मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा द्वादश सत्र
दिसंबर, 2016 सत्र
सोमवार, दिनाँक 5 दिसंबर, 2016
(14 अग्रहायण, शक संवत् 1938)
[खण्ड- 12 ] [अंक- 1 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनाँक 5 दिसंबर, 2016
(14 अग्रहायण, शक संवत् 1938)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
राष्ट्रगीत
राष्ट्रगीत “वन्देमातरम्” का समूहगान
अध्यक्ष महोदय-- अब, राष्ट्रगीत “वन्देमातरम्” होगा. सदस्यों से अनुरोध है कि वे कृपया अपने स्थान पर खड़े हो जाएँ.
(सदन में राष्ट्रगीत “वन्देमातरम्” का समूहगान किया गया.)
(11.03 बजे)
शपथ.
उप चुनाव में, निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-179 नेपानगर (अ.ज.जा.) से निर्वाचित सदस्या,
सुश्री मंजू राजेन्द्र दादु द्वारा शपथ ग्रहण.
अध्यक्ष महोदय-- उप चुनाव में निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 179- नेपानगर (अ.ज.जा.) से निर्वाचित सदस्या, सुश्री मंजू राजेन्द्र दादु शपथ लेंगी, सदस्यों की नामावली में हस्ताक्षर करेंगी और सभा में अपना स्थान ग्रहण करेंगी.
सुश्री मंजू राजेन्द्र दादु (नेपानगर)- (शपथ)
(मेजों की थपथपाहट)
निधन का उल्लेख
11.06 बजे
(1) श्री सत्यदेव कटारे, मध्यप्रदेश विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष,
(2) श्री रामनरेश यादव, मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल,
(3) श्री मोहम्मद शफी कुरैशी, मध्यप्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल,
(4) डॉ. भाई महावीर, मध्यप्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल,
(5) श्री विद्याधर जोशी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(6) डॉ. लालता प्रसाद खरे, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(7) श्री राव देशराज सिंह यादव, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(8) श्री सेवाराम गुप्ता, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(9) श्री आरिफ बेग, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(10) श्रीमती जयवंतीबेन मेहता, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(11) प्रो. एम.जी.के.मेनन, भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(12) कानपुर के निकट पुखरायां में दिनांक 20 नवम्बर, 2016 को हुए रेल हादसे में मृत व्यक्ति.
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मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले सत्र तक साथ रहे नेता प्रतिपक्ष हमारे मित्र लोकप्रिय, कर्मठ और जुझारु नेता मान्यवर सत्यदेव कटारे जी अब हमारे बीच नहीं हैं. उनके नहीं होने की हम पिछले सत्र तक कल्पना भी नहीं कर सकते थे. काम करने का उनका अपना अंदाज, उनकी अपनी विशिष्टता, उनकी अपनी शैली ऐसी थी कि जिसने मध्यप्रदेश की राजनीति में उनकी एक अलग पहचान बनायी थी. वह जन्मजात लड़ाके थे और अंत तक बीमारी से जूझते रहे,लड़ते रहे और बीमारी को मात देने की कोशिश करते रहे, लेकिन अंतत: क्रूरकाल ने उन्हें हमसे छिन लिया. उन्होंने शून्य से अपना सफर प्रारंभ किया था. ग्राम पंचायत में निर्विरोध पंच के रूप में निर्वाचित होकर उन्होंने अपना राजनैतिक जीवन प्रारंभ किया था. अपने परिश्रम अपनी कुशलता और अपनी प्रतिभा के बल पर कांग्रेस पार्टी में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया था. वह कांग्रेस के प्रदेश संगठन में प्रदेश के सचिव, संयुक्त सचिव और विभिन्न पदों पर काम करते रहे. लेकिन इसके साथ साथ वह मजदूरों और श्रमिकों के लिये लड़ाई लड़ते रहे. जुझारूपन उनके स्वभाव में था, इसलिये संघर्ष करते-करते उन्होंने मध्यप्रदेश की राजनीति में अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया, अपना एक अलग स्थान बनाया और वह मध्यप्रदेश की विधान सभा में वह निर्वाचित होकर आये. मध्यप्रदेश में विधायक के रूप में फिर मंत्री के रूप में उन्होंने अपनी कुशलता का और प्रशासनिक दक्षता का सक्षमता का अपना परिचय दिया. विधायक के नाते वह ऐसे नेता थे, ऐसे विधायक थे, ऐसे कानूनविद थे, संसदीय ज्ञान के जानकार थे कि जिसके कारण उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक की उपाधि से भी उन्हें नवाजा गया और मंत्री के नाते भी जब उन्होंने काम किया तो सर्वश्रेष्ठ मंत्री के रूप में भी इस सदन में सराहा गया, उनका कानूनी ज्ञान उच्चतम स्तर का था, जनहित के मुद्दों के प्रति वह हमेशा सजग और सचेत रहते थे और एक अपने ढंग से एक प्रभावशाली तरीके से इन मुद्दों को सदन में उठाते थे. उनके लम्बे अनुभव का लाभ कई बार योजनाओं को बनाने में उनके स्वरूप को परिष्कृत करने में और उनके क्रियान्वयन में भी हमें मिला. अनौपचारिक रूप से कई बार उनसे चर्चा होती थी. मुझे बताते हुए कोई संकोच नहीं है कि कई योजनाओं के बारे में वह प्रशंसा भी करते थे और अकेले में भी कमियां बनाते थे. अक्सर यह होता है कि सार्वजनिक रूप से हम प्रशंसा करते हैं, कमी बताते हैं, लेकिन जब दिल में यह ललक होती है कि यदि कोई गड़बड़ है तो ठीक होनी चाहिये और कोई अच्छी बात है तो उसको प्रोत्साहित करना चाहिये. कई बार कई योजनाओं के बारे में जब हम लोग मिलते थे तो वह चर्चा करते थे कि इस योजना में अगर यह सुधार और हो जाये तो और बेहतर होगा, यह अच्छी है और यहां सुधार की जरूरत है. सचमुच में जब वह यह बताते थे तो मुझे दिल से खुशी होती थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सचमुच में अभी यह दिन उनके जाने के नहीं थे. हम सब लोग परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करते थे कि वह और हमारे साथ रहें, ताकि उनकी क्षमताओं का लाभ मध्यप्रदेश के विकास में मिले, जनता के कल्याण में मिले, लेकिन भगवान की मर्जी के आगे किसी की चलती नहीं है, अन्तत: लड़ते-लड़ते वह हमसे बहुत दूर चले गये. मैं उनके निधन से जो प्रदेश की अपूरणीय क्षति हुई है, वह सार्वजनिक जीवन में, सचमुच में भरी नहीं जा सकती है. हम सब उनके चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एक दुखद है कि हमारे तीन-तीन पूर्व राज्यपाल जिनको आज हम श्रद्धा के सुमन अर्पित कर रहे हैं. श्री रामनरेश यादव जी, श्री मोहम्मद शफी कुरैशी जी और डाक्टर भाई महावीर जी. यह तीनों मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल रहे हैं. स्वर्गीय रामनरेश यादव जी, उत्तरप्रदेश की राजनीति में एक बिल्कुल सामान्य परिवार से, एक पिछड़े परिवार से आते थे. जब वह पढ़ने जाते तो उनको कई किलोमीटर पैदल पढ़ाई करने अपने स्कूल में पहुंचना पड़ता था लेकिन धीरे-धीरे संघर्ष से डॉ.राममनोहर लोहिया और महात्मा गांधी के वह अनुयायी थे. अपने जुझारूपन से उन्होंने उत्तरप्रदेश की जनता की जिन्दगी में एक अपना स्थान बनाया. एक शिक्षक के रूप में और एक वकील के रूप में उन्होंने अपने जीवन की शुरूआत की और लगातार संघर्ष करते रहे वह राजनारायण जी के भी साथी रहे. उनके साथ वे लगातार आगे बढ़ते चले गये. प्रायमरी पाठशाला में वह अध्यापक थे तब सादगी के लिये जाने जाते थे. युवावस्था से समाजवादी आंदोलन से जुड़कर उन्होंने कई जन-आंदोलन चलाये विशेष रूप से जाति तोड़ो, बड़े नहर रेट, किसानों की लगान माफी, समान शिक्षा, आमदनी एवं खर्च की सीमा बांधने, वास्तविक रूप से जमीन जोतने वालों को उनका अधिकार दिलाने और अंग्रेजी हटाने जैसे आंदोलनों का उन्होंने नेतृत्व किया और कई बार वह जेल गये. मध्यप्रदेश में भी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाते उनका कार्यकाल आज भी याद किया जाता है और मध्यप्रदेश के राज्यपाल के नाते लगातार उनका सहयोग मध्यप्रदेश के विकास में मिला है. स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास एवं मूल्यों की उन्हें गहरी जानकारी थी और कई बार वह अपने सार्वजनिक वक्तव्यों में इसकी चर्चा किया करते थे. मैं उनके निधन से सार्वजनिक जीवन में उत्तरप्रदेश में क्षति हुई है, लेकिन मध्यप्रदेश के सार्वजनिक जीवन में अपूर्णीय क्षति मानता हूं उनको भी हम श्रद्धा के सुमन अर्पित करते हैं.
श्री मोहम्मद शफी कुरैशी जी मैं तब विधान सभा का सदस्य नहीं बना था, लेकिन एक राजनैतिक कार्यकर्ता के नाते, एक विद्यार्थी नेता के नाते कई बार शफी साहब से मिलने का मुझे अवसर प्राप्त हुआ वह उच्च कोटि के विद्वान थे. भारत की सांस्कृतिक एकता एवं अखंडता के वह अग्रदूत थे वह अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, हिन्दी एवं अवधि के बहुत अच्छे जानकार थे उन जैसे विद्वान बहुत कम हुआ करते हैं. वह विकासवादी सोच के नेता थे और सचमुच में राजनैतिक विचारधारा में प्रतिबद्धता रखने के बाद भी लगातार मानव कल्याण के कामों से वह गहराई से जुड़े रहे. वह केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों में मंत्री के रूप में उन्होंने अपनी प्रशासनिक दक्षता का परिचय दिया था और बाद में बिहार-पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे तथा मध्यप्रदेश के भी रहे और राज्यपाल के रूप में उत्तरप्रदेश का भी अतिरिक्त प्रभार उनको मिला. राज्यपाल के रूप में उनके सुदीर्घ प्रशासनिक अनुभवों का लाभ मध्यप्रदेश को मिला. हमने एक राष्ट्रवादी, देश के सच्चे भक्त और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक एक चिन्तनशील राजनेता को खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ.भाई महावीर जी हम में से अधिकांश लोग उनसे परिचित होंगे वह ऐसे परिवार से आते थे. डॉ.भाई महावीर जी के पिताजी मैं सदन को यह बात ध्यान दिलाना चाहूंगा भाई परमानन्द जी थे और भाई परमानन्द जी स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी नेता थे, सरदार भगत सिंह, सुखदेव, पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, करतार सिंह सराफा जैसे राष्ट्र भक्त युवक उनसे प्रेरणा प्राप्त करके देश के सेवा के मार्ग पर चले थे. भाई परमानन्द जी ऐसा नाम था कि पूरा देश श्रद्धा के साथ उनके चरणों में शीश झुकाता है. उन्हीं के संस्कार डॉ.भाई महावीर जी के जीवन में थे. वह मोलिक चिंतक थे, राष्ट्रवादी विचारक थे, सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् थे उनका सारा जीवन देश की एवं समाज की सेवा में समर्पित रहा है उन्हें यह सारे संस्कार अपने परिवार से विरासत के रूप में मिले थे. मध्यप्रदेश के राज्यपाल के नाते भी जिस सादगी के साथ हम लोगों ने जिनका अभी सम्पर्क आया उनको काम करते हुए देखा है उनका सादा जीवन उच्च विचार, बहुत सहज, बहुत सरल व्यक्ति के नाते उन्होंने यह काम किया और नैतिक मूल्यों पर आग्रह उनका सदैव बना रहता था. उनके निधन से एक सच्चा राष्ट्रवादी नेता, जनसेवक और महान देशभक्त खोया है. उनके चरणों में भी हम श्रद्धा के सुमन अर्पित करते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वर्गीय विद्याधर जोशी जी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं 1946 में सेवादल के वह सक्रिया कार्यकर्ता थे और सक्रिय कार्यकर्ता के नाते उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया. यहीं से उनका राजनीतिक जीवन भी प्रारम्भ हुआ. श्री जोशी जी ने आठवीं विधानसभा में कांग्रेस दल की ओर से शुजालपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था और राज्यमंत्री के नाते जिस भी विभाग का काम उनके पास था, उद्योग, वाणिज्य एवं बीस सूत्री क्रियान्वयन. उन्होंने अपनी पूरी निष्ठा से प्रदेश की सेवा की. उनके निधन से भी प्रदेश ने कर्मठ जनसेवी एवं समाजसेवी नेता को खोया है.
अध्यक्ष महोदय, डॉ. लालता प्रसाद खरे जी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में अनेकों आंदोलनों में भाग लिया था. भारत माता के पैरों से परतंत्रता की बेडि़यां काटने के लिए, वे लगातार संघर्ष करते रहे एवं जूझते रहे. वे सन् 1980 में सातवीं एवं सन् 1985 में आठवीं विधानसभा के सदस्य रहे थे, उन्होंने राज्यमंत्री के नाते प्रशासनिक दक्षता का परिचय देते हुए प्रदेश के नवनिर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.
अध्यक्ष महोदय, श्री राव देशराज सिंह यादव जी पिछले सदन के सदस्य थे. वे लगातार तीन अलग-अलग समय, तीन बार इस महान् सदन के सदस्य रहे थे. उन्होंने बचपन से ही राजनैतिक एवं सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया था और पंच से सार्वजनिक जीवन की शुरूआत की थी. अपनी संघर्षशीलता, जुझारूपन, अपनी दबंगता, अपने संघर्षों के कारण उन्होंने राजनैतिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान बनाया था. उन्होंने अनेकों राजनैतिक आंदोलनों में हिस्सा लिया था एवं वे विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े थे एवं जनहित के मुद्दों के प्रति सदैव सजग रहते थे और जनता की समस्याओं के समाधान के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते थे और लगातार उस क्षेत्र में रहकर जनता की भलाई और कल्याण के लिए संघर्ष करते रहते थे. मैं पिछले दिनों उनके घर बैठने गया था तब मुझे उनकी लोकप्रियता का एहसास हुआ. वहां बड़ी संख्या में जन-समूह उपस्थित था. वे सक्रिय थे और एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे, उस दिन सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मदिन था. वे उस दिन एक रैली में सम्मिलित हुए थे और बोलते-बोलते जैसे ही उन्होंने अपना उदबोधन समाप्त किया वैसे ही अचानक हार्ट अटैक के कारण, उन्होंने इस दुनिया को छोड़ा. वे भी हमें बहुत जल्दी छोड़कर चले गए. उनके असमय निधन से हमने एक कर्मठ नेता एवं एक लोकप्रिय जनसेवी को खोया है.
अध्यक्ष महोदय, श्री सेवाराम गुप्ता जी बहुत सहज एवं सरल थे. मुरैना से विधायक के नाते इस सदन में, वे दो बार चुनकर आए थे. बचपन से ही सेवाराम जी सेवा के कामों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के माध्यम से सक्रिय हुए थे, विद्यार्थी परिषद् के माध्यम से एवं वे अनेकों सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से संबद्ध रहे थे. वे अस्वस्थता के बाद पिछले दिनों हमारे बीच नहीं रहे. उनके निधन से भी सार्वजनिक जीवन को अपूरणीय क्षति हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रदेश श्री आरिफ बेग जी को कभी नहीं भूलेगा. वे इतने लोकप्रिय वक्ता थे, उनका जो जनता को सम्बोधन होता था, वह ‘मेरे मुल्क के मालिकों’ से प्रारम्भ होता था. उनकी अपनी एक विशिष्ट शैली थी. वे इतने लोकप्रिय, प्रभावशाली एवं ओजस्वी वक्ता थे कि एक समय था जब उन्हें सुनने मध्यप्रदेश और पूरे देश में भारी भीड़ उमड़ा करती थी और बड़े से बड़े नेता मौजूद हों तो अगर श्री आरिफ बेग जी उस सभा में मौजूद हों तो लोग स्वर्गीय आरिफ बेग जी को सुनना चाहते थे. वे बहुत लोकप्रिय नेता थे. उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरूआत संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से की थी और समाजवादी आंदोलन से जुड़कर संघर्ष करके, सार्वजनिक जीवन में अपना स्थान बनाया था. सन् 1967 में ही वे विधानसभा के सदस्य चुन लिए गए थे और सहकारिता मंत्री के नाते भी उन्होंने अपनी प्रभावशाली भूमिका का निर्वाह मध्यप्रदेश की जनता की सेवा में किया था. वे छठवीं और नौवीं लोकसभा के भी सदस्य चुने गए थे. सन् 1977 से सन् 1989 तक केन्द्रीय राज्यमंत्री के रूप में भी वाणिज्य, नागरिक आपूर्ति और सहकारिता जैसे मंत्रालय उन्होंने संभाले थे. वे हिन्दू और मुस्लिम एकता के बड़े पक्षधर थे एवं वे मानव सेवा के, राष्ट्रीय एकता के और राष्ट्रीय सद्भावना के अनेकों कार्यक्रम चलाते थे. उनके निधन से हमने एक महान राष्ट्रवादी नेता को, जनसेवक को और साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखने वाले नेता को खोया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, श्रीमती जयवंतीबेन मेहता का जन्म महाराष्ट्र में हुआ था और आपातकाल के पहले जनसंघ से उनका संबंध रहा था, जनसंघ के कार्यकर्ता के नाते उन्होंने सार्वजनिक जीवन में अपना स्थान बनाया. आपातकाल में संघर्ष करके वे लगातार 19 माह जेल में रहीं और बाद में दो बार महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्य चुनी गईं. 9 वीं, 11 वीं और 13 वीं लोकसभा की वे सदस्य थीं, 11 वीं और 13 वीं लोकसभा में, मैं भी उनके साथ सदन का सदस्य रहा. इसी नाते उनके साथ निकट संबंध और परिचय हुआ था. सांसद के रूप में भी वे अत्यंत प्रभावशाली सांसद के रूप में जानी जाती थीं और केन्द्र सरकार में भी उन्होंने 13वीं लोकसभा की अवधि में विद्युत राज्यमंत्री का पदभार बड़ी सक्षमता के साथ संभाला था, चलाया था.
ऐसे ही माननीय अध्यक्ष महोदय प्रो. एम.जी.के. मेनन देश के जाने माने वैज्ञानिक थे, मेनन रक्षामंत्री जी के और प्रधानमंत्री जी के वैज्ञानिक सलाहकार रहे, वे डीआरडीओ में महानिदेशक रहे, रक्षा मंत्रालय में अनुसंधान और विकास सचिव रहे और वर्ष 1982 से 1989 तक योजना आयोग के सदस्य के रूप में उन्होंने योजना बनाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था. राज्यसभा के सदस्य के नाते विशेषकर विद्यालय और प्रौद्योगिकी जैसे मामलों में उनके सुझाव, उनकी सलाह देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है. केन्द्र सरकार में भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु उर्जा, अंतरिक्ष, इलेक्ट्रानिक्स एवं महासागर विकास और बाद में शिक्षा राज्यमंत्री रहे. वे महान वैज्ञानिक थे, पदमश्री, पदम भूषण और पदम विभूषण से उनको इस देश ने सम्मानित किया था, उनके निधन से एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और एक सच्चा राष्ट्रवादी नेता हमने खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 20 नवंबर 2016 को कानपुर के पुखरायां स्टेशन के निकट, इन्दौर-राजेन्द्रनगर एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण हमारे अनेको भाई-बहनों और बच्चों को असमय काल-कवलित होना पड़ा. मध्यप्रदेश के भी हमारे यात्री उस ट्रेन में सवार थे, दुर्घटना की जानकारी मिलते ही हमने प्रयास किया कि हम घायलों का ठीक से इलाज करवा पाएं और जो भाई बहन दुर्घटना में नहीं रहे, उनको ससम्मान उनके घर भेज पाएं. एक बेटी को एयरलिफ्ट करके दिल्ली भी हमने इलाज के लिए भेजा, यथासंभव हमने कोशिश की कि संकट की इस घड़ी में हम अपनी ऐसी जनता के साथ खड़े रह पाए, जो रेल दुर्घटना के कारण बहुत भयानक परिस्थिति से गुजर रही थी. मैं ऐसे सभी रेल यात्रियों को श्रृद्धा सुमन अर्पित करता हूं, मैं परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि वह दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें और उनके परिजनों को, सहयोगियों को और अनुयायियों को गहन दुख करने की क्षमता दें, ओम शांति.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री सत्यदेव कटारे जी मध्यप्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष थे, जब उनका निधन हुआ. हम सबके लिए बड़ी दुख की बात है, माननीय अध्यक्ष महोदय, उनके निधन से हम सबको, पूरे प्रदेश को अपूरणीय क्षति तो हुई है और किसी के भी द्वारा उसकी पूर्ति कभी नहीं सकती है और मैं समझता हूं कि ये क्षति केवल उनके परिवार या कांग्रेस पार्टी तक ही सीमित नहीं है, पूरे मध्यप्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है. बड़ा नेता, बड़ा समाजसेवक और बड़ा कुशल प्रशासक हमने उनके रूप में खो दिया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय कटारे जी का जन्म 15 फरवरी 1955 को भिण्ड जिले में हुआ था और 1985 से उसी गांव से उन्होंने अपनी राजनीति शुरू की थी और 1985 में पहली बार वे मध्यप्रदेश विधानसभा के विधायक के रूप में चुनकर आए थे और उसके बाद 1988 में वे उपमंत्री परिवहन बने थे और उसके बाद वर्ष 1995 में वे गृह राज्यमंत्री बने और सर्वश्रेष्ठ मंत्री के रूप में उन्हें सम्मानित भी किया गया. उसके बाद 1995 से 1998 के बीच में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बने. जिस तरह से उन्होंने जो खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री के पद पर रहते हुए सेवायें दी हैं, आज भी उनको पूरे मध्यप्रदेश के लोग और जनता याद करती है. 2003 से 2008 की टर्म में माननीय सत्यदेव कटारे जी ने इसी विधान सभा में विपक्ष में रहते हुए एक महत्वपूर्ण विधायक की भूमिका अदा की और उसी दौरान उनको तत्कालीन लोक सभा अध्यक्ष, श्री सोमनाथ चटर्जी साहब ने सर्वश्रेष्ठ विधायक के रुप में भी सम्मानित किया था. मुझे याद है कि जब उनको नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी, जहां तक मेरी जानकारी है कि 9 जनवरी,2014 को उन्हें मध्यप्रदेश विधान सभा का नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था और विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष के रुप में उन्होंने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है. वे तथ्यात्मक एवं प्रामाणिकता के साथ विधान सभा में बात रखते थे. हमें याद है कि मार्च,2015 की बात है जब किसानों के लिये आंदोलन की बात आई थी, किसानों के मुद्दों को उठाने की बात आई थी, तो हम लोग किसानों के मुद्दों को उठा रहे थे, उसके बाद सत्र स्थगित हो गया था. तो कांग्रेस पार्टी के विधायक साथियों के साथ में 3 दिन और रात तक कांग्रेस पार्टी के विधायक जब इसी हाउस में थे,तो वे बराबर हम लोगों के साथ में हमारी हौसला अफजाई करते थे. तब भी वे अस्वस्थ थे, उसके बावजूद भी हमारे बीच में रहते थे. मैं यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के चाहे वे किसानों के मुद्दे हों, चाहे वह व्यापम का मुद्दा हो, चाहे लोक सेवा का मुद्दा हो, जो प्रदेश के सर्वहारा वर्ग के मुद्दे मध्यप्रदेश की विधान सभा में उन्हें जो उठाना चाहिये, मध्यप्रदेश की आवाज को जो यहां गुंजाना चाहिये, दमदारी से वे अपनी भूमिका को अदा करते थे और मध्यप्रदेश की जनता के लिये वे बातें रखते थे. शायद जहां तक मेरी जानकारी है कि वे अंतिम बार मध्यप्रदेश की विधान सभा में 5 नवम्बर,2015 को उपस्थित हुए थे, वह अंतिम समय उनका मध्यप्रदेश विधान सभा का, इस सदन का था और उस समय उन्होंने यह कहा था, उनके अंतिम वाक्य भी मुझे याद हैं कि मुझसे अगर त्रुटिवश या भूलवश कोई ऐसे शब्द निकल गये हों, जो बिलो बेल्ट हों, तो मैं उसके लिये क्षमा चाहता हूं. तो ऐेसे नेता आज हमारे बीच में नहीं रहे. उन्होंने विधायक रहते हुए, मंत्री रहते हुए, पंच रहते हुए, उसके बाद हमारी कांग्रेस पार्टी के संयुक्त सचिव, सचिव और महासचिव रहते हुए सब की लड़ाई उन्होंने लड़ी है, मजदूरों की लड़ाई भी लड़ी है. ऐसे नेता आदरणीय सत्यदेव कटारे जी, आज हमारे बीच में नहीं हैं, हम उन्हें याद करते हैं, हम उन्हें स्मरण करते हैं और उनके चरणों में मैं मेरी तरफ से तथा मेरी पार्टी के विधायक दल के सभी साथियों के तरफ से भी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने अभी कहा है कि यह संयोग ही कहा जा सकता है कि 3-3 पूर्व राज्यपाल जी भी हमारे बीच में नहीं रहे हैं, उन्हें भी आज हमें श्रद्धांजलि देना पड़ रही है. मैं आदरणीय श्री रामनरेश यादव जी, जोकि कई बार विधायक रहे हैं, लोक सभा एवं राज्य सभा के सदस्य भी रहे हैं, वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं और मध्यप्रदेश के 8 सितम्बर,2011 से 7 सितम्बर,2016 तक राज्यपाल रहे हैं. आपके निधन से देश ने एक वरिष्ठ राजनेता एवं कर्मठ जनसेवी को खो दिया है. हम उन्हें भी हमारे दल की तरफ से श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही श्री मोहम्मद शफी कुरैशी जी का जन्म 24 नवम्बर,1929 को श्री नगर में हुआ था. आप जम्मू एवं कश्मीर नेशनल कांग्रेस के संस्थापक अध्यक्ष तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव भी रहे हैं तथा राजसभा सदस्य रहे हैं. चौथी, पांचवीं एवं छठवीं लोकसभा के भी आप सदस्य रहे हैं. केंद्र सरकार में कई बार उन्होंने विभिन्न विभागों के मंत्री के रुप में काम किया है. आपने बिहार के तथा दो बार पश्चिम बंगाल के और फिर मध्यप्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया है. दिनांक 29 जून, 1993 से 21 अप्रैल, 1998 तक श्री मोहम्मद शफी कुरैशी जी ने हमारे मध्यप्रदेश के राज्यपाल के पद को भी सुशोभित किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मुझे भी श्री मोहम्मद शफी कुरैशी के साथ में नजदीक से काम करने का अवसर मिला है. एक बार राजपुर मेरी विधानसभा का क्षेत्र जो कि बड़वानी जिले में आता है, वहां का जो निवाली आदिवासी क्षेत्र है वहां पर उनको मुझे ले जाने का अवसर प्राप्त हुआ था. मैं उस समय राज्यपाल महोदय के साथ में था. तत्कालीन आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री श्री कांतीलाल भूरिया जी भी हमारे साथ में थे. हम लोग यहां से हेलीकाप्टर से निवाली गये थे. निवाली में विकलांगों के उपयोग हेतु एक आश्रम का शुभारम्भ आदरणीय मोहम्मद शफी कुरैशी साहब ने किया था. लंबे समय तक हमारा आना जाना उनके साथ में था. कई कार्यक्रमों में हमने उनके साथ में शिरकत की थी. मुझे उनको समझने का, सुनने का, सीखने का अवसर मिला है. आज वे हमारे बीच में नहीं हैं. मैं उन्हें मेरी तरफ से, मेरे दल की तरफ से सच्ची श्रृद्धासुमन अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, डॉ.भाई महावीर, मध्यप्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल महोदय का जन्म 30 अक्टूबर 1922 को ग्राम करियाला जिला झेलम, वर्तमान में यह पाकिस्तान में आता है, वहां हुआ था. डॉ.भाई महावीर भारतीय जनसंघ के संस्थापक रहे हैं. आप राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं. आपने दिनांक 22 अप्रैल 1998 से 6 मई, 2003 तक मध्यप्रदेश के राज्यपाल के पद को सुशोभित किया है. आज ऐसे डॉ. भाई महावीर हमारे बीच में नहीं हैं. मैं उन्हें भी अपनी ओर से अपने दल की और से सच्ची श्रृद्धासुमन अर्पित करता हूं तथा कहना चाहता हूं कि डॉ. भाई महावीर के रूप में देश ने वरिष्ठ राजनेता, शिक्षाविद एवं कर्मठ समाजसेवी को खो दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से श्री विद्याधर जोशी जी का जन्म 10 जुलाई 1932 को शुजालपुर में हुआ था. जोशी जी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1946 में सेवादल के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया था. वे आठवीं विधानसभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की तरफ से शुजालपुर विधानसभा क्षेत्र से चुने गये थे. जनवरी, 1989 से दिसम्बर 1989 तक श्री जोशी ने राज्य मंत्री, वाणिज्य उद्योग एवं बीस सूत्रीय कार्यान्वयन के रूप में प्रदेश में काम किया है. श्री जोशी के निधन से प्रदेश ने एक कुशल प्रशासक एवं कर्मठ समाजसेवी को खो दिया है. श्री विद्याधर जी जोशी को भी मैं अपनी तरफ से अपने दल की तरफ से श्रृद्धासुमन अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, डॉ.लालता प्रसाद खरे साहब का जन्म 20 मार्च 1921 को पन्ना में हुआ था. डॉ. खरे ने स्वतंत्रता संग्राम सैनानी के रूप में अनेक आंदोलनों में भाग लिया है. आप प्रांतीय और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य तथा मध्यप्रदेश कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. आपने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन में भी विभिन्न पदों पर कार्य किया है. डॉ.खरे, 1980 में सातवीं तथा 1985 में आठवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुये थे. आठवीं विधानसभा की अवधि के दौरान आप राज्यमंत्री, योजना आर्थिकी एवं सांख्यिकीय विभाग के मंत्री भी रहे हैं. डॉ. खरे के निधन से प्रदेश ने एक स्वतंत्रता संग्राम सैनानी एवं कर्मठ जनसेवी को खो दिया है. उन्हें भी मैं अपनी तरफ से अपने दल की तरफ से श्रृद्धासुमन अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, राव देशराज सिंह यादव जी का जन्म 2 मार्च 1957 को ग्राम अमरोदा जिला अशोकनगर में हुआ था. श्री यादव ने 1983 में ग्राम पंचायत के पंच के रूप में राजनीति की शुरूआत की थी. 1994 से 2003 तक आपने जिला पंचायत के सदस्य के रूप में भी कार्य किया है. आप भारतीय जनता पार्टी के गुना जिले के जिले के अध्यक्ष भी रहे हैं. आप 9वीं,11वीं तथा 13वीं विधानसभा के सदस्य के रूप में चुनकर आये थे, 3 बार आप विधायक रहे हैं. 2008 से 2013 के बीच में हमने उनके कार्य को देखा है, हमें उनके साथ में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ है. उनको हम विधानसभा में सुनते थे, उनकी खासियत यह थी कि वे किसी भी मामले को विधानसभा में दमदारी के साथ में उठाते थे और कोई भी समस्या चाहे वह प्रदेश के किसी वर्ग की हो, उनके विधानसभा क्षेत्र की कोई भी ज्वलंत समस्या होती थी उनको वे बड़ी दमदारी के साथ में उठाते थे और सदन में हमेशा सक्रिय रहते थे, अपने क्षेत्र में भी सक्रिय रहते थे. राव देशराज सिंह यादव जी के निधन से प्रदेश ने एक कर्मठ जनसेवक को खो दिया है. मैं अपनी तरफ से अपनी पार्टी की तरफ से उनको श्रृद्धा सुमन अर्पित करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री सेवाराम गुप्ता का जन्म 11 जून 1950 को ग्राम घनेला में हुआ था और श्री गुप्ता 1990 में 9वीं तथा 1998 में 11वीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुये थे, आपके निधन से भी प्रदेश के सार्वजनिक जीवन की अपूरणीय क्षति हुई है, उन्हें भी हम श्रृद्धासुमन अर्पित करते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री आरिफ बेग का जन्म 2 फरवरी 1936 को इंदौर में हुआ था. वे चौथी विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुये थे और उसके बाद 1967-68 में सहकारिता विभाग के मंत्री रहे हैं. छठवीं तथा नवमीं लोकसभा के सदस्य चुने गये हैं और 1977 से 1979 तक केन्द्र सरकार में राज्यमंत्री वाणिज्य, नागरिक आपूर्ति एवं सहकारिता मंत्री रहे हैं. आपके निधन से भी देश ने एक वरिष्ठ राजनेता, कुशल प्रशासक एवं कर्मठ समाजसेवी को खो दिया है, हम उन्हें भी श्रृद्धासुमन अर्पित करते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्रीमती जयवंतीबेन मेहता का जन्म 20 दिसम्बर 1938 को औरंगाबाद महाराष्ट्र में हुआ था. आप आपातकाल के दौरान 19 माह तक जेल में रहीं थीं. श्रीमती मेहता 1978 से 1985 तक दो बार महाराष्ट्र विधान सभा की सदस्य तथा 9वीं, 11वीं तथा 13वीं लोकसभा की सदस्य रही हैं. 13वीं लोकसभा अवधि में आपने केन्द्र सरकार में विद्युत राज्यमंत्री का पद भी संभाला था. वे भी आज हमारे बीच में नहीं हैं. उन्हें भी हम श्रृद्धा सुमन अर्पित करते हैं. मैं मेरी तरफ से तथा हमारे दल की तरफ से उन्हें भी श्रृद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रो. एम.जी.के. मेनन का जन्म 28 अगस्त 1928 को मंगलौर, कर्नाटक में हुआ था. श्री मेनन रक्षा मंत्री एवं प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे हैं और आप डीआरडीओ में महानिदेशक रक्षा मंत्रालय में अनुसंधान और विकास सचिव तथा 1982 से 1989 तक योजना आयोग के सदस्य रहे हैं और 1990 से 1996 तक राज्य सभा के सदस्य रहे हैं. आपने केन्द्र सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी परमाणु ऊर्जा अंतरिक्ष, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं महासागर विकास तदंतर शिक्षा राज्य मंत्री के रूप में काम किया है. 1961 में आपको पद्मश्री, 1968 में आपको पद्मभूषण तथा 1985 में पद्मविभूषण से अलंकृत किया गया था, ऐसे नेता आज हमारे बीच में नहीं रहे हैं, उनके निधन से देश ने एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और कुशल प्रशासक खो दिया है, उन्हें भी हम श्रृद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
ऐसे ही इंदौर पटना ट्रेन दुर्घटना के मृतकों को मैं मेरी तरफ से तथा मेरे दल की तरफ से भी श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं.
इसके अलावा भी माननीय अध्यक्ष महोदय, ऊरी हमले और नगरोटा हमले और सीमा पर शहीद हुये सैनिकों को श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं. देश की रक्षा के लिये शहीद हुये सैनिकों की शहादत को कृतज्ञ राष्ट्र सेल्यूट करता है.
भोपाल जेल ब्रेक की दुर्घटना में शहीद रमाशंकर यादव जी को भी मैं मेरी तरफ से तथा मेरे दल की तरफ से श्रृद्धा सुमन अर्पित करता हूं.
प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं में असमय मृत्यु के शिकार हुये प्रदेशवासियों को मैं मेरे दल की तरफ से श्रृद्धा सुमन अर्पित करता हूं और पूरे देश में नोटबंदी की लाइन में जिन लोगों की मौत हुई है एवं जो बैंककर्मी इस अवधि में मौत के शिकार हुये उन्हें भी मैं श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इन तमाम् दिवंगत आत्माओं को जिनका मैंने उल्लेख किया है, विधान सभा ने उल्लेख किया है, मैं मेरी तरफ से तथा मेरे दल की तरफ से श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं और ईश्वर से यह प्रार्थना करता हूं कि इन सभी दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करे और उनके शोक संतृप्त परिवारों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने और प्रभारी नेता प्रतिपक्ष जी ने आज की कार्यसूची में सभी जो दिवंगत मृत आत्मायें हैं उनके प्रति संवेदना व्यक्त की है. मैं भी कुछ शब्दों में अपनी बात रखना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्यदेव कटारे जी जिन्होंने अपनी राजनीति एक पंच से शुरू की थी और नेता प्रतिपक्ष तक पहुंचे, मंत्री भी थे, हम लोग साथ में मंत्री थे. कटारे जी एक नारियल जैसे थे, ऊपर से सख्त थे और अंदर से मुलायम थे. लेकिन जो ऊपर का आवरण था उसको प्रहार से तोड़ने में वह प्रतिक्रिया देते थे. उसको प्रेम के प्रहार से ही तोड़ा जाता था तब उनके अंदर का मुलायमपन सामने आता था. आज वे हमारे बीच नहीं हैं. कटारे जी संघर्ष के पर्याय थे. जीवन भर उन्होंने संघर्ष किया. गरीबों के लिये, किसानों के लिये उन्होंने अपनी अवाज बुलंद की और जैसा मैंने कहा पंच से लेकर लेबर यूनियन की राजनीति में भी वे सक्रिय रहे और वार्ड ब्वाय का काम भी किया. यानि नीचे से ऊपर उठे हुए एक तपेतपाये राजनेता थे और अंत तक जैसा मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मृत्यु से संघर्ष करते रहे लेकिन अंततोगत्वा काल के गाल में समा गये और हमारे बीच नहीं रहे.
" बड़े गौर से सुन रहा था जमाना,
तुम ही सो गये दास्तां कहते-कहते "
कटारे जी के प्रति,उनके परिवार के प्रति मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. यह भी एक दुखद संयोग ही है कि तीन-तीन राज्यपाल जो हमारे प्रदेश के थे वे आज हमारे बीच नहीं हैं. वे दिवंगत हो गये और राज्यपाल की भूमिका को जैसा आप जानते हैं कार्यपालिका,न्यायपालिका और विधायिका तीनों के मुखिया होते हैं. हमारे तीन-तीन पूर्व मुखिया नहीं रहे.
आदरणीय रामनरेश यादव जी एक बड़े ही सरल व्यक्ति थे और जीवन में उन्होंने विधायक के रूप में,लोक सभा,राज्यसभा के सांसद रहे और उसके बाद वे अपने प्रदेश में राज्यपाल बने. हम लोग जब भी उनसे मिलने जाते थे तो बड़े सहज और सरल भाव से अपनी बातें रखते थे. हम लोगों को समझाया करते थे और अनेकों संस्मरण,अपने राजनैतिक जीवन के सुनाया करते थे. अंतिम दिनों में उनके पुत्र के निधन के कारण वे दुखी भी रहा करते थे. वे आज हमारे बीच नहीं हैं. हमने एक जुझारू और संघर्षशील नेता जिसने गरीबों और पिछड़ों की आवाज को ताकत दी उनको खोया है. उनके प्रति अध्यक्ष महोदय, मेरी श्रद्धांजलि है.
श्री मोहम्मद शफी कुरैशी साहब के बारे में जैसा मुख्यमंत्री जी कह रहे थे. बड़े विद्वान व्यक्ति थे. कई भाषाओं के ज्ञाता थे. उनका विशिष्ट स्थान जम्मू-कश्मीर और देश की राजनीति में था. केन्द्र में उन्होंने मंत्री पद को भी सुशोभित किया. अपने यहां जब वे राज्यपाल थे तो कई बार मुझे भी उनसे बातें करने का अवसर मिला और एक विशेष कार्य मुझे तत्कालीन मुख्यमंजी जी ने सौंपा था. जब यह वी.आई.पी. रोड बन रहा था, वी.आई.पी. रोड बनाने का बहुत सारा श्रेय आदरणीय गौर साहब को जाता है लेकिन वहां एक पुल नहीं बन पा रहा था. गौहर महल एक तरफ और मस्जिद दूसरी तरफ थी तो भोपाल के बहुत सारे नागरिक माननीय राज्यपाल मोहम्मद शफी कुरैशी साहब से मिले थे और उनसे अनुरोध किया था कि यह गौहर महल न टूटे. उन्होंने भी एक धारणा बनाई चूंकि इसलिये नहीं कि वह इस्लामिक स्ट्रक्चर था वरन् इसलिये कि गौहर महल राष्ट्रीय धरोहर जानी जाती थी तो कई मीटिंग उस सिलसिले में उनके साथ हुई इसलिये नजदीकी से उनसे मेरा संपर्क हुआ. अंततोगत्वा वे तैयार हुए. मैंने उनको आश्वस्त किया चूंकि मैं विभागीय मंत्री भी था इसलिये मैंने उनको आश्वस्त किया कि इसका जितना हिस्सा रास्ते में आ रहा है उसे हम शिफ्ट रीलोकेट कर देंगे. उस हिस्से को रीलोकेट किया गया और गौहर महल बनकर तैयार हुआ. वे अव्वल दर्जे के राजनेता थे. और बड़े शौकीन थे. शेरो-शायरी बहुत करते थे. उनका एक शेर मुझे याद आ रहा है. अक्सर वे कहा करते थे
" तू शाहीन है परवाज है काम तेरा,
तेरे आगे आसमां और भी हैं "
लेकिन उनके लिये भी शायद अब दूसरे आसमान है. मैं ऐसा सोचता हूं.
अध्यक्ष महोदय, डॉ भाई महावीर अव्वल दर्जे के विद्वान थे. उनकी जो पृष्ठभूमि है, जैसा माननीय मुख्यमंत्री ने बताया कि वे भाई परमानन्द जी के परिवार के थे. वह अपने आप में गर्व करने की बात है. वे हमारे राज्यपाल थे. बहुत कम बोला करते थे. उस समय मैं भी मंत्री था. उनसे मिलता था. उनके लिए भी कि ‘कबीरा खड़ा बाजार में सबकी मांगे खैर, न काहू से दोस्ती न काहू से बैर’ इस प्रकार का उनका व्यवहार रहता था. वे एक सलाहकार, सुझाव देने वाले व्यक्ति के रुप में कम शब्दों में हमेशा उनसे बातें हुआ करती थी.
अध्यक्ष महोदय, डॉ लालता प्रसाद खरे, चूंकि मैं भी सतना जिले से आता हूं. विधान सभा की राजनीति में वे मुझसे बहुत सीनियर थे. 1980 में जब विधायक बना था तो मैं 30 वर्ष का और वे 60 वर्ष के थे. लेकिन उम्र का अन्तर कभी हमारे बीच बाधा नहीं बना. एक पिता तुल्य व्यवहार था. हम लोग उनसे बराबर चर्चा करते थे. सुझाव लेते थे. डॉ साहब का स्वतंत्रता संग्राम में भी बड़ा योगदान रहा. वे राजनीति के अलावा भी तमाम सामाजिक संस्थाओं से जुड़े रहे. वे रोटरी के गवर्नर हुआ करते थे. वे ता-उम्र जीवन में सक्रियता से भाग लेते रहे. मैंने उनकी विशेषता देखी कि उनको यदि किसी ने भी किसी कार्यक्रम में बुलाया भले ही उसमें कितने भी आदमी हों, 5 हजार, 10 हजार या 10 आदमी हैं, डॉ लालता प्रसाद खरे जी ने मना नहीं किया. किसी को निराश नहीं किया. अंतिम समय में उन्होंने वृद्धाश्रम खोला था. उनकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी. पिछले 10 वर्षों से वृद्धाश्रम का संचालन करते थे. वे स्वयं भी लोगों के साथ वहीं पर रहते थे. हम लोग यह सोचते थे कि वे उम्र के 100 वर्ष पूरे करेंगे लेकिन दुर्भाग्य से एक दुर्घटना हुई गिर गए और फ्रेक्चर होने के कारण डॉ शेजवार जी बेहतर जानते हैं, और क्षमा करें, मैं तो भूल ही गया था कि आप स्वयं भी डॉक्टर हैं, उस उम्र में गिरने से रिकवरी बहुत कम हुआ करती है. डॉ खरे उससे उबर नहीं पाये. अभी कुछ दिनों पूर्व उनकी मृत्यु हुई. मैं भी उनके अंतिम संस्कार में गया था. उनके न रहने से हमारे जिले में राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्र में शून्यता, रिक्तता आयी है. उससे उबर पाना सरल नहीं है. ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे.
अध्यक्ष महोदय, आदरणीय विद्याधर जोशी जी, श्री राव देशराज सिंह जी, श्री सेवाराम गुप्ता जी का भी निधन हो गया है. श्री आरिफ बेग जी का भी इन्तकाल हो गया. वे भी अभूतपूर्व व्यक्तित्व के धनी थे. मैं भी चूंकि भोपाल में पढ़ता था. उनके भाषण अक्सर मैं भी सुना करता था. उनका ओ मेरे मुल्क के मालिकों वाला जो जुमला था वह अक्सर दोहराया करते थे. और यह भी कहा करते थे कि हिंदुस्तान में जब बच्चा गोद बैठता है तो कहता मां रोटी दे दे और अमेरिका में जब कोई बच्चा गोद में बैठता है तो कहता मां मुझे चांद पर जाना है, सितारों में जाना है. इस तरह उनके भाषण बड़े आकर्षक हुआ करते थे. वे आज हमारे बीच नहीं रहे.
अध्यक्ष महोदय, इसी तरह श्रीमती जयवन्ती बेन मेहता, प्रो. एमजीके मेनन जो वैज्ञानिक भी थे ये सब हमारे बीच में नहीं है. सार्वजनिक जीवन में ऐसे विद्धानों के न रहने से निश्चित रुप से रिक्तता आती है. मैं सभी को श्रद्धांजलि देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, कानपुर के निकट पुखरायां में जो रेल दुर्घटना हुई वह संभवतः रेलवे के इतिहास में सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक है. उसमें लगभग 150 लोग मृत हुए और बहुत सारे लोग घायल हुए. सभी मृत्य आत्माओं को मैं श्रद्धांजलि देता हूं.
श्री सत्यप्रकाश सखवार( अम्बाह )--अध्यक्ष महोदय, मुझे सदन को सूचित करते हुए अत्यंत दुख हो रहा है कि नेता प्रतिपक्ष श्री सत्यदेव कटारे जी का 30 अक्टूबर, मप्र के राज्यपाल श्री रामनरेश यादव जी का 22 नवम्बर, श्री मो. शफी कुरैशी जी का 28 अगस्त और भाई महावीर जी का 30 सितम्बर, श्री विद्याधर जोशी जी का 27 अक्टूबर, डॉ लालता प्रसाद खरे जी 28 अक्टूबर, राव देशराज जी यादव का 31 अक्टूबर, श्री सेवाराम गुप्ता का 30 नवम्बर,भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री आरिफ बेग का 5 सितम्बर , श्रीमती जयवन्ती बेन मेहता का 7 नवम्बर और प्रो एमजीके मेनन का 22 नवम्बर को निधन हो गया है.
अध्यक्ष महोदय, इन महान विभूतियों के संबंध में मुख्यमंत्री जी द्वारा, नेता प्रतिपक्ष जी द्वारा और हमारे उपाध्यक्ष जी द्वारा जो उल्लेख किया है उसी कड़ी में मैं कहना चाहता हूं कि जिन महान विभूतियों ने अपने सामाजिक जीवन में, राजनीतिक क्षेत्र में और धार्मिक क्षेत्र में मध्यप्रदेश के निर्माण में, राष्ट्र के निर्माण में अपनी अहम् भूमिका अदा की है और जो आज हमारे बीच में नहीं हैं, उनका नाम इतिहास के पन्नों में हमेशा- हमेशा के लिए दर्ज हो गया है. हम सबको उनसे एक नयी प्रेरणा मिलती रहेगी. एक नयी दिशा मिलेगी जिन्होंने अपना सारा जीवन लगाकर संघर्ष के द्वारा इस महत्वपूर्ण मुकाम तक वे पहुंचे और इस देश के, समाज के, राष्ट्र के निर्माण में अपनी अहम भूमिका अदा की है.
इन सभी महानुभावों को मैं अपनी ओर से, अपने दल की ओर से उनके चरणों में शोक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. उनके परिवारजनों को इस दुख की घड़ी में दुख सहन करने की शक्ति मिले. कानपुर में हुई रेल दुर्घटना में जिन लोगों की मृत्यु हुई है, यह दुखद घटना अभी हाल ही में हुई हैं. ऐसी दुर्घटना अभी तक देखने को नहीं मिली थी, किसी के बच्चे खो गये, किसी के माता-पिता खो गये, किसी के भाई-बहन खो गये, ऐसी वीभत्स घटना घटी है, इस दुर्घटना के लिए भी मैं अपनी ओर से शोक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष आदरणीय श्री सत्यदेव कटारे जी का निधन समूचे प्रदेश के लिए, भिण्ड जिले के लिए और कांग्रेस पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है. अध्यक्ष जी, कटारे जी ने जन्म के बाद से छात्र जीवन से ही संघर्ष किया और एमजेएस महाविद्यालय में, भिण्ड में शिक्षा अध्ययन करते समय छात्र संघ के चुनाव भी लड़े. छात्रों के अनेक आन्दोलनों में जन समस्याओं के लिए वे छात्र जीवन से ही संघर्ष करते रहे. एक मुसाफिर के रूप में भिण्ड जिले के अटेर क्षेत्र के गांव मनेपुरा से मध्यप्रदेश की विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तक पहुंचने के लिए एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेकर वे यहां तक आए.
अध्यक्ष महोदय, कटारे जी अपने संपूर्ण जीवन में जहां भी संघर्ष की बात आती थी, जनता के साथ कहीं अन्याय की बात हो, किसी की समस्या को उठाने में कभी पीछे नहीं रहे. उन्होंने कांग्रेस पार्टी से मध्यप्रदेश की विधान सभा में सदस्य बनने के बाद आदरणीय श्री रसूल अहमद सिद्दिकी जी, जो पूर्व मंत्री थे, उनके सानिध्य में मजदूर आन्दोलन में भाग लिया. भेल में काम करते हुए वर्ष 1978 में मध्यप्रदेश विधान सभा में पहला उनका राजनीतिक रूप से प्रदेश में नाम हुआ. विधान सभा में उन्होंने पर्चे फेंककर मध्यप्रदेश में जन समस्याओं के लिए मुद्दा उठाया था. उस समय से कांग्रेस पार्टी में वे सक्रिय सदस्य बने. बहुत कम उम्र में ही वे मंत्री बन गये थे. वोरा जी के समय वे उप मंत्री रहे, उन्होंने एक कार्यकाल को छोड़कर लगातार 3 कार्यकालों में उपमंत्री, मंत्री और नेता प्रतिपक्ष के पद पर रहते हुए कार्य किया. जैसा माननीय उपाध्यक्ष महोदय ने कहा कि ऊपर से कठोर तो थे, लेकिन वे भीतर से मुलायम भी थे. वे सहृदयी थे. मनेपुरा गांव में महाविद्यालय के लिए लोगों ने उनको बुलाया और उस समय दिग्विजय सिंह सरकार ने एक नीति बनाई थी कि अगर कोई व्यक्ति पांच लाख रुपए या पांच लाख रुपए की जमीन दान देता है तो उस गांव में महाविद्यालय खोला जाएगा, उस गांव में उन्होंने ऐसे महाविद्यालय खोलने का काम किया. उस समय श्री सत्यदेव कटारे जी के पास साढ़े चार बीघा जमीन थी और उन्होंने पूरी जमीन शासकीय महाविद्यालय के लिए दान दी और भूमिहीन होकर रहे. हम लोग वर्षों से साथ-साथ रहे.भिण्ड जिले की अनेक जन समस्याओं के समाधान में हम साथ रहे. सरकार में भी जब वे रहे, तब भी एक मित्र के नाते हम एक-दूसरे के सुख-दु:ख में भागीदार बने रहे. 1990 से मैं विधायक रहा हूं. कोई न कोई हमारा साथी भिण्ड जिले से विधायक रहा है. आज वे हमें छोड़कर चले गए हैं. यह समूचे मध्यप्रदेश और विशेषकर भिण्ड जिले, कांग्रेस पार्टी एवं गरीबों के लिए अपूरणीय क्षति है. मैं परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि श्री सत्यदेव कटारे जी की आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके शोकाकुल परिवार को भी साहस प्रदान करे. श्री रामनरेश यादव, मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल, श्री मोहम्मद शफी कुरैशी, मध्यप्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल, डॉ. भाई महावीर, मध्यप्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल, श्री विद्याधर जोशी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, डॉ. लालता प्रसाद खरे, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, राव देशराज सिंह यादव, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, श्री सेवाराम गुप्ता, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य, श्री आरिफ बेग, भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री, श्रीमती जयवंतीबेन मेहता, भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री, प्रो. एम.जी.के.मेनन, भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री, इन सभी के प्रति मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. इसके अतिरिक्त कानपुर के निकट पुखरायां, जो कि मेरे विधानसभा क्षेत्र के बहुत समीप है, मेरे विधानसभा क्षेत्र लहार में उत्तरप्रदेश के पलार गांव के दो निवासी रहते थे, जिनकी मृत्यु भी इस भयावह रेल दुर्घटना में हुई है, मैं उनके प्रति भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. ओम शांति.
अध्यक्ष महोदय- मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगत आत्माओं के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा. (दिवंगतों के सम्मान में सदन द्वारा दो मिनट का मौन रखा गया)
दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 6 दिसंबर 2016 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
मध्याह्न 12.07 बजे विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 6 दिसंबर 2016 (15 अग्रहायण, शक संवत् 1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 5 दिसंबर, 2016 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा