
मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
षोडश विधान सभा सप्तम सत्र
दिसम्बर, 2025 सत्र
गुरूवार, दिनांक 04 दिसम्बर, 2025
(13 अग्रहायण, शक संवत् 1947)
[खण्ड- 7 ] [अंक- 3]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 04
दिसम्बर, 2025
(13 अग्रहायण, शक
संवत् 1947)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत् हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री
नरेन्द्र
सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
11.02
बजे
स्वागत
उल्लेख
हरियाणा
राज्य की
विधानसभा के
माननीय अध्यक्ष
श्री हरविन्द्र
कल्याण जी का
स्वागत
अध्यक्ष
महोदय -- माननीय
सदस्यगण, आज
सदन की अध्यक्षीय
दीर्घा में
हरियाणा राज्य
की विधानसभा
के माननीय अध्यक्ष
श्री हरविन्द्र
कल्याण जी
उपस्थित हैं.
सदन की ओर से
उनका स्वागत
है.
(मेजों
की थपथपाहट)
नेता
प्रतिपक्ष
(श्री उमंग
सिंघार) --
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
मेरे
दल की ओर से भी
मैं हरियाणा
विधासभा अध्यक्ष
माननीय श्री हरविन्द्र
कल्याण जी का
स्वागत करता
हॅूं.
(मेजों
की थपथपाहट)
अध्यक्ष
महोदय -- धन्यवाद.
संसदीय
कार्य मंत्री
(श्री कैलाश
विजयवर्गीय) --
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
यह
मेरे लिए भी
बहुत गर्व की
बात इसलिए है
कि जिस समय
पहला चुनाव
माननीय श्री हरविन्द्र
कल्याण जी
लडे़ थे और
टिकट बांटने
वाली कमेटी का
मैं भी सदस्य
था और तब से
लगातार आप
जीतते आ रहे
हैं. मुझे बड़ा
गर्व है कि
मैं उस समय
प्रभारी था और
आपके राजनीतिक
जीवन की
शुरूआत हुई थी
और आज आप हरियाणा
के शिखर पर
बैठे हैं. मैं
मध्यप्रदेश
विधानसभा और
हमारे सभी
माननीय विधायकगण
की ओर से उनका
अभिनन्दन
करता हॅूं.
11.03 बजे
शुभकामना
अन्तर्राष्ट्रीय
चीता दिवस की
शुभकामनाएं
अध्यक्ष
महोदय -- आज अन्तर्राष्ट्रीय
चीता दिवस भी
है. पिछले
दिनों आप सबको
ध्यान में है
कि चीता की
प्रजाति
हमारे देश में
तो एक तरह से
विलुप्त हो
गई थी. वर्ष 2022
में 17 सितम्बर
के दिन कूनो
राष्ट्रीय
उद्यान में 8 चीते
छोड़े गये हैं
और लगातार
चीता परिवार
में वृद्धि हो
रही है. इस
अवसर पर आप
सबको बहुत-बहुत
शुभकामनाएं.
11.04 बजे
विशेष
उल्लेख
भारतीय
नौसेना दिवस का
उल्लेख
आज भारतीय नौसेना दिवस है. हर साल 4 दिसम्बर भारतीय नौसेना की उपलब्धि और भूमिका को याद करने के लिए मनाया जाता है. मुझे प्रसन्नता है कि वर्ष 1971 के युद्ध में ऑपरेशन ट्राइडेंट हुआ था. इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर हमला किया और पीएनएस खैबर सहित 4 पाकिस्तानी जहाजों को डुबो दिया था, जो भारत की एक बड़ी जीत थी. (मेजों की थपथपाहट) नौसेना ने इस दौरान आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण की दृष्टि से अनेक पहल किए हैं. नौसेना आत्मनिर्भर भारत की पहल के तहत कई आधुनिक जहाजों का निर्माण स्वदेशी रूप से किया है.
जिसमें आई.एन.एस नीलगिरी एक स्टील्थ फ्रिगेट है. आई.एन.एस एक विध्वंसक है, वारशिप एक पनडुब्बी है. प्रौद्योगिक और आधुनिकीकरण की दृष्टि से समुद्र में निगरानी के लिये स्वदेशी ड्रोन और अण्डर वॉटर रोबोट्स का इस्तेमाल करना भी शुरू कर दिया है.
इस अवसर पर नौसेना की पूरी टीम को यह सदन बहुत बधाई देता है, उनका स्वागत करता है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, मुझे सदन को यह अवगत कराते हुए बड़ा गर्व हो रहा है विश्व की हमारी नौसेना तीसरी सबसे ताकतवर सेना है और इसके लिये देश के प्रधान मंत्री और रक्षा मंत्री को मैं धन्यवाद देता हूं.
11.02
बजे तारांकित
प्रश्नों के
मौखिक उत्तर
अतिवृष्टि
मुआवजे का
भुगतान
[राजस्व]
1. ( *क्र.
258 ) डॉ.
सतीश सिकरवार
: क्या
राजस्व
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) क्या
वर्ष 2025
में अतिवर्षा
के कारण
प्रदेश के कई
जिलों में
किसानों को
फसल का नुकसान
हुआ है? सरकार
द्वारा
किसानों को
फसल नुकसान का
मुआवजा दिये
जाने का फैसला
लिया गया है? यदि हाँ, तो आदेश
की प्रति
उपलब्ध
करावें। (ख) प्रश्नांश
(क) के संबंध
में शासन
द्वारा
किसानों को
प्रति हेक्टेयर
भूमि के मान
से कितनी राशि
का मुआवजा दिया
जावेगा? (ग)
प्रश्नांश
(क) के संबंध
में यदि
मुआवजा दिया
जाना है, तो
किसानों को कब
तक मुआवजा
राशि का
भुगतान किया
जावेगा? (घ)
प्रश्नांश
(क) के संबंध
में ग्वालियर-चम्बल
संभाग के
कितने गांवों
का फसल नुकसान
हेतु सर्वे
कराया गया है? गांव का
नाम एवं
किसानों की
संख्या सहित
जानकारी दी
जावे।
राजस्व
मंत्री (
श्री करण सिंह
वर्मा ) : (क) जी
हाँ। राजस्व
पुस्तक
परिपत्र 6-4 के
अंतर्गत
प्राकृतिक
आपदा से फसल
क्षति होने पर
प्रभावितों
को आर्थिक
सहायता दिये जाने
के स्थायी
निर्देश हैं। राजस्व
पुस्तक
परिपत्र 6-4 की
प्रति पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट के
प्रपत्र ''अ''अनुसार
है। (ख) राजस्व
पुस्तक
परिपत्र 6-4 के
प्रावधानों
के अंतर्गत
निर्धारित
प्रति हेक्टेयर
भूमि के मान
से किसानों को
राहत राशि
दरों की जानकारी
पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र ''अ'' अनुसार
है। (ग)
राहत
राशि भुगतान
की जानकारी पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र ''ब'' अनुसार
है। (घ) प्रश्नांश
(क)
के
संबंध में ग्वालियर-चम्बल
संभाग की
जिलेवार जानकारी
पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र ''स'' अनुसार
है।
डॉ. सतीश सिकरवार- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 258.
राजस्व मंत्री (श्री करण सिंह वर्मा) - उत्तर पटल पर रखा है.
डॉ. सतीश सिकरवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि ग्वालियर, चंबल संभाग के संबंध में मंत्री जी ने जानकारी दी है कि दतिया, गुना और भिण्ड जिले में अतिवर्षा के कारण अन्नदाता का कोई नुकसान नहीं हुआ है, इसलिये उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया है. वहीं मुरैना और श्यापुर में राहत राशि की कार्यवाही प्रचलित है, यह उत्तर दिया है लेकिन कोई समय-सीमा नहीं बतायी गयी है. वहीं ग्वालियर जिले में अतिवर्षा के कारण तमाम हमारे किसान भाईयों की फसल चौपट हो गयी, उत्तर में केवल ग्वालियर ग्रामीण में जलालपुर गांव में तीन किसानों का नुकसान होना बताया गया है और उन्हें 5-5 हजार रूपये के हिसाब से कुल पन्द्रह हजार रूपये दिये गये हैं, यह ऊंट के मुंह में जीरा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन मध्यप्रदेश की 7-8 करोड़ जनता की आवाज है और जनता की आवाज को दबाने का काम सदन में किया जा रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में असत्य उत्तर दिये जा रहे हैं. ग्वालियर जिले में अतिवर्षा के कारण फसलों का नुकसान हुआ, किसान बेहाल हैं, मुरैना में एक किसान ने आत्महत्या कर ली, उसकी डेढ़ बीघा में उसकी फसल थी और उसने 10 बीघा फसल दो लाख रूपये पर बटाई पर ली और श्री दिनेश गुर्जर किसान ने आत्महत्या कर ली, उसको आज तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया है, श्योपुर और मुरैना में तो अभी कार्यवाही प्रचलित है. श्यापुर में श्री कैलाश मीणा ने भी आत्महत्या की.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्य प्रदेश में अतिवर्षा के कारण जो फसल चौपट हुई है. अभी तक नौ से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है. लेकिन मुआवजे के ना पर ..
अध्यक्ष महोदय - सतीश जी आप प्रश्न करो ना.
डॉ. सतीश सिकरवार- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यही कर रहा हूं कि सदन में जो उत्तर आया है. आप भी ग्वालियर जिले से जुड़े हैं. वहां पर केवल तीन किसानों की फसल का नुकसान होना बताया है और किसानों का नुकसान बताया ही नहीं गया है.
अध्यक्ष महोदय- अब आपका प्रश्न आ गया है. मंत्री जी का उत्तर आने दें.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय )- अध्यक्ष महोदय, मेरी एक घोर आपत्ति है कि सदन के अंदर भी और सदन के बाहर भी, सदन के बाहर भी यह कहा गया कि प्रश्न बदल दिये जाते हैं तो यह तो सीधा आसंदी पर आरोप हैं. यदि इस प्रकार के आरोप आसंदी पर लगेंगे या विधान सभा की व्यवस्था पर लगेंगे तो यह उचित नहीं है. यह मीडिया को बोला गया है.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा विषय यह है कि अगर किसी प्रश्न का उत्तर सही नहीं है तो आपके यहां प्रश्न संदर्भ समिति है उसमें आप जा सकते हैं, आप गये क्या ? वहां पर जाते नहीं हैं और सिर्फ भाषण देने के लिये इस पूरी विधान सभा की कार्यवाही को बदनाम करते हैं. यह परम्परा गलत है. आप आपके विधायी कार्यों का पूरी तरह से उपयोग करिये.
डॉ. सतीश सिकरवार- अध्यक्ष महोदय, अभी यह बिजनेस के अंदर है नहीं. अब यह प्रश्न संदर्भ समिति का सवाल कहां से आ गया. अभी यहां पर प्रश्नों पर सवाल जवाब हो रहे हैं. किसी की आवाज को दबाये जाने का प्रयास किया जा रहा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- यदि प्रश्न गलत है तो आप प्रश्न संदर्भ समिति में जाइये. यदि आप यहां पर हमेशा व्यवस्था के ऊपर प्रश्न चिह्न खड़ा करेंगे कि 7-8 करोड़ जनता को बेवकूफ बनाया जाता है.
अध्यक्ष महोदय, यह कतई उचित नहीं है. इसलिये मेरा आपसे निवेदन है कि आप व्यवस्था दीजिये.
डॉ. सतीश सिकरवार- अभी प्रश्न संदर्भ समिति कहां से आ गयी.
अध्यक्ष महोदय- आप बैठिये, किसी की आवाज नहीं दबाई जा रही है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल का महत्वपूर्ण समय है. मैं समझता हूं कि ऐसे ही 10 मिनट चले गये. इस बारे में चर्चा कर सकते हैं. मैं नहीं समझता कि किसी सदस्य ने हमारी तरफ से प्रेस से बोला. मैं यही कहना चाहता हूं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, आपके इस संबंध में कम से कम डायरेक्शन आने चाहिये. मैं आपसे निवेदन यह कर रहा हूं कि ऐसी व्यवस्था आपकी आनी चाहिये कि इस प्रकार सदन को, विधान सभा को बदनाम न करें और अगर कोई प्रश्न गलत आया है..
श्री उमंग सिंघार—अध्यक्ष महोदय, अभी प्रश्नकाल चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी का उत्तर आ जाने दीजिये. (श्री दिनेश गुर्जर, सदस्य के उठने पर) दिनेश जी, आप इस विषय पर अपनी बात रख चुके हैं. 5 घण्टे चर्चा इस विषय पर हो चुकी है. प्रश्न लाटरी में आ गया है, तो इसलिये वह पहले नम्बर पर है, तो चर्चा हो रही है. होना ही चाहिये.
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने पूछा है ग्वालियर का. तो इस प्रकार ग्वालियर संभाग के 3 जिला यथा ग्वालियर, शिवपुरी एवं अशोक नगर में अतिवृष्टि से फसल क्षति हेतु लगभग 9 हजार हेक्टेयर रकबे के लिये 90 हजार 43 कृषकों को कुल राहत राशि 7 करोड़ 33 लाख वितरित की गई. अन्य दो जिले गुना एवं दतिया जिले में फसल क्षति 25 प्रतिशत से कम है, राजस्व पुस्तक परिपत्र 6 (4) में 25 प्रतिशत से अगर कम नुकसान होता है, तो उसके मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है.
अध्यक्ष महोदय— सतीश जी, दूसरा प्रश्न करें.
डॉ. सतीश सिकरवार—अध्यक्ष महोदय, मैंने जैसा कि कहा कि 3 जिले हैं, वहां तो फसलों का नुकसान बिलकुल बताया ही नहीं गया. उसमें दतिया,गुना एवं भिण्ड है. ग्वालियर जिले में केवल 3 किसानों का मतलब डबरा तहसील है, हमारी 8-10 तहसीलों में केवल एक तहसील में 3 किसानों का न भितरवार में, डबरा में इतनी बड़ी संख्या में किसान धान की बोवनी करते हैं. धान की सबसे ज्यादा फसल डबरा और भितरवार में होती है. डबरा और भितरवार में सरकार के द्वारा यह बताया जा रहा है कि एक भी किसान का कोई नुकान नहीं हुआ, जबकि अध्यक्ष महोदय, आप वहां से ही हैं और वहां कितने किसानों की परेशानी है और किसान रोज चक्काजाम कर रहे हैं. इसलिये मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि पुनः सर्वे करवाकर जो किसान अतिवृष्टि से पीड़ित हैं, उनको उचित मुआवजा दिया जाये. जिन किसानों ने श्योपुर के कैलाश मीणा और मुकेश गुर्जर मुरैना के, उनको एक एक करोड़ रुपये, जिनकी अतिवर्षा के कारण फसल नुकसान हुई है, उन दोनों किसानों को एक एक करोड़ का मुआवजा दिया जाये. श्योपुर जिले वाले को भी और मुरैना जिले वाले को और ग्वालियर जिले की दोबारा समीक्षा कराई जाये.
श्री सुरेश राजे-- अध्यक्ष महोदय, हजारों की संख्या में तो डबरा के किसानों की फसलों का नुकसान है. यह डबरा के किसानों के साथ अन्याय है.
श्री करण
सिंह वर्मा--
अध्यक्ष
महोदय,
चम्बल संभाग
में दो
जिले यथा मुरैना
और श्योपुर में
अतिवृष्टि
से फसल क्षति हेतु लगभग 99 547 हेक्टेयर, 1 लाख
हेक्टेयर रकबे के
लिये 98
हजार कृषकों
को राहत राशि 100 करोड़ 88 लाख वितरित
की गई.
भिण्ड जिले
में
फसल क्षति
प्रतिशत कम आने के कारण राजस्व
पुस्तक
परिपत्र के 6(4) में 25
प्रतिशत से
कम फसल क्षति होने पर
राहत
राशि
प्रदाय के
प्रावधान
नहीं हैं.
11.14
बजे अध्यक्षीय
व्यवस्था
(1)
अतिवृष्टि
के संबंध में
मानदण्ड
अनुसार राहत
राशि दिये
जाने संबंधी.
(2) नियम एवं
प्रक्रिया
अनुसार
प्रश्न एवं
ध्यानाकर्षण
लगाये जाने
संबंधी.
अध्यक्ष महोदय-- मेरा सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कुल मिलाकर अतिवर्षा पर हम लोगों ने अभी 5 घण्टे चर्चा की है और चर्चा में विस्तार से बिन्दु आये हैं. सरकार का जवाब भी विस्तृत रुप से आया है और इसलिये मेरा अनुरोध है कि जो चर्चा पहले हो चुकी है, उस परिप्रेक्ष्य को छोड़कर कोई नया प्रश्न हो, तो जरुर विधान सभा में आना चाहिये और उसका समाधान होना चाहिये. लेकिन मुझे लगता है कि पुरानी ही बात चल रही है. एक और मेरा सभी सदस्यों से निवेदन है कि सामान्य तौर पर प्रश्न हो या ध्यानाकर्षण हो या अन्य सब चीजों के लिये नियम बने हुए हैं. इसी प्रकार से अतिवर्षा में भी किसान को कितना नुकसान हुआ है और उतना नुकसान के बाद उसको राहत राशि दी जानी है या नहीं दी जानी है, यह भी सारे मानदण्ड बने हुए हैं. तो अगर मानदण्डों के अनुसार नुकसान नहीं हुआ होगा, तो निश्चित रुप से राहत राशि नहीं मिल पाती है. मानदण्ड जो बने हुए हैं, उनके अनुसार ही राशि दी जाती है, यह हमारे संज्ञान में रहना चाहिये और हाउस में जो नियम बने हुए हैं, उन नियम, प्रक्रिया को भी हम सब लोगों को पढ़ना चाहिये, प्रश्न बनाते समय और ध्यानाकर्षण लगाते समय. उसके अन्तर्गत अगर लगायेंगे, तो संशोधन का कोई सवाल नहीं होता है. डॉ. तेजबहादुर सिंह जी.
समय
11.15 बजे
बहिर्गमन
डॉ.सतीश
सिकरवार,
सदस्य द्वारा
शासन के उत्तर
से असंतुष्ट
होकर के सदन
से बहिर्गमन
डॉ.सतीश
सिकरवार --
माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
अतिवृष्टि
मुआवजा हमारे
क्षेत्र के
किसानों को
नहीं दिया जा
रहा है. मैं
शासन के इस
उत्तर से
असंतुष्ट
होकर के सदन
से बहिर्गमन
करता हूं.
(डॉ.सतीश
सिकरवार,
सदस्य ने शासन
के उत्तर से
असंतुष्ट
होकर के सदन
से बहिर्गमन
किया गया)
समय
11.16 बजे
तारांकित
प्रश्नों के
मौखिक उत्तर
(क्रमश:)
नई
आबादी को
ग्राम पंचायत
की आबादी
क्षेत्र में
शामिल किया
जाना
[राजस्व]
2. ( *क्र.
358 ) डॉ.
तेजबहादुर
सिंह चौहान : क्या
राजस्व
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि
(क) मध्य
प्रदेश के कई
ग्रामों में
नई आबादियां
बन गई हैं, लेकिन
आबादी
क्षेत्र में
शामिल न होने
के कारण यहां
के रहवासी
शासन की
योजनाओं व
सुविधाओं से
वंचित हैं, नागदा-खाचरौद
विधानसभा में
अब तक ऐसी
कितनी ग्राम पंचायतों
के प्रस्ताव
कलेक्टर एवं
अनुविभागीय
अधिकारी के
पास
कार्यवाही
हेतु लंबित हैं? (ख) उपरोक्त
विषय में
लंबित
प्रकरणों का
निराकरण कब तक
कर दिया
जावेगा? (ग)
क्या
इस विषय में
शासन द्वारा
कोई नई नीति
बनाई जा रही
है?
राजस्व
मंत्री (
श्री करण सिंह
वर्मा ) : (क) नागदा-खाचरौद
विधान सभा
अंतर्गत
तहसील खाचरौद
में नई आबादी
के 4 ग्राम
मडावदा, बडागांव
सेकडी, सुल्तानपुर
व खामरिया में
आबादी स्वीकृत
करने हेतु
कलेक्टर
कार्यालय में
न्यायालय
में
विचाराधीन है।
तहसील नागदा
का 01 प्रकरण
ग्राम बेरछा
को ग्राम
आबादी घोषित
करने का प्रस्ताव
अनुविभागीय
अधिकारी
नागदा को जांच
हेतु भेजा गया
है। जांच
प्रक्रिया
प्रचलित है। (ख) जांच
प्रक्रिया
पूर्ण होते ही
लंबित प्रकरणों
का निराकरण
किया जा सकेगा।
(ग) म.प्र.
भू-राजस्व
संहिता 1959 (यथा
संशोधित 2018) की
धारा-237
एवं
243 में आबादी
भूमि के संबंध
में प्रावधान
है। कोई भी नई
नीति
विचाराधीन
नहीं है।
डॉ.
तेजबहादुर
सिंह चौहान-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मेरा
प्रश्न
क्रमांक 358 है.
श्री
करण सिंह
वर्मा-- अध्यक्ष
महोदय, उत्तर
सदन के पटल पर
रखा है.
अध्यक्ष
महोदय-
तेजबहादुर
सिंह जी आप
प्रश्न करें.
डॉ.तेजबहादुर
सिंह
चौहान--माननीय
अध्यक्ष महोदय,
मैं मंत्री
महोदय से
जानना चाहता
हूं नागदा
खाचरौद
विधानसभा
क्षेत्र में
आधे से अधिक
गांव ऐसे हैं
जिनमे नई
आबादी बनी हुई
हैं. इन नई
आबादी में
ज्यादातर
अनुसूचित
जाति वर्ग के
लोग निवास करते
हैं ,लेकिन यह
गांव आबादी
में शामिल
नहीं है और
गांव आबादी
में शामिल
नहीं होने के
कारण यह सारे भाई
बंधु शासकीय
योजना के लाभ
से वंचित रहते
हैं, न उन्हें
बिजली मिल पाती
है, न
प्रधानमंत्री
आवास मिल पाते
हैं न ही अन्य
कोई सुविधा
मिल पाती है
इसलिये मैंने
माननीय
मंत्री जी से
जानना चाहा था
कि खाचरौद नागदा तहसील
में कितने ऐसे
गांव हैं जो
नई आबादी में
शामिल किये
जाने हेतु
प्रकरण प्रशासन
के सामने
लंबित हैं.
माननीय
मंत्री जी ने जवाब
में मुझे
बताया है कि चार
खाचरौद तहसील
के और एक
नागदा तहसील
में.
अध्यक्ष
महोदय, मैं
माननीय
मंत्री जी से
उत्तर से
संतुष्ट नहीं
हूं. लगभग 25 से
ज्यादा तो आवेदन
मैं ने खुद ने
करवाये हैं,
लगभग हर गांव मे नई आबादी
बनी हुई हैं.
अगर इन गांव
को आबादी मे शामिल
नहीं किया
जायेगा तो यह
सारे लोग लाभ लेने से
वंचित रहते
हैं. यह विषय आज का
नहीं है लगभग 2 वर्षों से
मैं लगातार इस
विषय पर कार्यवाही
कर रहा हूं तो
माननीय
मंत्री जी इस संदर्भ मे उत्तर
देने का कष्ट
करें.
श्री
करण सिंह
वर्मा- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, माननीय
सदस्य ने पूछा है
मैंने उत्तर में माननीय
सदस्य को
बताया है कि
किसी प्रस्ताव
पर भूमि आबादी
हेतु आरक्षित
किये जाने के
संबंध में
संहिता में या
नियमों में
कोई समय सीमा
का बंधन नहीं
है. उज्जैन जिले की
तहसील खाचरौद
के अंतर्गत 4
ग्राम मडावदा,
बड़ागांव,
सेकड़ी,
सुल्तानपुर
और खामरिया
में अतिरिक्त
भूमि आबादी के
लिये आरक्षित
किये जाने
हेतु
प्रस्ताव अपर
कलेक्टर के न्यायालय
में
विचाराधीन है.
डॉ.तेजबहादुर
सिंह चौहान--
माननीय
अध्यक्ष महोदय,
मैं माननीय
मंत्री जी से
यही निवेदन
फिर कर रहा
हूं कि आधे से अधिक
गांव में नई
आबादी हैं और
उन नई आबादी
में केवल 5 गांव को गांव
में शामिल
करने का
प्रस्ताव विचाराधीन
बताया है जबकि
आधे से अधिक
गांव में नई
आबादी हैं और
इसकी जो
प्रक्रिया है वह यह है कि
ग्राम पंचायत
को अपना
प्रस्ताव सीधे
कलेक्टर को
देना होता है.
मैं माननीय
मंत्री महोदय
को आपके माध्यम
से यह निवेदन
करना चाहता
हूं कि क्या
जनहित में हम
इस तरीके का
निर्णय कर
सकते हैं कि ग्राम
का सरपंच अपने
प्रस्ताव को
सीधे कलेक्टर
को देने के
बजाए
प्रशासनिक
अधिकारी इस
तरीके की हर
तहसील की नई
आबादी की जांच
करले, सर्वे
कर लें और
उनको विधिवत
नियमानुसार
आबादी
क्षेत्र में
शामिल करने की
प्रक्रिया को
पूर्ण कर लें
तो इससे मुझे
लगता है कि यह
प्रक्रियायें
लंबित नहीं
होंगी. दो साल
से लगातार निवेदन
करने के बाद
भी यह गांव
आबादी में
शामिल नहीं हो
पाये हैं. तो
क्या माननीय
मंत्री महोदय
इस तरीके का
आदेश कर सकते
हैं कि हम कलेक्टर
को सीधा
निर्देश
करेंगे ऐसी
तहसीलों में
जो भी नई
आबादी हैं
किसी भी
पंचायत में उनका
स्वत: सर्वे
करके उनको
ग्राम आबादी
में शामिल
करने की
कार्यवाही कर
पायेंगे.
श्री
करण सिंह
वर्मा- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैंने
पहले ही
निवेदन किया
है कि कोई भी
गांव में, कोई
ऐसा प्रकरण हो
वह तहसीलदार
को देते हैं, तहसीलदार
अनुविभागीय
अधिकारी को
देते हैं और वह
सीधा कलेक्टर
को देते हैं
तो यह मामला
अभी विचाराधीन
है.
डॉ.तेजबहादुर
सिंह चौहान--
माननीय
अध्यक्ष महोदय
, यह देना मतलब
जब सरपंच
आवेदन करता है
तब. मेरा यह
कहना है कि यह
केवल
नागदा-खाचरौद
का विषय नहीं
है. पूरे मध्यप्रदेश
का विषय हो
सकता है. नई
आबादी में अनुसूचित
जाति वर्ग के
लोग निवास
करते हैं और
शासन की
सुविधाओं से
वह लोग वंचित
हैं तो जब वह आवेदन
करे बजाए उसके
तहसीलदार
स्वयं उसका
सर्वे कर ले,
अनुविभागीय
अधिकारी उनका
सर्वे कर ले,
जांच परीक्षण
कर लें और
कलेक्टर उनको
सीधे सीधे उन
गांव को आबादी
में जोड़ने की
कार्यवाही को
कर दें अगर
ऐसा होगा तो
यह जनहित में
होगा, ऐसा मैं
माननीय
मंत्री महोदय
से निवेदन
करना चाहता
हू. क्या इस
संदर्भ में
कोई
कार्यवाही
होगी.
श्री
करण सिंह
वर्मा --
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैंने
पहले भी
निवेदन किया
है कि
मध्यप्रदेश भू-राजस्व
संहिता की
धारा 2(क) के
अंतर्गत किसी ग्राम
के निवासियों
के निवास के
लिये या उनके आनुषंगिक
प्रयोजन के
लिये समय समय
पर आरक्षित
क्षेत्र आबादी
भूमि कहलाती
है.
मध्यप्रदेश
भू- राजस्व संहिता
की धारा 247 के
अंतर्गत जिले
का कलेक्टर
अतिरिक्त
भूमि जहां पर
आवश्यक हो,
जहां पर
कलेक्टर की
राय से आबादी
का रकबा
अपर्याप्त हो
किसी दखल रहित
शासकीय भूमि
को आबादी भूमि
के रूप में
आरक्षित किये
जाने हेतु
सक्षम प्राधिकारी
है.
डॉ.तेजबहादुर
सिंह चौहान--
माननीय
मंत्री जी मेरा
विषय फिर वही
है हम क्या
स्वयं
संज्ञान में
ले सकते हैं
क्या.
तहसीलदार,
एसडीएम
संज्ञान में
लेकर के जांच
करके स्वत: उसको
गांव की आबादी
के लिये
कलेक्टर के
पास प्रस्ताव
भेज दे.
अध्यक्ष महोदय- एक मिनिट तेजबहादुर सिंह जी..
श्री भंवर सिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, यहां विषय यह है कि क्या हम स्वयं संज्ञान में ले सकते हैं. स्वत: उसको गांव की आबादी के लिए कलेक्टर के पास भेज दिया जाए. माननीय मुख्यमंत्री जी यहां स्वयं उपस्थित हैं मैं इसका फायदा उठाते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करता हूं कि यह विषय ऐसा है जिससे हर विधायक प्रभावित है. गांव की आबादी घोषित करने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि 2-2, 3-3 साल तक वह प्रकरण पड़े रहते हैं. कलेक्टर की अनुसंशा के बाद भी वह होते नहीं हैं और उनके विकास की जो राशि जाती है, विकास की आपकी जो अवधारणा है उससे सभी गांव वंचित रह जाते हैं. सारे विधायक परेशान हैं. इसका कारण है कि आबादी के अंदर आप उनको लेते नहीं हैं. प्रक्रिया आपकी जटिल है. कलेक्टर को प्रस्ताव चले जाते हैं. पूरे प्रदेश में सभी विधायकों की समस्या है. इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी, कोई ऐसी नीति बना दें कि जिस गांव की आबादी जितनी संख्या में अगर एक बार परिलक्षित हो जाए तो वह अपने आप स्वत: ही ग्रामीण आबादी में सम्मिलित कर लिया जाए. उसके लिए प्रस्ताव बनाना, कलेक्टर के यहां भेजना, कलेक्टर के यहां 3-3 साल तक पेंडिंग रहना, आर्थिक सिस्टम में उनको कोई लाभ नहीं मिलता है.
अध्यक्ष महोदय -- भंवर सिंह जी, बात आ गई है.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, इस पर मेरा सदन में गंभीरता से माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि इसको आप प्राथमिकता पर लेकर कोई ऐसा निर्णय कर दें जो पूरे प्रदेश में सब विधायकों पर लागू हो जाए.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- अध्यक्ष महोदय, विषय वास्तव में बहुत गंभीर है कि जब सरपंच आवेदन देता है, 6 साल से कम से कम 40 गांव के कागज जावद विधान सभा के भी पेंडिंग हैं. हमने कई बार एसडीएम, कलेक्टर को कहा, हर बार एक छोटी गलती निकालकर फाइल वापस भेज दी जाती है, जबकि यह जिम्मेदारी बेसिकली पटवारी की होती है कि वह चिंता करे कि अगर गांव का एक्सटेंशन हो गया, संख्या है सरकार के मान से आ रही है या नहीं आ रही है उसके लिए सरपंच पांच चक्कर काटे, बार-बार आवेदन दे, सभी प्रशासकीय अधिकारियों का समय भी बर्बाद होता है क्योंकि जितनी बार बात होती है समय सबका बर्बाद होता है. प्रशासकीय अधिकारी का समय नहीं वह शासन की अपॉर्च्युनिटी कॉस्ट लॉस हो रही है. हमें उस विषय पर सोचना चाहिए कि हमारे कितने अधिकारियों का सिर्फ एक पटवारी की लापरवाही से कि पहली बार में फाइल पूरी करके न भेजना और 5-5, 6-6 साल पेंडिंग रहना, वास्तव में जो हमारी नीति के अनुरूप कुछ अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही से आउटपुट नहीं आता है उसके लिए एक समय सीमा का रिस्ट्रिक्शन बांध दें, नहीं तो समय सीमा में रिजेक्ट करें ऐसा आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय -- ओमप्रकाश जी, पूरी बात आ गई है. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि डॉ. तेजबहादुर सिंह जी को बुलाकर बात कर लें उनका क्या विषय है समझ लें. भंवर सिंह जी ने और ओमप्रकाश सखलेचा जी ने जो भावना व्यक्त की है उसके अनुसार क्या परिस्थिति है उसका परीक्षण कराएं.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, परीक्षण करवा लूंगा.
भूमि
का डायवर्सन
[राजस्व]
3. ( *क्र.
36 ) श्री
ठाकुर दास
नागवंशी : क्या
राजस्व
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि
(क) जिला
नर्मदापुरम
अन्तर्गत
वर्ष 2024-25
एवं 2025-26
में डायवर्सन
के कितने
प्रकरण
ऑनलाईन तहसील/अनुविभाग
स्तर पर
प्राप्त
हुये बतायें
तथा डायवर्सन
के क्या नियम
हैं? (ख) प्राप्त
प्रकरण में से
कितने प्रकरण
लंबित हैं, प्रकरणों
के लंबित रहने
का क्या कारण
है, निस्तारित
किये गये
प्रकरणों में
से कितने
प्रकरणों के
अनुभाग स्तर
से
अनुविभागीय
अधिकारियों
द्वारा आदेश जारी
किये गये हैं
तथा कितने
प्रकरणों में
आदेश जारी
किये जाना शेष
हैं, शेष
प्रकरणों में
आदेश जारी न
होने का क्या
कारण रहा है? (ग) डायवर्सन
के ऐसे कितने
प्रकरण हैं, जो
निर्धारित
समयावधि
पूर्ण होने के
उपरांत स्वत:
डायवर्टेड हो
गये हैं?
राजस्व
मंत्री ( श्री
करण सिंह
वर्मा ) : (क) जिला
नर्मदापुरम
अन्तर्गत
वर्ष 2024-25 में 1135
एवं वर्ष 2025-26
में 700 प्रकरण
ऑनलाईन
प्राप्त हुए।
वर्तमान में
भू-राजस्व
संहिता की
धारा-59 तथा
भू-राजस्व
संहिता
(भू-राजस्व का
निर्धारण तथा
पुनर्निर्धारण)
नियम 2018 के तहत
डायवर्सन की
कार्यवाही की
जाती है। नियम
की प्रति पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट अनुसार
है। (ख) वर्तमान
में जिला
नर्मदापुरम
अन्तर्गत कुल
17 डायवर्सन के
आवेदन जाँच
प्रक्रिया
में होने से
लंबित है तथा
अनुविभाग
स्तर से
अनुविभागीय
अधिकारियों
द्वारा कुल 342
आदेश जारी
किये हैं। कुल
17 डायवर्सन के
आवेदन में आदेश
जारी किया
जाना शेष है।
कार्यवाही
प्रक्रियाधीन
है। (ग) वर्तमान
में भू-राजस्व
पुनर्निर्धारण
के तहत
व्यपवर्तन की
समय-सीमा 15
दिवस
निर्धारित है, जिसके
तहत जिला
नर्मदापुरम
अन्तर्गत कुल
544 आवेदन स्वत:
अनुमोदित
होने उपरान्त
डायवर्टेड
हुए हैं।
श्री ठाकुर दास नागवंशी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 36 है.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा हुआ है.
11.24 बजे अध्यक्षीय घोषणा
एक्रोपोलिस
इंदौर लॉ
कॉलेज के
छात्रों का स्वागत
एवं
वीर
शहीद टंट्या
मामा के शहादत
दिवस पर आदरांजलि
अध्यक्ष महोदय -- आज महिला दीर्घा एवं दर्शक दीर्घा में एक्रोपोलिस इंदौर लॉ कॉलेज के छात्र बैठे हैं यह सदन उन सभी छात्रों का हृदयपूर्वक बहुत-बहुत स्वागत करता है. आज हमारे वीर शहीद टंट्या मामा का भी शहादत दिवस है यह सदन उनके प्रति भी अपनी आदरांजलि व्यक्त करता है. (मेजों की थपथपाहट)
तारांकित
प्रश्नों के
मौखिक उत्तर
..(क्रमश)
श्री ठाकुर दास नागवंशी -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि प्रश्न की सही जानकारी दी गई है, परंतु मैं इसमें एक सुझाव देना चाहता हूं कि भूमिस्वामी को आदेश की प्रति सीधे प्राप्त न होकर अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा ओटीपी आती है, ओटीपी के कारण विलंब होता है. मेरा यह सुझाव है कि जब हर चीज ऑनलाइन है, माननीय मुख्यमंत्री जी और सरकार की मंशा है कि स्वत: 15 दिन में डायवर्सन हो जाते हैं, परंतु ओटीपी के कारण विलंब होता है. ऑन लाइन प्रक्रिया है तो डायवर्सन आदेश की प्रति भूमि स्वामी को ऑनलाइन पोर्टल पर दिख जाए ताकि वह स्वत: उसे निकाल सके ऐसा मेरा निवेदन है.
श्री उदय प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक जी ने प्रश्न किया वह प्रश्न बड़ा विस्तार से था और विभाग ने जवाब भी पूरा बिंदुवार दिया है.
अध्यक्ष महोदय--तीनों चीजें विस्तार से हैं. प्रश्न भी विस्तार से है, उत्तर भी विस्तार से है और माननीय सदस्य ने अपनी बात भी विस्तार से रखी है, लेकिन आपको जवाब पूरक प्रश्न का देना है.
श्री उदय प्रताप सिंह-- जी, माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय सदस्य से आग्रह है और यह बात सही है कि हमारी डी.पी.सी. दिनांक 25.9.2025 में ई.ओ.डब्ल्यू. की कार्यवाही में ट्रेप हुआ था. चूंकि जिला स्तर पर कार्यवाही के लिए हमारे कलेक्टर अधिकृत होते हैं उन्होंने इस संबंध में प्रस्ताव आगे बढ़ाया और बाद में उस डीपीसी को वहां से अलग किया गया और जिला मुख्यालय पर निर्वाचन आदि के काम में उसको लगा दिया गया. निलंबन की कार्यवाही के संबंध में यह कर्मचारी, अधिकारी के विरुद्ध सर्वप्रथम ई.ओ.डब्ल्यू. चालान पेश करता है, उसके पश्चात् संबंधित को मूल विभाग से अभियोजन की स्वीकृति के पश्चात् ही निलंबित किया जाता है. इसलिए निलंबन की प्रक्रिया में विलंब हुआ है बांकी उस अधिकारी को वहां से तुरंत अलग किया गया है. उसकी विस्तृत जांच होगी और हमारे मुख्यमंत्री माननीय मोहन यादव जी के नेतृत्व में हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है कि पूरी पारदर्शिता के साथ में कार्यों का क्रियान्वयन हो और किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार की कार्यवाही को हमारा विभाग, हमारी सरकार कतई बर्दाश्त नहीं करती. दोषी व्यक्ति के खिलाफ गंभीर से गंभीर कार्यवाही की जाएगी और हम ऐसी कार्यवाही करेंगे कि आगे आने वाले समय में दूसरे जिलों में भी अधिकारियों को ध्यान में रहे कि अनियमितता के विरुद्ध सरकार या विभाग किस तरह की कार्यवाही करता है.
श्री नारायण सिंह पट्टा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ट्रेप होने के दूसरे दिन कलेक्टर ने पत्र लिखा और उसको हटाने में तीन माह लग गये. मंत्री जी बता दें कि बचाने वाले कौन अधिकार थे उन पर क्या कार्यवाही करेंगे?.
अध्यक्ष महोदय, मेरा तीसरा प्रश्न यह है कि मंत्री जी ने बिंदु ''ग'' के उत्तर में बताया है कि ए.पी.सी. जेंडर बालिका शिक्षा का प्रभार श्रीमती विनीता सोनी को दिया गया है. जबकि वह दो बार ए.पी.सी. की परीक्षा दे चुकी हैं. पास होने के लिए उनको निर्धारित 25 अंक से भी कम अंक मिले हैं. मतलब यह है कि उसी डी.पी.सी. के द्वारा फेल हुई अभ्यर्थी को प्रभार दिया गया. फेल हुई अभ्यर्थी को ही प्रभार देना क्यों जरूरी था. प्रशासनिक कार्य की सुविधा की दृष्टि से किसी बिना परीक्षा दिए हुए शिक्षक को भी हम प्रभार दे सकते थे.
अध्यक्ष महोदय-- नारायण जी आप प्रश्न कीजिए.
श्री नारायण सिंह पट्टा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को मंत्री जी या विभाग कब तक बचाते रहेंगे. उसके ऊपर क्या कार्यवाही की जाएगी. मेरा चौथा और बहुत ही संवेदनशील प्रश्न है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के ग्राम अरोली में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस बालिका छात्रावास है. 50 से अधिक बालिकाएं साढ़े सैंतीस वर्गमीटर के दो कमरों में रहकर पढ़ाई करती हैं, लेकिन मानवीय दृष्टि से आप स्वयं सोचिए कि माध्यमिक शाला के साढ़े सैंतीस वर्गमीटर के दो कमरों में क्या 50 से ज्यादा बच्चियां आराम से रह सकती हैं. बहुत ही छोटी-छोटी बच्चियां हैं. आप स्वयं देखेंगे तो आपका हृदय भी द्रवित हो जाएगा. इसके लिए हॉस्टल का निर्माण कराया जाना बहुत ही जरूरी है. मैं संवेदना को देखते हुए मंत्री जी से मांग करना चाहता हूं कि वहां पर छात्रावास भवन नहीं है अगर वह सदन में ही घोषणा करेंगे तो अच्छा होगा और साथ ही मेरे जो पूर्व के प्रश्न हैं वह भ्रष्ट जो डीपीसी है उसके खिलाफ कार्यवाही करें. उसने घटिया सामग्री सप्लाई करके हॉस्टलों में खूब मोटी रकम वसूली है उसके खिलाफ क्या कार्यवाही की जाएगी और उसके खिलाफ एफ.आई.आर. की जाएगी कि नहीं की जाएगी और जो दोषी अधिकारी उसको बचाने के लिए हैं उनके ऊपर क्या कार्यवाही की जाएगी माननीय मंत्री महोदय सदन में आश्वासन दें.
अध्यक्ष महोदय-- नारायण जी, आपका प्रश्न आ गया है तो अब जवाब आने दीजिए.
श्री उदय प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने पहले भी कहा है कि डेमोक्रेसी में जांच, जांच के परिणाम और जब तक उसके विरुद्ध चालान पेश नहीं किया जाता तब तक विभाग के द्वारा हमारे यहां से जो अभियोजना की स्वीकृति जाती है उसके बाद ही उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया आगे जाएगी और जो दोषी है उसके खिलाफ हम सौ फीसदी कार्यवाही करेंगे. आपका एक प्रश्न था कि कार्यवाही में विलंब हुआ. स्वाभाविक रूप से कार्यवाही में विलंब है.
मैं इस बात को
स्वीकार
करता हूं कि
समय लगा है, उसकी वजह यह
है हमारे
अधिकांश
अधिकारियों की
बिहार चुनाव
में ड्यूटी
लगी थी और
कार्यभार में
दूसरे लोग थे, इसलिए विलंब
हुआ है. फिर भी
आपने कहा है
तो वल्लभ भवन
के स्तर पर
यदि किसी तरह
का विलंब हुआ
है तो उसकी जांच
करायेंगे और
यदि कोई दोषी
है तो उसके
खिलाफ
कार्रवाई
करेंगे.
अध्यक्ष
महोदय, माननीय
सदस्य ने दूसरी बात
छात्रावास की
कही है. हमारे जितने
छात्रावास
हैं,
भवन निर्माण
आदि के लिए, हमारे 155
नेताजी
सुभाषचंद्र
बोस बालिका
छात्रावास
भवन विहीन हैं, हमने इस हेतु
भारत सरकार को
प्रस्ताव
भेजा है और
समय-समय पर
हमें इस हेतु
वित्तीय स्वीकृति
भी मिलती है. प्रथम चरण
में प्रत्येक
जिले के एक-एक
छात्रावास, ऐसे कुल 55
छात्रावासों
के लिए, वर्ष 2026-27 में
रुपये 100 करोड़, वर्ष 2027-28 में रुपये
100 करोड़ और
वर्ष 2028-29 में
रुपये 50 करोड़, इन कुल तीन
वर्षों में
रुपये 250 करोड़
का प्रावधान
करने हेतु
वित्त विभाग
से आग्रह किया
गया है. (मेजों
की थपथपाहट)
अध्यक्ष
महोदय, हमें लगता है
कि हमें इसकी
स्वीकृति
मिलेगी. आगे
आने वाले समय
में प्राथमिकता
के आधार पर इन
छात्रावासों
का निर्माण किया
जायेगा. साथ
ही मैं आपके
माध्यम से
बताना चाहता
हूं कि नेताजी
सुभाषचंद्र
बोस बालक-बालिका
छात्रावास
में राज्य
शिक्षा
केंद्र के तहत
प्रवेशित
समस्त
बालक-बालिकाओं
हेतु हमने 1
नवीन बिस्तर
सेट,
प्रत्येक
छात्रावास
में रोटी-मेकर, वॉशिंग मशीन
और 8 CCTV कैमरों के
साथ,
स्मार्ट क्लास
के अंतर्गत इंटरैक्टिव
पैनल आदि पूरे
छात्रावासों
में हमने
उपलब्ध
करवाये हैं. (मेजों की
थपथपाहट)
अध्यक्ष
महोदय, हमारा
प्रयास है कि
इस सुविधाओं
को और अधिक बेहतर
किया जाये.
आपने जिस
बालिका
छात्रावास की बात
रखी है कि
चूंकि दो
कमरों में बच्चे
वहां रह रहे
हैं,
स्वाभाविक
रूप से, मैं,
इस बात से
सहमत हूं कि
निर्धारित स्थान
से कम स्थान
होने से, बच्चों को
जीवनयापन में
समस्या आती
है.
हमने
अधिकारियों
को निर्देश
दिया है कि
यदि वहां
वैकल्पि रूप
से कोई किराये
का भवन उपलब्ध
है,
जब तक हमारा
नया भवन नहीं
बन जाता, तब तक उस
किराये के, सुरक्षित
भवन में जिला
कलेक्टर
उसका परीक्षण
कर,
उनकी व्यवस्था
करवायें और
आगामी समय में
प्राथमिकता
के आधार पर हम
भवन निर्माण
भी करवायेंगे.
(मेजों की
थपथपाहट)
श्री
नारायण सिंह
पट्टा- धन्यवाद
मंत्री जी, लेकिन
मैं कहना
चाहता हूं.
अध्यक्ष
महोदय- नारायण जी, धन्यवाद
के साथ लेकिन
मत लगाया करें.
श्री
नारायण सिंह
पट्टा- अध्यक्ष
महोदय ठीक है,
मैं वापस लेता
हूं, अपने "लेकिन" को
वापस ले रहा
हूं.
संसदीय
कार्य
मंत्री (श्री
कैलाश
विजयवर्गीय)- अध्यक्ष
महोदय, मेरा एक
सुझाव है शायद
नेता
प्रतिपक्ष जी
भी इससे सहमत
होंगे. प्रश्न
पूछना एक अलग
बात है, प्रश्न
से,
पूरक प्रश्न
पूछकर व्यवस्थित
रूप से उत्तर
लेना अलग बात
है. नारायण
सिंह पट्टा जी
की मैं
प्रशंसा करता
हूं कि वे जिस
वर्ग से आते
हैं, एक तो
इतनी अच्छी
हिंदी बोलते
हैं और इतने
अच्छे तरीके
से प्रश्न
पूछते हैं,
ऐसे विधायकों
को सम्मानित
करने की एक
प्रक्रिया
प्रारंभ करनी
चाहिए, यदि
नेता
प्रतिपक्ष
इससे सहमत हों
तो. अध्यक्ष
महोदय-
आप ठीक कह
रहे हैं.
श्री
नारायण सिंह
पट्टा- धन्यवाद
मंत्री जी.
नेता
प्रतिपक्ष (श्री
उमंग सिंघार)- अध्यक्ष
महोदय, हमारे
सभी सदस्य
प्रश्न
पूछेंगे
परंतु ये सत्र
नहीं बढ़ाते
हैं, सत्र
छोटा कर देते
हैं.
श्री
नारायण सिंह
पट्टा- अध्यक्ष
महोदय, मैंने
आपके माध्यम
से अपने प्रश्न
में जिक्र कर
दिया है कि
श्रीमती
विनीता सोनी
जो बिना
परीक्षा पास
किये हुए है.
अध्यक्ष
महोदय- नारायण
सिंह जी कृपया
बैठें, आप
मंत्री जी को
अलग से बता
दीजियेगा.
श्री
नारायण सिंह
पट्टा- अध्यक्ष
महोदय,
अरौली में
बालिकाओं के
छात्रावास का
संवेदनशील
विषय है, सदन में
इसकी स्वीकृति
हो जाये. इसके
लिए मैं
मंत्री जी को
दोगुना धन्यवाद
दूंगा.
अध्यक्ष
महोदय-
मंत्री जी ने
कह तो दिया कि जब
तब भवन
निर्माण नहीं
होता, तब तक अच्छे, सुरक्षित
किराये के भवन
के लिए उन्होंने
कलेक्टर को
कह दिया है.
श्री
उदय प्रताप
सिंह- मैंने
इसके लिए कह
दिया है.
श्री
नारायण सिंह
पट्टा- धन्यवाद
मंत्री जी.
अतिवृष्टि/जल
भराव से नष्ट
फसलों का
मुआवजा
[राजस्व]
5. ( *क्र.
982 ) श्री
बाबू जन्डेल
: क्या
राजस्व
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) श्योपुर
जिले में
कितने कृषकों
की किस-किस
ग्राम की
कौन-कौन सी
फसल कितने-कितने
रकबा, बीघा/हेक्टेयर
में
अतिवृष्टि
एवं जल भराव
से भारी
नुकसान/नष्ट
हुई? विस्तृत
जानकारी
गोशवारा
तैयार कर
कृषकवार उपलब्ध
करावें। (ख)
प्रश्नांश
(क) अनुसार
अतिवृष्टि
एवं जल भराव
से भारी नुकसान
एवं तबाह/नष्ट
हुई फसलों का
मुआवजा किस
आधार पर किस
मान से दिया
जावेगा? (ग)
प्रश्नांश
(क) एवं
(ख) अनुसार
क्या म.प्र.
सरकार द्वारा फसल
पैदावार में
आने वाली
वर्तमान लागत
राशि को आधार
मानकर
मुआवजा/राहत
राशि दी
जावेगी? यदि हाँ, तो अवगत
करावें? यदि नहीं,
तो
क्यों?
(घ)
क्या
म.प्र.
सरकार
प्रभावित
किसानों का के.सी.सी.
एवं अन्य
शासकीय कर्ज
तथा विद्युत
बिल माफ किये
जावेंगे? यदि हाँ,
तो
कब तक? यदि
नहीं, तो
क्यों?
राजस्व
मंत्री (
श्री करण सिंह
वर्मा ) : (क) श्योपुर
जिले के
अंतर्गत
प्राकृतिक
आपदा
(असमय
वृष्टि एवं
जलभराव) के
कारण
प्रभावित
फसलों की जानकारी
पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र ''अ'' अनुसार
है।
|
तहसील
का नाम |
प्रभावित
ग्रामों की
संख्या |
प्रभावित
खातेदारों
की संख्या |
प्रभावित
रकबा |
|
श्योपुर |
178 |
55785 |
55018 |
|
बडौदा |
98 |
29985 |
28925 |
|
कराहल |
108 |
9712 |
12830 |
|
वीरपुर |
44 |
3129 |
2756 |
|
विजयपुर |
0 |
0 |
0 |
|
योग |
428 |
98611 |
99529 |
कृषकवार
जानकारी पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र ''ब'' अनुसार
है। (ख) राजस्व
पुस्तक
परिपत्र खण्ड
6-4 के
प्रावधान
अनुसार
प्राकृतिक
आपदा से फसल क्षति
होने पर
प्रभावित
कृषकों को
पात्रतानुसार
आर्थिक
अनुदान
सहायता राशि
प्रदाय की जाती
है। (ग) जी
नहीं। उत्तरांश (ख)
के
परिप्रेक्ष्य
में प्रश्न
उद्भूत नहीं
होता। (घ)
प्रभावित
किसानों का के.सी.सी.
एवं अन्य
शासकीय कर्ज
माफी पर
निर्णय शीर्ष
बैंक स्तर से
अपेक्षित
नहीं है। जिले
में प्रभावित
कृषकों हेतु
विद्युत बिल माफी
का कोई प्रस्ताव
वर्तमान में
विचाराधीन
नहीं है।
श्री
बाबू जन्डेल-
अध्यक्ष
महोदय, मेरा
प्रश्न
क्रमांक 982 है.
श्री करण
सिंह वर्मा-
अध्यक्ष
महोदय, उत्तर
सदन के पटल पर
प्रस्तुत है.
श्री
बाबू जन्डेल-
अध्यक्ष
महोदय, श्योपुर
जिले में
अतिवृष्टि और
जल भराव के
कारण किसानों
का धान खराब
हो गया है.
अध्यक्ष
महोदय-
बाबू भाई, मेरा
आग्रह है कि
उस दिन पर
विस्तार से
चर्चा हुई है.
श्री
बाबू जन्डेल-
मैं,
बिलकुल
शॉर्टकट में, एक
मिनट में अपनी
बात कहूंगा.
अध्यक्ष
महोदय-
मेरा यह कहना
है कि आप शॉर्टकट
में नहीं, लॉगकट
में जायें, कोई दिक्कत
नहीं लेकिन
अच्छे से
प्रश्न करें
जो विषय उस
दिन नहीं आया
है, बच
गया है, वह आ जाये
उसका जवाब आ
जाये तो सभी
के लिए अच्छा
होगा. आप तो
प्रश्न करें, मैं मना
नहीं कर रहा
हूं.
श्री बाबू जन्डेल- अध्यक्ष महोदय, श्योपुर जिले में 98 हजार 6 सौ 11 किसानों की फसल नष्ट हुई, जिसे प्रशासक और सरकार ने स्वीकार किया है. इसका जल्दी सर्वे करवाकर जो 99 हजार 5 सौ 29 हेक्टेयर भूमि में नुकसान हुआ है, मुख्यमंत्री जी, कृषि मंत्री जी, सांसद जी 27 नवंबर, 2025 को बड़ौदा जिला श्योपुर आये थे और उन्होंने घोषणा की थी
कि 98,611
किसानों
के खातों में
पैसे डालेंगे.
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
अभी
तक
8 दिन हो
चुके हैं,
किसानों के
खातों में
पैसे नहीं
डाले गए हैं. माननीय
मेरा एक प्रश्न
है कि जब तक
अगली फसल नहीं
आती है, तब तक
किसानों के
के.सी.सी. और
बिजली के बिल
माफ किये
जायें और मैं
माननीय से
अनुरोध करता
हूँ कि आरबीसी
6
(4) के तहत यह
संशोधन करना
चाहिए, तो अभी
वर्तमान में
खर्चा है,
मैं बीघा के
हिसाब से
मानता हूँ. एक
बीघा में 15 हजार
रुपये का
खर्चा है, तो
वर्तमान में
आरबीसी 6 (4) के
तहत जो खर्चा
होता है,
उसके
मान से
किसानों के
खातों में
पैसा डलवाना
चाहिए. माननीय
मुख्यमंत्री
जी ने भी माना
है कि 16,000
रुपये
प्रति हेक्टेयर
के हिसाब से
किसानों के
खातों में
पैसे डालेंगे.
अभी तक पैसे
नहीं डाले गए
हैं.
अध्यक्ष
महोदय - आप बैठिए.
श्री
बाबू जन्डेल - अध्यक्ष
महोदय, यह मेरा
प्रश्न है और
मुझे विधान
सभा प्रश्न
में भी जवाब
मिला है.
प्रश्न में
स्वीकार
किया है,
माननीय
मंत्री जी ने
स्वीकार
किया है.
अध्यक्ष
महोदय - बाबू
भाई, आप
बैठ जाइये.
मंत्री जी को
जवाब देने
दीजिये, फिर
दूसरा प्रश्न
कीजियेगा.
माननीय
मंत्री जी.
श्री
बाबू जन्डेल
- अध्यक्ष
महोदय,
आपने
मेरे प्रश्न
में स्वीकार
किया है, किसानों
का नुकसान हुआ
है.
श्री करण
सिंह वर्मा - माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
माननीय
सदस्य कह रहे
थे. माननीय
मुख्यमंत्री
जी, स्वयं
वहां पर गए थे.
वहां आप भी
पधारे थे.
जिला श्योपुर
में
अतिवृष्टि से 99,529
हेक्टेयर
रकबे की फसल
की क्षति के
लिए कुल 98,611
कृषकों
को राहत राशि 100 करोड़
83 लाख रुपये का
वितरण किया
गया है. आप जरा
मालूम कर लें,
वितरण हो रहा
है. माननीय
मुख्यमंत्री
स्वयं वहां
पर पधारे थे
और अगर आप
कहें तो मुख्यमंत्री
जी ने मध्यप्रदेश
में कितना
पैसा दिया,
कितने शिविर
लगाये ? और हमने
पहले से आरबीसी
6 (4) में संशोधन
करके आपको तो
पता है. आप
कहें तो मैं
पढ़ देता हूँ.
श्री
बाबू जन्डेल - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मेरा
प्रश्न
माननीय
मंत्री जी से
यह है.
अध्यक्ष
महोदय - बाबू भाई, एक
मिनट. मंत्री
जी,
बाबू जन्डेल
जी यह पूछ रहे
हैं कि दिनांक
27 तारीख को पैसा
बांटने की बात
हुई थी, वह पैसा
अभी खातों में
डला है, ऐसा उनका
कहना है. तो वह
नहीं डला है
या पैसा डाला
गया है या कब
तक डाल दिया
जायेगा ? उतना
बताना है.
श्री
करण सिंह
वर्मा - माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
पैसा
डल गया है. अगर
कुछ अपवादस्वरूप
रह गया है, तो
मैं बात करके
डलवा दूँगा.
श्री
बाबू जन्डेल
- माननीय अध्यक्ष
महोदय,
अभी
तक किसी भी
किसानों के
खाते में पैसे
नहीं डाले गए
हैं और कुछ
किसानों के
खातों में पैसे
डाले भी गए
हैं, 2 प्रतिशत
या 4 प्रतिशत, तो
वह 16,000 रुपये
प्रति हेक्टेयर
के हिसाब से
नहीं डाले गए
हैं. न ही के.सी.सी.,
शासकीय कर्ज का
ब्याज माफ
किया जायेगा, न
ही बिजली के
बिल की कोई
घोषणा हुई कि
बिजली माफ की
जायेगी. यह
अभी तक मैं
मान रहा हूँ
कि हजारों
किसानों के
साथ में जो
घोषणा की गई
है, वह
असत्य घोषणा
है. मंत्री जी,
अगर पैसा डाला
जायेगा तो कब
तक डाला
जायेगा ?
मुझे
इसका जवाब
चाहिए या मुझे
तारीख बताएं
कि पैसा कब तक
भेजा जायेगा ?
श्री
करण सिंह
वर्मा -
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
तत्काल
डलवायेंगे,
कुछ अपवादस्वरूप
रह गया है तो
हम वह भी डलवा
देंगे. माननीय
मुख्यमंत्री
जी ने पूरे
प्रदेश में
दौरा किया है, 200 करोड़
68
लाख
रुपये वितरित
किया गया है.
(श्री
सोहनलाल बाल्मीक,
माननीय सदस्य माईक
बन्द करके
अपने आसन से
बोलते रहे.)
श्री
बाबू जन्डेल
- माननीय अध्यक्ष
महोदय,
मंत्री
जी, मैं
यह पूछ रहा
हूँ कि प्रति
हेक्टेयर 16,000
रुपये
की घोषणा हुई
थी, वह
कौन से खाते
में डाले गए
हैं
? अभी
तक किसी खाते
में नहीं डाले
गए हैं. वह कब
तक डाले जायेंगे
?
श्री
करण सिंह
वर्मा -
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
वर्ष
2003 के पहले
पूर्व फसल की
क्षति दरें..
श्री
बाबू जन्डेल
- माननीय अध्यक्ष
महोदय, दिनांक 27
नवम्बर को
घोषणा हुई थी.
श्री
करण सिंह
वर्मा -
माननीय अध्यक्ष
महोदय, धान को
सिंचित में
माना है.
अध्यक्ष
महोदय -
मंत्री जी,
विषय सिर्फ
इतना है कि जो
उस दिन घोषणा
हुई, वह
पैसे खाते में
नहीं गए हैं,
ऐसा उनका कहना
है. अगर पैसे
नहीं गए हैं, तो
कब तक चले
जायेंगे. ?
इतना ही जवाब
देना है.
श्री
करण सिंह
वर्मा - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, सम्पूर्ण
राशि खातों
में डाली जा
चुकी है.
श्री
बाबू जन्डेल
- अध्यक्ष
महोदय, नहीं
डाली गई है, यह
असत्य है.
श्री
करण सिंह
वर्मा - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, जहां भी
मुख्यमंत्री
घोषणा ...(..व्यवधान). 4 दिन
के अन्दर
राशि डाल दी
जाती है.
नेता
प्रतिपक्ष
(श्री उमंग
सिंघार) - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, सदस्य
बोल रहे हैं
कि किसानों के
खातों में
राशि नहीं
पहुँची है. 5,000 करोड़
रुपये का
किसानों पर है, जो
आकलन किया है.
(जारी)
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी एक मिनट.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय, एक मिनट, अध्यक्ष महोदय, 5 हजार करोड़ रुपये की बात है, जो आंकलन किया है और 200 करोड़ रुपये दे रहे हैं, ऊँट के मुँह में जीरा. अध्यक्ष महोदय, सिर्फ 200 करोड़ रुपये दे रहे हैं. 5 हजार करोड़ रुपये का आंकलन है, कब खाते में मिलेंगे, 24 घण्टे में डलेंगे, 27 तारीख को घोषणा हुई, अभी तक पैसे नहीं डले हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मुख्यमंत्री जी से जवाब चाहूँगा.
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष को और माननीय बाबूलाल जण्डेल जी को मैं आपके माध्यम से जानकारी देना चाहूँगा. जिस धान की नुकसानी की बात आई है, उस धान की नुकसानी के आधार पर यह हमारी सरकार है, जिसने अपनी उपज का आंकड़ा उपज मण्डी में मौजूद है कि जो नुकसानी होनी चाहिए थी, उस नुकसानी के चार गुना ज्यादा पैसा हमने अपने श्योपुर जिले के लिए दिलाया है. (मेजों की थपथपाहट). आज तक इतना पैसा नहीं दिया गया है. पहली बार राहत और बचाव राशि के माध्यम 25 से 50 प्रतिशत की बजाय, 50 से 75 प्रतिशत की स्लैब में दिया है, यह हमारी सरकार है. जैसा कि हमारे माननीय राजस्व मंत्री जी ने कहा है कि अब आप अंदाज लगा लें कि आपकी सरकार में 3,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मिलता था, हम 16,000 रुपये हेक्टेयर दे रहे हैं. यह हमारी सरकार है. जनहानि में आपके समय में 50,000 रुपये मिलते थे, हम 4 लाख रुपये प्रति व्यक्ति दे रहे हैं. यह हमारी सरकार है. दुधारू पशु पर जो 2,100 रुपये मिलता था, हमारी सरकार...(व्यवधान)... हमने बोला है, अब आप तसल्ली से सुनें, सुनने का कलेजा भी चाहिए. ...(व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, किसानों का मुआवजा नहीं मिल रहा है, पूरे प्रदेश के किसान परेशान हैं. 25 साल से आपकी सरकार है..(व्यवधान)...
डॉ. मोहन यादव -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, आपको भी सुनने प्रयास करना चाहिए, यह हम अपने आंकड़े बता रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश के किसान परेशान हैं. ...(व्यवधान)...
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, पहली बार ऐसा हो रहा है...(व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज की बात क्यों नहीं होती है. ...(व्यवधान)...
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, आज की ही बात हो रही है. अब आपको आदत डालनी पड़ेगी, खाली रोने और चिल्लाने से काम नहीं चलने वाला है...(व्यवधान)...
उप मुख्यमंत्री, वित्त (श्री जगदीश देवड़ा) -- सुनने की क्षमता रखो भाई. ...(व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, हम असत्य आंकड़े नहीं सुनेंगे. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
श्री जगदीश देवड़ा -- सत्य बात को सुनो. ...(व्यवधान)...
11.47 बजे गर्भगृह में प्रवेश, नारेबाजी एवं बहिर्गमन
(श्री उमंग सिंघार, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर गर्भगृह में प्रवेश किया गया एवं नारेबाजी करने के पश्चात् सदन से बहिर्गमन किया गया)
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
उप
मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य
एवं चिकित्सा
शिक्षा
(श्री
राजेन्द्र
शुक्ल)
-- जब
किसानों के
खाते में राशि
गई, उसके
बाद यह कहना
कि राशि नहीं
गई, यह सच्चाई
पर पर्दा
डालने वाली
बात है. ...(व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों के साथ न्याय नहीं हो रहा है...(व्यवधान)...
श्री जगदीश देवड़ा -- न्याय तो हमने किया, तुमने नहीं किया. ...(व्यवधान)...
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने खुद कुछ काम नहीं किया ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मेरा सभी सदस्यों से अनुरोध है कि यह प्रश्नकाल है. अभी विधान सभा के जनहित के प्रश्न लगे हुए हैं. इसे बाधित नहीं करना चाहिए. ...(व्यवधान)...
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जिन्होंने किसानों के खाते में सीधी राशि भेजी है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- सभी सदस्यगण अपने-अपने आसन पर जाएं. ...(व्यवधान)...
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय --
अध्यक्ष
महोदय,
माननीय मुख्यमंत्री
जी ने
जवाबदारी से
कहा है कि
आपकी सरकार के
वक्त 50,000
रुपये
मिलते थे.
हमारे यहां
जनहानि पर
सरकार ढाई लाख
रुपये सरकार
दे रही है.
पांच गुना दे
रही है. चार
लाख रुपये सरकार
दे रही है
माननीय अध्यक्ष
महोदय...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार 4 लाख रुपये दे रही है. आठ गुना सरकार दे रही है. ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार है अध्यक्ष महोदय ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- श्री अमर सिंह यादव जी, अपना प्रश्न करें.
उर्दू
शिक्षकों के
पदों पर
पदस्थापना
[स्कूल
शिक्षा]
6. ( *क्र. 1267 ) श्री अमर
सिंह यादव : क्या स्कूल
शिक्षा
मंत्री महोदय
यह बताने की कृपा
करेंगे कि (क) क्या
प्रदेश के
सहायक शिक्षक
और प्राथमिक
शिक्षक को
प्राथमिक विद्यालयों
में विषयवार
पदस्थापना
किये जाने के
शासन के आदेश
हैं? यदि
हाँ, तो
शासन के आदेश
की प्रति
उपलब्ध
करावें। (ख) राजगढ़
जिले के
किन-किन
प्राथमिक
विद्यालयों
में उर्दू
शिक्षकों के
पद स्वीकृत
हैं? उनमें
से कितने रिक्त
हैं? विद्यालयवार
बतावें। (ग) क्या
राजगढ़ जिले
के प्राथमिक
विद्यालयों में
उर्दू शिक्षक
पदस्थ हैं? यदि हाँ, तो पदस्थ
उर्दू
शिक्षकों के
नाम, पदनाम, पदस्थापना
स्थल, जन्मतिथि, नियुक्ति
दिनांक तथा
वर्तमान शाला
में पदस्थापना
दिनांक सहित
जानकारी दें। (घ) क्या
राजगढ़ जिले
के प्राथमिक
विद्यालयों
में उर्दू
छात्र-छात्राएं
अध्ययनरत हैं? यदि हाँ, तो किन-किन
प्राथमिक
विद्यालयों
में कितने-कितने
छात्र-छात्राएं
किस-किस कक्षा
में अध्ययनरत
हैं? उनके
नाम, पिता, माता का नाम, कक्षा सहित
विद्यालयवार
एवं
विकासखंडवार
जानकारी दें। (ड.) क्या
वर्ष 2025 में राजगढ़
जिले के किसी
सहायक अथवा
प्राथमिक
शिक्षक का
अन्यत्र शाला
में
स्थानांतरण
होने पर
माननीय
न्यायालय
द्वारा स्टे
ऑर्डर दिया
गया है? यदि हाँ, तो आदेश की
प्रति उपलब्ध
करावें।
स्कूल
शिक्षा
मंत्री (
श्री उदय
प्रताप सिंह ) : (क) जी
नहीं। शेषांश
का प्रश्न
उपस्थित नहीं होता
है। (ख) जानकारी
पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र-1
अनुसार
है। (ग) जी
हाँ। जानकारी
पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र-2
अनुसार
है। (घ) जी
हाँ। जानकारी
पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र-3 अनुसार
है। (ड.) जी
नहीं। शेषांश
का प्रश्न
उपस्थित नहीं होता।
श्री अमर सिंह यादव -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1267 है.
श्री उदय प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्री अमर सिंह यादव -- अध्यक्ष महोदय, उर्दू शिक्षक की पदस्थापना को लेकर मैंने माननीय मंत्री महोदय से प्रश्न किया था. उसमें उत्तर में यह आया है कि मेरे जिले राजगढ़ में माध्यमिक शिक्षक उर्दू शिक्षक की स्वीकृति है, परंतु एकीकृत माध्यमिक विद्यालय, डोडीशाला में उर्दू का कोई शिक्षक नहीं है और न ही उर्दू शिक्षक का कोई पद सेंक्शन है परंतु वहां पर उर्दू के दो शिक्षकों की पदस्थापना की गई है. जब इसमें एक शिक्षक का स्थानांतरण हुआ तो उसको जहां स्थानांतरण हुआ वहां पर यह बताकर स्टे शासन के द्वारा कोर्ट के द्वारा दिया गया कि वहां कोई बच्चा उर्दू का नहीं है परन्तु मेरा आग्रह है कि डोडी शाला में भी जीरो परसेंट मतलब एक भी छात्र उर्दू का नहीं है फिर भी दो-दो शिक्षकों की पदस्थापना कर रखी है तो मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जहां उनका स्थानांतरण हुआ था उसको शासन के द्वारा अभी तक क्यों उस स्टे को खारिज नहीं किया गया ?
संसदीय कार्य मंत्री,श्री कैलाश विजयवर्गीय - माननीय अध्यक्ष जी, अमर सिंह जी के साथ-साथ एक प्रश्न जोड़ना चाहता हूं कि अनेक स्थानों पर उर्दू शिक्षक हैं परन्तु उर्दू के विद्यार्थी नहीं हैं वहां पर इसलिये पूरे प्रदेश के अंदर माननीय मंत्री जी एक बार समीक्षा कर लें कि जहां उर्दू के विद्यार्थी हैं वहां उर्दू के शिक्षक की पदस्थापना करें नहीं तो पद समाप्त करें और उसकी जगह दूसरी भाषा के शिक्षक करें.
श्री उदय प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, जैसा माननीय सदस्य ने कहा यह बात सही है कि हमारे राजगढ़ जिले के 15 विद्यालयों में 488 विद्यार्थी उर्दू में अध्ययनरत् हैं और इनमें 20 शिक्षक वहां पर कार्यरत् हैं और वहां कोई पद रिक्त नहीं है बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त हैं जैसे हमारे मापदण्ड हैं कि 60 तक अगर नामांकन रहता है तो हम 2 शिक्षक देते हैं और 121 से 200 तक नामांकन रहता है 5 शिक्षक देते हैं और 200से अधिक होने पर छात्रों के अनुपात में चालीस के विरुद्ध एक शिक्षक हम उपलब्ध कराते हैं जैसा माननीय अध्यक्ष महोदय ने कहा कि राजगढ़ जिले में 17 विद्यालयों में उर्दू के शिक्षक स्वीकृत हैं और 2 विद्यालयों में अतिशेष हैं और अतिशेष शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण से जिन विद्यालयों में आवश्यक्ता है वहां भेजा जायेगा और जिन शिक्षकों के कारण हम लोगों ने एक मापदण्ड बनाया है कि जहां पर जीरो विद्यार्थी हैं या जहां विद्यार्थियों की संख्या घट रही है वहां से शिक्षकों को निकालकर दूरस्थ अंचल में मतलब नहीं कि बगल की अच्छी शाला दे दें बल्कि जहां दूरस्थ अंचल में जहां विद्यार्थियों की संख्या है वहां पदस्थ किया जायेगा और 3 वर्ष तक यथासंभव कोशिश होगी कि उस शाला में वह पढ़ाई कराने का काम करें और जहां तक माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा है कि हम लोग लगातार इस बात कापरीक्षण करते हैं अकेले उर्दू के शिक्षक नहीं पूरे प्रदेश में हर स्कूल का परीक्षण हम करते हैं कि बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की उपलब्धता वहां पर हो अगर शिक्षक कम हैं तो हम वहां दूसरा शिक्षक भेजने का काम करते हैं और बच्चों की संख्या कम है और शिक्षकों की संख्या अधिक है तो युक्तियुक्तरण से खाली स्थानों पर भेजते हैं. मैं सदन को बताना चाहता हूं किपिछले वर्ष माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में लगभग 20 हजार ऐसे शिक्षक जहां बच्चों की संख्या कम थी और शिक्षक अधिक थे उनको काउंसलिंग के माध्यम से युक्तियुक्तरण से नई जगहों पर पदस्थापना करने का काम किया है और उन शालाओं के सुचारू संचालन के लिये हमने व्यवस्था दी है. एक चीज और हम कर रहे हैं जहां पर विद्यार्थी विहीन शालाएं हैं क्योंकि जीरो इनरोलमेंट थे कहीं पर बच्चे कम हैं हम कोशिश कर रहे हैं कि नजदीक में यथासंभव एक कि.मी. के अंदर कोई अगर ऐसा विद्यालय उपलब्ध है तो 10 से कम संख्या वाले स्कूल हैं वहां बच्चों की सुविधा के हिसाब से हम वहां बच्चों को शिफ्ट करके उन टीचर्स को दूरस्थ स्थानों पर पदस्थ करने का भविष्य में काम करेंगे और आपके माध्यम से मैं सदन को सुनिश्चित करना चाहता हूं चूंकि शिक्षण व्यवस्था हमारी महत्वपूर्ण व्यवस्था है और बच्चे भविष्य के कहना चाहिये कर्णाधार है उनकी बेहतर शिक्षा के लिये विभाग बेहतर से बेहतर संचालन में अपनी तरफ से प्रयास कर सकता है वह हम करेंगे.
श्री अमर सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यही निवेदन करना चाहता हूं कि जिस शिक्षक को स्टे मिला है उसका स्टे निरस्त कराए शासन और ऐसे ही मेरे क्षेत्र में पूर्व में मैंने एक प्रश्न लगाया था. एक वाईट पैरी को डी.पी.आई. में अटैच कर रखा है.
जब मैंने
अगले सत्र में
इसका प्रश्न
लगाया अटैचमेंट
का तो दिनांक 15.7.2025 में उसका
अटैचमेंट
समाप्त हो
गया और जैसे
ही सदन समाप्त
हुआ, दिनांक 04.9.2025 को
वापस उसका
अटैचमेंट
डीपीआई में हो
जाता है. माननीय अध्यक्ष
महोदय, मैं माननीय
मंत्री जी से
निवेदन करना
चाहता हूं कि
हमारे
क्षेत्र में
शिक्षकों की
कमी है और
उनकी यहां
भोपाल में क्या
आवश्यकता है.
माननीय
मंत्री महोदय
से मैं निवेदन
करना चाहता
हूं कि एक तो
इसका जहां
ट्रांसफर हुआ
था वहां भी
उर्दू के कोई
बच्चे नहीं
हैं और जहां
अभी वर्तमान
में पदस्थापना
है वहां भी
उर्दू के कोई
बच्चे नहीं
हैं ऐसा बता
रहे हैं और
दो-दो टीचर की
पदस्थापना
वहां है. मेरा
आग्रह यही है
कि इनका तत्काल
प्रभाव से
अटैचमेंट
समाप्त किया
जाये और स्टे
समाप्त
कराया जाये.
श्री उदय
प्रताप सिंह-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैं माननीय
सदस्य को
बताना चाहता
हूं कि जो स्टे
की कार्यवाही
है, चूंकि
माननीय उच्च
न्यायालय
द्वारा स्टे
प्रदान किये
गये हैं और स्टे
वेकेट करने के
लिये विभाग
लगातार काम
करता है और
एजी आफिस से
संपर्क करके
हमारा प्रयास
रहता है कि
जिस कारण से
उनको स्टे
दिया गया है
उस कारण का
निवारण हो और
यह न्यायालय
के ऊपर निर्भर
करता है.
माननीय न्यायालय
जब उसका
निर्णय करता
है तब हम उसके
निर्णय के
क्रियान्वयन
की कार्यवाही
करते हैं. एक
शिक्षक का
आपने उल्लेख
किया है हम
इसका परीक्षण
करायेंगे, अगर इस तरह का
कोई शिक्षक
यहां पर उसको
लगातार
अटैचमेंट
करके काम
कराया जा रहा
है तो उसका अटैचमेंट
तो निरस्त
किया ही
जायेगा साथ ही
उसका बेहतर
उपयोग हो, इस बात की भी
हम चिंता
करेंगे.
श्री अमर
सिंह यादव-- माननीय
मंत्री जी, बहुत-बहुत
धन्यवाद.
गैस राहत अस्पतालों में रख-रखाव/दवाओं पर व्यय राशि
[भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास]
7. ( *क्र. 204 ) श्री आतिफ आरिफ अकील : क्या भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश सरकार द्वारा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25, 2025-26 कितनी-कितनी राशि का प्रावधान किया गया था? (ख) वर्ष 2024-25 से स्थापना व्यय छोड़कर कितनी-कितनी राशि अस्पतालों के रख-रखाव/दवाओं आदि पर खर्च की गई तथा कौन-कौन सी सामग्री किस-किस कंपनी से कब-कब क्रय की गई है? जानकारी दें। (ग) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या प्रश्नकर्ता द्वारा माननीय मंत्री जी को पत्र क्र. 801, दिनांक 05.08.2025 के द्वारा जवाहर लाल नेहरू अस्पताल, कमला नेहरू अस्पताल व अन्य में स्वास्थ्य सुविधाओं संबंधी शिकायतों से अवगत कराया गया था? यदि हाँ, तो पत्र में उल्लेखित बिन्दुओं पर विभाग द्वारा प्रश्न दिनांक की स्थिति में क्या-क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों? कब तक कार्यवाही की जावेगी?
भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री ( डॉ. कुंवर विजय शाह ) : (क) विभाग के लिये वित्तीय वर्ष 2024-25 में राशि रू.1,58,75,25,000/- तथा वित्तीय वर्ष 2025-26 में राशि रू. 1,84,59,77,000/- का प्रावधान किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) विभाग के अंतर्गत वर्ष 2024 -25 से स्थापना व्यय छोड़कर अस्पतालों के रख-रखाव/दवाओं आदि पर कुल राशि रू. 60,54,23,656/- खर्च की गई। क्रय की गयी सामग्री एवं कंपनियों की विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा जवाहर लाल नेहरू अस्पताल, कमला नेहरू अस्पताल व अन्य में स्वास्थ्य सुविधाओं संबंधी की गयी शिकायतों पर विभाग द्वारा की गयी कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
श्री आतिफ
आरिफ अकील-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मेरा प्रश्न
क्रमांक 204 है.
डॉ. कुंवर
विजय शाह-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, उत्तर पटल
पर रख दिया है.
श्री आतिफ
आरिफ अकील-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, गैस राहत का
बजट इस वर्ष
का मैं बता
रहा हूं लगभग 124 करोड़ 70 लाख
रूपये के
आसपास रहा, लेकिन विधान
सभा के अंदर
मैंने पत्र भी
लिखा और विधान
सभा के माध्यम
से मैंने जवाब
भी पूछा तो
मुझे भ्रामक
जवाब दिया गया
और गलत जवाब
दिया. माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैंने पूर्व
में भी यह बात
कही थी कि जो
लोग विधान सभा
के अंदर (XX) जवाब दे रहे
हैं उनके
खिलाफ क्या
कार्यवाही
होगी. क्योंकि
जो मैंने पत्र
लिखा था अगर
जवाहर लाल नेहरू
अस्पताल की
हम बात करें
तो
सोनोग्राफी
प्रश्न
लगाने के 2
हफ्ते पहले
चालू हो गई, वहां पर
आपरेशन होता
नहीं है और
सैकड़ों अस्पताल
हैं, भोपाल
मेमोरियल है
बहुत सारे अस्पताल
हैं वहां पर
बहुत सारी
परेशानियां
हैं. इसके लिये जो
हमने प्रश्न
पूछा था उसका
उन्होंने जो
जवाब दिया है
क्या उसके
लिये न्यायिक
जांच होगी.
वहां अस्पताल
में पैरामेडीकल
स्टॉफ नहीं
है....
श्री कैलाश
विजयवर्गीय-- अध्यक्ष
महोदय, (XX) का
असत्य करवा
दीजिये.
अध्यक्ष
महोदय-- (XX) को
विलोपित कर
दें.
श्री आतिफ
आरिफ अकील-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, (XX) जवाब
दिये हैं तो (XX) ही
बोलेंगे. जो (XX) जवाब
देगा उसको (XX) ही
बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- अकील
साहब, सदन में
संसदीय शब्दों
का ही इस्तेमाल
किया जाये.
श्री आतिफ
आरिफ अकील-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, असत्य जवाब
दिया है.
अध्यक्ष
महोदय--
असत्य जवाब
दिया, यह ठीक है.
आरिफ भाई का
बेटा है वह
ऐसा थोड़ी है. बहुत
समझदार है.
मुख्यमंत्री
(डॉ. मोहन यादव)-- माननीय अध्यक्ष
महोदय, मैं सदस्य
को धन्यवाद
देना
चाहूंगा. माननीय
सदस्य ने एक
सेकेंड में
माननीय
संसदीय
कार्यमंत्री
जी का इशारा
समझा और कितना
अच्छा शब्द
बोला, बाकई आप ऐसे
बोलते रहो
बहुत अच्छा
लगा.
-----------------------------------------------------------------------------------------
(XX) आदेशानुसार
विलोपित.
डॉ. कुंवर
विजय शाह-- माननीय
अध्यक्ष जी, सबसे पहले तो
मैं आतिफ भाई
को धन्यवाद
देना चाहूंगा
कि गैस से
रिलेटेड
प्रश्न
पूछकर के
हमारी सरकार
का पक्ष
रखने का आपने
हमें मौका
दिया. माननीय
अध्यक्ष जी, मैं आपके
माध्यम से
माननीय सदस्य
और सदन को
बताना
चाहूंगा कि
वर्तमान
सरकार गैस
पीडि़तों के
इलाज के लिये
इतनी
संवेदनशील है
कि केवल इस
बात से आप
अंदाजा लगा
सकते हो कि हमने
उनकी दवाई का, उनके इलाज का
और उनके भय का
जो कचरा जिसके
लिये 41 साल से
लोग परेशान थे
उस कचरे का इस
मोहन सरकार ने
पूरा खत्म
किया, यह हमारी
सरकार की
उपलब्धि है. 41 साल से जो कोई
नहीं करा पाया
वह आपने (डॉ.
मोहन यादव की
ओर देखते
हुये) करा
दिया.
अध्यक्ष
महोदय-- विजय
जी,
थोड़ा स्पेसीफिक
उत्तर उन्हें
दे दो क्योंकि
प्रश्नकाल
का टाइम खत्म
हो रहा है.
डॉ. कुंवर विजय शाह-- अध्यक्ष जी, आधे मिनट में. माननीय विधायक जी, हमने जो गैसे पीडि़त परिवार हैं उनके लिये दवाईयां फ्री हैं, इलाज फ्री है इसके अलावा हमने आयुष्मान कार्ड उनके बनाकर दिये हैं, इसके अलावा जो गंभीर केंसर रोग जैसे हैं उनका एम्स और चिरायु जैसे अस्पताल में हम 13-13, 14-14 करोड़ रूपये खर्च कर रहे हैं, इसलिये लपारवाही जैसी कोई बात इस सदन में नहीं है. हमारी सरकार गंभीरता से चिंता कर रही है.
जहां तक आपने जो
प्रश्न
उठाया है कि
गलत जवाब दिया
है,
मैं दावे के
साथ कह सकता
हूं कि आपकी
यह चिट्ठी
मेरे पास है
और आपकी इस
चिट्ठी के बाद
मैंने
पर्सनली इस पर
गंभीरता से
अध्ययन किया
है और कम से कम
इस चिट्ठी के
ग्यारह प्वाइंट
में से आठ प्वाइंट
का निराकरण कर
दिया गया है, इसके बाद
भी अगर माननीय
अध्यक्ष जी
सदस्य को कुछ
तकलीफ है, तो मैं
इनके साथ अस्पताल
में बैठने को
तैयार हूं.
अध्यक्ष
महोदय -- बची
हुई बातचीत आप
सदस्य से कर
लेना.
डॉ.
कुंवर विजय
शाह -- अध्यक्ष
महोदय, मैं जरूर
बातचीत कर
लूंगा, हम इनके
साथ अस्पताल
चलेंगे और अस्पताल
में बैठकर
मीटिंग कर
लेंगे.
अध्यक्ष
महोदय -- (श्री
आतिफ आरिफ
अकील, सदस्य
द्वारा अपने
आसन से कहने
पर) माननीय
सदस्य, अब
प्रश्न काल
समाप्त हो
गया है.
(प्रश्नकाल
समाप्त)
श्री
सोहनलाल बाल्मीक
(परासिया)
--माननीय अध्यक्ष
महोदय,
मेरा ध्यानाकर्षण
कानून व्यवस्था
को लेकर लगा
था,
आपसे मेरा
आग्रह है कि
कल उसे जरूर
ले लें,
ताकि कानून व्यवस्था
पर जरूर चर्चा
हो जाये और
मेरा एक स्थगन
कोल्ड सिरप
वाला भी लगा
था,
वह भी नहीं
लिया गया है,
वह इतनी बड़ी
घटना है.
अध्यक्ष
महोदय -- आप
मुझे लंच में
मिल लेना.
12.02 बजे नियम 267-क
के अधीन विषय
1. जावरा
विधानसभा
क्षेत्र के
विभिन्न
मार्गों का
निर्माण किया
जाना.
डॉ.राजेन्द्र
पाण्डेय(जावरा)
-- मेरी शून्यकाल
की सूचना का
विषय इस
प्रकार है कि

2. ग्राम
पंचायत अमझर
जिला मैहर में
ट्रांसफार्मर
लगवाए जाना.
डॉ.राजेन्द्र
कुमार
सिंह(अमरपाटन) -- मेरी
शून्यकाल की
सूचना का विषय
इस प्रकार है
कि

3.मकरोनिया
स्थित ग्राम
चावड़ा,
बिहारीपुरा
एवं खजूरिया
में निर्मित
सड़कों पर पुल
का निर्माण
किया जाना.
इंजी.प्रदीप
लॉरिया(नरयावली)
-- मेरी
शून्यकाल की
सूचना का विषय
इस प्रकार है
कि

4. धार जिले के
कुक्षी के
थाना डही में
दर्ज अपराध
क्रं-129/2025 रोशनी
पिता नवल सिंह
के
अपरहरणकर्ताओं
की फरारी में
पुलिस की मिली
भगत की जांच
संबंधी.
श्री
सुरेन्द्र
सिंह हनी
बघेल(कुक्षी) -- मेरी
शून्यकाल की
सूचना का विषय
इस प्रकार है
कि

श्री आशीष
गोविन्द
शर्मा(खातेगांव)– अनुपस्थित.
(5) अलीराजपुर
विधान सभा
क्षेत्र में
नगरपालिका
भवन, ब्रिज एवं
विश्रामगृह
का निर्माण
किया जाना.
श्रीमती
सेना महेश
पटेल (जोबट) – माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मेरी शून्यकाल
की सूचना का
विषय इस
प्रकार है कि-

(6) प्रदेश
में आदिवासी
उपयोजना के
तहत जारी फंड
का लाभ
आदिवासियों
को न मिल पाना.
श्री फुन्देलाल
सिंह
मार्को(पुष्पराजगढ़)
- माननीय अध्यक्ष
महोदय, मेरी शून्यकाल
की सूचना का
विषय इस
प्रकार है कि-

(7) मुरेना
विधान सभा
क्षेत्र
अंतर्गत बमौर
शहर में
स्टेडियम
निर्माण
कराये जाने के
संबंध में
श्री दिनेश गुर्जर (मुरैना)—अध्यक्ष महोदय,

अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा इससे पूर्व में भी कई बार माननीय मंत्री जी को भी लिखकर के दिया विधान सभा में भी मेरे द्वारा इस बात को रखा गया, लेकिन आज तक ध्यान नहीं दिया है. मेरा आग्रह है कि खेल मैदान बमौर में बनाया जाये.
(8) विदिशा स्थित शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय का छात्रावास जीर्ण-शीर्ण होना.
श्री मुकेश टण्डन (विदिशा)—अध्यक्ष महोदय,

(9) ग्वालियर जिला स्थित भितरवार में सड़कों की साईड शोल्डर न भरा जाना.
श्री मोहन सिंह राठौर—(भितरवार)—अध्यक्ष महोदय,

अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी निवेदन करता हूं कि विधायक निधि का भी अगर सड़कों के मेंटेंनेंस में अगर खर्च करने की अनुमति मिल जाये, तो हम लोग तमाम सारी सड़कें जो आने जाने में जनता वंचित है उसको भी ठीक करते हुए इसे कर सकते हैं और शीघ्र ही इस कार्य को कराया जाये. ताकि जनता में आक्रोश कम हो.
श्री
सुरेश राजे
(अनुपस्थित)
12.15
बजे
पत्रों
का पटल पर रखा
जाना
(1)
(क)(I) भारत
के नियंत्रक
एवं
महालेखापरीक्षक
का राज्य
सार्वजनिक
क्षेत्र के उद्यमों
पर 31 मार्च, 2023 को
समाप्त वर्ष
के लिए
प्रतिवेदन
मध्यप्रदेश शासन
2025 का
प्रतिवेदन
संख्या 4
(अनुपालन
लेखापरीक्षा-वाणिज्यिक)
एवं
(II) 31 मार्च, 2025 को
समाप्त वर्ष
के लिए भारत
के नियंत्रक महालेखापरीक्षक
द्वारा तैयार
मध्यप्रदेश
सरकार के वित्त
लेखे वर्ष 2024- 2025 (खण्ड-1
एवं खण्ड-2)
एवं विनियोग
लेखे वर्ष 2024-2025
तथा
(ख) नगरीय
निकायों पर
संचालक स्थानीय
निधि
संपरीक्षा
मध्यप्रदेश
का वार्षिक
संपरीक्षा
प्रतिवेदन
वर्ष 2021-2022 एवं
(ग)(I) वित्तीय
वर्ष 2024-2025 की
द्वितीय
छ:माही के
दौरान बजट से संबंधित
आय और व्यय
की प्रवृत्तियों
का छ:माही
समाक्षी
विवरण तथा
(II)वित्तीय
वर्ष 2025-2026 की
प्रथम छ:माही
के दौरान बजट
से संबंधित आय
और व्यय की
प्रवृत्तियों
का छ:माही
समीक्षा
विवरण-
उप
मुख्यमंत्री
(वित्त) (श्री
जगदीश देवड़ा)
--

(2) मध्यप्रदेश
गृह निर्माण
एवं
अधोसंरचना
विकास मंडल का
लेखा परीक्षा प्रतिवेदन
वर्ष 2022-2023
नगरीय
विकास एवं
आवास,
मंत्री (श्री
कैलाश
विजयवर्गीय) --

(3) (क)
क्रमांक 3.3-4-0001-2022-Sec-1-आठ
(TRP)भोपाल,
दिनांक 12 अगस्त, 2025 तथा
(ख)क्रमांक 3623/973078/2022/आठ,भोपाल,दिनांक
10 अक्टूबर,
2025
परिवहन
मंत्री (श्री
उदय प्रताप
सिंह) --

(4) मध्यप्रदेश
प्रदूषण
नियंत्रण
बोर्ड का
वार्षिक लेखा
परीक्षण
प्रतिवेदन
वर्ष 2024-2025
पर्यावरण
राज्य
मंत्री (श्री
दिलीप
अहिरवार) --

(5) (क) जिला
खनिज प्रतिष्ठान
जिला मण्डला,
सीधी,
नरसिंहपुर,
रायसेन,
आगर-मालवा,
अशोकनगर,
हरदा, जबलपुर
एवं सागर का
वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2022-2023 तथा
जिला मण्डला,
झाबुआ,
नरसिंहपुर,
दमोह, सीहोर,
रायसेन, सागर,
आगर-मालवा,
अशोकनगर,
हरदा एवं
जबलपुर का
वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2023-2024 तथा
जिला नीमच,
सीहोर, रायसेन
एवं जबलपुर का
वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2024-2025 एवं
(ख) मध्यप्रदेश
स्टेट इंडस्ट्रियल
डेवलपमेंट
कार्पोरेशन
लिमिटेड का 51वां
वार्षिक
प्रतिवेदन
एवं लेखा वर्ष
2016-2017 (वर्ष सामाप्ति
31 मार्च, 2017 के लिये)
सूक्ष्म, लघु
और मध्यम
उद्यम मंत्री
(श्री चेतन्य
कुमार काश्यप)
--

(6) आयुक्त, दिव्यांगजन, मध्यप्रदेश
का वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2024-2025
सामाजिक
न्याय एवं
दिव्यांगजन
सशक्तिकरण
मंत्री (श्री
नारायण सिंह
कुशवाह) --

ध्यानाकर्षण
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया) - माननीय अध्यक्ष, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना इस प्रकार है -

जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट) - अध्यक्ष महोदय,




अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, 2 पूरक प्रश्न करें.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो (XXX) हूं यह जो मेरा विषय है यह जनता का है. आरडीएसएस योजना का है. मुख्य उद्देश्य यह है कि बहुत सारी हमारी ग्राम पंचायतें फीडरों के अंदर आने वाले..
श्री कैलाश विजयवर्गीय (संसदीय कार्य मंत्री) -- अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार बोलना उचित नहीं है आप जनता के प्रतिनिधि हैं (XXX) नहीं बोल सकते हैं. अगर आप (XXX) हैं तो फिर हम भी (XXX) हैं. पूरा सदन..
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, हम विधायक जनता के वोट से ही चुने जाते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, हम (XXX) नहीं हैं. हम जनता के प्रतिनिधि हैं. यह जनता की आवाज हैं.
अध्यक्ष महोदय -- (XXX) शब्द विलोपित कर दिया जाए.
श्री अभय मिश्रा -- हमारा विषय जनता का है.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, आप प्रश्न करें. उत्तर बहुत विस्तार से आया है.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं यह कहूंगा कि मेरे ध्यानाकर्षण की सूचना जो मैंने लगाई थी एक बात मैं और कहूंगा कि टेबल के नीचे थोड़ा धक्कम धुक्का तो चलता है, ओपन टेबल फाउल खेलने की अभी तक परम्परा नहीं रही है. प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियम हमने पढ़ लिया.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, हमेशा एक चीज ध्यान रखें कि सदन नियम प्रक्रियाओं से चलता है और जो ध्यानाकर्षण की सूचना है वही आपको पढ़ना चाहिए थी. आपने उस समय उसके अतिरिक्त भी कुछ बोल दिया. आप अगर चाहते तो उसे सप्लीमेंट्री में बोल सकते थे. अगर यह प्रेक्टिस जारी रहेगी तो फिर मुझे विचार करना पड़ेगा कि किसका ध्यानाकर्षण लूँ और किसका नहीं लूँ.
..........................................................................................................
(XXX) आदेशानुसार
विलोपित किया
गया.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, मैंने वही पढ़ी है. मैंने नहीं बोला. मुझे जो बोलना है अब बोल रहा हूं. अभी मैंने वही बोला है जो आपने हमें दिया है. मैंने उसको ही पढ़ा है. मेरा यह कहना है कि इसमें से हमारा जो मूल विषय था इसका स्पेसिफिक प्रश्न था. एक पन्ने के उत्तर में था बेमतलब इतनी ऊर्जा और समय व्यर्थ करने का कोई मतलब नहीं था. आपने हमारा तो विलोपित किया, परंतु इनके उत्तर में आ गया हमारा प्रश्न क्रमांक 1339, इन्होंने जो उत्तर दिया है. प्रश्न क्रमांक 1339 और 1355 यह तो इन्होंने दे दिया बाकी तो कहानी किस्से थे मैं उसी पर बात करूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- कृपा करके प्रश्न तो पूछिए हुजूर.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, मेरा 1339 में आरडीएसएस योजना में जो नहीं जोड़े गए थे उसमें हमने जो लगाया था उसमें इन्होंने उत्तर में एक फोटो दे दी थी पिछली बार, दिल्ली का पत्र कि दिल्ली को जोड़ दिया जाएगा. फिर हमने दूसरे ‘ब’ में पत्र लगाये थे कि इनमें क्या कार्यवाही हुई तो इसमें जो उत्तर आए हैं उसमें लेख है उसे थोड़ा सुनिएगा महत्वपूर्ण है क्योंकि इतनी ऊर्जा लगाने के बाद भी परिणाम नहीं आते हैं. इसमें पत्र क्रमांक 325, 26, 41, 42 एवं 600 में जीआईएस सर्वे एवं नियम का हवाला देकर असमर्थता व्यक्त की गई है. जनहित में सर्वे की बात कही जा रही है कि सर्वे में नहीं है तो हम नहीं करेंगे. पत्र क्रमांक 319, 499, 459 एवं 520 इस तरह कई पत्र हैं जिसमें कार्य प्रगतिरत् बताया गया है और वर्ष 2025 तक पूर्ण करना बताया गया है, परंतु मौके पर आज भी कार्य प्रारंभ नहीं है. पत्र क्रमांक 734, 808, 1001 एवं 1002 में आरडीएसएस योजना में कार्य स्वीकृत नहीं होना बताया गया है और यह बताया है कि उसके लिए पुन: नोडल एजेंसी जिम्मेदार है. इससे हमारी दर्जनों ग्राम पंचायतें छूटी हुई हैं. इसमें हमारा जो प्रश्न था जो 1339 इसमें मैंने लिखा था..
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, प्रश्न क्या है आप प्रश्न तो बताएं.
श्री अभय मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, धनाड्य लोगों के फार्महाऊसों के लिए 30-40 पोल गाड़कर विद्युतीकरण में आरडीएसएस योजना का दुरुपयोग किया गया है जबकि इसके जो मूल व्यक्ति लाभान्वित होने चाहिए उनको नहीं किया गया. सर्वे से हटकर कार्य कराया गया. इसका जो उत्तर दिया गया उसमें इन्होंने खुद लेख किया है कि ‘हां यह सही है’ और उसके लिए जिम्मेदार बताया है कि कनिष्ट अभियंता द्वारा सहमति प्रदान किए जाने के उपरांत लाईन में परिवर्तन किया गया. जब हम विधायक कहते हैं या जनता कहती है कि एक यह लाईन बदल दें तो उसके लिए जीआईएस का सर्वे है और कनिष्ट अभियंता अपनी मन मर्जी से, निजी हित पूर्ति करके कुछ भी कर ले वह चलेगा और इसी के तारतम्य में यह पत्र क्रमांक है. इनको जांच में दोषी पाया गया और इनको हटाकर वहां से स्थानांतरण कर दिया गया और 20 दिन बाद दिनांक 15.10.25 को इनको वापस पुन: पदस्थ कर दिया गया.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. ध्यानाकर्षण में माननीय सदस्य ध्यानाकर्षण की सूचना देते हैं और उसे सदन में पढ़ते हैं, माननीय मंत्री जी उसका उत्तर देते हैं. इसके बाद सदस्य एक या दो प्रश्न पूछ सकते हैं. आप प्रश्न तो पूछिए बोल क्या रहे हैं. ध्यानाकर्षण आपने बड़ा दिया उसके बाद उसका उससे बड़ा उत्तर आया उसके बाद पूरक प्रश्न उससे बड़ा आ रहा है.
श्री अभय मिश्रा -- हमारे यहां एक कहावत है कि ढूंढे कुछ बताए कुछ.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप स्पेसिफिक प्रश्न करें जिससे हम मंत्री जी को जवाब देने के लिए कहें. आप भाषण दे रहे हो अगर भाषण में समय पूरा हो जाएगा तो मुझे आगे बढ़ना पड़ेगा. आपके पास स्पेसिफिक प्रश्न नहीं है और आपके ध्यानाकर्षण का मंत्री जी जवाब दे चुके हैं.
श्री अभय मिश्रा -- मैंने यही लिखा है कि बिंदु क्रमांक 8 में उल्लेखित है कि अधिकारी की पदस्थापना सामान्यत: एक पद पर दो वर्ष के लिए की जाएगी और उसको एक ही जगह पर दोबारा पदस्थ नहीं किया जाएगा. किन्तु इन कनिष्ठ अभियंता को दोषी पाए जाने के उपरांत 20 दिन बाद अलग से एसडीओ का भी प्रभार देते हुए उसी स्थान पर पुन: पदस्थ कर दिया गया. इनके द्वारा व्यापक मात्रा में भ्रष्टाचार किया जा रहा है. RDSS योजना का गलत उपयोग किया गया है. मनमाने ढंग से लोगों को लाभान्वित किया गया है. गरीब बेचारे चिल्ला रहे हैं. मेरा प्रश्न यह है कि RDSS योजना से जो हमारी ग्राम पंचायतें छूटी हैं जो फीडर छूटे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी आपके एक प्रश्न का उत्तर आने दें. जब तक एक प्रश्न आप सोच लें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य 20 दिन में पुनर्स्थापना की बात कर रहे हैं. शासन-प्रशासन में एक प्रक्रिया होती है जिसके सेवाएं अच्छी हैं उसको आप रख सकते हैं. इनके व्यक्तिगत संबंध में यदि कोई शिकायत हो तो वे मुझे बतलाएं. ध्यानाकर्षण में ऐसे किसी व्यक्ति का उल्लेख भी नहीं है. आपने जनहित और नागरिक की बात की है. RDSS योजना में मध्यप्रदेश की भाजपा की सरकार पूरे देश में सातवें नंबर पर है. RDSS योजना में सबसे अच्छा काम रीवा में चल रहा है. यह मैं आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूँ.
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, गलत उत्तर देकर के भ्रमित किया जा रहा है. मैं भी जान रहा हूं कि सुनियोजित तरीके से यह तय करके रखा गया है. जांच में दोषी पाए जाने पर मुख्य अभियंता ने नोटशीट में लिखा है.
अध्यक्ष महोदय-- आप स्पेसिफिक प्रश्न नहीं कर रहे हैं इसलिए मंत्री जी वैसे ही उत्तर दे रहे हैं. आप पूछिए या तो वे हां करेंगे या न करेंगे.
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पहला प्रश्न यह है कि RDSS योजना से जो हमारे फीडर केन्द्र छूटे हुए हैं उनको कैसे जोड़ा जाए और दूसरा प्रश्न यह है कि इनके द्वारा RDSS योजना में जो सहमति प्रदान करके जो उत्तर में लेख किया है. इस कनिष्ठ अभियंता के द्वारा गलत कार्य कराए गए हैं, इसको वहीं पदस्थ कर दिया गया है. क्या इसको सेमरिया से हटाकर RDSS योजना की व्यापक जांच करवाएंगे.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी इनका प्रश्न यह है कि इनके जो फीडर छूट गए हैं उनको क्या जोड़ने पर विचार करेंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, यह सरकार जनता की सरकार है हमारा उद्देश्य सभी को बिजली प्रदान करना है. कोई छूट गए हैं तो हम जोड़ने की पूरी कोशिश करेंगे.
श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि स्थानान्तरण नीति बनी हुई है इसके पैरा 8 एवं 9 में स्पष्ट उल्लेख है. यह भी उल्लेख है कि यदि कोई अधिकारी वहां से हटाया जाएगा तो उसको दोबारा उसी स्थान पर पदस्थ नहीं किया जाएगा. तीन वर्षों तक एक लोकल आदमी को पदस्थ करके भ्रष्टाचार करवाया जा रहा है. गरीबों का हक छीना जा रहा है. आप स्थानान्तरण नीति का भी उल्लंघन कर रहे हैं. RDSS योजना में व्यापक भ्रष्टाचार है.
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी आप बैठ जाएं. श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य के एक प्रश्न का उत्तर तो आ गया है दूसरा प्रश्न है उस कनिष्ठ अभियंता के संबंध में क्या करेंगे. उसका उत्तर दिलवा दें.
अध्यक्ष
महोदय-- मैं
आपकी बात से
सहमत हूँ
मैंने कई बार
इंटरप्ट किया
कि वे
स्पेसिफिक
प्रश्न कर लें
लेकिन वे पूरी
इबारत और
इतिहास के बाद
प्रश्न
करेंगे तो
कहां से होगा.
एक बार नहीं 10-10
बार समय दिया
फिर भी आप प्रश्न
करने को तैयार
नहीं हो. आप
पॉलिटिकल हो
तो सामने वाला
भी पॉलिटिकल
जवाब देगा.
मैं आगे बढ़
गया हूँ.
कृपया आप बैठ
जाएं. श्री
प्रणय
पाण्डेय जी
अपना
ध्यानाकर्षण
पढ़ें.
(2) कटनी
की हाउसिंग
बोर्ड कॉलोनी
में व्यापारी
के घर हुई
आगजनी के
संबंध में गैर
जमानती गलत
धाराएं लगाया
जाना.
श्री प्रणय प्रभात पांडे (गुड्डू भैया) (बहोरीबंद), (सर्वश्री डॉ. अभिलाष पाण्डेय, श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,

राज्यमंत्री, लोक स्वस्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,

अध्यक्ष महोदय-- इस ध्यानाकर्षण में चार माननीय सदस्य हैं. चूंकि कार्य सूची में तीन माननीय सदस्यों का ही उल्लेख किया जा सकता था, इसलिए तीन माननीय सदस्यों का ही उल्लेख किया गया है. प्रणय प्रभात पांडे जी हैं, अभिलाष पाण्डेय जी हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि आपमें से जो करना चाहते हैं वह एक-एक पूरक प्रश्न कर लें. प्रणय जी आपका कोई पूरक प्रश्न है.
श्री प्रणय प्रभात पांडे (गुड्डू भैया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें यदि सी.सी.टीवी. कैमरे की भी जांच अगर है तो उसको मंगाकर उसकी एवं इस केस की निष्पक्ष जांच करा ली जाए. चूंकि इसमें हाईकोर्ट का भी है तो उसका भी सम्मान करते हुए निष्पक्ष जांच करा ली जाए
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि इसमें माननीय विधायकगणों के द्वारा आरोप लगाया गया है कि शुभम त्रिपाठी के साथ थाने में कोई पूछताछ हुई है. निश्चित रूप से थाने में सीसीटीवी फुटेज़ उपलब्ध होंगे, उसका ऑडियो रिकॉर्ड भी होता है, उसकी जांच के लिए हम बोल देते हैं.
श्री अभिलाष
पाण्डेय
(जबलपुर-उत्तर)-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, यह
जो घटना है यह 26,
27 अगस्त
की है और
जिसको लेकर
शुभम
त्रिपाठी और
जिनके नाम इस
घटना में हैं
उनका भी मुझे
लगभग तीन से चार
बार पत्र
प्राप्त हुआ
है. चूंकि
उनके दादाजी
ब्राहम्ण
समाज के अध्यक्ष
भी हैं. इस
कारण हमें इस
बात की
जानकारी मिली.
इसमें एक विषय
ध्यान में
आता है कि जिस
तरह से यह
पूरी घटना हुई
है और घटना के
बाद उन्होंने
जो बात कही है,
जिसकी
जानकारी मुझे
पत्र के माध्यम
से प्राप्त
हुई है कि
उनको थाने में
बुलाकर, धमकाने
की बात आई है.
मैं मंत्री जी
से आग्रह करता
हूं कि इस
घटना का एक
बार पुन:
विधिवत
पुनरीक्षण
करवाया जाये और
जांच करवाकर,
यदि इसमें कोई
संलिप्त है
क्योंकि
थाने के अंदर CCTV
कैमरे भी हैं, उन्हें भी
संज्ञान में लेकर, मंत्री जी इस
दिशा में यदि
हम निष्पक्ष
रूप से आगे
बढ़ेंगे तो
समाज में
सरकार की छवि
बनेगी, इसलिए मेरा
आग्रह है कि
इसकी जांच
करवाई जाये.
श्री
नरेन्द्र
शिवाजी पटेल- अध्यक्ष
महोदय, मैंने
पूर्व में कहा
है और जैसा
विधायक जी ने कहा
और जो आरोप
लगाया गया है
कि थाने में
आरोपी से किसी
अन्य की
उपस्थिति में, उनके
द्वारा आरोपी
से पूछताछ की
गई है, उसकी
जांच के लिए
हम उस थाने से
अलग स्टाफ से, उच्च
अधिकारियों
से,
इसकी जांच के
लिए बोल देते
हैं.
डॉ.
अभिलाष पाण्डेय-
धन्यवाद.
श्री
संदीप
श्रीप्रसाद
जायसवाल (मुड़वारा)-
अध्यक्ष
महोदय, थाने के CCTV फुटेज
की बात हो रही
है, घटना
के CCTV फुटेज
से घटना की
गंभीरता का
भान हो सकता
है कि यह कितनी
गंभीर घटना
थी. इसमें
ब्राह्मण
समाज द्वारा
एक ज्ञापन भी
दिया गया था,
इसमें मेरी
जानकारी में
एक और मुजरिम
है लेकिन जैसा
कि इन्होंने
बताया, उसी को सही
मानें, तो अन्य
समाज SC, ST, OBC समाज के भी
लोग हैं, यदि यह
जांच होती है
तो उस निष्पक्ष
जांच में सभी
समाज को ध्यान
में रखा जाये
क्योंकि
आरोपी की कोई
जाति, धर्म नहीं
होता और
निर्दोष का भी
कोई जाति, धर्म
नहीं होता है.
इसलिए CCTV फुटेज और
तकनीकी जांच
का एक बार
विश्लेषण कर
लिया जाये, यह
मेरा अनुरोध
है.
श्री
संजय सत्येन्द्र
पाठक (विजयराघवगढ़)-
अध्यक्ष
महोदय, हमारे
प्रणय पांडे, अभिलाष
जी,
संदीप जी के
ध्यानाकर्षण
पर मंत्री जी
ने जवाब दिया
है. इसमें जो
धारा लगाई गई
है, यह
धारा घर जलाने
और घर के अंदर
निवासरत्
लोगों को
जिंदा जलाने
के प्रयास की
लगाई गई है
जबकि मामला घर
के बाहर,
15-20 फीट
बाहर, बाउण्ड्री
वॉल पर लगी
नेमप्लेट
जलाने का है, एक नेमप्लेन
घर से 15-20 फीट
बाहर जलाई गई
और धारा लगा
दी गई, घर जलाने
की, घर
में निवासरत्
लोगों को
जिंदा जलाने
की.
अध्यक्ष
महोदय, यह जांच
का विषय है कि
जब घर में आग
नहीं लगी, घर के
लोगों को
जलाने का
प्रयास नहीं
हुआ, केवल
नेमप्लेट
जलाने का
कार्य हुआ तो
ये धारायें
किस तरह से
लगाई गई हैं.
हम स्पष्ट
हैं कि थाना
प्रभारी के
कक्ष में
पुलिस रिमांड
के दौरा श्री
शुभम
त्रिपाठी से, नाजि़म
खान और युवक
कांग्रेस के
तत्कालीन
अध्यक्ष और
वर्तमान में
प्रदेश
कांग्रेस
कमेटी के सचिव
श्री दिव्यांशु
मिश्रा ने,
श्री शुभम
त्रिपाठी को
धमकाया कि यदि
आप भारतीय
जनता पार्टी
के एक वरिष्ठ
नेता का नाम
ले लेते हो, तो आपके
ऊपर से प्रकरण
वापस ले लिया
जायेगा, आपको बचा
लिया जायेगा, नहीं तो
आपको जेल जाना
पड़ेगा. जब श्री
शुभम
त्रिपाठी ने
नाम लेने से
इंकार कर दिया, तो उसे
जेल भेज दिया
गया.
अध्यक्ष
महोदय, मेरा
मंत्री जी से
आग्रह है कि
थाना प्रभारी
की उपस्थिति
में, थाने के
अंदर, पुलिस
रिमांड के
दौरान,
नाजि़म
खान और
कांग्रेस
नेता श्री
दिव्यांशु
मिश्रा ने, उससे
कैसे पूछताछ
और सवाल-जवाब
किये ? कैसे
श्री शुभम
त्रिपाठी को
धमकाया ? क्या इस
पर मंत्री जी
कोई कार्रवाई
करेंगे ?
(...व्यवधान...)
श्री
पंकज उपाध्याय-
सरकार
तो आपकी ही है.
श्री
सुरेन्द्र
सिंह हनी बघेल-
अध्यक्ष
महोदय, इसकी
सीबीआई जांच
करवाई जाये.
(...व्यवधान...)
श्री
संजय सत्येन्द्र
पाठक- अभी
वर्तमान में
उसके फ्लैक्स
लगे हैं, आपने
वर्तमान में
उसे प्रदेश
कांग्रेस
कमेटी का सचिव
बनाया है, वह
थाने में
बैठकर धमका
रहा है, थाना
प्रभारी के
सामने धमका
रहा है कि
भारतीय जनता
पार्टी के
नेता का नाम
ले लो तो बच
जाओगे. क्या
पुलिस रिमांड
के दौरान नाजि़म
खान, कांग्रेस
का कोई नेता
थाना प्रभारी
की उपस्थिति
में श्री शुभम
त्रिपाठी को
धमका सकता है ?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि जायसवाल जी ने कहा.
अध्यक्ष
महोदय - मंत्री जी, एक
मिनट.
संसदीय
कार्य मंत्री
(श्री कैलाश
विजयवर्गीय) - अध्यक्ष
जी, मुझे
लगता है कि यह
विषय काफी
गंभीर है.
जैसा कि इधर
भी उत्तेजना
है,
उधर भी उत्तेजना
है.
माननीय
मंत्री जी ने
इसका स्पष्ट
उत्तर दिया
है कि थाने से
हटकर किसी उच्च अधिकारी
से जांच करा
लेंगे. आप बता
दीजिये कि कौन-कौन
से बिन्दु
उसमें जोड़ना
है ? आप
लिखित में दे
दीजिये. हम
एक-एक बिन्दु
पर जांच करवा
लेंगे, माननीय
अध्यक्ष
महोदय. यह मैं
सरकार की ओर
से जवाबदारी से
कह रहा हूँ कि
हम एक-एक बिन्दु
पर जांच करा
लेंगे और यह
सरकार किसी
निर्दोष के
खिलाफ नहीं है, पर
दोषी को बख्शा
नहीं जायेगा, यह
मैं आपको सदन
में जरूर अवगत
कराना
चाहूँगा.
श्री
संजय सत्येन्द्र
पाठक - धन्यवाद,
माननीय
संसदीय कार्य
मंत्री जी.
माननीय अध्यक्ष
जी, पुलिस
थाने के
सी.सी.टी.वी. में
स्पष्ट रूप
से आया है. यह
पुलिस थाने के
थाना प्रभारी
के कक्ष की सी.सी.टी.वी. है.
मेरा आपसे
आग्रह है कि
थाना प्रभारी
की उपस्थिति
में नाजिम खान
और दिव्यांशु
मिश्रा
द्वारा
धमकाया गया है, तो क्या
थाना प्रभारी
को अलग करके
जांच करवा ली
जायेगी ?
अध्यक्ष
महोदय - संजय जी,
आपकी बात विस्तार
से आ गई है.
संसदीय कार्य
मंत्री जी ने
कहा है कि जो
भी बिन्दु
आपके पास हों, आप
मंत्री जी को
दे दें. अब
मंत्री जी को
बोलना चाहिए.
श्री
नरेन्द्र
शिवाजी पटेल - माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
जैसा
कि श्री जायसवाल
जी ने कहा है, तो
मैं निवेदन यह
करना चाहता
हूँ. (श्री अभय
मिश्रा, माननीय
सदस्य
द्वारा अपने
आसन से बन्द
माईक से बोलने
पर) अभय जी, आप
सुन लीजिये.
अभय जी, सदन आपको
खूब सुनता है, अब
दूसरों को भी
सुन लो.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
मैं
यह निवेदन
करना चाहता हूँ
कि
श्री
जायसवाल जी ने
जैसा
जाति-पाति के
बारे में कहा, उनसे मैं
भी 100
प्रतिशत
सहमत हूँ. हम
ऐसी शाखा में
खेलकर आते हैं,
जहां पर गीत
गाया जाता है, 'भूल
कर भी जाति,
पंथ, प्रान्त
की बात न मुख
पर हो,' लेकिन
मैंने सिर्फ
जाति का उल्लेख
इसलिए किया था
कि आपके प्रश्न
में उल्लेख
था,
इसलिए उत्तर
में उल्लेख
आया है. दूसरा,
आदरणीय मैं यह
निवेदन करना
चाहता हूँ कि
यह जो प्रकरण
है,
उसमें लोग न्यायालय
में इंटीसिपेटरी
बेल के लिए गए
थे, उस
इंटीसिपेटरी
बेल के दौरान
न्यायालय ने
जो टिप्पणी
की है, वह मैं
पढ़कर सुनाना
चाहता हूँ, "Provisions
of section 326 (g) of BNS seen of incident appears to be integral part of
building which is ordinarily used as human dwellings" इसका
अर्थ यह है कि
बाउण्ड्रीवॉल
को भी उसका
हिस्सा
बताया है,
जहां पर मानव
रहते हैं, तो
निश्चित रूप
से यह टिप्पणी
है. इसलिए यह
कहना उचित
नहीं होगा कि
पुलिस की
कार्यवाही
ठीक नहीं है,
परन्तु मैं
माननीय सदस्यगणों
की इस चिन्ता
से बिल्कुल 100 प्रतिशत
सहमत हूँ कि
यदि थाने के
अन्दर ऐसा
कोई वाकया हुआ
है, तो
उसके लिए जो
भी दोषी होंगे, उन
पर हम सख्त
कार्यवाही
करेंगे और
उसकी जांच के
लिए उच्च
अधिकारी को
लिखेंगे. जो
भी दोषी पाये
जायेंगे, उनके
खिलाफ बहुत
दण्डात्मक
कार्यवाही
करेंगे.
श्री
संजय सत्येन्द्र
पाठक - माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
मैं
सिर्फ इतना
चाह रहा हूँ
कि थाना
प्रभारी के
कक्ष की
सी.सी.टी.वी. ....
अध्यक्ष
महोदय - जब तक मैं
नाम नहीं
पुकारूँगा, तब
तक आपकी बात
रिकॉर्ड पर
नहीं आयेगी.
दोनों पक्ष के
लोग इसको सुन
लें.
श्री
सुरेन्द्र
सिंह हनी बघेल
-
(XXX)
श्री
अभय मिश्रा - (XXX)
अध्यक्ष
महोदय - अब मैं
आगे बढ़ गया
हूँ.
(XXX) आदेशानुसार रिकॉर्ड नहीं किया गया.
12.54 बजे
अनुपस्थिति
की अनुज्ञा
निर्वाचन
क्षेत्र
क्रमांक-36, श्री
भूपेन्द्र
सिंह एवं
निर्वाचन
क्षेत्र
क्रमांक-82,
श्री कुंवर
सिंह
टेकाम की
अनुपस्थिति
की अनुज्ञा.

12.55 बजे प्रतिवेदनों
की प्रस्तुति
एवं स्वीकृति

(2) लोक लेखा समिति का अड़सठवां से सतासीवां प्रतिवेदन
श्री भंवर सिंह शेखावत (सभापति) -- अध्यक्ष महोदय, मैं लोक लेखा समिति का अड़सठवां से सतासीवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, आपके निर्देश के मुताबिक वर्तमान लोक लेखा समिति अपने कार्य में गहन रुचि लेने के कारण कार्यपालिका पर निगरानी रखने और अपने उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने की भूमिका का निर्वहन बखूबी कर रही है.
अध्यक्ष महोदय, आपके निर्देश के मुताबिक लोक लेखा समिति के सभी माननीय सदस्यों द्वारा समिति की बैठकों में लगातार रुचि लेकर पुराने बैकलॉग को भी समाप्त करने का काम आपके आदेशानुसार किया गया है. जिसके परिणामस्वरूप समिति ने वर्ष 2014-15 से लेकर के अभी तक के सभी बैकलॉग को समाप्त कर सारे प्रतिवेदनों को आपके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है. मैं, मेरी समिति के सभी आदरणीय सदस्यों का बहुत आभारी हूँ. विधान सभा के प्रमुख सचिव महोदय और लोक लेखा समिति के संपूर्ण स्टॉफ को बधाई देता हूँ, जिन्होंने काफी परिश्रम और मेहनत करके समय से इस कार्य को समाप्त करने में और पूर्ण करने में अपनी रुचि दिखाई है. मैं आपके आदेश का पालन करने के लिए माननीय सभी सदस्यों को धन्यवाद देता हूँ. धन्यवाद.
12.57 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
12.58
बजे वित्तीय
विधि विषयक
कार्य
(क) द्वितीय अनुपूरक अनुमान (वर्ष 2025-2026) की मांगों पर मतदान
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. अब चर्चा प्रारंभ होगी. श्री बाला बच्चन जी.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ और कहना तथा बताना चाहता हूँ कि माननीय वित्त मंत्री आदरणीय देवड़ा जी ने वर्ष 2025-2026 के लिए द्वितीय अनुपूरक अनुमान बजट जो रखा है, मैं समझता हूँ कि प्रदेश के लिए बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण यह बजट है. इसमें न युवाओं का ध्यान रखा गया है, न बेरोजगारों का ध्यान रखा गया है, न किसानों का ध्यान रखा गया है. न ही कोई सर्वहारा वर्ग को लाभान्वित करने वाला यह बजट है. यह बजट पूरी तरह से सर्वहारा वर्ग का विरोधी बजट है और मैं इसका विरोध करता हूँ.
अध्यक्ष
महोदय,
मैं अपनी बात
को कहना और
बताना चाहता
हूँ कि जिस
तरह से माननीय
वित्त
मंत्री जी ने
जो वर्ष 2025-26 के
द्वितीय
अनुपूरक अनुमान
की बुक पढ़ी, इसके
सारे जो मुख्य
शीर्ष हैं, उन
समय 1.00 बजे सभापति
महोदय
(डॉ.राजेन्द्र
कुमार सिंह)
पीठासीन हुए.
मद क्रमांक और मांग संख्याएं सबको पढ़ने के बाद यह स्पष्ट होता है कि किस तरह से माननीय वित्त मंत्री जी ने लगभग 13155 करोड़ 94 लाख 81 हजार 85 रुपये के बजट का जो प्रावधान किया है जिन वर्गों,क्षेत्रों,योजनाओं के लिये होना चाहिये था वह कहीं पर भी फलीभूत होता हुआ बिल्कुल भी नहीं दिख रहा है. यह 95 पेज की जो बुक है इसको मैंने पूरा-पूरे पढ़ा है इसको पूरा-पूरा मैंने पढ़ा है और मैं कहना चाहता हूं कि किस तरह से उन्होंने हम सभी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और हम सबका नुकसान किया है उन बातों का उल्लेख करना चाहता हूं. इस अनुपूरक बजट में लगभग 8 हजार 500 करोड़ रुपये का राजस्व व्यय दिखाया गया है और पूंजीगत व्यय लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का दिखाया गया है.इससे यह स्पष्ट होता है कि पूंजीगत व्यय कम दर्शाना हमारी अर्थव्यवस्था कितनी कमजोर हो चुकी है हमारी अर्थव्यवस्था कितनी लचर हो चुकी है इस बात को दर्शाता है और बड़ी विसंगति एक और है उसको भी मैं आगे स्पष्ट करना चाहूंगा. आप हम सब इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं कि जब आपका पूंजीगत व्यय ही कम है तो आप इसका रोजगारों में कमी आयेगी उसके बाद टेक्स का कम कलेक्शन होगा तो यह प्रदेश के हित में बिल्कुल नहीं है और इन बातों का बजट बनाने वालों ने बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा है. जिनके द्वारा बजट बनाया जाता है मैं समझता हूं कि प्रदेश के सर्वहारा वर्ग की बातों को ध्यान में रखते हुए बिल्कुल भी बजट नहीं बनता है. एक बड़ी विसंगति मैं बताना चाहता हूं कि 2 हजार करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय जो बताया गया है मेरे हिसाब से वित्त मंत्री जी जब आप बोलें इस बात को स्पष्ट करना मेरे हिसाब से वह राजस्व व्यय में आना चाहिये था लेकिन आपने उसका उल्लेख पूंजीगत व्यय में किया है जिसका मुख्य शीर्ष है 6408 मद क्रमांक 7 है मांग संख्या 39 है और खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में उपार्जन संस्थाओं को ऋण योजनान्तर्गत ऋण और अग्रिम देना मेरे हिसाब से यह राजस्व मद में आना चाहिये आपने इसको पूंजीगत व्यय में कैसे दर्शाया है.जब आप बोलें तो इस बात को स्पष्ट करें और लगभग 2 हजार करोड़ रुपये की राशि की बात है. माननीय सभापति महोदय, आप हम सब जानते हैं कि पूंजीगत व्यय में क्या आना चाहिये राजस्व व्यय में क्या आना चाहिये यह सदन और मैं समझता हूं कि यह सर्वविदित है और सब इस बात को जानते हैं. आपने जो मेन बजट है मैं सदन की जानकारी में लाना चाहता हूं कि लगभग 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपये का आपका प्रथम बजट था आपका जो प्रथम अनुपूरक बजट था वह लगभग 2325 करोड़ रुपये का था और द्वितीय अनुपूरक बजट 13155 करोड़ 94 लाख 81 हजार 85 रुपये का है लेकिन आप इस बजट को खर्च करने में कितना भेदभाव करते हो माननीय वित्त मंत्री जी और सरकार से भी मैं जानना चाहता हूं कि क्या आपने बजट वर्ष 2024-25 में आपने हम सबसे सदन के विधायकों से वायदा किया था कि हम कांग्रेस के विधायकों को भी उनके यहां इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास के लिये आपकी योजनाओं पर राशि खर्च करने के लिये 5-5 करोड़ रुपये देंगे. आज तक हमारे किसी भी विधायक को 5 करोड़ तो क्या 1-1 करोड़ रुपये भी नहीं मिले हैं और जहां तक मेरी जानकारी में है कि आप कितना भेदभाव करते हो ऐसा कभी होता नहीं था कांग्रेस की सरकारों में ऐसा कभी नहीं हुआ. आपने हमको 5 करोड़ का कहा 5 करोड़ में से 1 करोड़ भी हमको नहीं मिले और भारतीय जनता पार्टी सरकार की पार्टी के विधायकों को 15-15 करोड़ आपने दिये हैं और हमको जो नहीं दिया यह पूरा भेदभाव वाला यह बजट है मैं इसका पुरजोर विरोध करता हूं. हमारे साथी भी इस पर बोलेंगे. आपने विधायकों के ई आफिस के लिये 5-5 लाख रुपये देने की बात कही थी. माननीय मुख्यमंत्री जीआप यहां हैं नहीं लेकिन हमारी बात जरूर आप तक पहुंचेगी. ई आफिस के लिये 5-5 लाख रुपये में से मेरे यहां आज तक आफिस का सेटलमेंट नहीं हुआ है. कांग्रेस पार्टी के कई हमारे विधायक साथी ऐसे हैं जिनके यहां ई आफिस का सेटलमेंट अभी तक नहीं हुआ. ई आफिस वहां अभी तक स्थापित नहीं हुए हैं. माननीय वित्त मंत्री जी आप इन बातों को देखा करें इन बातों पर ध्यान दें. माननीय सभापति महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि इस तरह का भेदभाव आप न करें.
और मैं आपको
कहना और बताना
चाहता हूं कि
जो बजट खर्च
होना चाहिये
प्रदेश में 80
प्रतिशत जनसंख्या
जो है वह
अनुसूचित
जाति जनजाति
पिछड़ा वर्ग
और अल्पसंख्यकों
को मिलाकर 80
प्रतिशत
जनसंख्या
मध्यप्रदेश
में होती है, लेकिन आपने
बजट में कोई
उनकी व्यवस्था
नहीं की है
अनुसूचित
जनजाति जिसके
अंतर्गत मैं
भी आता हूं.
मैं कहना
चाहता हूं कि
लगभग 23
प्रतिशत आबादी
है
आदिवासियों
की मध्यप्रदेश
में तो आपने
उसमें 5
प्रतिशत का भी
बजट नहीं रखा
है इस बजट
अनुमान का.
अनुसूचित जाति
लगभग 16
प्रतिशत है, लेकिन आपने
उनके लिये भी 5
से 10 प्रतिशत
का बजट
प्रॉविजन
नहीं किया और
माननीय
सभापति महोदय, पिछड़ा वर्ग
के लिये तो
आपने 1 रूपया
भी नहीं रखा
है. माननीय
वित्त
मंत्री जी, क्या बजट
आपने बनाया
है. पिछड़ा
वर्ग जो कितनी
बड़ी आबादी, कितनी बड़ी
संख्या में
हैं आपने एक
रूपये का भी
प्रावधान नहीं
किया और अल्पसंख्यक
वर्ग के लिये, उनके हितों
के लिये मात्र
200 रूपये
इसलिये
माननीय
सभापति महोदय
मैंने स्टार्टिंग
में अपनी बात
को कहा कि मैं
पुरजोर इसका
विरोध करता
हूं और यह
बिलकुल जनहित
में नहीं है, जनविरोधी
बजट है, आंकड़ों की
बाजीगरी है, आंकड़ों की
कलाकारी है और
हम इसका
पुरजोर विरोध
करते हैं.
माननीय
सभापति महोदय, प्रदेश के जो
ज्वलंत
मुद्दे हैं उन
मुद्दों की ओर
भी मैं आपका, सदन का और
मंत्रिमंडल
का,
मुख्यमंत्री
जी का, संसदीय
कार्यमंत्री
जी का और वित्त
मंत्री जी का
ध्यान
आकर्षित
कराना चाहता
हूं. माननीय
सभापति महोदय, खलघाट में जो
किसान आंदोलन
हुआ, जिन मुद्दों
को लेकर हुआ
है कि किसानों
की कृषि उपज
का उनके उत्पादनों
का भावांतर
मिलना चाहिये, उनकी सभी
फसलों का या
फिर आपने
समर्थन मूल्य
जिन फसलों का
तय किया था वह
मूल्य मिलना
चाहिये, उनके कर्जे
माफ होना चाहिये
और उनके बाद
उनकी फसलों का
जो नुकसान हुआ
है वह फसलों
की नुकसानी की
भरपाई होना
चाहिये, बड़ी मात्रा
में होना
चाहिये, फसलों का
बीमा मिलना
चाहिये, कुछ भी नहीं
हुआ माननीय
सभापति महोदय
तब जाकर
किसानों ने
आंदोलन किया
और हाल क्या
कर दिया है
चौंकाने वाली
बात है. इस बजट सत्र
को बुलाने के
पहले
अतिवृष्टि
हुई थी माननीय
वित्त
मंत्री जी
लेकिन आपने
राजस्व व्यय
में यह
किसानों की
फसलों की
भरपाई के लिये, उनके मुआवजे
के लिये आपने
एक रूपया भी
नहीं रखा है
और जो खलघाट
में किसानों
ने अपनी समस्याओं
के समाधान के
लिये जो आंदोलन
रखा है उन पर
लगभग 700
किसानों पर
अज्ञात किसानों
के नाम पर
मुकदमे दर्ज
कर दिये और 17
किसानों के
ऊपर नामदर्ज
मुकदमें दर्ज
किये हैं तो
आप कहां और
कैसे कह सकते
हो कि आप
किसानों के हितों
की रक्षा करने
वाली सरकार
है. आप अभी भी चेत
जायें नहीं तो
आप, हम, सब बहुत अच्छे
से जानते हैं
कि अभी जो
आंदोलन
अलग-अलग देशों
में जिन
मुद्दों को
लेकर हो रहे
हैं आज मध्यप्रदेश
और देश भी
हमारा बारूद
के ढेर पर है, कहीं से भी
चिंगारी लग
सकती है. आप इन
किसानों के
मुद्दों का
समाधान
कीजिये, अगर समाधान
नहीं किया तो
कभी भी हालात
बिगड़ सकते
हैं. मैं उस
निमाड़
क्षेत्र से
आता हूं, बड़वानी
जिले की
राजपुर विधान
सभा क्षेत्र से
आता हूं. जहां
पर अंजड़ और
बड़वानी
बड़ी-बड़ी
सेंधवा और
खेतिया कपास
की और अनाज की
बड़ी-बड़ी
मंडियां वहां
पर चलती हैं
और कपास में
भी सीसीआई कोई
खरीदी नहीं
करती है, माश्चर के
नाम से
किसानों के
साथ में धोखा
करती है, किसानों का
कपास काटती है
और मक्का को
न भावांतर में
लिया गया है न
मक्का का आप
समर्थन मूल्य
दे रहे हो.
माननीय
सभापति महोदय, माननीय
संसदीय
कार्यमंत्री
जी ने परसों
ही इस बात को
बोला था और
मैंने उनको
टोका भी था कि
भावांतर
कांग्रेस
सरकार लाई थी.
मैंने उनको
कहा था कि
भावांतर
कांग्रेस
सरकार नहीं
लाई थी, भावांतर
आपकी सरकार
लाई है, लेकिन जिन
उत्पादनों
को लेकर लाई
है तो उनको
भावांतर दो और
भावांतर की
वर्ष 2017-18 और 2018-19 से
शुरूआत की गई
थी,
लेकिन उन पर
सरकार खरी नहीं
उतर रही है, इस कारण से आज
यह हालात हो
रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, आगे मेरा आग्रह है और जो ज्वलंत मुद्दे हैं जिन बातों को लेकर मैं अपनी बात कह रहा हूं हमारे विधायक साथी भी अपनी बात को कहेंगे कि अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग जिसके लिये पूंजीगत व्यय में एक रूपया भी नहीं रखा है तो क्या अब मान लो कि इनकी सम्पत्तियां हैं, इनके जो साधन और संसाधन हैं उनके इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये या उनके रखरखाव के लिये क्या उसमें कोई पैसा नहीं लगेगा, मतलब उनको शून्य में रखा गया है. माननीय वित्तमंत्री जी, मैं खुद भी उस वर्ग से आता हूं, आप भी उस वर्ग से आते हैं आपने ऐसा क्यों किया है, जब आप बोलें तो इन चीजों को आप स्पष्ट करें. आप, हम, सब बहुत अच्छे से जानते हैं हमारे विधायक साथियों ने पहले भी इन बातों को उठाया है कि जीएसटी की राशि हमें जो केन्द्र से मिलना चाहिये उसके पहले जो नहीं मिलती थी लगभग 5 हजार, 6 हजार करोड़ का हमने जो उल्लेख किया था वित्तमंत्री जी ने उस समय भी कोई जवाब नहीं दिया, कुछ बोले नहीं, अभी भी हमारी जानकारी में है कि जीएसटी की जो राशि प्रदेश को मिलना चाहिये थी, वह कम क्यों हो गई.
मैं समझता
हूं कि हम
सबकी भी नजर
आपके ऊपर, आपके
मंत्रिमंडल
और मंत्रियों
के ऊपर भी है
और इस बात को
सबने सुना भी
है और जाना भी
है कि दो-दो, तीन-तीन, चार-चार
विधायकों के
बीच में वहां
मंत्रिमंडल
में वहां बहस
भी हुई थी, हमारे भी
यह मुद्दे हैं, जब आप
मंत्रियों को
अनदेखा कर
देते हो, तो हमको
आप क्या समझ
रहे होंगे?
सभापति
महोदय, पूरे
प्रदेश का
सरकार जो
नुकसान करने
जा रही है, आप इस पर
ध्यान दें, नहीं तो
आगे आने वाले
वक्त में
बहुत बुरे हाल
होंगे, आपने लोक
स्वास्थ्य
एवं मेडीकल
एज्युकेशन
विभाग को तो मिला
दिया है, लेकिन
आपने उनका हाल
क्या कर दिया
है?
आप देख लीजिये
छिंदवाड़ा
में कफ सिरप
कांड होता है, इंदौर
में चूहों के
कुतरने से
नवजातों की जो
मौत होती है, मेडीकल
कॉलेज
छिंदवाड़ा
में है, उसके बाद
भी बच्चों को
इलाज के लिये
ट्रीटमेंट के
लिये अन्य
राज्य में ले
जाना पड़ता है, नागपुर ले
जाना पड़ता है, आपकी स्वास्थ्य
सेवाएं कितनी
लचर हो चुकी
हैं.
सभापति
महोदय, माननीय
संसदीय
कार्यमंत्री
जी इंदौर से
आते हैं. माननीय
वित्तमंत्री
जी आपसे कोई
भी बात छिपी
हुई नहीं है, चाहे
इंदौर की बात
हो,
चाहे
छिंदवाड़ा की
बात हो, पूरे
प्रदेश में
डॉक्टर नहीं
है,
पेरामेडिकल
स्टॉफ नहीं
है,
आपकी स्वास्थ्य
सेवाएं जो
चलना चाहिए थी, वह बिल्कुल
भी ठीक ढंग से
नहीं चल रही
हैं.
माननीय वित्तमंत्री
जी इन बातों
का आप लोग ध्यान
रखें.
सभापति
महोदय, आप मछुआ
कल्याण
विभाग को 66
करोड़ रूपये
की जो राशि
केंद्रांश का
हिस्सा है, जो
केंद्र को
देना चाहिए था, वह माननीय
वित्तमंत्री
जी आप दे रहे
हो.
केंद्र सरकार
इसमें जब डबल
इंजन की जो
बात आती है, तो डबल
इंजन में से
एक इंजन तो
पूरी तरीके से
ट्रेक और पटरी
से उतरता हुआ
दिख रहा है, आगे मैं
उसको और उल्लेख
करना चाहूंगा
कि केंद्र
सरकार ने
हमारा कहां-कहां और
कितना कितना
पैसा या हिस्से
की जो राशि
प्रदेश को जो
मिलना चाहिए
थी और जो नहीं
दी है,
उसको मैं आगे
स्पष्ट
करना चाहूंगा. स्कूल
शिक्षा विभाग
में राजस्व
व्यय का
प्रावधान
बिल्कुल भी
नहीं है, उसमें भी
जीरो है, उसके बाद
आप जब स्कूल
शिक्षा विभाग
में राजस्व
व्यय में आप
कोई राशि नहीं
रख रहे हो, तो खाली
पदों को आप
कैसे भरोगे?
सभापति
महोदय, यही हाल
आदिम जाति कल्याण
विभाग के
जिनके नाम
आपने बदल दिये
हैं,
वहां पर भी है
और उच्च
शिक्षा विभाग
जिसके किसी
समय अभी
वर्तमान में
मुख्यमंत्री
जी खुद भी इस
विभाग के
मंत्री रहे
हैं,
उसमें भी इसको
बजट से ही
गायब कर दिया
गया है. हायर
एज्यूकेशन
विभाग को पूरी
तरह से बजट से
गायब किया हुआ
है,
स्कूल एज्यूकेशन
में कोई
प्रोवीजन
नहीं है. अनुसूचित
जाति और जनजाति
के वर्गों के
लिये कोई प्रोवीजन
नहीं है, पिछड़ा
वर्ग के लिये
कोई प्रोवीजन
नहीं है, अल्पसंख्यक
वर्ग के लिये
कोई प्रोवीजन
नहीं है, तो इसलिए
मैंने कहा कि
बजट पूरी तरह
से प्रदेश की
जनता के
विरोधी बजट है.
सभापति
महोदय, मैं आगे
उल्लेख करना
चाहता हूं कि
माननीय वित्तमंत्री
जी आपने वह
आंकड़े दिये
नहीं है. अभी
31 मार्च,
2026 तक
लगभग 4 लाख 60
हजार करोड़
रूपये का कर्ज
वाली यह सरकार
बन जायेगी. अभी लगभग 4
लाख 60 हजार
करोड़ रूपये
का कर्ज हमारे
ऊपर यह डॉ.
मोहन यादव जी
की सरकार
छोड़कर
जायेगी, देवड़ा
जी की सरकार
छोड़कर
जायेगी. लगभग 4
लाख 60 हजार
करोड़ रूपये
का कर्ज 31
मार्च 2026 तक
छोड़कर
जायेगी.
सभापति
महोदय, मैं
माननीय वित्तमंत्री
जी से यह
जानना चाहता
हूं कि अभी
आपने खाद्य नागरिक
आपूर्ति
विभाग से जो
लगभग-लगभग जो
राशि ली है, वह करीब 1
लाख 59 हजार 359
करोड़ रूपये
है,
जो हमको
केंद्र से जो
मिलना चाहिए
था, मात्र
70 करोड़ रूपये
मिले हैं, लेकिन 68
हजार 348 करोड़
रूपये माननीय
सभापति महोदय, आज भी डबल
इंजन की सरकार
ने हमको नहीं
दिये है. हमारा यह
आग्रह है, हमारा
कहना है, हमारा यह
निवेदन है कि
माननीय वित्तमंत्री
जी,
माननीय मुख्यमंत्री
जी और संसदीय
कार्यमंत्री
जी मध्यप्रदेश
के हिस्से का
जो पैसा है वह
आपने क्यों
नहीं लिया है? केंद्र
से जो पैसा
धान और गेहूं
की खरीदी पर मिलना
चाहिए था, वह हमको
पिछले पांच
वर्ष में क्यों
नहीं मिला है? मेरा
प्रश्न
क्रमांक-507 था,
01 दिसंबर,
2025 को लगा था, मैं उसी
का उल्लेख कर
रहा हूं, उसका जो
जवाब सरकार ने
दिया है कि 68
हजार 348 करोड़
रूपये केंद्र
से लेना अभी
भी बाकी है और
यह जो कर्ज के
रूप में इन्होंने
बैंकों से कर्ज
लिया था, वह पिछले
पांच साल में 23
हजार करोड़
रूपये का ब्याज
आपको भरना
पड़ा है, तो आप ऐसा
बजट बनाओगे, ऐसी
सरकार चलाओगे? ऐसे आप
पूरे प्रदेश
का कबाड़ा
करोगे? माननीय
वित्तमंत्री
जी आप इन सब
चीजों को
बतायें, आपको
प्रदेश की
जनता कभी माफ
करने वाली
नहीं है, आप इन
बातों को स्पष्ट
करें.
सभापति महोदय, बात यही समाप्त नहीं हो जाती है, हमारे किसानों के लिये जो नियम 139 के अंतर्गत जो कांग्रेस पार्टी के हमारे विधायक दल ने और हमारे विधायक दल के नेता उमंग सिंघार जी ने सबने मिलकर जो चर्चा उठाई थी, हमारे बहुत सारे भाजपा के विधायक साथियों ने भी उसका समर्थन किया था, ठीक है उन्होंने दबी आवाज में सही, पर उसका समर्थन किया था. हमारा कहना है कि जब अतिवृष्टि से जो नुकसान हुआ है, तो आपने उसकी तैयारी क्यों नहीं की और राजस्व व्यय में आपने एक रूपये का प्रावधान नहीं रखा है, तो आप उनको राशि कहां और कैसे दोगे? आपने उनके भावांतर के लिये लगभग पांच सौ करोड़ रूपये का रखा है, लेकिन आपने वह सोयाबीन के लिये रखा है.
हमारा
कहना है कि
समर्थन मूल्य
पर आपने जो
शुरूआत की थी
खरीदी की कपास, मक्का, तिलहन, मूंग, उड़द, तिल
और रामतिल की
उन सभी को
लेना चाहिए. आपने
इनको क्यों
छोड़ दिया.
हमारे निमाड़
और मालवा में
मक्का का उत्पादन
खरीब से ज्यादा
रबी की फसल में
होता है लेकिन
इन्होंने
मक्का कपास
सबको छोड़
दिया है. आपसे
आग्रह है कि आप
सरकार के वित्त
मंत्री हो सभी
किसानों की
भावनाओं को ध्याना
रखा जाना
चाहिए.
हमारे
यहां सीसीआई
खरीदी करती है,
अंजड़ में, बडवानी, सेंधवा
खेतिया में
कपास की खरीदी
करती है, किसानों को
इतना परेशान
करती है उनके
कपास की खरीदी
नहीं करती है]
महेश्वर के
नाम से धोखा
दे रही है, उसके बाद
कपास काट लेती
है और किसानों
को समय पर
पेमेंट नहीं
होता है.
शिवराज सिंह
और नरेन्द्र
मोदी जी कहते
थे कि वर्ष 2022 तक
किसानों की आय
को दोगुनी कर
देंगे, ये तो दूर की
बात है] किसानों को
एमएसपी भी समय
पर नहीं मिल
पा रही है. आपने
किसानों को
समर्थन मूल्य
से भी दूर कर
दिया है, इससे
किसानों को
बहुत नाराजगी, पीड़ा
और परेशानी है. ये जो
दूसरा
अनुपूरक
अनुमान आया है
आप इसमें उनकी
कुछ व्यवस्था
करें, राहत दिलाए. सभापति
जी, मुख्यमंत्री
जी गौ-माता की
बात करते हैं
लेकिन इस सेकेण्ड
अनुपूरक में
पशुपालन
विभाग के लिए
आपने बजट में
कुछ भी नहीं
रखा है ऐसे
कितने विभाग
जिसको मैंने
आपने बताया है
ये पूरी बुक 95 पेज की (बजट
अनुमान की
पुस्तक
दिखाते हुए)
जिसके सारे
शीर्ष, मद और अनुदान
मांगों को
हमने पढ़ा है
पूरी तरह से
निराश और प्रदेश
की
जनता-जनार्दन
को तोड़ देने
वाला बजट है.
आप गौमाता की
बात करते हैं
उसमें एक रुपए
का बजट नहीं
है तो आप किस
तरह से गौमाता
के हितों की
रक्षा कर
पाएंगे और
पोषण आहार
उपलब्ध करवा
पाएंगे.
सभापति
महोदय, सिंगरौली की
कोल ब्लाक
आवंटन के बारे
में कहना
चाहता हूं कि
पैसा और कानून
की क्या
धज्जियां
उड़ाई हैं,
सिंगरौली में
कोल ब्लाक
आवंटन के नाम
से लगभग 6 लाख
पेड़ों की
कटाई चल रही
है.
आदिवासियों
के ऊपर एफआईआर
हो रही हैं,
आदिवासियों
की आवाज को
दबाने के लिए
सामने वाला जो
पक्ष है, उनके
खिलाफ कोई
एफआईआर नहीं
की गई है और
आदिवासियों
के खिलाफ
एफआईआर की जा
रही है, उन्हें
जिलाबदर किया
जा रहा है, उनके
हितों की
रक्षा करें और लगभग 6
लाख पेड़ों की
जो कटाई की जा
रही है माननीय
वित्त
मंत्री जी इस
पर आप ध्यान
दें. मुझे
नहीं लगता कि सरकार
कहीं पर भी इन सब ज्वलंत
मुद्दों को
लेकर खड़ी हुई
दिख रही है, या
उनके हितों की
रक्षा करते
हुए दिख रही
है. सभापति जी, जिस तरह से
अभी खलघाट के 700
अज्ञात किसानों
पर और जो 17
किसान है, जिनके
नाम से प्रकरण
दर्ज किए हैं, हमने
15 महीने की
सरकार में जो
भारतीय जनता
की पार्टी ने
किसानों की जो
मांगें थीं,
मंदसौर में
किसान जो मांग
कर रहे थे, उनकी
समस्याओं का
समाधान नहीं
किया तो, उनको
गोली मारी थी
और गोली मारने
के बाद भी जो आंदोलन
चले थे, वह हमारी
सरकार ने, कमलनाथ
जी की सरकार
लगभग 3180
किसानों के
प्रकरण हमने वापस
लिए थे और
उसके बाद लगभग
15 महीने की
सरकार में
लगभग साढ़े ग्यारह
सौ करोड़ रुपए
का कर्ज माफ
किए थे, हमने लगभग 27
लाख किसानों
के कर्ज माफ
किए गए थे.
माननीय
वित्त
मंत्री जी, मैं
आपसे जानना
चाहता हूं कि
अभी खलघाट में
जो आंदोलन हुआ
था वहां पर
किसानों ने अपनी
बात को जहां
उजागर किया था. आपने 700
अज्ञात लोगों
और 17 उसमें जो
ज्ञात नाम से
प्रकरण दर्ज
किए हैं क्या
ये प्रकरण
वापस लेंगे और
क्या
किसानों की
समस्याओं का
समाधान करोगे
और ये जो जन
विरोधी, किसान
विरोध, युवा विरोधी
और सर्वहारा
विरोधी जो बजट
है जब हम और
हमारे विधायक
साथी जब
बोलेंगे तो आप
उनकी बात को
सुने और उनकी
समस्याओं का
समाधान
करेंगे.
सभापति
जी, मैं
पुरजोर तरीके
से इस दूसरे
अनुपूरक
अनुमान बजट का
विरोध करता
हूं और आपसे
उम्मीद कर
सकता हूं, लेकिन
अभी तक आपने
हमारी कोई बात
नहीं सुनी, न
उसका समाधान
किया है. आगे आप
हमारी बात को
सुने और उनका
समाधान भी करें.
सभापति जी
आपने मुझे
सर्वहारा
वर्ग और प्रदेश की
जनता की बात
रखने के लिए
जो समय दिया
है, इसके
लिए मैं आपका
धन्यवाद
करता हूं.
सभापति
महोदय – धन्यवाद
बाला जी.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद)—सभापति महोदय, मैं तृतीय अनुपूरक बजट 1 लाख 30 हजार करोड़ से भी ज्यादा की राशि का है उसका मैं स्वागत करता हूं. माननीय वित्तमंत्री जी ने माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में सभी विभागों का बहुत बारीकी से अध्ययन करके एक नयी विकास की रचना की है. मैं भी बड़े ही ध्यान से सुन रहा था कि कुछ विभागों के नाम नहीं हैं. अनुपूरक बजट हमेशा जो चीज में मुख्य बजट से बच जाता है जिसमें कमी रह जाती है उसकी पूर्ति के लिये अनुपूरक बजट लाया जाता है. ना कि हर विभाग की मूल जरूरत हो. यह कहीं कहीं समय और परिस्थितियों के कारण कुछ काम जल्दी होते हैं, कुछ काम विलंब से होते हैं तो उस हिसाब से उसकी गति के अनुमान से उसको प्लास-माईनस करके सरकार उस व्यवस्था को चलाती है. मैं वास्तव में बहुत बहुत अभिनन्दन करना चाहता हूं. कुछ बातें इस बजट में बड़ी बारीकी से अगर मैं देखता हूं तो जैसा हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी तथा माननीय प्रधानमंत्री जी के मन की सोच है कि इस अनुपूरक बजट में केवल प्रधानमंत्री आवास के लिये ही 4 हजार करोड़ रूपया अतिरिक्त का प्रावधान किया. मुझे पता चला कि कुछ प्रधानमंत्री आवास की किश्ते ट्रांसफर हुई हैं. एक छोटी सी बात हर गांव में, हर व्यक्ति के घर में छत बनाना, प्रधानमंत्री जी ने तथा माननीय मुख्यमंत्री जी ने उसको चेलेंज के रूप लेकर जिस तेजी के साथ काम रह हैं, यह वास्तव में बहुत अभिनन्दनीय है. मैं यहां पर उस दृष्टिकोण से कहीं पर भी यह चर्चा नहीं आयी कि यह प्रधानमंत्री आवास में कोई भी राजनीति किसी ने की. अभी तक नियम इतने स्पष्ट बना दिये हैं कि कोई भी आदमी डायरेक्ट आन लाईन कर सकता है. उसमें न ही पंचायत की जरूरत है, ना ही नगरपालिका की जरूरत है. यह हमारी सरकार की स्पष्टवादी नीति है और पारदर्शिता का जीता-जागता उदाहरण है. जिस उदाहरण में यह बात भी बहुत स्पष्ट आती है कि कहीं ना कहीं केवल बात ही नहीं कर रहे हैं आन लाईन वह आवेदन दे रहा है उसकी आन लाईन जांच हो रही है, आन लाईन ट्रांसफर हो रहा है. जैसे हम अन्य चीजों में कर रहे हैं. मुझे आज भी वास्तव में ताजुब होता है कि दूसरा सबसे बड़ा बजट जो दिया वह लाडली बहना को दिया है. उसमें 1793 करोड़ 75 लाख रूपया दिया है. लाडली बहना एक ऐसी योजना है जो मध्यप्रदेश से शुरू होकर के कई राज्यों में गई. वास्तव में घर में मैं सभापति महोदय खुद साक्षी हूं कि कई गांवों में जाते हैं और जब वहां पर चर्चा होती है. अनाज सरकार फ्री दे देती है, मकान प्रधानमंत्री सड़क में बन गया. उसके बाद किसान को साल में दो बार फसल के पैसे आते हैं और कहीं कोई अतिथि आ गया उस समय घर की महिला के हाथ में पैसा ना हो आदमी से मांगे वह ना देने पर जो झगड़े होते हैं वह झगड़े 80 प्रतिशत कम हो गये हैं. मैं इस बात का बहुत बहुत अभिनन्दन और बधाई देना चाहता हूं कि घर के झगड़े कम कराने जितनी बारीकी तक का काम क्योंकि उस पैसे से लाना क्या है नमक-मिर्च, तेल, मसाला एवं चाय की पत्ती, दूध गांव में सामान्य परिवार से इससे ज्यादा किसी चीज की जरूरत नहीं होती है जिसके कारण उनके झगड़े कितने कम होते हैं. मैं इसलिये इस बात का भी अभिनन्दन करता हूं कि आवास के साथ साथ लाडली बहना के बारे में चिन्ता करते हुए यह किया. लेकिन लाडली बहना के साथ जब हम बात करते हैं कि गांव का तीसरा हिस्सा आता है कि पंचायत का विकास उसके विकास में सभी अलग अलग मदों को मैं मिला दूं तो 16 सौ 32 करोड़ रूपया ग्रामीण मंत्रालय को दिया गया है. क्योंकि जो भी चीजें छूटीं हम आवास और उसके बाद लाडली बहना उसके बाद पंचायत उसके सिंचाई पर भी फोकस किया. सिंचाई में भी नर्मदा घाटी अन्य सिचांई के मदों का टोटल कर दूं तो 12 सौ 77 करोड़ 31 लाख रूपया सिंचाई और पानी की व्यवस्था के लिये किया है. मैं जब भी बात को सोचता हूं और विपक्ष कई बार बात करता है.
लेकिन
नर्मदा के
पानी का
बंटवारा वर्ष
1978 में हो गया था.
उससे लेकर
वर्ष 2006 तक उस
पानी की चिंता
किसी ने नहीं
की और उस पानी
की कमी के
कारण हमारा
किसान सालों
साल पिछड़
गया. वर्ष 2007 से
इस पर काम
शुरू हुआ. टॉप-3 में
से एक विषय
पेयजल या
सिंचाई के
पानी के लिए
व्यवस्था
पर चर्चा की
जाती है और
उसका असर
किसानों की
आमदनी और तरक्की
पर दिखता है.
आप किसी भी
गांव में चले
जाइए. मैं खुद
भी इस सदन में
लगातार 5वीं बार
आ रहा हॅूं.
मैंने वह दिन
भी देखें हैं
जब गांवों में
न बिजली होती
थी, न
सड़क होती थी, न
कोई स्कूल का
कक्ष होता था
और न कुछ होता
था. आज परिस्थितियां
पूरी बदल गई
हैं.
आज
गांवों में
ऐसा कोई गांव
नहीं मिलेगा,
जहां यह
सुविधा न हो.
सभापति
महोदय, मैं
गारंटी के साथ
कह सकता हॅूं
कि ऐसा नहीं
है कि पूरे मध्यप्रदेश
में किसी का
व्यक्तिगत
कंस्ट्रक्शन का
काम नहीं चल
रहा है क्योंकि
कन्ट्रक्शन
का काम आदमी
तभी करता है
जब वह अपनी
रोटी, कपड़ा,
मकान जैसे
मूलभूत
जरूरतों के
बाद
ही
अन्य कन्ट्रक्शन
में आता है, तो वह काम
कर रहा है. वह
वास्तव में
विकास का एक
सूचक भी है और
एक दर्शन भी उसके
साथ आता है.
केवल अब मकान, लाड़ली
बहना, पंचायत,
सिंचाई ही
नहीं, बल्कि
इसके बाद अगर
नंबर आता है तो
उद्योग विभाग
का नंबर आता
है.
सभापति
महोदय,
मैं
मुख्यमंत्री
जी को वास्तव
में धन्यवाद
देता हॅूं
जिन्होंने
इस वर्ष को
उद्योग वर्ष
घोषित करके
बहुत तेजी से
चाहे वह नेशनल,
चाहे
इंटरनेशनल,
चाहे राज्य
में भी
अलग-अलग कैम्प
लगाकर
उद्योगों को
न्यौता देकर
काम तेजी से
बढ़ाया है.
उसके लिए भी 727 करोड़
30 लाख रूपए का
अतिरिक्त
बजट दोनों
विभाग
एमएसएमई और
उद्योग
मिलाकर जोड़ा
है ताकि रोजगार
के अवसर तेजी
से बढे़. क्योंकि
धीरे-धीरे
जैसे-जैसे
ऑटोमेशन होगा,
वैसे-वैसे
कृषि में काम
करने के लोगों
के नंबर कम
होंगे और वे
नंबर्स जब कम
होंगे,
उनके
लिए उद्योग के
अलावा और कोई
माध्यम नहीं
हो सकता है
जहां उनका
रोजगार हो. टेक्नालाजी
के माध्यम से
दूसरे में कम
होंगे,
तो
हमें कहीं न
कहीं
उद्योगों को
बढ़ावा देना पडे़गा.
उसके लिए कई
योजनाएं
बनायी जानी
चाहिए.
सभापति
महोदय,
साथ
ही उन्होंने
भावांतर
योजना में भी 500
करोड़ रूपए का
प्रावधान
किया. कम-ज्यादा
होगा, तो और भी
किया जायेगा.
मैं सुन रहा
हॅूं उस पर
काफी चर्चाएं
हो चुकी हैं, इसलिए मैं
उस पर नहीं
कहना चाहता.
लेकिन साथ ही
साथ हमारे
रेवेन्यू
विभाग में
भू-अभिलेख के
लिये ऑटोमेशन
के लिये 77.2
करोड़ रूपए का
भी प्रावधान
किया, क्योंकि
धीरे-धीरे अब
वह स्थिति आ
रही है कि हम
किसी व्यक्ति
पर आधारित होने
के बजाय
सेटेलाइट से
सीधे डाटा पर
आधारित होंगे.
गांव की
पंचायतों में
पटवारियों से
लेकर रेवेन्यू
डिपार्टमेंट
में कई बार
कन्फ्यूजन
और कन्फ्यूजन
के कारण
वाद-विवाद और
उनके विवाद
सालों-साल चलते
रहते हैं
जितने की जमीन
हो, उतने
की लड़ाई होती
है उसके कारण
वकीलों को पैसे
दे दें और लोग
जो इसके कारण
टेंशन में
रहते हैं उनके
लिए सेटेलाइट
से भू-अभिलेख
का डिजिटलाइजेशन
करके हर जगह
यह स्पष्टीकरण
करना वास्तव
में बहुत
जरूरत की बात
है. यह जरूरत
केवल दिखावे
की नहीं है.
उसमें वास्तव
में हमने कई
बार देखा है
कि आधे डिस्प्यूट्स
रेवेन्यू
विभाग के कम
होते हैं तो
सरकार का समय
और सरकार के
उन
अधिकारियों
की
अपॉर्चुनिटी ऑफ
टाइम का भी
बेनिफिट
सरकार को होता
है और हम विकास
की तरफ आगे
बढ़ते हैं क्योंकि
विवाद से कभी
भी विकास आगे
नहीं होता है.
विवाद विकास
का सबसे बड़ा
बाधक होता है.
उस बाधक को कम
करने का एक
बहुत सुंदर
प्रयास किया
गया. लेकिन
अगर जब हम बात
करेंगे, तो इन
सबके लिए सबसे
ज्यादा
जरूरत होती है
कि शिक्षा के
क्षेत्र में क्या
प्रावधान है.
सभापति
महोदय --
माननीय सदस्य
का भाषण जारी
रहेगा.
सदन
की कार्यवाही
अपराह्न 3.00 बजे
तक के लिए स्थगित
की जाती है.
(अपराह्न
1.30 बजे से 3.00 बजे
तक अन्तराल)
3.08 बजे
{ माननीय अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय- श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी का वक्तव्य जारी है, जारी रहेगा.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम चर्चा कर रहे थे, भू-अभिलेख के लिये कि जो ऑटोमेशन के लिये 77.20 रूपये दिये, ताकि सामान्य जन-मानस को धीरे-धीरे सब चीज डिजिटल होने के कारण बार-बार केस और विवादों से बचने का अवसर मिले. लेकिन यह सब के साथ शिक्षा भी एक सबसे महत्वपूर्ण, भविष्य की नींव के लिये सबसे जरूरी है और शिक्षा में जिस तरीके से अभी 122 करोड़ प्लस 100 करोड़ मिलाकर और 54 करोड़ रूपये मिलाकर 384 करोड़ रूपये अलग-अलग मद में शिक्षा विभाग के लिये दिया.
अध्यक्ष महोदय, मैं इस सरकार का इस बात के लिये भी बहुत-बहुत अभिनन्दन करना चाहता हूं कि माननीय शिवराज जी ने जो सीएम.राइज स्कूल शुरू किये थे, उस स्कूल में दो स्कूल मेरी विधान सभा में भी आये थे. दोनों स्कूल बने, 40-45 करोड़ एक एक स्कूल पर लगे और लगने के बाद चालू होने के 6 महीने में उस एरिये में पहला आईएसओ सर्टिफिकेशन भी मिल गया सीएम राइज स्कूल को. एक सरकारी स्कूल को नीमच, मन्दसौर जिले में, प्रायवेट स्कूल को भी आईएसओ सर्टिफिकेशन नहीं होता है. इतना सिस्टम बनाना सरकारी तंत्र में और सिस्टम बनाकर उसका सर्टिफिकेशन लेना, हर एक का दायित्व तय होना और उसका एक्सीक्यूशन करना, ताकि कोई भी बच्चे को यह कहने का अवसर न मिले सरकारी स्कूल में कि उसे गरीब परिवार में पैदा होने के कारण वह पीछे रह गया.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)—अध्यक्ष महोदय, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका ओमप्रकाश सखलेचा जी की है. ये अपनी विधान सभा में पूरी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम करते हैं. एक कार्यक्रम में मैं भी गया था. माननीय सदस्यों को अवगत कराना चाहता हूं कि जो भी बच्चे इनके यहां अच्छे नम्बरों से पास होते हैं, उन्हें ये कम्प्यूटर देते हैं और अपने विधान सभा क्षेत्र के बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ें, इसके लिये आपने बहुत काम किया है.
अध्यक्ष महोदय—बहुत अच्छा, बधाई आपको.
श्री
ओमप्रकाश
सखलेचा--
अध्यक्ष
महोदय,
अभी एक और
जानकारी दूं
कि अभी एक
बेटी का
हमारी विधान
सभा की,
जापान की
यूनिवर्सिटी में 12वीं के
बाद
एडमिशन हुआ. पूरा
हमने सीएसआर
से फण्ड
दिलवाकर उसे भेज
रहे हैं.
ऐसे 8 बच्चे
हमारे 2026
में जापान
पढ़ने के लिये
जायेंगे और कोई
सरकारी मदद
नहीं होगी. उसका
सिस्टम पूरा
फालो
कर रहे हैं.
मैं
इससे दो कदम
आगे
और भी
कोशिश कर रहा
हूं.
अभी 1500
बच्चों को मैं
सरकारी स्कूल
के
9वीं,10वीं एवं
11वीं के बच्चों
को एआई
सिखा रहा हूं.
महाराष्ट्र
नॉलेज
कार्पोरेशन और विजय
भटकर
की टीम
मिलकर
उनको ट्रेंड
कर रही है और एक साल
में
एआई के माध्यम
से
चाहे
एग्रीकल्चर
हो,
चाहे
मार्केटिंग
हो, वह
बच्चे वर्क
फ्रॉम होम से 12वीं
पास
करने तक 15-20 हजार
रुपया महीना शाम को 3 घण्टे घर पर बैठक
कमाना सीख जायेंगे,
क्योंकि जब हम
आत्मनिर्भर
भारत की
बात करते
हैं, हमारे
प्रधानमंत्री
जी और
हमारे
मुख्यमंत्री
जी की मंशा
के अनुरुप आने
वाली पीढ़ी को
हम
उसकी आत्मनिर्भरता 18 वर्ष
की उम्र
में
तय
नहीं कर
पायेंगे तो वह फिर
पता नहीं कितने
साल तक
अच्छी नौकरी
ही
ढूण्ढता
रहेगा.
कालेज
और
ग्रेजुएशन,
पोस्ट
ग्रेजुएशन, पता
नहीं कितने
कोर्स करता
रहता और
उस परिवार
में कई
बार
आपत्तियां होती
हैं
कि
भैया उसके मन
माफिक
जॉब नहीं
मिलता है. तो शिक्षा
में यह जो
परिवर्तन कर रहे
हैं. मैं इस
बात की भी बधाई
देकर यह
आग्रह करना
चाहता
हूं, अभी
शिक्षा
मंत्री जी एवं
मुख्यमंत्री
जी
नहीं है,
उनसे मेरी
चर्चा हुई कि यह जो
संदीपनी स्कूल
का जो नाम कर
दिया है.
इसमें
दो शिफ्ट में
कर दें, क्योंकि
एक शिफ्ट में 1700 बच्चे
पढ़ते हैं और अगर
इन्हीं
स्कूलों में आधा
घण्टा
ओवर लेप
होते है,
वह
मेनेज करके
अगर
दोनों
शिफ्ट चला
दें.
ऐसी
मुख्यमंत्री
जी ने चर्चा
की, तो
मेरी चर्चा
हुई. हमारे
एरिये के
दोनों स्कूल तैयार
हैं कि
वह डबल शिफ्ट
चलाकर के और बच्चों
की इस
संदीपनी में एडमिशन
लेकर के
आगे बढ़ने का
अवसर
मिल सके,
क्योंकि इससे
बेहतर स्कूल
प्रायवेट भी
स्कूल उस
एरिये में
कहीं पर भी
नहीं है.
मैं
इस बात की भी
यहां पर
चर्चा
करना चाहता
हूं कि
सेकण्ड
शिफ्ट के साथ हम कुछ और मेरे दो स्कूलों के भवन रिलीज करने का
मुझे आज
कहा.
मैं उसकी भी शिक्षा
मंत्री एवं
मुख्यमंत्री
जी, दोनों को
बहुत बधाई
देना चाहता
हूं कि
दो और स्कूल
के भवन
अभी स्वीकृत
करके
एक और
अवसर हमारे बच्चों
को आगे बढ़ने के अवसर
में एक
सहयोग करेंगे.
साथ ही
मैं दो विषय
पर और
थोढ़ी सी
चर्चा करना
चाहूंगा कि
टूरिज्म,
मध्यप्रदेश
टूरिज्म में
किसी जमाने
में और
टूरिज्म के माध्यम
से रोजगार के
अवसर
में
बहुत पीछे
था. अभी
पिछले एक साल
से जिस
तेजी
से इस दिशा
में काम हो
रहा है,
टूरिज्म के
कई स्पॉट्स की सरकार ने
जमीनें देकर
और वह
टूरिज्म कई
राज्यों का एक
रोजगार का
सबसे बड़ा अवसर हो
सकता है और
मध्यप्रदेश की धरा
तो
आध्यात्मिक और अन्य विषयों
से भी
टूरिज्म में
सबसे बड़ी धरा
है और उसमें जब हमारा
प्रदेश इस विषय
पर
बढ़ेगा तो
हमारे हजारों बच्चों
को एक
रोजगार के नये
अवसर
मिलेंगे. कई
होटल्स
खुलेंगे, कई होटले
चलेंगे,
टेक्सियां
चलेगी, आदमी
घूमेंगे तो
मध्यप्रदेश
की नेट आमदनी
में काफी इम्पेक्ट
आयेगा. इसके
अलावा कुछ
विषय और
गंभीरता के
साथ मैं सदन
के ध्यान में
लाना चाहता
हूं कि जिस
तरीके से
नगरीय निकाय
विभाग ने,
माननीय नगरीय
विकास और आवास
मंत्री श्री
कैलाश
विजयवर्गीय
जी सदन में
उपस्थित हैं .अध्यक्ष
जी माननीय
मंत्री जी
प्रदेश की नगर
पालिकाओं को
आत्मनिर्भर
बनाना चाहते
हैं. जब मैं
माननीय
मंत्री जी से
किसी मामले में
अनुरोध करने
गया कि मेरे
यहां पर काफी
नगर परिषदें
और नगर
पंचायते हैं,
उसमें माननीय
मंत्री जी ने
उदारतापूर्वक
मुझसे कहा कि
मैं इसमें नगर
परिषद और नगर
पंचायत को एक
एक करोड़ रूपये
दूंगा, बाकी
का पैसा आप
स्वयं
जुटायें और
सभी नगर पंचायतों
का टोटल बिजली
का बिल सोलर
पर लाकर के
उन्हें सबसे
बड़े खर्चे से
मुक्त करा दो.
माननीय कैलाश
जी आपका बहुत
धन्यवाद बहुत
अभिनंदन कि
आपने एक एक
करोड़ रूपये
देने का कहा
है और मैं आशा
करता हूं कि
यह राशि अगले 10
दिन में पहुंच
भी जायेगी और
मैं आपसे वायदा
कर रहा हूं कि
2 महीने
में अपनी सभी
नगर परिषदों
को मैं बिजली
के बिल से मुक्त
करा दूगा.
क्योंकि सबसे
बड़ा खर्चा
इसी का है..
श्री
भंवरसिंह
शेखावत-- अरे
सबको तो दो. एक
करोड़ रूपया
अपने अपनो को
दे दोगे बस.
संसदीय
कार्य
मंत्री
(श्री कैलाश
विजयवर्गीय)--
आपने आज तक
मांगा क्या,
यह बताओ (हंसी)
अध्यक्ष जी
मैं बिना
मांगे कैसे दे
दूं. (हंसी)
श्री
बाला बच्चन --
अध्यक्ष
महोदय, हमारे
दल की तरफ से
हमारे नेता
प्रतिपक्ष ने
हम सबकी तरफ से
आपसे मांगा
हुआ है, जिसका
हमने उल्लेख
भी किया है कि 5-5
करोड़ रूपये
हमने मांगे
हैं तो दो न.
श्री
ओमप्रकाश
सखलेचा --
माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
मध्यप्रदेश
में सोलर की
शुरूवात भी
जावद से हुई
थी, एशिया का
सबसे बड़ा
सोलर का पॉवर
प्रोजेक्ट 2012
में जावद से
शुरू हुआ था
जिसका
लोकार्पण भी
हमारे
तत्कालीन मुख्यमंत्री
माननीय
नरेन्द्र
मोदी जी
और शिवराज
सिंह दी दोनो
ने आकर किया
था जिसके कारण
उस क्षेत्र के
किसानों को
बहुत राहत भी
मिली और धीरे
धीरे हम सोलर
एनर्जी में
आगे बढ़ गये.
अभी कल एक
रिपोर्ट पढ़
रहा था,
मीडिया में
आया था कि 9
हजार मेगावॉट
सोलर एनर्जी
पर बात हो रही
है, जबकि
बिजली विभाग
कुछ कम बोल
रहा था
क्योंकि जैसे
ही बिजली सोलर
के माध्यम से
दिन में
ज्यादा बिजली
पैदा होगी तो
मुझे यह बताते
हुये खुशी
होगी कि
किसानों को भी
पूरे दिन
बिजली मिल
पायेगी,
क्योंकि रात
की बिजली के
लिये ज्यादा
पैसा खर्च
करना पड़ेगा
सरकार को, तो
यह बहुत बड़ा
प्रयास
मध्यप्रदेश
की सरकार कर
रही है मैं
उसके लिये भी
बहुत बहुत
अभिनंदन करना
चाहूंगा.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, ऐसे ही
पीडब्ल्यूडी
इन्फ्रास्ट्रक्चर
रोड के मामले
में जब बात आती
है तो रोड में
अभी काफी
एडिशनल बजट
दिया गया है,
पीडब्ल्यूडी
को लेकिन मैं
माननीय
मंत्री जी
द्वारा हमारे
क्षेत्र की जो
2 सड़कें
स्वीकृत की हैं
उसके लिये
बधाई भी देना
चाहूंगा. अथवा
सेना तलाई
व्हाया टोकरा
की 8 किलोमीटर
फरूट से सेना तलाई रोड
का यह दूसरा
टुकड़ा है,
अनादर 8 किलोमीटर,
16 किलोमीटर की
यह सड़क अभी
स्वीकृत की
है. लेकिन मैं
साथ में यह भी
आग्रह करना
चाहूंगा कि
हमारे
क्षेत्र में
दो डाक बंगले
जो 50 साल
पुराने बने
हुये हैं उनको
नये बनाने के
लिये मोडवन और
जाट यहा पर दो
डाक बंगले
स्वीकृत कर
देंगे तो राहत
होगी क्योंकि
अभी यहां से 50 किलोमीटर
के दायरे में
दूर डाक बंगले
हैं क्योंकि
मेरे
विधानसभा का
क्षेत्र बहुत
लंबा चौडा है
तो इसको कर
देंगे तो उचित
होगा.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, दो
विषय और हैं
एफएफसी लोक
निर्माण
विभाग (PWD) से
संबंधित एक
समिति है उसमें
यह मामला अभी
पेंडिंग है,
धारावी-माखनगंज
रोड, 2 साल पहले
स्वीकृत हुई
थी वह अभी तक
एसएफसी में
अटकी हुई है,
उसका भी मेरा
आग्रह है कि
उसको तुरंत
स्वीकृत करके
उसका काम शुरू
करवाया जाये.
अध्यक्ष महोदय, दो विषयों पर आगे आने वाली जरूरत को ध्यान में रखते हुये, जिस तरीके से इस बजट में हमने अन्य काम किये हैं चाहे वह गीता भवन की बात आये, चाहे लायब्रेरी के बजट की बात आये कि हर ब्लाक मे एक लायब्रेरी हो जिससे कि आने वाली पीढ़ी के बच्चों को पढ़ने की आदत आये और पढ़ने की आदत से उनको जिंदगी का उतना अनुभव , सालों का अनुभव वह घंटों में लायब्रेरी के माध्यम से प्राप्त कर सकता है.अच्छी रीडिंग के माध्यम से प्राप्त कर सकता है.
मैं उसका भी कहूंगा. मेरा एक विषय पर और थोड़ा सा आग्रह है, चूंकि उच्च शिक्षा मंत्री जी सदन में आ गए हैं, मैंने उनसे पहले भी आग्रह किया था और आज पुन: आग्रह कर रहा हूं कि रतनगढ़ में 30 किलोमीटर के बाद एक नियमित कॉलेज आप स्वीकृत कर सकते हैं. मेरा रतनगढ़ ऐसा स्थान है वहां से 50 किलोमीटर के रेडियस पर कोई कॉलेज नहीं है और वहां स्कूल का बहुत बड़ा भवन है, भवन भले बाद में आ जाए आप कॉलेज की घोषणा करके कुछ स्टाफ लगा दें तो कम से कम उन बेटियों को जिनकी 12 वीं के बाद पढ़ाई छूट जाती है क्योंकि यह सब गरीब और आस-पास के आदिवासी और दूरांचल एरिया है, वनवासी भी बहुत हैं, तो उनको एक अवसर आगे बढ़ने का आप देंगे तो यह सबसे बड़ा पुण्य का काम है. इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ रतनगढ़ के उस कॉलेज के लिए अगर आज आप कह दें तो बाकी सब व्यवस्था तो हम कर लेंगे आपकी तरफ से घोषणा हो जाए ताकि वह एक अच्छा कॉलेज चल जाए. पुन: मैं इस अनुपूरक बजट का बहुत-बहुत समर्थन करते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी का बहुत अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने सर्व दृष्टिकोण से, नए रोजगार पैदा होने के अवसर का ध्यान रखा और इसके साथ ही आने वाली पीढ़ी अच्छी शिक्षित और सही दिशा में आगे बढ़े, इन सब दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए यह अनूपूरक बजट दिया है, मैं पुन: अभिनंदन और समर्थन करते हुए अपनी वाणी को विराम दूंगा. धन्यवाद.
श्री भंवर सिंह शेखावत (बदनावर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं आज मांगने ही खड़ा हुआ हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, आपने भंवर सिंह जी का नाम लिया तो मैंने अकेले ने टेबल बजाई, कोई एक भी कांग्रेस के सदस्य ने नहीं बजाई. इनको कोई कांग्रेसी मानता ही नहीं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, आप गुरु चेला हैं ना. थोड़ा इंतजार कर लीजिए जब वह बोलेंगे तब आप टेबल बजाना.
श्री भंवर
सिंह शेखावत --
अध्यक्ष
महोदय, यह
अनुपूरक बजट
के ऊपर बुलाए
गए सत्र के
अंदर क्योंकि
ऐसा लगता है
कि जब-जब सत्र
की सूचना आती है
तो लगता है कि
बजट का कोई
पार्ट मांगा
जाएगा उसी के
लिए सत्र
बुलाया जाता
है. सत्र का
काम सिर्फ
इतना ही है कि
यह मांगते
रहें और सदन
उनको देता
रहे. 3-4 दिन में
सत्र समाप्त
कर दिया जाए, प्रदेश
की समस्याएं, प्रदेश
की मांगें, किसानों
की मांगें,
विद्यार्थियों
की मांगें यह
सब पीछे पड़ी
रहें कोई
चिंता उसकी
होती नहीं.
लेकिन बार-बार
सवाल वहीं से
आता है कि इस
सत्र को तो
आपने बुला
लिया और बहुत
भोले-भाले
हमारे आदर्श
मंत्री हैं
आदरणीय
देवड़ा जी
उनके कंधे पर
बंदूक रख दी, इनसे
पैसा मंगवा
लिया, ले
लिया और फिर
बाद में बातें
सुनने के लिए
भी यही हैं क्योंकि
उसके बाद
कैबिनेट में
तो कोई काम
दिखता नहीं
है. आप यह बजट
पर बार-बार जो
पैसे की मांग
करते हैं
आदरणीय
देवड़ा जी, यह
आपसे जो
करवाते हैं, अब इनके
कर्मकाण्ड
आज मैं बताने
वाला हूं कि
किस बात के
लिए बार-बार
पैसा मांगा जा
रहा है. यह
चारवाक ने कहा
है कि ‘’ऋणं
कृत्वा घृतं
पिवेत’’ कल
किसने देखा है, परसों
किसे चुकाना
है. मेहरबानी
करके मध्यप्रदेश
की जनता को यह
तो बता दीजिए
कि जब से यह
सरकार आई है
तब से लेकर आज
तक कितना
कर्जा किया
गया है. बार-बार
जो कर्जा लिया
जा रहा है
उसका उपयोग क्या
हो रहा है. यह
कहां खर्च
किया जा रहा
है. क्या यह
बार-बार कर्ज
लेकर जनता के
ऊपर,
अभी कैलाश जी
खड़े हो
जाएंगे और बोलेंगे
हम कर्ज तो ले
रहे हैं लेकिन
विकास कर रहे
हैं. अरे भारत
माता के
सपूतों ! विकास
जमीन पर दिखना
भी तो चाहिए.
वह विकास है कहां
किधर विकास
दिख रहा है.
पूरे प्रदेश
में सड़कों की
हालत देख लो, स्कूलों
की हालत देख
लो,
अस्पतालों
की हालत देख
लो.
श्री
कैलाश विजयवर्गीय
-- अध्यक्ष
महोदय,
यह दो बार
बदनावर से
चुनाव लड़े
हैं पहली बार गए
थे तब कितना
समय लगता था
और आज जाते
हैं तो कितना
समय लगता है
इनसे पूछ
लीजिए. अब यह
आंख बंद करके
सड़क पर चलते
हों तो मुझे
नहीं मालूम अदरवाइज
पहले इनको चार
घण्टे लगते
थे अब दो घण्टे
में बदनावर
पहुंच जाते
हैं.
श्री भंवर
सिंह शेखावत --
अध्यक्ष
महोदय, अब
तो एक घण्टे
में ही पहुंच
रहे हैं.
श्री
रामेश्वर
शर्मा --
अध्यक्ष
महोदय, आंख बंद
करके इसलिए भी
पहुंच सकते
हैं क्योंकि
सड़क में अब
गड्ढा नहीं है.
श्री भंवर
सिंह शेखावत --
अध्यक्ष
महोदय, वाह यार
रामेश्वर जी !
आप भी
लगा आए नवरत्न
का तेल. तेल
लगाने में सब
मास्टर हो गए
हैं आप लोग.
गजब-गजब का
तेल लगाने लगे
हैं.
श्री
रामेश्वर
शर्मा --
अध्यक्ष
महोदय, ओरिजिनल
गुरु तो आप ही
हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- जय हो, जय हो आपकी.
मेरा ऐसा निवेदन है कि यह जो लगातार कर्ज लेने की प्रथा है. हर महीने आप 5-6 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले रहे हो. पूरे प्रदेश के ऊपर साढ़े चार लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है. पिछले 2 साल में आपने कितना कर्ज लिया है इसकी आप कल्पना तो करिए. यह खर्च कहां हो रहा है. मैं मांग करना चाहता हूँ आदरणीय वित्त मंत्री जी और कैलाश विजयवर्गीय जी से कि आपकी तरफ से एक स्वेत-पत्र जारी किया जाए. सरकार जनता को बताए कि हम यह जो कर्ज ले रहे हैं इस पर हम हर वर्ष कितना ब्याज दे रहे हैं. इस कर्जे का क्या उपयोग हो रहा है. आप 50 प्रतिशत पैसा तो ब्याज में खर्च कर रहे हैं. शेष आप तनख्वाह और सुविधाओं में खर्च कर रहे हो. जनता की योजनाओं के लिए आपके पास पैसे कहां हैं. न विद्यार्थियों का पैसा जमा हो रहा है न ही बुजुर्गों को पेंशन मिल रही है. अस्पतालों में न डॉक्टर हैं न नर्सें हैं. 5 हजार का कार्ड करना क्या है. लाड़ली बहना. आज हमारे मित्र ओमप्रकाश जी कह ही रहे थे कि लाड़ली बहनों के घर का खर्च चलाने के लिए दे रहे हैं. लाड़ली बहनों को नहीं दे रहे हैं आप लोगों ने इस देश में एक फार्मूला बना लिया है लोकतंत्र को अपने घर में गिरवी रखने का. मतदाता की जेब में पैसे डालो और वोट लेकर पांच साल आनंद करो. आपकी यह बीमारी यहीं तक सीमित नहीं है यह बीमारी सब जगह जा चुकी है. मैं बहनों के विकास के खिलाफ नहीं हूँ. बहनों को आप पैसा दे रहे हो मैं उसके खिलाफ भी नहीं हूँ, लेकिन आपकी यह बीमारी बाकी प्रदेशों में भी शुरु हो गई है. जनता की जेब में चुनाव के पहले 15-20 हजार रुपए डाल दो, वोट ले लो और पांच साल का लायसेंस लेकर बैठो. खूब मस्ती से माल लूटो. यह क्या चल रहा है. आप लाड़ली बहनों का लाभ नहीं कर रहे हैं. लाड़ली बहनों के नाम से वोट खरीदने का आपने फार्मूला बना लिया है. सीधी-सीधी चुनाव में रिश्वत देकर जीत प्राप्त करने का आपने फार्मूला बना लिया है. कैलाश जी अब तो आपको इसकी भी जरुरत नहीं है कि आप चुनाव करवाएं या न करवाएं. 5 साल काम करो या न करो. चुनाव के 15 दिन पहले 30-30, 40-40 हजार रुपए जैसे बिहार में डाले गए, खातों में डाल दो और कह दो हम तो लाड़ली बहनों की मदद कर रहे हैं. वोट ले लो खेल खत्म. यह जो दुरुपयोग हो रहा है इस पर जरा विचार कीजिएगा. स्वेत-पत्र में यह बात जरुर बताइए कि यह कर्ज कैसे चुकाया जाएगा. मध्यप्रदेश की जनता के कंधों पर आपने इतना बोझ डाल दिया है. आप जो कर्ज ले रहे हैं वह तो ब्याज में ही जा रहा है. आपकी तनख्वाह में जा रहा है. बजट को खर्च करने में कहीं कोताही हो रही है उस पर तो आप ध्यान दे नहीं रहे है. पैसे के दुरुपयोग पर क्या आपने कोई अंकुश लगाया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई समाचार-पत्र ऐसा नहीं है. भास्कर को पढ़ लो तो पांच पन्ने तो इसी पर लिखे होते हैं कि इस विभाग में 600 करोड़ का भ्रष्टाचार हो गया, उस विभाग में 300 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार हो गया. कोई 200 करोड़ रुपए खा गया कोई आएएस, समझ में नहीं आ रहा है कि कितना पैसा भ्रष्टाचार में जा रहा है. आप अंकुश क्यों नहीं लगा रहे हैं. कई विभागों में इतनी अनियमितताएं चल रही हैं. पैसे का दुरुपयोग हो रहा है. माननीय कैलाश जी यहीं बैंठे हैं. एक उदाहरण मैं आपको यहीं दे देता हूँ. आप नगरीय प्रशासन मंत्री भी हैं. इंदौर की इतनी प्रतिष्ठित नगर निगम उसमें 800 करोड़ रुपए बिना किसी कामकाज के निकल गया. सब देखते रह गए. कार्यवाही हुई एक इंजीनियर के ऊपर. 800 करोड़ रुपए बिना काम के निकल जाए उसमें जो जांच हुई उसमें जो मामला आया वह आपके सामने है. इन्दौर की कान्ह नदी इसको साफ करने के लिए 3 हजार करोड़ रुपए पहले खर्च कर चुके हैं. अब सिंहस्थ के पहले 800 करोड़ रुपए और चाहिए. 3 हजार करोड़ रुपए में कान्ह नदी साफ नहीं हुई. पैसा निकल गया, पैसा खर्च हो गया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, गरीब जनता टैक्स दे देकर खजाना भर रही है उसका उपयोग क्या हो रहा है. जब आप इस अनियमितता के ऊपर रोक नहीं लगाएंगे. बेकार के खर्चों पर आप रोक नहीं लगाएंगे तो बजट का मतलब क्या है. आप ले लीजिए स्वीकृति, सदन तो स्वीकृति दे ही देगा. हम तो स्वीकृति देने के लिए बैठे हैं. किसान तो रो रहा है खलखाट के ऊपर जूते खा रहा है, डण्डे खा रहा है चोटिल हो रहा है, कोई चिंता नहीं है. खाद मिल नहीं रहा है, डीएपी मिल नहीं रहा है. किसान खाद लेने जा रहा है, डीएपी लेने जा रहा है...
माननीय देवड़ा जी आपकी विधान सभा में भी यही हो रहा है. जब किसान डी.ए.पी. लेने जाता है तो उसको दो बॉटल नेनो की टिकाई जाती है कि नेनो यूरिया लोगे तो डी.ए.पी. मिलेगा नहीं तो नहीं मिलेगा. यह क्या तमाशा हो रहा है? किसान से यह लूट क्यों मचा रखी है. बताओ राजेन्द्र जी आपके यहां हो रहा है या नहीं हो रहा है? ओमप्रकाश सखलेचा जी आप बताओ. किसान डी.ए.पी. लेने जा रहा है, खाद लेने जा रहा है तो उसे दो बॉटल नेनो यूरिया की खरीदना पड़ेगी तो ही उसे खाद मिलेगा.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--नेनो तो ले लो.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)-- नेनो तो लेना ही पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय-- हर चीज पर बोलने की जरूरत नहीं है. भंवरसिंह जी ने आप दोनों के नाम इसीलिए लिये थे कि कम से कम आप लिहाज में नहीं बोलोगे. (हंसी)
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)-- आदरणीय देवड़ा जी मेरा निवेदन है कि यह जो कुछ चल रहा है आपने बजट तो रखा है, इसमें आपको सदन की मंजूरी भी मिलेगी लेकिन, इसका जो दुरुपयोग हो रहा है मैं उस ओर आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. अभी हम साढ़े चार लाख करोड़ रुपए के कर्ज पर पहुंच गये हैं. अगले महीने यह और बढ़ जायेगा, उसके अगले महीने यह और बढ़ जायेगा. मेरा यह कहना है कि कर्जा लेकर यदि कर्जे का ब्याज ही चुकाना है तो क्यों हम जनता के कंधों पर इतना बोझ डाल रहे हैं. आप विकास की बातें कर कर रहें हैं.
कैलाश जी, जरा देखिये विकास के कौन से काम चल रहे हैं. आप तो स्वयं नगरीय प्रशासन मंत्री हैं और रोज अखबार पढ़ते हैं. सड़कों की क्या हालत हो रही है. शर्मा जी प्रधानमंत्री सड़कों का पांच साल के अंदर रिन्यूअल हो जाना चाहिए या नहीं हो जाना चाहिए. आप बताइये आप पुराने सदस्य हैं. पांच साल में सड़कें अपने आप सुधर जाना चाहिए, लेकिन पिछले नौ माह से केन्द्र का पैसा नहीं आया है.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- रिन्यूअल हो रहा है.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)-- मैं आपको प्रधानमंत्री सड़क योजना की सड़कों के बारे में बता रहा हूं. डबल इंजन, आपको तो इंजन पर ज्यादा भरोसा है. डबल इंजन चाहिए, फिर नगर निगम मिल जाए तो ट्रिपल इंजन चाहिए और आपके इंजन के आगे जो चल रहा है वह बड़ा इंजन वाला है. वह तो नया इंजन ही है. यह कितने इंजनों की सरकार है? अगर आपका एक इंजन फेल है तो दूसरा इंजन तो मदद करे और इनका दूसरा इंजन तो और भी बड़ा वाला है वह इनको पैसा देता ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, मैं जी.एस.टी. पर आऊंगा तो आपको पता चलेगा कि कितना जी.एस.टी. बाकी है. प्रधानमंत्री सड़कों के लिए पिछले पांच साल में जो योजना आना चाहिए वह दो साल में आई क्या? उसका पैसा कहां है. सड़कों का नवीनीकरण नहीं हो रहा, सड़कों पर गड्ढे हो गये हैं. अभी रामेश्वर जी कह रहे थे कि सड़कें बहुत अच्छी चल रही हैं. कैलाश जी कह रहे हैं कि बिना आंख मूंदे ही चला लो. तो यह तो हमको निपटाना ही चाहते हैं. कैलाश जी तो चाहते हैं कि शेखावत जी बिना आंख मूंदकर गाड़ी चलाएं और उनका खेल ही खत्म हो जाए, पूछने की जरूरत ही नहीं है अब बताइये कि इनसे बड़ा शुभचिंतक कौन है. (हंसी)
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- आप शतायु हों. मेरी हमेशा यही कामना रहती है. आप हमारे गुरु हैं. हमने जो भी प्राप्त किया है आप ही से प्राप्त किया है. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय-- कैलाश जी की हर बात मानने की जरूरत नहीं है. (हंसी)
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)-- हम तो आपके बजट का समर्थन करते हैं, लेकिन आप यह भेदभाव वाली नीति क्यों करते हैं. अभी कोई कह रहा था कि विकास की बड़ी धारा बह रही है. आप मुझे बताइये कि आपने 15 करोड़ रुपए कांग्रेस के विधायकों के लिए तो नहीं दिये और बाकी विधायकों को 15 करोड़ रुपए दिये. यह विसंगति क्यों और यह पांच करोड़ रुपए देने की बात हुई थी तो दिया क्या. नहीं दिये. यह तो आपने वचन दिया था कि 5 करोड़ रुपए हम कांग्रेस को देंगे और 15 करोड़ रुपए हम बीजेपी वालों को देंगे. यह बीजेपी वाले तो गब्बर हो गये. इनके चेहरे की रौनक तो देखो. हम क्या करेंगे हमें तो वह 5 करोड़ रुपए भी नहीं मिल रहे हैं. लेकिन यह बजट के अंदर विसंगति करने के लिए बजट नहीं होता है. आप यह 5 करोड़ 15 करोड़ के अंदर जो भेदभाव की धारा चला रखी है इससे आप विधायकों का अपमान नहीं कर रहे हैं, यह आप मध्यप्रदेश की उस जनता का अपमान कर रहे हैं जिसने आपके साथ सहमति नहीं जताई होगी. लोकतंत्र किसलिए होता है. लोकतंत्र में सहमति होती है, असहमति होती है. जनता खिलाफ भी हो सकती है. जनता अपने को चुनाव हराती भी है, चुनाव जिताती भी है तो जो अपने को चुनाव हरा दे या किसी दूसरे को जिता दे तो उसको हम पैसे नहीं देंगे.
उसके
क्षेत्र में
विकास नहीं
होगा, उसकी
सड़कें नहीं
बनेंगी, उसके
यहां पानी
नहीं जायेगा
और जो भारतीय
जनता पार्टी
को वोट दे दे,
उसके लिए क्या
होगा, उसको
रुपये 15-15 करोड़
मिलेंगे. रामेश्वर
जी,
लपालप गपागप
क्या चल रहा
है ? क्या
ये
विसंगतियां
बजट में होनी
चाहिए, क्या यह सदन
इस बात की
अनुमति देता
है.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय- ये
लपालप और
गपागप क्या
है,
ज़रा विस्तार
से बताया जाये
कि ये क्या
है,
इसका मतलब क्या
है ?
श्री
भंवरसिंह
शेखावत
(बाबुजी)- आपको
लगता है तो इन
शब्दों को
कार्यवाही से
निकाल दीजिये.
यदि आपको लगता
है कि ये शब्द
असंसदीय हैं
तो मुझे बता
दीजिये.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय- नहीं,
असंसदीय नहीं
है. यदि आप
इसका अर्थ बता
देंगे तो सभी
सदस्यों का
ज्ञानवर्धन
हो जायेगा.
श्री
भंवरसिंह
शेखावत
(बाबुजी)- रामेश्वर
जी, को
सब पता है
उनको पता है
क्या मामला
है.
अध्यक्ष
महोदय-
शेखावत जी
मूल रूप से
ट्रेड यूनियन
के लीडर हैं, सामने क्या
है,
इसके बारे में
विचार नहीं
करना है, लपालप चल
रहा है तो
चलने दो.
श्री
भंवरसिंह
शेखावत
(बाबुजी)- अध्यक्ष
महोदय, लपालप तो
चल ही रहा है
ये रूक कहां
रहे हैं ?
अध्यक्ष
महोदय-
शेखावत जी, अब कृपया
समाप्त करें.
श्री
भंवरसिंह
शेखावत
(बाबुजी)- अध्यक्ष
महोदय, मैं जल्दी
समाप्त कर
दूंगा. ये
रुपये 15 करोड़
वाली बात सदन
में कहना बहुत
जरूरी था, यह बात
जनता के बीच
जाये तो सही
कि ये सरकार
हमारे साथ क्या
कर रही है ?
अध्यक्ष
महोदय, ये विकास
की बात कर रहे
हैं. पहले
ग्राम
पंचायतों में
कोई अचानक मर
जाता था तो
सरपंच के पास
उसकी अंत्येष्टि
के लिए रुपये 5
हजार देने के
लिए होते थे. किसी की
अचानक मौत हो
जाती थी तो
संबल योजना के
तहत उसे रुपये
4 लाख मिलते थे.
आज हर जिले के
अंदर संबल
योजना का पैसा
6-9 माह तक नहीं
पहुंच पा रहा
है. वो रुपये 5
हजार तो मिलने
बंद ही हो गए, किसी के
घर लाश पड़ी
हो तो सरपंच
के पास देने के
लिए पैसे नहीं
हैं क्योंकि
आपके यहां से
वहां तक पैसा
जा ही नहीं रहा
है. संबल
योजना में, एक-एक
कलेक्टर के
पास, 6-6 माह
के प्रकरण
लंबित पड़े
हैं. सांप के
काटने से कोई
मर गया, अचानक मर
गया, आग लगने
से मर गया
लेकिन रुपये 4
लाख की सहायता
के लिए वह 6-8 माह
इंतजार करता
है क्योंकि
आपका पैसा
नहीं जा रहा
है.
अध्यक्ष
महोदय, महिलाओं
के विषय में
आज ही अखबारों
में आया है, आप पढ़
लीजिये.
महिलाओं के स्वयं
सहायता समूह
आपने बनाये, सभी को
सहायता देने
के लिए लेकिन
पिछले 12 माह में, उनके
यहां कितनी
किश्तें गई
हैं, ज़रा मुझे
बता दीजिये.
स्वयं
सहायता समूह
की महिलायें
कर्ज लेकर
परेशान हो रही
हैं, उसका ब्याज
नहीं दे पा
रही हैं, आपके
यहां से उनको
सहायता नहीं
मिल रही है.
अध्यक्ष
महोदय, छात्रों
का पैसा जमा
नहीं हो रहा
ज़रा विश्वविद्यालयों
में पूछ
लीजिये. आपने
पहले घोषणा कर
दी कि मेधावी
छात्रों का
पैसा हम देंगे, सरकार
देगी लेकिन
सरकार कहां दे
रही है, कॉलेजों
में पैसा जमा
नहीं हो रहा
है, वह
फीस छात्रों
पर डाली जा
रही है. कैलाश
जी, आप
पता लगा
लीजिये, इसमें
कोई ऐसी बात
नहीं है जो
आपसे छिपी हुई
हो, ये
क्या चल रहा
है ? अभी
VIT विश्वविद्यालय
के छात्र जो
आंदोलन कर रहे
हैं, यह स्थिति
सभी कॉलेजों
में है.
अध्यक्ष
महोदय, ये बता
दें कि इन्होंने
अस्पतालों
का कितना अच्छा
विकास कर दिया
है. मेरे
सारे विधायक
साथी
कांग्रेस-बीजेपी
के यहां हैं.
अभी 3-4 दिन पहले
एक गर्भवती
महिला की मौत
हो गई क्योंकि
एम्बुलेंस
में डीज़ल
नहीं था. एम्बुलेंस
है, तो
डीज़ल नहीं है, डीज़ल है, तो उसका
ड्राइवर नहीं
है, आपने
क्या व्यवस्था
की है, मुझे
बतायें. अस्पतालों
में न तो डॉक्टर
हैं, न नर्सें
हैं. मेरी बदनावर
विधान सभा के
मुख्य अस्पताल
में डॉक्टर
नहीं है. आपने
विगत 2-3 वर्षों
में इनकी
भर्ती ही नहीं
की है. अस्पतालों
में कोई मरीज
जाता है तो
उसे इंदौर-रतलाम
रेफर कर दिया
जाता है.
सामान्य
आदमी का जीवन
सड़ रहा है.
आपकी एम्बुलेंस, डीज़ल और
ड्राइवर के
अभाव में खड़ी
हैं, अस्पतालों
में स्ट्रेचर
नहीं है, वहां
आपका पैसा ही
नहीं जा रहा
है.
अध्यक्ष
महोदय, जनपद और जिला
पंचायतों में
वित्त
मंत्री जी बजट
तो देखें.
आपने पिछली
बार भी यही
कहकर हमसे
पैसा लिया था,
हमने आपको
पैसा दिया,
बहुमत से दिया
लेकिन ये पैसा
न जिला पंचायत
में जा रहा है, न
जनपद पंचायत
में जा रहा है. आपके
सारे काम
पेंडिंग पड़े
हैं. कोई सड़क
नहीं बन सकती,
कोई नल-नाली
नहीं बन सकती,
कोई सरपंच
रुपये 5 का काम
नहीं करवा
सकता,
ऐसी व्यवस्थाओं
का अर्थ ही क्या
है ? हम
यहां से पैसा
दे रहे हैं, मैंने
आपको छात्रों
की
छात्रवृत्ति
का बताया, जिला-जनपद
पंचायतों का
बताया कि वहां
क्या स्थिति
है, अभी
बजट के
दुरूपयोग की
भी चर्चा यहां
कर ली कि
किस प्रकार से
पैसों के साथ
खिलवाड़ हो
रहा है.
अधिकारी
मनमानी कर रहे
हैं,
मनमाना पैसा
खर्च हो रहा
है,
मनमाना पैसा
इवेंट
मैनेजमेंट के
अन्दर लग रहा
है. इवेंट
मैनेजमेंट
बड़ा कीजिये,
छोटा-छोटा काम
होता है, उसको
इतना बड़ा
बताकर करते
हैं कि जैसा
तूफान आ गया
हो कि भारतीय
जनता पार्टी
ने पता नहीं क्या
तीर मार दिया
है ? यह
करोड़ों
रुपये जो
इवेंट पर
खर्चा होता है, यह
कहां से आता
है ? यह
जनता का पैसा
है,
जनता की गाढ़ी
कमाई का पैसा
है, जो
आप खर्च कर
रहे हैं.
विज्ञापन में
तो भगवान जाने,
आजकल कैलाश जी
का तो
विज्ञापन कम
ही छपता है,
लेकिन बाकि का
विज्ञापन तो
आजकल मैं खूब
देख रहा हूँ.
खूब आ रहा है.
मैंने आपको
पी.एम. ग्राम सड़क
का बताया, वह
भी आप जरा
दिखवा दीजिये,
पीडब्ल्यूडी
की भी हालत
खराब है.
अध्यक्ष
महोदय -
शेखावत जी, कृपया
आप समाप्त
करें.
श्री
भंवरसिंह
शेखावत
(बाबुजी) - अध्यक्ष
जी,
समाप्त कर
देता हूँ. अब
कैलाश जी ने
कहा कि आपने
कुछ मांगा ही
नहीं है. आज
मैं मांग लेता
हूँ. मेरी विधान
सभा के अन्दर
भी मेहरबानी
करके, अभी तो
यह बता रहे थे, कि
हमारे यहां
दो-दो
सांदीपनि स्कूल
चल गए हैं और
बदनावर का अभी
तक चालू नहीं
हुआ है, सांदीपनि
का भवन पूरा
नहीं बना है.
केवल नाम बदल
दिया है
सांदीपनि.
आपने सीएम
राइज स्कूल
से नाम
सांदीपनि
किया है. आप
लोग नाम बदलने
में क्यों
मास्टरी कर
रहे हो. हर चीज
के नाम बदल
रहे हो. जिसका
चाहे नाम बदल
दो,
नाम बदलने से
काम थोड़े ही
हो जाता है.
मुझे ताज्जुब
है कि आप नाम
बदलने में
इतनी मास्टरी
क्यों कर रहे
हो ? काम कुछ
नहीं है, काम जीरो
बटे सन्नाटा
है. आज भी
बदनावर का
हमारा
सांदीपनि स्कूल
चालू नहीं हुआ
है. शिक्षक
हैं नहीं, आज
तो सुबह
माननीय
मंत्री जी कह
ही रहे थे, हम
तो 10 से कम
छात्रों को
वहां एडजस्ट
कर देंगे,
यहां एडजस्ट
कर देंगे. स्कूलों
में शिक्षक
कहां हैं ? छात्रों
को पढ़ाने के
लिए शिक्षक
नहीं हैं.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, पिछली
बार आपने बजट
में शौचालय
बनाने की बात
कही थी, बच्चों
के स्कूलों
में कहां बने
हैं ?
बच्चों के स्कूलों
में शौचालय
नहीं हैं,
पानी की व्यवस्था
नहीं है. 450 स्कूल
से ज्यादा स्कूल
ऐसे हैं, जहां
बिजली का
कनेक्शन
नहीं हो पाया
है. माननीय
पैसा तो
लीजिये, लेकिन वह
सही जगह लगे,
उसकी कल्पना
कर लीजिये. मैं
आपसे अनुरोध
करते हुए अपनी
बात को यहीं
विराम दूँगा
कि यह अपने-अपने
देने की प्रथा ''अंधा
बांटे रेवड़ी,
चीन चीन कर दे'' है.
बीजेपी का कोई
आ जायेगा, तो
हम काम कर
देंगे और
दूसरा आ
जायेगा, आप उसे
भी देखिये, वह
भी आपकी ही
जनता है. वह
जनता किसी कारण
से आपसे नाराज
होगी, लेकिन
इसका मतलब यह
नहीं है कि आप
उन्हें सजा
दें, आप
विधायकों को
सजा नहीं दे
रहे हो और
विधायकों की
पेंशन की बात
करके, मैं अपनी
बात समाप्त
करूँगा.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, आप
विधायकों का
वेतन बढ़ाएं, न
बढ़ाएं, यह कोई
बड़ी बात नहीं
है. आप 4 से 6 राज्यों
का सर्वे करके
वेतन बढ़ा
देंगे तो अच्छी
बात है, नहीं तो
जो विकास निधि
है,
उसको बढ़ाई
जाये.
विधायकों की
विकास निधि
अगर आपने 5 करोड़
रुपये की, तो
वह जनता के
हित में लगेगी,
जनता के काम
में लगेगी.
लेकिन विधायक
के पास बजट की
राशि रहेगी, तो वह
जनता के काम आ
जायेगी. मेरा
निवेदन है कि
माननीय कैलाश
जी आप यह दो
काम कीजिये.
आप विधायकों
की वेतन
बढ़ाएं, न बढ़ाएं,
उससे कोई बहुत
ज्यादा फर्क
नहीं पड़ने
वाला है.
विधायक तो
अपना
जैसे-तैसे
करके काम चला
लेगा. लेकिन
विधायक निधि
बढ़ेगी, तो
प्रदेश के
विकास में और
जनता के हित
में काम होगा.
धन्यवाद.
अध्यक्ष
महोदय - डॉ.
सीतासरन
शर्मा जी.
डॉ. सीतासरन
शर्मा (होशंगाबाद)
- अध्यक्ष
महोदय, अभी वरिष्ठ
सदस्य
माननीय श्री
बाला बच्चन
जी के धुंआधार
भाषण और उसके
बाद आदरणीय
हमारे वरिष्ठ
नेता श्री भंवरसिंह
शेखावत जी के
बड़े हमलों के
बाद, अब
जरा धीमी गति
के बुलेटिन
चलाएंगे.
अध्यक्ष
महोदय - आप
रिमझिम पर जाओ.
(हंसी)
डॉ.
सीतासरन
शर्मा - अध्यक्ष
जी,
पहले तो हमारे
वरिष्ठ सदस्य
श्री बाला बच्चन
जी ने जो बात
कही थी कि
पूंजीगत व्यय
13,000 करोड़
में से कुल 5,000 करोड़
रुपये है.
आपकी सरकार जो
एक वर्ष रही,
उसमें आपने जो
द्वितीय
अनुपूरक दिया
था, उस
पर 22,000 करोड़
रुपये का बजट
था, 17,000 करोड़
रुपये का
राजस्व व्यय
था और 5,000 करोड़
रुपये
पूंजीगत व्यय
था. यह दोनों
सरकारों में
सोच का फर्क
है. हम
पूंजीगत व्यय
भी करते हैं
और राजस्व व्यय
करना ही पड़ता
है, क्योंकि
खर्चे चलाना
है.
श्री
ओमप्रकाश
सखलेचा (जावद) - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, इसमें से 4,000 करोड़
रुपये जो
प्रधानमंत्री
आवास का है, वह
आप जोड़ लें
तो वह
डेवलपमेंट
में ही टोटल हो
गया. 5,000
करोड़ रुपये
और 4,000 करोड़
रुपये कुल 9,000 करोड़
रुपये आप इसे
देख लें.
श्री
बाला बच्चन (राजपुर)
- अध्यक्ष
महोदय, यह
पहले देखना
चाहिए था, यह
आना चाहिए था.
श्री
ओमप्रकाश
सखलेचा - मुझे
आज अपडेट हुआ.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, मुझे तो शंका हुई. मैंने वह बातें माननीय वित्त मंत्री जी और सरकार के सामने रख दीं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- अध्यक्ष महोदय, 13 हजार करोड़ रुपये में से 9 हजार करोड़ रुपये इन्फ्रा या डेवलपमेंट पर आ गया, बजाय कि रेवेन्यू के, यह सबसे महत्वपूर्ण बात है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, बुद्धिजीवियों के बीच चर्चा अलग से हो जाएगी. अभी तो चलने दीजिए. (हंसी).
डॉ. रामकिशोर दोगने -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चर्चा तो हो रही है, पर विधान सभा में चंदन के पेड़ कट गए, यह व्यवस्था भी देख लीजिए. विधान सभा के कैम्पस के अंदर चंदन के पेड़ कट गए हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- डॉक्टर साहब, बैठ जाएं. अध्यक्ष महोदय, लाडली बहना से फिर बात शुरू करते हैं. अभी वरिष्ठ सदस्य आदरणीय भंवर सिंह शेखावत जी कह रहे थे, उनसे डर भी लगता है, पता नहीं, क्या कह दें. (हंसी). बड़ी आफत है. वे कह रहे थे कि ये घूस ले रहे हैं. अच्छा, आपके नेता ने क्या कहा था, खटाखट खटाखट, 7-7 हजार रुपये खटाखट खटाखट डाल देंगे. कितने डाले भैया. आपके पास में 3 राज्य हैं. ये पर्ची मेरे पास रखी है. क्या आपके 3 राज्यों में आपने 7-7 हजार रुपये डाले. ये हमारी सरकार है. जो कहती है, वह करती है. 10 हजार कहे तो डाले. परेशान क्यों हो रहे हो. 6 सीट बची है. 19 थी, 6 पर आ गए, उसी का दु:ख है. एक तिहाई पर आ गए हैं. इधर भी 63 से 21 पर आएंगे अध्यक्ष जी. यही रवैया रहा तो यहां पर भी 63 से 21 पर आने वाले हैं.
अध्यक्ष महोदय, प्रधान मंत्री आवास की बात कर लेते हैं. अभी आदरणीय सखलेचा जी भी चर्चा कर रहे थे. अध्यक्ष महोदय, जरा कल्पना करें. ग्रामीण क्षेत्र में और शहरी क्षेत्र में कोई आवास के लिए कांग्रेस सरकार ने कभी पैसा नहीं दिया. पुरानी सरकार के दो-दो, तीन-तीन मंत्री बैठे हुए हैं, जब मैं था. 15-15 हजार रुपये देते थे और सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र में देते थे, शहर में नहीं देते थे.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- तब विधायक की तनख्वाह भी 10 हजार रुपये होती थी.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, पर शहर में एक आवास नहीं दिया. आपने झुग्गी-झोपड़ी वालों की कोई चिंता नहीं की. जरा देखिए तो जाकर, प्रधानमंत्री जी का विजन तो देखिए. हमारे मुख्यमंत्री जी का काम तो देखिए आप. 4 हजार करोड़ रुपये. धीरे-धीरे करके इस देश में पूरे देश के पक्के मकान हो जाएंगे. अध्यक्ष महोदय, यह साधारण बात नहीं है.
श्री लखन घनघोरिया -- शहरी क्षेत्र में भी दिए हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- नहीं दिए. अभी दिए, सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दिए.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया आपस में बात न करें. डॉक्टर साहब, आप तो अपनी आसंदी की तरफ देखें.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, शहरी आवास भारतीय जनता पार्टी की सरकार के आने के बाद प्रारंभ हुए.
श्री रामेश्वर शर्मा -- इन्होंने तो दिए ही नहीं. वर्तमान अध्यक्ष जी यहां बैठे हैं. पहले पंचायत मंत्री थे. 3 लाख मकान के पैसे देने थे तो आपने ग्रांट नहीं दी.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- आपने मेचिंग ग्रांट नहीं दी. आपने कहा कि हमारी एक ही इंजन की चलेगी. डबल इंजन का यदि हेलीकॉप्टर चले तो वह चलता है, उड़ता है और सिंगल इंजन का रहे तो गिरने का डर रहता है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय डॉक्टर साहब, अगर अभी तक वह सरकार चल जाती तो क्या हाल होता. 15 महीने में ही क्या स्थ्िाति बन गई थी, अगर अभी तक वह सरकार चल जाती तो क्या हाल होता.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय, यदि 15 महीने की सरकार और आगे चल जाती ना तो 63 भी नहीं आते. 15 महीने में ही आपने इतने अच्छे काम किए थे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कल परसों माननीय मंत्री जी को सलाह दी थी कि मेरी ओर देखकर बोलें, मैं सोचता हूँ कि माननीय सदस्य को भी एक बार आप सलाह दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- डॉक्टर साहब को मैंने कहा है कि वे अपनी आसंदी की तरफ देखें, क्योंकि वे भी अध्यक्ष रह चुके हैं. इसलिए मैंने कहा है कि अपनी आसंदी की तरफ ही देखें. (हंसी).
डॉ.सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, संबोधन आपको करेंगे देखेंगे इनकी तरफ. भावांतर,आपने क्या दिया किसान को,आज यह सरकार यदि एमएसपी के रेट का डिफरेंस दे रही है तो इसमें तकलीफ क्या है क्यों बरगला रहे हैं किसानों को और सबके खातों में पैसा आ रहा है. यह बात जो आपने कही तो वह भी बढ़ाई थी और फसलों की जो 2018-19 का बजट था उसमें और फसलें बढ़ाईं थी परंतु आपने तो पूरा मैदान साफ कर दिया आने के बाद भारत की संस्कृति वामपंथियों के हाथ में इन्होंने देश को दे दिया. वामपंथियों के हाथ में देश दे दिया धीरे-धीरे संस्कृति रसातल की ओर जाने लगी. हमारी डॉ.मोहन यादव जी के नेतृत्व में और माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में विरासत भी और विकास भी यह नया मंत्र नयी सरकार ने दिया और इसलिये हम पुरानी संस्कृति को लेकर नये विकास की ओर बढ़ रहे हैं इसलिये 650 करोड़ दिये और एमएसएमई के लिये अलग दे रहे हैं. इतने करोड़ रुपये उद्योग के लिये भी दे रहे हैं. मैंने पहले भी कहा था सूरज इनके टाईम भी चमकता था परन्तु सोलर एनर्जी नहीं बना पाए. बिजली नहीं देंगे. अभी हमारे वरिष्ठ नेता भंवर सिंह जी हमारे साथ रहते थे जब विपक्ष में थे तब उनको मालुम है बिजली की क्या हालत थी. आज आप कहते हैं कर्जा-कर्जा.आपके टाईम भी था. 22 हजार करोड़ का इनका आखिरी बजट था और 24 हजार करोड़ का इन पर कर्जा था अध्यक्ष महोदय, कर्जा कोई बढ़ा नहीं परन्तु उस वक्त विकास नाम शून्य था. न सड़कें थीं न बिजली थी न पानी था. हम बार-बार कह चुके हैं सिंचाई के लिये हमारे वरिष्ठ साथी सखलेचा जी ने बताया इसलिये उस पर जाना नहीं चाहते.1277 करोड़ रुपये दिये. अभी आपने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति के लिये इसमें प्रावधान किये गये हैं. छात्र पढ़ें और आपने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर,तो जरा आप कृपा करके मेरे विधान सभा क्षेत्र में आईये. एक बार आप विजिट कीजिये.आप आते हैं परंतु चुपचाप चले जाते हैं अपने साथियों से मिलकर. कभी इधर वालों से भी मिला करिये. मैं आपको बताऊंगा कि हमारे यहां कैसे होस्टल बने हैं. 22-22 करोड़ के बने हैं. आपके जमाने में नहीं थे. कांग्रेस के जमाने में नहीं थे. यह वोट तो लेते हैं उनके लिये काम नहीं करते. इनके दिमाग में 15 करोड़ भर गये हैं. हाय रे, 15 करोड़ आ जायें किसी प्रकार से. अध्यक्ष महोदय, 20 लाख रुपये मिलते थे. माननीय वरिष्ठ सदस्य राजेन्द्र सिंह जी फिर खड़े होकर कहेंगे वे मंत्री रह चुके,उपाध्यक्ष रह चुके. 20 लाख रुपये मिलते थे विधायक निधि के, आज ढाई करोड़ मिल रहे हैं. आप विकास करिये ना.अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हमारे वरिष्ठ साथी सखलेचा जी ने कहा अनुपूरक पर ज्यादा विषय बोलने का रहता नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - बहुत अच्छा सभी लोग इसका पालन करें.
डॉ.सीतासरन
शर्मा -
क्योंकि
मुख्य बजट में
सारी बातें
आती हैं और
अनुपूरक तो
होता है
सप्लीमेंट्री.
जो 5-6 क्विश्चन
में से 1-2
क्विश्चन रह
जाते हैं
आखिरी में वह
सप्लीमेंट्री
में भर देते
थे हम तो यह भी
सप्लीमेंट्री
है 1-2 क्विश्चन
जो बच गये या
कुछ अधूरे रह
गये उनको पूरा
करने के लिये
यह बजट लाये
हैं. इसमें
पूंजीगत
निवेश भी है
इसलिये
अध्यक्ष
महोदय, मैं ऐसा
मानता हूं कि
इस बजट को
बिना किसी
विरोध के सर्वसम्मति
से पारित किया
जाना चाहिये
आपका आभार.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे इस सदन में बोलने का समय दिया मैं आपको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. माननीय वित्तमंत्री जी द्वारा प्रस्तुत अनुपूरक मांगों के विरोध में मैं बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. हमारे दल के बहुत ही वरिष्ठ साथी और विद्वान साथी जो बहुत गहन अध्ययन करते हैं बजट का हमेशा उन्होंने अनुपूरक मांगों के संबंध में एक-एक विषय पर अपनी मांग रखी है. भंवर सिंह शेखावत जी बहुत सारे हमारे मित्र उंघ रहे थे उनके भाषण के कारण सबकी नींदें खुल गई. अब यह तो सर्वविदित है कि ये लेबर लीडर भी रह चुके हैं, किसान नेता भी रह चुके हैं और उधर की भी जानते हैं, इधर की भी जानते हैं, बहुत बेहतरीन और ओजस्वी भाषण उन्होंने दिया. मैं तो समझ रहा था कि यह मुख्य बजट पर बोल रहे हैं, लेकिन सामने तो हमारे अनुपूरक बजट है. मैं भी बातें दोहराना नहीं चाहता, लेकिन कुछ बातें शायद दोहरा भी दूं क्योंकि आवश्यक हैं लेकिन कुछ बातें और मैं कहना चाहूंगा. अब यह तो स्पष्ट एक धारणा बन गई है, आदत बन गई है जो भी कहें सरकार कर्ज लेकर ही काम चलाती है, पहले भी कर्ज लिया जाता था, कम मिलता था, सिस्टम नहीं था. वर्ष 2003 के पहले यूएसवीपी स्पेशल पर्पज व्यय के लिये सब नहीं थीं, न एडीव्ही से खास कर्ज मिलता था, न वर्ल्ड बैंक कहीं से कर्ज नहीं मिलता था, लेकिन आज कर्ज सहज उपलब्ध है. मार्केट में उपलब्ध है, धन की बहुतायत हुई है देश में इसमें कोई दो राय नहीं और बाण्ड वगैरह खरीदते हैं लोग आज खरीदने को तैयार हैं इसलिये कि सबको अपने धन की पूंजी की चिंता रहती है और सोने के बाद यदि सबसे बड़ी गारंटी कि हमारा धन सुरक्षित रहे वह सरकारी बांड्स पर रहता है, यह बांड्स भी बिक जाते हैं, लेकिन यह प्रवृत्ति एक सीमा तक जहां तक आवश्यक है वहां तक तो ठीक है, लेकिन जिस रफ्तार से यह बढ़ रही है आज मैं समझता हूं कई साथियों ने आंकड़े दिये लेकिन मेरे पास जो आंकड़ा है वह 4 लाख 81 हजार करोड़ रूपये का है, वित्तमंत्री हमें करेक्ट कर सकते हैं अगर मैं गलत हूं और मैं यह कहना चाहूंगा कि यह विदाई-विदाई की वेला में जाते-जाते यह सरकार अगर इसी गति से कर्ज लेती रही तो 6 लाख करोड़ का कर्ज इस प्रदेश की जनता के ऊपर छोड़कर यह जायेंगे रामेश्वर जी, इससे कम नहीं. इसमें पूंजीगत व्यय और राजस्व व्यय की बात आई है, निसंदेह यह किसी भी स्वस्थ बजट के लिये आवश्यक है कि पूंजीगत व्यय ज्यादा होना चाहिये और मैं समझता हूं आदर्श बजट वह होगा जिसमें कुल बजट का पूंजीगत व्यय न्यूनतम 70 से 75 फीसदी हो क्योंकि कठिन बात है.
जो व्यवस्थाएं
बन गई हैं, उसमें यह
पालन करना, यह इसके
अंदर आना कठिन
है,
लेकिन प्रयास
किया जाना
चाहिए. नई-नई
योजनाएं आ
जाती हैं, पुरानी
योजनाओं का
कुछ पता ही
नहीं है, अभी हमने
अपने जनपद में
अधिकारियों
से पूछा कि
संबल का पैसा
आ गया है कि
नहीं आया है, बहुत
सारे लोग कई
महीनों से घूम
रहे हैं, लेकिन
संबल का पैसा
नहीं आया है.
अध्यक्ष
महोदय, अब
लाड़ली जो
लक्ष्मी
होती थी, उसको भी
भूल गये हैं, अब आज
जमाना लाड़ली
बहना का है और
भी कई योजनाएं
हैं,
इनका पैसा
नहीं आ रहा है.
प्रधानमंत्री
आवास इसलिए
नहीं आ रहे थे, अब शायद आ
जायें, ऐसा बजट
में आया है कि
राज्य सरकार
मैचिंग
ग्रांट देती
ही नहीं थी, चूंकि
केंद्र सरकार
ने यह व्यवस्था
बनाई है कि जब
राज्य सरकार
उतनी राशि दे
देगी,
तब वह केंद्र
की राशि आयेगी, उनका जो
अंशदान है, वह आयेगा, पहले ऐसा
नहीं था, वह भी
नहीं है.
लेकिन लक्ष्य
तो एक ही है, जैसा कि
भंवरसिंह जी
कह रहे थे कि
हर चुनाव में
एक नई योजना आ
जाती है, ट्रंप
कार्ड एक रहता
है और उसके
बाद वह चला जाता
है,
नेपथ्य में
पर्दे के पीछे
चला जाता है
और फिर आगे अगला
चुनाव आ जाता
है,
यानि एक मशीन
चुनाव जीतने
की बनती जा
रही है, लेकिन क्या
दुष्प्रभाव
इस पूरी व्यवस्था
पर,
भारत की
मानसिकता पर, लोगों की
अर्थव्यवस्था
पर पड़ रहा है, यह बड़ा
विचारणीय है, इस पर
गंभीरता से
विचार करना
मैं जरूरी
समझता हूं.
अध्यक्ष
महोदय, अभी जो 15-15
करोड़ रूपये
की बात कही गई
है,
यह बड़ा
चिंताजनक है
और ऐसा कभी
हुआ नहीं है, हमने कभी
सुना नहीं है
और मध्यप्रदेश
ही नहीं भारत
के किसी
प्रांत में यह
नहीं सुना है
कि सत्ता
पक्ष के
विधायक को 15-15
करोड़ रूपये
विकास के लिये
दे दिये जायें
और जो विपक्ष
के विधायक हैं, उनको एक
रूपया भी न
दिया जाये, यह कहीं
किसी प्रदेश
में लागू नहीं
है,
अब यह कौन सा
इंजन है, यह मोहन
सरकार का इंजन
है,
अब क्या यह
लोकतंत्र सम्मत
है,
क्या हम
संसदीय
प्रजातंत्र
को कमजोर नहीं
कर रहे हैं? क्या
उसके ऊपर
प्रश्न
चिह्न नहीं उठ
रहा है? क्या उस
क्षेत्र की
जनता ने जिसने
भाजपा का विधायक
नहीं चुना, उसने क्या
कोई अपराध
किया है, यह आपकी
नजरों
में गलती हो
सकती है, लेकिन उसने
अपराध नहीं
किया है, उसने
अपने
अधिकारों का
उपयोग किया है. अब ठीक है
लोग लड़ते हैं,
पार्टियां
लड़ती हैं, नतीजे
आते हैं, लेकिन
भेद-भाव उस
विधायक के साथ
आप नहीं कर रहे
हो,
आप भेद भाव उस
जनता के साथ
कर रहे हो, जहां से
वह प्रतिनिधि
है.
डॉ.
सीतासरन
शर्मा -- अध्यक्ष
महोदय, बार बार 15
करोड़ रूपये
की बात आ रही
है,
लेकिन कोई
किसी के खाते
में तो 15 करोड़
दिये नहीं है
और न ही किसी
सिस्टम से
दिये हैं, प्रस्ताव
जाते हैं, आप लोगों
के भी जाते
हैं,
हम लोगों के
भी प्रस्ताव
जाते हैं, उन प्रस्तावों
का परीक्षण
होता है, हमारे भी
प्रस्ताव
रिजेक्ट
होते हैं, ढेर सारे
प्रस्ताव
हमारे भी
रिजेक्ट हुए
हैं.
अध्यक्ष
महोदय, यह गलत
परसेप्शन
दिया जा रहा
है,
बिल्कुल गलत
परसेप्शन है, हमारे
प्रस्ताव भी
रिजेक्ट हुए
हैं,
कोई ऐसा नहीं
है कि जितने
प्रस्ताव
दिये हैं, सब पास हो गये
हैं. अध्यक्ष
महोदय, जो
विजीबल प्रस्ताव
होते हैं, वही आ
पाते हैं (एक
माननीय सदस्य
द्वारा आसन से
कहने पर) आपके भी
विजीबल होते
हैं,
क्या आपके
क्षेत्र में
काम नहीं हो
रहे हैं, मैं
बदनावर
क्षेत्र की दो
साल की पूरी
लिस्ट
निकलवाउंगा, जो बजट
में आ रहे हैं, वह सब
आपके लिये आ
रहे हैं.
डॉ.राजेन्द्र
कुमार सिंह --
अध्यक्ष
महोदय, किसी अन्य
विधायक को
पीड़ा नहीं हो
रही है,
डॉ.सीतासरन जी
को पीड़ा क्यों
हो रही है, मैं नहीं
समझ पा रहा
हूं और मैं तो
इन्हें बहुत
ही गंभीर और
विद्वान सदस्य
मानता था, यह बड़ा
अध्ययन करते
हैं,
लेकिन यह
आपत्तिजनक है, जो यह कह
रहे हैं यह
आपत्तिजनक है.
डॉ.सीतासरन
शर्मा -- मानता
था,
अभी क्या हो
गया है मेरे
दिमाग
को(हंसी)
अध्यक्ष
महोदय -- अच्छा, दोनों लोग
डॉक्टर हैं(हंसी)
डॉ.सीतासरन
शर्मा -- वह ज्यादा
पढे़ लिखे हैं
साहब,
मैं सिस्टम
का डॉक्टर
हूं और वह व्यवस्था
के डॉक्टर
हैं.(हंसी)
डॉ.राजेन्द्र
कुमार सिंह --
अध्यक्ष
महोदय, यह
आपत्तिजनक है, अब अध्यक्ष
जी देखिये बात
निकलेगी तो
बहुत दूर तलक
जायेगी.
अध्यक्ष
महोदय -- आप
कंटीन्यू
करें.
डॉ.राजेन्द्र
कुमार सिंह --
डॉक्टर साहब
बात निकलेगी
तो बहुत दूर
तलक जायेगी.
डॉ.
सीतासरन
शर्मा -- जाने
दो बहुत दूर
तक. ये जो कह रहे
थे कि
विधायकों की
जेब में क्या
जा रहा है. अब
इस बात को डा.
साहब कहें और
इस पवित्र सदन
में कहें, मैं तो
यह अनुमान भी
नहीं लगा
सकता. यह राशि
विकास के लिए
हैं. हम तो यह
कहने के लिए
तैयार है, हो सकता
है इससे सभी
सहमत हो, आपके
यहां प्रस्ताव
चल रहा है
विधायकों की
सैलरी बढ़ाने
का, मैं
तो कहता हूं, मत
बढ़ाइए, एक लाख
दस हजार रुपए
मिल रहा है, शायद
एक लाख साठ
हजार रुपए का
प्रस्ताव है, जहां
तक मेरी
जानकारी है.
अध्यक्ष
महोदय – अभी कोई चीज
अस्तित्व
में नहीं है, तो हम
उस पर क्यों
चर्चा करें.
आप तो बड़ी
चीज पर ध्यान
दीजिए, छोटी चीज
छोडि़ये.
डॉ. राजेन्द्र
कुमार सिंह
- एक लाख दस
हजार रुपए मिल
रहा है, एक लाख साठ
हजार रुपए मिल
जाए, कोई विशेष
फर्क पड़ना
नहीं है, खर्चें
तो वैसे ही
होते हैं.
इसको एक तरफ
रख दीजिए. आप ये
विकास की निधि
बढ़ा दीजिए, पांच
करोड़ कर
दीजिए, चार करोड़
रुपए विकास
निधि हो और एक
करोड़ रुपए की
राशि स्वेच्छा
अनुदान के लिए, यह
मेरी
प्रार्थना है, ये सब
विकास में
लगेगा, आप भी विकास
में लगाते हों, हम भी
इस राशि को
विकास में ही
लगाते हैं. हम
लोग तो सिर्फ
अनुशंसा करते
हैं, जिले के
कलेक्टर स्वीकृति
देते हैं, एजेंसी
वही तय करते
हैं, ये तो एक व्यवस्था
है, जो चल
रही है ,उसमें थोड़ा
सा परिवर्तन
करने की मैं
वकालत कर रहा
हूं. सीतासरन
जी ने कहा कि
कांग्रेस ने किसानों
को क्या दिया. अध्यक्ष
जी आपके माध्यम
से माननीय
सीतासरन को
मैं कहना
चाहूंगा कि कांग्रेस
की सरकार में
ही हरित
क्रांति आई थी, जब
इंदिरा जी
प्रधानमंत्री
थीं, कांग्रेस की
ही सरकार में
एमएसपी का
सिस्टम लागू
किया था, कुछ गलत
हो तो बताइए, जब
सेन्ट्रल परचेजिंग
होती थी, एफसीआई
नेफेड और
विभिन्न
संस्थाएं उस
जमाने में
खड़ी हुई, ये आपके
समय की बातें
नहीं हैं, इसलिए आप
नहीं समझोगे, ये
पुरानी बातें
हैं.
अध्यक्ष
महोदय – आपस में बात
नहीं करें डॉ.
साहब.
डॉ.
राजेन्द्र
कुमार सिंह – आप
किसानों
को क्या दे
रहे, किसानों
को
प्रधानमंत्री
जी के यहां से
साल भर में 6
हजार रुपए आ
जाता है, जो
ऊंट के मुंह
में जीरा है, बहरहाल
आता है, लेकिन कब
आता है, जब चुनाव
होने को होते
हैं, उसी समय
लाड़ली बहना
का पैसा आता
है, लेकिन
किसान को आज
जो सबसे जरूरी
है किसानी करने
के लिए, फसल
उगाने के लिए,
किसान को खाद
चाहिए, चारों
तरफ हाहाकार
है, सब लाइन
में खड़े हैं, महिलाएं
खड़ी हैं, सुबह
4 बजे से महिला-पुरुष
खड़े हो जाते
हैं और अगले
दिन टोकन मिलने
का नंबर आता
है और खाद तो
दो-तीन दिन
बाद मिलती है, कितनी
मिलती है.. दो
बोरी ले जाइए..
और फिर भंवर
सिंह जी ने
नैनो वाला वह
फार्मूला बता भी
दिया कि दो
बोतल नैनो भी
लीजिए, ये किसान
के साथ मजाक
हो रहा है. आप
थोड़ी सी उसको
राहत देकर,
उसका सब छीन
ले रहे हैं, किसान
कितना
परिश्रम करता
है, उससे
जोखिम भरा कोई
पेशा नहीं है, उसकी
तो परवरिश हर
नजरिए और हर
दृष्टि से
होनी चाहिए, मैं
समझता हूं कि
सब इससे सहमत
होंगे. इस बजट
का जो अनुपूरक
प्रस्तुत
किया गया है,
मैं इसका
इसलिए भी
विरोध करता
हूं कि बहुत
सारी भेदभाव
की प्रवृत्ति
इस सरकार में है.
अब मैं पार्टी
नहीं कहूंगा,
मैं
मध्यप्रदेश
की सरकार
कहूंगा. हो
सकता है कि
दूसरी भी
सरकारें ऐसी
हों. हमारे
सतना जिले से
बायफर केट
करके मैहर
जिला एक नया
बना है. दो विधान
सभा
क्षेत्रों का
यह जिला है.
अभी मैं यह अनूपूरक
देख रहा है
उसमें गिनती
गिनी 461 प्रस्ताव
सड़कों के,
पुलों के
इसमें शामिल
किये गये हैं.
मैं माननीय
वित्तमंत्री
जी से आपके
माध्यम से
पूछना चाहता
हूं कि इसमें
एक भी नाम
मैहर जिले का
क्यों नहीं है
? अरे
कुछ भूल कर
देते माननीय
एक नाम तो आ
जाता, एक नाम
नहीं है. मैं
आपके माध्यम
से
वित्तमंत्री
जी से जानना
चाहता हूं कि
हमारे नेता जी
भी सुन लें कि
एक भी
प्रस्ताव
मैहर का नहीं
है, यह भेदभाव
वाली नीति है. मैहर
जिले में दो
ही विधान सभा
क्षेत्र हैं
एक मैहर एक
अमरपाटन मैं
अमरपाटन से
आता हूं,
उसमें भी
भेदभाव.
अमरपाटन और
मैहर के बीच
में जिला
मुख्यालय तो
मैहर है, वह
बनना चाहिये
था वहां से 23
किलोमीटर की
दूरी है. यह
कहां बन रहा
है मैहर से
आगे कटनी की
तरफ हमारा
कलेक्टर पॉवर
उधर ही जा रहा
है. अब बताईये
कि यह कहां का
न्याय है. मैहर
शहर के खुद
लोग चाहते कि
शहर से 10
किलोमीटर दूर,
लेकिन जिद है,
जिद करो तो
अच्छे कामों
की करों. गलत
काम की जिद
क्या है भाई ? इसके पीछे
कुछ राज तो
जरूर होते हैं
कोई न कोई ऐसे
गलत निर्णयों
के पीछे. कुछ
लोगों ने वहां
पर जमीनें
खरदी ली हैं
जमीनों की
वहां पर
कीमतें बढ़ गई
हैं. यह
अमरपाटन के
साथ घोर अन्याय
है. मैं
चाहूंगा
सरकार से आपके
माध्यम से माननीय
वित्तमंत्री
जी से गुहार
है कई माननीय
मंत्री जी
यहां पर बैठे
हैं. अमरपाटन
के साथ भी
न्याय होना
चाहिये. दूसरी
बात यही भर
नहीं अमरपाटन
की 6 ग्राम
पंचायतें हैं
अभी प्रस्ताव
आया है. उसको
अमरपाटन के
काटकर मैहर
जिले से काटकर
रीवा जिले में
जोड़ना है.
इसकी
मध्यप्रदेश
में कहीं पर
भी हलचल नहीं
है. लेकिन
अमरपाटन
क्षेत्र पता
नहीं क्यों इतना
बड़ा हमला हो
रहा है. आप
अपने पैर
जमाईये भाई
डरते क्यों
हैं ? 6 पंचायतें
जा रही हैं
रीवा में उसके
पीछे उद्देश्य
क्या है ? हर
निर्णय के
पीछे
उद्देश्य
होता है. वहां
पर मुगदपुर एक
पंचायत है उसी
में व्हाईट
टाईगर राजा
मार्तंडसिंह
व्हाईट टाईगर
सफारी ज्यू और
रेस्क्यू
सेन्टर है. वह
रीवा जिले में
चला जाये मैहर
की बजाय
इसलिये ऐसे
निर्णय हो रहे
हैं, यह कहां
तक न्यायसंगत
है ? यह
तत्काल ऐसे
प्रस्तावों
को रोका जाना
चाहिये. जब
समग्र रूप से
मध्यप्रदेश
भर में जिलों में
पुनर्गठन की
बातें हों, तब
आना चाहिेये.
अमरपाटन से 25
पंचायतें
तहसील से
काटकर रामपुर
बघेलान में जोड़
दी गई हैं.
इसमें बहुत
सारी बातें
हैं मैं
माननीय
वित्तमंत्री
जी से मिलकर
के अनुरोध भी
किया था और
पत्र भी दिया
था यह डूब का
क्षेत्र है
हमारे यहां पर
100 ग्राम कभी
डूबे थे आसपास
के गांव में
कुछ लोग बचे
हैं. लोगों को
बड़ी पीड़ा
है. हमारा जो
मुख्य मार्ग
था उमरिया
शहडोल जाने का
मार्कतंडे
घाट के पास बाणसागर
बांध बन जाने
के कारण छोटी
महानदी के ऊपर
से वह डूब गया
है वहां पर
लाई लेवल
ब्रिज बना दें
इतना सुंदर
दृश्य वॉटर
बॉडी आपकी
दिखती है और
उसके बाजू से
अगर ब्रिज
जायेगा तो
जैसे मिनी
सीलिंग
मुम्बई का है,
उस तरह का दृश्य
होगा. अपार
संभावनाएं
आपके पर्यटन
की उस अंचल
में बढ़ेंगी.
वैसे भी
विन्ध्य के
साथ बड़ा
न्याय होता
है.
क्योंकि
इन्वेस्टर्स
मीट में भी
मैंने देखा. मैं इन्वेस्टर्स
मीट के बारे
में भी एक
मिनट कुछ कहना
चाहता हॅूं.
इन्वेस्टर्स
मीट के आयोजन
में राशि तो
बहुत खर्च की
जाती है, शायद 10 इन्वेस्टर्स
मीट हो चुकी
हैं. 10 इन्वेस्टर्स
मीट में 186.64 करोड़
रूपए खर्च किए
गए. जो उन
लोगों के लिए
हैं, जो स्वयं
सक्षम हैं. क्योंकि
इन्वेस्टर्स
मीट में
एमएसएमई के
लोगों को
प्राय: नहीं
बुलाया जाता
है और एमएसएमई
वही है, जिसको
मजबूत करने की
आवश्यकता है.
एमएसएमई ही
रोजगार देती
है. लेकिन उसकी
कोई
प्राथमिकता
नहीं है. पिछले
2 वर्षों में 30 लाख 77 हजार
करोड़ रूपए के प्रस्ताव
आए. जो उद्योग
आए, वह
मात्र 12 हजार
करोड़ रूपए के
आए. 57 हजार
करोड़ लोगों
को रोजगार
मिला. बातें
बड़ी लंबी-चौड़ी
होती हैं.
नतीजा वही,
ढाक के तीन
पात.
अध्यक्ष
महोदय, मैं कहना
चाहूंगा कि
विन्ध्य के
साथ जो अनदेखी
हो रही है,
सिंगरौली में
ही बताया गया
कि 6 लाख
पेड़ कट रहे
हैं. कितना
बड़ा दुष्प्रभाव
है. गुजरात की
एक बड़ी कंपनी
को दे दिया
गया है. वहां के
जो मूलनिवासी
हैं जो
अनुसूचित
जाति, जनजाति
के अधिकांश
भाई हैं उनकी
कोई फिक्र नहीं
है. उनको डंडे
मारकर भगाया
जा रहा है और 6
लाख पेड़ कटने
से बहुत बड़ा
दुष्प्रभाव
इको- सिस्टम
पर वहां के
पर्यावरण पर
पडे़गा. यह भी
एक सोचनीय
विषय है.
अध्यक्ष
महोदय, दूसरी
एक महत्वपूर्ण
बात मैं यह
कहना चाहता
हॅूं कि यह जो
फॉरेस्ट
लैंड के एक्विजिशन
वाली बात होती
है उसमें जो
भी हितग्राही
है,
उसमें
सुप्रीम
कोर्ट का
फैसला है. इसमें
कोई दो राय
नहीं है कि
उसको उतनी ही
जमीन कहीं और
खरीदकर देनी
पड़ती है और
वह वन विभाग
तय करता है. पेड़ो
की गणना होती
है कि प्लांटेशन
के लिए पेड़ों
में कितनी
लागत आयेगी. उससे
राशि जमा
करायी जाती
है. फिर
उसको वह भूमि
अलॉट होती है
लेकिन अब उसको
छूट है कि वह
कहीं भी जाकर
प्लांटेशन
कर दे. कहीं
भी जमीन दे दे. सिंगरौली
का मामला है, चाहें
तो बाला भाई
के इलाके
खरगौन में आकर
दे दे. अब वहां
के लोगों को
क्या लाभ हुआ या वहां
का जो
पर्यावरण नष्ट
हुआ,
उसकी भरपाई
कैसे होगी, तो
एक यह संशोधन
मेरे ध्यान
में आया है. यह
भारी विसंगति
है. यह आना चाहिए.
अध्यक्ष
महोदय, मैं अपनी
बात समाप्त
करूंगा. आपने
बड़ी उदारता
दिखाई. मैं
यही कहना
चाहूंगा कि यह
बजट भेदभाव
पूर्ण है कुछ
और पूंजीगत व्यय
इसमें उतनी
राशि नहीं है.
हालांकि यह
अनुपूरक बजट
है. मैं
मान सकता हॅूं
कि जहां
राशियों की
कमी होती है
वहीं राशि दी
जाती है. मैं
इस बात से सहमत
हॅूं. आपने
मुझे बोलने का
अवसर दिया, मैं
आपका
बहुत-बहुत
आभारी हॅूं.
श्री
गौरव सिंह
पारधी (कटंगी) -- आदरणीय
सभापति महोदय, आपका
संरक्षण लेते
हुए आज मुझे
सौभाग्य
मिला है कि
वरिष्ठों के
बाद मुझे मौका
मिला है और
निश्चित तौर
पर हमारे
वरिष्ठ सदस्यों
के द्वारा ऐसी
बातें बोली
गईं, कि
मुझे उसमें
कहीं न कहीं
शुरूआत में
लेना ही
पडे़गा. 13 हजार
476 करोड़
के....
अध्यक्ष
महोदय -- अब
समय-सीमा का
सब लोग ध्यान
रखें. सभी लोग 5
मिनट की सीमा
का पालन करें. (श्री बाला
बच्चन, सदस्य
के अपने आसन
पर खडे़ होकर
कुछ कहने पर) प्लीज
बाला बच्चन
जी. बीच में
इंटरप्ट
करेंगे, तो दिक्कत
जायेगी.
श्री गौरव सिंह पारधी -- बाला भैया, मैं आपके सारे जवाब देने वाला हॅूं. आप बैठिए तो दो मिनट. आप दो मिनट तो बैठिए. लगभग इसमें 38 प्रतिशत पूंजीगत व्यय है और राजस्व व्यय 62 प्रतिशत है. अब चूंकि पूंजीगत और राजस्व की बात आयी है और बाला भैया ने एक विषय रखा था, तो मैं यह बात माननीय बाला भैया के ध्यान में लाना चाहूंगा कि उन्होंने बोला था कि वह 2000 करोड़ रूपए जो हैं वह राजस्व में होना चाहिए.
मैं माननीय वरिष्ठ सदस्य के ध्यान में लाना चाहूंगा कि वह जो 2000 करोड़ रूपये हम जो उपार्जन वाली संस्थाएं हैं उनको लोन दे रहे हैं और शासन उनको लोने दे रही है तो वह शासन का एसेट है, इसलिये वह केपिटल एक्सपेंडिचर में ही आयेगा.
श्री बाला बच्चन- वह जो 2000 करोड़ रूपये दे रहे हैं वह उपार्जन केन्द्रों को दे रहे हैं त्रृण और अग्रिम के रूप में तो उससे एसेट्स क्या तैयार होंगे.
श्री गौरव सिंह पारधी- बाला भैया, यह अकाउंट्स का मैटर है, मैंने थोड़ा सा आपके ध्यान में ला दिया है. साथ ही साथ मैंने इस बजट का थोड़ा सा अध्ययन किया. चूंकि बाला भैया ने विषय उठाया था कि किसानों का नहीं, महिलाओं का नहीं किसी का नहीं तो मैंने उसको सेग्रीगेट किया है.
अध्यक्ष महोदय, इस बजट की लगभग 36.5 प्रतिशत बजट की राशि किसी न रूप में किसानों के लिये है, चाहे वह फिशरिज के 66 करोड़ रूपये हो या फिर एनवीडीए या सिंचाई विभाग को दी हुई राशि हो, चाहे वे भावान्तर योजना, जिसमें 500 करोड़ रूपये की राशि रखी गयी हो. मैं ध्यान में लाना चाहूंगा कि राजस्व विभाग के जो 77 करोड़ रूपये रखे गये हैं वह राशि एक तरह से किसानों के ही काम में आनी है. इसमें डिजिटल क्राप सर्वेक्षण योजना के लिये रखी गयी है. जिससे किसानों को समय पर फसल बीमा का लाभ मिलेगा, केसीसी जल्दी होगी. इस प्रकार से उनको सहयोग मिलेगा तो यह भी किसानों के लिये है. इस प्रकार से इस पूरे बजट में लगभग 36.5 प्रतिशत किसानों के हित में है. महिलाओं के हित का तो हमने देखा ही देखा कि सीधे राशि 1794 करोड़, जिसमें सेफ सिटी प्रोजेक्ट भी इन्क्लूटेड हैं. ऐसा लेकर के 13 प्रतिशत महिलाएं हैं, 4000 हजार करोड़ रूपये प्रधान मंत्री आवास के लिये, लो लगभग इस बजट का 30 प्रतिशत है. पंचायत के लिये 1632 करोड़ रूपये, लगभग 93 प्रतिशत बजट जो है वह किसान, महिला और कमजोर वर्गों के लिये है. बात आयी की अनुसूचित जाति, जनजाति के लिये क्या है तो माननीय वरिष्ठ सदस्यों को बताना चाहूंगा कि जो प्रधानमंत्री आवास के 4000 करोड़ रूपये हैं उसमें 55 प्रतिशत राशि अनुसूचित जाति, जनजाति के लिये है. पंचायत के लिये 40 प्रतिशत राशि, लाड़ली बहना में भी 40 प्रतिशत राशि, उज्ज्वला में भी 40 प्रतिशत राशि, शिक्षा विभाग में जो राशि 230 करोड़ रूपये की दी है, वह तो प्रधान मंत्री जन-मन और धरती आभा की है और मत्स्य में भी 70 प्रतिशत है, तो लगभग 50 प्रतिशत राशि अगर हम भाग से ढूंढकर निकालेंगे तो हमारे प्रदेश के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिये है. सामान्य वर्ग और ओबीसी वर्ग के लिये तो है ही.
4.22 बजे
{ सभापति महोदय (श्री लघन घनघोरिया) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय, मैं संज्ञान में लाना चाहूंगा, बहुत चर्चाएं चल रही थीं कि स्थिति बहुत खराब होती जा रही है. मैंने कुछ आंकड़ें निकालें और मैंने यह पाया कि वर्तमान में भी मैं यदि वित्तीय वर्ष की पहली छ:माही को भी ले लूं तो हमारा इंन्ट्रेस्ट पेमेंट टू रेवेन्यू रीसिप्ट हो होती है वह 12.5 प्रतिशत है और एक जमाने में वह 19 प्रतिशत होती थी. मुझे बताने की जरूरत नहीं है कि वह जमाना वर्ष 2002-03 का हुआ करता था और बातें चलीं कि सप्लीमेंट्री में क्या हुआ तो पुन: मैं स्मरण कराना चाहूंगा कि वर्ष 2019-20 का आपका जो सप्लीमेंट्री बजट था, उसमें आपने पूंजीगत व्यय में सिर्फ 11 प्रतिशत रखी थी, 2719 करोड़ रूपये और आपका पूरा बजट था 23 हजार 319 करोड़. इस प्रकार से आपने बोला कि स्वास्थ्य के लिये क्या है तो स्वास्थ्य के लिये हमने मुख्य बजट में ही लगभग डेढ़ प्रतिशत राशि हमने एसजीडीपी राशि रख दी है. शिक्षा के लिये क्या है तो हमने मुख्य बजट में ही लगभग 4 प्रतिशत एसजीडीपी राशि हमने रख दी है. इस प्रकार से एक अच्छा बजट हमारे बीच में आया है. प्रदेश की वित्तीय स्थिति की भी चिंता नहीं करना है. मैंने सर्वे किया और देखा कि हमारा जो कूपन रेट चल रहा है, जिस रेट पर हमको त्रृण मिलता है, वह प्रदेश का, हमारे विपक्ष के जो चलने वाले राज्य हैं, उनकी अपेक्षा में काफी अच्छा है. यदि अभी हमारा कूपन रेट 7.35 चल रहा है तो तेलंगाना जैसे कहने के लिये अग्रणीय जो विपक्ष की सरकारें हैं, वहां पर भी 7.45 के आसपास चलता है. तो इस बात का सूचक है कि मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति मजबूत है. मध्यप्रदेश की सरकार पूरी मजबूती से काम कर रही है साथ ही साथ कुछ विशेष बातें मैं सबके ध्यान में लाना चाहूंगा कि इस बजट में जो वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित जिलों के लिये आईटीआई और कौशल विकास केन्द्र के लिये प्रावधान किया गया, रक्षा यूनिवर्सिटी के लिये किया गया. साथ ही साथ एक प्रदेश में इण्डस्ट्रीज को बढ़ावा देने के लिये हम लोग प्रयास कर रहे हैं और जो हमारे इस प्रकार से इन्वेस्टमेंट के लिये जो योजनाएं चल रही हैं, उसका अब सीधे सीधे जमीन पर लाभ दिखने लग रहा है. मैं आपको बताना चाहूंगा कि इण्डस्ट्री और टर्शियरी सेक्टर का हमारी जीडीपी इस प्रदेश की जो लगभग 11 प्रतिशत बढ़ी, उसमें जो योगदान है, वह बढ़ गया है 1-1 परसेंट. टर्शियरी सेक्टर जो है 36 से 37 प्रतिशत चला गया और इण्डस्ट्री सेक्टर जो है, वह 22 से 23 पर आ गया है. तो निश्चित तौर पर मध्यप्रदेश एक उद्योग के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश के रुप में सामने आ रहा है. पुनः मेरे जिले की, मेरी विधान सभा की, मेरा वित्त मंत्री जी से और मंत्रीगण से निवेदन रहेगा कि मुख्य बजट में ध्यान रखा जाये. इस बजट के परिशिष्ट में मैं ढूण्ड रहा था कि लोक निर्माण के परिशिष्ट में कुछ दिख जाये, लेकिन दिखा नहीं, लेकिन नहीं आने से निराश हूं, लेकिन अगली बार मुझे मौका मिलेगा और मैं अपनी शायरी सुनाऊंगा. इन्हीं कामनाओं के साथ सभापति महोदय को बहुत बहुत धन्यवाद है.
श्री आरिफ
मसूद
(भोपाल-मध्य) --
सभापति
महोदय,
अनुपूरक बजट
पर चर्चा हो
रही है.
बातें बड़ी
बड़ी हुईं, यहां
गौरव
जी ने बोला
तो अच्छा,
लेकिन मिला
कुछ नहीं है,
कागजों में तो
कुछ दिख नहीं
रहा है.
गौरव जी ने
तो पहले ही कह
दिया कि
मैं शायरी
बाद में
सुनाऊंगा. तो जब
मिलेगा, तब
सुना देंगे.
मेरा
वित्त मंत्री
जी से
आग्रह है कि वे
यातायात पर भी
ध्यान दें.
राजधानी
भोपाल है. हम यहां
मेट्रो दे रहे
हैं. मेट्रो इन्दौर
में भी चली, उसके भी
कोई बहुत
अच्छे
उदाहरण
नहीं हैं. जो सामने आ रहा
है, वह
दिख रहा है. उसके कोई
रिजल्ट्स बहुत
अच्छे
नहीं आ रहे
हैं. भोपाल
में मेट्रो के
नाम पर सब खोद
खोद कर पटक
दिया, जबकि
यहां फ्लाई
ओवर की
आवश्यकता है,
ऐसा कई बार
कहा गया.
अगर बेहतर
होता कि
अनुपूरक बजट लेते
समय वित्त मंत्री
जी, चूंकि
भोपाल में ही आप
प्रवास करते
हैं. इस
पर ध्यान दे
देते, आते
जाते आप देखते
भी होंगे कि
यहां
आवश्यकता
फ्लाई ओवर की
है.
सीतासरन जी
ने यहां पर
बहुत बड़ी
बड़ी बातें
कही हैं,
बहुत
बुजुर्ग हैं,
हम उनका
सम्मान भी
करते हैं. आप
होशंगाबाद,
नर्मदापुरम की बात
करते
हैं, हम
भोपाल की कर
रहे हैं.
अन्तर साफ
है, चले
गये रामेश्वर शर्मा
जी. यहां
आप कहते हैं
कि
विपक्ष के
साथ भेदभाव
नहीं होता. भोपाल
में भेदभाव
देख लीजिये.
साइड
में एक-एक
हजार करोड़ की
योजना आ गई है और जो
प्रॉपर भोपाल
है, उसके
अन्दर कुछ
नहीं है. कोई
योजना नहीं
है.
पिछली बार
पूरक बजट में
हमने
जिनको
स्वीकृत किया
हाउस में, वह रोड
के
कार्य
भी आज तक
प्रारम्भ नहीं
हुए.
फिर हम
अनुपूरक ले रहे
हैं.
विधायक निधि
की बात चली, 15 करोड़,
तो जेब में न
तो 5
करोड़
किसी के जाते
हैं, न 15 करोड़
जाते हैं. लगते तो
जनता के बीच ही हैं
और हम लोग यह कहते
हैं कि
एक बहुत बड़ा
पवित्र
मंदिर, उसके अंदर हम
बात करके हैं, तो
उसमें जब हम
बात करें, तो
हम पर और
आप पर, सब पर उसका
बंधन है और उस
बंधन में हमको यह
कोशिश करना
चाहिये कि हम
विकास की बात
करें, जनता की
बात करें और
जनता
के लिये खरे उतरें,
यह सरकार का भी फर्ज
होना चाहिये. जनता पर खरा
उतरने के
लिये
हमें भेदभाव
नहीं करना
चाहिये. कौन
सा विधायक किस
पार्टी
से आया,
कहां से आया, वह जन
प्रतिनिधि
है,
लोकतंत्र है
और लोकतंत्र
के अंदर हमको,
सबको एक
दूसरी
जनता के
प्रति जवाबदेही है. उस
जवाबदेही के
लिये
हमारा
प्रयास होना
चाहिये कि हम
लगभग कम से कम जनता के
अच्छे काम कर
सकें, ताकि
जनता
इस
बात को जाने
कि
सरकार
थी, तो कुछ
किया.
स्वास्थ्य
के अन्दर,
क्योंकि यह
अभी अनुपूरक बजट है. वित्त
मंत्री जी
इतने में ही
अंगड़ाइयां
लेने लगे. मैंने
तो बहुत छोटी
छोटी बातें वित्त
मंत्री जी
आपसे कही हैं. मैं
कहना चाहता
हूं कि अनुपूरक
बजट है,
लेकिन पूरक
बजट जब
हमारा
आयेगा,
तो हम
पूरी उम्मीद
करेंगे
भोपलवासी,
क्योंकि मैं
तो हमेशा कहता
रहा हूं कि जब हम
चुनाव लड़ते
हैं, तब
हमारा
भेदभाव होता
है राजनीतिक. लेकिन
चुनाव लड़ने
के बाद
जब हम चुने
जाते हैं, तो उसके
बाद सब हमारे
होते हैं और हम
सबके होते हैं
और हम विपक्ष
और सत्ता पक्ष
से भी
यही उम्मीद
करते हैं कि
हम सब लोग
मिलकर
वह काम करें
और वह सरकार
काम करे, जो
जनता के काम आ
जाये.
भोपाल
राजधानी है, मैं
अनेक बार यह
बात
कहता रहा हूं भोपाल
प्रदेश की
राजधानी है और
देश से जब
राजधानी में
लोग आते हैं
तो राजधानी मे
लोग पहले आते
हैं और
राजधानी में
आप लोगों से
ही मिलने के
लिये आते
होगे.आप
मंत्री हैं तो
आपसे ही ज्यादा
मिलने के लिये
आते होंगे हम
लोगों से तो कम
ही मिलने के
लिये लोग आते
हैं. जब
ज्यादा लोग
आते होंगे,
राजधानी में
घूमते होंगे,
सड़कों की
बदहाली देखते
होंगे तो क्या
सोचते होंगे,
भोपाल मे
सीवेज की एक
बड़ी समस्या
रही है.
तो भोपाल शहर
की इन
समस्याओं पर
भी वित्त
मंत्री जी अगर
गौर कर लेंगे
तो बेहतर
होगा.
मुझे उम्मीद
है कि आप मेरे
प्रस्ताव पर
विचार जरूर
करेंगे.
माननीय
सभापति महोदय,
अल्पसंख्यक
की बात आई. अल्पसंख्यक
के साथ तो
भेदभाव होता
आया है और आगे
भी हो जायेगा
तो कोई फर्क
नहीं पड़ता. हम
तो अब इस चीज
के आदि हो गये
हैं, हमारा
साथ दो तो ठीक
है, नहीं दो तो
ठीक है.
अल्पसंख्यक
को कुछ मिल
जाये तो धन्यवाद
नहीं मिले तो
भी धन्यवाद,
क्योंकि अब
हालात ऐसे हो
चुके हैं .लेकिन
मैं उम्मीद
करूगा कि
अनुपूरक बजट
में थोड़ा
बहुत पुराने
भोपाल और
राजधानी के
विकास के लिये
कुछ पैसा मिल
जाये तो बेहतर
है और हम इसीलिये
आपके इस
अनुपूरक बजट
पर अपनी बात
रख रहे हैं.
माननीय
सभापति महोदय,
विधायक निधि
बढ़ाने की बात
चल रही है.
विधायकों की
तनख्वाह पर तो
मैं नहीं
बोलूंगा कि
विधायकों की
तनख्वाह
बढाये या न
बढ़ाये यह
आपका विषय है, सरकार
चाहेगी,
विधायकों की
मंशा है बढ़ा
दीजिये लेकिन
मेरी मांग है
कि विधायक
निधि वास्तव में
बढ़ना चाहिये.
उसकी
आवश्यकता
इसलिये है कि
कहीं भी कोई
घटना होती है,
कहीं अचानक
कार्य आ जाते
हैं तो ऐसे समय
में सरकारी
योजनाओं को
जनता तक
पहुंचाने में
दिक्कत आती
है, जल्दी में
अगर विधायक
कोई अनुशंसा
करता है तो वह
काम तुरंत हो
जाता है उसके
पास में एक
बजट की
स्वीकृति का
प्रावधान
होता है तो वह
कलेक्टर से
कहता है कि यह
जनता की अति
आवश्यकता का
काम है, विकास
का काम है कर
दिया जाये, तो
वह राशि दे
देते हैं तो
कार्य हो जाता
है तो इसलिये
मैं माननीय उप
मुख्यमंत्री
वित्त से
उम्मीद
करूंगा कि
विधायक निधि पांच
करोड़ करना
चाहिये, मुझे
उम्मीद है कि
हमारे इस
प्रस्ताव पर
वित्त मंत्री
जी अवश्य
विचार करेंगे.
और जो अधूर
शेर उन्होंने
छोड़ा है जब
पूरक बजट
आयेगा तो
वित्त मंत्री
जी उस शेर को
मैं पूरा
करूंगा.
माननीय
सभापति महोदय,
आपने मुझे
अनुपूरक बजट पर
अपनी बात को
रखने का अवसर
प्रदान किया
इसके लिये
आपको बहुत
बहुत धन्यवाद.
सभापति
महोदय- आपको
भी धन्यवाद.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय..
डॉ.राजेन्द्र
पाण्डेय
(जावरा) --
माननीय सभापति
महोदय, मैं
अनुपूरक बजट
के समर्थन में
अपनी बात रखने
के लिये खड़ा
हुआ हूं.
भारतीय जनता पार्टी
और भारतीय
जनता पार्टी
की सरकारें जो
कहती हैं वह
करती है और
भारतीय जनता
पार्टी ने जो
कहा है वह
किया भी है.
कोई ऐसा
कार्य, कार्ययोजना,
कोई ऐसी नीति
जो भारतीय
जनता पार्टी
ने बनाई हो और
उसे पूरा न
किया हो, यह
निश्चित रूप से
संभव नहीं
रहता.
माननीय
सभापति महोदय,
यह अनुपूरक
बजट जो माननीय
जगदीश देवड़ा
जी ने रखा है,
माननीय
देवड़ा जी
स्वयं अनुभवी
हैं, वरिष्ठ
हैं, और विगत
कई वर्षों से
वे जन सेवा के
कार्य, इस
राजनैतिक
क्षेत्र में
आकर के
राजनीति के
माध्यम से कर
रहे हैं. आप हम
सब उन्हें
जानते हैं
भलीभांति
पहचानते हैं,
चाहे मुख्यमंत्री
डॉ.मोहन यादव
जी हों चाहे
वित्त मंत्री
माननीय जगदीश
देवड़ा जी हों,
वे भी ग्रामीण
क्षेत्रों से
आये एक गरीब परिवार
में जन्म लेकर
, एक गरीब
मजदूर परिवार
में जन्म लेकर
आज उन्हें
मौका मिला काम
करने का और जब
वे काम कर रहे
हैं तो स्पष्ट
नीति और स्पष्ट
नियत के साथ
में कर रहे
हैं.
सभापति
महोदय,
अनुपूरक बहुत
कम राशि का
रहता है और
निश्चित रूप
से आवश्यकता
होने पर ही
लाया जाता है,
अत्यंत
आवश्यक होने
पर अनुपूरक का
अनुमोदन भी
करना होता है
यह आप और हम
सभी जानते
हैं. लेकिन इस
अनुपूरक में
सभी बातों का
समावेश किया
गया है.
किसानों के
बारे मे विचार
किया गया,
महिलाओं के
बारे में
विचार किया गया,
अनुसूचित
जाति,
अनुसूचित
जनजाति के
बारे में
विचार किया
गया. ग्रामीण
क्षेत्र का
विकास नगरीय
क्षेत्र के
साथ में कैसे
निरंतर समायोजित
रूप से होता
रहे वह भी सब
करने का
प्रयास किया
है. और
इसीलिये
विभिन्न
कार्यों को
करने के लिये
माननीय वित्त
मंत्री जी ने
राशि का
प्रावधान
किया है.
माननीय सभापति महोदय, प्रधानमंत्री आवास 4 हजार करोड़ रूपये की राशि ..आप विचार करें. विगत समय में हमने देखा था आपने भी अनुभव किया होगा. केन्द्र सरकार आवास देना चाह रही है, राज्य में हमारे गरीब परिवार जो गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं उनको आवास की जरूरत थी लेकिन विगत सरकार ने तो उनका अंश जमा करने से मना कर दिया, राशि देने से मना कर दिया. दो लाख प्रधान मंत्री आवास से मध्यप्रदेश वंचित हो रहा था लेकिन सत्ता का परिवर्तन हुआ और भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, मुख्यमंत्री महोदय ने पहला काम वही किया कि राशि सीधे जो केन्द्र सरकार का केन्द्रांश जमा करना था उस राशि को जमा कराया और वह प्रधानमंत्री आवास बनना प्रारंभ हुए. हम चाहे शहरी क्षेत्र में, चाहे ग्रामीण क्षेत्र में जाएं, उन गरीब परिवारों की गलियों में, उन आवासों पर पहुंचते हैं और उनको जब हम महसूस करते हैं उससे ऐसा लगता है कि जैसे उसे एक बड़ा महल बनाकर दे दिया है. निश्चित ही वह उससे इतना संतुष्ट रहता है तो क्यों न इस तरह के कार्य किए जाने के लिए राशि व्यय की जाए.
सभापति महोदय, लाड़ली बहना योजना की बहुत चर्चा होती है. लाड़ली बहना के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है. मैं लाड़ली बहना के साथ-साथ लाड़ली लक्ष्मी बेटी योजना का भी स्मरण करना चाहता हूं. एक समय आया था जब महिला और पुरुष के रेश्यो में बढ़ते-बढ़ते कितना भारी अंतर आ गया था, लेकिन इस लाड़ली लक्ष्मी बेटी योजना को प्रारंभ करने से वह जो भ्रूण हत्याएं होती थीं, वह जो समय के पूर्व ही मौत के गाल में चली जाती थीं उन बिटियाओं को बचाने का काम इस लाड़ली लक्ष्मी बेटी योजना ने किया है. जो परिवार घबराया करते थे कि बिटिया आएगी तो क्या होगा, बिटिया को कैसे बड़ा करेंगे, कैसे उसे पढ़ाएंगे, लिखाएंगे, कैसे उसकी देखभाल करेंगे, उस बिटिया के जन्म लेते ही उसका संरक्षण करने के लिए 5 साल तक 6-6 हजार रुपये की राशि जमा कराकर उसकी एफडी कराकर, वह बिटिया जब 21 साल की हो जाए तो 1 लाख, 47 हजार रुपये की राशि उसे दी जाना और चाहे वह कक्षा 6 वीं से 8 वीं में जाए, 8 वीं से 10 वीं में जाए, 10 वीं से 12 वीं में जाए, कॉलेज में जाए, लगातार उसे 2 हजार, 6 हजार, 4 हजार रुपये अनुदान देना और 25 हजार रुपये तक की राशि, अच्छी पढ़ाई-लिखाई करने पर स्कूटी दिया जाना यह एक संबल देने का, प्रोत्साहित करने का काम होता है. सिर्फ और सिर्फ राजनीति करने के लिए, वोट कबाड़ने के लिए कैसे हमारे माननीय लोग कहते हैं कि यह सिर्फ वोट के लिए है. जब हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था ही ऐसी है और प्रजातंत्र की सीधी परिभाषा है कि जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा. सब कुछ जनता का है, तो तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा. आम जनता के लिए मसूद भाई, आपके यहां पर भी होगा, आप तो मुख्यालय पर राजधानी में बैठे हैं, अब आप यहां पर राजधानी में बैठकर चिंता कर रहे हैं. हम तो तहसील मुख्यालय से निकलकर यहां राजधानी तक पहुंचते हैं और जैसे-तैसे काम कराने की कोशिश करते हैं तो आप तो राजधानी में बैठे हैं मसूद भाई, आप क्यों चिंता कर रहे हैं..(हंसी)..
सभापति महोदय, मैं माननीय मसूद भाई के लिए भी कहना चाहता हूं कि एक बार हमारी हुसैन टेकरी शरीफ पर आए होंगे, बिना मिले चले गए होंगे. एक बार आएं मुझसे भी मुलाकात करें. हुसैन टेकरी शरीफ पर मैं आपके साथ चलूंगा तब आप वहां का नजारा देखना कि किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं है. किसी प्रकार का कोई पक्षपात नहीं है. वहां हुसैन टेकरी शरीफ पर जानते हैं मसूद भाई अच्छे से, वहां जाने वाले लोग लगभग 100 में से 80 प्रतिशत् अगर हम समुदायों की बात करें तो हिन्दू समाज के लोग हैं. उनकी देखभाल करने वाले लोग अगर वहां पर हैं तो 100 में से 100 लगभग मुस्लिम समाज के लोग हैं, लेकिन कभी भी कोई तनाव, कभी भी असंवेदनशील कार्य, कभी भी किसी प्रकार की लड़ाई, फसाद, विवाद वहां पर होने की स्थिति नहीं हुई है. वहां से निरंतर आपके आशीर्वाद से मैं यहां पर चुनकर आता रहा हूं. मैं भारतीय जनता पार्टी से आता हूं. हमने तो वहां पर किसी तरह की स्थिति निर्मित नहीं होने दी और इसलिए मैं निवेदन करना चाहता हूं कि माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने तो सीधे-सीधे कहा है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास. अगर एक साथ मिलकर सब प्रयास करेंगे तभी निश्चित रूप से हम जिन उचाइयों पर पहुंचना चाहते हैं, जो काम हम तेजी से करना चाहते हैं वह करने में सक्षम हो सकेंगे. अनुपूरक बजट में माननीय वित्त मंत्री महोदय ने लाड़ली बहना योजना के लिए 1,794 करोड़ रुपये की राशि और इसी के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी 1,633 करोड़ रुपये की राशि, किसान भाइयों के लिए 500 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान अलग से किया.
नगरीय निकाय क्षेत्र में काम करने के लिए 365 करोड़ रुपए की राशि को भी आपने इस अनुपूरक बजट में सम्मिलित किया है. शिक्षा विभाग में भी 200 करोड़ रुपए की राशि और जल संसाधन में 363 करोड़ रुपए की राशि. औद्योगिक नीति निवेश प्रस्ताव में 650 करोड़ रुपए की राशि. उद्योगों के लिए, निर्माण कार्यों के लिये. PWD के लिए 300 करोड़ रुपए की राशि. कोई विभाग, कोई क्षेत्र नहीं छोड़ा जिसमें अनुपूरक बजट के माध्यम से कुछ बजट की मांग न की गई हो. मैं इस बजट का समर्थन करता हूँ. इसी के साथ-साथ मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ, उन्हीं के निर्वाचन क्षेत्र से लगा हुआ मेरा भी निर्वाचन क्षेत्र है. कृपया ग्राम मार्तण्डगंज से पेटलावट की सड़क को इसमें जोड़ लिया जाए और ग्राम मार्तण्डगंज से हनुवंतिया की सड़क को इससे जोड़ लिया जाए. इससे रतलाम और मंदसौर जिले को और अधिक आवागमन की सुविधा प्राप्त हो सकेगी.
सभापति महोदय, आपने जो बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री यादवेन्द्र सिंह (टीकमगढ़) -- माननीय सभापति महोदय, आज जो अनुपूरक अनुमान वित्त मंत्री जी द्वारा पेश किया गया है मैं इसका विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में लगभग 55 जिला पंचायतें हैं, 313 जनपद पंचायतें हैं और 23 हजार के लगभग ग्राम पंचायतें हैं. इस बार ग्रामीण विकास विभाग में 40 हजार करोड़ रुपए प्रस्ताव इस अनुपूरक अनुमान में भेजे हैं. पिछली बार इन्हें 7585 करोड़ रुपए की राशि दी गई थी. उस राशि में से ये केवल 5 प्रतिशत राशि खर्च कर पाए. अधिकांश विधायक पंचायतों के हैं और ग्रामीण क्षेत्रों से आए हुए हैं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार के पास गांव के विकास के लिए न तो कोई विजन है, न इनके पास कोई सोच है. इतनी बड़ी राशि मिलने के बाद भी यह ग्राम पंचायतों के ऊपर खर्च नहीं कर पाए और रोना रोते हैं कि हमारा 60:40 का अनुपात बिगड़ा हुआ है इसलिए हम खर्च नहीं कर पा रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, टीकमगढ़ जिले में इन्हें ग्राम पंचायतों के विकास के लिए 74 करोड़ रुपए दिए गए थे. उसमें से खर्च मात्र 6 करोड़ रुपए हुआ है. निवाड़ी में भी यही आलम है. टीकमगढ़ जिले को काटकर निवाड़ी अलग कर दिया. निवाड़ी में 47 करोड़ रुपए मात्र मिले थे उसमें के केवल 3 करोड़ रुपए खर्च हुए. अब यह 40 हजार करोड़ रुपए किस बात के लिए मांग रहे हैं यह मेरी समझ में नहीं आ रहा है. इन्हें देना नहीं चाहिए इनसे हिसाब लेना चाहिए. जब भी हमें भारत सरकार से ग्रांट मिलती है और जब हम पिछली बार का खर्च दिखाते हैं तो वो सीधे उसमें से ग्रांट कम करते हैं. यह सरकार की लापरवाही है, सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. वे कौन से कारण हैं जिनके कारण सरकार ग्राम पंचायतों में राशि खर्च नहीं कर पा रही है.
माननीय सभापति महोदय, पहली बार ऐसा हो रहा है कि कर्ज की राशि का ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज ले रहे हैं. सरकार की 5 रुपए किलो की गांव में गेहूं देने की स्कीम है. यह 72 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में चल रही है. इसकी 10 हजार करोड़ रुपए की किश्त पटाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है. मतलब यह पीडीएस वाला सिस्टम भी कुछ दिनों बाद कोलेप्स हो जाएगा. इसको बांटने में भी इन्हें दिक्कत आने लगेगी. इतना कर्ज सरकार के ऊपर हो गया है. यह 72 हजार करोड़ रुपए कहां से चुकाएंगे. यह बात हमारी समझ में नहीं आ रही है, इनकी समझ में आ रही हो तो हमें कुछ लेना देना नहीं है. इनकी बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है, जल जीवन मिशन इनके मुख्य सचिव महोदय ने मीटिंग की. मुख्य सचिव महोदय ने कहा कि इनकी जितनी भी योजनाएं हैं 100 प्रतिशत नलजल कनेक्शन युक्त विभाग कागजों में देखा गया है. कहीं पर भी नलजल योजनाएं पूरी नहीं हुईं. हम पूरे प्रदेश की बात करें तो पहले टीकमगढ़ की बात कर लें. टीकमगढ़ में 487 गांवों में नलजल योजना चालू है. केवल टीकमगढ़ जिले में इनकी 109 कंपनियां ब्लेकलिस्टेड हो गईं. आप अगर चाहें तो टीम बना दें. हमारे क्षेत्र में डोंगरपुर एक ऐसा गांव है वह गांव डूब वाला गांव है और उसमें 100 प्रतिशत नल चालू हो गये हैं और यह बता दिया है कि योजना पूरी हो गई है. वहां पर तो जाना भी मुश्किल है. कहां से योजना पूरी हो गई?
माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश सरकार के ऊपर भारत सरकार की ओर से तीस करोड़ रुपए की पेनल्टी जारी हो गई. 8398 ग्राम नलजल योजनाओं का पुनरीक्षण करने के लिए निर्देश जारी किये गये. इस प्रकार से भारत सरकार की नलजल जीवन मिश्न योजना पूरे तरीके से मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. इसमें किसी को पीने के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है. कहीं पर भी नलजल योजना चालू नहीं है. और इतनी बड़ी संख्या में कंपनियां ब्लेक लिस्टेड हो गई हैं. माननीय परमार साहब बैठे हैं इन्हें सोचना चाहिए, क्योंकि अब और तो कोई है नहीं. बाकी सभी मंत्री चले गये.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)-- सभापति महोदय, आदरणीय भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी यहां विराजमान हैं. देखिये क्या गंभीरता है कि सारे के सारे गायब. इतनी महत्वपूर्ण बहस चल रही है, जनता की मांगों पर चर्चा चल रही है. और मैं हमारे प्रदेश अध्यक्ष जी से भी निवेदन करूंगा कि वह जरा अपनी पार्टी की तरफ देख लें. आदरणीय खण्डेलवाल जी मैं आपको निवेदन कर रहा था कि इतने गंभीर विषय पर चर्चा चल रही है. पूरी की पूरी बैंचे खाली हैं. कोई सुनने को तैयार नहीं है. कम से कम निर्देशित कीजिए.
श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल-- जी कम से कम आपकी बात तो सुनना चाहिए. आप पुराने हो.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- सभापति महोदय, वरिष्ठ मंत्री बैठे हैं.
श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)-- सभापति महोदय, कहां हैं यह. यह प्रदेश कैसे चलेगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- सभापति महोदय, आने वाले हैं वह कह कर गये हैं और तीन वरिष्ठ मंत्री बैठे हुए हैं.
सभापति महोदय-- यादवेन्द्र सिंह जी आप जारी रखें.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- सभापति महोदय, शर्मा जी बार-बार खड़े हो जाते हैं. चित भी इनकी और पट भी इनकी. अगर भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो सीतासरन शर्मा एमएलए, और कांग्रेस की सरकार आती तो गिरजाशंकर शर्मा एमएलए और दिग्विजय सिंह की सरकार आती तो केएस शर्मा चीफ सेक्रेटरी. इनकी तो कभी सरकार गई ही नहीं इसलिए इन्हें कामों के लिए चिंता नहीं रहती है. आप क्यों चिंता कर रहे हो आप तो मजे में हो. नर्मदा किनारे लेटकर काम करो. आपको तो जरूरत ही नहीं है कुछ करने की.
सभापति महोदय, इनकी तीसरी महत्वाकांक्षी योजना है. बहुत प्रचार होता है गौवंश के ऊपर, गौ-शालाएं गायों का ध्यान रखो. मुख्यमंत्री जी सुबह से जब तक गाय के गले के ऊपर हाथ नहीं फेरते हैं तब तक बाहर नहीं निकलते हैं. आप यहां से विधायकों की एक कमेटी बनवा दीजिए. किसी भी जिले में चले जाइये. गौ-शालाओं की हालत इतनी खराब है कि गायों के लिए चारा नहीं है, पानी नहीं है. हमारे टीकमगढ़ में एक गांव है उसमें एक गौशाला नहीं थी. गांव वालों ने गायों को बाउंड्री करके उसके अंदर बंद कर दिया. आप विश्वास नहीं करेंगे कि 300 गायें मर गईं उनको पानी नहीं मिला, उनको चारा नहीं मिला. आपकी सरकार ने एक मिनट के लिए कोई काम नहीं किया है.
सभापति
महोदय, अभी खाद
की बात हो रही
थी, जब
आपको मालूम है
कि हर वर्ष
खेती की जाती
है और हर वर्ष
खाद की आवश्यकता
होती है, आप
किसानों को
नैनो खाद
पकड़ा देते
हैं. आप पहले
से खाद की
तैयारी क्यों
नहीं करते हैं ? आप
इतने लंबे समय
से सरकार में
हैं, अब इसमें
किंतु-परंतु
की कोई
गुंजाईश नहीं
है कि आप कहें
कि कांग्रेस
के राज में यह
होता था, वह होता
था. आप विगत 20
वर्षों से
सरकार में हैं, आप 20 वर्षों
में यह व्यवस्था
नहीं कर पाये
कि आपको किस
जिले के लिए, कितनी
खाद की आवश्यकता
है ? आप जब
पानी बरसने
लगता है, तब चटाई
और बरसाती की
व्यवस्था
करते हैं. आपको खाद
की व्यवस्था
सबसे पहले
करनी चाहिए क्योंकि
हमारे प्रदेश
का मालिक
किसान है और
मालिक के
प्रति आप
कितने सचेत
हैं, यह पता चल
रहा है. अभी
कल-परसों एक SDM ने, एक लड़की
को चांटा जड़
दिया, आपने
उसके खिलाफ क्या
कार्रवाई की ? उस SDM के खिलाफ
आपने
कार्रवाई की ? आप लोगों
को इन बातों
को गौर करना
चाहिए और इन व्यवस्थाओं
को सुधारना
चाहिए.
सभापति
महोदय, इनसे कोई
उम्मीद तो है
नहीं, लेकिन हम
एक बात सोचते
हैं कि अब कोई
और मंत्री सदन
में है नहीं, तो अपनी
बात इंदर सिंह
जी से ही कर
लें, अरे वित्त
मंत्री जी आ
गए क्या ? (सदन में वित्त
मंत्री जी के आने
पर)
वित्त
मंत्री जी,
हमारे
टीकमगढ़ जिले
में दो नगर
पंचायतें हैं,
बड़ागांव और
कारी. दोनों
में जल जीवन
मिशन की योजना
है,
रुपये 22-22 करोड़
स्वीकृत हैं,
टीकमगढ़ के
ठेकेदार ब्लैक
लिस्ट हो गए, पहले PWD से ब्लैक
लिस्ट थे, हमने
कहा भी था कि
इन्हें ठेका
न दें लेकिन
उनको जबर्दस्ती
ठेका दिया गया, अब वे
वहां से भी ब्लैक
लिस्ट हो गए, मुख्य
सचिव ने उन्हें
ब्लैक लिस्ट
कर दिया है.
लगभग 15-15 हजार की
आबादी उन
दोनों नगर
पंचायतों में
हैं, उनकी योजना
अभी तक
प्रारंभ नहीं
हुई है जबकि टेण्डर
हुए 4 वर्ष हो
चुके हैं. कम
से कम उन्हें
प्रारंभ करवा
दीजिये ताकि
वहां की जनता
को पानी मिलने
लग जाये.
सभापति
महोदय, बड़ागांव
में सांदीपनि
विद्यालय है, वहां
गर्ल्स हायर
सेकण्डरी स्कूल
अलग है, बॉयस् हायर
सेकण्डरी स्कूल
अलग है, वहां लगभग 3000
छात्र-छात्रायें
पढ़ते हैं,
टीकमगढ़ नगर
से 40 किलोमीटर
दूर है, यदि वहां पर
एक
महाविद्यालय
खोल देंगे तो
आपकी बड़ी
कृपा होगी, आपने
बोलने का अवसर
दिया, धन्यवाद.
श्री
शैलेन्द्र
कुमार जैन-
अनुपस्थित
श्रीमती
अर्चना
चिटनीस-
अनुपस्थित
श्री
यादवेन्द्र
सिंह- अच्छा
बोलने वाले
सभी चले गए
हैं.
श्री फुन्देलाल
सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)- सभापति
महोदय, हम तो यहीं
बैठे रहेंगे
क्योंकि हमें
बैठना ही है.
मैं वित्त
मंत्री जी को
धन्यवाद
दूंगा और
इसलिए दूंगा
क्योंकि इस
अनुपूरक बजट
में अनुसूचित
जाति,
अनुसूचित
जनजाति, आदिवासियों
के लिए बहुत
सारी बातें
होती हैं,
बजट प्रावधान
होते हैं
लेकिन वह बजट
पता नहीं क्यों
उस समाज तक, उस
गांव तक नहीं
पहुंच पाता,
जिनके लिए ये
योजनायें
बनाई जाती
हैं. आज भी पूरे
प्रदेश में
जहां आदिवासी
समाज के लोग
रहते हैं, वहां
विद्यालय
नहीं हैं,
वहां
बिजली-पानी-सड़क
नहीं है, वे मूलभूत
सुविधाओं के
लिए आज भी
संघर्ष कर रहे
हैं. हम अपने
आपको यहां
चर्चा करके
संतुष्ट
करते हैं कि
जिस प्रदेश
में 25 प्रतिशत
से ऊपर जनसंख्या
जिनकी हो और
वह समाज आज भी
मूलभूत
सुविधाओं से
कोसों दूर है,
हमने पिछले
बजट में भी
वित्त
मंत्री जी से
अनुरोध किया
था कि आप एक
नीति निर्धारित
करिये कि
पूरे मध्यप्रदेश
में कोई भी
प्राथमिक
विद्यालय
भवनविहीन न
रहे. आपने
जितने काम अभी
प्रस्तावित
किए हैं, उसमें
कितने
विद्यालय
आपने दिए हैं, कितने
आंगनवाड़ी
केन्द्र
आपने दिए हैं,
कितने पीडीएस
गोदाम आपने
दिए हैं, कितने
भवनविहीन
ग्राम
पंचायतें
आपने दी हैं ? आप गिनेंगे
तो आपको यह
महसूस होगा कि
वास्तव में
कहीं न कहीं
हम कुछ चूक कर
रहे हैं. आज
छात्रावासों
की हालत बहुत
खराब है. सुबह
माननीय
मंत्री जी यह
बता रहे थे कि
हमने भारत
सरकार को
प्रस्ताव
भेजा है. भारत
सरकार से ही
जनजातीय
कार्य विभाग
के लिए पैसा
मध्यप्रदेश
में आता है. यह
समाज के विकास
के लिए, उन्नति
के लिए पैसा
उस समाज के
लोगों के
सर्वांगीण
विकास के लिए
क्यों खर्च
नहीं होता है ?
सभापति
महोदय, सब प्लान
का पैसा किसी
दूसरे विभाग
में चला जाता
है. आप
यहां से
मिनीकिट्स
लेकर भेज देते
हैं और बाजार
में बेच देते
हैं. दूसरा, आप
ऊर्जा विभाग
और दूसरे
विभाग को
एजेन्सी बना
देते हैं,
लेकिन वह
विभाग जिसके
लिए राशि आई, उस
विभाग में यदि
निर्माण करने
के लिए वह राशि
नहीं है, तो आप बजट
क्यों दे रहे
हैं ? यह बड़ी
चिन्ता का
विषय है, माननीय
वित्त
मंत्री जी. आज
हमारे हॉस्टलों
में जो बच्चे
रह रहे हैं,
वहां स्थिति
बहुत खराब है. शहडोल
छात्रावास
में लापरवाही
के कारण एक
बच्चे की
मृत्यु हुई, रतलाम
बाजना
विद्यालय
छात्रावास
में 35 छात्राएं
बीमार हुईं, हॉस्टल
में 10 वीं में
पढ़ने वाले
बच्चे की
आकस्मिक मौत
हुई, 15 बच्चे
बीमार हुए. आज
यह स्थिति है
कि पूरे मध्यप्रदेश
में
छात्रावासों
की स्थिति बद
से बदतर हो गई
है. हॉस्टलों
का गद्दा तीन
भाग में बंट
गया है, एक ऊपर, एक
और ऊपर और फिर
एकदम नीचे हो
गया. कहीं
गद्दे का
अता-पता नहीं
है, बच्चे
इधर से उधर
करवट लेकर रात
बिता रहे हैं.
मेरा आपसे
अनुरोध है कि
आप अच्छे
विद्यालय की
व्यवस्था
कीजिये, छात्रावासों
की अच्छी व्यवस्था
कीजिये, जहां 50-50, 100-100 सीटर
छात्रावास
हैं,
वहां बच्चे
बीमार कैसे
पड़ते हैं ?
वहां रहने की
क्या व्यवस्था
है ?
पानी नहीं है,
बिजली नहीं
है. ऐसी जगह
में वहां बच्चों
को ठूंसकर रख
रहे हैं. उससे
तो अच्छा घर
है,
वहां उनके
चेहर में चमक
भी थी. आप
सर्वसुविधा
दे रहे हैं,
वहां बच्चों
के चेहरे में
चमक नहीं आ
रही है, हमें इस
बात की चिन्ता
करने की आवश्यकता
है.
सभापति महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी, हमने आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग से एक जानकारी निकाली और उनके मीनू में हमने देखा कि कोदो, कुटकी एवं महुआ, जिस महुआ को हम छोड़कर आए, वह महुआ को आपने पुन: छात्रावास के मीनू में डाल दिया. अब जब बच्चा घर में रहे तो वह महुआ खाये और छात्रावास में जब आये तो फिर उसको चना और महुआ भूंजकर सुबह-शाम खाने में देने लगे. इससे आप आदिवासी समाज के साथ क्या करना चाहते हैं ? कि आपने महुआ को छात्रावास में डाल दिया, तो बच्चे छात्रावासों में खाना छोड़कर महुआ पीने लगे. मेरे पास इस बात के प्रमाण हैं कि यह स्थिति है. आप क्या चाहते हैं कि आदिवासी समाज आगे न बढ़े ? आपकी यह सोच है, आप यह विकास कर रहे हैं, आप उन्हें दारू पिलायेंगे, महुआ पिलायेंगे, इससे आप चाहते हैं कि इस समाज का विकास न हो पाये. इस पर सरकार को विचार करना चाहिए. आप ऐसी चीज मत दीजिये, जिससे आने वाले शिशु के मन में यह बात बैठ जाए कि हम आदिवासी समाज के लोग हैं और मैं छात्रावास में जाऊँगा तो भी मुझे भी महुआ खाना पड़ेगा और महुआ हमारा पीछा नहीं छोड़ रहा है. आप इस मीनू पर थोड़ा परिवर्तन करें, ऐसी मेरी विनती है. दूसरा, माननीय वित्त मंत्री जी, अभी मध्यप्रदेश के लिए श्रमायुक्त कार्यालय, इन्दौर, मध्यप्रदेश शासन का एक आदेश जारी हुआ है. जिसमें न्यूनतम वेतन, महंगाई भत्ता का आदेश हुआ. दिनांक 1.10.2025 से दिनांक 31.3.2026 तक यह न्यूनतम वेतन लागू होगा.
मजदूरी जो है, यह चार भागों में बांटी गई है. इसको आप पूरे प्रदेश में लागू करें. न्यूनतम मजदूरी अभी भी नहीं मिल रही है. अत: मेरा आपसे अनुरोध है कि कृपा करके इसका पालन आप कराएं क्योंकि यह मध्यप्रदेश सरकार का आदेश है.
सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि आपने प्रत्येक संभाग में एक अपर मुख्य सचिव का प्रभारी वहां पर बनाया है. उसके माध्यम से हम विधायकों को चर्चा करके हमारी जो समस्याएं हैं, तो उनके माध्यम से हमें आवेदन और निवेदन देना है. हम लोगों ने चर्चा की. चर्चा करने के बाद शहडोल संभाग में जो अपर मुख्य सचिव महोदय हैं, उनको हमने सारी समस्याओं का पत्र बनाकर दे दिया. ये लीजिए, जो पानी बरसा है, वही हमारे लिए भगवान है. जब मैंने अभी देखा तो मुझे थोड़ी सी निराशा हुई कि ठीक है, आपकी सरकार है, लेकिन ये 63 जो हम लोग विधायक हैं, ये भी मध्यप्रदेश के नक्शे में हैं. जब देश की जनगणना होगी तो इन विधायकों की जनसंख्या भी उसमें समाहित होगी. आप जिस तरीके से 15 और 25 का खेल कर रहे हैं, यह केवल हमारे साथ नहीं कर रहे हैं, उस क्षेत्र में रह रहे जनमानस के साथ यह कर रहे हैं. कृपया ऐसा भेदभाव न करें क्योंकि पूरी जनता आपकी है. आपको सबका ध्यान रखना चाहिए. मुखिया की और सरकार की यह विचारधारा होनी चाहिए.
सभापति महोदय, दूसरी बात, अभी इस दिपावली के बाद गोवर्धन पूजा करने का आपने आदेश जारी किया. गौ माता की बढ़िया पूजा हुई. सभी गौशालाओं में चाहे शासकीय हों या अशासकीय हों, पूजा हुई. हम लोग तो गांव में करते हैं, घर में पूजा करते हैं, हमेशा पूजा करते रहते हैं. लेकिन विशेष व्यवस्था की गई कि गौ माता की पूजा होनी चाहिए. अच्छी बात है. हम समर्थन करते हैं. हम लोग भी शामिल हुए. लेकिन सरकार इतनी निष्ठुर और कट्टर कैसे हो गई. उनके हाथ की पूजा की थाली में क्यों कंपन नहीं आया. जिस देश में और जिस प्रदेश में गौ माता के साथ निष्ठुरता की जाती हो, वध किया जाता हो, ऐसे समय में आप हाथ में थाली रखकर के गौ माता की पूजा कर रहे हैं. इसी सरकार ने बूचड़खानों का आदेश दिया है. इस देश में 3,600 पंजीकृत बूचड़खाने चल रहे हैं. क्या आप इन्हें बंद करा सकते हैं. आपका मन इतना निष्ठुर कैसे हो गया. जहां गौ माता को मारा जाता हो, बछड़ों की हत्या की जाती हो, भैंस का वध किया जाता हो, आप कैसे सिर को रखकर पूजा कर लिये. क्या आपके पास इसका जवाब है ? वर्ष 2023-24 में 41 मिलियन सिर काटे गए और प्रतिदिन 1,12,330 गाय और भैंसे काटी जाती हैं. अब आप कहें डबल इंजन की सरकार है. उन बूचड़खानों को बंद करवा दें, जो पंजीकृत हैं. सरकार को इतनी निर्दयी नहीं होना चाहिए. यदि आप इनको बंद नहीं कर सकते हैं तो दिखावा मत करें. वह गौ माता आपको छोड़ेगी नहीं. मेरा आपसे अनुरोध है. यह मैं नहीं कह रहा हूँ, एफएएसयूएसडीए की रिपोर्ट के आधार पर मैं यह कह रहा हूँ. इसको आप सर्च कीजिए तो मिल जाएगा कि 3,600 पंजीकृत बूचड़खाने इस देश में चल रहे हैं कि नहीं चल रहे हैं. आपकी ही सरकार है. मध्यप्रदेश में भी कम बूचड़खाने नहीं हैं. मैंने प्रश्न लगाया है. यह हालत प्रदेश में है. एक तरफ थाली लेकर आप पूजा करते हैं, अगरबत्ती क्यों आपके हाथ से नहीं छूटी, जहां बूचड़खाने में गौ माता की हत्या करने की आपने अनुमति दी और वह सरकार के लोग वहां जाकर दिखावा करते हों इस पर मुझे सबसे ज्यादा दुख है. मैं कहना चाहता हूं कि सरकार से इसका प्रस्ताव जाना चाहिये जो आपके पंजीकृत बूचड़खाने हैं उनको बंद करने का प्रस्ताव आप भेजिये और बंद कराईये. ज्यादा दिन इसको बर्दाश्त नहीं करेंगे. बहुत सारे साधु संत इसके विरोध में हैं कि गौमाता की हत्या बंद की जाये आज पूरे देश में इसका उफान होगा विरोध होगा उस समय आप उसको रोक नहीं पाएंगे यह मैं कहना चाहता हूं और वित्त मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि मेरा आदिवासी क्षेत्र है. आप सहज,सरल हैं. आप सोचने वाले व्यक्ति हैं. मैं चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में भी ध्यान रखें वहां माई नर्मदा की तपोभूमि है यह मैं कह दे रहा हूं. उस तपोभूमि से अगर छलबल करेंगे तो उस छलबल कपट से आप बच नहीं पाएंगे. बहुत सारे प्रस्ताव हमने विभागों को दिये हुए हैं. आने वाले समय में आप उसको समाहित करेंगे यथा उचित जो आपकी धनराशि हो उसमें पुष्पराजगढ़ का ध्यान रखें. मुझे बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री मुरली भंवरा(बागली) - माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिये धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - सभापति महोदय, एक बात मैं और कहना चाहता हूं.
सभापति महोदय - आप लिखकर मंत्री जी को दे दीजिये.
श्री मुरली भंवरा - माननीय सभापति महोदय,जनहितैषी जनकल्याणकारी कार्यों के लिये मध्यप्रदेश शासन का जो बजट है वह संपूर्ण मध्यप्रदेश के लिये उपयोगी है. मैं आदिवासी विधान सभा क्षेत्र बागली से आता हूं और उस बागली विधान सभा क्षेत्र में हमारे जितने भी आदिवासी परिवार के लोग हैं उन लोगों के लिये चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो,चाहे रोजगार का क्षेत्र हो,चाहे विभिन्न कार्यों का क्षेत्र हो उसमें मध्यप्रदेश सरकार ने यथोचित कार्य किये हैं. अब आप विचार करिये कि बागली विधान सभा आदिवासी क्षेत्र है वहां 5 सांदीपनी विद्यालय मध्यप्रदेश सरकार ने स्वीकृत किये हैं. बहुत सारे लोग कहते हैं कि आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्य नहीं हो रहे हैं वहां पर 5 सबस्टेशन उस क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी भाईयों,बहनों के लिये मध्यप्रदेश सरकार ने इस बजट में स्वीकृत किये. जनकल्याणकारी योजनाएं निरंतर अंतिम छोर तक के व्यक्ति तक पहुंचे और उसके लिये प्रतिबद्ध है मध्यप्रदेश की डॉ.मोहन यादव जी की सरकार. विचारणीय विषय यह है कि जिन लोगों को इस बजट के अंदर संभावना नजर आएगी वे लोग कहीं न कहीं इस बजट को मूर्त रूप प्रदान करेंगे और जिन लोगों को इस बजट के अंदर कहीं न कहीं माइनस प्वाइंट नजर आएंगे वह बजट में गल्तियां ढूंढेंगे. मेरी दृष्टि से यह जो बजट है यह सर्वलोगों के लिये समवेशी बजट है और इस बजट में हर वर्ग का हर विषय का संपूर्ण रूप से ध्यान रखा गया है. सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास. हम सभी निरंतर जनकल्याणकारी कार्यों में जुटे हुए हैं. इस कल्याणकारी कार्यों में शासन ने विभिन्न योजनाएं चाहे वह लाड़ली बहना योजना हो,चाहे किसान कल्याण योजना हो ऐसी विविध योजनाओं को चाहे वह शिक्षक की व्यवस्था हो,चाहे वह शैक्षणिक पक्ष की व्यवस्था हो क्योंकि विधायक से पहले मैं एक शिक्षक रहा हूं और शिक्षक के नाते मेरे क्षेत्र में जो शैक्षणिक कार्य हो रहे हैं वह वाकई में सराहनीय कार्य है. मैं इन सराहनीय कार्यों के लिये मध्यप्रदेश सरकार की ओर से और इस सरकार ने जो बजट प्रस्तुत किया है.
उस बजट पर
हमारे डिप्टी
सीएम जगदीश
देवड़ा जी को
मैं बहुत-बहुत
बधाई और
शुभकामनायें
प्रेषित करता
हूं कि उन्होंने
एक शानदार बजट
को सदन में
प्रस्तुत
किया है और इस
बजट ने हर
वर्ग को
लाभांवित
किया है. ऐसा
कोई भी वर्ग
अछूता नहीं है
जो इस बजट से
प्रभावित
नहीं है.
आजादी के बाद
मध्यप्रदेश
की सरकारों ने
जो काम किये
हैं उन सरकारों
ने विविध
विषयों के ऊपर
नये आयाम स्थापित
किये हैं और
इसी के साथ
यदि देखा जाये
तो आज सबसे ज्यादा
भारत में यदि
सरकारें हैं
तो वह भारतीय
जनता पार्टी
की सरकारें
हैं, यह विश्वास
की सरकारें
हैं. मैं इस
बजट के लिये
माननीय मुख्यमंत्री
डॉ. मोहन यादव
जी,
माननीय डिप्टी
सीएम जगदीश जी
देवड़ा जी को
बहुत-बहुत
बधाई और
शुभकामनाएं
प्रेषित करता
हूं कि यह बजट
हमारे मध्यप्रदेश
के लिये नये
आयाम स्थापित
करेगा. सभापति
महोदय,
पुन:
बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)-- माननीय सभापति महोदय, बजट में आंकड़ों के खेल में उलझने से तो कुछ मिलेगा नहीं, सरकार है, सरकार के पक्ष के लोग हैं, जो उन्होंने बना लिया वही करना है. अपनी राय देना अंकों का आंकड़ा बताने से मुझे समझ में नहीं आता, दो साल से यही देख रहा हूं. बहरहाल एक बात तो मैं समझता हूं जो मुझे समझ में आता है कि हर व्यक्ति का अपना लालच होता है कि हम चुनाव जीत जायें, हम सरकार में आ जायें, लेकिन जब हम इस सदन में आ जाते हैं तो हम सब कुलमिलाकर एक हो जाते हैं और हमारा उत्तरदायित्व जनता के प्रति है. सुशासन, आर्थिक सुदृढ़ता, मतलब आय को बढ़ाना, अपव्यय को रोकना यानी ये सब कैसे होगा, यह सब पॉलिसी से होगा. इंटीग्रेटेड पॉलिसी जब तक नहीं बनेगी हम अपने को 10 साल बाद, 20 साल बाद कहां देखना चाहते हैं, हमें कितने मंजिल की इमारत बनानी है, उसका लोहा अभी से तय करना होगा. 20 साल, 25 साल से सरकार है, ऐसा नहीं है कि काम नहीं हो रहा, कर्ज ले रहे हैं, आय नहीं बढ़ा रहे हैं, विभागों में पड़े 1 लाख करोड़ रूपये ऐसे हैं अगर उनको वसूला जाये, ध्यान दिया जाये अगर एक-एक जगह पर उनका उपयोग नहीं हो रहा है तो वह आ जाये. हम उपार्जन नीति और जो यह पंजीयन नीति है इसकी नीति में सुधार कर लें तो जो किसान-किसान के नाम पर खेल हो रहा है, किसान तो बेचारा ज्यों के त्यों है, उसकी स्थिति तो तभी बदलेगी जब वह 50 पैसे का आलू 10 रूपये में बेचेगा और वह 10 रूपये में जब ही बेचेगा जब वह चिप्स बनाकर बेचेगा, मतलब जब हम उसको वेल्यू एडीशन देंगे, जब हम उसको एमएसएमई से जोड़ेंगे, जब उसका व्यक्तिगत विकास करेंगे, तभी इस प्रदेश की संरचना बदलेगी. आप जहां देखो वहां कितनी सुंदर-सुंदर बिल्डिंगे बनी, सड़कें बनीं, अच्छा भी लगता है देखने में, मन थोड़ी देर के लिये खुश भी होता है, लेकिन आप देखिये कैसे आप सिवनी से चलिये वहां बालाघाट के लिये आज भी ऐसी रोड है, आप पिपरिया पचमढ़ी चले जाईये कई ऐसे प्रमुख मार्ग हैं, कई ऐसे प्रमुख काम हैं जो दिखते हैं 20 साल से हमारा ध्यान नहीं जा रहा, हर समय से होता आया है. सरकार को वास्तव में 10-20 लोग ही चलाते हैं और वह प्रभावशाली लोग जो कह दिये वह हो गया. कहीं बॉर्डर नहीं था कोई फर्क नहीं पड़ता पीछे फोरलेन बना मतलब कोई एक सुनियोजित काम नहीं कि पहले हम स्टेट हाइवे बनायेंगे, फिर हम एमडीआर बनायेंगे, फिर हम छोटी गलियों को बनायेंगे. यह हम एक उदाहरण पेश कर रहे हैं विभिन्न विभागों के माध्यम से कि हम किस दिशा से व्यवस्थित काम करेंगे उस दिशा में हमारी सोच न हो पाने के कारण हमारा इतना कुछ हो जाने के बाद भी हम सही जगह पर पहुंच नहीं पा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि जनता नहीं समझती, हमको लगता होगा न कि हम बहुत होशियार हैं, जनता नहीं समझती, जनता सब समझती है, बस दिक्कत यह है कि व्यक्ति परिस्थितियों का दास होता है और समय बलवान होता है, दौर आता है, दौर गुजर जाता है, दुख भी गुजर जायेगा, सुख भी गुजर जायेगा, यह दौर है मेरा यह कहना है कि हम इसको अच्छा कर सकते थे, किसानों को जब तक हम मजबूत नहीं करेंगे, किसानों का जिनका 4 एकड़ के ऊपर है वह किसान हैं, उनका नाम गरीबी रेखा में भी नहीं आता, उनको किसी तरह की योजनाओं का भी लाभ नहीं मिलता, वह आप खुद सोचिये वह पिछला कर्ज पटाते हैं, केवाईसी से लेते हैं, फिर कर्ज लेते हैं, फिर किसानी करते हैं, फिर खाद के लिये लाठी, डंडा खाते हैं.
फिर
उपार्जन नीति
में पंजीयन
कराते हैं, मैं
उपार्जन नीति
पर बार-बार
फोकस कर रहा
हूं कि पंजीयन
नीति में बहुत
बड़ा घालमेल
हो गया है, गलती से
पॉलिसी में स्पेस
छूट गया है, हमारे
यहां कई साल
पहले लीकर
पॉलिसी बनी थी, हमारे
यहां की एक
सक्षम महिला
अधिकारी थीं, वह आईएएस
थीं,
उन्होंने
बहुत अच्छी
पॉलिसी बनाई, उसका
परिणाम यह हुआ
कि हाथ से बंध
गई चीजें. हमें ऐसा
समझ में आता
है,
जब तक कि कोई
भी पॉलिसी
बहुत टाईट
नहीं बनेगी, हम स्पेस
देंगे तो कोई
भी हमें क्यों
छोड़ेगा? किसानों
के नाम पर
किसान ज्यों
का त्यों हैं. आप
देखिये जो एक
समिति
प्रबंधक होता
है,
जो एक कोठेदार
होता है, जो तौलने
में जाता है, फिर वह
जुगाड़ कर
लेता है, फिर एक
महीने में, एक सीजन में
एक स्कार्पियो
ले आता है.
सभापति
महोदय, खेर अब आ
जाते हैं यह
जो बढ़ता कर्ज
है,
यह आत्मघाती
बम की तरह है. आप बीस
वर्ष से हैं, आप पच्चीस
वर्ष से हैं, हो सकता
है आगे और भी
रहें,
यह बम आप पर ही
थोपना है, इसका कही
न कहीं तो अंत
होगा ही. अब मैं आपका ध्यान
एम.एस.एम.ई. की
ओर आकर्षित
करना चाहता
हूं. एम.एस.एम.ई.
योजना में व्यापक
संभावना है, हमारे
यहां एक
मंत्री चेतन्य
कश्यप जी हैं, जिनको
किसी अधिकारी
को समझाने की
जरूरत नहीं है, वह अपने
विभाग के मास्टर
हैं और उनकी
वर्किंग भी हम
जानते
हैं,
वह दिख जाती
है, आदमी
को बताना नहीं
पड़ता है और
काम भी अभी तक जो
हमें दिख रहा
है,
वह एग्रीकल्चर
बेस्ड है. खाद्य
प्रसंस्करण
से संबंधित
अगर हम अपने
बजट में ज्यादा
दें,
तो हमको बहुत
अच्छा
परिणाम आयेगा. आप किसान
पर फोकस करें, क्योंकि
हमारे 70
प्रतिशत
आबादी गांवों
में रहती है, एग्रीकल्चर
उसका कल्चर
है,
उसका संस्कार
है. घाटा
हो या फायदा
वह छोड़ेगा
नहीं,
इसमें हमारी
व्यापक
संभावना है.
सभापति
महोदय, देखिये
देश हमारा
पूंजीवाद के
सिद्धांत पर काम
कर रहा है, यहां
साम्यवाद तो
है नहीं, पूंजीवाद
कहता है कि एक
थाली के ऊपर
एक गिलास है, गिलास
में पानी भरने
दो,
भरने दो, एक बार वह
फुल होगा, फिर वह
पानी बहेगा, तो पूरी
थाली में
फैलेगा, तो सब
उसमें गीले
होंगे. आज आप
देखिये कि देश
का 50 प्रतिशत, 60 प्रतिशत
पैसा तीन सौ
लोगों के पास है और
चालीस
प्रतिशत में
पूरा सब कुछ
चल रहा है,उसमें भी यह
जो हम कर्ज
लेकर जाते जा
रहे हैं, तो आखिर
यह पैसा जा
कहां रहा है. मैं
बड़े स्पष्ट
रूप से बोल
रहा हूं कि
हमारे यहां की
सबसे बड़ी
बीमारी है, इस देश
में और मुख्य
रूप से मध्यप्रदेश
में भ्रष्टाचार, एक बड़ा
नैसर्गिक
सिद्धांत है. वह कहते न
कि ''पान सड़ा
क्यों, घोड़ा
अड़ा क्यों, रोटी जली
क्यों'' क्योंकि
पलटी नहीं गई, जब भी कोई
सरकार लगातार
रहेगी, तो काकस
तैयार होता है.
अगर कांग्रेस
की होती, तो उस पर
भी यह होता और
वह काकस तैयार
होता है और वह
काकस पर
नीचे-नीचे एक
भ्रष्टाचार
का तंत्र होता
है,
मैं आपको एक ओर
खुली बात
बताता हूं, भारतीय
जनता पार्टी
के विधायक और
नेता यह भ्रष्टाचार
में शामिल
नहीं है, यह जान भी
नहीं पा रहे
हैं,
मुझे पता है
और नीचे कितना
तेज घालमेल है, मुझे
बताने की
जरूरत नहीं
है.
सभापति
महोदय, हम
पंद्रह करोड़, पंद्रह
करोड़ चिल्ला
रहे हैं, हमारी और
इनकी हालत में
बहुत अंतर
नहीं है, जो हो
जाता है, जो
अधिकारी बना
देते हैं, अभी हमको
इसमें एक तीन
किलोमीटर की
रोड मिली है, सबके पास
गये किसी ने नहीं सुना, जब एक
अधिकारी के
पास गये, उसे नमस्ते
किया,
थोड़ा हाथ
मिलाया तो हो
गया(हंसी) आप
मेरी बात को
समझना, तो यह
होता है. मेरा
यह कहना है कि
जो भारतीय जनता
पार्टी के
विधायक हैं, वह
बेचारे बोल
नहीं पा रहे
हैं,
हम तो बोल
लेते हैं, उनकी
दुर्दशा हमसे
ज्यादा खराब
है. विधायक
चाहे पक्ष का
हो,
चाहे विपक्ष
का हो,
सबकी स्थिति
एक ही जैसी है.
श्री
उमाकांत
शर्मा -- माननीय
सभापति महोदय, बेचारा
शब्द प्रयोग
न किया जाये, हम कोई
बेचारे नहीं
है.
श्री
अभय मिश्रा --
अभी हमारे
यहां रामलीला
है,
हम आपको ले
चलेंगे.
सभापति
महोदय -- अभय जी, आप अपनी
बात करिये.
श्री अभय मिश्रा -- देखिये ग्राम पंचायत में महात्मा गांधी की जो परिकल्पना ग्राम स्वराज की थी, किसान है, वह एक पंच है, अगर आप ग्राम पंचायत में सुधार करना चाहते हैं, तो सरपंचों और इस व्यवस्था पर मत जाइये, मैं जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुका हूं, आप पंचों को अधिकार दीजिये, उसमें जो समिति बनी है, उसमें क्रियान्वयन में अधिकार दिया हुआ है, उसका बेहतरी से क्रियान्वयन करा दीजिये और जब इतना बंट ही रहा है.
यह जो हम रिश्वत वाला वोट ले ही रहे हैं, तो पंचों को जो उनके एक्ट में लिखा है, कम से कम आप उनको 100 रुपए तो दे दीजिए, तो वह अपनी एक दिन की मजदूरी छोड़े, आप उनको 300 रुपए देंगे, तो ही एक दिन की मजदूरी जो वह कमाता है छोड़ेगा और तब ही तो पंचों में इंटरेस्ट लेगा, तब ही जाएगा. अगर हमारी बात कोई अच्छी लग जाए तो आप उसको नोट कर लीजिए, बाकी हमारे कहने से कुछ होगा नहीं. एक बात हमें बड़ी बुरी लगती है कि हमारी बहनों को ठगा जा रहा है, हमारे प्रदेश में ये 1250 रुपए, 1500 रुपए बहनों को दिया जाता है जो बहुत कम है. जबकि बिहार की बहनों को दस हजार रुपए मिला है, हमारी यहां की बहनों को भी दस हजार रुपए चाहिए, ये कौन सी बात हुई कि जब चुनाव आएगा, तब ही देंगे अगर आप वोट के पहले देते हैं, तो वह रिश्वत है और अगर आप अभी देते हैं तो हम यह मानेंगे कि आप बहनों के प्रति बहुत अच्छी सोच रखते हैं. गड़बड़ी कहां है हास्पिटलों में दवाई के नाम पर स्टाफ नहीं है, भवन बना दिए हैं लेकिन स्कूलों में स्टाफ नहीं है. हमने रोजगार की दिशा में काम नहीं किया है. बीस साल पहले से शुरू कर देना चाहिए, आज ऑउटसोर्स के भरोसे प्रदेश चलने लगा, दूर की सोच नहीं थी, कांग्रेस की सरकार थी, हम भारतीय जनता पार्टी की सब बात मानने को तैयार है, पर कहीं जीआरएस, कहीं पंचायतकर्मी, शिक्षाकर्मी जैसे छोटे छोटे तो रोजगार पैदा किया जाते थे, या नहीं, ये कल्चर ही बंद हो गया. अभी हम आपको बताएं हमारे यहां जलमोहरा बांध उसमें दायीं और बायीं तट नहर खराब है. हम विधायक निधि से उसमें राशि नहीं दे सकते, इसमें कुछ नियम बना हुआ है सिंचाई विभाग के अधिकारी लेने को तैयार नहीं है, हम कह रहे हैं कि हमसे 20-25 लाख ले लीजिए, अब गलती हो गई, ध्यान नहीं आया, नहीं तो वहां भी ऊपर अधिकारी के पास चले जाते और काम हो जाता, इनसे मांग मांग कर थक गए 25 लाख रुपए नहीं दिए. सोच में विकृति है, उससे होगा क्या. अगर किसी विधान सभा में हम जीते हैं और भारतीय जनता पार्टी का विधायक हारा है, तो ऐसा नहीं कि वह विधायक जीरो हो गया, हम हजार वोट से जीते, हजार वोट से ही जीत हार हुई न, लेकिन बाकी वोट तो बीजेपी को ही मिला, पर आप बदला तो उन पूरे से ले रहे हैं, वह जो वोटर जो आपको वोट दिया उसका क्या. नेताओं नेतागिरी में राशि प्रदत्त हो रही है. हमारे सेमरिया में चाहता हूं, अगर संभव हो, वैसे मुझे उम्मीद नहीं है, इसलिए कह दे रहा हूं कि हमारे क्षेत्र की जनता ये न कहे कि हमने मांगा नहीं, तो सेमरिया में बायपास बना है, नगर पंचायत के अंदर तक जाता है. मैं चाहता हूं कि अगर दस करोड़ रुपए मिल जाते तो वहां रिंग रोड के रूप में काम हो जाता. बाकी हमारे सेमरिया में काफी कुछ काम हो चुका है. जिला पंचायत अध्यक्ष के तौर पर, मैंने डेढ़ करोड़ रुपए दिए थे निकट बसाहट के लिए फिर उसमें बड़ी रुकावट आई बाद में दो-तीन साल हमारा समय खराब किया गया, राजनैतिक दबाब के कारण फिर ये हुआ कि उसकी लागत चार करोड़ हो गई, चूंकि मैं निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष था, मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी जिला पंचायत हमारी रीवा थी, सभी सदस्यों ने एक मत होकर चार करोड़ रुपए दे दिया, नहीं तो सब अपना दस दस लाख लेते, कहीं हैण्डपंप करवाते, कहीं कुछ करवाते लेकिन राजनैतिक दवाब के चलते यह ये निकट नहीं बन रहा है. डेढ़ करोड़ रुपए का हमारे जिला पंचायत में कौआढान रोड में जहां कि डीएमएफ की राशि मिलनी थी, वह नहीं मिली, जो हमने दिया उसमें भी काम नहीं हो रहा है. अब आप देखिए कि खेल कैसे होता है. रीवा के, आप लोग समझे या नहीं समझे, ये जो बन रहा है यह रीवा में चलेगा, रीवा की जनता तो जानेगी. अभी अभी रीवा में पुल बना है, सिरमोर चौराहा फ्लाई ओवर, नागपुर सामान्य तिराहा पर ये गारंटी में है, डीएलपी में है, कहने के तो ठेकेदार कोई और है.. पर वास्तविक ठेकेदार कोई और है. सत्ता का दुरुपयोग कैसे किया जाता है, डीएलपी में होने के बाद भी उसके चिथड़े उड़ गए, अभी उसमें डामर करके उसको ढंक दिया और राशि निकालने के लिए दो करोड़ पच्चीस लाख और दो करोड़ 9 लाख रुपए इसमें स्वीकृत हो गए, ये हैं खेल. इस तरह के खेल होते है, इसी तरह से एक और बात बता रहा हूं हमने माना आपके पास में पॉवर है. आप उसका और बेहतर उपयोग करिये. रोड़ के ऊपर रोड़ बनाते जा रहे हैं. आप यूरोप में जाईये, सिंगापुर में जाईये. वहां पर इस तरह का काम नहीं होता है. अपने यहां पर तो एक फ्लाईव्होर बना दिया तो बड़ा तीर मार लिया. हम जबरदस्ती बना रहे हैं जहां पर हमारा उपयोग है भी और जहां पर नहीं भी है, तो इस तरह की चीजों को हम उम्मीद करते हैं कि रोकें. एक बात और हम कहेंगे हमें जो स्वेच्छानुदान मिल रहा है अभी 75 से 80 लाख रूपये मिल रहा है, उससे कुछ नहीं होता है. माननीय अध्यक्ष जी से मैंने कहा हमारे माननीय अध्यक्ष जी को 3 करोड़ 50 लाख रूपये मिलते हैं. जब माननीय प्रजापति जी अध्यक्ष जी थे तो उन्होंने स्वीकृत करवाया था. अभी 3 करोड़ 50 लाख रूपये मिलते हैं. उतने में भी वह कैसे काम चलाते होंगे ? आप खुद भी पूछियेगा, बड़ा मुश्किल होता है. हमारे लोगों का 70 से 75 लाख रूपये में कैसे काम चलता होगा. इसमें हम क्या करते हैं हम छोटे-मोटे काम करा लेते हैं. कई काम ऐसे होते हैं जो उन्हीं के माध्यम से करा लेते हैं कि भईया अपना काम करा लो. मैं आपसे बार बार फिर से कह रहा हूं कि अंतिम बात कि आप बजट के पहले आप माने या न माने हमारी बात आप हमको छोड़ दीजिये. अपने विधायक दल भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल की जरूर बैठक ले लें उनसे उनकी राय ले लें. उससे आपको लाभ यह होगा कि वह विधायक खुद अपने क्षेत्र में कुछ और काम को प्राथमिकता दे रहा है और उसकी जरूरत को समझ रहा है और उसका मंजूर कुछ और हो रहा है. फिर अपनी इज्जत ढकने के लिये ताली बजाता है कि देखा करवा दिया काम हैं हैं हैं करके क्या करें ? इसमें मेरा यह कहना है कि इस दिशा में अच्छा प्रयास हो, आपने समय दिया धन्यवाद.
डॉ.चिन्तामणि मालवीय (अनुपस्थित)
श्री
सिद्धार्थ
तिवारी “राज’’(त्योंथर)—सभापति
महोदय, आसंदी
को प्रणाम
करता हूं और
बोलने का मौका
दिया इसके
लिये धन्यवाद
देता हूं. बजट
के ऊपर करीबन
तीन घंटे से
चर्चा चल रही
है. वरिष्ठ
सत्तापक्ष के
सदस्यों ने,
विपक्ष के सदस्यों
ने भी अपने
अपने वक्तव्य
रखे हैं. विपक्ष
हमेशा की तरह
कर्ज का रोना
इस डिस्कशन
में भी रो रहा
था.
5.24 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के
समय में
वृद्धि विषयक
सभापति महोदय—आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी विषयों पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
वित्तीय
विधि विषयक
कार्य क्रमशः
श्री सिद्धार्थ तिवारी “राज’’—सभापति महोदय, हमारे वरिष्ठ सदस्य हमारे क्षेत्र के मार्गदर्शक भी हैं आदरणीय राजेन्द्र सिंह जी क्रेडिट रेटिंग के बारे में बात कर रहे थे. वह बता रहे थे कि सरकारी बॉण्ड में लोगों का विश्वास है. सरकारी बॉण्ड में लोगों का विश्वास इसलिये आता है कि क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बार बार डिलेवर कर रही है. क्रेडिट रेटिंग आज मध्यप्रदेश की देश के टॉप के प्रदेशों में है, इस कारण से कर्ज मिल रहा है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी का विजन है कि अपने इस पांच साल के कार्यकाल में प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था को दोगुना कर दिया जाए तथा बजट को भी दोगुना कर दिया जाये और हम पिछले दो साल के आंकड़े उठायें तो बड़ी तेजी से उस दिशा में बढ़ रहे हैं और मुझे पूरा भरोसा है कि 100 प्रतिशत जी.एस.डी.पी.ग्रोथ बजट ग्रोथ हम इन पांच साल के कार्यकालों में हम देख लेंगे.
उसका
एक छोटा-सा
उदाहरण है कि
अगर हम मात्र
एक साल की ही
पर कैपिटा
इनकम हम देखें, तो
उसमें करीब 12
प्रतिशत
प्रति व्यक्ति
आय इस प्रदेश
की बढ़ी है.
हमारे काबिल
साथी और हमारे
वरिष्ठजन
इसको
कांग्रेस की
सरकार के
आंकड़ों से
मिला सकते हैं
क्योंकि आप
कांग्रेस की
सरकार में भी
विधायक और मंत्री
थे. सभापति
महोदय,
प्रधानमंत्री
मोदी जी के
द्वारा दिया
गया देश का जो
विज़न है
जिसको भारतीय
जनता पार्टी
और हमारे
माननीय मुख्यमंत्री
डॉ.मोहन यादव
जी ज्ञान के
रूप में समझते
हैं. जी इज़
फॉर गरीब कल्याण, वॉय
इज़ फॉर युवा
कल्याण, ए इज़
फॉर अन्नदाता
उत्थान और एन
इज़ फॉर नारी
सम्मान. आज
गरीबों के लिए
इस प्रदेश में
जिस तरह के
काम हो रहे
हैं, मुझे नहीं
लगता है कि
कांग्रेस की
सरकार में वह
किसी ने सोचा
भी था कि इस
तरह का उत्थान
गरीबों का
होगा. मानव
इतिहास में,
मानव सभ्यता
में जो इस देश
में हो रहा है
शायद आज से
कुछ सौ साल
बाद भी इसकी
चर्चा होगी.
सभापति
महोदय, दुनिया
के किसी भी
देश में 7 करोड़
लोगों को रहने
के लिए सरकार
ने घर बनाकर
के नहीं दिया
है. 7 Crore is equal to 70 Million.
कुछ-कुछ देशों
की यह पूरी की
पूरी आबादी
होती है और
अगर अमेरिका
में भी देखें, तो
अमेरिका के भी
75-80 परसेंट हाउस
होल्ड होते
हैं 70
मिलियन
और इसमें मध्यप्रदेश
मुख्यमंत्री
डॉ.मोहन यादव
जी के लीडरशिप
में नये आयाम
और नये झंडे
गाड़ रहा है.
हमने करीब 50
लाख से ज्यादा
प्रधानमंत्रीइ
आवास लोगों के
लिए बना दिये.
इसमें बीच में
एक रूकावट आयी
थी. इसमें यहां
पर भी कुछ
मंत्री उस
सरकार के बैठे
हुए हैं. डेढ़
साल कांग्रेस
की सरकार बीच
में थी और उस 15 महीने
में कांग्रेस
की सरकार ढाई
लाख घरों को डकार
गई. यह आंकडे़
हैं आप भी
उठाकर देख
सकते हैं. ढाई लाख
आवास कमलनाथ
सरकार ने वापस
कर दिया था कि हम
अपना योगदान
नहीं देंगे.
सभापति महोदय, युवा कल्याण में मध्यप्रदेश नये झंडे गाड़ रहा है. भारत में मानव संसाधन आज दुनिया में बहुतायत में है और अगर हम डेमोग्रॉफिकली देखें, तो भारत दुनिया का सबसे युवा देश है. अगर युवा संसाधनों को इस मानव संसाधन का देश की ग्रोथ में सही दोहन करना है, तो बचपन से ही उसकी नींव एक बच्चे के लिए रखी जाती है और उसी का उदाहरण है कि बाल्यकाल से ही बडे़-बडे़ जिस तरह के बोर्डिंग स्कूल हुआ करते थे, उनसे अच्छे विद्यालय सांदीपनि विद्यालय के रूप में हमारे माननीय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी प्रदेश को दे रहे हैं. इस वर्ष ढाई सौ सांदीपनि विद्यालय पास हुए हैं और आने वाले दिनों में हमारा जो टारगेट है कि हर 5 किलोमीटर में एक सांदीपनि विद्यालय हो. 50-50 करोड़ की बिल्डिंग्स बन रही हैं. जब कांग्रेस और हमारे विपक्ष के साथी इस बारे में बात करते हैं. शिक्षा के बारे में और शिक्षा की तरफ बजट देने के बारे में बात करते हैं तो हंसी आती है. उस समय शिक्षाकर्मियों की भर्ती हुई थी. आप सब को मालूम है. कांग्रेस को मैं बडे़ अच्छे से जानता हॅू. उस समय 500 रूपए मानदेय तनख्वाह हुआ करती थी और यहां सरकार का विज़न है कि ग्लोबल स्तर के सांदीपनि विद्यालय बनेंगे. जिनकी लागत 40 से 50 करोड़ रूपए प्रति विद्यालय होगी. जब हमारे छात्र युवा होते हैं हर डिस्ट्रिक्ट में सरकार उच्च शिक्षा के लिए पीएम श्री कॉलेज खोल रही है, जिसमें एआई से लेकर के इन्डस्ट्रीयल डेवलपमेंट के सारे कोर्सेस हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी की सरकार दे रही है. मेधावी छात्र अगर गरीब परिवार से आते हैं तो उनकी डॉक्टरी, इंजीनियरिंग की सारी फीस डॉ.मोहन यादव जी की सरकार दे रही है. रोजगार के लिए युवा उद्यमी में 10 लाख से 2 करोड़ रूपए, उद्यम क्रांति में 1 लाख से लेकर के 10 लाख रूपए तक, स्वरोजगार में 50 हजार से लेकर के 10 लाख रूपए तक दे रही है और जो लोग अपने छोटे-छोटे उद्योग खोलते हैं उनके लिये बड़ी यूनिट्स हमारी इंडस्ट्रियल पॉलिसी में आ रही है. यदि आप आज मध्य प्रदेश की इंडस्ट्रियल पॉलिसी देखें और औद्यौगिकीकरण के लिये हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी बजट में जो प्रावधान देते हैं उसका हमें रिजल्ट मिल रहा है. लाखों करोड़ के हमारे पास इंवेस्टमेंट की अपार्चूनिटीस् इस प्रदेश में आ चुकी हैं और उसके यहां पर कमिटमेंट्स हो चुके हैं.
श्री सुनील उईके- सभापति महोदय, मैं वित्त मंत्री जी का ध्यान ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा कि एमएसएमई पैदा होंगे.इसमें आपने बता तो दिया और बोलने में बहुत अच्छा लगता है.
सभापति महोदय- सुनील जी, आपका नाम बोलने वालों की सूची में है. जब आपका नाम आयेगा तो उस समय बोल लेना.
श्री सिद्धार्थ तिवारी 'राज' - सभापति महोदय, फिर आता है अन्नदाता उत्थान. धान की खरीदी हमारे यहां चालू होने वाली है. मात्र दो वर्षों में इस बजट से क्या फायदा होता है. मात्र दो वर्षों में धान की खरीदी पर 2300 से 2700 रूपये, इसमें 400 रूपये की वृद्धि डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने कर दी है, किसान सम्मान निधि 12000 रूपये, 6000 हजार रूपये केन्द्र के और 6000 रूपये हमारे प्रदेश की सरकार दे रही है, जो कि डबल इंजन सरकार का प्रभाव है. गोपाल ग्राम हमारे बजट में आ चुके हैं.
सभापति महोदय, ज्ञान में जो एन है वह हमारी नारी शक्ति के सम्मान के लिये है. मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि हमारे प्रतिपक्ष के साथियों को नारियों के सम्मान में, इतनी समस्या क्यों है. कहीं इनके एक बड़े नेता बोल देते हैं कि यह पैसे जो मिलते हैं, इससे हमारी मातृ शक्ति शराब पीती है. इस तरह के वक्तव्य आज इस सदन में कई कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि यह रिश्वत है. अरे, अगर रक्षा बंधन पर बहन के खातें में 1500 रूपये आये हैं तो हमारी सरकार इसको प्रेम बोलती है. आपकी भावना रिश्वत की होगी. ..(व्यवधान).. चुनाव की इन्होंने अच्छी बात कर दी.
सभापति महोदय, यह वही लोग हैं, जो कह रहे थे कि एक हजार रूपये जो लाड़ली बहना के मिल रहे हैं, यह चुनावी जुमला है, चुनाव के बाद बंद हो जायेगी. वह राशि आज 1500 रूपये हो गयी है और यही सरकार हमारी डॉ. मोहन यादव जी की सरकार 3000 रूपये लाड़ली बहना को देंगे. हम जो कहते हैं, करते हैं. लफ्फाजी नहीं बताते हैं. हमारे जो मुख्यमंत्री होते हैं वह भी यह नहीं बोलते हैं, जो कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री बोला करते थे कि काम करने से वोट नहीं मिलता है, ऐसे आपके मुख्यमंत्री बोला करते थे.
सभापति महोदय, हमारी मातृ शक्ति के लिये एक बगिया मां के नाम में सरकार 2 लाख रूपये तक दे रही है. महिला रोजगार की योजना में 10 हजार रूपये से शुरू करके 2 लाख रूपये तक, महिलाओं को अपने स्व-रोजगार के लिये हमारी सरकार दे रही है.
सभापति महोदय, मैं इस बजट का समर्थन करता हूं. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं और खासकर के सरकार को विन्ध्य की तरफ से रीवा-नई दिल्ली, रीवा-इंदौर और आगे चलकर रीवा-मुम्बई भी वायुसेवा से जोड़ने के लिये मैं तहे दिल से धन्यवाद देता हूं. जय-हिंद, जय-भारत.
श्री दिनेश गुर्जर (मुरैना) - माननीय सभापति महोदय, मैं अनुपूरक बजट का विरोध करता हूं क्योंकि यह भेदभावपूर्ण बजट सदन में लाया गया है.
माननीय सभापति महोदय, भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के क्षेत्रों में 15-15 करोड़ के काम पिछले वर्ष भी किये गये और इस वर्ष भी किये गये और जहां कांग्रेस के और अन्य दलों के विधायक हैं. वहां किसी भी प्रकार का मध्यप्रदेश की सरकार की ओर से कोई भी अतिरिक्त बजट, विकास निधि के अलावा नहीं दिया. अभी बजट में वित्त मंत्री जी से आग्रह करेंगे की बजट में आपने डर की वजह से या भय की वजह से सिर्फ एक ही विधान सभा को दिया है. मुरैना जिले में अब पता नहीं किस के डर, भय की वजह से आपने एक ही विधान सभा में करोड़ों रुपये की सड़कें दे दी हैं, पुल दे दिये हैं. मुरैना जिले में 6 विधान सभा हैं और 6 विधान सभा में से आपने सबको अछूता छोड़ दिया है. मुरैना विधान सभा में हमने कई बार पीडब्ल्यूडी मंत्री जी को दिया है. इस विधान सभा में भी कई बार हमने बोला है, पर आज तक मुरैना विधान सभा क्षेत्र में इस बजट में एक सड़क हमको नहीं दी गई है. कोई हमारे यहां पुल नहीं दिया गया, जबकि हमारे यहां दस्यु प्रभावित क्षेत्र है. एक तरफ सरकार बात करती है कि दस्यु प्रभावित क्षेत्र में हम काम करेंगे और एक तरफ भेदभाव कर रहे हैं. यह भाजपा सरकार की दोहरी नीति है. मुरैना विधान सभा क्षेत्र में इससे पहले भी हमने लिखकर दिया, मंत्री जी को भी बोला, यहां विधान सभा में भी बोला. आज भी मुरैना विधान सभा के गांव ऐसे हैं, जहां के छात्र,छात्राएं शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रही हैं. विद्यालय जो एडेड शालाएं थीं, वह बंद हो गई हैं. कई शासकीय भवन जो हैं, जर्जर हालत में हैं. ग्राम पंचायत धनेला में सिहोरीका पुरा अनुसूचित जाति का पुरा है. उस गांव में कभी भी बिल्डिंग गिर सकती है. कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. पर सरकार सुनने को तैयार नहीं है. हमारा वित्त मंत्री जी से आग्रह है कि बजट के अन्दर हमारे जो छर्राका पुरा है,खिरावली पंचायत में, वहां शासकीय विद्यालय भवन बनाया जाये. बड़ापुरा पर वहां हटोली पंचायत में विद्यालय भवन बनाया जाये. छोहरीकेपुरा पर धंधेले पंचायत में बनाया जाये और बामौर शहर रिठौरा मुख्य मार्ग , जो विश्व में शनिदेव का बहुत बड़ा स्थान है हमारे यहां. दिन भर वहां जाम लगा रहता है रेल्वे फाटक पर. तो वहां पर फ्लाई ओवर रेल्वे फाटक पर बने बामौर शहर के अन्दर. जो आवास कालोनी है बामौर शहर की उसमें विद्युत व्यवस्था नहीं है. नगर निगम द्वारा वहां पर बसा दिये गये हैं. एक नरक का जीवन जी रहे हैं. न सड़क,पानी और बिजली है. तो वहां पर यह व्यवस्था की जाये और सड़कों की मां मांग करता हूं कि हमारे यहां भी कुछ सड़कें मुरैना विधान सभा की जोड़ी जायें. रिठौरा मार्ग से सरदारोका पुरा, नाऊ पुरा तक, दो किलोमीटर की दूरी की सड़क को बनाया जाये. मदनवसई मुख्य मार्ग से बासुठेका पुरा तक सड़क बनाई जाये. भटपुरा जो विधान सभा अध्यक्ष जी के क्षेत्र में आता है, जर्जर हालत में है. कभी भी कोई भी घटना हो सकती है. भटपुरा में नदी पर एक पुल बनना चाहिये और वहां से परीक्षा गांव तक सड़क पानी के कटाव के कारण पूरी खतम हो गई है. तो परीक्षा गांव की सड़क को, मुख्य मार्ग को ही बनाया जाये. दोरावली गांव से डाण्डेवाली माता जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं, वहां उस सड़क को बनाया जाये. पिपरसेवा फेक्ट्री के पीछे कुशवाह बस्ती में सड़क बनाई जाये. मुरैना विधान सभा की जो 49 पंचायतें हैं, जो नल जल योजना के माध्यम से कई मजरे टोले छूटे हुए हैं, जहां आज भी पानी गांव का किसान दूर दूर से पीने के लिये लाता है. हमारी आपसे प्रार्थना है कि इस नल जल योजना में उन मजरे टोलों को भी जोड़ा जाये, जिससे कि सभी को पीने का पानी मिल सके और विधायकों को हैंडपम्प भी दिये जायें. क्योंकि कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां मजरे टोले पर नल जल योजना आप डाल ही नहीं सकते, कर ही नहीं सकते. इसलिये विधायकों को कुछ मजरे टोले के लिये हैंडपम्प भी दिये जायें, जिससे कि वह क्षेत्र में पानी की व्यवस्था कर सकें.
श्री बृजबिहारी पटैरिया -- आप ऐसे जुड़वा रहे हैं, क्या यह मुख्य बजट पर चर्चा कर रहे हैं.
श्री दिनेश गुर्जर-- भैया, बजट में ही जुड़वा रहा हूं. बजट में जुड़वाना है मुझे. क्या है कि अब आपको तो काम है नहीं. उम्र हो गई है आपकी. अब तो क्या है कि पहले कर लिये काम, अब हम लोगों को करना है. इसलिये जुड़वाना है. ..(हंसी).. (डॉ, सीतासरन शर्मा, सदस्य के उठने पर) दादा आपकी भी उम्र हो गई है. ..(हंसी) वित्त मंत्री जी, मुरैना में मुख्यमंत्री जी अभी कुछ महीने पहले गये थे. वहां वे घोषणा करके आये थे कि हम मुरैना के छोना में आसन नदी पर बोट क्लब बनायेंगे. मैं आपसे मांग करना चाहता हूं कि मुरैना शहर में एक भी मनोरंजन करने के लिये कोई भी ऐसा घूमने के लिये स्थान नहीं है. जहां पर मुरैना शहर के लोग घूमने जा सकें. मुरैना शहर के छोना में आसन नदी पर बोट क्लब बनाने हेतु इसमें जोड़कर मुरैना को एक बोट क्लब और पार्क दें. मुरैना के अंदर आज भी कई मजरे टोले ऐसे हैं, जहां आज भी बिजली नहीं है. कई बार हमने विद्युत विभाग को भी लिखकर दिया है, मंत्री जी को भी दिया है. .
माननीय
सभापति महोदय,
उन मजरे टोलों
में भी विद्युत
की व्यवस्था
की जाये.
माननीय वित्त
मंत्री जी से
निवेदन और
आपसे हाथ
जोड़कर
प्रार्थना है
कि मुरैना
विधानसभा के
साथ भी आप
न्याय करें. हम लोग दो
वर्षों से
लगातार
विभिन्न
समस्या को
लेकर के सरकार
से निवेदन कर
रहे हैं परंतु
एक तरह से हमारे
साथ में
भेदभाव हो रहा
है. इसलिये
वित्त मंत्री
जी आपसे आग्रह
है कि मुरैना
विधानसभा की
जो सड़क,
बिजली, पानी,
विद्यालय की
जो समस्या है
उनको राशि दी
जाये, उन
समस्या को दूर
किया जाये .
सभापति महोदय
आपने मुझे अपनी
बात को रखने
का अवसर
प्रदान किया
उसके लिये आपको
बहुत बहुत
धन्यवाद.
सभापति
महोदय-धन्यवाद
दिनेश जी.
श्री
अनिरूद्ध
माधव
मारू(मनासा)
--माननीय सभापति
महोदय,आपका
धन्यवाद कि
आपने बोलने का
अवसर प्रदान
किया.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय --
सभापति जी,
माधव तो बचाने
का काम करता
है यह तो माधव
मारू हैं
(हंसी) जब भी आदमी
परेशान होता
है तो माधव की
शरण में जाता
है, कि बचाओ यह
माधव भी हैं
और मारू भी
हैं.
श्री
अनिरूद्ध
माधव मारू--
माननीय
सभापति महोदय,
मैं हमारे
विपक्ष के
मित्रों के
भाषण को सुन
रहा था. सबने
बड़े मार्मिक
अंदाज में
अपनी पीड़ा को
व्यक्त किया. 15
करोड़ की बात तो
लगभग सबने की
है. मै
आंकड़ों पर
नहीं जाना
चाहूंगा
लेकिन कहना चाहूंगा
कि इतनी
मार्मिक
पीड़ा, जब 15 माह
तक आपकी
कांग्रेस
पार्टी की
सरकार थी तब
यह मार्मिकता
क्यों पैदा
नहीं हुई. तब
तो आप हमारे
को पूछ ही
नहीं रहे थे,
तब आपने हमारे
को बुलाकर के
कौन सा काम दे
दिया था. तब
कोई काम नहीं
था, काम हमारे
को तो ठीक था
आपको भी नहीं
मिला था, पूरे
प्रदेश का बजट
आपके
मुख्यमंत्री
जी छिंदवाड़ा
और शाजापुर
में ले गये थे.
सारी प्रदेश
की योजनायें
बंद कर दी थीं.
तब की पीड़ा
आपने नहीं
बताई, अब
सिम्पेथी बता
रहे हैं कि
हमारे को भी
काम देना
चाहिये, अरे
पूरे प्रदेश
में काम हो
रहे हैं, डबल
इंजन की सरकार
है, दोनों
इंजन प्रदेश
के लिये पूरी
ताकत से काम
कर रहे हैं,
प्रदेश में
कोई भी योजना
वित्त के अभाव
में बंद नहीं
है, हर योजना
पर लगातार काम
चल रहा है, रोज
नये
प्रोजेक्ट
खुल रहे
हैं.रोज नये
काम खुल रहे
हैं. अभी के
बजट में भी आप
देखें जो
अनुपूरक बजट
वित्त मंत्री
जी ने
प्रस्तुत किया
है इसमें
कितने काम
शामिल किये
गये हैं, हमारे
लोक निर्माण
विभाग को आप
देख लें,
कितनी सड़कें
स्वीकृत की गई
है. यह सब बनेंगी,
सबके टेण्डर
लगेंगे, जितने
काम स्वीकृत
हुये हैं
अधिकतम के
टेण्डर लग
चुके हैं, काम शुरू
हो चुका है
मौके पर,
इसलिये बजट की
वजह से कहीं
पर भी काम
नहीं रूक रहा
है, कहीं
वित्त की वजह
से काम नहीं
रूक रहा है.
(कांग्रेस
पक्ष से एक
माननीय सदस्य
के खड़ा होने
पर) आप सुन लें,
इतनी देर से
हम भी आपको
सुन रहे थे, हमने
तो कोई रोका टोकी नही
की.15 माह मे जो
कुछ घटा हमने
बता दिया . एक
काम नहीं मिला
किसी को, अब सब
गीत गा रहे
हैं 15 करोड़
किसके खाते
में आये हैं,
किसी के खाते
में 15 करोड़
आये हों तो
बताओ. आपने जो
काम छोड़ दिये
थे उनको हम
पूरा करेंगे
कि नहीं
करेंगे तो हम
अपना काम कर
रहे हैं. यह
जितने काम चल
रहे हैं हमारी
सरकार के काम
हैं. क्षेत्र
में कहीं भी
विकास हो वह
हमारे प्रदेश
का विकास है.
गर्व होना
चाहिये कि
प्रदेश में
इतने विकास के
काम चल रहे
हैं. केन
बेतवा लिंक
परियोजना हो
या रामपुरा
उद्वहन
सिंचाई योजना,
विकास तो हो
रहा है, किसान
विकसित हो रहा
है, मजदूर विकसित
हो रहा है,
प्रदेश का
व्यवसाय
विकसित हो रहा
है.
सभापति
महोदय- मारू
जी आसंदी को
संबोधित करके अपनी
बात करें.
श्री
अनिरूद्ध
माधव मारू--
सभापति जी , कह
तो आपके ही
माध्यम से रहा
हूं भले ही
उधर देख रहा
हूं. ठीक है. अब
उधर नहीं
देखूंगा. कह
तो मै आपके
माध्यम से ही
रहा हूं. यह
डबल इंजन की
सरकार है और
इस बजट में
सभी विभागों
की जरूरतों के
अनुसार बराबर
प्रावधान
किये गये,
निश्चित रूप
से कोई भी योजना
रूकना नहीं
चाहिये, कोई काम
रूकना नहीं
चाहिये, भले
ही वह ,
औद्योगिक नीति
निवेश का
मामला हो,
प्रोत्साहन,
खनिज, किसान
कल्याण निधि,
का मामला हो,
अनुसूचित जाति
उपयोजना में 500
करोड़
स्वीकृत किये
निश्चित रूप
से सराहनीय
बात है. नगरीय
विकास में भी प्रावधान
किये गये.
शिक्षा विभाग
में धरती आपा
योजना में 108
करोड, पीएम
जनमन में 121
करोड़, पंचायत
विभाग में भी
काफी काम दिया
गया, लगभग 1632 करोड़
रूपये का
प्रावधान
किया गया, 15वें
वित्त आयोग के
अनुदान के
थ्रू.
माननीय
सभापति महोदय,
मेरा एक
निवेदन है
माननीय
मुख्यमंत्रीजी
से भी और
माननीय वित्त
मंत्री जी से,
आज सदन में
पंचायत
मंत्री जी
उपस्थित नहीं
हैं लेकिन
मेरी बात उन
तक पहुंच जायेगी.
कि जिस तरह से
उन्होने अभी
हर पंचायत में
एक सामुदायिक
परिसर का
निर्माण शुरू
किया है निश्चित
रूप से मै
इसकी बहुत
सराहना करता
हूं कि हमारे
ग्रामीण
क्षेत्र के
लोगों को इसका
बड़ा लाभ मिल
रहा है और
जितने अभी तक
सामुदायिक
परिसर बन चुके
हैं...
मेरे विधान सभा में भी लगभग 80 पंचायतों में सामुदायिक परिसर बन चुके हैं जिनका लाभ जनता ले रही है. आम व्यक्ति उसका फायदा ले रहा है. ऐसी योजनाएं हैं. अगर हम सफाई अभियान के माध्यम से देखें तो ग्रामीण क्षेत्र को भी सफाई अभियान में उतना ही जोड़ा जाना चाहिए जितनी सुविधाएं शहरी क्षेत्र को मिल रही हैं. मेरे विधान सभा में माननीय मुख्यमंत्री जी के हाथों से 17 ट्रेक्टर-ट्राली को कचरा गाड़ी बनवाकर हमने वितरित किया था. वह 50 पंचायतों को मिल चुके हैं. 50 ट्रेक्टर-ट्राली कचरा गाड़ी सहित वितरित कर चुके हैं. इस पूरे यूनिट पर कुल 5 लाख रुपये लागत आती है. अगर छोटा ट्रेक्टर और उसके साथ कचरा गाड़ी बनाकर ट्राली एड कर दी जाए तो वह किसी गांव में, किसी भी गली में जा सकती है. पंचायत में अगर कोई भी निर्माण करना है तो सामान ले जा सकता है, पंचायत के मृत पशु उठा सकता है. यह साधन अगर सभी पंचायतों में पूरे प्रदेश में उपलब्ध करा दिए जाएं तो निश्चित रूप से सफाई के अभियान को एक नई गति मिलेगी और हमारा ग्रामीण क्षेत्र भी इससे जुड़ पाएगा. माननीय वित्त मंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय पंचायत मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि इस वाहन का अभी तक शहरी क्षेत्रों में ही उपयोग हो रहा था लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में भी अगर यह वाहन उपलब्ध कराएं तो निश्चित रूप से एक बड़ा काम पूरा होगा. जल संसाधन विभाग में भी बड़ा काम चल रहा है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में रामपुरा उद्वहन परियोजना चल रही है.
5.52 बजे {अध्यक्ष
महोदय (श्री
नरेन्द्र
सिंह तोमर)
पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, वह निरंतर गति से चल रही है लेकिन इसकी क्वालिटी में फर्क है. वहां कुछ शिकायतें प्राप्त हो रही हैं, तो माननीय सिंचाई मंत्री जी से निवेदन है कि उन योजनाओं का समय के अनुसार बराबर परीक्षण कराया जाता रहेगा तो निश्चित रूप से योजनाएं जिस लक्ष्य को लेकर हम बनाते हैं वह लक्ष्य हासिल हो पाएगा. लोक निर्माण विभाग में काफी नई सड़कें भी इस बजट में प्रस्तावित हुई हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री जी जो हमारे यहां के ही निवासी हैं वहां तक निगाह चली जाए तो अच्छा है. मेरे क्षेत्र को तो एक भी सड़क नहीं मिली. ..(कांग्रेस के सदस्यों द्वारा यह कहे जाने पर कि सच बात आ गई).. देखो आखिरी में अपनी चीज तो मांगूंगा. मांगना चाहिए ना. मैं बुराई नहीं कर रहा. सबको मिला, लेकिन कभी-कभी जो व्यक्ति बांटने वाला होता है वह अपना घर छोड़कर फिर बांटता है.
अध्यक्ष महोदय -- मारू जी, आप इधर देखकर बोलिए. एक मिनट में समाप्त करें.
श्री अनिरुद्ध माधव मारू -- अध्यक्ष महोदय, वही माननीय वित्त मंत्री जी ने किया कि अपना गृह क्षेत्र छोड़कर पूरे प्रदेश को उन्होंने काम दिया, तो अगली बार जो मेन बजट आएगा मेरा निवेदन है कि उसमें हमारे काम शामिल हो जाएंगे ऐसा मेरा निवेदन है. मैं इस बजट का समर्थन करते हुए वित्त मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपका भी धन्यवाद. जय हिंद, जय भारत.
अध्यक्ष महोदय -- महेश परमार जी, तीन-तीन मिनट में पूरा करेंगे. मुझे लगता है कि अपने क्षेत्र की समस्याओं का उल्लेख करके पूरा कर दें तो आज यह पूरा हो जाएगा.
श्री महेश परमार (तराना) -- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय. मैं द्वितीय अनुपूरक बजट का विरोध करता हूं. मैं अपने क्षेत्र की बात करूंगा. मैं बाबा महाकाल और माननीय मुख्यमंत्री जी के जिले की तराना विधान सभा से विधायक हूं और उप मुख्यमंत्री (वित्त) हमारे उज्जैन संभाग से हैं. मैं पिछले दोनों बजट में यह मांग कर रहा था अब तीसरी बार माननीय वित्त मंत्री जी से विशेष प्रार्थना अध्यक्ष महोदय के माध्यम से है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र तराना में नर्मदा सिंचाई योजना क्योंकि तराना विधान सभा सूखा हुआ और पिछड़ा हुआ क्षेत्र है. आधी विधान सभा के लगभग 40-45 प्रतिशत् गांवों के किसान भाई उससे जुड़े हुए हैं. जो बचे हुए किसान भाई हैं, जिनके खेतों पर नर्मदा लाइन नहीं पहुंची है, आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से मेरी मांग है कि बाकी विधान सभाओं में आपने खूब पैसा दिया है तो यह बचे हुए जो नर्मदा पाईप लाइन के काम हैं, वह जोड़ने का काम इस बजट में नहीं तो अगले बजट में करें यह मेरा विशेष अनुरोध अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय वित्तमंत्री जी से है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा डाबरा राजपूत बैराज बड़ा क्षेत्र हैं उसकी साध्यता और स्वीकृति है तो अगले बजट में माननीय वित्त मंत्री जी उसको जुड़वाने का कष्ट करें. हमारा तराना विधान सभा बड़ा क्षेत्र है. पूरे जिले में विश्राम गृह के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने पैसा दिया है तराना को छोड़ दिया है, तो वहां पाठ में तराना विधान सभा में विश्राम गृह बनाने की कृपा करें. 50 साल से वहां विश्राम गृह नहीं बना. तकलीफ है इसलिए विश्राम गृह बनाने का कष्ट करें. दूसरा मेरा निवेदन है कि नाटाखेड़ी और बीचपड़ी दोनों गांवों को जोड़ने का काम करें. दोनों गांवों के बीच में एक बड़ा नाला है, नाटाखेड़ी पंचायत है, वहां आने-जाने में कठिनाई होती है तो मेरा निवेदन है कि यह स्वीकृत करने का कष्ट करें. जवासा से बेलरी एक सड़क हमारी दोनों बड़ी पंचायतें हैं, बड़े गांव हैं, तो यह आप जोड़ने का कष्ट करें. हमारे यहां गुरेड़ा गूजर से कड़ोदिया को जोड़ने का आप कष्ट करें. तेजलाखेड़ी से झुमकी को जोड़ने का कष्ट करें. मदुराखेड़ा से मालखेड़ा को जोड़ने का कष्ट करें. मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक सांदिपनी विद्यालय है. जिस स्कूल में हम सब पढ़कर आए हैं प्राथमिक, माध्यमिक, हायस्कूल और हायर सेकेण्डरी विद्यालय, इन स्कूलों की स्थिति आप देखें. गांव के किसान के, गरीब के बच्चे स्कूल से वंचित हैं. प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति बहुत खराब है भवन नहीं हैं, बैठने की, पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. कमलनाथ जी की सरकार में पुलिस के साथियों को एक दिन का साप्ताहिक अवकाश दिया गया था. वे हमारी सेवा करते हैं, सुरक्षा करते हैं उनको एक दिन साप्ताहिक अवकाश देने की कृपा करें. उज्जैन में सिंहस्थ जैसा महापर्व होना है वहां पर बहुत विकास के काम हो रहे हैं. यह अच्छी बात है इसके लिए धन्यवाद. उज्जैन में बड़ी-बड़ी 4 लेन, 6 लेन सड़कें, ब्रिज बन रहे हैं इसमें वहां के निवासियों के घर तोड़े जा रहे हैं उन्हें बाजार मूल्य से कम से कम 4 गुना मुआवजा मिले. मैं विकास का समर्थन करता हूँ लेकिन जो लोग बेघर हो रहे हैं जो कि 100-100 साल से वहां पर रह रहे हैं उनको बाजार मूल्य का चार गुना मुआवजा देने का कष्ट करें. आप नई योजना लेकर आए हैं वोट खरीदो. वोट खरीदो, विकास से तो कोई मतलब है नहीं. यह योजना आप बिहार में लाए, मध्यप्रदेश में भी आप लाए थे. ऐसी योजना लेकर आएं जिससे किसानों का, नौजवानों का मध्यप्रदेश का विकास हो. यह मेरा निवेदन है. मैंने मेरे विधान सभा क्षेत्र की जो मांगें रखी हैं उनको पूरा करने का कष्ट करें. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी के जिले का ही विधायक हूं मुझ पर भी कृपा दृष्टि करें. मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने मेरे क्षेत्र की तीन सड़कों को जोड़ने का काम किया है. लिंबाजी-तांत्रिक मार्ग, खेड़ा चितावलिया से चिकली, भगवतपुर से झुमकी मार्ग यह तीन सड़क देने का आपने काम किया इसके लिए धन्यवाद. जय हिन्द जय भारत.
श्री कैलाश कुशवाह (पोहरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अंधा बांटे रेवड़ी, चीह्न चीह्न कर दे. यह भाजपा सरकार में चल रहा है. मैं अनुपूरक बजट का घोर विरोध करता हूँ. मध्यप्रदेश में कम से कम 50 प्रतिशत जिलों में कोई काम स्वीकृत नहीं हुए हैं. हमारे जो पंच हैं, सरपंच हैं उनको कुछ काम दिया जाए. पंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्य यह तो ऐसे बना दिए गए हैं जैसे बिच्छू का डंक काट दिया गया हो, यह घूमते रहते हैं इनका कोई महत्व नहीं रह गया है. इनका किसी अधिकारी पर प्रभाव नहीं पड़ता है. पंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्यों को भी कोई अधिकार दिया जाए. हमारा चर्ची क्षेत्र है माननीय अध्यक्ष महोदय वहां से सांसद भी रह चुके हैं. यहां 45 गांव हैं. वहां की सड़क इतनी खराब है कि वहां अभी एक गर्भवती महिला आ रही थी बेचारी की रास्ते में ही डिलेवरी हो गई.
अध्यक्ष महोदय -- आप पोहरी विधान सभा क्षेत्र के बारे में बोलें.
श्री कैलाश कुशवाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चर्ची पोहरी विधान सभा क्षेत्र में ही तो आता है आप तो वहां से सांसद रहे हैं. मैं पोहरी की बात कर रहा हूँ. जोभी पिपरसमा से गतनी चर्च बिलऊआ रोड से शिवपुर रोड टच होती है. यह रोड बहुत खराब है. 45 गांव हैं. इसका प्रस्ताव मैंने माननीय मंत्री जी को दिया था जो कि बजट में नहीं जोड़ी गई यह बड़ा दुख का विषय है. इसके अलावा स्कूलों की क्या स्थिति है. चाहे प्राथमिक शाला हो, चाहे माध्यमिक शाला हो, चाहे हाई स्कूल हो या हायर सेकेंडरी स्कूल हो इनमें बच्चों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है, किसी स्कूल में बिजली की व्यवस्था नहीं है, किसी स्कूल में सुरक्षा नहीं है, किसी स्कूल में बैठने की व्यवस्था नहीं है अब शिक्षा ही हमारा भविष्य है और नेताओं के बच्चे तो सरकारी स्कूलों में पढ़ते नहीं हैं. गरीबों के बच्चे हैं और उन बच्चों के भविष्य के लिए, उनकी व्यवस्था के लिए विशेष ध्यान दिया जाए. कई बिल्डिंगें तो ऐसी हैं कि कब गिर जाएं. ईश्वर न करे कि हमारे बच्चों के साथ कोई दुर्घटना हो. मेरा आग्रह है कि आप आदेश दें कि स्कूलों की स्थिति सहीं की जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि जो पोहरी में नगर पंचायत में जो स्वास्थ्य केन्द्र है उसकी बिजली ग्रामीण से है. मरीज अंधेरे में डला है, मच्छर खा रहे हैं. कोई व्यवस्था ही नहीं हैं. मैं माननीय ऊर्जा मंत्री जी को भी पत्र दे चुका हूं, लेकिन हमारे ऊर्जा मंत्री जी आंखें मूंद के मंच पर सो जाते हैं. पूरे शिवपुरी जिले के प्रभारी हैं. सपना देखते हैं कि सपने में शिवपुरी जिले का भविष्य बने. मैंने कलेक्टर साहब से भी कहा कि वह मंचों पर सो जाते हैं तो उन्हें रजाई गद्दे की व्यवस्था जमाएं. मेरा मानना यह है कि शिवपुरी जिले में पंचायतों में किसान आने जाने के लिए बहुत परेशान है. खेत सड़क और सुदूर सड़क चालू करवाई जाए जिससे किसान के बच्चे स्कूल समय पर पहुंचे. वह सामान बाजार में खरीदने जाते हैं तो समय पर कोई मण्डी नहीं पहुंच पाते हैं. किसान बहुत परेशान है. हमसे किसान और क्षेत्र के लोग मांग करते हैं. दुर्भाग्य की बात यह है कि माननीय ललित जी हजारों करोड़ों रुपए खा गए. शासन, प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. एक गरीब बिल जमा नहीं कर पाता है तो उसकी बिजली काटने पहुंच जाते हैं, कई डी.पी. उठा लेते हैं, किसान का इस समय फसल बोने का टाईम है उसे ज्यादा पानी की जरूरत है. बिजली की दस घंटे की घोषणा है, लेकिन बिजली दो घंटे आ रही है, तीन घंटे आ रही है. मैं आज किसानों की बात रख रहा हूं, क्षेत्र की बात रख रहा हूं. मेरा आग्रह है कि इस पर विशेष ध्यान दिया जाए. जो गौ-शालाएं चल रही हैं उनका पेमेंट बराबर ले रहे हैं लेकिन उनकी कोई देखरेख नहीं है. कई गायें मर रही हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि एक पेड़ मां के नाम, लेकिन खुलेआम शासन, फॉरेस्ट के अधिकारी और कुछ दबंग नेता लोग खुलेआम पेड़ कटवा रहे हैं. करोड़ों रुपए हम पेड़ लगवाने पर खर्च कर रहे हैं. अभी 6 लाख पेड़ों की चर्चा चली तो सामने बैठे विधायकों ने यह नहीं बोला कि यह गलत हो रहा है. वह सीधे चुप हो गये. कहने का मतलब यह है कि हम करोड़ो रुपए एक पेड़ मां के नाम पर खर्च कर रहे हैं और वैसे हम पेड़ खुले में कटवा रहे हैं. रेत का अवैध खनन चल रहा है. गली-गली में मदिरा बिक रही है तो मेरा आग्रह है कि इस पर विशेष ध्यान दिया जाए. आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
6.04 बजे अध्यक्षीय
घोषणा
माननीय
सदस्यों के
लिए लॉबी में
चाय की व्यवस्था
विषयक
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यगण आप सभी की सदन के प्रति गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए सभी सदस्यों के लिए सदन की लॉबी में चाय की व्यवस्था की गई है. सभी अपनी सुविधानुसार चाय ग्रहण कर सकते हैं.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (अनुपस्थित)
श्री नीरज सिंह ठाकुर (अनुपस्थित)
डॉ.
अभिलाष पाण्डेय
(जबलपुर-उत्तर)--
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
आपने मुझे
अनुपूरक बजट
जैसे महत्वपूर्ण
विषय पर बोलने
का अवसर दिया.
आज हम जिस अनुपूरक
बजट के विषय
में चर्चा कर
रहे हैं. सबसे
पहले तो
माननीय मुख्यमंत्री
जी को और
माननीय वित्त
मंत्री जी को
बहुत-बहुत
बधाई देता हूं
कि हम जब
कॉलेज में
पढ़ते थे तब
वर्ष 2003 में जो
बजट उस समय
कांग्रेस के
समय आया होगा
मुझे लगता है
कि उससे आधे
से भी ज्यादा
का अनुपूरक
बजट मध्यप्रदेश
की सरकार
निकाल रही है.
इसलिए आप सभी
बधाई के पात्र
हैं और मध्यप्रदेश
की सरकार भी
बधाई की पात्र
है. जिस तरह की
बात हमने बजट
के अंदर देखी
है यह बजट
सर्वस्पर्शी
और र्स्वव्यापी
अनुपूरक बजट
है. जिस बात को
हमने हमेशा सुना
है कि सर्वहित
को लेकर यह
बजट बनाया गया
है. जिसमें
सारी विधाओं
को लेकर हर
प्रकार की
स्थिति पर, हर व्यक्ति
के उत्थान का
यह बजट है.
इसलिए जब मैं
इस बजट को देख
रहा हूं तब
मैं इस बात को
कहता हूं कि
मुखिया
मुख सों चाहिए,
खान-पान को एक,
पालै-पोसै
सकल अंग,
तुलसी सहित
विवेक.
अध्यक्ष
महोदय, निश्चित
तौर पर यह बजट
सर्वव्यापी
है,
जिस तरह से
देश के
प्रधानमंत्री
जी का सपना, 5 ट्रिलियन
इकोनॉमी की
तरफ भारत को
लेकर जाने का
है, उस
दृष्टि से यदि
आत्मनिर्भर
भारत बनाने का
संकल्प है तो
यह तब ही पूरा
होगा, जब आत्मनिर्भर
मध्यप्रदेश
बनेगा और यह
बजट प्रदेश को
आत्मनिर्भर
बनायेगा, इसके
लिए वित्त
मंत्री जी को
बहुत-बहुत
बधाई. इसमें
बहुत सारे
विषय हैं
लेकिन दो
विषयों को
लेकर मैं अपनी
बात कहूंगा.
इसमें अमृत
फेस-2 का उल्लेख
है.
अमृत फेस-2 आने
वाले समय में
शहरी
क्षेत्रों के
अंदर, जिस तरह
से जल का काम
किया जा रहा
है, जब
पहली बार मैं
अपनी विधान
सभा में, चुनाव
के समय गया था,
हालांकि मुझे
केवल 16 दिनों
का समय चुनाव
लड़ने के लिए
मिला था, जब
प्रचार के
दौरान मैं
अपनी जबलपुर-उत्तर
विधान सभा में
गया तो मैंने
देखा कि खुले
में नालियों
में पानी बह
रहा था, लोगों
के घरों में मच्छर,
गंदगी थी
लेकिन जिस तरह
से इस अमृत
फेस-2 के तहत
सीवेज प्लांट
का उल्लेख
किया गया है
और सीवेज का
काम होना है
तो बताना
चाहूंगा कि
केवल
जबलपुर-उत्तर
विधान सभा में
ही 224 किलोमीटर
में सीवर लाईन
बिछाई जा रही
है,
जिससे खुले
में बहने वाला
पानी लगभग
समाप्त हो
जायेगा. मेरे
क्षेत्र में
फुव्वारा,
बड़ा फुव्वारा,
मिलोनीगंज,
दीक्षितपुरा,
निवाड़गंज
ऐसे जो सघन
क्षेत्र हैं,
वहां 224
किलोमीटर में
सीवर लाईन
बिछाई जा रही
है. साथ
ही हाऊस कनेक्शन
करने का काम 73
हजार 663 स्थानों
पर हो रहा है.
जिसमें घरों
से निकलने वाला
पानी शामिल
है.
प्रधानमंत्री
जी का सपना है
कि स्वच्छ
देश बने, स्वच्छ
मध्यप्रदेश, स्वच्छ
जबलपुर और साथ
ही मेरी विधान
सभा स्वच्छ
बने, इसके
लिए वित्त
मंत्री एवं नगरीय विकास एवं आवास
मंत्री जी को
बधाई देता हूं
कि मेरे यहां 18
वार्डों में
इस तरह का
कार्य किया जा
रहा है. इसके
साथ ही अभी जब
मैं बजट देख
रहा था कि जब
पूर्ण बजट आया
था तब वह रुपये
4 लाख
21 हजार करोड़
का था, वित्त
मंत्री जी मैं
यह बात को
कहता चाहता
हूं और जब मैं
युवा मोर्चा
का अध्यक्ष
था, तब
भी यह कहता था
कि लक्ष्मी
जी कभी हाथ के
पंजे पर नहीं
आती हैं, लालटेन
के साथ नहीं
आती हैं, साइकिल
पर बैठकर नहीं
आती हैं, लक्ष्मी
जी केवल और
केवल कमल के
फूल पर ही
बैठकर आती हैं.
इसलिए भारतीय
जनता पार्टी
की सरकारें जहां-जहां
हैं और
निश्चित तौर
पर जिस तरह से
लगातार
सर्वांगीण
विकास की
परिकल्पना
को साकार करने
का कार्य
भारतीय जनता
पार्टी की
सरकारें कर
रही हैं, मुझे
लगता है यह
अनुपूरक बजट
भी उन सभी
विषयों,
विभागों के
अंदर विकास को
निरंतर
प्रगति प्रदान
करने वाला, यह
बजट है, जिसे
वित्त
मंत्री जी ने
पटल पर रखा है.
अध्यक्ष
महोदय, मेरा
दूसरा विषय है,
मैं सीवर लाईन
की बात कर रहा
था,
मैं धन्यवाद
दूंगा कि पहले
सीवर लाईन
बिछती थी तो
सड़कें खोद दी
जाती थीं
लेकिन इस बार
के बजट में प्रावधान
है कि सीवर
लाईन के साथ
ही सड़कों के पुनर्निर्माण
का भी कार्य
भी होगा, यह अपने
आप में उपयोगी
कदम है.
अध्यक्ष
महोदय, इसी
के साथ हम जल
पर कार्य कर
रहे हैं, मुझे
याद है कि हम
वर्ष 2003 के
पूर्व चुनाव
सड़क-बिजली-पानी
पर लड़ते थे
लेकिन अभी
हमने अमृत
फेस-2 के माध्यम
से जल की व्यवस्था
करने का कार्य
किया है, इस बजट
के अंदर जल की
व्यवस्था
करने का, हर घर नल
और हर नल जल, इस
उपयोगिता के
साथ इस बजट का
उपयोग किया
जायेगा.
मेरे क्षेत्र
में लगभग 63
हजार 5 सौ 41
मकानों को नए
जल कनेक्शन
देने का कार्य
किया जा रहा
है. हमारे
यहां कछपुरा,
गणेश नगर,
श्रीनगर, ग्रीन
सिटी, दमोह
नाका,
सूजीपुरा,
दीक्षितपुरा
जैसे स्थानों
पर,
जहां आज भी जल
की समस्यायें
थीं, ऐसे स्थानों
पर दो वॉटर
ओवरहैड टैंक
बनाकर, वहां इस
समस्या का
समाधान किया
जा रहा है,
इसके लिए धन्यवाद
एवं बधाई.
मेरा आग्रह
वित्त
मंत्री जी से
है चूंकि बहुत
सारे विषय
हमारे सभी
वरिष्ठ सदस्यों
ने रखे भी हैं,
पक्ष-विपक्ष
के लोगों ने
अपनी बातें
रखी हैं लेकिन
निश्चित तौर
पर मेरा आपसे
एक निवेदन है कि
जिस तरह से
विधायकों की
विधायक निधि
है,
मुझे लगता है
कि माननीय
वित्त
मंत्री जी,
मैं आपके माध्यम
से मुख्यमंत्री
जी से भी
निवेदन करना
चाहता हूँ कि
समय-समय पर
हमको अपने
आपको अपग्रेड
भी करना है और
अपडेट करने की
भी आवश्यकता
है. विधायक
निधि के
प्रावधान जिस
तरह के दिए गए
हैं. मैं यह
मानता हूँ कि
उसमें कुछ
सुधार करके,
उसको
मोडिफिकेशन
करने की आवश्यकता
है. वर्तमान
परिदृश्य
में,
जिस तरह से, मैं
अपनी विधान
सभा में काम
करता हूँ.
अध्यक्ष
महोदय -
अभिलाष जी,
कृपया समाप्त
करें.
डॉ.
अभिलाष पाण्डेय
- आदरणीय
अध्यक्ष
महोदय, मैं
केवल एक मिनट
में अपनी बात
समाप्त
करूँगा. मैं
यह निवेदन
करना चाहता
हूँ कि जिस
तरह से अब नई
चीजें आ रही
हैं,
जैसे मैं अपने
यहां '5 एस' के
कॉन्सेप्ट पर काम
करता हूँ-
शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा,
सेवा और संस्कार
की दृष्टि से
हम काम कर रहे
हैं,
उसमें बहुत
सारी ऐसी
चीजें हैं, जो
हम विधायक
निधि के माध्यम
से करना चाहते
हैं,
लेकिन अनुमति
नहीं मिल पाती
है. मुझे लगता
है कि हमें इस
दिशा में
बढ़ना चाहिए.
एक अंतिम विषय
रखते हुए,
मैं अपनी बात
समाप्त
करूँगा. मेरा
यह मानना है
कि जिस तरह से
मध्यप्रदेश
में लगातार
लाड़ली बहनों
को सशक्त
करने का काम
किया जा रहा
है. मैंने
अपने खुद की
विधान सभा में
37,400 लाड़ली
बहनों को यह
राशि मिलती है,
जिससे पांच
करोड़ रुपये
प्रतिमाह
उनको मिलता है, वह
उनके छोटे
किराने के
सामान और बाकी
अन्य जगह भी
उनको लाभ
मिलता है.
अध्यक्ष
महोदय, आदरणीय
वित्त
मंत्री जी से
मेरी एक
आखिरी डिमाण्ड
है और मेरा
निवेदन है कि मुझे एक
बड़ा
ओवरब्रिज
मिला है, जो
जबलपुर की
लाइफ लाइन है, जो
कृषि उपज मण्डी
से दीनदयाल
चौक और आईटीआई
चौराहे तक
जाता है, जब मैंने
इस ब्रिज की
मांग की थी, तो
लोगों ने कहा
था कि यह
विधान सभा का
अंतिम छोर है.
लेकिन मैंने
कहा था कि अब
मानसिकता बदलनी
चाहिए, यह
प्रवेश द्वार
है. आपने उस
पर 431 करोड़
रुपये का
प्रावधान
पिछले बजट पर
किया था, मैं
चाहता हूँ कि
विभाग की
एसएफसी/आईएफसी
हो और
जल्दी वह काम
हो जाये, इसी तरह
से एक
माढ़ोताल
तालाब के 8.50 करोड़
रुपये की
डीपीआर बनकर
तैयार है,
बजट में उसका
उल्लेख किया
जाये और वह
हमें मिल जाये,
इसी तरह से,
मैंने एक छोटी
सड़क का भी
उल्लेख किया
है, यदि वह
मुझे मेहता
पेट्रोल पम्प से लेकर उखरी
चौक और एकता
चौक तक मिल
जायेगी, तो अच्छा
होगा. आपका
बहुत-बहुत धन्यवाद.
आपने मुझे
बोलने का अवसर
प्रदान किया,
बहुत-बहुत
आभार.
श्री
मधु भगत -
अनुपस्थित.
श्री
लखन घनघोरिया
(जबलपुर पूर्व) - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, सरकार
द्वारा
द्वितीय
अनुपूरक को
लेकर जो बातें
कही जा रही
हैं. हमारे
सम्माननीय
सदस्य, जो सत्ता
पक्ष से
संबंधित हैं.
वह इसको विकास
का एक दस्तावेज
बता रहे हैं, यह
दरअसल वास्तव
में एक कर्जे
का दस्तावेज
है. शायद
प्रदेश में
ऐसा कोई व्यक्ति
नहीं होगा,
जिसके माथे पर
यह कर्जा न
लिखा जा रहा
हो. सब के सिर
पर यह कर्जा
लिखा जा रहा
है और सरकार
इसको अपनी
कमियां
छिपाने के
नमूने की तरह
पेश कर रही है.
आदरणीय अध्यक्ष महादेय, किसी ने लिखा है कि ''लकीरें देकर सिर्फ बेचारगी की, जिनके हिस्से में धोखा चौखट पर, सरकार का वह माथा बना डाला. इबारत लिख दी कर्ज की, सबकी सांसों पर और हर एक इन्सान को तुमने बहीखाता बना डाला''. हर आदमी एक बहीखाता की तरह हो गया है. पिछला बजट आम बजट 4.21 लाख करोड़ रुपये का था. अधोसंरचना पर सबसे ज्यादा बजट था, वह 17 प्रतिशत का था और सबसे ज्यादा था. अभी भी सबसे ज्यादा है. आपने अभी 13,155 करोड़ रुपये द्वितीय अनुपूरक का दिया, उसमें भी अधोसंरचना पर ज्यादा है. चूंकि प्रभारी मंत्री जी माननीय वित्त मंत्री जी, हमारे पालक मंत्री भी हैं.
और पीडब्ल्यूडी में गजब का बजट दिया गया. समय की बाध्यता को देखते हुए माननीय पालक मंत्री जी से ही मैं आग्रह करना चाहता हूँ कि अभी हमारे एक विधायक साथी ने जबलपुर के संदर्भ में एक फ्लाई ओवर ब्रिज की मांग की है. सबसे ज्यादा 17 प्रतिशत आपने आम बजट में दिया और अभी भी सबसे ज्यादा दे रहे हैं. सूची हमने पढ़ी, अभी के द्वितीय अनुपूरक अनुमान में कम से कम 465 कार्यों की सूची है. सभी 465 कार्यों की सूची में हम देख रहे थे कि जबलपुर के कितने काम हैं. अब हमारे सत्ता पक्ष के विधायक यदि ये कहें कि उनके क्षेत्र का फ्लाई ओवर ब्रिज पेंडिंग पड़ा हुआ है और आपसे वे आग्रह करें तो आप अंदाज लगाएं कि विपक्ष के विधायक की स्थिति क्या होगी. हमारे मंत्री महोदय ने कल जबलपुर में एक एलान किया कि अनगढ़ महावीर मंदिर से लेकर रामपुर चौराहे तक 300 करोड़ रुपये का एक फ्लाई ओवर ब्रिज बनेगा. फ्लाई ओवर ब्रिज जबलपुर में दिए भी हैं. अब ये विभाग का विषय है, चर्चा का विषय है कि कब सेंक्शन हुआ था, लेकिन एक फ्लाई ओवर ब्रिज हमारे यहां बना. बहुत वाहवाही लूटी गई कि प्रदेश का सबसे बड़ा फ्लाई ओवर ब्रिज है. वह है भी और अच्छा बना. हम उसकी तारीफ भी करते हैं, लेकिन बस वही है कि जहां इसको लैंड किया गया, हमारी विधान सभा से करीब 100-200 मीटर दूर उसको उतारा गया. वहां एक छोटी सी पुलिया है. बिल्कुल वैसा ही हुआ कि आपने पायजामा तो बना दिया, लेकिन नाड़ा नहीं. वह पुलिया ज्यों की त्यों है. पूरा ट्रैफिक तीन-चार-पांच घंटे जाम रहता है. हमारे विधायक साथी बता सकते हैं कि उसी पर आकर पूरा ट्रैफिक रुका रहता है. जनता को जो सुविधा होनी चाहिए, वह सुविधा जनता को नहीं मिल पा रही है. एक आफत और आ गई कि जाम में तीन-तीन घंटे खड़े हैं. यह हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा हमारे यहां का एक बहुप्रतिक्षित फ्लाई ओवर ब्रिज है. इतने फ्लाई ओवर ब्रिज के पहले उसकी डीपीआर बनी है और यहां से सब कुछ हो गया था. लेकिन उसको रोक दिया गया. सत्ता सरकार का मसला था. वह रुका पड़ा है. खैर, यह अपनी जगह है. यदि माननीय पालक मंत्री जी आपकी कृपा दृष्टि हो जाए क्योंकि आप पालक मंत्री जी हैं और स्वाभाविक रूप से आप खजांची हैं, पैसा तो आप देंगे. यदि आप स्वत: संज्ञान लेते हुए उस काम के लिए न्याय करेंगे जो हमारा जबलपुर हाई कोर्ट से लेकर अब्दुल हमीद चौक होते हुए बिरसा मुण्डा चौराहे तक वह पुल बन जाएगा. वह वर्ष 2019 का सेंक्शन है. तब से लेकर के वह रुका पड़ा हुआ है. यह आपसे आग्रह है और कई बार इस सदन में आग्रह किया. सबसे ज्यादा आप अधोसरंचना में पैसा देते हैं. स्थिति क्या है, स्थिति यह है कि बैतूल का पुल गिर गया. मरम्मत में गिर गया. अभी रायसेन का एक नया पुल गिर गया. परसों की बात है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- माननीय अध्यक्ष जी, 45 साल पुराना पुल है, कांग्रेस के शासन का है.
श्री लखन घनघोरिया -- रायसेन का भैया.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- जी हां.
श्री लखन घनघोरिया -- अरे गजब है. गिरना चाहिए कि नहीं, 23 साल से और 25 साल से तो आप सत्ता में हैं. तब से आप क्या कर रहे हैं, 25 साल से तो हैं ना आप.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- गृह विभाग तो संभाल नहीं पा रहे हैं, क्यों पीडब्ल्यूडी विभाग में आ रहे हैं.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय, निर्माणाधीन पुल गिर जाए. अभी बना हुआ. आप 45 साल पुराने पुल की बात कर रहे हैं...
दूसरा,हमारा जबलपुर से नागपुर हाईवे पर 5 करोड़ का डामर 6 माह में बह गया. आप सबसे ज्यादा पैसा अधोसंरचना पर खर्च कर रहे हैं.स्थितियां क्या हैं सबके सामने हैं. अब हम आ जायें शिक्षा विभाग की बात करें तो शिक्षा में गजब की स्थितियां हैं. आज स्कूल शिक्षा में कितने टीचर हैं स्कूलों में सांदीपनी स्कूल बन रहे हैं. एक जिले में 1-2 बनेंगे लेकिन स्थिति क्या है 26 हजार स्कूल बिना प्रिंसिपल के हैं.प्रभारी हैं सब जगह और प्रभारी की स्थिति यह है कि कई जगह टीचर ही नहीं है क्लर्क है तो भी प्रभारी है. 14 हजार स्कूल बिना शिक्षक के हैं सरकार के पास पैसा नहीं है. एकडमिक सिस्टम कोई नहीं रह गया है. होर्डिंग में बस प्रचार के लिये चमचमाहट होना चाहिये. अनुपूरक बजट में शिक्षा सुधार के लिये कुछ नहीं दिया गया. उच्च शिक्षा की बात कर लें. माननीय परमार जी बैठे हैं इनसे आग्रह करना चाहता हूं कि जब हम कोई भी विश्वविद्यालय बनाते हैं हम पूरे मध्यप्रदेश का तकनीकी कालेजों को लेकर राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय बनाया गया है. सारे प्रदेश के इंजीनियरिंग कालेज इसके अधीन हैं लेकिन जबलपुर का रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय इस बार बी.टेक का सब्जेक्ट शुरू किया गया है. बगैर एंट्रेंस एग्जाम के एडमीशन देंगे. वहां लैब नहीं है. कहां से आप इलेक्ट्रानिक की पढ़ाई कराएंगे कहां से आप मेकेनिकल की पढ़ाई कराएंगे. कहां आप सिविल की पढ़ाई कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय - लखन जी कृपया समाप्त करें.
श्री लखन घनघोरिया - अध्यक्ष जी,महत्वपूर्ण बात है. एकेडमिक सिस्टम पूरा चौपट हुआ जा रहा है सिर्फ पैसे की कमाई से यूनिवर्सिटी को आर्थिक रूप से फायदा हो. राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय से जो एफेलेटेड कालेजों में जो छात्र पढ़ रहे हैं उनके साथ अन्याय कर रहे हैं. क्या डिग्री आरडीवीवी से जायेगी तो क्या वह फर्जी नहीं कहलाएगी. जो एंट्रेंस एग्जाम देकर आते हैं और देश भर का एंट्रेंस एग्जाम देकर आते हैं. वैसे ही एग्रीकल्चर की स्थिति है आपका इतना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर एग्रीकल्चर का बना प ड़ा है. हजारों एकड़ में रिसर्च होती है. आपने एग्रीकल्चर का सब्जेक्ट रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में चालू कर दिया. एकेडमिक सिस्टम जा कहां रहा है. आप एक अपनी संस्था को फायदा पहुंचाने के लिये दूसरे को नुकसान पहुंचा रहे हैं. यह तो अपनी जगह है आपने एक सीए को एक विश्वविद्यालय का कुलपति बना दिया. उसकी योग्यता है कि वह सीए है और सीए किसी विश्वविद्यालय का कुलपति बने योग्य है अयोग्य है कोई मापदण्ड होता है कोई विद्वता होती है विद्वान होता है अब किसी का चेला हमारी यूनिवर्सिटी का कुलगुरु बन जाये. यह ज्ञान अर्जन की संस्थाएं हैं धन अर्जन की नहीं है कि हम मेनेजमेंट के लिये भेज दें. कहीं न कहीं जब यहां से शिक्षा विभाग से ऐसी कमाई हो रही है. नर्सेस कालेज को मेडिकल यूनिवर्सिटी से पैरा मेडिकल में सबको अलग करके आरडीवीवी में कर दिया. मेनेजमेंट,यदि इससे फायदा है तो मेडिकल यूनिवर्सिटी में तो हो जायेगा.अब मेडिकल कालेज के अंदर यूनिवर्सिटी के अंदर......
नर्सिंग
कॉलेज हैं वह
वहां जायेंगे
रानी
दुर्गावती
विश्वविद्यालय
में, यह कैसा सिस्टम
हैं, कौन सा सिस्टम
हैं.
आपके जितने
कॉलेज हैं उच्च
शिक्षा के
उनमें
प्रभारी
प्रिंसीपल
बैठे हैं.
साइंस कॉलेज
में आर्ट्स का
प्रिंसीपल, आर्ट्स
कॉलेज में
साइंस कॉलेज
का प्रिंसीपल. यदि उसकी
पदस्थापना
जिस सब्जेक्ट
को पढ़ाने में
हुई इतने
सालों से वह
सब्जेक्ट
पढ़ा रहा है
क्या ? हम किस व्यवस्था
की तरफ जा रहे
हैं. नगरीय
निकाय में हम
देख लें तो
बड़ी विचित्र
स्थितियां
हैं, नगरीय निकाय
में माननीय
वित्तमंत्री
जी भी नहीं
हैं और कैलाश
भैया कहते हैं
कि सारी निकायों
को आत्मनिर्भर
होना चाहिये.
चुंगी
क्षतिपूर्ति
के पैसे से
लेकर सारी
चीजें, सम्पत्ति
कर दोगुना, हर कर दोगुना
हो रहा है, अब तो यह हो
गया है कि आप
टैक्स वसूली
के लिये निजी
हाथों को दे
रहे हैं.
अध्यक्ष
महोदय--
माननीय लखन
भाई, अभी 15 लोग शेष
हैं.
श्री लखन
घनघोरिया-- दो, चार मिनट का
है बस.
अध्यक्ष
महोदय--
एक मिनट में
पूरा कर दो.
श्री लखन
घनघोरिया-- ऐसा ही
स्वास्थ्य
सेवाओं में है, स्वास्थ
सेवाओं की
स्थिति
माननीय अध्यक्ष
महोदय 800
डॉक्टर्स
की कमी है, यह सबसे बड़ी
बात है.
प्राथमिक स्वास्थ
केन्द्र में
800 ऐसे
प्राथमिक स्वास्थ
केन्द्र हैं
जिनमें डॉक्टर
नहीं है. आपके
पास 3 हजार
डॉक्टरों की
कमी है. आप 25
हजार करोड़
रूपया ब्याज
में दे रहे हो, इन 25 हजार
करोड़ में न
जाने कितने
मेडीकल खुल जायें
और न जाने
कितने डॉक्टर
तैयार हो
जायें और सेवा
में आ जायें, लेकिन सरकार
सो रही है और
हम लोगों से
सरकार यह उम्मीद
करती है कि हम
लोग चुप रहें.
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
25 करोड़
में 50 नये
मेडीकल कॉलेज
बन सकते हैं, 30 हजार डॉक्टर
नियुक्त हो
सकते हैं इसके
साथ-साथ....
(लखन
घनघोरिया जी
कुछ कागज
पलटले हुये)
अध्यक्ष
महोदय--
छोड़ दो, वो ऊपर आ नहीं
रओ. ..(हंसी)...
श्री लखन घनघोरिया-- आपका आदेश होगा तो हम तो वैसे ही बैठ जायेंगे. आपका जितना संरक्षण होगा उतना ही बोल पायेंगे. सरकार की स्थितियां भी बिलकुल अलग हैं माननीय देवड़ा जी, माननीय गृह मंत्री जी से कहना चाहता हूं लाख कितनी भी बात कर लें, यह भी कह दें, सब कह रहे हैं, लेकिन लास्ट में अपनी एक मांग जोड़ देते हैं कि यह नहीं हुआ, उससे अंदाज लग जाता है यकीन न आये तो पूछकर देखो, जो हंस रहा है वह जख्मों से चूर निकलेगा, पूछो आप कैलाश भाई से जख्मों से चूर निकलेंगे तो मेरा आग्रह है अनुपूरक आप कितने भी ले आयें, आपका जब तक अच्छा प्रबंधन नहीं होगा, अच्छे से आम जनता के सामने पारदर्शिता से काम नहीं होगा तो अभी तो हम 4 लाख 65 हजार करोड़ के कर्जे में हैं, हर व्यक्ति 50 से 55 हजार का कर्जदार हो रहा है और स्थिति यह बनी तो कर्ज पे कर्ज, कर्ज पे कर्ज जैसे एक पिक्चर आई थी मदर इंडिया, हर दौर की सबसे चर्चित पिक्चर है मदर इंडिया, उसमें कन्हैयालाल होते हैं, लाला कन्हैयालाल वह स्थिति सरकार की हो गई है कि बस कर्ज चुकाते जाओ. कर्ज दे देकर मरते जाओ लेकिन कर्ज खत्म कभी नहीं होगा. मेरा आपसे आग्रह है कि इन सारी चीजों का सदुपयोग हो, सरकार कन्हैयालाल के पात्र में तब्दील न हो ऐसा, आपसे आग्रह है. मैं इस अनुपूरक में वित्त मंत्री जी आपसे यही आग्रह करता हूं कि यदि बहुत ज्यादा जरूरी है तो मेरा आपसे आग्रह है कि हमारे यहां भी देख लो प्रभु, जबलपुर बहुत बड़ा शहर है. शहर के शहर में इतना पक्षपात है, उत्तर में नहीं हो रहा, पूर्व में नहीं हो रहा, सब कुछ सिर्फ पश्चिम में हो रहा है, जबकि सूरज पूर्व से ऊगता है. आप प्रभु समझायें हमारे मंत्री जी को, हमारे यहां के भी कुछ काम ले लें. इन्हीं शब्दों के साथ माननीय अध्यक्ष महोदय आपने समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री
दिलीप सिंह
परिहार(नीमच) --
माननीय अध्यक्ष
महोदय, मैं आपको
धन्यवाद
देता हूं कि
आपने मुझे
बोलने का अवसर
दिया है. मैं वर्ष
2025-26 के द्वितीय
अनुपूरक बजट
के समर्थन में
बोलने के लिये
खड़ा हुआ हूं.
आज मूल रूप से
कृषि को लेकर
हमारे वित्तमंत्री
जी ने जो
योजना बनाई है, वह
किसानों को
लाभ पहुंचाने
के लिये बनाई
है,
क्योंकि इस
देश का हृदय
स्थल मध्यप्रदेश
है और मध्यप्रदेश
में लगातार
भावांतर
योजना हेतु 5
सौ करोड़
रूपये का
प्रावधान
द्वितीय
अनुपूरक बजट
में किया गया
है,
वह स्वागत
योग्य है, क्योंकि
किसान उस पैसे
की बाट भी जौ
रहा है, कुछ
लोगों के पास
पर्याप्त
पैसा पहुंचा
है,
इसके लिये
वित्तमंत्री
जी को मैं धन्यवाद
देता हूं, मुख्यमंत्री
जी को धन्यवाद
देता हूं.
अध्यक्ष
महोदय, लोक
निर्माण विभाग
के माध्यम से
जैसे शरीर में
रक्त दौड़ता
है,
वैसे ही
सड़कों के
माध्यम से
प्रदेश का
विकास दौड़ता
है और
यह विकास
दौड़ रहा है, इसमें
कोई दो मत
नहीं है. अभी
माननीय
शेखावत जी कह
रहे थे, यह जब
यहां से राजस्थान
की वीरभूमि
में जाते हैं, तो नया गांव तक
आपके लिये
सड़क बहुत
बढि़या है और
वह सड़कें जब
पहले मैं नीमच
से आता था, तो बारह
घंटे लगते थे, आज छ: घंटे
में नीमच से
यहां पर आता
हूं,
तो ऐसी सड़कों
का जाल सब दूर
फैला है, चाहे
प्रधानमंत्री
सड़क योजना हो, ग्रामीण
सड़क योजना हो, इसको हम सबको स्वीकार
करना चाहिए और
इस काम के
लिये भू-अर्जन
हेतु भी तीन
सौ करोड़ रूपये
का प्रावधान
इस अनुपूरक
बजट में किया
गया है, जो स्वागत
योग्य है, क्योंकि
नीमच में भी
एक बायपास
बनना है और
उसमें जो
भू-अर्जन का पैसा
अटका हुआ था, तो उसके
लिये भी
माननीय वित्तमंत्री
जी को धन्यवाद
दूंगा कि उससे
भी हमारा नीमच
है,
वह जयसिंहपुरा
होता हुआ कृषि
मंडी का जो
बायपास बनना
है,
वह बायपास
पूरा हो सकेगा, निश्चित
ही आपको मैं
इसलिए भी धन्यवाद
दूंगा कि आपने
हरवाद से
परासली की अभी
छोटी सड़क थी, जिसकी
बहुत लंबे समय
से मांग थी, उसको
आपने अनुपूरक
बजट में स्वीकृत
किया है, मैं इसके
लिये आपको धन्यवाद
दूंगा.
06:32 बजे (सभापति
महोदय (डॉ.
राजेन्द्र
पाण्डेय) पीठासीन
हुए.)
सभापति
महोदय, आपकी
विधानसभा में
भी विकास हो
रहा है तो, उसकी
छाया भी थोड़ी
सी नीमच की ओर
आ रही है. मैं
आपसे इस बात
के लिये विनती
करूंगा की हमारी
जो अन्य
सड़कें हैं, ग्रामीण
सड़कें हैं, उनको भी
आप इस आगामी
बजट में
जोड़ने का काम
करें,
जिससे कि हम
गर्व से कह
सकें कि हमारे
वित्तमंत्री
जी की विकास
की जो चाबी है, वह नीमच
जिले की ओर भी
घूमी है. मैं
यह कहना चाहता
हूं कि आपने नीमच
को बहुत कुछ
दिया है, आपने
नीमच को
मेडीकल कॉलेज
दिया है, नीमच के
मेडीकल कॉलेज
में जो देश के
कोने-कोने से
सौ बेटा बेटी
विद्या अध्ययन
कर रहे हैं, उनके
लिये अस्पताल
नौ किलोमीटर
दूर है. वीरेन्द्र
कुमार सखलेचा
जी के नाम से
जो आपने
मेडीकल कॉलेज
दिया है, वहां अभी
नर्सिंग
कॉलेज बन रहा
है,
मगर वहां अभी
आपने तीन सौ
बेड का अस्पताल
स्वीकृत
किया है, मैं उसकी
आपसे मांग
करता हूं कि
जब अग्रिम मेन
बजट आये, उसमें आप
तीन सौ बेड का
अस्पताल दे
देंगे, तो वह जो
बेटा बेटी
बार-बार यह
मांग करते हैं
कि हमें नौ
किलोमीटर आना
जाना पड़ता है, या तो उसके
लिये कोई बस
की व्यवस्था
हो जाये, तो वह
यहां राजमाता
जिला चिकित्सालय
में सेवा दे
पायेंगे और
शिक्षा
प्राप्त
करके और वह
गरीबों के
गांवों में
जाकर गरीबों
के आंसू
पोंछने का काम
करेंगे.
सभापति
महोदय, ग्रामीण
विकास विभाग
के अंतर्गत
राजस्व मद में
प्रधानमंत्री
आवास में आपने
चार सौ करोड़
रूपये का
प्रावधान
किया है, वाकई में
सबके सिर पर
छत होना चाहिए
और देश के प्रधानमंत्री
भी यही कह रहे
हैं कि सबका
साथ,
सबका विकास और
सबका विश्वास
और सबके
प्रयास से
भारत की
आर्थिक
स्थिति को आगे
बढ़ाने का काम
कर रहे हैं, गरीबी रेखा
से लोगों को
ऊपर उठाकर और
लगभग 35 करोड़
लोगों को ऊपर
लाने का काम
देश के
प्रधानमंत्री
और मुख्यमंत्री
जी ने किया है, आपने
किया है, मैं इसके
लिये बहुत धन्यवाद
देता हूं. अभी
आपने देखा
होगा मुख्यमंत्री
डॉ. मोहन यादव
जी ने जो
हमारे निम्न
आय वर्ग के
लोग थे, उनको
आवास ऑनलाईन
से हमने देने
का काम किया है, वहां
विधायक सांसद
सभी हम लोग
उपस्थित थे, तो उन
गरीबों के
चेहरे जो खिले
हैं,
उनकी वजह से
देश के
प्रधानमंत्री
जी को,
मुख्यमंत्री
जी को,
वित्तमंत्री
जी को दुआएं
मिलती हैं और
जब गरीब के सिर
पर छत होती है
और कुछ लोग
इंतजार कर रहे
हैं,
तो फेस दो जो
शहरी आवास का
चालू होने
वाला है, उसको भी
आप प्रारंभ
कराने का काम
करें. निश्चित
ही आज दुआएं
काम करती है, मैं अक्सर
कहता हूं ..
''क्या
मार सकेगी मौत
उसे, ओरों के
लिये जो जीता
है,
मिलता है
जहां का प्यार
उसे, जो गरीब
के आंसू पीता
है''
यह भारतीय जनता
पार्टी की
सरकार, मान्यवर
मुख्यमंत्री
जी,
वित्तमंत्री
जी ने गरीबों
के आंसू पीकर
उनको
प्रधानमंत्री
आवास देने के
लिये भी इस
अनुपूरक बजट
में प्रावधान
किया है, इसके भी मैं
आपको दिल की
गहराईयों से
धन्यवाद
देता हूं.
निश्चित
ही खाद्य
नागरिक
आपूर्ति
उपभोक्ता
विभाग
संरक्षण के
माध्यम से
आपने दो हजार
करोड़ रुपए का
बजट रखा है.
इस बजट में
गरीब की थाली, रहे न
खाली, गरीब के यहां
यदि खाद्यान्न
पहुंचता है, तो वह
अपना पेट भरता
है, किसान
अन्न उत्पादन
करता है और
अन्न के
भंडार भरता है,
इसलिए मप्र को
कृषि कर्मण
पुरस्कार
प्राप्त
होते हैं, किसान को
आपने जल, खाद, सिंचाई
के साधन, प्रधानमंत्री
और ग्रामीण
सड़क बनाकर, उनको
अच्छी मंडी
दी है. नीमच
में तीन सौ
करोड़ की एक
सुन्दर मंडी
बनाई है, उसमें
जाने के लिए
हमारे
किसानों को
छोटी छोटी
सड़कें हैं
कनावटी से
लेवड़ा, खुमानसिंह
शिवाजी हमारे
जो वरिष्ठ
विधायक थे, वे
भवराशाह से
बामनिया के
लिए दो
किलोमीटर की
सड़क है, उसके लिए
भी आपसे
निवेदन करता
हूं.
टाट्याखेड़ी
से ठीक्रया
की सड़क के
लिए भी निवेदन
करता हूं. जल
ही जीवन है
उसके लिए मप्र
और देश की
सरकार लगातार
काम कर रही है.
मेरी विधान सभा
में एक
ग्रामीण
क्षेत्र है
पीठ, उस पीठ में आठ
करोड़ के लगभग
का एक छोटा
डैम है, वह साध्यता
में भी आ गया
है. मैं वित्त
मंत्री जी से
निवेदन
करुंगा कि जो
पीठ का ग्रामीण
डैम है, वह वह बनना है,
जिससे पेयजल
और सिंचाई की
व्यवस्था
होगी. अभी
आपने एक नया
औद्योगिक
क्षेत्र मंजूर
किया है, उद्योग
के लिए भी
आपने बजट में
प्रावधान
किया है.
हमारे यहां
भीलवाड़ा, निम्बाड़ा
चित्तौड़ से
उद्योग पति आ
रहे हैं और
नीमच में उद्योग
लगा रहे हैं
और लोगों को
रोजगार देने
का काम कर रहे
हैं. अभी
हमारा एक
उद्योग
क्षेत्र पूरा
फुल हो गया है, कहीं
जमीन नहीं बची
है. अभी हमारे
उद्योगमंत्री
जी ने नया
औद्योगिक
क्षेत्र
कराडि़या महाराज
और ग्वाल के
अंदर स्वीकृत
किया है, इसके लिए
भी आपको धन्यवाद
देता हूं. नया
खिलौना क्लस्टर
भी बनने वाला
है. सभापति जी, विद्या
का धन कभी
चोरी नहीं
जाता है. आपने
सीएम राइज स्कूल
सभी जगह दिए
हैं. जावद, मनासा, में
सीएम राइज स्कूल
बन गया है, नीमच
जिला स्थान
है, आपने
45 करोड़ रुपए
वहां भेज रखे
हैं. मैंने
उच्च शिक्षा
मंत्री जी राव
साहब, प्रमुख सचिव
और हमारे
कलेक्टर
साहब से भी
निवेदन किया.
हमने एक भूमि
तय करके क्रमांक
2 की भेज दी है.
इसलिए उसका
काम जरूर
प्रारंभ करवा
दें. अंतिम
छोर पर जो
नीमच है, दीनदयाल
जी कहते थे ..
चलो
जलाएं दीप
वहां.. जहां अभी भी
अंधेरा है...
उस अंतिम छोर से भी हमारे मुख्यमंत्री जी हवाई सेवाएं चालू करने वाले हैं. वित्त मंत्री जी आप खजाने की चाबी खोलना, जो वहां हैलीपैड है उसकी पट्टी लंबी बन जाएगी, क्योंकि नीचम सीआरपीएफ की जन्मस्थली है, नीमच में स्वतंत्रता की पहली गोली चली थी. हमारे पुरखों को वहां फांसी के फंदे पर चढ़ाया गया था इसलिए निवेदन है कि नीचम से हवाई सेवाएं जो आप चालू कर रहे हैं वह भी कहीं न कही बजट में प्रावधान लेकर उनको चालू करने का काम करें. निश्चित ही मप्र में नदियों को जोड़ने के लिए आपने जो योजना बनाई, पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी ने देश की नदियों को जोड़ने का सपना देखा था, वह सपना हमारे मोदी जी और हमारे मुख्यमंत्री जी, वित्त मंत्री जी पूरा कर रहे हैं. निश्चित ही हमारी केन, बेतवा, नदी, पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदी जोड़ने की योजना बनी है ,उसमें 11 जिले है नीचम और मंदसौर जिला भी आता है. चंबल का पानी किसान के खेत में आने वाला है, उस योजना को भी आपने प्रारंभ करवाया है. प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए, ये जो अंतरिम बजट है, ये कोई बजट पार्टी का नहीं है ये, सर्वहारा वर्ग का कल्याण करने वाला बजट है. मैं इस बजट का स्वागत वंदन करता हूं. निश्चित ही आपने नर्मदा भू-अर्जन मद में भी 600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. इंदिरा सागर हेतु 94 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है जिससे कि जल जीवन मिशन की योजनाएं पूरी होगी और हमारे यहां भी नीमच जिले में जल जीवन मिशन के माध्यम से गांव गांव में पानी पहुंचाने का काम आपने किया है.
क्योंकि पुराने समय में लोग पानी के लिये प्याऊ लगाते थे, कुएं खुदवाते थे, तालाब बनवाते थे. आज हमारी सरकार जल जीवन निगम के माध्यम से घर घर में टोंटी लगाकर जल पहुंचाने का काम कर रहे हैं. 80 किसानों को आप अभी 6 हजार रूपये आप देते हैं उसमें कम से कम 6 हजार रूपये प्रधानमंत्री देते हैं. तो किसान को कहीं न कहीं जो लघु किसान हैं उनको फायदा मिलता है. कुछ बंधु गौमाता के ऊपर बोल रहे थे. मुझे याद है कि दिग्विजय सिंह जी के समय में गौमाता चरती थी उनके जमीनों के पट्टे काटकर अगड़े और पिछड़े को लड़ाने का काम किया था. गौमाता हिन्दू-मुसलमान तथा वृद्ध को दूध पिलाती है उस गौमाता में करोड़ो देवी-देवता निवास करते हैं उसके लिये गौशालाएं खुल रही हैं अभी गौपूजन को लेकर के कई प्रकार की बात की है. हां हमने गोवर्धन पूजन किया हम गौमाता की पूजा करते हैं. गौमाता के लिये हम सब कुछ बलिदान करने के लिये तैयार हैं. हम तो यही कहेंगे कि आप भी इस पुनीत और पवित्र कार्य में लगें. आपने उस समय गौमाता के नाम से बातें कीं, चर्चाएं की कुछ काम करने जैसा कुछ नहीं किया है. इसीलिये हमारी सरकार आयी है. इसमें गौमाता की, बहन की, किसान की तथा गरीबों की दुआएं हैं. पुनः इस अवसर पर धन्यवाद देता हूं. मेरी इन छोटी-छोटी सड़कों की मांग है इनको आप जरूर ले लें. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री
मधु भाऊ भगत
(परसवाड़ा)—सभापति
महोदय, आपने
अनुपूरक बजट
पर बोलने का अवसर
दिया है, उसका
मैं विरोध
करता हूं.
मेरा विधान
सभा क्षेत्र
आदिवासी
बाहुल्य
क्षेत्र है
जिसमें
आदिवासी हितों
को ध्यान में
रखते हुए यह
बजट नहीं
बनाया गया है.
उस बजट में ना
ही बच्चों के
छात्रावास का
विषय है और ना
ही उनकी खेती
तथा फसल है.
उसके ऊपर कोई
सिंचाई योजना
का कार्य हुआ
है. इसी प्रकार
मांग संख्या 3
के अंतर्गत
मैं मंत्री जी
से निवेदन
करूंगा कि
परसवाड़ा में
पुलिस
क्वार्टर
निर्माण पर
विचार नहीं
किया गया है.
साथ ही
आदिवासी
नक्सलवादी
क्षेत्र में शासकीय
पुलिस
कर्मियों के
रहने के लिये
गृह निर्माण
हेतु
प्रावधान
किया जाये.
मैं यह वित्तमंत्री
जी से मांग
करता हूं.
मांग संख्या 8
के अंतर्गत
बालाघाट जिले
के समस्त
कृषकों की
खेती का सर्वे
कराकर बेमौसम
बारिश से होने
वाली
क्षतिपूर्ति
हेतु कोई
प्रावधान
नहीं किया गया
है. तत्काल
अनुरोध है कि
सम्पूर्ण
खेती का सर्वे
कराकर मुआवजा
राशि एवं बीमा
राशि का किसानों
को प्रदाय
किया जाये.
मांग संख्या 10
के अंतर्गत वन
विभाग में
वनों या
अतिसंग्रहित
जंगलों में
निवासरत्
ग्रामीणों के
उत्थान के
लिये विकास
कार्यों हेतु
प्रावधान नहीं
किया गया है.
मैं मंत्री जी
से आग्रह करता
हूं कि घने
वनों में
आवागमन हेतु
पक्की सड़कों
का निर्माण
किया जाना
चाहिये जिससे
नक्सलवाद का
प्रभाव भी कम
हो और वहां के
रहने वालों को
सुविधाएं भी
प्राप्त हों.
छोटे छोटे पुल
पुलियों का
निर्माण भी होना
चाहिये. यह
अति आवश्यक
हैं. शासकीय
भवनों का
आवश्यकतानुसार
निर्माण किया
जाये. मांग संख्या
12 के अंतर्गत
बिजली की बचत
हेतु प्रत्येक
परिवार को सौर
ऊर्जा
कनेक्शन
कराकर सबसिडी
बढ़ाये जाने
हेतु सरकार ने
कोई प्रावधान
नहीं किया है.
समस्त
ग्रामीण जो
बीपीएल
श्रेणी में
आते हैं उन्हें
मुफ्त बिजली
और ऊर्जा
सिस्टम
प्रदान किया जाये.
यह बहुत अच्छा
प्रावधान है.
किसान कल्याण
के अंतर्गत
कृषकों को
उच्च कोटि का
खाद, डीएपी
यूरिया एवं
विभाग से
प्रदाय किये
जाने वाले बीज
जैसे
धान-चना,सरसों,
लखोरी, तिलहन
दलहन उड़द की
फसलें आदि
मुफ्त में
प्रदाय किये
जाने हेतु
प्रावधान
नहीं किया गया
है. मैं निवेदन
करूंगा कि
सूरजधारा
योजना को पुनः
प्रारंभ किया
जाये यह
वित्तमंत्री
जी से अनुरोध करता
हूं. 23 के
अंतर्गत
बालाघाट जिले
के परसवाड़ा
विधान सभा में
नवीन जलाशय
निर्माण हेतु
बहुत सारी
योजनाएं
संचालित हैं
जिसमें बगली पार्ट
में माईक्रो
एरिगेशन में
सिंचाई योजनाएं
जो पिछले डेढ़
साल से टेंडर
पर टेंडर की
जानकारी मेरे
प्रश्न के
उत्तर में आ
रही है. मैं
जानना चाहता
हूं और आपसे
मांग करता हूं
कि उसके
प्रावधान को
साधिकार में
ले जाकर के
उसकी 8 हजार
हेक्टेयर की
जो भूमि है,
सिंचित होनी
है. उसको रोका
गया है कि रबी
के लिए 2
हजार हेक्टेयर
और प्लस
करेंगे, तो मैं
इसको
प्रावधान में
लेना चाहता
हॅूं. माननीय
वित्त
मंत्री जी, इस
टेंडर को तत्काल
करावें और
दूसरा बायीं
तट ढूटी डेम
है उसका
लाइनीकरण,
सीमेंटीकरण
हो जाये, जिसका
टेंडर लगने की
प्रथा पिछले 2
वर्षों से लगातार
प्रारंभ है, पर यह
काम रूकने से
सिंचाई योजना
असफल है. किसानों
की बात हम
जरूर कर रहे
हैं लेकिन
किसान कहीं न
कहीं सिंचाई
से वंचित है.
इसके ऊपर ध्यान
दिया जाये.
नहरों का
गहरीकरण, तालाब
शुद्धीकरण यह
सब होना
चाहिए.
माननीय
सभापति महोदय,
मैं मांग संख्या
24 के अंतर्गत
माननीय
मंत्री जी को
धन्यवाद
देना चाहता
हॅूं. मुझे इस
बजट में मेरी
परसवाड़ा
विधानसभा को
लगभग साढ़े ग्यारह
करोड़ रूपए का
प्रावधान
दिया गया है.
इसके लिए मैं
आपको बधाई
देता हॅूं कि
मेरे कुछ काम
आप लोगों ने
किए हैं.
जिसके अंदर
पुल-पुलिया, सड़क
का कुछ
निर्माण मुझे
मिला है. मैं
आपको धन्यवाद
प्रेषित कर
रहा हॅूं. मांग
संख्या 27 के
अंतर्गत हमें
विधानसभा
क्षेत्र में
ब्लॉक में
सीएम राइज़ स्कूल
1-1 तो मिला है
लेकिन मिनी
सीएम राइज स्कूल
अगर हमें मिल
जाए क्योंकि
आदिवासी
बाहुल्य की
जो बच्चियां
हैं वह 6-6, 7-7
किलोमीटर दूर
से जब घर से
जंगलों के बीच
से निकलती हैं
और वापस उसी
जंगल से शाम
को घर में पहुंचती
हैं तो 5 से 6
बजे के बीच तक
जब सूर्य ढलता
है और वे रात
तक घर पहुंचती
हैं तो ऐसे
में उन बच्चियों
के लिए मिनी
सीएम राइज स्कूल
बनाया जाये,
जिसमें बस का
प्रावधान हो
ताकि हमारे
बच्चे
सुरक्षित, व्यवस्थित
घर पहुंच
सकें.
सभापति
महोदय, मांग
संख्या 3 के
अंतर्गत
ग्रामीण
विकास विभाग
में एक से
दूसरे ग्रामों
को जोड़ने
वाली सड़क का
कोई प्रावधान
नहीं किया गया
है. अगर यह खेत
सड़क बनेगी, तो
निश्चित तौर
पर हमारे
किसानों को
खेत में जाने
के लिए सुविधा
मिलेगी. मनरेगा
में पक्के
काम सब बंद
हैं. रोजगार
आज नहीं है.
पंचायत बिल्कुल
टांय-टांय
फिस्स चल रही
है. मतलब
जिसके अंदर
कोई गुण नहीं
है. सरपंच में
हाहाकार मचा
है. पंचायतें
रो रही हैं. अभी जिस
प्रकार के पक्के
निर्माण
कार्य, पंचायत
भवन, सामुदायिक
भवन बातें
आयीं, उसी
प्रकार से अगर
इस प्रावधान
में वह खेत
सड़क ले लें,
ग्राम से
मजरे-टोले
जोड़ने वाली
सड़कों के
बारे में, जो
किताबों में
लिखी हैं
लेकिन मौके पर
कहीं कुछ नहीं
है, इसको भी
जोड़ना चाहिए.
सभापति
महोदय, जनजाति
कार्य विभाग
में विगत 3
वर्षों से
किसी प्रकार
का बजट
संतोषजनक
प्रदाय नहीं
किया गया.
बालाघाट जिले
में बहुत ही
कम राशि
प्रदाय की
जाती है जबकि
कई छात्रावास
किराए के
भवनों में चल
रहे हैं. इसके
अलावा मैं
सरकार का ध्यान
एक बात की ओर
आकर्षित
कराना
चाहूंगा. नैनपुर
से बालाघाट
तथा लामता
मार्ग है, हमारा
परसवाड़ा से
बैहर मार्ग है, वह 30 किलोमीटर
का मार्ग पूरी
तरह से जर्जर
हो गया है,
खराब हो गया
है. वह गारंटी
में है. आप
उसको अपने
संज्ञान में
लें. उस
सड़क मार्ग
में अब तक 10
मौतें हो चुकी
हैं. इसके लिए
भी हमने
पत्राचार
किया, पर कोई
प्रावधान
नहीं किया
गया. इसको भी
टेंडर
प्रकिया में
लें,
ताकि उसका
निर्माण हो
जाये. इसी
प्रकार से नैनपुर
से बालाघाट
मार्ग है वह
मार्ग भी
जर्जर है,
खराब है. इन्हीं
सारी बातों के
साथ मैं आपको
और माननीय वित्त
मंत्री जी को
बहुत-बहुत धन्यवाद
देता हॅूं.
सभापति
महोदय --
बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर) -- माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2025-26 के लिए 13 हजार करोड़ रूपए का जो अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया गया है वह निश्चित तौर पर एक तरह से इस प्रदेश को विकास की गति नहीं देता क्योंकि इसके अंदर कई महत्वपूर्ण विभाग हैं वह छूट गए हैं. जिससे किसान, युवा, समाज और अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को इससे कोई लाभ नहीं मिल रहा है. हां, किसान कल्याण विभाग में जरूर भावांतर तो है लेकिन मक्का, कपास के समर्थन मूल्य भावांतर का कोई जिक्र नहीं है. 22 वर्षों से इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार में, डबल इंजन की सरकार में कभी खेती को लाभ का धंधा, कभी वाजिब दाम देने की बात की जाती है और कभी किसानों की आय दोगुना करने की बात की जाती है. अभी हमारे प्रदेश के माननीय तो एक कदम आगे निकले और देवास के सोनकच्छ में जाकर कहते हैं कि किसान एक बीघा में 50 क्विंटल तक का उत्पादन करने वाला गेहूं लायेंगे. आज भी प्रदेश का किसान उसका रास्ता देख रहा है कि ऐसा गेहूं कब आयेगा, जो एक क्विंटल में 50 क्विंटल का उत्पादन देगा.
सभापति महोदय, किसान भावांतर के भाव में उलझ रहा है. हमारा किसान कर्ज में फंसता चला जा रहा है. आज मक्का का जो समर्थन मूल्य है वह किसानों को नहीं मिल पा रहा है. लहसन और प्याज का भी किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.
सभापति महोदय, मैं अपनी विधान सभा की बात करूंगा. मेरे विधान सभा में जो फसल बीमा योजना चल रही है, वह एक तरह से हमारे किसानों की करोड़ों रूपये की राशि डकार गया है. आज मेरी विधान सभा में वित्तीय वर्ष 2023-24 का जो मुआवजा मिला है वह मात्र एक लाख किसानों को मिला है.
सभापति महोदय, हमने 10 सितम्बर, 2015 को हमने तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, सरदारपुर को ज्ञापन दिया था. उस ज्ञापन में हमने सम्पूर्ण विधान सभा क्षेत्र में आरबीसी-6-4 के तहत जो केन्द्र सरकार से करोड़ों रूपये का जो बजट आता है. लेकिन जब 27 नवम्बर को हमारे धार जिले के कलेक्टर साहब ने उसमें हमारी सरदारपुर विधान सभा के साथ भेदभाव किया गया, ऐसा क्यों ?
सभापति महोदय, मैं 22 साल के भारतीय जनता पार्टी के राज में अगर सबसे ज्यादा कोई छला गया है तो वह है युवा. वह चाहे व्यापम हो, पेपर लीक हो. वर्ष 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस चुनाव की नैया को पार लगाने के लिये अलग-अलग समाज का गठन किया गया. उसमें स्वर्ण समाज, साहू समाज और मीणा समाज के अध्यक्ष बना दिये गये और उनका कार्यकाल मात्र 2 साल का रहा और 8 करोड़ 34 लाख रूपये बजट का प्रावधान किया, जिससे इस समाज के युवाओं का कौशल विकास करना था, उन्हें श्रृण देना था, उन्हें रोजगार देना था, लेकिन उनको एक भी रूपया नहीं मिला.
सभापति महोदय- प्रताप जी, अब आप समाप्त करें. सबके लिये 2-3 मिनट का समय है. अब आप अपनी मुख्य बातें रख दें.
श्री प्रताप ग्रेवाल- सभापति महोदय, समाज के अध्यक्षों को वेतन, भाड़़ा और गाड़ी की राशि तो मिली, लेकिन समाज के बेरोजगार युवाओं को उसका लाभ नहीं मिला.
सभापति महोदय, वहीं हमारी डबल इंजन की सरकार महिला कल्याण की बात करती है, लाड़ली लक्ष्मी की बात करती है और वोट बैंक को अपनी और आकर्षित करती है और प्रदेश में अपनी पीठ थपथपाती है.
सभापति महोदय, एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है कि 24 अप्रैल को मधुबनी से हमारे देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 179 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की थी, लेकिन यहां के अधिकारियों की लापरवाही के कारण वह 119 करोड़ रूपये की राशि सीधे एक क्लिक करके हमारी बहनों के खातों में जाना थी, महिलाओं के खाते में जाना थी, वह राशि नहीं पहुंची और मेरे विधान सभा के प्रश्न में यह उत्तर दिया गया कि अब तक 75 करोड़ रूपये की राशि पहुंची है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि 104 करोड़ की राशि अब तक उन सामाजिक महिला संगठनों को क्यों नहीं पहुंची.
सभापति महोदय, हमारे प्रदेश के अधिकारी इतने लापरवाह हो गये हैं कि देश के प्रधान मंत्री के निर्देश के बावजूद भी वह हमारी महिलाओं के खातों में राशि जमा नहीं करवा पाये.
सभापति महोदय, मैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि मेरे ही विधान सभा क्षेत्र का नवजात शिशु जो एमवाय में भर्ती हुआ था और उसके साथ में दो बच्चे चूहे के कुतरने से उनकी मुत्यु हो गई. मुख्यमंत्री जी का वह प्रभार क्षेत्र है और इस तरह की लापरवाही एक सिस्टम के ऊपर जरुर अंगुली उठाती है. सभापति महोदय, अब मैं मेरे क्षेत्र पर आता हूं. मैं अपने क्षेत्र की बात रखूंगा कि 40 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें हमारा बिमरोड़का, होलातरई, तलावपाड़ा,गूंदीरेला, रुपारेल जैसे 40 जर्जर भवन हो चुके हैं. मेरे क्षेत्र में 24 घण्टे की जो बिजली है, करीब 110 गांव में नहीं मिल पा रही है. साथ ही मेरा जो मांडू लिंक योजना में सरदारपुर जो शामिल था, जिसमें 84 गांव शामिल थे, उसको अलग कर दिया गया. मैं चाहता हूं कि अनुपूरक बजट में उसको शामिल किया जाये. सभापति जी, आपने समय दिया, उसके लिये धन्यवाद.
श्री राजन
मण्डलोई
(बड़वानी)—सभापति
महोदय,
मुझे
वर्ष 2025-26
के द्वितीय
अनुपूरक अनुदान की
मांगों पर बोलने
के लिये अवसर
दिया, बहुत
बहुत
धन्यवाद. मैं इस
अनुपूरक
अनुमान का विरोध
करते हुए मैं
बताना चाहता
हूं कि
मैं आदिवासी
वर्ग से आता
हूं और
मेरी विधान
सभा जो
है,
महाराष्ट्र
सीमा से लगी
हुई है.
उधर
अक्कलकुवा विधान
सभा आती है.
पूरा दुर्गम
पहाड़ी
क्षेत्र है और
वहां पर
जो लोगों को
मूलभूत
सुविधा
की बात करते
हैं, यहां
भौथिक
सुविधाएं मिल
रही हैं. लेकिन
वहां तो
मूलभूत
सुविधाएं भी
उपलब्ध नहीं
हैं.
वहां के लोग
आज भी
रोजी,रोटी,
कपड़ा, मकान के लिये
संघर्षरत्
हैं. वहां
के लोगों को न
तो बिजली मिल
रही है,
न पानी मिल
रहा है, न
सड़क मिल रही
है.
पलायन
बहुत बड़ी समस्या
है.
महात्मा
गांधी
रोजगार गारंटी
स्कीम
पूरी तरह से
ठप्प है,
जिसके कारण लोग पूरी
तरह से
गुजरात
और महाराष्ट्र
पलायन
कर जाते हैं.
ऐसे कई गांव
हैं, जहां पर न
तो स्कूल भवन
हैं, न आंगनवाड़ी
भवन हैं.
जिसकी वजह
से एक तरीके
से आरटीई के अन्दर
बच्चों को शिक्षा
की गारंटी दी
जाती है,
लेकिन
वहां पर
बच्चों को कोई
शिक्षा
नहीं मिल रही
है. जो पलायन
करते हैं, अपने
परिवार सहित,
बच्चों सहित
गुजरात और
महाराष्ट्र
चले जाते हैं. तो उन बच्चों
की
शिक्षा,दीक्षा
की
कोई बात
रह नहीं जाती
है.
जहां तक शिक्षा
की स्थिति तो
यह है
और हम बात
करते हैं, तो
हमारे
आदिवासी
क्षेत्र में शिक्षा
की स्थिति तभी
सुधर सकती है, जब
आदिवासी
बच्चों के
लिये
छात्रावास,
आश्रम की
सुविधा हो. जब तक
आदिवासी
छात्रावास
एवं आश्रम
में
रहकर
पढ़ाई
करेंगे, तो ही
पढ़ पायेंगे,
क्योंकि
इनके जो
पेरेंट्स,पालक हैं, उनकी
ऐसी स्थिति
नहीं है कि वह
उनको
स्कूल में
भेज सकें और
कोई स्कूल भी,
क्योंकि दुर्गम
पहाड़ी
क्षेत्र है, स्कूल
भी ऐसे नहीं
हैं कि
एक किलोमीटर के
दायरे में आ
जाये.
स्कूल में जाने
के लिये 5-7
किलोमीटर
पहाड़ से नीचे
उतर कर
जाना पड़ता
है. तो स्कूल
पहुंच पाते हैं. ऐसे
दुर्गम
क्षेत्र हैं. बिजली अक्कलकुवा विधान
सभा
उधर
धड़गांव
तहसील
है, तो
उधर लाइट टिम
टिमाती है. तो इधर
के लोग देखते
हैं कि
वहां लाइट
है.
हमारे
क्षेत्र में आज भी
सरकार भले ही बड़े
बड़े दावे
करती हो,लेकिन आज भी
बिजली
नहीं पहुंची है
लोगों के घरों
में और
यदि
कोई योजना के
अंतर्गत हम लोग वहां ट्रांसफार्मर
लगाने
की कोशिश
करते हैं, तो जब 4-5
खम्भे
पटकते हैं, तो
खम्भों
के लिये गांव
वाले,
मजरे टोले
वाले आपस में
लड़ पड़ते
हैं. आज
भी वहां बिजली
का
नामो-निशान नहीं है.
लोगों के यहां
ट्रांसफार्मर नहीं
पहुंचे हैं. न कोई सब
स्टेशन
है उस
क्षेत्र में. और तो और
हमारा जो विधान
सभा का पाटी ब्लाक
है, वहां
सबसे बुरी
हालत है.
हमारे वहां
शिक्षा की दर पूरे
जिले की 50
प्रतिशत है.
तो क्या
स्थिति है
शिक्षा की, वह
समझ सकते हैं. इस
क्षेत्र में
हमारे यहां जब
तक
बच्चों को
शिक्षा देना
है, तो
यह आश्रम,
शालाएं और
छात्रावासों की
सुविधाएं
बढ़ानी पड़ेंगी. वहां
स्वास्थ्य
सुविधा की तो
बात ही नहीं
है. जब
इतना दुर्गम
पहाड़ी क्षेत्र
है, तो
सम्पर्क
साधन है ही
नहीं.
सम्पर्क
सड़कें हैं ही
नहीं.
सम्पर्क
सड़कें
नहीं होने से
क्या होता है
कि जब कोई
व्यक्ति
बीमार हो जाये
या महिला की
डिलीवरी का
टाइम
आये,
तो जब
वह सड़क पर
आने की कोशिश
करते हैं, तो
रास्ते
पर लोगों की
मृत्यु हो
जाते है. झोली
टांगकर,
बांध कर लेकर आना पड़ता
है पहाड़ी उतर
कर नीचे 5-5,10-10 किलोमीटर,
तब
जाकर
कहीं सम्पर्क
सड़क मिलती
है. तो
ऐसी स्थिति
में हम
कैसे उनको
स्वास्थ्य
सुविधा
उपलब्ध करवा
पायेंगे. यह
विचारणीय
प्रश्न है. मेरे
बड़वानी
विधान सभा में जो
नर्मदा का तट
वाला क्षेत्र
है, बड़वानी
से 5
किलोमीटर राजघाट
है,
वहां रोहिड़ी
तीर्थ
के नाम से तीर्थ
था लेकिन
सरदार सरोवर
परियोजना के
कारण बेक वॉटर
के कारण पूरा
डूब गया है और
वहां पर कई
परिक्रमावासी
और
धर्मप्रेमी
जनता जाती है
और वहां कौन
पर, वह घाट तो
डूब गया है
लेकिन सड़क के
किनारे जो
नर्मदा नदी का
बेक वाटर आया
है वहां पर जब
श्रृद्धालू
स्नान करने
जाते हैं तो
बड़वानी शहर
के गंदे नाले
का पानी जाता
है और लोग
वहां पर आचमन
करते हैं,
स्नान करते
हैं.यह
श्रृद्धालुओं
के साथ भी
आघात होता है.
सभापति
महोदय, वहां
पर जो घाट
डूबा है, जो
मंदिर डूबे
हैं, जो आश्रम
डूबे हुये हैं
उसका पैसा
कलेक्टर के
पास में पड़ा
है लेकिन अभी
तक वहां पर नया
घाट बनाने की
कोई
प्रक्रिया
शुरू नहीं हो
पाई है, तो
मंत्री जी वह
घाट बनाने का
भी काम करें. सभापति
महोदय, हमारे
क्षेत्र में
कुछ सड़के बनना
बहुत जरूरी है
जिनको बनाया
जाना चाहिये .
बड़गांव से
हमारे
बड़वानी में
एक कन्या
परिसर है,
अंग्रेजी
माध्यम का
स्कूल खुला है
जो बड़वानी
शहर से 4
किलोमीटर
बड़गांव में
खुला है लेकिन
वह जंगल में
है, आने जाने
के लिये कोई
सड़क नहीं है
जिसके कारण
वहां पर बच्चियां
रहती हैं वहां
पर स्कूल का
स्टाफ भी रहता
है वह कभी भी
बीमार हो जाये
तो ऐसी स्थिति
में उनको
बड़वानी
पहुंचने मे 4
घंटे का समय
लगता है, ऐसी
कुछ घटनायें
वहां पर हुई
भी हैं. वहां
पर सड़क का
निर्माण होना
चाहिये.
सभापति
महोदय, ऐसे ही
हमारे
क्षेत्र में
एक सड़क है
भंडारदा से
जड़ागांव यह
लगभग 4 किलोमीटर
की सड़क है
यदि यह सड़क
भंडारदा से सिजली
तक पहुंच
जायेगी तो
मुख्य सड़क से
जुड़ जायेगी.
उससे पहले
जूनाजिला से
लेकर के
भंडारदा तक 13
किलोमीटर तक
सड़क बनी हुई
है. लेकिन आगे
संपर्क सड़क
नहीं होने से
मुख्य मार्ग
से नहीं जुड़ने
के कारण लोगों
का आवागमन बंद
है तो यह सड़क
जोड़ी जाये.
एक गोठानिया
धमोड़ी से
उपला तक सड़क
जोडी जाये,
बालकुंवा से
भामी वहां तक
जोड़ी जाये.
एक
महत्वपूर्ण
सड़क है इसको
बनाया जाना
चाहिये.
माननीय
सभापति महोदय,
एक ग्राम
बेरदा से घटवारा
होते हुये
चिलारिया तक
सड़क बनाई
जाये, मोराड़ी
से इटलारी,
खामगा की 3
किलोमीटर की
सड़क बन
जायेगी तो जंगल
के लोग खेती
या मार्केट
करने जा सकते
हैं. 2-3
किलोमीटर की
सड़क बस नहीं
बनी है बाकी
दूसरी तरफ से
सड़क बनी हुई
है. ऐसे ही
पीपी से धरून
तक वन से
भरपून तक और
सिवनी से
भोरवानी और
भोरवानी से
रोशन सड़क और
साहब, बेडी
नदी पर
दिलवालिया के
पास में पुल
बहुत समय से
स्वीकृत है
लेकिन अभी तक
पुल का काम
नहीं हुआ है,
पुल जल्दी
बनाया जाये.
सभापति
महोदय, कुंवेत
में नाले के
पास में एक पुल
बन जायेगा तो
लोगों को
आवागमन की
सुविधा होगी.
बोखराड़ा तक
गाढ़ामार्ग
पर
चिचवानियां गांव
में एक छोटी
पुलिया टूटी
हुई है वह
पुलिया नहीं बनने
के कारण पूरा
संपर्क बंद हो
चुका है तो पुलिया
बनाई जाना
चाहिये. ऐसा
ही पार्टीमार्ग
जाते समय
बड़वानी शहर
के अंदर बीच
में रास्ता
जाता है बीच
में से सड़क
गुजरती है आये
दिन
पार्टीमार्ग
में बायपास
सड़क बन जाये, पार्टी
जाने के लिये
शहर का बायपास
बन जाये तो शहर
के लोगों को
जाम की
परेशानी से
मुक्ति मिल जायेगी.
सभापति
महोदय, हमारे
क्षेत्र मे
कोई उद्योग धंधे
नहीं हैं, तो
कम से कम
सरकार वहां पर
उद्योग धंधे
डाले,
फेक्ट्री
डाले तो कम से
कम वहां पर
पलायन की
समस्या
रूकेगी. इसी
प्रकार हमारे
यहां पर न कोई
इंजीनियरिंग कालेज
है, न कोई
मेडिकल कालेज
है, न कृषि
कालेज है तो
सरकार को इस
दिशा में भी
पहल करनी
चाहिये.
बड़वानी
मुख्यायल पर,
बहुत बहुत
धन्यवाद. आपने
बोलने का मौका
दिया बहुत
धन्यवाद.
श्री
महेन्द्र
नागेश(गोटेगांव)
-- माननीय सभापति
महोदय,
द्वितीय
अनुपूरक
अनुमान बजट के
समर्थन में
मैं अपनी बात
रख रहा हूं.
माननीय प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
जी,माननीय
वित्त मंत्री
जी को इस बजट
के लिये
धन्यवाद
प्रेषित करता
हूं और कहना
चाहता हूं कि
प्रधानमंत्री
आवास जब मैं, 2004
में जिला
पंचायत
अध्यक्ष, नरसिंहपुर
था तब मैंने
देखा है एक
ग्राम पंचायत
में दो दो - तीन
तीन आवास
इंदिरा आवास
के नाम से
मिलते थे.
लेकिन हम कह
सकते हैं कि
देश के यशस्वी
प्रधानमंत्री
आदरणीय
नरेन्द्र
मोदी जी की
सोच
जिन्होंने 100-200
और अधिकांश
ग्राम पंचायत में
बिना मांगे
प्रधान
मंत्री आवास
दिये.
उन्होंने
अपना नाम भी
नहीं लिखवाया,
उसके बाद 15
महीने में
प्रदेश में एक
ऐसी सरकार आई
जिसके कारण
प्रधानमंत्री
आवास में
रूकावट हुई.
लेकिन पुन: हमारी
सरकार आने पर
लगभग हर ग्राम
पंचायत की जो
प्रतीक्षा
सूची थी वह
पूरी हो गई है.
पुन: सर्वे
करवाकर और अभी
माननीय वित्त
मंत्री जी ने
बजट में
प्रावधान भी
रखा है उसके
लिये हम वित्त
मंत्री जी को
धन्यवाद
प्रेषित करते
हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि माननीय अटल बिहारी वाजपेई जी के समय जो प्रधानमंत्री सड़क की शुरूवात हुई थी आज उन सड़कों से हम हर गांव में आ और जा रहे हैं और अभी जो मजरे टोले , गांव छूटे थे जो लोगों ने मजरे टोले या अन्य जगहों पर लोग बस गये है उसमें भी हमारी सरकार ने प्रावधान किया है. सभापति महोदय, बहुत से विधायक कह रहे थे खेत सड़क योजना के बारे में. सभापति महोदय, एक कार्यक्रम में हमने माननीय पंचायत मंत्री जी को गोटेगांव में बुलाया था, उस कार्यक्रम में अनेक लोगों के सामने माननीय मंत्री जी ने बोला है कि शीघ्र ही हम मजरा टोला सड़क प्रारंभ करेंगे. माननीय सभापति महोदय, हम यह कह सकते हैं कि पंचायत भवन जहां पर नहीं थे, वहां पर बन रहे हैं, सामुदायिक भवन बन रहे हैं हर विधान सभा में लगभग हमारी सरकार का संकल्प है कि स्टेडियम बनेगा. हर जिले में मेडिकल कॉलेज की भी हमारी सरकार ने बात रखी है.
7.05 बजे {अध्यक्ष
महोदय (श्री
नरेन्द्र
सिंह तोमर)
पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, हम माननीय वित्त मंत्री जी से कहना चाहते हैं कि मुख्य बजट में नरसिंहपुर जिले को एक मेडिकल कॉलेज देने की कृपा करें जिससे वहां पर जो 100-200 किलोमीटर दूर हमारे लोग जाते हैं उनको स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके. एक बात और मैं कहना चाहता हूं कि मैं इन दो वर्षों में जब से विधायक बना हूं मैंने कुछ कमियां देखी हैं, जैसे अभी मेरी बात माननीय विधायक अभिलाष पाण्डे जी से हो रही थी तो उनसे मैंने पूछा कि आपकी विधान सभा में कितनी ग्राम पंचायतें हैं, तो उन्होंने कहा कि हमारी विधान सभा में कोई भी ग्राम पंचायत नहीं है. मैं कह सकता हूं कि मैं गोटेगांव विधान सभा से आता हूं जहां अनुसूचित जाति, जनजाति की संख्या अधिक है और हमारी लगभग डेढ़ सौ ग्राम पंचायतें, दो ब्लॉक और एक नगर पालिका है, लेकिन महानगरों में तो विधायक निधि के साथ-साथ वहां की निधि भी आती है, लेकिन हमारी ग्राम पंचायतों में सिर्फ ढाई करोड़ जो मिलता है वह पर्याप्त नहीं है. माननीय वित्त मंत्री जी से और माननीय मुख्यमंत्री जी से आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि आने वाले समय में हमारी विधान सभाओं में राशि बढ़ाई जाए, क्योंकि जब हम ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं तो जनता की बहुत मांग होती है जिसकी पूर्ति हम नहीं कर पाते हैं. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि माननीय पीडब्ल्यूडी मंत्री जी ने भी हमारी काफी रोडों की स्वीकृति दी है. एक रोड और बाइपास दिया है, लेकिन अभी उन्होंने बजट उतना नहीं दिया तो मुख्य बजट में पूरा बजट देने की कृपा करें. अनेक माननीय मंत्रीगण ने हमारे विधान सभा में विकास के लिए काफी पैसा दिया है उनका मैं धन्यवाद करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- बहुत धन्यवाद महेन्द्र जी, कृपया समाप्त करें.
श्री
महेन्द्र
नागेश -- अध्यक्ष
महोदय, इस
देश में
माननीय
प्रधान
मंत्री मोदी
जी जब से आए
हैं,
माननीय मुख्यमंत्री
जी और हमारी
भारतीय जनता
पार्टी की सरकार
आई है वह सर्व
वर्ग को लाभ
दे रही है. हम
इस बजट का
समर्थन करते
हैं और आपको
धन्यवाद
देते हैं.
भारत माता की
जय.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि चाय भर से काम नहीं चलेगा मैं चाय नहीं पीता. इतना बड़ा दण्ड क्यों दे रहे हैं. कुछ फूटा वगैरह तो बुलवा दें. आप तो अंदर से आ जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आपको जल्दी घर भेजेंगे. आप भी अंदर चले जाएं.
डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर) -- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय. वर्ष 2025-2026 द्वितीय अनुपूरक अनुमान बजट पर अपनी बात रखते हुए मैं इस बजट का विरोध करता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- हिरालाल जी, अपने क्षेत्र की बात करके पूरा करें. सभी लोग मुझे ज्यादा आग्रह कर रहे हैं.
डॉ. हिरालाल अलावा -- अध्यक्ष महोदय, चूंकि मेरा ग्रामीण इलाका है. आदिवासी बाहुल्य इलाका है और किसान बाहुल्य इलाका है. हमारे मनावर विधान सभा क्षेत्र का एक उमरबन ब्लॉक है वहां पर लम्बे समय से किसानों की मांग रही है कि उप मण्डी खोली जाए, क्योंकि उमरबन से मनावर तक आने के लिए 50-60 किलोमीटर किसान भाइयों को आना पड़ता है तो उनको भाड़ा भी अधिक लगता है और उनका समय भी बर्बाद होता है तो आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी से अनुरोध है कि आगामी बजट में उमरबन मण्डी का प्रावधान किया जाए. मेरी दूसरी मांग है कि हमारा जो मनावर शहर है वह चार स्टेट हाइवे को कनेक्ट करता है और प्रतिदिन एक से डेढ़ घण्टे का जाम वहां पर लगता है. आपके माध्यम से मेरी मांग है कि आगामी बजट में हमको बाइपास स्वीकृत किया जाए ताकि जो जाम लगता है उससे मनावर की जनता को निजात मिल सके. तीसरी मेरी एक प्रमुख मांग है कि हमारे विधान सभा के ज्यादातर स्कूल जर्जर हो गए हैं और छात्रावास भी जर्जर हो गए हैं तो मनावर विधान सभा क्षेत्र के हाई स्कूल और मिडिल स्कूल के नये भवन आगामी बजट में स्वीकृत किए जाएं.
अध्यक्ष महोदय, अभी पिछली एक तारीख को हमारे खलघाट में जो किसान आंदोलन हुआ था, उन किसान भाइयों की जायज मांग थी कि एमएसपी पर फसल खरीदी जाए, किसानों को 10 घण्टे बिजली दी जाए, यूरिया उपलब्ध कराया जाए, वह जायज मांग संवैधानिक रूप से कर रहे थे, एक महीने पहले उन्होंने सूचना दी थी, लेकिन फिर भी लगभग 700 किसानों के ऊपर एफआईआर कर दी गई है, तो मेरी मांग है कि सभी किसान भाइयों के ऊपर की गई एफआईआर निरस्त की जाए और उन किसानों के साथ न्याय किया जाए. हाल ही में मध्यप्रदेश सिविल जज परीक्षा, वर्ष 2022 आयोजित हुई थी. उसमें 191 पद थे और 191 पदों में से 121 पद बैकलॉग के ट्राइबल के लिए थे. एक भी एसटी वर्ग के परीक्षार्थी का चयन नहीं किया गया. आपके माध्यम से मैं मध्यप्रदेश सरकार को अवगत कराना चाहता हूं कि जो 121 बैकलॉग के पद हैं, जो एसटी वर्ग के सिविल जज के लिए हैं इनके लिए नियमों में शिथिलता की जाए और इसी वर्ग से इन पदों को भरा जाए यह मेरी मांग है. मेरे मनावर विधान सभा के कुछ रोड हैं और हमारे गावों से संबंधित निसरपुर ब्लॉक में ग्राम भैसलाई रोड लोहारी टाणा फाटा से सोल्यापुरा तक सड़क निर्माण स्वीकृत किया जाए. उमरबन ब्लाक में आमसी पंचायत में बयड़ीपुरा से सिंगाजी बाबा मेले लठामली तक सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत किया जाए. राजूखेड़ी काकड़ से राठीयामोरीपुरा खंडलोई तक सड़क निर्माण स्वीकृत किया जाए. बड़िया मुख्य मार्ग से भमलावद मुख्य मार्ग तक सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत किया जाए. सामजीपुरा में मान नदी से सोसायटी बैंक मिर्जापुर तक सड़क निर्माण स्वीकृत किया जाए. करोंदियाखुर्द मेन रोड से ग्राम पाठामोटी मेन रोड तक सड़क मार्ग स्वीकृत किया जाए. कुवाली पंचायत में हनुमान मंदिर से डॉ. विजय सिंह के खेत तक सड़क निर्माण स्वीकृत किया जाए. अमलाठा पंचायत में ग्राम सरसगांव से भोमलापुरा तक सड़क निर्माण स्वीकृत किया जाए. रणगांव पंचायत में बाबा आंबेडकर के पासे से टीकम डावर के घर तक सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत किया जाए. पिपल्यामोटा पंचायत में काकड़पुरा से स्कूलपुरा तक और रामकिशन की दुकान से मोरीपुरा बालक छात्रावास होते हुए मुख्य मार्ग और गाथापुरा से बामनियापुरा तक सड़क निर्माण स्वीकृत किया जाए. कुवाड़ पंचायत में भिकन्याखेड़ी मुख्यमार्ग से पटेलपुरा, खेड़ापुरा से होते हुए डोंगलियापुरा कुवाड़ तक सड़क मार्ग स्वीकृत किया जाए. डोंगरगांव पंचायत में ग्राम पिपलटोका से मेन रोड तक सड़क मार्ग स्वीकृत किया जाए. गुलाटी पंचायत में ग्राम बालीपुर से गुराड़िया रोड तथा ग्राम देदला तक सड़क निर्माण स्वीकृत किया जाए. खण्डलाई पंचायत में मेन रोड से बगिचापुरा तक सड़क मार्ग स्वीकृत किया जाए. चिकली पंचायत में चिकली भोल्यापुरा से पश्चित तालाबपुरा तक सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत किया जाए. सोंडूल पंचायत में मुख्य मार्ग अल्ट्राटेक टोकी से सोंडूल सातपुरा तक सड़ निर्माण स्वीकृत किया जाए. पचखेड़ा पंचायत में बोरली मुख्य मार्ग से बोंदड़ियापुरा तक सड़क मार्ग स्वीकृत किया जाए. टेमरनी पंचायत में टेमरनी मुख्य मार्ग से रावतपुरा होते हुए मोराड़ तक सड़क निर्माण स्वीकृत किया जाए. पेटलावद पंचायत में पेटलावद खेड़ापुर से साला काकड़ तक सड़क निर्माण स्वीकृत किया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी खेत सड़क योजना और सुदूर सड़क योजना हमारे जिले में शेष हैं इनका काम भी जल्द से जल्द शुरु किया जाए ताकि हमारे किसान भाइयों को खाद और कृषि सामग्री ले जाने में सुविधा हो सके. अलीराजपुर में दाबड़ी पंचायत से कई आदिवासी गांवों को हटाया जा रहा है और नर्मदा नदी के 5 किलोमीटर किनारे तक आदिवासियों को अवैध अतिक्रमणकारी बोलकर हटाने का काम किया जा रहा है. सरकार के माध्यम से उनको आश्वस्त किया जाए कि हम आपको नहीं हटाएंगे. आखिरी मांग है जन सेवा मित्र और पेसा मोबाइल वालों को पिछले 10 माह से वेतन नहीं मिला है वे लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं उनकी मांगों को सुना जाए.
अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पीछे बंधे हैं हाथ और अंधा है सफर किससे कहें कि पांव का कांटा निकाल दो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक आप ही हैं जिससे अपनी पीड़ा और वेदना हम कह सकते हैं और आप सुनते हैं. आपका संरक्षण मिलता है तो थोड़े बहुत हम लोगों के काम हो जाते हैं. द्वितीय अनुपूरक बजट में हमें बहुत उम्मीद थी किसानों के लिए कुछ किया जाएगा. चाहे वे बिजली के ट्रांसफार्मर हों, चाहे नहरों में सीमेंटीकरण की योजना हो इसके लिए माननीय वित्त मंत्री महोदय कुछ तो प्रावधान रखेंगे क्योंकि बोवनी का समय चल रहा है. पानी और बिजली की किसान को अति आवश्यकता है. दोनों चीजों का इसमें कहीं जिक्र नहीं है. इसलिए आपके संज्ञान में लाना बहुत जरुरी हो गया है. ट्रांसफार्मरों की यह हालत है कि यह 7-7, 8-8 दिन तक नहीं सुधरते हैं. सुधारकर वही पुराना ट्रांसफार्मर लगा दिया जाता है. पर्याप्त वोल्टेज नहीं मिल रहा है. क्षमता से ज्यादा ट्रांसफार्मर पर लोड रहता है, वह कैसे चल पाएगा. इससे किसानों की मोटरें जल रही हैं अतिरिक्त भार किसानों पर पड़ रहा है. मेरा निवेदन है कि ट्रांसफार्मर दो दिन के अंदर लगा दिए जाएं. आप उपभोक्ताओं से टीसी कनेक्शन का पैसा ले रहे हैं तो कम से कम सरकार की जो 10 घंटे बिजली देने की घोषणा है उतनी बिजली तो किसानों को मिले. मुश्किल से 2 घंटे बिजली मिल रही है. ट्रिप हो जाती है और उसी समय पर फिर अधिकारी रखरखाव करने के लिए आते हैं उसके नाम से कटौती करते हैं तो यह विसंगतियां नहीं होनी चाहिए, ताकि किसान को इन सब चीजों से दिक्कत न हो. अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि हमेशा धान खरीदी केन्द्र और गेहूं खरीदी केन्द्र बनते हैं. हमेशा सरकार खरीदती है परंतु जब खरीदी केन्द्र चालू होते हैं तो सरकारी कर्मचारियों को न जाने क्या हो जाता है कि चार दिन, आठ दिन वेयर हाऊस में खरीदी होगी, इस प्रांगण में नहीं होगी. वहां पर होगी, यह केन्द्र नहीं होगा वहां पर केन्द्र होगा. किसान चिंतित रहता है, किसान दु:खी रहता है, क्योंकि इस समय मक्का की फसल का चल रहा है. आप जानते हैं कि 1200 रुपए में मक्का बिक रही है. 1200 रुपए से 1500 रुपए के बीच में मक्का के मोल हो रहे हैं उनको मक्का का उचित एम.एस.पी. रेट नहीं मिल रहा है. किसान वैसे ही दु:खी और पीडि़त है. यह जो धान उपार्जन केन्द्र और खरीदी केन्द्र हैं यह कहीं किसानों से 15 किलोमीटर, कहीं 20 किलोमीटर, कहीं 25 किलोमीटर दूर है. इतनी दूरी में किसान कैसे लेकर जाएगा. जो पुराने केन्द्र बने हैं वह भौगोलिक दृष्टि को देखते हुए किसानों की सुविधा को देखते हुए बने हुए हैं. मेरा आग्रह है कि जो पुराने केन्द्र बने हुए थे वही पर केन्द्र स्थापित रहने चाहिए. आज असत्य श्रेय लेने के लिए जो हमारे विरोधी हैं वह बरगलाने का काम करते हैं और फिर चार दिन बाद जब किसान आंदोलन करता है जब किसान दु:खी होकर कलेक्टर और अधिकारियों के पास जाते हैं तब फिर से उस केन्द्र को वहीं स्थापित कर दिया जाता है तो यह असत्य श्रेय लेने की राजनीति खत्म होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, मैं सिंचाई विभाग की बात करूं कि मेरे यहां नेहरों का जाल बिछा हुआ है. 40 साल पुरानी नहरे हैं. सरकारी अमला पूरा नहीं है, अधिकारियों की कमी है, बांध में पर्याप्त पानी है परंतु मॉनीटरिंग करने वाले अधिकारी नहीं है. इस समय पर किसानों को खेतों में पलेवा की जरूरत है और बराबर पिछली साल भी पानी नहीं मिला. मैं आपसे आग्रह कर रहा हूं कि अगर इसमें सुधार नहीं किया गया तो इस साल भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. मैं यह आपके संज्ञान में लाया हूं. मैंने यह मंत्री जी के भी संज्ञान में लाया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने पूरा डी.पी.आर. बनाया है. केन्द्र सरकार में योजना लंबित है. 228 करोड़ रुपए की योजना संजय सरोवर की है और इसमें बालाघाट भी शामिल है. 20 प्रतिशत उनका एग्रीमेंट है. कुछ 332 करोड़ रुपए की योजना दो-दो बार टेंडर लग चुके हैं. टेंडर लगते हैं और फिर उनकी तारीख आगे बढ़ जाती हैं. शासन ने स्वीकृत किया होगा तब तो टेंडर लग रहा है नहीं तो कैसे सरकार निविदा बुलाती.पर आज तक उसका टेंडर नहीं हुआ है. मेरा आपसे अनुरोध है कि इसका जल्द से जल्द हल करवाकर सीमेंट कांक्रीटिकरण कर दें. अब मेरी दो चार महत्वपूर्ण रोड हैं. भीमगड़ से चरगंवा, चरगवां से जटलापुर नौनिया तक की रोड है. यह पक्की बन जाए. सिवनी से मण्डला रोड जर्जर हालत में है. इसमें फिर से एक कोट हो जाए. केवलारी से सींधा की सड़क में एक कोट हो जाए और खापा से भीमगढ़ कलोनी जहां यह संजय सरोवर बांध है चूंकि भीमगढ़ में नदी में पुल बह गया था उसमें पुल निर्माणाधीन है. वहां से आवागमन बंद है उसकी एक एप्रोच रोड बन जाए ताकि बच्चों को छपारा स्कूल आने में तकलीफ न हो, व्यापार, व्यवसाय करने में तकलीफ न हो. वह स्वास्थ्य की सुविधाएं ले सकें, इसलिए खापा से भीमगढ़ कलोनी का रोड बांध के नीचे का बन जाए तो सुगम रास्ता हो जाएगा और पांडिया छपारा से ड्यूटी जो साढ़े बारह करोड़ रुपए का जो इस्टीमेट जिले से, प्रदेश में आया है इसकी प्रशासनिक तकनीकी स्वीकृति हो जाए तो यह यहां पर पांडिया छपारा से ड्यूटी सड़क और यहां पर धनी नदी पर पुल बन जाएगा तो लोगों को यहां सुविधा मिल जाएगी और अलोनी खापा से गंगाटोला के बीच में बैनगंगा नदी पर एक पुल बन जाए तो कृपा होगी. आपने मुझे बोलने का समय दिया. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पट्टा (अनुपस्थित)
श्री सुरेश राजे (डबरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अनुपूरक बजट पर बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है. मैं सीधी बात पर आऊंगा. आप डांटो इससे पहले ही मैं शुरू हो जाता हूं.
अध्यक्ष
महोदय-
बिलकुल सीधी
बात पर आ जायें.
श्री
सुरेश राजे- सबसे
महत्वपूर्ण
विषय है कि विगत
5 वर्षों में, 2 वर्ष
ये एवं 3 वर्ष
इसके पूर्व के,
वित्त
मंत्री जी
यहां हैं, ग्वालियर
के अंतर्गत
आने वाली डबरा
विधान सभा को
एक भी सड़क
नहीं दी गई है,
पता नहीं इन्हें
हमसे क्या
नाराज़गी है,
मेरा अनुरोध
है कि कम से कम
इस पर विचार
किया जाये.
अध्यक्ष
महोदय, जितना
डबरा मेरे दिल
के करीब है
आपके दिल के करीब
भी उतना ही है.
आप डबरा को
भली-भांति
समझते हैं. वहां की
वर्तमान में
सबसे बड़ी
समस्या कृषि
उपज मंडी है, वहां
लगने वाला
सड़क का जाम
है. यह
जाम की समस्या
से निजात मिल
सकती है, बस सरकार
थोड़ा ध्यान
दे. एक बहुत
बड़ी जगह वहां
है,
जिससे वहां से
हमारी मंडी भी
नहीं हटेगी और
समस्या का
समाधान भी हो
जायेगा. वर्तमान
में वहां जो
महाविद्यालय
है, वह
भी शहर से
बहुत दूर है
और मंडी लगने
के कारण जाम
लगने के कारण
न तो हमारी
बेटियां और न
ही बच्चे
वहां
विद्यालय तक
पहुंच पाते
हैं. मेरा
अनुरोध है कि
उस
महाविद्यालय
का परिसर पूरा
का पूरा कृषि
उपज मंडी को
दिया जाये और
जो महाविद्यालय
है, वह
डबरा में जो
हमारी पुरानी
गल्ला मंडी
थी,
उसमें
महाविद्यालय
और विद्यालय
दोनों संचालित
हो जायेंगे और
ये शहर के
बीचों-बीच भी
हो जायेंगे, मेरी समझ
से इस समस्या
का हमेशा के
लिए निदान हो
जायेगा और
आपकी कृपा
होगी. सरकार से
आग्रह है कि
यदि वहां एक
बायपास सड़क
बन जायेगी तो
जीवन भर के
लिए डबरा कृषि
उपज मंडी की
समस्या का
समाधान हो
जायेगा.
अध्यक्ष
महोदय, जहां तक
किसान की बात
है,
पहले किसान को
आसानी से
बिजली के
कनेक्शन मिल
जाते थे, वर्तमान
में जब से यह
प्राइवेट
सेक्टर को
गया है तो
बिजली के
कनेक्शन में
उसके लगभग
डेढ़ से ढाई
लाख रुपये का
खर्च आता है.
मेरा आग्रह है
कि कैसे भी कम
से कम किसान
को सीधे-सीधे
बिजली कनेक्शन
मिल जाये, सरकार
इसकी चिंता
करे. शहरी
क्षेत्रों
में भी कनेक्शन
की प्रक्रिया
इतनी जटिल कर
दी गई कि लोग
लाईन में लगे
हैं कि उन्हें
कनेक्शन मिल
जाये लेकिन
उन्हें नहीं
मिल पाता है
और फिर बिजली
की चोरी होती
और प्रकरण
बनते हैं.
अध्यक्ष
महोदय, आपके समय
में जब आप
सांसद थे, मंत्री
थे, तब
डबरा में जो
सड़कें बन गईं, वही
सड़कें आज भी
हैं, उसके बाद
एक भी सड़क
नहीं बनी है, मेरा
आग्रह है कि
ये छोटे-छोटे
काम हैं.
ग्राम पंचायत
भैंसनारी से
अजीतपुरा तक
एक लगभग 2-2.5 किलोमीटर
का टुकड़ा है, जिसमें
डामरीकरण
होना है, यह लंबे
समय से
प्रतीक्षारत्
है.
दूसरा ग्राम
पंचायत
सोहगढ़ के
अंतर्गत आने
वाला खोडन और
सिद्धपुरा का
रपटा का पुल
है, यह
बहुत बड़ा
नहीं है, केवल 1-1.5
करोड़ रुपये
में बन जायेगा, यह
अतिआवश्यक
है क्योंकि
सर्दी के मौसम
में जो हम्माल-पल्लेदार
हैं, वे
मजदूरी करने
आते हैं और
रात में गले
तक के पानी में
निकलकर जाते
हैं, इसकी
सरकार चिंता
करे.
अध्यक्ष
महोदय, इसी
प्रकार ग्राम
पंचायत सिरसा
सेकरा पर रपटा
निर्माण होना
है, यह
क्षेत्र दो
भागों में बंट
जाता है, उस तरफ
भितरवार
विधान सभा का
क्षेत्र है, इधर डबरा
का क्षेत्र
है. इस कारण यह
कभी बन नहीं
पाता है, इसके लिए
कृपा करें.
अध्यक्ष
महोदय, एक बहुत
बड़ा
संवेदनशील
मामला है, ग्राम
पंचायत
खेड़ीरायमल, जिसके
विषय में
अखबारों में
भी मामला आया
था कि कंधों
पर रखकर दूसरी
तरफ श्मशान
घाट जाते हैं
इसलिए इसका
निर्माण आवश्यक
है.
अध्यक्ष महोदय, अवैध उत्खनन का विषय पूरे प्रदेश का है, केवल मेरे क्षेत्र का नहीं है. मेरे क्षेत्र में कुछ ज्यादा ही है लेकिन आग्रह है कि अवैध उत्खनन करने वाले लोग, ठेका लेने वाले जो लोग हैं, वहां सरकार की एजेंसी सड़क निर्माण करती है लेकिन 1-2 माह में ही वे उसे बेकार कर देते हैं तो जिन्हें ठेका दिया जाये, उनकी जिम्मेदारी तय की जाये कि यह सड़क सरकार ने बनाई थी, अगर यह सड़क खराब होगी तो यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे उस सड़क को ठीक करके दें.
नैनो खाद
का मामला
बार-बार आता
है,
मैंने पिछली
बार जब विधान
सभा प्रश्न
लगाया था, तो
वह डबरा में
बन्द हो गया
था, वह
पुन: किसी न
किसी रूप में, पुन:
किसान पर नैनो
खाद को थोपने
की तैयारी चल रही
है. मेरा आपके
माध्यम से
अनुरोध है कि नैनो
खाद को या तो
मुफ्त में
दिया जाये,
इतना अच्छा
है तो इसका
प्रयोग किया
जाये, इसे
पहले मुफ्त
में देना शुरू
करें, अच्छा
लगेगा तो
किसान अपने आप
मांगने लगेगा.
मैं आखिरी बात
कहकर अपनी
वाणी को विराम
दूँगा. डबरा
नगरपालिका के
अंतर्गत
नगरपालिका
में युद्ध
छिड़ा हुआ है और एक
नेता सब
इंजीनियर
मांगता है, लेकिन
दूसरा नेता
रुकवा देता
है.
अध्यक्ष
महोदय, मेरा
करबद्ध
निवेदन है कि
जब वहां सब इंजीनियर
नहीं होगा, तो
वहां विकास के
सारे कार्य
अवरुद्ध हो
जाते हैं.
वैसे मैं दलगत
भावना से ऊपर
उठकर अपनी बात
को रख रहा हूँ.
भारतीय जनता
पार्टी की
नगरपालिका है
और दो गुटों
में युद्ध
छिड़ा हुआ है, इस कारण वहां
नुकसान हो रहा
है. मेरा आपसे
अनुरोध है कि
आप इस ओर ध्यान
दें और सिविल
अस्पताल
डबरा का जो
मामला है, वह
लगातार वर्ष 2020
से चल रहा है, वह
कछुआ की चाल
चल रहा है. अध्यक्ष
महोदय, आपने
मुझे बोलने का
मौका दिया,
उसके लिए आपको
बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष
महोदय - श्री
विजय रेवनाथ
चौरे जी.
श्री
विजय रेवनाथ चौरे
(सौंसर) - धन्यवाद,
माननीय अध्यक्ष
महोदय. मैंने
लगभग 20 सड़कों
और 5 पुल-पुलियों
के प्रस्ताव
सरकार को दिये
थे, पर मुझे
दुख के साथ
कहना पड़ रहा
है कि केवल एक सड़क
बजाज चौक से
लेकर राचना तक
लगभग 19 किलोमीटर
की है, वह 6.50 करोड़
रुपये की स्वीकृत
हुई है, मैं उसके
लिए वित्त
मंत्री जी को
धन्यवाद
देता हूँ.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय जी,
बहुत सारी
सड़कें है,
जहां उनकी
बहुत जरूरत
है. वहां गरीब
आदिवासी परिवार
रहते हैं,
यहां
पुल-पुलिया
हैं, तो मुझे
अध्यक्ष जी
आपसे एवं वित्त
मंत्री जी से
अपेक्षा है कि
आने वाले समय
में इनको भी
शामिल किया
जायेगा. मैं
बजट के ऊपर
थोड़ा बात
करना चाहूँगा.
मैं आपके 5
मिनट लूँगा.
अध्यक्ष
महोदय - विजय
जी, 5 मिनट नहीं,
केवल 4 मिनट
मिलेंगे. आपका
एक मिनट हो
गया है.
श्री
विजय रेवनाथ
चौरे - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, संबल
जैसी महत्वकांक्षी
योजना, जिसकी
डेढ़-दो वर्ष
से उनके खातों
में राशि नहीं
डाली गई है.
मेरे विधान
सभा क्षेत्र
में लगभग 300 ऐसे
परिवार हैं,
जिनको 6 महीने, 8 महीने,
डेढ़ वर्ष से
राशि नहीं
डाली गई है. एक
परिवार का
मुखिया चला
जाता है, तो उसकी
पीड़ा वही जान
सकता है. दूसरा, भाजपा
के घोषणा-पत्र
में दिव्यांगजनों
को 1,500 रुपये
देने का वायदा
किया था, सरकार
के दो वर्ष
पूर्ण हो गए
हैं, वह
जिन्दगी से
जूझते हैं, वह
बेचारे बहुत
संघर्ष कर रहे
हैं,
कोई हाथ-पैर
से दिव्यांग
है,
कोई मूक-बधिर
है,
कोई दृष्टि
बाधित है, तो
अलग-अलग तरीके
से सरकार ऐसे
लोगों पर दया
नहीं कर रही
है, यह
बड़ी चिन्ता
का विषय है. ननीय
अध्यक्ष
महोदय, कई
राज्यों में 3-3 हजार
रुपये दिये जा
रहे हैं, महाराष्ट्र
में अभी सरकार
ने 2,500 रुपये
दिव्यांगों
की पेंशन
बढ़ाई है, हरियाणा
राज्य में
उससे ज्यादा
दिये जा रहे
हैं, तो
वित्त
मंत्री जी इस
पर गंभीरता से
विचार करें.
मेरा एक
अनुरोध और है
कि जो सामाजिक
सुरक्षा पेंशन
600 रुपये मिलती
है,
पहले तो वह
वर्ष 2018 तक 300 रुपये
मिला करती थी. जब
कमलनाथ जी की
सरकार बनी, तो
उन्होंने 600
रुपये कर दी,
उसके बाद एक
रुपये भी इस
सरकार ने नहीं
बढ़ाया है.
माननीय 600
रुपये पेंशन
में क्या
होता है ? यह आप
भी जानते हैं
और विशेष रूप
से सामाजिक सुरक्षा
पेंशन में, जो
वृद्ध हमारी
माताएं-बहनें
हैं, जब
हम क्षेत्र
में दौरे पर
जाते हैं, तो
वह पूछती हैं
कि लाड़ली
बहनों को तो
आप 1,500 रुपये
प्रतिमाह दे
रहे हैं. जिनकी
उम्र 60 वर्ष की है,
जिनको वास्तव
में जरूरत है,
बूढ़ी हैं,
उन्हें
हाथ-पैर में
दर्द रहता है,
कमर में दर्द
रहता है, अस्पताल
का भी खर्चा
है तो ऐसी
माताओं के ऊपर
भी वित्त
मंत्री जी आप
विचार करें कि
इनको भी 1,500 रुपये
दिये जायें.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, जो
हमारी बहनें
कम उम्र में
विधवा हो जाती
हैं, उनका एक्सीडेंट
हो जाता है, हार्ट
अटैक हो जाता
है,
पति खत्म हो
जाता है, बच्चे
अनाथ हो जाते
हैं, उनके
छोटे-छोटे बच्चे
रहते हैं, तो
उनको 600 रुपये
पेंशन मिलती
है. आप मुझे
बताइये कि जो 25
वर्ष की उम्र में
विधवा हो गई,
उसके दो
छोटे-छोटे बच्चे
हैं, वह
कैसा जीवन व्यतीत
करेगी ? यह
बड़ा गंभीर
विषय है और
कोविड के बाद
तो हार्ट अटैक
का इतना
प्रमाण बढ़
गया है. आप
पुराना सर्वे
उठा लीजिये कि
30-35 वर्ष, 40 वर्ष
के युवा
धड़ाधड़
हार्ट अटैक से
खत्म हो रहे
हैं. यह सोचने
लायक बात है और बहुत
गंभीर विषय
है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और आपसे अनुरोध है कि जैसे हम अस्पताल की बात करते हैं. मेडिकल कॉलेज की बात हो रही थी कि वर्ष 2003 में कांग्रेस की सरकार थी, तब 6 मेडिकल कॉलेज होते थे, अब मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि 25 मेडिकल कॉलेज खोल दिये हैं. आपको परासिया की घटना याद है, 25 बच्चे कफ सिरप से मृत हो गये और जिनको इलाज के लिए नागपुर ले जाना पड़ा, उनके 8-8 लाख एवं 10 लाख रुपये खर्च हुए हैं. मेडिकल कॉलेज छिन्दवाड़ा में खुले हुए 6 वर्ष हो गए हैं पर उस मेडिकल कॉलेज में ईलाज तक नहीं हुआ माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बड़ी दुर्दशा है. मेडिकल कॉलेजेस की गिनती तो बहुत करा देते हैं, पर वहां पर डॉक्टर नहीं हैं, पैरा-मेडिकल स्टॉफ नहीं है. डिलिवरी के समय दवाखाने के बाहर मौत हो रही है. एक्सीडेंट होने पर वहां पर प्लॉस्टर तक नहीं लगता. अध्यक्ष महोदय, मेरे सौंसर में जो 100 बिस्तरीय अस्पताल बना है, वहां पर अस्पताल में प्लॉस्टर तक नहीं होता. सीधा नागपुर के लिए रेफर कर दिया जाता है. वहां पर डिलिवरी नहीं होती, जबकि वह 100 बिस्तरीय अस्पताल है. वहां पर केवल 5 डॉक्टर हैं, जबकि 32 लोगों का स्टॉफ है.
अध्यक्ष महोदय -- विजय जी, पूरा करें.
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूँगा.
अध्यक्ष महोदय -- मैं सरंक्षण देने के लिए तैयार हूँ, लेकिन समय मेरे हाथ में नहीं है.
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- अध्यक्ष महोदय, मुझे अगर कहा जाए कि भारत के सर्वश्रेष्ठ स्पीकर का पुरस्कार किसे दिया जाए तो मैं आप ही का नाम लूंगा माननीय अध्यक्ष महोदय. (हंसी). अध्यक्ष महोदय, आप बड़े दयालु हैं. बहुत अच्छा आपका कार्यकाल है. हम आपसे संतुष्ट भी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक और चीज कहना चाहता हूँ. पांढुर्णा जिला नया जिला बना है. इसमें भूमि आवंटन को लेकर विवाद है. कुछ भू-माफियाओं द्वारा शहर से तीन किलोमीटर दूर इस कलेक्टर कार्यालय को ले जाया जा रहा है. मेरा आपसे अनुरोध है, वित्त मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी से भी मैं अनुरोध करूंगा कि पांढुर्णा जिले के सौ प्रतिशत लोग नहीं चाहते कि कलेक्टर कार्यालय कहीं दूर बने. जहां अभी वर्तमान में कलेक्टर कार्यालय संचालित है, मैं चाहता हूँ कि वहां पर 5 एकड़ भूमि ऑलरेडी है, फिर वहां पर क्यों नहीं बनाया जा रहा है. कुछ भू-माफियाओं के कहने पर, उनके दबाव के कारण कलेक्टर कार्यालय तीन किलोमीटर दूर ले जाया जा रहा है, जिससे निश्चित रूप से वहां का व्यापार ठप्प हो जाएगा. वहां का जितना संचार है, जितना आवागमन है, जितने कोर्ट-कचहरी हैं, सब पूरे वकीलों से लेकर आम लोगों को इतनी परेशानी होगी कि जिसकी कोई हद नहीं. मैं अंत में आप लोगों से बस यही अनुरोध करता हूँ कि कलेक्टर कार्यालय को जहां अभी चल रहा है, वहीं रखा जाए. 4 एकड़ की भूमि है, वहीं उसको बनाया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- विजय जी, बहुत धन्यवाद.
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- जी माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- अभी प्रतिपक्ष में लगभग 7 लोग और ऐसे ही 6-7 लोग पक्ष में बोलने के लिए बचे हैं. चर्चा कल जारी रहेगी.
अब, सदन की कार्यवाही कल शुक्रवार, दिनांक 5 दिसम्बर, 2025 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है.
अपराह्न 07.32 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 5 दिसम्बर, 2025
(14 अग्रहायण, शक संवत 1947) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल
: अरविन्द
शर्मा
दिनांक : 4 दिसम्बर, 2025 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा.