मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा अष्टम सत्र
फरवरी-मार्च, 2021 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 5 मार्च, 2021
(14 फाल्गुन, शक संवत् 1942)
[खण्ड- 8 ] [अंक- 9 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 5 मार्च, 2021
(14 फाल्गुन, शक संवत् 1942)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.00 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़वानी जिले में प्रशासन द्वारा बहुत मनमानी की जा रही है. निजी जमीनों पर जो दुकानें बनी हुई हैं, वह दुकानें तोड़ी जा रही हैं, मकान तोड़े जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- बाला बच्चन जी, निधन का उल्लेख हो जाने दीजिए. ऐसे विषयों पर आप बाद में बात कर लीजिए. जब प्रश्नकाल होगा तब आप बात कर लीजिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- क्या आपका यह विषय एक मिनट बाद सदन में नहीं रखा जा सकता है. नंदू भैया की श्रद्धांजलि है आप इस बात को एक मिनट बाद भी कह सकते हैं.
11:01 बजे निधन का उल्लेख
श्री नंदकुमार सिंह चौहान, संसद सदस्य
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी भी यह भरोसा नहीं होता है कि नंदू भैया हमारे बीच में नही रहे. वह जन्मजात नेता थे छात्र जीवन से उन्होंने राजनैतिक यात्रा प्रारंभ की थी. वह दो बार शाहपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष रहे, तीन बार इस सदन के सदस्य रहे और छ: बार वह देश की सबसे बड़ी पंचायत लोक सभा में जनता के प्यार और आशीर्वाद से चुनकर गए. संगठन के काम में भी उनका कोई मुकाबला नहीं था वैसे तो वह पूरे प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष रहे वह दो बार भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने दिन और रात परिश्रम करके पूरे मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की जड़ें जमाने का काम किया. अध्यक्ष महोदय, निमाड़ की जनता की जुबान पर सदैव यह नारा रहता था '' निमाड़ की नैया नंदू भैया'' उन्होंने पूरी प्रामाणिकता के साथ, मेहनत से जनता की सेवा करके लोगों के दिलों में स्थान बनाया था और चौबीसों घंटे दिन और रात वह अपने क्षेत्र की जनता की सेवा में जुटे रहते थे. वह कुशल संगठक थे, सफल प्रशासक थे. वह पांच बार भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री रहे और वह मेरे साथ भी महामंत्री रहे थे. अध्यक्ष के नाते उन्होंने सर्वसामान्य कार्यकर्ताओं के दिलों को जीता था और दूसरी बात वह राजनैतिक मतभेदों से परे थे. परसों जब हम उनको अंतिम विदाई देने गए थे तो हमारे अनेक साथी उनकी अंतिम यात्रा में सम्मिलित हुए थे. अरुण यादव जी और बाकी निमाड़ के कई नेता और कांग्रेस के मित्र भी सम्मिलित थे और वहां जो जनसैलाब उमड़ा वह कल्पना से परे था. शाहपुर की हर गली में जहां देखो जनता का समुद्र दिखाई दे रहा था. हर आंख में आंसू थे, हर घर से फूलों की वर्षा हो रही थी, हर समाज व्यथित था राजनैतिक मतभेद दूर हो गए थे. मैंने कांग्रेस के कार्यकताओं को भी बिलखते हुए देखा है. वह अदभुत् जननेता थे. वह डेढ़ महीने से दौरे कर रहे थे और घर नहीं गए थे. पिछले महीने की ग्यारह तारीख को उन्हें घर जाना था और उसी दिन उनकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव निकल गई. वे घर से सीधे भोपाल आ गये और अस्पताल में भर्ती रहे. उम्मीद थी कि जैसे बाकी साथी गए और कुछ दिनों के बाद वापस आ गए, वैसे ही वे भी आ जायेंगे लेकिन कोरोना के दुष्प्रभावों के कारण एक दिन अचानक उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन कम हुआ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भी प्रयास किये जा सकते थे, हमने किए, कोई कसर नहीं छोड़ी. एम्स की टीम भी यहां आई, बाद में जब वे डीप कोमा में चले गए तो उन्हें यहां से दिल्ली ले जाया गया. जितने प्रयास किये जा सकते थे, सारे किए गए. उनसे संबंधित मैं एक मार्मिक चिट्ठी का उल्लेख यहां जरूर करना चाहूंगा. जनता के लिए काम करने की ललक और तड़प उनके मन में कैसी थी, यह बताना चाहूंगा. मुझे खण्डवा और बुरहानपुर के दौरे पर जाना था लेकिन नंदू भैया के अस्वस्थ होने के कारण मैंने दौरा स्थगित कर दिया, मैंने कहा जब नंदू भैया स्वस्थ हो जायेंगे, तब मैं वहां जाऊंगा. उन्होंने भी मुझे फोन पर कहा था कि ठीक है, साथ चलेंगे. लेकिन एक दिन जब उन्हें महसूस हुआ, पता नहीं क्या पूर्वाभास हुआ उन्होंने अस्पताल की एक स्लिप पर एक चिट्ठी लिखी, जो मेरे पास अभी सुरक्षित है. चिट्ठी उन्होंने, मेरे साथ जो सुरक्षा के साथी रहते हैं, उनके लिए लिखी कि मुरारी साहू को बता देना कि मुख्यमंत्री जी को फोन कर दे कि वे खण्डवा-बुरहानपुर चले जायें क्योंकि मैं शायद जल्दी नहीं आ पाऊंगा, जनता का काम होते रहना चाहिए. सचमुच अपने क्षेत्र की जनता के लिए उनके मन में इतनी तड़प थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात और जो मुझे व्यथित करती है, डेढ़ माह तक उन्होंने लगातार दौरे किये. श्रद्धेय भाभाजी से उन्होंने कहा था कि 11 मई को आऊंगा तो वे यहां आये परंतु कोरोना के कारण और चूंकि भाभाजी स्वयं भी अस्वस्थ रहती थीं, भाभाजी दुबारा उनको देख नहीं पाईं. 11 मई को वापस लौटने का कहकर उनका पार्थिव शरीर ही लौटा. ऐसे अनेक प्रसंग हैं, उनके जीवन के जो लगातार कहे जाते रहेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उनके अंतिम दर्शन वाले दिन अरूण यादव जी ने भी श्रद्धांजलि देते हुए, जिस तरह के भाव व्यक्त किये कि मैं चुनाव लड़ा लेकिन बड़े भाई की तरह उनका स्नेह सदैव मुझे मिलता रहा. एक दुर्लभ, सारी कल्पनाओं के परे, लोकप्रिय नेता नंदू भैया थे. उन्होंने जो किया वह पूरी सहजता, सरलता और पूरी प्रमाणिकता के साथ किया. मैं व्यथित मन से आज इस सदन के माध्यम से, प्रदेश की जनता की ओर से उनको श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा हूं. उनके लिए एक ही बात मुझे लगती है और जो उनका स्वभाव था-
सम: शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयो: I
शीतोष्णसुखदु:खेषु सम: सड्गविवर्जित: II
माननीय अध्यक्ष महोदय, वे किसी को शत्रु या मित्र नहीं मानते थे, दोनों के साथ समान रहते थे, सभी को अपना मानते थे, सुख और दुख में समान रहते थे. इससे जुड़ा एक और प्रसंग मैं आपको आज बताना चाहूंगा, नंदू भैया दो बार भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे और फिर फैसला हुआ कि अब दूसरा प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाये. जितनी सहजता के साथ उन्होंने दोनों बाहें फैलाकर, नये प्रदेश अध्यक्ष का गले लगाकर स्वागत किया और कहा कि मैं चट्टान की तरह तुम्हारे पीछे खड़ा रहूंगा और संगठन के काम के लिए कोई कसर नहीं छोडूंगा. यह व्यवहार राजनीति में दुर्लभ है, ऐसे अजातशत्रु, सभी के प्रिय, सभी के अपने नंदू भैया के चरणों में मैं सदन की ओर से, प्रदेश की आठ करोड़ जनता की ओर से श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं. उन्हें हम वापस तो नहीं ला सकते लेकिन परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि वे उनके परिवार को, उनके साथियों को, उनके अनुयायियों को, मित्रों को, यह गहन दुख सहन करने की क्षमता दें. भगवान ने अपने श्री-चरणों में उनको स्थान दिया ही है, फिर भी लौकिक परंपरा है इसलिए मैं परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि वे दिवंगत आत्मा को शांति दें और नंदू भैया के लिए मेरी दिल से यही प्रार्थना निकलती है कि हो सके तो फिर लौटकर आना. ओम शांति.
डॉ. गोविन्द सिंह(लहार):-माननीय अध्यक्ष जी, श्री नन्द कुमार सिंह जी आज हमारे बीच नहीं हैं, जब 1990 में, मैं पहली बार विधायक बना तो नन्द कुमार सिंह जी दूसरी बार के विधायक थे, वह लगातार तीन बार विधायक रहे और सदन में धारा प्रवाह बोलते थे, विधान सभा के अन्दर दो या तीन व्यक्ति ही ऐसे थे जो धारा प्रवाह बोलने वाले थे, उसमें स्वर्गीय चौहान साहब भी थे. हमने उनसे कई बार सीखने का प्रयास किया, हम पहली बार विधान सभा में आये थे तो कैसे ध्यानाकर्षण बनाना है, कैसे प्रश्न बनाना है, यह उन्होंने दो-चार बार बैठकर बताया.
अध्यक्ष महोदय, वास्तव में वह इतने सहज, सरल हृदय और नि:स्वार्थ भाव के व्यक्ति थे, उनके मन में कहीं भी किसी के प्रति किसी भी प्रकार की दुर्भावना नजर नहीं आयी. तीन बार लगातार विधान सभा के सदस्य और 6 बार बीच में एक टर्म छोड़कर लगातार 6 बार लोक सभा में पहुंचना कोई मामूली बात नहीं है. वही लोग जो जनता के लिये समर्पित रहते हैं, क्षेत्र के प्रति समर्पित रहते हैं और स्वर्गीय नंदू भैयाजी ने तमाम काम कराये हैं. उनके ही प्रयास से फोरलेन सड़क बनी, उन्हीं ने पूरे क्षेत्र के लिये मेडिकल कॉलेज का प्रयास किया और आम लोगों के लिये एक सांस्कृतिक संकुल केन्द्र भी बनाया करीब 15-20 करोड़ रूपये की लागत से, जिसमें वहां की संस्कृति को सहेजने के लिये और नये लोग जो संस्कृति को भूल रहे थे उनको नये आयाम देकर दोबारा शुरूआत कराने का काम किया है. मैं भी एक बार की घटना जो मेरे साथ हुई वह बताता हूं. हमारे क्षेत्र का एक रामलाल कुशवाह नाम का कार्यकर्ता था, उसके छोटे भाई को लीवर में परेशानी आयी, बड़ी दिक्कत थी. वह दिल्ली में जब सांसद थे तो मैंने जो हमारे दिल्ली में दो-चार परिचित मित्र हैं उनको फोन लगाया, नहीं लगा. मैंने डायरी में देखा तो नन्द कुमार सिंह जी का नंबर मिल गया, मैंने उनको फोन लगाया उनको कहा नन्दू भैया अगर आप हो सके तो यह गरीब परेशान आदमी है इनकी मदद कर देना तो उन्होंने कहा कि मैं गरीबों के लिये ही तो काम करता हूं. पिछड़े वर्गों, गरीबों का कोई नहीं है बोले उसका मैं हूं तो हमने कहा यह आपका ही है और उन्होंने उसको बुलाया, डॉक्टर को फोन किया एम्स के लिये और पत्र भी रखा, जब वहां रामलाल पहुंचा तो उसको ज्यादा अंदर नहीं जाने दिया और कोई व्यवस्था नहीं हुई, वह शाम को लौटकर फिर वह उनके पास पहुंचा तो उन्होंने कहा कि तुम सुबह फिर आना, दूसरे दिन वह वह स्वयं अपनी गाड़ी में लेकर गये, उससे जान नहीं, पहचान नहीं अपरिचित आदमी हमारे क्षेत्र का और उसको लेकर एम्स गये वहां उसको एडमिट कराया फिर वह वहां से पूरी तरह स्वस्थ्य होकर वापस आया और उसने मेरे कहा कि आपने मुझे जहां भेजा था वह इंसान नहीं वह तो भगवान थे. हमारा कोई परिचय नहीं, खुद गाड़ी में लेकर चले गये ऐसे इंसान आज के युग में बहुत कम हैं, जो दूसरों के लिये जीते हैं. वह आज हमारे बीच में नहीं हैं, उनका स्वर्गवास होना, हमारे बीच में ना रहना हमारे लिये बड़ा कष्टदायक है और हम बहुत दु:खी हैं. उनके आज न रहने से मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं उनकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिवार को इस गहन दु:ख को सहन करने की क्षमता प्रदान करे. मैं अपनी ओर से और कांग्रेस विधायक दल की ओर से भी स्वर्गीय नन्द कुमार सिंह के चरणों में प्रणाम करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं उनकी आत्मा को शांति पहुंचाये और उनके परिवार को हिम्मत और ढांढस बंधाये. इसी के साथ, ओम शांति.
अध्यक्ष महोदय:- मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
अध्यक्ष महोदय:- दिवंगत के सम्मान में सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित.
(11.15 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित.)
11.26 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}
11.27 बजे
बधाई
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के जन्म दिन की बधाई.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, आज प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी का जन्म दिन है. एक ऐसे व्यक्ति का और व्यक्तित्व का जन्म दिन है जिन्होंने शून्य से शिखर तक की यात्रा प्रारंभ की. एक रिकार्ड मध्यप्रदेश के अंदर चार बार मुख्यमंत्री रहने का आज तक किसी ने नहीं बनाया है. बाला भाई जितने महीने आप लोग रहे हैं वह उतने साल से मुख्यमंत्री हैं.
अध्यक्ष महोदय--कृपया इसमें विवाद नहीं करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय,बाला तो बाला हैं साहब. इस तरह की योजनाएं जिसको देश ने अंगीकार किया, जिसको देश ने स्वीकार किया. चाहे मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना हो, चाहे वह कन्यादान योजना हो, चाहे लाड़ली लक्ष्मी योजना हो, चाहे वह संबल योजना हो, इस तरह की योजनाएं जो उनके स्वयं के मन से उत्पन्न हुई हैं. सांसद थे तब बेटियों का विवाह करते थे. लंबे समय तक पावं पावं भैया के नाम से जो व्यक्ति जाना जाता था, जो व्यक्तित्व जाना जाता था उसने आज देश के अंदर, प्रदेश के अंदर कीर्तमान स्थापित किया है. ऐसे यशस्वी मुख्यमंत्री को मैं शतायु होने की, दीर्घायु होने की आज सदन के अंदर कामना करता हूं और उनके लिये प्रार्थना करता हूं.
11.28 प्रश्नकाल में मौखिक उल्लेख
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं तथा सदन की जानकारी में लाना चाहता हूं कि बड़वानी जिले में प्रशासन के द्वारा मनमानी की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल हो जाने दीजिये आपको कह दिया समय दूंगा.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, यह तो हो चुका है. बड़वानी जिले में प्रशासन के द्वारा मनमानी की जा रही है. निजी जमीने के ऊपर.....
अध्यक्ष महोदय--आपकी तरफ से भी कोई बोलना चाह रहा होगा.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री जी ने माननीय मुख्यमंत्री जी के जन्म दिवस पर शुभकामनाएं दी हैं. मैं भी ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि श्री शिवराज सिंह जी चौहान मुख्यमंत्री पद पर चौथी बार रहे हैं. उन्होंने वास्तव में रिकार्ड कायम किया है. वे गरीब किसानों के लिये लड़ते हैं. मैं उनके जन्म दिवस पर ईश्वर से दीर्घायु के लिये प्रार्थना करता हूं. वे स्वस्थ रहें, मजबूत रहें और निष्पक्ष भाव से प्रदेश की जनता की सेवा बिना भेदभाव के करते रहें ऐसी मैं शुभकामनाएं देता हूं.
अध्यक्ष महोदय--मैं सदन की ओर से सदन के नेता श्री शिवराज सिंह चौहान जी के जन्म दिन पर ढेर सारी बधाईयां देता हूं.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि प्रशासन बड़वानी एवं खरगौन जिले में दोनों जगह एवं अन्यों जिलों में भी मनमानी कर रहा है. मेरे जिले बड़वानी में मनमानी की. मेरी राजपुर विधान सभा की पंचायती बाड़ी है. पंचायती बाड़ी में जो निजी जमीन पर भवन एवं दुकानें बनी थीं उनको प्रशासन के द्वारा तोड़ दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय--आपको विधान सभा में इतने समय का अनुभव है. आप प्रश्नकाल हो जाने दीजिये फिर इसको उठाईयेगा. कई आपको अवसर मिलेंगे इसको उठाने के. आप प्रश्नकाल हो जाने दीजिये.
11.29 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
खण्डवा जिले में नियम विरुध्द कॉलोनी निर्माण की स्वीकृति
[नगरीय विकास एवं आवास]
1. ( *क्र. 1521 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खण्डवा जिले में नगर तथा ग्राम निवेश विभाग द्वारा विगत 3 वर्षों में किन-किन कॉलोनियों के नक्शे स्वीकृत कर कॉलोनी विकास की अऩुमति जारी की गई है? (ख) क्या जारी अऩुमतियों में खण्डवा के मास्टर प्लान 2031 की अवहेलना की गई है तथा कई कॉलोनियों में नियमों के विरूद्ध नक्शों की स्वीकृति प्रदान की गई है? (ग) क्या नगर की कई कॉलोनियों में सार्वजनिक उद्यान का स्थान व क्षेत्रफल नियमों एवं जनहित के विपरीत कॉलोनाईज़र की इच्छानुसार स्वीकृत किये गये हैं? (घ) यदि हाँ, तो इन स्वीकृत कॉलोनियों में किस अधिकारी द्वारा नियम विरूद्ध कार्य किया गया है? क्या खण्डवा नगर एवं ग्राम निवेश द्वारा विगत 3 वर्ष में स्वीकृत प्रकरणों की उच्चस्तरीय जाँच कराई जाकर दोषी अधिकारियों को निलंबित किया जाएगा? यदि हाँ, तो कब तक?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) खण्डवा जिले में नगर तथा ग्राम निवेश जिला कार्यालय खण्डवा द्वारा जारी विकास अनुज्ञा एवं अभिमत प्रदाय किये गये हैं, सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) जी नहीं। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री देवेन्द्र वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को ध्यान दिलाना चाहूंगा कि मेरे क्षेत्र में मास्टर प्लान बनाया जा रहा है. मुझे न्यूज पेपरों के माध्यम से जानकारी मिली है. मास्टर प्लान में 2001, 2011 और 2021 में जो मेजर रोड, सर्विस रोड इस प्रकार के प्लान थे, उसको पुन: एक बार प्लान कर दिया है और पूर्व में जो इस प्रकार की ग्रीन बेल्ट की जमीन थी, उनको बाहर कर दिया गया है, जबकि पिछले वर्षों में बताया गया था कि ये जमीन ग्रीन बेल्ट से नहीं हट सकती. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से निवेदन है कि यह जो प्रस्तावित मास्टर प्लान है, इसमें जनता के सभी वर्गों के लोगों से सुझाव लेकर पुन: बनाया जाएगा क्या, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मास्टर प्लान बनाए जाते हैं, वह मास्टर प्लान लोगों की आपत्ति के लिए, जनता की आपत्ति के लिए, तिथियां निर्धारित की जाती हैं, उसी आधार पर आपत्तियां बुलाई जाती हैं, जनप्रतिनिधियों को भी उसकी सूचना दी जाती है, उनको सुना जाता है, उसके बाद मास्टर प्लान फायनल होता है. माननीय सदस्य मास्टर प्लान के संबंध में जो कह रहे हैं तो उसके संबंध में मैं यह निर्देश जारी करुंगा कि माननीय सदस्य एक बार मास्टर प्लान को देख लें, उनकी कोई आपत्ति होगी और वह आपत्तियां नियमानुसार मान्य होगी तो हम उसको स्वीकार करेंगे, और माननीय सदस्य उसको देख लेंगे.
श्री देवेन्द्र वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि जो जमीन पूर्व में 2011 के मास्टर प्लान में बताई गई थी कि यह ग्रीन बेल्ट की जमीनें हैं और हमें बताया गया था कि ग्रीन बेल्ट की जमीनें नहीं हट सकती और 2021 में ग्रीन बेल्ट से कैसे हट गई. इसी प्रकार जो मेजर रोड, सर्विस रोड और जो रिंग रोड है, उस रोड पर आज की तारीख में अवैध कॉलोनियां कट चुकी है, उसको एक बार पुन: उसी प्रकार प्रस्तावित कर दिया गया है, तो जो प्रस्तावित मास्टर प्लान है, उसको निरस्त करके, पुन: सभी लोगों से सुझाव लेकर प्रस्तावित मास्टर प्लान बनाएंगे क्या?
श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य जो कह रहे हैं, उसकी भी हम जांच करवा लेंगे, पूर्व में यदि वह ग्रीन बेल्ट था और बाद में मास्टर प्लान में कुछ परिवर्तन हुआ है तो उसको भी देख लेंगे और कोई गड़बड़ी हुई है तो उसकी भी जांच करवा लेंगे और माननीय सदस्य मास्टर प्लान देख लेंगे और उनके जो सुझाव होंगे, उन पर विचार करेंगे.
श्री देवेन्द्र वर्मा - माननीय मंत्री जी बहुत बहुत धन्यवाद.
अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाना
[नगरीय विकास एवं आवास]
2. ( *क्र. 2972 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला नरसिंहपुर, सागर एवं दमोह में वर्ष 2010 से अभी तक कितनी कॉलोनी बनाई गईं हैं? कितनी कॉलोनी में नियमानुसार/कॉलोनाईज़र एक्ट अनुसार सुविधाएं प्रदान की गई है, कितनी कॉलोनी अवैध है? (ख) क्या उक्त अवैध कॉलोनी को वैध करने के लिये कार्यवाही की जा रही है? हाँ तो कब तक कॉलोनाईज़र एक्ट की सुविधाओं का लाभ प्रदान किया जावेगा एवं दोषी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ, कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। वैधानिक प्रक्रिया होने के कारण समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है, दोषियों के विरूद्ध नगरपालिका अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत कार्यवाही की जायेगी।
श्री जालम सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि वैध अवैध कॉलोनियों में जो मूलभूत सुविधाएं होती हैं वह नहीं मिल पा रही है. हमारे नरसिंहपुर जिले में 151 अवैध कॉलोनियां हैं, जिसमें 57 नरसिंहपुर में हैं 74 गाडरवाड़ा में है, 14 गोटेगांव में हैं, 4 करेली में हैं और दमोह और सागर मे 660 अवैध कालोनियां हैं. मेरा निवेदन है, सम्माननीय मंत्री जी संवेदनशील है, मुख्यमंत्री जी ने पहले भी घोषणा की थी. मेरा निवेदन है कि जो अवैध कालोनियां हैं, उसमें लोग वर्षों से रह रह हैं, उनको सड़क पानी, बिजली की सुविधा नहीं मिल पा रही है, वे शहरों में रहकर अपनी पूंजी लगाकर मकान बनाएं हैं, मंत्री जी से निवेदन है कि इसमें कोई आपने योजना बनाई है. उसी प्रकार मेरा एक और निवेदन है कि उसमें ईडब्ल्यूएस गरीबों के लिए कुछ 15 प्रतिशत भूखंड छोड़ें जाते हैं, मेरा निवेदन है कि उसमें आपने कहां कहां भूखंड छोड़े हैं, किस-किस कालोनी में छोड़े हैं? तीसरा प्रश्न है कि कॉलोनाइजर डेवलपमेंट के लिए कुछ प्लाट बंधक बनाता है, उसमें भी यह होता है कि अधिकारियों से मिल जुलकर वे प्लाट बेच देते हैं और बाद में कॉलोनाइजर भटकते रहते हैं, चूंकि हमारी सरकार संवेदनशील और उदाहरण के रूप में बताना चाहता हूं कि हमारे नगर पंचायत बनाई गई थी, कांग्रेसी सरकार ने उसको खत्म कर दिया था, इसमें प्रश्न नहीं हैं, लेकिन मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि इसमें भी कोई जानकारी देंगे, ऐसा निवेदन करता हूं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का जो प्रश्न है, वह बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है और माननीय सदस्य जो कह रहे हैं, मैं माननीय अध्यक्ष जी उस बात से सहमत भी हूँ. पूरे प्रदेश में ऐसी बहुत बड़ी संख्या है, जो अवैध कॉलोनियों के रूप में जगह-जगह है और इसीलिये 2016 में हमारी सरकार ने, माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह निर्णय लिया था कि जो भी प्रदेश में अवैध कॉलोनियां हैं, जिन्होंने अवैध कॉलोनी बनाई, उनके खिलाफ तो जो नियमानुसार कार्यवाही होना है, वह अलग विषय है. परन्तु जिन लोगों ने वहां मकान बना लिये हैं, उनको मूलभूत सुविधाएं मिलें और अध्यक्ष महोदय, इसीलिये 2016 में माननीय मुख्यमंत्री जी ने निर्णय लिया था कि हम ऐसी कॉलोनियों को वैध करेंगे और उसके बाद हम लोगों ने अनेक कॉलोनियों को वैध भी किया. उसके बाद पिछले समय ग्वालियर हाईकोर्ट से इस पर स्टे आया और स्टे की वजह से आगे की कार्यवाही रुकी थी. इसको माननीय मुख्यमंत्री जी ने गंभीरता से लेते हुए, हम लोगों ने यह तय किया कि हम लोग एक्ट को अमेण्ड करेंगे और माननीय अध्यक्ष महोदय, एक्ट अमेण्डमेंट की कार्यवाही हमने लगभग पूरी कर ली है और हमारी कोशिश यह है कि इसी सत्र में हम लोग वह एक्ट यहां पर लेकर आएं और उस एक्ट में हम लोग यह प्रावधान कर रहे हैं कि जितनी भी इस तरह की अवैध कॉलोनियां हैं, उन सबको वैध करेंगे. जिससे कि लोगों को वहां पर मूलभूत सुविधाएं मिल सकें और हम उसमें यह प्रावधान कर रहे हैं कि जो कम्पाउंडिंग है, उसको 10 प्रतिशत से बढ़ाकर हम 20 प्रतिशत कर रहे हैं तो जो माननीय सदस्य का प्रश्न है, निश्चित रूप से बहुत गंभीर है और इस बारे में सरकार कार्यवाही कर रही है. जैसा वह चाहते हैं, वैसी कार्यवाही हम लोग कर रहे हैं.
श्री जालम सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ.
प्रश्न क्रमांक 3 - अनुपस्थित
तहसील अम्बाह/पोरसा में बस स्टैण्ड का निर्माण
[गृह]
4. (*क्र. 2808 ) श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तहसील अम्बाह व पोरसा बस अड्डे की बसें रोड पर खड़ी होने के कारण प्रतिदिन आमजन को जाम व दुर्घटनाओं से जूझना पड़ता है? (ख) यदि हाँ, तो क्या सरकार बस अड्डे में ही बसों को खड़ा करने की कड़ाई से पालन कराने हेतु कोई ठोस कार्यवाही करेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नही, तो क्यों?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी नहीं। अम्बाह एवं पोरसा में वर्तमान में बस स्टैण्ड न होने के कारण बसों को रोड किनारे पुलिस की व्यवस्था के साथ खड़ा किया जाता है, जिससे कोई दुर्घटना घटित न हो। (ख) जी हाँ। बस स्टैण्ड की जगह निर्धारण हेतु प्रयास जारी है, बस स्टैण्ड तैयार हो जाने पर बसों को बस स्टैण्ड के अन्दर खड़ा कराया जायेगा? समय-सीमा बताया जाना सम्भव नहीं है।
श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह प्रश्न है कि मुरैना जिले की अम्बाह व पोरसा तहसील में बसें रोड के किनारे खड़ी हो रही हैं. मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि बसें किसकी जमीन में खड़ी हो रही हैं और किस सक्षम अधिकारी एसडीएम, एसपी, कलेक्टर के आदेश से खड़ी हो रही हैं और अब तक कितनी दुर्घटनाएं हुईं ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी के भी आदेश से बसें खड़ी नहीं हो रही हैं. प्रायवेट बसें हैं, वे अपने तरीके से बसें खड़ी कर लेते हैं और खड़ी बस में अभी कोई दुर्घटना की सूचना नहीं है.
श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा माननीय मंत्री जी से सीधा प्रश्न है कि तहसील पोरसा का बस स्टैण्ड अभी कुछ दिन पहले बेच दिया गया था. अध्यक्ष महोदय, सार्वजनिक उपयोग की भूमि, लोक परिवहन की भूमि, प्रदेश में शिवराज सरकार बेच रही है और पूरे प्रदेश के बस स्टैण्ड बेचे जा रहे हैं. मेरा यह प्रश्न है कि उस पर अब आगे क्या कार्यवाही है ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य का कहना सही है, यह कार्यवाही प्रचलन में है. परिवहन विभाग इस विषय को देख रहा है, आगे भी यह कार्यवाही अभी प्रचलन में ही है.
श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि यह कार्यवाही प्रचलन में है. पोरसा का बस स्टैण्ड ऑलरेडी था. वह एक महीने पहले ही बेच दिया गया है, वह कितने में बेचा गया और क्यों बेचा गया ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, परिवहन विभाग का प्रश्न था. लेकिन उन्होंने उसकी नीलामी की थी, पर यह सच है कि परिवहन विभाग ने उसे नीलाम किया है. जो निर्धारित शर्तें थीं, उसकी 7 करोड़ रुपये से अधिक बोली आई है और उसमें निर्धारित बोली से अधिक बोली आने के कारण से वह बेचा गया है.
श्री रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मैं इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हूँ. मैं माननीय अध्यक्ष महोदय आपका संरक्षण चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - (श्री जितु पटवारी के खड़े होकर कुछ बोलने पर) आप बैठ जाइये, जितु जी. मैंने पहले ही तय कर दिया है कि जो प्रथम बार के विधायक हैं. आप कृपया उनकी सहायता मत कीजिये, इसलिए मैं खुद उनको संरक्षण दे रहा हूँ. आपको उन्हें पहले सलाह दे देनी चाहिए थी.
श्री जितु पटवारी - जी, अध्यक्ष महोदय.
विद्युत सब-स्टेशनों में फीडर सेपरेशन का कार्य
[ऊर्जा]
5. ( *क्र. 1397 ) श्री संजीव सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड विधानसभा क्षेत्रांतर्गत प्रश्न दिनांक तक कितने फीडरों में फीडर सेपरेशन का कार्य पूर्ण हो गया है? फीडरवार सूची उपलब्ध करावें। कितने फीडरों में फीडर सेपरेशन का कार्य अपूर्ण है तथा इसके लिए विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? क्या इन कार्यों में प्रयुक्त सामग्री घटिया किस्म की लगी होने के कारण पशुधन अथवा जनधन हानि होने संबंधी शिकायत प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो उस पर क्या कार्यवाही की गई? (ख) उक्त विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2016 में प्रश्न दिनांक तक 132 के.व्ही. के कितने विद्युत सब स्टेशन स्वीकृत हुए? इन सब स्टेशन के निर्माण हेतु क्या समयावधि तय की गई थी? (ग) उक्त विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना के अंतर्गत योजना प्रारंभ से कितने प्रकरण स्वीकृत हुए? प्रकरण स्वीकृत होने के पश्चात् कितने किसानों के यहां वितरण ट्रांसफार्मर एवं लाइन का कार्य पूर्ण कर लिया गया है? कितना कार्य अपूर्ण है? कितने ट्रांसफार्मर लगना शेष हैं? (घ) क्या ऐसे भी कृषक हैं, जिन्होंने अनुदान राशि जमा कर दी है, उसके बाद भी ट्रांसफार्मर नहीं लग पाया है? यदि हाँ, तो कब तक ट्रांसफार्मर लगा दिये जायेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) भिण्ड विधानसभा क्षेत्रांतर्गत प्रश्न दिनांक तक फीडर विभक्तिकरण योजना में प्रावधानित 10 फीडरों में से 8 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है, जिनकी फीडरवार सूची संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। शेष 2 फीडरों के विभक्तिकरण के कार्य, योजना में उपलब्ध वित्तीय प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में आंशिक रूप से पूर्ण किये जा सके हैं। उक्त शेष 2 फीडरों के आंशिक कार्य एवं वर्तमान में संबद्ध कृषि भार के दृष्टिगत भिण्ड विधानसभा क्षेत्र के अन्य 9 नंबर 11 के.व्ही. फीडरों के विभक्तिकरण के कार्यों को सम्मिलित करते हुये कुल 11 नम्बर 11 के.व्ही. मिश्रित फीडरों के विभक्तिकरण हेतु कार्य योजना तैयार की गई। जी नहीं, इन कार्यों में प्रयुक्त सामग्री गुणवत्तापूर्ण नहीं होने के कारण पशुधन अथवा जनहानि होने संबंधी कोई शिकायत म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संज्ञान में नहीं है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) भिण्ड विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2016 से प्रश्न दिनांक तक 132 के.व्ही. का कोई विद्युत उपकेन्द्र स्वीकृत नहीं हुआ है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) भिण्ड विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पंप कनेक्शन योजना में योजना प्रारंभ होने की दिनांक से योजना की निर्धारित अवधि तक 202 कृषकों के कुल 202 प्रकरण स्वीकृत किये गये। उक्त स्वीकृत प्रकरणों में सम्मिलित सभी 202 कृषकों के कार्यों को पूर्ण किया जा चुका है। उक्त स्वीकृत कार्यों में से कोई भी कार्य अपूर्ण/शेष नहीं है। (घ) जी नहीं, प्रश्नाधीन क्षेत्र में योजनान्तर्गत स्वीकृत सभी कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संजीव सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय ऊर्जामंत्री जी से यह जानकारी लेना चाहता हूं कि भिंड विधानसभा में फीडर सेपरेशन का कार्य किन-किन फीडरों पर पूर्ण कर लिया गया है, पूरा किया गया है अन्यथा नहीं किया गया है ? अगर जो फीडर छूट गये हैं, उनको पूरा करने की उनकी कोई कार्ययोजना है कि नहीं है? जो फीडर सेपरेशन का कार्य जिन कंपनियों के द्वारा किया गया है, क्या खराब गुणवत्ता की वजह से कोई पशुधन हानि हुई, कोई जनहानि हुई है, क्या ऐसी कोई सूचना विभाग को है, शासन को हैं और इस दिशा में क्या कार्य किया गया है ? मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से यह जानना चाहता हूं.
श्री
प्रद्युम्न
सिंह तोमर --
माननीय अध्यक्ष
महोदय, सम्माननीय
सदस्य ने जो
जानकारी चाही
है, उसके
संबंध मैं
बताना चाहता
हूं कि हमारे
दस फीडरों में
से आठ फीडरों
पर कार्य पूरा
करा लिया गया
है, दो
मुनहाड़ और
सैवड़ा
फीडरों पर काम
पूरा नहीं हुआ
है. एक फीडर पर
60 प्रतिशत
कार्य हुआ है
और एक
फीडर पर 50
प्रतिशत
कार्य हुआ है.
पर अब जिस
योजना के तहत
काम हो रहा था,
वह योजना बंद
हो गई है. 9 नये
फीडर हमने
चिन्ह्ति
किये हैं,
जिनका विभक्तिकरण
होना है. इस
प्रकार से जो 2
फीडर जो अधूरे
हैं, उनमें 9
फीडर और
जोड़कर पूरी
कार्य योजना
बनाई गई है.
जैसे ही नई
कोई स्कीम
आयेगी, धनराशि
उपलब्ध होगी,
आपका काम
कराया जायेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने दूसरा प्रश्न किया कि कोई जनहानि घटिया काम के कारण हुई है, ऐसा नहीं है. हां जनहानि हुई है, चार लोग की घटना घटी, उसमें से तीन को मुआवजा राशि दी जा चुकी है और एक को अतिशीघ्र मुआवजा देने की कार्यवाही का निर्देश दिया गया है.
श्री संजीव सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आज ही की पुस्तिका में 22 नंबर पर एक प्रश्न है, आपने कहा कि अभी हमने कोई कार्ययोजना बनाई है और उसमें हम नई योजना जो आयेगी, तब उसमें उन फीडरों को जो छूटे गये फीडर हैं, उनका कार्य हम पूर्ण करायेंगे. आपने मेरे दूसरे प्रश्न में उत्तर दिया है कि प्रदेश के ग्रामों, मजरों, टोलों के विद्युतीकरण हेतु केन्द्र शासन की विभिन्न ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं के प्रावधानों एवं दिशा-निर्देशों के अंतर्गत सभी आबाद गांवों एवं चिन्ह्ति मजरों, टोलों, बस्तियों में सघन विद्युतीकरण तथा सौभाग्य योजना के प्रावधानों एवं दिशा निर्देशों के अंतर्गत चिन्ह्ति सभी अविद्युतीकृत घरों को विद्युतीकृत करने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है, यह आपने ही बोला है और अभी आप मुझे आज के ही प्रश्न का उत्तर यह दे रहे हैं कि कुछ जो फीडर छूट गये हैं, उनको अन्य योजना में शामिल करके, हम उनको पूर्ण कराने का प्रयास करेंगे, इस प्रकार से यह एक किताब में ही दो तरह का उत्तर ?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- सौभाग्य योजना के संबंध में मैं आपको स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि दस घण्टे बिजली देना जो हमारा माननीय देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सोच थी कि गरीब के घर में लट्टू जले, उसके लिये हमने प्रत्येक घर तक विद्युत पहुंचाने का काम पूरा किया है. पर यह जिस प्रश्न का उत्तर मैंने दिया है कि कृषि फीडर और घरेलू इसके विभक्तिकरण का वह काम अधूरा है, आप कांसेप्ट क्लियर कर लें.
श्री संजीव सिंह -- मेरा कांसेप्ट क्लियर है. आपने शायद पढ़ा नहीं है. आप अगर पेज नंबर 115 पढ़ लें, आपने लिखा है कि विद्युतीकरण, आपने सब कुछ लिखा है, मजरों, टोलों, बस्तियों, यह सभी लिखा है. मजरों, टोलों बस्तियों में कोई विद्युत पंप तो होते नहीं है, यह तो आबादी क्षेत्र है. आपने आबादी क्षेत्रों में कहा है कि हमने अपना कार्य पूर्ण कर लिया है, यही तो लिखा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ गलत बोल रहा हूं तो आप क्लियर कर दें.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें, मंत्री जी आप बोलें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- आप मेरी बात समझ लें विद्युतीकरण का कार्य पूरा कर लिया गया है, हम इसको मना कहां कर रहे हैं. आप हमारी पूरी बात को समझिये, आपने फीडर विभक्तिकरण की जो बात कही है, वहां हम किसके बारे में जानकारी दे रहे हैं, पहले आप पूरा प्रश्न पढ़ो, वहां जानकारी क्या दे रहे हैं और यहां पर जानकारी क्या दे रहे हैं. यहां पर 2 फीडर में 9 फीडर और जोड़कर 11 फीडर ऐसे हैं, जिनका हमने घरेलू और कृषि में विभक्तिकरण का काम पूरा नहीं किया है, यह जवाब है मेरा यहां पर, और वहां पर आपने पूछा क्या है कि क्या विद्युतीकरण का काम पूरा किया गया है या नहीं किया गया है, हां तो वह काम किया गया है.
श्री संजीव सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जवाब ही नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय-- वही प्रश्न करेंगे वह फिर वही जवाब देंगे, आप अपना प्रश्न पूछिये.
श्री संजीव सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, फीडर सेपरेशन का काम हुआ, कंपनी ने आधा अधूरा काम किया, चलो ठीक है माननीय मंत्री जी ने मान लिया है कि आधा काम किया है, आधा कोई कार्य योजना बनाकर उसको पूर्ण करेंगे. जो काम अभी तक किया है, कंपनी की उन ट्रांसफार्मरों को बदलने की 24 से लेकर 48 घंटों की गारंटी है, यह गारंटी पीरियड है. विभाग द्वारा 1-1 महीने, 2-2 महीने, 3-3 महीने तक कंपनी को पत्र लिखे जाते हैं. प्रथम स्मरण पत्र लिखा जाता है, द्वितीय स्मरण पत्र लिखा जाता है, तृतीय स्मरण पत्र लिखा जाता है लेकिन ट्रांसफार्मर 4-4 महीने तक नहीं बदले जाते. इसमें इन्होंने कंपनी को भिण्ड से एक अधिकारी ने लिखा है, श्रीमान जी से निवेदन है कि एमडीपी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की जमा सुरक्षा राशि से फेल डीटीआर को बदलकर उपलब्ध कराने का कष्ट करें जिससे बिना किसी रूकावट के क्षेत्र में विद्युत प्रदान किया जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यही चाहता हूं कि कंपनी भले ही नहीं बदले, लेकिन आपकी उसके पास गारंटी राशि जमा है, सुरक्षा राशि जमा है तो आप उनकी लायबिलिटी फिक्स करके विभाग से डीटीआर बदलवाने का कार्य करें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर कोई ऐसी शिकायत है, वैसे इसमें जो मूलभूत प्रश्न है, इसमें आपने यह चीज मुझसे नहीं पूछी है, पर सम्मानीय सदस्य को ऐसी कोई शिकायत है तो मिल लेंगे उस शिकायत को हम दूर करेंगे.
श्री संजीव सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मैंने पूछा वह तो बताया ही नहीं, मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि वह जो खराब ट्रांसफार्मर है, आप आश्वासन दे दीजिये कि उनकी लायबिलिटी फिक्स करके विभाग से बदलवा देंगे. माननीय मंत्री जी आप तो इतने संवेदनशील हैं, आप बोल दीजिये.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं बस हो गया. प्रश्न क्रमांक 6 श्री राम दांगोरे जी.
प्रश्न क्रमांक-6 (अनुपस्थित)
शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति
[विधि और विधायी कार्य]
7. ( *क्र. 1076 ) श्री पी.सी. शर्मा : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान स्थिति में प्रदेश में कितने शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति की गई है? नाम व जिला सहित बतायें। (ख) वर्तमान समय में प्रदेश में कितने नोटरी कार्य कर रहे हैं एवं विगत छ: माह में कितने नये नोटरी बनाये गये हैं? जिलेवार संख्या बतायें।
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रदेश में वर्तमान समय में लगभग 2000 से उपर नोटरी कार्यरत हैं। विगत 6 माह में नियुक्त किये गए नोटरियों की जिलेवार संख्या निम्नानुसार है :-
क्रमांक |
जिला |
नियुक्त नोटरी की संख्या |
1. |
होशंगाबाद |
01 |
2. |
सागर |
01 |
3. |
नरसिंहपुर |
10 |
4. |
डिंडौरी |
06 |
5. |
दतिया |
05 |
6. |
अलीराजपुर |
06 |
7. |
शहडोल |
10 |
8. |
शाजापुर |
01 |
9. |
अनूपपुर |
06 |
10. |
पन्ना |
01 |
11. |
मंडलेश्वर |
02 |
12. |
बैतूल |
01 |
श्री पी.सी. शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मंत्री जी ने जवाब दिया है, जो जवाब मैं चाहता था वह इसमें नहीं आया है. 20 मार्च 2020, इसके पहले जो नोटरी बनाने के आदेश सरकार ने जारी किये थे और जिलों के स्टाम्प आ गये थे, क्या उन लागों के आदेश जारी कर दिये क्या ? क्योंकि प्रथा यह है कि जिनके स्टाम्प आ जाते हैं और सरकार ने अगर आदेश जारी कर दिया है तो नोटरियों की नियुक्ति हो जाती है, 20 मार्च के पहले जिनके स्टाम्प आ गये थे, कितने वकील ऐसे थे जिनके स्टाम्प आ गये थे, जिनका आदेश हुआ था और उनके नोटरी के आदेश जारी हो गये थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, पी.सी. भाई ने प्रथा का जिक्र किया. यह कानून मंत्रालय है, यह प्रथा से नहीं चलता, कानून से चलता है. आपके पास कानून विभाग विभाग रहा है, मैं यह नहीं कह रहा, मैं आपकी पीड़ा समझता हूं, यह विभाग मेरे पास भी है, पर अच्छा क्या है अध्यक्ष जी मेरे पास में मेन विभाग गृह है, सपोर्टिंग में जेल है, पासिंग में संसदीय कार्य और यह है, इनके पास पासिंग वाला ही मेन था.
अध्यक्ष महोदय-- संसदीय कार्य मंत्री जी, जेल में ज्यादा जोर लगा रहे हैं.
..(व्यवधान)..
श्री पी.सी. शर्मा-- मेरे पास धर्मस्व भी था, मैंने धर्म के काम बहुत से किये हैं. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अरे बैठो तो यार, आनंद भी लिया करो कभी-कभी. हमेशा इतने ज्यादा ओवर लोडेड रहते हो भोपाल में जैसे लगता है कि सारे जहां का दर्द आपके जिगर में है. कभी-कभी हंस भी लिया करो पा जी. अध्यक्ष जी, मेरा पी.सी. भाई से यह कहना था कि यह विभाग प्रथा से नहीं चलता, नियम से चलता है और किसी भी नियम में ऐसा नहीं है.
श्री पी.सी. शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, रामपाल सिंह जी पहले वर्ष 2018 में इसके मंत्री थे, जितने स्टाम्प जिनके आ गये थे, यहां अधिकारी बैठे हुये हैं जो खुद जज होते हैं. कम से कम न्याय की बात करो कानून विभाग में, बाकी जगह तो सब चलेगा. वहां जितने स्टाम्प जिनके आ गये थे, यह प्रथा नहीं है नियम है, जिसके स्टाम्प आ गये, जिसके जारी हो गये, बहुत से वकील वहां बैठे हुये हैं उन लोगों के भी हैं जिन्होंने रिकमंड किये है. मेरा मतलब यह है कि जिनके स्टाम्प आ गये हैं क्या उनके आदेश जारी करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय-- अभी तो उन्होंने यह कहा कि नियम नहीं है. जिनके स्टाम्प आ गये वह जारी किये जाते हैं.
श्री पी.सी. शर्मा - नियम है. जिसके स्टैम्प्स आ गये वह जारी किया जाता है उस समय हमारी सरकार थी.
अध्यक्ष महोदय - आप कह रहे हैं नियम है तो नियम बताईये ना.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - आप उस नियम को पढ़ दें तो मैं जवाब दे दूंगा. नाराज नहीं हों बड़े भाई हो.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - आप इस विभाग के पूर्व ज्ञाता हैं आप पढ़कर बता दें. आप पुराने हो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मेरा तो सवाल ही नहीं है. आप तो राजा हो आपका बुद्धि से क्या काम.
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी, आसंदी से इसके लिये टाईम दिलवा दो.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - बुद्धि और बल एक साथ चलते हैं अगर बल नहीं होता तो बुद्धि वाले फेल हो जाते इसीलिये मिलकर चलो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मैं बल पर सहमत हूं लेकिन बलवान, बुद्धिमान कब थे यह बता दो.
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि पहले भी जब हमारी सरकार थी ये जारी किये गये जिनके स्टैम्प्स आ गये हैं. यह है और इसमें विभाग ने पूरा प्रस्ताव बनाकर भेजा. कोरोना काल आया. उसको रोक दिया गया था ऐसे लगभग 50 वकील हैं और यह पूरे जजेज भेजते हैं. सीजेएम भेजता है नामों को. सीजेएम भेजता है कोई कलेक्टर नहीं भेजता है तो जो सीजेएम ने भेजे हैं और जिनके स्टैम्प्स आ गये हैंवह जारी होने चाहिये यह मेरा मंत्री जी से निवेदन है और इसके पहले भी यह हुआ है और यह कोरोना काल की वजह से रुक गया था.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मैं दिखवा लेता हूं.
नगर परिषद महेश्वर को आवंटित राशि
[नगरीय विकास एवं आवास]
8. ( *क्र. 1449 ) डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर परिषद महेश्वर जिला खरगोन को पूर्व मंत्री द्वारा सन् 2019-20 में मुक्ति धाम महेश्वर के विकास कार्य हेतु राशि 50 लाख रू. आवंटित की गई थी? (ख) आवंटित की गई राशि से क्या नगर परिषद महेश्वर द्वारा निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया है? यदि नहीं, किया गया है तो कब तक शुरू करेंगे?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) जी नहीं। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - धन्यवाद अध्यक्ष महोदय. माननीय अध्यक्ष महोदय, महेश्वर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और पवित्र नगरी है. जैसे कहा जाता है कि सरस्वती में 7 दिन नहाने से, यमुना में 3 दिन नहाने से, गंगा में डुबकी लगाने से जो पुण्य मिलता है वह मॉं नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से मिल जाता है. ऐसी नदी के किनारे मेरा जन्म हुआ. वहां महेश्वर में मैंने तत्कालीन मंत्री जयवर्द्धन जी से 50 लाख रुपये स्वीकृत करवाए थे. दिनांक 6.1.2020 को. यह किये थे विशेष अनुदान के माध्यम से नगरीय क्षेत्रों में विशेष आवश्यकता और आकस्मिक प्रयोजन. उसके लिये मैंने माननीय मंत्री जी से निवेदन किया था कि उस क्षेत्र के ही नहीं, इन्दौर तक के भी जो लोग हैं जब उनके परिवारों में मृत्यु हो जाती है तो वह दाह संस्कार के लिये नर्मदा के किनारे आते हैं. महेश्वर बहुत मानी हुई नगरी है. ऐसी व्यवस्था वहां पर नहीं थी तो मैंने निवेदन किया था कि यह पैसे देकर वहां पर प्लेटफार्म और क्योंकि बुजुर्ग लोग भी आते हैं, तो वह नर्मदा किनारे जाते हैं और चिकनी मिट्टी के कारण फिसल जाते हैं और कभी-कभी डेड बॉडी तक फिसल जाती है. तो उसके लिये रास्ता,प्लांटेशन और सभी मूलभूत सुविधाओं के लिये निवेदन किया था. अब माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब मे जी नहीं, जी नहीं, कहा है. तो मेरा मंत्री जी से निवेदन है वह बहुत पवित्र नगरी है और वहां की आवश्यकताओं को देखते हुए अगर आप निर्देशित करते हैं कि इन कार्यों के लिये इस 50 लाख रुपये से वहां पर कार्य होंगे तो उचित होगा, और भी मेरा निवेदन है कि इसमें और भी पैसा जोड़ दें तो मैं समझती हूं कि आपको भी पुण्य लगेगा मॉं नर्मदा का.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने कहा है. यह बात सही है कि उस समय 50 लाख रुपये की राशि विशेष निधि के माध्यम से नगर पालिका महेश्वर को दी गयी थी परन्तु उसमें इस तरह का कोई डीपीआर या कोई प्रावधान नहीं थे कि यह राशि मुक्ति धाम के जीर्णोद्धार के लिये या वहां विकास के काम जो माननीय सदस्य बता रही हैं उसमें यह राशि खर्च की जाना है. उस समय आपके ही समय में, उस राशि से वहां महालक्ष्मी नगर में सी.सी. रोड का कार्य चल रहा है. जिसकी लागत लगभग 70 लाख रुपये है 50 लाख विशेष निधि का बाकी नगर पालिका कर रही है. यह राशि मिली थी यह बात सही है परन्तु इस राशि को मुक्ति धाम के विकास में खर्च करने के कोई निर्देश नहीं थे. यह रोड भी आपके ही समय में स्वीकृत हुई थी 50 लाख की और उसका काम चल रहा है.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विशेष अनुदान जो मिला था इसमें आदेश में ही लिखा है कि नगरीय क्षेत्रों में विशेष आवश्यकताओं का आकस्मिक प्रयोजन यह सब्जेक्ट में लिखा है. महालक्ष्मी कालोनी के बारे में जो मंत्री जी ने यहां बताया, यह तो कालोनाइजर को डेव्हलप करना है, उसके अंतर्गत जो भी कालोनी में निर्माण कार्य हैं, चाहे सीमेंट कांक्रीटिंग हो या भवन बनाना हो या कोई भी व्यवस्थाएं देनी हों. तो यह तो उस कालोनाइजर का दायित्व है, जहां तक मेरी जानकारी है कि उसका निर्माण करना चाहिये. इस विशेष आवश्यकता, मैं समझती हूं कि इससे ज्यादा कोई विशेष आवश्यकता मुक्ति धाम के लिये, यह मद में ही लिखा हुआ है, तो मैं समझती हूं कि नहीं हो सकती है. तो मेरा मंत्री जी से बार-बार आग्रह है, निवेदन है कि यह तो कालोनाइजर को डेव्हलप करना है. वह पैसा वहां क्यों लगाया गया, इस ओर भी थोड़ा सा ध्यान दें कि यह गलत पैसा लगाया गया है. तो इसको डायवर्ट करते हुए किसी और मद में करें या कालोनाइजर के ऊपर डालें उसका भार. तो इस मुक्ति धाम में करें, तो मैं समझती हूं कि उस क्षेत्र के ही नहीं इन्दौर तक के लोग वहां पर आते हैं. तो वह परपज सॉल्व हो जायेगा, मेरा बार-बार आग्रह है, बार-बार आपसे निवेदन है.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य कह रही हैं, यह जो रोड का निर्माण हो रहा है लक्ष्मी नगर कालोनी में, उसमें अगर कोई नियम विरुद्ध रोड का निर्माण हो रहा है, तो हम तत्काल उसकी जांच के आदेश दे रहे हैं. उसमें अगर कोई दोषी होगा, तो तत्काल कार्यवाही भी करेंगे, परंतु मेरा आग्रह है कि जो माहिष्मती श्मशान समिति जो चला रही है, यह जो श्मशान घाट है, यहां पर पूर्व में देखें तो बीजीआरएफ से 2012-13 में 50 लाख से स्टोर रुम 20x15, चौकीदार का कक्ष 10x15, शोक सभा 2 हजार वर्गफीट , शवदाह गृह चढ़ाव, पेवर ब्लॉक एवं शौचालय निर्माण कार्य कराये गये और 3 पानी की टंकी, स्नान सुविधा, खुले घाट पर दो लोहे के शवदाह गृह का निर्माण भी पूर्व में कराया गया है. अभी जिस तरह से मैंने कल भी आपसे निवेदन किया था कि हम लोग प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को मुख्यमंत्री अधोसंरचना मद के अंतर्गत तृतीय चरण में लगभग 1500 करोड़ रुपये की राशि मुख्यमंत्री जी वन क्लिक से संभावित तारीख 12 है, उसको जारी करेंगे और उसमें आपके यहां पर 75 लाख की राशि हमने स्वीकृत की है और इस 75 लाख में अभी जो डीपीआर आपके यहां से आई थी. इसमें बड़वाह- धामनोद मार्ग सहस्त्र धारा तक सीसी रोड का प्रस्ताव है. इसमें अगर आप परिवर्तन चाहती हैं तो आप प्रस्ताव भिजवा दें, हम लोग परिवर्तन कर देंगे.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि आपने कालोनी की जांच की बात की, वह बाद का विषय है. नर्मदा किनारे के जो महत्वपूर्ण स्थान हैं, उसमें से महेश्वर एक गिना चुना स्थान है, उसमें से जो दो चार स्थान है. मैं आपसे बार-बार आग्रह कर रही हूं कि महेश्वर के पास मण्डलेश्वर है, जहां मैंने अपनी सांसद निधि से 60 से 70 लाख रुपया खर्च करके मुक्ति धाम बनवाया और वह एक अपने आप में पूरे नर्मदा रिवर के किनारे एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया. मैं जब सांसद थी, उस निधि से मैंने करवाया था. मंत्री जी से मेरा बार-बार निवेदन है कि इसमें इतनी राशि से कुछ नहीं होगा, थोड़ा और बढ़ाकर और जो मैंने आपसे निवेदन किया है, आपको एक पत्र भी लिखा है, उस पर आपकी मेहरबानी हो जाये, तो वह स्थान और ज्यादा अच्छा हो जायेगा, मेरा आपसे आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय -- वह कह तो रहे हैं कि परिवर्तन का प्रस्ताव दीजिये.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, मैं दे चुकी हूं.
अध्यक्ष महोदय -- परिवर्तन का प्रस्ताव.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, हां, मैं दे चुकी हूं. वह परिवर्तन अलग है, मेरी वहां जो मांगें हैं, उसके बारे में दे चुकी हूं.
अध्यक्ष महोदय -- जैसे वह राशि का कह रहे हैं, वह राशि का आप दे दीजिये दूसरा प्रस्ताव, तो हम कर देते हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो कह रही हैं, इसको हम गंभीरता से देखेंगे और जो भी प्रयास हो सकता है, हम करेंगे.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- धन्यवाद.
प्रश्न संख्या - 9 (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या 9 - (अनुपस्थित)
इन्वायरमेंटल प्लानिंग में पंजीकृत वास्तुविद
[पर्यावरण]
10. ( *क्र. 2537 ) श्री अनिरुध्द (माधव) मारू : क्या नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्य प्रदेश शासन के इन्वायरमेन्टल प्लानिंग एण्ड कोर्डिनेशन ऑर्गेनाइजेशन (एप्को) में कितने वास्तुविद पंजीकृत किये गये हैं? (ख) पंजीकृत वास्तुविदों को कौन-कौन से कार्य आवंटित किये गये? राशि सहित वास्तुविदों के नाम बतायें। (ग) किस-किस विभाग को कितने कार्य दिये गये हैं? राशि और विभागवार जानकारी बतायें। (घ) इप्को द्वारा वास्तुविद की कितनी फीस तय की गयी है? उस तय फीस में से वास्तुविदों को कितने प्रतिशत राशि दी जाती है? वर्ष 2017 से 2021 तक प्रत्येक वास्तुविद को भुगतान की गयी राशि की जानकारी उपलब्ध कराएं। (ड.) इप्को में पंजीकृत वास्तुविदों को कार्य आवंटित करने की नियम या शर्तें हैं तो उन शर्तों को बताएं?
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री ( श्री हरदीपसिंह डंग ) : (क) मध्यप्रदेश शासन के एन्वयारमेन्टल प्लानिंग एण्ड कोर्डिनेशन ऑर्गेनाइजेशन (एप्को) में अभी तक 194 वास्तुविद पंजीकृत हैं। (ख) एवं (ग) वर्ष 2017 से जनवरी 2021 तक पंजीकृत वास्तुविदों को आवंटित कार्यों की कार्यवार/विभागवार सूची मय फीस दर एवं योजना लागत की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है। (घ) मई 2019 से एप्को द्वारा सभी कार्य 3% की फीस पर सम्पादित किए जा रहे हैं। अपितु इसके पूर्व शासी परिषद में स्वीकृत फीस 5% पर एवं पी.आई.यू. लोक निर्माण विभाग के कार्य 3 % की फीस पर भी किये गए हैं। एप्को द्वारा 1% फीस रखकर शेष राशि वास्तुविद को दी जाती है। वर्ष 2017 से जनवरी 2021 तक वास्तुविद को योजनावार भुगतान किये गए राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। (ड.) एप्को में पंजीकृत वास्तुविदों को कार्य आवंटित करने के नियम शासी परिषद से स्वीकृत है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 3 अनुसार है।
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाह रहा हूं कि एप्को में कितने वास्तुविद पंजीकृत किये गये हैं? कितने पंजीकृत वास्तुविदों को काम दिया गया है? किस-किस विभाग के कितने काम दिये गये हैं, यह सब जानकारी मुझे पत्र के माध्यम से प्राप्त हुई है. एप्को में पंजीकृत वास्तुविदों को कार्य आवंटित करने के क्या नियम शर्तें हैं, उन शर्तों को बताएं?
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो हमसे पूछा है. उनके पास परिशिष्ट में पूरे नियम धर्म लिखे हुए हैं. आप पढ़ेंगे उसमें पूरे नियम लिखे हुए हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, दोनों एक ही जिले के हैं.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू - अध्यक्ष महोदय, आपने जो जानकारी दी है उसमें कुल रजिस्टर वास्तुविद 194 हैं, कुल 133 योजनाओं पर काम हुआ, उसमें से 4 वास्तुविद ऐसे हैं जिनको 58 योजना का काम दिया गया है. 194 रजिस्टर्ड वास्तुविद हैं टोटल 44 को काम मिला है जिसमें 4 को सारी बड़ी बड़ी योजनाएं, सारा बड़ा काम उनको दिया है, इसमें एप्को को 3 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है जो वास्तुविदों को पास-ऑन होता है.
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, इनको जो काम दे रखा है, इनमें कुल 194 वास्तुविदों में सिर्फ 64 वास्तुविदों को कार्य मिला है. 64 वास्तुविदों में 224 कार्य दिये गये हैं और उसकी नियम प्रक्रिया में विभागीय अधिकारी बैठते हैं, एप्को के अधिकारी बैठते हैं, संबंधित 3 और इंजीनियर बैठकर कार्यों का विभाजन किया जाता है, जिसकी पूरी जानकारी कार्य का नाम राशि और वास्तुविदों का नाम आपके पास उसकी जानकारी उपलब्ध है, अगर व्यक्तिगत कोई बात हो तो आप मुझे बता दें.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.04 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
(1) बड़वानी और खरगौन जिलों में प्रशासन द्वारा मकानों एवं दुकानों पर मनमानी कार्यवाही किया जाना
श्री बाला बच्चन (राजपुर) - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे नम्र निवेदन है कि बड़वानी और खरगौन दोनों जिलों की नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों में और प्रदेश के अन्य जिलों में भी प्रशासन के द्वारा मनमानी की जा रही है. जो निजी जमीनों पर भी दुकानें बनी हुई है, मकान बने हुए हैं उनको बिना नोटिस दिये, जो 10-10, 12-15, 20-20 साल के मकान और दुकानें बनी हुई हैं उनको तोड़ रहे हैं. मेरी नगर पंचायत राजपुर में 1 मार्च को राजपुर नगर पंचायत की पंचायती बाड़ी में जो दुकानें बनी हुई थी, उनको बिना नोटिस दिये, जो 10-12 साल की बनी हुई थी उनको तोड़ दिया गया है.
मेरा आपके माध्यम से सरकार से यह निवेदन है कि कम से कम पहले उनको सूचना दी जाय, यह प्रशासन जो मनमानी कार्यवाही कर रहे हैं, इस पर शासन रोक लगाए और उनके खिलाफ कार्यवाही हो, जिससे कि इसका रिपिटिशन न हो और जो पीड़ित परिवार हैं उनको मुआवजा दें, यह मेरा आपके माध्यम से शासन से निवेदन है.
(2) दतिया में लोकेन्द्र क्लब का तोड़ा जाना.
डॉ. गोविन्द सिंह ( लहार ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय दतिया जिले में स्टेट टाइम 1944 में बनाये गये लोकेन्द्र क्लब को शासन प्रशासन ने, जो कि विधिवत था, वहां पर शासकीय माध्यमिक विद्यालय और नेहरू युवक केन्द्र किराये पर भी रहा है और सरकार उनको पैसा देती रही है. लेकिन सरकार ने बिना किसी सूचना के उसे तोड़ दिया है और उस क्लब में एक ब्लियर्ड्स की टेबल थी इस तरह की हिन्दुस्तान मे केवल दो टेबल हैं. एक विश्व प्रसिद्ध चैंपियन खिलाड़ी लंदन का था उन्होंने 8 साल पहले आकर उस टेबल को देखा और 5 करोड़ रूपये में उस टेबल को खरीदने का प्रस्ताव दिया था और कहा था कि यह टेबल मैं लेना चाहता हूं लेकिन वहां की ट्रस्ट के जो अध्यक्ष हैं उन्होंने इंकार किया था, जो विश्व प्रसिद्ध टेबल थी उसको तानाशाही पूर्ण तरीके से पूरा ध्वस्त कर दिया. वहां पर नियम कायदे की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. केवल एक अपराध कि घनश्याम जी विधायक उसके अध्यक्ष थे, इसलिए जानबूझकर उसको तुड़वाया गया और दतिया में पूरा आतंक फैल गया है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें आपकी बात आ गई है.
डॉ गोविन्द सिंह -- पूरे प्रदेश में यह अभियान विरोधी विचारधारा के साथियों पर चलाया जा रहा है. हमने इस पर ध्यानाकर्षण भी दिया है. हम आपसे चाहते हैं कि सरकार इस पर तत्काल जवाब दे, जो दोषी लोग है उनको सीधे सीधे जेल भेजा जाय...(व्यवधान).. अघोषित आपातकाल लग गया है वहां पर...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- श्री यशपाल सिंह सिसौदिया....(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय वह 5 करोड़ रूपये की सरकारी संपदा थी उसको संग्रहालय में रखा जा सकता था..(व्यवधान)..
श्री जितु पटवारी -- यह थोड़ा सा गंभीर है इसी से संबंधित है..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप सभी बैठ जायें ..(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय मेरी विधान सभा का मामला है..(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह -- 1944 का 73 साल पुराना क्लब तोड़ दिया है..(व्यवधान).. 5 करोड़ रूपये की ब्लियर्डस की टेबल तोड़ दी है जिस पर वर्ल्ड क्लास खिलाड़ी खेले हैं...(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय एक सरकारी भवन पर एक व्यक्ति कब्जा किये हुए हैं. अध्यक्ष महोदय अगर एक भी दस्तावेज होगा..(व्यवधान).. अगर एक भी रजिस्ट्री बता देंगे, अगर यह बता देंगे कि सरकारी भवन नहीं है, अध्यक्ष जी यह एक भी बता दें,200 दुकानें काटकर बेच दी गई हैं एक की भी रजिस्ट्री नहीं की गई है, 200 दुकानें बनाकर पूरा मार्केट बना दिया है, एक की भी रजिस्ट्री नहीं है, हवाई अड्डा जिस पर बना हुआ है, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर फैसला दिया है,..(व्यवधान).. पूरे के पूरे यह कांग्रेस के विधायक वहां पर लूट मचाये हुए हैं, वहां पर पूरी सरकारी जमीनों को बेचा है, मैं चाहता हूं कि इस पर चर्चा हो, हम चाहे जिस रूप में इस पर चर्चा को तैयार हैं, आप स्थगन लायें हम स्थगन पर चर्चा को तैयार हैं, ..(व्यवधान).. हम दतिया के विषय पर स्थगन के लिए चर्चा को तैयार हैं. आप दें स्थगन हम चर्चा के लिए तैयार हैं,...(व्यवधान).. गोविन्द सिंह जी आप स्थगन दें हम चर्चा के लिए तैयार हैं. बतायें आप स्थगन दे रहे हैं क्या, सरकार उस पर चर्चा के लिए तैयार है. अभी दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस किस तरह से लूट रही है...(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आप स्थगन ले आयें हम चर्चा को तैयार हैं. ...(व्यवधान)...
12.09 गर्भगृह में प्रवेश
इण्डियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भ गृह में प्रवेश
( दतिया के मामले को लेकर इण्डियन नेश्नल कांग्रेस के अनेक माननीय सदस्य जोर जोर से अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आ गए )
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय ये स्थगन ले आयें हम चर्चा को तैयार हैं. ...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(12.09 बजे सदन की कार्यवाही 05 मिनट के लिए स्थगित )
12.15 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय -- अब पत्रों को पटल पर रखा जाएगा. श्री बिसाहूलाल सिंह जी.
डॉ. गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूं अभी माननीय गृह मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि हम इस पर स्थगन को तैयार हैं, तो हमारा आपसे निवेदन है कि आप आज सरकार का जवाब ले लें और स्थगन की तारीख दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- आप लिखकर दीजिये, हम उसको देखेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अभी पटल पर आया नहीं और चर्चा की बात कर रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण उसमें दिया गया है, अभी लिखकर हम स्थगन और दे देते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अभी हो जाने दीजिये. अभी आप कह रहे हैं कि वह स्थगन का स्वीकार कर रहे हैं. आप दीजिये न.
डॉ. गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, अभी दे देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री बिसाहूलाल सिंह जी.
12.16 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन का 15 वां वार्षिक
प्रतिवेदन एवं हिसाब पत्रक वित्तीय वर्ष 2017-2018
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, हमने शून्यकाल की सूचना दी है. सड़ा गेहूं दिया गया है. इस पर चर्चा नहीं हुई.
अध्यक्ष महोदय -- अब आ गया है. स्थगन का हो तो गया. आप बैठ जाइये. जब आएगा तब न चर्चा होगी.
(2) राजस्व विभाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं-
(क) क्रमांक एफ-2-4-2020-सात-शा.7, भोपाल, दिनांक 23 सितम्बर, 2020,
(ख) क्रमांक एफ-2-5-2020-सात-शा.7, भोपाल, दिनांक 23 सितम्बर, 2020, तथा
(ग) क्रमांक एफ-2-6-2020-सात-शा.7, भोपाल, दिनांक 03 नवम्बर, 2020,
(3) महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट, सतना (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020
(4) मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का 36 वां वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2017-2018
(5) मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित का सातवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
12.19 बजे अध्यक्षीय घोषणा
नियम को शिथिल कर कार्यसूची में 4 ध्यानाकर्षण सूचनाओं को लिया जाना
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
12.20 बजे ध्यान आकर्षण
(1) राजगढ़ जिले के छापीहेड़ा से नलखेड़ा मार्ग की जर्जर हालत होना
श्री प्रियव्रत सिंह (खिलचीपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह स्पष्ट उल्लेख माननीय मंत्री जी ने किया है और उन्होंने भी अपने जवाब में माना है कि मार्ग की हालत बहुत खराब है. जो यहां पर कई बार कहा जाता है कि गड्ढे में सड़क और सड़क में गड्ढा, अगर मध्यप्रदेश में कहीं भी इस उदाहरण को देखना है तो यह मार्ग यहां पर देखा जा सकता है. इस मार्ग की महत्ता इस बात से स्पष्ट होती है कि मां बगलामुखी के मंदिर में दर्शन करने के लिए लाखों श्रृद्धालु जाते हैं और उनको इस जर्जर मार्ग से गुजरना पड़ता है और नहीं तो कालीसिंध नदी में जल भराव होने के कारण दूसरे मार्ग से जाना पड़ता है. अभी श्री अरविंद भदौरिया जी, माननीय मंत्री जी भारतीय जनता पार्टी और संघ के किसी बड़े नेता के साथ मां बगलामुखी के दर्शन करने के लिए गए थे तो वे लोग शाजापुर से घूमकर गए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से मेरा यही अनुरोध है और मैं तीन चीजें उनसे जानना चाहता हूँ. एक तो जो पुलिया की बात इसमें कही गई है कि जल संसाधन विभाग इसका निर्माण करा रहा है. जल संसाधन विभाग इसकी निविदा बुला चुका है और कई बार निविदा खोलने पर रोक लगाई गई, आगे बढ़ाई गई, स्टे लगाया गया और शायद मेरी जानकारी में भी आया है कि निविदा निरस्त कर दी गई है. क्या लोक निर्माण विभाग पुलिया का निर्माण जल संसाधन विभाग से चर्चा करके अपने माध्यम से कराने का प्रयास करेगा ? क्या पुलिया निर्माण का रास्ता साफ किया जायेगा और किस प्रकार से किया जायेगा, माननीय मंत्री जी बताएं. दूसरी बात यह है कि दो भाग में मार्ग है. एक 10 किलोमीटर का छापीहेड़ा से बांध की सीमा तक जहां जलभराव क्षेत्र है जो राजगढ़ जिले का हिस्सा है कुंडालिया बांध का. जो दूसरा भाग है वह भी 10 किलोमीटर का हिस्सा है पर उसमें करीब दो-ढाई किलोमीटर की पुलिया का निर्माण होना है. 10 किलोमीटर का आगर-मालवा जिले का जो हिस्सा है उसमें निर्माण कार्य चल रहा है जो इसके उत्तर में भी माननीय मंत्री जी ने उल्लेख किया है. यह निर्माण कार्य तो प्रगतिरत है परन्तु जो आपने उल्लेख किया है यह ए.डी.बी.-7 में है तो ए.डी.बी.- 7 में इस मार्ग को कब लिया जायेगा, इसकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट कब तक तैयार हो जायेगी ? फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करके निविदा कब तक आमंत्रित हो जायेगी और वह आप कर भी लेंगे लेकिन यदि पुलिया नहीं बनायेंगे तो यह मार्ग अधूरा ही कहलायेगा और मेरा तीसरा प्रश्न यह है कि आपने कहा है कि आवागमन हेतु क्योंकि राजगढ़ जिले के जो 10-12 गांव इस मार्ग पर पड़ते हैं कुछ मेरी तहसील के हैं और कुछ सारंगपुर तहसील के हैं कालापीपल चांदनी वगैरह सारंगपुर तहसील के हैं, नांदनी खाताखेड़ी, कंडेली यह जीरापुर तहसील के हैं तो राजगढ़ जिले के इन गांवों में यात्रियों को आने-जाने में जो परेशानी आ रही है तो कितने दिनों में निविदा लगाकर इस मार्ग की मरम्मत कर दी जायेगी, कार्य कब तक प्रारम्भ कर दिया जायेगा ? यह माननीय मंत्री जी बताएं.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने मेरा उत्तर सुना होगा. मैंने किसी बात को छुपाने की कोशिश नहीं की, इसको दबाने की कोशिश नहीं की, मैंने सारी बातें स्पष्ट रुप से माननीय सदस्य के प्रश्न के उत्तर में कही हैं. इसके तीन हिस्से हैं. मुख्यत: यह जो बड़ी समस्या पैदा हुई है. एक बहुत बड़ा डेम बना है और उस डेम के ऊपर ब्रिज बनाने के कारण, चूंकि वह इरिगेशन डिपार्टमेंट को बनाना है मेरी आज इरिगेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों से भी चर्चा हुई थी तो उन्होंने कहा है कि सूचकांक में जैसे ही कोई शिथिलता मिलती है तो पुल के निर्माण का कार्य करीब 1.2 किलोमीटर का पुल है और इसके बाद में एप्रोच है उसके साथ में बनाने का काम वह जल्दी कर लेंगे. मैंने आज उनके साथ समन्वय करने की कोशिश की है. यह जो डामरीकरण का काम है आप स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि इसमें हमारा मेंटेंनेंस का काम चल रहा है, यह भी आरडीसी के अंतर्गत है और जो 12 किलोमीटर की नवीन सड़क है यह भी आरडीसी के अंतर्गत है तो जो भी कंसल्टेंसी है हम उनसे कहेंगे कि जल्दी से जल्दी तैयार करके यथाशीघ्र हम माननीय सदस्य को सूचित कर देंगे और उनकी जो समस्या है और उन्होंने जो ध्यानाकर्षित किया, निश्चित रुप से देवी जी का स्थान है और हम सभी लोगों की काफी मान्यता है. हम कोशिश करेंगे कि जल्दी से जल्दी इसका काम हो जाए.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक छोटी-सी बात पूछना चाहता हॅूं कि आपने जो उत्तर दिया है उसमें आपने उल्लेख किया है कि मरम्मत का कार्य आगर-मालवा जिले में चल रहा है तो जो राजगढ़ जिले का 10 किलोमीटर का हिस्सा है इसमें कोई कार्य अभी नहीं चल रहा है. अभी इसकी बहुत बुरी हालत है तो आप इसकी निविदा तो तत्काल आरडीसी के माध्यम से लगवाकर इसकी मरम्मत का कार्य कम से कम प्रारम्भ तो करवा दें, यह मेरा अनुरोध है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, यह संपूर्ण मार्ग दोनों जिलों में पड़ रहा है. मैं दिखवा लूंगा जो जल्दी से जल्दी हो सकेगा, वह करवा लिया जायेगा.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय मंत्री जी, ए.डी.बी.-7 का कार्य कब तक प्रारम्भ हो जायेगा ? ए.डी.बी.-7 में आपने लोड ले लिया, प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दी, कंसल्टेंसी चल रही है उन सारी बातों का आपने उल्लेख कर दिया, पर कोई समय तो बता दीजिए कि इस समय से यह मार्ग का कार्य प्रारम्भ हो जायेगा. एक महीने में, दो महीने में, तीन महीने में कुछ तो आपकी ओर से मुझे आश्वासन मिल जाये, क्योंकि यह महत्वपूर्ण चीज है इसमें कोई राजनीतिक भेदभाव या कोई ऐसा विषय नहीं है. मॉं बगलामुखी का स्थान है आपकी, हमारी, सबकी श्रद्धा का केन्द्र है.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने यह तो स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा कि यथाशीघ्र कराएंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष जी, ए.डी.बी. का यह जो मार्ग है इसकी डीपीआर और निविदा की प्रक्रिया तीन माह में हम पूर्ण करवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- श्री जजपाल सिंह जज्जी, अपनी सूचना पढे़ं.(अनुपस्थित)
श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरे जिले का मामला चल रहा था, इसलिए मैं अनुरोध करना चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया, हो गया. श्री पंचूलाल प्रजापति अपनी सूचना पढे़ं.
श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सड़कें बिल्कुल खराब हैं उसमें गड्ढे हो रहे हैं उसके लिये तो फंड दिया ही नहीं है, एक भी गड्ढा नहीं भर पा रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- हो गया भाई, बजट पर बोल लेना. आप बैठ जाओ.
श्री राज्यवर्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, राजगढ़ जिले का मामला है तो वहाँ भी सड़कें खराब हैं, मेरी विधान सभा में भी नरसिंहगढ़ से बोहा तक का मार्ग खराब पड़ा हुआ है. मैं इस ओर माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ.
12.31 बजे
रीवा जिले में सड़कों की हालत खराब होने से उत्पन्न स्थिति.
श्री पंचूलाल प्रजापति(मनगवां){सर्वश्री दिव्यराज सिंह, राजेन्द्र शुक्ल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है--
लोक निर्माण मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री पंचूलाल प्रजापति-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि रोड खराब है. अध्यक्ष महोदय, यह रोड गड्डे में तब्दील हो चुकी है. बरसात में कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है और गर्मियों में धूल उड़ने के कारण वहाँ के जो व्यापारी वगैरह हैं और जो आम जन हैं वे काफी बीमार हो जाते हैं. कहीं दमा हो गया, कहीं टीबी हो गई, कहीं कुछ हो जाता है और माननीय अध्यक्ष जी, जरहा में एक पुल है जो बहुत जर्जर है तथा उस पर कई घटनाएँ घटित हो चुकी हैं. कई कारें उसमें डूब करके, अध्यक्ष महोदय जी, आप ही के परिवार में एक घटना हो चुकी है. वह पुल बनवाना अति आवश्यक है, वहाँ प्राचीन शिव मन्दिर है और वहाँ श्रद्धालु तथा दर्शनार्थी लोग काफी जाते हैं और उसके कारण से चलना बड़ा मुश्किल पड़ जाता है, तो मेरा माननीय मंत्री जी से यह आग्रह है कि इन तीनों सड़कों को बनवाने का कष्ट करें क्योंकि यह तीन विधान सभाओं से रोड है, एक विधान सभा की रोड है नहीं तो क्या माननीय मंत्री जी इन तीनों सड़कों को बनवाएँगे?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी आपने शिवपुरा नेबूहा को बजट में शामिल कर लिया है इसके लिए धन्यवाद, यह मेरे विधान सभा क्षेत्र में आता है. जरहा वाले पुल में यह हुआ है कि जब आपने बायपास बनाया तो उस पुल को छोड़ दिया गया और वह पुल बहुत जर्जर हालत में है उसी पुल से गिरने के कारण मेरे छोटे भाई की मौत हुई थी. कृपया करके उसको दिखवा लें. गाड़ियां तो उस पुल से जाती हैं. इसमें ज्यादा पैसा नहीं लगना है. पुल की मरम्मत करना है और चढ़ाई को ठीक करना है. इतना हो जाए तो शायद पंचूलाल जी समस्या का समाधान हो जाएगा. उसको भी मोटरेबल बना दें.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय सदस्य ने जो बात रखी है और माननीय अध्यक्ष महोदय आपका जो आसंदी से निर्देश है, व्यवस्था दी है.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने सुझाव दिया है, आपसे आग्रह किया है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आपका आदेश निर्देश है हम इस काम को करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद. पंचूलाल जी आपका काम हो गया है, अब दिव्यराज जी पूछना चाहते हैं यह उनका भी विधान सभा क्षेत्र है.
श्री पंचूलाल प्रजापति -- अध्यक्ष महोदय, तीनों सड़कों को बनाने के लिए मंत्री जी ने कह दिया है इसके लिए मैं उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ.
श्री दिव्यराज सिंह (सिरमौर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन तीनों सड़कों में से मैं पहली वाली सड़क की बात करूंगा. जिसमें बैकुण्डपुर से क्योंटि मार्ग है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि इसका पिछले पांच साल में कितनी बार मेंटेनेंस कराया गया और कितनी राशि इस पर खर्च की गई. यह बहुत महत्वपूर्ण मार्ग है इसमें क्योंटि लास्ट पाइंट है वह रीवा जिले का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. रीवा जिले का सबसे सुन्दर वाटर फॉल है जिसे देखने के लिए रीवा जिले के अलावा आसपास के पर्यटक भी वहां जाते हैं. इससे करीब 50-100 गाँव जु़ड़ते हैं. मैं मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इसे जल्द से जल्द कम से कम मोटरेबल बना दिया जाए ताकि लोगों का आवागमन आसान हो जाए.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, जैसी कि माननीय सदस्य की इच्छा है इसको भी हम ले लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य मोटरेबल करने के लिए कह रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय,मोटरेबल कर देंगे.
श्री नागेन्द्र सिंह (गुढ़) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि इस ध्यानाकर्षण का शीर्षक है कि रीवा जिले में सड़कों की हालत खराब होने से उत्पन्न स्थिति के विषय में है. यह सिर्फ इस तीन सड़कों के विषय में नहीं है, यह ध्यानाकर्षण का शीर्षक है.
अध्यक्ष महोदय -- शीर्षक होगा, परन्तु विशेष रुप से तीनों सड़कों का ध्यानाकर्षण है.
श्री नागेन्द्र सिंह (गुढ़) -- अध्यक्ष महोदय, मैं उल्लेख कर दूं कि आप स्वयं उस जिले एवं उस विधान सभा क्षेत्र से आते हैं जिसमें वर्ष 2003 से एक सड़क बन रही है. अभी यहां प्रियव्रत सिंह जी मौजूद नहीं हैं लेकिन अभी उन्होंने कहा था कि समझ नहीं आता है कि गड्ढे में सड़क है या सड़क में गड्ढे हैं. यह तो वर्ष 2003 से पहले की बात है. अभी मरम्मत के कामों की बात हो रही है. यह एनएचआई सड़कों की बात नहीं हो रही है. जरहा का उल्लेख पंचूलाल जी ने किया है वह गांव मेरा है और माननीय अध्यक्ष महोदय वह गांव आपका भी है. उसी पंचायत से सदस्य माननीय अध्यक्ष जी भी हैं. उसके लिए आपने स्वीकृति दे दी, आपने आदेश दे दिया और माननीय मंत्री जी ने मान लिया है. मैं विशेष रुप से रीवा की उस सड़क का उल्लेख करुंगा जो कि पिछले 10-12 साल से बन रही है. हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन से लेकर इस शहर से होते हुए.
अध्यक्ष महोदय -- यह इस ध्यानाकर्षण का विषय नहीं है, इसे आप अलग से उठाइए.
श्री नागेन्द्र सिंह (गुढ़) -- अध्यक्ष महोदय, रीवा जिले की सड़कों का उल्लेख है.
अध्यक्ष महोदय -- रीवा जिले की स्पेसिफिक सड़कों का उल्लेख किया गया है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष जी देवतालाब वाली सड़क के बारे में भी बोल दें.
अध्यक्ष महोदय -- वह बजट में आ गया है.
श्री नागेन्द्र सिंह (गुढ़) --बदवार-तमरा की रोड को कृपया आप अधिकारियों को नोट करवा दें. इसका तीन बार टेंडर हो चुका है. तीन-चार दफे वहां पर धरने प्रदर्शन हो चुके हैं. मामूली धरने प्रदर्शन नहीं हुए हैं, 10-10 हजार लोग बैठे रहे उसके बाद वहां पर मरम्मत का काम शुरु किया गया और इधर प्रदर्शन खत्म हुआ कि उधर मरम्मत का काम भी बंद हो जाता है. यह बिलकुल चलने लायक नहीं है. वह देवतालाब में भी जाती है और मऊगंज क्षेत्र में भी जाती है. इसी तरह आपके और मेरे विधान सभा क्षेत्र के बीच की रोड है पन्नी से रायपुर कर्चुलियान पिछले कार्यकाल में माननीय मुख्यमंत्री जी इसके लिए 100 करोड़ रुपए की घोषणा की थी.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य जी बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी माननीय सदस्य जिस बदवार वाली सड़क का उल्लेख कर रहे हैं उसे भी मोटरेबल कर दीजिए, बना दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य नागेन्द्र सिंह जी ने जो अभी ध्यान आकर्षित करवाया है हालांकि यह अघोषित और अलिखित है, लेकिन मैं परीक्षण करवा लूंगा जो बेहतर से बेहतर होगा, हम उसे ठीक करवा देंगे.
श्री नागेन्द्र सिंह (गुढ़) -- वह तो सागर जिला है और भी ऐसे जिले हैं. अब यह बजट में तो आता नहीं है, हम क्या करें.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं.
12:40 बजे (4) भिण्ड शहर स्थित प्राचीन भिण्डीऋषि मंदिर की भूमि पर अवैध कब्जा किया जाना
श्री संजीव सिंह ''संजू'' (भिण्ड)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
पर्यटन मंत्री (सुश्री उषा ठाकुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- माननीय अध्यक्ष महोदय, तहसीलदार न्यायालय, एसडीएम न्यायालय, कलेक्टर न्यायालय, कमिश्नर न्यायालय, हाईकोर्ट ऐसा कोई न्यायालय नहीं बचा है जिस न्यायालय के द्वारा उक्त अतिक्रामक को पैसा जमा करने का आदेश नहीं दिया गया हो और आज से नहीं सन् 1982 में जब पहला आदेश दिया गया था वह 6700 रुपए का दिया गया था कि अतिक्रामक 6700 रुपए जमा करेगा और उसके बाद 20 प्रतिशत की वृद्धि होती रहेगी लेकिन वह पैसा जमा नहीं किया गया. जब वर्ष 2014-2015 में कलेक्टर के द्वारा यह देखा गया कि शासन के द्वारा पुराने जो आदेश दिए गए शासन के द्वारा, न्यायालय के द्वारा उन आदेशों का पालन नहीं किया गया तो उन्होंने उस जमीन को बेदखल कराने की कार्यवाही भी की और उस पर 90 लाख रुपए से ज्यादा का जुर्माना भी किया लेकिन न तो अतिक्रामक द्वारा वह जुर्माना भरा गया और न ही वह जमीन खाली की गई आप देखिए कि उसमें बेदखली तक की गई है.
माननीय मंत्री महोदया जिस पुजारी की बात कर रही हैं वह पुजारी सन् 1970 से नियुक्त किया गया था, कलेक्टर ने सन् 1970 में नियुक्त किया था और सन् 1971 में कमिश्नर के द्वारा उसको पुन: उस पद पर नियुक्ति की गई थी लेकिन उसको हटा दिया गया. पुजारी के हाथ-पैर अतिक्रमणकारियों द्वारा तोड़ दिए गए. उसकी अनुपस्थिति में पुजारी के लड़के ने लगातार मंदिर में पूजा-अर्चना की थी. इसके बाद भी अतिक्रमणकारियों से जुर्माना, जो कि 5-6 साल से लगा हुआ है, उसकी एक रुपये की भी वसूली नहीं की गई है. माननीय उच्च न्यायालय का तो यहां तक आदेश था कि जो जुर्माना इन पर अधिरोपित किया गया है, यदि वे जुर्माना जमा नहीं करते हैं तो 2000 प्रतिदिन के हिसाब से इन पर और जुर्माना लगाया जाये. उसकी भी कोई गणना नहीं की गई. मेरा कहना है कि यदि शासन के द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन नहीं होगा, तो क्या होगा ? एक तरफ सरकार भू-माफिया के विरूद्ध आंदोलन चला रही है और दूसरी तरफ जो मंदिर से लगी हुइ बेशकीमती जमीनें हैं, उन पर अतिक्रमण करने का प्रयास किया जा रहा है और शासन उनको खुली छूट दे रहा है.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न करें, आपने प्रश्न नहीं पूछा है.
श्री संजीव सिंह (संजू)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री महोदया से प्रश्न है कि अभी तक अतिक्रमणकारियों से जुर्माने की राशि क्यों नहीं वसूली गई है ?
सुश्री उषा ठाकुर- माननीय अध्यक्ष महोदय, साथी विधायक जो बात कह रहे हैं, मैं बताना चाहूंगी कि आर.आर.सी. के तहत वसूली की कार्यवाही राजस्व विभाग को करनी है और निश्चित रूप से यह प्रक्रिया में भी है. जिस प्रकार की बात वे अतिक्रमणकारियों के लिए कह रहे हैं, मैं उनको स्पष्ट रूप से बताना चाहूंगी कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार भू-माफियाओं, अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही करने के लिए कटिबद्ध है. माननीय सदस्य इसे विषयांतर कर रहे हैं. बालाराम, जिनका वहां अतिक्रमण था, उनके खिलाफ कठोरतम कार्यवाही मध्यप्रदेश की सरकार ने की है. 90 लाख रुपये की वसूली का दण्ड उन पर लगाया गया है और इसे शीघ्र ही वसूला जायेगा.
श्री संजीव सिंह (संजू)- माननीय अध्यक्ष महोदय ,वसूली का दण्ड तो 5 साल पहले लगा दिया गया था. मेरा प्रश्न तो वहीं का वहीं है कि कब तक वसूली होगी और जिन्होंने पुजारी को गलत तरीके से वहां से हटाया है, उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी, मैं यह जानना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री महोदया ने जानकारी दी है कि आर.आर.सी.जारी कर, लैंड रेवेन्यू कोर्ट में कार्यवाही हो रही है.
श्री संजीव सिंह (संजू)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से एक आश्वासन मिल जाये कि यह कार्यवाही कब तक हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय- यह एक न्यायालयीन प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया में मंत्री महोदया कैसे बतायेंगी कि न्यायालय कब आदेश देगा.
श्री संजीव सिंह (संजू)- माननीय अध्यक्ष महोदय, न्यायालय आदेश कर चुका है. माननीय उच्च न्यायालय द्वारा भी आदेश जारी किए जा चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय- आर.आर.सी. की बात हो रही है.
श्री संजीव सिंह (संजू)- हमारे सवाल का जवाब ही नहीं आयेगा तो कैसे चलेगा ?
अध्यक्ष महोदय- जवाब आ गया है. बहुत हो गया.
12.47 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की गई मानी जायेंगी.
12.48 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
आय-व्ययक पर समान्य चर्चा पूर्ण होने के पश्चात् अशासकीय कार्य लिया जाना
अध्यक्ष महोदय- विधान सभा प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन संबंधी नियम-23 के अनुसार शुक्रवार की बैठक के अंतिम ढाई घण्टे गैर सरकारी सदस्यों के कार्य के संपादन के लिए नियत हैं परंतु आज की कार्य सूची में उल्लेखित बजट पर सामान्य चर्चा पूर्ण होने उपरांत अशासकीय कार्य लिया जायेगा तथा कार्य सूची के पद 6 व 8 में उल्लेखित विधि विषयक कार्य आगामी दिवस में संपादित किया जायेगा.
मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
12.49 बजे
वर्ष 2021-2022 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा...........(क्रमश:)
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर (पृथ्वीपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे योग्य वित्त मंत्री द्वारा यहां पर काफी लंबा-चौड़ा बजट पेश किया गया. लगभग 2 लाख 41 हजार करोड़ का बजट है. इस बजट को पूरा उलट-पुलट करने के बाद, मैं तो यह नहीं समझ पाया कि इसमें आमदनी कहां से है. आप केवल कर्ज ले रहे हैं, आप खर्चे बढ़ा रहे हैं लेकिन आमदनी का जरिया नहीं बता रहे हैं. 15 वर्ष जिस माफिया को पालन-पोसने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार में हुआ था.
और उस माफिया ने सरकार के खजाने भरने बजाय अपने खाते में वह पैसा डालने का काम किया था, जिसकी वजह से आज स्थिति यह है कि सवा दौ लाख करोड़ से अधिक के कर्जे पर वर्तमान सरकार बैठी है. बीच का जो एक साल का कार्यकाल आय आपको विदित है कि किन हथकण्डों के द्वारा सरकार को गिराया गया, उसमें जो आमदनी का जरिया बढ़ाने का काम हुआ था उसको भी यह व्यवस्थित नहीं कर पाये. खनिज विभाग में इनकी जो आय ढाई सौ करोड़ रूपये के आसपास की हुआ करती थी उसको पांच गुना बढ़ाने का काम माननीय कमल नाथ जी की सरकार ने मध्यप्रदेश में रिकार्ड तोड़ किया था. आज फिर से वह सात सौ करोड़ रूपये घाटे में आ गया है. वाणिज्यिक कर विभाग की मैं, बात करूं तो लगभग 20-25 प्रतिशत राशि बढ़ाने का काम हम लोगों ने किया था तो आमदनी बढ़ाने का काम तो इन लोगों ने नहीं किया, मेरी यह बात समझ में नहीं आती कि आपने 2.41 लाख करोड़ कर्जे का बजट पेश किया और जो सरकार की इनकम 1 लाख 64 हजार 677 करोड़ रूपये है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो बीच का 77 करोड़ रूपये का गेप है यह कहां से आयेगा इसके बारे में इन्होंने कोई जानकारी नहीं दी है. बताया यह गया है कि 50 हजार करोड़ रूपये बाजार से कर्जा ले लेंगे, तब भी आपका 27 हजार करोड़ रूपये के कर्जे का पैसा शेष बचता है, उस पैसे की भरपाई कहां से करेंगे उस मामले में आप मौन हैं, तो यह जो राजकोषीय घाटा है अगर आप यह करते जायेंगे तो मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि एफआरबीएम और आरबीआई की जो गाइड लाईन है, क्या आप उसका उल्लंघन नहीं कर रहे हैं ? कैसे आपको आगे पैसा मिलेगा और कैसे आप आगे इस सरकार को चलायेंगे, इसके बारे में आपने जिक्र नहीं किया है. आप कर्जा लेने की बात कर रहे हो, लेकिन जीएसटी का पैसा जो हमारा हक बनता है, जो केन्द्र से हमें मिलना चाहिये उस पैसे को लेने के लिये आप अपनी ताकत का इस्तेमाल नहीं कर रहे हो. हम लोग जब थे तब भी यही बात आती थी, जीएसटी का पैसा भारत सरकार हम लोगों को समय से नहीं दी रही थी, हम लोगों ने संगठित रूप से दबाव बनाया था प्रयास किया था तब उस पैसे को लेकर हम आये थे. हम क्यों कर्जा ले रहे हैं, जब हमारा पैसा केन्द्र के पास पड़ा है. इसके बारे में मैं, माननीय वित्त मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि इस बात पर ध्यान देंगे. आज आप अनुमानित 21 हजार करोड़ रूपये ब्याज दे रहे हो. इस वर्ष में आपने पहले आंकड़ा बताया 23 हजार करोड़ रूपये लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार आप लगभग 47 हजार करोड़ रूपये का कर्जा ले चुके हो. आखिरकार हर व्यक्ति के ऊपर कितना फर्क पड़ने वाला है और आप कैसे कह रहे हो कि हम आत्म निर्भर मध्यप्रदेश बनाने की ओर बढ़ रहे हैं, यह बात गले नहीं उतरती है.
{12.54 बजे सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए.}
माननीय सभापति महोदय,अगर हम मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय इसी वर्ष में 5000 रूपये प्रति व्यक्ति कम हो गयी है, मतलब 4.7 प्रतिशत और बात हो रही है आत्म निर्भर मध्यप्रदेश बनाने की. जो योजनाएं थीं उसमें तो आप पैसा दे दे रहे हो सिवाय कर्जा ले रहे हो घाटे के कारण. निराश्रित पेंशन का हमने 300 रूपये से 600 रूपये किया था,बड़ी उम्मीद थी कि आप कम से कम उस गरीब के बारे में साचेंगे, जिसके बारे में पूरे सदन को सोचना चाहिये. आपने उसको 1000 रूपये करने के बजाये आपने उसमें मौन धारण कर लिया, आपने बढ़ाने की बात तो छोड़ दीजिये, दो महीने से मध्यप्रदेश सरकार निराश्रित पेंशन का पैसा उन गरीबों को नहीं दे पा रही है. हमने बच्चियों की शादी के लिये 51000 रूपये की हम लोगों ने बात की थी और पैसा हम लोगों ने दिया था. वह पैसा आपने बढ़ाने के बजाय घटाने का काम किया. आज मुख्यमंत्री जी नहीं हैं वरना हम उनसे पूछते वह अपने ही मुंह से बार-बार कहते हैं कि सब बच्चियों के मामाजी तो क्या मामाजी का धर्म यह है कि बच्चियों की शादियों के लिये, भांजियों की शादियों के लिये पैसे को घटा दें लेकिन वह घटाने का इन्होंने काम किया है. एक नहीं कितनी सारी योजनाएं बीमा की बड़ी बड़ी बातें होती हैं. मैं सुन रहा था मुख्यमंत्री जी कह रहे थे कि एक वर्ष का बीमा का पैसा कमल नाथ जी की सरकार ने नहीं भरा, लेकिन उसके पहले यह नहीं बताया कि आपने स्वयं ने नहीं भरा था और आज भी किसानों का 180 करोड़ रूपये किसानों का बीमे का पैसा बांट नहीं पाये हैं, रखे हुए हैं, लेकिन वह पैसा किसानों के खातों में नहीं पहुंचा. आप बात किसकी कर रहे हैं मजदूर, किसान, भांजियां आपके राज में परेशान. बेरोजगारों का मैंने बता दिया है कि उनकी आमदनी का जरिया निरंतर कम होता जा रहा है. उद्योग हमारे लगभग बंद होने की स्थिति में हैं. तो आप चिन्ता कर किसकी रहे हो ? मैं आपसे पूछना चाहता हूं. बजट में बड़ी उम्मीद थी कि वेट के ऊपर पैसा कम करेंगे या केन्द्र सरकार उस पर कम करेगी. न तो केन्द्र सरकार ने न ही इन्होंने कम किया उसमें नतीजा यह हुआ कि चारों तरफ महंगाई की हाहाकार मची हुई है. अगर बसों के भाड़े की बात करें तो वह बढ़ गया, ट्रकों का भाड़ा भी बढ़ गया. अनाज व किराने पर 40 प्रतिशत महंगाई बढ़ गई. आप कैसे इस व्यवस्था को संभालने वाले हो माननीय वित्तमंत्री जी आप स्पष्ट करके तो बतायें ? गऊशाला के ऊपर वोट आप लोग मांगते थे. एक हजार गऊशाला खोलने का काम माननीय कमल नाथ जी की सरकार ने किया था. आपने उसको व्यवस्थित करने की बजाय गऊ माता के लिये जो पैसा मिलता था उस पैसे को कम कर दिया है.
सभापति महोदय--माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी जब कोई सदस्य बोलते हैं तो मंत्री जी को उसको नोट करते हैं, क्या बोल रहे हैं फिर उसका उत्तर बनाते हैं. आप कर रहे हैं मैंने देखा नहीं करते हुए इसलिये कहा.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)--सभापति महोदय, उस दिन भी कहा था जब मुख्यमंत्री जी बोल रहे थे. आज वित्तमंत्री जी स्वयं कर रहे हैं.
सभापति महोदय--कर रहे हैं तो ठीक है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- सभापति महोदय, आपने मेरा उल्लेख कर ही दिया है. अभी सम्मानित सदस्य हमारे राजा बृजेन्द्र सिंह जी बोल रहे थे. उस समय सर्राफ जी एवं दूसरे माननीय सदस्य उनको बैचेनी होगी, उनकी मैं आलोचना नहीं कर रहा वह बीच में थे उस समय सम्मानित सदस्य ने उनको कहा कि आप एक मिनट रूक जाओ. मेरा कहना है कि आपके माध्यम से विधान सभा सचिवालय भी इसको देखे. एक पत्रिका अपने यहां से निकलती है जिसमें आसंदी एवं कोई सदस्य बोल रहा है तो उसके बीच में आ नहीं सकते हैं. अगर आना ही है तो वह झुक कर आयेंगे जैसे आप आते हैं या कोई भी आता है. एक छोटी छोटी मार्गदर्शी पुस्तिका है उसमें आसंदी से कोई व्यवस्था आ जाये तो एक बार वह बंट जाये अथवा प्रबोधन कार्यक्रम ऐसा हो जाये, क्योंकि सदन की अपनी गरिमा है.
सभापति महोदय--ठीक है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- सभापति महोदय, जैसा कि आपको बता रहा था कि गऊ माताओं को जो दाना मिलता था, जो गऊशालाओं की व्यवस्था होती थी. वह पैसा भी आपने कम कर दिया है. दो माह से सरकार की तरफ से नहीं गया है जिससे गऊ माताएं भूखो मर रही हैं. इसके बाद हम बात करें बिजली की बिजली मंत्री जी अभी नहीं हैं. मैंने उनको लिखकर भी दिया है. टीकमगढ़ एवं निवाड़ी जिले की मैं बात कर रहा हूं. मध्यप्रदेश के भी लगभग बहुत हालात खराब हैं दतिया के केवल ठीक हो सकते हैं, वह कह नहीं सकते हैं, उसको केवल नरोत्तम जी ही बता सकते हैं. बिजली के ट्रांसफार्मर एक नहीं अनेकों जले पड़े हैं और महीनो महीनो तक जले पड़े हैं. लोगों के पैसे जमा हैं उसके बावजूद भी उनको बिजली नहीं मिल पा रही है. वैसे भी वहां पर सूखा पड़ा हुआ है और बिजली न मिल पाने की वजह से उनकी फसलें चोपट हो रही हैं. लेकिन उसके बावजूद भी सरकार 1 प्रतिशत भी गंभीर नहीं है. एक बार नहीं हमने ध्यानाकर्षण भी लगाया, मंत्री जी को व्यक्तिगत रूप से कहा भी और लिखकर के भी दिया. उसके बावजूद भी मंत्री जी ने मुझे जानकारी मिली कि बोला, लेकिन कोई अधिकारी मंत्री की बात मानने के लिये तैयार नहीं है, यह व्यवस्था भी चरमरा गई है. जब फसलें सूख जायेंगी उसके ऊपर जो कसर रह गई वह यह है कि बिजली विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी वहां पर जाकर के कुर्की कर रहे हैं. किसी के पास कुछ नहीं है तो उसकी चारपाई ले जाते हैं, सायकिल ले जाते हैं, मोटर सायकिल ले जाते हैं. जिसके घर में जो है वह ले जाते हैं. कैसे आप लोग मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर होने की बात कर रहे हैं ? संबल योजना के बारे में लंबी लंबी बातें की कि कांग्रेस के समय में संबल योजना बंद कर दी गई थी. संबल योजना में अभी माननीय ग्रामीण विकास मंत्री जी नहीं हैं. मुझे उसमें अच्छे तरीके से मालूम है मैं भी उनके साथ में था. उन्होंने ही जांच की थी उसमें जांच करवाने के बाद रिपोर्ट दी थी कि संबल योजना में गरीबों के नाम कम एक पार्टी विशेष के कार्यकर्ताओं के नाम पूरे लिखे हुए हैं. उनकी रिपोर्ट के ऊपर फिर नया सवेरा योजना हम लोग लेकर के आये थे उसमें भी सुधार करके बहुत सारे लोगों को नये सिरे से जोड़ने का काम हम लोगों ने किया था, लेकिन आज की तारीख में आप देख लीजिये कि संबल योजना का पैसा भी दो महीने से इनके खातों में नहीं है.
जो गरीब हैं वे इधर से उधर भटक रहे हैं, यहां वाहवाही लूटने के लिए बड़ी बड़ी बातें होती हैं. माननीय वित्त मंत्री जी जरा नोट कर लीजिएगा, संबल योजना का पैसा गरीबों के खातों में नहीं जा रहा है, आज करोना की वजह से या बहुत सारी ऐसी परिस्थितियां आईं कि लोग परेशान है. मैं समझता हूं लोगों को रोजगार देने का पर्यटन विभाग एक ऐसा माध्यम है जिसके ऊपर आपको ध्यान देना चाहिए. लघु उद्योग के ऊपर आपको ध्यान देना चाहिए, जिससे लोगों को रोजगार मिलता है. पर्यटन की हम बात करें, पर्यटन मंत्री महोदया यहां बैठी हैं, पर्यटन विभाग ऐसा है कि इसके माध्यम से लोगों को रोजगार दिया जा सकता है. हमारे एक मंत्री सखलेचा जी बैठे हैं, इनका विभाग ऐसा है कि सीधा सीधा रोजगार दिया जा सकता है, लेकिन पर्यटन में अपार संभावना होने के बाद भी अभी आपके अधिकारी आपको सारी बात नहीं बता रहे हैं. ये व्यवसाय लगभग एक साल तक पूरा ठप्प रहा, लेकिन सरकार की तरफ से उस क्षेत्र को कोई सहयोग करने का काम नहीं हुआ, चलिए आप सहयोग नहीं करिये, लेकिन मैं पूछता हूं कि जो प्रमुख पर्यटक स्थल हैं, वहां पर बेसिक सुविधाएं देने का तो पर्यटन विभाग का काम है. ओरछा, कोई परिचय का मोहताज नहीं है. आपको भी मालूम है, यूनेस्को में अभी मध्यप्रदेश के दो पर्यटक स्थल आए हैं, ओरछा और ग्वालियर. वहां पर हवाई पट्टी न होने से बहुत सारे पर्यटक ऐसे हैं, जो अपने प्लेन से आना चाहते हैं, लेकिन हवाई पट्टी नहीं होने के कारण वह ओरछा नहीं आ पाते और उससे केवल ओरछा का नुकसान नहीं होता, पूरे बुन्देलखंड का नुकसान होता है, बल्कि बघेलखंड तक का नुकसान होता है, वहां पर जमीन उपलब्ध है. अभी एक प्रश्न में मैं देख रहा था, आपके अधिकारी ने उत्तर लिखा दिया कि वहां पर कोई जमीन नहीं है, लेकिन पिछली सरकार में मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं, मैंने जमीन खुद दिखवायी थी, वहां के कलेक्टर, तहसीलदार सारे अधिकारियों ने जमीन चिन्हित किया था और आज भी जब आप कहेंगे आपको जमीन दिखवा दूंगा, वहां पर जमीन उपलब्ध है.
01:02 बजे हास-परिहास
श्री सज्जन सिंह वर्मा - नरोत्तम भैया बधाई, आपको आज से मुख्यमंत्री का चार्ज मिल गया.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - वह तो अघोषित रूप से वैसे ही लिए हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - सज्जन सिंह जी, आपको नेता प्रतिपक्ष क्यों नहीं बनने दे रहे, कोई कारण तो है? हर दृष्टि से आप उपयुक्त हो, उसके बावजूद भी सारे लोग षडयंत्र कर रहे हैं(..हंसी)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - जब तक डाक्टर साहब रहेंगे, तब तक संभव नहीं है. (..हंसी)
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - रामराजा सरकार के दर्शन कर लो, हर मनोकामना पूरी हो जाएगी. (..हंसी)
श्री बाला बच्चन - जैसा आपने सज्जन सिंह जी को बोला, वैसा आप कई बार कई लोगों को बोल चुके हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आपके अलावा किसी को नहीं बोला. (..हंसी)
श्री बाला बच्चन - हम आपकी एक एक बात का ध्यान रखते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - बाला भैया आप मेरे दोस्त हो, मैं आपसे यह कह रहा हूं कि जब आप विपक्ष में थे तो नंबर 1 की कुर्सी पर थे, फिर आप नंबर 2 पर आ गए फिर आप अभी कहां पहुंच गए 7 वें, 8 वें नंबर पर.
श्री बाला बच्चन - यह आपकी नजर का कसूर है, मैं जहां था वहीं हूं, मैं कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष था, तब भी यहीं था.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - माननीय सभापति जी, मैं दोनों से कह रहा हूं कि दोनों लोग रामराजा सरकार के दिल से दर्शन कर लेंगे तो हो सकता है, इनकी मनोकामना भी पूरी हो जाए. आप आ जाओ हम दर्शन करवा देंगे.
सभापति महोदय - आप अपना संबोधन कीजिए.
01:03 बजे वर्ष 2021-2022 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा ...(क्रमश:)
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - सभापति जी, जैसे हमने पर्यटन की बात की. बुन्देलखंड में सबसे बड़ी समस्या है, पानी की क्योंकि वहां आपने देखा होगा किस तरह से मजदूरों का पलायन हुआ और मजदूरों की दुर्गति पूरे हिन्दुस्तान में हुई और खासतौर से पूरे बुन्देलखंड के 17 मजदूर मारे गए. वहां पर हमारे पास नदियां भरपूर है, हमारे जिले में तालाब 460 हैं, लेकिन हर वर्ष हमें सूखे की स्थिति झेलनी पड़ती है, मजदूर पलायन करके जाते हैं, मछुआरों को काम नहीं मिलता है और कृषि का क्षेत्र सिंचाई से वंचित रह जाता है, तो नदी तालाब जोड़ने के लिए एक बार नहीं कई बार हमने आपको लिखा, लेकिन उसके बावजूद भी आज तक आप गंभीर नहीं हुए. आप बातें बहुत करते हैं कि यहां योजना मंजूर कर दी, जहां पानी है वहां पानी दे दोगे तो क्या फर्क पड़ रहा है, जहां सूखा पड़ रहा, जहां महत्वपूर्ण हो वहां के लिए पानी दो, पेयजल की अलग समस्या है और दूसरी भी समस्याएं हैं, लेकिन उसके लिए ये गंभीर नहीं हैं.(..व्यवधान)
श्री हरिशंकर खटीक - सभापति जी.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - क्या आप इसका विरोध कर रहे हो
श्री हरिशंकर खटीक - हम विरोध नहीं कर रहे, लेकिन यह बताना चाहते हैं कि आपको केन्द्र सरकार को धन्यवाद देना चाहिए .(..व्यवधान) केन, बेतवा सिंचाई परियोजना में 35 हजार 111 करोड़ रूपए की परियोजना का सरकार की सहमति से हमारे देश के प्रधान मंत्री ने स्वीकृत किया है.
सभापति महोदय - वे वरिष्ठ विधायक हैं. प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं, उनको मालूम है कि उनको क्या कहना है. आप बैठ जाइये.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - माननीय सभापति महोदय, लेकिन नदी-तालाब को जोड़ने की कोई योजना इन्होंने नहीं दी है. हमने पूरी योजना बनवाई थी, सागर जिले में एक डेम बना था, जिससे तीन जिलों की सिंचाई होती है और माननीय मुख्यमंत्री जी को व्यक्तिगत रूप से मिलकर, मैंने पत्र भी लिखा है. मैं आपके माध्यम से चाहता हूँ कि वित्त मंत्री जी से कहना चाहता हूँ. आप कृपा करके इसको नोट कर लें और आने वाले कल में इसके ऊपर जरूर चर्चा करेंगे, यह मुझे विश्वास है. मोहनगढ़ तहसील और दिगौढ़ा तहसील आज दो तहसीलें ऐसी हैं कि वहां पेयजल का बड़ा भारी संकट है, अभी मैं वहां पर गया था तो एक बरेठी गांव पड़ता है, वहां कम से कम एक हजार महिलाएं जुड़कर आईं, वहां पानी पीने का इतना बड़ा भारी संकट है और आज तक जल निगम को बार-बार लिखने के बावजूद भी, आपने उसको योजना में नहीं जोड़ा, तो मैं चाहता हूँ कि वहां की जो योजना है, आप उसको जोड़ें. पीडब्ल्यूडी मंत्री जी चले गए हैं, ग्रामीण विकास मंत्री जी नहीं हैं, हमारी बहुत सारी रोडें आपने ली हैं, हमारी पृथ्वीपुर तहसील में, वे रोडें बहुत महत्वपूर्ण रोडें हैं, एक बिरौराखेत से अस्तारी तक मात्र 13 किलोमीटर लम्बी सड़क है, वह सड़क बड़ी जर्जर स्थिति में है और एक से दूसरे राज्य को जोड़ती है. ऐसे ही जेरोन से बासवान एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ती है लेकिन उसका उल्लेख बजट में कहीं भी नहीं किया गय है जबकि कई वर्षों से उसकी निरन्तर मांग हो रही है, आप इसको चौड़ी सड़क बनाने का काम करेंगे, यह मुझे पूरा-पूरा विश्वास है. यह जो बजट है, मुझे तो समझ में नहीं आता है कि व्यक्तिगत रूप से हमारे देवड़ा जी, बहुत भले इन्सान हैं, मेरे मित्र भी है. वैसे इनकी गलती नहीं है, जैसे नरोत्तम भाई और दूसरे लोगों ने, अधिकारियों ने बजट लिख दिया, वैसा उन्होंने पढ़ दिया. इस बजट की हालत यह है कि किसान है तो वह कर्जदार है, युवा है तो वह बेरोजगार है. आम जनता के ऊपर महंगाई की मार, व्यापारी के ऊपर जीएसटी में लूट मच रही है, उनके ऊपर करों का भार है. कर्मचारियों का न तो आपने डीए दिया और डीआर, तो सरकार उनको भी भूल गई है. संवेदनशीलता का तो भगवान ही मालिक है. हां, सब छोड़कर भाषणबाजी में कला की सरकार जरूर है और हमारे नरोत्तम जी तो इस बात के माहिर है, इनका कोई सानी नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, जब ये मंत्री थे. (XXX) यह अभी तक नहीं बता पा रहे हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - (XXX) वह कहां रखते थे ? यह भी बता दो.
सभापति महोदय - यह विलोपित कर दें और जो संसदीय कार्यमंत्री जी ने इशारा किया है, उसको विलोपित कर दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - इशारा कैसे विलोपित होगा ? (हंसी)
सभापति महोदय - अच्छा, आप बैठ जाएं. (हंसी)
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - माननीय सभापति महोदय, इसलिए मुझे मजबूरी में इस बजट का विरोध करना पड़ रहा है क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि देवड़ा जी की बात को काटूँ लेकिन आइन्दा हम यह उम्मीद करेंगे कि जब अगला भाषण होगा, जब मौका मिलेगा. अगर आज हमने जिन योजनाओं का उल्लेख किया है, अगर आप मंजूर कर देंगे तो मैं वहीं जाकर सार्वजनिक रूप से, सदन में ही आपको माला पहनाऊँगा, मैं वहां आकर आपको माला पहनाऊँगा और अगर आप उसका जिक्र नहीं करेंगे तो नरोत्तम जी आप बता देना कि क्या करने की गुंजाइश बचती है ? माननीय सभापति महोदय, मैं दु:ख के साथ इस बजट का विरोध करता हूँ. आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) - माननीय सभापति महोदय, मैं वर्ष 2021-2022 के आय व्ययक बजट की सामान्य चर्चा में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. माननीय वित्त मंत्री देवड़ा जी का मैं आभार व्यक्त करता हूँ, धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ. मेरा विधान सभा क्षेत्र मंदसौर है, उस मंदसौर में अष्टमुखी नयनाभिराम विश्व की अद्वितीय प्रतिमा भगवान पशुपतिनाथ महादेव विराजित हैं. सभापति महोदय, आदरणीय वित्त मंत्री जी ने अपने बजट की शुरूआत भगवान पशुपतिनाथ महादेव का स्मरण करते हुए किया है तो निश्चित रूप से जिस लक्ष्य में, जिस काम में हम अपने इष्ट देवता का स्मरण करते हैं. हमारे शहर की जो एक बहुत बड़ी धरोहर है, उसका स्मरण करते हैं तो निश्चित रूप से बजट भी उसी अनुसार भगवान की कृपा और आशीर्वाद से जनता के लिए लाभकारी होता है, ऐसा मैं मानता हूँ. माननीय सभापति महोदय, वे जानकार लोग जो लगभग तीन दशक, चार दशक, दो दशक तथा एक दशक से भारत सरकार का बजट हो या राज्य सरकारों के बजट का समय आता हो, वे अपनी टिप्पणियां देते हैं एवं वे अपने विचार व्यक्त करते हैं, वे जानकार लोग हैं, जो बजट के बारे में अपना व्यक्तव्य देते हैं, अपनी विचारधारा को जन सामान्य तक पहुँचाने का काम करते हैं.
माननीय सभापति महोदय, वे निष्पक्ष लोग हैं, न सत्ता पक्ष से उनका कोई लेना देना है और न ही प्रतिपक्ष से उनका कोई लेना देना है. मैं इसकी कुछ बानगी बताना चाहता हूं. एक विश्लेषक ने कहा है, एक जानकार ने कहा है कि बजट में दिखाई दी मुख्यमंत्री जी के विजन और अनुभव की छाप, यह इसलिये कहा है कि पिछले कालखण्ड में जो सरकार थी, उसके जो मुखिया मुख्यमंत्री थे, उनके अनुभव की राज्य स्तर पर कमी थी और विजन की भी कहीं न कहीं उनमें कमी थी, इस कारण से उस विश्लेषक ने इस बात को लेकर टिप्पणी की थी.
माननीय सभापति महोदय, सरकार आत्मविश्वास से लबालब है. 21 वी सदी के मध्यप्रदेश को स्वप्नदृष्टा माना जाना चाहिये, यह वक्तव्य एक जानकार है. मेक इन मध्यप्रदेश के रास्ते लोकल के लिये वोकल पर इस बजट में जोर दिया गया है, ऐसा उनका मानना है, कम संसाधनों में असीमित उड़ान के प्रयास, इस सरकार ने करके बताने की कोशिश की है. सपनों में दम है, जीतेंगे हम, यह विश्लेषक कह रहे हैं मैं नहीं कह रहा हूं. माननीय सभापति महोदय, दृढ़ता, साहस, संकल्प, परिश्रम, ईमानदारी, आत्मविश्वास, सबका साथ यह भी किसी एक विश्लेषक ने अपनी टिप्पणी में व्यक्त किया है.
माननीय सभापति महोदय, चुनौतियों के बीच संतुलन साधने की कोशिश इस बजट के माध्यम से की गई है, इसलिये मैं आपके माध्यम से सदन को अवगत करा रहा हूं कि चुनौतियां तो हैं, कोरोना की चुनौतियां तो हैं, छात्र, छात्राएं परीक्षाएं नहीं दे पा रहे हैं, उनकी चुनौतियां हैं, व्यापार, व्यवसाय पर कहीं न कहीं व्यापक असर पड़ा है, यह चुनौतियां हैं. सार्वजनिक मेले नहीं लग पा रहे हैं, यह चुनौतियां हैं, पर्यटन रूका पड़ा है, यह चुनौतियां हैं. इस प्रकार से अनेक प्रकार की चुनौतियों के बीच में यह बजट आया है.
माननीय सभापति महोदय, प्रदेश की जीडीपी में तीव्र वृद्धि को ध्यान में रखते हुए ही इंफ्रास्ट्रेक्चर डेवलपमेंट पर बजट में विशेष फोकस किया गया है. मोदी जी के संकल्प 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था तक पहुंचाने में यह बजट काफी सहायक सिद्ध होगा.
माननीय सभापति महोदय, बजट का अगर हम अवलोकन करें, अध्ययन करें, देखें, सिंहावलोकन करें तो विभागों की जो बजट में वृद्धि की गई है, मैं उसका विश्लेषण करना चाहूंगा. नगरीय प्रशासन एवं ग्रामीण विकास विभाग में 22 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. स्कूल शिक्षा में 12 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, उच्च शिक्षा में 14 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, कृषि के क्षेत्र में 43 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. सहकारिता मंत्री आदरणीय भदौरिया जी यहां विराजित हैं, सहकारिता में 103 प्रतिशत की इसलिये व्यवस्था जुटाई गई है, बताई गई है कि पूरा मध्यप्रदेश हमारा है और किसान अगर किसी पर विश्वास और भरोसा करते हैं तो वह माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान पर विश्वास और भरोसा करते हैं, जो पैक्स की स्थितियां हैं, जो अपैक्स की स्थितियां हैं जो डी.सी.सी.बी. की अपेक्षाएं हैं, उन सबको को पूरा करने के लिये, किसानों का संबल बनने का काम आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने, सहकारिता मंत्री जी की मांग पर यह 103 प्रतिशत की इसमें बढ़ोत्तरी की है. माननीय सभापति महोदय,मछुआ कल्याण को लेकर मुझे बहुत प्रसन्नता है कि कल तक किसान क्रेडिट कार्ड अगर अटल बिहारी वाजपेयी जी ने प्रांरभ किये थे तो व्यावसायिक बैंकों से शुरू किए थे. हमारा मध्यप्रदेश कोओपरेटिव सेक्टर में आदरणीय सहकारिता मंत्री जी विराजित हैं, पैक्स से लेकर अपैक्स तक किसानों को लेकर उन किसानों को जीरो प्रतिशत पर ब्याज देने के लिये आज हम व्यावसायिक बैंकों से एक कदम आगे हो गये हैं. किसान क्रेडिट कार्ड में यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. उसी के साथ ही मछुआ कल्याण को लेकर, मछुआरों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर ही वे जाल खरीदें, वे नाव खरीदें वे अपनी आजीविका को चलाने के लिये जीरो प्रतिशत पर उनको भी कोआपरेटिव सेक्टर में सहकारिता के सेक्टर में, जिस प्रकार से इसमें भी लगभग 109 प्रतिशत की वृद्धि की है, मैं इसके लिये माननीय वित्तमंत्री जी का हृदय से आभार और धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं.
माननीय सभापति महोदय, चिकित्सा शिक्षा में माननीय विश्वास सारंग जी यहां पर विराजित हैं. जिस प्रकार से मेडीकल कॉलेज, जिस प्रकार से छात्रों की संख्या बढ़ेगी, जिस प्रकार से उस क्षेत्र का इंफ्रास्ट्रेक्चर बढ़ेगा, सुधरेगा, उसको लेकर भी लगभग 29 प्रतिशत की इस बजट में चिकित्सा शिक्षा में वृद्धि की गई है, मैं मंत्री जी इसका स्वागत करता हूं.
