मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा षष्ट्म सत्र
जुलाई-अगस्त, 2025 सत्र
मंगलवार, दिनांक 05 अगस्त, 2025
(14 श्रावण, शक संवत् 1947)
[खण्ड- 6 ] [अंक- 7]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 05 अगस्त, 2025
(14 श्रावण, शक संवत् 1947)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत् हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है, आज फिर माननीय मुख्यमंत्री जी ने 24 प्रश्नों के उत्तर नहीं दिये हैं और वित्तमंत्री जी ने 11 प्रश्नों के उत्तर नहीं दिये हैं, आपने इस संबंध में मंगलवार को ही व्यवस्था दी थी.
अध्यक्ष महोदय-- श्री बाला बच्चन जी प्लीज, अभी कार्यवाही प्रारंभ नहीं हुई है.
संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, अभी प्वाइंट ऑफ आर्डर आता ही नहीं है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके आदेश का भी सरकार, मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री जी पालन नहीं करते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, अभी तो विधानसभा चालू ही नहीं हुई है और उसके पहले ही प्वाइंट ऑफ आर्डर आ गया.
अध्यक्ष महोदय -- श्री बाला बच्चन जी प्लीज आप बैठ जायें, पहले मैं जरा एक निधन का उल्लेख कर रहा हूं,
11.02 बजे निधन उल्लेख
मुख्यमंत्री(डॉ.मोहन यादव) -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री झारखण्ड और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यसभा के सदस्य श्री शिबु सोरेन जी का 04 अगस्त, 2025 को निधन हुआ, जिनको उपनाम गुरूजी से सभी जानते थे. श्री सोरेन 11 जनवरी, 1944 को नेमरा नामक एक छोटे से स्थान, जिला हजारीबाग तत्कालीन बिहार में आपका जन्म हुआ था. आप शुरू से झारखण्ड राज्य के लिये लड़ते रहे और झारखण्ड राज्य के लिये न केवल लड़े बल्कि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के महासचिव और अध्यक्ष भी रहे और अंतत: आपने झारखण्ड राज्य का गठन भी करवाया और वर्ष 2005 से लगाकर 2010 तक मुख्यमंत्री रहे. आप वर्ष 2005 तथा वर्ष 2008 से 2010 तक की अवधि में तीन बार तत्कालीन उस समय के झारखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री रहे और उसके बाद भी आपकी लोकप्रियता का ही परिणाम है कि सात बार लोकसभा, एक बार राज्यसभा सदस्य रहे. आपने लंबे समय तक अपने इस सार्वजनिक जीवन में अलग-अलग दायित्वों का निर्वहन किया, कई-कई विभागों के आप मंत्री रहे, कोयला खान, इस प्रकार से ऐसे कई कामों को आपने सफलतापूर्वक संपन्न कर विभागों को चलाया और देश सेवा की और मैं मानकर चलता हूं कि जिस प्रकार से आपका जीवन जीवटताभरा रहा, यह हमारे सभी के लिये सीखने की बात है कि जीवटता ऐसी कि जीवटता में जेल भी चले जायें तो भी जनता का समर्थन नहीं जाये और जनता अंतत: आपके साथ ही खड़ी रही, यह बहुत कम होता है और उसके बावजूद भी एक पीढ़ी नहीं दूसरी पीढ़ी को भी उनके नाम से ही चुनाव जिता दे
आज झारखंड राज्य में अगर कोई मुख्यमंत्री है, तो उनके ही अपने सुपुत्र हैं. ऐसे एक तरह के अलग प्रकार से बहुत कर्मठ, जीवट व्यक्तित्व का, हमारे बीच में से जाना, ये सार्वजनिक जीवन की क्षति है. मैं अपनी और से, दल की ओर से, सरकार की ओर से, शोक संवेदना प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा के प्रति बाबा महाकाल से कामना करता हूं कि वे उन्हें अपने चरणों में स्थान दें, ओम शांति..
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) – माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से झारखंड के एक आदिवासी बड़े नेता, हमारे बीच में नहीं रहे. मैं कह सकता हूं कि मैं पार्टी की ओर से साढ़े तीन साल झारखंड में सहप्रभारी रहा इस दौरान उन्हें करीब से देखने का मौका मिला. बड़े सुलझे हुए व्यक्ति थे और जो बात ठानते थे, उस बात पर हमेशा अडिग रहते थे. कई बार पार्टी की टिकटों को लेकर कई बातें होती थीं, आपसी अलायंस को लेकर. पार्टी की तरफ से मैं अधिकृत था, संवाद करने के लिए, तो कभी जो उनको समझ आता था, जितना उन्हें कम्प्रोमाइस करना था, करते थे और यही कारण है कि एक संथाल आदिवासी ने इस झारखंड राज्य को लेकर लड़ाई लड़ीं. निश्चित तौर से सरकार बनाने में उनकी अहम भूमिका रही. मैं यह भी मानता हूं कि ऐसे विरले लोग होते हैं जो अपने परिवार को त्यागकर जनसेवा में आते हैं, उनके पिता की हत्या हुई, उसके बाद वे जन आंदोलन में टूट पड़े, उन्होंने शराबबंदी को लेकर आंदोलन किया. शराबबंदी को लेकर उन्होंने रूल बनाया कि जो जिस गांव में शराब पीयेगा, उस गांव में उसको खड़ा करके, रस्सी से बांधकर उस गांव की महिलाएं लाठी मारेगी, इसका बहुत प्रभाव पड़ा, निश्चित तौर से मैं कह सकता हूं कि शराबबंदी में झारखंड में उनकी अहम भूमिका रही और वर्ष 2023 के चुनाव में, मैं एक किस्सा सुनाना चाहता हूं. मुझे अर्जेंट में यहां आना था, सरकार थी वर्ष 2019 की बात है तो मुझे जाना था और सिंगल इंजन का हैलीकाप्टर था तो बोले सीबू सोरेन जी आ रहे हैं, उमंग इनके साथ रांची पहुंच जाओ. मैं उस हैलीकाप्टर में बैठ तो गया और हैलीकाप्टर पूरा हिल रहा था, तो मैंने कहा दादा ये क्या है. हम पहुंच पाएंगे कि नहीं रांची, तो बोले चिन्ता मत कर, जो होगा, इंतजार कर, तैयार रहे, जाना है तो चले जाएंगे, नहीं तो रांच पहुंच जाएंगे, तो ये उनकी जिन्दादिली थी और जीवटता थी जीवन को निर्भिकता के साथ जीने का एक तरीका था और यही सोच उनकी कि झारखंड एक नया राज्य मिला और आदिवासियों का वहां एक आंदोलन और जिस प्रकार से भूमिका बनी उनके बेटे, उनकी पीढ़ी को, परिवार को, आगे बढ़ा रहे हैं, निश्चित तौर से उनकी विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं. मैं समझता हूं कि निश्चित तौर से झारखंड राज्य के लिए विशेष रूप से देश के साथ एक बड़ी दुखद बात है और मैं समझता हूं कि यह भरपाई झारखंड राज्य नहीं कर पाएगा और आदिवासी समाज जिस प्रकार से संथाल, उरांव कई जातियां वहां पर हैं, उसमें एक संथाल का नेता खोया है. मैं समझता हूं कि निश्चित तौर से शोक की बात है और मैं मेरे दल की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें शांति दें, उनके परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति दें, धन्यवाद.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल—माननीय अध्यक्ष जी, मैं आदरणीय शिबू सोरेन जी के चरणों में नमन करके श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. एक निर्भीक वचन के पक्के फक्कड़ मिजाज और सादगी भरा जीवन गुरू जी का था. गुरू जी के साथ मेरे व्यक्तिगत संबंध बहुत अच्छे थे. मैं उन बातों की गहराई में नहीं जाना चाहता हूं, लेकिन एक घटना को इस अवसर पर जरूर स्मरण करूंगा. श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी जी की सरकार एक वोट से गिरी थी उसमें जो एक वोट अनुपस्थित था वह गुरू जी का वोट था. मैं उनसे तब तक मिला नहीं था. मैं उनको जानता नहीं था, लेकिन जो सम्पर्क था उस निर्णय के बाद जब मैं उनसे मिला कि मैं ही प्रहलाद पटेल हूं, तो मुझे लगता है कि जबान की जो कीमत होती है वह मैंने जीवन में पहली बार देखी बाद में हम लगातार उनके सम्पर्क में रहे हैं. लेकिन इतना सादगीपूर्ण जीवन अगर उन्होंने नशामुक्ति का अभियान चलाया तो वह जानते थे कि जब तक इससे समाज को बाहर नहीं निकालेंगे, तब तक जनजाति समाज ऊपर उठ नहीं सकता है. लेकिन उनके लिये जो रास्ते चुने वह रास्ते अनुकरण करने लायक हैं. ऐसा मैं मानता हूं कि सादगीभरा जीवन, उनका संघर्ष, उनकी निर्भयता के साथ जीने की उनकी जो प्रवृत्ति थी और कहीं कोई टकराव ऐसा ना हो कि किसी का अपमान ना हो उसके बाद वह अपने रास्ते पर आ जाये. मुझे लगता है कि उनके इन प्रयासों को हम सबको इनका अनुकरण करना चाहिये. मैं फिर से उनके चरणों में नमन करता हूं, श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
डॉ.हिरालाल अलावा—माननीय अध्यक्ष महोदय, शिबू सोरेन जी को दिशोम गुरू के नाम से जाना जाता है. दिशोम मतलब कि देश का गुरू, दिशोम मतलब आदर्श, समाज का संरक्षक, झारखण्ड का संरक्षक, झारखण्ड की राजनीति में एक युग का प्रतीक थे. उनका संघर्ष, आंदोलन और सत्ता का अनोखा संगम रहा. झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और आदिवासी अस्मिता के प्रबल शिबू सोरेन जी ने अपने पांच दशकों के राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे. उनकी मृत्यु 4 अगस्त 2025 के साथ ही झारखण्ड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया. प्रारंभिक जीवन, उनका जन्म 11 जनवरी, 1944 को तत्कालीन बिहार के नेमरा गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ था. उनके पिता सोबरेन सोरेन एक शिक्षक और गांधीवादी विचारक थे जो कि दबंगों के खिलाफ आवाज उठाते थे. 1957 में जब शिबू सोरेन मात्र 13 वर्ष की उम्र के थे, तो उनके पिता की दबंगों के द्वारा हत्या कर दी गई. यह घटना उनके जीवन का टर्निंग पाईंट थी और इस घटना के भीतर अन्याय और शोषण के खिलाफ लड़ने की भावना को जागृत किया. उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और आदिवासियों के हक और अधिकारों के लिये लड़ाई में वे कूद पड़े. 1960 के दशक में शिबू सोरेन जी ने दबंगों को सूदखोरों के खिलाफ धनकटनी आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन के माध्यम से वहां के आदिवासियों की जो जमीन थी वहां पर दबंगों द्वारा कब्जा कर लिया था. कब्जा करने के बाद में जो आदिवासी भाई खेत के मालिक थे उनको वहां पर मजदूर बना दिया जाता था. शिबू सोरेन जी ने धनुष बाण लेकर अपने अपने खेत की मेढ़ के चारों तरफ घेरा बनाकर वहां के आदिवासियों को कहा कि आपका खेत है, आपकी जमीन है. आपको इसमें कटाई करने का अधिकार है. यह आंदोलन धीरे धीरे पूरे झारखण्ड में फैला और इसी बीच उनके आदिवासियों के बीच में आदिवासियों के लिये लड़ाई करने के कारण उनको दिशोम गुरू का दर्जा दिया जाने लगा. शिबू सोरेन जी ने गांव गांव जाकर आदिवासियों को जागरूक किया और उनके हक और अधिकारों की लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभाई. 1972 में शिबू सोरेन जी ने विनोद बिहारी महत्तो और ए.के.राय के साथ मिलकर झारखण्ड मुक्ति मोर्चे की स्थापना की इसका उद्देश्य आदिवासियों के वंचित समुदायों के हक की लड़ाई लड़ना और झारखण्ड में एक अलग राज्य का दर्जा दिलाना. जे.एम.एम.ने जल, जंगल, जमीन के मुद्दों को लेकर आदिवासियों के बीच में एक मजबूत आधार बनाया. शिबू सोरेन ने इस संगठन को एक सशक्त राजनीतिक शक्ति बनाई. जो राष्ट्रीय स्तर पर आज एक अलग पहचान रखता है. शिबू सोरेन ने 1977 में डूण्डी विधान सभा से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में पहला चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने संथाल परगना के दुमका को अपनी कर्मभूमि बनाया.
सन् 1980 में उन्होंने दुमका लोक सभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज श्री चंद्रकिसकू को हराकर पहली बार संसद में प्रवेश किया. इसके बाद वे सन् 1989, 1991, 1996, 2002, 2004, 2009, 2014 में दुमका से सांसद चुने गए. वे कुल 8 बार लोक सभा के सांसद और 3 बार राज्य सभा के सांसद रहे. झारखंड को बिहार राज्य से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य बनाने के लिए स्वर्गीय श्री शिबू सोरेन जी ने दशकों तक आंदोलन चलाया. उनकी अगुवाई में जेएमएम ने आदिवासियों में राजनैतिक और सामाजिक जन-जागरूकता पैदा की. सन् 1995 में उन्होंने बिहार सरकार से झारखंड क्षेत्र स्वायत्त परिषद् जेएएससी का गठन करवाया, जो अलग राज्य की दिशा में पहला कदम था. उनकी मेहनत और संघर्ष का परिणाम 15 नवंबर 2000 को सामने आया, जिससे झारखंड एक अलग राज्य बना.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वर्गीय माननीय श्री शिबू सोरेन जी का जीवन एक साधारण आदिवासी बालक से लेकर दिशोम गुरू बनने तक का सफर प्रेरणादायक रहा. उन्होंने न केवल झारखंड के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, बल्कि आदिवासी समाज को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायी. उनके संघर्ष, उनके नेतृत्व और समपर्ण ने झारखंड की राजनीति को एक नया आयाम दिया. उनकी विरासत को मुख्यमंत्री, झारखंड माननीय श्री हेमंत सोरेन जी उनके माध्यम से जीवित कर रहे हैं. आज स्वर्गीय माननीय श्री शिबू सोरेन जी पूरे देश और आदिवासियों के लिए एक प्रेरणादायक हैं. उन्होंने शराबबंदी के लिए जो आंदोलन चलाया, वह पूरे देश के आदिवासियों के लिए एक प्रेरणा है. मैं पूरे सदन की ओर से तहेदिल से उनके श्रीचरणों में "जय जोहार" करता हॅूं. उनका अंतिम जोहार करता हॅूं. उनको सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रणाम करता हॅूं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- मैं, आज सदन की ओर से शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हॅूं. अब सदन दो मिनट मौन खडे़ रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(मौन के पश्चात्)
दिवंगत के सम्मान में सदन की कार्यवाही 05 मिनट तक के लिये स्थगित की जाती है.
(11.17 बजे सदन की कार्यवाही 05 मिनट तक के लिये स्थगित.)
11.23 बजे {सभापति महोदय (श्री अजय विश्नोई) पीठासीन हुए.}
श्री बाला बच्चन - सभापति महोदय, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है. पिछले मंगलवार को आसंदी ने व्यवस्था दी थी. माननीय मुख्यमंत्री जी के जो 13 विभाग हैं उनमें 16 प्रश्नों में जानकारी नहीं दी गई थी, आज उनकी संख्या 24 हो गई है. वित्त मंत्री जी के भी 11 ऐसे प्रश्न हैं, जिनमें माननीय विधायकों के प्रश्नों के जवाब नहीं दिये जा रहे हैं. सभापति महोदय, आप कृपा करके व्यवस्था दें, मेरा आपसे यह आग्रह है. जब विधायकों के प्रश्नों के जवाब नहीं मिल पाएंगे तो विधान सभा चलाने का मतलब क्या है?
सहकारिता मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - सभापति महोदय, प्रश्नकाल में कोई पाइंट ऑफ आर्डर नहीं होता है. आप पाइंट ऑफ आर्डर प्रश्नकाल के बाद उठाइए.
श्री बाला बच्चन - पाइंट ऑफ आर्डर क्यों नहीं होता? नियम 267 के अंतर्गत पाइंट ऑफ आर्डर होता है. मैं यह याद दिलाना चाह रहा हूं. सभापति महोदय, आसंदी ने व्यवस्था दी थी. मुख्यमंत्री जी यहां पर उपस्थित थे और मुख्यमंत्री जी को बोला था कि विधायकों के प्रश्नों के सीधे-सीधे उत्तर दिये जाएं. 24 प्रश्नों के उत्तर मुख्यमंत्री जी नहीं दे रहे हैं और 11 प्रश्नों के जवाब वित्त मंत्री जी नहीं दे रहे हैं. सभापति महोदय, आपको व्यवस्था देना चाहिए. विधायकों के मान और सम्मान में आपको व्यवस्था देना चाहिए. ऐसी स्थिति हमने कभी नहीं देखी.
श्री विश्वास सारंग - सभापति महोदय, प्रश्नकाल में पाइंट ऑफ आर्डर नहीं होता है.
डॉ. सीतासरन शर्मा - सभापति महोदय, स्थापित नियम है कि प्रश्नकाल में पाइंट ऑफ आर्डर नहीं उठाया जाता है.
सभापति महोदय - श्री बाला बच्चन जी, आप वरिष्ठ सदस्य हैं, नियमों से परिचित हैं. इस समय पाइंट ऑफ आर्डर नहीं आता है. आप प्रश्नकाल की गंभीरता को भी समझते हैं, कृपया सदस्यों के प्रश्न आने दें, विशेष तौर से आज हमारी बहनों का दिन है तो बहनों के दिन में कटौती न करें, इसलिए मैं निवेदन करूंगा कि आज का प्रश्नकाल शुरू करें.
11.24 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 के अंतर्गत पदोन्नति
[महिला एवं बाल विकास]
1. ( *क्र. 1536 ) श्रीमती अनुभा मुंजारे : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) महिला बाल विकास विभाग अंतर्गत समस्त कार्यालयों में सहायक ग्रेड 2 के कुल पदों की संख्या, कितने पद रिक्त हैं, वर्तमान स्थिति क्या है? वरिष्ठता सूची देवें। (ख) क्या मध्यप्रदेश शासन महिला बाल विकास विभाग के आदेश दिनांक 24.11.2012 के अनुसार सहायक ग्रेड 3 के पदोन्नति के अधिकार जिला स्तर पर दिये गये हैं? यदि हाँ, तो कितने सहायक ग्रेड 3 को ग्रेड 2 के पदों पर कब पदोन्नति दी गई है? पदोन्नत कर्मचारी का नाम, पद, दिनांकवार, वर्षवार विवरण प्रस्तुत करें। (ग) क्या म.प्र. राजपत्र क्र. 405, दिनांक 01 अक्टूबर, 2015 के आदेशानुसार महिला बाल विकास विभाग में कार्यरत तृतीय श्रेणी (लिपिकवर्गीय) कर्मचारियों की पदोन्नति की जायेगी? क्या सहायक ग्रेड 2 के पदों पर 100 प्रतिशत पदों को पदोन्नति से भरा जायेगा? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो कब तक पदों को भरा जायेगा? क्या विभाग से सहायक ग्रेड 3 से ग्रेड 2 के पदों पर पदोन्नति पर रोक के आदेश/पत्र जारी किये गये हैं? समस्त आदेश, निर्देश व नस्ती देवें। सहायक ग्रेड 2 के पद को समाप्त कर कौन से पद का सृजन किया गया है? (घ) मध्यप्रदेश राजपत्र क्रमांक 155, दिनांक 19 जून, 2025 सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति आदेशानुसार रिक्त सहायक ग्रेड 2 के पद पर पदोन्नति की कार्यवाही विभाग द्वारा कब तक पूर्ण कर ली जावेगी?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत समस्त कार्यालयों में सहायक ग्रेड-2 के कुल पदों की संख्या 384 है, इनमें से 257 पद रिक्त हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) म.प्र. शासन महिला एवं बाल विकास विभाग के आदेश दिनांक 24.11.2012 में विभाग के संभागीय मुख्यालय के जिलों में स्वीकृत शासकीय कार्यालयों में कार्यरत/पदस्थ सहायक ग्रेड-3 एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदक्रम सूची का संधारण संबंधित जिले के जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय में किया जावेगा। उक्त शासकीय सेवकों का नाम संबंधित जिले के आरक्षण रोस्टर में रखा जावेगा एवं इनकी पदोन्नति/क्रमोन्नति की समस्त कार्यवाही संबंधित जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा की जावेगी, के निर्देश दिये गये हैं। किसी भी सहायक ग्रेड-3 को सहायक ग्रेड-2 के पद पर पदोन्नति नहीं किये जाने से शेष का प्रश्न नहीं उठता।
(घ) माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में पदोन्नति नियम 2025 के संबंध में प्रकरण विचाराधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं।
श्रीमती अनुभा मुंजारे - सभापति महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1536 है.
सुश्री निर्मला भूरिया - सभापति महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्रीमती अनुभा मुंजारे - सभापति महोदय, सबसे पहले मैं आसंदी को प्रणाम करती हूं और पुनः एक बार समस्त महिलाओं की तरफ हार्दिक धन्यवाद देती हूं क्योंकि मंगलवार का दिन आपने हम महिला जन-प्रतिनिधियों के लिए सुनिश्चित कर रखा है और इसके लिए जितना भी अभिनंदन हम आपका करें, वह कम होगा.
सभापति महोदय- आप पूरक प्रश्न करें.
श्रीमती अनुभा मुंजारे- सभापति महोदय, मैं मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि विभाग द्वारा संचालनालय भोपाल के पत्र क्रमांक-11/5/96, दिनांक 7.7.2012 जारी किया गया था, जिसके आधार पर सहायक ग्रेड-3 का सहायक ग्रेड-2 के पद पर पदोन्नति नहीं किये जाने की असत्य जानकारी विभाग के द्वारा दी गयी, जिबकी सहायक ग्रेड-2, वरिष्ठता सूची के सरल क्रमांक- 125, 126 और 127 में दिनांक 21/5/2025 को..
सभापति महोदय- आप पूरक प्रश्न करें, आप दोबारा पूरा प्रश्न पढ़ रही हैं.
श्रीमती अनुभा मुंजारे- माननीय मेरा सवाल ही यह है महिला बाल विकास विभाग में 15 सालों से सहायक ग्रेड-3 के जो पद हैं, उनमें पदोन्नति नहीं की गयी है और लगातार जो कर्मचारी अपने आप को प्रताडि़त महसूस कर रहे हैं, उनकी पदोन्नति रूकी हुई है, शासन की तरफ से ऐसा कोई भी कार्य नहीं किया गया, जिससे वह अपने आप को, कहना चाहिये कि वह कार्य के प्रति अपने को महसूस कर सकें. मैं यह जानना चाहती हूं कि आपकी कर्मचारियों के भविष्य को लेकर क्या कार्ययोजना है ?
सुश्री निर्मला भूरिया- माननीय सभापति महोदय, माननीय सदस्य ने जो जानकारी चाही है वह बिल्कुल सत्य है और कोई असत्य जानकारी हम लोग यहां पर नहीं दे रहे हैं और जो जानकारी माननीय सदस्या ने पूछी है कि कार्यरत् पदस्थ सहायक ग्रेड-3 एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदक्रम सूची का संधारण संबंधित जिले के जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय में किया जायेगा. उक्त शासकीय सेवकों का नाम संबंधित जिले के आरक्षण रोस्टर में रखा जायेगा एवं इनकी पदोन्नति, क्रमोन्नति की समस्त कार्यवाही, संबंधित जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा की जावेगी. यह निर्देश दिये गये हैं कि किसी भी सहायक ग्रेड-3 के कर्मचारी की सहायक ग्रेड-2 के पद पर पदोन्नति नहीं किये जाने से, शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है और सहायक ग्रेड-2 के पदों पर 100 प्रतिशत पद पदोन्नति से ही भरे जाने का प्रावधान है. सभापति महोदय, उक्त उत्तर से यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है. अभी क्योंकि प्रमोशन पर स्टे है, इसलिये जब भी स्टे खत्म होगा तो हम इस पर जरूर कार्यवाही करेंगे और पदोन्नति करेंगे.
सभापति महोदय- विषय न्यायाधीन है इसलिये वह अभी पदोन्नति नहीं दे पा रहे हैं. यदि आप संतुष्ट हैं तो फिर आगे बढ़ें.
श्रीमती अनुभा मुंजारे- सभापति महोदय, मैं बहुत संक्षेप में आप रखूंगी. मैं माननीय मंत्री के जवाब से संतुष्ट हूं, पर फिर भी मैं यह कहना चाहती हूं कि जब भी न्यायालयीन प्रक्रिया पूर्ण हो जाये तो हमारे कम से कम दो हजार महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी हैं, ग्रेड-3 के उनका भविष्य सुनिश्चित हो सके और उनको पदोन्नति का लाभ प्राप्त हो सके.
मेरा मंत्री जी से यही आग्रह है कि आप मानवीय आधार पर उन कर्मचारियों के भविष्य की आप रक्षा करें और निश्चित रूप से हम सभी का इसमें एक अच्छा संदेश जाता है, जब हम किसी कर्मचारी के हित में काम करते हैं. आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया. मैं आपको धन्यवाद देती हूं और माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देती हूं.
भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्ष 2024-25 की जनसम्पर्क राशि
[सामान्य प्रशासन]
2. ( *क्र. 2565 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्ष 2024-25 की जनसम्पर्क राशि के प्रस्ताव जो प्रश्नकर्ता द्वारा प्रदाय किये गये, वह योजना मण्डल खरगोन को कौन सी तिथि को प्राप्त हुए थे तथा राशि स्वीकृति हेतु माननीय प्रभारी मंत्री जी द्वारा कौन सी तिथि को अनुमोदन किया गया है? अनुमोदन उपरान्त कौन सी तिथि में जनसम्पर्क निधि अन्तर्गत स्वीकृति जारी की गई थी? (ख) क्या राशि की स्वीकृति उपरान्त बिल लगाने की देरी की वजह से राशि पुनः शासन के खाते में जमा हो गई है? हाँ तो समयावधि में राशि आहरण हेतु बिल लगाने में विलम्ब हेतु कौन जिम्मेदार है? (ग) क्या जनकल्याण एवं सहायता हेतु समितियों को राशि प्रदाय करने हेतु वर्ष 2024-25 की जनसम्पर्क राशि पुनः जिला खरगोन को प्रदाय की जायेगी? हाँ तो कब तक तथा नहीं तो क्या कारण है?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्रीमती कृष्णा गौर) : (क) दिनांक 22.01.2025 को प्राप्त हुए थे तथा प्रभारी मंत्री जी द्वारा दिनांक 17.02.2025 को अनुमोदन किया गया। आदेश क्रमांक 483, दिनांक 25.02.2025 एवं संशोधित प्रशासकीय स्वीकृति आदेश क्रमांक 895, दिनांक 28.03.2025 को जारी किये गये। (ख) जी नहीं। बिल नहीं लगने के कारण पुन: राशि शासन के खाते में जमा होने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। समयावधि में राशि आहरण नहीं होने से कार्यालयीन शाखा प्रभारी, श्री इरशाद सूफी, सहायक ग्रेड-3 का निलंबन एवं तत्कालीन जिला योजना अधिकारी, श्री प्रताप कुमार अगास्या (डिप्टी कलेक्टर) व तत्कालीन जिला कोषालय अधिकारी, श्री आनंद पटले को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया। (ग) वित्तीय वर्ष के अंतिम दिवस अर्थात 31 मार्च तक ही वैध होती है। तदोपरांत आवंटित राशि व्यपगत हो जाने से पूर्व वर्ष की राशि हेतु बजट की मांग की गयी है।
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी- सभापति महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक -2.
श्रीमती कृष्णा गौर- सभापति महोदय, उत्तर सदन के पटल पर है.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी- सभापति महोदय, मेरा प्रश्न इस तरह से कि भीकनगांव विधान सभा क्षेत्र के वर्ष 2024-25 की जनसम्पर्क राशि के प्रस्ताव योजना मण्डल, खरगौन को भेजे गये थे. दिनांक 22 जनवरी को प्रस्ताव भेजे, दिनांक 25 फरवरी को प्रभारी मंत्री महोदय जी का अनुमोदन भी प्राप्त हुआ और दिनांक 25 फरवरी को संशोधित प्रशासकीय स्वीकृति भी जारी हो गयी. उसके बाद दिनांक 28.03. 2025 को सेंक्शन के लिये जब भेजा तो बिल नहीं लगाये गये और 28, 29, 30 और 31, चार दिन के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी और बिल अस्वीकृत होकर वापस आ गया.
सभापति महोदय- आपकी राशि लेप्स हो गयी.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी- जी, सभापति महोदय आप सीधा समझ गये. उक्त समस्त कार्यवाही में दोषी कलेक्टर, खरगौन के लेखा शाखा के क्लर्क श्री राजेन्द्र पगारे और तत्कालीन कोषालय अधिकारी पर कार्यवाही होना चाहिये. पर हुआ यह है कि जिला प्रशासन द्वारा निर्दोष जो हैं श्री इरशाद सूफी को निलंबित किया गया. यह एक तरह से उनको बिना वजह निलंबित कर दिया गया. जो दोषी हैं, उनके ऊपर कार्यवाही क्या करेंगे.
श्रीमती कृष्णा गौर—सभापति जी, यह बात बिलकुल सच है कि माननीय सदस्य द्वारा दिये गये जनसम्पर्क राशि के प्रस्ताव 22.1.2025 को प्राप्त हुए थे और उसको प्रभारी मंत्री जी द्वारा 17.2.2025 को अनुमोदन भी प्राप्त हो गया था. पूर्व में जो प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, उनकी प्रशासकीय स्वीकृति 25.3.2025 को हुई, लेकिन खातों में कुछ गलत आंकड़ों की वजह से उसका संशोधन किया गया और संशोधन के पश्चात् 28.3.2025 को उसकी प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दी गई, लेकिन बिल समय पर नहीं लगाने के कारण वह राशि का आहरण नहीं हो पाया और राशि लैप्स हो गई. माननीय सदस्य ने जब इसकी शिकायत की, तो तत्काल उस समय संज्ञान लेते हुए शाखा प्रभारी, इरशाद सूफी, सहायक ग्रेड-3 का निलम्बन एवं तत्कालीन जिला योजना अधिकारी, श्री प्रताप कुमार अगास्या( डिप्टी कलेक्टर) व तत्कालीन जिला कोषालय अधिकारी, आनंद पटले को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.
सभापति महोदय—वह विषय तो माननीय सदस्या भी रख चुकी हैं. उनकी जो चिंता है कि जो गलत व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही हो गई और सही व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई है, तो कृपया उसको फिर से एक बार संज्ञान में ले लें.
श्रीमती कृष्णा गौर—सभापति जी, जांच पूरी तरह से हुई है, प्रक्रिया के तहत ही हुई है, लेकिन अगर माननीय सदस्या को ऐसा लगता है कि कोई और दोषी है, तो निश्चित रुप से हम वरिष्ठ अधिकारी से इसकी जांच करा लेंगे और अगर वह दोषी है, तो उसके ऊपर उचित कार्यवाही करेंगे
सभापति महोदय—ठीक है, संतुष्ट हैं आप.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी—सभापति महोदय, नहीं. एक पूरक प्रश्न बचा है. जन सम्पर्क निधि वर्ष 2024-25 वापस कब प्रदाय की जायेगी, चूंकि प्रभारी मंत्री जी यहां मौजूद हैं, मै उनसे भी कहना चाहूंगा कि 3-3 महीने के बाद भी अनुमोदन समय पर नहीं होता है. इसी तरह से अनुसूचित जाति, जनजाति बस्ती के भी प्रस्ताव, वह सुन नहीं रहे हैं. आप बताइये ना, आप खरगोन के प्रभारी मंत्री जी हैं. मैं प्रभारी मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कर रही हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—प्रभारी मंत्री जी का ध्यान ही नहीं है. देखिये.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी— (श्री विश्वास सारंग जी की तरफ देखते हुए) मैं आपके लिये कह रही हूं,यह जरुरी है.
सभापति महोदय—इसमें उनके जवाब की जरुरत नहीं है.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी – सभापति महोदय, जन सम्पर्क निधि तीन तीन माह पहले प्रस्तावित होने के बाद भी सेंक्शन नहीं आये, यह कितने दुख की बात है. दूसरा अऩुसूचित जाति, जनजाति बस्ती के भी इसी तरह के प्रस्ताव हमारे प्रभारी मंत्री जी के अनुमोदन नहीं होने से भी राशि लैप्स हो रही है. हम एक एक पैसा जन कल्याण के लिये देते हैं, ताकि उनको इसका फायदा मिले. किन्तु आपकी अब क्या कहें, वह शब्द मैं कहना नहीं चाहती, पर आपके इतने सतर्क रहने वाले और काम करने वाले मंत्री जी के हाथों से ऐसी लापरवाही हो, तो वह सही नहीं है. तो मैं चाहूंगी कि मेरी जन सम्पर्क निधि वापस प्रदाय की जाये.
सभापति महोदय— वैसे सामान्यतः ऐसा होता नहीं है. सभी प्रभारी मंत्रीगण अनुमोदित कर देते हैं. इसमें चूक हो गई है और कहीं ऐसा संदर्भ नहीं है. फिर भी मेरा सभी प्रभारी मंत्रियों से निवेदन है कि वह समय पर करें, ताकि यह राशि लैप्स न हो.
सहकारिता मंत्री (श्री विश्वास सारंग)—सभापति महोदय, यह विषय मेरी जानकारी में नहीं है. मैं विधायक जी से बात कर लूंगा. ऐसा मेरे किसी भी संज्ञान में यह विषय नहीं है, जो भी होगा, मैं विधायक जी से बात कर लूंगा, मेरी जानकारी में ऐसा कोई विषय नहीं है.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी-- सभापति महोदय, ट्रायबल विभाग का भी मेरा प्रश्न लगा है. उसमें स्पष्ट है कि क्यों समय पर राशि नहीं मिली है.
सभापति महोदय— वह जब प्रश्न आयेगा, तब बात कर लेंगे, अभी तो इस प्रश्न के संबंध में चर्चा हो रही है.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी – तो उसका जवाब आया है कि इन्होंने समय सीमा में अनुमोदन नहीं किया. तो मैं जानना चाहूंगी कि जन सम्पर्क निधि मंत्री जी जवाब दें कि कब वापस प्रदाय की जायेगी.
श्रीमती कृष्णा गौर—सभापति महोदय, आवंटित राशि की वैधता के लिये अपने नियम हैं. सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञापन क्र. 81/96/1, दिनाक 17 अक्टूबर, 1997 की कंडिका 058 के अनुसार अनुदान का उपयोग अगर वित्तीय वर्ष में नहीं किया गया, तो अनुदान की राशि लैप्स हो जायेगी.
सभापति महोदय—मंत्री जी, वह स्पष्ट है, विधायक जी को भी स्पष्ट है, दोबारा तो नहीं हो सकता है. आगामी सावधानी रखी जायेगी, अब अगला प्रश्न आने दें.
शांति समिति का गठन
[गृह]
3. ( *क्र. 2018 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिलास्तरीय व नगरस्तरीय शांति समिति के गठन के क्या प्रावधान/नियम हैं? (ख) शांति समिति में सदस्य के रूप में सम्मिलित होने वाले व्यक्तियों की पात्रता का निर्धारण किस आधार पर किया जाता है तथा किन परिस्थितियों में व्यक्ति इस समिति से अयोग्य होता है एवं उक्त सदस्यों का कार्यकाल कितने वर्षों का होता है? (ग) धार विधानसभा में कितनी शांति समितियां किस-किस ग्राम/नगर में सक्रिय हैं तथा धार जिला मुख्यालय की शांति समिति का गठन कब किया गया था एवं इसमें पिछले दस वर्षों में कब-कब सदस्यों को सम्मिलित/विलोपित किया गया है? (घ) क्या धार विधानसभा की इन शांति समितियों में लंबे अंतराल पश्चात जिला प्रशासन, क्षेत्र में सक्रिय तथा प्रभावशाली व्यक्तियों को सदस्य के रूप में सम्मिलित किये जाने हेतु कवायद करेगा?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) : (क) जिला स्तरीय व नगर स्तरीय शान्ति समितियों के गठन के संबंधी में म.प्र. शासन गृह विभाग (सी अनुभाग) के परिपत्र क्रमांक एफ-44-26/87/सी-1, भोपाल दिनांक 08 जुलाई, 1987 के द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं, जिसके अनुसार शान्ति समिति में निम्नानुसार सदस्य होते हैं :- (1) जिला स्तरीय शान्ति समिति के सदस्य :- 1. स्थानीय सांसद 2. जिले के विधायक एवं नगर पालिका के अध्यक्ष 3. राजनैतिक दलों के जिला स्तर के अध्यक्ष/सचिव 4. धार्मिक संप्रदायों के प्रमुख 5. व्यापारिक संगठन/एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिव 6. ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता जिनको जिला अध्यक्ष और पुलिस अधीक्षक उचित समझे (2) थाना स्तरीय शान्ति समिति के सदस्य : 1. स्थानीय विधायक 2. क्षेत्रीय पार्षद अथवा जनपद पंचायत अध्यक्ष 3. थाना क्षेत्र में रहने वाले सभी धर्मों के प्रमुख 4. राजनैतिक दलों के प्रमुख 5. ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता, जिनको अनुविभागीय अधिकारी राजस्व और अनुविभागीय अधिकारी पुलिस उचित समझे, परिपत्र संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) शान्ति समिति में सदस्य के रुप में सभी वर्गों धर्म संप्रदायों तथा व्यवसाय से जुड़े बेदाग एवं निष्पक्ष छवि वाले लोगों को शामिल किया जाता है। इनके विरुद्ध कोई अपराध नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार शान्ति समिति के सदस्यों के निष्क्रिय होने पर उन्हें हटाए जाने के प्रावधान हैं। शान्ति समिति के सदस्यों के कार्यकाल के बारे में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं हैं। (ग) धार विधानसभा अन्तर्गत जिला मुख्यालय धार, थाना सादलपुर, थाना पीथमपुर, थाना सागोर एवं थाना तिरला में शान्ति समितियां सक्रिय हैं। धार जिला मुख्यालय की शान्ति समिति का गठन वर्ष 1987 में किया गया था। पिछले दस वर्षों में वर्ष 2016 तथा 2019 में शान्ति समिति में नए सदस्यों को सम्मिलित किया गया है। (घ) धार विधानसभा अन्तर्गत धार जिला मुख्यालय की शान्ति समिति के पुनर्गठन करने के संबंधी में कार्यवाही कराई जा रही है।
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा—सभापति महोदय, मेरा प्रश्न क्र. 2018.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- सभापति जी, उत्तर पटल पर रख दिया गया है.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा—सभापति महोदय, धन्यवाद. मैंने जानकारी चाही थी शांति समिति की. यह एक ऐसी समिति है, जो जनता और पुलिस के बीच में समन्वय स्थापित करने का काम करती है और हमारे सांस्कृतिक उत्सव और जो भी हमारे यहां कार्यक्रम, रैली वगैरह जो होते हैं, उनके अंदर व्यवस्था बनाने में पुलिस का सहयोग करती है. इसके बारे में जब मैंने देखा, प्रश्न में और काफी विस्तार से मेरे को जवाब मिला है. काफी हद तक मैं इस उत्तर से संतुष्ट हूं लेकिन मैं इसमें माननीय मंत्री जी से एक बात की जानकारी लेना चाहती हूं कि शांति समिति के गठन के सबसे पहले दिशा निर्देश 8 जुलाई 1987 को दिये थे, एक 40 साल का लंबा समय हो गया है, फिर से दुबारा इसको देखने की हमने जहमत किसी ने नहीं उठाई और इसका परिणाम है कि शांति समिति जिसके अंदर लगातार नाम एड होते चले जा रहे हैं और उनमें नाम कम होते नहीं है.सभापति महोदय, कहीं कहीं पर 200-200 लोग हो जाते हैं, कई की आयु हो जाती है कई मृतक हो जाते हैं. इसमें उदाहरण देना चाहूंगी कि हमारे यहां के तत्कालीन विधायक मोहन सिंह बुंदेला जी जिनका नाम आज भी शांति समिति में है. तो मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहती हूं कि क्या माननीय मंत्री इस शांति समिति को रिवाइज करने के लिये कोई समय सीमा निर्धारित करेंगे ?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- माननीय सभापति महोदय, आदरणीय विधायिका जी ने बहुत अच्छा प्रश्न भी किया, स्वयं ने उसका समाधान भी किया और जानकारी सदन को दी है. उनके इस प्रश्न के परिप्रेक्ष्य में मैं, सदन को अवगत कराना चाहता हूं चूंकि यह शांति समिति की प्रक्रिया जिसका उल्लेख माननीय सदस्या ने भी किया है कि 8 जुलाई 1987 को जारी एक आदेश के अनुसार किया जा रहा है. माननीय सदस्या की भावना और अन्य सदस्यों के भी इसमें प्रश्न लगे हुये थे, अन्य सदस्यों से भी चर्चा हुई है तो उस संदर्भ में मैं, सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि इसके बारे में नये दिशा निर्देश जारी कर दिये जायेंगे. ताकि उनका पुनर्गठन भी हो जाये और उस पुनर्गठन में आप सबकी सहमति से थाना स्तरीय समिति और जिला स्तरीय समिति का पुनर्गठन हो जाये इसके बारे में निर्देश जारी कर दिये जायेंगे.
सभापति महोदय- माननीय सदस्या जानना चाहती हैं कि कोई समय सीमा दे दें कि कब तक निर्देश दे देंगे क्योंकि यह कोई बहुत मुश्किल सवाल नहीं है.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- सभापति महोदय, समय सीमा तो मंत्री जी बता दें.त्योंहारों का समय आ रहा है इसकी महती आवश्यकता है.
सभापति महोदय- वही बात मैं भी कह रहा हूं आपका प्रश्न ही मैंने दोहराया है कि 5-10 दिन का नहीं दो महिने, दो महीने का दें पर समय तो दीजिये.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा- शांति समिति में 70-75 साल के बुजुर्ग भी सदस्य हैं, एज लिमिट और टाइम लिमिट दोनों यदि आप तय करके समय सीमा निर्धारित कर दें और जल्दी से जल्दी कर दें, कब तक आप कर पायेंगे, क्या इसकी समय सीमा आप बता सकते हैं.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - माननीय सभापति महोदय, सदस्यों के लिये एज लिमिट लगाना तो ठीक नहीं है क्योंकि कई बार समाज में ऐसे बुजुर्ग लोग रहते हैं, उनकी समाज में बजनदारी रहती है इसलिये सदस्यों के लिये एज लिमिट तो न करें लेकिन जो प्रपत्र के लिये और पुनर्गठन की बात आपने कही है उसमें सभापति महोदय ने भी 2 माह की समय सीमा दी है. दो माह की सीमा के अंदर हम इसके लिये निर्देश जारी कर देंगे.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा- धन्यावद, सभापति महोदय.
सभापति महोदय- प्रश्न क्रमांक 4
गंभीर अपराधों में विभागीय कार्यवाही
[गृह]
4. ( *क्र. 450 ) सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले में गंभीर अपराधों के कितने प्रकरण वर्ष मार्च 2023 से वर्तमान तक पंजीबद्ध किये गये? कृपया थानावार विवरण देवें। (ख) उक्त गंभीर अपराधों में कितने आरोपी, अपराधी गिरफ्तार किये गये और कितने अभी तक फरार हैं? (ग) कितने एवं किन-किन आरोपियों के विरूद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गई? (घ) क्या चौकी रानीताल में विगत कई महीनों से कोई प्रभारी नियुक्त नहीं है? यदि हाँ, तो कब तक नियुक्ति की जा रही है एवं विधानसभा क्षेत्र बड़ामलहरा में थानों में अमले की कमी को कब तक भरा जा रहा है?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उक्त अपराधों में आरोपियों के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही नहीं की गई है। (घ) चौकी रानीताल में प्रभारी की पदस्थापना दिनांक 11.07.2025 को कर दी गई है। जिले में बल की कमी होने के कारण बल की उपलब्धता होने पर शीघ्र ही विधानसभा क्षेत्र बड़ामलहरा के थानों में बल की पूर्ति समय-समय पर भर्ती एवं पदोन्नति के द्वारा की जाती है, भर्ती एवं पदोन्नति पुलिस की निरंतर प्रक्रिया है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत : माननीय सभापति महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 450 है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- सभापति महोदय, उत्तर पटल पर रख दिया गया है.
सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत : माननीय सभापति महोदय,मैं आपको सादर जय श्रीराम करती हूं. और सदन में विराजित सभी सदस्यों को मेरी तरफ से सादर जय श्रीराम.
माननीय सभापति महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर के भाग (घ) में लिखा गया है कि चौकी रानीताल में प्रभारी की पदस्थापना 11.7.2025 को कर दी गई है. मैं माननीय मंत्री महोदय का धन्यवाद करना चाहती हूं . मेरे प्रश्न के बाद में यह पद स्थापना हुई है , लेकिन अब यह मैं बिल्कुल कह सकती हूं जैसे रामचरित मानस में लिखा है :
विनय न मानत जलधि जड़, गए तीनि दिन बीति।
बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीति।।
माननीय सभापति महोदय, चौकी रानीताल में जो पद स्थापना हुई है. मैं मंत्री जी को यह भी अवगत कराना चाहती हूं कि वहां पर केवल एक ही पद में पद स्थापना हुई है, वह जंगली क्षेत्र है केवल एक की ही पदस्थापना है वहां स्टाफ में अन्य कोई भी नहीं है और पूरा जंगली एरिया है. यह शासन की तरफ से घोर लापरवाही है.
सभापति महोदय- आपका प्रश्न आ जाये . माननीय मंत्री जी जवाब दे देंगे. मंत्री जी प्रश्न उनका आ गया है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- माननीय सभापति महोदय, आज बहनों का दिन है और रक्षाबंधन का समय भी निकट है तो बहनों से डरने की तो जरूरत है ही इसको तो मैं स्वीकार कर रहा हूं (हंसी) निश्चित रूप से वहां पर प्रभारी की नियुक्ति हो गई है. जो अन्य बल के लिये कहा है उस अन्य बल के लिये भी हम शीघ्रातिशीघ्र नियुक्ति कर देंगे.
सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) -- सभापति महोदय, मैं एक निवेदन और आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से करना चाहूंगी कि हमारे बड़ा मलहरा विधान सभा के ब्लॉक बकस्वाहा में नैनागिर चौकी आती है जिसमें विगत तीन वर्षों से लगातार चोरियां हो रही हैं.
सभापति महोदय -- यह अलग विषय आ गया.
सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) -- सभापति महोदय, मैं सदन में माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहती हूं कि बेरोजगारी को दृष्टिगत रखते हुए क्या आपकी समय सीमा है कि कब तक यह भर्तियां होंगी, जो स्टाफ की कमी है क्या आप सदन में हमें आश्वासन देंगे ?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- सभापति महोदय, विभाग में भर्ती प्रक्रिया प्रचलन में है और शीघ्रातिशीघ्र पद भर रहे हैं.
परियोजना अधिकारी, पलेरा का स्थानांतरण
[महिला एवं बाल विकास]
5. ( *क्र. 890 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) परियोजना अधिकारी, महिला एवं बाल विकास पलेरा में कब से पदस्थ हैं? इनके आदेश की छाया प्रतियां उपलब्ध करायें तथा इतने लंबे समय से यह किस नियम के तहत पदस्थ हैं? (ख) परियोजना अधिकारी, पलेरा द्वारा खरगापुर विधानसभा के जनप्रतिनिधियों एवं क्षेत्रीय विधायक के साथ विभाग की बैठक कर कुपोषण या आंगनवाड़ी केन्द्रों पर शासन की योजना के कौन-कौन से आयोजन किये जा रहे हैं, जिसमें परियोजना अधिकारी पलेरा की उदासीनता के चलते कभी भी किसी को आमंत्रित नहीं किया गया? इनके द्वारा कब-कब तथा कौन-कौन सी बैठक में क्षेत्रीय विधायक को आमंत्रित किया गया है? (ग) क्या परियोजना अधिकारी पलेरा 2013 से वर्तमान में भी पलेरा में पदस्थ हैं, क्या इनके बिना ब्लॉक पलेरा की महिला एवं बाल विकास परियोजना संचालित नहीं हो सकती है? क्या पलेरा के परियोजना अधिकारी को जिले के बाहर हटाये जाने के आदेश जारी करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) परियोजना अधिकारी, श्री प्रदीप मिश्रा दिनांक 01.02.2014 से पलेरा परियोजना में पदस्थ हैं। आदेश की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है। स्थानान्तरण नीति वर्ष 2025 के तहत सीमित संख्या में ही स्थानान्तरण किये जा सकते थे, अत: केवल अतिआवश्यक स्थानान्तरण ही किये गये हैं। परियोजना अधिकारी की पदस्थापना परियोजना में पद रिक्त होने पर की जाती है व सामान्यतः आवश्यकता अनुसार ही पद परिवर्तन की कार्यवाही जाती है। (ख) परियोजना पलेरा अंतर्गत कुपोषण एवं आंगनवाड़ी केन्द्रों से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों का विभागीय निर्देशों के अनुरूप समय-समय पर आयोजन किये जाते हैं। माननीय निवृत्तमान विधायक श्री राहुल सिंह जी के कार्यकाल अवधि वर्ष 2018-2023 के दौरान आयोजित कार्यक्रमों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। वर्तमान में परियोजना स्तर पर कोई भी वृहद कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है। अतः क्षेत्रीय विधायक महोदय को आमंत्रित नहीं किया गया। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं, ऐसी स्थिति नहीं है। परियोजना अधिकारी पलेरा में वर्ष 2014 से पदस्थ हैं। स्थानांतरण नीति 2025 के प्रावधान अनुसार स्थानांतरण पर प्रतिबंध है, अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- सभापति महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 890 है.
सुश्री निर्मला भूरिया -- सभापति महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- सभापति महोदय, मैं बहुत पीड़ा के साथ कहना चाहती हूं कि आज यह सत्य हो गया है कि सदन में मेरे प्रश्न का उत्तर असत्य दिया गया है, क्योंकि जो उत्तर दिया गया है कि वर्तमान में परियोजना स्तर का बड़ा कार्यक्रम आयोजित ही नहीं किया गया जबकि परियोजना में हर महीने 5 या 10 तारीख को लाड़ली बहनों का कार्यक्रम शासन की योजनानुसार होता है. महीने के 4 मंगलवारों को किसी भी आंगनवाड़ी केन्द्र पर जन्मदिवस, बच्चों को खाना खिलाने का कार्यक्रम और गोद भराई जैसे कार्यक्रम होते हैं तो उसी में क्षेत्रीय विधायक के नाते बुला लेते, लेकिन मुझे नहीं बुलाया गया. वर्ष 2014 से पदस्थ पलेरा के परियोजना अधिकारी के भ्रष्टाचार एवं नियम विरुद्ध कार्यों को छिपाने के लिए विभाग पूरी ताकत के साथ असत्य जानकारी दे रहा है, फिर भी सभापति महोदय, इस प्रकार की परियोजना कार्यशैली वाले परियोजना अधिकारी को पलेरा से कब तक हटाएंगे ?
सुश्री निर्मला भूरिया -- सभापति महोदय, माननीय सदस्य ने जो अपने प्रश्न में पूछा है वह सारी जानकारियां हमने परिशिष्ट में दी हुई हैं और सभी सत्य जानकारियां उन्हें इसमें दी हैं. माननीय सदस्य ने जो चाहा है कि वहां के जो परियोजना अधिकारी हैं, यह सही है कि वह काफी समय से वहां पर पदस्थ हैं, लेकिन चूंकि स्थानांतरण नीति वर्ष 2025 के तहत सीमित संख्या में ही स्थानांतरण किए जा सकते थे और केवल जो अति आवश्यक थे वह स्थानांतरण हमने किए हैं, तो इसमें अगर सदस्य चाहती हैं तो हम लोग समन्वय में यह प्रस्ताव भेज देंगे. अभी तो हम लोग नहीं कर सकते हैं, लेकिन समन्वय में भेजकर हम कार्यवाही करेंगे.
सभापति महोदय -- पदों की आपूर्ति के साथ उनकी चिंता यह थी कि मंगलवार के संबंध में जो होना चाहिए उसमें कार्यवाही नहीं हो रही है. उसके संदर्भ में कोई जवाब देना चाहेंगी ?
सुश्री निर्मला भूरिया -- सभापति महोदय, यह सभी जो कार्यक्रम हैं वह छोटे-मोटे कार्यक्रम तो चलते ही रहते हैं, तो हमारे अधिकारियों को हम निर्देशित करेंगे कि सम्माननीय हमारी सदस्य हैं, उनको कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाए.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- सभापति महोदय, दूसरी असत्य जानकारी आपने उत्तर में बताया है कि वर्ष 2025 में तबादला नीति के तहत सीमित तबादले किए गए हैं, फिर आपने आखिरी लाइन में लिखा है कि वर्ष 2025 के प्रावधानानुसार तबादलों पर प्रतिबंध है, कितने असत्य उत्तरों को मैं स्वीकार करूंगी ?
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य, इसमें असत्य कुछ भी नहीं है. उन्होंने यह लिखा है कि पॉलिसी के तहत किए गए और पॉलिसी के लिए एक निश्चित तारीख को ट्रांसफर बैन हो गए.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- सभापति महोदय, वह 10 साल से हैं और आपने लिख दिया है कि प्रतिबंध है और फिर लिखा है कि सीमित हुए हैं.
सभापति महोदय -- 17 जून के बाद प्रतिबंध लग गया है वह बता रही हैं और 17 जून के पहले जो पॉलिसी बनी थी उस पॉलिसी के तहत ट्रांसफर हुए हैं. इसमें असत्य जानकारी कुछ भी नहीं दी है. इसके अलावा उन्होंने आपको आश्वस्त किया है कि आप और कोई ट्रांसफर कराना हो तो बता दीजिए वह समन्वय में माननीय मुख्यमंत्री जी के पास भेज देंगे. पूरा जवाब माननीय मंत्री जी दे चुकी हैं.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- माननीय सभापति महोदय, मुझे कोई ट्रान्सफर नहीं कराना है बस उसी का कराना है माननीय मंत्री जी मुझे सदन में आश्वासन दे दें कि कब तक कर देंगे.
सभापति महोदय -- ट्रांसफर अभी बेन हैं इसलिए उस पर अभी कुछ कहना निश्चित नहीं होगा. अगला प्रश्न लेते हैं. आपने जो अलग से विषय कहा है उस व्यक्ति विशेष के लिए आप मंत्री जी से मिल लीजिएगा कोई समाधान हो सकता होगा तो वे कर लेंगी.
म.प्र. राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित बुरहानपुर
[सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम]
6. ( *क्र. 2366 ) सुश्री मंजू राजेन्द्र दादू : क्या सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. भंडार क्रय तथा सेवा उपार्जन नियम 2015 (यथा संशोधित 2022) के परिशिष्ट ''अ'' के बिंदु क्र.14 में संत रविदास म.प्र. हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम में महिला कर्मचारियों की वर्दी-साड़ी, ब्लाउज, पेटीकोट एवं सलवार सूट का कपड़ा का उल्लेख किया गया है, वही म.प्र. राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित बुरहानपुर (म.प्र.) में हाथकरघा कपड़ा का उल्लेख किया गया है, जबकि हाथकरघा कपड़ा पावरलूम पर नहीं है। इस त्रुटि के लिये कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं, उन पर कार्यवाही कब तक की जावेगी? (ख) प्रश्न (क) के संदर्भ में बिन्दु क्र. 15 में समस्त प्रकार के सूती, ऊनी, रेशमी एवं मिश्रित मिल निर्मित धागे से मिश्रित वस्त्र प्रदाय का प्रावधान है, वहीं म.प्र. राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित बुरहानपुर (म.प्र.) में मिश्रित हाथ कताई धागे से निर्मित वस्त्र प्रदाय का प्रावधान है? इस त्रुटि के लिये कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं, उन पर क्या कार्यवाही की जावेगी? (ग) क्या उद्योग संचालनालय से उक्त त्रुटि सुधार संबंधी प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं? यदि हाँ, तो उन प्रस्तावों पर क्या कार्यवाही की गई? संपूर्ण प्रपत्रों सहित जानकारी देवें। (घ) उपरोक्त त्रुटि के लिये जिम्मेदार अधिकारी पर अब तक क्या कार्यवाही की गई है? साथ ही उपरोक्त त्रुटि सुधार कब तक की जायेगी?
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ( श्री चेतन्य कुमार काश्यप ) : (क) म.प्र. भंडार क्रय तथा सेवा उपार्जन नियम 2015 (यथा संशोधित 2022) के पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट परिशिष्ट के बिंदु क्र.14 में म.प्र. राज्य पावरलूम बुनकर सहकारी संघ मर्यादित बुरहानपुर (म.प्र.) में हाथकरघा कपड़ा का उल्लेख नहीं है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) संगणक त्रुटि फलस्वरूप ‘’मिल निर्मित’’ के स्थान पर ‘’हाथकताई’’ अंकित हुआ है, जिसके संशोधन की कार्यवाही प्रचलन में है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। बिन्दु क्र. 15 के संबंध में संशोधन प्रस्ताव दिनांक 25.10.2024 की वरिष्ठ सचिव समिति की बैठक में प्रस्तुत किया गया था, परन्तु निर्णय अपेक्षित रहा। दिनांक 25.10.2024 के कार्यवाही विवरण की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) संशोधन की कार्यवाही प्रचलन में है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सुश्री मंजू राजेन्द्र दादू -- प्रश्न क्रमांक 2366.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप -- सभापति महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
सुश्री मंजू राजेन्द्र दादू -- सभापति महोदय, सबसे पहले सदन को "जय मुठवा". मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगी कि जो त्रुटि हुई है उसमें सुधार किया गया है. मैं पूछना चाहूंगी कि त्रुटिवश पॉवरलूम बुरहानपुर में जो सामग्री एड नहीं हुई थी वो कब तक एड हो जाएगी. उसकी समय सीमा बताने का कष्ट करें.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप -- सभापति महोदय, एक त्रुटि तो ठीक कर दी गई है. नए आइटम जोड़ने के लिए भण्डार क्रय के लिए बात आई है. यह प्रस्ताव तैयार करके इसको जोड़ने का हम पूरा प्रयास करेंगे. क्योंकि पॉवरलूम और बुनकरों के कार्य मध्यप्रदेश सरकार में बहुत प्राथमिकता पर लिए जाते हैं, क्योंकि यह रोजगारपरक कार्य है. निश्चित रुप से हम बहुत जल्द खरीदी के नियमों में बदलाव की आवश्यकता है उसके लिए प्रतिबद्ध हैं.
सुश्री मंजू राजेन्द्र दादू -- आदरणीय सभापति महोदय, इतना निवेदन है हम डेढ़ साल से इसके लिए प्रयासरत् हैं कि यह सामग्री उसमें जुड़ना चाहिए. मंत्री जी बस समय सीमा बता दें कि कितना समय लगेगा.
सभापति महोदय -- मंत्री जी ने इसको स्वीकार कर लिया है. वे इसको जोड़ रहे हैं.
सुश्री मंजू राजेन्द्र दादू -- धन्यवाद.
पुरानी पेंशन योजना की बहाली
[वित्त]
7. ( *क्र. 2834 ) श्रीमती सेना महेश पटेल : क्या उप मुख्यमंत्री, वित्त महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश राज्य में वर्ष 2005 के पश्चात नियुक्त शासकीय सेवकों को नई पेंशन योजना (N.P.S. ) के अंतर्गत लाया गया है? (ख) यदि हाँ, तो क्या राज्य सरकार की कोई योजना है? इन कर्मचारियों को पुनः पुरानी पेंशन योजना (O.P.S.) के दायरे में लाया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक क्या सरकार ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर कोई समिति गठित की है? (ग) क्या अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश सरकार भी O.P.S. लागू करने पर विचार कर रही है? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?
उप मुख्यमंत्री, वित्त ( श्री जगदीश देवड़ा ) : (क) जी हाँ। (ख) मध्यप्रदेश सरकार अपने वित्तीय संसाधनों एवं अन्य प्राथमिकताओं के दृष्टिगत सदैव कर्मचारी हित में निर्णय लेती है। वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। (ग) उत्तरांश "ख" के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती सेना महेश पटेल -- प्रश्न क्रमांक 2834.
उप मुख्यमंत्री, वित्त (श्री जगदीश देवड़ा) -- सभापति महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्रीमती सेना महेश पटेल -- सभापति महोदय, मैं इस सदन में एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पुरानी पेंशन योजना ओपीएस की बहाली को लेकर अपनी बात रखना चाहती हूँ. यह विषय हमारे प्रदेश के लाखों अधिकारियों और कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा और सामाजिक न्याय से जुड़ा हुआ है. सन् 2005 के बाद नियुक्त समस्त सरकारी सेवकों को नई पेंशन योजना एनपीएस के अन्तर्गत लाया गया है. यह योजना बाजार पर आधारित है. इसमें लाभ की कोई गारंटी नहीं है. दूसरी ओर पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों को आजीवन सुनिश्चित मासिक पेंशन प्रदान करती थी. जो कि उनकी सेवा के वर्षों और अंतिम वेतन पर आधारित होती थी.
माननीय उप मुख्यमंत्री महोदय, मेरे पूछे गए प्रश्न क्रमांक 2834 के संदर्भ में उत्तर में कहा है कि सरकार के पास इस समय पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. साथ ही यह भी बताया गया कि राज्य सरकार के वित्तीय संसाधनों और अन्य प्राथमिकताओं के आधार पर निर्णय लेती है. क्या हमारे कर्मचारी इस देश और राज्य की सेवा में अपना जीवन नहीं लगा रहे हैं. क्या यह सरकार का दायित्व नहीं है कि वह अपने कर्मचारियों को वृद्धावस्था में सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर सके.
11.49 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
श्रीमती सेना महेश पटेल -- सभापति महोदय, जब राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसे राज्य पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर कार्य कर रहे हैं तो मध्यप्रदेश क्यों पीछे है. पेंशन कर्मचारी का हक है यह उनके सेवा जीवन की गारंटी है. नई पेंशन योजना ने असुरक्षा की भावना को जन्म दिया है. जिससे लाखों कर्मचारियों का मनोबल गिरा है.
अध्यक्ष महोदय-- सेना जी आप अपना प्रश्न तो पूरा करें.
श्रीमती सेना महेश पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मैं सदन के माध्यम से राज्य सरकार से स्पष्ट मांग करती हूं कि ओपीएस की बहाली के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए. माननीय मंत्री महोदय से मेरा पूरक प्रश्न इस प्रकार है कि क्या ओल्ड पेंशन लागू की जावेगी या नहीं.
श्री जगदीश देवड़ा-- माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, यह उत्तर में बिलकुल स्पष्ट है कि वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय, यह महत्वपूर्ण विषय है कर्मचारियों से जुड़ा हुआ है इसमें सरकार को विचार करना चाहिए. एनपीएस में कर्मचारियों को काफी नुकसान हो रहा है तो मध्यप्रदेश में ओपीएस लागू होना चाहिए क्योंकि यह बाकी राज्यों में लागू है.
श्रीमती सेना महेश पटेल-- अध्यक्ष महोदय, एक कमेटी गठित हो जाए और इनके ऊपर सरकार की कृपा हो जाए.
खनिज विभाग द्वारा आवंटित फंड
[खनिज साधन]
8. ( *क्र. 2253 ) श्रीमती गंगा सज्जन सिंह उईके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बैतूल जिले में विगत 05 वर्षों के भीतर खनिज मद से विभिन्न विकास कार्य किये गये हैं? (ख) यदि हाँ, तो विगत 03 वर्ष में घोड़ाडोंगरी विधान सभा क्षेत्र में खनिज मद से कितनी-कितनी राशि से कौन-कौन से कार्य किये गये? पूर्ण विवरण सहित जानकारी देवें (ग) विगत 03 वर्ष के भीतर घोड़ाडोंगरी क्षेत्र के खनिज उत्पादन से जिले को कितना राजस्व प्राप्त हुआ है? वर्षवार जानकारी देवें।
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - मंत्री (श्री चेतन्य काश्यप) : (क) खनिज मद से कार्य किये जाने संबंधी कोई प्रावधान नहीं होने से जानकारी निरंक है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्रीमती गंगा सज्जन सिंह उईके-- प्रश्न क्रमांक 2253
श्री चेतन्य काश्यप-- उत्तर पटल पर प्रस्तुत है.
श्रीमती गंगा सज्जन सिंह उईके-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज का दिन बहनों के लिए तय किया गया है कि वह सदन में अपनी बात रखेंगी इसलिए सर्वप्रथम मैं आपका एवं सदन का धन्यवाद करती हूं. मेरे आदिवासी समाज की ओर से सभी को सेवा जोहार करती हूं. मेरा पूरक प्रश्न यह है कि हमारे क्षेत्र में मुझे खनिज की जानकारी दी है. खनिज में रेत भी आती है तो हमारे विधान सभा क्षेत्र से जो राजस्व जिले को प्राप्त होता है मुझे उसकी जानकारी प्रदान की जाए ऐसा मेरा मंत्री जी से निवेदन है. इसी के साथ मैं कहना चाहूंगी कि मुझे पहली बार बोलने का अवसर मिला है इसलिए मेरे क्षेत्र में जो 15 करोड़ रुपए की राशि माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी द्वारा दी थी उसके लिए भी मैं धन्यवाद ज्ञापित करूंगी कि जंगली क्षेत्र में जो कीचड़ होता था वहां सड़क बनकर तैयार है.
श्री रजनीश हरवंश सिंह-- सत्यमेव जयते.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया कर माननीय सदस्या प्रश्न पर ही रहें. (व्यवधान).....
श्रीमती गंगा सज्जन सिंह उईके-- मैं इसके लिए सदन एवं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद करूंगी.
अध्यक्ष महोदय-- गंगा जी बैठिये. (व्यवधान).....
श्री चेतन्य कुमार काश्यप-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बैतूल जिले में घोड़ाडोंगरी क्षेत्र से सम्पूर्ण.... (व्यवधान).....
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज आपने पूरा प्रश्नकाल महिलाओं के लिए रखा है. एक महिला हैं, आप उनको उनकी पूरी बात तो बोलने देते.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने पूरा बोल लिया है. प्रश्न कर लिया है.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वे 15 करोड़ रुपयों की बात कर रहीं थीं. पता तो चलता कि 15 करोड़ मिले कि नहीं मिले. (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय-- वह दूसरा प्रश्न अभी करेंगी. (व्यवधान).....
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासी महिला के ऊपर सदन के अंदर दबाव बनाया जा रहा है. (व्यवधान).....
श्री महेश परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सत्ता पक्ष के सदस्यों को कहना चाहता हूं कि माननीय अध्यक्ष महोदय, ने बहनों को आजादी दी है. सत्तापक्ष के लोगों ने स्वीकार किया है. 15- 15 करोड़ रुपये के लिए धन्यवाद दे रहे हैं. मुख्यमंत्री जी का ऐसा व्यवहार सत्ता पक्ष के लोगों को 15-15 करोड़ रुपए, हम भी तो चुनकर आए हैं. हमें भी जनता ने चुना है. मेरा निवेदन है कि जिस तरह से बहन ने स्वीकार किया (व्यवधान).....
श्रीमती गंगा सज्जन सिंह उईके-- हमारे क्षेत्र में अनेक योजनाओं के तहत माताओ, बहनों को, बच्चों को स्कूटी भी प्रदान की जा रही है तो विपक्ष कह रहा है कि स्कूटी नहीं मिल रही है. इसके लिए भी मैं शासन का धन्यवाद करती हूं. यह हमारे बीच की बात है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद देती हूं. (व्यवधान).....
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्यक्ष महोदय, आदिवासी महिला को दबाने का काम कर रहे हैं. (व्यवधान).....
श्री रामेश्वर शर्मा-- आदिवासी महिला बोल रही है तो पहले सुनो तो..
अध्यक्ष महोदय-- मरकाम जी आप चिंता नहीं करो. उनको बोलने का पूरा अवसर दिया जाएगा. आप उन्हें बोलने का अवसर प्रदान तो करो. उन्होंने पहला प्रश्न किया है. (व्यवधान).....
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्यक्ष महोदय, आदिवासी महिला को सदन के अंदर दबाने का काम कर रहे हैं. शर्मा जी, आप भोपाल के हो तो क्या दबा लोगे? अध्यक्ष जी, ऐसा नहीं चलेगा. आदिवासी महिला को दबाया जा रहा है. (व्यवधान).....
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मैं, आपको धन्यवाद देना चाहता हूं पहली बात कि आपने सदन में महिलाओं को बोलने का अवसर दिया. दूसरी बात यह है कि मंजू जी, सेना जी, गंगा जी जिस वर्ग से आती हैं, यह महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण है. तीसरी बात मैं कहना चाहूंगा कि आदिवासी चाहे भाई हो या बहन हो, कितना भोला होता कि प्रश्न क्या था और उन्होंने पूछा क्य, ये उनके भोलेपन की बात है, इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. मेरा यह निवेदन है क्योंकि वे एक आदिवासी महिला, विधायक हैं, उन्होंने अपने दिल की बात यहां रखी, इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
(...व्यवधान...)
श्री बाला बच्चन- अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी इनके भोलेपन का ही फायदा ले रही है. आपकी सरकार ने पिछले चुनाव में जो बोला है और आपने उन भोले लोगों को जो छला है, यह उसी का परिणाम है और आप स्वयं इस बात को स्वीकार कर रहे हैं. सरकार इनके भोलेपन का फायदा न उठाये.
(...व्यवधान...)
श्री रामेश्वर शर्मा- अध्यक्ष महोदय, एक आदिवासी महिला यह बता रही है कि डॉ. मोहन यादव की सरकार ने आदिवासी की झोपड़ी तक काम किया है, उसकी यहां बधाई दे रही हैं. वह आपको हज़म नहीं हो रहा है, पच नहीं रहा है.
(...व्यवधान...)
श्री ओमकार सिंह मरकाम- आप भोपाल के विधायक हो तो क्या आदिवासी विधायक को दबा लोगे ? यह नहीं चलेगा, ये ध्यान रखना, ये शहर हमारा है, आप लोग हमें दबाना बंद करो, महिलाओं का सम्मान करो.
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय- कृपया प्रश्नकाल चलने दीजिये. उनका उत्तर आ जाने दीजिये, पूरक प्रश्न हो दीजिये. आप उनका जवाब नहीं आने दे रहे हैं.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप- अध्यक्ष महोदय, गंगा जी ने जो प्रश्न किया है, इसके लिए इतने व्यवधान की आवश्यकता नहीं थी. उन्होंने पहले ही कहा था कि यह सदन में बोलने का, उनका पहला अवसर है और उन्होंने अपने क्षेत्र की बात रखी है कि वहां रॉयल्टी की जो राशि आती है, वह उनके क्षेत्र में कितनी लगेगी ? मैं बताना चाहूंगा कि रुपये 58 करोड़ रॉयल्टी का बैतूल में एकत्रित होता है, परंतु घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में रुपये 1 करोड़ 51 लाख के कार्य उनके द्वारा प्रस्तुत किये गए थे, जो कि District Mineral Fund (DMF) से स्वीकृत हुए हैं और अगले वर्ष फिर रुपये 5 करोड़ की राशि सामान्य रूप से एकत्रित होगी, इसलिए आप अगले वर्ष के प्रस्ताव दे दें, जिससे हम उन्हें ज्यादा से ज्यादा स्वीकृत करवाने का प्रयास करेंगे. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय- गंगा जी, आप दूसरा प्रश्न करें.
श्रीमती गंगा सज्जन सिंह उइके- अध्यक्ष महोदय, विभिन्न योजनाओं से हमें जो राशि प्राप्त होती है और उससे जो विकास कार्य हुए हैं, उसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी एवं सदन को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहूंगी और साथ ही मुझे यह कहना है कि आदिवासी जनकल्याण समिति की बैठक हुई थी.
अध्यक्ष महोदय, हमारे देवखला सभी लगभग जंगल में होते हैं, वन विभाग के अंतर्गत होते हैं, हर देवखला में हमें वहां 3-4 दिन अपनी पूजा-पद्धति के लिए रूकना होता है, इसलिए मेरा वन मंत्री जी से आग्रह है कि पूरे प्रदेश में ऐसे स्थानों पर नल एवं टीनशेड की व्यवस्था करके दी जाये. जिससे आदिवासियों का हित होगा, ऐसा आपसे आश्वासन चाहती हूं.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप- अध्यक्ष महोदय, DMF की समिति में उक्त प्रस्ताव प्रस्तुत कर, स्वीकृत करवा दिया जायेगा. (मेजों की थपथपाहट)
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, इसी प्रश्न के उत्तर में मंत्री जी ने उत्तर दिया है कि खनिज मद से कार्य किये जाने संबंधी कोई प्रावधान नहीं होने से जानकारी निरंक है. मैं जानना चाहता हूं कि क्या प्रावधान समाप्त कर दिया गया था, जैसा कि इस उत्तर में लिखा है. यह सही है अथवा नहीं है ? नीतिगत क्या है ?
श्री चेतन्य कुमार काश्यप- अध्यक्ष महोदय, हमारे वरिष्ठ नेता जी ने जो प्रश्न किया है, वास्तव में गंगा जी के प्रश्न के संदर्भ में जो उत्तर दिया गया है यह रॉयल्टी के लिए दिया गया है और DMF की राशि जिले में अलग से एकत्रित होती है और उसे उस जिले में खर्च किया जाता है और रॉयल्टी की राशि राज्य स्तर पर आती है. फिर राज्य के अंदर बजट प्रावधानों के अनुसार उसका वितरण होता है. DMF के संबंध में मैंने जवाब दिया है कि घोड़ाडोंगरी में रुपये 1 करोड़ 51 लाख खर्च किया गया है, यह राशि स्वतंत्र रूप से होती है और सभी विधायकों की इसके उपयोग के लिए एक समिति है और उसके माध्यम से इसका उपयोग सुनिश्चित किया जाता है. इसकी प्राथमिकतायें भी निश्चित हैं. अध्यक्ष महोदय जब खनिज मंत्री थे, ये प्रावधान उनके रहते ही इस देश में किया गया है कि जिन जिलों में खदानें होती हैं, उन जिलों को, क्षेत्रों को इसका लाभ मिले. यह बहुत अच्छा प्रावधान है और इसके माध्यम से कई क्षेत्रों में अच्छे कार्य किये जा रहे हैं.
श्रीमती गंगा सज्जन सिंह उइके- धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल की सूचनाएं आज लगभग 20 हैं और यह कार्यसूची के अन्त में भोजनावकाश के बाद ली जायेंगी.
श्री गिरीश गौतम - माननीय अध्यक्ष जी,
अध्यक्ष महोदय - हां, गिरीश जी, आप कुछ कह रहे हैं.
12.02 बजे
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
पूर्व नेता प्रतिपक्ष की जन्म जयन्ती मनाए जाने विषयक
श्री गिरीश गौतम (देवतालाब) - माननीय अध्यक्ष महोदय, शून्यकाल की सूचना नहीं, मैं एक विशेष उल्लेख करना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपने एक परम्परा की शुरूआत की है. हमारे जो पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं, हमारे जो पूर्व स्पीकर रहे हैं, उनकी जन्म जयन्ती मनाने का फैसला आपने किया है और मैं समझता हूँ कि सदन आपको व्यक्तिगत तौर पर चूँकि आसन्दी पर आप बैठे हैं, आपको धन्यवाद करना चाहता हूँ. (मेजों की थपथपाहट) हमारी विधान सभा एक समृद्धशाली विधान सभा इसलिए भी दर्शित होती है कि आप विधान सभा अध्यक्ष हैं, हम दो भूतपूर्व बैठे हुए हैं. इसी तरह से हमारे चार प्रतिपक्ष के नेता बैठे हुए हैं, हमारे तीन प्रोटेम स्पीकर बैठे हुए हैं- श्री रामेश्वर शर्मा जी, श्री जगदीश देवड़ा जी और श्री गोपाल भार्गव जी हैं. नेता प्रतिपक्ष हमारे श्री अजय अर्जुन सिंह जी, श्री कमलनाथ जी, हमारे गोपाल भार्गव जी हैं, यह चार इस समय के हैं. इसलिए मैं इस सुझाव और इस आग्रह के साथ कि यह कार्यक्रम जो आपने शुरू किया है, इसमें नेता प्रतिपक्ष जी को भी शामिल किया जाये. मैं फिर से आपको धन्यवाद देता है कि आपने एक नई परम्परा की शुरूआत की है, इसलिए मैं सदन से चाहता हूँ कि सब मिलकर हमारे अध्यक्ष जी को धन्यवाद दें. (मेजों की थपथपाहट)
श्री गोपाल भार्गव (रेहली) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय गौतम जी ने जो बात उठाई है. मैं मानकर चलता हूँ कि यह सभी के साथ न्याय होगा और इसलिए यह बात आज चूँकि चर्चा में आई है और मौजूद हैं. इसलिए हमारे बहुत से वरिष्ठ सदस्यों ने नेता प्रतिपक्ष के तौर पर काम किया है. मैं स्वयं के बारे में नहीं कहूँगा कि यहां तो मैं अकेला ही हूँ, प्रतिपक्ष में तो बहुत लोग हैं, 4 लोग हैं और इसलिए सभी को सम्मान मिले, यह हम लोगों का नहीं बल्कि हमारी परम्पराओं और सदन का सम्मान होगा. इसलिए कृपया इस पर विचार कर लें.
अध्यक्ष महोदय - मैं आपकी भावनाओं से अवगत हुआ.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप संसदीय कार्य मंत्री के बारे में भी सोच सकते हैं. (हंसी)
12.03 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 50 वां
वार्षिक
प्रतिवेदन
एवं लेखा वर्ष
2015-2016.
(2) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2024-2025.
12.04 बजे
जन्मदिन की बधाई
अध्यक्ष महोदय - आज माननीय सदस्य श्री शरद जुगलाल कोल एवं माननीय सदस्य श्री बालकृष्ण पाटीदार जी दोनों का जन्मदिन है, सदन की ओर से उनको बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं. (मेजों की थपथपाहट)
12.05 बजे ध्यान आकर्षण
(1) जबलपुर में फर्जी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर नियुक्ति एवं
अनियमितता होना
श्री लखन घनघोरिया (जबलपुर पूर्व) -- अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) --
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जबलपुर का आदेश दिनांक 9.1.2008 द्वारा डाटा असिस्टेंट टीकाकरण के पद पर नियुक्ति फर्जी है. धारित शैक्षणिक योग्यता हॉयर सेकण्डरी, 10+2, 2002 दिसम्बर, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, आधारताल, जबलपुर से गणित विषय में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण के आधार पर नियुक्ति की गई है. फर्जीवाड़ा करके की गई है. इन्हें लिखित परीक्षा में 50 अंकों में से मात्र 11 अंक मिले हैं. प्रायोगिक परीक्षा में 50 में से 45 अंक, इस तरह से कुल 56 अंक मिले हैं. प्रायोगिक और लिखित परीक्षा के कुल अंक मिलाकर 56 करके डाटा असिस्टेंट, टीकाकरण के एकमात्र पद पर नियुक्ति कर दी गई. विजय पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत आवेदन-पत्र एवं चयन सूची की छायाप्रति हमारे पास है. जो उन्होंने आवेदन किया था. छाया सूची हमारे पास है जो आवेदन किया था. दूसरा इनकी जो परीक्षा हायर सेकेंड्री की अंक सूची बताई गई उसमें मेरे द्वारा प्रश्न अभी का अतारांकित हुआ था जिसने मैंने पूछा था और माननीय शिक्षा मंत्री ने मेरे जवाब में कहा अतारांकित प्रश्न है. वर्ष 2000 दिसंबर की अंक सूची सरल क्रमांक 027996 रोल नंबर,पंजीयन क्रमांक 121120,हायर सेकेंड्री परीक्षा उत्तीर्ण की अंक सूची मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा जारी नहीं की गई और यह अंक सूची जो इनने दी एक तो शिक्षा विभाग ने स्वीकार किया कि उस सन् में इस नाम की कोई अंक सूची जारी नहीं की गई और न इस नाम का कोई विद्यार्थी था दूसरा इनने जो अँक सूची पेश की है वह भी हमारे पास है. आपका एक विभाग है कि इनने कोई परीक्षा नहीं दी इस नाम का कोई परीक्षार्थी नहीं था उसी सन् में आप प्रस्तुत कर रहे हैं कि इस सन् की हायर सेकेंड्री की अंक सूची है. यह फर्जीवाड़ा है आप बोलें तो मैं इसको पटल पर रख दूं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने बताया कि जांच कमेटी बनी थी और उनकी टेन प्लस टू मार्कशीट की जांच की गई है और टेन प्लस टू की मार्कशीट वह भी हमारे पास है जो फर्ची साबित नहीं हुई है इसी प्रकार से उनके ग्रेजुएशन के सर्टिर्फिकेट की जांच हुई है पोस्ट ग्रेजुएशन के सर्टिफिकेट की पूरी जांच हुई है तीन सदस्यीय कमेटी ने उसकी जांच की है यदि आपके पास कोई इसके अलावा कोई पत्र होगा तो उसको भी जांच में शामिल करके उसको क्रास चेक करा लेंगे लेकिन कुल मिलाकर आपके द्वारा आपके द्वारा जो प्रश्न लगाया गया था उसके परिपालन में जो कार्यवाही की जानी थी सब की गई है और जांच में सारी शिकायतें निराधार पाई गईं.
श्री लखन घनघोरिया - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को अधिकारियों के द्वारा जानकारी ठीक नहीं दी गई. एक तो इसी सदन में मेरा प्रश्न था 2024 का जिसमें माननीय मंत्री महोदय ने इस बात को स्वीकार किया था तारांकित प्रश्न 280 में दिनांक 30.7.2025 के उत्तर में जो मैंने स्पष्ट किया लेकिन इसी सदन में वर्ष 2024 में जो आपने 2.12.2024 में सदन में जो कथन दिये थे वह कथन भी मेरे पास हैं.उसमें यह पूरी प्रोसीडिंग है विधान सभा की उसमें आपने बड़े स्पष्ट रूप में कहा था कि जैसा माननीय सदस्य ने कहा कि कोर्ट में मामला लंबित है. आपके लिये खुशखबरी है कि कोर्ट में जो स्टे था वह वेकेट हो गया है. अब नये पद की प्रक्रिया शुरू हो गई है. विज्ञापन निकल गया है. 19 पदों पर हम नये डीपीएम की भर्ती करने जा रहे हैं. आपने कहा था कि यह इतना महत्वपूर्ण पद है कि भारत सरकार के 33 कार्यक्रमों की यह लोग मानीटरिंग करते हैं. साथ ही आपने यह भी कहा था कि इसी के आधार पर सुपरवीजन होता है और प्रभारी बनाये जाते हैं चयन प्रक्रिया चूंकि स्टे हो गई थी तो हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था. स्टे हट गया है इसलिये आप उसको जल्द से जल्द कर देंगे, 19 जिले में डीपीएम पद की भर्ती हो जायेगी. माननीय मंत्री महोदय अधिकारियों के कहने पर आप प्रभारी को बचाने में लगे हैं. मेरा आपसे यह आग्रह है कि आपने ही इसी सदन में कहा था जब मैंने आपसे पूछा कि यदि जनप्रतिनिधि किसी बात की शिकायत कर रहे हैं और एक ही व्यक्ति उसकी जांच कर रहा है, एक व्यक्ति दो विंग में बैठा है, ज्वाइंट डायरेक्टर भी है और मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी है. उसी से आप जांच करा रहे हैं. जब मैंने यह आपत्ति ली थी तो आपने इसमें यह कहा था, मैंने पूछा था कि पारदर्शिता कैसे रहेगी जब वही का मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी जांच करेगा जो ज्वाइंट डायरेक्टर बनकर बैठा है. दोनों पद एक ही व्यक्ति के पास है तो कहीं न कहीं मेन्युपुलेशन हो जायेगा तब आपने यह कहा था कि उसे हटाकर भोपाल से किसी अधिकारी को भेजकर जांच करा लेंगे. आज आप बोल रहे हैं कि उसी अधिकारी से फिर कराई, आपने आश्वस्त किया था कि आपकी मंशा है तो हमारे विभाग के वरिष्ठ अधिकारी से जांच करा ली जायेगी. इसमें स्पष्ट है और वर्ष 2021 से क्या कारण है कि एक ही व्यक्ति को जब डीपीएम की 19 पदों की नियुक्तियां हो गईं.
अध्यक्ष महोदय-- लखन जी, मुझे लगता है आपका प्रश्न आ गया है.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां एक बात और है, 19 डीपीएम पूरे मध्यप्रदेश में चयनित हो गये, जबलपुर जिसको दिनांक 24.01.2025 को जबलपुर भेजा और उसकी मंशा इन्होंने बता दी कि वह जबलपुर आना नहीं चाहता है तो और भी 18 थे, वह नहीं आना चाहते थे तो दूसरे को भेज देते, उसी विजय पाण्डेय को फिर से प्रभार क्यों दे दिया जिसके ऊपर इतनी आपत्तियां हैं, उसको क्यों दे दिया. एक दिन के अंदर सब कुछ हो गया. प्रभारी डीपीएम को बचाने की ऐसी क्या, क्या पूरी सरकार प्रभारी डीपीएम से चल रही है.
अध्यक्ष महोदय-- लखन भाई, अब बैठिये, मंत्री जी को जवाब देने दीजिये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है जैसा कि माननीय सदस्य ने बताया कि जब आपने प्रश्न लगाया था तो हमने कहा था कि कोर्ट का स्टे हट गया है और रेग्युलर डीपीएम की भरती की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. रेग्युलर डीपीएम की भरती की प्रक्रिया शुरू भी हुई जो 19 जिलों में प्रभारी डीपीएम की जगह होना था उसमें चयन सूची में से जब उनके डाक्यूमेंट वेरीफिकेशन हुये तो उसमें 13 ऐसे लोग रह गये थे जिनके डाक्यूमेंट वेरीफिकेशन में सही नहीं पाये गये, इसलिये जबलपुर में पदस्थापना तो हुई, लेकिन चयनित अभ्यर्थी ने ही आवेदन देकर कहा कि हमें बगल वाले जिले में पदस्थापना दी जाये तो अब जो बचे हुये प्रभार वाले जिले हैं उनके चयन की प्रक्रिया जारी है, तो कुलमिलाकर अल्टीमेटली हमें सारे जिलों में रेग्यूलर डीपीएम पोस्ट करने हैं जो मैंने पिछली बार कहा था वह अभी भी आपसे कह रहे हैं कि जैसे ही वह प्रक्रिया पूरी होगी उसमें रेग्यूलर डीपीएम आयेंगे.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सवाल इस बात का उठता है कि सदन में दिया गया कथन एक साल बाद भी अमल नहीं हो रहा. आपने चयनित व्यक्ति को दिनांक 24.01.2025 को लेटर दिया और दिनांक 25.01.2025 में उसका निरस्तीकरण कर दिया, फिर उसी व्यक्ति को जो विवादित है, जिसके ऊपर इतने आरोप है, सर्टिफिकेट से लेकर सारी चीजें हैं.
अध्यक्ष महोदय-- लखन जी, मैं समझता हूं कि आपके पहले प्रश्न के उत्तर में मंत्री जी ने यह बताया कि जांच की गई और उन पर कोई दोष नहीं पाया गया, लेकिन इसके बावजूद भी आपके पास बहुत सारे कागज हैं. मंत्री जी ने कहा है कि आप वह सारे कागज उनको सम्मिट कर दीजिये, वह उसकी जांच करा लेंगे, तो मुझे लगता है कि व्यक्तिगत रूप से मिलकर सारे कागज उन्हें दे दें.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यक्तिगत रूप से वह बड़े सौम्य हैं, हंसकर बोल देते हैं, करते कुछ नहीं हैं. जो सच्चाई है वह तो करें, सज्जन आदमी हैं, अधिकारी उनको जैसा चलाते हैं, चल देते हैं. इतनी विवादित स्थिति में वर्ष 2021 से इतना विवादित व्यक्ति बैठा है, जो योग्य नहीं है, जिसकी फर्जी मार्कशीट है. आप उसकी जांच की घोषणा क्यों नहीं करते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- चलिये, यह अंतिम प्रश्न है, माननीय मंत्री जी.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने बताया है कि कई स्तर पर जांच हुई, दो-दो शिकायतें हुईं.
श्री लखन घनघोरिया -- आप उसको हटाकर जांच कर लीजिये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, अब जो माननीय सदस्य का कहना है कि जो जांच कमेटी थी, वह स्थानीय स्तर की थी, इसलिए राज्य स्तरीय स्तर पर जांच होना चाहिए, तो मैं माननीय सदस्य को सूचना दे रहा हूं कि राज्य स्तरीय टीम द्वारा भी जांच समिति का गठन पूर्व में ही कर दिया गया है और वह जांच प्रचलन में है और बहुत जल्दी उसकी रिपोर्ट आ जायेगी.
श्री लखन घनघोरिया -- आप उसको हटा दें न, इतना उससे क्या लगाव है, क्या पूरा विभाग उसी पर चल रहा है? मरीजों का हाल अच्छा है, लोग मरे जा रहे हैं और आप कहते हैं कि हाल अच्छा है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- देखिये दोषी को सजा न देना और निर्दोष को सजा देना.
श्री लखन घनघोरिया -- अरे जांच प्रभावित होती है, इतने सबूत हैं और आपका शिक्षा विभाग ही कह रहा है कि यह फर्जी है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- एक मिनिट सुनिये तो.
अध्यक्ष महोदय -- श्री लखन जी, मंत्री जी को अपनी बात पूरी तो करने दीजिये.
श्री लखन घनघोरिया --यह आपका विभाग कह रहा है, यह तीस तारीख का ही है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- यह जांच रिपोर्ट है.
श्री लखन घनघोरिया -- यह आप दोनों देख लें और उनका परीक्षण करा लें, तब तक उसको हटा दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- मेरा यह कहना है कि दोषी को सजा न देना और निर्दोष को सजा देना, दोनों बराबर का ही मामला होता है, तो जब जांच रिपोर्ट में निर्दोष पाया गया है, तो अभी जब हम नियमित रूप से भर्ती की प्रक्रिया कर रहे हैं, तो थोड़ा सा आप धैर्य रखें.
श्री लखन घनघोरिया -- यह तो आपके संज्ञान में आ गया है कि यह फर्जी डिग्री है, आप इसी का परीक्षण कर लें, आपका शिक्षा विभाग कह रहा है, अभी आज के अतारांकित प्रश्न में शिक्षा विभाग कह रहा है, यह आपके सामने है. जब आपका शिक्षा विभाग कह रहा है, तो आप इसका परीक्षण करा लें और तब तक उसको हटा दें.
अध्यक्ष महोदय -- लखन जी मंत्री जी ने कहा है कि राज्य स्तरीय समिति जांच कर रही है, आपके पास जो डाक्यूमेंट्स हैं, आप वह मंत्री जी को दे दीजिये.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय, राज्य स्तरीय समिति में कौन से तथ्य हैं, जब चार साल से आप उसको बचाए पड़े हैं, जो उस पद के योग्य नहीं है, प्रभारी है तो आप वहां पर रेगुलर क्यों नहीं कर रहे हैं. आप बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे कि हाईकोर्ट का स्टे हट गया, स्टे हट गया है, तो खुशी की बात है.
अध्यक्ष महोदय -- लखन जी, प्लीज, अब काफी हो गया है. मैं समझता हूं कि मंत्री जी ने राज्य स्तरीय समिति को जांच भेज दी है, आप सारे दस्तावेज मंत्री जी को दे दीजिये, वह जांच में उन्हें सम्मिलित कर लेंगे.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय, यह सदन के औचित्य का प्रश्न है कि यहां मंत्री क्या कहते हैं और हो क्या रहा है? जब यहां जांच के लिये स्वीकार कर लिया था, हटाने के लिये फिर क्या कारण हुआ, मंत्री महोदय आपकी इसमें क्या दिलचस्पी है, क्या आप अधिकारियों के कहने पर चल रहे हैं?
श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, शिक्षा विभाग का उत्तर है.
अध्यक्ष महोदय -- लखन जी, कृपया बैठ जायें. माननीय मंत्री जी आप इस पर कुछ कहना चाह रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा कि जांच रिपोर्ट में कोई भी प्रमाण पत्र, सर्टिफिकेट फर्जी नहीं पाया गया है और इसलिए हम इंतजार कर रहे हैं कि जैसे ही हमारी चयन प्रक्रिया प्रतीक्षा सूची से पूरी हो जायेगी, हमने तो कोशिश की थी कि सभी उसी समय हो जायें, लेकिन उसमें जो चयन की सूची आईं, उसमें कई लोग ऐसे थे, जिनके डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन में वह पर्याप्त नहीं थे, इसलिए डिले हुआ है.
श्री अजय अर्जुन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भाई लखन जी ने बहुत अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है कि पुराने प्रश्न के आधार पर शिक्षा विभाग के मंत्री ने उत्तर दिया है कि यह फर्जी है, यदि इस सदन में वह प्रमाणित हो चुका है कि फर्जी है, तो मंत्री महोदय को कबूल करने में क्या दिक्कत है ? यह तो सदन का अपमान है और नहीं तो उस व्यक्ति पर माननीय मंत्री महोदय की बहुत विशेष कृपा है (मेजों की थपथपाहट) कि उस पर इतना सब कुछ होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. अरे यह जांच प्रदेश स्तर की बन गई है, तो सीधी-सीधी बात है यदि आप सही तरीके से निष्पक्ष जांच कराना चाहते हैं, तो लखन भाई जिस व्यक्ति का कह रहे हैं, उस व्यक्ति को हटा दें और जांच निश्चित रूप से समय सीमा में करा दें.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी इस पर आप कुछ कहना चाह रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय सदस्य महोदय, मुझे नहीं मालूम है कि स्कूल शिक्षा विभाग की कौन सी जांच रिपोर्ट यह दे रहे हैं, लेकिन जो हमारी जांच कमेटी है, उसने उनके सारे सर्टिफिकेट को सही माना है.
अध्यक्ष महोदय --(श्री लखन घनघोरिया, सदस्य के अपने आसन से कहने पर) लखन जी प्लीज आप बैठ जायें, आप सारे दस्तावेज मंत्री जी को दे दें, मंत्री जी उनकी राज्य स्तरीय समिति से जांच करा लेंगे.
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे हाथ जोड़कर निवेदन कर रहा हूं कि आप अपने किसी व्यक्ति को नियुक्त कर दें, आप वहां प्रभार देकर उसको हटायें, वह भ्रष्ट है.
श्री अजय अर्जुन सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह संस्कारधानी की बात है, यदि संस्कारधानी में इस तरह से होगा, तो पूरे प्रदेश में क्या होगा?
अध्यक्ष महोदय -- श्री लखन जी आप बैठ जायें, डॉ.अभिलाष पाण्डेय जी आप बोलें.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय, आपसे निवेदन है कि मंत्री जी एक बार आश्वासन दे दें कि उसको हटाकर जांच करा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय – मंत्री जी ने कई बार उत्तर दिया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) – माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में पहले भी जवाब आ चुका. मंत्री जी ने कहा है कि मुझे जानकारी नहीं है, सदस्य प्रमाण दे रहे हैं, जानकारी सदन में, पटल पर है और इस प्रकार अगर कोई कर्मचारी या अधिकारी जो भ्रष्टाचार कर रहा है, उसको सरकार बचाए. चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष हो दोनों ही, तो फिर सदन की गरिमा, मान सम्मान कहां से होगा. अध्यक्ष महोदय हम लोग तो बहिर्गमन कर रहे हैं, लेकिन इस पर मैं समझता हूं कि आपको चिन्तन मनन करने की आवश्यकता है. इसी कारण विधान सभा की गरिमा कम हो रही है. चाहे आप इधर रहो या उधर रहो, इसी कारण गरिमा कम हो रही है, आपके और हमारे कारण. अगर सच है तो जनता के लिए लड़ना है, तो निश्चित तौर से हमको निष्पक्ष बात करनी पड़ेगी, धन्यवाद.
12:26 बजे बहिर्गमन
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगणों का सदन से बर्हिगमन)
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विषय पर सही जानकारी नहीं आने के कारण हम लोग सदन से बर्हिगमन करते हैं.
(नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगणों का सदन से बर्हिगमन)
ध्यान आकर्षण (क्रमश:)
(2) ग्वालियर किले में होटल खोलने से उसकी ऐतिहासिक पहचान से छेड़-छाड़ किये जाने संबंधी.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय(जबलपुर), सर्वश्री पंकज उपाध्याय, रमेश प्रसाद खटीक.
माननीय अध्यक्ष महोदय -
12:28 बजे अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय – आज का दिन निश्चित रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है. 5 अगस्त का दिन भारतीय इतिहास के सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा, क्योंकि मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू काश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35(ए) को हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया था. (...मेजों की थपथपाहट ) इस निर्णय के बाद जम्मू काश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधान खत्म हो गए थे, जम्मू काश्मीर, दो केन्द्र शासित प्रदेशों, जम्मू काश्मीर और लद्दाख में विभाजित हो गया था, उसके ठीक एक साल बाद, 5 अगस्त 2020 को जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी का दंश झेल रही थी, उसी समय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अयोध्या में 492 साल से चले आ रहे राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का शिलान्यास किया और आज 5 अगस्त का दिन है जो हमारे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र जी का भी जन्म दिन है, हम उन्हें भी स्मरण करते हैं.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी—अध्यक्ष महोदय,
डॉ.अभिलाष पाण्डेय—अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से आग्रह यह है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी ने अपने 124 वें संस्करण 27 जुलाई को उन्होंने इस बात को कहा कि जिस तरह से देश में ग्वालियर, झांसी, दतिया, अजयगढ़, गढ़कुंडार और चंदेरी, यह सिर्फ किले नहीं हैं. बल्कि हमारी ऐतिहासिक धरोहर है तथा वह विरासतें हैं जिन पर कई बार हमले हुए लेकिन वह तटस्थ होकर हमारे स्वाभिमान का प्रतीक बनकर हमारे सामने खड़े हैं. साथ ही जो राणा शासकों की जो राजधानी रही है. उसमें गोहद, अटेर, ग्वालियर, धोलपुर, और बेहर ऐसी जगहों पर उनकी राजधानियां रही हैं उस ग्वालियर किले के अंदर सिखों की भी बड़ी मान्यता है. सिख समाज के जो छठे गुरू रहे हैं गुरु गोविन्द सिंह जी वह वहां पर कैदी थे. जब उनको वहां से छोड़ा गया तब न सिर्फ पूरे भारत में, बल्कि पूरे विश्व के अंदर बंदी छोड़ दिवस के रूप में उसको सिख समाज मनाता है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करता हूं कि देश की सरकार ने ऑर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट के अंदर 70 परसेंट की वृद्धि उनके बजट में की है. क्या भविष्य में ग्वालियर के किले को संरक्षित, संवर्धित और व्यवस्थित बनाने के लिए इस तरह की अफवाहें और घटनाएं न हों, और भविष्य में कोई होटल या इस तरह के कोई प्रोजेक्ट्स न आ पाएं, इसके लिए सरकार की क्या योजना है ?
राज्य मंत्री, संस्कृति, पर्यटन (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी बताया है कि इस प्रकार की कोई योजना कि उसको होटल के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है ऐसी कोई योजना संस्कृति, पर्यटन विभाग की नहीं है. दूसरी बात यह है कि उसको संरक्षित, संवर्धित करने के लिए मैंने अभी अपने उत्तर में बताया है कि संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश हेरिटेज डेव्लपमेंट ट्रस्ट इंटर ग्लोब एविएशन लिमिटेड और आगा खां कल्चरल सर्विसेज के मध्य 10 वर्ष के लिये एमओयू किया गया है और उस एमओयू के तहत विक्रम महल, करण महल, गुजरी महल, जहांगीर महल, जौहरकुंड के संरक्षण, संवर्धन और सौंदर्यीकरण के कार्य सीएसआर निधि से किये जायेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सभी कार्य मध्यप्रदेश पर्यटन बोर्ड और राज्य पुरातत्व के समन्वय से किये जायेंगे. मैं आपके माध्यम से सम्मानीय सदस्य को बताना चाहता हॅूं कि मध्यप्रदेश की सरकार डॉ.मोहन यादव जी की सरकार इस प्रकार के मोनूमेंट्स को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्ल्ड यूनेस्को की जो हेरिटेज साइट्स हैं उसमें उसकी टेंटेटिव लिस्ट में इस किले का नाम पहले से दर्ज है. यह अपने आप में मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है कि 18 ऐसी विश्व धरोहरें हमारे मध्यप्रदेश में हैं जो यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स के रूप में दर्ज हैं जिसमें 3 धरोहरें तो खजुराहो, सांची और भीमबेटका स्थायी सूची में हैं तो कुल मिलाकर पूरे भारत में 62 विश्व धरोहरें हैं जिसमें से 18 धरोहरें हमारे मध्यप्रदेश में हैं. यह इस बात का प्रमाण है कि हमारे मध्यप्रदेश की सरकार डॉ.मोहन यादव जी की सरकार किस प्रकार से अपने मोनूमेंट्स को संरक्षित करने का काम कर रही है. निश्चित रूप से मोनूमेंट्स को संरक्षित भी किया जायेगा और इस प्रकार की जो अफवाहें कहीं न कहीं चल रही हैं, तो मुझे लगता है कि किसी ने अनावश्यक रूप से इस प्रकार की अफवाहें फैलाने का काम किया है. किसी भी प्रकार से इस मोनूमेंट्स को होटल में बदलने की कोई प्रक्रिया संस्कृति, पर्यटन विभाग द्वारा संचालित नहीं है. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्री पंकज उपाध्याय जी.
डॉ.अभिलाष पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट में अपनी बात समाप्त करूंगा. चूंकि आप भी ग्वालियर से आते हैं और आपके संरक्षण के साथ मैं इस बात को कहना चाहता हॅूं कि माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है यह निश्चित तौर पर हम सबको गौरवान्वित भी कर रहा है. मैं इस बात को मानता हॅूं कि महर्षि अरविन्द जो कहते थे कि वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता, जिसमें अतीत का गौरव, वर्तमान की चिन्ता और भविष्य के सपने जिनकी आंखों में नहीं होते. आदरणीय माननीय मंत्री जी का जो उत्तर आया है, उससे मैं यह विश्वास दिलाता हॅूं कि आने वाली भविष्य की पीढ़ी को भी उससे प्रेरणा मिलेगी और मैं मध्यप्रदेश सरकार के प्रति बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हॅूं.
श्री पंकज उपाध्याय -- धन्यवाद माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करेंगे.
श्री पंकज उपाध्याय (जौरा) -- जी माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यही प्रश्न था जो हमारे साथी विधायक डॉ.अभिलाष पाण्डेय जी ने उठाया. मैं केवल इतना कहना चाहता हॅूं कि किले के अंदर जो गुरूद्वारा है उसे भी संरक्षित किया जाय और जो लगातार अफवाहें चल रही हैं कि हमारे ग्वालियर में जो भी पुरातत्व से संबंधित चीजें, उसमें नये-नये होटल बनाने की जो एक योजना चल रही है, तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हॅूं कि इन सभी अफवाहों पर रोक लगायें क्योंकि ग्वालियर में ऐसी कई सारी पुरातत्व की इमारतें हैं जिनका संरक्षण किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है और अगर किले में 5 स्टार होटल बनाने की कोई योजना है तो निश्चित रूप से बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि आपने जैसा वक्तव्य सदन में दिया है, उस पर कायम रहें और आने वाले समय में कोई 5 स्टार होटल हमारे संरक्षित स्थानों में नहीं बनें. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय रमेश जी, क्या आपका कोई प्रश्न है ? माननीय मंत्री दोनों का उत्तर एक साथ ही बोल देंगे.
श्री रमेश प्रसाद खटीक (करैरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हमारे क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. मेरा लोकसभा क्षेत्र ग्वालियर से जुड़ा हुआ विषय है जिसमें कि ग्वालियर किला 8वीं सदी में गोपगिरी पर्वत पर बना हुआ है और यहां पर अन्य राजे-रजवाड़ों के साथ-साथ चाहे वह लोधी हों, या पवार हों, विशेष रूप से राजा मानसिंह तोमर जी यहां के रहे थे, जिनका महल बना है, वह बहुत दर्शनीय है. इसमें उन्होंने अपनी 8 रानियों के लिए जो महल बनवाए थे, उसमें झूलाघर भी था, उस समय के हिसाब से बात करने के लिए उनके पास ऐसी पद्धति थी कि जो अपनी रानियों से वहीं से बैठे बात कर लिया करते थे. अध्यक्ष महोदय, पंडित जी ने जो विषय रखा है कि जो राणा भीम जी की छत्री बनी है, वह जहांगीर महल और कुंड के पास बनी हुई है. यह सुनने में आ रहा है कि उसमें होटल बना दिया जाएगा तो उसका स्वरूप ही बिगड़ जाएगा. उसके लिए माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है उसके लिए धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, मैं आग्रह करता हूं कि जहां जहां धरोहर हैं, विश्व की धरोहर हैं, हमारे राज्य की धरोहर हैं वहां पर भी इस चीज का ध्यान रखा जाय और उनके स्वरूप में छेड़छाड़ न की जाय.
श्री मोहन सिंह राठौर (भितरवार) - अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां बहुत बड़ा महल है, उसके भी संरक्षण और संवर्धन के लिए, उसकी सुंदरता बनाये रखने के लिए क्योंकि वह उस जमाने का एक अजूबा है. हमारे घाटी गांव के ऊपर जो राई गांव है, वहां से रानी महल में आती हैं और सांक नदी का पानी उस वक्त की जो पाइप लाइन या जो भी व्यवस्था रही, उससे महल के अंदर पानी आता था, जिसका वह सेवन करती थीं और जिससे वह अपनी दिनचर्या पूर्ण करती थीं, यह उनकी शर्त थी तो क्या उसको भी संरक्षण देने का काम माननीय मंत्री जी के विभाग से हो सकता है?
अध्यक्ष महोदय - श्री मोहन सिंह राठौर जी जो हैं महारानी मृगनयनी के मायके के विधायक हैं. मैं समझता हूं कि मंत्री जी ने बहुत स्पष्ट उत्तर दिया है. सामान्य तौर पर कई बार जब ऐसे किलों के विकास की बात चलती है तो वह विषयांतर हो जाती है. पिछले कई दिनों से यह प्रयत्न चल रहा है कि इस प्रकार की जो हमारी ऐतिहासिक धरोहर हैं, इनके संरक्षण और संवर्धन में निजी क्षेत्र के लोग भी अपने सीएसआर से योगदान करें तो सामान्य तौर पर कई बार सरकार उतना नहीं कर पाती है तो निजी क्षेत्र के लोगों के पास साधन हैं, जो सोशल और कल्चरल एक्टिविटी में भाग लेते हैं तो भारत सरकार ने यह तय किया था, उसके तहत दिल्ली के लालकिले को भी किसी कंपनी को दिया गया और उसी प्रकार का एमओयू मध्यप्रदेश सरकार ने ग्वालियर किले के बारे में किया है. मैं समझता हूं कि उत्तर तो आपका पूरी तरह से स्पष्ट है, लेकिन इसी उत्तर पर सरकार को अडिग रहना चाहिए क्योंकि यहां पर लोगों का भाव बहुत जुड़ा हुआ है, चाहे वह तोमर कालीन शासक हों, चाहे वह जाट कालीन शासक हों, चाहे वह अन्य प्रकार के लोग हों, उन सबका एक भावनात्मक जुड़ाव है और कोई भी नहीं चाहता है कि वह हेरिटेज थोड़ा बहुत भी डिस्टर्ब हो.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, प्रतिहार वंश आप भूल जाते हो.
अध्यक्ष महोदय - जिस प्रकार से कर्ण महल, जोहर महल इन सबके विकास को सम्मिलित किया गया है तो मेरा यह अनुरोध होगा कि भीम सिंह राणा जी की छत्री के लिए भी सरकार अगर प्रयास करें तो उचित होगा और ठीक रहेगा, वह जनभावनाओं से जुड़ा हुआ विषय है. (मेजों की थपथपाहट).
12.44 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) लोक लेखा समिति का छियालीसवां से सड़सठवां प्रतिवेदन
श्री भंवर सिंह शेखावत (सभापति) - अध्यक्ष महोदय, मैं लोक लेखा समिति का छियालीसवां से सड़सठवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, आपके निर्देश और आपके मार्गदर्शन में इस समिति ने अपने अल्पकाल में लगातार बैठकें कर प्रतिवेदन तैयार करते हुए आपके आदेश के अनुसार सारे पुराने पेंडिंग कार्य को निपटाने का कार्य किया है. मैं धन्यवाद देना चाहता हूं मेरी समिति के सभी सदस्यों को और इस काम में और तेजी लाने के लिये, हमने एक उप समिति हमारे वरिष्ठ नेता डॉ. राजेन्द्र कुमार पाण्डेय के नेतृत्व में बनायी उसको हमने एक्शन टेकिंग समिति कहा है. उसमें भी लगातार बैठकें करके, जिसमें श्रीमती नीना विक्रम वर्मा जी हैं, श्रीमती रीती पाठक जी हैं और श्री अभय मिश्रा जी भी हैं. इन सबने भी लगातार मेहनत करके पुराने जितने भी पेंडिंग कार्य हैं, जो आपके निर्देश के अनुसार समाप्त किये जाने थे, हमने इनको करके और समापन पर लाकर के इस प्रतिवेदन को प्रस्तुत किया है.
मैं सभी सदस्यों का आभारी हूं और विशेषकर के आपका भी कि आपके आदेश हमने पूरा पालन किया है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) - अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से विधान सभा के संचालन के साथ-साथ में समितियों का संचालन भी सक्रियता के साथ में होता है तो अनेक विषय जो विगत वर्षों के लंबित होते हैं, उनका निर्णय होकर के और वह विषय आगे बढ़ जाते हैं. लोक लेखा समिति ने श्री भंवर सिंह शेखावत जी के नेतृत्व में, आपके मार्गदर्शन में बहुत अच्छा काम किया. एक्शन टेकन कमेटी जो बनाई है उसमें श्रीमती नीना विक्रम वर्मा जी, श्रीमती रीती पाठक जी और भाई श्री अभय मित्रा जी ने भी काफी सहयोग किया और मैं, उल्लेख करना चाहता हूं आपके मार्गदर्शन का कि यह जो आश्वासन समिति थी उस आश्वासन समिति ने लगभग 10 हजार से अधिक आश्वासन, जो विगत वर्षों से लंबित थे, उनका निराकरण किया है. इससे प्रदेश के विकास को तेजी मिली है, गति मिली है.
मैं आपके मार्गदर्शन को बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय- अच्छा काम करने के लिये आश्वासन समिति को भी बधाई, लोक लेखा समिति को भी बधाई
(2) प्राक्कलन समिति का सप्तमृ प्रतिवेदन एवं कार्यान्वयन से संबंधित षष्ठम् प्रतिवेदन.
(3) पटल पर रखे गये पत्रों का परीक्षण करने संबंधी समिति का प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदन
अध्यक्ष महोदय- यह सब लोगों के लिये प्रसन्नता की बात है कि लगभग समितियों ने निश्चित रूप से बहुत सक्रियता से काम किया है और पुरानी काफी पेंडेंसी को पूरा किया है. श्री राजेन्द्र जी अभी आश्वासन समिति का जिक्र कर रहे थे. मैं समझता हूं कि लगभग 13 हजार आश्वासन पेंडिंग थे, जिनमें से साढ़े नौ हजार का निराकरण इस साल में किया गया है. मैं इसके लिये सभी महानुभाओं को बधाई देता हूं.
12.48 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज कार्यसूची के पद क्रमांक-6 में 1 से लेकर 77 तक जो याचिकाओं का उल्लेख है, वह सभी प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
4.49 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश जन विश्वास ( उपबंधों का संशोधन ) विधेयक, 2025
(क्रमांक 13,सन् 2025)
12.49 बजे
(2) मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान(संशोधन) विधेयक, 2025
( क्रमांक 16 सन् 2025)
(3) मध्यप्रदेश माध्यस्थम् अधिकरण (संशोधन)विधेयक, 2025 (क्रमांक 17 सन् 2025) का पुरःस्थापन.
(4) मध्यप्रदेश समाज के कमजोर वर्गों के लिये विधिक सहायता तथा विधिक सलाह (निरसन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 18 सन् 2025) का पुरः स्थापन.
(5) मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक,2025 (क्रमांक 12 सन् 2025)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) – अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक, 2025 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. मंत्री जी, कुछ भूमिका में कहना चाहेंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, आपका आदेश है, तो बोलना ही पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, यह आपकी इच्छा पर है. मेरा आग्रह है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, हमारे देश के प्रधान मंत्री जी हमेशा एक बात कहते हैं कि 2047 में जब हमारे देश के सभी लोग स्वतंत्रता दिवस मानायें, तो भारत विश्व का सबसे ताकतवर देश होना चाहिये और उन्होंने राज्यों से भी यह निवेदन किया है कि वे भी अपने आपको तैयार रखें और जब हम 2047 में जनसंख्या की दृष्टि से देखते हैं, तो लगभग 2047 में इस देश में अर्बनाइजेशन 50 प्रतिशत हो जायेगा. इसलिये अलग अलग चुनौतियां हैं. मेरे मित्र प्रहलाद पटेल जी नहीं हैं, 2047 तक हमारे सामने अर्बनाइजेशन एक चुनौती होगी और ग्रामीण क्षेत्र में भी एक चुनौती होगी. जनसंख्या बढ़ जायेगी और हमें प्रति एकड़ उत्पादन भी बढ़ाना होगा. नहीं तो अन्न संकट होगा, पर चूंकि यह आज का मेरा विषय नहीं है. मेरा विषय है कि अर्बनाइजेशन सशक्त हो, अर्बनाइजेशन का इन्फ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छा हो और इसलिये प्लानिंग आज से ही बनाना पड़ेगी कि 25 वर्ष बाद हमारे यहां वाहन कितने होंगे, हमारे यहां सड़कों की आवश्यकता कितनी होगी. हमारे यहां ब्रिज कितने होंगे, हमारे यहां पानी की आवश्यकता कितनी होगी. हमारे यहां रोजगार सृजन करने के लिये हमें क्या क्या करना होगा. इन सब बिन्दुओं पर हमने फोकस किया है. 2047 के नगर कैसे होते हैं. इसीलिये मेट्रोपोलिटन एक्ट हम लाये हैं और मुझे लगता है कि इसमें हमने इन्दौर के साथ साथ इन्दौर से लगे हुए नगर देवास, उज्जैन, धार, महू इन सबको साथ में लिया है. ऐसे ही भोपाल के भी आस पास के सब शहरों को कि 2047 तक इन शहरों की आबादी कितनी होगी, कितना यातायात होगा. इसलिये इस एक्ट के अन्दर उन सब बातों को ध्यान में रखा गया है. इसमें इण्डस्ट्रियल ऐरिया कैसा हो, इण्डस्ट्रीज कैसी लगें, लोगों को रोजगार कैसा मिले. इसके खास उद्देश्य तो है, वह हमने मुझे कहते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है कि 1992 में जब 74वां संशोधन विधेयक आया था, उसमें
मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास की अवधारणा पर नगरों को और राज्यों को एक मार्गदर्शन दिया गया था कि इसका गठन होना चाहिये, यह उसी एक्ट के अंतर्गत है, हालांकि जो लोकल बाडी-स्थानीय शासन का एक्ट होता है वह भारत के अंदर राज्य का विषय है पर जब भी केन्द्र इसके ऊपर कोई एक्ट पास करता है तो राज्य भी इस पर उसके अनुसार, उसके मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार अपना एक्ट बनाते हैं. यह वास्तव में मेंडेटरी नहीं होता है. 74वां संविधान संशोधन विधेयक जब आया तो उसके बाद हम देखते हैं कि राज्यों ने इसके कुछ हिस्से को लिया और कुछ को नहीं लिया. जैसे आज भी म्युनिसिपल सब राज्यों का एक जैसा नहीं है. कहीं पर डायरेक्ट इलेक्शन हैं, कहीं पर इन-डायरेक्ट इलेक्शन हैं, कहीं पर महापौर का कार्यकाल 5 साल का , कहीं पर ढाई साल का कार्यकाल है, कहीं पर एक एक साल के ही महापौर का कार्यकाल है, इसलिये 74वें संविधान संशोधन मे जो मार्गदर्शी सिद्धांत दिये हुये हैं , एक्ट में जो प्रावधान किया गया है , चूंकि यह स्टेट सब्जेक्ट है इसलिये राज्यों को यह अधिकार दिये हुये हैं कि वे अपनी सुविधा के अनुसार एक्ट बनायें और अर्बन डेवलेपमेंट के लिये काम करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस अधिनियम में हमने पूरे प्लानिंग एरिया को लिया है और जैसा कि मैं पहले ही कह चुका हूं कि 25 साल बाद सड़कें कैसी होंगे, पानी की आवश्यकता कितनी होगी, औद्योगिक क्षेत्र कौन कौन से होना चाहिये, रोजगार के सृजन कैसे हों, ट्रांसपोटेशन कैसा हो इन सब बातों का ध्यान रखते हुये इस एक्ट को लाया गया है. इस एक्ट पर जब हम प्लानिंग करेंगे तो कम से कम 15 साल की करेंगे और अधिकतम हम 25 साल की करेंगे, इससे ज्यादा की नहीं कर सकते हैं, तो जब प्लानिंग एरिया हमारा पूरा बढ़ेगा. हम अभी जब मास्टर प्लान बनाते हैं तो एक शहर का बनाते हैं, अब इस पूरे मेट्रोपॉलिटन एरिया का हम प्लानिंग एरिया बनायेंगे. इसकी एक हाई-लेबल कमेटी बनेगी जिसके माननीय मुख्यमंत्री जी चेयरमेन होंगे, ग्रामीण विकास मंत्री और नगरीय विकास उसमें उपाध्यक्ष होंगे, और बाकी उस क्षेत्र के अधिकारी, वहां के लोकल बाडीज जितनी भी है चाहे वह पंचायत हो, चाहे नगर निगम हो,चाहे नगर पालिका हो उसके अध्यक्ष भी इसके सदस्य होंगे.इन सब क्षेत्र के अधोसंरचना विकास की प्लानिंग हम अभी करेंगे . यह बात सही है कि जब हम 25 साल का प्लान करते हैं तो उसका बजट...
श्री भंवर सिंह शेखावत--माननीय अध्यक्ष जी, मैं आदरणीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा 2027 का सपना दिखा रहे हो, बहुत अच्छा प्लान कर रहे हो. अरे 2025 तक आप भोपाल और इंदौर का मास्टर प्लान तो बना नहीं पाये आप लोग. मेहरबानी करके इस मास्टर प्लान को तो ले आईये. बेतरतीब सब तरह विकास हो रहा है, भोपाल-इंदौर के अंदर हो रहा है, मास्टर प्लान कब आयेगा अभी तक पता नहीं है. 2025 का तो हम मास्टर प्लान तय नहीं कर पा रहे हैं और 2047 में हम इसको स्वर्ग बना देंगे , अरे कम से कम मंत्री जी यह दो मास्टर प्लान आपके कब आ आयेंगे और जो बेतरतीब तरह से विकास हो रहा है इस पर कैसे रोक लगेगी इसका भी आप उल्लेख कर दीजिये.
अध्यक्ष महोदय- 2047 की तरफ देखकर के तो रहना ही चाहिये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, हमेशा दूरदृष्टि रखना चाहिये. एक नेता ने दूर दृष्टि का नारा दिया था पर दूर दृष्टि नहीं रखी और हमें यह कहते हुये गर्व है कि हम दूर दृष्टि रखकर ही काम कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी (एमपीसी), मेट्रोपोलेटियन रिजनल डेवलेपमेंट अथार्टी, यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी" (Unified Metropolitan Transport Authority या UMTA) वैधानिक योजनायें जितनी भी हमारी हैं उन सब पर हम लोग काम करेंगे.यहां पर इस पूरे एरिया का पर्यावरण कैसा हो, इसके अंदर सतत विकास (Sustainable Development) इसका पूरा ध्यान रखा जायेगा, यहां की वित्तीय व्यवस्था हम किस प्रकार से कर सकते हैं , भूमि प्रबंधन कैसा हो, इन सबके ऊपर यह जो मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी (MPC है यह इस पर विचार करेगी और इसके चेयरपरसन माननीय मुख्यमंत्री जी रहेंगे. यह एक हाईलेबल , हाईपॉवर कमेटी होगी. मैं इतना भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस कमेटी के अंदर सारे प्राधिकरण रहेंगे. मेयर रहेंगे और हम प्राधिकरण और नगर निगम के कार्य में हस्ताक्षेप नहीं करेंगे. हम उनके कार्य से उनसे सहयोग लेंगे . इसलिये पहले चरण में हमने इंदौर और भोपाल दो शहर लिये हैं, अगले चरण में हम बाकी शहर भी ग्वालियर,जबलपुर, रीवा इन सबको लेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं, मुझे जब आप बाद में अनुमति देंगे तो मैं और डिटेल में इसके बारे में चर्चा करूंगा . मैंने एक भूमिका रखी है माननीय सदस्यों के लिये वे जब अपनी बात कहेंगे और कुछ पूछना चाहेंगे तो मैं उस पर अवश्य जवाब दूंगा. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये अवसर दिया इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़) -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मध्यप्रदेश महा- नगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक, 2025 एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधेयक है. जैसा माननीय मंत्री जी फरमा रहे थे कि पूरे देश भर में और पूरे विश्व में जिन-जिन शहरों में बहुत तेज रफ्तार से वृद्धि हो रही है वहां पर एक महानगर का पूरा क्षेत्र निश्चित करना और वहां पर पूरी प्लानिंग करना अति महत्वपूर्ण रहता है. मैं शुरुआत में माननीय मंत्री जी और सदन से कहना चाहूंगा कि अगर हम पूरे विश्व में महानगरों की बात करें तो हमें ज्यादा दूर नहीं देखना है, आज से 10 या 20 साल पहले पूरे विश्व में टोकियो शहर सबसे बड़ा महानगर पूरे विश्व का होता था, लेकिन पिछले 10 साल में अगर विश्व में सबसे बड़ा महानगर है तो दिल्ली एनसीआर का पूरा कैपिटल रीजन है. मैं माननीय मंत्री जी और सदन को कहना चाहूंगा कि जिस तरह से दिल्ली एनसीआर का विकास हुआ है हम उस विकास से काफी कुछ उनकी सफलताओं से और गलतियों से सीख भी सकते हैं. अगर एक तरफ आज हम दिल्ली एनसीआर को देखें तो उत्तर तरफ दिल्ली एनसीआर सोनीपत, पानीपत तक पहुंच चुका है. हम दक्षिण तरफ देखें तो अलवर तक पहुंच चुका है. अगर हम पूर्वी तरफ देखें तो मेरठ तक एनसीआर पहुंच चुका है. अगर हम उसके लाभों के बारे में बात करें, जो उसमें सफलताएं प्राप्त हुई हैं, तो उनमें से जो कुछ बातें सामने आती हैं, हम गुड़गांव की बात करें, नोएडा की बात करें, जिस प्रकार से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वहां निवेश प्राप्त हुआ है उससे कहीं न कहीं एनसीआर के साथ-साथ पूरे देश को लाभ मिला है. आईटी साफ्टवेयर टेक्नालॉजी में अनेकों बड़ी-बड़ी कंपनियां गूगल से लेकर माइक्रोसॉफ्ट तक गुड़गांव में स्थापित हुई हैं. बड़े-बड़े स्तर पर मानेसर से आगे पूरे लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित हुए हैं. नोएडा की तरफ अगर हम देखें तो आगे मीडिया ही नहीं और अनेकों वहां पर उद्योग और कंपनियां स्थापित हुई हैं. नोएडा के आगे तो अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट भी लगभग बहुत जल्द चालू होने वाला है. अगर यह सब एक तरफ एनसीआर और एक महानगर की सफलताएं हैं, तो एक तरफ बड़ी चुनौती भी हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक दिन गाड़ी से जयपुर से दिल्ली जा रहा था. मैंने नोटिस किया कि वहां कोई जगह अब खाली नहीं बची है. यही स्थिति दिल्ली से मेरठ तक है. गाजियाबाद से आप मेरठ जाइये तो पूरी जगह लगभग वहां पर कुछ निर्माण हो रहा है. उसका परिणाम यह है कि अगर आज दिल्ली एनसीआर पूरे विश्व का सबसे बड़ा महानगर है तो उसके साथ-साथ दिल्ली एनसीआर पूरे विश्व का सबसे प्रदूषित शहर भी है और मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं क्योंकि हम सबको इस विधेयक का महत्व समझना चाहिए. यह बात बिल्कुल सच है कि अगर हम मध्यप्रदेश की बात करें तो वर्तमान में जैसा मंत्री जी ने कहा कि इन्दौर के साथ-साथ, हमारी राजधानी भोपाल के साथ-साथ ग्वालियर, जबलपुर में भी अपार क्षमताएं हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में शायद यह दो शहर भी कहीं न कहीं महानगर में शामिल होंगे. मैं इन्दौर के संबंध में कहना चाहूंगा, जैसा माननीय मंत्री जी ने कहा इन्दौर, देवास, उज्जैन, मऊ, पीथमपुर, माननीय मंत्री जी तो इन जगहों से नहीं अनेकों जगहों से विधायक भी रह चुके हैं, वह तो इस पूरे क्षेत्र के एक-एक कोने को जानते हैं और मैं कहना चाहूंगा कि अगर आज दिल्ली एनसीआर अपने-अपने कारणों से प्रसिद्ध हैं. हमारा जो मुम्बई का मेट्रोपोलिटन एरिया है वह भी अपने-अपने व्यवसाय, उद्योग के कारण प्रसिद्ध है. लेकिन संस्कृति के तौर पर और धार्मिक रूप से इंदौर, उज्जैन, मालवा से संपन्न कोई और नगर नहीं है. एक तरफ उज्जैन भगवान महांकाल की नगरी है. देवास शहर चामुण्डा माता की नगरी है. इंदौर माँ अहिल्याबाई की नगरी है. मऊ बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर जी की जन्मस्थली है. मऊ के पास में ही वीर टांट्या मामा जी की समाधी भी है. भगवान परसुराम जी का भी जन्म स्थान इसी क्षेत्र से है. ऐसे महानगर जिसमें हर वर्ग की पहचान है. हम जिस क्षेत्र की बात कर रहे हैं. वहां सिर्फ प्रदेश के इतिहास में नहीं बल्कि देश के इतिहास में इस क्षेत्र का बड़ा महत्व है. माननीय मुख्यमंत्री जी भी अभी सदन में पधारे हैं. चाहे माननीय मुख्यमंत्री जी हों या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जी हों. आप दोनों का भी वही क्षेत्र आता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हम भविष्य में इस पूरे महानगर के विकास की चर्चा करेंगे तो मेरी माननीय मंत्री जी को सलाह है कि आर्थिक रुप से, क्षेत्र के इतिहास के रुप से, क्षेत्र की संस्कृति और धार्मिक पहचान के रुप से हमें एक अलग पहचान इस महानगर की बनानी है. महानगर के विकास में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु होते हैं जिन पर हमें ध्यान देना पड़ेगा. माननीय मंत्री जी ने कहा था कि किसी भी महानगर के विकास में वहां की आर्थिक व्यवस्था, वहां पर इंदौर-उज्जैन के बीच में, उज्जैन-देवास के बीच में और इंदौर-पीथमपुर के बीच में जो खाली जगह हैं. वहां पर कहां-कहां पर हम SEZ (Special Economic Zone) प्लान करेंगे. कौन-कौन सी जगह नए-नए उद्योगों के लिए आरक्षित करेंगे. लॉजिस्टिक हब्स के लिए आरक्षित करेंगे. जब अंत में माननीय मंत्री जी अपना उद्बोधन देंगे तो क्या हमारे पास कोई ऐसे आंकड़े हैं, डेटा है जिसमें उज्जैन-देवास के बीच में, उज्जैन-इंदौर के बीच में और इंदौर-देवास के बीच में कितनी शासकीय जमीन हमारे पास है. जहां पर हम नए SEZ स्थापित कर सकते हैं. जहां पर हम नए फूड पार्क स्थापित कर सकते हैं. जहां हम नए आईटी, इकोनॉमिक कॉरिडोर्स स्थापित कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय, उद्योग और व्यवसाय के साथ-साथ एक महानगर की पहचान शिक्षा से भी होती है. आज यदि हम दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो दिल्ली में चाहे डीयू हो, साउथ केंपस हो लेकिन अशोका यूनिवर्सिटी भी दिल्ली के आउट स्कर्ट पर स्थापित हुई हैं. इसी प्रकार से इंदौर में आईआईटी हो, आईआईएम हो, मेरी मंत्री जी को सलाह होगी कि उज्जैन-इंदौर के बीच में देवास, मऊ और पीथमपुर के बीच में भी हम ऐसी सरकारी जमीनें देखें जहां पर 50-100 एकड़ में नई यूनिवर्सिटीज स्थापित कर सकें. चाहे वह फील्ड चिकित्सा शिक्षा की हो चाहे किसी और विषयों की हो. आज हम जहां-जहां पिछड़ रहे हैं. आज जमाना बदल गया है. 20 साल पहले ऑइल, पेट्रोलियम सबसे बड़ा उद्योग होता था. विश्व की बड़ी कम्पनियां ऑइल कम्पनीज होती थीं. आज विश्व में अगर सबसे बड़ी कम्पनियां हैं तो वे आईटी और टेक की हो गई हैं. हम देश की तुलना में हमारे प्रदेश को देखें तो मध्यप्रदेश हैदराबाद, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात से काफी पिछड़ चुका है. क्या हम इंदौर महानगर में विशेष रुप से आईटी पर ध्यान दे सकते हैं. टीसीएस का कैंपस वहां पर है, इंफोसिस का भी है. टीसीएस और इंफोसिस वह कम्पनियां थीं जिनकी आऊटसोर्स में रुचि रहती थी. लेकिन जो आज का ज़माना है, मेन पॉवर सप्लाई के साथ-साथ हमें इनोवेशन टेक्नोलॉजी पर भी ध्यान देना पड़ेगा जैसा कि माननीय मंत्री जी ने कहा कि आप वर्ष 2050 की बात कर रहे हैं तो इन विषयों पर चर्चा करने से हमें काफी लाभ मिल सकता है.
अध्यक्ष महोदय, इंडस्ट्री और शिक्षा के बाद तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु यातायात का आता है. कुछ दिन पहले ही माननीय मुख्यमंत्री जी ने, प्रधानमंत्री जी ने मेट्रो रेल का उद्घाटन किया था, लेकिन मंत्री जी को भी जो प्रारंभिक जानकारी मिल रही होगी वह यह है कि अभी तक इंदौर मेट्रो को इतनी सफलता नहीं हुई है, क्योंकि शुरुआत है. यह स्वाभाविक है कि जब कोई भी ऐसी नई व्यवस्था चालू होती है तो पर्याप्त यात्री उसका उपयोग तभी कर पाएंगे जब कहीं न कहीं मेट्रो के साथ-साथ जो बाकी पब्लिक ट्रांसपोर्ट हैं चाहे बसों का हो, मेट्रो का हो, टेक्सी का हो, ऑटो का हो और फुटफाथ का हो वह सब मेट्रो के साथ में लिंक होता है, लेकिन आज हम दिल्ली को देखें तो दिल्ली में मेट्रो के साथ रेपिड रेल बन चुका है. जहां दिल्ली से लेकर गुरुग्राम तक, गाजियाबाद तक रेपिड रेल चल रही है. यह कहीं न कहीं एक अहम विषय है कि जब हम ट्रांसपोर्ट के बारे में बात करेंगे तो क्या हमने अभी से इसकी तैयारी की है. उज्जैन से लेकर इंदौर तक रेपिड रेल की, इंदौर से लेकर पीथमपुर तक रेपिड रेल की, इंदौर से लेकर देवास तक रेपिड रेल की क्योंकि जब आप सरकारी ट्रांसपोर्ट को इन सभी शहरों से जोड़ोगे जिसकी शुरुआत रेपिड रेल से होगी तो ही आप वहां पर ऐसा कॉम्प्लेक्स नेटवर्क बना पाओगे जिसके द्वारा रेपिड रेल से लेकर ऑटो तक एक कनेक्टिविटी बनेगी. आज हम लंदन की बात करें, सिंगापुर की बात करें, आज पूरे विश्व में अच्छी ट्रांसपोर्ट व्यवस्था किसी शहर के पास है तो वह लंदन के पास है, सिंगापुर के पास है. जहां एक ही कार्ड से आप मेट्रो और बस का उपयोग कर सकते हो.
मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि इस पर भी हमें अध्ययन करना चाहिए और अखिरी जो बिंदु है मैं तीन बिंदु कह चुका हूं. उद्योग, शिक्षा और ट्रांसपोर्ट. मेरा चौथा बिंदु है हमारा पर्यावरण, वन क्षेत्र और मैंने शुरुआत में कहा था कि अगर हमने दिल्ली से कुछ सीखा है तो यह है कि एक बड़े महानगर में एक बड़ी ग्रीन बेल्ट, एक बड़ा वन क्षेत्र भी अनिवार्य है. आज मालवा के क्लाईमेट की, वहां के मौसम की पूरे देशभर में तारीफ की जाती है, लेकिन अगर हम विकास और बिल्डिंग निर्माण के साथ-साथ वृक्षारोपण पर ध्यान नहीं देंगे जिसके ऊपर कल स्वयं माननीय मंत्री जी ने कहा था. कहीं न कहीं जो हमारा पर्यावरण है उस पर भी खतरा आ सकता है. इसी विषय के साथ-साथ अब मैं दूसरे शहर भोपाल शहर पर आता हूं. जो हमारी राजधानी है और जहां अधिकतर हम सभी चाहे सरकार के जो मंत्रीगण हैं या फिर जो अधिकारीगण हैं सभी यहां निवास करते हैं, लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि जहां हम एक तरफ भोपाल के महानगर की बात कर रहे हैं. पिछले बीस सालों में हम भोपाल का मास्टर प्लान प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं. मैं माननीय मंत्री से कहूंगा कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि जो मास्टर प्लान वर्ष 2005 में पुन: प्रस्तुत होना चाहिए था वह आज तक प्रस्तुत नहीं हो पाया.
अध्यक्ष महोदय, मुझे याद है कि वर्ष 7 मार्च, 2020 को हमने मिंटो हॉल में भोपाल मास्टर प्लान को प्रस्तुत किया था. कुछ दिन बाद ही सत्ता परिवर्तन हुआ और वह मास्टर प्लान पास नहीं हो पाया, क्योंकि किसी भी मास्टर प्लान को प्रस्तुत करने के बाद शायद एक माह या 50 से 100 दिन की अनुमति रहती है जिसके बाद वह मास्टर प्लान फाइनलाइज़ हो जाता है. अगर हमें भोपाल को भी एक महानगर के रूप में देखना है तो सबसे पहले यह तय करना है कि हमारी नीयत क्या है. हम जिस मास्टर प्लान को बीस साल से रोककर रखे हैं, ठंडे बस्ते में डाल चुके हैं क्या हम इस भोपाल मास्टर प्लान को, भोपाल के महानगर को आगे स्थापित कर पाएंगे. क्योंकि भोपाल में भी हम देखें तो भोपाल के पूर्वी तरफ रायसेन का क्षेत्र आता है, लेकिन भोपाल रायसेन के बीच में वन क्षेत्र भी आता है.
अध्यक्ष महोदय, यदि हम भोपाल का दक्षिण क्षेत्र देखें, तो वह एक क्षेत्र है, जहां काफी विकास हो रहा है, होशंगाबाद रोड से लेकर मण्डीदीप, औबेदुल्लागंज का क्षेत्र देखें, तो वहां पहले से ही औद्योगिक क्षेत्र है. रामेश्वर शर्मा जी हुजूर के विधायक हैं, उनका विधान सभा क्षेत्र भोपाल के चारों तरफ आता है. लेकिन आज यदि हम भोपाल के पश्चिम में देखें तो वहां सिहोर का क्षेत्र है, सिहोर के आस-पास का जो क्षेत्र है, वह कैचमेंट एरिया है. सिहोर में वैसे ही बड़ा निर्माण करना प्रतिबंधित है, तो वहां हम कैसे-क्या प्लान कर सकेंगे, उस हिसाब से भोपाल में विकास के संबंध में केवल दो क्षेत्र हैं, या तो हम उत्तर दिशा में जायें, एयरपोर्ट के आगे शाहपुर-कुरावद तरफ, या फिर दक्षिण दिशा में जायें. इसके साथ-साथ हमारी जो चुनौतियां हैं, वन विभाग की, उस पर हमें ध्यान देना होगा.
अध्यक्ष महोदय, एक जानकारी मेरे पास आई है कि पहले से 8 लेन का बायपास मण्डीदीप से मिसरोद तक निर्मित हो चुका है लेकिन अब चर्चा है कि वहां नई सड़क 4 लेन की बनेगी. कोलार रोड से फण्दा, सिहोर रोड तक जिसमें कहीं न कहीं रातापानी रिजर्व का क्षेत्र भी आयेगा, क्या वहां हमें पुन: ऐसी रोड बनवानी है ? जहां पूरा वन क्षेत्र है क्योंकि वहां पहले से बायपास बन चुका है. ये कुछ ऐसे विषय हैं, जिन पर हमें भोपाल-इंदौर के विषय में विशेष ध्यान देना पड़ेगा. अब मैं विधेयक पर आता हूं, जब मैं इसका अध्ययन कर रहा था.
अध्यक्ष महोदय- जयवर्द्धन जी, अब समाप्त करें. यह चर्चा विधेयक पर ही हो रही थी. विधेयक से बाहर चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं है.
श्री जयवर्द्धन सिंह- अध्यक्ष महोदय अंतिम पांच मिनट. विधेयक के अंतर्गत जिन शहरों को लाभ मिल रहा था, मैं उनकी बात कर रहा था. भूमिका तैयार कर रहा था. विधेयक में चौंथे और पांचवे पृष्ठ पर मंत्री जी ने तीन समितियां बनाई हैं, पहली समिति महानगर योजना समिति, दूसरी महानगर विकास प्राधिकरण और तीसरी समिति है महानगर कार्यकारी समिति.
अध्यक्ष महोदय, ऐसा क्या कारण है कि तीन समितियां बनी हैं, इनकी अलग-अलग भूमिकायें क्या होंगीं, इनमें अंतर क्या होगा, अलग योजना समिति, अलग विकास प्राधिकरण समिति और अलग कार्यकारी समिति. मंत्री जी अपने भाषण में अवश्य स्पष्ट करें कि इनमें अंतर क्या है, मंत्री जी अपने प्रारंभिक वक्तव्य में कहा था कि जो भी जनप्रतिनिधि हैं, चाहे विधायक हों या अध्यक्ष हों, उनको इसमें लिया जायेगा, लेकिन इस विधेयक के पांचवे पृष्ठ पर महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अंतर्गत यह लिखा गया है कि महानगर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले, मध्यप्रदेश राज्य विधान सभा के चार सदस्य शासन द्वारा नामांकित किये जायेंगे. आप देखें कि जब हम इंदौर की बात करते हैं तो इसमें इंदौर-उज्जैन-देवास और धार चार जिले आ रहे हैं और आप केवल चार विधायकों को इस समिति में रख रहे हैं. मेरा निवेदन है कि इस पर पुनर्विचार किया जाये और जो भी विधायक इस क्षेत्र के अंदर आते हैं, सभी को इसमें शामिल करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार इस विकास प्राधिकरण के अंतर्गत अनेक नगर पंचायतें होंगी, नगर पालिकायें होंगी, लेकिन वहां भी कहा गया कि उस प्राधिकरण के अंतर्गत, उस महानगर में से केवल तीन अध्यक्ष लिए जायेंगे, क्या यह उचित है, नहीं है. मैं इसमें मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि जब इन समितियों का गठन होगा, तो सभी विधायक, सभी निर्वाचित अध्यक्ष, इसमें शामिल रहें.
अध्यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्त मेरी एक और आपत्ति है कि सातवें पृष्ठ पर मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत विधेयक में लिखा गया है कि विकास प्राधिकरण कार्यकारी समिति, इसमें कोई जनप्रतिनिधि नहीं है, इसमें केवल सरकारी कर्मचारी हैं. महानगर आयुक्त, नगर निगम आयुक्त, MPRDC एवं अनेक शासकीय अधिकारी हैं, केवल वे ही इसमें हैं, कोई निर्वाचित जनप्रतिनिधि इसमें शामिल क्यों नहीं है ? मैं यह निवेदन करता हूं कि मंत्री जी, जब अपना संबोधन दें तो महानगर कार्यकारी समिति, महानगर विकास प्राधिकरण, महानगर योजना समिति की भूमिकाओं में क्या अंतर रहेगा, उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए इनकी क्या भूमिका रहेगी इसमें हमें स्पष्टीकरण चाहिए. इसके साथ-साथ अंत में मेरा एक बिंदु है कि जब हम ये महानगर बनायेंगे. तो इसमें बड़ा क्षेत्र बीच में आयेगा, जहां आज भी खेती-बाड़ी हो रही है और हमें विशेष ध्यान देना चाहिए है कि महानगर के निर्माण में किसानों का अधिकार और हक है, वह हम उनसे न छीनें क्योंकि अनेकों बार ऐसी बात सामने आती हैं. हम आईडीए की बात करें और आईडीए के बारे में मुझसे बेहतर माननीय मंत्री जी जानते हैं, लेकिन मेरे पास ऐसे अनेकों बार केस सामने आए हैं, जहां आईडीए या अन्य किसी विकास प्राधिकरण ने जमीन 10 वर्ष पहले, 20 वर्ष पहले ले ली, लेकिन वह वैसे ही खाली पड़ी है, उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2019 में हमने यह नियम बनाया था कि लैंड पूलिंग के माध्यम से जहां भी कोई जमीन ऐसी है, जिसको गवर्नमेंट के द्वारा टेक ओवर किया गया है, कोई भी नई योजना के लिए, लेकिन वहां पर अगर काम नहीं हुआ है, जमीन 10 वर्ष बाद, 15 वर्ष बाद वैसे की वैसे ही पड़ी हुई है, तो वह जमीन वापिस जो वहां के मालिक हैं, उनको दी जायेगी. लेकिन वापिस जब इस सरकार में वर्ष 2020 में परिवर्तन हुआ था, तो इस पर कुछ कार्यवाही नहीं हो रही है, तो मैं माननीय मंत्री जी और माननीय सीएम साहब से यह निवेदन करूँगा कि विकास प्राधिकरण एक ऐसी व्यवस्था होती है और ऐसी संस्था होती है कि जिससे कि आप बेहतर विकास करें, लेकिन कहीं न कहीं यह प्राधिकरण कुछ ऐसे केस में ब्लैकमेलिंग करते हैं, जानबूझकर किसी को परेशान करना है, तो उसकी जमीन को आप इस योजना में डाल दें, वह पड़ी रहेगी, वह कुछ नहीं कर पायेगा, इस बात से हमको सावधान रहना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - जयवर्द्धन जी, आप कृपया समाप्त कीजिये.
श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह मेरा आपसे निवदन था. मुझे पूरा विश्वास है कि इस विधेयक के माध्यम से हमारे मध्यप्रदेश के जो भावी महानगर हैं, चाहे इन्दौर हो, भोपाल हो, ग्वालियर हो, जबलपुर हो, इन सब शहरों में बेहतर विकास होगा. लेकिन हमें इस बात पर सावधान होना चाहिए कि जो वहां के कृषक हैं, जो आसपास के क्षेत्र के ऐसे परिवार हैं, जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से आते हैं, जो उनके पट्टे की भूमि है, उनका शोषण न किया जाये. यह कुछ ऐसे बिन्दु हैं, जिन पर मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाह रहा था. लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि अगर हम इन महानगरों की प्लानिंग के लिए अच्छी व्यवस्था करेंगे और सकारात्मक रूप से प्लानिंग करेंगे, तो मुझे विश्वास है कि दिल्ली, एनसीआर से भी बड़ा और ऐतिहासिक महानगर इन्दौर का शहर बन सकता है. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री रामेश्वर शर्मा जी बोलें, उसके पूर्व मुख्यमंत्री जी ने पिछली बार कार्यमंत्रणा समिति में यह इच्छा व्यक्त की थी कि वह मध्यप्रदेश में तेजी से विकसित होते औद्योगिक परिदृश्य पर वक्तव्य देंगे. मैं मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करना चाहूँगा कि वह अपना वक्तव्य प्रारंभ करें.
1.23 बजे
वक्तव्य
मध्यप्रदेश में तेजी से विकसित होते औद्योगिक परिदृश्य पर मुख्यमंत्री का वक्तव्य
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. दो कारण से, एक तो आपके अध्यक्षीय कार्यकाल में विधान सभा की गतिविधि का संचालन आप सभी पक्ष एवं प्रतिपक्ष को जोड़कर बहुत अच्छे से कर रहे हैं और मैं, हमारे पक्ष के सभी माननीय सदस्यगण एवं प्रतिपक्ष के सभी माननीय सदस्यगणों को धन्यवाद देना चाह रहा हूँ कि बहुत दिनों के बाद ऐसी लगातार सभी विषयों पर सार्थक चर्चा भी हो रही है, हम एक-दूसरे के पक्ष भी सुन रहे हैं और सच्चे अर्थ में यह लोकतंत्र गौरवान्वित भी हो रहा है. हम और आप मिलकर मध्यप्रदेश के विकास के लिए, जो हम निर्णय करते जा रहे हैं. जैसे अभी-अभी माननीय पूर्व नगरीय विकास मंत्री ने जो बातें रखी हैं, उन्हें अनुभव है, जो उन्होंने कुछ बातें जोड़ी हैं, उनको भी धन्यवाद है, जो उन्होंने आशंकाएं बताईं. माननीय मंत्री जी, अभी उसका जवाब देंगे. वह भी आ जाएगा. लेकिन यह इसी बात में से है, जो सारी बातें मैं यहां पर कहने वाला हूँ, वह अपने आप दिख जायेगा कि आज बदलते दौर में यह हमारे लिए परमात्मा की एक कृपादृष्टि भी है.
माननीय अध्यक्ष जी, हम देश के मध्य में हैं. देश के मध्य में होने के नाते हम विकास में केवल मध्यप्रदेश की बात नहीं कर सकते. मध्यप्रदेश के साथ देश के संदर्भ में देखकर बात करेंगे. देश के संदर्भ में भौगोलिक रूप से हमारे लिए एक अलग से एडवांटेज है कि हां, हम कोई भी विकास का काम करेंगे. चाहे वह उद्योग का होगा, किसी भी क्षेत्र का होगा, तो हम पूरे देश को लाभान्वित करेंगे. आवागमन की दृष्टि से हम मध्य में होने के कारण से, यह सबसे बड़ा एडवांटेज है. हमारा दूसरा एडवांटेज भौगोलिक एरिये का है, यह हमारे लिए अपने आप में एक एडवांटेज है कि आज हम देश के दूसरे नंबर के राज्य हैं, जिसका इतना बड़ा लैंड बैंक है. परमात्मा की दया से ये सारी अनुकूलताएं हैं. तीसरा, हमारी बिजली, सड़क, सब प्रकार की चीजों के साथ आखिरी महत्व का कि यहां के निवासियों की मानसिकता हमारे सभी अंचलों में, मालवा हो, महाकौशल हो, विंध्य हो, चंबल हो, हमारे निवासियों की अपनी कार्यक्षमता, उनका काम करने का तरीका, उनका नेचर, ये कोई भी प्रोग्रेसिव चीजें किसी राज्य के लिए सर्वाधिक अनुकूल है. हमारे यहां इंडस्ट्रीज़ में कोई हड़ताल नहीं होती, चाहे किसी की सरकार रहे, कांग्रेस की रहे, बीजेपी की रहे, लेकिन हमारे लोग जो-जो काम करते जा रहे हैं, ऐसे अनुकूल राज्य हैं, जैसे गुजरात है, कमोवेश उसकी कॉपी मध्यप्रदेश है. दोनों में कोई अंतर नहीं. हमारे यहां ये जो, एक तरह से मैंने प्रारंभ में कहा है कि जैसे मेट्रोपोलिटन की बात है, यह इससे ही जुड़ा हुआ पक्ष है. मेट्रोपोलिटन पर माननीय मंत्री जी विस्तार से अपनी बात करेंगे. लेकिन केवल कल्पना करें कि अपने इस शासनकाल में जहां माननीय मंत्री जी ने यह कल्पना की कि इन्दौर क्योंकि इन्दौर में हम सब जानते हैं कि परमात्मा की दया से इंदौर की गति जेट की गति से चल रही है. इंदौर के साथ-साथ हमारा ये उज्जैन, देवास, धार, मक्सी के पास का शाजापुर, ये बेल्ट और केवल इंदौर ही नहीं, इंदौर के बाद फिर भोपाल, भोपाल के बाद जबलपुर, जबलपुर के बाद ग्वालियर, ये जो हम अपने शहरीकरण की दिशा में अगर बढ़ेंगे तो ये चारों शहर हमारे बड़ी-बड़ी स्थिति में बड़ी संभावना रखते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले दौर में माननीय मंत्री जी के माध्यम से हमारी सरकार ने जो निर्णय किया है कि इंदौर और भोपाल, पांच-पांच जिलों को मिलाकर इनका मेट्रोपोलिटन इलाका बनायेंगे. उसी में वह सब बातें आने वाली हैं, जिन बातों को आपने लेकर रखा है, लेकिन हम सब इस बात को जोड़कर के ही देख रहे हैं कि इन इलाकों के अंदर आमतौर पर मास्टर प्लान का झगड़ा क्यों होता है, लैंड यूज से, आवासीय कौन सा होगा, कमर्शियल कौन सा होगा. पूरे मास्टर प्लान में आखिरकार पूरा आग्रह जो होता था, वह उसी में जुड़ जाता है. लेकिन मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूँगा, जिनके माध्यम से हमारी सरकार ने निर्णय किया कि आवासीय मतलब रेसिडेंशियल तो होना ही है, उसमें कोई मना नहीं है, लेकिन हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए कि इंडस्ट्रियल बेल्ट कौन सा होना चाहिए. जब आप रोजगार की दृष्टि से बड़ा इंडस्ट्रियल बेल्ट यदि आप रखेंगे तो स्वाभाविक रूप से उसके साथ जो सहायक चीजें हैं. जब बड़ी कई सारी इंडस्ट्रीज़ आएंगी तो स्वाभाविक रूप से रेसिडेंशियल कालोनियां भी बनेंगी. अलग से मार्केट भी बनेंगे. हेल्थ के इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए भी चीजें बनेंगी, सभी प्रकार की चीजों की जरूरत पड़ेगी. इस प्रकार मोटेतौर पर ये दो मेट्रोपोलिटन और केवल दो मेट्रोपोलिटन अलग नहीं है, इंदौर और उज्जैन, ये आष्टा के पास जाकर के भी इकट्ठे हो रहे हैं. ये हमारी एक तरह से ट्वीन सिटी की तरह काम करेंगे. जो भविष्य की दृष्टि से लगभग 10-12 जिलों में एक नया मॉडल बनेगा, जिसके आधार पर अपने यहां की ग्रोथ की संभावना है.
अध्यक्ष महोदय, अब मैं थोड़ा सा निवेश वाले मामले पर भी आता हूँ क्योंकि निवेश के लिए भी बात करता हूँ तो केवल, अध्यक्ष जी, आज अगर मैं यह बात कर रहा हूँ तो केवल औद्योगिकीकरण की बात नहीं कर रहा हूँ, उद्योग तो हैं ही, उद्योग के भी अलग-अलग जो चरण हैं. एक तरफ हमारा लघु एवं कुटीर उद्योग है, एक तरफ हमारे एमएसएमई, मध्यम श्रेणी के उद्योग हैं. एक तरफ हैवी इंडस्ट्री उद्योग है, लेकिन एमएसएमई और हैवी इंडस्ट्री में भी, हमने उसमें भी श्रेणी बनाई है कि एक तरफ अगर इंडस्ट्री अलग लगाएं और इंडस्ट्री में केवल मशीनीकरण के आधार पर उद्योगपति बड़े पैमाने पर प्रोडक्ट देगा तो उससे हमारे राज्य के लोगों को कितना लाभ मिलेगा. जीएसटी तो मिलेगा, इसलिए हमने इसमें भी एक नई पॉलिसी बनाई है कि हम अपने उद्योग लगवाएंगे, लेकिन उद्योग में भी अगर रोजगारपरक उद्योग लगाये जाते हैं तो रोजगारपरक उद्योग में प्रति लेबर उसको अलग से वीजीएफ देकर के, इन्सेन्टिव्ह दे करके प्रति लेबर, महिला अगर लाडली बहना है तो 6 हजार रुपये और भाई है तो 5 हजार रुपये, हमारी सरकार के द्वारा लगातार पांच साल, दस साल, जैसा प्रपोजल आएगा और ऐसी रोजगारपरक इंडस्ट्री के लिए, कोई बड़ी एमाउंट की नहीं है, ये 50 करोड़ रुपये से लेकर 100 करोड़ रुपये के अंदर की भी इंडस्ट्री लग जाएगी. तब भी उसमें सारी बातें आ जाएंगी क्योंकि हम यह कह रहे हैं कि अगर रोजगारपरक उद्योग लगाते हैं तो बड़ी पूंजी की जरूरत नहीं है और बड़ी पूंजी के साथ मैं तो यह भी चाहूँगा कि हमने जब ये इंडस्ट्रिलाइजेशन की बात कही है तो पूरे राज्य के परिप्रेक्ष्य में बात कही है. माननीय अध्यक्ष जी, आपने देखा ही होगा और माननीय नेता प्रतिपक्ष और सब लोगों ने देखा ही होगा कि हमारे औद्योगिकीकरण की दृष्टि से हमने रीजनल इंडस्ट्री चालू की. रीजनल इंडस्ट्री चालू करते-करते हर संभाग केन्द्र पर, वह संभाग केन्द्र रीवा हो, हमारा नर्मदापुरम हो, सागर हो, जबलपुर हो, ग्वालियर हो, इंदौर हो.
01.29 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य एवं उस पर नेता प्रतिपक्ष की प्रतिक्रिया पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
माननीय मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य (क्रमश:)
डॉ.मोहन यादव - धन्यवाद अध्यक्ष जी. तो जो मैं आपके सामने दूसरी बात कह रहा था कि इंडस्ट्री कान्क्लेव करते हुए पिछले पूरे साल हमने करीब करीब हर महिने एक-एक लोक सभा का चुनाव अगर छोड़ दें तीन चार महिने का तो हमने 6 इंडस्ट्री कान्क्लेव कीं थीं और वे इंडस्ट्री कान्क्लेव करते-करते जीआईएस हमारी जब फरवरी में आई तब तक हमने सबको जोड़कर कामन रूप से सभी विभागों का जहां-जहां निवेश मिल सकता था एक साथ उसमें हम इंडस्ट्री कान्क्लेव कर रहे थे लेकिन उसमें इस बात का भी ध्यान रख रहे थे कि पिछली इंडस्ट्री कान्क्लेव से अगली इंडस्ट्री कान्क्लेव के बीच में हम लैंड आवंटन कर रहे हैं. हम अपने पिछले समय किये गये जिन किसी ने अपना अनाउंसमेंट किया,एमओयू किया वह भूमिपूजन लोकार्पण उद्योगों का विश्वास भी बनाएं और तीसरी बात अपनी उस इंडस्ट्री के प्लान में ही हमारे उद्योगपति जो आलरेडी काम कर रहे हैं वह अपने अनुभव भी साझा करें मैं तो अपने सारे मित्रों को दोनों पक्ष को धन्यवाद देना चाहूंगा जब बड़े पैमाने पर हमने उद्योगपतियों के साथ निवेश की बात कही तो हमारे मंत्री,सांसद सामने की तरफ बैठकर उद्योगपतियों की बात उनको मंच देकर उनकी बात सुन रहे थे यह कितना अच्छा लग रहा था कि उद्योगपति अपनी बात अनुभव से बताएंगे तो उस दृष्टि से हमको भी उनकी विषय रखने की सार्थकता समझ में आयेगी. अधिकारियों को भी ट्रेंड करके उनकी पूरी पालिसी सीधी-सीधी बताएं. इसी आधार पर मैं तो इस सत्र को इसलिये भी धन्यवाद देना चाहूंगा हमने कहा कि इंडस्ट्री लगाने के लिये पुराने जमाने के कई तो अंग्रेजों के जमाने के भी फालतू के जो नियम हैं इन नियमों को कम करने की आवश्यक्ता है. माननीय प्रधानमंत्री जी के माध्यम से जन विश्वास बिल इसी सदन में आने वाला है. मैं धन्यवाद देना चाहूंगा जिसके आधार पर फालतू के कानून खत्म करके जो-जो जरूरी है उतनी ही चीजों का 29-29 परमीशन लगती थीं हम उनको 10 में ले आये हैं कि 10 परमीशन से ही काम चला लेना चाहिये अनावश्यक क्यों जन संकट करते हैं और उसी प्रकार से हमारे लिये योजनाओं का भी सरलीकरण किया.योजनाओं के माध्यम से इंडस्ट्री के अंदर बिजली,पानी,सड़क और हर एक इंडस्ट्री कामन नहीं हो सकती. सागर के अंदर जितना उस चीज का महत्व होगा वह जबलपुर में नहीं हो सकता तो इसका अंतर करते हुए कि हर एक क्षेत्र की अलग-अलग नेचर की इंडस्ट्रियां हैं तो उन सबको प्रमोट कर रहे हैं और उसी आधार पर जिस प्रकार से जीआईएस जब हुई थी आप अंदाज लगा लो जीआईएस के लिये जब भोपाल का चयन किया तो ऐसा लग रहा था कि भोपाल में कैसे हो पाएगी हमने कहा कि नहीं हम आगे बढ़ेंगे जैसे पहली बार संभाग स्तर की इंडस्ट्री कान्क्लेव की हमारे सबके सामने उदाहरण बना कि भोपाल में जब जीआईएस हुई तो भोपाल की अकेली जीआईएस हमारे सारे रिकार्ड टूट गये और हमने तो यह देखा कि प्रधानमंत्री पहली बार रात रुककर अपनी जीआईएस में शामिल हुए यह हमारे लिये सौभाग्य की बात है. यह हमारी उद्योगों के प्रति प्रतिबद्धता बता रही है कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने पूरी रात का समय अपने लिये निकाला और दिन में भी पूरा कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद वह जब यहां से निकले तब तक हम देख रहे थे कि 65 से ज्यादा देशों के लोग, 25 हजार से ज्यादा बड़ी संख्या में यहां पर अलग-अलग प्रकार के अल-अलग सेक्टर के व्यवसायी एक साथ समान रूप से इतना बड़ा आयोजन सरकारी स्तर पर यह भी हमारे लिये भी नई बात थी क्योंकि जगह ही नहीं थी लेकिन अपना मानव संग्रहालय ऐसा लग रहा था कि वाकई में वह दिल्ली के बड़े कार्यक्रम की तुलना में कई गुना ज्यादा अच्छे प्रकार से हुआ.इतना बड़ा कार्यक्रम अधिकारियों के माध्यम से और आप हम सबके माध्यम से भोपाल के लिये भी और प्रदेश के लिये गौरव की बात है. मैं आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के लोगों को भी धन्यवाद देना चाहूंगा. उस पूरे आयोजन में हमारे सबके द्वारा एक तरह से सकारात्मकता दिखाई गई. कहीं ऐसा नहीं लगा कि हम अपने राज्य के विकास के मामले में कहीं कोई बाधा बना रहा है. मैं आपको भी धन्यवाद देना चाहूंगा लेकिन उसके बावजूद भी जैसे जीआएस हुई जीआईएस के बाद लगभग उस समय जो हमारे एमओयू हुए हमने तो कभी सोचा ही नहीं था हमारी जब रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव हुई उस रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव में भी रीवा जैसे सेक्टर में जब हम पहली बार वहां मीटिंग करने गये लेकिन 32 हजार करोड़ का हमारा रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव का अकेले रीवा का रिकार्ड रहा. सागर की,जबलपुर की,जबलपुर के बारे में तो एकदम से अनोखा ही हुआ.एक-एक करके मैं सबका उल्लेख करूं तो ज्यादा हो जायेगा लेकिन साढ़े छह लाख करोड़ के तो रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव और 24 लाख करोड़ रुपये के हमारे भोपाल के जीआईएस के एमओयू हुए वह लगभग 30 लाख करोड़ से ऊपर के एमओयू यह पहली बार हुआ जिसके माध्यम से 20-21 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.अब यह बात आप भी जानते हैं और हम सब समझते हैं कि एमओयू करके हम उनको लाकर दिखाना चाहते हैं लेकिन हमने कहा कि एमओयू करके छोड़ने वाले नहीं हैं. हमारे अपने इसी शहर के राज्य के अंदर करते-करते राज्य के बाहर भी जैसे कोयम्बटूर आप अंदाज लगा लो माननीय नेता प्रतिपक्ष आप तो इस बात के गवाह हैं कि हमारा पूरा झाबुआ,धार,निमाड़ तक का बेल्ट कॉटन का ही बेल्ट है. बड़े पैमाने पर हमारे यहां कॉटन का उत्पादन होता है, लेकिन मैं जब दोबारा देखने गया कि हमारा पूरा कॉटन, लेकिन धागा बनाना, कपड़ा बनाना बाकी का काम तमिलनाडु कर रहा है. तमिलनाडु के अंदर इतना बड़ा रेडीमेड गार्मेंट्स का और कॉटन इंडस्ट्री का बेल्ट है उनके यहां एक खेते में एक कॉटन की गठान नहीं होती, लेकिन पूरा कॉटन हमारा ले जाते हैं और वह वहां पूरी इंडस्ट्री चलाते हैं तो मैं वहां भी गया था और हमने कहा कि भई आपको जो यहां दे रहे हैं वह हम अपने मध्यप्रदेश में देना चाहते हैं तो इसलिये न केवल कोयम्बटूर तमिलनाडु और वहां तो गजब हो गया जब मैं अपनी बात करके आया, दूसरे दिन वहां के नेता प्रतिपक्ष ने आंदोलन कर दिया कि हमारी सरकार सो रही है और यहां से सब रोजगार ले जा रहे हैं. हमने कहा ले नहीं जा रहे, मैंने जब दोबारा बोला कि यहां भी करो, हमारे यहां भी करो. हम तो इसलिये कह रहे हैं कि हमारा उत्पादन है, हमारे किसानों को अगर ठीक से दाम दिलाना है तो स्वाभाविक रूप से हमको इस माहौल को बनाये रखना है और यही कमोबेश हमने कलकत्ता में बंगाल के अंदर भी अपने रोड शो किये, यही लुधियाना, पंजाब की बड़ी सिटी है लुधियाना, इंडस्ट्रीज की दृष्टि से वहां किये. गुजरात के सूरत में अहमदाबाद में, बम्बई में, दिल्ली में पूरे देश के अंदर राजधानियों में जहां बड़े-बड़े औद्योगिक नगर हैं वहां पर भी रोड शो किये और इतना ही नहीं अपने राज्य के बाहर भी, अपने देश के बाहर भी पांचों जगह जब हमने अपनी ये बात रखी तो मैं यह इसलिये बताना चाहता हूं अध्यक्ष महोदय इसके माध्यम से कभी आप कल्पना करें आइसर मोटर्स, फोर्स मोटर्स के ट्रक ट्रेक्टर अपने देश में तो चल ही रहे हैं लेकिन यहां से अफ्रीका लैटिन अमेरिका और एशिया में बड़े पैमाने पर तो वहां के उद्योगपति कह रहे हैं कि हम आपके यहां इसलिये उद्योग लगाना चाहते हैं कि यहां के उत्पादन से एशिया के अंदर अलग-अलग जगह हमारे व्हीकल दे सकते हैं, हम यहां से भेज सकते हैं इसलिये वह अपना एक-एक इंडस्ट्री का भविष्य का प्लान लेना चाहते हैं. अब आप अंदाजा लगा लो अकेले अभी अपना भेल बहुत पुराना एक अच्छा कारखाना था, लेकिन भेल के पास मंडीदीप में भी पॉवर ट्रांसफार्मर देश और विदेश में पॉवर ग्रिड में ऊर्जा बढ़ा रहे हैं. धार, ग्वालियर की टायर इकाईयां, जे.के.टायर्स बड़े पैमाने पर, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी और सबको मालूम ही होगा कि ये बड़े पैमाने पर पूरे देश में टायर की सप्लाई कर रहे हैं. IPCA Labs रतलाम, सनफार्मा देवास जैसी कंपनी डब्ल्यूएचओ यूएस और एफडीए प्रमाणित दवाइयां अमेरिका, यूरोप और अफ्रिका को निर्यात कर रहे हैं. फार्मा सेक्टर में भी Steroid और ग्लोबल रीडर हम एक तरह से बने हैं. ट्राइडेंट ग्रुप के टॉबेल और बेडशीट तो पूरे देश में मध्यप्रदेश से ही जा रहे हैं और दुनिया में इसकी डिमांड बढ़ रही है. आज वालमार्ट, बेस्ट, गोकुलदास, जील जैसी यूनिट का देशभर में अभी मैं परसों उज्जैन में एक इंडस्ट्री लगाई बेस्ट इंटरप्राइजेज की यह वेस्ट इंटरप्राइजेज वाले वही व्यक्ति हैं जो कोयंबटूर में बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री लगाते थे अब इन्होंने उज्जैन में लगाई. एक समय था उज्जैन में जब कॉटन इंडस्ट्रियां उज्जैन, इंदौर गोपी भैया बैठे हैं, हमारे माननीय शेखावत जी बैठे हैं. इंदौर, उज्जैन, रतलाम आपके स्वयं ग्वालियर में जहां बड़ी-बड़ी कॉटन इंडस्ट्रियां बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार देती थीं, अकेले उज्जैन में 4-5 मिल मिलाकर के साढ़े पांच हजार लोग जब काम करते थे तो ऐसा लगता था कि इतना बड़ा मेला कहां से लायेंगे, लेकिन अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं केवल दो इंडस्ट्री हमारी प्रतिभा सिंटेक्स और वेस्ट इंटरप्राइजेज यह दोनों की लेबर मिलाकर के 11 हजार लेबर को अकेले उज्जैन में रोजगार मिल रहा है और सारी लेबर जोड़ लें तो लगभग 20 हजार लोग तो आज काम कर रहे हैं और रोजगार परक इंडस्ट्री, मैं परसों जब बहनों से पूरी इंडस्ट्री में महिलायें ही महिलायें हैं, बहने ही बहनें हैं और प्रति लेबर हमने 5 हजार रूपये दिया और यह केवल यहां नहीं यह धार जिले के पीथमपुर में दे रहे हैं, यह उज्जैन में दे रहे हैं, इंदौर में दे रहे हैं, भोपाल में, भोपाल का गोकुलदास रायसेन जिला सागर ग्रुप का यह नर्मदापुरम पर ले जा रहा है, यह हर सेक्टर में और आने वाले समय में इसी प्रकार से इसको बढ़ाते जा रहे हैं. अब मैं महेश्वरी साडि़यां, चंदेरी सांडि़यां इनके हेण्डलूम से लगाकर छोटे से छोटे ग्रुप भी और बड़े से बड़े भी इसी को हम आगे बढ़ाना चाह रहे हैं. मंदसौर, झाबुआ, नीमच के आर्गेनिक मसाले, गेहूं और धनिया अब यूरोप की थालियों में आनंद के साथ परोसे जा रहे हैं. अब तो कितना अच्छा लगता है, अभी हम स्पेन में भी भोजन करने गये तो भोजन करने में अपने भोपाल के ही हमारे कॉलरा बंधु हैं उनके दो रेस्टोरेंट और बड़े आग्रह से चला रहे हैं और यह सुनकर और अच्छा लगा हमने कहा कि स्पेन में तो केवल भारत वाले ही खाते हैं क्या, बोले भारत वाले नहीं आते, अब 90 प्रतिशत स्पेन वाले हमारे रेस्टोरेंट में आते हैं, कितना अच्छा लगता है सुनकर के कि हमारे स्वाद का आनंद हमारे पड़ोस के दूसरे देश वाले भी लें, लेकिन इससे हमको कितने प्रकार का स्कोप हो रहा है सभी प्रकार के हमारे फूड से जुड़ी हुई सारे लोगों को लाभ मिलता है. मिलेट्स में कोदी कुटकी, आज की स्थिति में हमारे यहां ट्रायबल के बेल्ट का श्री अन्न मोटा अनाज, आज अपने यहां श्री ओमकार सिंह मरकाम जी आपको पता होगा कि डिण्डौरी में पिछली बार कोई इन्हें खरीदता नहीं था, लेकिन अभी हमने भारत सरकार के माध्यम से कोदी कुटकी को भी रागी की कीमत पर खरीदने के लिये आग्रह किया है. अध्यक्ष महोदय, यह अलग बात है कि कोदी कुटकी देश भर में कहीं होती नहीं है, लेकिन हमारे यहां होती है, इसलिए रागी बहुत होती है तो हमने कहा कि उसके बराबर ले लो, लेकिन उन्होंने कहा कि इसको खपाना आपको ही पड़ेगा तो हमें स्विट्जरलैंड का और नार्वे का एक अपना भारतीय व्यापारी मिला है, उसने कहा है कि मैं जितना होगा पूरा खरीद लूंगा. मिलेट्स का वह बड़े पैमाने पर व्यापार कर रहा है, तो यह इनके अपने यहां खासकर फ्रूड प्रोसेसिंग इकाईयां लगाते हुए, इसको डेव्हलप करते हुए हम चाहेंगे कि हमारे किसानों को भी लाभ मिले, हमको भी जी.एस.टी. मिले और इसका लाभ मिले, जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल के पास औद्योगिक क्लस्टर, ड्रोन पार्टस, रक्षा उपकरण, इलेक्ट्रानिक्स काम्पोनेंट्स, सागर सतना जैसे क्षेत्र में एम.एस.एम.ई. रक्षा इकाइयां, इस प्रकार से अगर हम आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री जी के माध्यम से मेक इन इंडिया की बात करते हैं और माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे वैश्विक परिस्थितियां चल रही हैं, हम सब अपनी आंखों के साथ देख रहे हैं, हर देश अपने आपको आगे बढ़ाना चाहता है, तो हम भी माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री के माध्यम से जब स्वेदशीकरण की बात बढ़ाते हैं, तो यह हमारी अपनी महात्मा गांधी जी के जमाने से जो स्वदेशी का जो भाव था, उसी भाव को पुष्ट करते हुए माननीय मोदी जी ने जो काम चालू किया कि हां हम हमारे सब प्रकार के उत्पाद को बढ़ायें, तो जैसे मैंने आपको उज्जैन का उदाहरण दिया, तो उज्जैन के पास में जब मैं उस इंडस्ट्री में गया तो मैंने देखा कि 11 लाख कपड़ा एक साल में बन रहा है और 11 लाख ही कपड़ा सारा का सारा यूरोप में जा रहा है, एक भी कपड़ा भारत में नहीं बिक रहा है, तो कितना अच्छा सुनकर लगा कि हमारा माल दुनिया खरीद रही है, तो इसको प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय, जब मैं आपसे कटनी, बालाघाट के डोलोमाइट, बॉक्साइट के खनिजों का, सीमेंट का, एल्यूमीनियम का, स्टील उद्योग का, इस प्रकार से हर क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए जिस प्रकार से माध्यप्रदेश ने अपनी एक नई दिशा बनाई है, वह वाकई अद्भुत है.
अध्यक्ष महोदय, टूरिज्म के सेक्टर में अभी आप भी उज्जैन के अंदर जाकर देखना. मैं उज्जैन का उदाहरण इसलिए दे रहा हूं कि अपने राजगढ़, राजगढ़ के अंदर अपने पन्ना, पन्ना के महाराज का महल, कटनी जहां-जहां भी हमारे राजस्थान के पेटर्न पर हमारे पुरातत्व के प्राचीन किले, गढ़ी भवन, इन भवनों को पर्यटन के माध्यम से, ओबेरॉय ग्रुप के माध्यम से और अलग-अलग ग्रुपों को प्रोत्साहन देते हैं. इस प्रकार से बड़े पैमाने पर पर्यटन में भी भारी रोजगार है, इसलिए रोजगार आधारित उद्योगों को बढ़ाते हुए, केवल टूरिज्म में ही नहीं, टूरिज्म के सब सेक्टर, हेल्थ टूरिज्म, एज्यूकेशन टूरिज्म, जिस भी प्रकार से लोग आ सकते हैं, सबको जोड़कर सबके लिये अलग-अलग विेशेष सुविधा देने का प्रयास भी कर रहे हैं. अब यह हमारे लिये एक के बाद एक इस सेक्टर में और आगे बढ़ने की जरूरत है. इस तरह से जितने प्रकार से आपकी तरफ से भी सुझाव आयेंगे, हम उन सबको जोड़ते जायेंगे, मैं कुछ अपने पिछले समय किये गये कामों का जैसे आपने आई.टी.सेक्टर की बात कही, (श्री बाला बच्चन, सदस्य की ओर देखकर) आपका मुझे मालूम है कि आपने बी.टेक किया हुआ है. अब हमारा वही इंजीनियरिंग कॉलेज का कैंपस इंदौर का, इंजीनियरिंग कॉलेज का कैंपस उज्जैन का, इंजीनियरिंग कॉलेज का कैंपस भोपाल का, अब इंजीनियरिंग कॉलेज के कैंपस में ही आई.टी.पार्क बनाते हुए इंजीनियरिंग कॉलेज की बॉडी को उसके साथ में कोरिलेटेड करते हुए, अब बच्चा यहीं पढ़े और यहीं रोजगार पाये, इसमें क्या आपत्ति है? यह जो हमारे कैंपस हरे भरे हो रहे हैं, इसमें कई सारी यूनिवर्सिटियों को मैं विदेश में देखकर भी आया हूं कि जहां रोजगार और यूनिवर्सिटी अलग-अलग नहीं है, वहां पर पढ़ते-पढ़ते लोग काम भी कर रहे हैं और पढ़ाई भी कर रहे हैं. इस प्रकार से यह बदलते दौर का समय है, इसी दौर में हमको जाना पड़ेगा, इसलिए तकनीकी आधारित जितने प्रकार के भी कोर्स हो सकते हैं, उन सारे कोर्सों को हम खोलने के लिये प्रेरित कर रहे हैं. अब गया जमाना की सिर्फ प्लेन डिग्री की बात कर रहे हैं और शिक्षा नीति वर्ष 2020 तो बोलती भी यही है कि हमको सभी प्रकार के बहुसंकायवादी विश्वविद्यालय खोलना पड़ेगा, इसलिए वह गया जमाना कि केवल कृषि तो कृषि का विश्वविद्यालय खोलो, कृषि का कॉलेज खोलो, हमारे सामान्य विश्वविद्यालय में कृषि संकाय हो जायेगा, हमारे सामान्य विश्वविद्यालय में हेल्थ का अपना मेडीकल कॉलेज हो जायेगा, पेरामेडिकल कोर्स हो जायेंगे, नर्सिंग कोर्स हो जायेंगे, इसलिए यह अपने बहुसंकायवादी एक-एक विश्वविद्यालय के अंदर यह सभी प्रकार की रचना बना देंगे, तो अभी तो वेटर्नरी की दृष्टि से भी जिस प्रकार से दूध उत्पादन को हम बढ़ावा दे रहे हैं और दूध उत्पादन में देश के अंदर अपना तीसरा नंबर है. हम यह चाहेंगे कि पांच साल के अंदर देश में नंबर वन का दूध उत्पादन, दूध की राजधानी अपना मध्यप्रदेश बने(मेजों की थपथपाहट). अभी 9 प्रतिशत दूध उत्पादन हम कर रहे हैं, लेकिन इस प्रकार से दूध उत्पादन के माध्यम से हम इसे 20 प्रतिशत तक ले जाने वाले हैं और अभी तो हमने नेशनल डेयरी डेव्हलपमेंट बोर्ड के माध्यम से एम.ओ.यू. किया है, लेकिन आज इतना आंनद आता है कि बरसात के समय में भी किसानों के लिये 6 रूपया प्रति लीटर दूध का भाव बढ़ा गया है, यह केवल हमारे इस एम.ओ.यू. के कारण से हुआ है (मेजों की थपथपाहट) हमारा जबलपुर में पहले पांच हजार लीटर दूध कलेक्शन दुग्ध संघ के माध्यम से होता था, आज 17 हजार लीटर प्रति दिन का कलेक्शन हो गया है. (मेजों की थपथपाहट)
ग्वालियर के अंदर, भैया जी, आप कभी दुग्ध संघ में जाकर देखना, 21 हजार लीटर तक दूध का उत्पादन, केवल दुग्ध संघ में बढ़ गया. पुरानी सारी देनदारियां एक एक करके सभी चुका दीं. हम चाह रहे हैं कि किसान सिंचाई का रकबा भी बढ़ाएं, लेकिन उनके लिए आय का साधन दूध का उत्पादन है. तो दूध का उत्पादन भी उनका बढ़ता जाए, तो ये किसानों की आय बढ़ाने के लिए खेत के लिए भी और पशुपालन के लिए भी और सभी सेक्टर में धीरे धीरे करके एग्रीकल्चर सेक्टर, मिल्क सेक्टर, की बात कर रहा हूं. अभी हमारे द्वारा पिछले समय में वर्ष में 77 औद्योगिक इकाईयों का लोकार्पण भी कर दिया, मतलब हमने केवल भूमि पूजन नहीं किया, बनी हुई इकाइयों को लोकार्पित कर रहे हैं.
अध्यक्ष जी, काम की स्पीड आपको बताना चाहूंगा, हमारे भेल का कैंपस सदैव गौरवान्वित करता है, लेकिन मैं आप सबके माध्यम से निमंत्रण देना चाहता हूं कि इसी महीने 10 तारीख को भोपाल के, रायसेन जिले के भोपाल से लगे कैंपस में रेल के कोच बनाने का फैक्ट्री का भूमि पूजन करने के लिए रक्षा मंत्री और रेल मंत्री पधार रहे हैं, जो हमारे पटवा जी का क्षेत्र है और हमने सब तैयारी कर ली. हम ऐसे विकास के मामले में सबको जोड़ने चाहते हैं. रेल के कोच के लिए हम कभी सपना देखते थे कि मध्यप्रदेश में बनेंगे, लेकिन जैसे मैंने प्रारंभ में बात कही थी कि भौगोलिक दृष्टि के कारण का जो लाभ है, वह रेल मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय भी कह रहा है कि ये मध्य में बनने से हमें रेल की बेगन भेजने में, पूरी ट्रेन भेजने में सुविधा हो जाएगी और ये अच्छी बात है. हमको मालूम है कि धार, झाबुआ और हमारे मालवा का पीछे वाला हिस्सा बड़े पैमाने पर रोजगार की तलाश में आदिवासी भाई बहन भी गुजरात जाते थे, लेकिन पीएम मित्र पार्क योजना के माध्यम से इसी महीने 25 अगस्त को माननीय शेखावत जी को जानकारी देना चाहूंगा आपकी विधान सभा में माननीय प्रधानमंत्री जी भूमि पूजन करने के लिए पधार रहे हैं, जहां एक लाख लोंगों को रोजगार मिलेगा(..मेजो की थपथपाहट)
हम अपने जैविक कॉटन को भी प्रोत्साहन देंगे और कॉटन की बात मुझे बाहर जाकर मालूम पड़ी कि हमारी कॉटन दुनिया में उच्च क्वालिटी की होने के कारण से उसकी मान्यता ज्यादा है. चीन की कपास उत्पादन करने में उनकी कपास को प्रतिबंधित किया गया है, चीन के कपड़े, धागा इन सब मामलों को वे शंका से देखते हैं, लेकिन हमारे माल को हम ठीक से दे पाएं, चला पाएं, इसलिए उस दिशा में प्रयास कर रहे हैं. आप अंदाज लगा लो कि वियतनाम या चीन हमसे कॉटन ले जा रहा है और हमारे कॉटन का धागा बनाकर वह भारत के नाम पर बेच रहा है, तो हमारा माल हम बेचे इसमें क्या तकलीफ है. मैं मानननीय प्रधानमंत्री जी को आपके माध्यम से धन्यवाद देना चाहूंगा कि 2 हजार करोड़ रुपए की स्कीम को उन्होंने मंजूर किया है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह – माननीय मुख्यमंत्री जी विधेयक पर बोल रहे हैं, मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र में नियोजन एवं विकास विधेयक पर..
अध्यक्ष महोदय – नहीं विधेयक पर नहीं बोल रहे हैं, वे निवेश पर वक्तव्य दे रहे हैं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह – मुख्यमंत्री जी दूध उत्पादन बढ़ाने की बात कर रहे थे, ये जो विधेयक है, मैं इसको पढ़ रहा था. इसमें बहुत एक्टीविटीज दी गई है. इसमें भैंस को छोड़ दिया है, खच्चर, सुअर, गाय सब (..;हंसी)
डॉ. सीतासरन शर्मा – विधेयक का विषय नहीं है, आप देर से आए हैं इसलिए सब गड़बड़ हो गया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय – इन्वेस्टमेंट पर उनका वक्तव्य है, मेट्रोपॉलीटन पर नहीं बोल रहे हैं.
डॉ. मोहन यादव – अध्यक्ष जी आपके माध्यम से बताना चाहूंगा. राजेन्द्र सिंह जी वरिष्ठ सदस्य हैं,
अध्यक्ष महोदय – आगे कोई कारखाना खुले तो राजेन्द्र कुमार सिंह के क्षेत्र का ध्यान रखिएगा.
डॉ. मोहन यादव – अभी हाल बताता हूं न, अपनी 25 दुधारू पशुओं की कामधेनू डॉ. भीमराव अम्बेडकर योजना के माध्यम से कोई गाय खरीदे, भैंस खरीदे उसके लिए 42 लाख की योजना और 10 लाख अनुदान है, वह अपनी तरफ से लेकर खरीदे, उसमें भैंस भी है, दुधारू पशुओं को प्रोत्साहन दिया है और केवल 25 नहीं, एक एक करके 200 तक भी ले जाएगा तो 200 में भी हम उसको 10 प्रतिशत अनुदान अर्थात् 20 लाख रुपए उसको मंजूर करेंगे. यह कुल मिलाकर हमारी सभी सेक्टर में प्रोत्साहन देने की बात है. 151 औद्योगिक इकाईयों का भूमि पूजन संपन्न हुआ 7336 करोड़ रुपए का निवेश, 13700 से अधिक लोगों को रोजगार सृजन, 790 औद्योगिक इकाईयों को भूमि आवंटन पत्र, 28,722 करोड़ के निवेश, एक एक करके हम रोज ये नए नए आंकड़े देते हैं और इसके आधार पर जिस प्रकार का सकारात्मक माहौल बना, पूरे देश के अंदर अब उद्योगपति स्वत: हमारे पास लगातार इस प्रकार से जो निवेश की नीतियां बनी हैं, उस नीतियों में आपके माध्यम से यह भी चाहता हूं कि आपने अपने जितने भी चुने हुए माननीय जनप्रतिनिधिगण हैं वह अपनी विधान सभा में भी, अपने जिले में भी, ऐसे कोई सकारात्मक प्रस्ताव लायेंगे तो सरकार पूरी गंभीरता के साथ सब पर काम करने को तैयार हैं, क्योंकि प्रदेश हमारा है. हमारे सबके माध्यम से ऐसे सभी सेक्टर में जितने प्रकार से हम जोड़ सकते हैं उसको हमको लेकर के आगे बढ़ने की आवश्यकता है. मैं कुछ आंकड़े बताकर के, क्योंकि समय की भी सीमा रहेगी. अब मैं बताना चाहूंगा कि माइनिंग डिपार्टमेंट में 909 खनिज ब्लॉक्स में से 3.22 लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए जिसमें से सभी ब्लॉक के लिये एल.ओ.ई.हमने जारी कर दिये हैं उसमें जमीन की पहचान भी पूरी कर ली है. माइनर मिनरल की परियोजना में 12 से 18 माह में काम होने वाला है. मेजर मिनरल के कोल ब्लॉक के लिये भी डीड एग्रेक्यूशन प्रक्रिया में है. टूरिज्म में 305 सेक्टर में अब माइनिंग में बताना चाहूंगा कि मैं जब गुजरात में सूरत में डायमंड पार्क में गया बड़ा अच्छा पार्क तथा डायमंड की बड़ी बिल्डिंग. अच्छा तो तब लगा कि छोटे छोटे काम भी माननीय प्रधानमंत्री जी कितनी दूरगामी दृष्टि से देखते हैं. एक बिल्डिंग जो सबसे बड़ी बनी हुई है, ऐसा माना जाता था कि यह अमेरिका की है उस बिल्डिंग का नाम पेंटागन टॉवर जिसकी बहुत बड़ी बिल्डिंग है. सूरत में बन गई, सूरत में जाकर के पहली बार जब देखा, यह हमारे लिये आनन्द आया. गुजरात की डायमंड इंडस्ट्रीज को बढ़ावा देने के लिये गुजरात के अंदर उन्होंने जगह जगह जितने भी बड़े बड़े गुजरात के उद्योगपति जो डायमंड पर काम करते हैं. डायमंड का हमारे यहां से आता है कच्चा माल हमारे पन्ना से भी जा रहा है तथा अमेरिका इंग्लैड तथा पता नहीं कहां कहां से जा रहा है. सूरत में डायमंड नहीं होता है, लेकिन डायमंड की फिनिशिंग के आधार पर वह इंडस्ट्रीज जबरदस्त काम करती है. जब हमको मौका लगेगा तो हम लोग संयुक्त रूप से देखकर के आयेंगे. तो वास्तु के हिसाब से भी, बिजली की खपत भी 20 प्रतिशत कम करते हुए और अगर बिजली चली जाये, तो भी हवा, पानी, प्रकाश इतना संदुर भवन बनाया है और इतना बड़ा भवन बनाया है कि उन्होंने अमेरिका को भी मात कर दिया है. हमने कहा कि डायमंड हमारे यहां पर माइनिंग में हो रहा है. अब तो सिंगरौली में सोना भी निकल गया है, यह एक सौभाग्य की बात है. अभी जब हम अरब में गये तो अरब के शेखों के सामने तथा वहां की कम्पनियों के सामने जब बात की तो बड़े पैमाने पर निवेश के लिये आ रहे हैं कि हम अपने तरफ से भारत के मध्यप्रदेश में निवेश करना चाहते हैं. टूरिज्म के सेक्टर में भी अभी आप बताइये कि सभी सेक्टर में टूरिज्म काम कर रहा है. हम जब बता रहे हैं कि 100 करोड़ की अपनी बड़ी इंडस्ट्रीज अर्थात् कोई बड़ी होटल बनाता है. तो 30 करोड़ का अनुदान अपनी सरकार के माध्यम से दे रहे हैं. 50 करोड़ की लागत है तो उस पर 15 करोड़ रूपये उस पर है. और तौ और अब हम स्टे के माध्यम से ग्रामीण अंचल में भी जिसका अपना मकान है. हम तो अतिथि देवोभवः की भावना वाले लोग हैं. अगर हमारा दो कमरे में गुजारा होता है. अपना कोई आदिवासी हो, या सामान्य व्यक्ति हो टूरिज्म में पंजीयन करा ले वह एक कमरा बनाता है तो एक कमरे के साथ, दो कमरे के अलग से पैसे टूरिज्म विभाग देगा, केवल वह पंजीयन करा रहा है और उसकी आमदनी हो रही है. बड़े पैमाने पर हमारा पूरा मंडला, डिण्डोरी, उज्जैन, अब तो माण्डव में भी होमस्टे मांगने लग गये हैं, क्योंकि कमरे कम पड़ते हैं, तो यह अलग से कैसे लोगों की आय बढ़े. ऐसे हमारे बड़े लोगों के सम्पर्क आयेंगे तो बदलाव आयेगा.
श्री रामेश्वर शर्मा—अध्यक्ष महोदय, भोपाल के गांवों में भी बने हैं.
डॉ.मोहन यादव—अध्यक्ष महोदय, भोपाल के गांवों में भी बने हैं, तो अपना एक एक करके जो बदलाव आ रहा है. इसके माध्यम से 305 निवेशकों ने 64 हजार 665 करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव 6 संगठनों के माध्यम से 325 करोड़ के प्रस्ताव के एम. ओ. यू हुए हैं. 10 निजी पर्यटन परियोजनाओं के माध्यम से कुल मिलाकर आंकड़े तो इतने बड़े हैं कि पढ़ा हुआ लिखा जायेगा. इसमें तो बहुत ज्यादा बोला जायेगा इसमें टाईम लगता जायेगा. आप मानकर चलिये कि उसको हमने प्रस्तुत कर दिया है. अब अध्यक्ष महोदय, साइंस टेक्नॉलॉजी की हम बात करें. साइंड टेक्नॉलॉजी के लिये देखो तो साइंस टेक्नॉलॉजी में हम सब जानते हैं कि अतीत के काल से यह जो अकेला महाकाल की भगवान की नगरी में ज्योतिर्लिंग तो है, लेकिन जब अपनी सरकार बनने के समय पहली बार भी बात की थी कि काल की नगरी अर्थात समय की नगरी, समय की नगरी है तो समय सबका नियत है. सबकी एक सांस आती है और दूसरी जाती है. महाकाल अपने श्वांस में बैठे हुए हैं. लेकिन परमात्मा की दया से भौगोलिक दृष्टि से यह पृथ्वी का सेन्टर पाइंट है.
उज्जैन और मध्यप्रदेश में इसकी अपना रिसर्च होना चाहिए. हमारे यहां वर्तमान में समय गणना के लिए ग्रीनविच से जाते हैं. 300 साल पहले तक यह हमारे यहां उज्जैन से होता था, तो इस पर ऑब्जरवेटरी बनवायी और ऑब्जरवेटरी ही नहीं, बल्कि एक साइंस सिटी भी बनवा रहे हैं. साइंस सिटी के माध्यम से डीपटेक्ट एनालॉजी, जिसके आधार पर अभी वर्तमान में जितनी भी रिसर्च चल रही हैं तो यह साइंस की दृष्टि से अपना प्रदेश भी इसरो तो होना ही चाहिए, लेकिन इसरो के समानांतर उत्तर भारत में भी रिसर्च का बड़ा केन्द्र मध्यप्रदेश बने, इस दिशा में भी काम होना चाहिए, इस पर हम काम करें. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि इस बात को माननीय प्रधानमंत्री जी भी हां कर रहे हैं. पिछली बार माननीय श्रीमती निर्मला सीतारमन जी के पास बैठे थे, वहां साइंस टेक्नालॉजी के अधिकारी भी बैठे थे, उन्होंने कहा कि रिसर्च के लिए आप अच्छा कर रहे हैं, आप जितने लाखों-करोड़ों रूपए मांगेंगे, हम देंगे. आज हमारे पास वहां डोंगला में ऑब्जरवेटरी बनी है, जिसमें हमारा लगभग 24 इंच का टेलीस्कोप है. वह टेलीस्कोप बढ़ने वाला है. दिन और रात जब सूर्य, चंद्र के आधार पर गणना करने के लिए हमारे खगोलीय दृष्टि से भी बराबर होते हैं तो हमारे लिए 21 जून, 22 दिसम्बर का भी मौका पडे़गा, तो माननीय अध्यक्ष जी आपके साथ चलेंगे तो आंखों के सामने सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन की कक्षा में कैसे प्रवेश करता है, यह अपनी आंखों के सामने सूर्य को तो नहीं देख सकते, लेकिन सूर्य की छाया, जिस पर कीले को लगाकर देखा जाता है, वह अपनी आंखों से पकड़ सकते हैं. यह कई सारे ऐसे आधार प्राचीन समय की कपोल कल्पनाएं-घटनाएं नहीं हैं बल्कि यह प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के बडे़ आधार हैं, जिसको और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय, एक-एक करके साइंस टेक्नोलॉजी विभाग के माध्यम से जब हम काम कर रहे हैं तो इसमें अकेले 39 करोड़ 219 लाख रूपए के निवेश के प्रस्ताव आए, जिसमें ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, ड्रोन स्कूल एक्सीलेंस हेतु आयसर का बीच में एमओयू हुआ है. 22 प्रस्तावों को भूमि आवंटन करके प्रोत्साहन राशि 5 हजार 893 करोड़ जारी कर दिए गए हैं. इसमें माइक्रोसॉफ्ट बर्कले स्किलिंग और कई सारे बडे़-बडे़ ग्रुप्स हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं. एमएसएमई डिपार्टमेंट में आज की स्थिति में इन्डस्ट्रीज की दृष्टि से पहले हम अपनी इन्डस्ट्री लगाते हैं अभी तो कई उद्योगपति स्वयं बोलते हैं. मैं पंजाब-लुधियाना गया था तो उन्होंने कहा कि हम अपनी जो सब्सिडी दे रहे हैं वह 50 परसेंट दे रहे हैं. गुजरात भी 50 परसेंट सब्सिडी दे रहा है लेकिन माननीय अरविन्द केजरीवाल जी ने घोषणा कर दी कि हम 100 परसेंट सब्सिडी देंगे. ठीक है, 100 परसेंट दीजिए लेकिन 10 साल उनकी सरकार को हो गए, लेकिन एक पैसा किसी को नहीं मिला. हां, मुझे गर्व है कि हमारी सरकार ने बीते महीने तक की 5 हजार 2 करोड़ रूपए की सारी राशि सबको डीवीडी के माध्यम से, जिनका जो हक था, वह दिया. जब फोर्ब्स मोटर के मालिक मुझे पूना में मिले, तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया. हमने कहा कि मैं तो आपको पहचानता नहीं हॅूं तो वे बोले कि आप भले ही मुझे न पहचानें, लेकिन मैं पहली बार ऐसी सरकार देख रहा हॅूं कि मेरे 300 करोड़ पांच साल से अटके पडे़ थे लेकिन किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया. मेरे खाते में पैसे आ गए. बैंक वाले ने कहा कि आपके पैसे आपके खाते में आ गए हैं, तो यह अपनी सरकार का जो कमिटमेंट है, इस आधार पर जो बात आ रही है यह विश्वास जगा रही है कि हां, यह होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, इसी आधार पर मैंने रेल वैगन की जो बात कही है हमने तो केवल बीएएमएल बैंगलोर में जाकर एक बात कही थी, लेकिन बीएएमएल बैंगलोर वालों की भारत सरकार की रक्षा यूनिट के माध्यम से रेल कोच की बात फरवरी माह में हुई और फरवरी से अभी अगस्त माह आ गया है और 4 महीने के अंदर जमीन का आवंटन भी हो गया, निर्माण का कार्य भी हो गया और भूमिपूजन का मौका आ गया. सारी प्रोसेस 4 महीने के अंदर हो गई और भेल के बराबर इतना बड़ा एक नया यूनिट खड़ा होना, यह वाकई चमत्कार जैसा लग रहा है.
अध्यक्ष महोदय, नागरिक उड्डयन की दृष्टि से भी आज की स्थिति में एक-एक करके यह जो हमने एविएशन की पॉलिसी लगायी. आप अंदाज लगा लीजिए. यहां सिंगरौली के माननीय विधायक बैठे हैं, मैं यहां गया था तो यह कहते थे कि आप रेल, बस तो छोड़ो, आप तो अपना हवाई अड्डा बना लीजिए. आप तो प्लेन चालू कर दो. मैंने कहा था कि बिल्कुल 15 दिन में कर देंगे और आज मुझे इस बात का गर्व है कि हमारे पर्यटन विकास निगम के माध्यम से हमने डेली सर्विस रीवा, जबलपुर, ग्वालियर, सिंगरौली को दी है, लोग रोज आ-जा रहे हैं और इतना ही नहीं, उसमें आपके माध्यम से और भी कोई दूसरी पार्टी भी आए, तो हमने कहा कि अगर 12 सीट का प्लेन है तो 3 सीट का खर्चा हम देंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से कहना चाहूंगा कि विदेश से अगर कोई फ्लाइट आयेगी तो विदेश के लोग भी अगर मध्यप्रदेश से जुड़ना चाहते हैं, तो 15 लाख रूपए प्रति फ्लाइट प्रति 15 लाख रूपए की हम उसको सब्सिडी देने को तैयार हैं. क्योंकि एक बार फ्लाइट यहां आयेगी, पर्यटक आएंगे तो कई प्रकार से प्रोत्साहन देंगे. तो केवल देश ही नहीं, विदेश के लोगों के लिए भी हेलिकॉप्टर सुविधा हो, अभी हमने टूरिज्म का टेंडर किया हुआ है कि हमारे पर्यटन की दृष्टि से दूर-दूर केन्द्र हैं, इन केन्द्रों पर आने-जाने के लिए हवाई सुविधा मिलना चाहिए तो जो इंदौर आता है, उज्जैन, ओंकारेश्वर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, आसपास टूरिज्म सेक्टर में कहीं जाता है तो हैलिपेड तक आने जाने के लिए जो समय लगता है, इसको कितना कम करें तो जो उत्तराखंड में हो सकता है, वह हमारे यहां भी हो सकता है. केदारनाथ, गंगौत्री, यमुनोत्री में चल रहा है तो यहां भी चलना चाहिए, इसमें क्या परेशानी है तो ऐसे कई सेक्टर में हम लगातार प्रोत्साहन दे रहे हैं. इन सबका आप भी अध्ययन करें.
अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को इसलिए कह रहा हूं कि जितनी पॉलिसियों का अध्ययन करें, 18-18 पॉलिसी हम लेकर आए हैं और जो कार्य कर रहे हैं वह पॉलिसी के अंतर्गत कर रहे हैं. आज की स्थिति में जिस प्रकार से मध्यप्रदेश ने अपनी ग्रोथ ली है. मैं मानकर चलता हूं निश्चित रुप से अद्भुत काम होगा. मैं अपने भोपाल- जबलपुर हाईस्पीड कॉरिडोर, इंदौर-भोपाल हाईस्पीड कॉरिडोर, आगरा-ग्वालियर एनएच-44, 6 लेन इनके डीपीआर, कंसलटेंट तय कर दिये हैं. ब्रांड मध्यप्रदेश की छवि बनाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है. हम यह संदेश देने को तैयार हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, एक सुझाव है. औद्योगिक विकास में आपने जो कहा है. हम आपका स्वागत करते हैं, जिस जमीन में उद्योग लगाए जाएंगे, वहां के पुनर्वास और मुआवजा से संबंधित भी आप कृपापूर्वक उन व्यक्तियों का भी ध्यान रखें, जिनकी जमीन में उद्योग लगेगा, उनका जीवन भी विकास से जुड़ जाय. यह सहानुभूतिपूर्वक आप इसमें जरूर विचार करें. मेरा यह सुझाव है.
डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष महोदय, बहुत धन्यवाद. जो भी मित्र सुझाव दे रहे हैं. हम उन सब पर काम करेंगे. मैंने जैसा बताया कि जिस प्रकार से हमने एक-एक करके इन सारे सेक्टर पर काम किया है. यह कुछ इंडस्ट्रियल बेल्ट हैं, जहां 1 साल के अंदर हमने इंडस्ट्री लगाने का अभियान चालू किया है. जैसे विक्रम उद्योगपुरी, यह बनी तो 10 साल से थी लेकिन 1000 एकड़ की इंडस्ट्रियल बेल्ट में आज हमारे पास में एक इंच जमीन नहीं बची है. सारी इंडस्ट्रीज़ इतनी जबर्दस्त लगी हैं कि 1000 एकड़ की अलग से इंडस्ट्रियल बेल्ट डिक्लेयर कर रहे हैं और उसको भी किसानों की दृष्टि से हमने स्पेशल पैकेज देने की बात भी की है कि किसान को भी संतुष्ट रखना है. किसान के लिए भी हमारी सरकार उसी भाव से चल रही है कि कहीं भी इंडस्ट्रियल बेल्ट लगे तो सभी सेक्टर को कैसे सम्मान दे सकते हैं. धार में पीएममित्रा टेक्सटाइल पार्क की बात मैंने की है. मुरैना मेगा लेदर फुटवियर और एक्सेसरीज क्लस्टर डेवलपमेंट पार्क के लिए, आगरा के सारे के सारे लोग आकर मुरैना में काम करने के लिए तैयार हैं, ग्वालियर में काम करने को तैयार हैं.
अध्यक्ष जी, आप तो स्वयं ही थे. बड़े पैमाने पर वहां लोग इतने प्रसन्न है कि पूरा हमारा लेदर का क्लस्टर बना दो, जिस प्रकार का समय चल रहा है. वाकई मोहसा बाबई में रिन्यूएबल एनर्जी, नर्मदापुरम वाले मित्र बैठे होंगे. हमने 200 एकड़ का पहले प्लान बनाया था.
श्री विजयपाल सिंह - आपका बहुत बहुत धन्यवाद है, वहां काम भी चालू हो गये हैं, उसके लिए आपको बहुत बहुत साधुवाद, धन्यवाद.
डॉ. मोहन यादव - जैसा आप बता रहे हैं कि पहले 200 एकड़ का प्लान लिया था, 200 एकड़ को 400 एकड़ किया, 400 एकड़ का भूमि पूजन करने के लिए गये तो 800 एकड़ का करना पड़ा और 800 एकड़ पूरा चला गया तो फिर 1000 एकड़ का नया प्रस्ताव इसी कैबिनेट में हम लेकर आए कि 1000 एकड़ दोबारा करें. अब नर्मदापुरम में कभी कल्पना ही नहीं की कि इस प्रकार से कभी होगा. ऐसा भी नहीं कि वह जमीन पर खेती हो रही थी. 2000 एकड़ क्या, वह 4000 एकड़ जमीन ऐसी ही पड़ी हुई है. उस पर खेती बाड़ी कुछ नहीं होती थी, लेकिन आज बदलते दौर में जिस प्रकार से समय बदला है. मेगा इंडस्ट्रियल पार्क रतलाम, आष्टा इंडस्ट्रियल कलस्टर, सीहोर, अकेले जब मैं सीहोर में भूमि पूजन करके आया तो हमारे पास विशाल अग्रवाल झारखण्ड वाले जो पूरे देश में बहुत जगह काम करते हैं. उन्होंने अपना फूड इंडस्ट्री पार्क बनाया है, उस फूड इंडस्ट्री पार्क के माध्यम से ही इसी तरह से आगर में भी हुआ है तो वह कह रहे हैं कि हमारा फूड इंडस्ट्री पार्क लग रहा है, इसमें लगभग 1 लाख किसानों से अपने यहां फसल प्रोसेसिंग करने की क्षमता बना रहे हैं. इंडस्ट्री के अंदर जो लेबर काम करेगी वह तो करेगी, लेकिन किसानों को लेकर सब्जी, फसल जो भी लगाएंगे, सब खरीदने को तैयार हैं और सबकी फूड प्रोसेसिंग करके यहां भेजना चाह रहे हैं. यह हमारे लिए कई प्रकार से एक तरह से जो इंडस्ट्री एरिया में जा रहा है इंदौर में इकोनॉमिक कॉरिडोर, टेलीकाम मेन्युफेक्चरिंग जोन, यह जो ग्वालियर का पिछड़ा हुआ बेल्ट था, आज की स्थिति में टेलीकॉम की दृष्टि से यह एक अलग दौर में पहुंचने वाला है. हमारे बीहड़ के जंगल, यह बीहड़ जंगल कितने साल से देखते आए कि इनका करें क्या? डाकू के अलावा तो कुछ दिखते नहीं थे. अपनी सरकार को धन्यवाद, डाकुओं की समस्या तो खत्म कर दी, लेकिन बीहड़ जैसे क्षेत्र में हम उत्तरप्रदेश सरकार के साथ एक एमओयू कर रहे हैं, 2000 मेगावॉट का सोलर पार्क, 6 महीने बिजली हम रखेंगे, जब यहां पर सीजन रहेगा, बाकी 6 महीने बिजली का उत्तरप्रदेश उसका उपयोग करेगा और उसके साथ-साथ नेपियर घास, जिससे ऊर्जा का उत्पादन होता है. आज रियायंस से लेकर सभी ग्रुप प्रदेश में वह पूरा बेल्ट ले लेने को तैयार हैं, लेकिन हमने कहा कि पहले हम हमारा इन्डस्ट्रियल बेल्ट बचायेंगे. आप तो आखिरी में घास उगा लेना जो उगाना है. लेकिन आगे चलकर यह पूरा क्षेत्र बदलने वाला है. औद्योगिक क्षेत्रों में पहली बार,अभी मैंने जो रोजगार आधारित उद्योगों की बात कही है.
अभी यहां पर श्रम मंत्री जी नहीं है, मैं धन्यवाद देना चाहूंगा माननीय मोदी जी के माध्यम से हमारे अपने लेबर एक्ट में भी संशोधन करते हुए, हमने कहा कि हमारी बहनें भी डबल शिफ्ट में काम करें तो उनके लिये झुग्गी-झोपड़ी या बाकी परेशानी खत्म करते हुए, जहां उद्योग लगते हैं वहां होस्टल बन जायें तो महिलाओं की सुरक्षा के लिये होस्टल का भी उपयोग करें. लेकिन अपने यहां पर जो अवैध कालोनियां बनती हैं, इन अवैध कालोनियों को बनने से रोकते हुए, एक तरह से इसी को बढ़ायें.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में चार आई.टी पार्क, मेरा ससुराल रीवा भी है लेकिन रीवा में पहली बार आई.टी. पार्क, कभी कल्पना नहीं कर सकते थे कि वहां आई.टी. पार्क होगा. हमारा सागर में खाद का कारखाना है..
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- सच में, रीवा में तो कल्पना नहीं कर सकते थे.
डॉ. मोहन यादव- हमने तो आपके सामने करके दिखाया है. जब मेरी शादी हुई तो उस समय रीवा जाने के लिये भी सतना उतरना पड़ता था. रीवा तक रेल भी नहीं जाती थी. मुझे याद है कि पहले रेल फिर बस, बड़ी कठिनाई होती थी. लेकिन आज बदलते दौर में रीवा बहुत तेजी से बदला है. आज 24 घण्टे हमारा विमान उड़ता है तो कितना अच्छा लगता है.
श्री बाला बच्चन- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मेरी ससुराल रीवा में भी है. ( हंसी)
अध्यक्ष महोदय- रीवा में ही है.
डॉ. मोहन यादव- अध्यक्ष जी, मुझे नहीं मालूम कि यह क्या कह रहे हैं. यह अपनी बता रहे हैं तो मैं उनकी बात सुन लेता हूं. मेरी तो एकमात्र ससुराल रीवा में ही है. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय- मुख्यमंत्री जी, आप और कितना समय लेंगे ?
डॉ. मोहन यादव- अध्यक्ष जी, बस मेरी तो करीब-करीब पूरी बात आ गयी है. मैं मानकर चलता हूं कि हमारी प्रमुख पहल में से एक-दो चीज़ की जानकारी आपके माध्यम से बताना चाहूंगा. जैसे मैंने अपनी बात कही कि हम उद्योग और विकास की दृष्टि से सभी सेक्टरों को आगे बढ़ाने का जो काम कर रहे हैं, उसके कुछ उदाहरण भी बताना चाहूंगा कि केवल उद्योगपति, श्रमिक उतना ही नहीं है. पुराने भी यदि कोई कारखाने बंद थे और श्रमिकों की राशि भी बकाया थी, उन श्रमिकों के बकाये को लेकर कई बार यह विसंगति रहती है कि कलेक्टर लीज़ की जमीन आवंटित करता है वहां पर उद्योग में 20-50 साल पहले उस इंडस्ट्री में ताला लग गया. वह उद्योगपति मर गया या कहीं चला गया. हमारे श्री भंवर सिंह शेखावत जी और माननीय मंत्री जी यहां पर मौजूद हैं, हुकुमचंद मिल या उज्जैन से में था तो विनोद मील, विमल मील और दीपचंद मील बंद हो गयी तो हमने उन सारे श्रमिकों का भी जो पुराना बकाया था, वह सब देकर यह जो पुराने कारखाने हैं, इनका भी बेहतर से बेहतर उपयोग शहर के अंदर कैसे हो सकता है, यह सिलसिला भी चालू करवाया. यह भी देश में अनूठा है, कई सारे राज्यों ने हमारी इन पॉलिसियों को मांगने का प्रयास किया है.
अध्यक्ष महोदय, आज जब मैं आपके बीच में काम कर रहा हूं तो बहुत सारी बातें और बता सकता हूं, लेकिन मैं देख रहा हूं कि अब भोजन का समय भी हो गया है और ''भूखे भजन ना होये गोपाला, संभालों अपनी कंठी माला.'' लेकिन मैं जब आपसे बात कर रहा हूं तो यह बदलते दौर का प्रदेश है और बदलते दौर का समय है.यशस्वी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हम सब स्वदेशीकरण की भावनाओं के आधार पर हमारे यहां के रॉ मटेरियल का यहीं प्रोडक्ट बने, हमारे युग में लोगों में समृद्धि आये, सरकार को जी.एस.टी. मिले राज्य की समृद्धि आगे से आगे बढ़ती जाये. इसीलिये मैं उम्मीद करता हूं कि यह सारे रिकार्ड जो हमने काम करते करते बनाये हैं. उस आधार पर आज जब हम आपसे बात कर रहे हैं तो केबिनेट के माध्यम से भी जन विश्वास विधेयक जब पेश हो रहा है तो 12 विभागों के 20 अधिनियम में से 24 उपबंधों को संशोधन करने की बात हमने कही है. हम एक मजबूत सिंगल विंडो सिस्टम चला रहे हैं. ताकि निवेशकों को एक ही जगह स्वीकृति मिल जाये, परमिट भी एक ही जगह मिल जाये, ताकि समय भी बचे और संसाधन भी बचे. बीते समय में लगातार जिस प्रकार से प्रयास किया है आपके आशीर्वाद से और बाकी मित्रों के सहयोग से, हम उम्मीद करेंगे कि विकास का क्रम इसी प्रकार से चलता रहेगा
अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, मैं सरकार की ओर से आपका आधार मानता हूं, बहुत-बहुत धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- अध्यक्ष महोदय, भूखे पेट भजन न होय गोपाला. निश्चित तौर पर देश, प्रदेश और विश्व के अन्दर ग्लोबल ट्रेड वार चल रहा है. एक तरफ अमेरिका चाहता है कि हमारा यूएस डालर पूरे विश्व पर राज करता रहे. तो निश्चित तौर से ब्रिक्स करेंसी की भारत बात करता है. चाइना, साउथ अफ्रीका, ब्राजील इन सब के साथ ब्रिक्स केरेंसी लाना चाहता है. जैसे देश में अमेरिका ने, ट्रम्प ने टेरिफ बढ़ाया. इससे हमारे एक्सपोर्ट को कहीं न कहीं नुकसान होगा और मध्यप्रदेश को भी होगा. मुख्यमंत्री जी ने बात की विकसित भारत, विकसित मध्यप्रदेश. स्लोगन अच्छे हैं, जिसने भी लिखे हैं. मध्यप्रदेश के हर कोने कोने में विकास होना चाहिये, हम भी स्वागत करते हैं. मेक इन इण्डिया. लेकिन मेक इन मध्यप्रदेश कब बनेगा. मुख्यमंत्री जी, आपने आंकड़े गिना दिये, अच्छी बात है, महाकाल से लेकर सब. ब्रांड की बात हुई. मध्यप्रदेश निर्माण की बात हुई. आपने राष्ट्रीय बैठकें की 204. अन्तर्राष्ट्रीय आपने की 94 बैठकें, 94 वन टू वन. आपने 18 महीने में बताया कि हमने 5 हजार करोड़ रुपये एमएसएमई के अन्दर दिये. कैसे दिये, मुझे यह ममझ में नहीं आ रहा है. डायरेक्ट बेनिफिट. मतलब सरकार की तरफ से कोई अनुदान नहीं, यही कहना चाहते हैं न आप.
डॉ. मोहन यादव-- एक मिनट, मैं बता देता हूं. अध्यक्ष जी, जिनका मान लो हमने करार किया था मेरी पूर्ववर्ती सरकार, उसमें कांग्रेस की भी थी कि भाई हम आपको यह लाभ देंगे, वह लाभ देंगे. तो उसका केलकुलेशन करके आंकड़ा और वह सीधे सीधे, क्योंकि वह पेपर पर है. उसमें कुछ छुपा नहीं है. तो डायरेक्ट बेनीफिट उनके खाते में जैसे हम गरीब को देते हैं, वैसे उद्योगपति को, तो यह पारदर्शी और बीच की सारी चैनल खतम, सीधा लाभ उसको पहुंचाया है.
श्री उमंग सिंघार—मुख्यमंत्री जी, डीबीटी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर) तो क्या सरकार ने 5 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किये डीबीटी. अच्छी बात है, लेकिन मुझे नहीं लगता है,क्योंकि ये आंकड़े इतने आपके हैं नहीं. ठीक है, आप दीजिये. उन्हें पटल पर रखिये. अध्यक्ष महोदय, आप 2013 में भू अधिकरण अधिनियम लाये थे. क्या मध्यप्रदेश के अन्दर इस अधिनियम को लेकर, मुआवजों को लेकर, जमीनों को लेकर, किसानों की जमीनों को लेकर, क्या उतना मुआवजा हम दे पा रहे हैं. नहीं दे पा रहे हैं. भविष्य में जितने भी आप इण्डस्ट्रियल पार्क लाना चाह रहे हैं, 120 मेरे ख्याल से इण्डस्ट्रियल पार्क हैं पूरे. सरकार करना चाहती है, लेकिन प्रायवेट इण्डस्टि्रयल पार्क आप नहीं करना चाहते हैं. महाराष्ट्र के अन्दर, तेलंगाना में, कर्नाटक के अन्दर कई इण्डस्ट्रियल पार्क बने. क्यों नहीं आप लोगों को बोलते हैं कि इण्डस्ट्रियल पार्क डालने के लिये. वह अपने बनायेंगे, क्यों सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर में पैसा खर्च करना चाहती है. उस उद्योगपति को आप बोलें कि वह प्रायवेट इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाये अपना, वहां पर दे. मैं समझता हूं कि सरकार..
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—एमएसएमई, लार्ज इइंडस्ट्री भी बना रही है. स्कीम चालू है. कम से कम 40 से 50 एमएसएमई के पार्क पाइप लाइन में हैं.
अध्यक्ष महोदय—नेता प्रतिपक्ष जी टिप्पमी कर रहे हैं, उनको अपनी बात कहने दें.
श्री उमंग सिंघार— अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि महाराष्ट्र सरीखे में जिस प्रकार से प्रायवेट इण्डस्ट्रियल पार्क हैं, उस पर भी हमें विचार करना चाहिये, क्योंकि यह सरकार जनता के पैसे से ही इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रही है. अगर कोई उद्योगपति आता है, कोई प्राइवेट इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर करने आता है, उसमें भी आप उसको डीबीटी दे सकते हैं. उसको भी अनुदान दे सकते हैं. लेकिन सरकार ने इस बारे में कभी नहीं सोचा. मैं समझता हूं कि इस पर सरकार को विचार करना चाहिये. मैं ज्यादा लम्बा भाषण देने में विश्वास नहीं रखता हूं. लेकिन मैं यह जरुर कहना चाहता हूं कि आपने यूनिट बताई कि 789, 2 करोड़ 872 लाख रुपये आये, उसमें 66 हजार 500 रोजगार मिलेंगे. (किसी माननीय सदस्य द्वारा माइक बंद कर बैठे बैठे टिप्पणी करने पर)
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय, यह बैठे बैठे टिप्पणी करना गलत बात है. फिर हम लोग भी करेंगे, तो दिक्कत हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय- नहीं, बीच में किसी सदस्य ने नहीं बोला, किसी ने नहीं बोला.
श्री उमंग सिंघार-- देखिये मैं आप सबका सम्मान करता हूं. आप भी सदस्य हैं..
अध्यक्ष महोदय- किसी ने नहीं बोला. प्लीज बैठो.
श्री उमंग सिंघार --किसी को अगर अखाड़े में आना हो तो सदन के बाहर आ जाओ, अखाडे में भी आ जायेंगे. ठीक है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 151 यूनिट बताई, 7 करोड़ 336 लाख की आय तथा 13 हजार 700 रोजगार की बात कही, आयेंगे. जीआईएस के अदंर 254 यूनिट का 1 लाख 52 करोड़ रूपये आपका इसमें आयेगा और 1.82 रोजगार आयेगा. आदरणीय मुख्यमंत्री जी मध्यप्रदेश के अंदर 28 लाख बेरोजगार हैं ,मध्य प्रदेश सरकार ने बेरोजगार युवाओं को "आकांक्षी युवा" नाम दिया है, आपने दे दिया ऐसा कहकर के आप "बेरोजगारी" के मुद्दे को छुपाने का प्रयास कर रहे हैं, तो यह जो आपके आंकडे हैं इस हिसाब से तो आप एक लाख- दो लाख लोगो को भी रोजगार नहीं दे पा रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी यह आपने ही वक्तव्य दिया है. मैं समझता हूं कि इस पर सरकार को विचार करना चाहिये कि किस प्रकार से तकनीकी कौशल के क्षेत्र में, कल आदरणीय परमार जी सदन में कह रहे थे कि उद्योग की जरूरत के हिसाब से हमें जो ट्रेनिंग सेन्टर होते हैं कौशल प्रशिक्षण (Skills training) केंद्र, अध्यक्ष महोदय यह वे स्थान हैं जो विभिन्न प्रकार के कौशल प्रदान करते हैं, जैसे कि तकनीकी, व्यावसायिक, या सॉफ्ट स्किल्स, ताकि व्यक्तियों को रोजगार या व्यक्तिगत विकास के लिए तैयार किया जा सके तो सरकार को इस पर विचार करना चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से मध्यप्रदेश प्याज के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है, 17 प्रतिशत हम प्याज का उत्पादन करते हैं लेकिन उसको हम एक्सपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं. क्यों नहीं कर पा रहे हैं. यह सरकार सफेद प्याज की खेती को बढ़ावा नहीं दे पा रही हैं, गुजरात में वर्ष 2023-24 के अंदर 43 हजार 452 टन प्याज को एक्सपोर्ट किया है. भावनगर अमरेली के अंदर जगह जगह प्रोसेसिंग प्लांट हैं, लेकिन प्रोसेसिंग प्लांट को लेकर के मध्यप्रदेश में प्लांट नहीं है इसीलिये प्याज की पैदावार अधिक होने पर यहां का किसान प्याज को सड़क पर फेंकता है क्योंकि सरकार उनसे प्याज लेती नहीं है. तो क्या यह सरकार उन किसानों के लिये फूड प्रोसेसिंग प्लांट नहीं डाल सकती ? क्या हम प्याज को एक्सपोर्ट नहीं कर सकते ? क्या हमें इस प्रकार की खेती को प्रोत्साहन नहीं देना चाहिये ? प्रदेश में जो प्याज का उत्पादन होता है इसको देखते हुये फूड प्रोसेसिंग प्लांट बनाने पर भी सरकार को विचार करना चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्य प्रदेश में बासमती चावल को जीआई टैग दिया गया है. लेकिन चावल के मामले में हम देश के अंदर दसवें नंबर पर भी नहीं आते हैं. मेरा मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है प्रदेश में जो चावल उत्पादक क्षेत्र है, अनूपपुर, मंडला, डिण्डोरी, रीवा जहां पर भी चावल होता है उसके लिये प्राथमिकता सरकार की होना चाहिये. इसी तरह से प्रदेश में सोयाबीन के कई प्लांट प्रदेश में बंद पड़े हुये हैं. सोयाबीन को लेकर के सरकार की पॉलिसी होना चाहिये, मध्यप्रदेश सोयाबीन उत्पादन में सबसे बड़ा राज्य हुआ करता था,उसको लेकर भी सरकार का कोई स्पष्ट विजन सामने नहीं आया है. मैं समझता हूं कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, रोजगार, सुविधायें और तकनीक इनकी सुविधायें सरकार को देना चाहिये. यहां पर रिसर्च एंड डेवलेपमेंट के नाम पर सरकार के पास में पैसा नहीं है, सरकार ने इसके लिये बजट में .1 प्रतिशत पैसा रखा है उससे कुछ नहीं होता, इसी कारण से लोग साउथ की तरफ जा रहा है और नार्थ मे ऊपर की तरफ जा रहे हैं. हमारे यहां के नो-जवान वहां क्यों जा रहे हैं. आई.टी सेक्टर की बात करूं तो आईटी सेक्टर के लोग बेंगलोर जाना पसंद करते हैं, हैदराबाद जाना चाहते हैं लेकिन मध्यप्रदेश के अंदर आपने इन्फोसिस कंपनी तो डलवा दी लेकिन यहां के लोग प्रदेश में काम क्यों नहीं करना चाह रहे हैं. मैं समझता हू कि इस पर भी सरकार को विचार करना चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री की बात करना चाहता हूं. फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री, या दवा उद्योग, दवाओं के अनुसंधान, विकास, उत्पादन और विपणन से संबंधित है. यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इंदौर-पोलोग्राउंड एक ऐसा ही एरिया था, सांवेर एक ऐसे एरिया था जहां पर फार्मास्युटिकल का हब था वहां पर छोटी छोटी कंपनियों को फार्मास्युटिकल उद्योग, दवाओं को बनाने के लिए "सामग्री" (इंग्रेडिएंट्स) बनाकर के देती थी, वल्क ड्रग का काम था, आपकी जानकारी में लाना चाहूंगा कि प्रदेश के अंदर इसकी 500 यूनिट थीं अब सिर्फ100 यूनिट बची हैं, यूनिटें लगातार क्यों बंद हो रही है क्या सरकार उनको डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी)नहीं दे सकती है, क्या सरकार उनको सुविधायें नहीं दे सकते हो तो इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बड़ी कंपनियां हैं उनके रैकेट चल रहा है 11 कंपनियां हैं अगर आप नाम कहेंगे तो मैं नाम भी आपको बता दूंगा, जो नहीं चाहती कि देश के अंदर छोटी कंपनियों को मुनाफा हो, छोटी कंपनियां आगे बढ़ें. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भी पॉलिसी मेटर है और मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से कहना चाहूंगा कि आप इसके बारे में देश के प्रधान मंत्री जी से बात करें कि देश के अंदर छोटी कंपनियां क्यों बंद रही हैं, इसके क्या कारण हैं. ड्रग कन्ट्रोलर द्वारा इन कंपनियों के सेम्पल जान बुझकर के सिलेक्ट नहीं किये जाते हैं. यह बात भी सरकार को समझनी पड़ेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पर्टयन की बात भी की गई है जब मैं वन मंत्री था तब 650 किलोमीटर का ओंकारेश्वर की एक परियोजना है वह रिजर्व फॉरेस्ट है. आप इन्दौर को नेशनल पार्क की सौगात क्यों नहीं देना चाहते हैं. मैं समझता हूं कि सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार ने हलफनामा दिया था, लेकिन उस पर अभी तक सरकार ने कोई विचार नहीं किया है. आपने पर्यटन की बात की. माण्डव के अंदर तालाब सूखे पड़े रहते हैं, पर्यटन नहीं आ पाता है. क्या उन तालाबों को भरने के लिए आपकी पाईपलाइन रहेंगी. आपने नर्मदा की पाईपलाइन तो डलवा दी लेकिन उन तालाबों में पानी नहीं है. मैं समझता हूं कि उस पर भी आप प्रयास करेंगे. पर्यावरण की बात है. पर्यावरण में किस प्रकार से घोटाला हुआ और किस प्रकार से उद्योगों को आपने डीम्ड परमिशन दे दिया किसी अधिकारी ने, उसके खिलाफ जानकारी है लेकिन मुख्यमंत्री जी के पास अभी तक वह रिपोर्ट पेंडिंग पड़ी है, मुख्यमंत्री जी ने कोई निर्णय नहीं किया, तो क्यों ऐसे लोगों को आप हटा नहीं सकते हैं. आप क्यों केन्द्र सरकार की बात करते हैं. मैं समझता हूं मेडिकल टूरिज्म की बात, मेडिकल टूरिज्म में आज आवश्यकता है लेकिन हमारे यहां सवा लाख लोग बाहर जाकर इलाज करा रहे हैं. आप टूरिज्म की बात करते हैं. हमारे पास सुविधाएं नहीं हैं. हमारे पास अस्पताल नहीं हैं. सिर्फ बड़े शहरों में हैं. छोटी जगहों पर हैं नहीं. अगर आप मेडिकल टूरिज़्म को लेकर गंभीर हैं तो मैं समझता हूं कि पूरे विश्व से हम मेडिकल टूरिज्म ला सकते हैं, लेकिन उसके लिए हमको यहां पर उस स्तर के अस्पतालों के लिए सुविधाएं देनी पड़ेंगी तब जाकर वह आएगा.
अध्यक्ष महोदय, बातें बहुत सारी हैं मैंने शॉर्ट में निपटाया है. मैं यही कहना चाहता हूं कि सरकार की भावना अच्छी है, नीयत अच्छी है, लेकिन जमीन तक, हर व्यक्ति तक पहुंचे यह मैं समझना चाहता हूं क्योंकि वह छोटी जगह तक नहीं पहुंच पाती हैं. आपने चन्देरी की बात की, आपने महेश्वरी की बात की, आपने बाग प्रिंट की बात की. मेरे विधान सभा क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध बाग प्रिंट है, लेकिन आज तक वहां कोई क्लस्टर नहीं बना. बाग प्रिंट चन्देरी, महेश्वरी वह गरीब हथकरघा जो आज रात-दिन अपना 400 रुपये में चलाते हैं, उन हथकरघा के गरीब मजदूरों की बात नहीं की. उन कारीगरों के लिए हमको सोचना चाहिए. उनके लिए बजट होना चाहिए. तभी मध्यप्रदेश मेक इन मध्यप्रदेश बन पाएगा, विकसित मध्यप्रदेश बन पाएगा ऐसा मैं सोचता हूं. समूह की बात है. बड़े घोटाले होते हैं समूह में बच्चों की ड्रेस को लेकर हर विधायक के यहां पर क्योंकि समूह, संस्था समूह के पीछे ठेकेदार काम करते हैं. उन महिलाओं को कैसे अधिकार मिलेगा, महिलाओं को कैसे आजीविका मिलेगी, इस पर भी मैं सोचता हूं संज्ञान लेना चाहिए. आपने आर्गेनिक कॉटन की बात की. करोड़ों, अरबों रुपये का कॉटन नॉन आर्गेनिक, आर्गेनिक के नाम से जा रहा है, लेकिन इस पर अगर हमको विश्व में हमारी पहचान बनानी है, विदेशों के अंदर अगर हमको हमारी विश्वसनीयता रखनी है तो हमने जो माल बोला है वह क्वालिटी का होना चाहिए. आर्गेनिक कॉटन की आपने अच्छी बात कही. मैं भी मालवा निमाड़ से आता हूं. आर्गेनिक कॉटन होना चाहिए. कई रिजेक्ट हो जाते हैं. 500-1,000 करोड़ के कई घोटाले हुए. इस पर भी माननीय मुख्यमंत्री जी को ध्यान देना चाहिए. पोल्ट्री की बात है. आदिवासी क्षेत्र है, हर जगह पोल्ट्री होती है लेकिन हम तेलंगाना एवं आन्ध्रप्रदेश से बहुत पीछे हैं. पोल्ट्री पर विकास होना चाहिए. मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि आपके पूर्व उद्योगमंत्री राजवर्द्धन जी थे, उस समय मिडिल ईस्ट से एक डेलिगेशन, एक प्रतिनिधि मंडल आया था. उन्होंने कहा था कि हम पूरे मध्यप्रदेश का अण्डा लेना चाहते हैं. लेकिन आज तक वह मामला पेंडिंग पड़ा है. उससे अगर आप चाहें तो पूरे गल्फ के अंदर यहां से अण्डा सप्लाई कर सकते हैं, ऐसी योजनाएं हैं. फूड प्रोसेसिंग को लेकर मंदसौर, नीमच की बात, आज फूड प्रोसेसिंग की क्या स्थिति है आप समझ सकते हैं कि हम यहां से डायरेक्ट एक्सपोर्ट क्यों नहीं कर पा रहे हैं. क्यों क्वालिटी को लेकर हम श्योर नहीं हैं. मैं समझता हूं कि एपिडा के साथ इस पर चर्चा करना चाहिए. अंत में यही कहूंगा कि विकसित मध्यप्रदेश बने, आपके चेहरे पर मुस्कान रहे, लेकिन आपकी मुस्कान के साथ एक गरीब और मजदूर के चेहरे पर भी मुस्कान होना चाहिए यही मैं कहना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- 3.45 बजे तक भोजनावकाश रहेगा. तब तक के लिए कार्यवाही स्थगित की जाती है.
(2.25 बजे से अपराह्न 3.45 बजे तक अंतराल)
3.48 बजे विधान सभा पुन: समवेत् हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय -- विधेयक पर चर्चा हो रही है. जयवर्द्धन जी 10-12 मिनट बोले हैं. रामेश्वर शर्मा जी 10-12 मिनट बोलेंगे. बाकी सभी सदस्यों से आग्रह है कि 3-3 मिनट में अपना वक्तव्य समाप्त करेंगे.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हमारी सरकार को और खासकर भारत के माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी को, आदरणीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी को और हमारे नगरीय विकास मंत्री आदरणीय कैलाश विजयवर्गीय जी को हृदय से धन्यवाद और बधाई देता हूँ. वर्ष 2047 का भारत कैसा होगा उस भारत में मध्यप्रदेश कैसा होगा और मध्यप्रदेश के महानगर कैसे होंगे. उन नगरों में क्या-क्या आवश्यकता होगी उसकी पूर्ति कैसे की जाएगी. महानगर का विस्तृत स्वरूप तैयार किया है इसके लिए मैं आदरणीय मुख्यमंत्री जी और कैलाश विजयवर्गीय जी जो मंत्री हैं उनको हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, हम सभी की एक ही सोच है. जैसे अभी माननीय मुख्यमंत्री जी ने उद्योग के बारे में विजन रखा और मध्यप्रदेश सरकार रोजगार के नए-नए क्या क्या आयाम तैयार कर रही है. इसके बारे में मुख्यमंत्री जी ने बताया. नेता प्रतिपक्ष जी ने भी उसमें अनेक मुद्दों पर सहमति व्यक्त की है. आज भारत में हम देख रहे हैं. मैं तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय अटल बिहारी वाजपेई जो को भी इसका धन्यवाद दे सकता हूँ क्योंकि यदि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना नहीं होती तो पूरा गांव खाली होता और गांव का किसान या गांव का मध्यमवर्गीय परिवार शहरों में बसा होता और वह परेशानी झेल रहा होता. उस समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी ने यह योजना बनाई और ग्रामों में ग्रामीण सड़क देकर 100 किलोमीटर, 150 किलोमीटर के दायरे में जो महानगर कस्बों के पास में हैं उनको वहीं विकास देकर रोक दिया. जयवर्द्धन जी ने भी अपने विषय में बहुत सी सहमतियां दीं. आज हम यह कह सकते हैं कि हमारे देश के अंदर चाहे, मुंबई हो, चाहे दिल्ली हो, चाहे कलकत्ता हो, चाहे हैदराबाद हो, चाहे चैन्नई हो, यह महानगर हैं और इन महानगरों के बारे में अभी शंका व्यक्त की गई, क्योंकि यह महानगर बन गये, इन्हें महानगर बनाया नहीं गया. आबादी बढ़ती गई. आबादी जुड़ती गई. आबादी पलायन से आई, रोजगार के लिए आई, मुसीबत में आई, अपनी समस्या लेकर आई, वह आबादी जहां बस गई उसे वहीं रखा, उसका कोई नियोजन नहीं किया, कोई प्लान नहीं किया. बारिश आती है तो शहर में नाव चलानी पड़ती है. यातायात के लिए लोगों को लाइन में लगना पड़ता है, शहर में सड़कों पर मल, मूत्र बहता रहता है. महानगर की कई बस्तियों में आज भी रात में अंधेरा रहता है, लेकिन मैं डॉ. मोहन यादव जी की सरकार को इस बात के लिए बधाई दूंगा कि अगर हमने भोपाल मेट्रो सिटी बनाने की योजना बनाई है, अहिल्याबाई की नगरी अगर इंदौर को बनाने की योजना बनाई है, तो लगभग 150 किलोमीटर के राउंड इलाके को हम महानगर में कैसे व्यवस्थित करेंगे. हम मेट्रो ट्रेन रूट तैयार करेंगे, हम यातायात के लिए बस सुविधा उपलब्ध कराएंगे. मैं भोपाल में रहता हूं भोपाल में यदि किसी को उद्योग में जाना है तो सब बीएचईएल की तरफ भागते हैं, सब मण्डीदीप की तरफ भागते हैं, लेकिन जब हमारी महानगर की कल्पना है तो यह महानगर की कल्पना शहर के चारो तरफ लगभग 30 से 35 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बड़ा उद्योग का क्लस्टर होगा. कोई न कोई बड़ा मेडिकल का सेंटर होगा, कोई न कोई बड़ा एजूकेशन का हब होगा, कोई न कोई बड़ी आबादी होगी. हाल ही में मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जहां उद्योग होंगे, अगर बहनें या गरीब रोजगार के लिए आएगा तो हम उसको वहां पर ईडब्ल्यूएस मकान बनाकर उसको रहने की सुविधा भी उपलब्ध कराएंगे, यह जो शहर की कल्पना है यह झुग्गी मुक्त शहर होगा, पर गरीबों को सर्वसुविधा युक्त देने वाला शहर होगा. यह जो महानगर की कल्पना है, आज माननीय डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में हमारे मंत्री जी ने यह विषय रखा है. मैं बताना चाहता हूं भोपाल की बात ले लीजिए, आज भोपाल, मण्डीदीप और मेरी विधान सभा में कोई दूरी नहीं बची. केवल एक कलियासोत नदी हटा ली जाए तो दोनों एक साथ मिल गए हैं. भोपाल और मण्डीदीप का एकीकरण हो गया है. दीवानगंज और मेरी विधान सभा का एक गांव देवरीकला है वह दोनों एक हो गये हैं. सीहोर विधान सभा और फंदा ब्लॉक है वह भी लगातर एक साथ मिलते जा रहे हैं. बिलकिसगंज, झागरिया मिल रहे हैं. राजगढ़ का क्षेत्र देखिये और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आज भोपाल का विकास तो हुआ, विदिशा का आदमी भी भोपाल में आकर रहना चाहता है, सीहोर का आदमी भी भोपाल में आकर रहना चाहता है, रायसेन का आदमी भी भोपाल में आकर रहना चाहता है. हमारी सरकार ने इसका अध्ययन किया कि आखिर विदिशा का आदमी भोपाल में क्यों रहना चाहता है तो वह देखता है कि भोपाल में यह सुविधाएं हैं. मेरे बच्चों को पढ़ाने की सुविधा है, मेडिकल की सुविधा है, रोजगार की सुविधा है इसलिए वह भोपाल आना चाहता है तो हमारी सरकार ने तय किया कि विदिशा का हो, रायसेन का हो, सांची का हो, नरसिंहगढ़ का हो, इछावर का हो, अब्दुल्लागंज का हो, भोजपुर का हो, उसे भोपाल आने की जरूरत नहीं है. भोपाल में जो सुविधा है हम मेट्रो पॉलीटन सिटी बनाकर वह सुविधाएं उनके क्षेत्र में भी देने का काम करेंगे. यह जो प्रस्ताव है यह हमारी सरकार की मंशा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं जो सरकार की कल्पना है उसे समझ रहा हूं. हम मेट्रो को भी चारो तरफ ले जाना चाह रहे हैं, लेकिन जब एक बार मेरी मुख्यमंत्री जी से चर्चा हो रही थी तो उन्होंने कहा कि हम भारत सरकार के रेलवे मंत्रालय से भी बात करेंगे. अगर मुंबई के अंदर लोकल ट्रेने चल सकती हैं, तो विदिशा और भोपाल के बीच में हमारी लोकल ट्रेन क्यों नहीं चल सकती, भोपाल और नर्मदापुरम के बीच लोकल ट्रेन क्यों नहीं चल सकती, सीहोर और भोपाल के बीच में लोकल ट्रेन क्यों नहीं चल सकती, जहां पर हमारे पास पटरी है वहां पर हम भारत सरकार के रेलवे मंत्रालय का सहयोग लेंगे और जहां पर हमारे पास पटरी नहीं है वहां मेट्रो अपनी रेल योजना बनाकर, रेल लाईन डालेगी. जिससे व्यक्ति को कम समय में अधिक दूरी, कम पैसे में और सुविधायुक्त पूरी यातायात व्यवस्था दी जायेगी. मैंने पिछली बार इसी सदन में नगर निगम की बसों का मुद्दा उठाया था कि आज हमारी नगर निगम 30 किलोमीटर के क्षेत्र में हो गई है और बसें उसमें घूम रही हैं और कई ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जो नगर निगम की सीमा के बीच में हैं, लेकिन हम वहां बसें नहीं चला सकते, क्योंकि बसें चलायेंगे तो परिवहन विभाग को वहां का ज्यादा पैसा देना होगा. जब हमारा यह नियोजन, मध्यप्रदेश महानगरीय क्षेत्र नियोजन विकास प्राधिकरण बन जायेगा, तो मैं यह समझता हूं जिस तरह हमारे मुख्यमंत्री जी बोल रहे थे कि हमने उद्योगों के लिए एकल खिड़की प्रणाली लागू की है, तो मैं समझता हूं जब यह लागू हो जायेगा तो इन महानगरों के विकास के लिए भी हम एकल खिड़की प्रणाली लागू करेंगे. मैं इसका एक उदाहरण देना चाहूंगा कि हमने डेढ़-दो साल पहले एक सड़क बनाई, उसमें गैस पाईप लाईन डलनी थी, तो वे वहां खुदाई करके पाईप लाईन डाल गए, अब हमने उस सड़क के विकास के लिए योजना बनाई, तो पता चला कि उस पाईप लाईन को हटाने के लिए हमें रुपये 9 करोड़ देने हैं. जितने की हमारी सड़क नहीं है, उससे ज्यादा हमें अपने ही विभाग ने जो काम किया है, उसके लिए देना है, लेकिन जब हमारा एक नियोजन, एक एजेंसी के तहत पूरे शहर का विकास होगा तो मैं समझता हूं, चाहे इंदौर महानगर हो, चाहे भोपाल महानगर हो, हम जब महाकाल की नगरी से, देवी अहिल्याबाई की नगरी तक जाते हैं तो देखने में दूरी 45-55 किलोमीटर की लगती है लेकिन उस रास्ते के बीच की आबादी यह कहीं नहीं बताती कि दोनों शहरों के बीच में कोई बहुत अधिक दूरी बची है. दोनों शहर एक हो गए हैं लेकिन हमें उन शहरों के बीच में विकास चाहिए, चौड़ी सड़कें चाहिए, 24 घंटे बिजली की व्यवस्था चाहिए, पीने का पानी चाहिए, पर्यावरण के लिए अच्छे गार्डन चाहिए, वन चाहिए, रोजगार के लिए वहां उद्योग चाहिए, बच्चों की पढ़ाई के लिए हब चाहिए, बीमार हो जायें तो मेडिकल की सुविधा चाहिए और जब ये सब कुछ हो जायेगा तो महानगर की योजना, हमारी सरकार की है वह योजना जमीन के धरातल पर आ जायेगी.
अध्यक्ष महोदय, वैसे तो कहने के लिए NCR है, लेकिन वह नैसर्गिक रूप से नहीं बना है, वह मजबूरी में बना है, वह भारत की राजधानी है स्वाभाविक रूप से जब उसमें उत्तरप्रदेश-हरियाणा का क्षेत्र मिल गया और दोनों प्रदेशों के क्षेत्र मिलते चले गए तो वहां NCR बनाना जरूरी हो गया, क्योंकि वहां जनता को पानी, सड़क, बिजली, स्कूल देना है, इसलिए राज्यों के बीच जो विवाद थे, वे कैसे हल हो सकते हैं और NCR की क्या प्लानिंग हो सकती है, यह हमें देखना होगा.
अध्यक्ष महोदय, हमारे सदस्यों ने शंका व्यक्त की कि मास्टर प्लान क्या होगा? आपके समय मास्टर प्लान आया था, उस समय बहस में हम शामिल थे, हमने कई चीजों में आपका सहयोग किया और कई चीज़ों में आपका विरोध किया, लेकिन मैं यह कह सकता हूं कि माननीय मंत्री कैलाश जी यहां हैं, जब हमारा महानगर क्षेत्र नियोजन बन जायेगा तो मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि आप केवल भोपाल नगर निगम का मास्टर प्लान नहीं बनायें बल्कि पूरे नगरीय क्षेत्र का मास्टर प्लान बनायें और उस मास्टर प्लान में हमें बतायें कि कहां उद्योग बनेगा, कहां मेडिकल इंस्टीट्यूट होगा, कहां यूनिवर्सिटी होगी, कहां खेल के लिए स्टेडियम होगा, कहां हमारा बस स्टैण्ड होगा, कहां शासकीय नियोजन के कार्यालय होंगे. मैं तो यहां तक चाहूंगा कि आज हम नगरों में देखते हैं यहां तहसील कार्यालय हैं, मैं मुख्यमंत्री जी को इस बात के लिए धन्यवाद देता हूं कि हमारे यहां कई क्षेत्र ऐसे थे, जो हमारे विधान सभा क्षेत्र में ही नहीं थे, दूसरे क्षेत्र में थे लेकिन थाना हमारा लगता था. वहां के विधायक परेशान होते थे, वहां की जनता परेशान होती थी, 50-50 किलोमीटर की दूरी हो जाती थी. हम चाहेंगे कि महानगर में धीरे-धीरे एक मिनी सचिवालय की कल्पना भी हो. किसी एक व्यक्ति को दस्तावेज लेकर जाना हो तो नगर निगम का काम, पुलिस का काम, शिक्षा से संबंधित दस्तावेज, संपत्ति संबंधी कार्य, सभी वहां हो जायें, यदि किसी को एक NOC चाहिए तो एक ही भवन की छत के नीचे यदि उसे यह मिल जाये, तो मैं समझता हूं कि उस व्यक्ति के समय-पैसे दोनों की बर्बादी रूकेगी और उसे महानगर का नागरिक होने का गौरव हासिल होगा. शहर में जो कल्पनायें हैं और सभी योजनाओं का लाभ देते हुए, वे योजनायें उन तक पहुंचाई जा सकें.
अध्यक्ष महोदय, जैसे मैंने कोलकाता-चेन्नई-हैदराबाद-बेंगलुरू का उदाहरण दिया, ये महानगर, इनमें से हैदराबाद-बेंगलुरू-चेन्नई को लिया जाये तो ये शहर केवल IT हब के कारण चल रहे हैं, लेकिन हमारे मध्यप्रदेश में तो अनेक संभावनायें हैं, अभी हमारे मुख्यमंत्री जी ने गिनाई हैं. यह तो बीच में है और जब यहां पर उद्योग खड़े हो सकते हैं. भारत सरकार अपने उद्योग लगा रही है, प्रायवेट और निजी सेक्टर अपने उद्योग लेकर आ रहे हैं. जब हमारे नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे हैं कि प्याज का क्या होगा ? अब तो प्याज से शैम्पू भी बनने लगा. जब हमारे फूड प्रोसेसिंग ..... (नेता प्रतिपक्ष जी के कुछ बोलने पर) हां, मैं आपको लाकर दूँगा, आपके बाल ठीक हो जाएंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में शैम्पू कहां बन रहा है ?
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो आपके यहां प्याज ज्यादा होती है. आपको खुद बनाकर लेकर आना चाहिए था. फिर भी...
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं शर्मा जी से पूछना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश में प्याज से शैम्पू कहां बन रहे हैं ? आप बता दो.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, नहीं, अब यही आपने सुना होगा. माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक अग्रवाल फूड प्रोसेसिंग कंपनी का नाम लिया था, जो एग्रीकल्चर के क्षेत्र में काम कर रही है. एग्रीकल्चर में ही प्याज आयेगी. हमारा प्याज जब यहां पर निकलेगा और जब खरीददार आयेगा तो वह ......
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, शैम्पू कहां बन रहा है ? आप यह बता दो. मध्यप्रदेश में फूड प्रोसेसिंग में कौन सी फैक्ट्री में शैम्पू बन रहा है ?
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, वह बनेगा. आपको अगर इमीडिएट लगाना है तो दे देंगे, शैम्पू रेडी है. (हंसी)
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, शर्मा जी, यह विधान सभा इस बात की साक्षी और गवाह है कि जो हम मुख्यमंत्री जी से पूछते हैं, वह उसका जवाब तो देते नहीं. आज 24 प्रश्नों का जवाब नहीं दिया है, तो हम कितना विश्वास और भरोसा करेंगे?
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, देखिये. माननीय बाला बच्चन जी....
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - माननीय अध्यक्ष महोदय, रामेश्वर जी, उमंग भाई को तो आप शैम्पू दे ही दीजिये. उनके बाल काफी कम हो रहे हैं और पुराने लोग कहते हैं, मेरी दादी कहती थी कि प्याज का रस लगाने से बाल कम झड़ते हैं. अब उसका शैम्पू आ रहा है, पर इनके पास सैम्पल आ चुका है. यह आपको दे देंगे और आप चाहें तो उसका उपयोग कर सकते हैं. (हंसी)
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, उसका आ गया है. बाबा रामदेव जी का ....
अध्यक्ष महोदय - वैसे अभी तक बाल उगाने वाली जितनी कंपनियां गारंटी देती थीं, सब अपने वायदे से पलट चुकी हैं.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरे कहने का उद्देश्य यह है कि यह जो फूड प्रोसेसिंग के काम चलेंगे, अगर इसमें इसकी कोई इण्डस्ट्री लगाना चाहे, तो उनका हार्दिक स्वागत है.
अध्यक्ष महोदय - मैंने यह कहा कि कई कंपनियां तमाम प्रकार की दवाई, ऑयल यह सब बनाती हैं और वह पहले प्रचार यह करती हैं कि इसको लगाओ, तो बाल उग जाएंगे, बाद में जब उगते नहीं हैं, तो पलट जाती हैं कि हमने कहा था कि बाल झड़ेंगे नहीं.
श्री रामेश्वर शर्मा - लेकिन यह बात तो मानना पड़ेगा कि
अध्यक्ष महोदय - मान गए. आप तो बोलो.
श्री रामेश्वर शर्मा - नहीं, आप तो शैम्पू कम लगाते हैं, लेकिन जो ज्यादा लगाते हैं, उनको दे देंगे. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय - आप तो कंटीन्यू करें. (हंसी)
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश कृषि का प्रदेश है, मध्यप्रदेश औद्योगिक प्रदेश नहीं है, इसमें सरकार चाहे आपकी रही हो या हमारी सरकार रही हो. लेकिन आज हम यह डंके की चोट पर कह सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के 20 वर्ष के सफर में आज मध्यप्रदेश औद्योगिक क्षेत्र की क्रांति का प्रदेश भी बनने जा रहा है. (मेजों की थपथपाहट) और जब औद्योगिक क्षेत्र में जा रहा है तो हमारे किसानों को लाभ देने की बात मंशा आपकी भी है और मंशा हमारी भी है. बाला भाई, आप तो जानते ही हैं कि उस समय भी आपको जवाब नहीं मिलते थे, जब आप मंत्री थे. ठीक है कि नहीं.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके भी हमने जवाब दिए हैं, रिकॉर्ड निकलवा लेना. हमने जवाब दिए हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, रामेश्वर जी तो शैम्पू की बात कर रहे हैं, वह तो आलू में से सोना निकालने की बात तो कर नहीं रहे हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, आलू में से सोना निकालना ....
अध्यक्ष महोदय - आप तो आगे बढ़ें.
श्री महेश परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, वह आगे नहीं बढ़ पाएंगे. अब मंत्रिमण्डल का विस्तार नहीं होना है.
अध्यक्ष महोदय - महेश जी, आप बैठ जाइये. रामेश्वर जी, आप बोलें.
श्री रामेश्वर शर्मा - महेश भाई, आप तो खुश हो कि नहीं. आप हां बताओ या न बताओ. महाकाल की कसम, आप बताओ कि आप खुश हो कि नहीं. इन कांग्रेसियों में सबसे ज्यादा आप खुश हो कि नहीं.
श्री महेश परमार - अध्यक्ष महोदय, मैं तो माननीय अध्यक्ष जी के आशीर्वाद से और महाकाल की कृपा से बहुत खुश रहता हूँ.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, हां, ठीक है.
अध्यक्ष महोदय - आप अपनी बात पूरी करें.
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, 74 वें संविधान की अगर हम बात करेंगे तो बहुत लम्बा है, तब से अभी तक महानगरों की कल्पना और महानगरों के विकास की योजना जितनी समय रहते हुए बननी चाहिए थी, उतनी नहीं बन पाई. और आज भी मध्यप्रदेश सरकार अगर यह विधेयक नहीं लाती और भोपाल तथा इंदौर को मेट्रोपोलिटन सिटी बनाने की योजना नहीं बनाती तो हम जैसे कलकत्ता के बारे में सोच रहे हैं. कलकत्ता में जो मुसीबतें हैं, बैंगलोर में जो मुसीबतें हैं, दिल्ली में जो मुसीबतें हैं, उन मुसीबतों का कल हमको भी सामना करना पड़ता. इसलिए मैं डॉ. मोहन यादव जी को इस बात के लिए बधाई और धन्यवाद दूंगा कि आने वाले 22 साल बाद मध्यप्रदेश में वर्ष 2047 का नक्शा कैसा होगा और उन्नत मध्यप्रदेश के ये महानगर कितने उन्नति करके हिंदुस्तान में अपनी पहचान बनाएंगे, इस कल्पना का प्रस्ताव लेकर आज हमारी सरकार यहां आई है. अध्यक्ष महोदय, आज अगर हम नगरीय क्षेत्रों में जाएं, हर किसी विधान सभा क्षेत्र में नगर पालिकाएं हैं, नगर पंचायतें हैं, नगर निगम हैं, आज वहां की मुसीबतें कितनी हैं. आज वहां की परेशानियां कितनी हैं. उन परेशानियों को कैसे हल किया जाए. इसलिए चाहे छोटे कस्बे हों, कस्बे महानगर बनते जा रहे हैं और महानगर अगर अव्यवस्थित चलेंगे तो उनको व्यवस्थित बनाएगा कौन. इसलिए मध्यप्रदेश सरकार ने बहुत लंबी कल्पना करके अच्छी योजना बनाकर के सरकार ने यह विधेयक यहां पर प्रस्तुत किया है. इस विधेयक में मैंने आपको शुरू में ही उदाहरण के तौर पर बता दिया है कि सरकार अधोसरंचना के बारे में विचार कर रही है. हमारे माननीय जयवर्द्धन सिंह जी बोल रहे थे कि भोपाल में एक बाइपास बन गया है. नहीं बना. हिंदुस्तान की 23 राजधानियों को बाइपास जो मिला, वह रिंग रोड के रूप में मिला और हमको जो बाइपास मिला वह इसी शेप में मिला. 11 मील होशंगाबाद रोड से शुरू होता है और भौंरी पर खत्म होता है. डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने, हमारी पिछली सरकार ने जो प्रस्ताव लाए थे, आज उसी प्रस्ताव को हम जोड़कर भौंरी, 11 मील से फंदा लेकर के जा रहे हैं, जो 11 मील, होशंगाबाद रोड पर जाकर मिलाएंगे, नर्मदापुरम पर जाकर मिलाएंगे, तब जाकर हमारा रिंग रोड तैयार होगा, यह हमारी योजना में भी है और टेण्डर होकर इस पर काम शुरू होने वाला है. यह रिंग रोड की जरूरत उस समय भारत सरकार ने सोची थी..
श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्यक्ष जी, उसमें एक प्वॉइन्ट जो मेरा था, माननीय रामेश्वर शर्मा जी वरिष्ठ सदस्य हैं और उन्हीं की विधान सभा है, लेकिन मेरा जो प्वॉइन्ट था कि उसमें यह जानकारी मुझे अखबार के माध्यम से मिली थी कि रातापानी टाइगर रिजर्व के लगभग बीच में से कोई सड़क निकल रही है. अगर ऐसा नहीं है तो आप स्पष्ट कर दें, उसमें कोई दिक्कत नहीं है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- देखिए, मध्यप्रदेश की विधान सभा के माध्यम से बताना चाहता हूँ कि हिंदुस्तान के अनेक राज्यों के पास में कोई भी टाइगर रिजर्व नहीं है. आज भोपाल को यह कहने का सौभाग्य है कि 8 किलोमीटर की दूरी पर डॉ. मोहन यादव जी ने डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर के नाम से यहां पर रातापानी टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया है और उसमें टाइगर अपनी गतिविधियां शुरू करने लगे हैं. मैं चाहता हूँ कि एक बार पूरा सदन डॉ. मोहन यादव जी को इस बात के लिए बधाई दे (मेजों की थपथपाहट) और उन्होंने डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर जी के नाम से इसलिए टाइगर रिजर्व का नाम रखा क्योंकि डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर जी वे हैं, जिन्होंने भीमबैठका की खोज करके भारत के पुरातत्व विभाग को एक महत्वपूर्ण जानकारी दी और भारत को अतीत का इतिहास बताया. वह भी मेरे क्षेत्र में है और आपकी जो शंका है, वह अब उससे हट गया है और थोड़ा सा रेंज है तो वहां पर फ्लाई ओवर बनाकर लिया जाएगा, जिससे वन्य जीवों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा. वन्य जीवों की सुरक्षा हम सबकी नैसर्गिक जवाबदारी है और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण काम हमारे भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी ने किया है. वे वन क्षेत्रों को सुरक्षित भी रख रहे हैं और वन में टाइगर छोड़ने का भी काम हमारी सरकार लगातार कर रही है. यह काम हमारी सरकार कर रही है तो ये जो विकास की योजना है, इस योजना में हम भूमि विकास नियम का भी पालन कर रहे हैं. किसानों से आज भी जबरन कोई जमीन नहीं ली जाती, कल भी जबरन कोई जमीन नहीं ली जाएगी. किसानों की जमीन की जो योजना है, विकास प्राधिकरण के पास है या बीडीए के पास है, उन्हीं योजनाओं के तहत काम किया जाएगा. आज भी हम देखते हैं कि शहर के अंदर जो सड़कें हैं या कालोनियों की जो सड़कें हैं, आप और हम देख रहे हैं, कोई 15 फिट की सड़क है, कोई 20 फिट की सड़क है. मैं तो माननीय मंत्री जी श्री कैलाश विजयवर्गीय जी से आग्रह करूंगा कि सर, नए मास्टर प्लान में कोई भी कालोनी हो, किसी भी कालोनी में कम से कम 30 फिट पक्की सड़क का निर्माण हो और साथ में नाली और सीवेज की व्यवस्था के लिए अतिरिक्त जगह उसमें छोड़ी जाए. हम आज देख रहे हैं कि अधिकतर पार्किंग सड़कों पर आ गई है. घरों में पार्किंग की गुंजाइश नहीं है. रात में अचानक एम्बुलेंस ले जाना पड़ जाए तो एम्बुलेंस नहीं जा पाती है, इसके कारण कई दुर्घटनाएं हो जाती हैं. आगजनी की घटना हो जाती है तो हम उनको बचा नहीं पाते, लेकिन जब हम इस क्षेत्र में विकास करेंगे, जब महानगरों के तहत विकास करेंगे तो सड़कें हमारी चौड़ी होंगी, यातायात की सुविधा होगी.
आज आप देखिये आपको हमको रायसेन जाना है तो रायसेन जाने के लिये हमारे पास केवल एक ही वैकल्पिक मार्ग है लेकिन सीहोर का व्यक्ति रायसेन आए तो वह एक घंटा भोपाल में उलझा रहे. उसको कैसे सीहोर से रायसेन जाना है उसके लिये कौन कौन से मार्ग हो सकते हैं वह चौड़ीकरण किये जायेंगे. सूखी सेवनिया और विदिशा से आने वाला आदमी कैसे भोपाल के अंदर आए. आज भोपाल के बसस्टैंड की यह हालत है कि भोपाल के नागरिक को भी बसस्टैंड पहुंचने में3 घंटे लगते हैं लेकिन अगर हम इसी योजना से फ्लाई ओवर लायेंगे. नये-नये पुल बनाएंगे मेट्रो क्षेत्र तैयार करेंगे तो भोपाल के कोलार में रहने वाला नादरा बसस्टैंड 22 मिनट में पहुंच सकेगा इसकी योजना हमारी सरकार बना रही है. हमारी सरकार बड़े बड़े फ्लाईओवर लायेगी और यह जो नगरीय विकास क्षेत्र बनाने की जो योजना है इसमें एक आग्रह मेरा भी मंत्री जी से रहेगा कि इसमें जो 4 विधायकों को सदस्य रखने की मंशा है इसको थोड़ा और बढ़ाना चाहिये क्योंकि जिन-जिन जनप्रतिनिधियों का क्षेत्र उसमें लगता है वह अपनी बात किस स्थान पर कहेंगे. उनको अपनी समस्याएं कहां बताएंगे नहीं तो कभी कभी ऐसी स्थिति हो जायेगी जैसे मिलेट्री का नगरीय क्षेत्र में केंटोनमेंट एरिया होता है वहां कोई बात सुनने वाला ही नहीं होता तो विकास किसी भी कारण रुके नहीं. हमारे डॉ.मोहन यादव जी की सरकार की मंशा है कि गरीब को सुलभ योजना मिले.गरीब के घर तक सड़क जाए.गरीब के पीने के पानी की व्यवस्था हो. गरीब के द्वार पर बस कैसे पहुंचे इसकी व्यवस्था की जाए. गरीब को पक्के मकान दिये जाएं. गरीब के लिये और रोजगार के साधन जुटाए जाएं और जब हम विकसित मध्यप्रदेश के रूप में खड़े हों तो हमारी राजधानी सबसे सुंदर देश में आए वैसे तो सबसे स्वच्छ राजधानी का पुरस्कार भोपाल राजधानी को मिला है मैं इसके लिये भी मैं मध्यप्रदेश सरकार को हृदय से बधाई देता हूं. सबसे सुंदर व स्वच्छ नगर का पुरस्कार इन्दौर महानगर को मिला है और यह दोनों महानगर बनाने की तैयारी है इसका मतलब यह नहीं कि हम जबलपुर को छोड़ने वाले हैं. हमारे मुख्यमंत्री जी ने बोल दिया है. जबलपुर भी हमारी संस्कारधानी है उसका भी विकास होगा और अध्यक्ष जी ग्वालियर तो छूट ही नहीं सकता अब तो आप ही हैं इसीलिये ग्वालियर का विकास भी उसी कल्पना से होगा.
अध्यक्ष महोदय - ग्वालियर तो ऐतिहासिक शहर है.
श्री रामेश्वर शर्मा - इसलिये चारों महानगरों का स्वरूप हमारी सरकार ने बनाकर तैयार किये हैं. मैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी को हृदय से धन्यवाद देता हूं बधाई देता हूं और माननीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जी को भी बधाई देता हूं कि उन्होंने एक अच्छी कल्पना के साथ इसका प्रारूप प्रस्तुत किया है. अभी हो सकता है कि प्रारूप में और समय-समय परचर्चा होगी. समय-समय पर इसमें सुधार और संशोधन लाए जा सकते हैं लेकिन अभी जो सरकार की मंशा है वह राजधानी और इन्दौर के विकास के लिये बहुत अच्छा सोच मध्यप्रदेश सरकार लायी है. मैं मुख्यमंत्री जी को फिर से एक बार धन्यवाद देता हूं. कैलाश विजयवर्गीय जी को धन्यवाद देता हूं और अध्यक्ष जी आपने मुझे बोलने का मौका दिया आपको भी हृदय से धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - कैलाश कुशवाह जी.अब तीन-तीन मिनट का भाषण होगा. मेरा संसदीय कार्य मंत्री और नेता प्रतिपक्ष दोनों से अनुरोध है कि अभी इसके अलावा 4 बिल और हैं जो आज ऐजेंडे में लगे हैं और इसमें दोनों तरफ से काफी नाम आ गये हैं. पक्ष की तरफ से 8 नाम हैं और प्रतिपक्ष की तरफ से 9 नाम हैं. मुझे लगता है थोड़ा समय कम करदेंगे तो शायद ठीक रहेगा ऐसा मेरा अनुरोध है.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन 8 तारीख तक है. कार्यवाही बढ़ सकती है. सबको बोलने का अवसर मिले.
अध्यक्ष महोदय - वह तो देखेंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - रक्षाबंधन में यहीं बुला लेना अपनी बहन को. रक्षाबंधन वाले दिन भी यहीं बुला लेना अपने परिवार को. सबको जाना है.
श्री कैलाश कुशवाह(पोहरी) - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मुख्यमंत्री जी ने इन्दौर,भोपाल का एक स्वर्ण रूप तैयार किया है इसके लिये उन्हें धन्यवाद देता हूं. ग्वालियर और जबलपुर के लिये भी लेकिन कहीं न कहीं शिवपुरी भी शिव की नगरी है लेकिन पता नहीं मध्यप्रदेश के नक्शे में हर बार भूल जाते हैं. उद्योग की बात आती है तब भूल जाते हैं. शिवपुरी को नगर निगम बनाने की बात आती है तो भूल जाते हैं. हमारे शिवपुरी जिले में एक भी उद्योग नहीं है. आज सबसे ज्यादा बेरोजगारी है तो शिवपुरी जिले में है. एक उद्योग बता दें और आपका तो घर जैसा है. ग्वालियर से 100 कि.मी. है.झांसी से 100 कि.मी. है. ग्वालियर चमक गया, झांसी चमक गई, गुना चमक गया, शिवपुरी बीच में क्यों रह गई.
अध्यक्ष महोदय-- बैराड़ और बीच में है.
श्री कैलाश कुशवाह-- बैराड़, पोहरी वह तो बहुत पिछड़ा हुआ है. हमारे बैराड़ क्षेत्र में कॉलेज नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- कैलाश जी, बैराड़ एक छोटी जगह है, बैराड़ का तालाब बहुत विहंगम है. शिवपुरी जिले में जाना हो तो वह तालाब जरूर देखकर आना.
श्री कैलाश कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको मैं धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं बैराड़ के तालाब पचीपुरा पर ही कुछ देर में पहुंचने वाला हूं. मैं यह कह रहा हूं कि सबसे पहले तो मैं आपसे आग्रह करता हूं कि अभी हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने बोला कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने 2 हजार करोड़ उद्योग के लिये दिये हैं तो शिवपुरी जिले में पोहरी विधान सभा में कम से कम 5 हजार बीघा जमीन सूखी पड़ी है उसमें उद्योग खुलवायें, माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका वह क्षेत्र देखा हुआ है. मैं आग्रह करता हूं कि शिवपुरी में बफर जोन और पर्यटन बनाया जा रहा है तो मेरा यह कहना है कि रणथंबा से होकर कूनो जो आकर्षित केन्द्र है उसके बाद हमारे पोहरी में गणेश मंदिर है, गणेश मंदिर जहां आल इंडिया से दर्शन करने आते हैं, उसके पास जल मंदिर है, फिर है पवा क्षेत्र अभी आपने चर्चा की पचीपुरा डेम की, बैराड़ की तो यह आकर्षित केन्द्र हैं, उसके अलावा शिवपुरी में फिर हम माधव राष्ट्रीय उद्यान में आते हैं, उसके पास सुरवाया गढ़ी फिर ऐसे जायेंगे हम नरवर, आज तो मैं बोलूंगा, ज्यादा नहीं तो 10 मिनट तो बोलूंगा. माननीय अध्यक्ष जी, मेरा आपसे निवेदन है कि नरवर से जाते हुये अपना मड़ीखेड़ा डेम आकर्षक है उसके बाद हमारा नरवर का किला उस पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा. नरवर का किला जीर्णशीर्ण हो रहा है और वह बड़ा किला है वहां मां पसर देवी का मंदिर है तो मैं आग्रह करता हूं कि उसे सौंदर्यीकरण में लिया जाये और वहां मां पसर देवी के दर्शन के लिये रोपबे भी लगाया जाये. उसके पास में मोहरी डेम भी है और हमारा मड़ीखेड़ा डेम के पास लोड़ी माता का मंदिर नरवर में है वहां लोग सारी दुनिया से पूजन करने के लिये आते हैं, तपकेश्वर महादेव की बोल रहा हूं, एक पहाड़ है 500 फीट ऊपर, अब ईश्वर की कृपा है, पानी कहां से आ रहा है भरी गर्मी में ऊपर से पानी आता है, उसको भी जोड़ा जाये. मैं एक और निवेदन कर रहा हूं सतनवाड़े से नरवर की रोड जो कि मात्र 9 फीट है उसको 22 फीट किया जाये क्योंकि आने जाने में परेशानी आती है और नरवर से काफी गांव जुड़े हुये हैं नरवर मगरोनी से और हमारे शिवपुरी में उद्योग दिये जायें. सौंदर्यीकरण में लिया जाये मैं यह मांग करता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- इसमें एक चीज सब लोग ध्यान रखें, भोपाल और इंदौर मेट्रोपोलिटन सिटी बने इसके लिये एक्ट आया हुआ है. एकाध बात अपने क्षेत्र की रखना है तो वह समझ में आता है, लेकिन कुल मिलाकर एक्ट पर ही बोलेंगे तो ठीक रहेगा.
श्री सुरेन्द्र पटवा (भोजपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं और हमारे मंत्री आदरणीय कैलाश विजयवर्गीय जी जो यह विधेयक लेकर आये हैं, निश्चित रूप से हमारे लिये जिस प्रकार से देश किस तरफ जा रहा है. अभी मेरे पहले वक्ताओं ने जो बात रखी है, जयवर्द्धन जी ने भी विस्तृत रूप से बात कही है, स्वाभाविक रूप से अगर हम बात करते हैं तो मेट्रोपोलिटन सिटीज में जितनी समस्यायें हैं उन समस्याओं को देखते हुये अब यह जो विधेयक आ रहा है, लगभग हमारे भोपाल के आसपास के सभी 5 जिले भोपाल के हैं और इंदौर के 5 जिले तो मेट्रोपोलिटन सिटी होने से, मैं बहुत सारी बातों को रिपीट नहीं करना चाहता हूं, लेकिन आने वाले समय में इन दोनों शहरों को लेकर जिस प्रकार से यहां एजूकेशन हब बना है, इंदौर में हम सब जानते हैं कि आज विश्व में इंदौर का नाम जिस प्रकार से लिया जाता है चाहे स्वच्छता के मामले में हो चाहे औद्योगिकीकरण के मामले में पीथमपुर हो. उसी तरह से भोपाल के आसपास हमारे विधान सभा भोजपुर क्षेत्र में मैं बताना चाहूंगा कि दो विश्व धरोहर हैं, वर्ल्ड हेरीटेज हमारे जिले में रायसेन में एक सांची का स्तूप है और भोजपुर में भीमबेटका है. स्वाभाविक रूप से जब यह योजना बनेगी तो आने वाले समय में औद्योगिकीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा और जो हमारा मध्यप्रदेश का लगभग 21 हजार करोड़ रूपये का बजट हुआ है और परकेपिटा जो इंकम बढ़ी है 1 लाख 53 हजार रूपये है, उसका कारण है कि जो वर्ष 2000 से लेकर आज तक की हमारी सरकार ने जो काम किये हैं, वह एक बेस बना है. हम किसी भी योजना के बारे में बात करते हैं, तो भूतकाल से लेकर वर्तमान और वर्तमान से लेकर भविष्य की योजना के बारे में बात करते हैं. मैं यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी का धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने वर्ष 1947 से लेकर वर्ष 2047 की जो कल्पना की है. वर्ष 2014 में दुनिया में हमारी जो इकोनॉमी थी, वह ग्यारहवें स्थान पर थी और आज हम लोग पांचवें स्थान पर आ गये हैं और जल्दी ही वर्ष 2027 में हम तीसरे स्थान पर होंगे.
अध्यक्ष महोदय, आज माननीय हमारे नगरीय विकास मंत्री जी ने जो विधेयक रखा है, उसका मैं समर्थन करता हूं और मैं यह कहना चाहूंगा कि यहां से लेकर इंदौर और इंदौर से लेकर भोपाल तक जितने भी आसपास के जिले हैं, निश्चित रूप से उसका बहुत अच्छी तरह से विकास होगा और विकास के लिये जो बेस बना हुआ है, हम सब अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारा जो मध्यप्रदेश है, यहां पर 7 लाख हेक्टेयर सिंचित भूमि हुआ करती थी, वह आज लगभग 60 लाख हेक्टेयर भूमि हो रही है.
अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार से चाहे ऑटोमोबाईल सेक्टर हो, चाहे औद्योगिक क्षेत्र है, यह एक बेस बना हुआ है और इस बेस के बाद अब आने वाले समय में हमारा मध्यप्रदेश निश्चित रूप से देश के प्रथम राज्यों में आकर खड़ा हो गया है. हम सभी यहां बैठे हुए विधायक यह कल्पना करें और न केवल कल्पना करें बल्कि विश्वास रखें कि हमारा मध्यप्रदेश पूरे देश में एक नंबर पर पहुंचने का काम करेगा, इसमें हम सब लोग सहभागी बनेंगे.
अध्यक्ष महोदय, आज यह मेट्रोपॉलिटन सिटी का जो विधेयक आया है, उसमें हमारे क्ष्ोत्र में रायसेन जिले में भोपाल से लेकर ओबेदुल्लागंज तक लगभग गौहरगंज ब्लॉक उसमें आ रहा है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद भी देना चाहता हूं कि 18 सौ करोड़ का रेल्वे कोच का हमारा भूमि पूजन 10 तारीख को माननीय देश के रक्षामंत्री माननीय राजनाथ सिंह साहब करेंगे, मुख्यमंत्री जी करेंगे. यह तभी संभव हो पाया है, जब हमारा मध्यप्रदेश का कहीं न कहीं बेस बना है.
अध्यक्ष महोदय, आज मध्यप्रदेश के वन क्षेत्र को भी ले लें या मध्यप्रदेश के राजस्व क्षेत्र को भी ले लें, कुल मिलाकर अगर इंदौर की हम परिकल्पना करें तो आज से चालीस साल पहले, तीस साल पहले, इंदौर के आसपास कोटा से लोग पहले आते थे, इधर खरगोन, बड़वानी से आते थे, तो आज इंदौर आज जिस प्रकार से आगे बढ़ा है, वह देखने योग्य है.
अध्यक्ष महोदय, मैं कह सकता हूं कि पूरे देश में अगर भोपाल जैसी कोई राजधानी होगी तो सिर्फ मध्यप्रदेश में हमारा भोपाल राजधानी है, पर्यावरण के मामले में भी, तालों के तालाब के मामले में भी, अभी जैसा कि रामेश्वर जी ने बताया है कि अभी हमारे क्षेत्र में लगभग जो झिरीबेड़ा है, वहां से ही बेतवा का उद्गम हुआ है और वहीं पर रातापानी है, जो पहली पंचायत है, वहां के सरपंच का नाम हमारा कमल है, जो भारतीय जनता पार्टी का चिह्न है. मैं बहुत ज्यादा नहीं कहते हुए सिर्फ अपनी बात को समाप्त करना चाहूंगा, क्योंकि माननीय अध्यक्ष महोदय, जी ने मुझे इशारा किया है. मुझे ध्यान आता है वर्ष 2017 जब में पदम भूषण स्व. सुंदरलाल पटवा जी की पहली पुण्य तिथि थी, उस समय 27 सौ करोड़ रूपये का भूमिपूजन माननीय नितिन गडकरी जी के द्वारा माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया था, वह तब हो गया था. अब आप सोचिये विचार कीजिये कि आने वाले समय में अब मध्यप्रदेश में बजट के कारण से कितना विकास हम इन दोनों मेट्रोपॉलिटन सिटी में करेंगे.
अभी आने वाले समय में मिसरोद से लेकर ओबेदुल्लागंज का सिक्स लेन 3 सौ करोड़ का स्वीकृत हो गया है, वह भी जल्दी ही तीन महीने के अंदर स्वीकृत हो जायेगा. हमारी विधानसभा में चार सौ, साढ़े सौ इंडस्ट्रीज है, लगभग बीस हजार करोड़ रूपये का डायरेक्ट, इंडायरेक्ट एक्सपोर्ट है और पीथमपुर में भी लगभग 50 हजार करोड़ रूपये का डायरेक्ट, इंडायरेक्ट एक्सपोर्ट है, यह इसी कारण है कि आज इंदौर और भोपाल में पहले से ही उसका बेस बना हुआ है और जब मेट्रोपॉलिटन सिटी में जो भी रूल्स एंड रेगुलेशंस होंगे, उसके कारण से हमारा और भी विकास होगा और विकास के साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से भी कहीं न कहीं हमारे मध्यप्रदेश की इकोनॉमी सुदृढ होगी. मैं माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी जब आप पहली बार इंदौर में महापौर बने तो मध्यप्रदेश में महापौर का या पूरे देश में मैं यह कह सकता हूं कि आपने जो काम किया, उसका हम लोगों ने अनुसरण करते हुए विधानसभा में काम करने का प्रयास किया है. माननीय पंचायत मंत्री जी भी उसके उपाध्यक्ष रहेंगे, राजस्व मंत्री जी रहेंगे, मुख्य सचिव उसके सचिव रहेंगे, तो यह पूरी की पूरी जो योजना बनी है, उसमें मैं सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. भोपाल सीहोर, रायसेन, विदिशा, ब्यावरा, इंदौर और इंदौर में उज्जैन, देवास, धार, शाजापुर में जिस विधानसभा से आता हूं, वहां भोजेश्वर मंदिर है, वह विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग मंदिर है, जहां महाकाल है और माननीय मुख्यमंत्री जी ने भोजपुर को महालोक की कल्पना पर उसकी भी घोषणा की है, बहुत जल्दी उसका विकास होगा, एक बार फिर से मैं यहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी का, माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी का बहुत-बहुत बधाई और अभिनंदन करता हूं कि इस प्रकार से हमारे दस जिलों के बाद आने वाले समय में मास्टर प्लान भी बनेगा और मास्टर प्लान के बाद मैं माननीय पंचायत मंत्री और उनसे भी यह यही अनुरोध करना चाहूंगा कि भविष्य में जो हमारी पंचायतें हैं, उनके भी क्लस्टर बनाकर वहां के भी मास्टर प्लान बनायें. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय – बहुत धन्यवाद सुरेन्द्र जी, आपने 3 की जगह 5 मिनट लगाए हैं, 2 मिनट थोड़ा एक्सट्रा हो गया, लेकिन बाकी लोग 3 मिनट में समेटने की कोशिश करें.
डॉ. हिरालाल अलावा(मनावर) – माननीय अध्यक्ष जी, बहुत बहुत धन्यवाद. मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक 2025, के माध्यम से मध्यप्रदेश में विकसित भारत और विकसित मध्यप्रदेश की परिकल्पना की गई है. मप्र ही नहीं, देश में इंडस्ट्रीज को बढ़ाने के लिए हम काम कर रहे हैं. ये विकसित भारत के लिए निश्चित ही महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन विकसित भारत के नाम पर, विकसित भारत का सपना पूरा करने के लिए प्रदेश के गरीब, मजदूर, किसानों और आदिवासियों की जमीन, जंगल, स्वायत्ता छीनकर उनके स्वाभिमान पर हमला करके विकसित भारत का सपना पूरा करना, ये कौन सा न्याय है.
अध्यक्ष जी, मैंने इस अधिनियम के अध्याय 11 के बिन्दु क्रमांक 53, 55, 56, 57, 58, 60, 61 और 62 का विस्तृत अध्ययन किया, जिसमें मुझे यह समझ में आया कि इस अधिनियम के माध्यम से मप्र की ग्राम पंचायतों को, नगर पचांयतों को, नगर पालिकाओं का, महानगर क्षेत्र में अधिग्रहण होने जा रहा है और अधिग्रहण होने से उनकी जो स्वायत्ता थी, उनके जो अधिकार थे, उन पर कहीं न कहीं हमला किया जा रहा है. ये अधिनियम खासकर उन क्षेत्रों के लिए लागू नहीं होना चाहिए, जैसे कि इंदौर रीजन में उज्जैन, देवास और धार को शामिल किया जाएगा.
4.27 बजे {सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए}
सभापति जी, जैसा कि संविधान के आर्टिकल 244(1) और (2) के तहत, ये आर्टिकल यह मान्यता नहीं देता है कि अनुसूचित क्षेत्र में, यह अधिनियम लागू नहीं होना चाहिए, क्योंकि संविधान का आर्टिकल जिसमें 5 वीं अनुसूची और पेसा का प्रावधान है. इस अधिनियम को अनुसूचित क्षेत्रों में लागू होने की मान्यता नहीं देता है, क्योंकि 5 वीं अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन की रक्षा करने के लिए, खासकर ग्रामसभा के माध्यम से विशेष अधिकार उनको दिया गया है, अगर यह अधिनियम लागू होता है तो ग्राम सभा के रूप में आदिवासियों को मिला पेसा एक्ट के तहत जो विशेष अधिकार दिया गया कि वह अपनी सहमति के बगैर उद्योगों को जमीन नहीं देंगे. अगर यह एक्ट धार जिले में लागू होगा तो निश्चित ही धार जिले के आदिवासियों को उनकी ग्राम सभा के बगैर, उनकी जमीन ली जाएगी. सभापति जी 74 वां संविधान संशोधन जो कि नगर पालिका और महानगर के लिए बनाया गया है, इस संशोधन में स्पष्ट कहा गया है कि यह 243 जेड सी के भागों पर लागू नहीं होगा, जो अनुसूचित क्षेत्र के 244(1) और (2) में निर्दिष्ट है. इसमें एक और स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी संसद, विधि द्वारा भाग के उपबंधों के खंड 1 में निर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्रों और जनजाति क्षेत्रों पर ऐसे अपवादों और उपरांतों के अधीन रहते हुए भी विस्तारित कर सकती है, जो ऐसी विधि में निर्दिष्ट किए जाए और ऐसी विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी. मतलब यह अनुसूचित क्षेत्रों के ऊपर लागू नहीं होना चाहिए, क्योंकि आज भारत के संविधान में हम लोगों को, आदिवासियों को विशेष अधिकार दिया गया है कि वह अपनी जमीन की, संस्कृति, परम्पराओं और रीति रिवाजों का संरक्षण करने का विशेष अधिकार दिया गया है. इस अधिनियम के माध्यम से जो समितियों का गठन हो रहा है, इस समिति में अनुसूचित क्षेत्र से शेड्यूल एरिया से आदिवासियों का प्रतिनिधित्व क्या होना चाहिए, नहीं होना चाहिए कोई भी स्पष्ट प्रावधान नहीं है, जबकि पेसा के तहत डिस्ट्रिक्ट ऑटोनॉमस काउंसिल के माध्यम से जिले के आदिवासियों को यह अधिकार दिया गया है कि वह जिले का जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए, अपने हक और अधिकारों के लिए वह स्वयं निर्णय के लिए सक्षम है. लेकिन जिस प्रकार किसान भाईयों को उनकी मर्जी के बिना, जो जमीन छीनने के लिए कानून लाया जा रहा है, इस कानून का मैं सख्त लहजों में विरोध करता हूं, क्योंकि यह कानून गरीब, किसान, मजदूर और गांव विरोधी कानून है. शहरों का विकास होना चाहिए, शहरीकरण होना चाहिए, विकसित भारत बनना चाहिए, लेकिन विकसित भारत के नाम पर, गरीबों की कब्र पर यह विकसित भारत की नींव नहीं रखी जानी चाहिए, ऐसा मेरा अनुरोध है, सभापति जी आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय – बहुत बहुत धन्यवाद डॉ. साहब.
श्री महेश परमार (तराना)—सभापति महोदय, महानगर क्षेत्र नियोजन विकास विधेयक 2025 पर बोलने का अवसर दिया. जब आप विराजमान होते हैं तो मुझे बोलने का अवसर मिलता है. मध्यप्रदेश सरकार यह विधेयक लेकर आयी है. मध्यप्रदेश में दो महानगर भोपाल एवं इन्दौर बिल्कुल सभापति महोदय यह महानगर बनना चाहिये. हमें इस बात से कोई एतराज नहीं है. नगरों का विकास होना चाहिये. हमारा इन्दौर या भोपाल, बैंगलुरू या दिल्ली की तर्ज पर इसका विकास हो, हम सब इस बात से सहमत हैं. बड़े बड़े उद्योग धन्धे आना चाहिये जिससे हमारे युवाओं को रोजगार मिले. बड़े बड़े शिक्षण संस्थान खुलना चाहिये अलग अलग फेकल्टीज में अलग अलग माध्यम से इससे हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, अच्छी तामील मिले और वह पढ़-लिखकर आगे बढ़े. जो-जो महानगर के विकास के लिये होना चाहिये, वह सब चीज होना चाहिये. हमें इस बात पर कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन महानगर उज्जैन, इन्दौर एवं भोपाल इन सब में विकास मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी होना चाहिये. वहां भी बड़े उद्योग लगना चाहिये, वहां पर भी शिक्षण संस्थान खुलना चाहिये, वहां अच्छी सड़कें बनना चाहिये, बड़े बड़े तालाब बनना चाहिये. लेकिन यह सब विकास कहां पर होना है. उज्जैन- इन्दौर में कितनी शासकीय जमीन आपके पास में बची हुई है. मैं पूछना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी से, आदरणीय कैलाश विजयवर्गीय जी से आप बड़े बड़े उद्योग-धन्धे, बड़े बड़े संस्थान आप सब किसानों की जमीन अधिग्रहण भूमि लेंड पुलिंग उसके माध्यम से करना चाहते हैं. यह विकास नहीं है, किसानों का विनाश है. आप भी गांव से आते हैं इस सदन में जितने भी लोग बैठे हैं, वह गांव से आते हैं. आदरणीय वरिष्ठ सदस्य रामेश्वर जी कह रहे थे बड़े सचिवालय बनना चाहिये. आप इसके लिये भूमि कहां से लायेंगे ? उस गरीब किसान की जमीन आप लेंड पुलिंग के माध्यम से आप उसका अधिग्रहण करेंगे.
श्री रामेश्वर शर्मा—सभापति महोदय, माननीय परमार जी कह रहे थे कि मेरी विधान सभा में भी होना चाहिये.
श्री महेश परमार—सभापति महोदय, मेरा निवेदन है कि जो करना है, वह करें, जो जैसा चाहे. लेकिन पूरे सदन से मेरा निवेदन है माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय कैलाश विजवर्गीय जी तथा सदन में बैठे जितने भी वरिष्ठ मंत्री हैं, उनसे निवेदन है कि आप उद्योग-धन्धों के लिये तो हजारों लाखों करोड़ पर उस किसान की जो जमीन है, वह भूमि है. जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी उस पर खेती-किसानी करके इस देश का पेट भरने का काम करता है. सरहद पर जवान और देश में किसान उस किसान की भूमि आप ओने-पोने दाम में अधिग्रहण करेंगे. अगर आप सब लोग ईमानदारी से किसानों की बात करते हैं. किसानों के नाम पर वोट लेकर के आप लोग इस सदन में आये हैं, तो मेरा एक और निवेदन है कि एक और विधेयक लायें और जो जमीन इन दोनों जो महानगर बनेंगे आप जिन किसानों की भूमि का अधिग्रहण करेंगे. अगर आपमें इच्छाशक्ति है, अगर आप खुले मन से किसानों की बात करते हैं तो बाजार मूल्य से उस किसान भाई की जमीन का अधिग्रहण करें. यह विधेयक सरकार लेकर के आये. आदरणीय सभापति महोदय, किसानों की बात हो रही है. प्याज की बात हो रही थी, यह प्याज कहां से लायेंगे, शेम्पू कहां से लायेंगे जब आप उनकी जमीन अधिग्रहण कर लेंगे. सभापति महोदय, आप मेरी बात सुन लीजिये मेरी अभी दो मिनट ही मैं बोला हूं.
सभापति महोदय -- अभी भोपाल, इंदौर के नियोजन क्षेत्र की चर्चा चल रही है..(व्यवधान)...
श्री महेश परमार -- माननीय सभापति महोदय, भोपाल, इंदौर का नियोजन कहां से होगा. होना चाहिए, पर आप जमीन कहां से लायेंगे. कितनी शासकीय जमीन बची है और मेरा निवेदन है कि आप महानगर बनाइये लेकिन मेरे उज्जैन को इससे बाहर निकालिये.उज्जैन में भगवान महाकाल हैं वहां 1 से 2 लाख लोग रोज आते हैं. वहां क्या व्यवस्था है, आप देखिए. सिंहस्थ जैसा महापर्व सनातन धर्म का सबसे बड़ा मेला अभी हमने प्रयाग में देखा. कम से कम 30-40 हजार करोड़ श्रद्धालु आए थे. आप उज्जैन को एक अलग महारूप दीजिए. उसे महानगर बनाइये. बडे़-बडे़ फ्लाईओवर बनाईये. मां क्षिप्रा को शुद्ध कीजिए. यह बनाइए, मुझे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन आदरणीय मुख्यमंत्री जी मेरी आपसे यह मांग है कि आप उज्जैन का पूर्ण विकास कीजिए. अभी तक जबलपुर, भोपाल, इंदौर का मास्टर प्लान नहीं ला पाये हैं. योजना की मंजूरी को तो प्रस्तुत कर रहे हैं लेकिन इसमें समय-सीमा तो तय करें. नगरपालिका, नगर निगम, जिला पंचायत, जनपद पंचायत इनके सबके अधिकार और इनके क्षेत्र में कटौती होगी. इसमें प्रायोजित विधि निर्माण संबंधी ज्ञापन विधेयक में दिया गया है कि विधेयक के खण्डों में शक्तियां पराजित की गई हैं. इसको मंत्री जी अपने उत्तर में बताएं तो मेरा यही निवेदन है कि भगवान महाकाल उज्जैन को अलग रखा जाए और सिंहस्थ जैसा महापर्व मनाएं. भगवान महाकाल की कृपा से वहां मां क्षिप्रा हैं तो वहां पर कम से कम 10-20 हजार करोड़ रूपए माननीय मुख्यमंत्री जी और सरकार दे
सभापति महोदय, मैं फिर इस बात को दोहरा रहा हॅूं कि किसान को बचा लीजिए, नहीं तो आने वाले वर्ष 2028 के चुनाव में वह किसान आपको गांव में नहीं आने देगा. यह सिर्फ किसानों की जमीन अधिग्रहण करके लैंड पुलिंग के माध्यम से इन महानगरों में जो विकास होंगे और जिन किसान भाईयों की खेती-किसानी से जो फसल आती है बडे़-बडे़ उद्योग-धंधे उनकी कच्ची फसल से आपके उद्योग-धंधे चलते हैं रामेश्वर भैया, तो किसानों को मत मारिये, गांव का विनाश मत कीजिये. किसानों को आगे बढ़ाइये और हमारे नेता माननीय श्री राहुल गांधी जी ने जो कहा है कि जमीन का 4 गुना दाम किसानों को दीजिए. उन महानगरों में जो जमीन किसानों की आप अधिग्रहण करेंगे. यही मेरी आपसे प्रार्थना है. आदरणीय मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी आप बताएं कि किसानों की जमीन जब लेंगे, तो क्या उनको बाजार मूल्य से 2 गुना दाम देंगे? यह आपको बताना पडे़गा. यह मध्यप्रदेश किसानों का प्रदेश है. आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद. डॉ.सीतासरन शर्मा जी.
श्री रामेश्वर शर्मा -- महेश भाई, तुमने विरोध कर दिया. ध्यान रखना. छोटे राजा हैं छोटे-मोटे नहीं हैं. माननीय जयवर्द्धन जी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है, आपने विरोध कर दिया..(हंसी)..
श्री महेश परमार -- माननीय जयवर्द्धन जी भविष्य के नेता हैं और हम सब माननीय जयवर्द्धन जी के साथ हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- फिर यह माननीय उमंग सिंघार जी क्या हैं ? (हंसी)
श्री महेश परमार -- वे हमारे बडे़ नेता हैं. सब नेता हमारे बड़े हैं. रामेश्वर भैया, यह झगड़ा आपकी तरफ है. आप सबसे वरिष्ठ हो और मैं तो पहले भी कह चुका हॅूं. आपको आगे नहीं बढ़ा रहे हैं, आपको पीछे कर रहे हैं. आप अपना देखिए. हम संघर्ष करेंगे और सड़क पर लडे़गें और आगे बढे़ंगे.
सभापति महोदय -- महेश जी, कृपया आप बैठ जाइए. डॉ. साहब, आप अपनी बात जारी रखें.
डॉ.सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) -- माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश के विकास में माननीय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के कुशल नेतृत्व में दो बड़ी चीजें हमारे सामने आ रही हैं जो मध्यप्रदेश का आगामी इतिहास लिखेंगी. एक तो है औद्योगिक विकास और दूसरा है महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक. यह एक अलग तरह का नया विज़न है और इससे मध्यप्रदेश के विकास की एक नई गाथा लिखी जायेगी. मैं इसके लिए स्थानीय शासन मंत्री जी को और मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देता हॅूं. मैं बहुत बात तो नहीं करूंगा, मुझे तो उनसे अपने क्षेत्र की एक बात कहना था, इसलिए मैंने इसमें अपना नाम दिया. हमारे माननीय पूर्व सांसद और वर्तमान मंत्री जी बैठे हैं वह लिखेंगे. उनको धन्यवाद.
सभापति महोदय, इस विधेयक में जो प्राधिकरण समिति बनने वाली है उसके अध्यक्ष माननीय मुख्यमंत्री जी होंगे और नगरीय विकास एवं आवास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री और राजस्व मंत्री उस समिति के उपाध्यक्ष होंगे. मुख्य सचिव इसके सचिव होंगे. इस कार्य से एक हाई पॉवर कमेटी, जो इस प्राधिकरण का नेतृत्व करेगी और इसीलिए इस प्राधिकरण के नेतृत्व में यह हाई पॉवर कमेटी काम करेगी, जो कि माननीय मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में है. इसमें सारे विकास की अड़चनें, सारी प्रशासनिक अड़चनें स्वयं ही दूर हो जायेंगी और इसलिए इससे बिल्कुल स्पष्ट है कि सरकार की मंशा क्या है तो दूसरा, श्री जयवर्द्धन जी ने हालांकि बहुत सारगर्भित उनका भाषण था, श्री रामेश्वर जी का भी अच्छा भाषण था, जरा ओजस्वी था और श्री सुरेन्द्र भाई ने भी उस बात को आगे बढ़ाया. परन्तु आपने यह कहा इसकी एक्जिक्युटिव कमेटी, सभी एक्जिक्युटिव कमेटीज़ ऑफिश्यल्स की बनती है क्योंकि उनको डे टू डे वर्क करना पड़ता है, परन्तु उसमें भी सरकार ने 3 गैर-सरकारी व्यक्ति रखे हैं. तीसरा, श्री महेश परमार जी ने भी कहा और आपने भी इस पर विषय उठाया था, आपने तो सारे विषय जो अच्छे थे वह भी और जो चिंता के विषय थे वह भी उठाए तो इसलिए बहुत बोलने की आवश्यकता है भी नहीं. परन्तु भूमि अर्जन और अधिग्रहण के विषय में भी इस विधेयक में चिंता की गई है.
सभापति महोदय, बहुत बात नहीं करेंगे. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, नगरीय प्रशासन मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. परन्तु इसमें एक अपॉर्च्युनिटी मैं यह ले रहा हूं कि मेरी विधान सभा के 2 नगर इटारसी और नर्मदापुरम यह बिल्कुल लगे लगाये हैं, 17 कि.मी. की दूरी है और डेवलपमेंट होते हुए इतने पास आ गये हैं कि 2-3 कि.मी. पर यह मिल जाते हैं. मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी को यह प्रस्ताव दिया था कि इनको जोड़कर एक डेवलपमेंट अथॉरिटी बना दी जाय और मुख्यमंत्री जी ने बड़ी सहृदयता से उसको नगरीय प्रशासन विभाग के पास जांच के लिए भेजा है तो मंत्रिमंडल के माननीय सदस्यगण बैठे हैं, दोनों वरिष्ठ मंत्री आगे बैठे हैं उनसे अनुरोध है कि मेरे इस विषय को भी आगे बढ़ाएं. सभापति महोदय, आपने समय दिया इसके लिए आपका आभार है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - डॉक्टर साहब बहुत बहुत धन्यवाद. अब मेरा बाकी अन्य माननीय सदस्यों से भी आग्रह है कि डॉ. साहब अपने इतने वरिष्ठ हैं, पूर्व अध्यक्ष भी हैं, वरिष्ठ माननीय सदस्य भी हैं, उन्होंने कितना समय की मर्यादा रखी, पालन रखा. अध्यक्ष जी भी 3 मिनट का निवेदन करके गये हैं तो सभी माननीय सदस्य समय का पालन करें.
श्री फूलसिंह बरैया (भाण्डेर) - सभापति महोदय, मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक, 2025, यह मध्यप्रदेश के बड़े शहरों को महानगरों की श्रेणी में लाने की कवायद है. निश्चित रूप से इंदौर और भोपाल दोनों शामिल हैं, लेकिन जब मास्टर प्लान नहीं आया है तो ये धरातल पर कैसे आएंगे? मास्टर प्लान आना चाहिए और मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से कहना चाहूंगा कि जब मास्टर प्लान आए तो इंदौर महू तक फैलेगा, जब महानगर बनेगा तो महू उसमें शामिल हो जाएगा और महू में बाबा साहब अम्बेडकर का जन्म हुआ है. दुनिया के 200 देश उनकी जयंती मनाते हैं तो मैं इस सरकार और मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि वहां बाबा साहब अम्बेडकर की जन्मस्थली है और वहां पर सेना है, सेना के लिए दूसरी जगह चुने. मंत्री जी, प्रधानमंत्री जी के पास जाकर अनुरोध करें. सेना के लिए बहुत अच्छी सरकारी जगह पड़ी है और वहां पर बहुत ही हिल स्टेशन किस्म के लिए स्थान सेना के लिए बना है. पूरी जमीन वहां पर बाबा साहब अम्बेडकर के नाम से खुली छोड़ें क्योंकि लाखों लोग रोज आते हैं. 10 दिन से पहले आना शुरू हो जाते हैं. करोड़ों की संख्या में लोगों का आना शुरू हो गया. आगे आने वाले समय में पिछड़ा वर्ग भी जाग रहा है, जिस दिन पिछड़ा वर्ग जागेगा, वहां पर बहुत लोग आएंगे तो निश्चित रूप से वह इंदौर जो बड़ा महानगर बनेगा, उसकी शोभा बढ़ाई जाएगी. मैं समझता हूं कि दुनिया में इंदौर, मध्यप्रदेश चमकेगा, इसलिए मेरा अनुरोध है कि इसके ऊपर विचार किया जाय और यही नहीं महानगर बनाने के लिए 200 करोड़ रुपया रखा है. अतिरिक्त 100 करोड़ रूपये इस बात के लिये रखे हैं कि जब भी जरूरत पड़ेगी तो सरकारी भवनों की, सरकारी संपत्तियों की खरीदी-बिक्री तत्काल होगी. मैं इसमें अनुरोध करना चाहूंगा कि सरकारी भवन, सरकारी संपत्ति यह सरकार के ही काम आनी चाहिये और इसको किसी प्रायवेट व्यक्ति को नहीं बेचनी चाहिये. आज तक ऐसा नहीं हुआ था लेकिन अब होने लगा है कि सरकारी भवन और सरकारी संपत्तियां प्रायवेट लोगों को भी दी जाने लगी है. यही नहीं भू-अधिग्रहण का अधिकार भी हाथ में लिया है. मैं अनुरोध करना चाहूंगा कि विकास के नाम पर किसानों की जो जमीन है, अगर वह भू-अधिग्रहण के नाम से ली जाती है तो उसके संबंध में एक विशेष प्रकार का कानून बनायें कि मुआवजा दिया जाता है और मुआवजा देकर छोड़ दिया जाता है और कहा जाता है कि आपकी भूमि हमने अर्जित कर ली और आपको पैसा दिया.
सभापति महोदय, मैं कहना चाहूंगा कि जहां भी हाइवे बनायें,रोड बनायें और कोई चीज जो महानगर में आती है, वह बनायी जाये. वहां पर उनको रोजगार हेतु एक दुकान अलाट कर दी जाये या एक प्लाट दिया जाये, निवास के लिये भी उन्हें एक मकान का प्लाट दिया जाये और अगर रोजगार के नाम पर तैयार हैं तो मैं कहना चाहूंगा कि मुआवजे के लिये भी उसे तैयार किया जाये तथा मुआवजे की जगह पर उस व्यक्ति को उसके बदलें में कहीं जमीन भी दी जाये तो उसकी जमीन की जमीन रहेगी और उसकी जमीन का अर्जन भी हो जायेगा.
सभापति महोदय, बड़े-बड़े शहरों के बगल से जो चरनोई की भूमि है. निश्चित रूप से इंदौर, भोपाल महानगर बनेगा तो यह जो चरनोई की भूमि है, इसका क्या होगा ? मवेशी फिर कहां पर चारा खायेंगे, यह भी एक बड़ी समस्या है और कहीं पर भूमि न्यायालय प्रक्रिया में इन्वाल्व है तो हम उसको कैसे अर्जित करेंगे ?
सभापति महोदय, एक बहुत बड़ा विषय है कि हम पर्यावरण को कैसे बचायेंगे, जिसमें काफी समय से चर्चा चल रही है कि हम यहां पर जमीन में पेड़ लगायेंगे.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से जानना चाहूंगा और सरकार भी हमें इसका एक डेटा उपलब्ध कराये कि आज मध्यप्रदेश में एक व्यक्ति के पास कितनी जमीन बची है, आज की तारीख में. एक व्यक्ति के पास इतनी कम जमीन रह गयी है, यदि हम सारी जगह पर पेड़ लगायेंगे तो पेट कहां से भरेंगे. यह एक जटिल समस्या है. हम जो आगे तक की प्लानिंग बना रहे हैं, उस प्लानिंग में हम कैसे आगे बढ़ेंगे क्योंकि पर्यावरण को हम नहीं बचा सकते हैं और पर्यावरण को बचायेंगे तो इंसान मरेंगे. यह एक बड़ी समस्या है, इसके ऊपर आज तक बड़े पैमाने पर चर्चा नहीं हुई है और सीमा के अंदर में जो निकाय आयेंगे, वह निकाय दो तरह के प्राधिकरण बनेंगे, एक महानगर का बनेगा, एक निकाय का बनेगा उनकी सीमा के ऊपर विवाद होगा, कार्य के ऊपर विवाद होगा तो हम इसको कैसे निपटायेंगे ?
सभापति महोदय, महानगर में झुग्गी बस्तियों के बारे में क्या कहा गया है, इसका कोई विचार नहीं. गांव से पलायन करके लोग शहरों में आ रहे हैं. अगर शहरों के लोग ही शहरों में निवास करते करते तो झुग्गी, झोपडि़यां नहीं बनती. एक गांव में हम सामाजिक सुरक्षा नहीं दे पा रहे हैं. इस वजह से लोग पलायन करके लोग शहरों में झुग्गी, झोपडि़यों में बसते हैं. इसके बारे में इस एक्ट में कुछ नहीं कहा गया है. मैं आखिरी बात कहना चाहता हूं कि इसमें विधायकों के बारे में यह नहीं कहा गया कि विधायक अपना मत रखें, विधायक वोटिंग करें या विधायक से पूछा जाये, इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है. धन्यवाद. जय भीम, जय भारत.
श्री मधु वर्मा- अनुपस्थित.
श्रीमती मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़- अनुपस्थित.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) – सभापति महोदय, धन्यवाद. मैं वास्तव में मुख्यंत्री जी, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री एववं ग्रामीण विकास मंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने एक ऐसी योजना के बारे में सोचा,जिससे हर काम का बार-बार री-वर्किंग की जरुरत न पड़े. अभी तक जितनी भी योजनाएं बनती हैं, विभाग वाइज एक आदमी एक काम करता है, दूसरा आकर काटता है, जैसे रामेश्वर जी जो बोल रहे थे कि सड़क जो बननी है, उससे ज्यादा गैस पाइप लाइन के पैसे हैं. अगर यह पूरा एक समायोजन करके होगा और री-वर्किंग इकट्ठी होगी, लेकिन इसका डाटा क्या बनेगा, इनका डिजिटल पिक्चर कैसा होगा, कैसे इन सबकी वर्किंग होगी, इसके बारे में थोड़ी गंभीरता से, क्योंकि यह केवल इतनी ही बात नहीं है कि जनता को सुविधा मिलेगी. सरकार का भी शायद 50 प्रतिशत से ज्यादा पैसा बच जायेगा उन सब कामों में. इसलिये भी मैं बधाई देता हूं, क्योंकि बनिया हूं, तो पहले बनिया का हिसाब देखता हूं. लेकिन पूरा बन गया तो. अब जब अपन इसके बारे में सोचते हैं, तो मेरा एक सोच और बन रहा है कि हम दो बड़े शहरों तक तो सीमित हो गये. दो और आप दो तीन साल में ले लेंगे. 4 जोन बन जायेंगे. लेकिन हमें क्या इस पर जरुरत है कि जो बार्डर के जिले लगे हैं, उनमें भी अगर 15 किलोमीटर में 10 लाख से ज्यादा के रेडियस में पापुलेशन हो सकती है, अगर हम उनके बारे में भी ऐसा कुछ सोचेंगे, तो हमारे बार्डर के स्टेट से, चूंकि अगर मैं बात करुं राजस्थान, तो आज राजस्थान में पॉवर की समस्या है. मध्यप्रदेश में राजस्थान के बहुत बड़े औद्योगिक क्षेत्र के लोग आना चाहते हैं. मैं खुद जब भीलवाड़ा गया था, तो जिस दिन मैंने इण्डस्ट्री की कांफ्रेंस की, तो दूसरे दिन चीफ सेक्रेट्री वहां आकर बैठ गया कि भाई हमारे उद्योग क्यों जा रहे हैं भीलवाड़ा से और उसका प्रतिफल आज कम से कम 8 से 10 टेक्स टाइल मिल्स भीलवाड़ा की उठकर मध्यप्रदेश में आ गयीं. लेकिन वह जो इन्फ्रास्ट्रक्चर आप केवल इन्दौर और भोपाल या जबलपुर, ग्वालियर तक सीमित करना चाह रहे हैं, मेरा सुझाव है कि आप अगर 10 लाख या 15 लाख का भी पाकेट बनायें, 10 से 15 किलोमीटर के रेडियस में, तो उसमें यह बार्डर के जिले भी आप इसमें जोड़ेंगे, तो उनका एक विकास भी होगा और दूसरा मध्यप्रदेश की एकॉनामी में उसका बहुत बड़ा डिफ्रेंस आपको तुरन्त मिलेगा. क्योंकि ऑलरेडी यह सेचुरेशन के पाइंट पर है. मैं थोड़ा सा यहां पर इस लाइन पर भी सोच रहा था कि जिस तेजी से अगर अपन दूसरे अनुभव से अगर इस बात को समझें, तो हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी ने कृषि को बेस बनाकर डबल डिजिट में पूरी दुनिया का रिकार्ड बनाया ग्रोथ का. अभी वर्तमान मुख्यमंत्री जी, डॉ मोहन यादव जी उसे इण्डस्ट्री को लेकर डबल डिजिट ग्रोथ का टारगेट बनाकर चल रहे हैं और मुछे सौ फीसदी कांफिडेंस है कि उसमें जरुर सफलता पूरी मिलेगी, क्योंकि वास्तव में आज की जरुरत वह है. लेकिन इन दोनों चीज की ग्रोथ में अगर हम ऐसे पाकेट नहीं बनायेंगे, जहां पर हम अपनी बॉर्डरिंग पाइंट को जहां पर भी पड़ोस के राज्य से इस राज्य में बेटर हम सुविधा देने की स्थिति में हैं. उन पाकेट्स के बारे में भी एक सोच भले आप एक-दो साल में सोचें, उसके बारे में भी एक अध्ययन जरुर होना चाहिये, ऐसा मेरा आप सबसे आग्रह है. मैं यहां पर इतना ही कहूंगा कि इन सब का डाटा बेस भी अगर हम पब्लिक में थोड़ा सा डालेंगे, क्योंकि इन सबका अभी दो और बड़े परिवर्तन दिख रहे हैं मध्यप्रदेश में. आने वाले समय में जिस तेजी से एजूकेशन का स्तर मध्यप्रदेश में अभी बढ़ा है. तो आपको जॉब की क्वालिटी और जॉब किस टाइप के चाहिये, तो हमें जॉब क्रियेशन के बारे में भी उस दिशा में सोचना पड़ेगा कि कैसे हम उसको सेटिस्फेक्शन लेवल पर ले जा पायेंगे उन बार्डरिंग डिस्ट्रिक्ट को भी. उसके लिये भी हमें थोड़ी सी इसमें प्लानिंग करनी चाहिये. मैंने इस बात का वास्तव में बहुत बारीकी से बाकी के भी विषयों को देखा था, कलकत्ता भी हम रहे, दिल्ली में देख रहा हूं. दिल्ली का जब एनसीआर बना तो मैं नोएडा का पहला उद्योगपति था तो मैंने बहुत बारीकी से उन डेवलेपमेंट को देखा है और मेरा अभी इतना ही आग्रह है कि इन दो नगरों के साथ में बाकी इन जिलों को भी लें विशेषकर मेरा आग्रह होगा नीमच और मंदसौर को एक हब बनाकर के देखेंगे तो मैं यह विश्वास के साथ में कह सकता हूं कि आपको ग्रोत का जो रेश्यो या टोटल जो आप देख रहे हैं उसमें ज्यादा परसेंटेज-वाईज सफलता मिलेगी क्योंकि वहां पर अभी उतना बिगड़ा नहीं है जितना यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर में मेस हुआ है.
सभापति महोदय- सखलेचा जी, समय का ध्यान रखें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- माननीय सभापति महोदय, आप ईशारा करेंगे मैं बैठ जाऊंगा , मैं कोई भी बात रिपीट नहीं करता हूं.
सभापति महोदय- वैसे आपकी सारी बातें आ गई हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- चलिये साहब धन्यवाद आपने इतना समय दिया उसके लिये भी आपको धन्यवाद. अंत में बहुत समर्थन करते हुये इतना ही कहना चाहता हूं कि नीमच और मंदसौर जिले को भी इसमें जोड़ कर के वहां पर आसपास और हब के बारे में विचार करना चाहिये और उस बारे में मंथन करके कुछ निर्णय तक सरकार पहुंचे यही मेरा निवेदन है. बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय- आपको भी बहुत धन्यवाद.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा (धार) माननीय सभापति महोदय, मैं मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक, 2025 का समर्थन करने के लिये खड़ी हुई हूं. सभापति महोदय, भारतीय संविधान के 74वें संशोधन अधिनियम 1952 द्वारा अनुच्छेद 243(पी) में महानगरीय क्षेत्र बनाने तथा अनुच्छेद 243-2(ई) में मेट्रोपॉलिटन योजना समिति, Metropolitan Planning Committee की स्थापना का प्रावधान है उसी के अंतर्गत आज का विषय सामने आया है. इससे मध्यप्रदेश में एक नया स्वर्णिम इतिहास बनने जा रहा है और इसके अंदर धार को, पीथमपुर को शामिल किया है इस हेतु मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का और नगरीय प्रशासन मंत्री आदरणीय श्री कैलाश विजयवर्गीय जी का बहुत बहुत धन्यवाद और आभार व्यक्त करती हूं.
माननीय सभापति महोदय, उद्योग के क्षेत्र में पीथमपुर के बारे में सदन को जानकारी देना चाहती हूं कि पीथमपुर जो इंदौर से 20 किलोमीटर की दूरी पर है, करीब करीब इंदौर और पीथमपुर मिल से गये हैं, वह पीथमपुर इसमें शामिल हो रहा है. पीथमपुर 1978 में बना था जब देश के प्रधान मंत्री आदरणीय मोरारजी भाई देसाई थे, मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री आदरणीय वीरेन्द्र कुमार सखलेचा जी थे और विक्रम वर्मा जी धार के विधायक थे, उस समय बेकवर्ड एरिये को डेवलेप करने के लिये औद्योगिक क्षेत्र में प्रावधान आया और उसमें पीथमपुर का चयन किया गया. मात्र 700 लोगों की आबादी का क्षेत्र था, पंचायत थी लेकिन आज आपको जानकर के आश्चर्य होगा कि 18 से अधिक उद्योग वहां पर काम कर रहे हैं. अभी जैसा कि बताया जा रहा था हमारे यहां क्या नहीं बनता . हमारे यहां जेके टॉयर बनता है, हमारे यहां फोर्स कंपनी के वाहन बनते हैं, गाडियां बनती है, हमारे यहां पर आयशर के तीन तीन प्लान्ट हैं दो पीथमपुर में हैं एक बग्गड़ में है, धार विधानसभा अपने आप में इतनी बड़ी विधानसभा है जिसमें 5 इन्ड्रस्ट्रियल एरिया हैं, जैतपुरा, बग्गड़, घाटाबिलोर, पीथमपुर और उज्जैयनी. पीथमपुर इसमें सबसे बड़ा है और इसमें अकेले में मात्र 1800 जिसे कहते हैं इन्ड्रस्टीज काम कर रही हैं और इसी के डेवलेपमेंट के अंदर इस समय एक बहुत अहम भूमिका होगी और मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि जो इंदौर में मेट्रो चल रही है, जैसा कि कहा जा रहा है कि इंदौर में पेंसेजर की कमी है लेकिन अगर यह इंदौर की मेट्रो को आगे धार, पीथमपुर से होकर के महू तक जोड़ा जाये और इसका जब ट्रेंगल जब बनाया जायेगा तो पीथमपुर में जितने भी कर्मचारी वहां से आते हैं जितने भी मजदूर वहां से आते हैं उनको आने जाने में भी सुविधा होगी और हमारा बहुत सारा समय भी बचेगा.
माननीय सभापति महोदय, एक निवेदन मेरा और है कि प्रावधान बहुत अच्छा है डेवलेपमेंट को लेकर के एक नया आयाम हम बनाने जा रहे हैं अब मध्यप्रदेश को विकसित होने में नया आयाम, नया इतिहास लिखा जा रहा है. लेकिन इसके साथ मेरा एक निवेदन है कि पीथमपुर जो बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है 2 लाख से अधिक मजदूर वहां पर काम करते हैं. केन्द्र सरकार ने अपना हास्पीटल श्रम विभाग का डाल दिया गया है उसमें बड़ी तेजी के साथ में काम हो रहा है. शिक्षा में भी पीथमपुर बहुत तेजी से विकास कर रहा है लेकिन एक समस्या हमारे पास यह है कि एक कालेज जो हमारे पास में है वह 2 कमरों में चलता है उसकी बिल्डिंग के लिये हमारे पास में जमीन नहीं है. मैं आज के समय का फायदा उठाते हुये आपके माध्यम से माननीय मंत्री से निवेदन करना चाहती हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि मुझे वहां पर कालेज के लिये अगर 4 बीघा जमीन किसी भी तरह दिला दी जाये चाहे वह इन्ड्रस्टीज से दिला दी जाये क्योंकि पहले एकेव्हीएन था अब मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल एरिया हो गया है उसका नाम चेंज हो गया है लेकिन उनके पास में जमी है. अभी जो कलेक्टर साहब ने जमीन दी है वह थोड़ा आउटर पर है और इंदौर बार्डर पर जाकर के लगती है. मजदूरों के बच्चों को वहां तक जाने में बहुत असुविधा का सामना करना पड़ेगा. मेरा यही कहना है कि वह बीच में कहीं देकर अगर आप चाहेंगे तो हम आपको हलका नंबर भी बता देंगे, उसमें यदि वह दे दें और इसके साथ जो डेवलपमेंट के लिए हमारे पीथमपुर को 3 परसेंट का टैक्स मिलता था अब कुछ सालों से उसे बंद कर दिया गया है. इतनी बड़ी आबादी को कंट्रोल करना, उनके रहने की, उनकी डेली की सुविधाओं के लिए बहुत ज्यादा परेशानी आती है. पीथमपुर के पास अपना कोई इनकम सोर्स नहीं है, क्योंकि आप समझ सकते हैं कि जहां पीथमपुर में 2 लाख मजदूर काम करते होंगे, उनका खुद का अपना एक फण्ड नहीं हो पा रहा है तो मेरा एक निवेदन है कि उनके लिए एक व्यवस्था अच्छी हो जाएगी तो वहां पर ड्रेनेज से लेकर पीने के पानी की व्यवस्था हो जाएगी, आवागमन की सुविधा हो जाएगी. एक सेकेंड का टाईम मुझे और दीजिए. मुझे यह कहना है कि इसके साथ ही पीथमपुर के अंदर अगर हम उसको मेट्रोपॉलिटन सिटी में लेते हैं तो हमें उसके समुचित विकास के लिए बहुत ज्यादा और इसी के साथ ही अपने यहां घाटा बिल्लौद से लेकर बग्गा तक पूरी एक पट्टी ली है, तो इसमें मेरी धार विधान सभा का काफी एरिया भी आता है, उनके डेवलपमेंट के लिए भी इसमें कुछ किया जाए. पीने के पानी के लिए तो केन्द्र सरकार द्वारा अमृत योजना में 100 करोड़ रुपये से पीथमपुर में व्यवस्था हो गई. धार में भी हो रही है. हमने इंडस्ट्रियल एरिया की 300 करोड़ की अलग से एक योजना देकर इंण्डस्ट्री को पानी दे दिया है, बाकी की व्यवस्थाओं के लिए हमें अतिरिक्त फंड की आवश्यकता होगी. इस योजना के माध्यम से महानगर में आने के बाद हो सकता है व्यवस्था हो जाए लेकिन अभी शुरुआत है, आने वाले समय में धीरे-धीरे समस्याओं का समाधान होगा.
सभापति महोदय, मैं एक बात का जवाब देना चाहूंगी कि एनसीआर के डेवलपमेंट की जो बात हुई, एनसीआर जब बना था तब से लेकर मैं आपको बताना चाहूंगी कि 27 साल हो गए हैं, लगातार कांग्रेस की और आप की सरकार रही है और डेवलपमेंट आप देख रहे हैं कि दिल्ली की हालत क्या से क्या हो गई है. एनसीआर की हालत क्या से क्या हो गई है. अभी कुछ ही समय पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है और लगातार वहां पर विकास के काम हो रहे हैं. अभी बारिश होने के बाद भी लगातार प्रयास किया जा रहा है कि वहां सड़कों पर पानी ना भरे और आवागमन अवरुद्ध न हो. इच्छाशक्ति और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ हमारी सरकार, हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी, हमारे नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश जी दोनों मिलकर इसमें प्रयास करेंगे तो हम जल्दी से जल्दी उस सपने को साकार कर पाएंगे जो महानगर को लेकर हमने देखा है. एक मेरा निवेदन है कि इसमें जो समिति बनाई जा रही है उस समिति के अंदर यदि प्रतिनिधित्व बढ़ा दिया जाए, जैसे पीथमपुर एक बहुत बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया है उसका प्रतिनिधि लिया जाए और धार विधान सभा जो भी विधान सभाएं इसमें आ रही हैं, जिले में हो सके या जो विधान सभा इनमें कव्हर हो रही हैं उनके जनप्रतिनिधियों को इसमें शामिल किया जाए. नगरपालिका के जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जाए तो शायद विकास के अंदर हम लोगों को कोई आने वाले परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा और बहुत अच्छे से इसको डेवलप कर पाएंगे. एक बार फिर बहुत-बहुत धन्यवाद के साथ मैं अपनी बात समाप्त करती हूं.
श्री महेश परमार -- भाभी जी, जमाई साहब को दिल्ली में मुख्यमंत्री नहीं बनाया यह ठीक नहीं किया है.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- यह आपका नहीं हमारा विषय है. हमने सरकार बना ली और केजरीवाल को उसी के घर में हरा दिया इससे बड़ी और कोई चीज नहीं हो सकती है.
श्री पंकज उपाध्याय (जौरा) -- सभापति महोदय, मैं अपेक्षा करूंगा कि जितना समय आपने सबको दिया उतना ही मुझे मिले.
सभापति महोदय -- अपेक्षा सबकी जानकारी में है. माननीय सदस्य तीन मिनट के अंदर समाप्त करें.
श्री पंकज उपाध्याय -- सभापति महोदय, मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक पर आज चर्चा के लिए मैं खड़ा हुआ हूं. जिस तरीके से कैलाश जी ने चर्चा की अधिकतर इन्दौर-इन्दौर की, तो हम भी चाहते हैं कि इन्दौर आसमान की बुलंदियों पर पहुंचे और पूरे देश में चमके. मेरा भी इन्दौर से बहुत प्रेम रहा है, लेकिन छोटे शहरों की कोई चर्चा नहीं हो पा रही है. कैलाश जी जब भी भाषण देने के लिए खड़े होते हैं तो मैं समझता हूं कि एक घंटे के भाषण में 55 मिनट केवल इन्दौर के बारे में चर्चा करते हैं. करना भी चाहिए लेकिन आप मंत्री पूरे प्रदेश के हैं. हमारे मुरैना जैसे छोटे शहरों की भी चर्चा करनी चाहिए.
सभापति महोदय -- पंकज जी, महानगर क्षेत्र नियोजन पर चर्चा है तो महानगर क्षेत्र के नियोजन पर ही चर्चा केन्द्रित रखेंगे.
श्री पंकज उपाध्याय -- सभापति महोदय, मुरैना नगर निगम बना दिया, लेकिन अभी मूलभूत समस्याओं के मामले में हमारे यहां न बिजली है, न सड़क है, न पानी है, न ड्रेनेज है. स्थिति यह हो चुकी है कि कोई कस्बा होता है उससे भी गई बीती स्थिति है. आपका स्वागत है आप कभी आइए और देखिए वहां पर कि क्या स्थिति हो रही है. इतना पिछड़ा हुआ है कि कोई बड़ा शैक्षणिक संस्थान नहीं है. आपने तमाम तरह की औद्योगिक बात की पूरे प्रदेश में लेकिन हमारे मुरैना के लिए आज तक आपने कुछ नहीं दिया है. एक उद्योग चलता था, एक ही फैक्ट्री थी मेरे क्षेत्र में शक्कर कारखाना उसको भी बंद कर दिया और लगातार मैं यहां से डेढ़ साल से सुन रहा हूं. हर व्यक्ति और हर मंत्री आकर बोलता है कि जल्दी प्रारंभ होगा लेकिन आज तक उसके लिए भी कुछ नहीं किया गया. मैं अनुरोध करता हूं कि आप मुझे उसके बारे में कुछ कराने का आश्वासन दें. इंदौर की जो चर्चा कर रहे थे. इंदौर का मास्टर प्लान दिनांक 31 दिसम्बर 2021 को समाप्त हो गया. लगभग चार वर्ष हो गए, लेकिन धरातल पर अभी तक मास्टर प्लान नहीं आ पाया है. धारा 16 नाम की नक्शा पास करने की एक नई योजना ले आए जिसमें नक्शा पास करने की तरकीब होती है. भ्रष्टाचार के जो नये आयाम स्थापित किये तो मेरा विशेष रूप से अनुरोध है कि 79 गावों में जो विकास रुका हुआ पड़ा है आप उसके बारे में भी चर्चा कर लें. जिस तरह से वहां अवैध कॉलोनियां बढ़ती जा रही हैं, भ्रष्टाचार बढ़ते जा रहा है. बड़े सूटकेसों में नोट आते हैं और उसका नक्शा पास हो जाता है, लेकिन सामान्य रूप से चार साल से कोई नक्शा पास नहीं हुआ है. आप जाकर पता लगाइये. यहां पर बहुत बड़ी-बड़ी बातें हुईं. अवैध कॉलोनियों का अंबार हो गया है. किसी के भी नक्शे पास नहीं हो रहे हैं. जितनी भी योजनाएं बनाई जा रहीं हैं गरीब किसानों की जमीनें हड़पने का एक बड़ा षड्यंत्र है. आप उनको प्लॉट के रूप में एक छोटा सा टुकड़ा दे देते हो. मैं कई ऐसे परिवारों को जानता हूं. मेरी शिक्षा इंदौर में ही हुई है. राऊ में 165 नंबर की स्कीम आई थी. 165 नंबर की स्कीम डाल दी और स्कीम के बाद में वह लोग डर गये और कम दामों पर वह जमीन बेंच दी अब उस जमीन पर आपने स्कीम भी निरस्त कर दी. अब स्कीम निरस्त करने के बाद में एनओसी बेचने का धंधा भी चल रहा है. जैसे कि आईडिया की सिम आ गई थी आपने अगर स्कीम निरस्त कर दी तो आप उसको एनओसी फ्री में दीजिए, लेकिन वहां पर उसका भी बड़ा भ्रष्टाचार चल रहा है. ऐसे ही आप यह इन्फ्रास्ट्रक्चर लेकर तो आएंगे, लेकिन हमारे किसानों को किस प्रकार से रोजगार देंगे इसके बारे में अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई. आप जमीनें ले लेते हैं जो सीमान्त किसान हैं जिनके पास दो बीघा, तीन बीघा की जमीन है और यदि आप उनकी जमीनें ले लेंगे तो वह रोजगार करने कहां जाएगें. आज उनका जीवन यापन उसी जमीन पर चल रहा है. दूसरा यह कि इसमें लैंड यूज का बहुत बड़ा घपला है. लैंड यूज में यदि दो भाई हैं तो एक भाई के लैंड यूज में आवास आ गया और दूसरे भाई की जमीन में पीएसपी या इंडस्ट्री आ गई या आपने उसमें ग्रीन बेल्ट डाल दिया तो एक भाई की जमीन तो करोड़ों रुपए में बिकेगी और दूसरा भाई जीवन भर फुटपाथ पर खड़ा होकर चाय का ठेला लगाएगा. यह भी बहुत बड़ी विसंगती है. चूंकि आपने तीन मिनट का समय दिया है मैं आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा, लेकिन मेरा अनुरोध है विशेषकर हम हमारे छोटे शहरों की और ध्यान दें और जो चार साल से इंदौर शहर का विकास अवरुद्ध हो चुका है उसमें नक्शा पास कराएं. कैलाश जी मेरा अनुरोध है. बहुत सारे लोग आए, मेरे पास मैसेज आए कि यह नक्शा धारा 16 में पहले बहुत भ्रष्टाचार हुआ, लेकिन जब से उस पर काम बंद हुआ है तो नक्शे पास नहीं हो पाए हैं. आप सबसे पहले इसका खुलासा करें. सभापति जी एक गांव है सोनवाए आप विसंगतियां देखिये कि आपने वहां से एक इंडस्ट्रियल कॉरिडोर निकाल रहे हैं. मैं केवल एक गांव की बात कर रहा हूं. आपने उस गांव को भी इसमें डाल दिया है. इंदौर से लगा हुआ गांव है. वह पूरा गांव आपके इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में आ रहा है, उसकी पूरी चौड़ाई में आ रहा है और वहां पर लोग डरे हुए हैं कि विस्थापित होकर कहां जाएंगे. सदियों से उस गांव में रह रहे हैं. मेरा अनुरोध है, निवेदन है कि आप उनकी भी व्यवस्था का ध्यान रखें जो लोग वहां पर विस्थापित हों उन लोगों को समुचित न्याय मिले और यह लैंड यूज का खेल है कम से इस पूरी योजना में किसानों के हित का ध्यान रखते हुए इस कार्यवाही को आगे बढ़ाएं. धन्यवाद, जय हिन्द, जय भारत.
श्री महेन्द्र नागेश (गोटेगांव)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक, 2025 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. माननीय मंत्री जी वरिष्ठ भी हैं, हमारे मार्गदर्शक भी हैं. मेरे गोटेगांव विधान सभा क्षेत्र में एक ही नगर पालिका परिषद् गोटेगांव आती है. मेरे विधायक बनने के बाद मुझे नगर पालिका अध्यक्ष एवं परिषद् द्वारा जानकारी दी गई कि दिनांक 26.08.2022 में प्रस्ताव पारित किया है कि संपत्ति अधिरोपित करों की दर कम की जाए. मैंने माननीय मंत्री जी को पत्र क्रमांक 1200 दिनांक 17.11.2024 एवं पत्र क्रमांक 1972 दिनांक 30.07.2025 को नरसिंहपुर जिले की अन्य नगरीय निकायों की तुलना में नगर पालिका परिषद् गोटेगांव में आरोपित, अधिरोपित कर कम करने का निवेदन किया है. अधिक कर होने से आम नागरिकों को कर भुगतान में गंभीर, आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. इस संबंध में मैंने आयुक्त संचालनालय, भोपाल तथा नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जी से स्वयं उनके बंगले पर जाकर निवेदन किया और 2-3 बार यहां भी निवेदन किया है कि मंत्री जी मेरा आग्रह है कि प्रहलाद पटेल जी हमारे मार्गदर्शक हैं, जिनका गृहग्राम गोटेगांव है, आपके अभिन्न मित्र भी हैं और गोटेगांव में वे रहे भी हैं, इसलिए मैं अधिकार के साथ कहना चाहता हूं कि उनके लिए यह एक छोटा सा काम है क्योंकि वहां कर (टैक्स) जमा नहीं हो रहा है, केवल वे लोग कर का भुगतान कर रहे हैं, जिन्हें कर्ज लेना या कोई NOC लेना है तो ही कर दे रहे हैं. यदि आप वहां कर (टैक्स) कम कर देंगे तो मैं निवेदन करूंगा कि हमारी जनता-जनार्दन को इसका लाभ मिलेगा और मैं कहना चाहता हूं कि आपने जिस दिन वहां का कर (टैक्स) कम कर दिया, उस दिन आपका आभार व्यक्त करूंगा, आपको धन्यवाद दूंगा और क्षेत्र में आपका अभिनंदन भी करूंगा और. आम नागरिकों से एक ही दिन में पूरा कर भी चुकवा दूंगा, जिससे नगर पालिका गोटेगांव को काफी आय होगी, उससे वहां विकास होगा और कर्मचारियों को सुविधायें मिलेंगी. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, आपका धन्यवाद.
श्री अनिल जैन कालूहेड़ा (उज्जैन-उत्तर)- सभापति महोदय, मैं मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक, 2025 का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं. यह विधेयक मध्यप्रदेश की तकदीर और दिशा बदलेगा. यह विधेयक उज्जैन-इंदौर-धार-महू क्षेत्र के साथ-साथ, भोपाल-ग्वालियर-जबलपुर इन सभी क्षेत्रों में मेट्रोपॉलिटन सिटी, इसका विचार इस अधिनियम में किया गया है. वास्तव में यह सकारात्मक पहल है, यह सही दिशा में इस प्रदेश को आगे ले जाने की पहल है, इस अवसर पर मैं माननीय प्रधानमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जी को धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि हमारे मुख्यमंत्री जी पहले उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे हैं और तब उज्जैन में विकास प्राधिकरण को कोई जानता भी नहीं था, परंतु उस समय विकास प्राधिकरण क्या चीज़ होती है, यह सिद्ध करने का काम हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने किया.
सभापति महोदय, उसी के साथ-साथ इंदौर में कैलाश जी महापौर थे, उन्होंने जिस तरह से इंदौर का विकास किया, उससे लोग जानने लगे कि नगर निगम यह भी कर सकती है. मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में यह समिति बनी है और वह समिति जब मेट्रोपॉलिटन सिटी का काम करेगी तो चहुँमुखी क्षेत्र में विकास हो ऐसी पहल करेगी. मैं कहना चाहता हूं कि इस तरह के शहरों के निर्माण में IIT इंजीनियरों का कहीं न कहीं सेमिनार होना चाहिए. बड़े-बड़े सेमिनार, अच्छी चर्चा हो. जब IIT के इंजीनियर इसमें भाग लेंगे तो वे बतायेंगे कि हमारा रोड इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा हो, हमारा बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा हो, हमारा ब्रिज इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा हो, हमारे ग्रीन क्षेत्र का इंफ्रास्ट्रक्चर कैसा हो, हमारे स्कूल के क्षेत्र, उद्योगों के क्षेत्र कौन-से आयेंगे, कुल मिलाकर चहुँमुखी विकास के साथ-साथ मेट्रोपॉलिटन सिटी बन रही है इसलिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर का वहां क्रिकेट मैच हो सके, उसे भी ध्यान में रखते हुए, इस तरह का प्लान करना चाहिए.
सभापति महोदय, अभी रामेश्वर जी ने बहुत अच्छी बात बताई कि पहले सड़क बन जाती है, फिर कोई आ जाता है कि अण्डरग्राउण्ड सीवर लाईन डालनी है, उसके लिए सड़क उखड़ जाती है, उसे बनाओ तो फिर टेलीफोन वाले, गैस पाईप लाईन वाले आ जाते हैं, फिर उसी सड़क को बनाना पड़ता है. कुल-मिलाकर इस विधेयक में शब्द दिया गया है-"नियोजन" अर्थात् योजना पूर्व, यदि इसके बाद विकास होगा तो मैं समझता हूं कि वर्ष 2025 में यह अधिनियम लाया जा रहा है, इसमें विकास प्राधिकारण के माध्यम से विकास होने वाला है, यह उज्जैन-इंदौर-महू और मां चामुण्डा की नगरी देवास की दशा और दिशा बदलने का कार्य करेगा.
सभापति महोदय, अभी हमारे पूर्व वक्ता ने बहुत अच्छी बात कही थी कि जिस देश के युवा, नेतागण, विचारक, यदि अपने भूतकाल पर गर्व नहीं करते, वर्तमान की चिंता नहीं करते और भविष्य के सपने को लेकर आगे नहीं बढ़ते, तो वह देश तरक्की नहीं कर सकता. हमारी सरकार भविष्य के सपने को लेकर आज से ही सजग प्रहरी की तरह कार्य करते हुए आने वाले वर्ष 2047 का भारत कैसा होगा, आने वाले कल में कितनी आबादी होगी. उस आबादी के मान से शहरों का विकास किस प्रकार से किया जायेगा ? उस आबादी के मान से, उस मेट्रोपॉलिटन सिटी में भी हम क्षेत्रवाइज बांटकर वहां हमारा एजुकेशन हब कैसा होगा ? हमारा उद्योग हब कैसा होगा ? हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने ज्ञान शब्द का उल्लेख किया है, गरीब, किसान, युवा और महिला उस क्षेत्र में हमारा समानान्तर विकास कैसा होगा ? उस दिशा में काम करना मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी नेतृत्व में सम्पन्न हो रहा है.
सभापति महोदय, आज मैं इससे हटकर एक बात कहना चाहता हूँ कि मेरे पूर्व वक्ता ने कहा था कि उज्जैन में कोई विकास नहीं हो रहा है. उज्जैन में सिंहस्थ की दृष्टि से इतना विकास हो रहा है, इतना विकास हो रहा है. डॉ. मोहन यादव जी की सरकार, भारतीय जनता पार्टी की सरकार में यदि 10 करोड़, 20 करोड़ या 50 करोड़ लोग भी आ जाएं, तो उनको संभालने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप हो रहा है, जो होना चाहिए.
सभापति महोदय, मैं केवल एक ब्रिज का उदाहरण सुना रहा हूँ. क्षिप्रा मैया पर कितने ब्रिज बन रहे हैं ? हामूखेड़ी से तपोभूमि मार्ग पर ब्रिज, त्रिवेणी पर एक ब्रिज, शांति पैलेस के यहां क्षिप्रा मैया पर ब्रिज, वाकणकर ब्रिज के पास एक ब्रिज, जन्तर-मन्तर के पास ब्रिज, लाल पुल के पास एक ब्रिज, कर्क राज रेखा के पास एक ब्रिज, नरसिंहघाट के पास एक ब्रिज, उसके बाद छोटे पुल को बड़ा पुल किया जा रहा है. उसके बाद सोमवारिया से लेकर सदावल तक एक ब्रिज, भैरूगढ़ से लेकर जेल तक एक ब्रिज, इधर पुराना पिपली नाका से भैरूगढ़ तक एक ब्रिज, हमारा गढ़कालिका से लेकर काल भैरव तक एक ब्रिज, मंगलनाथ से लेकर भैरूगढ़ तक एक ब्रिज इस प्रकार के इतने ब्रिज तो केवल नदी पर ही बन रहे हैं. कौन कहता है कि उज्जैन में विकास नहीं हो रहा है ? माननीय सदस्य ने एक शब्द और कहा था कि हमारे किसानों की जमीनों को अधिग्रहित किया जा रहा है. माननीय यशस्वी एवं संवेदनशील मुख्यमंत्री जी ने उद्योग के अन्दर, जो जमीन ली जा रही है, विक्रम उद्योगपुरी में उसको विशेष पैकेज देने की घोषणा की है और साथ में, अभी परसों के दिन जब मुख्यमंत्री जी उज्जैन आये थे, तो मैंने मुख्यमंत्री जी से कहा था कि माननीय आपने किसानों को विशेष पैकेज विक्रम उद्योगपुरी में दिया है, तो मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि लैंड पूलिंग के अन्दर जिन किसानों की जमीन जा रही है, माननीय उनको भी विशेष पैकेज दिया जाये. मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने लैंड पूलिंग में जिनकी जमीन जा रही है, उनको भी विशेष पैकेज देने की घोषणा की है. अत: माननीय मंत्री जी द्वारा प्रस्तावित मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक, 2025 प्रदेश के लिए एक क्रांतिकारी सुधार है, जो शासन और स्थानीय शासन के बीच सेतु का कार्य करेगा. अत: मैं माननीय मंत्री जी द्वारा प्रस्तावित मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक, 2025 का समर्थन करता हूँ.
सभापति महोदय - अनिल जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री ओमकार सिंह मरकाम जी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी) - सभापति महोदय जी, मैं धन्यवाद दूँगा देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, कांग्रेस के हमारे वरिष्ठ नेता पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री पी.वी.नरसिम्हा राव जी द्वारा, जिन्होंने वर्ष 1992 में संविधान में 74 वां संशोधन किया. जिस संशोधन के द्वारा दिये हुये अधिकार के तहत, आज नगरीय प्रशासन मंत्री जी हमारे बीच में महानगर क्षेत्र नियोजन विधेयक लाये हैं, वह आज आपके और हमारे बीच में चर्चा के लिए आया है. सभापति महोदय जी, चाहे गांव हो, चाहे दूरस्थ बसा हुआ घर हो, चाहे शहर हो, चाहे फाइव स्टार होटल हो, लोगों को जीवन चाहिए, उन्हें जीवन जीने के लिए व्यवस्था चाहिए, शुद्ध हवा चाहिए, शुद्ध पानी चाहिए, उन्हें अच्छा भोजन चाहिए एवं अच्छी व्यवस्था चाहिए. इस तरफ हमारे विभिन्न प्रयास जारी हैं. आज जो प्रयास चल रहा है, इस प्रयास में हमको समझने की जरूरत है. मैं माननीय विजयवर्गीय जी के लिए कहना चाहता हूँ कि ''मकड़ी भी नहीं उलझती अपने बनाये जाल में, जितना मनुष्य उलझ जाता है अपने बनाए ख्याल में.'' आज दिल्ली के लोग कितना ख्याल रखे हुए हैं. आज हालात यह हैं कि शुद्ध हवा मिल पाना, शुद्ध पानी मिल पाना एवं शुद्ध वातावरण मिल पाना संकट में है.
महानगर बने पर मानवीय मूल्य को कैसे सहेजेंगे, इस बात का भी ध्यान रखें. माननीय विजयवर्गीय जी, आप बड़े ओहदे के मंत्री हैं, पर आप इन्दौर से नहीं निकलते. आप आते हैं तो अधिकतर भोपाल तक सीमित हो जाते हैं. इसके आगे आपको बढ़ना ही नहीं है. हमारे और शहर भी हैं. हमारा जबलपुर है, संस्कारधानी है. हमारा गौरवपूर्ण इतिहास है. भारत का केन्द्र हमारे करौंदी पर स्थित है. हमारा जबलपुर, हमारा रीवा, हमारा ग्वालियर, चाहे वे छोटे शहर हों, बड़े शहर हों, सब आपके हैं. हमारा छिंदवाड़ा, छिंदवाड़ा तो हमारा बहुत प्रिय है. माननीय विजयवर्गीय साहब, आप निकलें. अमीरों की मदद आप करेंगे तो वे भूल जाएंगे, गरीबों की मदद कर जाओ, वे याद रखेंगे. आज शहरों के अंदर जो गरीब बसे हुए हैं, बरसते पानी में उनके रहने की व्यवस्था नहीं होती है. भोजन की व्यवस्था नहीं होती और तो और मैं कहना चाहूँगा, रामेश्वर शर्मा जी का जहां पर बंगला है, उसके पास जो गरीब लोगों की बस्ती है, जरा उनका भी ध्यान कर लें. भोपाल के उन गरीबों का ध्यान कर लें और मैं यह कह सकता हूँ कि अगर उनका आप ध्यान नहीं कर रहे हैं तो बहुत बड़ा मानवीय संकट आ रहा है जो हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी.
सभापति महोदय, आज मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि शहरी नक्सल की बात जो की जा रही है, उसकी उत्पत्ति कैसे हो रही है, अपराध के क्षेत्र में जो आपने 11 अध्याय दिए हैं, 11 अध्याय में आपका जिक्र ही नहीं है. शहरी क्षेत्र में लोगों का जीवन कैसे संकट की तरफ बढ़ रहा है, मृत्यु दर आप देख लीजिए. गरीब आदमी की उम्र 50 साल से ऊपर शहर में नहीं हो पा रही है. उसको डॉक्टर एडवाइज करता है कि आप ये दवाई लीजिए, वह गरीब नहीं ले पाता है. महानगर हमारा हो, पर हमारे भारत की संस्कृति के आधार पर हो. महानगर हमारा हो, हमारे भारत के मूल्य पर आधारित हो. वैज्ञानिक, जो विकास की बुनियाद है, अगर मानव जीवन खतरे में है तो उसके लिए आपको, हमको विचार करने की जरूरत है.
सभापति महोदय , आज मैं विजयवर्गीय जी से निवेदन करता हूँ कि आज आप समय दे दें. मैं आपको गैर-राजनीतिक रूप से कहना चाहता हूँ. आप मेरे साथ चलें. आप चलकर के गरीबों के बीच में पहुँचे. आप गांधीनगर चलें, वहां के लोगों की हालत देखें. 548 घरों में सिर्फ 150 मकानों में दरवाजे हैं. बाकी घरों में दरवाजे नहीं हैं. हमारी माताएं-बहनें रहती हैं. मैं आपको कहना चाहता हूँ कि जब चौराहे पर जाते हैं तो बड़ा दर्द होता है कि हमारे अपने लोग, छोटी-छोटी बच्चियां भीख मांग रही हैं. हम बात करते हैं, चाहे भाजपा हो, चाहे कोई भी हो, हम प्रगति की बात करते हैं, वह चौराहे पर जो बेटी है, वह आखिर किसकी बेटी है. वह मां भारत की बेटी है और हम जिम्मेदार लोगों को आत्मचिंतन करना पड़ेगा. हमें समझना पड़ेगा.
सभापति महोदय -- मरकाम जी, कृपया समाप्त करें. समय की मर्यादा है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय सभापति जी, मैं तो सरकार से यह कहना चाहूँगा कि खिलाड़ी तो हम आपसे भी अच्छे हैं, पर रिश्तों में हमें खेलना नहीं आता. वह हमारे संस्कार में नहीं है. यह आपको मैं बताना चाहता हूँ. रिश्ते की बात करते हो.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद मरकाम जी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- रिश्ते की बात करते हैं तो माननीय, निभाने की भी सोचना चाहिए. मैं अपने क्षेत्र की एक बात कर लूँ.
सभापति महोदय -- हां, एक मिनट में कर लें आप.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय विजयवर्गीय जी, अमरकण्टक से उद्गम के बाद डिण्डौरी नगर परिषद् में मां नर्मदा का पहला प्रवेश होता है. हम मां नर्मदा की शुद्धता के लिए लगातार अनुरोध कर रहे हैं. हम गैर-राजनीतिक ढंग से और मैं तो कहना चाहूँगा, माननीय शिवराज सिंह जी जब गए थे तो मैंने दलगत नीति से ऊपर उठकर के उनका स्वागत किया था, उनका अभिनन्दन किया था, इस आशा के साथ कि नर्मदा जी शुद्धता पर आप काम करेंगे, राजनीति नहीं. हम वहां पर मां नर्मदा की शुद्धता की बात कर रहे हैं, पर आज भी मां नर्मदा के अंदर दूषित पानी जा रहा है. वहां पर जो कचरा है, माननीय, मैं दु:ख के साथ बताना चाहता हूँ कि प्रतिवर्ष सैकड़ों गायों की मौतें हो रही हैं, कचरे का मैंने निरीक्षण किया, उस दिन सीएमओ की उपस्थिति में मैं जाकर अनुरोध किया. मैंने वीडियो भी बनाया, माननीय विजयवर्गीय जी, मैं आपको दे दूंगा, उसके बावजूद वहां पर कचरे का प्रबंधन नहीं हो पा रहा है. वहां हमारे परिक्रमावासी जाते हैं . मैं सिर्फ एक अनुरोध करूंगा कि राजनीति आती है राजनीति जाती है इंसानियत महत्वपूर्ण है अगर मानव नहीं बचेंगे संकट में जायेंगे तो आने वाला भविष्य कहां जायेगा. इस विधेयक पर एक बार आप 5 दिन का एक सेमिनार करा लें उसमें विद्वानों को बुला लें उसमें तमाम तरह के सामाजिक लोगों को बुला लें पक्ष के विधायकों को बुला लें. आपके यहां माधव दवे जैसे विद्वान हैं और उनको बुलाकर विजयवर्गीय जी संवाद करके फिर इसको लायें हम स्वागत करेंगे. आपने समय दिया धन्यवाद.
डॉ.तेजबहादुर सिंह चौहान(नागदा-खाचरौद) - माननीय सभापति महोदय, मैं प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी और माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी को धन्यवाद,साधुवाद ज्ञापित करना चाहता हूं. आज सदन में महानगर क्षेत्र नियोजन और विकास विधेयक प्रस्तुत किया गया है मैं सोचता हूं कि विकसित मध्यप्रदेश की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होने वाला है. हम देखते थे कि पूरे भारतवर्ष में अगर स्वच्छता में कोई अग्रणी है तो मध्यप्रदेश है और मध्यप्रदेश का इन्दौर है. हम देखते थे कि अलग-अलग वर्गों में संख्यात्मक आंकड़ों के अनुसार बड़े-बड़े शहरों में अगर स्वच्छता के नाम पर कहीं कोई शहर अग्रणी है तो मध्यप्रदेश के 6-7 शहर शामिल होते आए हैं लेकिन हमें इस बात की कमी महसूस हुआ करती थी कि जब पूरे भारत के पटल पर हम बड़े शहरों की कल्पना करते थे महानगर देखते थे तो हमें मध्यप्रदेश में कोई महानगर नजर नहीं आता था. मध्यप्रदेश से छोटे-छोटे प्रांतों में भी बड़े-बड़े शहरों की कल्पना और उन शहरों को सोच कर याद करके मन में यह महसूस होता था कि मध्यप्रदेश में भी कोई महानगर हो. प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी और हमारे नगरीय प्रशासन मंत्री जी ने इस कल्पना को साकार करने का काम किया है. मैं बहुत प्रसन्नता और धन्यवाद के साथ कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में इन्दौर और भोपाल महानगर की जो कल्पना की गई है और इसके बाद आने वाले समय में जबलपुर ग्वालियर और अन्य शहरों के साथ भी महानगर की जो कल्पना की जायेगी वह विकसित मध्यप्रदेश में एक मील का पत्थर साबित होकर हम विकसित मध्यप्रदेश को बनाने में बहुत बड़ी भूमिका का निर्वहन करेंगे. इन्दौर महानगर जो बनने वाला है उसमें उज्जैन जिले का नागदा शहर भी शामिल होगा. मैं नागदा शहर से आता हूं. उज्जैन का बड़नगर क्षेत्र भी शामिल होगा. उज्जैन जिले के यह दोनों क्षेत्र शाजापुर का मक्सी क्षेत्र धार,इन्दौर और सारे क्षेत्र को मिलाकर जब इन्दौर महानगर बनेगा तो इन्दौर की अधोसंरचना महानगरों की कल्पना के अनुसार होगी. इन्दौर के महानगर बनने के पश्चात् इन पूरे क्षेत्रों का विकास,औद्योगिक विकास,यहां की अधोसंरचना,यहां के शिक्षा के संसाधन, यहां के यातायात की संरचना जो भी कुछ बनेगी यह महानगर की कल्पना के अनुसार होगा और इसका समग्र विकास बहुत विकासयामी होगा ऐसा मेरा मानना है. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि यह मध्यप्रदेश और भारत की ही कल्पना नहीं है इस विकसित कल्पना में जो चिंता किसानों की की गई है मध्यप्रदेश की सरकार उन किसानों की चिंता के साथ इस महानगर नियोजन विधेयक को प्रस्तुत करना चाहती है. किसानों के हितों को भी ध्यान में रखा जायेगा. विकसित क्षेत्र बनाकर और आधे क्षेत्र का मालिक उनको बनाने का काम किया जायेगा. उनको उनकी भूमि का पूर्ण पैसा मिलने का काम होगा और जब महानगर क्षेत्र घोषित होगा तो आज जो हमारे क्षेत्र का किसान, बैंगलोर,मुंबई,पूना इस तरफ जाने का काम करता है उसको बड़े बाजार महानगर इन्दौर में भी मिलेंगे और भोपाल में भी मिलेंगे इसलिये मैं आज सदन में इस विधेयक पर अपना समर्थन ज्ञापित करते हुए पुन: प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री और नगरीय निकाय मंत्री जी को धन्यवाद और साधुवाद देता हूं और अपनी बात को समाप्त करता हूं.
5.30 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
सभापति महोदय-- विधेयक पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन विकास विधेयक 2025. मैं समझता हूं विपक्ष की भी कुछ दृष्टि है जो कानून के विरूद्ध तर्कसंगत है. आपने इंदौर, उज्जैन, धार, देवास, देपालपुर, सांवेर लगभग 800 से 900 गांव के करीब आप इसमें महानगर बना रहे हैं. 8791 वर्ग किलोमीटर एरिया आप इसमें लेंगे और जमीन 1 लाख हेक्टेयर से ज्यादा इस अधिसूचित क्षेत्र में आयेगी. ऐसे ही भोपाल को लेकर नर्मदापुरम, रायसेन, विदिशा, सीहोर और देश के अंदर मुम्बई के बाद मैं समझता हूं कि इंदौर पहले नंबर पर हो जायेगा, क्योंकि मुम्बई का भी 6328 वर्ग किलोमीटर एरिया है. रीवा, जबलपुर, ग्वालियर को आप भूल गये. आपने विकास के नाम पर कर्ज का एक नया जाल बनाने का प्रयास किया. धारा 42, 43, विकास के सरकार दो रास्ते अपना रही है, एक पहले राज्य से अनुदान और दूसरा कर्ज. 100 करोड़, 200 करोड़ रूपये एस्टेब्लिशमेंट के लिये रख दिया, शुरूआत आपने कर्ज की चालू कर दी, लेकिन क्या आने वाली पीढि़यां इस मध्यप्रदेश के कर्ज के जाल से बाहर आ पायेगी. माननीय सभापति महोदय, जनता को आज समाधान चाहिये, लेकिन आप बात करते हैं 2040 की, सपने दिखा रहे हैं. जिस प्रकार से सरकार विज्ञापन के माध्यम से, जनसंपर्क के माध्यम से सपने दिखाती है, ब्रांडिंग दिखाती है अच्छे दिन, आत्मनिर्भर, मेक इन इंडिया, मेक इन मध्यप्रदेश सबकी बात होती है तो यह भी एक सपना दिखाने का प्रयास किया. धारा 15(1) 15 साल के विकास की योजना सरकार बनायेगी, लेकिन आज जनता प्रदेश के अंदर सड़क, पानी, रोजगार की मांग कर रही है. किस प्रकार से पीथमपुर की क्या स्थिति है, आप जानते हैं माननीय संसदीय मंत्री जी. जो लोग रहते हैं इस महानगर के आसपास क्या उनके लिये सुविधायें आज की वर्तमान स्थिति में कीं, या पिछले 20-25 साली में कीं. मैं समझता हूं कि जो बड़ी मेट्रोपोलिटन सिटी बनीं, रीजन बने, वर्ष 1975 में मुम्बई बना, दिल्ली डेव्हलपमेंट अथॉरिटी 1957 में बनी, बैंगलौर मेट्रो रीजन 1986 में, चेन्नई मेट्रो रीजन बना 1974 में, कोलकत्ता मेट्रो रीजन बना 1970 में आपके पास आधारभूत सुविधायें नहीं हैं और यह जितने भी मेट्रोपोलिटन बने हैं कई साल लगे हैं इनको, लेकिन वर्तमान में वहां पर जो स्थितियां हैं माननीय सभापति महोदय, किस प्रकार वेटमा, घाटा विल्लौद ऐसे कई गांव है आसपास पीथमपुर की बात करूं पानी पीने की वहां स्थिति नहीं है, पानी निकलता है बोरिंग से तो 1200 से 1500 टीडीएस का पानी निकलता है, पीला पानी और आप आधारभूत सुविधाओं की बात कर रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैं समझता हूं कि सरकार छोटे शहर और गांव को विकास के एजेंडे से बाहर करती जा रही है. मध्यप्रदेश की असली पहचान ही 54 हजार गांव हैं, उनमें आधारभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही हैं, लेकिन एक नया सपना मेट्रोपॉलिटन सिटी बनेगी, मेट्रो आयेगी, हेलीपेड बनेगा, हवाई पट्टी बनेगी, क्या सिर्फ मुख्यमंत्री जी के लिये हेलीपेड बनेगा, क्या आम जनता के लिये हेलीपेड नहीं बनेगा? विकास के बहाने किसानों की जमीन छीनने की कोशिश की जा रही है. धारा 36 एवं 41 एम.आर.डी.ए. की भूमि अधिग्रहण के बारे में है. भूमि बैंक बनाकर जमीन जमा की जायेगी, मनमाफिक आवंटन होगा, अभी धार के अंदर एक उदाहरण देना चाहता हूं कि धार में जैतपुरा एक छोटा सा औद्योगिक क्षेत्र बना है, जमीन अधिग्रहण कोडि़यों के भाव में हुई और सरकार ने उसको एक हजार, दो हजार, पांच सौ रूपये स्क्वायर फिट में बेची है. माननीय सभापति महोदय आम किसान की जमीन, आम जनता की जमीन कोडि़यों के भाव आप लेना चाहते हो, अधिग्रहण करना चाहते हो, लेकिन उसको बाजार मूल्य से नहीं देना चाहते हो, भूमि अधिकार अधिग्रहण अधिनियम जो वर्ष 2013 में केंद्र सरकार का था, उसमें धारा 26 के नियम में कलेक्टर द्वारा भूमि के बाजार मूल्य की अवधारणा है, इसमें स्पष्ट है कलेक्टर किसी भी क्षेत्र में भूमि अर्जन की कोई कार्यवाही आरंभ करने के पूर्व क्षेत्र में प्रचलित बाजार आधार मूल्य पर भूमि के बाजार मूल्य को पुर्नरीक्षित और अद्यतन करने के लिये सभी आवश्यक कदम उठायेगा, तो क्या मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि किसानों की जो 50 लाख, एक करोड़, दो करोड़, तीन करोड़ रूपये की जमीनें हैं, चाहे भोपाल के आसपास की बात हो, चाहे इंदौर के आसपास के महानगर की बात हो, क्या आप दो करोड़ रूपये, तीन करोड़ रूपये बाजार मूल्य के हिसाब से उस किसान को देंगे? इस पर सरकार जवाब नहीं देगी, मैं दावे से कह सकता हूं.
5.37 बजे {अध्यक्ष महोदय(श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय, आप किसी की जमीन जब छीनते हैं या अधिग्रहण करते हैं, तो उस जमीन पर जो किसान वर्षों से खेती करते आ रहा है, तो उस जमीन के साथ उसका मानवीय पहलू और उसकी आर्थिक स्थितियां, उसके भविष्य को लेकर, उसके बच्चों को लेकर, उसके परिवार को लेकर हमें सोचना चाहिए, ऐसा विकास नहीं होना चाहिए जिसमें किसान को फांसी पर लटकना पड़े, उस किसान को उसकी जमीन का पूरा हक मिलना चाहिए, उसको उसकी जमीन के बाजार मूल्य के हिसाब से पूरे पैसे मिलना चाहिए, यह हम कहना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय, स्थानीय निकाय के अधिकारों का क्या होगा? इस बिल के अंदर कुछ स्पष्ट नहीं है, आप उनको सदस्य बना रहे हैं, आप उनको नॉमिनेट कर रहे हैं या निर्वाचित करेंगे जैसे आपने बनाया है, लेकिन उनके लिये क्या अधिकार होगा? उनकी क्या नगर पालिका, नगर पंचायत, नगर परिषद उसके बारे में कोई स्पष्ट उल्लेख इसमें नहीं है.
अध्यक्ष्ा महोदय, एक ओर इसके अंदर है धारा 8(3) और 17(4) इसमें राज्य सरकार को अधिकार दिये गये हैं, इसको मैं मनमानी बदलाव का खुला लाईसेंस कह सकता हूं, एम.आर.डी.ए. के अंदर आप मनमानी रूप से योजनाओं को बदल सकते हैं, आप जिसको चाहे सदस्य बना सकते हैं, लेकिन उस क्षेत्र की जनता की आप राय नहीं जानना चाहते हैं, विपक्ष और जनप्रतिनिधियों के नाम सिर्फ नॉमिनेट रहेंगे, उनको कोई अधिकार नहीं रहेगा, वह भी विशेष आमंत्रित सदस्य रहेंगे, इसको यह सरकार मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में करना चाहती है, लेकिन कौन-कौन लोग इसके अंदर रहेंगे? जो वहां के स्थानीय लोग हैं, स्थानीय विधायक हैं, स्थानीय सांसद है, नगरपालिका के लोग हैं, क्या वहां के किसान, सरपंच उनके बारे में इसमें क्या राय है, उनकी क्या भूमिका है, उस बारे में कोई उल्लेख नहीं है और धारा 16(1) के अंदर तीस दिन में जनता के दावे और आपत्तियों को निपटा दिया जायेगा.
माननीय अध्यक्ष जी, मुझे लगता है कि इतने बड़े महानगर के लिए 30 दिन कम है. जब कोई मास्टर प्लान आता है, तो कई दावे-आपत्तियां ली जाती हैं. 30 दिन के अंदर आप दावे-आपत्तियां निपटा रहे हो, कई किसान अनपढ़ है, उनको पता ही नहीं होगी जानकारी, वे जाहिर सूचना ही नहीं देख पाएंगे, पेपर में कब विज्ञापन लगा, कब जाहिर सूचना आई और किसानों की जमीनें अधिग्रहण कर ली जाएगी. माननीय संसदीय मंत्री जी इस पर मैं चाहूंगा कि इसकी समय सीमा 30 दिन से ज्यादा बढ़ाना चाहिए. लेकिन मैं नहीं समझता कि सरकार इस पर कुछ सोचेगी, विचार करेगी.
मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि महानगर का एक सपना दिखाया है, लेकिन पिछले 10-15 साल से ज्यादा हो गए, मास्टर प्लान ही नहीं आ पा रहा है. इसी सदन के अंदर कैलाश जी ने कहा था कि जून तक हम इंदौर का मास्टर प्लान लाकर रहेंगे. गए सत्र की बात है, लेकिन इंदौर में क्या हो रहा है, बड़े मास्टर प्लान में क्या हो रहा है, जिसकी जमीन छोड़ना है, 300 रुपए 400 रुपए स्क्वेयर फीट जमा कराओ, हम आपकी जमीन छोड़ेंगे, ये धंधा चल रहा है, कौन कर रहा है, कौन लोग है सरकार के लोग, कौन उनकी मदद कर रहा है, कौन मंत्री है, कौन नेता है. ग्रीन बेल्ट की जमीनें छोड़ी जा रही है. एक बड़ा राजेन्द्र जैन करके उसके पीछे कौन अधिकारियों के हाथ है, कौन सपोर्ट कर रहा है. मैं समझता हूं कि इस प्रकार आम जनता से बगैर पूछे, बगैर राय लिए इस प्रकार के महानगर बनाए जा रहे हैं, क्या हम इसके अंदर उस किसान के सपने पूरे करना चाहते हैं, उस क्षेत्र की जनता को रोजगार देना चाहते हैं, क्या उनकी राय, उनकी दावे- आपित्तयों के लिए समय नहीं बढ़ना चाहिए. बाजार मूल्य के हिसाब से 3-4 करोड़ रुपए की जमीन है, वे क्यों सरकार को 10 लाख, 50 लाख में बेचना चाहेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या उसके बारे में सरकार नहीं सोचगी. हम महानगर बनाने के विरोध में नहीं है, लेकिन इन पहलुओं पर, विधेयक पर बात होना चाहिए, चर्चा होनी चाहिए, ये मेरा कहना है, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) – (...मेजों की थपथपाहट) अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय जयवर्द्धन सिंह जी, वरिष्ठ विधायक रामेश्वर शर्मा जी, कैलाश कुशवाह जी, श्री सुरेन्द्र पटवा जी, श्री महेश परमार जी, डॉ. सीतासरन शर्मा जी, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष श्री फूल सिंह बरैया जी, श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी, आदरणीय भाभी नीना वर्मा जी, श्री पंकज उपाध्याय जी, श्री महेन्द्र नागेश जी, श्री अनिल जैन कालूहेड़ा जी, श्री ओमकार मरकाम जी, डॉ. तेजबहादुर जी, डॉ. हिरालाल अलावा जी और हमारे नेता प्रतिपक्ष, श्री उमंग सिंघार जी का दिल की गहराईयों से स्वागत करना चाहता हूं, उन्होंने इस विषय पर न केवल चर्चा की कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी हमें दिए हैं और वे सुझाव हमारे लिए बड़े बहुमूल्य हैं.
अध्यक्ष महोदय, आज मैं दिल की गहराईयों से जयवर्द्धन सिंह जी का धन्यवाद अदा करना चाहता हूं. (...मेजों की थपथपाहट) जिस अच्छे तरीके से इन्होंने पूरे मेट्रोपॉलिटन रीजन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट को अध्ययन करने के बाद, कुछ समर्थन भी किया, कुछ शंकाएं भी बताई हैं और कहीं असहमति भी प्रकट की है. एक परिपक्व डेमोक्रेसी में यह बहुत जरूरी होता है. आज इन्होंने एक परिपक्व डेमोक्रेसी का उदाहरण भी दिया है कि विपक्ष में भी किस प्रकार, सरकार के बिल आते हैं, बिल में हमारी सहमति और असहमति होती है, कुछ सुझाव होते हैं, पर उसमें राजनीतिक फूट बिल्कुल नहीं होती. एक शुद्ध ऑर्गेनाइजेशन के लिए दिया गया उनका भाषण था, इसलिए मैं जयवर्द्धन सिंह जी को धन्यवाद देता हूं, आपने शुरूआत में ही बड़े अच्छे ट्रेक में चर्चा ले गए, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं.
आपने शंका प्रकट की कि महानगरीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण में चार ही विधायक हैं. इस बिल को लाने के पहले हमने देश भर के जिन जिन प्रदेशों में यह एक्ट बना है. जैसा कि माननीय उमंग सिंघार जी ने बता ही दिया कि मुम्बई, तेलंगाना, हरियाणा, बैंगलुरू, दिल्ली इन सबका हमने गहन अध्ययन किया है. हमें एक कमी जो महसूस हुई कि यह पॉवरफुल क्यों नहीं बन पाया, क्योंकि साधारणतः इसकी अध्यक्षता या तो मंत्री करते हैं या स्थानीय नेता करते हैं. इसकी अध्यक्षता स्वयं मुख्यमंत्री जी करेंगे. इसलिये जब मुख्यमंत्री जी जिस संस्था की अध्यक्षता करते हैं तो वह अपने आप ही एक जवाबदार संगठन बन जाता है. इसलिये बहुत इफेक्टिव हमारा मेट्रोपोलिटिन रीजन प्लानिंग एक्ट होगा. अध्यक्ष महोदय हमने इन सब चीजों पर बड़ी बारीकी से अध्ययन किया है. महानगरीय योजना समिति में सारे जनप्रतिनिधि हैं, चाहे वह किसी भी दल का हो. विधायक, सांसद, महापौर, यहां तक कि चुनी हुई जो हमारी जिला पंचायत है, जनपद पंचायत हैं, इन सबके अध्यक्ष वगैरह हैं इन सबको इसमें सम्मिलित कर रहे हैं और भी कहीं कुछ लगेगा, क्योंकि यह बहुत एक्सपर्टीज की इसमें जरूरत पड़ती है. हम भीड़ बढ़ाकर इसको भी बुला लें, उसको भी बुला लें, यदि हमें लगेगा कि यह बहुत जवाबदारी से अपनी बात रखता है, तो हम उसको बुला सकते हैं. मुख्यमंत्री जी को अधिकार है कि किसी भी व्यक्ति जो एक्सपर्टस हो. हम इसके अलावा भी एक्सपर्ट को बुलाएंगे समय समय पर जो अर्बन सेक्टर के अच्छे एक्सपर्टस हैं उनको बुलाकर उनका भी हम सहयोग लेंगे. अध्यक्ष महोदय जैसे इस पूरे एक्ट के अंदर 11 अध्याय हैं तथा 64 धाराएं हैं निश्चित रूप से बड़ा एक्ट है इसलिये कुछ लोगों ने पढ़ा है और कुछ लोगों ने आधा-अधूरा पढ़ा है. कुछ लोगों ने पूरा भी पढ़ा है, पर उनको कुछ बातें समझ में नहीं आयीं. मैं बहुत दावे के साथ कहना चाहता हूं कि जितने भी माननीय सदस्य ने यहां प्रकट की है उन सबका समाधान इस एक्ट के अंदर है. एक एक माननीय सदस्य ने जो कुछ कहा है उनको मैंने नोट किया है. अगर आप कहेंगे तो मैं एक एक माननीय सदस्य की एक एक बात का जवाब दे सकता हूं कि कहां कहां पर इस एक्ट के अंतर्गत प्रावधान किये हैं. अध्यक्ष महोदय इन्दौर, उज्जैन, देवास एक माननीय सदस्य ने कहा कि आप इन्दौर के बाहर ही नहीं निकलते. मुझे कहते हुए गर्व है कि इस इन्दौर को गढ़ने का काम किया है मैंने. मैं कह सकता हूं कि इन्दौर एक आदर्श नगर निगम है देश में जो आत्म-निर्भर नगर निगम है. यह भोपाल की तरफ नहीं देखती है वेतन बांटने के लिये, एक आदर्श नगर निगम है. साहस के साथ विकास का काम किया है और साहस के साथ टैक्स लगाये हैं और इन्दौर की जनता टैक्स भी दे रही है तथा नगर निगम को प्रोत्साहित भी करती है. हमारे बीच में मेरे उस्ताद शेखावत जी बैठे हैं. यह इस नगर निगम के उप महापौर भी रहे हैं एक समय में. यह खुद भी जानते हैं कि हमारे पास में वेतन बांटने के पैसे नहीं थे उस वक्त. एक ट्रक मुरम नहीं डलवा सकते थे अपने वार्डों के अंदर, यह स्थिति थी. आज ऐसा कोई वार्ड नहीं है जहां पर सीमेंट-कांक्रीट की सड़क नहीं होती है. जनभागीदारी लोग टैक्स देते हैं उसके बाद अपने घर के सामने की सड़क बनाने के लिये सीमेंट भी देते हैं. बताइये कि दुनिया का ऐसा कौन सा देश है. इन्दौर नगर निगम को वर्ल्ड में होनोलुलु ने सम्मानित किया है जनभागीदारी के लिये. पीपुल्स पार्टनरशिप के लिये. वॉटर प्लस सिटी है अध्यक्ष महोदय. जब हम सपना देखते हैं तो सपने को कारगर भी करते हैं जब मैं महापौर बना था तब 25 साल का प्लान बनाया था. आज 25 साल आज के दिन पूरे हो रहे हैं मैं कह सकता हूं कि जो सपना 25 साल पहले देखा था वह इन्दौर का सपना पूरा हो गया है. अब 25 साल का फिर से वहां का प्लान बन रहा है. 2040 में कितने पानी की आवश्यकता है उसका प्लान अभी से बना लिया है. प्लान ही नहीं बनाया 22 सौ करोड़ का जल योजना का हम लोन लेकर 2040 की वॉटर की प्लानिंग कर रहे हैं अध्यक्ष महोदय. इसलिए किसी भी शहर के विकास में, प्रदेश के विकास में आपको दूरदृष्टि रखनी पडे़गी और प्लॉनिंग तो करनी ही पडे़गी. पैसा तो अपने आप आ जाता है. जहां पर काम होता है, जहां विकास होता है वहां पैसा अपने आप दौड़ता है. मैं हमेशा कहता हॅूं कि आत्मनिर्भर प्रदेश होना चाहिए, आत्मनिर्भर पंचायत भी होना चाहिए, आत्मनिर्भर नगर पालिका भी होना चाहिए, इसके लिए मैं महापौरों के साथ बैठा, पर साहस नहीं है. टैक्स बढ़ाने का साहस नहीं रखते हैं क्योंकि उपयोगकर्ता को भुगतान करना चाहिए. जो पानी ले रहा है, उसको पेमेन्ट करना चाहिए. माननीय विधायक श्री बापू जी बैठे हैं. इनके साथ एक नगर पालिका के अध्यक्ष हैं. मैं नाम नहीं बताऊंगा. मैंने कहा आपके कितने कनेक्शन हैं, तो वे बोले, इतने कनेक्शन हैं. मैंने कहा कि कितने लोग पानी का बिल देते हैं. उन्होंने कहा कि कोई दे ही नहीं रहे हैं. अरे भई, ऐसा नहीं होता है. अगर आप पानी दे रहे हैं तो बिल काटिये, पानी का कनेक्शन काट दीजिए. माननीय श्री शेखावत जी साक्षी हैं. मैंने पूरे-पूरे वॉर्ड का कनेक्शन ही काट दिया. 20 परसेंट लोग पानी का पेमेन्ट देते थे, मैंने पूरा कनेक्शन मेन लाइन से ही काट दिया. 20 परसेंट जो पानी का पेमेन्ट दे रहे थे, वे लोग मेरे पास आ गए. मैंने कहा कि आप लोग 80 परसेंट वालों को समझाओ. वहां 90 परसेंट लोग पानी का पेमेन्ट दे रहे हैं. जनप्रतिनिधि को भी थोड़ा-सा स्ट्रिक्ट होना पड़ता है, यदि आप अपने क्षेत्र का विकास करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं इंदौर से बाहर नहीं निकलता हॅूं, यह आरोप मुझ पर लगा है. इंदौर एक ऑइडियल शहर है. हमने परिश्रम करके बनाया है और मैं चाहता हॅूं कि इंदौर जैसे शहर सब बने. मुझे यह कहते हुए गर्व है कि आज बनारस में इंदौर मॉडल से सफाई होने वाली है. माननीय प्रधानमंत्री जी ने इंदौर की टीम को वहां बुलाया है. यह हमारे लिए, सबके लिए, पूरे मध्यप्रदेश के लिए गर्व की बात है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय श्री उमंग सिंघार जी ने कहा कि जमीन छीनी जा रही है. बाकी लोगों ने भी कहा कि जमीन छीनी जा रही है. आपने अभी कहा था कि इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाया जाना चाहिए. अभी इंदौर और पीथमपुर का इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बन रहा है. आप वहां के किसानों से जाकर मिल लीजिए. वे गले लगेंगे कि हमें भी इसका हिस्सा बना लीजिए. हमने आसपास के 3 सौ मीटर लिए. वे बोलें, आप इसको 1 हजार मीटर लीजिए, हम जमीन देने को तैयार हैं. लैंड पुलिंग के माध्यम से हम उनको डेव्लप्ड जमीन 50 परसेंट दे रहे हैं जो अभी जमीन का भाव है, उससे 4 या 5 गुना उस किसान को जमीन के भाव मिलेंगे. (मेजों की थपथपाहट) किसान खुद आ रहा है. आप साक्षी हैं. आप देख लीजिए. टीसीएस, इंफोसिस ये हमने सबमें बनाई है. बाकी आप किसानों से पूछ लीजिए.
अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत जवाबदारी से एक बात कहना चाहता हॅूं कि वह पूरे गांव कांग्रेस समर्थक थे. वहां कांग्रेस का झंडा लगाने वाला कोई नहीं है. क्योंकि सब किसानों की जमीनें वहां 10 गुना हो गई हैं और इसलिए मैंने कहा था कि आप मुझे याद करेंगे. वे सब मुझे याद करते हैं. मैं जहां से चुनाव लड़ता हॅूं, वहां चुनाव में काम करने जाते हैं. मैं निवेदन यह करना चाहता हॅूं कि हमारी नीयत बहुत साफ है. हम किसी गरीब का नुकसान नहीं करना चाहते, हम किसी किसान का नुकसान नहीं करना चाहते. आपने कहा कि हम किसानों की जमीन ले लेते हैं. माननीय उमंग जी आपको याद होगा, जब आप पहली बार विधायक थे. पीथमपुर में हमने जमीन ली थी. मैं प्रभारी मंत्री बनकर आया. मैंने उस जमाने में सरकार से लड़कर 90 करोड़ रूपए किसानों को ज्यादा दिलवाया था. मैंने कहा कि किसान को इतना पैसा मिलना चाहिए कि यहां अगर वह 5 एकड़ जमीन छोड़ता है, तो दूसरी जगह 10 एकड़ जमीन मिले. हरसूद मैंने खाली करवाया. एक दिन में पूरा हरसूद खाली हो गया. उस समय माननीय उमा भारती जी मुख्यमंत्री थीं. मैंने कहा कि उमा जी, हम सरकार हैं गोली चलाकर खाली करवा सकते हैं, पर हम कल्याणकारी राज्य हैं. हमारी जवाबदारी है कि हम जनता के प्रति जवाबदार हैं. सारे अधिकारियों ने कह दिया कि हमारे प्रदेश की योजनाएं बिगड़ जायेंगी. उस समय 40 करोड़ रूपए मैंने स्पेशल पैकेज देकर हरसूद को एक दिन में खाली करवाया था. (मेजों की थपथपाहट) हम कभी भी ऐसा काम नहीं करेंगे, जिससे जनता का विश्वास टूटे. मैं आपके सामने खड़ा हॅूं. मैंने इंदौर में जितना अतिक्रमण हटाया और मेरी विधानसभा क्षेत्र में, जहां से माननीय रमेश जी चुनाव लड़ते हैं.एक दिन में 3-3 मंजिला, 250 मकान खड़े-खड़े तोड़ दिये. रमेश जी वहां से सर्वाधिक वोट से जीतते हैं मध्यप्रदेश में सर्वाधिक वोट से जीतते हैं. लोग कहते हैं कि जमानत जप्त हो जाएगी, सचिन, गलत बोल रहा हूं? सचिन, तुम देखते हो, तुम तो वहां पहले आते थे. वहां पहले क्या हालत थी और आज क्या हालत हो गई है? अध्यक्ष महोदय, विकास करना और किसी गरीब का नुकसान नहीं हो, किसी किसान का नुकसान नहीं हो, यह हमारा पहला संकल्प है और पहली जवाबदारी है. (मेजों की थपथपाहट) और इसलिए जो शंका आपकी है, आप अपने दिमाग से निकाल दीजिए. हम एक जवाबदार सरकार हैं, हम एक कल्याणकारी राज्य चला रहे हैं और इसलिए किसी व्यक्ति का नुकसान हो और हम विकास करें, इसके ऊपर कतई विश्वास नहीं करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, मुझे यह कहते हुए गर्व है कि श्री जयवर्द्धन सिंह जी ने कहा था कि जैसे पर्यटन, महू के अंदर बहुत संभावना है. भगवान परशुराम जी की जन्मभूमि है. वहां पर टंट्या मामा की जन्मभूमि है. वहां पर बहुत बढ़िया टिंचा फॉल है. वहां पर बहुत अच्छे फॉल हैं. बाबा साहब अम्बेडकर की जन्मस्थली है. हमें गर्व है कि बाबा साहब अम्बेडकर की जन्म स्थली को बनाने का श्रेय भी मुझे मिला था. मैं लोक निर्माण मंत्री था. मैं उस बात के लिए अपने आपको बड़ा सौभाग्यशाली, धन्य मानता हूं. अध्यक्ष महोदय, यह जो पूरा मेट्रोपॉलिटन एक्ट यह सिर्फ सड़क, बिजली वाला नहीं है. इसके पीछे आर्थिक विकास भी है. इसके पीछे रोजगार भी है. इसके पीछे पर्यावरण संरक्षण भी है. कुछ हमारे मित्रों ने पर्यावरण की बात की है. मैं दावे से कहता हूं कि इस सदन में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जिसने मेरे बराबर पेड़ लगाया हो. मैं अभी तक कम से कम 1 करोड़ पेड़ अपने जीवन में लगा चुका हूं. (मेजों की थपथपाहट) और कोशिश यह करता हूं कि जो पेड़ लगाऊं, वह जिंदा रहे. अभी आप चले जाइए, मैं फिर रिपीट कर रहा हूं रेवती रेंज चले जाइए. 12 लाख 40 हजार पेड़ लगे थे, 12 लाख 40 हजार पेड़ आज भी हैं.
अध्यक्ष महोदय, इस पूरे एक्ट के अंदर हमने पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा है, जब हम औद्योगिक क्षेत्र बनाएंगे तो निश्चित रूप से पर्यावरण एक चेलेंज है. हमारे माननीय सदस्यों ने कहा कि मेट्रोपॉलिटन बनने के बाद सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है. प्रदूषण नहीं हो इसके लिए खुला क्षेत्र बनाना. अभी मास्टर प्लान के अंदर, मुझे मास्टर प्लान की बात ओपन नहीं करना चाहिए. कुछ मर्यादाएं होती हैं, परन्तु मास्टर प्लान के अंदर ग्रीन लैंड, ग्रीन लैंड. ग्रीन लैंड, बगीचा बन जाता है और वहां पर झूले, चक्री लग जाती है, यह ग्रीन लैंड है. हम बिल्कुल उसको बदल रहे हैं. हर कालोनी के अंदर जहां पर ग्रीन लैंड छूटेगी, वहां पर 50% वुड लैंड बनेगा. 50% डेन्स फारेस्ट होगा. कोई-सी भी कालोनी हो. अब बगीचे से काम नहीं चलेगा. आपको डेन्स फारेस्ट लगाना पड़ेगा. यह अनिवार्य है.
अध्यक्ष महोदय, यह हम परिवर्तन करने वाले हैं. मास्टर प्लान, यह बात सही है कि हम विलंब हुए हैं. मैं क्षमा चाहता हूं कि मैंने कहा था कि मैं जून तक ले आऊंगा. हमारे मास्टर प्लान की तैयारी पूरी है. मेट्रोपॉलिटन एक्ट आने के कारण हमने थोड़ा-सा उसको रोका है. अतिशीघ्र इंदौर और भोपाल के मास्टर प्लान आ जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय, जैसे कि इस एक्ट के अंदर मैंने बताया था कि एजूकेशन का हब है मध्यप्रदेश. एक समय था जब सर्वाधिक विद्यार्थी कोटा पढ़ने जाते थे. बैंगलोर पढ़ने जाते थे, पूना पढ़ने जाते थे, अब चौथा शहर इंदौर डेवलप हो गया है. अभी 4 लाख विद्यार्थी वहां पर बाहर से पढ़ने आते हैं, उसका कारण है. वहां क्वालिटी एजूकेशन हमने धीरे-धीरे करके बढ़ाया है. वहां हम सिम्बायोसिस लाए, हम वहां नरसी मोनजी लाए, आईआईएम और आईआईटी तो है ही. जब अच्छी संस्थाएं आ जाती है, अच्छे इंस्टिट्यूट आ जाते हैं तो अपने आप वहां पर क्वालिटी एजूकेशन होने लगता है. मैंने अभी अभी पिछले दिनों सभी महाविद्यालय के डॉयरेक्टर्स, प्रिंसिपल्स को बुलाया और कहा कि आप फोकस करिए क्वालिटी एजूकेशन को बढ़ाने की क्योंकि हमें सिर्फ कोचिंग सेंटर नहीं बनाना है. हम कॉलेज में अच्छा एजूकेशन दें इसके लिए काम करना है तो अपनी फेकल्टिज अच्छी लाइए. और मुझे कहते हुए गर्व है कि हमारे यहां लगभग 11 युनिवर्सिटी हैं, उसमें से 6 युनिवर्सिटी ऐसी हैं, जहां बड़ी मुश्किल से हम फोन करते हैं तो भी वहां एडमिशन नहीं देते हैं. शिक्षा मंत्री जी, शायद मैं गलत तो नहीं कह रहा हूं. वहां पर एडमिशन ही नहीं मिलते हैं. हमारे विधायक आकर कहते हैं कि आपके कहने पर भी एडमिशन नहीं मिलेगा, उन्होंने अपने कुछ रूल्स बना रखे हैं और वह क्वालिटी एजुकेशन देते हैं. हम क्वालिटी एजुकेशन की ओर ध्यान दे रहे हैं, हमारे शिक्षा मंत्री जी भी ध्यान दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत जरूरी है. प्रतिस्पर्धा का युग है, आप खाली डिग्री देंगे तो हमारे यहां नौजवान आगे नहीं बढ़ सकता है. उसे क्वालिटी एजुकेशन देना पड़ेगा और हम इस दिशा में बहुत गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं. हमारे डॉ.सीतासरन जी शर्मा और ओमप्रकाश सखलेचा जी ने एक विषय उठाया था कि सीमावर्ती जिलों पर भी ध्यान दें. हम इसका परीक्षण करायेंगे, निश्चित रूप से आपने सीमावर्ती जिलों का बोला था और आपने प्राधिकरण का बोला था. वास्तव में नगर पालिका, नगर निगम अच्छी संस्था हैं. यह हमारे प्रजातंत्र की पहली सीढ़ी है पर वहां एक जो दक्षता चाहिये उसकी थोड़ी सी कमी है. मैं महसूस करता हूं कि वहां पर हमारे जनप्रतिनिधि भी निर्णय ले पाते हैं, हमारे अधिकारी भी निर्णय नहीं ले पाते हैं. इसलिये डेव्हलपमेंट के लिये डेव्हलपमेंट अथारिटीस को बनाना पड़ेगा, क्योंकि दोनों मिलकर काम करेंगे तो डेव्हलपमेंट ज्यादा होगा. डॉक्टर साहब हम इसका परीक्षण करा लेंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा- धन्यवाद, मंत्री जी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- जहां तक, मैं फिर से इसको रिपीट करना चाहता हूं कि हम इस एक्ट के माध्यम से ना व्यापार करना चाहते हैं, ना हम किसी गरीब को परेशान करना चाहते हैं, किसी किसान का हक नहीं मारना चाहते हैं. मेरा कहना है कि भी जो लखपति होगा, वह करोड़पति बन जायेगा और जो करोड़पति होगा वह अरबपति हो जायेगा, क्योंकि डेव्हलपमेंट होने के बाद वहां की जमीनों की कीमतें कई गुना बढ़ जाती हैं. मैं तो अभी आपको कह रहा हूं. जयवर्धन जी आप एक बार चले जाइये इंदौर और पीथमपुर के बीच हमारा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बन रहा है. आप वहां पर किसानों से जाकर मिलियेगा. वह कहेंगे कि हमारी जमीन भी अधिग्रहित करवा दो. वह यही कहेंगे, मेरे पास रोज आते हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमारी मंशा बहुत साफ है. हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का सपना साकार करना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि भारत दुनिया का सबसे ताकतवर देश बने और यह एक्ट सिर्फ प्रदेश की इकानॉमी नहीं बढ़ायेगा, बल्कि प्रदेश में रोजगार के नये संसाधन पैदा करेगा. मेरा इसलिये सभी माननीय सदस्यों से आग्रह है कि आप इस एक्ट को एक बार फिर से पढि़येगा. हम तो बहुत ओपन हैं, यदि हमसे कोई भूल हो रही होगी तो हम उसको सुधार लेंगे. विधान सभा सतत् चलने वाली प्रक्रिया है. यदि हमको ऐसा लगेगा कि इस एक्ट में हमसे गलती हो गयी तो हम फिर बिल ले आयेंगे और उसको सुधार लेंगे. पर मध्यप्रदेश के साथ, किसानों के हित के साथ, गरीब के हित के साथ, मजदूर के हित के साथ कभी समझौता नहीं करेगा. मैं इस सदन में आपके माध्यम से बहुत गारंटी से यह बात कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने पीथमपुर की बात उठायी है उसके बारे में निश्चित रूप से हमारी नीना भाभी ने भी कहा है. पीथमपुर में जो डेव्हलपमेंट हुआ है, वह प्लानिंग से नहीं हुआ और इसलिये पीथमपुर में बहुत तकलीफ है, मैं जानता हूं और इसलिये हम वहां पर महिला होस्टल भी बना रहे हैं, एक बिगड़ी हुई व्यवस्था को ठीक करना एक चुनौती तो होती है, पर हम उस चुनौती का सामना कर रहे हैं. आने वाले समय में वहां पर हम हाऊसिंग की स्कीम भी ला रहे हैं, जिससे गरीब लोगों को मकान मिल सके और प्रधानमंत्री आवास योजना की स्कीम भी लाने का प्रयास करेंगे, जिससे वहां के गरीब लोगों को आवास मिल सके. क्योंकि वहां बाहर के लोग बहुत आये हैं और बहुत छोटे कमरों में रहते हैं. मैं वहां जनसम्पर्क में गया था. मैं जब गली में गया तो देखा कि वहां पर बड़ा नारकीय जीवन, वहां पर लोग जी रहे हैं. हमारे लिये वह भी चुनौती है. हम लोग निश्चित रूप से उसकी प्लानिंग करेंगे और उसको अच्छा बनायेंगे क्योंकि वह इंडस्ट्रियल एरिया अनप्लांड डेव्हलप हुआ है. और इसलिये प्राबलम वहां के लोग फेस कर रहे हैं, पर अब हम जो भी इण्डस्ट्रियल एरिया बनायेंगे, वह प्लानिंग के साथ बनायेंगे. हम महिलाओं के लिये वहीं पर होस्टल बनायेंगे, जैसे कि हमारे मुख्यमंत्री जी ने सुबह बताया. वहीं पर होस्टल में रहें वह. महिला सुरक्षा की भी वहां पर गारंटी रहेगी. यहां के आवागमन. हमने इस एक्ट के अन्दर उम्टा का प्रावधान किया और इसमें रेल, बस, मिनिबस और यह सारा ट्रांसपोर्टेशन एक समेकित ट्रांसपोर्टे की व्यवस्था हो. जैसा जयवर्द्धन सिंह जी का भी सुझाव था कि एक कार्ड्स के अन्दर वह किसी भी पब्लिक वाहन में बैठ सकता है, ऐसी व्यवस्था हो. इस दिशा में हम लोग निश्चित रुप से मैं सदन को आश्वस्त करता हूं कि काम करेंगे. मैं इसको फिर दोहराना चाहता हूं कि हमारे बहुत सारे सदस्यों ने, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने भी यह शंका जाहिर की है कि इसमें कोई व्यक्ति विपक्ष का नहीं है. जितने विधायक हैं, उस क्षेत्र में आने वाले हैं, जो हमारी बड़ी योजना कमेटी, योजना समिति बनेगी, उसमें सारे जन प्रतिनिधि होंगे. महापौर भी है, सांसद भी है, सब लोग हैं. हां यह बात सही है कि जो आपने शंका जाहिर की थी कि ..
श्री उमंग सिंघार-- सिर्फ विशेष आमंत्रित सदस्य, यह मैंने शंका की थी. उन्हें कोई अधिकार नहीं रहेंगे, राइट्स नहीं रहेंगे किसी निर्णय के इसमें. वह मैंने शंका जाहिर की थी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय— नहीं, राइट्स तो यूं भी हमारे पास कुछ नहीं होते हैं. हम तो सुझाव देने वाले हैं, विधान सभा के पास भी क्या राइट्स हैं. सब तो सारी की सारी हम प्लानिंग बनाते हैं और सीएस को बोल देते हैं कि क्रियान्वयन करो और पूरी टीम उनकी क्रियान्यवन करती है. हम तो एक तरीके से ट्रस्टी हैं इस प्रदेश के. हम उनको सुझाव देते हैं, हम प्लानिंग करते हैं,प्लानिंग सबसे महत्वपूर्ण होती है और उसका क्रियान्वयन करना यह सबसे महत्वपूर्ण होता है.
श्री उमंग सिंघार-- फिर मुख्यमंत्री जी की जगह मुख्य सचिव को बना दो अध्यक्ष. आप भी कैसी बात करते हैं. मुख्यमंत्री हैं, मंत्री हैं, आप सब लोग निर्णय की स्थिति में रहते हैं. आपका विवेकाधीन रहता है और आप बोल रहे हैं कि हम सिर्फ सुझाव देते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय – अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को समझा नहीं पाऊंगा. मेरी शायद बुद्धि कम है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक – आप सिग्नेचर अथारिटी हैं. आप सिग्नेचर जो करते हैं, जो आगे बढ़ाते हैं, उसी के आधार पर आगे काम होते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—हां इसीलिये ना. हम लोग प्लान करते हैं, हम लोग निर्देश देते हैं, हम लोग मॉनिटरिंग करते हैं. हम लोग समीक्षा करते हैं. हम समय समय पर काम हुआ कि नहीं, वह देखते हैं. पर काम पूरा का पूरा अधिकारी करते हैं. यहां से लेकर वहां तक सारे अधिकारी करते हैं. डेमोक्रेसी की यह बहुत अच्छी खूबसूलती है, इसकी तारीफ होना चाहिये कि हमारे यहां न्यायपालिका है, कार्यपालिका है, विधायिका है. विधायिका का काम एक सीमा के अन्दर है. कार्यपालिका का काम एक सीमा के अन्दर है. हम यदि कार्यपालिका का काम करने लगेंगे, तो मेरा ख्याल है कि मर्यादा का उल्लंघन हो जायेगा. तो कार्यपालिका कार्यपालिका करे.
श्री दिनेश जैन (बोस)– कानून तो अपन बनाकर देते हैं.
अध्यक्ष महोदय—कृपया बैठिये.
श्री कैलाश विजयर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैं एक कोई और जवाब देने वाला था..
अध्यक्ष महोदय—वैसे विस्तार से दिया है आपने.
श्री कैलाश विजयवर्गीय— अध्यक्ष महोदय, एक चीज और बता देता हूं. यह आखिरी बात कहकर समाप्त कर देता हूं. यह एक तो महा नगरीय योजना समिति है, मैं इसको रिपीट कर रहा हूं. जान-बूझकर रिपीट कर रहा हूं कि इसमें शंका अधिकांश हमारे माननीय सदस्यों ने की है. महा नगरीय योजना समिति में मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में सारे जन प्रतिनिधि रहेंगे. महा नगरीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण बना है. इसमें कुछ सांसद, महापौर और कुछ चुनिन्दा विधायक रहेंगे, जो अर्बन सेक्टर के एक्सपर्ट हों. इसमें आवश्यकता पड़ेगी, तो हम बाहर के एक्सपर्ट्स को भी बुलायेंगे. यदि कोई विधायक इसमें आना चाहेगा, वह मुख्यमंत्री जी से निवेदन करेगा, तो मुख्यमंत्री जी को अधिकार होंगे कि वह उसको वहां पर सम्मिलित कर लें. यह इंट्रेस्ट के विषय होते हैं. कुछ लोग ग्रामीण क्षेत्र के एक्सपर्ट्स होते हैं, कुछ लोग अर्बन क्षेत्र के एक्सपर्ट्स होते हैं और एक महा नगरीय विकास एवं निवेश योजना है. डेव्हलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट प्लान है और एक एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण, अध्यक्ष महोदय, मैं उम्टा की बात कर रहा था. यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (UMTA) यह भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा और इसमें विभिन्न प्रकार की मोनो रेल लाना होगी तो मोनो रेल लायेंगे, मेट्रो ट्रेन लानी होगी तो मेट्रो ट्रेन लायेंगे.अध्यक्ष महोदय अभी माननीय जयवर्द्धन सिंह जी ने कहा था कि इंदौर में मेट्रो ट्रेन की अभी उपयोगिता नहीं है. यह बात सही है कि अभी उपयोगिता नहीं है परंतु हम इंदौर से उज्जैन मेट्रो को ले जा रहे हैं. उसमें बीच में सांवेर पड़ेगा, धरमपुरी पड़ेगा, आज इंदौर में किसी की ताकत नहीं है कि कोई 50 लाख में फ्लेट ले सके यदि वह इंदौर में सर्विस करता है और उसको गारंटी हो कि 10 मिनट के अंदर वह धरमपुरी से इंदौर मेट्रो से आ जायेगा तो वह धरमपुरी में फ्लेट ले लेगा. वहां पर उसको 40 लाख में फ्लेट मिल जायेगा तो अध्यक्ष महोदय विकेंद्रीकरण (Decentralization) भी होगा और एक गरीब व्यक्ति के आवास की व्यवस्था भी वह कर सकेगा. इसलिये मेट्रो ट्रेन, मोनो रेल, रोप-वे हम इन सबका प्रयोग कर रहे हैं और मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं आपके माध्यम से कि यह जो बिल है यह शहर के विकास के लिये है, प्रदेश के विकास के लिये है. अध्यक्ष महोदय, श्री अजय विश्नोई जी और डॉ. अभिलाष जी ने जबलपुर और ग्वालियर की बात कही है हम अतिशीघ्र उसके लिये भी मेट्रोपॉलिटन एक्ट लायेंगे और उसमें भी विकास करेंगे हम किसी को नहीं छोड़ेगे. रीवा तो माननीय मुख्यमंत्री जी का ससुराल है वह कैसे छूट सकता है तो इन सबमें हम लोग लायेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अंत में एक बार फिर से पूरे सदन को धन्यवाद देता हूं और मैं चाहता हूं कि सर्वानुमति से इस बिल को पास करें. यह प्रदेश का और प्रदेश को बहुत आगे बढ़ाने वाला बिल है. आपने बोलने के लिये समय दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- बहुत धन्यवाद, कैलाश जी.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक, 2025 पर विचार किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 64 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 64 इस विधेयक का अंग बने
प्रश्न यह है कि, खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
श्री कैलाश विजयवर्गीय--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक, 2025 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश महानगर क्षेत्र नियोजन एवं विकास विधेयक, 2025 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक पारित हुआ.
(सदन में मेजों की थपथपाहट)
समय 6.13 बजे
(6) कारखाना(मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025
श्रम मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि कारखाना (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. माननीय मंत्री जी इस विधेयक पर अभी आप कुछ कहना चाहते हैं. एकाध मिनट में अपनी बात कह सकते हैं.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कारखाना (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा करने के लिये मैं आपके माध्यम से अपनी बात सदन में रखना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया था. इस टास्क फोर्स द्वारा मध्यप्रदेश राज्य के लिये बदलती अर्थ व्यवस्था को देखते हुये जो परामर्श दिया था उसमें कारखाना अधिनियम 1948 में अंतर्गत किसी भी कर्मकार के कार्य के घंटे, विश्राम, अंतराल, स्प्रेड ओवर और अतिकाल कार्य के घंटे में संशोधन आवश्यक है, यह सिफारिशें की थीं. जिससे कि नियोजक और कर्मकार के बीच में एक सोहार्दपूर्ण वातावरण बनेगा और इसलिये भी यह जरूरी है ताकि रोजगार के नये अवसर प्राप्त हों. अवसर प्राप्त हों. उक्त संशोधनों से श्रमिकों की आमदनी बढ़ेगी और वह आर्थिक रूप से समृद्ध भी हो सकेंगे. साथ ही उनका कल्याण भी हो सकेगा और इसलिए इस विधेयक में जो धाराएं हैं जिनमें यह संशोधन है, धारा 54 में है कि प्रतिदिन एक मजदूर कितने घंटे कार्य करता है तो अभी 8 घंटे या 9 घंटे की समय सीमा है इसको बढ़ाकर 12 घंटे तक करने का प्रावधान इस धारा 54 के तहत है. धारा 55 में है कि उसको कितना विश्राम मिलेगा और विश्राम करने के बाद ओवरटाइम करना चाहता है तो इसके लिए उसमें 6 घंटे तक यह दोनों को मिलाकर बढ़ाया जा सकता है. उसके बीच का जो अंतराल होगा वह भी इस धारा के तहत सुनिश्चित किया गया है. धारा 56 के भीतर स्प्रेडओवर जब किसी कारखाने के भीतर वह जाता है और निकलता है तो उसकी अवधि 12 घंटे तक हो सकती है क्योंकि आगे जाकर जो हम स्लैब लेकर आ रहे हैं ओवरटाईम का अगर उसे 12 घंटे की अवधि को नहीं बढ़ाएंगे तो निश्चित रूप से वह कारखाने के भीतर रह नहीं सकता. धारा 59 में जो परिवर्तन है उस परिवर्तन में अतिकाल के लिए जो अतिरिक्त मजदूरी होगी वह एक सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे काम कर सकता है. जब आप इस अवधि को बढ़ाना चाहेंगे और उसको ओवरटाइम हमें देना है तो इसलिए स्प्रेडओवर को पहले से ही 12 घंटे किया गया है कि यदि कभी वह ओवरटाइम करता है तो उसको 12 घंटे कारखाने के भीतर रहने की अनुमति हो और वह कन्फर्नटेशन उस धारा के साथ न आए. इसलिए बाकायदा इसका बैकअप भी है कि जब सप्ताह में वह 6 दिन काम करेगा तो उसे एक दिन में 9 घंटे काम करने पड़ेंगे तो 48 घंटे होंगे. अगर वह 5 दिन काम करता है तो उसको एक दिन में 10 घंटे करने की अनुमति होगी. अगर वह सप्ताह में 4 दिन काम करता है तो वह साढ़े ग्यारह घंटे काम कर सकता है और ऑलरेडी उसके पास में 12 घंटे का स्प्रेडओवर है और इसलिए इसमें कहीं कन्फर्नटेशन नहीं होगा. इससे अधिक जब भी वह 48 घंटे से ज्यादा काम करेगा तो उसको दोगुनी मजदूरी मिलेगी. यह इस पूरे संशोधन का आधार है. धारा 65 में चूंकि अभी जितने भी हमारे श्रमिक कानून हैं उसमें पुरुष लिखा है, जबकि समानता की बात है तो पुरुष शब्द को हटाकर हम एक वयस्क कर्मकार इस शब्द का अंतर उसमें लेकर आ रहे हैं ताकि वह एक हो जाए. अभी जैसे किसी सप्ताह में उसे 48 घंटे काम करने की अनुमति है और 3 महीने के भीतर वह 125 घंटे का ओवरटाइम कर सकता था इसलिए 125 की जगह पर 144 घंटे इसी धारा 65 के तहत हमने बढ़ाने का काम किया है, लेकिन इसमें एक शर्त है कि उस कर्मचारी से सहमति लेनी होगी. यदि वह 144 घंटे काम करने को तैयार है तो ही वह करेगा, अगर वह असहमत है तो वह नहीं करेगा और जो भी वह ओवरटाइम करेगा उसकी मजदूरी दोगुनी होगी. मैंने जिन धाराओं में परिवर्तन किया है वह धाराएं बड़ी स्पष्ट हैं. इस आधार पर मुझे लगता है कि किसी श्रमिक या किसी उद्योगपति दोनों की इसमें टकराहट नहीं दिखती है. दोनों अपनी सुविधा के अनुसार, स्वतंत्रता के अनुसार अपनी आय का उपार्जन भी कर सकते हैं. अगर सप्ताह में 4 दिन काम करना है और 3 दिन उस मजदूर को खाली रखना है तो वह साढ़े ग्यारह घंटे काम करेगा और उसके बाद जो समय रहेगा उसकी दोगुनी मजदूरी उसको मिलेगी. यह स्वतंत्रता, यह आजादी उसके पास में होगी.
अध्यक्ष महोदय, मैंने अपनी बात को रखा है और मैं समझता हूं कि जो टास्कफोर्स ने सिफारिश की थी किसी मजदूर के काम करने के घंटे के बारे में, उसके रुकने के बारे में, उसकी मजदूरी के बारे में, यह विधिवत् जो संशोधन है मैं सदन के सामने रख रहा हूं, मुझे विश्वास है कि इस पर लोग अपनी राय देंगे और इसका समर्थन भी करेंगे. आपने मुझे बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर) -- अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे कारखाना विधेयक 2025 पर बोलने का अवसर दिया मैं धन्यवाद प्रकट करता हूं. कारखाना अधिनियम 1948 में जो संशोधन हमारे विधान सभा में लाए जा रहे हैं जिसमें धारा 54, धारा 55, धारा 56, धारा 60 और धारा 65 जैसा कि माननीय मंत्री जी ने उन संशोधनों के माध्यम से इनका उद्देश्य बताया, धारा 51 में पहले 9 घंटे तक का समय निर्धारित था किसी मजदूर को कम्पनी में काम करने के लिए और कानून की बाध्यता थी कि अगर कम्पनी 9 घंटे से ज्यादा काम करवाती है तो उसके ऊपर कारखाना एक्ट के तहत कार्यवाही की जाएगी. अब हम संशोधन करने जा रहे हैं कि 9 घंटे से ज्यादा समय बढ़ाया जा सकता है. अधिकतम 12 घंटे तक समय बढ़ाने का प्रावधान है. विश्राम का अन्तराल पहले फेक्ट्री एक्ट के तहत 5 घंटे के बाद नियत था लेकिन अभी जो प्रावधान किए हैं उसमें 5 घंटे से 6 घंटे का कर दिया गया है. धारा 56 के अनुसार किसी कर्मकार के कार्य की अवधि इस प्रकार व्यवस्थित की जाएगी कि धारा 55 के अधीन उसके विश्राम के अन्तरालों सहित किसी दिन साढ़े दस घंटे से अधिक नहीं होगी. धारा 59 में जहां कोई कर्मकार कारखाने में किसी दिन 9 घंटे से अधिक या किसी सप्ताह 48 घंटे से अधिक के लिए कार्य करता है. वहां अतिकार्य के लिए अपनी मजदूरी मामूली दर की दुगुनी दर. मतलब पहले प्रावधान था कि 9 घंटे से ज्यादा काम लिया जाएगा तो वो मामूली दर से दुगुनी दर पर मजदूरी पाने का हकदार होगा. लेकिन अब हम जो प्रावधान कर रहे हैं उसमें किसी कर्मकार को तत्समय हकदार हो किन्तु किसी भी अतिकाल कार्य के लिए, मतलब समय से ज्यादा वह काम करता है तो उसको ज्यादा मजदूरी नहीं दी जाएगी. धारा 65 में "पुरुष" शब्द को विलोपित किया गया है. स्त्री के लिए भी कर दिया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो संशोधन लाए जा रहे हैं. मध्यप्रदेश में जो भी मजदूर हैं, गरीब हैं वे अपने अधिकारों के बारे में नहीं के बराबर जानकारी रखते हैं. ज्यादातर देखा गया है कि मजदूर जो फेक्ट्री में काम करते हैं और जो फेक्ट्री का मालिक होता है वह मजदूरों के अशिक्षित होने का पूरा-पूरा फायदा उठाता है. पहले जहां अधिकतम 9 घंटे का काम लिया जाता था और यदि 9 घंटे से ज्यादा काम करवाया जाता था तो फेक्ट्री मालिक को उसे कानूनन ज्यादा पैसा देना पड़ता था. लेकिन अब जो मजदूर पढ़ा लिखा नहीं है अशिक्षित है उसको पता नहीं है उससे 12 घंटे काम लिया जाएगा और मजदूरी कम, उतनी ही दी जाएगी. काम के अन्तराल की अवधि जो 5 घंटे थी अब विश्राम के अन्तराल की अवधि 6 घंटे कर दी है. निश्चित ही उसको 6 घंटे बाद विश्राम दिया जाएगा और दो शिफ्ट में काम लिया जाएगा. लेकिन दो शिफ्ट में काम लेने के बाद टोटल 12 घंटे काम लेना हम चाह रहे हैं, विकसित भारत बनाने के लिए इंडस्ट्रियल कॉरीडोर बनाने के लिए लेकिन इसमें किस बात की गारंटी है कि 12 घंटे काम करने के बाद उसके मजदूरी रेट को डबल किया जाएगा. इसका प्रावधान होना चाहिए. धारा 65 में संशोधन करके "पुरुष" शब्द का विलोप किया गया है इसका मतलब यह है कि किसी कम्पनी में स्त्री यदि काम करती है तो उससे भी 12 घंटे काम लिया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय, वैसे ही मध्यप्रदेश महिला अत्याचार के मामले में नंबर वन पर आता है. महिलाओं की सुरक्षा के लिए उनके वाहनों के लिए, उनको उचित सुरक्षा प्रदान करने के लिए हमारे पास फैक्ट्रयों में कोई नियम-कानून प्रक्रिया नहीं है. अगर ऐसे में महिलाएं रात की शिफ्ट में काम करेंगी तो उनके ऊपर शोषण और अत्याचार और बढ़ने की संभावना है. मैं चाहता हूँ कि यह जो संशोधन किए जा रहे हैं निश्चित ही हम विकसित भारत की तरफ बढ़ रहे हैं. मैं इस संशोधन के माध्यम से माननीय मंत्री जी से मांग करता हूँ कि फेक्ट्रियों में मजदूरों के अधिकारों के साथ किसी भी प्रकार से अन्याय नहीं होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, मैं इन संशोधनों का विरोध करता हूँ.
श्री राजेन्द्र मेश्राम (देवसर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसलिए हृदय की गहराई से आपको धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कारखाना अधिनियम (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 1948 अन्तर्गत अतिकार्य ओवरटाइम के घंटे विश्राम अंतराल एवं स्प्रेड ओवर के प्रावधानों को लचीला बनाने हेतु कारखाना (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 प्रस्तावित किया जा रहा है. उक्त संशोधन से कर्मकार को अधिक आय अर्जित करने का अवसर मिलेगा तथा वह अपनी बढ़ी हुई आय से स्वयं के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान में सहयोगी होगा. साथ ही वह अपने परिवार को गुणवत्तापूर्ण समय दे सकेगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं उक्त विधेयक के संशोधन का समर्थन करता हूं. मोदी है तो मुमकिन है. देश की जनता मोदी जी पर इतना विश्वास करती है. मैं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री, विश्व के सर्वमान्य नेता श्रीमान् नरेन्द्र मोदी जी को ह्दय की गहराई से धन्यवाद देना चाहता हूं कि जिन्होंने 70 साल से बने हुए इतने पुराने कानूनों का सरलीकरण किया है. उन्होंने कारखाना (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2025 को भारत सरकार द्वारा एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था. इस टॉस्क फोर्स द्वारा मध्यप्रदेश राज्य के लिए बदली अर्थव्यवस्था को देखते हुए यह परामर्श दिया गया कि कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत किसी भी कर्मकार के काम के घंटे विश्राम अंतराल स्प्रेड ओवर और अतिकाल कार्य के घंटे में संशोधन आवश्यक है. इनके प्रस्ताव को इनके सुझावों को मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने और विभाग के श्रम मंत्री श्रीमान् प्रहलाद पटेल जी ने अपने प्रदेश में संशोधन करने का जो अद्वितीय कार्य किया मैं हृदय की गहराई से इनको भी धन्यवाद देना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, 31 तारीख को भी मुझे बोलने का अवसर मिला था. मैंने बताया था कि मैं जनप्रतिनिधि बनने के पूर्व में सरकार की कोल इंडिया कंपनी के सिस्टम एनसीएल में मैं कार्यरत था. भारतीय मजदूर संघ जो श्रम संगठन है मैं उसके अध्यक्ष, सचिव पद का दायित्व निर्वह्न करते हुए श्रमिकों के हित में काम किया करता था. आप और हम जानते हैं कि आजादी के पहले देश में श्रमिकों की क्या स्थिति थी. उस वक्त चार श्रम संगठन हुआ करते थे. सन् 1920 में (AITUC) बना था. सन् 1945 में (NLO) नेशनल लेबर ऑर्गेनाईजेशन बना था, तीसरा संगठन (HMS) बना था, चौथा संगठन सन् 1947 में (INTUC) बना था. तब के श्रमिक संगठन जो कार्य करते थे और राष्ट्रहित को सर्वोपरि नहीं रखा करते थे.
अध्यक्ष महोदय-- राजेन्द्र जी आप समाप्त करें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- मजदूरों के हित में राष्ट्रीयकरण किसने किया था. नाम बता दें.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें, अभी बिल और बचे हैं.
श्री राजेन्द्र मेश्राम-- अध्यक्ष महोदय, मैंने तो अभी शुरुआत ही की है.
अध्यक्ष महोदय-- शुरुआत नहीं, आप समर्थन तो कर ही रहे हो. आपके समझ में पूरा आ गया है.
श्री राजेन्द्र मेश्राम-- अध्यक्ष महोदय, पूर्व में जो श्रमिक एक हफ्ते में 48 घंटे कार्य किया करते थे. हम आज भी संशोधन के माध्यम से जो 12 घंटे लेकर आ रहे हैं. 48 घंटे का मतलब वह 6 दिन काम करता था. अगर श्रमिक अपने घर से अपने कार्य स्थल पर आता था तो उसको वह बहुत दूर लगा करता था और जब उसको 6 दिन कार्य करने के बाद सातवे दिन छुट्टी मिला करती थी तो
वह स्वयं इतना थक जाता था कि वह पूरा दिन उस छुट्टी में आराम करता था और अपने घर, परिवार, बच्चों के लिए समय नहीं दे पाता था, इसलिए आज यह जरूरी है कि इस संशोधन के माध्यम से श्रमिक सप्ताह में 4 दिन काम करेगा और 3 दिन का उसे आराम मिलेगा. जिसमें वह 1 दिन स्वयं आराम करेगा और 2 दिन अपने परिवार कों समय देगा.
अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि एक सप्ताह में कार्य के 48 घंटे होते हैं, इन घंटों में परिवर्तन नहीं किया गया है और श्रमिक के हित में काम किया गया है. ओवर टाइम का उसे दुगुनी दर से भुगतान होगा और श्रमिक पर कोई भार नहीं होगा. उसे स्वतंत्रता होगी कि वह अतिरिक्त कार्य करे या नहीं. यदि वह ओवर टाइम करता है तो उसे लिखित में देना होगा, यह उस कारखाने के मालिक और श्रमिक के बीच आपसी अनुबंध होगा और तभी वह ओवर टाइम कर सकता है. आपने मुझे बोलने के अवसर दिया, इसलिए धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- श्री रामनिवास शाह जी का नाम इसमें है, लेकिन मेरा अनुरोध है कि आप अगले विधेयक पर बोलिये. मेरा आग्रह था कि दोनों पक्षों से केवल एक-एक सदस्य ही बोलेंगे.
श्री रामनिवास शाह (सिंगरौली)- अध्यक्ष महोदय, मैं, इस विधेयक का समर्थन करता हूं.
श्रम मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल)- अध्यक्ष महोदय, इस बिल में सभी चीज़ें स्पष्ट हैं. मैं माननीय सदस्य अलावा जी एवं मेश्राम जी का धन्यवाद करता हूं, लेकिन अलावा जी से निवेदन करूंगा, एक तरफ हम समानता की बातें करते हैं और दूसरी तरफ हम दूसरी बातें करते हैं. इसमें स्पष्ट यह है कि गांव में रेजा और बेलदार की मजदूरी अलग-अलग होती थी. हम जो काम करते हैं तो हम यह मानते हैं कि यह खतरनाक काम है, यह काम महिलायें नहीं कर सकती हैं, वह ज़माना चला गया, अब वे सेना के हवाई जहाज भी उड़ाती हैं. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि ये बातें नहीं करनी चाहिए. दूसरा उन्होंने इस विधेयक का जो इंटरप्रिटेशन (व्याख्या) किया है, वह गलत है पहले 9 घंटे के कार्य के बाद एक प्रतिबद्धता थी कि आप वहां काम नहीं कर सकते. अगर आप उसे 12 घंटे नहीं करेंगे तो वह नहीं हो सकता. उसका इंटरप्रिटेशन यह नहीं है कि हम श्रमिक के विश्राम के समय को घटा रहे हैं. वह श्रमिक की मर्जी़ पर है, लेकिन दोनों की समयावधि 12 घंटे है, इसलिए इसे दोनों धाराओं में हमने अलग किया है. जहां तक सवाल अतिकाल (ओवर टाइम) की मजदूरी का है, उसे भी माननीय सदस्य अलावा जी ने गलत ढंग से इंटरप्रिटेट किया है. हमने बड़ा स्पष्ट कहा था कि जब सप्ताह में 6 दिन काम करेंगे तो 9 घंटे से अधिक या श्रमिक 5 दिन काम करता है तो 10 घंटे से अधिक या जब सप्ताह में 4 दिन काम करता है तो 11.30 घंटे से अधिक और सवैतनिक अवकाश के दिन काम करता है कर्मकार को दुगुनी दर से मजदूरी प्राप्त होगी.
अध्यक्ष महोदय, मेश्राम जी ने उद्योग मे काम किया है उन्होंने इसे बड़ी सरल भाषा में कहा है. मुझे लगता है कि ऐसा इस विधेयक में कुछ भी नहीं है, हम अगर अतिरिक्त घंटे, 3 माह में 125 घंटे हैं, जो ओवर टाइम वह कर सकता है, उसको यदि हम 144 घंटे बढ़ाते हैं, तो स्वाभाविक है उसे उतने दिन की दुगुनी मजदूरी ज्यादा मिलेगी, लेकिन उसमें यह शर्त है कि जब तक उसकी लिखित सहमति नहीं होगी, तब तक उससे ओवर टाइम लिया नहीं जा सकता. यह आज़ादी कर्मकार को दी गई है. मुझे लगता है कि इस विधेयक में कहीं कोई संदेह नहीं है और हम मध्यप्रदेश के विकास की बात करते हैं तो काम करने के घंटों को बढ़ाना और उसके बदले उसकी इच्छा के अनुरूप उसकी उचित मजदूरी देना, महिला और पुरूषों के बीच में समान अधिकार की बातें होती हैं लेकिन कानून के तहत, आज यह अंतर भी समाप्त हो जायेगा, इसलिए मैं, सदन से आग्रह करता हूं कि इस संशोधन विधेयक का समर्थन करते हुए इसे सर्वसम्मति से पारित किया जाये.
(मेजों की थपथपाहट)
6.35 बजे
(3) मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना (संशोधन) विधेयक, 2025
(क्रमांक 15 सन् 2025)
श्रम मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना (संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. श्री फुन्देलाल सिंह मार्को जी.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी, मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना अधिनियम 1958 के संशोधन के लिए आपने यहां प्रस्तुत किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी ओर से माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहूँगा कि आप धारा 211, 216 एवं 221 में यह संशोधन लाए हैं और मैं इन पर एक साथ चर्चा करना चाहूँगा. सबसे ज्यादा लोग, जो हमारे दुकानों एवं होटलों में काम करते हैं, उनका सबसे ज्यादा शोषण होता है. बहुत सारे हमारे कानून बने हैं, निरीक्षक भी हैं, लेकिन आज भी पूरे मध्यप्रदेश में जहां भी ठेले में, होटलों में, दुकानों में, चाहे बड़े-बड़े होटल हैं, ऐसी जगह जहां बच्चे सार्वजनिक रूप से श्रम करते हैं, मजदूरी करते हैं. यह देखा गया है कि कम उम्र के बच्चे भी वहां पर काम करते रहते हैं. लेकिन उनका मूल्यांकन कौन करेगा कि वह कम उम्र के बच्चे वहां काम कर रहे हैं, हम उनको कैसे रोकें ? ताकि उनका शोषण न हो. इस दिशा में भी हम चाहेंगे कि एक ऐसा ठोस कदम हो कि इसकी पुनरावृत्ति न हो, जो वास्तविक लोग काम करने लायक हों, वह कार्य करें. और ऐसे युवा जिनके पढ़ने-लिखने की उम्र है, ऐसे बच्चे आकर काम करते हैं, तो निश्चित ही प्रतिष्ठान मालिक उनको दबाकर काम करा लेते हैं, उनका शोषण होता रहता है. इस पर थोड़ा सा कम और अधिक घण्टे जहां 8 घण्टे, 6 घण्टे हमको काम करना है, वह बच्चे सुबह से आते हैं, फिर शाम को ही घर जाते हैं एवं बाकी के समय का उनको पारिश्रमिक नहीं मिलता है और न ही उनको रेस्ट करने का समय मिलता है. मैं मानता हूँ कि इस पर थोड़ा ध्यान देना आवश्यक है.
अध्यक्ष महोदय, जो हमारे श्रमिक संगठन हैं, वे तो लड़-झगड़कर अपना न्याय ले लेते हैं. लेकिन जो असंगठित श्रमिक हैं, उनकी आज सबसे बड़ी दुर्गति है, वह बेचारे न लड़ पाते हैं, न ही अपने हक के लिए लड़ाई कर पाते हैं, न उनको न्याय मिल पाता है, इन पर भी हमारी सोच बननी चाहिए. जो अकेले-अकेले एक-एक श्रमिक कार्य करते हैं, उनके साथ भी किसी प्रकार का शोषण नहीं होना चाहिए और जो लोग 6 महीने अनवरत काम करते हैं, वे जिस प्रतिष्ठान में, दुकान में, औद्योगिक क्षेत्र में, जहां पर भी वे काम करते हैं, उनको एक वैध नियुक्ति पत्र मिलना चाहिए. वैध नियुक्ति पत्र मिलने से यह होगा कि जब भी वे लोग न्याय की लड़ाई लड़ेंगे, उस समय न्यायालय को उनके पास दिखाने के लिए प्रमाण होगा कि वह वहां पर काम कर रहा था, यह नियुक्ति पत्र है. इस तरीके से कुछ वैध नियुक्ति भी मिलना, मैं मानता हूँ कि उनके लिये हितकर होगा और ऐसे भागीदार जो भी दुकान चला रहे हैं, होटल चला रहे हैं एवं अन्य तरीके से प्रतिष्ठान चला रहे हैं, चाहे वे शेयरहोल्डर्स हों, चाहे भागीदार हों जो भी उनमें पूंजी लगा रहे हैं, उनके मालिक हैं, उन पर ध्यान दिया जाना चाहिए और उन पर भी कार्यवाही करने का प्रावधान होना चाहिए ताकि कोई भी ऐसा मालिक यदि किसी प्रकार की गड़बड़ी करता है तो संस्था और मालिक के ऊपर भी कार्यवाही होनी चाहिए. इन चीजों पर आपको ठोस कदम उठाने की जरूरत है. साथ ही श्रमिकों को न्यूनतम वेतन से कम का भुगतान नहीं होना चाहिए. इस पर हमारा कानून भी बना हुआ है कि न्यूनतम वेतन से कम भुगतान किसी भी श्रमिक को नहीं होना चाहिए, लेकिन यह देखने में आया है कि अभी पिछले समय में भी मैंने इसी सदन में कहा था कि जब रोजगार गारंटी का भुगतान करते हैं, उसी में 70-70 रुपये मजदूरी आ गई. इस तरीके से यह श्रमिक का शोषण है. इस पर हमको कड़ाई से ध्यान देना चाहिए. श्रमिक बहुत मेहनत करता है, पसीना बहाता है, मेहनत करता है. मेहनत करने वाला मजदूर, जो इस देश को बुलंदियों पर ले जाता है, वह अपना खून-पसीना लगाकर के विकास के काम करता है, ऐसे लोगों के लिए हम सरकार का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं. माननीय अध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास शाह (सिंगरौली) -- सम्माननीय अध्यक्ष जी, मैं मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना अधिनियम, 1958 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. दुकान और स्थापनाओं की प्रकृति, व्यवसाय को देखते हुए अतिकाल ओवरटाइम के प्रावधानों को लचीला बनाना ताकि कर्मकारों को अधिक आमदनी मिले और उनकी जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकें, इसके लिए भारत सरकार ने टास्क फोर्स गठित कर परामर्श दिया था कि राज्य स्तर पर ये बिल लाए जाएं. इसी निमित्त मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना अधिनियम, 1958 के अंतर्गत अतिकाल ओवरटाइम के प्रावधानों को लचीला बनाने हेतु मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना (संशोधन) विधेयक, 2025 प्रस्तावित किया जा रहा है. उक्त संशोधन से कर्मकार को अधिक आय अर्जित करने का अवसर मिलेगा तथा वह अपनी आय से स्वयं के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान में सहयोग कर सकेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उक्त विधेयक का संशोधन आपकी ओर संप्रेषित करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उक्त अधिनियम के संशोधन से श्रमिक भाइयों एवं बहनों के लिए नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे. उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा एवं बढ़ते वैश्विक परिदृश्य में नए अनुभव तथा नई चुनौतियों को स्वीकार करते हुए वे आत्मनिर्भर बनेंगे. मैं माननीय श्री प्रहलाद सिंह पटेल, श्रम मंत्री जी के उक्त विधेयक का समर्थन करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उक्त संशोधन के प्रभावशील होने पर कर्मकारों एवं नियोजकों हेतु सौहार्दपूर्ण वातावरण निर्मित होगा एवं स्थापनाओं के कार्य की प्रगति में प्रोत्साहन मिलेगा. माननीय श्रम मंत्री के उक्त विधेयक का मैं समर्थन करता हूँ. हर उन्नति में निर्माण और विकास श्रमिकों का योगदान होता है. दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम में जरूरी बदलाव पहले से मौजूद हैं, इसलिए प्रति तिमाही केवल आवश्यक ओवरटाइम जोड़ा जा रहा है. अन्य राज्यों जैसे कर्नाटक में भी यह विधेयक प्रस्तुत हुआ है. हम मजदूर कल्याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. हम श्रम सहकारी समितियों को सक्षम बनाने के लिए अधिक से अधिक तकनीकी का उपयोग करेंगे ताकि नियोक्ता एवं कर्मचारी के बीच में कोई अंतर न रहे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार की दूरदर्शिता, माननीय नरेन्द्र मोदी जी की सफलतम सरकार, उनकी दृष्टि, मध्यप्रदेश के डॉ. मोहन यादव जी की सरकार की सहयोगिता के साथ-साथ इस विधेयक की दूरदर्शिता और उसमें सम्मिलित इज ऑफ डुइंग बिजनेस के तहत स्थापनाओं में कार्य करने के घण्टों के चलते व्यापार विस्तार हो, मैं माननीय मंत्री जी के उक्त विधेयक का समर्थन करता हूँ. बधाई देता हूँ. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्री कैलाश कुशवाह जी का नाम इसमें है, लेकिन मेरा उनसे आग्रह है कि अभी आप नगरीय विकास पर बोल ही चुके हैं तो अगले और भी बहुत से बिल हैं, उन पर बोलेंगे तो अच्छा होगा. माननीय मंत्री जी.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल,मंत्री,श्रम - अध्यक्ष महोदय, इस मध्यप्रदेश दुकान और स्थापना अधिनियम 1958 के संशोधन में धाराओं का ही अंतर है.धारा-11 में दुकान और स्थापना परिभाषित है.धारा 16 में भोजन से संबंधित या घरों में काम करने वाले लोग लिस्टेड हैं और धारा 21 में अगर कोई सिनेमा या बाकी जगह पर काम करता है इसलिये धाराओं का संशोधन इसलिये दिया गया है कि इन तीनों सेक्टर्स में जिन धारा के तहत आते हैं उनका संशोधन यह है अन्यथा कोई इसमें बड़ा संशोधन नहीं है अगर मैं बात कहूं तो बात वही है कि एक सप्ताह में हम 6 घंटे ओवरटाईम की बात करते हैं लेकिन तीन महिने में पहले यह अवधि 72 घंटे थी जैसे उद्योग में 125 घंटे थी तो दुकान अनर्गाईज्ड सेक्टर्स के आसपास है तो इसमें 72 घंटे था उसको 144 घंटे बढ़ाया जा रहा है. जैसा माननीय मार्को जी ने कहा मैं उनसे निवेदन करना चाहता हूं मैंने खुद भी असंगठित क्षेत्र में काम किया है अगर सबसे बेहतर शुरुआत सबसे पहले हुई तो श्रद्धेय अटल जी के समय पर हुई थी चाहे हम सामाजिक सुरक्षा की बात करें असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की इसके पहले कभी चर्चा भी कभी नहीं हुई. भाषणों में बातें होती थीं लेकिन कभी मूर्त रूप नहीं लिया गया तो सबसे पहले प्रयोग जो हुआ था वह दिल्ली में हुआ था दिहाड़ी मजदूरों के लिये और साथ में स्ट्रीट वेंडर्स होते हैं उनके लिये दूसरा जब आईडेंटिफिकेशन की बात करते हो तो माननीय शिवराज जी ने घर में काम करने वाली महिलाओं केलिये भी आईकार्ड दिये थे बाद में संबल योजना आई आपको लगता है कि कम उम्र के बच्चे काम करते हैं अगर यह बातें आती हैं और यह आती भी हैं समाचारपत्रों में भी कई बार आती हैं तो उसके लिये बाकायदा एक टोल फ्री नंबर है 1098 उस पर आप शिकायत कर सकते हैं और उस प र कार्यवाही हो सकती है. दूसरा 181 जो सीएम हेल्पलाईन है उस पर कर सकते हैं और पृथक से अगर हम यह मानते हैं कि आईडेंटिफिकेशन है तो मैं मानता हूं कि रजिस्ट्रेशन के लिये अनर्गाईज्ड सेक्टर के जितने भी सेक्टर्स हैं जब हम लोग काम कर रहे थे तो हमने जो चार्टर दिया था उसमें यह आईडेंटिफिकेशन होना ही चाहिये ताकि रास्ते में कोई पूछे तो वह यह बता तो पाए कि हम किन क्षेत्रों में काम करते हैं जैसे कोई आदमी टाकीज में काम करता है देर रात अगर वह वापस जायेगा तो उसका आईडेंटिफिकेशन होना चाहिये. इसलिये इन तीनों धाराओं के संशोधन में यह धाराओं का संशोधन नहीं है धाराएं इसलिये लिखी गई हैं ताकि यह स्पष्ट हो सके कि धारा 11 में कौन लोग हैं धारा 16 में कौन है धारा 31 में कौन है और इसलिये मुझे लगता है कि उनके कार्यघंटे बढ़ाने भर का है और उनको ओवरटाईम इस बात के लिये मिलेगा.इतना ही इसमें कुल संशोधन है मैं बहुत लंबी बात नहीं कहना चाहता कहने के लिये तो मैं इसमें बहुत कुछ कह सकता हूं लेकिन एक बात जरूर मैं इस अवसर का लाभ उठाकर कहता हूं कि एक और बड़ी चुनौती है कि जो बच्चे जन्म के बाद छोड़ दिये जाते हैं जिनको हम निराश्रित कहते हैं जिनके माता पिता का पता नहीं होता कुछ ऐसे होते हैं जिनके माता पिता खत्म हो जाते हैं और उसके बाद वह असहाय हो जाते हैं तो उनकी तो जाति पता होती है लेकिन इनके बारहवीं तक पढ़ने के बाद कोई रास्ता नहीं था लेकिन पहली बार मैं गर्व के साथ कहूंगा कि हमने कुल 10 बच्चों को आईटीआई में निशुल्क एडमीशन दिया है जो निराश्रित थे. हमें कुछ नवाचार करने होंगे जिनका कहीं कोई एड्रेस नहीं है. महिला बाल विकास काम करता है समाज कल्याण विभाग काम करता है लेकिन कहीं न कहीं कुछ चीजें छूट जाती हैं जो बच्चे बाल श्रमिक हैं अगर वह नशे में हैं वह कहां पर जाएं उसके बाद छोड़ते हैं फिर वहीं उसी जगह पर चले जाते हैं उसके लिये भी हम नवाचार करने वाले हैं इसलिये यह संशोधन हमें लगता है कि मजदूर क्षेत्र में जितने भी कानून हैं उसके ईदगिर्द है उसके बाद भी चीजें बची रहती हैं ऐसे संशोधनों पर हमें विमर्श भी करना चाहिये और सहमति बनाकर उसको पारित भी करना चाहिये. अध्यक्ष जी इसी नियत के साथ मैं अपेक्षा करता हूं सदन से कि सदन इसको आम सहमति से पारित करेगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना(संशोधन) विधेयक,2025 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3 तथा 4 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा 4 विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बना.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, मैं,प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना(संशोधन) विधेयक,2025 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना(संशोधन)विधेयक,2025 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता है कि माननीय सदस्यगण इतनी देर तक काम करने के बावजूद भी जो आपके चेहरे पर ताजगी दिख रही है ..(हंसी).. इसकी जितनी तारीफ की जाये उतनी कम ही है और जो उपस्थिति है वह भी निश्चित रूप से उल्लेखनीय है तो मुझे लगता है कि आगे बढ़ा जाये.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष जी, अभी श्रम कानूनों पर चर्चा हुई, अधिक काम लेने पर पारिश्रमिक में वृद्धि की जाये. ..(हंसी).. मैं चाहता हूं कि तत्काल इसका पालन हो.
6.51 बजे नियम 267(क) के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय-- आज शून्यकाल की 20 सूचनायें हैं मैं उन सभी सदस्यों के नाम पढ़ रहा हूं.
1. श्री भैरो सिंह 'बापू'
2. श्रीमती सेना महेश पटेल
3. श्री कैलाश कुशवाह
4. श्री सुरेश राजे
5. श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी
6. श्री नारायण सिंह 'पट्टा'
7. श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर
8. श्री महेश परमार
9. श्री प्रीतम लोधी
10. श्री ओमकार सिंह मरकाम
11. श्री महेन्द्र नागेश
12. डॉ. रामकिशोर दोगने
13. श्री अरविन्द पटैरिया
14. श्री उमाकांत शर्मा
15. श्री आशीष गोविन्द शर्मा
16. श्री दिनेश राय 'मुनमुन'
17. श्री फुन्देलाल सिंह मार्को
18. श्री राजेन्द्र भारती
19. श्री राजन मण्डलोई
20. श्री देवेन्द्र पटेल
21. श्री पंकज उपाध्याय
मैंने जिन सदस्यों के नाम का उल्लेख किया है एक तो यह है कि हम सब लोग अगर पढ़ना चाहते हैं तो मुझे उसमें कोई आपत्ति नहीं है. (कई लोगों ने एक साथ कहा, पढ़ना चाहते हैं) चलो पढ़ना चाहते हैं तो श्री भैरो सिंह 'बापू' जी अपनी सूचना पढ़ें.
(1) जिला आगर मालवा में फसल बीमा योजना का लाभ किसानों को नहीं मिलने के संबंध में.
श्री भैरो सिंह 'बापू' (सुसनेर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
(2) मनरेगा योजना के अंतर्गत विकास कार्यों का ठप्प होना.
श्रीमती सेना महेश पटेल (जोबट)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
6.55 बजे {सभापति महोदय(डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए}
3. विधानसभा क्षेत्र 24 पोहरी के अंतर्गत बैराड़ कस्बे में एक युवक को सार्वजनिक रूप से अपमानित कराने वालों के विरूद्ध कार्यवाही बाबत्.
श्री कैलाश कुशवाह(पोहरी) -- माननीय सभापति महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि
सभापति महोदय, सबकी सी.डी.आर. जांच करके जो बोल रहे हैं कि हम वहां पर नहीं थे, उनकी जांच करवाई जाये और मैं अगर झूठ बोल रहा हूं तो मैं विधायक से इस्तीफा दे दूंगा, धन्यवाद.
4. किसानों को अतिवर्षा से राहत एवं रासायनिक खाद उपलब्ध कराने एवं वसूली स्थगित करने बाबत्.
श्री सुरेश राजे(डबरा)
-- माननीय सभापति महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि
5. विधानसभा भीकनगांव अंतर्गत आदिवासी बालक/बालिका छात्रावासों में सीट वृद्धि किये जाने बाबत्.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी (भीकनगांव) -- माननीय सभापति महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि
(6) मुख्यमंत्री जन सेवा मिश्रा की समस्या के संबंध में.
श्री नारायण सिंह पट्टा(बिछिया) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
(7) पृथ्वीपुर विधान सभा क्षेत्र के गरीब भूमिहीन परिवारों को मध्यप्रदेश शासन द्वारा धारण अधिकार के तहत पट्टे दिया जाना.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर(पृथ्वीपुर) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
मेरी विधानसभा पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी के भूमिहीन गरीब परिवारें को मप्र शासन द्वारा धारण अधिकार एवं भू अधिकार के तहत पट्टे दिए जाने थे, जबकि मेरी विधान सभा में आज तक अधिकांशा परिवारों के पास मकान हेतु जमीन ही नहीं दी गई तो वे आवास योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. गरीब भूमिहीन परिवारों को पट्टा मिलने पर ही आवास का लाभ मिल पाएगा. अधिकारियों द्वारा कुछ लोगों को पट्टा दे भी दिया गया तो प्रशासन उस पर आवास निर्माण नहीं करने देता, जिससे भूमिहीन पट्टेधारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, उनके आवास निर्माण भी नहीं हो पा रहे हैं, शीघ्र सर्वे करवाकर पात्रताधारी भूमिहीन गरीब परिवारों को पट्टे प्रदान करवाकर उनके आवासों का निर्माण कराया जाए, जिससे शासन की नीति का लाभ उन बेचारे गरीब परिवारों को मिल सके, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
(8) उज्जैन नगर निगम द्वारा निविदा प्रक्रिया में की गई अनियमितता के संबंध में.
श्री महेश परमार(तराना) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है.
( 9) शिवपुरी जिले को अत्यधिक वर्षा के कारण आपदा घोषित करने के संबंध में.
श्री प्रीतम लोधी (पिछोर) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
(10) जर्जर भवनों के कारण उत्पन्न स्थिति.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डौरी)—सभापति महोदय, मैंने अत्यंत गंभीर विषय पर ध्यानाकर्षण लगाया था. मैंने शून्यकाल नहीं लगाया था. मेरा जो ध्यानाकर्षण है उसको शून्यकाल में परिवर्तित कर दिया गया है. मैं कल एक दिन का उपवास करके गृभ-गृह में धरने पर बैठूंगा. यह मेरी जानकारी है.
(11)नरसिंहपुर जिले में जल संसाधन विभाग के कार्यों के संचालन एवं निर्माण परियोजनाओं से संबंधित प्रशासनिक विसंगतियों के संबंध में.
श्री महेन्द्र नागेश (गोटेगांव)-- मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
(12) हरदा में पुलिस प्रशासन द्वारा करणी सेना के कार्यकर्ताओं पर की गई कार्यवाही से उत्पन्न स्थिति.
डॉ.रामकिशोर दोगने—अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
श्री अरविन्द पटैरिया (अनुपस्थित)
श्री अभिजीत शाह (अंकित बाबा) -- माननीय सभापति महोदय, यह मामला मेरे जिले का है और मैं लगातार दो दिनों से ध्यानाकर्षण लगा रहा हॅूं लेकिन मुझे बोलने का मौका नहीं दिया गया है. मैं केवल इतना कहना चाहता हॅूं कि यह घटना....(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- ..(व्यवधान)...कृपया, आप बैठें. आप व्यवधान न करें. नहीं, नहीं, यह गलत तरीका है. आप बैठिए....(व्यवधान)..
श्री अभिजीत शाह अंकित बाबा -- सभापति महोदय...(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- यह आपका गलत तरीका है. आप बीच में व्यवधान न करें. यह रिकार्ड में नहीं आयेगा. आप अनावश्यक समय व्यर्थ कर रहे हैं. कृपया, आप बैठें. आपका कुछ भी रिकार्ड में नहीं आ रहा है.
श्री अभिजीत शाह अंकित बाबा -- (XXX)
सभापति महोदय -- श्री उमाकांत शर्मा जी.
(14) विधानसभा क्षेत्र सिंरोज में स्वीकृत संस्कृत विद्यालय के भवन एवं छात्रावास का जल्द निर्माण कराया जाना.
श्री उमाकांत शर्मा (सिंरोज) -- माननीय सभापति महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
हमारे सिंरोज में संस्कृत विद्यालय आवासीय बनवाने की कृपा करें. धन्यवाद, प्रणाम.
सभापति महोदय -- धन्यवाद उमाकांत शर्मा जी. श्री आशीष गोविन्द शर्मा जी.
(15) देवास जिले के अंतर्गत हरदा से कन्नौद को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण अधूरा होने से उत्पन्न स्थिति.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव) -- माननीय सभापति महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
श्री दिनेश राय मुनमुन -- अनुपस्थित.
(17) तहसील बांधवगढ़ जिला उमरिया में आयोजित महिला सम्मेलन एवं रोजगार दिवस कार्यक्रम में सम्मिलित हितग्राहियों की बस दुर्घटना में मृतकों एवं घायलों को मुआवजा न मिल पाना.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) -- माननीय सभापति महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
दतिया विधान सभा क्षेत्र के ग्राम रिछारी में हाईस्कूल खोला जाना
श्री राजेन्द्र भारती (दतिया) - सभापति महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार से है - दतिया विधान सभा क्षेत्र के ग्राम रिछारी में हाईस्कूल नहीं है. यहां के ग्राम में लगभग 250 छात्राएं होंगी. इस ग्राम के बच्चे ग्राम मुरेरा में पढ़ने जाते हैं. रास्ते में दो पुल रेलवे के आते हैं, जिससे विशेषकर छात्राओं का शिक्षा स्तर 8वीं तक ही रहता है. हमारी पुरजोर मांग यही है कि यहां पर हाईस्कूल खोलने की अनुमति प्रदान करें.
बड़वानी जिले के अंतर्गत सरदार सरोवर बांध परियोजना से विस्थापित/प्रभावित परिवारों की शिकायतों/समस्याओं का समाधान न हो पाना
श्री राजन मण्डलोई (बड़वानी) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार से है -
श्री देवेन्द्र पटेल - (अनुपस्थित)
अतिवृष्टि के कारण मुरैना जिले में आई बाढ़ से जलमग्न गांवों में राहत एवं बचाव कार्य प्रारंभ किया जाना
श्री पंकज उपाध्याय (जौरा) - सभापति महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार से है - अतिवृष्टि के कारण चंबल नदी में भयंकर बाढ़ आ गई थी जिसके कारण मुरैना जिले के अनेक गांव जलमग्न हो गये. इनमें मेरे विधान सभा क्षेत्र के बीलगाढ़ा, होरवरा, जुगुरआपुरा, बैद्यपुरा, बहादुरपुरा, बरसेनी, छऊआपुरा, आमलीपुरा चिचौनी चंबल कलुआपुरा गांव भी शामिल हैं. बाढ़ के कारण यह गांव डूब गये थे और घरों में पानी भर गया था, जिसके कारण अनाज पशुधन एवं अन्य सारी फसलें नष्ट हो गईं. बाढ़ से भारी आर्थिक नुकसान हुआ. लोगों को आवागमन में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा. कई परिवार सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने के लिए मजबूर हुए हैं. प्रभावित गांवों में तत्काल राहत और बचाव कार्य प्रारंभ करते हुए आवश्यक खाद्य सामग्री पीने के पानी की व्यवस्था की जाय. इन लोगों के लिए क्योंकि चंबल नदी के तटीय गांव में मल्हार केवट समाज के अत्यंत पिछड़े व दबे तबके के परिवारजन सदियों से निवास करते हैं. इन्हें नदी के तट से निकालकर ऊंचे स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था की जाय और इनके रोजगार की व्यवस्था की जाय ताकि यह जीवन-यापन सही तरीके से कर सकें. धन्यवाद.
सभापति महोदय - विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 6 अगस्त, 2025 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है.
अपराह्न 7.20 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 6 अगस्त, 2025 (15 श्रावण, शक संवत् 1947) को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल ए. पी. सिंह
दिनांक : 5 अगस्त, 2025 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा