मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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चतुर्दश विधान सभा                                                                                                       त्रयोदश सत्र

 

 

फरवरी-मार्च, 2017 सत्र

 

सोमवार, दिनांक 6 मार्च, 2017

 

(15 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1938 )

 

 

[खण्ड-  13 ]                                                                                                                     [अंक- 9 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

सोमवार, दिनांक 6 मार्च, 2017

 

(15 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1938 )

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}

 

तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

चालू/बंद नल-जल योजनाएं

[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]

        1. ( *क्र. 1761 ) श्री गोविन्‍द सिंह पटेल : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र में कितनी नल-जल योजनाएं टंकी सहित एवं टंकी रहित स्‍थापित हैं, कितनी चालू एवं कितनी बंद हैं? (ख) जो बंद योजनाएं हैं उनके क्‍या कारण हैं? (ग) जो योजनाएं अभी तक चालू नहीं हुईं हैं एवं जो योजनाएं बंद हैं, उनका क्‍या कारण है?

        लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) 54 टंकी सहित एवं 37 टंकी रहित योजनाएं हैं, जिनमें से 56 योजनाएं चालू एवं 35 योजनाएं बंद हैं। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) ऐसी एक भी योजना नहीं है जो अभी तक चालू नहीं हुई है, जो योजनाएं बंद हैं, उनकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।

            श्री गोविन्‍द सिंह पटेल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में यह आया है कि 54 टंकी सहित एवं 37 टंकी रहित योजनाएं हैं, जिनमें से 56 योजनाएं चालू हैं एवं 35 योजनाएं बंद हैं. जो 56 योजनाएं चालू हैं, मैं उसके लिए मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूँ. लेकिन जो 35 योजनाएं बंद हैं, उनमें अधिकांश में कारण बताया है कि पाईप लाईन टूट-फूट होने के कारण बंद हैं. वे योजनाएं ऐसी हैं कि उनमें पाईप लाईन इतनी खराब डली थीं, वे योजनाएं चली ही नहीं हैं. जो मंत्री जी ने जवाब दिया है कि ऐसी कोई योजनाएं नहीं है, जो चालू नहीं हुई हैं तो जो 35 योजनाएं बंद हैं, उनमें से अधिकांश ऐसी हैं, जिनमें घटिया किस्‍म की पाईप लाईन डाली गई हैं, वे चालू नहीं हैं और पूरी पाईप लाईन टूट-फूट होना बताया है और कुछ योजनाएं ऐसी हैं, जिनमें अभी बिजली के कनेक्‍शन नहीं हुए हैं मतलब ट्रांसफार्मर नहीं लगे हुए हैं. ऐसी कम से कम 10 योजनाएं हैं. उदाहरण के तौर पर, ऊकासघाट, मेघमांकला और कान्‍धर गांव, इनमें मेरे पास जानकारी है कि ट्रांसफार्मर नहीं लगे हैं इसलिए बिजली कनेक्‍शन न होने के कारण वे योजनाएं बन्‍द हैं. जो योजनाएं टूट-फूट के कारण बन्‍द हैं, क्‍या उन योजनाओं को मंत्री जी चालू करवाएंगे ?       

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- निश्चित रूप से चालू कराएंगे और मैंने सभी विधायकों को और आपको भी पत्र भेजा है कि आपकी जो भी योजनाएं खराब पड़ी हैं उन सबको हम ठीक कराएंगे, चालू कराएंगे.

          श्री गोविन्‍द सिंह पटेल-- पाइप लाईन और बिजली के कारण जो भी योजनाएं बंद हैं आप उनको भी चालू करा दें और गर्मी में सभी पाइप लाइन चालू करा दें.

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कोई भी ऐसी योजना हो जो पाइप की टूट-फूट की वजह से, बिजली की वजह से, या मोटर की वजह से खराब हो उन सबको हम सुधरवा देंगे.

          श्री गोविन्‍द सिंह पटेल-- धन्‍यवाद अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद मंत्री जी.

          पुलिसकर्मियों को कम्‍प्यूटर दक्षता प्रशिक्षण

[गृह]

2. ( *क्र. 4415 ) श्री शैलेन्‍द्र पटेल : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या प्रदेश सरकार द्वारा पुलिसकर्मियों को कम्‍प्‍यूटर दक्षता प्रशिक्षण दिया जा रहा है? (ख) क्‍या पुलिसकर्मियों को कम्‍प्‍यूटर प्रशिक्षण के लिए किसी संस्‍था को नियत किया गया है? यदि हाँ, तो संस्‍था का ब्‍यौरा दें? यदि नहीं, तो किस माध्‍यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है? (ग) सीहोर जिले में अभी तक कितने पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और कितने पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाना शेष है और कब तक प्रशिक्षित किया जाएगा? (घ) शासन द्वारा पुलिसकर्मियों के कम्‍प्‍यूटर प्रशिक्षण पर विगत दो वर्ष में कितनी राशि व्‍यय की जा चुकी है?

गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। भारत सरकार के मिशन मोड सी.सी.टी.एन.एस. प्रोजेक्ट के अंतर्गत मध्यप्रदेश के सभी 51 जिले एवं 03 रेल इकाइयों में पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण हेतु एच.सी.एल. (टी) कंपनी को नियत किया गया है। (ग) सीहोर जिले में 495 पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। शेष 278 पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया जाना है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) विगत दो वर्षों में पुलिसकर्मियों के कम्प्यूटर प्रशिक्षण पर भारत सरकार के मिशन मोड सी.सी.टी.एन.एस. प्रोजेक्ट के तहत् राशि रूपये 38,33,572/- (अड़तीस लाख तैतीस हजार पाँच सौ बहत्तर रूपये), राज्य अपराध अनुसंधान ब्यूरो के सामान्य बजट से राशि रूपये 1,33,813/- (एक लाख तैतीस हजार आठ सौ तेरह रूपये) का व्यय किया गया।

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल-- अध्‍यक्ष जी, मैंने माननीय मंत्री जी से जो प्रश्‍न किया था वह यह था कि प्रदेश सरकार द्वारा पुलिसकर्मियों को कम्‍प्‍यूटर दक्षता प्रशिक्षण दिया जा रहा है. मेरा यह प्रश्‍न है कि आप दक्षता से क्‍या मायने रखते हैं, दक्षता का क्‍या मीनिंग है?

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कम्‍प्‍यूटर ट्रेनिंग के बारे में यह है कि पुलिस विभाग के अधिकारी और पुलिसकर्मी उसको समझें, कम्‍प्‍यूटर को चला सकें, उसकी ट्रेनिंग ले सकें यही दक्षता का प्रशिक्षण होता है और वह प्रशिक्षण चल रहा है.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल-- अध्‍यक्ष महोदय, कम्‍प्‍यूटर में 95 प्रतिशत जो लेंग्‍वेज होती है वह अंग्रेजी में है और हमारे विभाग के जो पुलिस कर्मचारी हैं खासकर जो सिपाही हैं बारहवीं से लेकर स्‍नातक तक उनकी क्‍वालिफिकेशन होती है. उनको अंग्रेजी का उतना अच्‍छे से ज्ञान नहीं होता है. उनमें से बहुत से सिपाही तो उम्रदराज भी हो गए हैं. होता यह है कि थानों में इंतजार किया जाता है कि कोई कम्‍प्‍यूटर जानने वाला सिपाही आएगा तब उसकी रिपोर्ट लिखी जाएगी. उन्‍हें ट्रेंड तो कर दिया है परंतु वह सिर्फ कम्‍प्‍यूटर चालू और बंद करना ही सीख पाए हैं क्‍योंकि कम्‍प्‍यूटर की लेंग्‍वेज हम जैसे लोगों को समझ में नहीं आती तो जिन लोगों ने कम्‍प्‍यूटर की पढ़ाई नहीं  की वे कैसे कर पाएंगे. ट्रेंड करना एक अलग विषय है. सिर्फ कम्‍प्‍यूटर चालू कर लेना, बंद कर लेना और एफ.आई.आर. लिख लेना अलग है. माननीय मंत्री जी एफ.आई.आर. लिखने के लिए भी थानों में इंतजार किया जाता है कि कोई सिपाही आएगा उसको एफ.आई.आर. लिखना आता है. बहुत से लोगों को तो वह भी नहीं आता है. मेरा दूसरा पूरक प्रश्‍न यह है कि जो आपने ट्रेनिंग दी है उसमें आप कह रहे हैं कि आपने उन्‍हें दक्ष कर दिया है लेकिन वह एफ.आई.आर. भी नहीं लिख पा रहे हैं . मैं यह पूछना चाहता हूं कि पी.एस.टी.एन. डाटा सर्च करने का क्‍या आश्रय है, क्‍योंकि यह भी कम्‍प्‍यूटर दक्षता से जुडा़ हुआ है. पी.एस.टी.एन. डाटा बड़ा महत्‍वपूर्ण होता है, उसे सर्च करने का क्‍या आश्रय है?

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, पहला तो जैसा माननीय सदस्‍य ने कहा है कि इसका प्रशिक्षण अंग्रेजी में होता है. तो यह सिर्फ अंग्रेजी में ही नहीं हिन्‍दी में भी होता है. जो सी.सी.टी.एन.एस. के माध्‍यम से होता है यह हिन्‍दी में ही होता है और दूसरा डाटा के बारे में आपने बताया है जो हमें इन्‍वेस्‍टीगेशन के लिए, बाकी जानकारी के लिए जिन डाटा की आवश्‍यकता होती है उस डाटा की कम्‍प्‍यूटर ट्रेनिंग से इसकी भिन्‍नता है. कम्‍प्‍यूटर ट्रेनिंग से इसका सीधा संबंध है.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पी.एस.टी.एन. डाटा जो होता है वह मोबाइल से लोकेशन ट्रेस करने का होता है. मैं आपको उदाहरण के लिए कहना चाहता हूं कि शेहला मसूद हत्‍याकांड में भी जो बाहर से सी.बी.आई. टीम आई थी. उन्‍होंने भोपाल के 15 लाख मोबाइल यूजर में से लोगों को ट्रेस करके पर्दाफाश किया था. पी.एस.टी.एन. डाटा की दक्षता नहीं होने के कारण जो चोरी होती है, अपहरण होते हैं, बड़े अपराध होते है उन अपराधियों की लोकेशन नहीं मिल पाती है. हम सिर्फ एफ.आई.आर. तक ट्रेनिंग  देकर सीमित न रहें. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि सरकार इस प्रोग्राम में इतना पैसा खर्च कर रही है कम से कम हम उनको अच्‍छे से प्रशिक्षण दें ताकि जब मोबाइल गुमता है या किसी की लोकेशन ट्रेस करनी होती है तो जिला स्‍तर पर, सी.एस.पी. स्‍तर से नीचे के लोग नहीं कर पाते हैं. इस ओर सरकार क्‍या कदम उठाएगी या सिर्फ एफ.आई.आर. लिखने के अलावा बाकी जो काम है उसमें कैसे ट्रेंड करेगी, यह माननीय मंत्री जी ओर बता दें?

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - अध्‍यक्ष महोदय,  यह जो माननीय सदस्‍य पी.एस.टी.एन. डाटा के बारे में कह रहे हैं. यह डाटा सायबर सेल का कार्य है. यह कार्य थाने में नहीं होता है और इसके लिए हमारा जो मध्‍यप्रदेश का सायबर सेल है. वह काफी प्रभावी तरीके से काम कर रहा है और इसीलिए आपको भी जानकारी है कि इस पूरे सिस्‍टम के माध्‍यम से ही अभी बहुत बड़ी सफलता मध्‍यप्रदेश पुलिस को मिली है. एक पेरेलल एक्‍सचेंज चल रहा था जिसमें आतंकवादियों के कॉल ट्रांसफर किेए जाते थे यह पूरा एक राष्‍ट्रीय स्‍तर पर जो नेटवर्क चल रहा था उस नेटवर्क को ध्‍वस्‍त करने में मध्‍यप्रदेश पुलिस को सफलता मिली है.

अनुभाग सुसनेर को पूर्ण अनुभाग का दर्जा

[राजस्व]

3. ( *क्र. 2746 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 05 वर्षों में शासन द्वारा कौन-कौन से नवीन अनुभाग स्वीकृत किये गये हैं(ख) राजस्व अनुभाग के स्थायीकरण हेतु/पूर्ण अनुभाग बनाये जाने हेतु क्या मापदण्ड हैं एवं कौन-कौन से पद सृजित किये जाते हैं? (ग) अनुभाग सुसनेर कब से संचालित है? राजस्व अनुभाग सुसनेर में स्वीकृत एवं रिक्त पदों की जानकारी देवें? रिक्त पदों पर क्या व्यवस्था की गई है? (घ) क्‍या अनुभाग सुसनेर के स्थायीकरण हेतु/पूर्ण अनुभाग का दर्जा दिए जाने संबंधी कोई प्रस्ताव या मांग प्राप्त हुई थी? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्या स्वप्रेरणा से प्रशासनिक सुदृढ़ता व कार्यसुविधा को दृष्टिगत रखते हुए अनुभाग सुसनेर को पूर्ण अनुभाग का दर्जा दिया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक?

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) :

            श्री मुरलीधर पाटीदार--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि सुसनेर अनुभाग में 1978 से डिप्टी कलेक्टर को एसडीएम तो बना रखा है लेकिन उसका पद स्वीकृत ही नहीं है, न ही अनुभाग की बिल्डिंग स्वीकृत है न ही कोई स्टाफ स्वीकृत है इसके कारण वे तहसील के स्टाफ को अटैच कर लेते हैं जिससे तहसीलों की व्यवस्था भी चरमराती है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि इसकी बिल्डिंग और स्टाफ वर्ष 1978 से स्वीकृत नहीं हुआ है तो कब तक स्वीकृत हो जाएगा ?

          श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी को धन्यवाद देता हूँ वास्तव में यह विसंगति है कि वर्ष यह अनुभाग 1978 में खुल गया और न ही पद स्वीकृत हुए न ही बिल्डिंग स्वीकृत हुई. विधायक जी के क्षेत्र में जल्दी कर देंगे लेकिन इस बहाने हम पूरे प्रदेश की जानकारी बुला रहे हैं जहां भी इस प्रकार के आफिस चल तो रहे हैं लेकिन विधिवत् उनके पद स्वीकृत नहीं हैं, भवन स्वीकृत नहीं हैं उन सबको हम टेक-अप करेंगे और पूरे प्रदेश में इसको ठीक करेंगे.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी इटारसी में भी ऐसा ही है, चार साल लगभग वहां भी हो गए हैं.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, मैं इसीलिए कह रहा हूँ कि पूरे प्रदेश में ही है, कई जगह है. पूरी जानकारी हम कलेक्टर से बुलवा रहे हैं और उन सबको करेंगे.

          श्री बाबूलाल गौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा क्यों हो रहा है, इतना विलंब क्यों हो रहा है.

          श्री मुरलीधर पाटीदार--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद कि उन्होंने इस प्रश्न को बहुत गंभीरता से लिया. मेरा आग्रह यह है कि जुलाई तक हमें तो स्टाफ मिल जाए  और बाकी प्रदेश में कार्यवाही चलती रहे.

          अध्यक्ष महोदय--यह तो मंत्री जी ने कह ही दिया है.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--आपका तो मैंने कह ही दिया है कि आपका हम जल्दी कर ही देंगे जो ध्यान में आया है.

          श्री मुरलीधार पाटीदर--माननीय अध्यक्ष महोदय आपको एवं  माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद.

          श्री गोपाल परमार--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा इसी से संबंधित प्रश्न है कि जो अधिकारी आगर से सुसनेर व्यवस्था की दृष्टि से पहुंचा दिए गए, विगत छह महीनों से उन्होंने ज्वाइन नहीं किया. उनको निलंबित भी कर दिया गया तो क्या उनको बर्खास्त करने की कार्यवाही करेंगे  ?

          अध्यक्ष महोदय--यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता है.

          श्री गोपाल परमार--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह इसी की व्यवस्था से संबंधित है.

 

 

          लंबित सीमांकन प्रकरणों का निराकरण

[राजस्व]

4. ( *क्र. 629 ) श्री गिरीश गौतम : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले के मऊगंज, नईगढ़ी, मनगवां तहसीलों में सीमांकन के कितने आवेदन जनवरी, 2015 से प्रश्‍न दिनांक तक प्रस्‍तुत किये गये, तहसीलवार संख्‍या बताएं तथा कितने प्रकरणों का निराकरण किया गया? संख्‍या बताएं। (ख) लंबित सीमांकन प्रकरणों का निराकरण कब तक कर दिया जायेगा?

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) रीवा जिले में तहसील मऊगंज नईगढ़ी, मनगवां में सीमाकंन आवेदनों की जानकारी निम्‍नानुसार है :-

 

तहसील का नाम

प्राप्‍त आवेदन

निराकृत आवेदन

मऊगंज

597

565

नईगढ़ी

130

103

मनगवां

296

275

 
 
 
 




 

 

(ख) जिन आवेदित भूमियों पर फसल नहीं लगी है, उनके सीमांकन की तिथि नियत है एवं फसल लगे खेतों का सीमांकन फसल कटने के बाद किया जायेगा।

          श्री गिरीश गौतम--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने जो निराकरण बताया है 565, 103, 275 तहसीलवार मऊगंज, नईगढ़ी और मनगवां का और बकाया 32, 28 और 21 हैं. सबसे पहले मैं यह निवेदन करना चाहूंगा कि हम सब जानते हैं कि कई बीमारियां दूसरे कारण से जनित होती हैं. जैसे कैंसर हुआ तो कहते हैं उसका कारण धूम्रपान है, तंबाकू है. कई बार जल-जनित बीमारियां पैदा होती हैं कई बार खाद्य प्रदूषण से होती हैं. उसी तरह से जो भी आपराधिक मामले होते हैं मैं 100 प्रतिशत की बात नहीं करता परन्तु जितने आपराधिक मामले होते हैं ज्यादातर राजस्व के कर्मचारियों के उल्टा-सीधा इंद्राज करने के कारण होते हैं. अधिकांशत: इसी बात के लिए होते हैं कि उनका डिमार्केशन ठीक से नहीं हुआ है. पटवारी क्या करता है क्या दर्ज करता है यह तो भगवान ही जानता है. मेरा आज ही एक तारांकित प्रश्न लगा था वह दुर्भाग्य से 46 (2) में परिवर्तित हो गया है, वह 11 नंबर पर है. मेरा उसमें यह प्रश्न था कि कुछ आदिवासी भाइयों को भू-अधिकार अभिलेख देना है. उसमें जवाब यह आया है कि उसमें नाला दर्ज है. जबकि उनके मकान 40-40, 50-50 साल से बने हैं लेकिन पटवारी साहब ने नाला दर्ज कर दिया है तो राजस्व में नियम यह है कि जहां नाला दर्ज होगा, शमशान दर्ज होगा या कब्रिस्तान दर्ज होगा उसको पट्टा नहीं दिया जाएगा.

          अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन कर रहा हूँ कि यह राजस्व कर्मचारियों और पटवारियों के कारण हो रहा है. जो शेष हैं इनको दिखवाने की आवश्यकता है. केवल इसी एक प्रश्न का जवाब माननीय मंत्री जी दे दें. यह जो डिमार्केशन पेडिंग हैं 32, 28 व 21 यह वर्ष 2015 के हैं या 2016 के हैं. मैंने वर्ष 2015 के पूछे थे. इसके बाद अनुमति मिल जाएगी तो एक प्रश्न और पूछ लूंगा.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो शेष हैं उनकी सूची मेरे पास है. यह कब के हैं और कब इनका सीमांकन कर दिया जाएगा. इसका भी हमने टारगेट तय कर लिया है यह मैं सदस्य को उपलब्ध करा दूंगा.

          श्री गिरीश गौतम--माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे भी नियम है कि डिमार्केशन को छह महीने के भीतर करना है. इसीलिए मैंने प्रश्न पूछा था. माननीय मंत्री जी मुझे सूची दे देंगे उसके लिए उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद. परन्तु इसमें जल्दी से जल्दी निराकरण हो जाए क्योंकि जैसा मैंने निवेदन किया कि अधिकांश आपराधिक मामले लगभग 90 प्रतिशत इसी बात को लेकर होते हैं. उसमें सीमा चिह्न की गड़बड़ी रहती है जिसके कारण विवाद होता है वह कहता है हमारा इधर है दूसरा कहता हमारा उधर है. इसका जितनी जल्दी हो सके निराकरण करवा दें.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, 25 मार्च तक जहां फसल नहीं है वे सारे सीमांकन हम कर देंगे और जहां फसल अभी खड़ी है वहां फसल कटने के बाद कर देंगे.

          श्री गिरीश गौतम--बहुत-बहुत धन्यवाद मंत्री जी.

 

रीवा ‍जिले में संचालित गोदाम

[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण]

5. ( *क्र. 4308 ) श्रीमती शीला त्‍यागी : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले में कितने पी.डी.एस. केन्‍द्र एवं गोदाम संचालित हैं। जिले के सभी केन्‍द्रों की सूची तथा केन्‍दों में पदस्‍थ अधिकारियों/कर्मचारियों की सूची विधानसभावार/अनुभागवार उपलब्‍ध करायें। (ख) प्रश्‍नांश () के संदर्भ में उक्‍त सभी केन्‍द्रों के लिए वर्ष 2015 से प्रश्‍न‍ दिनांक तक कितनी सामग्री (गेहूँ, चावल, शक्‍कर एवं केरोसीन) का आवंटन प्रदान किया गया है? केन्‍द्रवार, माहवार सामग्रियों की सूची देवें। (ग) प्रश्‍नांश (ख) के संदर्भ में क्‍या प्रबंध संचालक भोपाल, क्षेत्रीय प्रबंधक सतना म.प्र. स्‍टेट सिविल सप्‍लाईज कार्पोरेशन लि. को द्वार प्रदाय योजनांतर्गत परिवहनकर्ता मे. सुरेश कुमार मिश्र एवं अन्‍य परिवहनकर्ता के विरूद्ध शिकायत प्राप्‍त हुई है? यदि हाँ, तो शिकायत में क्‍या कार्यवाही की गई है? कृत कार्यवाही की प्रति देवें। (घ) प्रश्‍नांश () के संदर्भ में रीवा के गोदामों में पी.डी.एस. आवंटन के लिए खाद्यान्न सामग्री न होने की स्थिति में सीधे सतना वेयर हाउस से ट्रक क्र. एम.पी. 17 - एच.एच. 1460 द्वारा परिवहन किया गया है? यदि हाँ, तो क्‍या पावती ऑनलाईन जारी हुई है? यदि नहीं, तो क्‍यों, सामग्री की पावती कहाँ से है? सामग्री नहीं पहुंचने के लिए कौन जिम्‍मेदार है? उसके विरूद्ध कौन-सी दण्‍डात्‍मक कार्यवाही की गई है?  

 

 

 

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

          श्रीमती शीला त्‍यागी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण के संबंध में था. मैं कहना चाहती हूं कि जैसा कि सरकार की मंशा है कि खाद्य विभाग के माध्‍यम से प्रदेश में सभी को भोजन मिले, कुपोषण दूर हो, लेकिन खाद्य विभाग में ही सबसे ज्‍यादा अनियमितता एवं भ्रष्‍टाचार व्‍याप्‍त है. समय-समय पर सदन में भी माननीय विधायकों द्वारा खाद्य विभाग से संबंधित प्रश्‍न उठाये जाते हैं. रीवा जिले में खाद्य विभाग में सबसे ज्‍यादा भ्रष्‍टाचार है. फुड कंट्रोलर, फुड की कालाबाजारी करते हैं. गरीबों का खाद्यान सोसायटी के दुकानों में नहीं पहुंच पाता है. मैं सरकार को इस बात से अवगत करवाना चाहती हूं कि खाद्य विभाग में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार को समाप्‍त करने के लिए यदि कोई विशेष पहल नहीं की गई तो सरकार की जो मंशा है कि गरीबों का भला हो, उनका विकास हो, उनको खाद्यान मिले, कुपोषण से किसी की मौत न हो, वह पूरी नहीं हो पाएगी. माननीय मंत्री जी ने मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में स्‍वीकार किया है कि खाद्य विभाग में पड़े पैमाने पर अनियमितता है एवं इसके अतिरिक्‍त मेरे प्रश्‍न के सभी अंशों को मंत्री जी द्वारा स्‍वीकार किया गया है. इसके लिए मैं उन्‍हें धन्‍यवाद देती हूं. आपके माध्‍यम से मैं माननीय मंत्री जी निवेदन करना चाहती हूं कि खाद्यान की कालाबाजारी में लिप्‍त एवं विशेषकर फुड कंट्रोलर विभाग के प्रशासनिक अमले द्वारा, ब्‍लैक लिस्‍टेड लोगों की सूची पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है और न ही खाद्यान पकड़ा गया है. मैं जानना चाहती हूं कि कार्यवाही क्‍यों नहीं की गई है? सरकार की मंशा के अनुसार विभाग के अधिकारी-कर्मचारी कार्य क्‍यों नहीं कर रहे हैं. भ्रष्‍टाचार कैसे दूर होगा ?

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍या की चिंता निश्चित रूप से गंभीर प्रवृत्ति की है. इस हेतु मैं उन्‍हें धन्‍यवाद देना चाहता हूं. घटना 8.12.2016 की एक शिकायत की है. पहली घटना 6.5.2016 फिर 5.10.2016, 28.2.2015 इस प्रकार से शिकायतें होती रही हैं, लेकिन कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों के द्वारा इन शिकायतों पर कोताही बरती गई है. हमारे संज्ञान में आते ही हम कार्यवाही कर रहे हैं. रीवा संभाग के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री नेमा एवं जिला प्रबंधक रीवा, नागरिक आपूर्ति निगम को निलंबित किया जाता है. (मेजों की थपथपाहट) शेष अधिकारियों-कर्मचारियों में श्री अतीत श्रीवास्‍तव, वरिष्‍ठ सहायक सतना, बालेन्‍दु सिंह, कनिष्‍ठ सहायक, जे.पी. तिवारी, जिला प्रबंधक सतना, बी.पी.तिवारी, शाखा प्रबंधक वेयरहाऊस, एस.के.श्रीवास्‍तव की इसमें संलिप्‍तता है, इन सभी को नोटिस दिया गया है. दिसंबर में हमें इस प्रकरण के संबंध में जानकारी प्राप्‍त हुई थी. जांच एवं कार्यवाही करने में जिन-जिन अधिकारी-कर्मचारियों ने कोताही बरती है, जो हमारे भोपाल मुख्‍यालय में हैं, उन्‍हें भी हम नोटिस देंगे और कार्यवाही करेंगे.

          श्रीमती शीला त्‍यागी-  माननीय मंत्री जी आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा एक छोटा सा प्रश्‍न और है. मैं मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि क्‍या सभी ब्‍लैक लिस्‍टेड परिवहनकर्ताओं की संपत्ति को भी ब्‍लैक लिस्‍टेड किया जाएगा और क्‍या जो खाद्यान आज तक नहीं मिला है, उसके लिए इन परिवहनकर्ताओं की चल-अचल सं‍पत्ति से वसूली की जाएगी क्‍योंकि ये परिवहनकर्ता आज ब्‍लैक लिस्‍टेड हो जायेंगे और परिवहन का काम अन्‍य लोगों को मिल जाएगा. क्‍या इन ब्‍लैक लिस्‍टेड परिवहनकर्ताओं पर एफ.आई.आर. दर्ज की जाएगी ?

          श्री ओम प्रकाश धुर्वे-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ब्‍लैक लिस्‍टेड परिवहनकर्ता अगले 10 सालों के लिए परिवहन में भाग नहीं ले पायेंगे.

          श्रीमती शीला त्‍यागी-  धन्‍यवाद मंत्री जी.

शासकीय जमीन से अतिक्रमण हटाया जाना

[राजस्व]

6. ( *क्र. 2278 ) श्री सुखेन्‍द्र सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या रीवा जिले की तहसील हुजूर हल्‍का पटवारी टीकर, ग्राम टीकर की भूमि नं. 1673 रकबा 0.991 हे. जिसमें कि म.प्र. शासन (रास्‍ता) दर्ज रिकॉर्ड है, के अंश रकबा 0.222 हे. में ग्राम के ही निवासी छोटेलाल सिंह आ. तेजभान सिंह द्वारा फसल बोकर अवैधानिक रूप से अतिक्रमण किया गया है? (ख) प्रश्‍नांश (क) के संदर्भ में क्‍या इस शासकीय जमीन से अवैधानिक अतिक्रमण को हटाया जाकर अतिक्रमणकारी के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक एवं यदि नहीं, तो कारण स्‍पष्‍ट बतावें। (ग) प्रश्‍नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में क्‍या बार-बार अतिक्रमण करने के आरोपी के विरूद्ध कार्यवाही कर आम रास्‍ता बहाल किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक एवं यदि नहीं, तो क्‍यों?

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ, अतिक्रमण हटाने हेतु म.प्र. भू-राजस्‍व संहिता की धारा 248 के प्रावधानानुसार न्‍यायालयीन प्रक्रियानुरूप कार्यवाही प्रचलित है। (ग) जी हाँ। अतिक्रमण हटाना न्‍यायालयीन प्रक्रिया है, अत: निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

          श्री बाला बच्‍चन-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न राजस्‍व विभाग से संबंधित है. जिस तरह से मंत्री जी एवं उनके विभाग ने जवाब दिया है तो मुझे ऐसा लगता है कि यह राजस्‍व विभाग की आदत में आ गया है. बहुत ही छोटा सा मामला है शासकीय जमीन पर रास्‍ते का अतिक्रमण एक ही व्‍यक्ति द्वारा बार-बार किया जा रहा है. मैंने पूछा है कि कब तक यह अतिक्रमण हटा दिया जायेगा. सरकार ने यह माना भी है कि अतिक्रमण किया गया है. अतिक्रमण कब तक हटा दिया जायेगा तो इसके संबंध में उत्‍तर दिया गया है कि कोर्ट में विचाराधीन है. प्रक्रिया जारी है. माननीय मंत्री जी, हमेशा, जब भी आपका प्रश्नों के उत्तर देने का जो दिन होता है, तो जवाब आता है कि जानकारी इकट्ठी की जा रही है. आज भी 66 प्रश्नों के जवाब इकट्ठे किया जाना बताया जा रहा है.

          अध्यक्ष महोदय--  आपके इस प्रश्न में कहाँ है?

          श्री बाला बच्चन--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह पूछना चाह रहा हूँ,  ऐसे अगर आप जवाब नहीं देंगे और विभाग की आदत में अगर यह बनाए रखोगे तो पैंडेंसी फिर बढ़ती रहेगी और वह फिर आँकड़े ऐसे दिखाती रहेगी तो अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि एक ही व्यक्ति द्वारा बार-बार अतिक्रमण किया जाता है. यह अतिक्रमण कब तक हटा दिया जाएगा? आप इसकी समय सीमा बताएँ.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने यह सोचा कि बाला बच्चन जी की पूरी डाँट सुन ली जाए. वह अतिक्रमण हटा दिया गया है.

          श्री तरूण भनोत--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे भी राजस्व से संबंधित आज दो प्रश्न हैं दोनों के उत्तर में यह लिखा गया है कि," जानकारी एकत्रित की जा रही है".

          श्री बाला बच्चन--  अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का धन्यवाद करता हूँ. 

          अध्यक्ष महोदय--  माननीय मंत्री जी, इसको आप जरूर दिखवाएँ कि राजस्व के प्रश्नों में हर बार "जानकारी एकत्रित की जा रही है", आता है. तारांकित के तो आ जाते हैं..(व्यवधान)..तारांकित के तो सभी आ गए. आप इसको थोड़ा सुनिश्चित करें कि यह प्रिंट भी ऐसा न हो, समय के पहले आ जाएँ ताकि अलग से पेपर न लगाना पड़े.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--  जी अध्यक्ष महोदय.

          श्री बाला बच्चन--  और आप यह डाँट सुनने का भी नेचर में न लाएँ, यह भी परमेनेंट नेचर में नहीं आ जाए कि डाँट सुनने के बाद एक्शन ली जाएगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका भी धन्यवाद करता हूँ.

          अध्यक्ष महोदय--  उन्होंने एक्शन पहले ले ली, फिर डाँट बाद में सुनी.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--  अध्यक्ष महोदय, एक्शन लेने के बाद मैंने कहा कि एक्शन तो हो ही गया है. लेकिन बाला बच्चन जी जो कहना चाहते हैं वह पूरा सुना जाए.

          अध्यक्ष महोदय--  एक्शन पहले ले ली.

          श्री बाला बच्चन--  धन्यवाद.

चितरंगी विकासखण्‍ड में आई.टी.आई. की स्‍थापना

[तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास]

7. ( *क्र. 148 ) श्रीमती सरस्‍वती सिंह : क्या राज्‍यमंत्री, तकनीकी शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या विभाग की नीति यह है कि ऐसे विकासखण्‍ड जिनमें कोई भी शासकीय/अशासकीय आई.टी.आई. महाविद्यालय संस्‍थान नहीं हैं, वहां आई.टी.आई. महाविद्यालय स्‍थापित किये जायें? (ख) यदि हाँ, तो प्रदेश में ऐसे कितने विकासखण्‍ड हैं और कितने विकासखण्‍ड में आई.टी.आई. महाविद्यालय संचालित कराए गए हैं? (ग) क्‍या सिंगरौली जिले के विकासखण्‍ड चितरंगी आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्र में आई.टी.आई. महाविद्यालय खुलवाए जाने हेतु आवेदन प्राप्‍त हुए हैं? यदि हाँ, तो शासन स्‍तर से महाविद्यालय खोले जाने हेतु क्‍या-क्‍या विभागीय प्रयास हुए हैं एवं कब तक प्रारंभ करा दिए जाएंगे?

राज्‍यमंत्री, तकनीकी शिक्षा ( श्री दीपक जोशी ) : (क) जी हाँ। (ख) कुल 313 विकासखण्‍डों में से 249 विकासखण्‍डों में शासकीय आई.टी.आई. अथवा प्राईवेट आई.टी.आई. संचालित हैं तथा 64 विकासखण्‍डों में कोई भी शासकीय तथा प्राईवेट आई.टी.आई. संचालित नहीं है। (ग) जी हाँ। जी नहीं। समय अवधि बताना संभव नहीं है।

          श्रीमती सरस्वती सिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जनहित का मुद्दा है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि मेरे विकास खण्ड चितरंगी में महाविद्यालय आईटीआई  खुलवाने का प्रस्ताव मैंने रखा है. मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहती हूँ कि आज इस सदन में वे घोषणा करें.

          श्री दीपक जोशी--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्या की भावना का स्वागत करता हूँ और उन्हें विश्वास दिलाता हूँ, चूँकि शासन की नीति है कि हर विकासखण्ड में जहाँ आईटीआई संचालित नहीं होते हैं वहाँ आईटीआई होना चाहिए, चितरंगी में आईटीआई वर्तमान में संचालित नहीं है. चूँकि यह अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र भी है, अतः आगामी योजना में हम इसको  प्राथमिकता पर जोड़ कर आईटीआई खुलवा देंगे.

          श्रीमती सरस्वती सिंह--  धन्यवाद.

 

 

 

 

 

 पॉलिथिन/प्‍ला‍स्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध

[पर्यावरण]

8. ( *क्र. 894 ) श्री राजेन्द्र फूलचं‍द वर्मा : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या म.प्र. शासन द्वारा प्रदेश में पॉलिथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है या नहीं? यदि हाँ, तो क्‍या इसका कठोरता से पा‍लन कराया जा रहा है? (ख) क्‍या शासन द्वारा पॉलिथिन/प्‍लास्टिक के उपयोग से होने वाले दुष्‍परिणामों के व्‍यापक प्रचार-प्रसार हेतु कोई योजना बनाई गई है? पॉलिथिन के कारण हजारों बेजुबान जानवरों की मृत्‍यु हो जाती है तथा पॉलिथिन व प्‍लास्टिक का उपयोग करने से हजारों लोगों को कई प्रकार की बीमारियां होने लगी हैं तथा पर्यावरण भी प्रदूषित होता जा रहा है? क्‍या इस भयानक स्थिति को नियत्रंण करने हेतु शासन कोई ठोस कदम उठाएगा या नहीं? यदि हाँ, तो क्‍या और नहीं तो क्‍यों नहीं? (ग) क्‍या भविष्‍य में पॉलिथिन/प्‍लास्टिक के उपयोग पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया जाकर उसका कठोरता से पालन कराया जावेगा?

पशुपालन मंत्री ( श्री अंतर सिंह आर्य ) : (क) एवं (ख) भारत सरकार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना क्रमांक 320 (अ) दिनांक 18 मार्च, 2016 में उल्लेखित प्रावधान अनुसार 50 माईक्रोन से कम मोटाई की प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग वर्तमान में प्रतिबंधित है। प्रदेश में पॉलिथिन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कराये जाने की कार्यवाही प्रचलन में है। पॉलिथिन/प्लास्टिक के उपयोग से होने वाले दुष्परिणामों के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु नगरीय-निकायों के साथ पम्पलेट वितरण, रैली, नुक्कड़ नाटक, छापामार कार्यवाही एवं समाचार पत्रों में जानकारी के माध्यम से जनजागृति कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। जानवरों की मृत्यु होने तथा लोगों की बीमारियों के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी नहीं है। अतः शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।                 (ग) प्रदेश में पॉलिथिन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कराये जाने की कार्यवाही प्रचलन में है।

          श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आज का प्रश्न पॉलिथिन और प्लास्टिक के प्रतिबंध को लेकर है और मैं समझता हूँ कि सदन में बैठे हुए सभी माननीय सदस्य इस बात से सहमत होंगे कि आज अनेक रिसर्च और अनेक रिपोर्ट्स में यह बात आई है कि पॉलिथिन और प्लास्टिक के कारण अनेक गंभीर बीमारियाँ हो रही हैं. बेजुबान पशु उसके शिकार हो रहे हैं तथा कैंसर जैसी अनेक बीमारियाँ हो रही हैं और उसके अलावा यह पर्यावरण के लिए भी अत्यंत घातक है, तो मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि उन्होंने अपने जवाब में कहा है कि 50 माईक्रोन से कम मोटाई पर प्रतिबंध है, लेकिन अध्यक्ष महोदय, देखने में यह आता है कि जितनी छोटी दुकानें हैं, वहाँ पर चाहे चाय के छोटे डिस्पोजल हों, या शादियाँ हों, या कई जगह, मतलब हम कपड़े की दुकान पर भी जाते हैं तो छोटी-छोटी पॉलिथिन की थैलियाँ वहाँ पर दिखाई देती हैं, तो इस पर प्रतिबंध के मामले में मंत्री जी का क्या कहना है, यह बता दें,  उसके बाद दूसरा प्रश्न कर लूँगा.

          श्री अंतर सिंह आर्य--  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है वह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है. जो माननीय विधायक जी ने चिन्ता की है,  इसके लिए हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी चिन्ता की है. 26 जनवरी 2017 को माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि मध्यप्रदेश के अन्दर प्लास्टिक के कैरी बैग को पूर्ण प्रतिबंधित करेंगे. यह फाइल प्रोसेस में है. प्रशासकीय अनुमोदन होकर विधि विभाग में सलाह के लिए गई है. जैसे ही वहाँ से आएगी और इसके बाद में इसकी अधिसूचना जारी होगी. अधिसूचना के 30 दिन के बाद में 01 मई से माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुसार प्लास्टिक कैरी बैग को पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया जाएगा.

          श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा--  अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी का और माननीय मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद.


 

 

            प्रश्‍न संख्‍या -- 9 (अनुपस्थित)

         

आदिवासि‍यों की भूमि के बेनामी नामांतरण की जाँच

[राजस्व]

10. ( *क्र. 3402 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि   (क) क्‍या शासन नियमों में निर्धारित प्रावधान अनुसार आदिवासियों के स्वामित्व की कृषि भूमि आदि की खरीदी अन्य वर्ग के लोग शासन की अनुमति के बगैर नहीं कर सकते हैं? क्या विश्‍व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल माण्डव क्षेत्र में अधिकांश बड़े-बड़े उद्योगपतियों एवं व्यवसायियों द्वारा आदिवासियों की जमीनें सस्ते दामों में अपने यहां कार्यरत अ.ज.जा. वर्ग के अन्यत्र निवासरत अनपढ़ व गरीब मजदूर के नाम से धड़ल्ले से खरीद रहे हैं व उनके नाम से बेनामी नामांतरण करवाया जाकर स्वयं के होटल, रेस्ट हाउस, ढाबा आदि व्यवसाय में उपयोग किया जा रहा है? (ख) क्या शासन विगत 10 वर्षों से अब तक व्यवसायि‍यों द्वारा पंजीयन हेतु प्रस्तुत अभिलेखों की एवं राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज ऐसे बेनामी नामांतरणों की जाँच करवाकर पूंजीपतियों द्वारा गरीब आदिवासियों के नाम की भूमि पर किये जा रहे व्यवसाय व उनके शोषण को रोकने की दिशा में कोई ठोस कदम उठायेगा? यदि हाँ, तो समयावधि बतावें?

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) :

         

          श्री कालुसिंह ठाकुर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि माण्‍डव क्षेत्र में पर्यटन स्‍थल पर जो आदिवासी गरीबों की जमीनें हैं उन पर अन्‍य लोग बड़ी-बड़ी होटल और कॉलोनी काट रहे हैं. माननीय मंत्री बता रहे हैं कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि कब तक जानकारी एकत्रित की जाएगी, और इस पर क्‍या कार्यवाही होगी ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- जानकारी आ गई है. उसकी जानकारी आपके पास होगी.

          श्री कालुसिंह ठाकुर -- अध्‍यक्ष महोदय, जानकारी नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है, आप उत्‍तर ले लीजिए.

          श्री कालुसिंह ठाकुर -- अध्‍यक्ष महोदय, इसमें भी ऐसा कोई निराकरण नहीं किया है. मैं अभी देख रहा था कि माननीय मंत्री जी ने हमारे विधायक साथियों को बहुत संतुष्‍ट किया. मुझे आशा है कि मुझे भी संतुष्‍ट करें. इसकी प्रदेश स्‍तर से एक कमेटी बनाकर जॉंच की जाए और उसके साथ मुझे भी शामिल किया जाए तो मैं बताऊंगा कि किसने कहॉं होटल बनाया और किसने कहां कॉलोनी काटी. मैं एक चीज उसमें साबित करके बताऊंगा कि जो जानकारी दी है उसमें पटवारी, गिरदावर और तहसीलदार के माध्‍यम से माननीय मंत्री को गुमराह किया गया है. मैं वास्‍तव में एक-एक चीज बताऊंगा और बताते हुए बड़ा आश्‍चर्य होगा कि पूर्व में श्री बांचूलाल मेहरा उसके संबंध में धरने पर बैठे. उसमें एफ.आई.आर. भी हुई. हम सत्‍ता वाले धरने पर तो नहीं बैठ सकते, पर जॉंच कमेटी में शामिल कर लेंगे तो माननीय मंत्री का बहुत-बहुत धन्‍यवाद हो जाएगा.

          श्री बाला बच्‍चन -- जब तक धरने पर नहीं बैठोगे, तब तक काम नहीं होगा. अब इस सरकार को धरने पर ही बैठना पडे़गा.

          श्री कालुसिंह ठाकुर -- नहीं-नहीं भैया, हम नहीं बैठेंगे धरने पर. आप बीच में क्‍यों बोल रहे हैं.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम सब लोग कोशिश करते हैं माननीय सदस्‍य इस सदन में जो भी बातें ध्‍यान में लाते हैं उनको संतुष्‍ट किया जाए और कोई अगर गड़बड़ है, तो उसको ठीक किया जाए. आदरणीय विधायक महोदय अगर कुछ लिखकर देंगे क्‍योंकि उन्‍होंने कोई स्‍पेसिफिक नहीं दिया है लेकिन अगर कुछ लिखकर जानकारी देंगे तो निश्चित ही हम जॉंच करा लेंगे.

          श्री कालुसिंह ठाकुर -- माननीय मंत्री जी, मैं लिखकर भी लाया हॅूं लेकिन मेरा अनुरोध है कि जब जॉंच भोपाल स्‍तर पर की जाए तो उसमें मुझे भी शामिल किया जाए जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- जॉंच अधिकारी से कहेंगे कि माननीय विधायक जी से भी चर्चा करें और उनके पास जो जानकारी है, वह प्राप्‍त कर लें.

          श्री कालुसिंह ठाकुर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, फोन पर तो चर्चा हो जाती है. एक-दो बार ऐसा हुआ था. जॉंच में आप साथ में शामिल कर लें तो आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद हो जाएगा. माननीय अध्‍यक्ष जी, जॉंच में मुझे शामिल करवाइए. 

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- हमें कोई दिक्‍कत नहीं है हम शामिल कर लेंगे.

          श्री कालुसिंह ठाकुर -- माननीय अध्‍यक्ष जी, माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          भोपाल में संचालित बुल मदर/डेयरी फॉर्म

[पशुपालन]

11. ( *क्र. 2016 ) श्री बाबूलाल गौर : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि     (क) पुशपालन विभाग द्वारा भोपाल में संचालित बुल मदर फॉर्म एवं डेयरी फॉर्म में वर्तमान में किस-किस प्रजाति की कितनी-कितनी गायें एवं भैंसें हैं? पृथक-पृथक संख्‍या बताई जाए। (ख) प्रश्‍नांश (क) में उल्‍लेखित बुल मदर फॉर्म एवं डेयरी फॉर्म में प्रश्‍न दिनांक से विगत 5 वर्षों में किस-किस प्रजाति की कितनी-कितनी गायें एवं भैंसें क्रय की गईं एवं इसमें कितनी-कितनी धनराशि व्‍यय हुई? पृथक-पृथक बताया जाए। (ग) प्रश्‍नांश (क) में उल्‍लेखित बुल मदर फॉर्म एवं डेयरी फॉर्म में प्रतिदिन के हिसाब से प्रतिमाह कितना-कितना दूध संग्रहित होता है एवं क्‍या इस दूध का बाजार में विक्रय किया जाता है, इससे कितनी धनराशि प्रतिमाह प्राप्‍त होती है? पृथक-पृथक बताया जाए? (घ) प्रश्‍नांश (क) में उल्‍लेखित बुल मदर फॉर्म एवं डेयरी फॉर्म के संचालन में प्रश्‍न दिनांक से 5 वर्षों में कितनी-कितनी धनराशि व्‍यय की गई, वर्षवार बताया जाए?