सभापति महोदय, ऊर्जा विभाग के क्षेत्र में, ठीक है हम आत्मनिर्भर बन गये, फिर चाहे वह सौर ऊर्जा हो, चाहे पवन ऊर्जा हो, चाहे कोयले से बनने वाला हमारा विद्युत का उत्पादन हो, एक जमाने में 2900 मेगावाट कुल मध्यप्रदेश का सारे हिसाब-किताब से उत्पादन होता था, आप सबको मिला लें, हवा तब भी चलती थी, सूरज की किरणें तब भी थीं, आज अकेले 3000 मेगावाट से अधिक का उत्पादन माननीय सभापति महोदय हमारे पवन ऊर्जा से हो रहा है और उसको लेकर के ऊर्जा विभाग ने 104 प्रतिशत की वृद्धि वास्तव में हमको गर्व की अनुभूति कराता है. लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग, पीएचई, हर व्यक्ति को वह चाहे ग्रामीण क्षेत्र का हो एक नल की टोटी उसके घर पर भी लग सके और माननीय सभापति महोदय अतिश्योक्ति नहीं है अगर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने उज्जवला योजना को अपने हाथों में लिया और हर घर, हर झोपड़ी में एक लट्टू भी जलेगा, एक बल्व भी जलेगा तो उसको लेकर के आशातीत सफलता माननीय सभापति महोदय माननीय मोदी जी के नेतृत्व में मिली है. आज यही आव्हान माननीय मोदी जी के माध्यम से पुन: हुआ है. राइट टू वाटर जो हमारा जल का अधिकार ठीक है निश्चित रूप से पिछली सरकार ने इसमें कवायद की थी, विचार किया था, मंथन किया था, लेकिन उसमें और इसमें काफी अंतर है और इसको लेकर के अधिकार के साथ-साथ उनके घरों तक हर घर में नल की टोटी से ग्रामीण क्षेत्र में पानी पहुंच जाये इसको लेकर के लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग को माननीय वित्त मंत्री जी मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं, 79 प्रतिशत की राशि की इसमें वृद्धि की है. नर्मदा घाटी योजना के अंतर्गत 53 प्रतिशत का इजाफा किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, कोविड के दौर में खजाना खुला हुआ है, यह मैं इसलिये कह रहा हूं कि पुरानी विधान सभा का जो भवन है मिंटो हाल उसमें लगातार जिस तरह से आयोजन हो रहे हैं और वहीं से बैठे-बैठे एक क्लिक में छात्रों के लिये, किसानों के लिये, अन्य व्यवस्थाओं के लिये, हितग्राहियों के लिये अगर पैसा ट्रांसफर होता है तो वास्तव में उस पुरानी विधान सभा के उस भवन का, मिंटो हॉल का सदुपयोग इस कोरोना काल में यदि हो रहा है, यह रोना नहीं रोया जा रहा, तत्कालीन सरकार के मुखिया और उनकी पूरी टीम, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल को इस बात को लेकर के कि खजाना खाली मिला, 15-16 महीने तक खजाने को लेकर के रोते ही रहे और आज खजाना भरा हुआ भी है, व्यवस्थायें भी हैं, चुनौतियां भी हैं.
माननीय सभापति महोदय, माननीय वित्तमंत्री जी के बजट के अभिभाषण में फसल बीमा फिर चाहे वह पीएम सम्मान निधि हो या सीएम सम्मान निधि हो, खरीफ 20-20 का नुकसान रहा, जीरो प्रतिशत ब्याज, समर्थन मूल्य, उपार्जन, बिजली अनुदान, एससी, एसटी, अनुसूचित जाति, जनजाति नि:शुल्क बिजली आदि पर 86 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है.
माननीय सभापति महोदय, सामाजिक सुरक्षा को लेकर के कभी विचार नहीं आया था, कभी कल्पना नहीं की थी कि इस प्रकार के कोरोना के काल में हमारे प्रवासी मजदूर जो झारखंड में थे, जो गुजरात में थे, जो राजस्थान में थे, पता नहीं दूर-दूर तक थे, उत्तर प्रदेश में थे वह अपने प्रदेश में आना चाह रहे थे क्योंकि कोविड में जिस प्रकार से वहां परेशानी थी और वह यह विचार करके आये थे कि इस मध्यप्रदेश में हम वापिस आ जायेंगे तो यहां पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज जी के नेतृत्व में हमको मान सम्मान मिलेगा, हम सुरक्षित रहेंगे, वह सभी लौट-लौटकर आये, पैदल-पैदल चलकर के आये, सड़कों की तरफ से आये और रेलवे की पटरियों को पार करते-करते आये. प्रवासी मजदूरों के लिये बिजली बिलों में राहत देने के लिये, स्वसहायता समूहों को 4 प्रतिशत ब्याज पर सुविधा देने को लेकर के, मध्यान्ह भोजन को लेकर के, बेगा, सहारिया और भारिया समाज के उन लोगों सहित लगभग 32 हजार करोड़ रूपये का माननीय वित्त मंत्री महोदय ने प्रावधान किया है, मैं अभिनंदन करते हुये आभार व्यक्त करता हूं.
माननीय सभापति महोदय, बजट के प्रावधान में लोक निर्माण विभाग, पीडब्ल्यूडी, 6866 करोड़ रूपये का बजट तत्कालीन सरकार के समय का था उसको बढ़ाकर 7341 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है और मैं माननीय मंत्री जी, माननीय गोपाल भार्गव जी का इस बात को लेकर धन्यवाद देना चाहता हूं. अकेले मेरी विधान क्षेत्र मंदसौर में इस बजट में मुझे 50 करोड़ रूपये की राशि, 21 करोड़ रूपये तो एक ओव्हर ब्रिज का मिला है जो दलोदा में प्रगति चौराहे से लेकर के धमनार धौंगड़ की तरफ जाता है. इसी प्रकार से मंदसौर शहर की जीवन रेखा फोरलेन सड़क जो जर्जर हो गई, टूट गई उसको लेकर के 11 करोड़ रूपये की राशि सी.सी. रोड के लिये फोरलेन के रूप में मुझे मिली है. मेरी ही विधान सभा क्षेत्र का हमारा जो गांव है ताजखेड़ी से अकोदड़ा उसके लिये राशि मिली है.
इसी प्रकार से नगरी,आक्या,उमाहड़ा और जावरा, जो रतलाम जिले को जोड़ता है हनुमंतिया, उस सड़क के लिये पैसा मिला है. माननीय सभापति महोदय, अकेले मेरा नहीं प्रदेश के अन्य जिलों में अन्य व्यवस्थाओं को भी लाभान्वित किया गया है. सिंचाई मंत्री, तुलसी सिलावट जी उपस्थित हैं. मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं कि 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का टारगेट लेकर सरकार चल रही है तो खाली कहने के लिये नहीं चल रही है. 6436 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया गया है. इसके साथ-साथ मेरे विधान सभा क्षेत्र के शिवना नदी पर भाऊगढ़ के निकट हरचंदी का जो एक छोटा रपटा था जिसको किसी जमाने में गांव के लोगों ने जनभागीदारी से बनाया था. एक रपटा टाईप सॉलिडिविअर था उसको बड़ा करते हुए लगभग 6 करोड़ रुपये की राशि वित्त मंत्री जी ने, तुलसी सिलावट जी ने दी, हरचंदी सालिड स्टापडेम के लिये. जल जीवन मिशन के अंतर्गत गांव और शहरों को पर्याप्त पेयजल को लेकर 337 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी बजट में की गयी है. जिसकी राशि 5992 करोड़ का प्रावधान किया गया है. विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में 21361 मेगावाट विद्युत का उत्पादन करने में हमने सफलता प्राप्त की है. 24 हजार शिक्षकों की भर्ती का एक बड़ा साहसिक काम हुआ है. उसकी आवश्यकता थी. उसके लिये बजट में प्रावधान किया गया है और सी.एम. राईज सर्वसुविधायुक्त महाविद्यालय, जो प्रायवेट स्कूलों की तरह होंगे. जिसमें स्कूल बस होगी, छात्रावास होंगे,स्कूलों में क्रीड़ा के मैदान होंगे.1 हेक्टेयर,2 हेक्टेयर,3 हेक्टेयर भूमि में वह होंगे.एक ब्लाक में एक होगा और उसको लेकर 1500 करोड़ का जो प्रावधान किया गया है. मुझसे भी कहा गया था कि कौन सा स्थान ब्लाक में उपयुक्त होगा. मैंने अनुशंसा की. सांबाखेड़ा गांव है माननीय वित्त मंत्री जी के क्षेत्र मल्हारगढ़ को जोड़ने वाला है. इन विद्यालयों के कारण, जो एक स्वरूप का होंगे, एक आकार के होंगे. जिस प्रकार से नवोदय विद्यालय होते हैं. जिस प्रकार से केन्द्रीय विद्यालय होते हैं. जिस प्रकार से गुरुकुल होते हैं .तो जिस प्रकार से सी.एम. राईज का जो कान्सेप्ट है जिसके लिये बजट में प्रावधान किया गया है. यह हो जाता है तो मैं समझता हूं कि सरकारी स्कूल जो हमेशा निशाने पर रहते हैं कि उनमें कमियां हैं, खामियां हैं. उसके लिेय उच्च शिक्षा विभाग में 879 करोड़ का प्रावधान किया गया है. जो दो गुना ज्यादा है. मेडिकल कालेज का उल्लेख हुआ. मेरे मंदसौर शहर को भी एक मेडिकल कालेज मिला है. ओमप्रकाश सखलेजा जी बैठे हैं उनके नीमच जिले में भी मेडिकल कालेज मिला है इस प्रकार से इन मेडिकल कालेजों से 3250 सीटें बढ़ेंगी. यह निर्णय निकट भविष्य में चिकित्सकों की कमी को दूर करने में मील का पत्थर साबित होगा. बजट में दो अतिरिक्त अशासकीय चिकित्सा महाविद्यालय भी दिये जाने का संकल्प है. मैं माननीय विश्वास सारंग जी को भी बधाई देना चाहता हूं कि शासकीय के साथ अशासकीय पी.जी. मेडिकल कालेज में भी एक कदम आगे बढ़ने का काम उन्होंने किया. 15 लाख 81 हजार किसानों के गेहूं का कोरोना काल में समर्थन मूल्य पर उपार्जन हुआ. मैं सहकारिता मंत्री को धन्यवाद देता हूं कि वे कोरोना योद्धा जो सोसायटी के छोटे-छोटे कर्मचारी हैं. जिन्होंने उस कोरोना काल में किसानों के बीच में, हम्मालों के बीच में, तुलावटियों के बीच में, धूप में खड़े रहकर और कोरोना की बीमारी की चुनौती का सामना करते हुए एक-एक दाना जब मंडियां,मुख्य मंडियां बंद थीं लेकिन आपके उपार्जन केन्द्र प्रारम्भ थे. हमको वह दृश्य देखकर आनंद की अनुभूति हो रही थी और न केवल गेहूं का उपार्जन प्रारम्भ हुआ बल्कि कोरोना के कारण कुछ नये स्थानों पर भी उपार्जन केन्द्रों को स्थापित किया गया. उसको लेकर 24833 करोड़ रुपये का सीधा भुगतान किया गया है. इधर की सरकार के समय में किसानों के, छात्रों के मोबाईलों पर मेसेज आना बंद हो गये. इधर की सरकार के आते ही सीधे-सीधे एस.एम.एस. आना प्रारम्भ हो गये हैं कि आपके खाते में राशि ट्रांसफर कर दी गयी है यह अंतर है.
सभापति महोदय, विमानन के क्षेत्र में पायलट प्रशिक्षण, एयर स्पोर्ट्स, अन्य गतिविधियां, एयर क्राफ्ट्स रिसाइकलिंग, हेलीकॉप्टर अकादमी आदि को लेकर के अनेक स्थान शामिल किये गये हैं, उसमें मेरे विधान सभा क्षेत्र का, मंदसौर के मुख्यालय का हमारी 2.5 किलोमीटर रनवे की जो एयर स्ट्रिप है, उसको भी इसमें शामिल किया गया है. इसके लिये मैं वित्त मंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं. लोक सेवा प्रबंधन को लेकर जिला एवं तहसील स्तर पर जो 426 सेवाएं अधिसूचित की गई थीं, उसके साथ साथ अब सेवाओं को ऑन लाइन सिस्टम से बढ़ाते हुए 258 नई सेवाएं भी इसमें सम्मिलित की हैं. वित्त मंत्री जी द्वारा अपने बजट भाषम में उल्लेख किया गया है कि 7 करोड़ 27 लाख से अधिक आवेदकों का अब तक निराकरण किया जा चुका है. वित्त मंत्री जी द्वारा जो बजट प्रस्तुत किया गया है, इस पर चर्चा हो रही है, यह दर्पण, आईने की तरह साफ है औरइसमें अगर आप देखेंगे, तो कल हमारा जो मध्यप्रदेश है, इस मध्यप्रदेश की तरफ जनता देख रही है कि आत्मनिर्भर की जो कल्पना आदरणीय मोदी जी ने की है, उस दिशा में शिवराज सिंह जी चौहान ने और मंत्रिमण्डल के तमाम सदस्यों ने अपने अपने विभागों की जो एक्सरसाइज की है, अपने अपने विभागों को जिस तरह से सांचे में डाला है, ढाला है, यह निश्चित रुप से आने वाले समय में मध्यप्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने का काम करेगी. सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सुनील सराफ (कोतमा) -- सभापति महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. मैं पहली बार का विधायक हूं, सदन में ऐसे बोलने का मौका नहीं मिला है, इसलिये आपका संरक्षण और सदन के सभी साथियों का सहयोग चाहूंगा. आंकड़ों की बाजीगिरी का 2 लाख 41 हजार 475 करोड़ का यह बजट केवल शब्दों का मायाजाल बनकर रह गया है. इस बजट की कंडिका 8 में लिखा है कि बजट जनता की आकांक्षाओं और सपनों का स्वरुप होता है. आज मध्यप्रदेश की जनता की आकांक्षाएं और अपेक्षाएं क्या हैं. आज पेट्रोल डीजल में वेट कम करने की, उसकी कीमत करने की सबसे ज्यादा जरुरत है. मैं उस जिले से आता हूं, जिस जिले को भारत देश में सर्वाधिक रेट का पेट्रोल, दुर्भाग्यवश सर्वाधिक रेट का पेट्रोल अनूपपुर जिले में बड़े बड़े पेपरों में भी छपता है कि सर्वाधिक रेट का पेट्रोल मिलता है और मेरी विधान सभा क्षेत्र के 5 किलोमीटर बाद छत्तीसगढ़ है, जहां मध्यप्रदेश से 12 रुपये लीटर कम में पेट्रोल एवं डीजल वहां मिलता है. बजट की कंडिका 13 बताती है कि अर्जुन के आंख की भांति, एक ही उद्देश्य, एक ही लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित है, वह है आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण. लेकिन जब हम पीडब्ल्यूडी का बजट देखते हैं तो माननीय लोक निर्माण मंत्री जी के गृह जिले सागर में 12 आरओबी तथा 22 सड़कें दीं. इसके अलट कितने कांग्रेस के विधायक हैं, जिनके यहां पूर्व से स्वीकृत बजट को भी वापस बुला लिया गया है. क्या 96 विधान सभा क्षेत्र जो हैं, वह आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के अंदर नहीं आते हैं. क्या आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बन सकता है 96 विधान सभा क्षेत्रों को बजट में प्रावधान न देकर के, निर्माण कार्य न करके. बजट में किसान कर्ज माफी एक सिरे से गायब है. अब प्रदेश के किसानों को कर्ज माफी की उम्मीद भी खत्म कर लेना चाहिये, इससे प्रदेश के लाखों किसान आहत हुए हैं. आपने अपने 15 साल की सरकार में पेंशन को 150 रुपये से बढ़ाकर कुल 300 रुपये किया था. तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री, कमलनाथ की सरकार द्वारा आते ही 300 रुपये से बढ़कर 600 रुपये किया गया. कंडिका 27,28 विद्युत के विषय में है. हमारी सरकार ने बिना किसी भेदभाव के इंदिरा गृह ज्योति योजना लागू की. सभी व्यक्तियों को, गरीब हो, अमीर हो, सभी व्यक्तियों को 100 यूनिट तक बिजली 100 रुपये में देने का प्रावधान किया. आप उसमें से शासकीय कर्मचारियों को..
सभापति महोदय -- सुनील जी, एक मिनट. माननीय सदस्य का भाषण जारी रहेगा. सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(1.30 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.10 बजे {सभापति महोदय (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पाठीसीन हुए.}
सभापति महोदय - माननीय सदस्य अपना वक्तव्य जारी रखेंगे. श्री सुनील जी.
श्री सुनील सराफ - सभापति महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. मैं अपनी बात रखते हुए कह रहा था कि आंकड़ों की बाजीगरी का यह बजट है. पूर्व में कही हुई बात को न दोहराते हुए मैं आगे बढ़ रहा हूं कि 15 साल की आपकी सरकार ने 300 रुपये पेंशन बढ़ाई है. कांग्रेस की कमलनाथ जी की सरकार ने आते ही सबसे पहला काम विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन को 300 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये किया.
आपकी कंडिका 27, 28 विद्युत के विषय में है. हमारी सरकार ने बिना किसी भेदभाव के इंदिरा गृह ज्योति योजना लागू की, जिसमें अमीर से गरीब सबको 100 यूनिट बिजली 100 रुपये में देने का काम किया गया. आपकी सरकार के आने के बाद आपके बजट में आप उसमें से शासकीय कर्मचारियों को अलग कर रहे हैं. 6 लाख शासकीय कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा, यह कर्मचारियों के साथ अन्याय है. लॉकडाउन के समय में जो दुकानें बंद थी. उन दुकानों से भी सीएल मीटर का किराया वसूला जा रहा है, बिल वसूला जा रहा है. आपने कहा था कि हम राहत दे रहे हैं, किस तरह की यह राहत है कि आपने सिर्फ बिजली के बिल को स्थगित किया. कहीं भी पूरे प्रदेश में किसी भी बिजली के बिल में एक रुपये की छूट नहीं दी गई. बिजली के बिल को स्थगित किया. अब उसका 3 गुना, 4 गुना ब्याज सहित वसूला जा रहा है.
सभापति महोदय, कंडिका 59 स्वास्थ्य विभाग के विषय में है लेकिन मैं अपने अनूपपुर जिले के बारे में बता रहा हूं. हमारे जिले में स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों के पद खाली हैं, नर्सों के पद खाली है, पैरामेडिकल स्टॉफ के पद खाली हैं, उसे भरने की दिशा में किसी तरह का कोई प्रावधान नहीं है. अभी हाल ही में बजट की बात हो रही थी कि 8-9 मेडिकल कॉलेज नये खोले जा रहे हैं.
सभापति महोदय, मैं माननीय वित्तमंत्री जी से आपके माध्यम से प्रार्थना करूंगा कि आप मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं यह बहुत अच्छी बात है, लेकिन जो मेडिकल कॉलेज 2 साल 4 साल 5 साल से खुले हुए हैं, जरा उनमें भी झांककर देखिए कि वहां सिर्फ बिल्डिंग खड़ी है, ईंट गारे की बिल्डिंग खड़ी है, हमारा शहडोल मेडिकल कॉलेज है, उस मेडिकल कॉलेज में एक अदद वहां एम्बूलेंस नहीं है, सिटी स्केन की मशीन नहीं है, एमआरआई मशीन नहीं है, सोनोग्राफी मशीन है लेकिन रेडियोलॉजिस्ट नहीं है, पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टॉफ भी नहीं है. मेरा आग्रह है कि जो मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं उसमें पहले संसाधन और स्टॉफ की कमी को पूरा करें.
एक बात और मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहूंगा कि हमारा जिला मूलतः कॉलयरी से प्रभावित जिला है. पूरा दोहन वहां पर कॉलयरी कर रही है जिससे डीएमएफ का फंड आता है, डीएमएफ फंड का पैसा प्रभारी मंत्री वहां के विकास कार्यों में स्वीकृत करते थे. अभी एक बदलाव आकर कि प्रभारी मंत्री सिर्फ भोपाल अनुशंसा करके भेजेंगे और माननीय मुख्यमंत्री जी के यहां से वह स्वीकृत होगा, उसमें योजनाओं का क्रियान्वयन होने में देरी होती है, साल भर से कोई प्रभारी मंत्री नहीं होने के कारण वह सारे कार्य रुके हुए हैं. यहां तक कि प्रभारी मंत्री जी के स्वेच्छानुदान की जो निधि होती है, जो विधायक की अनुशंसा पर 2 लाख रुपये तक का स्वेच्छानुदान साज सामग्री और इन सब पर दिया जाता है, प्रभारी मंत्री जी के नहीं होने से वह पैसा भी इस बार शायद लेप्स हो जाएगा, यह मार्च का महीना है.
सभापति महोदय, आपके माध्यम से मैं एक बात और कहना चाहूंगा कि एक विधायक के पास विधान सभा के अलावा और कोई जगह अपनी बात कहने की नहीं होती, क्षेत्र से संबंधित कोई समस्या है कहीं कोई गलत हो रहा है, कुछ हो रहा है, विधान सभा में विधायक अपने सवाल लगाते हैं. यह आम शिकायत सभी विधायक साथियों की है कि सवालों के जवाब में आजकल लगभग अधिकांश सवालों में जानकारी एकत्रित की जा रही है, परीक्षण किया जा रहा है, इस तरह के जवाब आना तो बड़ा आम है, लेकिन मेरा एक सवाल ऐसा है, मैंने एक सवाल प्रश्न क्रमांक 1198 दिनांक 25 फरवरी, 2021 को लगाया था, मैंने इसमें मांगा था कि कोरोना महामारी के दौरान श्रमिकों के परिवहन हेतु 29000 बसों पर लगभग 75 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया तो इन बसों के क्रमांक, वाहन स्वामी का नाम, भुगतान राशि, खाता नम्बर सहित देवें, यह मेरा सवाल था, यह पटल पर रखूंगा. जो सवाल प्रश्नोत्तरी में छपकर आया, वह मूल सवाल ही गायब हो गया, उस सवाल में बसों के क्रमांक, वाहन स्वामी का नाम, जो मैंने मांगा है वह प्रश्न में ही अंकित नहीं है. प्रश्न की मूल आत्मा ही मार दी गई तो कैसे विधायक की जिज्ञासा पूरी होगी, कैसे सवालों का जवाब मिलेगा? मेरा आपके माध्यम से यह भी विनम्रतापूर्वक आग्रह है कि विधान सभा में कम से कम यह जो प्रजातंत्र का मंदिर है इसमें मूल प्रश्न ही गायब न किये जायं, यह आग्रह है.
सभापति महोदय इसके साथ ही कुछ मेरे क्षेत्र के बारे में कहना चाहता हूं. बड़े दुख के साथ में कहना पड़ रहा है वित्तमंत्री जी से आपके माध्यम से इस बजट में हमारे शहडोल संभाग के लिए किसी भी तरह के काम केलिए बजट नहीं दिया गया है. मैं यहां पर मेरे कोतमा क्षेत्र की योजनाएं जो कि पिछली सरकार से लंबित पड़ी हैं. मैं उनकी ओर ध्यान आकृष्ट कराना चाहूंगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में सीतामढ़ी मध्यम सिंचाई परियोजना है. कमलनाथ सरकार द्वारा आदिवासी बाहुल्य अनूपपुर जिले के कोतमा तहसील में महत्वाकांक्षी एवं किसानों के लिए जीवन रेखा साबित होने वाली सिंचाई योजना के लिए वर्ष 2018-19 में सीतामढ़ी मध्यम सिंचाई परियोजना लागत राशि 343 करोड़ रूपये को अपने प्रशासकीय प्रतिवेदन में सम्मिलित किया था. अनूपपुर जिले का 90 प्रतिशत कृषि रकबा असिंचित है. इस बांध के बनने से कोतमा तहसील के लगभग 100 ग्रामों में किसानों को सिंचाई की सुविधा प्राप्त होगी और वह धान के अलावा गेहूं, दलहन, तिलहन और सब्जी आदि की भी खेती कर सकेंगे. लेकिन भाजपा सरकार ने इस बजट में भी पूर्व स्वीकृत इस सिंचाई परियोजना हेतु कोई प्रावधान नहीं किया है. मैं इस वक्तवय के माध्यम से मांग करता हूं कि उपरोक्त योजना के लिए बजट आवंटित कर क्रियान्वित किया जाय.
सभापति महोदय दूसरा दुग्ध शीतलक मिल्क चिलिंग प्लांट कोतमा विधान सभा क्षेत्र के राजनगर नगर परिषद क्षेत्र में, मेरे विधान सभा क्षेत्र में राजनगर कौलरी क्षेत्र है. उस नगर परिषद क्षेत्र में 10 हजार लीटर दूध का उत्पादन रोज होता है. वहां के जो दूध उत्पादक लोग हैं उनको तकलीफ है कि वह छत्तीसगढ़ में जाकर अपना दूध बेचते हैं वहां पर एक मिल्क चिलिंग प्लांट की स्थापना के लिए भी व्यवस्था करें. राजनगर में शासकीय महाविद्यालय तो है लेकिन वह एक स्कूल के दो कमरे उधार लेकर के उन दो कमरों में महाविद्यालय चल रहा है. मैं आपके माध्यम से यह भी निवेदन करना चाहूंगा कि वहां पर महाविद्यालय का भवन देने की कृपा करेंगे. कोतमा विधान सभा क्षेत्र में एक कन्या परिसर अनूपपुर में है पुष्परारजगढ़ में है.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य से जब विभागीय मांगों पर चर्चा होगी तब विभिन्न विभागों के बारे में आप बतायेंगे तो ज्यादा उचित होगा. आप अपना वक्तव्य समाप्त करें.
श्री सुनील सराफ -- अंत में मैं इस बजट का मजबूरन विरोध कर रहा हूं क्योंकि यह बजट प्रदेश की जनता की इच्छाओं के अनुरूप नहीं है. बहुत बहुत धन्यवाद आपने समय दिया.
सभापति महोदय -- श्री उमाकांत शर्मा, पहले नीलांशू जी बोल लें.
श्री उमाकांत शर्मा -- जाना तो साहब दोनो को था.
सभापति महोदय -- देखिये सुनील जी भी कह रहे थे कि जाना है लेकिन वह भी आ गये. श्री संजय यादव.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदय अगर सभी चले जायेंगे तो फिर सदन का क्या होगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- सभापति महोदय इधर वाले तो जाने वाले हैं ही नहीं (सत्तापक्ष की तरफ इशारा करते हुए) और वहां देखें आगे की पूरी लाइन खाली है ( विपक्ष की तरफ इशारा करते हुए)
सभापति महोदय -- मांग भी वह ही कर रहे हैं कि जाना है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आप आगे देखें कि कितना सूखा पड़ा है.
श्री बाला बच्चन -- नहीं, सरकार की स्थिति देखें मंत्री जी,
डॉ नरोत्तम मिश्र -- इधर के लिए तो हमारा अकेला गोविन्द ही काफी है.
श्री बाला बच्चन -- आप अपनी तरफ की लाइन देखें. ठीक है अगर सरकार की यह स्थिति है तो सदन का क्या होगा, सरकार क्या चिंता करेगी और क्या परवाह करेगी मध्यप्रदेश की जनता की. बजट पर चर्चा हो रही है सरकार कितनी संवेदनशील है इससे ही पता चलता है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- एक आदमी ने आपको इधर से उधर पहुंचा दिया.
श्री संजय यादव ( बरगी ) -- माननीय सभापति महोदय मैं इस बजट का समर्थन करता यदि किसी भी तरह से मध्यप्रदेश की जनता की भलाई की किरण किसी भी तरह से दिखती. इसलिए मैं इसका विरोध कर रहा हूं. लेकिन विरोध का तो मजा तब आता जब यह वित्त बजट होता, यह तो मात्र राजनीतिक बजट है, मृग मरीचिका है. मुझे पूरा विश्वास था इस बजट में जगत के इस वित्त मंत्री जी ने विकास से संबंधित 12 पेज और जोडे होंगे लेकन पता नहीं किसने उनको 44 पेज रखने पर मजबूर कर दिया. 44 प्लस 12 कितना होता है गृह मंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी ने बजट को शुरू से पढ़कर अंत किया था और मैं अंत से शुरू करता हूं. आपने शेरो शायरी तो अच्छी की है परंतु कुछ टंकण त्रुटि हो गई जैसे वह 3 इडियेट पिक्चर में नहीं हो जाती, नित्य हूं निरंतर हूं, निराकार मैं बेकार हूं, धर्म हूं कर्म हूं, विनाश का आधार हूं, जीवन का उमंग का ज्ञान हूं, (XXX) का ध्यान हूं, शक्तिपति शक्तिमान हूं. सपनों का सौदागर हूं, जोड़-तोड़ युक्तियुक्त नियोजन का विचार हूं, हम दो, हमारे तीन की पहचान हूं.
श्री विश्वास सारंग -- सभापति महोदय, कहीं से लिखवाकर लाये हैं और पढ़कर बोल रहे हैं. पढ़-पढ़कर नहीं बोला जाता.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- सभापति महोदय, अंत में और जोड़ दो मैं.
श्री संजय यादव -- सभापति महोदय, मैंने खुद लिखा है.
सभापति महोदय -- जो सदन का सदस्य नहीं है, बाहर के व्यक्ति का नाम नहीं लिया जाता.
श्री विश्वास सारंग -- संजय बाबू, पढ़कर नहीं बोला जाता, थोड़ा सा समझ लो. इतनी बड़ी-बड़ी बातें मत करो जहां आप पहुंच ही नहीं पा रहे.
श्री संजय यादव -- आप सुन तो लीजिये. आप सीनियर हैं, मंत्री जी हैं आप.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- अंत में कह दो मैं कमल नाथ हूं. (हंसी)..
श्री संजय यादव -- अभी बोलेंगे न. बजट के 75 प्रतिशत पैरा में आपने बजट का उल्लेख ही नहीं किया. उस काम का प्रोविज़न रखा ही नहीं, उसमें राशि ही नहीं दर्शाई. आदिवासी देव स्थल के लिये कमल नाथ सरकार ने आस्थान योजना शुरू की थी, आपने बंद कर दी. आदिवासियों के विकास खंडों के लिये जो कमल नाथ सरकार ने बर्तन प्रदाय योजना शुरू की थी, आपने बंद कर दी. जब आदिवासियों के घर में कोई बच्चा होता था तो उसको अन्न देने की जो योजना शुरू की थी, आपने बंद कर दी. इससे यह स्पष्ट होता है कि आपकी सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विरोधी है. हमारे अजय विश्नोई जी ने सही कहा था कि महाकौशल फड़फड़ा रहा है. आपके कार्यकाल में हमारा महाकौशल फड़फड़ा रहा है. मेट्रो से जबलपुर गायब कर दिया. कोरोना संकट में आपने महाकौशल के साथ विश्वासघात किया. वहां के लोगों को 5-5, 10-10 हजार रुपये विक्टोरिया और मेडिकल में, सरकारी अस्पताल में भी जाता था, उसको चेक अप कराने में 5 से 10 हजार रुपये लगता था, वह बंद कर दिया. आपने मां नर्मदा के आंचल में मिल रहे गंदे नाले के लिये इसमें कोई प्रावधान नहीं रखा. जबलपुर में न पुल, न सड़क का प्रावधान किया. कॉलेज खोलने की बात कमल नाथ की सरकार ने कही थी. आप इस बजट में 6 कॉलेज खोलने की बात कर रहे हैं लेकिन जो पिछले दो कॉलेज स्वीकृत हुये हैं उनकी बात आप क्यों नहीं करते हैं ? आप सीएम राईज़ की स्कूल की बात करते हैं, लेकिन आपने देखा पूरे मध्यप्रदेश में किस तरह से स्कूल जर्जर हैं. न बच्चों को बैठने की छत है, न बच्चों को बैठने की कुर्सी है, न टेबल है, हजारों स्कूल ऐसे हैं जिनमें आप स्मार्ट क्लास नहीं बना सकते. आप स्मार्ट क्लास क्या बनाएंगे, मैंने आपसे पहले अपने क्षेत्र में 50 स्मार्ट क्लास बना दीं, लेकिन उन कमरों को रिपेयरिंग करने के लिये, उन छतों को जिनसे पानी टपकता है उनको ठीक करने के लिये आप क्या करेंगे ? उसमें आपने सीएम राईज़ नाम तो लिख दिया लेकिन हजारों बच्चे जो बेचारे धूप में बैठते हैं, पेड़ की छांव में बैठते हैं, आपने इन 15 सालों में वह काम किया कि आज भी बच्चे पेड़ के नीचे बैठ रहे हैं.
सभापति महोदय, आप आत्मनिर्भर की बात करते हैं, जिस मध्यप्रदेश का बच्चा बाहर पढ़ने जाता हो, जिस मध्यप्रदेश में अस्पतालों में डॉक्टर न हों, जिस मध्यप्रदेश में कोई उद्योग धंधे स्थापित न हों, आप इन्वेस्टर्स मीट बुलाने में तो करोड़ों रुपये की राशि खर्च कर देते हैं, लेकिन क्या इन 15-16 सालों में आप एक भी उद्योग धंधा लगा पाये ? क्यों हमारे यहां का बच्चा बाहर पढ़ने जाता है ? क्यों काम करने बैंगलोर जाता है ? क्यों हैदराबाद जाता है ? क्यों दिल्ली जाता है ? क्यों महाराष्ट्र जाता है ? क्योंकि आप कमजोर हैं, आप कहां से आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बना पाएंगे. आपने तो गरीबों का आटा गीला करने का काम किया है. मुझे अच्छे से याद है कि भला हो कमल नाथ जी की सरकार का जिन्होंने 300 रुपये से 600 रुपये पेंशन कर दी थी. जब कोरोना काल आया था, आपने 3 महीने का राशन एडवांस दिया, क्या वह बेचारा गरीब व्यक्ति सूखी रोटी खाता, या सूखा भात खाता ? वह तो 1,800 रुपये मिल गये थे तो कम से उसके तेल, मिर्ची, नमक का जुगाड़ हो गया. आपने तो उसको मजबूर कर दिया था कि आप सूखी रोटी खाइये, सूखा भात खाइये. अगर आपको गरीबों के प्रति हमदर्दी होती तो क्यों नहीं 600 रुपये बढ़ाकर आपने 1,000 रुपये पेंशन कर दी ? कमल नाथ जी की सरकार ने गौशाला बनाने की शुरुआत तो की, लेकिन आप पशु आहार नहीं दे पा रहे. उसमें भी राशि कम कर दी. 3 माह से गाय भूखी हैं, 3 माह से गाय प्यासी हैं. अगर जहां आपने गौ शाला बनाई वहां पानी का इंतजाम नहीं किया, जहां गौ शाला बनाई वहां लाईट का इंतजाम नहीं किया.
सभापति महोदय, आप सिंचाई का रकबा बढ़ाने की बात करते हैं, लेकिन मैंने देखा है कि ''भरे समुद्र में घोंघा प्यासा.'' मेरे क्षेत्र में बरगी डेम आता है. जो कांग्रेस सरकार में बरगी डेम बना था उस कांग्रेस के जमाने में कैनाल बनी थी, आज कैनालों की क्या दुर्दशा हो गई है कि खेतों में पानी नहीं पहुंच पा रहा, रोज कैनाल फूट जाती हैं, उसमें आपने कैनाल की रिपेयरिंग करने का कोई प्रावधान नहीं रखा. आज भी बरगी डेम के पास जहां नहरें हैं. उनके आसपास जमीनें बंजर हैं, क्योंकि वह गरीबों की भूमि है. अफलातून ने कहा, ज्ञान पाप हो जाता है, यदि उद्देश्य शुभ न हो, इसलिए मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि कर्म से मुंह न मोड़ो. कर्म शरीर के द्वारा की गई भगवान की सर्वोत्तम प्रार्थना है. इमर्सन ने कहा, चोरी से कोई धनवान नहीं बनता, दान से कोई कंगाल नहीं हो सकता, थोड़ा सा भी झूठ कभी छिप नहीं सकता, यदि तुम सच बोलोगे तो सारी प्रकृति सब चीजें तुम्हारी सहायता करेंगे. चरित्र ही मनुष्य की पूंजी है. गरीब बच्चों की शादी-विवाह के लिए 51 हजार रुपये का प्रावधान, जो कमलनाथ सरकार ने किए थे, आपने उसकी राशि काटकर भांजियों के साथ अन्याय किया है. इसलिए मैं बजट का विरोध करता हूँ.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी के द्वारा और हमारे प्रदेश के माननीय वित्त मंत्री महोदय जी के द्वारा जो 2 लाख 41 हजार 375 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया गया है, मैं इसका समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश की इसी विधान सभा में 15 महीने जो कांग्रेस की सरकार रही है, उस सरकार के बारे में भी हमने सुना और हमारे मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जी ने जो विभिन्न विभागों के लिए बजट में प्रावधान किया और हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने जो प्रावधान कराया, उसके लिए हम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी के प्रति और वित्त मंत्री जी के प्रति बहुत-बहुत धन्यवाद व्यक्त करते हैं, उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं.
माननीय सभापति महोदय, जो हमारा यह बजट एक 'आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश' के लिए बनाया गया है, यह दृढ़संकल्प के साथ बनाया गया है. इस बजट में दृढ़ता है, इस बजट में साहस है, संकल्प, परिश्रम, ईमानदारी, आत्मविश्वास, सबका साथ, सबका विकास है और इससे मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर बनेगा. ऐसा बजट मध्यप्रदेश की विधान सभा में प्रस्तुत किया गया है. एक चीज के लिए और हम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद देना चाहते हैं कि हमारे अनुसूचित जाति वर्ग के भाई, हमें तो नहीं पता कि इसके पहले हमारे अनुसूचित जाति के किसी भाई ने मध्यप्रदेश की इस विधान सभा में बजट प्रस्तुत किया हो, लेकिन हमें जो जानकारी है, वह यह है कि मध्यप्रदेश के ये पहले वित्त मंत्री हैं, जो कि अनुसूचित जाति वर्ग के हैं और इन्होंने मध्यप्रदेश की इस विधान सभा में बजट प्रस्तुत किया है. इसके लिए भी हम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं.
माननीय सभापति महोदय, सबसे पहले मैं चिकित्सा के क्षेत्र में बात करना चाहता हूं. हमारे चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी यहां पर बैठे हुए हैं, हम उनको भी बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं कि मध्यप्रदेश की इसी विधान सभा में हम 15 महीने पहले, जब 15 महीने की सरकार थी, उस समय हमने तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री माननीय डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ जी से कहा था कि हमें टीकमगढ़ जिले के लिए एक मेडिकल कॉलेज दे दीजिए. इसी विधान सभा में हमने उनसे विनम्र प्रार्थना भी की थी. विधान सभा प्रश्नों के माध्यम से और बजट पर चर्चा के दौरान भी हम इसी विधान सभा में बोले थे. हमने कहा था कि आप डॉक्टर हैं, जहां डॉक्टर होता है, वहां कोई बीमार नहीं होता, जहां विजय होती है, वहां जीत ही जीत होती है, लक्ष्मी की जहां कांग्रेस को आवश्यकता है, हमने कहा था कि हम आपको साधने का भी काम कर रहे हैं. हमने कहा था कि टीकमगढ़ जिले में एक मेडिकल कॉलेज दे दें. हमारे विपक्ष के सम्मानित साथी लोगों ने भी कहा था कि अब तो टीकमगढ़ जिले में एक मेडिकल कॉलेज दे दें, लेकिन उन्होंने उस बात का कोई जवाब नहीं दिया था.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- माननीय सभापति महोदय, अभी क्या बिगड़ गया, अभी घोषणा करा लीजिए.
श्री हरिशंकर खटीक -- नहीं, नहीं, जब आप नहीं दे पाए..
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- अभी मंत्री जी बैठे हुए हैं, टीकमगढ़ में मेडिकल कॉलेज की घोषणा कर दें, पूरा सदन समर्थन करेगा. कह दें कि टीकमगढ़ का मेडिकल कॉलेज मंजूर किया जाता है.
श्री हरिशंकर खटीक -- वह तो हम ले ही लेंगे, लेकिन आपने हमारा समर्थन उस समय किया था, तो जब आपकी बात आपके विपक्ष के लोगों ने नहीं मानी थी, आपके साथी लोगों ने आपकी बात नहीं मानी थी.
माननीय सभापति महोदय, हम धन्यवाद देना चाहते हैं माननीय वित्त मंत्री को और चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी को कि देश की आजादी के बाद जब-जब कांग्रेस की सरकारें रहीं, मात्र 5 मेडिकल कॉलेज इस मध्यप्रदेश की धरती पर आए. 5 मेडिकल कॉलेज आने के बाद शुरुआत तो यहां से हुई कि जब सागर में भारतीय जनता पार्टी की सरकार और हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने वर्ष 2009 में मेडिकल कॉलेज खोला.
माननीय सभापति महोदय, अब श्योपुर, राजगढ़, मण्डला, सिंगरौली, नीमच, मंदसौर, दमोह, छतरपुर और सिवनी में मेडीकल कॉलेज खोला जाना प्रस्तावित है. मैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद देना चाहता हॅूं क्योंकि पहले तो मध्यप्रदेश की ऐसी स्थिति थी कि यहां डॉक्टरों की कमी थी. वह इस कारण से कमी थी कि पहले मेडीकल कॉलेज खुले ही नहीं. कांग्रेस की सरकारों को पहले चिन्ता ही नहीं रही. यदि मध्यप्रदेश में मेडीकल कॉलेज पहले खुल जाते तो कम से कम यहां से डॉक्टरों की उत्पत्ति होती और डॉक्टरों के जो पद मध्यप्रदेश में रिक्त हैं, अस्पतालों में रिक्त हैं, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में रिक्त हैं, जिला चिकित्सालयों में रिक्त हैं वह डॉक्टरों के पद आज रिक्त नहीं होते. मैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी को, वित्त मंत्री जी को, हमारे चिकित्सा मंत्री श्री विश्वास सारंग जी को धन्यवाद देना चाहता हॅूं कि उन्होंने विश्वास के साथ चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऊर्जा देने का काम किया है. (मेजों की थपथपाहट) इसके साथ-साथ अभी तत्कालीन चिकित्सा मंत्री जी कह रही थीं कि महेश्वर में मेडीकल कॉलेज दे दीजिए. माननीय मंत्री महोदय, मैं आपसे विनम्र प्रार्थना करता हॅूं कि जब आप टीकमगढ़ का पहला मेडीकल कॉलेज देंगे, उसके बाद इनके महेश्वर में दीजिएगा, यह पूरे टीकमगढ़ जिले की ओर से हमारी आपसे प्रार्थना और विनती है.
सभापति महोदय, इसके साथ-साथ चिकित्सा के क्षेत्र में एक और बहुत बड़ा प्रयास हमारे सम्मानीय चिकित्सा मंत्री श्री विश्वास सारंग जी ने किया है. पहले एमबीबीएस की सीटें, जब कांग्रेस का बजट प्रस्तुत हुआ था मात्र वर्ष 2020-21 में 165 सीटों में ही आपने वृद्धि की थी कि हम एक साल में मात्र 165 सीटें ही बढ़ाएंगे लेकिन 2035 एमबीबीएस की सीटें हो गई थीं लेकिन इसमें बहुत अधिक बढ़ोत्तरी करते हुए माननीय चिकित्सा मंत्री जी ने 1215 सीटों की वृद्धि इस वर्ष करने का प्रावधान इस बजट में किया है. 1215 सीटें वर्ष 2021-22, 2022-23 में वृद्धि होगी. इसके साथ-साथ चिकित्सा के क्षेत्र में एक और अलख जगाने का काम किया गया है. 6 नर्सिंग कॉलेजों में 390 बीएससी की सीटें हुआ करती थीं लेकिन वह इस बार से बढ़कर के 810 सीटें की जा रही हैं. 50 एमएससी नर्सिंग की सीटें हुआ करती थीं वह बढ़कर के 320 सीटें की जा रही हैं.
माननीय सभापति महोदय, सहकारिता के क्षेत्र में भी मैं बताना चाहता हॅूं कि सोसायटियों के रजिस्ट्रेशन के लिए पहले कहीं कोई सागर संभाग मुख्यालय पर जाते थे, कहीं भोपाल जाते थे, कहीं जाते थे लेकिन इस बार से यह प्रावधान मध्यप्रदेश में सहकारिता के क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार की ओर से किया जा रहा है कि सोसायटियों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिये अब कहीं चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि अब घर बैठकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगा. यह आधुनिकीकरण और डिजिटाइजेशन के माध्यम से रजिस्ट्रेशन होगा, यह सहकारिता के क्षेत्र में बहुत बड़ा प्रयास किया गया है. इसके साथ-साथ मैं एक और चीज आपको बताना चाहता हॅूं कि सोसायटियों का, 4500 प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं का जो कम्प्युटराइजे़शन किया जा रहा है, जिसमें हम भोपाल में ही बैठकर के उनका जो रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है उसमें हम एक ग्राम पंचायत की प्राथमिक कृषि सहकारी समिति का लेखा-जोखा, हिसाब देख सकते हैं कि वहां पर कितना खाद्यान्न पहुंचा कितना नहीं पहुंचा. वहां वितरण हुआ या नहीं हुआ. ऐसे अनूठे प्रयास सहकारिता के क्षेत्र में किये जा रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना जो हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी श्रवण कुमार के रुप में हैं जो गरीब माता-पिता हैं जो अपने बुजुर्ग माता-पिता को तीर्थ दर्शन नहीं करा पाते थे, वह हमारे मुख्यमंत्री श्रवण कुमार बनकर उनकी तीर्थ यात्रा कराते थे लेकिन कांग्रेस को कष्ट हुआ और उन्होंने यह तीर्थ दर्शन योजना बंद कर दी. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हॅूं जिन्होंने यह तीर्थ दर्शन योजना चालू की है. हमारे अनुसूचित जनजाति के भाई आदिवासी समाज बच्चे जो गांवों से दूसरे गांवों में पढ़ने के लिये नहीं पहुंच पाते थे उसके लिये यह प्रावधान किया गया है कि कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के बच्चे हैं उनके लिए 5 आदिवासी बहुल जिलों में ट्रासंपोर्ट सर्विस का नया प्रयोग किया जा रहा है, यह पहला प्रयोग मध्यप्रदेश की धरती पर हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा किया जा रहा है. वैसे तो सच्चाई यह है कि अभी गौमाता की भी बात आयी कि हमने गौशालाएं खोलीं. इन्होंने अपने 15 महीने के कार्यकाल में एक विकासखण्ड में एकाध गौशाला का भूमि पूजन कर दिया नाममात्र के लिए, कि ये दो लाख में बनेंगी, पाँच लाख में बनेंगी. बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया. मनरेगा का लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया, कुछ भी नहीं किया गया. लेकिन हमारी गौशालाएँ, हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक एक विकासखण्ड में 50-50, 60-60 गौशालाएँ, एक एक जनपद पंचायतों में बनाई जा रही हैं, 35 लाख की लागत से लगाकर 52 लाख तक की लागत से और सभापति महोदय, वहाँ गौमाताओं का संरक्षण हो रहा है. हमारी गाय माताएं वहाँ रुकने भी लगी हैं, वहाँ उनके भोजन की व्यवस्था भी होने लगी है. लेकिन इन्होंने गौ माता के नाम पर सिर्फ राजनीति की. इन्होंने कुछ नहीं किया.
सभापति महोदय, इन्होंने कहा था कि हम युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देंगे. लेकिन मध्यप्रदेश के युवाओं को ठग करके, इन्होंने कहा था कि हम चार हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता देंगे. लेकिन मध्यप्रदेश की धरती पर एक किसी युवा बेरोजगार को एक रुपये भी बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया. इनको गौ माता का भी अभिशाप और युवाओं का भी अभिशाप लगा. इसके साथ साथ इन्होंने किसानों के लिए कहा था कि हम मध्यप्रदेश के किसानों को दो लाख रुपये तक का जिनका कर्ज है, ऐसे किसानों का कर्जा हम माफ करेंगे. लेकिन मध्यप्रदेश के एक भी दो लाख रुपये से अधिक का जिनके ऊपर कर्ज था, उनका कर्जा माफ नहीं किया. उनकी भी बददुआ लगी.
सभापति महोदय, जो संबल योजना चलती थी, माँ के पेट में जो बच्चा होता था, तब से लगा करके जो आदमी खतम हो जाता था, मृत्यु के बाद भी उनको पैसा मिलता था, कफन और दफन तक का मिलता था. मरने के बाद दो लाख रुपये और सड़क दुर्घटना होने पर चार लाख रुपये देने का प्रावधान जिस संबल योजना में किया गया था, आपने वह संबल योजना भी बन्द कर दी थी. आप नया सवेरा योजना लेकर के आए, सिर्फ नाममात्र के लिए लेकर के आए. किसी को कोई लाभ नहीं दिया. बेटियों की शादी के लिए भी पैसा नहीं मिलता था. सब कुछ इन्होंने बन्द कर दिया था. सभापति महोदय, संबल योजना में जो बुजुर्ग थे उनकी भी आपको बददुआ लगी.
सभापति महोदय-- बहुत बहुत धन्यवाद. आपको बोलते हुए 12 मिनट हो गए.
श्री हरिशंकर खटीक-- सभापति महोदय, बोलने के लिए बहुत कुछ है. सभापति महोदय, हमारे नगरीय निकायों की बात बताना चाहता हूँ कि पहले एक जमाना वह था जब नगरीय निकायों में 2003 के पहले कर्मचारियों का वेतन नहीं बँट पाता था. लेकिन चाहे सड़क अनुरक्षण हो, चाहे राज्य वित्त आय हो, चाहे मूलभूत सुविधा हो, हम 25 साल से लगातार नगर परिषद् का काम देख रहे हैं. अब कर्मचारियों का वेतन भी बँट रहा है, नगरों का विकास भी हो रहा है और नलजल योजना के माध्यम से नदियों से पानी लेकर के भी हम लोग जनता को पानी पिलाने का काम कर रहे हैं. सभापति महोदय, आपने समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय-- श्री नीलांशु चतुर्वेदी जी अपनी बात कहें. वक्ता बहुत हैं, नाम काफी हैं, माननीय मंत्री जी को भी वक्तव्य देना है. अशासकीय संकल्प भी है. मैं माननीय सदस्यों से निवेदन करूँगा कि संक्षिप्त में अपना वक्तव्य दें.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी(चित्रकूट)-- धन्यवाद सभापति महोदय. माननीय सभापति महोदय आपके माध्यम से मैं माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा जो बजट प्रस्तुत किया गया है, उस बजट को पढ़ने के बाद बहुत ही निराशा हाथ में लगी है क्योंकि पूरे बजट में चित्रकूट का कहीं पर भी नाम नहीं है और चित्रकूट ऐसी जगह है, जहाँ पर भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के साढ़े ग्यारह साल काटे हैं. सभापति महोदय, लगातार मन्दिर की बात, लगातार रसीद के माध्यम से चन्दा वसूलने की बात करने वाली सरकार ने चित्रकूट के नाम पर एक रुपया भी देने का काम इस अपने पूरे बजट में नहीं किया है. सभापति महोदय, मेरा अनुरोध है, एक बार आप भगवान राम को भूल गए तो कोई बात नहीं लेकिन कम से कम चित्रकूट जो, हमारे बीच जो नानाजी देशमुख थे, कम से कम आपको चित्रकूट से, जिनकी तपोभूमि रही है, नानाजी देशमुख को तो याद रखना चाहिए था, जिन्होंने राजनीति से संन्यास लेने के बाद एकात्म मानव दर्शन की प्रेरणा दी थी और अभी पुण्य तिथि में 11-11, 15-15, आपके मंत्री, वहाँ पर पुण्य तिथि में जाते हैं लेकिन चित्रकूट के नाम पर विचार करने की किसी ने भी चेष्टा नहीं की और आपके बजट में चित्रकूट के नाम पर, चित्रकूट के 84 कोस के नाम पर, एक रुपये का प्रावधान नहीं है, यह बहुत दुखद क्षण है कि आपकी सरकार ने इस बात की चिन्ता नहीं की है, भगवान राम की तपो स्थल की चिन्ता नहीं की है. जिस भूमि ने अयोध्या के राजा राम के पुत्र को मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाने का काम किया है, उस भूमि को आप अपने बजट में भूल गए हैं, यह बहुत ही दुखद बात है कि आपके इस बजट भाषण में, इस बजट में कोई भी चीज नहीं थी. चित्रकूट में अत्री अनुसुइया, सरभंग ऋषि, सुतिक्षण मुनि के आश्रम में, जहाँ से भगवान राम को शक्तियाँ मिलीं, उन किसी भी स्थान के विकास के लिए आपके बजट में एक रुपये का भी प्रावधान नहीं हे. सिर्फ प्रावधान है तो जो सरभंग ऋषि का जो आश्रम था, जहाँ भगवान श्रीराम ने शपथ ली थी....
निश्चरहीन करहऊँ मैं भुज उठाय प्रण कीन,
सभापति महोदय, उस जगह का सिर्फ अवैध उत्खनन कराया जा रहा है. लेडसाइड और बाक्साइड की खदानें चलाई जा रही हैं. सत्ता से जुड़े हुए लोग ऋषि-मुनियों से जुड़ी चीजें और ऐतिहासिक पहाड़ों को नष्ट करने का काम कर रहे हैं. हमारी सरकार में कमल नाथ जी ने चित्रकूट की चिन्ता की थी और रामपथ की बात की थी. मंदाकिनी नदी आयोग का गठन किया था. पिछले समय ध्यानाकर्षण में मंदाकिनी की बात आई थी. माननीय मंत्री जी भी बैठे हैं. ध्यानाकर्षण के बाद वहां पर पाल्यूशन कंट्रोल के लोग गए और उन्होंने जगह-जगह गड्ढे खोदना शुरु कर दिए ताकि मंदाकिनी नदी में गंदा पानी न जाने पाए. उसकी भी कोई योजना नहीं है, न आपके बजट में उसका कोई प्रावधान है. हमारी सरकार में चित्रकूट के अन्दर की जो सड़क है जो कि चित्रकूट की लाइफ लाइन है उसकी पूरी प्रक्रिया, उसका पूरा टीएस और एएस हो गया था. स्फटिक शिला से लेकर कामतानाथ होते हुए उत्तर प्रदेश की सीमा तक, 15 करोड़ रुपए का प्रावधान था. उसकी भी आज बात नहीं है, उसकी टेंडर की स्थिति थी. आज वह गड्ढों में तब्दील हो गई है. माननीय राज्य सभा सांसद नानाजी देशमुख द्वारा उस रोड को बनाया गया था. उसके बाद 15 साल तक उस रोड के बारे में चिंतन नहीं किया गया है. जो पुरानी सड़कें थी चाहे पिंडरा से बरोंदा की बात करें, चाहे गुरुकुल से त्रिवेणी की बात करें. यह सारी सड़कें स्वीकृत थीं जिनके टेंडर लगाने का काम आपके बजट में कहीं भी उल्लेखित नहीं है.
सभापति महोदय, जल संसाधन की बात करें. हमारी सरकार ने चिन्ता की थी कि मंदाकिनी पुनर्जीवित हो जाएं. चित्रकूट क्षेत्र के 350 गांव जहां भगवान राम का विचरण हुआ. उन गांवों में पेयजल और सिंचाई की व्यवस्था बन जाए उसके लिए गौरीसागर परियोजना की पूरी योजना तैयार की गई थी. विगत बजट में उसके लिए 2500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था. उससे मंदाकिनी नदी ठीक हो जाएंगी, चित्रकूट के 350 गांवों में पेयजल और सिंचाई के लिए पानी मिल जाएगा. उस दिशा में भी आपके बजट में कहीं पर भी उल्लेख नहीं है.
सभापति महोदय, दुख की बात है कि हम राम की बात करते हैं, राम के चरित्र की बात करते हैं लेकिन उनके चरित्र को अपनाने की बात नहीं करते हैं. वहां पर रहने वाले लोगों की चिन्ता नहीं करते हैं. दीपावली के मेले में वहां पर 25 से 30 लाख यात्री तीन दिनों में आते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के कैलेण्डर में दीपावली मेला चिह्नित नहीं है कि वहां पर दीपावली का मेला होता है. हर अमावस्या में 10 से 15 लाख लोग आते हैं. न किसी बजट का प्रावधान है न ही कोई व्यवस्था है. अगर इलाहाबाद के कुंभ के मेले में पैसे दिए जा सकते हैं तो चित्रकूट के दीपावली और अमावस्या के मेले में भी पैसे दिए जाने चाहिए. बजट का प्रावधान करना चाहिए. मध्यप्रदेश के मेले के जो कैलेण्डर हैं उस कैलेण्डर में इसको जोड़ना चाहिए.
सभापति महोदय, मैं माननीय गृह मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि चित्रकूट का जो मझगवां सेन्टर है वहां पर 100 एकड़ पुलिस की भूमि थी. जहां से अतिक्रमण के नाम पर गरीबों के घर गिरा दिए गए थे कि यहां पर पुलिस ट्रेनिंग सेन्टर बनेगा, पुलिस केन्द्र बनेगा. लेकिन आज तक वहां पुलिस ट्रेनिंग सेन्टर नहीं बना. मेरा कहना है कि पुलिस ट्रेनिंग सेन्टर रीवा संभाग में एक हो सकता है तो एक एसएफ की बड़ी बटालियन पहुंच जाए ताकि वहां की बेरोजगारी खत्म हो और लोगों को रोजगार मिल जाए.
सभापति महोदय, बजट में देखो तो हजारों करोड़ रुपए की बात होती है, लेकिन चित्रकूट के लिए एक रुपए की बात नहीं होती है. इस बजट को पढ़ने के बाद तो ऐसा लगता है कि पूरे मध्यप्रदेश की पिक्चर बदल जाएगी. जितने प्रवासी मजदूर हैं, जितने बेरोजगार हैं उनको रोजगार के अवसर मिल जाएंगे लेकिन कहीं भी बजट में इस बात का उल्लेख नहीं है कि जो मजदूर बाहर गए थे वे अपने गांव में, क्षेत्र में किस प्रकार से रोजगार करेंगे. किस प्रकार से अपना जीवनयापन करेंगे. पूरे बजट में यह भी उल्लेख नहीं है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाया जाएगा. पूरे बजट में यह भी उल्लेख नहीं है कि जो आशा कार्यकर्ता हैं जिन्होंने कोविड काल में घर-घर जाकर मेहनत की है उनके लिए भी कोई व्यवस्था की जाएगी. अतिथि शिक्षकों के बारे में भी बजट में कोई उल्लेख नहीं है. जिस अतिथि शिक्षक के बारे में लोग कहते थे कि अगर अतिथि शिक्षक परमानेंट नहीं होंगे तो हम सड़कों पर उतर आएंगे. उन अतिथि शिक्षकों की बात भी आपके बजट भाषण में नहीं आई है.
सभापति महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि चित्रकूट की प्राथमिकता पर आपको निश्चित तौर पर ध्यान देना चाहिए. यह मध्यप्रदेश की नहीं बल्कि देश की एक आध्यात्मिक राजधानी है. एक ऐसी राजधानी जहां अनादिकाल से संत रहते चले आ रहे हैं और आज भी संतों का निवास है, लेकिन आपके बजट से यह तय हो गया है कि आप लोगों की भगवान राम में कोई रुचि नहीं है.
सभापति महोदय, आपको धन्यवाद कि आपने मुझे बोलने का मौका दिया.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल (वारासिवनी)-- माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2021-2022 का जो बजट माननीय वित्तमंत्री जी ने पेश किया है मैं उसके समर्थन में बात करना चाहता हूं. निश्चित रूप से यह वर्ष कोरोना का वर्ष रहा और कोविड-19 की इस महामारी ने जहां किसी व्यक्ति के घर-परिवार का बजट बिगाड़ा, अर्थव्यवस्था खराब की उससे आगे बढ़कर प्रदेश, देश या पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था बिगड़ी, विकास के सारे कार्यक्रम बिगड़े और उसके साथ ही साथ जहां लॉकडाउन के चलते स्कूल, कॉलेज, विधान सभा, लोक सभा सारी संस्थाएं बंद हो गईं, सरकार का राजस्व खर्च हुआ और इतनी विपरीत परिस्थिति के बाद एक चुनौतीपूर्ण बजट बनाने का जो साहस माननीय मुख्यमंत्री जी ने उठाया और उसमें सबको जोड़कर, सबको लेकर चलने का और चौतरफा विकास का संकल्प और विजन इस बजट में दिखाई देता है. जहां तक किसानों की बात है देश और प्रदेश में किसानों के बहुत आंदोलन हो रहे हैं लेकिन इसके बावजूद अपने लय में उन्होंने चाहे फसल बीमा की बात करें, चाहे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना, बीमा की बात करें शून्य प्रतिशत ब्याज पर सहकारिता के क्षेत्र में बात करें, फसलों का उपार्जन सारी चीजें सभी हमारे वक्ताओं ने कहा और हमारे किसानों को पेंशन देने की बात भी इसमें कही गई इन सारी चीजों को लेकर चलने का प्रयास किया. फरवरी में सरकार गिरी और उसके बाद कोरोना प्रारंभ हुआ. सरकार गिरने के पूर्व भी जो राजनैतिक अस्थिरता का वातावरण लगातार इस प्रदेश में रहा इसके बावजूद भी इतना संतुलित बजट बनाया इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी की सराहना करता हूं और माननीय वित्तमंत्री जी की भी सराहना करता हूं. इस बजट में साफ दिखता है कि सरकार की नीयत क्या है, सोच क्या है. इसमें जिस प्रकार से अन्य लोगों के सुझाव लिए गए हैं हमारे जितने विशेषज्ञ हैं उनका सुझाव है और यहां तक की आम जनता के बीच में जाकर भी उसको सुनने समझने का प्रयास इस बजट में दिखाई देता है. हमारे स्कूलों की बात करें जो ''सीएम राइज स्कूलों'' की बात की गई है निश्चित रूप से समय के साथ चलना यह आज की आवश्यकता है. हर पंद्रह किलोमीटर में जो स्कूल खुलेगा उसमें सारी सुविधाएं रहेंगी. वह सुविधाएं जो बड़े शहरों के प्राइवेट स्कूलों में होती हैं. यह विजन भी बहुत ही सराहनीय है कि आने वाले समय में हमारे प्रदेश का युवा या हमारे प्रदेश की आने वाली पीढ़ी समय के साथ चले अन्य प्रदेश की तुलना में पीछे न हो जाए यह इस दिशा में बहुत ही सराहनीय कदम है और निश्चित रूप से हमारे मध्यप्रदेश की जो आने वाली पीढ़ी है उसके लिए यह सोच एक मील का पत्थर साबित होगी.
माननीय सभापति महोदय, अब मैं सड़कों की बात करता हूं. सड़क ऐसी चीज होती है जिससे अन्य प्रदेशों में हमारे प्रदेश की एक छवि बनती है और प्रदेश का विकास का पहिया भी सड़कों के माध्यम से ही आगे बढ़ता है. इसके पूर्व मैंने बहुत बजट देखे लेकिन आज तक कभी 105 रेलवे ओवर ब्रिज, 65 नवीन पुल और 2400 किलोमीटर सड़कें एक अभियान चलाकर पूरे प्रदेश की अधोसंरचना को बदलने का प्रयास किया है. यह भी बहुत ही सराहनीय प्रयास है इसके लिए भी मैं सरकार की सराहना करता हूं. बालाघाट जिला पिछड़ा हुआ आदिवासी क्षेत्र है और प्रदेश के किनारे पर हमारा जिला पड़ता है रेलवे की बात करें तो अभी-अभी हमारा जिला ब्रॉडगेज में परिवर्तित हुआ है. वहां बहुत सारी रेलवे क्रॉसिंग हैं जिसके कारण आवागमन में बहुत दिक्कतें होती थीं. बालाघाट मुख्यालय में भी दिक्कत होती थी, मेरी वारासिवनी विधान सभा क्षेत्र में भी दिक्कत होती थी लेकिन बालाघाट जिले में जो 6 रेलवे क्रासिंग स्वीकृत हुई हैं यह बहुत बड़ा सराहनीय प्रयास हैं मैं उसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. जिले में कम से कम 6 बड़े वृहद पुल स्वीकृत हुए हैं उसके लिए भी मैं बालाघाट जिले की तरफ से धन्यवाद देता हूं और मेरे वारासिवनी विधान सभा क्षेत्र में जो आजादी के बाद से बड़े-बड़े पुल बनना था इस बार तीन वृहद पुल स्वीकृत हुए एक रेलवे का फ्लाईओवर स्वीकृत हुआ, सड़क स्वीकृत हुई, नगर पालिका में विकास की राशि दी गई इसके लिए मैं हमारे मुख्यमंत्री जी का हमारे वारासिवनी के खैरलांजी क्षेत्र की जनता की ओर से बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं और मुझे लगता है कि जो ऑपरेशन इस सड़क के माध्यम से पूरा किया गया, इससे हमारे प्रदेश की छवि बदलेगी और आने वाले पांच वर्षों में निश्चित रूप से एक चुनौतीपूर्ण कार्य करके, हमारा मध्यप्रदेश देश में ऊंचाई तक पहुंचेगा और सड़कों के माध्यम से हर क्षेत्र में हमारा प्रदेश आगे बढ़ेगा.
माननीय सभापति महोदय, हमारे किसानों को जो सोलर-पंप देने का प्रयास किया जा रहा है, घर-घर में नल का कनेक्शन देने का अभियान चल रहा है, यह भी आज के समय की आवश्यकता है और समाज के अंतिम छोर का व्यक्ति इस बात को सोचने को मजबूर होगा कि जीवन के प्रति जो उसकी आस्था, जनप्रतिनिधि के प्रति जो उसकी अपेक्षायें हैं, निश्चित रूप से यह सरकार उसकी पूर्ति का कार्य कर रही है.
माननीय सभापति महोदय, चिकित्सा शिक्षा में यदि हम अपने प्रदेश की तुलना अन्य प्रदेशों से करें, तो हम देखते हैं कि अन्य प्रदेशों की तुलना में हमारा प्रदेश कहीं न कहीं स्वास्थ्य के क्षेत्र में पीछे है. इसे भी मुख्यमंत्री जी ने अभियान के रूप में लिया है, जिसके तहत नये मेडिकल कॉलेज और एमबीबीएस की सीटें बढ़ाया जाना है. यह आने वाले समय के लिए आवश्यक है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि जब आग लगे, तब कुऑ खोदा जाये. यह हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी की दूरदर्शिता और अनुभव का परिचायक है. मेरा निवेदन है कि इसमें बालाघाट का भी नाम था, तो आने वाले अनुपूरक बजट में जब भी अवसर आये तो बालाघाट में भी मेडिकल कॉलेज खोला जाये. ऐसा मेरा निवेदन है.
माननीय सभापति महोदय, संस्कृति और अध्यात्म विभाग के अंतर्गत ''रामपथ गमन'' का जो अभियान चलाया गया है, भगवान राम अयोध्या से निकलकर जिन क्षेत्रों में गए और 14 वर्षों के वनवास के दौरान, जिन वन क्षेत्रों में समय व्यतीत किया, उसके सर्वे के अंतर्गत मेरी वारासिवनी विधान सभा क्षेत्र के रामपायली में, जहां करीब 500 वर्ष प्राचीन भगवान राम का मंदिर स्थित है वह भी है. इसलिए मेरा निवेदन है कि इस क्षेत्र को भी ''रामपथ गमन योजना'' में सम्मिलित किया जाये.
माननीय सभापति महोदय, एक जिला-एक उत्पाद, यह भी एक अच्छी योजना है. मैं बताना चाहूंगा कि संपूर्ण छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश में, बालाघाट जिले के चिन्नौर चावल की एक अलग ही क्वालिटी है. ऐसी ही लगभग सौ प्रजातियां और हैं. मेरा मत है कि इस हेतु मार्केटिंग, कोल्ड स्टोरेज आदि की सुविधायें, यदि बालाघाट में हो जायें तो हमारा चावल केवल मध्यप्रदेश या देश में नहीं, अपितु देश के बाहर भी हमारी शान बढ़ा सकता है इसलिए इस दिशा में सार्थक प्रयास होने चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, प्रदेश में आने वाले पर्यटकों के लिए होम-स्टे और ग्राम-स्टे विकसित करने का प्रयास इस बजट में किया गया है. मैं कहना चाहूंगा कि मेरे बालाघाट जिले में मेरी वारासिवनी विधान सभा में रमरमा, रामपायली, सोनवानी, लालबर्रा में जो जंगल हैं, यदि इन्हें भी इस योजना में शामिल किया जाता है तो कान्हा-किसली की तर्ज पर इन क्षेत्रों में भी पर्यटक नाइट-स्टे कर सकेंगे, जिससे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, राजस्व बढ़ेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त होगा.
माननीय सभापति महोदय, इसी प्रकार ''वोकल फॉर लोकल'' की जो बात है तो मैं कहना चाहूंगा कि वारासिवनी क्षेत्र में बड़ी संख्या में बुनकर हैं और वहां बड़ी संख्या में हैण्डलूम साडि़यां तैयार की जाती हैं और ये साडि़यां पूरे देश में विख्यात हैं लेकिन इस क्षेत्र में, वारासिवनी के बुनकरों के लिए अभी और काम करने की आवश्यकता है, जिससे स्थानीय उत्पादों को पूरे प्रदेश और देश में मार्केटिंग मिल सके.
माननीय सभापति महोदय, इस बजट पर सदन में अलग-अलग विभागों पर चर्चा होगी लेकिन मैं पुन: इस बजट की सराहना करते हुए विशेषकर बालाघाट जिले और मेरे विधान सभा क्षेत्र वारासिवनी में माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो सौगातें दी हैं, इसके लिए मैं, उन्हें धन्यवाद देते हुए, आभार व्यक्त करता हूं एवं इस बजट का समर्थन करता हूं और अपने शब्दों को विराम देता हूं. धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
श्री श्याम लाल द्विवेदी (त्योंथर)- अनुपस्थित
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी)- माननीय सभापति महोदय, वित्त मंत्री जी ने जो इस सदन में अपना भाषण दिया है उसमें लिखा है कि- ''15वें वित्त आयोग की अनुशंसा अनुसार वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटे की सामान्य सीमा 4 प्रतिशत प्रस्तावित है एवं ऊर्जा क्षेत्र में अपेक्षित कतिपय सुधारों के करने पर अतिरिक्त 0.5 प्रतिशत की सीमा स्वीकृत की जा सकेगी.'' माननीय सभापति महोदय, मैं बात करती हूं पाईंट 5 प्रतिशत जो आपकी सीमा है ऊर्जा क्षेत्र में काम करने के लिये, यह तो तब मिलेगा, जब हम उसमें अच्छा काम करेंगे. आपने इसमें जो प्रस्ताव किया है, जो पाईंट नंबर- 28 है, इसमें आपने ऊर्जा विभाग में वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 5 हजार 728 करोड़ का निवेश का कार्यक्रम तैयार किया है. अभी तो सरकार की देनदारियां ही जो बिजली विभाग को देना है बिजली कंपनियों को देना है वह है 9654. 37 करोड़ रूपये, यह देनदारियां इतनी ज्यादा हैं और आपने प्रावधान इतना कम किया है क्या आपको लगता है कि आप पाईंट 5 प्रतिशत ऋण ले पायेंगे ? क्योंकि सभापति महोदय, मैं यह कहूं कि अगर हम पूरा उधार न दें, आधा भी दें तब भी यह प्रोवीजन बहुत कम है. इसलिये मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करूंगी कि वह इस प्रावधान को बढ़ायें क्योंकि आज वाकई में आज ऊर्जा क्षेत्र में काम करने के लिये हमारे पास बहुत सारे कारण हैं, बहुत सारी आवश्यकताएं हैं इसलिये आपको इसको बढ़ाना चाहिये. दूसरी बात की, इसमें आपने यह भी लिखा है कि पिछली बार का जो आपका ऋण था वह आपको 5 प्रतिशत मिला कोरोना की वजह से, जीएसडीपी का 5 प्रतिशत. उसमें से 4 प्रतिशत ऋण तो बिना शर्त का था, 1 प्रतिशत ऋण आपको सशर्त लेना था, वह 1 प्रतिशत जो आपको सशर्त लेना था उसका आप पाईंट 9 प्रतिशत ऋण ले चुके हैं, पाईंट 1 प्रतिशत आप नहीं ले पायेंगे और आप नही ले सकते हैं लेकिन आपने जो पाईंट 9 प्रतिशत लिया है, मुझे नहीं पता है कि वह सशर्त को आप कैसे जस्टिफाइड करेंगे, खैर मैं उस पचड़े में नहीं पड़ना चाहती. मैं तो आपसे यही कहना चाहती हूं कि आपने जो वर्ष 2020-21, 2021-22 में राजकोषीय घाटा 50938 करोड़ जो आपने अनुमानित किया है वह आपके राज्य के सकल घरेलू उत्पाद जीएसडीपी का 4.5 प्रतिशत अनुमानित है.
माननीय सभापति महोदय, जब आपने पिछली बार 4.9 प्रतिशत जीएसडीपी का ऋण लिया था तो उसका मूल्य 48 हजार करोड़ रूपये था, जो आपने ऋण लिया है. अब आप ऋण लेने वाले हैं 50938 करोड़ रूपये, जो आपने अनुमानित लगाया है. उस समय सीमा 4.9 थी तब 48 हजार करोड़ रूपये था, अब सीमा 4.5 है. आप कल्पना करिये की आप इसको कैसे प्राप्त कर पायेंगे. आपका पूरा बजट निर्भर करता है सकल घरेलू आय पर जीएसडीपी पर. सब कुछ जो आपका आंकड़ा और अनुमान है वह इसी पर निर्भर करता है और आपको इसके लिये हर संभव प्रयास करना पड़ेगा और इसके लिये न केवल आपको कृषि, सिंचाई बल्कि सभी सेक्टर्स पर ध्यान देना पड़ेगा, चाहे वह मेन्युफेक्चरिंग सेक्टर हो, सर्विस सेक्टर हो सारे सेक्टर मिलायेंगे तब जाकर हमारे प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद बढ़ पायेगा.
सभापति महोदय, हमारे पूर्व वित्त मंत्री जी जब कल यहां अपना वक्तव्य दे रहे थे तो माननीय वित्त मंत्री जी से पूछ रहे थे कि आप बिना कर बढ़ाये, आपने कोई नवीन कर नहीं बढ़ाया है तो फिर आप कैसे, इतना जो आपने लिखा है कि हम इस चीज को पा लेंगे, इतनी हमको आय हो जायेगी या इतना हम कर लेंगे या इतना पैसा हमारे पास आ जायेगा, आप शायद पता नहीं कि इसका जवाब दे पायें या नहीं लेकिन मैं इसका जवाब जरूर देना चाहूंगी. सभापति महोदय, इसमें इस बात को बहुत हाईलाइट किया है कि इस बजट में कोई नवीन कर अधिरोपित नहीं है अथवा किसी भी कर की दर को बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं है, कुछ बचा है बढ़ाने के लिये ? सब कुछ तो आपने पहले इतना बढ़ा दिया है कि अब यदि आप कुछ भी रेट नहीं बढ़ायेंगे यदि पेट्रोल, डीजल का जो रेट है यदि वह ऊपर बढ़ेगा तो आपका टैक्स अलरेडी इतना बढ़ा हुआ है कि वहां रेट बढ़ेगा तो यहां अपने आप बढ़ेगा ही बढ़ेगा तो आपको अलग से बढ़ाने की जरूरत नहीं है, आपकी आय तो वैसे ही बढ़ेगी. आपने जो रजिस्ट्री का पंजीयन शुल्क है वह हर बार मार्केट रेट से, जो कलेक्टर रेट पर जमीन के रेट बढ़ेंगे जमीन के, फ्लैट्स के वह जो बढ़ेगा वह तो आय आपको अपने आप होगी ही, तो आपको बढ़ाने की जरूरत कहां है. आपने पहले ही इतना बढ़ा दिया है कि अब आपको बढ़ाने की आवश्यकता ही नहीं है. माननीय प्रधान मंत्री जी की बहुत ही महत्वकांक्षी योजना है. उन्होंने यह कहा था कि 2022 तक हाऊसिंग फॉर ऑल इस बजट भाषण में इसका जिक्र किया हुआ है. हाऊसिंग फॉर ऑल यह क्या है ? 2022 तक हर भारत के नागरिक को मकान मिलना चाहिये उसके पास अपना मकान होना चाहिये. यह वह बात है और इस बात को यदि आप चूंकि यहां पर 2021-22 का बजट देख रहे हैं इसमें आपको इतना तो प्रावधान करना पड़ेगा कि हम उनकी इस भावना का पार पा सकें. लेकिन आपने जो यहां पर प्रावधान किया हुआ है 1 हजार 5 सौ करोड़ यह प्रावधान बहुत कम है. इस हिसाब से हम देखें तो शहरों में जो प्रधानमंत्री आवास के घर बनते हैं. उस मकान में ढाई लाख रूपये लगते हैं जिसमें से डेढ़ लाख रूपये केन्द्र सरकार का होता है, 1 लाख रूपये प्रदेश सरकार का होता है. यदि राज्य सरकार 1 लाख रूपये के आधार पर दे तो मुश्किल से डेढ़ लाख मकान हम लोग बना पायेंगे. सचाई इस बात की है कि बाकी पूरे प्रदेश की बात मैं न भी करूं तो भी बालाघाट जिले में आज भी प्रधान मंत्री आवास की पहली किश्त बहुत सारे प्रधानमंत्री आवास के जो निर्माणाधीन हैं, नहीं आयी है और जो आपने प्रावधान किये हैं वह पहली किश्त भी पूरी करें तो वह वहीं की वहीं खत्म हो जायेगी. तो नये मकान की बात ही हम सोचना बंद कर दें. दूसरी बात केवल प्रावधान बढ़ाने से बात नहीं बनेगी. मैंने कहीं पर पढ़ा था कि इस प्रदेश में 1 से सवा लाख फ्लेट बनकर तैयार हैं वह खरीददार का रास्ता देख रहे हैं, उसमें खरीददार क्यों नहीं आ रहे हैं ? क्योंकि पंजीयन शुल्क आपने 6.5 प्रतिशत इतना ज्यादा बढ़ाकर के रखा है तो कैसे कोई मकान खरीदेगा ? कैसे आप प्रधान मंत्री जी का सपना पूरा करेंगे ? आपको तो घोषणा करनी चाहिये कि 2 प्रतिशत हम स्टॉम्प ड्यूटी कम कर रहे हैं, क्योंकि मुझे अच्छे से याद है कि जब हमको छूट मिली थी कि 31 दिसम्बर के पहले तक आप रजिस्ट्री करवा लेते हैं तो आपको 2 प्रतिशत की छूट मिलेगी. उसमें आप आंकड़े निकालकर देख लीजिये कि मध्यप्रदेश सरकार को कितना राजस्व प्राप्त हो गया, उस छूट की वजह से और यदि आप यह छूट इस बार भी देते हैं तो निश्चित रूप से प्रधानमंत्री जी का सपना भी पूरा होगा और आपकी हमारी सोच भी पूरी होगी. हम किसान की बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री जी ने हर किसान को 6 हजार रूपये किसान सम्मान निधि देने की बात कही है, हम इसका सम्मान करते हैं. इसी में मुख्यमंत्री जी ने 4 हजार रूपये और जोड़ दिये हैं उसका टोटल 10 हजार रूपये हो गया है, यह बहुत अच्छी बात है. लेकिन आपने जो 4 हजार रूपये जोड़े हैं आप भी उन्हीं किसानों को दे रहे हैं जिनको प्रधानमंत्री जी दे रहे हैं. आपने 78 लाख किसानों को प्रधान मंत्री जी दे रहे हैं 8 हजार करोड़ रूपये की राशि अब हम 6 हजार रूपये में 4 हजार रूपये जोड़े तो मैंने यह आंकड़ा निकालकर रखा है उस हिसाब से भी यदि हम देखें तो हमको 5 हजार 3 सौ 33 करोड़ चार हजार के हिसाब से जिनको प्रधान मंत्री जी ने 6 हजार रूपये दिये हैं. लेकिन आपने प्रावधान क्या किया है 1 हजार 1 सौ 50 करोड़ अभी आपने भुगतान किया है. साथ में यह भी लिख दिया है कि 2020-21 में आप 4 सौ करोड़ की राशि और देंगे तो यह कुल मिलाकर आप दे रहे हैं 1 हजार 5 सौ 50 करोड़ यही राशि हुई. आपको यह नहीं लगता है कि इसमें और प्रावधान करने की जरूरत है. चलिये मैं मान भी लूं कि आपने किसानों की संख्या यदि उसके आधार पर कम की हो और उनके इन्कम टैक्स के आधार पर संख्या कम की हो, तो भी आपने आने वाले समय में 2020-21 के बजट में 3 हजार 2 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान रखा है. यह आंकड़ा किस हिसाब से सही बैठता है ? आपको ऐसा नहीं लगता कि जो राशि आप देना चाह रहे हैं उसके हिसाब से प्रावधान बजट में कम किया है. पिछले साल का भी कम है और आने वाले साल में भी कम है. इसको आपको बढ़ाना चाहिये. आपने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की बात की है. पोर्टल पिछले कई दिनों से बंद पड़े हैं इसको आप चालू करवाईये, क्योंकि हम बातें कितनी भी कर लें, लेकिन उसको मूर्त रूप नहीं देंगे तो इन बातों का कोई औचित्य नहीं है.
अंत में एक बात और कर दूं, यहां पर मन में तो सबके है, पर बोलना कोई नहीं चाहता, सत्ता पक्ष तो खैर बोलते ही नहीं है, लेकिन विपक्ष होने के नाते हमारा तो कर्तव्य बनता है कि आप जो हमारी विधायक निधि है, सभापति महोदय आप आसंदी पर बैठे हैं, दिली इच्छा तो आपकी भी है कि विधायक निधि और स्वेच्छा निधि बढ़नी चाहिए(....मेजों की थपथपाहट) देखिए ताली तो उधर भी बजी है, ऐसा तो नहीं है कि विधायक निधि कांग्रेस के लोगों को ही मिलेगी और उधर वालों को नहीं मिलेगी. यह तो सभी के हित की बात है और सभी के क्षेत्र के विकास की बात है.
सभापति महोदय - माननीय वित्त मंत्री जी बड़े गंभीर हैं, निश्चित आपकी बात पर गौर करेंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - वित्त मंत्री जी की गंभीरता मूर्त रूप धारण कर लें. (...हंसी) यह बात भी सही है कि मुख्यमंत्री जी का जन्मदिन है तो तोहफा मिल ही जाए प्रदेश के लोगों को, सभी विधायकों को. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती कृष्णा गौर (गोविन्दपुरा) - माननीय सभापति जी, धन्यवाद, माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा सदन में प्रस्तुत किए गए वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट के समर्थन में अपने विचार व्यक्त करने के लिए खड़ी हुई हूं. वित्त मंत्री जी ने जो बजट प्रस्तुत किया वह बजट प्रतिकूल परिस्थितियों में संभावनाओं से भरा एक आदर्श बजट है. शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल का पहला बजट, जब मंत्री जी ने सदन में प्रस्तुत किया तो अपने भाषण के शुरूआत में कहा था कि हमारी सरकार का यह बजट कल्पवृक्ष बने और मध्यप्रदेश के विकास में उन्नति का माध्यम बने. वित्त मंत्री जी ने बिल्कुल सच कहा था, क्योंकि हमारी सत्य सनातन संस्कृति में ऐसा कहा जाता है कि ''गंगा पाप का, चन्द्रमा ताप का और कल्पवृक्ष अभिशाप का'' नाश करते हैं, निश्चित ही माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत किया गया यह कल्पवृक्ष रूपी बजट हमारे प्रदेश को कोरोना रूपी अभिशाप से मुक्त कर हमारे प्रदेश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाएगा. वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद हमारे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी. इस चरमराई अर्थ व्यवस्था को पुन: पटरी पर लाकर प्रदेश के विकास को गति देना, यह पूरे प्रदेश के लिए और विशेषकर हमारी सरकार के समक्ष बहुत बड़ी चुनौती थी, लेकिन हमारे वित्त मंत्री जी ने जिस कुशलता के साथ इस बजट को सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी और जनआकांक्षाओं के अनुरूप बनाया, मैं दावे और वादे के साथ कह सकती हूं कि न केवल हम अपनी अर्थ व्यवस्था को पुन: पटरी पर लाएंगे, बल्कि हम मध्यप्रदेश को विकास का नया आकार देकर इसे देश का सिरमौर्य राज्य भी बनाएंगे. माननीय सभापति महोदय, कोविड से उत्पन्न परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए और भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो और यदि पुनरावृत्ति हो तो हमारा देश मजबूती के साथ इस चुनौती का सामने करने खड़ा रहे, इस दृष्टि से हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का संकल्प लिया और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप बना. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप जो बना, वह वल्लभ भवन की चारदिवारी में चंद अधिकारियों के सुझाव पर नहीं बना, बल्कि नीति निर्धारकों के, विधि विश्लेषकों के, वरिष्ठ प्रशासकों के और पूरे मध्यप्रदेश की जनता के सुझावों के आधार पर हमारे आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप तैयार हुआ. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का तानाबाना, चार स्तंभों के इर्दगिर्द बुना गया, पहला अधोसंरचना, दूसरा शिक्षा और स्वास्थ्य, तीसरा अर्थ व्यवस्था और रोजगार, चौथा सुशासन. माननीय सभापति महोदय, मुझे कहते हुए यह गर्व है कि हमारे बजट का आधार, इन चार स्तंभों के आधार पर ही आकार लिया और निश्चित रूप से यदि इस बजट को हम आत्मनिर्भरता का शिव संकल्प कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. सभापति महोदय, वास्तव में यह हमारे मुख्यमंत्री जी का ही संकल्प है, एक ऐसे मुख्यमंत्री, जिनके मन-मस्तिष्क में, सोते-जागते, उठते-बैठते एक ही विचार होता है, एक ही जुनून होता है, एक ही जज़्बा होता है, वह प्रदेश का विकास और जनता का कल्याण है और इसीलिये वे लगातार मध्यप्रदेश के विकास के लिए अपनी सेवाएं देते हैं. एक समग्र विकास की अवधारणा अधोसंरचनात्मक विकास और सामाजिक विकास के बेहतर संतुलन से ही पूर्ण होती है, मुझे यह कहते हुए बहुत प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश में हमारी सरकार ने जब अपनी यात्रा प्रारंभ की तो सबसे ज्यादा ध्यान मध्यप्रदेश के भौतिक विकास और सामाजिक विकास के संतुलन की ओर रखा और यही कारण है कि एक तरफ तो हमारी सरकार ने अधोसंरचनात्मक विकास किया और दूसरी ओर, इस विकास का उपयोग करने वाले समाज के हर वर्ग का भी कल्याण और उत्थान किया. यदि हम अधोसंरचनात्मक विकास कर भी दें और सामाजिक विकास से चूक जायें तो हमारा विकास अपूर्ण होगा और इसी सोच के साथ मध्यप्रदेश में हमारी सरकार ने लगातार भौतिक विकास और सामाजिक विकास में बेहतर संतुलन बनाते हुए काम किया. जबसे बजट पर चर्चा शुरू हुई है तबसे हमारे बजट की अनेकों उपलब्धियां सदन में हमारे सदस्यों द्वारा यहां बताई गई हैं, निश्चित ही उनको दोहराने का औचित्य नहीं है,
माननीय सभापति महोदय, कुछ ऐसी उपलब्धियां जरूर हैं, जो सदन के समक्ष आनी चाहिए. अधोसंरचनात्मक विकास की जहां तक बात है तो लोक निर्माण विभाग द्वारा जिस प्रकार से सड़कें, पुल-पुलियाओं का निर्माण हो रहा है, वह निश्चित रूप से हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि है. वह चाहे अटल प्रोग्रेस-वे हो, नर्मदा एक्सप्रेस-वे हो, निश्चित ही मध्यप्रदेश के विकास में माईल स्टोन बनेंगे. शिक्षा के क्षेत्र में भी हमारे कई सदस्यों ने कहा है कि 'सीएम राइज योजना' हमारी सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जो हमारे आने वाली पीढ़ी के भविष्य को उज्ज्वल करने का काम करेगी. खेलों के क्षेत्र में भी हमारी सरकार ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं और मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि सन् 2022 के 'खेलो इंडिया यूथ गेम' की मेजबानी मध्यप्रदेश को दिये जाने के संबंध में हमें भारत सरकार की सैद्धांतिक सहमति मिली है. यह हमारे मध्यप्रदेश के लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है. हमारी सरकार अन्त्योदय के मंत्र से काम करती है और निश्चित रूप से समाज की अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति के भोजन की चिंता करना सरकार की पहली जिम्मेदारी है और इसीलिये दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना के अंतर्गत नया केन्द्र खोलने के लिये 25 लाख रुपये और पुराने केन्द्र को प्रबंधन हेतु 5 लाख रुपये का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है.
माननीय सभापति महोदय, पहले दिन से ही हमारा विपक्ष लगातार यही राग अलाप रहा था कि इस बजट में महिलाओं के लिये कोई राहत नहीं है. मैं बताना चाहूँगी कि हमारी सरकार ने महिलाओं के लिये, कितनी प्रतिबद्धता के साथ इस बजट में प्रावधान किये हैं. मुझे बहुत गर्व है, यह बताते हुए कि माननीय वित्त मंत्री जी ने जब यह बजट सदन में प्रस्तुत किया तो दूसरे ही दिन नवदुनिया अखबार में यूनाइटेड नेशन वूमेन इंडिया का एक समाचार छपा था. उसमें यूनाइटेड नेशन वूमेन इंडिया ने भी ट्वीटर हैंडल से मध्यप्रदेश के बजट की सराहना की और ट्वीट में कहा गया कि मध्यप्रदेश सरकार ने बजट में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को अपनी प्राथमिकता में रखा है, यह हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि है (मेजों की थपथपाहट). इसके साथ ही साथ, महिला सशक्तिकरण की दिशा में, कुपोषण को खत्म करने की दिशा में, महिला सम्मान की दिशा में एवं महिला सुरक्षा की दिशा में भी हमारी सरकार ने बहुत काम किया है और चूँकि समय की एक निश्चित सीमा है तथा माननीय वित्त मंत्री जी को समापन करना है. माननीय सभापति महोदय, निश्चित रूप से हमारी सरकार का यह मानना है कि बजट वास्तव में आय-व्यय का लेखा-जोखा या दस्तावेज नहीं होता बल्कि यह सरकार की सोच, नीयत, निष्ठा और प्रदेश के विकास की व्याकुलता का प्रतीक होता है तो निश्चित रूप से यह बजट हमारे आने वाले समय के लिये, मध्यप्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिये और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी और पूरी सरकार को बहुत ही संभावनाओं से भरे हुए एक आदर्श बजट की बहुत-बहुत बधाई देती हूँ और उम्मीद करती हूँ कि निश्चित रूप से आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश, देश के विकास में बहुत बड़ी भूमिका निभायेगा. धन्यवाद, जय हिन्द.
श्री पी.सी.शर्मा (भोपाल, दक्षिण-पश्चिम) --माननीय सभापति महोदय, आदरणीय वित्तमंत्री जी ने जो बजट रखा है, निश्चित तौर पर यह आंकड़ों का खेल है. यह सरकार केवल तीन चीजों से रेवन्यू इकट्ठा कर रही है. एक शराब से, दूसरा डीजल, पेट्रोल पर वेट टैक्स से और तीसरा कर्ज लेकर इकट्ठा कर रही है. इसको कहा जाता है कि कर्ज लेकर घी पीना और मैं तो इसको यह कहूंगा कि मामा मूंगेरीलाल के हसीन सपने, वह इस बजट में दिखाई देते हैं.
माननीय सभापति महोदय, यदि इस बजट को ब्रीफ में देखें तो चार-पांच प्वाइंट हैं. प्रधानमंत्री जी देश में 5 ट्रिलियन डालर इकोनॉमी के जुमले की बात करते हैं तो हमारे वित्तमंत्री जी ने प्रदेश में 10 ट्रिलियन डालर के रूपये की इकोनामी का जुमला दिया है.
माननीय सभापति महोदय, आज की तारीख में प्रदेश के सभी आर्थिक सूचकांक राष्ट्रीय औसत से कम हैं. हमारी प्रति व्यक्ति आय और कम हुई है. औघोगिक व्यावसायिक गतिविधियां लगातार कम हुई हैं. हमारी प्रति व्यक्ति आय 4870/- रूपये से कम हुई है और हमारे मध्यप्रदेश की विकास दर 3.37 प्रतिशत कम हुई है. राज्य ब्याज पर चलने वाली इकोनॉमी बन गया है.
माननीय सभापति महोदय, राजस्व बढ़ाने के लिये व्यापार बढ़ाने के बजाय करों को बढ़ाकर देश के मध्य स्थित प्रदेश का आकर्षण खत्म कर दिया गया है. आकर्षण बढ़ाया था हमारे आदरणीय कमलनाथ जी ने मैग्नीफिसेंट मध्यप्रदेश जो इंदौर में हुआ था, जिसका नाम बदल दिया गया है. अगर उसका नाम ये मैग्नीफिसेंट मध्यप्रदेश कमलनाथ रख देते तो और उद्योग यहां पर आ जाते, लेकिन उसका नाम इन लोगों ने बदल दिया है.
माननीय सभापति महोदय, इकोनॉमी की ग्रोथ इंजन कहे जाने वाले हमारे शहरों के लिये कोई प्रावधान नहीं किया गया है. स्वयं के बूते पर बढ़ने वाले इंदौर के अतिरिक्त राज्य के अन्य शहर निरंतर उपेक्षित हो रहे हैं. लॉजिस्टिक सिटी बनने के समस्त अवसर होने के बाद भी राजधानी भोपाल से सरकार ने नजर फेर ली है और मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल इस पर सरकार ने बिल्कुल ध्यान नहीं दिया है. पिछले 15 सालों में भोपाल प्रदेशों की सबसे उपेक्षित राजधानियों में है. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की अवधारणा से आत्ममुग्ध मध्यप्रदेश बनकर रह गया है. माननीय सभापति महोदय, मैं आदरणीय वित्तमंत्री जी से यह कहना चाहूंगा कि जब जवाब दें तो यह आत्मनिर्भर क्या है, इसकी डेफिनेशन जरूर बतायें, क्योंकि हमको तो कहीं पर आत्मनिर्भर नहीं दिख रहा है. आत्मनिर्भरता की स्थिति यह हुई है कि जिन लोगों की नौकरी कोविड 19 के अंदर चली गई, जिनके व्यवसाय ठप्प हो गये, ऐसे वो लोग जिनको दस हजार रूपये भी नहीं मिले हैं. वह फल सब्जी का ठेला लगाते हैं तो उसको नगर निगम और एस.डी.एम. उखाड़कर फेंक देते हैं, जिन्होंने कोई पैसा नहीं लिया, वह अपना ठेला, अपना सब कुछ सड़क पर लगाते हैं, कोई खिलोने वाला, कोई फल बेचने वाला, अगर वह ठेला लगाते हैं तो उनको उखाड़ फेंकते हैं. वह हैं सही आत्मनिर्भर, लेकिन उसको भी वहां बचने नहीं देते हैं.
डॉ.सीतसरन शर्मा -- दस-दस हजार रूपये उन्हीं स्ट्रीट वेंडर्स के लिये दे रहे हैं.
श्री पी.सी.शर्मा -- वह दस हजार रूपये आज तक पता नहीं किसको मिले हैं, मैंने तो अपने क्षेत्र में डोंडी पिटवाई की भाई ये दस-दस हजार रूपये किस किसको मिले हैं?
श्री दिलीप सिंह परिहार -- श्री शर्मा जी वह हजारों लोगों को मिल गये हैं.
श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय सभापति महोदय, मिशन मोड के नाम पर भारी शब्दों का उपयोग, सरकार की हल्की सोच के सार्थक नहीं होगा. लगातार बोले गये असत्य अंतत: सच्चाई का वजन बढ़ाते हैं, यह सच्चाई है सामने आयेगी. माननीय सभापति महोदय,मैं यह कहना चाहता हूं कि इस बजट का हम समर्थन करते अगर जो हिना कांवरे जी ने बात कही है कि विधायक निधि बढ़ा दें, विधायकों की जनसंपर्क निधि बढ़ा दें, क्योंकि हम लोगों के पास तो वही है और कुछ है ही नहीं. दूसरा आज मुख्यमंत्री का जन्मदिन है, यह डीजल पेट्रोल पर वेट टैक्स कम कर देते, पांच प्रतिशत कम कर देते. वह जो तीन सौ रूपये से छ: सौ रूपये वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन बढ़ाई, उसको एक हजार रूपये आज कर देते. कर्मचारियों का डी.ए. जो कि कमलनाथ जी की सरकार ने एप्रूव किया था, वह पांच प्रतिशत वह दे देते, अनुकंपा नियुक्ति की कोई पॉलिसी इसमें बता देते. यह मैं समझता हूं कि अगर ऐसा कुछ होता तो हो सकता है कि हम लोग भी आपके बजट का समर्थन कर देते.
माननीय सभापित महोदय, बच्चियों की शादी के 51 हजार रूपये कर देते, जो आपने कम कर दिये हैं. गौ-शाला में गौ-माता को जो कमलनाथ जी की सरकार ने जो बीस रूपये किये थे, उसको आपने तीन रूपये कर दिये हैं, इसको बढ़ा देते अगर यह चीजें भी हो जाती तो लगता कि बजट में कोई दम है. यह समझ में नहीं आ रहा है कि यह पैसा 2 लाख 51 हजार करोड़ रूपये का जो बजट आपने दिया है, जिसमें 49 हजार करोड़ रूपये जो कर्ज आप ले रहे हो, यह पैसा जाता कहां हैं? यह समझ में नहीं आ रहा है. मैं इसलिये आपसे पूछ रहा हूं कि यह भोपाल नगर निगम स्ट्रीट लाइट के पैसे एमपीईबी को नहीं दे पाती और स्ट्रीट लाइट बंद हैं, आप चलिये मेरे साथ, विकास के कार्य चाहे वह पीडब्ल्यूडी हो, चाहे नगर निगम, ठेकेदारों के भुगतान नहीं हो रहे हैं इसलिये विकास के काम नहीं हो पा रहे हैं. टेण्डर हो गये, उसके वर्क आर्डर हो गये, यह पैसा जाता कहां है, यह मैं आपसे पूछ रहा हूं. आपने बजट में अलग-अलग प्रावधान किये हैं, यह पैसा जा कहां रहा है.
श्री बाला बच्चन-- XXX
श्री पी.सी. शर्मा-- XXX
श्री रामपाल सिंह-- XXX
श्री पी.सी. शर्मा-- XXX
सभापति महोदय-- यह कोई भी चर्चा शामिल नहीं होगी.
श्री पी.सी. शर्मा-- माननीय सभापति महोदय, इस बजट से बड़ी उम्मीद थी, कर्ज लेने की वजह से लगभग साढ़े 6 हजार रूपये प्रति व्यक्ति पर कर्ज बढ़ गया है, 37 हजार पहले ही था. यह कर्ज कब तक लेते रहेंगे और इस मध्यप्रदेश की जनता को दबाते रहेंगे, आदरणीय वित्तमंत्री जी मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं, 28 रूपये पेट्रोल पर सरकार कमा रही है, जिस तरह से डीजल, पेट्रोल के भाव 100 रूपये हुये हैं, 825 रूपये रसोई गैस के भाव हुये हैं, हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा और रावण के श्रीलंका में 60 रूपये, जबकि वहां बेचने वाली इंडियन ऑयल कंपनियां हैं. सीता जी के नेपाल में 65 रूपये आखिर यह डिफरेंस क्यों आ रहा है. वित्तमंत्री जी यह सब देखने वाली बात है और एक बड़ी अच्छी टिप्पणी आई नर्मदे हर, नर्मदा किनारे से आई, वाट्सअप पर बहुत अच्छी आई नर्मदे हर, नमस्कार पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों से घबराना नहीं, इसका भी वही बचाव है जो कोविड-19 का है, घर में रहें, स्वस्थ रहें और मस्त रहें, सरकार को आपकी बहुत चिंता है, महंगाई एक बीमारी है इससे बचें, खाना कम खायें, कपड़े फटे पहने, पुराने पहने और हो सके तो कहीं भी पैदल ही जायें, ईंधन वाले वाहनों का इस्तेमाल न करें और चलें तो साइकिल पर चलें जैसे कुछ साल पहले मुख्यमंत्री जी चलते थे.
सभापति महोदय-- शर्मा जी, बजट के इर्द-गिर्द ही रहें.
श्री पी.सी. शर्मा-- सभापति महोदय, यह बजट ही है, यह महंगाई का मामला है. महंगाई की वजह से डीजल, पेट्रोल की वजह से लोगों के बजट बिगड़ गये हैं.
सभापति महोदय-- सोशल मीडिया पर न जायें.
श्री पी.सी. शर्मा-- इस पर एक शेर है-
कौन (XXX) पेट भरने के लिये कमाता है,
हम तो कमाते हैं पेट्रोल भरवाने के लिये.
सभापति महोदय-- यह शब्द हटा दें.
श्री पी.सी. शर्मा-- और एक शेर और है- यह भूख जो स्थिति है, भूख खेतों में खड़ी है, जेब में महंगाई बंद, शहर और बाजार में गल्ला मिलता नहीं और राशन की दुकानों पर भी गेहूं की बजाय बाजरा मिल रहा है. मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि बार-बार बात होती है तीर्थ दर्शन यात्रा की, यह कांग्रेस के जमाने में, कमलनाथ जी की सरकार में कभी बंद नहीं हुई, यहां बैठे हुये हैं मंत्री जी आदरणीय तुलसी सिलावट जी, मैं समझता हूं आपने भी एक बार हबीबगंज स्टेशन से झंडी दिखाई थी, उसके फोटो हैं, उसके वीडियो हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय सभापति महोदय, तुलसी सिलावट जी सरकारी गवाह हैं, हमारी सरकार के भी और इस सरकार के भी. ..(व्यवधान)..
श्री पी.सी. शर्मा-- और दूसरी चीज हबीबगंज प्लेटफार्म से दिखाई, जिसका प्लेटफार्म टिकिट अब 50 रूपये हो गया है, उस जमाने में कोई प्लेटफार्म टिकिट नहीं था, अब 50 रूपये हो गया है. मैं दो मिनट में कर्मचारियों की बात करके अपनी बात खत्म करूंगा. माननीय सभापति महोदय, इस बजट के अंदर कर्मचारी जगत को बहुत ठगा गया, एक तो जो 5 प्रतिशत उनका डीए है वह दिया नहीं, दूसरा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का सेवानिवृत्त अधिकारी, कर्मचारी पेंशन पेमेंट आर्डर, पीपीओ मिलने के बाद भी उसको पैसे नहीं मिल रहे हैं. अंशदायी पेंशन योजना के तहत जो रिटायर्ड कर्मचारी के वेतन से काटी गई राशि है वह 500-700 रूपये होती है वह भी उसको नहीं मिल रही है. कर्मचारियों के रोके गये इंक्रीमेंट अभी तक जारी नहीं किये गये.
दूसरे यह जो विधान सभा के कर्मचारी हैं इनका पे स्केल मंत्रालय से कम है. विधान सभा के कर्मचारी जहां ये पूरे विधायक लोग है. यहां के कर्मचारियों का पे स्केल कम से कम मंत्रालय के बराबर तो हो. सभापति जी इस चीज का तो आप समर्थन करें. अनुकम्पा नियुक्ति के नियम जो पहले थे किये जायें इसमें बहुत फेरबदल हो गया है. लोग घूमते रहते हैं जिनके परिवार के लोग चले जाते हैं. एरियर बचा हुआ दिया गया है. 1.5 लाख अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण का प्रावधान नहीं किया गया है. विभिन्न विभागों में नये पदों के सृजन की बात नहीं गयी है. गरीब वर्ग के लोगों के लिये राशनकार्ड के सरलीकरण की बात थी. वह नहीं हुआ है और 24 हजार शिक्षकों की भर्ती की बात थी. 3400 शिक्षकों का टेस्ट हो गया है. पूरे उनके पेपर्स जमा हो गये हैं लेकिन उनके आदेश सरकार जारी नहीं कर रही है. वह आदेश जारी किये जायें. कल एक प्रश्न के जवाब में आया था कि 35 रोजगार कार्यालय बंद हो गये हैं और बाकी और बंद होने वाले हैं. यह तो वही वाली बात हो गयी कि न रहेगा बांस न रहेगी बांसुरी. रोजगार कार्यालय ही नहीं रहेंगे तो बेरोजगारों की बात ही नहीं आ पाएगी. 35 लाख युवा आज की तारीख में बेरोजगार हैं और मैंने जो निवेदन किया है विधायक निधि और जनसंपर्क निधि का, उसे आज मुख्यमंत्री के जन्मदिवस पर करा दें. धन्यवाद माननीय सभापति जी.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा(सिवनी-मालवा) - माननीय सभापति जी, हमारे माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व वाली सरकार के वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा जी ने जो वर्ष 2021-22 का 2 लाख 41 हजार 375 करोड़ का बजट प्रस्तुत किया है उसका मैं समर्थन करता हूं. स्वागत करता हूं. यह बजट एक संतुलित बजट है. इस बजट में मध्यप्रदेश के सभी जिलों, सभी संभाग, सभी वर्ग चाहे वह कृषक हो, व्यापारी हो, विद्यार्थी हो, माता-बहनें हों, घरों में काम करने वाली बहनें हों सभी का ध्यान रखा गया है. अभी हमारे कांग्रेस के मित्र जैसे बाला बच्चन जी, भनोत जी इसको केवल एक आंकड़ों का मायाजाल या आंकड़ों का खेल बता रहे थे. 2018-19 का बजट भी इस सदन में आया था जब कमलनाथ जी मुख्यमंत्री हुआ करते थे. जब वह बजट लोगों ने देखा और पढ़ा तो वे यह कह रहे थे कि यह बजट मध्यप्रदेश का है या छिन्दवाड़ा का. स्कूल बन रहे थे तो छिन्दवाड़ा में, कालेज बन रहे थे तो छिन्दवाड़ा में.
श्री बाला बच्चन - विधायक जी तो क्या छिन्दवाड़ा मध्यप्रदेश का हिस्सा नहीं है.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - है लेकिन मध्यप्रदेश में और भी जिले और संभाग हैं.
श्री बाला बच्चन - मध्यप्रदेश के सर्वहारा वर्ग का ख्याल रखा गया था.
(..व्यवधान..)
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - मैं किसी जिले की आलोचना नहीं कर रहा हूं. यह दस्तावेज है देखा जा सकता है समझा जा सकता है.
सभापति महोदय - आप इधर देखकर बात करें.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - माननीय सभापति महोदय, आज जो बजट प्रस्तुत किया है हमारे माननीय वित्त मंत्री जी ने, वह बहुत ही संतुलित बजट है. उसमें सभी वर्गों का, सभी लोगों का ध्यान रखा गया है. मुझे यह बात भी कहना ही पड़ेगी,क्योंकि मुझे बहुत बुरी लगी, जब राज्यपाल जी का भाषण हुआ और उस पर माननीय कमलनाथ जी बोले कि माननीय नरेन्द्र मोदजी का नाम 8 बार लिया गया. नरेन्द्र मोदी जी कौन हैं, विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र के प्रधानमंत्री प्रसंगवश उनका नाम कई बार आयेगा, अभी नहीं आया क्या. कई बार आयेगा. बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि हमारे कमलनाथ जी कहते हैं कि 8 बार उनका नाम लिया. जिस प्रधानमंत्री जी ने हमारे भारत के लिये ऐसी-ऐसी योजनाएं दी हैं, जो पहले कभी कोई प्रधानमंत्री नहीं कर सका. आज हम प्रधानमंत्री आवास की बात करते हैं, मध्यप्रदेश सरकार के बजट में भी, उसमें मध्यप्रदेश सरकार की अंश राशि भी लगी होती है. उस प्रधानमंत्री आवास योजना को कौन इस देश में लेकर आये, प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी ने, एक गरीब ने, एक गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्ति ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह भी पक्की छत के नीचे रह सकता है, उसका भी पक्का मकान बन सकता है और उस गरीब का सपना यदि किसी ने पूरा किया है, तो नरेन्द्र मोदी जी ने किया है. (श्री सज्जन सिंह वर्मा, सदस्य द्वारा बैठे बैठे कहने पर कि शिवराज सिंह जी क्या कर रहे थे.) शिवराज जी पर भी आ रहा हूं.
श्री विजयपाल सिंह -- आपके टाइम में मकान नहीं मिल पाये थे. 8 लाख मकान आये थे, 2 लाख कम हो गये थे, राशि जमा नहीं हुई थी, तो डेढ़ साल से मकान नहीं मिले थे और अब मकान आना प्रारम्भ हो गये.
श्री पी.सी. शर्मा -- सभापति महोदय, यह भोपाल में लोगों को मकान नहीं मिल रहे हैं.
सभापति महोदय -- शर्मा जी, बिराजिये. वर्मा जी, अपनी बात संक्षेप में रखिये.
श्री प्रेमशंकर कुन्जीलाल वर्मा -- सभापति महोदय, उज्जवला योजना के अंतर्गत हमारी बहनों के आंसू पोछने का काम नरेन्द्र मोदी जी ने किया है. ऐसे अनेकों काम मैं, चूंकि मध्यप्रदेश विधान सभा की चर्चा है, लेकिन फिर भी इतना कहने में नहीं चूकूंगा कि वह काम जो इस देश का कोई प्रधानमंत्री नहीं कर सका, वह धारा 370 हटाने का काम और राम मंदिर निर्माण का काम केवल नरेन्द्र मोदी जी ही कर सके हैं और ऐसे प्रधानमंत्री जी का नाम यदि सदन में नहीं आयेगा, तो किन का नाम आयेगा, मैं आपसे पूछना चाहता हूं. पाकिस्तान के किसी प्रधानमंत्री या चीन के किसी राष्ट्रपति का नाम आयेगा क्या, बतायें तो जरा जितु भाई.
श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति महोदय, पाकिस्तान और चीन का उल्लेख तो कोई आवश्यकता नहीं है.
सभापति महोदय -- कृपया संक्षिप्त करें.
श्री प्रेमशंकर कुन्जीलाल वर्मा -- सभापति महोदय, जी. प्रसंगवश ही हमारे प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी ने जो आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया है, विजन दिया है..
श्री बाला बच्चन -- माननीय विधायक जी, नमस्ते ट्रम्प याद है, जो अहमदाबाद में आये थे. उन्होंने परसों क्या बयान दिया है हिन्दुस्तान के बारे में, आप जो बात कर रहे हैं, इस कारण से मुझे यह बोलना पड़ रहा है.
श्री रामपाल सिंह-- आप सुन नहीं रहे हैं, घबरा रहे हैं.
श्री बाला बच्चन -- हम घबरा नहीं रहे हैं, बता रहे हैं. नमस्ते ट्रम्प की बात याद दिला रहे हैं,कोरोना के कितने लोग उस समय इनफेक्टेड उनके साथ आये थे, नमस्ते ट्रम्प अहमदाबाद का, दो दिन पहले उन्होंने भारत के बारे में क्या टिप्पणी की है.
सभापति महोदय -- कृपया सहयोग करिये. बाला जी बैठिये. (श्री प्रियव्रत सिंह, सदस्य के उठने पर) प्रियव्रत सिंह जी, आपका भी नम्बर आ रहा है.
श्री प्रेमशंकर कुन्जीलाल वर्मा -- सभापति महोदय, सदन में पेयजल की भी बात होती रही है. पेयजल के लिये कभी कोई स्थाई समस्या का निराकरण नहीं किया गया. पहली बार जल मिशन योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे भारत में पेयजल की समस्या का निराकरण कर दिया जायेगा, 2023 तक एक भी मकान, एक भी गांव ऐसा नहीं रहेगा, जहां पाइप लाइन के द्वारा नल जल योजना के द्वारा उनके घर नल की टोंटी लगाकर पेयजल की समस्या का स्थाई निराकरण कर दिया जायेगा. मध्यप्रदेश की सरकार ने हमारे वित्त मंत्री जी ने इस हेतु भी बजट में पर्याप्त प्रावधान किया है. ताकि हमारे मध्यप्रदेश में एक-एक गांव में पेयजल का पानी पहुंच सके, पेयजल की कोई समस्या नहीं रहे.
सभापति महोदय - काफी समय हो गया है, अब आप समाप्त करें.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - सभापति महोदय, अब मैं दो मिनट में क्या बोलूं और क्या नहीं बोलूं? मेरे 5 मिनट तो बिना मतलब की बहस में ही चले गये. भारत हमारा कृषि प्रधान देश है जहां 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधारित है और गांवों में रहती है. इस आत्मनिर्भर भारत के लिए किसानों का आत्मनिर्भर बनना बहुत जरूरी है और इसीलिए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2023 तक कृषकों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है और इस क्षेत्र में मध्यप्रदेश की सरकार बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है. हमारे मुख्यमंत्री जी ने कृषकों को भरपूर सिंचाई के लिए अनेकों डेम, अनेकों तालाब, नलकूप खनन करवाए. प्रदेश में बिजली उत्पादन में वर्ष 2003 में 4000 मेगावाट बिजली उत्पन्न होती थी, उसको आज 24950 मेगावाट तक पहुंचाया है. 10 घंटे कृषि सिंचाई के लिए भरपूर बिजली, गांव में 24 घंटे बिजली की व्यवस्था की है. सभापति महोदय, जो सिंचाई का रकबा वर्ष 2003 में 7 लाख हैक्टेयर था, वह आज हमारे श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने 41 लाख हैक्टेयर तक पहुंचा दिया है. वर्ष 2024-25 तक इसका 65 लाख हैक्टेयर का लक्ष्य है.
सभापति महोदय - अब आप समाप्त करें.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - सभापति महोदय, मैं निवेदन कर रहा हूं, मेरा यह सब कहने का अर्थ यह है कि इसी का नतीजा है कि हमारा मध्यप्रदेश गेहूं उत्पादन में नम्बर एक पर पहुंच गया है. मध्यप्रदेश ने पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है. मध्यप्रदेश में 18583.1 मिलियन टन गेहूं उत्पन्न होता है, पंजाब में 18206 मिलियन टन गेहूं होता है, मतलब हम पंजाब से भी आगे निकल पड़े हैं. माननीय बाला बच्चन जी यह आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का उदाहरण नहीं है क्या कि हम गेहूं के मामले में आत्मनिर्भर हो गये हैं? गेहूं उत्पादन में देश के सर्वोच्च स्थान पर हम पहुंच गये हैं.
श्री बाला बच्चन - 80 हजार युवाओं की सब्सिडी सरकार ने नहीं दी है. pa मुख्यमंत्री रोजगार योजना की और कृषि उद्यमियों की 80 हजार युवाओं की सब्सिडी है, ढाई लाख करोड़ का कर्ज मध्यप्रदेश पर है, ऐसा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाओगे?
सभापति महोदय - अब आप समाप्त करें.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा - सभापति महोदय, सिर्फ एक मिनट. माननीय मुख्यमंत्री जी का आज जन्मदिन है, उनको लगातार 7 बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है, मध्यप्रदेश के लिए सबसे सौभाग्य की बात है.
सभापति महोदय - श्री प्रियव्रत सिंह आप शुरू करें.
श्री प्रियव्रत सिंह (खिलचीपुर) - सभापति महोदय, बहुत देर से और बहुत ध्यान से आपने जिस तरह से पटेल साहब को संरक्षण दिया, थोड़ा बहुत मुझे भी मिल जाय.
सभापति महोदय - वह नये हैं पहली बार के विधायक हैं. आप सीनियर हैं, मंत्री रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह - मैं आपका पड़ोसी हूं.
सभापति महोदय - यह भेदभाव नहीं चलेगा.
श्री प्रियव्रत सिंह - सभापति महोदय, यह बजट भाषण जो हुआ और बजट में जो आंकड़ें प्रस्तुत किये. माननीय वित्तमंत्री जी बहुत अनुभवी हैं और बहुत ही अनुभव के साथ उनको यह बजट बनाना पड़ा होगा क्योंकि घाटे की स्थिति जो मध्यप्रदेश की है, कर्जें की जो स्थिति मध्यप्रदेश की है और आज वित्तीय हालात जो हमारे हैं चाहे हम किसी भी सेक्टर में देख लें, चाहे कृषि में देखें, ऊर्जा में देखें या अन्य सेक्टर्स में देखे. वह इस प्रकार की है शायद बहुत बड़ा दिल और उस बहुत बड़े दिल पर बहुत बड़ा पत्थर रखकर ही आपने बजट का निर्माण किया होगा. मैं आपको इसके लिए बहुत बहुत बधाई देता हूं माननीय वित्तमंत्री जी. आपने बहुत बड़े दिल पर बहुत बड़ा पत्थर रखकर ही इस बजट का निर्माण किया होगा. माननीय वित्त मंत्री जी मैं आपको इसके लिए बहुत बहुत बधाई देता हूं. सभापति महोदय 175 प्वाइंट 44 पेज मुझे लगता है कि इसमें दो चार और बढ़ सकते थे यह 51 पेज हो जाते और 251 प्वाइंट हो जाते तो शायद शुभ आंकड़ा आ जाता, राजकोषीय घाटा आपका रिकार्ड पार कर रहा है. आपने जो सुधार की बातें की हैं वह कागज में तो बहुत अच्छी लग रही हैं लेकिन उनको यथार्थ में उतारने के लिए मुझे नहीं लगता कि यह बाजीगरी आपकी काम में आयेगी. बुंदोलखण्ड में एक कहावत है. पढ़ पढ़ के पढ़ा भये और लिख लिख
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- सौ डंडी एक बुंदेखण्डी.
श्री प्रियव्रत सिंह -- पढ़ पढ़ के पढ़ा भये और लिख लिख भये लाढ़, और पाड़े जी ने पहाड़े पूछे 16 दूनी 8, यह ही हालत इस बजट की है. सभापति महोदय अगर हम शुरू करें कोविड नियंत्रण के 5 नंबर प्वाइंट से तो इसमें कोविड नियंत्रण के अलावा सारी बातें की गई हैं. फसल बीमा अगर आपने 2018 की खरीफ फसल का दिया तो आपने इसका पैसा सरकार जाने के पूर्व पैसा क्यों नहीं जमा किया था. लेकिन इसके बारे में कोई सदस्य नहीं बोलेगा. हमारी सरकार की आप आलोचना करने पर आ जाते हैं. आपने किस प्रकार 3.5 हजार करोड़ की जो बिल माफी की थी ऊर्जा विभाग में वह आप देनदारियां नहीं देते हुए 2018 की सरकार को देकर गये थे. वह देनदारी हमने भरी थीं. यह जो 2018 की खरीफ का मामला है यह भी हम करते लेकिन कर्ज माफी करना हमारी प्राथमिकता थी.
सभापति महोदय बहुत दुख होता है जब यह बजट हम देखते हैं. आपने किसान का मूल्य 10 हजार रूपये आंक लिया है. आप उनको 10 हजार रूपये देकर सम्मान दे रहे हैं. 26 रूपये रोज के हिसाब से दे रहे हैं और आप कह रहे है किसान का सम्मान कर रहे हैं. 2005 से आपकी सरकार बनी है. माननीय मुख्यमंत्री जी जब 2005 में पहली बार मुख्यमंमत्री बने लेकिन 2003 में आपकी सरकार बन गई थी. उस दिन से आप कहते आये हैं कि हम खेती को लाभ का धंधा बनायेंगे. प्रदेश ने आपको 15 साल दिये हैं और आप 10 हजार रूपये दे रहे हैं. अब आप कह रहे हैं कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने खेती को लाभ का धंधा बनाने का संकल्प लिया है. सभापति महोदय इससे बड़ा मजाक इस प्रदेश के साथ में कुछ नहीं हो सकता है. मैं यह देखकर आश्चर्य चकित हो जाता हूं कि किस प्रकार की बातें हो रही हैं. आपने कहा कि 2020 की खरीफ की फसलों का राहत का नुकसान दिया. आपने इसके लिए प्रावधान किये. मैं तो अपने ही जिले की बात कर लेता हूं संपूर्ण मध्यप्रदेश की बात करूंगा तो आप लोगों के लिए कुछ कहने के लिए नहीं रहेगा. मेरे ही राजगढ़ जिले की 14 तहसीलों में मात्र एक तहसील सारंगपुर को बीमा की राशि मिली है बाकी की सभी तहसीलें मूंह ताक रही हैं. आपके कमिश्नर ने रिपोर्ट दी है आपके कलेक्टर ने रिपोर्ट दी है आपकी सरकार ने रिपोर्ट दी है कि किसानों को मिलना चाहिए था खिलचीपुर, जीरापुर, ब्यावरा, राजगढ़, तलेन, सुठारिया, पचोड़, सारंगपुर, पचोड़ तहसीलि को भी नहीं मिला है जो सारंगपुर विधान सभा में है अभी वहां के विधायक जी मौजूद नहीं है, न ही नरसिंहगढ़ के विधायक जी मौजूद हैं वह तो आपके दल के हैं, किसी को कुछ नहीं मिला है.
माननीय सभापति महोदय बड़ा आश्चर्य होता है जब बिजली के बिलों की बात आती है. हमने 100 रूपये 100 यूनिट की इंदिरा गृह ज्योति योजना लागू की थी. इसमें हमने कास्ट का कोई बार नहीं रखा था, न हमने इनकम का बार रखा था, न हमने यह कहा था कि शहर का व्यक्ति होगा या गांव का व्यक्ति होगा. लेकिन 100 रूपये 100 यूनिट के माध्यम से करोड़ो रूपये का लाभ बिजली की देनतारियों में हमने उपभोक्ताओं को पहुंचाया है. आज आप बात करते हैं कि आपने बिजली के बिल में राहत दिलाई है. मुझे तो आज तक समझ में नहीं आई जो मुख्यमंत्री जी ने आपकी योजना की घोषणा की थी. उसमें यह कहा था कि बिजली के बिल स्थगित किये जायेंगे. अभी आपकी पार्टी में हमारे यहां से नये नेता आये हैं उन्होंने कहा कि बिजली के बिल माफ कर दिये जायेंगे. दूसरी बार में ऊर्जा मंत्री जी का ट्वीट आता है कि बिजली के बिल स्थगित किये जायेंगे, अरे भइया कोर्ट है जो स्थगन आदेश दे रहे हैं. या तो माफ करो या उसका निराकरण करो. आज भी सभापति महोदय हजारों बिजली के उपभोक्ता दर दर की ठोकरें खा रहे हैं.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य, एक निवेदन है कि सामान्य बजट पर सामान्य चर्चा, जनरल चर्चा है, विभाग की जब डिमांड की बात आएगी उसमें आप विभागवार चर्चा में भाग लीजिएगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- सभापति महोदय, वह विभाग से बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति जी, मुझे अपनी बात रखनी है, मैं सारी चीजों की बात कर रहा हूं. मैंने कृषि की भी बात की, अब मैं बिजली की बात कर रहा हूं.
सभापति महोदय -- बजट की सामान्य चर्चा को आप सामान्य चर्चा में लीजिये, लंबा मत बोलिये.
श्री विजय पाल सिंह -- सभापति महोदय, किसान की आप बात कर रहे हैं..
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदय, आप ऊर्जा मंत्री रहे हैं तो इनका नॉलेज ऊर्जा तक ही है. यह जब भी बोलते हैं तो ऊर्जा पर ही बोलते हैं. आपको अन्य विभागों पर भी बोलना चाहिये.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- बिलकुल बहादुर सिंह जी, आप विभाग की बात कर रहे हैं, आप चिंता मत करिये, आप बैठ जाइये.
श्री प्रियव्रत सिंह -- बहादुर सिंह जी, मैं तो आपको धन्यवाद देता हूं कि कम से कम आपने मुझे किसी के नॉलेज़ वाला माना, मैं तो अपने आपको पूरा अज्ञानी मानता था. ..(हंसी).. और आपके ज्ञान को मैं प्रणाम करता हूं, आप विराज जाएं.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति जी, आप बता रहे हैं कि बीमा क्लेम आपने 2018 का भी जमा नहीं किया, 2019 का भी जमा नहीं किया.
श्री प्रियव्रत सिंह -- आपने क्यों नहीं जमा किया ? आपकी सरकार थी, आप कर देते. श्री बहादुर सिंह चौहान -- 2019 में आपकी सरकार थी. हमने 2,200 करोड़ रुपये जमा किये हैं...(व्यवधान)... उसके बाद 3,200 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम मिला है.
सभापति महोदय -- बहादुर सिंह जी, बैठ जाइये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- यह सही है कि बीमा क्लेम न तो 2018 का जमा किया और न ही 2019 का जमा किया. शिवराज सिंह जी की सरकार ने जमा किया है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- वर्ष 2019 का हमने जमा किया है. विधान सभा में रिकार्ड पर कह रहा हूं. वर्ष 2019 में हमने जमा किया था. खरीफ की फसल का बीमा क्लेम और 2019 में पूरी मध्यप्रदेश में अतिवृष्टि हुई थी, 2019 का बीमा क्लेम सबको मिला.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य, इधर देखकर बात करें.
श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति महोदय, किसी भी बात पर हां करा लेंगे ? बात यह है कि अभी 65 लाख हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई की बात हो रही है, माननीय सिंचाई मंत्री बैठे हैं, मेरे बड़े भाई हैं, उनका बड़ा सम्मान करता हूं, परंतु इन पर विश्वास नहीं होता. यह जो 65 लाख हैक्टेयर सिंचाई का आंकड़ा है कि वर्ष 2025 तक अचीव किया जाएगा, मैं आज दावे के साथ कह सकता हूं कि मध्यप्रदेश में आज की तारीख में 65 लाख हैक्टेयर पर सिंचाई नहीं हो रही है. तुलसी सिलावट जी, माननीय मंत्री सदन में मौजूद हैं और अगर शर्त लगाने के लिये तैयार हों तो मैं शर्त लगाने के लिये भी तैयार हूं. हमारे जिले में 2 वृहद सिंचाई परियोजना हैं मोहनपुरा और कुण्डालिया, प्रधानमंत्री जी ने मोहनपुरा सिंचाई परियोजना का उद्घाटन 2018 में किया और कुण्डालिया वृहद सिंचाई परियोजना का उद्घाटन प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया, जो उस समय माननीय शिवराज सिंह जी थे और आज भी हैं. एक इंच भी अभी सिंचाई प्रारंभ नहीं हुई है और उसका आंकड़ा आपने इसमें जोड़ रखा है और आपके जो टेण्डर हो गये हैं उसकी टेण्डर अवधि सितम्बर 2021 में समाप्त होने वाली है. मेरे विधान सभा के प्रश्न में आपने ही उत्तर दिया है कि एक में 20 परसेंट काम हुआ है, एक में 5 परसेंट काम हुआ है. मैं मानता हूं वह ठेकेदार आएंगे और आप उनकी अवधि बढ़ा देंगे, परंतु मुझे नहीं लगता कि वर्ष 2023 तक भी आप राजगढ़ जिले के किसान के खेतों में पानी पहुंचा पाएंगे अगर इस गति से कार्य हुआ. मेरा आपसे अनुरोध है कि इसमें संज्ञान लें. यह बात पक्ष और विपक्ष की नहीं है, यह बात किसानों के कल्याण की है जिसकी दुहाई आपने इस बजट भाषण में 4-4, 10-10 बार दे रखी है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- सभापति महोदय, इनके संज्ञान में आना चाहिये कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री एक किसान का बेटा है. यह संज्ञान में लाएं कि उनको धन्यवाद देता हूं कि हर व्यक्ति के खेत में, हर किसान के खेत में जो हमने संकल्प लिया है वह पूरा करेंगे.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- नहीं, तो आपको कब पता लगा कि किसान के बेटे हैं ?
श्री प्रियव्रत सिंह -- बैंगलोर में. .(हंसी)..
श्री रामपाल सिंह -- घबराइएगा मत राठौर साहब, आप चूक गये.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- आप चिंता मत करो आपका नंबर नहीं लग रहा, यहीं आकर नंबर लगेगा. आप बेफिक्र रहो. .(हंसी)..
श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति महोदय, ग्रामीण और शहरी जल जीवन मिशन के अंतर्गत ..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- एक मिनट प्रियव्रत जी, यह बैंगलोर वालों की वजह से ही आप दु:खी हो. मैं आपको कह रहा हूं कि यह नहीं आते न, तो आप नंबर वन पर मंत्री बनते.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- आप सब दु:खी हो गये, बैंगलोर वालों की वजह से सरकार आ गई.
सभापति महोदय -- चलिये प्रियव्रत जी, अपनी बात जारी रखें.
श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति महोदय, ग्रामीण और शहरी जल जीवन मिशन के लिये वर्ष 2020-21 के अनुमान में कुल 1,364 करोड़ रुपये का प्रावधान था, जो 337 प्रतिशत बढ़ाकर 5,962 करोड़ का प्रस्तावित है. बहुत अच्छा है, आपने किया, हम भी आपको धन्यवाद देते हैं. पर आपकी समूह नल-जल योजनाओं की क्या स्थिति है ? शहरी क्षेत्रों में लें या ग्रामीण क्षेत्रों में भी लें, क्या आप समय पर काम करा पा रहे हैं ? आज नॉन-पेमेंट के कारण ज्यादातर स्थान पर समूह नल-जल योजनाओं का कार्य बंद पड़ा हुआ है. माननीय सभापति महोदय, यहां विधान सभा के अंदर कहना आसान है कि हर घर तक नल के कनेक्शन पहुँचाने का हमारी सरकार का संकल्प है, पर यह संकल्प वर्ष 2003 से चला आ रहा है और आज तक पूरा नहीं हुआ ? 15 साल में पूरा नहीं हुआ ?
माननीय सभापति महोदय, अब नवकरणीय ऊर्जा की मैं बात करूंगा. बजट भाषण में लिखा हुआ है कि रीवा अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना में पूर्ण क्षमता से उत्पादन प्रारंभ हो चुका है. यह तो पहले ही हो चुका था. आप दिल्ली मेट्रो को दे भी रहे थे, पर आपने प्रोजेक्ट्स के बारे में क्या किया ? सभापति महोदय, पिछले एक वर्ष से पूरे, जितने भी सोलर के हमारी सरकार के समय में भी जो बिडिंग के लिए प्रोजेक्ट्स आए थे, वे अभी तक रूके हुए हैं. वही के वही प्रोजेक्ट्स आपने वापिस इस बजट में शामिल कर दिए हैं और इस बजट में वापिस उनका आपने व्याख्यान कर दिया है. एक कागज का पन्ना भर दिया है. मुझे लगता है कि 3500 मेगावाट की क्षमता का सोलर पार्क विकसित करने की जो बिड आगर मालवा जिले में, हमारे छतरपुर जिले में और हमारे मुरैना जिले में हमारी सरकार ने दिया था, उसमें 1000 मेगावाट आगे लिखकर 4500 मेगावाट कर दिया है.
माननीय सभापति महोदय, ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी अच्छी चीज लिखी हुई है कि प्रदेश में विद्युत उपलब्ध क्षमता 21 हजार 361 मेगावाट हो चुकी है. यह हमारे प्लांट्स की क्षमता है, पर आज की उत्पादन क्षमता यह नहीं है. सिंगाजी महाराज का आपका पॉवर प्लांट बंद पड़ा हुआ है, दो इकाइयां वहां पर बंद हैं. आपकी सारणी की इकाइयां स्क्रैप हो रही हैं. आपके बिरसिंहपुर में भी पीएलएफ आप जांच करके देख लें, आज के समय में पीएलएफ बहुत कम है. यह उत्पादन की क्षमता हमारी कम है और इसके लिए हमें कदम उठाने पड़ेंगे. किताब में लिखा हुआ है 21 हजार मेगावाट क्षमता, पर शायद उत्पादन की क्षमता अभी यह नहीं है. 15 हजार मेगावाट का उत्पादन आपने दिसंबर में किया, 15 हजार मेगावाट तो हमारी डिमांड जनवरी, 2020 में भी थी, उसकी भी हम पूर्ति कर रहे थे. माननीय वित्त मंत्री जी, मैं बताना चाहता हूँ कि स्मार्ट मीटरिंग का काम और प्रणाली सुदृढ़ीकरण का काम जो है, वह पूर्ण रूप से रूका हुआ है, क्योंकि वित्तीय संसाधन हमारी कंपनियों के पास नहीं हैं. कर्ज की लिमिट भी खत्म हो गई, बहन हिना जी ने यह बात अपने भाषण में कह दी है, मैं इसको रिपीट नहीं करूंगा, पर अब हमारी जितनी भी विद्युत वितरण की कंपनियां हैं, मुझे मालूम है, आप लोग अमेंडमेंट ला रहे हैं, वहां दिल्ली में, हमारी केन्द्र सरकार में और शायद हो सकता है कि ये सब प्राइवेटाइजेशन में अब चली जाएं, वहीं पहुँच जाएं, हम दो और हमारे दो के पास पहुँच जाएं, पर जब तक नहीं पहुँचती हैं, तब तक तो आप कदम उठा सकते हैं. पूर्व कदम उठाने के लिए भी आपके द्वारा कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं, सिर्फ लिखा गया है. ऊर्जा सेक्टर में 5728 करोड़ रुपयों में तो कुछ भी नहीं होगा. आपको स्मार्ट मीटरिंग करनी चाहिए, आज जो आपके लाइन लॉसेस हैं, टी एंड डी लॉसेस के मामले में मध्यप्रदेश नंबर वन था और नंबर वन बना हुआ है. इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है. अब तो विद्युत वितरण कंपनियां लोगों को परेशान करने की नियत से बिल्कुल अराजकता पर आ गई हैं. किसी की मोटरसाइकिल ले जाते हैं, किसी के घर में घुस जाते हैं, उसका टीवी ले जाते हैं, फ्रिज ले जाते हैं. बिल वसूली के नाम पर घरेलू उपकरण तक उठाना विद्युत कंपनियों ने शुरू कर दिया है. अगर आपको बिल वसूली करनी है, मानवीय तरीके हैं, एक तरफ तो आप कहते हैं कि हमने बिल कम किए हैं और उसी में आगे बिल वसूली आपकी कंपनियां कर रही हैं.
माननीय सभापति महोदय, 'सीएम राइज' योजना पर मैं और एक मिनट बोलना चाहूँगा. 'सीएम राइज' बहुत अच्छी योजना है. हमारी सरकार भी लेकर आई थी, आगे आप उसको बढ़ाएं. इसके अंतर्गत 9200 विद्यालयों को सर्वसुविधायुक्त करने की बात आपने की है. 9200 में से 350 विद्यालय आप वर्ष 2021-22 में करेंगे. 1500 करोड़ रुपयों का इसके लिए आपने प्रावधान किया है, पर ये 9200 विद्यालय करते-करते अगर 350 विद्यालय प्रतिवर्ष की स्पीड से चलेंगे तो 365 दिन में एक साल निकलेगा और 365 दिन में अगला साल निकल जाएगा, 2023 तक, तो मुझे नहीं लगता कि आप 600-700 का भी आंकड़ा पार कर पाएं. सभापति महोदय, 26 साल की मोहलत अगर यह सरकार मांगेगी तब हो सकता है कि इस स्पीड से हमारे विद्यालयों का आधुनिकीकरण हो पाएगा.
माननीय सभापति महोदय, दो निवेदन और मैं आपसे करना चाहूँगा. गौवंश के सरंक्षण की बात की जाती है. गौवंश के सरंक्षण के लिए अगर किसी ने ठोस कदम उठाया तो वर्ष 2018 में निर्वाचित होने के बाद कमलनाथ जी की सरकार ने उठाया. गौवंश के नाम पर राजनीति खूब हुई, परंतु गौवंश के लिए गौशाला स्थापित करने का काम कमलनाथ जी की सरकार ने शुरु किया. अच्छा है, आप उसको निरंतर जारी रख रहे हैं पर निराश्रित गौवंश के संधारण के लिये जो बीस रुपया प्रति गौमाता प्रतिदिन के हिसाब से जो राशि दी जानी थी, उसको कम करके आपने एक रुपया त्रैतालीस पैसा कर दिया. इसमें चाकलेट भी आती है ? सभापति महोदय, किस प्रकार से गौवंश का संधारण होगा ? आज लाखों गौवंश मध्यप्रदेश में निराश्रित हैं, इसकी नीति बनाई जानी चाहिए और नीति बनाने के साथ इसमें 4 विभागों को जोड़कर अगर आप कार्य करेंगे, तब ही निराश्रित गौवंश का संधारण कर पाएंगे. उसमें ग्रामीण विकास विभाग, पशुपालन विभाग है और इसमें ध्यान दिया जाना चाहिए. आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री प्रहलाद लोधी जी.
श्री प्रहलाद लोधी (पवई) -- आदरणीय सभापति महोदय, हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने, वित्त मंत्री महोदय जी ने किसानों के हित में, गरीबों के हित में, ग्रामीणों के हित में जो बजट पेश किया है, वह बहुत लाभकारी है. इससे सभी ग्रामीणों को लाभ मिलेगा और यह किसान हितैषी है. मैं वर्ष 2003 के पहले मैं सेल्समेन था. उस समय हमारे किसान का गेहूं 400 रूपए क्विंटल बिकता था और सहकारी समिति का 1100 रुपए क्विंटल हम खुद वितरण करते थे तो आज यह किसानों के हित में है. सहकारी उचित मूल्य की दुकान में एक रुपए किलो मिलता है और किसानों का गेहूँ 1950 रुपए क्विंटल में बिक रहा है. गांवों में हमने खुद देखा है, सिंचाई के साधन नहीं हुआ करते थे. हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने हर किसान के लिये जो गरीबी रेखा से नीचे थे, उनको कुआं दिया और सभी को डीज़ल पंप फ्री दिया, जहां पर मोटर नहीं था वहां पर मोटर पंप फ्री दिया, यह हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किसानों के हित में किया है.
आदरणीय सभापति महोदय, उस समय ग्रामों में सड़कें नहीं हुआ करती थीं, हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने चारों तरफ सड़कों का जाल बिछा दिया है, जिससे ग्रामीणों को आवागमन के साधन सुलभ हो गए हैं और ग्रामीणों में भी आय बढ़ गई है. हमारा पवई विधानसभा क्षेत्र, जो मध्यप्रदेश में सबसे पीछे माना जाता था आज मैं मानता हॅूं कि हमारी विधानसभा बहुत आगे है. यहां सिंचाई के साधन हैं, शिक्षा है, सड़कें हैं. यह जो बजट माननीय वित्त मंत्री महोदय जी ने पेश किया है उससे हमारे सभी ग्रामों को, ग्रामीण अंचलों को सबसे ज्यादा इससे फायदा है.
सभापति महोदय, स्कूलों में जो बच्चे हैं, उनको भी इस बजट से फायदा होगा. बजट में स्कूलों के लिए जो एक समान शिक्षा के लिये कहा गया है इससे गरीबों को ही सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा क्योंकि बडे़ लोगों के बच्चे तो बाहर पढ़ते हैं, प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ते हैं लेकिन गरीबों के पास इतना पैसा नहीं होता है. इस शिक्षा नीति से, इस बजट से हमारे गरीब बच्चों को बहुत बड़ा लाभ मिलेगा. आदरणीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- बहुत -बहुत धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह -- सभापति महोदय, इन्होंने तो इनकी घबराकर सदस्यता खत्म कर दी थी. इनको विधानसभा से फिर से बहाल किया है.
श्री बापू सिंह तंवर(राजगढ़)-- माननीय सभापति महोदय, नया सदस्य हूँ, तीन मिनट बहुत कम होते हैं.
सभापति महोदय-- माननीय मंत्री जी को वक्तव्य देना है, अशासकीय संकल्प हैं. समय का तो ध्यान रखना पड़ेगा.
श्री बापू सिंह तंवर-- माननीय सभापति महोदय, यह जो वर्ष 2021-2022 का बजट सदन में प्रस्तुत किया गया है. यह बजट ऐसा बजट है कि वही पुराना और घिसापिटा सा बजट और योजनाओं में ऊँट के मुँह में जीरा, इस प्रकार से इस बजट को यहाँ पर प्रस्तुत किया है. सभापति महोदय, इस बजट में सबसे ज्यादा आत्मनिर्भर शब्द का जिक्र किया गया है. आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश, लेकिन सभापति महोदय, आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश किस प्रकार से बनाना चाहते हैं. नौजवान बेरोजगारों को, जो लोग बाहर से पलायन करके आए, जो लोग कोविड के कारण बाहर फँस गए थे और उन लोगों को सरकार ने यह कहा था कि हम तुम्हें एक हजार रुपये देंगे वह भी उनको नहीं मिले. दूसरा, जो स्वरोजगार की योजना थी जिससे व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है, जिसने बैंक से लोन लिया, क्या आज वह सब्सिडी चालू है. दो दो साल हो गए लोगों को बैंक से लोन लिए, वे सब्सिडी का इन्तजार कर रहे हैं लेकिन उनको आज तक सब्सिडी हितग्राही को नहीं मिली, बैंक को प्राप्त नहीं हुई. आज ऐसा लगता है कि कर्ज के मामले में यह बजट दो लाख इक्तलासी हजार तीन सौ पिचहत्तर करोड़ का, मध्यप्रदेश के ऊपर कर्जा दो लाख पच्चीस हजार करोड़ का हो चुका है. मैं समझता हूँ कि अगर कर्जे की यही हालत रही तो मध्यप्रदेश का जो बजट है, उससे ज्यादा मध्यप्रदेश कर्जे में डूब जाएगा. यह देखिए कि अगर यह हालत रहती है तो अगला जब बजट पेश होगा तो कर्जा अधिक होगा, मध्यप्रदेश का बजट कम होगा. यह इस प्रदेश के लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है. आखिर सरकार इसके बारे में चिन्ता क्यों नहीं करती, इसके बारे में माननीय वित्त मंत्री जी क्यों नहीं चिन्ता करते हैं कि फिजूल खर्च बचाएँ. आज मध्यप्रदेश में आप देखें कृषक कल्याण योजना के अन्तर्गत कृषि से संबंधित, स्ट्रीट वैंडर, तमाम लोगों के लिए आए दिन मेले आयोजित किए जाते हैं. किसान कल्याण के बड़े बड़े सम्मेलन मंडियों में आयोजित किए जाते हैं और किराए की बसें लगाई जाती हैं. लेकिन कार्यक्रम आपने देखे, किसान नहीं आते 25 और खर्चा होता है 5 लाख का, 10 लाख का, 20 लाख का, 25 लाख का, तो यह सारा सिस्टम अधिकारियों की जेब में जाते हैं, फर्जी बिल लगाए जाते हैं, एक माननीय सदस्य ने इस प्रश्न को उठाया भी था, तो सदन में उसका जवाब भी गलत दिया गया. यह मैं मानता हूँ क्योंकि मैंने भी उस कार्यक्रम में जाकर देखा है कि जिस प्रकार से तामझाम लगाया उससे सरकार के धन की बर्बादी होती है. इस ओर ध्यान देना चाहिए. इस व्यवस्था में सुधार हमारे तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ जी ने किया, उन्होंने फिजूलखर्ची पर रोक लगाई थी, बन्द कर दी थी और सरकार को तथा प्रदेश को एक कर्जे से उबारने की तरफ कदम आगे बढ़ाया था. प्रदेश में बड़े बड़े उद्योगपतियों को आकर्षित इस बात से किया था, एक ट्रस्ट दिलाया था, एक भरोसा दिलाया था, कि मध्यप्रदेश में आइये आपका स्वागत है, आप अपना उद्योग लगाइये. जैसा कि आपने देखा होगा कि उन्होंने भरोसा भी किया और 2-3 इन्वेस्टर्स मीट भी हुईं तो माननीय सभापति महोदय, जब तक कहीं न कहीं स्थापित होता, इतने में कुछ लोग बैंगलोर चले गए इसलिए मामला गड़बड़ हो गया. लेकिन इस ओर, इन्वेस्टमेंट की ओर, विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए. आज सबसे बड़ी इस प्रदेश में जैसे प्राकृतिक आपदा आई. प्राकृतिक आपदा में हमारे क्षेत्र और प्रदेश में अधिकतर सोयाबीन की फसल होती है. सोयाबीन में इस बार पीला मोजेक नाम की बीमारी हुई थी. जिस प्रकार से कोविड-19 हुआ है. कोरोना मनुष्य जीवन में आया था और वही बीमारी सोयाबीन में आई थी लेकिन सोयाबीन की जब फसल खराब हुई, किसानों का बीज तक नहीं निकला. इसका सर्वे भी हुआ, इसकी जाँच कराई गई लेकिन प्राकृतिक आपदा का जो मुआवजा, जो किसानों के मिलना चाहिए था उसका एक रुपया भी नहीं दिया. आखिर किसानों को मुआवजा क्यों नहीं दिया गया. आप एक तरफ कहते हैं कि किसानों की सरकार है, किसान का बेटा मुख्यमंत्री है. किसान को अपना भगवान मानते हैं, देवता मानते हैं, किसान की पूजा करते हैं तो फिर किसान के साथ ऐसा छलावा क्यों ? मैं समझता हूँ कि आज के समय में देश और प्रदेश में बातें बहुत हो रही हैं. इस तरह की बातें की जाती हैं कि प्रदेश की जनता को लगता है कि सब कुछ सही हो जाएगा. बाद में पता चलता है कि कुछ नहीं है, सिट्टी पिट्टी गायब. देश और प्रदेश में जादुई आंकड़ों का खेल चल रहा है. मध्यप्रदेश में जादुई आंकड़ा ज्यादा चल रहा है हजारों करोड़ रुपए उनके खातों में डाले जा रहे हैं. यह पता नहीं है कि प्रदेश की जनता की जेब में से धुंआ निकल गया. महंगाई कितनी है, वैट टैक्स कितना है. खाद्य पदार्थों की महंगाई कितनी है. तमाम चीजों पर महंगाई बढ़ चुकी है. मध्यप्रदेश में महंगाई को कम कैसे किया जाए. राजगढ़ जिला राजस्थान से लगा हुआ है, राजस्थान में डीजल, पेट्रोल मध्यप्रदेश से तीन रुपए प्रति लीटर सस्ता है, यह कैसी विसंगति है. हमारे राज्य में महंगाई ज्यादा है, हमारे टैक्स ज्यादा हैं इसके बाद भी हम कर्ज लेते जा रहे हैं.
सभापति महोदय, वर्ष 2019-2020 में प्याज और गेहूँ की बोनस की राशि निर्धारित की गई थी. जो समर्थन मूल्य में खरीदे थे उसका बोनस आज तक नहीं मिला है. इस बोनस का बजट भाषण में कोई जिक्र नहीं किया गया है.
सभापति महोदय, हमारे क्षेत्र में बाजरा व चावल नहीं खाते हैं इसके बावजूद खाद्यान्न वितरण में वहां पर चावल और बाजरा दिया जा रहा है जिसके कारण चावल और बाजरे की ब्लेक मार्केटिंग होती है. इसके लिए मैंने पत्र भी लिखा था. मैंने यह मांग की थी कि हमारे यहां गेहूं खाते हैं. खाद्यान्न सामग्री में गेहूं का ही वितरण किया जाए. सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री संजय शाह "मकड़ाई" (टिमरनी) -- सभापति महोदय, यह जो वर्ष 2021-22 का बजट पेश किया गया है उसके समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
सभापति महोदय, मेरा व्यक्तिगत रुप से मानना है कि सही नेता, सही नीयत और नीयती अगर हो तब ही जाकर ऐसा बजट विधान सभा में आ सकता है. बजट बनाने में कितनी मशक्कत करनी पड़ती है और प्रदेश को चलाने के लिए कितनी योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिए अलग-अलग विभागवार बजट आवंटन करना होता है और राशि की व्यवस्था भी करनी होती है. यह बहुत मशक्कत का काम है. चाहे इधर बैठे हों चाहे उधर बैठे हों सभी ने कभी न कभी बजट बनाया होगा उन्हें पता है कि बजट बनाते समय कितनी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. मैं हमारे वित्त मंत्री जी को साधुवाद देता हूँ कि उन्होंने सीमित संसाधनों में भी इतना अच्छा बजट प्रदेश की जनता को सौंपा है. सभी वर्गों के लिए न्याय करने का प्रयास किया है. लगभग 2 लाख 41 हजार 375 करोड़ रुपए का यह बजट प्रदेश के विकास की उन्नति और आत्मनिर्भरता के लिए नई दिशा देगा. इस बजट में माननीय वित्तमंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपना खजाना खोल दिया है. सौगातों से सराबोर यह बजट किसान, युवाओं, बुजुर्गों, महिलाओं, कर्मचारियों का विशेष ध्यान रखते हुए तैयार किया गया है. यह बजट कृषि स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा, पेयजल, ऊर्जा, सड़क, उद्योग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के विकास, वन विभाग, पर्यटन, इंफ्रास्ट्रक्चर, समेत कई योजनाओं के हजारों करोड़ रुपए का आवंटन इस बजट में पेश किया गया है और उसके माध्यम से जनता की सेवा करने का मध्यप्रदेश की सरकार प्रयास कर रही है. कोरोना महामारी काल की कई बातें हमारे साथियों ने की हैं मैं उसमें नहीं जाना चाहता हूं मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि इससे भी ऊपर प्रशंसनीय बात यह है कि इस बजट में कोई भी नया कर नहीं जोड़ा गया है. पुराने करों में भी किसी प्रकार की वृद्धि नहीं की गई है. सरकार का यह कदम मेरी दृष्टि से दलगत राजनीति से ऊपर उठकर स्वागत किये जाने योग्य है वहीं अगर पिछली कमलनाथ सरकार का बजट देखें तो उसमें लगभग 2 लाख 4 हजार 397 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तुत किया गया था यह हमारी पिछली सरकार वर्ष 2019-2020 के बजट से लगभग 29 हजार करोड़ रुपए कम था. हमारी बराबरी भी नहीं कर पाए थे जब मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह जी की जो 15 साल की सरकार थी उनमें सतत् प्रतिवर्ष बजट बढ़ता हुआ आया है और मैं बड़े गर्व से कह सकता हूं कि अभी जो इस साल का बजट आया है नि:संदेह अभी तक के मध्यप्रदेश में जितने भी बजट पेश किए गए हैं उनसे सबसे भारी और बढ़ा हुआ बजट हमारे वित्तमंत्री जी ने प्रस्तुत किया है. सभापति महोदय, कुछ छोटी-छोटी बातें हैं मैं कम से कम शब्दों में आपनी बात रखने का प्रयास करूंगा.
सभापति महोदय-- आप काफी वरिष्ठ और समझदार हैं, गंभीर भी हैं आप समझते हैं.
श्री संजय शाह-- मैं यह पूरी किताब ही रख देता हूं और मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश सरकार निरंतर प्रदेश की जनता की सेवा करने के लिए लालायित तत्पर और जिस जोश, जुनून और जज्बे के साथ हमारे मुख्यमंत्री जी लगे हुए हैं हम गर्व से कह सकते हैं कि प्रदेश की जनता ने सही हाथों में और विशेषकर हमारे जो नए सदस्य पार्टी में आए थे उन्होंने प्रदेश को सही हाथों में देने का जो निर्णय लिया था वह निश्चित ही स्वागत योग्य है. हमारे वित्तमंत्री जी और हमारे मुख्यमंत्री जी के सही हाथों में प्रदेश की कमान है और वे प्रदेश को सही दिशा देने का माद्दा रखते हैं, आइए हम सब मिलकर इस बजट का स्वागत करें. माननीय वित्तमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी का सम्मान करें और इस प्रदेश की नई इबारत लिखने का प्रयास करें. आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सभापति महोदय, मैं आसंदी के माध्यम से कहना चाहता हूं. बहन से लेकर बाला तक वरिष्ठ सदस्य बैठे हैं. आज अशासकीय कार्य भी है और वक्ताओं का क्रम भी बहुत लंबा है अगर इसी क्रम से और इसी समय के हिसाब से हम इसका आवंटन करेंगे तो 12 बजे के आसपास माननीय मंत्री जी का भाषण होगा. सम्मानित सदस्यों की संख्या भी इतनी नहीं है तो मेरी आपसे और बाला भाईसाहब से प्रार्थना है कि उनकी जैसी सहमति हो वैसा निर्णय आ जाए और अशासकीय कार्य हो जाए.
श्री बाला बच्चन-- हमारी तरफ से जितु भाई बहुत बड़ी तैयारी करके आए हैं और वह जब से आए हैं वह बता रहे हैं कि इसका मैं क्या करूंगा तो मैंने उन्हें कहा कि संसदीय कार्य मंत्री जी से पूछते हैं. आप आपस में चर्चा कर लीजिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- जितु बहुत ही अच्छे वक्ता हैं, बहुत योग्य हैं. आपने उनका नाम बीसवें नंबर पर दिया है. उनका यही दुर्भाग्य है कि आप उनको सीधा लास्ट में फेंकते हैं. आपने गृह ले लिया और उसको उच्च शिक्षा दे दिया अब बेटियां बाल मुड़वा रहीं थी तो वह बाल बीनता फिरे, बेचारा क्या करता.
श्री जितु पटवारी-- भाई साहब, आपसे अनुरोध यह है कि यह नाम तो मैं ही फायनल करता हूं तो मैंने अपना नाम स्वयं लिखा है और शेष दूसरी बात यह है कि आप जैसा कह रहे हैं वह बात गंभीर है और आप जैसा निर्णय लें.
सभापति महोदय- ठीक है, इसे यहीं समाप्त करके माननीय वित्त मंत्री जी का भाषण आ जायेगा. (मेजों की थपथपाहट)
श्री जितु पटवारी- माननीय सभापति महोदय, फिर कम से कम मुझे अपनी एक कविता रखने का अवसर दे दीजिये.
श्री संजय शाह (मकड़ाई)- जितु भाई, ज़रा अच्छी कविता सुनाना. हमारा भी मन लगा रहे.
श्री नारायण सिंह पट्टा- माननीय सभापति महोदय, हमने तैयारी की थी, कम से कम हमारे क्षेत्र के जो विषय बजट में शामिल नहीं हो पाये हैं, कम से कम उसे बोलने का अवसर दे दीजिये.
सभापति महोदय- आप अनुदान की मांगों पर अपनी बात रख लीजियेगा.
श्री आशीष गोविंद शर्मा- जितु भाई, जैसे व्यक्ति आज बड़ी अच्छी कविता सुना रहे हैं, यह बड़ा संयोग है.
श्री दिलीप सिंह परिहार- माननीय सभापति महोदय, आज वित्त मंत्री जी के विवाह की सालगिराह भी है. मैं वित्त मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं. आज मुख्यमंत्री जी का जन्मदिन भी है.
श्री जितु पटवारी- आज दो सुखद और एक दुखद संयोग है. सुखद संयोग में हमारे आदरणीय मुख्यमंत्री जी का जन्मदिन है. माननीय नरोत्तम जी ने जब उन्हें बधाई दी तो पूरे सदन ने उनको सहर्ष मन ही मन में जो शुभकामनायें थीं, वे दीं और अभी पता चला कि वित्त मंत्री जी की शादी की सालगिरह है. भाभीजी ने आपका पूजन करके यहां भेजा है इसलिए आपको भी ढेर सारी शुभकामनायें.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर- वित्त मंत्री जी को बधाई और भाभीजी ने तैयारी के साथ भेजा है, तो वे रात की तैयारी के बारे में भी बता दें.
श्री पी.सी.शर्मा- माननीय सभापति महोदय, आज हमारे सज्जन भईया की भी शादी की सालगिरह है.
श्री जितु पटवारी- माननीय सभापति महोदय, जीवन के 50 साल, 48 साल या 54 साल, मुझे संख्या ठीक से पता नहीं है, सज्जन वर्मा जी की भी शादी की सालगिरह है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- वे कहां हैं ?
श्री पी.सी.शर्मा- वे इंदौर, भाभीजी से मिलने गए हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय सभापति महोदय, मैं बताना चाहूंगा कि एक दिन सज्जन भाई, जब वे नगरीय विकास मंत्री थे तो मैंने पूछा, आप कितने साल के हैं, तो वे बोले 50 साल का हूं. अभी कुछ दिन पहले पूछा कि कितने साल के हो गए, तो बोले 50 साल. मैंने कहा कि आपने तब कहा था कि 50 साल का हूं और आज भी कह रहे हो कि 50 साल का हूं, तो बोले कि पक्की बात वाला हूं, पलटा नहीं हूं. (हंसी)
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर- हम भी उम्मीद करेंगे कि हम भी नगरीय विकास विभाग ले लें ताकि हम भी सज्जन और नरोत्तम भाई की तरह, ऐसे ही बने रहें.
श्री जितु पटवारी (राऊ)- माननीय सभापति महोदय, चूंकि आपने सभी के भाषण में कटौती कर दी है, जैसे बजट में कटौती प्रस्ताव होते हैं वैसे ही, यह सही बात है कि मैं ये सारे आर्थिक सर्वेक्षण और पूरी जानकारी लेकर आया था, मैं इन्हें तो यहीं रख देता हूं. मैंने यहां जितने भी संदर्भ दिए उसमें सबसे बधाई के पात्र हमारे मुख्यमंत्री जी हैं क्योंकि एक दलित परिवार के सदस्य को उन्होंने वित्त मंत्री बनाया, यह गौरव का विषय है.
माननीय सभापति महोदय, बजट की दो योजनायें जो बहुत सकारात्मक तरीके से प्रदेश और देश में एक नया आयाम पैदा करेंगी. उसमें एक है मेरे जीवन के छोटे से अनुभव के आधार पर कहूंगा क्योंकि मैं किसान का बेटा हूं, ''एक जिला-एक फसल.'' यह भावना उत्पादन बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण होती है. मेरे पिताजी भी अच्छी खेती करते हैं और वे कई वर्षों से हमें यह बात समझाते रहे हैं कि ऐसी योजना बननी चाहिए परंतु वित्त मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि बिना पैसे के प्रोत्साहन के, डंडे के बल पर एक जिला-एक फसल योजना लागू नहीं की जा सकती है. इसमें आपको प्रावधान करना चाहिए कि यदि सरकार ने, किसान से कहा कि यह फसल इस जिले में लगानी है तो किसान को 5-10 हजार रुपये, इस बात के लिए अतिरिक्त प्राप्त होंगे, तब जाकर यह योजना सफल हो पायेगी. अन्यथा जैसे कृषि कानून लागू करना चाहते हैं, वैसे करेंगे तो विरोध होगा.
माननीय सभापति महोदय, दूसरी योजना है- ''सी.एम. राइज़ योजना.'' बहुत अच्छी योजना है और बहुत सकारात्मक तरीके से इसको आत्मसात करना चाहिए. प्रियवत जी, ने इस संबंध में पूरी बातें बताई हैं कि फण्ड, पैसा और यह कितने साल में बनेगा, वे सारी बातें सच हैं. परंतु आपका विचार सकारात्मक है. मैं आपके पूरे बजट का सार केवल एक कविता के रूप में यहां कहना चाहता हूं-
कर्ज में सुबह होती है, कर्ज में शाम होती है,
मेरे प्रदेश की किस्मत, यूं ही तमाम होती है,
इनका बजट आता है, सबका बजट बिगड़ जाता है,
जाकर पूछो उस गरीब से, वो अब घर कैसे चलाता है,
सरकार को जगाने की, हर कोशिश नाकाम होती है,
कर्ज में सुबह होती है, कर्ज में शाम होती है II
न बिजली के बिल में राहत, न बच्चों की फीस में कमी,
न ईएमआई पर ब्याज माफ, न मजदूरों के खाते में डली मनी,
ये सरकार झूठ की माला पिरोती है,
कर्ज में सुबह होती है, कर्ज में शाम होती है II
60 करोड़ का ब्याज, रोज जनता चुकाती है,
तब कहीं जाकर, जनादेश की खरीदी हो पाती है,
गिरवी रख दें जो प्रदेश को, सरकार नहीं ये पनौती है,
कर्ज में सुबह होती है, कर्ज में शाम होती है II
और अंत में ..
बंद करो ये झूठ-लूट का तमाशा, बंद करो कर्ज लेना बेतहाशा,
बंद करो देना झूठी आशा, बंद करो प्रदेश का सत्यानाशा,
चोरी की ये सरकार, रोज विश्वास मत खोती है,
कर्ज में सुबह होती है, कर्ज में शाम होती है II
भारत माता रोज रोती है,
कर्ज में सुबह होती है, कर्ज में शाम होती है II
आखिर आज मुख्यमंत्री जी का जन्म दिन है बोलना नहीं चाहिये, पर अन्यथा किसी को नहीं लेना है. यदि नरोत्तम मिश्र जी आज्ञा दें तो बोल दूं, सभापति जी यह आखिरी की दो लाइन, मुख्यमंत्री जी का जन्म दिन है यदि आप अगर आज्ञा दें तो बोल देता हूं और आप यदि मना करें तो छोड़ दूं.
श्री हरीशंकर खटीक:- नहीं बोलिये.
श्री दिलीप सिंह परिहार:- यह तो आप बोलने के पहले आत्म अवलोकन कर लेना कि किसके लिये बोल रहे हैं.
श्री हरीशंकर खटीक:- अब आप बोल रहे हैं कि नहीं बोलना तो नहीं बोलिये.
श्री जितु पटवारी:- चुप रहना भी हां मानी जाती है, मैं अंत में ..
श्री बहादुर सिंह चौहान:- आपकी कविता अच्छी हो गयी है. मुख्यमंत्री जी का जन्म दिवस है.
श्री जितु पटवारी:- अरे बैठो मेरे दोस्त, आपने तो दो साल पहले ही बोल दिया है कि पैसा खुदा नहीं, इनका एक वीडियो था ना खुदा से कम भी नहीं. आप मेरे भाई हो, बहादुर हो, मेरे जैसे ही हो, बैठ जाओ सम्मान का विषय है बैठ जाओ. बैठ जाओ मेरे दोस्त हो बैठ जाओ. अरे बैठ जाओ यार मरे दोस्त हो.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- सुनो, आपकी कविता अच्छी हो गयी है हमने अच्छे से सुनी है और आज मुख्यमंत्री जी का जन्म दिवस है, आगे आप मत सुनाइये उसको, हमारा आपसे निवेदन है.
सभापति महोदय:- आप लोग आपस में संवाद न करें.
श्री जितु पटवारी:- सभापति महोदय, बहादुर सिंह जी ने जब यह आग्रह किया तो मैं छोड़ देता हूं. मेरा अनुरोध सिर्फ इतना है कि वित्त मंत्री जी सबने बहुत सारी बाते कहीं, आपने कम्पाइल की होगी. आप रोज हर घण्टे 250 करोड़ रूपये कर्ज का ब्याज देते हैं, हम रोज 60 करोड़ रूपये कर्ज का ब्याज देते हैं, हर महीने हम 1800 करोड़ रूपये का ब्याज देते हैं और हर साल हम 21 हजार करोड़ रूपये का ब्याज देते हैं. यह शिवराज सिंह जी का समृद्ध मध्यप्रदेश है. आत्म निर्भर मध्यप्रदेश की नौकरियों का जिक्र सबने किया, क्या हालात ऊपर से नीचे तक बेरोजगारी के हैं 1 लाख 60 हजार लोग बेरोजगारी के दलदल में फंस गये, यह 16 साल की आत्मनिर्भरता है शिवराज सिंह जी की, तो मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इन दोनों चीजों पर गौर करें और हम विपक्ष और आप सब एक हैं. मैं एक कल्पना कर रहा था कि अगर कमल नाथ आपकी सरकार गिराते और उधर बैठते तो नरोत्तम मिश्र जी क्या करते, यह माईक तोड़ के आसंदी की तरफ फेंकते हुए होते.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- कल्पना ही करता रहे जितु जिंदगी भर, यह तेरे को बुड्डा कर देंगे, तू कभी नहीं आ रहा है. मजे कर और चैन से बैठ वहां.
श्री जितु पटवारी:- मैं अनुरोध करता हूं कि आप मध्यप्रदेश की समृद्धि के लिये आप प्रयास करें, हम सहयोग के साथ विपक्ष का एक पॉजिटिव रोल प्ले करेंगे, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री पी.सी.शर्मा:- आगे कविता थी भी या नहीं कि वैसे ही डरा दिया.
सभापति महोदय:-शर्मा जी आप बैठें. माननीय वित्त मंत्री जी.
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवढ़ा):- माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री परमश्रद्धेय शिवराज सिंह जी का आज जन्म दिन है. मैं आज इस अवसर पर उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं और उनके दीर्घायु होने की कामना करता हूं.
{ 5.24 बजे अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए् }
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज बजट पर सामान्य चर्चा यहां पर हो रही है. मध्यप्रदेश का यह बजट सर्वस्पर्शी, सभी वर्गों की चिंता करने वाला गांव, गरीब, किसान, मजदूर, महिलाएं, विद्यार्थी सबकी चिन्ता करने वाला यह बजट प्रस्तुत हुआ है. इस बजट की चर्चा में हमारे विद्वान माननीय सदस्य सर्वश्री तरूण भनोत, केदारनाथ शुक्ल, डॉ.सीतासरण शर्मा, बाला बच्चन, शैलेन्द्र जैन, जयवर्द्धन सिंह, बहादुर सिंह, डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ, बृजेन्द्र सिंह राठौर, यशपाल सिंह सिसौदिया, सुनील सर्राफ, संजय यादव, हरिशंकर खटीक, नीलांशु चतुर्वेदी, प्रदीप जायसवाल, सुश्री हिना कावरे, श्रीमती कृष्णा गौर, पी.सी.शर्मा, प्रेमशंकर वर्मा, प्रियव्रत सिंह, प्रहलाद लोधी, बापूसिंह तंवर, संजय शाह, जितु पटवारी सहित हमारे सभी माननीय सदस्यों ने बहुत ही महत्वपूर्ण अपने सुझाव और इस बजट से संबंधित बहुत सारी बातें जो पक्ष में भी की हैं और कहीं पर सारगर्भित सुझाव भी दिये हैं. हम हर संभव प्रयास करेंगे कि चूंकि बहुत सारी अपने अपने विधान सभा क्षेत्र की बातें माननीय सदस्यों ने विभाग की रखी हैं. एक दो दिन बाद विभाग की मांगों पर चर्चा होगी तो निश्चित रूप से लगता है कि उसमें अपनी बातें रखेंगे. यह धर्म है, राजधर्म है सामने बैठने वाले हमारे साथी बहुत ही अच्छे अनुभवी लोग हैं उन्होंने बहुत अच्छे सुझाव भी दिये हैं. पैसा कहां गया, कर्जा लिया सबको इस समय पता है कि पूरे विश्व में कोरोना का संकट आया. कई देशों की अर्थ व्यवस्थाएं गड़बड़ाईं उसमें प्रदेश की भी अर्थ व्यवस्था गड़बड़ाई, यह किसी से छिपी नहीं है. इस सब संकट के बावजूद इतना बड़ा संकट आया उसमें सारे लोगों ने हमारे यहां के सदन में बैठे हुए और जो नहीं हैं, ऐसे अनेक हमारे साथियों ने अपने अपने क्षेत्र में राजनीति से ऊपर उठकर के देश में बढ़-चढ़कर के सेवाएं कीं. इसमें अनेक समाज सेवियों ने अनेक संस्थाओं ने मदद की उनको मैं इस सदन में धन्यवाद देना चाहता हूं. उनके बारे में जितना भी कहा जाये उतना कम है. शायद मुझे लगता है कि उन सारी बातों को यदि स्मरण करें तो शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. उन सारी परिस्थितियों में सरकार ने भी अपना पूरा दायित्व निभाया. मैं इस अवसर पर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि संकट की घड़ी में जो कुछ इसमें बेहतर हो सकता था, जितनी व्यवस्थाएं हो सकती थीं, कीं. अब निश्चित रूप से अर्थ व्यवस्था तो गड़बड़ाई है. ऐसा हिन्दुस्तान में ऐसा कौन सा प्रदेश है जो कर्जा नहीं लेता है.
5.23 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
अशासकीय संकल्प पूर्ण होने तक सदन के समय में की जाना.
अध्यक्ष महोदय--अशासकीय संकल्प संबंधी कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाती है. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
5.24 बजे
वर्ष 2021-2022 के आय व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमशः)
वित्तमंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)--अध्यक्ष महोदय, कौन सी सरकारें ऐसी हैं जो कि कर्जा नहीं लेती हैं. अर्थ व्यवस्था गड़बड़ाई है. हमारे तरूण भनोत तथा माननीय बाला बच्चन जी, जितु पटवारी जी ने भी बहुत इसके बारे में कहा है और भी हमारे अनेक माननीय सदस्यों ने कहा है, यह बात सही है कि कर्जा है, लेकिन पूरे कोरोनाकाल में सारे राजस्व में कमी आयी है. रेवेन्यु में कमी आई, स्थिति बहुत नीचे आई, पर परमात्मा की कृपा से कोरोना का संकट धीरे धीरे समाप्त हो रहा है और गाड़ी पटरी पर आ रही है. इसकी चिंता आपको भी है और इधर बैठने वालों को भी है, पूरी चिन्ता है, लेकिन पैसा कहां गया. आप याद करें मैं तो अभी की बात बता रहा हूं, जो कहा है वह किया है, पिछली सरकार की आप याद करेंगे सड़कों की, बिजली की क्या हालत थी, बाकी सारी बातें आप देखेंगे, स्मरण करेंगे, मैं राजनैतिक द्वेषता की दृष्टि से नहीं कह रहा हूं. लेकिन पिछला इतिहास आप देखेंगे तो कहां थे हम? इस मध्यप्रदेश में अगर कोई डेवलपमेंट हुआ, विकास हुआ तो जब जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, तब तब हुआ(...मेजों की थपथपाहट) बिजली 24 घंटे देने का काम किया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया, खेतों में बिजली देने का काम किया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया. अभी पैसा कहां गया, 6 हजार रूपए देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने किसानों के खाते में डाले. 4 हजार रूपए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने किसानों के खाते में डाले. मेडीकल कालेज, दूसरे सरकारी कालेज, हायर सेकेण्डरी, हाई स्कूल, सड़कें, तालाब, स्टाप डेम, सिंचाई योजनाएं, बात सही है, वास्तव में कि जो जहां बैठे हैं, अपना धर्म भी निभाना पड़ता है, लेकिन मैं इस बात के लिए भी धन्यवाद दूंगा कि उधर बैठकर भी हमारे सभी साथियों ने इस बजट के बारे में बहुत सारी बातों का उन्होंने समर्थन भी किया, और यह स्वच्छ परम्परा होनी भी चाहिए और यह सारी योजनाएं, अभी इस बजट में बजट बढ़ाकर के बताएं हैं. पिछले बजट से 35 हजार 977.8 करोड़ इस बार बढ़ाकर के बजट आया है. इस कोरोना के संकट के बाद. यह काम करने की इच्छा शक्ति, कहां आपने योजनाएं बनाई, जल जीवन मिशन या जो भी योजनाएं बनाई, अच्छी बात है लेकिन आपने जमीन पर उतारी नहीं, इच्छा शक्ति नहीं थी काम करने की. पूरे प्रदेश में सिंचाई योजनाओं पर प्रकाश डाले और सूची जाकर पढ़े और जमीन पर जाकर देखें तो पता लगेगा कि पैसे कहां गया, प्रदेश के विकास में गया, गरीबों को उठाने में गया. अब यह ग्रामीण जल जीवन योजना, लगभग 33 लाख घरों में नल कनेक्शन देंगे 2021-22 में, जो कहा वह करके बताया है, चाहे दिल्ली में हो, चाहे प्रदेश में हो, दिल्ली के लाल किले से नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि 2022 तक हिन्दुस्तान की धरती पर एक भी गरीब आदमी, एक परिवार ऐसा नहीं होगा जिसके माथे पर छत का प्रबंध न होगा. काम चल रहा है. ईमानदारी से हम दिल पर हाथ रखकर देखें, गरीब के लिए माथे पर छत का प्रबंध हो रहा है, घर घर में गैस के चूल्हे यह आप स्वीकार करें. आपने बहुत महत्वपूर्ण सुझाव दिए. मैं आपके सुझावों को सर-आंखों पर रखता हूं, करेंगे और करना भी चाहिए. आपने बहुत अच्छी कई सारी बातें कही है, मैंने नोट किया हूं, करेंगे. स्ट्रीट वेण्डर योजना, अब अगर यह योजना बनी है किसी गरीब के लिए, गुमठी लगाकर हाथ ठेला वाला काम करें, शहर के अंदर करें, ग्रामीण इलाके में करें, 10,000 रुपये प्रधानमंत्री जी की ओर से आ रहे हैं. 7 प्रतिशत ब्याज केन्द्र देगी लेकिन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने कहा है कि शेष ब्याज 7 प्रतिशत के ऊपर जितना ब्याज लगेगा, वह मध्यप्रदेश की सरकार वहन करेगी. मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ व्यवसायी योजना में 10,000 रुपये का लोन दे रहे हैं, आप कह रहे हैं कि पैसा कहां गया ? उस गरीब को जो फुटपाथ पर बैठा है, उसके लिये व्यवस्था की है, हाथ-ठेला वाले के लिये व्यवस्था की है, उन्होंने कहा है कि गरीब आदमी है, उसको बिना ब्याज के 10,000 रुपये मिलेंगे, वह 10,000 रुपये वापिस जमा करेगा, फिर बिना ब्याज के 20,000 रुपये का उसको लोन मिलेगा, फिर वह 20,000 रुपये जमा करेगा तो उसको 50,000 रुपये का लोन मिलेगा. इसमें किसी को तकलीफ नहीं होना चाहिए. मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा काम है, आपने भी इसका स्वागत किया है. सीएम राइज योजना, नये मेडिकल कॉलेज, किसान सम्मान निधि एवं भोपाल गैस पीडि़तों हेतु अभी पेंशन का प्रावधान किया है. इस बजट में कोई कर नहीं लगाया है, हमें मालूम है कि लोग कोरोना के संकट से जूझ रहे हैं, जनता के ऊपर कोई टैक्स नहीं लगाया है, यह व्यवस्था की है. वन नेशन वन राशन कार्ड, मुस्कान योजना और मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दूँगा कि उन्होंने बजट बनाने के पहले कहा कि विशेषज्ञों से भी राय ली जाये, आम लोगों से राय ली जाये, उनके सुझाव आमंत्रित किये जायें कि प्रदेश के लिये क्या बेहतर हो सकता है ? हम सब मिलकर कार्य करें, राजनीति से ऊपर उठकर मध्यप्रदेश का कैसे विकास हो, कैसे गरीब किसान का विकास हो, सबको मिलाकर काम करने का सोचकर यह बजट सामने रखा है. मुझे बहुत सारे सुझाव आये थे.
अध्यक्ष महोदय, माननीय बहुत से साथियों ने आर्थिक सर्वेक्षण एवं बजट दस्तावेज के सकल घरेलू उत्पादन के आंकड़ों में भिन्नता की ओर ध्यान आकर्षित किया था. मैं बताना चाहूँगा कि आर्थिक सर्वेक्षण में वित्तीय वर्ष 2020-21 की जानकारी थी जबकि बजट दस्तावेज वर्ष 2021-22 का है. बजट दस्तावेज का यह आंकड़ा, वित्त आयोग द्वारा गणना के लिये निर्धारित किये गये सिद्धांत के अनुसार है. बजट दस्तावेज में सम्मिलित वित्त सचिव के स्मृति पत्र में है. यह आकलन राजकोषीय घाटे तथा भारत सरकार के ऋण सीमा के निर्धारण के लिये है जबकि देश के कई राज्य अलग-अलग समय पर राजस्व घाटे की स्थिति में रहे हैं. वर्ष 2004-05 में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 1,12,926 करोड़ रुपये था. जो वर्ष 2019-20 में 8 गुना से अधिक बढ़कर 9,37,405 करोड़ रुपये हो गया. मुझे इस सदन को यह अवगत कराते हुए खुशी है कि कोविड की चुनौती के उपरांत भी वर्ष 2021-22 में प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 10 ट्रिलियन रुपये के पार पहुँचने का विश्वास है. वर्ष 2011-12 में, वर्ष 2015-16 की अवधि में प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में डबल डिजिट ग्रोथ हासिल की है, जो पूरे देश में सर्वाधिक है, एक ओर, माननीय सदस्यों ने प्रदेश में ऋण की स्थिति पर भी अपनी चिंता व्यक्त की थी. प्रदेश सरकार द्वारा ऋण, एफआरबीएम अधिनियम के प्रावधानों एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के अनुसार भारत सरकार से प्राप्त स्वीकृति के अनुसार ही लिया जाता है, इस बात को विद्वान सदस्य भी जानते हैं. मुझे यह कहने की आवश्यकता नहीं है, आप मुझसे ज्यादा अनुभवी हैं, आपको मुझसे ज्यादा इसकी जानकारी है. मेरे मित्र श्री तरुण भनोत अभी सीट पर नहीं हैं, शायद वे जा चुके हैं एवं देर भी हो गई है. मैं यह स्मरण दिलाना चाहूँगा कि पूर्व की हमारी सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2018-19 में लगातार राजस्व आधिक्य रहने के उपरांत, आपकी सरकार के कार्यकाल में भारत सरकार द्वारा 4,443 करोड़ रुपये के अतिरिक्त ऋण लेने की स्वीकृति दी गई थी. उसके परिप्रेक्ष्य में आपकी ही सरकार के कार्यकाल में 2 हजार 800 करोड़ रूपये राजस्व घाटे में रहने का निर्णय लिया था.
श्री बाला बच्चन -- आपकी बजट रिलीवेंट स्पीच वाली बात आनी चाहिये. एफ.आर.बी.एम. एक्ट की बात हुई थी, फिसिकल डेफीसियेट की बात हुई थी, राजस्व प्राप्तियों की बात हुई थी, राजस्व व्यय की जो बात हुई थी, कर्जे की बात हुई थी. आप उस पर बयां करें. ये डिमांड पर जैसे चर्चा होती है, डिमांड पर जैसे अगर मंत्री जवाब देता है, इस तरह से होगा.
श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य बहुत अनुभवी हैं और भूतपूर्व मंत्री हैं. मैं बहुत कुछ उसमें नहीं जाना चाह रहा हूं लेकिन सब पता है, आपके पास भी सारा लिटरेचर गया है और मैं पहले ही बोल चुका हूं कि कौन सी सरकार ऐसी है, जिसके ऊपर कर्जा नहीं होता है. अब आप कह रहे हैं कि कर्जा, कर्जा, अरे कर्जा तो सब सरकारे लेती हैं, लेकिन काम तो करके बताओ आपने तो कर्जा भी लिया होगा लेकिन काम भी नहीं किया है. (मेजों की थपथपाहट) यहां काम कर रहे हैं और जमीन पर काम दिख भी रहा है, सारी योजनाएं है. मैं इसलिये पूरे विस्तार से नहीं बोल रहा हूं कि हमारे केदारनाथ शुक्ल जी ने, भाई यशपाल सिंह सिसोदिया जी ने जब खड़े होकर भाषण शुरू किया था तो उन्होंने पूरी बात की थी.
श्री बाला बच्चन -- एफ.आर.बी.एम. एक्ट पर जो वक्तव्य देना है, उसको देखकर, ध्यान में रखकर बजट जो बनना चाहिये था, वह वक्तव्य आप कब देंगे?
श्री जगदीश देवड़ा-- वह आपके पास आ जायेगा.
श्री बाला बच्चन -- आपने विशेषज्ञों का भी उल्लेख किया है, तो हमने बजट को देखा है, पढ़ा है, समझा है और हमको भी लगा है कि विशेषज्ञ कितने शामिल हुए हैं और उनकी राय कितनी पॉजीटिव आई है, इसको देखने के बाद यह बात हमको समझ आई है.
श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सारी योजनाएं हमारे पूर्व वक्ताओं ने भी यहां पर बताई है. अब बहुत सारी बातें हैं.
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी उनको वक्तव्य देना है, उनका मन है, आप वहां से निर्देशित कर रहे हैं, यह उनके अधिकारों का हनन होगा. (व्यवधान..)
श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो कह रहा हूं कि बजट को पास किया जाये.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- हम लोगों का जवाब ही नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय -- बस अब चर्चा समाप्त. इस विषय पर चर्चा समाप्त.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्यमंत्री के दबाव में वित्तमंत्री जी बैठ गये हैं, निर्देशन वहां नंबर -2 से हुआ है. (व्यवधान..) माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ कि नंबर-2 का मंत्री, संसदीय कार्यमंत्री वित्तमंत्री के वक्तव्यों को दबाते हुए उनको बंद कर रहा है. (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- अब अशासकीय संकल्प लिया जायेगा. (व्यवधान..)
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट, पहली बार ऐसा हो रहा है सदन की निराशा है, विपक्ष के बारे में कह रहा हूं 54 लोग मर गये नेता प्रतिपक्ष नहीं है, बजट पास हो गया, नेता प्रतिपक्ष नहीं है, इन्होंने जितू भाई ने स्थगन दे दिया, नेता प्रतिपक्ष नहीं है (व्यवधान..) क्या हालत कर दी है विपक्ष की , कुल आधा दर्जन लोग बैठे हुए हैं. (व्यवधान..)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ट्रेजरी बैंच पर कितने लोग बैठे हुए हैं (व्यवधान..)
श्री बाला बच्चन -- आप बताइये यह जो बजट पर दो दिन से चर्चा चल रही है, इस पर आप बताईये (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- आप सुन लीजिये, आप सुन तो लीजिये. (व्यवधान..)
श्री जितू पटवारी -- (व्यवधान..) माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बार यह काला बजट आया है, मंत्री वक्तव्य नहीं दे पाया है. मंत्री यह नहीं बता पाया कि हमने कर्जा क्यों लिया.(व्यवधान..) (xxx)
....(व्यवधान..)...
अध्यक्ष महोदय -- हो गया ना, आप सुनिये अभी बजट पास नहीं हुआ है. इसको रिकार्ड नहीं किया जाये. (व्यवधान..)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, अरे आप इधर देखकर बात करो, आप कैसे आसंदी की ओर देखकर बोल रहे हो, यह असंसदीय आचरण नहीं चलेगा. (व्यवधान..)
श्री प्रियव्रत सिंह -- जब एक मंत्री की आवाज दबाई जा सकती है. ...(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- नहीं अभी बजट पास नहीं हुआ है, आप सुन तो लीजिये. श्री प्रियव्रत सिंह जी मैं आसंदी से खड़ा हुआ हूं. आप बैठ तो जाईये. (व्यवधान..)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- वह भी वित्तमंत्री जी की बात दबाई जा रही है. (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय-- आवाज किसी की नहीं दबाई जा सकती, इतना ध्यान रखिये, सभी लोग ध्यान रखिये तो हमारी आवाज भी आप क्यों दबा रहे हैं. अभी बजट पास नहीं हुआ है, विभागों पर चर्चा होगी, बजट उसके बाद पास होगा, आप लोग क्यों परेशान हो रहे हैं.
श्री जितु पटवारी-- अध्यक्ष जी, बजट पास का वक्तव्य कैसे दे दिया, आप रिकार्ड में चेक कर लें. ...(व्यवधान)....
डॉ. सीतासरन शर्मा-- जितु भाई बैठ जाइये, बैठ जाइये प्रियवृत सिंह जी वह बात ही खत्म हो गई. मंत्री का वक्तव्य आ गया, प्लीज. ...(व्यवधान)....
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं दूसरा प्वाइंट रेस करना चाह रहा था, आज नियम 52 पर चर्चा होनी थी और अभी जब समय बढ़ाया गया तो सिर्फ अशासकीय संकल्पों का ही यहां पर जिक्र किया गया है.
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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय-- वह लेना है, दूसरे दिन ले लेंगे उसमें कोई दिक्कत नहीं है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी तैयार होकर आये हैं. उनका विभाग तैयार होकर आया है. ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- आपकी नियम 52 की चर्चा हम लेंगे ...(व्यवधान)....
श्री जितु पटवारी-- मध्यप्रदेश को हर रोज 10 करोड़ रूपये का घाटा हो रहा है, मध्यप्रदेश की जनता पर उसका भार आ रहा है, यह अशासकीय संकल्पों के बाद जो आपने नियम 52 पर चर्चा, वह आज ही होना चाहिये, सदन चले 12 बजे तक.
अध्यक्ष महोदय-- अगले हफ्ते लेंगे.
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दे दें, इसको कब लेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- कह दिया न अगले हफ्ते लेंगे. ...(व्यवधान)....
श्री जितु पटवारी-- प्लांट बंद है, सब सरकार की मिलीभगत से, वहां पर रोज ...(व्यवधान)....
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी तैयार होकर आये हैं, उनका विभाग चर्चा के लिये तैयार होकर आया है. ...(व्यवधान)....
श्री जितु पटवारी-- बिजली खरीदने में सब मिलीभगत है, ऊपर से पैसा आ रहा है, सबको मिल रहा है, बंट रहा है, इसका मध्यप्रदेश की जनता पर असर आ रहा है इसलिये ... ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गई न. ...(व्यवधान)....
श्री हरीशंकर खटीक-- माननीय अध्यक्ष जी, ऐसे नहीं बोलना चाहिये, यह पूरे सदन को दबाव में लेते हैं. ...(व्यवधान)....
5.47 बजे अध्यक्षीय घोषणा
नियम 52 के अधीन आधे घंटे की चर्चा अगले हफ्ते ली जाना.
अध्यक्ष महोदय-- सभी लोग बैठ जायें, आपको मैंने कह दिया कि नियम 52 के अधीन आधे घंटे की चर्चा मैं अगले हफ्ते लूंगा. यह मैं व्यवस्था दे रहा हूं. आप लोग क्यों परेशान हो रहे हो.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अरे उतावले क्यों हो रहे हो, सारी चर्चाओं का जवाब सरकार देगी. उतावले मत हो, आपके सारे कपड़े उतारे जायेंगे. ...(व्यवधान)....
श्री जितु पटवारी-- नंगा आदमी बता रहा है कपड़े की बातें. ...(व्यवधान)....
5.48 बजे अशासकीय संकल्प
होशंगाबाद जिले में निवासरत जनता की धार्मिक आस्था को दृष्टिगत रखते हुये होशंगाबाद जिले का नाम बदलकर ''नर्मदापुरम'' किया जाना.
अध्यक्ष महोदय-- यह संकल्प श्री सुदेश राय, सदस्य द्वारा डॉ. सीतासरन शर्मा, सदस्य को प्रस्तुत किये जाने हेतु अधिकृत किया गया है. डॉ. सीतासरन शर्मा.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) (सर्व श्री सुदेश राय, विजयपाल सिंह, ठाकुरदास नागवंशी, प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा) -- अध्यक्ष महोदय मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि-
''सदन का यह मत है कि होशंगाबाद जिले में निवासरत जनता की धार्मिक आस्था को दृष्टिगत रखते हुये होशंगाबाद जिले का नाम बदलकर नर्मदापुरम किया जाये.''
अध्यक्ष महोदय-- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, नर्मदा क्षेत्र के प्रमुख तीर्थों में होशंगाबाद नगर है. अध्यक्ष महोदय, करीब 50 सालों से वहां की जनता की मांग है कि होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम कर दिया जाये. नर्मदापुरम संभाग तो हो गया किंतु होशंगाबाद नगर नर्मदापुरम नहीं हो पाया. अध्यक्ष महोदय, एक बड़ी पीड़ा की बात यह है कि इतिहास हुशंगशाह गौरी से शुरू करने की परंपरा पुरानी सरकारों ने चालू की थी. वास्तव में 14वीं शताब्दी में हुशंगशाह गौरी आया था और उसका मकबरा भी होशंगाबाद में नहीं है, वह तो अपना नाम देकर के माण्डू चला गया और वहीं उसका मकबरा बन गया. वे तो चले गये नाम यहां छोड़ गये. अध्यक्ष महोदय, होशंगाबाद का इतिहास इस ऐतिहासिक काल में 7वीं शताब्दी से मिलता है और 1199 में नर्मदापुर का उल्लेख मिलता है. प्रागेतिहासिक काल में यहां पर पहाडि़या में शैलचित्र हैं और किवदंति है कि पाण्डव पचमढ़ी में ठहरे भी थे, उनकी गुफायें भी हैं, इस तरह से हमारी यह ऐतिहासिक नगरी है जो नर्मदापुर के नाम से किसी समय में जानी जाती थी. बहुत थोड़े समय के लिये हुसंग शाह का काल रहा उसके पहले अभिमन्यू का उसके बाद भोंसले और सिंधिया का राज इस क्षेत्र में रहा. अध्यक्ष महोदय, पाषाण युग के भी कुछ हथियार वहां मिले हैं. कुल मिलाकर बात यह है कि होशंगाबाद शहर का अपना एक इतिहास है और वास्तव में यह इतिहास होशंगाबाद का नहीं नर्मदापुर का था जिसको हुसंग शाह गौरी ने होशंगाबाद कर दिया. मेरा सदन से अनुरोध है कि हम फिर अपने गौरवशाली इतिहास की ओर लौटें. मां नर्मदा के तट पर हम रहने वाले इस क्षेत्र को फिर नर्मदापुरम् के नाम से जाना जाए, ऐसी कामना करते हैं. अपने पुराने इतिहास की ओर लौट कर, अपने सांस्कृतिक विरासत की ओर लौटकर मैं सदन से अनुरोध करता हूं कि वह नर्मदापुरम् के लिये इस नाम को संशोधित करने की कृपा करें.
श्री विजयपाल सिंह(सोहागपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे वरिष्ठ सदस्य पूर्व विधान सभा अध्यक्ष जी ने जो अशासकीय संकल्प रखा है मैं उसका समर्थन करता हूं और निवेदन करता हूं कि होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम् किया जाए. उन्होंने इतिहास भी बताया कि कौन लोग आए थे. होशंगाबाद पर कैसे कब्जा किया था और उसका नाम कैसे रखा और इतिहास भी रहा है. कहते हैं रामायण में भी है. रामेश्वरम जाएंगे तो वहां शिलालेख पर लिखा है. भगवान राम भी जब वन गमन पर निकले थे तो हमारे होशंगाबाद जिले के माछा जो मेरे विधान सभा क्षेत्र में आता है वहां उन्होंने रात्रि विश्राम किया था. विधायक पिपरिया बैठे हैं उनके यहां पासीघाट करके आता है वहां भी भगवान राम ने रात्रि विश्राम किया था. ऐसा एक तीर्थ स्थल, पूरा संपूर्ण जिला, पहले हरदा जिला भी होशंगाबाद जिले में सम्मिलित था तो मैं यही अनुरोध करूंगा एक बहुत बढ़िया तीर्थ स्थल बांद्राभान के नाम से भी वहां जाना जाता है. एक राजा हुआ करते थे राजा के बालक का चेहरा बंदर के समान था जब वहां मां नर्मदा जी में स्नान करने आया तो उसका चेहरा मनुष्य के समान हो गया. ऐसे-ऐसे पवित्र तीर्थ स्थल वहां पर हैं तो मैं तो यही अनुरोध,आग्रह करूंगा कि होशंगाबाद का नाम जो एक लुटेरे के नाम से, किसी गलत व्यक्ति के नाम पर था. उसका नाम नर्मदापुरम् किया जाए. ऐसी मेरी आपसे अपेक्षा है.
श्री ठाकुरदास नागवंशी(पिपरिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे मार्गदर्शक माननीय पूर्व विधान सभा अध्यक्ष जी ने जो बात रखी. माननीय विजयपाल सिंह जी ने भी जो बात कही मैं उसका समर्थन करता हूं. मैं एक बात का उल्लेख करना चाहता हूं. होशंगाबाद जिला निश्चित ही उस समय कोई कस्बा या गांव रहा होगा तो निश्चित ही उनके भी कुछ नाम हुआ करते थे. इसका भी नाम नर्मदापुरम् था. जैसा हमारे डाक्टर साहब ने जिक्र किया कि चौदहवीं या पंद्रहवीं शताब्दी से मालवा के माढव से हुसंगशाह गौरी शासक वहां आए और राज करके वापस चले गये. हमारा होशंगाबाद जिला गोंडवाना राज हुआ करता था और मुझे गर्व है कि मेरे पिपरिया विधान सभा क्षेत्र से मटकुल्ली के रहने वाले राजा भभूति सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने भाग लिया था. आज भी तरोन से सोहागपुर तक तारामती रानी का नाम आता है. हमारे यहां गोंडवाना राज्य, फतेहपुर, सुहापुर,उमरदा, पूरा भरा हुआ था. निश्चित ही होशंगाबाद का नाम परिवर्तित कर होशंगाबाद किया जाए.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा(सिवनी-मालवा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय वरिष्ठ विधान सभा सदस्य परम आदरणीय डॉ.सीतासरन शर्मा जी ने जो अशासकीय संकल्प होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम् करने के लिये रखा है इसका मैं पूर्णत: समर्थन करता हूं. इसका मैं पूर्णतः समर्थन करता हूं. होशंगाबाद का इतिहास बहुत अच्छे शब्दों में हमारे माननीय पूर्व विधान सभा अध्यक्ष, आदरणीय शर्मा जी ने समझाया है, बताया है. मैं उन बातों को दोहराना नहीं चाहता हूं. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि जब बाम्बे का नाम मुम्बई हो सकता है, मद्रास का नाम चेन्नई हो सकता है, बनारस का नाम वाराणसी हो सकता है, इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो सकता है, त्रिवेंद्रम का नाम तिरुअनन्तपुरम् हो सकता है और गोटेगांव का नाम श्रीधाम हो सकता है, तो होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम क्यों नहीं हो सकता है. (सत्ता पक्ष की ओर से मेजों की थपथपाहट) अध्यक्ष महोदय, यह सारा इसका पुराना इतिहास है, वह हमारे डॉक्टर साहब बता चुके हैं. एक बार और मैं कहना चाहता हूं कि कई काम करने में धनराशि भी लगती है, लेकिन इसमें तो पैसा भी नहीं लगना है. इसलिये इसका पूर्ण समर्थन करते हुए मैं निवेदन करना चाहता हूं कि होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम किया जाये. मां नर्मदा एक धार्मिक एवं पवित्र नदी है. पूरा होशंगाबाद जिला पूरे नर्मदा तट के किनारे किनारे बसता है. पिपरिया विधान सभा से लेकर सोहागपुर, होशंगाबाद , सिवनी मालवा फिर टिमरनी, हरदा तक, जो सारा जिला नर्मदा के किनारे बसता है, तो उस जिले का नाम यदि हम नर्मदापुरम कर दें, तो बहुत अच्छा होगा, क्या गलत होगा. अभी नर्मदा जयंती के शुभ अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री जी होशंगाबाद पहुंचे थे, नर्मदा जयंती का त्यौहार बड़े धूम-धाम से हर वर्ष मनाया जाता है. भारी संख्या में लोग इकट्ठे होते हैं. यह मांग सारे लोगों के द्वारा की गई थी. मुख्यमंत्री जी ने उस नर्मदा जयंती के पवित्र त्यौहार पर लोगों से पूछा कि आप हाथ उठाकर कहो कि इस होशंगाबाद का नाम क्या होना चाहिये, बतायें. सब लोगों ने एक ही आवाज लगाई थी कि होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम कर दिया जाये. सारे लोगों की भी यही इच्छा है, नर्मदा तट पर बसने वाले सारे लोगों की यह हार्दिक इच्छा है. इसलिये मेरा निवेदन है कि होशंगाबाद संभाग का नाम तो नर्मदापुरम हो ही गया है, जिले का नाम भी नर्मदापुरम हो जाये, होशंगाबाद नगर का नाम भी नर्मदापुरम हो जाये, यही मेरा निवेदन है.धन्यवाद.
श्री पी.सी.शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) -- अध्यक्ष महोदय, मैं सीतासरन शर्मा जी ने जो अशासकीय संकल्प रखा है कि होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम हो, इसका समर्थन करता हूं. लेकिन इसमें एक विसंगति जरुर है कि संभाग भी नर्मदापुरम हो गया और जिला भी, तो इस चीज को इतना प्रचारित करना पड़ेगा कि जैसे भोपाल में बैरागढ़ का नाम संत जी के नाम से है, संत हिरदाराम नगर. लेकिन कोई भी बोलता नहीं है संत हिरदाराम नगर जाना है. सब बात करते हैं कि बैरागढ़ जाना है. तो इस चीज की जो पब्लिसिटी या इसका प्रचार होना चाहिये कि लोग उसको आटोमेटिकली नर्मदापुरम कहें और यह जो एक वह है कि नर्मदापुरम संभाग भी है और नर्मदापुरम जिला, शहर का नाम भी होगा. तो यह जो होगा, यह कैसे होगा, इस चीज को भी जो ..
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, यह ऐसा होगा कि भोपाल शहर भी है, भोपाल जिला भी है और भोपाल संभाग भी है.
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, भोपाल संभाग है, वह ठीक है. भोपाल राजधानी है, यह भी ठीक है. लेकिन नर्मदापुरम वहां पर जो आयेगा और यह मैं बता रहा हूं कि बैरागढ़, इसको अभी किसी से भी पूछ लो, किसी सिंधी समाज के व्यक्ति से पूछोगे तो वह बैरागढ़ ही बोलेगा. तो इसकी पब्लिसिटी इतनी होनी चाहिये कि उसका नर्मदापुरम नाम हो जाये, केवल कागजों में न हो. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - अध्यक्ष महोदय, बहुत ही सुंदर प्रस्ताव इस सदन में आया है. मैं समझता हूं कि इसको तो बहुत पहले पास हो जाना चाहिए था. होशंगाबाद, होशंगाबाद कहने में हमें क्या मिलता है? मरते समय भी अगर पापी भी राम कह दे तो स्वर्ग को चला जाता है तो 'नर्मदापुरम' नाम जो हमारे माननीय डॉ. सीतासरन शर्मा जी और पक्ष और विपक्ष के सभी माननीय सदस्य लाए हैं, मैं समझता हूं कि इस पवित्र मंदिर में सर्वसम्मति से, ध्वनिमत से इस प्रस्ताव को पास होना चाहिए और भारत सरकार को भेजना चाहिए.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने होशंगाबाद में यह घोषणा कर दी थी कि 'नर्मदापुरम' इस शहर का नाम किया जाएगा. सदन भी आज उसी संकल्प को पारित कर रहा है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि -
"सदन का यह मत है कि होशंगाबाद जिले में निवासरत जनता की धार्मिक आस्था को दृष्टिगत रखते हुए होशंगाबाद जिले का नाम बदलकर "नर्मदापुरम" किया जाए."
सर्वसम्मति से संकल्प स्वीकृत हुआ.
(2) पश्चिम मध्य रेल के खन्ना बंजारी रेल्वे स्टेशन का नाम परिवर्तित कर विजयनाथधाम किया जाना
अध्यक्ष महोदय - यह संकल्प श्री संजय सत्येन्द्र पाठक, सदस्य द्वारा श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी को प्रस्तुत किये जाने हेतु अधिकृत किया गया है, श्री यशपाल सिंह सिसौदिया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)- अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि-
"यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि पश्चिम मध्य रेल के खन्ना बंजारी रेल्वे स्टेशन का नाम परिवर्तित कर विजयनाथधाम किया जाए."
अध्यक्ष महोदय - संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, इसकी इसलिए आवश्यकता पड़ रही है कटनी जिले के नगर पंचायत बहरी स्टेशन का नाम खन्ना और बंजारी को लेकर जोड़ा गया. अध्यक्ष महोदय, पूरे क्षेत्र में कहीं भी खन्ना और बंजारी का कोई रिलेशन नहीं है, कहीं इस प्रकार की चीज नहीं है कि खन्ना कहां है और बंजारी कहां है. लेकिन बरही स्टेशन यदि इसका नाम होता तो फिर भी लगता कि बरही नगर परिषद है, बरही का नाम है इसलिए बरही नाम से स्टेशन जाना जाय. क्षेत्र के वे लोग जो वर्षों से खन्ना बंजारी के नाम का नामांकृत किया गया रेल्वे स्टेशन, विजयनाथधाम पर रखने की इसलिए अध्यक्ष महोदय, मांग कर रहे हैं कि भगवान शिव का भूमि प्रकट्य मंदिर वहां पर स्थापित है, विराजित है.
विजयनाथ जी का बहुत दिव्य और भव्य मंदिर है, जहां पर 60-70 वर्षों से बड़ा मेला भी लगता है, हजारों यात्री वहां पर आते हैं. क्षेत्रवासियों की लम्बे समय से इस रेल्वे स्टेशन का नाम खन्ना बंजारी से बदलते हुए, परिवर्तित करते हुए विजयनाथधाम रेल्वे स्टेशन के नाम पर किये जाने की बात की जा रही है और इसी संदर्भ में यह अशासकीय संकल्प पूरे सदन से सर्वानुमति से भारत की सरकार की ओर अग्रेषित करने की यह मांग है कि इसको सर्वसम्मति से भेजा जाय और इसमें मैं एक बात और कहूंगा कि कोई ग्राम या कोई स्थान ऐसा नहीं है, जिसके कारण से खन्ना और बंजारी के नाम से कहीं प्रभाव पड़ता हो, इसलिए मैं अनुरोध करूंगा पूरे सदन से कि इसको सर्वानुमति से भारत सरकार को यह प्रस्ताव प्रेषित किया जाय कि खन्ना बंजारी रेल्वे स्टेशन का नाम परिवर्तित करते हुए विजयनाथधाम रखा जाय.
परिवहन मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - अध्यक्ष महोदय, खन्ना बंजारी नाम का स्टेशन, बहुत दिन से लोगों की मांग इसको बदलने की थी. लोगों की भावना को ध्यान में रखते हुए श्री संजय सत्येन्द्र पाठक जी इस प्रस्ताव को लाए थे, विजयनाथधाम एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल इस स्टेशन से लगा हुआ है. मैं समझता हूं कि सारा सदन इस नाम से सहमत होगा, इसको भी ध्वनिमत से पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि -
"यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि पश्चिम मध्य रेल के खन्ना बंजारी रेल्वे स्टेशन का नाम परिवर्तित कर विजयनाथधाम किया जाए. "
सर्वसम्मति से संकल्प स्वीकृत हुआ.
6.04 बजे अध्यक्षीय घोषणा
डॉ. गोविन्द सिंह, सदस्य द्वारा प्रस्तुत अशासकीय संकल्प क्रमांक 24 अन्य दिनांक को लिया जाना
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य डॉ. गोविन्द सिंह द्वारा पत्र प्रेषित कर लेख किया गया है कि उनका अशासकीय संकल्प क्रमांक 24 जो शुक्रवार दिनांक 5 मार्च, 2021 को चर्चा हेतु लिया गया है किन्तु उन्हें दिनांक 5 मार्च, 2021 को अपराह्न में आवश्यक कार्य से बाहर जाना पड़ रहा है जिस कारण से वे चर्चा में उपस्थित नहीं हो सकेंगे. उनके द्वारा प्रस्तुत अशासकीय संकल्प को किसी अन्य दिनांक को लिये जाने का अनुरोध किया गया है, अतः डॉ. गोविन्द सिंह, सदस्य का अशासकीय संकल्प क्रमांक 24 किसी अन्य दिनांक को लिया जाएगा.
विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 8 मार्च, 2021 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 6.05 बजे विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 8 मार्च, 2021 (17 फाल्गुन, शक संवत् 1942) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, ए.पी. सिंह
दिनांकः 5 मार्च, 2021 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा