मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2024 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 5 जुलाई, 2024
(14 आषाढ़, शक संवत् 1946)
[खण्ड- 3] [अंक- 5]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 5 जुलाई, 2024
(14 आषाढ़, शक संवत् 1946 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत् हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
मत्स्य पालन हेतु आवंटित जलाशय
[मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास]
1. ( *क्र. 1740 ) श्री प्रणय प्रभात पांडे : क्या राज्य मंत्री (स्वत्रंत प्रभार), मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बहोरीबंद विधानसभा-क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2020-21 से प्रश्न-दिनांक तक कितने जलाशयों एवं ग्रामीण-तालाबों का पट्टा मत्स्य-पालन हेतु किन-किन मछुआ-सहकारी-समिति/स्व-सहायता समूहों को प्रदाय किया गया, कितनों में पट्टा अवधि-पूर्ण होने पर पट्टे की कार्यवाही किस स्तर पर लंबित हैं? सूची देवें। (ख) मछुआ-सहकारी-समिति का गठन किस आधार पर किन नियमों के तहत किया जाता है? नियमों की छायाप्रति देवें। वित्त वर्ष 2020-21 से प्रश्न-दिनांक तक बहोरीबंद-विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कहां-कहां पर नवीन-समितियां गठित की गईं? जलाशयों के क्षेत्रफल, सदस्यों के नाम-पता सहित-सूची देवें। (ग) शासकीय-जलाशय/ग्रामीण तालाबों को मत्स्य-पालन हेतु मछुआ-सहकारी समितियों/स्व-सहायता-समूहों को प्रति-सदस्य न्यूनतम कितने हेक्टेयर जल ग्रहण-क्षेत्र आवंटित किए जाने के शासन के स्थाई दिशा-निर्देश हैं एवं यह भी बतलावें कि क्या इनका पालन प्रश्नांश 'क' में आवंटित बहोरीबंद-विकासखंड के छपरी और मसंधा-जलाशय के आवंटन में किया गया है? यदि हाँ, तो कार्यवाही की छायाप्रति देवें? यदि नहीं, तो इसका दोषी कौन है? (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित बहोरीबंद-विधानसभा क्षेत्र के छपरी और मसंधा-जलाशय के आवंटन में स्वामित्व की ग्राम पंचायतों/जनपद-पंचायतों/कृषि स्थाई समिति से अनुशंसा प्राप्त की गई है? यदि हाँ, तो अनुशंसा की छायाप्रति देवें? यदि नहीं, ली गई तो इसका दोषी कौन है? (ड.) प्रश्नांश (क) एवं (घ) के संदर्भ में क्या शासन कटनी जिले में पदस्थ सहायक-संचालक मत्स्योद्योग को अन्यत्र स्थानांतरित कर जलाशयों के आवंटन में की गई अनियमितता की जांच करायेगा? उत्तर में यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
राज्य मंत्री (स्वत्रंत प्रभार), मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास ( श्री नारायण सिंह पंवार ) : (क) बहोरीबंध विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत प्रश्नांश अवधि से प्रश्न दिनांक तक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) मछुआ सहकारी समिति का गठन मछुआ नीति 2008 के भाग 2 के निर्देशानुसार किया जाता है। वर्ष 2020-21 से प्रश्न दिनांक तक बहोरीबंध विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत किवलहरा चरगंवा, छपरी, गुजिकला कुल 04 मछुआ सहकारी समिति का गठन किया गया। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) शासकीय जलाशय/तालाबों को मत्स्य पालन हेतु समितयों/स्व-सहायता समूहों को प्रति सदस्य जलग्रहण क्षेत्र मछुआ नीति 2008 के भाग-2 की कंडिका 2.1 अनुसार किया जाता है। वर्तमान में छपरी ओर मसंधा जलाशय किसी भी समिति को आवंटित नहीं है। आवंटन की कार्यवाही जनपद पंचायत बहोरीबंध की कृषि स्थायी समिति स्तर पर लंबित है। (घ) बहोरीबंध विधान सभा के जनपद पंचायत बहोरीबंध स्वामित्व के छपरी और मसंधा जलाशय आवंटित नहीं है। कार्यवाही जनपद पंचायत बहोरीबंध की कृषि स्थायी समिति में विचाराधीन है। (ड.) प्रश्नांश (क) में वर्णित जलाशयों का आवंटन मछुआ नीति 2008 के निर्देशानुसार ही कार्यवाही की गई है। अत: जांच कराने की स्थिति नहीं है।
श्री प्रणय प्रभात पांडे:- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहोरीबंद विधान सभा क्षेत्र में कुल 109 छोटे-बड़े जलाशय, मेरे प्रश्न कंडिका -क के उत्तर में बताया गया है. इसमें 16 जलाशयों में 10 में मत्स्य का काम होता है तो वर्ष 2020-21 के प्रश्न दिनांक तक कुल 16 आवंटित किये गये हैं. इसमें 93 जलाशय आवंटन की कार्यवाही जनपद स्तर पर आज तक लंबित है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से प्रश्न है कि वर्ष 2020-21 से प्रश्न दिनांक तक इतनी अधिक संख्या में आवंटन लंबित हैं तो उनका निराकरण क्यों नहीं हुआ और कब तक होगा.
श्री नारायण सिंह पंवार:- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न जिस तारतम्य में लगाया गया है, मैंने उसका उत्तर देने का प्रयास किया गया है. बहोरीबंद विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत प्रश्नांश अवधि से प्रश्न दिनांक तक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है.
(ख) मछुआ सहकारी समिति का गठन मछुआ सहकारी समिति का गठन मछुआ नीति 2008 के भाग -2 के निर्देशानुसार किया जाता है. वर्ष 2020-21 से प्रश्न दिनांक तक बहोरीबंद विकासखण्ड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत किवलहरा, चरगंवा, छपरी, गुजिकला कुल चार मछुआ सहकारी समिति का गठन किया गया है. विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिश्ष्टि -ब अनुसार है.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय मंत्री जी, जो सदस्य का प्रश्न है उसका ही सिर्फ उत्तर दें, जो आपने उत्तर दे दिया है, वह तो प्रश्नोत्तरी में छपा हुआ है ही उनके पास.
श्री नारायण सिंह पंवार:- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने चार समितियों का आवेदन दिया है और चारों समितियों का निराकरण जनपद पंचायत में होना है. कृषि स्थायी समिति में भी वह लंबित है उसका निराकरण नहीं पाया है जब तक वहां से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ेगी. दो बार वह जिला पंचायत, जनपद पंचायत से लौटकर जा चुका है इसलिये लंबित है. श्री प्रणय प्रभात पांडे - अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2020 से 93 मामले लंबित हैं, यह विभाग के, जनपद के बीच में आपस की लड़ाई में, ऐसे बहुत से समाज के लोग हैं, जैसे मछुआ समाज, आदिवासी समाज, इनका सीधा सीधा रोजगार छीना हुआ है. यह 93 समूह कम नहीं होते हैं, इन्होंने कोई 16 समूह की परमिशन कराई है. चूंकि विभाग की भी जवाबदारी होती है. 93 समूहों का आप अंदाज लगाइए कि कितना बड़ा समूह होता है, जिनको रोजगार मिलेगा. आज वे रोजगार से वंचित हैं. कहीं वे जनपद के चक्कर लगा रहे हैं, कहीं वे जिले के चक्कर लगा रहे हैं. आज यह स्थिति कैसे सुधरेगी, इसके लिए आपसी व्यवस्था चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय, चूंकि यह जनपद पंचायत में लंबित है, बिल्कुल सही बात है. माननीय मंत्री जी सही कह रहे हैं परन्तु इसके लिए कोई ऐसी व्यवस्था बननी चाहिए कि मान लें कि जनप्रतिनिधियों का आपस में तालमेल नहीं हो पा रहा है तो कोई ऐसी समिति बना दी जाय, जिसमें एसडीएम, तहसीलदार, जनपद के कुछ सदस्य, ऐसे करके जनपद स्तर की एक समिति होना चाहिए, जिससे जो 5-5 साल, 6-6 साल मामले लंबित रहते हैं, वह लंबित रहना बंद हो जाय .
श्री नारायण सिंह पंवार - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को निवेदन करना चाहता हूं कि उनकी पीड़ा भी सही है कि वर्षों से यह लंबित है. इनमें आपसी तालमेल हो नहीं पाता है. इसमें मेरा इतना निवेदन है कि हमने वहां के एडीएफ से बात करके, उनका सूचना करके कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ से चर्चा करके कोशिश करेंगे कि इसका समाधान जल्दी हो जाय.
श्री प्रणय प्रभात पांडे - अध्यक्ष महोदय, यह कब तक हो जाएगा, यह आश्वासन मिल जाय क्योंकि पिछले 5 साल पहले भी यह प्रश्न लगाया था, 3 साल पहले भी यही जवाब आया था, आज फिर वही जवाब है, इसका निराकरण हो जाएगा, 93 समूह आज भी रोजगार के लिए वंचित हैं.
श्री नारायण सिंह पंवार - अध्यक्ष महोदय, कोशिश करेंगे कि जल्दी से समाधान हो.
पट्टे की भूमि से वन विभाग द्वारा बेदखली
[वन]
2. ( *क्र. 831 ) श्री मोहन सिंह राठौर : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्वालियर जिले में जिन किसानों की भूमि राजस्व रिकॉर्ड में उनके नाम से भूमि स्वामी अंकित है एवं जिन्हें वन अधिकार पत्र दिये गए हैं, को वन विभाग बेदखल कर रहा है? ऐसा क्यों? (ख) सन 2006 के बाद किसानों की भूमि विगत तीस वर्षों से किसानों के नाम अंकित थी, इनकी के.सी.सी. भी बन चुकी है, ऐसी भूमियों पर अहस्तांतरणीय उल्लेखित किया गया है, यह किस आदेश से? कृपया आदेश की प्रति उपलब्ध करायें एवं अहस्तांतरणीय शब्द कब हटाया जायेगा? अवगत करावें। (ग) तहसील घाटीगांव, आंतरी, चीनौर एवं भितरवार के अंतर्गत प्रश्नांश (क) अनुसार कितने-कितने पट्टेदारों को वन विभाग द्वारा बेदखल किया गया है/किया जा रहा है? जानकारी तहसीलवार, नामवार उपलब्ध कराई जावे।
वन मंत्री ( श्री नागर सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं, शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) कार्यालय कलेक्टर जिला ग्वालियर के आदेश क्रमांक/1828, दिनांक 30.07.2012 के द्वारा अहस्तांतरणीय अंकित किया गया। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। ''अहस्तांतरणीय शब्द कब हटाया जायेगा'' के संबंध में निर्णय शासन के निर्देशों के अधीन रहेगा। (ग) उत्तरांश 'क' अनुसार प्रश्नाधीन तहसील में पट्टेदारों को बेदखल नहीं किया गया है।
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं यह जानना चाहता हूं कि ग्वालियर जिले की भीतरवार विधान सभा क्षेत्र में जो आदिवासी हैं, उन्हें लगातार पिछले 1 वर्ष से बेदखल किया जा रहा है और उसकी जो जानकारी दी गई है, वह पूरी तरह से असत्य है क्योंकि वहां पर मेरी जानकारी में करीबन 500 ऐसे आदिवासी हैं, जिनकी मैं सूची उपलब्ध करा सकता हूं कि जिनको वनाधिकार के पट्टे मिले. भू अधिकार के पट्टे मिले और आज उनको वर्तमान में जो वहां डीएफओ है, उनका जो निचला स्टॉफ है जो आदिवासी क्षेत्रों में निवास करता है, वह पूरी तरह से उनको विस्थापित कर रहा है, उनको वहां से हटा दिया है. पहले तो जब उनके पास में घर नहीं हुआ करते थे तब वे विस्थापित हो जाते थे. आज उनको माननीय मोदी जी ने घर दिये हैं. ऐसी स्थिति में वे अपने घरों को छोड़ नहीं सकते, उनको वन की जमीनों से बेदखल किया जा रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि उनकी बेदखली की कार्यवाही रोकी जाएगी क्या? और रोकी जाएगी तो कब तक रोकी जाएगी? उसमें जो दोषी अधिकारी हैं जिन्होंने उनको अभी बेदखल किया है, उनके विरुद्ध भोपाल स्तर के एक वरिष्ठ अधिकारियों की एक कमेटी बनाई जाय और उस कमेटी में स्थानीय विधायक को रखा जाय और पूरी जांच हो जाय कि कितने लोगों बेदखल किया गया है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, मैंने आज सुबह भी जानकारी ली. मुझे तो जानकारी यह दी गई है कि एक भी ऐसा पट्टाधारी जिसको कि पट्टा मिला हो, उसको नहीं हटाया गया है. परन्तु जो माननीय विधायक जी कह रहे हैं तो वह सबूत दे देंगे तो मैं वहां के अधिकारियों को सस्पेंड कर दूंगा, जिन्होंने यह जानकारी भेजी है, परन्तु यह है कि तथ्य के साथ वह बता दें कि किस-किस के पट्टे हैं और इनको हटाया गया है. जो 40 साल से वहां पर जितने भी पट्टाधारी रह रहे हैं उसमें से एक भी नहीं हटाया गया है, यह मुझे जानकारी दी गई है और यदि यह गलत जानकारी होगी तो अधिकारी के खिलाफ हम कार्यवाही करेंगे.
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में 50 हजार से अधिक आदिवासी हैं, उनकी सूचियां हैं. अगर आप एक कमेटी बनाएंगे, जो उसकी जांच करे क्योंकि स्थानीय अधिकारी भ्रमित जानकारी दे रहे हैं. मैं डीएफओ साहब से मिल चुका. मैं सीएफ साहब से मिल चुका. मैंने कलेक्टर साहब से भी बात की, इनका यह कहना है कि दोनों ही विभागों में कोई तालमेल नहीं है. राजस्व विभाग कहता है कि यह हमारी जमीन है. वन विभाग कहता है कि हमारी जमीन है और दोनों के लड़ाई झगड़े में आदिवासी विस्थापित हो रहा है. आदिवासियों की संख्या वहां पर ज्यादा है. एक भी आदिवासी बेदखल नहीं होना चाहिए, यह आश्वासन मुझे सदन से चाहिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को और सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि डॉ. मोहन यादव जी की सरकार यह है. हम प्रतिबद्ध हैं. ऐसा कोई भी आदिवासी भाई जो पट्टाधारी है, उसको बिल्कुल नहीं हटाया जाएगा, इस बात की मैं जवाबदारी लेता हूं और सदन में घोषणा करता हूं. (मेजों की थपथपाहट)..
श्री मोहन सिंह राठौर -- अध्यक्ष महोदय, मेरी एक जानकारी है कि जिन लोगों को पहले पट्टे दिये गये थे, 12 वर्ष के लिए उनको...
अध्यक्ष महोदय -- मोहन जी, समुचित उत्तर आ गया है अब बाकी के लिए मंत्री जी से आप मिलकर बात कर लें.
श्री मोहन सिंह राठौर -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद.
नर्मदा-गंभीर समूह जल प्रदाय परियोजना
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
3. ( *क्र. 1788 ) श्री सतीश मालवीय : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नर्मदा-गंभीर समूह जल प्रदाय परियोजनान्तर्गत उज्जैन जिले के कितने ग्रामों को जोड़ा गया है एवं इस संपूर्ण परियोजना पर किस-किस कार्य हेतु कितनी-कितनी राशि का व्यय किया जाना है? डी.पी.आर. के अनुसार संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार घट्टिया विधानसभा के उक्त परियोजना से कितने ग्राम जुड़ रहे हैं और कितने ग्राम परियोजना से छूटे हुए हैं? छूटे हुए ग्रामों को कब तक जोड़ा जावेगा? ग्रामवार संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) उक्त परियोजना निर्माण एजेन्सी के कार्यादेश से कार्य कब तक पूर्ण होना है? कार्यों के पूर्ण होने की समय-सीमा क्या है? संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (घ) क्या उक्त परियोजना में कार्य करने वाली निर्माण एजेन्सी द्वारा ग्रामों के अन्दर पेयजल पाइप लाइन डालने में सीमेन्ट कांक्रीट रोड एवं अन्य सड़कों को खोदकर जीर्ण-शीर्ण कर दिया गया है, जिससे ग्रामीणों को आवागमन में काफी असुविधा होती है? उक्त ग्रामों की सड़कों को कब तक सुधारा जावेगा?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्रीमती संपतिया उइके ) : (क) नर्मदा-गंभीर परियोजना अंतर्गत उज्जैन जिले के 830 ग्रामों को जोड़ा गया है एवं अनुबंधानुसार संपूर्ण परियोजना कार्य हेतु राशि के प्रावधानित व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 अनुसार है। डी.पी.आर. की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 02 अनुसार है। (ख) नर्मदा-गंभीर परियोजना अंतर्गत घट्टिया विधानसभा के समस्त 254 ग्रामों को जोड़ा गया है, कोई भी ग्राम छोड़ा नहीं गया है। उक्त परियोजना में सम्मिलित ग्रामों की ग्रामवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 03 अनुसार है। (ग) उक्त परियोजना निर्माण एजेंसी के कार्यादेश से दो वर्ष, सितम्बर 2025 तक पूर्ण होना है। कार्यों के पूर्ण होने की समय-सीमा की संपूर्ण जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 अनुसार है। (घ) जी नहीं, निर्माण एजेंसी द्वारा पेयजल पाइप-लाइन डालते समय सीमेंट कांक्रीट रोड एवं अन्य सड़कों को आवश्यकतानुसार खोदा जाता है तथा पाइप लाइन टेस्टिंग के उपरांत खोदी गई सड़कों को अनुबंधानुसार पुनः यथावत कर दिया जाता है।
श्री सतीश मालवीय -- अध्यक्ष महोदय, मैं सर्वप्रथम मध्यप्रदेश की सरकार, केन्द्र की सरकार को भी आपके माध्यम से धन्यवाद देना चाहूंगा कि इतनी अति महत्वपूर्ण योजना को चलाया जा रहा है जो कि विगत कई वर्षों से पानी की समस्याओं से कई सारे गांव जूझ रहे थे. मेरी विधानसभा में करीब 254 गांव हैं. उन 254 गांवों में नर्मदा का पानी जाने वाला है, इसके लिए मैं आपके माध्यम से सरकार को और सब लोगों को धन्यवाद देना चाहता हॅूं. साथ ही मेरे प्रश्न "घ" की बात करूंगा, उसमें मैंने यह पूछा है कि कितनी सड़कें हमारे विधानसभा क्षेत्र में पेयजल पाइपलाईन को डालते समय खोदी गई हैं, वह कितने समय के अंदर बन जाएगीं, ताकि ग्रामीण जनों को इस बरसात के मौसम में समस्याओं का सामना न करना पडे़. यह मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हॅूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं माननीय विधायक जी को धन्यवाद देना चाहता हॅूं कि उन्होंने प्रधानमंत्री के जल-जीवन मिशन की प्रशंसा की है और हमारे देश के प्रधानमंत्री जी जब गरीब कल्याण की बात करते हैं तो उनका सपना है कि हर घर के अंदर नल-जल हो और मुझे कहते हुए बहुत गर्व है कि इस मिशन की शुरूआत वर्ष 2019 में लालकिले के प्राचीर से हुई थी और उस वक्त 3 लाख करोड़ की योजना थी, आज यह विश्व की सबसे बड़ी नल-जल योजना है जो अब 12 लाख करोड़ की हो गई है. (मेजों की थपथपाहट) और प्रत्येक घर में नल से शुद्ध पानी मिले, इसका सपना माननीय प्रधानमंत्री जी का है और यह सपना हम पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. आपने जैसा कि कहा है, कुछ सड़कें काफी टूटी हैं. निश्चित रूप से काम हुआ है तो सड़कें टूटी होगीं. मैं आपको आश्वस्त करता हॅूं कि उन सब सड़कों को बनाने का काम विभाग करेगा और साथ में यह भी आपकी एक शिकायत थी कि आपके यहां कैसे काम होता है, यह आपको जानकारी नहीं मिलती. मैं अधिकारियों को निर्देश दे रहा हॅूं कि आपके साथ एक बार बैठकर पूरी कार्ययोजना आपसे समझ लें और आपके साथ चाहें तो आपको जो तकलीफ हो, वह उनको बता भी सकते हैं.
श्री सतीश मालवीय -- जी, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं धन्यवाद देना चाहता हॅूं. एक और छोटा-सा मेरा प्रश्न है चूंकि ये सड़कें तो आपके माध्यम से जरूर बनेंगी ही सही, लेकिन चूंकि इसके मापदण्ड ऐसे हैं कि 4 इंच की सड़कें बनायी जाएगीं और ग्राम पंचायतों के द्वारा अन्य मद से 8 इंच की सड़कें बनेंगी तो यह आने वाले समय में 4 इंच की सड़कें न बनते हुए, जो 8 इंच की सड़कें हैं, वह बनाईं जाए, ताकि अगर कुछ फंड की भी आवश्यकता हो, तो चूंकि आप सह्दयी हैं, आप उच्च सदन पर बैठे हैं. सभी विधायकों को भी बिना भेदभाव के मिल रहा है और आपका भी आशीर्वाद बिना भेदभाव के दोनों दलों को मिल रहा है, तो मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा कि मेरी विधानसभा में जितनी भी सड़कें खुदी हैं, वह 4 इंच की बजाय, 8 इंच की गुणवत्ता के साथ बने, ऐसा मेरा आपसे निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- सतीश जी, पर्याप्त उत्तर आ गया है. अब इसके बाद सप्लीमेंट्री बनता नहीं है. यदि माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहें तो कहें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, जो टेण्डर की शर्त है उसमें तो यह है कि जैसी सड़कें हैं वैसी ही बनेंगी. यदि 4 इंच की होगी, तो 4 इंच की बन जाएगी. 8 इंच की होगी, तो 8 इंच की बन जाएगी. 4 इंच की तो बनवा लो, बाद में 8 इंच की और बनवा देंगे. (हंसी)
श्री सतीश मालवीय -- अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
जल समूह योजना के तहत जल जीवन मिशन की जानकारी
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
4. ( *क्र. 1800 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) जल समूह योजना के तहत जल जीवन मिशन से सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में कितने ग्राम खेड़े, मजरे, टोले, आबादी में पाइप लाइन पहुँचाने का कार्य नहीं हो पाया है? जानकारी देवें। (ख) लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी द्वारा नवीन पेयजल योजना एवं रेट्रोफिटिंग योजना जो वर्ष 2020 से 2023 तक दी गई है, उसे क्या जल समूह के अंतर्गत समाहित कर पेयजल उस ही नियम के तहत उपलब्ध कराया जावेगा? (ग) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र के नवीन एवं रेट्रोफिटिंग कितने ग्रामों एवं पंचायतों में संचालित हो रही है एवं जल समूह का कार्य कितने ग्राम एवं पंचायत में कार्य किया जा रहा है? जानकारी देवें। (घ) जल समूह योजना के तहत जल जीवन मिशन कार्य योजना में कितने ग्राम एवं पंचायत में कनेक्शन हेतु पाइप डालकर रोड मरम्मत का कार्य कर दिया गया है? ग्राम एवं पंचायत के नाम सहित जानकारी देवें।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्रीमती संपतिया उइके ) : (क) गांधीसागर-1 समूह जलप्रदाय योजना के तहत् जल जीवन मिशन अंतर्गत सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में 208 ग्रामों एवं इन ग्रामों के सभी खेडे, मजरे, टोले, आबादी में पाइप-लाइन बिछाने संबंधित कार्य प्रगतिरत है। ग्रामों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है, शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी हाँ। बल्क वॉटर सप्लाई ग्रामों में गांधीसागर-1 समूह जल प्रदाय योजना से एक निश्चित स्थान पर बल्क मात्रा में पेयजल प्रदाय किया जावेगा। (ग) नवीन एवं रैट्रोफिटिंग नल-जल प्रदाय योजनाएं 71 ग्राम पंचायतों के 84 ग्रामों में क्रियान्वित हो रही है। जल निगम द्वारा गांधीसागर-1 समूह जलप्रदाय योजना अंतर्गत सुवासरा विधानसभा क्षेत्र की 111 ग्राम पंचायतों के 208 ग्रामों में कार्य किया जा रहा है, शेष 84 ग्रामों में बल्क सप्लाई द्वारा एक निश्चित स्थान पर बल्क मात्रा में पेयजल प्रदाय किया जायेगा। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री हरदीप सिंह डंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा यही प्रश्न है जो अभी सतीश जी ने रिपेयरिंग की बात कही, तो इसमें मैंने पूछा था कि कौन से मजरे-टोले बाकी हैं, कौन-सी बस्ती बाकी हैं जहां पर यह पाइपलाइन नहीं डाली गई हैं तो इसमें लिखा है कि कार्य प्रगति पर है और यहां पर आपने सीबीटी कटिंग की जो जानकारी दी है, उसमें जीरो-जीरो मतलब कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ है तो जहां पर बाकी हैं, वहां पर प्रारम्भ कर दें. क्योंकि सरकार का कहना है कि हर घर में नल पहुंचना चाहिए और जो कटिंग है, वह भी रिपेयर करवा दें. यह तो पहला प्रश्न था, आप इसका उत्तर दे दीजिएगा. महत्वपूर्ण बात यह है कि अभी मैंने 2-3 साल पहले जो योजनाएं यहां से अपनी सरकार में ही पास कराई थीं, उसके काम हो चुके हैं. पी.एच.ई. ने जो काम कराये हैं एक जो जल मिशन कर रहा है. इसमें पी.एच.ई.बोलती है कि हमारा काम खत्म हो गया है. पी.एच.ई.ने जो काम कराये हैं उसमें कई मौहल्ले बाकी रह गये हैं. वहां पर पूरे गांव में पानी नहीं आ पा रहा है. जल समूह वाले बोल रहे हैं कि जो पी.एच.ई ने जो काम कराये हैं उसमें हम लोग काम नहीं करायेंगे. हम केवल वॉटर सप्लाई करेंगे. अगर जल समूह वाले सिर्फ पानी देंगे तो ठीक है. पर जिन मौहल्लों में पाईप लाईन पीएचई द्वारा बाकी रह गई है. जहां पर पाईप लाईन फूटी हुई है. मैंने उसको समाहित करने वाली बात जो बोली थी जल मिशन के तहत तो क्या पीएचई की जितनी भी लाईनें डली हैं उसको 10 साल की गारंटी जल समूह की है पानी देने की. जो पीएचई में काम हुए हैं उसमें कोई गारंटी नहीं है. तो क्या जल समूह इसको समाहित करके जो पीएचई के नये काम हुए हैं उसमें कंबाईन करके 10 साल की गारंटी और पानी पहुंचाने की गारंटी देंगे.
नेती प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा भी एक सवाल है कि यह मुद्दा कई बार उठ चुका जल जीवन मिशन का उसमें माननीय पंचायत मंत्री जी ने कल कहा था कि सबूत हो तो बतायें. आपकी अनुमति होगी तो पूरे घोटाले के सबूत भी रख दूंगा. कल आपके वित्तमंत्री जी ने भी स्वीकार किया कि गड़बड़ी हुई है जलजीवन मिशन में. इसमें स्पष्ट जांच होना चाहिये. यह हर विधायक से जुड़ा हुआ मामला है. चाहे सत्तापक्ष के हों अथवा पक्ष के हों इसमें मैं चाहता हूं कि अध्यक्ष महोदय, आपकी तरफ से एक व्यवस्था हो.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, माननीय डंग जी ने जो चिन्ता प्रकट की यह सारी समस्याओं का निराकरण जिले में ही हो जाना चाहिये. यह विधान सभा में आना ही नहीं चाहिये. क्योंकि जिला कलेक्टर, जिला पंचायत, सीईओ के द्वारा वहां पर एक कमेटी है जिला जल एवं स्वच्छता समिति जिसकी बैठक प्रति माह बुलानी चाहिये. शायद उसकी बैठक नहीं हो रही है. मैं आज ही निर्देश दूंगा कि प्रत्येक जिले के अंदर जिला जल एवं स्वच्छता समिति की बैठक हो उसमें आप लोगों को बुलाया जाये. आपको बुलाकर आपकी क्या समस्या है ? वहां पर चर्चा करें उसके बाद ही यदि कोई समस्या बाकी रह जाये तो निश्चित रूप से करेंगे. दूसरा आपने कहा कि पीएचई ने भी काम किया है. आपके पीएचई के जो भी काम अधूरे हैं वह भी जल मिशन को बता दीजियेगा. माननीय प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री जी का सपना है कि प्रदेश के अंदर एक भी घर ऐसा नहीं होना चाहिये जहां पर स्वच्छ जल नहीं पहुंचे. आपकी विधान सभा में एक भी ऐसा मकान नहीं होगा जहां पर नल जल योजना नहीं पहुंचेगी, यह आपसे वायदा करता हूं. उसके बाद भी कोई परेशानी होगी तो भी आप आईयेगा. क्योंकि यह प्रधानमंत्री जी का सपना है इसको पूरा करना हमारा दायित्व है.
श्री हरदीप सिंह डंग— अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी का धन्यवाद.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी आप एक जिले अथवा सभी जिलों के लिये यह व्यवस्था दे रहे हैं. थोड़ा स्पष्ट करिये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय,आप थोड़ा सा यहीं पर रहा करें. आप बैठते यहां पर हैं और रहते कहीं और हैं. मैंने सभी जिलों के लिये बोला है.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय,आप हमारे सम्मानीय हैं. आप जिस प्रकार की बात करते हैं, यह बड़ी ही निम्न स्तर की बात करी तो चुन्नू-मुन्नू कहां पर काटेंगे आपको पता भी नहीं चलेगा. धन्यवाद.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय,मैं इसका डॉक्टर हूं. अभी तुम मेरे सामने बच्चे हो.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय,चीता भी छोटा ही होता है.
श्री भेरोसिंह शेखावत—अध्यक्ष महोदय, यह बड़ा ही गंभीर विषय है. यह पीएचई की बात माननीय कैलाश जी ने की बहुत अच्छी बात है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय,भंवर सिंह जी आ गये क्या ?
श्री भेरोसिंह शेखावत—अध्यक्ष महोदय,जी हां. अध्यक्ष महोदय, यह एक विधायक की समस्या नहीं है. डंग जी ने जो मामला उठाय है, बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है. आदरणीय कैलाश जी आपने बताया है कि माननीय प्रधानमंत्री जी का जो सपना है. पूरे नल जल की योजना गरीब तथा अमीर तक मिल जाये, गांव अथवा पंचायत में भी मिल जाये. लेकिन माननीय कैलाश जी आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि यह पीएचई की नल जल योजना घर घर में नल की थी इस बारे में सारे विधायकों को बुलाकर आप उनसे जानकारी ले लीजिये. आपकी जानकारी में आयेगा कि जिस एजेंसी ने जो काम किया है एक एक गांव की सारी की सारी सड़कें खोद दी हैं. कहीं ऊपर तो कहीं पर नीचे पाईप डाले गये एक भी टंकी से पाईप पूरे धार जिले के अंदर सही नहीं डाले. मैंने कलेक्टर जी ने पूछा कि आप बतायें एक भी पंचायत के अंदर इस योजना का पानी मिल रहा है. इन योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार हुआ माननीय कैलाश जी इसकी आप जांच कराईये. यह सब विधायकों की पीड़ा है.
अध्यक्ष महोदय - भवर सिंह जी, हरदीप सिंह जी का प्रश्न आगे बढ़ने दीजिए.
श्री भवर सिंह शेखावत - प्रश्न तो आप आगे बढ़ाएंगे ही, मेरा ये निवेदन है कि इसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ है नल योजना के माध्यम से, ये कहीं सक्सेस नहीं हुआ है, ठेकेदार पैसे लेकर भाग चुका है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाइए.
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष जी, आरोप की जगह मेरा सुझाव है. जब मेरी संबंधितों से बात हुई तो पीएचई और जल निगम में जो अंतर आ रहा है, वह पीएचई की गारंटी लेने को तैयार नहीं है, जो नई लाइन डाली गई है और जल समूह वाले 10 साल की गारंटी दे रहे हैं. मेरा मानना है कि आप प्रदेश स्तर की मीटिंग करके जो पीएचई की नई लाइन डाली है जैसे जल समूह वाले 10 साल की गारंटी अपनी लाइन की दे रहे हैं, ऐसे ही जब वह समाहित तो पीएचई की गारंटी भी दस साल की रहे इस योजना के साथ, नहीं तो पीएचई दो हिस्सों में बंट जाएगा और पीएचई का अस्तित्व धीरे धीरे खत्म हो रहा है जल समूह पूरी जगह जा रहा है तो 10 साल की गारंटी पीएचई वालों की भी रहे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष जी, इनके सुझाव पर विचार जरुर करेंगे.
प्रधानमंत्री जल जीवन मिशन
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
5. ( *क्र. 1681 ) डॉ. प्रभुराम चौधरी : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विधानसभा क्षेत्र सांची में प्रधानमंत्री जल जीवन मिशन के अंतर्गत कुल कितने ग्राम स्वीकृत हैं? सूची उपलब्ध करायें। (ख) सांची विधानसभा क्षेत्र में उक्त योजनांतर्गत स्वीकृत ग्रामों में से कितने ग्रामों का कार्य पूर्ण हो चुका है? यदि हाँ, तो सूची उपलब्ध करायें? यदि नहीं, तो कार्य अपूर्ण होने की स्थिति में कारण सहित ग्रामवार, पंचायतवार, विकासखण्डवार जानकारी देवें। (ग) क्या सांची विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आगामी वित्तीय वर्षों में नल-जल योजना स्वीकृत की जावेगी? उन ग्रामों की सूची उपलब्ध करावें।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्रीमती संपतिया उइके ) : (क) एकल ग्राम नल-जल योजनाओं के अंतर्गत 226 ग्रामों के लिए योजनाएं स्वीकृत हैं एवं जल निगम द्वारा क्रियान्वयन हेतु विभिन्न स्वीकृत समूह जल प्रदाय योजनाओं में 369 ग्राम सम्मिलित हैं। 226 ग्रामों के लिए स्वीकृत एकल ग्राम नल-जल योजनाओं के अंतर्गत 222 ग्रामों में स्वीकृत समूह जल प्रदाय योजनाओं से बल्क वॉटर प्रदाय किया जाना प्रावधानित है। सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 एवं 02 अनुसार है। (ख) एकल ग्राम नल-जल योजनाओं के अंतर्गत 96 ग्रामों एवं जल निगम द्वारा क्रियान्वित बैगमगंज-गैरतगंज समूह जल प्रदाय योजना अंतर्गत 49 ग्रामों में कार्य पूर्ण हो गया है, सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 03 एवं 04 अनुसार है। अपूर्ण योजनाओं की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 02 एवं 03 अनुसार है। (ग) सभी ग्रामों के लिए नल-जल योजनाएं स्वीकृत हैं। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
डॉ. प्रभुराम चौधरी - अध्यक्ष जी, सबसे पहले तो मैं प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने जल जीवन जैसी योजना बनाई, जिससे देश प्रदेश के एक एक घर तक टोंटी द्वारा पानी पहुंचा. मध्यप्रदेश सरकार को भी धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि जो योजना बनाई उसमें आधा पैसा राज्य सरकार, मध्यप्रदेश की सरकार दे रही है. माननीय मंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि मैंने जो प्रश्न किया, मेरे प्रश्न के उत्तर में मंत्री जी ने बताया कि सांची विधान सभा क्षेत्र के प्रत्येक गांव को जल जीवन मिशन और एकल योजना में जोड़ दिया, इसके लिए भी धन्यवाद देना चाहता हूं.
अध्यक्ष जी, मंत्री जी ने जवाब दिया है कि 226 एकल योजनाएं सांची विधान सभा में स्वीकृत हैं. मैंने इसमें पूछा था कि पूर्ण कितनी और अपूर्ण कितनी है. इसमें जवाब आया कि 96 पूर्ण, बाकी सभी में समस्याएं हैं, उसमें परिशिष्ट में आपने बताया है. सामूहिक नल जल योजना के बारे में आपने बताया कि 369 गांवों में सामुहिक नल जल योजना स्वीकृत है, उसमें 49 सेमरी जलाशय से, 25 हलाली से, बाकी बारना डैम से. मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जो एकल नल जल योजनाएं घोषित हैं, जिसमें 96 पूर्ण बताई और जो अपूर्ण बताई है, उनका टाइम निकल गया है, ठेकदार काम नहीं कर रहे या टंकी नहीं बन पा रही है, या बिजली की समस्या है, उसमें भी डिले हो रहा है. दूसरा जो 96 पूर्ण बताई है, उसमें बहुत सारी आधी से ज्यादा ठीक चल रही है, उसके लिए धन्यवाद. लेकिन जो नहीं चल पा रही है या तो खोद दिए हैं या फिर आधे गांव में लाइन डाली है, एससी-एसटी के मोहल्ले छोड़ दिए हैं, बेचारे जब हम गांव में दौरे पर जाते हैं तो कहते हैं कि साहब योजना तो चालू हो गई है, लेकिन हमारे यहां तक आ नहीं पा रही है. कई जगहों पर वाटर का सोर्स नहीं है योजना खड़ी हुई है, कई जगह टंकी नहीं बनी, बनी तो पानी नहीं चढ़ पा रहा है, इसमें ये समस्या है. प्रधान मंत्री जी, मुख्यमंत्री जी एवं विभाग की मंशा अच्छी है, लेकिन इन योजनाओं में दिक्कत आ रही है. एकल योजना की बात कर रहा हूं और सामूहिक जल योजना की जो बात है 49 योजना जो सेमरी से बताए गए ट्रायल पर चल रही है, वैसे ही दो साल डिले हो गए, कोरोना के पहले इस योजना को पूर्ण होना चाहिए था. मैंने भी अधिकारियों से एक दो बार बात की मेरे पास कई गांव के नाम है, इन गांवों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है, अधिकारियों से बात करो तो वे कहते हैं पानी पहुंच रहा है, आधे गांव में पानी पहुंच रहा है, हाहाकार मची हुई है, जैसे ही हम जाते हैं, वे कहते हैं आपने योजना अच्छी बनाई लेकिन हमको पानी नहीं मिल पा रहा है तो ये 49 गांव है चाहे हरदौट हो, मेंगवा हो, कउला हो, टेकापार हो, गोरखा हो, करौला हो, चाहे महुंना हो, ऐसे चाहे हरदोट हो, चाहे समनापुर हो.
अध्यक्ष महोदय -- प्रभुराम जी प्रश्न तो करो. आप सीनियर एम.एल.ए. हैं.
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न यह कर रहा हूं कि यह जो कम्पलीट बताई जा रही हैं, इनकी आप एक जांच करा लें. पूर्ण लोगों को पर्याप्त पानी इसके लिये मिले, एक कमेटी बना दें और उसकी जांच कराई जाये और जो अधूरी अभी बड़ी जो योजना हलाली से लगभग 295 गावों की स्वीकृति, एक साल उसका हो गया है, सिंतबर 2023 में उसकी स्वीकृति हुई थी. अभी मुझे पता चला है कि कुछ दिन पहले दूसरे विधानसभा में कहीं उनके पाईप डालने का भूमि पूजन हो गया है और विधानसभा में तो लोगों को पता ही नहीं है, विधायक को कुछ पता ही नहीं है, तो मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि इसकी पूरी जांच करायें और जहां पर जो नल जल योजनाओं के माध्यम से पानी नहीं पहुंच पा रहा है, इसमें कहा लापरवाही है, ठेकेदार और अधिकारी लोग कहां दिक्कत कर रहे हैं? इसकी पूरी जांच कराई जाये और उस जांच में अगर मुझे भी रख देंगे तो मैं भी वहां पर उपस्थित रहूंगा यही मेरा प्रश्न है.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय, चौधरी साहब बहुत सीनियर एम.एल.ए. हैं और मैं पहले ही आपके माध्यम से सदन को अवगत करा चुका हूं कि जिला स्तर पर एक कमेटी है, पर उसकी बैठक नहीं हो रही है, आज हम सारे कलेक्टर्स को निर्देशित कर रहे हैं कि इस जिला एवं जल स्वच्छता समिति जिसमें कलेक्टर भी होते हैं, सी.ई.ओ. भी होते हैं और सारे जन प्रतिनिधि होते हैं, यह प्रत्येक माह में बैठें और बैठकर जो समस्या है, उसका निराकरण वहीं पर करें (मेजों की थपथपाहट) उसके बाद यदि कोई तकलीफ होगी तो निश्चित रूप से आप हमारे पास आयें, हम आपकी समस्या का निराकरण करेंगे. जहां तक आपने जांच का बोला है तो मैं किसी अधिकारी को आपके क्षेत्र में चीफ इंजीनियर को भेजूंगा और आपके साथ जहां-जहां जो समस्या है, वह आप बताईयेगा निश्चित रूप से हम आपकी समस्या का निराकरण करेंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पूरे प्रदेश की समस्या है, माननीय प्रभुराम चौधरी जी के क्षेत्र की नहीं, आप हर विधानसभा में भेजें. मेरा आपसे अनुरोध है कि यह पू्रे प्रदेश की समस्या है, चाहे आपके क्षेत्र के लोग हों, या इधर के हों, सबकी समस्या है.माननीय अध्यक्ष महोदय, आप यह व्यवस्था करायें कि सभी दूर जांच हो जाये.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- पीएचई डिपार्टमेंट के द्वारा रोड खोद दी गई है. (व्यवधान.)
अध्यक्ष महोदय -- माननीय उमंग सिंघार जी कल भी आप लोग इस विषय पर बोले हो, आज भी अनुदान मांगों पर बोलने का अवसर मिलेगा. (व्यवधान.)
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, आज फिर विषय वापस आया है, इस पर कुछ होना तो चाहिए, कल भी कौन सी व्यवस्था दी थी, कोई व्यवस्था नहीं दी गई थी, वित्तमंत्री जी की कोई बात नहीं की गई, गड़बड़ी है तो उसकी जांच पूरे प्रदेश की होना चाहिए .
अध्यक्ष महोदय -- अभी सदस्यों के लिये प्रश्न काल चल रहा है और मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं, तो सदस्यों के अधिकार का संरक्षण होना चाहिए, आप लोगों को कभी भी बोलने का समय मिलता है.
श्री उमंग सिंघार -- इसमें माननीय मंत्री जी बता दें कि सभी जिलों की जांच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- प्रभुराम जी आप बोलें.
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने जो व्यवस्था दी है कि हर जिले में जो समिति है, वह बैठक करेगी, तो यह बैठकें जैसे रायसेन जिले की हों, तो उसमें तो पूरे जिले की बात होगी, लेकिन पर्टिकुलर मैंने सांची विधानसभा क्षेत्र की समस्याएं आपके सामने49 गावों की रखी हैं, वह वहां पर ठीक नहीं है, एकल योजनाएं हैं, वह ठीक नहीं हैं, इसके लिये अगर आप पूरा निर्देशित करेंगे क्योंकि जल निगम के जितने भी अधिकारी हैं, जिले में तो रहते नहीं है, भोपाल में होते हैं, ठेकेदार को यही बुलाया यही बिल पास कर दिये.
अध्यक्ष महोदय -- प्रभुराम जी कृपया बैठि̕ये, मंत्री जी ने आपके क्षेत्र में अलग से अधिकारी भेजकर जांच कराने की बात कह दी है.
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, आपको और माननीय मंत्री जी को भी धन्यवाद .
जिला चिकित्सालय खोला जाना
[पशुपालन एवं डेयरी]
6. ( *क्र. 1776 ) श्री श्रीकान्त चतुर्वेदी : क्या राज्य मंत्री (स्वत्रंत प्रभार), पशुपालन एवं डेयरी महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नवगठित जिला मैहर के समुचित विकास की दृष्टि से किसानों के व्यावसायिक अंग पशुपालन के स्वास्थ्य उपचार एवं संवर्धन हेतु क्या निकट भविष्य में पशु जिला चिकित्सालय खुलवाये जाने की योजना शासन द्वारा बनायी गयी है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार यदि हाँ, तो कब तक पशु जिला चिकित्सालय मैहर में खोला जावेगा? समयावधि बतायी जावे। यदि नहीं, तो क्यों?
राज्य मंत्री (स्वत्रंत प्रभार), पशुपालन एवं डेयरी ( श्री लखन पटैल ) : (क) जी नहीं। पूर्व से ही मैहर में पशु चिकित्सालय संचालित है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री श्रीकान्त चतुर्वेदी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे एक निवेदन करना चाहूंगा कि मेरा क्षेत्र मैहर, अब जिले के रूप में अस्तित्व में आ गया है और अभी व्यवस्थाएं जिले के रूप में नहीं हो पा रही हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या मैहर पशु जिला चिकित्सालय के रूप में अस्तित्व में कब आ रहा है, आ रहा है तो कृपया समय सीमा बतायें?
श्री लखन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैहर नया जिला बना है, मैहर के साथ साथ पांढुर्ना और मउगंज यह भी नये जिले बने हैं, माननीय विधायक जी ने जो कहा है कि पशु जिला चिकित्सालय बनाने का तो कलेक्टर को इसका प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया कि वह इसका एस्टीमेट बनाकर यहां भेज दें तो उसकी स्वीकृति कर दी जायेगी. जहां तक जिला अस्पताल खोलने का प्रश्न है तो संचालित अभी विकासखंड मुख्यालय था, तो वह संचालित था, उसको अपग्रेड कर रहे हैं उप संचालक की पदस्थापना कर दी गई है और सिविल सर्जन की भी पदस्थापना कर दी गई है.
अध्यक्ष महोदय-- श्रीकांत जी, दूसरा पूरक प्रश्न.
श्री श्रीकांत चतुर्वेदी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी की मंशा है कि हमारे प्रदेश में उसी में मैहर जिला भी है कि कोई भी जानवर बाहर न जाये और जिनको रोड पर कोई भी चोट लगती है तो उनका तुरंत उपचार हो जाये, इसी की मंशा अनुसार मैंने प्रश्न किया था. माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया मैं उससे संतुष्ट हूं और आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि बहुत ही जल्दी मेरे यहां जिला चिकित्सालय खुल जायेगा.
प्रश्न संख्या-7 (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या-8 (अनुपस्थित)
स्कूल एवं आंगनवाड़ियों में पेयजल व्यवस्था
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
9. ( *क्र. 1321 ) श्री रमेश प्रसाद खटीक : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या शिवपुरी जिले के करैरा विधान सभा क्षेत्र 23 के अंतर्गत जल जीवन मिशन के तहत करैरा-नरवर की तहसीलों से स्कूल, आंगनवाड़ी में पेयजल व्यवस्था हेतु विभाग द्वारा टेण्डर स्वीकृत होकर उक्त फर्म के द्वारा किये गये कार्यों की जानकारी प्रश्नकर्ता के पत्र क्र. MLA/211, 20.05.2024 को किये गये कार्यों की संपूर्ण जानकारी कार्यपालन यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, संभाग शिवपुरी से 7 दिवस में मांगी थी, परन्तु आज दिनांक तक उक्त जानकारी नहीं दी गई? क्यों नहीं दी गई? (ख) आंगनवाड़ी व स्कूलों में स्वीकृत टेंडर की कुल लागत व किस फर्म का टेण्डर स्वीकृत हुआ था एवं फर्म द्वारा कुल कितने स्कूलों एवं आंगनवाड़ियों में क्या-क्या कार्य किये गये थे? उक्त कार्यों का नाम व स्थान सहित जानकारी उपलब्ध करायें। (ग) टेण्डर अनुसार इलेक्ट्रिक मोटर पम्प, जी.आई पाइप, एच.डी.पी. पाइप की टी.पी.आई. रिपोर्ट व टेण्डर अनुसार पाइप-मोटर डाले गये? उसकी लम्बाई तथा कितने नवीन बोर उत्खनन किये गये? कहां-कहां संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करायें।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्रीमती संपतिया उइके ) : (क) कार्यपालन यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, खण्ड शिवपुरी के पत्र क्रमांक 1732, दिनांक 13.06.2024 से जानकारी उपलब्ध कराई गई है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी उपखंड करैरा क्षेत्रांतर्गत आंगनवाड़ी व स्कूलों में पेयजल व्यवस्था हेतु स्वीकृत टेण्डर की कुल लागत रुपये 954.00 लाख है, टेण्डर मेसर्स जैन एण्ड सन्स करैरा का स्वीकृत हुआ था। इस टेंडर के अंतर्गत उक्त फर्म द्वारा करैरा विधानसभा क्षेत्रांतर्गत 432 स्कूलों व 250 आंगनवाड़ियों में कार्य किये गये हैं। किये गये कार्यों का नाम व स्थान सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री रमेश प्रसाद खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको कल के बजट के लिये धन्यवाद देता हूं, देवड़ा जी को भी और हमारे सम्मानीय मुख्यमंत्री जी को भी. मेरा प्रश्न है कि मैंने जो मांग की थी जल जीवन मिशन में आंगनबाड़ी स्कूलों के लिये जो टेण्डर हुये थे, बच्चों को जल पिलाने के लिये उसमें इन्होंने जो मोटर डाली है और जो टंकी बनाई है वह बिलकुल निम्न स्तर की है और उसकी जांच होना चाहिये और दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही होना चाहिये, यह मेरी मांग है. क्योंकि 500-600 करीबन स्कूल और आंगनबाड़ी की टंकी हैं. हजारों की तादाद में बच्चों के भविष्य की बात है, बच्चों को पानी मिलना चाहिये. अभी तक इनकी 80 प्रतिशत भी जल योजना नहीं चल रही है, लेकिन इन्होंने बता दिया कि हमारी योजना चल रही है तो यह बतायें कि योजना चल रही है और नहीं चल रही है तो क्यों. टंकी जो बनाई है वह निम्नस्तर की है और जो मोटर डाली है वह अमानक है, आईएसआई की मोटर नहीं डाली है, लोकल मोटर डाली है. इसलिये वह सारी की सारी बंद हैं तो इसकी जांच भी करायें.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी को मैं आश्वस्त करता हूं कि जितने भी आंगनबाड़ी हैं, विद्यालय हैं जो इसमें तय हैं उनके अंदर निश्चित रूप से पानी पहुंचेगा. जहां तक उन्होंने अमानक स्तर के कार्य की बात कही है तो मैं उसको दिखवा लूंगा और हमारी भोपाल की टीम से कहूंगा कि एक अधिकारी वहां जाकर देखे और माननीय विधायक जी से संपर्क करके और कहां-कहां ऐसा लगता है इनको कि अमानक काम हुआ है, वहां यह बता देंगे तो हम कार्यवाही भी कर देंगे.
श्री रमेश प्रसाद खटीक-- धन्यवाद सर.
श्री दिनेश जैन बोस-- अध्यक्ष महोदय मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूं कि जो टंकी बन रही है पाइप लाइन बिछ रही हैं यह ठेकेदार सब ठेकेदार को दे देते हैं. मॉनीटरिंग करने के लिये केवल एक एसडीओ रहता है. मैं एक बहुत महत्वपूर्ण बात बता रहा हूं केवल एक एसडीओ रहता है और पूरी मॉनीटरिंग करता है. ठेकेदार सब ठेकेदार को दे देता है इस तरह से टंकी बनती नहीं है और चूने लगती है और जो ठेकेदार आते हैं यह बीच के यह खराब कर देते हैं हमारे खरंजे वगैरह रहते हैं उसके बाद वह उसको पूरते भी नहीं हैं. पहले ही तो हमको पंचायत में बहुत कम पैसा मिलता है और वह रोड वगैरह होते हैं वह भी खराब हो जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है दिनेश जी. कालूसिंह जी.
जल जीवन मिशन
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
10. ( *क्र. 1388 ) श्री कालु सिंह ठाकुर : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विधानसभा क्षेत्र धरमपुरी में जल जीवन मिशन अंतर्गत किन-किन ग्रामों में प्रश्न दिनांक तक किस फर्म/कम्पनी/ठेकेदार द्वारा कार्य किये गए हैं? प्राक्कलन लागत सहित जानकारी देवें। (ख) क्या जिन ग्रामों में पानी की टंकिया बनाई हैं, पाइप लाइन बिछाई गई हैं, वहां सी.सी. रोड को खोदा गया है और खोदने के पश्चात उन्हें सही तरीके से रिपेयर नहीं किया गया है? (ग) क्या लाखों रुपए की लागत से बने ग्रामीण क्षेत्रों में सी.सी. रोड का भारी नुकसान ठेकेदारों की लापरवाही से हुआ है? संचालित कार्यों का निरीक्षण किन-किन स्थानीय और उच्च अधिकारियों द्वारा किस पैमाने के आधार पर किया गया है? यदि सी.सी. रोड नहीं सुधरे तो क्या निर्देश नोटिस दिए गए हैं? (घ) जिन ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य पूर्ण होकर पेयजल उपलब्ध हो रहा है, वहां की पंचायत की सहमति, हैंडओवर करने संबंधी जानकारी देवें और संचालित योजनाओं के मेंटेनेंस का कार्य कब तक किस के द्वारा किया जायेगा?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्रीमती संपतिया उइके ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 एवं 02 अनुसार है। (ख) जी हाँ, पाइप लाइन कार्य पूर्ण होने के उपरांत काटी गई सड़क की ट्रेंच को भरकर मार्ग को समतल/आवागमन योग्य बनाया जाता है एवं पाइप लाइन टेस्टिंग के उपरांत काटी गई सी.सी. रोड को पुनर्निर्माण/सुधार कर यथावत किया जाता है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। संचालित कार्यों का निरीक्षण तृतीय पक्ष संस्था (टी.पी.आई.) के सदस्यों, विभागीय उपयंत्री, सहायक यंत्री के द्वारा समय-समय पर किया जाता है एवं उच्च अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के समय मैदानी अधिकारियों को मापदंडानुसार गुणवत्तापूर्ण कार्य करने हेतु मौखिक रूप से स्थल पर निर्देश भी दिए जाते हैं। सी.सी. रोड का सुधार कार्य अनुबंध के प्रावधानों के अनुसार संबंधित कार्य एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है, अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) एकल ग्राम नल-जल योजनाओं के कार्य पूर्ण कर तीन माह तक योजना का ट्रायल रन संबंधित निर्माण एजेंसी द्वारा किये जाने के पश्चात संबंधित ग्राम पंचायत की सहमति अनुसार संधारण-संचालन के लिए हस्तांतरण किए जाने का प्रावधान है। समूह जल प्रदाय योजनाओं के अनुबंध में योजना पूर्ण होने के उपरांत 10 वर्ष तक योजना का संचालन-संधारण ठेकेदार द्वारा किए जाने का प्रावधान है।
श्री कालूसिंह ठाकुर-- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मेरा प्रश्न जानकारी तो बहुत सारी मांगी थी, मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाह रहा पर मेरा आपके माध्यम से आग्रह है, पूरी विधान सभा की जानकारी मांगी थी, क्या स्थिति है लेकिन मैं पिछली बार विधायक था उस समय के स्वीकृत थे और टेण्डर लगाकर भूमिपूजन कर उनको चालू किया था लेकिन दूसरी बार फिर विधायक बनकर आया आज तक पूर्ण नहीं हुआ है साहब 10 साल हो गये. मंत्री जी से आग्रह है कि कब तक पूर्ण होंगे और किस कारण यह विलंब हुआ 10 साल में पूर्ण नहीं हुआ.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, आज मैं संयोग से आज इस विभाग का उत्तर दे रहा हूं. मैं अधिकारियों के साथ बैठा था मैं देख रहा था कि काफी योजनाओं में विलंब हुआ है. बीच में कोरोना काल के कारण काफी योजनाएं अपनी समय-सीमा में पूरी नहीं हुईं. अब काम तेज गति से चल रहा है. मुझे लगता है कि कालू सिंह जी की विधान सभा की जितनी भी योजनाएं हैं वे जल्दी से जल्दी समाप्त हो जाएंगी यह मैं उनको प्रामिस करता हूं और उन्होंने मुझसे पर्सनल भी कहा था. ये बगड़ी-सुलीबियाड़ी के बारे में, मैंने निर्देश दे दिये हैं. वहां सब जगह शीघ्र योजनाएं पूरी करके प्रत्येक घर में जल पहुंचाने का काम हो जायेगा.
श्री कालु सिंह ठाकुर - आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. और एक आग्रह है कि यह योजना की राशि भी स्वीकृत हो गई है. हमारी सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है. आपने देखा होगा पूर्व विधायक पांचीलाल मेड़ा जी द्वारा जब 15 महिने की सरकार में अधिकारियों पर धौंस बनाकर इनके ठेकेदार कई तो चले गये इसी कारण यह योजना पिछड़ रही है. आग्रह है कि यह योजना जल्दी पूर्ण हो.
अध्यक्ष महोदय - कालु सिंह जी धन्यवाद के बाद क्या होता है.
श्री कालूसिंह ठाकुर - चर्चा करनी थी कि इस कारण यह हुआ.
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाईये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे पुन: अनुरोध है आपके माध्यम से मंत्री जी से कि यह पूरे प्रदेश का मामला है. आपके सत्ता पक्ष के ही विधायक उठा रहे हैं. इतने प्रश्न लगे. इसमें विभाग क्या कर रहा है. 200-300 करोड़ के एक-एक विधान सभा में घोटाले हुए इस पर जांच बड़े स्तर पर क्यों नहीं होती. अध्यक्ष महोदय, इस पर आप चाहें तो आसंदी से निर्देश दे सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - अभी प्रश्नकाल चल रहा है. अभी आप कृपया बैठिये.
श्री उमंग सिंघार - इसी प्रश्न से उद्भूत हो रहा है. इतने सारे लोग बोल रहे हैं. पूरे प्रदेश के विधायक बोल रहे हैं. (XXX)
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, यह सारा रिकार्ड से निकलवाना चाहिये.
11.38 बजे बर्हिगमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बर्हिगमन
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) - सरकार जांच नहीं कराना चाहती है इसके विरोध में हम सदन से बर्हिगमन करते हैं.
(श्री उमंग सिंघार,नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा जांच न कराये जाने एवं शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बर्हिगमन किया गया.)
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल में इस प्रकार आरोप लगाना. मैं समझता हूं कि नेता प्रतिपक्ष को थोड़ा गंभीर होना चाहिये. मेरा निवेदन है कि इस प्रकार एकदम आरोप लगा देना यह तो ठीक नहीं है इसको रिकार्ड से निकाला जाये.
अध्यक्ष महोदय - - अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि जब प्रश्नकाल चले तो सदन में वरिष्ठ लोग हैं जिनको समय-समय पर अवसर मिलता रहता है. जिनके विशेषाधिकार भी हैं उनको बीच-बीच में टोकाटाकी नहीं करना चाहिये और प्रश्नकाल इसलिये होता है कि सदस्य की समस्या के निराकरण की दिशा निश्चित हो जाये और मैं समझता हूं कि प्रश्नकाल ठीक चल रहा था. मंत्री जी उत्तर दे रहे थे और ऐसे समय में आरोप-प्रत्यारोप करके प्रश्नकाल में व्यवधान पैदा करना उचित नहीं है और इसे कार्यवाही है से निकाला जाये.
11.39 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
प्रश्न संख्या. 11 (xxx) कुंवर अभिजीत शाह (अनुपस्थित)
प्रदूषण नियंत्रण हेतु मापदण्डों का पालन
[पर्यावरण]
12. ( *क्र. 665 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम जिला अंतर्गत प्रदूषण नियंत्रण हेतु किस-किस प्रकार की फेक्ट्री, इकाइयों खनिज उत्खनन, शासकीय, अशासकीय चिकित्सालय, नर्सिंग होम, नगरीय निकाय की कचरा संग्रहण स्थल (ट्रेचिंग ग्राउंड) इत्यादि प्रकार की क्या कोई और भी वातावरण प्रदूषित करने वाले संस्थान किस-किस प्रकार के चिन्हित किए गए हैं? (ख) किन-किन वर्षों में उपरोक्तानुसार वातावरण को प्रदूषित करने वाली इकाइयां अथवा स्थल चिन्हित किए जा कर, इन्हें वातावरण को प्रदूषण से मुक्त किए जाने हेतु आदेशित/निर्देशित किस-किस दिनांक को किया जाता रहा है? (ग) जिले में वर्ष 2019-20 से लेकर प्रश्न दिनांक तक वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखे जाने हेतु उपरोक्तानुसार प्रश्नों में उल्लेखित आने वाली इकाइयों अथवा कोई अन्य भी जो इस परिधि में आते हैं, ऐसे प्रदूषण फैलाने वाले स्थलों का निरीक्षण कब-कब किस के द्वारा किया जाकर क्या कार्यवाही की गई ? (घ) रतलाम जिला अंतर्गत आने वाले समस्त विकासखंडों के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण निर्धारित मानक क्या रहा तथा प्रदूषण फैलाने वाले उल्लेखित स्थलों पर प्रदूषण नियंत्रण किए जाने हेतु केंद्र/राज्य के मानक अनुसार जो मापदंड निर्धारित हैं, इस निर्धारित मापदंड के अनुसार किस-किस ने समुचित प्रबंधन किए? किस-किस ने समुचित प्रबंधन नहीं किए? उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई?
वन मंत्री ( श्री नागर सिंह चौहान ) : (क) से (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट कॉलम 2, 3, 4, 5, 6 एवं 7 अनुसार है। (घ) वर्ष 2023-24 में रतलाम जिला अंतर्गत जिला मुख्यालय पर परिवेशीय वायु गुणवत्ता का मानक 'औसत' (मोडरेट) स्तर का रहा तथा जिले में प्रवाहित 05 नदियों के 07 बिन्दुओं पर मापी गई जल की गुणवत्ता 'ए' व 'बी' श्रेणी की पाई गई। पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कॉलम-2 में उल्लेखित उद्योगों/संस्थाओं में से जिनके द्वारा उपरोक्त मानकों का पालन नहीं किया गया, उनके विरूद्ध की गई कार्यवाही का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कॉलम-8 अनुसार है।
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि रतलाम जिले में लगातार वायु प्रदूषण के साथ-साथ जल प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है और जिन-जिन स्थानों में इस तरह का प्रदूषण बढ़ रहा है उन स्थानों पर समुचित प्रबंधन नहीं किये जा रहे हैं और उसके कारण वायु प्रदूषण के साथ-साथ रतलाम जिले में जल में नाइट्रेट की जो मात्रा है वह बढ़ती जा रही है. बहुत अधिक हो गई है और भूजल सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार 400 मिलीलीटर,प्रति लीटर तक यह मात्रा बढ़ गई है. तो एक ओर तो वायु भी प्रदूषित हो रही है और जल भी प्रदूषित हो रहा है. विगत समय में एक गंभीर घटनाक्रम भी हुआ था. अज्ञात बीमारियों के कारण कि हैंडपंप का प्रदूषित जल पीने के कारण,वह कारण ज्ञात,अज्ञात की श्रेणी में आया था लेकिन उस समय काफी चर्चा में आया था मंत्री जी कि वह प्रदूषित जल पीने से बच्चे पोलियोग्रस्त हो गये थे तो ऐसे स्थानों को क्या विभाग चिन्हित करता है और यदि चिन्हित करता है तो उसके समुचित प्रबंधन के क्या-क्या उपाय किये गये हैं. किये जायेंगे. यह मेरा पहला प्रश्न है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी बड़े सीनियर और बहुत गंभीर विधायक हैं. उन्होंने जिस प्रकार की समस्या बताई है तो मुझे इसकी जानकारी नहीं थी, प्रश्न में ऐसा था भी नहीं, पर इन्होंने जो जानकारी दी है, उसे मैं बहुत गंभीरता से लूंगा. कलेक्टर से भी हम लोग रिपोर्ट मंगाएंगे. इसमें पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भी मैं निर्देश दूंगा कि वे अपने अधिकारियों को एक बार भेजकर कि यदि पानी के अंदर इस प्रकार का प्रदूषण हो रहा है तो वे उसकी जांच करें, उसके कारणों की जांच करें और यदि उसमें कुछ उपाय की आवश्यकता होगी तो हम निश्चित रूप से करेंगे.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- धन्यवाद माननीय मंत्री जी. लेकिन इसी के साथ-साथ आप और हम सभी भलीभांति परिचित हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी जो कचरा संग्रहण किया जाता है और नगरीय क्षेत्रों में भी जो कचरा संग्रहण किया जाता है, उसके कुछ विशेष स्थान हुआ करते हैं. वहां पर उसको डम्प कर दिया जाता है. डम्प करने के साथ अगर उसको उठाने की प्रक्रिया अगले 24 घण्टे में हो जाए तो बहुत बेहतर है, लेकिन कई स्थान माननीय मंत्री ऐसे रहते हैं कि जहां 15-15 दिन, 20-20 दिन, महीने-महीने भर तक कचरा उठाया नहीं जाता. उसके कारण कचरा सड़ता रहता है. वह सड़ान वायु प्रदूषण बढ़ाता है और इसके साथ में जमीन के भीतर वह रिसता जाता है और जल प्रदूषण भी होता है. ऐसे स्थानों को भी चिह्नित किया जाना चाहिए. इसी के साथ में निकायों के द्वारा जो कचरा प्रबंधन किया जाता है, बड़े महानगरों में निश्चित रूप से ट्रिटमेंट प्लांट लग रहे हैं, लेकिन रतलाम जिला अंतर्गत कोई ऐसे बड़े ट्रिटमेंट प्लांट नहीं लगाए गए हैं, नहीं लग सके हैं. जबकि निकायों को प्रदूषण विभाग के द्वारा नोटिस भी दिया गया है और उन पर क्षतिपूर्ति की राशि भी अधिरोपित की गई है. यह भी विगत वर्षों में की गई है. मेरा आग्रह यह है कि जो ट्रेचिंग ग्राउंड बनाए जाते हैं, वहां आसपास में रहवासी इलाके भी होते हैं. उसके कारण गंभीर बीमारियां और अज्ञात बीमारियां बढ़ती हैं तो ट्रेचिंग ग्राउंड का सबसे पहले प्रबंधन किस प्रकार से किया जाएगा, मेरे ही विधान सभा क्षेत्र में लगे हुए हैं और मेरी विधान सभा में भी तहसील जावरा अंतर्गत एक ग्राम सादाखेड़ी है, और एक पिपलौदा नगर परिषद् के अंतर्गत है. वहां पर आस-पास बहुत खराब और दूषित वातावरण हो गया क्योंकि उस कचरा संग्रहण के साथ-साथ उन नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में जो मवेशी मर जाते हैं, पशु मर जाते हैं, उनको भी वहीं पर डाल दिया जाता है. अब आप कल्पना कर सकते हैं कि वहां पर आस-पास क्या स्थिति होती होगी तो क्या सादाखेड़ी, पिपलौदा और रतलाम जिले में भी अन्य ऐसे स्थान हैं तो वहां पर ट्रिटमेंट प्लांट बनाए जाने के लिए आप आदेशित करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, रतलाम शहर में उत्पन्न होने वाले सिवेज की मात्रा 4.8 एमएलडी है. रतलाम शहर के सिवेज के उपचार हेतु 1 एचटीपी क्षमता 21.5 एमएलडी स्थापित है. रतलाम शहर में सॉलिड वेस्ट 113 टन प्रतिदिन उत्पन्न होता है. रतलाम जिले में 9 नगरीय निकायों से उत्पन्न होने वाले सॉलिड वेस्ट की मात्रा 144 टन है. रतलाम जिले में नगरीय निकायों द्वारा सॉलिड वेस्ट की डोर-टू-डोर कलेक्शन की व्यवस्था भी की गई है तथापि अभी उसके डिस्पोजल की व्यवस्था पूरी नहीं है. आपने ग्रामीण क्षेत्र का भी कहा है. मैंने पहले ही आपके प्रश्न के उत्तर में कहा है कि मैं इसको गंभीरता से लूंगा. कलेक्टर से भी रिपोर्ट मंगाऊंगा और जितना भी सॉलिड वेस्ट है, उसके डिस्पोजल के लिए इंदौर में हम लोग इसका खाद बना रहे हैं और काफी अच्छा उसका रिसपांस भी है. इस प्रकार की कोई योजना वहां पर बन सकती है क्या, इसके बारे में हम लोग अधिकारियों को निर्देश देकर और उसकी संभावनाओं को तलाशेंगे और अगर होगा तो किस प्रकार हो सकता है, नगर-निगम करेगी या राज्य शासन से होगा. उसके बारे में कार्ययोजना बनाकर कार्यवाही करेंगे. पॉल्यूशन के प्रति सरकार बहुत गंभीर है और आपने जो दो-तीन बातें कीं, एयर पॉल्यूशन और वॉटर पॉल्यूशन दोनों हो रहा है. हम इसको गंभीरता से लेंगे और हमारे अधिकारियों की टीम यहां से भी भेजेंगे और जिला कलेक्टर से भी हम रिपोर्ट मंगाकर इस समस्या का निराकरण करेंगे.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक अंतिम सुझाव है और आग्रह भी है. अंतिम प्रश्न है कि विभाग में निश्चित रूप से अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी होती है. जितने कार्य हैं, उतना बल नहीं होता है, लेकिन आग्रह है कि जो औद्योगिक इकाइयां हैं. खनिज इकाइयां हैं, निजी अस्पताल हैं, शासकीय अस्पताल हैं और यह ग्रामीण क्षेत्र के ग्राम पंचायत, नगर परिषद्, नगरपालिका और नगर निगम, तो एक बड़ा कार्य हो जाता है, वर्ष में एक बार या दो-तीन वर्षों में कभी एक बार निरीक्षण किया जाता है. मेरा आपसे आग्रह यह है कि प्रतिवर्ष या वर्ष में एक से अधिक बार ऐसे स्थानों को चिन्हित करते हुए उनके निरीक्षण किये जाने का आप निर्देश जारी करेंगे क्या ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको हम बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और इस पर जो विधायक जी चाहेंगे, उनके साथ बैठकर भी बात कर लेंगे.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रश्न क्रमांक 13 (अनुपस्थित)
नल-जल योजना के कार्यों की जानकारी
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
14. ( *क्र. 1811 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) जल जीवन मिशन अंतर्गत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं मध्यप्रदेश जल निगम द्वारा विधानसभा क्षेत्र विजयराघवगढ़ के किन-किन ग्रामों में जल जीवन मिशन की योजना स्वीकृत करा कर कार्य कराये गये? जानकारी ग्रामवार देवें एवं यह भी बताएं कि जो कार्य योजना बनायी गयी थी, उस योजना से पूरे गांव के लोग लाभान्वित हुये? यदि नहीं, तो कितनी अतिरिक्त योजनाएं ग्रामवार स्वीकृत करायी गयी? जानकारी देवें। प्रश्न दिनांक तक कितनी पूर्ण हुई एवं कितनी योजनाएं अपूर्ण हैं? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो क्या ठेकेदार एवं विभाग द्वारा कार्य पूर्ण नहीं हुआ फिर भी अपूर्ण योजनाएं सरपंचों को स्थानांतरित (हैण्ड ओवर) की गई? जैसे विकासखण्ड विजयराघवगढ़ की ग्राम पंचायत खलवारा और परसवारा की अपूर्ण योजनाएं सरपंचों को प्रदान की गयी है? यदि हाँ, तो अन्य कितनी ग्राम पंचायतों को अपूर्ण योजनाएं स्थानांतरित की गयी हैं तथा यह भी बताएं कि क्या स्थानांतरित योजना से उस गांव के प्रत्येक घर को पानी मिल रहा है? यदि नहीं, तो कौन दोषी है?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्रीमती संपतिया उइके ) : (क) लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग अंतर्गत स्वीकृत एकल ग्राम नल-जल योजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 अनुसार है तथा मध्यप्रदेश जल निगम अंतर्गत प्रश्नांकित विधानसभा क्षेत्र के लिए स्वीकृत समूह जल प्रदाय योजनाओं एवं इन योजनाओं में सम्मिलित ग्रामों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 02 अनुसार है, समूह योजनाओं के कार्य प्रगतिरत है। (ख) विभाग अथवा ठेकेदार द्वारा अपूर्ण योजना का हस्तांतरण ग्राम पंचायतों को नहीं किया गया है। ग्राम खलवारा एवं परसवारा की नल-जल प्रदाय योजना प्रस्ताव एवं डी.पी.आर. के अनुरूप कार्य पूर्ण होने के उपरांत ही संबंधित पंचायत को हस्तांतरित की गई है। जिन योजनाओं से ग्राम के समस्त घरों को पानी नहीं मिल रहा है, उन्हें पुनरीक्षित किया गया है, उक्त दोनों योजनाओं को पुनरीक्षित कर स्वीकृति के लिए कार्यवाही की जा रही है, अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में जो जवाब आया है, वह पूर्ण रूप से सत्यता से परे है. विभाग ने जवाब दिया है कि खलवारा और परसवारा की योजना पूर्ण करके सौंप दी गई है, यह गलत जानकारी माननीय मंत्री जी के माध्यम से विभाग द्वारा रखवाई गई है. अध्यक्ष महोदय, अगर इसकी परतें खोलने पर जाएंगे तो मैं नहीं समझता कि वह उचित होगा. मैं तो माननीय मंत्री जी से सिर्फ इतना आग्रह करता हूँ कि इसकी यहां से अधिकारी भेजकर उच्चस्तरीय जांच करवा ली जाये और जब भी अधिकारी जाये तो मेरी उपस्थिति में जांच हो जाये, क्योंकि कई सारी योजनाएं जो ग्राम पंचायत को सौंपी गई हैं, वह अपूर्ण हैं, उनको पूर्ण बताकर सौंप दिया गया है. कई जगह बोरिंग नहीं है, टंकी भर नहीं रही है, पाईपलाइन नहीं बिछी है, आधा गांव इससे वंचित है और बहुत सारी बातें हैं. यह माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की बहुत बड़ी योजना थी. अगर यह सही रूप से, साकार रूप से, अगर हर घर में यह योजना पहुँच जाये तो मैं समझता हूँ कि 75 वर्षों के इतिहास की यह सबसे बड़ी योजना है. इसलिए मैं चाहता हूँ कि माननीय नरेन्द्र मोदी जी का जो सपना है कि हर घर में पानी पहुँचाना है, हर घर में नल से जल पहुँचाना है, तो इस सपने को साकार करने के लिए, इसको ईमानदारी से लागू करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को यहां से भेजकर जांच करवाएं. ताकि मेरी विधान सभा के अन्दर हर घर में नल से जल पहुँच सके, बस मेरी इतनी सी मांग है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही आपसे निवेदन किया है कि कलेक्टर अब इस बैठक को बुलाएंगे और उसमें सारे जन-प्रतिनिधियों को बुलाएंगे और हर विधान सभा की समीक्षा कराएंगे. यह महीने में एक बार होगा और उसके बाद भी अगर शिकायत रही तो मैं आपके माध्यम से, माननीय सदस्य को विश्वास दिलाता हूँ कि उनके यहां की समस्या के लिए, मैं किसी अधिकारी को भेजकर उसके निराकरण का पूरा प्रयास करूँगा.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर तो बुलाएंगे ही. मैं आदरणीय मंत्री जी के आश्वासन से संतुष्ट हूँ. लेकिन मैं चाहता हूँ कि कलेक्टर की बैठक के पहले एक बार भौगोलिक दृष्टिकोण से जांच हो जाये, कोई भी एक जगह भोपाल से एक अधिकारी चला जाये, कोई एक कमेटी यहां से बनकर चली जाये. एक-दो जगह के सैंपल टेस्ट हो जाएंगे तो कलेक्टर की बैठक में भी डिस्कस करना आसान हो जायेगा, तो पहले तो यहां से एक अधिकारी को भेज दें और एक-दो जगह की जांच हो जाये. दूसरा, जांच पर कार्यवाही भी होनी चाहिए. अगर ठेकेदार कार्य पूर्ण बताकर सरपंच को, सचिव को पैसा खिलाकर वह कार्य सौंपकर भाग गया है, तो उसके विरुद्ध भी कार्यवाही होनी चाहिए, तो जांच पहले हो जाये फिर कलेक्टर की बैठक में चले जाएंगे. कैलाश भैया से आग्रह है कि जांच पहले करा दें एक-दो जगह की.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक वरिष्ठ अधिकारी को भेज दूँगा.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - धन्यवाद भाईसाहब.
श्री अजय अर्जुन सिंह - अध्यक्ष महोदय, आदरणीय कैलाश भाई ने बहुत अच्छी तरह से कहा है कि मैं एक क्षेत्र के लिए बड़े अधिकारी से जांच करा लूँगा. अध्यक्ष महोदय, यह सिर्फ पाठक जी के क्षेत्र का मामला नहीं है, पूरे मध्यप्रदेश में जहां भी जल जीवन का काम हुआ है, किसी क्षेत्र में भी सही तरीके से काम नहीं हुआ है. इसके लिए मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूँ कि एक क्षेत्र में दो जगह सैंपल से काम नहीं चलेगा, इसके लिए उच्चस्तरीय जांच बैठाई जाये कि इनके क्षेत्र में जल जीवन में इतना भारी भ्रष्टाचार और विलंब क्यों हो रहा है ? मेरे क्षेत्र में तो टंकी बनी है, ट्यूबवेल ही नहीं है, पाईप है तो टंकी नहीं है, टोंटी है तो नल नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री नरेन्द्र मोदी जी की तारीफ हम भी करते हैं कि जल उनके लिए प्राथमिकता रही है, लेकिन जिस तरह से उस विषय पर यहां बंटाधार हो रहा है, उस पर भी थोड़ा ध्यान दिया जाये. माननीय मंत्री महोदय जी हम सभी विधायकों की पीड़ा है, सिर्फ मेरी पीड़ा नहीं है. हर क्षेत्र में इस तरह की पीड़ा है, इसको ध्यान में रखते हुए उचित कार्यवाही करें.
अवैध लकडि़यों का व्यापार
[वन]
15. ( *क्र. 1875 ) श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कुक्षी विधान सभा क्षेत्र के डही नगर पंचायत के वार्ड 8 के निवासियों द्वारा आरा मशीन से सागौन की लकड़ी काटकर सागवान की लकड़ियों का व्यापार किया जा रहा है? (ख) यदि हाँ, तो इनके नाम और क्या इन्हें आरा मशीन लगाने की अनुमति दी गई है? (ग) क्या इनके द्वारा तस्करी करके लाई गई सागवान की लकड़ी का अवैध व्यापार करने की शिकायत प्राप्त हुई है? (घ) यदि हाँ, तो अवैध कारोबार करने वाले एवं संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की जाएगी/गई और कब तक समय-सीमा बताने का कष्ट करें।
वन मंत्री ( श्री नागर सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। ऐसी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल- अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी के मिशन के बारे में प्रदेश के सभी लोग जानते हैं, पेड़ लगाने का जो अभियान उन्होंने प्रारंभ किया है, उसका अभिनंदन है. मेरा प्रश्न वनों की कटाई एवं अवैध परिवहन से संबंधित है. जब मैंने प्रश्न लगाया तो वन विभाग के अमले ने संबंधित व्यक्ति को पहले ही सूचना कर दी कि हम आपके यहां आने वाले हैं. अमले के पहुंचने के पहले ही संबंधित थाना प्रभारी ने वाहन भेजा, पिकअप और लकड़ी का वहां से अन्य स्थान पर परिवहन कर दिया गया. मेरा कैलाश जी से आग्रह है कि आप इस विषय की जांच करवायें कि ऐसा क्यों किया गया, पेड़ों की कटाई को रोका जाये. तभी तो प्रकृति के विषय में जो आपकी सोच है, वह आगे बढ़ पायेगी.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि मैं पर्यावरण प्रेमी हूं और एक पेड़ भी कटता है तो मुझे बहुत तकलीफ होती है. यदि पेड़ कट रहे हैं तो यह अच्छी बात नहीं है लेकिन मेरे पास विभाग से जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसके अनुसार जहां आपने कहा था कि आरा मशीन है वहां आरा मशीन नहीं मिली, आप कह रहे हैं कि उन्हें पूर्व में ही सूचना दे दी गई थी, इसके विषय में मैं क्या कहूं, यदि आपके पास इस संबंध में कोई सबूत हों तो आप मुझे दे दीजिये, मैं, व्यक्तिगत रूप से आपसे मिलकर, यदि ऐसा कुछ हो रहा होगा तो हम निश्चित रूप से इसमें कड़ी कार्यवाही करेंगे.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल- अध्यक्ष महोदय, यदि मेरे पास सबूत के विषय में पूर्व में जानकारी होती तो मैं, आपको लाकर देता. मेरा उद्देश्य केवल यह है कि वनों की कटाई रूकनी चाहिए. उस व्यक्ति के बारे में पूर्व में भी शिकायत हो चुकी है और वह पकड़ा भी जा चुका है. वह आदतन अपराधी है इसलिए मेरा कहना है कि आप इसमें ठोस कदम उठायें, विभाग के अमले को निर्देशित करें कि वे जाकर सुनिश्चित करें कि कटाई न हो और वनों में भी जाकर देखें कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई न हो.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मैं, अधिकारियों को निर्देश दे दूंगा.
जल जीवन मिशन योजना
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
16. ( *क्र. 878 ) श्री अम्बरीष शर्मा : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) भिंड जिले के अंतर्गत विधान सभा क्षेत्र लहार में क्या जल जीवन मिशन योजना संचालित की जा रही है? यदि हाँ, तो योजना की स्वीकृत राशि कितनी है एवं आज दिनांक तक ठेकेदार को कितना भुगतान किया गया है तथा क्षेत्र के कितने ग्राम योजना से लाभान्वित होंगे? कृपया गाँवों के नाम बतावें। (ख) विधानसभा क्षेत्र लहार में संचालित जल जीवन मिशन योजना में की गई अनियमितता के संबंध में विभाग को क्या कोई शिकायत प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो क्या उसकी जांच कराई गई, जांच में क्या पाया गया? (ग) क्या योजना के अंतर्गत पाइप लाइन निर्धारित गहराई में न बिछाई जाकर प्रावधान से कम गहराई में बिछाई गई है? बिछाई गई लाइन की गहराई किस अधिकारी के द्वारा जांच की गई? उसका नाम एवं पद बतावें। (घ) क्या घरों में घरेलू नल कनेक्शन में स्टैंड पोस्ट का निर्माण किया गया है? यदि हाँ, तो कितने घरों में कनेक्शन दिए गए तथा कितने घरों में स्टैंड पोस्ट बनाए गए? (ड.) क्या उच्च घनत्व पॉलिथीन पाइप/मध्यम घनत्व पॉलिथीन पाइप की जांच केंद्रीय पेट्रो रसायन अभियांत्रिकी एवं प्रोद्योगिकी संस्थान द्वारा कराई गई है? यदि हाँ, तो रिपोर्ट उपलब्ध करावें? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्रीमती संपतिया उइके ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 अनुसार है। (ख) ग्राम असवार के संबंध में शिकायत प्राप्त हुईं, जांच कराई गई, कार्य स्वीकृत ड्रॉइंग डिजाइन के अनुसार गुणवत्तापूर्वक कराए गए हैं, पाइप-लाइन लीकेज का सुधार कर दिया गया है। (ग) जी नहीं, पाइप-लाइन के कार्य विभागीय मापदंडानुसार कराये गये हैं। कार्य का मापांकन एवं सत्यापन करने वाले विभाग के उपयंत्री एवं सहायक यंत्रियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 अनुसार है। (घ) 19,236 नल कनेक्शन दिये गये, जिनमें से 14801 में स्टैंड पोस्ट बनाये गये हैं। (ड.) पाइप की जांच केन्द्रीय पेट्रो रसायन अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान से कराई गई है, संदर्भ हेतु रिपोर्ट की एक प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 02 अनुसार है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री अम्बरीष शर्मा (गुड्डू)- अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने जल-जीवन मिशन के तहत जनता की बहुत चिंता की और इतनी बड़ी योजना हमें दी. अध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि हमारी विधान सभा में जल-जीवन मिशन के तहत जितने कार्य हुए हैं, वे सभी अपूर्ण हैं और उनमें कमी है. मेरा निवेदन है कि क्या मंत्री जी इसकी जांच करवायेंगे और जांच करवाकर दोषी ठेकेदारों के भुगतान को तब तक रोका जाये, ऐसा मेरा आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय- प्रदीप जी, आप कुछ कह रहे थे ,आप एक मिनट में अपनी बात रखें.
इंजीनियर प्रदीप लारिया- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन केवल इतना है कि प्रधानमंत्री जी की यह बहुत ही महत्वकांक्षी योजना है और मैं, समझता हूं आजादी के बाद से पेयजल के क्षेत्र में इतनी बड़ी योजना कभी नहीं आई. इसमें मूल दिक्कत यह है कि इसमें ठेकेदार बाहर के हैं, एक ठेकेदार ने 15-20 कार्य एक साथ ले लिए हैं. इसमें एक और दिक्कत यह है कि अमले की भी कमी है. एक इंजीनियर, एक एस.डी.ओ. को 100-100 योजनायें देखनी पड़ रही हैं. मेरा कहना है कि अमले के अभाव के कारण परेशानियां आ रही हैं, यदि इस योजना में अन्य विभागों का अमला दे दिया जाये, इंजीनियर दे दिए जायें, तो मैं समझता हूं, यह योजना सही ढंग से जमीनी स्तर पर अपना रूप ले सकेगी.
श्री अजय अर्जुन सिंह- ये भी बताओ कि सारे ठेकेदार किस प्रांत के हैं.
अध्यक्ष महोदय- प्रदीप जी, आपकी बात आ गई है. माननीय मंत्री जी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि जब योजनाओं की समीक्षा समय पर नहीं होती है तो थोड़ी शिकायत होना स्वाभाविक है. अभी लोकसभा के चुनाव हुए, विधान सभा के चुनाव हुए, आचार संहिता के कारण बहुत सारे जिलों की बैठकें नहीं हुई हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं फिर अपनी बात को दोहरा रहा हूं कि हम आज ही पत्र भेजकर सारे कलेक्टर्स को निर्देश देंगे कि अपने-अपने जिलों की जल मिशन योजनाओं की समीक्षा करें. क्या कमी है वह जनप्रतिनिधियों से चर्चा करके हमें रिपोर्ट भेजें. पूरे प्रदेश की जितनी भी समस्याएं होंगी हम उसका निराकरण करेंगे. फंड की कमी होगी तो फंड देंगे, अधिकारियों की कमी होगी तो हम अधिकारी देंगे परंतु हम प्रधानमंत्री जी का सपना पूरा करेंगे कि हर घर के अंदर नल और जल हो.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक और विषय पर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं. समीक्षा हो जाएगी, लेकिन पुरानी समीक्षाओं में हम लोगों ने कई बार चर्चा की है कि सभी सड़कें टूटी हुई हैं और रोज कम से कम दस से पंद्रह मोटर साईकिलें उन गड्ढों में गिर रही हैं और लोगों के हाथ-पांव टूट रहे हैं. वहां कलेक्टर्स को भी बता दिया है. पूरे विधान सभा क्षेत्रों में कम से कम 100-100 एफआईआर कटी हुई हैं. हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट की गाइडलाइन यह है कि जिस गलत काम के कारण हो उस अधिकारी और ठेकेदार पर डायरेक्ट क्रिमिनल केस बनाया जाए. यह स्टेज न आए इसके लिए जांच में सबसे पहला बिंदु है कि जितनी सड़कें डेमेज हुई हैं उन्हें यदि बरसात के पहले तुरंत ठीक नहीं कराया तो यह समस्या कई गुना ज्यादा गंभीर हो जाएंगी और इसके अलावा जितना कीचड़ में यह पाईप है यदि उसमें एक भी होल रह गया तो उस ब्लो होल से जितनी भी गंदगी है वह पाईप में जा रही है.
मौसम आधारित उद्यानिकी फसलों का बीमा
[उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण]
17. ( *क्र. 691 ) श्रीमती अर्चना चिटनीस : क्या सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्य में उद्यानिकी फसलों के अंतर्गत फसलवार रकबा कितना है तथा कितने कृषकों द्वारा उद्यानिकी फसलें ली जाती है? (ख) मौसम आधारित उद्यानिकी फसल बीमा के अंर्तगत वर्ष 2014-2019 तक वर्षवार उद्यानिकी फसलों अंतर्गत कितने क्षेत्र का बीमा किया गया तथा वर्षवार कितने प्रीमियम का भुगतान किया गया? प्रीमियम के विरूद्ध कितनी बीमा राशि का वर्षवार भुगतान कृषकों को किया गया? (ग) क्या मौसम आधारित फसल बीमा के अंतर्गत वर्ष 2019-20 से वर्ष 2023-24 तक फसलों का फसल-बीमा का कृषकों के प्रदाय नहीं किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) अन्य राज्य जैसे महाराष्ट्र आदि के कृषकों को उद्यानिकी फसलों के बीमा कवरेज के लिए कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो राज्य शासन द्वारा म.प्र. में ऐसी कार्यवाही क्यों नहीं की गई? उद्यानिकी फसलों के बीमा कवरेज के लिए शासन समय-सीमा निश्चित करेगा? यदि हाँ, समय-सीमा क्या होगी? (ड.) राज्य में मान. प्रधानमंत्री जी की महत्वाकांक्षी उद्यानिकी फसलों पर मौसम आधारित बीमा योजना लागू नहीं किये जाने के लिए अधिकारियों पर उत्तरदायित्व सुनिश्चित किया जायेगा? दोषी अधिकारियों को दंडित किया जायेगा?
सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण मंत्री ( श्री नारायण सिंह कुशवाह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ख'' अनुसार है। (ग) वर्ष 2019-20 में योजना के क्रियान्वयन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ग'' अनुसार है। आगामी वर्षों की स्थिति निम्नानुसार है :- खरीफ वर्ष 2020 से रबी 2022-23 के लिए 6 बार टेण्डर जारी किए गये, परन्तु दरें अधिक आने के कारण योजना का क्रियान्वयन नहीं किया जा सका। रबी 2022-23 से रबी 2023-24 के लिए निविदा आमंत्रित की गई परन्तु एक ही निविदा प्राप्त होने के कारण निविदा नहीं खोली गई। खरीफ 2023-24 से रबी 2025-26 के लिए निविदा आमंत्रित की गई परन्तु विभाग द्वारा भारत सरकार के नवीन निर्देश दिनांक 30.06.2023 अनुसार कार्यवाही करने का निर्णय लिया गया। (घ) भारत सरकार के नवीन दिशा निर्देशानुसार कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, नवीन दिशा-निर्देश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''घ'' अनुसार है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ड.) भारत सरकार के नवीन दिशा निर्देशानुसार कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। नवीन दिशा-निर्देश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट- के प्रपत्र ''घ'' अनुसार है। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती अर्चना चिटनीस-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण और गंभीर विषय पर चर्चा करना चाह रही हूं. मध्यप्रदेश में विगत 5 सालों से उद्यानिकी फसलों का मौसम आधारित बीमा नहीं हो पाया है जो कि माननीय प्रधानमंत्री जी की बहुत ही महत्वकांक्षी योजना है और अब प्रश्न पूछने पर भी विभाग यह कहेगा कि समय-सीमा नहीं बता सकते हैं तो यह तो बहुत ही चिंता की स्थिति है. मेरा सीध प्रश्न यह है और मैं यह जानती हूं कि भारत सरकार ने उसकी नियम एवं शर्तें बदली हैं और मेन्यूअल 2023 के अनुसार इन्हें ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन्स लगाना है तो ए.डब्ल्यू.एस की स्थापना विभाग कब तक करेगा और जब तक कि विभाग स्थापना नहीं करेगा तब तक हम उद्यानिकी फसलों का बीमा नहीं कर पाएंगे. मध्यप्रदेश में तीस हजार हेक्टेयर से अधिक उद्यानिकी फसलें हैं जिनका मौसम का, आंधी, तूफान का, ओले का सबसे अधिक असर उद्यानिकी फसलों पर पड़ता है.
श्री नारायण सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दीदी का प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है और इस पर उद्यानिकी विभाग के अधिकारी निरंतर कार्यवाही कर रहे हैं. दीदी ने बहुत मेहनत की है, और दीदी दिल्ली भी गई हैं, परंतु केन्द्र सरकार के जो कृषि विभाग से नियम परिवर्तन हुए हैं उसके बावजूद चार से पांच बार बीमा कंपनियों के लिए टेंडर हुए हैं. टेंडर में रेट सही नहीं आने के कारण वह नहीं हो पाए परंतु किसानों की छति प्रतिपूर्ति के लिए आर.बी.सी.की धारा 6 (4) के अंतर्गत उन्हें राहत देने का काम जारी है. मैंने माननीय केन्द्रीय कृषि मंत्री जी को पत्र लिखा है और मैं स्वयं जाकर वर्ष 2014 से 2019 तक का जिस तरीके से बीमा देने का काम होता था उसमें मैं जाकर खुद प्रयास करूंगा और जल्द से जल्द किसानों को पूर्ण तरीके से बीमा की राहत मिल सके इसमें मैं पूरी मेहनत करके कार्यवाही करूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
अध्यक्ष महोदय -- संजय पाठक जी आप क्या कह रहे थे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- अध्यक्ष महोदय, जल जीवन मिशन के संबंध में एक बात माननीय मंत्री जी के संज्ञान में डालना चाह रहा था कि कलेक्टर के पास ठेकेदारों के विरुद्ध कार्यवाही करने का कोई अधिकार नहीं है वह जल जीवन मिशन के पास है. इसीलिए क्षेत्र में या गांवों में जो नल जल योजना प्रभावित हो रही हैं, काम पूरे नहीं हो पा रहे हैं या गलत हो रहे हैं, कलेक्टर उन पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं कर पा रहा है. कलेक्टर को अधिकार देने का मेरा आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय -- संजय जी बैठ जाइए.
12.01 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
जल जीवन मिशन योजना की समीक्षा और क्रियान्वयन किया जाना
अध्यक्ष महोदय -- माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी यहां हैं. मैं समझता हूँ कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के बाद अत्यंत महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन प्रारंभ हुई है. यह आज की बड़ी आवश्यकता भी है क्योंकि जिस प्रकार से पानी की स्थिति है, स्वच्छ जल हर आदमी को मिले यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी भी है. चूंकि केन्द्र सरकार ने यह स्कीम प्रारंभ की है. राज्य सरकार उसका क्रियान्वयन कर रही है. सभी सदस्यों की बातें सुनकर ऐसा लगता है कि कहीं-न-कहीं हमें और ध्यान देने की आवश्यकता है. मेरा आपसे अनुरोध है कि कलेक्टर के स्तर पर नियमित समीक्षा और क्रियान्वित करने की बैठकें होना ही चाहिए लेकिन राज्य स्तर पर भी इसकी समीक्षा कड़ाई से करनी चाहिए. जिसका फायदा आम जनमानस को भी होगा और राज्य शासन की छवि भी निखरेगी.
12.02 बजे नियम 267 (क) के अन्तर्गत विषय
अध्यक्ष महोदय -- नियम 267-क के अधीन लंबित सूचनाओं में से 25 सूचनाएं नियम 267-क (2) को शिथिल कर आज सदन में लिए जाने की अनुज्ञा मैंने प्रदान की है, यह सूचनाएं संबंधित सदस्यों द्वारा पढ़ी हुई मानी जावेंगी. इन सभी सूचनाओं को उत्तर के लिये संबंधित विभागों को भेजा जाएगा.
मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है. अब मैं सूचना देने वाले सदस्यों के नाम पुकारूंगा.
1. श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर
2. डॉ. सीतासरन शर्मा
3. श्री यादवेन्द्र सिंह
4. डॉ. हिरालाल अलावा
5. श्री विपिन जैन
6. इंजी. प्रदीप लारिया
7. श्री नारायण सिंह पट्टा
8. डॉ. रामकिशोर दोगने
9. श्री राजेन्द्र भारती
10. श्री प्रताप ग्रेवाल
11. श्री अभय मिश्रा
12. श्री दिलीप सिंह परिहार
13. श्री कमलेश्वर डोडियार
14. श्री कैलाश कुशवाह
15. श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे
16. श्री फूल सिंह बरैया
17. श्री राजेश कुमार शुक्ला
18. श्री श्रीकांत चतुर्वेदी
19. श्री रजनीश हरवंश सिंह
20. डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय
21. श्री प्रदीप अग्रवाल
22. श्री शरद जुगलाल कोल
23. श्री मधु भाऊ भगत
24. श्री दिनेश गुर्जर
25. श्री आशीष गोविन्द शर्मा.
12.03 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
श्री जयवर्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल हमें सदन के अन्दर बताया था कि मंगलवार को नर्सिंग घोटाले के संबंध में ध्यान आकर्षण पर जो चर्चा हुई थी उसमें माननीय मंत्री विश्वास सारंग जी के वक्तव्य के संबंध में माननीय सदस्य सचिन यादव जी और मैंने आपको पत्र लिखकर जो उनके भाषण में भ्रमित जानकारी दी गई थी उसके संबंध में आपने हमें कल आश्वासन दिया था कि आप उसकी व्यवस्था देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- कल व्यवस्था मैंने दे दी थी. मुझे सूचना प्राप्त हो गई है. मैं परीक्षण कर आगे की कार्यवाही करूंगा. अब दोबारा मैं समझता हूँ इस विषय पर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है.
श्री जयवर्धन सिंह -- अध्यक्ष महोदय, क्या समय सीमा बताया जाना संभव है.
12.04 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) (क) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का राज्य के वित्त पर लेखा परीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च, 2023 को समाप्त हुए वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2024 का प्रतिवेदन संख्या 1,
(ख) (i) मध्यप्रदेश वित्त निगम के 31 मार्च, 2023 को समाप्त हुए वर्ष के लेखों पर भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक का पृथक लेखा परीक्षा प्रतिवेदन एवं
(ii) मध्यप्रदेश वित्त निगम का 68 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
12.05 बजे.
मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कम्पनी लिमिटेड का चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री( श्री कैलाश विजयवर्गीय)—अध्यक्ष महोदय मैं
कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 394 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कम्पनी लिमिटेड का चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष2018-2019 पटल पर रखता हूं.
अधिसूचना क्रमांक एफ-7-0003-2024-सात-शा.7, भोपाल, दिनांक 14 मई, 2024
राजस्व मंत्री( श्री करण सिंह वर्मा)—माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्रमांक 20 सन् 1959) की धारा 258 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार अधिसूचना क्रमांक एफ-7-0003-2024-सात-शा.7, भोपाल, दिनांक 14 मई, 2024 पटल पर रखता हू.
मध्यप्रदेश वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन का 19 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं हिसाब-पत्रक वर्ष 2021-2022
खाद्य नागरित आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री( श्री गोविंद सिंह राजपूत)—माननीय अध्यक्ष महोदय मैं, वेअरहाउसिंग कार्पोरेशन एक्ट, 1962 की धारा 31 की उपधारा (11) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन का 19 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं हिसाब-पत्रक वर्ष 2021-2022 पटल पर रखता हूं.
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
संसदीय कार्य मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय)—अध्यक्ष महोदय मैं जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 40 की उपधारा (7) तथा वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 36 की उपधारा (7) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष
2022-2023 पटल पर रखता हूं.
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार) – अध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 (क्रमांक 22 सन् 1973) की धारा 47 की अपेक्षानुसार रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 पटल पर रखता हूं.
(क) द मध्यप्रदेश स्टेट माईनिंग कारपोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 58 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, तथा
(ख) डी.एम.आई.सी.पीथमपुर जल प्रबंधन लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021
राज्यमंत्री, वन ( श्री दिलीप सिंह अहिरवार)—अध्यक्ष महोदय मैं(क) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 394 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार द मध्यप्रदेश स्टेट माईनिंग कारपोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 58 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, तथा
(ख) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार डी.एम.आई.सी.पीथमपुर जल प्रबंधन लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021 पटल पर रखता हूं.
12.08 बजे. बधाई एवं शुभकामना
अध्यक्ष महोदय – श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य और श्री राजन मण्डलोई, सदस्य दोनों महानुभावों का आज जन्मदिन है यह सदन दोनों महानुभावों को बधाई देता है.
12.09 बजे. ध्यानाकर्षण
बुरहानपुर नगर की जल आवर्धन योजना का कार्य पूर्ण न होने से उत्पन्न स्थिति
श्रीमती अर्चना चिटनीस ( बुरहानपुर)--
राज्यमंत्री नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग(श्रीमती प्रतिमा बागरी)-
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदस्य महोदया को बताना चाहूंगीं कि
श्रीमती अर्चना चिटनीस:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय मंत्री जी ने उत्तर में सुनाया वह सुनकर अच्छा लगता है, पर परिस्थिति ऐसी नहीं है. मुझे आपको यह बताने में बड़ा कष्ट है कि जो बैसिक वहां की रिक्वायरमेंट जो इन्होंने ताप्ति नदी पर जो एक एनिकट इंटकवेल बताया, वह भी पिछली बारिश में टूट गया है, योजना प्रारंभ होने के पहले ही एक्चुअली उनकी ड्राइंग डिजाईन की कमी थी, एप्रोप्रेट डिजाईन न होने के कारण, वह एनिकेट ही हमारा टूट गया. जिसको पूरा होने में आज से एक महीने से अधिक समय लगेगा और जो तिथि माननीय मंत्री जी बता रहे हैं उस तिथि में काम पूरा लेकिन जमीन की परिस्थिति ऐसी नहीं है और वैसे भी मैं माननीय मंत्री जी यह बताना चाहता हूं कि काम पूरा होगा, यह दसवीं बार विषय आ रहा है, यह कंपनी 11वीं बार अभी एक्सटेंशन ले चूकी है, जब हम काम करेंगे तो पूरा कर देंगे, अब 6 महीने में कर देंगे, अब साल भर में कर देंगे. परंतु अभी भी काम पूरा हो सकेगा यह मुझे वहां की जमीनी स्थिति देखते हुए नहीं लगता है. सारी योजना को 12 वितरण जोन में बांटा गया है. मैं बहुत जवाबदारी से कह रहीं हूं कि एक भी वितरण जोन का काम आज की तारीख में पूरा नहीं है, 8 टंकियां निश्चित तौर पर बनकर खड़ी हैं, पर जो डिस्ट्रीब्यूशन पाईप लाइन है, जो कंडिशन उन्होंने अपने एग्रीमेंट में, उसके अनुसार उतनी गहराई पर नहीं डाली गयी हैं. बहुत सुपरफिशियल 4-6 इंच की डेप्थ पर ही उसकी डिस्ट्रीब्यूशन लाईन डाली गयी हैं. जिसका संधारण बहुत कठिन होगा और अवैध नल कनेक्शन भी उससे सहज भविष्य में लिये जा सकेंगे और मेरा माननीय मंत्री जी से ..
अध्यक्ष महोदय:- अर्चना जी, आप प्रश्न करें.
श्रीमती अर्चना चिटनीस:- मेरा माननीय मंत्री पहला तो यह प्रश्न है कि कम डेप्थ पर डिस्ट्रीब्यूशन पाईप लाइन डाली गयी है, वह इसकी जांच किसी थर्ड पार्टी से कराकर यह इसको सुनिश्चित करें कि डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क प्रापर डलें, प्रापर डेप्थ पर डलें. क्योंकि बार-बार, कितना बड़ा पैसा है,163 करोड़ रूपये, क्या छोटा पैसा होता है. अब हमारे शहर को कभी ऐसा पैसा मिलने वाला नहीं है तो इसकी जांच होनी चाहिेये.
दूसरा, रेस्टोरेशन काम लगभग नहीं के बराबर हुआ है, बहुत खराब हुआ है और कायाकल्प की राशि मात्र से हम रेस्टोरेशन का काम पूरा नहीं कर सकेंगे.
अध्यक्ष महोदय:- अर्चना जी, आप वरिष्ठ सदस्य हैं. कृपया अपना प्रश्न करें.
श्रीमती अर्चना चिटनीस:- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से प्रश्न है कि एक तो डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की जांच हो जाये और दूसरा हमें रेस्टोरेशन के लिये एडिशनल राशि बुरहानपुर को 10 करोड़ की माननीय मंत्री जी उपलब्ध कराने का कष्ट करें और जो तिथि आप बता रहे हैं उस तिथि को काम हो जाये. इसको सुनिश्चित करने आसान नहीं है. कृपया आप उसको सुनिश्चित करने का कष्ट करें.
नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री( श्री कैलाश विजयवर्गीय):- अध्यक्ष जी, मैंने इनकी पूरी फाईल देखी थी. यह बात सही है कि बहुत ज्यादा विलंब हुआ है. उसमें बहुत सारे कारण और बहुत सारी बहानेबाजी भी है. पर अब हम सुनिश्चित करेंगे की कार्य समय-सीमा में हो. जहां तक आपने कहा कि थर्ड पार्टी से जांच करवायें तो मैं इसकी आई.आई.टी; इंदौर से इसकी जांच करवा देता हूं. जिससे की आपको यह कहने को नहीं मिलेगा कि सरकारी अधिकारियों ने जांच की है. मैं इसकी जांच आई.आई.टी; इंदौर से जांच करा देता हूं और आपने तीसरा रेस्टोरेशन के लिये बात की है तो मैं आपकी जानकारी के लिये बताता हूं कि लगभग 11 करोड़ से अधिक की राशि सड़कों के निर्माण और मरम्मत के लिये बुरहानपुर नगर निगम के लिये स्वीकृत है. यदि आप चाहेंगे हैं कि तो और भी राशि मिल जायेगी. पर आपके यहां कि सड़कें इस योजना के कारण खराब हुई हैं, वह निश्चित रूप से सारी सड़कें बना दी जायेंगी.
श्रीमती अर्चना चिटनीस:- अगर रेस्टोरेशन के लिये राशि मिल जायेगी उसके लिये मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं और थर्ड पार्टी जैसा मैंने कहा था कि आप आई.आई.टी. इंदौर से जांच कराने की बात कर रहे हैं वह भी बहुत स्वागत योग्य है. माननीय मंत्री जी एम.पी.यू.डी.सी का सारे प्रदेश का काम आपको बहुत बारीकी से गौर करना चाहिये. ऐसा मेरा आपसे विनम्र आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय:- श्री फुन्देलाल सिंह मार्को, अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़े.
श्री अभय मिश्रा:- अध्यक्ष महोदय, मैं भी एक प्रश्न करना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, शुरू से ही इसकी प्लानिंग सही नहीं है....
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जायें.
12.20 बजे (2) पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में रपटा एवं सड़क मार्गों का निर्माण न होने से उत्पन्न स्थिति
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) - अध्यक्ष महोदय,
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) - अध्यक्ष महोदय,
धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री मार्को जी ने अपना ध्यान आकर्षण सदन के सामने रखा है. उन्होंने 44 कामों की सूची वहां पर जिला प्रशासन को दी थी, उनके सूची देने के साथ ही वहां के जिला पंचायत के जो हमारे सीईओ हैं उन्होंने मध्यप्रदेश राज्य गारंटी परिषद के सामने दिनांक 8.2.23 को यह सारे के सारे प्रस्ताव भेजे भी थे. दिनांक 27.5.22 का जिसका उल्लेख अभी आपने कर दिया है. खनिज प्रतिष्ठान के दिनांक 6.3.23 को जो प्रभारी अधिकारी हैं, उनके पास भी जिला पंचायत के सीईओ ने यह काम पहुंचाए हैं. 44 में से कुल 7 कामों को स्वीकृति मिली थी, जिसमें खजुरदार का काम अभी प्रगतिरत् है. परोटा का काम पूरा हो गया है मेडिग्रामा का भी काम पूरा हो गया है, बेंदरी का काम भी पूरा हो गया है. रानीखुर्द का काम भी पूरा हुआ. बेहार और कदमसारा का काम प्रगतिरत् है. 7 स्वीकृत कामों से 4 काम पूरे हुए हैं, 3 प्रगतिरत् हैं. अगर इसमें भी उसके बाद सदस्य कुछ कहना चाहेंगे तो मैं जानकारी दूंगा.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - अध्यक्ष महोदय, यह मेरी कोई सीसी और फोर लेन, टू लेन की बात नहीं है. एक गांव से दूसरा गांव, एक टोला से दूसरा टोला की बात है. अभी बरसात का दिन है. आप वहां की जांच भी करा सकते हैं. लोग वहां पर बरसात के दिनों जा नहीं पाते हैं. मुक्ति धाम में नहीं जा पाते हैं. गांव से नर्मदा तट पर जाने का रास्ता 1-1, 2-2 कि.मी. का है, कोई बड़ी दूरी नहीं है. मैं आपसे विनम्रता से विनती करता हूं कि यह छोटे छोटे काम है जो एक टोला से दूसरे टोला जोड़ने के लिए यदि आपकी अनुमति हो जाएगी, ये मेरे गांव मुख्य मार्ग से जुड़ जाएंगे. इतनी कृपा कर दें, यह मैं माननीय मंत्री जी से निवदेन करना चाहता हूं. वैसे भी आप जैसे महाभारत के संजय की तरह यदि यहीं से बैठकर पुष्पराजगढ़ की ओर देखेंगे, आपकी वह नजर में है, इसलिए मैं आपसे कृपा चाहता हूं कि आप उस जंगल पहाड़ों में निवास करने वाले जनजाति समुदाय के ऊपर थोड़ा दृष्टि डालें और उनको स्वीकृत करने की कृपा करें.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, मैंने आपको वास्तविक स्थिति बताई थी, बल्कि मैंने अपने अधिकारियों से भी कहा था मैं अमरकंटक अभी जाने वाला हूं. अगर प्रगतिरत् कामों आप संतुष्ट नहीं हैं तो एक जगह मुझे बता देना, मैं खुद वहां चला जाऊंगा, जो बातें आपने कही हैं, चूंकि राशि की जो मर्यादा है, आपने 44 का काम कहे थे, 7 स्वीकृत हुए हैं उसमें से 4 पूरे भी हो गये हैं, 3 चल रहे हैं, उसमें बाकी चीजें और होंगी, हम और आप बैठकर बात करेंगे तो जो संभव होगा, वह करेंगे.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - अध्यक्ष महोदय, यह जो 7 काम आप बता रहे हैं यह 1-1 कि.मी. की है. माननीय मंत्री जी इसका उद्देश्य रोजगार देने का था. यह सब ग्रेवल मार्ग के रोड हैं कोई ऐसा नहीं है कि लोगों को गांव में काम भी मिल जाय, उस समय यह आवश्यक था, कोरोना के बाद का यह काम है तो लोगों के लिए रोजगार भी सृजन करना था और आवागमन के साधन को भी सुलभ कराने का उद्देश्य था. यदि आप थोड़ा-सा और करेंगे तो 7 में से तो हो ही गया है यह बाकी भी थोड़ा-सा हो जाए तो मैं चाहता हॅूं कि बड़ी कृपा हो जाएगी. आप थोड़ा बोल दें. आप मुस्कुरा देते हैं तो मुझे लगता है कि स्वीकृत ही हो गया. थोड़ी कृपा करें.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि आश्वासन की परम्परा आगे न बढे़. आपकी सूची मेरे पास है. मेरे काम करने के तरीके में भी मैं विधायक का एकाउंट रखता हॅूं, अगर उसमें से कुछ लगेगा, तो मैं आपको सूचित कर दूंगा.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- जी धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- मार्को जी, पूरा हो गया न.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय जी, माननीय मंत्री जी ने कह दिया है कि बैठकर के हम हल करेंगे. आश्वासन आपने दे दिया है. मैं संतुष्ट हो जाऊं. आपने 50-50 करोड़ मेरे क्षेत्र के लिए दिए हैं, जब आप केन्द्रीय मंत्री थे. आपके पास पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- अध्यक्ष जी, मुझे लगता है कि आश्वासन सदन में देना काम आगे बढ़ाना है. मैंने माननीय सदस्य को कहा है कि उनकी सूची मेरे पास में है. अभी नये बजट के बाद में जो उपयुक्त होगा, मेरा कार्यालय स्वत: इनको फोन करके बता देगा कि भई, ये काम और हो सकते हैं लेकिन सदन में आश्वासन देना, मुझे लगता है कि एक काम बढ़ाना है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी पर भरोसा कर सकते हैं.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका भी और माननीय मंत्री का भी भरोसा करता हॅूं और मुझे पूरा विश्वास है कि आप इन कामों को स्वीकृति प्रदान करेंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
12.26 याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में पद क्रमांक-4 पर जो याचिकाएं उल्लेखित की गई हैं वह प्रस्तुत की गईं मानी जाएंगीं.
12.27 स्वागत उल्लेख
ग्वालियर के सांसद श्री भारत सिंह कुशवाह का सदन में स्वागत
अध्यक्ष महोदय -- आज दर्शक दीर्घा में ग्वालियर के सांसद श्री भारत सिंह कुशवाह उपस्थित हैं. सदन की ओर से उनका स्वागत है. (मेजों की थपथपाहट)
12. 28 शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक, 2024 (क्रमांक 12 सन् 2024)
राज्य मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हॅूं कि मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- श्री अभय मिश्रा जी, इस पर अपने विचार व्यक्त करें. क्या यहां अभय मिश्रा जी नहीं हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय अभय मिश्रा जी पानी पीने गये थे, मैंने सदस्य को बुलवाने के लिए भेजा है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की जाती है.
(12.29 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित)
शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमशः)
(अपराह्न 12.40 बजे विधान सभा की कार्यवाही पुनः समवेत हुई.)
12.40 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
श्री अभय मिश्रा(सेमरिया)—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे क्षमा चाहता हूं आपने मेरे लिये विधान सभा को 10 मिनट के लिये स्थगित किया.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय—अध्यक्ष महोदय, आप माननीय अध्यक्ष महोदय, आप क्षमायाचना के साथ आभार भी व्यक्त करें. माननीय अध्यक्ष महोदय ने आपके लिये ऐतिहासिक काम किया है.
अध्यक्ष महोदय—सभी मौकों की प्रतिपूर्ति इसमें हो गई है.
श्री अभय मिश्रा-- अध्यक्ष महोदय,माननीय अध्यक्ष महोदय, का जीवन भर का आभारी अभी एक मिनट का थोड़े ही हूं. अध्यक्ष महोदय, मैं दोबारा ऐसी गलती नहीं करूंगा. क्षमा के साथ आपने मुझे अवसर दिया इसके लिये धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, नाम है मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक, 2024 हमको यह पढ़ने में लिखा दिख रहा है. मध्यप्रदेश सुधारात्मक यातना एवं बंदीगृह विधेयक 2024 इसके अंदर जो पढ़ा है और इसको पास से देखा है. आप गरीबी का यह आलम समझ लीजिये एक व्यक्ति मुझे तीन साल पहले मिला पहले नागपुर में काम करता था, वह बोला आप हमें जेल भिजवा दीजिये हमें वहां पर खाना मिल जायेगा. जेल के अंदर अभी हमारे यहां पर पांच कैदी मर गये है. अभी हम उसी पाईंट पर आ रहे हैं. एक महीने के अंदर पांच लोग खर्च हो गये. जेल में जब कोई मरता है तो उसका खर्चा डालते हैं यह जो विधेयक बनाया गया है. यह किसी सदस्यीय कमेटी के द्वारा अगर बनाया जाता जो कि यहां पर अधिकारियों के द्वारा बना दिया गया है. अगर कोई कमेटी बनाकर के इसको वास्तव में अंदर की चीजें निकाली जातीं तो शायद इसमें और ही दृष्टि आती. अब मैं विनियोग लेखे के बारे में बताना चाहता हूं. आप कहेंगे कि आप विषय से भटक रहे हैं. विनियोग लेखे 2022-23 यह किताब किसकी है, सरकार की है, केग की है. इसकी स्थिति आप देखिये कि जेल के अंदर सुधार की क्या स्थिति है, देखिये. बंदियों के लिये औद्योगिक प्रशिक्षण हेतु आपने बजट दिया था मूल 1 करोड़ 46 लाख रूपये उसमें समर्पित राशि मतलब कि जो उपयोग नहीं हुई वह 79 लाख एक तो राशि दाल में जीरा के बराबर राशि दे रहे हैं. ऊपर से 55 प्रतिशत राशि का हम उपयोग नहीं कर रहे हैं. बंदियों द्वारा सामग्री निर्माण का एकमुश्त दिया था 6 करोड़ रूपये उसमें से समर्पित राशि मतलब कि अनयूज्ड राशि 4.56 करोड़ है यानि की 76 प्रतिशत इसका मतलब यह होता है कि वहां पर यह राशियां सरेण्डर हुईं और कोई काम नहीं कराये गये. इसी तरह से समर्पित की गई अन्य प्रत्याशित बचतें जो अभी भी जेल में लंबित हैं जैसे 46.82 करोड़ रूपये इसमें से जो राशि सरेण्डर की गई है. वह है 46.32 यानि कि 46 करोड़ 32 लाख रूपये. यह राशि अभी भी ज्यों की त्यों पड़ी हुई है. विभिन्न अनुदान विनियोग का यदि हम विवरण देखते हैं तो अनुदान संख्या 10 कुल बजट 70 करोड़ रूपये वास्तविक व्यय 31 करोड़ रूपये बचतें 38 करोड़ रूपये उसमें बचत का प्रतिशत 55 प्रतिशत से अधिक है. यह है विनियोग लेखे की किताब. इस विनियोग लेखे में केग ने अपनी रिपोर्ट दी है. इसमें वर्ष के दौरान जो अभ्यार्थित राशि है. इसमें भी मायनस 26 करोड़ 64 लाख रूपये इसी तरह से दूसरा है प्रभारित में 5 करोड़ रूपये यह भी सरेण्डर हुआ है. 100 में से 100 प्रतिशत. दत्तमत में इसमें 87 करोड़ रूपये में से 32 करोड़ रूपये सरेण्डर हुए हैं. आगे देखें कि जेलों के आधुनिकीकरण के लिये 275 करोड़ रूपये दिये गये थे जिसमें से 166 करोड़ रूपये सरेण्डर हुए हैं. बंदियों को सामग्री निर्माण के लिये एकमुश्त राशि 600 करोड़ रूपये दी गई थी उसमें भी 146 करोड़ रूपये सरेण्डर किये गये हैं. इसी तरह से अनुदान संख्या 5 है जेल है इसमें जेल भवनों के निर्माण में जो 400 लाख रूपये दिये गये थे यानि कि 4 करोड़ रूपये प्रत्याशित संभावित बचत के कारण हुई रूपये 2 हजार 2 सौ 94 लाख के अंतिम बचत के कारण सूचित नहीं किये गये हैं. इसके कारण नहीं बताये गये हैं कि यह पैसे सरेण्डर हुए हैं. बैरक का निर्माण, इसमें 400 लाख रुपए दिये गये थे और 400 लाख रुपए की निधियों का आवंटन अपर्याप्त बजट आवंटन के कारण हुआ, अंतिम बचत के कारण सूचित नहीं किए गए. इसमें बहुत कुछ है, मोटा मोटा इसलिए रख रहा हूं कि इससे पता लगता है कि हम जेल के अंदर कितने सीरियस हैं, कुल मिलाकर यदि व्यक्ति ने गलत काम किया है तो उसको सुधार के लिए या समाज में मैसेज देने के लिए कि समाज में ये एलाऊ नहीं है, जेल का प्रावधान रखा गया है, लेकिन वहां भी एक इंसान ही जाता है या तो उसको फिर मृत्युदंड दे दिया जाए, अगर मृत्युदंड नहीं है तो कम से कम वह जीवित तो रहे, उसके साथ इंसान जैसे व्यवहार हो. जेल के अंदर का आपको दृष्टांत बताता हूं, जेल के अंदर 40 प्रतिशात लोग ऐसे हैं, जिनके जमानतदार नहीं है. हमारे पंचायत मंत्री जी बहुत जमीनी है, आप खुद समझ रहे होंगे जमानतदार नहीं है, विधिक सहायता के नाम पर केवल एक फार्मेल्टी है, कोई भी व्यक्ति उसका लाभ नहीं उठा पा रहा है. दूसरी बात जब कोई कैदी जेल में रहता है तो वह अकेले जेल में नहीं रहता, उसका पूरा परिवार जेल में रहता है, उसका पूरा परिवार जेल के बारे में ही सोचता है, शरीर उसका वहां जलता है बाकी उसका पूरा परिवार प्रताडि़त होता है और जब वह उससे मिलने जाता है तो आप यकीन कीजिए अगर उसके जेब में दस हजार रुपए नहीं है तो वह रो रोकर चिल्लाता है कि घर बेच दो, लेकिन जेलर को 10 हजार रुपए रोज पहुंचाओ. जो बड़े अपराधी है, हम इलाहाबाद बगैरह की स्थितियां बताते हैं और जगह भी देखते हैं, हमारे पास के लागों को भी जानते हैं, जो महीने में 10 लाख रुपए सिर्फ इस बात के लिए जेल में देते हैं कि वे अच्छे से रह लें, उनको बैठने के लिए एक अच्छा से बिस्तर का इंतजाम हो जाए. एक छोटा कैदी भी है, हमारे यहां एक ठाकुर है, अच्छे परिवार के हैं, वे बेचारे फंस गए, हम गए जब वह मृत था उसके मरने के बाद उसको अस्पताल में फेंककर चले आए, हथकड़ी नहीं उतारे, हथकड़ी के साथ वह आदमी था, उसका भाई चिल्ला चिल्लाकर कल ही कह रहा था कि पहुंचा दो नहीं तो हमको मार डालेंगे. दो दिन पहले मैं मिलने गया था, तो फसल बेचने में लेट हो गया. हमारा यह कहना है कि जो सुधारात्मक वाला आपने बनाया हुआ है, इस पर पुनर्विचार कीजिए, इसको हमने अच्छे से पढ़ा है, इससे कोई रिजल्ट नहीं आना है, कागजों की खानापूर्ति है, हम आपस में मैसेज दे दें, ऐसे मैसेज हम कितने दिन देते रहेंगे, हम जो भी काम करें, ठोस करें और हमारा फंड उतना ही जा रहा है. कोई जो रिटायर्ड लोग हैं, उनकी कमेटी, कोई रिटायर्ड जज की कमेटी, कुछ अनुभवी, कोई हमारे पुराने वरिष्ठ मंत्री हैं, वे उसका दौरा कर लें और कैदियों से ही पूछकर कि वास्तव में उनके सुधार का क्या कार्यक्रम है, सुधार के कार्यक्रम के नाम पर क्या क्या कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, उनके भोजन के लिए इसमें कुछ भी नहीं बताया गया है, केवल इसमें यातनाएं ही यातना, हर चीज को और कड़ा करेंगे और जान निकाल लेंगे उसकी, यही पढ़ा हूं इसमें, कहीं भी उसको रिलीव या इंसानियत की बात या उसके साथ न्यायिक बात का जिक्र नहीं है. मेरा आपसे यही अनुरोध है कि ये वाला जो विधेयक लाया गया है, ये मैं अस्वीकार करता हूं. इसलिए नहीं कि मैं विपक्ष में बैठा हूं, अगर इसमें कुछ अच्छी चीज होती तो मैं इसमें बताता कि इसमें दो तीन बातें बहुत अच्छी है. इसमें उनकी ट्रेनिंग का प्रोग्राम दिया हुआ है वह हमें ठीक लगता है, लेकिन उसके लिए मद का जिक्र नहीं है, उतना मद देंगे भी नहीं, इसमें दूसरा एक प्रोग्राम अच्छा है उनके ध्यान योग का, ये कहने की बात है ये हो नहीं पाता. उनको बीच बीच में कहीं पर अलग अलग कैदिया के हिसाब से, दूसरी चीज इसमें जो सेल होता है जिसको कालकोठरी कहते हैं, उसको भी और ज्यादा किया है. मेरा कहना है कि जिसके रिश्तेदार जेलों में है वही इस दुख को समझ सकता है. आम आदमी नहीं समझता है. मेरा यह कहना है कि हम इस विधान सभा में आपसे अनुरोध करते हैं कि इसमें पुनर्विचार करवाकर, एक कमेटी बनवाकर एक बार और देख लें, नहीं तो ये हाथ से निकल जाएगा, फिर ज्यों की त्यों फार्मेल्टी हो जाएगी और जेल में सबसे बड़ी बात स्टाफ नहीं है, हमारे पास होमगार्ड है. एक नया बच्चा आईएएस, आईपीएस बनता है आप विश्वास करिए 20 से 25 अर्दली उसको मिलते हैं. बंगले में 20 से 25 लोग होते हैं, हम विधायक एक गनमैन के लिए तरसते हैं, हमें दो गनमेन मिलते हैं, एक गनमेन तो घर चले जाते हैं, एक ही डयूटी करते हैं और जो सच है वह सब विधायकों के साथ गुजरता है. अब रोज-रोज कहां शिकायत करेंगे. हमें तीन गनमेन नहीं मिल सकते हैं, ज्यादातर को तो एक ही गनमेन मिला है और वहीं पर अगर आप किसी अधिकारी के बंगले में चले जायें तो आफिस से लेकर बढि़या ए.के.47 से लेकर सजे हुए 30-30, 40-40 लोग, तो सबसे अच्छे तो वहीं हैं. [xxx] हमें अवसर दिये रहे हैं. मतलब यह स्थिति है कि जो पुराने जमाने से जमे हुए लोग हैं, कागज तमाम बने हुए हैं. मेरा आपसे यह अनुरोध हैं कि जो होमगार्ड के कर्मचारी हैं, अगर जेल में स्टॉफ में कमी हैं तो उस कमी को इन होमगार्ड से पूरा किया जाये.
सहकारिता मंत्री(श्री विश्वास सारंग) -- अध्यक्ष महोदय, विधानसभा के सचिवालय की इस तरह की बात करना मुझे लगता है कि औचत्यहीन है, इसको तो विलोपित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय -- इसे विलोपित कर दिया जाये.
श्री अभय मिश्रा -- इसको विलोपित कर दिया जाये, ठीक बात है, मैं भी सहमत हूं, हो गया, मुंह है, थोड़ा निकल गया होगा (हंसी)
श्री विश्वास सारंग -- ऐसे मत निकाला करो, यहीं तो आप गड़बड़ कर जाते हो. (हंसी)
श्री अभय मिश्रा -- अब इसका भी कोई नियम बना दीजिये सिलने वाला तो फिर उसको इधर सिलकर रखा जाये(हंसी)
श्री विश्वास सारंग -- वह खुद ही सिलना पड़ता है(हंसी)
श्री अभय मिश्रा -- चलिए ठीक है( हंसी) मैं आपकी राय मानता हूं. अध्यक्ष महोदय मेरा यह निवेदन है और दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात जेल कौन चला रहा है, जेल वहां के जो छोटे-छोटे कर्मचारी हैं, चक्कर आफिसर हैं, जो प्रहरी हैं, उसमें हेड प्रहरी हैं, यह बीस-बीस, तीस-तीस साल से जमे हुए हैं, इनके बच्चे जेल के बाहर खुलेआम दुकान लगाकर बैठते हैं और एक-एक का पैसा जमा कराते हैं, इनका स्थानांतरण नहीं होता है, इनका स्थानांतरण नहीं होता है, साहब मैं ठीक कह रहा हूं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री प्रहलाद पटेल) -- अभय भाई जेल गये हो?
श्री अभय मिश्रा -- नहीं, नहीं मैं आज तक जेल नहीं गया हूं, ईश्वर की कृपा थी.
श्री प्रहलाद पटेल -- फिर कैसे पता है?
श्री अभय मिश्रा -- हमारे से जुड़े बहुत लोग हैं. हमारे रिश्तेदार और इसमें कोई बड़ी बात नहीं है और साहब जेल क्या? हुई है वही जो राम रची राखा जिस दिन लिखा होगा आपका, आप भी चले जायेंगे, जिस दिन हमारा लिखा होगा, हम भी चले जायेंगे.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- मिश्रा जी पहले आपकी पार्टी में थे, वहां रहते रहते जो अनुभव मिला है वह सुना रहे हैं.
श्री प्रहलाद पटेल -- बात पार्टी की नहीं हो रही है, बात अनुभव की हो रही है, इनको पता है, मतलब यह भी गये हैं, मैं बात अनुभव की कर रहा हूं (हंसी)
श्री अभय मिश्रा -- चलिए ठीक है. मेरा यह कहना है कि आप जेल नहीं गये, इसलिए आपका यह कहना है कि जेल के कैदियों में जो प्रताड़ना हो रही है, उसका हमसे क्या मतलब और अगर हम उनके पक्ष में या उनके मानवता के दृष्टिकोण से बात कर रहे हैं तो उसका मतलब कि मैं अपराधी हूं, आप यही कहना चाह रहे हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- तुलसी सिलावट जी को जेल जाने का अनुभव है, इमरजेंसी में तो कांग्रेस में होते हुए जेल गये थे.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, यह पूरा प्रदेश देख रहा है, यहां की कार्यवाही पूरा प्रदेश देख रहा है और जेल के जो कैदी हैं, उनका भी परिवार है, उनके परिवार के लोग भी वोट देते हैं, वह भी देख रहे होंगे कि आपकी सोच एक कैदी के प्रति क्या है ?
डॉ.सीतासरन शर्मा -- हमारी सोच अच्छी नहीं होती है, तो हम यह विधेयक लाते ही क्यों, आपकी सरकार ले आती, पैंतालीस साल से लाये नहीं, लेकर हम आये और निंदा भी आप हमारी कर रहे हैं.
श्री अभय मिश्रा -- देखिये साहब बात बिगाड़ी गई है, मैं आपको बताऊं, मुझे माननीय प्रहलाद भाई साहब, माननीय मंत्री जी गलती हो गई, मैं इलाहाबाद में था मुझे कोर्ट में सरेंडर होना था. मेरे पास किराया नहीं था. मैंने खाना होटल में खा लिया तो मेरे पास बस का किराया नहीं था, तो एक दिन मैंने मजदूरी करी, सर पर ईंटा ढो लिया पचास रूपये के लिये, मैं वहां से चला आदमी हूं.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी विषय पर रहिये और अपनी बात पूरी करिये, समय पूरा हो रहा है.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, मुझे जो वह बोल रहे हैं कि आप जेल गये होगे, तो यह बातें गलत हैं, विषय पर अब मैं क्या विषय रखूं.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी कल्पज्ञता की प्रशंसा कर रहे हैं.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, मेरा मन ही टूट गया कि अगर किसी गरीब के प्रति संवेदना की बात रखें, किसी जेल में यातना के लिये बात रखें तो माननीय मंत्री और लोग इस तरह कहते हैं कि अगर कोई न्यायिक बात करोगे तो तुम अपराधी होगे, इसलिए करोगे तो मुझे नहीं करनी बात, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, वाह री सरकार, वाह रे भारतीय जनता पार्टी आपकी जय हो, विजय हो, यह जनता देख रही है, धन्यवाद, नमस्कार .
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मिश्रा जी को बिना जेल जाये, इतना जेल का अनुभव है, यह वाकई में काबिले तारीफ है.
12.54 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज भोजन का अवकाश नहीं होगा, भोजन की व्यवस्था लॉबी में उपलब्ध है, अपनी सुविधा से सदस्य भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें. आज दिनांक - 05 जुलाई 2024 सायं 7 बजे संसदीय कार्यमंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय जी के आवास क्रमांक- सी-21 शिवाजी नगर भोपाल में सहभोज और भुट्टा पार्टी का आयोजन किया गया है, इस पार्टी में सभी माननीय सदस्यगण आमंत्रित हैं (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- पार्टियों के साथ गीत संगीत का प्रोग्राम हमेशा कैलाश जी किया करते थे, इस बार भूल गये लगता है और यह तो स्वयं भी गीत गाते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- आपने सुझाव दिया है वहां पर कर लेंगे, आपका आदेश हो तो मैं अभी व्यवस्था करवा देता हूं, लेकिन आपको भी गाना पड़ेगा.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन-- पिछली विधान सभा में कैलाश जी की अनुपस्थिति के कारण भुट्टा पार्टी का आनंद ही नहीं ले पा रहे थे. धन्यवाद देना चाहता हूं कि अब आप आ गये हैं तो भुट्टा पार्टियों का दौर चलता रहेगा.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी सुधारों के बारे में बताने वाले हैं ध्यान से सुने.
श्री प्रीतम लोधी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी जेल की बात चल रही थी थोड़ा निवेदन करना चाहता हूं मैं, हमारे जो गनमेन हैं उनसे बाहर जेल जैसा व्यवहार होता है. धूप में बरसात में अंदर नहीं आने दिया जाता है, बाहर खड़े रहते हैं, उनकी थोड़ी व्यवस्था सोची जाये.
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक की चर्चा प्रारंभ करने से पहले मैं श्रीकृष्ण भगवान को याद करना चाहता हूं जिनका जन्म कारावास में हुआ था. महात्मा गांधी के विचारों से इस विधेयक पर अपने विचार रख रहा हूं. महात्मा गांधी कहा करते थे कि अपराध के पीछे एक बीमार दिमाग होता है. अत: जेलों में इलाज एवं देखभाल के लिये अस्पतालों जैसा वातावरण होना चाहिये. यह संयोग है कि मेरे पास अस्पतालों का भी दायित्व है और साथ में माननीय मुख्यमंत्री जी के आदेश से आज जेल विधेयक आप सबके समक्ष रखा था. अभी अभय जी जिन विषयों की चर्चा कर रहे थे मैं उनको धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने कुछ विषय की प्रशंसा भी की है. ट्रेनिंग और ध्यानयोग इत्यादि की जो उन्होंने प्रशंसा की है उसके लिये मैं उनका धन्यवाद ज्ञापित करता हूं, लेकिन चूंकि वह पीने का शौक रखते, नहीं माफ कीजिये, पानी पीने की वजह से बाहर चले गये थे ... (हंसी)... (श्री अभय मिश्रा जी के खड़े होने पर) अरे भाई साहब आप पानी पीने चले गये थे.
श्री अभय मिश्रा-- अच्छे-अच्छे शौक बताया करो न, मुझे मालूम सब है, बात खुलेगी तो दूर तक जायेगी साहब.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- भाई साहब आप पानी पीने गये थे तो मैं धन्यवाद आपका कर रहा हूं कि आपके चक्कर में पूरे सदन का लाभ हो गया था और माननीय अध्यक्ष जी ने सबको 10 मिनट का अवकाश दिया था, आपको इसलिये भी धन्यवाद दे रहा हूं.
श्री अभय मिश्रा-- गलती हो गई.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- नहीं, मैं तो आपको धन्यवाद दे रहा हूं कि हम सब लाभांवित हुये थे. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि जो अंग्रेजों के और मुगलों के जमाने के कानून इस देश में लगातार चल रहे थे उनको बदलने का महाअभियान यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पूरे देश में चल रहा है. जिस तरह से यशस्वी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में दण्ड संहिता को बदलकर भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 इस देश में लागू किये गये हैं. जेल के संदर्भ में भी माननीय सदस्य हमारे अभी कह रहे थे कि अधिकारियों ने निर्मित कर दिया. निश्चित रूप से अधिकारियों की भूमिका रहती है, नि:संदेह रहती है, परंतु इसमें हमारे जो सदस्यगण हैं उनके भी सुझाव लिये गये हैं तथा आपसे भी तो मांगे सुझाव आपने किसी ने भी सुझाव नहीं दिये सदन के अंदर, लेकिन मैं आपको बताते हुये गर्व महसूस करता हूं कि भारत सरकार के केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने वर्ष 2023 में संपूर्ण भारत वर्ष की जेलों की व्यवस्था एकरूप रहे, समरूप रहे इसके लिये Model Prisons Act, 2023 प्रस्तुत किया, प्रारूप तैयार किया था. चूंकि जेल राज्य का विषय है इसलिये इसमें केन्द्र सरकार कानून नहीं बना सकती, राज्य सरकार को ही कानून बनाना था और मुझे आपको बताते हुये प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में पहला ऐसा राज्य बना है जिसने Model Prisons Act, 2023 के तारतम्य में और उसके अनुरूप पहला एक्ट मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवायें एवं बंदीगृह 2024 आप सबके समक्ष प्रस्तुत किया है. अभी तक 130 साल पुराने कानून इस देश में चल रहे थे. मुगल और अंग्रेज इस देश में राज करने के लिये आये थे. समाज को नियंत्रण के लिये उन्होंने नियम कानून बनाये थे. कैसे महात्मा गांधी जी को जेल में रखना है. कैसे डॉ. अम्बेडकर जी को जेल में रखना है. कैसे भगत सिंह जी को जेल में रखना है और कैसे वीर सावरकर जी को कालकोठरी में बंद रखना है तो ऐसे नियम,कानून अंग्रेजों ने बनाए थे परंतु अब देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि वे देश के प्रधान सेवक हैं. निश्चित रूप से हम समाज की सेवा के भाव से जनप्रतिनिधि बने हैं और हमारा दायित्व समाज के प्रति सेवा का है. इसलिये अब जेलों में भी अपराधियों के लिये भी सुधारात्मक सेवाएं दी जाएं ऐसा डॉ.मोहन यादव जी की सरकार विचार करती है. उसी तारतम्य में यह कानून लाया गया है. पहले ब्रिटिश काल में प्रचलित कानून, जेल अधिनियम 1894, 130 साल पुराना कानून इस देश में, इस प्रदेश में चल रहा था, उसको बदलने का काम इस विधेयक के माध्यम से होगा. बंदी अधिनियम सन् 1900, इस तरह के कानूनों को बदलने का काम इस विधेयक के माध्यम से होगा. जो जेल के अलग-अलग विधेयक थे जेल के नियमों के लिये उनको एकीकृत करके इस विधेयक में लाया गया है. इस विधेयक में ध्यान रखा गया है कि हम किस तरीके से अपनी जेलों में बंद अपराधी,जिन लोगों ने समाज को खतरा है,जोखिम है, ऐसे खतरनाक बंदियों पर कड़े नियंत्रण की व्यवस्था है. जो गैंगस्टर हैं. ऐसे बंदियों पर नियंत्रण के लिए इस कानून में प्रावधान किये गये हैं. पी.सी. के माध्यम से पेशी हो, मोबाईल डीएक्टीवेटर लगाएं जाएं. ई मुलाकात हो इस तरह के टेक्नालाजी के उपयोग भी इस विधेयक में किये गये हैं. इस विधेयक में कड़े प्रावधान किये गये हैं. ऐसे लोग जो जेल में मोबाईल या अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाईस उपयोग करते हैं या उनको सहयोग करते हैं उनके खिलाफ 3 वर्ष तक का कठोर कारावास और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना किये जाने का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है. आपको बताते हुए मुझे हर्ष है कि इस विधेयक में महिला बंदियों की विशेष रूप से चिंता की गई है. गर्भवती महिलाओं की चिंता की गई है. उनको उपयुक्त पोषण आहार मिलते रहें उसकी चिंता की गई है. जो बच्चों के साथ में कैदी हैं उनकी चिंता की गई है चाहे वह महिला हो चाहे पुरुष हों. उन बच्चों के भविष्य के लिये भी चिंता की गई है. ट्रांसजेंडर्स के लिये अभी तक किसी जेल में अलग से प्रावधान नहीं था परन्तु मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य बन रहा है जहां ट्रांसजेंडर्स के लिये भी अलग से प्रावधान किये गये हैं. उनके लिये अलग से वार्ड बनाने के लिये,उनको अलग से चिकित्सा देने के लिये भी इस विधेयक में चर्चा हुई है. जेलों में जो भीड़भाड़ हो रही है जिसे ओवर क्राउडिंग कहा जाता है उससे बचने के लिये भी इस विधेयक में प्रावधान किये गये हैं. माननीय सदस्य ने कुछ विषय उठाए थे कि कमेटी बनाई जानी चाहिये. निश्चित रूप से इस विधेयक में कमेटियों का प्रावधान किया गया है. जिले के स्तर पर प्रावधान किया गया है. प्रदेश के स्तर पर जेल विकास बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया है. रिव्यू कमेटी बनाने का प्रावधान किया गया है.
श्री अभय मिश्रा - एक बात मुझसे छूट गई थी. जो कैदियों को वोट नहीं देने का अधिकार है तो कैदियों को वोट देने का अधिकार और दूसरे अगर मां-बाप दोनों जेल चले गये तो उसके बच्चे को उसके घर वाले गार्जियन भी नहीं लेते हैं तो इन दोनों चीजों को प्वाइंट आउट कर लीजिये. इसे आप नोट कर लीजिये.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, बंदियों के कल्याण के लिये भी इसमें चर्चा की गई है. बंदियों के छूटने के पश्चात् समाज में हम उनका पुनर्वास कर सकते हैं किस तरह से हम उनको समाज में पुनर्समाहित करते हैं. किस तरह से उन्हें समाज में पुन: सम्मान का जीवन जीने का मौका मिले इसके प्रावधान इस एक्ट में किये गये हैं. जेल के बुनियादी ढांचे में सुधार करने के लिये वास्तुकला का भी चिंतन इसमें किया गया है. मानसिक रूप से ग्रसित बंदियों के लिये भी इसमें चिंता की गई है. बंदियों के लिये चिकित्सा के प्रावधान भी इसमें किये गये हैं. हर जेल में चिकित्सा अधिकारी रखे जाएं इसका भी इसमें प्रावधान किया गया है. जेल के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी समुचित प्रशिक्षण मिले, ताकि वे बंदी, जो सरकार की मंशा है...
श्री आशिष गोविन्द शर्मा -- माननीय मंत्री जी, इसमें एक मेरा भी सुझाव है.
अध्यक्ष महोदय -- आशिष जी, मंत्री जी अपना भाषण दे रहे हैं तो बीच में हम सुझाव नहीं देते हैं.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी तथा हमारे वित्त मंत्री आदरणीय श्री जगदीश देवड़ा जी का भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ. हम ये जो विधेयक लाए हैं, उससे पूर्व ही जेलों के सुधार के लिए चिंता की है. उनके बजट में, जो कैदियों के लिए भोजन है, उसमें 25 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है, जो लगभग 20 प्रतिशत है. इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए भी 110 करोड़ रुपये का प्रावधान है जो लगभग 25 प्रतिशत है. उन्होंने बजट में भी उल्लेख किया है. केन्द्र की सरकार ने भी उल्लेख किया है कि गरीब लोग जो हैं, छोटे-मोटे जुर्माना के कारण लंबे समय तक जेल में बंद रहते हैं, जबकि उनकी कैद पूरी हो चुकी होती है, उनका जुर्माना भरने का दायित्व भी मध्यप्रदेश सरकार ने लिया है. उसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का, हमारे वित्त मंत्री आदरणीय श्री जगदीश देवड़ा जी का आभार व्यक्त करता हूँ. अध्यक्ष महोदय, अंत में मैं केवल एक बात कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा, मुझे शेर तो आते नहीं, श्लोक आते हैं, चौपाइयां आती हैं.
अध्यक्ष महोदय -- जरूरी नहीं है शेर सुनाना, यह आवश्यक नहीं है. (हंसी).
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, अंत में केवल एक बात करके इस सदन से निवेदन करके अपनी वाणी को विराम दूंगा. यह हम सबका दायित्व है जो किसी कारण से छोटे-मोटे कारणों से या परिस्थितियों के कारण से अपराधी बन गए थे, उनको सुधार कर समाज में हम पुन: उनका पुनर्वास कर सकें, उस दिशा में यह विधेयक एक मिल का पत्थर साबित होगा. आप सबसे इसके समर्थन के लिए निवेदन करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 68 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 68 विधेयक के अंग बने.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो सर्वसम्मत हुआ, किसी ने ''ना'' किया ही नहीं.
(संसदीय कार्य मंत्री) श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, इसको सर्वसम्मति कर दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ.
(2) मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 (क्रमांक 13 सन् 2024) का पारण
राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण (श्रीमती कृष्णा गौर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करती हूँ कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, क्या आप इस विधेयक के संबंध में और कुछ बोलना चाहती हैं ?
श्रीमती कृष्णा गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आज यह कहते हुए बहुत प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश के इतिहास में हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया. जिसके तहत अब मंत्रिमण्डल के सभी सम्मानित सदस्य अपने आयकर का स्वयं भुगतान करेंगे और इस निर्णय में आपने और नेता प्रतिपक्ष जी ने भी सहमति दिखाते हुए, एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है. मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) अधिनियम 1972 की धारा 9 क के प्रावधान अंतर्गत राज्य के मंत्रियों को भुगतान किए गए आयकर की प्रतिपूर्ति राज्य शासन से प्राप्त होती थी. धारा 9 क वर्ष 1976 में अधिनियम में जोड़ी गई थी. इन प्रावधानों के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में 51.38 लाख, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 61.09 लाख, वित्तीय वर्ष 2021-22 में 59.48 लाख, वित्तीय वर्ष 2022-23 में 66.33 लाख एवं वित्तीय वर्ष 2023-24 में 79.08 लाख, इस प्रकार पिछले पांच वर्षों में 3.17 करोड़ रुपये आयकर की प्रतिपूर्ति राज्य शासन द्वारा मंत्रीगण को देय की गई थी. हमारा प्रस्ताव यह है कि हमारे मंत्रीगण आयकर को स्वयं वहन करेंगे व शासन से कोई वित्तीय सहायता नहीं लेंगे. आयकर की दृष्टि से 1972 के अधिनियम में बदलाव प्रस्तावित है. वित्तीय वर्ष 2024-25 की अपनी आय पर देय आयकर का भुगतान मंत्रीगण स्वयं ही करेंगे. अत: मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) अधिनियम 1972 की धारा 9 क के निरसन हेतु मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 के पुरस्थापन का प्रस्ताव अनुमति के लिए प्रस्तुत है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब, विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने
श्रीमती कृष्णा गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करती हूँ कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ.
1.14 बजे
(3) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2024 (क्रमांक 14 सन् 2024)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इन्दर सिंह परमार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बदनावर) - आदरणीय अध्यक्ष जी, वैसे तो इस निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पर बहुत ज्यादा बोलने और न तो उसमें कुछ करने की आवश्यकता है. लेकिन मैं आदरणीय परमार जी का दो-तीन बातों पर ध्यान खींचना चाहता हूँ. हम निजी विश्वविद्यालय अधिनियम तो लाये, एजुकेशन का हाल हम सबको पता है, विश्वविद्यालयों का कार्य संचालन भी हमें पता है एवं जो देश एवं प्रदेश की समस्या है, उसके अन्दर हमारे विश्वविद्यालय काम कर रहे हैं, उनकी जो कार्यशैली है, उसके परिणामस्वरूप कई बार पेपर लीक और पेपर आऊट हो रहे हैं, परीक्षा समय पर नहीं हो रही हैं, रिजल्ट समय पर नहीं आ रहा है, ये सारी बातें हम देख रहे हैं. इन चीजों को देखते हुए ही आपने शायद निजी विश्वविद्यालयों को स्थापित करने की परिकल्पना की थी. कई निजी विश्वविद्यालय ऐसे खोले गए हैं, जिनके खुलने के बाद अभी तक उनका पुनरीक्षण नहीं किया गया कि जिन शर्तों पर आपने उन्हें खोलने का अवसर दिया था, वे उस अनुरूप चल रहे हैं कि नहीं चल रहे हैं. कई निजी विश्वविद्यालय खुल तो गए हैं लेकिन अभी-भी सभी मानदण्ड पूरे नहीं कर रहे हैं लेकिन हमने उनकी अनदेखी कर दी है और उन्हें स्थापित किया है. आज आपने इसमें वाइस चांसलर के स्थान पर कुलगुरू नाम किया है. कुलपति के स्थान पर आपने कुलगुरू कर दिया है, नाम परिवर्तित करने में तो परमार जी हम मास्टर हैं. जब 70-75 वर्ष कुलपति नाम चल गया तो अब ये कुलगुरू भी चल ही जायेगा. लेकिन हमारा शिक्षा का स्तर, काम करने की शैली, विद्यार्थियों के साथ न्याय-अन्याय का विषय वैसा ही है. जब कुलपति थे तो आज भी उतने ही पेपर लीक हो रहे हैं और जब कल कुलगुरू आ जायेंगे तो पेपर लीक नहीं होंगे या कोई समस्या नहीं आयेगी, ऐसा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, इन सभी बातों का उल्लेख मैं यहां इसलिए कर रहा हूं कि हमारी मूल अवधारणा नाम बदलने या नए नाम स्थापित करके, हम भारत के प्रति, अपने आपको साबित करना चाहते हैं कि हम हिंदी के बड़े पक्षधर हैं. कुलपति में भी पति तो हिंदी नाम ही था, पति में कोई गड़बड़ तो नहीं है. कैलाश जी, पति में आपको कोई आपत्ति ? राष्ट्रपति को भी पति ही कहते हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, हमारे भंवर सिंह जी भी छात्र नेता रहे हैं. हम उस समय इनके शिष्य थे, यह बात अलग है कि अब हम इनके शिष्य नहीं रहे.
अध्यक्ष महोदय- जी हां, ये पुराने छात्र नेता रहे हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत- आप जैसा शिष्य प्राप्त करने का गौरव सिर्फ मुझे ही प्राप्त है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मुझे यह गौरव प्राप्त है कि मैं इनका शिष्य रहा हूं. मैं, भंवर सिंह जी की यहां प्रशंसा करना चाहता हूं कि उस समय सभी छात्र नेता, अलग से प्रिंसिपल के कमरे में बैठकर परीक्षा देते थे, नकल करते थे लेकिन ये एकमात्र छात्र नेता थे, जो ईमानदारी से परीक्षा देते थे.
अध्यक्ष महोदय- इस पर सदन को प्रसन्नता जाहिर करनी चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)
श्री भंवर सिंह शेखावत- अध्यक्ष महोदय, इन सभी बातों के बीच परमार जी से मेरा निवेदन है कि ये सभी बातें तो होती रहेंगी लेकिन अभी जो शिक्षा का स्तर है और जिस दिशा में सारे विश्वविद्यालयों में अव्यवस्था है, उसके अंदर आप ध्यान दें, छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए ध्यान दें और मैं, समझता हूं कि इसमें कोई विरोध करने वाली बात नहीं है, आपने जो रखा है इसे यथा स्वीकार कर लिया जाये लेकिन कुछ बिंदु जो मैंने यहां इंगित किए हैं, आपको उनकी ओर ध्यान देना चाहिए. हम व्यवस्था की ओर ज्यादा ध्यान देंगे तो अच्छा होगा, धन्यवाद.
1.18 बजे
{ सभापति महोदया (श्रीमती अर्चना चिटनीस) पीठासीन हुई.}
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा)- सभापति महोदया, विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक जो आज पेश हुआ है, यह सही है कि नाम बदलने से काम बदल नहीं जाते, जबकि काम करने से नाम होता है. मेरा निवेदन है जो कुलपति था, वह भी ठीक था और अब कुलगुरू किया, उस पर भी हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन व्यवस्था में सुधार होना चाहिए. हमारे मध्यप्रदेश में 3 डीम्ड यूनिवर्सिटी हैं, 2 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं, 16 राज्य विश्वविद्यालय हैं और 20 निजी विश्वविद्यालय हैं. इसके अतिरिक्त 3 राष्ट्रीय महत्व के संस्थान भी हैं. जिनमें IIT, AIIMS और NIT है. जब IIT, AIIMS और NIT में कोई अच्छा काम होता है तो हम सभी कहते हैं कि ये अच्छा काम कर रहे हैं. वहां अच्छा इलाज हो रहा है, अच्छी पढ़ाई हो रही है. लेकिन शेष विश्वविद्यालयों में ऐसा क्यों नहीं होता है. वहां भी वही स्टाफ है, हमारे यहां भी वही स्टाफ है. सभी स्थानों पर एक जैसी ही व्यवस्थायें है लेकिन पढ़ाई में यह अंतर क्यों आता है. हमें इस पर ध्यान देना चाहिए.
सभापति महोदया, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि हमारे विश्वविद्यालयों के कुलपति का नाम तो हम बदल रहे हैं लेकिन वर्तमान में कॉलेजों में प्रभारी प्राचार्य हैं, प्रोफेसर नहीं हैं, लोग संविदा पर वहां पढ़ा रहे हैं या अतिथि विद्वान पढ़ा रहे हैं. हमें इस व्यवस्था को सुधरना चाहिए क्योंकि प्रदेश में 20 निजी विश्वविद्यालय हैं. आपने इनके लिए बहुत परमिशन दी है और अभी भी दे रहे हैं. यह अच्छी बात है, शिक्षा का क्षेत्र बढ़ना चाहिए क्योंकि शिक्षा रूपी चाबी हर ताले में लगती है. किसी भी क्षेत्र में भी जाएं, चाहे व्यवसाय में जाएं, चाहे राजनीजिक क्षेत्र में जाएं, चाहे प्रशासनिक सेवा में जाएं या किसानी करें. यदि सभी जगह शिक्षा होगी तो निश्चित सफलता मिलेगी और आदमी आगे बढ़ता है तो उसके लिए तो वह ठीक है परंतु मेरा आपसे निवेदन है कि जो हमारे कॉलेजों की व्यवस्थाएं हैं उनमें सुधार हो जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा उसके साथ ही मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि आपने प्राईवेट स्कूल हैं उन पर तो आर.टी.ई. लगा दिया है, लेकिन जो प्राईवेट विश्वविद्यालय हैं उन पर भी आर.टी.ई. होना चाहिए ताकि गरीब बच्चे वहां भी एडमीशन ले सकें और उनको भी सारी सुविधाएं मिल सकें तो ज्यादा अच्छा रहेगा. उनको भी लाभ मिलेगा तो वह अच्छे से पढ़ लिख जाएंगे. जिस तरह से प्राईवेट स्कूलों में बच्चे पढ़ रहे हैं उन बच्चों को भी लाभ मिलेगा तो यह ठीक रहेगा. मेरा केवल इतना ही सुझाव है. आप नाम बदलने जा रहे हैं अच्छी बात है. हमारे शास्त्रों में भी और पुरानी ज्ञान पद्धति में भी कुलगुरु का उल्लेख है. आपने इसे बदलकर कुलगुरु किया इसके लिए धन्यवाद.
श्री
इन्दर सिंह
परमार--
माननीय
सभापति
महोदया,
मैं आदरणीय
वरिष्ठ नेता
शेखावत जी और
रामकिशोर
दोगने जी को
धन्यवाद
देना चाहता
हूं कि आपने
विश्वविद्यालय
में सुधार के
लिए महत्वपूर्ण
सुझाव दिये
हैं. मध्यप्रदेश
में शिक्षा के
क्षेत्र में
लगातार बदलाव
करने का काम
वर्ष 2020 से राष्ट्रीय
शिक्षा नीति
के तहत संपन्न
होने जा रहा
है. भारत की ज्ञान
परम्परा को
भी
विद्यार्थियों
में समझने का
एक अवसर मिलना
चाहिए इसलिए
ज्ञान परम्परा
जोड़ने का
संकल्प है.
तेज गति के
साथ में उसी
प्रकार के
पाठ्यक्रम
बनाना, उसी
प्रकार का
प्रशिक्षण
देना उस पर
काम चल रहा है.
यह जो नाम
बदलकर कुलपति
से कुलगुरु
करने का जो
संकल्प है
मैं सोचता
हूं कि भारत
की ज्ञान परम्परा
को स्थापित
करने के लिए
भारतीय दर्शन
का प्रकटीकरण
होता रहे क्योंकि
राष्ट्रीय
शिक्षा नीति
भारत को केन्द्र
में रखकर बनाई
गई है. चाहे वह
शासन द्वारा संचालित
विश्वविद्यालय
हो या निजी
विश्वविद्यालय
हो सभी में
समानता के भाव
से उसको लागू
करने का संकल्प
है और मैं
सोचता हूं कि
उसी भाव के
लिए हम कुलगुरु
शब्द रख रहे
हैं. आपके जो
महत्वपूर्ण
सुझाव हैं
हमने उन पर
काम प्रारम्भ
कर दिया है.
हमने जहां पर
प्रभारी
प्राचार्य है,
हमारे पास जो स्टॉफ
है उसमें से
परीक्षा लेकर
पांच वर्ष के
लिए स्थाई
रूप से एक
प्राचार्य
मैं सोचता हूं
कि दो से तीन
महीने में हम
सब पांच दलों
तक पहुंचा देंगे.
उसकी भी कुछ
पात्रता है वह
तय कर रहे हैं. यह
निश्चित रूप
से स्थाई
प्राचार्य उस
महाविद्यालय
की चिंता कर सकेंगे.
हमारे जो निजी
विश्वविद्यालय
हैं. निजी
विश्वविद्यालय
भी जो प्रारंभ
किये गये हैं
मूल भावना तो
वह है कि
हमारे भारत
देश में
शिक्षा अंग्रेजों
के पहले कभी
सरकार का विषय
नहीं होती थी,
समाज का विषय
होती थी,
समाज की
जबावदारी
होती थी और तब
भी भारत की साक्षरता
दर 90 प्रतिशत
थी. यह
अंग्रेजों का
रिकार्ड कहता
है. सात लाख स्कूल
या कॉलेज
मिलाकर होते
थे. इसका मतलब
समाज समृद्ध
शिक्षा का
अधिकार रखता
था और इसीलिए
निजी क्षेत्र
का योगदान
शिक्षा के
क्षेत्र में
भी हो क्योंकि
सरकार की अपनी
कुछ सीमाएं
थीं उसको ध्यान
में रखते हुए
विश्वविद्यालयों
की स्थापना
की गई थी और कई
विश्वविद्यालय
आज बहुत अच्छा
काम कर रहे
हैं,
लेकिन
जहां-जहां
शिकायत आ रही
है उन सभी का
निरीक्षण
करने का व्यापक
तंत्र स्थापित
कर दिया है. मैं
सोचता हूं कि
ऐसी सभी जगहों
पर यदि कोई
त्रुटि पाई
जाएगी तो हमने
डी.जी. लाकर
प्राईवेट,
सरकारी सभी की
व्यवस्था
की है. निजी
विश्वविद्यालय
में अब एडमीशन
देंगे तो उन्हें
तत्काल सूची
सरकार के
सिस्टम में
देना पड़ेगी.
यह हमने
परिवर्तन कर
दिया है. अब
भविष्य में
विद्यार्थियों
को डीजी लॉकर
से केवल मार्कशीट
ही नहीं, हम जो
उपाधि देते
हैं, डिग्री
देते हैं वह
भी डीजी लॉकर
से प्राप्त कर
सकेंगे.
माइग्रेशन
सर्टिफिकेट भी
उनको उसी से
प्राप्त हो
जाएगा. किसी
प्रकार से
उनको
विश्वविद्यालय
के चक्कर नहीं
लगाना पड़ेंगे.
चाहे सरकारी
विश्वविद्यालय
के छात्र हों
या निजी
विश्वविद्यालय
के छात्र हों.
ऐसी व्यवस्था
बनाने का काम
तेज गति से कर
रहे हैं. एक
विषय मैं
दोगने जी को
बताना चाहता
हूँ आरटीई
केवल आठवीं
कक्षा तक लागू
है. आपका सुझाव
है कि गरीब
बच्चों के लिए
कुछ करना
चाहिए हम इस
पर जरुर विचार
करेंगे. जो
गरीब बच्चे
पढ़ने में
अच्छे हैं
उनको सरकार की
ओर से
छात्रवृत्ति
देने की
व्यवस्था की
गई है, लेकिन
आपका जो सुझाव
है उस पर और
क्या कर सकते
हैं इस पर
जरुर
सोचेंगे.
मुझे चूंकि
समय की सीमा में
बांध दिया है
इसलिए मैं
यहीं पर अपनी
बात को समाप्त
कर रहा हूँ.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- मंत्री जी, हम यह कह रहे हैं कि दो दिन पहले हमने इतनी बहस की विश्वास सारंग के मुद्दे पर वह तो पहले से ही लागू किए हुए थे उसको लागू रखते उसको सीबीआई को क्यों दे दिया.
सभापति महोदया -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
सभापति महोदया -- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
सभापति महोदया -- प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इंदर सिंह परमार) -- सभापति महोदया, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
सभापति महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ.
1.29 बजे
मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024
राज्यमंत्री, पशुपालन एवं डेयरी (श्री लखन पटेल) -- सभापति महोदया, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
श्री जयवर्धन सिह ( राघौगढ़)—माननीय सभापति महोदय इस विधेयक के संबंध में मुझे जो जानकारी दी गई है और जो जानकारी सदन में प्रस्तुत की गई है. इसमें इस विधायक के संशोधन के माध्यम से इस बात का उल्लेख किया गया है कि जब वहां पर इसकी कोई जब्ती होगी तो पूर्व में या अभी तक जो प्रक्रिया थी उ समें पहले न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास में प्रकरण जाता था. लेकिन जो संशोधन माननीय मंत्री जी ला रहे हैं. उ समें अब पहले कलेक्टर के माध्यम से भी पूरी कार्यवाही होगी फिर पुलिस के पास भी यह पूरा केस जायेगा. जब माननीय मंत्री जी बोलेंगे तो मैं चाहता हू कि वह जरूर इस बात का उल्लेख करें कि किस प्रकार से इसमें जो हमारा उ द्देश्य है हम उसको हासिल कर रहे हैं.
इसमें मेरी एक ही बात रह गई है कि आज सबसे बड़ी समस्या निराक्षित गौ माताओं की है आज भी अगर हम देखें तो 2020 तक कमलनाथ जी की सरकार के समय हमने गौशालाओं की योजना लाये थे जिसका क्रियान्वयन हमारे जो वर्तमान के वरिष्ठ मंत्री हैं पंचायती राज ग्रामीण विकास के उस विभाग के द्वारा लगभग अनेकों गौशालाएं पूरे मध्यप्रदेश में बनाई गई थी. लगभग हर जनपद में 10 से 15 गौशालाएं उ स समय बनाई गई थीं. लेकिन अफसोस की बात है कि 2020 के बाद में यह योजना बंद की गई है कोई भी नई योजना इसमें नहीं बनाई गई है, विभाग के द्वारा, वैसे तो यह शायद पशु पालन मंत्री जी के दायरे में नहीं आता है. वित्त मंत्री जी ने जरूर बजट भाषण में इस बात का उल्लेख किया है कि गौमाता की जो राशि है वह बढ़ाई गई है 40 रूपये की गई है लेकिन वह भी कहीं भी सही समय पर नही मिल पाती है 2 से 5 माह के बाद में मिलती है जो संचालक गौशाला के हैं वह उसका इंतजार करते हैं. वह राशि हर माह प्रथम सप्ताह में मिले हर गौशाला को ऐसा प्रावधान होना चाहिए. ताकि जो ऐसे समाज सेवी हैं जो गौमाता की सेवा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करते हैं. हम सबने यह देखा है कि गौशाला का निर्णाण करना कोई बहुत बडी बात नहीं है. जहां पर जगह है वहां पर निर्माण कार्य कर सकते हैं. लेकिन गौमाता की देखरेख करना और वह भी ऐसी गौमाता जो कि कहीं न कहीं बीमार हो, निराश्रित हो कोई और उनकी देखरेख करने वाला न हो. गौमाता की देखरेख करना कोई सरल काम नहीं है और जो लोग पूरा समय गौमाता के लिए देते हैं उनके लिए हम और सहयोग कैसे कर सकते हैं इस पर विचार करना चाहिए. यह जरूर अगर आप ठीक समझें तो इ स पर भी 2 मिनट आप बात कहें. वैसे मैं जानता हूं कि इस विधेयक का इस बात से ज्यादा संबंध नही है. फिर भी विषय गौमाता को लेकर के है तो मुझे लगा कि जब माननीय मंत्री जी अपना संबोधन देंगे तो इस विषय पर भी हमें आश्वासन दें कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा गौमातांएं जो कि गौशाला में रहती हैं उ नकी देखरेख अच्छी तरह से हो यह हम सबका प्रयास होना चाहिए, धन्यवाद्.
डॉ राजेन्द्र पाण्डे ( जावरा) – सभापति महोदया मैं मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध संशौधन विधेयक का समर्थन करते हुए उसके प्रति विश्वास व्यक्त करते हुए कुछ सुझाव भी रखना चाहता हूं. यह निश्चित रूप से सराहनीय है कि विगत वर्षों में तात्कालिक मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती जी के द्वारा 2004 में और फिर 2010 में माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के द्वारा सदन में इस विधेयक को लाकर चर्चा करने का अवसर प्रदान किया था और विधेयक पारित हुआथा. अभी जो विधेयक प्रस्तुत किया गयाहै. यह केवल अवैध परिवहन के संबंध में संभवत: महसूस होता है कि पशुओं का अवैध परिवहन किये जाने पर गौमाता का किये जाने पर उसे जब्त किया जाय और जब्त करने के बाद मे उसकी जो न्यायालयीन कार्यवाही होती है उ स कार्यवाही को किया जाय. मैं इस चर्चा में इ सलिए सम्मिलित हुआ कि अ भी विगत माह ही 14 जून को मेरे जावरा विधान सभा में रतलाम जिले में प्रात: मतलब देर रात को 3 बजे रात ही कहूंगा. देर रात को मुझे सूचना मिली. मेरे कार्यालय और मेरे निवास के नजदीक एक शिव मंदिर है. मुझे सूचना मिली कि वहां पर गाय की हत्या कर उसका सिर उस मंदिर में फेक दिया गया है. माननीय मंत्री जी मैं करीब 3 बजकर 15-20 मिनट बजे उठकर पहुंचा. इतना दर्दनाक, इतना हृदय विदारक, इतना वीभत्स स्थिति में मैं स्वयं अपने आपको अभी भी नियंत्रित नहीं रख पा रहा हूं उस समय आप मेरी कल्पना कर सकते हैं. मात्र सात वर्ष की सजा भले ही यह संबंधित है अथवा नहीं है लेकिन हमारा जन्म इस हिन्दुस्तान में इस भारतवर्ष में इस भारतीय संस्कृति के संस्कारों को लेकर जन्म होता है और हम तो बचपन से सुन रहे हैं कि गाय हमारी माता है कृष्ण उन्हें पूजते थे गाय में गौमाता में समस्त देवताओं का वास होता है उस पर तो हाथ फेर दिया जाए तो अपना बीपी नियंत्रित हो जाता है लेकिन विषय अनुकूल नहीं होने के बावजूद मैं चाहूंगा सदन यह केन्द्र से भी संबंधित है, ऊपर भी कहीं जो मेरे विचार आए हैं अपनी भावनाओं को सम्मिलित करना चाहता था, उसे सिर्फ गिरफ्तार कर लिया जाता है. मेरा निवेदन है कि गौ को चिन्हित करते हुए, गाय को चिन्हित करते हुए क्षेत्र का, प्रदेश का देश का वातावरण बिगाड़ने का प्रयास किया जाता है, भ्रमित किया जाता है. धर्म में,मजहब में, कहीं न कहीं फर्क महसूस किया जाए, उसमें विवेक पैदा किया जाए, तनाव कैसा खड़ा किया जाए और किस तरह से लड़ाई झगड़ा हो जाए, फसाद हो जाए, दंगे हो जाएं, आगजनी हो जाए क्योंकि उसी दिन सुबह आक्रोश उत्पन्न हुआ, लोग भीड़ लेकर के निकले, मंदिर पर इक्टठा हुए. जैसे तैसे उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश की. वह पूरे शहर भर में घूमे और शहर भर में पत्थरबाजी हुई. आगजनी की घटनाएं होने की स्थिति निर्मित हो गई. पुलिस को नियंत्रण करने में कठिनाई आने लगी. जब इस तरह की परिस्थिति एक छोटे से स्थान पर होती है और हम कई बार, आप हम सभी यहां सदन में बैठे सदस्य भी निश्चित रूप से सहमत होंगे कि हम अपने क्षेत्र के साथ प्रदेश के साथ में सम्पूर्ण देश भर में इस स्थिति को देखते हैं. अब हम जानते नहीं हैं क्योंकि मैं तो ब्राहम्मण आदमी हूं जन्म से विशुद्व शाकाहारी हूं मुझे नहीं पता कि मांस में क्या अंतर होता है लेकिन कहते हैं कि इसे शायद बीप कहते हैं बाकी को शायद मटन कहते हैं ऐसा कोई अंतर है और यह खराब नहीं होता है इसे फ्रिज में रख दिया जाए तो लंबे समय तक पड़ा रहता है और गाय के चमड़ा का भी अच्छे ढ़ंग से उपयोग होता है बहुत साफ्ट होता है जब इतनी सारी बातें इतनी सारी चर्चाएं और वह हमें भावनात्मक रूप से विचलित कर दे प्रताडि़त कर दे मानसिक रूप से प्रताडि़त कर दे और उसे सिर्फ और सिर्फ सात वर्ष की सजा. उसे आजन्म कारावास की सजा क्यों न दी जाए उसे मृत्यु दण्ड क्यों न दिया जाए ऐसे प्रावधान क्यों नहीं किए जाते उन बातों को सदन विचार क्यों नहीं करता और उन बातों पर सदन में आखिरकार विचार कब करेंगे कब तक मर्यादाएं पाली जाएंगी ये धरती है इस धरती पर सबका जन्म हुआ है हम वसुदेव कुटुम्बकम की भावनाओं को लेकर के बात कहते हैं.इस धरा पर जन्म लेने वाला प्रत्येक जीव जन्तु उस परमपिता की आत्मा है. हम एक ही परिवार के सदस्य हैं तो क्या इस धरा पर सिर्फ मनुष्यों का अधिकार हो गया है. सिर्फ मनुष्य ने अपना अधिकार संपन्न समझ लिया है इस धरती पर सिर्फ मनुष्य और मानव जाति ही सारा नियंत्रण करेगी बाकी जीव जन्तुओं को कहीं जीने का अधिकार नहीं है और जिसे हम गौमाता कहते हैं, ईश्वर तुल्य मानते हैं, उसे मार दिया जाए, उसकी हत्या कर दी जाए, मंदिरों में और सार्वजनिक स्थान पर फेंक दिया जाए और उस पर सजा सिर्फ सात साल की. यह न्यायोचित नहीं है. मैं सुझाव पूर्वक कहना चहता हूं, यदि राज्य सरकार कर सके तो राज्य सरकार को विचार करना चाहिए आजन्म कारावास या मृत्यु दण्ड उसे दिए जाने का इस सजा में प्रावधान निश्चित रूप से किया जाना चाहिए. गौवध पूरी तरह से बंद होना चाहिए. मेरा यह सुझाव है. जो माननीय विधेयक लाए हैं, उसका मैं निश्चित रूप से समर्थन करता हूं. क्योंकि सुधारात्मक कार्य सुश्री उमा भारती जी ने 2004 में प्रारंभ किया और 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान ने आगे बढ़ाने का काम किया है और अभी डॉ. मोहन यादव जी, मानननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में यह विधेयक आया है तो मैं, उसका स्वागत करता हूं. लेकिन सदन को इस बारे में विचार करना चाहिये. क्योंकि मैंने अभी जो 10-15 दिन पहले की घटना का विवरण दिया है. मेरे जावरा विधान सभा क्षेत्र में एक तरफ मंदिर है, एक तरफ मस्जिद है बीच में नदी बहती है और एक पुल है. ऐसे स्थान पर पूरा धार्मिक वातावरण बिगाड़ने के लिये सामाजिक विद्वेश किये जाने के लिये धर्मों में कैसे लड़ाई फसाद हो सकें, उनको करने के लिये अगर इस तरह के दुष्कृत्य पूरे क्षेत्र के साथ, प्रदेश के साथ देशभर में हो रहे हैं तो इस विधेयक में निश्चित रूप से सजा का प्रावधान कुछ न्यायोचित किया जाये और पुन: मैं निवेदन करता हूं कि मृत्यु दंड दिया जाना अनिवार्य रूप से किया जाये, मैं यह सदन से आग्रह करता हूं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम( डिंडोरी):- सभापति महोदया जी, गौ हमारी माता है और मैं समझता हूं कि मानव जीवन को लम्बे समय तक जीवित रखने के लिये अगर कृपापूर्वक किसी का आर्शीवाद होता है तो गौमाता का होता है. हम जब जन्म लेते हैं तो जीवित रहने के लिये जन्म देने वाली मां की कृपा हमें मिलती है और वो हमें जीवन जीने के लिये सबसे पहले हमें कृपापूर्वक अपना आशीर्वाद देती है. ठीक 6 महीने के बाद एक और मां होती है, जो गौ मां होती है, जो अंतिम समय तक जीवित रहने के लिये अमृत तुल्य हमें कृपा देती है और लगातार गौमाता के विषय में कई तरह के प्रयास आप और हम सब कर रहे हैं. परंतु इसकी जड़ में जाने की आवश्यकता है. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि यह जो आपने संशोधन विधेयक लाया है, यह तो एक बहुत दूर का एक ऐसा व्यक्ति है जो परिवहन के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह जाने का जो कृत्य करेगा, मैं, आपका समर्थन करता हूं पर आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि मैं तीन तारीख को जबलपुर से भोपाल रात को 11 बजे थे. मैंने रास्ते में भोजन करना निश्चित किया था. पर मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं रास्ते में भोजन नहीं कर पाया, कारण यह था कि राजमार्ग और जबलपुर के बीच में लगभग 18-20 गौमाता दुघर्टनाग्रस्त होकर के ऐसी स्थिति में उनका शव था, मैंने वह देखा तो मैं भोजन नहीं कर पाया. अभी भी मुझे कष्ट होता है. मैं माननीय मंत्री जी और आप सबसे चाहूंगा कि चाहे हम लोग भोपाल से इंदौर जायें तो रास्ते में कई जगह गौमाता की ऐसी स्थिति में दुघर्टना होती है, वह बैठकर के सिर्फ आराम करना चाहती हैं तो उस समय अनियंत्रित होकर वह वाहन की चपेट में आ जाती हैं. उन्हें क्या पता होता है कि वह बैठने के बाद उठ नहीं पायेंगी. गाय के छोटे-छोटे बच्चे किनारे अपनी मां के साथ बैठे रहते हैं और हमेशा के लिये उनकी लीला समाप्त हो जाती है.
माननीय मंत्री महोदय जी, मैं चाहता हूं कि आप थोड़ा इस पर विचार करें और मेरा ऐसा मानना है कि गौमाता हमारे सिर्फ एक धर्म विशेष का विषय नहीं है, यह इंसान का है. जो भी संसार में जन्म लेता है उसको जीवित रहने के लिये अमृत तुल्य जो दूध है वह गौमाता हमें प्रदान करती है उसमें कोई धार्मिक आधार की सीमा नहीं होनी चाहिये, मानवता से जुड़ा यह विषय है. माननीय मंत्री महोदय जी, गर्मी के दिन में हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में जो गौ माता है, हजारों गौ माता पानी के लिए सैंकड़ों किलोमीटर तरसती हैं, उन्हें पानी उपलब्ध नहीं होता है, 3-4-5 दिन वह किससे बात करें, उनको पानी उपलब्ध नहीं होता है, उनका शरीर सूख जाता है. अगर आप उसके विषय में जानकारी लेंगे तो प्रत्येक पंचायत में लगभग हजारों ऐसे ऐसी गौ माता हैं, जो इसके कारण बहुत ज्यादा कमजोर हो जाती हैं और मृत्यु को प्राप्त हो जाती हैं . वहीं पर जब तक गौ माता दूध देती है, तब तो गौ माता और जैसे ही वह दूध बंद कर देती है तो उसको घर से भगा देंगे, उसके लिए कोई प्रबंधन नहीं हो पाता है. यह प्रत्यक्ष है.
सभापति महोदया, आप कहीं भी जाकर देखेंगी तो मेरा ऐसा मानना है कि सम्पूर्ण वह मां है तो जब तक हमें आशीर्वाद स्वरूप दूध देती है तब तक तो हमारे लिए वह अत्यंत उपयोगी है, उसके बाद वह उपयोगी नहीं रह जाती तो मेरा अनुरोध है कि जब तक गौ माता की अंतिम सांस हो, तब तक हमारी देख-रेख के लिए सरकार को भी इसमें विशेष रूप से प्रबंधन करना चाहिए ताकि गौ माता के सम्पूर्ण सुरक्षा के बिना और मैं यह कहना चाहता हूं कि मैंने अपने क्षेत्र में भी इस विषय को लेकर चिंतन किया कि सबसे लम्बी उम्र तक कौन जीवित है और जो सबसे लम्बी उम्र तक जीवित है तो उनका दिमाग कितना तेज है. मैंने 100 साल उम्र के ऊपर वालों की अपने क्षेत्र में जानकारी इकट्ठा की, उनसे संपर्क किया तो मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि 100 प्रतिशत रिजल्ट यह आया कि जो जन्म के बाद शुद्ध गाय के दूध का उपयोग करते हैं, उनकी उम्र 100 साल से भी ऊपर होती है और वह स्वस्थ रहते हैं और उनका दिमाग भी काम करता है, यह गौ माता के दूध का असर है. (मेजों की थपथपाहट)..आज जो हमारी सबसे बड़ी शक्तिहै, वह हमसे दूर हो रही है. आज 40 साल, 50 साल, 60 साल के बीच में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि कोराना जैसे संकट में भी हमने प्रयोग किया कि जो होम क्वारंटाइन थे, मैंने कहा कि शुद्ध गाय का दूध, जो गाय चरने के लिए जाती है, जो विभिन्न औषधियुक्त पौधे ग्रहण करती है, उस गाय के दूध में हल्दी मिलाकर थोड़ा गुड़ मिलाकर पिलाते जाओ, मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि कोविड में जो होम क्वारंटाइन थे, किसी की कहीं पर मृत्यु नहीं हुई. इतनी शक्ति उस दूध के पीने से मिली है. वह दूध तमाम तरह का अमृत तुल्य है. परन्तु मैं आज आपसे अनुरोध करना चाहूंगा माननीय मंत्री जी कि इस विधेयक के लिए तो हम आपका समर्थन करते हैं परन्तु आपको इसमें एक संयुक्त रूप से चर्चा कराई जाय, सभी धर्म के लोगों को बुलाया जाय. सभी धर्म के लोगों को आप सदन के बाहर भी एक प्रयास करिए और सबको गौ माता के महत्व के विषय में जानकारी दीजिए कि यह हमारी जीवनदायिनी है, वह अमृततुल्य है. यह हम पर कृपा करती है, इसको हम कैसे बचाएं. आपसे मैं सिर्फ इस विषय में अनुरोध करना चाहूंगा.
सभापति महोदया, एक अनुरोध जरूर करूंगा कि आपने इसके लिए कानून लाया है. मेरा एक सुझाव है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे जहां पर भी गांव बसे हैं, वहां की पंचायतों के लिए आप एक नियम ला दीजिए कि अगर जिसके घर की गाय खुले में है, सड़क में जाकर बैठ जाती हैं तो वहां की पंचायत हो, नगरीय क्षेत्र में नगर पंचायत हो, नगरपालिका हो, वहां एक ऐसी व्यवस्था हो कि उन गायों को एक जगह सुरक्षित ले जाया जाय ताकि सड़क की जो दुर्घटना होती है, उससे उनको बचाया जाय. यह मेरा अनुरोध है.
सभापति महोदया, एक बात और है कि हमारे ग्रामीण क्षेत्र में कृषि कार्य के लिए बैल दूसरी जगह से खरीद कर ले जाते हैं. परिवहन की व्यवस्था न होने के कारण 300 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, अब 300 किलोमीटर जाना और फिर 300 किलोमीटर आना तो जो हमारे कृषि कार्य हैं खासकर हमारे ग्रामीण क्षेत्र में जो कृषि कार्य के लिए उपयोग किये जाते हैं, उनके लिए या तो आपकी ग्राम पंचायत प्रमाण पत्र दे दे, या तो आपका एसडीएम प्रमाण पत्र दे दे या तो वेटनरी से ही कोई प्रमाण पत्र मिल जाय और 300 किलोमीटर दूर जाकर उनको उतना दूर चलाकर जो ले जाना पड़ता है, इस समस्या का कुछ निराकरण हो जाय. चूंकि हमारे क्षेत्र में मुझे प्रतिदित इस समय यह बात करना पड़ता है कि उनको हम कैसे मवेशी उपलब्ध करा पाएं. मेरा यह अनुरोध है कि इसमें भी अगर आपकी कृपा होगी, तो बड़ी मेहरबानी हो जाएगी और मैं अनुरोध करना चाहता हॅूं कि इस समय गौमाता पर राजनीति करने के बजाय वास्तविक रूप से गौमाता के संरक्षण, संवर्धन में आपको, हमको, सबको समझना पडे़गा, सोचना पडे़गा. माननीय सभापति महोदया जी, मेरा अंतिम अनुरोध यह है कि गौमाता की जब मृत्यु हो जाती है, तो गांव में जब लोग उसको बाहर कहीं भी फेंक देते हैं और उस समय गौमाता के चमड़े को निकालकर के जो व्यक्ति ले जाता है उस व्यक्ति को हम अछूत कहने लगते हैं और वही गौमाता के चमडे़ को जब वह शुद्ध करके देगा, तो उसकी ढोलक को हम मंदिर के अंदर रखते हैं और मंदिर के अंदर उसका उपयोग करते हैं तो इसमें मेरा अनुरोध है कि जीवन भर वह मॉं है और हमें अमृततुल्य दूध देती है, अगर मृत्यु के बाद उसका संस्कार करते हैं तो अछूत कैसे हो गए. उनको हम लोग अछूत मानते हैं, तो सामाजिक रूप से भी इसमें परिचर्चा होनी चाहिए. मेरा माननीय मंत्री जी से यही कहना है, आप इस पर जरूर ध्यान देंगे.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- मरकाम जी, आप इस चर्चा को अनावश्यक धर्ममय भावना की ओर ले जा रहे हो. आप धार्मिक भावना की तरफ ले जा रहे हो. एक भी प्रकरण इस तरह का हुआ हो, तो आप बताइए. कहां पर गौमाता का चमड़ा निकालकर कोई ढोलक बनाया गया हो और उसे मंदिर में बजाया गया हो और कोई धार्मिक उन्माद पैदा हुआ हो, तो कोई एक उदाहरण हो, तो बताइए. आप छूत और अछूत की बात कर रहे हैं. आप उन विगत वर्षों की कल्पनाओं में जीकर के अनावश्यक यहां पर आरोपित कर रहे हो. आप आखिरकार व्यक्त क्या करना चाहते हैं ? आप उसका पूरा राजनीतिकरण कर रहे हो. आप उस दिशा की ओर ले जा रहे हो. भारतीय जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता तो पूरे प्राणप्रण के साथ में हिन्दुत्व के लिए, इस हिन्दु संस्कृति के लिए, हिन्दु संस्कारों के लिए....(व्यवधान)....
....(व्यवधान)....
सभापति महोदया -- सभी माननीय सदस्य अपना स्थान ग्रहण करें... (व्यवधान)..
श्री दिलीप सिंह परिहार -- आपने उस समय चारागाह की भूमि दे दी, हम तो गौमाता को घरों में पालते हैं...(व्यवधान)..
सभापति महोदया -- अपना विषय पूरा करें और विषय पर रहें. ..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- सभापति महोदया, मैं अपने विषय पर ही हॅूं. माननीय सदस्य को इस विषय पर यदि आपत्ति है, तो मैं इसमें आपसे यह जानना चाहूंगा कि हमने रैदास जी के विषय में जो पढ़ा है और वह प्रमाणित है..(व्यवधान)..
सभापति महोदया -- अधिनियम पर बात करना बेहतर होगा...(व्यवधान)..
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- मरकाम जी, आप पढे़-लिखे हैं, बहुत अच्छा बोल भी रहे है. आप बोलते भी हमेशा अच्छे हो. आप विषय के बाहर जाएंगे, तो थोड़ा-सा अच्छा नहीं है. आपके सुझाव 90 परसेंट ठीक थे, पर आप जरा-सा ट्रैक से बाहर हो गए, बाकी सब अच्छा है. आप बोलिए. खुलकर बोलिए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- सभापति महोदया, मैंने जो कहा है, यदि आप जानना चाहेंगे, तो एकलव्य की जीवनी का चित्रण कर दिया जाए. एकलव्य को क्यों प्रवेश नहीं दिया गया था...(व्यवधान)....
सभापति महोदया -- मुझे लगता है कि अधिनियम पर ही सीमित रहें, तो बेहतर होगा....(व्यवधान)...
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- मरकाम जी, फिर तो यह भी कहा गया है कि जात-पात पूछे नहीं कोई, हरि को भजे, सो हरि का होई. थोड़ा वह भाव भी तो लाइए..(व्यवधान)..
सभापति महोदया -- यह विषयान्तर हो रहा है. अधिनियम के बाहर जितनी चर्चाएं हैं, उन चचाओं को शामिल न करें...(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय सभापति महोदया जी,...(व्यवधान)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- मरकाम जी, मेरा करबद्ध निवेदन है कि आज समय अपने पास बहुत कम है. आप बहुत अच्छा बोले हैं. शॉर्ट में अपनी बात समाप्त करें. केवल, विषयान्तर नहीं करें...(व्यवधान)..
सभापति महोदया -- विषय पर अपनी बात करें. समय-सीमा में अपनी बात खतम करें...(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- सभापति महोदया, माननीय सदस्य जी को मैं यह कहना चाहता हॅूं और माननीय राजेन्द्र पाण्डेय जी, अगर आप इस बात को कहना चाहते हैं तो सदन को मैं आज यह बताना चाहता हॅूं कि मैं 4 बार का विधायक हॅूं. पूर्व मंत्री हॅूं,
1.55 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
श्री ओमकार सिंह मरकाम (जारी)— (XXX) यह सचाई है इसमें आप चलना चाहते हैं तो आप चलिये मेरे साथ, यह बात आप गलत कर रहे हैं.
श्री तुलसी सिलावट—अध्यक्ष महोदय, इसमें घोर आपत्ति है. (व्यवधान)
डॉ.सीतासरन शर्मा—अध्यक्ष महोदय, यह असत्य बात है.
श्री तुलसी सिलावट—अध्यक्ष महोदय, कोई घटना नहीं है. आप कैसी बातें कर रहे हो ?
अध्यक्ष महोदय—मरकाम जी आपकी पूरी बात आ गई है. कृपया आप बैठ जाएं. आपका भाषण पूरा हो गया है. इसको सब लोगों ने सुना है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि...
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाईंट ऑफ आर्डर है. मध्यप्रदेश विधान सभा का काम है कानून बनाना यहां पर कानून पर चर्चा हो रही है. मैं समझता हूं कि इस पर सकारात्मक चर्चा हो. तो बहुत अच्छा होगा. इसलिये इसमें माननीय सदस्य ने जो भी बिन्दु कहे हैं. जो इस विषय से कहीं भी ताल-मेल नहीं रखते हैं उनको अगर रिकार्ड से हटायेंगे तो बड़ी कृपा होगी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय,मैंने सुझाव ही दिये हैं. मैंने सिर्फ यह कहा है कि गऊ माता की मृत्यु के बाद गऊ माता की मिट्टी का जो जतन करने वाला है उसको हम अछूत कहते हैं. उनके प्रति भी हमें सहृदयता रखना चाहिये. यह मैंने कहा है. यह कहां से कानून से बाहर हो गया.
अध्यक्ष महोदय—मरकाम जी अब आप कृपया बैठ जाएं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—इसमें गलत क्या है ? सिलावट जी आप कृपया ज्ञान न बताएं.
अध्यक्ष महोदय—जो वाद-विवाद हुआ है उस विषय को मैं प्रोसीडिंग में देख लूंगा. अगर आपत्तिजनक है तो उसको निकाल दिया जायेगा. आपकी बात पूरी हो गई है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय, नहीं.
अध्यक्ष महोदय—इसको आप एक मिनट में पूरा करो.
श्री प्रभुराम चौधरी—अध्यक्ष महोदय, यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जिसने 100 करोड़ का रविदास का मंदिर सागर में बनाने का निर्णय लिया है. जो कि बनकर के तैयार भी हो रहा है. इतने वर्षों से कांग्रेस की सरकार रही कभी उसने संत रविदास जी के बारे में सोचा. यह भी आप उल्लेख करें.
अध्यक्ष महोदय—प्रभुराम जी आप बैठिये मरकाम जी आप अपनी बात पूरी कर लीजिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—अध्यक्ष महोदय, मेरा सुझाव है कि जिस तरह से हमारी गऊ माता जन्म लेती है. उनकी भी युवावस्था के बाद वृद्धावस्था की ओर बढ़ती है. उस समय में जो उसकी बिक्री करने वाले लोग हैं, कौन लोग हैं, जहां पर गऊ माता का पालन होता है, क्यों उसकी बिक्री कर जाते हैं. अगर इस पर बात कर रहे हैं तो (XXX). इसलिये दर्द हो रहा है. हम लोग भी गऊमाता के सेवक हैं. हमारे पास भी गऊमाता है. (XXX) हम लोग भी हैं हम लोग भी उनका पालन करते हैं. आपकी यह दृष्टि ठीक नहीं है. मैं कहना चाहता हूं कि (XXX)
अध्यक्ष महोदय—मरकाम जी आप स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं. कृपया आप बैठ जाएं. आपकी बातों का बार बार रिपीटेशन हो रहा है. मैं चाहता हूं कि आप अपनी बात को पूरा कर दें. नहीं तो मुझे आगे बढ़ना पड़ेगा.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय—अध्यक्ष महोदय, यह जान-बूझकर सोच-समझकर यहां पर राजनीतिकरण कर रहे हैं. यहां पर इतनी सकारात्मक चर्चा हो रही है, इतने सकारात्मक सुझाव आ रहे हैं. उन बातों को घुमाकर के यहां पर विवाद करना.
अध्यक्ष महोदय—आप अपनी बात एक मिनट में पूरी करें नहीं तो मैं आगे बढ़ूंगा.(व्यवधान)
श्री दिलीप सिंह परिहार—मरकाम जी आप कुछ भी आरोप लगाएंगे (व्यवधान)
श्री इन्दर सिंह परमार—मुझे घोर आपत्ति है कि इनके द्वारा जो बोला है उसको कार्यवाही से निकाला जाये. (व्यवधान)--
अध्यक्ष महोदय - मरकाम जी आप बैठ जाइए. .(..व्यवधान)
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - कांग्रेस के माननीय सदस्य जहर घोलने का काम कर रहे हैं.(..व्यवधान)
श्री ओमकार सिंह मरकाम - गौमाता की सुरक्षा के लिए बात रख रहे हैं. .(..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आप लाग सभी बैठ जाइए. .(..व्यवधान)
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - यहां कानून बनाने की चर्चा हो रही है, हमने किसी को नहीं कहा कि आप गौमाता के भक्त नहीं है. .(..व्यवधान)
श्री ओमकार सिंह मरकाम - आपके सदस्यों को दर्द क्यों होता है, गौमाता के पीने के पानी के लिए बोल रहे हैं, उसकी सुरक्षा के लिए बोल रहे हैं, आप लोगों को दर्द क्यों होता है .(..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - सभी लोग बैठ जाइए, इंदर सिंह जी, अब लखन पटेल जी बोल रहे है, फूल सिंह जी आपकी तरफ से जो नाम आए थे, उन सबको पुकारा है अगले विधेयक पर आपको बोलना हो तो नाम भिजवा दें.
श्री लखन पटेल (पशुपालन एवं डेयरी) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक की चर्चा में हमारे वरिष्ठ विधायक आदरणीय राजेन्द्र पाण्डेय जी, जयवर्द्धन सिंह जी, ओमकार सिंह जी ने इसमें हिस्सा लिया. मुझे लगता है चर्चा कहां से कहां पहुंच गई, लेकिन मैं इस विधेयक की बात रखना चाहता हूं. ये विधेयक तत्कालीन मुख्यमंत्री आदरणीय श्रीमती उमा भारती जी के समय पर लाया गया था, आप उस समय इस विभाग के मंत्री थे. ये विधेयक उस समय लाया गया और 19 मार्च 2004 को लागू हुआ. फिर से संशोधन विधेयक 2010 में लाया गया, माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार में जिसमें 7 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया. फिर से आदरणीय डाक्टर मोहन यादव जी की सरकार में फिर गौवंश के वध, गौमांस के प्रयोजन के लिए ले जा रहे वाहनों के अधिकरण के संशोधन विधेयक लाया गया. मैं सदन को बताना चाहता हूं कि इस विधेयक में जो भी परिवहन कर्ता मांस का परिवहन करेगा, उस वाहन को जप्त करने का प्रावधान प्रशासन को है, परंतु अभी क्या होता था कि कोर्ट से वह वाहन सुपुर्दनामा पर उस व्यक्ति को मिल जाता था, अब इसमें प्रावधान किया गया है कि अब वह वाहन प्रशासन के द्वारा ही राजसात किया भी जा सकता है यदि दोषी पाया गया तो, अब उसके खिलाफ कोर्ट इसमें कोई कार्यवाही नहीं कर पाएगा. अधिनियम की धारा 2004 के यथा संशोधित 2010 की धारा 11 के उपधारा 5 में परन्तुक और धारा 11 की उपधारा 5 के पश्चात उपधारा 6 अंत:स्थापित किया जा रहा है
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन को भी अवगत कराना चाहता हूं. वरिष्ठ सदस्यों ने बहुत अच्छी अच्छी बातें रखी, लेकिन मुझे लगता है विधेयक से ज्यादा दूसरी चर्चा हुई है. माननीय पाण्डेय जी ने जो कहा, पहले 7 साल तक की इसमें सजा है, पहले इसमें तीन साल तक की सजा थी, इसको बढ़ाकर के 7 साल तक की सजा की है और अब जैसा सदन में पाण्डेय जी ने रखा है और मुझे लगता है सदन सहमत हो विचार करें तो इस सजा पर भी आगे विचार किया जा सकता है. जयवर्द्धन सिंह जी ने जैसा कहा, गाय के लिए मुझे लगता है पूरे सदन की चिन्ता है, सबकी चिन्ता है और डाक्टर मोहन यादव जी की सरकार ने इसकी चिन्ता की. माननीय सदस्य जानना चाह रहे थे कि 20 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए हमने किया है, उनकी चिन्ता ये थी कि वह समय पर नहीं पहुंचता.
मैं आपके माध्यम से सदन को भी बताना चाहता हूं कि बजट में प्रावधान कर लिया गया है और यह राशि शीघ्रताशीघ्र पहुंचना शुरू हो जायेगी. हम लोग आने वाले समय में प्रयास करेंगे कि अभी कलेक्टरों के माध्यम से यह राशि वहां जाती थी, अब हम इसको सीधे गौशालाओं को भेजने का काम करेंगे, जिसमें समय कम लगेगा. मैं तो इस बारे में आप सभी सदन में बैठे सदस्यों से निवेदन करना चाहता हूं कि एक जन जागरण अभियान चलाना पड़ेगा और उसमें आप सबकी भी सहभागिता की आवश्यकता है और सब लोग इस जन जागरण अभियान को चलायेंगे तो मुझे लगता है कि जो बार-बार विषय आता है कि गौमाता सड़क पर है, उसको यदि सही जगह पहुंचाना है तो हम सबको जिम्मेदारी लेना पड़ेगी, एक बात और आदरणीय जयवर्द्धन सिंह जी ने कही कि उनकी सरकार के समय गौशालाएं बनायीं गईं थीं. मैं बताना चाहता हूं कि वह गौशालाएं शुरू जरूर हुईं थीं, कुछ बनी लेकिन ज्यादातर अधूरी थीं और जो बनी थीं, न तो उनमें पानी की व्यवस्था थीं और न बिजली की व्यवस्था थीं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे वरिष्ठ मंत्री आदरणीय प्रहलाद पटेल जी के नेतृत्व में हम लोगों ने विचार किया है कि जितनी भी गौशालाएं अधूरी हैं, उनको पूरा किया जायेगा (मेजों की थपथपाहट) और उनमें जो व्यवस्था की जरूरत होगी, वह व्यवस्था भी हम करेंगे, इसके साथ साथ एक बात और कहना चाहता हूं कि गई जगह पंचायतों ने इसमें इंट्रेस्ट नहीं लिया तो हम लोग यह भी प्रावधान कर रहे हैं कि यदि कोई समूह या कोई एन.जी.ओ. उसको चलाना चाहे तो उसको भी दी जा सकेंगी, जिससे उनका संचालन सहीं हो सके. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि गौसेवा सबसे बड़ी सेवा है सब लोग करना चाहते हैं, समय निकालकर भी करना चाहते हैं और जिनके पास समय नहीं है वह बातों से भी करना चाहते हैं, लेकिन मैं फिर कहना चाहता हूं कि सबको इसमें भागीदारी करना पड़ेगी, हिस्सेदारी करना पड़ेगी, तब यह बात आगे बढ़ेगी, एक बात माननीय मरकाम जी ने कही, उनकी बात का उत्तर देना इसलिए आवश्यक है कि बहुत ज्यादा उस पर चर्चा हो गई, मैं इस बात से सहमत हूं कि जो इन्होंने कहा कि दुर्घटना में बहुत सारी गायें बरसात के दिनों में खासतौर से दुर्घटनाग्रस्त हो जाती हैं, कई अपंग हो जाती हैं, दिव्यांग हो जाती है और कई की मृत्यु भी हो जाती है, तो मैं पूरे सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि अभी माननीय डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में उनके निर्देशन के अनुसार अभी हमने छ: जिले मॉडल पायलट के रूप में लिये हैं, जिनमें सड़कों पर जो मुख्य सड़क है, उस पर गाय नहीं दिखे, इसके लिये हम लोगों ने प्रावधान किया है, उसमें ग्रामीण विकास मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय दोनों को शामिल भी किया गया है और उन्हें निर्देश भी जारी किये गये हैं कि टोल टैक्स हमारे जितने भी हैं, टोल पर हमारे वाहन भी होंगे, जो हमारी अस्पताल की 1962 की वेन है, वह भी होगी और उसके साथ-साथ ऐसी जगह जैसे गांव में आपने कहा कि गांव में गाय की आदत होती है कि वह गांव के पास जाकर शाम को बैठती है और बरसात के दिनों में खासतौर से सूखे में बैठना चाहती है, इसलिये वह सड़क पर बैठ जाती है, तो उसके लिये हम लोगों ने अभी तत्काल छ: जिलों में जो पायलट लिया है, उसमें विदिशा रायसेन, राजगढ़, भोपाल, सीहोर और देवास जिले हैं, वहां पर एनाउसमेंट कराकर, जिसे गांव की मुनादी कहते हैं, मुनादी कराकर कराकर गौ पशु पालकों को यह आगाह किया गया है कि आप अपनी गाय है जैसे आप कह रहे थे कि गाय सुबह, चूंकि वह गाय तो मां है, सुबह लगा देते हैं और उसको छोड़ देते हैं, वह शाम को फिर आ जाती है फिर उसे लगाकर लोग छोड़ देते हैं, उनको भी जागरूक करना पड़ेगा, उनको भी आगाह करना पड़ेगा तो हम लोगों ने इस मुनादी के माध्यम से उनको भी अवगत भी कराया है और यह व्यवस्था दे रहे हैं कि जो गाय वहां बैठ रही है, उसको हम कहां विस्थापित करें तो उसका भी हम लोगों ने सर्वे कराया है, पास में जो गौशाला है, वहां पर हम उसको भेजने का काम करेंगे, ऐसा अभी छ: जिलों में लिया गया है. हम विश्वास दिलाना चाहते हैं आपको कि यह काम बहुत जल्दी शुरू हो जायेगा और आगे भी आने वाले समय में हमारा प्रयास होगा कि कोई गाय सड़क पर न दिखे, पूरे प्रदेश में कहीं न दिखे, यह हमारा प्रयास होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा एक विषय यहां कई लोगों ने उठाया कि गाय की जब मृत्यु हो जाती है, दुर्घटना में होती है या सामान्य होती है तो उसे खुले में छोड़ देते हैं. हमारे माननीय डॉ. मोहन यादव जी ने निर्देशित किया है कि उसको वहीं पर दफनाया जाये और यह भी निर्देश जारी हो गये हैं. मैं सदन को यह बात चूंकि उस विधेयक से संबंधित तो नहीं थी परंतु सबने उठाईं इसलिये मैंने समझा की यह बात आप तक पहुंचे, सदन के माध्यम से जनता तक पहुंचे. आप सबका धन्यवाद भी करना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- अध्यक्ष जी मंत्री जी के वक्तव्य में एक बात आई है कि कलेक्टर के आदेश के बाद कोई न्यायालय संज्ञान नहीं ले सकता, मजिस्ट्रेट नहीं ले सकता होगा, लेकिन उच्च न्यायालय तो ले सकता है, यह मंत्री जी स्पष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं.
श्री अभय मिश्रा-- एक और निवेदन था, गोवर्धन योजना केन्द्र सरकार की मध्यप्रदेश के 13 जिलों में है, बाकी जिलों में नहीं है, जहां नहीं है वहां सड़कों पर गाय हैं. मुख्य समस्या है कि सड़कों से गाय हट जाये. अगर गोवर्धन योजना को आप पूरे प्रदेश में लागू करवा दें तो बड़ी कृपा हो जायेगी. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- अब विधेयकों के खंडों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि खण्ड 1, नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक के अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पशुपालन मंत्री (श्री लखन पटेल)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ.
समय 2.15 बजे
(5) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2024
श्री जगदीश देवड़ा,उप मुख्यमंत्री,(वाणिज्यिक कर) - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2024 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2024 पर विचार किया जाए.
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया उसके लिये बहुत-बहुत आभार. एसजीएसटी के लिये यह मध्यप्रदेश का विधेयक लाया गया है इसका मूल स्वरूप है कि जहां-जहां हमारे लीकेज हैं उनको ठीक करके जो हम अधिक से अधिक कर्ज ले रहे हैं उस कर्ज को कम करके अपनी कमाई को हम बढ़ाएं. इसमें मेरा कहना है कि सबसे पहले हम भोपाल रजिस्ट्रार आफिस घूम आएं. जहां हमारी रजिस्ट्रियां होती हैं. जहां से सबसे ज्यादा रेवेन्यू आता है. माननीय मंत्री जी भोपाल ही रहते हैं उसको जरूर घूमकर आएं. यह है कैग की रिपोर्ट,2022-23 इसमें आप यह देखें कि वाणिज्यिक कर भवनों का निर्माण जो 31 मार्च,2023 की स्थिति में है 1376 करोड़, इसमें आप देखें. मतलब 123 करोड़ में से कोई खर्च नहीं और 300 में से 268 करोड़, एक छोटा सा उदाहरण है इस पर ध्यान दिया जाए कि जहां से हमारी कमाई हो रही है और जो उचित जगहें हैं उन पर जो हमारा बजट आवंटन है वह पूरे क्यों नहीं हो रहे हैं. इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि जो लोग टैक्स दे रहे हैं एसजीएसटी की बात उनको हम बहुत ज्यादा खींच रहे हैं और कुछ लोग जो छूटे हुए हैं उनको हम बिल्कुल छोड़े हुए हैं. हमारा ध्यान इस ओर दिलाना है कि अधिक से अधिक हम इसको विस्तारित करें अधिक से अधिक लोगों को सीमा में लाएं और स्लैब में थोड़ा सा छूट गये हैं. ब्लैक मनी कैसे जनरेट हो रही है, ब्लैक मनी ऐसे जनरेट हो रही है कि कोई भी व्यक्ति काम कर रहा है उसको आप 18 परसेंट,24 परसेंट का टेक्स दे रहे हैं उतने टेक्स का कोई औचित्य नहीं है तो 4 परसेंट में जैसे लोहा बेचने वाला, सीमेंट बेचने वाला, उसे बेचता है और लोग बिल नहीं देते फिर उन्हीं बिल को बड़ा व्यक्ति इकट्ठा करके 4-4 करोड़ का बिल लेता है उसको इनपुट और इनपुट को एडजेस्ट करता है तो बिल ले लिया और उसने उसको कैश दे दिया.धीरे-धीरे कैश का अंबार लग गया और इधर टैक्स की चोरी क्यों हो रही है क्योंकि 18 परसेंट,26 परसेंट टेक्स है. इसको अगर हम 18 परसेंट, 26 परसेंट टेक्स है. इसको हम अगर 12 परसेंट और 18 परसेंट के स्लैब में कर दें. केन्द्र पर हमारा बस नहीं है लेकिन राज्य सरकार में है. फिर मेरा कहना है कि अभी हम पढ़ रहे थे कैग की रिपोर्ट में, अभी बात भी 2 दिनों से चल रही है कि विधायकों पर एसजीएसटी लगना है यानि विधायक निधि जो हमको मिलती है उसको जब हम निर्माण कार्यों में देते हैं तो उसका टैक्स कटता है. पंचायतों में भी कटता है. नियम में भी है. उसका खाता भी है. अकाउंट भी है और आपकी यह कैग रिपोर्ट बता रही है कि पूरे प्रदेश में हजारों करोड़ आपके पंचायतों से नहीं वसूले गये क्योंकि आपका पोर्टल ही नहीं है. मैंने सरपंचों से बात की. मैंने बैठक में बात की कि आखिर क्यों. अंत में जब बात सामने आई कि उसका पोर्टल जनरेट नहीं है. एक बहुत छोटा सा बहाना है और एक छोटी से प्रशासन की अनदेखी की वजह से इतना रेवेन्यू जो हम जनरेट कर सकते हैं उसको हम छोड़कर रखे हुए हैं फिर हम आपका ध्यान आकर्षित करेंगे कि ई वे बिल जो हम जनरेट करते हैं तभी हम गुड्स को,सामान को भेज पाते हैं. पेट्रोल और लिकर 2 ऐसे आईटम आज भी ऐसे हैं जिस पर आपकी एसजीएसटी लागू नहीं है. आपका वैट लागू है. पेट्रोल,डीजल पर आप नहीं लगा सकते लेकिन जो आपकी शराब निर्माता कंपनियां हैं और जो शराब के आपके कांट्रेक्टर हैं यहां आप रेवेन्यू बढ़ाने के लिये एसजीएसटी का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे हैं. सरकार क्यों मेहरबानी कर रही है. जो मैंने कल बोला था कि पूरी दुनियां आनलाईन है. आज एक छोटा सा व्यापारी एक ट्रक यदि भूसा भेजे, कुछ भी सामान भेज रहा है तो उसका ई वे बिल साथ जनरेट होता है कि नहीं होता माननीय मंत्री जी से मैं पूछना चाह रहा हूं फिर आपका जो लिकर जाता है इंडस्ट्रियों से, इसको आप पैन वाले परमिट से क्यों जारी करवा रहे हैं. इसको आपने आनलाईन क्यों नहीं कर रखा है क्योंकि आप तो ईमानदार हैं मैं तो सदन में कह चुका हूं तो अगर आप इससे करवा देंगे तो जो एक ट्रिप में,एक परमिट में 2 राउण्ड मार देता है और फिर तीसरी बात आप यहां से टैंकरों में लिकर भेजते हैं वहां बाटलिंग होती है वहां आपको क्या मालुम उसकी कितनी क्वांटिटी बना रहा है. आप बाटलिंग यहीं करवा देंगे तो आपकी एसजीएसटी बढ़ जायेगी.
अध्यक्ष महोदय - अभय जी, कृपया अपना भाषण पूर्ण करें.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, नहीं नहीं, यह अच्छी चीजें है, इससे फायदा ही होगा साहब. हम कोई क्रिटिसाइज नहीं कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- फायदा तो होगा, सबको मालूम है, लेकिन घड़ी भी चल रही है. घड़ी का ध्यान भी रखना पड़ेगा.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, एक बात पर अगर आप ध्यान दे दें कि अधिकारियों को कमाने की जगह कहां है. अगर आप उस जगह पर कंट्रोल कर लेंगे तो, मेरे पास कैग की एक-दो रिपोर्ट है, एक ये देखिए, जांच प्रतिवेदन मैंने कैग से निकाला है, जांच प्रतिवेदन पर अधिनियमों, नियमों का पालन नहीं किया गया है. विक्रय कर पर यह किया गया है. यह रीवा का मामला है. पदस्थ (XXX) जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा वेट अधिनियम का पालन, न्यूनतम शास्ति आरोपित कर व्यापारियों को व्यक्तिगत हितपूर्ति कर लाभ पहुँचाया और लगाए गए टैक्स पर मनमानी छूट देकर शासन को आर्थिक क्षति पहुँचाई. यह कैग की रिपोर्ट है. ये सात साल से एक ही जगह पर पदस्थ हैं. ये असिस्टेंट कमिश्नर भी हैं और जीएसटी में डिप्टी कमिश्नर भी हैं. रीवा की ही रहने वाली हैं. इनके ससुर के नाम से ही रीवा में घर है. मेरा यह कहना है कि आखिर इनको उपकृत करने का क्या कारण है. आज तक इनका केवल एक बार कटनी के लिए स्थानांतरण हुआ था तो मात्र एक दिन ज्वॉइन बस किया और रीवा छोड़ा नहीं, रीवा का आपने अतिरिक्त प्रभार दिया..
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न यह है कि हमारे यहां परंपरा यह है कि जो सदन का सदस्य नहीं है, उसके विषय में नहीं बोला जाना चाहिए.
श्री अभय मिश्रा -- ये तो अच्छी बात है साहब, अगर हम एग्जाम्पल नहीं देंगे...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- मैं बोल रहा हूँ, उसके बाद आप बोलना...
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, संसदीय कार्य मंत्री जी बोल रहे हैं, आप बैठ जाएं ना.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, यदि वह इस कानून का विषय हो तो भी बोल सकते हैं, अब इस पर आप अधिकारियों को चमकाने का काम कर रहे हैं. कम से कम इस प्लैटफॉर्म का दुरुपयोग न करें, अध्यक्ष महोदय, यह निर्देश तो आप इनको दें.
अध्यक्ष महोदय -- नाम विलोपित कर दें.
श्री अभय मिश्रा -- सेल्स टैक्स कमिश्नर की हम बात नहीं करेंगे. एसजीएसटी वसूलना है और एसजीएसटी वसूलने वाले अधिकारी के प्रूफ सहित कैग की रिपोर्ट को हम सामने नहीं रखेंगे तो फिर तो बात आई गई हो गई. मैं जानता हूँ कि साहब, उनसे आपके भी संबंध हैं और हमारे भी संबंध हैं. ऐसा नहीं है कि कोई हमारी लड़ाई है. हम तो केवल स्टेट के हित में बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अब कृपया समाप्त करें अभय जी, टाइम पूरा हो गया है.
श्री अभय मिश्रा -- हमारा यह कहना है कि इनके ऊपर इतनी अनियमितताएं हैं, इसकी बात हम कर रहे हैं. हमारे यहां जो एसजीएसटी से जुड़ा एक मामला है, जिसमें बहुत सारा टैक्स हम इसलिए कलेक्ट नहीं कर पा रहे हैं कि हम आगे कार्यवाही नहीं कर रहे हैं. आबकारी डिपार्टमेंट में फर्जी बैंक गारंटी का इतना बड़ा मामला है. 13 जगह, दिल्ली से बड़ा घोटाला है साहब, लेकिन जब हमें उसमें कार्यवाही नहीं करना है. उसको दबाना है, दूसरी तरफ हम एसजीएसटी को बढ़ाने के लिए ये प्रतिवेदित रिपोर्ट हमको प्रस्तुत कर रहे हैं. इसको हम पढ़ रहे हैं तो कैसे पढ़ेंगे साहब. थोड़ी नियत अच्छी करनी होगी. हम सबको मिलकर कार्य करना होगा कि हमारे प्रदेश का राजस्व बढ़े. धन्यवाद.
उप मुख्यमंत्री, वित्त (श्री जगदीश देवड़ा) -- अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्य श्री अभय मिश्रा जी ने बहुत से सुझाव दिए हैं. उन सुझावों को भी हम एक बार देख लेंगे और जीएसटी काउन्सिल में अगर रखने जैसे होंगे तो वहां रखेंगे और प्रदेश स्तर का कोई सुझाव होगा तो उस पर भी विचार करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तो जो विधेयक आया है, मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024, यह संशोधन दिनांक 11 जुलाई, 2023 को जीएसटी काउन्सिल की 50वीं बैठक में किया जा चुका है. केन्द्रीय वित्त विधेयक, 2024 में इसका प्रावधान भी लाया जा चुका है, जिसके अनुरूप राज्य के अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है. जो जीएसटी काउन्सिल में पारित हो जाता है, वह राज्य में भी हमको पारित करना पड़ता है. इस संशोधन में इनपुट सेवा वितरक को रिवर्ज चार्ज मेकेनिज्म से प्राप्त टैक्स क्रेडिट के वितरण करने की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है. इस अनुक्रम में मध्यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 20 एवं धारा 24 में आवश्यक संशोधन प्रस्तावित हैं. अध्यक्ष महोदय, इसमें पान मसाला कर चोरी रोकने के लिए भी प्रावधान किया गया है. धारा जोड़ी गई है. पान मसाला निर्माण में लगी मशीनों का रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया अनिवार्य की गई है. प्रक्रिया अनुसार नहीं पाए जाने पर रुपये 1 लाख प्रति मशीन पेनल्टी का प्रावधान किया गया है. इस हेतु धारा 122 क जोड़ी गई है. अध्यक्ष महोदय, केवल इतना है कि जो जीएसटी काउन्सिल में हुआ है और यह धारा जोड़ी है. उसको राज्य सरकार की ओर से भी यहां पर विधान सभा में पारित करना है और बाकी माननीय श्री अभय कुमार मिश्रा जी ने जो सुझाव दिए हैं, तो जो जीएसटी काउन्सिल में ले जाने के सुझाव हैं, वह वहां रखेंगे और जो आपने प्रदेश स्तर के बताए हैं, उस पर हम विचार कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने विद्वान सदस्य की बात गंभीरता से ली है.
श्री अभय कुमार मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से पूरी उम्मीद है और उनकी वर्किंग भी अच्छी है. यदि कोई चीज उनकी नजर में न आए, छूट जाये, तो अलग बात है. मुझे उनसे उम्मीद रहती है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 4 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 4 इस विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
उप मुख्यमंत्री (वाणिज्यिक कर) (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ.
2.29 बजे
(3) मध्यप्रदेश खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक, 2024 (क्रमांक 17 सन् 2024)
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.
श्री कैलाश कुशवाहा (पोहरी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. इस तरह की घटनाएं काफी हुई हैं, नलकूपों में गिरने से काफी बच्चों की जानें गई हैं, कुछ प्रयास करने से जानें बचा ली गई हैं. मेरा एक निवेदन है कि इस कानून में इतनी शक्ति हो कि यदि इस तरह की कोई घटना होती है तो जितनी तेजी से हो सके, बच्चों को बचाने का प्रयास हो. इसमें कभी-कभी दो-दो घण्टे, चार-चार घण्टे लेट हो जाते हैं, इतने में जो बच्चा बोरवेल में गिरता है, उसकी जान चली जाती है. इस कानून को सख्ती के साथ बनाया जाये. मेरा एक विशेष निवेदन है एवं विचार है कि इसमें जो भी लापरवाही बरतेगा, उनको सजा मिलेगी और इसमें कई पंचायतों में आपस में विवाद के कारण भी खुले बोर हो जाते हैं. यदि कोई विवाद होता है तो बोर करने वाले बोर अधूरे छोड़कर चला जाता है, तो इसके लिए उसे तत्काल निर्देश दिए जाएं कि उस बोर को बन्द किया जाये.
अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा इससे जुड़ी हुई और जनता के हित की बात है कि मेरे क्षेत्र में काफी पानी की परेशानी आई है तो मैं माननीय मंत्री जी निवेदन करता हूँ कि हम नये ट्यूबवेलों में पाईप बढ़ाने की मांग करते हैं और पीएचई विभाग, नगरपालिका, नगर परिषद् को भी फोन करते हैं, लेकिन इससे पहले आप अगर 10 से 15 वर्ष का रिकॉर्ड देखें तो उसमें काफी ट्यूबवेल लगे हैं और खराब भी पड़े हुए हैं, उनमें पाईप डले हुए हैं. हम नये ट्यूबवेल की मांग करते हैं, यह सभी हमारे विधायकगण के लिए है कि जो पुराने ट्यूबवेलों में पाईप डले हुए हैं, वह कचरे में चले जाते हैं, दबंग लोग उसे निकालकर बेच देते हैं या पूर्व सरपंच बेच देते हैं. तो मेरा उसमें निवेदन है कि इन पाईपों को नये ट्यूबवेलों में जिनका जलस्तर नीचे चला गया है, उसके गहरीकरण मे उसका उपयोग करें. इससे विधायकों को भी परेशानी नहीं आएगी और वहां पर सरपंचों को पाईप बढ़ाने में मदद मिलेगी क्योंकि हम पाईप नये तो मांग लेते हैं, लेकिन पुराने पाईपों का कुछ पता नहीं हैं. उसका रिकॉर्ड मंगवाकर जांच की जाए कि जिन्होंने पुराने पाईप बेचे हैं, उन पर कार्यवाही हो क्योंकि अगर यदि आप पुराना रिकॉर्ड देखेंगे कि शासन से जितना माल आया है ,पाईप, केबल, रिंगा मोटर. कई लोगों ने तो सरकारी ट्यूबवेल पर कब्जा कर रखा है, उन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है और गांव के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. अगर जल नहीं है तो कल भी नहीं है. दबंग लोग बहुत परेशान करते हैं, मेरी मांग है कि इन पर कार्यवाही की जाये, धन्यवाद.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, मुझे यह कहते हुए गर्व है कि देश में, मध्यप्रदेश पहला राज्य है, जहां डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में इस प्रकार का बिल आ रहा है क्योंकि हम 15-20 दिन में यह देखते हैं कि ट्यूबवेल में कोई बच्चा गिर गया, गिरने के बाद सेना आती है, सभी प्रयास करते हैं, यदि बच्चा बच गया तो लोग पीठ थपथपाते हैं, अगर बच्चा बचाया नहीं जा सका तो शोक व्यक्त करते हैं, हम यही समाचार सुनते रहते हैं. इसे हम कैसे प्रतिबंधित कर सकते हैं, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा भी इस पर टिप्पणी की थी कि राज्य सरकारों को इस पर विचार करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, हमारे मुख्यमंत्री जी ने कैबिनेट में यह निर्णय लिया कि हम इस पर एक बिल लायें और मुझे प्रसन्नता है कि इस बिल में हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कौन एजेंसी ड्रील करवा रही है, उसके पास अनुमति है कि नहीं, जमीन किस की है, शासकीय भूमि है या निजी भूमि है. इसमें सभी की जिम्मेदारी निश्चित होगी. यदि कोई विभाग ट्यूबवेल करवा रहा है और विभाग उसे कवर नहीं करवा रहा है तो उस विभाग की जिम्मेदारी होगी, अधिकारी की जिम्मेदारी होगी. यदि कोई निजी व्यक्ति ट्यूबवेल करवा रहा है तो उसकी जिम्मेदारी होगी कि वह ड्रील करवाने के बाद उसे कवर करे, यदि इनके अतिरिक्त कोई अन्य होगा तो उस एजेंसी की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जायेगी क्योंकि यह बहुत ही सामान्य घटना हो गई है कि बोर किया, पानी नहीं आया तो उसे खुला छोड़ दिया, उसे कवर करना जरूरी है और यह कानून सभी की जिम्मेदारी तय कर रहा है और जो लोग लापरवाही करेंगे उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी. मुझे उम्मीद है कि यह कानून सर्वानुमति से सदन में पारित होगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- अध्यक्ष महोदय, हमारी इसमें सहमति है, इसे सर्वसम्मति से पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 13 तक इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 13 तक इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय, मैं, सदन के सभी सदस्यों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस महत्वपूर्ण विषय पर मध्यप्रदेश की विधान सभा में कानून बन रहा है. उससे देश के सारे राज्य प्रेरणा लेंगे और बहुत सारी जानों को, विशेषकर बच्चों को हम बचा सकेंगे.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ.
2.35 बजे
आय-व्ययक में उल्लेखित विभागीय अनुदान की मांगों पर मतदान के साथ अन्य आवश्यक शासकीय कार्य आज ही पूर्ण किया जाना
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है यदि आप अनुमति दें और नेता प्रतिपक्ष भी अगर उसमें सहयोग प्रदान करेंगे तो बड़ी कृपा होगी. अध्यक्ष महोदय, आय-व्यय बजट पर कल सामान्य चर्चा में आपके अनुराग के कारण, आपकी सहृदयता के कारण बहुत लंबी चर्चा हुई और सभी माननीय सदस्यों ने काफी बोला. लगभग रात को दस बजे तक, नौ घंटे तक चर्चा हुई. यह भी इतिहास है कि सामान्य बजट पर एक साथ चर्चा हुई. मेरा एक सुझाव है यदि आप अनुमति दें और नेता प्रतिपक्ष भी सहमति दें. सभी माननीय सदस्यों ने सभी विषयों पर चर्चा की है और इसलिए अब बजट में शामिल शेष विभागीय मांगों पर मतदान तत्परता से पूर्ण कर तत्संबंधी विनियोग का पारण किया जाना या वित्तीय कार्य नियत समय सीमा में पूर्ण किया जाना आवश्यक है.
अत: मैं प्रस्ताव करता हूं कि विचाराधीन आय-व्ययक में उल्लेखित विभागीय अनुदान की मांगों पर मतदान के साथ अन्य आवश्यक शासकीय कार्य नियमों को शिथिल कर आज ही पूर्ण किया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
अध्यक्ष महोदय-- अब अनुदान की मांगों पर एक साथ चर्चा होगी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विभागों पर चर्चा तो होना चाहिए. (व्यवधान)..
श्री अभय मिश्रा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी माननीय सदस्य तैयारी करके रात-रातभर जगे हैं. फिर क्या अर्थ निकलेगा जब हम सदन में अपनी बात ही नहीं रख पाएंगे. (व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार--माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी माननीय सदस्यों ने इस पर तैयारी भी की है. आपसे निवेदन है कि विभागों पर चर्चा तो होना चाहिए. (व्यवधान)..
2.37 बजे
(व्यवधान)....
2.40 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण विभागवार मांगों पर चर्चा की मांग करते हुए गर्भगृह में आए)
(व्यवधान)
2.41 बजे मुखबंद प्रस्ताव (क्रमश:)
(व्यवधान)
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श्री उमंग सिंघार – हम तो इस पर डिवीजन मांग रहे हैं...(व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य – अब वह समय निकल गया है
समय 2.47 बजे. शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-4)विधेयक,2024
उप मुख्यमंत्री वित्त ( श्री जगदीश देवड़ा) – अध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-4) विधेयक, 2024 का पुर:स्थापन करता हूं...(व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार – अध्यक्ष महोदय हम इस पर डिवीजन की मांग कर रहे हैं इसमें क्या समस्या है....(व्यवधान)...
श्री जगदीश देवड़ा – माननीय अध्यक्ष महोदय मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश (क्रमांक-4) विनियोग विधेयक 2024 पर विचार किया जाय.
श्री उमंग सिंघार – अध्यक्ष महोदय डिवीजन में क्या आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय – विनियोग विधेयक पर अगर किसी को कुछ कहना है तो नाम दे सकते हैं आप नाम दे दें, चर्चा कर सकते हैं.
संसदीय कार्य मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) – आप चर्चा करें आप अपनी तरफ से नाम दे दें. अपनी बेंच पर जाय, अपने नाम दें चर्चा करें.
श्री ओंकार सिंह मरकाम – अध्यक्ष महोदय हमारा आपने डिवीजन स्वीकार नहीं किया है आपने सीधे कार्यवाही आगे बढ़ा दी है. यह तो पूरी तरह से अध्यक्ष महोदय आपने बात ही नहीं सुनी है. सीधे विनियोग पर ले आये हैं. कोई चर्चा ही नहीं करने दे रहे हैं सीधे विनियोग पर ले आएं हैं. विजयवर्गीय जी भुट्टा इतनी जल्दी थोड़ी ही खिला देंगे.
अध्यक्ष महोदय – सभी माननीय सदस्य अपने स्थान पर बैठ जायें.
श्री भंवर सिंह शेखावत – कैलाश जी की भुट्टा पार्टी तो थोड़ी देर में भी हो जायेगी थोड़ी सी एक दो घंटे देर से हो जायेगी. बदली बदली सरकार नजर आते हैं, सदन को जल्दी खत्म करने के आसार नजर आते हैं. क्यों भागना चाहते हैं सरकार इतनी जल्दी क्यों कर रही है. दो चार दिन सदन चलने दे भाई, प्रेस की जनता तो इस सदन का इंतजार करती है. सारे विधायक इस सदन का इंतजार करते हैं. सदन चले लेकिन सरकार सदन से भागना चाहती है. ए क तरफ तो कहते हैं कि मोहन सरकार बहुत बहादुर सरकार है, और बहादुर सरकार सदन छोड़कर भाग रही है, पता नहीं क्या जल्दी है इस सरकार को, दूर पता नहीं कहां जाना चाहती है किधर दौड़ना चाहती है किधर निकलना चाहती है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय – लिस्ट आ गई होगी नाम बता दें चर्चा के लिए.
अध्यक्ष महोदय - भंवरसिंह जी के बाद और कोई बोलना चाहते हैं.
नेता प्रतिपक्ष- अध्यक्ष महोदय, सूची आपके पास है सूची के हिसाब से आप बुला लीजिए. भंवर सिंह जी का नाम तो हमने सबसे आखिरी में दिया है.
अध्यक्ष महोदय- फूलसिंह बरैया जी तीन-तीन मिनट में अपनी बात पूरी करें .
श्री भूलसिंह बरैया - अध्यक्ष महोदय, कल आप कह रहे थे, आपकी पार्टी कह रही थी कि हम संविधान खत्म नहीं करना चाहते हैं, किसने बताया, किसने कहा है और यहां पर (XX). यह आपको भी मालूम था कि बजट आपका वैसे ही पास हो जाएगा. आपकी संख्या ज्यादा है. फिर आपने ऐसा (XX) काम कैसे करने दिया.
अध्यक्ष महोदय- यह विषय नहीं है नियमों में प्रावधान है उनके अनुसार ही सदन चल रहा है . यह विलोपित कर दिया जाए आप बजट पर अपना विषय रखो.
श्री फूलसिंह बरैया- अध्यक्ष महोदय, आपने तो सबकुछ विलोपित कर दिया लेकिन मैं बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं मैं कुछ बोलना चाहूंगा.
श्री प्रहलाद पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन का अपमान है आसंदी पर टिप्पणी नहीं हो सकती. यह कैसी बात करते हो भाई. उन्हीं से निरस्त करवाओ उनकी टिप्पणी है ऐसे मत बताओ हमें शालीनता का भी ध्यान रखना चाहिए
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन- यह शालीनता का विषय नहीं है. यह आसंदी के सम्मान का विषय है .
श्री फूलसिंह बरैया- अध्यक्ष महोदय, अब मैं अगर बजट बढ़ाने की बात करूं तो कोई मतलब नहीं है. फिर भी मैं राज्य और देश के हित में बताना चाहता हूं बताना चाहता हूं, गृह विभाग में पुलिस है और पुलिस का इस देश और दुनिया में बहुत महत्व है अगर पुलिस नहीं होती तो शायद हम और आप आज इस तरह से बैठे नहीं होते हम और आप आज बैठे हैं तो पुलिस की वजह से बैठे हैं. पुलिस 24 घंटे सेवा करती है. 24 घंटे सेवा करने वाले पुलिसकर्मी की तनख्वाह बढ़ानी चाहिए. वेतन में वृद्वि करनी चाहिए और पुलिस की भर्ती कराना चाहिए क्योंकि पुलिस बहुत कम है कभी कभी जहां जरूरत होती है वहां पुलिस पहुंच नहीं पाती है. पुलिसकर्मियों को आसानी से आवास उपलब्ध कराना चाहिए और कई जगह पर पुलिस की चौकी पुलिस थाने नहीं हैं थाने और चौकियों की बिल्डिंग बनानी चाहिए यही नहीं उनके बच्चों का अच्छे स्कूल में प्रवेश करना चाहिए, जिससे पुलिसकर्मी टेंशन फ्री रहें और 24 घंटे टेंशन फ्री रहेंगे तो लॉ एंड आर्डर बहुत अच्छी तरह से चलेगा अध्यक्ष महोदय, अगर ऐसा नहीं हुआ तो जो अपराध देश और प्रदेश में हो रहे हैं, उन अपराधों के ऊपर हाईकोर्ट की टिप्पणी है. मैं आपसे कहना चाहता हूं, अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में कौनसा ऐसा क्षेत्र है, जहां पर सबसे ज्यादा अत्याचार अपराध होते हैं. वह क्षेत्र है. चम्बल ग्वालियर. मध्यप्रदेश में चम्बल ग्वालियर है, जहां पर सबसे ज्यादा अपराध होते हैं. उस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा है (XXX). यह बात हाईकोर्ट ने कही है. गृह मंत्रालय के लिए कोई छोटी टिप्पणी नहीं है और दूसरी टिप्पणी है जब कोर्ट की अवहेलना का मामला जब आया क्योंकि पुलिस कोर्ट और कंटेम्प्ट की चिन्ता नहीं करती है ये पुलिस में रहने लायक नहीं है इसे बर्दाश्त क्यों कर रहे हैं. बाहर का रास्ता दिखाओ यह कोर्ट ने कहा है लेकिन राज्य सरकार इसके ऊपर कभी गंभीरता से विचार करेगी ? और बहुत बड़े विषय हैं जिसमें कहा है कि महिला से दुष्कर्म करने वाला टी.आई. फरार. टी.आई. राजा है 'चोरी करे तो न्याय कौन पर जाये' यह भी इसका सारांश है. यही नहीं जो एनकाउंटर विशेषज्ञ जो होते हैं उनके बारे में कोर्ट ने कहा है कि कानून के रक्षकों को हम अपराधियों जैसे काम नहीं करने दे सकते हैं, यह भी कहा है. जबलपुर में तो नशे में छिंदवाड़ा में पदस्थ एक टी.आई. ने आठ कारों के कांच तोड़ दिये. यह कुर्सी पर बैठने के पहले ही पी लेते हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे इसलिये कह रहा हूं कि इस तरह की टिप्पणियां अगर बंद नहीं गयी तो अपराध कितने बढ़ जायेंगे. अभी हम देख रहे थे कि जब भी सदन में छुआछूत, जातिवाद की चर्चा होती है तो सभी खड़े हो जाते हैं कि नहीं ऐसा कुछ नहीं है. मुझे इस बात की खुशी है कि पूरे मध्यप्रदेश में इतनी जगह तो है जहां पर कम से कम छुआछूत और जातिवाद नहीं है. बाहर जायेंगे तो हम झेलेंगे, परंतु इस हॉल के अंदर छुआछूत और भेदभाव तो होता ही नहीं है. यहां इस तरह से संख्या ज्यादा होने के कारण एक साथ इकट्ठे होकर, एक तरह से हम लोग फरियादी हैं. फरयादियों पर हमला बोल देते हैं. मैं आपसे यह नहीं कहना चाहूंगा कि थाने में बैठे हुए थाना प्रभारी जाति की गाली देते हैं, क्या आप व्यवस्था करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय, जब कोई अनूसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का कोई फरियादी रिपोर्ट लिखवाने के लिये जाता है तो क्या उसको बैठाने की, कुर्सी देने की व्यवस्था करेंगे ? और क्या सभ्यता से बोलने को कहेंगे, गृह मंत्री जी को कहेंगे कि एक सम्मान से एफ.आई.आर होनी चाहिये. कहीं-कहीं पर तो यह है कि आरोपी थाना प्रभारी का दोस्त या रिश्तेदार है तो क्रास केस बनवाने के लिये फरियादी को क्रास केस में फंसा दिया जाता है, राज़ीनामा करने के लिये. अध्यक्ष महोदय अब होना तो कुछ है नहीं दो बातें बोल लेने दो.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, अब आप बैठ जाइये, अभी आपके बाकी भी मेंबर है ना बोलने के लिये.
श्री फूल सिंह बरैया:- आपको इतनी जल्दी क्या है. अब काम तो हो ही गया है. अब तो खाना ही खाना है, वह आपने तो बोल ही दिया है.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, अभी और भी सदस्यों को बोलना है.
श्री फूल सिंह बरैया:- अध्यक्ष महोदय, एक और बड़ा अपराध का मामला है, जिस तरीके से..
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन:- अध्यक्ष महोदय, इनका प्रबोधन कार्यक्रम करा दीजिये कि आसंदी से कैसे सम्मान किया जाता है.
श्री फूल सिंह बरैया:- कुछ नहीं होगा. आप कहेंगे तो मैं बैठ जाउंगा. मैं यह बात कह रहा हूं कि अपराध किस तरह से हो रहे हैं. एक गाड़ी भिण्ड जिले के मेहगांव विधान सभा में 13 बच्चों को कुचल जाती है उस घटना में एक बच्चा पृथ्वी नाम का मारा जाता है. उसके शव के पास रोती हुई महिलाएं, टी.आई. उसका नाम नहीं बताउंगा वह मेहगांव का टी.आई. वह जाकर के जातियों की गाली देता है. वह कहता है (XXX) रास्ता खाली करो. जब महिलाएं नहीं हटती है तो वह पकड़-पकड़ कर ऐसे फेंकता है, डंडे मारता है और घूंसे मारता है. अध्यक्ष महोदय और मैं आपसे कहना चाहूंगा..
संसदीय कार्य मंत्री( श्री कैलाश विजयवर्गीय):- अध्यक्ष महोदय, यह जो उल्लेख है जो टी.आई का वर्शन है. यह डिलीट करवा दीजिये.
श्री फूल सिंह बरैया:- मैंने नाम नहीं लिया.
अध्यक्ष महोदय:- टी.आई का नाम नहीं आया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय:- अध्यक्ष महोदय, यह जो (XXX) बोला है, वह असंसदीय है.
श्री फूल सिंह बरैया:- नहीं, उसने (XXX) कहा है.
श्री फूल सिंह बरैया:- मध्यप्रदेश में कहा नहीं जाये तो आज से ही बंद कर दिया जाये. क्या मैं बोलना बंद कर दूं.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, यह जो आपने शब्द बोला है, वह ठीक नहीं है.
श्री फूल सिंह बरैया:- अध्यक्ष महोदय, शब्द नहीं निकालना चाहिये. शब्द निकाल देंगे तो फिर अपराध और बढ़ते हैं. लोगों की समझ में यह तो आना चाहिये, अच्छा बोला नहीं गया क्या ?
अध्यक्ष महोदय:- उसकी जगह अच्छा भी कहा जा सकता है.
श्री फूल सिंह बरैया:- अध्यक्ष महोदय, ठीक है. उस टी.आई के ऊपर एट्रोसिटी एक्ट बनता है.अभी तक उसके ऊपर एक्ट नहीं लगाया गया है.
अध्यक्ष महोदय - श्री फूलसिंह जी इतना ध्यान रखो कि विनियोग पर चर्चा हो रही है, बजट से संबंधित विषय हो.
श्री फूलसिंह बरैया - बजट ही तो मैंने बताया, शुरू में मैंने क्यों कहा कि इनकी तनख्वाह क्यों बढ़ानी चाहिए, क्योंकि कम तनख्वाह मिलती है तो सबकी जेब में हाथ डालते हैं.
अध्यक्ष महोदय - अब मुझे लगता है कि 5 मिनट से आपको ऊपर हो गये हैं.
श्री फूलसिंह बरैया - मैं तो कह रहा हूं कि मैं तो बंद कर दूंगा. गरीबों की बात सुनने में अगर आपको तकलीफ है तो मैं अपनी बात को यहीं खत्म करता हूं. धन्यवाद. जय भीम, जयभारत.
अध्यक्ष महोदय - गरीबों की बात सुनने में किसी को तकलीफ नहीं है. यह सदन और सरकार गरीबों के लिए काम कर रही है. श्री रजनीश जी.
श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी) - अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. मेरी आपसे विनती है कि क्षेत्र की जनता हम सभी विधायकों को सदन में भेजती है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपका इशारा समझ रहा हूं, परन्तु मेरी आपसे विनती है कि हमने इस सदन को एक-एक महीने चलते हुए वर्ष 1993 से लेकर 1998 तक देखा है. हमें पीड़ा इस बात की है कि हम नौजवान सदस्य सदन में बड़ी ऊर्जा के साथ अपनी तैयारी कर आपके समक्ष गुहार लगाने के लिए आते हैं तो मात्र हमें मिलता है 3 मिनट का समय. हम 3 मिनट में क्या भूमिका बना लेंगे? क्या हम अपनी बात को पूरी रख देंगे? 350 बूथों से ज्यादा का हमारा विधान सभा क्षेत्र है. मैं आपसे निवेदन करता हूं. कल जो सदन चला, वह अच्छा चला. इसके लिए हम आपके आभारी हैं. कल 10.30 बजे रात्रि तक सदन चला. माननीय सभी सदस्यों को बोलने का अवसर मिला. अध्यक्ष महोदय, रोज-रोज तो सदन चलता नहीं है, इसलिए इसमें वृद्धि करें, ताकि हम लोग अपनी बात कर सकें.
मैंने कल रेत के अवैध उत्खनन के बारे में मेरी विधान सभा में जो रेत माफिया बिना सरकार की परमिशन के, बिना पर्यावरण की मंजूरी के सरकार की मंशा के खिलाफ जो बड़ी बड़ी पोकलेन मशीनों से उत्खनन कर रहे हैं उनके बारे में विस्तृत जानकारी दी. मैं उस विषय पर नहीं आना चाहता, परन्तु आसंदी पर आपकी मौजूदगी में मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि तत्काल उन खदानों को रद्द करवाएं क्योंकि वन्य प्राणी उसमें सुरक्षित नहीं हैं और वन्य प्राणी गांव की ओर आ रहे हैं. यह कहां की बात हुई कि हमारा मध्यप्रदेश वनों के मामले में जाना जाता है और जंगल का राजा दर दर भटक रहा है. गांवों की तरफ आ रहा है और गांव के लोग लठिया लेकर लट्ठ लेकर राजा को फटकार लगा रहे हैं, यह गलत है. मेरी आपसे विनती है कि वन्य प्राणियों की रक्षा और सुरक्षा करना यह आपका दायित्व है. आपकी सरकार का दायित्व है और इसमें मैं आपका संरक्षण चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं राजस्व विभाग की बात करूं, अतिवृष्टि हुई, ओलावृष्टि हुई, सभी लोगों को मुआवजा मिला. मुआवजा मिला, उसके लिए मैं सरकार को साधुवाद और धन्यवाद देता हूं. परन्तु यह कहां की विडम्बना है कि एक ही मेड़, एक ही खेत, एक भाई को मुआवजा मिल गया और दूसरे भाई को मुआवजा नहीं मिल रहा है, यह स्पष्ट वैमनस्यता है. पटवारी हल्का नम्बर 32 और 33 में ही सिवनी जिले धनौरा विकासखण्ड में एक ऐसी घटना घटित हुई, जिसमें पटवारी के एक ही आवेदन, प्रतिवेदन पर दो-दो बार ओवर राइटिंग की गई. जनता के सामने, किसानों के सामने, अन्नदाता के सामने 50 से 60 परसेंट क्षति आंकी गई और बाद में तहसीलदार के समक्ष पेश किया गया तो ओवर राइटिंग 15 परसेंट से 20 परसेंट लिखा गया. मेरा पास में ओवर राइटिंग के साक्ष्य, दस्तावेज हैं. मैं पटल पर आपकी अनुमति से रखना चाहता हूं. इसकी फॉरेन्सिक जांच कराई जाय कि यह सत्य है या असत्य है और संबंधित पटवारी, आरआई और तहसीलदार को तत्काल निलंबित करने के आदेश करने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय, इसी तरीके से बन्देली ग्राम में ही ऐसी घटना घटित हुई है आधे गांव के लोगों को मुआवजा मिला है, आधे गांव के लोगों को मुआवजा नहीं मिला है. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को मैं स्पष्ट कर दूं कि जो ओले हैं वह बताकर नहीं गिरते, ओले देखकर नहीं गिरते कि घर में गिर रहे हैं कि खेत में गिर रहे हैं . मैं किसान हूं, किसान का बेटा हूं और वर्तमान में भी किसानी करता हूं, परन्तु जब ओले गिरते हैं तो अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि आप चम्बल संभाग के एक अच्छे उन्नतशील कृषक हैं और आप एक किसान की वेदना और पीड़ा को बखूबी जान सकते हैं और समझ सकते हैं . पटवारी हल्का नम्बर 32 और 33, माकन पुरामानाला, कुंआखेड़ा, अमोली, खिरकरी, तिगरा, बमौली, बरेली, थावरी, पिपरिया, बसुरा, सिलवारा समेत कई गांव के लोगों को मुआवजा नहीं मिला है. मेरी आपसे विनती है. मैंने आपसे बात करने के पहले मैंने जिले के कलेक्टर, तहसीलदार सबको अवगत कराया, परन्तु आज तक उस बात को..
अध्यक्ष महोदय - श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल जी..
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, थोड़ा-सा समय और दें. यह कैसे संभव हो पाएगा. इतनी बड़ी-बड़ी मांग संख्या है. हम कैसे उसको समावेश करेंगे. हमारे पास वह क्षमता नहीं हैं कि हम सागर को गागर में भरकर ला दें. क्योंकि हम युवा हैं और हम आप से ही प्रार्थना और विनती कर सकते हैं. मांग संख्या बहुत हैं. मैं ऊर्जा की बात करता हॅूं. आज प्री-मानसून, पोस्ट मानसून मेन्टेनेंस नहीं किए जा रहे हैं.15-15 दिन लग रहे हैं और ट्रांसफॉर्मर नहीं सुधारे जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- रजनीश जी, समय का ध्यान रखें.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हम किससे बोलेंगे. हम आप से ही तो बोल सकते हैं. बिल्कुल, मैं आपकी आज्ञा का पालन करता हॅूं. मैं बड़ा आज्ञाकारी हॅूं. इस सदन का मैं वह सदस्य हॅूं जो हमेशा आप लोगों की आज्ञाओं पर चलता है. मेरी एक ही प्रार्थना है कि हाथी के ऊपर जो महावत बैठता है वह रोज उसकी खुशामद करता है, रोज नहलाता-धुलाता है, उसको खिलाता है, पर जब वह हाथी के ऊपर बैठता है तो अकुंश लेकर बैठता है कि मदवाला हाथी बेहोश न हो जाये. मदवाली चाल में चलकर लोगों का ही भक्षण न कर ले, तो अकुंश हाथ में रहता है. मेरी आपसे प्रार्थना है कि सरकार के नुमाइंदों पर अकुंश रखने की जरूरत है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह प्रार्थना करना चाहता हॅूं कि बिजली विभाग में आउटसोर्स से जो नौजवानों को नौकरी दी जा रही है, आज वे दुर्घटना से घटित हो रहे हैं और मेरे विधानसभा क्षेत्र से ही 3 युवा अपने जीवन को गवां बैठे हैं. अंतिम बात कहना चाहता हॅूं कि मेरे यहां पर राजेश पाठक नाम का एक व्यक्ति है जो अवैध रेत उत्खनन कर रहा है, सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है. जो अवैध रेत उत्खनन हो रहा है, उसको निरस्त करना चाहिए. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल (कुक्षी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हम चुनाव जीतकर आए, एक जनप्रतिनिधि के रूप में जब हमें अवसर मिला, तो हम पूरा प्रयास करते हैं कि अपने क्षेत्र में विकास करें और जब विगत 15 महीने कांग्रेस की सरकार रही, तो नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के मंत्री के रूप में, पर्यटन मंत्री के रूप में मुझे काम करने का अवसर मिला. कार्य योजनाएं बनायीं. इस भेदभाव को छोड़ते हुए कि यह योजनाएं बीजेपी के क्षेत्र में जाएगीं या यह योजनाएं कांग्रेस के क्षेत्र में जाएगीं. मॉं नर्मदा की परिक्रमा और जो हमारी जीवनदायिनी मॉं है, वहां परिक्रमावासी पूरे देश से हजारों की संख्या में परिक्रमा करने के लिए मध्यप्रदेश में आते हैं. हमने एक शुरूआत की कि परिक्रमा पथ मॉं नर्मदा के तट पर बने और मुझे इस बात को कहने में प्रसन्नता है कि माननीय प्रहलाद जी ने भी परिक्रमा की, वे स्वयं भी कुक्षी में आए. अगर यह सरकार जो आज सत्ता में है, परिक्रमा पथ बनाती है तो मैं समझता हॅूं कि जो परिक्रमा करने पूरे देश से लोग आते हैं उनको सुविधा होगी. उसके लिए हमने स्थान चयनित किए थे. स्थान चयनित करके परिक्रमावासियों के लिए वहां पर धर्मशालाएं बनाने का हम प्रयास कर रहे थे क्योंकि पर्यटन विभाग भी मेरे पास था. उसी तरह से वहां पर भोजन की व्यवस्था हो. वैसे तो धर्म प्रेमी जनता है, जो आसपास के गांव वाले लोग रहते हैं वे लोग व्यवस्था करते हैं, पर अगर यह व्यवस्था परमानेंट शासन के द्वारा हो जाए, तो मैं समझता हॅूं कि परिक्रमावासियों को काफी इससे सुविधा होगी.
अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से सिंचाई की जो योजना बनी, 2024 का जो वर्ष है, यह योजनाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण वर्ष है क्योंकि गुजरात सरकार के साथ हमारा जो अनुबंध हुआ है, उस अनुबंध के तहत हमको 2024 तक 18.25 एमएएफ जल उपयोजन सुनिश्चित करना है, पर जिस तरह से मध्यप्रदेश में अभी योजनाएं बन रही हैं, उससे नहीं लगता है
योजना बनने के बाद हम उतना पानी उठा पाएंगे जो हमारा अधिकार बनता है. जो योजनाएं चल रही हैं. उन योजनाओं की गति इतनी धीमी है उसमें भी समय निकल जायेगा, हमारा अधिकार चला जायेगा. सिंचाई के लिये आपने जो सोच रखा है कि इतने लाख हैक्टेयर में जमीन में सिंचाई होना चाहिये. हमारा भी लक्ष्य था कि इतने लाख हैक्टेयर में सिंचाई होनी चाहिये.
3.10 बजे (सभापति महोदय {डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह}पीठासीन हुए)
सभापति महोदय, समयावधि 2024 में आप इस योजना में गति और तेज लाईये ताकि योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंच सके. पानी पर जो हमारा अधिकार है, वह मिल सके. लगभग वर्षों से 57 प्रतिशत बिजली उत्पादित करके गुजरात सरकार को हम लोग देते हैं. गुजरात सरकार ने विगत् वर्षों से बिजली का पैसा हम लोगों को नहीं दिया है. माननीय मुख्यमंत्री जी भी इसको देख रहे हैं. माननीय कैलाश जी भी यहां पर बैठे हुए हैं. मेरा संदेश माननीय मुख्यमंत्री जी तक अवश्य पहुंचा दीजिये कि हमारा बिजली का पैसा गुजरात सरकार पर बकाया है उनसे लें ताकि उस पैसे से मध्यप्रदेश का विकास हो सके. इसी तरह से कुक्षी विधान सभा में जोबट परियोजना है. यह एक ऐसी परियोजना है जो अधिकतर नहर के माध्यम से आदिवासी भाईयों तथा अन्य किसान भाईयों के पास पानी जाता है. विगत् वर्षों से उसका विस्तार नहीं हुआ है. मुझे अवसर मिला मैंने उसके विस्तार की रूपरेखा बनाई. कुछ पैसा भी उसमें दिया, कुछ विस्तार भी हुआ. जब सत्ता में परिवर्तन हुआ वह विस्तार रूक गया है. तो मेरा आग्रह है कि माननीय प्रहलाद जी से कि आप माननीय मुख्यमंत्री जी को इस बात को पहुंचा देंगे तो कहीं न कहीं उसमें गति मिल पायेगी. हम कोई भी योजनाएं बनाते हैं उसमें इस बात का ध्यान रखते हैं कि वह योजना आम-आदमी के लिये हो, किसान के लिये हो, जनता के लिये हो, पर सरदार सरोवर बांध से मध्यप्रदेश के हजारों किसान डूब से प्रभावित हुए. वर्ष 2019 में जब बाढ़ आयी तब मैं मंत्री था मैंने तुरंत एन.व्ही.डी.ए इन्दौर श्री पवन शर्मा जी के साथ में डूब प्रभावित क्षेत्र का पूरा दौरा किया. प्रत्यक्ष रूप से उन्होंने भी देखा और हमने भी देखा कि लोगों की खेती डूब गई, लोगों के मकान डूब गये, सड़क तथा बिजली के पोल डूब गये. हमने जितने भी डूब क्षेत्र हैं उनका दौरा करके उनका सर्वे करवाकर विधान सभा स्तर से जिला स्तर तक कमिश्नर इन्दौर एन.व्ही.डी.ए के माध्यम से शासन स्तर तक उसको पहुंचाया और वह स्वीकृति होने वाली थी. फिर सत्ता परिवर्तन हुआ उन डूब प्रभावितों के साथ आज भी अहित हो रहा है.वर्ष 2019 तथा वर्ष 2023 में बाढ़ आयी फिर वही लोग परेशान हुए पशुओं को चारा नहीं मिला, उनकी दवाई की व्यवस्था नहीं हुई, उनको वाहन की व्यवस्था नहीं हुई. हम लोगों ने अपना प्रयास किया जो जन प्रतिनिधि डूब प्रभावित क्षेत्र के थे उन्होंने प्रयास किया कि उनको कहीं न कहीं उनको लाभ पहुंचा पायें. मेरा आपसे यह कहना है कि माननीय मुख्यमंत्री जी तक मेरा संदेश पहुंचे कि वापस वर्षा ऋतु का समय आ गया है. डूब से कहीं न कहीं वापस लोग प्रभावित होंगे. विगत् कुछ दिन पहले ही डूब प्रभावित लोग हैं उन्होंने तथा मेधा पाटकर जी ने आन्दोलन किया जिसका आवेदन कमिश्नर इन्दौर एन.व्ही.डी.ए को पहुंचाया गया है. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि उसका जल्द से जल्द निराकरण कर दिया जाये ताकि डूब प्रभावितों का जो अहित हो रहा है. उनको लाभ मिल सके. अंतिम बात रखना चाहता हूं कि माननीय प्रहलाद पटेल केन्द्र में भी पर्यटन मंत्री रहे हैं मैं भी जब पर्यटन मंत्री था उनसे मैंने निवेदन किया. उनसे मुझे इसकी स्वीकृति भी मिली जिसकी वित्त विभाग ने 2019-20 में ढोलिया गांव में आशापुरा माताजी का मंदिर है. उसके लिये वित्त विभाग ने डेढ़ करोड़ रूपये की स्वीकृति भी दे दी, लेकिन आज तक उस धार्मिक स्थल को विकसित नहीं किया गया है. आपके माध्यम से पर्यटन मंत्री जी से उसकी जल्दी से जल्दी उसकी स्वीकृति मिल जाये और काम प्रारंभ हो जाये. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिये धन्यवाद. श्री शैलेन्द्र जैन(सागर) - माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से समुचित सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि किसी भी प्रदेश का जो आईना होता है, किसी भी प्रदेश की जो पहचान होती है, वह शहरों से होती है यह बात निश्चित रूप से गौर करने वाली है कि आजादी के समय हमारे देश के लगभग 70 से 80 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती थी, लेकिन रोजगार की संभवानाओं में, तलाश में सुपर स्पेशलिटी ट्रीटमेंट की तलाश में, उच्च शिक्षा एवं अंजान संभावनाओं की तलाश में गांव से शहरों की ओर एक बड़ी आबादी आजादी के 77 वर्षों में शहरों की ओर आई है और शहरों में निश्श्चित रूप से आबादी का बोझ बढ़ा है.
श्री भवर सिंह शेखावत - सभापति जी, बड़ा गंभीर विषय है, समय आपने दिया सदन आपका आभारी है, सभी प्रदेश हित की अपनी बात भी रख रहे हैं. अभी न तो संसदीय मंत्री है न वित्त मंत्री जी ..अरे वित्त मंत्री जी आ गए क्या, पधारिए हम आप ही का इंतजार कर रहे थे, हमारी बात सुनेगा कौन आप ही सुन सकते हैं इसलिए आपको सुना रहे हैं.
सभापति महोदय - वैसे तो कई वरिष्ठ मंत्री बैठे हुए हैं, कई वरिष्ठ मंत्री हैं सामुहिक जिम्मेदारी होती है.
श्री शैलेन्द्र जैन - मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि शहरों में आने वाली आबादी के रहने, रोजगार और तमाम सुविधाएं मुहैया कराने में हमारी सरकार सफल रही है, विगत अनेक वर्षों में अनेक कल्याणकारी योजनाएं हमारी सरकार ने बनाई हैं, उसमें एक योजना का विशेष रूप से उल्लेख करना चाहता हूं, किसी भी मनुष्य की, किसी भी परिवार की जो मूलभूत आवश्यकताएं होती हैं, वह तीन होती है रोटी-कपड़ा की आवश्यकताओं के पश्चात, मकान की आवश्यकतकाओं की पूर्ति के लिए हमारी सरकार ने और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी ने एक अभिनव और अद्वितीय योजना बनाई प्रधानमंत्री आवास योजना. मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता होती है कि समुचे देश में प्रधानमंत्री आवास योजना में मध्यप्रदेश सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान पर है, इस बात के लिए मैं सरकार को पूरे सदन की ओर से बधाई देना चाहता हूं.
सभापति महोदय, विगत वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के अंदर लगभग 9 लाख आवास बनाने की अनुमानित हमने मांग की थी और मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि इसमें से लगभग 7 लाख 67 हजार मकान बनाने का, उनकी स्वीकृति करने का काम पूर्ण हो गया है. शेष 1 लाख 85 हजार मकान, जिसमें बीएलसी और एएचपी दोनों घटक शामिल है, इस तरीके से प्रधानमंत्री आवास के मामले में मध्यप्रदेश ने जो आशातीत सफलता प्राप्त की है, वह निश्चित से ही सराहनीय है.
माननीय सभापति महोदय, मैं आज आपके माध्यम से मंत्री महोदय से आग्रह करना चाहता हूं कि हमारी विधान सभा के अंदर प्रधानमंत्री आवास की कुछ योजनाएं पूर्व में शुरू हुई थी, पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लेकिन वह योजनाएं पूर्ण नहीं हो पाई है, कुछ आर्थिक कठिनाईयों के चलते वे अभी अपूर्ण अवस्था में है, उनके जो हितग्राही हैं वह निश्चित रूप से अपने लाभ से वंचित है. मैं वित्त मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि जो प्रधान मंत्री आवास की हमारी अपूर्ण योजनाएं हैं, ऐसी स्थितियां अन्य शहर में भी हो सकती है, जो किसी आर्थिक पक्ष के कारण पूर्ण नहीं हो पाई हैं, उस दिशा में आप काम करेंगे.
ऐसा मैं आपसे ऐसा निवेदन करना चाहता हूं. माननीय सभापति महोदय, दीन दयाल रसोई योजना एक गरीब मजदूर, एक गरीब परिवार को जो गांव से चलकर शहर की ओर रोजगार की तलाश में आता है, ऐसे मजदूर परिवार को यह दीन दयाल रसोई योजना निश्चित रूप से एक ऐसा संबल देने का काम कर रही है, जिसके माध्यम से वह दोनों जून की रोटी को एक बहुत ही अर्फोडेबल प्राइज में प्राप्त करता था, अभी तक वह राशि दस रूपये होती थी, उसको भी सरकार ने घटाकर पांच रूपये थाली करने का निर्णय किया है, मैं इस बात के लिये माननीय वित्तमंत्री महोदय का साधुवाद देना चाहता हूं.
माननीय सभापति महोदय, मैं एक विषय जो चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित है, उस विषय को भी रखना चाहता हूं. आज हम जानते हैं कि पूरे प्रदेश में जिस तरह से स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हो रहा है, नये मेडीकल कॉलेज खोले जा रहे हैं और इस वर्ष में मंदसौर, नीमच, सिवनी के तीन मेडीकल कॉलेज और शुरू होने की कगार पर हैं. मैं सरकार को यशस्वी मुख्यमंत्री महोदय को वित्तमंत्री महोदय को बधाई देना चाहता हूं लेकिन एक पीड़ा आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि सागर का मेडीकल कॉलेज लगभग दस वर्ष पहले बनकर तैयार हो चुका था और सागर में मेडीकल कॉलेज में सौ सीटों से बढ़कर उसकी 250 सीटें करने का केंद्र सरकार ने निर्णय भी कर लिया है, ऐसे समय में हमारे समूचे बुंदेलखण्ड का वह एकमात्र मेडीकल कॉलेज है, उस मेडीकल कॉलेज में अभी सुपर स्पेसिलिटी सुविधाएं हमें प्राप्त नहीं हो रही हैं. आज भी गंभीर बीमारियों के लिये समूचे बुंदेलखण्डवासियों को या तो भोपाल, या इंदौर, या जबलपुर, या नागपुर जाना पड़ता है. मैं आपके माध्यम से माननीय वित्तमंत्री महोदय, से आग्रह करना चाहता हूं कि इस ओर आप जरूर ध्यान देंगे.
सभापति महोदय -- शैलेन्द्र जी अब समाप्त करें, बहुत ही महत्वपूर्ण आपका सुझाव आ गया, आपकी आवश्यकता आ गई, अब बंद करें. संक्षेप में अपनी बात समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र जैन -- सभापति महोदय, एक योजना के बारे में और कहकर अपनी बात समाप्त करता हूं. यह जो स्ट्रीट वेंडर योजना है, कोरोना के समय अनेक लोगों ने अपने रोजगार खो दिये थे, ऐसे समय में उनको पुन: रोजगार से जोड़कर अपनी अजीविका से जोड़ने का काम सम्मानीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के माध्यम से हुआ है और मुझे खुशी है कि मध्यप्रदेश में स्ट्रीट वेंडर योजना में पूरे देश के अंदर, पहले नंबर पर, एक नंबर और सर्वाधिक सफल योजना जो हुई है पूरे देश के अंदर वह मध्यप्रदेश में हुई. मैं उस बात के लिये भी उन्हें बधाई देना चाहता हूं और मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश में हमारा सागर शहर इस दिशा में सेकेंड नंबर पर है, तो मैं उस बात के लिये भी सागर वासियों को बधाई देते हुए और अंत में हमारे मंत्री महोदय को एक शेर के बगैरह कहां खत्म होगा.
सभापति महोदय -- जी, आप तो बहुत
विद्वान हैं, आप बहुत अच्छे शेर कहते हैं, लेकिन वित्तमंत्री जी की शान में होना चाहिए.
श्री शैलेन्द्र जैन -- होकर सूरज हम दिशाओं के रहे मोहताज क्यों,
होकर सूरज हम दिशाओं के रहे मोहताज क्यों,
हम जिधर चल पढ़ेंगे, पूरब उधर आ जायेगा. आपने माननीय सभापति महोदय, बोलने का मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद .
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को(पुष्पराजगढ़) -- माननीय सभापति महोदय, वैसे तो कल भी हम लोगों ने अनुदान मांगों पर चर्चा की है. मैं कुछ एक योजना के बारे में कहना चाहता हूं, इस योजना का नाम मुख्यमंत्री दुधारू गाय प्रदाय कार्यक्रम है और इस योजना अंतर्गत सहरिया, भारिया और बैगा जनजातियों के लिये यह योजना बनाई गई है और इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह रहा है कि यह विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों के लिये आर्थिक और सामाजिक भी हो. थोड़ा पैसा उनका बढ़ेगा, दुधारू गाय उनको दिया जायेगा और उस दुधारू गाय से उस पशुधन से वह कुछ धनार्जन करेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति में वृद्धि होगी. वर्ष 2023-24 में प्रदेश के लिये 750 गायों का टारगेट रखा गया है. विभिन्न जहां ऐसे सहरिया भारिया जनजाति के लोग निवास कर रहे हैं उनको यह दिया जायेगा और प्रति हितग्राही 2 गाय देने का इसका उद्देश्य रहा है और इसमें 25 प्रतिशत सब्सिडी है, 25 प्रतिशत से घटाकर के उसको 10 प्रतिशत कर दिया गया, लेकिन यह योजना जिस जाति समुदाय के लिये बनाई गई, पिछले साल मेरे जिले में भी 25-25 गाय वैगा जनजाति के लोगों को दी गईं. हमने एक दो का टेस्ट भी किया कि 5 लीटर, 7 लीटर, 8 लीटर और उससे ऊपर वाली दुधारू गाय उनको दी गई हैं तो निश्चित ही उसका विक्रय कर उनकी आर्थिक स्थिति में वृद्धि हुई होगी, लेकिन हमने देखा कि वह गाय तो उनको मिली ही नहीं. नाम वैगा, सहरिया, भारियों के और दूध कोई अन्य खा रहा है, दूसरा व्यक्ति मोटा हो रहा है और हमारे प्रदेश की जो मोटी राशि है वह जिन लोगों तक यह योजना बनाई गई वह उन तक पहुंच ही नहीं रही है. मेरा सदन के माध्यम से यह मैं चाहता हूं कि आपका मन साफ है, आप उन समाज के लोगों को ऊंचा उठाना चाहते हैं लेकिन उन तक वह योजना पहुंचे तो वास्तव में उनका क्रियान्वयन तो हो और आपने वर्ष 2023-24 में जितने लोगों को आपने साढ़े सात सौ गायों की स्वीकृति प्रदान की वह गाय उन लोगों के लिये जिस उद्देश्य से हमने वितरण कीं, उनको मिली या नहीं मिलीं इसकी जांच आप करा लें और साढ़े सात सौ जो आपका यह टारगेट है बहुत कम है. सहरिया, भारिया हर जिले में हैं तो प्रत्येक जिले में कम से कम 10-50 लोगों को मिलें, लोग देखें और देखकर के उससे प्रभावित हों, अनुसरण भी करें की यह योजना अच्छी है और हमें उसमें जाग्रत होकर के आगे आना चाहिये. इसमें भैंस का भी है, 2-2 लाख रूपये की भैंस है, डेढ़-डेढ़ लाख रूपये की गाय हैं और इतनी महंगी गाय और भैंस जब हम व्यक्ति को दे रहे हैं तो उनकी निगरानी भी होना चाहिये, उसका निरीक्षण भी होना चाहिये, देखरेख भी होना चाहिये. वहीं के लोगों का ऐसे बाजार में बिकने वाली गाय भैंस उनके घरों में खड़े कर देते हैं टेग मार दिये और डेढ़ लाख चला गया, दो लाख चला गया, आपकी योजना पूर्ण हो गई. इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिये कि जो जिला अधिकारी जो पशु चिकित्सा अधिकारी जिले में वितरण करता है उसकी जिम्मेदारी हो कि यदि किसी प्रकार की गड़बड़ी होगी, उस व्यक्ति तक नहीं पहुंचेगी तो यह राशि आपसे वसूल की जायेगी, यह मैं चाहता हूं. माननीय सभापति जी, अभी माननीय बघेल जी कह रहे थे मां नर्मदा के तट की बात हम कर रहे थे, चूंकि अभी विश्व में जितनी भी नदियां हैं वह कहीं न कहीं प्रदूषित हैं, लेकिन मां नर्मदा का जल आज भी स्वच्छ है और चूंकि वह जंगल, पहाड़ों से चीरकर मां नर्मदा निकली हैं वह स्वच्छ हैं अमृत हैं और उसको स्वच्छ बनाए रखने के लिए हमारा कर्तव्य है, सरकार का कर्तव्य है जो भी सरकार में बैठे हैं कि कल भी हम इस बात को बोलें कि उसमें जो छोटी-छोटी नदियां मिल रही हैं उन नदियों को मिलने से रोक दें. जो नाले मिल रहे हैं उनको वहीं रोक दें. स्टाप डैम बना दें. आप चैक डैम बना दें ताकि डायरेक्ट नर्मदा जी में वह जल प्रवाहित न हो. रुककर जायेगा,छनकर जायेगा तो उसमें ज्यादा मिट्टी नहीं होगी नदी में. नर्मदा जितनी गहरी थी वह भी धीरे-धीरे पट रही है. पानी का स्तर नीचे जा रहा है. उस पर भी हमें ध्यान देना चाहिये. दूसरे मां नर्मदा की परिक्रमा जो लोग लगाते हैं. चार लाख,पांच लाख,दस लाख, पंद्रह करोड़ की जब बात हुई तो हमने भी एक कागज बढ़ा दिया था. माननीय मुख्यमंत्री जी को मैं धन्यवाद देना चाहूंगा कि मेरे यहां भी सामुदायिक भवन उस नर्मदा पथ में स्वीकृत हो गया. पंद्रह गांव ऐसे हैं वहां जो नर्मदा पथ में आते हैं उनमें भी सामुदायिक भवन का निर्माण कर दिया जाए. वहां सुंदर लाईट लगा दी जाए. एक हैंडपंप लगा दिया जाए. गांव के लोग भोजन की व्यवस्था स्वयं कर लेते हैं. वे हर गांव में ऐसा करते हैं लेकिन हमको व्यवस्था देनी है तो मैं चाहता हूं कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी. माननीय वित्त मंत्री जी इस पर ध्यान दें यह मैं उनसे अनुरोध करता हूं. धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद) - माननीय सभापति महोदय, वास्तव में यह जो बजट हमने मध्यप्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा बजट अभी हमने कुछ क्षण पहले पास किया. बजट पास हो चुका है लेकिन बजट के विजन के बारे में, बजट के माध्यम से मध्यप्रदेश की सरकार क्या नया करना चाहती है. क्या उसकी सोच है. कैसे हम नये तरीके से मध्यप्रदेश को एक नई दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं उसके लिये मैं कुछ बिन्दु आपके समक्ष रखना चाहता हूं. मैं वास्तव में अभिनंदन करता हूं कि यह बजट नई ऊर्जा,नई नीति,नई ताकत,नई दिशा वाला है ताकि प्रति व्यक्ति कैसे आमदनी बढ़ाई जाए. हम मध्यप्रदेश के उस आखिरी छोर के व्यक्ति की आमदनी बढ़ाने के बारे में इस बजट में कई नये प्रयोग किये गये. आज तक की आमदनी का मैं अगर हिसाब लेता हूं तो प्रदेश में प्रति व्यक्ति आमदनी बहुत कम थी अब कहीं न कहीं हम देश के औसत के बराबर अगले 2-3 सालों में पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. अभी मैं चर्चा में सुन रहा था कि हमारे विपक्ष के मित्र लोगों ने कल भी एक बात उठाई थी और आज भी किसी ने उठाई कि हम नर्मदा के पानी का पूरा उपयोग नहीं कर रहे हैं लेकिन कहीं गहराई से सोचना पड़ेगा कि नर्मदा के पानी का बंटवारा जब 1979 में हुआ तो 1979 से 2006 तक कौन सी सरकारों ने इस पर काम नहीं किया. किन लोगों ने मध्यप्रदेश के सब किसानों का अधिकार खाया और उनके ऊपर हमने क्या सामाजिक रूप से,राजनीतिक रूप से उनके बारे में कभी चर्चा की क्योंकि आज यह पह रहे हैं कि 70 या 80 प्रतिशत पानी उसका 2006 के बाद से उपयोग में ले लिया उसकी तारीफ करने के बजाय कि जो कर लिया उस अचीवमेंट की चर्चा करने के बजाय केवल विलाप करेंगे. केवल रोना रोएंगे कि जब आपने 20-22 साल कुछ नहीं किया तो इसका जिम्मेदार कौन है ? यह जिम्मेदारी मैं माननीय वित्त मंत्री जी और इस सदन से चर्चा करने के लिये चाहूंगा कि केवल एक इस विषय पर कि वास्तव में नर्मदा के पानी का हम समय पर उपयोग नहीं कर पाए. उन किसानों का, जिन परिवारों का 25 साल जीवन बर्बाद हुआ उसके लिये कौन जिम्मेदार है और यह जिम्मेदारी इस सदन में बैठकर एक घंटा चर्चा करके तय करना चाहिये.
श्री भंवर सिंह शेखावत - 25 साल से आप लोग ही विराजमान हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - 2006 से इस पर काम हो रहा है. आप वरिष्ठ सदस्य हैं. मैंने कहा कि 1989 में नर्मदा के पानी का बंटवारा हुआ है. वर्ष 1979 से 2006 तक का मैंने हिसाब मांगा है. मैं विषय पर ज्यादा लंबा नहीं बोलूंगा. मैं इतना ही आग्रह करना चाहता हूँ कि इस विषय पर एक गोष्ठी, एक विशेष डिस्कशन इस सदन में रखना चाहिए और पूरे प्रदेश की जनता को, पूरे प्रदेश के एक-एक किसान को यह जानने का हक होना चाहिए कि उनके हक पर किसने काम किया.
अध्यक्ष महोदय, मैं इसके बाद टेक्नॉलॉजी की बात करना चाहूंगा. मैं अपना समय बर्बाद न करते हुए क्योंकि सीमित दिया गया है और सभापति महोदय जैसे ही बोलेंगे, मैं बैठ जाऊँगा. मैं एक मिनट भी फालतू नहीं बोलता हूँ. मैं एक बार भी उनकी बात टालता नहीं हूँ. मैं थोड़ी सी बात कर रहा हूँ कि टेक्नॉलॉजी के माध्यम से कैसे मध्यप्रदेश की डॉयरेक्शन को बदली जाए. उसके बारे में बात कर रहा हूँ तो हम चाहे स्कूल शिक्षा की बात करें, चाहे हम उच्च शिक्षा की बात करें, वहां पर टेक्नॉलॉजी का उपयोग करके हम पूरा स्वरूप बदल रहे हैं. शिक्षा का स्वरूप केवल यह कह देने भर से नहीं होगा, केवल भारत में ही नहीं, दुनिया के कई देशों में अच्छे-अच्छे शिक्षकों की कमी है. कहीं न कहीं हमें कम्बाइन प्रयोग करने पड़ेंगे, शिक्षा के क्षेत्र में भी टेक्नॉलॉजी के साथ टीचर को मिलाकर, टीचर और बच्चे, उन दोनों का बेस्ट समन्वय करके करना पड़ेगा. पहली बार मध्यप्रदेश की सरकार ने उस पर बहुत तेजी से काम शुरू किया. हम उसके बारे में चर्चा करें. हम बात करें कि एआई, एनिमेशन, पाइथन लैंग्वेज के माध्यम से कैसे उन बच्चों को आगे बढ़ाएं, कैसे उन बच्चों को हम इन्टरनेशनल स्टडी के लिए भेजें. कहां-कहां, कौन-कौन से देश में बिना अतिरिक्त पैसा खर्च किए बच्चे को हम हायर एजुकेशन के लिए भेजकर दुनिया से अपने आपको अपडेट कर सकें. यह पूरा बजट इन सब बिंदुओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जिसको अभी हम सबने मिलकर पास किया है. इसलिए मैं सदन के सभी सदस्यों को बधाई देते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं अगर बात कर रहा हूँ कि 268 आईटीआई पहले थी, अभी 22 नई खोलने के माध्यम से 5280 बच्चों को हर साल हम अतिरिक्त शिक्षा देकर ट्रेंड करेंगे क्योंकि हर वर्ग के लिए, हर जॉब के लिए अलग-अलग टाइप के मैनपॉवर के ट्रेनिंग की जरूरत होती है. हमने उसके लिए भी प्रावधान करके उस प्रावधान के माध्यम से आज मैं अभी बात करूँ तो वे कौन-कौन से ट्रेड हैं, जिन ट्रेड में अलग-अलग 100 प्रतिशत प्लेसमेंट की गुंजाइश है. मुझे यह बताते हुए बड़ी खुशी है कि जब 4 साल पहले एक बार पूरा 10वीं से 12वीं के बाद का चार्ट मैंने बैठकर बनवाया तो 148 टाइप के कोर्सेस का डिविजन है. उसमें कम से कम 100 ऐसे कोर्सेस हैं, जिन कोर्सेस में 100 प्रतिशत प्लेसमेंट होती है. उस कोर्स से पास किया हुआ बच्चा एक भी बेरोजगार एक महीने भी नहीं घूमता. कहीं न कहीं हमें थोड़ा सा और प्रिसाइज होकर बात करनी पड़ेगी. हम केवल इस सदन में बैठने के लिए नहीं आए हैं और इसलिए नहीं बैठे हैं कि एक दूसरे की कमियां निकालते जाएं. एक दूसरे की खिंचाई करते जाएं. हम यहां बैठकर इसलिए अपना समय देने आते हैं कि हम कैसे एक-दूसरे का सहयोग करते हुए प्रदेश की आने वाली पीढ़ी को आगे बढ़ाने की दिशा तय कर पाएं. उनको आगे बढ़ाने का काम करें.
अध्यक्ष महोदय, मैं बात कर रहा था कि किसने इसके पहले सोचा कि पेयजल कितना जरूरी विषय है. पेयजल की बात हम कहां से कहां लेकर गए. पहली बार देश के प्रधानमंत्री और हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने मिलकर इस प्रयास पर काम शुरू किया. कमियां होंगी, कमियां रहेंगी, जो भी काम करेगा, जो भी डिसिजन लेगा, 100 में से 2 डिसिजन गलत भी होंगे. लेकिन जो अच्छे निर्णय हुए, उसके बारे में भी हमें चर्चा करनी पड़ेगी. उसके बारे में भी सोचना पड़ेगा. शुद्ध पानी देने का मतलब यह है कि उसका स्वास्थ्य ठीक रहेगा. स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो वह देश की इकॉनॉमी में कुछ कंट्रिब्यूट करेगा. इकॉनॉमी में कंट्रिब्यूशन बढ़ाने के लिए हम हमारे ह्यूमन रिर्सोसेस से कैसे बेस्ट आऊटपुट निकालें, उसके लिए हम यहां पर पॉलिसी बनाने के लिए एकत्रित हुए हैं. पैसा तो बजट का एक हिस्सा है. बजट में पैसा ही सब कुछ नहीं है. पुराने एक किसी संत ने कहा कि पैसे के बिना तो आप तन नहीं ढंक सकते, लेकिन पैसा ही सब कुछ नहीं है. पैसा एक हिस्सा है. इसी हिसाब से मैं यह बात कर रहा हूँ. मैं बड़ी गंभीरता से कह रहा हूँ कि हमने पेयजल के माध्यम से, स्वस्थ जीवन और मिलेट मिशन की बात की. एक ऐसा समय आया कि जब देश में अन्न की समस्या आई, ऐसा अन्न आया कि जिसके माध्यम से कई नई बीमारियां हमारे देश में फैल गईं. जैसे बीपी, शुगर हुआ, यह कौन सा अन्न है ? कब कैसे यूज करना है ? उसकी हमने चर्चा नहीं की. देश के प्रधानमंत्री जी ने मिलेट मिशन की बात की, तब हम वापस अपनी पुरानी परम्पराओं पर आए, पुराने विजन पर आए. उस विजन के माध्यम से जब हमने मिलेट मिशन पर काम शुरू किया तो हमें एक बहुत बड़ा फायदा होगा. हमारी सोच में, हमारे स्वस्थ जीवन में काफी बड़ा अन्तर आएगा और यह सब केवल बात करने के लिए ही नहीं किया.
माननीय सभापति महोदय, हमारी उद्यानिकी के सूक्ष्म खाद्य उद्यम के लिए विशेष अनुदान की भी बात की है. सामान्य इन्डस्ट्रीज़ के लिए जितना अनुदान मिलता है, उससे डेढ़ गुना विशेष मिशन के लिए, विशेष खाद्य के लिए, अगर हम इनके लिए उद्योग लगाएंगे क्योंकि हमें रोजगार भी बढ़ाना है. इस मिशन के लिए, हमने आज इस बजट को पास किया है. मैं ऐसे कई विषयों पर बात कर सकता हूँ. मैं अगर बात करूँ कि मैं जिस मिशन की बात कर रहा था.
सभापति महोदय - आप एक मिनट में समाप्त करें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - माननीय सभापति महोदय, मैंने 2 छोटे आईटीआई की मांग रखी है, मुझे विश्वास है कि मंत्री जी उस पर डिसिजन लेंगे, सिंगरौली में एक आईटीआई और देंगे. ऐसे ही आदिवासी मिशन पर हम बहुत तेजी से काम कर रहे हैं. मेरे यहां एक आदिवासी बेल्ट है, मैंने पिछली बार भी मांग की थी, आज मैं पुन: आग्रह करना चाहता हूँ कि बात सदन के रिकॉर्ड पर आ जाये कि तीन-चार आदिवासी गांवों में अभी तक किसान के यहां 24 घण्टे वाली बिजली नहीं पहुँची है, उसे पहुँचाने के लिए हमने 2 करोड़ रुपये का बजट मांगा था, उसे प्राथमिकता पर दिया जायेगा. वह हमारे पोजापल्लई क्षेत्र का मामला है, मैं ऐसे ही, एक और विषय पर बात करना चाह रहा था कि हम बच्चों को छात्रवृत्ति देकर विदेशों में पढ़ाई के लिए भी भेज रहे हैं. क्योंकि हम पूरे मध्यप्रदेश का विजन बनाना चाहते हैं, उसको ध्यान में रखते हुए, मैंने अपनी कुछ बातें इस सदन में आप सबके सामने रखीं, मुझे पूरा विश्वास है कि सकारात्मक सोच के साथ इस पैसे का बेहतर से बेहतर उपयोग करते हुए हम सब मिलकर इस मध्यप्रदेश को तेजी से आगे बढ़ाकर देश में सबसे ऊपर ले जाने के प्रयास में योगदान देंगे. इसी विश्वास के साथ, मैं अपनी वाणी को विराम देता है. सभापति महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. आपने जितना समय दिया, मैंने 8-10 सेकेण्ड ज्यादा ले लिये, उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.
सभापति महोदय - जितने माननीय सदस्य बोल रहे हैं, आपका स्कोर सबसे ज्यादा है.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) - माननीय सभापति महोदय, बजट के संबंध में चर्चा हो रही है और मेरा जिला हरदा है और छोटा जिला है. लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि बजट में ध्यान नहीं दिया जाता है, क्योंकि हरदा जिले में अगर हम औद्योगिक क्षेत्र की बात करें तो कोई औद्योगिक क्षेत्र ढंग का नहीं है. एक छोटा सा औद्योगिक क्षेत्र बनाया हुआ है, कोई इंडस्ट्रीज नहीं है, इंडस्ट्रीज लगाने के लिए जगह है, एरिया है. हमारे यहां बहुत अच्छी फसल होती है, फूड इंडस्ट्रीज बहुत अच्छी लग सकती है, पर शासन का उस तरफ ध्यान नहीं है.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से शासन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि वहां औद्योगिक क्षेत्र डेवलप करें, जिससे वहां के लोगों को रोजगार भी मिलेगा और वहीं जो फसल पैदा होती है, जैसे अच्छा गेहूँ पैदा होता है, अच्छी मूँग पैदा होती है, अच्छा चना पैदा होता है, अच्छा सोयाबीन पैदा होता है. इससे संबंधित उद्योग लगेंगे तो निश्चित ही गांव के लोगों को फायदा होगा और हमें विदेशों में भी एक्सपोर्ट करने का मौका मिलेगा. इसलिए मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूँ कि जैसे गृह विभाग की बात हुई. अगर हम पुलिस डिपार्टमेंट को मानें तो जब कमलनाथ जी की सरकार थी, उन्होंने सप्ताह में छुट्टी देने की बात भी की थी. उनको बीच-बीच में छुट्टी देने की सुविधा दी थी. अभी आप देखें कि 367 करोड़ रुपये मकानों के लिए रखे गए हैं और 7500 भर्ती की बात की जा रही है. यदि आप 7500 लोगों को भर्ती कर लेंगे और 367 करोड़ रुपये में मुश्किल से 1 हजार मकान तैयार हो पायेंगे, आप ऐसे में कैसे उन्हें सुविधा दे पायेंगे. पुलिस विभाग हमारा मुख्य विभाग है. पूरी कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी उनके ऊपर रहती है इसलिए उनके लिए रहने की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. नहीं तो उस विभाग को भ्रष्ट मानकर शासन और सरकार भी कोई काम उनके लिए नहीं करती है.
सभापति महोदय, मेरा अनुरोध है कि उनके लिए रहने की सुविधा हो, छुट्टी हो, ट्रेनिंग हो, जिससे वे काम कर सकें और मानसिक पीड़ा से बच सकें. क्योंकि ऐसे में गलत कार्य भी हो जाते हैं, कुछ घटनायें भी सामने आती हैं कि गलत लोगों को मारना-पीटना ऐसी घटनायें इसलिए होती है क्योंकि हमारी पुलिस पर अतिरिक्त कार्य का बोझ होता है.
सभापति महोदय, मैं, नर्मदा घाटी विकास विभाग पर चर्चा करना चाहता हूं. हमारे यहां तवा और पुनासा डैम है. इसमें डूब के लोग भी हैं लेकिन उन्हें सुविधायें नहीं मिली हैं. मेरे हरदा जिले में 29 गांव डूबे थे. खंडवा जिले के लोग पुनासा डैम में डूब में आये थे, वे विस्थापित हुए.
सभापति महोदय- माननीय चेतन्य काश्यप जी, आप कृपया मंत्री जी के साथ बैठकर चर्चा करें, आपकी पीठ भी आसंदी की ओर है.
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री (श्री चेतन्य कुमार काश्यप)- सभापति महोदय, मैं, क्षमाप्रार्थी हूं.
(मंत्री जी द्वारा सदन में अन्य मंत्री महोदय के साथ सदन में आसंदी की ओर पीठ करके चर्चा करने पर )
डॉ. रामकिशोर दोगने- सभापति महोदय, मेरा कहना है कि हमारे डूब प्रभावित लोगों को सुविधायें मिलें. उन्हें आज तक पट्टे नहीं मिले हैं, उन्हें पट्टे दे दिए जायें, जिससे वे ठीक तरह से विस्थापित हो सकें और अपना कार्य कर सकें. लोकल प्रशासन उन्हें बार-बार इधर से उधर कर देता है. कभी उनका मकान तोड़ दिया जाता है, कभी किसी योजना के नाम पर उनकी जमीन छिन ली जाती है.
सभापति महोदय, स्वास्थ्य विभाग के तहत सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने की बात हो रही है. हमारे हरदा जिले में भी यदि मेडिकल कॉलेज खोला जायेगा तो लोगों को सुविधा मिलेगी. अभी वहां 250 बिस्तरों का अस्पताल है, वह 300 बिस्तरों का हो जायेगा तो अच्छा रहेगा.
सभापति महोदय, इसके साथ ही कृषि महाविद्यालय की बात कई बार हो चुकी है. कृषि महाविद्यालय खोलने की घोषण तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने की थी और वहां से पूर्व कृषि मंत्री भी थे, उन्होंने भी कई घोषणायें की थी लेकिन वे घोषणावीर थे, उन्होंने वहां कोई काम नहीं किया और आज तक वहां विकास नहीं हुआ है. इसलिए मेरा निवेदन है कि वहां कृषि महाविद्यालय खुले, लोगों को, बच्चों को सुविधा मिले, जिससे अच्छी खेती होगी. वर्तमान में हरदा जिला पंजाब की तरह है, उसे मिनी पंजाब भी कहा जाता है. इसलिए खेती के संबंध में वहां काम होगा तो अच्छा होगा.
सभापति महोदय, हमारे यहां एक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ था. पूरे देश में इसकी चर्चा थी. वहां फटाका फैक्ट्री की स्थिति बहुत भयावह थी. फैक्ट्री को मात्र 15 किलो बारूद रखने की अनुमति थी, जिससे 200 किलो फटाका बन सकता है. परंतु अभी 42 हजार किलो फटाकों की वहां जब्ती की गई हैख् जिसे नष्ट किया गया. उस फटाका फैक्ट्री विस्फोट के कारण, वहां कई लोग विस्थापित हुए हैं, उस विस्फोट के कारण आस-पास के 40-50 लोगों के घर टूट गए, मकान पूरे बर्बाद हो गए, कई लोग घायल हैं, जिनमें किसी का हाथ नहीं है, किसी का पैर नहीं है लेकिन उनको अभी तक पूरा मुआवज़ा नहीं मिला है. उन्हें NGT के नाम पर केवल सवा लाख रुपया मकान का मुआवज़ा दिया गया है. इलाज के नाम पर मुश्किल से 15-20 हजार रुपये दिए गए हैं. जबकि उनका लगभग 5-5 लाख रुपया इलाज पर खर्च हो चुका है. न शासन सुन रहा है, न सरकार सुन रही है. सभापति महोदय, मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि उन्हें केवल गुमराह किया जा रहा है कि एन.जी.टी. के आदेश के माध्यम से एन.जी.टी ने तत्काल आदेश किया था कि इनको सम्पत्ति बेंचकर यह दिया जाए. सम्पत्ति बेंचने का काम भी शुरू हुआ था परंतु उसके बाद जिसकी सम्पत्ति थी फेक्ट्री मालिक ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया परंतु वह भी रुक गया और उसके मिलने के लालच में वह परेशान हैं और आज रेस्क्यू कैंप में वह स्कूलों में और आईटीआई में रह रहे हैं इसलिए सरकार से निवेदन है कि उनकी प्रॉपर व्यवस्था की जाए. सरकार से यह भी निवेदन है कि वह उनको अपने पास से मुआवजा दे दे और संपत्ति बेंचकर जो पैसा आएगा वह सरकार अपने पास में संवीलियन कर ले जिससे उनको सुविधा मिल जाए वह सभी अपना घर बसा लें और अपने घर में रह सकें. आज उनके बच्चों के पढ़ने की समस्या है. उनको स्वास्थ्य की समस्या है. उनको रोज इलाज कराने के लिए हर आठ दिन में चेक कराने के लिए भोपाल आना पड़ता है तो उनको सुविधा नहीं मिलती है.
सभापति महोदय, आपके माध्यम से सरकार से निवेदन है कि उनके साथ न्याय करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा. मानवीयता की बात होती है परंतु वहां भी मानवीयता दिखायें क्योंकि वह विस्फोट की सबसे बड़ी घटना थी और उसमें सुविधा नहीं मिल रही है यह हमारे प्रदेश के लिए दुर्भाग्य है. मैं आपके माध्यम से यह बात रखना चाह रहा था आपने मुझे बोलने का मौका दिया इसके लिए धन्यवाद.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव)-- माननीय सभापति महोदय, मैं आज आपके माध्यम से यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश सरकार का यह जो बजट है जिस तरह से माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने वर्ष 2047 में इस भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की कल्पना रखी है. इसमें हर राज्य का बराबर का योगदान होना चाहिए. मध्यप्रदेश देश का हृदय है. इसलिए मध्यप्रदेश के इस बजट से वर्ष 2047 के उस लक्ष्य को प्राप्त करने में और विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में भारत देश को मदद मिलेगी ही मिलेगी. मैं इस बजट को इसलिए अच्छा मानता हूं, सवोत्तम मानता हूं क्योंकि इस बजट में उन सभी लोगों का ध्यान रखा गया है जो सरकार के भरोसे जीते हैं, जिनकी अपेक्षायें सरकार से अत्याधिक होती हैं. सरकार वही जिसके कारण लोगों के मन को सुख मिले, शांति मिले, चेहरे पर उसकी योजनाओं के कारण मुस्कुराहट आए. नि:संदेह डाक्टर मोहन यादव जी की सरकार में माननीय वित्त मंत्री महोदय ने जो बजट प्रस्तुत किया है वह जनआकांक्षाओं पर न सिर्फ पूरी तरह खरा उतरेगा बल्कि इस बजट में उन नये कामों को भी प्रारंभ करने का प्रयास किया है जिसकी आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी. स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए चाहे पीएमश्री एयर एम्बूलेंस सेवा चालू करने का काम हो या फिर जिस तरह से अभी गौ-प्रतिशेध अधिनियम पर चर्चा हो रही थी कि गौ-वंश और पशुओं को सड़कों पर लावारिस अवस्था में पड़ा हुआ देखते हैं. 1962 जैसी एम्बूलेंस जिससे पशुओं का इलाज अब खेत पर ही संभव हो सका है यह भी इस सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है. सदन में बहुत सारे प्रश्नों की चर्चा के दौरान कई विपक्षी सदस्य यह बात उठाते हैं कि बिजली नहीं मिल रही है, लेकिन आज हम बिजली में सरप्लस पर पहुंच चुके हैं.
सभापति महोदय, प्रधान मंत्री सूर्य किरण मुफ्त्ा बिजली योजना के माध्यम से सौर ऊर्जा पैनल मध्यप्रदेश के अधिकांश जगहों पर इस समय लग रहे हैं. तीन किलो वॉट से लेकर पांच किलो वॉट तक की ईकाइयां जिसमें 50 प्रतिशत सब्सिडी है जो बाद में उस उपभोक्ता को रिफंड होगी और इसमें उपभोक्ता अपनी बिजली विद्युत कंपनी को बेच भी सकता है. यह बहुत अच्छा प्रयास केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के माध्यम से हमारे प्रदेश में भी होने जा रहा है. सिंचाई क्षमता के कारण नि:संदेह किसानों के जीवन में उजाला आया है. किसान को यदि खेती पर फसल उत्पादन के लिए पर्याप्त बिजली मिल जाए, खाद मिल जाए तो उसे लगता है कि सिंचाई सुविधाओं के माध्यम से वह अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकेगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में इस समय दो सिंचाई परियोजनाओं पर काम चल रहा है. लगभग 70 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी और मध्यप्रदेश के कई सारे कोनों में चाहे चंबल पार्वती, कालीसिंध इन नदियों पर जो परियोजनाएं नदी से नदी को जोड़ने की चल रही हैं इससे निश्चित ही आने वाली पीडि़यां खेती को आसानी से कर सकेंगी. यह सरकार का दूरदर्शी प्रयास है. मध्यप्रदेश में सड़कें बहुत अच्छी बन रही हैं. हाईवे का बहुत अच्छा विकास हुआ है और आज के समय में नर्मदा प्रगति पथ विंध्य एक्सप्रेस-वे, मालवा, निमाड़ विकास पथ, बुंदेलखण्ड विकास पथ इसके माध्यम से लगभग 3300 किलोमीटर सड़कें मध्यप्रदेश में नई बनायी जाने वाली हैं. प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत भी जो गांव कम आबादी के होने के कारण पक्की सड़क से छूटे हैं आने वाले वर्ष में एक हजार किलोमीटर सड़क उन गांवों में भी बनेगी. जो लोग जल जीवन मिशन पर उंगलियां उठा रहे हैं. वह अपने गांव में बरसों तक महिलाओं को पनघट पर, हैण्डपम्प पर पानी भरते हुए देख चुके होंगे, लेकिन जब पनघट पर महिलाओं के साथ भेदभाव और पक्षपात की खबरें आती थीं किसी का एक स्त्रोत किसी एक समाज के नाम होता था, लेकिन आज गावं की एक टंकी उन सभी घरों तक पीने का पानी नलों के माध्यम से पहुंचा रही है. यही मोदी जी और भारतीय जनता पार्टी का नया भारत और नया मध्यप्रदेश है. मैं ऐसा मानता हूँ कि नर्मदा जी के जल पर मध्यप्रदेश के हिस्से का जो पानी है 18.25 एमएएफ वर्ष 2024 तक इसका उपयोग सुनिश्चित करने के लिए और कई सारी सिंचाई परियोजनाएं विभागों के माध्यम से ली जा रही हैं. आदिवासियों के लिए जिन सरकारों को लंबे समय तक इस समाज में मौका दिया. अलीराजपुर, झाबुआ, धार, बड़वानी इनमें सर्वाधिक सिंचाई परियोजनाएं अगर किसी सरकार ने दी हैं तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दी हैं. आज आदिवासियों के घरों तक शासकीय उचित मूल्य का राशन वाहनों से पहुंच रहा है. पेसा एक्ट हमारी सरकार ने लागू किया है इस पेसा एक्ट के कारण आदिवासियों को अपने गांव के विकास के अधिकार दिए गए हैं. साथ ही साथ मैं, आयुष्मान भारत के ऊपर भी बात कहना चाहता हूँ. कई विपक्षी सदस्य कह रहे थे कि आयुष्मान से इलाज नहीं मिल रहा है. आप इंदौर, भोपाल और ग्वालियर के अस्पतालों में जाकर देखिए. प्रतिदिन सैंकड़ों मरीजों का इलाज आयुष्मान कार्ड योजना के अन्तर्गत हो रहा है. आज का समाचार पत्र आप पढ़ेंगे तो मध्यप्रदेश की सरकार ने निर्देश दिया है कि भोपाल के अस्पतालों में कुछ विशेष तरह की सर्जरी भी अब आयुष्मान कार्ड योजना के अन्तर्गत हो सकेगी. मेरे विधान सभा क्षेत्र में कैंसर के मरीजों का चार-चार, साढ़े चार-चार लाख रुपए तक का इलाज इस आयुष्मान कार्ड योजना से हुआ है. विपत्ति में पड़े हुए मनुष्य का जब कोई साथ नहीं देता है और सरकार आकर उसका हाथ पकड़ती है, सरकार उसके सिर पर हाथ रखती है तो लगता है कि किसी गरीब की सरकार किसी प्रदेश में, किसी तंत्र में काम कर रही है. लाड़ली बहना और लाड़ली लक्ष्मी योजना, अगर यह योजनाएं नहीं होतीं तो आज नारी के प्रति सम्मान का जो भाव समाज में जागृत हुआ है मेरे ख्याल से वह नहीं होता. आज मध्यप्रदेश में लिंगानुपात पहले से बेहतर हुआ है. एक हजार लड़कों पर आज 956 लड़कियां मध्यप्रदेश में हैं. 48 लाख से अधिक लाड़ली लक्ष्मियां जब यह 21 वर्ष की होंगी. आज यह पांचवी से छठवीं कक्षा में जाती हैं तो 2 हजार रुपए सरकार इनको देती है. आठवीं से नवीं में जाती हैं तो 2 हजार रुपए सरकार देती है. जब कॉलेज की पढ़ाई करने जाती हैं तब 6 हजार रुपए सरकार इनके खाते में देती है. मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि पहले कि किन सरकारों ने बेटियों की पढ़ाई के लिए इतना पैसा दिया है. आकांक्षा योजना के अन्तर्गत हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के बेटा-बेटी जेईई, नीट, क्लेट जैसी परीक्षाओं की दिल्ली जैसे महानगरों में जाकर तैयारियां कर रहे हैं, कोचिंग कर रहे हैं. सरकार ने उनके लिए बजट में 10 करोड़ रुपए से अधिक का प्रावधान किया है. यह समाज का कमजोर वंचित वर्ग जिनके माता पिता उनको कभी कॉलेज की पढ़ाई के लिए नहीं भेज पाते थे. आज उनकी कोचिंग का पैसा सरकार भर रही है. यह वास्तव में एक बहुत बड़ी पहल है. इसके कारण समाज में परिवर्तन का कारक यह सरकार बन रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना, हमने मध्यप्रदेश में 44 लाख से अधिक प्रधानमंत्री आवास बनाए और अभी भी जब सब जनप्रतिनिधि गांव में जाते हैं तो लोग पूछते हैं कि आवास प्लस की सूची पर काम कब होगा. जब 15 अगस्त के बाद मध्यप्रदेश में पुन: नए प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत होंगे और नए प्रधानमंत्री आवासों का लोकार्पण करने के लिए हम सब जनप्रतिनिधि जाएंगे तो हम सबको अच्छा लगेगा. एक समय में कांग्रेस की सरकार ने मध्यप्रदेश के हिस्से के प्रधानमंत्री आवास बजट का हवाला देकर बनाने से मना कर दिया था. लेकिन हमारी डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने 4 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान इस प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए किया है. मैं सरकार को धन्यवाद देता हूँ. साथ ही साथ गांव में किसान अपने खेत पर पेस्टीसाइड का छिड़काव करता है उसके लिए नई ड्रोन तकनीक भी हमारे वैज्ञानिकों ने विकसित की है जिसके कारण एक व्यक्ति ही दूर से आपरेट करके हजारों एकड़ फसल में कीटनाशकों का छिड़काव कर सकता है जिससे जनहानि होने की संभावना भी कम से कम होती है. मध्यप्रदेश के लगभग 90 स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को ड्रोन दीदी के रुप में प्रशिक्षण देने का काम केन्द्र सरकार की योजना के अन्तर्गत मध्यप्रदेश सरकार कर रही है. यह भी एक नया प्रयोग है. इसमें महिलाएं खेतों में आपको कीटनाशकों का छिड़काव मशीन से आपरेट करते हुए दिखाई देंगी.
सभापति महोदय, राम वनगमन पथ और कृष्ण पाथेय योजना. राम और कृष्ण किसी एक समाज और किसी एक धर्म के नहीं हो सकते हैं. यह इस भारत की आत्मा है. राम जहां पर जन्मे, कृष्ण जहां पर जन्मे. सांदिपनी विश्वविद्यालय जहां उज्जैन में उन्होंने सुदामा के साथ शिक्षा ली, चने खाए, जंगल में लकड़ी लेने के लिए गए. कृष्ण जी की शिक्षा और राम जी के वनगमन पथ की पूरी विस्तार से जानकारी से हमारी आने वाली पीढ़ियों को इससे शिक्षा मिलेगी. अंत में एक बात कहकर अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ. संबल योजना सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना है. गरीब परिवारों में मृत्यु होने पर जब परिवार के सदस्य भी मुंह मोड़ लेते हैं. ऐसे समय में सरकार साथ खड़ी होती है और उस समय इस परिवार के मन में केवल एक ही भावना आती है--
न जाने कौन होते हैं, जो बाजू थाम लेते हैं.
मुसीबत में सहारा कोई भी अपना नहीं होता.
मुसीबत में जब अपने भी सहारा छोड़ देते हैं तब गांव का सरपंच आकर कहता है कि चिंता मत कर 2 से 4 लाख की राशि तेरे परिवार के खाते में आयेगी. यही भाजपा सरकार की संवेदनशीलता है जो उ से अन्य राजनीतिक दलों से अलग करती है. गरीब के लिए बात करना अलग बात है लेकिन गरीब के लिए कोई पार्टी माद्दा रखती है तो भाजपा ही रखती है. मैं इस बजट के लिए माननीय वित्त मंत्री जी को अपनी ओर से धन्यवाद देता हूं.
डॉ हीरालाल अलावा ( मनावर )—आदरणीय सभापति महोदय आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, सभापति महोदय मैं आपसे संरक्षण भी चाहता हूं. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि बड़ मुश्किल से चुनकर हम गरीब मजदूर किसान हमारे गरीब आदिवासी भाईयों की आवाज उठाने के लिए यहां पर आते हैं. मुझे पूरा भरोसा है कि आप मुझे अपनी बात पूरी करने में सहयोग और संरक्षण देंगे.
सभापति महोदय एक तरफ हमारी सरकार एससीएसटी वर्ग को मुख्य धारा में लाने के लिए करोड़ों रूपये के बजट का प्रावधान कर रही है दूसरी तरफ जब एससीएसटी वर्ग के पढे लिखे बुद्धिजीवी, विद्वान मुख्य धारा में आने की कोशिश करते हैं तो उनको रोकने की भी पूरी कोशिश करती है. मध्यप्रदेश के जो मेडीकल कालेज हैं और उच्च शिक्षा विभाग के जो कालेज हैं. यहां पर जो असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के भर्ती के लिए जो वेकेन्सी निकल रही है. यहां पर जो योग्य एससीएसटी और ओवीसी के उ म्मीदवार हैं इनको योग्यता होते हुए भी रोका जाता है. मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि इंदौर में जो महात्मा गांधी मेडीकल कालेज है वहां पर फिजियोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर वेश्ती रंधा जिसके पास में नेश्नल मेडीकल काउंसिल का योग्यता के लिए प्रमाण पत्र था. उसके बाद में भी एचओडी पद के लिए 28-6-2023 को साक्षात्कार हुआ. साक्षात्कार में जो टीम होती है कमिश्नर होता है डीन होता है और भी सदस्य होते हैं तो योग्यता होने के बाद में भी, जो योग्य नहीं थे जिनके पास में नेश्नल मेडीकल कमीशन का प्रमाण पत्र नहीं था. उन लोगों को एचओडी पद के लिए स्वीकार किया है जबकि डाक्टर वेश्ती रंधा ने 4 साल एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दी हैं एक साल प्रभारी एचओडी के रूप में सेवाएं दी लेकिन उनको साक्षात्कार मेंचयन करने की बजाय डॉक्टर अमरजीत और डॉक्टर अजय भट्ट छाबड़ा जो प्राध्यापक पद की पात्रता शर्तों की सभी आवश्यक योग्यताओं तथा अहर्ताओं को पूर्ण नहीं करते थे उसके बाद में भी उनका चयन किया गया है.
सभापति महोदय ऐसा ही एक मामला शिवपुरी मेडीकल कालेज में डॉक्टर शिखा जैन जो असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए सीनियर रेसीडेंसी का एक साल का पूर्ण होना जरूरी होता है एसोसिएट प्रोफेसर के लिए चार साल का एसोसिएट के रूप में होना जरूरी है लेकिन फिर भी शिखा जैन को नेश्लन मेडीकल कमीशन के क्राइटेरिया को पूर्ण किये बिना उसको असिस्टेंट प्रोफेसर भी बनाया और प्रोन्नति देकर एसोसिएट प्रोफेसर भी बना दिया जबकि योग्य डॉक्टर शैली सेंगर को अयोग्य घोषित कर दिया गया.
सभापति महोदय यह केवल मेडीकल कालेजों मे ही नहीं उच्च शिक्षा विभाग में भी हमारे एससीएसटी और ओवीसी के प्रोफेसरों के साथ में हो रहा है. 2004 और 2005 में बैक लाग के पद निकले थे. यह बैक लाग के वही पद थे जो संविधान में एससीएसटी वर्ग को संख्या के आ धार पर अनुपात में उनको दिये गये थे. उनको उनकी योग्यता के आ धार पर भरा जाना था. इनको आज दिनांक तक 20 से 24 साल हो गये हैं सेवा करते हुए. इनको प्रोन्नति नहीं दी है आज भी यह असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर अपनी सेवाएं दे रहेहैं. न तो सरकार इनको उचित वेतनमान दे रही है. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि एससीएसटी और ओवीसी वर्ग के हितैषी होने की बात सरकार करती है. लेकिन जब इनको अ धिकार देने की बात आती है, प्रमोशन में आरक्षण देने की बात आती है तो यह कोर्ट के ऊपर ठीकरा फोड़ देते हैं. मैं आपके माध्यम से मांग करता हूं कि हमारे एससीएसटी औबीसी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण तो मिलना चाहिए लेकिन समय समय पर उनके वेतनमान में वृद्धि होती है वह भी समय समय के साथ में होना चाहिए.
सभापति महोदय नर्मदा नदी के किनारे हमारा विधान सभा क्षेत्र है सरदार सरोवर डेम से सबसे ज्यादा पीड़ित मनावर, कुक्षी और धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र हैं. सभापति महोदय, 16 सितम्बर 2023 को भारी बारिश के चलते, ऊपर से डेम का पानी अचानक खोला गया और उस डेम का पानी खोलने के बाद क्षेत्रवासियों को न तो कोई सूचना नहीं दी गई और न ही सरदार सरोवर बांध के खोले गए, जिसके कारण मनावर विधानसभा क्षेत्र सहित नर्मदा किनारे बसे लगभग 150 गांव डूबे और इन गांवों में रहने वाले 15 हजार 946 परिवार जिन्हें डूब प्रभावित मानकर मुआवजा राशि दी गई थी लेकिन वर्ष 2008 में इन्हें डूब क्षेत्र से बाहर करके पुनर्वास लाभों से वंचित रखा गया. सरकार को इन परिवारों को 5 लाख 80 हजार अनुदान राशि देने के लिए कार्यवाही की गई लेकिन आज दिनांक तक इन पीडि़त परिवारों को अनुदान राशि नहीं दी गई है. मैं आपके माध्यम से मांग करता हूं कि इन पीडि़तों को 5 लाख 80 हजार का मुआवजा दे. साथ ही जिन किसानों की 25 प्रतिशत से अधिक भूमि डूबी है, 8 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार ऐसे पात्र विस्थापितों को दो हेक्टेयर जमीन के बदले 60 लाख रूपए देने के आदेश हैं. ऐसे विस्थापितों को शिकायत निवारण प्राधिकरण का आदेश होने के बावजूद भी आज तक 60 लाख रूपया नहीं दिया गया साथ ही जो विधवा महिला खातेदारों को, व्यस्क पुत्र और पुत्रियों को पात्रता के अनुसार 2 हेक्टेयर जमीन के बदले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था 8 फरवरी 2017 को कि 60 लाख मिलना है लेकिन नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने इनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर कर, आज तक इनको 60 लाख का मुआवजा देने से वंचित रखा गया. आपके माध्यम से मांग करता हूं कि एनव्हीडीए विभाग मुख्यमंत्री जी के पास है और आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि इस गंभीर मामले को संज्ञान ले और इन पीडितों को लाभ दे जिन विस्थापितों को 2019 में सरदार सरोवर योजना बांध से 138.68 मीटर पानी भरा गया था तब मूल गांव में निवासरत डूब प्रभावितों को मध्यप्रदेश शासन ने जबरन बाहर निकालकर टीन शेड मे रखे पात्र विस्थापित परिवारों को पात्रता के अनुसार मध्यप्रदेश शासन के 5 जून 2017 के आदेश के तहत 5 लाख 80 हजार की अनुदान राशि एवं 180 वर्गमीटर भूखण्ड मिलना चाहिए था जो आज दिनांक तक नहीं दिया. पुर्नवास स्थलों में ट्रिब्यूनल अवॉर्ड और मध्यप्रदेश पुर्नवास नीति के अनुसार मूलभूत सुविधाएं आज तक नहीं मिली आज भी पुनर्वास स्थलों में न तो रोड बने हैं न बिजली की सुविधाएं हैं न आंगनबाड़ी सेंटर बने हैं सरदार सरोवर परियोजना में डूब प्रभावित परिवार जिन्हें पूर्व में बेक वॉटर लेवल के आधार पर डूब प्रभावित मानकर उनकी संपत्ति अधिग्रहित कर ली गई थी.
सभापति महोदय- डॉं साहब एक मिनट मे बंद करें.
श्री हीरालाल अलावा- आदरणीय सभापति महोदय, यह बहुत गंभीर मुद्दा है, लंबे समय से नर्मदा विस्थापित संघर्ष कर रहे हैं. कम से कम आपके माध्यम से रिकॉर्ड में आ जाए. मैं इतना अनुरोध करता हूं अधिग्रहित कर पुनर्वास स्थल पर भूखण्ड भी आवंटित किए गए बाद में बेक वॉटर लेवल बदलकर उन्हें डूब से बाहर किया गया ऐसे 15 हजार 946 परिवारों को पुनर्वास के लाभ दिए जाएं. माननीय सभापति महोदय मेरे मनावर विधानसभा क्षेत्र से स्टेट हाइवे 38 गुजरता है और मुझे ऐसी जानकारी है कि विश्व में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं खलघाट से लेकर अलीराजपुर तक जो सीधे हाइवे जा रहा है सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हमारे मनावर विधानसभा से गुजरने वाले स्टेट हाइवे के कारण हो रही है. मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से मांग करता हूं कम से कम इस हाइवे को फोरलेन में बदला जाए साथ ही मनावर जो मेरा विधानसभा क्षेत्र है. एक औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण आए दिन ट्रफिक से जाम होता रहता है तो एक वायपास की स्वीकृति आपके माध्यम से दी जाए ऐसी आपसे अपेक्षा करता हूं माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताना चाहता हूं हमारा जो ट्रायबल सब प्लान का जो पैसा आ रहा है आदिवासी उपयोजना का अलीराजपुर जिले के कठ्ठीवाड़ा में एक बीईओ ने एक ब्लॉक में 20 करोड़ का घपला किया है ये आदिवासी उपयोजना का पैसा आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासी लोगों को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार जैसी सुविधा देने के लिए यह पैसा आता है लेकिन यह पैसा कैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है आदरणीय सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से मांग करता हूं कि जिस बीईओ और उसकी टीम ने जो भ्रष्टाचार किया है उसको कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए माननीय सभापति महोदय आपने मुझे बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद;
श्री रमेश खटीक( करैरा):- सभापति महोदय, मैं अच्छे बजट के लिये माननीय देवड़ा जी और हमारे भारतीय जनता पार्टी की सरकार को धन्यवाद देता हूं.
मेरे सभी साथियों ने अपनी अपनी बात रखी. हमारी सरकार में सभी व्यक्तियों को लाभ दिया जा रहा है. चाहे महिला हो, गरीब हो चाहे वह वह पिछड़े वर्ग की हो,अल्पसंख्यक हो. सभी को किसी न किसी रूप में योजना का लाभ दिया जा रहा है. मैं आपका संरक्षण चाहते हुए, मैं अपने क्षेत्र की कुछ बातें रखना चाहता हूं.
सभापति महोदय, हमारे यहां समोहा में एक हाई स्कूल है और दिनारा में भी एक एक हाई स्कूल है उनको सी.एम. राईज़ स्कूल में शामिल किया जाये. माइक्रो सिंचाई योजना महूअर-नावली डेम पर स्वीकृत की जाये, जो शिवपुरी संभाग के अतंगर्त आता है. यदि आप इसको स्वीकृत करते हैं तो इससे घसारई, नारई की असिंचित भूमि के लिये पानी मिलेगा और वहां के लोगों को फायदा होगा. उर नदी परियोजना से दिनारा तालाब में नहर अथवा पाईप लाईन से पानी पहुंचाया जायेगा तो इससे वहां से लगे 100 ग्रामों में सिंचाई की सुविधा होगी.
सभापति महोदय, हमारे यहां मगरोनी नयी नगर पंचायत बनी है, वहां के लोगों को सरकार से बहुत सी उम्मीदें हैं. वहां मगरौनी बेस्ट वियर से कृषि उपज मंडी मोईल तक रोड बनायी जाये. नगर पंचायत, मगरोनी में फॉरेस्ट चौकी से पीपल खाड़ी तक मॉडल रोड बनायी जाये.
सभापति महोदय, सिद्ध बाबा के पास स्थित तालाब का उन्ययन कर विस्तारीकरण किया जाये और मगरोनी में घाट का भी निर्माण किया जाये और नगर पंचायत मगरोनी में राम जानकी स्टेडियम में पवेलियन का विस्तारीकरण किया जाये. मगरोनी नगर पंचायत में राजमाता विजयाराजे सिंधिया का स्टेचू तथा वहां वं बाउंड़ी वाल का निर्माण किया जाये.
नगर पंचायत, नरवर में वार्ड नंबर-11 में नाली का निर्माण किया जाये, नरवर में वार्ड नंबर-8 में ब्लॉक का निर्माण, वार्ड नंबर 9 में नगर परिषद में सी.सी रोड का निर्माण किया जाय तथा वार्ड नंबर 9 नगर परिषद में कुशवाह बस्ती में भी सी.सी रोड का निर्माण कराया जाये. साथ ही वार्ड नंबर 11 के बाथम मोहल्ले में सी.सी रोड का निर्माण किया जाये और नगर पंचायत मगरोनी में महाविद्यालय के लिये और घूमेश्वर पुल जो कि दतिया जिले में मेरे क्षेत्र में पड़ता है वह टूटा हुआ है, उसकी जगह बड़ा पुल बन जाये, यह मैं मांग रखता हूं और मैं फिर आपके माध्यम से और देवड़ा जी को और जिन्होंने इस बजट बनाने में अपना सहयोग दिया औरअच्छा बजट बनाया उसके लिये धन्यवाद देता हूं.
श्रीमती सेना महेश पटेल (जोबट)- सभापति महोदय, मैं यह कहना चाहती हूं कि नगरीय निकाय, नगरपालिका, नगर परिषद, नगर पंचायत में समय-समय पर तनख्वाह नहीं मिल रही है. कहीं 3 महीने हो गये तो कहीं 4 महीने हो गये और इसका सीधा कारण यह है कि हुडको का लोन लेना. जैसे कोई नगरपालिका ने लोन लिया है तो उसकी किश्त चुकाने के लिए नगरपालिका अगर सक्षम नहीं है तो जिस तरह से शासन द्वारा तनख्वाह के रूप में चुंगी प्राप्त होती है, लेकिन उस चुंगी को उस हुडको के द्वारा यहीं पर काट लिया जाता है और अधिकारीगण को तनख्वाह नहीं मिल पाती है, जिसके कारण समय पर तनख्वाह नहीं मिल पाती है. मेरा अनुरोध यह है कि चुंगी की राशि नहीं काटी जाय.
सभापति महोदय, निकाय अधिकारी को निर्देशित यह करें कि वसूली या अन्य आय के स्रोत से राशि देने का प्रावधान करें. मनरेगा के तहत एक जुलाई का लेटर आया है, जिसमें पक्के काम पर मटेरियल व्यय पर प्रतिबंध किया गया है. मनरेगा योजना में 40 लाख रुपये से अधिक लागत के कोई भी कार्य पोर्टल पर स्वीकृत नहीं हो पा रहे हैं, कार्य का नाम जैसे तालाब, डेम, पुलिया बैराज आदि, यह पोर्टल पर नहीं होने का क्या कारण है? इसका निराकरण किया जाय.
सभापति महोदय, कुछ महीने पहले कार्य स्वीकृत हुए थे, वह भी बैराज, तालाब, पुलिया निर्माण में गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं हो रहे हैं. पीआईयू विभाग हो, पीआईयू विभाग की भारी लापरवाही से, शिक्षा विभाग की भारी लापरवाही से गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं हो रहे हैं. इस प्रकार के कार्य के लिए समिति गठित की जावे ताकि गुणवत्तापूर्ण कार्य हो सके. सभापति महोदय, अधिकारीगण रिटायरमेंट के बाद में जीवन जीने के लिए उनका जो ओपीएस है. मैं निवेदन करूंगी कि आप यह अवगत करावें कि एनपीएस हटाकर ओपीएस लागू किया जाय ताकि अधिकारी रिटायरमेंट के बाद आराम से अपना जीवन-यापन कर सकें.
सभापति महोदय - अब आप एक दो मिनट में अपनी बात पूरी करें.
श्रीमती सेना पटेल - सभापति महोदय, जी हां. जिस तरह से आबकारी विभाग और शराब माफिया की मिलीभगत से शराब का अवैध परिवहन किया जाता है. दिनांक 14.6.24 को ग्राम छोटी पोल चन्द्रशेखर आजाद नगर में अवैध शराब परिवहन करते हुए वाहन द्वारा बाईक सवार को टक्कर मारकर भाग निकले, जिसे ग्रामवासियों ने आगे जाकर वाहन को रोका. ग्रामवासियों को शंका होने पर वाहन रोक कर पुलिस प्रशासन को बुलाया गया एवं वाहन की जांच की गई, जिसमें अवैध शराब भरी हुई थी. पुलिस प्रशासन द्वारा अवैध शराबकर्ता और ठेकेदारों पर कार्यवाही न करते हुए ग्रामीणों पर धौंस देकर डरा धमकाकर भगा दिया जाता है और थाना प्रभारी द्वारा आज दिनांक तक अवैध शराब परिवहन कर्ता शराब माफिया और ठेकेदार पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है.
सभापति महोदय, छोटी पोल चन्द्रशेखर आजाद नगर की घटना में शराब माफिया और थानेदार के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई है, इससे शराब परिवहन करने वाले गुर्गों पर पुलिस का डर खत्म हो गया है. दिनांक 28-29 जून, 2024 की रात में जोबट विधान सभा क्षेत्र के उदयगढ़ में ठेकेदार ने अवैध शराब परिवहन के दौरान भारी मात्रा में फायरिंग की है.
सभापति महोदय, दिनांक 30 जून, 2024 की रात में अवैध शराब परिवहन वालों ने वाहन तेज गति से ले जाते हुए एक ग्रामीण के घर में उनका वाहन घुस जाता है और हमारी 2 आदिवासी महिलाओं को टक्कर मार दी जाती है, जिससे एक महिला की घटनास्थल पर ही मौत हो जाती है और दूसरी बहन अस्पताल में गंभीर रूप से घायल है. सभापति महोदय, अलीराजपुर जिले में अनेक स्थानों पर विभिन्न प्रकार के ड्रग्स बिक रहे हैं. जिले के युवा नशे में चूर हो रहे हैं जिससे उनके परिजन परेशान हो रहे हैं जबकि माफियाराज बेखौफ और मस्त है. इनके ऊपर नियमानुसार कार्यवाही की जाए.
सभापति महोदय, माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना के अंतर्गत इस बजट में अलीराजपुर, सोंढवा क्षेत्र को सौगात मिली है. जिले के विधानसभा क्षेत्र 192-जोबट अंतर्गत कुल 140 ग्राम पंचायत में 262 ग्राम आते हैं. गत वर्षों में योजना के अंतर्गत जोबट में मात्र 42 ग्रामों की स्वीकृति मिल गई है. मेरा निवेदन है कि माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना से 220 ग्राम वंचित रह गए हैं. 220 ग्रामों में माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना को वर्ष 2024-25 के बजट में शामिल किया जाना अति आवश्यक है. आपने बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री साहब सिंह गुर्जर (ग्वालियर-ग्रामीण) -- सभापति महोदय जी, आपकी सरकार का स्लोगन है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं. मैं आपके माध्यम से यह प्रश्न भी कर रहा हॅूं और मांग भी करता हॅूं. मेरे विधानसभा क्षेत्र में कोई महाविद्यालय नहीं है. मेरे क्षेत्र से शहर करीब 50-60 किलोमीटर की दूरी पर है. जब बेटी गांव से शहर की ओर पढ़ने जाएगी, तो वह कैसे सुरक्षित रह सकती है इसलिए मैं यह मांग करते हुए कहना चाहता हॅूं कि स्थानीय युवाओं को उपयुक्त शैक्षणिक सुविधा न होने के कारण योग्यतानुसार रोजगार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तथा उच्च शिक्षा हेतु निजी विद्यालयों में शिक्षा हेतु विवश होना पड़ रहा है. अत: माननीय से अनुरोध करना चाहता हॅूं कि ग्वालियर-ग्रामीण के ग्राम सिरसौद में, जो कि विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत मुरार ग्रामीण क्षेत्र केन्द्र में है, वहां नवीन शासकीय महाविद्यालय समस्त विभाग सहित स्थापित किए जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें, जिससे विधानसभा क्षेत्र के युवाओं को बेहतर उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके तथा रोजगार मिल सके.
माननीय सभापति महोदय जी, मेरा दूसरा प्रश्न है जोकि बजट में शामिल नहीं किया गया. मेरे पड़ोस की विधानसभा में है जो बजट में कार्य शामिल किए गए हैं और मेरी विधानसभा में कोई कार्य शामिल नहीं किया गया है. क्या मेरी विधानसभा इस प्रदेश का हिस्सा नहीं है ? क्या मैं इस सदन का हिस्सा नहीं हॅूं ? मैं आपके माध्यम से मांग करता हॅूं कि इसे बजट में शामिल करके मेरे ग्वालियर-ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों में जो रोड नहीं है, उनको बजट में शामिल किया जाए. जैसे कि ग्वालियर सीपरी हाईवे से कुसराजपुर गांव तक है. दूसरा तिघरा मेनरोड से सुजवारा गांव तक है. तीसरा पाइंट आरोरा ग्राम पंचायत मेनरोड से महेन्द्रसिंह के पुरा तक है. इसे बजट में शामिल किया जाए.
माननीय सभापति महोदय, शराब ठेकेदारों के द्वारा मेरे ग्वालियर-ग्रामीण विधानसभा में अवैध शराब कमीशन पर गांव-गांव बेची जा रही है. बल्कि बेची ही नहीं जा रही है, परोसी भी जा रही है, इस पर अंकुश लगना चाहिए. इस पर पूरी तरह से रोकथाम कर ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही की जाये. इसके लिए मैं आपसे मांग करता हॅूं. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर (खरगापुर)—सभापति महोदय, खरगापुर विधानसभा में जनपद बल्लोगढ़ में रिक्त पद सीईओ की पूर्ति की जाये. वहां पर डॉक्टरों की खास तौर से महिला डॉक्टरों की रिक्त पदों की पूर्ति की जाये. खरगापुर विधान सभा के राजस्व विभाग के घोटालों की जांच करायी जाये. वहां के ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों का निर्माण कराया जाये. मेरे क्षेत्र की भेलसी गांव के हाई-स्कूल का उन्नयन किया जाये, सुजानपुरा के भी हाईस्कूल का उन्नयन किया जाये. वैसाखास में भी हाईस्कूल का उन्नयन किया जाये. पल्लेरा महाविद्यालय में पीजी कक्षाएं संचालित की जायें. पल्लेरा में बायपास सड़क का निर्माण कराया जाये. पल्लेरा में एसडीएम राजस्व का कार्यालय प्रारंभ कराया जाये. आपने अवसर दिया धन्यवाद.
श्री प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर) सभापति महोदय, महिला बाल विकास में 16 हजार करोड़ का लाडली बहना योजना के अंतर्गत सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. पिछली सरकार के तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री थे उन्होंने 3000 रूपये लाडली बहना योजना में देने की बात कही थी. लेकिन प्रश्न क्रमांक 180/2 जुलाई 2024 में बताया गया कि इस योजना के अंतर्गत प्रदान की जा रही आर्थिक सहायता में किसी भी प्रकार से वृद्धि किये जाने संबंधी कोई भी प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है. 20 अगस्त 2023 के बाद में कोई भी नया पंजीयन नहीं किया गया है. मेरा आपसे यही अनुरोध है कि जो 21 अगस्त 2023 को लाडली बहना योग्य हुई, उसका क्या होगा ? यह एक तरह से सतत योजना है. जिस प्रकार से वृद्धा पेंशन, पोषणहार, विकलांग पेंशन एक तरह से सतत योजना है, लेकिन मेरे प्रश्न के उत्तर में जवाब दिया है कि यह चरणबद्ध योजना है. हमारे मुख्यमंत्री जी 2 मार्च को धार जिले में आये थे वहां पर माण्डू उद्वहन सिंचाई योजना की घोषणा की थी उसके अंदर मेरा सरदारपुर विधान सभा क्षेत्र भी शामिल था. आज 7 दिसम्बर 1979 जल विवाद समझौते में 18.25 एम.ए.एफ जल मध्यप्रदेश के हिस्से में आया था. जिसमें से केवल 11.14 एमएएफ जल का उपयोग कर लिया गया है. 7.11 एमएएफ जल का उपयोग करना शेष है. उक्त योजना में सरदारपुर को शामिल किया जाता है. तो निश्चित ही उस क्षेत्र के किसानों के प्रति बड़ा आभारी रहूंगा.
सभापति महोदय, स्कूल शिक्षा में 11 हजार शिक्षकों की भर्ती की बात कही गई. लेकिन शासकीय स्कूलों में कार्यरत् अथिति शिक्षक लंबे समय से नियमित करने की मांग 2 सितम्बर, 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री जी द्वारा अतिथि शिक्षकों के निराकरण के मांग की घोषणा की थी. अतिथि शिक्षकों को पंचायत ने बुलाकर के कहा था कि गुरू जी की तरह पात्रता परीक्षा लेकर अतिथि शिक्षकों को भी नियमित किया जायेगा. आज अतिथि शिक्षकों की स्थिति यह है कि उम्रदराज होने के कारण कई शिक्षक वृद्धावस्था की ओर जा रहे है. सरकार इसका भी कोई समाधान निकाले, उसके लिए भी गंभीरतापूर्वक कोई विचार करें. यही अनुरोध है. अभी पेसा एक्ट की बड़ी बात की जा रही थी कि पेसा एक्ट मात्र एक दिखावा है, जमीनी हकीकत में कुछ भी हमारे आदिवासी भाइयों को कोई लाभ नहीं है. मेरे ही क्षेत्र में पवन ऊर्जा की इकाई स्थापित की जा रही है. जब मैंने प्रश्न लगाया कि उसमें पेसा एक्ट के तहत परमीशन ली गई क्या, उसमें बताया गया कि पेसा एक्ट के तहत परमीशन नहीं ली गई. आज उस ऊर्जा संयंत्र के ऊपर न तो किसी अधिकारी का नियंत्रण है, न लोकल प्रशासन का नियंत्रण है सौर ऊर्जा पर, कंपनी खुद आती है किसानों से बात करती है, जो अनुबंध किया जा रहा है उसमें भी किसी को राशि कम-ज्यादा होती है, इस पर भी सरकार ध्यान दें. भारत सरकार की एक केन्द्र प्रवर्तित योजना जो 275 एक्ट में जो पैसा मिलता है, धार जिले की स्थिति ये है कि वर्ष 2018 में एक हजार 22 लाख रुपए की स्वीकृति की गई, वर्ष 2019-20 में उसी राशि को घटाकर 599 लाख दिए गए, वर्ष 2021-22 में 135 लाख रुपए कर दिए गए और वर्ष 2022-23 में निरंक कर दिए गए. मेरे धार जिले का यही हाल है. माननीय सभापति जी आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ रामकिशोर दोगने - सभापति महोदय, एक मिनट का समय चाहिए. महोदय, नशे से पूरा प्रदेश परेशान है, इसी तरह से हमारे हरदा और दूसरी जगह भी है. आपको हरदा का बताना चाहता हूं कि एक एमडी ड्रग्स नाम का नशा आ गया है, उससे काफी लोग परेशान है और अच्छे घर के बच्चे हैं, क्योंकि महंगा शौक है वह ढाई से चार हजार तक की एक खुराक आती है, वे वह लेते हैं उससे परिवार के परिवार बर्बाद हो रहे हैं, सरकार ध्यान नहीं दे रही है, बार बार शिकायत हो रही है और गांव-गांव में घर-घर दारु बिक रही है, उस पर भी प्रतिबंध लगाया जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा, धन्यवाद.
सभापति महोदय - बैठ जाइए. .श्री अभिलाष पाण्डेय जी.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय(जबलपुर) - माननीय सभापति महोदय, क्षमा चाहता हूं, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद. आज हम सबके सामने जो बजट आया है उस बजट में कल भी मैंने ये बातें कही थी कि जिस तरह के प्रावधान किए गए हैं, निश्चित तौर पर वह मध्यप्रदेश के समग्र विकास की ओर अग्रसर होने वाला बजट है. इस बजट के बीच में एक निवेदन यह करना चाहता हूं कि जो बातें इस बजट के अंतर्गत कही गई है, मेरा उपमुख्य मंत्री जी से निवेदन है कि हमारी उत्तर मध्य विधान सभा के अंदर भी आपने इस बजट के अंदर जो बातें कही उससे हमारी विधान सभा को भी लाभ होगा और उसके अंतर्गत जो आने वाले ई-बसें हैं, वह जबलपुर संस्कारधानी पर जब चलेगी, तो निश्चित तौर पर जब हम कहते हैं कि हम इको-फ्रेंडली माहौल बनान चाहते हैं, साथ ही पर्यावरण के लिए हम काम करना चाहते हैं, इसमें भी उसकी मदद होगी, साथ ही मुख्यमंत्री जी के द्वारा जलगंगा मिशन का जो काम किया गया, जल संरक्षण के लिए जो काम किया गया है.
मैं आज सदन के माध्यम से सभी सदस्यों से भी निवेदन करना चाहता हूं कि हम पॉलीटिकल व्यक्त्िा जरूर हैं लेकिन नॉट ए पॉलीटिकल लीडर बस एक ह्यूमन बींग के नाते मैं सबसे निवेदन करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की सरकार जल संरक्षण को लेकर बहुत अच्छा काम कर रही है. आदरणीय सभापति महोदय, मेरा एक निवेदन सभी से यह है कि जिन कुंए, चौपड़े, बाबड़ी और तालाबों ने हमारे पीढि़यों को जीवन देने का काम किया है. मैं सभी से निवेदन करता हूं कि आने वाली पीढ़ी को भी हम उसको संरक्षित, संवर्धित करके, हम आगे आने वाली पीढ़ी को यदि उसको सुरक्षित सौंपने में सरकार जो अपना कदम उठा रही है, उसमें यदि हम अपनी महती भूमिका निभाते हैं, तो उसके लिये भी आने वाली पीढ़ी को हम एक अच्छा वातावरण दे पायेंगे, क्योंकि अभी वर्तमान समय में नगरीय क्षेत्रों के अंदर कई प्रकार की इतनी विसंगतियां देखने को मिलेंगी की जहां पर कभी चालीस फिट पर पानी हुआ करता था, अब चार सौ फिट पर पानी नहीं है, इसलिए मैं निवेदन करना चाहता हूं और उसी के तहत हम अपनी विधानसभा के अंदर भी काम कर रहे हैं, जिसमें तालाबों का संरक्षण कर रहे हैं. माढ़ोताल और हनुमान ताल जैसे दो तालाब अच्छे बना रहे हैं, हम उस दिशा पर भी काम कर रहे हैं और सरकार ने भी उसके अंदर अपना प्रावधान किया है, उसके लिये भी में सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं और एक निवेदन के साथ अपनी इस बात को समाप्त करूंगा कि हमारे इस बजट के बीच में हमने आदरणीय मुख्यमंत्री जी की एक जो घोषणा थी हमारे यहां विधानसभा क्षेत्र में आई.टी.आई. से लेकर दीन दयाल तक एक बड़ा ओवर ब्रिज हम बनाने चाहते हैं जो ट्रेफिक मैनेजमेंट को लेकर काम कर रहे हैं, उस दिशा पर मैं चाहता हूं कि उसको भी यदि संज्ञान में लेकर उस दिशा पर कोई प्रयास होगा तो मुझे लगता है कि उस विधानसभा में लाभ होगा.
सभापति महोदय, एक बात कल माननीय सदस्य ने अपनी रखी थी मैं उस दिशा पर भी सदन का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि हमारे यहां जबलपुर धीरे-धीरे बढ़ता हुआ एक बड़ा शहर बन गया है, लेकिन उसके बाद भी ट्रेफिक मैनेजमेंट को लेकर हम उस पर काम करना चाहते हैं. आदरणीय नगरीय प्रशासन मंत्री जी यहां पर विराजमान है और आपने इंदौर का जो एक मॉडल प्रस्तुत किया है, उसके लिये मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि हमारी इस विधानसभा में जो फौव्वारा लाडगंज , निमाड़गंज और साथ में मालवीय चौक के ऐसे बड़े स्थान हैं, उसमें ट्रेफिक की बड़ी समस्या आती है, जिसमें लोग व्यापारिक दृष्टि से उनका व्यापार भी समाप्त होने की स्थिति पर आ गया है. मैं यह निवेदन आदरणीय नगरीय प्रशासन मंत्री जी के माध्यम से करता हूं कि आप इस दिशा पर यदि कोई ठोस कदम उठायेंगे तो मुझे लगता है कि ट्रेफिक मैनेजमेंट के साथ औद्योगिक विकास की दृष्टि से भी जबलपुर आगे बढ़ने की ओर अग्रसर होगा, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल(मुड़वारा) -- सभापति महोदय, सर्वप्रथम तो मैं समाज के सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखने वाले और मध्यप्रदेश के विकास की गति को निरंतर बनाये रखने वाले बजट के लिये माननीय मुख्यमंत्री महोदय उनके सभी मंत्री सहयोगीगण एवं बजट को तैयार करने वाले अधिकारियों से लेकर सभी कर्मचारीगणों का आभार व्यक्त करता हूं.
सभापति महोदय -- आप वित्तमंत्री महोदय को भूल गये हैं(हंसी)
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल -- वित्तमंत्री जी को भी धन्यवाद. अब मैंने सभी मंत्रीगणों को साथ में ले लिया है(हंसी) अब वह तो हमारे प्रभारी मंत्री हैं, उनसे अभी कटनी की बात कर लूंगा और इसीलिये हम कटनी के तीनों विधायक साथ में बैठे हुए हैं. माननीय हमारे आदरणीय राजेन्द्र शुक्ल जी हमारे जिले के प्रभारी मंत्री भी रहे हैं, कटनी से लगभग सौ किलोमीटर की दूरी पर मेडीकल कॉलेज अनेक वर्षों से है. कटनी से 150 किलोमीटर की दूरी पर सागर में मेडीकल कॉलेज है, इतनी ही दूरी पर लगभग शहडोल में भी है. अभी पटेरिया जी से पूछ रहा था तो छतरपुर मे भी चली रहा है, तो आश्चर्य से बोल रहे थे कि सतना रीवा में तो है ही, तो वह बड़े आश्चर्य से बोल रहे थे कि कटनी में मेडीकल कॉलेज नहीं है, यह हम लोगों की पीड़ा है, पूर्व में ट्रिपल पी मॉडल पर कटनी में एक मेडीकल कॉलेज के लिये घोषणा हुई थी उसके बाद शासन का एक आदेश हुआ कटनी में मेडीकल कॉलेज के लिये, नीतिगत स्वीकार किया गया, उस पर एक पत्र भी जारी हुआ. अभी मैं धन्यवाद देना चाहूंगा माननीय मुख्यमंत्री महोदय को और आदरणीय राजेन्द्र शुक्ल जी को, हमारे मंत्री महोदय को कि पुन: ट्रिपल पी मॉडल पर एक मेडीकल कॉलेज की स्वीकृति की घोषणा हुई है. हमारी कुछ शंकाएं हैं, अपने क्ष्ोत्र की जनता को लेकर. कटनी के शासकीय अस्पताल पर बहुत ज्यादा लोड है, हफ्ते में दो से तीन बार हम लोगों को अस्पताल जाना पड़ता है और स्थिति यह है कि कई बार लोगों को जमीन पर लिटाकर उनका इलाज करवाना पड़ता है. एक निजी हाथों में अगर शासकीय अस्पताल जायेगा तो हमारी कुछ शंकायें हैं कि 75 प्रतिशत वह कब भर देंगे फ्री इलाज के लिये हम कब तक लड़ाई लड़ेंगे, तो या तो उन शंकाओं के लिये उनका एक अध्ययन हो सकता है, मेरा अध्ययन कम हो, मुझे जानकारियां कम हों, मैं गलत भी हो सकता हूं, लेकिन जो शंकायें हैं उनको मैं व्यक्त करते हुये चाहूंगा कि जैसा कि अभी हर जिले में मेडीकल कॉलेज की बात की गई है, शायद हमारे कटनी की बहुत दिनों से किस्मत नहीं खुली ज्यादा खुल जाये अगर एक गवर्नमेंट मेडीकल कॉलेज और मिल जाये. यह अगर ट्रिपल पी मॉडल के मेडीकल कॉलेज को शासकीय मेडीकल कॉलेज के रूप में दे दिया जाये, हम कटनी के सारे विधायक बैठे हुये हैं, हम सबकी मांग है. मैं चाहूंगा कि उस पर विचार जरूर करें, कटनी की जनता की भी इच्छा है, जिले की जनता की भी इच्छा है. एक नर्सेस का भी मामला है, उनको दो दंड मिले. मैंने विधान सभा प्रश्न भी लगाया था, उनकी यहां से वेतनवृद्धि भी रूकी है, वहां 6 दिन की हड़ताल की जगह 7 दिन का वेतन भी रोका गया. मैं माननीय मंत्री महोदय से चाहूंगा कि उसकी ओर जरूर ध्यान दें और उसकी समस्या का निराकरण हो. आदरणीय कैलाश विजयवर्गीय जी हमारे मंत्री महोदय का हमेशा हम लोगों को संरक्षण मिला है. ट्रांसपोर्ट नगर के कुछ व्यापारियों को 114 ट्रांसपोर्टर्स का काफी दिनों से प्रस्ताव लंबित है, उनको नो प्रॉफिट नो लॉस पर देने का परचून व्यापारी अगर वह नहीं गये तो ट्रांसपोर्ट नगर को बाहर ले जाने की हमारी कल्पना पूरी नहीं हो पायेगी. मैं चाहूंगा कि उनको नो प्रॉफिट नो लॉस पर प्लाट दिये जाने के संबंध में शासन जल्द से जल्द स्वीकृति प्रदान कर देगी तो हम लोगों के लिये बहुत अच्छा होगा. थोक व्यापार को जितने भी थोक व्यापार हैं उनको ट्रांसपोर्ट नगर के आसपास काफी शासकीय भूमि पड़ी हुई है, मैं चाहूंगा कि वह भी जल्द से जल्द मांग के अनुसार एलाट कर दी जाये तो हमारे यहां ट्रेफिक लोड बहुत कम होगा. एक घंटाघर से जगन्नाथ चौक की तीन साल से सड़क नहीं बन पा रही है, उसके लिये मैं चाहूंगा कि सख्त निर्देश हो. शिक्षा मंत्री जी से मैं चाहूंगा कि निबाड़ और कनबाड़ा में काफी दिनों से शासकीय महाविद्यालय की मांग उठ रही है उस पर विचार करते हुये उसको जल्द से जल्द स्वीकृति प्रदान करने का अनुरोध है. हमारे यहां हर साल, कृषि मंत्री महोदय से अनुरोध करना चाहूंगा हर बार मंडी टैक्स की छूट दी जाती है, एक साल के लिये दाल में और स्थिति यह बनती है कि उस साल से दूसरे साल के निर्णय के बीच में बहुत लंबा अंतराल हो जाता है. अभी 31 मार्च तक का था हम आज जुलाई में बैठे हैं. मैं चाहूंगा कि आयातित दाल पर मंडी टैक्स की छूट अगर परमानेंट कर सकें तो उस पर विचार करें और नहीं तो साल के हिसाब से अप्रैल से उसे लागू करते हुये उसकी छूट जल्द से जल्द दी जाये क्योंकि हमारे यहां स्थिति यह है कि दाल मिल बंद हो रही हैं. सब नागपुर की ओर शिफ्ट हो रहे हैं. कई व्यापार प्रभावित हो रहे हैं व्यापारी बहुत ज्यादा हमारे यहां प्रभावित है उस संबंध में भी मैं आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगा. निबाड़ की नहर और वहां की क्षमता बढ़ाने के लिये और कनवारा से लेकर सुरखी तक सिंचाई के लिये मैं चाहूंगा कोई योजना तैयार की जाये जल्द से जल्द और माननीय नगर निगम में विधायक की अनुशंसा पर कम से कम 10 से 15 करोड़ की राशि पड़ी हुई है, मैं चाहूंगा उस पर जल्द से जल्द विचार करते हुये उनके काम प्रारंभ कराये जायें. माननीय लोक निर्माण मंत्री महोदय से अनुरोध करना चाहूंगा कि मंगल नगर से झर्रा टिकुरिया एवं गायत्री नगर से सिविल लाइन दो ओवर ब्रिज और दोनों को आपस में जोड़ने के लिये इसका 76 लाख की लागत से तकनीकी सर्वे हो चुका है. इस ओव्हरब्रिज के निर्माण को जल्द से जल्द स्वीकृति प्रदान की जाये. इसके अतिरिक्त अमीरगंज फाटक पर और तकला फाटक पर ओव्हरब्रिज का काम लंबित है मैं चाहूंगा कि इन पर विचार करते हुये जल्द से जल्द यहां पर ओव्हरब्रिज निर्माण की स्वीकृति का अनुरोध करना चाहूंगा. हमारे यहां एक बहुत अच्छा शासकीय कन्या महाविद्यालय बना हुआ है मैं शासन को धन्यवाद देना चाहूगा लेकिन बच्चियों को वहां तक पहुंचने में करीब 2 किलोमीटर गुलवारा से लेकर राधा स्वामी सतसंग भवन तक रोड निर्माण नहीं होने से बहुत परेशानियां हो रही हैं बच्ची गिर तक रही हैं इसकी अविलंब सड़क निर्माण की स्वीकृति दी जाये और उसको स्वीकृत किया जाये. आदर्श कालोनी पर जो पुल निर्माण हो रहा है उससे आदर्श कालोनी के अंत तक सड़क निर्माण कार्य कराया जाये. जोबला से देवराखुर्द तक संजय पाठक जी की विधान सभा के आगे तक वहां तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य प्राथमिकता से करवाया जाये. करैया जोगीकला डबल गेट सड़क निर्माण घंघरीखुर्द से शाहनगर मार्ग एवं बीच की नदी पर पुल निर्माण होने से एक अतिरिक्त मार्ग मिलेगा कटनी से पन्ना जाने वालों को, मैं इस संबंध में भी आपसे अनुरोध करना चाहूंगा. मड़ई से जुगियाकाप तक का सड़क निर्माण और कनवारा बाइपास के शेष निर्माण कार्य ऐसे प्रस्तावों पर मैं आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगा. मैं आपका और संसदीय कार्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं. मुझे आपने बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुरेश राजे(डबरा) - माननीय सभापति महोदय, अभी हम पूरी चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के हमारे तमाम साथी बोले हैं. उनका फर्ज भी है सरकार की तारीफ करना,बजट की तारीफ करना. हम कोई बजट के विरोध में नहीं हैं लेकिन जो पिछले बजट को हमन पास किया. योजनाएं जो सरकार ने बनाईं वह कितनी मूलभूत जमीन पर आ रही हैं यह भी तो सरकार को देखना चाहिये. सबसे बड़ा विषय है नलजल योजना को लेकर, तमाम हमारे साथीजन कह रहे थे कि कल की हमने चिंता की. मुझे नहीं लगता कि भाजपा की सरकार बनने से पहले जनता को पानी मिला करता था कि नहीं जनता पानी पीती भी थी कि नहीं.हो सकता है कि न भी पीती हो और इस सरकार के बनने के बाद ही उसे पानी मिला है इसके लिये भी उनको धन्यवाद. समय-समय की परिस्थिति होती है. जब कुंए बावड़ी हुआ करते थे तब उससे पानी लिया करते थे फिर हैंडपंप का युग आया तो हैंडपंप का पानी लेने लगे फिर नलकूप खनन का युग आया तो उससे पानी लेने लगे और आपको धन्यवाद योजना बहुत अच्छी है. हम प्रधानमंत्री जी की योजना की तारीफ करते हैं कभी हम बुराई नहीं करते लेकिन उस योजना को किस तरह से पलीता लगाया जा रहा है उसे भी तो सरकार को देखना चाहिये. जितनी भी ग्राम पंचायतें हैं. एक-एक ग्राम पंचायत में जहां-जहां इस नलजल योजना का काम हुआ है. 100 प्रतिशत रोड खत्म कर दी हैं चाहे वह सांसद निधि से रोड बनी हो, चाहे वह सी.सी. रोड विधायक निधि से बनी हो. चाहे वह पंचायत निधि से बनी हो लेकिन रोड तो खत्म हो गई ना हुजूर और टंकियों की जहां तक आप बात करते हो, पानी पेयजल की, हमें नहीं मालुम हो सकता है कि आपके विशेष क्षेत्र में वह योजना पूरी तरह कारगर हो गई हो लेकिन सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से आग्रह करूंगा कि हमारे यहां 2 परसेंट भी योजनाएं पूरी नहीं हुई हैं. आप जांच करा लें. इतनी दुर्गति है इस योजना की. करोड़ों,अरबों रुपया आ रहा है तो आखिर क्या कारण है. मैं सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि सरकार इस पर विचार करे. दूसरा, यह कहा कि रोड बहुत अच्छी हमने बनाई. नो डाउट, हम यह स्वीकार करते हैं. चूंकि आप 20 साल से सरकार में हो. आप 20 साल से सरकार में हो तो रोड तो हुजूर आप ही बनाओगे.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - 20 साल से हम हैं तो हम बनाएंगे उसके पहले का भी आप बताईये.
श्री दिनेश गुर्जर - उससे पहले भी रोडें थीं जिस पर आप स्कूल और कालेज पढ़ने जाते थे. सड़कों पर ही जाते थे.
श्री दिलीप सिंह परिहार - डेढ़ साल में आपने क्या किया. एकाध इंच बढ़ाई हो तो बताओ.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - उस समय जब स्कूल,कालेज हम जाते थे तो उस समय सड़क थी या नहीं यह सब जानते हैं.
श्री सुरेश राजे - उस समय भ्रष्टाचार नहीं था. उस समय कोई घोटाले नहीं थे.
(..व्यवधान..)
सभापति महोदय - कृपया सभी बैठ जाएं.
श्री सुरेश राजे - सभापति महोदय, अब इनकी तारीफ भी करो तो पचती नहीं है.
श्री उमाकांत शर्मा - शिक्षा कर्मी बिकते थे उस समय.
सभापति महोदय - आप बैठ जाएं.
श्री सुरेश राजे - कोई बात नहीं अब नर्सिंग बिक रहे हैं. अब आई.आई.टी. बिक रहे हैं मैं सिर्फ सरकार का ध्यान उस ओर ले जाना चाहता हूं. मेरा आलोचना करने का विषय नहीं है. मैंने पहले तारीफ की कि आपने सड़कें बनाईं, नो डाऊट, आप 20 साल से सरकार में हैं, तो सरकार, सड़कें तो आप ही बनाएंगे. हुजूर, आप सड़कें बना रहे हैं, लेकिन जो सड़क आप आज बनाते हैं, 8 दिन के अंदर उस पर अवैध उत्खनन करने वाले लोग उस रोड को खराब कर देते हैं. रोड है कि गड्ढे हैं, गड्ढे में सड़क है कि सड़क में गड्ढे हैं, यही पता नहीं चलता. जब हम ठेकेदार की शिकायत करें तो ठेकेदार हाथ खड़े कर देता है कि साहब, मेरी गारंटी इतनी क्षमता वाली सड़क की नहीं है कि 10-10, 20-20 चक्के हाईवा चलें. इसकी भी चिंता तो सरकार को करनी होगी कि हम करेंगे ? हमारा काम सिर्फ आपको आग्रह करना है, हमारा काम सिर्फ आपको याद दिलाना है कि यह गलत हो रहा है, इसकी चिंता तो आप करेंगे. अब आप सहमत हैं कि नहीं हैं, मुझे नहीं मालूम, लेकिन यह पूरे प्रदेश का मामला है. सिर्फ अकेले डबरा विधान सभा का मामला नहीं है.
सभापति महोदय, जहां तक नगर विकास का मामला है. ठीक है, ग्रामीण क्षेत्र के तमाम शहर से लगी हुई पंचायतों को जब हम शहर में मिला रहे हैं, हम शहर में तो मिला रहे हैं लेकिन उसकी चिंता कौन करेगा. उन पंचायतों की जो वार्ड बने हैं, उनकी स्थिति यह हो गई है कि न तो पंचायत के रहे, न वार्ड के रहे. उनके यहां विकास ही अवरुद्ध हो गया. इसकी चिंता भी तो सरकार को करनी होगी.
सभापति महोदय, ज्यादा बातें न करते हुए दो-तीन चीजों की तरफ आपका और वरिष्ठ मंत्रीगण, जो आगे की कतार में बैठे हुए हैं, लगभग उनके विभाग से संबंधित ये मामले हैं, आप सबका ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा. डबरा विधान सभा के अंतर्गत एक भी कन्या महाविद्यालय नहीं है, जहां हम शिक्षा की बात करते हैं, ''बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ'' की बात करते हैं. इतना पैसा खर्च कर रहे हैं, इतना बजट रख रहे हैं तो मेरा निवेदन है, मंत्री महोदय से मेरी मांग भी है कि आप कन्या महाविद्यालय डबरा अति आवश्यक रूप से खुलवाने की कृपा करें. इसकी चिंता करें. दूसरा, हमारे यहां बहुत लंबे समय से मांग है कि डबरा एक संपन्न तहसील है. वहां ए क्लास की गल्ले की मण्डी है, लेकिन सुविधाएं न होने के कारण वहां ज्यादा दिक्कत है तो अगर जब आप छोटे-छोटे जगहों को लेकर जिले बना सकते हैं तो क्या आप डबरा को जिला नहीं बना सकते. क्या इस पर विचार नहीं कर सकते. मेरा निवेदन है कि निश्चित रूप से इस पर विचार किया जाए.
माननीय सभापति महोदय, जहां तक प्रधान मंत्री सड़क योजना का सवाल है तो हमने जितनी सड़कें लिखकर दीं, पिछली बार, सत्ता पक्ष के विधायकों को 15-15 करोड़ दिए गए, हमसे कहा कि 5 करोड़ में ही काम चला लें. हमने सोचा चलो 5 करोड़ में ही काम चल जाए. हमने जितने भी काम, लगभग 30 छोटे-छोटे काम हमने लिखकर दिए, लेकिन माननीय सभापति महोदय, यह कहते हुए मुझे बड़ा दु:ख हो रहा है कि इन 30 कामों में से हमारा एक भी काम मेरी विधान सभा का मंजूर नहीं हुआ है. क्या यही सबका साथ, सबका विकास है. इस पर विचार जरूर करना चाहिए.
सभापति महोदय, अंत में एक बात कहकर मैं अपनी वाणी को विराम दूंगा कि यह समस्या इसलिए पैदा हो रही है, आप ऐसा कर ही क्यों रहे हैं कि सत्ता पक्ष के विधायकों से आप 15 करोड़ के विकास कार्यों के प्रस्ताव ले रहे हैं. अगर आप समानता का भाव रखते हैं तो आप सबसे पहले यह जो विधायक निधि है, इसको बढ़ाने की कृपा करें. समान रूप से सभी विधायकों को पैसा मिले और वे अपने-अपने क्षेत्र में विकास करा सकें. सरकार भारतीय जनता पार्टी की हो सकती है, लेकिन सदन में तो हुजूर हम भी विधायक हैं, आपका अंग हैं कि नहीं हैं. विधायकों में तो कोई फर्क नहीं है. सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री राजेश कुमार वर्मा (गुनौर) - माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश सरकार का सबसे बड़ा बजट, जो प्रदेश में आया है. उसमें शहर, गरीब, गांव, किसान, युवा, उद्योग, सिंचाई एवं ऊर्जा सभी को सरकार ने समाहित किया है. बुन्देलखण्ड जो हमारा पूरा ड्राय क्षेत्र था, पूरा सूखा था, जिस बुन्देलखण्ड की स्थितियां यह रहती थीं कि किसान दाना तो खेत में डाल देता था और भगवान के भरोसे घर में जाकर सो जाता था कि भगवान अगर पानी बरसायेंगे तो फसल अच्छी होगी, नहीं तो भगवान ही जाने. लेकिन केन बेतवा लिंक परियोजना, जो मध्यप्रदेश की सरकार ने इसमें समाहित की, जिसमें 10 जिले बुन्देलखण्ड के हमारे आते हैं. जिसमें गुनौर विधान सभा का क्षेत्र है, पन्ना जिला भी आता है. वह परियोजना 44,602 करोड़ रुपये की है. जिससे पूरा गुनौर विधान सभा क्षेत्र सिंचित हो रहा है, लेकिन उससे हमारे दो गांव मुटवा और बसही भी इसमें समाहित हो जाएंगे तो पूरा क्षेत्र हमारा सिंचित हो जायेगा, इसके लिए हम माननीय वित्त मंत्री जी, मुख्यमंत्री जी एवं सिंचाई मंत्री जी का भी धन्यवाद ज्ञापित करना चाहते हैं.
माननीय सभापति महोदय, राम गमन पथ मार्ग, सरकार ने इसको भी इसमें समाहित किया है कि जो चिन्हित मार्ग हैं, उसमें हमारा सिद्ध नाथ, जो अगस्त मुनि जी का आश्रम है, वह भी राम गमन पथ मार्ग में आता है, जिसमें सरकार ने इसको भी समाहित किया है. माननीय राकेश सिंह जी, लोक निर्माण विभाग मंत्री जी का, मैं धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ कि इसमें अमानगंज-गुनौर-सुवनसा मार्ग, जो 57 किलोमीटर का हमारा प्रस्तावित था, जिसमें 15 किलोमीटर मार्ग की स्वीकृति दी गई है. मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि अगर उसमें इसको भी समाहित कर लें, जो हमारी पूरी सड़क प्रस्तावित थी, तो बहुत बड़ी कृपा होगी. प्रधानमंत्री आवास की बात सबने अपने-अपने तरीके से आज सदन में रखी, हमारे विपक्ष के साथी भी कई प्रकार की बातें कह रहे थे. लेकिन वह दिन भी हमें याद है कि जब हम लोग युवा मोर्चा में थे, उस समय एक कुटीर आता था, जो हम (XXX) कि जो कुटीर के नाम से आता था, उसमें 30 से 35 हजार रुपये की राशि मिलती थी. और जो कुटीर आता था, जो चावल जैसे छिड़काव होता था और जो चावल का छिड़काव होता है.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय सभापति महोदय, इस शब्द को विलोपित करवाएं. योजना जो भी सरकार की होती है, वह सकारात्मक रहती हैं. इस शब्द को विलोपित करवाएं.
सभापति महोदय - आप बैठ जाएं.
श्री राजेश कुमार वर्मा - माननीय सभापति महोदय, इसमें मैंने कोई गलत शब्द तो बोला ही नहीं है. मैं अपना विषय रख रहा हूँ, पहले पूरा विषय तो आ जाने दीजिये. फिर आप बात कर लें. वह राशि 35 हजार रुपये की आती थी, उसमें 6 फीट की दीवार बनती थी, गरीब आदमी जो बड़े आदमियों के घर बनाते थे, उनकी राशि खत्म हो जाती थी, गरीब आदमी अपने बच्चों को उसमें लिटाकर ऊपर कांच डाल दिया करता था, दूसरों की मजदूरी करने जाता था, वह स्वीकृत राशि जो उनकी उस समय हुआ करती थी, उससे छत भी नहीं पड़ पाती थी. लेकिन आज जो प्रधानमंत्री आवास हमारे आए हैं, उन प्रधानमंत्री आवास के जो भवन बन रहे हैं. मैं इस सदन में माननीय प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ कि दीन-दु:खी गरीब लोग, जो बेचारे बड़े लोगों के मकान तो बनाते थे, लेकिन उनके सिर पर कभी आशियाना नहीं होता था. आज डबल इंजन की सरकार से पूरे मध्यप्रदेश में चाहे वह शहरी क्षेत्र हो, चाहे ग्रामीण क्षेत्र हों, एक बहुत बड़ी मात्रा में आवास नीचे स्तर पर बने हैं. गुनौर क्षेत्र काफी पिछड़ा क्षेत्र है. हमारा 75 प्रतिशत किसानी का क्षेत्र है, एक मुहासन नदी है, जो पूरे विधान सभा क्षेत्र में लाइफ लाइन के रूप में है, अगर इसको भी इसमें समाहित कर लिया जाये, पुनर्जीवित कर दिया जाये तो सिंचाई के और भी हमारे साधन यहां पर बढ़ जाएंगे. लाड़ली बहना की बात हुई, आज चुनाव के पहले हमारे कांग्रेस के साथी नीचे स्तर पर चले गए, वहां लोगों को भ्रमित करने का कार्य किया. लोगों के बीच में जाकर फॉर्म भी भरवाए गए कि हमारी सरकार आएगी तो हम इतनी राशि आपको देंगे, इन्होंने तो फॉर्म भी भरवा लिये थे, यह तो यह मानकर भी चल रहे थे कि इनकी सरकार मध्यप्रदेश में आने वाली है. लेकिन मध्यप्रदेश में जो हमारी लाड़ली बहनें हैं, हम बहन के खाते में भी पैसे डाल रहे हैं, मां के खाते में भी पैसा दे रहे हैं, सास के खाते में भी पैसे दे रहे हैं. ननद के खाते में भी पैसे दे रहे हैं. हम लाड़ली बहनों के खाते में 1,250 रुपये महीना दे रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी, संवेदनशील मुख्यमंत्री हैं. डॉ. मोहन यादव जी की सरकार संवेदनशील सरकार है. इस राशि को आगे बढ़ाने के लिए भी मैं आग्रह करना चाहता हूँ, माननीय मंत्री जी से, संसदीय कार्य मंत्री से, माननीय मुख्यमंत्री जी से. अगर इसका पोर्टल खुल जायेगा तो कुछ बहनें अभी भी हमारी आस लगाए बैठी हैं, इसमें एक निवेदन और करना चाहता हूँ कि जो हमारी विधवा बहनें हैं, अगर इनको भी इसमें शामिल कर लिया जाये, तो बहुत अच्छा होगा, क्योंकि उनको कहीं किसी योजना से लाभ नहीं मिलता है. अगर इसमें इसको भी समाहित कर लिया जाये, तो उनको भी इसमें लाभ मिलेगा. सभापति महोदय, गौशालाओं के लिए मैं, सरकार को धन्यवाद करना चाहता हूं पूर्व में प्रति गाय के लिए 20 रुपये की खुराक दी जाती थी, अब 40 रुपये की जा रही है. लेकिन मेरा एक छोटा सा सुझाव है कि जो ग्राम पंचायत स्तर पर गौ-शालायें हैं, उनमें ग्राम पंचायत से जनपद को प्रस्ताव जाते हैं, समितियां उनको लेती हैं, यदि इन्हें एन.जी.ओ. और प्रतिष्ठित लोग भी ले लें तो ये गौ-शालायें सुचारू रूप से चल सकेंगी.
सभापति महोदय, मेरा निवेदन है कि विधान सभा गुनौर में एक सीमेंट कारखाना, जे. के. सीमेंट के नाम से संचालित है. नगर अमानगंज में यह स्थिति है कि भारी वाहन नगर के बीच से निकलते हैं, कल रात भी दो व्यक्तियों की डंपर से कुचलकर मौत हो गई. अगर यह व्यवस्था हो जाये कि कहीं बायपास से ये वाहन बाहर के बाहर निकलने लगें तो इस पर मैं, मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. शिक्षित बेरोजगार जो पन्ना जिले के हैं, उनको शासन से हुए एग्रीमेंट के आधार पर वहां नौकरी मिले, इसके लिए मैं, मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं.
सभापति महोदय, देवेन्द्र नगर, बड़ागांव में उद्योग के लिए शासन स्तर पर जमीन का प्रस्ताव आया है. अगर इसे बजट में समाहित कर लिया जाये तो कृपा होगी.
भितरी मुठमुरू की सिंचाई परियोजना जो लंबे समय से टूटी-फूटी, जीर्णक्षीर्ण अवस्था में है, अगर इसे सम्मिलित कर लिया जाये तो विधान सभा क्षेत्र को लाभ मिलेगा.
सभापति महोदय, देवेन्द्र नगर से सलेहा मार्ग आज सिंगल रोड है यदि यह डबल लाईन रोड हो जाये और उसे इस बजट में समाहित कर लिया जाये तो क्षेत्र के लोगों को आवागमन में सुविधा होगा.
महाविद्यालय सलेहा, करहटी पहले से ही प्रस्तावित है. अमानगंज में चिकित्सालय का उन्नयन हो जाये, ऐसा स्वास्थ्य मंत्री जी से निवेदन है.
सभापति महोदय, एक महत्वपूर्ण विषय मेरे क्षेत्र का यह है कि गौरा, बराछ दो ग्राम हैं, वर्तमान में ये ग्राम पन्ना तहसील में आते हैं, ये क्षेत्र तहसील गुनौर से लगे हुये हैं, यदि ये दोनों ग्राम हमारी गुनौर तहसील में समाहित कर लिए जायें तो वहां के लोगों को लाभ मिलेगा.
सभापति महोदय, सड़कों की बात अभी हमारे विपक्ष के साथी कर रहे थे. मैं, जब महाविद्यालय में था तो हम पन्ना से सतना मारूति 800 कार से जाया करते थे. बारिश के समय हम एक डंडा साथ लेकर चलते थे और सड़क में जब कोई गहरा गड्ढा आता था तो उसमें डंडा डालकर देखते थे कि कहीं कार का टायर इसमें फंस जाये तो बाहर ही न निकले, तब इनकी सरकारें थें और आज मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है तो सड़कों का जाल पूरे प्रदेश में इतना अच्छा है कि जब हम पन्ना से भोपाल आते हैं तो हमें पता नहीं चलता कि कब भोपाल आ गया.
श्री दिनेश गुर्जर- आज भी सड़कों का यही हाल है. इतना असत्य इस सदन में मत बोलो.
(...व्यवधान...)
श्री रजनीश हरवंश सिंह- सभापति महोदय, अगर कांग्रेस की सरकार स्कूल नहीं खोलती तो ये पढ़ नहीं पाते और आज यहां बोलने लायक नहीं होते और जिन सड़कों का बेस कांग्रेस सरकार ने बनाया, उन पर इन्होंने केवल डामर बिछाया है.
(...व्यवधान...)
श्री अभय कुमार मिश्रा- एक किस्सा मेरे पास भी है, जब टायर और कार दोनों घुस गए थे.
(...व्यवधान...)
श्री राजेश कुमार वर्मा- सभापति महोदय, मैं, इनको जवाब दूं, कांग्रेस के समय के स्कूलों की स्थितियां इतनी बुरी थीं, मैं, हमारी सरकार को धन्यवाद देता हूं कि एक नहीं, तीन-तीन सी.एम.राईस स्कूल मेरे क्षेत्र में दिए हैं. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
श्री फूलसिंह बरैया- सभापति महोदय, मैं, यह कहना चाहता हूं कि ये 10 प्रतिशत विकास की बात करते हैं और 90 प्रतिशत कांग्रेस को कोसते हैं.
सभापति महोदय- आप बैठ जायें.
श्री राजेश कुमार वर्मा- सभापति महोदय, मैं, ऐसा कुछ नहीं कह रहा हूं केवल इनको आईना दिखाया है. मैं, बिलकुल सही बात कह रहा हूं, तब सड़कों की स्थिति बिलकुल जर्जर थी.
सभापति महोदय- राजेश जी, अब आप गलत कर रहे हैं, आप बैठ जायें.
श्री महेश परमार (तराना)- सभापति महोदय, मैं, भगवान महाकाल और मुख्यमंत्री जी के जिले से आता हूं. मुझे आदरणीय मुख्यमंत्री जी, हमारे विद्वान वित्त मंत्री और हमारे संभाग के उपमुख्यमंत्री जी, जिन्होंने यह बजट पेश किया, उनसे बहुत आशा और उम्मीद है, मुझे उनके आर्शीवाद की आशा है. मेरी विधान सभा तराना पिछड़ी हुई विधान सभा है, सूखाग्रस्त है और पहाड़ी क्षेत्र भी है. लगभग 70 प्रतिशत आबादी किसान भाईयों की है और उनको पहाड़ी क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की बहुत समस्या है. मैं सरकार से यह मांग करता हूं कि लगभग 50 प्रतिशत गांवों में नर्मदा जी की पाइप लाइन पहुंची है, लेकिन मेरे विधान सभा क्षेत्र के 50 से 60 प्रतिशत गांवों में हमारे किसान भाइयों के खेतों में अभी तक नर्मदा जी का पानी नहीं पहुंचा है. वह अभी तक इससे वंचित हैं. इस बजट में तराना विधान सभा के जो छूटे हुए गांव हैं उन गावों को पाइपलाइन से जोड़ने का कष्ट करें.
सभापति महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में कालीसिंध नदी के माध्यम से लगभग 75 से 100 गांवों के किसान भाई सिंचाई करते हैं. एक पहाट गांव में पुराने समय का बैराज बांध बना हुआ है मैं सरकार से यह मांग करता हूं कि वह बैराज बांध क्षीण-क्षीण हो चुका है तो यदि वहां बांध बनता है तो लगभग 15 से 20 किलोमीटर तक पानी रुकेगा और लगभग 20 से 25 गांव के किसान भाइयों को इन नदी का पानी मिलेगा.
सभापति
महोदय,
डाबड़ाराजपुर
गांव में लगभग
दो से तीन
वर्ष पूर्व
मैंने बैराज
के लिए मांग
की थी तो इसकी
साध्यता और
स्वीकृति है,
लेकिन सरकार
ने इस ओर ध्यान
नहीं दिया है
तो सरकार
टेंडर कराने
का कष्ट करे.
ऐसे
पटियालखेड़ी,
बोगदागुर्जर
इन दो तीन गांवों
में जहां से
नदी निकल रही
है वहां
भी बैराज
बनेंगे तो
बड़ी कृपा
होगी.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से भगवान महांकाल और मध्यप्रदेश के हम सभी वासी सौभाग्यशाली हैं कि हम मध्यप्रदेश में रहते हैं. बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्लिंग भगवान महांकाल का ज्योतिर्लिंग है. सावन का पवित्र माह आने वाला है. मैं आपके माध्यम से आदरणीय अध्यक्ष महोदय और विधान सभा के सभी 230 माननीय सदस्यों से निवेदन करना चाहता हूं कि श्रावण के पवित्र माह में भगवान महांकाल के दर्शन करने पधारें तो निश्चित रूप से भगवान महांकाल का आर्शीवाद हम सभी को मिलेगा. आदरणीय संसदीय कार्य मंत्री जी भगवान महांकाल के भक्त हैं और समय-समय पर वह दर्शन करने जाते हैं और सीधे गर्भगृह में भगवान महांकाल का आशीर्वाद लेने पधारते हैं तो मेरा निवेदन है कि वहां सिंहस्थ जैसा महापर्व होना है तो हम सभी साथी क्षिप्रा मां में भी डुबकी लगाएं तो आने वाले समय में हमें स्थिति मालूम पड़ेगी.
सभापति महोदय, उज्जैन में महाकाल लोक बनने के बाद लगभग दो से तीन लाख श्रद्धालू भगवान महांकाल के दर्शन करने आते हैं. उज्जैन में सिंहस्थ जैसा महापर्व होना है. उज्जैन धार्मिक नगरी है. क्षिप्रा मां, चिंतामन गणेश, हरसिद्धी माता गणकालिका, कालभैरव और हर गली मोहल्ले में भगवान के मंदिर है. मेरा हमारे जिले के मंत्री जी से विशेष निवेदन है कि उज्जैन जिले में पूर्ण शराब बंदी की जाए. मैं पूरे सदन और कैलाश जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि उज्जैन के चारों दरवाजों पर शराब बिक्री हो रही है तो मुख्यमंत्री जी का जिला होने के नाते वह वहां पूर्ण शराब बंदी करेंगे. दूसरा मेरा निवेदन है कि पंचायत चुनाव को लगभग दो वर्ष हो चुके हैं. लगभग 70 से 80 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है. इन दो वर्षों में पंचायतों में मध्यप्रदेश शासन की तरफ से एक रुपया भी नहीं पहुंचा है. मेरा आपसे निवेदन है कि तराना विधान सभा को पूरे मध्यप्रदेश के ग्राम पंचायतों में सरकार यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक पंचायत में हर वर्ष एक करोड़ रुपए सरपंच को विकास के लिए ग्राम पंचायत में आना चाहिए क्योंकि शहर के विकास के लिए तो आपने कहा कि बहुत सारी योजनाएं बन रही हैं, लेकिन हम जैसे लोग गांवों में निवास करते हैं, गांवों से चुनकर आते हैं तो गांव के विकास के लिए इन दो सालों में मुश्किल से एक साल में एक पंचायत में दो से तीन लाख रुपए पहुंचे तो यह सुनिश्चित करें कि गांवों के विकास के लिए एक करोड़ रुपए की राशि दें. पंचायती राज के चुने हुए जन प्रतिनिधियों को जिला पंचायत, जनपद सदस्य, सरपंच इनको अधिकार दे. मैंने कल कहा था कि भगवान महांकाल की 100 बीघा जमीन यूडीएम में स्कीम के माध्यम से ले ली तो इसको मुक्त कराने के लिए भगवान महाकाल की जमीन है, बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने मिलकर स्कीम में शामिल कर लिया है. शिप्रा मां में 1 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी गंदे नाले मिल रहे हैं. आप सब मिलकर यह पुण्य कमाएं भगवान महांकाल के दर्शन करें. आदरणीय मुख्यमंत्री जी का जिला है उनसे निवेदन करना चाहता हूँ. आदरणीय सभापति महोदय, धन्यवाद. शराब बंदी पर जरुर विचार करें यही मेरा निवेदन है.
श्री गौरव सिंह पारथी (कटंगी) -- सभापति महोदय, इस सदन में मौजूद सभी वरिष्ठों का सदा से मुझे आशीर्वाद मिलता आ रहा है. कल मैंने बताया था कि बहुत ही शानदार बजट सात स्तम्भ पर मध्यप्रदेश को खड़ा करने वाला आया है. कुछ विषय मैं ध्यान में लाना चाहूंगा. एक स्तम्भ किसानों का स्तम्भ है. इसके लिए हमारी सरकार वित्त मंत्री जी के मार्गदर्शन में बड़ा कार्य कर रही है. अटल कृषि ज्योति योजना जो किसानों को मुफ्त में बिजली पहुंचाने का कार्य कर रही है, कम पैसे में इसके लिए बहुत सारी बधाई. मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के लिए बहुत बधाई. मेरा यह निवेदन है कि बालाघाट, सिवनी, मण्डला यहां पर धान पैदा करने वाले किसान हैं. यहां के किसानों को भी मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन योजना में शामिल करते हुए धान में बोनस की राशि उपलब्ध कराई जाए. सिंचाई के क्षेत्र में सरकार बहुत अच्छा कार्य कर रही है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में बहुत बड़ा डेम है महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के बीच में सितेकसा बांध. दो पुरानी परियोजनाएं हैं नहलेसरा और जमुनिया इनको इससे जोड़ दें उस क्षेत्र के सभी किसानों को बड़ी मात्रा में पानी मिल जाएगा. वे दो प्रकार की फसलें ले पाएंगे और हमारी जो योजना है कि किसान की आय दोगुनी होना चाहिए उसमें सफलता मिलनी चाहिए. यह जब नहरें बनीं उसके बाद इनमें लाइनिंग का कार्य शेष रह गया है. मुझे पूर्ण विश्वास है कि आने वाले समय में यह कार्य कर दिया जाएगा. शिक्षा के क्षेत्र में बड़े कार्य हो रहे हैं. ऐतिहासिक तौर पर सीएम राइज स्कूल चल रहे हैं प्रायवेट स्कूलों के बच्चे भी आकर इनमें एडमीशन ले रहे हैं. मैं निवेदन करुंगा कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के मीरकपुर, महकेपार, परसवाड़ा घाट और जरमगांव क्षेत्र में भी सीएम राइज खोले जाएं. बड़ा क्षेत्र है एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक 75 किलोमीटर की दूरी है. साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बड़े काम हो रहे हैं. कल बताया गया कि आने वाले समय में बालाघाट में मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा. साथ ही साथ मेरी विधान सभा क्षेत्र के अस्पताल का उन्नयन करके 100 बिस्तर का सिविल अस्पताल बनाया जाए. बहुत सारी सड़कों की हमें सौगात मिली है उनमें कुछ सड़कें और जोड़ना चाहूंगा आंगनबीरी से जामुनटोला, कटूरी से भोरगढ़, बनेरा से कटेरा, चोरपिंड केपार से टुईयापार, बिछुआ से हीरापुर, परसवाड़ा घाट से हथौड़ा, मैदोली से पोनिया, गरुड़ से सिरपुर तिकाड़ी मार्ग और एक पुलिया लामा से भोरगढ़. युवाओं के रोजगार के लिए भी अनेकों कार्य किए जा रहे हैं. मेरे क्षेत्र में मेगनीज से जुड़े हुए नए रोजगार के साधन शुरु करने की भी संभावनाएं हैं. साथ ही साथ टेक्सटाइल को भी बढ़ावा दिया जा सकता है. पर्यावरण के लिए हम सब के प्रयास से चन्दन नदी पर वृक्षारोपण का कार्य किया जा रहा है. मैं मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा कि 4 साल पहले से सिंहस्थ जो पूरे मध्यप्रदेश की धरोहर है उसके लिए कार्य शुरु कर दिए हैं. भगवान महांकाल का हम सब पर आशीर्वाद बना रहे ऐसी मैं कामना करता हूँ. रामपथ वनगमन में हमारे क्षेत्र में आने वाला रामपाइली भी जुड़ेगा ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है. भगवान महांकाल का प्रभु श्रीराम का हम सब पर आशीर्वाद बना रहे और इस प्रदेश पर बना रहे, इस सरकार पर बना रहे. यही कामना करता हूँ, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री कैलाश कुशवाह (पोहरी) -- माननीय सभापति महोदय, नगर पंचायत क्षेत्र बैराड़, पोहरी विधानसभा क्षेत्र का मुख्यालय है. वहां पर लगभग 500 बीघा जमीन दबंगों द्वारा अतिक्रमण करके कुछ लिखित में कुछ मौखिक मध्यवर्गीय गरीबों को पैसे लेकर बांट दी गई है और उन लोगों ने मकान भी बना लिए हैं. लोगों को नल और बिजली कनेक्शन भी मिल चुका है. आज उनके कुछ मकान टूटने की कगार पर हैं और कुछ टूट चुके हैं. मेरा निवेदन है कि दवंगों के द्वारा जो दिये गये हैं और तात्कालीन प्रशासन ने उनको अतिक्रमण में नलऔर बिजली के कनेक्शन भी दे दिये हैं. उन्होंने वहां पर 10 से 20 लाख रूपये तक के मकान भी बना लिये हैं. गरीब और मध्यम वर्ग का व्यक्ति जीवन में एक बार मकान बनाता है और वह भी अगर टूट जाय तो उस परिवार पर क्या बीतेगी. मैं निवेदन करता हूं कि उन दबंग लोगों पर कार्यवाही करके उनकी संपत्ति की कुर्की करके उन गरीबों के नुकसान की पूर्ति की जाय, उनको मुआवजा दिया जाय और उस प्रशासन पर भी कार्यवाही की जाय जिन्होंने अतिक्रमण की जमीन पर बिजली कनेक्शन और नल कनेक्शन दे दिये हैं. दबंगों ने कब्जा करके मौखिक और लिखित में प्लाट बेच दिये हैं. उनकी संपत्ति की कुर्की करके उन गरीबों को हर्जाना दिया जाय.
इसके साथ में विधान सभा में नल जल योजना चल रही है तमाम तरह के गड्डे खुदे पड़े हैं, कई लोगों के फेक्चर हो गये हैं कई लोगों के सिर फूट गये हैं कई लोगों को तो हमारी टीम ने उ ठाकर अस्पताल में भर्ती कराया है. आज भी बरसात के मौसम मे सड़कों पर गड्डे भरे हुए हैं. अगर नल जल योजना का ऐसे ही काम चलेगा. इस योजना से जितना फायदा नहीं हो रहा है उससे ज्यादा तो नुकसान हो रहा है. जो पहले की सीसी रोड दी थी वह खोद दी गई हैं तो वहां पर कैसे काम होगा उनको निर्देश दिये जायें कि जहां पर पहले से खुदाई कर दी है उस काम को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाय. साथ में ही रोड वहां परअच्छी बनाई जाय.
हमारे बैराड नगर में जल वर्धन योजना चल रही है. वहां पर बढ़िया काम चल रहा था ठेकेदार का वहां परपता नहीं है, वह योजना को अधूरी छोड गया है बैराड़ में पानी की त्राहि त्राहि मची हुई है ठेकेदारको ब्लेक लिस्ट में डालकर नये ठेकेदार को काम दिया जाय. जिससे हमारा बेराड़ नगर पानी की समस्या से परेशान न हो, हमारे यहां पर बहुत ज्यादा परेशानी हो रहीहै.
सभापति महोदय क्षेत्र में कलारी का लायसेंस कितनों को दिया जाता है. हमारे क्षेत्र में कलारी का लायसेंस लगभग 28 लोगों को दिया गया है लेकिन 400 जगह पर कलारी चल रही हैं. यह कौन सा नियम है दारू कमीशन पर बेची जा रही है और हमारे एससीएसटी वर्ग में 70 प्रतिशत महिलाएं विधवा हो चुकी हैं कच्ची दारू बनाई जा रही है उसमें कहीं न कहीं प्रशासन लिप्त है. मैं इस पर कार्यवाही की मांग करताहूं. कमीशन पर कोई दारू नहीं बिकना चाहिए केवल जिसकेपास में लायसेंस है वह ही बेच पाए. अगर दारू की दुकान 10 किलो मीटर पर है तो आदमी एक पऊआ ही पियेगा और अ गर उसके घर पर ही बिकने आएं तो 5-5 पऊआ पियेगा. घर में भी विवाद होता है और कम उम्र में लोगों का निधन हो रहा है. इससे महिलाएं विधवा हो रही हैं. मेरा निवेदन है कि कलारी की दुकान वालों के खिलाफ कार्यवाही की जाय.
सभापति महोदय पर्यावरण और वन पर हमारी सरकार करोड़ो रूपये खर्च कर रही हैऔर अभी अभी 2003 में वन विभाग ने 90 करोड़ रूपये पेड लगाने पर खर्च किये हैं जिसकी लिस्ट मेरे पास है यह उन्होंने कबूला भी है मुझे नहीं लगता है कि 90 करोड़ रूपये के पेड लगाये हैं वहां पर 9 करोड़ रूपये पेड़ मिलना भी मुश्किल हैं. जिले में कोई पेड़ नहीं है और दबंगों ने 10 से 15 हजार बीघा मे पेड़ काट लिये हैं उसमें खेती कर रहे हैं प्रशासन की नाक परऔर प्रशासन सो रहा है, किसी तरह की कार्यवाही नही हो रही है, ऐसा क्यों हो रहा है आज से लगभग दो ढाई साल पहले जब कोरोना का आपातकाल हमारे देश में भी आया था तब हम आक्सीजन खरीद रहे थे पैसों से आक्सीजन खरीद रहे थे कईयों को नहीं मिली तो कई युवा उसमें खत्म हो गये हैं, कई हमारे परिवार के सदस्य चले गये हैं और आज हम कुछ लालच के लिए खड़े होकर कटवा रहे हैं और वहां परखेती कर रहे हैं. मैं निवेदन करता हूं कि उनके ऊपर सख्त कार्यवाही की जाय और दबंगों पर प्रकरण भी दर्ज किया जाय. जो भी सरकारी वन विभाग की जमीन परखेती कर रहे हैं उन परकार्यवाही हो.
सभापति महोदय हमारे क्षेत्र में पानी की बहुत ज्यादा परेशानी है ट्यूबवेल लगते है तो 1 हजार फीट पर पानी निकलता है इ सलिए मैं शासन से तालाब बनाने के लिए निवेदन करताहूं. वहां पर सर्वे करवाकर तालाब बनाने की कार्यवाही शुरू की जाय और तालाब बनाने के लिए अनुमति भी दी जाय. मेरा यह भी कहना है कि एक हमारी रोड सतनवाड़े से नरवर गई है. वह मात्र 12 से 15 फीट की है उ स सड़क पर दोनो तरफ जंगल है कई बार वहां परदिन लूट हुई हैं दिन में तो वहां पर लूट होती ही हैं. वहा पर जंगली जानवरों की भी परेशानी है मेरा कहना है कि उस रोड को चौड़ा किया जाय जिससे की ट्रेफिक रेग्यूलर चले और कोई घटना न घटे. मैं निवेदन करता हूं कि बेराड और हमारी विधान सभा पोहरी में अस्पताल में व्यवस्था सही नही है. वहां पर एमबीबीएस डॉक्टर भेजे जाय. बड़ी बड़ी मशीनें एक्स रे और सोनोग्राफी की मशीने भेजें, जिससे कि मरीजों को परेशानी न हो वहां पर अच्छे बड़े ड़ाक्टरों की व्यवस्था की जाय. आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद्.
डॉं. प्रभुराम चौधरी (सांची)- माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी को बधाई और धन्यवाद भी देना चाहता हूं इतना अच्छा बजट सर्वव्यापी बजट, जिसमें हमारे गरीबों के लिए, युवाओं के लिए महिलाओं के लिए और खासतौर से किसानों के लिए पर्याप्त व्यवस्था बजट के अंतर्गत की गई है. 3 लाख 65 हजार करोड़ का बजट बढ़ाकर इस प्रदेश की जनता के हितों के लिए बनाया गया है. माननीय सभापति महोदय, मैं वित्त मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को इसलिए भी धन्यवाद देना चाहता हूँ क्योंकि गरीबों के हित में और अनुसूचित जाति, जनजाति के छोटे छोटे किसान जो एक हेक्टेयर दो हेक्टेयर तक के किसान हैं, उनको मुफ्त में बिजली पहुंचाने की व्यवस्था की है. ज्यातादर किसान जो अनुसूचित जाति, जनजाति के हैं, छोटे वर्ग के रहते हैं और उन्हें बिजली फ्री मिलेगी तो वे अच्छी खेती कर सकेंगे और उत्पादन कर सकेंगे, अपनी आय बढ़ा सकेंगे. मैं उनको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं साथ ही वित्त मंत्री जी से एक और निवेदन करना चाहता हूं, जो हमारे छात्र हैं, चाहे वह कॉलेज के छात्र हों, चाहे स्कूल हों उनको सरकार के द्वारा छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई जाती है. आपने बजट में पर्याप्त व्यवस्था भी की है. कभी-कभी डिले हो जाती है तो मैं आपसे यही निवेदन करूंगा विभाग को यह भी निर्देशित करें कि समय पर उन लोगों को छात्रवृत्ति मिलती जाए क्योंकि तीन-तीन चार-चार महीने हो जाते हैं, छोटी छोटी जगह से गांव से बच्चे पढ़ने आते हैं, इसलिए बच्चों को परेशानी हो जाती है इसलिए मैं आपसे यह अपेक्षा करता हूं. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी एवं स्वास्थ्य उपमुख्यमंत्री, दोनों उपमुख्यमंत्री जी हैं ,स्वास्थ्य के क्षेत्र में जबरदस्त काम आज मध्यप्रदेश के अंदर किया जा रहा है हम लोग देख रहे हैं देश के प्रधान मंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी ने आयुष्मान कार्ड योजना बनाई है गरीबों के लिए मुफ्त में इलाज मिल रहा है सरकारी अस्पताल हो या प्रायवेट अस्पताल हो इतने प्रायवेट अस्पतालों को जोड़ा गया है जिससे हमारे गरीब लोगों को जिनको इलाज की आवश्यकता होती है तो वह फ्री में प्रायवेट अस्पतालों में उनका इलाज हो जाता है. माननीय सभापति महोदय स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहली बार आज मध्यप्रदेश में 11 हजार से ज्यादा उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं और ये उप स्वास्थ्य केन्द्र ग्रामीण अंचल में हैं सभापति महोदय, सरकार के द्वारा एक एक उप स्वास्थ्य केन्द्र में एक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी दो दो तीन तीन गांव के अंतर में एक उपस्वास्थ्य केन्द्र होता है वहां 13 से 14 प्रकार की जांचे हो रही हैं वहां पर पैथालॉजी की जांच हो रही है वहां पर 40-40 मरीज उप स्वास्थ्य केन्द्र में आकर अपना फ्री में इलाज करा रहे हैं और जब जिले में पहुंचते हैं तो पहले अस्पतालों में दवाईयां बहुत कम मिलती थी. आज जिला अस्पताल में 500 से ज्यादा प्रकार की दवाईयां उपलब्ध हैं.125-126 प्रकार की दवाई उप-स्वास्थ्य केन्द्र में मिल रही है. हमारे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी मिल रही है तो यह आमूलचूल परिवर्तन मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में किया है और इसके लिये बजट में पर्याप्त व्यवस्था माननीय वित्त मंत्री जी की है. मैं आपको इसके लिये भी धन्यवाद देना चाहता हूं.
सभापति महोदय, मध्यप्रदेश के अंदर जो हमारे आदिवासी वर्ग के लोग हैं वह सिकल सेल और एनीमिया से पीडि़त थे, उसके लिये भी आपने योजना बनाई. हमारा पूरा जो आदिवासी अंचल है, हमारे 89 ब्लॉक हैं, वहां पर पूरा सर्वे किया जा रहा है और सर्वे करके उनके इलाज की पूरी व्यवस्था की है. मध्यप्रदेश में जो ऐसी व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग के द्वारा बनायी गयी और जब प्रधान मंत्री जी जब मध्यप्रदेश में आये तो उन्होंने इस योजना को पूरे देश के अंदर इस योजना को लागू कर दिया है. यह भी आदिवासी भाईयों के लिये अच्छा कदम उठाया गया है. मैं इसलिये भी उप मुख्यमंत्री जी को और हमारे स्वास्थ्य विभाग को धन्यवाद देना चाहता हूं. हमेशा प्रदेश में डॉक्टरों की कमी की बात की जाती थी. हमेशा पैरा मेडिकल स्टॉफ की कमी की बात की जाती थी तो अब हमारी सरकार ने पैरा मेडिकल स्टॉफ के 46 हजार पद केबिनेट के द्वारा पास किये और आपने पर्याप्त बजट की व्यवस्था माननीय वित्त मंत्री जी आपने की है, तो निश्चित रूप से इसमें काम होगा.
सभापति महोदय, आपने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ायी है.14 मेडिकल कॉलेजों के अलावा अब आपने बालाघाट और सिवनी में व्यवस्था की है. मैं आपसे एक निवेदन करना चाहूंगा कि मेरे विधान सभा क्षेत्र रायसेन में भी एक मेडिकल कॉलेज की केबिनेट के द्वारा स्वीकृति भी हो गयी थी. रायसेन में जमीन का आवंटन भी मेडिकल कॉलेज के लिये हो गया है. मैं आपका उसके लिये भी ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि उसको भी शामिल करके आप उसको गति देंगे.
सभापति महोदय, इस बजट के अंदर युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिये प्रदेश में उद्योंगों को बढ़ावा दिये जाने की काफी व्यवस्था इस बजट में की गई है. माननीय मंख्यमंत्री जी ने पिछले ही महीनों में उज्जैन के अंदर इन्वेस्टर्स मीट वहां पर की थी तो वहां पर कई उद्योग लगाने वाले वहां पर आये. अब उन्होंने निर्णय कर दिया की अब हम हर संभाग में इन्वेस्टर्स मीट करेंगे. जबलपुर, भोपाल, ग्वालियर और रीवा में करेंगे तो मध्यप्रदेश में जहां उद्योगपति आयेंगे तो मध्य प्रदेश के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा. इसके लिये भी में आपको धन्यवाद देना चाहता हूं.
सभापति महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में इतना अच्छा काम मध्यप्रदेश के अंदर भविष्य के लिये किया जा रहा है, सी.एम राईज़ स्कूल खोले जा रहे हैं. इस संबंध में हमारे और भी साथियों ने कहा. मैं स्कूल शिक्षा मंत्री जी को और पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री जी भी यहां बैठे हुए हैं , अब जो कॉलेज देख रहे हैं. वर्तमान में हमारी उदय भाई बैठे हुए हैं. सी.एम राईज़ जैसे स्कूल, इतने बेहतर स्कूल आज हमारे मध्यप्रदेश में खुल रहे हैं. इसमें गरीब वर्ग का बच्चा, बड़े लोग तो अपने बच्चों को बड़े-बड़े शहरों में प्रायवेट स्कूलों में जाकर पढ़ा लेते थे, लेकिन आज गांव के अंदर, कस्बे के अंदर जब सी.एम राईज़ स्कूल खुल रहे हैं, 40-40 करोड़ का एक -एक स्कूल तैयार हो रहा है और गरीब बच्चे वहां पर पढ़ रहे हैं. उनको वहां पर इस प्रकार की वहां पर पढ़ाई की सुविधा मिलेगी और अब तो उसमें ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था भी आप लोगों ने कर दी है, जिससे अगर दूर के गांव के बच्चें हैं वह भी बस में बैठकर आयेंगे और जायेंगे. इसके लिये भी मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं शिक्षा मंत्री जी से में कहना चाहूंगा कि मेरे क्षेत्र रायसेन में भी आपने सी.एम.राईज़ स्कूल खोले हैं. लेकिन सांचेत, गढ़ी और सलामतपुर के, सलामतपुर में हमारे जो पूर्व मुख्यमंत्री थे उनकी घोषणा भी थी. उनको भी आप आने वाले समय में शामिल कर लेंगे तो उचित होगा. दूसरा, सभापति महोदय, हमारे कॉलेज के मंत्री जी परमार साहब भी बैठे हुए हैं. मैंने अभी कुछ दिन पहले उनसे निवेदन भी किया था, क्योंकि सांची हमारा एक पर्यटन स्थल भी है. सांची और देवनगर आदिवासी जगह है, जहां पर कॉलेजों की आवश्यकता है, मैंने उनसे निवेदन किया है तो इसको बजट में शामिल करेंगे तो निश्चित रूप से, इसमें व्यवस्था होगी. मैं सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि जो नवकरणीय ऊर्जा है, उसके लिये भी मध्यप्रदेश में काफी काम हो रहा है और मैं सौभाग्यशाली हूं कि देश की पहली सोलर सिटी सांची हमारी बनी है जहां सोलर की सुविधाएं, बिजली उत्पादन हो रहा है. अब तो देश के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पूरे भारत में हमारी सौर ऊर्जा के माध्यम से घर घर में बिजली उत्पादन के लिए जो व्यवस्था कर दी है, उसमें भी सब्सिडी मिलेगी, जिससे कि हम ऊर्जा के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनेगा और मध्यप्रदेश भी आत्मनिर्भर बनेगा.
सभापति महोदय, सिंचाई के क्षेत्र में काफी काम किये जा रहे हैं. अब मैं अपने क्षेत्र की 2-4 बातें हैं वह कहना चाहता हूं. पर्यटन के क्षेत्र में काफी काम हो रहा है. रायसेन किले तक पहुंचने के लिए रोप-वे की स्वीकृति हो गई और वहां पर 12 करोड़ रुपयों का बजट भी स्वीकृत हो गया है. पर्यटन मंत्री जी भी यहां पर बैठे हैं. दोनों उप मुख्यमंत्री जी यहां पर बैठे हुए हैं, उसको आप जल्दी शुरू करवा देंगे, जिससे कि रायसेन किले पर आवागमन की जो असुविधा हो रही है. जब वह रोप-वे बनकर तैयार हो जाएगा तो हम लोगों को उसमें सुविधा मिल पाएगी.
सभापति महोदय, जो पेड़ लगाने का काम है, ऑक्सीजन की जो आवश्यकता है, ऑक्सीजन का जो महत्व है. कोरोना की जो बीमारी थी उसमें इसके महत्व को हमने समझा है. जब ऑक्सीजन की कमी पड़ रही थी, जब दूसरे प्रदेशों से हम ऑक्सीजन लाते थे. रेल मार्ग से लाते थे और खाली टैंकरों को हवाई जहाज में भेजते थे और ऑक्सीजन लाते थे. इस ऑक्सीजन की सुविधा को देखते हुए आज मध्यप्रदेश सरकार ने, डॉ. मोहन यादव की सरकार ने यह निर्णय लिया है कि हम हर जगह पेड़ लगाएं. पेड़ लगाने से वह हमें ऑक्सीजन भी देते हैं . जल संरक्षण की जो हमारी योजनाएं हैं जो पुरानी बावड़ियां है, जो पुराने तालाब हैं उनकी साफ-सफाई भी की गई है और जो पेड़ लगाए जा रहे हैं, इसलिए सरकार को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं. सभापति महोदय, जो आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज) - सभापति महोदय, आपको और संसदीय कार्य मंत्री महोदय, दोनों उप मुख्यमंत्री महोदय को धन्यवाद देता हूं कि आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया. सभापति महोदय, आपको देखकर इतना अच्छा लगता है. एक तुलसीदास जी ने कहा कि -
'मुखिया
मुख सों चाहिए, खान
पान को एक।
पालै
पोसै सकल अंग, तुलसी
सहित विवेक॥'
आपकी साक्षात् ऐसी भूमिका और आपका मनोमुग्धकारी व्यवहार हमें प्रेरणा देता है. मैं कहना चाहता हूं कि -
'नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते मृगैः |
विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता ||'
हमारे प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी और प्रदेश के मनमोहक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी और उनकी सरकार सारे संसार में राज कर रही है. केवल भारत और मध्यप्रदेश में ही नहीं और कारण स्पष्ट है. माननीय मोदी जी की सरकार, मोहन सरकार ने और हमारे आज के वित्तमंत्री और पहले के भी, वर्तमान, भूत, भविष्य में और न जाने क्या क्या प्रगति होगी. आदरणीय जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ. आदरणीय वित्तमंत्री महोदय ने यह गरीबों का बजट पेश किया है. यह गांव का बजट पेश किया है. यह मजदूरों के लिए बजट पेश किया है. यह आम आदमी की भलाई के लिए बजट पेश किया है. मैं मुख्यमंत्री जी का अभिनंदन करता हूं. प्रधानमंत्री जी, जिन्होंने हमारे मध्यप्रदेश की सहायता राशि कई गुना बढ़ा दी है. सुना है शायद 800 करोड़ या कितना ज्यादा दिया है. इसलिए मैं माननीय प्रधानमंत्री जी को भी इस सदन के माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हॅूं और मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहता हॅूं. मैं एक निवेदन आप सबसे कर रहा हॅूं. रामपथ गमन, श्रीकृष्णा पथ गमन वीर भारत का निर्माण विक्रमादित्य की नगरी के विक्रम अर्जित मुख्यमंत्री माननीय डॉ. मोहन यादव जी द्वारा जो काम किए जा रहे हैं वह धर्म, संस्कृति, समाज में वीरता, शौर्य वीर भगवान कृष्ण हमारे आदर्श हैं, थे और रहेंगे और भगवान राम हमारे आदर्श हैं, थे और रहेंगे और उसको जानकर हमारी आगामी पीढ़ी शिक्षा लेगी. देश, धर्म की रक्षा करेगी, नारी का सम्मान करेगी. ऐसे मुख्यमंत्री महोदय का, वित्त मंत्री महोदय और संपूर्ण मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी की सरकार का अभिनंदन करता हॅूं.
सभापति महोदय, गौ-संरक्षण की बात आ रही थी. "सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमय:" मेरी आस्था और विश्वास का केन्द्र गौमाता है. सदन के ज्यादातर सदस्यों की आस्था और विश्वास का केन्द्र है. उनके सरंक्षण के लिए मुख्यमंत्री महोदय ने जो राशि बढ़ाई है, बजट बढ़ाया है उसकी मैं छाती ठोककर, ताली बजाकर, डेस्क बजाकर हार्दिक अभिनंदन करता हॅूं. (मेजों की थपथपाहट) और कांग्रेस के, प्रतिपक्ष के माननीय विधायकों से निवेदन करता हॅूं कि आप भी अपने हाईकमान से निवेदन कीजिए. गौमाता को राष्ट्रीय पालतू पशु घोषित करवाने के लिए सदन में नेता प्रतिपक्ष...
श्री महेश परमार -- पंडित जी, सरकार किसकी है...(व्यवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा -- सभापति महोदय, मैं मुख्यमंत्री महोदय का और मंत्री महोदय का धन्यवाद करता हॅूं जिन्होंने कह दिया कि ट्रक भी राजसात होगा, अपराधी भी पकड़े जाएंगे. 7 साल से ज्यादा की सजा होगी. यह घड़ी यहां पर अकुंश लगाने वाली सरकार है. मदमस्त हाथी अपराधी गुंडागर्दी करके मध्यप्रदेश को सताते थे. इनको रोकने के लिए हमारे मोहन यादव जी की सरकार है, जगदीश जी की सरकार है, कैलाश जी की सरकार है, यह कमल के फूल की सरकार है, भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.
श्री महेश परमार -- पंडित जी, पहले तय कर लो, किसकी सरकार है.
श्री उमाकांत शर्मा -- हमारी सरकार है. (हंसी) मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय को धन्यवाद देता हॅूं. आलोक्य लाभार्थम. जो प्राप्त नहीं है उसको प्राप्त करें. यह किसने कहा है. आचार्य चाणक्य ने कहा है और जो प्राप्त हो जाए, उसकी रक्षा करें. माननीय वित्त मंत्री महोदय आपने मध्यप्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा बजट पेश किया है और सब कुछ जनता की सेवा में अर्पित किया है. आपने प्राप्त भी किया है और उसकी रक्षा भी की है. इस हेतु मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का और वित्त मंत्री जी और सभी मंत्री महानुभावों का धन्यवाद करता हॅूं.
श्री महेश परमार -- आपको मंत्री बनाएंगे अगले विस्तार में.
श्री उमाकांत शर्मा -- अब तो आपकी सरकार बन जाए, तो बना देना. इसके साथ ही मेरी ओर से छोटी-सी बातें जो मेरे क्षेत्र के लिए दिया है. आदरणीय प्रभुराम चौधरी जी हमारे दलित नेता हैं. एक जमाने में आपके थे. उन्होंने मेरे यहां सिविल अस्पताल बनवाया. उन्हें अटेरी के सिविल हास्पिटल के लिए मैं प्रणाम करता हॅूं. सिंचाई मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट जी को धन्यवाद देता हॅूं, वह चले गये. उन्होंने 1800 हेक्टेयर की सिंचाई दी है. मैं उनको प्रणाम करता हॅूं, धन्यवाद देता हॅूं.
5.34 {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी की सरकार को, पूरे मंत्रिमंडल को और राज्यपाल महोदय, प्रधानमंत्री मोदी जी और केन्द्र की सरकार को धन्यवाद देता हॅूं. इंदर सिंह जी, जो हमारे उच्च शिक्षा मंत्री महोदय वर्तमान स्कूल शिक्षा मंत्री और तत्कालीन शिक्षा मंत्री, उन्होंने दो-दो सीएम राईज स्कूल मेरे क्षेत्र में प्रदान किए. यह बच्चे, छात्र छात्राएं जिनका जीवन सुधर रहा है. उसके लिये माननीय प्रधानमंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी का हृदय से धन्यवाद देता हूं और देना भी चाहिये. जैसा हमारे साथी ने प्रशंसा की कि सड़कें तो भाजपा ने बनवायी, सही है अटल जी का स्वर्णिम चतुर्भुज, उत्तर-दक्षिण कारीडोर, प्रधानमंत्री सड़क, एवं भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री सड़क भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मोहन यादव जी ने बनवाई.
अध्यक्ष महोदय—उमाकांत जी समय आपका पूरा हो गया है. कृपया समाप्त करें.
श्री उमाकांत शर्मा—अध्यक्ष महोदय, समय की आपसे भिक्षा मांग रहा हूं. मुश्किल से मौका मिला है. आपकी कृपा दृष्टि बनी रहे भगवान आपको और बुलंदियों पर ले जाये. आपके लिये एक श्लोक समर्पित कर रहा हूं.
वरमेको
गुणी पुत्रो न
च मूर्खशतान्यपि।
एकश्चन्द्रस्तमो
हन्ति न च तारागणोऽपि
च ||
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी यशकीर्ति गरीबों के प्रति सहायता आम जनता के प्रति समर्पण और हमारे जैसे छोटे कार्यकर्ताओं को बलिदान देने का जो आपका स्वभाव है. आप हमारे प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं, कृषि मंत्री भी रहे हैं. आपने ही तो पीएम सम्मान निधि दी है.
अध्यक्ष महोदय—यही विनियोग में नहीं आयेगा.
श्री उमाकांत शर्मा—अध्यक्ष महोदय,इसलिये अपनी बात आप एक चन्द्रमा के समान हमारे सदन को अंधकार मुक्त कर उच्च संसदीय परम्पराएं आप और हमारे संसदीय मंत्री स्थापित कर रहे हैं. इसके लिये आपको एवं संसदीय मंत्री को धन्यवाद देता हूं. मेरी मांग है कि आनन्दपुर को तहसील बनाया जाये, पथरिया को तहसील बनाया जाये, पांच सिंचाई परियोजनाएं बरखेड़ा गोशी, सुगनाखेड़ी उनासी तालाब, मुगलसराय की सिंचाई योजना यह सब हमारे यहां पर हैं, आपने बहुत दिया है मेरे आका. और भी मिलेगा. सबको धन्यवाद प्रणाम.
श्री भैरोसिंह बापू (सुसनेर)—अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि मेरी विधान सभा के अंदर चार नगर हैं. सोयत, सुसनेर, नलखेड़ा एवं बड़ागांव वहां पर ढाई सौ से ज्यादा गांव एवं मजरे-टोले हैं. दो सीएस अस्पताल हैं, लेकिन वहां पर न तो कोई स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, न ही एम.डी.मेडिसिन कोई डॉक्टर हैं, न ही पूरे विधान सभा के अंदर कोई शिशु रोष विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न हो कोई हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हैं. मैं मंत्री जी ने निवेदन करना चाहूंगा कि मेरी विधान सभा के अंदर सुसनेर एवं नलखेड़ा के अंदर शिशु रोग विशेषज्ञ एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, एम.डी.मेडिसिन डॉक्टर आप वहां पर नियुक्त करें. ताकि ग्रामीण जनता को जो असुविधा हो रही है यहां तक कि महिलाओं को डिलेवरी में जो लाडली बहना हैं, मातृशक्ति अस्पताल के अंदर जब आती हैं तो उनको मजबूरी में प्रायवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है. अगर प्रायवेट अस्पतालों में प्रसुति होती है तो सरकार की 16 हजार रूपये की जो आर्थिक राशि है, वह भी उनको नहीं मिल पाती है. मेरा निवेदन है कि जल्द से जल्द मेरे क्षेत्र में डॉक्टरों की व्यवस्था की जाये. मेरे क्षेत्र में कुंडालिया डैम सिंचाई परियोजना है. जिससे मेरे क्षेत्र की जनता सिंचाई की सुविधाओं से वंचित है. मैंने इसके पहले भी आपसे निवेदन किया था. मैं एक बार फिर से आपके माध्यम से सरकार ने निवेदन करना चाहता हूं कि जल्द से जल्द किसानों के लिये सिंचाई की व्यवस्था की जाये. मेरे क्षेत्र को सिंचाई की परियोजना से जोड़ा जाये. दो डैम लटोरी गूजर और बायरा जिस डैम के लिए मैंने पूर्व में भी कागज दिए हैं. आपसे निवेदन है कि कहीं न कहीं इस बजट के अंदर इसको जोड़ा जाए. आगर जिले के अंदर एक सिरकोई अढ़ई डैम और खनवास का पहले सर्वे हुआ था. माननीय मंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहूंगा कि अढ़ई डैम का टेण्डर भी हो चुका है. तीन करोड़ के बजट की कमी के कारण कुछ ही महीने भर के अंदर वह टेण्डर निरस्त होने वाला है, पूरा क्षेत्र सूखा है. आगर क्षेत्र के विधायक यहां उपस्थित हैं, उनकी भी यह पीड़ा रही है, वह क्षेत्र पूरा सूखा क्षेत्र है, तीन करोड़ के बजट की व्यवस्था करके अगर वह डैम सुचारु रूप से बनता है तो पूरे तनोडि़या, पिपलोन क्षेत्र का जो किसान है, जो सिंचाई के लिए परेशान है, पानी के कमी के कारण सिंचाई नहीं कर पाते, उनकी व्यवस्था होगी, आदरणीय मंत्री महोदय, मेरा निवेदन है कि कालीसिंध नदी की इंदौर के अंदर जो बड़ी डैम सिंचाई योजना है, इसके पश्चिम के अंदर महिदपुर का क्षेत्र है, जो पूरा महिदपुर क्षेत्र सिंचाई से इस डैम से जुड़ चुका है, पर्याप्त पानी होने के कारण भी पूर्व के अंदर आगर का क्षेत्र लगा हुआ है, जहां बड़ौद, बीजानगरी, पिपलोन और पूरा आगर क्षेत्र है, पहाड़ी क्षेत्र है, जहां पानी की कमी के कारण किसान सिंचाई नहीं कर पाते हैं. माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इंदौर की इस सिंचाई परियोजना से आगर क्षेत्र को जोड़ा जाए, यही अनुरोध है. एक निवेदन और था रजिस्ट्री जब किसान कराने जाता है, जब वह बंधक भी होती है तो भी रजिस्ट्री हो जाती है, लेकिन जब नामांतरण कराने जाते हैं, तो उसको बंधक बताकर नामांतरण नहीं होता है, शासन रजिस्ट्री के माध्यम से राजस्व तो कलेक्ट कर लेता है, लेकिन किसान नामांतरण नहीं होने के कारण दर दर की ठोकरें खाता है, ये हमारे ही क्षेत्र की नहीं पूरे मध्यप्रदेश की बहुत बड़ी समस्या है, इसका निस्तारण किया जाए. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर डोडियार(सैलाना) - अध्यक्ष महोदय, बजट देखकर ऐसा लगा कि आदिवासी इलाके को विकास की दौड़ से वंचित रखा गया है. मेरी विधान सभा आदिवासी बहुल इलाका है, रतलाम जिले का. सरकार से मेरी मांग है कि मेरा जो आदिवासी इलाका है, वहां पर बिजली की बहुत समस्या होती है, घरेलू बिजली और सिंचाई के लिए बिजली एक ही फीडर से दी जाती है. मेरी मांग है कि मेरे इलाके में सेपरेशन का काम किया जाए विद्युत का, मेरा जो इलाका है वहां पानी की बहुत समस्या है, मनरेगा के तहत छोटे छोटे तालाब बना दिये जाते हैं, बारिश बंद होने से पहले ही तालाब में पानी खत्म हो जाता है, इस तरह से तालाब बनाए जा रहे हैं. मेरी मांग है कि मेरे क्षेत्र में ठीक ठाक बड़े स्तर के तालाब बनाए जाए, जिससे किसानों के खेतों की सिंचाई हो सके.
अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा क्षेत्र में करीब 45 साल पहले एक तालाब बना था, उसको धोलाबड़ डैम कहते हैं, मामा बालेश्वर दयाल की लड़ाई के माध्यम से वह तालाब बना था, जिसमें बहुत से गांव है, आज तक नहर नहीं बनी है तो जो सैलाना विधान सभा का क्षेत्र रावटी क्षेत्र के आसपास के जितने भी गांव हैं, जो छूटे हुए हैं, वे नहरों से वंचित हैं, वहां नहरों का विस्तार किया जाए और नहरें बनाई जाएं, कच्ची नहरों को पक्का किया जाए. अध्यक्ष महोदय, मेरा आदिवासी इलाका है, वनांचल है, जंगल का इलाका है जहां पर आविादसी लोग पिछले कई दशकों से जहां पर आदिवासी लोग पिछले कई दशकों से खेती बाड़ी का काम करते आ रहे हैं, बहुत सारे लोगों को अभी तक पट्टे नहीं दिये हैं, फारेस्ट के वनअधिकार पत्र नहीं दिये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरी मांग है कि इनको सामुदायिक अधिकार के रूप में वन अधिकार के पत्र दिये जायें. बहुत सारे दावे जो हैं जो अटके पड़े हुए हैं, रूके हुए पड़े हैं, उनका एक बार पुन: निरीक्षण किया जाये और जिन्होंने पहले से वन अधिकार पट्टों के लिये आवेदन कर रखे हैं, उनके पट्टे भी वितरित किये जायें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट में देखा है और पहले भी मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना है, इसमें जो विधवाएं हैं और जो बुजुर्ग महिलाएं हैं, उन महिलाओं को जो पहले 600 रूपये पेंशन मिल रही थी, तो उनको एडजस्ट करके अभी केवल लाड़ली बहना योजना में 650 रूपये दिये जा रहे हैं, तो मेरी यह मांग है कि यह पैसा बढ़ाया जाये वैसे तो 1250 रूपये भी कम है, लेकिन मैं मांग करता हूं कि लाड़ली बहना योजना का पैसा बढ़ाकर 5000 रूपये तक कम से कम किया जाये. मेरे हिसाब से 1250 रूपये जो है एक दिन के हिसाब से शायद 41 रूपये प्रति दिन पड़ता है और सरकार बात कर रही है की हम लोग महिलाओं के पोषण की व्यवस्था कर रहे हैं, स्वावलंबन रोजगार की व्यवस्था कर रहे हैं, 60 रूपये का एक लीटर दूध आ रहा है और सरकार 41रूपये दे रही है, तो इसको बढ़ाया जाये. बुजुर्गों की, वृद्धों की और महिलाओं और दिव्यांगों की जो पेंशन 600 रूपये है, इसको भी बढ़ाकर कम से कम लाड़ली बहना योजना की जितनी राशि है, उतनी 1250 रूपये कम से कम किया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सैलाना विधानसभा क्षेत्र आदिवासी इलाका है सड़कें इस प्रकार से बनाई जाती हैं कि एक बार अगर बारिश आ जाती है, तो उस बारिश में वह पूरी की पूरी सड़क गायब हो जाती है. अगर कभी मेरे इलाके में गाड़ी लेकर कोई चला जाये और बारिश हो गई मान लो और उस बारिश में वह गाड़ी में वहीं उसी गांव में रूक जाये, तो उसका वापस उस गांव से निकलकर शहर की ओर आना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि सड़क ही बारिश में गायब हो जाती है, ऐसी सड़कें बन रही हैं, तो मेरी मांग है कि इस प्रकार की जो सड़कें बन रही हैं, उनको ठीक तरह से जिस ठेकेदार को काम दिया जाता है, वह वहां पर ठीक से काम करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मनरेगा का उद्देश्य लोगों को रोजगार देना है. हमारा जो आदिवासी इलाका है, मेरे रतलाम जिले का सैलाना हमारा पड़ोसी जिला झाबुआ, अलीराजपुर, धार में वह पलायन पर मजदूरी करने के लिये जाते हैं, क्योंकि गांव में अपने वतन में, अपने इलाके में मजदूरी रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं होती है. अपने बच्चे उठाकर जवान महिलाएं बाहर जाती हैं और जवान बच्चे लेकर वह बाहर जाते हैं, वहां कोई सुरक्षा नहीं होती है, मजदूरी करने के बाद भी बाहर पैसा नहीं मिलता है. वहां पर ठेकेदार जो भी लोग काम करवाते हैं, वह पैसा नहीं देते हैं, इतना शोषण होता है मजदूरों के साथ में तो यह जो योजना मनरेगा की है, इसके संबंध में मेरा यह कहना है कि इसको ठीक से लागू किया जाये. मजदूरी की जो दर है, वह बहुत कम है, मजदूरी की दर मनरेगा में बढ़ाया जाये और जब भी सरपंच और सचिव लोग गांवों के अंदर में पंचायत में बैठकर प्रस्ताव पारित करते हैं कि हमें तालाब बनाना है, सड़क बनाना है, कभी किसी का कुंआ बनाना, कुछ भी निर्माण कार्य बनवाने होते हैं, तो यह प्रस्ताव ले जाकर आगे पहुंचाते हैं, तो यह इंजीनियर लोग आना कानी करते हैं और एस्टीमेट नहीं बनाते हैं, फिर कहते हैं कि ऊपर से , भोपाल से पैसा नहीं आ रहा है, तो मेरी यह मांग आपके माध्यम से है कि सरकार मनरेगा कानून को ठीक से लागू करे और समय-समय पर ग्राम पंचायतों से भी जो मांग होती है मनरेगा के तहत, उनको काम दिया जाना चाहिए और मजदूरी बढ़ना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पांचवें वे वित्त और पंद्रहवे वे वित्त की जो राशि ग्राम पंचायतों को दी जाती है, वह बहुत कम है, दो लाख, पांच लाख, सात लाख तक राशि दी जा रही है और उससे पूरा का पूरा एक साल वित्त वर्ष में क्या होगा, गांव में बहुत अलग तरीके से बना हुआ होता है. आदिवासी गांव में तो पंचायतें बहुत अलग तरीके से बनी हुई होती हैं, ऊबड़ खाबड़ होती हैं, पहाडि़यों में होता है, दो पांच लाख में सड़क भी ठीक से नहीं बनती है और एक-एक साल में केवल वही पैसा, इसलिए तो मेरी आपके माध्यम से यही मांग है कि ग्राम पंचायतों को पांचवें वित्त और पंद्रहवे वे वित्त की राशि जो राज्य देता है, राज्य का हिस्सा, राज्य का जो अंश है, वह बढ़ाया जाये और ग्राम पंचायतों को राशि दी जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सैलाना विधानसभा क्षेत्र में दो ब्लाक पड़ते हैं, सैलाना विधानसभा क्षेत्र में दो सी.एम. राईज स्कूल आईं, दोनों के दोनों नगर में ही बना दिये गये हैं, एक भी सामान्य स्कूल बचा नहीं है. आस पड़ोस में 20-30 गांव लगते हैं और उन गांव का सामान्य बच्चा, जिस बच्चे का लॉटरी में एडमीशन नहीं हो पाया, जिस बच्चे का इंट्रेंस एग्जाम में प्रवेश नहीं हो पाया, वह बच्चा पढ़ाई करने के लिये कहां जायेगा? तो मेरी आपके माध्यम से यह मांग है कि एक सीएम राइज स्कूल उसको उठाकर के ग्रामीण इलाके में बनाया जाये. मैं आपके माध्यम से मांग करता हूं कि हमारा एक बेरदा क्षेत्र है वहां बहुत आबादी है और बहुत गांव हैं. एक सीएम राइज स्कूल सैलाना से उठाकर के बेरदा में ले जाया जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा एक बाजना विकास खंड है सैलाना विधान सभा का बहुत पिछड़ा है.
अध्यक्ष महोदय-- कमलेश्वर जी खत्म कीजिये.
श्री कमलेश्वर डोडियार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बस खत्म हो गया. बाजना का सीएम राइज स्कूल रतलाम शहर के अंदर में बना दिया है तो मेरी यह मांग है कि वहां बाजना में या तो नया सीएम राइज स्कूल स्वीकृत करके बनाया जाये या फिर सैलाना वाले को ही ट्रांसफर कर दिया जाये और वहां एक नई बिल्डिंग बनाई जाये. एक राउटी के अंदर हमारा एक कॉलेज है एक जर्जर प्राइमरी स्कूल के अंदर कॉलेज चल रहा है, मेरी यह मांग है उच्च शिक्षा मंत्री महोदय से कि हमारे सैलाना विधान सभा क्षेत्र के राउटी के अंदर कॉलेज का निर्माण कराया जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, पीएम आवास जो है जिसमें आदिवासी इलाके को केवल एक लाख पैंतीस हजार रूपया दिया जाता है और शहर में ढाई लाख रूपया दिया जाता है. पीएम आवास की राशि ग्रामीण के लिये बढ़ाकर ढाई लाख की जाये. बहुत बहुत धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.
श्री घनश्याम चंद्रवंशी (कालापीपल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कालापीपल विधान सभा की ओर से आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं कि आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया. यह जो बजट है, इसके लिये मैं माननीय वित्तमंत्री जी को, हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय डॉ मोहन यादव जी को बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं कि उन्होंने यह सर्वहितैषी बजट पेश किया है. यह गरीबों का बजट है, बच्चों का बजट है, किसानों का बजट है, युवाओं का बजट है, महिलाओं का बजट है. इस बजट में शिक्षा के क्षेत्र में जो रोजगार उन्मूलक शिक्षा को ध्यान में रखते हुये युवाओं के रोजगार को ध्यान में रखते हुये सिर्फ और सिर्फ नौकरी की ओर नहीं बढ़े, इसको ध्यान में रखते हुये वह अपने पैरों पर खड़ा होकर कैसे इस बजट के माध्यम से अपने परिवार का संचालन कर सकें यह सारी बातें इस बजट में आई हैं. मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं आदरणीय वित्तमंत्री जी का कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक बजट जो दिया है. इसके साथ-साथ बजट में सड़कों के निर्माण को लेकर जो जगह दी है उसके लिये भी मैं बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा कि आज से 20, 21 साल पहले हम सबको पता है कि कैसी सड़कें इस मध्यप्रदेश में हुआ करती थीं. क्योंकि हम ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं तो याद आता है कि जब ट्रेक्टर लेकर रोड से निकलते थे तो गाना याद आता है कि ''मेरा मन डोले, तेरा तन डोले'' और आज जो गाना याद आता है, जब मोटर साइकल लेकर निकलते हैं तो ''उड़े जब-जब जुल्फें तेरी'' इतना परिवर्तन रोडों में आया है. मेरा यह कहना है कि मुख्यमंत्री जी ने यह सारी बातें शिक्षा के क्षेत्र में, रोड के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में जितनी जगह बजट में दी है उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करते हैं. कुछ बातें ऐसी हैं, माननीय पीडब्ल्यूडी मंत्री यहां पर उपस्थित नहीं हैं, लेकिन कहीं न कहीं पीडब्ल्यूडी का बजट कम है, क्योंकि रोड जो है हमारे कालापीपल विधान सभा में पिछले 5 सालों में विकास नहीं हुआ तो रोड की आवश्यकता बहुत ज्यादा है, इसलिये कुछ 18-20 रोड हमारे क्षेत्र की हैं उनका नाम लूंगा तो बहुत समय लग जायेगा, लेकिन कुछ मुख्य रोड भी हैं जो जिला मुख्य मार्ग में जैसे कालापीपल से अमलाय, खमलाय रोड पर 5 वर्ष में लगभग 19 मौतें एक्सीडेंट के कारण से हुई हैं. माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपसे विनती करूंगा कि इस काम को जोड़ा जाये. आज हमारे सभी कांग्रेस के मित्रों ने आयुष्मान पर प्रश्न चिन्ह खड़े किये थे. आयुष्मान का जो विषय है सबको पता है कि आयुष्मान में हमारी सरकार ने ही जब कहीं न कहीं कमी आई है, कुछ लोगों ने गलत तरीके से पैसा निकालने की कोशिश की है तो उन पर कार्यवाही भी की है. गरीबों के लिये आयुष्मान एक रामबाण की तरह है कि जिस गरीब के घर में इलाज के लिये पैसा नहीं हुआ करते थे मातायें बहनें अपने गहने बेचकर, किसान अपनी जमीन बेचकर अपना इलाज कराते थे. कई लोग तो ईलाज के अभाव में अपनी जान से हाथ धो बैठते थे लेकिन हमारे संवेदनशील प्रधानमंत्री जी ने आयुष्मान योजना जो चलाई है उसके माध्यम से उन गरीबों को 5 लाख रुपये तक का जो ईलाज मिल रहा है वह सराहनीय है और इस बजट में विशेष स्थान देकर माननीय वित्त मंत्री जी ने चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा काम किया है उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा. किसानों के लिये सिंचाई के क्षेत्र में बजट में बड़ा स्थान है. गरीबों के लिये जो माननीय प्रधानमंत्री जी ने 3 करोड़ मकान दिये हैं. आज देखें कि कांग्रेस के समय में पूरे गांव में एक,दो,तीन मकान दिये जाते थे आज लगभग एक-एक गांव में कहीं 79 मकान हैं कहीं 100 मकान हैं इस तरह से सूची बहुत लंबी है और लगातार पिछले कुछ वर्षों से प्रधानमंत्री जी ने पक्के मकान गरीबों को देने का काम किया है और इस बजट में उसके लिये प्रावधान दिया है तो उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद. कुछ बातें अपने कालापीपल विधान सभा की रखना चाहूंगा जो प्रमुख रूप से हैं. हमारे यहां हास्पिटल की आवश्यक्ता है. दो अस्पतालों, कालापीपल और पोलाय का उन्नयन करके सौ-सौ बिस्तर का अस्पताल वहां खोला जाए, ऐसी मैं मांग करता हूं. अवंतिपुर-बड़ोदिया की जनसंख्या लगभग 12-13 हजार के आसपास होने वाली है इसलिये अवंतिपुर-बड़ोदिया को नगर परिषद घोषित किया जाए वहीं अरनियाकला की जनसंख्या भी बहुत ज्यादा है इसलिये उसकी भी नगर परिषद् की घोषणा हो. जैसा मैंने कहा कि हमारे पूर्व शिक्षा मंत्री आदरणीय इन्दर सिंह परमार पहले वह कालापीपल विधान सभा क्षेत्र से ही विधायक हुआ करते थे. जब वे शिक्षा मंत्री थे तो उन्होंने सी.एम.राईज स्कूल देने का काम किया इसके लिये मैं सरकार का बहुत बहुत आभारी हूं. पूर्व शिक्षा मंत्री का,वर्तमान शिक्षा मंत्री जी का, मुख्यमंत्री जी का आभारी हूं. आपने बोलने का अवसर दिया धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र रामनारायण सखवार(अम्बाह) - अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. मैं आपके माध्यम से इस सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि सरकार द्वारा सदन में पेश अपने बजट को जनहितैषी,लोक लुभावना बताकर वाहवाही लूटी गई जबकि सरकार का बजट पूरी तरह से पक्षपात और द्वेषपूर्ण भावना से ग्रस्त है. उदाहरण के तौर पर सरकार के बजट में मेरे विधान सभा के पास की विधान सभा की 20 रोड़ें जोड़ी गई हैं परन्तु मेरी विधान सभा की कोई भी सड़क निर्माण या भवन निर्माण की कोई योजना नहीं जोड़ी गई. अत: मेरे यहां की जनता के साथ धोखा हुआ है. सरकार के बजट में किसी भी सामुदायिक भवन के निर्माण की योजना गांव एवं शहर में कराने की नहीं जोड़ी गई एवं पुराने विद्युत लाईनों के नवीनीकरण का उल्लेख सरकार के बजट में नहीं है जबकि बरसों पुरानी विद्युत लाईनें आए दिन टूटकर गिर रही हैं. कई बार किसानों की फसल जल गई. कई बार जनहानि हुई. पुरानी विद्युत लाईनें बदली जाएं यह मैं मांग करता हूं और मेरे विधान सभा की रोडें भी बजट में जोड़ी जाएं. मेरे द्वारा बताई गई सड़कों की लिस्ट मंत्री जी मैं आपको पेश कर दूंगा यही मेरी आपसे प्रार्थना है धन्यवाद.
5.59 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्य सूची के बिन्दु क्रमांक 10 तक कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
मेरा सभी महानुभाव सदस्यों से अनुरोध है कि बजट की चर्चा कल से आज तक चल रही है. अभी तक 80 सदस्य भाग ले चुके हैं और काफी विस्तार से बात आई है इसलिये जो सदस्य नहीं बोल पाए थे. कोशिश थी कि वे सभी भी समाविष्ट हो जाएं. अभी वित्त मंत्री जी का जवाब भी आना है इसीलिये संक्षेप में अपनी बात को रखकर सदन की कार्यवाही को चलाने में सहयोग प्रदान करें.
श्री यादवेन्द्र सिंह (टीकमगढ़) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो दिन से लगातार बजट के ऊपर चर्चा हो रही है...
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- माननीय अध्यक्ष जी, संसद में जब कई बार ऐसी बात होती है तो कहा जाता है कि लिखकर पटल पर दे दें तो मान लिया जाएगा, ऐसा भी प्रयोग हो सकता है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- जग्गू भैया जैसे लोगों को तो बोलना है कि खाली आप हंस दें, आपका काम हो जाएगा. (हंसी).
श्री यादवेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो दिन से बजट के ऊपर लगातार चर्चा चल रही है.
अध्यक्ष महोदय -- अगर लिखा हुआ है और उसको कार्यवाही में शामिल कराना चाहते हैं तो कार्यवाही में शामिल हो जाएगा. यह व्यवस्था भी दे सकते हैं.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, लिखा हुआ नहीं है, लेकिन प्वॉइन्ट तो देखेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, बस ठीक है.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, बजट में आप रोजगार की बातें कर रहे हैं कि बहुत रोजगार उपलब्ध करा दिया. आपने पढ़ा है बजट. सरकारी साधनों से केवल 7,500 पुलिस भर्ती होगी और केवल 11,000 शिक्षक भर्ती होगी, इसके अलावा आप कोई भर्ती नहीं करेंगे. आपके पास जो भी साधन आप कर रहे हैं, वह सब प्राइवेट कंपनियों से कर रहे हैं. इसलिए आप ये जो रोजगार की बातें बार-बार करते हैं, इसको तो कम से कम बंद कर दीजिए. दूसरी बात, आपने एक लेटर जारी किया, हमने कल आपसे निवेदन किया था, ये जो है, आपकी सरकार, भारत की सरकार मान चुकी है और आप मान चुके कि भारत देश के अंदर मनरेगा रोजगार देने का सबसे बड़ा साधन है. आपने आदेश जारी कर दिया, जो 60, 40 का रेश्यो होता था. ये जो विधायकगण आपकी तारीफ कर रहे हैं, कल से जब ये सब क्षेत्र में जाएंगे तो रोएंगे, आपने बोल दिया कि केवल हम मजदूरी मद का पैसा देंगे, उसके अलावा कोई पैसा नहीं देंगे. आप गिट्टी का साधन अपने आपसे करिए, आप बजरी अपने आपसे साधन करिए, आप सीमेंट अपने आपसे साधन करिए. आप लोहा अपने आपसे साधन करिए. अगर इस तरीके का आप आदेश करेंगे. ये आपका लेटर है. यह आपकी सरकार का लेटर है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने कल भी मुझे यह सर्कुलर दिखाया था और मैंने उनको कहा भी था कि जहां पर डिस्ट्रिक्ट लेवल पर रेश्यो बिगड़ा हुआ है, वहां के लिए यह लेटर है, इसका क्लेरिफिकेशन भी आज जारी हो गया है.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- आप बता दीजिए, किस जिले का रेश्यो नहीं बिगड़ा है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- नहीं, बहुत सारे जिले हैं जो अभी अनुशासन में हैं, इसलिए मुझे लगता है कि यह बहस का विषय नहीं है. इस पर बहस होगी तो मैं जवाब के लिए तैयार हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- यादवेन्द्र जी, आप अपनी बात आगे बढ़ाएं.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हमें तो अपनी बात करनी है. बाकी जो प्रहलाद जी को करना है, सो करें.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता सरंक्षण मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- आप तो फ्री ऑफ बल्लेबाजी करें.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- फ्री ऑफ ही है. विनियोग पर बोल रहे हैं, कोई विभाग पर नहीं बोल रहे हैं. इसलिए फ्री है. आपने कहा किसान की आय दोगुनी कर रहे हैं. कब किसान की आय दोगुनी कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, टीकमगढ़ जिले में जो गेहूँ खरीदा जाना था, वह 1 लाख 20 हजार मेट्रिक टन खरीदा जाना था. इन्होंने कितना खरीदा, मात्र 10 प्रतिशत, 9 हजार मेट्रिक टन खरीदा और किसान की आय दोगुनी कर रहे हैं. चुनाव के पहले आप बात कर रहे थे कि हम 2700 रुपये प्रति क्विंटल गेहूँ खरीदेंगे, आपने तो खरीदना ही बंद कर दिया, अब क्या 2700 रुपये प्रति क्विंटल खरीदेंगे. मतलब थोड़ा तो आप विचार इसके ऊपर करिए कि आप चुनाव के समय क्या बातें करते हैं और चुनाव के बाद क्या करते हैं. आपने कहा था कि हम महिलाओं को 400 रुपये में सिलेण्डर देंगे. योजना लागू हो गई ? आपने कहा था कि 3000 रुपये तक लाडली बहना योजना में पैसे बढ़ाएंगे. योजना लागू हो गई ? सरकार की तरफ से बोला गया था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सहकारिता का बजट बढ़ाने की जगह कम कर दिया है. आपको मालूम है कि 14 सहकारी बैंक परिसमापन की तरफ जा रहे हैं. अगर सारे बैंकों की जांच करा लेंगे तो करोड़ों रुपये, जितना आपका बजट घाटा है, जितना आपको कर्ज लेना पड़ रहा है. उतना पैसा तो अकेले को-ऑपरेटिव्ह बैंक से वसूल हो जायेगा. अगर आप वसूली करें तो इतनी वसूली तो आपके कर्मचारियों से होना है, उसके ऊपर ध्यान दीजिये और अगर इस पर ध्यान दे देंगे तो मैं समझता हूँ कि आपको यह घाटे का बजट पेश करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. हमारे टीकमगढ़ में बहुत बड़ी घोषणा हुई कि मेडिकल कॉलेज खोला जायेगा, मुख्यमंत्री जी के द्वारा भूमिपूजन भी हो गया. अभी जमीन तक आवंटित नहीं हुई है, आप लोग तो आसमान में भूमिपूजन कर देते हैं. यह तो केवल वोट के लिए है. आप कम से कम इस पर तो ध्यान दो कि आसमान पर न हो, धरातल पर हो.
अध्यक्ष महोदय - यादवेन्द्र जी, आप सीधे बात नहीं कीजिये. मेरी तरफ देखकर बात कीजिये.
श्री यादवेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पिछली बार विजयवर्गीय जी से निवेदन किया था. अभी टीकमगढ़ में पानी की समस्या है. पांच-पांच दिन में हम लोग पानी दे रहे थे और जो वाटर के स्त्रोत हैं, उसमें पानी खत्म हो गया है. मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया, मुख्यमंत्री जी ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री जी से बात की, फिर हमें पानी मिला, हम बड़ी मुश्किल से पानी दे पाये. अब आपकी जो अमृत-2 योजना है. नगरपालिका टीकमगढ़ के पास बजट है, लेकिन आपके अधिकारी कह रहे हैं कि उसी जगह पर बनाइये. वहां पर केवल एक एमसीएच पानी है, जबकि टीकमगढ़ नगर को सात एमसीएच पानी की आवश्यकता है. अगर आपने स्थान नहीं बदला तो बहुत दिक्कत होगी.
अध्यक्ष महोदय - प्रहलाद जी, टीकमगढ़ के नहीं हैं. आप बार-बार उधर ही देख रहे हैं.
श्री यादवेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, विजयवर्गीय जी को देख रहा हूँ. हम तो कुछ कह ही नहीं रहे हैं, हम तो हाथ में कागज लिये हैं. हमने तो कुछ कहा ही नहीं है.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - माननीय अध्यक्ष महोदय, उपमुख्यमंत्री जी ने और मैंने भी सिंचाई मंत्री से बात की थी. यह आपके संज्ञान के लिए है.
श्री यादवेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि जब आपके पास धनराशि है और जो योजना बन रही है, वह सन् 2050 तक के लिए बन रही है. जब उस सोर्स में पानी ही नहीं है तो आप सन् 2050 तक कैसे पानी देंगे ? आज एक लाख आबादी हो रही है, जब पानी देने की योजना बनी थी, तो उस समय केवल 16,000 की आबादी थी. वह योजना चल रही है, इसलिए मेरा निवेदन है कि इसके लिए नया वाटर सोर्स ढूँढें. हमें 7 एमसीएच पानी की आवश्यकता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, केन बेतवा लिंक परियोजना की बात हो रही है कि इस परियोजना से बुन्देलखण्ड का बहुत बड़ा विकास होना है. वह उत्तरप्रदेश वाले बुन्देलखण्ड का विकास होगा. हमारे टीकमगढ़ की तरफ पानी नहीं आना है.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, इतनी बड़ी योजना है, राष्ट्रीय परियोजना है. मैं फिर कह रहा हूँ, दावे के साथ कह रहा हूँ. यह डॉ. मोहन यादव जी की सरकार है, जो बोलेंगे, करके देंगे. मैं आपके सामने कह रहा हूँ, बहुत जल्दी नतीजे भी आने वाले हैं.
श्री यादवेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, डॉ. मोहन यादव जी की सरकार है तो क्या उल्टा पानी ले आओगे क्या ? टीकमगढ़ में पानी कहां से चढ़ा दोगे ?
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर सोच उल्टी हो, तो मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ.
श्री यादवेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, आप तो बीच में बोलने लगते हो. आप बात समझना नहीं चाहते हैं. आप बात सुनना नहीं चाहते हो. टीकमगढ़ उसकी सिंचाई के क्षेत्र में नहीं आ रहा है, हमें दशांश का पानी मिलेगा, तभी हम पहुँच पाएंगे और जो बानसुजारा परियोजना आपने निर्माण की है, उसके 24 किलोमीटर ऊपर अगर आप तकरवाह पोस्ट बना देते तो हमारी 44 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित हो जायेगी और टीकमगढ़ की पानी की समस्या भी हल हो जायेगी, इसके ऊपर भी विचार कीजिये. मेरा स्कूल शिक्षा मंत्री जी से अनुरोध है कि जो कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल के लिए आपने पैसा दिया है, बढि़या स्कूल बिल्डिंग बन गई है. जब तक वह बन रही थी, तब तक आपने कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल को शहर के बीच एक कोने में 5 किलोमीटर दूरी पर उसे शिफ्ट किया था, अब स्कूल बिल्डिंग बन गई तो उसको शिफ्ट करने की कार्यवाही करवा दीजिये. स्कूल की आधी छात्राओं ने पढ़ना बन्द कर दिया है, क्योंकि जिस जगह पर वह है, वहां पर शराब की दुकान है. तो बच्चियां पढ़ने के लिए नहीं जा रही हैं. आप नई बिल्डिंग में शिफ्ट करवा दीजिये, यह मेरी मांग है. अन्त में, एक कारम बांध है, वह बह गया है. सिलावट जी, आप इस पर कुछ बोलिये. आपने फिर उसी कम्पनी को काम दे दिया, जो ब्लैक लिस्टेड होनी चाहिए.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, आपको यह संज्ञान में होना चाहिए, क्योंकि कारम डेम में उस समय की कीमत और आज की कीमत, मैं उनसे काम करवा रहा हूँ. मैं काम करवाकर दूँगा, मिट्टी का कलेक्शन हो भी गया है. यह आपके संज्ञान में आ जाये.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, हर प्रश्न का जवाब देना विनियोग की बहस में जरूरी नहीं है.
श्री यादवेन्द्र सिंह- अध्यक्ष महोदय, उस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड होना था क्योंकि वह बांध समयावधि के बीच में ही बह गया. आपने फिर उसी को नया ठेका दे दिया क्योंकि वह गुजरात की कंपनी है, आप कुछ कर नहीं सकते, आपकी मजबूरी है, आपको उन्हें ठेका देना ही पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय, आपने अभी केवल 9 प्रतिशत गेहूं खरीदा गया है और आप उसका भी भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. आप वेयर हाऊस का पैसा नहीं दे पा रहे हैं, जिनमें 2-3 वर्षों पूर्व से गेहूं रखा था, यह पूरे प्रदेश की समस्या है.
अध्यक्ष महोदय- यादवेन्द्र जी, अब आप समाप्त करें.
श्री यादवेन्द्र सिंह- ठीक है.
श्री दिनेश जैन बोस (महिदपुर)- अध्यक्ष महोदय, जब मतदाता हमें वोट देता है तो उसे नहीं पता होता है कि हमारा विधायक पक्ष में बैठेगा कि विपक्ष में. लेकिन जब हम विधायक बन जाते हैं तो वह हमसे आशा रखता है कि हम उसकी MSP के लिए, उसकी फसल की बीमा राशि के लिए, उसकी सिंचाई योजनाओं के लिए विधान सभा में लड़ाई लड़ें. MSP की चर्चा पूर्व में हो चुकी है. मैं, यहां बीमा की बात करना चाहूंगा. लगातार चार वर्षों से हमारी फसलें खराब हो रही हैं, एक बीघा में 8-10 क्विंटल गेहूं होना चाहिए लेकिन 4-5 क्विंटल ही पैदावार चुनाव के पहले हुई थी. लेकिन किसानों को बीमा जब सरकार चाहती है, तब ही मिलता है, ऐसा गांव के लोग कहते हैं. बीमा कंपनियां किसानों को बीमा की राशि नहीं देती, किसान भटकता रहता है. आए दिन पत्रकार आते हैं और हम नेता, गांव में खेतों पर जाते हैं और फोटो खिंचवाते हैं लेकिन कंपनियां बीमा की राशि नहीं देती हैं. मेरी जानकारी के अनुसार जब से KCC (किसान क्रेडिट कार्ड) प्रारंभ हुआ है, बीमा कंपनियां हमेशा 10 हजार करोड़ से ज्यादा के लाभ में है और किसान 500-1000 रुपये के लिए भटकता रहता है. मैं, यह जानना चाहता हूं कि बीमा की राशि मिलती कैसे है, और यह राशि जिस भी प्रक्रिया से मिलती है, यह हमारे उपभोक्ता को मालूम होनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, यदि बीमा राशि का भुगतान सैटेलाइट इमेजरी से करवाया जाए तो वह ज्यादा सटीक होगा. इसलिए मेरे पहली मांग यह है कि बीमा की राशि किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है और इसे सैटेलाइट इमेजरी से करवाया जाये ताकि हमें बीमा राशि मिल सके.
अध्यक्ष महोदय- बहुत अच्छा.
श्री दिनेश जैन बोस- अध्यक्ष महोदय, दूसरा विषय यह है कि यह जो बजट आया है, इसमें हमारे गांव के लोगों के लिए कुछ भी नहीं है. बड़ी-बड़ी सड़कों की आप बात कर रहे हैं, बड़ी-बड़ी परियोजनायें राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार के MOU से बन रही हैं लेकिन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, जो अटल बिहारी जी ने प्रारंभ की थी, आज भी गांव में लोग 1-2 किलोमीटर की छोटी सड़कों के लिए तरस रहे हैं जो सड़क दो गांव को जोड़ती हैं, वे अभी-भी नहीं बनी हैं.
अध्यक्ष महोदय, उज्जैन जिला, जिसका मैं निवासी हूं, मुख्यमंत्री भी वहां के ही हैं. लेकिन लोक निर्माण विभाग द्वारा हमारे जिले की 5 विधान सभाओं के लिए एक भी सड़क नहीं है, यह कैसा बजट है ?
अध्यक्ष महोदय, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट एक बड़ा विषय है, आपने इसके लिए 5 हमार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है लेकिन उसमें लिखा है केवल शहरी क्षेत्र. हमारे प्रदेश में 232 तहसीलों में, हजारों पंचायतें हैं और उनको स्वच्छता के नाम पर 5वें और 15वें वित्त आयोग के हिसाब से डेढ़ लाख रुपया नाली साफ करने के उद्देश से दिया जाता है. मैं, कैलाश जी से कहना चाहता हूं कि हर एक गांव में, हर नगर पालिका में एक-एक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए सिक्योर लैण्डफिल की सुविधा हो ताकि हमें भी फायदा मिले.
अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की कुछ मांगें हैं कि हमारे यहां छोटी-छोटी सड़कें बनें और स्टाप डैम बनें, जिससे हमारे यहां पानी का स्तर बढ़, धन्यवाद.
श्री चैन सिंह वरकड़े (निवास)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से नर्मदा घाटी विकास को बजट में जोड़ने के लिए कहना चाहता हूं, चूंकि कोई भी परियोजना या विकास की बात होती है तो उसमें बहुत सारे लोगों का विस्थापन होता है वैसे ही जब बरगी बांध बना तो मण्डला जिले के लगभग 84 गांव प्रभावित हुए, लेकिन आज भी उनका जो विस्थापन हुआ है उनको आज तक न तो सही मुआवजा मिला और न ही उनकी कोई व्यवस्था हुई. न तो सड़कें हैं, न तो बिजली है और न ही स्वास्थ्य की व्यवस्था है.
मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि उनको अपने बजट में जोड़ें ताकि उनको मूलभूत सुविधाएं मिल सकें, साथ ही बरगी बांध बना है पर पूरी जमीन डूब में है और वहां एक बूंद पानी नहीं मिल पा रहा है. मैंने कल भी इस बात को रखा था कि बरगी बांध से दो सिंचाई योजना एक कुड़ामेली और एक बेलखेड़ी उनकी स्वीकृति दी जाए. वैसे ही जनजाति कार्य विभाग से मण्डला जिला आदिवासी जिला है, निवास विधान सभा में लगभग 40 से 45 प्रतिशत स्कूल जर्जर हैं या तो भवन विहीन हैं जिनमें बच्चे अपना भविष्य कैसे बना पाएंगे. कहीं किराये के घर में स्कूल लग रहा है तो कहीं और अन्यत्र लग रहा है. मैं आपके माध्यम से सरकार से मांग करना चाहता हूं कि जहां स्कूल भवन जर्जर है या भवन विहीन है वहां नवीन भवन बनाया जाए. साथ ही जैसे कि सीएम राइज़ स्कूल की बात कर रहे हैं लगभग 35 किलोमीटर दूर से बच्चे आते हैं वह रोज स्कूल कैसे आ पाएंगे? मैं उसके लिए मांग करता हूं कि कम से कम 500-500 सीट के छात्रावास शुरू किया जाएं ताकि वह बच्चियां वहां रहकर पढ़ सकें चूंकि वहां का रास्ता भी जंगली है. अभी रोड की बात हो रही थी. जो प्रधानमंत्री सड़क योजना से छूटे हुए रोड हैं उन्हें या तो पीडब्ल्यूडी विभाग बनाये या तो प्रधानमंत्री सड़क से ही एक गांव से दूसरे गांव को जोड़ने का प्रयास किया जाए. मेरा ऐसा निवेदन है कि निवास नगर परिषद है जहां बीच से सड़क गई है वहां आए दिन जाम लगता है उसे भी बाईपास बनाने के लिए बजट में जोड़ा जाए. ग्रामीण क्षेत्रों में खेलकूद बंद थे उनको आवंटन नहीं मिला है मैं कहना चाहता हूं कि उनको आवंटन दें ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी खेलकूद स्थापित हो सकें. धन्यवाद
श्री
पंकज उपाध्याय
(जौरा)-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
मैं आपका
संरक्षण
चाहूंगा.
हमारे बजट में
रोजगार की
बहुत बात हुई,
लेकिन हमारे
कैलारस में एक
बहुत बड़ा शक्कर
का कारखाना
चलता था. वहां
पर वर्ष 2007-2008 तक
बहुत ही अच्छा
उत्पादन
होता था. आप भी
हमारे
क्षेत्र से ही
हैं और हमारे
क्षेत्र के ही
कृषि मंत्री
जी भी हैं. मैं
आप दोनों से
ही अनुरोध
करुंगा कि यह
बहुत ही बड़ी
समस्या है कि
कई वर्षों से
कारखाना बंद
पड़ा हुआ था.
डायरेक्ट
पंद्रह सौ लोग
और इंडायरेक्ट
रूप से पंद्रह
हजार लोग उस
कारखाने से
जुड़े हुए थे.
वह कारखाना
हमारे विधान
सभा का ही नहीं
संपूर्ण जिले
की आर्थिक
धुरी हुआ करता
था. लोगों के
घरों में जो
आर्थिक
क्रांति आई थी
वह शक्कर
कारखाने के
कारण आई थी.
मेरा आपसे और
सरकार से
अनुरोध है कि
एक तरफ तो आप
रोजगार की बात
करते हैं और
यदि इतना बड़ा
कारखाना यदि
बंद हो जाता
है तो निश्चित
रूप से
किसानों के
साथ और युवाओं
के साथ धोखा
है. हमारे
क्षेत्र से
सबसे ज्यादा
लोग सेना में
जाते हैं और शहीद
भी होते हैं,
लेकिन आज तक
उन युवाओं के लिए
कोई ट्रेनिंग
सेंटर की,
स्पोर्ट्स
कॉम्प्लेक्स
की व्यवस्था
नहीं की गई.
मैं माननीय
खेल मंत्री जी
से और युवक
कल्याण
मंत्री से
निवेदन
करुंगा कि इस
बारे में आप
थोड़ा ध्यान
दें. बात
शिक्षा की हो रही
थी. कॉलेज दूर
है
जौरा-कैलारस
में और हमारे
यहां पालक उनको
अलग से पढ़ाना
चाहते हैं.
कन्याओं के
लिए अलग से
महाविद्यालय
की स्थापना की
जाए. बिजली विभाग
का हाल यह हो
चुका है कि 24
घंटे में से 2-3
घंटे बिजली
आती है.
मुरैना
क्षेत्र में
बिजली पर कोई
ध्यान देने
वाला नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आपने कल भी बिजली की बात कर ली है.
श्री पंकज उपाध्याय -- अध्यक्ष महोदय, ग्राम सोनवा है महू विधान सभा में यहां के किसान कई दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं एक आन्दोलन चला रहे हैं वहां पर इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर में पूरा का पूरा एक गांव जा रहा है. कुछ लोग बाहर आए हुए थे वे आपसे भी मिलना चाहते थे. मेरा अनुरोध है कि इस समस्या को आप अपने संज्ञान में लें और पूरा गांव अगर उजड़ जाएगा तो कैसे हितों की रक्षा होगी. एक बहुत बड़ी समस्या है आप वहां पर जा भी चुके हैं ग्राम धौंधा, कन्हार, घैतोली, जड़ेरु, मरहा, रकैरा, मानपुर यहां पर पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है. यहां पर अधिकतर आदिवासी लोग रहते हैं, सभी समाजों के लोग रहते हैं. वाटर लेवल नहीं है, इस ओर थोड़ा ध्यान दिया जाए और पेयजल की व्यवस्था कराएं. सड़कों की मांग मैं अलग से लिखकर आपको पहुंचा दूंगा.
आपने बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री लखन घनघोरिया (जबलपुर पूर्व) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो दिन से खूब चर्चा चल रही है. मैं आपका संरक्षण चाहूंगा और कैलाश भैया आपसे तवज्जो चाहूंगा.
कभी महफिल ने, कभी तन्हाइयों ने लूट लिया,
मुझे तो आपके वादों की रहनाइयों ने लूट लिया,
हम अपने शहर के अंधेरों में महफूज़ थे बहुत,
तेरे शहर की रोशनी की परछाइयों ने लूट लिया.
वादे गजब के हैं, हमें तो आपकी परछाइयों ने ही लूट लिया है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- जहां रहते हो वहां का असर हो रहा है.
श्री लखन घनघोरिया -- सबको अपनी अपनी जगह का असर है. ननिहाल का भी असर है और ससुराल का भी है.
अध्यक्ष महोदय, मैं नगरीय विकास के संदर्भ में माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ. जबलपुर शहर माँ नर्मदा की गोद में बसा है. लेकिन इसके साथ साथ एक बड़ी विचित्र दशा है कि जल संकट हमेशा होता है. गर्मी में जल संकट और जब बारिश होती है तो जल भराव झेलना पड़ता है. जल भराव की स्थिति यह है कि हमारे सम्माननीय मंत्री जी को एक दिन घुटने घुटने पानी में, अभी की एक इंच की बारिश में घूमना पड़ा. 374 करोड़ रुपए की लागत से जेएनयूआरएम का एक स्टाप वाटर डेम सिस्टम आया उसमें जितने नाले थे. ओमती नाले से लेकर मोती नाले तक जो 80-80 फिट, 100-100 फिट के थे उनको 12 बाय 12 कर दिया. एक बक्शानुमा बना दिया गया. वह भी पूरा नहीं किया. एल एण्ड टी ने टेंडर लिया था उसने पेटी कांट्रेक्ट में यह काम दे दिया. 70 प्रतिशत भी काम नहीं हुआ. सिर्फ एक दिन की एक घंटे की बारिश में पूरा शहर जल पिलावन की स्थिति में आ गया. पूरा शहर, अकेला मेरा विधान सभा क्षेत्र नहीं. जब मंत्री जी को अपनी विधान सभा में घुटने-घुटने पानी पर चलना पड़ा, अभी तो ठीक से बारिश नहीं हुई है, मानसून नहीं आया है. आज यह स्थिति है कि वह अधबना नाला उसके जो पूरे बक्से हैं अध बने हैं, कहीं पर बना कहीं पर नहीं बना है और वह योजना समाप्त हो गई, बंदर बांट हो गया, जो भी हुआ हो. लेकिन इसका पूरा का पूरा ठीकरा जबलपुर की जनता पर फूटता है कई बस्तियां ऐसी हैं जहां पर बहुत छोटे लोग बसतेहैं जब पानी भरता है तो उनके घरों में भरता है तो अनाज तो छोड़ो बर्तन भाडे तक तैरते हैं, बड़ी विचित्र स्थिति होती है नारकीय जीवन हो गया है. लेकिन अब स्थिति यह है कि किसी से भी बात करो तो उसको डिस्मेंटल भी नहीं कर सकते हैं और न ही बना सकते हैं. यह सरकार के स्तर पर होगा अधिकारियों से बात करें तो मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है माननीय अध्यक्ष महोदय के माध्यम से कि कम से कम उसके दोनों तरफ आपने 12 फीट का बनाया है. वहां पर जो 80 फीट की जमीन थी उस पर अतिक्रमण हो गये हैं.
मेरा यह कहना है कि पानी अपनी तीव्रता से बहता है और वह जहां पर रास्ता मिलता है वहां घुसता है. वहां पर जो जगह बची है उ समें कम से कम आप ह्यूम पाइप डाल दें, 6 फीट के व्यास के, तो जो बारिश का पानी है वह तो उससे निकल जायेगा लेकिन जो बस्ती का निस्तार का पानी है उससे घरों के आउटलेट जुड़ जाय तो घरों में पानी घुसना बंद हो जायेगा. मेरा आपसे यह आग्रह है माननीय मैं मंत्री जी का ध्यान एक बात की ओर आकर्षित करना चाहता हूं. आप नर्मदा जयंती पर जबलपुर गये. आपका धन्यवाद् क्योंकि दो दिन पहले वह मामला यहां पर उठा था और अध्यक्ष जी ने व्यवस्था दी थी उस पर आप गये थे, आप गये अच्छा लगा. वहां परयह भी लगा कि तुरंत ही सब हो जायेगा लेकिन आज भी वह 17 करोड़ 50 लाख का एसटीटीपी प्लांट, कहने को तो पूरा हो गया है, आज के ही हमारे प्रश्न में था कि यह पूरा हो गया है. लेकिन भौतिक स्थिति हम नहीं हमारे साथी लोग बता सकते हैं. बिल्कुल सही स्थिति बता जायेंगे भौतिक रूप देख लें तो न केवल यह आस्था का विषय है, हमारी आस्थाएं हैं लेकिन साथ ही उसरी पेयजल की स्थिति उसकी शुद्धता का भी विषय है. यहां पर लोगों के स्वास्थ्य का भी मामला है.
अध्यक्ष महोदय अब तो हमारे मित्र राकेश सिंह जी भी आ गये हैं मैं उनसे भी थोड़ा सा सहयोग चाहूंगा क्योंकि इन्होंने भी इस चीज को अच्छे से फेस किया है देखा है. आप वहां पर घुटने घुटने पानी में गये ठीक है जनप्रतिनिधियों का दायित्व है वह पूरी बारिश में घूमें, इ सके लिए इनकी जितनी तारीफ की जाय वह कम है. लेकिन इ सके साथ साथ हम एक चीज में सहयोग जरूर चाहते हैं. राकेश सिंह जी ने अच्छे प्रयास किये हैं जबलपुर में फ्लाई ओवर ब्रिज के लिए. हर विधान सभा में लोगो की सुविधा की दृष्टि को देखते हुए किया है. सांसद के रूप में किया है और मंत्री के रूप में सौभाग्य से विभाग भी लोक निर्माण मि्ल गया है और जब लोक निर्माण विभाग मिला है तो हमारी भी अपेक्षा है कि हमारी विधान सभा ने भी आपको चार बार सांसद बनाया है. हमारी आपसे अपेक्षाएं हैं एक फ्लाई ओवर ब्रिज जो कि तहसीली चौक से लेकर अब्दुल हमीद चौक तक जो कि जबलपुर की सबसे बड़ी आवश्यकता के लिए है. आपके जितने भी फ्लाई ओवर ब्रिज बन रहे हैं वह जरूरी थे. लेकिन उन सबसे ज्यादा जरूरी यह था, यह इसलिए नहीं की यातायात के आवागमन के लिए, बल्कि एक बहुत बड़ा श्मशान घाट जो कि करियापातर श्मशान घाट कहलाता है. यह शहर की 60 प्रतिशत आबादी के उपयोग के लिए आता है जब वहां पर कोई शव यात्रा निकलती है तो तीन तीन घंटे का जाम लगता है उ सी प्रकार से आगे चले जायें तो मंडी मदान टेकरी का कब्रिस्तान वहां पर अगर कोई एक मइयत(शवयात्रा) गई तो कम से कम 4 घंटे का जाम लगता है और हालात यह बनते हैं कि अगर कभी सांप्रदायिक तनाव की स्थिति आए.
श्री लखन घनघोरिया- हालात ये बनते हैं कभी साम्प्रदायिक तनाव की स्थितियॉं आएं वहां पर नेशनल हाइवे 7 नम्बर है, वहां कोई मुआवजा नही देना था हमारा प्रश्न था. आपके माध्यम से हम माननीय मंत्री जी के समक्ष हालांकि उनके जबाव में आया है आज ही का प्रश्न था अतारांकित हो गया था उसमें जवाब आया है कि अभी तक कोई प्राक्कलन नहीं बना है अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया. मैं सेतु निगम से लेकर मध्यप्रदेश के ईएनसी के ऑफिस तक सारी की सारी चीजें दिनांक तक की आपको बता सकता हूं.वर्ष 2020 में ये प्रॉक्लन यहां आ गया है, पूरे मेप सहित आया है.
अध्यक्ष महोदय- लखन भैया, आप एक ही जिले के हो मंत्री जी से मिलकर कर लेना.
श्री लखन घनघोरिया- आप कहें तो मैं पटल पर रख दूंगा या आप कहें तो मंत्री जी से व्यक्तिगत रूप से अनुरोध कर लूंगा. जब तीन विधानसभा में कर रहे हैं चौथी में भी कर दोगे तो भैया और ज्यादा पुजोगे. आप पैदल चलोगे तो हम भी आपके साथ पैदल चलेंगे, पुराने साथी हैं. इसलिए अपेक्षा भी आपसे करते हैं कि आप हमारी विधानसभा के साथ कम से कम, पक्षपात का रवैया आपके रहते नहीं होगा. पारदर्शिता के साथ काम होगा. यह मैं आपसे अपेक्षा करता हूं. इसके साथ साथ माननीय कैलाश भैया आपसे निवेदन करता हूं अमृत-2, 320 करोड़ की है, सर्वें बहुत मंथर गति से चल रहा है, 320 करोड़ का है. यदि वह स्पीड से चालू हो जाए तो हमारे यहां की जो जल संकट की समस्या है एक साल के अंदर हो सकती है. आप चूंकि सबसे ज्यादा पॉवर फुल मंत्री है. ऐसा मैं मानता हूं. प्रहलाद भाई तीनों को मानता हूं इसलिए कहता हूं कि परों को खोल जमाना उड़ान देखता है जमीन पे बैठा क्या आसमान देखता है. अपनी ताकत पहचाने जबलपुर को भी आप अपना आशीर्वाद दें. राकेश जी से और कैलाश जी से भी दोनों से मेरा निवेदन है कि समस्या का समाधान करे. अध्यक्ष जी आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री हेमंत कटारे - अध्यक्ष जी, आपने मुझे पुन: बोलने का मौका दिया उसके लिए मैं आपको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा नाम था.
अध्यक्ष महोदय - आप उस समय नहीं होंगे मैंने बोला था .
श्री नारायण सिंह पट्टा - अध्यक्ष महोदय मैं 11 बजे से लेकर यहीं बैठा हूं
नेता प्रतिपक्ष - दो मिनट के लिए बुलवा दीजिए
अध्यक्ष महोदय - वित्त मंत्री जी का जबाव भी आना है आप बोल दिए हैं जिन्दगी भर बोलते रहेंगे. दो मिनट में समाप्त करें.
श्री नारायण सिंह पट्टा - माननीय अध्यक्ष महोदय, तीन विषयों पर मैं बात करूंगा और बहुत गंभीर विषय हैं सरकार और सबके हित के लिए भी अध्यक्ष महोदय अनुदान मांगों पर चर्चा हो रही है यदि हम अपने क्षेत्र के विषय की चर्चा नहीं करेंगे सरकार का ध्यानाकर्षण नहीं कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय- आप सीधे विषय पर आइए
श्री नारायण सिंह पट्टा- माननीय अध्यक्ष महोदय खूब तारीफ सुनते आ रहे हैं और हम भी कर रहे हैं नगरीय प्रशासन मंत्री और संस्कृति मंत्री जी से कि प्रदेश में कुछ हुआ हो या न हुआ हो लेकिन भ्रष्टाचार को लेकर के खूब चर्चा हो रही है. मैं नगर परिषद बिछिया जो मेरे विधानसभा क्ष्ोत्र के अंतर्गत आता है. सीधे मैं वहां की बात हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा. अभी तक हम सुनते थे कि विभाग के द्वारा कमीशन लेकर के भ्रष्टाचार किया जाता था लेकिन नगर परिषद बिछिया के हाल यह हैं कि वहां के अधिकारी कर्मचारी सरकारी पैसा को अपने खाते में डालकर के ऐसे भ्रष्टाचार कर रहे हैं. एक बाबू अपने अकाउन्ट में एक करोड़ से ज्यादा पैसा डालकर के उस भ्रष्टाचार को लेकर के माननीय मंत्री विजयवर्गीय जी आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं बिछिया नगर परिषद मंत्री जी मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि बिछिया नगर परिषद में 5 जून को आयुक्त महोदय ने वहां के सी.एम.ओ के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करने के लिये पत्र लिखा लेकिन एक महीना बीत गया, उस भ्रष्ट सीएमओ के खिलाफ आज भी FIR नहीं हुई, नगर परिषद, बिछिया. इस तरह से वहां खूब भ्रष्टाचार किया गया. वहां पर चर्चा का विषय बना हुआ है. मैं निवेदन करना चाहता हूं मंत्री जी से की आप उसको दिखवा लें और भ्रष्ट जो बाबू से लेकर के जो अपने चहेतों को, सरकारी पैसा उनके खाते में बांटकर जो बंदरबांट किया गया. इसकी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही हो. निवेदन है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह जी चौहान जब नगर परिषद के चुनाव के समय बिछिया गये थे, उस समय वह जन आशीर्वाद यात्रा के समय गये थे. तो वहां के एनिकट के सौंदर्यीकरण की बात कही थी. वार्ड नंबर 5, खेरमाई वार्ड वहां के तालाब का गहरीकरण और उसके सौंदर्यीकरण की घोषणा की थी. मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं, क्योंकि मुख्यमंत्री जी की घोषणा है.
अध्यक्ष महोदय:- अब कृपया समाप्त करें.
श्री नारायण सिंह पट्टा:- माननीय एक मिनट में अपनी बात समाप्त कर दूंगा. NDV और जल संसाधन यह दोनों कम्बाइंड विभाग हैं. हालौन नदी पर बिरसा बांध बना हुआ है. कल भी मैंने इसका उल्लेख उल्लेख किया था, विस्तार में नहीं जाउंगा. वहां के किसानों के 100 घर ऐसे हैं, उनकी जमीन का एक्वायरमेंट तो कर लिया गया. लेकिन उन घरों का मुआवजा अभी तक तय नहीं हुआ है. उसके लिये अभी हमारे वर्तमान मुख्यमंत्री जी तक वहां के लोग आकर निवेदन किये और विस्थापन को लेकर के वर्ष 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने घोषणा भी की थी कि हम चाहे जो भी संपत्ति हो, चाहे पेड़ हों, पौध हों या अगर उनके घर बने हैं तो उनका भी हम इस विस्थापन के समय उचित मुआवजा देने का हम काम करेंगे.
मेरा वित्त मंत्री जी से निवेदन है कि वह बिरसा गांव हैं और बिरसा बांध के नाम से हालौन नदी पर बना हुआ है. आपसे निवेदन है कि आप इसको दिखवा लें.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय सदस्य, कृपया समाप्त करें. हेमंत कटारे जी.
श्री नारायण सिंह पट्टा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा महत्वपूर्ण सवाल है. इसके बाद मैं समाप्त कर दूंगा.
अध्यक्ष महोदय:- हेमंत जी, समय कम है. मैं फिर वित्त मंत्री जी को पुकार लूंगा.
उप नेता प्रतिपक्ष(श्री हेमंत सत्यदेव कटारे):- अध्यक्ष महोदय, मुझे बस तीन मिनट चाहिये.
श्री नारायण सिंह पट्टा:- अध्यक्ष महोदय, मुझे एक मिनट से ज्यादा समय नहीं लगेगा.
अध्यक्ष महोदय:- हेमंत जी, कृपया प्रारंभ करें. मैं उनका नाम पुकार चुका हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिघांर):- माननीय आपसे निवेदन किया था कि जो लोग नहीं बोल पाये थे उनको बोलने का समय दे दें. उनमें से एक ऋषि अग्रवाल का नाम था.
अध्यक्ष महोदय:- ऋषि अग्रवाल का नाम मैंने लिया था. वह काफी देर से सदन में नहीं हैं. वह अभी आये हैं, मैंने उनका नाम लिया था आप रिकार्ड में देख लें.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे:- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह पहली बार के सदस्य हैं. एक मिनट बोल लेंगे तो उनका भी मनोबल बढ़ जायेगा. मेरे समय में से एक मिनट का समय कम कर दीजियेगा.
अध्यक्ष महोदय:- मैंने खुद ही सुझाव दिया था कि आप उन लोगों को बुलवा दो, जो एक भी बार नहीं बोल पाये हैं. आपकी ओर से उनका नाम दिया था. मैंने उनका नाम यहां लिया था.
श्री उमंग सिंघार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इतनी जल्दी सदन अनिश्चितकाल के लिये स्थगित करना चाहते हैं तो एक मिनट में कोइ फर्क नहीं पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय:- कृपा करके पट्टा जी आप बैठो. आप एक मिनट में अपनी पूरी बात करो.
श्री ऋषि अग्रवाल (बमोरी) - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्तमंत्री जी, माननीय पंचायत मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि मैं गुना जिले की बमोरी विधान सभा से निर्वाचित होकर आया हूं. मेरी विधान सभा में 127 ग्राम पंचायतें हैं और पूर्णतः ग्रामीण क्षेत्र है, जिसमें ग्राम पंचायतों के माध्यम से ही विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य, विकास कार्य कराए जाते हैं. मैं आपका ध्यान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने एवं ग्रामवासियों के जीवन को उन्नत बनाने के लिए आकर्षित करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में ग्रामों के आंतरिक मार्गों, खेत तक जाने के मार्ग, गांवों से मजरा टोला एवं स्कूल अस्पताल आदि जाने के रोड नहीं बनने से ग्रामों के मुख्य मार्ग में पहुंचने में असुविधा होती है. पंचायत विभाग से संबंधित पंच परमेश्वर योजना, मनरेगा से सुदूर सड़क संपर्क योजना, खेत सड़क योजना को बजट आंवटन न होने एवं अघोषित बंद होने के कारण ग्रामीणों में आवागमन को लेकर बहुत ज्वलंत समस्या बनी हुई है, जिससे ग्रामीणों को गांव के अंदर कीचड़, गांव से खेत तक विभिन्न कृषि कार्य हेतु पगडंडी से आना जाना पड़ता है. कई घटनाएं होती हैं. कृषि कार्य में बहुत समस्या आती है. सुदूर सड़क संपर्क योजना का कार्य बंद होने से ग्राम से ग्राम मजरे टोले नहीं जोड़ने के कारण मुख्य सड़क से आने जाने में भी समस्या आती है एवं समय पर चिकित्सा व स्कूल अन्य कार्य आवागमन में परेशानी होती है. कई बार बहुत अप्रिय घटना भी हो जाती है. मेरा माननीय पंचायत मंत्री जी से अनुरोध है कि ग्रामों की समस्याओं एवं सम्पूर्ण विकास को दृष्टिगत रखते हुए पंच परमेश्वर योजना, मनरेगा अंतर्गत सुदूर सड़क संपर्क योजना, खेत सड़क योजना का बजट आवंटन करने की कृपा करें, जिससे आम ग्राम जनों को सुविधा मिल सके. साथ में अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सिंचाई मंत्री जी से भी अनुरोध करना चाहूंगा कि अभी हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार और राजस्थान सरकार ने पार्वती कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना का एमओयू साईन किया है. मेरी विधान सभा का बहुत बड़ा क्षेत्र राजस्थान बार्डर से लगा हुआ है और पार्वती नदी से लगा हुआ है. लेकिन बहुत सारे गांव इस योजना से वंचित रह गये हैं तो मेरा आपसे अनुरोध है कि इस क्षेत्र में वाटर लेवल भी लगभग 800-900 फीट तक चला जाता है. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि छतरपुरा, बनेठी बांध जैसे निर्माण कार्य इस योजना में शामिल किये जाने का प्रावधान कराया जाय.
अध्यक्ष महोदय - श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे जी.
श्री नारायण सिंह पट्टा - एक मिनट अध्यक्ष महोदय, आधा मिनट में मैं अपनी बात रख दूंगा. अध्यक्ष महोदय, अपर बुड़ नहर परियोजना स्वीकृत हुई है, अनुसूचित क्षेत्र है. वहां के लोगों ने कलेक्टर महोदय को लिखकर एक आपत्ति दर्ज की है कि हमारे खेती की जमीन डूब रही है. हमारे घर डूब क्षेत्र में आ रहे हैं. हमारी संस्कृति और धरोहर उससे प्रभावित हो रहे हैं तो यह सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए वहां के लोगों को विश्वास में लेते हुए, मैं आग्रह करना चाहूंगा वित्तमंत्री महोदय चूंकि परियोजना वृहद है और उससे 10 मेगावाट बिजली पैदा होना है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि जो 12.50 लाख रुपया प्रति हैक्टेयर जो मुआवजा है, चूंकि उनकी जमीन जा रही है, उनका मकान जा रहा है तो उसको बढ़ाकर मुआवजा राशि का प्रावधान किया जाय, यह आग्रह मैं आपके माध्यम से कर रहा था. अध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद आपने कृपा कर दी.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे (अटेर) - अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समय सीमा का ध्यान रखना.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- अध्यक्ष महोदय, पहले मैं हमारे दल के सब लोगों से चर्चा करके जो भावना आई है, वह व्यक्त कर दूं. आज आदरणीय श्री कैलाश विजयवर्गीय ने हम सबको भुट्टा पार्टी में जो आमंत्रण दिया है, उसके लिए मैं उनको धन्यवाद भी देता हूं और व्यक्तिगत मेरी इच्छा भी थी. हम सब लोग जायं, ऐसा मन है. अभी भी है. परन्तु सब लोगों का ऐसा सोचना है कि यदि सदन की कार्यवाही सोमवार तक आगे चलाई जाती है तो फिर हम लोग उसमें शामिल होंगे. अन्यथा क्योंकि सबका मानना है कि जो सदन है पूरा, वह चला कहीं न कहीं श्री कैलाश विजयवर्गीय ही रहे हैं तो अगर सोमवार से कार्यवाही आगे चलती है तो हम सब लोग उसमें शामिल होंगे, अन्यथा हम लोग उसमें यहीं से हाथ जोड़कर क्षमा मांग लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - आप अपनी बात कहें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे- अध्यक्ष महोदय, मैं विषय पर आ जाता हूं. कल माननीय उप मुख्यमंत्री जी का भाषण ध्यान पूर्वक सुन रहा था, जो बातें उन्होंने अपने भाषण में कही.
श्री दिलीप सिंह परिहार - यह जो भुट्टा पार्टी की यह कौन-सी बात यहां पर आ रही है?
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -अध्यक्ष महोदय, मैं उनकी बात का उत्तर नहीं दे रहा हूं. थोड़ा-सा विचलित हुआ परन्तु मैं वहीं पर छोड़ देता हूं. अध्यक्ष महोदय, मैंने उप मुख्यमंत्री जी की पूरी बात सुनी, उसमें उन्होंने बहुत लम्बा चौड़ा कहा, भाषण बहुत अच्छा देते हैं, निश्चित ही उनसे भाषण देना सीखूंगा, लेकिन वह 2003 के पहले की ही बातें करते रहे. कहीं न कहीं उन्होंने एक स्वीकृति दी कि 21 वर्ष में उनकी कोई भी उपलब्धि नहीं है. कांग्रेस का ही वह ठीकरा फोड़ते रहे. सरकार का उनके पास खुद का गिनाने के लिए कुछ भी नहीं था, उनका भाषण सुनकर ऐसा मुझे प्रतीत हुआ. कोई अपनी उपलब्धि नहीं गिना पाए. कांग्रेस ने यह किया, कांग्रेस ने यह किया, ऐसे ही माननीय विश्वास सारंग जी भी बोल रहे थे तो कांग्रेस की ही बताते रहे. उस डेढ़ साल की, बीस साल की बात नहीं बता पाए तो मैं एक चीज को जो फरवरी सत्र में हुआ था जिसको माननीय वित्त मंत्री जी ने इस सदन के अंदर अपने भाषण में स्वीकार किया था, उन्होंने कहा था कि जब हम लोग सप्लीमेंट्री बजट की बात कर रहे थे उसमें उन्होंने स्वयं स्वीकार किया था कि हम लोगों ने 64 परसेंट खर्च कर दिया था. उसमें से 36 परसेंट बाकी था और आसंदी के माध्यम से मेरा प्रश्न यह था कि यह जो 36 परसेंट बकाया है हम लोग इसका उपयोग क्यों नहीं कर रहे हैं. इसको लैप्स करवाकर नयी उधारी क्यों खड़ी कर रहे हैं. उसका उत्तर इस सत्र तक भी प्राप्त नहीं हुआ है और अभी इस बजट सेशन में मैंने 1-2 प्रश्न खडे़ किए कि जो कैपिटल एक्सपेंडिचर है ऐसा पिछले 5-6 वर्ष में पहली बार हुआ है कि उसमें 9 परसेंट की घटौत्री हुई है. उसका क्या कारण था. कैपिटल एक्सपेंडिचर में सारे महत्वपूर्ण विकास कार्य आते हैं उसका भी उत्तर नहीं आया. नेता प्रतिपक्ष जी ने और हमारे वरिष्ठ सदस्यों ने जो सवाल उठाये, उसका उत्तर नहीं आया लेकिन बाकी सारी चीजों का उत्तर, जो नहीं चाहिए था, वह सारे उत्तर आए. तो ठीक है. मुझे लगता है शायद उत्तर होगा नहीं. मैं यह मान लेता हॅूं इसलिए वे इस चीज का उत्तर नहीं दे पाए. अगर हो, तो आने वाले समय में भी देंगे तो मैं उसकी प्रतीक्षा करूंगा. ऐसी प्रार्थना करूंगा कि वे उत्तर देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आप तो प्रश्न कर लीजिए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- जी अध्यक्ष महोदय, मैंने तो कर लिया. प्रश्न मैं आखिरी में करूंगा. क्योंकि सब लोगों ने मुझे बोल ही दिया. आदरणीय कैलाश जी ने तो क्वेश्चन मॉर्क बना-बनाकर आखरी में दो-तीन प्रश्न जरूर करूंगा लेकिन उसके उत्तर आएंगे या नहीं, मैं वह भी देखूंगा. मैं आज एक ही विभाग को (XXX) क्योंकि समय कम है तो एक विभाग को (XXX) की अनुमति दे दीजिए. बाकी (XXX) पाऊंगा या नहीं, यह तो मुझे नहीं पता, पर एक विभाग की बात मैं करना चाहता हॅू. पीएचई विभाग की बात करना चाहता हॅूं. पीएचई विभाग के अंतर्गत भी जो जल-जीवन मिशन योजना चल रही है इसको बड़ा पवित्र रूप से प्रचार किया जा रहा है न जाने ऐसा लग रहा है कि स्वयं ईश्वर उसमें आकर पानी निकालने वाले हैं. ऐसा प्रचार हो रहा है.
श्री विजयपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो कहा है उस शब्द को विलोपित किया जाए. यह बात ठीक नहीं है. इस तरह की भाषा नहीं बोलना चाहिए और मर्यादा में बात की जाए.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, उस शब्द को विलोपित किया जाए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय जी, बहुत ही पवित्र तरीके से उसका प्रचार-प्रसार किया गया. उसकी पवित्रता भी बताऊंगा. कहां छुपी है वह भी सदन के सभी सदस्यों को अभी बताऊंगा. लेकिन देखने की बात यह है कि वायदा था पानी देने का, टोंटी खुलेगी पानी निकलेगा. अब हुआ क्या. पहले तक की व्यवस्था यह थी कि कोई भी गांव का व्यक्ति पानी पीने के लिए हैंडपंप तक चलकर जाता था. चलता था सड़क पर हो जाता था पानी निकालता था महिलाएं जाती थीं बाल्टी में पानी भरकर लाती थीं. सड़कें पूरी खोद दीं. अब सड़कों से जाकर हैंडपंप से पानी ले नहीं पा रहे और टोंटी खोल रहे हैं तो उसमें से भ्रष्टाचार टपक रहा है. पानी नहीं निकल रहा है, वर्तमान में यह स्थिति है और मैं आपको हर ग्रामीण क्षेत्र की बात बता रहा हॅूं कहीं पर भी पानी नहीं निकल रहा है. स्थिति यह है कि अब थोड़ा सा मैं इसमें पीएचई विभाग के अधिकारियों को भी कहना चाहूंगा कि यदि ज्ञान नहीं था तो थोड़ा ले सकते हैं, इसमें कोई बुराई नहीं है. विश्वास भैया ने तो मुझे सदन में ज्ञानी घोषित ही कर दिया है तो उसके लिए भी धन्यवाद देते हुए कहूंगा कि इसमें हर जगह वर्टिकल बोरिंग का इस्तेमाल किया गया. सड़कें खोदी, वर्टिकल बोरिंग की और लगभग 3 फीट नीचे पाईप डालना था. पाईप पहली चीज डेढ़-दो फीट से ज्यादा कहीं गिराई नहीं है चाहे तो आप निरीक्षण आप करवा लें. किसी भी जगह मौके का निरीक्षण करवा लीजिए. 3 फीट तो कहीं नहीं है. खैर, सड़कें खोद दीं. पाईप गया नहीं जितनी गहराई पर जा रहा था. एसओआर जो शेड्यूल ऑफ रेट है उसमें प्रोवीजन है कि वर्टिकल की जगह होरिजोंटल बोरिंग का कि एक पाइंट पर खोदेंगे उसके बाद मशीन जाएगी और होरिजोंटल बोरिंग करेगी और उसमें प्रावधान है लेकिन वह नहीं किया. सारी सड़कें खुद गई पानी निकला नहीं. अब देखिए. अब आप ही समझ लीजिए इस योजना का क्या लाभ मिल रहा होगा. माननीय उपमुख्यमंत्री जी ने अपने भाषण में कहा कि ठेकेदार जितने हैं उनके ऊपर सख्त कार्यवाही की जाएगी. सख्त कार्यवाही की जाएगी. सब तालियां बजा रहे थे क्या कार्यवाही हो रही है मैं आपको बता देता हॅूं. मैंने कल उनको इन्ट्रप्ट नहीं किया लेकिन मैं अभी बता देता हॅूं कि ठेकेदारों पर क्या कार्यवाही हो रही है. जितने ठेकेदार काम कर रहे हैं या तो वह जो वर्तमान में सीई, ईई इन सबके रिलेटिव्स हैं अपनी-अपनी ठेकेदारी की फर्में बना ली हैं जिस रेट पर वह लोग काम कर रहे हैं जिस क्वालिटी का काम कर रहे हैं वह बिल्कुल ही ऐसा है जब आपका कोई निरीक्षण हो जाए, तो उसमें पोल खुल जाएगी. पहली चीज तो विभाग के अधिकारियों को निर्देश हैं कि अपने रिश्तेदारों की फर्म के माध्यम से काम ही नहीं कर सकते. दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब ठेकेदार उनके मनमुताबिक पेमेन्ट नहीं हो रहा है तो रिवीजंस हो रहे हैं. रेट रिवाइज हो रहा है. फिर से देते हैं फिर रिवाइज हुआ. फिर से दिया, फिर रिवाइज हुआ. 4-4, 5-5 बार रिवाइज होकर के जो एक योजना एक गांव की है उसको दो-दो, ढाई-ढाई गुना बढ़ाकर के उनको पेमेन्ट्स हो रहे हैं. यह कार्यवाही की जा रही है आपकी सरकार के द्वारा. और यदि आप चाहेंगे तो मैं कई ठेकेदारों और कई गांवों के नाम बता दूंगा जहां रेट रिवीजंस हो रहे हैं और कार्यवाही तो कुछ हो ही नहीं रही है. आगे की बात कहूंगा कि इसमें हम लोग प्रचार करते हैं कि प्लॉस्टिक बैन है. ऐसी ही सब जगह पूरी प्लास्टिक को बैन कर रखा है और प्लास्टिक की पन्नी रखकर बोलते हैं नहीं. यहां पानी का जो सप्लाई हो रहा है. प्लास्टिक के पाईपों के माध्यम से ही हो रहा है. इसका मैंने गहराई में जाकर के परीक्षण करने की कोशिश की कि क्या कोई ऐसी रिपोर्ट है जो यह कहती हो कि यह फूड एण्ड सेफ्टी जो है उसकी भी रिपोर्ट की होगी. यह जो प्लास्टिक है, यह उसमें सेफ है. ऐसी अभी कोई भी रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है. मुझे तो नहीं मिली है. यदि हो तो पटल पर रखी जाये. एक तरफ हम प्लास्टिक नहीं देने की बात कर रहे हैं. दूसरी तरफ उसी प्लास्टिक से 24 घंटे पानी बहेगा उस पानी को हम हरेक व्यक्ति तक पहुंचाना चाह रहे हैं. कहीं यह केंसरेंस तो नहीं है. आगे चलकर उससे केंसर तो नहीं विकसित हो जायेगा. ऐसी कोई रिपोर्ट केन्द्र अथवा राज्य सरकार के पास तो उसको यहां पर रखना चाहिये पटल पर. चौथी बात यह बहुत महत्वपूर्ण है. जो विभाग के प्रमुख हैं. के.के.सोनगरिया जी यह विभाग के प्रमुख हैं, यह संविदा पर हैं. सरकार को आपको अपने अधिकारियों पर तो भरोसा नहीं है. संविदाकर्मी को जो रिटायर हो चुके हैं उनको प्रभार देकर के वापस ईएनसी बना रखा है, संविदा पर नियुक्ति करके. यह कितने शर्म की बात है कि अंदर योग्य लोगों की कमी है. ऐसी क्या सरकार की मजबूरी है कि विभाग प्रमुख ही संविदा पर बैठा हुआ है. इसके पवित्र उद्देश्य भी अध्यक्ष महोदय आपको बता देता हूं. जो मैंने शुरू में बात कही थी. इसके पीछे जो छिपा हुआ पवित्र उद्देश्य है वह यह है कि जो सारे पाईप्स बनते हैं. पूरे देश में सप्लाई होते हैं, यह बनते हैं. एच.डी.पी.ई. से हाई डेनसिटी पोलि एथिलीन यह जो है जिस ग्रेन्यूल से बनता है. उस ग्रेन्यूल के लार्जर इम्पोर्टर इंडिया में है श्री अडानी जी. यह इसके पीछे छिपा हुआ पवित्र उद्देश्य है. यह योजना ग्रामीणों के लिये नहीं है. श्री अडानी जी के लिये बनाई हुई योजना है, यह मैं आपको कहना चाहता हूं.
श्री उमाकांत शर्मा—इसमें कौन सी जाति आप बता रहे हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—इसमें कोई जाति नहीं है. आपको इसका पता ही नहीं है इसमें कौन सी जाति है बताओ.
श्री पंकज उपाध्याय—अध्यक्ष महोदय, मुझे 15 सेकण्ड का समय दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय—उमाकांत जी, पंकज भाई, तथा प्रीतम भाई कृपया बैठ जायें. आप बोलिये.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—अध्यक्ष महोदय, इसमें सिर्फ मेरी एक ही मांग है कि इस चीज को मैं समराईज कर देता हूं. यह हर विधान सभा से जुड़ा हुआ विषय है. इसमें एक हाई लेवल की समिति बनायी जाये जिसमें हर स्थानीय विधायक को उस कमेटी में शामिल किया जाये तथा एक टेक्निकल एक्सपर्ट को शामिल किया जाये. वह जब भी चाहें मौके पर जाकर उसका निरीक्षण कर सकते हैं. अध्यक्ष जी मैं यह कहना चाहूंगा कि पहली बार ऐसी न्याय प्रणाली देखने को मिली है इस सदन के अंदर पहले तो आपने अच्छे ध्यानाकर्षण के माध्यम से चर्चा करायी. लेकिन न्याय प्रणाली का अंत क्या निकला दूसरे जो उप मुख्यमंत्री आदरणीय शुक्ला जी ने आदरणीय विश्वास सारंग को क्लीन चिट दी. क्लीन चिट से कोई दिक्कत अथवा आपत्ति नहीं है. दे सकते हैं, लेकिन जो आरोप माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, जयवर्द्धन जी ने मैंने हम लोगों ने लगाये थे. उन तथ्यों को मांगा ही नहीं. जो कागज हम दे रहे थे उसका परीक्षण ही नहीं किया. जांच हुई नहीं उनको क्लीन चिट पहले ही मिल गई. यह न्याय प्रणाली मध्यप्रदेश के इस सदन में चल रही है. मुझे बड़ा यह कहते हुए शर्म है कि इस प्रकार से अगर क्लीन चिट दी जायेगी तो जनता का विश्वास कैसे जगेगा. आसंदी द्वारा आश्वासन दिया गया आपने स्वयं आश्वासन दिया उस आश्वासन को इस सदन में पूरा होना चाहिये इस सदन के अंदर आपकी बात पर हम लोगों को 100 प्रतिशत भरोसा है. आपने कहा था. मैं बार बार चिट्ठी दिखा रहा था, विश्वास सारंग जी को, उन्होंने भी कहा था कि वे इस चीज पर उत्तर देंगे. ये आसंदी का आश्वासन है, आसंदी का आश्वासन था. अध्यक्ष जी ने इस आश्वासन को दिया था, मैं आपको रिकार्ड दिखा सकता हूं.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -अध्यक्ष महोदय, भुट्टा पार्टी का समय हो गया है, आपसे निवेदन है. आपको जाना नहीं है, हम लोगों की भुट्टा पार्टी का समय हो गया है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - आप चले जाओ किसने रोका है. अध्यक्ष जी आपके द्वारा आश्वासन दिया गया था, रिकार्ड पर भी है, मिनिट्स में भी है, उस आश्वासन को पूर्ण नहीं किया, न विश्वास सारंग जी ने उस पत्र का उत्तर दिया न अभी तक मुझे ऐसा कोई उत्तर प्राप्त हुआ. मैं चाहता हूं कि अगर आसंदी से कोई आश्वासन आए तो उसका उत्तर आना चाहिए. जब ये नर्सिंग की चर्चा गंभीर चल रही है तो दिनांक 04 जुलाई 2024, मतलब कल एक तरफ चर्चा चल रही इनको न्याय दिलाने की कल क्या हो रहा अक्टूबर 2023 में जिन सात कालेजों को मान्यता निरस्त की गई थी, उनको कल की दिनांक में सात कालेजों को मान्यता दे दी गई है वह चिट्टी रखी गई है.
अध्यक्ष महोदय - हेमन्त जी, विनियोग पर चर्चा हो रही है, आपने कहा था कि एक डिपार्टमेंट पर मैं बोलूंगा. एक मिनिट में समाप्त करो.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - कल ही 4 तारीख को (XXX) को आर्डर किया है, इनको उप रजिस्ट्रार बनाया है, जब कि दोनों डेंटिस्ट हैं, डेंटिस्टों को नर्सिंग काउंसिल में उप रजिस्ट्रार बना रहे हैं, इसका क्या औचित्य है. मेरे तीन प्रश्न है, मैं यह पूछना चाहता हूं कि विश्वास सारंग जी ने 219 कॉलेज एक वर्ष में खोले तो क्या सदन के माध्यम से इनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में इनका नाम दर्ज करवाने के लिए जाएगा, दूसरा प्रश्न है कि (XXX) की दबाव देकर के अपने पत्र के माध्यम से इनने जो फर्जी नियुक्ति करवाई है, नियम विरुद्ध तरीके से, नियुक्ति की जो शर्तें थी उसके विरुद्ध जाकर के भर्ती करवाई है तो क्या उसके लिए इनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी. क्या आदरणीय विश्वास सारंग जी को तब तक के लिए बर्खास्त किया जाएगा, जब तक की नर्सिंग की जांच चल रही है, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष जी, सदस्य महोदय ने जो नाम लिए हैं, उनको विलोपित करवा दें.
अध्यक्ष महोदय - नाम देख लीजिए कौन से हैं.
श्री पंकज उपध्याय - अध्यक्ष जी 15 सेकेण्ड लूंगा, हमारे जौरा कैलारस में जो रेलवे लाइन डली है, उसके कारण हमारे दोनों शहर के लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप अलग से बता देना. कुल मिलाकर ऐसे सारे लोग 15 सेकेण्ड शुरू करेंगे तो दोबार एक चक्र शुरू हो जाएगा. अब नेता प्रतिपक्ष बोलेंगे..उसके बाद वित्तमंत्री जी बोलेंगे
श्री प्रीतम लोधी - आप पूरा दिन बोलते हैं, एक आदमी तीन-तीन, चार-चार बार बोलते हैं, भाजपा वाले को तो बोलने का समय नहीं मिल पा रहा. मैं बोलूंगा तो फिर कहोग कि बोलते हैं.
श्री अभय मिश्रा - इतना ही समय मिलता है, हम रह चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय - प्रीतम जी, अनुमति के बिना नहीं बोल सकते हैं, आपने नाम नहीं दिया था, आप नाम देते तो आपको बोलने को मिलता, नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे हैं, आप बैठ जाइए.
श्री उमंग सिंघार(नेता प्रतिपक्ष) - धन्यवाद अध्यक्ष जी, चूंकि मैं सामान्य बजट पर सभी विषयों को लेकर बात कर चुका हूं कल और आपके सदस्य ने भी एक बात कही कि हमें बोलने का मौका नहीं मिलता. माननीय अध्यक्ष महोदय, बोलने का जब मौका मिलेगा जब सदन चलेगा. (..मेजों की थपथपाहट)
और हमेशा आरोप लगता है कि विपक्ष हंगामा करता है, हम सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए बंद कर देते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि इस बार विपक्ष ने हंगामा किया लेकिन सदन को चलने दिया. जनता की आवाज और उस मांग को लेकर के हम लोग आ रहे हैं. ये अलग बात है..
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
कि विधायकों के प्रश्नों का सरकार जवाब नहीं देना चाहती, क्या सरकार डरती है, ये अलग बात है कि आप ध्यानाकर्षण के जवाब नहीं देना चाहते, लेकिन मैं लंबा भाषण नहीं देना चाहता न भाषण देने में ज्यादा विश्वास रखता हूं. लेकिन मैं इतना जरुर कहना चाहता हूं विनियोग पर, आपको राजस्व कर और अन्य विभिन्न करों से आपको एक लाख 22 हजार 700 करोड़ रुपए आ रहे. इनमें से वेतन जा रहा है आपका 64 हजार 897 करोड़ रूपये और पेंशन जा रही है 25 हजार 647 करोड़ रूपये और ब्याज जा रहा है 27 हजार 399 करोड़ रूपये, यह सब मायनस कर दो तो आपके पास खजाने में विकास के लिये 4 हजार 757 करोड़ रूपये बचते हैं. 4 हजार 757 करोड़ रूपये से विकास ? यह ऐसा खजूर का झाड़ है, जो छांव नहीं देगा, यह ऐसा बजट है. आप कर्जा ले रहे हैं और कर्जा लेकर विकास कर रहे हैं, अब मैं आपसे कहना चाहता हूं कि ब्याज पर ब्याज भरा जा रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर यही स्थिति रही तो प्रदेश किस प्रकार से कर्ज में डूबता जा रहा है और आम जनता पर किस प्रकार से कर्जा लदा जा रहा है, इस पर सरकार को एक चिंतन करना चाहिए, क्योंकि आर्थिक साधन हम नहीं कर पा रहे हैं, पहले कृषि कर्मण पुरस्कार मिले, अब मिलना बंद हो गये हैं, अब किसानों के साथ क्या हो रहा है?
माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि मैं कल बोल चुका हूं, इसलिए ज्यादा नहीं बोलना चाहता हूं तो यह मैंने आपको एक संक्षेप में माननीय वित्तमंत्री जी को आपके माध्यम से फिगर बताया है, तो हाथ में कुछ नहीं है और प्रदेश की हम कर्जा लेकर सेवा करने चले. माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी महत्वपूर्ण बात है और आपसे मेरा अनुरोध है कि अगली बार जब सत्र की तिथि आये तो अगर पूरे 14 दिन है तो पूरे 14 बैठकें होना चाहिए, इसकी व्यवस्था आपको देना चाहिए (मेजों की थपथपाहट) यह ठीक है कि आप बहुमत में हैं और आप जब सदन को चलाना चाहते हैं, यह अलग बात है, लेकिन इतनी मेहनत होती है, इतने लाखों करोड़ों रूपये खर्च होते हैं, जानकारियां आती हैं, विधायक जानकारियां इकट्ठी करती हैं, विधायक अपने क्षेत्र के जवाब पूछते हैं और आप जवाब देना नहीं चाहते हैं. आप विपक्ष के ऊपर बोल देते हैं कि विपक्ष हंगामा कर रहा है. हम तो खड़े हैं, लेकिन आप क्यों भाग रहे हो? क्या व्यापमं टू के नर्सिंग घोटाले के कारण भाग रहे हो, ऐसे कई घोटाले हैं और ऐसा मेरा आपसे कहना है कि जैसे आपने कल माननीय वित्तमंत्री जी ने पुरानी बात कही, 10,15,20 साल पुरानी बात की, भाई बीस साल से आप सरकार में हैं, आप इसमें विकास कीजिये, आप अच्छा काम करेंगे, हम तालियां बजायेंगे, हम आपको माला पहनायेंगे, लेकिन माननीय ईमानदारी से काम होना चाहिए और पक्ष विपक्ष छोड़कर हमें एक आम जनता के बारे में बात करना चाहिए और उसकी विकास की बात करना चाहिए, यही कहना चाहता हूं धन्यवाद, जय हिन्द.
वित्तमंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, तीन जुलाई को वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट प्रस्तुत किया गया, उस पर बहुत विस्तार से चर्चा हुई. मुझे लगता है कि इतनी विस्तार से चर्चा पहले कभी हुई होगी, लेकिन बहुत विस्तार से सभी माननीय सदस्यों के विचार आये और आज विनियोग विधेयक पर भी और मांगों के ऊपर भी विभिन्न हमारे सभी माननीय सदस्यगणों ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र की भी बात रखीं हैं और पूरे प्रदेश के बारे में भी विचार व्यक्त किये हैं. सबसे पहले तो मैं सभी माननीय सदस्यों का धन्यवाद करना चाहूंगा कि आज मध्यप्रदेश सरकार का जो यह सबसे बड़ा बजट आया है, उसको प्रस्तुत किया है और उसको पारित करवाया है, इसके लिये मैं धन्यवाद देना चाहता हूं और आज विनियोग विधेयक पर चर्चा भी हुई.
संसदीय कार्यमंत्री( श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, यह मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा बजट है और सबसे छोटे आदमी ने पेश किया है(हंसी)
श्री जगदीश देवड़ा -- आपका आर्शीवाद है. अध्यक्ष महोदय, आज भी हमारे सभी सम्मानीय सदस्यों ने बहुत सारे विषय अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के रखे हैं, मैं निश्चित रूप से उन सारे सुझावों को संबंधित विभाग के हमारे सभी सम्मानीय मंत्री साथियों के पास पहुंचाऊंगा और उन पर निश्चित रूप से वह गंभीरता से विचार करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, अब बहुत विस्तार से कहने की आवश्यकता नहीं है, बहुत लंबी चर्चा बजट पर भी हो गई और आज विनियोग विधेयकों पर भी काफी चर्चा हो गई.
श्री जगदीश देवड़ा (जारी)-- पर मैं कुछ सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि बजट में जो मुख्य बिंदु रहे हैं कि इस बजट में विशेष तौर पर जो हमने प्रावधान किये हैं, मैं केवल 1, 2, 5 मिनट में अपनी बात रखूंगा. कुल विनियोग की राशि रूपये 36 हजार 559 करोड़ जो विगत वर्ष की तुलना में 16 प्रतिशत अधिक है. बजट 2024-25 में राजस्व आधिक्य के रूपये 1 हजार 700 करोड़ रहने का अनुमान है. अनुमानित राजस्व प्राप्तियां रूपये 2 लाख 63 हजार 344 करोड़ है. मैं इसलिये यह फिगर दे रहा हूं चूंकि बजट पर चर्चा पूरी हो गई है, लेकिन मैं स्मरण कराना चाहता हूं कि जो बजट में मुख्य बिंदु है वह मैं आपके सामने रखना चाह रहा हूं फिर मैं अपनी बात समाप्त करूंगा. जिसमें राज्य के स्वयं के कर की राशि रूपये 1 लाख 2 हजार 97 करोड़, करों में प्रदेश का हिस्सा रूपये 95 हजार 753 करोड़, करेत्तर राजस्व रूपये 20 हजार 603 करोड़ एवं केन्द्र से प्राप्त सहायता अनुदान रूपये 44 हजार 851 करोड़ रूपये शामिल है. वर्ष 2024-25 में वर्ष 2023-24 के बजट के अनुमान की तुलना में राज्य स्वयं के कर राजस्व में 18 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है. वर्ष 2024-25 में वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान की तुलना में पूंजीगत परिव्यय में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है. अनुसूचित जनजाति हेतु जबकि मैं बोल चुका हूं इसको, सदन में बजट की चर्चा का समापन है तो मैं केवल राशि आपको बता रहा हूं, अनुसूचित जनजाति हेतु राशि रूपये 40 हजार 804 करोड़, 23.4 प्रतिशत, अनुसूचित जाति हेतु रूपये 27 हजार 900 करोड़ रूपये, 16 प्रतिशत की वृद्धि. वर्ष 2024-25 में पूंजीगत परिव्यय राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4.25 प्रतिशत अनुमानित है. वर्ष 2024-25 में ब्याज भुगतान कुल राजस्व प्राप्तियों का 10.40 प्रतिशत, सकल राज्य घरेलू उत्पाद से राजकोषीय घाटे का 4.11 प्रतिशत अनुमानित है.
श्री अभय मिश्रा-- इसमें ज्यादा घाटा है.
श्री जगदीश देवड़ा-- मैं उसको बता चुका हूं मिश्रा जी. बजट 2024-25 में मुख्य क्षेत्रों में जो प्रावधान हमने किये हैं, जो बार-बार माननीय सदस्यों की तरफ से भी बात आती है कि उसमें राशि नहीं दी, उसमें राशि नहीं दी. सब विभागों में राशि दी है. स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास में 56 प्रतिशत की वृद्धि इस समय की है, पिछले बजट की तुलना में और उद्योग में 39 प्रतिशत की वृद्धि की गई. संस्कृति संवर्धन में 35 प्रतिशत की वृद्धि की गई. हमने यह जो वृद्धि की है यह पिछले बजट की तुलना में यह इतनी ज्यादा वृद्धि की है जो पहले कभी नहीं हुई है. कृषि क्षेत्र में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई. नगरीय एवं ग्रामीण विकास में 13 प्रतिशत की वृद्धि, अधोसंरचना क्षेत्र में 9 प्रतिशत, शिक्षा में 4 प्रतिशत, मुख्यमंत्री लाड़ली बहना 2023 हेतु 18 हजार 984 करोड़ का प्रावधान किया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 4 हजार 500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना हेतु 3 हजार 500 करोड़ का प्रावधान, सामाजिक सुरक्षा कल्याण हेतु रूपये 2 हजार 400 करोड़ का प्रावधान, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हेतु 2 हजार 1 करोड़ का प्रावधान, मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन योजना हेतु 1 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया है.
मैं सभी सम्मानीय सदस्यों का धन्यवाद भी करना चाहूंगा और माननीय सदस्य जैसा बोल रहे थे मैं दोहराना नहीं चाहता, कल बहुत विस्तार से मैंने अपनी बात रखी थी, अब अगला सत्र जब आयेगा तो हम उसमें बात करेंगे. एक बार और मेरी ओर से सदन के सभी सम्मानीय सदस्यों का बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-4) विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग क्रमांक-4 विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.
जो प्रस्ताव के पक्ष में हों वे कृपया "हां" कहें.
जो प्रस्ताव के विपक्ष में हों वे कृपया "ना" कहें.
अध्यक्ष महोदय - "हां" की जीत हुई "हां" की जीत हुई.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
नेता प्रतिपक्ष((श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय, हमारे सदस्य डिवीजन चाहते हैं
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1,पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
उप मुख्यमंत्री(वित्त) श्री जगदीश देवड़ा -अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग(क्रमांक-4) विधेयक 2024 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग(क्रमांक-4) विधेयक 2024 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग(क्रमांक-4) विधेयक 2024 पारित किया जाए.
जो प्रस्ताव के पक्ष में हों वे कृपया "हां" कहें.
जो प्रस्ताव के विपक्ष में हों वे कृपया "ना" कहें.
अध्यक्ष महोदय - "हां" की जीत हुई "हां" की जीत हुई.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, हम डिवीजन चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय - डिवीजन चाहते तो हैं लेकिन समय पर बोलना चाहिये.
श्री उमंग सिंघार - हम समय पर ही बोल रहे हैं आपको.
अध्यक्ष महोदय - समय निकल गया उसके बाद आप डिवीजन मांग रहे हो.
संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, "हां" की जीत हो गई. "हां" की जीत कर दी आपने.
अध्यक्ष महोदय - जब मैंने प्रस्ताव प्रस्तुत करके "हां" और "ना" का मत मांगा तब मांगना था. जब आगे निकल गया तब आपने डिवीजन की बात कही है.
श्री उमंग सिंघार - बहुमत में है सरकार, इनको डिवीजन में क्या परेशानी है.
अध्यक्ष महोदय - मैं एक बार पुन: प्रस्ताव आपके समक्ष रखता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग(क्रमांक-4) विधेयक 2024 पारित किया जाए.
जो प्रस्ताव के पक्ष में हों वे कृपया "हां" कहें.
जो प्रस्ताव के विपक्ष में हों वे कृपया "ना" कहें.
अध्यक्ष महोदय - "हां" की जीत हुई "हां" की जीत हुई.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, बहुमत में हैं इतने घबरा क्यों रहे हैं यह लोग.
अध्यक्ष महोदय - बहुमत का सवाल नहीं है. सवाल व्यवस्था का है. इसीलिये मैंने दोबारा बोला.
श्री उमंग सिंघार - व्यवस्था के हिसाब से ही तो सदस्य ने उठाया,दल ने उठाया.
अध्यक्ष महोदय - मैंने दोबारा प्रस्ताव पढ़ा.
श्री उमंग सिंघार - दोबारा आपको बोला.
अध्यक्ष महोदय - दोबारा बाद में बोला.
श्री उमंग सिंघार - यह बजट जनता के खिलाफ जनता का विरोधी है मैं आपसे चाहता हूं कि इस पर डिविजन होना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह नयी परंपरा डल जायेगी. अध्यक्ष महोदय, नियम और परंपरा पर आपको संरक्षण देना है.
7.19 बजे वर्ष 2014-2015 के आधिक्य व्यय के विवरण का उपस्थापन
उप मुख्यमंत्री(वित्त) श्री जगदीश देवड़ा, - अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय के निर्देशानुसार वर्ष 2014-2015 के दत्तमत अनुदान और भारित विनियोग पर आधिक्य के विवरण का उपस्थापन करता हूं.
...(व्यवधान)...
07.21 बजे वर्ष 2014-15 के आधिक्य व्यय की अनुदान मांगों पर मतदान.
श्री अभय मिश्रा -- प्रदेश की जनता देख रही है कि हम सदन चलाना चाह रहे हैं. ...(व्यवधान)... लोकहित में लोगों की जनभावनाओं को इस तरह से न कुचला जाए. ...(व्यवधान)...
07.22 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-5) विधेयक, 2024
श्री अभय मिश्रा -- तो फिर हम लोग बहिष्कार कर देते हैं, कोई मतलब नहीं है. जब हम लोगों की बात ही नहीं सुनी जा रही है. यह मध्यप्रदेश विधान सभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम का क्या मतलब है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, बैठो तो. ...(व्यवधान)...
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, अन्याय अनर्थ हो रहा है. जो भी बात है, इसका मतलब है आपके हिसाब से हमारा जो समय है, हम लोग भी अपने क्षेत्र से आते हैं, आप माननीय मंत्री जी, एक चीज का भी जवाब नहीं दे रहे हैं. मतलब हम लोग जो बोल रहे हैं, वह आप लोग सुनने के लिए तैयार नहीं हैं. ...(व्यवधान)... माननीय अध्यक्ष जी, सदन चलाने के लिए हमारे निवेदन को क्यों स्वीकार नहीं कर रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष जी, सदन नियमों से चलता है. आज ये नियम कहां चले गए. ...(व्यवधान)...
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में शामिल अशासकीय संकल्प आगामी सत्र में लिए जाएंगे.
07.23 बजे विधान सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाना: प्रस्ताव
07.24 बजे बर्हिगमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बर्हिगमन
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आप हमारी बात नहीं सुन रहे हैं, इसलिए हम बहिर्गमन कर रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- पूरा दल वॉक आऊट कर रहा है. नियम प्रक्रियाओं के हिसाब से सदन नहीं चल रहा है. हमारी बात नहीं सुनी जा रही है, इसलिए हम वॉक आऊट करते हैं.
(श्री उमंग सिंघार,नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा उनकी बात न सुने जाने के विरोध में सदन से बर्हिगमन किया गया.)
07.25 बजे राष्ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूह गान
अध्यक्ष महोदय -- अब राष्ट्रगान होगा.
(सदन के माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूह गान किया गया.)
07.26 बजे विधान सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
किया जाना : घोषणा
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित.
अपराह्न 7.26 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई.
भोपाल अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 5 जुलाई, 2024 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा