्रतिमाह की दर से पेनल्टी का प्रावधान तथा पेनल्टी की अधिकतम सीमा कमी स्टाम्प शुल्क की राशि के बराबर है, यह मूल अभी प्रावधान है. यह मूल में अभी प्रावधान है लेकिन इसमें संशोधन किया है. ऐसे दस्तावेज जिन पर पूरा स्टाम्प शुल्क नहीं चुकाया गया है, उसमें जितनी राशि कम चुकाई गई है उतनी राशि पर 2 प्रतिशत प्रतिमाह पेनाल्टी के लिये जाने का प्रावधान है जिसे संशोधित करते हुये पेनाल्टी 1 प्रतिशत प्रतिमाह तथा ब्याज की राशि 1 प्रतिशत प्रतिमाह लिया जाना प्रस्तावित है. पेनाल्टी की अधिकतम सीमा को यथावत रखा गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रस्तावित संशोधन से लाभ जो होंगे ऐसे प्रकरण जिनमें पक्षकार स्वयं उपस्थित होकर आवेदन देता है कि उसके द्वारा स्टाम्प शुल्क कम चुकाया गया है उस परिस्थिति में वर्तमान में 2 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से ब्याज लगाये जाने का प्रावधान है जिसे संशोधित करते हुये ब्याज 1 प्रतिशत किया गया है. राशि की अधिकतम सीमा के प्रावधान को विलोपित किया जाना प्रस्तावित है. प्रस्तावित संशोधन से आमजन को ब्याज की दर घटाये जाने से लाभ प्राप्त होगा तथा ब्याज की अधिकतम सीमा हटाये जाने से शासन को भी राजस्व की प्राप्ति होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जनता के हित में संशोधन है. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष ने जीएसटी के बारे में बहुत कुछ कहा है लेकिन जीएसटी परिषद एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें करने के लिए जिम्मेदार है। एक संवैधानिक संस्था है और सभी राज्यों के प्रतिनिधि उसमें बैठते हैं. यह जीएसटी का जो कानून है या जो संशोधन आये हैं यह जीएसटी काउंसिल में पास होने के बाद भारत सरकार भी उसको लागू करती है और फिर सभी राज्य उसको लागू करते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, दलगत भावना से ऊपर उठकर यह है, यह किसी पार्टी ने नहीं किया, यह जो संशोधन आया है तो जीएसटी काउंसिल में पास होकर के आया है.
श्री उमंग सिंघार -- वित्त मंत्री जी, सरकार ने यहां से क्या क्या सुझाव भेजे है यही आप बता दें. ठीक है आपने जीएसटी काउंसिल की बात की इस प्रदेश से क्या सुझाव गये वह आप बता दें.
श्री जगदीश देवड़ा- माननीय अध्यक्ष महोदय, हर राज्य अपने अपने सुझाव देता है.
श्री उमंग सिंघार- आपने दिये हैं क्या.
श्री जगदीश देवड़ा-- जरूर दिये हैं.
श्री उमंग सिंघार - क्या दिये है, बताओ.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, एक सुझाव नहीं है बहुत सारे सुझाव हमने दिये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जितने सुझाव मध्यप्रदेश सरकार की ओर से दिये गये हैं .मैं सदन में कह रहा हूं कि मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष को..
अध्यक्ष महोदय-- जीएसटी काउंसिल की एक विशेषता है कि एक तो जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों के जो मुख्यमंत्री हैं, वह किसी भी राजनैतिक दल के हों वह उस काउंसिल के मेंबर हैं और मुझे कहते हुये प्रसन्नता है कि जीएसटी काउंसिल का जो भी निर्णय आज तक हुआ है वह सर्वसम्मति से हुआ है. हर राज्य के वित्त मंत्री उसमें बैठते हैं और अपने अपने राज्य की बात करते हैं और जीएसटी काउंसिल में कोई भी आज तक फैसला मत विभाजन के आधार पर नहीं हुआ.
श्री जगदीश देवड़ा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे भी जीएसटी काउंसिल में जाने का सौभाग्य मिला है, हर विषय पर, हर बिंदू पर वहां पर बहस होती है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष ने यही जानना चाहा है कि जीएसटी काउंसिल में प्रदेश की तरफ से क्या सुझाव गये हैं , वह मांगा जा रहा है. उसमें क्या है. रजिस्ट्री के बारे में मध्यप्रदेश का क्या पक्ष है.
अध्यक्ष महोदय- सोहन लाल जी वित्त मंत्री जी अपनी बात कह रहे हैं. कृपया बैठ जाये.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- अध्यक्ष महोदय, वह बोलें लेकिन यह तो बता दें कि रजिस्ट्री के बारे में मध्यप्रदेश सरकार का क्या पक्ष है...
...व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय- वित्त मंत्री जी को बोलने दीजिये.
श्री जगदीश देवड़ा --माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में कह रहा हूं कि मध्यप्रदेश सरकार की ओर से भी समय समय पर जीएसटी काउंसिल में जो सुझाव दिये हैं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को भी मैं वह बता दूंगा, मैं दे दूंगा क्योंकि कोई एक सुझाव नहीं है बहुत सारे सुझाव हैं.
...व्यवधान...
श्री उमंग सिंघार -- माननीय वित्त मंत्री जी 2023 के आईजीएसटी के 417 करोड़ रूपये पड़े हैं अभी तक केन्द्र से आये नहीं है. और अध्यक्ष जी मैंने जो सवाल किया था जो प्रदेश की जनता के लिये है कि आपने यहां बोल दिया कि एससी,एसटी.ओबीसी के लिये शपथ पत्र निशुल्क है बाकी बंदूक लाईसेंस, अगर वह एग्रीमेंट करता है, या पार्टनरशिप करता है क्या उस पर टैक्स लगेगा ? लगेगा क्या यह बोल दो आप.
श्री जगदीश देवड़ा-- लगेगा.
श्री उमंग सिंघार - लगेगा तो फिर हम क्यों सुनें फिर.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी आप अपनी बात पूरी करें.
...व्यवधान...
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मर्जी ही करना है तो फिर क्या मतलब. आपको अगर मर्जी करना है प्रदेश की जनता की आवाज नहीं सुनना है तो अध्यक्ष महोदय वित्त मंत्री को क्यों सुनेंगे हम. क्यों सुनेंगे.
...व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय- माननीय नेता प्रतिपक्ष से आग्रह है कि वित्त मंत्री जी ने सभी सदस्यो को सुना है, सुझाव उन्होंने नोट किये हैं.
श्री उमंग सिंघार -- सरकार जनता पर टैक्स लगा रही है...(व्यवधान)
श्री जगदीश देवड़ा -- टैक्स नहीं लगायेंगे क्या..(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- वित्तमंत्री जी ने सभी सदस्यों को गंभीरता के साथ सुना है. सबके सुझाव उन्होंने नोट किए हैं. अब वित्तमंत्री जी जवाब दे रहे हैं तो उनको पूरा सुनना चाहिए और जवाब सुनने के बाद अगर कोई क्वैरी है तो हम प्रश्न कर सकते हैं.
5.20 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय, सरकार द्वारा सिर्फ टैक्स लगाया जा रहा है. यह अचल संपत्ति पर, रिवाल्वर, पिस्टल पर नवीनीकरण के लिए, कन्सेंट डीड के लिए यह जनता पर 100 परसेंट लगाया है इसलिए हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों ने सरकार के उत्तर से असंतुष्ट होकर बहिर्गमन किया.)
शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 सदन के समक्ष लाया गया है. सभी के द्वारा सर्वसम्मति से जीएसटी काउंसिल में इस प्रस्ताव पर सहमति दी गई. जीएसटी काउंसिल की अनुसंशा के आलोक में भारत सरकार द्वारा इस प्रस्ताव में वर्णित प्रावधान के अनुसार संशोधन कर लिया गया है. साथ ही कई राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा भी संशोधन कर लिया गया है. जीएसटी वन नेशन, वन टैक्स की अवधारणा पर आधारित है. इसलिए पूरे देश में इस कानून की एकरूपता बनाए रखने के लिए सभी केन्द्र शासित प्रदेशों तथा राज्यों द्वारा इस प्रस्ताव को पारित किया जाना अपेक्षित है. इसी क्रम में यह संशोधन प्रस्ताव इस सदन में लाया गया है. इस प्रस्ताव के माध्यम से मध्यप्रदेश माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की 10 धाराओं 2, 12, 13, 17, 20, 34, 38, 39, 107, 112 में संशोधन. दो नई धाराएं 122(बी) एवं 148(ए) को जोड़ने तथा अनुसूची में संशोधन प्रस्तावित किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, आम कर दाताओं को सुविधाएं देने, कर प्रशासन में व्यावहारिक कठिनाइयां दूर करने एवं प्रशासनिक उद्देश्य को पूरा करते हुए राजस्व में वृद्धि के उद्देश्य से यह संशोधन प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है. वर्तमान प्रावधान यह 10 धाराएं हैं, तीन अनुसूची का है, आप अगर आदेश करें तो मैं सारी धाराओं के बारे में विस्तार से बता दूं.
अध्यक्ष महोदय -- आपको जितना बोलना है आप उतना बोलें.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, धारा 2(61) इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर में परिभाषित है कि रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के प्रावधान केवल सीजीएसटी, एमपीजीएसटी के संबंध में लागू होंगे. यह वर्तमान प्रावधान हैं. संशोधन प्रस्ताव इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर की परिभाषा में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के प्रावधान जो कि सीजीएसटी, एमपीजीएसटी पर लागू होते थे. इसके साथ आईजीएसटी इंटीग्रेटेड गुड्स एवं सर्विस टैक्स को भी जोड़ा जाना प्रस्तावित किया है. पहले यह नहीं था. अंतर्राज्यीय स्तर पर यह आईजीएसटी का इसमें जोड़ा गया है. वर्तमान प्रावधान धारा 2 के क्लॉज 69(सी) में लोकल अथॉरिटी की परिभाषा में नगर पालिका या स्थानीय निधि शब्द प्रयुक्त थे, इस संशोधन प्रस्ताव से नगर पालिका या स्थानीय निधि शब्दों के स्थान पर नगर पालिका निधि या स्थानीय निधि शब्द रखा जाना तथा इन दोनों शब्द की परिभाषा को भी जोड़ा जाना प्रस्तावित किया गया है. धारा 12(4) एवं धारा 13(4) में वर्तमान में प्रावधान है कि बाऊचर की टाईम ऑफ सप्लाई क्या होगी. संशोधन प्रस्ताव में इन धाराओं को विलोपित किए जाने का प्रस्ताव है. इसके लाभ यह हैं कि एमपीजीएसटी एक्ट की धारा 12(4) एवं 13(4) में ऐसे बाऊचर जो कंपनियों, व्यवसायियों द्वारा अपने ग्राहकों को आकर्षित करने एवं खरीद पर छूट प्रदान करने के उद्देश्य से दिए जाते थे उन पर टैक्स लगाने का प्रावधान है. इन दोनों प्रावधानों को हटाया जाना प्रस्तावित किया गया है, जिससे बाऊचर की सप्लाई पर जीएसटी नहीं लगेगी तथा व्यापारी पर कर का भार नहीं आएगा. यह सरल किया गया है. यह व्यापारियों के लिए सुविधा दी गई है. धारा 17. वर्तमान प्रावधान इस धारा की उपधारा 5 (डी) में प्लांट मशीनरी शब्द का प्रयोग किया गया है. संशोधन प्रस्ताव है धारा 17 (5) (डी) में प्लांट या मशीनरी शब्द के स्थान पर प्लांट और मशीनरी शब्द को जोड़ा गया है. इसके साथ ही इस प्रावधान को 01 जुलाई, 2017 से लागू किया जाना प्रस्तावित है.
अध्यक्ष महोदय, धारा 20 जिसके बारे में कांग्रेस के हमारे बंधु बोल रहे थे. धारा 20 (1) तथा 20 (2) में इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर आईएसजी के संबंध में प्रावधान है कि रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के प्रावधान से सीजीएसटी, एमपीजीएसटी की आईटीसी का वितरण किया जा सकता है. अब इसमें संशोधन किया गया है. धारा 20 (1) तथा 20 (2) में इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर आईएसडी के संबंध में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के प्रावधान से सीजीएसटी, एमपीजीएसटी के आईजीएसटी की इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस एक्ट की आईटीसी का वितरण किया जा सके ऐसा संशोधन प्रस्तावित है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा 34. वर्तमान में धारा 34 (2) जो कि क्रेडिट नोट से संबंधित है. इसके परन्तुक के प्रावधान हैं कि यदि क्रेता द्वारा अपनी इस सप्लाई से संबंधित टैक्स और ब्याज का भार किसी अन्य व्यक्ति पर डाला जाता है तो उस परिस्थिति में विक्रेता द्वारा अपनी कर देयता को कम नहीं किया जा सकेगा. इसमें संशोधन किया है. इसमें धारा 34 (2) के परन्तुक संशोधित किया जाना प्रस्तावित है. जिसके अनुसार व्यवसायी दो परिस्थितियों में अपनी कर देयता को कम नहीं कर सकेगा. माल के विक्रेता, परचेजर द्वारा क्रेडिट नोट के अनुपात में आईटीसी का रिवर्सल न किया गया हो. यदि उस वस्तु की सप्लाई खरीददार द्वारा आगे कर दी गई हो. लाभ. इस प्रावधान से यह स्पष्ट हुआ है कि व्यवसायी को किन मामलों में क्रेडिट नोट जारी होने पर इनपुट टैक्स क्रेडिट को कम करना है और किनमें नहीं करना है.
अध्यक्ष महोदय, धारा 38. वर्तमान प्रावधान धारा 38 (1) एवं 38 (2) में प्रावधान है कि प्रतिमाह त्रैमासिक आधार पर एक ऑटोजनरेटर स्टेटमेंट जिसे सामान्य भाषा में जीएसटीआर 2-बी कहते हैं. जनरेटर होता है जिसके आधार पर व्यवसायी के द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम की जाती है. इसमें संशोधन हुआ है. धारा 38 (1) एवं 38 (2) में आटो जनरेटर स्टेटमेंट के स्थान पर ए-स्टेटमेंट शब्द जोड़ा जाना प्रस्तावित है.
अध्यक्ष महोदय, धारा 39. वर्तमान प्रावधान धारा 39 की उपधारा (1) में यह प्रावधान है कि जीएसटीआर 3-बी को प्रत्येक रेग्यूलर रजिस्टर्ड व्यवसायी के द्वारा उस स्वरुप और प्रक्रिया के तहत भरा जाएगा. जैसा नियम में बताया जाएगा. संशोधन प्रस्ताव धारा 39 की उपधारा (1) में स्वरुप और प्रक्रिया के साथ की शर्तों और बाध्यताओं शब्दों को भी जोड़ा जाना प्रस्तावित किया गया है. इसके लाभ होंगे. इससे समय पर रिटर्न फाइल किए जाने की बाध्यता रखी गई है. ताकि राज्य को समय पर राजस्व प्राप्त हो सके.
अध्यक्ष महोदय, धारा 107. वर्तमान प्रावधान धारा 107 की उपधारा (6) के परन्तुक में यह प्रावधान है कि यदि किसी वाहन को जांच के लिए रोका जाता है तथा धारा 29 (3) के अधीन जो पैनाल्टी लगाई जाती है उसके विरुद्ध अपील, उस पैनाल्टी राशि का 25 प्रतिशत जमा करके की जा सकेगी.
5.29 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय -- कार्यसूची में उल्लेखित कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष से निवेदन करता हूँ कि उन्होंने बड़ा अच्छा समय खो दिया है. अभी जो जगदीश जी ने बीच में भाषण दिया है. उनके आगे के प्रश्नों का उत्तर उन्हें उसी से मिल जाएगा. नेता प्रतिपक्ष जी आप रिकार्ड जरुर पढ़ लेना.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, धारा 112 में वर्तमान प्रावधान यह है कि धारा 112 (8) में जब प्रावधान है कि ऐसे आदेश जिनमें टैक्स लगाया गया है. उन पर ही ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील की जा सकेगी. अर्थात् ऐसे आदेश जिनमें पैनाल्टी लगाई गई है. उन पर ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील नहीं की जा सकती है. इसमें हमने यह संशोधन किया है कि इस संशोधन प्रस्ताव से धारा 112 (8) में परन्तुक जोड़ा जा रहा है कि पैनाल्टी के मामले में भी ट्रिब्यूनल के समक्ष 10 प्रतिशत राशि जमा करके अपील की जा सकेगी. व्यवसायी को पैनाल्टी के मामले में द्वितीय अपील का अवसर न्यूनतम राशि जमा करके प्राप्त होगा. इससे आमजन को प्राकृतिक न्याय सुलभ हो सकेगा.
अध्यक्ष महोदय, धारा 122 (B) नई धारा के जोड़ने का प्रस्ताव इस संशोधन से एक नई धारा 122 (B) जोड़ी जा रही है. इस प्रावधान के अनुसार जो व्यक्ति धारा 148 (A) का उल्लंघन करेगा उस पर नई धारा 122 (B) के तहत न्यूनतम एक लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई जाएगी. इस प्रावधान से ऐसी वस्तुओं के गैर कानूनी उत्पादन और विक्रय पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी. यह बहुत ही महत्वपूर्ण संशोधन है. धारा 148 (A) नई धारा को जोड़ने का प्रस्ताव एम.पी. जीएसटी एक्ट की धारा 148 के बाद एक नई धारा 148 (A) जोड़ी गई. इस धारा के तहत कुछ विशेष वस्तुओं की मेन्यूफैक्चरिंग तथा इन वस्तुओं के व्यवसाय पर प्रभावी नियंत्रण के लिए यूनीक आइडेंटिफिकेशन मार्किंग जैसे मेकेनिज्म अपनाया जाना प्रस्तावित किया गया है. इसका लाभ होगा. इस संशोधन से इन वस्तुओं का अनाधिकृत उत्पादन क्रय एवं विक्रय रोका जा सकेगा तथा राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी. अनुसूची 3 में संशोधन करते हुए 13 (8) (AA) जोड़ा जाना प्रस्तावित है. इसके अनुसार स्पेशल इकोनॉमिक जोन थ्री ट्रेड वेयर हाउसिंग जोन से किसी व्यक्ति को एक्सपोर्ट क्लियरेंस से पहले सप्लाई की जाती है अथवा डोमेस्टिक टेरिफ एरिया डीटीए को सप्लाई की जाती है तो इस ट्रांजेक्शन पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा संशोधन प्रस्ताव यह है. इसके अतिरिक्त यह भी प्रस्तावित है कि उक्त गतिविधियों पर इस संशोधन को लागू होने के पहले वसूल किये गये कर की वापसी नहीं की जाएगी. इस प्रावधान से मध्यप्रदेश में निर्यात संबंधी प्रक्रियाओं के लिए प्रोत्साहन प्राप्त होगा तथा राज्य में निवेश का माहौल बनेगा.
अध्यक्ष महोदय, जो सारे संशोधन हैं यह सारे जीएसटी काउंसिल में भी आए, भारत सरकार ने भी इसको लागू कर दिया है और अधिकांश राज्यों में इसको लागू किया है यह जनहित के लिए और देश और प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था में भी इससे सुधार होगा. निश्चित रूप से मुझे पूरा भरोसा है. हमारे विपक्ष के साथियों ने भी जो अपेक्षाएं की हैं निश्चित रूप से हम उस पर गंभीरता से विचार करेंगे. मैं सदन के सभी साथियों से अनुरोध करूंगा कि हमारे सभी विधेयक सर्वसम्मति से पारित करने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय:- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
उपमुख्यमंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय:-प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
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अध्यक्ष महोदय- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
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अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 15 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 15 इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
उप मुख्यमंत्री, वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि रजिस्ट्रीकरण (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
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अध्यक्ष महोदय- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
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अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 2, 3, 4 तथा 5 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2, 3, 4 तथा 5 इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
उप मुख्यमंत्री, वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि रजिस्ट्रीकरण (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि रजिस्ट्रीकरण (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
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अध्यक्ष महोदय- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
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अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 2, 3, 4 तथा 5 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2, 3, 4 तथा 5 इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
उप मुख्यमंत्री, वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(मेजों की थपथपाहट)
05.39 बजे
नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय- मैंने प्रांरभ में कहा था कि शून्य काल की सूचनायें भोजनावकाश के पश्चात् ली जायेंगी. आज लगभग 19 सूचनायें स्वीकृत हुई हैं. क्या सभी लोग पढ़ना चाहेंगे ? आप लोग देख लो.
(सभी सदस्यों के सदन में एक स्वर में "हां" कहने पर)
डॉ. अभिलाष पाण्डेय, कृपया थोड़ा जल्दी पढि़येगा.
(1) बाल श्रवण योजना में व्यापक भ्रष्टाचार में लिप्त दोषियों पर कार्यवाही न होना.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय (जबलपुर उत्तर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जन्मजात बोलने और सुनने में दिव्यांग बच्चों के लिए संचालित महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना का उद्देश्य इन बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना और उन्हें सामान्य जीवन जीने के अवसर प्रदान करना है, किन्तु इस योजना में लगभग 2 करोड़ 28 लाख रुपये के निष्फल व्यय एवं व्यापक भ्रष्टाचार का खुलासा सी.ए.जी. की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है. योजना की समीक्षा में पाया गया कि संबंधित विभागीय अधिकारियों द्वारा योजनान्तर्गत कार्यों में गंभीर अनियमितताएं की गईं, जिससे शासन द्वारा जारी की गई राशि का समुचित उपयोग नहीं हो सका. इस मामले की शिकायत पर कार्यालय क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं, जबलपुर द्वारा जांच कर मिशन संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) को विस्तृत रिपोर्ट भेजी जा चुकी है, जिसमें आरोप स्पष्ट रूप से सिद्ध हुए हैं. इसके बावजूद भी मिशन संचालक स्तर से अब तक आरोपियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है. यह स्थिति इस बात का संकेत है कि राज्यस्तरीय अधिकारियों की भी भ्रष्ट जिलास्तरीय अधिकारियों से सांठगांठ है और योजनाओं के क्रियान्वयन में गंभीर लापरवाही एवं भ्रष्टाचार को संरक्षण प्राप्त हो रहा है. यदि इस तरह की योजनाओं में भी समय पर कार्यवाही नहीं हुई, तो न केवल शासन की योजनाओं का उद्देश्य प्रभावित होगा, बल्कि दिव्यांग बच्चों के अधिकारों और हितों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
(2) ग्राम मातासूला से सलापुरा (श्योपुर) मुख्य नहर पुल तक डामरीकरण सड़क
मार्ग के संबंध में.
श्री बाबू जण्डेल (श्योपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा क्षेत्र श्योपुर के ग्राम माता सूला को आज तक किसी भी सड़क सम्पर्क मार्ग से नहीं जोड़ा गया है, माता सूला से सलापुरा (श्योपुर) तक डामरीकृत सड़क से जुड़ने से आम जनता को मेडिकल कॉलेज एवं किसानों को साइलो बेग नागदा तक आवागमन सुविधा के साथ-साथ लगभग 10-12 ग्रामों के ग्रामीणों की समस्या का समाधान हो सकेगा. अत: माननीय महोदय, उक्त सड़क मार्ग को अविलम्ब स्वीकृत किये जाने के आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने का कष्ट करें.
(3) द्रौड़ी (झुनकर) माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना का निर्माण
कार्य शीघ्र प्रारंभ करने बाबत्.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा (सिवनी-मालवा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला नर्मदापुरम के सिवनी मालवा विधान सभा क्षेत्र क्रमांक 136 स्थित आदिवासी विकासखण्ड केसला में तवा बांध से द्रौड़ी (झुनकर) माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना लगभग 2 वर्ष पूर्व स्वीकृत की गई थी, जिसका भूमिपूजन तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी के द्वारा किया जा चुका है. 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज दिनांक तक भी इस द्रौड़ी (झुनकर) माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं होने से केसला विकासखण्ड के आदिवासी कृषकों के खेत सिंचाई से वंचित रह रहे हैं. जल संसाधन विभाग की इस योजना के प्रति लापरवाही एवं लेटलतीफी से कृषकों में भारी आक्रोश है.
(4) डबरा शहर स्थित रेल्वे ओवरब्रिज के जीर्णोद्धार बाबत्.
श्री सुरेश राजे (डबरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 1987-88 में डबरा शहर में रेल्वे ओवरब्रिज का निर्माण कराया गया था, किन्तु इसके बाद इस ओवरब्रिज एवं सड़क मार्ग की मरम्मत नहीं कराई गई. गत कई वर्षों से इस रेल्वे ओवरब्रिज की रेलिंग कई जगह से टूटी होने के कारण वाहन नीचे गिरने से जनहानि हो चुकी है. इस ओवरब्रिज के दोनों ओर डबरा शहर का मुख्य बाजार है, जहां पर प्रतिदिन अधिक मात्रा में जनता का आवागमन रहता है. इस रेल्वे ओवरब्रिज की सड़क पर 6-7 वर्षों से जगह-जगह 3 से 4 फीट से अधिक चौड़े, गहरे गड्डे एवं 2 फीट से अधिक चौड़ी दरारें हो जाने से वाहनों का चलना कठिन हो गया है, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं होने से जनता चोटिल एवं जनहानि भी हो रही है. इस ओवरब्रिज पर लगी स्ट्रीट लाईटें बन्द रहने से वहां अंधेरा रहता है, जिन्हें चालू कराया जाए. अत: माननीय से अनुरोध है कि जनहित में डबरा शहर स्थित रेल्वे ओवरब्रिज का जीर्णोद्धार शीघ्र कराया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- श्री प्रहलाद लोधी जी.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, आपने जैसे ही प्रहलाद लोधी बोला तो मैं प्रहलाद जी की तरफ देखने लग गया. बाद में लगा, हैं तो हम ही. (हंसी).
अध्यक्ष महोदय -- ये पटेल हैं, वे प्रहलाद लोधी हैं.
(5) क्षेत्रीय मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के संबंध में.
श्री प्रहलाद लोधी (पवई) -- अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार समाज के हर वर्ग को लेकर कार्य कर रही है. सरकार की महिला सशक्तिकरण से लेकर गरीब कल्याण तक की इतनी सारी योजनाएं हैं, जिसको यदि गिनवाने बैठा जाए तो समय कम पड़ जाएगा. सरकार की इन्हीं योजनाओं के कारण समाज की दशा एवं दिशा में ऐतिहासिक परिवर्तन आया है. मेरी पवई विधान सभा क्षेत्र की कुछ मूलभूत आवश्यकताएं हैं, जिसे मैं सदन के समक्ष रख रहा हूँ -
1. रैपुरा एवं मोहंद्रा में नवीन महाविद्यालय की स्थापना (उच्च शिक्षा हेतु अति आवश्यक है. क्षेत्र के लोग काफी समय से इसकी मांग भी कर रहे हैं.)
2. ग्राम पंचायत मोहंद्रा का नगर पंचायत में उन्नयन (इसकी घोषणा 2018 में माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा की गई थी.)
3. शाहनगर-बोरी-चमरइया मार्ग की चौड़ाई बढ़ाकर पुनर्निर्माण (इस मार्ग पर आवागमन अधिक होने से आए दिन दुर्घटना होती है.)
4. मड़वा से हटा वाया बंधा सड़क की चौड़ाई बढ़ाकर पुनर्निर्माण.
5. शाह नगर एवं पवई जनपद की कुछ पंचायत को मिलाकर सिमरिया को नवीन जनपद बनाया जाना.
6. कल्दा में नवीन तहसील भवन का निर्माण एवं तहसील का संचालन कल्दा से कराया जाना.
7. ग्राम पंचायत विसानी में नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना.
8. ग्राम सुनवानी, बोरी, रैपुरा, वघवार, कल्दा, बिसानी, सारंगपुर में सीएम राइज विद्यालय की स्थापना.
9. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मोहंद्रा एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र रैपुरा का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन.
10. नगर पंचायत पवई मुख्य मार्ग में डिवाइडर सहित निम्न सड़कों की चौड़ाई बढ़ाना:-
(i) तहसील मुख्यालय से पेट्रोल पंप तक.
(ii) कलेही माता मंदिर से मोहन्द्रा त्रिगड्डा.
5.47 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
जो शून्यकाल की सूचना दी गई है, उस पर सीमित रहने विषयक
अध्यक्ष महोदय -- प्रहलाद जी, आप पहली बार बोले हैं, इसलिए मैंने बीच में टोका नहीं. हमेशा हम ध्यान रखें कि शून्यकाल की सूचना किसी विषय को लेकर दी जाती है और जो सूचना दी जाती है, उसको ही पढ़ा जाता है. ठीक है ना. आपने बहुत सारे विषय बोल दिए, चूँकि आप पहली बार बोल रहे थे तो इसलिए मैंने टोका नहीं. आगे से यदि आप रोज आते हैं तो रोज एक सूचना लगाएं. कभी न कभी तो आएगी ही. एक ही सूचना में कई विषय नहीं लगाना चाहिए.
श्री प्रहलाद लोधी -- रोज लगाए हैं, आई नहीं है. क्वेश्चन भी लगाए हैं, ध्यानाकर्षण भी लगाए. आए नहीं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- भैया, खड़े रहो किनारे पर, कभी न कभी तो लहर आएगी ही. (हंसी).
5.48 बजे नियम 267-क के अधीन विषय (क्रमश:)
(6) नागदा खाचरोद क्षेत्र में बढ़ते लव जेहाद की घटनाओं के संबंध में.
डॉ. तेजबहादुर सिंह चौहान (नागदा-खाचरोद) -- अध्यक्ष महोदय, विगत सप्ताह खाचरोद ग्रामीण ग्राम चापानेर से एक शादीशुदा मुस्लिम युवक, जो 3 बच्चों का पिता भी है, धाकड़ समाज की बालिका को लेकर लापता है. इसी तरह दो दिन पूर्व खाचरोद शहर में एक मुस्लिम युवक हिन्दू लड़की को भगाकर ले गया है. पिछले एक माह में नागदा-खाचरोद क्षेत्र में 6-7 मामले सामने आए हैं. इन लव जेहाद के मामलों से क्षेत्र में आक्रोश व्याप्त है. कल एवं परसों खाचरोद में आंदोलन व प्रदर्शन हुए. नगर बंद हुआ. आगामी 7 अगस्त को पुन: नगर में बड़े आंदोलन की सर्व हिन्दू समाज ने घोषणा की है. शीघ्र सख्त कार्यवाही की एवं विशेष सख्त कानून बनाने की प्रदेश में अत्यन्त आवश्यकता है.
(7)श्री शरदजुगलाल कोल(ब्योहारी) - अनुपस्थित
(8)श्री मधु भाऊ भगत(परसवाड़ा )- अनुपस्थित
9.जिला बालाघाट के लालबर्रा सोनेवानी रेंज में एक बाघ की नृशंस हत्या की जांच एसआईटी से कराये जाने
श्रीमती अनुभा मुंजारे(बालाघाट) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -
(10)जिला सिवनी एवं बालाघाट में पृथक से नगर ग्राम निवेश का कार्यालय प्रारंभ किया जाना
श्री दिनेश राय"मुनमुन"(सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -
11. नर्मदापुरम् एवं इटारसी में शराब की होम डिलेवरी का आपराधिक और अनैतिक व्यापार बड़े पैमाने पर किया जाना
डॉ.सीतासरन शर्मा(नर्मदापुरम्) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का
विषय इस प्रकार है -
12.श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे(अटेर) - अनुपस्थित
13. कस्बा आनंदपुर तहसील लटेरी जिला विदिशा में महाविद्यालय स्थापित किया जाना
श्री उमाकान्त शर्मा(सिरोंज) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -
(14) जावरा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत विभिन्न ग्रामों में नष्ट हुई फसलों का सर्वे कराकर मुआवजा दिया जाना.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरी सूचना का विषय इस प्रकार है-
(15) गुना स्थित हिन्दुओं के प्राचीन शिव मंदिर केदारनाथ धाम को प्रशासन द्वारा बंद किया जाना.
श्री ऋषि अग्रवाल (बामोरी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरी सूचना का विषय इस प्रकार है-
(16) श्री मोहन सिंह राठौर (भितरवार) - अनुपस्थित.
(17) मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा जारी आदेश के संबंध में.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरी सूचना का विषय इस प्रकार है-
18. मनावर में बायपास मार्ग स्वीकृत किया जाना.
डॉ.हिरालाल अलावा(मनावर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि
19. परसापानी निवासी दो युवकों की जघन्य हत्या एवं आरोपियों पर कार्यवाही न की जाने से उत्पन्न स्थिति.
श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि थाना केवलारी अंतर्गत दिनांक-16,17 मई 2025 की मध्य रात्रि को ग्राम परासपानी, निवासी अमन बघेल एवं रूपेश बघेल दोनों युवकों की जघन्य हत्या कर दी. हत्या की घटना रात्रि लगभग 11.00 बजे से 11.30 बजे की थी और केवलारी पुलिस प्रशासन द्वारा सुबह 9 बजे उक्त मामले में कोई एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की गई थी व आरोपियों के परिवार के सदस्य उसी रात कई बार थाना आते जाते रहे व पुलिस के साथ सांठ-गांठ कर रातों रात आरोपियों को केवलारी से बाहर फरार कर दिया गया, जिस पर बघेल समाज के स्वाजातीय बंधुओं एवं आक्रोषित जन समुदाय के द्वारा दिनांक-17/05/2025 को केवलारी नगर में चक्का जाम लगाकर आरोपियों पर कार्यवाही करने की मांग की गई थी, जिस पर पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई. जिस पर आक्रोषित भीड़ ने आरोपियों ठाकुर परिवार के अवैध कब्जे में संचालित शराब दुकान में तोड़ फोड़ कर हंगामा किया गया था, जिस पर शराब ठेकेदार के द्वारा 95 लोगों पर अपराध पंजीबद्ध कराया गया है. उक्त शराब दुकान दिगम्बर जैन मंदिर पार्श्वनाथ ट्रस्ट के सर्वहाराकार श्री दिलीप जैन पिता इंदर चंद जैन के नाम दर्ज है. आरोपी ठाकुर परिवार के द्वारा प.ह.नं. 41, रा.नि.मं. केवलारी के खसरा क्रमांक- 551/2, रकबा की 14 x43= 602 वर्ग फिट भूमि मैं अवैध कब्जा कर शराब दुकान संचालित की जा रही है. जबकि उक्त स्थान बस स्टैण्ड क्षेत्र सार्वजनिक स्थल एवं घनी आबादी क्षेत्र में आता है, चूंकि आबकारी नीति के तहत घनत्व आबादी क्षेत्र से बाहर किये जाने के लिये कलेक्टर सिवनी, संभागीय आयुक्त जबलपुर एवं उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा आदेश पारित किये जाने के पश्चात् भी ठेकेदार द्वारा उक्त स्थान में शराब दुकान संचालित की जा रही है, जिससे क्षेत्रीय जनों में शासन के प्रति रोष व्यापत है.
20. ईसागढ़ से पहाड़ाखुर्द मार्ग के 6 कि.मी. क्षेत्र में सड़क का कार्य गुणवत्ता विहीन होना.
श्री प्रीतम लोधी (पिछोर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि
श्री कैलाश विजयवर्गीय – अध्यक्ष महोदय, चर्चा प्रारंभ हो, उसके पहले मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि आपके नेतृत्व में आज एक ही दिन में 8 विधेयक पारित हुए और सभी में चर्चा हुई. बिना चर्चा के गुलेटिन नहीं हुए हैं, सभी पर चर्चा करवायी है. ये आपके कुशल संचालन का प्रभाव है. मुझे याद आता है कि एक बार स्व. रोहाणी जी ने भी उनकी अध्यक्षता में 8 विधेयक पारित किए थे, पर उस समय 7-8 बजे तक हाउस चला था. आज आपने 5 बजे के पहले ही हम सभी को सुन लिया, अध्यक्ष जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय – इसके लिए सभी सदस्यों को भी धन्यवाद.
श्री उमंग सिंघार – अध्यक्ष जी, माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने जो कृतज्ञता व्यक्त की है. मैं उनकी भावनाओं को समझ सकता हूं और मेरी भी वही भावना है. इस प्रकार इस सदन में पक्ष-विपक्ष चलता रहे और सौहार्द्रपूर्ण स्थिति बनी रहे, यही मैं चाहता हूं.
6:07 बजे नियम 142-क के अधीन अल्पकालीन सूचना पर चर्चा.
श्री महेश जी के साथ यहां पर जो सूचना पर नाम है श्री नितेन्द्र सिंह जी और पंकज उपाध्याय जी. मेरा सिर्फ अनुरोध इतना ही है कि स्वाभाविक रूप से बोलने की इच्छा सभी की रहती है और सभी को बोलने का अवसर देने का प्रयास करते ही हैं, लेकिन सूचना इन लोगों की है तो यहीं तक इसको सीमित रखेंगे, इधर से भगवानदास सबनानी जी बोलेंगे, श्री महेश परमार जी.
श्री महेश परमार(तराना) – धन्यवाद माननीय अध्यक्ष जी, नियम 142-क के अधीन अल्पकालीन चर्चा में बोलने का आपने अवसर दिया. ये पूरे मध्यप्रदेश के अन्नदाता, किसान भाईयों से जुड़ा हुआ मामला है. ये मप्र के उन हजारों, लाखों मध्यम वर्गीय परिवार, उपभोक्ता, गरीब, दलित, पीडि़त जिनके साथ लगातार मप्र का विद्युत विभाग अत्याचार, अन्याय कर रहा है, इसमें सुधार की बहुत जरूरत है. जिस तरह से हमारे किसान भाईयों के ऊपर झूठे प्रकरण बनाकर, विद्युत विभाग पैनल्टी लगाकर, कनेक्शनधारी किसान के ऊपर, अवैध कनेक्शन बताकर ब्याज की वसूली कर रहा है, ये सरासर गलत है. मैं ऊर्जा मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मप्र की प्रत्येक विधान सभा में आपका कितना स्टाफ है, जब इनके पास विभाग में कर्मचारी नहीं है, तो उन किसानों के ऊपर झूठे प्रकरण बनाए जा रहे हैं, सिर्फ विभागों में बैठकर विद्युत मंडल का घाटा पूरा करने के लिए, मप्र के किसान भाईयों के ऊपर ये अत्याचार और अन्याय किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय – महेश जी की आवाज भी उमाकांत जी के टक्कर की है.
श्री महेश परमार – उमाकांत जी का मामला बड़ा है मेरी आवाज उनसे कमजोर है. अध्यक्ष जी विद्युत विभाग के जो कर्मचारी-अधिकारी, जब किसान भाई को मालूम पड़ता है कि उसके ऊपर झूठा प्रकरण उस थाने की पुलिस प्रकरण लेकर, वारंट लेकर जाती है. जब उसे मालूम पड़ता है कि उनके ऊपर प्रकरण बना है. मैं ऊर्जा मंत्री जी से आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि जब आपके पास में स्टाफ नहीं है, आपके पास में अमला नहीं है. तो यह कौन अधिकारी उन किसान भाईयों के असत्य प्रकरण बना रहा है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि अगर किसी किसान का असत्य प्रकरण बनाया तो उस किसान से संबंधित उसके पंचनामे पर साईन है. तो क्या आसपास के किसान भाईयों के सामने पंचनामा बनाया, यह सरासर गलत है. यह मध्यप्रदेश के किसानों के साथ गलत हो रहा है. यह जो हजारो करोड़ का घाटा है विद्युत मंडल का वह पूरा करने के लिये किसान भाइयों के साथ एक तरह की लूट है. मैं इस बात का विरोध करता हूं. बिजली चोरी के प्रकरण जब यह लोग बिजली के बिल ही नहीं बांट पा रहे हैं तो फिर किसान भाइयों का पंचनामा बनाने के लिये कौन जा रहा है ? यह सिर्फ और सिर्फ किसानों के साथ, मध्यप्रदेश के उपभोक्ताओं के साथ जो मध्यप्रदेश में बिजली का उपयोग कर रहे हैं उन हर परिवारजन के साथ यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार अनुचित कार्य कर रही है. मैं इस बात का भी विरोध करता हूं. हमारे किसान भाइयों के तीन के कनेक्शन पांच के बताये जा रहे हैं, पांच के साढ़े सात के बताये जा रहे हैं, साढ़े सात के दस यह किस आधार पर बताये जा रहे हैं. जब किसान भाई अपने पम्प या कुएं की मोटर लेकर के आता है तो उसमें बिल हैं. जब आपके पास में अमला नहीं है तो कौन से कर्मचारियों के माध्यम आप एच.पी.बढ़ा रहे हैं. इस बात का भी हम विरोध करते हैं. नलकूप की सिंचाई जब किसान भाई का एक बोर अथवा कुंआ है तो उसके माध्यम से जब उसके खेत में सिंचाई करता है तो उसका पानी समाप्त हो जाता है. तो वह नया बोर उत्खनन करता है उस समय अगर संबंधित एक ही किसान उस कनेक्शन के माध्यम से दूसरे नलकूप या कुंए से पानी ले रहा है, तो उसके बाद उस स्रोत पर असत्य प्रकरण बनाये जा रहे हैं, उसके माध्यम से भी अवैध वसूली हमारे किसान भाइयों से की जा रही है. मैं इस बात का भी विरोध करता हूं. डी.पी., केबिल, पोल, ग्रिड इसकी स्थिति क्या है. ना तो डी.पी. किसान भाइयों को मिल रही है, ना ही तार मिल रहे हैं, ना ही पोल है, ना ही करंट है. आदरणीय ऊर्जा मंत्री जी सिर्फ बिजली के बिल की बात करते हैं. अध्यक्ष महोदय ऊर्जा मंत्री कभी पोल पर चढ़ते हैं, तो कभी नाले में उतरते हैं. कम से कम वह अपने विभाग में तो देखें कि डी.पी.ट्रांसफार्मर, केबिल, तार, नये ग्रिड तार यह सब चीज होने के बाद करंट नहीं है तो आपसे अनुरोध है कि इसमें भी आप सुधार करें. नयी बसाहट अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, मजरे टोले आदि जगहों पर बिजली नहीं पहुंच पायी है. मेरा निवेदन है कि सरकार इस ओर भी ध्यान दें. माननीय मुख्यमंत्री जी यहां पर विराजमान है उन्होंने कहा था कि किसानों को पांच रूपये में स्थायी कनेक्शन देंगे. आप ऊर्जामंत्री जी बतायें कि कितने किसान भाइयों को पांच रूपये में स्थायी कनेक्शन दिये हैं. यह घोषणा भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने की थी. तो मुझे लगता है कि एक भी किसान भाइयों का पांच रूपये में स्थायी कनेक्शन पूरा नहीं हुआ है. इस ओर भी माननीय मुख्यमंत्री जी और सरकार का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. किसान मध्यमवर्गीय परिवार,गरीब, दलित आदिवासी, निर्धन, सामान्य वर्ग, पिछड़े लोग विद्युत मंडल की मार से परेशान हैं. पूरे प्रदेश बेहाल है सिर्फ बिजली के बिल आ रहे हैं बिजली जब चाहे चली जाती थी उसमें कोई सुनने वाला नहीं है. इसमें भी सरकार को सुधार करना चाहिये. बिजली विभाग में प्रत्येक विभाग में कब भर्ती हुई थी कितने अधिकार-कर्मचारी और आउटसोर्स के कर्मचारियों से पूरा विभाग चल रहा है, यह बतायें माननीय ऊर्जा मंत्री जी. अध्यक्ष महोदय सभी धाराएं जैसे 126, 135, 138 लोक अदालतों में छूट के दायरे में लाया जाये, यह मेरी माननीय मंत्री जी से मांग है. लोक अदालतों में छूट का प्रतिशत 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर अधिक प्रकरणों को सुलझाया जा सकता है, यह मंत्री जी करें, यह मेरी मांग है. बिजली विभाग का नाम बदलकर जबरन वसूली विभाग अथवा रंगदारी विभाग रख देना चाहिये, जिस तरह की इनकी व्यवस्था है. नयी केबिल, नये पोल, नयी डी.पी. आयल अथवा ट्रांसफार्मर जलने पर स्वयं किसान या उपभोक्ता विद्युत विभाग में लेकर जाता है वहां पर उनकी कोई सुनने वाला नहीं है, यह स्थिति है पूरे मध्यप्रदेश की खासकर मेरे विधान सभा क्षेत्र तराना की इसमें आप सुधार करें. खुद किसान डी.पी.लेकर के जाता है दो दो तीन तीन दिन तक किसान भाई चक्कर काटते रहते हैं, तो फिर मेरा यही निवेदन है कि वह प्रकरण कौन बना रहा है जिसमें आप जबरन 30 दिन का समय देकर काम करवा रहे हैं. जब आपके पास में ट्रांसफार्मर बदलने के लिये अधिकारी कर्मचारी नहीं हैं, आपके पास में बिल बांटने के लिये लोग नहीं हैं, तो वह कौन लोग हैं. जो किसान भाईयों के ऊपर असत्य प्रकरण बनाकर उनसे अवैध वसूली कर रहे हैं. यह सरकार 16 प्रतिशत ब्याज किसानों से वसूल कर रही है. किसानों के नाम पर यह सरकार बनी है और किसानों के साथ धोखाधड़ी कर रही है. बिजली बिल समय पर उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचता है. हर माह बिजली के बिल आने चाहिए लेकिन उपभोक्ताओं को 1 वर्ष, 2 वर्ष के बिजली के बिल थमा दिये जाते हैं, तो मेरा निवेदन है कि हर माह बिजली के बिल पहुंचे और उसके बाद भी उसके ऊपर पेनॉल्टी लगा दी जाती है तो यह उपभोक्ताओं पर दोहरी मार है. उससे उसके पूरे परिवार का आर्थिक बोझ उस पर आता है उससे पूरे परिवार की व्यवस्था बिगड़ जाती है. इसमें सुधार किया जाये. वेट कनेक्शन धारी किसानों पर अवैध उपयोग के असत्य प्रकरण बनाकर अवैध कनेक्शन का आरोप लगाकर पेनॉल्टी एवं ब्याज वसूल किया जाता है, इसमें सुधार किया जाये. मैं इस बात को फिर इसलिए दोहराना चाहता हॅूं कि जब आपके पास पर्याप्त अमला नहीं है आपके पास अधिकारी/कर्मचारी नहीं हैं तो फिर आप लगातार वसूली किस बात की कर रहे हैं, आप इस ओर ध्यान दें.
अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा निवेदन है कि कर्मचारी की जब शिकायत होती है तो जानबूझकर किसानों पर, घरेलू उपभोक्ताओं पर असत्य प्रकरण बनाए जाते हैं. मैं यह कहना चाहता हॅूं कि उनके ऊपर वैधानिक कार्यवाही हो और ऐसे कर्मचारियों के ऊपर प्रकरण दर्ज हो, जो किसान भाईयों के ऊपर असत्य प्रकरण बना रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, आउटसोर्स के कर्मचारी लगातार विद्युत विभाग में वही काम कर रहे हैं, उनको भी लाभ दिया जाये. उनकी भी सीधी भर्ती की जाये. उनको स्थायी कर्मचारी के रूप में लाभ मिले. जब दुर्घटना होती है उनकी मृत्यु होती है तो उनको कोई लाभ नहीं मिलता है तो यह भी उनके साथ एक तरह का अन्याय है. वे हमारे मध्यप्रदेश के युवा हैं. उनके साथ लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं तो इस ओर भी ध्यान दें.
अध्यक्ष महोदय, पुराने मीटर्स जब अच्छे हैं तो नये मीटर्स क्यों लगाएं जा रहे हैं ? मेरी जानकारी के अनुसार 2 हजार करोड़ के स्मॉर्ट मीटर्स खरीदे गए हैं. वह किस माध्यम से खरीदे गए हैं, वह कौनसी कंपनियां हैं यह भी माननीय ऊर्जा मंत्री जी बताएं. स्मॉर्ट मीटर्स के कारण आप देख रहे हैं कि पूरे मध्यप्रदेश में, हर विधानसभा में, हर जिले में जहां-जहां स्मार्ट मीटर्स लगे हैं वहां रोज आंदोलन हो रहे हैं. जिन उपभोक्ताओं के बिजली का बिल जिनके घर 2 पंखे हैं, 1 एलईडी है उसका मुश्किल से पहले 200, 300 रूपए बिजली बिल आता था लेकिन अब उसका बिल 2 हजार, 3 हजार रूपए बिजली बिल आ रहा है, तो इस पर आप जवाब दें. स्मार्ट मीटर्स की क्या आवश्यकता है आप इसका निजीकरण क्यों कर रहे हैं तो कम से कम उपभोक्ताओं को इसका लाभ मिले. बिजली कटौती एक आम समस्या हो गई है. बिजली के कनेक्शन संबंधी समस्याएं भी हैं. विभाग में जब हम कनेक्शन लेने जाते हैं तो कोई भी अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेदारी से इसका जवाब नहीं देता है, तो इस ओर भी ध्यान दें. बिजली कंपनी के हेल्प लाइन नंबर लगभग हर जगह बंद हैं. कोई सुनने वाला नहीं है. बीप की आवाज आती है और लगातार उपभोक्ता फोन करते रहते हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है, यह स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय, ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए इनके पास कोई व्यवस्था नहीं है, तो मेरा निवेदन है कि माननीय ऊर्जा मंत्री जी जब बताएं तो इस बारे में बताएं. यह पूरा प्रदेश कृषि प्रधान है और मध्यप्रदेश के किसानों के साथ लगातार बिजली विभाग इस तरह की घटनाएं घट रही हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि किसानों को तत्काल राहत दी जाये. मध्यप्रदेश किसान प्रधान देश है. आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने कल अपने उद्बोधन में कहा है, वे आज यहां विराजमान हैं. पूरा सदन यहां पर विराजमान है. मध्यप्रदेश के किसानों से प्रदेश चलता है, देश चलता है तो किसानों के बिजली बिल माफ करें, न कि बडे़-बड़े उद्योग घरानों के, उद्योगपतियों के बिजली बिल माफ करें, तो यह सरकार उद्योगपतियों या उद्योगों के बिजली बिल माफ करती है. किसानों को कोई राहत नहीं देती है, न ही गरीबों को राहत देती है, न आम उपभोक्ताओं को राहत देती है, न मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत देती है. जिनके सहयोग और आशीर्वाद से यह सरकार बनी है वह लगातार अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी यहां विराजमान हैं तो माननीय मुख्यमंत्री जी आप अपने मंत्री जी को निर्देश दें कि वे किसानों को राहत दें. उनके ऊपर असत्य प्रकरण न बनाएं. यही मेरा निवेदन है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- आप मुख्यमंत्री जी से तो उज्जैन में ही बात कर लिया करें...(हंसी)..
श्री महेश परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी यहीं माननीय मुख्यमंत्री जी से मिल लेंगे. हमेशा माननीय मुख्यमंत्री का सहयोग मिलता है. माननीय मुख्यमंत्री जी हमारे प्रदेश के और खासकर उज्जैन के हैं और आपके माध्यम से तराना में मुख्यमंत्री जी की नजर पड़ जाये, बस इतनी ही कृपा हो जाये.
अध्यक्ष महोदय -- पूरी नजर रहेगी, आप चिंता न करें.
श्री महेश परमार -- बहुत-बहुत धन्यवाद माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय -- श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर जी.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा है कि मुख्यमंत्री जी की नजर न रहे, तो ज्यादा अच्छा है..(हंसी)..
श्री महेश परमार -- यह भी ठीक है. माननीय मुख्यमंत्री भगवान जैसे हैं. उनकी दृष्टि ठीक है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, माननीय नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर जी की बात आ जाने दीजिए.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर (पृथ्वीपुर) - अध्यक्ष महोदय, नियम 142-क की चर्चा में मैं अपनी बात रख रहा हूं. आज प्रदेश में विद्युत विभाग के कारण किसान कर्ज में जा रहा है. विद्युत विभाग पहले किसानों के वैध कनेक्शन को अवैध बताकर चोरी का मुकदमा बनाता है. पेनाल्टी लगाता है. इसके अलावा बिजली के बिल भी उल्टे-सीधे देता है. बिल जमा न करने की स्थिति में मोटर उठाना, सिलाई मशीन उठाना, मोटर-साईकिल उठाना जैसे कार्य करते हैं. किसानों को जलील करने का कार्य विद्युत विभाग करता है. अध्यक्ष महोदय, स्मार्ट मीटर लगने के बाद लोगों को लोगों को तार से नहीं, बिल से करंट आ रहे हैं. पहले महंगे बिजली के बिल आते हैं, उसके बाद गांव में कुछ लोग बिजली के बिल नहीं भर पाते हैं तो पूरे गांव की बिजली काट दी जाती है. ग्रामीण क्षेत्र में ट्रांसफार्मर और केबल समय पर बदले नहीं जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय, इस बार किसानों को रात की जगह दिन में बिजली दी जाय तो बेहतर होगा. जब बच्चों की बोर्ड की परीक्षाएं होती हैं और उस टाइम बिल जमा हो या न हो, लेकिन परीक्षा के समय बिजली मिलनी चाहिए क्योंकि परीक्षा के समय सिर्फ सरकार बिजली नहीं काटती है, उन बच्चों के भविष्य को काटती है. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि घरों के स्मार्ट मीटर लगने के पहले बिजली के बिल 1000 से 1500 आते थे, लेकिन अब 3000 से 4000 कैसे आने लगे यह भी एक गंभीर विषय है. स्मार्ट मीटर लगाने की जरूरत विद्युत विभाग को क्यों पड़ी, क्या पुराने जो बिजली के मीटर थे, उनमें चोरी होती थी, यह भी स्पष्ट करना चाहिए. एक समस्या और कई बार आती है कि नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र में अगर एक फेज का कनेक्शन है तो दो या तीन फेज का विद्युत बिल थमा दिया जाता है. मजबूरन आम नागरिकों को उसका भुगतान करना पड़ता है, नहीं तो उनके सामान की कुर्की की जाती है. अध्यक्ष महोदय, गांव की स्थिति यह है कि ट्रांसफार्मर कई गांव में खराब पड़े रहते हैं, लेकिन विद्युत विभाग गंभीर नहीं है और उपभोक्ताओं से बिजली के बिल का भुगतान जबरन लिया जाता है. मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत ही कई जगहों पर पुरानी केबल हैं और उनकी स्थिति बहुत खराब है, जिससे विद्युत अवरोध हो रहा है. जगह जगह पुरानी केबल लगी हैं जो अक्सर लोड पड़ने पर जल जाती है जब अधिकारियों से बात करें तो वह कहते हैं कि मेंटीनेंस का कार्य चल रहा है. जल्दी ठीक हो जाएगा किन्तु यह समस्या का निराकरण नहीं होता है, वह निरंतर बनी रहती हैं. माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि अक्सर हम देखते हैं, उनके वीडियो कई बार देखते हैं कि वह साफ सफाई करते हैं. कभी नाली की सफाई, कभी खम्भों पर चढ़ जाते हैं. लेकिन आप प्रदेश की विद्युत व्यवस्था की ओर भी विशेष रूप से ध्यान दें.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, खम्भों पर चढ़ जाते हैं, तुम भी कमाल कर रहे हो? खम्भों पर वह कब चढ़ गये?
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर - वह चढ़े हैं, मैंने देखा है. लेकिन मैं चाहता हूं, सेवा में यह अच्छी बात है, लेकिन विद्युत व्यवस्था बेहतर होना भी अति आवश्यक है. इस ओर भी ध्यान दें.
अध्यक्ष महोदय - लेकिन अभी बरसात के समय पर कोई मत चढ़ना. (हंसी)
श्री भंवरसिंह शेखावत - वह खम्भे पर चढ़ने वाले मंत्री जाने जाते हैं. उनको खम्भे पर चढ़ने के कारण ही जाना जाता है, नहीं तो कोई पहचानेगा नहीं.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, अंत मैं इतना ही कहूंगा कि हमारा कृषि प्रधान प्रदेश है और मैं बुन्देलखण्ड से आता हूं. मेरा पूरा कृषि प्रधान क्षेत्र है. अन्नदाता हमारी जान और हमारी शान है, इसलिए हमारे किसान साथियों, गरीब मध्यमवर्गीय लोग, जो विद्युत संकट से जूझ रहे हैं उनकी समस्या का निराकरण होना अति आवश्यक है. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - श्री पंकज उपाध्याय जी.
श्री पंकज उपाध्याय (जौरा) - धन्यवाद अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय - श्री नितेन्द्र जी की तरह बोलो एकदम सारगर्भित.
श्री पंकज उपाध्याय - अध्यक्ष जी, बहुत सारे साथियों ने अलग-अलग पर्चियां लाकर दी हैं तो मुझे थोड़ा समय लगेगा.
अध्यक्ष महोदय - पर्चियों की चिंता मत करो.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - कॉलेज, स्कूल में पर्चियों से तुमने परीक्षा दी वहां तक ठीक है.
श्री पंकज उपाध्याय - हम आपके जूनियर रहे हैं, जो आपने किया है, वह हमने किया है और हमने इंदौर में पढ़ाई की है, जहां पर आपने की है, इसलिए हम तो आपको अपना वह मानते हैं.
अध्यक्ष महोदय - अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी चंबल के लोग भी आपसे प्रेरणा ले रहे हैं.
श्री पंकज उपाध्याय - अध्यक्ष जी, जैसे हवा, पानी और खाना हमारी मूलभूत आवश्यकताएं होती हैं, वैसे ही अब हमारी बिजली भी मूलभूत आवश्यकता हो गई है और किसान हमारे देश के अन्नदाता हैं, लेकिन दाता के साथ कितना अत्याचार किया जा रहा है, यह सदन के मेरे जितने भी साथी बैठे हुए हैं, मेरी बात से सहमत होंगे कि बिजली विभाग जो इतना अकर्मण्य हो गया है कि हम आज किसानों के लिए बात करने के लिए खड़े हैं तो किसानों के लिए पहले 24 घंटे बिजली देने की बात की. अधिकारियों से बात की तो कहते हैं कि नहीं भैया, 8 और 10 घंटे बिजली देने की बात हुई थी, लेकिन आज 8-10 घंटे नहीं, 1-2 घंटे भी हमारे क्षेत्र में बिजली नहीं मिल रही है. यहां पर आप किसी भी साथी से पूछ लें, आपकी सरकार में जो साथी बैठे हैं उनसे पूछ लें कि किसानों को कितनी बिजली मिल रही है.
श्री विजयपाल सिंह - हमारे यहां तो पूरी मिल रही है.
श्री पंकज उपाध्याय - (कई माननीय सदस्यों के एक साथ बोलने पर) असत्य बोलेंगे तो ईश्वर माफ नहीं करेगा और हमारे 230 साथी भी माफ नहीं करेंगे. अध्यक्ष जी, कभी सिंगल फेज आता है, कभी टाइम पर आता नहीं है. भारी ठंड होती है तो उस समय रात में बिजली देते हैं. हमारे यहां 1-2 डिग्री टेम्प्रेचर में भी रात में बिजली दी जाती है. बिजली विभाग के द्वारा किसानों के साथ घोर अन्याय किया जा रहा है. डी. पी. जल जाती हैं तो 15-15 दिन तक बदलती नहीं है. हमारे किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है लेकिन उन्हें बिजली नहीं मिलती है. प्रदेश की बिजली उत्पाद और जो वितरण कंपनियां हैं. वह ईस्ट इंडिया कंपनी जैसा काम कर रही हैं. जैसे ईस्ट इंडिया कम्पनी इंग्लैंड से अत्याचार करने और लूटने के लिये आयी थी.
श्री उमाकांत शर्मा- अध्यक्ष महोदय, ...
अध्यक्ष महोदय- उमाकांत जी, बैठ जायें.
श्री पंकज उपाध्याय- अध्यक्ष महोदय, 15 वर्षों में आपने बिजली के बिलों में तीन गुना बढ़ोत्तरी कर दी है. इस बात का आप जवाब दीजियेगा. स्थायी कनेक्शन नहीं दिेये जाते हैं. अध्यक्ष जी, जीवन-यापन की प्रमुख वस्तु बन गयी है लेकिन बिजली का इंतजार करते करते लोग बूढ़े होते जा रहे हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में कई गांव हैं, जहां पर आज तक बिजली नहीं पहुंच पायी है. आप अंदाजा लगायें कि वहां खेती कैसी हो रही होगी, किसान क्या कर रहे होंगे. बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है कि जहां संयुक्त परिवार रह रहे हैं तो वहां एक ही आदमी के नाम से कनेक्शन होता है, लेकिन बिजली विभाग वाले जिसकी मोटर देखते हैं उसके नाम से बिजली का बिल बना देते हैं. उसके ऊपर इतना अर्थदण्ड लगा देते हैं कि वह सालों साल तक भर नहीं पाता है तो उसके मकान की कुर्की हो जाती है, हमारे क्षेत्र में मकान की कुर्की भी हो चुकी है.
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत विशेष है विजलेंस, जैसा कि अभी मैंने ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम लिया तो यह विजलेंस आपकी ईस्ट इंडिया का जैसे जनरल डायर हुआ करता था, विजलेंस वाले बिल्कुल वैसा काम कर रहे हैं. जैसे ही यह गांव में घुसते हैं तो गांव में हा-हा कार मच जाता है जो पांच फेज़ की मोटर होती है उसको साढ़े सात की बता देंगे या 10 फेज़ की बता देंगे. मनमाफिक बिल बनाकर पहुंचा देंगे. जब किसान की नींद खुलेगी तब पता लगेगा तो लाखों रूपये का बिल आ जायेगा. इस बारे में भी आप लोगों ने ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है. अध्यक्ष जी, आप मंत्री जी को कहिये, नाली साफ करें तो बहुत अच्छी बात है, साफ-सफाई करना चाहिये. बिजली के खम्बों पर चढ़ना वह भी अच्छी बात है. क्योंकि लाइट ही नहीं आ रही है. उनको पता है कि बिजली तो आ ही नहीं रही है लेकिन हम किसानों पर जो अत्याचार कर रहे हैं, बिजली दे नहीं रहे हैं और बिल पहुंचा रहे हैं. बिल भी लाखों का पहुंचा देते हैं. आप सर्वे कराइये और मैं यदि गलत बोल रहा हूं तो आप मेरे ऊपर केस कर देना.
अध्यक्ष महोदय, मान लो कि किसानों के दो बोर हैं, 10 बीघा में दो बोर करा लिये एक बोर में कम पानी है तो दूसरा बोर करा लिया तो वहां पर विजलेंस वाले पहुंच जायेंगे और दूसरे बोर पर केस बना देंगे. केस भी इतना भारी बनायेंगे कि किसान के सालों साल बीत जायेंगे उसको वह भर नहीं पायेगा. जैसा कि मैंने बताया कि पांच हार्स पॉवर की मोटर को 10 हार्स पॉवर की कर देंगे. हमारे यहां एक द्वारका सरपंच हैं उनके कुएं पर पांच हार्स पॉवर की मोटर लगी थी तो उनकी साढ़े सात हॉर्स पॉवर की मोटर कर दी. मैंने ऊपर अधिकारियों से बात करी तो उन्होंने बोला कि भैया अब कुछ नहीं हो सकता है. हमने जो 60 हजार का बिल बना दिया तो उसको 60 हजार का बिल भरना पड़ा. कोई सुनवाई नहीं है, जिस तरह से हमारे यहां पर लोक अदालतें हैं वह भी कुछ नहीं कर रही हैं वह मात्र 30 प्रतिशत की रियायत दे देती हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमारे देश में न्यायपालिका है. उसमें पहले सत्र न्यायालय, फिर जिला न्यायालय, फिर हाई कोर्ट है, फिर डबल बेंच है फिर सुप्रीम कोर्ट है. यदि किसी को फांसी की सजा हो जाती है तो हम उसके लिये राष्ट्रपति के पास भी न्याय याचना कर सकते हैं. परंतु विद्युत विभाग में हम भटकते रहेंगे लेकिन कुछ नहीं हो पायेगा. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप ही बताइये कि कितने लोगों को न्याय मिला, कितने लोगों के आपने जहां पर फर्जी बिल बना दिये गये थे तो मैं अपने सभी साथियों से पूछना चाहता हूं कि आपने कितने कम करा लिये.
अध्यक्ष महोदय- आप सबसे मत पूछिये. आप मंत्री जी से पूछिये.
श्री पंकज उपाध्याय- अध्यक्ष जी, क्योंकि हम विधायकों के घर पर लोग आते हैं, यदि किसी का 50 हजार का बिल है तो उसका 15 हजार रूपये का बिल तो अपने आप ही माफ हो जाता है तो वह फिर हमारे दरवाजे पर इसलिये आया था कि हम उसका 50 हजार रूपये का बिल माफ नहीं करवा पा रहे हैं तो वह हमसे आकर बोलता है कि भैया 15 हजार रूपये वैसे ही कम हो रहे थे तो आपने क्या कम कराया.
अध्यक्ष जी, मैं कहना चाहता हूं कि कोई ऐसी पारदर्शी नीति बनायें कि हम डी.ई. स्तर पर ही, जिले स्तर पर ही बात करके इन बिजली के बिलों का समाधान कर सकें. ऐसे ही कितना घोर अन्यायपूर्ण तरीका है कि 16 प्रतिशत वह भी चक्रवर्ती ब्याज, आपने कभी सुना है ? हम मकान लेते हैं तो 8 प्रतिशत ब्याज लगता है. आपने बड़ी-बड़ी कम्पनियों को अडानी, अंबानी को आप 3-4 प्रतिशत पर लोन दे रहे हो और लाखों, करोड़ों रूपये का आप बिल माफ कर देते हो, लोन माफ कर देते हो. अगर हमारे किसान के ऊपर पेनल्टी हो जाती है तो 16 प्रतिशत का, मैंने कल मंत्री जी से बात की थी. तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां एक नियामक आयोग बना हुआ है. तो वह नियामक आयोग भी हमारे बीच में से बना होगा. हम लोगों ने बनाया होगा. अगर हम इस 16 प्रतिशत को कम नहीं कर सकते, तो हमको इस सदन में बैठने का अधिकार नहीं है. आप इस्तीफा दे दीजिये, अगली बार मत आइयेगा, क्योंकि 16 प्रतिशत किसानों के साथ आप कितना अत्याचार कर रहे हैं. लोग बर्बाद हो रहे हैं. तो मेरा निवेदन है कि इस मामले में आप थोड़ी गंभीरता से ध्यान दीजिये. जब लोक अदालतें लगती हैं, तो बड़े बड़े शहरों में लगती हैं. हमारा 100-100 किलोमीटर दूर तक का क्षेत्र है. 150 किलोमीटर लगता है. लोग जा नहीं पाते हैं जिला मुख्यालय तक. सालों साल पेनल्टी लगती रहती है और उसके ऊपर भी 16 प्रतिशत. मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं, जिनके मकान, जमीनें बिक गई हैं. लेकिन उनके बिल नहीं भर पाये हैं. मेरा अनुरोध है कि इस बारे में थोड़ा ध्यान दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- पंकज जी, कृपया समाप्त करिये.
श्री पंकज उपाध्याय—अध्यक्ष महोदय, आपको दो मिनट तो देना पड़ेगा. 30 मिनट थे टोटल, अभी 22 मिनट हुए हैं. 8 मिनट और बचे हैं हमारे. अध्यक्ष जी, बिजली के तार इतने नीचे हैं कि पशु, इंसान सब करंट में आ जाते हैं. लेकिन वह बिजली के तार ऊपर नहीं हो पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- पंकज जी, अभी और भी लोग बोलने वाले हैं.
श्री पंकज उपाध्याय—अध्यक्ष जी, एक बहुत महत्वपूर्ण चीज है कि आप यह जो स्मार्ट मीटर लेकर आये हैं. 8100 करोड़ रुपया यह बाकायदा ऊर्जा मंत्री जी ने हमारे नेता, जयवर्द्धन सिंह जी के प्रश्न के उत्तर में दिया है कि 8100 करोड़ रुपये के ठेके अल्फा पावर प्रायवेट लिमिटेड, अपर्वा पावर प्रायवेट लिमिटेड को, दो कम्पनियों को दे दिये गये हैं. अगर यह 8100 करोड़ रुपया हमारे गरीब किसानों के बिल माफ कर देते, तो आपको कितनी दुआएं मिलतीं. यह आप समझ सकते हैं. लेकिन आपको इस 8100 करोड़ रुपये के स्मार्ट मीटर से हासिल क्या होने वाला है. यह मुझे समझ में नहीं आ रहा है. इस कमीशन के अलावा कुछ और हासिल होने वाला है क्या इस प्रदेश की जनता को. यह मैं आपसे पूछना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय—कृपया समाप्त करें.प्लीज बैठिये. श्री भगवानदास सबनानी जी.
श्री भगवानदास सबनानी (भोपाल दक्षिण-पश्चिम)-- अध्यक्ष महोदय, मैं नियम 142-क के अंतर्गत चर्चा में अपनी बात रखने के लिये खड़ा हुआ हूं. म.प्र. में बिजली नहीं है, यह बात इस विषय में जोड़ कर की गई है. मैं बहुत बधाई देता हूं देश के यशस्वी प्रधान मंत्री जी को, जिन्होंने हमको रास्ता बताया है कि किस तरह से हम उन्नति,प्रगति करें और बिजली के मामले में म.प्र. न केवल आत्मनिर्भर हुआ है. आज हम अपने सहित हम म.प्र. से बाहर भी बिजली देने का काम कर रहे हैं. मेट्रो को बिजली देने का काम कर रहे हैं. मैं उस युग को याद करना चाहता हूं कि जब कहा जाता था कि दिग्गी लाल बत्ती में और जनता मोम बत्ती में. तो 1998 से 2003 का वह कार्यकाल जब हम बिजली कब आयेगी, कब जायेगी, ट्रांसफार्मर जैसी चीज कब बदली जायेगी, कब बिजली के तार बदले जायेंगे. उस दौर से निकल करके आज हम पूरे म.प्र. को कह सकते हैं कि तेजी के साथ बिजली के कारण आज म.प्र. में ..(श्री प्रहलाद सिंह पटेल, मंत्री जी द्वारा बैठे बैठे उन्हीं आंदोलनों के दौरान हम सब उपजे हैं, कहने पर) हां यह माननीय प्रहलाद जी ने बात सही कही कि उन्हीं आंदोलनों के दौरान हम सब उपजे हैं. उन आंदोलनों के कारण हम सबको शहरों में स्थान मिला. अपने अपने ग्रामीण क्षेत्र में स्थान मिला और आंदोलन करते करते हम सारे लोग कोई इस सदन में, कोई उच्च सदन में पहुंचे हैं. अगर बिजली नहीं है, तो म.प्र. को 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला, यह हम सबके लिये कितने गौरव की बात है. एक कोई किसान जो धान का उत्पादन करता हो, अनाज का उत्पादन करता हो, कोई यह बोले कि इस बार मुझे बिजली न होने के कारण मेरा उत्पादन नहीं हो पाया. एक एक किसान इससे लाभान्वित हुआ है. मैं डॉ. मोहन यादव जी, मुख्यमंत्री जी को बहुत बधाई देता हूं कि म.प्र. बिजली के और स्तर को कैसे बेहतर किया जा सकता है,इस ओर काम कर रहे हैं. 2003 के उस दौर की जब मैं बात करता हूं, तो 169 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होता था. आज 2024-25 में 723 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हो रहा है. 323 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2024-25 में लगभग 19 हजार करोड़ की सब्सिडी म.प्र. के किसानों को दी है, जो 93 प्रतिशत है. इसको रेखांकित करने की आवश्यकता है कि म.प्र. हम गर्व से कहते हैं कि यह कृषि प्रधान प्रदेश है, म.प्र. में कृषि को सबसे ज्यादा महत्व दिया जता है. इसके लिये म.प्र. की भाजपा की सरकार कृषि आधारित नीतियों पर काम करती है और कृषि एवं किसान कल्याण के लिये लगातार काम कर रही है. मुख्यमंत्री जी लगातार उसके लिये घोषणा कर रहे हैं, मैं मंत्री जी, प्रद्युम्न सिंह तोमर जी को बहुत बधाई देता हूं कि वे लगातार छोटी से छोटी सूचना को खुद नोटिस में लेकर के उस पर कैसे कार्यवाही की जा सकती है. नोटिस में लेकर के उस पर कैसे कार्य़वाही की जा सकती है इसका प्रयास करते हैं, लोड बढ़ जाता है उसकी जांच होती है समय समय पर ट्रांसफार्मर का अपग्रेडेशन होता है. जहां 25 केवीए के ट्रांसफार्मर हैं वहां उसकी जांच होकर के 63 केवीए के और जहां पर 63 केवीए के ट्रांसफार्मर हैं उनको अपग्रेड करके 100 केवीए का किया जा रहा है और आरडीएसएस योजना, जिसका मतलब पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना है, इस योजना के अंतर्गत गांव की खराब लाईन को बदलकर के नई लाईन डाली जा रही है . चाहे वह गांव में हो या खेत में हो, ट्रांसफार्मर बदले जा रहे हैं. मैं माननीय नरेन्द्र मोदी जी और माननीय डॉ.मोहन यादव जी को बहुत बधाई और शुभकामनांए देता हूं कि लगातार मध्यप्रदेश की उन्नति और प्रगति में उनकी दूरदृष्टि है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश अटल कृषि योजना के अंतर्गत किसानों के हितार्थ मध्यप्रदेश में अटल कृषि योजना लगातार 6 वर्षों से संचालित है. प्रदेश में अटल कृषि योजना के अंतर्गत 26 लाख 60 हजार कृषि उपभोक्ता लाभान्वित हैं. योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में सबसीडी के मद में राशि 14 हजार 800 करोड़ की दी गई है और वित्तीय वर्ष 2025-26 में लगभग राशि 14 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. योजनान्तर्गत 10 हार्सपॉवर तक के मीटर, रैक स्थायी कृषि पंप कनेक्शनों को 750 रूपये प्रति हार्सपॉवर, प्रति वर्ष की फ्लेट दर से विद्युत प्रदान करने की योजना है. इस योजना के अंतर्गत 10 हार्स पॉवर से अधिक के मीटर हैं, अस्थायी कृषि पंप कनेक्शनों को 1500 रूपये प्रति हार्स पॉवर, प्रति वर्ष की फ्लेट दर से विद्युत प्रदान किया जा रहा है. साथ ही 10 हार्स पॉवर के स्थायी कृषि पंप कनेक्शन और अस्थायी कृषि पंप कनेक्शनों को भी ऊर्जा के प्रभार में रियायत दी जा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना के अंतर्गत राज्य शासन द्वारा 1 हेक्टेयर तक भूमि और 5 हार्स पॉवर तक के कृषि पंप वाले अनुसूचित जाति, एवं अनुसूचित जनजाति के कृषकों को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय किया जा रहा है इसकी प्रतिपूर्ति हेतु राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों को वर्ष 2024-25 में रूपये 4775 करोड़ की सबसीडी प्रदान की गई है. वर्ष 2025-26 में इस हेतु रूपये 5299.12 करोड़ का बजट में प्रावधान किया गया है. इस योजना के अंतर्गत लगभग 9.30 लाख कृषि उपभोक्ता लाभान्वित हो रहे हैं. इसलिये मैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी मध्यप्रदेश के विद्युत मंत्री आदरणीय प्रद्युम्न सिंह तोमर जी को बहुत बधाई दे रहा हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय अंत में मैं, एक निवेदन के साथ मेरा एक सुझाव भी है कि विभाग जब किसानों को बिजली का बिल भेजते हैं, तो आज कल मोबाइल पर बिजली के बिल जाते हैं, जब बिजली के बिल छोटे मोबाइल पर जाते हैं तो उनको कई बार जानकारी में नहीं आता है कि हमको बिल कब जमा करना है इसलिये मेरा सुझाव है कि मोबाइल की जगह जैसे बिल पहले दिये जाते थे वैसे ही बिल दिये जाये ताकि उपभोक्ता समय पर बिल को जमा कर सके. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद. मैं इस विषय में तो नहीं परंतु मेरे मन में बोलने की एक बात थी वह बोलना चाहता हूं . आज मुख्यमंत्री जी भी सदन में बैठे हुये हैं इसलिये अध्यक्ष जी मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि आदरणीय मुख्यमंत्री जी महाकाल की नगरी से हैं यह हम लोगों के लिये बड़े सौभाग्य की बात है. मगर मैं मुख्यमंत्री जी को यह भी ध्यान दिलाना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य से भी हैं मगर महाकाल जी उनको ध्यान रहता है और विक्रमादित्य जी का उनको ध्यान नहीं रहता है. अध्यक्ष महोदय, विक्रमादित्य न्यायप्रिय राजा थे .
माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी हम लोगों के साथ में न्याय करें कि जो हम लोगों की जो विधायक निधि है या 15 करोड़ रूपये की बात है, वह हम लोगों के साथ में न्यायसंगत बात नहीं हो रही है. सम्राट विक्रमादित्य जी का ध्यान रखते हुये न्याय की बात करें और आपके आसन में 32 पुतलियां हैं, विक्रमादित्य जी के आसन में भी 32 पुतलियां थीं, तो पुतलियों का भी यह काम है कि राजा को सही दिशा दिखाये और हम लोगों के साथ न्याय करें.
अध्यक्ष महोदय- यह चर्चा का अंग नहीं है.
(सदस्य श्री कैलाश कुशवाहा जी के आसंदी से बिना माइक आन किये बोलने पर)
अध्यक्ष महोदय- कैलाश जी प्लीज बैठें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- कैलाश नाम को बदनाम मत कर भाई.(हंसी)
अध्यक्ष महोदय- कैलाश भाई बैराढ़ के तालाब की बात सदन में हो गई इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है आपके लिये बताओ. मंत्री जी प्रारंभ करें.
ऊर्जा मंत्री(श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से पूरे सदन को,लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर में उपस्थित सभी सम्माननीय सदस्यों को बताना चाहता हूं कि जो हमारे सम्माननीय साथी कह रहे हैं कि प्रदेश में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है. अभी हमारे सम्माननीय साथी ने भी बताया. हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री माननीय डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में आज मैं यह बताना चाहता हूं कि वर्ष 2002-03 में अगर 5,000-6,000 मेगावाट की मांग होती थी (प्रतिपक्ष के कुछ सदस्यों के खड़े होने पर) अब एक मिनट सुन लें, आपकी बात शांति से सुनी है आप शांति से सुन लें. वर्ष 2002-03 में 4,000 मेगावाट या 6,000 मेगावाट की मांग होती थी तो हम 4,000 मेगावाट मांग की पूर्ति नहीं कर पाते थे. हमारे छोटे-छोटे बच्चे रात में रोते थे मॉं पल्लू से हवा करती थी वह दिन भी आपको याद होंगे. मैं कहना चाहता हूं कि आज हम इस लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में यह बताना चाहते हैं कि वर्ष 2023-24 में हम 24,553 मेगावाट के साथ सरप्लस प्रदेश हैं. लगभग 19,000 मेगावाट की अधिकतम मांग की सप्लाई हमने इस प्रदेश में पूरी की है. आज हम यह गर्व के साथ कह सकते हैं. मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि अभी हमारे सम्माननीय साथी कह रहे थे कि बिजली के तार हैं, खंभे हैं कि नहीं हैं तो मैं उनको बताना चाहता हूं कि बिजली की वर्ष 2003-04 में 5,173 मेगावाट का कुल उत्पादन था और आज 24,533 मेगावाट का है. आपको यह भी बताना चाहता हूं कि पहले पावर ट्रांसफार्मर्स की संख्या ..
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- आप वर्ष 2003 में किधर थे.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- मैं किधर था यह तो मैं अभी बताऊंगा. उन्हीं के कारण आप उधर बैठे हो. उनके कारण ही आप उधर बैठे हुए हो.
अध्यक्ष महोदय -- मार्को जी, प्लीज़ प्लीज़. मंत्री जी को बोलने दें. मंत्री जी ने सबको सुना है अब आप मंत्री जी को सुनो.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, आप बात को प्रेम से सुनिए. मैं एक बात कहना चाहता हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने जीवन के अंदर इतना योगी बिजली मंत्री नहीं देखा जो प्रेस किए हुए कपड़े नहीं पहनता हो, जो घर के बाहर सोता हो, जो पंखे में नहीं सोता हो, जो एसी में नहीं सोता हो, ब्रह्मचर्य का पालन भी अपने आप हो जाता है उससे क्योंकि बाहर ही सोता है. .(हंसी).. ऐसा योगी बिजली मंत्री मैंने तो अपने जीवन में नहीं देखा.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया जवाब सुनिए. अकील साहब, कृपया जवाब सुनिए. आप बाद में आए हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्यों को बताना चाहता हूं कि वर्ष 2002-03 में 10 लाख कृषि उपभोक्ता थे और आज लगभग 37 लाख कृषि उपभोक्ता हैं.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- आज किसान कर्जदार हो गए हैं. वर्ष 2003 में कोई कर्जदार नहीं था, आज वह कर्जदार है.
अध्यक्ष महोदय -- अकील जी, सुरेश जी, प्लीज़-प्लीज.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, शांति से सुन लें और सच सुनिए तो. आपके माध्यम से यह हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में हमारा वर्ष 2002-03 में अभी सम्माननीय साथी ने भी बताया कि कृषि उत्पादन कुल 169 लाख मीट्रिक टन था आज वह बढ़कर वर्ष 2024-25 में 723 लाख मीट्रिक टन हो गया है. यह वृद्धि किससे हुई है. अगर बिजली की कमी होती तो प्रदेश को 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड मिले हुए हैं यह आपको मालूम है. माननीय अध्यक्ष जी, आप उस समय कृषि मंत्री जी थे उस समय यह मिले हुए हैं. आज इनको यह गर्व महसूस नहीं होना चाहिए. आज किसानों की आय दोगुनी हो गई है इस पर आपको गर्व महसूस नहीं होना चाहिए. जब आप बात करते हैं. अब बात सुन लीजिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- आप बात सुन लीजिए, सर्दी में किसान रात को इंतजार करता था कि लाइट कब आएगी ताकि मैं मोटर स्टार्ट करुं और खेत में पानी जाए.
श्री महेश परमार -- आपने किसानों की आय दुगुनी की तो किसानों की लागत चार गुना कर दी है. अभी भी किसान 4 बजे उठकर जा रहा है. (व्यवधान)
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- महेश जी धैर्य से सुनो, एक एक चीज का जवाब दूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- जवाब तब ही आएगा जब मंत्री जी बोलेंगे.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- रात में किसान इंतजार करता था. वो उधर बटन दबाता था पानी खेत तक नहीं पहुंचता था लाइट चली जाती थी. उस हताश निराश किसान को आज दिन में लाइट देने का काम डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में हम कर रहे हैं. यह हम आपको बता देना चाहते हैं. लाइट दिन में भी हम देंगे. आपको यह भी बताना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय, अभी सर्वे की बात कही गई थी. किसान का लोड बढ़ाने की बात आई थी. किसानों का जो लोड है. यह लोड भी हम क्यों चेक करते हैं. एक ट्रांसफार्मर पर जितना लोड आ रहा है अगर लोड ज्यादा होगा तो ट्रांसफार्मर जल जाएगा या ट्रिप होगा. इससे व्यवधान उत्पन्न होगा. किसान को व्यवधान उत्पन्न न हो. किसान को सही समय पर 10 घंटे लाइट मिले उसके लिए हम कृषकों का लोड निरीक्षण करते हैं. उसका एक उदाहरण देना चाहता हूँ. पूर्व क्षेत्र की कंपनी ने 10 लाख उपभोक्ताओं का निरीक्षण किया. उसमें से 2 लाख उपभोक्ताओं का लोड कम पाया गया. उनका हमने कम किया. 4 लाख उपभोक्ताओं का सामान्य पाया गया और 4 लाख उपभोक्ताओं का ज्यादा पाया गया. इस पर हमने कोई चार्ज नहीं लगाया उनसे कहा गया कि इसको अगले बिल में जोड़कर समाहित करेंगे. इस आधार पर हम इनको यह बताना चाहते हैं. वर्ष 2002-03 में प्रदेश का सिंचित क्षेत्रफल 52 लाख हेक्टयर के लगभग था. जो वर्ष 2024-25 में गर्व के साथ कहना चाहता हूँ 1 लाख 15 हजार हेक्टयर हो गया है. जो कि लगभग 122 प्रतिशत अधिक है.
श्री महेश परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले मंत्री जी पढ़ लें. यह 10 लाख उपभोक्ता का आप कह रहे हैं इसमें से 50 को भी सत्यापित करवा दीजिए. यह असत्य जानकारी है. 50 लोगों को भी सत्यापित करवा दीजिए अगर कहीं भी हैं तो.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह बताना चाहता हूँ कि इसके साथ में थोड़ा आइना भी देख लें. आपने कहा कि किसानों पर असत्य प्रकरण बनाए जाते हैं. लोड का निरीक्षण किसान अन्नदाता है उसके समक्ष किया जाता है. अगर वो संतुष्ट नहीं है तो वो दूसरे पक्ष को बुलाकर अपने साथ रखकर लोड निरीक्षण करवा सकता है. इसके अलावा (व्यवधान)
श्री महेश परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मध्यप्रदेश के किसानों का मामला है कम से कम माननीय मंत्री जी किसानों के मामले में तो असत्य जानकारी न दें. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि कम से कम किसानों के साथ तो न्याय करें.
अध्यक्ष महोदय -- महेश जी बैठिए. विधान सभा विचार-विमर्श का मंच है. आप सब लोगों की बारी थी आप सब लोगों ने विस्तार से अपने तर्क रखे, बात रखी, सुझाव रखे, तंज भी कसे. सारी चर्चा को मंत्री जी ने सुना है. अब मंत्री जी जवाब दे रहे हैं तो हमें उन्हें बोलने देना चाहिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, मैं, एक चीज और बताना चाहता हूं कि जो लोक अदालतें लगीं उसमें हमने 10 लाख रुपए तक की राशि के प्रकरण पर छूट दी. न्यायालय में प्रकरण लोक अदालत में पेश हुए और 15 हजार प्रकरणों का निपटारा हमने किया. दूसरा सम्माननीय साथियों ने कहा दर वृद्धि की तो वर्ष 2018, 2019 में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो सात प्रतिशत दरों में वृद्धि हुई थी और हमने पांच वर्ष में इतनी वृद्धि नहीं की है. हमारे सामने वाले मित्र अपना गिरेबान झांक लें. ये ऑन रिकॉर्ड है. मैं यह बात ऑन रिकॉर्ड कर सकता हूं. कांग्रेस की सरकार ने वर्ष 2020 में 7.01 प्रतिशत वृद्धि की थी.
श्री आरिफ मसूद-- मंत्री कौन था.
श्री प्रघुम्न सिंह तोमर-- मंत्री कौन था, आप बैठे थे. मंत्री भी आप ही हो. आप अपनी बात करो. मैं यहां बैठा हूं मैं अपनी बात कर रहा हूं.
श्री आरिफ मसूद-- मंत्री तो आप ही थे.
श्री प्रघुम्न सिंह तोमर-- उस समय के मुख्यमंत्री जी ने चलो, चलो कर, करके आपको वहां बैठाल दिया. हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री और पूरा हमारा मंत्री मण्डल किसानों के हित में निर्विवाद रूप से काम कर रहा है, आगे भी करेगा और किसानों के संबंध में कोई भी सुझाव यदि विपक्ष से भी आएगा और वह किसानों के हित में होगा तो हम जरूर करेंगे. हमारी सरकार वचनबद्ध है और सदन में आपने किसानों के हित में जो चर्चा कराई उसके लिए आपका धन्यवाद करता हूं. आभार, धन्यवाद.
6.52 बजे सत्र का समापन
(मेजों
की थपथपाहट)
मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव)- अध्यक्ष महोदय, वर्षाकालीन सत्र में जो बिज़नेस आपके कुशल मार्गदर्शन में तय किया गया था, पक्ष के सभी माननीय मंत्रीगण, सभी सदस्यों के साथ, नेता प्रतिपक्ष और उनके सभी माननीय सदस्यों के साथ एक स्वस्थ परंपरा है. जैसा आपने कहा कि मध्यप्रदेश की विधान सभा देश की सर्वश्रेष्ठ विधान सभा में से एक है. हमें इस बात की प्रसन्नता है कि हमने इस विधान सभा में वह सब करके दिखाया, जिसकी आवश्यकता थी. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, जिसके कारण हम सभी ने अपने बिताये गए एक-एक दिन, विषय के साथ अपने-अपने पक्ष की पूरी बात रखते हुए, नेता पक्ष, प्रतिपक्ष दोनों तरह से और ये बात सही भी है हमारे भारतीय जनतंत्र के अंदर, समाज के अंदर भी, हमारे घरों के अंदर भी लोकतंत्र स्थापित है, हमारा जब कोई भी मांगलिक कार्य होता है तो घर के अंदर मांगलिक कार्य संपन्न होते-होते, माता-बहनों की तरफ से भी प्रतिपक्ष को गालियां देकर परंपरा बनाते हैं, ताकि हमारे घर के अंदर वह स्वस्थ वातावरण बना रहे, उसमें कोई बुरा मानने की बात नहीं है. प्रतिपक्ष अपना काम करे, पक्ष वाले अपनी बात रखें और यह एक अच्छी परंपरा है कि अब तो जिस प्रकार से देश की बाकी विधान सभाओं का दृश्य दिखाई दे रहा है, उसमें मध्यप्रदेश एक अच्छा स्थान लेकर आगे बढ़ रहा है. मैं, आपके माध्यम से इसके लिए बधाई देना चाहता हूं. (मेजों की थपथपाहट) जब आपने विक्रमादित्य की बात कही, तो सदन के अन्दर विक्रमादित्य के लिए विक्रम विश्वविद्यालय के नामकरण का भी गौरव हमें इस दरमियान मिला. इस बात की प्रसन्नता है, आनन्द है कि आज हमारे विश्वविद्यालयों के अन्दर भी हमने नाम बदलते हुए और केवल नाम नहीं. यह बात भी सही है कि मैं अभी कृषि मंत्री जी को सुन रहा था, पक्ष एवं प्रतिपक्ष से कई बातें आईं. लेकिन धृष्टता न हो, तो मैं दो-तीन बातें जरूर जोड़ना चाहूँगा कि हम किसान को लेकर, बिजली को लेकर, बिजली विभाग की परेशानी को लेकर तात्कालिक बातों में पक्ष भी अपनी बात कह सकता है, विपक्ष भी अपनी बात कह सकता है लेकिन अपनी इसी सरकार ने इसका स्थायी समाधान भी ढूँढ़ा है कि आने वाले समय में 30 लाख स्थायी बिजली कनेक्शन और 2 लाख अस्थायी कनेक्शन हम चाहेंगे कि 3 वर्ष के अन्दर हम सोलर पम्प देकर हमेशा के लिए बिजली से सारे किसानों को एक तरह से बिजली के बिल से भी मुक्ति दिलायेंगे (मेजों की थपथपाहट) और पूरे देश में आदर्श स्थिति लायेंगे कि हम किसानों को, वह अपनी बिजली खुद उत्पन्न करें और बिजली उसके खुद के काम में आए और आने वाले समय में तो हम भविष्य में यह चाहेंगे कि अगर बिजली ज्यादा उत्पादित हो तो सरकार खरीदेगी, ऐसे एक नहीं कई सारे प्रयोग सरकार के माध्यम से हो रहे हैं. हम आपको अतीत के कालखण्ड में भी ले जाएंगे, जो बिजली के आंकड़े माननीय श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, ऊर्जा मंत्री जी ने बताए हैं, वह छिपे हुए नहीं हैं.
माननीय अध्यक्ष जी, हम कृषि उत्पादकता की भी बात करें, लेकिन एक आंकड़ा अगर आप बुरा न मानें, तो बताना चाहूँगा कि केवल हमारे सामने वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश बना था और वर्ष 2002-03 तक दुर्भाग्य से किसका-किसका दोष है ? मैं यह बोलना नहीं चाहूँगा. सरकारों की लम्बी परम्परा है, लेकिन जो भी कुछ हुआ, लेकिन हुआ तो आंकड़ों में. हमारा कृषि उत्पादन के लिये सिंचाई का रकबा केवल साढ़े 7 लाख हेक्टेयर था, वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश बना, वर्ष 1947 में देश आजाद हो गया था. जब हम सब विधायकगणों के साथ इस सरकार का गठन हुआ था, इस विधान सभा के पहले सत्र से लगाकर अकेले इसी डेढ़ वर्ष के अन्दर साढ़े 7 लाख हेक्टेयर का सिंचाई रकबा जुड़ा है, यह आंकड़ा बता रहा है कि कहां 55 वर्ष का समय था, कहां डेढ़ वर्ष का समय है. लेकिन मैं यह किसी की निन्दा करने के लिए नहीं दे रहा हूँ. यह समय हमारे लिये आगे बढ़कर, मिल-जुलकर मैं उस तरफ ले जाना चाहता हूँ कि जो हमने संकल्प लिया है. हम अभी 52 लाख हेक्टेयर में सिंचाई कर रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) जब हमारी इस विधान सभा के सत्र का समय पूरा होगा, तो हम चाहेंगे कि 100 लाख हेक्टेयर तक सिंचाई का रकबा बढ़ाया जाये, जिसके माध्यम से हम मध्यप्रदेश की सेवा कर पाएं.
माननीय अध्यक्ष जी, आज के इस अवसर पर बोलने के लिए तो काफी बातें हैं, लेकिन मैं यह मानकर चलता हूँ कि काफी सार्थक बहस हुई, अच्छे विषय भी आए, दोनों तरफ से चर्चाएं भी हुईं. एक बार फिर मैं आपका स्वागत करता हूँ, अभिनन्दन करता हूँ कि जिस प्रकार से आपका, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, उनके सदस्यगण एवं सभी माननीय सदस्यों का, मैं हृदय से आभार मानता हूँ कि आज आखिरी तक भी हम बैठकर, अभी हमारे सारे बिजनेस खत्म हो गए हैं, लेकिन ऊर्जा खत्म नहीं हुई है. ऐसा लग रहा है कि अगर अभी कोई और भी विषय आये तो हम बात कर सकते हैं. पुन: मैं नेता प्रतिपक्ष सहित पक्ष एवं प्रतिपक्ष के सभी माननीय सदस्यों का और सबसे बढ़कर आपका आभार मानता हूँ कि आपके लोक सभा और राज्य सभा के भी अनुभव हैं कि आपने इतने सुन्दर गणवेश का इन्तजाम किया है, उस गणवेश को देखकर आनन्द आ रहा है. विधान सभा सचिवालय एकदम नये रूप में, नए कलर में दिख रहा है. मैं एक बार फिर आपका अभिनन्दन करता हूँ और इस पूरे सत्र के संचालन के लिए पुन: सबका आभार मानता हूँ. (मेजों की थपथपाहट)
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, आपके नेतृत्व में जिस तरीके से विधान सभा का संचालन हुआ. मैं शुरुआत आपसे ही करना चाहता हूँ, आपके अनुभव का लाभ, आपकी स्पष्टवादिता का लाभ, आपकी 'सेंस ऑफ ह्यूमर', हाजिरी जवाबी बड़ी जबरदस्त है. अभी हम बात कर रहे थे कि जिस तरीके से आप वहां पर बैठे हुए टिप्पणी करते हैं, एक फुट उचकने की इच्छा हो जाती है. यह आपकी विशेषता है, आप बैठे-बैठे ही चिपका देते हैं. सबसे पहले तो मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपके बहुत ही कुशल नेतृत्व में उच्च परम्पराएं इस सत्र के अन्दर फिर से आईं.
डॉ. मोहन यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, माफ कीजिये. मुझसे संसदीय कार्य मंत्री जी को बोलना छूट गया था. माननीय कैलाश जी ने जो भूमिका निभाई, मैं वाकई उनका हृदय से आभार मानता हूँ. (मेजों की थपथपाहट) आप क्या चौके-छक्के मारते हैं ? एक कैलाश से दूसरे कैलाश तक पहुँचा देते हैं, तो हमने तो एक ही कैलाश देखा था. यहां आपने जिस प्रकार से बातें कहीं, आपका भी लम्बा अनुभव है, उसका हम सबने लाभ उठाया. परमात्मा करे कि ऐसे कुशल संसदीय कार्य मंत्री जी और सारे मंत्रियों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- धन्यवाद माननीय मुख्यमंत्री जी. अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपको धन्यवाद दूंगा. साथ ही सभापति तालिका के हमारे सभी सदस्य, जो कभी भी ऐसी उंगली और वैसी उंगली करके हम लोगों को निर्देशित करते रहे और बैठाते रहे. बहुत अच्छा संचालन हुआ. आसंदी की चेयर पर बैठे हर व्यक्ति का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ. विधान सभा सचिवालय के प्रमुख सचिव महोदय और उनकी पूरी टीम और उस अंतिम छोर पर बैठा हुआ कर्मचारी, जो हम सब लोगों के प्रश्नों के उत्तर तैयार करता है, आपके माध्यम से मैं उनको भी धन्यवाद देना चाहता हूँ. हमारे मीडिया के बंधू हैं, उनको भी मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, विधान सभा की उच्च परम्परा बिना प्रतिपक्ष के सहयोग से हो ही नहीं सकती और मैं दावे से कहता हूँ कि यदि ये उच्च परम्परा कायम हुई है, उसमें हमारे नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष के सारे बंधुओं का बहुत जबरदस्त योगदान रहा है. मैं दिल से उनके प्रति आभार प्रकट करना चाहूँगा. (मेजों की थपथपाहट). उमंग सिंघार जी का और पूरी टीम का.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की विधान सभा, मेरा सौभाग्य है, मैंने पहले भी इस सदन में कहा है कि मैं जब विधान सभा में यहां पर आया था तो पहली कुर्सी पर श्यामाचरण शुक्ला जी थे, दूसरी कुर्सी पर स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी थे. तीसरी कुर्सी पर स्वर्गीय मोतीलाल बोरा जी थे. कृष्णपाल सिंह जी थे. ऐसे फ्रंट में इतने बड़े-बड़े लोगों के साथ मुझे यहां पर विपक्ष के विधायक बनकर बैठने का सौभाग्य मिला. वे उस समय सत्ता पक्ष में थे. हम लोगों को यहां पर बैठने का अवसर प्राप्त हुआ. अध्यक्ष महोदय, क्या परम्परा थी, क्या एक-दूसरे का लिहाज था, क्या भाषण देते थे, मतलब वहां से हमने अनुभव प्राप्त किया है. मैं तो सभी सदस्यों से फिर कहना चाहूँगा, आप उनके भाषण सुनिए, ये सदन आज की तारीख में इस सत्र में उस ऊँचाई तक पहुँचा है, जो ऊँचाई माननीय पटवा जी के वक्त थी. माननीय अर्जुन सिंह जी के वक्त थी. उस ऊँचाई तक पहुँचा है, जब यहां राजेन्द्र शुक्ला जी बैठते थे. मुझे इस बात का गर्व है और इसलिए नेता प्रतिपक्ष और उनकी पूरी टीम को भी एक बार मैं पुन: धन्यवाद दूंगा कि इस सत्र को इस ऊँचाई तक पहुँचाने में नेता प्रतिपक्ष और उनकी टीम का बहुत बड़ा योगदान है.
अध्यक्ष महोदय, देखिए, हमारे यहां उच्च कोटि की परम्परा हम देकर जाएंगे तो आने वाली पीढ़ी हमारे बारे में चर्चा करेगी, जैसे हमने अभी अर्जुन सिंह जी का नाम लिया, पटवा जी का नाम लिया. हमें भी इस विधान सभा का उपयोग इस प्रकार करना चाहिए कि संसदीय मर्यादा और संसदीय परम्परा उच्च स्थान पर पहुँचे.
अध्यक्ष महोदय, इस बार की जो विधान सभा चली है, इसमें कोई एक कमी तक नहीं निकाल सकता. सबसे बड़ी बात तो यह है. इतनी उच्च कोटि की चर्चा हुई कि बस. लोगों ने अध्ययन करके बोला. मैं क्षमा चाहता हूँ मेरी हास-परिहास करने की आदत है. संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते कई बार मैं टोक भी देता हूँ. बड़े-बड़े नेताओं को भी मैंने टोका है. मैं क्षमा चाहता हूँ. पर मेरा काम ही वॉच डॉग का है अध्यक्ष महोदय, अगर पटरी से गाड़ी उतर रही है तो मैं खट से उसको लाइन पर लाने की कोशिश करता हूँ. मेरी हास-परिहास करने की भी आदत है तो मैंने कई बार इंडिविजुअल भी हास-परिहास किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन यह कर रहा था कि मेरी भूमिका तो जो है, वह है और मैंने हास-परिहास भी किया. सदन के किसी भी सदस्य को मेरे हास-परिहास से कोई ठेस लगी हो तो मैं दोनों हाथ जोड़कर उनसे माफी चाहता हूँ. मेरे दिल में ऐसी किसी के प्रति कोई भावना नहीं है. मैंने किसी को टोका भी, उमंग जी को टोका, राजेन्द्र कुमार सिंह जी को टोका, बाला बच्चन जी को टोका, बड़े-बड़े नेता हैं. अब इनको टोकने में इनको लगता तो होगा कि यार, हमको टोक दिया. पर मैं क्षमा चाहता हूँ. संसदीय परम्परा का ध्यान रखना, नियम से विधान सभा चले, अध्यक्ष महोदय, यह मेरा काम है. इसलिए मैंने अपने काम को ईमानदारी से करने की कोशिश की, पर उसके बावजूद भी अगर किसी के मन में दु:ख पहुँचा है तो मैं एक बार फिर से दोनों हाथ जोड़कर क्षमा चाहता हूँ और अध्यक्ष महोदय, एक शेर के साथ अपनी बात समाप्त करूंगा कि
वक्त की सीढ़ियों पर उम्र तेजी से चलती है,
हमेशा जवां रहोगे, बस मुस्कुराते रहो.
अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री उमंग सिंघार(नेता प्रतिपक्ष) - माननीय अध्यक्ष महोदय,निश्चित तौर से माननीय संसदीय मंत्री जी ने कहा कि सदन परंपरा और नियमों से चलता है. बीच-बीच में हास-परिहास करते रहे.चुटकियां लेते रहे जैसा उनका स्वभाव है लेकिन मैं यह भी कहना चाहता हूं कि जो गंभीर विषय हैं उन पर हास्य न हो तो अच्छी बात होती है क्योंकि प्रदेश देखता है. मैं आपसे बहुत छोटा हूं आपसे लेकिन मैं आपसे यह निवेदन कर सकता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपको आपके निष्पक्ष संचालन के लिये संवेदनशीलता के साथ आपने इस सदन के सभी सदस्यों को मौका दिया तो मैं समझता हूं कि आप ऐसा इतिहास लिख रहे हैं कि आने वाली पीढ़ी इसे याद रखेगी. पक्ष-विपक्ष की बात नहीं करता हूं. प्रदेश में कोई भी समस्या आती है तो मैं समझता हूं कि इस लोकतंत्र के मंदिर में किसी भी वर्ग का हो सकता है उसकी भावनाओं का ध्यान रखना और उसके प्रति न्याय करना मैं समझता हूं कि हमारे लिये महत्वपूर्ण है कि पार्टियों से ऊपर उठकर हमको इस समस्या के बारे में एक न्याय करना चाहिये क्योंकि हम न्याय की कुर्सी पर बैठे हैं. विधान सभा में विधायक हैं.मंत्री हैं. मुख्यमंत्री हैं कोई भी पद हो लेकिन जब आप सामाजिक न्याय की बात करते हैं तो एक कुर्सी होती है. यह हमारी व्यापारिक कुर्सी नहीं है जिसमें हम अपने लाभ की बात करें.यह हमारी जनसेवा की कुर्सी है. मैं समझता हूं कि मेरे शब्दों को कोई सदस्य समझ सकता है तो समझने का प्रयास करेगा कि आने वाले समय में हम प्रदेश की जनता की,हर वर्ग की, आप और हम मिलकर उसकी सेवा कर पाएंगे.मैं यह भी कहना चाहता हूं चाहे आपके सदस्य हों चाहे हमारे सदस्य हों वह इतिहास के पन्नों में दर्ज होते जा रहे हैं. किसने क्या कहा किसने क्या बात कही किस मुद्दे को लेकर हुआ. सबसे महत्वपूर्ण इस प्रदेश के लिये क्या किया. अपने क्षेत्र के लिये क्या किया. निश्चित तौर से पहले भी मैं इतने सालों से देखते आ रहा हूं कि सदन की गरिमा कम हुई थी. आपके आने के बाद एक नयी शुरुआत हुई. देश में सबसे कम सत्र वाला मध्यप्रदेश हो गया था. 12 से 15 बैठकें साल में होती थीं. आपने इन बैठकों को बढ़ाया. माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय संसदीय मंत्री जी आप सभी के सहयोग से बढ़ी हैं लेकिन मैं यह भी कहना चाहता हूं कि सरकार कई प्रश्नों के जवाब आते हैं जानकारी एकत्रित की जा रही है. गलत उत्तर आते हैं आपने भी इस बात को देखा. यह परंपराएं हमको तोड़ना पड़ेंगी जनहित में, जनता के लिये तो मैं समझता हूं कि आप सरकार से चर्चा करें इस बारे में यह हमारे विपक्ष की तरफ से एक सुझाव है कि कैसे सत्यता के साथ बात आए यह मैं चाहता हूं. निश्चित तौर से कई बातें हैं मैंने कई बार प्रयास किया. जमाना सेटेलाईट,एडवांस टेक्नालाजी का है तो माननीय मुख्यमंत्री जी से कहूंगा कि प्रदेश की जनता विधान सभा का लाईव टेलिकास्ट देख सके इस पर भी विचार होना चाहिये ताकि पूरा प्रदेश आप और हमको देख सके. प्रदेश की आवाज जनता के लिये हम लड़ते हैं आप भी उनके विकास की बात करते हैं. आपके विकास की बात जनता तक जाए. मैं चाहता हूं लाइव टेलीकास्ट को लेकर आपको विचार करना चाहिये, माननीय मुख्यमंत्री जी को आपके माध्यम से कहना चाहूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से एक बात सभी सदस्यों की बात आती है विकास को लेकर, हर क्षेत्र में हर विधायक परेशान होता है. मैं मानता हूं 2 करोड़ की विधायक निधि में कुछ नहीं होता. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर एक विधायक 5 लाख का एक सीमेंट कांक्रीट रोड देगा तो 40 जगह दे पायेगा, मतलब 40 गांव, अगर बूथ देखे जायें तो हर विधान सभा में 300 बूथ होते हैं. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी कल परसों कह रहे थे कि हम नियम बनाते हैं और कार्यपालिका एक्जीक्यूटिव कमेटी अपना काम करती है, लेकिन मैं इस बात को मानता हूं. अगर मैं जाकर अपनी विधान सभा में बोलूं या आप कोई जाकर बोलें कि हमने यह बिल बनाया, यह छूट हुई, यह विधेयक पास हुआ, जनता को इससे मतलब नहीं है, जनता को पानी चाहिये, तालाब चाहिये, सड़क चाहिये, बिजली चाहिये, अस्पताल चाहिये, स्कूल चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं हमारी अपनी सीमायें हैं, हमारी कार्यपालिका संविधान के अनुसार चलती है, लेकिन मैं समझता हूं कि इनको भी कैसे प्राथमिकता होना चाहिये कि हर विधायक की बातें रहती हैं कि विधायक निधि कम होती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहूंगा यह तो अनुपूरक बजट था, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी से भी मैं अनुरोध करूंगा, मेरे दल की ओर से और आपके दल में जिनके मन की बात है उनकी ओर से भी मैं अनुरोध करना चाहूंगा कि विधायक निधि 5 करोड़ हो ताकि हर विधायक अपना काम कर सके, साथ में उन विधायकों को भी जो हमारे साथ नहीं है पूर्व विधायक, ऐसे कई विधायक मैंने देखे हैं जो अपना स्वास्थ्य पैसे न होने के कारण भटकते रहते हैं, मेरे पास एक दो लोग आये माननीय पूर्व सदस्य कि हमें 20 हजार रूपये स्वेच्छानुदान दे दो. आज मेरी चर्चा विश्नोई जी से चल रही थी विश्नोई जी ने शायद एक सुझाव दिया माननीय मुख्यमंत्री को आपके सामने कि 10 लाख रूपये तक इनको मेडीक्लेम दिया जाये. मैं समझता हूं आपका सुझाव बहुत अच्छा है. मैंने पहले भी कहा और आज फिर कह रहा हूं कि एक विधायक का वेतन होता है 30 हजार, 35 हजार, उससे ज्यादा एक भृत्य का 40 हजार, 50 हजार वेतन होता है, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी इस बात पर विचार करेंगे. मैं समझता हूं कि मुख्य बजट में आप प्रदेश के 230 विधायकों के लिये चाहे पूर्व विधायक हों, चाहे वर्तमान विधायक हों, चाहे विधायक निधि के बारे में गंभीरता से विचार करें, नहीं तो मालूम पड़ा की फाइनेंस का आब्जेक्शन आ गया फिर आप किंतु परंतु मत कर देना. मैं सत्ता पक्ष के सभी मंत्री, विधायक, मेरे दल के सभी विधायक साथी, प्रदेश सरकार के कर्मचारी, अधिकारी, विधान सभा के प्रमुख सचिव एवं अधिकारी, कर्मचारी, मीडिया के साथी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के और तकनीकी विशेषज्ञ इन सबको मैं धन्यवाद देना चाहता हूं, आभार प्रकट करता हूं. आप सबके साथ हम मध्यप्रदेश के लिये चर्चा करते हैं और हम सब आपस में मिलकर ही इस मध्यप्रदेश का विकास कर सकते हैं. धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- बहुत धन्यवाद. मैं समझता हूं कि नेता प्रतिपक्ष, नये विधायक, पूर्व विधायक ने इन सब चर्चाओं को रखा है. सदस्य सुविधा समिति है, उन्होंने भी अपना होमवर्क करके अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है. मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि वित्त मंत्री जी की अध्यक्षता में एक 3 विधायकों की समिति बना लें, उस रिपोर्ट का भी परीक्षण कर लें, फाइनेंस भी उसे देख ले और उसके बाद उसमें आगे बढ़ें, ऐसा मेरा अनुरोध है.
मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव) -- अध्यक्ष महोदय, जो प्रस्ताव माननीय नेता प्रतिपक्ष ने रखा है और जैसा आपने मार्गदर्शन दिया है, निश्चित रूप से हम सब प्रदेश के विकास के लिये और सभी क्षेत्रों में काम करने के सह असतित्व के साथ ही इस विधानसभा के सभी सदस्यों की तरफ भी ध्यान देते हैं, इस नाते से यह जो आपने प्रस्ताव किया है, तो एक माननीय सदस्य नेताप्रतिपक्ष की तरफ से हो जायेगा और माननीय वित्तमंत्री जी की मौजूदगी में उनके साथ हमारा एक साथी देकर एक कमेटी बनाकर निश्चित रूप से आगामी बजट तक इस दिशा में हम आगे बढ़ेंगे, बहुत बहुत धन्यवाद(मेजों की थपथपाहट)
07.21 बजे अध्यक्षीय घोषणा.
अध्यक्ष महोदय -- आप सभी माननीय सदस्यों को दो सूचनाएं ओर देना है. आज मैंने प्रारंभ में आप सबको सूचना दी थी कि विधानसभा के मानसरोवर सभागार में आज कृष्णायन नाटिका का मंचन होगा, तो माननीय मुख्यमंत्री जी, नेताप्रतिपक्ष जी और बाकी सभी सदस्य भी उसमें उपस्थित रहें, यह छोटी सी नाटिका है, लेकिन मध्यप्रदेश और भगवान कृष्ण के बीच में क्या संबंध है? इस पर वह बहुत ही अच्छी प्रस्तुति है, तो मुझे लगता है कि हम सब लोग सीधे यहीं से वहां चलेंगे तो ठीक रहेगा.
आप सभी माननीय सदस्यों को दूसरी सूचना यह देनी है कि हमारे प्रमुख सचिव श्रीमान् ए.पी.सिंह जी काफी लंबे समय से हम लोगों के साथ काम कर रहे थे, अब वह अगले माह सेवानिवृत्ति की ओर जा रहे हैं, मैं समझता हूं कि उनका कार्यकाल जब हम लोग प्रतिपक्ष में थे, तब से देख रहे हैं और लगातार उनकी गंभीरता और सहयोगात्मक भावना की सभी सदस्य प्रशंसा भी करते हैं, उनकी सेवाएं निश्चित रूप से विधानसभा के लिये उत्कृष्ट रहीं हैं. मैं उनके सुखद भविष्य की कामना करता हूं. (मेजों की थपथपाहट)
07.22 बजे विधान सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाना: प्रस्ताव
संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, विधानसभा के वर्तमान सत्र के लिये निर्धारित समस्त शासकीय, वित्तीय एवं अन्य आवश्यक शासकीय कार्य पूर्ण हो चुके हैं. अत: मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 12- ख के द्वितीय परंतुक के अंतर्गत, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि '' सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाये.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि '' सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाये.''
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
07.23 बजे राष्ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान
अध्यक्ष महोदय- अब राष्ट्रगान होगा.
(सदन के माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान किया गया.)
07.24बजे
सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाना: घोषणा
अध्यक्ष महोदय- विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित.
अपराह्न 07.24 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई.
भोपाल अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक: 06 अगस्त, 2025 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा