मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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षोडश विधान सभा                                                                    सप्तम सत्र

 

 

दिसम्‍बर, 2025 सत्र

 

शुक्रवार, दिनांक 05 दिसम्‍बर, 2025

 

(14 अग्रहायण, शक संवत्‌ 1947)

 

 

[खण्ड- 7 ]                                                                                                [अंक- 4]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

शुक्रवार, दिनांक 05 दिसम्‍बर, 2025

 

(14 अग्रहायण, शक संवत्‌ 1947)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत् हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

 

तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर

 

 

          ग्राम पंचायत उदयनगर का नगर परिषद में उन्नयन

[नगरीय विकास एवं आवास]

1. ( *क्र. 15 ) श्री मुरली भँवरा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम पंचायत उदयनगर को नगर परिषद में उन्नयन करने की कोई प्रक्रिया वर्तमान में संचालित है? (ख) यदि हाँ, तो प्रक्रिया किस स्तर पर लंबित/संचालित है? अब तक कौन-कौन सी प्रशासनिक औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी है? (ग) क्या इस प्रकरण में जनसंख्या, राजस्व, नगरीय सुविधाएं एवं क्षेत्र सीमा निर्धारण संबंधी सर्वेक्षण किया गया है? (घ) क्या शासन इस प्रकरण को शीघ्र निर्णय हेतु किसी समय-सीमा में हल करने पर विचार कर रहा है?

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी हाँ। (ख) ग्राम पंचायत उदयनगर, जिला देवास को नगर परिषद के रूप में गठन करने के संबंध में कलेक्‍टर, जिला देवास से संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास, म.प्र. भोपाल के पत्र क्रमांक 19253, दिनांक 09.11.2022 एवं पत्र क्रमांक 21688, दिनांक 15.10.2025 द्वारा विधिवत प्रस्‍ताव चाहे गये हैं। कार्यवाही कलेक्‍टर स्‍तर पर प्रचलित है। (ग) जानकारी उत्‍तरांश '' अनुसार। (घ) कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने से समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

          श्री मुरली भंवरा - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक 15

 

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -  अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर है.

 

          श्री मुरली भंवरा -  अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिये मैं आपको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. मैं आपके औऱ सदन के माध्यम से नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय को अवगत कराना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के बागली,जिला देवास की ग्राम पंचायत उदयनगर आदिवासी बहुल ग्राम पंचायत है. उदय नगर के साथ-साथ आसपास की ग्राम पंचायतें ईमलीपुरा,मिर्जापुर,रामपुरा,हीरापुर,पिपल्या लोहार,मगरादेस,शिवनपानी ग्राम पंचायत भी आदिवासी बहुल क्षेत्र की हैं और यह सभी 2 से 3 कि.मी. दायरे में स्थित हैं. मैं अवगत कराना चाहता हूं कि नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा 2017 से 2025 के मध्य अनेक अवसरों पर पत्राचार के माध्यम से संबंधित अभिमत मांगा गया परन्तु आज तक उक्त अभिमत प्राप्त नहीं हो पाया है तथापि माननीय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी एवं नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय जी के नेतृत्व में इस प्रस्ताव को गति देने हेतु जो प्रयास हुए हैं इसके लिये मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूं खासकर आदिवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए केंद्र में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और मध्यप्रदेश में  मोहन यादव जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा रखे जा रहे हैं.

अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि ग्राम पंचायत उदयनगर का नगर परिषद में उन्‍नयन केवल प्रशासनिक रूपांतरण नहीं है बल्कि ये क्षेत्र के समग्र विकास, बेहतर सुविधायें, तीव्र और सुव्‍यवस्थित विकास तथा संगठित प्रशासन का प्रमुख साधन है विशेषकर उन ग्राम पंचायतों के लिये जिनमें जनसंख्‍या आवासीय एवं व्‍यवसायी गतिविधियां बढ़ाने में हुई है. यह उन्‍नयन अत्‍यंत आवश्‍यक और लाभकारी सिद्ध होगा. नगर परिषद गठन के संबंध में मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा दिनांक 27.12.2025 को जारी राजपत्र के अनुसार किसी भी ग्राम पंचायत या उसकी आसपास की ग्राम पंचायतों को सम्मिलित करने पर जनसंख्‍या 20 हजार हो रही है तो उक्‍त ग्राम पंचायत नगर परिषद की संपूर्ण योग्‍यता रखती है. ग्राम पंचायत उदयनगर के समीप ही स्थित इन सभी बाहुल्‍य पंचायतों की जनसंख्‍या 20 हजार 278 है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि ग्राम पंचायत उदयनगर को भी अतिशीघ्र नगर परिषद में उन्‍नयन करने की कृपा करें.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय--  अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य के प्रश्‍न में ही उत्‍तर छुपे हुये हैं. जैसे उन्‍हें यह जानकारी है कि नगर परिषद बनाने के लिये 20 हजार मतदाता चाहिये तो उदयनगर की जो जनसंख्‍या है वह मात्र 3977 है. आपने कहा कि उसमें से कुछ गांव हम मिला लेंगे और यह भी आपने अपने प्रश्‍न और उत्‍तर दोनों में कहा कि पूरा आदिवासी बाहुल्‍य है. अध्‍यक्ष महोदय, यह विभाग अर्बन विभाग है, शहरी है, शहरी क्षेत्र अगर बढ़ता है तो हम जरूर उस पर विचार करते हैं, परंतु यह पूरा ट्राइबल इलाका है और इसलिये यहां सोर्स ऑफ इनकम भी कुछ नहीं है और इतने सारे गांवों को मिलाकर बनाना मतलब इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिये इसमें करोड़ों रूपया चाहिये और इसलिये इस प्रकार की नगर पंचायत साधारणतया हम नहीं बनाते हैं और इसलिये अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्‍य को भी और माननीय सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि साधारणतया यदि 50 प्रतिशत शहरी जनसंख्‍या हो तो हम उसके ऊपर विचार करते हैं. आपके यहां इन सब गांवों को मिलाने के बाद भी 10 प्रतिशत भी शहरी जनसंख्‍या नहीं बन रही. अध्‍यक्ष महोदय इसलिये निर्धारित मापदंड नहीं हैं और जो नगर पालिका अधिनियम 261 की धारा 5(6) के अनुसार जो परिषद गठन की हम कार्यवाही करते हैं उसके अनुरूप बिलकुल भी यह व्‍यवहारिक नहीं है. अध्‍यक्ष महोदय, इसलिये मैं माननीय सदस्‍य से कहूंगा कि यह संभव नहीं है, हां इस पर तो आपको दो लाभ हैं एक तो पंचायत है तो ग्रामीण क्षेत्र का पैसा आता है और ट्राइबल फंड से भी इनको पैसा मिल जाता है तो आप उसमें अच्‍छा विकास कर सकते हैं. जहां तक इन गांवों को जोड़ने का सवाल है तो ग्रामीण सड़क योजना के माध्‍यम से उसको जोड़ सकेंगे. आप मुझसे पर्सनल मिल लेना मैं इस क्षेत्र के विकास के लिये जैसा आप चाहेंगे वैसा हम प्‍लान बनाकर और अन्‍य विभागों से सहयोग लेकर आपकी विधान सभा में वहां विकास कर देंगे. अध्‍यक्ष महोदय,  मैं इतना वादा माननीय सदस्‍य से करता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  मुरली जी, दूसरा कोई प्रश्‍न तो नहीं है.

          श्री मुरली भंवरा--  अध्‍यक्ष महोदय, मैं आदरणीय मंत्री महोदय के जवाब से संतुष्‍ट हूं. निश्चित ही भविष्‍य में उदयनगर को नगर परिषद तो बनाना ही है, लेकिन उससे पहले बेहतर विकास के विभिन्‍न आयाम नगर में स्‍थापित हों, यही चाहता हूं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य पर्सनल आकर मुझसे कक्ष में मिल लें, मैं इनकी पूरी मदद करूंगा.

 

प्रश्‍न संख्‍या-2             -                  (अनुपस्थित)

 

डीजल भुगतान की शिकायत की जांच

[नगरीय विकास एवं आवास]

          3. ( *क्र. 1031 ) श्री कालु सिंह ठाकुर : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्य नगरपालिका अधिकारी, धामनोद, जिला धार द्वारा दिनांक 01.04.2023 से प्रश्‍न दिनांक तक कुल कितनी राशि‍ का डीजल भुगतान किया गया? उक्त भुगतान से संबंधित बिल, वाउचर, नोटशीट, डीजल लॉग बुक, आवक-जावक पंजी, स्टॉक पंजी सहित समस्त दस्तावेजों की छायाप्रति प्रदान करें? (ख) मुख्य नगरपालिका अधिकारी, धामनोद जिला के विरुद्ध चल रही डीजल भुगतानों की जांचों में से कितनी शिकायतें नस्तीबद्ध हुई? कितनी लम्बित हैं और लम्बित शिकायतों का कारण क्या है?

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) मुख्‍य नगरपालिका अधिकारी, नगर परिषद्, धामनोद द्वारा दिनांक 01.04.2023 से प्रश्‍न दिनांक तक कुल राशि ₹ 84,48,429.00 डीजल के लिये भुगतान किया गया। उक्‍त भुगतान से संबंधित बिल, वाउचर, नोटशीट, डीजल लॉगबुक, आवक-जावक पंजी एवं स्‍टॉक पंजी की छायाप्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) मुख्‍य नगरपालिका अधिकारी, नगर परिषद, धामनोद के विरूद्ध डीजल भुगतान की एक शिकायत नस्‍तीबद्ध हुई है एवं डीजल भुगतान से संबंधित कोई भी शिकायत लंबित नहीं है। शेषांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

          श्री कालु सिंह ठाकुर-- मेरा प्रश्‍न क्रमांक-1031 है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर पटल पर है.

          श्री कालु सिंह ठाकुर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा प्रश्‍न नगर पंचायत धामनोद के लिये है और मुझे जानकारी भी उपलब्‍ध हो गई है और मैं संतुष्‍ट भी हूं, परंतु मेरा मंत्री जी से इतना थोड़ा सा कहना चाहता हूं कि विधानसभा में सबसे बड़ी नगर परिषद धामनोद है, उसके लिये में माननीय मंत्री जी से मैं आग्रह करना चाहता हूं  कि नगर परिषद में अनेक नाम से अनावश्‍यक बहुत से बिल लगते हैं, इसलिए मैं माननीय मंत्री जी से इतना आग्रह करना चाहता हूं कि जब इंदौर जैसे शहर ने देश में तीस बार अवार्ड लिया है, तो हमारे विधानसभा की सबसे बड़ी यह नगर पंचायत है, तो उसके लिये कुछ न कुछ एक मापदंड तय हो जाये कि सफाई कर्मी को कितना मानदेय और कितना भुगतान होना चाहिए, इसके माध्‍यम से धामनोद मैं बहुत सारी दिक्‍कतें हैं, बस मेरा माननीय मंत्री जी से इतना आग्रह है कि उसका निराकरण किया जाये.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारे कालु सिंह जी बहुत अच्‍छे विधायक हैं, बहुत सक्रिय विधायक हैं और यह बात सही है कि इनकी विधानसभा का सबसे बड़ा क्षेत्र धामनोद है और धामनोद में विकास की संभावनाएं बहुत हैं और हम पूरे धामनोद का मास्‍टर प्‍लान बनायेंगे और धामनोद एक अच्‍छा अर्बन एरिया बने, इसके लिये हम कालुसिंह जी के साथ और वहां की नगर इकाई और नगर पंचायत अध्‍यक्ष के साथ बैठकर बना लेंगे और जो आवश्‍यकता होगी, उस आवश्‍यकता पूर्ति होगी.

          श्री कालु सिंह ठाकुर -- अध्‍यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्‍यवाद, पर थोड़ा सा आग्रह था कि वहां नगर पंचायत और हमारे अध्‍यक्ष के मतभेद के कारण बहुत  सा

विकास नहीं हो रहा है, माननीय मंत्री जी से थोड़ा सा आग्रह था कि वहां के सी.एम.ओ. को जल्‍दी से हटाये, क्‍योंकि उसकी लोकायुक्‍त्‍ा में चार चार रिपोर्ट है और जनता में आक्रोश है, बस मेरा आग्रह है, आप जब भी आश्‍वासन दें, पर वह हट जाये तो अच्‍छा रहेगा, आपका बहुत-बहुत आभार धन्‍यवाद.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, मैंने कहा कि धामनोद के विकास के बारे में हम सोचेंगे और अगर विकास में कहीं पर भी सी.एम.ओ. की अड़चन होगी, तो हम उसको रिमूव ही कर देंगे, कोई खास बात नहीं है, हमारे लिये अध्‍यक्ष महोदय, विकास जरूरी है.

          श्री कालु सिंह ठाकुर -- अध्‍यक्ष महोदय आपको एवं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

विभागीय मद से विद्युतीकरण कराया जाना

[ऊर्जा]

4. ( *क्र. 876 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगापुर विधान सभा के कई स्थानों पर विभागीय मद से विद्युतीकरण तथा ट्रांसफार्मर लगाये जाने के प्रस्ताव मान. मंत्री महोदय की ओर भेजे गये थे, जिसके संबंध में मान. मंत्री जी के पत्र क्र. 2197, दिनांक 07.11.2024 एवं पत्र क्र. 2552, दिनांक 27.12.2024 एवं अपर सचिव, ऊर्जा विभाग के पत्र क्र. 63, दिनांक 21.4.2025 में उल्लेख किया गया है कि तत्काल आवश्यक कार्यवाही हेतु संबंधित अधिकारी को निर्देशित किया गया है, परंतु प्रश्‍न दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हुई और कोई आदेश भी क्षेत्र में विद्युतीकरण कराये जाने का नहीं हुआ है, इसलिये जनहित में प्रेषित किये प्रस्तावों को कब तक स्वीकृत किया जावेगा? (ख) क्या पत्रों को दिये जाने के बाद विभाग द्वारा प्राक्कलन या क्षेत्र में जाकर जानकारी हासिल की है? क्या यदि हाँ, तो जानकारी स्‍पष्‍ट करें तथा विभागीय मद से विद्युतीकरण कराये जाने में क्या कठिनाई हो रही है तथा क्षेत्र की आम जनता परेशानी में है? क्या भेजे गये प्रस्तावों को स्वीकृत कर कार्य प्रारंभ करा दिये जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?

          ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ, प्रश्‍नाधीन उल्‍लेखित माननीया प्रश्‍नकर्ता विधायक महोदय के पत्र दिनांक 10.10.2024 एवं पत्र दिनांक 23.12.2024 प्राप्‍त हुए थे, जिनमें उल्‍लेखित प्रस्‍तावों का परीक्षण म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा किया गया है एवं परीक्षण उपरान्‍त की गई कार्यवाही का विवरण संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। उक्‍त पत्रों में उल्‍लेखित कार्यों में से वार्ड क्रमांक-11, नगर पंचायत पलेरा में विद्युत केबिल लगाये जाने का कार्य जमा योजना अन्‍तर्गत प्राक्‍कलित राशि प्राप्‍त होने के उपरान्‍त पूर्ण किया जा चुका है। वर्तमान में शेष कार्यों हेतु प्राक्‍कलित राशि अप्राप्‍त है। (ख) जी हाँ, उत्‍तरांश (क) में उल्‍लेखित पत्रों में की गई कार्यवाही की जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। उल्‍लेखनीय है कि म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अंतर्गत समय-समय पर प्राप्‍त विद्युतीकरण संबंधी मांगों/प्रस्‍तावों का परीक्षण कर, तकनीकी/वित्‍तीय साध्‍यता अनुरूप, कार्यों को कार्य योजना अथवा संचालित योजनाओं में निहित प्रावधानों के अनुसार प्रस्तावित कर पूर्ण करवाये जाते हैं। उत्‍तरांश (क) में उल्‍लेखित पत्रों में वर्णित विद्युतीकरण कार्य वर्तमान में प्रचलित योजनाओं के दिशा-निर्देशों के अन्‍तर्गत नहीं आने के कारण स्‍वीकृत नहीं हैं। अत: इन कार्यों को विभागीय मद से करवाया जाना प्रस्‍तावित नहीं है। तथापि भविष्‍य में यदि कोई विद्युतीकरण की योजना प्रचलन में आती है, तो योजना के दिशा-निर्देशों के अनुरूप शेष कार्यों को किया जा सकेगा। अत: वर्तमान में विद्युतीकरण कार्यों हेतु निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

          श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न क्रमांक- 876 है.

          जल संसाधन मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट) -- अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर पटल पर रख दिया गया है.

          श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न करने से पहले मैं एक विशेष बात रखना चाहती हूं, जिसकी आपसे अनुमति चाहती हूं कि दिनांक-04 दिसंबर को ग्राम पंचायत खरगापुर लखेरी में मोहन अहिरवार की मौत बिजली की बड़ी लाईन से करेंट लगने से हो गई है, उसके छोटे-छोटे बच्‍चों की सहायता हेतु उचित मुआवजा राशि दिलाये जाने की कृपा करें.

          श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वाकई में यह एक दु:खद घटना है, उसके लिये हमने जिस मोहन अहिरवार, उम्र-30 वर्ष की मौत हुई है, उक्‍त प्रकरण में हरिदास अहिरवार लाईनमेन परीक्षक को तत्‍काल प्रभाव से निलंबित किया गया है तथा विद्युत उपकेंद्र ऑपरेटर आउट सोर्स कार्मिक को सेवा से बर्खास्‍त किया गया है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि उस परिवार को जिनके साथ यह दु:खद घटना हुई है, संबंधित जिलाधीश से बात करके, जो भी सरकार सहायता दे सकती है, पूरी कोशिश करेगी और पूरा प्रयास करेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍या, दूसरा पूरक प्रश्‍न पूछें.

          श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वह प्रश्‍न नहीं था वह तो मैंने कल की घटना आपको सुना दी, मैं मंत्री जी को धन्‍यवाद देती हूं. अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रश्‍न अब कर रही हूं. मैंने अपने प्रश्‍न में पूछा था और प्रश्‍न भी यही है कि मेरे द्वारा  माननीय मंत्री जी को भेजे गये प्रस्‍ताव के अनुसार खरगापुर विधानसभा के क्षेत्रों में विभागीय मद से विद्युतीकरण करवा दिये जाने के संबंध में माननीय मंत्री जी द्वारा एवं अपर सचिव ऊर्जा विभाग द्वारा पत्रों के माध्‍यम से मुझे अवगत करवाया गया कि तत्‍काल आवश्‍यक कार्यवाही हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है.

          परन्‍तु आज तक मेरे प्रस्‍ताव के अनुसार क्षेत्र में विद्युतीकरण का कार्य क्‍यों नहीं कराया गया है. जब मेरे प्रस्‍ताव प्रश्‍न के प्रावधानों के अनुरूप नहीं थे, तो तत्‍काल कार्यवाही किए जाने का उत्‍तर पत्रों में क्‍यों लिखकर मुझे भ्रमित करके गुमराह किया जा रहा है.

          श्री तुलसीराम सिलावट अध्‍यक्ष जी, आप जानते हैं. माननीय वरिष्‍ठ सदस्‍या ने जो प्रश्‍न किया है कि इनके 12 काम की बात इन्‍होंने रखी थीं, उसमें से एक काम पूरा हो गया है और दूसरा काम प्रगति पर है, जहां तक मंजरे टोले, बसाहट की विद्युतीकरण को लेकर हमारी भाजपा की सरकार गंभीरता से काम कर रही है. अविद्युतीकरण बसाहट का विद्युतीकरण सर्वे किया जा रहा है. भविष्‍य में इनकी विद्युतीकरण की कोई योजना स्‍वीकृत होने पर खडगापुर विधान सभा के क्षेत्र में नवीन अविद्युतीकरण बसाहटों को शामिल करने के प्राथमिकता के आधार पर हमारी सरकार विचार करेगी.

        श्रीमती चंदा सुरेन्‍द्र सिंह गौर  - अध्‍यक्ष जी, मेरे प्रस्‍तावों पर कार्यवाही नहीं किए जाने के प्रावधान शासन के नियमों के विपरीत थे, तो हमारे प्रस्‍ताव के अनुसार पत्रों में शासन के नियमों को देकर समाधान कर देते कि आपके प्रस्‍ताव शासन की नियमावली के तहत नहीं है, जब हमने विधान सभा में प्रश्‍न लगाया, तब ही नियम बनाए गए हैं, क्‍या पहले भी नियम थे, इसलिए मैं अनुरोध करना चाहती हूं कि मेरे प्रस्‍ताव में फूलपुर ग्राम कोटराखेरा, खुमानगंज, पठा मोहल्‍ला, देवपुर, भेलसी, रमन्‍ना, तेली गुल्‍ला, मनपसार, बिजरई पठाघाट नगर पंचायत पलेरा बल्‍देवगढ़, सेवार, पिपरा मडोरी, सभी स्‍थानों पर विद्युतीकरण करवा दिया जाए, शेष प्रस्‍तावों को बाद में करवा देना, यह प्रस्‍ताव बहुत जरुरी है, प्रस्‍ताव के लिए राशि का प्रावधान किया जाए, मेरा आपसे मंत्री जी यही अनुरोध है.

श्री तुलसीराम सिलावट अध्‍यक्ष जी, बसाहट मंजरे और टोले की एक प्रक्रिया होती है और इस मापदंड के अंदर जो मंजरे टोले आएंगे, मैंने कहा था कि सरकार बड़ी गंभीरत से, कभी मंजरे टोले की गिनती एक या दो घर की हो जाती है, या कभी 20 घरों की गिनती हो जाती है, तो ये एक मापदंड निर्धारित है और जिस मापदंड में जब यह योजना प्रारंभ कर दी जाएगी, उसमें इनके सारे मंजरे टोले को सम्मिलित करने के लिए हम योजना के अंतर्गत प्रयास करेंगे.

        श्रीमती चंदा सुरेन्‍द्र सिंह गौर  - अध्‍यक्ष जी, मंत्री जी को बहुत धन्‍यवाद.

अध्‍यक्ष महोदय श्री सोहन बाल्‍मीक जी.

ऑडिटोरियम भवन निर्माण एवं मोक्षधाम का उन्नयन कार्य

[नगरीय विकास एवं आवास]

5. ( *क्र. 1218 ) श्री सोहनलाल बाल्‍मीक : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि () परासिया विधानसभा क्षेत्र के नगर चांदामेटा में नगरवासियों की सुविधा के लिये ऑडिटोरियम भवन निर्माण कार्य किये जाने हेतु 5 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत किये जाने एवं वार्ड क्र. 07 स्थित मोक्षधाम में सौंदर्यीकरण व उन्नयन कार्य हेतु 50 लाख रूपये की राशि स्वीकृत किये जाने के संबंध में प्रश्‍नकर्ता द्वारा ऑडिटोरियम भवन निर्माण कार्य हेतु                     मान. मुख्यमंत्री जी को अनुस्मरण 04 पत्र क्र.वि.स./परासिया/127/2025/599, दिनांक 28.10.2025 एवं मान. विभागीय मंत्री जी को अनुस्मरण 01 पत्र क्र.वि.स./परासिया/127/2025/597,                        दिनांक 28.10.2025 तथा वार्ड क्र. 07 स्थित मोक्षधाम में सौंदर्यीकरण व उन्नयन कार्य हेतु                   मान. मुख्यमंत्री जी को पत्र क्र.वि.स./परासिया/127/2025/430, दिनांक 28.07.2025 एवं                    मान. विभागीय मंत्री महोदय को अनुस्मरण 02 पत्र क्र.वि.स./परासिया/127/2025/598,                  दिनांक 28.10.2025 को पत्र प्रेषित किये गये थे, जिन पत्रों पर अभी तक स्वीकृति हेतु क्या कार्यवाही की गई है? () नगर चांदामेटा में ऑडिटोरियम भवन निर्माण कार्य एवं वार्ड क्र. 07 स्थित मोक्षधाम में सौंदर्यीकरण व उन्नयन कार्य की स्वीकृति के संबंध में विभाग द्वारा कब तक कार्यवाही व विभिन्न औपचारिकताओं को पूर्ण करते हुए ऑडिटोरियम भवन निर्माण कार्य एवं मोक्षधाम में सौंदर्यीकरण व उन्नयन कार्य की स्वीकृति प्रदान कर दी जायेगी?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : () संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास म.प्र., भोपाल के पत्र क्र. 11233, भोपाल दिनांक 27.09.2025 द्वारा समस्त नगरपालिका/नगर परिषद को ऑडिटोरियम भवन निर्माण कार्य हेतु गीता भवन की स्थापना के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। () नगर परिषद चांदामेटा में ऑडिटोरियम भवन निर्माण कार्य के संबंध में उत्तरांश '' अनुसार कार्यवाही की गई है एवं वार्ड क्र. 07 स्थित मोक्षधाम में सौंदर्यीकरण व उन्नयन कार्य के संबंध में नियमानुसार कार्यवाही किये जाने हेतु निकाय को निर्देशित किया गया है।

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक - अध्‍यक्ष जी, मेरा प्रश्‍न क्रमांक 1218 है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय अध्‍यक्ष जी उत्‍तर पटल पर रखता हूं.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक - अध्‍यक्ष जी, मंत्री जी से मैंने मेरे विधान सभा मे एक ऑडोटोरियम और नगर पंचायत, चांदामेटा वार्ड नंबर, 7 में एक मोक्षधाम के उन्‍नयन और सौंदर्यीकरण के लिए मांग किया था . मुझे एक प्रश्‍न के जवाब में मिला कि गीता भवन की स्‍वीकृति दी है, उसी में ऑडोटोरियम का काम हो सकता है. मैं पूछना चाहता हूं कि ऑडोटोरियम और गीता भवन के डिजाइन में क्‍या अंतर है और किस तरह से ऑडोटोरियम को गीता भवन के लिए उपयोग किया जा सकता है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय अध्‍यक्ष जी, सोहन लाल जी बहुत जागरुक विधायक है. मैं इनको अवगत कराना चाहता हूं कि ऑडोटोरियम का खर्च प्रतिमाह काफी होती है छोटी जगह पर इतना किराया नहीं मिलता. छोटी जगह छोडि़य इंदौर जैसे शहर में भी नहीं मिलता है. हमने इंदौर विकास प्राधिकरण का एक ऑडोटोरियम बनाकर रखा है, उसको मेनटेन करना मुश्किल हो रहा है, उसका प्रतिमाह लाइट का खर्च ही लगभग ढाई से तीन लाख रुपए है और वह तो लगता है इसके अलावा उसके मेंटेनेंस और सफाई के लिए कर्मचारी लगे हुए हैं, तो ऑडोटोरियम से इतना किराया कभी भी नहीं मिलता, जब इंदौर नगर निगम जैसी जगह में ऑडोटोरियम को संचालित नहीं कर पा रही है और ऑडोटोरियम को संचालित कर लेंगे तो ये बड़ा मुश्किल है, छोटी नगर पालिका के लिए, इसलिए हम गीता भवन को ही इस प्रकार से डिजाइन कर रहे हैं कि वह आपके ऑडोटोरियम के काम आ सके और माननीय मुख्यमंत्री जी ने सहजता से एक और काम किया है अभी गीता भवन की जमीन के लिये कलेक्टर को उन्होंने देने वाले हैं मेरी उनसे व्यक्तिगत चर्चा हुई है. जो भी जमीन देंगे उसका कामर्शियल भी उपयोग कर सकेंगे, जिससे कि गीता भवन का खर्चा भी निकल सके. क्योंकि गीता भवन में बहुत ज्यादा मेंटेंनेंस की आवश्यकता होती नहीं है और इसीलिये जो लंबे समय तक चल सके, वो काम करना चाहिये अगर आप आडिटोरियम के चक्कर में पड़ गये तो वह बाद में भूतखाना बन जायेगा. क्योंकि ऑडिटोरियम का संचालन बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि उसमें साऊंड बहुत हाईक्लास चाहिये, उसमें बिजली बहुत अधिक लगती है. यह सब स्थायी खर्चा है. आपका किराया आये अथवा नहीं आये इतना तो आपको देना ही है. कर्मचारियों की तनख्वाह तो आपको देनी ही है साफ सफाई की. यह बहुत बड़ा खर्चे वाला काम है ऑडिटोरियम. आपके यहां पर माईंस हैं हम कलेक्टर को निर्देशित करेंगे कि माईंस की रायल्टी है उससे अच्छा गीता भवन को बना दें ताकि गीता भवन ऑडिटोरियम के काम भी आ सके और धार्मिक कार्य में भी आ सके, यह हमारी मंशा है.

          श्री सोहनलाल बाल्मीकअध्यक्ष महोदय, आपने अभी जो इन्दौर या अन्य बड़े शहरों की तुलना की है. नगर पंचायत छोटा क्षेत्र है. मैं इसमें बहुत बड़ा भवन भी नहीं चाह रहा हूं. 2 सौ से ढाई सौ केपेसिटी का का ऑडिटोरियम बनता है, तो निश्चित रूप से लाभ मिलेगा. जैसा कि आपने डब्ल्यू.सी.सेल सीएसआर मद की बात कही है कि उनसे कहकर कुछ यदि मदद करा सकते हैं, तो मेरा उद्देश्य यह है कि ऑडिटोरियम बन जाये चाहे आप अपने प्रभाव से डब्ल्यूसीएल को बोलकर के सीएसआर मद से करा दें तो वह भी काम चल जायेगा. जहां तक मेंटेंनेंस की बात है, तो हमारे पास में चार नगरीय निकाय हैं चारों नगरीय निकाय इसका उपयोग करेंगे तो हम लोग चारों नगरीय निकायों से बात करके जो मेंटेंनेंस हो सकता है उसको करने का प्रयास करेंगे. चूंकि मेरे यहां पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिसके चलते सार्वजनिक काम हों, या धार्मिक काम हों, या कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम हो, जिसके चलते अनेक परेशानियों का सामना हम सबको करना पड़ता है. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि यदि ऑडिटोरियम की स्वीकृति मिल जाती तो निश्चित रूप से आम जन को इसका लाभ प्राप्त होता.

          श्री कैलाश विजयवर्गीयअध्यक्ष महोदय, मैं तो स्वीकृति दे भी दूंगा यह फण्ड कहां से लायेंगे ? ऑडिटोरियम बनाना मतलब बहुत खर्चीला काम है. किसी भी नगर पंचायत के लिये इतना पैसा देना एक नगर पंचायत के लिये देना बहुत मुश्किल है. इसलिये गीता भवन को इस प्रकार से डिजाईन करें वह ऑडिटोरियम के काम भी आ सके प्लस उसमें दुकाने वगैरह निकालकर उसकी इन्कम से गीता भवन का खर्चा भी निकल जाये तो दोनों काम हो सकते हैं इस प्रकार की डिजाईन कहेंगे तो हम बनवा देंगे.

          श्री सोहनलाल बाल्मीकअध्यक्ष महोदय, यदि गीता भवन को ऑडिटोरियम का डिजाईन कर दें तो हमें कोई आपत्ति नहीं है. हमें तो दोनों उपयोग में आ जायें तो चल जायेगा. आपने कहा कि स्वीकृति तो दे दूंगा लेकिन आप फण्ड कहां से लायेंगे ? फंड और स्वीकृति दोनों तो आपको ही देना है. यदि मान लीजिये कि आपके पास ऐसा लग रहा है कि आपके पास में नहीं है तो हमारे छिन्दवाड़ जिले में डीएमएफ का काफी फण्ड है यदि आप उससे स्वीकृति दिलवा दें.

          अध्यक्ष महोदयमाननीय मंत्री जी कहना यह है कि कुलमिलाकर ऑडिटोरियम में ज्यादा पैसा लगता है और एक निकाय को एक साथ इतना पैसा देना मुश्किल जायेगा, जहां तक मैं समझा हूं, तो मुझे लगता है कि आप और मंत्री जी दोनों बैठकर डिजाईन के बारे में चर्चा कर लें. वैसे माननीय सदस्य की बात तो आ ही गई है. उनको तो उपयोग के लिये चाहिये. चाहे गीता भवन हो, अथवा कम्युनिटी हॉल हो, जिस पर्पज के लिये वह चाहते हैं वह उपयोग हो जायेगा तो सही होगा.

          श्री सोहनलाल बाल्मीकअध्यक्ष महोदय,मेरा तो उद्देश्य यह है कि ऑडिटोरियम बन जाये चाहे आप जिस भी तरीके से बनवा दें, जैसा भी बनव दें. आप गीता भवन का डिजाईन चेंज करके दूसरा रूप दे दें.

          अध्यक्ष महोदयआप मंत्री जी से मिलकर डिजाईन पर चर्चा कर लें.

          श्री सोहनलाल बाल्मीकअध्यक्ष महोदय,मैं बात कर लूंगा. दूसरा मेरा प्रश्न था मोक्षधाम वाला जो मैंने उन्नयन के लिये दिया था सौन्दर्यीकरण के लिये 50 लाख राशि मांगी थी तो आपने कहा कि पत्र लिखा हुआ है आप जानकारी दे दें पत्र किस तरीके का लिखा हुआ है. हां का है या ना का है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीयअध्यक्ष महोदय, अब कोई मोक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है, तो मैं कौन रोकने वाला होता हूं. उसके लिये राशि दे देंगे.

          श्री सोहनलाल बाल्मीकअध्यक्ष महोदय, एक निवेदन करना चाहता हूं कि अभी शासन ने विजन डाक्यूमेंट बुलाया है. मेरे विधान सभा में चारों नगरीय निकाय डब्ल्यू सेल की जमीन फंसती है. हमने डिवीजन तो दे दिया है, मगर मेरा जो अशासकीय संकल्प लगा था कि जब डब्ल्यू सेल की जमीन परिवर्तित नहीं होगी जो लीज में पड़ी हुई है जो अनुपयोगी है जहां पर खदाने नहीं चल रही हैं. यदि आप उसको डॉयवर्ट नहीं करेंगे तो निश्‍चित रूप से डॉक्‍यूमेंट्री में जितने भी आप विज़न बनाएंगे, हमारा काम नहीं हो पायेगा, विकास नहीं हो पायेगा. इसलिए माननीय मंत्री जी आपसे मेरा आग्रह है कि इसमें विशेष रूप से ध्‍यान रखकर उस कार्यवाही को आगे बढ़ायें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- डॉ.विक्रांत भूरिया जी.

प्रदेश में Defulat ग्राहक और ऊर्जा माँग की पूर्ति

[ऊर्जा]

6. ( *क्र. 1293 ) डॉ. विक्रांत भूरिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि () प्रदेश में प्रति वर्ष ऊर्जा की कुल कितनी (मेगा वाट) यूनिट की जरूरत/माँग रहती है? वर्ष 2020 से 2025 तक कितनी यूनिट प्रति वर्ष खपत हुई और इसकी पूर्ति हेतु अन्य निजी कंपनी और प्रदेश के बाहर से कितने मेगावाट बिजली प्रति वर्ष खरीदी जा रही है तथा प्रति यूनिट किस दर पर खरीदी जा रही है। () प्रदेश में ऐसी कितने इंडस्ट्री/फैक्‍ट्री/बड़े Consumer हैं, जिनके बिजली के बिल बाकी हैं और कितने समय से कितनी वसूली बाकी है? जिलेवार नाम, पते के साथ जानकारी         दी जाये।

ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ) : () प्रदेश अंतर्गत वित्‍तीय वर्ष 2020-21 से वित्‍तीय वर्ष 2025-26 में माह सितम्‍बर-2025 तक ऊर्जा की कुल मांग (मेगावाट) एवं खपत (मिलि‍यन यूनिट) की वर्षवार जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परशिष्‍ट के प्रपत्र 'एवं 'अनुसार है। विद्युत मांग की पूर्ति हेतु अन्‍य निजी कंपनियों एवं प्रदेश के बाहर से क्रय की गई विद्युत एवं क्रय दर की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अनुसार है। () प्रदेश में कुल 2409 उच्‍च दाब संयोजित/विच्‍छेदित, इंडस्‍ट्री/फैक्‍ट्री/बडे़ उपभोक्‍ता हैं, जिनके कुल राशि रू. 1228.55 करोड़ के बिजली बिल बकाया हैं। उक्‍त उपभोक्‍ताओं के बकाया बिजली के बिलों की अवधि, जिले का नाम एवं पते संबंधी जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अनुसार है।

 

          डॉ.विक्रांत भूरिया -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न क्रमांक 1293 है.

          श्री तुलसीराम सिलावट (अधिकृत) -- अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर पटल पर रखा है.

          डॉ.विक्रांत भूरिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ये मेरा यह सवाल है कि वर्ष 2024-25 एवं वर्ष 2025-26 में अब तक पॉवर एक्‍सचेंज से कुल कितना विद्युत परचेस किया गया और किस दर पर किया गया. इसमें पीक ऑवर्स में कितनी बिजली खरीदी गई और ऑफ ऑवर्स में कितनी बिजली खरीदी गई. यह जानकारी मैं चाहूंगा.

          श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2024-25 में पॉवर एक्‍सचेंज के माध्‍यम से 74 करोड़ यूनिट का विद्युत क्रय किया गया. जिसकी औसत दर रूपये 2.54 प्रति यूनिट है. इसी प्रकार वर्तमान में वित्‍तीय वर्ष 2025-26 में पॉवर एक्‍सचेंज के माध्‍यम से 91 करोड़ की यूनिट प्रक्रिया की गई है, जिसकी औसत दर 1.55 प्रति यूनिट है.

          डॉ.विक्रांत भूरिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें मैं सदन का ध्‍यान इस बात की ओर आकर्षित करना चाहूंगा, जैसा कि अभी माननीय मंत्री जी ने बताया कि पॉवर एक्‍सचेंज के माध्‍यम से बिजली परचेस की जा रही है और जबकि बडे़-बडे़ दावे किये जाते है कि हमारा सरप्‍लस स्‍टेट है. यहां पर हम सोलर पॉवर का उपयोग कर रहे हैं, थर्मल पॉवर का उपयोग कर रहे हैं, फिर भी हमें बिजली बाहर से खरीदनी पड़ रही है. यह अपने आप में बताता है कि चीजें ठीक नहीं हैं. मैं इस पर भी सदन का ध्‍यान लाना चाहूंगा. साथ में मैं माननीय मंत्री जी से दूसरा सप्‍लीमेंट्री क्‍वेश्‍चन करना चाहता हॅूं. स्‍मॉर्ट मीटर को लेकर बहुत ज्‍यादा समस्‍याएं पूरे प्रदेश में आ रही हैं. चाहे वह पक्ष का विधायक हो, चाहे वह विपक्ष का विधायक हो. सबने अपनी चिंताएं इसके प्रति रखी हैं और हकीकत में हमने देखा है कि जितना बिल पहले के मीटर से आना चाहिए था, उससे दोगुना बिल स्‍मॉर्ट मीटर से आ रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि आप सदन को आश्‍वस्‍त करें कि जो भी यह खामियां आ रही हैं, जो विसंगतियां आ रही हैं उसको दूर करने के लिए हमें हर विधानसभा स्‍तर पर एक कमेटी का गठन करना चाहिए. जिसमें इन बिलों के निवारण के लिए विधायक को भी उस कमेटी का हिस्‍सा बनाया जाये.

          श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य का प्रश्‍न इससे उद्भुत नहीं होता है. पर यह एक गंभीर मामला है. हमारी सरकार, भारतीय जनता पार्टी की सरकार, डॉ. मोहन यादव जी की सरकार है. स्‍मॉर्ट मीटर की जो बात माननीय विक्रांत जी ने की है, मैं माननीय सदस्‍य को यह आश्‍वस्‍त करना चाहता हॅूं कि जहां भी आपके संज्ञान में, आपकी जानकारी में प्रदेश के किसी भी जिले में, किसी भी तहसील में, किसी भी पंचायत में कोई शिकायत हो, तो उसकी जांच कराकर उस समस्‍या का समाधान किया जायेगा.

          डॉ.विक्रांत भूरिया -- अध्‍यक्ष जी, यह समस्‍याएं सभी जगह हैं. मैं सभी जगह नहीं जा सकता हॅूं और यहां पर यह जो भावना है यह सिर्फ मेरी नहीं है, यहां पर बैठे हर विधायक की भावना है कि उनके क्षेत्र में स्‍मॉर्ट मीटर को लेकर बहुत ज्‍यादा चुनौतियां आ रही हैं तो मेरा आपसे निवेदन है कि हर विधानसभा स्‍तर पर एक कमेटी का गठन करें. जिससे वहां पर जो भी समस्‍या हो, उसका निराकरण उस कमेटी के माध्‍यम से हो और उसमें विधायक को भी उस कमेटी का एक हिस्‍सा बनाने का कष्‍ट करें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है विक्रांत जी, आप बैठिए.

          श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हर चीज की एक प्रक्रिया होती है. जिले स्‍तर पर एक समिति गठित है. मैं फिर कह रहा हॅूं और माननीय सदस्‍य को विश्‍वास दिलाता हॅूं कि जहां कहीं भी उनकी शिकायत आती हो, उसमें सरकार गंभीरता से विचार करेंगी. उन समस्‍याओं का 100 प्रतिशत समाधान करेगी.

          डॉ.विक्रांत भूरिया -- अध्‍यक्ष महोदय जी, जिले में जो कमेटी गठित है उसमें विधायक को क्‍यों नहीं रखा गया है. मेरा यह निवेदन है कि कम से कम जिला स्‍तरीय कमेटी में सभी विधायकों को रखा जाये.

          प्रश्‍न संख्‍या-7 - अनुपस्थित.

          अध्‍यक्ष महोदय- श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव जी, उन्‍होंने रजनीश जी को अधिकृत किया है.

महेश्‍वर जल विद्युत परियोजना के कर्मचारियों को वेतन का भुगतान

[ऊर्जा]

8. ( *क्र. 1225 ) श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महेश्‍वर जल विद्युत परियोजना के ऐसे कितने अधिकारी कर्मचारी हैं, जिन्हें विगत 2018 से वर्तमान तक मानदेय/वेतन भुगतान नहीं किया गया है? वर्षवार विवरण दें। इनको मानदेय कब तक भुगतान होगा? (ख) क्‍या विभाग द्वारा इन अधिकारी/कर्मचारियों को किसी अन्य विभाग में पदस्थ/स्थानांतरित करने की कोई योजना है? यदि हाँ, तो कब तक कार्यवाही प्रस्तावित है? यदि नहीं, तो क्यों? () परियोजना के डूब प्रभावित ग्रामों के पुनर्स्‍थापन और मूलभूत सुविधाओं के लिये परियोजना बंद होने से वर्तमान तक कब-कब, क्या-क्या कार्यवाही की गई है? वर्षवार विवरण दें।      () परियोजना से प्रभावित ग्रामीणों के लिये शासन द्वारा किन-किन ग्रामों में आदर्श मापदण्डों के अनुरूप मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई है? ऐसे कितने ग्राम इन सुविधाओं से वंचित हैं? वंचित ग्रामों में शासन द्वारा कब तक समस्त सुविधाएं मुहैया कराई जा सकेगी? (ड.) क्‍या भू-अर्जन विभाग जिला कलेक्टर कार्यालय खरगोन में पुनर्वास मद में आवंटित राशि का मद परिवर्तन कर परियोजना के कर्मचारियों का बकाया वेतन भुगतान किया जाना संभव है? यदि हाँ, तो विलंब का कारण बतायें?

ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ) : () निजी विकासक, श्री महेश्‍वर हाईड्रो पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (S.M.H.P.C.L.) द्वारा महेश्‍वर जल विद्युत परियोजना में नियुक्‍त किये गये कुल 94 अधिकारियों/कर्मचारियों, जिनमें से 48 वर्कमेन स्‍टाफ एवं 46 अधिकारी हैं, का क्रमश: 44 माह (फरवरी-2019 से सितम्‍बर-2022 तक), 24 अधिकारियों को 51 माह (जनवरी-2016 से मई-2016 तथा अक्‍टूबर-2018 से सितम्‍बर-2022) तक (जुलाई-अगस्‍त-2019 का वेतन प्राप्‍त) तथा शेष 22 अधिकारियों को 47 माह (मई-2016 एवं अक्‍टूबर-2018 से सितम्‍बर-2022) (जुलाई एवं अगस्‍त 2019 की प्राप्‍त) का मानदेय/वेतन का भुगतान बकाया है, जिसकी जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अनुसार है। उल्‍लेखनीय है कि वर्ष 2018 में एन.सी.एल.टी. के समक्ष दायर याचिका में एन.सी.एल.टी. द्वारा सितम्‍बर 2022 में जारी आदेश के माध्‍यम से उक्‍त परियोजना को दिवालिया घोषित करते हुए इनसॉल्‍वेंसी बैंकरप्‍सी कोड (I.B.C.) के तहत निराकरण हेतु स्‍वीकृत किया गया है। अत: उक्‍त परियोजना में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों के बकाया वेतन एवं वेतन प्रदाय में लगने वाले समय संबंधी कार्यवाही माननीय एन.सी.एल.टी. न्‍यायालय के आदेश के अधीन है। () महेश्‍वर जल विद्युत परियोजना में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों की नियुक्ति ऊर्जा विभाग, म.प्र. शासन द्वारा नहीं किये जाने के दृष्टिगत उन्‍हें किसी अन्‍य विभाग में पदस्‍थ/स्‍थानान्‍तरित किये जाने का प्रश्‍न नहीं उठता। () कलेक्‍टर कार्यालय, जिला खरगोन से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार परियोजना के डूब प्रभावित ग्रामों के पुनर्स्‍थापन एवं मूलभूत सुविधाएं यथा-बिजली, पानी, कॉन्‍क्रीट रोड एवं सामुदायिक भवन इत्‍यादि प्रदाय किये गये हैं। तत्संबंध में परियोजना बन्‍द होने से वर्तमान तक की गई कार्यवाही की वर्षवार जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अनुसार है। () परियोजना में डूब प्रभावित कुल 22 ग्रामों में से 02 ग्रामों यथा सेजगाँव एवं मोरटक्‍का आबादी प्रभावित नहीं है तथा 02 ग्रामों यथा-रावेर एवं काकरिया के डूब प्रभावितों द्वारा प्‍लॉट के बदले नगद राशि ले ली गई है। अत: शेष वि‍कसित किये जाने वाले कुल 18 पुनर्वास स्‍थलों में से 11 पुनर्वास स्‍थल विकसित कर पुनर्वास नीति अनुसार मूलभूत सुविधाएँ प्रदान की गई हैं एवं प्‍लॉट आवंटित किया जा चुका है। 04 पुनर्वास स्‍थलों यथा-सुलगाँव, गोगावां, अमलाथा एवं नगाँवा के लिये प्‍लॉटों का विकास कार्य प्रगति पर था। 03 पुनर्वास स्‍थलों             यथा-पथराड़, भट्याण एवं मर्दाना की भूमि क्रय किया जाना शेष है। सितम्‍बर 2022 में राष्‍ट्रीय कंपनी कानून न्‍यायाधिकरण (एन.सी.एल.टी.) न्‍यायालय द्वारा उक्‍त परियोजना को दिवालिया घोषित करते हुए इनसॉल्‍वेंसी बैंकरप्‍सी कोड (I.B.C.) के तहत निराकरण हेतु आदेश जारी किये जाने के दृष्टिगत पुनर्वास से शेष रहे ग्रामों का शासन की पुनर्वास नीति अनुसार समस्‍त मूलभूत सुविधाओं के साथ पुनर्वास एवं पुनर्स्‍थापना संबंधी कार्य माननीय राष्‍ट्रीय कंपनी कानून न्‍यायाधिकरण (एन.सी.एल.टी.) न्‍यायालय के आदेश के अधीन है। (ड.) महेश्‍वर जल विद्युत परियोजना में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों की नियुक्ति निजी विकासक, श्री महेश्‍वर, हाईड्रो पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (S.M.H.P.C.L.) द्वारा किये जाने के दृष्टिगत परियोजना के कर्मचारियों का बकाया वेतन पुनर्वास मद में आवंटित राशि का मद परिवर्तन कर किये जाने के संबंध में प्रश्‍न नहीं  उठता है।

          श्री रजनीश हरवंश सिंह- मेरा प्रश्‍न क्रमां- 1225.

          श्री तुलसीराम सिलावट- ( अधिकृत) अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर पटल पर है.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य की मदद के लिये एकाध स्‍टूल की व्‍यवस्‍था करना चाहिये. रजनीश जी जब खड़े होते हैं तो समझ नहीं आता है, दिखते ही नहीं हैं. इसलिये एकाध स्‍टूल की व्यवस्‍था कर दी जाये, जिससे हम लोग रजनीश जी के दर्शन कर सकें. (हंसी)

          अध्‍यक्ष महोदय- आप आगे आकर बोलें. मैं आपको अनुमति दे रहा हूं, आप आगे आकर बोलो और कैलाश जी को आप दर्शन दो.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह सौभाग्‍य होगा कि कैलाश पर्वत पर बैठने वाले कैलाश जी का मुझे दर्शन हो.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह था कि पुनर्वास एवं मूलभूत सुविधाओं पर और पुनर्वास स्‍थलों के विकास पर जो उत्‍तर आया है, उससे संतुष्‍ट नहीं हैं. क्‍या माननीय मंत्री महोदय, आपके माध्‍यम से बताने की कृपा करेंगे कि निजी डेव्‍लपर वर्षों तक वेतन नहीं दे सका. क्‍या ऐसे में शासन ने पुनर्वास के अतिरिक्‍त कोई राहत कोष से देने का कोई विचार किया है ?

            श्री तुलसीराम सिलावट- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सम्‍माननीय भी हैं और ज्ञान से ओतप्रोत हैं. मैं सदस्‍य को बताना चाहूंगा कि यह जो संस्‍था है, यह प्रायवेट संस्‍था है और जहां पर न्‍यायालय में प्रकरण चल रहा हो कि कर्मचारी महेश्‍वर परियोजना जो कि एक निजी कंपनी है, वहां कार्यरत थे. ट्रिब्‍यूनल द्वारा महेश्‍वर परियोजना जो कि दिवालिया घोषित की गयी है. आई.बी.सी (इनसॉल्‍वेंसी बैंकरप्‍सी कोड) के तहत निराकरण हेतु स्‍वीकृत किया गया है. उक्‍त परियोजना में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन संबंधी कार्यवाही ट्रिब्‍यूनल के अंतिम आदेश के अधीन है. क्‍योंकि जहां प्रकरण न्‍यायालय में चल रहा हो तो विधान सभा में उसकी टिप्‍पणी करना उचित नहीं है.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी तो सिर्फ यह विनती है कि जिन कर्मचारियों ने 44, 47 और 51 माह तक काम किया, कंपनी दिवालिया घोषित हो गयी, वहां तक ठीक है, पर शासन को इस पर विचार करना चाहिये. क्‍योंकि जिन कर्मचारियों ने काम किया उनको तो वेतन मिलना चाहिये, क्‍या के स्‍त्रोत नहीं हैं, कंपनी की सम्पत्ति के स्‍त्रोत से भुगतान करने की भी तो व्‍यवस्‍था हो सकती है, उनकी कुर्की से जो सम्‍पत्ति आय होगी, उससे तो उन कर्मचारियों को वेतन देने की व्‍यवस्‍था करें, नहीं तो उनका चूल्‍हा कैसे जलेगा, कैसे उनका परिवार चल पायेगा. मेरा आपसे अनुरोध है कि इस पर शासन को विचार करना चाहिये.

          श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार और डॉ. मोहन यादव जी की सरकार और राहुल भैया और क्‍या बोलना है आप बोलें. ( हंसी)

          श्री अजय अर्जुन सिंह- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मुख्‍यमंत्री जी से विशेष अनुरोध करना चाहता हूं कि हर प्रश्‍न के उत्‍तर में, प्रश्‍नकाल में वैसे भी समय बहुत सीमित होता है. हर प्रश्‍न के उत्‍तर में तीन बार आपका नाम लेते हैं कि मंत्री आपकी कृपा से हैं. माननीय नाम लेना बंद कर दें.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसपर एक स्‍थायी आदेश निकलवा दीजिये कि इसको पढ़ा हुआ माना जाये. (हंसी)

          श्री अजय अर्जुन सिंह- अध्‍यक्ष महोदय, यह कैलाश जी के लिये बड़ा फायदेमंद होगा. (हंसी)

          श्री तुलसीराम सिलावट- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ने जो पीड़ा व्‍यक्‍त की है और सरकार भी उससे सहमत है, पर जब न्‍यायालय में प्रकरण चल रहा हो तो उसके निर्णय के बाद, उसकी कोशिश की जायेगी. पूरी सरकार उन 93 लोगों के परिवार के साथ खड़ी है.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जहां एक ओर वेतन लंबित है, वहीं दूसरी और पुनर्वास के स्‍थलों के विकास पर कोई काम नहीं हुआ, सुलगॉंव, गोगावां, अमलाथ एवं नवॉंना जैसे चार पुनर्वास स्‍थलों पर कार्य प्रगति पर है, यह बताया गया है. जबकि वास्‍तविक स्थिति यहां पर वैसी नहीं है पथराड़, भट्याण एवं मर्दाना पुनर्वास स्थिति यहां पर वैसी नहीं है. पथराड़, भट्याण और मर्दाना स्‍थलों की भूमि क्रय अब तक क्‍यों लंबित है.

 कोई कानूनी या प्रशासनिक  बाधाएं हैं क्या.  डूब प्रभावित 18  ग्रामों का पुनर्वास  अधूरा रहने    के बावजूद  परियोजना को दिवालिया  घोषित होने दिया गया. पुनर्वास को प्राथमिकता  में रखने हेतु  शासन ने क्या कदम उठाये और  एनसीएलटी  प्रक्रिया  जारी रहते  हुए भी  सरकार पुनर्वास  कार्यों को जनहित  के  आधार पर क्यों  नहीं  जारी कर रही है.  मेरा तो सिर्फ इतना निवेदन है कि  पुनर्वास जिनको..

                   अध्यक्ष महोदय--  पहले जो बोला, वह क्या था.

                   श्री रजनीश हरवंश सिंहअध्यक्ष महोदय,  उनको वेतन मिलना चाहिये.

                   अध्यक्ष महोदयतो वह भी तो प्रश्न ही था ना.

                   श्री रजनीश हरवंश सिंहअध्यक्ष महोदय, जी.  उसमें मंत्री जी ने जवाब दे दिया कि   हम चिंतित हैं.  हम उस पर काम कर रहे हैं.  तो दूसरा मेरा सवाल था कि  जो  पुनर्वास की व्यवस्था की जाना थी.  उस पर जो जानकारी दी गई है,  उसके अनुसार व्यवस्था नहीं है.

                   अध्यक्ष महोदय रजनीश सिंह जी, आप बैठिये. मंत्री जी, पुनर्वास वाले मामले पर कुछ कहना है, तो कहिये.

                   श्री तुलसीराम सिलावट--  अध्यक्ष महोदय,  मैंने कहा ना कि   प्रायवेट कम्पनी है.  पुनर्वास की  चर्चा, चिंता  हमारी सरकार कर ही रही है और जो  भी कोशिश होगी  पुनर्वास के लिये हम बात करेंगे.

                   अध्यक्ष महोदयप्रश्न संख्या 9.

                   श्री रजनीश हरवंश सिंहअध्यक्ष महोदय, आधा सेकण्ड.  इनको वेतन मिलेगा कि नहीं मिलेगा  और पुनर्वास की  जांच हेतु क्या  मंत्री जी  जांच समिति गठित करेंगे. बस दो बात का जवाब दे दें.

                   अध्यक्ष महोदय कृपया आप बैठें. मैं आगे बढ़ गया हूं. श्री बृज बिहारी पटैरिया जी.

                   श्री रजनीश हरवंश सिंहअध्यक्ष महोदय, पुनर्वास के लिये जांच  समिति बनवा दें.

                   अध्यक्ष महोदयआपकी बात सही है, लेकिन आपके 3 प्रश्न  आ गये,  तीनों का  उन्होंने जवाब दिया है.

नियम विरूद्ध अवैध रूप से कार्यरत कर्मचारियों/अधिकारियों की जानकारी

[नगरीय विकास एवं आवास]

9. ( *क्र. 1353 ) श्री बृज बिहारी पटैरिया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि () क्या माह अक्टूबर 2025 में आयोजित नगर पालिक निगम भोपाल के सम्मेलन में परिषद के सदस्यों द्वारा नगर निगम में अन्य विभागों के कर्मचारियों/अधिकारियों की नियम विरुद्ध तैनाती/पदस्‍थगी/मूल विभागों द्वारा नगर निगम भोपाल में कार्य करने के आदेश को निरस्त करने के बावजूद भी कार्य कर रहे हैं, ऐसे मामलों को लेकर नगर निगम भोपाल से इन्हें हटाये जाने को लेकर निर्णय अथवा विरोध किया गया था? () क्या नगर पालिक निगम भोपाल दूसरे विभागों से आए कर्मचारियों/अधिकारियों के मामले में मध्यप्रदेश शासन के नियम निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है? () नगर पालिक निगम, भोपाल में कार्यरत किन-किन अधिकारियों/कर्मचारियों के प्रतिनियुक्ति या संलग्नीकरण/मूल विभाग के मूल कार्य के साथ-साथ नगर निगम भोपाल में अतिरिक्त कार्य करने के आदेश उनके मूल विभाग द्वारा निरस्त किये गये हैं? जानकारी दें और संबंधित आदेशों की प्रति भी उपलब्ध करावें। ऐसे कर्मचारी/अधिकारियों को कब तक नगर निगम भोपाल से हटाने की कार्यवाही की जावेगी? स्पष्ट समय-सीमा बतावें।  () क्या नगर पालिक निगम भोपाल द्वारा प्रश्‍नांश (ग) उल्लेखित आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है क्यों? निगम द्वारा इस तरह पदस्‍थ कार्यरत अधिकारी/कर्मचारियों के मामले में उनके मूल विभाग की सहमति/अनापत्ति के बिना और मूल विभाग द्वारा नगर निगम में कार्य करने के आदेश निरस्त करने के बावजूद कार्य क्यों लिया जा रहा है व उनके द्वारा वित्तीय मामलों के बिल एवं नस्तियों में हस्ताक्षर किये जा रहे हैं? इसके लिये कौन उत्तरदायी है, क्‍या इन पर विभाग कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) प्रश्‍नांश (ग) उल्लेखित ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा उनके मूल विभाग द्वारा आदेश निरस्त होने के उपरांत किन-किन बिल एवं नस्तियों और अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये गये हैं? ऐसे समस्त दस्तावेजों की छायाप्रति भी उपलब्ध कराएं।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : () जी हाँ। नगर निगम, भोपाल में सभी अधिकारी/कर्मचारी सक्षम स्‍वीकृति/आदेश से पदस्‍थ हैं। () जी नहीं, नगर निगम भोपाल द्वारा शासन आदेश के परिपालन में ही संबंधित अधिकारी/कर्मचारियों को कार्यभार ग्रहण/कार्यमुक्‍त करने की कार्यवाही की जाती है। () नगर पालिक निगम, भोपाल में कार्यरत किसी भी अधिकारी/कर्मचारी के प्रतिनियुक्ति या संलग्‍नीकरण/मूल विभाग के मूल कार्य के साथ-साथ नगर निगम भोपाल में अतिरिक्‍त कार्य करने के आदेश उनके मूल विभाग द्वारा निरस्‍त नहीं किये गये हैं। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। () एवं (ड.) उत्‍तरांश '''' अनुसार।

                   श्री बृज बिहारी पटैरियाअध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्र. 1353.

                   श्री कैलाश विजयवर्गीय--  अध्यक्ष महोदय, उत्तर  पटल पर  रखता हूं.

                   श्री बृज बिहारी पटैरियाअध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न के माध्यम से हम जो ध्यान आकर्षित म करना  चाह रहे थे और जो कार्यवाही चाह रहे थे,  वह हो गई है.  इस हेतु मंत्री जी का बहुत धन्यवाद करता हूं,  बहुत आभार व्यक्त करता हूं, परन्तु  एक विषय यहां उद्भूत होता है,  उसका उल्लेख करना चाहता हूं.

                   अध्यक्ष महोदयअब धन्यवाद दिया है, तो  परन्तु  काहे को आप लगा रहे हैं.  पूरा दिल से ही दो. ..(हंसी).. पहला प्रश्न करिये.

                   श्री बृज बिहारी पटैरियाअध्यक्ष महोदय, किन्तु,  परन्तु,हालांकि, इसलिये, चूकि के बगैर तो पूरा कोई  विषय होता ही नहीं है. तो मुझे अनुमति दी जाये. मैं ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि डॉ. पी.पी. सिंह  जी  का दुस्साहस देखिये  आप कि  उनके मूल विभाग ने  उनकी सेवाएं  दिनांक 22.10.2025 को  वापस ले लीं.   उसके बाद भी वे लगातार आदेश जारी कर रहे हैं और उसकी प्रतिलिपि  भी आयुक्त महोदय को दे रहे हैं.  उनका वेतन कहां से आहरण  हो रहा है,  उनका मूल विभाग  पशुपालन विभाग है. सेवाएं उनकी चल रही हैं  नगर निगम,  भोपाल में. तो क्या  यह पूरे स्थानीय  निकाय हमारे  प्रदेश के  चारागाह बन गये हैं. वैसे ही तो हमारी  स्थानीय   संस्थाएं  जो हैं,  वह स्थापना व्यय के  बोझ तले दबी   जा रही हैं, दम घुट रहा है उनका.  उसके बाद दूसरे विभागों के कर्मचारी  आकर के  इस स्थानीय निकायों    से वेतन  पाते हैं और इस तरह की  अनियमितताएं करते हैं,  इस तरह के दुस्साहस का काम करते हैं.  जब उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने  उनकी सेवाएं  वापस ले लीं,  उसके बाद भी वे नगर  निगम  में  बैठकर आदेश जारी कर रहे हैं. तो इसको संज्ञान में मंत्री जी  को लेना  चाहिये.

                   श्री कैलाश विजयवर्गीय--  अध्यक्ष महोदय, आपने उनको अनुमति  दी और  माननीय सदस्य  ने दूसरा प्रश्न बहुत अच्छा पूछा, पर पहले प्रश्न पर ही मैंने  आदेश  दिये हैं अपने विभाग में.  यह बात सही है कि  कुछ लोग राजनैतिक प्रभाव से, प्रशासनिक प्रभाव से अन्य  विभाग से  हमारे यहां प्रतिनियुक्ति पर हैं. हम जितने भी प्रदेश  भर में प्रतिनियुक्ति पर लोग हैं,  उनकी अगर आवश्यकता  नहीं होगी, तो उनको मूल विभाग में वापस  भेज देंगे. जिनकी आवश्यकता होगी,  उनको ही रखेंगे. जो लोग प्रभाव बनाकर  और  प्रतिनियुक्ति पर  आ गये, उन सबको   उनके मूल विभाग में वापस भेज देंगे.  यह हमने हमारे विभाग  में  निर्देश दे दिये हैं.

                   श्री बृज बिहारी पटैरियाअध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद.  अब चूंकि अवसर मिला है  और  आज संयोग बहुत अच्छा है.  हमारे मुख्यमंत्री जी  भी  बिराजमान हैं सदन में. हमारे विधान सभा क्षेत्र  की  एक नगर पंचायत  का विषय बहुत  दिनों  से उलझा हुआ है.  गोरझामन नगर पंचायत का. मैं मुख्यमंत्री जी का भी ध्यान चाहूंगा और  मंत्री जी  भी चूंकि उसी विभाग के हैं,  आज विषय भी  उन्हीं का है.  मैं चाहूंगा कि पूरी कार्यवाही  गोरझामन नगर पंचायत बनाने के संबंध में पूरी कर ली गई है ए टू जेड.  केवल घोषणा शेष है.  आपके हस्ताक्षर की प्रतीक्षा में  फाइल मंत्रालय में  रखी हुई. यदि आपका आश्वासन मिल जाये, माननीय मुख्यमंत्री जी का अनुग्रह हो जाये और आज इस सदन में इसकी घोषणा हो जाये तो मैं आप सबका बहुत आभारी रहूंगा.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने वह फाइल तो देखी नहीं है पर पहले प्रश्न के उत्तर में मैंने कहा है कि अगर प्रारूप के अंदर सारी निर्धारित अहर्ताएं पूरी करते हुये और कलेक्टर ने भी पॉजेटिव रिपोर्ट भेजी होगी तो हम उसको निश्चित रूप से नगर पंचायत कर देंगे.

          श्री बृज बिहारी पटैरिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही कहा है कि पूरी कार्यवाही बिंदुवार कलेक्टर की सहमति के साथ पुटअप हुई है.

          अध्यक्ष महोदय- पटैरिया जी जवाब आ गया है. कृपया बैठें.

          श्री बृज बिहारी पटैरिया -- अध्यक्ष जी, धन्यवाद.

 

योजनाओं की जानकारी

[नगरीय विकास एवं आवास]

10. ( *क्र. 134 ) कुँवर अभिजीत शाह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि () नगर परिषद सिराली में अमृत 2.0 योजनांतर्गत नल कनेक्शन लगवाये जाने एवं पाइप-लाइन बिछाये जाने हेतु कुल कितनी राशि उपलब्ध कराई गई है? किस कंपनी को योजनांतर्गत कार्य पूर्ण कराये जाने हेतु किस आधार पर कार्यावंटन किया गया है? प्रचलित योजना का ड्रॉफ्ट, वार्डवार डी.पी.आर. की सत्यप्रति उपलब्ध कराई जावे। () प्रश्‍नांश (क) में उल्लेखित योजना के अंतर्गत प्रचलित कार्य का कब कब, किसके द्वारा निरीक्षण एवं परीक्षण किया गया है एवं रिपोर्ट में क्या-क्या पाया गया? निरीक्षण प्रतिवेदन, गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट एवं अधिकारी द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन एवं इस पर विभाग द्वारा की गई कार्यवाही के संबंधित समस्त दस्तावेजों की सत्यापित प्रति एवं विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध करावें। () प्रश्‍नांश (क) में उल्लेखित योजना के अंतर्गत प्रचलित कार्य पूर्ण कराये जाने हेतु क्या लक्ष्य निर्धारित किया गया है? उक्त कार्य में विलंब किये जाने, निर्धारित गुणवत्ता के अनुसार कार्य पूर्ण न किये जाने पर दोषी के विरूद्ध कार्यवाही के क्या प्रावधान है? शासन के नियमों की प्रति उपलब्ध कराई जावे। सिराली नगर परिषद में योजनांतर्गत गुणवत्ता पूर्ण कार्य नहीं कराये जाने पर क्या कार्यवाही की जावेगी? () प्रश्‍नांश (क) में उल्लेखित योजना में कितनी राशि का भुगतान संबंधित ठेकेदार को किया जा चुका है एवं कितना भुगतान शेष है, शेष भुगतान कब कब कराये जाने का अनुबंध में लेख है, समस्त जानकारी अनुबंध की सत्यापित प्रति सहित उपलब्ध कराई जावे?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) राशि रू. 732.64 लाख की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई है। मेसर्स गौतम गौरी कंस्ट्रक्‍शन को कार्य आवंटित किया गया है। शेष जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रप्रत्र '' अनुसार है। (ख) प्रचलित कार्यों का निरीक्षण शासन द्वारा नियुक्त P.D.M.C. (परियोजना विकास और प्रबंधन सलाहकार) एजेंसी, निकाय एवं संभागीय कार्यालय के इंजीनियर द्वारा किया गया है। शेष जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ग) संपादित अनुबंध अनुसार दिनांक 26.07.2026 तक कार्य पूर्ण होना लक्षित है। समय-सीमा में कार्य पूर्ण नहीं होने अथवा गुणवत्ता पूर्ण कार्य नहीं होने पर अनुबंध में संविदाकार पर पेनाल्टी अधिरोपित करने का प्रावधान है, साथ ही संबंधित यंत्रियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रावधान है। नियमों की प्रति की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (घ) वित्तीय स्वीकृति के अनुसार राशि रूपये 116.88 लाख का भुगतान संविदाकार को किया गया है एवं राशि रूपये 615.76 लाख शेष है। अनुबंध में उल्लेखित भुगतान प्रकिया एवं अनुबंध की प्रति की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है।

अध्यक्ष महोदय- कुँवर अभिजीत शाह.

          कुँवर अभिजीत शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मेरा प्रश्न पढ़ने से पहले माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि आप मेरे आदरणीय हैं..

          अध्यक्ष महोदय- अभिजीत जी, प्रश्न क्रमांक बोलें.

          कुंवर अभिजीत शाह -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनिट कहना चाहूंगा कि यदि आप मेरे प्रश्न से आहत हों या मेरी वाणी गलत हो तो उसके लिये पहले से मैं माफी मांगना चाहूंगा. अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 134 है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखता हूं.

          अध्यक्ष महोदय- अभिजीत शाह जी अब आप पूरक प्रश्न करें.

          कुंवर अभिजीत शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो जवाब मुझे दिया गया है इससे मैं सहमत नहीं हूं. मेरे प्रश्न कुछ ओर थे जवाब कुछ और दिया गया है. मैंने पूछा था कि किससे जांच कराई गई थी, साथ में यह भी पूछा था कि कब कब जांच कराई गई और जांच में क्या पाया गया. मैं सदन के माध्यम से बताना चाहूंगा कि सिराली नगर परिषद में अमृत 2.0 अंतर्गत काम चल रहा है , यह लगभग 7 करोड़ रूपये की योजना है और जिसमे अभी 70 लाख रूपये तक का भी काम नहीं हुआ होगा. इतना भारी भ्रष्टाचार है कि जब मैं वहां पर निरीक्षण करने गया था मैं एक फोटो दिखा रहा हूं आप इस फोटो में देखियेगा जो पाइप गाड़े गये हैं वह हाथ में निकलकर के बाहर आ रहे हैं, इसके बाद जब सीसी की जांच की गई, सीमेंट पूरी धूल बनकर के उड़ चुकी है, गिट्टी गिट्टी रह गई है. अध्यक्ष जी मैंने इसकी जांच रिपोर्ट मांगी थी. जांच की सत्यापित रिपोर्ट मांगी थी, जो मुझे नहीं दी गई.

          अध्यक्ष महोदय- आपका प्रश्न क्या है.

          कुंवर अभिजीत शाह- अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न यह है कि जो यह भ्रष्टाचार हुआ है, इसकी जांच कब तक होगी, इसकी जांच जो पहले कराई गई थी उसमें क्या पाया गया लेकिन मुझे सिर्फ यह बताया गया कि जानकारी पुस्तकालय के परिशिष्ट में रखी हुई है और मैंने तारीख पूछी थी कि कब जांच कराई गई वह तारीख भी नहीं बताई गईं. जांच में क्या पाया गया वह नहीं बताया गया और इतना भारी भ्रष्टाचार हुआ, कैसे हुआ.

          अध्यक्ष महोदय- अब आप बैठिये, उत्तर आने दीजिये. माननीय मंत्री जी.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय --अध्यक्ष महोदय, यह जो 7 करोड़ से ऊपर का काम है और इसका वर्क आर्डर ही जून में गया है और जून जुलाई से लगातार बारिश होती रही और इस बार काफी देर तक बारिश हुई इसलिये सिर्फ 10 प्रतिशत काम हुआ है अभी. और इसमें भारी भ्रष्टाचार हो गया, माननीय सदस्य ने अभी खुद कहा कि 70 लाख का काम हुआ . अब 70 लाख में ही भारी भ्रष्टाचार हो गया. (कुंवर अभिजीत शाह के खड़े होने पर) एक मिनिट, मेरा पूरा उत्तर हो जाने दें, आप तो बड़े समझदार हैं. तो 70 लाख का काम हुआ होगा, 1 करोड़ का काम हुआ होगा. अध्यक्ष महोदय, काम की गुणवत्ता के लिये हमारे पास में एक थर्ड पार्टी एजेंसी है जो उसकी गुणवत्ता देख रही है.पर यदि माननीय सदस्य चाहें तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है. अभी तो काम हुआ ही नहीं है मतलब अभी तो काम चालू ही हुआ है और हमें जून 2026 तक उसको समाप्त भी करना है. इसलिये अब काम  स्पीड  पकड़ने वाला है क्योंकि काम का समय यही होता है तो काम भी हो जायेगा समय सीमा में यह हमारी कोशिश होना चाहिये.और जहां तक क्वालिटी का सवाल है हमारे पास में एक थर्ड पार्टी एजेंसी जो उसकी क्वालिटी की जांच कर रही है, अगर माननीय सदस्य चाहेंगे तो मैं कोई उच्च अधिकारी को भेज दूंगा इनके सामने खड़े होकर के जांच करवा देंगे, अध्यक्ष महोदय.

          अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य, दूसरा प्रश्न करें.

          कुंवर अभिजीत शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मैंने कहा कि 70 लाख का काम भी नहीं हुआ है और 1 करोड़ 16 लाख का भुगतान हो चुका है. अब रफ्तार तो बढ़ सकती है लेकिन गुणवत्ता भी बढ़नी चाहिये. दूसरा जांच एजेंसी तो बन जायेगी, उसमें एक विधायक भी सदस्य बन सकता है लेकिन जांच एजेंसी की रिपोर्ट आने के बाद में क्या कार्यवाही होगी क्योंकि इसी तरह का मामला टिमरनी में हुआ था.  टिमरनी के अंदर जीआई पाइप खरीदने में 21 लाख रूपये का भ्रष्टाचार सिद्ध हुआ था, लोकायुक्त द्वारा इसकी जांच की गई थी, और उसको फिर आपके विभाग ने अपने पास में ले लिया था कि भैया हम जांच करेंगे और आपके विभाग के द्वारा ही 21 लाख 3 हजार 657 रूपये का भ्रष्टाचार सिद्ध कर दिया गया 2023 में जिसकी जांच अभी तक नहीं हुई है, जांच रिपोर्ट आ गई है तो कार्यवाही नहीं हुई है, एफ.आई.आर. दर्ज नहीं हुई है. आपके विभाग की जांच के बारे में ही मैं बता रहा हूं उसमें साफ कहा गया था कि सीएमओ से लेकर के अध्यक्ष तक सब दोषी है, इनसे रिकव्हरी की जानी चाहिये . अब दो साल हो गया, रिकव्हरी नहीं हुई है. जिस तरीके से टिमरनी की जांच बस्ते में पड़ी हुई है, वैसे सिराली की जांच होगी वह भी बस्ते में पड़ी रहेगी तो जांच के साथ साथ कार्यवाही भी होना चाहिये. आज दो साल हो गये हैं टिमरनी की जांच हुये लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है.

          अध्यक्ष महोदय- अब आप बैठिये. माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहेंगे.

श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, इस प्रश्‍न से यह वाला प्रश्‍न उद्भूत नहीं होता है.

अध्‍यक्ष महोदय -- पहले वाला जो उनका मूल प्रश्‍न है उसमें जवाब देना है.

श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, मूल प्रश्‍न में मैं जवाब दे चुका हूं कि यदि वह चाहें तो मैं किसी उच्‍च अधिकारी को भेज सकता हूं और उनके साथ खड़े होकर जांच करवा दूंगा.

कुँवर अभिजीत शाह -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि मंत्री जी, आपके विभाग का मामला है. टिमरनी में भ्रष्‍टाचार हो रहा है, सिराली में भ्रष्‍टाचार हो रहा है तो एक डेडलाइन फिक्‍स हो जाए कि यह जो आदेश आया है इस पर कार्यवाही कब तक कराएंगे.

प्रश्‍न संख्‍या 11  --    (अनुपस्थित)

विद्युत-विहीन मजरेटोलों का विद्युतीकरण

[ऊर्जा]

12. ( *क्र. 1410 ) श्री दिनेश गुर्जर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                  (क) क्या मुरैना विधानसभा क्षेत्र की कनेरा, रांचोली, दौरावली, सहित अनेक ग्राम पंचायतों के मजरे एवं टोले आज भी पूर्णतः विद्युत-विहीन हैं? विद्युत-विहीन मजरेटोलों की सूची दें तथा अब तक इन स्थानों तक विद्युत आपूर्ति क्यों नहीं पहुँचाई जा सकी? (ख) प्रश्‍नांश (क) वर्णित क्षेत्रों के ग्रामीणों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा अनेक बार पत्राचार करने और शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद विद्युत विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई? क्या शासन ऐसे अधिकारियों की जवाबदेही तय करते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक या निलंबन की कार्रवाई करेगा?(ग) जब शासन यह घोषणा कर चुका है कि मध्यप्रदेश का कोई भी ग्राम अब विद्युत-विहीन नहीं है,” तो मुरैना क्षेत्र के दर्जनों मजरे-टोले आज भी अंधकार में क्यों हैं? (घ) मुरैना विधानसभा क्षेत्र के किसानों को उनकी 5 एच.पी. मोटरों पर 10 से 15 एच.पी. तक के बिल क्यों भेजे जा रहे हैं और हाल ही में ऊर्जा विभाग द्वारा एकतरफा एवं मनमाने तरीके से किसानों के कनेक्शन का लोड 5 एच.पी. से 7.5 एच.पी. एवं 10 एच.पी. तक क्यों बढ़ा दिया गया है? क्या शासन इस मनमानी लोड वृद्धि एवं बढ़े हुए बिलों की प्रदेश स्तर पर जांच कराकर दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करेगा तथा वास्तविक लोड के अनुरूप बिल पुनः जारी करेगा?

ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ) : (क) जी नहीं। मुरैना विधानसभा क्षेत्रान्‍तर्गत सभी राजस्‍व ग्राम एवं उनके संसूचित मजरे/टोले विद्युतीकृत हैं। अत: शेष प्रश्‍न नहीं उठता। तथापि समय-समय पर नये मजरे/टोले/फलिये का सृजन होना एक सतत् प्रक्रिया है। राज्‍य शासन के पत्र दिनांक 05.05.2025 एवं पत्र दिनांक 07.05.2025 के माध्यम से अविद्युतीकृत घरों/बसाहटों के विद्युतीकरण के लिये विस्तृत सर्वे हेतु दिशा-निर्देश दिए गये हैं, जिनमें 5 घरों से अधिक की अविद्युतीकृत एवं आंशिक रूप से विद्युतीकृत बसाहटों को विद्युतीकरण हेतु शामिल किया जाना है। (ख) जी नहीं। ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों तथा अन्‍य विद्युत उपभोक्‍ताओं द्वारा विद्युत संबंधित समस्‍या के समाधान हेतु म.प्र. मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्यालयों में पत्र/आवेदन एवं केन्‍द्रीय कॉल सेन्‍टर 1912, सी.एम. हेल्‍पलाईन 181, वॉइस बॉट, चेट बॉट एवं एप के माध्‍यम से शिकायत दर्ज कराने पर म.प्र. मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा नियमानुसार शिकायत का परीक्षण कर आवश्‍यक सुधार किये जाते हैं। माननीय प्रश्‍नकर्ता विधायक महोदय के प्राप्‍त पत्रों पर की गयी कार्यवाही का विवरण संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। अत: शेष प्रश्‍न नहीं उठता है।                                           (ग) प्रदेश में समस्‍त राजस्‍व ग्राम विद्युतीकृत हैं। उत्‍तरांश (क) के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न नहीं उठता है। (घ) जी नहीं। अपितु प्रश्‍नाधीन क्षेत्रांतर्गत नियमानुसार उपभोक्‍ता के कृषि पंप स्‍थल का निरीक्षण कर, उपयोग में लिये जा रहे कृषि पंप के भार का, उपकरण से मापन कर, पाया गया भार कृषि पंप के स्‍वीकृत भार से अधिक पाये जाने पर कनेक्‍शन के स्‍वीकृत भार में तद्नुसार वृद्धि की जाकर भार वृद्धि का विद्युत बिल प्रदाय किया जाता है। अत: शेष प्रश्‍न नहीं उठता है।

परिशिष्ट - "तीन"

श्री दिनेश गुर्जर --  अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न क्रमांक 1410 है.

(जल संसाधन मंत्री) श्री तुलसीराम सिलावट  (अधिकृत) --  अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर पटल पर रखता हूं.

श्री दिनेश गुर्जर -- अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मंत्री जी से जानकारी चाहता हूं कि मुरैना विधान सभा में कनेरा ग्राम पंचायत, रांचोली ग्राम पंचायत, पहाड़ी ग्राम पंचायत, बस्‍तपुर में, नाद बस्‍ती में और दौरावली ग्राम पंचायत के कई मजरे टोले ऐसे हैं जहां अभी भी लोग अंधेरे में जीवन यापन कर रहे हैं बिजली की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है.

श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्‍यक्ष महोदय, सम्‍माननीय सदस्‍य ने जो बात रखी है मजरे टोले पर एक प्रक्रिया है, एक संख्‍या मापदण्‍ड है जहां विद्युतीकरण होता है. जहां तक उन मजरे टोले की बात की है वहां एक जगह दो मकान हैं, एक जगह तीन मकान हैं, एक जगह चार मकान हैं उस मापदण्‍ड में नहीं आते हैं, परंतु उसके बाद भी सरकार ऐसे मजरे टोले जहां बचे हैं जहां विद्युतीकरण नहीं है उनका सर्वे किया जा रहा है.

श्री दिनेश गुर्जर -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह आग्रह करना चाहता हूं कि मापदण्‍ड जनता के लिए बनाते हैं और अगर जनता के लिए सुविधा नहीं हो पाएगी, मापदण्‍ड एवं नियमों के कारण उनको किस बात की सजा मिलेगी. मध्‍यप्रदेश में अगर कोई भी सरकार बनती है तो इसलिए बनती है कि हमारी जनता सुखी हो, उसको सरकार की योजनाओं का लाभ मिले तो क्‍या उन मापदण्‍डों में सुधार करके संशोधन करके जो छोटी-छोटी बस्तियां बस गई हैं उन पर विद्युत की व्‍यवस्‍था की जाएगी ?

अध्‍यक्ष महोदय -- दिनेश जी, छोटे-छोटे में भी संख्‍या तो तय करनी पड़ेगी ना.

श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्‍यक्ष महोदय, सम्‍माननीय सदस्‍य ने जो बात की है सरकार इसमें प्रयास भी करेगी, प्रयत्‍न भी करेगी और कोशिश भी करेगी. जो उस मापदण्‍ड में आते हैं उसको लिया जाएगा.

श्री दिनेश गुर्जर -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि मापदण्‍ड को थोड़ा सुधार लिया जाए. अगर 4 घर हैं, 6 घर हैं तो वहां भी विद्युत की व्‍यवस्‍था की जाए.

श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्‍यक्ष महोदय, सम्‍माननीय दिनेश जी, उसे बिजली देने की कोशिश करेंगे.

लैंड पूलिंग स्कीम के तहत किसानों को उचित प्रतिकर (Fair Compensation) प्रदाय

[नगरीय विकास एवं आवास]

13. ( *क्र. 250 ) श्री महेश परमार : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश सरकार वर्तमान Land Pooling Scheme को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 (LARR Act, 2013)” के अधिग्रहण प्रावधानों से बाहर मानती है? यदि हाँ, तो किन कानूनी आधारों पर, जबकि यह योजना किसानों को उनकी पैतृक भूमि के संवैधानिक अधिकार से वंचित करती है? (ख) क्या LARR Act की धारा 26 एवं 30 के अनुसार किसी भी अधिग्रहण में किसानों को नकद मुआवजा एवं पुनर्वास का लाभ मिलना अनिवार्य है? यदि हाँ, तो उक्त प्रावधान के अनुसार क्या सरकार Land Pooling में किसानों के पुनर्वास हेतु विकसित भूखंड का 50 प्रतिशत भाग लौटाने के अतिरिक्त, शेष 50 प्रतिशत भूमि का जो अधिग्रहित कि गई है, उसका नकद मुआवजा बाजार मूल्य से दोगुना भू-स्वामी किसानों को दिया जायेगा? (ग) क्या सरकार Land Pooling के अंतर्गत भूमि लेते समय कलेक्टर गाइड-लाइन रेट या बाजार मूल्य में से जो अधिक हो, उसके दोगुने के सिद्धांत पर मुआवजा देने की घोषणा करेगी? यदि नहीं, तो यह नीति कल्याणकारी राज्य के सिद्धांतों के अनुकूल कैसे है? (घ) क्या सरकार के संज्ञान में है कि Land Pooling की घोषणा के बाद भूमाफिया किसानों की भूमि कम मूल्य पर खरीद लेते हैं, जिससे योजना का लाभ बिचौलियों को मिलता है? ऐसे प्रकरणों को रोकने हेतु मध्यप्रदेश नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 के अंतर्गत कौन से सुरक्षात्मक उपनियम या प्रक्रियाएँ लागू की गई हैं?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी नहीं। म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) अधिनियम, 2019 की धारा-49 एवं 50 के प्रावधानों के अनुसार भू-स्‍वामियों को उनकी भूमि (मूल भूमि) का 50 प्रतिशत की सीमा तक विकसित अंतिम भूखण्‍ड वापिस किया जाता है। अत: उक्‍त नगर विकास योजना किसानों को उनकी पैतृक भूमि के संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं करती है। (ख) जी नहीं। (ग) जी नहीं। लैंडपूलिंग में भूमि स्‍वामी को भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्‍यवस्‍थापन में उचित प्रतिकर एवं पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013 के अनुरूप होकर भूस्‍वामी को उनकी भूमि (मूल भूमि) का 50 प्रतिशत विकसित भाग के अतिरिक्‍त समुचित प्रतिकर दिया जाता है, अत: किसी प्रकार की घोषणा की आवश्‍यकता नहीं है।                                 (घ) जी नहीं। नगर विकास स्‍कीम की अधिसूचना जारी दिनांक पर योजना में विहित भूमियां जिन भूस्‍वामियों की है, उन्‍हीं भूस्‍वामियों को समुचित प्रतिकर के रूप में 50 प्रतिशत विकसित भूखण्‍ड दिया जाता है, अत: नगर विकास स्‍कीम की अधिसूचना के बाद योजना का लाभ बिचौलियों को मिलने का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की            धारा-49, 50 एवं म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश नियम-2012 के नियम-19 के प्रावधान अनुसार है।

श्री महेश परमार -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न क्रमांक 250 है.

श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर पटल पर रखता हूं.

श्री महेश परमार --  धन्‍यवाद माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं, यहां माननीय मुख्‍यमंत्री जी विराजमान हैं, उज्‍जैन में किसानों के संघर्ष को देखते हुए माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने उज्‍जैन के किसानों को बुलाकर लैंड पुलिंग एक्‍ट वापस लिया, तो यह लिखित में कब तक उन किसानों को जानकारी होगी ? मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को उज्‍जैन के किसानों की ओर से धन्‍यवाद देता हूं और मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि वहां के किसानों में दुविधा है तो यह कब तक वापस लेंगे ?

श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने जब घोषणा कर दी है और उस पर हमारे विभाग के द्वारा पत्र भी जारी हो गया और इसलिए वह पत्र उन तक पहुंच गया है. मैं समझता हूं कि वह तो उसी दिन रात को ही चर्चा होने के बाद पत्र निकाल दिया गया था.

श्री महेश परमार -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से संतुष्‍ट हूं जैसा कि माननीय मंत्री जी ने सदन में कहा है. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी का उन किसानों की ओर से धन्‍यवाद देता हूं कि किसानों की समस्‍याओं को आपने सुना और गंभीरता से किसानों के दुख दर्द को समाप्‍त करने का काम किया और उज्‍जैन के किसान भाइयों की जो मांग थी उसको माना, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने उनको बुलाकर और जैसा कि माननीय मंत्री जी ने कहा कि यह पत्र पहुंच जाएगा तो यह पत्र शीघ्र पहुंचे. यह पत्र कब तक पहुंचेगा, माननीय मंत्री जी किसानों में थोड़ी दुविधा है, तो आप बता दें यह कब तक पहुंचेगा यही मेरा अनुरोध है ?  

श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, उसके आदेश जारी हो गए हैं.

          श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने पूछा है आदेश कब तक पहुंचेगा. किस डाक से जा रहा है. पैदल यात्रा से जा रहा है, स्पीड पोस्ट से जा रहा है. कुछ बताने का कष्ट करेंगे. किसान लोग चिंतित हैं कि पत्र चल चुका है पहुंचा नहीं है कहां रह गया है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, विषय मुख्यमंत्री जी के विधान सभा क्षेत्र का है वहां पर पत्र नहीं बातों से ही लोग समझ जाते हैं. मुख्यमंत्री जी ने बोल दिया उसके बाद बचता क्या है.

          प्रश्न संख्या 14 - श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह (अनुपस्थित)

          प्रश्न संख्या 15 - श्री धीरेन्द्र बहादुर सिंह (अनुपस्थित)

          प्रश्न संख्या 16 - श्री सतीश मालवीय (अनुपस्थित)

          प्रश्न संख्या 17 - श्री अरविन्द कटेरिया (अनुपस्थित)

          प्रश्न संख्या 18 - श्री राजेश कुमार शुक्ला (अनुपस्थित) 

 

 

 

बाईपास रिंग रोड की स्‍वीकृति

[लोक निर्माण]

19. ( *क्र. 679 ) डॉ. हिरालाल अलावा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि () धार जिले के मनावर में बाईपास रिंगरोड स्‍वीकृति बाबत प्रश्‍नकर्ता ने माननीय मुख्यमंत्री, माननीय मंत्री, वित्त एवं लोक निर्माण विभाग, मुख्य सचिव, .सी.एस., वित्त, प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग को कब-कब पत्र लिखा? उक्त पत्रों में प्रश्‍नकर्ता ने किन-किन विषयों/मामलों के तहत मनावर में बाईपास रिंगरोड स्‍वीकृति बाबत मांग की? उक्त पत्र पर प्रश्‍न-दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई? समस्त कार्यवाही का ब्यौरा देवें। कार्यवाही नहीं की गई तो विधिसम्मत कारण बताएं। () मनावर में बाईपास रिंगरोड की प्रशासकीय स्वीकृति के लिये ए.सी.एस. वित्त की अध्यक्षता वाली सक्षम वित्तीय समिति के समक्ष किस दिनांक से तथा किन कारणों से लंबित हैं, .सी.एस. वित्त की अध्यक्षता वाली सक्षम वित्तीय समिति के किस-किस दिनांक की बैठक में मनावर में बाईपास रिंगरोड की प्रशासकीय स्वीकृति के संबंध में किसने क्या-क्या प्रस्ताव रखे और क्या-क्या कार्यवाही की गई? प्रस्ताव और समस्त कार्यवाही की प्रति सहित जानकारी देवें।                       () क्या मनावर बाईपास रिंगरोड पुनः प्रस्तावित लंबाई 12.40 कि.मी. बजट 2024-25 एवं                    2025-26 में शामिल कर प्रशासकीय स्वीकृति दिया जायेगा? यदि हाँ, तो समय-सीमा बताएं? यदि नहीं, तो विधिसम्मत कारण बताएं। () धार के सबसे व्यस्ततम शहरों में चार स्टेट हाईवे वाले मनावर तहसील में बड़ी संख्या में ट्राले-भारी वाहन एवं अन्य वाहनों से होने वाले प्राणघातक दुर्घटनाएं लोगों की जान-माल की नुकसान होते रहने देना चाहते हैं, बाईपास रिंग रोड कब तक स्वीकृत करेंगे।

लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : () विस्तृत विवरण पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ख) मनावर रिंग रोड मार्ग विभागीय वित्तीय व्यय समिति की 101वीं बैठक दिनांक 29.05.2023 को रखा गया था। कार्य को समिति के द्वारा बजट में प्रावधानित राशि रू. 6.00 करोड़ के विरूद्ध प्राक्कलनित राशि रू. 67.15 करोड़ का प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने तथा लागत वृद्धि के कारण कार्य अस्वीकृत किया गया। कार्यवाही विवरण पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '1' के सरल क्र. 3 में वर्णित अनुसार है। () मनावर बायपास रिंग रोड का निर्माण कार्य वर्तमान में न ही प्रस्तावित है, न ही किसी योजना में स्वीकृत है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।                 () राज्य बजट में सम्मिलित नहीं। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं।

          डॉ. हिरालाल अलावा - प्रश्न क्रमांक 679

          श्री राकेश सिंह -- उत्तर पटल पर रखा है.

          डॉ. हिरालाल अलावा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मनावर विधान सभा क्षेत्र 4 स्टेट हाई-वे से जुड़ता है. सबसे व्यस्ततम चौराहों में से मनावर नगर का चौराहा है और वहां पर अल्ट्राटेक सीमेंट कम्पनी के बड़े-बड़े ट्रकों, ट्रालों के कारण प्रतिदिन एक से डेढ. घंटे तक जाम लगता है. मैं लगातार मनावर बायपास की मांग करता रहा हूँ. आपके विभाग से मुझे उत्तर मिला है कि पहले 6 करोड़ रुपए की राशि का प्राक्कलन प्रस्तावित किया गया था. वर्तमान में 67 करोड़ रुपए का प्राक्कलन है और लगभग 12 किलोमीटर की यह सड़क है. मनावर शहर को चक्काजाम से मुक्ति दिलाने के लिए यह 67 करोड़ रुपए की राशि कब तक स्वीकृत हो जाएगी और कब तक यह बायपास बना दिया जाएगा.

          श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बढ़ते हुए यातायात के दबाव के साथ ही लगभग पूरे प्रदेश में हर स्थान से बायपास या रिंग रोड के निर्माण की मांग प्राप्त होती है और यह बनना भी चाहिए. लेकिन इसके लिए MORTH (Ministry of road transport and highways) ने कुछ गाइडलाइन निर्धारित करके रखी हैं. इसमें आबादी, ट्रेफिक का खनत्व इन सबको देखकर यह निर्णय होता है कि उसे कब निर्मित किया जाएगा. अभी जहां तक माननीय सदस्य ने इसकी स्वीकृति की बात की है. यह वर्ष 2019-20 में स्वीकृत हुआ था उस समय उसमें मात्र 6 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान था. लेकिन जब उसका पूरी तैयारी के साथ परीक्षण कराया गया तो 68 करोड़ रुपए की राशि निकली है जिसके कारण समिति के द्वारा वह अनुमोदित नहीं हो सका है. फिलहाल उस स्थान पर प्राथमिकता के आधार पर नए तरह से रिंग रोड या बायपास के निर्माण पर सोचा जा सकेगा. फिलहाल वहां पर इसकी आवश्यकता नहीं दिखाई दे रही है.

          डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मनावर में पहले सिर्फ अल्ट्राटेक का सीमेंट प्लांट था अभी गंगवानी में एक और अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट चालू हो गया है और प्रतिदिन मनावर नगर में कहीं न कहीं दुर्घटना होती रहती है, जनहानि हो रही है. यह चार स्टेट हाई-वे कनेक्ट करता है और यहां पूरी तरह से रोज चक्काजाम हो रहा है. आन्दोलन और धरने हो रहे हैं. माननीय मंत्री जी इसकी नए सिरे से आपके विभाग द्वारा समीक्षा कर ली जाए. उम्मीद है कि आगामी बजट वर्ष 2026-27 में इस बायपास की स्वीकृति आपकी तरफ से हमें मिलेगी ऐसी अपेक्षा रखता हूँ.

            श्री राकेश सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि इसको लेकर गाइडलाइन निर्धारित है, लेकिन फिर भी उन्‍होंने समीक्षा की बात की है तो निश्चित रूप से उसकी समीक्षा करेंगे. वैसे कम से कम 50 हजार की जनसंख्‍या के बाद ही बाईपास के बारे में विचार होता है. अभी वहां पर 30 हजार की जनसंख्‍या है, लेकिन माननीय सदस्‍य ने पुन: समीक्षा के लिए कहा है तो निश्चित रूप से विभाग उसकी समीक्षा करेगा.

          डॉ. हिरालाल अलावा--माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री मधु भगत-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा भी इसी विषय पर एक प्रश्‍न था, लेकिन वह अतारांकित हो गया. एक बहुत मुख्‍य सड़क है बैहर से परसवाड़ा और परसवाड़ा से लामता कुल 51 किलोमीटर की सड़क है. जिसमें परसवाड़ा से लामता तो बन गया है, लेकिन परसवाड़ा से बैहर जो बिलकुल जर्जर सड़क है जिसके अंदर 12 मौते हो चुकी हैं और उसको मजबूतीकरण के लिए लिया गया है और उसमें जिस प्रकार से मुझे अतारांकित प्रश्‍न का जबाव दिया गया है वर्तमान में निवेशकर्ता के संचालन एवं संसाधन मार्ग 31 किलोमीटर लंबाई पुनर्निर्माण और मजबूतीकरण हेतु चेंज ऑफ स्‍कोप प्रस्‍ताव में विचाराधीन है. कृपया करके अगर मंत्री जी इसको मजबूतीकरण में बनवा दें तो बहुत मौतें बच जाएंगी और आवागमन बहुत सुलभ हो जाएगा. बहुत-बहुत धन्‍यवाद. 

          श्री राकेश सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी की चिंता जायज़ है, लेकिन अभी मैं इतना कह सकता हूं कि इतनी जर्जर सड़क मध्‍यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में कोई भी नहीं है. जिस पर मौते होना शुरू हो जाएं, लेकिन उन्‍होंने कहा है हम उसका परीक्षण करेंगे और परीक्षण के उपरांत अगर उसमे लगेगा कि मजबूतीकरण का काम होना है तो निश्चित रूप से वह भी करेंगे.

         

प्रश्‍न संख्‍या 20-- (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 21-- (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 22-- (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 23-- (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 24-- (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 25-- (अनुपस्थित)

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है कि अगली बार जब भी विधान सभा के सत्र की तारीख हम निर्धारित करें तो उसमें ब्‍याह-शादी के मुहूर्त भी देखना चाहिए. आज हमारे बहुत सारे विधायक बोलकर गये हैं कि हमारे परिवार में शादी है तो अगली बार हम इसका भी ध्‍यान रखेंगे कि कम से कम उस समय ज्‍यादा शादियां न हों क्‍योंकि जनप्रतिनिधि होने के नाते सभी को वहां जाना पड़ता है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- जो माननीय सदस्‍य अनुपस्थित नहीं हैं. मैं उनके नाम एक बार दोबारा पुकारूंगा. 

प्रश्‍न संख्‍या 2-- श्री कमलेश्‍वर डोडियार (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 7-- श्री कुंवर सिंह टेकाम (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 11--श्री राजेन्‍द्र भारती (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 14--श्री नरेन्‍द्र सिंह कुशवाह (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 15--धीरेन्‍द्र बहादुर सिंह 'धीरू' (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 16--श्री सतीश मालवीय (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 17--श्री अरविन्‍द पटैरिया (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 18--श्री राजेश कुमार शुक्‍ला (बबलू भैया) (अनुपस्थित)

 

प्रश्‍न संख्‍या 20--श्री भैरो सिंह (बापू) (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 21--श्री मुकेश मल्‍होत्रा (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 22--श्री वीरेन्‍द्र सिंह लोधी (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 23--श्री आतिफ आरिफ अकी़ल (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 24--श्री भूपेन्‍द्र सिंह (अनुपस्थित)

प्रश्‍न संख्‍या 25--श्री नितेन्‍द्र बृजेन्‍द्र सिंह राठौर (अनुपस्थित)

 

अध्‍यक्ष महोदय-- प्रश्‍नकाल समाप्‍त

 

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

 

 

12.00 बजे

स्‍वागत उल्‍लेख

 

न‍वनियुक्‍त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं का सदन में स्‍वागत

 

          अध्‍यक्ष महोदय-  आज सदन में हमारी नवनियुक्‍त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका भी दर्शक दीर्घा में सदन की कार्यवाही देखने के लिए उपस्थित है, उनका सदन की ओर से बहुत-बहुत स्‍वागत है. (मेजों की थपथपाहट)

          मुझे प्रसन्‍नता है कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने देश में पहली बार ऑनलाईन पोर्टल के माध्‍यम से 19 हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की नियुक्ति की है, इस पारदर्शी प्रणाली की देश भर में सराहना हो रही है, मैं, सदन की ओर से उन्‍हें बहुत-बहुत बधाई देता हूं. (मेजों की थपथपाहट)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.01 बजे

नियम 267-क के अधीन विषय

 

 (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

12.02 बजे

पत्रों का पटल पर रखा जाना

 

 (क) मध्‍यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 39वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023,

(ख) जबलपुर इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का सातवां वार्षिक   प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 एवं

(ग) भोपाल इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का सातवां वार्षिक     प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023

 

 

राज्‍यमंत्री, तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार (श्री गौतम टेटवाल)-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं, कम्पनी अधिनियम 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार -

(क) मध्‍यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 39वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023,

(ख) जबलपुर इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का सातवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 एवं

(ग) भोपाल इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का सातवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 पटल पर रखता हूं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.03 बजे

अध्‍यक्षीय घोषणा

नियम 138 (3) को शिथिल कर सदन में ध्‍यानाकर्षण की प्रस्‍तुति विषयक

 

                                                          (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

 

        अध्‍यक्ष महोदय- पहले क्रमांक 1 से 4 तक की सूचनायें ली जायेंगी.

 

12.04 बजे

 

अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

ध्‍यानाकर्षण की सूचनाओं का जवाब समय पर देने विषयक

 

          अध्‍यक्ष महोदय-  मेरे ध्‍यान में यह भी लाया गया है कि संबंधित विभागों द्वारा ध्‍यानाकर्षण सूचनाओं का जवाब सचिवालय में कुछ विलंब से दिया गया है, अत: समस्‍त विभाग भविष्‍य में यह सुनिश्चित करें कि ध्‍यानाकर्षण सूचना का जवाब प्रात: 10.00 बजे से पूर्व सचिवालय में आ जाये, जिससे समय पर सदस्‍य को जवाब उपलब्‍ध हो सके. सबनानी जी अपनी ध्‍यानाकर्षण सूचना पढ़ें.


 

12.05 बजे                        ध्‍यान आकर्षण सूचना

(1)  भोपाल के राजीव गांधी विश्‍वविद्यालय में घोर वित्‍तीय अनियमितता होना.

          श्री भगवानदास सबनानी (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) - धन्‍यवाद, माननीय अध्‍यक्ष जी. मेरी ध्‍यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-

          प्रदेश के एकमात्र तकनीकी विश्‍वविद्यालय राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय, भोपाल में घोर वित्‍तीय व अकादमिक अव्‍यवस्‍थाएं व्‍याप्‍त हैं. विश्‍वविद्यालय की राशि निजी खातों में जमा होने एवं कार्पस फण्‍ड की स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं होना, विश्‍वविद्यालय द्वारा नेक ग्रेड प्राप्‍त करने के लिए कूटरचित दस्‍तावेजों का प्रयोग कर ग्रेड प्राप्‍त की गई. विश्‍वविद्यालय के कुलगुरु के त्‍यागपत्र से रिक्‍त स्‍थान पर नियुक्‍त कुलगुरु के विरुद्ध भी वित्‍तीय अनियमितता के आरोपों में जांच चल रही है, जिससे छात्रों एवं अभिभावकों में घोर असंतोष व्‍याप्‍त है. विश्‍वविद्यालय में धारा 54 के प्रावधान को प्रभावशील करने हेतु शासन का ध्‍यान आकृष्‍ट करता हूँ.

          तकनीकी शिक्षा मंत्री (श्री इंदर सिंह परमार) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय, भोपाल के लिये गठित 3 सदस्‍यीय जांच समिति के जांच प्रतिवेदन के आधार पर प्रथम दृष्‍ट्या रुपये 19.48 करोड़ रुपये अनाधिकृत रूप से आपराधिक षड्यंत्र कर निजी खाते में अंतरित किया जाना पाये जाने के कारण तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार विभाग के पत्र क्रमांक/पीए/एसीएस/2040/30 भोपाल, दिनांक 03/03/2024 के द्वारा कुलसचिव, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय को प्रकरण में एफआईआर दर्ज करवाने हेतु निर्देशित किया गया था. विश्‍वविद्यालय प्रशासन द्वारा दिनांक 03/03/2024 को थाना गांधी नगर, भोपाल में    प्रो. आर.एस.राजपूत तत्‍कालीन कुलसचिव, ऋषिकेश वर्मा, सेवानिवृत्‍त वित्‍त नियंत्रक, प्रो. सुनील कुमार, तत्‍कालीन कुलपति, कुमार मयंक, लाभार्थी एवं दलित संघ सुहागपुर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करायी गयी थी. वर्तमान में प्रकरण भोपाल जिला न्‍यायालय में विचाराधीन है.

          राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय, भोपाल में वित्‍तीय अनियमितताओं की जांच के संबंध में पृथक एजेन्‍सी द्वारा फॉरेन्सिक ऑडिट की कार्यवाही की जा रही है. अकादमिक व्‍यवस्‍थाएं सुचारू रूप से संचालित की जा रही हैं. विश्‍वविद्यालय द्वारा नैक ग्रेड प्राप्‍त किये जाने हेतु शिकायतों के आधार पर अपलोड किये गये डेटा का भौतिक डेटा से मिलान किये जाने के उपरांत अग्रिम कार्यवाही की जायेगी. TEQIP-3  े संबंध में प्राप्‍त शिकायत की जांच प्रक्रियाधीन है. जिसका अंतिम प्रतिवेदन अप्राप्‍त है. समस्‍त कार्यवाहियां नियमानुसार सम्‍पादित की जा रही हैं.

          श्री भगवानदास सबनानी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि शैक्षणिक संस्‍थाएं विद्या का मन्दिर हैं, उसके प्रति आमजन की एक आस्‍था है. उसमें इस तरह की आर्थिक अनियमितताएं और जो नैक ग्रेड प्राप्‍त करने के लिए जो छल-बल का प्रयोग किया गया है, इसको लेकर भी रोष व्‍याप्‍त है. मेरा प्रश्‍न यह है कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय, भोपाल में सामने आई वित्‍तीय अनियमितताओं की जांच के लिए अभी तक क्‍या कार्यवाही की गई है और कार्यवाही कब तक पूरी कर ली जायेगी ? और क्‍या विश्‍वविद्यालय द्वारा नैक ग्रेड प्राप्‍त करने के लिए जो जानकारी नैक टीम को प्रदान की गई है, शासन स्‍तर से उसका मिलान विश्‍वविद्यालय में उपलब्‍ध रिकॉर्ड से किया गया है. समाचार-पत्रों के माध्‍यम से यह ज्ञात हुआ है कि असत्‍य जानकारी के आधार पर नैक ग्रेड प्राप्‍त किया गया है. शासन क्‍या कार्यवाही कर रहा है ? पारदर्शितापूर्वक जांच हो एवं विश्‍वविद्यालय की प्रतिष्‍ठा बनी रहे, इसलिए क्‍या शासन वहां धारा 54 लगायेगा ?

          श्री इंदर सिंह परमार - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो जांच प्रक्रिया है, उसमें फॉरेन्सिक ऑडिट की प्रक्रिया चल रही है क्‍योंकि उसमें लम्‍बे समय का ऑडिट होना है और उसमें भी आपराधिक प्रकरण आगे और होने हैं, इसलिए उसकी प्रक्रिया चल रही है. दूसरा, नैक ग्रेड के संबंध में जो कुछ आ रहा है, उसके बारे में विभाग ने एक कमेटी बनाकर उसका डेटा मिलान करने की कार्यवाही कर रहे हैं, जैसे ही उसकी रिपोर्ट आयेगी, उस पर आगे उस हिसाब से कार्यवाहियां करेंगे.

          श्री अनिल जैन कालूहेड़ा (उज्‍जैन-उत्‍तर) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विश्‍वविद्यालय हमारी आस्‍था का केन्‍द्र है. विश्‍वविद्यालय में प्रदेश और भारत के आगे आने वाली पीढि़यों का, आने वाली प्रतिभाओं का निर्माण होता है और अभिभावकों का भी आस्‍था का केन्‍द्र होता है कि विश्‍वविद्यालय से हमारे बच्‍चे आगे चलकर डॉक्‍टर, इंजीनियर, वकील, आईएएस एवं आईपीएस बनेंगे. परन्‍तु विश्‍वविद्यालय के अन्‍दर इतनी वित्‍तीय अनियमितता है कि निजी खातों में राशि जमा करना और कॉपर्स फण्‍ड की स्‍थिति भी स्‍पष्‍ट नहीं होना, नेक ग्रेड प्राप्‍त करने के लिए कूटरचित दस्‍तावेज देना. उसके खिलाफ छात्रों का आंदोलन खड़ा होता है और छात्रों के आंदोलन के परिणामस्‍वरूप कुलगुरु को त्‍यागपत्र देना पड़ता है. फिर तात्‍कालिक नए कुलगुरु जी आते हैं. उनके खिलाफ भी भारी वित्‍तीय अनियमितता, शासन ने उनके खिलाफ जांच बिठाई. जांच कब बिठाई और जांच में क्‍या आया, अभी तक जांच क्‍यों नहीं की गई. यदि जांच नहीं की गई तो कुलगुरु को भी अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है. मेरा प्रश्‍न यह है कि उनको अभी तक कुलगुरु के पद से क्‍यों नहीं हटाया गया. दूसरा प्रश्‍न यह है कि विश्‍वविद्यालय में हो रही इस प्रकार की वित्‍तीय अनियमितता एवं अकादमिक अनियमितता को देखते हुए शासन द्वारा धारा-54 कब तक लगाई जाएगी, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मैं मंत्री जी जवाब चाहता हूँ.

          श्री इंदर सिंह परमार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विश्‍वविद्यालय में जो कुछ पिछले समय में घटा, उस सबकी व्‍यापक जांच चल रही है. उसी में से मैंने कहा था कि फॉरेन्‍सिक ऑडिट, जो एक बड़ी प्रक्रिया है, उस पर काम चल रहा है. पुलिस ने अपनी कार्यवाही की है, जिसमें एफआईआर दर्ज हुई है. काफी लोग इसमें जेल में भी गए हैं. इसलिए वह कार्यवाही आगे चल रही है. रहा दूसरा प्रश्‍न ग्रेड को लेकर के, उसमें भी जो समाज के प्रश्‍न उठे हैं, मीडिया से जो बातें आई हैं, और भी लोगों ने जो बातें रखी हैं, छात्रों ने भी जो बातें रखी हैं, सबको समाहित करते हुए उसका फिजिकल रूप से दोनों के डेटा मिलाने का काम चल रहा है. आगे जैसे भी स्‍थिति आएगी, उस पर हम आगे उस हिसाब से कार्यवाही करने वाले हैं. रहा सवाल धारा-54 के उपयोग के बारे में, हम उसका भी परीक्षण करवा रहे हैं और क्‍योंकि वित्‍तीय अनियमितताओं का कुछ पार्ट उजागर हो गया है, कुछ पार्ट और यदि उसमें आया तो दोनों को आधार बनाकर के हम आगे की कार्यवाही सुनिश्‍चित करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री विक्रांत भूरिया जी अपनी ध्‍यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.

 

 

 

 

 

                (2)    सिंगरौली जिला अंतर्गत वनों की अवैध कटाई की जाना

          डॉ. विक्रांत भूरिया (झाबुआ), (श्री जयवर्द्धन सिंह)  --

           राज्‍य मंत्री, वन (श्री दिलीप अहिरवार) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

12.17 बजे                           अध्यक्षीय घोषणा

                                  भोजनावकाश न होने विषयक

          अध्यक्ष महोदय - आज भोजनावकाश नहीं होगा. माननीय सदस्यों के लिये  भोजन की व्यवस्था लॉबी में की गई है वे अपनी सुविधानुसार ग्रहण कर सकते हैं.

          डॉ.विक्रांत भूरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां पर मैं आप सबका ध्यान आकर्षण करना चाहूंगा जैसा कि  कल संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जी ने कहा था कि हम लोग कोई मुखौटा नहीं हैं. हम जनता की आवाज हैं और यहां पर बैठा प्रत्येक व्यक्ति तीन लाख से ज्यादा लोगों का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन जब समाज के गंभीर मुद्दे के लिये मैं सिंगरौली गया. अपने प्रदेश के सिंगरौली जिले में चोरी छिपे जाना पड़ रहा है क्योंकि वहां धिरौली कोल माइन है और मैं बताना चाहूंगा कि यह क्यों करना पड़ा. जब एक विधायक को चोरी छिपे अपने प्रदेश के एक जगह जाकर वहां की स्थिति को सबके सामने लाना पड़े. फेस बुक लाईव करना पड़े. सिंगरौली में धिरौली ब्लाक है वह 2700 हेक्टेयर का है और इसमें वन क्षेत्र 1400 हेक्टेयर का आता है और यह stratatech mineral resources है जो कि अडानी इंटरप्राईजेज की सहायक कंपनी है. साथियों, धिरौली कोल ब्लाक में अगर सारी अनुमतियां ली गई हैं और वहां कुछ भी गैरकानूनी नहीं हो रहा है तो वहां 1500 पुलिस कर्मियों को क्यों लगाया गया है. क्या कारण है कि पुलिस के दिशा निर्देश में उनके संरक्षण में वनों की कटाई वहां चल रही है. वहां पर जो 8 गांव हैं उनको बाहर आने की अनुमति नहीं है और बाहर से किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं है. मेरा प्रश्न यह है कि जो मंत्री जी ने कहा कि पेसा कानून में यह जो 8 गांव हैं वह नहीं आते. मैं मंत्री जी का थोड़ा ध्यान चाहूंगा. इसमें जो सबसे बड़ा खेल जो हुआ है वह खेल यह हुआ है कि यह 8 गांव कौन से हैं.

          यहां पर एक गांव है आमदान, एक है अमराई खुर्द, दूसरी बासी बेरदा, चौथा है बेलबार, खाटापानी, झलारी, धिरौली और सिरसा यहां पर जो 6 गांव हैं अमरखुर्द, बासी बेरदा, बेलबार, खाटापानी, झलारी और सिरसा ये शेड्यूल एरिया में आते थे, कुसमी ब्‍लॉक था जब अनविभाजित सीधी था तब यह सारे के सारे ब्‍लॉक, सारे के सारे गांव सब कुसमी में आते थे और तब यह आरक्षित क्षेत्र में आता था और आज इसको आरक्षित सूची से बाहर कैसे कर दिया गया इसका आप जवाब दीजिये और सबसे बड़े दुख की जो बात है कि इसका नाम धिरौली रखा गया, धिरौली क्‍यों रखा गया अध्‍यक्ष महोदय वह इसलिये रखा गया क्‍योंकि धिरौली अधिकृत अधिसूचित क्षेत्र में नहीं आता, बाकी के जो 6 गांव हैं वह अधिसूचित क्षेत्रों में आते हैं, इस पर मैं चाहूंगा कि मंत्री जी अपना वक्‍तव्‍य स्‍पष्‍ट करें.

          अध्‍यक्ष महोदय-- अब आप बैठिये, जवाब आने दीजिये.

          वन एवं पर्यावरण राज्‍यमंत्री (श्री दिलीप अहिरवार)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय हमारे सदस्‍य सदन में बहुत ही ऊर्जा के साथ अपनी बात रख रहे थे मैं धन्‍यवाद देता हूं, मगर जिस प्रकार से वह कह रहे थे कि चोरी-चोरी विधायक को जाना पड़ रहा है, माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूं कि आपको इसमें कोई चोरी वाली बात नहीं है, जो केन्‍द्र सरकार हमारी, सेंट्रल गवर्नमेंट ऑफ इंडिया, मिनिस्‍ट्री ऑफ इनवायरमेंट फॉरेस्‍ट की एक परमीशन भी है सारी चीजें सबके सामने हैं इसमें कोई लुका छिपी बात नहीं है, मगर मुझे समझ में यह नहीं आ रहा कि इसमें कोई समस्‍या तो इनको होना ही नहीं चाहिये. जितने पेड़ काटे जा रहे हैं उतने पेड़ भी लगाये जा रहे हैं.

          डॉ. विक्रांत भूरिया-- 6 लाख पेड़ काटना, यह कहां की मानवता है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  विक्रांत जी, आप एक संक्षिप्‍त प्रश्‍न सोचकर रखिये न.

          श्री दिलीप अहिरवार--  अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह मतलब है कि जितने पेड़ काटे जा रहे हैं उतने पेड़ लगाये जा रहे हैं, जितनी जमीन जा रही है उतनी जमीन भी उपलब्‍ध हो गई है. अब लगभग 485 करोड़ रूपया सालाना शासन को भी मिलेगा और उस क्षेत्र के 800 से 900 लोगों को अप्रत्‍यक्ष और प्रत्‍यक्ष रूप से व्‍यापार में भी मिलेगा और उनकी सहभागिता भी होगी उनको काम भी मिलेगा तो मुझे लगता है कि विधायक जी को तो धन्‍यवाद देना चाहिये हमारी सरकार का, इसमें कोई ऐसी आपत्ति वाले विषय तो हैं नहीं तो निश्चित रूप से सारी चीजें ओपन हैं, इसमें कोई चीज नहीं है और जो चीज हो रही है वह सारे नियम के ही अनुकूल हो रही है, कोई अलग से नहीं हो रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय विधायक जी एक प्रश्‍न और करें.

          डॉ. विक्रांत भूरिया-- अध्‍यक्ष जी, मैं 2 मिनट चाहूंगा क्‍योंकि यह बहुत महत्‍वपूर्ण है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- 2 मिनट का सवाल नहीं है, नियमों का पालन करो. बाकी लोग भी तो नियमों का पालन कर रहे हैं.

          डॉ. विक्रांत भूरिया-- अध्‍यक्ष जी, मेरा सवाल साफ है. देखिये कि यह जो बात कर रहे हैं और जो पेड़ लगाने की बात कर रहे हैं यह भी मैं सदन के सामने रखना चाहूंगा. सिंगरौली से पेड़ काटकर आप कहां लगा रहे हैं, सागर में, रायसेन में, शिवपुरी में, आगर मालवा में तो जो सिंगरौली के लोग हैं उनका क्‍या होगा वहां अगर आप सारे पेड़ काट दोगे, आप दूसरी जगह लगा दोगे तो वहां के लोग जो आक्‍सीजन की कमी में जो सिंगरौली का AQI पूरे प्रदेश में ज्‍यादा है इसकी जवाबदारी कौन लेगा और साथ में पेसा कानून का वहां उल्‍लंघन हो रहा है, जबरदस्‍ती कंसेन्‍ट ली जा रही है और जबरदस्‍ती दवाब बनाकर आदिवासियों के घरों को उजाड़ने का काम किया जा रहा है. आखिर में अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि इतिहास गवाह है कि सदियों से आदिवासियों का शोषण हुआ  है. (XXX) 

          अध्‍यक्ष महोदय--  (अध्‍यक्ष महोदय द्वारा रिकार्ड में न लेने का इशारा किया गया) आपका प्रश्‍न आ गया है. माननीय मंत्री जी. मेरे मना करने के बाद रिकार्ड में नहीं आयेगा.  

          डॉ. विक्रांत भूरिया-- (XXX)

          श्री दिलीप अहिरवार--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले तो जो यह पर्यावरण की बात कर रहे हैं पेड़ की बात कर रहे हैं तो मैं इनको बता दूं कि 2 लाख 22 हजार हेक्‍टेयर का बहुत बड़ा जंगल है और 1300 हेक्‍टेयर की मात्र जमीन उनको आवंटन हुई है बहुत बड़ी जमीन का हिस्‍सा नहीं है तो हम लोग इसकी चिंता करते हैं. दूसरा जो अधिसूचित क्षेत्र की बात आपने की, अधिसूचित क्षेत्र गांव में नहीं आता, ब्‍लॉक होता है, जो ब्‍लॉक होता है उसे आप गांव कह रहे हैं. दूसरी बात आप बड़ी-बड़ी बातें सदन में कर रहे हैं. आप लोगों को मुझे धन्‍यवाद देना चाहिये अगर आदिवासी समाज की आप बात करते हैं तो आदिवासी समाज के 800 से 900 लोगों को रोजगार मिलेगा तो हमारी सरकार के निर्णय का आपको धन्‍यवाद करना चाहिये. हम आदिवासी समाज की चिंता करने वाले लोग हैं, हमारी सरकार उसकी चिंता करती है और हमने यह करके दिखाया है.

 

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(XXX) ओदशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.

 

 

          श्री विक्रांत भूरिया -- आपके लिये विकास होगा, हमारे लिये यह विनाश है.

          श्री जयवर्द्धन सिंह(राघौगढ़) -- अध्‍यक्ष महोदय, यह बहुत ही गंभीर विषय है और जिस युग में हम जी रहे हैं, जहां पूरे प्रदेश, देश और विश्‍व में सौर ऊर्जा की बात हो रही है, न्‍यूक्‍लीयर ऊर्जा की बात हो रही है और पूरे विश्‍व में कोयला के माध्‍यम से ऊर्जा के स्‍त्रोत कम करने का प्रयास किया जा रहा है. हम बड़े धन्‍य है कि आज मध्‍यप्रदेश सरकार उल्‍टा कदम उठा रही है और एक नहीं, तीन बड़ी कोयले की खदान हैं, जो अडानी समूह को दी गयी हैं, जिसके बारे में मेरे साथी विक्रांत भूरिया जी ने उल्‍लेख किया था. अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि उत्‍तर में दिया गया है कि इसमें पेसा कानून लागू नहीं होता है, लेकिन जैसा विक्रांत भाई ने कहा है कि वर्ष 2023 तक यह लागू किया गया था और मैं आपको प्रमाण सहित इसकी जानकारी देना चाहूंगा. डॉ.शालिनी सिंह, सांसद महोदया ने वर्ष 2023 में 09 अगस्‍त को प्रश्‍न पूछा था, सिंगरौली जिले के पेसा कानून के संबंध में प्रश्‍न पूछा था, उनको उत्‍तर दिया गया कि धिरौली कोल ब्‍लॉक पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आता है, यह लोकसभा के अंदर उत्‍तर दिया गया है. मूल बात यह है कि वर्ष 2023 और 2025 के बीच में यह बदलाव कैसे हुआ? आखिर अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी वनों के मंत्री हैं, कोयले के मंत्री नहीं हैं, तो आप तो हमें यह बताईये कि अगर कहीं न कहीं कोयले की खदान के द्वारा पर्यावरण पर खतरा है, तो आपकी नैतिक जिम्‍मेदारी बनती है कि आप जो वन क्षेत्र है, इनको बचाईये, यह प्राकृतिक वन है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- जयवर्द्धन जी प्‍लीज आप प्रश्‍न पर आ जायें.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, एक मेरा प्‍वाइंट यह है कि जब वर्ष 2023 में लोकसभा में स्‍वीकार गया है कि धिरौली कोल ब्‍लॉक पांचवी अनुसूची में आता है, वहां पेसा कानून लागू होना चाहिए, तो क्‍या इस पर पुनर्विचार किया जायेगा, यह पहला प्रश्‍न है. दूसरा प्रश्‍न मेरा यह है कि मंत्री जी ने उत्‍तर में मुझे यह कहा है कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 का पालन किया गया है, मंत्री महोदय प्‍वाइंटेड प्रश्‍न है, सेकेंड आपने कहा कि वन अधिकार मान्‍यता वर्ष 2006 में दी

गई, यह उत्‍तर में दिया गया है, तीसरा पेसा कानून का मैंने आपसे पूछा है, मुझे आप वर्ष 2023 की जानकारी के बारे में उत्‍तर दें.

          अध्‍यक्ष महोदय, दो और नियम है, जिनका उल्‍लंघन किया गया है, या नहीं किया गया है, आप मुझे बताईये. वन जीव संरक्षण अधिनियम 1972 क्‍योंकि इसी जंगल के पूरे क्षेत्रफल में हाथी गलियारा और तेंदुओं का आवास भी रहता है, तो क्‍या इस नियम का पालन किया गया है. सेकेंड पर्यावरण संरक्षण अधिनियम सन् 1986 संपूर्ण सिंगरौली के संचयी प्रभाव का आंकलन हुआ है या नहीं हुआ है, कृपया मुझे इसकी भी जानकारी चाहिए है और साथ में जैसा मैंने पहले आपसे कहा है कि जब वर्ष 2023 में लोकसभा में स्‍वीकारा गया है कि पूरा धिरौली कोल ब्‍लॉक पांचवी अनुसूची में आता है, वहां पेसा कानून लागू होना चाहिए तो क्‍या इस एक्‍ट पर विचार किया जायेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री जयवर्द्धन जी आपकी बात आ गई है, आप बैठ जायें.

          श्री दिलीप अहिरवार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिस प्रकार से हमारे सदस्‍य कह रहे थे, उसके लिये पहले तो इनको धन्‍यवाद. आपने हमको याद दिला दिया है कि हम वन मंत्री हैं, कोयला मंत्री नहीं है, इसके लिये भी आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद. यह हमें भी याद है कि हम वन मंत्री हैं, चूंकि यह कोयला का आवंटन हमारे वन क्षेत्र में ही है, इसलिए हम वन मंत्री के नाते आपको जवाब दे रहे हैं. निश्चित रूप से जो पेसा एक्‍ट वाली जो बात आपने की है, तो निश्चित रूप से आप भी जानते हैं कि जहां जो क्षेत्र होता है, उसमें पचास प्रतिशत ट्रायवल क्षेत्र होता है, उससे ज्‍यादा होता है, तो वह पेसा एक्‍ट के कानून में आता है और हमारे पास पूरी प्रक्रिया है, नियम भी है. जितने भी चाहे वन जीवी को लेकर, संरक्षण को लेकर जो बात आपने कही है सारी प्रक्रियाओं को ध्‍यान में देकर, सारी चीजों को हमारे पास एक एक चीज के लिये नियम है, हमने पूरे नियम और विधिवत तरीके से कार्य किया है, इसमें कोई गलत तरीके से कार्य नहीं किया है. निश्चित रूप से आपको लगता है कि कहीं ओर जानकारी हमने उपलब्‍ध करवाई है और आपको पहली भी बताया है कि हमारे पास सारी परमीशन ऊपर से भी है, सेंट्रल से भी परमीशन है और सारी चीजें हमने प्रक्रिया के तहत ही की है, कोई भी कार्य हमने प्रक्रिया से बाहर नहीं किया है.

श्री जयवर्द्धन सिंह माननीय अध्‍यक्ष जी, मैंने आपके सामने दो नियमों के बारे में पूछा था, मंत्री जी उत्‍तर तो बोल दीजिए.

अध्‍यक्ष महोदय जयवर्द्धन सिंह जी, आपने एक प्रश्‍न नहीं पूछा, आपने इतने प्रश्‍न पूछे कि कोई भी आदमी याद नहीं रख सकता. एक बार में ज्‍यादा से ज्‍यादा दो प्रश्‍न पूछ सकते हैं.

नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) माननीय अध्‍यक्ष जी, हमारे दोनों सदस्‍यों ने जो सवाल पूछे, उसके उत्‍तर में है, नियम में है, ये है, हमने प्रक्रिया पूरी की. सीधा सीधा सवाल किया है कि वर्ष 2023 के बाद पांचवीं अनुसूची से इसको क्‍यों हटाया गया, ये मंत्री जी बता दें, बस इतनी सी बात है, क्‍यों हटाया, जब आदिवासी क्षेत्र है. वहां पर एक साल के अंदर आदिवासियों की जनसंख्‍या कम हो गई, इसके पहले जनसंख्‍या थी, सिर्फ इतना बता दें कि क्‍यों हटाया, कारण बता दें.

अध्‍यक्ष महोदय बाला बच्‍चन जी.

श्री बाला बच्‍चन अध्‍यक्ष जी, हम पहले दिन से इस बात को कहते आए हैं कि भाजपा सरकार आदिवासियों की विरोधी सरकार है, जैसे, ये जो चाहते हैं ,अपनी सुविधा के मुताबिक, इन्‍होंने नियमों में परिवर्तन करके, आदिवासियों को बेदखल करने के लिए कानून बना लिया. मंत्री जी एक तो आप आक्रोशित होकर जवाब दे रहे थे, गुस्‍सा और आक्रोश करने की आवश्‍यकत नहीं है. आपने बोला वह गांव आदिवासी है, पेसा एक्‍ट के अंतर्गत वह गांव क्‍यों नहीं आएगा और ये जो पेसा एक्‍ट बनने के बाद वह जो क्षेत्र, जो पेसा एक्‍ट के अंतर्गत आता था, आपको जो कोल ब्‍लॉक आवंटन के लिए, जो जमीन देना था, इसलिए आपने नियमों में परिवर्तन किया और नियमों में परिवर्तन करके हजारों आदिवासियों का रहना और जीना मुश्किल कर दिया, उनके ऊपर एफआईआर कर रहे हैं, जिलाबदर की कार्यवाही उन पर कर रहे हैं और जो दूसरा पक्ष है, उनके ऊपर सरकार कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं, आपका स्‍पष्‍ट मुखौटा है कि आप आदिवासी विरोधी हो, ये ध्‍यान रखना और हम पूरी लड़ाई लडेंगे, हाउस के अलावा भी हम सिंगरौली और प्रदेश और देश में भी लडेंगे और आपको आदिवासी के हितों की रक्षा करनी पड़ेगी. अध्‍यक्ष जी हम इसका जवाब चाहते हैं, आपसे संरक्षण चाहते हैं.

अध्‍यक्ष महोदय बाला जी, आपने प्रश्‍न ही नहीं किया तो जवाब कहां से आएगा.

          श्री बाला बच्‍चन अध्‍यक्ष जी, हम चाहते हैं कि आप मंत्री जी से इसका जवाब दिलवाए.

अध्‍यक्ष महोदय बाला भाई ने तो इतना लंबा भाषण दे दिया कि इससे लंबा भाषण देकर जवाब देना पडे़गा, मंत्री जी बोलिए.

          श्री दिलीप अहिरवार अध्‍यक्ष जी, सदस्‍य बहुत वरिष्‍ठ हैं और यह सब देख रहे थे कि सदन में किसको गुस्‍सा आता है और कौन बोलता है, अध्‍यक्ष जी हमको गुस्‍सा नहीं आता, आप लोग बहुत वरिष्‍ठ हैं, निश्चित रूप से इस बात का ध्‍यान आप लोग रखिए कि जब सदन में आप लोग बोलते हैं तो गुस्‍सा किसको आता है. हम लोग तो शांति से जवाब दे रहे हैं. पेसा क्षेत्र में नहीं आता, अभी हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने भी एक बात कही है, हमने पहले भी आपके सवाल में बताया है कि जो प्रक्रिया और नियम है, उसके अनुकूल ही हमने कार्य किया है और यदि आपको कुछ लगता है तो व्‍यक्तिगत हम आपको जानकारी पहुंचा देगे. आपको स्‍वयं नियम पता है, प्रक्रिया पता है. आप भी वन मंत्री रहे हैं, होता तो सब कुछ नियम प्रक्रिया से ही है. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी आप जानते हैं कि वन्‍य जीव संरक्षण, अधिनियम को हमने ध्‍यान में रखा है और पेसा एक्‍ट का जो नियम है, 50 प्रतिशत से ज्‍यादा, जहां ट्रायबल क्षेत्र के लोग रहते हैं वहां पेसा एक्‍ट है ही नहीं तो क्‍या.

          श्री उमंग सिंघार अध्‍यक्ष जी, वर्ष 2023 के बाद क्‍या कारण रहा है कि इसको पांचवीं अनुसूची से हटा दिया, हमारा सिर्फ इतना सा सवाल है.

          अध्‍यक्ष महोदय मंत्री जी, मेरा कहना यह है कि उमंग सिंघार जी ने स्‍पेसिफिक पूछा है, उस मामले में आपको क्‍या कहना है, बस इतना सा सवाल है.

          श्री दिलीप अहिरवार अध्‍यक्ष जी, आज की स्थिति में जो परिस्थिति है, मैंने उसी परिस्थिति को बताया है कि आज की स्थिति में वह जो ग्राम है, ब्‍लाक है, वह पेसा एक्‍ट में नहीं आता है, उसी की प्रक्रिया को ध्‍यान में रखकर परमिशन दी है, सारी चीजें की है और उसी परमिशन के अंदर हम काम कर रहे हैं.

          श्री उमंग सिंघार अध्‍यक्ष जी, फिर आपसे आग्रह है कि वर्ष 2023 के बाद उसको पांचवीं अनुसूची से क्‍यों हटाया गया यह बताएं. (..व्‍यवधान) आदिवासियों को उजाड़ने की बात हो रही है मतलब, इसलिए आपने उनको वहां से हटा दिया. सीध सीधा जवाब दे दें. (..व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय कृपया, सभी अपने स्‍थान पर बैठ जाए. (..व्‍यवधान) इससे जवाब तो नहीं आएगा. (..व्‍यवधान)

          श्री अजय सिंहयह बहुत ही गंभीर विषय है इसमें  वर्ष 2023 और  वर्ष 2025 के मामले में जवाब देना है दूसरी बात यह है कि वर्ष 2023 के बाद इसको क्यों हटाया गया है ? सिर्फ आप इसका उत्तर दे दें. हम बाद में बताते हैं कि क्यों हटाया गया ?    (व्यवधान)

            श्री दिलीप अहिरवारअध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को बताया है कि चूंकि माननीय मुझसे ज्यादा अनुभवी हैं वह वनमंत्री जी भी रहे हैं. सब प्रक्रिया के तहत होता है, प्रक्रिया के बाहर नहीं होता है. आज की जो स्थिति है. आप ही बता दीजिये कौन सी प्रक्रिया है. आप मुझे संज्ञान में दिलाएंगे तो निश्चित रूप से इनकी जो भी मदद होगी वह कर देंगे. वह कौन से 2023 का संज्ञान दे रहे हैं. अगर 2023 के बारे में संज्ञान देंगे तो उसकी पूरी जानकारी उपलब्ध करवा देंगे. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदयसब लोग बैठिये. माननीय मंत्री जी नेता प्रतिपक्ष जी का स्पेसिफिक प्रश्न है उनके मामले में आप उनसे मिलकर वस्तुस्थिति से अवगत करा दें.

          श्री दिलीप अहिरवारजी अध्यक्ष महोदय मैं उनसे मिलकर बात कर लूंगा.

          नेता प्रतिपक्षअध्यक्ष महोदय, पूरा सदन जानना चाहता हूं. पूरी सिंगरौली के लोग यह जानना चाहते हैं. मंत्री जी जब जवाब नहीं दे पा रहे हैं तो ऐसे मंत्री जी क्या मतलब है ?(व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है कि इसका जवाब तो दिलवा दीजिये.

          अध्यक्ष महोदयडॉ.राजेन्द्र पाण्डेय जी अपने ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़े.

          डॉ.राजेन्द्र पाण्डेयअध्यक्ष महोदय, और भी ध्यानाकर्षण महत्वपूर्ण हैं उन पर भी चर्चा हो. (व्यवधान)

          संसदीय कार्य मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीयअध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य पहली बार के विधायक हैं.

          नेता प्रतिपक्षवह उत्तर दे रहे हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीयअध्यक्ष महोदय, मैं भी उत्तर दे रहा हूं ना. मैं भी उत्तर दे सकता हूं. मैं संसदीय कार्यमंत्री हूं मैं किसी भी मंत्री का उत्तर दे सकता हूं. पहली बार के विधायक हैं उन्होंने बहुत ही आत्मनिर्भरता के साथ उत्तर दिया है. मैं पूरी प्रक्रिया को देख रहा था. कॉल एक्ट है, ट्राईबल एक्ट है यह भारत सरकार और राज्य सरकार दोनों के बीच का तथा समन्वय का विषय होता है. यह सब आप भी जानते हैं और सारा सदन भी जानता है. यह बात सही है कि जैसा कि माननीय जयवर्द्घन सिंह जी ने कहा है यह सीधी जिले का प्रश्न था जो आपने पूछा था या सिंगरौली का

          श्री जयवर्द्धनसिंहअध्यक्ष महोदय,सिंगरौली का है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीयअध्यक्ष महोदय, सिंगरौली में कभी भी पेसा एक्ट रहा ही नहीं है. यह मैं जवाबदारी से उत्तर दे रहा हूं. जहां तक मैंने अभी अधिकारियों से चर्चा की है कि सिंगरौली जिले में कभी भी पेसा एक्ट लागू ही नहीं हुआ क्योंकि वहां पर आदिवासी भाईयों की संख्या कम रही है.  उसके बावजूद भी यदि माननीय सदस्य को पूछना है तो पूछ सकते हैं पर मैं यह बात बहुत जवाबदारी के साथ कह रहा हूं अधिकारियों से चर्चा करने के बाद.

          श्री जयवर्द्धनसिंहअध्यक्ष महोदय,कैलाश जी ने प्वाईंट कही थी मेरे पास तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री(व्यवधान) अब आप बैठिये.

          अध्यक्ष महोदयआप संसदीय कार्यमंत्री जी से मिलकर के समस्या का हल करवा लें.

          श्री दिलीप अहिरवारअध्यक्ष महोदय, हमारे संसदीय कार्यमंत्री जी ने बोल दिया है तो निश्चित रूप से चर्चा करके ही कहा है.

अध्यक्ष महोदयडॉ.पाण्डेय जी अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.

(3) रतलाम नगर ने निजी स्कूल में छात्र द्वारा आत्महत्या का प्रयास किया जाना.

डॉ.राजेन्द्र पाण्डेयअध्यक्ष महोदय,

                                        

 

 

...(व्‍यवधान)...

        अध्‍यक्ष महोदय -- अभी ध्‍यानाकर्षण पर काफी चर्चा हो गई है. कृपया करके बैठ जाएं. बाद में भी अवसर मिलेगा. माननीय मंत्री जी.

          स्‍कूल शिक्षा मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

....(व्‍यवधान)...

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमें न्‍याय तो दिलाइए.....(व्‍यवधान)...

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,...

          अध्‍यक्ष महोदय -- एक मिनट, एक मिनट. मैं आपको बुलाता हॅूं. माननीय मरकाम जी, प्‍लीज. बैठ जाइए. माननीय सदस्‍य, डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय जी कोई पूरक प्रश्‍न है ?

          डॉ.राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह अत्‍यंत गंभीर मामला है. निजी स्‍कूलों में लगातार मनमानी बढ़ती जा रही है. माननीय मंत्री जी के द्वारा जो कार्यवाही की गई, मैं उसके लिए उन्‍हें धन्‍यवाद भी ज्ञापित करना चाहता हॅूं कि उन्‍होंनें त्‍वरित तत्‍काल कार्यवाही की. प्राथमिकी भी दर्ज हुई है और लोक शिक्षण विभाग के द्वारा उन्‍हें नोटिस भी जारी किया गया है. मैं इससे सहमत हॅूं लेकिन मैं आपके माध्‍यम से ध्‍यान आकर्षित करना चाहता हॅूं. मुझे थोड़ा-सा दुख भी हो रहा है कि छोटे-छोटे बच्‍चे बैठे हैं लेकिन निजी स्‍कूलों में जिस तरह की मनमानी की जा रही है, जिस तरह की प्रताड़नाएं दी जा रही हैं, जिस तरह से पालकों को भी बाध्‍य किया जा रहा है कि वे अपनी मनमर्जी की ड्रेस फलां जगह पर बनवायें. वे अपने मनमर्जी से सिलेबस की किताबें फलां जगह से ही खरीदें. उन पर अनावश्‍यक खर्चों का बोझ बढ़ाया जाना, फीस बढ़ायी जाना, यह अपने स्‍थान पर विचारणीय विषय है जोकि इसे गंभीरता से लेना चाहिए. लेकिन यह अत्‍यंत दुख की बात है कि विगत 3-4 वर्षों में रतलाम के नामली में एक सेंट जोसेफ कान्‍वेंट स्‍कूल है. वहां पर उन्‍होंने वॉशरूम में ही सीसीटीव्‍ही कैमरा लगा दिया. आप कल्‍पना करें, जहां छोटे-छोटे बच्‍चे पढ़ रहे हैं वहां पर स्‍कूल के वॉशरूम में सीसीटीव्‍ही कैमरे लगा दिया जाना कितना लज्‍जाजनक और दुखदायी है. यह मामला रतलाम के ही सेंट जोसेफ कान्‍वेंट स्‍कूल नामली का है और रतलाम जिला अंतर्गत नामली आता है. वहां पर तो रेप करने का प्रयास किया गया, तो अब वहां के छात्र-छात्राएं किस तरह से सुरक्षित रहेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, इसी के साथ-साथ साईं श्री स्‍कूल में भी रेप की घटना घटित हुई. अब इतनी गंभीरतम स्‍थितियां हैं जिन पर किसी प्रकार का कोई नियंत्रण नहीं है. मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन है कि यह जो निजी सीबीएसई स्‍कूल हैं क्‍या इन पर नियंत्रण सिर्फ और सिर्फ केन्‍द्र सरकार का ही है ? क्‍या वे राज्‍य सरकार के अंतर्गत राज्‍य सरकार से मान्‍यता भी उनमें संलग्‍न हो जाती है. वे मान्‍यता लेकर के काम करते हैं लेकिन जहां तक हमारी जानकारी में आया है कि जिला शिक्षा अधिकारी भी अगर सीबीएसई स्‍कूल की जांच करने या किसी कार्यवाही के लिए जाता है तो उसे उपेक्षित किया जाता है. उसकी सुनवाई नहीं की जाती है. आखिरकार इनका नियंत्रण किस प्रकार से किया जाता है. पहले तो मैं यह जानना चाहता हॅूं कि आखिरकार सीबीएसई के जो स्‍कूल हैं वह राज्‍य सरकार के अधीन होकर के कार्यरत हैं, संचालित हैं लेकिन वहां के जो प्राचार्य हैं, वहां के जो शिक्षक हैं वे हमारे मध्‍यप्रदेश शासन के शिक्षा विभाग को किसी प्रकार की कोई तवज्‍जो नहीं देते हैं. उनके आदेशों-निर्देशों के लिए वे लापरवाहीपूर्ण रवैया अपनाते हैं और यहीं कारण है कि छात्र-छात्राओं पर इतनी प्रताड़ना की जा रही है. ऐसी लज्‍जाजनक स्‍थिति आ रही है तो इनका नियंत्रण कैसे किया जाता है, मैं यह जानना चाहता हॅूं. मैं अगला प्रश्‍न फिर करूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी.

          स्‍कूल शिक्षा मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य हमारे वरिष्‍ठ सदस्‍य हैं, मैं आपके माध्‍यम से उनको बहुत जिम्‍मेदारी के साथ में इस बात को बताना चाहता हॅूं कि जहां तक इस बालक के तीसरी मंजिल से कूदने और इस तरह की जो घटना हुई, वह निहायत ही चिंताजनक है और जो प्राथमिक जांच में चीजें सामने आयी हैं कि रील आदि बनाने में बच्‍चे इस तरह की चीजों में लिप्‍त रहते हैं तो उसको समझाईश या डांट या जो भी उस संस्‍था द्वारा किया गया, जिसके परिणाम में यह घटना हुई. इसमें हम लोग सरकार की तरफ से, विभाग भी हम इस बात की चिंता कर रहा है कि इसके लिए शासकीय स्‍कूलों में और प्राइवेट इंस्‍ट्टीटयूशंस में भी बच्‍चों के लिए एक अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जाये कि मोबाइल का बेहतर उपयोग, इसका दुरूपयोग किस तरह से होता है, इसका सदुपयोग हम कैसे कर सकते हैं.

रील आदि के चक्‍कर में बच्‍चों को खासकर जब उनकी स्‍कूलिंग है या उनकी पढ़ाई का दौर है, उस समय इन सब चीजों से बचना चाहिये. इस तरह का एक प्रोग्राम चलाने के लिये हम लोग इस पर कार्यवाही कर रहे हैं. दूसरी चीज, आपने अन्‍य स्‍कूलों का भी उल्‍लेख किया तो हम उसकी जांच करायेंगे और जो सी.बी.एस.सी स्‍कूल्‍स हैं, जब सी.बी.एस.सी स्‍कूल्‍स को हम एन.ओ.सी देते हैं, उसके बाद उन्‍हें सी.बी.एस.सी की मान्‍यता मिलती है. स्‍वाभाविक रूप से हमारी अनापत्ति के बाद उन्‍हें भारत सरकार से मान्‍यता मिलती है. अगर किसी किस्‍म का वहां नियमों का उल्‍लघंन पाया जाता है तो हमने जो अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया है तो उसको हम वापस भी ले सकते हैं.

          मैं आपको बताना चाहता हूं कि दो साल में हमारी सरकार ने जो पहले हमारा फीस नियामक आयोग था, उसको हम लोगों ने सख्‍त किया है. सरकार का पूरा नियंत्रण है कि आप अनावश्‍यक फीस नहीं बढ़ायेंगे. कलेक्‍टर की अध्‍यक्षता में एक समिति है जो लगातार इसको मॉनिटर करती है. यदि आप फीस बढ़ाओगे तो आपको ऑन लाइन अप लोड करना पड़ेगा, उसमें सी.बी.एस.सी स्‍कूल्‍स भी शामिल हैं. प्रायवेट संस्‍थान और राज्‍य सरकार के देखरेख वाले स्‍कूल और भारत सरकार के देखरेख वाले स्‍कूल. सारे स्‍कूलों को हम लोगों ने इस नियंत्रण में रखा है. दस प्रतिशत से ज्‍यादा आप फीस नहीं बढ़ा सकते हैं, उसकी आपको अनुमति लेनी पड़ेगी. जैसा आपने कहा की इनका सिलेबस और यूनिफार्म वगैरह का बोझ बच्‍चों पर ज्‍यादा आता है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सदन को बताना चाहता हूं कि हम लोगों ने इस साल व्‍यवस्‍था की है कि हम अपना सिलेबस सरकारी स्‍कूलों के तहत जो आर.टी.ई के तहत हमको देना है तो हमने अप्रैल के पहले सप्‍ताह में पूरे स्‍टेट में बांटा है. इस साल से हम यह व्‍यवस्‍था कर रहे हैं कि शासकीय स्‍कूलों में मुफ्त में सिलेबस भेजते हैं,वह तो हम भेजेंगे ही. साथ ही हम बहुत न्‍यूनतम दरों में जो 400-450 रूपये से नीचे होगी. मतलब हम पहली क्‍लास का सिलेबस तो हम डेढ़ सौ, पौने दो सौ रूपये में उपलब्‍ध करायेंगे. हमारी कोशिश है कि प्रायवेट संस्‍थाओं को ब्‍लॉक स्‍तर पर हम इस तरह के मेले आयोजित करें और प्रायवेट संस्‍थानों के जो बच्‍चे हैं वहां से वह सिलेबस खरीद सकें और न्‍यूनतम दरों पर सरकार अपनी तरफ से उपलब्‍ध करायेगी. प्रायवेट संस्‍थान जो बच्‍चों को बाध्‍य करते हैं, उससे उनको मु‍क्ति मिलेगी. पिछले साल हमने जिला मुख्‍यालयों पर इस तरह का प्रयोग किया था, वह बहुत सफल था. उसे हम नीचे तक ले जा रहे हैं और शासकीय स्‍तर पर पुस्‍तकें प्रिंट कराकर उनको उपलब्‍ध करवायेंगे और यूनिफार्म का भी जो अनावश्‍यक पैसा लिया जाता है उस पर भी नियंत्रण करने की कार्यवाही, हम कर रहे हैं और जो जांच और जांच के बाद में कार्यवाही का जो मैकेनिज्‍म है उसको हम लोगों ने बहुत पारदर्शी किया है, सख्‍त किया है. आप आने वाले समय में उसके सकारात्‍मक परिणाम भी देखेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय- राजेन्‍द्र जी, कुछ और बोलना है. लेकिन मत लगाना.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय - मैं थोड़ा सा निवेदन कर रहा हूं कि यह जो निजी और सी.बी.एस.सी के स्‍कूल हैं, जैसे नवोदय, सेन्‍ट्रल स्‍कूल और अन्‍य स्‍कूल भी केन्‍द्र सरकार के माध्‍यम से संचालित होते हैं. लेकिन उनका नियंत्रण कलेक्‍टर के अधीन रहता है. कलेक्‍टर उस समिति का अध्‍यक्ष रहता है और यह जो निजी स्‍कूल हैं और यहजो  सी.बी.एस.सी से संचालित होने वाले हैं. इन पर सिर्फ जिला शिक्षा अधिकारी ही निर्देशित या आदेशित कर सकता है. क्‍यों ना कलेक्‍टर को भी एक समिति के माध्‍यम से इनके नियंत्रण के लिये वहां पर कोई व्‍यवस्‍था की जाये. ताकि कलेक्‍टर का प्रभाव, दबाव रहे. दु:ख इस बात का रहा कि 13 साल का बच्‍चा जिसके खेलने-कूदने की उम्र और स्‍टेट और नेशनल वहां का वह अवार्डी, उसको अवार्ड मिले, पदक को उसको मिले, आठवीं क्‍लास का बच्‍चा और उसने 50 बार माफी मांगी, मतलब 50 बार माफी मांगी उसको दया नहीं आयी, किसी प्रकार का रहम नहीं आया और वह किस तरह का निर्दयी प्राचार्य या शिक्षक होगा उस पर कोई और  अतिरिक्‍त दण्‍डात्‍मक कार्यवाही की जाना चाहिये मेरा यही निवेदन था.

          श्री उदय प्रताप सिंह - माननीय अध्‍यक्ष जी, जैसा मैंने पूर्व में कहा कि उस संबंधित प्राचार्य को जांच होने तक प्रायवेट संस्‍था को निलंबित किया है, उसके विरूद्ध एफ.आई.आर दर्ज की गयी है. चूंकि हमारी एक कानून की व्‍यवस्‍था है कि एफ.आई.आर होने के बाद जांच होगी और दोषी पाये जाने पर उसके खिलाफ सख्‍त कार्यवाही की जायेगी तथा इसको आधार बनाकर, जैसा आपने चिंता व्‍यक्त की इसको आधार बनाकर हम पूरे प्रदेश में इस तरह का हम एक निर्देश भी जारी करवा रहे हैं. चाहे वह शासकीय संस्‍थाएं हों या अशासकीय संस्‍थाएं हों. वहां इस तरह की घटना की पुनर्रावृत्ति न हो इस बात की विभाग और सरकार चिंता करेगी.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय- बहुत-बहुत धन्‍यवाद मंत्री जी. आप पूरे प्रदेश भर में छात्र-छात्राओं को सुरक्षा प्रदान करें, आपसे यही उम्‍मीद है. छात्र-छात्राएं सुरक्षित रहें और उन्‍हें पूरा मिले और अध्‍ययन करें. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लो सवाल था, माननीय संसदीय मंत्री जी ने भी, सरकार को जब केन्‍द्र सरकार में जब लोक सभा में जवाब जाता है तो हमारी सरकार से भी जानकारी ली जाती है कि नहीं, मध्‍य प्रदेश सरकार से तो क्‍या सरकार के अधिकारी लोक सभा में गलत जानकारी दे रहे हैं..  यह  9.8.2023  का है.  यह इसमें सीधा लिखा है कि यह  फिफ्थ शेड्यूल  के   अन्दर यह  एक धिरौली  ब्लाक आता है. स्पष्ट लिखा है, लोकसभा में जवाब दिया है. तो संसदीय मंत्री जी कह रहे हैं कि  मुझे जानकारी मिली है कि  वह   उस शैड्यूल में नहीं आता है. हमारा प्रश्न  सिर्फ यह था कि  2023 के  बाद  इसको क्यों हटाया गया उस सूची से, शेड्यूल से.  इतना सा प्रश्न था.  अब यह बोल रहे हैं कि नहीं आता. तो कौन सही है कौन  गलत है.  स्पष्ट करें.

                   अध्यक्ष महोदयमंत्री जी कुछ कहना चाहेंगे.

                   श्री कैलाश विजयवर्गीय--  अध्यक्ष  महोदय, गाड़ी तो बहुत आगे निकल  गई है. 

                   श्री उमंग सिंघारगाड़ी कहां से आगे निकल गई.  अध्यक्ष महोदय, इसका जवाब आया ही नहीं.

                   अध्यक्ष महोदयउमंग जी, आपका ध्यानाकर्षण आ गया है.  उमंग सिंघार जी अपना ध्यानाकर्षण पढ़ सकते हैं.

                   श्री उमंग  सिंघारअध्यक्ष महोदय, इस बात का जवाब तो  आना था.

                   अध्यक्ष महोदयउस मामले में  हम आगे बढ़ गये हैं.

..(व्यवधान)..

                   डॉ. विक्रांत भूरियाअध्यक्ष महोदय, सिंगरौली में न्याय हो,  आदिवासियों को न्याय मिले. 

..(व्यवधान)..

                   अध्यक्ष महोदयउस मामले में आप भी जानते हैं.  कार्यवाही आगे बढ़ गई है.

                   श्री उमंग सिंघार--  अध्यक्ष महोदय,  आदिवासियों को वहां पर बाहर निकाला जा रहा है गांव से.  पांचवीं  अनुसूची के अंदर  उनका नाम है.  क्यों  उनको  हटाने  का चक्कर क्या है.  उसके अन्दर आपने नियम क्यों बदले.

..(व्यवधान)..

                   अध्यक्ष महोदयनेता प्रतिपक्ष जी के आग्रह पर  विशेष रुप से मैंने अनुमति  दी थी,  अब ये दोबारा से वह पुराना ध्यानाकर्षण  शुरु नहीं होगा.  उमंग सिंघार जी अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें.   ..(व्यवधान).. मरकाम जी, बैठ जायें, आगे  का ध्याना कर्षण भी महत्वपूर्ण है, जनहित का है कृपया बैठें.

..(व्यवधान)..

12.52 बजे                                  गर्भगृह में प्रवेश एवं बहिर्गमन

ध्यानाकर्षण संख्या 2 में  इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन.

(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आ गये.)

                   श्री कैलाश विजयवर्गीयअध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने नेता प्रतिपक्ष जी के  सम्मान के लिये उनको बोलने का अवसर दिया. पर आखिर यह सदन  नियम और प्रक्रिया से चलेगा.  एक ध्यानाकर्षण आगे बढ़ गया.

                   श्री उमंग सिंघारअध्यक्ष महोदय, क्या यह सदन  में  असत्य  जवाब देंगे ये. अध्यक्ष महोदय, हम इसके विरोध में सदन से बहिर्गमन करते हैं.

                   (नेता प्रतिपक्ष, श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व में  इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों के द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)

..(व्यवधान)..

 

                   श्री कैलाश विजयवर्गीय  अध्यक्ष महोदय, दूसरा ध्यानाकर्षण  भी आ गया.  अब  उस ध्यानाकर्षण पर  फिर  से  जवाब  कैसे दे सकते हैं.  आखिर व्यवस्था भी  तो है  इस सदन के अन्दर.  और आपने  हालांकि  व्यवस्था का सम्मान किया अध्यक्ष महोदय.  इसलिये मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि   आपकी बात रिकार्ड पर आ गयी है, पर उत्तर नहीं  दिया जा सकता. क्योंकि गाड़ी बहुत आगे बढ़ गई है.  इस पर आपकी व्यवस्था भी आ जाये, तो अच्छा रहेगा.

                   अध्यक्ष महोदयस्वाभाविक रुप से  ध्यानाकर्षण  पर चर्चा  चल रही थी  और मुझे लगता है कि  उस पर कई लोगों  ने अपने विचार व्यक्त किये.  मतलब दो लोगों को  ही बोलना  था, दो लोगों के बजाय  अनेक लोगों को  विचार  रखने का अवसर मिला.  मंत्री  जी ने भी उत्तर दिया, संसदीय कार्य मंत्री जी ने  भी  उत्तर दिया. लेकिन उसके बाद   दूसरा  ध्यान आकर्षण आ गया  और सदन आगे बढ़ गया. लेकिन नेता प्रतिपक्ष जी ने मुझे  आग्रह किया  तो मैंने उनको  बोलने का अवसर दिया है. अब  अगला ध्यान आकर्षण है, जो  नेता प्रतिपक्ष जी   का ही है.  मैं उनसे अनुरोध करुंगा कि  वह अपनी ध्यान आकर्षण की सूचना  पढ़ें.

                   श्री उमंग सिंघारअध्यक्ष महोदय,  नियम की हमेशा गुहार देने वाले  हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी  को यह भी पता होना चाहिये कि  परम्पराओं से भी सदन चलता है.  अगर ये इनको ज्ञान नहीं है,  तो अलग बात है.

 

 

 

 

 

 

 

 

12.54 बजे                    ध्यानाकर्षण (क्रमशः)

(4) एकीकृत रेफरल ट्रांसपोर्ट योजना के अंतर्गत 108 आपातकालीन वाहन सेवा समय से उपलब्ध न होना.

                श्री उमंग सिंघार (गंधवानी) {सर्वश्री सोहनलाल बाल्मीक,केदार चिड़ाभाई डावर}—अध्यक्ष महोदय,


 

 

          उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल )-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार

 

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसी मुझे उम्मीद थी वैसा ही सरकार का जवाब आया है कि वहां पर कोई रोष एवं आक्रोश व्याप्त नहीं है. कल की ही एक घटना का जिक्र मैं यहां पर करना चाहता हूं झोपाली गांव सेंधवा में, पति-पत्नी और बच्चे जा रहे थे, मोटर सायकिल से एक्सीडेंट हो गया. पत्नी की हालत गंभीर है, 2 घंटे तक वहां पर इंतजार किया, एम्बूलेंस नहीं पहुंची. उसके बाद प्रायवेट गाडी से इनको भेजा गया. आप चाहें तो सोशल मीडिया की साइड पर यह सब चल रहा है आप चाहें तो इसको देख सकते हैं. तो यह मैंने एक उदाहरण दिया है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, यह योजना अच्छी है और हर व्यक्ति को आपातकालीन 108 एम्बुलेंस का लाभ मिले , लेकिन यह जो योजना बनी है मुख्य रूप से गर्भवती महिलायें , नवजात शिशु, कोई इमरजेंसी हो, विशेष रूप से सुदूर आदिवासी क्षेत्रो में इसके लिये है . लेकिन अध्यक्ष महोदय, यह आपातकालीन 108 एम्बुलेंस न समय पर पहुंच रही है, न सुविधायें दे पा रही है. इसलिये मैं आपसे कहना चाह रहा हूं कि इस योजना के पीछे बडे घोटाले चल रहे हैं.जो कंपनी है जय अंबे है वह एक दिन के अंदर 500-600 किलोमीटर आपातकालीन 108 एम्बुलेंस चलाने की बीलिंग कर रही है. एक जिले के अंदर एक दिन में 500 किलोमीटर गाड़ी चल रही है. आरटीआई के अंदर सब प्रमाण निकलेगा, आप चाहेंगे मंत्री जी तो मैं आपको दे दूंगा. डिण्डोरी का, विदिशा का, क्या आपका विभाग नियमित इसकी मानीटरिंग कर रहा है ? एक दिन में 500-600 किलोमीटर एम्बूलेंस कैसे चलेगी ?

          अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को मैं, इस कंपनी के बारे में बताना चाहता हू कि इस कंपनी ने गलत तरीके से टेंडर लिया, इसके पहले पुलिस विभाग ने इस कंपनी का टेंडर निरस्त कर दिया था क्योंकि इस कंपनी ने अनुभव प्रमाण पत्र नहीं लगाया था, वह भी कारण है लेकिन ऐसी क्या वजह थी कि इस कंपनी को आपके विभाग को टेण्डर देना पड़ा. 1200 करोड़ की बीलिंग लगभग यह कंपनी कर चुकी है. कई जगह तो फर्जी बीलिंग हो रही है. कैसे जीपीएस स्पीडोमीटर मीटर को टेम्पर्ड किया जा रहा है, उसके भी प्रमाण मैं आपको दे दूंगा. लेकिन यह योजना एक जनसेवा की है. अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जिस कंपनी को आपने काम दिया, क्या इस कंपनी के पास में अनुभव प्रमाण पत्र था, टेण्डर की जो शर्त थी सिक्योर एकाउंट खोलने की ,क्या इस कंपनी को यहां पर रजिष्ट्रेशन कराना था.

          अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से तीनों प्रश्न एक साथ ही पूछ लेता हूं माननीय मंत्री जी एक साथ में जवाब दे दें. क्या परिवहन हेतु यहां पर रजिष्ट्रेशन कराया, क्या श्रम विभाग में इसका रजिष्ट्रेशन कराया, क्या सिक्योर एकाउंट आपने यहां पर खुलवाया, क्या अनुभव प्रमाण पत्र कंपनी के पास में था, कृपया बतायें.

 


 

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल -- अध्‍यक्ष महोदय, जो माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने कल की घटना के बारे में कहा उसकी जरूर जांच करा लेंगे कि क्‍या वजह रही है जिसके कारण वहां पर उनको परेशानी हुई है. जहां तक आपने टेण्‍डर की प्रक्रिया की बात कही तो ट्रांसपेरेंट तरीके से वर्ष 2022 में यह टेण्‍डर हुआ था और जब टेण्‍डर्स होते हैं तो आज कल तो पूरा ई-टेण्‍डरिंग है. सारी क्‍वॉलिफिकेशंस होती हैं उसके बाद ही किसी व्‍यक्ति को काम मिल पाता है. इसलिए यदि उस टेण्‍डर की प्रक्रिया में कोई ऐसी बात जो आपको लगती है कि उसका पालन नहीं हुआ है तो एक बार फिर से उसको चेक करा लेंगे.

अध्‍यक्ष महोदय, तीसरी बात जो आपने कही है कि एक दिन में कुछ ऐसी गाडि़या हैं जो 400 किलोमीटर या उससे ज्‍यादा चली हैं, पिछली बार भी आपने ध्‍यानाकर्षण में जब यह बात उठाई थी तो मैंने उसकी जांच के लिए विभाग को लिखा था और उसमें जो रिपोर्ट आई है उस रिपोर्ट के आधार पर जो डेटा है उसमें करीब 85 लाख रुपये पेनाल्‍टी अभी होल्‍ड पर है क्‍योंकि करीब 30 परसेंट ऐसी 400 किलोमीटर से ज्‍यादा की यात्रा रही है जिसकी अभी जांच की फाइनल रिपोर्ट आनी है लेकिन 70 परसेंट से ज्‍यादा रिपोर्ट जो आ गई है वह सारे कारण मेंशन हैं कि किस वजह से एक सेंटर पर कोई एम्‍बुलेंस लेकर गया, फिर वहां से रेफर करके दूसरे सेंटर पर भेजा, फिर वहां से तीसरे में भेजा, तो उसके कारण कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें 400 किलोमीटर से ज्‍यादा की यात्रा पाई गई है तो जो वेरीफाई हो गई है और जो वेरीफाई नहीं हुई हैं, लेकिन हमने उनकी पूरी राशि रोकी है. जहां तक परफॉर्म्‍स इंडीकेटर होते हैं, स्‍टैंडर्ड में जिसमें तीन प्रमुख पार्ट होते हैं. उसमें एक होता है रिस्‍पॉंस टाइम जो आपने उठाया. सरकार की मंशा आप देखिए कि वर्ष 2022 के पूर्व का टेण्‍डर था उसमें शहरी क्षेत्र में रिस्‍पॉंस टाइम होना चाहिए 20 मिनट, उसको हमने 18 मिनट किया और जो ग्रामीण क्षेत्र में 30 मिनट था उसको हमने 25 मिनट किया. सरकार की मंशा यह है कि हमारा रिस्‍पॉंस टाइम मिनिमम हो जिससे पीडि़त व्‍यक्ति के पास हमारी एम्‍बुलेंस जल्‍दी से जल्‍दी पहुंचे और उसके बाद यदि फेलियर हुआ है या परफॉर्म्‍स इंडीकेटर्स में कोई एजेंसी फेल हो रही है तो यदि तीन वर्षों में 1,200 करोड़ रुपये का पेमेंट हुआ है तो लगभग 100 करोड़ रुपये हमने उसकी पेनाल्‍टी के अंतर्गत कटौती भी की है. कुल मिलाकर हमारा मॉनीटरिंग सिस्‍टम बहुत परफेक्‍ट है और भी ज्‍यादा परफेक्‍ट करने की आवश्‍यकता आपकी बातों के बाद हमको जो महसूस हो रही है उसको हम करेंगे.

          श्री उमंग सिंघार -- अध्‍यक्ष महोदय, यह टेण्‍डर की शुरुआत ही गलत है तो कैसे जनसुविधाएं मिलेंगी. लगभग 300 गाडि़यों का अनुभव मांगा गया था कि आपके पास एम्‍बुलेंस होनी चाहिए. जो कंपनी है वह कोयले का काम करती है. वहां के कोयले के 300 डम्‍पर ट्रक के अनुभव प्रमाण पत्र इसके अंदर लगा दिया यह इसकी जानकारी चाहिए तो मैं माननीय मंत्री जी को दे दूंगा. यही पुलिस विभाग ने जब उनके पास प्रमाणपत्र नहीं था तो पुलिस विभाग ने कैंसिल कर दिया. मध्‍यप्रदेश के दो विभागों के अंदर एक कैंसल कर रहे हैं अनुभव के आधार पर, अयोग्‍यता के आधार पर और आप पास कर रहे हैं तो इसके क्‍या कारण हैं ? आपके श्रमायुक्‍त ने इस कंपनी को लेटर लिखा है कि आज तक इन्‍होंने उसका पालन नहीं किया है जो आपकी टेण्‍डर की शर्तों में था. यह आपके विभाग के श्रमायुक्‍त का ऑर्डर है. यह परिवहन विभाग का है. परिवहन डिपार्टमेंट में आज तक उसने टैक्‍स जमा नहीं किया और ना ही आज तक छत्‍तीसगढ़ से यहां पर रजिस्‍ट्रेशन कराया है. 2,000 गाडि़यां चल रही हैं, तो ऐसे नियम की अवहेलना. यह सब चीजें कागज पर टेण्‍डर की शुरुआत से हैं और ऐसे लोग आपको चाहिए तो मैं आपको जानकारी दे दूंगा, अभी परसों अपने खरगोन जिले में उसके अंदर शराब ढोई जा रही थी. 108 गाड़ी बच्चियों को नहीं मिल रही, महिलाओं को नहीं मिल रही, एम्‍बुलेंस में शराब बंट रही है. केस बना है. मैं यही कहना चाहता हूं कि इस कंपनी की पूरी जांच कराई जाए. इस टेण्‍डर की पूरी जांच कराई जाए. तत्‍काल इस पर कार्यवाही होनी चाहिए. मैं समझता हूं कि इस पर एक पूरी निष्‍पक्ष जांच होनी चाहिए.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने टेण्‍डर की जो बात कही है, तो इसमें कंसोर्टियम में सम्‍मान फाउंडेशन के साथ मिलकर यह टेण्‍डर लिया गया था जिसमें सारे क्‍वालीफाइंग क्राइटेरियाज जो हैं वह इनका कंसोर्टियम पूरा करता था. इसलिए टेण्‍डर डालने के योग्‍य पाया गया है. दूसरा, जो रजिस्‍ट्रेशन की बात कही है छत्‍तीसगढ़ में यह एम्‍बुलेंस सारी रजिस्‍टर्ड हैं और एक बार किसी राज्य में कोई रजिस्टर्ड हो जाती हैं तो फिर उन्हें देश भर में कहीं भी चलाया जा सकता है. नियमों में इसका प्रावधान है. टेंडर के बारे में आपने कहा है. वर्ष 2022 में जब टेंडर हुआ था उस समय वह योग्य था या नहीं था यह विषय आपने उठाया है. हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है, ट्रांसपरेंट तरीके से कोई भी टेंडर होता है इसमें जो डिसक्वालीफाइड है उसको टेक्नीकली क्वालीफाई कर दिया जाए और उसका प्राइज बिड भी खोल दिया जाए. आमतौर पर यह होता नहीं है हो भी नहीं सकता है लेकिन फिर भी आपके मन में शंका है. आपने इसके मॉनिटरिंग सिस्टम को और चुस्त दुरुस्त बनाने की बात कही है. 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिला है. मातृ और शिशु मृत्युदर घटी है और हमारे हेल्थ इंडीकेटर्स बेहतर हो रहे हैं इसका मतलब इसका लाभ भी मिल रहा है. लेकिन इतने बड़े सिस्टम में जहां पर 2 हजार से ज्यादा गाड़ियां चल रही हैं. इसमें कोई ड्रायवर लापरवाही कर रहा है या कि परफार्मेंस इंडीकेटर्स के आधार पर कहीं वायलेशन हो रहा है. निश्चित रुप से इतने बड़े सिस्टम में इस प्रकार की गड़बड़ियां फील्ड में तो लोग कर सकते हैं. इसको हम लगातार पकड़ भी रहे हैं पेनाल्टी भी लगा रहे हैं. आपके सुझाव हमने नोट किए हैं. आज भी जनता से जुड़े हुए व्यक्ति हैं पूरे प्रदेश भर की इन्फार्मेशन आपके पास आती है. आपने जो विषय उठाये हैं वे हमारे सिस्टम को सुधारने में जरुर मदद करेंगे.

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मदद करेंगे या जांच कराएंगे.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल -- सिस्टम को सुधारने में मदद करेंगे. जब जांच होगी.

          श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो यह चाहता हूँ कि पूरा यह जो मामला है जिसमें गलत बिलिंग हो रही है, सुविधाएं नहीं मिल रही हैं इन बिंदुओं को लेकर एक निष्पक्ष जांच करा लें.

          अध्यक्ष महोदय -- उमंग जी आपके पास बहुत सारे कागज हैं वो मंत्री जी को दे तो देना जिनका आपने उल्लेख किया है तो जरा ठीक रहेगा.

          श्री उमंग सिंघार -- आप जब कहें तब दे दूंगा.

          अध्यक्ष महोदय -- सारे कागज दे देंगे तो सुविधा ज्यादा हो जाएगी.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न के पहले भी और बाद में भी आप सब जानते हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- सोहनलाल जी नेता प्रतिपक्ष के बाद कुछ बचता नहीं है, प्रोटोकॉल तो यही कहता है.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक -- फिर भी मेरा नाम है तो प्रश्न कर लेता हूँ. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत पूरे देश में आपातकालीन सेवा के लिए 108 एम्बूलेंस चलाई जा रही हैं. यह एक अच्छी योजना है. इस योजना का लोग गलत तरीके से फायदा उठा रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष महोदय ने इसको विस्तारपूर्वक रखा है. यह योजना जनता के लाभ के लिए बनी थी. इसका गलत फायदा कम्पनियां उठा रही हैं. नेता प्रतिपक्ष जी ने यह बात रखी है कि टेंडर प्रक्रिया में वह डॉयल 100 में ब्लेक लिस्ट हुआ है उसको इस टेंडर में पार्टिसिपेट नहीं करने दिया गया तो वह 108 में कैसे प्रमाणित हो गया, कैसे सही हो गया कि वह काबिल है और एम्बूलेंस चला सकता है. इसको किस आधार पर टेंडर में शामिल किया गया.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी बताया कि यह कंसोसियन ग्रांट वेंचर सम्मान फाउंडेशन के साथ उसकी भी क्वालिफिकेशन उसका भी अनुभव उसमें जोड़ा जाता है.

          श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोल इंडिया के ट्रक के रजिस्ट्रेशन के नंबर पर इन्होंने किया है. यह जानकारी आप मालूम कर लें.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक -- उसकी पूरी जांच करा लें.

          अध्यक्ष महोदय -- वही कागज दे देना आप.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक -- समाचार-पत्रों में लगातार आ रहा है.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल -- जैसा माननीय अध्यक्ष जी ने कहा है कि आप वे दस्तावेज हमें दे दें अपने विभाग स्तर पर हम दिखवा लेंगे. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने खरगोन के विषय में जो मामला उठाया है. उसमें चार लोगों को हटाया गया है. आऊटसोर्स की गई जो कम्पनी थी जननी कम्पनी मोटीटेक ऑनर सुशील भड़ोले का सब-कांट्रेक्ट कंपनी द्वारा समाप्त किया गया है. सारे ड्रायवर्स का पुलिस वेरीफिकेशन कराया जा रहा है. कुल मिलाकर इस प्रकार की जो घटनाएं होती हैं उस पर तत्काल कानूनी कार्यवाही शुरु हो जाती है.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि इसमें कई घटनाएं घटी हैं जिसमें एम्‍बुलेंस लेट पहुंचने से लोगों का देहांत हुआ है. एम्‍बुलेंस के नहीं पहुंचने के कारण जिन लोगों की मृत्‍यु हुई है उन लोगों का क्‍या दोष है? कम से कम उसमें तो जांच कराई जाए और यदि इस तरीके का घटनाक्रम हुआ तो लोगों के ऊपर क्‍या कार्यवाही होगी. माननीय मंत्री जी उसका जबाव दें.

          अध्‍यक्ष महोदय--केदार भाई भी प्रश्‍न कर लें दोनों का जवाब एक साथ दे देना.

          श्री केदार चिड़ाभाई डाबर-- अध्‍यक्ष महोदय, इसी से संबंधित ध्‍यानाकर्षण में मेरा भी एक प्रश्‍न है कि खरगौन जिले में पहाड़ी अंचल है. 20 मिनट में भी कोई 108 एम्‍बुलेंस नहीं पहुंच पाती है. साथ ही मेरा दूसरा प्रश्‍न यह है कि यह स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के लिए बहुत आवश्‍यक योजना है, लेकिन दिनांक 14.11.2025 को खरगौन जिले में इसी एम्‍बुलेंस में 22 पेटी शराब का अवैध परिवहन करते हुए पकड़ा गया और ऐसी कंपनियों को भविष्‍य में कोई भी टेंडर नहीं दिया जाना चाहिए. क्‍या माननीय मंत्री जी इस पर संज्ञान लेंगे?

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  हम ध्‍यान रखेंगे.

 

1.12 बजे

 

 

 

1.13 बजे                                अनुपस्थिति की अनुज्ञा

 

 

1.13 बजे                             याचिकाओं की प्रस्‍तुति

 

 

 

 

 

 

 

 

1.14 बजे                     वित्‍तीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)

द्वितीय अनुपूरक अनुमान (वर्ष 2025-2026 की मांगों पर चर्चा का पुनर्ग्रहण

         

          अध्‍यक्ष महोदय-- अब, वर्ष 2025-2026 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर चर्चा का पुनर्ग्रहण होगा. सभी माननीय सदस्‍य इस बात का ध्‍यान रखेंगे कि वह कृपया तीन से पांच मिनट के बीच में अपनी बात पूरी करें.

 

1.14 बजे               { सभापति महोदय (डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय) पीठासीन हुए.}

 

        श्री केदार चिड़ाभाई डाबर (भगवानपुरा)-- माननीय सभापति महोदय, द्वितीय अनुपूरक बजट पर बोलने का अवसर दिया. मैं मेरी विधान सभा क्षेत्र की बात करता हूं. भगवानपुरा विधान सभा क्षेत्र में प्रथम अनुपूरक में लगातार मांग करने के बाद भी कहीं योजनाओं को सम्मिलित नहीं किया गया. द्वितीय अनुपूरक बजट पेश हुआ और वह अनुमोदन भी होना है लेकिन मेरी विधान सभा क्षेत्र की मांग संख्‍या 23 जलसंसाधन विभाग के बारे में कहना चाहूंगा कि मेरे क्षेत्र में देजला देवाड़ा तालाबा, भडवाली तालाब, भीकारखेड़ी तालाब, बिरला तालाब, बांणगंगा तालाब, गारी गलतार तालाब और अपरवेदा तालाब की मुख्‍य नेहरें संचालित हैं. इन नेहरों की केनालें कच्‍ची हैं और इनको पक्‍का किये जाने का प्रस्‍ताव इसमें जोड़ा जाए. मांग संख्‍या 24 लोकनिर्माण विभाग मेरे क्षेत्र में आवागमन की बहुत कमी है. और मैं मांग करता हूं कि धुलकोट से कान्‍यापानी तक जो कि बड़वानी जिले को जोड़ता है. भातुड़ से सेजला तक, खामखेड़ा से लेहकु तक, धापसान्‍या से सेगांव फाटा मुख्‍य सड़क तक, केली फाटा मुख्‍य सड़क से अवास्‍या पुरा मा.वि. तक, हीरापुर से लाव्‍हर पानी तक, काकडि़या से भेरूपुरा तक, दशनावल से सेगांव तक, बलसड़ से भग्‍यापुर तक, मार्गों को इस बजट में जोड़ा जाये क्‍योंकि ग्रामीणों की यह लंबे समय से मांग रही है.

          सभापति महोदय, मांग संख्‍या 27, स्‍कूल शिक्षा विभाग, में मेरा आग्रह है कि प्राथमिक एवं माध्‍यमिक शिक्षा बहुत आवश्‍यक है, मेरे आदिवासी क्षेत्र में प्राथमिक एवं माध्‍यमिक विद्यालय भवनों की बहुत कमी है और जहां भवन हैं, वे बहुत ही जर्जर हैं. मैं कहना चाहूंगा कि किराडिया फालिया देवली, झंजाड़ फालिया बसाली, धवलिया वाड़ी, डोगलिपानी और ऐसे अनेक विद्यालय हैं, जो भवन विहीन हैं, वहां तत्‍काल भवनों की स्‍वीकृति दी जाये.

          सभापति महोदय, मांग संख्‍या 30, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, में कहना चाहूंगा कि मेरा पूरा क्षेत्र ग्रामीण इलाका है, किसानों को खेतों में एवं अन्‍य आवागमन में बहुत दिक्‍कतें आती हैं इसलिए शिकारिया फालिया मदनी, बड़या एवं सिकलीपुरा सांगवी में पुलिया का निर्माण किया जाये.

          सभापति महोदय, मांग संख्‍या 33, जनजातीय कार्य विभाग, मेरे क्षेत्र के आदिवासी ब्‍लॉक भगवानपुरा एवं सेगांव में छात्र-छात्राओं को आवास की सुविधा नहीं है. आदिवासी छात्रों को यदि आवास की सुविधा नहीं है तो उन्‍हें आगे की पढ़ाई में दिक्‍कत आती है, इसलिए भगवानपुरा एवं सेगांव के ब्‍लॉक मुख्‍यालय में छात्र-छात्राओं के लिए 100-100 सीटों के साथ, नवीन छात्रावास खोले जायें. ग्राम गढ़ी और श्रीखण्‍डी में एक-एक हाई स्‍कूल खोला जाये, बहुत लंबे समय 40-40 वर्षों से वहां केवल मिडिल स्‍कूल है और आगे की पढ़ाई की सुविधा नहीं होने से बच्‍चों को बहुत दिक्‍कतें आती हैं.

          सभापति महोदय, मांग संख्‍या 55, महिला एवं बाल विकास विभाग, के अंतर्गत भगवानपुरा एवं सेगांव ब्‍लॉक में लाड़ली लक्ष्‍मी योजना एवं लाड़ली बहना योजना के लिए आदिवासी मद से बहुत राशि दी जाती है इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि आंगनबाड़ी के बच्‍चे, जिनके पास बैठने की भी सुविधा नहीं है, भगवानपुरा एवं सेगांव ब्‍लॉक के जितने आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जो भवनविहीन अथवा जीर्ण-शीर्ण हैं, उसके लिए इस द्वितीय अनुपूरक बजट में प्रावधान किया जाये और भवनों का निर्माण किया जाये.

          सभापति महोदय, कृषि विभाग, के लिए कहना चाहूंगा कि मेरी विधान सभा क्षेत्र का ग्राम धुलकोट, जहां पूर्व में लंबे समय तक मंडी संचालित थी, जिसकी ज़मीन आवंटित है लेकिन पिछले 20 वर्षों से उस मंडी को बंद कर दिया गया है. वहां के किसानों, व्‍यापारियों को खरगोन जाना पड़ता है, जिससे उन्‍हें दिक्‍कत आती है, इसलिए उस पुरानी मंडी को इस बजट में सम्मिलित कर, पुन: प्रारंभ किया जाये. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्‍यवाद.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक (परासिया)-  सभापति महोदय, विधान सभा सत्र की जब तिथि तय होती हैं तो निश्चित रूप से सभी विधायकों की उम्‍मीदें बंध जाती हैं कि हम अपने क्षेत्र की बातें, अपने-अपने तरीके से सदन में रखेंगे और जब बजट की स्थिति आती है तो चाहे पूर्ण बजट हो अथवा अनुपूरक बजट हो, हम सभी में यह उत्‍सुकता होती है कि इस बजट में हमारे क्षेत्र के कार्य शामिल किये जायेंगे और यदि शामिल न हो पायें तो उनकी भी बात हम बजट के अंदर रखवाने का प्रयास, वित्‍त मंत्री जी से करेंगे.

          सभापति महोदय, जिस तरीके से बजट प्रस्‍तावित हो रहा है और जो हम लगातार कई वर्षों से देख रहे हैं कि बजट के अंदर भेदभाव ज्‍यादा दिखता है और समानता नज़र नहीं आ पाती है क्‍योंकि हमारे क्षेत्र के बहुत सारे काम हम बार-बार संबंधित विभाग के मंत्री और वित्‍त मंत्री जी को लिखकर देते हैं लेकिन वे काम बजट में नहीं जोड़े जाते, जिससे हम सभी के अंदर निराशा पैदा होती है कि हम अपने क्षेत्र की जनता को क्‍या जवाद देंगे, इसमें मैं वित्‍त मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि वे आने वाले समय में इस बात का जरूर ध्‍यान रखें कि चाहे पक्ष का सदस्‍य हो या विपक्ष का सदस्‍य हो समानता विधायक की एक ही होती है, क्षेत्र की जनता को जवाब उनको भी देना पड़ता है और हम लोगों को भी जवाब देना पड़ता है. यदि हमारे क्षेत्र के काम नहीं जोड़े जायेंगे तो निश्चित रूप से हम लोगों में निराशा पैदा होती है और जनता के बीच हम लोग कोई जवाब नहीं दे पाते हैं, इससे सरकार की छवि धूमिल होती है क्‍योंकि सरकार जब बनती है, जब चुनाव होते हैं, तब राजनीतिक दल के आधार पर होते हैं. लेकिन सरकार बनने के बाद, सरकार प्रदेश की जनता की होती है, तो प्रदेश की जनता के अनुरूप सभी विधायकों की मांग को समझना चाहिए और उसकी प्राथमिकता के आधार पर काम बजट में जोड़ा जाना चाहिए, जो नहीं जुड़ पा रहा है.

          माननीय सभापति जी, मेरे विधान सभा क्षेत्र की बहुत सारी मांगें हैं, जो नहीं जुड़ पाई हैं. लाड़ली बहना में बजट मिल जाता है, मगर जब हम विभाग के मंत्रियों से बात करते हैं, तो हम लोगों की बात यह कहकर टाल दी जाती है कि सारा बजट लाड़ली बहना में चला गया है. माननीय, आप लाड़ली बहना योजना लाये, यह अच्‍छी बात है. आप पैसा दे रहे हैं, आप और पैसा दें. मगर लाड़ली बहना योजना के बजट के कारण दूसरे विभागों का पैसा न मिल पाये या डेवलपमेंट के काम रूक जायें, तो कम से कम यह स्थिति नहीं बननी चाहिए. यदि मान लीजिये कि आप कोई पैसा खर्चा कर रहे हैं, तो उसको यह भी समझना चाहिए कि बजट के अन्‍दर उतना पैसा हम कहां से लेकर आएंगे ? प्रदेश में हमारा रेवेन्‍यू कितना बढ़ेगा और किस तरीके से इसकी पूर्ति की जायेगी ? हम दूसरे विभागों का फण्‍ड कम करके लाड़ली बहना को पूरा बजट हमेशा देते रहें और लोगों को पेंशन न मिल पाये, लोगों को संबल योजना का पैसा न मिल पाये. यह जो परिस्थितियां देश और प्रदेश में बन रही हैं, तो निश्चित रूप से हम सबके लिए हमेशा चिन्‍ता का विषय रहता है.

          सभापति महोदय, मैं हमारे क्षेत्र में आरडीएसएस स्‍कीम की बात कर रहा हूँ, वह काम पूरे अटके हुए हैं, रुके हुए हैं, काम नहीं हो पा रहे हैं. इस योजना के तहत हम सबको काम नहीं मिल पा रहे हैं. माननीय संसदीय कार्य मंत्री यहां पर उपस्थित नहीं हैं, मैंने संसदीय कार्य मंत्री जी से जब भी बात की है, तो वह हमेशा बजट की बात करते हैं कि मेरे विभाग को बजट नहीं मिल पा रहा है, तो मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी से यह आग्रह करूँगा, वित्‍त मंत्री जी, यहां पर उपस्थित नहीं हैं. मैं वित्‍त मंत्री जी से कहूँगा कि उनको भी बजट दें ताकि हम जब उन्‍हें काम बताएं, तो हमारे काम उसमें जोड़े जाएं.

          माननीय सभापति महोदय जी, मैं आपके माध्‍यम से, अपने क्षेत्र की कुछ मांगों को यहां पर रखना चाहता हूँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र में मोरडोंगरी क्षेत्र  है और हमारे पास एक ही शासकीय महाविद्यालय परासिया में है. आप पूरे क्षेत्र में देखेंगे तो 30-30 किलोमीटर, 40-40 किलोमीटर से छात्र-छात्राएं वहां पर अध्‍ययन करने आते हैं, मैंने इसके पहले भी माननीय वित्‍त मंत्री जी को पत्र लिखा और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को भी पत्र लिखा है कि मोरडोंगरी में यदि एक शासकीय महाविद्यालय खुल जाये, तो चूंकि वह क्षेत्र आदिवासी क्षेत्र है, एससी वाला क्षेत्र है, तो वहां के लोगों को छात्र-छात्राओं को सुविधा प्राप्‍त हो सकती है, यदि आने वाले समय में मार्च के पहले आप योजना बना रहे हैं, तो मेरा भी आपसे आग्रह है कि यदि शासकीय महाविद्यालय मोरडोंगरी क्षेत्र खोलने का प्रस्‍ताव रखेंगे, तो मैं अनुग्रहीत रहूँगा. साथ ही, 30 बिस्‍तर का अस्‍पताल एक उमरेठ तहसील में खोला जाना आवश्‍यक है, क्‍योंकि वहां की जनसंख्‍या के आधार पर एक 30 बिस्‍तर का अस्‍पताल होना चाहिए. मेरा एक पगारा क्षेत्र है, जो दूरगामी है, जहां आदिवासी अंचल के क्षेत्र में, जो लोग रहते हैं, बहुत सारे जो लोग आते हैं, परासिया से नहीं आ पाते हैं, तो एक 30 बिस्‍तर के अस्‍पताल की व्‍यवस्‍था वहां हो जाये, तो निश्चित रूप से आने वाले समय में वहां की जनता को लाभ होगा.  मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी से भी आग्रह करना चाहूँगा कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक भी कन्‍या महाविद्यालय नहीं है और हम कन्‍याओं के लिए बहुत सारी योजनाओं की चिन्‍ता करते हैं, बात करते हैं. यदि आप कन्‍या महाविद्यालय की स्‍वीकृति प्रदान करेंगे, तो निश्चित रूप से मेरे पूरे विधान सभा में जो कन्‍याएं पढ़ने जाती हैं, अलग-अलग महाविद्यालयों में जाती है, वहां दूरी भी होती है, उनका बहुत खर्चा भी होता है. यदि शासन की तरफ से वहां एक कन्‍या महाविद्यालय खोला जाता है, तो आने वाले समय में उन सबको लाभ प्राप्‍त होगा.

          माननीय सभापति महोदय, विजन डॉक्‍यूमेंट हम सब लोगों से बनवाया गया है, तो मैं आपके माध्‍यम से वित्‍त मंत्री जी से यह भी कहूँगा कि जब वह जवाब दें तो मेरा आपसे यह निवेदन रहेगा कि हम लोगों ने तो विजन डॉक्‍यूमेंट तो स‍बमिट कर दिया है, तो क्‍या आने वाले समय में मार्च के बजट में उन सभी जो हमारे विजन हैं, उन सबको शामिल किया जायेगा और हमारे कितने प्रस्‍ताव शामिल किये जायेंगे ? उसका भी उल्‍लेख इसमें जरूर होना चाहिए और साथ ही, मैंने इसके पहले भी यह बात की है कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में डब्‍ल्‍यू.सी.एल. की जमीनें ज्‍यादा फंसती है, तो बहुत सारे हमारे जो डेवलमेंट के काम हैं, जमीन न होने क कारण, वह काम रूक जाते हैं. मेरा शासकीय संकल्‍प भी लगा हुआ था. यदि सरकार उस पर ध्‍यान दे और ध्‍यान देने के बाद यदि कुछ कर सकती है, तो करने का प्रयास करें. मैं आपके माध्‍यम से यह जरूर कहूँगा कि बजट है, आंकड़े हैं, बहुत सारी चीजें हैं. जैसे हम स्‍वास्‍थ्‍य की बात करें, शिक्षा की बात करें. हम मध्‍यप्रदेश आज भी बहुत पीछे हैं, जो हमें करने की आवश्‍यकता है. जैसे मैं कहूँ कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में कोल्‍ड सिरप के कारण, आज हमारे यहां जो 2 चाइल्‍ड स्‍पेशलिस्‍ट थे दोनों आज जेल के अंदर हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में कोल्‍ड्रिफ सिरप पीने के कारण 15 बच्‍चों का देहान्‍त हुआ. आज वहां स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं नहीं हैं. 100 बिस्‍तरीय अस्‍पताल बन गया, लेकिन वहां न उपकरण हैं, न डॉक्‍टर्स हैं, न पैरा-मेडिकल स्‍टॉफ है, जिसके चलते ये परिस्‍थितियां बन रही हैं. आज ईलाज कराने के लिए हम लोगों को सीधे नागपुर जाना पड़ता है. न तो छिंदवाड़ा में उतनी व्‍यवस्‍था है, न क्षेत्र में कहीं है. ये जो 15 बच्‍चों का मेरे विधान सभा क्षेत्र में देहान्‍त हुआ है, इन सारे बच्‍चों को हम लोगों ने नागपुर मेडिकल हॉस्‍पिटल में या अलग-अलग अस्‍पतालों में पहुँचाया था. सुविधाएं यदि हमारे क्षेत्र में रहती तो ऐसी स्‍थिति नहीं बनती. हर विधान सभा क्षेत्र में स्‍वास्‍थ्‍य की ऐसी व्‍यवस्‍था बने ताकि लोगों को बाहर जाना न पड़े. इतनी व्‍यवस्‍था तो बने कि लोगों का इमरजेंसी में ईलाज हो सके. आज इमरजेंसी कोई आती है तो वहां ईलाज नहीं हो पाता है. वहां के अस्‍पताल में जाओ तो रेफर कर दिया जाता है तो बेसिक जो चीजें हैं, बजट के अंदर में आनी ही चाहिए, भले ही दूसरे विभागों का बजट काट दें, पर इन सुविधाओं की व्‍यवस्‍था बजट में जरूर होनी चाहिए. एक उदाहरण के तौर पर मध्‍यप्रदेश को सामने आना चाहिए कि हमारे स्‍वास्‍थ्‍य की व्‍यवस्‍था पूर्ण रूप से समुचित है कि जो भी ईलाज कराने जाएगा, उसका ईलाज संपूर्ण रूप से होगा.

          सभापति महोदय, इसी तरह से शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह से डिजिटल का जमाना चल रहा है, परंतु शासकीय स्‍कूलों में जो व्‍यवस्‍था बननी चाहिए, वह नहीं है. आप पाएंगे  कि निजी क्षेत्रों के स्‍कूलों में और हमारी सरकारी स्‍कूलों में बहुत अंतर नजर आता है. वह व्‍यवस्‍था हम सबको बनाने की आवश्‍यकता है. कहीं न कहीं हम सब लोगों को आने वाली पीढ़ियों के लिए, आने वाले 10-20 सालों को सोचकर के बजट में प्रावधान रखें ताकि धीरे-धीरे करके हम इन सभी चीजों को, जो हमारी मूल सुविधाएं हैं, उन सबको पूरा करने का प्रयास करेंगे. मेरा माननीय मंत्री जी आपसे यह निवेदन है कि और भी चीजें मैं आपको लिखित में दे दूंगा, बोलने में नहीं आ पा रही हैं.

          सभापति महोदय -- समाप्‍त करें.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- सभापति महोदय, चाहे हम रोड की बात करें, आंगनवाड़ी की बात करें, ऐसी अनेक चीजें हैं.

          सभापति महोदय -- समाप्‍त करें बाल्‍मीक जी, विजन डॉक्‍युमेंट आपने वित्‍त मंत्री जी को दे ही दिया है.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- जी हां सभापति महोदय, मैं लिखित में और दे दूंगा क्‍योंकि बोलने में समय लग जाएगा. मेरा वित्‍त मंत्री जी से निवेदन है कि मेरा पत्र जाए तो उसमें जो हो सकता है, उसको जोड़ने का प्रयास करें.

          सभापति महोदय -- आ गई आपकी सारी बातें, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- सभापति महोदय, आपको भी बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय -- श्री दिनेश जैन बोस, समय की मर्यादा का जरूर ध्‍यान रखें, प्‍लीज.

          श्री दिनेश जैन बोस (महिदपुर) -- माननीय सभापति महोदय, 4 से 5 मिनट ही बोलूंगा. सरकार की योजनाएं किसानों के लिए बनती हैं और सरकार बजट में भी किसानों का पूरा ध्‍यान रखती है लेकिन हकीकत यह है कि इन योजनाओं से किसानों को फायदा हो रहा है कि नहीं हो रहा है. ये योजनाएं किसके काम आ रही हैं. अभी नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा के अंदर आपने तीन योजना निकाली कुसुम '', कुसुम '' और कुसुम ''. अब कुसुम 'सी' योजना का नाम ही 'प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्‍थान महाभियान घटक' है. इसके नाम से ही मालूम होता है कि किसानों की योजना है. लेकिन कुसुम '' योजना के अंदर इस योजना में बड़े-बड़े टारगेट लेकर बड़े-बड़े लोग शामिल हो गए. 1500 मेगावाट दिलीप बिल्‍डकॉन के नाम से टेण्‍डर भी हो गए. 1100 मेगावाट वेदांता सोलर, सूरत हो गया, इसमें किसान कहां है. मुझे किसान दिखाई नहीं दे रहे हैं, जबकि योजना किसानों की है. अब इन्‍होंने 1200, 1300 मेगावॉट के टेण्‍डर डाल दिए. अब 4 या 5 मेगावॉट का अगर किसी किसान ने टेण्‍डर डाला तो उसको इनसे कैसे मिलेगा. इनकी टेक्‍निकल बिड खुल चुकी है, केवल फाइनेंशियल बिड बाकी है. ये कैसी सरकार है. किसानों की सरकार है या उद्योगपतियों की है. ये मैं रिकार्ड के हिसाब से बोल रहा हूँ. इसमें एक और दूसरी योजना है, कुसुम 'सी' योजना, इस योजना के अंदर 0.5 मेगावॉट से 2 मेगावॉट तक किसान, जिसके पास बंजर भूमि है, चार बीघा या आठ बीघा, वह डाल सकता है. उसमें 3.25 रुपये का रेट दिया है तो मेरी विधान सभा में भी 10-15 किसानों को दे दीजिए. जबकि वे क्‍वॉलिफाइड भी हैं, उनके पास बंजर जमीन भी है. लेकिन किसानों को नहीं मिल रही है. किसान को केवल हम्‍माल बनाया जा रहा है, किसान भूखा मर रहा है. किसान असहाय और मजबूर है. इन योजनाओं के बारे में मैं रिकार्ड के हिसाब से बोल रहा हूँ. अभी इस कुसुम 'सी' योजना के पोर्टल को बंद कर दिया गया है और उसके अंदर जिन किसानों ने टेण्‍डरिंग कर रखी है, जिन्‍होंने आवेदन दे रखे हैं, उनके पीपीए और एलओआई भी आ गए हैं, लेकिन उनको फिर भी पीपीए नहीं दिया जा रहा है. लगातार उनको आगे बढ़ाया जा रहा है. इस दिलीप बिल्‍डकॉन का क्‍या काम, 1500 करोड़ रुपये के हमारे किसानों का काम है, मध्‍यप्रदेश के किसानों को बिजली मिले लेकिन यह हो क्या रहा है. नाम किसानों का और काम उद्योगपतियों का यह कैसी सरकार है. मैं इस बजट में अपने विधान सभा के भी 20 किसानों का नाम जोड़ना चाहता हूं जो कुसुम-सी योजना का फायदा लें. प्वाइंट 5 मेगावाट से 2 मेगावाट बिजली अगर वह सोलर लगा सकते हैं तो मेरे विधान सभा में 10 किसानों के नाम जोड़े जाएं. एक बात और सामने आती है किसान आत्महत्या करने केलिये मजबूर हो रहे हैं. हमारे यहां चित्तावर जलाशय बनने वाला है. 4 हजार एकड़ जमीन उसके अंदर ली जायेगी उसमें किसानों की जमीन जायेगी. किसानों की जमीन का पूरे मध्यप्रदेश में भू अधिग्रहण कर लिया जाता है लेकिन उनको पैसा कितना दिया जाता है उसकी गाईड लाईन से दो गुना अरे,किसान तो केवल 4-5-6 बीघे का मालिक रह गया है. उनकी जमीनें बिक चुकी हैं उनकी जमीनें बड़े बड़े लोगों ने,उद्योगपतियों ने खरीद ली है किसान केवल 4 से 5 बीघा जमीन का मालिक रह गया है और 4 से 5 बीघा जमीन भी उसकी किसी योजना के अंदर या जलाशय या रोड के अंदर चली जाती है तो उनको डेढ़-दो लाख रुपये बीघे का डबल भी दे दिया गया गाईड लाईन का तो 4 बीघा जमीन का 8,10,12 लाख आ जायेगा लेकिन जमीनों की कीमत 50 लाख रुपये बीघा हो गई है. उसकी जमीन भी गई और वह सड़क पर भी आ जाता है. इसलिये आज की तारीख में केवल 20 परसेंट लोग पैसे वाले बनते जा रहे हैं और किसान गरीब से गरीब बनता जा रहा है. मैं सरकार से मांग करूंगा आदरणीय सभापति महोदय, किसानों को जो दो गुना मुआवजे के रूप में दिया जाता है मुआवजा के रूप में वह 4 गुना किया जाये. मेरी कुछ मांगे भी हैं.

          सभापति महोदय -  दिनेश जी कृपया समाप्त करें.  विजन डाक्यूमेंट तो आपने भी दिया होगा. संक्षेप में अपनी मांगें रख दें.

          श्री दिनेश जैन"बोस"  - बजट के अंदर मेरे क्षेत्र की किसी भी रोड को मंजूरी नहीं मिली है. मैं मकला से कृषि उपज मंडी झालड़ा,कानाखेड़ी एकलासपुर से बापैया तक,महुड़िया से देलवाड़ी,आबादी सकट महाराज तक,हरवाखेड़ी से ईसनखेड़ी,ब्राह्मणखेड़ा से तालोद,मोडी से डाबला सिया,धाराखेड़ा से  बिनपुरा,पीपल्याधागा से सावनसेकली से नाहरखेड़ा,नारायणखेड़ी से बरुखेड़ी,धाराखेड़ा से बिसलखेड़ी,बनीसेमल्या रोड से मोचीखेड़ा,नारियलखेड़ा से नाथगुराड़िया,पहाड़ीखेड़ा से मारूखेड़ा, धुलेट से चिंतामणि गणेश,बरखेड़ा खुर्द से भैंसासुरी माता जी तक, कृषि उपज मंडी से खेड़ा सादलपुर,ठिकरिया से खोरियासुमरा,गणारापीठ से भानपुरा,लसूड़ियानाटा नयाखेड़ा होते हुए घटियाजस्सा,झांझाखेड़ी से निपनिया फंटा,रोहलकला से झांझरखेड़ी और ग्राम निंबोदियाकला से बरसी और एक मांग और करना चाहता  हूं.अभी बिजली की बड़ी समस्या है. पानी हमारे क्षेत्र में कम गिरा. एक महिने का पानी है और बिजली के बिल चार महिने के अस्थाई और स्थाई कनेक्शन के लिये 12 हजार से 16 हजार रुपये देना है और उसके कुंए में पानी केवल एक महिने का है तो इसमें भी कुछ प्रावधान किया जाए और किसानों को आत्महत्या से रोका जाये. मेरे क्षेत्र में 4 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं और किसान आत्महत्या न करें  इसलिये बिजली के जो कनेक्शन हैं उसमें भी छूट दी जाये और स्वास्थ्य सुविधाओँ को सुधारा जाये. हमारे यहां एक आक्सीजन मशीन है वह भी बंद है. सोनोग्राफी के लिये कोई एक्सपर्ट नहीं है इसलिये वहां पर भी लोग ईलाज के लिये मर रहे हैं. यह देश के लिये बड़े दुर्भाग्य की बात है कि स्वास्थ्य और शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. इन सब चीजों की व्यवस्था की जाए. मुझे बोलने का मौका दिया धन्यवाद.

          श्री फूलसिंह बरैया(भाण्डेर) - माननीय सभापति महोदय,द्वितीय अनुपूरक बजट जो आया है इसमें एससी,एसटी,ओबीसी और अल्पसंख्यक,जिसमें पिछड़े वर्ग का जीरो है,अल्पसंख्यकों का जीरो है. एससी,एसटी का नाम का बजट है और वह भी जो बजट का संवैधानिक प्रावधान होना चाहिये. ज्योग्राफी के हिसाब से भी भौगोलिक स्थिति को भी देखा जाता है.कहां जरूरत है वहां बजट लगना चाहिये और अनूपूरक बजट तो जरूरत के हिसाब से ही होता है तो इसमें भौगोलिक स्थिति भी नहीं देखी गई है.

            और इसमें जो शेड्यूल कास्‍ट, शेड्यूल ट्राइब के जो लोग हैं उनके बजट का यह भी ध्‍यान नहीं रखा गया है कि इन लोगों के लिये भी वह लगना चाहिये, कहां लगना चाहिये, इनके बजट के मद का जो पैसा है वह दूसरे बजट में लगा दिया जाता है. बड़ी चर्चा है लाड़ली बहना को दे रहे हैं. कोई बात नहीं है. लाड़ली बहना को अगर बजट दे रहे हैं तो दे दीजिये, लेकिन इसमें जो सबसे बड़ी बात है मैं अपने क्षेत्र की चर्चा करना चाहूंगा. माननीय मंत्री जी, माननीय उपमुख्‍य मंत्री जी भी बैठे हैं पहले के बजट में भी चर्चा की थी, दूसरी बार भी की थी. दतिया जिले का भाण्‍डेर विधान सभा क्षेत्र कई वर्षों से लंबे समय से वह आरक्षित क्षेत्र है और आरक्षित क्षेत्र के ऊपर बजट थोड़ा जाने में कमी हो जाती है, देश की व्‍यवस्‍था है उस कारण से, तो उसमें 3 नदियां हैं और 3 नदियां इस तरह से निकली हैं टेड़ी मेड़ी करके तो उसमें कई नदियों जैसा माहौल बन जाता है. वहां की जनता एक दूसरे से 6-6 महीने बाद मिल पाती है. उसमें मैंने पुल मांगे थे खुड़ी और गणेशपुरा के बीच मृगा नदी, जौरी मृगा नदी, बेसोरा के बीच बेगा नदी, कनीवा नाला, अंगूरी नदी यह जो नदी हैं नांदिया से इमलिया के बीच पहुज नदी, तिलहेरा  से हरदेई बीच पहुज नदी, अजीतपुरा से सोनहा के बीच पहुज नदी और एक उत्‍तरप्रदेश की सीमा लगती है तो उसके बीच में कुछ अपनी जमीन है, भाण्‍डेर क्षेत्र के लोगों की जमीन है लगभग 8-10 किलोमीटर उसके पहले नदी निकली है तो नदी 4 महीने तक वहां पर लोग अपनी कृषि करने नहीं जा पाते. माननीय मंत्री महोदय, यही नहीं है यदि उस पुल को बना दिया जाये तो कनेक्टिविटी बढ़ जायेगी. शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा एक बड़ा विषय है. माननीय मंत्री महोदय, शिक्षा के मामले में कि शिक्षा अगर नहीं है तो आदमी अंधा है. शिक्षा के मामले जो स्‍कूलों की हालत वहां पर है, 4 महीने तक स्‍कूल भरे रहते हैं. मैंने प्रशासन को बताया भी था अपने शासन को और वहां जांच भी करके आये हैं, 4 महीने तक, कोई स्‍कूल 3 महीने भरा है और उन स्‍कूल में पानी 2-2 फीट भर जाता है किसी में 3 फीट भर जाता है, किसी में पानी नीचे तक 1 फीट भर जाता है और इन स्‍कूल की मांग भी मैंने की और उन्‍होंने जांच भी की और मं‍त्री महोदय उन्‍होंने कहा कि यह काम हम बहुत जल्‍दी करायेंगे, लेकिन एक भी स्‍कूल, एक भी पुल इस बजट में नहीं आया. इसके पहले भी मैंने कहा था और सरकार कहती है हम शिक्षा का ध्‍यान रखते हैं, सरकार कहती है एससी, एसटी का ध्‍यान रखते हैं इसमें जहां चाहिये तो उनका जवाब आया है, जवाब मैं पढ़कर सुना रहा हूं, छोटा सा है कि पुल क्‍यों नहीं बन पा रहे हैं, मैं सभी तो नहीं पढ़ूंगा, उसमें काफी समय लग जायेगा, संभव नहीं है, मतलब पुल बनना संभव नहीं है, दूसरा पुल भी संभव नहीं है, तीसरा पुल भी संभव नहीं है, चौथा भी संभव नहीं है, पांचवा भी संभव नहीं है, छठवां भी संभव नहीं है, सातवां भी संभव नहीं है, संभव नहीं है, संभव नहीं है, संभव नहीं है, संभव नहीं है, मैं यह जानना चाहता हूं, इससे बेहतर यह लिख देते कि कांग्रेस के पक्ष के लोगों की मांग संभव नहीं है या यह लिख देते कि शेड्यूल कास्‍ट के क्षेत्र के लोगों की मांग संभव नहीं है. इसमें मैं यह नहीं समझ पाया कि सरकार आखिर बजट किसके लिये लाती है, जो जनता की सुविधाओं के लिये.  

          बच्‍चों की पढ़ाई के लिये और वहां पर सारी चीज है, कैसे शामिल किया जायेगा? माननीय मंत्री महोदय, यह बतायें कि शामिल कैसे करें? हमको आपको देना है, हम दे चुके हैं, आपकी सरकार का जवाब भी आ गया है और यही नहीं है इसमें, तीन महीना, चार महीना साहब लगातार व्‍यक्ति अपने घर में घिरा बैठा रहता है, कई गांव तो मैंने ऐसे लिखाये थे, जहां पर कलेक्‍टर के द्वारा जांच भी की गई है कि तीन-तीन महीनों तक चारों तरफ से पानी भर गया है, जो बच्‍चे प्रसूति वाली महिलाएं हैं, तो उनको कैसे लाया गया? कंधों पर बैठाकर एक जुगाड़ बनाकर उस पर उन्‍हें लाया गया है.

          सभापति महोदय, मैं चिकित्‍सा के क्षेत्र में कुछ कहना चाहता हूं, माननीय चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री और उप मुख्‍यमंत्री महोदय भी बैठे हुए हैं, अस्‍पताल जिसमें लोग आते हैं, वहां पर जांच करने वाले यंत्र नहीं है, न ही एक्‍सरे की मशीन है और न ही सिटी स्‍केन की मशीन है, न एम.आर.आई. की मशीन है, न ब्‍लड टेस्‍ट और किसी भी टेस्‍ट की मशीन नहीं है, मार्केट जाते हैं, डॉक्‍टर के पास आते हैं, उसके बाद डॉक्‍टर फिर दवा लिखते हैं, परंतु दवा भी नहीं है, तो माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री महोदय से एवं चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री भी बैठे हुए हैं और माननीय वित्‍तमंत्री जी भी बैठे हुए हैं, इसके ऊपर ध्‍यान रखें और बजट संवैधानिक रूप से बने कि इस क्षेत्र में भी बजट जाये, जहां जरूरत हैं वहां पर भी जाये तो मैं ऐसा चाहता हूं, लेकिन ऐसा बजट मैं लगातार तीन बार से बजट पर भाषण कर रहां हॅूं  और भाषण के रूप में अपने क्षेत्र की समस्‍याएं भी रख रहा हूं, परंतु एक भी बार नहीं सुना जा रहा है, इसलिए मैं इस बजट से सहमत नहीं हूं और मैं इस बजट का विरोध करता हूं. आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

 

 

          श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिण्‍डौरी) -- सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी ने अनुपूरक बजट में 13 हजार करोड़ रूपये की मांग की है. यह सदन पवित्र लोकतंत्र का मंदिर है और इस पवित्र लोकतंत्र के मंदिर से प्रदेश की जनता के हित के निर्णय लिये जाते हैं, यह सर्वविदित है और यह जो अनुपूरक बजट है, इस अनुपूरक बजट में मैं आपको बताना चाहता हूं कि अगर हम भी वहां होते तो हम भी अनुपूरक बजट लाते, इसमें कोई शंका नहीं है. यहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, कुछ राज्‍य में हमारी भी सरकार है, अनुपूरक बजट लाने की एक प्रक्रिया है, जो लाना ही पड़ता है, प्रश्‍न यह है कि यह जो अनुपूरक बजट है, इसको आखिर क्‍यों लाया जाता है और इसके आगे हमारा उद्देश्‍य क्‍या है? यह महत्‍वपूर्ण विषय है. सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से आलोचना और पक्ष यह दो चीज तो चल ही रही हैं, इन दो चीजों के साथ आप हम निरंतर प्रयास भी करते रहे हैं, पर इसमें मेरा जो मानना है, चाहे भारत देश की अर्थव्‍यवस्‍था हो, चाहे हमारे प्रदेश की अर्थव्‍यवस्‍था हो, इस अर्थव्‍यवस्‍था में प्रत्‍येक आदमी का हक होता है कि नहीं होता है? अब जब प्रत्‍येक आदमी का हक है, तो प्रत्‍येक आदमी में हमारा जो अधिकार है. सभापति महोदय मैं आपके माध्‍यम से माननीय वित्‍तमंत्री जी हमारे उपमुख्‍यमंत्री जी भी हैं, उनसे कहना चाहता हूं कि  बहुत खूबसूरत नजारा मध्‍यप्रदेश का है, इतना खूबसूरत नजारा है कि जिसको देखने के लिये लोग आते हैं और इसे देखना भी चाहिए.

          अभी हमारे कुछ किसान जब आपके बीच में आ रहे हैं, तो मैं समझता हूं कि किसानों के विषय में आपका नजरिया कया है, वहीं पर अगर आप देखेंगे तो आशा कार्यकर्ताओं का गुनाह क्‍या है, आप तीन तीन महीने से उनको पैसे नहीं दिए, अंशकालीन कर्मचारियों का गुनाह क्‍या है, आप 6-6 महीने से उनको पैसा नहीं दिए, विद्यार्थी जिसको शिक्षावृत्ति दी जाती है, उनका गुनाह क्‍या है आप 6-6 महीने से उनको पैसे नहीं दिए. वहीं पर जो मध्‍याह्न भोजन के बच्‍चे, जो हमारे आने वाले भविष्‍य है, उनका क्‍या गुनाह है, उनके भोजन का पैसा जो जाता है, प्रति बच्‍चे लगभग 10 रुपए मिडिल स्‍कूल और लगभग 7 रुपए प्राइमरी स्‍कूल में, उनका पैसा आपने 6-6 महीने से नहीं दिए. अंशकालीन कर्मचारी अनुरोध करते हैं कि उनका मानवीय दृष्टि से थोड़ा पैसा बढ़ा दिया, जाए ले‍किन आप उनको मात्र चार हजार रुपए दे रहे हैं, वहीं पर अंशकालीन को पांच हजार, रसोइयां को चार हजार रुपए. मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि आप बजट पेश कर रहे हैं. आप शायरी बहुत जोरदार कहते हैं, किसी की लिखी हुई, पर मैं जो कहूंगा वह अपना लिखा हुआ है.

                   आनंद वहां नहीं मिलता है, जहां धन मिले..

                   आनंद वहां मिलता है, जहां मन मिले..

आपका हमारा मन मिल रहा है, 15 करोड़ रुपए में आपने किस तरह से खटास पैदा कर दिये हैं, तो आपका और हमारा मन कैस मिल जाएगा. सभाप‍ति जी मुझे पता है अंदर से आप भी हमारा ही समर्थन कर रहे हैं, पर अब परिस्थितियां हैं.

          सभापति महोदय थोड़ा परिस्थतियों को नियंत्रित करके समय को भी नियंत्रित कर लें, आप सभी के लिए तीन से चार मिनट है .       

          श्री ओमकार सिंह मरकाम सभाप‍ति जी, मैं तो पहले भी कह चुका हूं, मैं तो सदन के औचित्‍य पर प्रश्‍न खड़ा कर रहा हूं, ये आपको बताना चाहता हूं. ये जो पवित्र लोकतंत्र का मंदिर है, उस पर प्रश्‍न खड़ा कर रहा हूं. आखिर ये लोकतंत्र का पवित्र मंदिर असत्‍य का मंदिर कैसे बना दिया जा रहा है. सत्‍य का मंदिर होना चाहिए. सभापति जी मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप सत्‍य का साथ देंगे या असत्‍य का.

          सभापति महोदय आप अपनी बात रखिए, सभी को सत्‍य का ही साथ देना चाहिए.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम आप भी इससे सहमत है, जब सत्‍य की तरफ है तो सत्‍य कहां पर है, जरा ढूंढो इस पवित्र मंदिर में. माननीय वित्‍त मंत्री जी, आपका जो विधान सभा क्षेत्र है, क्‍या आपके विधान सभा क्षेत्र में देश के सर्वोच्‍च विद्यालयों की तरह आप पढ़ाई करवा पा रहे हैं. इंदौर से व्‍यक्ति आपके क्षेत्र में इलाज के लिए जा रहा है, क्रिटिकल बीमारी के लिए प्रदेश में एक भी अस्‍पताल नहीं है और मैं ये भी कहना चाहता हूं कि भारत देश के अंदर एक भी अस्‍पताल नहीं है, यहां से अमेरिका जाते हैं इलाज करवाने के लिए, क्‍यों जाते हैं, पैसा है तो चले जाएंगे, लेकिन गरीब आदमी कहां जाएगा, गरीब आदमी के विषय में सोचिए. वहीं पर हमारी जो देश का जनमानस है. आज आप हमारे साथ चले, सभापति जी इसी भोपाल के चौराहे पर एक दस साल की बेटी एयरपोर्ट रोड जाएंगे तो लालघाटी चौराहे पर.

          सभापति महोदय मरकाम जी, समाप्‍त करें, पर्याप्‍त समय हो गया, जो मुख्‍य बात रखनी हो रख दें.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम सभापति जी बेटी की बात में आप इतना क्‍यों नाराज हो गए.

          सभापति महोदय समय की मर्यादा रखें

          श्री ओमकार सिंह मरकाम क्‍या बेटी के लिए समय नहीं है.