पशुपालन मंत्री ( श्री अंतर सिंह आर्य ) : (क) बुल मदर फॉर्म पर गिर नस्ल की 53, साहीवाल नस्ल की 27 तथा संकर नस्ल की 49 गायें रखी गई हैं एवं शासकीय जर्सी पशु प्रजनन प्रक्षेत्र भदभदा भोपाल में जर्सी नस्ल की 48, जर्सी साहीवाल क्रास की 46, साहीवाल नस्ल की 176 गौवंश का संधारण किया जाता है। बुल मदर फॉर्म एवं शासकीय जर्सी पशु प्रजनन प्रक्षेत्र भदभदा पर भैंसें नहीं हैं। (ख) बुल मदर फॉर्म पर गत 05 वर्षों में साहीवाल नस्ल की 20, गिर नस्ल की 24 तथा संकर नस्ल की 17 गायें क्रय की गई हैं, जिन पर क्रमश: रू. 9,95,150/-, रू. 11,38,597/- एवं रू. 11,90,000/- की राशि व्यय की गई है एवं शासकीय जर्सी पशु प्रजनन प्रक्षेत्र भदभदा भोपाल में विगत 05 वर्षों में साहीवाल नस्ल की 25 गायें, साहीवाल क्रास की 02 गायें तथा साहीवाल बछियां 50 क्रय की गई हैं, जिन पर कुल 28,44,000/- राशि‍ व्यय की गई है। (ग) बुल मदर फॉर्म एवं शासकीय जर्सी पशु प्रजनन प्रक्षेत्र भदभदा, भोपाल के द्वारा दूध संग्रह (कलेक्शन) नहीं किया जाता है, परन्तु फॉर्म पर प्रतिमाह जो दुग्ध उत्पादन होता है, उसे फॉर्म के द्वारा भोपाल शहर के अधि‍कारियों/कर्मचारियों आदि को विक्रय किया जाता है तथा शेष बचा दूध भोपाल दुग्ध संघ सहकारी मर्यादित, भोपाल को प्रदाय किया जाता है। शेष जानकारी संलग्‍न परिशि‍ष्ट अनुसार है। (घ) बुल मदर फॉर्म के संचालन पर वर्ष 2012-13 में राशि रूपये 77.32 लाख, वर्ष 2013-14 में राशि रूपये 82.76 लाख, वर्ष 2014-15 में राशि रूपये 69.63 लाख, वर्ष 2015-16 में राशि रूपये 82.62 लाख एवं वर्ष 2016-17 में (माह जनवरी तक) राशि रू. 112.16 लाख व्यय की गई है एवं शासकीय जर्सी पशु प्रजनन प्रक्षेत्र भदभदा भोपाल के संचालन में विगत 05 वर्षों में संचालन पर वर्ष 2012-13 में राशि रूपये 53.83 लाख, वर्ष 2013-14 में राशि रूपये 59.58 लाख, वर्ष 2014-15 में राशि रूपये 90.45 लाख, वर्ष 2015-16 में राशि रूपये 87.06 लाख एवं वर्ष 2016-17 में (माह जनवरी तक) राशि रू. 126.05 लाख व्यय की गई है।

          श्री बाबूलाल गौर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने पूछा था कि बुल मदर फॉर्म और डेयरी फॉर्म में वर्तमान में गाय किस प्रजाति की हैं और उसके उत्‍तर में माननीय मंत्री जी ने सही बताया है लेकिन मेरा निवेदन यह है कि बड़ी बुद्धिमानी से उन्‍होंने उत्‍तर दिया है. हमने कारोबार के लिए डेयरी फॉर्म और बुल मदर फॉर्म नहीं बनाया. इसका मूल उद्देश्‍य यह है कि हम अच्‍छी नस्‍ल की गाय, बछडे़-बछड़ी किसानों को प्रदान करें. दूध बेचने के लिए और  प्रजनन के लिए नहीं बनाया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हॅूं कि यह आपने जो बिजनेस किया है इसमें 5 साल के अंदर आपने वर्षवार बताया है कि वर्ष 2012-13 में राशि रूपये 53.83 लाख, वर्ष 2013-14 में राशि रूपये 59.58 लाख, वर्ष 2014-15 में राशि रूपये 90.45 लाख, वर्ष 2015-16 में राशि रूपये 87.06 लाख एवं वर्ष 2016-17 में (माह जनवरी तक) राशि रूपये 126.05 लाख. यदि वर्षवार व्‍यय जोड़ लिया जाए तो व्‍यय की राशि इसमें संस्‍था में खर्च की गई है वह 3 करोड़ 38 लाख 67 हजार है और दूध के विक्रय से क्‍या फायदा हुआ है ? जो दूध विक्रय हुआ है वह हानि में हुआ है, 53 लाख 83 हजार रुपये खर्च किए और मिले 24 लाख 39 हजार 43 हजार. वर्ष 2013-14 में 59.58 लाख खर्च किए और मिले 25 लाख 58 हजार 25 रूपये. यह विवरण मैं इसलिए बताना चाहता हॅूं क्‍योंकि कोई मॉनिटरिंग नहीं हो रही है. कुल कितना दूध से व्‍यय हुआ है यदि मैं बताऊंगा तो मुझे बताने में बहुत देर लगेगी. कुल व्‍यय में और कुल दूध से आय में 1 करोड़ 17 लाख 997 रूपये, 3 करोड़ 40 लाख का खर्च हुआ और दूध से विक्रय हुआ लगभग सवा लाख रुपये. इसका मुख्य उद्देश्य यह नहीं था. प्रजनन करके जो बछड़े-बछड़ी होंगे, वह किसानों को प्रदाय किये जाएंगे ताकि अच्छे नस्ल के गाय हों, बैल हों,क्या इस संबंध में कार्यवाही की जाएगी ?

          श्री अंतर सिंह आर्य--  माननीय अध्यक्ष महोदय,आदरणीय गौर साहब ने जो प्रश्न किया है उसका हमने उत्तर दिया है. उनका कहना यह है कि बुल मदर फार्म में घाटा चल रहा है परन्तु हमारे बुल मदर फार्म में उच्च नस्ल की केड़े-केड़ियाँ तैयार करके हमको कृषकों को देने की बात है क्योंकि दूध का जो उत्पादन होता है उसको तो हम कुछ हमारे सरकारी कर्मचारी को देते हैं, कुछ बाजार में बेचते हैं और जो बचा दूध है, उसको हम दुग्ध महासंघ को प्रदाय करते हैं और हमारे फार्म में सांड तैयार तैयार करके किसानों को हम देते हैं और केंद्रीय जो वीर्य सेंटर हैं उसको हम देते हैं. इस डेयरी का मकसद लाभ कमाना नहीं है उत्तम नस्ल के सांडों को ग्रामीण क्षेत्र के कृषकों को देने का हमारा उद्देश्य है.

          श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यह दूध आप अधिकारियों और कर्मचारियों को ही देते हैं बाकी जनता को क्यों नहीं देते हैं. क्या अधिकारियों के लिए फार्म बनाया है. यह तो गजब हो गया.

          श्री अंतर सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, जो दूध उत्पादन होता है उसको हम पैसे लेकर के देते हैं ना कि निशुल्क में देते हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  जो भी लेने आएगा उसको देंगे.

          श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.

          संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्रा)-- अध्यक्ष महोदय, गौर साहब बिना चश्मे के इस उम्र में पढ़ रहे हैं तो हमारी उम्र के जो और सदस्य हैं, उनकी जानने की इच्छा है कि यह कौनसी नस्ल की गाय का दूध पी रहे हैं.(हंसी)..

          श्री बाबूलाल गौर--  मैं गऊ माता की सेवा करता हूं और जाति का ग्वाला हूं, यादव हूं.

          डॉ. गोविंद सिंह--  कृष्ण जी के वंशज हैं.

         

          शासकीय आराजी की भूमि को कृषकों के नाम किये जाने की जाँच

[राजस्व]

12. ( *क्र. 596 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                (क) क्या सतना जिले की तहसील रघुराजनगर के अंतर्गत पटवारी हल्का सिजहटा के मौजा सोनौरा की शासकीय आराजी क्र. 44, 309, 329/342, 37, 38, 135, 89, 104 एवं 131 जो 16 कृषकों के नाम कूटरचित दस्तावेज़ तैयार कर राजस्व विभाग के अधिकारी, पटवारी एवं भू-माफियाओं ने खुर्दबुर्द कर दी है, जो कृषक क्रमशः बद्रीप्रसाद ब्राम्हण, सीताराम विश्वकर्मा, रामनारायण विश्वकर्मा, श्वरप्रताप सिंह, गोरेलाल रैकवार, लक्ष्मीनारायण ब्रा., रामनरेश ब्रा., रामकृपाल ब्रा., रामशिरोमणि निवासी नई बस्ती कृपालपुर सभी काल्पनिक नाम हैं जिसका स्थल पंचनामा राजस्व विभाग द्वारा 12/03/2016 को किया जा चुका है? शेष सात कृषक क्रमशः छोटेलाल चमार, त्रिवेणीप्रसाद ब्रा., हीरालाल गौतम, विद्यासागर तिवारी, सहेंद्रसिंह, रामलखन, बाबूलाल के नाम कर दी गई? (ख) उक्त आराजियों को खुर्दबुर्द करने के संबंध में थाना कोलगवां में अपराध क्र. 168/16 धारा 420, 467, 468-34 का मुकदमा दर्ज है, जिसमें फर्जी बद्रीप्रसाद ब्रा. एवं प्रथम रजिस्ट्री कराने वाले लक्ष्मण सिंह की गिरफ्तारी हो चुकी है? क्या इस संबंध में नगर पुलिस अधीक्षक सतना ने पत्र क्र. 3958 दिनांक 01/12/2016 द्वारा एस.डी.एम. राघुराजनगर से जानकारी मांगी थी, जिसका जवाब किन-किन दिनांकों को दिया गया है? (ग) क्या उक्त आराजी का जाँच प्रतिवेदन क्रमश: 10/03/2016, 19/03/2016 को तहसील रघुराजनगर कार्यालय में जमा कर दिया गया है, जिस प्रतिवेदन में स्पष्ट है कि‍ कूटरचित ढंग से फर्जी दस्तावेज तैयार कर न्यायालय को गुमराह कर फर्जीवाड़ा किया गया है? (घ) क्या फर्जीवाड़े में संलिप्त व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की जाँच प्रतिवेदन में अनुशंसा की गई है? यदि हाँ, तो दोषियों के विरुद्ध अब तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई है? विलम्ब के कारण सहित बताएं?

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता )---

          श्रीमती ऊषा चौधरी--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से हम सदस्यगण विधानसभा में क्षेत्रीय समस्याओं को लेकर प्रश्न लगाते हैं लेकिन सरकार के जवाब में नकारात्मक सिर्फ एक लाइन  का जवाब आता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. इतना कहकर सरकार पल्ला झाड़ लेती है. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से पूछना चाहती हूं कि जिस तरह से हमारे सतना जिले का जवाब माननीय राजस्व मंत्री जी ने दिया है कि  (क) से (घ) तक जानकारी एकत्रित की जा रही है.

          अध्यक्ष महोदय-- उसका उत्तर पीछे दिया गया है. इसमें अलग से एक पेपर है उसमें उत्तर दिया गया है. आपके खाने में रखा होगा.

          श्रीमती ऊषा चौधरी--  अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. 1600 एकड़ जमीन का इतना  बड़ा घोटाला  केवल एक व्यक्ति ने किया है क्या. मंत्री महोदय द्वारा हमारे सतना जिले के बड़े-बड़े (XXX), जो पूरी सरकारी जमीनों को डकार कर बैठे थे उनको बचाने का काम किया जा रहा है.

          अध्यक्ष महोदय--  आप सीधा प्रश्न करें.

          श्री बाबूलाल गौर--  (XXX) विलोपित करवा दें.यह (XXX) कहीं नहीं होते  हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- इसे विलोपित कर दें.

          श्रीमती ऊषा चौधरी--  मेरा प्रश्न यही है कि दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर मामला दर्ज हो गया. मुकदमा कायम हो गया तो इनको गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भी उसमें आरोपी हैं,सभी की गिरफ्तारी हो गई है. एक ने माननीय उच्च न्यायालय से स्टे ले लिया है उसको छोड़कर बाकी सबकी गिरफ्तारी हो गई है.

          श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह गलत जवाब है. सिर्फ एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है. कई ऐसे मामले हैं मैं आपको बताना चाहती हूं जिस तरह से 23.2.2017 को प्रश्नोत्तरी में तारांकित प्रश्न को परिवर्तित करके अतारांकित में उत्तर ना देकर दो प्रश्न ही मेरे गायब कर दिये गये हैं. प्रश्नोत्तरी में छापा ही नहीं गया है यह सरकार की नाकामी को व्यक्त करता है. मध्यप्रदेश में राजस्व के इतने बड़े घोटाले हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  आप इससे संबंधित प्रश्न तो करें.

          श्रीमती ऊषा चौधरी--  अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि इन अधिकारियों-कर्मचारियों को जिन्होंने 1600 एकड़ जमीन का घोटाला किया.हम सदस्‍यगण इन जमीनों को समाज के हित में बचा रहे हैं और उसको खुर्द-बुर्द कर दिया, जिन अधिकारियों ने इतना बड़ा घोटाला किया उनकी गिरफ्तारी कब कराएंगे ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइये, वे उत्‍तर दे चुके हैं. फिर भी एक बार सुन लीजिए.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक तो सारी जमीन शासकीय दर्ज हो गई और जो गिरफ्तारी हुई है उसमें लक्ष्‍मीप्रसाद, अखिलेश गौतम शामिल हैं. रामभाई तथा लक्ष्‍मण सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया है, इस तरह 4 गिरफ्तारिया हो चुकी हैं, पाचवा रजनीश शर्मा, इसको चूँकि उच्‍च न्‍यायालय ने स्‍टे दिया हुआ है इसलिए केवल एक व्‍यक्‍ति की गिरफ्तारी नहीं कर पाए हैं.

          श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह नकारात्‍मक जवाब है, बिल्‍कुल गिरफ्तारी नहीं हुई है.

          अध्‍यक्ष महोदय - गिरफ्तार हो गए, जमीन सरकारी हो गई, अब और क्‍या है.

          श्रीमती ऊषा चौधरी -- अध्‍यक्ष महोदय, एक व्‍यक्‍ति की गिरफ्तारी हुई है, झूठा जवाब दिया जा रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- वे हाऊस में रिपोर्ट दे रहे हैं.

          श्रीमती ऊषा चौधरी -- अध्‍यक्ष महोदय, कई प्रश्‍नों के मामले इसी तरह हैं, जवाब न देकर माननीय मंत्री जी पल्‍ला झाड़ लेते हैं और प्रश्‍नोत्‍तरी से प्रश्‍न भी गायब कर दिए जाते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइये आप, कुछ भी बोलते हैं.

 

 

बहिर्गमन

श्रीमती ऊषा चौधरी, सदस्‍य, बहुजन समाज पार्टी द्वारा सदन से बहिर्गमन

          श्रीमती ऊषा चौधरी -- (XXX) सरकार के उत्‍तर से असंतुष्‍ट होकर मैं सदन ने बहिर्गमन करती हूँ.

(श्रीमती ऊषा चौधरी, सदस्‍य द्वारा शासन के उत्‍तर से असंतुष्‍ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया)

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही से निकालिए, ये क्‍या तरीका है आपका ?

 

 

 

दृष्टिहीनों के लिये कम्‍प्‍यूटर प्रशिक्षण की सुविधा

[तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास]

13. ( *क्र. 97 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या राज्‍यमंत्री, तकनीकी शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबलपुर, भोपाल एवं रीवा में दृष्टिहीन युवकों के लिये कम्प्‍यूटर कोर्स प्रारंभ किया गया है? (ख) क्या दृष्टिहीन युवक लगभग 95 प्रतिशत पढ़ाई, सुनकर ही करते हैं? (ग) क्या ऐसे युवकों के लिये लेपटॉप, डी.वी.डी. की सुविधायें व्‍यक्तिश: दी गई हैं? (घ) यदि नहीं, तो क्यों?

राज्‍यमंत्री, तकनीकी शिक्षा ( श्री दीपक जोशी ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) जी नहीं। (घ) व्‍यक्तिश: दिये जाने का प्रावधान नहीं है।

            श्री सुशील कुमार तिवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री से मेरा प्रश्‍न दृष्‍टिहीनों युवकों के लिए है. शासन कंप्‍यूटर से यह जानकारी दे रही है और बच्‍चों को कंप्‍यूटर के माध्‍यम से 95 प्रतिशत इसका ज्ञान होता है, किंतु अभ्‍यास के लिए कंप्‍यूटर की आवश्‍यता होती है और अभी प्राइवेट में ऐसे दृष्‍टिहीनों के लिए जो व्‍यवस्‍था है उसमें भारी फीस लगती है. हम माननीय मंत्री जी से निवेदन करेंगे कि क्‍या दृष्‍टिहीन छात्रों एवं युवकों के लिए कंप्‍यूटर की व्‍यवस्‍था कराई जाएगी जिससे अनुभव के माध्‍यम से वे अपना जीवनयापन कर सकें ?

            श्री दीपक जोशी --  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सम्‍मानित सदस्‍य को अवगत कराना चाहता हूँ कि यह योजना मूलत: केन्‍द्र सरकार के सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता विभाग की है और इसका क्रियान्‍वयन करने वाला हमारा विभाग है. चूँकि संसाधनों की उपलब्‍धता सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता विभाग द्वारा कराई जाती है, इसमें थोड़ा सा विलंब हुआ है. हम शीघ्रातिशीघ्र यह व्‍यवस्‍था करने के लिए प्रयत्‍नशील हैं. साथ ही मैं इस सदन को अवगत कराना चाहता हूँ कि मध्‍यप्रदेश पहला राज्‍य है जिसने दिव्‍यांगों की जो सीटें हमको अलाट की गई थीं वे पूरी की पूरी हमने भरी हैं और मध्‍यप्रदेश में 500 सीटों पर दिव्‍यांगों को प्रशिक्षित करने की भी व्‍यवस्‍था हमने प्रारंभ कर दी है.

          श्री सुशील कुमार तिवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद.

 

 

 

 

 

तहसील पलेरा एवं खरगापुर में स्‍थायी तहसीलदारों की पदस्‍थापना

[राजस्व]

14. ( *क्र. 1079 ) श्रीमती चन्‍दा सुरेन्‍द्र सिंह गौर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में तहसील पलेरा एवं तहसील खरगापुर में प्रभारी तहसीलदार कार्यरत हैं? क्‍या तहसीलदारों को अतिरिक्‍त प्रभार सौंपने से शासन के एवं आम जनता के कार्य प्रभावित होते हैं? (ख) क्‍या उक्‍त दोनों तहसीलों में तहसीलदार न होने के कारण आम जनता के कार्यों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है और दो-दो पदों के भार से अधिकारी तथा आम जनता भी परेशान होती है? क्‍या ऐसी स्थि‍तियों को ध्‍यान में रखते हुये पलेरा एवं खरगापुर में तहसीलदारों की पदस्‍थापना कब तक करा देंगे? यदि नहीं, तो कारण बतायें कि क्‍यों?

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। (ख) जी नहीं। स्वीकृत पदों के विरूद्ध संपूर्ण प्रदेश में तहसीलदारों की अत्यधिक कमी होने से सभी तहसीलों में पृथक-पृथक तहसीलदार की पदस्थापना में कठिनाई है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।

          श्रीमती चन्‍दा सुरेन्‍द्र सिंह गौर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न है कि खरगापुर विधान सभा की तहसील पलेरा एवं खरगापुर में प्रभारी तहसीलदार कार्य कर रहे हैं और उनके द्वारा दो-दो पदों का कार्यभार संभालने के कारण आम जनता के कार्य प्रभावित होते हैं और जनता परेशान है. मैं पूछना चाहती हूँ कि तहसील पलेरा और खरगापुर में तहसीलदारों के खाली पद कब भर देंगे ? 

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तहसीलदारों की पूरे प्रदेश में कमी है. अभी टीकमगढ़ जिले में 5 तहसीलदार पदस्‍थ हैं और उनको एक-एक तहसील का अतिरिक्‍त चार्ज दिया हुआ है और सभी तहसीलों में तहसीलदार या प्रभारी तहसीलदार काम कर रहे हैं, जैसे ही प्रमोशन के बाद तहसीलदार के पद हमें मिलेंगे, हम खाली पद भर देंगे.

          श्रीमती चन्‍दा सुरेन्‍द्र सिंह गौर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि प्रदेश भर में तहसीलदारों की कमी बताई जाती है, शिक्षकों की कमी बताई जाती है और डॉक्‍टर्स की भी कमी बताई जाती है, आखिर जनता के हित में पलेरा, खरगापुर में सरकार कब और कैसे ऐसे पदों की पूर्ति करेगी ? मैं कारण जानना चाहती हूँ कि तहसीलदारों की कमी क्‍यों है ?

            श्री उमाशंकर गुप्‍ता -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तहसीलदार का पद प्रमोशन का पद है. नायब तहसीलदार के रूप में कम से कम 5 वर्ष जो कार्य करता है उसी को तहसीलदार के रूप में पदोन्‍नत करते हैं. 5 साल वाले नायब तहसीलदार कोई उपलब्‍ध नहीं थे, इसलिए प्रमोशन नहीं हुए हैं लेकिन अभी केबिनेट ने निर्णय लिया है कि वन-टाइम छूट प्रदान कर 3 साल जिन नायब तहसीलदारों का अनुभव है उनका भी प्रमोशन करेंगे. प्रमोशन का मामला जैसे ही क्‍लियर होता है, हम प्रमोशन कर देंगे.

          श्रीमती चन्‍दा सुरेन्‍द्र सिंह गौर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से निवेदन करना चाहती हूँ कि मैंने दो तहसीलदारों की मांग की है, कम से कम एक तहसीलदार की मांग तो पूरी कर दें. माननीय मंत्री जी कम से कम एक तहसीलदार के लिए बोल दें.

                                               

जिला अशोकनगर में भूमि पर अवैध निर्माण

[राजस्व]

15. ( *क्र. 48 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जल संसाधन विभाग के उपयंत्री श्री ए.के. जैन ने तहसीलदार अशोकनगर को सर्वे क्रमांक 623624 पर अवैध निर्माण व अतिक्रमण की शिकायत की थी तथा जिले में इन नम्बरों तथा तुलसी सरोवर के बारें में कब-कब जिले में व किस-किस अधिकारी को शिकायत व ज्ञापन मिले व उन पर क्या कार्यवाही हुई? तहसीलदार ने कब-कब क्या आदेश व स्थगन दिये, तिथि सहित विवरण दें (ख) क्या तुलसी सरोवर की उपरोक्त भूमि में नक्शे के नम्बर से छेड़छाड़ कर बदलने की शिकायत शासन को हुई है तथा इस संबंध में पटवारी को निलम्बित कर पुलिस रिपोर्ट भी की गई है? पुलिस रिपोर्ट व पटवारी पर लगे आरोपों का विवरण व की गई कार्यवाही का विवरण देवें?         

          राजस्‍व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्‍ता) :-

 

          श्री महेन्‍द्र सिंह कालूखेड़ा:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले तो मैं मंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि आपने जानकारी एकत्रित की जा रही है, ऐसे मेरे सारे प्रश्‍नों का जवाब दिया है और सैंकड़ों विधायकों का जवाब भी आपने ऐसे ही दिया है, तो यह आपके विभाग की अक्षमता दिखाता है. लेकिन धन्‍यवाद कि आपने बाद में इसकी जानकारी भेज दी है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि सिंचाई विभाग की यह करोड़ों की भूमि है, जो भू-माफिया हड़प कर रहा था और हम लोगों ने दबाव बनाया तो वहां पर सिर्फ पटवारी को निलंबित किया, लेकिन उस पर भी राजस्‍व बोर्ड ने स्‍टे दे दिया, उस पर राजस्‍व बोर्ड ने एफ.आई.आर दर्ज करने का आदेश निरस्‍त कर दिया तो राजस्‍व बोर्ड ने अशोक नगर में कम से कम चार भूमिये हथाई खेड़ा, पिपरइ, भौंसले का बाड़ा की करोड़ों की भूमि में भू-माफिया को संरक्षण दिया है. शासन के हितो के विरूद्ध, शासकीय भूमि के विरूद्ध फैसले दिये हैं. क्‍या आप राजस्‍व मंडल के अधिकारियों की जांच करायेंगे ? आज सागर की खबर है कि कलेक्‍टर की आपत्ति के बाद भी 27 एकड़ सरकारी जमीन 35 करोड़ रूपये में बेच दी, यह राजस्‍व बोर्ड का फैसला है, या तो आप राजस्‍व बोर्ड को खत्‍म करे या फिर उनसे अधिकार छीन लें, क्‍योंकि यह अपील का थ्री-टायर सिस्‍टम है, एक तो तहसीलदार के फैसले की एस.डी.ओ और एस.डी.ओ के फैसले की कलेक्‍टर को अपील हो सकती है और कलेक्‍टर के फैसले की राजस्‍व कमिश्‍नर को अपील हो सकती है. लेकिन लोग तहसीलदार के फैसले के विरूद्ध कलेक्‍टर और कमिश्‍नर के पास न जाकर सीधे राजस्‍व बोर्ड चले जाते हैं. मेहरबानी करके आप यह सिस्‍टम खत्‍म करिये. आप पटवारी का निलंबित कर रहे हैं. मेरा कहना है कि तहसीलदार, एस.डी.ओ, कलेक्‍टर या कमिश्‍नर की जानकारी के बिना करोड़ों रूपये की भूमि की क्‍या इस प्रकार से रिकार्ड में हेराफेरी हो सकती है और वह पकड़ी न जाये ? जब हम दबाव दें तभी पकड़ी जाये. मेरा आपसे निवेदन है कि आप सभी मामलों की जांच करायें. राजस्‍व बोर्ड ने एफ.आई.आर निरस्‍त करने का फैसला दिया है. प्रशासन ने अच्‍छी कार्यवाही की है, मैं प्रशंसा करता हूं, लेकिन उसके फैसले को निरस्‍त किया हथई खेड़ा, अशोक नगर, पिपरइ और सागर यह तो सिर्फ चार हैं. ऐसे सैंकड़ों उदाहरण हैं जिसमें राजस्‍व बोर्ड ने शासन के हितों के  विरूद्ध फैसला दिया है. इन सब फैसलों की आप जांच कराने का कष्‍ट करेंगे और इस मामले में आप त्‍वरित कार्यवाही करेंगे क्‍या ?

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने भी आज इंगित किया है, लेकिन मैं एक बात भी ध्‍यान में लाना चाहता हूं कि आज ही राजस्‍व विभाग के करीब 136 प्रश्‍न हैं, जिसमें 100 से अधिक प्रश्‍नों के जवाब हमने देने की कोशिश की है. इस सिस्‍टम को और कैसे कसा जा सकता है और कई बार जिस प्रकृति के प्रश्‍न रहते हैं, उनकी जानकारी नीचे से लाने में समय लगता है, लेकिन मैं फिर भी माननीय सदस्‍यों की चिंता और आपकी चिंता से मैं भी सहमत हूं. इस सिस्‍टम को और ठीक करने की हम लगातार कोशिश कर रहे हैं. जहां तक माननीय कालूखेड़ा जी का जो प्रश्‍न है, वह बहुत वरिष्‍ठ मंत्री भी रहे हैं. राजस्‍व बोर्ड न्‍यायायिक प्रक्रिया वाला बोर्ड है, उसके खिलाफ जांच के अधिकार तो हमारे पास नहीं है. लेकिन पिछले दिनों माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने घोषणा की है कि राजस्‍व बार्ड के बारे में समिति को काम दिया है कि वह सारे क्रिया कलापों का अध्‍ययन करे. राजस्‍व बोर्ड खत्‍म करना, उसमें सुधार की कोई गुंजाइश है या सिस्‍टम को ठीक किया जा सकता है, उसका क्‍या विकल्‍प हो सकता है, इस पर भू सुधार आयोग काम कर रहा है और बहुत जल्‍दी ही हमें जो रिपोर्ट मिलेगी उसके हिसाब से सरकार कार्यवाही करेगी.

          श्री महेन्‍द्र सिंह कालूखेड़ा :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम राजस्‍व बोर्ड के जो स्‍पेसिफिक उदाहरण दे रहे हैं, आप इनकी तो समीक्षा कर लें कि इसमें शासन के हितों के विरूद्ध राजस्‍व बोर्ड ने फैसला दिया है. यह कुछ राजस्‍व बोर्ड की आदत है जो मैनेज हो जाते हैं और इस प्रकार के फैसले देते हैं. यह आपने बहुत बड़ा प्रश्‍न बना दिया है कि इसकी समीक्षा की जायेगी. इसकी बजाय ऐसे सब फैसलों की जो मैंने चार उदाहरण दिये हैं और ऐसे उदाहरण आपकी जानकारी में भी होंगे कि कहां शासकीय हितों के विरूद्ध फैसले दिये गये हैं, उनकी आप समीक्षा अलग से कर लें यह मेरा आपसे अनुरोध है.

          श्री बाबूलाल गौर :- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि जैसे क्रिमिनल कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने के लिये डिस्ट्रिक्‍ट  कोर्ट में सरकारी वकील होते हैं, इसी तरह से क्‍या राजस्‍व मंडल में भी राजस्‍व के सरकारी वकील रहते हैं या नहीं ? यह मैं जानना चाहता हूं ?

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, राजस्‍व के वकील तो रहते हैं, लेकिन कई बार वकीलों की भी शिकायत आती है, हम उनको भी हटाने के लिये लिख रहे हैं और माननीय महेन्‍द्र सिंह जी राजस्‍व बोर्ड की यह सारी व्‍यवस्‍था बहुत पुरानी चल रही है. उसकी हम समीक्षा कर रहे हैं और राजस्‍व बोर्ड के निर्णय की समीक्षा सरकार नहीं कर सकती है, राजस्‍व बोर्ड के निर्णय के खिलाफ हम अपील कर सकते हैं तो ऐसे सारे मामले जो आप ध्‍यान में लायेंगे, या जो हमारे ध्‍यान में आते हैं, हम हाईकोर्ट में उनकी अपील भी करते हैं और कोई निर्णय अगर गलत हो तो उस पर न्‍यायपूर्ण निर्णय हो सके, यह सरकार कोशिश करती है. जैसा मैंने कहा राजस्‍व बोर्ड में भी अभी एक सदस्‍य को वहां से हटाया गया है. जो भी सरकार के हाथ में वह कार्यवाही सरकार कर रही है और राजस्‍व बोर्ड की स्थिति को कैसे ठीक कर सकते हैं, इस संबंध में हम बहुत जल्‍दी निर्णय कर लेंगे.

          श्री महेन्‍द्र सिंह कालूखेड़ा - माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  आप एक वाल्‍केनो पर बैठे हुए हैं. आप भ्रष्‍टाचार और भू-माफियाओं के वाल्‍केनो पर बैठे हैं. आप एक्‍ट में संशोधन करके अधिकार अपने हाथ में ले लीजिये, यह मेरा अनुरोध है.

          श्री मानवेन्‍द्र सिंह - एक बार फैसला जब रेवन्‍यू बोर्ड से हो जाता है तो क्‍या दोबारा उसी फैसले को परिवर्तन करने का रेवन्‍यू बोर्ड का अधिकार है ? फैसला एक पक्ष में किया उसका दोबारा परिवर्तन कर दिया.

          अध्‍यक्ष महोदय - यह तो फिर वही मामला आ गया.

          श्री मानवेन्‍द्र सिंह - जी हां मेरे पास मामला है. मैं उस मामले को माननीय मंत्री जी को दे दूंगा.    

मण्‍डला जिले में चालू/बंद नल-जल योजनाएं

[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]

16. ( *क्र. 3882 ) श्री रामप्यारे कुलस्ते : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) निवास विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत प्रत्‍येक विकासखण्‍डवार कुल कितनी नल-जल योजनाएं संचालित हैं? उक्‍त नल-जल योजना में कितनी चालू हैं और कितनी बंद हैं? (ख) प्रश्‍नांश (क) अंतर्गत विकासखण्‍डवार ग्रामवार कितनी ऐसी योजनाएं हैं, जिनमें स्‍वीकृति उपरांत कार्य पूर्ण नहीं किया जा सका है? (ग) स्‍वीकृत नल-जल योजनाओं के बंद रहने के क्‍या कारण हैं, बंद योजनाएं को चालू करने की कोई योजना है तो अवगत करायें।

लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसु‍मसिंह महदेले):-

           श्री रामप्‍यारे कुलस्‍ते - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से  पीने के पानी की जो मूलभूत समस्‍या का विषय है, उस संबंध में मुझे मेरे प्रश्‍न का उत्‍तर तो मिला है कि 138 नल-जल योजनाएं संचालित हैं, 106 चालू हैं और 32 योजनाएं बंद हैं. मैं इस संबंध में यह कहना चाहता हूं कि इसमें जो जानकारी दी गई है, इसमें जो 106 नल-जल योजनाएं चालू होने की बात कही जा रही है. उस संबंध में मैं यह कह रहा हूं कि इसमें लगभग आधे से ज्‍यादा, मैं गिनकर बता सकता हूं, जिसमें बंद हैं और जिसके संबंध में असत्‍य जानकारी दी जाती है. मैंने यह प्रश्‍न इसलिए लगाया था क्‍योंकि कहीं कहीं पर नल-जल योजनाओं की बहुत ही गंभीर समस्‍या है. वहां पानी का स्‍त्रोत हमको मिलता नहीं है और ऐसे गांवों में नल-जल योजना या फ्लोराईड की समस्‍या है. सामान्‍यत: गांव के लोग नल-जल योजना पसंद भी नहीं करते हैं.  तब भी ऐसी परिस्थितियों में नल जल योजनाएं संचालित की गई हैं, परंतु उनके बंद होने की जानकारी बताई गई. इस संबंध में मेरा माननीय मंत्री जी  से यह आग्रह है कि वह सही और तथ्‍यपरक जानकारी हमारे अधिकारियों को दिलाने के लिये निर्देशित करें ताकि वह नल-जल योजनाएं चालू हो सकें, यह मेरा पहला प्रश्‍न है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  दूसरा प्रश्‍न यह है कि एक तो जो नल-जल योजनाएं रोड बनाने में जैसे मानकपुर, निवास, सिंहपुर और बकोरी ऐसे तीन चार गांव की जो नल जल योजनाएं दो साल से टूटी पड़ी हैं, लोगों को स्‍वच्‍छ पेयजल नहीं मिल पा रहा है, उनको कब तक ठीक करा दिया जायेगा ?  यह माननीय मंत्री जी बताने का कष्‍ट करें.

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले प्रश्‍न में माननीय सदस्‍य ने पूछा है कि 106 जो नल-जल योजनाएं बताई गई हैं, उसमें से भी कुछ खराब है, लेकिन मेरी जानकारी में तो 106 नलजल योजनाएं चालू हैं और माननीय विधायक अगर 106 में से कुछ नल-जल योजनाएं बतायेंगे तो उनकी मैं जांच करा लूंगी और उनके सुधार की व्‍यवस्‍था करूंगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरे प्रश्‍न का जवाब यह है कि सी.सी. रोड बनाने में नल-जल योजनाएं क्षतिग्रस्‍त हो जाती हैं, यह वैसे तो पंचायतों का मामला है क्‍योंकि सीसी रोड वही बनाती हैं, तो उनको चाहिए कि वह जो भी नल-जल योजनाएं की पाईप लाईन क्षतिग्रस्‍त करें उनको वह सुधरवा दें. मैं माननीय पंचायत मंत्री जी से आग्रह करूंगी और जो जिला पंचायत, सी.ई.ओ. वगैरह हैं, उनको भी आप निर्देशित करें कि जो भी नल-जल योजनाएं की पाईप लाईन क्षतिग्रस्‍त करें   उनको वह सुधरवा दें. आपका निर्देश जायेगा तो वह जरूर सुधरवायेंगे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा निवेदन यह करना चाहती हूं कि हमने आपकी विधानसभा में 8.20 लाख रूपये पंचायतों को नल-जल योजनाओं को सुधरवाने के लिये दिये हैं. जिसमें से दो लाख रूपये लाख तक की 24 बंद नल-जल योजनाओं को वह सुधरवायेंगे और योजनाएं सुधरवाने के लिये 273.33 लाख की स्‍वीकृति हमने जारी कर दी है, जिसकी निविदाएं जारी की जा चुकी हैं.

          श्री रामप्‍यारे कुलस्‍ते - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं एक ओर प्रश्‍न यह करना चाहता हूं कि एक तो सतही नल-जल योजना के माध्‍यम से लगभग 446 गांवों की आपने जो ग्रुप योजना में स्‍वीकृति दी है, आपको इसके लिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद, परंतु माननीय मंत्री जी मेहरबानी करके मैं आपसे यह जानना चाह रहा था कि आप इस योजना को कब तक प्रारंभ करवा देंगी, कब तक चालू करवा देंगी ?

          सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले - अध्‍यक्ष महोदय, स्‍वीकृति के बाद में केबिनेट में मामला जाता है. वहां से स्‍वीकृति प्राप्‍त होने के बाद में प्रशासकीय स्‍वीकृति होती है फिर टेंडर होते हैं. हम यथासंभव शीघ्र ही इस योजना को सुधरवा देंगे.

         

पट्टे की जमीन का नियम विरूद्ध विक्रय

[राजस्व]

17. ( *क्र. 4664 ) श्री हर्ष यादव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या सागर नगर में खुरई मार्ग पर भाग्‍योदय तीर्थ चिकित्‍सालय के सामने स्थित भूमि रकबा लगभग 27 एकड़ को पट्टाधारक खत्री बंधुओं ने सुभाग्‍योदय डेव्‍हलपर्स को जनवरी 2017 में विक्रय किया है? क्‍या इस भूमि के नामांतरण का आवेदन तहसीलदार सागर को दिया गया है? यदि हाँ, तो उक्‍त भूमि खत्री बंधुओं को पट्टे पर कब किस प्रयोजन व किस अवधि के लिए दी गई थी? कब-कब मौका मुआयना कर पट्टे का नवीनीकरण किया गया? किस अधिकारी द्वारा मौका मुआयना किया गया? (ख) क्‍या कलेक्‍टर सागर द्वारा पट्टेधारियों को उक्‍त भूमि विक्रय की अनुमति दी थी? यदि हाँ, तो आदेश व नोटशीट की प्रमाणित प्रति दें। पट्टे की भूमि का भू-स्‍वामी कौन होता है? क्‍या लीज़धारी/पट्टाधारी भूमि का विक्रय कर सकता है। तत्‍संबंधी नियमों की प्रति दें। इस प्रकरण में पट्टाधारी खत्री बंधु कैसे उक्‍त भूमि के असली भूस्‍वामी बन गये? (ग) अध्‍यक्ष, राजस्‍व मंडल ग्‍वालियर के समक्ष भूमि विक्रय की अनुमति हेतु आवेदन कब आया एवं कब अनुमति जारी की गई? क्‍या मंडल को सागर जिले के राजस्‍व विभाग के शासकीय सेवकों द्वारा असत्‍य जानकारी/रिकॉर्ड/टीप दी, ताकि विक्रय अनुमति जारी हो सके। क्‍या इसकी जाँच की गई है? नहीं तो क्‍यों? (घ) उक्‍त वर्णित सागर की बेशकीमती शासकीय भूमि को भूमाफिया को विक्रय किये जाने के मामले में विक्रयपत्र व नामांतरण को शून्‍य किये जाने हेतु शासन/विभाग क्‍या कार्यवाही कब तक करेगा? क्‍या दोषियों पर पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई जावेगी? यदि नहीं, तो क्‍यों एवं हाँ तो कब तक?  

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता )

 

 

श्री हर्ष यादव - अध्यक्ष महोदय, अभी जो पूर्व सदस्यों ने आपत्ति दर्ज कराई है, राजस्व मंत्री से वही आपत्ति मेरी है. मेरा आज तारांकित प्रश्न है और मुझे जो जवाब मिला है वह अभी  यहां पर मिला है. ऐसी स्थिति में हम लोग कैसे तैयारी कर पाएंगे, यह विचारणीय प्रश्न है? मेरा प्रश्न यह है कि यह सागर जिले का मामला है, जो सुभाग्योदय जमीन है, यह नजूल की 28 एकड़ जमीन है. सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से, खास तौर से रेवेन्यू कोर्ट की सहमति से एक दिन में आवेदन दिया जाता है और उसी दिन उस पर स्वीकृति मिल जाती है. यह करोड़ों-अरबों की जमीन का मामला है. यह करीब-करीब 500-600 करोड़ रुपए का मामला है. श्री एम.के. सिंह के द्वारा सहमति दी जाती है, उसी दिन आदेश के साथ रजिस्ट्री हो जाती है. मैं यह पूछना चाहता हूं कि क्या नजूल की जमीन की रजिस्ट्री हो सकती है? यदि हो सकती है तो किस नियम और कानून के तहत? ऐसा कौन-सा कानून आ गया है जिसके तहत यह स्वीकृति हो सकती है?

श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, मैंने जो जवाब दिया है उसमें इस बात को स्वीकार किया है. कलेक्टर सागर ने रजिस्ट्रार को लिखा भी था कि यह जमीन का जो रेवेन्यू बोर्ड का निर्णय हुआ है, यह मैंने खुद भी स्वीकार किया है कि रेवेन्यू बोर्ड में एक ही दिन में आवेदन हुआ और उसी दिन निर्णय हो गया. सरकार ने उसके खिलाफ होईकोर्ट में अपील की हुई है. इसका पंजीयन नहीं किया जाय, यह  कलेक्टर सागर ने पंजीयक को पत्र लिखकर भेजा था, लेकिन उसके बाद भी पता चला है कि पंजीयन हो गया है और जब नामांतरण के लिए प्रकरण आया तो हमने नामांतरण नहीं किया है. हाईकोर्ट में हमने उस केस को लगाया है, अपील उसके खिलाफ लगाई हुई है.

श्री हर्ष यादव - अध्यक्ष महोदय, जिन अधिकारियों ने यह मिलीभगत से काम किया है, उनके खिलाफ क्या कार्यवाही करेंगे. क्या इसकी लोकायुक्त से सरकार जांच कराएगी? दूसरा प्रश्न यह है कि जो राजस्व बोर्ड के सदस्य श्री एम.के. सिंह हैं, इनको हटाया गया है. परन्तु क्या इनको सस्पेंड करेंगे, क्या इन पर विभागीय जांच होगी? तीसरा प्रश्न यह है.

अध्यक्ष महोदय - एक ही प्रश्न में कितने प्रश्न पूछेंगे?

श्री हर्ष यादव - अध्यक्ष महोदय, यह बहुत बड़ा मामला है. यह 700 करोड़ रुपए का मामला है. (शेम-शेम की आवाज)..पूरे सागर जिले की आंखें उस फैसले पर लगी हुई हैं. अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूं. यह पूरे जिले का मामला है. इतना बड़ा घोटाला सागर जिले और संभाग के इतिहास में कभी नहीं हुआ.

अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न पूछ लीजिए.

श्री हर्ष यादव - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि क्या ऐसे अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध होगा कि नहीं? और इनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए, यह मैं चाहता हूं?

श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, हमारे किसी अधिकारी ने गड़बड़ी नहीं की है. हम किसके खिलाफ कार्यवाही करें? रेवेन्यू बोर्ड का एक निर्णय आता है, (कई माननीय सदस्यों के बैठे-बैठे बोलने पर) आप सुन तो लें. आपकी सरकार में कभी नहीं हुआ. आपकी सरकार कभी इतनी हिम्मत नहीं करेगी. अध्यक्ष महोदय, हमारे जैसे ही ध्यान में आया. रेवेन्यू बोर्ड ने फैसला कर दिया, उसको सरकार रोक नहीं सकती है. हम उसके खिलाफ तुरन्त अपील में चले गये. कलेक्टर ने रजिस्ट्रार को लिख दिया. अब रजिस्ट्रार ने किन परिस्थितियों में पंजीयन किया है? आजकल हमारा विभाग और पंजीयन विभाग मिलकर भी काम कर रहा है क्योंकि अभी पंजीयन के लिए जब जाते हैं तो अभी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी कि रजिस्ट्रार उसके टाइटल को देखे और उसके कारण भी बड़ी समस्या खड़ी होती थी. एक साफ्टवेयर  रजिस्ट्रेशन और रेवेन्यू का मिलकर तैयार हो रहा है कि रजिस्ट्रार के यहां पर कोई रजिस्ट्री के लिए जाएगा तो रजिस्ट्रार रेवेन्यू की साइट पर उसके स्वामित्व को देखेगा और वहीं स्वामित्व वाला रजिस्ट्री करवा रहा है तो रजिस्ट्री होगी नहीं तो वह जांच करेगा. इस सिस्टम को कर रहे हैं. अब जैसे ही रजिस्ट्री होगी, जैसे वह रजिस्टर्ड होता है तो वह रेवेन्यू की वेबसाइट पर आ जाएगा और नामांतरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. यह ट्राइल में है कुछ समय लगेगा.

श्री हर्ष यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं जो पूछना चाह रहा हूं, उसका जवाब मुझे चाहिए.

डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा कि रेवेन्यू बोर्ड का फैसला उच्च न्यायालय में भेज दिया है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जब कलेक्टर ने लिखित में आदेश दिया था कि इसका पंजीयन नहीं हो, यह दिनांक 6 जून, 2016 को आदेश दिया था. उसके बाद पंजीयक ने किसके दबाव में, किन कारणों से पंजीयक ने  कलेक्टर के आदेश की अह्वेलना करते हुए, जबकि कलेक्टर क्लास वन अधिकारी है, पंजीयक कलेक्टर के अधीनस्थ है. उसने रजिस्ट्री कर दी. यह शहर के अंदर की जमीन है, यह पांच हजार स्क्वायर फिट की जमीन है 27 एकड़ जमीन 35 करोड़ रूपये में रजिस्ट्री की है, जबकि दो से ढाई सौ करोड़ रूपये उसका पंजीयन शुल्क आता था तो आपने पंजीयक के खिलाफ क्या कार्यवाही की ? पंजीयन किसके दबाव में किया? आखिर इसमें कौन सी परिस्थिति थी कि कलेक्टर के आदेश की अवहेलना करते हुए उसका रजिस्ट्रेशन किया ? इसमें इसका स्टे भी नहीं है आपने प्रकरण लगा दिया उसके लिये धन्यवाद. लेकिन क्या जो रजिस्ट्री हुई उसको शून्य करने का अधिकार शासन को है. रेवेन्यू विभाग उस पंजीयन को शून्य तो अभी कर सकता है. आप इसकी घोषणा करेंगे क्या ?

            श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, रेवेन्यू विभाग इसको शून्य घोषित नहीं कर सकता है.

          डॉ.गोविन्द सिंह--रजिस्ट्रेशन आपने किया है, कलेक्टर को यह अधिकार है.

          श्री उमाशंकर गुप्ता--नहीं किया.

          डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, पंजीयन शून्य करने का अधिकार कलेक्टर को है.

हमारे जिले में भी पांच ऐसे आदेश हैं जिसमें कलेक्टर ने रजिस्ट्री को शून्य किया है. यह साढ़े छः सौ करोड़ रूपये का घोटाला है.

          अध्यक्ष महोदय--इसमें जांच हो रही है.

          डॉ.गोविन्द सिंह--पंजीयन में चोरी है साढ़े छः सौ करोड़ रूपये शासन में बैठे हुए, भोपाल में बैठे हुए अधिकारी, विधायक एवं मंत्री, महापोर का दबाव है. महापोर के द्वारा,वहां के स्थानीय नेताओं के द्वारा शासन के मंत्रियों के दबाव के कारण कुछ नहीं हो रहा है. इसकी उच्च स्तरीय जांच होना चाहिये.

          अध्यक्ष महोदय--यह कोर्ट में मामला है.

          (व्यवधान)

          श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--अध्यक्ष महोदय, आप लोग भू-माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं. (व्यवधान)                                           

 

बहिर्गमन

श्री बाला-बच्चन,सहित इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन

            श्री बाला बच्चन--   अध्यक्ष महोदय, हम उत्तर से संतुष्ट नहीं हैं इसलिए हम लोग सदन से बहिर्गमन करते हैं.(व्यवधान)

          (इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य श्री बाला-बच्चन, डॉ.गोविन्द सिंह, श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा सदस्यों के नेतृत्व में कांग्रेस के समस्त सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से अंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.

विधानसभा क्षेत्र राजगढ़ में समूह जल योजना की स्‍वीकृति

[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]

18. ( *क्र. 4325 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्‍या राजगढ़ जिले की विधानसभा क्षेत्र राजगढ़ में विभाग द्वारा गोरखपुरा एवं मोहनपुरा डेम से ग्रामों में पेयजल हेतु समूह जल योजना स्‍वीकृत की है? यदि हाँ, तो कब? आदेश की प्रति उपलब्‍ध करावेंl (ख) उक्‍त समूह जल योजना से कितने ग्राम लाभान्वित होंगे? प्रत्‍येक ग्राम में कितनी‍-कितनी राशि स्‍वीकृत की गई है? (ग) क्‍या उक्‍त योजना अन्‍तर्गत राशि स्‍वीकृत की जाकर टेण्‍डर लगाये जा चुके हैं? (घ) यदि नहीं, तो इसके लिये कब तक राशि उपलब्‍ध कराई जा सकेगी तथा कब तक टेण्‍डर लगाये जाकर कार्य प्रारम्‍भ किया जावेगा?

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) गोरखपुरा एवं मोहनपुरा समूह जल प्रदाय योजनाओं के क्रियान्वयन के उपरांत क्रमशः 163 एवं 400 ग्राम लाभांवित हो सकेंगे। ग्रामवार राशि स्वीकृत नहीं की गई है। (ग) जी नहीं।                 (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में निश्चित समय अवधि नहीं बताई जा सकती।

          श्री अमर सिंह यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि राजगढ़ विधान सभा क्षेत्र में मोहनपुरा तथा गोरखपुरा डेम से जल समूह नल-जल योजना स्वीकृत की गई है क्या ? मुझे जो उत्तर प्राप्त हुआ है जी नहीं. मैं मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में पानी की बड़ी समस्या है. वहां पर सूखे का भी दौर है वहां का सिंचाई रकबा भी बहुत कम है. मंत्री जी ने (क) एवं (घ) में कहा है कि उसकी डीपीआर बनाई है. गोरखपुरा में 163 एवं मोहनपुरा से 400 गांवों की योजना बनायी है. इस समूह योजना को स्वीकृत कर पेयजल संकट से निजात दिलाने की कृपा करेंगी.

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों जल समूह की डीपीआर बनायी जा चुकी है उसका मंत्रि-परिषद् से अनुमोदन भी प्राप्त हो गया है उसका वित्तीय समायोजन प्राप्त होने पर हम उसको शीघ्र करवा देंगे.

          श्री अमर सिंह यादव--अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि मैं इसमें चार प्रश्न लगा चुका हूं वहां पर संकट की स्थिति है. वहां पर कुंआ-बावड़ी व हैण्डपम्प का जल स्तर भी बहुत कम हो गया है. मैं मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि वह घोषणा करें कि इसी वित्तीय वर्ष 2017 में उस समूह योजना का कार्य प्रारंभ कराये तथा राशि को स्वीकृत करायें.

          अध्यक्ष महोदय--आपका पूरा प्रश्न आ गया है. मंत्रि-परिषद् से इसका निर्णय हो चुका है.

          श्री अमर सिंह यादव--अध्यक्ष महोदय, मुझे जानकारी दी गई है कि वहां की नल-जल योजना चालू है, लेकिन वह चालू नहीं है और वहां पर हैण्डपम्प की स्थिति की जानकारी दी गई है 142 हैण्डपम्प बंद बताये गये हैं. मैं बताना चाहता हूं कि कम से कम वहां पर ढाई से तीन सौ हैण्डपम्प बंद हैं और लंबे समय से उसको सुधारा नहीं जा रहा है. वहां से कम से कम 100 नये हैण्डपम्प दे दें.

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहले ही निवेदन कर चुकी हूं कि जैसे की वित्तीय व्यवस्था होगी हम उसको करा देंगे.

          श्री अमर सिंह यादव--अध्यक्ष महोदय हैण्डपम्पों की घोषणा करा दें.

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले--अध्यक्ष महोदय, बिगड़े हुए हैण्डपम्पों को तत्काल सुधारवाया जायेगा.

          अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल समाप्त.

                                                (प्रश्नकाल समाप्त)

                                                                                               

                                                                                               

 

 

 

12.00 बजे                         नियम 267- क के अधीन विषय

         

          अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्यों की शून्य काल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.

शून्य काल में उल्लेख

         

          (1) श्री यशपाल सिंह( मंदसौर)-- अध्यक्ष जी, उज्जैन संभाग के विक्रम विश्वविद्यालय में छात्र आंदोलन की राह पर हैं. माननीय मंत्री जी भी सदन में विराजमान हैं.विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में लगातार दो दिन से छात्र-छात्राओं द्वारा इस बात को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है कि बीएड की परीक्षा की अंतिम तिथि आज है. एक विसंगतिपूर्ण निर्णय के कारण जहां एक ओर विक्रम विश्वविद्यालय में उन छात्रों को जिनको 4 विषयों में बीएड की  परीक्षा देना हैं, उनकी परीक्षा फीस का निर्धारण 2500 रुपये किया है और वहीं दूसरी ओर बीएड में यदि किसी छात्र को एक विषय में पूरक आयी है तो उसके  आवेदन के लिए फीस 3540 रुपये ली जा रही है. इस विसंगति के कारण विक्रम विश्वविद्यालय  परिसर में आक्रोश है.

         

          (2) डॉ गोविन्द सिंह(लहार)--अध्यक्ष महोदय, राजधानी भोपाल में एक विदेशी महिला क्रिस्टियाना के साथ गुजरात के व्यापारी दीपक ने यहां पर आकर उसके साथ अभद्र व्यवहार किया. उस महिला को बीच सड़क पर पटक दिया. मुख्यमंत्री जी के सुरक्षा गार्ड ने खून से लथपथ महिला को हास्पिटल पहुंचाया. अभी तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की गई है. उस महिला की एफआईआर भी दर्ज नहीं की है. इस प्रकार की घटना किसी विदेशी महिला के साथ होना मप्र के लिए शर्मनाक है. मैं माननीय गृह मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि उस घटना की जांच करायें और जो अपराधी हैं, जिन्होंने गाड़ी चढ़ाकर उस महिला को मारने का प्रयास किया, वह महिला व्यापार के लिए यहां आयी थी, उसकी सुरक्षा करायें और एफआईआर करायें और पूरे बयान लें. उस पर दबाव डाला गया कि एफआईआर दर्ज न कराये.

 

          (3) श्री हर्ष यादव(देवरी)-- अध्यक्ष महोदय, 4 तारीख को सागर में संत रविदास जी का महाकुम्भ था. देवरी से एक बस में लोक हितग्राहियों को लाया गया था. चूंकि शासकीय कार्यक्रम था. अधिकारियों के कहने पर दलित वर्ग के लोगों को लाया गया. कार्यक्रम से लौटते समय बस का एक्सीडेंट हो गया जिसमें 4 अनुसूचित जाति के व्यक्तियों की मृत्यु हो गई और 39 लोग घायल हुए. चूंकि यह शासकीय आयोजन था तो मैं चाहता हूं उक्त मृत व्यक्तियों के परिवार को 10-10 लाख रुपये की राशि दी जाए. उनके परिजनों को शासकीय नौकरी दी जाए. घायलों को 5-5 लाख रुपये की राशि दी जाये.

         

          (4) श्री प्रताप सिंह(जबेरा)--अध्यक्ष महोदय, माननीय वन मंत्री जी यहां विराजमान हैं. नौरादेही वन अभ्यारण्य में कुछ गांव विस्थापित हो रहे हैं. इसमें जामुनझिरी और उन्हारीखेड़ा है. इस वर्ष उन गांवों का विस्थापन होना नहीं है फिर भी उनको मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है. वहां कहा जा रहा है कि इन गांवों को तो हटना है इसलिए वहां  प्रधानमंत्री आवास की कुटीरें नहीं दी जा रही हैं. मेरा निवेदन है कि जब वे गांव विस्थापित हों, तब उनकी मूलभूत सुविधाएं बंद की जाएं. अभी से उनकी मूलभूत सुविधाएं क्यों बंद कर दी गई हैं. इससे ग्रामीणों में रोष है.

         

          (5) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को(पुष्पराजगढ़)-- अध्यक्ष महोदय, डीएसपी मानसिंह टेकाम जो दो वर्ष से लापता थे, वह मिल गए हैं. मैं इसके लिए माननीय गृह मंत्री जी को सदन के माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूं. 

          अध्यक्ष महोदय, मेरे पुष्पराजगढ़ के ग्राम सिवनीसग्गम में कल्पवृक्ष जो नर्मदा तट पर है. भू कटाव के कारण उसकी जड़े कमजोर हो गई हैं और कभी भी गिर सकता है. मेरा निवेदन है कि उसका संरक्षण किया जाए.

                            

          (6) श्री सोहनलाल बाल्मीक(परासिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं धार जिले के गंगवानी के अंतर्गत ग्राम भुतिया में जो घटना घटी उसके संबंध में बताना चाहता हूं. हमारे साथी विधायक उमंग सिंघार जी ने प्रश्न लगाया था वह 22वें नंबर पर था इसलिये वह नहीं आ पाया.मेरा यह निवेदन है कि कभी-कभी 25 नंबर से प्रश्नकाल चालू कर दें बाद वालों का नंबर ही नहीं आ पाता. जिस तरह का घटनाक्रम हुआ है उसमें सही तरीके से उत्तर नहीं आ पा रहा है और महिलाओं के साथ जो अत्याचार या दुष्कर्म हुआ है उसकी जांच नहीं हो पा रही है.

 

          (7) श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, भोपाल नगर निगम के अमले ने 5.3.2016 की रात को लगभग 11 बजे के आसपास देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रदेश के महान नेता माननीय शंकरदयाल जी शर्मा की प्रतिमा जो रेतघाट,वी.आई.पी. रोड पर है उसको हटाने का प्रयास किया है और रात को ही लोगों ने उनको रुकवाया है.इससे वहां के रहवासियों एवं आम नागरिकों में रोष व्याप्त है. मैं सदन से निवेदन करता हूं कि कार्यवाही रोकी जाये.

 

          (8) श्री दिनेशराय ""मुनमुन" (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, मेरे जिले में धान के गोदाम में जो माल रखा हुआ है उससे चावल मिल वाले परेशान है. पूरा बिहार और उत्तर प्रदेश का माल है और चावल मिल वाला उस माल को काट रहा है तो उसका परसेन्टेज ही नहीं निकल रहा है और अपने किसानों से माल नहीं लिया गया और दूसरे प्रदेशों से माल लाया गया. मैं चाहता हूं उसकी जांच हो जाये.

 

          (9) श्री रजनीश हरवंश सिंह(केवलारी) -  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में कल एक बड़ी दुखद घटना हो गई. एक दुमना पुल है जिसमें संजय सरोवर का वेस्ट वाटर  रहता है. साल में मात्र दो महिने सूखा रहता है बाकी पानी उसके ऊपर से ओवरफ्लो होता रहता है. काई लग जाती है उससे. कल एक चार साल के लड़के की दुर्घठना होकर उसकी मृत्यु हो गई. मैं चाहता हूं उस पर पुल बन जाये.

 

          (10) श्री के.पी.सिंह(पिछोर) - अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू करने के लिये संकल्प प्रस्तुत किया है. दो शुक्रवार निकल गये. अब अगले शुक्रवार के बाद एक शुक्रवार और बचेगा. जब हम दौरे पर जाते हैं तो गांव में महिलाएं झुंड बनाकर आती हैं और कहती हैं कि प्रदेश में शराबबंदी लागू कराओ. मेरे संकल्प पर कृपा करके चर्चा करा लें. सरकार को जो करना हो वह करे.

 

          (11) श्री तरुण भनोत(जबलपुर पश्चिम) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं उन्होंने अभी बजट प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने हमारे कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ दिया है लेकिन अध्यापक उसमें छूट गये हैं तो प्रदेश के सभी अध्यापकों को सातवें वेतनमान का लाभ मिलना चाहिये.

 

          (12) श्री मधु भगत(परसवाड़ा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में मोतेगांव पंचायत है वहां जो मिडिल स्कूल है उसकी छत नहीं है. बच्चे किसी अन्य जगह बैठकर शिक्षा ले रहे हैं. मैंने कलेक्टर से भी कार्यवाही करने की मांग की थी लेकिन उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की. कृपया इस पर ध्यान दें.

 

          (13) श्री गिरीश भण्डारी(नरसिंहगढ़) -  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे नरसिंहगढ़ नगरपालिका द्वारा शहर में ट्रेचिंग ग्राऊण्ड न हो ने के कारण शहर के बीच में कचरा डाला जा रहा है और वहां पर 2 ऐतिहासिक मंदिर हैं वहां पर एक पूरी कालोनी है मन्दिरों में जाने वाले लोग परेशान है और कचरे की वहां डंपिंग की जा रही है उसके बाद उसमें आग लगाई जा रही है जिसके धुंए के कारण प्रदूषण की स्थिति बनी हुई है. उसके लिये कोई व्यवस्था की जाये.

 

                                                  पत्रों का पटल पर रखा जाना

(1)(क) वित्तीय वर्ष 2015-16 की द्वितीय छ:माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ:माही समीक्षा विवरण

(ख) वित्तीय वर्ष 2016-17 की प्रथम छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ:माही समीक्षा विवरण

        वित्त मंत्री(श्री जयंत मलैया) - अध्यक्ष महोदय, मैं,मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम,2005 की धारा 11 की उपधारा(1) की अपेक्षानुसार -

1)(क) वित्तीय वर्ष 2015-16 की द्वितीय छ:माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ:माही समीक्षा विवरण

(ख) वित्तीय वर्ष 2016-17 की प्रथम छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ:माही समीक्षा विवरण पटल पर रखता हूं.

 

(2)(क) महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय,चित्रकूट,जिला-सतना मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16

(ख)(1) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय,जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16,

(2) देवी अहिल्या विश्वविद्यालय,इन्दौर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016

(3) बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय,भोपाल का 44वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16

 

 

12.10 बजे                                         ध्‍यानाकर्षण

 

    (1) मंदसौर जिले में आपराधिक घटनाएं घटित होना

 

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है-

 

          मंदसौर विधानसभा क्षेत्र में आपराधिक एवं गोली चालन की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है. आदतन अपराधियों द्वारा बेकसूर व्‍यापारीगणों से फिरौती मांगना, उन्‍हें डराने, धमकाने की घटना में वृद्धि हुई है. अपराधियों द्वारा गोली चालन से एक से अधिक निर्दोष लोगों की जान गवानी पड़ी है. विगत दिनों एक ज्‍वेलर्स व्‍यापारी के मंदसौर तथा नीमच शोरूम पर अंधाधुंध फायरिंग की गई जिसमें एक व्‍यापारी को गोली लगी और वह इन दिनों जीवन और मौत के बीच संघर्षरत है. सीमावर्ती राज्‍य राजस्‍थान से अपराध में लिप्‍त अपराधियों द्वारा लगातार मंदसौर, दलौदा, नीमच आदि स्‍थानों पर सरेआम अपराध किये जा रहे हैं. इन घटनाओं से आक्रोषित आम नागरिकों एवं व्‍यापारियों व अन्‍य संगठनों ने मंदसौर बंद एवं जुलूस निकालकर अपना विरोध दर्ज किया है. पुलिस प्रशासन के खिलाफ घटित घटनाओं के कारण आमजन में आक्रोष व्‍याप्‍त है.

 

          गृह मंत्री (श्री भूपेन्‍द्र सिंह)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित पूर से  माननीय मंत्री जी धीर-गंभीर हैं, सरल हैं तथा परिणाम देते हैं. उनकी छवि भी बहुत अच्छी है लेकिन मैं यह भी बताना चाहता हूं कि नि:संदेह दिसम्बर, 2016 से जनवरी, 2017 के मध्य पुलिस प्रशासन विभाग ने प्रशंसनीय काम किया है. क्योंकि इन्हीं दिनों में अपराधियों पर रासुका, जिलाबदर जैसी कार्यवाही हुई है. लेकिन यह कार्यवाही तब हुई जब पानी सिर से ऊपर हो गया. मेरा आज की तारीख में प्रश्न लगा है परिवर्तित आरांकित संख्या 72 प्रश्न क्रमांक 3221 जिसमें विभाग की ओर से बताया गया कि 1 जनवरी, 2014 के पश्चात  28 प्रकरणों में से 11 प्रकरणों में राजस्थान के कुल 42 अपराधी संलिप्त पाये गये हैं. आज का ही प्रश्न है उसमें विभाग से मुझे लिखित में जवाब मिला है कि राजस्थान के अखेपुर ,प्रतापगढ़, देवल्दी, नोंगामा, निम्भाड़ा, और साकरिया जैसे छोटे छोटे गांव में यह अपराधी निवास करते हैं औऱ चिह्नित अपराधी हैं. यह भी जानकारी में आया है कि 2014 के 8 आरोपी अभी भी फरार हैं परिशिष्ट ""में बताया है और 2015  के 8 अरोपी अभी भी फरार हैं परिशिष्ट "" 2016 का एक आरोपी अभी भी फरार है .इस प्रकार से कुल 17 आरोपी अभी भी फरार हैं.

          अध्यक्ष महोदय- आपका प्रश्न क्या है. भूमिका बहुत लंबी हो रही है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय, मैं तैयारी करके आया हूं. थोड़ी सी भूमिका इसलिये बना रहा हूं कि कुछ चीजें इसमें आई नहीं हैं.

          श्री मुरलीधर पाटीदार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो सिसोदिया जी की सदैव तैयारी रहती है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का ध्यान भी आकर्षित करना चाहूंगा आपके संरक्षण के साथ में कि सिर्फ पुलिस विभाग को ही इसमें दोषी करार नहीं दिया जा सकता है. राजस्व और आबकारी महकमा, चूंकि नीचम-मंदसौर जिला मादक द्रव्य पदार्थों का जिला है वहां अफीम, डोडा-चूरा होता है. इन आपराधिक तत्व में लोगों से न केवल फिरौती मांगने का मामला, न केवल गोली चालन का मामला है बल्कि मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि आपका विभाग थोड़ा सा राजस्व और आबकारी विभाग के अंदर भी जाने की कोशिश करे क्योंकि अपराध वहां से पैदा हो रहे हैं. इसलिये अध्यक्ष महोदय, प्रश्न की गंभीरता को देखते हुये मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं और मंत्री जी से मुझे अपेक्षा भी है. जब आदरणीय बाबूलाल गौर साहब प्रदेश के गृह मंत्री थे तब मेरा एक प्रश्न था , तब उन्होंने मुझे लिखित में इस बात का आश्वासन दिया था कि मंदसौर में सायबर सेल को सुसज्जित किया जायेगा, अच्छे उपकरणों के साथ सुसज्जित किया जायेगा. लेकिन जिस जिले में इतनी आपराधिक घटनायें घट रही हैं वहां का सायबर सेल लुंजपुंज बना हुआ है, कोई कम्प्यूटर नहीं है, कोई बाबू-विशेषज्ञ नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय- कृपया प्रश्न करें.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न पर आ रहा हूं. मेरे छोटे छोटे

 तीन प्रश्न हैं.क्या माननीय मंत्री महोदय, मंदसौर के सायबर सेल को ताकत प्रदान करेंगे, उसको सुव्यवस्थित व्यवस्था देंगे ? दूसरा प्रश्न इतनी बड़ी घटनाओं में राजस्थान और मध्यप्रदेश के छोटे स्तर के डीआईजी स्तर के अधिकारी ने संवाद किये हैं, संयुक्त बैठकें की है. मैं मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि क्या मंत्रालय स्तर पर जिसमें गृह मंत्री जी स्वयं हो और राजस्थान सरकार के गृह मंत्री हों और दोनों प्रदेश के डीजीपी भी उपस्थित हो ऐसी बैठकें चित्तौड़गढ़ उदयपुर , मंदसौर और प्रतापगढ़ में हो सकती है, क्या ऐसी कोई वृहद बैठक जिसका कोई परिणाम निकले, क्या आप ऐसी बैठकें करने की कृपा करेंगे. तीसरा प्रश्न यह है कि चिह्नित व आदतन अपराधियों के ऊपर निरंतर निगरानी कर जनता को भयमुक्त करेंगे.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह  - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जहां तक माननीय विधायक जी ने सायबर सेल के बारे में कहा है, यह बात सही है कि जो मंदसौर, नीमच का क्षेत्र हैं, वहांपर अफीम की खेती है, इस कारण से जो लगा हुआ राज्‍य राजस्‍थान है, वहां के भी अपराधियों का यहां पर आना-जाना रहता है. इसलिए सायबर सेल को हम जैसा माननीय विधायक जी चाहते हैं, जितना भी वहां पर अच्‍छे से अच्‍छा करने की वहां पर जरूरत है, हम लोग उसको तत्‍काल करेंगे. दूसरा जो माननीय विधायक जी ने कहा है, यह बात सही है कि कई अपराधी दूसरे राज्‍यों के भी होते हैं, इसलिए अंतर्राज्‍यीय सीमा का लाभ उठाकर अपराध करके भागने में सफल होते हैं, इस‍के लिए हम इसी माह डी.जी. स्‍तर की मीटिंग इन राज्‍यों के डीजी के साथ करेंगे. हमारी कोशिश होगी कि इस तरह के आरोपियों को यह लाभ न मिल पाए. तीसरा, जो वहां पर सतत निगरानी के बारे में माननीय सदस्‍य ने कहा है, वहां पर हम सतत निगरानी की व्‍यवस्‍था करेंगे.

          श्री कैलाश चावला (मनासा) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक सवाल में माननीय गृह मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि यह देखने में आता है कि जो पुलिसकर्मी लंबे समय से नीमच और मंदसौर जिले में पदस्‍थ हैं, उनके रिश्‍ते तस्‍करों एवं माफियाओं से हो गए हैं, क्‍या पांच वर्ष से अधिक जो पुलिसकर्मी वहां पर पदस्‍थ है, उनका स्‍थानांतरण वहां से करेंगे  ताकि यह गठजोड़ खत्‍म हो सके.

          श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से पूछना चाहता हूं कि नीमच में भी लगातार घटना बढ़ी है, नीमच का ही मामला है, मैं जिले से विधायक हूं, वहां पर कुछ भू-माफिया और शराब-माफिया लोगों की जमीन हड़प रहे हैं.  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से सीधा प्रश्‍न है कि क्‍या भू-माफिया और शराब-माफियाओं से समाज की सौम्‍य शक्ति की सुरक्षा करेंगे .

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे वरिष्‍ठ सदस्‍य, माननीय कैलाश चावला जी ने कहा है कि वहां पर पुलिस के अधिकारी है, जिनको पांच वर्ष पदस्‍थ रहने की अवधि हो गई है, उनका परीक्षण करवा लेंगे और जिन पुलिसकर्मी के पांच वर्ष हो गए हैं, उनको वहां से हटा देंगे.

          श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नीमच जिले में सौम्‍य शक्ति के मकानों पर गुण्‍डों द्वारा कब्‍जा हो रहा है, लोगों को मारा जा रहा है, जमीनें हड़पी जा रही है. कम से कम सौम्‍य शक्ति की सुरक्षा का तो आश्‍वासन दे दें.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह  - अध्‍यक्ष महोदय, आप बता दें, जो आप कहेंगे वह कर देंगे.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -  मंत्री जी, धन्‍यवाद.

          श्री आरिफ अकील(भोपाल उत्‍तर) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह पांच साल वाली व्‍यवस्‍था नीमच, मंदसौर के लिए करेंगे या पूरे मध्‍यप्रदेश में करेंगे कि जिनके पांच साल हो गए हैं, उनको हटाएंगे, आप जवाब दिलवाने की कृपा करेंगे तो मेहरबानी होगी. आप ना कर देंगे तो कोई हाथ खड़ा नहीं कर सकता, वह तो आपका  विशेष अधिकार है . मेरा कहना है कि सिर्फ नीमच, मंदसौर के लिए यह पांच साल की योजना है या पूरे मध्‍यप्रदेश के‍ लिए है, मेरा आज का ही प्रश्‍न था, जिसमें जवाब दिया गया कि जानकारी एकत्रित की जा रही है.  

          (2) मालवा क्षेत्र में गेहूं का उपार्जन केन्‍द्र न खोला जाना.

          श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है-

                        खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री ओमप्रकाश धुर्वे) - अध्यक्ष महोदय,

 

 

                   श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय,  उत्तर तो करीब करीब मिल  गया है और समस्या का हल भी हो गया है, लेकिन  विभाग के अधिकारियों ने जो उत्तर बनाया है, मैं  उसकी तरफ मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं.  मैंने  उज्जैन संभाग की समस्त  मंडियों की  27 फरवरी, 2017, 28 फरवरी,2017   एवं 1 मार्च,2017  की  रिपोर्ट मंगवाई है.  अध्यक्ष महोदय,  कितना नुकसान हुआ है,  यह जानकारी मैं  मंत्री जी को देना चाहता हूं.  27 फरवरी, 2017  को कृषि उपज मंडी, उज्जैन  में 24900  क्विंटल  गेहूं की आवक हुई. उसमें से 1800-1900 क्विंटल जो गेहूँ बिका है, वह 1,535 रूपये में बिका है और 23000 क्विंटल गेहूँ 1,250 रूपये में बिका है. अगर समर्थन मूल्‍य 1,625 रूपये से कम किया जाये तो 375 रूपये प्रति क्विंटल के नाम से लाखों का एक ही दिन में वहां की कृषि उपज मण्‍डी में घाटा हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपका काम तो हो गया है. आपका प्रश्‍न बताएं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि चूँकि मेरी मांग 10 मार्च की थी. यह बात सही है कि 3 दिन होली की छुट्टियां भी आ रही हैं और तैयारियां भी हो रही हैं. यह चूँकि मालवा से जुड़ा हुआ, इन्‍दौर और उज्‍जैन संभाग से जुड़ा हुआ मामला है. मनोज जी आज नहीं आए हैं. यह हमारा दोनों का ध्‍यानाकर्षण था.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके ध्‍यानाकर्षण लेने के बाद जो कार्यवाही हुई. मैं, उससे अवगत कराना चाहता हूँ कि उसका कितना लाभ हुआ है ? जैसे ही ध्‍यानाकर्षण गया तो गेहूँ के रेट उठकर 1,500 रूपये से ऊपर हो गए. स्‍टॉकिस्‍ट को यह मालूम पड़ गया कि 15 तारीख के बाद हमें गेहूँ नहीं मिलेगा, उपार्जन केन्‍द्र में खरीदी चालू हो जायेगी. इससे किसानों को करोड़ों रूपये का अप्रत्‍यक्ष लाभ हुआ है. आपके माध्‍यम से, मैं माननीय मंत्री जी को धन्‍यवाद देते हुए यदि आपकी इच्‍छा हो तो एक जनहितैषी प्रश्‍न करना चाहता हूँ और वह हल भी हो जायेगा. वह किसानों से जुड़ा हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप प्रश्‍न कर दें.

          श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, खरीदी के बाद जो उपार्जन केन्‍द्र हैं, जो प्रभावशील लोग हैं, उनके गेहूँ का उपार्जन केन्‍द्रों में परिवहन हो जाता है लेकिन जो प्रभावशील लोग नहीं हैं, वहां पर 20,000 से 40,000 क्विंटल गेहूँ इकट्ठा हो जाता है. मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि क्‍या समस्‍त केन्‍द्रों पर परिवहन, इन दोनों संभागों में एक जैसा होगा, समय पर गेहूँ का परिवहन कर लिया जायेगा और उनका भण्‍डारण कर दिया जायेगा ?

          अध्‍यक्ष महोदय - यह इससे संबंधित नहीं है.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे - अध्‍यक्ष महोदय, समय पर परिवहन करा लिया जायेगा कि किसानों को दिक्‍कत न हो, उपार्जन सही समय पर हो जाये.

          श्री बहादुर सिंह चौहान - धन्‍यवाद मंत्री जी.

 

 

12.32 बजे

प्रतिवेदनों की प्रस्‍तुति

याचिका समिति का बयालीसवां एवं तैंतालीसवां प्रतिवेदन

               

 

 

 

 

12.33 बजे                        याचिकाओं की प्रस्‍तुति

          अध्‍यक्ष महोदय - आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्‍तुत की हुई मानी जाएंगी.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.34 बजे                             समितियों का निर्वाचन

 

 

                                                                                                                                                                                        

          अध्‍यक्ष महोदय--

 

12.36 बजे    वर्ष 2017-2018 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा ( क्रमश:)

          श्री के.पी. सिंह -- मुकेश नायक जी की चर्चा नहीं हो पाई थी.

          अध्‍यक्ष महोदय-- वह बोलने के लिए खड़े नहीं हो रहे हैं.

          श्री मुकेश नायक-- आप अनुमति देंगे तभी तो हम बोलेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप पहले मेरी बात सुन लें. दरअसल 3 मार्च को भोजन अवकाश के बाद कार्यवाही निरंतर जारी रखने के निर्देश आसंदी से दिए गए थे किन्‍तु मुकेश नायक जी उस दिन उपस्थि‍त नहीं हुए थे. आखिरी ढाई घंटा अशासकीय कार्य के लिए होता है. इसीलिए एक-एक सदस्‍य दोनों ओर से चर्चा कराने का निर्णय किया गया था परंतु मुकेश नायक जी उस दिन उपस्थि‍त नहीं हुए थे. आज वे उपस्थित हैं परंतु आज दूसरे सदस्‍यों को भी चर्चा में भाग लेना है.

          श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उस दिन अशासकीय संकल्‍प थे और दैनिक कार्य सूची में दूसरे जॉब वर्क भी थे. वह उस दिन संपादित भी हुए है और उस दिन आसंदी पर माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय बैठे थे. आप उस दिन की कार्यवाही उठाकर देख लें. उन्‍होंने कहा था कि मेरा भाषण आज जारी रहेगा. आपसे भी मैंने आग्रह किया था तो आपने विनम्रतापूर्वक मुझसे कहा था कि आप मुझे बोलने के लिए थोड़ा समय देंगे. यदि आप नहीं देते हैं तो भी मुझे कोई ऐतराज नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय सदस्‍य से मेरा अनुरोध है कि आप संक्षेप में बोलें. आप पहले भी 13 मिनट बोल चुके हैं. आप अपनी बात संक्षेप में रखें.

          वन मंत्री, (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--आप मुकेश नायक बोल देते हैं तो वह एकदम डिप्रेस हो जाते हैं. आगे पीछे कुछ अलंकरण लगा दिया करें.

          अध्‍यक्ष महोदय-- शेजवार साहब क्‍या कहें.

          डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- उनसे ही पूछें कि क्‍या लगाएं. क्‍योंकि अकेले सदस्‍य के लिए मजबूरी है कि यहां से वहां तक सब सिंह ही सिंह हैं. आप कहां फिट हो रहे थे मुझे बताइए. आप कुछ ऐसा बता दें जो आपके आगे पीछे लगने लगे.

          श्री के.पी.‍ ि‍संह-- एक नंबर पर कोई भी बैठै हों पर नायक तो यही रहेंगे.

          डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- आपका नाम आरिफ सिंह कर देते हैं.

          श्री आरिफ अकील-- अध्‍यक्ष महोदय, हम से मामा कह रहे थे कि आपका नाम आरिफ सिंह कर देते हैं. अध्‍यक्ष महोदय, आगे सिंह ही सिंह हैं, आप तो इसमें कुछ संशोधन कर दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आपके अगल-बगल सभी सिंह हैं इसलिए डॉ. साहब ने ऐसा कहा.

          श्री के.पी.‍ ि‍संह -- यह वन तो है नहीं. वन में वन मंत्री फंस जायें तो समझ में आता है कि सिंहों के बीच में क्‍या करेंगे लेकिन यह तो सदन है यहां आप चिन्‍ता क्‍यों  करते हैं.

          डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- मनुष्‍य सिंह हैं. आप उस तरफ मत ले जाइए. इनमें पूरी-पूरी मानवीयता है, इनमें दयालुपन है. यह सिंह जनता की सेवा के लिए हैं. इनमें से कोई भी सिंह शिकारी नहीं है. 

          श्री कैलाश चावला-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वन मंत्री का यह फर्ज है कि वह सिंहों का संरक्षण करें.

          खाद्य मंत्री, (श्री ओम प्रकाश धुर्वे) -- य‍ह बिना सींग के सिंह हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- सिंहों का संरक्षण वह कर रहे हैं, नायक का संरक्षण हम करेंगे.

          पंचायत मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--अभी सिंहों की चर्चा हो रही थी (XXX)

            डॉ. गौरीशंकर शेजवार--जब शेरों की गिनती होती है तो उनको केवल टाइगर कहते हैं.  (हंसी)

          श्री के.पी. सिंह-- (XXX).  (हंसी)

          अध्यक्ष महोदय--दोनों बातें विलोपित कर दें.

          श्री मुकेश नायक (पवई)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की वास्तविक स्थिति पर अगर आप नजर डालें तो मध्यप्रदेश में मैदानी स्तर पर सरकार के पास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जो बुनियादी ढांचा होना चाहिए आज मध्यप्रदेश में सरकार के पास वह बुनियादी ढांचा नहीं है. तहसीलदार नहीं हैं, आर.आई. नहीं हैं, पटवारी नहीं हैं, डिप्टी कलेक्टर नहीं हैं. यहां तक तो छोड़ो आप, पिछले दिनों मैं अपने विधान सभा क्षेत्र के एक स्कूल में निरीक्षण करने गया था. मैंने वहां पूछा स्कूल में साइंस के कौन से टीचर कौन हैं जो फिजिक्स, मैथमेटिक्स और केमेस्ट्री पढ़ाते हैं तो मुझे बताया गया कि फिजिक्स का कोई टीचर नहीं है. मैंने पूछा कि फिर इस स्कूल में फिजिक्स कौन पढ़ाता है तो प्रिंसीपल ने कहा कि आर्ट्स के टीचर यहां फिजिक्स पढ़ाते हैं. आप मुझे यह बताइए जिन्होंने कभी अपनी जिंदगी में फिजिक्स नहीं पढ़ी वे स्कूल में फिजिक्स पढ़ा रहे हैं. मध्यप्रदेश में 4000 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी टीचर नहीं है. मध्यप्रदेश में 17000 ऐसे स्कूल हैं जहां केवल एक टीचर है. अस्पतालों की हालत क्या है. आप सुदूर ग्रामीण अंचलों में चले जाओ, मेरे यहां एक प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र है उसमें तीन साल से ताला लगा हुआ है, कलदा और श्यामगिरी में, मेरे विधानसभा क्षेत्र में दो अस्पताल ऐसे हैं जहां एक भी डॉक्टर नहीं है. मैदानी स्तर पर इस सरकार की नीति, सिद्धांत और कार्यक्रमों को धरातल पर क्रियान्वित करने के लिए इस सरकार के पास बुनियादी ढांचा ही नहीं है, अब कैसे यह सरकार चल रही होगी आप कल्पना करें. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका सबसे ज्यादा प्रभाव गरीबों की हितग्राहीमूलक योजनाओं पर पड़ा है.

          श्री गोपाल भार्गव--मैं तो प्रस्ताव करता हूँ कि सरकार के लाखों रुपए एक डॉक्टर को बनाने में खर्च होते हैं और कुछ यहां आकर हाउस में बैठ जाते हैं वे कम से कम ऐसे बंद चिकित्सालयों में वे जा सकते हैं. (डॉ. गौरीशंकर शेजवार के बैठे-बैठे अध्यक्ष महोदय की आसंदी की ओर इशारा करते हुए कि वहां भी तो बैठे हैं) क्षमा करना अध्यक्ष महोदय. (हंसी)

          श्री लखन पटेल--अध्यक्ष महोदय भी खुद डॉक्टर हैं. (हंसी)

          श्री के.के. श्रीवास्तव--अध्यक्ष महोदय, यह प्रस्ताव वापस लिया जाए (हंसी)

          श्री मुकेश नायक--अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कह रहा था कि यह बुनियादी ढांचा न होने के कारण हितग्राहीमूलक योजनाओं पर, गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रमों पर सबसे ज्यादा असर मैदानी स्तर पर हुआ है. मैं उदाहरण देता हूँ कि ग्रामीण क्षेत्रों में एक-एक, डेढ़-डेढ़ साल से हितग्राहियों को पेंशन नहीं मिली है. मनरेगा की मजदूरी का भुगतान 6-6, 7-7 महीने से नहीं हुआ है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन, विकलांग पेंशन, निराश्रित पेंशन योजना और परिवार सहायता के जो कार्यक्रम इस सरकार के द्वारा चलाए जा रहे हैं यह इतने कमजोर हैं, मैं आपका ध्यान सीएजी की एक रिपोर्ट की तरफ आकर्षित करना चाहूंगा जिन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के दिशा निर्देशों के अनुसार राज्य से कम से कम केन्द्र सरकार के द्वारा दी गई सहायता के बराबर की अतिरिक्त राशि दिए जाने हेतु दृढ़ता से आग्रह किया गया था. राज्य सरकार ने इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय निराश्रित पेंशन योजना एवं राष्ट्रीय पारिवारिक परिवार सहायता योजना इनमें वर्ष 2010-2015 के दौरान 14 चयनित जिलों में से 6 जिलों में समग्र सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम में 1.49 लाख हितग्राहियों की 7.74 करोड़ रुपए की पेंशन की राशि का भुगतान नियत तिथि से 16 माह से विलंब से किया. यहां विधायक, मंत्री, आई.ए.एस. ऑफिसर हर माह अपनी तनख्‍वाह ले लेते हैं और नि:शक्‍तजनों, गरीब लोगों और निराश्रितों को सरकार 16-16 माह से पेंशन नहीं दे पा रही है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी विधान सभा में कहते हैं कि '' सर्वे भवन्‍तु सुखिन:, सर्वे सन्‍तु निरामया''. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सी.ए.जी. की रिपोर्ट में दूसरा कमेंट किया गया है कि 16.16 लाख व्‍यक्ति, जो इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय वृद्धावस्‍था पेंशन योजना हेतु पात्र थे लेकिन वे योजना का लाभ प्राप्‍त नहीं कर सके. राज्‍य में 1.70 लाख व्‍यक्ति ऐसे हैं जो इंदिरा गांधी विधवा पेंशन योजना हेतु पात्र थे लेकिन वे योजना का लाभ नहीं प्राप्‍त कर रहे थे. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने फिर कह दिया कि हम पेंशन तीन सौ रूपये महीना कर देंगे. अभी कह दिया कि जो विधवा पेंशन योजना है, वह तीन सौ रूपये कर देंगे. माननीय मुख्‍यमंत्री जी की इस घोषणा की मैं प्रशंसा करता हूं कि अब विधवा पेंशन योजना के लिए गरीबी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है, बीपीएल कार्ड की आवश्‍यकता नहीं है. उन्‍होंने विधान सभा में घोषणा की कि जो भी विधवा महिला मध्‍यप्रदेश में होगी, सभी को इस पेंशन योजना का लाभ दिया जायेगा. यह बहुत ही अच्‍छा निर्णय है लेकिन धरातल पर आकर यह निर्णय कैसा हो जाता है इसका मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं. राज्‍य में 1.70 लाख व्‍यक्ति ऐसे थे, जो इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय विधवा योजना हेतु पात्र थे लेकिन वे योजना का लाभ प्राप्‍त नहीं कर रहे थे. बढ़ी हुई पेंशन दर से भुगतान के लिए भारत सरकार के परिपत्र के विलंब से क्रियान्‍वयन होने के कारण अक्‍टूबर 2012 से मार्च 2013 तक बढ़ी हुई पेंशन दर तीन सौ रूपये प्रतिमाह के स्‍थान पर पुरानी दर दो सौ रूपये प्रतिमाह के आधार पर ही भुगतान किया गया. आपने पेंशन दर बढ़ाई, आपने विधान सभा में घोषणा कर दी लेकिन धरातल पर यह योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई. इसका कोई लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पाया. राज्‍य में 0.12 लाख व्‍यक्ति इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय निराश्रित पेंशन योजना हेतु पात्र थे लेकिन वे योजना का लाभ प्राप्‍त नहीं कर रहे थे. इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय निराश्रित पेंशन योजना के अंतर्गत 2.2 लाख हितग्राहियों को अक्‍टूबर 2012 से मार्च 2013 तक बढ़ी हुई पेंशन दर तीन सौ रूपये प्रतिमाह के विरूद्ध दो सौ रूपये प्रतिमाह से ही पेंशन का भुगतान किया गया. यह मध्‍यप्रदेश की वास्‍तविक हालत है. गरीबी उन्‍मूलन के कार्यक्रम, हितग्राही मूलक योजनाओं के कार्यक्रम धरातल पर ठीक से कार्यान्वित नहीं हो रहे हैं. चूंकि समय कम है. सिंचाई परियोजनाओं एवं मध्‍यप्रदेश में सिंचाई क्षमता में वृद्धि की जो बात कही गई है, उस पर मुझे विस्‍तार से अपनी बात रखनी थी. ऊर्जा के उत्‍पादन में 17 हजार मेगावॉट बिजली उत्‍पादन की जो बात कही जा रही है, इस पर भी मुझे विस्‍तार से अपनी बात रखनी थी. आगे कभी समय प्राप्‍त होगा तो मैं इस पर अपनी बात रखूंगा. सिंचाई परियोजनाओं पर, बुंदेलखण्‍ड पैकेज पर जो दो घंटे समय का निर्धा‍रण किया गया है, मेरी कोशिश होगी कि मैं मुख्‍यमंत्री जी एवं इस सरकार को आईना दिखा सकूं. आपने मुझे थोड़ा सा समय दिया है इसलिए मैं केवल सांकेतिक रूप से एक विषय सदन के समक्ष रखना चाहता हूं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सी.ए.जी.की रिपोर्ट है. पिछली रिपोर्ट में जो कहा गया था, वह मैंने माननीय मंत्री जी एवं सरकार को बताया था. आपने मध्‍यप्रदेश में इतनी ज्‍यादा सिंचाई क्षमता बढ़ा दी, इतनी ज्‍यादा सिंचाई परियोजनायें बना दीं परंतु मैदान में सिंचाई परियोजनाओं एवं सिंचाई बांधों की वास्‍तविक स्थिति क्‍या है इसका एक उदाहरण सी.ए.जी.में लिखा है. मैं यह पढ़कर आपको सुनाता हूं. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण एवं जल संसाधन विभाग में 68 अपूर्ण योजनाओं पर 31 मार्च 2015 तक 14 हजार 344 लाख 25 हजार करोड़ रूपये का व्‍यय किया गया है. 14 हजार करोड़ से ज्‍यादा रूपये निष्‍फल रहे, बर्बाद हो गए. इस सरकार में काम करने वाले धरातल के लोग 14-14 हजार करोड़ रूपये बर्बाद कर रहे हैं.

          वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)- प्‍वांइट ऑफ ऑर्डर. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सी.ए.जी. की रिपोर्ट के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि ये काम गलत हुए हैं.क्योंकि सीएजी की रिपोर्ट विधान सभा के पटल पर आएगी, पटल के बाद कमेटी में जाएगी और कमेटी में जाने के बाद जो पैरा रहेंगे, उनके ऊपर डिस्कशन होगा.

          श्री मुकेश नायक--  अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी बात कर लूँ. इस पर प्वाईंट आफ ऑर्डर नहीं बनता.

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार--  विभाग अपनी सफाई देगा, तब जाकर कहीं हम विश्वसनीयता से यह कह सकते हैं कि यह काम गलत है.

          श्री मुकेश नायक-- ये बहुत सीनियर विधायक हैं...(व्यवधान)..

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार--  आप यदि सीएजी के आधार पर गवर्नमेंट के ऊपर यह आरोप लगा रहे हैं तो यह न्यायसंगत नहीं है और विधि संगत भी नहीं है और विधान सभा की कार्यवाही में इसको विलोपित किया जाए, यह मेरा आप से विनम्र निवेदन है.

          श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सीएजी की रिपोर्ट को कोट कर रहा हूँ....

          वित्त मंत्री (श्री जयन्त मलैया)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि पहली बार भी सीएजी की रिपोर्ट को लेकर बात हुई है. उस समय भी मैंने निवेदन किया था कि सीएजी की रिपोर्ट कोई अंतिम रिपोर्ट नहीं है. यह उसके ऑब्जर्वेशंस होते हैं और...

          श्री मुकेश नायक--  तो हम ऑब्जर्वेशंस तो बताएँगे ना.

          श्री जयन्त मलैया--  उसके बाद जो लोक लेखा समिति के सभापति हैं उनके यहाँ जाकर विटनेसेस होते हैं और जो अनियमितता हुई है, वह बताई जाती है, उसके बाद इसके ऊपर फिर आप बात कर सकते हैं.

          श्री मुकेश नायक--  तो आप मुझे यह बता दीजिए, 2012, 2013, 2014, 2015 एवं 2016 की सीएजी की रिपोर्ट आ गई हैं. आपने क्या किया? 2015 की रिपोर्ट में है कि 72,000 करोड़ के खातों का मिलान नहीं हुआ...

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, फिर मेरी आपत्ति है कि सीएजी की जो कमेटी है, लोक लेखा, वह क्या कर रही है. वह स्वतंत्र रूप से विधान सभा का एक छोटा स्वरूप होती है...

          श्री मुकेश नायक-- डॉक्टर साहब, मुझे पूरा बोल तो लेने दीजिए. फिर आप बोलिए.

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार--  उसके ऊपर यहाँ जानकारी नहीं मांगी जा सकती है. अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि जब वह अपना परीक्षण पूरा कर लेगी और अपनी रिपोर्ट बनाएगी इसके बाद फिर से वह बात यहाँ विधान सभा के पटल पर आएगी. मेहरबानी करके नियम प्रक्रिया को समझें और पढ़ें, इसके बाद विधान सभा में बात करें.

          श्री मुकेश नायक--  डॉक्टर साहब, जोर से बोलने से कोई नियम नहीं बदल जाता है. आप प्वाईंट आफ ऑर्डर में भी गलत कोट कर रहे हैं और विधान सभा में आप बात भी गलत कर रहे हैं.

          श्री गोपाल भार्गव--  अध्यक्ष महोदय, एस्टीमेट कमेटी के चेअरमेन कालूखेड़ा साहब बैठे हैं. चाहें तो इस पर प्रकाश डाल दें.

          डॉ गोविन्द सिंह--  लेकिन 13 वर्षों में आपने सीएजी की रिपोर्ट पर इस विधान सभा में कितनी चर्चा कराई? आपके जो कारनामे हैं, वह सपोर्ट में रह कर दब गए. अगर आप में हिम्मत है तो आप चर्चा क्यों नहीं कराते? कराओ चर्चा यहाँ.

          श्री मुकेश नायक--  कराओ सीएजी की रिपोर्ट पर चर्चा. ..(व्यवधान)..सीएजी ने जो रिपोर्ट दी है उस पर भी चर्चा होगी.

          श्री गोपाल भार्गव--  अध्यक्ष महोदय, एस्टीमेट कमेटी के चेअरमेन कालूखेड़ा जी यहाँ बैठे हैं.

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार--  गोविन्द सिंह जी ने कहा आप में हिम्मत है तो, हिम्मत नहीं, बात दिमाग की है, बुद्धि लगाइये और पढ़िए. हिम्मत है तो वहाँ सड़कों पर जाओ, जो अच्छा लगे वहाँ. यहाँ यदि बैठना है तो पढ़ना पड़ेगा. नियम प्रक्रिया से चलना पड़ेगा. यह हिम्मत वाली बातें, 2-5 मिनट में खड़े हो जाते हों, आप में हिम्मत हो तो ऐसा करिए.

          श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--  एस्टीमेट कमेटी के चेअरमेन गौतम जी हैं.

          श्री गोपाल भार्गव-- पीएसी के चेअरमेन बैठे हैं. जबकि यह रिपोर्ट है उस समय के आप पीएसी के चेअरमेन थे.

          श्री मुकेश नायक--  आपने लोकसभा में तो सीएजी की रिपोर्ट में अपना धर्मग्रंथ बना दिया था. जिस तरह से सीएजी की रिपोर्ट को आपने लोकसभा में कोट की, उसके ऑब्जर्वेशंस को आप सड़क पर ले गए. पूरे देश में जिस तरह से आपने चर्चा की.अध्यक्ष महोदय, इस पर मुझे व्यवस्था चाहिए. क्या हम सीएजी के ऑब्जर्वेशंस सदन में नहीं रख सकते?

          अध्यक्ष महोदय--  आप रख सकते हैं....

          श्री मुकेश नायक--  तो फिर यह प्वाईंट आफ ऑर्डर क्यों कह रहे है?

          अध्यक्ष महोदय--  किन्तु संक्षेप में कर दें, मेरा यही अनुरोध है.

          श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, संक्षेप में ही कर कर रहा हूँ.

          अध्यक्ष महोदय--  कृपया एक मिनट में समाप्त कर दें.

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार--  अध्यक्ष महोदय, जब तक इनके नाम के आगे पीछे कोई अलंकरण नहीं लगाएँगे तब तक ये ऐसे ही व्यवधान करेंगे. आप सदस्य के साथ साथ कुछ न कुछ अलंकरण लगा दीजिए. इनका व्यवधान बिल्कुल समाप्त हो जाएगा.

          श्री के.पी.सिंह--  व्यवधान गौरीशंकर शेजवार जी आप कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  माननीय मुकेश नायक जी, कृपया एक मिनट में अपनी बात समाप्त करें.

          श्री मुकेश नायक--  अध्यक्ष महोदय, बोल सकूँ तब ना बोलूँगा. आप स्वयं देख रहे हैं कि अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहे हैं. विचारों को तोड़ रहे हैं. नियम और प्रक्रिया के विरुद्ध बात कर रहे हैं. आवाज रोकने की कोशिश कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  अब बात हो गई. अब आप उस पर बहस मत करिए.

          श्री मुकेश नायक--  ऐसा थोड़े ही होता है कि इतने सीनियर लोग इस तरह से विधान सभा में हस्तक्षेप करें. ये कह रहे हैं कि हम हाउस में सीएजी के ऑब्जर्वेंशंस को कोट नहीं कर सकते. बताइए, आपने विनम्रतापूर्वक व्यवस्था दी.

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार--  अध्यक्ष महोदय, मैंने कोट करने  पर आपत्ति नहीं की. मैंने तो विश्वसनीयता की बात कही है और एथेंटिसिटी क्या है उसकी?   इसकी बात की है.

          श्री मुकेश नायक--  तो फिर सीएजी को खतम कर दीजिए. अगर उसकी एथेंटिसिटी नहीं है तो क्यों आपने सीएजी बनाकर रखी है?

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार--  आप ऐसा प्रस्ताव लाएँ, आप सीएजी के अगेंस्ट जा रहे हैं. आपका वक्तव्य संविधान के विरोध में है. आप संविधान के विरोध में बात कर रहे हैं.

          श्री मुकेश नायक-- यह देख लीजिए. जब आप कह रहे हैं कि उसकी कोई एथेंटिसिटी नहीं है तो सीएजी को आपने बना कर क्यों रखा है? सीएजी की रिपोर्ट पर आपने 13 सालों में सदन में एक बार भी चर्चा नहीं कराई. पहले मध्यप्रदेश में परंपरा रही है कि कि सीएजी की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी जाती थी सीएजी की रिपोर्ट्स पर विचार-विमर्श होता था.

          अध्यक्ष महोदय--  आप तो अपनी बात करिए.

          श्री मुकेश नायक-- अपनी राय देते थे. लेकिन 13 सालों से सीएजी की रिपोर्ट पर इस सदन में चर्चा नहीं हुई.

          अध्यक्ष महोदय--  आप एक मिनट में अपनी बात समाप्त करिए.

          श्री मुकेश नायक--  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी, जब भी बजट पर चर्चा होती है तो पिछले शासन काल से तुलना करने लगते हैं. मैं यह कहना चाहता हॅूं कि पिछली सरकार के खिलाफ तीन बार जनादेश हो चुका है. अब आप अपने 13 साल के लेखा-जोखा पर चर्चा करिए, परफॉर्मेंस पर चर्चा करिए.  आपने 13 साल मध्‍यप्रदेश में क्‍या किया. इस पर चर्चा नहीं करते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया अब समाप्‍त करें.

          श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इन्‍वेस्‍टर्स मीट का वर्ष 2008 का एक उदाहरण उठाया और कितनी चतुराई से रख दिया. वर्ष 2008 के पहले कितने इन्‍वेस्‍टमेंट हुए हैं उसकी चर्चा तक नहीं हुई.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री मुकेश नायक जी, कृपया बैठ जाएं.

          श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब मैं 1985 में एम.एल.ए. बना था तब मध्‍यप्रदेश का 3300 करोड़ रूपये का बजट था. भारत वर्ष का 1951-52 का बजट पौने तीन सौ करोड़ रूपये का था पूरे देश का.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया समाप्‍त करें.

          श्री मुकेश नायक -- माननीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी का बजट उठाकर देख लीजिए. गुजरात में 1961-62  का बजट.  

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री गिरीश गौतम, कृपया अपनी बात कहें. श्री मुकेश नायक जी आप कृपया बैठ जाइएं.

          श्री मुकेश नायक -- पिछली इस तरह की तुलनात्‍मक उपलब्धियों से आज हम तुलनात्‍मक दृष्टि रखते हैं तो किसी नतीजे पर नहीं पहुंचेंगे. यह बजट मध्‍यप्रदेश की जनता को धोखा देने की कोशिश है, जनता की आंखों में धूल झोकने की कोशिश है. इसलिए मैं इस बजट का विरोध करता हॅूं.

          वित्‍त मंत्री (श्री जयंत मलैया)  -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि सत्‍ता का हस्‍तांतरण वर्ष 2003 में एक पार्टी से दूसरी पार्टी में हुआ था तो कम्‍पेरिजन जब भी होगा तो वर्ष 2003 से ही होगा. उसमें किसी को विचलित होने की आवश्‍यकता नहीं है और वर्ष 2003 से लेकर वर्ष 2013 तक जो हुआ है जो हमारा परफॉर्मेंस है ये आंकडे़ बताते हैं.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- बचपन से बुढ़ापे तक वही करते रहोगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री गिरीश गौतम अपनी बात कहें. अब बह‍स नहीं होगी.

          श्री मुकेश नायक -- भारतवर्ष में पूरे देश में सभी राज्‍यों का बजट इसी रेश्‍यो से बढ़ा है जितना मध्‍यप्रदेश में बढ़ा है. राजस्‍थान का, गुजरात का, छत्‍तीसगढ़ का, मध्‍यप्रदेश का सभी राज्‍यों का बजट इसी रेश्‍यो से बढ़ा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री मुकेश नायक जी, कृपया बैठ जाएं. अब इनका कुछ लिखा नहीं जाएगा. श्री गिरीश गौतम कृपया अपनी बात कहें.

          श्री मुकेश नायक -- (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय -- इनका रिकार्ड में नहीं आएगा.

          श्री गिरीश गौतम (देवतालाब) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी द्वारा प्रस्‍तुत बजट का समर्थन करने के लिए और प्रतिपक्ष द्वारा कटौती प्रस्‍तावों का विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हॅूं. मैं अपनी बात शुरू करूं, उसके पहले चूंकि श्री मुकेश नायक जी ने शुरू किया है एक चौपाई से शुरू करना चाहता हॅूं बंदहूं सत्‍तह संजर चरना, दुग पर उभय बीज कछू बरना. अब इसकी परिभाषा श्री मुकेश नायक जी करेंगे. स्‍वाभाविक तौर पर हमें विरोध करना चाहिए यदि हम प्रतिपक्ष में हैं तो विरोध करो. मेरा निवेदन एक बात के लिए है कि हमें अंधविरोध नहीं करना चाहिए. हमारा विरोध रचनात्‍मक हो.

 

 

 

12.58 बजे           {उपाध्‍यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}

            माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, रचनात्‍मक विरोध से एक प्रदेश के लिए विकास की योजनाओं को ठीक ढंग से लागू कर सकते हैं जिन कमियों को आप गिनाना जानते हैं,गिना रहे हैं उनको भी दूर करने का अवसर हमें मिल सकता है और जब रचनात्‍मक विरोध की बात हम करते हैं तो मैं एक उदाहरण के साथ प्रस्‍तुत करना चाहता हॅूं. हमारा विरोध अंधविरोध हो गया. एक बडे़ चित्रकार ने बढि़या चित्र बनाया और उसको एक पब्लिक प्‍लेस में टांग कर उसमें नीचे लिख दिया कि इसमें जिसको कहीं बुराई दिखाई दे, वह चिन्‍ह लगाकर उसमें चिन्हिृत कर दे कि इसमें यहां पर गड़बड़ी है. दूसरे दिन शाम को जब चित्र देखने गया, चित्र काली स्‍याही से पटा हुआ था. वह बड़ा दुखी हुआ कि हमने सारी मेहनत की. मेहनत करने के बाद हालत यह है तो उसके मित्र ने सलाह दी कि इसमें एक लाईन लिख दो कि जिसको जहां गड़बड़ी दिखाई दे, वह वहां सुधार कर दे और जब वह चित्र टांगा तो दूसरे दिन एक भी बिन्‍दु उसमें नहीं लगा हुआ था. रचनात्‍मक विरोध यह है परन्‍तु आप संकल्‍प किस बात का लेते हैं हम जब तक मुख्‍यमंत्री नहीं हो जाएंगे, जब तक हम सरकार नहीं बना लेंगे तब तक माला नहीं पहनेंगे. संकल्‍प इस बात का होना चाहिए कि हम जब तक इस प्रदेश के भीतर कुपोषण समाप्‍त नहीं कर देंगे, जब तक हम इस प्रदेश से गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले जो लोग हैं उनका स्‍तर ऊंचा नहीं कर देंगे, सरकार के साथ मिलकर उन बिन्‍दुओं को बताकर उसको ठीक करने का काम करेंगे और जब श्री मुकेश नायक जी बोल रहे थे तो उसमें नमामि देवी नर्मदे का जिक्र आया तो स्‍वाभाविक है कि नर्मदा देवी हमारी जीवन दायिनी हैं, मोक्ष दायिनी हैं, जीवन भी देती हैं और मोक्ष भी प्रदान करती हैं. हमारे मुख्‍यमंत्री जी जब नमामि देवी नर्मदे की उसके अस्तित्‍व को लेकर और उस क्षेत्र के भीतर से सुविधा पाने वाले लोगों को ठीक से उसका उपयोग हो सके, तो हमारे कई मित्र उसका विरोध कर रहे हैं. अभी आपने कहा कि केवल 50 करोड़ उसके घाटों के सौन्‍दर्यीकरण के लिए दिया तो विरोध चूंकि अंधविरोध आपका हो गया. माननीय उपाध्‍यक्ष जी, अंधविरोध हो गया तो कैसे होता है.

          श्री मुकेश नायक -- मैंने ये नहीं कहा था.....     

          श्री गिरीश गौतम -- आपने ये कहा कि 50 करोड़ चाहिए.

          श्री मुकेश नायक--  मैंने यह कहा था कि 20 करोड़ रुपये की रेत प्रतिदिन निकाली जा रही है तो साल भर का बजट बहुत हो जाता है उसका, उस अनुपात में कम दिया है.

          श्री गिरीश गौतम--  आपने यह कहा कि केवल 50 करोड़ दिया एक हजार करोड़ देना चाहिए था,शायद आपके यह शब्द थे. चूंकि हम कितना भी अच्छा काम करें आपको विरोध करना है इसका मैं एक किस्सा आपको सुना देता हूं कि वर्ष 2003 में मनगवाँ विधानसभा से मैं पहली बार विधायक बना. मनगवाँ से 18-18 विधायक और 3-3 सासंद होने के बाद भी वहाँ तहसील नहीं थी. हमने माननीय मुख्यमंत्री शिवराज जी से कहा कि इतना महत्वपूर्ण स्थान है, मनगवाँ को तहसील बनाना चाहिए. फिर वह कौन लोग हैं, उनकी पहचान होना चाहिए, जिन लोगों ने, मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा कि तहसील नहीं बने इसका आंदोलन खड़ा दिया कि तहसील मनगवाँ में नहीं होना चाहिए, खून-खराबा किया, मामले-मुकदमे हुए फिर भी वह तहसील बन गई. अब जब बन गई तो क्या करें. तहसील बना दिया. चूंकि गिरीश गौतम के प्रयास से, शिवराज चौहान जी के आदेश से तहसील बनी थी तो कुछ लोगों को वह पचा नहीं तो उन्होंने यह शुरु कर दिया कि साहब, तहसील तो बन गई अब कर्मचारी कहाँ हैं ? कर्मचारी भी बिठा दिये, कार्यालय खोल दिया, तमाम बातें पूर्ण हो गई तो कहने लगे कि बिल्डिंग कहाँ हैं. जब तीन-चार करोड़ रुपये लगाकर बिल्डिंग भी बनकर तैयार हो गई और कुछ नहीं बचा तो कहना शुरु कर दिया कि यह देखो गिरीश गौतम का कमाल बिल्डिंग का दरवाजा पूर्व की तरफ होना चाहिए था तो पश्चिम की तरफ कर दिया. यह अंध विरोध है. इससे बचने की आवश्यकता है. प्रदेश के भीतर हम सत्ता पक्ष और विपक्ष में हैं. मतभेदों की राजनीति करिये, मनभेद की राजनीति की कोई गुंजाइश नहीं हो. हम इस तरह का संकल्प लें कि प्रदेश को हम उन तमाम सारी चीजों से बाहर निकालकर ले जाएंगे. इसमें यदि हमारे मुख्यंमत्री जी यदि प्रयास कर रहे हैं तो स्वाभाविक तौर पर विरोध नहीं करेंगे तो शायद वोट का इंतजाम नहीं होगा, वह इंतजाम करिये. पर ऐसा भी विरोध ना हो जिससे हमको नुकसान होता हो. साथियों, मैं आपसे एक चौपाई के रूप में निवेदन करना चाहता हूं कि "नहीं अस कोई जनमा जग माही,प्रभुता पाई काहि मद नाहीं". लेकिन हमारे मुख्यमंत्री शिवराज जी ने तय किया है, उन्होंने साबित किया है, इन 11 सालों के भीतर उनके अंदर मुख्यमंत्री का भाव नहीं दिखाई पड़ा,उनके अंदर सहजता का भाव है, सरलता का भाव है, उन्होंने वह दिखाया है और इस चौपाई का लगभग-लगभग फेल करने का प्रयास किया है और इसी कारण से हमारे प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता का आशीर्वाद उनके साथ है और आप देखते हैं कि उनको कोई अपदस्थ नहीं कर पा रहा है. मैं कहना चाहता हूं कि यह जनता उनका कवच है.आपने कहा कि निराश्रित पेंशन150 का 300 हमने कर दिया लेकिन आप कहते हैं कि पेंशन नहीं मिलती. आप गांवों के भीतर जाकर देखिये तो पेंशन 300 रुपये मिलना शुरु हो गई है और मिल रही है. जनता शिवराज जी को आशीर्वाद दे रही है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि सिंचाई के भीतर हमने असत्य आंकड़े दिये मैं आपको अपने रीवा जिले में सभी साथियों आमंत्रित करना चाहता हूं. आप आईए हम आपको दिखाते हैं. जिस बाण सागर की हम कल्पना नहीं सकते थे,अभी उस दिन यादवेंद्र सिंह जी खड़े होकर आपत्ति कर रहे थे औऱ कह रहे थे कि सिंचाई कहाँ हो रही है, किसने इसकी घोषणा की, किसने इसको शुरु किया. शुरु जिसने भी किया होगा  किया होगा क्योंकि हम ठेका लेकर नहीं बैठे हैं इस संसार के भीतर कि हम रहेंगे तो संसार चलेगा हम नहीं रहेंगे तो नहीं चलेगा ऐसा कहने के लिए हम यहाँ नहीं खड़े हुए हैं. वह चलेगा पर उसको मूर्त रूप किसने दिया ,आज रीवा जिले के भीतर यदि हम 90 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई कर रहे हैं तो 2007  के भीतर हमारे शिवराज जी के प्रयास से बाण सागर को बांधकर के नहरों का जाल बिछाकर के हम 80 हजार हेक्टेयर की जमीन की सिंचाई कर रहे हैं.माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपको मालूम है कि चुरहट के ना जाने कितने गाँव, बड़खरा हो गया, मलदेवा हो गया, कौन-कौन से गाँव गिनाऊँ. हमारे नेता प्रतिपक्ष के गाँव और 125 पंचायतों के भीतर उस बाण सागर नहर का पानी जा रहा है और सिंचाई हो रही है और आप कहते हैं कि सब आंकड़े के भीतर हमने बाजीगरी कर दी. हमने ऐसा नहीं किया है. साथियों, मैं कहना चाहता हूं कि यह हमारे शिवराज जी के साथ सबका आशीर्वाद है और जब उनके साथ आशीर्वाद है तो एक मैं यहाँ कहना चाहता हूं. अब चूँकि मुकेश नायक जी ने शुरु किया था इसीलिए,उपाध्यक्ष महोदय, मेरी आदत में नहीं है इस तरह से चौपाई और शेरो-शायरी से बात करने की पर आज मेरा भी मन हो गया है. मैं कहना चाहता हूं कि

                                   खंजर छुपाए घूमते हैं जो उसकी मौत के इंतजार में,

                                   रूबरू होने पर तारीफ किया करते हैं, ये उसका काम है.

          श्री मुकेश नायक -- रूबरू होने पर भी वही कहता हूँ जो विधान सभा में कहता हूँ.

          श्री बाला बच्‍चन -- जो अभी सरकार में हैं इसके पहले सरकार वाले लोग ऐसा किया करते थे.

          श्री गिरीश गौतम -- बाला बच्‍चन जी, ऐसा नहीं है और ऐसा मत समझना कि मैं सरकार की तरफ से, सत्‍ता पक्ष की तरफ से खड़ा हुआ हूँ इसलिए इस तरह की बात कह रहा हूँ. मैं उस चौपाई का भी कायल हूँ-

          सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस ।

          राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास ।।

          इसलिए मैं यदि सत्‍ता पक्ष का विधायक होने के नाते बोल रहा हूँ तो मैं इस बात को भी कहना चाहता हूँ कि हम सबको मिलकर यह काम करने की आवश्‍यकता है. आज हम देखें कि सातवें वेतन आयोग को लागू कर दिया, यह आपको दिखाई नहीं पड़ता, तीर्थ दर्शन योजना का बजट बढ़ा दिया, यह आपको दिखाई नहीं पड़ता, कैलाश मानसरोवर के लिए 30 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये का प्रावधान कर दिया, यह आपको दिखाई नहीं पड़ता, ओंकारेश्‍वर में शंकराचार्य पीठ की स्‍थापना की घोषणा हमने कर दी, यह आपको दिखाई नहीं पड़ता, उद्योग क्षेत्र की स्‍थापना के लिए ज्‍यादा बजट दे दिया, यह आपको दिखाई नहीं पड़ता, वेट को 14 से 12 कर दिया, यह आपको दिखाई नहीं पड़ता, जेल प्रशासन में 297 करोड़ रुपये का प्रावधान कर दिया, यह आपको दिखाई नहीं पड़ता, पेंशन योजना में 150 से 300 रुपये का प्रावधान कर दिया, यह आपको दिखाई नहीं पड़ता.

          श्री के.पी. सिंह -- उपाध्‍यक्ष महोदय, गौतम जी, आपके अनुसार यह हुआ कि हम लोग भी यही सब देखें जो आप देख रहे हैं. आपका मंतव्‍य यही है ना कि जो आप देख रहे हैं वही हम देखें.

          चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी -- उपाध्‍यक्ष महोदय, जो सत्‍य है वह देखें.

          श्री के.पी. सिंह -- उपाध्‍यक्ष महोदय, जो मुकेश नायक जी ने बोला है वह भी सत्‍य है.

          श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- उपाध्‍यक्ष जी, हम सत्‍य ही देख रहे हैं और वे भी देखें.

          श्री के.पी. सिंह -- उपाध्‍यक्ष महोदय, सिक्‍के के दो पहलू हैं और दोनों पहलू देखने पड़ेंगे. आप हमारे पहलू देखकर बोलिए जरा, जो मुकेश नायक जी ने बोला, उसका जवाब दीजिए अब.

          श्री गिरीश गौतम -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय जी, मैं विनती करना चाहता हूँ, इसलिए मैंने कहा है रचनात्‍मक विरोध करें, अंधविरोध मत करिए. मतभेदों की राजनीति मत करिए.

          श्री के.पी. सिंह -- स्‍तुति के अलावा एकाध बात ऐसी भी तो आप करिए जो गलत है.

          श्री गिरीश गौतम -- मैंने इसलिए चौपाई सुनाई, आपने शायद सुनी नहीं.

          श्री के.पी. सिंह -- चौपाई नहीं सुननी, आप यह तो बता दो कि सरकार ने कहीं कुछ गलत किया है या नहीं ?

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- के.पी. सिंह जी, उनको बोलने दीजिए.

          चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, के.पी. सिंह जी ने दो दिन पहले बोला था कि अगर आप मुकेश नायक जी के हिसाब से बोलेंगे तो दोबारा लौटकर नहीं आएंगे. (..व्‍यवधान..)

          श्री के.पी. सिंह -- अगर आप रचनात्‍मक बात कर रहे हैं.. (..व्‍यवधान..) जो गलत है तो यह भी तो बता दो कि कौन सी बात गलत है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- गौतम जी जो बोल रहे हैं वह सुनो ना साहब, उसमें क्‍या है, सत्‍य तो स्‍वीकार करो.

          श्री के.पी. सिंह -- कहीं कुछ गलत हो रहा है कि नहीं, यह भी तो बता दो.

          चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आदरणीय के.पी. सिंह जी ने दो दिन पहले यह बात कही थी कि अगर मुकेश नायक जी के हिसाब से बोलेंगे तो दोबारा लौटके नहीं आएंगे. यह बात स्‍वयं के.पी. सिंह जी ने कही थी. यह बात रिकॉर्ड में है.

          श्री के.पी. सिंह -- यह हमारी आपस की बात है, आपको इससे क्‍या लेना-देना ?

            चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी -- सदन में कोई आपस की बात नहीं होती, सदन में जो बात होगी वह सार्वजनिक होगी.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइये, आपस में चर्चा नहीं करें. गिरीश जी, आप जारी रखें.

          श्री गिरीश गौतम -- माननीय उपाध्‍यक्ष जी, मैं मुकेश जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूँ. अब ऐसा मत कहना कि मैं कोई वर्गीकरण कर रहा हूँ. आपने कम से कम विधवाओं को पेंशन वाले सत्‍य को स्‍वीकार किया, मैं जब यह कहता हूँ कि बजट ऐतिहासिक है, वास्‍तव में उन लाखों विधवाओं की आप कल्‍पना नहीं कर सकते, हम नहीं कर सकते, जबकि हम सब गाव के भीतर जाते हैं, जो यहा विधायक चुनकर आते हैं गाव में जाते हैं, अपने क्षेत्र में जाते हैं, हमारे सामने जब 15 साल की, 20 साल की विधवाएं हाथ जोड़कर खड़ी हो जाती हैं कि साहब हम 20 साल से विधवा हैं, हमारा नाम गरीबी रेखा में नहीं है तो हमें पेंशन नहीं मिल रही है और यदि इस बजट में यह व्‍यवस्‍था कर दी गई कि सेवारत और पेंशन पाने वालों को छोड़कर सभी विधवाओं को पेंशन दी जाएगी. इसकी तारीफ आपने की मैं आपका धन्‍यवाद करना चाहता हूँ. मैं के.पी. सिंह जी ने निवेदन करना चाहता हूँ कि इसको देखने की आवश्‍यकता है. यह हमको देखना चाहिए, पर हमको यह दिखाई नहीं पड़ता.

          माननीय उपाध्‍यक्ष जी, मैं एक किस्‍सा सुनाना चाहता हूँ. किस्‍सा सब जानते हैं मैं केवल सुनाना चाहता हूँ. यह किस्‍सा अकबर-बीरबल का है, अकबर की पत्‍नी बार-बार यह कहती थी कि बीरबल को मंत्री पद से हटा दो और उसके भाई को बना दो. अकबर बार-बार यह कहता कि वह बुद्धिमान नहीं है उसे कैसे मंत्री बना दें. पत्‍नी ने कहा कि उसकी परीक्षा ले लो, राजा ने कहा कि ठीक है परीक्षा ले लेते हैं. बीरबल को बुलाया गया, बीरबल से पूछा तो उसने कहा कि साहब जिसको आख है वह भी अंधा होता है तो अकबर ने कहा कि यह तुम कैसे कह रहे हो, तो उसने कहा कि हम इसको साबित करेंगे, राजा ने कहा कि क्‍या तुम मुझे भी कह रहे हो तो उसने कहा कि हा, हम आपको भी कह रहे हैं. राजा ने कहा कि साबित करो, अब बीरबल अपने घर में चले गए, तो जो हमारे यहाचारपाई होती है, जिसको गांव में बांस लेकर के बीनते हैं. बीरबल जी उसको लेकर उल्‍टा-सीधा बीनने लगे, अकबर ने 2-3 दिन बाद पूछा की बीरबल नहीं आ रहे हैं, क्‍या कर रहे हैं तो उनको बताया कि वह तो गांव में खटिया बीन रहे हैं, तो उन्‍होंने कहा कि हमको भी लेकर चलो और जब अकबर वहां पहुंचे, उनके सामने खड़े हुए और पूछा की बीरबल यह क्‍या कर रहे हो तो उन्‍होंने बोला कि क्‍या तुम अंधे हो, तुमको दिखाई नहीं पड़ता कि मैं खटिया बीन रहा हूं. इसी प्रकार हमको बनी हुई सड़कें नहीं दिखाई पड़ती हैं.

          श्री के.पी.सिंह :- गौतम जी, हमको सब दिखाई पड़ता है, आपको कुछ दिखाई पड़ता है या नहीं. आप एकाध कमी तो बता दो कि सब बढि़या है. आप अपनी सीट से एकाध कमी बताओगे तो हम मानेंगे कि आप रचनात्‍मक बात कर रहे हैं.

          श्री गिरीश गौतम :- माननीय के.पी.सिंह जी, हमारी बात का, आपकी बात का सत्‍यता का निराकरण जनता पांच साल के भीतर करती है, जब हम चुनाव के मैदान में जाते हैं. उस समय जनता फैसला करके यह बताती है कि कौन सत्‍य है, कौन असत्‍य है और बार-बार यह घटना घटने के बाद भी, यदि आप इस तरह की सोच नहीं रखने वाले हैं तो आप विश्‍वास रखिये कि 2018 के बाद भी आप वहीं बैठे रहोगे और फिर आप यह कहोगे कि हम आपका कैसे साथ दें तो आपको कई मामलों में साथ तो देना पड़ेगा. क्‍योंकि जनता बहुत समझदार है, यह मैं आपको बताना चाहता हूं.

          श्री के.पी.सिंह :- आपका साथ देंगे तो उधर आ जायेंगे, इसका मतलब यही हुआ.

          श्री गिरीश गौतम :- उप चुनाव के परिणाम ने तो साबित कर दिया.     

          श्री के.पी.सिंह :- हम भी चुनकर ही आये हैं, ऐसे नहीं आये हैं.

          श्री गिरीश गौतम:- इसलिये मैंने पहले ही चौपाई बतायी थी, मुकेश जी. शायद आपने उनको उसका अर्थ नहीं समझाया है. बंदऊं संत असज्‍जन जरना जी की चौपाई शायद आपने उनको नहीं समझायी. यदि समझायी होती तो हमको इतना समय नहीं लगता.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहता हूं इसलिये मैं इसके समर्थन में खड़ा हुआ हूं कि हमारे प्रदेश के लिये इस बार का यह बजट वाकई में एतिहासिक बजट है और इसीलिये मैंने यह क‍हा  कि इस कारण से नहीं, मैं एक बात और हमारी सरकार से, वित्‍त मंत्री जी और मुख्‍यमंत्री जी से बोलना चाहता हूं कि एक चौपाई को हमेशा याद रखना -

                        तुलसी संत सुयंबतरू, पर कारज के हेत,

                        उतते वह पाहन हरत हैं, उतते यह फल देत.

          और जब यह फल चलेगा तो उसका उपयोग आप भी करेंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- क्‍यों गिरीश जी, तुलसी बाबा आज आपकी आत्‍मा में प्रवेश कर गये हैं

          श्री गिरीश गौतम :- नहीं उपाध्‍यक्ष महोदय, यह आपकी कृपा है. तुलसीदास जी ने प्रवेश नहीं किया, क्‍योंकि मुकेश नायक जी ने शुरू किया था, मैं कोई ज्ञानी नहीं हूं, वह तो प्रवचन करते हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- चित्रकूट वहां से नजदीक है.

          श्री गिरीश गौतम :- उपाध्‍यक्ष महोदय, नायक जी तो प्रवचन करते थे.

          श्री रामपाल सिंह:- प्रवचन तो नायक जी करते थे, इनके पास यह पूरी चौपाई कहां से आ गयी. प्रवचनकर्ता सामने बैठें हैं, यह समझ में नहीं आ रहा है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- सदन सबका प्रतिनिधित्‍व करता है.

          श्री सोहन लाल बा‍ल्‍मीक:- उपाध्‍यक्ष महोदय, इन पर मुकेश नायक जी का प्रभाव पड़ गया है.

          श्री गिरीश गौतम :- उपाध्‍यक्ष महोदय, अच्‍छी बातों का प्रभाव तो पड़ना चाहिये, यह अच्‍छी बात है. हम कहां कह रहे हैं कि अच्‍छी बातों के लिये प्रभाव नहीं पड़ेगा, प्रभाव पड़ेगा, पड़ना चाहिये. यह अच्‍छी बात है, हमको सीखना चाहिये और शायद हमने आप सब लोंगो से सीखा है, यह सीख का मतलब यह नहीं है कि उसका हम कोई दुरूपयोग करें. इसलिये मैंने पहले ही निवेदन किया है कि हम सब को मिलकर मतभेद की राजनीति से बाहर निकलना पड़ेगा, कुछ चीजें जो अच्‍छी है उनको हमको स्‍वीकार करना पड़ेगा. वह यह कि जब फल गिरेगा तो सबको प्राप्‍त होगा. यदि हमारी सड़क बनती है तो वह रीवा से हनुमना जाती है तो उसमें न केवल हमारा क्षेत्र आता,बल्कि हमारे कांग्रेस के दो-दो विधायकों सुन्‍दरलाल जी का और सुखेन्‍द्र सिंह बन्‍ना जी का क्षेत्र भी आता है. उस दिन हमारे गोविन्‍द सिंह जी का एक संकल्‍प केंसर के सवाल को लेकर आया था. इसलिये मैं कहना चाहता हूं कि अस्‍पताल को लेकर हमारी मध्‍यप्रदेश की सरकार ने जो काम किया है वह वाकई में वह एतिहासिक काम है. शायद वह हमारे मित्र नहीं हैं, मैं केंसर के मरीजों का नाम में ठूंढकर के लाया हूं, मैं उनके नाम आपको बताना चाहता हूं, जब मैंने उनको कहा कि केवल पांच हजार के रिजेक्‍शन का कागज मिलता है.मेरे पास वह कागज है, दो लोगों का नाम है वह उनके क्षेत्र के हैं, वह हमारे क्षेत्र के नहीं हैं.यह हैं श्रीमती सरिता गुप्‍ता,शंशाक गुप्‍ता कुंदनपुरवा,मऊगंज केंसर के मरीज के पचास हजार एस्टिमेट पचहत्‍तर हजार का था मिला पचास हजार रूपये और दूसरे हैं प्रेम सागर गुप्‍ता, विश्‍वनाथ जायसवाल, ग्राम कुंदनपुरवा, मऊगंज, मेट्रो अस्‍पताल, केंसर रिसर्च सेंटर के लिये एक लाख रूपये. यह तो दो मैं ठूंढकर दो लोंगो के नाम लाया हूं. मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि इसमें तो कम से कम तारीफ होना चाहिये. हमें इस बात का ध्‍यान रखना चाहिये कि यह काम भी अच्‍छें हो रहे हैं. कम से कम हमको इन कामों की तारीफ तो करनी चाहिये. इसलिये साथियों, मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि और भी बहुत सारी बातें बहुत सारे साथी बोलेंगे, मैं तो केवल इतना ही कहना चाहता हूं. अभी दीन दयाल रसोई योजना में गांव और शहर के भीतर कलेक्‍ट्रेट आयेगा, तहसील आयेगा, अस्‍पताल आयेगा. अस्‍पताल में पहले से भी व्‍यवस्‍था चल रही है, उसमें अगर कहीं कोई गड़बड़ी हो रही है, तो हम सबकी जिम्‍मेदारी बनती है कि हम सब मिलकर उसको ठीक करने का काम करें. अगर कहीं कोई गड़बड़ है तो उसको ठीक करने का काम करें. 

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जैसे कई बार लोग ऐसा कहते हैं कि साहब विधायक और सांसद को गाली देते हैं, तो मैं कई बार उन लोगों से कहता हूं कि हमारे साथ चलो और हम भी अस्‍पताल में जाते हैं. यदि अस्‍पताल में कोई मरीज मर गया तो क्‍या अस्‍पताल हम बंद कर देंगे ? ट्रेन में एक्‍सीडेंट हो जाता है] लोग मर जाते हैं, तो क्‍या हम ट्रेन बंद कर देंगे ? हमारा सबका काम यह है कि उस ट्रेन की व्‍यवस्‍था को ठीक करें कि एक्‍सीडेंट नहीं हो. अस्‍पताल के भीतर यदि मरीज मरता है तो हमें अस्‍पताल की व्‍यवस्‍था को ठीक करने की आवश्‍यकता है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, हम इस बात के लिये विधानसभा के भीतर आते हैं कि प्रदेश की जनता को मिलने वाले कोई लोक कल्‍याण के काम में, हमारे इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के काम में, हमारे विकास के काम में, कहीं कोई गड़बड़ी हो रही हो तो उसे ठीक करने का काम हमको करना चाहिए. इसलिए मैं निवेदन यहीं करना चाहता हूं कि हमें मतभेदों की राजनीति से बाहर निकलना चाहिए. मतभेद हमारे हो सकते हैं, हम पक्ष विपक्ष में हैं, लोकतंत्र का तकाजा है कि दोनों को रहना पड़ेगा.

          कुंवर विक्रम सिंह   - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इसलिए तो प्रश्‍नकाल में 66 प्रश्‍नों का जवाब एकत्रित किया जा रहा है, क्‍या ऐसे होता है  ?

            उपाध्‍यक्ष महोदय - वह समाप्‍त कर रहे हैं, इसलिए आप बैठ जाईये.

          श्री गिरीश गौतम - सबका जवाब नहीं आयेगा. यदि कोई जवाब नहीं आता है तो उसके लिये हमारे पास तरीके हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - आप उनके प्रश्‍न का जवाब न दें, आप समाप्‍त करें.

          श्री गिरीश गौतम - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इसलिए मैं निवेदन यही करना चाहता हूं कि आईये हम सब मिलकर और कम से कम एक बार, इस बार ही विधानसभा के भीतर इतिहास की रचना कर दीजिये. हम पक्ष और विपक्ष के लोग दोनों मिलकर के इसमें कोई वोटिंग का सवाल नहीं है, एक साथ मिलकर के ताली बजाकर हमारे वित्‍तमंत्री द्वारा प्रस्‍तुत इस बजट को पास करने का काम करें.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझको बोलने का मौका दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्‍यवाद. हमारे श्री मुकेश जी की उस चौपाई को लोगों ने अंगीकार करके ज्‍यादा विरोध नहीं किया इसलिए उन सब लोगों को भी धन्‍यवाद करना चाहता हूं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - मैं सभी माननीय सदस्‍यों से अनुरोध कर रहा हूं कि  आज बोलने वालों की संख्‍या बहुत है इसलिए आज बजट पर चर्चा 05.30 बजे तक समाप्‍त करनी है. 12 लोगों के नाम पक्ष से और 10 लोगों के नाम विपक्ष से हैं. बहुत सारी चीजें चर्चा में आ गई हैं, इसलिए जो अब आगे माननीय सदस्‍य बोलने वाले हैं, उन सबसे मेरा अनुरोध है कि वे पुनरावृत्ति न करें और संक्षेप में अपनी बात करें चूंकि आज हमें शाम तक समाप्‍त करना है. डॉ. गोविंद सिंह जी आप बोलें.

          डॉ. गोविंद सिंह (लहार) - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, नाम तो हैं लेकिन उपस्थिति कम है, इसलिए मैं आपसे प्रार्थना करूंगा कि बात कहने के लिये उचित समय मिले.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - डॉ. गोविंद सिंह जी 05.30 तक समाप्‍त करना है.

          डॉ. गोविंद सिंह - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, अगर लंच है तो एकाध घंटे 05.30 बजे के बाद भी सदन का समय बढ़ा सकते हैं. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय हमारे साथी मित्र कामरेड श्री गिरीश गौतम जी ने बड़े विस्‍तार चर्चा की है. अभी तक वह कामरेड थे.

          श्री गिरीश गौतम - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, कामरेड का अर्थ कम्‍युनिस्‍ट होना नहीं होता है, अग्रेंजी की डिक्‍शनरी उठाकर देखेंगे तो आपको पता चलेगा. कम से कम उसको आप स्‍वीकार कर लें.

          डॉ. गोविंद सिंह - स्‍वीकार कर लिया. आप बैठ जाईये कामरेड मतलब साथी होता है. लेकिन कामरेड कौन लिखते हैं यह सबको पता है और आपका पूरी तरह से पांच ओ.टी.सी. करने के बाद भगवाकरण हो गया है, यह आज सिद्ध हो गया है.

          श्री गिरीश गौतम - भगवाकरण हो गया है तो कोई गलत थोड़ी ही कर दिया है कोई पाप थोड़ी ही कर दिया है, यह तो मैंने पुण्‍य का काम कर दिया है.

          डॉ. गोविंद सिंह - हां तो आपका हृदय परिवर्तन हो गया है, जिसके लिये हम आपको बधाई देते हैं.  

          श्री सुदर्शन गुप्‍ता   - हमको भगवाकरण पर गर्व है.

          डॉ. गोविंद सिंह - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं इतना कहना चाहता हूं कि श्री गिरीश गौतम जी ने बड़ा गिनाया है कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने तमाम यात्रा की तीर्थ यात्रा करना, ओंकारेश्‍वर को स्‍थापित करना, शंकर जी की हिमांचल यात्रा करना, मानसरोवर यात्रा करना, नर्मदा यात्रा करना, कुंभ यात्रा, वैचारिक मेला, श्री शंकराचार्य, श्री बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर, सब महात्‍माओं के यहां कार्यक्रम कराना. मैं यह जानना चाहता हूं कि जो राजनीति में काम करने वाले हैं, उनका पहला कर्तव्‍य और धर्म जनकल्‍याण बनता है. हमारा काम और सरकार का काम केवल धार्मिक कार्यों तक सीमित नहीं है. हर आदमी अपने-अपने धर्म को अपनाता है लेकिन सरकार का काम केवल एकमात्र यह नहीं है कि धार्मिक भावना फैलाकर साम्‍प्रदायिकता फैलाने का काम करे. यह काम जो आपकी सरकार कर रही है उसकी मैं निंदा करता हूं.  .....(व्‍यवधान)...

          श्री सुदर्शन गुप्‍ता - दंगे भड़काने का काम तो कांग्रेस के शासन में होता था, और श्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई दंगे नहीं हुए हैं. आपकी सरकार में दंगे होते थे.

          डॉ. गोविंद सिंह - दंगा तो हमारे यहां गौरमी में हुआ था, 32 आदमियों को बिल्‍कुल आग लगा दी. आपकी सरकार के गृहमंत्री का जवाब है उनको एक पैसा नहीं दिया गया है.

          चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी (मेहगांव) - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, गौरमी में दंगे नहीं हुए हैं, यह गलत बयान हो रहे हैं. ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि दंगे हुए हैं. वह एक हत्‍या का मामला था. यह मेरी विधानसभा क्षेत्र का मामला है.

उपाध्यक्ष महोदय - आपसे स्पष्टीकरण नहीं मांगा जा रहा है, आप बैठ जाएं. आपकी बात आ गई है. गोविन्द सिंह जी आप बजट पर बोलें.

डॉ. गोविन्द सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, विदिशा, दीवानगंज की  तमाम घटनाएं हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी  और माननीय वित्तमंत्री ने बजट भाषण के अंतिम पैरा में कहा है कि माननीय मुख्यमंत्री जी का प्रयास है कि हम बीमारू राज्य से ऊपर निकल रहे हैं, उससे बाहर आ रहे हैं. लगातार आप पिछले 5 वर्ष से यह प्रचार कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश को हमने बीमारू राज्य से अलग निकाला है. फिर प्रधानमंत्री आए तो वह आपको प्रमाण पत्र भी दे गये कि पहले मध्यप्रदेश बीमारू राज्य था, वह अब नहीं रहा. अब विकसित राज्य हो गया है, फिर आपने इसमें यह उल्लेख क्यों किया है? आपकी कथनी और करनी का इसमें स्पष्ट अंतर दिखता है. जहां तक बजट का सवाल है. आपने वर्ष 2016-17 में जो बजट पेश किया था, वह 1 लाख 79 करोड़ रुपए का था, उसे आपने घटाकर इस वर्ष 10000 करोड़ रुपए कम का कर दिया है. अगर आप विकसित हैं, विकास कर रहे हैं तो बजट कम कैसे हुआ? जो राष्ट्रीय औसत आय है, वह प्रति व्यक्ति 112000 रुपए है, जबकि प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 72599 रुपए है. लगभग 40000 रुपए प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय कम है, फिर आप कैसे विकसित राज्य में आ सकते हैं? आपने क्या किया? आप लगातार घाटे का बजट पेश करते जा रहे हैं. इस वर्ष  10000 करोड़ रुपए का बजट कम हुआ है और घाटा भी आपका 1000 करोड़ रुपए से अधिक का हो गया है. फसल बीमा की राशि जो आपने पिछले वर्ष 2700 करोड़ रुपए रखी थी, इस बार आपने किसानों के हित में काम न करके उसको 700 करोड़ रुपए कम कर दी है. किसानों के लिए बजट में आपने ऐसा कोई काम नहीं किया है, जिसमें किसानों को लाभ मिल सके. आपने लगातार 35 योजनाओं का बजट इस साल कम किया है. आप तरक्की कर रहे हैं, आगे बढ़ रहे हैं तो फिर योजनाओं में बजट कम कैसे हो रहा है?

1.22 बजे              {सभापति महोदय (श्री के.पी.सिंह) पाठासीन हुए.}

सभापति महोदय, पिछले वर्ष से आपका राजस्व विभाग में बजट कम है, वाणिज्यिक विभाग में बजट कम है, ऊर्जा विभाग में कम है. कृषि में वर्ष 2016-17 में बजट आपने 4797 करोड़ रुपए रखा था. इस बार आपने 2000 करोड़ रुपए से अधिक बजट कम कर दिया है. इसी प्रकार सहकारिता विभाग में बजट कम किया. योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी, जनसंपर्क, खाद्य, संस्कृति, ग्रामोद्योग विभाग में बजट घटाया है. जब आप प्रगति कर रहे हैं, आप लगातार आगे बढ़ रहे हैं, फिर आपका बजट घाटे में क्यों जा रहा है? वर्ष 2017-18 में जो आय-व्ययक पत्रक प्रस्तुत किया है. पिछले वर्ष की तुलना में कृषि की संबंधित योजनाओं पर खर्च 8 प्रतिशत की तुलना में उसको 7 प्रतिशत किया है. इसको आपने 1 प्रतिशत घटाया है.

संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- आप उधर को देखकर क्यों नहीं बोलते हैं, जब से सभापति महोदय बैठे हैं, आप इधर देखकर क्यों बोलते हो? उनकी तरफ आप देखो.

डॉ. गोविन्द सिंह - आपकी खूबसूरत शक्ल देखकर अच्छा बोलते हैं. (हंसी)..

डॉ. नरोत्तम मिश्र - सभापति जी का चेहरा सुदर्शन है आप देखो.

सभापति महोदय - ऐसा है हमारा चेहरा और उनका चेहरा एक जैसा है..

डॉ. नरोत्तम मिश्र - चांद एक जैसी है. (हंसी)..

सभापति महोदय - ..इसलिए चार्मिंग चेहरा जो ऐश्वर्या राय का है वह देखना पड़ता है.

श्री ओमप्रकाश धुर्वे - माननीय सभापति महोदय, रिफलेक्ट हो जाता है.

          डॉ. गोविन्द सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि आपने लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में केवल 5 प्रतिशत बजट रखा है. ब्याज एवं ऋण में 8 प्रतिशत बजट देंगे. ब्याज लगातार आपका बढ़ता चला जा रहा है. वर्ष 2002-03 से आप तुलना करते हैं तो कर्जा उस समय 26000 करोड़ रुपए का था. आज आपने 1 लाख 70 हजार रुपए से अधिक का कर्जा कर दिया है. 8 प्रतिशत राशि आप ब्याज और किश्तों में ही चुकाएंगे. आपका खजाना खाली है. आप घोषणा पर घोषणा करते जा रहे हैं. जहां मुख्यमंत्री जी जाते हैं घोषणाएं, आश्वासन देते हैं लेकिन उसकी पूर्ति नहीं करते हैं. अभी श्री गिरीश गौतम जी कह रहे थे, वह चले गये हैं कि हमारे मुख्यमंत्री सड़कों का जाल फैला रहे हैं. क्या जाल फैला रहे हैं? मुख्यमंत्री जी ने अभी बजट में 220 सड़कें दी हैं.

                   220 सड़कों में से करीब 60 के आसपास सड़कें केवल सीहोर में आपके जो लोक निर्माण मंत्री हैं उनके यहां पर दे दीं. जहां पर चुनाव हो रहे हैं वहां पर सड़कें दे रहे हैं बाकी प्रदेश खाली है. आपकी सरकार के माननीय मुख्यमंत्री जी का हृदय इतना विशाल है कि 40-50 प्रतिशत बजट सीहोर, रायसेन एवं विदिशा में खर्च कर रहे हैं. क्या मुख्यमंत्री जी को दो तीन जिलों से शौक है तो क्यों जिला अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे हैं. क्यों इतने बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.

          सभापति महोदय, मध्यप्रदेश का खजाना खाली है, खजाने में कौड़ी है नहीं, फिर भी आनन्द विभाग खोल दिया. आप परमानन्द प्राप्त कर रहे हैं आपका खजाना खाली है. घर में नहीं हैं दाने, अम्मा चली भुनाने.यह किस्सा आप कर रहे हैं. रिजर्व बैंक ने भी आपको कर्ज के मामले में चेतावनी दे दी है. अब आप कर्जा मत लें आप अपनी सीमा तक रहें. आपने 2626 करोड़ रूपये बजट आने के पहले कर्जा ले लिया.

          श्री रामपाल सिंह--सभापति जी भोले नाथ जी का खजाना हमेशा भरा रहता है.

          डॉ.गोविन्द सिंह--सभापति जी फिर बजट में 8 प्रतिशत ब्याज दर क्यों दे रहे हैं ?आप फिजूलखर्ची लगातार बढ़ा रहे हैं. भवन पर भवन बना रहे हैं मध्यप्रदेश भवन कितना खूबसूरत था पिछले 2 साल पहले उसमें 70-80 करोड़ रूपये खर्च कर दिये. अब आप उसको दोबारा तोड़कर के बनायेंगे. एमी.पी.आर.डी.सी का भवन एयर कंडीशन आपने अपनी संस्थाओं के विश्व हिन्दू परिषद्,वनवासी परिषद्, जंगल परिषद् इन सबके तो एयर कंडीशन भवन बना दिये हैं.

          यशपाल सिंह सिसौदिया--गोविन्द सिंह जी को तो पता ही नहीं है कि संगठन नाम की कोई चीज है, फिर भी बोले जा रहे हैं.

          श्री शंकरलाल तिवारी--सभापति जी गोविन्द सिंह जी को तकलीफ यह है कि प्रदेश में जनता के हित में भवन पर भवन बन रहे हैं इनके कांग्रेस कार्यालय में पुताई तक नहीं हो रही थी. 15 साल से आपके कांग्रेस कार्यालय की पुताई नहीं हुई है, करवा दीजिये.

          सभापति महोदय--डॉ. साहब आपका अनावश्यक समय खराब करेंगे. आप तो विषय पर आईये.

          डॉ.गोविन्द सिंह--सभापति जी एमपीआरडीसी, पीएचई एयर कंडीशन, बना दिये हैं.

          श्री शंकरलाल तिवारी--सभापति महोदय यह इस सदन के तथा हम सबके लाड़ले विलन हैं.(हंसी)

          डॉ.गोविन्द सिंह--सभापति महोदय, सरकार ने 2014-15 का आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया इसमें आपने स्वयं स्वीकार किया है कि गेहूं, चावल, सरसों, सोयाबीन पैदावार में बहुत कमी आयी है आप किस प्रकार से कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त कर रहे हैं, पूरे मध्यप्रदेश के फर्जी आंकड़े देकर.

          श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--माननीय गोविन्द जी आप माननीय मंत्री जी को धन्यवाद तो दें जिस रोड़ के पीछे आप परेशान थे वेटमो रोड़ जिस पर टू लाईन बन रही है. आपने ऐसा सोचा भी नहीं था आपने इसकी पिछले दफे कई बार मांग भी की थी.

          श्री रामपाल सिंह--आप मंत्री जी थे तब भी आप नहीं बनवा पाये थे.

          श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--2 करोड़ रूपये की लागत से रोड़ बन रही है.

          डॉ.गोविन्द सिंह--अब आपकी कलई खोल दें.

          सभापति महोदय--डॉ.साहिब आप अपनी बात समाप्त करें. आपका समय खराब कर रहे हैं.

          डॉ.गोविन्द सिंह--सभापति महोदय, इसी प्रकार 2015-16 की तुलना में खनिज विभाग में भी कमी आयी है. हीरा, आयरन, बाक्साईट, मैगनीज, फास्फेट के उत्पादन में भी कमी आयी है. मध्यप्रदेश में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है. आपके मध्यप्रदेश के रोजगार कार्यालय में 15 लाख 60 हजार का पंजीयन था उसमें से प्रति वर्ष उसमें से प्रतिवर्ष करीबन 70 प्रतिशत शिक्षित बेरोजगार थे. पिछले एक वर्ष में 70 की जगह पर 86 प्रतिशत हो गये हैं उसमें 16 प्रतिशत बेरोजगार बढ़े आज समाचार-पत्रों में छपवा रहे हैं कि बेरोजगारी बहुत घटी है. आपकी कथनी और करनी में अंतर है. आपके आंकड़े क्या कह रहे हैं और सर्वेक्षण में क्या होते हैं आपके मध्यप्रदेश की जनता आपके कारनामों को समझ रही है. सभापति महोदय, प्रदेश के 51 रोजगार कार्यालय हैं. वेतन-भत्तों पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहा है. लेकिन पूरे एक साल में रोजगार कार्यालयों ने 134 लोगों को रोजगार दिया. पहले व्यापम बनाया. अरबों रुपये की फीस बेरोजगारों से वसूल की. अब पीईबी बना दिया.

1.30 बजे                                  अध्यक्षीय घोषणा

                                      सदन के समय में वृद्धि का प्रस्ताव

         

          सभापति महोदय-- माननीय सदस्य का भाषण पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.

                                                                  

                                                                   (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)

 

1.31 बजे                 वर्ष 2017-2018 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा(क्रमशः)

         

          डॉ गोविन्द सिंह--सभापति महोदय, जब आप पीईबी के माध्यम से सब भर्तियां कर रहे हैं तो रोजगार कार्यालयों को बंद कर देना चाहिए.

          सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए पिछले वर्ष बजट में 2700 करोड़ रुपये रखा था. इस वर्ष आपने घटाकर 2000 करोड़ रुपये कर दिया. सड़कों का कैसे विकास हो सकेगा? आपका इन्फ्रास्ट्रक्चर कैसे बढ़ेगा? पिछले वर्ष राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में आपने घोषणा की थी. इस वर्ष भी राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में उल्लेख है कि 2000 किलोमीटर मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़कों का डामरीकरण करेंगे लेकिन मध्यप्रदेश में पिछले वर्ष में एक किमी में डामरीकरण प्रारंभ नहीं हुआ. अभी प्रपोज़ल ही बन रहे हैं.

          सभापति महोदय, पूरे प्रदेश में गैस पर सबसे ज्यादा टैक्स आप वसूल कर रहे हैं. इसी प्रकार पेट्रोल पर 31% और 4 % अतिरिक्त टैक्स लगाया. डीज़ल पर 27% और डेढ़ रुपये अतिरिक्त टैक्स लगाया. उत्तरप्रदेश का झांसी मध्यप्रदेश से लगा हुआ है. हमारे क्षेत्र के जो उत्तरप्रदेश से लगे हुए जिले हैं वहां 7 रुपये 11 पैसे डीज़ल कम दर पर मिल रहा है. अधिकांश लोग वहां से डीज़ल भरवा कर रहे हैं इससे मध्यप्रदेश के राजस्व की हानि हो रही है.

          सभापति महोदय, आपने खेती को लाभ का धन्धा बनाने की बात कही. तीन माह पहले सरसों 5 हजार रुपये क्विंटल बिक रही थी. आज अभी फसल आयी नहीं लेकिन इस साल सरसों और गेहूं की बम्फर फसल आने की उम्मीद है.  पिछले 2025 वर्षों में ऐसी सरसों की बम्फर फसल नहीं हुई थी जो इस साल होने की उम्मीद है. सरसों का भाव अभी 3100 रुपये क्विंटल पर आ गया है. जब सरसों बाजार में पूरी तौर पर आ जायेगी तो और भाव कम होंगे. आपने सरसों की खरीदी को अभी तक कोई योजना नहीं बनायी. सरसों को समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए काम करें.

          सभापति महोदय, गौतम जी ने कहा था और नायक जी ने आपको धन्यवाद दिया था. मैं भी आपको विधवा पेंशन की वृद्धि के लिए धन्यवाद दे रहा हूं.

          सभापति महोदय, आप उत्पादन किस में बढ़ा रहे हैं. सन् 2003 में मांस का उत्पादन 9000 मीट्रिक टन था वह बढ़कर आज 70 हजार मीट्रिक टन हो गया है.

          सभापति महोदय, आपने कहा था मंडियों में 5 रुपये खाना खिलाएंगे लेकिन उस घोषणा का क्या हुआ? कौन सी मंडी में आप 5 रुपये में थाली दे रहे हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- मंदसौर, दलौदा,नीमच,मनासा...(व्यवधान)

          डॉ गोविन्द सिंह-- जहां अफीम की खेती हो रही है वहां दे रहे हैं. (व्यवधान) अफीम के पैसे से दे रहे हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- आप हमारे यहां किसान बन कर फसल लेकर आओ ना. (व्यवधान)

          उपाध्यक्ष महोदय--कृपया बैठ जाएं. जब आपका अवसर तब कहना.

          डॉ गोविन्द सिंह-- सभापति महोदय, आपने दीनदयाल योजना में गरीबों के लिए 10 करोड़ रुपये रखा है. किसको देंगे, कहां देंगे कोई स्पष्ट नहीं है. पूरा 10 करोड़ रुपये का बजट निजी संस्थाओं को देने का काम है. जो संस्थाएं आपकी पार्टी से संबंधित है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक को देकर 10 करोड़ रुपये लूटने की योजना है. गरीबों को कुछ नहीं मिलने वाला है. यह बजट पूरी तरह से गुमराह करने वाला है. जन विरोधी है. साम्प्रदायिकता फैलाने की योजना है. इसलिए हम इसका विरोध करते हैं.

          सभापति महोदय-- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्थगित.

 

 

                                      (1.34 बजे से 3.00 बजे तक अन्तराल)

 

 

3.10 बजे                     { उपाध्यक्ष महोदय( डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}

 

            डॉ.मोहन यादव--(उज्जैन दक्षिण)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्त मंत्री जी के बजट के अनुमोदन में अपनी बात रखना चाहूंगा. जिस प्रकार से वित्तमंत्री जी ने बजट की अपनी भूमिका बनायी है, जिस प्रकार से बजट को प्रदर्शित किया है मैं समझता हूं कि सरकार के सभी अंगों को छूने का प्रयास किया है जिस प्रकार से उन्होंने नये नये आयाम और प्रयोग किये हैं वाकई अद्भुत हैं. मैं धार्मिक शहर उज्जैन से आता हूं. मुझे इस बात को कहते हुए गर्व है कि हमारी भारत की  7 पवित्र नगरियों में से उज्जैन और न केवल उज्जैन बल्कि राष्ट्रीयता की भावना को लेकर पहली बार तीर्थ-दर्शन योजना में गंगा सागर, कामख्या देवी, गिरनार, पटना साहिब, इन नगरों की जो विशेषता है, यह पूरे देश की एकता एवं अंखडता के लिये बहुत उपयोग सिद्ध होने वाला है. हम खास करके कामख्या देवी की बात करें या पूर्वाचल का सात प्रांतों का एक छोटा सा हिस्सा दुर्भाग्य से यह बरसों से उपेक्षित रहा तो कई बार उनको लगता है कि वह भारत में है या भारत के बाहर है. शारीरिक रचना भी उनकी ऐसी है कि कई बार हमसे भी गलती से निकल जाता है  अरूणाचल के लोगों से कह देते हैं कि यह चीनी लोग हैं क्या ? कई बार उनके बारे में टिप्पणी होती है तो उनको दर्द होता है. मुझे खुशी इस बात की है कि तीर्थ दर्शन योजना के माध्यम से अपने प्रदेश के लोगों को भी देश के उस हिस्से से ले जाकर के जो एकरूपता के साथ जोड़ने का राष्ट्रीय एकता का जो बड़ा काम करने वाले हैं इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री वित्तमंत्री जी बधाई के पात्र हैं. एक टूर होता है लगभग एक महीने का, 20 साल पहले मैं असम के उन हिस्सों में गया था सच मानिये वह क्षेत्र जिसमें ऐसा लगता है कि इस क्षेत्र को सबसे पहले देखें. भोगौलिक दृष्टि से सबसे सुन्दर,सब कुछ अनुकूलता है.  पूर्ववर्ती सरकारों ने उसकी तरफ जो नजरअंदाजी की, उसका दुष्परिणाम यह है कि हमारे अपने हिस्से से कटा हुआ दिखता है. हम सब कह सकते हैं कि सारे तीर्थ बार-बार गंगा सागर एक बार. गंगा सागर तीर्थ, पटना साहिब तीर्थ जिस प्रकार से जोड़े हैं वाकई काबिले तारीफ हैं इतना ही नहीं जब मैं टूरिज्म कारपोरेशन का चेयरमेन था मुझे इस बात को कहते हुए बड़ा गर्व होता है इसमें मैंने भी कोशिश की थी लेकिन मैं सफल नहीं हो पाया. मैंने कहा था कि हम लोग पूरे देश के लोगों को तीर्थ दर्शन के लिये भेजते हैं, लेकिन अपने मध्यप्रदेश के अंदर के तीर्थों को दिखाने की आवश्यकता है. मुझे खुशी इस बात की है कि उज्जैन, मैहर, ओरछा, चित्रकूट,ओंकारेश्वर, महेश्वर इन सारे पवित्र नगरों को जोड़ने का वित्तमंत्री जी ने प्रावधान किया है इसके माध्यम से न केवल देश का दर्शन, बल्कि मध्यप्रदेश का दर्शन अपने यात्रियों को करा सकते हैं. इस दृष्टि से मध्यप्रदेश में भी हमारी जो विरासत है उन विरासतों से परिचय कराएंगे, बल्कि उसको देश से भी जोड़ने का प्रयास करेंगे. एक सांस्कृतिक दृष्टि से बड़ा काम वैचारिक कुम्भ का हुआ था उस वैचारिक कुम्भ के दरमियान लिये गये निर्णय के आधार पर जो दृष्टिपत्र का प्रकाशन हुआ है उसके बाद उस विषय को कई बार कांग्रेस के मित्रों ने उठाया. हमारे धार्मिक आयोजनों का राजनीतिकरण कर देते हैं, उनकी मानसिकता को जवाब देने का प्रयास भी किया गया है और न केवल उस कुंभ को सफल किया गया. बल्कि कुंभ में मात्र कर्मकाण्ड करने के लिये रामघाट पर स्नान कराने की बात नहीं की जो कुंभ का मूल महत्व था वैचारिक दृष्टि से और जिसकी आवश्यकता है ऐसे विषयों को लेकर के पूरे देश में एक साल तक अलग अलग स्थानों पर विचार यात्रा एक तरह से हुई है और अंत में हमारे प्रधान मंत्री जी की मौजूदगी में जो वैचारिक कुंभ हुआ था उसी बात को आगे बढ़ाते हुए अब हमने ओंकारेश्वर में आदि गुरू शंकराचार्य के लिये जो शंकराचार्य पीठ की बात की है यह उसी भावना को पुष्ट करते हैं जो लगभग 14 सौ साल पहले शंकराचार्य जी पैदल चलते चलते पूरे देश की पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण देश की एकता व अखंडता के लिये काम किया था यह उसी बात को बढ़ाने के लिये और केरल के ऐसे ब्राह्म्ण जो अपने प्रदेश से निकलकर के मां नर्मदा के किनारे पर आकर के तपस्या करते हैं, एक इतिहास बनाते हैं, उसको जीवंत करते हुए उनके बाकी पक्षों को समाज के सामने लाने की दिशा में जो उन्होंने काम किया है वाकई में काबिले तारीफ है. हम सब इस बात के लिये गोरवान्वित हैं. अभी कुछ वर्ष पहले  शौर्यस्मारक का उद्घाटन माननीय प्रधान मंत्री जी के माध्यम से हुआ था यद्यपि यह पूरे देश का पहला गैर सैन्य संगठन की दृष्टि से एक संस्थान बना है वाकई में अद्भुत बना है और यह होना भी चाहिये. मध्यप्रदेश में वह सारे गुण भी हैं और मध्यप्रदेश की यह विशेषता भी है उन विशेषताओं को जोड़कर के और खास करके तीनों सैनाओं के अंगों के साथ जिस प्रकार से शौर्यस्मारक की रचना की गई है, वाकई में अद्भुत है और उसी विषय को आगे बढ़ाते हुए वीर भूमि न्यास  बनाया  गया है उसके लिये 10 करोड़ रूपये रखे हैं. इस बात के लिये मैं माननीय वित्तमंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा. साथ ही साथ जो गरीब कल्याण के लिये नयी योजनाएं चालू की हैं. मैं आपको जानकारी देना चाहूंगा हमारे अपने देश के प्रदेश के वासियों का नैतिक स्तर किस प्रकार का है वह किस प्रकार से काम करते हैं. 2004 में हमारे कुंभ मेले के बाद महाकालेश्वर मंदिर में हमने अन्न क्षेत्र की स्थापना करवाई थी उसमें बाहर से आने वाले जो अतिथि आते हैं उनको भोजन करवाना चाहिये और भोजन कराने के लिये कोई बंधन नहीं था मात्र इतना ही बंधन है कि दर्शन करने के बाद कोई भी वहां पर जाये वहां पर भोजन प्रसादि ले सकता है. मैं आपको बताना चाहूंगा कि वहां से निकलने वाले लोगों के हिसाब से सोचा गया था कि यह घाटे का उपक्रम रहेगा, लेकिन  महाकाल के सभी भोजनालय घाटे में चल रहे हैं, लेकिन एक मात्र अन्न क्षेत्र ऐसा है जिसकी लगातार आय बढ़ रही है. यह हमारे लोगों का नैतिक रूप से भाव है यहां तक बाहर के भिक्षुक हैं बड़ी संख्या में वह भी फ्री में खाना नहीं चाहते हैं ऐसी भावना को प्रदर्शित करते हुए जो अपना ठेला चलाते हैं, गुमटी चलाते हैं ऐसे लोगों के लिये जो पांच रूपये में भोजन की जो कल्पना की गई है वाकई में वह अद्भुत है इसके लिये समूची सरकार को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने इस प्रकार से हमारे लोगों का नैतिक मनोबल भी बनाये रखा और इस भाव को उन्होंने इस भाव को प्रेरित करने का भी प्रयास किया. कई बार हमारे मित्रों ने कहा कि हम अल्पसंख्यकों के लिये विचार नहीं करते मैं वित्तमंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा आपने अल्पसंख्यक कल्याण के लिये इस बात के लिये जरूर कोशिश की है कि मदरसों का भी उन्नयन होना चाहिये. लगभग 50 करोड़ रूपये उनके लिये तथा रोजगार सहित अन्य कार्यों के लिये 20 करोड़ रूपये की राशि दी है यह उसी भाव को दर्शाते हैं कि सरकार सब वर्गों का ध्यान रखती है तथा सबको लेकर के चलने का प्रयास करती है. मैं कोशिश कर रहा हूं कि आप देखियेगा कि अमृत योजना के माध्यम से जिस प्रकार से हमको मालूम है कि प्रारंभ में स्मार्ट सिटी में तीन नगरों को जोड़ा गया था, लेकिन बाद में ग्वालियर और उज्जैन को भी जोड़ने का जो प्रयास किया है. स्मार्ट सिटी में यह बात सही है कि हमारे अपने प्रदेश की छबि बनाने के लिये समूचे प्रदेश की स्थिति अच्छी होनी चाहिये लेकिन खास करके नगरीय क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है तो नगरीय क्षेत्रों की दृष्टि से 700 करोड़ की योजना के माध्यम से सभी नगरों के उन्नयन करने की जो बात की है वाकई में काबिले तारीफ है मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी एवं वित्तमंत्री जो पुनः बधाई देना चाहूंगा.  जिस प्रकार से वित्तमंत्री जी ने बजट रखा है उसका समर्थन करके मैं अपनी बात को यहीं पर समाप्त करता हूं. आपने बोलने का मौका दिया धन्यवाद.

          श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस वर्ष के बजट भाषण के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं मेरी शुरूआत धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी की चार पंक्तियों के साथ कि-

" रोटी का रेडियस जो तिहाई हुई तो है,

पूंजी का ग्रोथ रेट सवाई हुई तो है,

खाली भले है पेट, मगर यह भी देखिये,

 छाती हमने अपने हवा से फुलाई हुई तो है "

 बजट भाषण की शुरूआत माननीय वित्तमंत्री जी ने की इसमें कहीं न कहीं थोड़ी सी निराशा झलकी है. उन्होंने बचाव की मुद्रा में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निवेश की कमी है उसी आधार पर मध्यप्रदेश में भी निवेश नहीं आ रहा है इसीलिये कहीं न कहीं बचाव की दिशा में दिखे हैं. कहीं न कहीं यह बजट लोक लुभावना तो दिख रहा है, क्योंकि चुनावी वर्ष है. अगले वर्ष चुनाव आने वाला है लेकिन राज्य को हम आर्थिक ग्रोथ में आगे ले जा सकते हैं इसमें बहुत सारी कमियां हैं. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की बात कही है, लेकिन छठवां वेतनमान अध्यापक संवर्ग के लोगों को नहीं मिला है इसीलिये वह हड़ताल पर हैं. सातवा वेतन कैसा क्या होगा यह भी बड़ा यक्ष प्रश्न है, और तो और इसमें जो चीजें दी हैं  अर्बन सेक्टर में कैसे वोट बढ़ें उसका उन्होंने ख्याल रखा है. 4 हजार 596 करोड़ के आधिक्य बजट का औचित्य समझ में नहीं आता. नोटबंदी के बाद में अगर इतने बजट का हम आधिक्य रखेंगे तो शायद कहीं न कहीं 40 प्रति केश एकॉनामी है उनके लिये कहीं न कहीं यह बात नहीं आती है. हम जीडीपी को देखेंगे तो इसमें 10 प्रतिशत का ग्रोथ दिखता है, लेकिन जीडीपी में जो केश एकॉनामी है वह कहीं न कहीं कवर नहीं होती है और उनकी बेहतरी के लिये कुछ भी इस बजट में नहीं दिया गया है. वेट टैक्स कम नहीं किया और कहा कि हमने नये टैक्स नहीं लगाये. अरे भईया, वेट टैक्स पूरे देश में सबसे ज्यादा पेट्रोल डीजल पर मध्यप्रदेश में है, आपने वह कम नहीं किया. यही आपने सबसे बड़ा भार डाला है. विमान के ऊपर जो आपने वेट टैक्स बढ़ाया है 4 से 25 प्रतिशत तक उससे इन्दौर और भोपाल जैसी जगहों में हवाई सेवाएं महंगी होंगी और आम आदमी हवाई सेवा का सोचता है उसमें भी कहीं न कहीं कमी आयेगी और तो और हमने जब बजट को पढ़ा उसमें 4 प्रतिशत की कमी ग्रामीण विकास मंत्रालय में की है, 15 प्रतिशत की कमी माईनिंग और उद्योग मंत्रालय में की है और 28 प्रतिशत की कमी बिजली विभाग में की है और तो और जो जी.एस.टी. लागू होगा उसके पहले जो टैक्स इश्यू हैं वह कैसे सेटल करेंगे वह भी बजट में होना चाहिये था.

          श्री यशपालसिंह सिसौदिया -  शैलेन्द्र भाई, थोड़ा जल्दी भाषण खत्म कर लो मेहमान आना शादी में शुरू हो गये हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय - विधान सभा को कितनी गंभीरता से लेते हैं इनके यहां साली की शादी है आज फिर भी भाषण दे रहे हैं.

          श्री शैलेन्द्र पटेल -   दोनों ही काम हैं उपाध्यक्ष महोदय, जो दायित्व मिला है उसको पूरा करने का प्रयास करते हैं.आप निश्चित रूप से बजट का अध्ययन करेंगे तो इसमें बहुत सी बातें हैं.

 

3.22 बजे                                              स्वागत उल्लेख

                             श्री हर्ष सिंह,राज्यमंत्री,जल संसाधन का सदन में स्वागत

          संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - उपाध्यक्ष महोदय, परम् पिता परमात्मा की असीम कृपा से हमारे हर्ष सिंह जी स्वस्थ होकर आज सदन में आये हैं उनका स्वागत है.

          उपाध्यक्ष महोदय - संपूर्ण सदन की ओर से हर्ष सिंह जी का स्वागत हम करते हैं और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं वह पूर्णत: स्वस्थ होकर शीघ्र अतिशीघ्र हमारे बीच आएं.

          श्री बाला बच्चन - उपाध्यक्ष महोदय, हम भी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हर्ष सिंह अतिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ लेकर और स्वस्थ हो जायें. आज हमारे बीच में उनको देखकर मन प्रसन्न हो गया.

3.23बजे               वर्ष 2017-18 के आय-व्ययक  पर सामान्य चर्चा(क्रमश:)

          श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय उपाध्यक्ष जी,राजस्व घाटा 2015-16 में 5740 करोड़ रुपये का था. 2016-17 में यह 3510 करोड़ था लेकिन संशोधित होकर 1535 करोड़ रुपये हो गया. तो कहीं न कहीं पहले ज्यादा दिखा दिया जाता है फिर कम कर दिया जाता है.  इसी तरह से राजकोषीय घाटा वर्ष 2015-16 में 3.49 प्रतिशत था. बाद में यह असलियत में 4.63 प्रतिशत माइनस में चला गया. बजट में कुछ और आंकड़े आते हैं बाद में संशोधित करके कुछ और आंकड़े दिखा दिये जाते हैं. इसी प्रकार जब हम राजस्व प्राप्तियों को देखेंगे प्रतिवर्ष के वित्त मंत्री जी ने आंकड़े दिये हैं. उसमें राज्य के अपने करों से वर्ष 2015-16 में 40240 करोड़ रुपये की आमदनी प्रदर्शित की  गई थी और  वर्ष 2016-17 में 46500 करोड़ रुपये की आमदनी अनुमानित की गई थी लेकिन असलियत में  यह आमदनी 44135 करोड़ रुपये हुई. 2000 करोड़ रुपये कम हुई, तो कहीं न कहीं सरकार अपने कर लेने में भी पीछे रह गई है. केन्द्र से वर्ष 2015-16 में 38371 करोड़ रुपये मिले थे. वर्ष 2016-17 में 43674 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान था और 40064 करोड़ रुपये मिले. इसमें भी कटौती हुई है. तो जो राशि केन्द्र से मिलनी चाहिये वह भी नही मिल पा रही है. बजट बहुत बड़ा है एक-एक चीज पर जायेंगे तो बहुत समय लग जायेगा. आदरणीय वित्त मंत्री जी ने अपने भाषण में बिन्दुवार चीजें कही हैं. उनमें से कुछ बिन्दुओं पर मैं ध्यान दिलाना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि हम खेती पर फोकस करेंगे. वे कभी इंडस्ट्रीलाईजेशन की बात करते हैं फिर वापस खेती पर आ जाते हैं. तो कहीं न कहीं कनफ्यूजन सरकार के मन में है कि वह कौन सा रास्ता अपनाये ?  बजट भाषण के बिन्दु क्रमांक 7 में अनुसूचित जाति,जनजाति के बजट का उल्लेख है है उसको  आप मूल स्वरूप में ले आये हैं. पहले भी हमने देखा कि एस.सी.,एस.टी. विभाग को जो बजट अलाट होता था, वह पूरा बजट खर्च नहीं कर पाते थे और कई बार कहीं और खर्च कर देते थे. अब सरकार को देखना होगा कि वह प्रापर तरीके से अनुसूचित जाति,जनजाति के लोगों पर खर्च हो.  जैसा पहले होता आ रहा है  वह चीजें न हों.  बिन्दु क्रमांक 8 में सिंचाई सुविधा बढ़ाने की बात कही गई है. वर्ष 2015-16 में 6607 करोड़ रुपये सिंचाई सुविधाओं के लिये थे. वर्ष 2016-17 में सिंचाई का बजट 8613 करोड़ रुपये था. वर्ष 2017-18 में यूं तो आपने सिंचाई का बजट 9850 करोड़ रुपये कर दिया लेकिन हम प्रतिशत की दृष्टि से देखें तो  यह 11 परसेन्ट बढ़ा है. इस तरह से पिछले वर्ष 30 प्रतिशत बजट बढ़ाया था उसे इस  वर्ष 11 प्रतिशत बढ़ाया है. तो कहीं न कहीं सिंचाई योजनाओं में भी आपने कटौती की है. बिन्दु क्र. 10,11,12 में आपने कृषि भूमि को सिंचित करने की बात कही है. तो इन तेरह वर्षों में बहुत सी योजनाएं अभी तक पूरी नहीं हुई हैं इनमें काम अधूरा है. बरगी नहर का काम अधूरा है. नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक परियोजना का काम बंद है. जावर उद्यान परियोजना अभी भी प्रारंभ नहीं हुई है. अलीराजपुर-छैगांव परियोजना अभी भी प्रारंभ नहीं हुई है. तो यह भी सोचना होगा कि आप कह कुछ और रहे हैं और हकीकत कुछ और है. 13 सालों में इतनी महत्वपूर्ण  सिंचाई परियोजनाएं चालू नहीं हुई हैं. लघु परियोजनाओं की बात नहीं करूंगा. मेरे खुद के इछावर विधान सभा क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों में एक भी लघु परियोजना का न भूमिपूजन हुआ है  और न काम हुआ है तो कैसे हम 40 हजार हेक्टेयर जमीन को सिंचित करने की बात कर रहे हैं यह भी एक सोचने की बात आ जाती है. बिन्दु क्रमांक 17 में कृषि और संबंधित क्रियाकलापों के बारे में बताया है. फसल बीमा योजना की चर्चा प्रश्‍न के माध्‍यम से हुई थी उसमें अभी भी बहुत विसंगति है उसको दूर करने की आवश्‍यकता है, विसंगति के कारण किसान को इस योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है. पाइंट नं. 18 में कृषि को लाभ का धंधा बनाने की बात कही है. एक तरफ प्रदेश में बढ़ती हुई आत्‍महत्‍या सवाल खड़ा करती है और जो कैशलेस व्‍यवस्‍था चालू हुई है उसमें वित्‍त मंत्री जी आपके भी संज्ञान में आया होगा कि मंडी में एक ही फसल के तीन-तीन भाव मिलने लग गये हैं. अगर नगद में कोई सोयाबीन बेचता है तो 2200 रूपये में बिक रहा है, एक हफ्ते वाले चेक का 2500 रूपये में और जो एक माह बाद का चेक मिलता है उसमें 2800 रूपये का मिल रहा है, तो सरकार को इस व्‍यवस्‍था को भी देखना होगा कि किसानों को उनकी उपज का सही भाव मिले. उद्यानिकी में कोल्‍ड स्‍टोरेज की बात की है, इसमें अभी भी लक्ष्‍य प्राप्‍त नहीं हुआ और मात्र 70 लोगों ने कोल्‍ड स्‍टोरज के लिये रूचि दिखाई है. पशुपालन की हम बात करें, दूध के भाव अभी भी किसान को नहीं मिल रहे हैं. वन विभाग में शेर लगातार मर रहे हैं और तो और नल योजना पूरे प्रदेश में बंद पड़ी हुई है, रोज उसके बारे में प्रश्‍न आते हैं. अस्‍पतालों की हालत आप बखूबी जानते हैं, स्‍कूलों में शिक्षा का स्‍टेण्‍डर्ड गिरता जा रहा है और उच्‍च शिक्षा के बारे में कहना चाहता हूं कि इछावर में उन्‍नयन का और बीएससी कम्‍प्‍यूटर का काम अभी तक नहीं हो पाया है. सड़क परिवहन का मैं एक अशासकीय संकल्‍प लेकर आया था कि पंचायत को उनके अधीनस्‍थ गांव से जोड़ा जाये. नये रोजगार सृजन नहीं हो रहे हैं. एमओयू तो साइन हो रहे हैं लेकिन इंडस्‍ट्रीज नहीं आ रही हैं, मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी का ध्‍यान बढ़ते हुये भ्रष्‍टाचार की तरु आकर्षित करना चाहता हूं कि हम जब तक भ्रष्‍टाचार पर अंकुश नहीं करेंगे इंडस्‍ट्रीलाइजेशन नहीं होगा और प्रदेश के युवाओं के साथ हम इंसाफ नहीं कर पायेंगे. दीनदयाल योजना के अंतर्गत आप मात्र 10 करोड़ रूपये में प्रदेश के पूरे गरीब लोगों को खाना कैसे खिला देंगे या कैसे भोजन की थाली दे देंगे इसमें भी सवाल उठता है. डब्‍ल्‍यूएचओ के अनुसार भारत में मनोरोगियों की संख्‍या बढ़ रही है केन्‍द्र तो खोले हैं लेकिन मनोचिकित्‍सों की पूरे प्रदेश में कमी है और तो और कार्बन उत्‍सर्जन पर नियंत्रण की दिशा में प्रदेश के बजट में कोई प्रावधान नहीं किया है, इस ओर भी ध्‍यान देना था. गौसंवर्धन की योजना है, पर पशुओं की गोचर भूमि, पानी एवं अन्‍य संसाधन नहीं होने से पशु संपदा और जीवन दूभर हो गया है. बजट में गोचर भूमि के व्‍यवस्‍थापन का उल्‍लेख नहीं है, यह भी गंभीर और विकराल समस्‍या है. मृदा संरक्षण, भूमि गुणवत्‍ता पर कोई कारगर योजना नहीं है. प्रदेश में विगत वर्ष बाघ के राज का दर्जा हमसे छिन गया है, इस ओर भी माननीय वित्‍त मंत्री जी देखने की आवश्‍यकता है. मध्‍यप्रदेश सरकार ने नवीन विभाग आनंद मंत्रालय का गठन किया है. वस्‍तुत: आनंद एक अनुभव है जिसे मंत्रालय के माध्‍यम से विकसित नहीं किया जा सकता. वस्‍तुत: प्रदेश के प्रत्‍येक नागरिक की बुनियादी आवश्‍यकताओं पर ध्‍यान केन्द्रित करते हुये बुनियादी संसाधन विभाग गठित किया जाना था ताकि प्रत्‍येक व्‍यक्ति की आधारभूत जरूरतों को पूरा किया जा सकता जिसके फलस्‍वरूप प्रत्‍येक नागरिक के मन में जीवन के प्रति सुनिश्चितता और प्रफुल्‍लता का विकास हो पाता और तो और खेल के बारे में भी बजट में कुछ नहीं दिया.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  शैलेन्‍द्र जी अब बैठ जाइये, विभाग की मांगों में बोल लीजिये, जब विभाग की मांग आयेंगी.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, मैं धन्‍यवाद देना चाहता हूं और वित्‍त मंत्री जी से भी चाहता हूं कि प्रदेश में रोजगार बढ़े, काफी युवा बेरोजगार है, इस ओर विशेष ध्‍यान दें. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, 1 लाख 85 हजार 564 करोड़ का जो माननीय वित्‍त मंत्री जी ने बजट प्रस्‍तुत किया है, उसका मैं समर्थन करते हुये अपनी बात को रखना चाहता हूं. पूर्व वक्‍ताओं ने बहुत सारी बातें कही है, वित्‍त मंत्री जी ने बहुत ही महत्‍वपूर्ण बजट प्रदेश के लिये बनाया है. सबसे पहला महत्‍वपूर्ण कार्य मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों के लिये जो 7वां वेतनमान लागू किया है, निश्चित रूप से मध्‍यप्रदेश के कर्मचारियों में बड़ा उत्‍साह और खुशी का वातावरण है. यह हमारी सरकार के लिये बहुत ही अच्‍छा कदम है. मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी को और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को और सरकार को बधाई देता हूं. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश सरकार में जितने भी महत्‍वपूर्ण विभाग हैं उसमें सिंचाई विभाग बहुत महत्‍वपूर्ण विभाग है और इस सिंचाई विभाग के पूर्व में वित्‍त मंत्री जी मंत्री भी रह चुके हैं. आपके द्वारा 9850 करोड़ का प्रावधान सिंचाई के लिये किया गया है. ह‍मारे मध्‍यप्रदेश में वर्तमान में 18 वृहद परियोजनायें, 36 लघु परियोजनायें और 407 लघु परियोजनाओं को मिलाकर ह‍जारों करोड़ रूपये की लागत से यह जो अधूरी योजना है वह पूर्ण होगी. यहां तक कि केन-बेतवा लिंक परियोजना के बन जाने के बाद 5.27 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई होगी. माननीय वित्त मंत्री जी ने जल संसाधन विभाग के लिये जो 9850 करोड़ का प्रावधान किया है, उससे निश्चित रूप से सिंचाई का रकवा बढ़ेगा. एक कृषक होने के नाते मैं वित्त मंत्री जी को ओर मुख्यमंत्री जी को इसके लिये बधाई देता हूं.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश का ऊर्जा विभाग महत्वपूर्ण विभाग है. बिजली के बिना आम जनता अपना जीवन व्यतीत नहीं कर सकती है. मैं कांग्रेस शासन और भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल की तुलना नहीं करना चाहता हूं. लेकिन माननीय वित्त मंत्री जी ने ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिये रूपये 8736 करोड़ का बजट प्रावधान किया है. इस राशि से ट्रांसमीशन को बढ़ावा देने, पारेषण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने, वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिये, 33 केवी लाईनों को बढ़ाने के लिये, 11 केवी की लाईनों को बढ़ाने के लिये, नवीन ट्रांसफार्मर स्थापित करने के लिये ज्यादा सुलभ और आसानी होगी.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं 2003 से विधानसभा का सदस्य हूं. प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने इस विभाग में एक महत्वपूर्ण योजना प्रारंभ की है "मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना " . मध्यप्रदेश के ऐसे कृषक जिनके पास में 2 हेक्टेयर या उससे कम भूमि है जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोग हैं उनके लिये रूपये 25 हजार देने के बाद में ट्रांसफार्मर में स्थापित कर दिया जायेगा, जिन कृषकों के पास में 2 हेक्टेयर से अधिक भूमि है ऐसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के कृषको के लिये 35 हजार रूपये और सामान्य वर्ग के लोगों के लिये रूपये 65 हजार की राशि ली जायेगी. मतलब एक उपभोक्ता के लिये हमारी सरकार 2 लाख 50 हजार रूपये खर्च करेगी. यह "मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना "के माध्यम से सरकार करने जा रही है. प्रदेश में ट्रांसफार्मर जलने की घटना को रोकने के लिये, जल्द से जल्द बिजली के ट्रांसफार्मर बदले जाये उसके लिये यह महती योजना हमारी सरकार ने बनाई है. इसके लिये पर्याप्त प्रावधान किया गया है.इसके लिये भी मैं वित्त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सड़कों के बारे में कई सदस्यों द्वारा अपने विचार व्यक्त किये गये हैं. माननीय वित्त मंत्री जी ने इस बजट में सड़कों के निर्माण के लिये 5966 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है. इस राशि से लोक निर्माण विभाग के द्वारा 5500 किलोमीटर जो राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, उसमें से 3025 किलोमीटर सड़कें स्वीकृत की जा चुकी हैं 2383 किलोमीटर सड़के हैं उनकी सैद्धांतिक स्वीकृति हो चुकी है. ऐसे मध्यप्रदेश में जहां कि पहले सड़कें बनाते ही टूट जाती थीं, उखड़ जाती थीं, वहां पर काली मिट्टी होती है उसके लिये हमारी सरकार ने सीमेन्ट-कांक्रीट सड़के भी 5005 किलोमीटर बनाने की घोषणा की गई है. हम लोग चूंकि तहसील स्तर पर रहते हैं इसके लिये भी हमारी सरकार ने बजट में ध्यान रखा है. जिला स्तर के जो सड़क के मार्ग थे वह होते थे तो कमजोर होते थे या नहीं बने हुये थे इसके लिये वित्त मंत्री जी ने 4200 किलोमीटर की एमडीआर सड़क की भी घोषणा की है. स्टेट हाईवे के लिये 3778 किलोमीटर बनाने के लिये भी बजट में प्रावधान किया गया है. इस तरह से कुल 5966 करोड़ रूपये से यह कार्य विभाग के द्वारा पूर्ण किये जायेंगे.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि आपने जो 3500 करोड़ का प्रावधान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रखा है इसके लिये धन्यवाद. इस योजना के माध्यम से प्रदेश में निवास करने वाले ऐसे लोग जिनके पास में रहने के लिये मकान की व्यवस्था नहीं हैं ऐसे लोगों को नगरीय क्षेत्र में 5 लाख और ग्रामीण क्षेत्र में 15 लाख आवास उपलब्ध होंगे. इस तरह से पूरे मध्यप्रदेश में जिन गरीब लोगों के पास में मकान की सुविधा नहीं है वह हो जायेगी. 3500 करोड़ रूपये इसके लिये प्रावधान किया गया है.

          उपाध्यक्ष महोदय, चिकित्सा शिक्षा विभाग के बारे में कहना चाहता हूं यह विभाग हमारे स्वास्थ्य का ध्यान रखता है इस विभाग के लिये हमारे वित्त मंत्री जी द्वारा रूपये 7472 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, इसके लिये वित्त मंत्री जी बधाई के पात्र हैं. इस राशि से प्रदेश में 7 नवीन मेडिकल कॉलेज बनाये जायेंगे.  इन मेडिकल कॉलेज में भवन बनाने के लिये भी वित्त मंत्री जी ने 115 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. स्कूल शिक्षा के लिये रूपये 3400 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है ...

          उपाध्यक्ष महोदय- बहादुर सिंह जी कृपया संक्षेप करें. विभाग के बजट में आप अपनी बात रख लेना.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय, दो मिनट का समय दे दें. मैं निर्धारित समय में अपनी बात को समाप्त कर दूंगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तुलना वाली बात आई थी तो मैं कहना चाहता हूं कि 1 नवम्बर,1956 को मध्यप्रदेश बना, उस  समय महाकौशल क्षेत्र से 17 जिले हुआ करते थे, मध्य भारत क्षेत्र के 16 जिले थे, भोपाल राज्य के दो जिले और राजस्थान का सीरोंज मिलाकर इस प्रकार हमारा मध्यप्रदेश 43 जिलों का मध्यप्रदेश था. वर्ष 2000 में हमसे छत्‍तीसगढ़ अलग हुआ. बिलासपुर, बस्‍तर अलग होने के बाद 2000 के बाद जो मध्‍यप्रदेश बचा हुआ है इसका  3 लाख 8 हजार 245 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल है. उस समय छत्‍तीसगढ़ भी हमारे साथ था, उसके बाद भी मध्‍यप्रदेश में 2003 में जब मैं विधायक बनकर आया था, 2900 मेगावाट बिजली थी, आज 17712 मेगावाट बिजली है. उस समय 7500 हेक्‍टेयर में सिंचाई होती थी, आज इन 13 वर्षों में लगभग 40 लाख हेक्‍टेयर में सिंचाई हो रही है. अब चूंकि मध्‍यप्रदेश छोटा हो गया है, जब छत्‍तीसगढ़ शामिल था तब हिन्‍दुस्‍तान के सभी प्रदेशों से हमारा राज्‍य बड़ा था, आज क्षेत्रफल की दृष्टि हमारा प्रदेश छोटा है एवं द्वितीय स्‍थान पर है, इसके बाद भी मध्‍यप्रदेश हिन्‍दुस्‍तान के अन्‍य राज्‍यों में अग्रणी है. हमें एक बार नहीं चार बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, समय की कमी है, मैं बहुत कुछ बोलना चाहता हूं. मैं पुन: वित्‍तमंत्री जी का, भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं एवं जो बजट प्रस्‍तुत किया गया है, उसका समर्थन करता हूं, आपने मुझे बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          श्री के.पी. सिंह (पिछोर) - उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्‍त जी से कुछ सवाल पूछना चाहता हूं. अगर ठीक लगे तो उत्‍तर अपने वक्‍तव्‍य में जरूर दे दें. आपके बजट प्रस्‍तुत करने के बाद एक सम्‍पादकीय में लिखा है कि उच्‍च शिक्षा और स्‍कूल शिक्षा में आपने जो बजट वृद्धि की  बात की है, यह बजट वृद्धि वास्‍तव में नहीं है. आपने कहीं रिवाइज एस्‍टीमेट से इसकी तुलना करके दिखा दिया है. मेरा तो फायनेंस कोई विषय रहा नहीं है, मेरा आपसे अनुरोध  है कि हकीकत क्‍या है, संपादकीय में जो बात लिखी है, वह ठीक है या अपने जो तुलना की है वह ठीक है, इसके बारे में जरूर बताएं.

          वित्‍त मंत्री (श्री जयंत मलैया) - आदरणीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मुझे भी लग रहा था कि यह कोई न कोई माननीय सदस्‍य जरूर पूछेंगे. मैंने भी दैनिक भास्‍कर के श्री मनीष दीक्षित का आर्टिकल पढ़ा है. एक तो एस्‍टीमेट, दूसरा रिवाइज्‍ड एस्‍टीमेट. मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं कि धीरे धीरे समय के बाद जो रिवाइज्‍ड एस्‍टीमेट  है वह वास्‍तविकता के सबसे निकट होता है, इसलिए इसका हमने 2017-18 के बजट में रखा है.

          श्री के.पी. सिंह - इसका अर्थ यह हुआ कि आपने जो  रखा है वह सही है और सम्‍पादक जी ने जो सम्‍पादकीय लिखी है, वह गलत है.

          श्री जयंत मलैया - दोनों सही है.

          श्री के.पी. सिंह - अब दोनों सही है तो हम क्‍या माने.

          श्री जयंत मलैया - दोनों सही है, यह समझ समझ का फर्क है.

          श्री के.पी. सिंह - मंत्री जी, समझ में नहीं आया, तभी तो आपसे पूछा है, समझ में आ जाता तो आपसे क्‍यों पूछते(हंसी..) उपाध्‍यक्ष महोदय, बजट किस विभाग को कितना दें, कम दें, ज्‍यादा दें, यह सरकार का अधिकार है और प्राथमिकता समय समय पर बदलती रहती है, लेकिन आपने जो प्राथमिकता का  बदलाव  किया है. माननीय भूपेन्‍द्र सिंह जी आपके संभाग के मंत्री हैं और पुलिस विभाग के बारे में जो आंकलन आया है, उसमें जो बजट दिया है, उसमें 92 प्रतिशत सिर्फ तनख्‍वाह में खर्च होना है. अब 8 प्रतिशत में 35 योजनाएं विभाग की हैं, 8 प्रतिशत राशि में विभाग की 35 योजनाएं किस प्रकार से संचालित होंगी. प्रदेश के परिप्रेक्ष्‍य में अगर आंकलन करें तो प्रदेश के थानों में आरक्षक नहीं है, लिखने वाले मुंशी नहीं है, कई कई जगह तो दो चार सिपाही और होमगार्ड से पूरा थाना चल रहा है. वर्तमान समय में आईएसआई जैसे संगठन प्रदेश में प्रकट हो रहे हैं या सरकार की पकड़ में आ रहे हैं.उपाध्यक्ष महोदय, मैंने जब  अपनी बात राज्यपाल जी के  अभिभाषण पर रखी थी,  मैंने कुछ प्रश्न किये थे.  लाल सिंह जी सौभाग्य से यहां विराजमान थे. लाल सिंह जी से जब मेरी बाद में चर्चा हुई,  तो उन्होंने मुझे बताया भी था कि  मुख्यमंत्री जी ने मुझे निर्देश दिया हुआ है कि  जो बिन्दु आयें,  उनको आप नोट करना और   मुझे जानकारी  देना, जिससे   बाद में  उन पर रिप्लाई आये. लेकिन जितनी बातें मैंने रखीं, उनको मैं रिपीट नहीं करुंगा.  उसमें से सबसे जो  जरुरी बात थी, जिसमें  एक ऐसे तबके के युवा  परेशान हो रहे हैं, जिनके लिये रोजगार की अब कोई व्यवस्था नहीं है.  मुझे उम्मीद थी कि  लालसिंह जी ने बात कही होगी, चूंकि  विभाग शायद आपके पास है.  इस बारे में हजारों की  संख्या में जो 10-10 साल  काम कर चुके हैं, ऐेसे बच्चे थे, तो मुझे उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री जी  अपने वक्तव्य में उसके बारे में कुछ न कुछ बोलेंगे और उसमें कोई निर्देश जारी हो जायेंगे. यह तो सरकार की मर्जी है.  तो मेरे कहने का मतलब यह है कि  हमारी बात  का जवाब देना सरकार की कोई मजबूरी नहीं है और जरुरी नहीं है..

                   राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) -- उपाध्यक्ष महोदय, अभी  विभाग की जब मांगें आयेंगी,  उसमें वह विषय आ जायेगा.

                   श्री के.पी. सिंह -- मंत्री जी, धन्यवाद.  मैं  अभी जो  अपनी बात गृह विभाग के बारे में कर रहा था कि 8 प्रतिशत में  कैस गृह विभाग  ठीक-ठाक से संचालित  हो और  कैसे इसमें भूपेन्द्र सिंह जी  काम कर पायेंगे.  यह आपका नजरिया है, लेकिन  मुझे  लगता है कि  जिस तरह से पुलिस विभाग के लिये  जो आपने बजट आवंटन में कोताही बरती है या नेगलीजेंसी बरती है,  उससे मैं समझता हूं कि  पुलिस विभाग को वर्तमान में  जो  जरुरत है, केंद्र सरकार से  एक योजना  जब हम लोग सरकार में थे,  उस समय आई थी, उसमें तमाम फंडिंग हुई थी और तमाम नये थाने बन गये,  बिल्डिंगें खड़ी हो गईं. लेकिन  आज आपके  पास कोई ऐसी  व्यवस्था हमें अलग से  दिखाई नहीं देती, तो वित्त मंत्री जी थोड़ा इस तरफ ध्यान देंगे कि  यह थानों और पुलिस प्रशासन  की हालत  को सुधारने के लिये  कैसे व्यवस्था गृह मंत्रालय करे, इसके बारे में भी आपको पुनः सोचने की आवश्यकता है.  मेरा आपसे अनुरोध है कि   अगर इस संबंध में जरुर कुछ हो सकता हो, तो  करने का प्रयास करियेगा, वरना  जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये. मध्यप्रदेश चल ही रहा है.  उसी तरह से पेट्रोल, डीजल की बात बार बार उठती है, हम चूंकि उत्तर प्रदेश   से  लगे हुए हैं. इस संबंध में  हमारे वित्त मंत्री जी का  एक बयान आया है कि  हमारी यह मजबूरी है और शासन  उसमें  परसेंटेज   मुझे याद नहीं आ रहा है.  शायद आपने कहा है कि  इतने परसेंट, कुछ ज्यादा परसेंट ही आपने बताया है कि अगर हम इसको खत्म करते हैं,  तो इतने परसेंटेज की हमारी   जो रिकवरी है, वह कहां से होगी.  तो यह वास्तव में  आपकी  एक परेशानी हो सकती है, लेकिन  हम लोग जो बॉर्डर पर निवास करते हैं,  चाहे रीवा संभाग हो, चाहे ग्वालियर संभाग हो, उत्तर प्रदेश से लगे हुए हैं.  तो यह हमारे यहां के लोगों की जो तकलीफ है, मलैया जी, आप इसके दाम कम करें न करें, यह आपका मामला है, लेकिन जो तकलीफ और परेशानी है, वह मैं बताना चाहता हूं.  हमारे यहां के ज्यादातर लोग  उत्तर प्रदेश जाते हैं और वहां से  डीजल भराकर लाते  हैं.   किसान तो एक-एक पैसा बचने की कोशिश करता है.  रास्ते में  जो थाने पड़ते हैं,  चाहे यूपी के हों या मध्यप्रदेश के हों, वे वहां उनके डीजल को जप्त कर लेते हैं, जबकि शायद नियम है कि  200 लीटर तक  एक किसान ले जा सकता है.  जब जप्त कर लेते हैं, तो  उनको दिक्कत क्या होती है कि  जितना वह पैसा  बचाने गये थे, उससे दोगुना उन पर लग जाता है.    मलैया जी, तो यह एक धरातल की परेशानी है, कुछ आप इस बारे में समझें कि इसका क्या हम निदान कर सकते हैं, क्योंकि आप जो खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात कर रहे हैं, तो मालवा की जमीन अच्छी है,  पानी अच्छा है, सब कुछ है, लेकिन  हमारे बुन्देलखण्ड  के उसी क्षेत्र से आप आते हैं,  बुन्देलखण्ड के जमीनों की हालत कैसी है, वहां  के किसानों की उपज  की हालत कैसी है.  अगर यह डीजल के मामले में  कुछ आप ठीक-ठाक व्यवस्था कर सकें,  इसका क्या हो सकता है,  मैं नहीं समझता कि  आप   क्या उपचार करेंगे,  लेकिन इसमें भी आप थोड़ा सा विचार  करें कि  आखिर हम इसका  उपचार क्या करें, कहां से हमें और  राशि प्राप्त हो सकती है. इसी तरह से, बिन्‍दु क्रमांक 12, जिसमें आबकारी नीति 2017-18 के बारे में श्री मलैया जी ने लिखा है कि मद्यसेवन पर नियंत्रण हेतु मद्य संयम के लिए नीति बनाई गई है. राज्‍य शासन द्वारा प्रदेश में वर्ष 2011 से कोई नवीन मदिरा की दुकानें नहीं खोली गई हैं. सरकारी दस्‍तावेजों के अनुसार आपने वर्ष 2011 से वास्‍तव में दुकानें नहीं खोली होंगी इसलिए लिखा है, लेकिन हकीकत यह है कि आप भी चुनकर आते हैं और इलाके में दौरा करते हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, आप भी जानते हैं और मैं भी समझता हूँ कि हकीकत यह है कि ऐसा कोई गांव और मजरा-टोला नहीं हैं, जहां शराब की बिक्री न हो रही हो और इसके लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं हो पा रहा है कि अघोषित रूप से जब दुकानें चल रही हैं तो फिर घोषित रूप से यह कहने की क्‍या जरूरत है कि हमने 2011 के बाद कोई दुकान नहीं खोली है. आप या तो उसको नहीं लिखें, इधर दुकानें चल रही हैं, मध्‍यप्रदेश का ऐसा कोई इलाका नहीं है, जहां हर गांव में, हर मजरे-टोले में दुकानें न चल रही हों. आप या तो उसे लीगलाइज कर दो. 

          श्री नानाभाऊ मोहोड़ - छिन्‍दवाड़ा में हैं.

          श्री के.पी.सिंह - आप मुझको मत सिखाओ. मुझे पता है कि ऐसा कहां है ?

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) - आप यहीं चूक रहे हैं. नानाभाऊ, आपको शराब की दुकानों के बारे में सिखाने की कोशिश कर रहा है. यह कितनी बड़ी गलती है ? नाना आपको समझता ही नहीं है, उसको कोई नहीं समझा पायेगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, नर्मदा यात्रा का बड़ा लाभ हुआ है. जैसे ही मुख्‍यमंत्री जी ने वहां की दुकानें बंद करने की शुरूआत की है तो एक दौर के सिंह एसोसिएट के कर्ता-धर्ता ने मध्‍यप्रदेश विधानसभा में शराबबंदी का संकल्‍प लगाया है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - क्‍या बात है ? यह अन्‍दर की बात है. इसको सब लोग नहीं समझते हैं. (हंसी)

          श्री के.पी.सिंह - उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं यह चर्चा इसलिए कर रहा हूँ कि ऐसा दस्‍तावेजों में तो है कि आपने वर्ष 2011 के बाद कोई दुकानें नहीं खोली हैं लेकिन हकीकत में जो बदलाव आया है, वह इतना वाहियात है कि हम जब गांव में दौरों में जाते हैं और आप भी जाते होंगे तो गांवों की महिलाएं घर से निकलकर आती हैं और कहती हैं कि आप इसको यहां से हटवायें. अब वह लीगल नहीं हैं, उसको कैसे हटवायें? इललीगल की कोई व्‍यवस्‍था कानून में नहीं हो सकती है तो मेरा आपसे अनुरोध है कि आप या तो इसे लीगल करें और लीगल नहीं हैं तो इसका सख्‍ती से ऐसा हिसाब-किताब करें कि गांवों की महिलाएं इस बात से परेशान हैं कि उनके यहां मजरे-टोले में शराब बिक रही है. उनका पति मजदूरी करके, जो पैसा लाता है तो वह आधा पैसा कलारी में निपटा देता है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - आप समाप्‍त करें.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - शराब के संबंध में है तो बोलने दें. 

          श्री के.पी.सिंह - उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि इस बारे में यह जो व्‍यवस्‍था है, डॉ. नरोत्‍तम मिश्र जी ने मेरे मन की बात कह दी है. अकेले दुकानें बंद करने से क्‍या होने वाला है ? आपने लिखा है कि हम कैंप चलायेंगे ? उनके लिए व्‍याख्‍यान करेंगे. आपने यह आगे लिखा है. इससे समाज में परिवर्तन होने वाला नहीं है. तमाम कथाएं हो रही हैं, बाहर से सन्‍त आकर बड़ी-बड़ी कथाएं कर रहे हैं, जिसमें 20 से 25,000 लोग इकट्ठे होते हैं और मैं कई बार उन सन्‍तों के पास जाता हूँ और पूछता हूँ और वे बोले कि हम अच्‍छी तरह समझते हैं कि यह सब मरघट का वैराग्‍य है कि जब तक कथा में रहते हैं तब तक सब ठीक है और कथा के आधा घण्‍टा बाद,  उनकी जो लाइफ है, वह उसको चालू कर देते हैं इसलिए मेरा अनुरोध है कि नर्मदा मैया की अकेले दुकानों को बन्‍द करने से कुछ नहीं होगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - ये इसीलिए सन्‍तों से ज्‍यादा सवाल-जवाब करने जाते हैं. उपाध्‍यक्ष जी, इसलिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि इनको मना करें कि कहीं ये ही वैराग्‍य न ले लें.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - यह सदन नहीं चाहेगा. अब आप समाप्‍त करें. (हंसी)  

          श्री के.पी.सिंह - उपाध्‍यक्ष महोदय, बिहार के मुख्‍यमंत्री श्री नितीश कुमार जी ने जो निर्णय किया है. वह निर्णय इस वर्ष अब नहीं हो पायेगा. अगले वर्ष के लिए श्री नरोत्‍तम मिश्र जी, आप सी.एम. के कर्ता-धर्ता हैं, सलाहकार हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - नहीं, ऐसा आपकी पार्टी में होता था. हम सब टीम भावना से काम करते हैं. टीम शिवराज.

          श्री के.पी.सिंह - इसका मतलब आपके यहां कोई सलाहकार नहीं होता है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - ये कर्ता-धर्ता नहीं हैं. ये तो अटैची टांगने वाले हैं. (हंसी)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - आप उसमें कुछ भी कह दें. आप यह मानकर चलना कि आप 71 से 58 पर आए हो और अब 40 पर आओगे. (हंसी)

          उपाध्‍यक्ष महोदय - अब आप समाप्‍त करें.

          श्री के.पी.सिंह - उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह अनुरोध है कि इस बारे में कोई ठोस नीति बनायें. बिहार के श्री नितीश कुमार ने जो किया है, उसका रास्‍ता मैं बता दूँगा. इससे आपको नुकसान नहीं होने वाला है. बात वह बोलना चाहिए जो पूरी हो सके. आपके प्रदेश का जो 6000 करोड़ का नुकसान होगा उस 6000 करोड़ के रेवेन्‍यू की भरपाई कहां से होगी. मलैया जी इसके बारे में मैं आपको जब आप तय कर लेंगे तब बता दूंगा. आपको करना ही नहीं है तो मैं आपको क्‍यों बताउं.

          श्री बाला बच्‍चन-- यह सुझाव आप अपनी सरकार में बोलना.

          श्री के.पी.सिंह-- उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं थोड़ा सा समय और लूंगा.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- बाला जी, वह दिन कभी नहीं आएगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- जनजागृति इस सरकार में होता है. नहीं तो दिग्‍विजय सिंह जी का तो दिवाला ही उठ गया था.

          श्री बाला बच्‍चन-- आप इंतजार कीजिए, बहुत जल्‍दी वह दिन आ रहा है.

          श्री के.पी. सिंह-- भाग दो के बिंदु क्रमांक 18 में आपने लिखा है कि कुटुम्‍ब के किसी भी सदस्‍य के पक्ष में किसी संपत्ति के दावे का हक त्‍यागने हेतु वर्तमान में लागू प्रावधानों जिसके त‍हत संपत्ति के उस शेयर, जिस पर दावे का त्‍याग किया गया है, के प्रतिफल या बाजार मूल्‍य, इनमें से जो भी अधिक हो, के हस्‍तांतरण पत्र पर 2.5 प्रतिशत दर से शुल्‍क देय होता था जिसे घटाकर 0.5 प्रतिशत किया जाएगा. यह बहुत अच्‍छा काम आपने किया है. विधवा पेंशन का तो आपने किया ही है लेकिन दूसरा यह काम सबसे अच्‍छा किया है. मेरा तो आपसे अनुरोध है कि 0.5 प्रतिशत से भी क्‍या‍ मिलने वाला है. केन्‍द्र सरकार का जो इन्‍कम टैक्‍स का उसमें गिफ्ट पर नियम है क्‍योंकि यह एक तरह से गिफ्ट है. नरोत्‍तम मिश्रा जी या के.पी. सिंह किसी को अपने भाई या बहन को कोई चीज दे रहे हैं तो उस पर गिफ्ट फ्री है. जहां ब्‍लड रिलेशन हैं तो यह सारी समस्‍याएं ब्‍लड रिलेशन में ही हैं. होता क्‍या है कि बहनों की शादी होती है और वह चली जाती हैं. फिर कभी उनके बीच विवाद हो जाते हैं तो बहन किसी दुश्‍मन को बेचकर चली जाती है फिर झगड़ा होता है. मेरा आपसे अनुरोध है कि 0.5 प्रतिशत की आय भी कोई बहुत ज्‍यादा नहीं होने वाली है. इसका आप आंकलन कर लेना. इस व्‍यवस्‍था को आप समाप्‍त कर देंगे तो बहुत सारे परिवार लड़ाई, झगड़े और विवादों से बच जाएंगे. तहसीलदार और पटवारी हमारे गांव के सीधे-साधे लोगों से इसी बात का पैसा लेते हैं कि हम बहनों का नाम संपत्ति में नहीं जोड़ेंगे संपत्ति से बहनों का नाम हटा देंगे. इसका जो फायदा होगा बहुत बड़े स्‍तर पर होगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, 240 हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूल की बात इस बजट में है. 230 विधान सभा क्षेत्र हैं. अब 230 विधान सभा क्षेत्रों में क्‍या एक-एक हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूल की ही आवश्‍यकता है. एक हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूल से किस विधायक के क्षेत्र में भला हो जाएगा. इसको और बढ़ाने की आवश्‍यकता है. मेह‍रबानी करके इस पर विचार करें. हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूल तो बहुत सारे हो गए. कुछ शासन के द्वारा हो गए, कुछ हमने पहले किए थे, कुछ आपने कर दिए, लेकिन हाई स्‍कूल के बाद ज्‍यादातर लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं तो मेरा आपसे यही अनुरोध है कि माननीय मलैया जी इस बारे में पुनर्विचार करें और अगर हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूलों की संख्‍या बढ़ जाए तो शायद प्रदेश का हम बहुत भला कर पाएंगे. धन्‍यवाद जय हिन्‍द.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-- धन्‍यवाद के.पी.सिंह जी. आज आपने बहुत समय ले लिया वैसे आप बहुत कम बोलते हैं. आपने सारगर्भित बोला, बहुत सारे सुझाव आपने अच्‍छे दिए.

          श्री के.के. श्रीवास्‍तव (टीकमगढ़)-- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्‍तमंत्री जी के द्वारा प्रस्‍तुत बजट के समर्थन में यहां उपस्‍थित हुआ हूं. किसी भी सरकार के काम अगर हम गिने तो सरकार के लोककल्‍याणकारी काम कौन से होने चाहिए. सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य यह मूलभूत काम किसी भी सरकार के होते हैं और इसी पैमाने पर, इसी मापदंड पर उसकी कल्‍याणकारिता के बारे में अंदाजा लगा सकते हैं. लेकिन माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, हमारी सरकार न केवल इन कामों को कर रही है बल्कि जन सरोकारों से जुड़े मुद्दे पर भी हमारी सरकार ने काम किया है. अभी सुबह कुछ वक्‍तव्‍य यहां चल रहे थे. व‍ह कर रहे थे कि कहीं तीर्थ दर्शन हो रहा है, कहीं सरकार विवाह करा रही है, कहीं आपके सिंहस्‍थ के मेले में वैचारिक कुंभ कर रही है, कहीं नमामि देवी नर्मदे यात्रा कर रही है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, वह यह नहीं समझ सकते कि जन सरोकारों से जुडे़ मुद्दे पर सरकार ने जो काम किया है लोककल्‍याणकारी योजना तो हम कर ही रहे हैं. सड़क बिजली, पानी भी हम बना रहे हैं. सड़कों के मामले में 2003 की बात हम कहेंगे तो लोग कहेंगे कि मैं बोलता है. मुझे बोलना पड़ेगा अगर दो सिक्‍के हैं उनमें से खरा और खोटा बताना है तो दोनों सिक्‍कों को बगल में रखना पड़ेगा और इसीलिए हम 2003 के पहले की सरकारों की चर्चा करते हैं. वर्ष 2003 के पहले मध्यप्रदेश में सड़कों की क्या हालत थी सबको पता है उसमें राजे-रजवाड़े, नवाबों और हमारी भी ढाई-ढाई साल करके सरकार आई. उसमें हमारे समय की भी निर्मित सड़कें हैं. उपाध्यक्ष महोदय, आज 1 लाख 20 हजार किलोमीटर मध्यप्रदेश के अंदर सड़कें भारतीय जनता पार्टी ने बनाई हैं. वर्ष    2016-17 में 3877 किलोमीटर सड़कें बनीं, 101 वृहद पुल बने, मुख्य जिला मार्गों का सुदृढ़ीकरण करने के लिए हमारी सरकार ने एडीबी से तथा न्यू डेव्हलपमेंट बैंक से  6000 करोड़ की परियोजनाएँ भी स्वीकृत कराईं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2017-18 में जो बजट में प्रावधान हुआ है वह 5966 करोड़ रुपए का हुआ है, कभी कल्पना नहीं थी. बारहमासी सड़कों से प्रत्येक गांव को जोड़ने की योजना सरकार बना रही है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी, लोक निर्माण मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ उन्होंने टीकमगढ़ में बाई-पास की जो मांग थी एक स्वामी विवेकानंद प्रतिमा से सुभाष प्रतिमा तक और उसका दूसरा हिस्सा गोंदावेर मंदिर से डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी बस स्टेण्ड तक यह दो मांगें बाई-पास के रुप में उल्लेखित थीं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी से अनुरोध करता हूँ कि उसमें से एक हिस्सा (क) स्वामी विवेकानंद प्रतिमा से सुभाष प्रतिमा तक तो उन्होंने स्वीकृत कर दिया है दूसरा हिस्सा अभी भी रह गया है इससे कोई औचित्यपूर्ण नहीं होगा न ही टीकमगढ़ की बाई-पास की समस्या का समाधान होगा. आधा किया है मैं मांग करता हूँ कि बाकी हिस्से को भी जोड़ लिया जाए.

          उपाध्यक्ष महोदय, बिजली के बारे में बात करूं तो कुछ लोगों की बिजली ही गुल हो जाती है. मध्यप्रदेश में वर्ष 2003 के पहले नारा लगता था कि "मुख्यमंत्री लाल बत्ती में, जनता मोमबत्ती में" उसी जनता ने इस मध्यप्रदेश में उस दल की मोमबत्ती भी बुझा दी लालबत्ती तो खत्म ही हो गई. मध्यप्रदेश की सरकार 24 घंटे बिजली देने का काम कर रही है, 10 घंटे बिजली किसानों को मिल रही है. पहले की हालत क्या थी सबको पता है मैं बार-बार कहना नहीं चाहूंगा. 2 एकड़ का खेत सींचने के लिए पूरा परिवार कलेवा बांधकर बैठा रहता था. आज मध्यप्रदेश में बिजली की हालत सुधरी है न केवल सुधरी है बल्कि गांव-गांव और टोलों-मजरों तक बिजली पहुंचाई है.

          उपाध्यक्ष महोदय, पानी के बारे में बात करें तो कहा जाता है कि--

          रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून,

        पानी गए न ऊबरे मोती, मानुष, चून.

          यहां तो कुछ लोगों की आंखों का ही पानी खत्म हो गया है. खुद तो कुछ काम किया नहीं और टीका-टिप्पणी करते हैं. अगर सरकार अच्छी योजनाएं लेकर आ रही है, अच्छी योजनाएं बना रही है तो उस पर टीका-टिप्पणी करना है. इतना दिया इतना क्यों नहीं दिया. अभी बात कर रहे थे कि वर्ष 2017-18 में 9850 करोड़ रुपए जो दिया है वह 30 प्रतिशत की वृद्धि के अनुसार नहीं दिया है इसके पहले वाले बजट में  30 प्रतिशत वृद्धि का प्रावधान किया था इस बार कम किया है. अरे, हमने किया है न अब इस बार भी 1237 करोड़ रुपए हमने अधिक दिया है. बजट में हर वर्ष 30 प्रतिशत के मान से थोड़ी न वृद्धि करेंगे. लोगों को तो कहना है और कहने से तो कोई उन्हें रोक नहीं सकता है.   

          उपाध्यक्ष महोदय, एक कहानी सुनाना चाहता हूँ एक बार मैं और मेरा बेटा घर से घोड़े को लेकर निकले मैंने बेटे को कहा कि तुम घोड़े पर बैठ जाओ और मैं उसकी लगाम पकड़कर चलता हूँ.

          उपाध्यक्ष महोदय--यह असली कहानी है या काल्पनिक है ? समय-सीमा में सुनाएं.

          श्री के.के. श्रीवास्तव--उपाध्यक्ष महोदय, वे समझ जाएंगे. आपने सबको समय दिया है. मुझे कोई टोक नहीं रहा है इसके लिए मैं सभी का आभारी हूँ.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक--उपाध्यक्ष महोदय, इनके भाषण में कोई नहीं टोक रहा है यह भी सबक लें कि जब कोई दूसरा बोले तो यह भी न टोकें.

          श्री के.के.श्रीवास्तव--सोहनलाल जी आप टोक रहे हो, हम सबक सिखाते हैं, आप सीखें.

           उपाध्यक्ष महोदय, चौराहे पर चार लोग खड़े थे वे बोलने लगे देखो कैसा बेटा है बाप को पैदल चला रहा है और खुद घोड़े पर बैठा हुआ है. मेरे बेटे ने यह सुना तो वह घोड़े से उतर गया मुझसे बोला पिता जी आप बैठ जाओ तो मैं घोड़े पर बैठ गया. अगले चौराहे पर फिर चार लोग खड़े थे वे बोले देखो कैसा बाप है  छोटे से बेटे को पैदल चला रहा है और खुद घोड़े पर बैठा है. अब मुझे लगा कि मैं क्या करूं तो मैंने बेटे को भी घोड़े पर बैठा लिया. जैसे ही आगे चले तो चार लोग फिर मिल गए और बोलने लगे कि देखो घोर कलयुग आ गया है निरीह प्राणी के ऊपर दोनों बाप बेटे बैठकर चले जा रहे हैं. इसके बाद हम दोनों ही उतर गए आगे हम दोनों ने घोड़े को लेकर पैदल चलना स्वीकार किया. आगे फिर चार लोग खड़े थे बोलने लगे देखो यह लोग मूर्ख हैं, सवारी साथ में लिए हैं और पैदल चले जा रहे हैं. अब मैं घोड़े को तो उठा नहीं सकता था. हमारी सरकार काम कर रही है इनको टीका-टिप्पणी करना ही है, हम कोई भी अच्छा काम करें उसमें मीन-मेख निकाल रहे हैं. जिनकी आदत मीन-मेख निकालने की होती है वह ऐसा ही करते हैं.

          श्री बाला बच्‍चन-  श्रीवास्‍तव जी, इस कहानी से आपने क्‍या सीखा, क्‍या सबक लिया ?

          श्री बहादुर सिंह चौहान-  हम घोड़े पर बैठें तो खराब, उतरें तो खराब.

          श्री दिलीप सिंह परिहार-  हमारी सरकार कुछ भी करे, आप तो खराब ही बोलेंगे.

          श्री बाला बच्‍चन-  यह लोकतंत्र है.

          श्री के.के.श्रीवास्‍तव-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जो विघ्‍न संतोषी हैं, जिन्‍हें मीन-मेख निकालना है, जो छिद्रान्‍वेषी हैं, उन्‍हें तो हमारे हर काम में गलती दिखाई देती है.

          श्री लाल सिंह आर्य-  बाला बच्‍चन जी, आप यह बताईये कि आपको कहानी अच्‍छी लगी या नहीं ?

          श्री पुष्‍पेन्‍द्र नाथ पाठक-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इस कहानी का संदेश कुल मिलाकर यह है कि घोड़ा हमें छोड़ना नहीं है, अपने पास ही रखना है.

          श्री के.के.श्रीवास्‍तव-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, ये लोग आज भी कुछ सीख नहीं पाए हैं. सिंचाई के क्षेत्र में हम वृह्द, मध्‍यम और लघु परियोजनाओं के माध्‍यम से पूरे मध्‍यप्रदेश में नहरों का जाल बिछा रहे हैं, बांध बना रहे हैं. टीकमगढ़ जिले में ही बान सुधारा बांध हेतु एक हजार करोड़ रूपये की स्‍वीकृति दी गई है. इसका काम पिछले डेढ़ वर्ष से चल रहा है. केन-बेतवा लिंक परियोजना, जिसकी किसी ने कल्‍पना नहीं की थी, उसका भी काम शुरू होने वाला है. जिससे लगभग 3500 हेक्‍टेयर जमीन सिंचित होने की आशा है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, 2018 तक मध्‍यप्रदेश की हमारी सरकार ने 700 लघु योजनाओं को पूर्ण करने का लक्ष्‍य रखा था. मैं अपनी सरकार को बधाई देना चाहता हूं और मैं स्‍वयं इस बात पर गौरवान्वित हूं कि 700 योजनाओं में से 646 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं. इस हेतु मैं पुन: माननीय मुख्‍यमंत्री जी, सिंचाई मंत्री जी एवं वित्‍त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. मध्‍यप्रदेश में सिंचाई के क्षेत्र में ऐसा लग रहा है जैसे शिवराज जी के रूप में साक्षात् भागीरथ इस धरती पर उतर आए हों. आज अलग-अलग जगहों पर नर्मदा, बेतवा, क्षिप्रा, मालवा, चंबल, बरगी, धसान और पार्वती नदियों के जल को नहरों के माध्‍यम से किसानों के खेतों में पहुंचाने का काम किया जा रहा है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  कृपया समाप्‍त करें.

          श्री के.के.श्रीवास्‍तव-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, कृपया मुझे थोड़ा और समय दें. मैं केवल पानी के विषय पर ही बोल रहा हूं. अन्‍य किसी विषय पर नहीं बोल रहा हूं.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, पेयजल के मामले में मैं कहना चाहता हूं कि जमीन में पानी का स्‍तर लगातार घट रहा है. बुंदेलखण्‍ड, चंबल और बघेलखण्‍ड में स्थिति यह है कि वहां 200 फीट से अधिक गहराई में पानी मिलता ही नहीं है. पानी का स्‍तर लगातार घटने के कारण हम सतही जल पर आधारित संरचनों की ओर बढ़ते जा रहे हैं. समूह नल-जल योजनायें बनी हैं. समूह नल-जल योजनाओं में 552 करोड़ रूपये की 47 परियोजनाओं की स्‍वीकृति हुई है, जिन पर कार्य प्रारंभ हो गया है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरी स्‍वयं की मांग पर टीकमगढ़ में 975 करोड़ की योजना की स्‍वी‍कृति हुई है, जिसमें 526 गांवों को सम्मिलित किया गया है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  श्रीवास्‍तव जी, आप अपने क्षेत्र में स्‍वीकृत पेयजल योजना हेतु बधाई लेकर, कृपया समाप्‍त करें.

          श्री के.के.श्रीवास्‍तव-  धन्‍यवाद महोदय.

          श्री लाल सिंह आर्य-  उपाध्‍यक्ष महोदय, भारतीय क्रिकेट टीम में जैसे ईशांत शर्मा हैं, वैसे ही श्रीवास्‍वत जी हमारे बीजेपी के ईशांत शर्मा हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  आज इनको विकेट मिला कि नहीं ? श्रीवास्‍तव जी आपका समय समाप्‍त हो गया है.

          श्री के.के.श्रीवास्‍तव-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने जिस योजना हेतु मुझे बधाई दी है, उसमें जो कमियां रह गई हैं, वह मुझे नोट करवाने दीजिए.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  बहुत सारे सदस्‍यों को बोलना है. माननीय वित्‍त मंत्री जी को जवाब भी देना है. समय 5.30 तक ही है. अब आप अनुदान मांगों पर बोलियेगा.

          श्री के.के.श्रीवास्‍तव-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मुझे बस एक मिनट का समय दे दीजिए ताकि मैं योजना के संबंध में पूरी बात नोट करवा सकूं. बान सुधारा परियोजना में 10 एमसीएम पानी मिला है. जिसमें कि 29 एमसीएम पानी की जरूरत है. 10 एमसीएम से इस योजना का काम पूरा नहीं हो सकेगा. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी, वित्‍त मंत्री जी, सिंचाई मंत्री जी एवं पी.एच.ई. मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि इसमें 29 एमसीएम पानी की जरूरत है. सरकार ने 10 एमसीएम पानी तो दे ही दिया है, शेष पानी भी सरकार उपलब्‍ध करवा दे. अंत में मैं ''नमामि देवी नर्मदे'' योजना की बात करना चाहता हूं. मेरे पिताजी ने नर्मदा मां की वंदना करते हुए लिखा था कि

''तुड़र-तुड़र, तोड़-तोड़, धारि वारि मोड़-मोड़,

वृक्ष शैल फोड़-फोड़, सिंधु में सिधारो,

जय-जय जगदंबे जन्‍म, नर्मदे सुधारो,

जय-जय जगदंबे जन्‍म, नर्मदे सुधारो,''

               ''नमामि देवी नर्मदे, त्‍वदीय पाद पंकजम्'', इस परियोजना पर काम हुआ है. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए धन्‍यवाद.

            सुश्री हिना लिखीराम कावरे(लाँजी)--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण में प्रधानमंत्री आवास योजनान्तर्गत शहरी क्षेत्रों में प्रथम चरण में पाँच लाख आवास इकाइयों के निर्माण का लक्ष्य 2017-18 के लिए रखा है और इसके लिए बजट में एक हजार करोड़ का प्रोविजन माननीय वित्त मंत्री जी ने किया है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से कहना चाहती हूँ कि पाँच लाख आवास आपको बनाना हैं और इसके लिए पाँच हजार करोड़ रुपये चाहिए, सरकार का यह लक्ष्य है और सरकार ने बजट में एक हजार करोड़ का प्रावधान किया है. उपाध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत जो भवन बनने हैं, एक मकान की लागत ढाई लाख आती है और उसमें डेढ़ लाख रुपये केन्द्र सरकार को और एक लाख रुपये राज्य सरकार को देना हैं. उपाध्यक्ष महोदय, इस हिसाब से चार हजार करोड़ का कम प्रावधान इस बजट में किया गया है. मैं वित्त मंत्री जी से कहना चाहती हूँ कि यह प्रोविजन देख कर तो हम आराम से कह सकते हैं कि लक्ष्य को प्राप्त करने में सरकार कितनी गंभीर है, क्योंकि हमने सौ लोगों का खाना बनाया है और निमंत्रण एक हजार लोगों को दे दिया है, तो इसमें अफरा-तफरी होना स्वाभाविक है.

          उपाध्यक्ष महोदय, ऐसे ही मैं प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की बात करना चाहूँगी जिसके तहत छःलाख तैंतीस हजार आवास का लक्ष्य रखा है और जो बजट में प्रोविजन है, वह निश्चित रूप से इस लक्ष्य के अनुसार ही है. लेकिन 2016-17 में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत, जिन हितग्राहियों के खातों में चालीस हजार रुपये केन्द्र सरकार ने पहले ही डाल दिए हैं, जो केन्द्र शासन का अंश है, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से यह जानना चाहती हूँ कि क्या इसी बजट प्रावधान में से माननीय वित्त मंत्री जी, जो पूर्व में हमारे हितग्राहियों को जो पैसा उनके खाते में गया है, क्या इसी बजट में से, वह उनके खातों में पैसा, राज्य सरकार का जो अंश है, वह क्या इसी बजट के आधार पर डालेंगे और यदि इसी बजट से आप उनको डालेंगे तो आपको निश्चित रूप से इस बजट प्रावधान में आपको इसको बढ़ाना पड़ेगा.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बात करना चाहती हूँ. माननीय वित्त मंत्री जी ने अपने बजट में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए 2017-18 के लिए दो हजार करोड़ का प्रोविजन किया है. उपाध्यक्ष महोदय, दो हजार करोड़ बहुत कम है क्योंकि पिछली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत दो बार बीमा हुआ है, एक तो खरीफ की फसलों का और दूसरा रबी की फसलों का और मेरे पास यह अधिकृत जानकारी है कि दोनों ही बीमा राशि, जिसमें राज्य सरकार को जो अंश देना है, वह अभी तक आपका देय नहीं है, यदि सरकार पुराने बीमा की राशि अपनी यदि जमा करती है, तो उसके लिए दो करोड़ से कहीं ज्यादा राशि, उसी पुराने में ही खत्म हो जाएगी और यदि पुराने में खत्म हो गई तो आने वाली रबी की फसल और खरीफ की फसल के लिए सरकार के पास पैसा नहीं बचेगा इसलिए उपाध्यक्ष महोदय, मैं उदाहरण बताना चाहती हूँ कि यदि सरकार का अंश जमा नहीं होगा तो पिछली बार भी चार हजार चार सौ सोलह करोड़ रुपये, जो राष्ट्रीय कृषि बीमा का, किसानों को दिया गया, वह केवल सरकार की लापरवाही के चलते आठ महीने पहले किसानों को जो मुआवजा मिलना चाहिए था. चूँकि सरकार ने अपना अंश जमा नहीं किया था इस वजह से किसानों को वह राशि आठ महीने बाद मिली है. मैं वित्त मंत्री जी से यह कहना चाहती हूँ कि आप इस प्रोविजन को बढ़ाइये. आप उसको कम से कम चार हजार करोड़ कीजिए क्योंकि अभी जो आपका प्रधानमंत्री फसल बीमा है, पहले तो प्रीमियम की राशि किसान से हम ले लेते हैं और जब दावा देने की बात आती थी,  तब केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दावे के समय अपनी राशि जमा करते थे. लेकिन अब यह स्थिति प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत है कि जब तक राज्य शासन अपना अंश जमा नहीं करेगा तब तक केन्द्र सरकार भी अपना अंश नहीं देने वाली है. राज्य सरकार के देने के बाद ही केन्द्र सरकार अपना अंश जमा करेगी और खुदा-न-खास्‍ता कभी विपत्ति की स्थिति हमारे किसानों पर आ गई और उस समय यदि दावा देने की बात आई तो बीमा कंपनियॉं प्राइवेट बीमा कंपनियॉं हैं ये अपने हाथ खींच लेंगी कि अभी तक सरकार ने अपना अंश जमा नहीं किया है तो हम बीमा की राशि जारी कैसे करें. बजट भाषण में इस बात का जिक्र है कि पिछले वर्ष 27 हजार की तुलना में इस वर्ष 7 लाख अऋणी कृषकों को बीमा से जोड़ा गया है.  मैं यह कहना चाहती हॅूं कि 27 हजार की तुलना में इस वर्ष 7 लाख अऋणी किसान यदि इस बीमा से जुडें हैं तो इसका एकमात्र कारण केवल मार्केटिंग है और वह कैसे ? माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, 4416 करोड़ की जो बीमा राशि किसानों को वितरित की गई, इसी सदन की बात है माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने जब यह बीमा राशि देने की बात कही तो उन्‍होंने इस तरीके से प्रचारित किया कि मानो ये राशि राष्‍ट्रीय कृषि बीमा योजना की न होकर, प्रधानमंत्री फसल बीमा की हो क्‍योंकि मुख्‍यमंत्री जी के भाषण में उनके वक्‍तव्‍य में बीमा राशि हम किसानों को दे रहे हैं इस बात का तो जिक्र था लेकिन इस बात का जिक्र उन्‍होंने दूर-दूर तक नहीं किया कि राष्‍ट्रीय कृषि बीमा योजना का पैसा है और यह वही राष्‍ट्रीय कृषि बीमा योजना का पैसा सरकार ने बांटा है जिसका आप लोग उपहास यहां इस सदन में माननीय मुख्‍यमंत्री जी उड़ाते थे और कहते थे कि ये फसल का बीमा है या कर्ज का बीमा है और इसी के चलते ये वही कर्ज का बीमा है जिसकी राशि आप लोगों ने 4416 करोड़ रूपये किसानों को बांटी है और सदन में जितने लोग बैठे हैं निश्चित रूप से प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना के तहत कई सारी चर्चाएं यहां पर हुईं, लेकिन सदन के अंदर बैठे लोगों के साथ-साथ सदन के बाहर भी हमारे जो किसान हैं उनमें भी इस राशि को जब सरकार बांट रही थी.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- कृपया समाप्‍त करें.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, दो मिनट का समय चाहूंगी.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, दो मिनट का नहीं. आज अनुदान मांगों पर बोलिए. आज समाप्‍त करना है.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं अपनी बात पूरी कर लूं. मैं एकदम नई सदस्‍य हॅूं और बजट पर बोलने का मतलब आप अच्‍छे से जानते हैं. बजट का मतलब गणित का पेपर है और यह कोई हिन्‍दी या विज्ञान तो नहीं है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- आप अनुदान मांगों पर बोलिए. आप कृषि पर बोल रही हैं. फसल बीमा योजना के बारे में बोल रही हैं. कृषि मंत्री भी नहीं हैं. उस समय बोल लीजिएगा.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- जी, माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं जो बात कहना चाह रही हॅूं कि इस तरीके से इस प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को प्रचारित किया गया कि जब किसानों को बीमा की राशि बांटी गई और इसके लिए जो बडे़-बडे़ आयोजन हुए, उसमें राष्‍ट्रीय कृषि बीमा योजना का कहीं कोई जिक्र नहीं था, जिसकी राशि सरकार बांट रही थी.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- कृपया समाप्‍त करें.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहती हॅूं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- सुश्री हिना जी, अब आप मेरी बात भी मान लें. अब आप बैठ जाएं.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, ठीक है. मैं अपनी बात खतम करने के पहले एक बात जरूर कहना चाहती हॅूं, कृपया आप सुन लीजिए. मैंने बजट की किताब देखी और बालाघाट जिले में केवल दो पुलिया दिया गया है और मैं आपके माध्‍यम से सरकार को बधाई देना चाहती हॅूं, धन्‍यवाद करना चाहती हॅूं कि वह दोनों पुलिया मेरी विधानसभा क्षेत्र के अन्‍तर्गत हैं यह बात बोलकर मैं अपनी बात खतम करती हॅूं, धन्‍यवाद.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- धन्‍यवाद.

          श्री दिनेश राय (सिवनी)  -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में कुछ मैं और बातें रखना चाह रहा था लेकिन आपने कहा था कि बजट में आपका नाम सिवनी में जरूर मिलेगा, लेकिन मुझे कहीं मिला नहीं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- हम भी उसी श्रेणी में आते हैं.

          श्री दिनेश राय -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जब राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर बात चल रही थी तो पक्ष और विपक्ष के माननीय नेताओं की बातों से ऐसा लग रहा था कि बजट में चर्चा हो रही है. मैं पहली बार का विधायक हॅूं कि मैं समझ नहीं पाया हॅूं कहां क्‍या कमियॉं थीं. एक और मेरा आग्रह है कि हमारे जिले को क्‍यों हमेशा ऐसा रखा जा रहा है या तो मैं यह कहता सकता हॅूं कि माननीय मंत्रीगणों के क्षेत्र में ज्‍यादा काम क्‍यों जा रहा है. अधिकांश मैं काम देख रहा हॅूं कि 230 विधानसभा क्षेत्र हैं लेकिन मंत्रियों के क्षेत्र में ही कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, स्‍कूल, बडे़-बडे़ उद्योग, बड़ी-बड़ी नदियॉं, बड़े-बडे़ डेम आ रहे हैं तो क्‍या उन्‍हें चुनाव को लेकर खतरा है. बाकी 230 विधायक हैं, समानता से सबको बांटा जाना चाहिए. सबका साथ-सबका विकास. तो सब क्षेत्र का विकास होना चाहिए, ऐसा मेरा आग्रह है. मैं कहता हॅूं कि मेडिकल कॉलेज हो, नहीं आ रहा है. पीपीपी मोड का बोलो, कम से कम वह तो हो जाए. बोलते-बोलते तीन साल हो गए. हमारे यहां एक इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक कॉलेज है उसमें कुछ नहीं करना है. दो-चार प्रोफेसर देने हैं, बिल्डिंग है, कमरे हैं सब व्‍यवस्‍थाएं हैं. अभी मैं दो साल विधायक हूं मैं उन प्रोफेसरों की पूरी तनख्‍वाह दूंगा.कम-से-कम वहाँ आप कॉलेज चालू कर दें. हमारे यहाँ  बहुत बड़ा कृषि अनुसंधान केंद्र है वहाँ पर आप कृषि महाविद्यालय खोल सकते हैं. सिवनी तो कहीं दिखा दें कि सिवनी भी इस मध्यप्रदेश में है,यह मेरा आग्रह है. उपाध्यक्ष महोदय, विधायक के पास और क्या अधिकार है. आपसे हमेशा हमारे विधायक माँगते हैं कि उस जाँच में हमको भी रख लीजिये, हम लोग निरीक्षण में जाते हैं, वहाँ पर पंचनामा बनाते हैं लेकिन उसकी जाँच हमारी शासकीय अधिकारी ही करते हैं पर तीन-तीन साल हो गये हैं, एलम् ब्लीचिंग की जाँच के दोषी पाये गये लेकिन तीन साल में दो-दो नगरीय बदल गये लेकिन आज तक क्या हुआ, उस कार्यवाही को बताया नहीं गया है. इतना भ्रष्टाचार है उसको विधायक कैसे कवर करेगा. लोग तो विधायक को देखते हैं कि आपने निरीक्षण किया उसके बाद क्या हो रहा है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी डीजल पेट्रोल की बात चल रही थी, वास्तव में मेरा आग्रह है कि इनके रेट कम हों. शराब भी 100 परसेंट बंद होना चाहिए, यह भी मैं आग्रह करता हूं.शराब बंद इसलिए होना चाहिए कि चुनाव का फिर अगला बजट आएगा, उस समय घोषणा होगी फिर चुनाव आ जाएंगे. मैं चाहता हूं कि इन पांच वर्षों में जनता ने जो वोट दिया है उसका कर्ज  सरकार अभी चुका दे. अभी से शराबबंदी कर दें तो बड़ी मेहरबानी होगी और जुआ और सट्टा जो चल रहा है वह आप कहीं-न-कहीं वेलिड कर दें.

          राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग(श्री लाल सिंह आर्य)--  मुनमुन जी आप यह बताओ कि आप शराबबंदी पर बोल रहे हैं तो मुस्कुरा-मुस्कुरा के क्यो बोल रहे हैं यह समझ में नहीं आ रहा है.

          श्री दिनेश राय--  पीछे वाले कुछ मजाक-सी कर रहे थे मुझे इस बात को लेकर के क्योंकि मैं जाति का कलार हूँ और कलारों की कलारी होती है.(हंसी) मैं एक और आग्रह करता हूं कि एमपीईबी में संविदा कर्मचारी आठ-आठ, दस-दस साल से काम कर रहे हैं उनको आप परमानेंट कर दें. शिक्षा विभाग के सहायक शिक्षकों को आप पदोन्नति का लाभ दे दें, उनकी पदोन्नति कर दें. इसमें सरकार को कोई भार नहीं पड़ेगा. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हों या आशा कार्यकर्ता हों, इनका मानदेय बहुत कम है, उसको आप बढ़ायें.गाँव में हमारे प्रेरक, हमारे गांव के लोगों को साक्षर करने का काम कर रहे हैं. उनको मात्र 2 हजार रुपये मिलते हैं. मेरा आग्रह है कि उनको परमानेंट कर दें और उनकी राशि बढ़ायें. उपाध्यक्ष महोदय, हमारे ट्राइबल क्षेत्र में एलाटमेंट तो सरकार भेजती है लेकिन कहीं-न-कहीं कलेक्ट्रेट विभाग की वह राशि समय पर खर्च नहीं करते हैं, वह राशि वापस आ जाती है मैं चाहता हूं कि सरकार उस पर नियंत्रण रखे और उसका पूरा लाभ मिले. नामांतरण राजस्व विभाग के द्वारा समय पर नहीं किया जा रहा है.

          उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें.

          श्री दिनेश राय--  मैं तेजी से पढ़ देता हूं. नामांतरण जान-बूझकर लटकाये जा रहे हैं. नगरपालिका सिवनी में राजस्व विभाग ने बिना भवन स्वीकृति लिये उनको नामांतरण कर दिये हैं, नाम चढ़ा दिया है इससे करोड़ों रुपये का नुकसान सिवनी नगरपालिका को हुआ है, उसकी आप जाँच करा लें उसमें आपको पता चला जाएगा कि कितनी राशि का नुकसान हुआ है. हमारे यहाँ ट्रामा सेंटर है वह अब ड्रामा सेंटर जैसे हो गया है. ना उसमें कोई डॉक्टर है, ना नर्स है. कुछ नहीं है. उसमें अंदर जाओ तो वह पूरा ड्रामा लगता है. समझ में ही नहीं आता है कि क्या बच रहा है, क्या रखा है. रोजगार के साधन आप महिलाओं, पुरुषों और युवाओं को उपलब्ध करायें.माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा वित्तमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी से आग्रह है कि अगर कुछ नहीं करा सकते हैं तो मेरे जिले को सिर्फ संभाग बना दीजिये तो ऑटोमेटिक विकास हो जाएगा. वहाँ पर दो-दो सांसद है. जिला पंचायत योजना और नगरपालिका के प्रतिनिधि हैं, वह सब भाजपा के हैं.यदि एक निर्दलीय विधायक के रहने से विकास नहीं कर रहे हैं तो मैं इसी सदन में आज ही इस्तीफा देता हूं, मैं हटने के लिए तैयार हूँ, तब तो आप सिवनी को संभाग बना दें.

          उपाध्यक्ष महोदय--  आपकी बात आ गई है.

          श्री दिनेश राय--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक और आग्रह कर रहा हूं. मैं दो-तीन समस्यायें नोट करा देता हूं. गाँवों में रोडों की कमी है. स्कूलों का आप उन्नयन करा दें, मजरो-टोलों में विद्युत व्यवस्था करा दें, किसानों के खेत तक कुँओं तक विद्युत लाइट दे दें. सभी स्कूलों में विद्युत कनेक्शन दे दें और उनका बिल भी सरकार पटाये.गरीबों को पट्टा वर्ष 2013-14 का दिया जा रहा है जबकि हम 2017-18 में खड़े हैं. वर्तमान का सर्वे कराकर पट्टे दें. शिक्षकों की कमी है. पुलिस बल की कमी है. डॉक्टरों की कमी है.

          उपाध्यक्ष महोदय-- मुनमुन जी समाप्त करें. आप अनुदान माँगों पर अपनी बात रख लीजियेगा.

          श्री दिनेश राय--  मैं एक बात जरूर बोलना चाहता हूं कि विपक्ष बहुत कमजोर है इसमें दो राय नहीं है. इसलिए सरकार भी मस्त है. कम-से-कम विपक्ष को मजबूत बना दें तो सरकार भी अपने सभी क्षेत्रों में काम करेगी.

          उपाध्यक्ष महोदय-- कौन विपक्ष को मजबूत बनाएगा,क्या सरकार बनाएगी?

          श्री दिनेश राय--  लेकिन उन क्षेत्रों में भी कुछ विकास करा दें.

          श्री बाला बच्चन--  दिनेश भाई, आप हमारे में मिल जाओ विपक्ष और मजबूत हो जाएगा.

          श्री दिनेश राय--  हम मिले-मिलाये हैं, हमेशा हमने मुख्यमंत्री जी का जय-जयकार किया है कुछ लोग तो हमें जयचंद बोलने लगे हैं. जय-जयकार करते-करते हम जयचंदों की गिनती में आने लगे हैं. कम से कम विकास में तो आप राशि दे दें आप.

          श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय वित्‍त मंत्री जी द्वारा जो बजट पेश किया गया है वह स्‍वागत योग्‍य है. मध्‍यप्रदेश को, जो कि बीमारू प्रदेश था, उसको तेज गति से अग्रिम पंक्‍ति में लाने के लिए यह बजट पेश किया गया है. इसकी वजह से जो हमारे मेधावी छात्र हैं जो पढ़-लिखकर आगे बढ़ना चाहते हैं उनकी भी इच्‍छा होती थी कि वे कहीं न कहीं डॉक्‍टर बनें, इंजीनियर बनें, उन मेधावी छात्रों के लिए 1 हजार करोड़ रुपये का जो बजट में प्रावधान किया गया है, वह स्‍वागत योग्‍य है. जो विद्यार्थी 85 प्रतिशत अंक लेकर आएंगे उनकी फीस मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी और वित्‍त मंत्री जी अपने खजाने से भरेंगे, मैं इसके लिए इनको बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूँ. इसके कारण हमारी छुपी हुई ग्रामीण प्रतिभा जो थी, जो कि गरीबों की झोपड़ी में पलती थी, उसको आगे आने का अवसर मिलेगा. वे यदि उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त करना चाहते हैं तो उनको उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त होगी.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं कल जब नीमच में था तो शनिवार के दिन मुख्‍यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत नीमच से ट्रेन रामेश्‍वरम् जा रही थी जहा कि भगवान राम ने रामसेतु का निर्माण किया था, नल और नील ने जिस रामसेतु को बनाया था, उस रामेश्‍वरम् की यात्रा हो रही थी. मुख्‍यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में जो बुजुर्ग जा रहे थे वे बहुत प्रसन्‍न थे  और उन्‍होंने कहा कि और भी कुछ तीर्थस्‍थान हैं जो रह गए हैं तो हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने स्‍वत: ही उनको पूरा कर दिया. जब मैंने उन्‍हें बताया कि उन्‍होंने गंगासागर, पटना साहिब और मध्‍यप्रदेश के भी ऐसे अनेकों स्‍थानों को मुख्‍यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल किया गया है तो वे बड़े प्रसन्‍न हुए. कुछ बुजुर्ग तो यह भी कहने लगे कि सारे तीर्थ बार-बार, गंगासागर एक बार, तो इस बजट में गंगासागर की यात्रा को भी मुख्‍यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में शामिल किया गया है इसके लिए मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को और माननीय वित्‍त मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूँ.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, पर्यटन स्‍थल के संबंध में मैं एक निवेदन करना चाहूंगा कि जिस प्रकार इंदिरा सागर में 50 लाख सैलानियों ने आकर पर्यटन का आनंद लिया, उसी प्रकार हमारे गांधी सागर को भी पर्यटन स्‍थल के रूप में शामिल करें क्‍योंकि गांधी सागर में बहुत जल है और गांधी सागर को यदि ले लिया जाएगा तो वहां का विकास भी होगा और पर्यटक हमारे नीमच जिले में, मंदसौर जिले में भी आएंगे.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, खेती के संबंध में मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी को बहुत धन्‍यवाद दूंगा कि उन्‍होंने हमारे क्षेत्र में भी डेम दिए और कई लघु सिंचाई योजना, वृहद सिंचाई योजना उन्‍होंने लागू की है, मगर एक हरवार डेम है, जिसकी मांग मेरी तहसील के लोगों द्वारा बार-बार की जा रही है, यदि हरवार डेम को भी शामिल कर लें तो बहुत अच्‍छी बात हो जाएगी. मेरे यहा जल स्‍तर नीचे जा रहा था, मान्‍यवर मुख्‍यमंत्री जी आए और खेत का पानी खेत में रूके, गाव का पानी गाव में रूके, इस हेतु उन्‍होंने प्रयास किए, अनेक तालाबों का निर्माण हुआ, ठिकरिया डेम, खुमान सिंह शिवाजी डेम, अटल सरोवर, हमेरिया डेम, ऐसे अनेक डेम बनाए, इसके कारण हमारे किसान बहुत प्रसन्‍न हैं और ए-क्‍लास मंडी है 65 प्रकार की जिंस वहा पर पैदा होती है और लोग जब पैसे लेकर जाते हैं तो बहुत प्रसन्‍न होते हैं. अब तो आपने हमारे यहा एक औद्योगिक क्षेत्र की भी घोषणा की है इसके लिए मैं आपको धन्‍यवाद कहना चाहता हूँ कि आपने झांझरवाड़ा औद्योगिक क्षेत्र के लिए बजट में प्रावधान किया है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि माता वैष्‍णों देवी है वैसे ही हमारे यहा माँ भादों माता का स्‍थान है, उस भादों माता की सड़क पर अष्‍टमी को लोग पैदल जाते हैं, आपने कुछ सड़क बना दी है, सीमेंट कांक्रीट वाली सड़क बनाई है इसके लिए मैं आपको धन्‍यवाद देता हूँ, मगर कुछ हिस्‍सा जो मनासा और नीमच के आगे का शेष रह गया है उसको भी आप बनवा दें. आपका बजट सर्वहारा वर्ग के लिए बहुत अच्‍छा है. आपने जैविक खेती को बजट में प्राथमिकता दी है, 1.90 करोड़ रुपये का इस हेतु प्रावधान रखा गया है वहीं मुख्‍यमंत्री जी ने 4600 करोड़ रुपये जो फसल बीमा हेतु लोगों के खाते में पहुँचाए, इसके कारण भी किसान प्रसन्‍न हैं. यहाँ तक कि मेरे भी खाते में पैसे आए हैं जबकि मैं खेती नहीं करता हूँ परंतु मुझे खेती है. जो बीमे का पैसा 4600 करोड़ आपने किसानों को दिया है इसके लिए मैं आपको बधाई देता हूँ.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इसी प्रकार पशु हेतु, जो कि हमारी गौमाता है, यह हिन्‍दू को दूध पिलाती है, मुसलमान को दूध पिलाती है, बच्‍चे को दूध पिलाती है, वृद्ध को दूध पिलाती है, किसानों को गाय पालने के लिए भी आपने प्रोत्‍साहन दिया है. यदि किसान दुग्‍ध हेतु मेहनत करेंगे तो मध्‍यप्रदेश दुग्‍ध उत्‍पादन में भी प्रथम स्‍थान पर आ जाएगा, जैसे कि अन्‍न के उत्‍पादन में मध्‍यप्रदेश कृषि कर्मण पुरस्‍कार प्राप्‍त करता है और एक नहीं, चार बार प्राप्‍त करता है, इसी प्रकार गाय और भैंस पालने में, बकरी पालने में जैसा आपने बजट रखा है तो मध्‍यप्रदेश दुग्‍ध उत्‍पादन में भी आने वाले समय में अग्रिम पंक्‍ति में आएगा.इसके अलावा मछली के संबंध में भी कई तालाब हैं, उन तालाबों में भी मत्‍स्‍य पालन के लिये भी आपने 91 करोड़ रूपये का प्रावधान भी इस बजट में किया है, उसके लिये भी मैं आपको धन्‍यवाद देता हूं. हम सब लोग जानते हैं कि उत्‍तम खेती, मध्‍यम व्‍यापार और आखरी में आती है चौकरी या नौकर, तो उत्‍तम खेती के लिये हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने अनेक काम किये हैं, जहां जीरो प्रतिशत से हमारे किसानों को ऋण देने का काम कर रहे हैं, वहीं हमारे किसान खाद-बीज के लिये एक लाख रूपये ऋण लेता है तो उसको केवल नब्‍बे हजार रूपये ही जमा कराना पड़ता है तो ऐसा देश में कोई प्रदेश नहीं होगा जिसको केवल एक लाख में नब्‍बे हजार रूपये जमा कराना पड़े, ऐसे हमारे वित्‍त मंत्री जी और मुख्‍यमंत्री जी ने किसानों का बहुत ध्‍यान रखा है, जिसकी वजह से विकास की दर बीस प्रतिशत बढ़ रही है और किसान कहीं न कहीं बहुत लाभान्वित हो रहा है.नौ हजार आठ सौ करोड़ रूपये का आपने सिंचाई में प्रावधान किया है. हमारे क्षेत्र में जो नहरें हैं उनको पक्‍की कराने में भी आप कुछ न कुछ बजट दें. मध्‍यम परियोजना और अस्‍थायी कनेक्‍शन को आपने स्‍थायी कनेक्‍शन में परिवर्तित किया है इसकी वजह से भी मध्‍यप्रदेश का किसान बड़ा प्रसन्‍न है. मैं आपसे यही निवेदन करूंगा कि आप कहीं न कहीं चौबीस घंटे बिजली दे रहे हैं और दस घंटे सिंचाई के लिये बिजली दे रहे हैं और किसान के स्‍वायल (Soil) हेल्‍थ कार्ड बना रहे हैं, उन हेल्‍थ कार्डों की वजह से भी किसान को जो फसल लेना है, किसान वही फसल लेता है. मैं इस अवसर पर यही कहूंगा कि आपने विधवाओं के लिये पेंशन दी और बजट में उसको बढ़ाकर तीन सौ रूपये कर दी उसके लिये मैं वित्‍त मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं. आपने बोलने के लिये समय दिया उसके लिये धन्‍यवाद.

          श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा):- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं बहुत ही कम शब्‍दों में बोलना चाहूंगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- आपने स्‍वयं दो मिनट बोलने के लिये मांगे हैं.

        श्री हरदीप सिंह डंग :- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जैसे कि यहां पर बजट में जो बातें रखी गयी हैं, पहले तो मैं धन्‍यवाद् दूंगा कि आपने श्‍यामगढ़ और सुवासरा सिंचाई परियोजना पास कराई है उसके लिये मैं नरोत्‍तम मिश्र जी को धन्‍यवाद दूंगा और जो पूर्व सिंचाई मंत्री हैं उसमें उन्‍होंने भी आर्शीवाद दिया, सबको धन्‍यवाद देता हूं. एक विभाग को छोड़कर जो पक्षपात सभी विभागों ने किया है, उसमें सड़कें, जिनकी मांग मैं कई बार कर चुका हूं, एक भी सड़क तीन साल में नहीं होती है तो इससे बड़ा पक्षपात क्‍या होगा. अगर आप बजट की किताब देंगे तो एक क्षेत्र में तो आप पचास-सौ सड़कें दे रहे हैं और दूसरी जगह के लिये हम खाली दो सड़कें मांग रहे हैं तो वह सड़कें हमें प्राप्‍त नहीं हो रही हैं, इसमें भी ध्‍यान किया जाय.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं आज की ऊर्जा विभाग की घटना बताना चाहता हूं कि सीतामऊ  पुलिस थाने में किसान धरने पर बैठे हुए हैं. एक किसान का फ्रीज, स्‍कूटर, मोटर सायकल सब उठाकर लाये और जहां पर अलमारी नहीं होती है तो वहां पर किसान ने फ्रीज में किसान की पत्‍नी की  सोने की चैन रखी हुई थी, वह फ्रीज उठाकर लाये, जब पता किया तो मालूम पड़ा कि किसान का बिजली का बिल जमा था, बिल जमा होने के बाद भी सामान उठाये जा रहे हैं तो ऊर्जा विभाग में जो धांधलिया चल रही है. इसके कारण सुवासरा, सीतामऊ में करीब 100 किसानों के यहां पर कुर्की की गयी है और कुर्की भी बिना सूचना के की जा रही है, यह बहुत गलत है. अनुसूचित जाति वर्ग की जो बस्तियां हैं वहां पर भी पक्षपात किया जा रहा है. वहां पर जितने विकास के काम मांगे जाते हैं उसमें से मात्र 10 प्रतिशत भी नहीं होते हैं. मांगलिक भवन कई बार मांगे गये लेकिन आज तक उस क्षेत्र को एक भी मांगलिक भवन नहीं मिला है. हमारा क्षेत्र कंजरों का क्षेत्र है, वह पूरा राजस्‍थान से जुड़ा हुआ है, वहां के लिये हमने कई बार पुलिस चौकी की मांग की है, यदि वहां पर पुलिस चौकी नहीं खुलती है तो कभी भी कोई बहुत बड़ी दुर्घटना घटेगी तो इसकी जवाबदारी भी प्रशासन की होगी. यहां पर उद्योग की मांग की गयी है क्‍योंकि श्‍यामगढ़ क्षेत्र मंदसौर जिले का सबसे बड़ा शहर है, वहां पर यदि उद्योग विभाग की तरफ से एक मार्केट खोला जाये, जिससे उस क्षेत्र को बहुत फायदा होगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि पैट्रोल और डीजल के रेट दूसरे राज्‍यों से हमारे राज्‍य में बहुत ज्‍यादा है. मैं आपसे सिर्फ एक निवेदन और करना चाहता हूं कि आपने नदी के एक छोर के लिये तो सिंचाई परियोजना पास की है परन्‍तु नदी का जो दूसरा छोर सीतामऊ और श्‍यामपुर आप उसका भी सर्वे कराकर वहां के लिये भी योजना के लिये देंगे तो उस क्षेत्र के लोग भी आपको धन्‍यवाद देंगे. उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, उसके लिये धन्‍यवाद.                                    संसदीय कार्यमंत्री (डॉ.नरोत्‍तम मिश्र) - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय,  मैं श्री हरदीप सिंह डंग जी से कह रहा था कि जो आपने अभी कहा कि आपका क्षेत्र कंजरों का क्षेत्र है, ऐसा नहीं है वह मेरा गुरूद्वारा भी है. उस क्षेत्र में थोड़े बहुत कंजर निवास करते हैं, आप ऐसा कह सकते हैं. पूरे क्षेत्र में तो आप भी रहते हो.

          श्री हरदीप सिंह डंग - (हंसी) ज्‍यादातर वह क्षेत्र कंजरों से जुड़ा हुआ है.    

          श्री दिलीप सिंह परिहार - (हंसी) पर वहां अन्‍य बहुत सारे लोग भी तो रहते हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - डॉ. कैलाश जाटव जी आप बोलें.

          डॉ. कैलाश जाटव - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया उसके लिये मैं आपको पहले ही धन्‍यवाद देता हूं क्‍योंकि शायद बाद में समय की कमी की वजह से धन्‍यवाद न दे सकूं.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आज हम वर्ष 2017-18 के बजट के संबंध में चर्चा कर रहे हैं. मैं माननीय जयंत मलैया जी को बहुत साधुवाद दूंगा कि उन्‍होंने 18 लाख 5564.27 करोड़ रूपये का कुल शुद्ध व्‍यय का बजट और 16 लाख 9954.46 करोड़ रूपये का प्रावधान करते हुए, जो बजट लाये हैं, उसके लिये मध्‍यप्रदेश की जनता और हम सभी लोग उन्‍हें धन्‍यवाद देते हैं.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इस बजट में खास रूप से जो अनुसूचित जनजाति उपयोजना सब स्‍कीम के अंतर्गत 2017-18 में 25862.15 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है, मैं उसके लिये भी उन्‍हें धन्‍यवाद देता हूं. अनुसूचित जाति उपयोजना सब स्‍कीम के अंर्तगत 2017-18 में 16381.40 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. यह भी कहीं न कहीं समाज के लिये एक उदाहरण बनेगा.    

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जहां तक कृषि का सवाल है, जब से माननीय शिवराज सिंह चौहान जी हमारे मुख्‍यमंत्री बने हैं, कृषि के क्षेत्र में सिंचाई का रकबा भी बढ़ा है और किसानों को उनके लाभ की दो गुना रकम भी मिल रही है, इसके लिये भी बजट में माननीय वित्‍त मंत्री जी ने लगभग 33564 करोड़ का प्रावधान रखा है, इसका भी फायदा हमारे किसानों को मिलेगा. 

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इस वर्ष प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिये 2 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत 3 हजार ग्राम पंचायतों में ठोस तरल एवं अवशिष्‍ट के लिये 1750 करोड़ का प्रावधान बजट में किया गया है. प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के लिये 3500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं यहां पर आज बजट पर चर्चा करते विशेष रूप से माननीय वित्‍त्‍ा मंत्री जी से शिक्षा विभाग के बारे में जो उन्‍होंने प्रावधान किये हैं, उसके लिये धन्‍यवाद देना चाहता हूं. उन प्रावधानों में प्राथमिक शिक्षा अभियान के लिये जो 3 हजार 4 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. राष्‍ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान के लिये 646 करोड़ रूपये का आपने प्रावधान किया है. मिडिल स्‍कूलों में बच्‍चों के बैठने हेतु बैंचों के लिये 30 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. आज 2017-18 में हम मिडिल स्‍कूलों में बैंचों पर बच्‍चों के बैठने की व्‍यवस्‍था कर रहे हैं. यह कहीं न कहीं विपक्ष को सोचना चाहिए कि वह आजादी के इतने वर्षों बाद भी बच्‍चों को बैंचों पर नहीं बैठा पायी और आज हमारी सरकार इसको कर रही है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं साधुवाद देना चाहूंगा वित्‍तमंत्री जी को कि उन्‍होंने शाला भवनों के अनुरक्षण के लिये 45 करोड़ रूपये, प्रयोगशालाओं के लिये 27 करोड़ रूपये, अनुसूचित जनजाति विकास विभाग की मांग संख्‍या के लिये 189 करोड़ रूपये, एन.सी.ई.आर.टी.सी. की पाठ्यक्रम लागू करने के लिये 92 करोड़ रूपये, कन्‍या शिक्षा के लिये 201 विकासखंडों में कन्‍या छात्रावासों के लिये सुरक्षा व्‍यवस्‍था तथा मय संसाधन के लिये 48 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. यह प्रावधान बजट में आना ही हमारी सरकार की विचारधारा और नीतियों को दर्शाता है कि हम किस दिशा में हमारे समाज को ले जाना चाहते हैं.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, उच्‍च शिक्षा विभाग की योजनाओं के लिये 2293 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. जहां तक तकनीकी शिक्षा का सवाल उठता है, उस परियोजना के लिये सौ करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. मैं इस बजट के माध्‍यम से यह भी बताना चाहूंगा कि सड़क के निर्माण के लिये 5966 करोड़ रूपये का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है. सड़क संसाधन हेतु 1418 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. सामूहिक नल-जल योजना के लिये 552 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. राज्‍य ग्रामीण पेय जल कार्यक्रम के लिये 9 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है और अध्‍यापकों की कमी को पूरा करने के लिये 36 हजार शिक्षक इस वर्ष भर्ती करने का जो प्रावधान किया गया है उसके लिये मैं सरकार और माननीय वित्‍तमंत्री जी को बहुत बहुत धन्‍यवाद देता हूं.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं यहां पर सिर्फ इतना ही निवेदन करना चाहूंगा कि माननीय वित्‍त मंत्री महोदय ने बजट में बहुत ही बढि़या काम किया है लेकिन जो हमारी माध्‍यमिक शालाएं हैं, बच्चियों की कन्‍या शालाएं हैं, उसमें अगर बाउंड्री वॉल के लिये कोई राशि आप अधिकृत कर दें तो कम से कम वह सुरक्षा महसूस करेंगी. आपने  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय जी बोलने का मौका दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - डॉ. कैलाश जाटव आपका भी धन्‍यवाद. श्री कमलेश्‍वर पटेल जी आप बोलें और समय सीमा का ध्‍यान रखें.                              

श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) - उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्तमंत्री जी द्वारा प्रस्तुत बजट से यह साफ हो गया है कि बजट निराशा में तैयार किया गया है. केन्द्र सरकार से ना-उम्मीद होकर सरकार केवल कर्जे पर निर्भर हो गई है. विद्युत वितरण कंपनियों को चलाने के लिए सरकार कर्जा ले रही है और किसानों को बिजली नहीं मिल पा रही है. पिछले बजट भाषण में ही वित्तमंत्री बता चुके हैं कि कर्ज लेना क्यों जरूरी है? वे बता चुके हैं कि राजस्व प्राप्ति इतनी कम होती है कि राज्य का खर्चा निकालना मुश्किल होता है. जबकि पिछले साल बताया गया था कि वर्ष 2005 से 2014-15 तक 49779 करोड़ रुपए का कर्जा प्रदेश पर हो गया था. इसी कर्जे का ब्याज अब सरकार जनता से वसूलना चाहती है. यह सरकार की नीयत ठीक है तो सवाल यह है कि कर्ज का सही उपयोग हो रहा है या नहीं. हमारा सुझाव है कि इसके लिए नागरिकों की एक निगरानी समिति बनाना चाहिए. कारण यह है कि कर्ज का बोझ जनता को ही सहन करना पड़ता है. यदि जनता को नहीं सहना पड़ेगा तो सरकार को यह बताना चाहिए कि यह कर्जा वह कैसे चुकाएगी?

उपाध्यक्ष महोदय, पिछले साल के बजट में यह वायदा किया गया था कि नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना से देवास और उज्जैन के किसानों को पानी मिलने लगेगा. सरकार के ही वरिष्ठ मंत्री रहे श्री बाबूलाल गौर जी और हमारे माननीय विधायक साथी डॉ. मोहन यादव जी से पूछ लें कि उस परियोजना का सच क्या है?

श्री दिलीप सिंह परिहार ‑ सच यह है कि नर्मदा का पानी क्षिप्रा में आ गया है.

श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, जनता को तरह तरह के सपने दिखाना और भ्रम में रखना इस सरकार ने अपना मुख्य काम समझ लिया है. अब जनता को मेट्रो रेल का सपना दिखाकर छोड़ दिया है. पिछली बार कहा था कि केन्द्र सरकार से 3000 करोड़ रुपए ऋण सहायता मिलेगी और जापान अंतर्राष्ट्रीय कार्पोरेशन एजेंसी से 12000 करोड़ रुपए ऋण मिलेगा. लेकिन आज स्थिति शून्य है. सिर्फ बातें होकर रह गई हैं. बड़ी-बड़ी बातें करने में सरकार माहिर हो गई है. हमारे वित्तमंत्री जी ने पिछले बजट भाषण में ही विमुक्त घुम्मकड़ और अर्धघुम्मकड़ जातियों को जनजाति घोषित कर दिया था. पिछले बजट का बिन्दु क्रमांक 94 देखिए. इसमें साफ लिखा है कि यह जनजाति में शामिल हैं. यदि ऐसा है तो अभी तक उन्हें जनजाति का प्रमाण पत्र जारी क्यों नहीं किया गया है? यह विषय शोध का विषय है. इस बार बिन्दु क्रमांक 84 पर इन्हें जाति बताया गया है. क्या यह सच है? यह स्पष्ट होना चाहिए कि वह जाति है या जनजाति है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने कल एक और कामगार वित्त आयोग का गठन कर दिया है. हमारा सिर्फ आपके माध्यम से निवेदन है कि इतने सारे आयोग बनाते जा रहे हैं. परन्तु इनकी स्थिति क्या है? जबकि हमारे पास पहले से ही इतने सारे विभाग हैं. हम उसी में सही ढंग से क्रियान्वयन क्यों नहीं करते. सरकार इतने करोड़ों रुपए कर्जे में है और उसके बाद किस तरह से इन आयोगों का गठन और इतने सारे कार्पोरेशन्स का गठन करती जा रही है. वित्त आयोग अभी बनाया है. कल ही यह घोषणा की है. हमने आज ही पेपर में पढ़ा है.

उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा निवेदन है कि सरकार का जो वित्तीय कुप्रबंधन हो रहा है, उसमें थोड़ा संयम बरतना चाहिए क्योंकि आम जनता का ही तो पैसा खर्चा हो रहा है. एक और अनोखी बात माननीय वित्तमंत्री जी ने की है. बजट के भाग 2 के बिन्दु क्रमांक 6 में कहा गया है कि हवाई सेवा के लिए वैट कम कर दिया गया है. यदि माननीय वित्तमंत्री जी, पेट्रोल और डीजल पर भी रहम करते तो हम समझते हैं कि बहुत अच्छा होता और लोगों को इससे राहत मिलती.

उपाध्यक्ष महोदय, सरकार की स्थिति बड़ी अजीबो-गरीब हो गई है. अब सरकार ने मान लिया है कि कृषि भूमि का बड़ा भाग हर साल गैर कृषि प्रयोजन के लिए उपयोग हो रहा है. यह विरोधाभासी बातें हैं. जबकि इधर सरकार कह रही है कि खेती का रकबा बढ़ रहा है और दूसरी तरफ यदि खेती कम हो रही है तो कृषि वृद्धि दर कैसे बढ़ रही है, यह समझ से परे है. एक तरफ उत्पादन कैसे बढ़ रहा है. सबसे विरोधाभासी बात यह है कि इतनी सिंचाई किस जमीन पर हो रही है? हमारे वित्त मंत्री जी ने तो भारत सरकार की अर्थव्यवस्था की भी पोल खोल दी है. बिंदु क्र. 2 में साफ कहा है कि नई परियोजनाओं में निवेश की स्थिति ठीक नहीं है. फिर मुख्यमंत्री जी किस बात पर अपनी पीठ ठोकते हैं? जब निवेश ही नहीं है तो रोजगार कहां से होगा?

          उपाध्यक्ष महोदय, केन्द्रीय वित्त मंत्री माननीय अरुण जेटली जी कहते हैं कि भारत की अर्थ व्यवस्था आगे बढ़ी है. किसकी बात सही माने? माननीय मलैया जी हमारे प्रदेश के वित्त मंत्री हैं, जो कभी असत्य नहीं बोलते हम तो आपकी ही बात मानेंगे.

          उपाध्यक्ष महोदय-- समाप्त करें.

          श्री कमलेश्वर पटेल-- आपका संरक्षण चाहिए. बिंदु क्र. 4 में यह भी कहा है कि विद्युत वितरण कंपनियों के लिए...

          उपाध्यक्ष महोदय-- कुछ मुख्य बिंदुओं का उल्लेख कर दें. मैं आपके पास बहुत मटेरियल देख रहा हूं. इतना समय नहीं है. कृपया समाप्त करें.

          श्री बाला बच्चन--उपाध्यक्ष महोदय, थोड़ा समय और दे दीजिए.

          उपाध्यक्ष महोदय-- फिर आप लोगों के समय में कटौती करना पड़ेगी. साढ़े पांच बजे समाप्त करना है. माननीय मंत्री जी को भी जवाब देना है. बहुत सारे वक्ता हैं. 1 मिनट में समाप्त करें.  विभागों की अनुदान मांगों पर बोल लीजिए.

          श्री कमलेश्वर पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय, जो मुख्य बजट वित्त मंत्री जी ने प्रस्तुत किया है उसमें कहां क्या विसंगति है, उसकी ओर आपका और वित्त मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा. आपका संरक्षण चाहता हूं. दो मिनट का समय लूंगा.

          उपाध्यक्ष महोदय--  ऐसा नहीं. अब आप एक मिनट में समाप्त करें.

          श्री कमलेश्वर पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी ने बिंदु क्र. 4 में कहा कि विद्युत वितरण कंपनियों के लिए  7361 करोड़ रुपये का लोन सरकार ले रही है इसके लिए कानून में भी संशोधन करना पड़ रहा है. इस पर भी वित्त मंत्री जी कहते नहीं थकते कि हमारा वित्तीय प्रबंधन है, कुशल है. उपाध्यक्ष महोदय, लोगों पर कर्ज चढ़ाना किस प्रकार की कुशलता है. यह सरकार ही बेहतर जानती है. जहां तक सिंचाई परियोजनाओं पर निवेश को बढ़ावा देने की बात है....एक मिनट में समाप्त कर रहा हूं.

          उपाध्यक्ष महोदय-- आपने कितना समय ले लिया है. जैन साहब ने कितना अनुशासन दिखाया. आप थोड़ा सहयोग करें.

          श्री कमलेश्वर पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय, हम अपनी बात रखना चाहते हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय-- आप आधे मिनट में अपनी बात समाप्त करें.

          श्री कमलेश्वर पटेल-- आपके माध्यम से हम वित्त मंत्री जी से निवेदन करेंगे कि जिस तरह से सभी विधवाओं को पेंशन देने के लिए सरकार ने घोषणा की है. आपके माध्यम से मेरा निवेदन है कि 40% से ज्यादा जो भी दिव्यांग हैं और दूसरा जो वृद्ध हैं उनके लिए भी इसी तरह का प्रावधान करें. आपने गरीबी रेखा की बाध्यता रखी है यह खत्म करना चाहिए. यदि सरकार सही में गरीब कल्याण वर्ष मनाना चाहती है तो माननीय मुख्यमंत्री जी, वित्त मंत्री जी सदन में यह घोषणा करे. मध्यप्रदेश के दिव्यांग और वृद्ध लोग भारी परेशान हैं. गरीबी रेखा की बाध्यता होने के कारण बहुत सारे लोग खाद्यान्न, निराश्रित पेंशन से वंचित हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से वर्तमान और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जी का भी हम आभार प्रकट करना चाहते हैं कि हमारे विधान सभा क्षेत्र देवसर में जो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र था वह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में तब्दील हो गया था. इस बार के बजट में प्रावधान किया है, उसके लिए हम माननीय वित्त मंत्री जी का, स्वास्थ्य मंत्री जी का धन्यवाद और आभार प्रकट करना चाहते हैं. बातें तो बहुत थी, पर आपने समय नहीं दिया.धन्यवाद.

          उपाध्यक्ष महोदय-- क्या फरमाया आपने?

          डॉ नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष जी, इन्होंने यह फरमाया कि बातें तो बहुत की हकीकत कुछ भी नहीं कही.(हंसी)

          श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय मंत्री जी, मैंने जितनी बातें कही हैं वह सब हकीकत है.

          डॉ नरोत्तम मिश्र-- आपने कहा कि बातें बहुत की...मैंने कब कहा. (हंसी)

          श्री गोविन्द सिंह पटेल(गाडरवारा) -  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्रीजी ने बजट प्रस्तुत किया उसके समर्थन में मैं खड़ा हुआ हूं. बजट में हर क्षेत्र का ख्याल रखा गया है. मध्यप्रदेश को आगे बढ़ाने के लिये मुख्यमंत्री जी का जो संकल्प है, तो बजट में हर क्षेत्र के लिये व्यवस्था की है. मेरे क्षेत्र में भी दो पुल और एक सड़क इस बजट में आई है उसके लिये मैं वित्त मंत्री जी,पीडब्लूडी मंत्री और मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. इस बजट में सबसे बड़ा प्रावधान यह किया है कि विधवा महिलाओं के लिये बीपीएल का बंधन खत्म करके उनको  पेंशन की बात कही है वह बहुत सराहनीय कदम है क्योंकि हम लोग क्षेत्र में जाते हैं तो बेचारी विधवा खड़ी हो जाती है तो बीपीएल का बंधन रहता है इस बंधन के हटने से उनको 300 रुपये महीना पेंशन मिलेगी. मैं वित्त मंत्री जी से कहना चाहता हूं क्योंकि विधवाओं का जीवन बड़ा कष्टप्रद रहता है उनकी पेंशन आप 500 रुपये कर दें तो अच्छी शांति से वे अपना जीवन व्यतीत कर सकेंगी. मुख्यमंत्री जी का और हमारे प्रधानमंत्री जी का सपना है कि किसान की आय दुगुनी की जाये उसके लिये केन्द्र सरकार और हमारी सरकार भी प्रयास कर रही है. इस बजट में और उसके पहले भी सरकार ने प्रयास किये कि किसान की आय दुगुनी हो. खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात होती है तो मैं खेती को धंधा नहीं मानता. खेती एक सेवा है उसको धंधे की बात नहीं करनी चाहिये लेकिन खेती लाभकारी बने उसके लिये सरकार ने जो प्रयास किये हैं. सिंचाई के लिये सरकार ने पहले भी हमारे यहां  वर्ष 2003 में मात्र 7 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता थी. अब हमारी 40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता है. उसको 60 लाख हेक्टेयर का सरकार का जो लक्ष्य है उसके लिये इस वर्ष 9850 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है इससे सिंचाई क्षमता बढ़ेगी इससे किसान की आय दुगुना करने का संकल्प पूरा होगा. किसानों की जो फसल बीमा योजना है, जो किसान उसका लाभ नहीं ले पा रहे थे तो 7 लाख ऐसे किसानों को फसल ऋण से जोड़ा है और उसमें 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान है जो प्राकृतिक आपदा आने के बाद किसान उसका लाभ ले सके. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना हेतु हमारी सरकार ने 400  करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो खेती की जरूरतों को पूरा करने के लिये काम आयेगा और जो उत्पादन हो ता है खाद्यान्न का या फसलों का उसके भण्डारण के लिये खाद्य सुरक्षा मिशन हेतु 305 करोड़ रुपये का जो प्रावधान किया है उससे भण्डारण भी सुरक्षित होगा यह कृषि के लिये फायदेमंद होगा. खेती में कृषि यंत्रों का बड़ा योगदान होता है. क्योंकि आजकल यांत्रिकी खेती है आधुनिक खेती है तो कृषि यंत्रों के प्रोत्साहन हेतु 40 करोड़  रुपये का प्रावधान इस बजट में किया है वह सराहनीय कदम है और कृषि यंत्रों पर अनुदान, जो किसान कृषि यंत्र नहीं खरीद सकते उनको अनुदान के रुप में दिया जाये उसके लिये भी 46 करोड़ रुपये का प्रावधान सरकार ने किया है. यह अच्छा काम है. छोटे किसानों के खेतों में कृषि यंत्र चल सकें उसके लिये 14 करोड़ रुपये का प्रावधान है जिससे वे अपने खेतों में कृषि यंत्र चलवा सकें यह एक अच्छा कदम है और भण्डारण उद्यानिकी खेती के लिये सरकार ने नया आयाम दिया है उद्यानिकी खेती में शीतगृहों की क्षमता अभी 9.50 लाख टन थी उसको बढ़ाकर 15 लाख टन किया है.शीतगृहों की क्षमता बढ़ाने से जो उद्यानिकी खेती का उत्पादन होगा फल,सब्जी का भण्डारण उसमें हो सकेगा. हमारी प्याज के भण्डारण की क्षमता जो 80 हजार टन थी उसको  बढ़ाकर 5 लाख टन सरकार ने किया है. हमारे विपक्ष के जो मित्र हैं. अभी हमारे नेता प्रतिपक्ष बने हैं उन्होंने कार्यकर्ताओं की मीटिंग में कहा कि 15 वर्ष का वनवास खत्म होगा. मैं उनको याद दिलाना चाहता हूं कि वनवास तो 12 वर्ष का होता है. 15 वर्ष का कोई वनवास नहीं होता. भगवान राम को 12 वर्ष का वनवास हुआ था. पाण्डवों को भी 12 वर्ष का वनवास हुआ था. तो 15 वर्ष का कोई गणित नहीं है. 12 वर्ष निकल गये इधर आना है तो फिर 12 वर्ष तो कम से कम इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि सरकार जब इतना अच्छा काम कर रही है हर क्षेत्र में विकास की योजनाएं चला रही है तो फिर आपकी कल्पना करना बेकार ही है. आलोचना आप करते रहें, आलोचना करने से भी एक निखार आता है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक (परासिया)--  आदरणीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं बजट के संबंध में कुछ बात रखना चाहता हूं. चूंकि बजट के बारे में बोलना इतना आसान नहीं होता, जब तक इसकी पूरी स्‍टडी और जानकारी न हो फिर भी मेरी कोशिश है कुछ आंकड़ों के साथ मैं बात करूंगा, हो सकता है कुछ आंकड़ों का मिलान न हो. सबसे पहले मैं यह कहना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश सरकार ने जिस तरह से 1 लाख 85 हजार करोड़ का बजट रखा है, यहीं से शुरूआत असत्‍य हो जाती है. 1 लाख 85 हजार करोड़ का बजट हमारे मध्‍यप्रदेश का नहीं होना चाहिये, यह बजट और बढ़कर आना चाहिये. अब चूंकि बढ़कर कैसे नहीं आया, क्‍यों‍ नहीं आया, इस बात को हमारे आदरणीय वित्‍त मंत्री जी अच्‍छी तरह से समझ सकते हैं. बजट जब तक विभागों को पूरी तरह से न आये और जो उपयोगिता उसकी होना चाहिये वह उस बजट में न हो तो उस बजट का कोई औचित्‍य नहीं होता.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इस मौके पर मैं यह कहना चाहता हूं कि जीडीपी जो हमारा बोलता है, वैसे तो हम लागों को 3 प्रतिशत में काम करने की जरूरत है मगर राज्‍य सरकार ने केन्‍द्र सरकार से अनुमति लेकर साढ़े 3 प्रतिशत किया मगर वर्तमान की जो परिस्थिति है जिस तरह से धीरे-धीरे हम 2017-2018 में जायेंगे, यह जीडीपी 4.63 प्रतिशत में चला जायेगा, तो निश्चित रूप से बजट के अंदर कहीं न कहीं आंकड़ों में बहुत सारे फेरबदल हुये हैं और उस चीज को भी बहुत ज्‍यादा समझने की आवश्‍यकता है. मैं इस मौके पर कहना चाहता हूं कि हमारे आदरणीय के.पी.सिंह जी ने बात रखी थी पुलिस विभाग के संबंध में, पुलिस विभाग का जो बजट दिया है, पुलिस विभाग ने 7300 करोड़ मांगा था और आपने 5800 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा है और जो 46 योजनायें पुलिस विभाग की चल रही थीं उन 46 योजनाओं में से लगभग 40 योजना मेरे ख्‍याल से बंद हो चुकी हैं, जैसी मुझे जानकारी प्राप्‍त हुई है, तो निश्चित रूप से जो 92 प्रतिशत आपका बजट है वह सैलरी या अन्‍य मदों में चला जायेगा, जो 8 प्रतिशत बजट उसमें बचा है क्‍या उसमें पुलिस विभाग की जिस तरह से सुरक्षा व्‍यवस्‍था प्रदेश के अंदर होना चाहिये, जिस तरह से घटनायें बढ़ती चली जा रही हैं और जो महिलाओं के अत्‍याचार बढ़ते चले जा रहे हैं, महिलाओं के लिये भी बजट में प्रावधान नहीं रखा गया. बजट में इसका प्रावधान आवश्‍यक रूप से होना चाहिये था.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, बिजली की जो बात आई थी 7 हजार करोड़ रूपये केन्‍द्र सरकार से लेकर बिजली विभाग को साढ़े 4 हजार करोड़ की जो सहायता दी गई है इसमें भी ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है क्‍योंकि इस कर्ज को दो साल बाद बिजली विभाग को समाप्‍त करना होगा, यदि नहीं कर पायेगा तो निश्चित रूप से आने वाले समय में केन्‍द्र सरकार इसमें व्‍यवस्‍था नहीं बनायेगी जो हम सभी के लिये बहुत नुकसानदायक होगा. आपने बजट के अंदर बहुत सारी इंडस्ट्रीयल मीट की बात कही है, इंडस्ट्रीयल मीट हमारे प्रदेश में 3-4 बार हुई और उस मीट में हमने देखा है जो एमओयू हुये हैं उन एमओयू में आप देखें कि जिस तरह से जमीन स्‍तर पर उद्योग स्‍थापित होना चाहिये और उद्योग स्‍थापित होने की भी अपनी एक व्‍यवस्‍था होना चाहिये कि किन क्षेत्रों में जहां रोजगार की ज्‍यादा आवश्‍यकता है, जहां उद्योग को अच्‍छी तरह से संचालित किया जा सकता है, ऐसे क्षेत्रों में प्रावधान नहीं हुआ, खास तौर से मैं अपने परासिया विधान सभा क्षेत्र की बात कहूंगा कि मेरे परासिया विधान सभा में कोयला खानों के अलावा कोई उद्योग की व्‍यवस्‍था नहीं है, धीरे-धीरे कोयला खाने भी बंद होती चली जा रही हैं और नये उद्योग न आने के कारण हमारे क्षेत्र में रोजगार की व्‍यवस्‍था अत्‍यधिक बढ़ी है. साथ ही साथ में वित्‍त मंत्री जी का ध्‍यान इस बात के लिये भी दिलाना चाहूंगा कि आपकी भारतीय जनता पार्टी के मेन्‍यूफेस्‍टो में वर्ष 2008 में प्रोफेशनल टैक्‍स माफ करने की बात कही थी, तो इसे माफ करने का कोई भी प्रॉवीजन आपके बजट में नहीं आ पाया जो मजदूरों को मिलना चाहिये. हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूलों का जो प्रावधान किया गया है, हम लोग शिक्षा का स्‍तर बढ़ाने की बात करते हैं, शासकीय स्‍कूलों में जो व्‍यवस्‍था बनी थी वह धीरे-धीरे गिरती चली जा रही है और इसको ऊपर उठाने के लिये यदि हम हायर सेकेण्‍डरी, हाई स्‍कूल का उन्‍नयन नहीं कर पायेंगे और अच्‍छी व्‍यवस्‍था नहीं दे पायेंगे तो हम शिक्षा के स्‍तर में धीरे-धीरे गिरते चले जायेंगे. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, एक बात मैं और कहना चाहूंगा कि किसानों के लिये बहुत बड़ी-बड़ी बात की जाती है, खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात की जाती है. किसानों का आर्थिक सर्वेक्षण कराने की सरकार को आवश्‍यकता है, आर्थिक सर्वेक्षण किसानों का जब तक नहीं होगा तब तक कैसे प‍ता चलेगा कि हमारा किसान किस स्थिति में है.                  उपाध्यक्ष महोदय, सातवें वेतन आयोग के वेतनमान का आपने कर्मचारियों को लाभ दे दिया.  इस सरकार के द्वारा जो विधवा पेंशन के लिये 300 रूपये दिये जा रहे हैं, इस पर बहुत सारे सदस्यों ने अपनी बातें भी रखी है कि 150 रूपये मिलते थे 300 रूपये कर दिये हैं, मगर आज इस मंहगाई के दौर में इसका भी आंकलन सरकार को करना चाहिये. हम कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का पैसा दे रहे है और जो विधवा पेंशनधारी हैं उनको 300 रूपये देने से क्या उनके जीवन का गुजर बसर पर्याप्त हो जायेगा ? दूसरे राज्यों में विधवा पेंशन रूपये 1000 मिल रही है, क्या हमारी सरकार रूपये 1,000 का प्रावधान विधवा पेंशन के लिये नहीं रख सकती है ? एक सुझाव और भी है कि इस सदन में कन्याओं की ,महिलाओं की बहुत बड़ी बड़ी बात सरकार के द्वारा की जाती है. मैं वित्त मंत्री जी  का ध्यान इस और दिलाना चाहूंगा कि जो परित्यक्ता महिलायें है उनके लिये भी पेंशन का प्रावधान प्रदेश में होना चाहिये क्योंकि आप विधवा महिला पेंशन दे रहे हैं, परित्यक्ता महिलायें भी विधवा के जीवन से कम अपना जीवनयापन नहीं करती है . उपाध्यक्ष महोदय, अंतिम सुझाव मैं महिलाओं के बारे में देकर के अपनी बात को समाप्त करूंगा. सरकार इस ओर ध्यान दे कि जिस कन्या का विवाह नहीं हो पाता है जिनकी 45 वर्ष, 50 वर्ष आयु हो जाती है. इन लोगों के लिये भी पेंशन की व्यवस्था होना चाहिये क्योंकि यह न परिवार की रह पाती हैं न कहीं की रह पाती हैं. इसलिये आने वाले बजट में इन महिलाओं के लिये भी वित्त मंत्री जी बजट मे प्रावधान करेंगे. इसी उम्मीद के साथ मैं अपनी बात को समाप्त करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.

          उपाध्यक्ष महोदय- अच्छा सुझाव है.

          श्री वेलसिंह भूरिया(सरदारपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज विधानसभा में बहुत अच्छा लग रहा है क्योंकि माननीय वित्त मंत्री जी का चेहरा भी कमल के फूल की तरह खिल रहा है, मध्यप्रदेश के किसानों का चेहरा, अनुसूचित जाति और जनजाति के भाईयों का चेहरा वाकई में कमल के फूल की तरह खिल रहा है इसलिये आज विधानसभा में और पूरे प्रदेश में बहुत अच्छा लोगों को महसूस हो रहा है...

          श्री सोहनलाल बाल्मीक-- उपाध्यक्ष महोदय, क्या बजट में इन बातों का उल्लेख है.

          श्री वेलसिंह भूरिया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात प्रारंभ करूं उसके पहले एक बात में बता दूं. यह कांग्रेसी मित्रों के लिये भी है.

          पंख होने से कुछ नहीं होता , होसलों से उड़ान होती है.

          सपने उन्हीं के साकार होते हैं जिनके सपनों में जान होती है.

          झुकता वही है जिनके घुटनों में जान होती है

          वर्ना अकड तो मुर्दे की पहचान होती है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय यह (XXX) लोग समेट के कितने रह गये हैं यह हमको यहां पर दिख रहा है. (XXX) लोग ज्यादा दिन  चलते नहीं है.

…………………………………………………………………………………….

XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक -- उपाध्यक्ष महोदय, क्या बजट में इन सब बातों का उल्लेख है ?

          श्री वेलसिंह भूरिया- झुकने वाली चीजें हमेशा चलती रहती हैं.माननीय उपाध्यक्ष महोदय, देश को आजाद हुये 67 वर्ष से अधिक का समय हो गया लेकिन इन लोगों की पार्टी ने कुछ किया नहीं है.

          श्री जतन उईके --आदरणीय भूरिया जी, जिस सदन के अंदर आप बोल रहे हैं वह भी कांग्रेस की देन थी यह बात मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं. इंदिरा गांधी की देन है जो आप यहां पर बोल पा रहे हो.

          श्री वेलसिंह भूरिया -- उपाध्यक्ष महोदय, कांग्रेस पार्टी ने जितना आदिवासी भाईयों का शोषण किया है, किसानों का शोषण किया है, गरीबो का शोषण किया है, उतना किसी ने नहीं किया है. उपाध्यक्ष महोदय, हमारी पार्टी की बात करें, हमारी सरकार की बात करें तो सबसे ज्यादा  आईएएस, आईपीएस ,आईएफएस, डिप्टी कलेक्टर, जज हो सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकारी भर्ती हुये हैं चाहे वह संघ लोक सेवा आयोग से हो या राज्य लोक सेवा आयोग से हों, हमारी सरकार के समय मे भर्ती हुये हैं...

          श्री कमलेश्वर पटेल -- आरक्षण को खतम करने का काम भी आपकी ही सरकार में हुआ है.

          श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,आईआईटी हो, आईआईएम या कोई सी भी परीक्षा हो तकनीकी शिक्षा में तो सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के राज में और भारतीय जनता पार्टी के समय में सबसे ज्यादा भर्ती की प्रक्रिया हुई है.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक -- उपाध्यक्ष महोदय, यह बजट पर भाषण नहीं हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि चुनावी भाषण हो रहा है.

          श्री वेलसिंह भूरिया -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं बजट पर ही बोल रहा हूं कि हमारे प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी का एक सपना है. उन्होंने कहा है कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर देश में सभी झुग्गी-झोपड़ी की जगह लोगों को पक्के घर बनाये जाये और उनके इस सपने को पूरा करने के लिये हमारी राज्य सरकार कृत संकल्पित है. उपाध्‍यक्ष महोदय, पुराने जमाने में कांग्रेस के राज में क्‍या होता था, 20 हजार रूपए कुटीर के मिलते थे, जिसका नाम था इंदिरा आवास. 20 हजार रूपए मिलते थे, वह भी पंचायत सचिव और सरपंच की भेंट चढ़ जाते थे, बचे कुचे होते थे तो कुछ बड़े नेताओं की भी भेंट चढ़ जाते थे, मैं यहां तक कहने के लिए तैयार हूं. लेकिन हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में ऐसा नहीं होता है. हमारी सरकार में लोक सेवक गारंटी अधिनियम कानून बना है, यह ऐसा नियम बना है. कांग्रेस के राज में आदिवासी लोग, गरीब लोग, दीन दुखी लोग कलेक्‍टर कार्यालय के चक्‍कर लगाते थे, एसडीएम कार्यालय के चक्‍कर लगाते थे, लेकिन आज हमारे सरकार में ऐसा नहीं होता है. आज मुख्‍यमंत्री हेल्‍पलाइन में शिकायत कर दीजिए, कलेक्‍टर कार्यालय में मंगलवार के दिन कलेक्‍टर साहब दिनभर दरवाजा खोलकर बैठते हैं, तत्‍काल समस्‍या का समाधान होता है. क्‍या ऐसी व्‍यवस्‍था थी कांग्रेस की सरकार में. आज इतना अच्‍छा काम हमारी सरकार में हो रहा है. मैं कांग्रेसी मित्रों को बताना चाहता हूं कि वर्ष 2017-18 की कुल राजस्‍व प्राप्तियां रूपए 1 लाख 69 हजार 503 करोड़ तथा शुद्ध व्‍यय रूपए 1 लाख 69 हजार 954 करोड़ अनुमानित होने से वर्ष का शुद्ध लेन देन, ऋणात्‍मक रूपए 451 करोड़ का अनुमान है, राजकोषीय स्थिति वर्ष 2017-2018 में राजस्‍व आधिक्‍य अनुमानित है. वर्ष 2017-2018 के लिए राजकोषीय घाटे का अनुमान रूपए 25 हजार 689 करोड़ है, यह राज्‍य के सकल घरेलू उत्‍पाद का 3.49 प्रतिशत अनुमानित है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्‍तमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं, हमारी सरकार को भी बधाई देना चाहता हूं

          उपाध्‍यक्ष महोदय - श्री वैलसिंह जी अब समाप्‍त करें, अनुदान मांगो पर बोल लेना, आज समय नहीं है. बैठ जाइए.

          श्री वैलसिंह भूरिया - इस बजट में हमारे वित्‍त मंत्री जी के द्वारा जो लाइन लिखी है वह तो पढ़ लूं, बड़ी मजेदार लाइन है.       

          उपाध्‍यक्ष महोदय - आप तो बड़े अनुशासित हैं, आज क्‍या कर रहे हैं. 

          श्री वैलसिंह भूरिया - पंख ही काफी नहीं है, आसमानों के लिए हौंसला हम-सा चाहिए ऊंची उड़ानों के लिए, रोक रक्‍खी थी, नदी की धार तुमने ही कहीं ले के आए हम ही उन मुहानों के लिए, उपाध्‍यक्ष महोदय माननीय वित्‍तमंत्री जी को बहुत बहुत धन्‍यवाद और बधाई.

          श्री महेन्‍द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली) - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, यह बजट कितनी महंगाई बढ़ायेगा या कम करेगा, किस किस चीज पर महंगाई बढ़ेगी, यह स्थिति तभी स्‍पष्‍ट होगी, जब जीएसटी पर केन्‍द्र और राज्‍य की सहमति बनेगी, इसलिए इस पर मैं कुछ कमेन्‍ट नहीं करूंगा. लेकिन एक बात जरूर कहूंगा कि मूल बजट के बाद पहले तो एक सप्‍लीमेंट्री बजट आता था, दो आते थे, अब तीन-तीन और चार-चार सप्‍लीमेंट्री बजट आने लगे हैं, यह स्थिति ठीक नहीं है. वर्ष 2014-15 में आपने 1 लाख 48 हजार 505 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया था, खर्च हुए 1 लाख 13 हजार 512 करोड़, यानि सरकार की सभी मदों में 35 हजार 453 करोड़ की बचत हुई और उसके बाद भी आप 19 हजार 504 करोड़ का सप्‍लीमेन्‍ट्री बजट लाए, यह हमारी समझ में नहीं आता. बजट प्रबंधन ठीक नहीं होने से राजकोषीय घाटे में पिछले वर्ष के मुकाबले 1470 करोड़ रूपए ज्‍यादा लगा था. अभी पता नहीं है कि 14 वें वित्‍त आयोग ने राजकोषीय घाटे की सीमा 3.5 प्रतिशत की थी, उसका क्‍या हुआ और उसमें आपने कितना कम ज्‍यादा किया. सेन्‍ट्रल ग्रांट में 13 हजार करोड़ की राशि लैप्‍स हुई है, सेन्‍ट्रल बजट में भारी कटौती हर विभाग में हुई है, UIDSSMT योजना में 336 करोड़ की कटौती हुई है, यह अर्बन इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट स्‍कीम फॉर स्‍मॉल एंड मिडिल टाउन इसमें ग्‍वालियर और भोपाल में भी कमी हुई है और पी.एम. आवास योजना में 9 हजार करोड़ की कमी हुई है. अब मैं नहीं समझता कि मुख्‍यमंत्री और आपको जाकर भूख हड़ताल करनी चाहिए, जिस तरह से शिवराज सिंह  चौहान जी ने पिछली बार जब हमारी सरकार केन्‍द्र में थी, तब की थी. आप अब भूख हड़ताल क्‍यों नहीं करते कि यह कटौती नहीं होना चाहिए, सबसे ज्‍यादा स्थिति जो है वह जिलों में, मैं फायनेंशियल अराजकता की ओर आपका ध्यान आकर्षित  करना चाहूंगा.  प्रदेश में मध्यप्रदेश कोषालय संहिता  का घोर उल्लंघन हो रहा है.   विभिन्न विभागों में व्यक्तिगत खातों  में  पैसा जमा किया जा रहा है,  जो वित्तीय अनुशासनहीनता का प्रतीक है.  इसको आपको रोकना चाहिये.  एम.पी. फायनेंशियल कोड के नियम 6 में  अन्यत्र जमा करने हेतु  शासकीय राशि आहरित  नहीं की जा सकती.  कार्यालय प्रमुख के नाम से  खाता नहीं खोला जा सकता और कोषालय से आहरित राशि  आप कहीं नहीं रख सकते.  उसके बाद भी अनियमितताएं हो रही हैं.  आप इस बात की जानकारी लें कि  जिलों में कितने कार्य स्वीकृत हुए, कितने पूर्ण, अपूर्ण व अप्रारम्भ  हुए और अपूर्ण  तथा अप्रारम्भ  कार्यों की वर्षवार  कितनी कितनी राशि  बैंकों में, जिलों में  कहां कहां जमा है,  इसकी जानकारी आप लेंगे,  तो आपको पता लगेगा कि  कितना उल्लंघन हुआ है, कितनी अनियमितताएं हुई हैं.  एमपीटीसी, मध्यप्रदेश कोषालय संहिता के नियम  6 का उल्लंघन कहां कहां  हुआ है,  उन अधिकारियों को आप दंडित करें, ताकि जिलों में अनुशासन आये.  संचालनालय, लोक शिक्षण,  भू-अर्जन अधिकारी, मुरैना,  संचालक,  तकनीकी शिक्षा  और विभिन्न विभागों  ने 71  व्यक्तिगत खाते  जिलों में खोले हैं.  इस प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिये.  केंद्रीय अनुदान की राशि  वापस न कर व्यक्तिगत  खातों में  जमा करना घोर  वित्तीय अनुशासन हीनता है, इसको आपको जिलों में रोकना चाहिये.  अब मैं अंत में यह कहना चाहूंगा कि  मितव्ययिता के बारे में आपको विचार करना चाहिये.  कर्ज में  डूबी सरकार ने इवेंट, ब्रांडिंग  व प्रचार पर 16  करोड़ रुपये फूक दिये.  हितग्राही सम्मेलन के नाम पर  आपके कई जिलों में 15 लाख  खर्च करने  के निर्देश के बाद भी  सीमा से अधिक खर्च  हुआ और 16 करोड़,  36 लाख रुपये खर्च हुए.  पिछले वर्ष ही सरकारी खर्चों में  भी 18 प्रतिशत  वृद्धि हुई, जिसको आपको रोकना चाहिये.  आपका पब्लिसिटी का खर्चा दिन दूना, रात चौगुना बढ़ रहा है.आप  समाचार पत्रों, इलैक्ट्रॉनिक  मीडिया, टीवी  पर करोड़ों  खर्चा  कर रहे हैं, वह ठीक नहीं है.  सड़कों के लिये आप बजट प्रावधान कर रहे हैं,  अच्छी बात है,  लेकिन उनकी गुणवत्ता सुधारिये, क्योंकि पीएम योजना के रोड   की गुणवत्ता  खराब होती जा रही है.  सीएम योजना  के रोड और आरईएस  के कामों की  गुणवत्ता खराब हो रही है.  केंद्र और राज्य के टैक्स के कारण  30 रुपये का पेट्रोल  75.71  में और   डीजल भी 29 रुपये के बजाय  63 में मिल रहा है.  मैं आपको इसको  कम करने  का  अनुरोध  करता हूं.  राज्य अपना टैक्स हटा दे, तो भी 47 रुपये में  पेट्रोल, डीजल हो जायेगा.  तो आप हटायें नहीं, लेकिन कम से कम  करें.  आप शराब की दुकानें  पिछले दरवाजे से खोल रहे हैं.  125 दुकानें आपने खोल ली हैं और शराब की फैक्ट्रियां भी पाइप लाइन में हैं.  मेरी समझ में  नहीं आता कि  आप ऐसा क्यों कर रहे हैं.  आप कृषि कर्मण अवार्ड  बार-बार ले रहे हैं, लेकिन फिर कृषि विकास  की दर कम क्यों है.  किसान आत्महत्याएं  क्यों  कर रहे हैं. 1500 प्रतिवर्ष  किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं.  टमाटर, आलू सड़कों  पर क्यों फेके जा रहे हैं.  तुअर, गेहूं, सरसों, सोयाबीन के भाव  किसानों  को क्यों कम मिल रहे हैं, इस भी आपको विचार करना चाहिये.  आप वित्त मंत्री हैं,   मंदसौर, नीमच एवं रतलाम में  डोडा-चूरा की खरीदी सरकार को करना चाहिये, उसमें भ्रष्टाचार को रोकना चाहिये  और उसमें कई निर्दोष लोगों पर झूठे केस  दर्ज हो रहे हैं.  तो  मेहरबानी करके डोडा-चूरा को सरकार खरीदे और यह सब चीजें,  अनियमितताएं रुकें.  रोज घोड़ों,  सुअरों एवं हिरनों से  किसानों की फसल बचायें.   आप केजरीवाल से सीखिये कि  अस्पताल कैसे अच्छे होते हैं.  स्कूल कैसे अच्छे होते हैं.  मेहरबानी करके अपने स्कूल और अस्पताल अच्छे करिये.  प्रदेश के 374   अस्पतालों में  डॉक्टर नहीं हैं और  657 अस्पताल  डॉक्टर,नर्स, तकनीकी स्टाफ  विहीन हैं.  तो आप ज्यादा बजट प्रावधान करके  डॉक्टरों की भर्ती करिये, स्कूलों की हालत बहुत खराब हैं.  आप स्कूलों के लिये ज्यादा  पैसा दीजिये और भर्तियां जल्दी करिये. लोगों को  शुद्ध पेयजल  नहीं मिल रहा है, उस पेयजल को  ठीक करने के लिये  आपको पीएचई को पैसा देना चाहिये.  मार्च में पीएचई के पास बिलकुल पैसा नहीं है,  यह मैं आपको बता रहा हूं.  पंचायत सचिवों और पटवारियों   के शोषण से किसानों  को बचाइये. पंच, सरपंचों  के  जो आपने अधिकार छीन  लिये हैं, वह आप वापस करिये,  तो फिर पारदर्शिता आयेगी.  सरपंचों को अधिक से अधिक अधिकार दीजिये और राशन माफिया एवं भू माफिया एवं खनन माफिया को ठीक करें, तब आपका वित्तीय अनुशासन ठीक होगा. धन्यवाद.

                   उपाध्यक्ष महोदय -- श्री अनिल फिरोजिया (अनुपस्थित)

         

 

          श्री दुर्गालाल विजय (श्‍योपुर) - उपाध्‍यक्ष महोदय, समय की सीमा एवं मर्यादा का ध्‍यान है और कम समय में बहुत अधिक बात तो नहीं रखी जा सकती.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - आप विभागों की मांगों में रख लीजियेगा.

          श्री दुर्गालाल विजय - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ कि बजट जनहितैषी है, जन कल्‍याणकारी है और हमारे प्रदेश में जो अधिकांश लोग खेती-किसानी पर निर्भर करते हैं, गांवों में निवास करते हैं. उनकी दृष्टि से बजट बहुत अच्‍छा है. इस बजट के माध्‍यम से सरकार की नीति और सरकार की प्राथमिकताएं दिखाई देती हैं. इस बजट में भी सरकार ने जो प्राथमिकताएं सुनिश्चित की हैं, बजट को देखने से लगता है कि कृषि, स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, सिंचाई एवं विद्युत की दृष्टि से कार्य को बहुत तेजी से आगे बढ़ाने की दृष्टि से, माननीय वित्‍त मंत्री जी ने इसमें प्रावधान किए हैं, जो बहुत प्रशंसनीय हैं.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं मध्‍यप्रदेश की सरकार, वित्‍त मंत्री जी और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूँ कि अभी मध्‍यप्रदेश में लगातार गरीबों के लिए एक रूपये किलो गेहूँ, एक रूपये किलो चावल, एक रूपये किलो नमक और खाद्यान्‍न सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर प्रबंध किया जा रहा है और इस बजट में भी 350 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है ताकि गरीबों को लगातार इस प्रकार खाद्यान्‍न उपलब्‍ध होता रहे, जिसके कारण ऐसी कोई कठिनाई या समस्‍या उत्‍पन्‍न न हो कि कोई व्‍यक्ति भूख या भोजन न मिल पाने के कारण से परेशान और त्रस्‍त रहे तथा इसके कारण इस बजट में यह वयवस्‍था की है. मैं इसकी बहुत प्रशंसा करता हूँ. शिक्षा की दृष्टि से, मैं एक बात का उल्‍लेख आपके माध्‍यम से करना चाहता हूँ और मुख्‍यमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देना चाहता हूँ कि जो विद्यार्थी 12 वीं कक्षा में 85 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्‍त करके, आगे बढ़ेंगे, ऐसे विद्यार्थियों के लिए शासकीय संस्‍थाओं के अन्‍दर और शासन से अनुदान प्राप्‍त संस्‍थाओं में उनकी पूरी फीस सरकार की ओर से प्रदाय की जायेगी, उनको शुल्‍क देने की आवश्‍यकता नहीं होगी. इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि जो शासकीय संस्‍थाएं नहीं हैं, अन्‍य प्रकार की संस्‍थाएं हैं, उनमें एक लाख रूपये तक की फीस प्रतिवर्ष देने का प्रावधान भी इस बजट के माध्‍यम से किया गया है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, हमारे होनहार प्रतिभाशाली बच्‍चों के लिए बहुत ही महत्‍वपूर्ण और ऐतिहासिक कदम, हमारे मध्‍यप्रदेश की सरकार ने उठाया है, इसके लिए, मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूँ. मैंने प्रारंभ में निवेदन किया था कि हमारे प्रदेश के अन्‍दर खेती-किसानी से जुड़े हुए लोग गांवों में रहते हैं. उसके अंतर्गत खेती-किसानी में तरक्‍की हो, उन्‍नति हो, कृषि उत्‍पादन बढ़े, इसका प्रबंध किसान तो करता ही है, लेकिन सरकार की ओर से सब सुविधाएं उपलब्‍ध कराई जाएं, इसका भी ध्‍यान रखा गया है. पशुपालन की दृष्टि से, पशुपालन विभाग को 1,000 करोड़ रूपये की राशि देकर और दुग्‍ध उत्‍पादन को बढ़ाने का काम, अच्‍छी नस्‍ल की गायें और अच्‍छा पशुधन रखने का काम किसान कर सकेंगे, इसके लिए यह प्रावधान हुआ है. जैसा कि अभी उल्‍लेख हो चुका है कि फसल बीमा योजना के अंतर्गत लगभग 7 लाख अऋणी किसानों को इसके अन्‍दर जोड़ने का प्रावधान किया गया है, ऋणी किसान तो जुड़े ही रहते हैं और यह ऐतिहासिक कदम है कि पिछले समय 27,000 अऋणी किसानों को जोड़ा गया था, अब की बार 7 लाख अऋणी किसानों को इसके अन्‍दर जोड़ा गया है, जिससे किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा में, उन अऋणी किसानों को सरकार सहायता उपलब्‍ध करवा सकेगी और फसल बीमा योजना के अंतर्गत उनको मदद मिल सकेगी.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, अभी यह कहा जा रहा था कि फसल बीमा योजना में बहुत देरी से पैसा मिला, लेकिन अगर विचार करें तो जिन लोगों को फसल बीमा योजना का पैसा मिला, उनको पहले से ही मध्‍यप्रदेश की सरकार और माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने आर.बी.सी. के अंतर्गत मुआवजे की राशि प्रदान कर दी थी और तुरन्‍त मुआवजे की राशि प्रदान करने से किसानों को बड़ी राहत मिली थी और बाद में वह फसल बीमा योजना की भी राशि प्राप्‍त हुई थी.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - आप समाप्‍त करें.   

            श्री दुर्गालाल विजय - उपाध्‍यक्ष महोदय, विभिन्‍न क्षेत्रों में भी पर्यटन की दृष्टि से सरकार ने बहुत काम किया है. मैं एक दो बात अपने क्षेत्र की कहकर अपनी बात समाप्‍त करता हूं. जल संसाधन मंत्री जी यहां विराजमान हैं. वह बहुत ही विद्वान हैं, सक्रिय रूप से काम करने वाले हैं. वह मेरे गुरु भाई भी हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-- गुरु गोविन्‍द सिंह जी तो नहीं हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय मंत्री जी तब तो काम हो जाना चाहिए.

          श्री दुर्गालाल विजय-- उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं निवेदन करता हूं कि पिछले समय जब आप स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री थे आपने प्रस्‍ताव कर दिया था कि हमारा जिला चि‍कित्‍सालय 100 बेड से 200 बेड में उन्‍नयन हो जाए. माननीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री श्री रुस्‍तम सिंह जी ने उसे क्रियान्वित भी कर दिया. इसके लिए मैं उनको बहुत धन्‍यवाद भी देता हूं, लेकिन हमारे श्‍योपुर क्षेत्र में दो सिंचाई के प्रोजेक्‍ट बहुत समय से लंबित हैं. माननीय वित्‍त मंत्री जब जल संसाधन मंत्री हुआ करते थे तब भी हमने उनसे निवेदन किया था और अब जैसा कि मैंने निवेदन किया कि मेरे गुरु भाई जल संसाधन विभाग के मुखिया हैं तो उनसे यह आग्रह करना चाहता हूं कि मुजरी डेम के कार्य को जो थोड़े बहुत तकनीकी कारणों से रुका है, स्‍वीकृति प्रदान करा दें. इसी प्रकार पार्वती लिफ्ट इरीगेशन को भी स्‍वीकृति प्रदान करा देंगे तो हमारे क्षेत्र का किसान पूरी तरह से संपन्‍न हो जाएगा. मैं आपके माध्‍यम से वित्‍त मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं.

          श्री बाला बच्‍चन (राजपुर)-- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय वित्‍त मंत्री जी ने एक लाख 85 हजार 564 करोड़ रुपए का एक जम्‍बो बजट प्रस्‍तुत किया. वह बजट मात्र ब्‍याज अदाएगी वाला बजट बनकर रह गया है और इस बजट ने सबको निराश किया है. किसानों को, मजदूरों को, युवाओं को, व्‍यापारियों को, सर्वहारा वर्ग को निराश ही किया है. मैं समझता हूं कि पेट्रोल और डीजल पर भी टैक्‍स कम नहीं किया है. सरकार जो कृषि के आंकड़े बताती है वह असत्‍य है. यह सरकार 20 प्रतिशत ग्रोथ कृषि में बताती है. वहीं दूसरी ओर औसतन  एक दिन में 6 से 8 किसान और खेती से जुड़े हुए मजदूर आत्‍म‍हत्‍या करते हैं. पिछला जो कृषि का बजट था माननीय वित्‍त मंत्री जी 4 हजार 797 करोड़ की तुलना में इस बार आपने 4 हजार 541 करोड़ यानि 256 करोड़ रुपए कम करके किसानों को और तोड़ा है, हताश किया है और किसानों को आपने निराश ही किया है. जबकि यह बजट बढ़ना चाहिए था. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय. राजस्‍व का बजट भी 1073 करोड़ रुपए इस वर्ष आपने कम किया है. मैं समझता हूं कि यह सीधा-सीधा जनता से जुड़ा हुआ विभाग है इसमें बजट बढ़ना चाहिए था. उसको आपने कम किया है. कई दिनों से पटवारी उम्‍मीद कर रहे थे वे सरकार के खिलाफ एजीटेशन अपनी मांगों को लेकर कर रहे थे कि हमारी मांग इस बजट में पूरी होगी लेकिन 1 हजार 73 करोड़ रुपए का बजट कम करके आपने उनको भी निराश ही किया है और उनकी मांग से भी आपने उनको वंचित किया है.

           माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, बात यहीं समाप्‍त नहीं होती है. इसके अलावा आगे सरकार ने जिस तरीके से 220 सड़कें लोक निर्माण विभाग के बजट में मंजूर करना बताई उसमें से 58 सड़कें केवल सीहोर जिले की हैं. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मुख्‍यमंत्री जी क्‍या केवल सीहोर के ही मुख्‍यमंत्री हैं? हमने भी सड़कें दी थी, हमने भी सिंचाई की योजनाएं दी थीं, हमने भी पुल पुलिया के काम दिए थे, हमने भी भवनों के काम दिए थे. माननीय वित्‍त मंत्री जी और माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ऐसा क्‍यों किया है, हमारे यहां भी जनता रहती है, आपने उनके लिए बजट में प्रोवीजन क्‍यों नहीं किया है. 36 हजार अध्‍यापकों की भर्ती का तो आपने जिक्र बजट में किया है लेकिन आपने इसमें यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है कि जो 36 हजार भर्तियां होंगी व‍ह मध्‍यप्रदेश के ही युवक युवतियों के द्वारा की जाएंगी, क्‍योंकि बाहर के राज्‍य के युवक युवती आ जाते हैं और हमारे यहां का स्‍थान वह ले लेते हैं इसीलिए माननीय वित्‍त मंत्री जी जब भी आप भर्ती करें तो इस बात का ध्‍यान रखें. उपाध्यक्ष महोदय, एक बात यह भी कहना चाहता हूँ कि आर्थिक सर्वेक्षण में यह बतलाया गया है वर्ष 2011-12 का सेवा का क्षेत्र 28 प्रतिशत से घटकर 22 प्रतिशत हो गया है. नगरों और कस्बों में जो बेरोजगारी बढ़ती जा रही है उसके लिए यह बहुत बड़ा चिंता का विषय है. हमारे यहां के युवा मध्यप्रदेश से बाहर काम की तलाश में जाते हैं इस पर भी सरकार को विचार करना पड़ेगा.

          उपाध्यक्ष महोदय, हमारे देश के प्रधानमंत्री एक ओर खादी को बढ़ावा देने की बात करते हैं लेकिन दूसरी ओर उनकी ही पार्टी की सरकार ग्रामोद्योग विभाग का बजट कम कर देती है. यह कहीं-न-कहीं सोचने की बात है. प्रदेश की जनता को इंदौर और भोपाल में मेट्रो ट्रेन के सपने दिखाने वाली सरकार ने पिछली बार तो 452 करोड़ रुपए का बजट प्रोवीजन किया था लेकिन इस बार मात्र एक करोड़ रुपए का प्रोवीजन किया है इसके लिए मुझे लगता है आपको प्रदेश की जनता से माफी मांगना चाहिए. ऐसा आपने क्यों किया क्योंकि इसके पहले तो आप और आपकी सरकार बताती रही कि बहुत जल्दी भारत सरकार से मेट्रो रेल परियोजना की स्वीकृति होने वाली है और बहुत जल्दी इंदौर और भोपाल में मेट्रो ट्रेन आने वाली है. भोपाल के लिए मेट्रो ट्रेन की जो डीपीआर तैयार हुई उसमें 30 करोड़ रुपए आपने खर्च कर दिए. आदिम जाति कल्याण विभाग का वर्ष 2015-16 का जो बजट था उससे 100 करोड़ रुपए लेना आपने बताया है. मेट्रो का काम तो कुछ भी नहीं हुआ है, सरकार को प्रदेश की जनता से माफी मांगना चाहिए. बजट बना लिया, आंकड़ों का प्रोवीजन कर लिया. खूब अच्छा बजट बनाया है, जम्बो बजट बनाया है लेकिन बजट जब खर्च करने की बात आती है तब आप बजट कहां खर्च करते हैं वह मैं आपको बताना चाहता हूँ.

 

 

 

5.22 बजे                     {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}

          माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2013-14 के आदिम जाति कल्याण विभाग के बजट के 600 करोड़ रुपए, वर्ष 2014-15 के 1300 करोड़ रुपए, वर्ष 2015-16 के 100 करोड़ रुपए आपने या तो मेट्रो रेलवे परियोजना पर खर्च करना बताया है या फिर इस बजट को केरी फारवर्ड किया गया है. आप बजट प्रोवीजन करते हैं तो खर्च क्यों नहीं करते हैं ?  विशेषकर यह 2000 करोड़ रुपए आदिम जाति कल्याण विभाग का बजट जो कि उनके कल्याण के लिए उनके विकास के लिए और उनकी योजनाओं को पूरा करने के लिए खर्च करना था आप वह नहीं कर पाए हैं. जब आप बोलें तो इस बात को भी स्पष्ट करें.

          अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के युवाओं की आशा का केन्द्र आईटी है जिस पर मात्र आपने 58 करोड़ रुपए का बजट रखा है. आप कब हैदराबाद, पुणे और बेंगलुरु की बराबरी करेंगे ?  मैं समझता हूँ इससे युवाओं को निराशा ही हाथ लगी है.

          अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में पुलिस विभाग के आधुनिकीकरण के लिए 45 योजनाओं पर हर वर्ष 100 करोड़ रुपए खर्च करना बताया गया है लेकिन बजट में आपने कहीं पर भी न ट्रेफिक व्यवस्था के लिए राशि का प्रोवीजन किया है और न ही हाई-वे पर जो लूटपाट होती है उसकी सुरक्षा के लिए कोई प्रोवीजन किया है. 236 पुलिस चौकियां जर्जर भवनों में लगती हैं उनके नवीनीकरण के लिए बजट में कोई प्रोवीजन नहीं किया है. इनके लिए कोई व्यवस्था की बात नहीं की गई है. इसका लॉ एण्ड ऑर्डर पर भी प्रभाव पड़ेगा. जब आप बोलें तो इस बात को भी स्पष्ट करें. अध्यक्ष महोदय, भोपाल जेल ब्रेक के बाद मुरैना जेल ब्रेक भी हो चुका है लेकिन यहां पर भी जेल विभाग के बजट का डेढ़ प्रतिशत तक भी इन जेलों की व्यवस्थाओं के लिए, आधुनिकीकरण के लिए आपने खर्च करना कहीं पर नहीं बताया है.

          अध्यक्ष महोदय, सातवें वेतनमान की बात तो आपने कर दी है लेकिन छठवें वेतनमान की विसंगतियां अभी तक दूर नहीं हुई हैं जिसमें पेंशनर्स हैं, निगम मण्डल के कर्मचारी हैं उनकी सातवें वेतनमान में वस्तुस्थिति स्पष्ट नहीं की है. छठवें वेतनमान का इनको अभी तक एरियर नहीं मिला है. इसी प्रकार 32 महीने का एरियर पेंशनर्स को नहीं मिला है. माननीय वित्त मंत्री जी इस बात को भी स्पष्ट करें. सरकार ने आनंद विभाग का बजट पिछले साल 2 करोड़ रुपए रखा था लेकिन इसके अलावा पंचायत विभाग ने 11 करोड़ 41 लाख रुपए जनपदों में आनंद उत्सव मनाने के लिए खर्च करना बताया है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि आनंद उत्‍सव मनाने के बजाय यह राशि यदि विकास कार्यों में खर्च होती तो ज्‍यादा बेहतर होता. दूर-दराज़ के ग्रामीण अंचलों में जहां सरकार की गतिविधियां चलाई जाती हैं, विभाग की गतिविधियां चलाई जाती हैं, वहां यदि विकास का कार्य होता तो ज्‍यादा बेहतर होता. लेकिन आपने 11.5 करोड़ रूपये आनंद उत्‍सव पर खर्च कर दिये.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 4.12.2016 को मध्‍यप्रदेश में एक हितग्राही सम्‍मेलन हुआ था, जिसमें सरकार ने 13 करोड़ रूपये खर्च किए हैं. इन 13 करोड़ रूपयों में से डोम, लाईट, साउंड सिस्‍टम एवं टेंट पर सरकार ने करीब 7 करोड़ 69 लाख रूपये खर्च करना बताया है. इसके अलावा ब्रांडिंग और ईवेंट मैनेजमेंट के लिए 4 करोड़ 59 लाख रूपये आपने खर्च किए हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस तरह से सरकार ने कुल 13 करोड़ रूपये खर्च करना बताया है. नवंबर 2016 में लोकमंथन के कार्यक्रम में सरकार ने 3 करोड़ 41 लाख रूपये खर्च करना बताया है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने जानना चाहा था कि सिंहस्‍थ में सरकार ने विदेशी अखबारों को विज्ञापन हेतु कितनी राशि दी है, इस हेतु मेरे दो-दो प्रश्‍न लगे हुए हैं, लेकिन मुझे आज त‍क इसका जवाब सरकार नहीं दे पाई है. जबकि इस पर भी सरकार ने करोड़ों रूपये खर्च किए हैं. आपने आज तक मेरे इस प्रश्‍न का जवाब क्‍यों नहीं दिया है, मैं माननीय जनसंपर्क मंत्री, वित्‍त मंत्री एवं सरकार से यह जानना चाहता हूं. बात यहीं समाप्‍त नहीं होती है. नमामि देवी नर्मदे, नर्मदा सेवा यात्रा पर अभी तक कितना व्‍यय हुआ है, इसके संबंध में भी मैं अपने प्रश्‍न के माध्‍यम से सरकार से जानना चाहता हूं, लेकिन सरकार ने इस प्रश्‍न का भी जवाब आज तक मुझे नहीं दिया है. मैं समझता हूं कि मुझे, सदन और इस प्रदेश की जनता को यह जानने का हक और अधिकार है. सरकार को इस बारे में कुछ भी नहीं छिपाना चाहिए. माननीय वित्‍त मंत्री जी जब आप बोलें तो कृपया मुझे इस संबंध में बतायें.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नर्मदा घाटी विकास परियोजना के अंतर्गत मेरे ही जिले की लोअरगोई परियोजना, इंदिरा सागर परियोजना के डेमों के काम पूरे नहीं हुए हैं. इनकी नहरों के कार्य पूर्ण नहीं हुए हैं. बहुत ही धीमी गति से काम चल रहे हैं और कहीं यदि कुछ काम पूरे भी हुए हैं तो उनकी क्‍वालिटी ठीक नहीं है. इस पर भी सरकार ध्‍यान दे और अपना नियंत्रण रखे. ओंकारेश्‍वर बांध परियोजना के प्रथम चरण को प्रारंभ हुए 11 वर्ष हो चुके हैं. इसके द्वितीय एवं तृतीय चरण को शुरू हुए 9 वर्ष हो चुके हैं और सरकार यह कहती है कि वर्ष 2018-19 में किसानों को वह पानी देगी. मैं समझता हूं कि मध्‍यप्रदेश के किसानों और खेती से जुड़े हुए लोगों का यह दुर्भाग्‍य है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुख्‍यमंत्री जी ने राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर अपना जो वक्‍तव्‍य दिया था, उसमें यह बात कही थी कि सिंहस्‍थ में अभी तक जो खर्च हुआ है, उसका उन्‍होंने ऑडिट करवाया है. माननीय वित्‍त मंत्री जी हम सभी इस ऑडिट का इंतजार कर रहे थे. हम भी ऑडिट रिपोर्ट के बारे में जानना चाहते हैं. मैंने और मेरी पार्टी के कई साथियों ने  सिंहस्‍थ के संबंध में कई प्रश्‍न लगाये हैं. हम जानना चाहते हैं कि सिंहस्‍थ में जिन वर्णित कंपनियों ने किसी भी सामान की सप्‍लाई की है, क्‍या उनका पंजीयन हुआ है, यदि पंजीयन हुआ है तो किस तारीख एवं वर्ष में हुआ है. माननीय वित्‍त मंत्री जी आपके विभाग ने हमें यह जानकारी नहीं दी थी. पंजीयन होना नहीं बताया गया था और वहीं नगरीय विकास विभाग ने उसका टीन नंबर उपलब्‍ध करवाया है. माननीय वित्‍त मंत्री जी मैं आपसे जानना चाहता हूं कि आपके विभाग ने ऐसा जवाब क्‍यों दिया था, आपके विभाग ने जिन कंपनियों द्वारा सप्‍लाई किया गया था, उनका पंजीयन होना क्‍यों नहीं बताया था ?

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्‍न शौचालय किराये पर देने वाली फर्मों की संख्‍या के संबंध में था. इसके जवाब में मुझे फर्मों की संख्‍या 26 बताई गई थी, लेकिन वह संख्‍या 25 है. सिंहस्‍थ में इसी प्रकार की काफी अनियमिततायें हुई हैं. मुख्‍यमंत्री जी के कहे अनुसार यदि सिंहस्‍थ्‍ा के खर्चे का ऑडिट हो चुका है तो सरकार उस ऑडिट रिपोर्ट को विधान सभा के पटल पर रखे. हम सभी इस बारे में जानना चाहते हैं. मैं समझता हूं कि यदि यह जानकारी विधान सभा के पटल पर आ जाये और सार्वजनिक हो जाये तो ज्‍यादा बेहतर होगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सरकार ने 9.12.2016 को मोटर यान कर संशोधन विधेयक सदन में पारित किया था.

5.29 बजे                                      अध्‍यक्षीय घोषणा

सदन के समय में वृद्धि विषयक

          अध्‍यक्ष महोदय-  आय-व्‍ययक की सामान्‍य चर्चा में माननीय वित्‍त मंत्री जी का भाषण पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है ?

                                                               (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

 

5.30 बजे        वर्ष 2017-18 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा .......(क्रमश:)

 

          श्री बाला बच्‍चन-  ग्रीन टैक्‍स के नाम से मोटर यान कर संशोधन विधेयक पारित किया गया था. उसमें मोटरसाइकिलों, ऑटो-रिक्‍शा को कर प्रावधान के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है. लेकिन आपने कैब कंपनियों को इसमें शामिल नहीं किया. मैं यह जानना चाहता हूं कि आपने ओला, उबर जैसी कैब कंपनियों को क्‍यों छोड़ा ? यह कहीं न कहीं मैं समझता हूँ कि सरकार को अंदेशे के घेरे में खड़ा करती है और अभी भी इस बजट में भी आपने कहीं पर भी इनका उल्लेख नहीं किया है, तो माननीय वित्त मंत्री जी यह जो बड़ी कंपनियाँ हैं, आप बाइक और ऑटो रिक्शा वालों को इस ग्रीन टैक्स के दायरे में आपने लाकर खड़ा कर दिया है,  उनसे आप कर वसूल करेंगे, तो यह कैब कंपनियों को, जो बड़ी-बड़ी, जो ओला और उबर जो बसें चलाती हैं, इनको आपने क्यों छोड़ा है? माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे यह स्पष्ट होता है और मैं इस बात को कह सकता हूँ कि सरकार का यह बजट निराशाजनक बजट है, दिशा विहीन बजट है, भटका हुआ बजट है और अगर कुछ आपने रखा भी है तो जिन कार्यों के लिए, जिन योजनाओं के लिए, आपने जो रखा है, कृपा करके आप उन्हीं कार्यों के लिए, उन्हीं कल्याण और उन्हीं विकास की योजनाओं के लिए खर्च करोगे तो मैं समझता हूँ कि ज्यादा बेटर होगा, यह मैं आप से उम्मीद करता हूँ, अन्यथा यह जितनी भी हमारे किसानों की, युवाओं की, मजदूरों की, व्यापारियों की, सर्वहारा वर्ग की, उम्मीदों की विश्वासघात वाला यह बजट होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया धन्यवाद.

          श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने भी बोलने के लिए मेरा नाम दिया था.

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, अब सब स्टेज गई.

          वित्त मंत्री (श्री जयन्त मलैया)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सदन को विदित है कि दिनाँक 1 मार्च 2017 को वित्तीय वर्ष 2017-18 का बजट विधान सभा के समक्ष वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में प्रस्तुत किया गया था. प्रस्तुत आय-व्ययक में भारित एवं मतदेय, दोनों राशि सम्मिलित हैं. अध्यक्ष महोदय, वार्षिक वित्तीय विवरण विधान सभा में प्रस्तुत होने के उपरांत,  यह बजट पर सामान्य चर्चा है. अध्यक्ष महोदय, हमें प्रसन्नता है कि पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों ने उपरुचि लेकर इस सामान्य चर्चा में भाग लिया.

          अध्यक्ष महोदय, वित्तीय वर्ष 2017-18 में कुल विनियोग की राशि रुपये 1 लाख 85 हजार 564 करोड़ है. शुद्ध व्यय की कुल राशि रुपये 1 लाख 69 हजार 954 करोड़ अनुमानित है. इस वर्ष में इस राशि में राज्य शासन द्वारा राजस्व तथा पूँजीगत व्यय, राज्य द्वारा लिए गए ऋणों का मूलधन एवं शासन द्वारा विभिन्न प्रकार के दायित्वों की व्यय करने की राशि शामिल है. उक्त राशि राज्य की संचित निधि से व्यय की जाएगी. मैं यहाँ स्पष्ट करना चाहता हूँ कि प्रदेश का यह बजट प्रदेश की जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप एवं जनहित में तैयार किया गया है.

          अध्यक्ष महोदय, राजकोषीय स्थिति, इस बजट के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु हैं, जिनका मैं यहाँ उल्लेख करना चाहूँगा. अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2004-05 से हमारा प्रदेश निरंतर राजस्व आधिक्य में है. एक वर्ष भी कभी हम राजस्व के घाटे में नहीं आए और वित्तीय वर्ष 2017-18 में भी हमारा राजस्व आधिक्य रहने का अनुमान है. अध्यक्ष महोदय, 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसानुसार राजकोषीय उत्तरदायित्व बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 में संशोधन कर राजकोषीय घाटे की सीमा 3.5 प्रतिशत की गई है. अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटा, सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के 3.5 प्रतिशत की सीमा में रहना अनुमानित है. अध्यक्ष महोदय, वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रक्षेपित सकल राज्य घरेलू उत्पाद रुपये 07 लाख 35 हजार 246 करोड़ रुपये के 3.5 प्रतिशत की राजकोषीय ऋण सीमा रुपये 25 हजार 734 करोड़ रुपये की पात्रता है. अध्यक्ष महोदय, वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य का कुल परादेय ऋण सकल राज्य घरेलू उत्पाद की तुलना में 22.22 प्रतिशत अनुमानित है. अध्यक्ष महोदय, वित्तीय वर्ष 2017-18 में कुल राजस्व प्राप्तियों की तुलना में ब्याज भुगतान 8.30 प्रतिशत रहना अनुमानित है.

          अध्यक्ष महोदय, कुल प्राप्तियाँ, राज्य की कुल प्राप्तियाँ रुपये 1 लाख 69 हजार 503 करोड़ अनुमानित हैं जिनमें राजस्व प्राप्तियाँ रुपये 1 लाख 39 हजार 116 करोड़ एवं पूँजीगत प्राप्तियाँ रुपये 30 हजार 387 करोड़ है.

          अध्यक्ष महोदय, कुल व्यय, राज्य का शुद्ध व्यय रुपये 1 लाख 69 हजार 954 करोड़ अनुमानित है जिसमें, राजस्व व्यय रुपये 1 लाख 34 हजार 519 करोड़ है तथा पूँजीगत व्यय, अध्यक्ष महोदय, उल्लेख करना चाहूँगा कि पूँजीगत व्यय में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. यह रुपये 35 हजार 435 करोड़ है. अध्यक्ष महोदय, राजकोषीय स्थिति, वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान अनुसार, सकल राज्य घरेलू उत्पाद से राजकोषीय घाटे का प्रतिशत 3.49  है. सकल राज्‍य घरेलू उत्‍पाद से राजस्‍व आधिक्‍य का प्रतिशत 0.63 % एवं ब्‍याज भुगतान का कुल राजस्‍व प्राप्तियों से प्रतिशत 8.30 % है. आयोजना तथा आयोजनेत्‍तर मद के विभेदीकरण की समाप्ति के फलस्‍वरूप बजट में नवीन योजनाओं की व्‍यवस्‍था वित्‍तीय वर्ष 2017-18 से वार्षिक वित्‍तीय विवरण में आयोजना एवं आयोजनेत्‍तर व्‍यय के विभेदीकरण को समाप्‍त किया गया है तथा इस वर्ष के बजट में पूंजीगत तथा राजस्‍व शीर्ष में व्‍यय को पृथक-पृथक दर्शाया गया है.

          आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र के प्रावधान आयोजना एवं आयोजनेत्‍तर व्‍यय में विभेदीकरण की समाप्ति के पश्‍चात् आदिवासी उपयोजना एवं अनुसूचित जाति उपयोजना के स्‍थान पर अनुसूचित जनजाति सब-स्‍कीम एवं अनुसूचित जाति सब-स्‍कीम प्रारम्‍भ किए गए हैं. कुल प्रावधान रूपये 1 लाख 4 हजार 358 करोड़ हैं. इसमें सामान्‍य सब-स्‍कीम रूपये 62 हजार 115 करोड़ रूपये हैं. अनुसूचित जनजाति सब-स्‍कीम रूपये 25 हजार 862 करोड़ रूपये हैं एवं अनुसूचित जाति सब-स्‍कीम रूपये 16 हजार 381 करोड़ का प्रावधान है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2011 की जनगणना अनुसार अनुसूचित जाति का प्रतिशत 15.5 प्रतिशत् एवं अनुसूचित जनजाति का प्रतिशत् 21 है. इस प्रकार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का कुल प्रतिशत् 36.5 होता है. वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान में अनुसूचित जाति वर्ग हेतु 15.6 प्रतिशत् तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग हेतु 24.8 प्रतिशत् है. इस प्रकार कुल 40.4 प्रतिशत् का प्रावधान इस 2017-18 के बजट में किया गया है.

        अध्‍यक्ष महोदय, आदरणीय डॉ. गोविन्‍द सिंह जी ने, आदरणीय बाला बच्‍चन जी ने और भी कुछ माननीय विधायकों ने चर्चा की थी और यह बताया था कि बजट प्रावधान कुछ विभागों में कम किए गए हैं. यह बात सही है कि कुछ विभागों में बजट प्रावधान कम किए गए हैं जैसे राजस्‍व विभाग की आप चर्चा कर रहे थे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, राजस्‍व विभाग का पुनरीक्षित अनुमान रूपये 4858.94 करोड़ है तथा बजट अनुमान वर्ष 2017-18 में 3785.27 करोड़ है. पुनरीक्षित अनुमान से बजट अनुमान में रूपये 1073.67 करोड़ की कमी दिखाई दे रही है. कमी का मुख्‍य कारण रूपये 1875.85 करोड़ का प्रावधान प्रथम अनुपूरक अनुमान में आपदा राहत राशि के पूर्व वर्ष में दी गई राशि का प्रावधान वर्ष 2016-17 में किये जाने के कारण से ऐसा हुआ है. उसी प्रकार से इंडस्‍ट्रीज कॉमर्स के भीतर भी बात आई थी कि इसमें बजट प्रावधान कम है.        माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वाणिज्यिक उद्योग एवं रोजगार विभाग के बजट प्रावधान 2017-18 एवं पुनरीक्षित अनुमानों में रूपये 2820.23 करोड़ की कमी है. कमी का कारण मुख्‍यत: वाणिज्‍य उद्योग विभाग का दो भागों में विभक्‍त किया जाना है. सूक्ष्‍म लघु उद्योग विभाग को बजट प्रावधान 2017-18 में रूपये 776.29 करोड़ दिये गये हैं. इसके अलावा माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश से पीथमपुर में भू-अर्जन के भुगतान हेतु रूपये 1400 करोड़ की राशि वर्ष 2016-17 में रखी गयी थी, जो कि आगामी वर्ष 2017-18 में नहीं दी जानी होगी. इसके अतिरिक्‍त निवेश प्रोत्‍साहन योजना अंतर्गत पूर्व वर्ष के भुगतानों सहित (एरियर्स भुगतान) रूपये 1316 करोड़ के प्रावधान वर्ष 2016-17 के लिये किये गये थे.     माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसान कल्‍याण तथा कृषि विभाग में भी बजट कम हुआ है. विभाग के अंतर्गत बजट अनुमान 2017-18 में पुनरीक्षित अनुमान की तुलना में रूपये 255.80 करोड़ की कमी है. कमी का मुख्‍य कारण सूखा सहायता हेतु फसल कृषि बीमा अंतर्गत पूर्व वर्ष के रूपये 2208 करोड़ के भुगतान वित्‍तीय वर्ष 2016-17 में किये जाने के कारण हैं. आगामी वर्ष में किसानों को योजना अन्‍तर्गत बकाया राशि देने की आवश्‍यकता नहीं होगी. आपने इस बात का जिक्र किया था. बार-बार बात आती है कि आप वर्ष 2003-04 से ही तुलना क्यों करते हैं. जब एक राजनीतिक दल से सत्ता का हस्तांतरण दूसरी तरफ होता है तो वही जगह होती है जहाँ से हम इसका कंपेरीजन करते हैं. यहाँ में यह निवेदन करना चाहूंगा कि बार-बार बात आती है लोग कहते हैं कि खर्चे के लिए पैस नहीं हैं वगैरह-वगैरह. मैं कहना चाहता हूं कि वर्ष 2003-04 में जहाँ वेतन के ऊपर 39.39 प्रतिशत व्यय होता था हमारा व्यय 20.12 प्रतिशत है.

          श्री के.पी. सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा मलैया जी से अनुरोध है कि 2003-04 से तुलना करने का अर्थ अब इसलिए नहीं है कि अब आप ही आप मैदान में हैं तो तुलना अपने पिछले कार्यकाल से इस कार्यकाल की करो तो अंतर पता चलेगा.

          श्री सुदर्शन गुप्ता-- यह कांग्रेस का शासन था तब यह अंग्रेजों के शासन से तुलना करते थे तो अब हम इनके शासन से तुलना कर रहे हैं तो कौनसी गलती कर रहे हैं...(व्यवधान)..

          श्री कमलेश्वर पटेल--  तीन साल से केंद्र से पैसा नहीं मिल रहा है..(व्यवधान)...

          श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय,ब्याज भुगतान की बात करें तो आपके समय ब्याज भुगतान 22.44 प्रतिशत था टोटल आपकी राजस्व की आय का और हमारा टोटल राजस्व की आय का 8.30 प्रतिशत है और अगर इसका पूरा बजट का योग आप लगा लें तो आपके समय में स्थापना व्यय 64.21 प्रतिशत था और हमारे समय में 37.30 प्रतिशत रह गया है. अभी तो और आंकड़े बताऊँगा. पहले आपका व्यय होता था 21,647 करोड़ रुपये. बजट का साइज बढ़ा यह स्वाभाविक है, यह हमारा 1,69,954 करोड़ हो गया है याने लगभग आठ गुना बढ़ा है. राज्य के राजस्व के करों में प्राप्ति. स्टेट के अंदर अपने सोर्सेस से  आपकी प्राप्ति थी 6,805 करोड़ और हमारी है 50,295 करोड़ यह हमने सात गुना वृद्धि की है, स्टेट के भीतर और केंद्र से करों में राज्य का हिस्सा आपको मिलता था 4,231 करोड़ और अभी बार-बार बात कर रहे थे कि अब आपकी सरकार है आपको कितना मिलता है अब हमें मिलता है 51,106 करोड़ रुपये. यह बारह गुना की वृद्धि हुई है. बार बार बात की जा रही थी कि आप तो पैसा लेकर आते हो कर्जा लेते अध्यक्ष महोदय, मैं पुनः निवेदन करना चाहता हूं कि कर्जा लेना होगा तो हम और कर्जा लेंगे परन्तु उसको पूँजीगत व्यय पर खर्च करेंगे. आप देखिये कि इनके जमाने में 2,883 करोड़ रुपये तो कुल आपने पूँजीगत व्यय किया है और हमने वर्ष 2017-18 में  35,435 करोड़ रुपये रखा है, यह भी बारह गुना अधिक है, पूँजीगत व्यय होता है. मैं हमेशा कहता हूं कि कर्ज अभिशाप भी है और कर्ज वरदान भी है जो दूसरी सरकार करती थी वह अभिशाप था, उन्होंने अधोसंरचना के ऊपर कुछ खर्च नहीं किया. यह जो खर्च हम कर रहे हैं यह वरदान है. यह तथ्यात्मक आंकड़े बता रहे हैं.

          डॉ. गोविंद सिंह--  आज तो आप नरोत्तम जी की भाषा बोल रहे हो.

          श्री जयंत मलैया--  मेरे मित्र हैं असर तो आएगा ही.

          श्री बाला बच्चन--  आज तो वित्तमंत्री जी सीना भी ठोंक रहे हैं.

          श्री जयंत मलैया--  ऐसा नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मेरे पास वित्त के अलावा वाणिज्य कर विभाग भी है. विभागीय राजस्व में वाणिज्यिक करों से पूर्व वर्ष की तुलना में फरवरी, 2017 तक लगभग 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. फरवरी, 2016 तक 20208.60 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ था. वह फरवरी, 2017 तक 22420.21 करोड़ प्राप्त हुआ है. देश में 8 नवंबर ,2016 से नोटबंदी के बाद भी राजस्व में वृद्धि हुई है यह वृद्धि पूर्व वर्ष की तुलना में नवंबर में 24.77 प्रतिशत, दिसंबर में 12.13 प्रतिशत, जनवरी 2017 में 15.12 प्रतिशत तथा फरवरी 2017 में लगभग 14 प्रतिशत रही है. इस प्रकार माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा उठाए गए इस कदम से अर्थव्‍यवस्‍था में नकारात्‍मक प्रभाव की आशंका निर्मूल साबित हुई है.  

            माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रशासित कराधान प्रणालियों के कम्‍प्‍यूटरीकरण एवं उसके तहत दी जा रही सुविधाओं के उत्‍साहवर्धक परिणाम मिले हैं. हमारे प्रदेश में सेल्‍फ-असेसमेंट का प्रावधान है और इसके साथ-साथ डीम्‍ड कर निर्धारण योजना का लाभ करदाताओं को दिया गया है और मुझे बताते हुए प्रसन्‍नता है कि वर्ष 2014-15 के 2,39,725 प्रकरणों का डीम्‍ड कर निर्धारण किया गया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने अपने पिछले बजट भाषण में उल्‍लेख किया था और पिछले वर्ष बी.एस.एफ. में कार्यरत जवानों को सुविधाए दी गई थीं, इस वर्ष से केन्‍द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सी.आर.पी.एफ., आई.टी.बी.पी., सशस्‍त्र सीमा बल तथा असम रायफल में कार्यरत एवं सेवानिवृत्‍त अधिकारियों एवं जवानों को भी उपलब्‍ध कराया जाना प्रस्‍तावित है. इससे देश की सीमा पर रक्षा करने वाले एवं आंतरिक सुरक्षा का दायित्‍व निभा रहे जवानों को भी सुविधा होगी. भारी मालवाहक यानों पर कर की दर 14 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत की जा रही है, इससे प्रदेश में वाहनों की बिक्री बढ़ेगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, केशलेस ट्रांजेक्‍शन को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने गंभीर प्रयास किए हैं. विभाग काफी पहले से नगद संव्‍यवहारों के स्‍थान पर ऑनलाईन संव्‍यवहारों को प्रोत्‍साहित कर रहा है. दिनाक 01.11.2013 से विभागीय पोर्टल पर ऑनलाईन भुगतान की सुविधा उपलब्‍ध कराई गई है. वर्तमान में कुल राजस्‍व का लगभग 75 प्रतिशत भुगतान ऑनलाईन होता है. केशलेस व्‍यवस्‍था को बढ़ावा देने के लिए पीओएस मशीन को कर मुक्‍त किया गया है तथा उसके मर्चेंट एग्रीमेंट को भी स्‍टॉम्‍प ड्यूटी से मुक्‍त किया गया है, इससे केशलेस ट्रांजेक्‍शन में वृद्धि होगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, राज्‍य शासन द्वारा प्रदेश में वर्ष 2011 से कोई भी नवीन मदिरा दुकान नहीं खोली गई है. नर्मदा नदी की पवित्रता बनाये रखने के उद्देश्‍य से नर्मदा नदी के 5 किलोमीटर की सीमा में आने वाली 66 दुकानें दिनाक 01.04.2017 से बंद कर दी जायेंगी. इसी प्रकार राष्‍ट्रीय राजमार्ग एवं राज्‍य राजमार्ग पर स्‍थापित 1427 मदिरा दुकानों को मार्ग से 500 मीटर की दूरी पर स्‍थापित किया जायेगा. पंजीयन विभाग दिनाक 1 अगस्‍त, 2015 से पूर्णत: कम्‍प्‍यूटरीकृत किया जा चुका है तथा विभाग की सभी गतिविधिया ''सम्‍पदा पोर्टल'' के तहत ऑनलाईन की जाती हैं. वित्‍तीय वर्ष 2016-17 में जनवरी माह तक 5 लाख से अधिक दस्‍तावेज ऑनलाईन पंजीबद्ध किये गये हैं, जो पूरे देश में जनसंख्‍या के आधार पर सबसे ज्‍यादा इलैक्‍ट्रानिक संव्‍यवहार करने वाला प्रदेश है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, रियल इस्‍टेट को बढ़ावा देने के लिए डेव्‍हलपर अंतरण का पंजीयन शुल्‍क 5 प्रतिशत के स्‍थान पर 1 प्रतिशत किया जा रहा है. इससे विकास कार्य संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. जैसा कि माननीय के.पी. सिंह साहब ने भी इस बात को बताया कि परिवार के किसी भी सदस्‍य के पक्ष में संपत्‍ति के दावे का हक त्‍यागने पर अभी ढाई प्रतिशत शुल्‍क देय है, जिसे अब 0.5 प्रतिशत किया जा रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय, प्रतिपक्ष के माननीय विधायकों और सत्‍ता पक्ष के विधायकों को मिलाकर लगभग 20 माननीय सदस्‍यों ने चर्चा में हिस्‍सा लिया, उन सभी का मैं धन्‍यवाद करता हूँ और आशा करता हूँ कि यह बजट आप लोग सर्वानुमति से पारित करिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनाक 7 मार्च, 2017 के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्‍थगित.

          अपराह्न 5.49 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनाक 7 मार्च, 2017 (16 फाल्‍गुन, शक संवत् 1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्‍थगित की गई.

 

 

भोपाल,                                                                     अवधेश प्रताप सिंह

दिनाक : 6 मार्च, 2017                                                     प्रमुख सचिव,

                                                                             मध्‍यप्रदेश विधान सभा