          सभापति महोदय समय सभी के लिए है. आपके समय की बात हो रही है.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम सभाप‍ति जी, आपने बोला है सत्‍य का साथ देंगे. तो फिर क्‍यों असत्‍य की तरफ जा रहे हों.

          सभापति महोदय अपनी बात समाप्‍त करें, हम सत्‍य का ही साथ दे रहे हैं. तीन से चार मिनट सभी सदस्‍यों के लिए है, आपके लिए भी वही निर्धारित है, कृपया समाप्‍त करें.

          इसी भोपाल के चौराहे पर एयरपोर्ट जायेंगे तो एक दस साल की बेटी लालघाटी चौराहे पर कल मैं जा रहा था तो फुग्गा बेच रही थी मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वह हमारे भारत की बेटी नहीं है, क्या वह प्रदेश की बेटी नहीं है ? मैं आपके माध्यम से माननीय वित्तमंत्री जी से तथा सरकार से अनुरोध करता हूं कि आज जिस दिशा में भारत देश की नौजवानों के हालात हैं जिस दिशा में हमारी संस्कृति और हमारे संस्कार और हमारी प्रवृत्ति और हमारा वातावरण बन रहा है. आप सावधान हो जाईये कि आने वाला समय बहुत चुनौतीपूर्ण बनेगा. माननीय वित्तमंत्री जी आप मैं अपने कार्यकाल में चल रहे हैं. पर जो समय आयेगा वह समय यह है कि आपके हमारे देश की सम्प्रभुता और अखण्डता और इस देश के अमन चेन भाईचारा के लिये सबसे बड़ी चुनौती है उसका कारण बनता जा रहा है आपका यह जो वित्तीय प्रबंधन है जिस प्रबंधन में आपका नियंत्रण ही नहीं है. मैं माननीय वित्तमंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि  आप इस समय जितना भी मध्यप्रदेश के लिये कर्जा ले रहे हैं लीजिये कर्जा कैसे पटेगा इसकी भी जवाबदारी ले लीजिये. सभापति महोदय, मैं गंभीरता के साथ कह रहा हूं कि हमारे लोग 1857 में भी विद्वान थे, हमारे लोग सन् 1800 में भी विद्वान थे. क्या कारण हुआ 1905 में हमारी धरती के दो टुकड़े होते हैं उसमें बंगाल का भी विभाजन होता है. क्या कारण था कि 1947 में पाकिस्तान का विभाजन हुआ ? इसलिये मैं कह रहा हूं कि जब आप सावधानी नहीं बरतोगे तो आप जिस तरह से ईस्ट इंडिया कम्पनी के लोगों ने इस देश में नुकसान पहुंचाया था उसके हालात अब भी बन रहे हैं. सिंगरौली में क्या हो रहा है ? जगदलपुर में क्या हो रहा है ?

            सभापति महोदयआप समाप्त करिये आपको बहुत समय हो गया है आप विषयान्तर भी हो रहे हैं. आपको काफी समय हो गया है आप कृपया समाप्त करिये.

          श्री ओमकार सिंह मरकामसभापति महोदय, इस देश के भविष्य के विषय में भी सोचने की जरूरत है. सभापति महोदय आपने सत्य का साथ देने की बात कही है.

          सभापति महोदयआपको सबसे ज्यादा समय मिल गया है. आप बैठिये श्री विश्वनाथ पटेल जी आप कृपया बोलना शुरू करें.

          श्री ओमकार सिंह मरकामसभापति महोदय, आपने सत्य का साथ देने की बात कही है आप सत्य पर ही रहें.

          सभापति महोदयहम सत्य का ही साथ देंगे. कृपया बहुत समय हो गया है. आप बैठिये.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम सभापति महोदय, बोलने के लिये समय दिया उसके लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री विश्‍वनाथ सिंह "मुलायम भैया" (तेंदुखेड़ा) -- माननीय सभापति जी आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद. आपने मुझे बोलने के लिए समय दिया. मैं इस विधानसभा में कल से देख रहा हॅूं कि हमारे कांग्रेस के बहुत वरिष्‍ठ नेता कल अनुपूरक बजट पर बोले. माननीय लखन घनघोरिया जी ने अपनी बात को रखा. कभी उन्‍होंने यह सच्‍चाई नहीं देखा कि जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है और उनका नेता बनता है तो देश का विकास और प्रदेश का विकास होता है. स्‍व.श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को याद करें, जब वे प्रधानमंत्री बने. उन्‍होंने दो काम ऐसे दिये हैं एक प्रधानमंत्री सड़क और दूसरा किसान क्रेडिट कार्ड. यदि किसान क्रेडिक कार्ड नहीं होता, तो हिन्‍दुस्‍तान का किसान मर गया होता और वर्ष 2003 के बाद इस प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और पूर्व मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी जब मुख्‍यमंत्री बने, तो प्रदेश की तस्‍वीर और तकदीर बदल दी. मैं आपको उदाहरण दे रहा हॅूं. मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा हॅूं. मैं सौभाग्‍यशाली हॅूं कि मेरे जिले के वित्‍त मंत्री आपकी सरकार में पीढ़ी दर पीढ़ी रहे. स्‍व.श्री श्‍याम सुंदर नारायण मुशरान, स्‍व.श्री कर्नल अजय मुशरान जी रहे. उस वक्‍त मेरी विधानसभा की एक रोड करेली से गाडरवारा थी. उसमें इतने गड्ढे थे कि यदि हमारी कोई बहन डिलेवरी वाली गाड़ी में बैठकर निकल जाये, तो रास्‍ते में ही बच्‍चा हो जाता था. यह हालत थे वर्ष 2003 के पहले. वर्ष 2003 के बाद विकास हुआ. कोई छुपा नहीं है जरा सीने पर हाथ रखकर सच्‍चाई देखो. हम कहें कि आज पूरे प्रदेश में जो सड़कों का विकास हुआ है, वह प्रधानमंत्री स्‍व.श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की देन है. गांव-गांव प्रधानमंत्री सड़क बन गईं. मेरी पूरी विधानसभा ग्रामीण विधानसभा है एक भी शहर नहीं है. मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हॅूं.

          सभापति महोदय, मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हॅूं कि मेरी ही विधानसभा में कुछ गांव ऐसे थे, जिसको 70 साल से सड़कें नहीं मिली थीं. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हॅूं धन्‍यवाद देना चाहता हॅूं कि मेरे उन गांवों को पिछले बजट में सड़कों से जोड़ दिया गया. चाहे वह किसान का मामला हो, चाहे लाड़ली लक्ष्‍मी बेटियों का मामला हो. लखन भैया, पहले गांव की बेटियां चूल्‍हा फूंकती थीं. माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने उनको लाड़ली लक्ष्‍मी बेटियां बनाकर उनकी तस्‍वीर और तकदीर बदल दी. वहां आज हमारी बेटियां बैठी हैं मैं इन बेटियों को प्रणाम करता हॅूं यदि स्‍कूलों में पढ़ने की संख्‍या किसी की मिलती है तो हमारी बेटियों की मिलती है. आप लोग लाड़ली बहनों की बात करते हैं.  यह लाड़ली बहनों का पैसा उन बहनों के पास जा रहा है जो अपने परिवार को चलाती हैं.

          सभापति महोदय -- (कुछ सदस्‍यों के अपने आसन से बैठे-बैठे कुछ कहने पर) विश्‍वनाथ जी, इधर चर्चा करें . माननीय सदस्‍य, कृपया, बैठे-बैठे बात न करें.

          श्री विश्‍वनाथ सिंह "मुलायम भैया" -- आदरणीय हम आप लोगों से ज्‍यादा अच्‍छे हैं. हम जो कहते हैं वह करते हैं. जरा देखों. आप अपने गिरेबां में झांककर देखिए. लखन भैया, कल एक बहुत अच्‍छा शेर कह रहे थे. मुझे बहुत मजा आ रहा था. जब लखन भैया शेर बोलते हैं तो आनंद आ जाता है.

          श्री लखन घनघोरिया -- आप सुना दीजिए.

          श्री विश्‍वनाथ सिंह "मुलायम भैया" -- लखन भैया, एक देहाती कहावत है. एक बूढ़ी अम्‍मा थी. वह गले में हमेल पहनती थी. समय परिवर्तित हुआ, उसकी बहू आयी. वह हमेल उसकी बहू के गले में पहुंच गयी. अम्‍मा बहू को देखती, तो उसको बहुत चिढ़ होती थी कि हमेल मैं पहनती थी, अब बहू के गले में पहुंच गयी. वही हालत आप लोगों की है. देख न सके परायी विभूति, अरे यह देखो यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है यह डॉ.मोहन यादव की सरकार है 2 साल में मेरी पूरी ग्रामीण विधानसभा में ढाई सौ करोड़ रूपये से ऊपर के काम हो गये. मैं माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी को बधाई देता हॅूं कि मेरी नगर पंचायत में कम से कम 25 करोड़ रूपये के काम हो गये. (मेजों की थपथपाहट) यह कहते हैं कर्ज ले लिया, कर्ज ले लिया. कर्ज खा लिया क्‍या. अरे कर्ज लिया है तो प्रदेश के विकास के लिए लिया है...


 

कितने लोग हैं, मैं जानता हूं. लखन भैया, मैं बड़ा भाग्‍यशाली हूं पहले वित्‍त मंत्री कराव का परिवार हुआ करता था. आज मेरे पास दो-दो मंत्री हैं. माननीय प्रहलाद पटेल जी और श्री उदय प्रताप जी. उन दोनों मंत्रियों का बड़ा भाग्‍यशाली हूं. उन दोनों मंत्रियों ने भी मेरी विधान सभा में चाहे स्‍कूल का मामला हो, चाहे सामुदायिक भवन का मामला हो या पंचायत का मामला हो.

          श्री सुरेश राजे- सभापति महोदय, दादा ने मुहर लगा दी. रेवड़ी बांटने वाली.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह- सभापति महोदय,.. .

          सभापति महोदय- राजे जी, रजनीश जी, प्‍लीज आप लोग बैठ जायें. समय का ध्‍यान रखें, उनका भाषण चल रहा है. विश्‍वनाथ जी, आप भी थोड़ा सहयोग करें थोड़ा संक्षिप्‍त कर लें.

          श्री विश्‍वनाथ सिंह '' मुलाम भैया''- 250 करोड़ रूपये 15 करोड़ के नहीं हैं. ढाई सौ करोड़ बहत्‍तर रूपया है, बजट का. वित्‍त मंत्री जी ने बजट दिया है, बहुत पैसा है.

          सभापति महोदय, मैंने बातें बहुत कर ली, मेरी सदन से मांग है और माननीय संसदीय मंत्री जी से कि मेरी विधान सभा में एक दानदाता था चौधरी राघव सिंह, इन्‍होंने 256 एकड़ जमीन दान में दी. उनके नाम से शासकीय उच्‍चतर माध्‍यमिक विद्यालय खुला. मैं लगातार दो साल से वहां कृषि कॉलेज के उन्‍नयन की बात कर रहा हूं. यदि वहां पर कृषि कॉलेज का उन्‍नयन कर दिया जाये तो आपका बड़ा आर्शीवाद मिलेगा.

          श्री लखन घनघोरिया- दो साल से नहीं हुआ, अभी तो बड़े गुण गा रहे थे.

           श्री विश्‍वनाथ सिंह ''मुलाम भैया''- शहीद आशीष शर्मा जी, जिन्‍होंने अपना बलिदान दिया, वह भी उसी गांव के रहने वाले हैं. वहां पर नवोदय विद्यालय भी है. मैं मांग करता हूं कि वहां कृषि कॉलेज का उन्‍नयन किया जाये. दूसरा, मेरे क्षेत्र का पिछले बजट में खड़ई सब-स्‍टेशन स्‍वीकृत हो गया था. पता नहीं किस कारण से अधिकारियों ने उसको अभी तक बनने की मंजूरी नहीं दी तो कृपा करके उसको दिलाने कि कृपा करें. बाकि मेरी ग्रामीण विधान सभा है. मुझे उम्‍मीद है कि अगले बजट में वित्‍त मंत्री जी फिर मेरे लिये सड़कों का पिटारा खोलेंगे. इसी भावना के साथ जय हिन्‍द, जय भारत.

          सभापति महोदय- नितेश जी, राठौर स्‍थान ग्रहण करें. श्रीमती सेना महेश पटेल जी अपना भाषण करें.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह- सभापति महोदय, बड़े वरिष्‍ठ सदस्‍य हैं और बहुत अच्‍छी बात यहां पर रखी और हम भी गांव से आते हैं, उन्‍होंने हमेल का उदाहरण दिया, बहुत अच्‍छा उदाहरण दिया. मैं यह कहना चाहूंगा कि उनकी कितनी बड़ी मजबूरी है कि '' जाके साथ रहिये, बाकी वैसी कहिये, ऊंट बदरिया ले गयी तो हाजू-हाजू कहिये. आज दादा की वही स्थिति है कि सरकार में हैं तो कहना तो वैसे ही पड़ेगा.

          सभापति महोदय- रजनीश जी बैठ जायें. श्रीमती सेना महेश पटेल जी.

          श्रीमती सेना महेश पटेल- सभापति महोदय, मैं मेरी विधान सभा क्षेत्र की कुछ मांगे हैं. मैं उनको बजट में शामिल करवाना चाहती हूं. बोरझाड़ सदर बाजार से मोटाउमर फाटक तक का मार्ग बनाया जाये.

          सभापति महोदय- अभय जी, आपने तो बोल दिया है, अपनी बात रख दी थी. आप बैठ जायें.

          श्रीमती सेना महेश पटेल- यह भी कहना चाहती हूं कि साजनुपर में रोड, पटेल फलिया से पुजारा फलिया,  सापलिया पाजरिया फलिया, खड़ाफलिया तक सड़क निर्माण किया जाये. ग्राम- कालुवाट से सुखाआम्‍बा फलिया से मेन रोड से कालुवाट मेन रोड तक सड़क का निर्माण किया जाये. इसको इस बजट में शामिल किया जाये.

          सभापति महोदय, ग्राम पंचायत हरदासपुर में प्राथमिक विद्यालय होली फलिया, चौगडि़या फलिया स्‍कूल तथा सागोटा हाई स्‍कूल तक सड़क निर्माण की मांग करती हूं. ग्राम वागदी में जोबट से सिंधी रोड से वागदी- माडया फलिया को जामनी मुख्‍य मार्ग से जोड़ने की मांग करती हूं.  ग्राम- चकदी से बड़ा गुड़ा सीमा तक, चगदी श्‍मसान घट होगर बड़ा गुड़ा सड़क का निर्माण कार्य कराया जाये. डेकाकुण्‍ड से भारीसेमल रोड का निमाण कार्य तथा डेकाकुण्‍ड -थापनी-जोबट मार्ग का विस्‍तार ग्राम बेहडि़या तक सड़क निर्माण को इस अनुपूरक बजट में जोड़ा जाये. ग्राम खमडाका से नानी बडोई- उमर बड़ा तक सड़क का निर्माण कराया जाये. आम्‍बुआ मुख्‍य मार्केट से भीललवट बाबा से हरदासपुर तक पहुंच मार्ग सड़क का निर्माण कराये जाने की मांग करती हूं. किला जोबट गैस गोदाम से किला जोबट मार्ग तक सड़क निर्माण की मांग करती हूं. ग्राम उम्‍दा का मुण्‍डालिया फलिया से सड़क निर्माण का कार्य कराया जाये.

          सभापति महोदय, अलीराजपुर जिले में एक मेडिकल कॉलेज और एक कृषि कॉलेज खोले जाने की भी इस अनुपूरक बजट में शामिल किया जाये.  वाव में मेरसिंह  के घर से  गुजरात सीमा तक  डामरीकरण रोड  का इस बजट में   प्रावधान रखा जाये,  ऐसी   मैं मांग करती है.  आमखुट रोड से पस्टार टावर तक मेन रोड  को इस बजट में  शामिल किया जाये.  ग्राम पंचायत हरदासपुर प्राथमिक स्कूल  होली फलिया से  जौगड़िया फलिया स्कूल  तथा  सागोटा हाई स्कूल तक  सड़क निर्माण किया जाये. मेरी विधान सभा जोबट में जो  छोटे छोटे गांव  हैं पक्के,  वहां पर छोटे छोटे गांव  में पुल, पुलिया, डेम, बेराज  को इस बजट में  शामिल किया जाये और हर ब्लाक  में  चाहे वह चन्द्रशेखर आजाद नगर हो, कठियावाड़ा ब्लाक हो,  जोबट ब्लाक हो, यहां पर रेस्ट हाउस   अति जीर्णशीर्ण  की स्थिति में हैं, इन्हें नया बनाने   के लिये इस बजट में शामिल किया जाये.  अलीराजपुर  जिला मुख्यालय  में  हमारी गौशाला  को संचालित  करने के लिये  और गौशाला भवन बनाने के लिये कोई ऐसा बजट प्रावधान  में रखा जाये,  जिससे  निर्माण भी हो जाये और संचालित करने के लिये उन्हें  राशि  भी प्राप्त हो जाये.  पीडब्ल्यूडी रिपोर्ट के अनुसार मेरे अलीराजपुर जिले   की विधानसभा जोबट   और  अलीराजपुर जिले में 122 स्कूलों का डिस्मेंटल  किया गया था.  उन स्कूलों  के  नवीन भवन के लिये    बजट स्वीकृत किया जावे.  सभापति महोदय, धन्यवाद.

                   श्री निलेश पुसाराम उईके (पांढुरना)सभापति महोदय,  बहुत बहुत धन्यवाद.  पांढुरना विधानसभा में  रेल्वे ब्रिज की कई दिनों से   मांग की जा  रही थी. मेरे द्वारा कई बार विधान सभा  में इसके लिये प्रश्न किया गया, पर इस  बार आपने बजट  में उसको शामिल किया है,  मैं इसके लिये आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. तीन चार  चीजें अपने क्षेत्र के  लिये   मांग करना चाहता हूं.  हमारा  एक  आदिवासी क्षेत्र है पाठई,  वहां कालेज,महाविद्यालय  की मांग  कई दिनों से की जा रही है.  मेरा आपसे निवेदन है कि   पाठई में   उस कालेज की स्वीकृति की जाये.नान्दनवाड़ी  में भी एकलव्य  स्कूल की मांग की जा रही है,  उसको भी वहां स्वीकृत किया जाये.  मेनीखापा  में कन्या छात्रावास  की बहुत  आवश्यकता  है, उसको भी स्वीकृत करने की कृपा करें.  हमारे पांढुरना में  कलेक्टर कार्यालय  अभी शहर से  बाहर बनाया जा रहा है,  सभी लोगों की इच्छा है, जन भावनाओं  की इच्छा है कि  कलेक्टर कार्यालय मण्डी प्रांगण में  बनना चाहिये. इस पर भी मंत्री जी कार्यवाही  करने की कृपा करें.  सावरी- नान्दनवाड़ी  उप तहसील है,  इसको फुल तहसील का दर्जा दिया जाये.  हीराबाड़ी और नान्दनवाड़ी  अस्पताल में  डॉक्टरों की कमी है,  यह चूंकि आदिवासी क्षेत्र  है,  डॉक्टर नहीं होने के कारण  कई परेशानियां आती हैं.   वहां डॉक्टरों की व्यवस्था  करने की कृपा करें.  हमारा जो क्षेत्र है, वहां  प्रायमरी स्कूल,  माध्यमिक  शाला   बहुत सारे स्कूल भवन  जर्जर स्थिति में हैं.  बारिश के दिनों में हमारे बच्चे स्कूल में बैठ नहीं पाते हैं.  उनका जीर्णोद्धार किया जाये.  तीन चार और रोड्स हैं,  उनको स्वीकृत करने की कृपा करें.डोडिया से  डोडिया  ढाना तक ,बीजागोरा से  कोहट,  उत्तमडेरा से डोलनखापा, पीपल पानी से  सात भाई  ढाना,  लेंडोरी  से  रईयतवाड़ी  और एक हमारा  आदिवासी समाज का  किला है देवगढ़. बहुत सारे लोगों की  आस्था है. वहां  हमारा पूरा समाज  देवगढ़ में जाता है.  उसको पर्यटन स्थल  घोषित  कर  उसको वहां पर्याप्त राशि  देने की कृपा करें, जिससे हमारे आदिवासी  समाज  को लाभ होगा.  सभापति महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, इसके लिये  बहुत  बहुत धन्यवाद.

                   श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया)सभापति महोदय, धन्यवाद.  अनुपूरक बजट से तात्पर्य  ऐसे बजट से है,  जिसे  उन परिस्थितियों में   अनुमोदित किया जाता है, जहां  किसी वित्तीय   वर्ष में सरकार की  गतिविधियों के लिये  विनियोजित  राजस्व बजट पर्याप्त  नहीं होता है. जहां सरकार की किसी गतिविधि  के लिये बजट की आवश्यकता होती है. 9  महीने पहले मुख्य बजट लाया गया था.  बजट  में प्रावधानित   बहुत सारे ऐसे जो अनुमोदित कार्य थे.  वित्त मंत्री जी को मैं याद दिलाना चाहता हूं कि  अभी वह कार्य भी शेष रह गये हैं.

मैंने खुद निवेदन किया था और फिर से वित्त मंत्री जी से निवेदन कर रहा हूं कि हमारे पिछले वित्त वर्ष की विधायक निधि कलेक्टर योजना भवन, मंडला की त्रुटिवश लेप्स गई थी, इस अनुपूरक बजट में मंडला की जो विधायक निधि की राशि लेप्स हुई है उसको बहाल करें. क्योंकि वह कार्य हो चुके हैं, छोटे छोटे जनहित के कार्य हैं, वित्त मंत्री से आशा है कि वे इसकी स्वीकृति प्रदान करेंगे.

          माननीय सभापति महोदयस, इसी सदन में अभी नियम 139 अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर लंबी चर्चा हुई. सभी विधायक साथियों ने किसानों की चिंता की. सरकार के द्वारा जो एमएसपी की घोषणा थी उसके तहत किसानों को एमएसपी का लाभ मिलना चाहिये, चूंकि धान की खरीदी शुरू हो गई है. खाद के लिये जिस तरह से हमारे किसान परेशान हो रहे हैं, तो वित्त मंत्री जी से अनुरोध है कि इस अनुपूरक बजट में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि जो किसानों से संबंधित चीजें हैं, उनको भी प्राथमिकता में स्वीकृत करें.

          माननीय सभापति महोदय, चूंकि अतिवृष्टि पर चर्चा हो चुकी है फिर भी हमारे मंडला जिले के जो आदिवासी किसान हैं, जिसमे मेरा विधानसभा क्षेत्र बिछिया आता है. दीपावली के समय जो प्रदेश में अतिवृष्टि हुई उसमें खड़ी और कटी दोनों फसलो का नुकसान हुआ है. हम यह मान सकते हैं कि राजस्व संहिता में आरबीसी की धाराओं के जो मापदंड हैं उसमे क्षति कम आई होगी लेकिन कम रकवे के वहां पर काश्तकार अधिक होते हैं इसलिये मैं माननीय वित्त मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि क्षतिपूर्ति का पुन: आंकलन करने के लिये हमारे क्षेत्र में आदेश किये जायें.

          माननीय सभापति महोदय, पिछले वर्ष की मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत जो शादियां हुई थी उसकी राशि अभी भी वधु पक्ष को प्राप्त नहीं हुई है. मेरे विधानसभा क्षेत्र के तीनों जनपद विकासखण्ड, बिछिया, विकास खंड मवई और विकासखंड घुघरी, में वित्त मंत्री जी अभी तक वह राशि नहीं मिल पाई है. अनेकों बार वे लोग जनपद कार्यालय के चक्कर काट चुके हैं, हम लोगों से संपर्क कर रहे हैं, हम कलेक्टर से लगातार निवेदन कर रहे हैं और कलेक्टर का कहना है कि भोपाल से अभी तक राशि नहीं आ पाई है तो कृपा करके उस राशि को जारी करने का कष्ट करें.

          सभापति महोदय, इसी प्रकार से जनसेवा मित्र जो प्रदेश में 9300 हैं, लगातार वह अपनी मांगें सरकार के समक्ष रख रहे हैं, लेकिन उनको उनका मानदेय नहीं मिल पा रहा है. उनका मानदेय स्वीकृत करे. इसी प्रकार से जीआरएस (ग्राम रोजगार सहायक) जो पंचायत के संचालित करने में अपनी मुख्य भूमिका निभाते है, इन लोगों की समस्या के संदर्भ में अनुपूरक में विशेष ध्यान रखा जाये. हमारे गैस्ट टीचर, अतिथि शिक्षक जो हमारे ही साथी हैं और हमारे बच्चों को शिक्षा और नये आयाम देने का काम करते हैं, इनको भी 2-3 माह तक मानदेय का भुगतान नहीं हो पाता है, वित्त मंत्री जी इस अनुपूरक बजट में सभी लोगों को समय पर मानदेय प्राप्त हो सके ऐसी कोई व्यवस्था करने का अनुरोध है.

          सभापति महोदय, मंडला जिले के विकासखण्ड बिछिया में, एक मटियारी जलाशय है. मटियारी जलाशय खुद एक परियोजना है लेकिन 35 साल पहले उनकी नहरों का निर्माण हुआ था, आज की स्थिति में वह नहरें जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच चुकी हैं, चूंकि यह सरकार किसानों की हितैषी सरकार अपने को कहती है, इसलिये मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जो नहरें जीर्णशीर्ण हो गई हैं इनको बनाने के लिये अनुपूरक बजट में विशेष प्रावधान करते हुये राशि स्वीकृत करें.

          सभापति महोदय, कल की ताऱीख में मेरा एक प्रश्न था जो नेताजी सुभाषचन्द्र बोस हास्टल को लेकर के था, ऐसे ही भैंसवाही में जो 50 सीटर हास्टल संचालित है वहां पर आज भी भवन नहीं है, मैं अनुपूरक बजट में माननीय वित्त मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि हमारे क्षेत्र में अनेक प्रायमरी स्कूल, माध्यमिक स्कूल, आंगनवाड़ी भवन जर्जर हो चुके हैं उनके लिये बजट में प्रावधान करते हुये स्वीकृति प्रदान करें. माननीय सभापति महोदय, आज भी यह आंगनवाड़ी के भवन किराये के भवन में संचालित हो रहे हैं इसलिये नवीन भवन स्वीकृत करने का कष्ट  करें. आपने अनुपूरक बजट मे मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री रामनिवास शाह(सिंगरौली) -- माननीय सभापति महोदय, अनुपूरक बजट के समर्थन में चर्चा करने के लिये मैं खड़ा हुआ हूं. सभापति महोदय, सिंगरौली जिले में अनुपूरक बजट में दो बड़ी सड़कों को जोड़कर के जनता की समस्या, यातायात को ध्यान में रखते हुये सरकार ने निर्णय लिया है, परसोना से बरिगवां रेलवे स्टेशन और परसोना से माढ़ा. इसके लिये हम वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत बधाई देता हूं, उनको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.

सिंगरौली जिले में मेडिकल कॉलेज का उन्‍नयन हुआ. 100 सीटों के साथ शासकीय चिकित्‍सा महाविद्यालय सिंगरौली का उन्‍नयन कर प्रारंभ किया. मैं देश की डबल इंजन की सरकार, माननीय नरेन्‍द्र मोदी देश के यशस्‍वी प्रधान मंत्री जी, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष, भारतीय जनता पार्टी माननीय जे.पी. नड्डा जी, प्रदेश के मुख्‍यमंत्री माननीय डॉ.मोहन यादव जी, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री माननीय राजेन्‍द्र शुक्‍ल जी, वित्‍त मंत्री जी एवं मंत्रिपरिषद् के सभी सदस्‍यों का धन्‍यवाद ज्ञापित करता हूं. बधाई देता हूं कि आपके माध्‍यम से सिंगरौली में जो दूरांचल क्षेत्र है, सिंगरौली जो झारखण्‍ड, छत्‍तीसगढ़, उत्‍तरप्रदेश की बॉर्डर पर है, वर्ष 2003 के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से जिस तरह से गति विकास की आई है उसमें पिछले अनुपूरक बजट में भी बाइपास सड़क 365 करोड़ रुपये की आपकी तरफ से ली गई थी. हम चाहते हैं एसएसपी कराते हुए प्रशासनिक स्‍वीकृति के साथ यह निर्माण कराया जाना आवश्‍यक है. हम धन्‍यवाद ज्ञापित करते हैं कि हमारे यहां 200 बेड के जिला चिकित्‍सालय में और 200 बेड बढ़ाकर 400 बेड का कर दिया गया है. इसके लिए भी स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जी और प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी का हम धन्‍यवाद ज्ञापित करते हैं.

अध्‍यक्ष महोदय, सिंगरौली को सिंगापुर बनाने की ओर लगातार वर्ष 2003 के बाद सरकार ने अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हुए मध्‍यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्‍व में वर्ष 2008 में सिंगरौली को जिला बनाया. जिला बनाने के बाद लगातार हम प्रगति के पथ पर हैं. विपक्ष के साथी थोड़ा सा चर्चा करना चाहते हैं चूंकि मैं सिंगरौली का विधायक हूं उत्‍खनन को लेकर कुछ चर्चाएं बीच में आई थीं, हम वहीं से विधायक हैं जहां कोयले का उत्‍खनन होता है. कोयला काफी मात्रा में क्षेत्र में है. बिना कोयले के बिजली नहीं होगी, बिना बिजली के पानी नहीं होगा, उन चीजों को लेकर विपक्ष के हमारे प्रतिनिधि चर्चा कर रहे थे, तो हमें भी ध्‍यान में आया कि कुछ चीजें तो ऐसी हैं जिनको करना आवश्‍यक ही है, क्‍योंकि उद्योग लगाए बिना सिंगरौली का विकास संभव नहीं है.

2.18 बजे       {अध्‍यक्ष महोदय (श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

        अध्‍यक्ष महोदय, उद्योगों के साथ ही सिंगरौली में विद्युत उत्‍पादन को लेकर कई कंपनियां हमारे यहां लगी हुई हैं. चाहे वह रिलायंस पावर हो, हिंडालको पावर हो, अडाणी पावर हो या एनटीपीसी नेशनल थर्मल पावर रिहंद योजना हो, यह सभी बिना कोयला के विद्युत उत्‍पादन नहीं कर सकते और विद्युत की आवश्‍यकता पूर्ति करने के लिए हमको कोयले की आवश्‍यकता है. हम कोयला उत्‍पादन कर रहे हैं. उस क्षेत्र में केवल जिन स्‍थानों पर कोयले का उत्‍पादन हो रहा है हम डबल इंजन की सरकार को बधाई और धन्‍यवाद ज्ञापित करते हुए थोड़ा सा उसमें सुझाव अपनी ओर से रखना चाहते हैं जिसको लेकर कांग्रेस के हमारे साथियों ने नहीं रखा बल्कि केवल पेसा एक्‍ट ही उन्‍होंने रखा है. पुनर्वास के साथ-साथ एक गरीब परिवार के लिए पैकेज की एक व्‍यवस्‍था के लिए शासन की ओर से कंपनियों को एक सुझाव देना चाहिए. भूमिहीन व्‍यक्ति जो सरकारी जमीन पर निवासरत् हैं उनको विस्‍थापन का कार्ड मिल जाए जिससे उनको विस्‍थापित कार्ड के आधार पर और शासन के नियमों के आधार पर, प्रभावित व्‍यक्ति को लाभ मिल सके जिसमें झलरी, धिरौली, आमडांड़, अमरई ऐसे क्षेत्रों को मिल सके.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, आप आए और माननीय शेखावत जी भी आ गए देखिए, नहीं तो सदन में रहते ही नहीं हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय --  सदन की ओर से शेखावत जी का स्‍वागत है.

            श्री रामनिवास शाह -- अध्यक्ष महोदय, क्षेत्र में लिंक सड़कों की भी आवश्यकता है. मध्यप्रदेश की सरकार और देश की सरकार ने मेडिकल कॉलेज बनाया. सिंगरौली को जिला बनाया तो लिंक सड़कों की आवश्यकता है. एक आधुनिक इंडोर स्टेडियम बनाकर क्षेत्र के लोगों को दिया जाए, चूंकि क्षेत्र में कई कम्पनियां और कई विद्यालय स्थापित हो चुके हैं. इंडोर स्टेडियम के निर्माण के लिए स्वयं के सीएसआर मद हैं जो कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के आधार पर एनसीएल, एनटीपीसी, अडानी पॉवर, जेपी पॉवर, हिंडाल्को पॉवर, अमीलिया कोल माइंस, रिलायंस पॉवर के तहत बनाया जा सकता है. शासन की ओर से कम्पनियों को निर्देशित किया जाए जिससे इंडोर स्टेडियम जल्द से जल्द बनाया जा सके. नवगढ़ से मेडिकल कॉलेज होते हुए कजनी पहुंच मार्ग जो कि 4 किलोमीटर का है यह टू लेन है जिसमें बीच में मेडिकल कॉलेज भी है, यह सड़क आवश्यक है इसलिए इसको बजट में जोड़ा जाना आवश्यक है. परसदेही से चाचर नोड़ियाबायां रजमिलान पहुंच मार्ग जो कि मेडिकल कॉलेज के क्षेत्र में आता है इसका भी टू लेन निर्माण कराया जाए. सिंगरौलिया हवाई पट्टी से जरहाबरोली पहुंच मार्ग को भी बजट में जोड़ा जाए. चांचड़ से बसोड़ा पहुंच मार्ग भी जोड़ा जाए. कॉलेज चौराहा बिलौजी से निगाही एनसीएल (नार्दन कोल फील्डस् लिमिटेड) की हमारी संस्था है वहां तक टू लेन मार्ग की आवश्यकता है. ग्राम कामसे हिरवा पहुंच मार्ग पर पुल के साथ सड़क से जोड़ा जाना आवश्यक है. मझौली ग्राम पंचायत से सिंगरौलिया पहुंच मार्ग पर भी पुल की आवश्यकता है. बड़ी मांगें तो आपके द्वारा पूरी की गई हैं. अब छोटे-छोटे कुछ काम हैं इनको पूरा करते हुए जो यह अनुपूरक बजट है जिसमें जनता के हित में सड़क, बिजली, पानी, आवास और शिक्षा जैसे प्रमुख बिंदुओं को अनुपूरक बजट में लाया गया है. मैं मुख्मंत्री जी, वित्त मंत्री जी और संसदीय कार्य मंत्री जी को धन्यवाद और बधाई देते हुए इसका समर्थन करता हूँ. अंत में शासकीय महाविद्यालय जो सिंगरौली में है इसका नाम देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई जी के नाम पर किया जाए तो यह न्यायोजित होगा, यह मैं आपसे आग्रह करता हूँ. सदन से भी आग्रह करते हैं कि यह हमारी मांगें पूरी की जाए. इसके साथ ही हमारे यहां 605 बेड का हास्पिटल स्वीकृत है मेडिकल कॉलेज में ही जिसमें 50 बेड क्रिटिकल के भी हैं इसके लिए भी मैं सरकार को धन्यवाद देता हूँ. आप सभी से आग्रह करते हैं कि अनुपूरक बजट को सर्वसम्मति से पारित करने का कष्ट करें. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय -- श्री उमंग सिंघार. नेता प्रतिपक्ष बोल रहे हैं जरा टेबिलें तो बजाना चाहिए. (हंसी)

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां पर गम हैं वहां पर क्या खुशियां मनाएं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- जहां गम हैं वहां हम हैं.

          श्री उमंग सिंघार -- सरकार की ओर से पूरी जनता को गम ही गम है. माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार बार-बार एक ही बात कहती है विकासोन्मुखी. यह द्वितीय बजट अनुपूरक विकासोन्मुखी है या कि मैं समझता हूं कि प्रदेश तक कर्जोन्‍मुखी बजट आया है. तीन बजट और जीरो नतीजे आपका सवा चार लाख करोड़ रुपए का मुख्‍य बजट, दो हजार करोड़ रुपए के लगभग का द्वितीय अनुपूरक बजट. सरकार हर बजट में बड़े-बड़े आंकड़े दिखाने का प्रयास तो करती है. फिजूलखर्ची ज्‍यादा, लेकिन प्रदेश के अंदर हर वर्ग को न्‍याय नहीं. फिजूलखर्ची कहां? प्रदेश में किसान की बात नहीं हो रही है न ही युवाओं की बात हो रही है, लेकिन मुख्‍यमंत्री जी के एडिशनल बिल्डिंग के लिए 10 करोड़ रुपए का प्रावधान जरूर कर दिया गया है. किसान के प्‍याज सड़क पर फिक रहे हैं, लेकिन एडिशनल बिल्‍डिंग के लिए सामान्‍य प्रशासन विभाग मांग संख्‍या एक के अंदर मुख्‍यमंत्री जी की एनेक्‍सी के लिए दस करोड़ रुपए का प्रावधान. सरकार को जरा सी भी लज्‍जा नहीं आती. प्‍लेन खरीदने के लिए पांच करोड़ रुपए का भी प्रावधान कर दिया गया. फिर भी प्रदेश के किसान नहीं दिख रहे, प्रदेश के युवा नहीं दिख रहे, न बैकलॉग दिख रहे, न युवा, परीक्षा, पटवारी वह लोग नहीं दिख रहे हैं. पांच करोड़ रुपए प्‍लेन के लिए, दस करोड़ रुपए मुख्‍यमंत्री जी के निवास के लिए.

          अध्‍यक्ष महोदय, सरकार आम जनता से चलती है न कि मुख्‍यमंत्री निवास से चलती है. वोट आम व्‍यक्ति से मिलता है उनके अधिकारों को देखना पड़ेगा जो आज हम नहीं दे पाये. (भारतीय जनता पार्टी के कुछ सदस्‍यों के आसन से बैठे-बैठै मुस्‍कुराने पर) माननीय आप सभी क्‍यों मुस्‍कुरा रहे हैं. हर तरफ किसान रो रहा है. बच्‍चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं. प्रदेश का नंबर बढ़ता जा रहा है. पूरे प्रदेश के अंदर युवा बेरोजगार है और इधर आलीशान बंगला बन रहा है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍यों से एक बात और कहना चाहता हूं कि एक बात बार-बार आती है कि कांग्रेस के समय यह था, हमने यह कर दिया, वो कर दिया. जब देश आजाद हुआ कई गरीब लोगों के तन पर कपड़े नहीं थे, सड़कें नहीं थीं, एम्‍स नहीं थे, हवाई अड्डे नहीं थे, बडे़ शिक्षण संस्‍थान नहीं थे. कांग्रेस ने बड़ी सिलसिलेवार कड़ी पूरे देश के अंदर बनाई. ठीक है हम मानते हैं कि आपकी सरकार ने भी किया, लेकिन आज की बात नहीं होती है. हर बार पुराने आंकड़ों को दिखाकर बात की जाती है. आज क्‍या हो रहा है. मैं तो सत्‍ता पक्ष को कहना चाहूंगा कि आप आज के आंकड़ों पर बात करो. गड़े मुर्दे उखाड़ने की क्‍या बात है. आज का बताओ हम आपकी हर बात का जबाव देने को तैयार हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक और बात की ओर ध्‍यानाकर्षित कराना चाहता हूं कि बार-बार बीजेपी की सरकार कहती है कि हम बाहर नाटक करते हैं. मैं इस सदन में यह बात रखना चाहता हूं कि क्‍या यह मुद्दे जो हमने बाहर उठाये क्‍या यह प्रदेश के मुद्दे थे या चायना के मुद्दे थे? अगर आप इसको मानते हैं कि यह चायना के मुद्दे हैं तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि चायना के छिंदवाड़ा में कफ सि‍रप पीने से चौबीस बच्‍चों की मौत हो गई. चायना में भर्ती बंद हो गई. जनसेवा अतिथि शिक्षक की, पटवारियों की भर्ती बंद हो गई, चायना में बेरोजगार युवाओं का नाम बदलकर आकांक्षी युवा कर दिया गया. माननीय चायना के अंदर आदिवासियों और दलितों के ऊपर अत्‍याचार हो रहे हैं उनकी जमीनें छीनी जा रही हैं. कुछ बोलना चाह रहे हैं?

          श्रम मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल)-  अध्‍यक्ष महोदय, यह आम सभा नहीं है, सदन है, वहां तो वे व्‍यंग कर सकते हैं लेकिन यहां तो चाइना पर चर्चा नहीं हो सकती, जितनी मेरी समझ है. मुझे लगता है कि सदन में संसदीय बातें होनी चाहिए, इसलिए मैं खड़ा हुआ था. 

          अध्‍यक्ष महोदय-  उन्‍होंने ये कहा है कि हम मध्‍यप्रदेश के मुद्दे उठा रहे हैं, उमंग जी अब आप चाइना का नाम न लें. 

          श्री उमंग सिंघार-  अध्‍यक्ष महोदय, छतरपुर में एक SDM ने एक बेटी को चांटा मार दिया, टीकमगढ़ में 3 घंटे बिजली की लाईन चालू रही, लाईनमैन वहां चिपका रहा वह मर गया, जब वहां कलेक्‍टर पहुंचे, तब जाकर उसको नीचे उतारा गया. यह सरकार इतनी असंवेदनशील होती जा रही है. मैं कहना चाह रहा हूं कि हम बाहर कोई बात करें, जनता की बात करें, प्रदेश के युवाओं, किसानों, बच्‍चों की मृत्‍यु की बात करें, तो आप उसे नाटक कहते हैं और आप हैलीकॉप्‍टर में कर्ज लेकर घूमते हैं, यह नाटक नहीं है क्‍या ? आपने रुपये 190 करोड़, 15 दिसंबर, 2023 से लेकर 30 सितंबर, 2025 तक केवल इवेंट पर खर्च किये हैं. (शेम-शेम की आवाज़)

          अध्‍यक्ष महोदय, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव उज्‍जैन में, इंटरैक्टिव सत्र मुंबई में, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव जबलपुर में, इंटरैक्टिव सत्र कोयंबटूर में, इंटरैक्टिव सत्र बेंगलुरू में, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव खण्‍डवा में, इंटरैक्टिव सत्र कोलकत्‍ता में, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव सागर में, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव रीवा में, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव नरसिंहपुर में, पुणे में, इसकी सूची बहुत लंबी है. रुपये 192 करोड़ सरकार ने इनमें खर्च कर दिये, प्रदेश में इससे कितने उद्योग लग गये ? कितने युवाओं को नौकरी मिल गई ? हम युवाओं की नौकरी की बात कर रहे हैं तो आपको नाटक लगता है, ये रुपये 200 करोड़ का आपका नाटक नहीं है तो क्‍या है ? (शेम-शेम की आवाज़)

          अध्‍यक्ष महोदय, निश्चित तौर से एक और बात सामने आई है, सरकार ने विधान सभा में जवाब दिया है कि नवंबर 2021 से लेकर वर्ष 2025 तक, रुपये 290 करोड़ विमान यात्रा पर खर्च हुआ है. क्‍या कारण है कि इसमें 56 गुना वृद्धि हो गई. मैं समझता हूं कि वर्ष 2024-25 के बीच में हैलीकॉप्‍टर का किराया रुपये 143 करोड़ खर्च कर दिया, हैलीकॉप्‍टर, चार्टर प्‍लेन में ही सरकार घूम रही है. प्रदेश की जनता के लिए क्‍या हो रहा है ? अध्‍यक्ष महोदय मेरे संज्ञान में है कि आपको जाना है इसलिए मैं अपनी बात संक्षेप में कह रहा हूं. एक तरफ आप हैलीकॉप्‍टर में खर्च कर रहे हैं, किराया दे रहे हैं, नया भवन बना रहे हैं, चार्टर प्‍लेन खरीद रहे हैं और किसान भावांतर के लिए सड़कों पर धक्‍के खा रहा है. विकलांग के लिए पद रिक्‍त हैं लेकिन उन पर भर्ती नहीं हो पा रही है. जनसेवा मित्र संघर्ष कर रहे हैं लेकिन उनकी बात नहीं हो रही है, अतिथि शिक्षक संघर्ष कर रहे हैं लेकिन उनकी बात नहीं हो रही है, प्‍याज सड़कों पर फेंका जा रहा है लेकिन सरकार उससे शैम्‍पू नहीं बनवा पा रही है. (शेम-शेम की आवाज़)

          अध्‍यक्ष महोदय, प्रदेश में 64 हजार 6 सौ 49 किसानों ने भावांतर के अंदर पंजीयन करवाया है, सही पैसा उनके खातों में नहीं पहुंच पा रहा है और वे क्‍यों पंजीयन करवायें ?  क्‍या प्रदेश में केवल 64 हजार किसान हैं, आप किसान को पंजीयन की लाईन में क्‍यों लगाना चाहते हैं, क्‍यों आप किसान को बार-बार लाईन में लगाना चाहते हैं, कभी फसल के नाम पर पंजीयन, कभी कुछ, कभी कुछ. यदि सरकार की नीयत साफ है तो हर किसान को उसकी फसल का पूरा भाव मिलना चाहिए, यह उसका अधिकार है, यह मैं समझता हूं. प्रदेश का किसान बार-बार पंजीयन वाला नहीं हो सकता, प्रदेश का किसान अपना अधिकार मांगता है, यह मैं कहना चाहता हूं.


 

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जल जीवन मिशन को लेकर हजारों करोड़ रुपये के  घोटाले हो गए. वर्ष 2019 से लेकर वर्ष 2024 तक और अब तो केन्‍द्र सरकार ने पैसे देने से मना कर दिया है. यह केन्‍द्र सरकार का 16 जून, 2025 का पत्र है (हाथ में दिखाते हुए). क्‍यों मना किया ? इसके पीछे कारण स्‍पष्‍ट होना चाहिए. यह पूरे प्रदेश की जनता को पता होना चाहिए. 280 एजेन्‍सी, 280 ठेकेदार जिन्‍होंने जल जीवन मिशन के गांव-गांव में पानी नहीं पहुँचाया, पानी की लाईन नहीं लगाई, नल घर में नहीं दिये, 280 लोगों को ब्‍लैक लिस्‍टेड कर दिया गया. इसलिए केन्‍द्र सरकार ने आपको पैसे देने से मना कर दिया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप पैसे का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, आप पैसे में करप्‍शन कर रहे हैं, इसलिए केन्‍द्र की डबल इंजन की सरकार ने,  अपना इंजन वहां से हटा लिया. मैं कुछ ही उदाहरण देना चाहता हूँ, घोटाले बहुत सारे हैं. आरजीपीवी में करोड़ों रुपयों की एफडी गायब हो गई, 116 करोड़ रुपये की अनियमितता हो गई, सरकार ने आज तक उसको अपने नियंत्रण में नहीं लिया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शिक्षक राष्‍ट्र का निर्माता होता है. कभी उसको बीएलओ बना दिया जाता है, कभी उसको रिपोर्टिंग करने वाला बना दिया जाता है. सरकार ने एक आदेश निकाला है कि अब शिक्षक कुत्‍तों से सुरक्षा करेंगे. वह जनगणना में परेशान हैं, ड्यूटी में परेशान हैं, सर्वे में परेशान हैं और मुझे तो यह  जानकारी मिली है कि स्‍कूल विभाग के जो टीचर हैं, उनकी माह नवम्‍बर में ई-अटेंडेंस लगी, उनकी हाजिरी 70 प्रतिशत नहीं हुई, तो उनकी तनख्‍वाह रोक दी गई, सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए. सरकार बहुत समय के बाद भत्‍ता देने की सोच रही है, जब 8-10 बीएलओ की मृत्‍यु हो गई, तब सरकार जागी है. लेकिन क्‍यों ऐसा अन्‍याय हो रहा है ? शिक्षक पढ़ा भी रहा है और सरकार उनसे दूसरी ड्यूटी भी करवा रही है. अब वे कुत्‍तों की ड्यूटी भी करेंगे, तो मैं समझता हूँ कि यह शिक्षकों का असम्‍मान है, इस बात पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2024-2025 में प्रति व्‍यक्ति आय 1,52,000 रुपये है और जबकि मध्‍यप्रदेश की 70,434 रुपये है. इस पर सरकार क्‍यों बात नहीं करना चाहती है ? क्‍यों महंगाई के इंडेक्‍स को लेकर उसको जोड़ना नहीं चाहती कि उसकी कैसे आय बढ़े ? यह आर्थिक सर्वेक्षण, आपकी वर्ष 2024-2025 की रिपोर्ट के हैं, इसमें 5वें नम्‍बर पर मध्‍यप्रदेश के बारे में कहा है. यह सरकार की नाकामियां हैं, जो सबसे बड़ी नाकामी सरकार की है, वह यह है कि सरकार ने जनवरी से नवम्‍बर तक 74,000 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया है. जनवरी में 5,000 करोड़ रुपये, फरवरी में 6,000 करोड़ रुपये, मार्च में 20,400 करोड़ रुपये, मई में 5,000 करोड़ रुपये, जून में 4,500 करोड़ रुपये, जुलाई में 9,100 करोड़ रुपये, अगस्‍त में 4,000 करोड़ रुपये, सितम्‍बर में 7,000 करोड़ रुपये, अक्‍टूबर में 8,000 करोड़ रुपये और नवम्‍बर में 5,200 करोड़ रुपये का कर्जा लिया है, मतलब नई किश्‍त, नया बोझ पूरे प्रदेश की जनता देख रही है, आप किस प्रकार से टैक्‍स बढ़ा रहे हो ? आप कैसे इस जनता के नाम से कर्ज ले रहे हो ? माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वित्‍त मंत्री जी की आर्थिक नीतियां गलत हैं. पूरे प्रदेश की साख वित्‍त मंत्री जी ने गिरवी रख दी. वित्‍त विभाग कई चीजों की जानकारियां मंत्री जी तक नहीं पहुँचाता है. छत्‍तीसगढ़ को आपको पेंशन के 10,000 करोड़ रुपये देने थे, जो आज तक सरकार ने 10 वर्ष में नहीं दिये, लेकिन यहां पर छिपाते रहे. अगर आप 10,000 करोड़ रुपये इसमें जोड़ते, तो और घाटे में होते. इसका मतलब आपके आंकड़े गलत हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी वर्ष 2011-2012 के आधिक्‍य व्‍यय की भी बात आई. वर्ष 2011-12 में जनजातीय कार्य विभाग में 10 हजार करोड़ रुपये की डिमाण्‍ड की गई. समिति की रिपोर्ट 21.06.2018 के आसपास आई. 8 साल के बाद आप वर्ष 2011-12 के 10 हजार करोड़ रुपये वापस दे रहे हैं. ये आपका वित्‍त प्रबंधन है.

          अध्‍यक्ष महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में लोक लेखा में वर्ष 2011-2012 का पाया गया 78 करोड़ रुपये के करीब, समिति अनुशंसा करती है कि पुनरावृत्‍ति न हो. फिर वही बात. क्‍या प्रबंधन है आपका, क्‍या मॉनिटरिंग है कि 15 साल पुराने, 20 पुराने पैसों को आप आज बजट में दे रहे हैं. आज बजट में जोड़ रहे हैं. कहां पैसे जा रहे हैं, किसके पास जा रहे हैं. मुझे लगता है कि अब तक तो वे अधिकारी रिटायर हो गए होंगे, जिन पर जांच होनी थी. अध्‍यक्ष महोदय, यह इनका वित्‍तीय प्रबंधन है. जल संसाधन विभाग में भी यही स्‍थिति है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सरकार अधिक दर पर ब्‍याज ले रही है. 8 प्रतिशत पर ब्‍याज ले रही है. वेज एंड मीन्‍स साढ़े तीन हजार करोड़, जो आपकी लिमिट है. क्‍यों नहीं आपने 4 या 5 प्रतिशत पर ब्‍याज लिया. दूसरी सरकारें, 4 से 5 प्रतिशत पर ब्‍याज लेती हैं, आप 8 प्रतिशत पर क्‍यों कर्ज ले रहे हैं, क्‍या आपको कर्ज नहीं मिल रहा है. क्‍या आपको दे नहीं रहे हैं. क्‍या आपकी साख गिर गई है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बजट प्‍लानिंग की कैसे गलतियां हो रही हैं. प्रदेश के अंदर किसानों का खाद संकट सबसे बड़ा संकट है. आपने मुख्‍य बजट में 1500 करोड़ दिए. पहले अनुपूरक में एक रुपया नहीं दिया और अब अचानक 2 हजार करोड़ रुपये दे रहे हैं. आप जब पैसे ही नहीं दे रहे हैं तो प्रबंधन कैसे होगा, कैसे खाद नीचे तक पहुँचेगी और कैसे किसान को सोसाइटियों के माध्‍यम से समय पर खाद मिलेगी. एक तरफ आपने सोसाइटियों के चुनाव बंद कर दिए. कोर्ट ने कहा कि चुनाव कराएं. कृषि साख समितियों के चुनाव आप क्‍यों नहीं कराना चाहते. क्‍या सरकार नहीं चाहती कि क्रेडिट सोसाइटियों में लोकतंत्र की व्‍यवस्‍था बनी रहे. क्‍यों इतने सालों से और 12-13 सालों से बंद है. अध्‍यक्ष महोदय, ये किसान का गला किस प्रकार से घोंट रहे हैं. किसान को कैसे खाद मिलती थी, कैसे लोन मिलता था, उन समितियों के ये चुनाव नहीं कराना चाहते.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बार-बार सिर्फ किसान को मिल रहा है तो लाठी मिल रही है, हमारे शेखावत जी कह रहे थे कि सब चोटिल हो रहे हैं. ये काम पुलिस कर रही है और सरकार देख रही है. कर्ज में डूबता मध्‍यप्रदेश, कुल कर्ज में विस्‍फोट हो गया, माननीय, 130 प्रतिशत की वृद्धि हो गई. वर्ष 2019 में आपका कुल कर्ज 1 लाख 95 हजार 178 करोड़ रुपये था और आज लगभग साढ़े चार लाख करोड़ का कर्ज है. मतलब आपके कर्ज में 130 प्रतिशत की वृद्धि हो गई. मैं समझता हूँ कि 2 साल में आपने ब्‍याज का भुगतान किया, लगभग 41 प्रतिशत से ज्‍यादा, मतलब सरकार कर्ज तो ले रही है, लेकिन ब्‍याज भी दे रही है और ब्‍याज पर ब्‍याज भी दे रही है. यह स्‍थिति हो गई है. अध्‍यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री जी सो रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, वे ध्‍यान में हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, उमंग जी का भाषण लोरी का काम कर रहा है.

          श्री उमंग सिंघार -- मतलब विपक्ष के इतने तीखे सवालों से इनको नींद आ ही जाती है. मैं तो समझता हूँ कि गंभीरता होनी चाहिए. इस प्रकार का कमेंट नहीं आना चाहिए था. किसान की बात हो रही है, कर्ज की बात हो रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सोए नहीं हैं वे, मतलब आंख बंद करके ध्‍यान कर रहे हैं.

          श्री उमंग सिंघार -- अध्‍यक्ष महोदय, आपने 17, 18 तारीख को अलग से एक सत्र रखा है, विजन डॉक्‍युमेंट को लेकर तो मैं उम्‍मीद करूंगा कि कैलाश जी उस समय सोएं नहीं.

          श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, मैं ज्यादा उसमें नहीं जाना चाहता हूं. फिर कैलाश जी सोने लग जायेंगे क्योंकि जानकारी उनको है नहीं.

          अध्यक्ष महोदय - वह बात अपने को नहीं करना चाहिये. सब जागते रहें ऐसे ही कहो.

          श्री उमंग सिंघार - राज्य की कमाई बनाम खर्च आन रेवेन्यू टू रेवेन्यू एक्परेंडीचर रेश्यो 46 परसेंट अपना है और केंद्र की सहायता से या कर्ज से आप चला रहे हो इसका मतलब 100 रुपये पर 53 से 54 रुपये आप मदद या उधार के रूप में ले रहे हैं तो यह कैसा वित्तीय प्रबंधन है. लो, डबल इंजन में जितना कर्ज लेना हो. दें तो सही योजनाएं बंद करती जा रही हैं आपकी डबल इंजन सिंगल इंजन हो रहा है और सिंगल इंजन भी 2028 में रहेगा कि नहीं अलग बात है लेकिन मैं सुझाव देना चाहूंगा वित्त मंत्री जी को कि तेलंगाना हो,तमिलनाडु हो,केरल हो इन्होंने अपनी कमाई से खर्च उठाने की क्षमता बढ़ाई. तेलंगाना ने 78.5 परसेंट, तमिलनाडु ने 64.9 परसेंट,केरल ने 62 परसेंट, मैं चाहूंगा कि वित्त मंत्री जी इस बात पर  ध्यान दें कि वहां पर ऐसी क्या व्यवस्था है क्या कारण है और वहां पर सुदृढ़ स्थिति होती जा रही है वहां का माडल क्या है उसको समझें अधिकारियों को भेजें.आखिरी में एक बात फिर कहना चाहता हूं कि सरकार अनुसूचित जनजाति की बात करती है. ओबीसी के कल्याण की बात करती है. एससी की बात करती है. अनुसूचित जाति के लिये आपके कुल बजट का अनुपूरक में 0.6 परसेंट ही रखा. यह आपका एससी का कल्याण हो रहा है इस बजट में.0.6 परसेंट कुल बजट का अनुसूचित जनजाति,आदिवासियों के लिये आपने 3.41 परसेंट रखा. ओबीसी में 0,36 परसेंट बजट रखा कुल बजट का. आंकड़ा निकाल लेना परसेंटेज निकाल लेना कुल बजट का. सूक्ष्म उद्योग,एमएसएमई की बात करें पूरे बजट 1785 करोड़ रुपये था. सो रहे हैं एमएसएमई मंत्री जी. पैसा नहीं है तो सोओगे आप तो. इनके विभाग में पैसा नहीं है और 0.43 परसेंट रखा. लज्जा की बात है मजदूरों की बात है उसके लिये 0.26 परसेंट टोटल आपने श्रम का मूल बजट था 1108 करोड़. अब मैं तकनीकी कौशल की बात ही नहीं करूं. टोटल था आपका2738 करोड़ लेकिन आप इसमें 0.65 परसेंट आप खर्च करोगे.मैं समझता हूं कि ओबीसी की सरकार की बात करते हैं. मुख्यमंत्री जी,शिवराज जी ओबीसी की बात करते हैं. वर्तमान भी और वे तो चले ही गये. क्या मालुम पंजाब में पानी में दिखते रहते हैं उनके फोटो वायरल होते रहते हैं माननीय के. न ओबीसी को आरक्षण मिल रहा है न बजट के अंदर पैसे मिल रहे हैं तो कैसा न्याय है न आप एससी का न्याय कर पा रहे न ट्रायवल के साथ न्याय कर पा रहे न अन्य वर्गों के साथन्याय कर पा रहे न युवाओं केसाथ न्याय कर पा रहे. उप योजनाओं में जो खर्च हो रहा है.

  30 से 40 हजार करोड़ रूपया उपयोजनाओं में ट्राइबल के अंदर खर्च होता है, लेकिन पैसा कहां है उस एजेंसी, उस डिपार्टमेंट को ही पता नहीं रहता कि पैसा कहां गया, कौन से डिपार्टमेंट में गया, उसने कहां खर्च किया, कहां गड़बड़ी हुई, कहां घोटाला हुआ नहीं पता, तो ऐसा क्‍या आपने बना रखा है उपयोजना की ट्राइबल की नोडल एजेंसी, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 30 से 40 हजार करोड़ रूपये इसकी जानकारी वित्‍तमंत्री जी को लेना पड़ेगी, आदिवासियों के नाम पर खर्च कर रहे हैं, लेकिन कहां आदिवासियों को मिल रहा है. प्रधानमंत्री सड़क, प्रधानमंत्री आवास योजना सब डाल दो ट्राइबल के अंदर और बोल दो कि हमने ट्राइबल को इतना पैसा दिया, योजनायें अलग, नाम अलग, आदिवासियों को पैसा कहां मिल रहा है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि एक विशेष रूप से जो डीएमए फंड है, हमारे बाल्मीक जी ने भी उठाया, कई साथी हैं जहां पर खदानें हैं हिरालाल अलावा जी के क्षेत्र में भी हैं, मेरे क्षेत्र में भी हैं और अन्‍य क्षेत्रों में भी हैं, लेकिन उस डीएमए फंड का पैसा वहां खर्च नहीं हो रहा, सरकार यहां बुला लेती है. पहले खर्च होता था, लेकिन अब नहीं हो रहा सरकार यहां बुला लेती है, इस पर सरकार विचार करेगी. जहां से दोहन हो रहा है उसकी रायल्‍टी उस क्षेत्र के, उस विधान सभा के लोगों को मिले, वहां के प्रभावित लोगों को मिले, उनको सड़क, पानी, बिजली चाहिये माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस पर विचार होना चाहिये, क्‍योंकि कुछ पैसा नाम के लिये वहां खर्च होता है, बाकी पैसा बुला लिया जाता है इस बात को आप विशेष रूप से देखें और जैसा कई सदस्‍यों ने उठाया कि 15 करोड़ रूपये, मैं मानता हूं कि 15 करोड़ रूपये विधायक को नहीं मिले, लेकिन अधोसंरचना के नाम से भेदभाव किया जा रहा है, कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों के साथ. हम जनप्रतिनिधि हैं, हम किसी पार्टी से चुनाव जीतकर आये, लेकिन उस विधान सभा के जनप्रतिनिधि, हर व्‍यक्ति के जनप्रतिनिधि हैं. मैंने आपसे कल भी कहा और मैं विधान सभा में हर समय एक बात कहता हूं कि अगर कांग्रेस कहीं सड़क बनायेंगी तो भारतीय जनता पार्टी वाले नहीं चलेंगे उस पर और बीजेपी वाले पानी की लाइन बिछायेंगे तो क्‍या कांग्रेस के लोग पानी नहीं पियेंगे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विकास के नाम पर झगड़ा नहीं होना चाहिये, यही मैं चाहता हूं, इस सदन से ही शुरूआत हो यही मेरी एक सोच है, इस बात को लेकर, राशि को लेकर भेद भाव न हो, यह सभी की बात है, पूरे 230 विधायकों की बात कर रहा हूं, इस बात पर आप ध्‍यान रखेंगे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, चूंकि विधायक निधि काफी कम पड़ती है आप समझते हैं. मैं समझता हूं कि विधायक निधि इतनी हो कि हम हर बूथ के हिसाब से एक सड़क तो बनवा पायें. अगर आज दो करोड़ रूपये मिलते हैं अगर 5 लाख की एक सड़क बनती है तो 40 गांवों में बना सकते हैं, 40 बूथ पर बना सकते हैं बाकी ढाई सौ बूथ खाली रहते हैं, लेकिन हर गांव के अंदर, हर बूथ पर चार टोले, मंजरे रहते हैं अगर खर्च करने जायें तो एक करोड़ रूपया भी कम पड़ेगा. लेकिन मैं चाहता हूं कि कम से कम 5 करोड़ रूपये विधायक निधि होना चाहिये, इस पर विचार करें. अभी नहीं तो मुख्‍य बजट में माननीय आपका सहयोग रहेगा. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी अब तो जाग लो इस बात पर. मैं चाहता हूं कि 230 लोगों की बात आप विशेष रूप से ध्‍यान रखेंगे, यह मेरा आपसे अनुरोध है. सवाल कई हैं, 4 दिन का, 5 दिन का सत्र रहा, लेकिन जवाब नहीं आये, जनता निरूत्‍तर रही, बजट के अंदर निरूत्‍तर रहे, लेकिन मैं समझता हूं कि सरकार हर पहलू को लेकर विचार करेगी. धन्‍यवाद.

          उपमुख्‍यमंत्री वित्‍त (श्री जगदीश देवडा)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, द्वितीय अनुपूरक अनुमान में चर्चा में आज और कल से हमारे सभी माननीय सदस्‍य माननीय बाला बच्‍चन जी, माननीय ओमप्रकाश सखलेचा जी, माननीय भंवर सिंह शेखावत जी, माननीय डॉ. सीतासरन शर्मा जी, माननीय डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह जी, माननीय गौरव पारधी जी, माननीय आरिफ मसूद जी, माननीय राजेन्‍द्र पाण्‍डेय जी, माननीय यादवेन्‍द्र सिंह जी, माननीय फुन्‍देलाल मार्को जी, माननीय मुरली भंवरा जी, माननीय अभय मिश्रा जी, माननीय सिद्धार्थ तिवारी जी, माननीय दिनेश गुर्जर जी, माननीय अनिरूद्ध मारू जी, माननीय महेश परमार जी, माननीय कैलाश कुशवाह जी, माननीय अविलाश पाण्‍डेय जी, माननीय लखन घनघोरिया जी, माननीय दिलीप सिंह परिहार जी, माननीय मधु भगत जी, माननीय प्रताप ग्रेवाल जी, माननीय राजेन्‍द्र मण्‍डलोई जी, माननीय हिरालाल आलावा जी, माननीय रजनीश हरवंश सिंह जी, माननीय सुरेश राजे जी, माननीय विजय रेवनाथ चौरे जी, माननीय केदार चिड़ाभाई जी, माननीय सोहन लाल बाल्‍मीक जी, माननीय दिनेश जैन जी बोस, माननीय फूल सिंह बरैया जी, माननीय ओमकार सिंह मरकाम जी, माननीय विश्‍वनाथ सिंह जी, माननीय श्रीमती सेना महेश पटेल जी, माननीय नीलेश उईके जी, माननीय नारायण पट्टा जी, माननीय रामनिवास जी और हमारे नेता प्रतिपक्ष माननीय उमंग सिंघार जी.

 

          संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्‍यक्ष महोदय, इतने लोगों ने सिर्फ एक-एक बार बोला, मैंने कम से कम दस बार बोला होगा, परंतु मेरा नाम भाई ने नहीं लिया है(हंसी)

          श्री जगदीश देवड़ा -- हमारे वरिष्‍ठ परम श्रद्धेय आदरणीय श्री कैलाश विजयवर्गीय जी(हंसी) 

           अध्‍यक्ष महोदय -- आप परम, परम श्रद्धेय दो बार बोलेंगे तो पूर्ति होगी(हंसी)

          श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सत्‍ता पक्ष एवं विपक्ष के हमारे सभी साथियों ने और हमारे सभी वरिष्‍ठ साथियों ने द्वितीय अनुपूरक में अपने विचार व्‍यक्‍त किये, मैं आभारी हूं सबका कि सभी ने प्रदेश के विकास के बारे में जनहित के बारे में काफी सारगर्भित महत्‍वपूर्ण सुझाव यहां पर रखे और अपने अपने विधानसभा क्षेत्र की भी समस्‍याएं यहां पर रखीं, प्रदेश की समस्‍याओं के बारे में भी यहां पर बहुत महत्‍वपूर्ण सुझाव आये, मैं हृदय से उनका आभार व्‍यक्‍त करता हूं और सरकार पूरी कोशिश करेगी की उन समस्‍याओं का समाधान यथा संभव जो भी हो सकेगा हम जरूर करेंगे.

           अध्‍यक्ष महोदय, द्वितीय अनुपूरक जैसा कि बजट में प्रावधान है, संविधान में भी प्रावधान है कि मुख्‍य बजट के बाद में अनुपूरक बजट लाया जाता है और विभिन्‍न विभागों में अतिरिक्‍त बजट की आवश्‍यकता होती है, तो उनका प्रावधान किया जाता है, प्रथम अनुपूरक में भी किया था और अभी द्वितीय  अनुपूरक में भी बजट में प्रावधान किया गया है. विभिन्‍न विभागों में जहां-जहां भी आवश्‍यकता है, अतिरिक्‍त आवश्‍यकता होती है, उसका प्रावधान किया गया है. चूंकि मुख्‍य बजट में बहुत सारी समस्‍याओं का समाधान और बहुत सारे विभागों में जहां बजट देना चाहिए निश्‍चित रूप से उसमें दिया गया है. आदरणीय श्री बाला बच्‍चन जी ने भी कुछ कहा था. खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्‍ता संरक्षण विभाग में उपार्जन संस्‍थाओं को ऋण योजना में ऋण तथा अग्रिम मद में राशि रूपये दो हजार करोड़ का प्रावधान पूंजीगत मद में रखा गया है. मैं बाला बच्‍चन जी को बताना चाहूंगा कि बजट में ऋण तथा अग्रिम के भुगतान हेतु पूंजीगत व्‍यय मद में ही प्रावधान रखा जाता है, यह भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के निर्देशों के अनुसार ही है, हमारे भाई श्री गौरव सिंह पारधी जी ने भी इस बात को यहां पर कोड किया था, यह मैं आपकी जानकारी के लिये बता रहा हूं. पूंजीगत व्‍यय के लिये मुख्‍य बजट में 85 हजार 76 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया, द्वितीय अनुपूरक में पूंजीगत व्‍यय हेतु रूपये 5 हजार 28 करोड़ रूपये का अतिरिक्‍त प्रावधान रखा गया है. यह अतिरिक्‍त प्रावधान है, यह मुख्‍य बजट नहीं है. आदरणीय भंवर सिंह शेखावत  जी और बाला बच्‍चन जी ने भी जी.एस.टी. के बारे में जिक्र किया था.

          श्री बाला बच्‍चन -- अध्‍यक्ष्‍ा महोदय, 85 हजार नहीं राजस्‍व व्‍यय में 8 हजार 5 सौ करोड़ रूपये है और 5 हजार करोड़ रूपये पूंजीगत व्‍यय में है, आपने 85 हजार करोड़ रूपये बोला है, वह 8500 है.

          श्री जगदीश देवड़ा -- आप बैठ जायें, मैं आपको पूरी बात बताऊंगा. आपने जी.एस.टी. के बारे में भी जिक्र किया था, तो मैं आपको यह बता दूं कि नवंबर 2025 की स्थिति में राज्‍य के हिस्‍से की कोई भी जी.एस.टी. राशि भारत सरकार से प्राप्‍त होने हेतु लंबित नहीं है. केंद्र सरकार में कोई विलंब नहीं होता है, देश के यशस्‍वी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्‍व में और यह सही में डबल इंजन की सरकार है और यशस्‍वी प्रधानमंत्री जी के यहां इस प्रकार का कोई विलंब नहीं होता है.

          मैं इस सदन को बताना चाह रहा हूं. मुख्‍य बजट में वर्ष 2025-26 लिए  रुपए 4 लाख 21 हजार 32 करोड़ का प्रस्‍तुत किया गया था. पिछले सत्र में प्रथम अनुपूरक अनुमान दो हजार 356 करोड़ का प्रस्‍तुत किया गया था, द्वितीय अनुपूरक 13 हजार 477 करोड़ रुपए का प्रस्‍तुत किया गया. अध्‍यक्ष महोदय, केन्‍द्र सरकार की योजना में ये जो सारी योजना है, जैसा केन्‍द्र सरकार की जितनी भी योजना है, उसमें मध्‍यप्रदेश सरकार का जो अंश रहता है, उन योजनाओं में अभी द्वितीय अनुपूरक में सम्मिलित किया है. और राज्‍य शासन की योजना जिनमें मुख्‍य बजट के प्रावधान नहीं था, उनमें किया है. प्रमुख योजनाएं जो हैं, प्रधान मंत्री आवास योजना में, जो गरीब लोगों के आवास का प्रबंध होता है, उसमें चार हजार करोड़ का प्रावधान भी अभी इसमें किया है, उपार्जन संस्‍थाओं का भी दो हजार करोड़ का, मुख्‍यमंत्री लाड़ली बहना योजना में एक हजार 794 करोड़ का, 15 वें वित्‍त आयोग की अनुशंसा के अनुसार स्‍थानीय निकायों को अनुदान 1 हजार 632 करोड़ 50 लाख का, भू अर्जन सर्वे एवं डिमार्केशन सर्विस चार्ज 650 करोड़ का, भावांतर में 500 करोड़ का, पीएम जनमत समग्र शिक्षा में 122 करोड़ का, धरती आबा जनजाति ग्राम उत्‍कर्ष अभियान 108 करोड़ का, ये स्‍कूल शिक्षा विभाग का है इसमें 60:40 का रेश्‍यो होता है.

          अध्‍यक्ष महोदय, ये द्वितीय अनुपूरक अनुमान में किए गए प्रावधानों के लिए लगभग 4 हजार 575 करोड़ की राशि भारत सरकार अथवा अन्‍य स्‍त्रोतों से उपलब्‍ध होगी. अभी जो द्वितीय अनुपूरक अनुमान जो प्रस्‍तुत किया है, उसमें इतनी राशि केन्‍द्र सरकार से और अन्‍य स्‍त्रोतों से होगी, इस तरह राज्‍य संचित निधि पर शुद्ध अतिरिक्‍त भार 7 हजार 515 करोड़ रुपए का होगा, इस राशि में रुपए 8 हजार 449 करोड़ की राशि राजस्‍व मद में, तथा रुपए 5 हजार 28 करोड़ के प्रस्‍ताव पूंजीगत मद में, इस द्वितीय अनुपूरक में रखे हैं. मैं सदन में अभी हमारे सभी सदस्‍यों ने, नेता प्रतिपक्ष जी ने और सभी ने बहुत बात की, विकास की बात की. देश के यशस्‍वी प्रधानमंत्री जी ने गरीब, युवा, किसान और नारी शक्ति, इन चार पर फोकस किया और प्रधानमंत्री जी ने कहा ‘’सबका साथ सबका विकास’’, इस परिकल्‍पना को पूरा करने का काम, यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में मध्‍यप्रदेश की सरकार कर रही है.

          अध्‍यक्ष जी, प्रधानमंत्री आवास पहले भी मैंने कहा था कि लाखों परिवार आसमान के नीचे जिंदगी जीने को मजबूर थे, आपने कौन सी चिंता की, प्रदेश में भी बैठे, दिल्‍ली में भी बैठे. पूरे मध्‍यप्रदेश में इस योजना के अंतर्गत 38 लाख से अधिक मकान पूर्ण हो चुके हैं(...मेजो की थपथपाहट)  

          वित्‍तीय वर्ष 2025-26 में मुख्‍य बजट में इस योजना के अंतर्गत शहरी और ग्रामीण दोनों विभागों को मिलाकर लगभग 6 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान रखा था. (.....व्‍यवधान)

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी जब मैं भाषण दे रहा था तो कर्ज की बात कर रहा था तो वह सो रहे थे.

          श्री जगदीश देवड़ाअध्यक्ष महोदय, मैं कर्ज की भी कर रहा हूं.

          अध्यक्ष महोदयदेवड़ा जी को जब ताली की जरूरत होती है तो थोड़ा पंच मार देते हैं.

          श्री कैलाश विजयवर्गीयजब बोलने के लिये खड़े हुए तो मैंने टेबल बजाई फिर जगदीश भाई ने बजायी फिर बाकी सभी लोगों ने बजायी मैं आपकी कितनी चिन्ता करता हूं इस बात को नहीं समझ रहे हैं.

          श्री उमंग सिंघारअध्यक्ष महोदय, इन्दौर का मास्टर प्लान कब आयेगा आपके लिये कब ताली बजाएंगे. आप तो यह बता दो.

          श्री कैलाश विजयवर्गीयअध्यक्ष महोदय, मैं इनको ऊपर लाता हूं. यह तुरंत ही नीचे चले जाते हैं.

          श्री जगदीश देवड़ाअध्यक्ष महोदय, लाडली बहना योजना के बारे में जो भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कहा वह करके बताया और अभी बहनों को 1500 रूपये की सहायता राशि प्रदान की जा रही है. अभी द्वितीय अनुपूरक में इस राशि में इसमें 1 हजार 794 करोड़ रूपये का अतिरिक्त प्रावधान इसमें किया गया है. अभी अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की वर्ष 2025-26 के मुख्य बजट में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये कुल राशि रूपये 47 हजार 296 करोड़ रूपये का प्रावधान विभिन्न योजनाओं में रखा गया था. हितग्राहीमूलक योजनाओं के कुल बजट का 23.5 प्रतिशत और इसी प्रकार से अनुसूचित जाति वर्ग के लिये हमने 32 हजार 633 करोड़ रूपये का प्रावधान हमने विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत रखा है. हितग्राहीमूलक योजनाओं के जो कुल बजट का 16.2 प्रतिशत था. अभी कहा कि द्वितीय अनुपूरक में नहीं रखा. जहां जितनी आवश्यकता है अभी छात्रवृत्ति के लिये अभी 100 करोड़ और 54 करोड़ रूपये का प्रावधान इसमें किया है. भावांतर में जैसा बताया कि उसमें 500 करोड़ का प्रावधान किया है. अभी कुछ सदस्य योजनाओं की बात कर रहे थे कि कर्जा लेकर के योजनाएं चल रही हैं. कोई सत्र ऐसा नहीं है जिसमें आपने कर्जे की बात नहीं की हो. यह कर्जा नहीं है, यह निवेश है. कर्जा लेकर के राजस्व में खर्च नहीं कर रहे हैं.

          श्री उमंग सिंघारकर्जा लेकर के घी पीना यह निवेश है.

          श्री जगदीश देवड़ाअध्यक्ष महोदय,हम कर्जा लेकर के पूंजीगत व्यय में खर्च कर रहे हैं उससे सिंचाई की योजनाएं बन रही हैं.

          श्री बाला बच्चनअध्यक्ष महोदय, आप कर्ज ले रहे हैं तो आपके असेट्स बढ़ना चाहिये आपकी दीर्घकालीन सम्पत्ति बढ़नी चाहिये.

          अध्यक्ष महोदयबीच में आप टोका टाकी मत करिये. बाला बच्चन जी आप वरिष्ठ सदस्य हैं आप बैठिये.

          श्री जगदीश देवड़ाअध्यक्ष महोदय,कर्जा ले रहे हैं तो नियम में, प्रक्रिया में, सीमा में और कर्जे का भुगतान समय पर कर रहे हैं, उसका ब्याज भी समय पर दे रहे हैं, इससे विकास के काम भी कर रहे हैं. कर्ज लेकर के राजस्व में उसका व्यय नहीं कर रहे हैं. मैंने पहले भी कहा था कि केपिटल में कर रहे हैं. आपने तो कर्जा लेकर के वेतन बांटें, वेतन भत्ते बांटे, आपने ब्याज भरा, आपने विकास के काम नहीं किये. अध्यक्ष महोदय सिंचाई योजनाएं पूरे मध्यप्रदेश में किसान के हर खेत में पानी पहुंचे चंबल नदी का, ताप्ती नदी का, नर्मदा नदी का, कालीसिंध नदी का उसमें जितनी भी योजनाएं बन रही हैं कोई भाजपा अथवा कांग्रेस के लिये अलग इसमें कोई वर्गभेद है क्या ? पानी मिलेगा सबको मिलेगा. प्रधानमंत्री आवास बन रहे हैं सबके बन रहे हैं कोई वर्ग भेद नहीं है. सभी समाज के लोगों का इसमें भला होगा.

सभी वर्ग के लोगों के लिए गरीब के माथे पर छत का प्रबंध होगा. सिंचाई का प्रबंध होगा, तो हर किसान के खेत पर होगा. पूरे मध्‍यप्रदेश में सड़कें बन रही हैं. अभी कई बार बीच में बातचीत चली कि कौन कितने समय में रास्‍ता पार करता है. पहले 12-12 घंटे लगते थे. मंदसौर से हमें आने में 12 घंटे लगते थे. आज 5 घंटे में भोपाल से मंदसौर जा रहे हैं, मंदसौर से भोपाल आ रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) अब विकास नहीं दिख रहा है ?

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- आपको तो हेलीकॉप्‍टर की सुविधा है.

          श्री जगदीश देवड़ा -- कोई दिक्‍कत नहीं. बिना हेलीकॉप्‍टर के सारे लोग जाते हैं. बाय रोड जाते हैं, पर इस सत्‍य को आप भी स्‍वीकार करें. पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री जी बैठे हैं. कितनी सड़कें बन रही हैं और अभी ऐसा भेदभाव नहीं किया ? अभी हमारे कांग्रेस के अनेक सदस्‍यों की सड़कें मंजूर हुईं. कोई भेदभाव नहीं. सड़कें बन रही हैं सब चलेंगे. बिजली का प्रबंध सबके लिए है. किसान सम्‍मान निधि मिल रही है. यह कोई वर्ग विशेष को नहीं मिल रही है. सबको मिल रही है. 6 हजार रूपये सीधे खाते में जमा हो रहे हैं. मध्‍यप्रदेश के 6 हजार रूपये जमा हो रहे हैं. किसान सम्‍मान निधि में बताइए कौन-सा भेदभाव हो रहा है. कोई भेदभाव नहीं हो रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय, आयुष्‍मान कार्ड में कौन-सा भेदभाव हो रहा है. गरीब लोगों के इलाज हो रहे हैं. आयुष्‍मान कार्ड से लाखों गरीब लोगों का भला हुआ. जिनका इलाज हुआ, उनकी जान बच गई. (मेजों की थपथपाहट) आपने नहीं कहा. अगर आपने कोई कमी बतायी, तो आप यह भी बोलते कि जो आयुष्‍मान कार्ड बना है उसमें लाखों गरीब लोगों के इलाज का प्रबंध हुआ, जानें बच गईं. यह आपने नहीं कहा.   अध्‍यक्ष महोदय, आप कर्जे की बात कर रहे हैं. मैं पहले भी कह चुका हॅूं और जब बात होगी, तब भी कहूंगा कि समय पर सारे नियम प्रक्रिया सीमा के अंदर और समय पर ब्‍याज समय पर ऋण चुकाने का काम इस सरकार ने किया और पूंजीगत मद में खर्च करने का काम किया. राजस्‍व में नहीं किया. जितना कर्जा लिया, उनका विकास करने का काम इस मध्‍यप्रदेश की सरकार ने किया और उसे चाहे आप स्‍वीकार करें या न करें, बोलें या न बोलें लेकिन सबको पता है कि इस मध्‍यप्रदेश में कितना डेवलपमेंट हुआ, कितना विकास हुआ. चाहे वह चिकित्‍सा के क्षेत्र में हो. हमारे माननीय राजेन्‍द्र शुक्‍ला जी बैठे हैं, नगरीय प्रशासन मंत्री जी भी बैठे हैं. सारे मंत्रीगण बैठे हैं. हर विभाग में काम हो रहे हैं. अब आप उसको केवल आलोचना की दृष्‍टि से कहें. इस पार्टी को जनता ने अपार समर्थन दिया है. (मेजो की थपथपाहट) और इसलिए सरकार बन रही है. इसलिए स्‍वीकार कर रहे हैं. अगर काम नहीं करते, तो नहीं बैठते. आपने काम नहीं किया. पूरे देश में कई प्रदेशों में आपकी सरकार चली गई. इसलिए गई क्‍योंकि आपने काम नहीं किए, जमीन पर कोई काम नहीं किए. आपने खजाने का पैसा कहां खर्च किया, मुझे तो लगता है कि केवल इसका हिसाब कभी सार्वजनिक जनता के बीच में जाकर के आपने नहीं बताया. लेकिन मैं इस विधानसभा के फ्लोर पर यह कह सकता हॅूं कि यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जो जनता के बीच में जाकर के बताती है कि हमने क्‍या काम किए. (मेजों की थपथपाहट)

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- जय जगदीश हरे. जय जगदीश हरे.(मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप तो टू द पाइंट ही रहो. ज्‍यादा बाकी लोगों की बात पर मत रहो. (हंसी)..

          श्री जगदीश देवड़ा -- जी अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह स्‍थिति तो बता दूं. यह पूंजीगत मद का वर्ष 2003-04 में कुल 3 हजार 38 करोड़ रूपये था, वर्ष 2021-22 में 44 हजार 463 रूपये था, वर्ष 2022-23 में 46 हजार 797 करोड़ रूपये था, वर्ष 2023-24 में 57 हजार 347 करोड़ रूपये था फिर वर्ष 2024-25 में  सुनसठ हजार 381 करोड़ रूपये और 2025-26 में 85 हजार 76 करोड़ का पूंजीगत व्‍यय हमने किया. आप कहां थे. आपने कहां किया.

उस समय का याद हो तो बता दो. यदि आपने कोई पूंजीगत कार्यों में खर्च किया हो. कर्जा लेकर के आपने.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय देवड़ा जी से यह निवेदन करना चाहता हूं, यदि आपकी अनुमति हो देवड़ा साहब. समय के साथ परिवर्तन होता है. आज इस युग में है, आगे आने वाली पीढ़ी कहेगी कि कहां थे, इतने पीछे क्‍यों थे. वर्ष 1948 में जब भारत का बजट पेश हुआ तो आपको इल्‍म है कि 186 करोड़ रूपये का भारत सरकार का बजट था. आप कह रहे हैं कि दूरियां बढ़ गयी, कम हो गयीं. जब वर्ष 1885 में ऑटोमोबाइल आयी तो तीन किलोमीटर प्रति घण्‍टे की रफ्तार से चलती थी और सामने एक आदमी लाल झण्‍डा लेकर चलता था कि भई खतरा है, आप इधर-उधर हट जाओ तो समय के हिसाब से चीजें इसी तरह आगे बढ़ती हैं. ठीक है, आप अच्‍छा कर रहे हैं, अच्‍छे व्‍यक्ति हैं, बहुत अच्‍छे इंसान हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय- चलो, आपकी प्रशंसा अच्‍छी रही.

          श्री विश्‍वास सारंग- मैं डॉ. राजेन्‍द्र सिंह जी ने वित्‍त मंत्री जी की तारीफ की उनको बहुत धन्‍यवाद देता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय- डॉ. राजेन्‍द्र सिंह जी की कलेक्‍ट्रेट ऑफिस बनवा दो, जहां वह चाहते हैं. (हंसी)

          श्री जगदीश देवड़ा- अध्‍यक्ष महोदय, राष्‍ट्रीय स्‍तर पर फसलों एवं क्षेत्रफल एवं उत्‍पादन के आधार पर भी मध्‍यप्रदेश ने अपना स्‍थान बनाया है. अब मैं केवल यह पढ़ देता हूं कि मध्‍य प्रदेश सोयाबीन में द्वितीय स्‍थान पर है, गेहूं में द्वितीय और उत्‍पादन में भी द्वितीय रहा. मक्‍का में प्रथम और उड़द में, मसूर में, चने में, राई-सरसों  और कुल दलहन, कुल तिलहन तथा कुल खाद्यान्‍न इन सबमें द्वितीय और प्रथम स्थान पर रहा. अध्‍यक्ष महोदय, तो कहीं काम कृषि के क्षेत्र में किया होगा सरकार ने. तब तो राष्‍ट्रीय स्‍तर यह नाम आया है. नेता प्रतिपक्ष जी, ने भी बहुत सारी बातें कहीं हैं. मैं केवल यह प्रार्थना कर रहा हूं कि यह प्रजातंत्र है, प्रजातंत्र में जनता फैसला करती है. कौन काम कर रहा है या नहीं कर रहा है, यह जनता बहुत बड़ा थर्मामीटर है. यह पांच साल में फैसला करती है और मुझे लगता है कि आत्‍मचिंतन करने की आवश्‍यकता है और यह सदन है, अगर सरकार ने अच्‍छे काम किये तो वह भी कोट करके कहने चाहिये और आपने कहा और हमने सुना. आपने बहुत सारी बातें बतायी. मैं इस बात को स्‍वीकार कर रहा हूं कि बाला बच्‍चन जी ने भी और नेता प्रतिपक्ष जी ने भी और हमारे बरैया जी ने भी तथा हमारे बहुत सारे साथियों ने कहा कि हमारे क्षेत्र में कोई समस्‍या है. किसी ने बिजली की समस्‍या बताई. मैं निश्चित रूप से इस बात को स्‍वीकार करता हूं कि सरकार स्‍वीकार कर रही है कि अगर कहीं कमी है तो उसको भी पूरा करने का काम सरकार करेगी. भारतीय जनता पार्टी की यह सरकार कोई भेदभाव नहीं रखेगी और यह डबल इंजन की सरकारें यशस्‍वी प्रधान मंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी के नेतृत्‍व में उन्‍होंने जो संकल्‍प लिया है कि वर्ष 2047 में विश्‍व में हिन्‍दुस्‍तान विकास की क्षेणी में नंबर-1 पर आयेगा. मैं निश्वित रूप से यह भी कहूंगा कि देश में हमारा प्रदेश भी विकास की क्षेणी में नंबर -1 पर आयेगा और जो संकल्‍प देश के यशस्‍वी प्रधान मंत्री जी ने लिया है कि हमारा देश विश्‍व गुरू के स्‍थान पर स्‍थापित होगा तो हम सब लोग मिलकर के यशस्‍वी प्रधान मंत्री जी के सपनों को साकार करने का काम भी करेंगे. मैं इस द्वितीय अनुपूरक अनुमान जो प्रस्‍तुत हुआ है, उसमें जितने माननीय सदस्‍यों ने जो अपनी बात रखी है, जो भावना व्‍यक्‍त करी है, मैं उसका सम्‍मान करता हूं और निश्चित रूप से उन सब बातों को गंभीरता से लेंगे. सरकार पूरी तरह से गंभीर है और हम पूरी कोशिश करेंगे और नेता प्रतिपक्ष जी ने भी जिन बातों पर ध्‍यान आकर्षित किया है. मैं आपसे भी आग्रह कर रहा हूं कि आपने जो बातें कही हैं, उन बातों को सरकार पूरी गंभीरता से लेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं द्वितीय अनुपूरक अनुमान में आपके माध्‍यम से सभी सदन के माननीय सदस्‍यों से अनुरोध करूंगा कि इसको पारित करने का मेरा अनुरोध है. बहुत-बहुत, धन्‍यवाद.         


 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

3.21 बजे    मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक 4)  विधेयक, 2025 (क्रमांक 21 सन् 2025) का पुरःस्थापन एवं पारण.

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

3.24 बजे   (ख) आधिक्य व्यय (वर्ष 2011-2012) की अनुदान मांगों पर मतदान.

                   अध्यक्ष महोदय--  बोलना है क्या. वैसे चर्चा तो इस पर एक साथ ही  अपन ने की है.  पहले जो प्रस्तुत हुआ.  तब एक साथ ही चर्चा  कर  चुके हैं.

                   श्री जगदीश देवड़ा अध्यक्ष महोदय, लोक  लेखा समिति में   आ गया  था, हो गया था उसमें.

                   श्री बाला बच्चन (राजपुर) अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय दे दें.

                    अध्यक्ष महोदयअच्छा एक मिनट में  अपनी बात रख लें.

                   डॉ. सीतासरन शर्मा--  अध्यक्ष महोदय, इस पर कभी चर्चा  नहीं होती.  फिर यह परम्परा बन जायेगी आगे. कभी आधिक्य पर   चर्चा  नहीं हुई आज तक.  फिर आगे से यह परम्परा बन जायेगी.

                   संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) अध्यक्ष महोदय,  यह   आपने इसकी सामूहिक चर्चा कराई है और इसलिये  वैसे  आपके पास तो सर्वाधिकार सुरक्षित हैं, आप कभी भी  किसी को  बुलवा सकते हैं.  पर   आधिक्य पर कभी  भी  चर्चा  भी  नहीं होती और  आपने  दोनों   की एक साथ चर्चा  करवाई है, इसलिये  अब इस पर  चर्चा नहीं हो सकती और आप मालिक हैं  इस सदन के.  आप जो चाहे  कर सकते हैं.                                                               


 

          अध्यक्ष महोदय-- चर्चा एक साथ में कराने के लिये ही मैंने पहले कहा था और चर्चा हुई है. सभी ने दोनों विषयों पर विस्तार से बात की है. बाला बच्चन जी कह रहे हैं कि एक सुझाव देना चाहता हूं. सिर्फ सुझाव है. चर्चा नहीं हो रही है.

          श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 13 वर्ष पुराना मामला है और मांग संख्या 33, 15 ,52 और 74 और यह जो वर्ष है यह 31 मार्च 2012 को समाप्त हुआ है इसको 13 साल हो गये हैं. 153 करोड़ रूपये का मामला है, क्या इन कार्यों के बिल का डिटेल्स विधानसभा में देखने को मिलना चाहिये क्योंकि कहीं ऐसा तो नहीं कि ब्याज पर या सरकारी विलंब के कारण से यह स्थिति बनी हो. तो ऐसा क्यों आगे भी इस तरह की पुनरावृत्ति न हो सरकार इस बात का ध्यान रखें.

          अध्यक्ष महोदय- यह सुझाव है, ध्यान रखना.

(ख) आधिक्य व्यय(वर्ष 2011-2012) की अनुदान मांगों पर मतदान(क्रमश:)

 

          अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि दिनांक 31 मार्च 2012 को समाप्त हुये वित्तीय वर्ष में अनुदान सख्या 33, 15 52 एवं 74 के लिये स्वीकृत राशि के अतिरिक्त किये गये समस्त आधिक्य व्यय की पूर्ति के निमित्त राज्यपाल महोदय को एक सौ पैंतीस करोड़, सात लाख, इक्यासी हजार, पांच सौ सैंतालीस रूपये की राशि दिया जाना प्राधिकृत किया जाए.

          आधिक्य मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

समय 3.26 बजे

मध्यप्रदेश विनियोग(क्रमांक-5) विधेयक 2025 (क्रमांक 22 सन् 2025)

 

          उप मुख्यमंत्री(वित्त)(श्री जगदीश देवड़ा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-5) विधेयक, 2025 (क्रमांक 22 सन् 2025) का पुर:स्थापन करता हूं.

          अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हू कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-5) विधेयक, 2025 (क्रमांक 22 सन् 2025) पर विचार किया जाये.

          अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.

          प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-5) विधेयक, 2025 (क्रमांक 22 सन् 2025) पर विचार किया जाये.

प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

          अध्यक्ष महोदय--अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.

खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने

          प्रश्न यह है कि 1 पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

खण्ड 1 पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

          श्री जगदीश देवडा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-5) विधेयक, 2025 (क्रमांक 22 सन् 2025) पारित किया जाए.

          अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.

          प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-5) विधेयक, 2025 (क्रमांक 22 सन् 2025) पारित किया जाए.

प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

विधेयक पारित हुआ.

 

 

समय 3.38 बजे

अशासकीय संकल्प

          अध्यक्ष महोदय- अब अशासकीय संकल्पों पर विचार होगा.

1.सागर जिले के नरयावली विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नरयावली एवं जरूवाखेड़ा स्टेशन पर राज्य रानी सुपर फास्ट ट्रेन क्रमांक 22162 का स्टॉपेज किया जाये.

 

          इंजी.प्रदीप लारिया(नरयावली)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि सागर जिले के नरयावली विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नरयावली एवं जरूवाखेड़ा स्टेशन पर राज्य रानी सुपर फास्ट ट्रेन क्रमांक 22162 का स्टॉपेज किया जाये.

          अध्यक्ष महोदय-- संकल्प प्रस्तुत हुआ. मुझे लगता है कि इस पर कुछ चर्चा करने चाहते हैं आप. संकल्प में भावना तो आ ही गई है.

          इंजी. प्रदीप लारिया -- जी. लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है . बीना-कटनी का जो ट्रेन रूट है उसमें मालवाहक ट्रेनें ज्यादा निकलती हैं और जो हमारा नरियावली और जरूवाखेड़ा है यह धार्मिक स्थल की दृष्टि से भी और मैं समझता हूं कि बीना स्टेशन के भी करीब है, और वहां बीना जंक्शन से देश के लिये काफी ट्रेने मिलती हैं. हमेशा से इस बात की मांग रही है और बीच के कालखंड मे लंबा आंदोलन भी हुआ है इस स्टापेज के लिये. एक तरफ जहां ईश्वरबाडा में सुधा सागर महाराज जी जोजैन संत है उनका जन्म स्थान भी है और जैन तीर्थ भी है साथ ही ठाकुरबाबा का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है जो धार्मिक आस्था का केन्द्र है, दूर दूर से लोग आते हैं, इसी तरह से ज्वालादेवी का मंदिर है कई धर्मावलंबी यहां आते जाते हैं तो कुल मिलाकर यहां पर लंबे समय से इन ट्रेनों के स्टापेज की मांग की जा रही है. और मैं समझता हूं कि लोगों को शहर सागर भी जाना पड़ता है, जिला मुख्यालय भी है. तो मेरा आग्रह है कि यह सदन केन्द्र सरकार से यह अनुरोध करे कि सागर जिले के नरयावली विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नरयावली एवं जरूवाखेड़ा स्टेशन पर राज्य रानी सुपर फास्ट ट्रेन क्रमांक 22162 का स्टॉपेज किया जाये. यह विधानसभा के लिये भी जायज है.

          अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी..

          लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह) -- धन्‍यवाद अध्‍यक्ष महोदय. माननीय सदस्‍य ने बहुत विस्‍तार से अपने क्षेत्र की आवश्‍यकता के बारे में अपनी बात रखी है. उनके क्षेत्र की जनता के प्रति उनकी जागरूकता सराहनीय है और सिद्धांतत: सरकार इससे सहमत भी है. मेरा इतना ही मानना है कि आमतौर पर ऐसे विषय केन्‍द्र सरकार के अधीन होते हैं. हमारे पास एक अवसर होता है कि अशासकीय संकल्‍प के माध्‍यम से हम अपनी बात पहुंचाते हैं. कहीं न कहीं इस विधान सभा में हम सभी को इस बात की भी चिंता करनी चाहिए कि हमारे अपने अशासकीय संकल्‍पों की एक गरिमा बनी रहे और उस दृष्‍िट से हमें सोच समझकर अशासकीय संकल्‍प देना चाहिए. सिद्धांतत: सरकार इससे सहमत है और इस प्रस्‍ताव को पहुंचाएगी.

          इंजी. प्रदीप लारिया -- अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद आपने यह प्रस्‍ताव लिया और माननीय मंत्री जी ने इसको सकारात्‍मक रूप से लिया इसके लिए धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब आपको नहीं हमें बोलना है..(हंसी)..

          प्रश्‍न यह है कि यह सदन केन्‍द्र सरकार से अनुरोध करता है कि सागर जिले के नरयावली विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत् नरयावली एवं जरूवाखेड़ा स्‍टेशन पर राज्‍य रानी सुपर फास्‍ट ट्रेन क्रमांक 22162 का स्‍टॉपेज किया जाए.

                        संकल्‍प स्‍वीकृत हुआ.

(2)   मण्‍डला स्‍टेशन का नाम परिवर्तित किया जाना एवं नवीन ट्रेन मण्‍डला से चलाकर जबलपुर को कनेक्‍ट किया जाना

 

          श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया) -- अध्‍यक्ष महोदय, मण्‍डला जिले के अंतर्गत रेलवे स्‍टेशन जो कि वर्तमान में मण्‍डला फोर्ट के नाम से जाना जाता है और 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है इसका नाम परिवर्तित कर आदिवासी समाज की वीरांगना अमर शहीद रानी दुर्गावती जी के नाम पर वीरांगना दुर्गावती स्‍टेशन मण्‍डला किए जाने के साथ-साथ मैंने एक परिवर्तन पत्र भी दिया है कि नवीन ट्रेन मण्‍डला से चलाकर जबलपुर को कनेक्‍ट किया जावे.

          अध्‍यक्ष महोदय, यह सदन केन्‍द्र सरकार से अनुरोध करता है कि मण्‍डला रेलवे स्‍टेशन का नाम परिवर्तित कर वीरांगना रानी दुर्गावती रेलवे स्‍टेशन मण्‍डला किए जाने के साथ ही जबलपुर भोपाल ओव्‍हरनाइट एक्‍सप्रेस 22191/22192 इंटरसिटी एक्‍सप्रेस 22187/22188 एवं जबलपुर से हजरत निजामुद्दीन की ओर चलने वाली गोंडवाना सुपर फास्‍ट एक्‍सप्रेस 22181/22182 को मण्‍डला स्‍टेशन से चलाया जाए.

          श्री राकेश सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि माननीय सदस्‍य से कुछ त्रुटि हो गई है उन्‍होंने इसमें संशोधन प्रस्‍तुत किया था और गलती से उन्‍होंने पुराना पत्र वापस पढ़ दिया है, तो मेरा आग्रह है कि उन्‍होंने अपना जो संशोधन दिया है वह उसको सदन के सामने रखें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- संशोधन है, मैं पढ़ देता हूं. जबलपुर भोपाल ओव्‍हरनाइट एक्‍सप्रेस, इंटरसिटी एक्‍सप्रेस एवं हजरत निजामुद्दीन गोंडवाना सुपर फास्‍ट एक्‍सप्रेस की जगह आदिवासी अंचल जिला मण्‍डला से नवीन ट्रेन जबलपुर को कनेक्‍ट करने के लिए चलाई जाए. नारायण सिंह जी, ठीक है ना.

          श्री नारायण सिंह पट्टा --  जी हां माननीय अध्‍यक्ष महोदय.


 

            श्री राकेश सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि माननीय विधायक जी ने भी अपने क्षेत्र की यात्री सुविधाओं को लेकर यह अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया है इसलिए सिद्धांतत: सरकार इस पर सहमत है. हम इस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार को भेजेंगे.

          अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि यह सदन केन्द्र सरकार से अनुरोध करता है कि "जबलपुर भोपाल ओव्हर नाइट एक्सप्रेस 22191/22192, इंटरसिटी एक्सप्रेस 22187/22188 एवं जबलपुर से हजरत निजामुद्दीन की ओर चलने वाली गोंडवाना सुपर फास्ट एक्सप्रेस 22181/22182 की जगह आदिवासी अंचल जिला मण्डला से नवीन ट्रेन जबलपुर को कनेक्ट करने के लिए चलाई जाए."

          (इसमें एकाध लाइन नीचे ऊपर हो तो सचिवालय इसमें मंत्री जी से बात करके जोड़ ले.)

                                                                   संकल्प स्वीकृत हुआ.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस संकल्प को सर्वसम्मति से स्वीकृत कर देते.

          अध्यक्ष महोदय -- सरकार तो सहमत है ही, यह तो कुल मिलाकर एक प्रक्रिया है. सर्वसम्मति है.

          श्री उमंग सिंघार -- ठीक है.

         

(3)           सागर जिले के देवरी का नाम परिवर्तित कर देवपुरी किया जाना.

          श्री बृजबिहारी पटैरिया "गुड्डू भैया" (देवरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूँ कि "सागर जिले के देवरी का नाम परिवर्तित कर देवपुरी किया जाए."

          अध्यक्ष महोदय -- संकल्प प्रस्तुत हुआ. यह मुख्यमंत्री जी की मंशा के अनुरूप संकल्प है. क्या माननीय सदस्य कुछ बोलना चाहते हैं.

          श्री बृजबिहारी पटैरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका पौराणिक कारण भी है. बुंदेली भाषा में आपस की बातचीत के दौरान कुछ भ्रांतियां हैं कुछ महिलाओं से बातचीत के दौरान अनर्गल वातावरण पैदा होता है वह भी एक संदर्भ है. देवरी नगर का पुराना नाम रामगढ़ था कालान्तर में वर्ष 1857 के आसपास उस नगर में भीषण आगजनी की घटना हुई थी तब वह गांव पूरा जल गया था. करीब 5-7 हजार लोग ही बचे थे. तब बुजुर्गों की सलाह पर देवरी विस्थापित होकर रामगढ़ से वर्तमान की देवरी नगर के स्थान पर आई. बुजुर्गों ने तय किया कि ऐसे स्थान पर बसेंगे जहां पर दोनों तरफ नदियां हों यही कारण है कि देवरी नगर के मध्य से दो नदियां निकलती हैं. झुनकू और सुखचेन नदी. रामगढ़ की जगह पहले  इसका नाम देवपुरी हुआ क्योंकि वहां पर महाराष्ट्रीयन समाज के भगवान खंडेराव महाराज का एक बहुत बड़ा मंदिर है उनको वे भगवान शिव के अवतार के रुप में पूजते हैं. महाराष्ट्र में कोंकण क्षेत्र में एक स्थान है दूसरा हमारे देवरी नगर में है. जो कि प्राचीनतम भगवान खंडेराव जी के मंदिरों में से एक है. एक कारण यह भी है. मैं चाहता हूँ कि इस नगर का नाम इसके पौराणिक महत्व को देखते हुए और नगर में मंदिरों की संख्या अधिक होने के कारण को देखते हुए भी इसका नाम परिवर्तित करके देवपुरी कर दिया जाए तो कृपा होगी.

          राजस्व मंत्री (श्री करण सिंह वर्मा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सागर जिले के देवरी का नाम परिवर्तित कर देवपुरी किया जाए. इसके संबंध में अनुरोध है कि नाम परिवर्तन के संबंध में कार्यवाही राज्य शासन द्वारा भारत सरकार, गृह मंत्रालय से अनापत्ति प्राप्त किये जाने के उपरांत ही की जा सकती है. देवरी का नाम देवपुरी किए जाने के संबंध में स्थानीय नगर परिषद द्वारा अपनी बैठक में भी दिनांक 14.2.2025 को भी संकल्प पारित किया जा चुका है. कलेक्टर सागर ने भी पत्र क्रमांक 6653/ वरिष्ठ लिपिक/ सागर दिनांक 28 जुलाई 2025 को निर्धारित 14 बिंदुओं का प्रतिवेदन राज्य शासन को उपलब्ध कराया जा चुका है. स्थानीय नगर परिषद तथा कलेक्टर के प्रतिवेदन के आधार पर मध्यप्रदेश शासन, राजस्व विभाग द्वारा अपने पत्र क्रमांक एफ आरएबी / 80014/ 2025 / सेक्शन-7 /07 दिनांक 4 अगस्त, 2025 द्वारा सचिव, भारत सरकार, गृह मंत्रालय, नई दिल्ली को देवरी का नाम बदलकर देवपुरी किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत किए जाने का अनुरोध भेज चुका हूं. भारत सरकार की ओर से नाम परिवर्तन की अनापत्ति प्राप्त होने पर ही राज्य शासन द्वारा नाम परिवर्तन के संबंध में अधिसूचना प्रकाशित की जा सकती है. भारत सरकार, गृह मंत्रालय, नई दिल्ली से अभी अनापत्ति प्राप्त नहीं हुई है. इस स्थिति में अशासकीय संकल्प अग्राहय किए जाने का अनुरोध है.

          माननीय सदस्य से मैं अनुरोध करता हूँ कि कृपया इस अशासकीय संकल्प क्रमांक 03  को आप वापस ले लें. भारत सरकार से अनापत्ति प्राप्त होने पर ही राज्य शासन नाम परिवर्तन कर सकता है.

         

         


 

          मुख्‍यमंत्री (डॉ. मोहन यादव)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री श्रीमान करण सिंह वर्मा जी ने विस्‍तार से बात कही है. नाम परिवर्तन की प्रक्रिया राज्‍य सरकार के द्वारा रिकमेंड करके भारत सरकार तक भेजी जाती है और राज्‍य सरकार की रिकमेंड के आधार पर भारत सरकार उसमें निर्णय लेकर अवगत कराती है. मैं समझता हूं‍ कि माननीय मंत्री जी ने स्‍पष्‍ट कहा है कि हमने रिकमेंड करके भेज दिया है. जैसे ही जानकारी आएगी तदानुसार कार्यवाही कर दी जाएगी.

          श्री बृजबिहारी पटैरिया 'गुड्डू भैया'-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि मध्‍यप्रदेश सरकार ने यह प्रस्‍ताव केन्‍द्र सरकार को भेज दिया है. पुन: एक स्‍मरण पत्र के रूप में दोबारा भेज दिया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय-- बृजबिहारी जी हमेशा एक चीज ध्‍यान रखें कि सदन की थोड़ी मर्यादाओं को समझें. जब एक बार भेजा है और सरकार आपसे आग्रह कर रही है और आपकी मंशा उसमें निहित है तो मुझे लगता है कि अशासकीय संकल्‍प वापस लेने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. क्‍या माननीय सदस्‍य संकल्‍प को वापस लेने को तैयार हैं?

          श्री बृजबिहारी पटैरिया 'गुड्डू भैया'-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपसे सहमत हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- क्‍या सदन संकल्‍प वापस लेने की अनुमति देता है.

 

                                                                              अनुमति प्रदान हुई.

                                                                              संकल्‍प वापस हुआ.

 

 

 

 

 

(4) रीवा जिले के विधान सभा क्षेत्र सेमरिया के मुख्‍यालय में नवीन जनपद पंचायत खोला जाना

 

          श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)--माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, यह संकल्‍प प्रस्‍तुत करता हूं कि सदन का यह मत है कि रीवा जिले के विधान सभा क्षेत्र सेमरिया के मुख्‍यालय में नवीन जनपद पंचायत खोला जावे.

          अध्‍यक्ष महोदय-- अभय जी आप कुछ बोलना चाहते हैं तो ए‍क मिनट के अंदर अपनी बात रखें.

          श्री अभय मिश्रा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसको ऐसे समझते हैं कि शहरों में लोग किसी को मारते हैं तो कोई बोलता नहीं है, लेकिन ग्राम पंचायत में कोई किसी को मारकर दिखाए, उसके साथ अन्‍याय करके दिखाए. कोई किसी को एक दूसरे के खिलाफ करता है तो तीसरा व्‍यक्ति खड़ा हो जाता है कि खबरदार गलत काम नहीं करना वह ताकत है उस बोर्ड की जो उसको पंच, सरपंच, जनपद जिला इसमें चाहिए होती है. हमारे साथ समस्‍या यह है कि हम सीधे सेमरिया में आ रहे हैं. वर्ष 2008 में इस विधान सभा क्षेत्र का गठन हुआ. पहले यह सिरमौर का भाग होता था. मैं स्‍वयं सिरमौर का रहने वाला हूं और उसकी पंचायत को मिलाकर और बाकी हमारी बनकुइयां, रायपुर की पंचायतों को मिलाकर इस तरह से नया विधान सभा क्षेत्र बना. हमारे यहां अभी भी रीवा में 6 विधान सभा क्षेत्र हैं जिसमें पांच की पांचों में हर विधान सभा क्षेत्र में एक-एक जनपद है. हमारा नया विधान सभा क्षेत्र बना था इसमें कोई जनपद नहीं है. हमारी दूरी तीस किलोमीटर से ज्‍यादा हो रही है. अगर आप हमें जनपद देते हैं तो हमारी बनकुइयां और सेमरिया के अंदर की जो पंचायतें हैं उसमें हो जाएगा. मैं प्रार्थना करता हूं कि हमारी सेमरिया की जनता के साथ न्‍याय करते हुए कृपा करें.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने माननीय सदस्‍य को एक लाइन का ही उत्‍तर दिया था कि 12 मार्च 2024 को मध्‍यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग राज्‍य में गठित हो गया है. सदन में जो भी माननीय सदस्‍य हैं वह जानते हैं कि जनपद का परिसीमन भारत सरकार करती है, लेकिन मध्‍यप्रदेश ने आयोग का गठन किया है. इसलिए माननीय सदस्‍य ने जो जानकारियां दी हैं वह जानकारियां तथ्‍यात्‍मक रूप से सही हैं और विधान सभा के परिसीमन के बाद यह परिस्थिति निर्मित हुई है. जो नया परिसीमन हुआ है उसके कारण यह परिस्थिति निर्मित हुई है तो स्‍वाभाविक है कि आयोग के सामने भी आपको आपकी बात रखनी पड़ेगी. हम भी इस बात से सहमत हैं कि जब ब्‍लाकों का पुनर्गठन होगा तो विधान सभाओं के पुनर्गठन से मेल करते हुए हो तो राज्‍य सरकार ने तो वैसे भी उसकी पहल कर दी है. इसलिए मुझे लगता है कि माननीय सदस्‍य को भी यह बात अच्‍छे से पता है कि सरकार इसमें कोई विरोध नहीं कर रही है. जो विधान सभा है उसके साथ जैसे बाकी यूनिट एक जनपद एक विधान सभा है तो स्‍वाभाविक है कि सेमरिया में ऐसा होता है तो सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं है.

          श्री अभय मिश्रा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने जो परिसीमन आयोग की बात की है उसका एकदम अलग कार्य है. वह फिर एक नई स्थिति पैदा होगी जैसी हमारे साथ वर्ष 2008 में हुई थी. ऐसे ही जब यह परिसीमन होगा तो फिर हमारे जैसा केस आगे फिर आयेगा. हमारे वाले में तो आप इतनी कृपा कर दें कि अगर इसको आप सभी का आर्शीवाद मिल जाता तो गजट नोटिफिकेशन के लिए राज्‍यपाल महोदय तक यह प्रकरण पहुंच जाता, इसके बाद फिर यह प्रकरण केंद्र के पास जाता, तो हम अपने सांसद जी से आग्रह करते कि वे वहां उसकी सिफारिश करें.     

          अध्‍यक्ष महोदय-  अभय जी, ऐसा नहीं होता है. मैं समझता हूं कि मंत्री जी ने सही उत्‍तर दिया है, प्रकिया यह है कि नई जनपद बनाने के लिए जो अधिकृत स्‍थान है, जब वह रिकमेण्‍ड करके भेजेंगे, उसके बाद ही गजट नोटिफिकेशन की स्थिति आती है.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल-  अध्‍यक्ष महोदय, यह सामान्‍य जानकारी है कि थाना और तहसील का परिसीमन राज्‍य सरकार करती है लेकिन जनपद क्षेत्र का परिसीमन भारत सरकार करती है, जिसे भारत सरकार अभी करने वाली है. उसी आधार पर मध्‍यप्रदेश सरकार ने पहले ही आयोग गठित कर दिया है. इसमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि आपके साथ अन्‍याय होगा, यदि यूनिट बनेगा तो यूनिट के आधार पर एक विधान सभा, एक जनपद, यह सरकार की नीति है, यह बात मैं आपसे कह चुका हूं.

         अध्‍यक्ष महोदय- प्रश्‍न यह है कि-

        सदन का यह मत है कि रीवा जिले के विधान सभा क्षेत्र सेमरिया के मुख्यालय में नवीन जनपद पंचायत खोला जाए और इस प्रस्‍ताव को राज्‍य शासन द्वारा गठित आयोग के समक्ष और केंद्र सरकार को अनुरोध के साथ भेजा जाए.

          संकल्‍प स्‍वीकृत हुआ.

          मुख्‍यमंत्री (डॉ. मोहन यादव)-  अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि इसका विरोध किसी ने नहीं किया है और मंत्री जी ने सरकार की भावना सभी के सम्‍मुख प्रकट कर दी है कि हमारा आयोग इसी के लिए कार्य करेगा तो यह स्‍वाभाविक रूप से मैं मानकर चलता हूं कि सरकार की मंशा भी सर्वानुमति के भाव से ही है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  ठीक है, सर्वानुमति ही है. मंत्री जी का पक्ष भी सहमति का ही है.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल-  जी हां.

03.44 बजे

सत्र का समापन

          अध्‍यक्ष महोदय-  मध्‍यप्रदेश की सोलहवीं विधान सभा का शीतकालीन सत्र अब समाप्ति की ओर है. इसमें 4 बैठकें हुईं, जिसमें विधायी, वित्‍तीय और लोक महत्‍व के अनेक कार्य संपन्‍न हुए, इस सत्र में सदन ने वर्ष 2025-26 की द्वितीय अनुपूरक अनुमान मांगों को अपनी स्‍वीकृति प्रदान की, जिसमें लगभग 7 घण्‍टे चर्चा हुई, इसके अतिरिक्‍त सदन में वर्ष 2011-12 के आधिक्‍य व्‍यय के विवरण पर भी अपनी स्‍वीकृति प्रदान की. वहीं 2 शासकीय विधेयक भी पारित किये गए, इस सत्र में कुल 1497 प्रश्‍न प्राप्‍त हुए, जिसमें 751 तारांकित एवं 746 अतारांकित प्रश्‍न थे, ध्‍यानाकर्षण की कुल 432 सूचनायें प्राप्‍त हुईं, जिनमें से 37 सूचनायें ग्राह्य की गईं. शून्‍य-काल की 170 सूचनायें एवं 226 याचिकायें प्राप्‍त हुईं और 4 अशासकीय संकल्‍प सदन में प्रस्‍तुत हुए, जिनमें से 3 अशासकीय संकल्‍प पारित किये गए एवं 1 पर चर्चा के उपरांत संकल्‍प वापस हुआ. सदन में अनेक सभा-समितियों के प्रतिवेदन प्रस्‍तुत हुए तथा नियम-139 के अ‍धीन प्रदेश के विभिन्‍न जिलों में अति‍वृष्टि से किसानों की फसलें नष्‍ट होने से उत्‍पन्‍न स्थिति के संबंध में लगभग 4 घण्‍टे 46 मिनट विस्‍तृत चर्चा हुई. इस सत्रावधि में सदन की बैठक लगभग 23 घण्‍टा चली. संसदीय लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था का उद्देश्‍य यही है कि अंतिम छोर पर खड़े व्‍यक्ति के कल्‍याण के लिए सदन में आवाज सुनाई दे और शासन-प्रशासन द्वारा जनता की समस्‍याओं को दूर करने के लिए तत्‍परता से कार्य किया जाये, यह व्‍यवस्‍था लोक कल्‍याण के लिए संचालित है. हमारा सौभाग्‍य है कि इस व्‍यवस्‍था का अंग होने के कारण, हमें जनता की सेवा करने का अवसर मिला है. अंतत: हमारा लक्ष्‍य यही होना चाहिए कि लोकतंत्र समृद्ध हो और संसदीय कार्य प्रणाली में प्रदेश और जनता की चहुंमुखी प्रगति और उन्‍नति हो, इस हेतु हम सभी को मिलकर कार्य करना चाहिए. इस सत्र के सुचारू संचालन के लिए मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष जी, संसदीय कार्य मंत्री जी सहित सभी माननीय मंत्रीगण, सभा‍पति तालिका के सदस्‍यों, सदन के सभी सदस्‍यों, प्रिंट और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े महानुभावों, विधान सभा सचिवालय तथा शासन के अधिकारी-कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को धन्‍यवाद देता हूँ. मैं अपनी ओर से, पूरे सदन की ओर से प्रदेशवासियों को क्रिसमस और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए, उनकी और प्रदेश की समृद्धि और खुशहाली की कामना करता हूँ.         

          मुख्‍यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी विधान सभा गौरवमयी विधान सभा स‍च में प्रजातंत्र का मंदिर है. आपने जितनी कुशलता से सदन का संचालन किया है, वह अभिनन्‍दनीय और वन्‍दनीय है, सत्‍ता पक्ष और विपक्ष प्रजातंत्र की धुरी है. मैं इस अवसर पर माननीय नेता प्रतिपक्ष, श्रीमान् उमंग सिंघार जी और उनके सभी सदस्‍यों को भी धन्‍यवाद देना चाहूँगा. विपक्ष ने पूरे सत्र में सकारात्‍मक भूमिका अदा की है तथा प्रश्‍नों और उद्बोधनों में हमें अपने कार्यों को और अधिक कुशलता की तरफ जाने के लिए इंगित करने का प्रयास किया है. मैं इस अवसर पर हमारे पक्ष के भी सभी माननीय सदस्‍यों एवं माननीय मंत्रीगणों को धन्‍यवाद देना चाहूँगा कि उन्‍होंने विस्‍तारपूर्वक अपनी बात बहुत अच्‍छे ढंग से सरकार की कार्यकुशलता के आधार पर, काम के आधार पर, जो वह कर सकते थे, उसको अच्‍छे से करने के लिए सभी ने एकमत होकर, इस सत्र के समय का सदुपयोग करने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया है. हमको कई सौगातें भी मिली है, हमने कल 3 चीते चम्‍बल के अंचल में श्‍योपुर से छोड़े, हमने चीता परियोजना की सफलता का नया मुकाम हासिल किया है, तो शिकारे के रूप में भोपाल की बड़ी झील को, कश्‍मीर की वादियों की तरह एक पर्यटन के केन्‍द्र के रूप में स्‍थापित करने का प्रयास किया है. इसी सत्र में थोड़े दिन पहले सोयाबीन की भावान्‍तर योजना, पूरे देश में नवीन योजना के बलबूते पर, भारत सरकार की योजना के आधार पर, पूरे देश में हमारे राज्‍य ने एक नया मुकाम हासिल किया है, मैं बधाई देना चाहूँगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस सत्र में लगभग 1,497 प्रश्‍न, 429 ध्‍यानाकर्षण, 160 शून्‍यकाल एवं 239 याचिकाएं प्राप्‍त हुई हैं. जो यह प्रदर्शित करता है कि हमारे विधान सभा के माननीय सदस्‍यगण जनता की समस्‍याओं के प्रति कितने सजग और जिम्‍मेदार हैं ? इस सत्र में कुछ महत्‍वपूर्ण विधेयक भी प्रस्‍तुत हुए हैं, जिसमें से द्वितीय अनुपूरक अनुमान को सदन द्वारा पारित किया गया. इस द्वितीय अनुपूरक में 13,476.94 करोड़ रुपये का प्रावधान, जिसमें 4,000 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए है.  मैं  माननीय मंत्री जी और आप सबको बधाई देना चाहूँगा. उपार्जन संस्‍थाओं को ऋण देने हेतु 2,000 करोड़ रुपये, लाड़ली बहना योजना के लिए 1,794 करोड़ रुपये, पंचायत विभाग के अंतर्गत 15 वें वित्‍त आयोग के लिए 1,633 करोड़ रुपये, इसके साथ-साथ उद्योग विभाग, कृषि एवं किसान कल्‍याण विभाग और अन्‍य विभागों के विकास के कार्यों के लिए सदन ने राशि स्‍वीकृत की है. मैं इसके लिए सदन का धन्‍यवाद अदा करता हूँ,  निश्चित रूप से आपकी स्‍वीकृति से प्रदेश के विकास के पथ पर तेजी से बढ़ना सरल होगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक और महत्‍वपूर्ण विधेयक मध्‍यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम,  2025 प्रस्‍तुत हुआ, मैं माननीय मंत्री जी और माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी के नाते, आपका डबल रोल है, लेकिन सच में नगरपालिका और नगर पंचायत के माध्‍यम से हमारा कल एक बड़ा निर्णय हुआ, जिस विधेयक के माध्‍यम से हमने नगर पंचायत और नगरपालिकाओं में अध्‍यक्ष का निर्वाचन प्रत्‍यक्ष प्रणाली से कराने का प्रावधान किया है, इससे वर्तमान में निकायों में कार्य करने में आ रही समस्‍याओं में कमी आयेगी और निकाय स्‍वतंत्र रूप से और तेज गति से काम कर सकेंगे. मैं पक्ष एवं विपक्ष के दोनों ही ओर के सदस्‍यों को धन्‍यवाद देना चाहूँगा. जिसके कारण सदन गरिमापूर्ण तरीके से संचालित हुआ. मध्‍यप्रदेश विधान सभा का यह सत्र हमको काम करने की प्रेरणा भी दे रहा है, जिसका स्‍वर्णिम इतिहास रहा है, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सत्र आपके कुशल नेतृत्‍व में जितने अच्‍छे तरीके से संचालित हुआ है और आपके साथ-साथ, सभी सभापति तालिका के माननीय सभापतिगणों ने बहुत अच्‍छे से संचालन करने में अपनी भूमिका अदा की है.

          माननीय अध्‍यक्ष जी, मध्‍यप्रदेश की 8 करोड़ जनता की आकांक्षाओं का प्रतीक यह सदन, जहां हम अपनी बात रख रहे हैं. हम अपने समय के सदुपयोग के साथ-साथ मध्‍यप्रदेश के विकास की एक नई गाथा लिख रहे हैं. मध्‍यप्रदेश के भाग्‍य और निवेश के भविष्‍य की सुंदर नींव रख रहे हैं. मैं सदन के माध्‍यम से प्रदेश की जनता को यह विश्‍वास दिलाता हूँ कि हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक कि प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत के स्‍वप्‍न को विकसित मध्‍यप्रदेश बनाकर साकार नहीं कर देते हैं. (मेजों की थपथपाहट). यह केवल एक मिशन नहीं, हमारा धर्म है. चरैवेती, चरैवेती, जय हिन्‍द, जय मध्‍य प्रदेश, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस समापन के अवसर पर जैसा आपका स्‍वभाव है, निष्‍पक्षता और संवेदनशीलता के साथ आपने इस सदन की पूरी कार्यवाही चलाई. आज अंतिम दौर है. निश्‍चित तौर से सदन में चर्चाएं होती हैं. अध्‍यक्ष महोदय, मैं समझता हूँ कि किसी बात को सुनना, समझना और क्रियान्‍वयन, एग्‍जीक्‍यूशन, काफी चर्चाओं के दौर रहे. सरकार के सभी माननीय मंत्रीगण, माननीय मुख्‍यमंत्री जी, सभी ने हमारे सवालों को सुनने का प्रयास किया. ये हमारे सवाल नहीं थे. ये आम जनता के सवाल थे. जो जनता इस प्रदेश की है. जो हमारी और आपकी भाग्‍यदाता है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंथन, चिंतन, क्रियान्‍वयन, हमारी आवाज, जनता की आवाज को आपने किस रूप में लिया. आने वाला समय बताएगा. लेकिन मैं सत्‍ता पक्ष से ऐसी उम्‍मीद करता हूँ कि हमारे सदस्‍यों की बात, हमारे दल की बात को आपने गंभीरता से लिया होगा. आपकी ओर से निश्‍चित तौर से हर व्‍यक्‍ति को न्‍याय मिलने का एक प्रयास रहेगा. कई आरोप, प्रत्‍यारोप होते हैं, लेकिन मैं हमेशा इस बात का ध्‍यान रखता हूँ कि किसी की व्‍यक्‍तिगत बात न करूं, मेरा व्‍यक्‍तिगत स्‍वभाव भी है. जो बात बोलने का प्रयास करता हूँ. प्रमाण से बोलता हूँ. तथ्‍यों के साथ बोलता हूँ. बगैर प्रमाण के नहीं बोलता हूँ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सभी का इसमें सहयोग रहा. विशेष रूप से विधान सभा सचिवालय के प्रमुख सचिव, अपर सचिव, समस्‍त अधिकारीगण, कर्मचारीगण, सरकार के अधिकारीगण और कर्मचारीगण, सुरक्षा में तैनात मार्शल, पुलिस अधिकारीगण, कर्मचारीगण, तकनीकी विशेषज्ञ, प्रिंट और इलैक्‍ट्रानिक मीडिया के प्रति मैं आभार व्‍यक्‍त करता हूँ. मुख्‍यमंत्री जी, सभी मंत्रीगण, सत्‍ता पक्ष के विधायक और मेरे दल के सभी माननीय सदस्‍यों का मैं आभार व्‍यक्‍त करता हूँ. हमारे मध्‍यप्रदेश की यही एक विशेषता है कि कई समय पर कई विवाद होते हैं, फिर भी हम लोग एक जाजम पर, एक मंच पर बैठकर के बात को समझते हैं और गंभीरता से काम करते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं निवेदन करूंगा कि कई प्रश्‍न आते हैं, कई हजार प्रश्‍न आते हैं, लेकिन चर्चाएं कहीं अधूरी रह जाती हैं. विधायकों की समस्‍याएं भी अधूरी रह जाती हैं. बजट सत्र तो खैर लंबा रहेगा ही, लेकिन सत्र की बैठकें कैसे ज्‍यादा हों, मैं आपके माध्‍यम से मुख्‍यमंत्री जी से निवेदन करना चाहूँगा कि बार-बार मध्‍यप्रदेश पर एक दाग लगता है कि हिंदुस्‍तान में सबसे कम सत्र मध्‍यप्रदेश में चलता है. उस दाग को हम कैसे दूर करें. मैं ऐसा चाहूँगा कि मध्‍यप्रदेश की छवि रहे क्‍योंकि यहां भी लोकतंत्र की आवाज मजबूत है, मैं ऐसा समझता हूँ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं सभी को धन्‍यवाद देना चाहता हूँ. अंत में मैं एक शेर बोलना चाहता हूँ. अध्‍यक्ष जी कहते हैं कि आपने कुछ शेर नहीं बोला तो मैंने खुद ही कैलाश जी की बात पर से कुछ चार लाइनें बनाई हैं कि - 

        ''विपक्ष की आवाज को लोरी न समझे हुक्‍मरान,

         ये आवाज है जो जगाती है सोये हुए हुक्‍मरानों को,

         सच कहें तो यह जनता की आवाज है,

         मध्‍यप्रदेश विधान सभा की आवाज है.

           धन्‍यवाद.

04.00 बजे                           राष्‍ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान

          अध्‍यक्ष महोदय --  अब राष्‍ट्रगान होगा.

           (सदन के माननीय सदस्‍यों द्वारा राष्‍ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान किया गया.)

04.01 बजे       सदन की कार्यवाही को अनिश्‍चितकाल के लिए स्‍थगित किया जाना: घोषणा

          अध्‍यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही अनिश्‍चितकाल के लिए स्‍थगित.

          अपराह्न 04.01 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्‍चितकाल के लिए स्‍थगित की गई.

 

          भोपाल :                                                                अरविन्‍द शर्मा

          दिनांक : 5 दिसम्‍बर, 2025                                             प्रमुख सचिव,

                                                                                  मध्‍यप्रदेश विधान सभा.