मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा पंचदश
नवम्बर-दिसम्बर, 2017 सत्र
सोमवार, दिनांक 4 दिसम्बर, 2017
(13 अग्रहायण, शक संवत् 1939 )
[खण्ड- 15 ] [अंक- 6 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 4 दिसम्बर, 2017
(13 अग्रहायण, शक संवत् 1939 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
दमुआ से बेलनीढाना के बीच सड़क निर्माण
[लोक निर्माण]
1. ( *क्र. 1997 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक निर्माण विभाग अंतर्गत छिन्दवाड़ा जिले के विधान सभा क्षेत्र जुन्नारदेव के दमुआ से बेलनीढाना के बीच 07 कि.मी. तक सड़क का निर्माण 2014-15 में (एम.पी.आर.डी.सी.) के तहत किस कंपनी द्वारा किया गया था? (ख) क्या कार्य अधूरा छोड़ दिया गया? यदि हाँ, तो कब तक पूरा कर दिया जायेगा? यदि पूरा कर लिया गया है तो वर्तमान में पूरी सड़क पर गड्ढे एवं जर्जर हालत में क्यों है? इसके लिये कौन दोषी है? उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के प्रकाश में क्या शर्तों के अनुसार तत्काल मरम्मत कार्य कराया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह) : (क) मेसर्स डी.बी.एल. बैतूल-सारणी प्रा.लि. द्वारा निर्मित बैतूल-सारणी-परासिया मार्ग (लंबाई 124.10 कि.मी.) का कार्य (सतपुड़ा पेंच टाईगर रिजर्व कोरिडोर का भाग लंबाई 4.78 कि.मी. का कार्य छोड़कर) किया गया। (ख) जी हाँ, वन विभाग से अनुमति प्राप्त होने के उपरांत कार्य शीघ्र पूर्ण कराया जावेगा। मरम्मत हेतु वन मण्डल अधिकारी पश्चिम छिंदवाड़ा की अनुमति की शर्तों के अनुसार कार्य किया जा रहा है, सड़क निर्माण न किये जाने के लिये कोई दोषी नहीं है, अत: शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। वन विभाग से प्राप्त अनुमति अनुसार मरम्मत की जा रही है, शीघ्र ही मरम्मत पूर्ण की जावेगी। चूंकि संधारण एक सतत् प्रक्रिया है अत: समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री नथनशाह कवरेती -- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्नांश (ख) के उत्तर में यह आया है कि सड़क निर्माण में कोई दोषी नहीं है. मेरा यह तीसरी बार प्रश्न है और हमेशा यही उत्तर मिलता है. क्षेत्र में अनेक घटनायें हो गईं. कई लोग खत्म भी हो गये हैं और कई ट्रक पलट गये हैं, जिससे बहुत बार नुकसान होता है. दो बार तो आंदोलन भी हुए हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि इस रोड की स्वीकृति भी मिल गई है और यह रोड नहीं बन पा रही है. अगर यह रोड इस बार नहीं बनी, तो पूरा आवागमन बंद हो जायेगा और वहां से कोयले का ट्रांसपोर्टेशन भी चलता है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि इस रोड को जल्दी से जल्दी बनवाया जाये.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह लगभग 119 किलोमीटर बहुत अच्छी सड़क बनाई गई है और इसमें जो करीब 7-8 किलोमीटर वन क्षेत्र का काम रुका है, उसकी सैद्धांतिक सहमति हमको मिल गई है और जल्दी ही इस कार्य को विधायक जी की भावना अनुसार करवायेंगे.
श्री नथनशाह कवरेती -- अध्यक्ष महोदय मेरा निवेदन है कि मैंने यह प्रश्न तीन बार लगाया है और हर बार कहा जाता है कि यह सड़क बन जायेगी. दो बार वहां पर आंदोलन भी हो गये हैं और फिर ऊपर से फोन आता है कि इस आंदोलन को रोकिये. मेरा निवेदन है कि इस रोड को बनाइयेगा, दुर्घटनाएं हो रही हैं वहां पर बार बार जवाब देना मुश्किल होता है, कई लोग वहां पर मर गये हैं. आप समय बता दें कि यह सड़क कब तक बन जायेगी
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय भारत सरकार पर्यावरण वन मंत्रालय जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली के द्वारा 10- 10-2017 को हमें सैद्धांतिक अनुमति मिल गई है. यह छोटा सा काम रह गया है जल्दी हम इसको पूरा करेंगे.
श्री नथनशाह कवरेती -- आप हमें समय सीमा बता दें.
श्री रामपाल सिंह -- 6 माह तक हम इस सड़क को बना देंगे.
श्री नथनशाह कवरेती -- धन्यवाद्.
पेंच परियोजना से सिंचाई सुविधा से वंचित ग्राम
[जल संसाधन]
2. ( *क्र. 2404 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र सिवनी में नवनिर्मित माचागौरा बांध (पेंच परियोजना) से निकलने वाली नहरों से लालमाटी (गोपालगंज) क्षेत्र के कई गांव सिंचाई सुविधा से वंचित रह गये हैं? यदि हाँ, तो इसके प्रस्तावित एवं लाभान्वित तथा शेष रह गये गांवों की सूची लालमाटी क्षेत्र सहित दी जावे। साथ ही बतावें की शेष रह गये गांव में नहरों के निर्माण कार्य को अंतिम रूप कब दिया जा सकेगा? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें कि उन गांवों में नहर का निर्माण क्यों नहीं किया जा सकेगा? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में प्रश्नगत गांव में सिंचाई सुविधा हेतु नहर विस्तार के लिये कोई सर्वेक्षण किया गया है? यदि नहीं, तो इन गांवों का सर्वेक्षण कब तक पूर्ण कर निर्माण कार्य शुरू किया जा सकेगा। (ग) क्या प्रश्नांश (क) परियोजना का निर्माण कार्य पूर्व में प्रस्तावित प्राक्कलन के आधार पर न किया जाकर राजनैतिक दबाव के चलते संशोधित कर निर्माण कार्य कराया गया?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ। सिवनी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत लालमाटी क्षेत्र सहित सिंचाई से लाभांवित ग्रामों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' तथा वंचित ग्रामों की सूची लालमाटी क्षेत्र सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। वंचित ग्राम निर्माणाधीन सिवनी शाखा नहर से लगभग 8 से 10 कि.मी. दूरी पर कमांड क्षेत्र से बाहर होने तथा वंचित ग्रामों का भू-सतह, नहर तल से लगभग 15 से 20 मी. ऊँचा होने के कारण तकनीकी दृष्टि से नहर द्वारा सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना संभव नहीं है। (ख) जी हाँ। उत्तरांश (क) अनुसार। (ग) जी नहीं। परियोजना का निर्माण कार्य पूर्व में प्रस्तावित प्राक्कलन एवं तकनीकी स्वीकृति के आधार पर किया जाना प्रतिवेदित है।
श्री दिनेश राय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मेरा यह प्रश्न पांचवी बार लगा है. मैं आपसे आग्रह करूंगा कि मुझे आपका संरक्षण मिले. आप हमारे बहुत शानदार अध्यक्ष हैं, हमेशा सहयोग करते आये हैं तो आज उम्मीद करता हूं कि आज आपका मुझे संरक्षण मिलेगा. 21 जुलाई, 2015, 8-12-2015, 5-12-2016, 23-2-2017, 23-3-2017, 25-2-2017, 25-2-2016 और 25 जुलाई, 2017, 8-12-2016 को चर्चा में रखा था लगतार हमारा पत्राचार हुआ है. सदन में पुन: हमें जो आज के प्रश्न में जवाब दिया गया है कि लालमाटी क्षेत्र की जो लिस्ट दी गई है, 2003 के सर्वे के आधार पर पुन: 36 गांव के नाम काट दिये गये हैं. पिछली साल जब यह प्रश्न आया था तब माननीय मंत्री जी ने आश्वासन दिया था कि हम इसका पुन: सर्वे करा लेंगे किंतु आज दिनांक तक सर्वे नहीं हुआ है. उसका जो पानी है अभी एक माह पहले हमारे कृषि मंत्री जी पूरा पानी लेकर बालाघाट चले गये, हमारे 36 गांव में पानी नहीं मिल रहा है, लगातार उत्तर गलत आ रहा है, एक बात और मैं कहना चाहता हूं कि इसमें अगर राजनीतिक दवाब नहीं है तो पानी बाहर क्यों जा रहा है. दूसरा मेरा प्रश्न है कि मेंटेना कंपनी 86 करोड़ रूपये एडवांस निकालकर चली गई है जिसके कारण हमारे क्षेत्र में आज भी कार्य अधूरे हैं.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- माननीय अध्यक्ष महोदय एक तो मैं आग्रह करना चाहता हूं कि जब कोई बात तकनीकी रूप से संभव नहीं होती है तो कितनी बार भी कही जाय उसका जवाब नहीं आ पाता है. यह जो सारी योजना है इसमें लालमाटी क्षेत्र का आदरणीय विधायक जी कह रहे हैं इसके बारे में जवाब में दिया है कि कमाण्ड एरिया से बाहर है और ऊंचाई पर है 15 - 20 मीटर ऊंचा होने के कारण तकनीकी दृष्टि से इस योजना से वहां पर पानी नहीं दिया जा सकता है, इस कारण से वहां पर पानी देना संभव नहीं है. यह जवाब पहले भी दिया गया है और यह जो कुल योजना है इसमें से कृषि मंत्री जी 45 प्रतिशत ही पानी ले जाते हैं 55 प्रतिशत पानी सिवनी में ही आता है. यह योजना बालाघाट और सिवनी के लिए योजना है और सिवनी में भी जिस क्षेत्र में पानी जाता है उसमें 47 हजार हेक्टेयर क्षेत्र सिवनी जिले का सिंचित होता है उसमें से 42,278 हेक्टेयर हमारे माननीय विधायक महोदय का ही क्षेत्र है तो कहीं पर कोई पक्षपात होता है यह कहना उचित नहीं है. लेकिन जहां पर व्यावहारिक दृष्टि से, तकनीकी दृष्टि से इसका पानी नहीं पहुंच सकता है वहां पर पानी पहुंचाना संभव नहीं है.
श्री दिनेश राय -- माननीय अध्यक्ष महोदय आप 47 हजार हेक्टेयर बोल रहे हैं. मेरी बात एक बार पूरी सुन लें आप. सरकार ने 2003 में जो क्षेत्र सूखा है उसके लिए नहर का प्रावधान किया गया है. आपने सिंचित क्षेत्र जहां पर पहले से बोरिंग चल रहे हैं, जहां पर पहले छोटे मोटे डेम हैं, नदी हैं, कुएं हैं उस क्षेत्र को सिंचित कर दिया है. जो नहर जिस सूखा प्रभावित क्षेत्र तक जाना था वहां तक नहीं गई.
अध्यक्ष महोदय -- आपके प्रश्न का उत्तर तो आ गया है.आपको और कुछ पूछना है तो पूछ लें.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, नहीं, वर्ष 2003 के बाद में सर्वे नहीं किया है. आपसे पूछा है. आश्वासन इसी आसंदी में आपके सामने दिया गया था कि हम सर्वे करा लेंगे और सर्वे कराकर आपको बताएंगे. एक साल में आपने कोई सर्वे नहीं कराया और जिस कंपनी ने 86 करोड़ रुपए एडवांस निकाल लिये, आपने यहां सर्वे के लिए बोला, (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, यह लिखने की बात नहीं है तो सुनने की बात तो है. माननीय मंत्री जी बता दें कि मेंटेना कंपनी पैसा खाकर भगी कि नहीं भगी?
अध्यक्ष महोदय - आप सीधा पिन-पाइंट प्रश्न कर लें ताकि वे उत्तर दे सकें. उनका एक प्रश्न तो है कि क्या पुनः सर्वे कराएंगे?
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, मेरे विभाग की जो जानकारी है कि वह टेक्नीकली संभव नहीं है, इसलिए कोई मतलब नहीं है. लेकिन जैसा माननीय सदस्य कह रहे हैं अगर सदन में माननीय मंत्री जी का आश्वासन है तो हम एक बार फिर से दिखवा लेंगे, उस आश्वासन की पूर्ति करेंगे.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, साल भर निकल गया है, किसान वहां पर परेशान हैं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 3..
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, मैं पूछ रहा हूं कि 86 करोड़ रुपए जिसने खाए, उसका क्या?
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, मैं इसका भी जवाब दे रहा हूं. कोई किसी कंपनी को ज्यादा पेमेंट नहीं हुआ है.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, यह पेपर बता रहे हैं, यह रिकार्ड बता रहा है. मंत्री जी (XXX) बोल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - यह शब्द भी निकाल दीजिए.
नेता प्रतिपक्ष ( श्री अजय सिंह ) - अध्यक्ष महोदय, मामला गंभीर है. माननीय विधायक जी ने 5 दफे इस प्रश्न को रखा. सरकार उसका गोल-मोल जवाब देती है. वर्ष 2003 का सर्वे है, लेकिन जो ड्राय एरिया है. आपका लक्ष्य क्या है? आपकी मंशा क्या है? ज्यादा से ज्यादा एरिया सिंचित हो. हम लोग आंकड़े भर पढ़ते हैं कि 75 लाख हैक्टेयर में सिंचाई हो रही है. आप मुस्करा रहे हैं, मतलब आप आंकड़ों के जाल में नहीं फंसना चाहते हैं. मैं विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि यदि एक प्रोजेक्ट बना है सिवनी-बालाघाट के लिए तो सिवनी का जो ड्राय एरिया है, जहां पर विधायक महोदय चाहते हैं, उनकी इच्छा है वहां पर किसानों को जरूरत है, उसको न सिंचित करके भाऊ के एरिया में ही डबल पानी क्यों दिया जा रहा है, यह विषय है? मैंने भाऊ कहा, आपका नाम नहीं लिया है, क्या पूरे मध्यप्रदेश में आप ही भर भाऊ हो?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन ) - अध्यक्ष महोदय, भाई साहब, मेरे नाम का जिक्र इसके पहले आ गया.
श्री अजय सिंह - नहीं, नहीं. आपका नाम किसी ने नहीं लिया.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - अध्यक्ष महोदय, मेरे नाम का जिक्र इसके पहले आ गया, इसके पहले माननीय सदस्य ने जिक्र किया था.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, मैंने उनका नाम लिया था, 2500 एकड़ आपकी जमीन है (व्यवधान)...
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि पेंच का पानी बालाघाट जिले को जाता ही नहीं है. माननीय नेता प्रतिपक्ष को मैं बताना चाहूंगा कि पेंच का पानी बालाघाट जिले में जाता ही नहीं है. पेंच परियोजना से बालाघाट जिले में कोई सिंचाई नहीं है.
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने अभी उत्तर दिया कि 45 प्रतिशत जाता है
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - अध्यक्ष महोदय,वे ढोटी की बात कर रहे हैं पेंच का पानी नहीं जाता है. भीमगढ़ की बात कर रहे हैं. पेंच परियोजना से बालाघाट जिले की एक इंच जमीन सिंचित नहीं होती है.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, (XXX)
श्री अजय सिंह - असत्य बात है.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, अभी पूरा पानी गया, मैं इस्तीफा दे दूंगा अभी विधान सभा से, वे (XXX) बोल रहे हैं, यह रिकार्ड है.
अध्यक्ष महोदय - यह शब्द निकाल दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, यह कोई तरीका है?
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, यह रिकार्ड है, मंत्री जी (XXX) बोल रहे हैं.
श्री अजय सिंह - मंत्री जी असत्य बोल रहे हैं.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को बताना चाहता हूं कि पेंच परियोजना से बालाघाट जिले की एक इंच जमीन सिंचित नहीं है.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, पूरे भीमगढ़ में पानी ले जा रहे हैं, पेंच का पानी ले जा रहे हैं. इसी सवाल का उत्तर जो मुझे कल दिया है कि यहां का पानी मिला और आज काटकर वह उत्तर बदल दिया. यह पूरे पेपर बोल रहे हैं .
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 3 श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल..
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह मामला गंभीर है.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - अध्यक्ष महोदय, रिकॉर्ड में लें. पेंच परियोजना से बालाघाट जिले की एक इंच जमीन सिंचित नहीं है.
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है. जिस तरह से मनमानी कोई व्यक्तिगत राजनीतिक प्रभावशाली व्यक्ति उस अंचल का कर रहा है, उससे लोग पीड़ित हैं . अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि कि मेंटेना कंपनी तो हमारे जिले में भी काफी ख्याति प्राप्त कर चुकी है. उच्चाधिकारियों का उसके ऊपर वरदहस्त है तो उसमें मुझे कुछ कहना नहीं है. मेंटेना कंपनी आपके यहां भी पहुंच गई.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, मेंटेना और सरला.
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां तो पूरे क्षेत्र में बना रही है. यह मामला गंभीर है. विधायक महोदय की जो चिंता है सिवनी जिले के उस अंचल में जहां पानी नहीं पहुंच पा रहा है किसी कारण से, इस विषय पर असत्य, सत्य सब बातें हो गईं. आप एक कोई कमेटी गठित करा दीजिए जो यह पता लगा ले कि वहां पर पानी जा सकता है कि नहीं जा सकता है, यदि वर्ष 2003 के बाद का कोई सर्वे नहीं हुआ हो.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, मुझे नहीं पता था कि माननीय श्री कमलनाथ जी से श्री अजय सिंह जी का इतना झगड़ा है, जो यह कह रहे हैं कि प्रभावशाली नेता के क्षेत्र में पानी दे रहे हैं.
श्री अजय सिंह - प्रभावशाली भाऊ.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, वहां पानी जाता ही नहीं है. वे तो छिंदवाड़ा के प्रभारी हैं.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, यह रिकार्ड है.
श्री अजय सिंह - आप विषयांतर मत करो, कमलनाथ जी से नहीं, भाऊ से चिंता है सिवनी वालों को.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, अगर वहां पानी नहीं जाता है तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं. क्या मंत्री जी इस्तीफा देंगे?
(व्यवधान)..
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, आप इंडायरेक्टली क्यों वार कर रहे हैं मुझे समझ में नहीं आया? क्योंकि भाऊ छिंदवाड़ा के प्रभारी हैं.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - अध्यक्ष महोदय, सिवनी जिले में सर्वे में पानी जाएगा तो मैं पहला व्यक्ति होऊंगा जो उसका समर्थन करता हूं.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, आपने भीमगढ़ डेम में पानी खुलवाया.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - अध्यक्ष महोदय, सिवनी जिले में यदि पुनः सर्वे होने पर पानी जाएगा तो हम इसके लिए तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 3..
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, नहीं. मेरी बात पूरी होने दीजिए. भीमगढ़ डेम में पानी गया है.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात पूरी हो गई है.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, मुझे यह पटल पर रखने के आदेश दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, इस प्रश्न में 15 मिनट हो गये हैं. अभी पटल पर रखने की अनुमति नहीं है.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, मैं यह पटल पर रखना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं प्लीज. अभी पटल पर रखने की अनुमति नहीं है, आप बाद में विधिवत् दीजिए.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, आप मेरी बात सुनिए.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, आपकी बात सुन ली है.
11.14 बजे गर्भगृह में प्रवेश
श्री दिनेश राय, सदस्य का शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर गर्भगृह में प्रवेश
(श्री दिनेश राय, सदस्य शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आए.)
अध्यक्ष महोदय - दिनेश राय जी, आपको बहुत समय दिया. आपको संरक्षण भी दिया. झूठ शब्द कार्यवाही से निकाल दें.(व्यवधान) आप अच्छे सदस्य हैं. आप अनुशासित सदस्य हैं. आप अपने स्थान पर बैठ जायें. आप जबरदस्ती थोड़ी ना कर सकते हैं. (व्यवधान) आप सहयोग करें. पटल पर नहीं रख सकते. आप उसकी लिखित अनुमति मांगिये उसके बाद उस पर विचार करेंगे. आप ऐसा करें यह जो आपके पास जानकारी है, वह माननीय मंत्री जी को प्रश्नकाल के बाद उपलब्ध करा देना. बैठ जायें. (व्यवधान) आप विधिवत् लिख कर दें. अखबार की कटिंग लेकर आये हैं उसको पटल पर कैसे रखने देंगे.
श्री रामनिवास रावत-- वह पटल पर नहीं रखने दें लेकिन आप निर्देश दे दें कि जिन गांवों की चिन्ता कर रहे हैं उन गांवों में पानी पहुंचाने के लिए सर्वे करा दें. आप सरकार को निर्देश दे दें, उनमें पानी पहुंचाने के लिए सर्वे करा दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, मैं स्पष्ट कर चुका हूं और माननीय सदस्य ने जो बात कही थी और विभिन्न अवसरों पर यह बात कह रहे हैं और बार बार यही जवाब आ रहा है. बार बार सर्वे कराने से कुछ नहीं होगा हां हम यह कर सकते हैं कि अगर इस योजना में पानी नहीं है क्योंकि जब योजना बनी डीपीआर बनाये, उसका रुपांकन हुआ उस समय यह क्षेत्र उसमें लिया ही नहीं गया.
अध्यक्ष महोदय-- ( श्री दिनेश राय, सदस्य द्वारा गर्भगृह से अपनी बात कहने पर) आप अपने स्थान से बोलिये. यहां कही गई बात का कोई उत्तर नहीं दिया जायेगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय सदस्य पूरी बात सुन लें.
अध्यक्ष महोदय-- दिनेश राय जी की यहां से (गर्भगृह से) कही गई किसी बात का उत्तर नहीं दिया जाएगा. आप अपनी सीट पर जायें. यहां से बहस नहीं करेंगे. यह मर्यादा के खिलाफ है. जो कुछ भी बोल रहे हैं नहीं लिखा जायेगा.
परियोजना क्रियान्वयन इकाई द्वारा कराये गये कार्य
[लोक निर्माण]
3. ( *क्र. 2877 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक निर्माण विभाग की परियोजना क्रियान्वयन इकाई जिला धार द्वारा विगत 3 वर्षों में कितने-कितने कार्य कहाँ-कहाँ करवाये गये? राशि सहित वर्षवार, विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी देवें? (ख) इन कार्यों की अद्यतन स्थिति बतावें। इनमें कितने कार्य पूर्ण/अपूर्ण हैं तथा कितनी राशि इनमें आहरित की जा चुकी है? विधान सभा क्षेत्रवार बतावें। (ग) कार्यों में विलंब एवं गुणवत्ताहीन होने की जाँच कब तक करवाई जायेगी? स्वतंत्र कंसलटेंसी द्वारा उपरोक्त दी गई रिपोर्ट, पत्रों की छायाप्रति कार्यवार देवें? (घ) कार्यों में विलंब व गुणवत्ताहीन होने की विभाग कब जाँच कराएगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) इस इकाई के अंतर्गत कार्य में प्रयुक्त मटेरियल की शासन द्वारा निरंतर जाँच कराई जाती है। परीक्षण में गुणवत्ताहीन सामग्री होने संबंधी किसी प्रकार की रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। अत: जाँच का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। कार्यों में विलंब हेतु अनुबंधानुसार कार्यवाही प्रचलन में है। (घ) कार्यों में विलंब हेतु अनुबंध में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही प्रचलन में है। प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्नांश के संबंध में जाँच का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता।
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि मेरा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और विभाग के द्वारा मेरी विधान सभा में काम चल रहा है उसका उपयोगिता अधिकतर ट्रायबल लोगों के लिए होगी. आपसे अनुरोध है कि यह कार्य समयावधि में हो जाये और दूसरा गुणवत्ता का ध्यान रखा जाये.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय मंत्री, माननीय सदस्य को बुलाकर चर्चा कर लें.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय बघेल साहब की जो चिन्ता है उनके क्षेत्र में 247 करोड़ रुपये के 42 काम चल रहे हैं,
अध्यक्ष महोदय-- (श्री दिनेश राय, सदस्य से) आप आधे घंटे की चर्चा मांग लीजिए.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय बघेल जी ने जो चिन्ता की है. हम अधिकारियों को निर्देश भी दे रहे हैं कि वह समय सीमा में काम करें अच्छा काम करें. इसके बाद भी माननीय विधायक जी को कहीं ऐसा लगता है कि कहीं किसी चीज की कमी है जो देखने में आ रही है तो आप निश्चित रुप से लिख कर दें हम उसमें तुरन्त कार्यवाही करके माननीय विधायक जी को भी अवगत करायेंगे.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- माननीय मंत्री जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद. मेरा निवेदन है कि मेरा विधान सभा क्षेत्र कुक्षी है, उस पर थोड़ी विशेष कृपा हो जाये.
अध्यक्ष महोदय-- (श्री दिनेश राय,सदस्य द्वारा गर्भगृह से निरन्तर अपनी बात कहने पर)इस तरह एक सदस्य को सदन की कार्यवाही बाधित नहीं करने देंगे. आपकी यह बात ठीक नहीं है. आप अपने स्थान पर जाकर बैठ जाईये.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- माननीय मंत्री जी, आपसे विशेष आग्रह है कि मेरी विधान सभा कुक्षी है, वह आदिवासी बाहुल्य है उस पर विशेष ध्यान देने का कष्ट करें.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय-- अब कार्यवाही आगे बढ़ गई है.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूं. मैं आपसे और मुनमुन भाई से भी अनुरोध कर रहा हूं. यह थोड़ा गंभीर मामला है. माननीय मंत्री जी को आप निर्देशित कर दें कि इस विषय पर वे माननीय सदस्य से चर्चा कर लें.
अध्यक्ष महोदय-- अब प्रश्न आगे बढ़ गया है. (व्यवधान) मैंने उनको समझाया कि और भी नियम है, आधे घंटे की चर्चा मांग लें. यहां हल्ला मचाने से क्या मतलब है. आप कार्यवाही चाहते हैं या हल्ला मचाना चाहते है?
श्री रामनिवास रावत - माननीय सदस्य को कक्ष में बुलाकर चर्चा कर लें और संतुष्ट कर दें.
अध्यक्ष महोदय - अब कुछ उत्तर नहीं देंगे. बघेल जी, आपकी बात आ गई. आगे बढ़ें. प्रश्न क्र.4 श्री उमंग सिंघार..
प्रश्न क्र. 4 अनुपस्थित
(श्री दिनेश राय के लगातार गर्भगृह से अपनी बात कहने पर)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्र.5
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले माननीय सदस्य को संतुष्ट कर दें.आपसे ही तो उन्हें संरक्षण मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय - मैंने उनको बहुत संरक्षण दिया. उन्होंने 20 मिनिट दूसरे सदस्यों के ले लिये. यह बात ठीक नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्हें मंत्री जी कक्ष में बुलाकर चर्चा कर लें.
अध्यक्ष महोदय - मुझे कुछ नहीं करना है. श्री उमंग सिंघार..(श्री दिनेश राय से) आप तो चिल्लाईये खड़े होकर..सारी मर्यादाएं सदन की खत्म करिये.
डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने आधे घंटे की चर्चा के लिये निर्देश दिया. तो आधे घंटे की चर्चा स्वीकृत कर दें.
अध्यक्ष महोदय - वह मांगें तो. वह तो यहीं खड़े रहकर सब करवाना चाहते हैं.
श्री रामनिवास रावत - दिनेश बैठ जाओ. माननीय अध्यक्ष महोदय,
(श्री दिनेश राय गर्भगृह से अपने आसन पर वापस गये.)
वन मंत्री(डॉ.गौरीशंकर शेजवार) - पहले ही समझा देते.
श्री रामनिवास रावत - अशांति पुरुष आप शांति रहने दें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - अशांति की योजना आप ही बनाते हो.
श्री रामनिवास रावत - अशांति आप पैदा कर रहे हो सब कुछ निपट गया फिर क्या जरूरत थी आपके खड़े होने की.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - व्यवधान की योजना आप ही बनाते हो. आप हीकहते हो यहां आओ और आप ही फिर मनाते हो. यह न करें तो बेहतर है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, अब आप ही बता दें कि अशांति कौन पैदा कर रहा है.
निर्माण कार्यों का भुगतान
[लोक निर्माण]
5. ( *क्र. 1376 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सिंगरौली जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग विस्तार के कि.मी. 124/2 नौआ नाला पुल एवं उसके बाद रीकन्ट्रेक्शन ऑफ डेनेज ब्रिज का कार्य अनुबन्ध क्रमांक 61/एन.एच./2007-08 संविदाकार के द्वारा जाब क्र.0075 ई.एक्स./2006-07/एम.पी./521 का सम्पूर्ण कार्य दिनांक 31/03/2015 को पूर्ण कर दिया गया है? (ख) यदि हाँ, तो कार्यपूर्ण होने के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग संभाग सागर उप संभाग रीवा द्वारा ठेकेदार के बकाया देयक का भुगतान आज दिनांक तक नहीं किया गया और राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 75 के विस्तार में स्थित नौआ नाला पुल एप्रोच निमार्ण कार्य के सभी दस्तावेज गुम हो गये हैं? दस्तावेजों के गुम होने की एफ.आइ.आर. जी.आर.पी. थाना भोपाल में विभाग के कर्मचारी द्वारा करायी गयी है? (ग) क्या अभिलेखों की द्वितीय प्रति निर्माण कराने एवं संविदाकार के भुगतान में विलम्ब करने वाले अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी और संविदाकार के लम्बित देयक का भुगतान अविलम्ब कर दिया जायेगा? (घ) यदि हाँ, तो किस दिनांक तक संविदाकार को सम्पूर्ण देयक का भुगतान बिना किसी शर्त और पेनाल्टी के करा दिया जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ, कार्य स्थल की आवश्यकता अनुसार संविदाकार द्वारा पुल एवं सिंगरौली तरफ का पहुंच मार्ग का कार्य दिनांक 30.10.2015 को पूर्ण कर दिया गया था, पुल की सीधी तरफ का पहुंच मार्ग का कार्य अन्य एजेन्सी से करवाये जाने के कारण करवाया जाना आवश्यक नहीं था। (ख) जी नहीं। ठेकेदार का भुगतान रा.रा. संभाग सागर के अंतर्गत रा.रा. उपसंभाग रीवा के द्वारा नहीं अपितु क्षेत्रीय अधिकारी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा किया जाना है। अंतिम देयक क्षेत्रीय अधिकारी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भोपाल को कार्यपालन यंत्री रा.रा. संभाग सागर द्वारा अपने पत्र दिनांक 08.11.2017 को प्रेषित किया गया है। ठेकेदार द्वारा मापों एवं बिल की अभिस्वीकृति नहीं दिये जाने के कारण क्षेत्रीय अधिकारी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भोपाल में भुगतान हेतु लंबित है। जी हाँ, दस्तावेजों के गुम हो जाने के कारण विभाग के कर्मचारी द्वारा जी.आर.पी. थाना भोपाल में लिखित शिकायत की गई थी, जी.आर.पी. थाना द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की गई थी। (ग) मूल अभिलेखों के गुम हो जाने के कारण नई माप पुस्तिका तैयार की गई। संविदाकार के भुगतान में विलंब हेतु कोई अधिकारी दोषी नहीं है, अत: किसी अधिकारी के प्रति कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। ठेकेदार द्वारा माप एवं बिल की अभिस्वीकृति दिये जाने के पश्चात लंबित देयक के भुगतान की कार्यवाही की जा सकेगी। (घ) उपरोक्त प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में देयक के भुगतान हेतु निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। ठेकेदार का भुगतान अनुबंध की शर्तों एवं प्रावधान के अनुसार ही किया जा सकेगा।
अध्यक्ष महोदय - आप अपना प्रश्न करिये.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, कमलेश्वर पटेल जी ने सिंगरौली जिले के राष्ट्रीय राज मार्ग विस्तार के कि.मी. 124/2 नौवा नाला पुल एवं उसके बाद रीकन्ट्रेक्शन आफ ड्रेनेज ब्रिज के कार्य के पूर्ण हो जाने के बाद भुगतान के संबंध में प्रश्न किया है और एक साईड एप्रोज का भी उन्होंने प्रश्न किया है कि उन्हें नहीं बनाने दी. इन्होंने "ख" के उत्तर में दिया है कि ठेकेदार द्वारा मापों एवं बिल की अभिस्वीकृति नहीं दिये जाने के कारण क्षेत्रीय अधिकारी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भोपाल में भुगतान हेतु लंबित है. जबकि पहले ही ठेकेदार द्वारा अंतिम देयक क्षेत्रीय अधिकारी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भोपाल को कार्यपालन यंत्री राष्ट्रीय राज मार्ग संभाग, सागर द्वारा अपने पत्र दिनांक 8.11.2017 को भुगतान के लिये प्रेषित किया गया है. आपने लिखा है कि ठेकेदार की अभिस्वीकृति नहीं मिली. भुगतान की क्या प्रक्रिया है. क्या बिना ठेकेदार की अभिस्वीकृति के माप पुस्तिका बन जाने के बाद बिल चढ़ जाने के बाद माप पुस्तिका पर क्या ठेकेदार से अभिस्वीकृति ली जाती है और उसकी अभिस्वीकृति के बाद ही भुगतान हो पाएगा ? प्रश्न "ग" के उत्तर में बताया है कि मूल अभिलेखों के गुम हो जाने के कारण विभाग के कर्मचारी द्वारा जी.आर.पी.थाना भोपाल में लिखित शिकायत की गई थी और जी.आर.पी. थाने में एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की गई. नई माप पुस्तिका तैयार की गई और आप कह रहे हैं कि उसकी अभिस्वीकृति न मिलने के कारण भुगतान नहीं हो पाया है, तो क्या ठेकेदार की अभिस्वीकृति ठेकेदार ली जाती है, कि आपकी माप पुस्तिका पर जो बिल चढ़ा है, वह सही चढ़ा है कि नहीं, उसके बाद भुगतान किया जाता ? है माननीय मंत्री जी बता दें.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकर्ता विधायक जी नहीं हैं. उनकी जगह रामनिवास रावत जी प्रश्न पूछ रहे हैं तो जल्दी-जल्दी में वे प्रश्न ठीक से पढ़ नहीं पाए. आप कह रहे हैं कि माप पुस्तिका पर ठेकेदार के हस्ताक्षर होते हैं. सहमति होती है और वह कहते हैं कि मैंने इतना काम किया है. यह जरूरी है. दूसरी बात भुगतान की है तो हमारे अधिकारियों ने प्रस्ताव दिया है 28 लाख का उनका कहना है कि हमने 93 लाख का काम किया है. सब चीजें नियम,प्रक्रिया से होती हैं. वह सारी औपचारिकताएं पूरी करें. जिसने काम किया है उसको भुगतान होना चाहिये हम इस पक्ष में हैं लेकिन कहीं कोई गड़बड़ी है या शिकायत है माननीय रावत जी,आप बताएंगे तो हम उस पर कार्यवाही करेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें बड़ा स्पष्ट है, आप उत्तर देखें, 'ख' के उत्तर में अंतिम देयक क्षेत्रीय अधिकारी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भोपाल के कार्यपालन यंत्री राष्ट्रीय राजमार्ग संभाग सागर द्वारा अपने पत्र दिनांक 8.11.2017 को प्रेषित किया गया है. यह बता दें कि यह कितने का बिल बनाकर प्रेषित किया गया था और इस पर ठेकेदार के हस्ताक्षर थे कि नहीं ? प्रथम देयक को प्रेषित करने के बाद ठेकेदार द्वारा माप बिलों के, फिर लिखा है दस्तावेजों के गुम हो जाने के कारण विभाग के कर्मचारी द्वारा जीआरपी थाना, भोपाल में लिखित शिकायत की गई और जीआरपी थाना, भोपाल द्वारा शिकायत दर्ज नहीं की गई. पहले जो अंतिम देयक भेजे गये वह कितने लाख के भेजे गये और ठेकदार कह रहा है कि मेरे 93 लाख के देयक थे. माप पुस्तिका और पूरा रिकार्ड गायब हो जाने के बाद आप दोबारा माप पुस्तिका बना रहे हो, तैयार कर रहे हो, मूल अभिलेखों के गुम हो जाने के कारण नई माप पुस्तिका तैयार की है, उसमें आप 28 लाख का बिल बना रहे हो, तो इसमें किसका दोष है ? पहले कितने का बिल भेजा गया, दोबारा आप 28 लाख का बना रहे हो, दिक्कत तो यहां पैदा हो रही है. आप कब तक उसका भुगतान करा देंगे ? आप उसकी उपस्थिति में माप तैयार करा लें, माप पुस्तिका पर वेल्यूशन करवा लें, मापांकन करवा लें.
अध्यक्ष महोदय-- सीधा प्रश्न यही है कि उसका परीक्षण करवाकर उसका पेमेंट कब तक करा देंगे, डिले होने का कारण तो आपने बता दिया कि पुस्तिका गुम हो गई थी, परीक्षण करवाकर पेमेंट कब तक करा देंगे ?
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माप पुस्तिका दूसरी तैयार हो गई है उसमें 28 लाख के बिल तैयार हैं, ठेकेदार वहां उपस्थित हो जाये.
श्री रामनिवास रावत-- पहली वाले में कितने का था ?
श्री रामपाल सिंह-- पहली वाली तो गायब है, उसका पता नहीं चल रहा.
श्री रामनिवास रावत-- यही तो विसंगति है.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, थाने में सूचना दी गई थी.
श्री रामनिवास रावत-- विसंगति तो यहीं पैदा हुई, पहला बिल था 93 लाख का, कोई बात नहीं बनी होगी तो गुम हो गई, पूरा रिकार्ड ही गुम हो गया. दोबारा 28 लाख का करा दिया, झगड़ा तो यहीं पैदा हो रहा है, आपके उत्तर से ही स्पष्ट है, मैंने तो पढ़ा नहीं है, मैंने तो देखा भी नहीं है.
श्री रामपाल सिंह-- आप कहलवाईये मत कि क्या स्पष्ट है, लेकिन आपसे निवेदन है कि आप चाहते क्या है बता दीजिये, हम वह कार्यवाही करवा देते हैं.
श्री रामनिवास रावत-- ठेकेदार के समक्ष में मूल्यांकन कराकर उसका भुगतान करा दें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, रावत जी तो ठेकदार की तरफ से बोल रहे हैं ना.
श्री रामनिवास रावत-- प्रश्न ही ठेकेदार की तरफ से किया गया है तो ठेकेदार की तरफ से ही तो बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- आप एक लाइन में उत्तर दे दें, सीधा सा प्रश्न है.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, रावत जी ने जो कहा है पहले बिल बना नहीं था, 83 लाख का यह बना है और जो रिकार्ड गायब हुआ था उसकी सूचना थाने में दी थी उस पर भी पुलिस ने लिख दिया था कि अब हमको नहीं मिलेगा तो दूसरी माप पुस्तिका बन गई है. अब इसमें अगर कोई कमी है तो आप बता दें हम उसकी जांच करा लेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- उसके समक्ष मूल्यांकन करा लें, पहले बिल नहीं बना था यह आप कह रहे हो, आपके ही उत्तर में आ गया कि अंतिम देयक भेजा गया. मुझे कह रहे हो कि मैं नहीं पढ़ता कि आप नहीं पढ़ते, आप तैयारी करके नहीं आते.
अध्यक्ष महोदय-- मूल्यांकन कराकर उसका परीक्षण कर लें, बड़ा काम्प्लीकेटेट मामला नहीं है. आप तो उसका परीक्षण कर लें कितने का काम हुआ है.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह था, मैं देख रहा था कि हमारे प्रश्नकर्ता विधायक जी नहीं हैं, आप आ गये तो आप भी जल्दी-जल्दी में आये होंगे इसलिये तैयारी नहीं होगी, कई बार होता है, स्वाभाविक है.
श्री रामनिवास रावत-- केवल इतना करा दें कि ठेकेदार के समक्ष मूल्यांकन करा दें और उसका पेमेंट करा दें.
अध्यक्ष महोदय-- उसका मूल्यांकन कराकर पेमेंट करा दें.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चीफ इंजीनियर रीवा से इसकी जांच करायेंगे और उनको निर्देश कर रहे हैं कि वह जल्दी ही इसका निराकरण करें और यदि काम किया है तो सीधा भुगतान करें.
श्री रामनिवास रावत-- ठेकेदार के समक्ष मूल्यांकन करा लें.
श्री रामपाल सिंह-- समक्ष में ही होता है.
11.29 बजे स्वागत उल्लेख
(माननीय सांसद श्री गणेश सिंह जी का सदन में स्वागत)
अध्यक्ष महोदय-- आज सदन की दीर्घा में माननीय सांसद श्री गणेश सिंह जी उपस्थित हैं, सदन की ओर से उनका स्वागत है.
जिला रतलाम अंतर्गत सड़क निर्माण
[लोक निर्माण]
6. ( *क्र. 176 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आलोट जिला रतलाम में महिदपुर रोड, खारवांकला, ताल-आलोट मार्ग जो पूर्णतः जर्जर हो चुका है, उक्त सड़क निर्माण प्रक्रिया की वर्तमान स्थिति क्या है? कब तक उक्त सड़क निर्माण प्रारंभ होगा? पाँच माह पूर्व टेंडर की कार्यवाही व प्रशासकीय स्वीकृति भी हो चुकी है? फिर कार्य में देरी क्यों? (ख) सड़क निर्माण में देरी से पूर्व उक्त सड़क का मरम्मतीकरण एवं पेंचवर्क क्यों नहीं किया जा रहा है? (ग) आलोट विधानसभा क्षेत्र में कितनी व कौन-कौन सी सड़कें ग्यारंटी अवधि में खराब हुईं? पूर्ण ब्यौरा दें तथा की गई कार्यवाही से अवगत करावें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। मार्ग निर्माण हेतु निविदा स्वीकृति बाबत् प्रक्रियाधीन है। अनुबंध होने के बाद। द्वितीय निविदा आमंत्रण के कारण देरी हुई है। (ख) विभाग के स्थाई गैंग द्वारा आवश्यक मरम्मत कार्य किया जा रहा है। (ग) कोई नहीं। दो मार्ग परफारमेंस गारंटी में है। दोनों मार्गों की स्थिति संतोषजनक है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री जितेन्द्र गेहलोत-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि जो सड़क के बारे में मैंने प्रश्न लगाया था वह सड़क स्वीकृत हो गई है और मेरी परफारमेंस गारंटी की जो दो सड़कें हैं, माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि वह सड़कें गारंटी में बनी हैं. वह बहुत जर्जर हो चुकी हैं उसको जल्दी से ठीक करवायें क्योंकि उस सड़क पर आवागमन बहुत ज्यादा है, कई ट्रक और बस उस सड़क मार्ग से निकलते हैं जिसके कारण वह सड़क खराब हो रही है. इसलिये मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि वह सड़क कब तक स्वीकृत होकर के तैयार होगी ?
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, गोंगापुरताल मार्ग की लंबाई लगभग 20 किलोमीटर है, इसकी अनुमानित लागत 17 करोड़ 50 लाख रूपये है. इसका कार्य आदेश जारी कर दिया है. दिनांक 30.11.2017 को इसकी स्वीकृति जारी कर दी गई है. यह विधायक जी के लिये अच्छी खबर है. दूसरी समस्या जो माननीय सदस्य ने सड़कों की यहां पर की है उनको भी हम ठीक करायेगे.
श्री जितेन्द्र गेहलोत- इसके लिये माननीय मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि मेरे यहां नागेश्वर पार्श्वनाथ जैन तीर्थ स्थल है, वह परफारमेंस गारंटी की रोड है, वास्तव में वह सड़क बहुत खराब हो चुकी है तो मंत्री जी उस रोड को ध्यानपूर्वक दिखाकर के अतिशीघ्र ठीक करवा दे.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अतिशीघ्र. क्योंकि पहले भी माननीय विधायक जी ने आग्रह किया था.
श्री जितेन्द्र गेहलोत - मंत्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद.
सड़क निर्माण की स्वीकृति
[लोक निर्माण]
7. ( *क्र. 2595 ) श्री नारायण सिंह पँवार: क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा दिनांक 03 सितम्बर, 2017 को माननीय लोक निर्माण मंत्री जी के ब्यावरा नगर के प्रवास के दौरान भूमि पूजन कार्यक्रम में नगर के पीपल चौराहा से राजगढ़ बायपास तक सीसी सड़क निर्माण, डिवाईडर एवं पोल शिफ्टिंग कार्य की स्वीकृति हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा की गई मांग पर माननीय मंत्री जी द्वारा शीघ्र ही मार्ग निर्माण कराये जाने की घोषणा की गई थी? यदि हाँ, तो क्या प्रश्न दिनांक तक उक्त घोषणा के पालन में विस्तृत कार्ययोजना वरिष्ठालय को प्रेषित कर दी गई है? (ख) क्या नगर के उक्त भाग पर सीसी रोड निर्माण, डिवाईडर एवं पोल शिफ्टिंग कार्य कराये जाने से पूरा नगर सीसी युक्त होकर नगरवासियों को निरंतर अवरूद्ध होने वाले आवागमन से निजात एवं सुन्दर-स्वच्छ नगर की अनुभूति प्राप्त होगी? यदि हाँ, तो क्या माननीय मंत्री जी की घोषणा एवं ब्यावरा नगर के आमजन की पुरजोर मांग के दृष्टिगत पीपल चौराहा से राजगढ़ बायपास तक सीसी सड़क निर्माण कार्य, डिवाईडर व पोल शिफ्टिंग हेतु दि्वतीय अनुपूरक बजट 2017-18 में स्वीकृति प्रदान की जाएगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) घोषणा नहीं अपितु निर्देश दिये गये थे। जी नहीं। (ख) जी हाँ। प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में कोई कार्यवाही प्रस्तावित नहीं है।
श्री नारायण सिंह पँवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि माननीय मंत्री जी का प्रवास 3 सितम्बर, 2017 को राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 3 के भूमि पूजन के लिये ब्यावरा नगर में हुआ था. उस मार्ग पर कार्य चल रहा है. एक और शहर का अत्यंत व्यस्त मार्ग है जो कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमाक 12 का ही भाग है. जो पीपल चौराहा कहलाता है वह शहर के अंदर से है तथा राजगढ बायपास चौराहे तक वह मार्ग जाता है. काफी छोटा मार्ग है. उसकी स्वीकृति के लिये मैंने मंत्री जी से निवेदन किया था और तत्समय माननीय मंत्री जी के द्वारा विभाग के अधिकारियों को मौखिक निर्देश भी दिये गये थे कि इस मार्ग का सर्वे कर लिया जाये. मेरा अनुरोध है कि यह शहर का अत्यंत व्यस्त मार्ग है और इसके पूर्ण होने से निश्चित रूप से ब्यावरा शहर के निवासियों को राहत मिलेगी. क्योंकि ब्यावरा की आबादी वर्तमान में लगभग 75 हजार के आसपास है. शहर में यही दो मार्ग हैं, एक का तो काम चल रहा है और दूसरे की स्वीकृति अपेक्षित है. अत: आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि इसकी घोषणा सदन में करने की कृपा करेंगे.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न किया है. मै माननीय विधायक जी के क्षेत्र में स्वयं गया था. बहुत बड़ा वहां कार्यक्रम था सभी संगठनों ने स्वागत आदि भी किया था और तत्समय माननीय विधायक जी ने एक पुलिया बनाये जाने की मांग थी. वहां बहुत अच्छी सड़क बन रही है. उस पुलिया को मैंने देखा भी था, निरीक्षण किया था और कहा था कि यह पुलिया बनाई जायेगी क्योंकि बहुत अच्छी सड़क बन रही है. उस पुलिया के बारे मे विधायक जी से कहना है कि उस पुलिया को हम बनायेंगे, उसमें लगभग 5 करोड़ रूपये की लागत आयेगी. दूसरी बात विधायक जी ने पीपर चौराहे से बायपास तक सडक की बात की है, अभी वह सड़क बहुत अच्छी स्थिति में है. उस पर हम गंभीरता से विचार कर रहे है जैसे ही उस सड़क में कुछ कमी दिखाई देगी तो आगे विचार करके गंभीरता से लेंगे.
श्री नारायण सिंह पँवार-- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि पुलिया निर्माण की जो मंत्री जी ने घोषणा की है वह बहुत आवश्यक थी, उसके लिये बधाई देता हूं. लेकिन यह जो मार्ग है इसके बारे में मंत्री जी ने कहा है कि रोड तो अच्छा है लेकिन सकरा है , पुराना मार्ग है, राष्ट्रीय राजमार्ग-12 था और शहर के बीचों बीच से यह मार्ग गुजरता है. मुझे आशा है कि मंत्री जी अभी नहीं तो आगामी बजट सत्र में इस मार्ग को शामिल कर लेंगे, जनता की तरफ से यही मांग है और बहुत दिक्कत शहर के अंदर आ रही है.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी की भावनाओं का हम आदर कर रहे हैं. लेकिन नगर के अंदर कुछ स्थानीय निकाय से भी काम करवाते रहें तो अच्छा रहेगा.नगरों से हम गांव को जोड़ देंगे, ऐसा हम आपसे आग्रह करेंगे क्योंकि नगर में कुछ काम आप भी स्थानीय निकाय से करा सकते हैं. यह अच्छा रहेगा.
श्री नारायण सिंह पँवार-- पुलिया निर्माण की घोषणा के लिये मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद.
जिला सहकारी बैंक/सहकारी समितियों की जाँच
[सहकारिता]
8. ( *क्र. 1879 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या राज्यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला सहकारी बैंक बालाघाट के अधीन कितने-कितने सहकारी बैंक संचालित हैं? जिलावार/विधानसभा क्षेत्रवार बैंकों व समितियों की पतावार जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कितनी समितियों द्वारा खाद्यान्न खरीदी केन्द्रों में भण्डारण व उठाव किया, की जानकारी तथा बैंकों द्वारा किसानों को योजनावार स्वीकृत किये गये ऋणों की जानकारी हितग्राही की संख्यावार देवें? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्रत्येक बैंकों में जमा सन्ड्री क्रेडिटर्स राशि की जानकारी बैंकवार देवें। (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में प्रत्येक बैंकों में जमा सन्ड्री क्रेडिटर्स राशि के उपयोग के लिए प्रचलित नियमों की प्रति देवें तथा उक्त राशि के उपयोग तथा दुरूपयोग करने के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं? अधिकारियों की सूची सहित जानकारी देवें तथा उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करेंगे?
राज्यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या., बालाघाट के अधीन अन्य कोई बैंक संचालित नहीं है। जिले में सहकारी बैंक की शाखाओं तथा उनसे संबद्ध प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं की सूची विधानसभावार पते सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) की समितियों द्वारा संचालित खरीदी केन्द्रों में भण्डारण एवं उठाव नहीं किया जाता, अपितु समितियों द्वारा समर्थन मूल्य अंतर्गत खाद्यान्न क्रय किया जाता है, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। योजनावार स्वीकृत किये गये ऋणों की जानकारी हितग्राहियों की संख्यावार पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। (ग) जानकारी निरंक है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डॉ. योगेन्द्र निर्मल : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं . मैं उत्तर से संतुष्ट हूं.
मार्ग निर्माण कार्य की जाँच
[लोक निर्माण]
9. ( *क्र. 2302 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आगर नगरीय क्षेत्र में 4 लेन सी.सी. रोड एवं नाला निर्माण कार्य निर्धारित अवधि निकल जाने के पश्चात् भी पूर्ण नहीं हुआ? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई? कार्य का प्रशासकीय कार्यादेश एवं अनुबंध की सत्यापित प्रति उपलब्ध करावें। (ख) उक्तानुसार कार्य क्या निर्धारित मानक अनुरूप किया गया? यदि हाँ, तो जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कब-कब मानीटरिंग की गई? तिथि सहित विवरण देवें। (ग) मार्ग निर्माण के प्रगतिरत रहते हुए गुणवत्ता संबंधी या निर्धारित मानक अनुरूप कार्य न होने संबंधी कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं हैं एवं इसके संबंध में क्या कार्यवाही की गई? किन-किन अधिकारियों द्वारा जाँच की गई? शिकायतवार पूर्ण विवरण देवें। जाँच प्रतिवेदन की प्रति उपलब्ध करावें? (घ) क्या प्रश्नांश (ख) एवं (ग) के तारतम्य में या स्वप्रेरणा से स्वतः संज्ञान लेते हुए निर्माण कार्य की जाँच कर उचित कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या व कब तक? विवरण देवें। क्या मार्ग निर्माण कार्य में घटिया सामग्री के उपयोग के संबंध में जाँच की जाकर उचित कार्यवाही की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी नहीं। आगर नगरीय क्षेत्र में 4 लेन सी.सी. रोड एवं नाला निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है। कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति, कार्यादेश एवं अनुबंध की सत्यापित प्रति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जी हाँ। निरीक्षणकर्ता अधिकारी एवं दिनांक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार एवं निरीक्षण का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) मार्ग निर्माण के प्रगतिरत् रहते हुए म.प्र. सड़क विकास निगम को प्राप्त एक शिकायत की जाँच की गई। जाँच का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। (घ) निर्माण कार्य अनुबंधानुसार मेसर्स लॉयन इंजीनियरिंग कन्सलटेंट की देखरेख में हुआ है। मटेरियल इत्यादि की जाँच निरंतर प्रक्रिया के तहत की जाकर निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 की जाँच अनुसार पेनल्स में वांछित सुधार कर दिया गया था। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर यह आया है कि एक शिकायत इस रोड की हुई थी और उसकी जांच कराई गई है. मेरा आपके माध्यम से विनम्र आग्रह है कि इस रोड में कई जगह दो नाली बना रखी हैं लेकिन जहां पर जरूरत है, वहां पर नाली नहीं बनी है. मेरा माननीय मंत्री से निवेदन है कि 40 करोड़ की चार किलोमीटर की सड़क है, मेरे ख्याल से मध्यप्रदेश में इससे ज्यादा मंहगी सड़क नहीं बनती होगी. अगर उसके दोनों तरफ नाली बन जाए तो दोनों तरफ का पानी निकल जायेगा.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी की चिंता वाजिब है. आप इस संबंध में पूरा परीक्षण कराकर एक पत्र लिख दें, हम उसे प्राथमिकता से लेने का प्रयास करेंगे. बाकी वहां पर बहुत अच्छी सड़क बनी है और आप जो पानी की निकासी की चिंता कर रहे हैं, उसका भी हम निराकरण करेंगे.
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, विधानसभा का प्रश्न, पत्र से कम नहीं होता है और अगर आप पत्र की महत्ता ज्यादा समझें तो वह एक अलग बात है.
अध्यक्ष महोदय - आप इस संबंध में एक पत्र भी लिख दें.
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि वहां पर नाली का निर्माण प्रस्तावित था, पर ठेकेदार द्वारा वहां पर नाली का निर्माण नहीं किया गया है. मेरा दूसरा आग्रह यह है कि इतनी मंहगी सड़क बनाने के बावजूद उसका एलाइनमेंट ऐसा है कि अगर 50 की स्पीड से कोई गाड़ी निकाली जाए तो गाड़ी रोड छोड़कर नीचे चली जाएगी. मेरा आग्रह यह भी है कि उसका एलाइनमेंट पूरा गड़बड़ है, इसलिए उसके एलाइनमेंट भी सुधरवा दिया जाए.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने इस बात को विधानसभा में रखा है, हम इसको प्राथमिकता देकर वहां नाली का निर्माण भी करवाएंगे और जो-जो भी कमी होगी, उसको भी पूरा करवा देंगे.
श्री गोपाल परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह नगर का मामला है, अत: आप थोड़ी सी एक राशि ऐसी भी दे दें जिससे कि उसके बीच में लाइटिंग हो जाए क्योंकि वहां पर अंधेरे के कारण एक्सीडेंट होते हैं. कृपया आप इसमें और सहयोग कर दें.
प्रश्न संख्या -10 (अनुपस्थित)
लंबित विभागीय जाँच का निराकरण
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
11. ( *क्र. 811 ) कुँवर विक्रम सिंह : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न दिनांक तक की स्थिति में कृषि उपज मंडी समिति कटनी के मंडी कर्मचारी एवं कटनी मंडी में पदस्थ रहे राज्य मंडी बोर्ड सेवा के कर्मचारियों की किन-किन की विभागीय जाँच कब-कब संस्थित की गई? कौन जाँच अधिकारी एवं कौन प्रस्तुतकर्ता अधिकारी हैं? पृथक-पृथक विवरण दें। (ख) प्रश्नांश (क) के कर्मचारियों को जारी आरोप पत्र की प्रतियां उपलब्ध करावें? अब तक विभागीय जाँच पूर्ण न करने के क्या कारण हैं? क्या दोषियों को बचाने के लिए जाँच में विलंब हो रहा है? खम्पारिया एवं मुकेश राय को निलंबित करने के बाद 45 दिवस में आरोप पत्र जारी न करने के लिए स्थापना प्रभारी को कब तक निलंबित किया जावेगा?(ग) कृषि उपज मंडी के किन फर्मों पर कितनी-कितनी राशि कब से बकाया है? विवरण दें तथा बकाया रहते उक्त फर्म की अनुज्ञप्ति क्यों जारी की है, क्या अनुज्ञप्ति निरस्त कर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी? (घ) मंडी कटनी में कितने अनुज्ञा पत्र सत्यापन हेतु शेष हैं? क्या उक्त शाखा प्रभारी उक्त शाखा में पदस्थापना दिनांक से पदस्थ हैं? यदि हाँ, तो उसे कब तक बदला जावेगा?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) कृषि उपज मंडी समिति कटनी मंडी संवर्ग के कर्मचारियों के विरूद्ध वर्ष 2017 से प्रश्न दिनांक तक की स्थिति में संस्थित की गई जाँच की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। कटनी मंडी में पदस्थ रहे राज्य मंडी बोर्ड सेवा के 15 कर्मचारियों के विरूद्ध प्रश्न दिनांक की स्थिति में विभागीय जाँच प्रक्रियाधीन है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कर्मचारियों को जारी आरोप-पत्र की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। विभागीय जाँच शीघ्र पूर्ण कराने की कार्यवाही की जा रही है। दोषियों को बचाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। प्रतिवेदन प्राप्त होने पर गुण-दोष के आधार पर कार्यवाही की जावेगी। (ग) कृषि उपज मंडी कटनी की फर्मों की बकाया राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है। बकाया राशि की वसूली व अनुज्ञप्ति निरस्त न करने वाले दोषियों के विरूद्ध गुण-दोष के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी। (घ) कृषि उपज मंडी समिति कटनी में दिनांक 31.10.2017 की स्थिति में मंडी शुल्क छूट के लिये प्राप्त 1954 अनुज्ञा पत्र सत्यापन के लिये शेष हैं। अनुज्ञा पत्र शाखा प्रभारी श्री अमृतलाल कुजूर मंडी, निरीक्षक मंडी, समिति कटनी में दिनांक 20.04.2013 से पदस्थ हैं तथा वे दिनांक 26.09.2013 से अनुज्ञा सत्यापन शाखा में कार्यरत हैं। पदस्थी बदलने का प्रश्न उदभूत नहीं होता।
कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न की गंभीरता को देखते हुए आपसे संरक्षण चाहता हूं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि प्रश्नांश (क) के उत्तर में संलग्न परिशिष्ट (अ) में दर्शाये गये मंडी कर्मचारियों के विरूद्ध संस्थित विभागीय जांच को कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा इसकी समय-सीमा बताने का कष्ट करें, इसके साथ ही मंडी बोर्ड सेवा के 15 कर्मचारियों की विभागीय जांच कब तक पूर्ण कर ली जायेगी ?
श्री गौरीशंकर बिसेन - माननीय अध्यक्ष महोदय, कृषि उपज मंडी समिति संवर्ग के जो12 कर्मचारी हैं, हम उनकी विभागीय जांच को दो माह में पूरा कर लेंगे तथा जो मंडी बोर्ड के कर्मचारी हैं, इनकी संख्या 15 है, इसमें क्रमांक 1 से 4 इनके ऊपर 2015-16 से आरोप हैं, इनकी जांच को हम इसी माह पूरा कर लेंगे और शेष बाकी 11 के ऊपर 2017 के मामले हैं, इसको थोड़ा समय लगेगा, लेकिन अतिशीघ्र हम इनके भी आरोपों की जांच को पूरा कर लेंगे. जैसे मैंने देखा कि 1 से 4 के विरूद्ध 2016 के और दो 2015 के आरोप हैं, बाकी जुलाई 2017 के आरोप हैं. हम यथासंभव कोशिश करेंगे कि इन जांचों को भी अविलंब पूरी किया जाए. हम इन जांचों को भी तीन महीने के अंदर पूरा कर देंगे.
कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि मंडी समिति सेवा के कर्मचारी श्री पाठक, आर.पी.खम्पारिया, मुकेश कुमार राय के द्वारा मंडी समिति को चार करोड़ से अधिक की आर्थिक क्षति पहुंचायी गई है. मंडी समिति ने यह निर्णय लिया है कि विभागीय जांच पूर्ण होने तक उक्त कर्मचारियों को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए, जिससे जांच प्रभावित न हो, लेकिन आज दिनांक तक उन्हें वहां से अन्यत्र पदस्थ नहीं किया गया है.
श्री गौरीशंकर बिसेन - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज ही उनको हटा दिया जाएगा.
कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दो बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न ओर करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - आपने दो प्रश्न कर लिए हैं, आप एक प्रश्न और कर लीजिए.
कुँवर विक्रम सिंह - प्रश्नांश (ख) में पूछा गया है कि खम्पारिया एवं मुकेश राय को 45 दिनों में आरोप पत्र जारी न करने के लिये स्थापना प्रभारी को कब तक निलंबित किया जायेगा, क्योंकि स्थापना प्रभारी ने आरोप पत्र जारी ही नहीं किया है ?
श्री गौरीशंकर बिसेन - माननीय अध्यक्ष महोदय हमने परिशिष्ट (स) में आरोप पत्र के पूरी विस्तृत जानकारी दी है, माननीय सदस्य उसका अध्ययन कर सकत हैं. मैं कठोर कार्यवाही करूंगा कहीं पर भी हम किसी को नहीं छोड़ेंगे.
कुँवर विक्रम सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैंने पूरे परिशिष्ट को पढ़ा है. मैं एक प्रश्न और पूछना चाहूँगा.
अध्यक्ष महोदय - अब नहीं, अन्य माननीय सदस्यों के भी प्रश्न हैं.
कुँवर विक्रम सिंह - ठीक है.
प्रश्न संख्या12. - (अनुपस्थित)
भितरवार में कृषक संगोष्ठी का आयोजन
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
प्रश्न संख्या 13. ( *क्र. 1810 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दिनांक 28.10.2017 को विकासखण्ड स्तरीय कृषक संगोष्ठी तकनीकी प्रशिक्षण एवं मृदापरीक्षण प्रयोगशाला का लोकार्पण भितरवार में किया गया था? यदि हाँ, तो उक्त कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र को उपलब्ध करावें? क्या उक्त पत्र में सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा निर्धारित प्रोटोकाल का पालन किया गया था? यदि हाँ, तो क्या कार्ड में उल्लेखित नाम जैसे श्री योगेन्द्र सिंह कुशवाह, मण्डल अध्यक्ष भाजपा चीनौर, श्री मुकेश कुमार भार्गव, मण्डल अध्यक्ष भाजपा आंतरी इत्यादि आमंत्रण पत्र में दर्ज अनेकों नाम किस प्रोटोकाल में आते हैं? क्या यह प्रोटोकाल का खुला उल्लंघन है? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं? क्या प्रोटोकाल का उल्लंघन करने वाले अधिकारी के प्रति कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) ग्वालियर जिले में विभाग द्वारा 01 जनवरी, 2017 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन दिनांकों में किन-किन स्थानों पर कृषि महोत्सव, कृषक मेला, कृषक संगोष्ठी, कृषि विज्ञान मेला सहप्रदर्शनी के कार्यक्रमों में किस-किस योजना एवं मद की कितनी-कितनी राशि, किन-किन कार्यों में किस-किस अधिकारी द्वारा व्यय की गयी? (ग) क्या इन योजनाओं में बहुत बड़े स्तर पर शासन की राशि का दुरूपयोग किया गया है? यदि हाँ, तो क्या इन कार्यक्रमों में हुये व्यय की जाँच कराई गई है? यदि हाँ, तो जाँच में कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी द्वारा अनियमितता करना पाया है? उनके नाम स्पष्ट करें? यदि जाँच नहीं कराई गई है तो क्यों?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) जी हाँ। आमंत्रण पत्र पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आमंत्रण कार्ड को तैयार करने के संबंध में प्रोटोकाल निर्धारित नहीं है। उप संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग जिला ग्वालियर द्वारा माननीय जनप्रतिनिधियों को आमंत्रण कार्ड में उपस्थिति हेतु उल्लेख एवं निवेदन किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। (ग) जी नहीं। व्यय का सत्यापन उपरान्त ही भुगतान हुआ है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न में माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आमंत्रण कार्ड को तैयार करने के संबंध में कोई प्रोटोकॉल निर्धारित नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मुझे ऐसा लगता है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने शायद भाऊ के लिए कोई नया सर्कुलर जारी कर दिया है और उस सर्कुलर में लिखा है कि (XXX) अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, आप मेरा पूरा प्रश्न हो जाने दें.
अध्यक्ष महोदय - आप शब्दों की मर्यादा रखें.
श्री लाखन सिंह यादव - जो ज्यादा सेवा करते हैं, उनको सरकारी आमंत्रण दें और विशेष अतिथि के तौर पर आप उनका नाम कार्ड में छपवाएं. मुझे लगता है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने ऐसा कोई सर्कुलर जारी कर दिया है, मात्र भाऊ के लिए. अभी ग्वालियर में दिनांक 28.10 को एक कार्यक्रम कृषि संगोष्ठी का मेरी विधानसभा में हुआ था.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्न कर दें.
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, वही तो कर रहा हूँ. दिनांक 28.10 का एक कार्ड छपा है. सरकारी कार्यक्रम है. उस कार्ड में जो नाम छपे हैं.
अध्यक्ष महोदय - वे तो हैं, आप सीधे प्रश्न कर दें.
श्री लाखन सिंह यादव - मैं सदन को बता देना चाहता हूँ. जो कार्ड में नाम छपे हैं.
अध्यक्ष महोदय - वह सदन में सभी ने पढ़ लिए हैं.
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने पढ़ लिया है लेकिन सदन ने नहीं पढ़ा है. मैं यह जानना चाहता हूँ कि आपने कार्यक्रम में जो नाम छापे हैं. ये नाम क्या प्रोटोकॉल में आते हैं ? (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दें.
.....(व्यवधान) ....
श्री गौरीशंकर बिसेन - आप प्रश्न कीजिये. (XXX)
श्री लाखन सिंह यादव - भैया, आप बैठ जाएं. थोड़ा सुन तो लें, यह क्यों छपवा दिए ? यह सरकारी कार्यक्रम है. आप अपना प्रायवेट कार्यक्रम कराएं.
.....(व्यवधान) ....
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाएं.
श्री लाखन सिंह यादव - यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है.
.....(व्यवधान) ....
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइये. आप प्रश्न नहीं करते, भाषण देते हैं. आप बैठ जाइये. आप भाषण देते हैं.
श्री लाखन सिंह यादव - और ने तो कुछ किया नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - आप लांछन लगाते हैं.
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कोई भाषण नहीं दे रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय - यह बात ठीक नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी के सरकारी खर्चे पर .....(व्यवधान)
.....(व्यवधान) ....
अध्यक्ष महोदय - डॉक्टर साहब, आप बैठ जाएं. दोनों यादव जी, आप बैठ जाइये. बना जी, तिवारी जी आप लोग बैठ जाइये. आप कृपा करके बैठ जाइये.
श्री लाखन सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह निवेदन करना चाहता हूँ कि .......(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आपसे अनुरोध यह है कि आप भाषण न दें. बैठ जाइये.
.....(व्यवधान) ....
डॉ. गोविन्द सिंह - आप भारतीय जनता पार्टी के प्रचार में लगाओगे.
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष जी, उत्तर तो दिलवाइये.
कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या ये प्रोटोकाल में आते हैं ?
.....(व्यवधान) ....
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं.
कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूँ. .....(व्यवधान)
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक घण्टे पहले ये कार्ड डिस्ट्रिब्यूट करते हैं और प्रोटोकॉल में पूरी भारतीय जनता पार्टी की श्रेणी लिखी रहती है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बात करें तो कोई मर्यादा होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए. अपनी बात दृढ़ता से करें, ताकत से करें लेकिन (XXX)
श्री लाखन सिंह यादव - आप मेरे प्रश्न का जवाब ही नहीं आने देना चाह रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मर्यादा हमें भी ध्यान में रखनी चाहिए.
श्री लाखन सिंह यादव - आप बैठ जाइये.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है .....
.....(व्यवधान) ....
श्री लाखन सिंह यादव - आप बैठ जाओ (XXX), आप काहे के लिए ...
श्री उमाशंकर गुप्ता (XXX)
श्री लाखन सिंह यादव - आप हर चीज पर खड़े होगे क्या. आप जब देखो, जब हर प्रश्न पर खड़े होते हो. कोई उत्तर ही नहीं आने देना चाह रहे.
श्री उमाशंकर गुप्ता (XXX)
डॉ. गोविन्द सिंह - संसदीय कार्यमंत्री जी इतना बता दें कि क्या शासकीय धन का उपयोग पार्टी के प्रचार में हो सकता है? इसका जबाव दे दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता - आप मंत्री को तू तड़ाक से बोलोगे, ये कौन सी भाषा है, तुम ऐसा कर लो यार, तुम बुला लो, यह कोई मंत्री से बोलने की भाषा है आपकी, यह कोई तरीका है बात करने का.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय मंत्री जी, आप संसदीय कार्य मंत्री है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय नेता प्रतिपक्ष जी मैं आपसे भी पूछता हूं, आप भी मंत्री रहे हैं कि हाऊस में कोई बात रखी जा सकती है, आलोचना के साथ रखी जा सकती है, दृढ़ता से बात करिए, लेकिन मंत्री से बात करते समय तू तड़ाक की बात करेंगे, असंसदीय बात करेंगे, यह कोई तरीका है. अध्यक्ष महोदय, इसमें कुछ व्यवस्था चाहिए.
श्री लाखन सिंह यादव - आप कोई बात को सुनने दे तब, न आप बीच बीच में खड़े हो जाते हैं, यह कोई तरीका है?
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी कुछ व्यवस्था चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - नेता जी की और सुन लूं फिर व्यवस्था देता हूं.
श्री अजय सिंह - संसदीय कार्य मंत्री से प्रार्थना है कि आप सीधे बात न करें, आपसे तो उम्मीद करते हैं हम लोग कि एक परम्परा स्थापित करें. अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है. मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं(...व्यवधान....)
श्री उमाशंकर गुप्ता - मेरा यह कहना है कि आप जबाव दे, उस बात को उठाए लेकिन क्या माननीय सदस्य को इस प्रकार से बोलना चाहिए क्या? मेरा आग्रह है कि क्या हाऊस में अपनी बात रखते समय, मंत्री से बोलते समय मर्यादा का पालन किया जाना चाहिए कि नहीं किया जाना चाहिए, यह मेरा प्रश्न है? (...व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 14.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपा करके आप संसदीय मंत्री से कह दीजिए कि जब तक मैं प्रश्न पूछ लूं तब तक थोड़ा बैठ लें.
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, उस प्रश्न के पहले मैंने एक बात उठाई है, जिसे आपने भी सुना है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, प्रतिपक्ष के नेता बोल लें फिर आपको अवसर दूंगा.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह चिन्ता का विषय है.
अध्यक्ष महोदय - (सुन्दरलाल तिवारी की ओर देखते हुए) मेरा कहना है, आप बैठे बैठे मत बोलिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - उनको तो जबाव देना नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी बैठ जाइए.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो लाखन सिंह जी ने कार्ड की बात कही. मैं आपके माध्यम से सरकार से पूछना चाहता हूं क्या कोई शासकीय कार्यक्रम में किसी राजनीतिक पार्टी के लोगों के, जो प्रोटोकॉल से संबंध नहीं रखते हैं, उनके नाम क्या कार्ड में छप सकते हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - यदि योग्य आदमी है तो छप सकते हैं, विशेषज्ञ है तो छप सकते हैं, उनकी योग्यता के आधार पर उनको बुलाया गया था. प्रोटोकॉल में यदि अयोग्य आदमी है तो उनको बुलाने की आवश्यकता नहीं है. (...व्यवधान...)
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, विधान सभा के उपाध्यक्ष महोदय के क्षेत्र में भी इसी तरह की घटना हुई, अनेक क्षेत्रों में होती है. मैं आपके माध्यम ये यह पूछ रहा हूं, हमारे मंत्री महोदय खड़े हो गए, जो योग्य हैं.
अध्यक्ष महोदय - डॉक्टर साहब दो मिनट.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - आपकी सरकार के जमाने में तो कलेक्टर सूचना तक नहीं देता था और आपके महामंत्री और पदाधिकारी सभी को बुलाया जाता था, रिकार्ड निकलवाकर देख लो, यह तो हम है जो पालन कर रहे हैं. (...व्यवधान...)
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, यह संसदीय परम्परा है? (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 14.
श्री अजय सिंह - डॉ शेजवार जी, आपका स्वास्थ्य अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है कृपा करके थोड़ा शांति से बैठे रहे. हमारी सरकार जब थी, और जब होगी तो क्या परम्परा रहेगी वह अलग बात है, लेकिन वर्तमान सरकार की बात हो रही है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - माननीय मंत्रियों को गाड़ी नहीं भेजते थे, दिग्विजय सिंह जी फग्गन सिंह कुलस्ते जी को बड़ी मुश्किल से एक बोलेरो उपलब्ध कराते थे, जिसके लिए यह विवाद हुआ है. आप क्या प्रोटोकॉल की बात करेंगे? (...व्यवधान...)
श्री रामनिवास रावत:-माननीय अध्यक्ष,यह क्या तरीका है. (व्यवधान).यह इतने वरिष्ठ हैं और नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं, बड़े अचरज की बात है.
डॉ. गोविन्द सिंह:- क्या यह माननीय मंत्रियों के लिये भी होता है ? (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- जब सदन के नेता प्रतिपक्ष बोलें, तब माननीय मंत्रीगण भी और सभी माननीय सदस्यगण बैठ जायें. नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे हैं, कृपा करके कोई इंटरफेयर न करे. डॉक्टर साहब, बैठ जायें, मेरा सभी सदस्यों से अनुरोध है कि जब सदन के नेता प्रतिपक्ष खड़े होते हैं तो वह किसी प्रकार से व्यवधान न डालें.प्रतिपक्ष के नेता जी को बोलने दें. मैं माननीय मंत्रीगण आदरणीय गुप्ता जी और शेजवार जी को भी बोलने का समय दूंगा.किंतु पहले प्रतिपक्ष के नेता जी बोलेंगे.
श्री अजय सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें एक चीज समझ में नहीं आ रही है कि 14 साल जिस पार्टी की सरकार को चलते हो चुके हों. वह सरकार अभी किसी भी सदन में किसी भी विषय में उदाहरण देते हैं, चाहे वह महिला उत्पीड़न की बात हो, वह 1993-2003 की तुलना करते हैं. 14 साल में, अब तो आप अपने 10-12 साल की तुलना करो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़े ही विनम्रता के साथ कह रहा हूं कि शासकीय धन का दुरूपयोग क्या इस तरह से प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते हुए, ऐसे कार्यक्रम हो सकते हैं ? मैं आपके माध्यम से सरकार के माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- ठीक है. श्री गुप्ता जी, कृपया संक्षेप में कहें.
श्री उमाशंकर गुप्ता:- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने प्रश्न पूछा है तो मैं कहना चाहता हूं कि कार्यक्रम के हिसाब से जो योग्य लगता है, उचित लगता है, उस क्षेत्र में कार्यरत लोग हैं, उनको बुलाना अधिकार है इसमें कोई गलती नहीं है.मैंने तो यह भी देखा है, फिर आप कहेंगे, कई बार तो क्रिमिनल रिकार्डेड लोगों को भी बुलाया है और जब शिकायत हुई राष्ट्रपति जी के स्वागत के लिये...(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- (डॉ. गौरीशंकर जी शेजवार के खड़े होने पर)डॉक्टर साहब, प्लीज एक मिनट आप बैठ जायें.
श्री उमाशंकर गुप्ता :- डॉक्टर साहब, अब आप सुन तो लो.(व्यवधान) आप शांति से बैठिये.
डॉ.गोविन्द सिंह:- आपको सदन चलाना है.इन्हें सरकार चलाना है, (XXX)
अध्यक्ष महोदय :- यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता:- डॉक्टर साहब, जो वास्तविकता है उसे तो स्वीकार करें. इस कार्यक्रम में किसको बुलाना है, इसमें कौन सा खर्चा हो गया, कार्यक्रम तो होना ही था.अतिथि कौन-कौन बुलाये जायेंगे, यह उस समय वहां जैसा उचित लगा बुलाया होगा. विधायक को तो बुलाना ही चाहिये इसमें दो मत नहीं है और बुलाया भी है.
अध्यक्ष महोदय, विधायक को तो बुलाना ही चाहिये, वह तो प्रोटोकॉल है.इसके अतिरिक्त जो जरूरी होगा, उनको बुला लिया होगा. लेकिन मैं जो बात कह रहा था और नेता प्रतिपक्ष जी के पहले कहना चाहता था कि लाखन सिंह जी बहुत सीनियर विधायक हो गये हैं तो सदन में हम बात करते समय हम अपने प्रोटोकॉल की बात करते हैं, विधायक के नाते, मंत्री के नाते तो जब हम सदन में बात करते हैं तो दृढ़ता से कहें, आलोचना करें, कमियां बतायें लेकिन तू-तड़ाक शब्दों का उपयोग करके, हम क्या मैसेज देना चाहते हैं. मेरा केवल इतना ही कहना था.
अध्यक्ष महोदय:- डॉ. शेजवार जी आप कुछ कहना चाहेंगे, कृपया धीमी आवाज में कहें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विनम्र प्रार्थना केवल यही है कि केवल प्रोटोकॉल के नाम पर, यदि योग्य व्यक्ति हैं, यदि उन्हें विषय का ज्ञान है, निरंतर उसमें काम कर रहे हैं और उनको अध्ययन है तो उनको पार्टी के नाम पर उनको अलग नहीं किया जाना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय:- विषय समाप्त.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार:- मेरी एक प्रार्थना यह है कि....
श्री सुन्दरलाल तिवारी:- यह किस नियम में है ?
अध्यक्ष महोदय:- तिवारी जी आप बैठ जायें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी:- क्या सदन नियम-कानून से नहीं चलेगा. किस नियम के अंतर्गत मंत्रियों ने बोला है ?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार:- अध्यक्ष महोदय, मेरा अपना अनुभव है कि जहां पर प्रोटोकॉल का पालन होना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, मैं नियम बताता हूं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- वह नियम बता रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी:- अध्यक्ष महोदय, नियम बताये जायें. (व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार:- अध्यक्ष महोदय, नियम में तो यह भी है कि विधायकों को जिला योजना समिति की बैठक में आना चाहिये.लेकिन आप पूछ लो कि तिवारी जी कितनी बार आते हैं.(व्यवधान)
कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा:- अध्यक्ष महोदय, किस नियम के तहत इन लोगों को बुलाया जा रहा है ? (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी:- अध्यक्ष महोदय, आप नियम बतायें, मंत्रीद्वय ने अपनी बात कही है, उन नियमों का उल्लेख कर दें या जो भी शासन का सर्क्युलर है उसका उल्लेख कर दें.
अध्यक्ष महोदय:- इस विषय पर बहुत देर चर्चा हो गयी है. जबकि यह इतना महत्वपूर्ण विषय नहीं था.(व्यवधान) मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि आपकी बात का उत्तर शासन की ओर से आ गया.
श्री लाखन सिंह यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपया आप निर्देश दे दें.
अध्यक्ष महोदय- इसमें कोई निर्देश नहीं आयेगा.
....(व्यवधान)....
डॉ.गोविन्द सिंह- सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी 13 सर्कुलरों में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि राजनैतिक दल का कार्यकर्ता शासकीय कार्यक्रमों में उपस्थित होगा.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- क्या राजनैतिक दल का कार्यकर्ता देश का सामान्य नागरिक नहीं है ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी- नागरिक है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- यदि वह नागरिक है तो वह कार्यक्रम में आयेगा और कार्यक्रम का अतिथि भी बनेगा. अध्यक्ष महोदय, किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है.
....(व्यवधान)....
श्री सुन्दरलाल तिवारी- (XXX)
श्री अजय सिंह- आप सभी अधिकारों का हनन कर रहे हैं.
....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, मेरा अनुरोध है कि यह विषय बहुत लंबा खिंच गया है, दूसरे और प्रश्न भी हैं.
श्री अजय सिंह- अध्यक्ष महोदय, मैं यह पूछना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश सरकार किसी कानून, किसी परंपरा से चलेगी कि नहीं ? सामान्य प्रशासन विभाग के सर्कुलर समय-समय पर जारी किए जाते हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- क्या किसी के मौलिक अधिकारों को छीना जा सकता है ? यदि नहीं तो उसे मुख्य अतिथि बनने का अधिकार है और कार्यक्रम में जाने का भी अधिकार है.
श्री अजय सिंह- शेजवार जी, आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें.
श्री रामनिवास रावत- शेजवार जी, आप इतने वरिष्ठ मंत्री हैं. यह कौन-सा तरीका है ?
....(व्यवधान)....
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- आप किसी को कोई नियम बनाकर रोक नहीं सकते. यदि आयोजक किसी को बुलाना चाहते हैं तो आप उसे मना नहीं कर सकते हैं.
....(व्यवधान)....
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, शेजवार जी के स्वास्थ्य की चिंता हम सभी को है. कृपया वे अपने स्वास्थ्य का थोड़ा ध्यान रखें. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, जिस परंपरा और मौलिक अधिकार को बता रहे हैं, वह ठीक है लेकिन यदि कोई सरकारी कार्यक्रम है तो वह किसी नियम-कानून-कायदे से होता है. सामान्य प्रशासन विभाग के सर्कुलर के तहत ही कार्ड में नाम छापे जाते हैं. एक ही पार्टी के व्यक्तियों के नाम, विशेषज्ञों के नाम, हो सकते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं यह पूछना चाहता हूं कि यदि उस क्षेत्र का कोई जिला पंचायत सदस्य, कांग्रेस पार्टी का है तो उसका नाम क्यों नहीं है ? वह भी तो विषय विशेषज्ञ है. सरकार जिस तरह से प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा रही है, वह चिंता का विषय है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह किसी एक कार्यक्रम की बात नहीं है. उपाध्यक्ष महोदय के क्षेत्र में भी इसी तरह की घटना हो चुकी है. वह ऐसे संवेदशील मामले पर बात नहीं करना चाहते हैं. लेकिन यह हकीकत है. अध्यक्ष महोदय, हमारा निवेदन है कि आप इस पर निर्देश दें कि सामान्य प्रशासन विभाग का जो प्रोटोकॉल है, उसी के तहत कार्ड छापे जायें और कार्यक्रम हो.
(मेजों की थपथपाहट)
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस पर कुछ कहना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को बतना चाहता हूं कि इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी हैं, अध्यक्षता मेरी है, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रमुख अतिथि के रूप में है, श्री लाखन सिंह यादव जी प्रमुख अतिथि के रूप में हैं.
....(व्यवधान)....
(नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह, श्री लाखन सिंह यादव एवं श्री शैलेन्द्र पटेल द्वारा कार्यक्रम से संबंधित कार्ड सदन में प्रदर्शित किए गए)
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के कई सदस्यगण अपनी-अपनी बात एक साथ कहने लगे)
अध्यक्ष महोदय- कृपया सभी बैठ जायें.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन- वे लोग भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता होने से पहले किसान हैं. अध्यक्ष महोदय, यह कार्यक्रम किसान संगोष्ठी का है. कृषक संगोष्ठी के कार्यक्रम में आम लोगों और किसानों को बुलाया जा सकता है. हमने किसान प्रतिनिधियों को बुलाया था.
डॉ.गोविन्द सिंह- (XXX)
श्री उमाशंकर गुप्ता- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों की संगोष्ठी में किसानों को क्यों नहीं बुलाया जा सकता है ?
....(व्यवधान)....
श्री सुन्दरलाल तिवारी- इसका नियमों में कहीं उल्लेख नहीं है. यदि है तो माननीय अध्यक्ष महोदय, ये लोग आपके माध्यम से सदन को बतायें.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन- हमने पूरे प्रोटोकॉल का पालन किया है और सामान्य प्रशासन विभाग के सभी नियमों का भी पालन किया है.
....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह किसान विरोधी मानसिकता है. ये किसानों का विरोध कर रहे हैं. हम किसानों की भलाई के लिए कार्यक्रम कर रहे हैं. यही कांग्रेस की मानसिकता है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, (XXX)
अध्यक्ष महोदय- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
प्रश्न संख्या 13 पर उत्पन्न हुए विवाद के संबंध में
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त हो गया है. वह विषय समाप्त हो गया है. आपने सुना ही नहीं कि प्रश्नकाल समाप्त हो गया है. कृपया सभी बैठ जाएं. शून्यकाल की सूचनाएं होने दें इसके बाद ही मैं कुछ बात सुनूंगा. अभी मैं कुछ नहीं सुनूंगा. आप कृपा करके बैठ जाइए. आप दूसरों के विषय उठाने देंगे कि नहीं. लाखन सिंह जी आप भी बैठ जाइए.
''आज एक साधारणत: विषय पर सदन के महत्वपूर्ण 25 मिनट चले गए. सदस्यों के महत्वपूर्ण प्रश्न चले गए. यदि माननीय सदस्य इसी प्रश्न को पिन प्वाईंट पूछ लेते तो शायद शासन से पिन प्वाईंट उत्तर आ जाता. उसकी बजाय उन्होंने आक्षेप लगाया और इसी कारण यह झंझटें हुईं. मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सदन की उच्च परम्परा को देखते हुए अपनी भाषा संयत रखें ताकि सदन का समय खराब न हो. अब सारे विषय समाप्त हैं जो कुछ भी बात करना है आप अलग से शिकायत कर सकते हैं.''
12.02 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय-- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1. श्री विजय सिंह सोलंकी
2. श्री सूबेदार सिंह रजौधा
3. श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर
4. श्रीमती शीला त्यागी
5. श्री प्रताप सिंह
6. श्री हरदीप सिहं डंग
7. श्री रामनिवास रावत
8. श्री नीलांशु चतुर्वेदी
9. श्रीमती ऊषा चौधरी
10. श्री शैलेन्द्र पटेल
श्री रामनिवास रावत-- सूचनाएं बांटी ही नहीं हैं कि कौन-कौन सी हैं. सदस्यों को पता ही नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय-- इसीलिए कि उसमें पहले से तय था कि पढ़ी हुई मानी जाएंगी चूंकि एक माननीय सदस्य ने अनुरोध किया था कि पढ़वा लें इसलिए मैंने नाम पढ़ा.
श्री रामनिवास रावत-- अब हमारा निवेदन भी सुन लें थोड़ा सा.
अध्यक्ष महोदय-- अब आप बोल लीजिए.
12.03 बजे शून्यकाल में उल्लेख
(1) बालाघाट जिले की जनपद पंचायत नेत्रा ग्राम में एक किसान द्वारा आत्महत्या किया जाना
श्री मधु भगत (परसवाड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे बालाघाट जिले की जनपद पंचायत के नैत्रा ग्राम में कल एक किसान ने बिजली कटौती के चलते आत्महत्या की और यह गृह निवास हमारे कृषि मंत्री जी का ही है. इसमें किसान के ऊपर दो लाख रुपए का कर्ज था. साहूकार का कर्ज, सोसायटी का कर्ज, बिजली कटौती का उसके ऊपर भार था. वह निरंतर 8 दिन से बिजली मांग रहा था पर उसको बिजली नहीं मिलने की वजह से उसने रात में आत्महत्या कर ली. अध्यक्ष महोदय यह बिजली कटौती कब बंद होगी ?
अध्यक्ष महोदय-- भाषण नही देना है वह सिर्फ सूचना है.
(2) प्राईवेट मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के खिलाफ 2 हजार करोड़ की अनियमितता भ्रष्टाचार होने की शिकायत विषयक
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा मेडिकल कॉलेजों के प्रवेश हेतु आयोजित की जाने वाली वर्ष 2010-11, 2012-13 की परीक्षाओं का सी.बी.आई द्वारा संज्ञान लिया गया. प्राईवेट मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के खिलाफ 2 हजार करोड़ की अनियमितता, भ्रष्टाचार होने की शिकायत मिली और सी.बी.आई. द्वारा चालान प्रस्तत किया गया है. इसी तरह नीट में भी काउंसलिंग में अनियमितताएं हुईं हैं.(XXX).{विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) की और इशारा करते हुए बोला गया} इतना बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है. प्रदेश की मेडिकल व्यवस्थाएं ठप्प हो चुकी हैं. इतने बड़े भ्रष्टाचार पर हमारे द्वारा स्थगन, ध्यानाकर्षण दिया गया है. प्रदेश की सवा सात करोड़ जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मामला है कि मेडिकल कॉलेज की भर्ती परीक्षाओं में किस तरह से प्रवेश दिया जा रहा है. एक-एक करोड़ रुपए लेकर प्रवेश दिया जा रहा है. हद तो वहां हो गई कि प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री एक तरफ प्रमुख सचिव को लिखते हैं कि इनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए और उच्च शिक्षा मंत्री कहते हैं कि इनके खिलाफ कठोर वैधानिक कार्यवाही की जाए.(XXX). हमने स्थगन दिया है आप चर्चा तो करा लें.
अध्यक्ष महोदय-- आपका विषय आ गया है.
श्री राम निवास रावत-- बात तो आ गई है आप चर्चा तो करा लें.
अध्यक्ष महोदय-- शून्यकाल में वाद-विवाद नहीं होता है.
श्री रामनिवास रावत-- यह भ्रष्टाचार ऐसे ही चलता रहेगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप वरिष्ठ सदस्य हैं. वाद-विवाद नहीं होगा.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, (XXX)
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, रामनिवास रावत जी ने जो अभी कहा है उसे कार्यवाही से निकलवा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- जो रामनिवास रावत जी ने गुप्ता जी के बारे में कहा है उसे कार्यवाही से निकाल दें.
मंदसौर जिला मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना के संबंध में
(3) श्री यशपाल सिंह सिसोदिया(मंदसौर)--अध्यक्ष महोदय, मंदसौर शहर के गांधी चौराहे पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सामने बीते एक सप्ताह से मंदसौर जिला मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना को लेकर धरना और प्रदर्शन किया जा रहा है. सामाजिक और स्वयंसेवी संगठन इस आंदोलन में अहम् भूमिका निभाकर शासन, प्रशासन से मेडिकल कॉलेज की स्थापना की मांग कर रहे हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी और सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ.
श्री रामनिवास रावत--सरकार नहीं मान रही है आप बहिर्गमन कर जाओ.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--आपके परामर्श की आवश्यकता नहीं है.
(4) सागर जिला चिकित्सालय का मेडिकल कॉलेज में विलय समाप्त करने विषयक
श्री हर्ष यादव (देवरी)--अध्यक्ष महोदय, सागर जिला चिकित्सालय का मेडिकल कॉलेज में विलय होने से पूरे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं, खासतौर से गरीब मरीज परेशान हैं. एक तुगलकी आदेश के द्वारा मर्ज करने की कार्यवाही की गई है. मध्यप्रदेश में ऐसा कहीं नहीं हुआ है. मेरा आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी और स्वास्थ्य मंत्री जी से आग्रह है कि मर्जर की कार्यवाही खत्म की जाए. जो स्वास्थ्य सुविधाएं पहले जिला चिकित्सालय से मिलती थीं वे पूर्ववत् मिलती रहें.
(5) सागर जिला चिकित्सालय का मेडिकल कॉलेज में विलय समाप्त करने विषयक
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)--अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं श्री हर्ष यादव जी की बात का समर्थन करता हूँ. सागर नगर में मर्जर के बाद की परिस्थितियां बहुत विकराल हो गई हैं. वहां पर स्वास्थ्य सेवाएं लगभग पंगु हो गई हैं. शासन से मेरा भी अनुरोध है कि डी-मर्जर की कार्यवाही जो शासन स्तर पर लंबित है उस पर अतिशीघ्र कार्यवाही की जाए.
(6) रीवा जिले में मनीष पटेल नामक युवक के साथ मारपीट विषयक.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज)--अध्यक्ष महोदय, रीवा जिले में मनीष पटेल नामक युवक के साथ 3 दिन पहले मारपीट हुई उसमें पुलिस का भी कहीं-न-कहीं सहयोग रहा है. वह रीवा अस्पताल में एडमिट है. मरणासन्न स्थिति में है, वह गरीब आदमी है. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि उसे समुचित इलाज के लिए बाहर भेजा जाए. जिन्होंने उसके साथ मारपीट की है उन पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए.
(7) खण्डवा से इच्छापुर मार्ग पर हो रही दुर्घटनाओं विषयक.
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा 21 नंबर पर लोक निर्माण विभाग से संबंधित प्रश्न भी था. 4-5 जिलों की प्रमुख सड़क जो कि खण्डवा से इच्छापुर तक जाती है. 4-6 महीने पहले उस पर टोल टैक्स का बेरियर हट चुका है जिसके कारण कारण नेशनल हाई-वे का ट्रेफिक इस रोड से जा रहा है इसके कारण प्रतिदिन गंभीर दुर्घटनाएं हो रही हैं. मेरा अनुरोध है कि वहां पर भारी वाहनों पर टोल टैक्स की व्यवस्था की जाए या भारी वाहनों को उस रोड पर आने से रोका जाए.
(8) श्रीमती नीलम जैन को उनके पति की मृत्यु हो जाने से अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने विषयक.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)--अध्यक्ष महोदय, दिनांक 1.6.2017 को मां नर्मदा मंदिर परिसर के बाहर स्थित तीर्थ कोटि स्नान कुण्ड में करंट लगने से संजय कुमार जैन, वार्ड - 4 भारतपुर, टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश) की मुत्यु हो गई थी. उनकी पत्नी श्रीमती नीलम जैन न्याय के लिए दर-दर भटक रही है. आज दिनांक तक उसको शासकीय नौकरी नहीं मिल पाई है. शासन से अनुरोध है कि उसे शासकीय नौकरी दी जाए.
(9) सिवनी शहर में 15 साल की बालिका के साथ दुष्कर्म
श्री दिनेश राय (सिवनी)--अध्यक्ष महोदय, सिवनी शहर में 15 साल की बच्ची जो कि छिंदवाड़ा से आई थी उसके साथ दुष्कर्म किया गया है. इसमें जो लोग गिरफ्तार हुए हैं उनको वहां के सफेदपोश नेताओं द्वारा संरक्षण देकर अभी तक बचाया गया है. इसी के साथ एक और शून्यकाल की सूचना है कि नहर का पानी छोड़ा गया है वह पूरे क्षेत्र को नहीं मिल पा रहा है.
अध्यक्ष महोदय--दो विषय नहीं लिए जाते हैं.
(10) पत्रकार के समाचार छापने पर आरक्षक को निलंबित किया जाना
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद)--अध्यक्ष महोदय, दिनांक 25.11.2017 को एक पत्रकार ने कटनी कोतवाली के टीआई के खिलाफ समाचार छापा था. उस पत्रकार के खिलाफ दिनांक 28.11.2017 को केस दर्ज करके आरक्षक को सस्पेंड कर दिया गया है. जबकि टीआई के बारे में समाचार पत्रकार ने छापा था मेरी इस सूचना पर ध्यान दिया जाए.
(11) शिवपुरी जिले के खनियाधाना नगर पंचायत में 48 वाल्मीक परिवारों के घरों को जलाया जाना.
श्री के.पी. सिंह (पिछोर)--अध्यक्ष महोदय, इसे विषय में मैंने आपसे व्यक्तिगत चर्चा भी की है और वही बात आज सदन में रख रहा हूँ. शिवपुरी जिले के खनियाधाना नगर पंचायत में 48 वाल्मीक परिवारों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है. उनके घर जला दिए गए हैं. इस संबंध में मैंने ध्यानाकर्षण भी लगाया था लेकिन वह आज तक आ नहीं पाया है इलसिए मुझे आज यह बात करना पड़ रही है. माननीय गृह मंत्री जी सदन में विराजमान हैं. जो आरोपी हैं जिनकी नामजद एफआईआर है वे हमारे प्रभारी जिले के मंत्री जी के साथ में खड़े होकर कार्यक्रम कर रहे हैं. नामजद आरोपी होने के बावजूद किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है. मैं गृह मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि जो 48 वाल्मीक परिवार वहां रहते हैं उनके मन में सरकार के प्रति क्या संदेश जा रहा है. कृपा करके उन आरोपियों को जो सरेआम घूम रहे हैं, दौरों में संग घूम रहे हैं उन आरोपियों को तो गिरफ्तार करवा दें. यह बात इसलिए रखना पड़ रही है क्योंकि शायद आज आप सदन का समय समाप्त करने वाले हैं.
बीएचईएल क्षेत्र में नवीन कॉलेज बिल्डिंग बनाने विषयक
श्री बाबूलाल गौर (गोविंदपुरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है.मध्यप्रदेश सरकार ने 7 करोड़ 10 लाख रुपयों की बीएचईएल में कॉलेज बनाने की स्वीकृति दी है और वह जमीन जहाँ पर कॉलेज बनना है वहाँ बीएचईएल की पुरानी खुद की बिल्डिंग बनी हुई है. ना तो वह खुद अपनी बिल्डिंग बनाते हैं और ना ही हमको बनाने की अनुमति देते हैं तो मेरा अनुरोध है कि सरकार दबाव डाले क्योंकि लगभग 2000 हजार लड़कियाँ उस कॉलेज में पढ़ती हैं.वह विद्यालय जर्जर हो चुका है औऱ कभी भी गिर सकता है सरकार ने जो 7 करोड़ 10 लाख रुपयों की मंजूरी दी है उसकी स्वीकृति हो जाये ताकि वह कॉलेज बन जाये.
सिंहस्थ के दौरान पदस्थ किये गये होमगार्ड्स को पुलिस के रिक्त पदों पर नियुक्ति देने विषयक
श्री कैलाश चावला (मनासा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ 2016 में होमगार्ड्स के जवानों की भर्ती की गई थी और सिंहस्थ के बाद उनको निकाल दिया गया उसके बाद फिर एक बार आपदा प्रबंधन के लिए उनको 3 माह के लिए बुलाया गया फिर उनके किट जमा करा दिये गये उनका प्रशिक्षण भी हुआ है और उनका समय भी लगा है लेकिन आज उनको बेरोजगारी की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है तो जो होमगार्ड के रिक्त पद हैं और पुलिस की जो भर्ती हो रही है उसमें उनको रखने के लिए विचार किया जाये यह मेरा अनुरोध है.
चित्रकूट स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उन्नयन विषयक
श्री नीलांशु चतुर्वेदी(चित्रकूट) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से निवेदन करना चाहूंगा कि सतना जिले के चित्रकूट विधान सभा क्षेत्र के जैतवारा, बिरसिंगपुर और चित्रकूट में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होने से पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पाने के कारण उक्त क्षेत्र की जनता को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. गरीबों को किराया लगाकर सतना एवं अन्यत्र जाना पड़ता है जिससे गरीब तबके के लोगों को बड़ी परेशानी होती है. डॉक्टर्स की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कमी है. उक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का उन्नयन कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिवर्तित ना होने के कारण क्षेत्र की जनता में भारी रोष एवं आक्रोश है.
12.12 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) वाणिज्यिक कर विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-60-2015-1/पांच(119), दिनाँक 13 अक्टूबर, 2017
(2) (i) मध्यप्रदेश प्री आयुर्वेद, हौम्योपैथी, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग(मध्यप्रदेश पाहुन्ट) स्नातक प्रवेश परीक्षा नियम, 2017,
(ii) मध्यप्रदेश एम.डी.(होम्यो) स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रवेश नियम, 2017, तथा
(iii) मध्यप्रदेश एम.डी. (आयुर्वेद)/ एम.एस.(आयुर्वेद) स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के प्रवेश नियम, 2017
(3) नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक लेखा वित्तीय वर्ष 2016-2017
12.14 बजे ध्यानाकर्षण
(1) बालाघाट जिले की कई तहसीलों के कृषकों को फसल बीमा की राशि ना मिलना
श्री के.डी. देशमुख (कटंगी),(सुश्री हिना लिखीराम कावरे)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
12.18 बजे (उपाध्यक्ष महोदय { डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह } पीठासीन हुए)
श्री के.डी.देशमुख -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बालाघाट जिला मध्यप्रदेश में धान उत्पादक जिला है और वहां पर धान के अलावा अन्य कोई फसल नहीं होती. सिंचाई के साधन जहां उपलब्ध हैं कुछ मात्रा में वहां पर गेहूँ उत्पन्न होता है. जैसा माननीय मंत्री जी ने कहा, मैं कहना चाहता हॅूं कि आज मध्यप्रदेश में बालाघाट जिले के किसान सबसे ज्यादा दुखी हैं. फसल लग गई. जून और जुलाई महीने में जितना पानी आना चाहिए था, उतना पानी नहीं आया, जिससे धान की रोपाई नहीं हो पायी और धान की जहां-जहां रोपाई हुई, धान की अच्छी फसल आने के बाद बालाघाट जिले के परसवाड़ा क्षेत्र, लांजी क्षेत्र, कटंगी क्षेत्र, तिरोड़ी क्षेत्र, खैरलांजी क्षेत्र में और लालबर्रा क्षेत्र जो माननीय मंत्री जी का क्षेत्र है...
उपाध्यक्ष महोदय -- देशमुख जी, आपका प्रश्न क्या है ? आप केवल प्रश्न पूछें. आपकी सूचना में यह सारी बातें आ गईं हैं.
श्री के.डी. देशमुख -- माननीय उपाध्यक्ष जी, यह प्रश्न की भूमिका है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप जो उल्लेख कर रहे हैं, ये सारी बातें आपकी ध्यानाकर्षण की सूचना में हैं.
श्री के.डी. देशमुख -- माननीय उपाध्यक्ष जी, धान के पौधे में जब बाली आ गई, उसमें आई हुई फसल में पूरी माहो लग गई, जो धान की एक बीमारी है. इसके अलावा करपा, ब्लास्ट बीमारियां भी लगने से आई हुई फसल पूरे जिले में नष्ट हो गई है. पूरे जिले के लोगों ने फसल बीमा कराया है, लेकिन फसल बीमा में जहां कीट और माहो से फसल नष्ट हुई है, उसका कोई बीमा नहीं हुआ है, कोई क्रॉप कटिंग नहीं हुई है. जबकि फसल बीमे के प्रारूप में प्रावधान है कि फसल की बोवाई से लेकर कटाई होने तक रोग लगने पर भी इनको शामिल किया जाएगा, लेकिन यह वहां नहीं हुआ है. पूरे बालाघाट जिले में पूरी फसल नष्ट हो गई है, खासतौर से कटंगी तहसील में, तिरोड़ी तहसील में.
उपाध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न आ गया.
श्री मधु भगत (परसवाड़ा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ये बिल्कुल सत्य बोल रहे हैं. बालाघाट जिले में माहो, करपा से पूरी फसल नष्ट हो गई है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं, आपकी सहायता की उनको जरूरत नहीं है.
श्री के.डी. देशमुख -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एग्रीकल्चर बीमा कंपनी ने बीमा कराया, कीट और माहो से फसल को नुकसान हुआ है, उसको शामिल नहीं किया गया है, इसकी क्रॉप कटिंग नहीं हो पाई है. मेरा कहना है कि इसकी भी क्रॉप कटिंग होनी चाहिए और कीट, माहो से नुकसान को भी फसल बीमा योजना में शामिल करना चाहिए.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बालाघाट जिले के जिन भी किसानों ने कॉ-ऑपरेटिव्ह बैंकों से ऋण लिया, उनके बीमे का प्रीमियम ऋणी किसान के रूप में कटा है. अऋणी किसान, जिन्होंने बीमे का प्रीमियम दिया है, उनके बीमे का शुल्क जमा हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय, बीमे के संदर्भ में, जैसा मैंने ध्यानाकर्षण के उत्तर में कहा है कि तिरोड़ी और कटंगी तहसीलों के 25 पटवारी हलका नंबर ग्राम ऐसे हैं, जहां पर 75 प्रतिशत फसल का ट्रांसप्लांटेशन नहीं हो सका है, फसल उगी ही नहीं है, उनके दावे बन रहे हैं और उन दावों का अतिशीघ्र भुगतान होगा क्योंकि उन प्रकरणों में जहां पर 75 प्रतिशत अंकुरण नहीं होता, वहां पर एक ही बार जो स्केल ऑफ फाइनेंस है, बालाघाट जिले में धान का असिंचित का स्केल ऑफ फाइनेंस 24 हजार है और सिंचित का 32 हजार है, उसका 25 प्रतिशत मतलब असिंचित में 6 हजार और सिंचित में 8 हजार किसानों के खाते में बीमा कंपनी के द्वारा भुगतान किया जाएगा क्योंकि वहां पर क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट नहीं होते. दूसरी बात यह है कि उन क्षेत्रों में, चाहे वह लांजी हो, चाहे परसवाड़ा हो, चाहे किरनापुर हो, चाहे लालबर्रा हो, इसके अलावा इन तीन तहसीलों में और हमारे जिले की सभी तहसीलों में क्रॉप कटिंग एक्सपेरेमेंट होते हैं. जो एसएलआर के यहां से रेंडम नंबर आते हैं, उन रेंडम नंबर के आधार पर उस पटवारी हलका नंबर के खसरों का भाग दिया जाता है और अंत में जो नंबर आता है यदि वह धान वाला है तो वहां पर फसल कटाई के तजूर्बे लिए जाते हैं. यह वर्तमान फसल बीमे के आंकलन के मानदंड हैं. इसके अनुरूप अभी फसल कटाई के तजूर्बे लिए गए. उपाध्यक्ष महोदय, यह बात सही है, मैं स्वयं माननीय सदस्य के साथ उनके क्षेत्र में प्रवास पर था, 25 गांवों का हमने दौरा किया था, वहां पर ट्रांसप्लांटेशन नहीं हो सका था, तो प्रथम कैटेगरी में तो इनको लाभ मिलेगा, लेकिन दूसरी श्रेणी में, जैसा मैंने आपसे कहा कि खैरलांजी विधान सभा क्षेत्र के 80 ग्रामों में 992 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल प्रभावित हुई, उनको भी चूँकि वहां पर थ्रैशहोल्ड, जो उपज है, उससे आधी से अधिक नुकसान में गई है, तो उनको भी बीमे के कवरेज का लाभ मिलेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, थ्रैशहोल्ड का एक मानदंड है, जो वास्तविक उपज में से घटाया जाता है, उसके बाद में जो आता है, उसमें थ्रैशहोल्ड का भाग दिया जाता है और स्केल ऑफ फाइनेंस से उसका गुणा किया जाता है तो इसमें जो बैठता है वह मान लीजिए कि लगभग 27 क्विंटल थ्रैशहोल्ड आया और 12 क्विंटल वास्तविक उपज आई तो उसमें लगभग 14 से 16 हजार रुपये के बीमे का दावा बनता है. सारे बीमे के दावे बालाघाट जिले में बनाए जा रहे हैं. मुझे लगता है बीमे के दावे बनने में कहीं पर भी किसी तरह की लापरवाही नहीं होगी, इन 25 पटवारी हलका नंबर ग्रामों को अविलंब भुगतान करने के लिए हमने दावा बीमा कंपनी के सामने प्रस्तुत किया है. रहा सवाल तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करने का, तो इस संदर्भ में भारत सरकार की गाइडलाइन है, यहां पर जो रेन्स आनी चाहिए, वे रेन्स निश्चित रूप से पिछले वर्ष से कम हैं लेकिन अभी फसल कटाई में क्या तजूर्बे आते हैं, इन दोनों की गणना करने के बाद शासन स्तर पर माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय राजस्व मंत्री जी इसमें कोई निर्णय लेंगे. चूँकि इसमें भारत सरकार की गाइडलाइन है, अत: उसका पूरा पालन करना पड़ेगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- देशमुख जी, आपके सभी सवालों के जवाब आ गये.
श्री के.डी. देशमुख -- उपाध्यक्ष महोदय बस एक-दो प्रश्न और करना चाहता हूं. पूरे बालाघाट जिले में इस समय किसान संकट में हैं. कीट व्याधि लगी है, जिससे किसानों में हाहाकार मचा हुआ है. मैं हकीकत बता रहा हूं, मेरे साथ और विधायक साथी परसवाड़ा, वारासिवनी के हैं. मैं यह कह रहा हूं कि जैसे छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने ...
उपाध्यक्ष महोदय -- आप स्टेट से बाहर क्यों जा रहे हैं ? आप अपना प्रश्न कीजिये.
श्री के.डी. देशमुख -- उपाध्यक्ष महोदय, हमारा प्रदेश मध्यप्रदेश है, लेकिन मैं वहां की बात रख रहा हूं. वहां पर अन्य जगहों की हवा चल रही है उससे आपके माध्यम से शासन को अगवत करा रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- इस बारे में आप इतना संदर्भ दे चुके कि एक छोटी पुस्तिका प्रकाशित की जा सकती है. अब आप प्रश्न करिये.
श्री के.डी. देशमुख -- उपाध्यक्ष महोदय, मैंने उदाहरण दिया है. छत्तीसगढ़ से यह हवा चल रही है कि वहां के मुख्यमंत्री जी ने 300 रुपये प्रतिक्विंटल धान पर बोनस दिया है. इसी प्रकार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री जी ने वहां के किसानों का एक लाख रुपये का कर्जा माफ किया, तो हमारे प्रदेश के किसान हमसे कहते हैं कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि अन्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने जैसा किया वैसा हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी भी करेंगे और कोई रास्ता निकालेंगे. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि बालाघाट जिले की कटंगी, तिरोड़ी, खैरलांजी तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिये शासन क्या कार्यवाही कर रहा है ?
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शासन ने जिले के कलेक्टर, से जो मानदण्ड के अनुरूप हैं, वह प्रारूप मंगाया है. वह प्रक्रियाधीन है और परीक्षण चल रहा है.
श्री मधु भगत -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्न माननीय कृषि मंत्री जी से है कि माहो, करपा ब्लास्ट से धान की पकी हुई फसल नष्ट हुई, क्या यह फसल बीमा योजनांतर्गत आएगी ? क्या इसका मुआवजा मिलेगा ?
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन -- जी हां.
श्री मधु भगत -- उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को धन्यवाद.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल (वारासिवनी) -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा विधानसभा क्षेत्र वारासिवनी में पूरी माहो कीट से फसल समाप्त हो गई है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि फसल बीमा दिलाने का काम करें. मेरे क्षेत्र की कुछ असिंचित भूमि है, वहां भी फरहा नहीं लग पाया, क्रापिंग नहीं हुई, तो उसकी ओर भी माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कर रहा हूं.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन -- उपाध्यक्ष महोदय, आरबीसी 6(4) का प्रावधान लागू होगा. जहां पर रोपाई नहीं हो सकी और जहां पर फसलों को नुकसान हुआ है वहां पर उत्पादन थ्रैश होल्ड से 80 प्रतिशत नीचे आएगा तो अपने आप ही उस पर बीमे का दावा बनेगा और हम पूरा विस्तृत सर्वे करा रहे हैं. बालाघाट जिले में अधिकतम बीमे के दावे बनाये जा रहे हैं और उसका पूरा रिकार्ड हम तैयार करवा रहे हैं. वारासिवनी क्षेत्र, लांजी क्षेत्र की और पूरे जिले की चिंता की जाएगी. ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल जी, अपनी ध्यानाकर्षण सूचना पढ़ेंगे.
2. धार जिले के कुक्षी एवं डही आदिवासी क्षेत्र में डायवर्सन को लेकर अधिकतम पेनाल्टी लगाई जाना
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल (कुक्षी) -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है-
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- उपाध्यक्ष महोदय,
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा विधान सभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है और दो नगर पंचायतें हैं, एक कुक्षी और दूसरा डही. 2009 में डही नगर पंचायत बनी, उसके पहले वह पंचायत थी, उसकी करीबन 1000 से 1500 की जनसंख्या थी. मुख्यमंत्री जी द्वारा 2009 में घोषणा के बाद उसको नगर पंचायत बनाया गया. एसडीएम, राजस्व अधिकारी, कुक्षी ने जो नोटिस दिये हैं, वह तब के हैं. तब वह चीज लागू ही नहीं होती थी और यह किया तो किया, उन लोगों को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया. अगर उनको सुनवाई का मौका देते और दूसरा इसमें सरकार के नियम हैं कि मिनिमम 2 प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत तक दण्ड करना चाहिये. तो उन्होंने मेक्सीमम 20 तक दण्ड कर दिया. अब जिसका मकान मान लीजिये 2 लाख का है, उस पर पेनाल्टी लग गई 4 लाख रुपये और उसको सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया. इसमें अधिकतर लोग ट्रायबल के हैं. अब ट्रायबल का व्यक्ति इतनी पेनाल्टी दे नहीं सकता और उसको सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया. इसी तरह से कुक्षी में भी हुआ है. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि जितने भी प्रकरण पंजीबद्ध हुए हैं, उन सभी प्रकरणों में सुनवाई के लिये और जवाब देने के लिये एक और अवसर दिया जाये. दूसरा, जिन प्रकरणों का निराकरण इनके बाद होगा, उन प्रकरणों पर जो दबाव डालकर पेनाल्टी वसूल की जा रही है, उस पर रोक लगाई जाये और जो मैंने एसडीएम, कुक्षी की बात कही है, वह अधिकतर प्रकरणों में या वह शासन से चल रहा हो या 151 की कायमी होकर एसडीएम के पास आता है, तो अगर वह नहीं मानता है, तो उस आदमी को वे थाने में बैठा देते हैं और वापस बुलाकर उसको जेल पहुंचा देते हैं. अब आप देखिये कि ट्रायबल के व्यक्तियों पर अगर इस तरीके की कार्यवाही होगी, तो यह उचित नहीं है, इससे वहां पर लॉ एण्ड ऑर्डर की सिचुएशन आयेगी और ट्रायबल वर्सेस एडमिनिस्ट्रेशन हो जायेगा. मेरा अनुरोध है कि वहां पर इस तरह का दबाव भी एसडीएम महोदय नहीं बनायें, यह मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं और अगर उनको लगता है कि यह चीज उन्होंने जो शासन से लिखकर भेजी है, वह ठीक है, तो एक जांच समिति यहां से भेज दें या फिर एक वरिष्ठ अधिकारी से मेरे समक्ष उसकी जांच करवा दें, ताकि इसका सही रुप से निराकरण हो सके. अगर इसकी जांच वही अधिकारी करेगा, तो उसका हल निकलने वाला नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, इनका प्रश्न यह था कि क्या उनको दोबारा सुनवाई का मौका दिया जायेगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय, एक बार जिनकी सुनवाई हो गई है, इसके अतिरिक्त वे कोई तथ्य देना चाहते होंगे, तो हम सुन लेंगे, यह हम कह देंगे. लेकिन जैसा माननीय सदस्य कह रहे हैं कि जिनकी अगर सुनवाई नहीं हुई है या आपका कहना है कि उस समय से नोटिस दिये गये हैं..
उपाध्यक्ष महोदय -- 2009 के पहले, जब नगर पंचायत नहीं बनी थी.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- हां, उस परिधि में नहीं आते हैं. ये जो आवेदक है, वे जिसको भी लिखकर देंगे, हम यह निर्देश जारी कर देंगे कि उनकी पूरी सुनवाई करके ही वसूली की जाये.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल -- मंत्री जी, धन्यवाद.
श्री कैलाश चावला ( मनासा ) -- उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि ध्यानाकर्षण में यह बात उठायी गई है कि 20 प्रतिशत की पेनाल्टी के नोटिस किसानों को दिये जा रहे हैं और वह राशि लाखों रूपये में जा रही है, इसके कारण किसानों में अनावश्यक रूप से असंतोष पैदा हो रहा है. दूसरी बात यह है कि 59(2) में इस बात का उल्लेख है कि लगभग 100 वर्गमीटर तक अगर किसान अपनी खेती के कार्य के लिए कोई निर्माण कार्य करता है तो उसे डायवर्सन की जरूरत भी नहीं है, उसके बाद में भी ऐसे किसानों पर जुर्माना किया जा रहा है. मेरे विधान सभा क्षेत्र मनासा में भी ऐसे जुर्माने किये गये हैं. मैं मंत्री जी से यह प्रश्न करना चाहूंगा कि क्या वे राजस्व अधिकारियों को पुन: निर्देश देंगे कि 59(2) के तहत जो प्रावधान हैं, उसमें अगर किसान कृषि के उद्देश्य से कोई मकान बनाता है जिसमें वह पेस्टीसाइड रखता है, खाद रखता है, कोई इक्यूपमेंट रखता है या मजदूरों को रहने के लिए बनाता है तो ऐसे निर्माणों पर 59(2) का प्रावधान लागू होता है, इसलिए उनको नोटिस न दें और उन पर पेनाल्टी न लगायें. क्या यह निर्देश पुन: जारी करेंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय, जो नियम हैं उसके तहत ही कार्यवाही की जाय, इससे हटकर कार्यवाही न की जाय इस तरह के निर्देश हैं लेकिन माननीय हमारे वरिष्ठ सदस्य ऐसा कह रहे हैं तो हम पुन: इस निर्देश को जारी कर देंगे.
श्री कैलाश चावला -- उपाध्यक्ष महोदय, अगर निर्देश का पालन नहीं हो रहा है तब ही हम मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. मैंने इसमें अपने विधान सभा क्षेत्र का मामला भी बताया है. मैंने उसमें सेक्शन भी बताया है. मेरे पास में कुछ ऐसे प्रकरण भी आये हैं मैंने वह कलेक्टर के नोटिस में भी लाये हैं, लेकिन अगर लाखों रूपये का नोटिस एक गरीब किसान को दिया जाता है तो उसकी मन:स्थिति बहुत खराब होती है. इसलिए 2 प्रतिशत से 20 प्रतिशत का जो मामला है. एक तरफ सरकार मकान बनाने के लिए 1.5 लाख रूपये भी दे रही है. आवास के पट्टे भी दे रही है. अगर ऐसा कोई छोटा मोटा मकान किसी ने बनाया है तो शासन की नीति क्या है यह अधिकारी को समझना चाहिए कि आवास के लिए शासन खुद अपनी जमीन देने के लिए तैयार है और किसान ने खुद की जमीन पर अपने मकान बना लिये हैं तो उसको इस बारे में विचार करना चाहिए कि शासन मकान बनाने में अगर मदद कर रहा है और उसने अपनी जमीन पर बनाया है तो उसको कम से कम जुर्माना करके उस प्रकरण का निराकरण किया जाना चाहिए. यह निर्देश दिये जाना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- नगर पंचायत के अंदर की बात कर रहे हैं या कृषि योग्य भूमि की.
श्री कैलाश चावला -- कृषि योग्य भूमि और गांव की भूमि की बात मैं कर रहा हूं.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय मैं कह चुका हूं और ऐसी कोई स्पेसिफिक शिकायत होगी, नियमों के उल्लंघन से हटकर के वसूली के नोटिस दिये जा रहे हैं तो हम उस पर कार्यवाही करेंगे.
श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा(जावद) -- उपाध्यक्ष महोदय, कुछ पंचायतों में कृषि योग्य जमीन पर थोड़े से अतिक्रमण थे, पिछले साल एक नियम आया था कृषि में सेडे मेडे की अतिरिक्त जमीन पर लीज का प्रावधान का उसकी नियमावली अभी तक नहीं आयी है. कुछ किसानों पर खेत की मार्केट वेल्यू से 20 प्रतिशत का जुर्माना लगाकर अतिक्रमण परवसूली का प्रयास कर रहे हैं. यह बहुत तेजी से कई गांवों में हो रहा है. क्या मंत्री जी इस मामले में कुछ बतायेंगे क्योंकि जब अविवादित जमीन है और खेत और सड़क के बीच की जमीन है जिसमें यह नियम था कि पिछली बार 2011-12 में यह प्रावधान किया था कि अविवादित जमीन उसी किसान को लीज पर दे दी जायेगी, लेकिन लीज के नियमों की नियमावली नहीं आयी थी इसलिए वह अटका हुआ था. अभी उन्हीं जमीनों पर जिनके आवेदन पड़े हैं उन पर 20 प्रतिशत का जुर्माना लगाया है, ऐसे कई किसानों के कागज मेरे पास में भी आये हैं तो मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि उसमें जो नियम बनना थे यदि नियम बन गये हैं तो उन नियमों की प्रति उपलब्ध करा दें, नहीं तो वहां पर निर्देशित करें कि जब तक नियम नहीं आयें, क्योंकि इस तरह से 20 प्रतिशत जुर्माना तो कोई किसान दे नहीं पायेगा और जमीन बिगड़ेगी जो वहां पर पैदावार हो रही है वह भी कम होगी, मंत्री जी थोड़ा सा इसको स्पष्ट करें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- ध्यानाकर्षण की विषय वस्तु तो नहीं है. विधायक महोदय कोई बात लिखित में देंगे तो उस पर कार्यवाही करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय -- अगर कोई नियम या नियमावली बन गई है तो वह उपलब्ध करा दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- मेरी जानकारी में नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय -- लेकर दे दीजियेगा विधायक जी को.
12.40 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
उपाध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
12.41 बजे वक्तव्य
दिनांक 24 जुलाई, 2017 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 47 (क्रमांक 1289) के उत्तर भाग (क) के पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट प्रपत्र-1 में संशोधन करने के संबंध में राज्यमंत्री सहकारिता का वक्तव्य
उपाध्यक्ष महोदय - अब श्री विश्वास सारंग, राज्यमंत्री सहकारिता दिनांक 24 जुलाई, 2017 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 47 (क्रमांक 1289) के उत्तर भाग (क) के पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट प्रपत्र-1 में संशोधन करने के संबंध में वक्तव्य देंगे.
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - उपाध्यक्ष महोदय, दिनांक 24.7.2017 की प्रश्नोत्तर सूची के पृष्ठ क्रमांक 50 में मुद्रित परि. अतारांकित प्रश्न संख्या 47 (क्रमांक 1289) में, मैं निम्नानुसार संशोधन करना चाहता हूं -
प्रश्नोत्तर सूची में मुद्रित उत्तर के भाग (क) में पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 के स्थान पर कृपया निम्नानुसार संशोधित उत्तर पढ़ा जावे :-
"पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के संशोधित प्रपत्र-1 अनुसार."
12.42 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 24 सन् 2017)
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाय.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाय.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो विधेयक कानून के रूप में परिवर्तन करने के लिए प्रस्तुत किया है, मैं इसका विरोध करता हूं. विरोध इसलिए करता हूं कि माननीय मंत्री जी ने इसमें उल्लेख किया है लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि इतनी क्या आवश्यकता थी, ऐसी कौन-सी इमरजेंसी थी कि आपको इसका अध्यादेश लाना पड़ा? पहले आप अध्यादेश लाए और अध्यादेश के बाद इसमें पूरी तरह से सहकारी आन्दोलन को बर्बाद करने की साजिश है. आज मध्यप्रदेश में आपके 13-14 वर्ष के कार्यकाल में जो ग्रामीण कृषि विकास बैंक हैं वे समाप्त कर दिये गये हैं. इसके साथ ही साथ मध्यप्रदेश की जितनी सहकारी बैंकें हैं. पहले धारा 11 के तहत कम से कम सभी बैंक निकल गई थीं, वर्ष 2003 तक 5 बैंक रह गई थीं. आज फिर मध्यप्रदेश की कम से कम 7-8 बैंक ऐसी हैं जो बंद होने की कगार पर हैं. यह सब इसलिए हुआ कि निर्वाचन एक तो सही तरीके से नहीं कराया. सहकारी संस्थाओं में ग्रामीण कृषक फार्म भरने को बैठे रहे लेकिन उनको कुछ पता नहीं चला, निर्वाचन अधिकारी आए नहीं, दूसरी बार जब लिस्ट आई तो पता चला कि फर्जी तरीके से निर्वाचन कराकर सब निर्विरोध घोषित हो गये. प्रदेश की कम से कम 95 प्रतिशत ऐसी सहकारी संस्थाएं हैं, जिनके चुनाव हुए..
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) - आदरणीय गोविन्द सिंह जी, आपके समय की कह रहे हैं कि अभी श्री विश्वास सारंग के समय की कह रहे हैं?
डॉ. गोविन्द सिंह - अभी-अभी.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा - विश्वास सारंग जी के समय तो चुनाव ही नहीं हुआ है.
डॉ. गोविन्द सिंह - सरकार के कार्यकाल की बात कर रहा हूं.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा- मैंने कहा कि अभी वे नये मंत्री हैं तो थोड़ा संभाल के, आप तो वरिष्ठ हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - मैं मंत्री पर कौन-सा आरोप लगा रहा हूं? आपकी रीति-नीति पर लगा रहा हूं कि मंशा आपकी कहां है? आप इसमें अब केवल संशोधन कर रहे हैं तो हमारी इसमें बिल्कुल स्पष्ट शंका है कि प्रशासक अगर कहीं निर्वाचन न करा पाए, जब राज्य निर्वाचन आयोग बना रखा है, उसमें भारी वेतन वृद्धि, तनख़ा, स्टाफ पूरा अलग से अमला बना रखा है तो फिर आपको निर्वाचन न कराने में या असफलता में, अगर निर्वाचन कराने में सरकार सक्षम नहीं है तो ऐसी सरकार को अक्षम सरकार घोषित किया जाएगा और उनको पद पर बैठने का अधिकार नहीं है क्योंकि आप कह रहे हैं कि निर्वाचन न होने की दशा में और मध्यप्रदेश में कई सालों से निर्वाचन नहीं कराए. आवास संघ में करीब 10-15 वर्ष से जब से आए हैं 14 वर्ष के कार्यकाल में तब से आपने वहां का निर्वाचन नहीं कराया. वर्षों तक मार्केटिंग फेडरेशन में गैर नॉमिनेटेड सदस्य को बैठाले रहे. जो भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता थे, नेता थे. ठीक है आपकी सरकार है, आप बनाओ लेकिन उनका चयन भी तो देखो. आपने ऐसे लोगों को बना दिया. आपने सहकारी आंदोलन को चारागाह बना दिया. करीब 40 छोटी-मोटी संस्थाएं बची हुई हैं, उनको भी चरने का काम इस संशोधन के माध्यम से किया जा रहा है. इसमें लिखा है- तात्कालिक आवश्यकता को देखते हुए तो तात्कालिक आवश्यकता क्या है? क्या जरुरत पड़ गई. इसमें लिखा-- सत्र चालू नहीं है इसलिए संशोधन के लिए यह अध्यादेश लाये. आपने पहले जो अध्यादेश जारी किए पूरे उसके प्रावधान रहेंगे. अब अध्यादेश निलंबित हो जाएगा, समाप्त हो जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, आप इसमें शासकीय सेवक के लिए कर रहे हैं. पहले सोसायटी जहां भंग हो जाती थी या चुनाव नहीं हो पाते थे उस समय की अवधि में आपका शासकीय प्रतिनिधि जो शासकीय कर्मचारी होता था वह भी सरकार के अधीन है, सरकार का अंग है, विधायिका के साथ कार्यपालिका भी सरकार का अंग है. आपकी छोटी सोसायटी में जो ऑडिटर थे, इंस्पेक्टर थे वह प्रशासक बनते थे. आप उनको हटाकर नया प्रावधान जोड़ रहे हैं, उसमें उनको न बनाकर (XXX)
श्री कैलाश चावला-- उपाध्यक्ष महोदय, चरना शब्द क्या है? जानवर चरता है.इसको निकाला जाना चाहिए.
श्री शंकर लाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, चरने वाली बात पर मुझे भी कहना है कि सूपा बोले तो बोले, चलनी बोल रही है जिसमें छेद ही छेद है.
डॉ गोविन्द सिंह-- भ्रष्टाचार कर अपना पेट भरेंगे.
श्री शंकर लाल तिवारी-- कांग्रेस के नेता कॉपरेटिव के विषय पर ऐसा बौद्धिक ज्ञान दे रहे हैं इसलिए मेरा कहना है कि सूपा बोले तो बोले चलनी बोल रही है जिसमें छेद ही छेद है.
डॉ गोविन्द सिंह-- जब आपका मौका आयेगा, तब बोलना. जैसा आपकी दाढ़ी में दिखाई दे रहा है.
श्री कैलाश चावला-- उपाध्यक्ष जी, कहावत है (XXX)
डॉ गोविन्द सिंह-- मैं, आपकी सरकार को चुनौती देता हूं. उमा भारती जी की सरकार ने हमारे पिछले 50 सालों के खानदान की जांच करायी थी. आपको पुनः चुनौती देता हूं. आप हमारे 50 साल के खानदान तक की जांच कराईये अगर आपने हमें कहीं भी दोषी पाया उस दिन हम राजनीति नहीं करेंगे, घर बैठ जाएंगे.
श्री कैलाश चावला-- उपाध्यक्ष महोदय, इनके कार्यकाल में जिस तरह से कॉपरेटिव के चुनाव कराते थे, पूरा हिंदुस्तान जानता है.
डॉ गोविन्द सिंह-- आपकी सरकार चुनाव करवाने से क्यों घबरा रही है?
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- उपाध्यक्ष महोदय, गोविन्द सिंह का मतलब है अब अगला चुनाव लडूंगा ही नहीं. राजनीति से सन्यास ले लूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय--चावला जी, अब तो आप चरना हटाना नहीं चाहते.
श्री कैलाश चावला-- बिलकुल हटाना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- फिर बिल्ली और चूहे का क्या होगा?
श्री कैलाश चावला-- वह कहावत है. मेरे हिसाब से और कुछ नहीं है.
डॉ गोविन्द सिंह-- आप बड़े भाई हो. आपकी सभी बातें सहर्ष स्वीकार है.
उपाध्यक्ष महोदय-- चावला जी, आगे चल कर जब सदन की कार्यवाही लोग पढ़ें तो इन बातों से कार्यवाही थोड़ी सी रोचक बनी रहे, नीरस न हो जाये. इसलिए इन छोटे-मोटे विनोद (परिहास) को रहने दें. (हंसी)
डॉ गोविन्द सिंह-- इसलिए हमारा कहना है....
श्री शंकर लाल तिवारी-- उपाध्यक्ष जी, आप भले ही विलोपित करा दें लेकिन सत्य वही है जो चावला जी ने कहा है. अगर आपको लगता है अच्छा शब्द नहीं है तो भले ही विलोपित करा दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- मैंने विलोपित नहीं किया (व्यवधान)
श्री शंकर लाल तिवारी-- पूरे कॉपरेटिव मूवमेंट को आप ही ने खा लिया (व्यवधान)
श्री सचिन यादव-- तिवारी जी, चौदह साल से सरकार क्या कर रही है. जांच करा लीजिए.
डॉ रामकिशोर दोगने-- 14 साल से सरकार चला रहे हो उसके बाद आरोप लगा रहे हैं. अभी तक सो रहे थे क्या?
उपाध्यक्ष महोदय-- शंकर लाल जी का तो कहीं से मुंह दिखता ही नहीं, कहां से खा जायेंगे. आपको इनका मुंह दिखता है, हमें तो नहीं दिखता. (हंसी)
श्री जसवंत सिंह हाड़ा-- उपाध्यक्ष जी, उनका मुंह बहुत पारदर्शी है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- उपाध्यक्ष जी, हाड़ा साहब सदन में आ गये.
उपाध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें. आपकी उपस्थिति दर्ज हो गई.
डॉ.गोविन्द सिंह - हाड़ा जी, आप क्यों पैरवी करते हो. इतने वरिष्ठ हो, आप किसी पद पर नहीं. चलो आपको कुछ बना दें हम तैयार हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - किस बात पर तैयार हैं ?
डॉ.गोविन्द सिंह - मंत्री जी, आप वायदा करो कि हाड़ा जी को अपेक्स बैंक का चेयरमेन बना देंगे तो हम अपने शब्द वापस ले लेंगे.उपाध्यक्ष महोदय, केवल मैं इसलिये इस बात का विरोध कर रहा हूं कि एक तो छोटी-छोटी सोसायटियां हैं. कापरेटिव सोसायटी में जो अधिकारी,कर्मचारी हैं कार्यरत् हैं उन पर उनका नियंत्रण रहता है. आपके पास उनका वेतन काटने का,सस्पेंड करने का,सजा देने का अधिकार है परन्तु जब जनता के लोग बैठ जायेंगे, मैं नहीं कहता सब एक जैसे हैं. सब पर हम आरोप नहीं लगाते लेकिन कुछ लोग समाज में ऐसे भी हैं क्योंकि मैं कई सोसायटियों में मैं देख रहा हूं कि वह घाटे में आ गईं हैं. कई बैंकों की हालत आज यह हो गई है कि अपेक्स बैंक ने जो कर्जा दिया किसानों को,सोसायटियों को, डिस्ट्रिक बैंक को जैसे एक करोड़ रुपये और जो वसूली हो रही है वह केवल 20-22 लाख रुपये है. 70-80 लाख रुपये का कहीं पता नहीं है कि कहां चला गया और यह किसने किया ? यह छोटे कर्मचारियों ने किया. आप बरसों से कर्मचारियों की भर्ती नहीं कर रहे हैं. भिण्ड जिले में 167 सोसायटियां हैं वहां कुल मिलाकर 5 या 7 सचिव रह गये हैं. जो सेल्समेन हैं, वे 8-10 सोसायटियों का काम देख रहे हैं. वह आधे से ज्यादा खाद्यान्न बांट ही नहीं पाता. हमारा यह कहना है कि आप जो संशोधन लाए हैं वह लाईये. सरकार बहुमत में है, आप लाओगे लेकिन हमारा सुझाव यह है कि यदि कापरेटिव्ह मूवमेंट को जिंदा रखना है तो नये काम करिये. सारंग जी का हमने समाचार-पत्रों में पढ़ा कि ट्रांसपोर्टेशन में, पर्यटन में आप नई संस्थाएं बना रहे हैं. इस ओर भी आप कदम बढ़ाईये. इसके लिये हम आपका स्वागत करेंगे. जैसे कोल्ड स्टोरेज बनाएं. अब सहकारी क्षेत्र में कई जगह आलू पैदा हो रहे हैं,शिवपुरी में टमाटर बहुत हो रहा है लेकिन वहां कोल्ड स्टोरेज नजर नहीं आते. आप सहकारी क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज खोलें ताकि जो सोसायटियों के माध्यम से जैसे पहले कांग्रेस के समय में कई कोल्ड स्टोरेज खोले गये थे, वैसा करेंगे तो आपकी सराहना होगी. हो सकता है कि राजनीतिक दबाव में आप यह काम कर रहे हों,पार्टी के निर्देश हों कि अब सरकार डूबने वाली है. बहुत साल हो गये,कार्यकर्ता नाराज हैं तो उनको भी कहीं न कहीं खुश करने के लिये काम करें. इसलिये जो संशोधन आपने प्रस्तुत किया है कि कोई भी सदस्य जो संचालक का पात्र हो उसको प्रशासक बनाया जाये. यह आज तक कभी नहीं हुआ है. कभी इस तरह का संशोधन आया नहीं है. इसलिये हमारा अनुरोध है कि इस संशोधन को आप वापस लें. यह सहकारिता के क्षेत्र में और आम जनता के हित में उचित नहीं है और आपके इस संशोधन विधेयक का मैं विरोध करता हूं.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सहकारिता मंत्री श्री विश्वास सारंग जी द्वारा लाये गये संशोधन विधेयक का मैं विरोध करता हूं. वाकई बहुत सी बातें डाक्टर साहब ने बताई हैं..
उपाध्यक्ष महोदय - यशपाल जी, आज आप बोल नहीं रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत - क्या बोलेंगे आत्मा कुछ कहती है और बुलवायेंगे कुछ और तो कैसे बोलेंगे.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया - गोविन्द सिंह जी अच्छा और रोचक बोलते तो हम भी कुछ बोलते उन्होंने निराशाजनक बातें कहीं.
श्री विश्वास सारंग - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रामनिवास रावत जी को सबकी आत्मा की आवाज जल्दी पता चल जाती है इनके पास कौन सा गुर है यह आप बता तो दो.
श्री रामनिवास रावत - सबकी पता है. कम से कम थोड़ा बहुत नये हो कुछ अच्छा करने की जीवन में सोचो. अंगूठा टेक मन बनो पढ़े-लिखे हो.
श्री विश्वास सारंग - हम तो यह पूछ रहे हैं कि इनकी आत्मा की आवाज आप तक कैसे पहुंच गई.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बड़ी विडंबना है प्रदेश में स्थानीय संस्थाओं के चुनाव कराने के लिये चुनाव प्राधिकरण बनाया हुआ है, प्रदेश चुनाव अधिकारी है और इन संस्थाओं के प्रजातांत्रिक सिस्टम में हर 5 वर्ष में चुनाव होते रहना चाहिये. क्या आपत्ति है भाई आपको चुनाव कराने में, आपका दिसम्बर तक का समय है, सरकार को चुनाव कराना चाहिये. लेकिन सरकार किस तरह से सहकारी संस्थाओं को समापन की ओर, अपने लोगों को लाभ देने की ओर ले जा रही है यह इस संशोधन के माध्यम से देखने को मिलता है. आप पहले अध्यादेश लाये, पिछली विधान सभा में प्रस्तुत किया, पारित नहीं हो पाया अब फिर अध्यादेश लाये और पुन: इसे पारित कराना चाहते हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसमें प्रशासक नियुक्त करना, चुना हुआ बोर्ड जब समाप्त हो जाये तब प्रशासक नियुक्त करने की व्यवस्था थी. अभी तक आप तृतीय श्रेणी एक्जीक्यूटिव अधिकारी या तृतीय श्रेणी कार्यपालक से अनिम्न श्रेणी का कोई शासकीय सेवक अथवा सोसायटी या सोसायटी का उसी वर्ग के अधिकारी को आप प्रशासक बनाते थे. अब आप संचालक मंडल के सदस्य को चुनाव लड़ने की या चुने जाने की जो पात्रता है केवल सोसायटी का ऋणी होना चाहिये, ऋणी जो होता है वह कालातीत न हो, वह चुनाव लड़ सकता है. वह पढ़ा-लिखा हो, नहीं हो, उससे कोई अंतर नहीं पड़ता, उसकी कोई योग्यता नहीं है और प्रशासक पद पर रहने के बाद और मैं समझता हूं प्रशासक बनने के बाद प्रशासक को पूर्ण अधिकार दे दिये जाते हैं, नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी प्रशासक की होती है, आपके सचिव की नहीं रहती. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रशासक शब्द महत्वपूर्ण शब्द है, आप ज्यादातर तो सहकारिता आंदोलन को समाप्त करते जा रहे हो, सहकारी बैंको की क्या स्थिति हो रही है इसके ऊपर आप विधान सभा में एक श्वेत पत्र लाते कि सहकारी बैंकों की क्या स्थिति है, कितना कर्ज दे पा रही हैं, कितना घाटे में है और क्या स्थिति चल रही है. हमारे मुरैना जिले में सहकारी बैंक की स्थिति यह है कि यदि हम श्योपुर जिले को अलग कर दें तो वह सहकारी बैंक ही समाप्त हो जाये, श्योपुर से सहकारी बैंक जो चल रही है. आप इस अधिनियम के माध्यम से आप उन व्यक्तियों को, किसी को भी उठाकर आप सहकारिता आंदोलन में या उन सोसायटियों में प्रशासक बनाने के अधिकार आप ले रहे हो जो बिलकुल प्रजातांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों के विरूद्ध है, संवैधानिक सिस्टम और व्यवस्थाओं के विरूद्ध है, आप किसी को भी प्रशासक बना दोगे. संचालक मंडल होता है तो कम से कम चुने हुये 8 प्रतिनिधि होते हैं, 6 प्रतिनिधि होते हैं, निश्चित संख्या होती है. आप बिना चुने किसी एक ऐसे व्यक्ति को जिसके लिये क्वालीफिकेशन की आवश्यकता नहीं है, आप उसको प्रशासक बनाने का अधिकार ले रहे हो. उनको प्रशासक बनाओगे, उनसे कुछ भी काम कराओगे, प्रशासक को फसाओगे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह सर्वथा जनभावनाओं के और सहकारिता आंदोलन के विपरीत बात है, हम चाहते हैं कि आप चुनाव करायें. जैसा कि डॉ. साहब ने कहा कि सहकारिता आंदोलन आज भी कई जगह, कई राज्यों में महाराष्ट्र में भी जीवित है, गुजरात में भी जीवित है. विश्वास सारंग जी जब से आपने सहकारिता आंदोलन संभाला है, आप बिलकुल इसे समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हो, पढ़े-लिखे हो, नौजवान हो, कुछ अच्छा सोचो, कुछ अच्छा करने की कोशिश करो. मेरे यहीं कैलारस शुगर फैक्ट्री है, कांग्रेस के टाइम पर सहकारी समिति बनाकर चालू कराई और चलती रही और चुनाव भी हुआ, बोर्ड भी बैठा और आज तक उसके बाद जबसे आपकी सरकार बनी है उसको चालू ही नहीं कराया, बंद पड़ी है जिससे गन्ना उत्पादन में भारी कमी आई है और जो केश क्राप के रूप में किसान गन्ना उत्पादन करते थे जिस पर न सूखे की मार पड़ती थी, न ओले की पड़ती थी, न पाले की पड़ती थी, उससे वंचित हो रहे हैं. आप सहकारी आंदोलन को इस तरह से समाप्त करते जा रहे हैं. सहकारिता के क्षेत्र में आप कृषि से जोड़कर जैसा कि उन्होंने कहा आप बड़े-बड़े गोदाम बना लेते, बड़े-बड़े हाउस बना लेते, बड़े-बड़े कोल्ड स्टोरेज बना लेते, आप सहकारिता आंदोलन से जोड़कर प्याज के लिये कोल्ड स्टोरेज बना लेते, टमाटर के कोल्ड स्टोरेज बना लेते तो किसानों को 2 रूपये किलो प्याज नहीं बेचना पड़ती, आपको 8 रूपये किलो नहीं खरीदना पड़ती और प्रदेश के 6 किसानों को आप गोली नहीं मारते, उनकी हत्या का दाग आपको नहीं लगता. सहकारिता आंदोलन को इस दिशा में ले जाओ, आप कहां ले जाना चाहते हो सहकारिता आंदोलन को, सहकारी सिस्टम को, सहकारी बैंकों को पूरी तरह से समाप्त करना चाहते हो. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज कई ऐसी बैंके हैं जो पूरी तरह से समापन की ओर जा रही हैं और आप उन्हें स्थापित करने का प्रयास नहीं कर रहे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम तो चाहते हैं कि सहकारी आंदोलन को आप बढ़ावा दें और इस तरह से सहकारी संस्थाओं में प्रशासक नियुक्त करने की किसी को भी, केवल संचालक मंडल का सदस्य रखने की पात्रता रखता हो उसको आप प्रशासक बनाने का अधिकार ले रहे हैं यह मैं समझता हूं कि उचित नहीं है. इससे सहकारी बैंके समाप्त हो जायेंगी, भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. और इसके लिये जिम्मेवार कौन होगा, सिर्फ और सिर्फ विश्वास सारंग जी इसके लिये जिम्मेवार होंगे. विश्वास जी कम से कम आप तो ठीक से काम करें और प्रशासक नियुक्त करने वाले अधिनियम को वापस लें. अगर आप यह विधेयक लाते कि हम हर पांच वर्ष में चुनाव करायेंगे तो उसका हम स्वागत करते, समर्थन करते और हमें खुशी होती . उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी सदन में आ गये हैं इसलिये निवेदन है कि इस पर पुनर्विचार करें और इसको वापस लेने का कष्ट करें. उपाध्य़क्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया, उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सचिन यादव (कसरावद) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्य मंत्री सहकारिता श्री विश्वास सारंग द्वारा लाये गये मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी(संशोधन) विधेयक, 2017का पुरजौर तरीके से विरोध करता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस विधेयक के संबंध में सदन के वरिष्ठ सदस्यगण डॉ. गोविंद सिंह और रामनिवास रावत जी द्वारा जो उद्गार व्यक्त किये गये हैं उनकी भावनाओं में मैं अपनी भानवाओं का समावेश करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, बहुत सारी बातें इस विधेयक पर हमारे वरिष्ठ सदस्यों द्वारा कही हैं. मैं सहकारिता मंत्री जी से यह अनुरोध आपके माध्यम से करना चाहता हूं कि यह जो मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी(संशोधन) विधेयक, 2017 लाये हैं इसको लाने के पीछे आपकी जो भावना और मंशा है, आप कहीं न कहीं पिछले दरवाजे से अपने लोगों को सहकारी संस्थाओं में बैठाने का प्रयास कर रहे हैं. इस विधेयक के आने से हमारी पुरानी सहकारी संस्थाओं पर बुरा असर पड़ेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, चुनाव प्राधिकरण बनाया गया है, सारे अधिकार उनको दे रखे हैं. आप उनका चुनाव कराने के बजाए इस मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी(संशोधन) विधेयक, 2017 को लाकर के यह संकेत देना चाहते हैं कि सरकार की मंशा सहकारी क्षेत्रों में चुनाव कराने की नहीं है. क्यों नहीं है इसका कारण सरकार भलीभांति जानती है. यह किसानों की संस्थायें हैं, किसानों द्वारा खड़ी की गई संस्थायें हैं , अगर ऐसी संस्थाओं में चुनावी प्रक्रिया को दरकिनार करके पिछले दरवाजे से लोगों को व्यवस्थायें सम्हालने के लिये, संस्थाओं के संचालन के लिये इस विधेयक को लाये हैं, इससे मध्यप्रदेश में जो सहकारी आंदोलन खड़ा हुआ था, उस आंदोलन को बहुत बड़ा धक्का लगेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा सहकारिता राज्यमंत्री श्री विश्वास सारंग जी से पुन: अनुरोध है कि इस विषय पर चिंतन किया जाये, पुनर्विचार किया जाये और इस विधेयक को वापस लेने की मैं प्रार्थना करता हूं.
राज्य मंत्री, सहकारिता(श्री विश्वास सारंग) -- माननीय उपध्यक्ष महोदय, आज का दिन सहकारी आंदोलन के लिये बहुत महत्वपूर्ण दिन है. आदरणीय डॉ.गोविंद सिंह जी ने, आदरणीय रामनिवास रावत जी ने और भाई सचिन यादव जी ने इस विधेयक को लेकर के अपनी बात रखी. तीनों वक्ताओं के स्वर एक जैसे थे. मुझे लगा कि शायद हमारे विद्वान सदस्यों द्वारा इस विधेयक की पूरी विषय वस्तु क्या थी शायद इस पर बहुत ज्यादा पढ़ाई नहीं की. आदरणीय रामनिवास रावत जी ने कहा कि मैं पढ़ा लिखा हूं और उसके बाद भी मैं ऐसा कुछ कर रहा हूं. मुझे आश्चर्य होता है और मुझे लगता है कि रामनिवास रावत जी भी पढ़े लिखे हैं थोड़ा बहुत यदि इस विधेयक को वे पढ़ते कि इस विधेयक की विषय वस्तु क्या है तो शायद वे इसका विरोध नहीं करते.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बातें हुई कि भारतीय जनता पार्टी के आने के बाद सहकारी आंदोलन की स्थिति खराब हुई है. मैं दावे के साथ में कह सकता हूं कि जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश में आई है और शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने काम करना प्रारंभ किया है हम ताकत के साथ में कह सकते हैं कि सहकारी आंदोलन जो चंद नेताओं की ड्राइंगरूम पॉलिटिक्स होता था उसको हमने जमीन पर उतारकर के सहकारी आंदोलन मे परिवर्तित किया है. यह वही मध्यप्रदेश था जहां पर चंद नेताओं....
(...व्यवधान...)
डॉ. रामकिशोर दोगने- उपाध्यक्ष महोदय, फिर डर क्यों लग रहा है चुनाव करवाने में.......
(...व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठें.
श्री सुंदरलाल तिवारी- उपाध्यक्ष महोदय, हमारे रीवा जिले में भी सहकारिता में बहुत गड़बड़ी है....
(...व्यवधान...)
डॉ. रामकिशोर दोगने - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर इतनी ईमानदारी से काम हो रहा है तो इनको चुनाव करवाने में इतना डर क्यों लग रहा है ? (व्यवधान)......
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सहकारिता की हालत यह है कि रीवा जिले में एक डी.एस.पी. और एक टी.आई. सहकारिता के करोड़ों रूपये लूटकर चले गये और वह दोनों अभी भी जेल में बंद है. (व्यवधान)......
उपाध्यक्ष महोदय - श्री तिवारी जी आप बैठ जाएं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - श्री तिवारी जी अभी आपने कहा था कि यह आपका विषय नहीं है. (व्यवधान)......
श्री के.के.श्रीवास्तव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब आप श्री तिवारी जी का नाम लेते हैं, तब श्री सुन्दरलाल तिवारी जी बोलते नहीं है. (व्यवधान)......
डॉ. रामकिशोर दोगने - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हरदा में सहकारिता के 02 करोड़ 75 लाख रूपये थाने में जमा हो रहे हैं. यह कैसे निष्पक्षता की बात कर रह हैं. अगर इनको डर नहीं है तो चुनाव क्यों नहीं करवाते हैं ?
श्री विश्वास सारंग - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यहां पर धारा 11 की बात हुई और हम पर यह आरोप लगाया कि हमने धारा 11 में बहुत सारे बैंकों को सम्मिलित करवा दिया. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं ज्ञानवर्धन करना चाहता हूं कि यदि मैं यह बोल रहा हूं कि पहले की सरकारों में यह ड्राइंग रूम पॉलिटिक्स थी तो मैं इसके आंकडे़ भी दे सकता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय - आप ज्ञानवर्धन मेरा कर रहे हैं या इनका कर रहे हैं ? (हंसी)
श्री विश्वास सारंग - उपाध्यक्ष महोदय, मैं किसी का ज्ञावर्धन नहीं कर रहा हूं. अभी श्री गोविन्द सिंह जी ने कहा कि हमारे कार्यकाल में बहुत सारे बैंक धारा 11 में आ गये मैं बताना चाहता हूं कि जब कांग्रेस की सरकार 2003 के पूर्व थी तब 38 में से 34 बैंक धारा 11 का पालन नहीं कर रहे थे. आज यह स्थिति यह है कि केवल दो बैंक हमारी इस धारा के अंतर्गत है, बाकी सबको हमने बाहर निकाल दिया है और सब काम ठीक ढंग से चल रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यहां पर बात भर्ती की आई है तो मैं बताना चाहता हूं कि आईबीपीएस के माध्यम से हमने भर्ती की प्रक्रिया की है किंतु वह मामला कोर्ट में विचाराधीन है. जैसे ही वह मामला निपटेगा हम भर्ती की प्रक्रिया करेंगे. अभी गोविन्द सिंह जी ने अलग-अलग संस्थाओं की बात की है कि हमारे कार्यकाल में हर संस्था डूबत स्थिति में पहुंच गई है और आवास संघ की बात यहां पर आई है. मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहता हूं कि यह वही आवास संघ है, जिसमें ईओडब्ल्यू ने जब छापा मारा था, तो ईओडब्ल्यू ने 8-10 ट्रक भरकर उस समय की सरकार के कागज वहां से लेकर गये थे. लेकिन आज मुझे यह बताते हुए बहुत प्रसन्नता है और हमारी स्थिति यह है कि सांसदों विधायकों के जो मकान रचना नगर में बन रहे हैं, उसकी नोडल एजेंसी आवास संघ है और मुझे यह कहते हुए बहुत प्रसन्नता है कि कमेटी के चेयरमेन साहब ने हमें लिखित में भी प्रशंसा पत्र दिया है. आवास संघ के माध्यम से हम जून-जुलाई तक सभी विधायकों को उसका रजिस्ट्रेशन दिलवा देंगे और पजेशन दिलवा देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने लगातार सहकारी आंदोलन को मजबूत करने का काम किया है. अभी गोविन्द सिंह जी ने जिक्र किया है और निश्चित रूप से माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर उनकी पहल पर, हमने कुछ नवाचार किये हैं. हमने पर्यटन की सोसायटी बनाई, हमने परिवहन की सोसायटी बनाई, हमने मध्यप्रदेश में लगभग 320 नई सोसायटी के माध्यम से सहकारी आंदोलन को नीचे उतारा है. चाहे वह पार्किंग का मामला हो, चाहे बी.पी.ओ. का मामला हो, चाहे चिकित्सा का क्षेत्र हो. मुझे यहां पर बताते हुए बहुत प्रसन्नता है कि आज लगभग 100 ई-रिक्शा जबलपुर शहर में सहकारी आंदोलन के तहत बहुत सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं.(मेजों की थपथपहाट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने हर क्षेत्र में सहकारी आंदोलन को बढ़ाने का काम किया है. हमने किसान से लेकर उसकी खेती, गांव से लेकर शहर और उसके बाद नवाचार के माध्यम से हमने सहकारी आंदोलन को वह स्थान देने का काम किया है जहां पर इस आंदोलन को पहुंचना था. हम दावे के साथ कहते हैं कि आगे आने वाले समय में हम निश्चित रूप से इस आंदोलन के माध्यम से मध्यप्रदेश में रोजगार के नये अवसर सृजित करेंगे, उसके साथ-साथ किसान की खेती फायदे का धंधा बन सके, उसके लिये भी सहकारी आंदोलन मुस्तैदी के साथ काम करेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी इस विधेयक को लेकर बात चली माननीय श्री रावत जी ने बात कही कि यह संविधान के खिलाफ है. इस संबंध में मैं आपको बताना चाहता हूं कि 97 वां संविधान संशोधन 2011 में प्रस्तुत हुआ था उसको 2012 में लागू किया गया है और उसमें बहुत स्पष्ट रूप से जो शब्दावली थी, उसको मैं यहां पर पढ़कर बताना चाहता हूं कि सहकारी समितियों के स्वैच्छिक गठन, कामकाज में स्वायत्तता देने, लोकतांत्रिक नियंत्रण और व्यावसायिक प्रबंधन को बढ़ावा देने के प्रयास किये जाने के दिशा निर्देश तय किये गये हैं.
1.10 बजे [अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.]
श्री विश्वास सारंग - ...और माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विधेयक पूरी तरह से सहकारी आन्दोलन मजबूत करने का है क्योंकि हमने केवल दायरा बढ़ाया है. अध्यक्ष महोदय, वे सदस्य जो सोसायटी में चुने जाने और संचालक मण्डल में चुने जाने की पात्रता रखते हैं, वे प्रशासक बन सकते हैं. अभी बात यहां पर आई कि आप किसी भी डिफॉल्टर को बना देंगे. मैं रावत जी से यह पूछना चाहता हूँ कि क्या डिफॉल्टर चुनाव लड़ सकता है ?
श्री रामनिवास रावत - डिफॉल्टर का नहीं कहा. आप जरा सुन लिया करो.
श्री विश्वास सारंग - आप हर किसी को बना देंगे. उसमें स्पष्ट लिखा है, आप पढ़ लो.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - यह सुन लें, सुन लें शब्द उचित है क्या ?
श्री रामनिवास रावत - आप कार्यवाही उठाकर देख लो. मैंने यह नहीं कहा.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - यह 'सुन लें ' मंत्री को शब्द कहना संसदीय है क्या ? इन शब्दों का चयन ठीक नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - मैंने कहा कि मंत्री 'सुन लो, देख लो'. कार्यवाही देख लो, डिफॉल्टर नहीं कहा.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, रावत जी ने अभी कैलारस शुगर मिल की बहुत बातें कीं. मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि उसकी ......
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी घोषणा करके आए थे कि चालू करवाएंगे.
श्री विश्वास सारंग - मुझे पूरी बात कर लेने दीजिये. अध्यक्ष महोदय, कैलारस की जो शुगर मिल का मामला है. माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर हम एक्सप्रेशन ऑफ इन्ट्रेस्ट निकाल रहे हैं और एक महीने के अन्दर वह एक्सप्रेशन ऑफ इन्ट्रेस्ट निकलेगा और उसको पुन: स्थिति में लाने के लिए हमारी सरकार पूरा प्रयास कर रही है. मैं यह कहना चाहता हूँ कि उसकी ऐसी स्थिति क्यों हुई, इसके बारे में जरूर आप भी जानकारी ले लें. हमें पूरी जानकारी है, उसके लिए कौन दोषी है, यह आप भी जानते हैं.
श्री रामनिवास रावत - आप कार्यवाही करें, आप स्वतंत्र हैं. हम तो चाहते हैं कि केवल चालू हो जाये. जिसकी वजह से भी गई है, खत्म हुई है. आप कार्यवाही कराएं, जांच कराएं.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन से यह निवेदन करना चाहता हूँ कि यह विधेयक पूरी तरह से सहकारी आन्दोलन को मजबूत करने, उसकी स्वतंत्रता, उसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था को, कायम करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
श्री रामनिवास रावत - आप कैसे मजबूत करोगे ?
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) - रामनिवास रावत जी, आप बार-बार खड़े हो जाते हों, बैठ जाओ.
श्री रामनिवास रावत - एक चुनी हुई संस्था के बाद आप एक व्यक्ति को बैठालेंगे तो कैसे मजबूत होगी ?
श्री उमाशंकर गुप्ता - आप अपनी इन्टरनल पॉलिटिक्स यहां मत लाओ.
श्री रामनिवास रावत - आप सिस्टम बताओ. आप चुनी हुई संस्था को चुनाव नहीं कराने के बाद एक व्यक्ति को बिठाने का प्रयास कर रहे हैं, एक ही व्यक्ति को सारे अधिकार सौंप रहे हों एवं एक व्यक्ति किसी भी दिशा में जा सकता है.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस व्यवस्था की ये बात कर रहे हैं. मैं बताना चाहता हूँ कि पहले भी यह व्यवस्था कायम थी. सन् 2015 के पहले यही व्यवस्था थी, रावत जी. तभी मैं कह रहा हूँ कि आप मुझे पढ़ा-लिखा कह रहे थे और जानकारी नहीं होने का अभाव होने की बात कर रहे थे. आप पढ़-लिखकर नहीं आए. आपको थोड़ा .......
श्री रामनिवास रावत - मैं तो अंगूँठा टेक हूँ. फिर संशोधन क्यों लेकर आए ?
अध्यक्ष महोदय - कृपया वाद-विवाद न करें.
श्री रामनिवास रावत - पहले व्यवस्था थी तो संशोधन क्यों लेकर आए ?
अध्यक्ष महोदय - आप पहले बोल चुके हैं. माननीय मंत्री जी, आप अपनी बात कहें.
श्री रामनिवास रावत - द्वितीय कार्यपालिक श्रेणी या निम्न श्रेणी का अधिकारी शासकीय सेवक ही प्रशासक बन सकता था.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि इस आन्दोलन को और मजबूत बनाने के लिए यह सदन एक स्वर से इस विधेयक का समर्थन करे और आगे आने वाले समय में यह आन्दोलन और मजबूत हो, इसके लिए मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि इसको सर्वसम्मति से पारित किया जाये. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत - आप इसका भाजपायीकरण करना चाहते हो.
श्री सचिन यादव - आप इस सदन को यह भी बता दें कि आपका चुनाव में कोई इन्ट्रेस्ट नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्षीय व्यवस्था
कार्यसूची में उल्लेखित कार्यों पर समय आवंटित करने संबंधी.
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची के पद 6 के उप पद दो एवं 8 में उल्लेखित विधेयकों पर एक-एक घंटे तथा उप पद 3 से 7 में उल्लेखित विधेयकों पर 30-30 मिनट का समय चर्चा हेतु सदन की अनुमति की प्रत्याशा में आवंटित किया गया है. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, सदन इससे सहमत नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - सिर्फ आप इससे सहमत नहीं है. (हंसी..)
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, फांसी की सजा देने का प्रावधान इस सदन में आ रहा है और आपने केवल 1 घंटे का समय दिया इतने बड़े महत्वपूर्ण कानून में. पार्लियामेंट में स्पेशल सत्र बुलाया गया था और दिनों दिन तक इस पर चर्चा हुई, इतना गंभीर मामला.
श्री रणजीत सिंह गुणवान - एक घंटे के समय में ज्यादा समय आप ले लेना.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी आप कितना समय लेंगे?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मेरे समय का सवाल नहीं है, हम व्यक्तिगत अपने लिए नहीं बोल रहे हैं, गंभीर चर्चा सदन में हो और उसके बाद हम निष्कर्ष में पहुंचे, ऐसा मेरा निवेदन है, इसलिए मेरा कहना है कि समय अपर्याप्त है.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई, मैंने सुन ली.
दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017(क्रमांक 26 सन् 2017)
अध्यक्ष महोदय - दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 श्री रामपाल सिंह मंत्री.
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधि मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत विधेयक महिला अत्याचार के ऊपर है और इसमें फांसी की सजा विभिन्न धाराओं में सजा बढ़ाने का प्रावधान किया गया है और उसको कठोर रूप देने का सरकार की ओर से प्रयास किया है. धारा 354-क को हटाकर के उसकी जगह 354 ख, 354 घ, और 376-क की जगह 376 क-क, 493 और छोटी धारा 29, 110 आदि का इसमें संशोधन है. आज मध्यप्रदेश ही नहीं समूचे देश में महिलाओं और नाबालिग बच्चियों के साथ व्याभिचार की घटनाएं बढ़ रही हैं, घटनाएं होने से कोई रोक नहीं सकता. अगर पुलिस का भय हो तो कमी आ सकती है. अपराधी अपराध करता है परन्तु अपराधी पर सरकार का दबाव, अंकुश होता है, भय होता है तो अपराधी क्षेत्र छोड़कर कहीं बाहर चले जाते हैं या अपना अपराध छोड़ देते हैं. मैं कहना चाहता हूं कि दिल्ली में जब निर्भया कांड हुआ था, उस समय तमाम लंबी बहस हुई, चर्चा हुई समूचे देश में और इन कानूनों में जो महिलाओं से संबंधित कानून थे, उनमें विभिन्न धाराएं आईपीसी में संविधान में संशोधन करके जोड़ी गई. माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी दो तीन वर्ष पहले कहा था कि मध्यप्रदेश में फांसी की सजा का प्रावधान करेंगे. मैं कहना चाहता हूं कि इस विधेयक को यहां पर लाने की आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि जब इस विधेयक में हम कानून बना ही नहीं सकते, हम केवल रिकमंड कर सकते हैं, क्योंकि यह मध्यप्रदेश सरकार का अधिकार नहीं है, राज्य को इस प्रकार का अधिकार नहीं है, आईपीसी में संशोधन करने का. इस संशोधन के लिए दिल्ली में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, माननीय राजनाथ सिंह जी गृहमंत्री हैं. अगर यहां के माननीय गृहमंत्री जी या मुख्यमंत्री जी जाकर अनुरोध करते, अगर आपको इतनी चिंता थी तो पहले से ही अनुरोध करते, अगर यहां से आप दिल्ली भेज भी दो तो कुछ अगर वहां नहीं होना है, एक बार वहां जब चर्चा विस्तार से हो चुकी है. यह बात वहां सभी माननीय संसदविदों ने और कानून के जानकारों ने ज्ञाताओं ने यह तय किया था कि इस धारा का दुरूपयोग भी होगा. अगर हम धारा 354-क में 12 वर्ष से कम उम्र की नाबालिग बच्ची से कोई रेप करता है तो उसको फांसी की सजा का प्रावधान होना चाहिये. लेकिन इस धारा के दुरूपयोग की भी ज्यादा संभावना है, जैसी शंका वहां पर भी व्यक्त की गयी थी और यहां पर शंका है. जब अपराधी यह समझ लेगा कि हमें इसके बाद फांसी होना ही है तो अपराधी इसके बाद सबूत भी नहीं छोड़ेगा. अभी तक अपराधी रेप के बाद बचाव में भाग जाते थे और छुपने का काम करते थे. अब उसको पता है कि इस घटना के बाद हमको फांसी की सजा होगी तो फिर अब बच्चियों की हत्या करने से भी अपराधी लोग पीछे नहीं रहेंगे. इसलिये इस धारा का दुरूपयोग होने की भी संभावना है. किसी भी प्रजातांत्रिक देश में, जहां निष्पक्ष चुनाव होते हैं, वहां पर फांसी की सजा का प्रावधान नहीं है, ऐसी मुझे जानकारी है हो सकता है कि किसी देश में हो. लेकिन जहां तक मुझे जानकारी है कि ज्यादातर देशों में फांसी की सजा का प्रावधान नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि इसमें एक धारा है, 304-घ, ''महिला का पीछा करना'', महिला का पीछा करने में आपने सजा बढ़ायी. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको एक उदाहरण दे रहा हूं, यह सच्चाई है कि यदि कोई महिला मंदिर में दर्शन करने के लिये जा रही है और पीछे कोई व्यक्ति जा रहा है. कई लोगों की आपस में रंजिश भी होती है और वह आदमी को फंसाने के लिये शिकायत कर देते हैं. आजकल कानून में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है. हमारे यहां ग्वालियर और चंबल संभाग में तो इस प्रकार की प्रथा चल गयी है कि अगर कोई एक व्यक्ति अपराध करता है, जब वह रिपोर्ट लिखवाने जाता है, तो पहले यह लिखा जाता है, जैस वह शासकीय कर्मचारी हो, जिनके पास हथियार का लायसेंस हो, जो घर का मुखिया हो और परिवार चलाने वाला हो तो एक के साथ दो-तीन लोगों को अपराधी बना देते हैं. हम एक जेल का निरीक्षण करने गये थे तो उसमें 90 प्रतिशत अपराधी ऐसे मिले और हमें जानकारी है, क्योंकि हम फील्ड में रहते हैं कि झूठी रिपोर्ट के आधार पर जेल में हैं और आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं. बाद में सही अपराधी पकड़े गये तो उन पर भी केस चले. लेकिन बाद में जिनके ऊपर एफआईआर हुई थी वह न्यायालय से बरी हो गये, जो हत्या में बिल्कुल निर्दोष, जिन्हें कुछ मालूम ही नहीं था, वह गांव के किसान लोग आज जेल में सड़ रहे हैं.
मध्यप्रदेश में अरूणा शर्मा, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रही हैं. उन्होंने महिलाओं के संबंध में एक लेख लिखा है, वर्तमान में दिल्ली में हैं. उनका लेख मैंने भी पढ़ा है. उसमें उन्होंने लिखा है कि गलत को गलत बोलने में क्या हर्ज है. उन पर कई लोगों ने कमेंट भी किया. उन्होंने लिखा था महिलाओं पर जो अत्याचार हो रहे हैं, जैसे दहेज हत्या, बलात्कार और कई धाराओं का भारी पैमाने पर दुरूपयोग हो रहा है. इस पर भी हमें विचार करना चाहिये. ऐसे कानून या उच्चस्तरीय जांच के बाद ही कुछ कार्यवाही या चालान पेश होना चाहिये. कई लोगों ने कमेंट किया कि आप महिला होकर आप इस तरह की बात क्यों कर रही हो तो उन्होंने कहा कि सच को सच कहना गलत है तो लोग गलत समझें, लेकिन जो सच्चाई हमें जनता के बीच जाने में और सामाजिक अनुभव में जाने पर पता चली है, इसलिये मैंने यह लेख लिखा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं स्वयं इसका भुक्तभोगी हूं. हमारे लहार क्षेत्र में तीन घटनाएं घटी हैं. वास्तव में लड़के लड़कियां आपसी सहमति से चले गये और आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली. पुलिस में एक बार लड़कियों के बयान हो चुके कि हमने शादी की है और अपने पति के साथ रहना चाहते हैं. बाद में घर वालों ने लड़की पर दबाव डालकर उसको जैसे-तैसे घर ले आये और लड़की पर इतना दबाव डाला कि जो लड़के निर्दोष थे, लड़के के दोस्त थे उनको भी रेप का आरोपी बनवा दिया वह जेल में सड़ रहे हैं. इस प्रकार की तीन घटनाएं हमारे विधान सभा क्षेत्र लहार में पिछले दो महीने में हुई हैं. इसलिये हमारा आपसे अनुरोध है कि आप धारा में संशोधन का बिल जा रहे हैं, हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं. आप केन्द्र सरकार को भेजिये. आप यह भी देखिये कि इस धारा के दुरूपयोग पर अंकुश लगे, ऐसा भी प्रावधान होना चाहिए. आपने संशोधन विधेयक की धारा 354 (ख) में दण्ड की अवधि को 3 से 7 वर्ष किया है. और दूसरी बार यदि किसी महिला से संबंधित अपराध है तो एक बार तो अपराधी को जमानती जुर्म के तौर पर सजा हो गई और दूसरी बार का जुर्म, गैरजमानती जुर्म होगा और 10 साल की सजा होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह समाज की विडंबना हो गई है कि कई पुरूष अब महिलाओं से दूर रह रहे हैं. व्यक्ति ऐसी कौन सी प्रक्रिया का पालन करे कि उसका बचाव हो सके. आज समाज के पुरूषों में भय का वातारण है. महिलाओं की सुरक्षा तो हो रही है लेकिन पुरूषों की सुरक्षा के लिए कहीं कोई बात नहीं हो रही है. हमारा सरकार से अनुरोध है कि वह विचार करके ऐसी कमेटी बनाये कि इन धाराओं का दुरूपयोग रोका जा सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा 493 में कहा गया है कि यदि शादी का वादा करके कई सालों से महिला-पुरूष साथ में रह रहे हैं और सहवास कर रहे हैं और यदि उसके बाद महिला ने कह दिया कि इसने मुझे धोखा दिया तो वह पुरूष सजा का पात्र हो गया लेकिन इसमें महिला का कोई अपराध नहीं है.
श्री उमाशंकर गुप्ता- डॉ. साहब, महिलाओं की सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए कि नहीं ?
डॉ.गोविन्द सिंह- मैं महिलाओं की सुरक्षा का पूरा हिमायती हूं. हर प्रकार के अपराध से महिला हो या पुरूष हो, सभी समाज के अंग हैं, उनकी सुरक्षा होनी चाहिए. महिलाओं की सुरक्षा का दायित्व सरकार का है. हम समाज में रहते हैं, यह दायित्व हमारा, आपका और भी का है और हम अपना पूरा दायित्व निभाते हैं लेकिन इन नियमों के दुरूपयोग से संबंधित कोई कानून या नियम होना चाहिए ताकि नियमों का सदुपयोग हो, अपराधी को सजा हो. हम फांसी के विरोधी भी नहीं है. यदि कोई 14 वर्ष से कम उम्र की महिला का बलात्कार करता है और उसे फांसी की सजा होती है तो हमें उसमें कोई दिक्कत नहीं है. मैं इसके लिए सहर्ष तैयार हूं और इसका समर्थन भी करता हूं. लेकिन नियमों का जो दुरूपयोग हो रहा है, मैं उसके विषय में कहना चाहता हूं कि आपने कई धाराओं में संशोधन किये हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे पुलिस विभाग की ही घटना है. इससे संबंधित पत्र मैंने गृह मंत्री जी को भी दिया है. गृह मंत्री जी से जो बन सका, वैसी उन्होंने मदद भी की. गृह विभाग के अंतर्गत पुलिस विभाग में एक महिला ने आपस में जबर्दस्ती की और फंसाने का काम कर रही है. तमाम परिवार बर्बाद हो गए हैं और एक महिला घर बैठकर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सभी जगहों पर याचिका लगा रही है. कई नौजवान, कई व्यक्ति महिलाओं से प्रताडि़त होकर आत्महत्या कर रहे हैं. आप यह न समझें कि हम गलत लोगों के समर्थक हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार कानून में संशोधन कर रही है लेकिन कानून का पालन करना भी उनका दायित्व है. सरकार ने जो कानून और धारायें बनाई हैं, उस कानून का राज्य स्थापित करना भी आपका और हमारा धर्म और कर्त्तव्य है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक वर्ष पूर्व की एक घटना मालनपुर फैक्ट्री, भिंड जिले की है. यह सच्चाई है कि सूर्या फैक्ट्री के जनरल मैनेजर द्वारा वहां की तमाम लड़कियों के साथ अश्लील हरकतें की गई हैं. अध्यक्ष महोदय, यदि आप चाहेंगे तो हम आपको यह सीडी भी उपलब्ध करवा देंगे.
(डॉ.गोविन्द सिंह जी द्वारा सदन में सीडी दिखाई गई)
अध्यक्ष महोदय, यदि आप यह सीडी देखेंगे तो आपकी आत्मा हिल जायेगी. इस प्रकार की हरकतें उन लड़कियों के साथ होने के बाद वे लड़कियां यहां आई और डी.जी.पी. से मिलीं. मुख्यमंत्री जी को व्यक्तिगत रूप से पत्र दिया. गृह मंत्री जी से मिलीं. मानव-अधिकार, महिला-आयोग गई और इसके साथ ही साथ शपथ-पत्र भी दिया. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. फैक्ट्री की जांच भी करवाई गई, तो जो अपराधी हैं, उन अपराधियों ने ही जांच की.
1.29 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
दण्ड विधि मध्यप्रदेश संशोधन विधेयक पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
श्री रामनिवास रावत- अध्यक्ष महोदय, डॉ. साहब के भाषण के बाद लंच करवा दें और शेष चर्चा लंच के बाद करवा लें.
अध्यक्ष महोदय- यह विषय पूर्ण ही हो जाने दें.
श्री रामनिवास रावत- इसमें तो बहुत समय लगेगा. एक घंटे तो माननीय मुख्यमंत्री जी बोलेंगे. (हंसी)....
श्री उमाशंकर गुप्ता-- आप ध्यान रखना तो ज्यादा समय नहीं लगेगा. रिपीटेशन नहीं हो यह ध्यान रखेंगे तो समय नहीं लगेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह-- हमारा कहने का आशय यह था कि जब कानून हो तो उसका पालन भी हो. अगर आप कानून बना देंगे और पालन नहीं करेंगे. मोटल तानसेन में चार कमरे बुक हैं. वह आएगी. डी.आई.जी. सब जाकर पार्टियां लेते हैं ? कई दल के नेता लेते हैं. हमारी पार्टी के नेता खुद वहां जाकर बैठते हैं, ऐसे अपराधियों की पैरवी करते हैं. सच्चाई है जो मैं कह रहा हूं. उसमें कोई डर नहीं हैं. क्योंकि हमने तो कहा था सच कहना बगावत है तो बगावत समझो. उन महिलाओं को नौकरी से निकालकर वह लोग भी ऐसा काम कर रहे हैं. वह महिलाएं दर-दर भटक रही हैं लेकिन उनको न्याय नहीं मिला. जो सूचना में दी जाती है मुख्यमंत्री के लिए भेजी जाती है उसमें भी आगे जांच जवाब हो गया. जो लोग दोषी थे उन्हीं ने जांच कर ली तो कहां से न्याय होगा. भिण्ड के पुलिस अधीक्षक ने, आई जी साहब ने एक कमेटी बनाई है. एक महिला श्योपुर जिले से डी.एस.पी. को अधिकृत कर दिया. सवा साल हो रहा है आज तक जांच का पता ही नहीं है. मेरी वित्त मंत्री जी से प्रार्थना है, मुंख्यमंत्री जी से भी प्रार्थना है कि कम से कम ऐसी धारा जो आप बना रहे हो तो उसका पालन भी हो, पालन सुनिश्चित किया जाए. कानून का राज स्थापित करो. अपराधियों को संरक्षण बिलकुल न मिले. दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए. बलात्कारियों को तो और ज्यादा कड़ी सजा मिलना चाहिए. महिला का सम्मान हमारा दायित्व है, हमारी ड्यूटी है और मेरा अनुरोध है कि अगर आपको समय हो तो कम से कम यह सी.डी. (सी.डी. दिखाते हुए) मुख्यमंत्री जी या गृह मंत्री जी देख लें. अगर आपकी आत्मा सच्ची हो तो उनको न्याय दें. कोई भी काम दबाव में न हो धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारतीय दंड संहिता में यह संशोधन प्रस्तुत किया गया है. यह संशोधन प्रदेश में महिलाओं पर बढ़ते हुए अपराध, महिलाओं पर हो रही ज्यादती इन सब घटनाओं को देखते हुए दिनांक 31 अक्टूबर को जो एम.पी.नगर में घटना हुई उसका मीडिया के माध्यम से जिस तरह से पूरा वाकया सामने आया उसके बाद माननीय मुख्यमंत्री जी की आत्मा जागृत हुई और इस संशोधन को लाने की घोषणा की. इस संशोधन को आज यहां पर लाए हैं. हम सब चाहते हैं कि प्रदेश में महिला सुरक्षित रहे, प्रदेश में महिलाएं सम्मान पूर्वक आ जा सकें और सम्मानपूर्वक काम कर सकें. हमारे प्रदेश की बालिकाएं भी सुरक्षित रहें और प्रदेश में भयमुक्त वातावरण रहे लेकिन यह होगा कैसे ? क्या कानून बनाने से यह सब हो जाएगा ? क्योंकि कानून तो बहुत पहले से भी बने हुए हैं. क्या कानून बनाने से अपराध रुक रहे हैं? कानून तो हम बना देंगे लेकिन कानून बनाने के साथ-साथ कानून का पालन सुनिश्चित कराने का संकल्प जब तक नहीं लेंगे तब तक मैं नहीं समझता हूं कि हम अपराधों को रोक पाएंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके लिए आवश्यकता है प्रशासनिक संवेदनशीलता की, जैसा कि अभी डॉक्टर साहब ने कहा प्रशासन के भय की स्थिति यह हो रही है कि किसी अपराध के बाद अब लोग पुलिस में रिपोर्ट लिखवाने से डरने लगे हैं. इस पर विस्तार से चर्चा हो चुकी है कि महिलाएं रिपोर्ट लिखवाने में किस तरह से संकोच करती हैं. उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी जाती है, उसमें देरी की जाती है. एम.पी. नगर की घटना में भी 24 घण्टे की देरी हुई. माननीय मुख्यमंत्री जी ने खुद हस्तक्षेप किया. ऐसी स्थितियां क्यों निर्मित हो रही हैं ? उसके बाद भी उसके साथ मेडिकल रिपोर्ट में क्या हश्र हुआ?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- रावत जी बोल रहे थे टाइम लगेगा. मेरा कहना है कि जो बातें आ गईं उन पर पहले ही चर्चा हो गई है.
श्री रामनिवास रावत-- यह बातें क्या आ गई हैं?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- स्थगन की ग्राह्यता पर यह बातें आ गई हैं उन्हीं बातों को रिपीट करने से कोई मतलब नहीं है.
श्री रामनिवास रावत-- यह कानून क्यों लाए ?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- इस कानून के पक्ष विपक्ष में बोलने के लिए.
श्री रामनिवास रावत-- कानून के ऊपर ही बोल रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- जिन घटनाओं पर चर्चा हो गई आप वही रिपीट कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, आवश्यकता है प्रशासनिक संवेदनशीलता की, प्रशासन का भय होने की, जैसा कि डॉक्टर साहब ने कहा... हम रुक जाते हैं क्या माननीय मुख्यमंत्री जी इसी विषय पर बोलेंगे ? इसके अलावा इधर उधर का भाषण नहीं देंगे ? कहलवाओ. बेटी बचाओ की बात नहीं करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- आप तो अपनी बात करें और कोई क्या बोलेगा इस पर बहस नहीं करें.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- प्रावधान बेटी बचाने के लिए ही तो आया है. बेटी बचाने की बात क्यों नहीं करेंगे ?
श्री रामनिवास रावत-- यही बता रहा हूं, आप बैठ जाओ. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में जो महिलाओं की स्थिति है वह किसी से छिपी नहीं है. लगातार मीडिया के माध्यम से यह बात आ रही है. प्रदेश में प्रतिदिन 14 महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे हैं और 8 अवयस्क बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं. यह हम लोगों के लिए शर्म की बात है. इस तरह की घटनाओं से प्रदेश शर्मसार हो रहा है. केवल यही नहीं मानव तस्करी के प्रकरण, महिलाओं, बालिकाओं की गुमशुदगी के प्रकरण भी काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. प्रतिदिन लगभग 75 महिलाएं प्रदेश से गायब हो रही हैं इनकी गुमशुदगी हो रही है या उनके अपहरण हो रहे हैं. इनमें से 23 अवयस्क हैं. इनके मिलने का आंकड़ा भी बहुत कम है. जिनके अपहरण हो रहे हैं या गायब हो रही हैं उनमें से 30-40 प्रतिशत ही मिल पा रही हैं. आरोपियों की सजा के बारे में भी आज के दैनिक समाचार-पत्र "दैनिक भास्कर" में समाचार छपा है. इसमें बताया गया है कि इसमें हमारा अनुपात बहुत पीछे है.महिलाओं के प्रकरणों में दोष मुक्त होने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है. आपने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए धारा 354 (क) का लोप करते हुए उसके स्थान पर 354 (ख) प्रतिस्थापित कर रहे हैं. इसमें आप कुछ शब्दांश बदल रहे हैं. जैसा कि उसमें आपने लिखा है कि प्रथम बार दोष सिद्ध होने पर कम से कम 3 वर्ष और अधिकतम 7 वर्ष दण्डित किया जाएगा. जुर्माने से भी दण्डित होगा. द्वितीय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि पर कम से कम 7 वर्ष का कठोर कारावास किन्तु जो 10 वर्ष तक का हो सकेगा और न्यूनतम 1 लाख रुपए का जुर्माना. इसमें आपने सीआरपीसी में भी संशोधन किया है. आपने सीआरपीसी में यह व्यवस्था नहीं की है कि जुर्माना नहीं देने की अवस्था में उसका कितनी अवधि का कारावास बढ़ायेंगे या वसूली की व्यवस्था कैसे करेंगे ? उसके पास संपत्ति नहीं होगी तो किस तरह से इसकी व्यवस्था करने का प्रयास करेंगे ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा 354 (घ) में पीछा करने की बात कही गई है. इनका दुरुपयोग भी बहुत होता है. ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में इस तरह की स्थितियां बनती हैं. हम आपकी बात से सहमत हैं कि महिला सुरक्षा के प्रति हमको जागृत होना चाहिए महिलाएं सुरक्षित होना चाहिए. लेकिन यह भी व्यवस्था होना चाहिए कि इसका दुरुपयोग भी न हो. इसमें प्रथम पीछा करने पर सजा का प्रावधान कर दिया है. द्वितीय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि पर कम से कम 3 वर्ष का कारावास किन्तु 7 वर्ष तक का हो सकेगा और न्यूनतम 1 लाख रुपए जुर्माना. इसको कैसे सिद्ध करेंगे कि उसका आशय क्या रहा. मान लीजिए चुनावी रंजिश है और किसी भी एक महिला ने रिपोर्ट कर दी तो उसके लिए आप कौन से पैरामीटर बनाएंगे ? जिससे यह सिद्ध हो सके कि उसका पीछा करने का इंटेन्शन बुरी नीयत से था या कि गलत तरीके से प्रकरण कायम कराया जा रहा है. इससे भी बचाने की तरफ मुख्यमंत्री जी आपको ध्यान देना पड़ेगा. महिलाएं रिपोर्ट करने पहुंचती हैं, गलत प्रकरण भी कायम होते हैं. हमारे क्षेत्र में गलत प्रकरण कायम होने का औसत बहुत ज्यादा है. इसके लिए आप आवश्यक रुप से व्यवस्था करें. जब दिल्ली में "निर्भया काण्ड" हुआ था तब सभी को चिन्ता हुई थी और आपने घोषणा की थी कि हम इस पर कानून बनाएंगे और दण्ड का प्रावधान बढ़ाएंगे. वर्ष 2012 से लेकर अब आप यह कर रहे हैं. चलिए देर आयद दुरस्त आयद. इसके लिए आप साधुवाद के पात्र हैं. यदि एम.पी.नगर की यह घटना न घटती तो शायद आप अभी भी यह कानून न लाते. मैं नाबालिग बालिकाओं की बात नहीं कर रहा हूँ. जो बालिग महिलाएं हैं जो कभी कभी बेड-इंटेंशन से रिपोर्ट करती हैं. कई ऐसी महिलाएं हैं जो 5-5 रिपोर्टें करती हैं, 5 अलग-अलग आदमियों के खिलाफ. कई ऐसी भी एक्सपर्ट हैं जिन्होंने 1-2 बार नहीं 5-5, 6-6 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट की हैं. ऐसी महिलाओं के पंचनामे भी बनकर आते हैं. यह मैं उनके असम्मान में नहीं कह रहा हूँ लेकिन ऐसा होता है तो ऐसी स्थिति में आप क्या करना चाहेंगे? माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने फास्ट ट्रेक कोर्ट बनाई आप उसकी चर्चा करेंगे लेकिन आप प्रदेश के सभी जिलों में लेबोरेटरी स्थापित नहीं कर पाये यदि आप सीमेन्स ले भी लेंगे तो उसका टेस्ट होने जाएगा सागर, हम चाहते हैं इससे पहले आप सीमेन्स चेक करने की लेबोरेटरी की स्थापना हर जिले में करें. जब कहीं ऐसी शंका होती है कि गलत तरीके से कोई प्रकरण कायम करा रहा है तो तुरन्त सीमेन्स लेकर लैब में उसकी जाँच कराये जिससे कम से कम निर्दोष लोग इस कलंक से बच सके और निर्दोष लोग अपराधी ना बने. कभी-कभी यह स्थिति होती है. प्रायः यह देखने में आता है कि बालक-बालिकायें या बालिग महिला और पुरुष भी भागते हैं और नाबालिग भी भागते हैं, घर वालों से छिपकर प्रेम-प्रसंग के कारण भी भाग जाते हैं और घर वाले उसकी रिपोर्ट करते हैं, दबाव बनाते हैं कि वह लोग वापस आए और वापस आने के बाद लड़की के घर वाले केवल लड़के के खिलाफ नहीं, लड़के के संबंधियों और परिवार वालों के खिलाफ धारा 376, 366 के प्रकरण कायम करा देते हैं. निश्चित रूप से घर वालों की असहमति से वह भागे थे लेकिन घर वालों का भी दोष है, घर वालों को भी देखना चाहिए कि हम बच्चों में चरित्र का कैसे निर्माण करें और किस तरह से उनको रोक पाएं. कभी कभी गलत प्रकरण भी कायम होते हैं इनसे बचने के हमें क्या उपाय करने होंगे. कैसे हम इन प्रकरणों को रोक सकते हैं? कभी-कभी सहमति से बच्चे एक-दूसरे के साथ घूमते हैं और घूमने की बात अगर घर वालों को पता लग गई तो घर वाले जबर्दस्ती रिपोर्ट कराते हैं और 354 का प्रकरण कायम हो जाता है, ऐसे कई प्रकरण प्रकाश में आते हैं और होते हैं. हम सब लोग अपने जीवन काल में ऐसे प्रकरण देखते हैं तो ऐसे प्रकरणों में बच्चे को गलत सजा ना मिले क्योंकि उसके कैरियर का भी सवाल रहता है. इसमें अक्सर पढ़ने वाले और विशेष रूप से छोटी-छोटी जगहों के लड़के रहते हैं. बड़े शहरों में तो इतना ध्यान नहीं दिया जाता है तो बच्चों का कैरियर और भविष्य भी देखना चाहिए क्योंकि वह भी स्कूल कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे होते हैं ऐसे बच्चों के विरुद्ध भी प्रकरण कायम होते हैं तो ऐसी स्थिति में हम उनका भविष्य कैसे सुरक्षित रख पाएंगे? आपने मूल अधिनियम की धारा 376 के बाद, 376 क क. स्थापित की है.आपने उसमें दिया है कि " 12 वर्ष की आयु की किसी स्त्री के साथ बलात्संग का अपराध करने वाले व्यक्ति को मृत्युदंड, 14 वर्ष का कठोर कारावास, किन्तु जो आजीवन कारावास, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा और जुर्माना" वह जुर्माने से भी दंडित होगा. हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है. बिल्कुल होना चाहिए,यह आवश्यक है ताकि दंड का भय हो और हमारी नाबालिग बालिकायें जो हमारी प्रकृति की संवाहिका हैं, हमारी संस्कृति में कहा जाता है कि जहाँ महिलाओं की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं. इस तरह से मातृशक्ति की पूजा करने की सोच हमारी संस्कृति ने हमको दी है और मातृशक्ति के प्रतिरूप हम सब यहाँ बैठे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भय होना चाहिए, बिल्कुल भय होना चाहिए लेकिन प्रथम दृष्टया पुलिस को यह पता लग जाता है कि बलात्कार हुआ है या सहमति से हुआ है, किस तरह से हुआ है ऐसे मामलों में तो तुरन्त कार्यवाही होना चाहिए और इसका हमें कोई विरोध नहीं है लेकिन इसका दुरुपयोग ना हो, बस हम केवल यही चाहते हैं. धारा 376 घ क में दिया है कि"12 वर्ष तक की आयु की स्त्री के साथ सामूहिक बलात्संग होने पर मृत्युदंड, कम से कम 20 वर्ष का कठोर कारावास,किन्तु जो आजीवन कारावास, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा और जुर्माना भी होगा." इसमें भी हमारा कोई विरोध नहीं है.माननीय अध्यक्ष महोदय, दंडित करें हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन कभी कभी सामूहिक बलात्कार के प्रकरण में गलत नाम किसी का ना आ जाये यह देखना चाहिए. कोई गलत नाम ना लिखा दें इसकी भी व्यवस्था आप जरूर करें. धारा 493 (क) में दण्ड की जो व्यवस्था की गई है कि प्रवंचना द्वारा किसी स्त्री को यह विश्वास दिलाता है कि उससे वह विवाह करेगा और उसके साथ रहते हुए सहवास करता है फिर उसके बाद शादी नहीं करता, इसमें यह लिखा है कि कारावास जो 3 वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना भी लगेगा. कभी-कभी परिस्थितियॉं ऐसी बन जाती हैं कि मॉं-बाप सहमति नहीं देते तो ऐसी स्थिति में दण्ड का प्रावधान किया गया है, इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है और आपने जो सीआरपीसी में संशोधन किया है सीआरपीसी में केवल मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट और सेशन मजिस्ट्रेट का पॉवर बढ़ाया है इन्हीं धाराओं से संबंधित है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने धारा 110 के संबंध में भी संशोधन किया है. ऐसे लोगों के खिलाफ इतनी कठोर कार्यवाही हो कि इस तरह का पुन: अपराध करने की सोच न सकें और आपने इन सभी अपराधों को संज्ञेय जमानतीय बनाया है, इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन बस इनका दुरुपयोग न हो. हम दो-तीन चीजों के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं और काफी सोच भी रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी जब से आए हैं तब से वे प्रदेश की बेटियों के प्रति काफी चिन्तित हैं वे चिन्ता भी करते हैं और आंकडे़ भी बताते हैं. बेटियां सुरक्षित रहना भी चाहिए लेकिन मध्यप्रदेश में हम अभी तक सुरक्षा का माहौल नहीं दे पाए. यही कारण है कि मध्यप्रदेश में लगातार अपराधों में बढ़ोत्तरी हो रही है. कई-कई अपराधों में रेप के मामलों में नंबर एक पर पहुंच गए हैं. बाल अपराधों में नंबर तीन पर आ गए हैं. गुमशुदगी अपहरण में नंबर तीन पर आ गए हैं. कल हमारे प्रदेश के माननीय गृहमंत्री जी ने भी जवाब दिया था और कम्प्रेटिव आंकडे़ बताए थे कि वर्ष 2001 में अपराध के आंकडे़ क्या थे, वर्ष 2002 में कितने थे, वर्ष 2003 में कितने थे. माननीय मंत्री जी ने नंबर बताए थे. क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के बारे में मैं आपको बताना चाहूंगा. वर्ष 2001 में रेप के 2851 केस थे और लगातार वर्ष 2003 में 2738 थे. उसके बाद लगातार आंकडे़ बढ़े हैं और वर्ष 2013 में 4335 और वर्ष 2016 में 4882 थे. क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वर्ष 2003 के बाद अभी तक महिला अपराधों में विशेष रुप से रेप के मामले में वृद्धि हुई है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत -- जी माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात समाप्त कर ही रहा हॅूं. माननीय मुख्यमंत्री जी बेटी बचाओ, बेटी सुरक्षा के संबंध में जरुर कहेंगे. मैं यह बात मानता हॅूं कि वर्ष 2001 में हमारा जो लिंगानुपात था वह 1000 पुरुषों पर 919 था लेकिन वर्ष 2011 में यह 931 हुआ है, बढ़ा है. लेकिन दूसरी तरफ माननीय मुख्यमंत्री जी से मैं यह निवेदन करूंगा कि चाइल्ड सेक्स रेशो वर्ष 2001 में 1000 बच्चों पर 932 बालिकाएं थीं और आपका चाइल्ड सेक्स रेशो वर्ष 2011 में 918 रह गया. यह घटा है, बढ़ा नहीं है. यह मध्यप्रदेश की जनगणना के आंकडे़ हैं और यह संख्या भी बता सकता हॅूं कि टोटल चाइल्ड पापुलेशन वर्ष 2011 के अनुसार 1,08,09,395 और वर्ष 2001 में 1,07,82,214 थी. यह चाइल्ड पापुलेशन है. 0 से लेकर 6 वर्ष तक की मेल पापुलेशन 56,36172 और वर्ष 2001 में 55,79847 थी. अब आपकी 0 से लेकर 6 वर्ष तक की उम्र वाली जो सेक्स रेशो है वह वर्ष 2001 में 52,02367 और अब 51,73,223 है. इसकी भी तरफ ध्यान दें, यह गंभीर चिन्ता का विषय है. पुरूष लिंगानुपात बढ़ा है लेकिन 0 से लेकर 6 वर्ष तक के बच्चों का जो लिंगानुपात है वह बहुत नीचे आ गया है और आगे आने वालेF समय में लिंगानुपात में और अंतर बढे़गा. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी इस तथ्य को, वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों को जरूर ध्यान में रखें. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से और माननीय विधि मंत्री जी से यही अपेक्षा करते हुए कि इस तरह के कानून के क्रियान्वयन के लिए प्रशासन को पूरी तरह से संवेदनशील बनाएं, इन कानून का दुरुपयोग न हो और हर जिले में आप सीमेंस टेस्ट कराने के लिए और अन्य संबंधित टैस्ट कराने के लिए लैब स्थापित करें जिससे अपराधों पर प्रभावी रोकथाम की जा सके और महिला सेल में जो आप अधिकारी नियुक्त करते हैं, उनके बारे में भी निवेदन करना चाहूंगा. परसों के प्रदेश टुडे समाचार-पत्र में छपा है कि श्योपुर जिले के कलेक्टर ने श्योपुर जिले की महिला सेल के डीएसपी महेन्द्र शर्मा के बारे में कहा है कि वह मानसिक रूप से विचलित है, उसको लाइसेंस नहीं देंगे और ऐसे अधिकारी को महिला सेल में पदस्थ कर दिया गया है, यह मेरा वर्जन नहीं है, कलेक्टर का वर्जन है, आप प्रदेश टुडे में पढ़ लें. माननीय अध्यक्ष महोदय, कानून का हम समर्थन करते हैं लेकिन हम चाहते हैं कि कानून का क्रियान्वयन ठीक से हो, इसका दुरुपयोग न हो. महिलाएं सुरक्षित रहें इसमें हमारी कोई आपत्ति नहीं है. आपने समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर ) -- माननीय अध्यक्ष जी, जो दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 प्रस्तुत किया गया है, सदन में सदन के नेता विराजित हैं. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ और दिल से आभार भी व्यक्त करना चाहता हूँ. उनकी गंभीरता, उनकी संवेदनशीलता, किसी एक घटना को लेकर नहीं है. अगर आप थोड़ा-सा पीछे जाएंगे, तो यह वही सदन है जिसने मध्यप्रदेश के समस्त 51 जिलों में बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, हत्या के प्रकरण इत्यादि को लेकर, कि इन प्रकरणों की तुरंत सुनवाई हो, जो अतिरिक्त सत्र न्यायाधीशों द्वारा की जाए, यह की भी जा रही है, महिला संबंधी अपराधों को विशेष तवज्जो देते हुए ऐसा किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, परसों जब स्थगन को ग्राह्य किए जाने को लेकर माननीय गृहमंत्री जी अपना वक्तव्य दे रहे थे तब उन्होंने अपने मुखारबिंद से कुछ आंकड़े प्रस्तुत किए थे, निर्णय त्वरित हों, अपराधियों में खौफ हो, इसको लेकर 2700 प्रकरणों में आरोपियों को 10 वर्ष का आजीवन कारावास तथा मृत्युदंड जैसे दंड से दंडित किया गया है. अपराध पंजीबद्ध होने के बाद सारा निर्णय न्यायालय परिसर में न्यायाधीशों के द्वारा होता है, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी की संवेदना, उसको भी ताकत देने के लिए कानून में संशोधन करके, इस प्रकार से फास्ट-ट्रैक कोर्ट की अवधारणा को सुनिश्चित किया गया है, मैं एक बार पुन: माननीय मुख्यमंत्री का अभिनंदन करता हूँ, उनको धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, परिस्थितियों के साथ समय-समय पर कानूनों में संशोधन आवश्यक होते हैं. किए भी जाते हैं, किए भी जाते रहेंगे. अगर हम बहुत पहले जाएं तो वातावरण के माध्यम से सती-प्रथा जैसी गलत प्रथा का समापन हुआ है, अलख जगाकर हुआ है, जिसमें राजा राम मोहन राय सर्वश्रेष्ठ नाम है, जिन्होंने अगुआई की थी. यदि कानून नहीं बना होता या कानूनों का पालन नहीं किया जाता, तो फिर सती-प्रथा भी जारी होती. बाल-विवाह जैसा कलंक कानूनों के माध्यम से रोका जा सकता है, थामा जा सकता है, इस पर नियंत्रण किया जा सकता है. दहेज-प्रथा जैसी कुरीति, जिसको लेकर कानून बने हैं और कानून बनने के बाद जिस प्रकार से संशोधन आए हैं, उसके आधार पर कहीं न कहीं रोक भी लगी है और लोगों में खौफ भी पैदा हुआ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय डॉक्टर गोविंद सिंह जी फरमा रहे थे कि हम कानून भी बना देंगे तो क्या हो जाएगा, भारत सरकार मानेगी कि नहीं मानेगी, आगे क्या होगा, पीछे क्या होगा, वे विद्वान हैं, वरिष्ठ सदस्य हैं, यदि लोक सभा और राज्य सभा जीएसटी का कानून सर्वानुमति से पारित कर दें, उसके बाद भी भारत सरकार, लोक सभा और राज्य सभा राज्यों से अपेक्षा करे कि आपको विशेष सत्र बुलाकर इस कानून में संशोधन पर अपनी सहमति ज्ञापित करना है. कानून तो ऊपर से बन गया था, व्यवस्था तो ऊपर से सुनिश्चित हो गई थी लेकिन सहमति प्राप्त की और हम सबने मिलकर उसको सहमति दिलाई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात बार-बार आती है कि अपराध बढ़ रहे हैं तो सदन के नेता का भी चिंता करना स्वाभाविक है, दल का चिंता करना भी स्वाभाविक है. आप सभी के द्वारा चिंता करना भी इसमें शामिल है, इस बात से मैं इंकार नहीं करता हूं. यदि यह बात ऊपर तक जाती है और अन्य राज्य भी इसका अनुसरण करें, क्योंकि अनेक राज्यों ने कानून के मामले में मध्यप्रदेश का अनुसरण किया है, तो एक वातावरण बनेगा. इसमें संशोधन के साथ वह कठोर कानून भी लागू होंगे. जब माननीय गृहमंत्री जी दो दिन पहले अपना वक्तव्य दे रहे थे, तब मैं दोपहर में कुछ देर के लिये घर गया, वहां टीवी पर मैं उस समय एमपीसीजी का कवरेज देख रहा था. जब माननीय भूपेन्द्र सिंह जी सदन में अपना वक्तव्य दे रहे थे. उसी समय से मीडिया ने अपना काम करना प्रारंभ कर दिया था. मैं विशेष रूप से एमपीसीजी का उल्लेख करूंगा, उनका यह संदर्भ प्रारंभ हो गया था कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये हमको सजग और सतर्क होना पड़ेगा. सामाजिक भूमिका का निर्वाह हमको करना पड़ेगा. वातावरण बनाने का काम करना पड़ेगा. मोहल्ले-पड़ोस में अगर इस प्रकार की घटना घट जाती है तो उसको नियंत्रित करने के लिये उनको सामाजिक दायित्व का निर्वहन करना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय, कानून अपनी जगह होते हैं, लेकिन यह बात सही है कि जब तक हम सब मिलकर ऐसे कुकृत्य करने वालों के खिलाफ उठकर खड़े नहीं होंगे, तब तक इस पर नियंत्रण संभव नहीं होगा. लगातार जो घटनाएं घटी हैं, उनको लेकर बलात्संग, सामूहिक बलात्संग, स्त्रियों के विरुद्ध यौन उत्पीड़न के मामले, इन सबको लेकर मैं समझता हूं कि यह जो विधेयक आया है इस पर विचार मंथन हम सबकी जवाबदेही होती है. कड़े कानून की आवश्यकता इसमें बन रही थी और शायद कैबिनेट ने इसीलिये पहले ही इस बात को प्रतिपादित कर दिया था कि मृत्युदण्ड जैसा प्रावधान किया जाना चाहिये. मैं पुन: धन्यवाद और बधाई देना चाहता हूं माननीय गृहमंत्री जी को, माननीय मुख्यमंत्री जी को कि इस बात को लेकर चिंतित होकर इसी वर्तमान सत्र में यह विधेयक लेकर आये हैं. शायद यह सत्र रुक जाता तो पता नहीं अगले सत्र में कब बात आती. लेकिन जो घटनाक्रम घट रहे थे, जो चिंता सब जगह से हो रही थी, प्रतिपक्ष भी चिंता कर रहा था, सत्तापक्ष भी चिंता कर रहा था, आम जन भी चिंता कर रहे थे, तो उसको लेकर यह बहुत समसामयिक समय पर विधेयक संशोधन के लिये आया है. सुरक्षा कवच हम सबको बनाना पड़ेगा. समाज में घटने वाली घटनाओं को लेकर सरकार की चिंता स्वाभाविक है, लेकिन हम सबका नैतिक दायित्व बनता है, हमारा कर्तव्य बनता है कि हम सब ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये पूरे मन से एक हों. इसको लेकर मैं धन्यवाद भी देना चाहता हूं. मैं रामनिवास रावत जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. वे इस कानून के विपक्ष में नहीं हैं, लेकिन दुरुपयोग के बारे में जहां माननीय रावत जी ने, माननीय गोविंद सिंह जी ने ध्यान आकर्षित किया है, तो अगर दुरुपयोग की बात है, तो सरकार स्वाभाविक रूप से उस पर चिंता करेगी. लेकिन आपने एक तरफ तो सहमति दर्ज कराई कि हम कानून के पक्ष में हैं कि मृत्यु दण्ड जैसा प्रावधान भी किया जाता है तो प्रतिपक्ष भी सरकार के साथ है. इस बात के लिये मैं आपका दिल से आभार व्यक्त करता हूं और धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, संवेदनशील मुद्दे पर हम सब चर्चा कर रहे हैं. हम सबका दायित्व बनता है कि जो कानून बनाये गये हैं उन सबके परिपालन में हम सब अपने दायित्व का निर्वहन करें. फास्ट ट्रेक कोर्ट के गठन की बात मैं पहले कर चुका हूं. उसके साथ ही अगर बहुत पीछे जा रहे हैं, तो जब इस तरह का कृत्य मध्यप्रदेश में वर्ष 1994 में हुआ था, मैं राजगढ़ की घटना का उल्लेख करना चाहता हूं, बलात्कार अत्यंत लोमहर्षक घटना घटित हुई थी. वर्ष 1995 में मुरैना में एक दलित महिला के साथ उसी अपराधी द्वारा जिसने बलात्कार किया था, पुन: अस्पताल प्रांगण में बलात्कार करने की घटना बहुत प्रचारित हुई थी. अगर हम और आगे चलें तो वर्ष 2002 में पन्ना जिले के सलेहा थाने में एक वृद्ध महिला को जबर्दस्ती सती कराया गया. जब इस तरह की घटना आती है, तो मन उद्वेलित हो जाता है, मन में चिंता होती है. मैं दण्ड विधि संशोधन विधेयक का समर्थन इसलिये करता हूं क्योंकि बहुत ज्वलंत समस्या के ऊपर, बहुत मानवीय दृष्टिकोण के आधार पर यह विधेयक आया है. मैं माननीय विधि मंत्री रामपाल सिंह जी का विशेष रूप से आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि उन्होंने जिस प्रकार से इस विेधेयक को प्रस्तुत करते हुये 12 वर्ष से कम उम्र की बालिका के साथ यदि इस प्रकार की घटना होती है, तो उसमें मृत्यु दण्ड का प्रावधान किया गया है. छेड़छाड़ की घटना करने के मामले में अपराधियों को दण्डात्मक कार्यवाही में और अधिक गंभीरता से उसको लिया है. उसके लिये मैं धन्यवाद देना चाहता हूं, बधाई ज्ञापित करना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सी चीजें स्थगन की चर्चा के दौरान संदर्भ में आ चुकी थीं, लेकिन चूंकि आज मामला यह विधेयक प्रस्तुत होकर इस पर चर्चा का है, इसलिये इसके जो दांडिक प्रावधान महिलाओं की सुरक्षा को लेकर किये गये हैं, स्त्रियों के विरुद्ध घटने वाले अपराधों को कम किये जाने को लेकर के, कानून और व्यवस्था को लेकर के, इसमें निश्चित रूप से जो दण्डात्मक प्रावधान किये गये हैं मैं उनका समर्थन करता हूं. मैं पूरे सदन से निवेदन करूंगा कि यह सर्वानुमति से पारित होना चाहिये ताकि उन अपराधियों में खौफ हो कि बलात्कार जैसी घटना करेंगे, नाबालिग बेटी के साथ इस प्रकार की घटना करेंगे तो उनको मृत्यु दण्ड जैसा दण्ड भोगना पड़ेगा. माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, आपने समय दिया इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) -- अध्यक्ष महोदय, सदन में यह जो दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक,2017 चर्चा हेतु आया है, मैं इसका स्वागत और समर्थन भी करता हूं. लेकिन इसके साथ साथ हम कुछ बातें सदन में निश्चित रुप से कहेंगे कि जेंडर के आधार पर कहीं किसी के साथ कोई अन्याय न हो, इस बिन्दू पर भी हम थोड़ी सी अपनी बात कहने की कोशिश करेंगे, उसको यह न लिया जाये कि इस विधेयक के हम विरोध में हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि सरकार ने मध्यप्रदेश की हालत पर जो स्वीकार किया है, उसको मैं दो लाइन पढ़कर आपको सुनाना चाहता हूं कि जो अमेडमेंट के लिये यह कानून लाया गया है, इसके उद्देश्यों और कारणों का कथन में यह कहा गया है कि- "राज्य सरकार के ध्यान में यह लाया गया है कि स्त्रियों के विरुद्ध यौन उत्पीड़न, हमले अथवा आपराधिक बल के प्रयोग के अपराध दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे हैं. बलात्संग और सामूहिक बलात्संग के अपराध बड़ी संख्या में देखे जा रहे हैं. पिछले तीन वर्षों के दौरान छेड़छाड़ के पश्चात् स्त्रियों की आत्महत्या के बहुत से प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं." अध्यक्ष महोदय, सरकार यह स्वीकार कर रही है कि महिलाओं के अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश का अपना एक विशेष स्थान है, 14 वर्ष से यह सरकार प्रदेश में है और 14 वर्षों में यह सरकार महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार को रोक पाने में अक्षम रही है, यह स्पष्ट है.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट लेना चाहूंगा. जब भी कोई विधेयक आता है या संशोधन विधेयक आता है, तो उसमें उद्देश्यों का वर्णन करना अनिवार्य है, लेकिन तिवारी जी उद्देश्यों का जिस गलत तरीके से यहां प्रस्तुतिकरण कर रहे हैं, यह न्यायोचित नहीं है. देखिये, एक पवित्र उद्देश्य को लेकर के यह संशोधन विधेयक लाया गया है कि महिलाओं पर जो उत्पीड़न हो रहे हैं और सामान्य रुप से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, इस दृष्टि से कहीं अपराधों में भी छोटी-मोटी वृद्धि हुई होगी...
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- .. जो आपने लिखा है, मैं वही पढ़ रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, जो सरकार ने लिखा है, वही मैंने पढ़ा है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- नहीं, तिवारी जी सुनें. लेकिन सरकार द्वारा समय पर संज्ञान लेकर और उन अपराधों को रोकने के लिये यदि संशोधन विधेयक लाकर और उन अपराधों को रोकना चाहती हैं, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारे विद्वान सदस्य द्वारा उसको गलत तरीके से और अकारण अक्षम हैं, रोकने में बिलकुल असमर्थ रही है, यह कहीं इसका उद्देश्य नहीं है. उद्देश्य को आप उतना ही पढ़िये, जितना उसमें लिखा गया है...
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैंने एक लाइन अधिक नहीं पढ़ी है, बल्कि अभी कम पढ़ा है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- यदि अर्थ का अनर्थ निकालेंगे, तो न्याय नहीं होगा. आप कानून के ज्ञाता हैं, कानून को समझते हैं..
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- हम बिलकुल नहीं समझते हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार --.. उसका इंटरपिटेशन अच्छे से रखते हैं. तिवारी जी, लेकिन आज आपने जिस नीयत से यह बात कही, यह आपकी नीयत अच्छी नहीं है. अध्यक्ष महोदय, यह मैं तिवारी जी से कहना चाहता हूं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, विपक्ष ने जो बातें नहीं कहीं, वह सारी बातें शेजवार जी ने कह दीं. क्या आप ऐसे ही भाषण चाहते हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, जो सरकार ने लिखकर दिया है, उसी को मैंने पढ़ा है.
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, आप संशोधन विधेयक पर ही बोलेंगे, तो ठीक रहेगा. बाकी विषय पहले आ चुके हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, हम बिलकुल उसी पर ही बोल रहे हैं. मैंने तो उद्देश्य पढ़कर बताया है. अभी एक अक्षर भी उससे अलग नहीं गया हूं. जो उद्देश्य सरकार ने लिखकर दिया है, उसी को मैंने सदन में पढ़ा है. दूसरी बात, हमारा यह कहना है कि यह जो विधेयक पेश किया गया है, यह सरकार की वास्तविक सुशासन की तस्वीर पेश की है. जिस राज्य में निरंतर रूप से 14 वर्ष तक एक पार्टी की सरकार रही हो और 12 वर्ष तक लगातार एक ही मुखिया रहा हो, और निरंतर महिलाओं के साथ में अत्याचार हो रहा हो और संख्या बढ़ती चली जा रही है.
अध्यक्ष महोदय -- यह रिपीटिशन हो रहा है. मेरा आपसे अनुरोध है कि पहले भी दो सदस्य इस पर बोल चुके हैं, परसों भी चर्चा हुई थी कृपा करके शुद्ध संशोधन पर बोलें, आप बड़े वकील हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मुझे संशोधन पर आने तो दें, यह इतना हल्का संशोधन नहीं है कि मैं सीधे संशोधन पर बोलूं , यह संशोधन जो संसद में कानून बना है उसके कंट्रेरी यह कानून यहां पर आया है, इसमें बहुत सारे लॉ इन्वाल्व हैं इसीलिए मैंने कहा था ...
अध्यक्ष महोदय -- फेक्ट पर बहुत बात हो चुकी है कृपा लॉ पर बात करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- लीगल बात आयेगी और फेक्टस पर भी आयेगी, मेरा यह कहना है कि यह कुशासन की हमारे मध्यप्रदेश में क्या तस्वीर है हमारी सरकार की, कि 14 साल में बच्चियों के साथ में बढ़े अत्याचार, महिलाओं के साथ में बढ़े अत्याचार, (XXX)
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय वही का वही बार बार रिपीटिशन हो रहा है. आप अगर विरोध में हैं तो विरोध में बोलिये और अगर पक्ष में हैं तो पक्ष में बोलिये लेकिन जो तथ्य हैं और जो एक्ट है मेरा अध्यक्ष महोदय आपसे आग्रह है कि सदस्य उसी पर बोलें.
अध्यक्ष महोदय -- यदि विधेयकों पर इस तरह की बहस होने लगेगी.
श्री विश्वास सारंग -- यह जो (XXX) कहा गया है इसको तो निकाल दें.
अध्यक्ष महोदय -- इसे विलोपित किया जाय.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- क्यों निकालेंगे..(व्यवधान).. इसमें क्या असंसदीय है, क्या मैंने गलत बोल दिया है,..(व्यवधान).. तकलीफ हो रही है अगर इनको बहुत तकलीफ है तो निकाल दीजिये..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप तो सीधे विधेयक पर आ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- मेरा यह कहना है कि इस सरकार ने बच्चियों और महिलाओं का क्या सम्मान किया है. यह पूरे प्रदेश को अच्छी तरह से स्पष्ट हो गया है इस कानून में अमेंडमेंड आने के बाद, सरकार की क्या स्थिति है और बच्चियों व महिलाओं के प्रति क्या सम्मान है. आगे मेरा यह कहना है कि..(व्यवधान)..
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय उद्देश्य कितना पवित्र है, यह भी तो देखना चाहिए यदि हम महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक संशोधन विधेयक ला रहे हैं, सरकार पहल कर रही है इसकी प्रशंसा करना चाहिए.
डॉ गोविन्द सिंह -- यह बार बार बोलना, क्या हर विषय पर बोलना यह न तो संसदीय कार्य मंत्री हैं...(व्यवधन)...
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी आप बैठ जायें..(व्यवधान).. दोनो वरिष्ठ सदस्य भी बैठ जायें.
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- मैं यह ही जानना चाहता हूं कि उद्देश्य पवित्र है या नहीं....(व्यवधान )..
डॉ गोविन्द सिंह -- न तो यह आपसे अनुमति लेते हैं, यह बताना चाहते हैं कि सबसे ज्यादा विद्वान यह ही हैं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी अपनी बात 5 मिनट में समाप्त करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय मैंने पहले ही कहा था कि मुझे बोलने दें तब न मैं आगे बढ़ पाऊंगा, जब मैंने यह शुरू किया है तो आप मेरा रिकार्ड निकालकर देख लें कि आपने पहले दो मिनट में ही मुझे रोक दिया है कि तिवारी जी आप अपना भाषण समाप्त करें. यह बहुत सेंसेटिव मेटर हैं,---(व्यवधान)--
अध्यक्ष महोदय -- कृपया सभी सदस्य बैठ जायें. तिवारी जी आप अपनी बात 5 मिनट में समाप्त करें और सीधे कानून पर आयें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय पूरे देश में यह कानून किसी राज्य में नहीं बना है जो कानून मध्यप्रदेश के सदन में पेश किया गया है. केन्द्र सरकार ने भी इस तरह का कोई भी कानून पास नहीं किया है. क्या वजह है कि हमारे राज्य में इस तरह के कानून बनाने के हालात और परिस्थितियां पैदा हो गई हैं. क्या इसका परीक्षण सरकार ने किया है.
अध्यक्ष महोदय, सरकार ने नहीं किया है. मेरा यही कहना है कि दिल्ली में निर्भया का मामला हुआ. तत्कालीन केन्द्र सरकार ने जस्टिस वर्मा की एक कमेटी वहां गठित की और उस कमेटी ने वह रिपोर्ट प्रस्तुत की. उस रिपोर्ट के आधार पर केन्द्र सरकार ने कुछ फैसले किये और कानून में संशोधन किये. हमारे प्रदेश का बड़ा दुर्भाग्य है, न तो कोई कमेटी बनाई. जस्टीस वर्मा कमेटी से यह कहां असहमत हैं? उस कमेटी में क्या कमी थी? क्या जस्टीस वर्मा कमेटी के लेवल की कोई कमेटी प्रदेश में बनाई गई? उस लेवल की कोई कमेटी नहीं बनाई तो क्या हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस लेवल की परीक्षण के लिए कोई कमेटी बनाई? अध्यक्ष महोदय, कोई कमेटी नहीं बनी, जिससे विधिवत् उसका परीक्षण हो सके और उस परीक्षण के बाद इस सदन में वह कानून आए जिससे हम लोग विधिवत् बात कर सकें. क्या वजह है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की कमेटी ने जो रिकमंडेशन दी है उस रिकमंडेशन के खिलाफ आप एक कॉन्ट्रेरी कानून इस सदन में ला रहे हैं और क्यों ला रहे हैं, न तो प्रदेश के लोगों को आप बता रहे हैं, न इस देश के लोगों को बता रहे हैं. क्या यह उस जस्टिस वर्मा कमेटी का अपमान नहीं है? क्या यह अपमान नहीं है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने जो बात कही है उसको आप नहीं मान रहे हैं? उसकी वजह यह है, मेरा यह कहना है कि यहां दो घटनाएं घटीं हैं. पहले तो सरकार 13-14 वर्ष सो रही थी. एक घटना एम.पी. नगर भोपाल में और दो-तीन घटनाएं प्रदेश में जल्दी-जल्दी घटी हैं तो हमारे मुख्यमंत्री जी ने तुरन्त एक कैबिनेट की एक बैठक बुलाई. बिना परीक्षण कराए, बिना कुछ देखे, न कमेटी बनी, न मिनिस्टर्स की कोई कमेटी बनी, न एक्सपर्ट्स की कोई कमेटी बनी और रातों-रात कैबिनेट में कह दिया कि अब 12 वर्ष की बच्चियों के साथ अगर बलात्कार होगा तो हम उस पर कानून बना रहे हैं, अपराधी को मृत्युदंड दिया जाएगा. क्या वजह है कि जस्टिस वर्मा की कमेटी ने इसमें मृत्युदंड नहीं दिया तो इसका क्या आपने परीक्षण कराया, क्यों जस्टिस वर्मा की कमेटी ने मृत्युदंड का रिकमंडेशन नहीं किया है? क्या यह राज्य सरकार का दायित्व नहीं था कि इसका विधिवत् परीक्षण कराया जाय. माननीय मंत्री जी, उधर मत देखिए अधिकारियों की तरफ. उन्हीं का यह सब बनाया है. सब काला कानून जो बनाया है उन्हीं ने बनाया है. आप बार-बार उधर देखते हैं.
लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह )- आपको हम यह कह रहे हैं कि आपके ही जो शब्द है, जो आप कह रहे हैं, हमने भी किताबों में देखा, (XXX) आपने इसको कहां पढ़ लिया है? कहां अध्ययन किया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (XXX)
अध्यक्ष महोदय - इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, आदरणीय तिवारी जी, खुद ही बात को इधर-उधर बहकाते हैं. अभी पूरा सदन बड़ी गंभीरता से उनकी तथ्यहीन बातों को सुन रहा है. लेकिन उसके बाद भी डायवर्ट कर रहे हैं, कहीं विधि मंत्री जी को, कहीं अधिकारियों को.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, जस्टिस वर्मा कमेटी के विरुद्ध यह कानून लाने की जरूरत क्यों पड़ गई, इसके लिए मैं कुछ प्रकाश डालूंगा. अगर यह कदम राज्य सरकार ने उठाया होता तो संभवतः मध्यप्रदेश में अपराध भी घट गये होते, महिलाओं के साथ बलात्कार भी नहीं होते, बच्चियों के साथ बलात्कार भी नहीं होते, वे बच जाते और आपको इस तरह का ड्रकोनियन लॉ, कड़ा कानून लाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती. लेकिन सरकार की नीयत साफ नहीं है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - यह तो आप स्पष्ट कर दें कि इस कानून के पक्ष में हैं कि विपक्ष में हैं?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, सरे आम बोला है पक्ष में हैं. प्रारंभ में मैंने बोला था क्योंकि मुझे मालूम है कि मैं सच बोलूंगा तो आप डाऊट में हो जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी आप किसी का उत्तर न दें, आप अपनी बात कहें. कृपया कोई व्यवधान न करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन यह है कि कुछ रिकमंडेशन वर्मा कमेटी ने दिये थे, उस पर राज्य सरकार ने ध्यान नहीं दिया. एक है बिल ऑफ राइट्स फॉर वुमन, क्या आपने इस पर बिल बनाया? कोई राज्य में कानून बनाया? अगर आप कहते हैं कि बनाया है तो वह अनुपयोगी है और उससे कोई फर्क राज्य में नहीं पड़ रहा है. पुलिस रिफॉर्म, इसके बारे में रिकमंडेशन दिया गया है. जस्टिस वर्मा कमेटी ने कहा है कि राज्यों की पुलिस को भी इस तरह से काम करना चाहिए और सरकार की हाथ का खिलौना पुलिस को नहीं बनना चाहिए. लेकिन जो हमारा वर्तमान में राज्य का स्ट्रक्चर है, उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया और उसके दुष्परिणाम पूरे राज्य में देखे जा रहे हैं .
अगर यह पुलिस रिफार्म हो जाये तो 2-3 साल एक अधिकारी एक जिले में रहेगा. उसका ट्रांसफर किसी राजनीतिक दबाव में नहीं होगा. उसके काम को देख कर ट्रांसफर किया जायेगा. किसी तानाशाह की तरह नहीं होगा जिस तरह कटनी में रातो-रात एक ईमानदार एसपी को हटा दिया गया. इस तरह का अधिकार किसी के पास नहीं रहेगा.
अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि इसमें कई अनुशंसाएं हैं. जस्टिस वर्मा जी को यहां तक कहना पड़ा कि जो मिसिंग चिल्ड्रन हैं. Roll of judiciary के संबंध में भी इस कमेटी ने अपनी बात कही उसको मैं यहां नहीं कहना चाहता.
अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि फास्ट इन्वेस्टिगेशन क्या हो रहा है? राज्य में कहीं कोई फास्ट इन्वेस्टिगेशन नहीं है. Speedy justice, Speedy trial क्या कहीं राज्य में हो रहा है? कहीं कुछ नहीं हो रहा है इसके कोई परिणाम नहीं आ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, जो भी महिला, लड़की बलात्कार की विक्टिम है उनके लिए लीगल सेल फार्म करके, लीगल एड देने की व्यवस्था हमारे प्रदेश में नहीं है. सरकार ने इधर भी कोई ध्यान नहीं दिया. मेरा यह कहना है कि सरकार नया कानून बनाना चाहती है और जो पहले से विद्यमान कानून अपने यहां पर है. केन्द्र के कानून है जो कमेटियों ने अनुशंसा की है उनको यह सरकार लागू नहीं करना चाहती. इसका मतलब कि यह जो कानून लाया गया यह दिखावे का कानून लाया गया. यह इसलिए लाया गया है कि बेटियां बचे या न बचे. महिलाओं की सुरक्षा हो या न हो लेकिन सरकार सुरक्षित रहे. सरकार अपनी सुरक्षा के लिए कानून ले आयी है. महिलाओं की सुरक्षा के लिए यह कानून नहीं लाये हैं. अगर यह कानून महिलाओं के लिए आया होता तो एक पावरफुल कमेटी बनी होती. पूर्व में की गई अनुशंसाओं को मध्यप्रदेश में लागू किया जाता लेकिन उन अनुशंसाओं को लागू नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मिस यूज़ ऑफ लॉ के बारे में हमारे सीनियर नेता डॉ गोविन्द सिंह जी ने और माननीय रावत जी ने भी कही. कानून बने लेकिन इसके साथ साथ हमारी यह भी जिम्मेदारी है कि ऐसा कानून बने जो मिस यूज़ ऑफ लॉ का कानून कहलाये और इसका अगर कोई दुरुपयोग करे उसके खिलाफ भी सख्त कार्यवाही हो.
अध्यक्ष महोदय--कृपया समाप्त करें. बोलने के लिए और सदस्य भी हैं.
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, लीगल बात कह रहा हूं. इसीलिए मैंने कहा था कि हमारे सदन में जहां फांसी की सज़ा का फैसला होना है उसके लिए एक-डेढ़ घंटे का समय है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- तिवारी जी, अब लीगल बात पर आ रहे हैं इसके लिए पहले सब इल्लीगल था.
डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष जी, आज तिवारी जी पहली बार इतना बढ़िया बोल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- हां, वह अच्छा बोल रहे हैं लेकिन रिपीटिशन की आवश्यकता नहीं है.
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- मैंने कहा कि कानून लाया जाता है लेकिन कानून पर यह सदन गंभीरता से विचार नहीं करता यह मेरा आरोप है. कानून आप लायें हैं तो दोनों तरफ से पूरी तरह से खुली बहस होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- बहस हो रही है.
श्री सुन्दर लाल तिवारी--पर्याप्त समय होना चाहिए. क्या एक-डेढ़ घंटे में इतने बड़े कानून की व्याख्या हो जायेगी?
वन मंत्री(डॉ गौरीशंकर शेजवार)-- तिवारी जी, अभी लीगल बात कह रहे हैं तो इसके पहले सब इल्लीगल बातें कह रहे थे.
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- एक एक शब्द लीगल है. अध्यक्षजी, CrPC की धारा 340 और IPC की धारा 180 इसमें मिस यूज़ ऑफ लॉ के संबंध में प्रॉवीजन्स हैं लेकिन यह अपर्याप्त हैं कि झूठी रिपोर्ट करने वालों के खिलाफ IPC की धारा 180 में न के बराबर मामले आये हैं. किसी न्यायालय में कोई मामले नहीं आये हैं. इसी तरह सी.आर.पी.सी. की धारा 340 है यह भी झूठी रिपोर्ट करने वालों के लिये अपर्याप्त है. तो मेरा यह कहना है कि एक तरफ तो हमें विक्टिम की रक्षा करनी चाहिये लेकिन दूसरी तरफ दूसरा पक्ष भी विक्टिम बनता चला जाये इस दिशा में भी हमको विचार करना चाहिये. अंतिम बात मैं कहना चाहता हूं कि केन्द्र सरकार ने जो कानून बनाया है उस कानून में यह भी प्रोवीजन दिया है कि आजीवन सजा का एक कानून उसमें है कि पूरा जीवन जब तक वह जीवित रहेगा वह जेल के अन्दर रहेगा. इस दिशा पर भी इस सदन को विचार करना चाहिये. वह जीवित रहेगा लेकिन पूरा जीवन जेल में रहेगा. एक दिन भी जेल से बाहर निकल कर नहीं आयेगा. उसको भी उन्होंने मृत्युदण्ड के बराबर ही माना है. इसलिये माना है क्योंकि आजकल नेशनल और इंटरनेशनल लेबल पर इस बात पर बड़ी चर्चा है कि मृत्यु दण्ड होना चाहिये या नहीं होना चाहिये. सुप्रीम कोर्ट में भी कई पिटीशंस इस बात की पेंडिंग हैं कि किसी को मृत्युदण्ड होना चाहिये या नहीं. सभ्य समाज में मृत्यु का दण्ड देना उचित है कि नहीं. एक और बात मुझे यह कहना है कि जो बारह वर्ष की उम्र सरकार ने तय की है. यह ग्यारह वर्ष भी हो सकती थी और यह तेरह वर्ष भी हो सकती थी.क्या यह सरकार इस सदन को बताएगी कि यह उम्र जो आपने निर्धारित की है. मंत्रिमण्डल के कुछ लोग बैठकर यह तय कर लेंगे ? क्या आपने किसी कमेटी की रिपोर्ट या पुराने किसी आधार पर आपने यह बारह वर्ष की उम्र निर्धारित की है कि बारह वर्ष तक की उम्र की लड़की के साथ बलात्कार होगा तो उसको मृत्युदण्ड दिया जायेगा ? यह भी माननीय मंत्री जी ने जब विधेयक प्रस्तावित किया, नहीं बताया है. गृह मंत्री जी ने भी जब उस दिन भाषण दिया इस बारे में कोई बात नहीं कही.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.श्रीमती पारुल साहू केशरी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी सदन में आ गये हैं. आपने कल जबलपुर में भाषण दिया. मैं दिल्ली में था मैं इस अखबार को देख रहा था..
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठें. अब तिवारी जी का नहीं लिखा जायेगा. आपने अच्छा बोला उसको खराब मत करिये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - XXX
श्रीमती पारुल साहू केशरी(सुरखी) - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं दण्ड विधि(मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक,2017 का समर्थन करती हूं. माननीय अध्यक्ष जी, Aristotle ने कहा है कि किसी समाज ने कितनी प्रगति की है यह वहां की महिलाओं की स्थिति से पता चलता है. मध्यप्रदेश शासन, महिलाओं की समानता,सुरक्षा,स्वतंत्रता,उनके लिये न्याय,विकास एवं सशक्तीकरण के लिये प्रतिबद्ध है. जब भी किसी महिला या बेटी के साथ यह गंभीर अपराध होता है तो यह पूरे समाज को शर्मसार करता है और मुझे लगता है अगर हम कल्पना करें कि उस बेटी के जीवन की स्थिति क्या हो जाती है और उस बेटी का जीवन क्या बन जाता है यह कल्पना के परे है. आज हमारे समाज में ऐसी खराब सोच रखने वाले लोग हैं जो हमारी बेटियों के साथ इस तरह के बुरे काम करते हैं मुझे लगता है यह हमारे समाज के लिये बहुत बड़ा खतरा हैं और मुझे यह कहते हुए कोई संकोच नहीं है कि विधान सभा में हमारे मुख्यमंत्री जी ने जो इतना बड़ा निर्णय लिया. उन्होंने सोचा. सही मायने में उन्होंने हमारे प्रदेश की बेटियों को न्याय देने का काम किया है. मैं मुख्यमंत्री जी को दिल से धन्यवाद देती हूं. आज हमारे मुख्यमंत्री जी ने जो ऐसे पापी हैं, जो इतनी खराब सोच रखते हैं. छोटी बेटियों के प्रति भी सम्मान नहीं रखते हैं. उनको सही मायने में जो उनकी सही जगह है नर्क में भेजने का काम कर दिया है. उनको नर्क में ही रहना चाहिये जिनको बेटियों के प्रति भी सम्मान नहीं है और जिन बेटियों को पूजा जाता है. मैंने देखा है हमारे मुख्यमंत्री जी जब भी कोई कार्य शुरू होता है तो बेटियों का पूजन करते हैं और सही मायने में हमारे समाज में बेटी पूजन को सबसे बड़ा पूजन माना जाता है, देवी का रूप कहा जाता है. ऐसी जगह पर भी अगर बेटी के साथ इस तरह का काम सोचने की कल्पना भी कोई व्यक्ति करता है तो उसे पापी की उपाधि भी दी जाये तो कम नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, आज मध्यप्रदेश में तिवारी जी ने भी कुछ बातें कहीं मुझे सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ, मैं कहूंगी कि उनको चिंता उन लोगों की है जो इस तरह का पाप करते हैं या कल्पना करते हैं, लेकिन उन बेटियों के साथ क्या हुआ, उनके जीवन के साथ क्या न्याय हुआ जब इस तरह की घटना उनके साथ हुई, आपको उसकी ज्यादा चिंता नहीं है. आपको चिंता है कि यह नियम इतनी जल्दी हमारे मुख्यमंत्री जी ने कैसे पारित कर दिया और कैसे निर्णय ले लिया. क्या आपको लगता है माननीय मुख्यमंत्री जी की जगह अगर कोई और होता, मैं समझती हूं इतनी जल्दी यह निर्णय और कोई नहीं ले पाता जो निर्णय आज उन्होंने लिया है और मध्यप्रदेश की बेटी होने के नाते मैं उनका धन्यवाद करती हूं. ...(मेजो की थपथपाहट).... प्रदेश की प्रत्येक बेटी को यह उन्होंने सम्मान दिया है. अगर वह पूजन करते हैं तो आज यह कानून लाकर हर बेटी के साथ न्याय करने का काम किया है तिवारी जी. अगर बेटियों की हम और आप चिंता नहीं कर सकते हैं तो हमारी सरकार चिंता करती है. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं बताना चाहूंगी कि हमारे प्रदेश में बेटियों की सुरक्षा के लिये पहले से कई नियम चल रहे हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- तभी बेटियां घूम रही हैं, एफआईआर नहीं होती है, एमपी नगर का केस देख लीजिये.
श्रीमती पारूल साहू केशरी-- माननीय अध्यक्ष जी, मुझे अपनी बात करने का मौका दें. आज हमारे प्रदेश में जब यह नियम लाने से पहले हमारे प्रदेश की बेटियों को सुरक्षित रखने के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक बहुत बड़ी पहल की थी कि 33 प्रतिशत आरक्षण पुलिस में हमारी बेटियों को मुख्यमंत्री जी ने दिया, यह ऐसा पहला प्रदेश है ताकि हमारी बेटियां सुरक्षित फील करें. आज यह घटनायें लगातार होती जा रही हैं, लेकिन आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार लगातार स्कूल, कालेज में पूरा पुलिस डिपार्टमेंट प्रदेश में लगा हुआ है, मैं गृह मंत्री जी को भी धन्यवाद करना चाहूंगी कि हर छोटे-छोटे गांव में, हर स्कूल, कॉलेज में आज हमारी सरकार और पुलिस विभाग के माध्यम से अवेयरनेस प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं कि अगर इस तरह की घटना होती है तो उनको तत्काल क्या करना चाहिये और आप बात करते हैं आंकड़ों की, अगर हमारे थाने में बेटियां सुरक्षित फील नहीं करतीं तो आज यह संख्या जो बढ़ी है, जो रिपोर्ट्स लिखी गईं हैं यह इसी कारण लिखी गईं हैं कि उनके साथ अगर गलत हुआ है तो तत्काल रिपोर्ट लिखें. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, माननीय मुख्यमंत्री जी बहुत संवेदनशील हैं, उन्होंने इतना बड़ा कानून लाने की बात कही है, मैं कहना चाहूंगी कि बेटियों को अवेयर करने का काम सरकार कर रही है, लेकिन यह जो कड़ा कानून हमारे प्रदेश में आ रहा है उसको बेटे के लिये भी अवेयर करे, 8वीं क्लास से लेकर हर काम्पटीटिव एग्जाम में इसको प्रश्न के तौर पर रखा जाये कि अगर इस तरह का अपराध कोई भी करता है तो उसके लिये क्या सजा है ताकि बेटे भी जो कुछ खराब मानसिकता रखते हैं वह सोचें कि क्या कानून है. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, Would you like to us each and every member present hear in this august house कि अगर वह अपने दिल पर हाथ रखकर बोलें कि आज जो मध्यप्रदेश में कानून लाया जा रहा है बेटियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये, क्या आप इससे सहमत नहीं हैं ? आज हमारे मुख्यमंत्री जी ने दिल से यह कानून लाने की बात कही है, मध्यप्रदेश में बेटियां सुरक्षित फील करें इसके लिये वह यह कानून लाये हैं और मैं समझती हूं कि हमारे प्रदेश में हर एक बेटी को सपना देखने का अधिकार है, उड़ान भरने का अधिकार है और माननीय मुख्यमंत्री जी ने आज प्रदेश में हमारे यहां की बेटियों को पंख देने का काम किया है. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दण्ड विधि मध्यप्रदेश संशोधन विधेयक 2017 क्रमांक 26 सन् 2017 पर आपने चर्चा का मौका दिया इसके लिये मैं धन्यवाद देना चाहता हूं. हर विषय राजनीति का नहीं होता है कि कोई विषय आये, सत्तापक्ष कुछ बोले या विपक्ष कुछ बोले, बहुत से विषय ऐसे होते हैं जो हम सबके लिये बहुत जरूरी होते हैं. निश्चित रूप से महिलाओं पर जो अत्याचार और बलात्कार की बात होती है वह बहुत गंभीर विषय होता है और इसका यह भी अर्थ नहीं निकाला जाये कि जब कोई विपक्ष का सदस्य बोलता है तो उसके विरोध में बोल रहा है या उसका विरोधी हो गया है.
अध्यक्ष महोदय, जब भी कोई कानून बनता है तो उसके पक्ष में भी दलीलें दी जाती है और विपक्ष में भी दलीलें दी जाती हैं. उन दोनों दलीलों के बाद में जो यथोचित या उचित होता है उसका परिपालन होना चाहिये. निश्चित रूप से समय समय पर विधेयकों को लाया जाता है, उस पर विचार किया जाता है. इसके बाद विधानसभा में वह विधेयक पारित होते हैं. यह विधेयक भी जो चर्चा में है यह विधानसभा में पारित होने के बाद भारत के राष्ट्रपति महोदय के पास भेजा जायेगा, राष्ट्रपति जी की मंजूरी के बाद में वह लागू होगा. शायद पूरे देश में मध्यप्रदेश पहला राज्य है जो इस तरह का विधेयक विधानसभा से पास करके राष्ट्रपति महोदय को भेजेगा. लेकिन किसी विधेयक पर चर्चा के समय शंका-कुशंका आती हैं तो वह सदस्यों का अधिकार है कि उस पर चर्चा हो, उसको अन्यथा न लिया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, महिलाओं पर बढ़ते हुये योन अपराध हैं निश्चित रूप से सभी के लिये चिंता का विषय हैं. मेरे कुछ प्रश्न हैं जो आपके माध्यम से मैं सरकार की ओर प्रेषित करना चाहता हूं कि मात्र दण्ड ऐसा कोई माध्यम नही है जिसके कारण से अपराध रूक जायें, निश्चित रूप से दण्ड के कारण अपराध रूकते हैं इसमे कोई शक की बात नहीं है लेकिन सिर्फ दण्ड देने से ही अपराध रूक जायेंगे यह भी एक बहुत बड़ा प्रश्न होता है. अपराध घटित न हो इसके लिये भी सरकार को कदम उठाना चाहिये. हम अपराध घटित होने के बाद में अगर दण्ड दे रहे हैं तो अपने आपमें हम एक कदम उठा रहे हैं लेकिन पूर्ण कदम तब होगा जब इस तरह के अपराध ही न घटित हो पायें इस तरह की व्यवस्था अगर यह सदन या सरकार या समाज दे पायेगा तो निश्चित रूप से हमारा कदम और आगे होगा.
अध्यक्ष महोदय, अपराध क्यों हो रहे हैं. यह भी एक अनुसंधान का विषय है. यह मात्र एक चर्चा में नहीं आ पायेगा क्योंकि अपराधी मानसिक रोगी भी होते हैं , आर्थिक कारण भी होते हैं, सामाजिक कारण भी होते हैं और कोई कोई अपराध परिस्थितिवश, परिस्थितिजन्य भी होते हैं. और जब इस तरह के अपराध हो रहे हैं तो अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे एक अनुरोध है कि इन अपराधियों की कहीं न कहीं सायक्लॉजिकल टेस्ट भी करवाना चाहिये कि किस सायक्लॉजी से अपराधी गुजर रहे हैं और यह अपराध घटित कर रहे हैं. और शायद उनका वह सायक्लॉजिकल टेस्ट होगा तो हमें यह जानने का अवसर प्राप्त हो जायेगा कि इस तरह के अपराध घटित हो रहे हैं, इस तरह की सायक्लॉजी बन जाती है तो उसकी रोकथाम कैसे हो, और इस तरह की मानसिक विकृति क्यों आ रही है यह भी हमें जानने और समझने की आवश्यकता है. क्या नशा इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण नहीं है, इस ओर भी हमें ध्यान देना होगा कि प्रदेश में जो नशा चाहे वह शराब का हो या अन्य प्रकार का नशा हो उसकी रोकथाम के लिये भी हमें प्रयास करना चाहिये कि क्यों यह अपराध घटित हो रहे हैं कहीं इसके पीछे नशा भी तो एक बहुत बड़ा कारण नहीं है ? इसके बारे में भी अध्ययन की ओर अनुसंधान की आवश्यकता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि आसंदी से सरकार को इस बात के निर्देश दिये जाने चाहिये कि इनके बारे में एक डिटेल्स इन्फारर्मेशन, एक डिटेल रिसर्च हो, और उन रिसर्च के बाद में भी यह कानून तो बने लेकिन और क्या-क्या हम कर सकते हैं, उस ओर भी हमें ध्यान देने की आवश्यकता है. शिक्षा के बारे में हमारी बहन पारूल जी कह रही थीं कि जब तक समाज शिक्षित नहीं होगा तब तक अपराध बढ़ते ही जायेगे. हमें दण्ड के बारे में जानकारी या अन्य जानकारी भी आमजन तक पहुंचानी पड़ेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन यह है कि हम बच्चियों को, बालिकाओं को, महिलाओं को कैसे ताकत दें, कैसे संबल दें, उनकी फिजिकल ट्रेनिंग चाहे स्कूल में, या अन्य जगह कैसे करायें कि कहीं कोई अपराधी ऐसा मिल जाये तो उसका वह सामना कैसे कर पाये उसके बारे में भी सरकार को सोचना होगा.कानून लाना अपनी जगह है लेकिन अपराध घटित न हो पाये, उस अपराधी से वह मुकाबला कर सके, उस तरीके से धरातल पर लाने की आवश्यकता बहुत जरूरी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कहीं न कहीं पुलिस बल की कमी भी एक बहुत बड़ा कारण है कि जो अपराध घटित होने में तो उस कमी को भी शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण किया जाना चाहिये.पुलिस में राजनैतिक हस्ताक्षेप बिल्कुल न हो ताकि अपराधी को कोई खौफ रहे. अपराधी बेखौफ हो रहे हैं उनके ऊपर नियंत्रण कैसे हो इस पर भी गंभीर इंतजाम होना चाहिये. कहीं न कहीं भ्रष्ट्राचार भी इसका बहुत बड़ा कारण होता है. दो तरह के कानून चलते हैं. कोई पैसा देकर के कानून को किस तरीके से करा लेता है और एक आदमी शायद इतना सक्षम नहीं हो पाता, उसके लिये कानून इतना इजी एक्सिसेबल नहीं होता है, इतनी आसानी से उसे इतनी रेमिडी नहीं मिल पाती है इस औऱ भी हमें देखने और समझने की बात है. और तो और जिन हमारे वरिष्ठ सदस्यों ने इसके दुरूपयोग की बात कही है तो इसके बहुत सारे कारण हैं. सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग आ गई है कि जब कोई महिला अपराध पंजीबद्ध कराने के लिये जाती है, अगर वह अपराध पंजीबद्ध नहीं होता है तो टी.आई.के ऊपर, एस.पी. के ऊपर और अधिकारियों पर कार्यवाही होती है. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, कई मामले मेरे साथ में भी सामने आये हैं कि जिनकी खिलाफ में मुकद्दमें दायर हुये है वह निरपराध थे.लेकिन उस तरह की कुछ महिलायें या बहुत से लोगों ने इस तरह के कदम उठा लिये हैं कि किसी को फंसाने के लिये उस कानून का गलत उपयोग करने लगे हैं यह भी एक विचारणीय पहलू है कि महिला जब भी संबंधित थाने में जाती है उसी समय वह अपराध अगर पंजीबद्ध कर लेते हैं तो यह भी देखना होगा कि क्या वास्तव में अपराध हुआ भी है या नहीं हुआ है.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, अंतिम बात कहते हुये मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा कि जब भी किसी को दण्ड देना होगा तो लोक अभियोजक या उसके लिये कौन लड़ाई अदालत में कर रहा है उसके ऊपर भी बहुत कुछ निर्भर होता है.लोक अभियोजक को हम किस तरीके से ट्रेनिंग दे रहे हैं यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है कि जो लोक अभियोजक उसका केस लड़ेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अंत में मैं यही कहूंगा कि इस देश में और प्रदेश में जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण विषय है, वह सुरक्षा का विषय होता है. हमारा देश और प्रदेश सुरक्षित रहे, ऐसी सबकी मंशा होती है. कड़क से कड़क कानून बनाए इसमें हम सब सहमत है लेकिन इसका दुरूपयोग न हो इस ओर भी विशेष ध्यान दें. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - श्री ओमकार सिंह मरकाम जी अब आप संक्षेप में अपनी बात करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जी मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. एक तारीख को बड़ा संशय था कि यह सदन उसी दिन समाप्त होने वाला था. हमारे प्रतिपक्ष के लोगों ने अनुरोध किया था और आपने सहृदयता से यह समय बढ़ाया है और आज इस गंभीर विषय पर चर्चा का अवसर मिला है, इसलिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं. आज यह दंड विधान की धारा 376 में जिस तरह से संशोधन के लिये सरकार ने अपना उद्देश्य और उसमें निर्णय लेने के लिये जिस तरह से आज संशोधन की स्पष्ट बात यहां पर रखी है, उसका मैं बहुत हृदय से समर्थन करता हूं और धन्यवाद देता हूं
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक ओर विषय के लिए आपसे अनुरोध करता हूं हमारे देश के पूज्य राष्ट्रपिता, पूज्य महात्मा गांधी जी के उस शब्द को भी हमें बहुत गंभीरता से अध्ययन करने की आवश्यकता है. आज गांधी जी हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में अहिंसा के नाम से जाने जाते हैं. सत्य, अहिंसा और प्रेम के पथ पर चलने वाले हाड़ मांस के मानव के रूप में जाने जाते हैं, उनकी जीवनी से भी हमें बहुत सीखने को मिलता है. गांधी जी ने यह कहा है कि ''अपराध को मारो अपराधी को नहीं''. यह हमारे लिये बहुत समझने की बात है और मेरा इसमें ऐसा मानना है कि इसके लिये अगर आप उचित समझेंगे तो इसकी एक समीक्षा की जानी चाहिए ताकि हमारा भी ज्ञानवर्धन हो कि आखिर वह शब्द क्यों आया कि ''अपराध को मारो अपराधी को नहीं''. आज यहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी बैठें हैं मैं हृदय से आपके विचारों का समर्थन करता हूं, परंतु मैं गांधी जी को भी स्वीकार करता हूं और गांधी जी भी मेरे आदर्श हैं और राष्ट्र के पिता हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अरे भाई अपराध को भी मारो और अपराधी को भी मारो, अब आप यह संशोधन कर लीजिए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय शेजवार जी, मेरा आपसे निवेदन है कि आप बहुत विद्वान है परंतु आपके जीवन के संसदीय कार्यकाल में यह इतने समय के बाद आ रहा है और आपने कुछ ऐसा नहीं किया था, इसलिए आप मुझे गंभीरता से सुनेंगे. मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि आज जो परिस्थिति है और जो घटना घटित होती है और यह जो दंड का प्रावधान रखा गया है, किसके बाद रखा गया है ? अपराध घटित होने के बाद दंड का प्रावधान रखा गया है. श्री शेजवार जी, आप सुन लीजिए अपराध के घटित होने के बाद दंड का प्रावधान रखा गया है. क्या हम ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकते हैं कि अपराध घटित ही न हो ? अपराध किस कारण से हो रहा है वह घटित ही न हो. माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी, इस समय आप 20 साल से कम आयु वर्ग के नौजवानों पर एक शोध करवा लीजिए. जितने बड़े-बड़े हमारे शोध करने वाले हैं, उनसे शोधन करवा लीजिए. हमारी दिशा कहां जा रही है, हमारी नैतिकता कहां जा रही है, व्यावहारिक जीवन कहां जा रहा है, चारित्रिक जीवन कहां जा रहा है ? अगर आप इसमें देखेंगे तो यह भारत के आने वाले भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती होगी कि 20 साल से कम आयु वर्ग के नौजवानों की आज की जीवन पद्धति क्या है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मेरे साथ की एक परिस्थिति आपको बताता हूं कि नशा कैसे घेरता है ? मेरे साथ मित्र आए और कहने लगे कि आप पीजिए, आप पीजिए और अगर नहीं पी रहे हो तो पिलाइए, पिलाना पड़ेगा कैसे नहीं पिलाओगे ? इस प्रकार मेरे ऊपर टार्चर किया गया. माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मां-बाप के वचन को निभाते हुए मैं अपने आपको सुरक्षित रख पाया तभी मैं आज भी एक बूंद नशा का सेवन नहीं कर सका पर उसके लिये मुझे शारीरिक कष्ट भी भोगना पड़ा. उन्होंने कहा कि आपको पीना पड़ेगा और इस तरह से टार्चर किया जाता है कि आदमी टूट जाता है, ऐसी घटनाओं पर जो हालात पैदा होते हैं वह आप देख लें. अभी मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, आपको बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के युवाओं का जीवन संकट की तरफ इतना निरंतर बढ़ता जा रहा है. युवाओं के जीवन में ऐसे-ऐसे नशा संकीर्णता से प्रवेश कर रहा है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि अगर नशे पर आप नियंत्रण नहीं कर पाये चाहे वह पेय नशा हो, चाहे वह स्मोकिंग का नशा हो, चाहे गुटखे का नशा हो या चलचित्र का नशा हो. मैं आपको बताना चाहता हूं कि ऐसी घटनाओं में जिस तरह से आप निर्णय आज दे रहे हैं, उसकी स्थिति से निपटने के लिये आपका कानून काम करेगा, न्यायाधीश काम करेंगे परंतु मैं आपसे निवेदन यह करना चाहता हूं कि घटनाओं के होने का सिलसिला नहीं रूकेगा,
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात के साथ माननीय मुख्यमंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. माननीय मुख्यमंत्री जी आपने बहुत बढि़या किया है कि 12 वर्ष की उम्र के बाद, जो आपने यह कानून बनाया है. मैं समझता हूँ कि उसमें आपको थोड़ा और विचार करना चाहिए, उम्र देखना थी. मध्यप्रदेश में कितनी ऐसी बेटियां हैं, जिनकी उम्र 12 वर्ष से कम है, उनके माता-पिता नहीं है. क्या आपके पास वह आंकड़ा है ? माननीय मुख्यमंत्री जी, आप कृपा कर मुझे 5 मिनट का समय दें. मैं आपको रेल्वे स्टेशन हबीबगंज ले जाऊँगा या मेन स्टेशन ले जाऊँगा.
अध्यक्ष महोदय - आप समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियां अपनी रोजी-रोटी के लिए भटकती हैं. इसके साथ ही मैं यह निवेदन करना चाहूँगा कि 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियां हमारे गांव क्षेत्र में मजदूरी के लिए, रोटी के लिए कैसे जाती हैं ? माननीय बैगा जनजाति के .......
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया समाप्त करें. वह विषय नहीं है. आप विषय के बाहर जा रहे हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, मैं हमेशा आपके निर्देशों का पालन करता हूँ. मैं जो कह रहा हूँ, वह बहुत गम्भीर विषय है. लदवानी ग्राम के एक बैगा जनजाति के यहां माता-पिता दोनों एक्सपायर हो गए, उनकी एक बच्ची की उम्र 8 वर्ष है और दूसरी बच्ची की उम्र 10 वर्ष है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्यक्ष महोदय, मैं उनको व्यक्तिगत मदद करके, उनको पढ़ा रहा हूँ पर उनके रहने के लिए आवास नहीं हैं. ऐसी स्थिति में उनके घर में कुछ खाने की व्यवस्था नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें. अब यह कोई विषय नहीं है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - मैं एक मिनट लूँगा. मैं कानून व्यवस्था ......
अध्यक्ष महोदय - अब, यह कौन-सा विषय आ गया ? कानून व्यवस्था आ गई है. आपको 7 मिनट दे दिए हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - गरीबों को न्याय कैसे मिलेगा ? आज न्यायपालिका में न्याय के लिए जो दरवाजा पहले खुलता था ........
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है. अब आपका समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय मुख्यमंत्री जी, एक निेवेदन है कि जब न्यायपालिका के दरवाजे पर एक अमीर और एक गरीब का फैसला होता है ..........
अध्यक्ष महोदय - मरकाम जी, कृपया बैठ जाएं. मरकाम जी का अब कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - (XXX)
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज का दिन, इस महान सदन के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. एक बहुत महत्वपूर्ण समस्या जो समाज के सामने है और विशेषकर बेटी बचाने के लिए है, हम उस पर चर्चा करके एक कड़ा कानून बनाने जा रहे हैं. यहां पर बहुत सारगर्भित चर्चा हुई है तथा सदन के सभी सम्माननीय सदस्यों ने और मुझे खुशी है कि प्रतिपक्ष के मित्रों ने भी बहुत सारगर्भित चर्चा की है एवं अपनी कुछ चिन्ताओं को प्रकट किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकतंत्र में यह होता है. जब हम कोई ऐसा कानून बनाएं जिसका अन्तिम परिणाम मृत्यु के रूप में हो तो उसके सब पहलुओं पर हम विचार करें. लेकिन रावत जी कह रहे थे अब बेटी बचाओ की बात करेंगे. यह जो विधेयक हम लाएं है यह बेटी बचाने के लिए ही लाए हैं. (मेजों की थपथपाहट.....)
माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां एक बात हमको स्वीकार करनी पड़ेगी, शायद गोविन्द सिंह जी कह रहे थे या रामनिवास जी ने कहा, यह धरती वह धरती है जहां आज नहीं हजारों वर्ष से मां, बहन और बेटियों का सम्मान किया जाता रहा है. हमारी ऋषि कहते रहे, हमारे मुनि कहते रहे हैं-
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:
देवता वहीं निवास करेंगे, जहां मां, बहन बेटियों को मान सम्मान और इज्जत की नजरों से देखा जाएगा.
गंगा, गीता, गायत्री हैं बेटियां,
सीता, सत्या, सावित्री हैं बेटियां,
दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती हैं बेटियां.
यह आज नहीं हजारों वर्षों से यह देश कहता रहा है और यही स्थिति रही भी है इस देश में. शायद इसीलिए परम्परा रही होगी कि भगवान राम का नाम लेना हो तो पहले सीता जी का नाम लिया जाए, सीताराम, राधेकृष्ण, गौरीशंकर. यह इसी बात का प्रतीक है कि हम मां, बहन और बेटियों को मान सम्मान और इज्जत की नजरों से हजारों साल से देखते रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन एक और सच्चाई है कालांतर में पता नहीं, धीरे-धीरे ऐसी व्यवस्था बनी की समाज लगातार पुरूष प्रधान होता चला गया. एक सच्चाई है हम और आप सब स्वीकार करेंगे, मैं सबकी बात नहीं करता, अपवाद हो सकते हैं. लेकिन मोटे तौर पर चाह यह होती है कि घर में आए तो बेटा आए, बेटी न आए. मां की चाहत भी यही रहती है कि अगर मेरे घर जन्म ले, मेरी कोख से जन्म ले, तो बेटा लें. मैं सभी की बात नहीं करता, अपवाद हो सकते हैं, लेकिन बहुसंख्यक यह चाहते हैं कि बेटी पैदा न हो, बेटा ही पैदा हो, यह बेटे की चाहत क्यों, यह बेटे की चाहत इसलिए नहीं कि बेटा बुढ़ापे में बहुत ध्यान रखेगा. कई बार यह गलतफहमी भी बन जाती है कि बेटा कुल का दीपक है, बुढ़ाने की लाठी का सहारा है. अब बेटा सहारा देगा कि नहीं देगा, यह मैं कसम खाकर नहीं कह सकता, लेकिन मैं यह जरूर कह सकता हूं कि बेटी जब तक जिन्दा रहेगी, उसकी हर सांस माता-पिता के लिए चलेगी, वह कभी भूलती नहीं है, भूल नहीं सकती. (मेजों की थपथपाहट.....)लेकिन फिर बेटा की चाहत क्यों, पुरूष प्रधान मानसिकता.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बचपन से देखा हम तो गांव के रहने वाले हैं, आप में से भी अनेको मित्र हैं, हम लोगों ने गांव में जन्म लिया है. पुरूष प्रधान मानसिकता भी ऐसी कि पति जब चाहे, जैसे चाहे पत्नी को दबाए. हमने तो वह जमाना बचपन में देखा कि जरा बातचीत हुई तो पतिदेव ने लाठी उठाई और पत्नी जी की पीठ पर मार दी, अगर कोई बचाने भी आए तो पत्नी जी पलटकर कहती थी कि मेरा आदमी मुझे चाहे मारे चाहे पीटे तुम्हे इससे क्या लेना देना, बीच में मत बोलो. वर्षों से एक मानिसकता बनी है और इसीलिए दिमाग में यह बात कहीं पैदा हो गई कि बेटा श्रेष्ठ है, लेकिन उसके पीछे अन्य कारण भी है. हम लोग जरा गहराई से विचार करें, बेटा लाख गुनाह कर दे तो माफ और बेटी का कोई दोष नहीं, कोई अपराध नहीं, कोई छेड़ दे, कोई परेशान कर दे, उसके साथ दुव्यर्वहार हो जाए तो परिवार यह मन में सोचता है कई बार कि अब कहां मुंह दिखाएं, कई बार इसलिए अपराध दर्ज कराने नहीं जाते कि बेटी बदनाम हो जाएगी और बदनाम हो गई तो फिर क्या होगा. बेटे के सौ गुनाह माफ लेकिन बेटी के साथ अगर अन्याय भी हो तो समाज के देखने की दृष्टि. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सम्पूर्ण समाज की बात कर रहा हूं, अपवाद छोड़ दीजिए, देखने की दृष्टि बदल जाती है और धीरे धीरे इसलिए यह हुआ, सेक्स रेश्यो की बात आप कर रहे थे, बेटी बोझ माने जाने लगी और बेटी न आए इसके उपाए किए जाने लगे, बेटी न आए इसलिए बेटों की संख्या बढ़ती चली गई, बेटियों की संख्या घटती चली गई, कोख को ही कत्लखाना बना दिया. समाज चिंतित है, देश भी चिंतित है, ऐसी बात नहीं है कि नहीं है, पूरे देश में चर्चा हो रही है. बेटियों की संख्या कैसे बढ़े मैं उसके विस्तार में नहीं जाउंगा, मैं आज यह भी नहीं कहना चाहता कि सरकार ने बेटी बचाने के लिए क्या क्या किया. मैं उसके विस्तार में नहीं जाऊंगा? लेकिन अगर योजनाएं उपजीं तो मैं ईमानदारी से कहना चाहता हूं कि इस संवेदनशीलता के साथ ही उपजी कि बेटियों को बोझ न बनने दें. बेटियों को वरदान बनायें. चाहे लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना हो जिसमें बेटी लखपति हो जाए. हमने बचपन में देखा था और एक सामाजिक सम्मेलन में बोल रहा था कि बेटी को आने दो बेटी है तो कल है. एक बूढ़ी अम्मा खड़ी हो गई बोली यह बड़ी बड़ी बातें कर रहा है. बेटी को आने दो बेटी आयेगी, बड़ी हो जाएगी तो उसकी शादी करेंगे उसके लिये दहेज का इंतजाम क्या तुम करवाओगे? मेरे पास में उसका कोई उत्तर नहीं था, लेकिन उसी में से उपजी मुख्यमंत्री कन्यादान जैसी योजनाएं कि बेटी विवाह के कारण बोझ न लगे, वह कम करें. लेकिन मात्र सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं पर्याप्त नहीं है. उसके लिये 50 प्रतिशत आरक्षण हो अथवा नौकरियों में आरक्षण हो. मैं उसकी बात भी विस्तार से नहीं करूंगा. लेकिन जब तक बेटी पूरी तरीके से सुरक्षित नहीं होगी तब तक बेटी बोझ मानी जाती रहेगी, यह सही है. लोकसभा में भी इस विषय पर कई बार चर्चा हुई है जैसा कि आप अभी कह रहे थे. देश में कई बार चिन्ताएं प्रकट कीं और अलग अलग फोरम पर चर्चाएं कीं. लेकिन आज के परिदृश्य को हम देखते हैं मुझे खुशी है कि आज के मेरे मित्रों ने तुम दोषी हो, तुम दोषी हो, यह बात नहीं की. क्योंकि हम लोग सचाई को सब जानते हैं. महिला अपराधों की बढ़ती हुई समस्या बड़ी चुनौती भी है इसके लिये कानून भी जरूरी है, लेकिन कानून से यह समस्याएं हल नहीं होंगी. कानून के साथ साथ बाकी उपाय भी जरूरी हैं. अभी यह महाराणा प्रताप नगर की घटना के कारण यह विधेयक नहीं आया. मैं कई सभाओं में नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान और उसके बाद भी आम जनता के बीच गया और हमने लोगों के बीच में यह सवाल पूछा. यह बात सही है कि कई बार अपराध घटते हैं, लेकिन ऐसे अपराध जो मानवता के खिलाफ कलंक की तरह हों, वह अपराध सामान्य अपराध नहीं है. तब जनता से बात हुई तो सबके मन में यह बात थी कि ऐसे अपराधी जो मासूम बेटियों के साथ दुराचार करें, वह इस धरती पर जिन्दा रहने के लायक नहीं है. इसलिये मन में एक द्वन्द था कि चर्चा हुई और उसी में से यह विधेयक इस सदन में आपके सामने आया है. छेड़छाड़ की घटनाएं जिनकी चर्चा यहां पर हो रही थी. न केवल बढ़ रही है, बल्कि उसके साथ साथ जिस ढंग से, यह केवल आज हो, ऐसी बात भी नहीं है. सतयुग हो, त्रेता युग हो, द्वापर युग हो, अलग अलग समय में भी अपराध घटते रहे हैं, लेकिन अमानुष अत्याचार अब यह बात हुई कि सभ्य समाज में मृत्युदंड जैसा अपराध. भाई सभ्य समाज सभ्य लोगों के लिये होता है. जिनमें मानवीयता नाम की चीज़ नहीं है, वह मानव कैसे माने जा सकते हैं. इंसानों के लिये इंसानियत के कानून हो सकते हैं, लेकिन जिस तरह की घटनाएं प्रकाश में आती हैं. एक नहीं दो-चार-पांच और जिस ढंग से रेप होते हैं सचमुच में रूह कांप जाती है. अपने आप में मनुष्य होने में शर्म आने लगती है. क्या ऐसे अपराधी इस धरती पर जीने के लायक हैं. दुनिया मानवाधिकारों की बात करती है मानवधिकार होते हैं, मानवों के लिये. जो पिशाच हैं, राक्षस हैं, जो नरपिशाच हैं मैं जानवरों का नाम लेकर जानवरों को छोटा नहीं करना चाहूंगा. यह लोग पिशाच हैं चाहे वह निर्भया काण्ड हो, निर्भया काण्ड के बाद जिस घटना की जानकारी हम लोगों को लगी जिसके कारण इधर के हों या उधर के हों सब के मन उद्वेलित हुए, दुःखी हुए कि ऐसे अपराधी इस धरती पर जीने के लायक हैं. इसलिये मन में यह लगा कि एक तरफ आपने सही बात कही कि केवल कानून ही नहीं बाकी उपाय भी हम लोगों को करने पड़ेंगे. आपने सुझाव दिये हैं, हम जानते हैं. आज की परिस्थितियों में जिस तरह से टेक्नॉलॉजी का विकास हुआ है उसके कारण भी ऐसी सामग्री परोस दी गई है. टेलीविजन खोलें तो एक जमाना था अगर कोई ऐसा गाना आता था जिसको माता-पिता बेटा बेटी संग नहीं देख पाते थे तो उस समय टी.वी. बंद कर दिया जाता था कि इस तरह का यदि गाना आ जाये तो. मैंने यह दृश्य अपनी आंखों से देखा है. लेकिन आज सब मानते हैं कि अपरिहार्यता है कहां बंद करो जो चल रहा है उसको चलने दो. पिता-पुत्र, मां-बेटी धीरे धीरे जमाना उस तरफ चला गया. अब तो टी.वी. की जरूरत नहीं है. जिस ढंग से मोबाईल पर इंटरनेट का जिस ढंग से उपयोग हो रहा है. जिस ढंग की अशलीलता, बिना किसी के रोक-टोक के बच्चों के सामने परोसी जा रही है उससे बच्चे प्रभावित होते हैं, आप लोगों ने सही कहा है. कई बार चाहे, अनचाहे भी उस तरह के बहाव में लोग बहते हैं. इसलिये भी कारण बनता है कि नशा हो, चाहे दूसरी चीजें हों इस तरह के अपराधों पर हमको रोक लगानी पड़ेगी, लेकिन उसमें एक उदाहरण भी प्रस्तुत करना पड़ेगा. यह सामान्य अपराध नहीं है. असामान्य अपराधी अब बताईये यहां पर बात आयी थी सहमति की मैं मानता हूं कि दुनिया है, व्यक्तिगत स्वतंत्रता है, साथ में रहने के अधिकार, लेकिन क्या 12 साल की जो बेटी है उसमें कोई समझ विकसित होती है. वह जाती नहीं है, ले जायी जाती है. घटनाएं पढ़ते हैं एक बच्ची को टॉफी दे दी अथवा कोई दूसरा छोटा-मोटा सामान दे दिया उसको घर पर ले गये और उसके बाद उसके साथ बलात्कार हो गया. वह मासूम बेटी नहीं जानती कि यह लोग कौन हैं और यह क्यों ले जा रहे हैं ? छोटी सी टॉफी की लालच में, स्नेहवश आ जाती है. यह कहते हुए आत्मा फटती है कि 98 प्रतिशत ऐसी घटनाएं हुई हैं या तो उसमें रिश्तेदारों ने यह काम किया है या परिचितों ने यह काम किया है. मैं सबकी बात नहीं करता, लेकिन ऐसे लोग भी हैं कि सगे रिश्तेदार कभी बाप भी ऐसा नराधम हो जाता है कि आत्मा दहल जाती है यह कहते हुए कि अपनी मासूम बिटिया को हवस का शिकार बना दिया. ऐसे नराधम क्या जीने के लायक हैं ? ऐसे रिश्तेदार क्या जीने के लायक हैं ? जो विश्वासघात करते हैं. जो पाश्विकता की सारी सीमाएं पार कर जाते हैं इसलिये मन में यह विचार आता है कि इस तरह के अपराधियों के साथ कैसा व्यवहार हो, यह बड़ा प्रश्न है सचमुच में ? मैं जानता हूं कि इसके बाद देश में बहस चलेगी, सदन आज जो फैसला करेगा उसका विरोध भी करेंगे और तर्क भी दिये जाएंगे. तर्क पक्ष में दिये जाएंगे और विपक्ष में दिये जाएंगे. लेकिन मित्रों यह मध्यप्रदेश की विधान सभा एक नया इतिहास रच रही है. इस बहस को हम खोल रहे हैं क्योंकि हम जानते हैं कि यह बिल महामहिम राष्ट्रपति महोदय के पास में जाना है. विधेयक आज पारित हो गया उस पर भावी चर्चा और बातचीत होगी, लेकिन मैं इस बात पर दृढ़ हूं कि ऐसे नराधम जो मासूम बेटियों के साथ दुराचार करे उसको इस धरती पर रहने का अधिकार नहीं है उनको फांसी के फंदे पर लटका दिया जाना चाहिये. देश इस पर बहस करे मध्यप्रदेश इसकी शुरूआत कर रहा है. हम महामहिम राष्ट्रपति महोदय से भी भरसक प्रयास करेंगे कि हमको वहां से इसकी अनुमति मिले आखिर सहने की भी तो एक सीमा होती है. कहीं तो रूकना पड़ेगा, किसी को तो रोकना पड़ेगा इसलिये मैं धाराओं के विस्तार में नहीं जाना चाहता. मैं मानता हूं कि आपने कुछ वाजिब मामले उठाए हैं. कुछ मामले सहमति से चले जाएं. रिलेशनशिप का सवाल आता है उसके बाद मतभेद हो जाए उसमें सेफगार्ड होना चाहिये. लेकिन एक बात पर हम जरूर विचार करें कि एक सहारे के लिये कई बार भावुकता में, कई बार स्नेह वश, कई बार प्रेम वश अगर बिटिया किसी के साथ चली जाए उसका विवाह नहीं हुआ है रिलेशनशिप और उसके बाद उसकी भावनाओं का शोषण करके जिन्दगी भर के लिये दर-दर भटकने पर विवश कर दिया जाए, यह कौन सा न्याय है ? ऐ मनुष्य, तुझे तो सारे अधिकार हैं, तू तो फिर से विवाह कर लेगा, तू विवाहित है इसके बाद भी तू दूसरों से संबंध रख सकता है, तेरे सौ खून माफ हैं, लेकिन वो वेटी कहां जाएगी, वह महिला कहां जाएगी ?
क्या सदन इस पर चर्चा नहीं करेगा. क्या समाज को इसके बारे में विचार नहीं करना चाहिये ? पिछले दिनों ही कुछ ऐसे मामले आये हैं, इक्का-दुक्का पुलिस अफसरों के मामले आये हैं, जिनको हम जिम्मेदार लोग मानते हैं, क्या उससे आत्मा नहीं हिल जाती है. जब जी चाहा मचला-कुचला, जब ही चाहा दुत्कार दिया, यह कब तक चलेगा. इसलिये गंभीरता के साथ समाज के जिम्मेदार लोगों को इस पर विचार करना पड़ेगा कि नारी भोग्या नहीं है, नारी केवल अबला नहीं है. आखिर उसके सम्मान और सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है. समाज के जिम्मेदार, चिन्तनशील,प्रबुद्धवर्ग और हम जैसे नेतृत्व करने वाले जो नेतृत्व का दम्भ भरते हैं, इसलिये हमारी ड्यूटी है कि हम उस बहन को, उस बेटी को पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान करें. इसलिये आज यह विधेयक आया है, अगले सत्र में एक जन-सुरक्षा विधेयक और लेकर आयेंगे. आपने जितने सुझाव दिये हैं और मैं बड़ी विनम्रता से कहना चाहता हूं कि राजनीति के कई मुद्दे हमारे पास हैं, उन सब पर हम मिलकर विचार करें. मध्यप्रदेश विधान सभा एक नयी राह दिखाने का काम करे. उसमें आपने जो चिंता की है, उसमें भी हम उनका समावेश करने वाले हैं और ऐसे भी मामले हैं. क्योंकि मैं जानता हूं कि बेटा-बेटी साथ चले गये, कई बार उम्र की बाहों में चले जाते हैं, बेटा आ गया तो उसकी तो नई दुनियां बस गयी, , बेटी कहां-कहां भटकती है यह विचार करना पड़ेगा, आज इस समाज को विचार करना पड़ेगा.प्रौद्यों को विचार करना पड़ेगा और उस विचार की शुरूआत इस विधेयक से है. इसीलिये मैं विनम्रता के साथ इस सदन से प्रार्थना करता हूं कि 12 साल उम्र की बात हुई कि 12 उम्र क्यों, 12 से 13 क्यों नहीं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कोई बहस का गंभीर मुद्दा नहीं है. लेकिन बेटियों की उम्र 12 वर्ष रखी गयी है, केन्द्र सरकार की बालिकाओं के विरूद्ध अपराध की विशेष विधि में. इसलिये लगा कि यह एक सीमा 12 साल तक की हो सकती है, 12 साल तक की मासूम, अबोध बेटियां कम से कम उनके लिये तो अभी प्रावधान हो. मैं तो इस विचार का हूं कि यदि बड़ी बेटी या महिलाओं के साथ भी रेप होता है, यह बात सही है कि प्रमाणित होना चाहिये, सेफगार्ड रखना चाहिये, झूठे न फंसाये जायें. हमारा न्याय-पालिका पर भरोसा है, आखिर न्याय-पालिका तो किसी को फांसी के फंदे पर नहीं लटका देगी. वह भी सारे पक्षों को देखेगी और फिर फैसला देगी. कुछ लोग दुरूपयोग करते हैं, कर सकते हैं, यह बात सच है. कई बार दूसरों से दुश्मनी निकालने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं. उसके लिये न्याय-पालिका भी है और सेफ-गार्ड भी रखेंगे. लेकिन कुछ तो ऐसे नराधम्म हैं, जो 70-75 साल की माताओं के साथ भी रेप कर दें, ऐसे लोगों को आप इंसान कहेंगे. ऐसे लोग मृत्यु दंड के भागी होने चाहिये और फांसी के फंदे पर लटका दिये जाने चाहिये. लेकिन आज हम प्रारंभ कर रहे हैं कि 12 वर्ष से कम उम्र की जो बेटियां हैं उनके साथ जो रेप करे उनको फांसी की सजा होनी चाहिये और मुझे खुशी है कि मोटे तौर पर सदन में हमारे प्रतिपक्ष के मित्रों ने भी इससे सहमति जतायी है, सिद्धांत: सहमत हैं, उनकी कुछ आपत्तियां हैं. उन आपत्तियों के बारे में, मैंने कहा है कि जब हम जन-सुरक्षा कानून लायेंगे तो और भी चीजों पर चर्चा करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत विस्तार में नहीं जाना चाहता. मैं बेटियों की जिंदगियों में हुई एक घटना के बारे में बताना चाहता हूं. निर्भया कांड हुआ, उसके बाद कई जगह केंडल जुलूस निकले, एक केंडल जुलूस मुख्यमंत्री निवास आ रहा था, उसमें बेटे-बेटियां थी, उसमें 12 वीं और कालेज के बच्चे थे. मुझे पता चला कि वह मुझसे मिलना चाहते हैं तो मैंने कहा कि उन्हें बुलायें. उनको हॉल में बैठाया और जब मैं उनसे बात कर रहा था तो एक बेटी ने मुझसे कहा कि मामा यह लड़के यहां पर बड़ी-बड़ी बात कर रहे हैं, जब हम केंडल मार्च में आ रहे थे तो इन्हीं में से कुछ लड़कों ने हमारे साथ छेड़ाछेड़ी भी की थी. यह इस चिन्ता को व्यक्त करता है कि आखिर हम किस दिशा में जा रहे हैं. इसलिये आपने बिल्कुल सही कहा कि एक नैतिक आंदोलन चलाने की भी जरूरत है, सामाजिक अभियान चलाने की भी जरूरत है. केवल कानून मात्र समाधान नहीं है. लेकिन जितना कानून को करना चाहिये, उतना कानून बना कर हम करें. एक बात और बार-बार आती है कि लड़की निकली, कोचिंग क्लास जाती है. कॉलेज जाती है, कहीं से बस पकड़ती है, कहीं से ट्रेन पकड़ती है. एक प्रवृत्ति हो गई है उनका पीछा करने की. आप कल्पना करें कि जिस बेटी का पीछा किया जा रहा हो, उसकी मानसिकता क्या होगी ? जब तक वह अपने गंतव्य पर, अपनी मंजिल पर या फिर अपने घर पर न पहुंच जाये तब तक उसका मन कैसे धक-धक करता होगा ? कितनी डरी रहती होगी, कितनी परेशान रहती होगी ? अध्यक्ष महोदय, पीछा भी दो तरह से किया जा रहा है. एक तो फिजी़कली पीछा किया जाता है और दूसरा इंटरनेट के माध्यम से पीछा किया जाता है. इंटरनेट जहां एक तरफ वरदान है, वहीं दूसरी ओर अभिशाप बन जाता है. साइबर-क्राइम, जैसे चाहो वैसे एस.एम.एस. करो, मैसेज करो. बिटिया को परेशान करो, उसकी निजता से खेलो. सामान्यत: यह किया जाता है और यह भी एक अपराध है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में बात आई कि पीछा करने पर सजा क्यों ? जी हां, एक बार पीछा किया तब तक तो ठीक है, इसे गैरजमानती नहीं किया गया है. परंतु अध्यक्ष महोदय, जब किसी बच्ची का पीछा किया जाता है तो वह एक बार नहीं, कई बार मरती है. इसलिए पीछा करने को भी अपराध माना गया है. दूसरी बार चाहे फिज़ीकली हो या इंटरनेट से पीछा हो, इसे अपराध मानकर गैरजमानती और 7 साल की सजा का प्रावधान रखा गया है, ताकि कहीं तो इस प्रवृत्ति पर रोक लगे. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, बेटियों में पढ़ने की ललक बढ़ी है. वे अपने माता-पिता के घर को छोड़कर विद्याध्ययन करने के लिए बड़े-बड़े शहरों और जिला मुख्यालयों में आ रही हैं तो क्या कानून उन्हें सुरक्षा कवच नहीं देगा ? यह बात सच है कि केवल कानून नहीं अपितु डर होना चाहिए क्योंकि डर के कारण कई बार, कई काम नहीं होते हैं. इसलिए जब से सभ्य समाज का उदय हुआ तब से ही दण्ड विधि का विधान किया गया. क्योंकि कई लोग ऐसे हैं जो नैतिक रूप से अपराध नहीं करते हैं. नैतिकता उन्हें बाध्य करती है लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें दण्ड से ही दबाना पड़ेगा. दूसरा कोई रास्ता नहीं है. इसलिए इसमें सजा का प्रावधान किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, छेड़छाड़ की घटनायें हम सभी ने देखी हैं. सरकार इधर की हो या उधर की हो, इसे छोड़ दीजिये. हम सभी जानते हैं कि ऐसा भी होता है कि एक बार बलात्कार किया, सजा हो गई, फिर छूट के आये, फिर दुबारा बलात्कार किया. ऐसी कितनी ही घटनायें हमारे सामने आई हैं. हममें से ही कई मित्र इसके साक्षी हैं और इसलिए छेड़छाड़ की घटनाओं को गैरजमानती बनाने का प्रावधान है और दुबारा अपराध करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि यह विधेयक लाया गया है तो एक सद्इच्छा से लाया गया है. हमें दोनों तरह के प्रयास करने पड़ेंगे. इसके लिए मैं सदन का आह्वान भी करता हूं कि जन सुरक्षा विधेयक पर जब हम अगली बार विचार करेंगे तो उसे परिचालित भी करेंगे. सरकार सोचेगी कि कानूनन हम कैसे और कड़ी व्यवस्था करें जिसके कारण सचमुच बेटियां भय की इस मानसिकता से ऊबर पायें और वे महसूस करें कि यह समाज मेरा है. बेटियां भयहीन जीवन जी पायें और दूसरी तरफ हमें नैतिक आंदोलन चलाने की भी जरूरत है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में गोविंद सिंह जी, रामनिवास जी, पारूल बहन, यशपाल जी और मेरे कई मित्रों ने कहा कि समाज को बैठकर सोचना पड़ेगा कि एक नैतिक आंदोलन कैसे चलाया जाये. क्योंकि समाज में जिस तरह की मानसिकता बन रही है, उसमें संस्कार देने के प्रयास हमें निश्चित तौर पर करने पड़ेंगे. संस्कारित शिक्षा कैसे दी जाये. हमने कई प्रयास किए हैं जिनका उल्लेख गृह मंत्री, भूपेन्द्र सिंह जी ने पूर्व की चर्चा में किया भी था. पुलिस भी कई प्रयास कर रही है, मैं उनका बखान नहीं करना चाहता हूं. सदन में आत्मरक्षा की बात आई. आत्मरक्षा के लिए एक लाख बेटियों को एक साल में ट्रेनिंग देने का प्रयास किया जायेगा. गुड-टच क्या है, बैड-टच क्या है, यह बच्चों को बताने का कार्य किया जायेगा, कॉलेजों की बसों में यदि कंडक्टर और ड्रायवर हैं तो आगे महिला हो, इस बात का प्रावधान करने का प्रयास किया जा रहा है. सी.सी.टी.वी. कैमरे लगें ताकि इस प्रकार की कोई घटना हो तो उसका तत्काल पता लग जाये, इसका इंतजाम किया जा रहा है. गर्ल्स-हॉस्टल में निजता का ध्यान रखते हुए बाहर सी.सी.टी.वी. कैमरे लगें जिससे कि कौन अंदर आ रहा है, कौन बाहर जा रहा है, इसका पता लग सके. गर्ल्स-हॉस्टल में केवल महिला वॉर्डन रखी जाये, इस पर विचार करके फैसला कर रहे हैं. ये सारे उपाय करने जरूरी हैं. हम जरूर करेंगे लेकिन समाज में एक नैतिक आंदोलन चलाने की आवश्यकता है. इसलिए ''बेटी बचाओ आंदोलन'' बहुत महत्वपूर्ण है. शिक्षा के पाठ्यक्रम की बात भी आई, उसमें भी बदलाव की जरूरत है. आखिर बेटों के मन में भी बेटियों के लिए अच्छा भाव कैसे आये ? वह कैसे संस्कारित बनें बाकी चीजों के प्रभाव में छेड़छाड़ की घटनाओं से कैसे बचें और इसीलिए पाठ्यक्रम में परिवर्तन का सवाल है, नैतिक आंदोलन का सवाल है. साधु संतों से लेकर सामाजिक नेताओं को साथ लेने का सवाल है. आज आप सबके सहयोग से मैं नहीं हम सब मिलकर एक नैतिक आंदोलन भी मध्यप्रदेश में चलाएंगे उसको बेटी बचाओ अभियान कहें ,चाहे कोई और अभियान कहें लेकिन आपकी, हमारी और सबकी भागीदारी रहनी चाहिए ताकि एक दिशा में जो चीजें जा रही हैं उस दिशा से हम लोगों को दूसरी दिशा में लेकर आ सकें इसकी आवश्यकता है. मानवीय मूल्यों की शिक्षा निश्चित तौर पर हमको देना होगी. परिवार में माता-पिता की भूमिका आदर्श प्रस्तुत करने की है. उसका भी हमको प्रयास करना पड़ेगा. एक तरफ यह घटनाएं भी बहुत चिन्तित करने वाली हैं स्मग्लिंग की बात कही है. बेटियां गायब होती हैं आपने बिलकुल सही कहा कई ऐसी बेटियां जिनके सर पर छत ही नहीं है अगर रेलवे स्टेशन पर भटकेंगी तो उनका क्या होगा ? इसके बारे में भी विचार करना पड़ेगा और मुझे तात्कालिक रूप से यह लगता है कि हम जिले के कलेक्टर्स को निर्देशित करेंगे कि अगर कोई अबोध बेटी है, अनाथ बालक है, जिनकी उम्र कम है तो उनके लिए कमरे का घर भी किराये पर लेकर रखने की व्यवस्था, उनके भोजन का, वस्त्रों का इंतजाम, उनकी पढ़ाई की व्यवस्था की जाए यह सरकार की जवाबदारी है और समाज की भी जवाबदारी है. इस जवाबदारी को भी पूरा करने का काम किया जाएगा क्योंकि खुले आसमान के नीचे अगर वह बेटियां भटकेंगी तो ऐसे नरपिशाच जो बेटियों के साथ गलत काम करने के लिए, गलत दिशा में ले जाने के लिए, कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, वह प्रयास भी हम निश्चित तौर पर करेंगे. हम लिस्टेड कर रहे हैं. इस मामले पर सारी राजनीति छोड़कर के यह उपाय किए जाने चाहिए. सरकार भी उपाय करे, समाज भी यह उपाय करे और एक संस्कारित करने वाला आंदोलन न केवल पाठ्यक्रम के माध्यम से बल्कि समाज के नेताओं को लेकर, संतों को लेकर, जनप्रतिनिधियों को लेकर, हम एक सामाजिक नैतिक आंदोलन भी चलाएं जिसमें इस तरह की जो मानसिकता जो हमारे बच्चों को गलत दिशा में ले जाती है. उस मानसिकता में भी हम बदलाव ला सकें लेकिन आज मैं सदन से बहुत शुद्ध और पवित्र भाव से बिना और किसी दृष्टिकोण के यह निवेदन करना चाहता हूं कि आज जो विधेयक लेकर आए हैं कि अगर मौत की सजा का प्रावधान आज करेंगे तो डर के कारण कई नरपिशाच ऐसी घटनाओं से बचेंगे और हम अपनी बेटियों को बेहतर सुरक्षा भी दे पाएंगे और हमारी माताओं, बहनों को यह अहसास भी करा पाएंगे कि यह समाज उनके साथ खड़ा है. इसीलिए सरकार यह विधेयक लेकर आई है और आप सब इसका समर्थन करेंगे मुझे यह विश्वास है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई देते हैं कि 12 साल बाद यह चित्रकूट में इस बार पांच-छ: दिन रहे तो भगवान ने इन्हें ज्ञान दिया. यह तो आपको बहुत पहले लाना चाहिए था. आज 12 वर्ष कैसे लग गए आपको मृत्युदंड देने में. इतना अत्याचार हो रहा था. आप मुख्यमंत्री थे तो आपको यह पहले करना चाहिए था जो आप आज कर रहे हों. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, महिला सुरक्षा से संबंधित दंड विधि संहिता में जो प्रावधान किए गए हैं मैं उनसे सहमत हूं और महिला सुरक्षा के संबंध में जितना संवेदनशील वक्तव्य और संवेदनशीलता दिखाने का काम माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया है उसके लिए मैं उन्हें साधुवाद देता हूं लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपने ही भाषण में यह व्यक्त किया कि पाशविकता कहां पैदा होती है, अमानवीयता कहां लोगों में बढ़ती है, मानवता कहां समाप्त होती है वह सिर्फ नशे के कारण. मुख्यमंत्री जी आप नैतिक आंदोलन चलाना चाहते हैं, समाज में जागृति लाना चाहते हैं तो कम से कम आज से ही शुरू कर दें उसके लिए एक निवेदन कर रहा हूं कि आपकी सरकारी शराब की दुकानों के अलावा गांव-गांव में जो तीन-तीन दुकानें लगाकर दारू बिक रही है उन्हें बंद कराने की घोषणा आज ही कर दें. जिस पुलिस अधिकारी एवं जिस एक्साइज इंस्पेक्टर के क्षेत्र में ऐसे गांवों में दारू बिक रही हो तो उनके खिलाफ कार्यवाही करें तो आधे से अधिक अपराध स्वत: ही बंद हो जाएंगे, यह पाशविकता कम हो जाएगी. माननीय मुख्यमंत्री जी मैं अपेक्षा करूंगा कि आप इस पर कुछ बोलें.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
श्री रामनिवास रावत-- कथनी और करनी में अंतर न करें जो दिल से कहा है उसे करके दिखाएं.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, उनको दो मिनट बोल लेने दें.
अध्यक्ष महोदय--वह समय आयेगा वह नियम में है आप बैठ तो जाएं. यादवेन्द्र सिंह जी आप बैठें वह नियम में है.
श्री यादवेन्द्र सिंह--दो मिनट बोल लेने दीजिए शायद घोषणा कर दें.
अध्यक्ष महोदय--यह अभी भाषण में आएगा. आप बैठ जाएं. नियम में व्यवस्था है. बोलने का नियमों में प्रावधान है.
श्री यादवेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, वे बोल रहे हैं तो उनको बोलने क्यों नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाइए, आप समझते ही नहीं हैं. विधेयक को पढ़ा तो करें.
अब, विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 14 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 14 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री रामपाल सिंह)--अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाय.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो चिंता यहां व्यक्त की गई है मैं उसमें अपने आपको पूरी तरह से संबंद्ध करते हुए जो-जो उपाय आवश्यक हैं जो आपने बताये हैं उन सारे उपाय किए भी जा रहे हैं जो आवश्यक हैं वे और किए जाएंगे. इस मामले में हम सब की भावनाएँ एक हैं. इसी निवेदन के साथ यह विधेयक पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाय.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय--सदन की कार्यवाही 4 बजकर 30 मिनट तक के लिए स्थगित.
(3.17 बजे से 4.30 बजे तक अन्तराल)
4.33 बजे
{उपाध्यक्ष महोदय(डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
4.34 बजे
(3) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक,2017 (क्रमांक 32 सन् 2017)
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री जयभान सिंह पवैया)-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक,2017 पर विचार किया जाय.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक,2017 पर विचार किया जाय.श्री रामनिवास रावत अपना भाषण प्रारंभ करें.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी द्वारा मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 प्रस्तुत किया गया है...
उपाध्यक्ष महोदय-- ( श्री उमाशंकर गुप्ता जी के टोकने पर) आपके बोलने के पहले ही उन्होंने टोक दिया है.
श्री रामनिवास रावत-- अब इन्हें तो आनंद आता है उन्हें कोई रूचि नहीं है वह तो भागना चाहते हैं, सूखा पर चर्चा करना नहीं चाहते हैं.
राजस्व मंत्री(उमाशंकर गुप्ता)-- उपाध्यक्ष महोदय, रामनिवास रावत जी मेरे मंत्री रहे हैं, मैं जब भोपाल का मेयर था उस समय यह मंत्री थे औऱ इनकी बड़ी कृपा थी इसलिए इनसे बड़ा स्नेह है.
श्री रामनिवास रावत-- आज आप हमारे मंत्री हैं इसलिए हम पर कृपा बनाये रखिये.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा-- आपने रुस्तम सिंह जी के बारे में नहीं बोला क्या वह आपके मंत्री नहीं हैं ?
श्री रामनिवास रावत-- वह भी हैं और उनकी कितनी कृपा है यह मैं आपको नहीं बता सकता हूँ.माननीय उपाध्यक्ष महोदय,उच्च शिक्षा मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत इस विधेयक में केवल विश्वविद्यालयों को मान्यता देना भर रहती है इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा. वही बात बार-बार आती है. हमारे शासकीय विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त 27 निजी विश्वविद्यालय इस प्रदेश में पूर्व से हैं और यह तीन विश्वविद्यालय आज संशोधन विधेयक पारित होने के बाद तीन विश्वविद्यालय प्रदेश में और बन जाएंगे. इस तरह से तीस विश्वविद्यालय हो जाएंगे. केवल एक ही अनुरोध करूंगा, वैसे माननीय मंत्री जी उच्च शिक्षा के प्रति काफी चिन्तित हैं कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में हम कैसे सुधार करें और पहले भी जब आपके द्वारा संशोधन विधेयक प्रस्तुत किए गए थे, तब भी यह बात उठायी थी और आज भी वही बात कह रहा हॅूं कि इस तरह से विश्वविद्यालय को मान्यता देने से पूर्व निश्चित रुप से नियामक आयोग अनुशंसा करता है उसके बाद ही आप सदन में लाते हैं लेकिन उसके साथ-साथ उसका इन्फ्रॉस्ट्रक्चर, उसकी फैकल्टी, शिक्षा की गुणवत्ता, कॉलेज कैसे प्रारम्भ किया, कॉलेज का इतिहास कैसा रहा, कैसा नहीं रहा इन विश्वविद्यालयों को, जिनको आप विश्वविद्यालय की मान्यता देते हैं उनका अगर पूरा विवरण सदन में प्रस्तुत करें तो सभी लोग भी देख सकें और सभी लोग बात कर सकें. अभी तो केवल नियामक आयोग की अनुशंसा है और विश्वविद्यालयों का नाम है, उनको मान्यता देना है. क्योंकि अभी तो और विश्वविद्यालयों के लिए अगली विधानसभा में अगला संशोधन आएगा और विश्वविद्यालयों को मान्यता दी जाएगी. निजी विश्वविद्यालय खुलें, निश्चित रुप से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इनकी गुणवत्ता ठीक रहे, इनका इन्फ्रॉस्ट्रक्चर ठीक रहे और इनकी फैकल्टी ठीक रहे, ऐसे ही विश्वविद्यालयों को मान्यता दें तो ठीक रहेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिए समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- लगता है आज आपके संसदीय इतिहास का सबसे संक्षिप्त भाषण है.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने आपकी भावना के अनुरुप ही किया है. आपके कहने के पहले ही मैं बैठ गया था. मैं समझ गया था.
उपाध्यक्ष महोदय -- रावत जी, मैंने कुछ नहीं कहा था. मैं कहना नहीं चाह रहा था.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष जी, यह पहले ही सिद्ध हो चुका है कि रामनिवास जी सबके मन की बात समझते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- गुप्ता जी, लगता है अब आपने उन्हें कुछ संकेत भेज दिए हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 का स्वागत करते हुए मैं माननीय मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हॅूं. जैसा कि माननीय रावत जी ने बताया कि विनियामक आयोग ने निजी विश्वविद्यालय को लेकर जो अनुशंसा की है उसी तारतम्य में अब तक इकतीसवां निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक के माध्यम से यहां पर प्रस्तुत हुआ. मध्यांचल प्रोफेशनल विश्वविद्यालय, भोपाल, भाभा विश्वविद्यालय, भोपाल, मानसरोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय, सीहोर. सरकार ने अपने दायित्व का निर्वहन किया है और निर्वहन कर भी रही है. सभी योग्य युवाओं को गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध हो सके, इसको लेकर सरकार सजग है, तत्पर भी है. राज्य विश्वविद्यालयों की स्थापना के साथ-साथ निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करना.
जहां निजी पूंजी निवेश लग गया है आखिर वे भी शासन से कुछ न कुछ सुविधाओं के माध्यम से, अधिकारों के माध्यम से, कानून के माध्यम से, विधेयकों के माध्यम से अपेक्षा करते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ, उनका अभिनन्दन करना चाहता हूँ. उनकी सोच, उनके विचार से, इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली नीतियों से, देश के बड़े शैक्षणिक समूह को हमने आमंत्रण दिया है और उनसे अपेक्षा की गई थी सरकार हर स्तर पर सहयोग प्रदान करेगी. उसी स्थिति में अगर आप देखें तो सिम्बॉयोसिस-पुणे, व्हीआईटी-वेल्लूर, एमआईटी-पुणे आदि के द्वारा निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना उनकी चाहत पर, उनकी मांग पर, हमारे प्रदेश में की जा रही है. चूँकि हमने निमंत्रण दिया था, इसलिए सरकार का दायित्व बनता है कि उनके अनुकूल हम निर्णय करें. यह निर्णय किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं है, उन हजारों-हजार युवाओं के लिए है, जो बेरोजगार हैं और प्रौद्योगिकी परीक्षाएं या अन्य परीक्षाएं दिलाते हैं, वे निजी विश्वविद्यालय में अपने आपको समर्पित भाव से प्रस्तुत करते हैं या विद्याध्यन करते हैं तो ऐसी शैक्षणिक संस्थाओं में, जहां पर अधोसंरचना विकास हो, जहां पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जाए, इस स्थिति में यह जो विधेयक लाया गया है, मुझे पूर्ण विश्वास है कि आयुष्मति एजुकेशन एवं सोशल सोसायटी, भोपाल द्वारा प्रस्तावित भाभा विश्वविद्यालय, भोपाल की स्थापना से राजधानी एवं उसके आसपास के क्षेत्रों के विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्राप्त हो सकेगी. इसी स्थिति में अन्य विधेयक जो प्रस्तुत हुए हैं, वे सब सराहनीय हैं क्योंकि उनकी आवश्यकता महसूस की जा रही थी. संस्था के द्वारा संचालित आरकेडीएफ विश्वविद्यालय, भोपाल में नैतिक शिक्षा का पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करना अनिवार्य है. इसी दृष्टिकोण से विदेश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं के साथ कार्य कर रहे शैक्षणिक संस्थाओं से लाखों विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यांचल विश्वविद्यालय, भोपाल की स्थापना वंशपति स्मृति शिक्षण समिति, भोपाल द्वारा की जा रही है. समिति द्वारा अपने शैक्षणिक संस्थान पटेल कॉलेज ऑफ सांइस एंड टेक्नॉलॉजी, रातीबड़, भोपाल की स्थापना वर्ष 2002 में की गई थी. इसमें एक खास विशेषता यह है कि मध्यांचल प्रोफेशनल विश्वविद्यालय, भोपाल में ग्रामीण विकास के लिए आवश्यक पाठ्यक्रमों के संचालन पर जोर दिया जाएगा, जिससे न सिर्फ युवाओं को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान की जाएगी, अपितु पाठ्यक्रम में कौशल विकास को भी बढ़ावा दिए जाने की गारंटी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विगत डेढ़ वर्षों के कार्यकाल में मध्यप्रदेश में सिम्बॉयोसिस-पुणे, व्हीआईटी-वेल्लूर, एमआईटी-पुणे जैसे प्रतिष्ठित समूह आए हैं, मैं इसके लिए माननीय उच्च शिक्षा मंत्री, माननीय पवैया जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ, साथ ही माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस महत्वपूर्ण मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विधेयक पर आपने बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल - (अनुपस्थित)
श्री जसवंतसिंह हाड़ा (शुजालपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 जो प्रस्तुत हुआ है, इसके पक्ष में बोलने के लिए मैं खड़ा हुआ हूँ. मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि यह कृषि एवं ग्रामीण विकास विभाग की अवधारणा से प्रभावित होकर निजी विश्वविद्यालय लाने का काम, संशोधन विधेयक लाने का काम और जिसके बारे में मुझे खासकर यह कहना है कि श्री सत्यसाईं ग्रामोत्थान समिति भोपाल में एक ऐसा संस्थान हैं जिसके बारे में रावत साहब ने कहा था कि जो मान्यता दी जा रही है, उसके बारे में थोड़ा देखा जाए तो मैंने देखा कि मानसरोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय की मान्यता जो उन्होंने दी है और इसमें वर्तमान में 5000 से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत् हैं. उसके द्वारा अनेक संस्थायें चलाई जा रही हैं और ऐसी स्थिति पर उच्च शिक्षा के लिये शोध कार्य बहुत उत्कृष्ट ढंग से श्री सत्य साईं संस्था कर रही है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि उच्च शिक्षा और शोध के लिये जो ऐसे 26 विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं इनको और तेजी और बेहतर तरीके से हम कैसे प्रदेश में लायें, अगर हम देखेंगे तो वास्तव में हमारा जो प्रतिशत है, वह 24.5 प्रतिशत पंजीयन का है और मध्यप्रदेश का अगर हम सकल देखेंगे तो 19.60 प्रतिशत आ रहा है. यह निजी विश्वविद्यालय के आने से छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा और उनका आगे रजिस्ट्रेशन बढ़ाने में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं श्री सत्य साईं ग्रामोत्थान समिति जो कि सत्य साईं ग्लोबल विश्वविद्यालय की स्थापना करने जा रही है, वस्तुत: भोपाल और सीहोर में इसका ज्यादा लाभ मिलेगा. मेरी जानकारी में यह भी है कि यह जो संस्थान है, इसने भोपाल और सीहोर के अंदर एक डेंटल कॉलेज और दूसरा नर्सिंग कॉलेज, इन दो संस्थाओं के माध्यम से उन्होंने इतने छात्र-छात्राओं को शिक्षा के मामले में प्रदेश में ही नहीं अपितु पूरे देश में और विदेशों में जाकर वे अपनी सेवायें दे रहे हैं. साथ ही मानसरोवर डेंटल कॉलेज के माध्यम से जो विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं इन्होंने ऐसे 04 गांव गोद लिये हैं. वह केवल इतना ही नहीं कर रहे, वे कैम्प लगा रहे हैं, कैम्प के माध्यम से अवेयरनेस और उनके स्वास्थ्य से संबंधित जो सेवाएं हैं वह भी बेहतर तरीके से दे रहे हैं. ऐसे संस्थान अगर इसमें जुड़ते हैं और उसको विश्वविद्यालय की मान्यता देने के लिये माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी ने संशोधन विधेयक को प्रस्तुत किया है, उनकी सूझबूझ, उनके प्रयास से एक अनुकरणीय कार्य हो रहा है और मैं उच्च शिक्षा की प्रगति के लिये माननीय उच्च शिक्षामंत्री जी को हृदय से साधुवाद देता हूं. यह संशोधन विधेयक पास हो, इसका मैं समर्थन करता हूं. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं उच्च शिक्षा मंत्री जी द्वारा प्रस्तावित मध्यप्रदेश स्थापना एवं संचालन द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 पर चर्चा करने के लिये खड़ा हुआ हूं. इस विधेयक में नये विश्वविद्यालयों की स्थापना की बात कही गई है. मेरा तो आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यही निवेदन है कि पूर्व में भी मैंने एक प्रस्ताव दिया था कि जिस तरीके से शासकीय विश्वविद्यालयों में विधायक, प्रतिनिधि के रूप में यूनिवर्सिटीज में रहते हैं उसी तरीके से इन निजी विश्वविद्यालयों की कमेटी में भी वे रहेंगे तो शासन का इन्डायरेक्ट रूप से उनके ऊपर कंट्रोल रहेगा. कहीं न कहीं उनकी गतिविधियों की जानकारी रहेगी और बेहतर शिक्षा की तरफ हमारा प्रदेश जाये, इस ओर कार्यवाही होती रहेगी. दूसरी बात यह है कि जिस तरीके से स्कूल शिक्षा में प्रायवेट स्कूलों के आने के बाद कहीं न कहीं शासकीय स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आयी है. कहीं ऐसा न हो कि लगातार प्रायवेट यूनिवर्सिटीज के आने के बाद जो हमारी गवर्नमेंट यूनिवर्सिटीज हैं उनकी गुणवत्ता में कमी आये. क्योंकि प्रायवेट यूनिवर्सिटीज में फीस देनी पड़ती है और जो उच्च कुलीन वर्ग के लोग हैं वही उसमें शिक्षा ग्रहण कर पाते हैं. जबकि शासकीय यूनिवर्सिटीज में हमारे निर्धन और मिडिल क्लास फैमिलीज के बच्चे उसमें अध्ययनरत् रहते हैं. क्योंकि लगातार यूनिवर्सिटीज बढ़ती जा रही हैं तो हमें इस ओर भी ध्यान देना होगा. कहीं ऐसा न हो कि उनकी शिक्षा की गुणवत्ता में फर्क आये. अंत में मेरा तीसरा सुझाव यह है कि बिल तो आ ही रहा है, यूनिवर्सिटीज स्थापित होती जा रही हैं, तो कई यूनिवर्सिटीज में वे बताते हैं कि सुविधाएं देंगे लेकिन वे सुविधाएं नहीं होती हैं. उसकी मानीटरिंग की सुविधा भी शासन की तरफ से हो, ताकि जो भी उनके प्रॉस्पेक्टस में है, वह रहे, वह सारी चीजें वस्तुस्थिति में वहां पर मौजूद रहें. नहीं तो कई बार बहुत सारी सुविधाएं तो बताई जाती हैं, लेकिन वह सुविधायें वहां प्राप्त नहीं होती हैं और कहीं न कहीं पालक एवं जो विद्यार्थी हैं, वह अपने आपको ठगा महसूस करते हैं. तो सरकार इस ओर भी ध्यान दे और निजी क्षेत्र को पूरे तरीके से मुक्त नहीं करें. पहले उनकी गुणवत्ता को चेक कर लें. मैं यह भी कहना चाहूंगा कि बहुत अच्छी यूनिवर्सिटीज भी आ रही हैं, इसमें कोई शक वाली बात नहीं है, जिन्होंने नेशनल और इन्टरनेशनल लेविल पर नाम कमाया है, वे यूनिवर्सिटीज भी मध्यप्रदेश में आ रही हैं. लेकिन उनके साथ कहीं ऐसी यूनिवर्सिटीज नहीं आ जायें, जोकि कहीं मध्यप्रदेश की शिक्षा प्रणाली पर प्रश्न खड़ा करें. मुझे यहीं निवेदन करना था, बहुत बहुत धन्यवाद.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया) -- मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, संशोधन विधेयक के संबंध में पक्ष और विपक्ष के सम्मानित सदस्यों के जो विचार आये हैं, मैं इसके लिये उनको बहुत हृदय से साधुवाद देता हूं कि बड़े सकारात्मक सोच के साथ और आलोचना नहीं, समालोचना जिसको कहते हैं, इस तरह के सुझाव इस विधेयक की चर्चा में आये हैं. इसका अर्थ यह है कि सदन के सभी सम्मानित सदस्य मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा का व्यापक प्रसार और गुणवत्ता दोनों के लिये ही चिंतित हैं और उनके सुझावों का मैं स्वागत करता हूं. हम आज निजी क्षेत्र के 3 विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिये संशोधन विधेयक लाये हैं. 27 निजी विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश में पहले से स्थापित हैं, लेकिन उसमें से एक विश्वविद्यालय ने परिसमापन के लिये लिखा था और वह विश्वविद्यालय समाप्त होने के बाद में 26 निज विश्वविद्यालय हैं. ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में, स्पर्द्धा के दौर में, भूमण्डलीयकरण के दौर में, हम इससे वंचित नहीं रह सकते हैं, क्योंकि एक सकल पंजीयन अनुपात नाम की जो चीज है, हमें लगभग 24.5 प्रतिशत सकल पंजीयन अनुपात तक पहुंचना है, अगर हमें देश में सबके साथ बराबरी से खड़े होना है तो. कुछ वर्षों पहले तक हमारा 15.6 प्रतिशत हुआ करता था, लेकिन विगत् 4-5 वर्षों में हमने उसे 19.6 प्रतिशत तक पहुंचाया है. अगले वर्ष तक हम उसे एक प्रतिशत तक और बढ़ा लेंगे. इसका अर्थ यह होता है कि एक निर्धारित आयु का हमारा युवा उच्च शिक्षा में जाता है, उससे सकल पंजीयन अनुपात तय होता है. लेकिन केवल वह जाये नहीं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाये, इसके लिये यह अनिवार्यता है कि सरकारी क्षेत्र केवल उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सब कुछ कर लेगा, यह बड़ा असंभव है और इसलिये हमने निजी संस्थाओं को निवेश के लिये न्योता भी दिया, निजी संस्थाएं आकर्षित भी हुईं और उसके लिये मापदण्ड तैयार किये. मैं उदाहरण के लिये कहूंगा कि राजस्थान तुलनात्मक रुप से हमसे छोटा प्रदेश है. राज्स्थान में निजी विश्वविद्यायों की संख्या 46 है और वहां यह संख्या और बढ़ रही है. उत्तराखण्ड जैसे छोटे राज्य भी जरुरत अनुभव कर रहे हैं, वहां 15 की संख्या में स्थापित हैं, लेकिन इस सब में हमने जो निर्धारित मापदण्ड विनियामक आयोग के द्वारा तय किये हैं, उसमें किसी प्रकार का समझौता राज्य में संस्थाओं के साथ नहीं हो रहा है. पहले हम प्रतिवेदन का जब परीक्षण करते हैं, तो अधोसंरचना अगर निर्धारित स्कवायर फिट में और बुनियादी सुविधायें नहीं बनी हैं, तो प्रश्न ही नहीं उठता है. निर्धारित भूमि नहीं है, तो प्रश्न ही नहीं उठता है. 5 करोड़ की जो सुरक्षा निधि होती है, वह जमा नहीं होती है, तो प्रश्न नहीं उठता है. केवल विनियामक आयोग की ही कमेटी नहीं होती है, उसमें उस जिले का कलेक्टर होता है, उस जिले का एसई होता है, उस जिले का लीडिंग कॉलेज का प्राचार्य होता है. ये सभी पूर्तियां होने के बाद में ही हम स्थापना की ओर बढ़ते हैं, उसमें पाठ्यक्रम का प्रश्न भी होता है. पूरी तरह सत्यापित होने के बाद ही उसको लाते हैं. निजी विश्वविद्यालयों के मध्यप्रदेश में कुछ उज्जवल पक्ष हैं जिन पर प्रदेश में अगर हम कुछ कमी की बात करते हैं, तो फिर उनके बारे में प्रसन्नता की बात भी होना चाहिए. मैंने कुछ जानकारियां जुटायी हैं. भारत के सर्वश्रेष्ठ 100 विश्वविद्यालय तय किये गये हैं. उसमें से हमारे मध्यप्रदेश के दो निजी विश्वविद्यालयों ने अच्छा स्थान बनाया है. एक जेपी निजी विश्वविद्यालय है और दूसरा आईटीएम विश्वविद्यालय है और इंदौर का मेडीकैप्स विश्वविद्यालय है चिकित्सा शिक्षा के श्रेष्ठ संस्थानों में इसको स्थान प्राप्त हुआ है, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी को फिक्की ने ईयर आफ द यूनिवर्सिटी का खिताब दिया है, भले ही वह औद्योगिक क्षेत्र की ही क्यों न हो लेकिन वह प्रमाणक संस्था है, ए.के.एस. सतना को एचआरडी मिनिस्ट्री के द्वारा नवाचार के लिए भारत में श्रेष्ठ सम्मान दिया गया है, रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय रायसेन को प्रधानमंत्री कौशल विकास केन्द्र के रूप में एक मात्र निजी विश्वविद्यालय है जिसे सम्मान प्रदान किया गया है और अन्य राज्यों में हमारी जो पारदर्शिता की नीति प्राइवेट यूनिवर्सिटी की है, उसके लिए पंजाब का डेलीगेशन अभी पिछले दिनों आया था और वहां की राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश के विनियामक आयोग को मिसाल मानकर अपने यहां पर ऐसी पद्धति विकसित करने की बात की है.
उपाध्यक्ष महोदय प्लेसमेंट के बारे में बहुत सुखद स्थितियां, पिछले पांच वर्षों में जो यूनिवर्सिटी स्थापित हुई हैं उनमें जेपी विश्वविद्यालय में 85 प्रतिशत, एमईटी में 98, आईटीएम में 75, आरकेडीएफ में 35, एकेएस विश्वविद्यालय सतना में कृषि डिप्लोमा और माइन्स पाठयक्रम में 100 प्रतिशत प्लेसमेंट , स्वामी विवेकानंद सागर में 50, पीपुल्स में 55, रविन्द्रनाथ टैगोर में 75, जागरण लैकसिटी में 80 प्रतिशत मैनेजमेंट मीडिया पाठयक्रम में प्लेसमेंट की उपलब्धि हुई है.
उपाध्यक्ष महोदय मैं इतना ही विश्वास दिलाता हूं कि किसी प्रकार की पारदर्शिता के विरूद्ध कार्य होता है तो हमने एक नया सिस्टम विकसित किया है जितनी सीटें स्वीकृत होंगी और विद्यार्थियों के जो नाम होंगे वह नियामक आयोग के पोर्टल पर प्रवेश होते ही आ जायेंगे, इसलिए किसी जमाने में यह शिकायत होती थी कि 100 सीट स्वीकृत हैं लेकिन 150 बच्चे भर्ती हो गये हैं. अब इस तरह की गड़बड़ी की कोई संभावना नहीं है और इसी तरह से परीक्षा कोई दे रहा है प्रवेश किसी का हुआ था, इस तरह की गड़बड़ी अब पोर्टल विकसित होने के बाद में संभव नहीं है. अगर कहीं माननीय सदस्यों को प्राइवेट यूनिर्वसिटी के बारे में गंभीर प्रामाणिक बात पता लगती है तो व्यक्तिगत रूप से मुझे दें, मैं उसका स्वागत करूंगा, आपने जहां तक प्रतिनिधि की बात की है तो शासन की तरफ से पहले से ही प्रतिनिधि की व्यवस्था है, इसलिए शासन की मानिटरिंग तो उस पर होती है. मैं आप सबसे सुझावों का यहां पर स्वागत करता हूं धन्यवाद्.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी माननीय सदस्य श्री शैलेन्द्र पटेल जी ने एक बड़ी वाजिब चिंता व्यक्त की है कि यह जो निजी विश्वविद्यालय आ रहे हैं और आपने उनके बारे में बताया है कि उनका परफार्मेंस बहुत अच्छा है, उस दौड़ में अपने शासकीय विश्वविद्यालय बहुत पीछे न रह जाय यह चिंता करने वाली बात है.
श्री जयभान सिंह पवैया -- उपाध्यक्ष महोदय एक तो बुनियादी अंतर है दोनों विश्वविद्यालयों में यह एकात्म होते हैं विश्वविद्यालय इनको एफीलेशन के अधिकार नहीं होते हैं यह एक कालेज की तरह यूनिट होता है तो जो हमारे शासकीय विश्वविद्यालय हैं यह बड़ी संख्या में कालेजों को एफीलेशन देते हैं कालेज इनसे संबद्ध रहते हैं लेकिन प्राइवेट विश्वविद्यालयों से कोई कालेज संबद्ध नहीं रहता है. एक स्टडी बोर्ड के रूप में इनके अलग अलग यूनिट काम करते हैं. शासकीय विश्वविद्यालयों के उन्नत करने के बारे में जहां पर भी कमी हमें दिख रही हैं पारदर्शिता की दृष्टि से बड़े फैसले हमने किये हैं यहां पर जिक्र करना ठीक नहीं है बहुत बड़े बदलाव करना पड़े हैं जो कि अखबारों में छपे थे, इसलिए यह स्पर्धा नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा - उपाध्यक्ष महोदय, यह सर्वसम्मति से पास हो जाय.
श्री जयभान सिंह पवैया - मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 पारित किया जाय.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2017 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
सर्वसम्मति से विधेयक पारित हुआ.
(4) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 28 सन् 2017)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री द्वारा मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम, 1956 की धारा 301 में उपधारा (4) के पश्चात् नई उपधारा जोड़ने का प्रावधान इसमें किया गया है. दूसरा मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1961 की धारा 191 में उपधारा (2) के पश्चात् नई उपधारा जोड़ी गई है.
उपाध्यक्ष महोदय, इसमें मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम, 1956 की धारा 301 में नई उपधारा जोड़ने का प्रावधान है उसमें वास्तुविद् या संरचना इंजीनियर, ऑर्किटेक्ट को यह अधिकार दिया जा रहा है कि भवन के निर्माण के संबंध में संपूर्ण भवन के पूर्ण का उसे अधिकार दिया जाय. इसके साथ ही उसकी एक कापी कार्यालय में उपलब्ध कराई जाएगी. इससे निवेश बढ़ने का उद्देश्य बताया गया है कि शासन को इसमें निवेश आएगा और उसको सहूलियत होगी. दूसरे संशोधन में भी है भवन निर्माण की अनुज्ञा, यह मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1961 की धारा 191 की उपधारा (2) में किया गया है. परन्तु इन दोनों से जो राजनीतिक रूप से, जनतांत्रिक तरीके से चुनी गई संस्थाएं हैं, उनमें अधिकारों का अतिक्रमण हो रहा है. इससे यह प्रतीत होता है कि सरकार का विश्वास जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों में नहीं है. क्योंकि इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी? अगर निर्वाचित प्रतिनिधि हैं वे ज्यादा विश्वसनीय हैं, जनता के द्वारा चुनकर आते हैं. नगर के विकास में, अपने शहर को संवारने, सहजने में, उनकी ज्यादा चिंता रहती है. आज स्थिति यह है कि नगरीय जो परिषदें हैं. नगरपालिका, नगरनिगम. कई वर्षों से वहां पर पद खाली पड़े हुए हैं. पहले जिले में तीन सदस्यीय एक कमेटी हुआ करती थी जो नॉन गजेटेड पद-एसआई, नाकेदार,पंप चालक, ड्रायवर आदि होते थे उनकी भरती करती थी. लेकिन पिछले 14 साल से पूरी नगर पालिका, नगर परिषदों में 60-70 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं. आज नगरीय संस्थाओं में सब इंजीनियरों को अलग कर दिया और बाहरी व्यक्ति, प्रायवेट सेक्टर को अधिकार दे रहे हैं. बाहरी व्यक्ति आर्किटेक्ट नक्शा बनायेगा, मंजूरी देगा उसमें विसंगतियां आने की संभावना है. नगरीय पंचायत, नगर परिषदों में जो कर्मचारी- असिस्टेंट इंजीनियर, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, सब इंजीनियर हैं, ये अधिकार उनको भी दिए जा सकते हैं. वह परिषद के नियंत्रण में रहेगा और शासन के, कार्यपालिका के अंग होने से वे ज्यादा विश्वसनीय हो सकते हैं. यह हमारी सोच है.
उपाध्यक्ष महोदय, आज हालत बहुत खराब है. आज नगर पालिका और नगर परिषदों में तो यह हालत है कि वहां अवैधानिक रुप से मकान बनते चले जा रहे हैं. अधिकारों को केन्द्रीकृत कर दिया है. पहले विकेन्द्रीकरण था. निर्वाचित प्रतिनिधियों पर से विश्वास उठ चुका है. आज भवन बनाने की मंजूरी नहीं मिल पा रही है. इससे राजस्व की भारी क्षति हो रही है. भवन बनाने की मंजूरी नहीं मिलने से लोग अपने खेत बेच रहे हैं और जहां मर्जी होती वहां मकान बना लेते हैं फिर उनको पानी,बिजली,सफाई की आवश्यकता पड़ती है. वहां बड़ी बड़ी बस्तियां बन जाती है और जन प्रतिनिधियों को अवैध बस्तियों में भी मजबूरी में काम करना पड़ते हैं. शासन की ओर से शहर के विकास के लिए जो राशि जाती है उसको वहां खर्च करना पड़ता है.
उपाध्यक्ष महोदय, डायवर्शन के अधिकार जिले में है. भिंड जिले में वर्षों से डायवर्शन बंद है. संपूर्ण जिले में डायवर्शन का काम नहीं चल रहा है. अगर कोई अपने खेत की जमीन में, प्लाट को आवासीय बनाना चाहता है तो डायवर्शन की आवश्यकता होती है लेकिन वह नहीं हो रहा है. इसकी नजूल की एनओसी भी जिला मुख्यालय से मिलती है. जैसे भिंड की आलमपुर नगर परिषद है वहां से जिला मुख्यालय की दूरी 105 किमी है. जब लोग वहां जाते हैं तो कभी अधिकारी नहीं मिलते, परेशानी होती है. आर्किटेक्ट का नक्शा लगाना आवश्यक कर दिया है लेकिन किसी नगर परिषद में आर्किटेक्ट नहीं है, पोस्ट नहीं है. अगर आप आर्किटेक्ट को अधिकार देना चाहते हैं तो वे नगर परिषद के अधीन रहे. उनको निर्धारित फीस मिले. वे नक्शा बनाते हैं तो उनको शासन की ओर से फीस दी जाये और वह नगर परिषद के निर्वाचित प्रतिनिधि और मुख्य नगर पालिक अधिकारी के अधीन होना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की मंजूरी वर्षों तक नहीं मिलती. ग्वालियर संभाग में टीएनसीपी कार्यालय में एक-दो कर्मचारी हैं. वहां 5-5,10-10 साल से प्रकरण पड़े हैं कोई आता ही नहीं. इतनी जटिल प्रक्रिया बना दी है जिससे नामांतरण, एनओसी नहीं मिल पा रहे हैं और भवन निर्माण की मंजूरी नहीं मिल रही है इससे अवैध कॉलोनियां बढ़ रही है, मनमाने तरीके से कोई कहीं भी मकान बना रहे हैं. अब आप यह काम आर्किटेक्ट को दे रहे हैं तो बाहरी वास्तुविद् या आर्किटेक्ट आयेगा तो उसको कैसे सुविधाएं मिलेंगी. उसके लिए भी समस्या होगी. अगर उनको देना चाहते हैं तो हमारा यह कहना है कि अव्यवस्थाएं इसलिए हैं जो अधिकार आपने केंद्रीकृत कर रखे हैं, उनका विकेन्द्रीकरण करें. हमें चिन्ता है. हम जहां रहते हैं उस जगह की साफ-सफाई, सुरक्षा की जवाबदारी वहां की जनता की है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि निवेश कैसे बढ़ेगा? इस संशोधन से कितना निवेश बढ़ जाएगा यह स्पष्ट करें. यह हमारी समझ के बाहर है. मैं यह भी कहना चाहता हूं. छोटे-छोटे कामों के लिये,तकनीकी स्वीकृति के लिये यदि वहां सहायक यंत्री नहीं है तो सब इंजीनियर को 5 हजार रुपये तक की प्रशासकीय स्वीकृति का अधिकार नहीं है. तकनीकी स्वीकृति के लिये ग्वालियर जाना पड़ता है.100-100 कि.मी. दूर जाना पड़ता है और स्वीकृति महीनों नहीं मिलती है. तब तक विकास कार्य रुके पड़े रहते हैं. अभी जो व्यवस्था है कि 5 हजार से 1 करोड़ रुपये तक की तकनीकी स्वीकृति देने का अधिकार कार्यपालन यंत्री को है. परिषद को कोई अधिकार नहीं है. वित्तीय स्वीकृति देने का अधिकार पी.आई.सी. को 10 लाख रुपये का है. आज 10 लाख रुपये में कोई छोटी सी सड़क नहीं बन पाती. इसलिये अधिकारों का विकेन्द्रीकरण करो. आज यह स्थिति बन गई है कि जैसे बिच्छू होता है. यदि काले बिच्छू को छोड़ दें तो बच्चे भागते हैं. एक गांव में हमने देखा कि बच्चों ने बिच्छू का डंक काट दिया तो फिर वे उसे हाथ में लिये घूमते रहे. तो सरकार ने निर्वाचित प्रतिनिधियों के डंक काट दिये हैं. ये बिना डंक के बिच्छू हो गये हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - गोविन्द सिंह जी यह तो उनका अपमान है आप उनको बिच्छू बोल रहे हो. उनको दंत विहीन बोलो तो ठीक है.
डॉ.गोविन्द सिंह - हम देहाती लोग हैं इसलिये जितना समझते हैं उतना बोलते हैं. हमारा कुल मिलाकर आशय यह है कि आप आर्कीटेक्ट,इंजीनियर,वास्तुविद् जो काम करना चाहते हैं वह एक पत्र आयुक्त को भेजेंगे. धारा-1 में जो संशोधन है उसमें है कि वह सूचना का पत्र यहां भेजेंगे.हम लोगों के पत्रों का तो जवाब नहीं आता. कभी जवाब नहीं देते. जबकि जी.ए.डी. के सर्कुलर हैं, वहां पत्रों को कौन पूछेगा और पत्र पूरे प्रदेश से जायेंगे. अलग से इसके लिये अमला लगाना पड़ेगा और नगर परिषद मंजूरी देगा. इसलिये कुल मिलाकर विकास से हमें कोई परेशानी नहीं है. आप पैसा बड़े-बड़े महानगरों में लगायें लेकिन छोटी संस्थाओं को इससे मुक्त करें. नगर पालिका,नगर परिषद से इसको हटायें. केवल महानगरों में इसको लागू करें. इसके लिये हमारी सहमति है. आप चुने हुए प्रतिनिधियों को यह कार्य सौंपें और आपकी जो कमियां हैं उन कमियों को अगर आप दूर कर दो तो वैसे ही नगर सुसज्जित हो जायेंगे और आपका नाम बाबूलाल गौर जी जैसा पूरे प्रदेश में हो जायेगा. धन्यवाद.
श्री रणजीत सिंह गुणवान - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नगर पंचायत,नगर पालिका ग्रामीण क्षेत्र से पूरे प्रदेश में जुड़ी हुई हैं तो नगर पंचायत नगर पालिका को क्यों वंचित करें उनको भी इसमें सम्मिलित करें.
डॉ.गोविन्द सिंह - गुणवान जी,आप यह बताईये कि चने का पेड़ कितना बड़ा होता है. आपको कुछ पता नहीं खड़े हो जाते हो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर) - माननीय उपाध्यक्ष जी, मध्यप्रदेश नगर पालिका विधि संशोधन विधेयक,2017 का मैं स्वागत करते हुए माननीय मंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं. नगर पालिक,नगर निगम,नगर परिषदों माननीय गोविन्द सिंह जी ने जैसा बताया कि जनप्रतिनिधियों के अधिकार इससे वंचित हो जायेंगे और इसके आ जाने से जनप्रतिनिधि बौना हो जायेगा तो अनुज्ञा का सवाल आयुक्त और मुख्य नगर पालिक अधिकारी के द्वारा प्रदत्त किये जाते हैं. परिषद का कोई पार्षद,अध्यक्ष या मेयर उस पर अपने हस्ताक्षर नहीं करता. उसमें विलंब का कोई कारण बने या जनप्रतिनिधि की उपेक्षा हो रही है, ऐसा नहीं है. माननीय गोविन्द सिंह जी इसको ठीक ढंग से प्रस्तुत नहीं कर पाये.नगर पालिका,नगर परिषद,नगर निगम इनमें काफी आशातीत सेवाओं को लिया जाता है. लोक सेवा गारंटी का मामला हो या फिर ई पेमेंट का मामला हो, ई मेजरमेंट का मामला हो, ई टेंडरिंग का मामला हो. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नगर पालिकाओं में, नगर निगमों में, नगर परिषदों में जवाबदेही बड़ी गंभीरता के साथ बढ़ी. मैं स्वयं भी मंदसौर नगर पालिका परिषद का अध्यक्ष रहा हूं, लेकिन चाहे ई-टेंडरिंग का मामला आया हो, चाहे ई-पेमेंट का हो, चाहे ई-मेजरमेंट का हो, लोक सेवा गांरटी के अंतर्गत जो आते हैं, यह भी उसी दिशा में एक बढ़ता कदम है. जो अधिकार या जो व्यवस्थायें आयुक्त और मुख्य नगर पालिका अधिकारी तक रहती थीं उसको कहीं न कहीं निजी क्षेत्र में डालने का इस विधेयक के माध्यम से प्रयास है, निजी रजिस्टर्ड वास्तुविद तथा संरचना इंजीनियरों के माध्यम से सर्टीफाइ कर दिया जाता है कि यह भवन की अनुज्ञा है, यह भवन बन चुका है, इसके निर्माण का प्रमाण-पत्र है तो उसके आधार पर जिस प्रकार से निवेश आ रहा है, जिस प्रकार से उद्योगों की संरचना हो रही है, जिस प्रकार से लोगों का विश्वास सरकार के कामकाजों के प्रति बढ़ता जा रहा है, वैसी स्थिति में यह उस आर्किटेक्ट के लिये, उस वास्तुविद् के लिये रोजगार भी बढ़ायेगा और जो इंजीनियरों की संरचना सुनिश्चित की गई है तो निजी क्षेत्र में वास्तुविद का मामला हो या इंजीनियरों का मामला हो वे भी कहीं न कहीं जो बेरोजगार बैठे हुये हैं उनको काम मिलेगा. यह जो विधेयक प्रस्तुत हुआ है इसमें माननीय प्रधानमंत्री जी का जो संकल्प है, जो सपना है वह भी इसको परिलक्षित करता है क्योंकि पारदर्शिता होना चाहिये, समय पर कार्यक्रम सुनिश्चित होना चाहिये, लोगों को परेशानी न हो, लोग सामान्य रूप से अपने कामकाज का संचालन ऐसी संस्थाओं में कर सकें, इसको लेकर जो रजिस्टर्ड वास्तुविदों को समाविष्ट किया जा रहा है वास्तव में यह स्वागत योग्य है. मैं यह भी कहना चाहता हूं गोविंद सिंह साहब ने जिस प्रकार से आशंका व्यक्त की है, यह संशोधन आम नागरिकों के भवन को पूर्ण होने तथा अधिवासित करने की जो अनुज्ञा है वह सरलता से प्राप्त होगी, इसमें कठिनाइयां नहीं होंगी, क्योंकि वह व्यक्ति जो नगर पालिका के आयुक्त, नगर निगमों के आयुक्त या मुख्य नगर पालिका अधिकारी तक सीमित रहता था, आज 300 वर्गमीटर तक के क्षेत्र में जो संशोधन वर्ष 2012 में हुआ है उसी के आधार पर रजिस्टर्ड वास्तुविद तथा संरचना इंजीनियरों को इसमें सहूलियत और सुविधा प्रदत्त की गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस मामले में निश्चित रूप से निवेश बढ़ेगा जैसा कि गोविंद सिंह जी ने कहा, अधिकारों का कोई अतिक्रमण इसमें नहीं है, बल्कि अधिकारों का सरलीकरण है, आखिर इतनी बड़ी यूनिट कोई आती है, इतनी बड़ी कोई संस्था आती है तो उसका जो प्रबंधन है, उसका जो व्यवस्थापन है उसको नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषदों के आयुक्त, मुख्य नगर पालिका अधिकारी के ही भरोसे नहीं रहना पड़ेगा, इसमें इस आशय की मंशा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद भी देता हूं, उन्होंने बहुत अच्छा विधेयक पेश किया है इसमें वास्तुविदों को स्थान मिलेगा, प्राइवेट इंजीनियरों को स्थान मिलेगा, उनको रोजगार के संसाधन उपलब्ध होंगे. एक बार पुन: नगरीय प्रशासन विभाग को बधाई, धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय डॉ. गोविंद सिंह जी ने कहा और सिसोदिया जी ने कहा यह मध्यप्रदेश नगर पालिक संशोधन विधेयक माननीय मंत्री महोदया द्वारा प्रस्तुत किया गया है. इसमें रजिस्ट्रीकृत जो नगर निगम या नगर पालिका, नगर पंचायतों में तो रजिस्ट्रीकृत वास्तुविद और आर्किटेक्ट कहीं हैं ही नहीं और मैं समझता हूं कि प्रदेश की आधी से अधिक नगर पालिकाओं में रजिस्ट्रीकृत वास्तुविद, आर्किटेक्ट और टेक्निकल इंजीनियर कहीं नहीं होगा. आपने यह अधिकार इन्हें कब प्रदान कर दिया यह तो हमारी जानकारी में नहीं है कि यह संशोधन कब पारित हुआ, कब उनको अनुज्ञा प्रदान करने की अनुमति दी गई, किस संशोधन के तहत, आपने इसके माध्यम से इसके पूर्व ही ऐसे मामलों में जहां रजिस्ट्रीकृत तथा प्राधिकृत वास्तुविद नगर निगम करती है या राज्य सरकार करती है, एक तो मैं यह जानना चाहूंगा. आपका जो प्राधिकृत आर्किटेक्ट और कंस्ट्रक्शन इंजीनियर जो हैं इनको सीधे यह अधिकार दे दिये गये हैं कि यह भवन अनुज्ञा की अनुमति प्रदान कर सकेंगे. अब आपका टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग का पूरा प्लान तैयार होता है वह नगर निगम के पास रहता है और भूमि स्वामी स्वत्व के जितने भी अभिलेख हैं वह नगर निगम का अधिकारी देखेगा.
5.19 बजे सभापति महोदय (श्री ओमप्रकाश सखलेचा) पीठासीन हुये.
श्री रामनिवास रावत-- सभापति महोदय, अब आपका आर्किटेक्ट या कंस्ट्रक्शन इंजीनियर जो नक्शा बनायेगा और वह पारित करेगा. आर्किटेक्ट नक्शा बनायेगा और वह सीधे-सीधे अनुज्ञा प्रदान करेगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- (श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी द्वारा आसंदी पर पीठासीन होने पर) माननीय सखलेचा जी को बधाई सभापति जी.
श्री रामनिवास रावत-- हमारी ओर से भी बधाई. आप बने रहें, हस रहे हो अच्छे लग रहे हो.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- सखलेचा जी अलग हैं और सभापति जी अलग हैं क्या ?
श्री रामनिवास रावत-- सखलेचा जी सभापति जी की चेयर पर बैठे हैं इसलिये वे ही सभापति हैं.(हंसी) सभापति महोदय, इस विधेयक में कुछ तथ्य बिल्कुल स्पष्ट नहीं हो पा रहे हैं. मेरा कहना है कि क्या हम अपने नगर निगम के अधिकारियों के लिये ही ऐसे नियमों का सरलीकरण नहीं कर सकते ? एक बार में आवेदन दें, नक्शा बनाकर के प्रस्तुत करें और तुरंत उसकी स्वीकृति प्रदान की जाये. आप आर्किटेक्ट को भवन अनुज्ञा की स्वीकृति प्रदान करने के अधिकार सौंप रहे हैं. आपके भूमि स्वामी के स्वत्व के अभिलेखों को कौन देखेगा कि संबंधित किस जमीन पर निर्माण कराने की अनुमति ले रहा हूं. इस अभिलेख के कागज कौन देखेगा. और टाउन एंड कंट्रीप्लानिंग का जो नक्शा है उसके अनुसार उसने भवन अनुज्ञा का डिजाइन बनाकर के तैयार करके दिया है या नहीं दिया है, यह कौन देखेगा ? आपने यह तो कह दिया कि ease of doing business के अधीन निवेश को बढ़ावा देने के लिये हमने यह संशोधन किया है कि बड़ी बड़ी कंपनियां आये और बड़े बड़े भवन और रियल स्टेट्स के काम करें , खुद ही उनके इंजीनियर रहें, खुद ही उनके इंजीनियर नगर निगम में रजिस्ट्रीकृत हों, वही नक्शा बनाये, वही परमीशन दें और परमीशन देने के बाद निर्माण पूरा होने के पश्चात वही पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर दें और वही सीधे अधिवास प्रमाण पत्र भी जारी कर दें कि जाओ जाकर के रहो हमने पूर्ण कर दिया है.
सभापति महोदय, फिर नगर निगम क्या करेगा ? क्या नगर निगम से भवन अनुज्ञा का, भवन निर्माण का, पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने का सारा काम हटा दिया गया है ? फिर यह भी कर दो कि पानी की सुविधा, लाईट की सुविधा, सीवेज की सुविधा यही करेंगे. आप चुने हुये प्रतिनिधियों का, चुनी हुई संस्थाओं का, वहां के अधिकारियों के अधिकार धीरे धीरे कम करते जा रहे हैं. पिछली बार तो आपने यह कर दिया. अब आप कर रहे हैं कि कंस्ट्रक्शन इंजीनियर को प्राधिकृत किया है ताकि भवन अनुज्ञा-भवन निर्माण पूर्ण होने के पश्चात वो पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करे और अधिवासित करने या उपयोग करने की अनुज्ञा दी जाये. अभी तक यह किसके द्वारा दी जाती थी ? आयुक्त या नगरीय स्थानीय निकायों के परिषद द्वारा की जाती थी. अब इनसे यह अधिकार आप हटा रहे हैं. आप चुनी हुई संस्थाओं के अधिकारों में भी कटौती कर रहे हैं. ऐसे तो आप अपने ही संस्था के अधिकारियों या अपने ही अधिनस्थ अधिकारियों के अधिकार में कटौती कर रहे हैं. आप कहते हैं कि इनसे विलंब होता है तो आप इन्हीं को चुस्त दुरूस्त बनायें, इन्हीं को इतना सक्रिय बनायें कि विलंब न हो. इसमें यह निश्चित कर दें कि आज हम भवन अनुज्ञा की अनुमति का आवेदन दें, प्रस्तुत करें और 24 घण्टे के अंदर उन्हें देने की बाध्यता करें तो ज्यादा अच्छा होगा. वह देख सकेंगे .कहीं ऐसा न हो कि हम किसी भी रजिस्ट्रीकृत वास्तुविद से आर्टिकेक्ट से भवन अनुज्ञा की स्वीकृति लेकर के कहीं शासकीय जमीन पर भवन निर्माण शुरू न करे दें. ऐसा होता है तो इसको कौन देखेगा ? उस आर्टिकेक्ट के पास में क्या क्या रहेगा ? इसमें नियम तो दिये नहीं है इसमें तो आपने केवल 2 लाईनें लिख दी हैं. इसलिये सभापति महोदय, मेरा अनुरोध है कि नगर निगमों के मामले में रियल स्टेट्स ठीक है लेकिन नगरीय निकायों में, नगर पालिका में, नगर पंचायतों में तो रजिस्ट्रीकृत आर्किटेक्ट ही नहीं है. नगर पंचायत स्तर पर तो आर्किटेक्ट ही नहीं रहते हैं. यह तो सब नगर निगम के स्तर पर ही रहते हैं. वहां कौन देखेगा तो वहां पर इनकी व्यवस्था करें और चुनी हुई संस्थाओं को स्थानीय निकाय के अधिकारों में कटौती नहीं करते हुये उनके अधिकारों को विकेन्द्रकरण करें, उनको और अधिकार दें, उनको और सशक्त बनायें जैसा कि डॉ.गोविंद सिंह ने कहा है कि कई पद खाली पड़े हैं, उन पदों को भरने की दिशा में सरकार काम करे, नये पद के निर्माण की दिशा में सरकार काम करे. और प्रशासकीय अथवा तकनीकी स्वीकृति जारी करने की व्यवस्था करके इन्हीं को मजबूत बनायें जिससे वह ठीक से काम कर सकें और नगरीय सीमा में रहने वाले लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा दे सकें.
सभापति महोदय, आपने भवन अनुज्ञा की स्वीकृति बहुत पहले दे दी थी, मैं शायद इस चर्चा में भाग नहीं ले पाया था, किस संशोधन में दी है, यह मेरी जानकारी में नहीं है. शायद एक दो साल हो गये हैं इससे ज्यादा तो नहीं हुये हैं. स्वीकृति देने के बाद आर्किटेक्ट को भवन अनुज्ञा की स्वीकृति प्रदाय करने के संशोधन के माध्यम से प्रदाय करने के पश्चात नगरीय निकायों में अभी तक प्रदेश में कितना निवेश बढ़ा है यह मंत्री जी जरूर बता दें जिससे कि पता चले कि कितना निवेश अभी तक बढ़ चुका है .इसको आप अपने उत्तर में जरूर स्पष्ट कर दें जिससे कम से कम आपने जिस उद्धेश्य से भवन के अनुज्ञा स्वीकृति प्रदान की है उसका पता चल सके कि स्वीकृति के पश्चात उद्धेश्य की कितनी प्रतिपूर्ति हुई है और उसके बाद भवन अधिवास और पूर्ण करने का प्रमाण पत्र देने के भी अधिकार आप उनको सौंप रहे हैं तो इससे पता चल सके कि कितना निवेश प्रदेश में बढ़ा सकेंगे ,यह जरूर स्पष्ट कर दें. सभापति महोदय, आपने मुझे समय दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय - श्री जसवंत सिंह हाड़ा जी आप बोलें.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा (शुजालपुर) - माननीय सभापति महोदय, यह मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि संशोधन विधेयक 2017 के प्रस्तुत होने पर मैं प्रसन्नता व्यक्त करता हूं और उसका समर्थन करता हूं. मैं इस विधेयक के समर्थन में कहना चाहता हूं कि विभाग द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी के इस कुशल नेतृत्व में नगरीय निकाय और नगर निगम में जो काम हुए हैं और आज देश के अंदर मध्यप्रदेश इंदौर और भोपाल शहर को नंबर एक और दो बनाने में यह एक बड़ा अनुकरणीय कार्य हुआ है. यदि आमजन को बेहतर और सरल तरीके से कोई सुविधा मिले तो मैं समझता हूं कि इस विधेयक से एक बहुत बड़ी सुविधा आमजन को प्राप्त होगी. आमजन को सुविधा यह होगी कि एक तो ऑनलाईन किया गया है और 14 नगर निगमों को इससे जोड़ा गया है और जोड़ने के बाद आमजन को ऑटोमेटिक बिल्डिंग का एप्रवूल मिलता है, यह एक बहुत बड़ी सुविधा हुई है. नगर पालिका को एक वर्ष के अंदर जोड़ने का काम बहुत तेजी से हो रहा है. ऐसा करने के बाद केवल भवन अनुज्ञा मिलने का काम ही नहीं, बल्कि इसके अलावा पेड़ काटने जैसी बातें हैं, फायर बिग्रेड की एन.ओ.सी. लेने जैसी बातें हैं, नल कनेक्शन लेना आदि यह सब सुविधाएं ऑनलाईन हो जाएंगी और उससे भटकाव और गड़बड़ी होने की शंकाओं से हम आमजन को बचा सकेंगे.
माननीय सभापति महोदय, जहां तक अधिनियम 61 और 56 की बात हो रही थी, इनमें वास्तव में प्लॉट के लिये इतनी बढि़या सुविधा है, फिर भी श्री रावत साहब पता नहीं क्यों कह रहे थे, इनमें 40 -50 से अधिक नक्शे विभाग ने बनाकर ऑनलाईन करके रखे हैं, उसमें हम ऑनलाईन देख सकते हैं कि हम प्लॉट के लिए कौन सा नक्शा चाहते हैं, कैसा बनाना चाहते हैं, अगर हम इसमें डिटेल में जाएंगे तो इस विधेयक से एक बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन आयेगा.
माननीय सभापति महोदय, मैं समझता हूं कि यह विधेयक बहुत अच्छा होगा ease of doing business यह सरल करने का इससे बेहतर कोई तरीका नहीं हो सकता है, इसलिए मैं माननीय मंत्री महोदय को इस विधेयक को लाने के लिये बहुत साधुवाद देता हूं और इस विधेयक का मैं अपना समर्थन करता हूं, धन्यवाद.
05.27 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में उल्लेखित कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन साढ़े 5 बजे तक है और आज की कार्य सूची में उल्लेखित पूरा कार्य साढ़े 5 बजे तक कैसे पूरा हो पायेगा ?
अध्यक्ष महोदय - कार्यसूची में उल्लेखित सभी कार्य पूर्ण हो जायेगा, बस आप कृपया सहयोग करें.
श्री रामनिवास रावत - कैसे हो जायेगा. ऐसा ही करना था तो आप कह देते कि हम बिना चर्चा के ही समाप्त करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय - बिना चर्चा के नहीं करेंगे, हम चर्चा के ही कार्य पूरा करेंगे.
श्री रामनिवास रावत - कैसे हो जायेगा ? क्या आप 139 की चर्चा आधे घण्टे में समाप्त कर देंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप चर्चा कल करवा देना.
कुंवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है कि आप कल चर्चा करवा लें. (व्यवधान)......
कुंवर सौरभ सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है. (व्यवधान)......
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के 18 जिलों की 132 तहसीलों में सूखा है और कई तहसीलें ऐसी हैं, जो सूखे से प्रभावित हैं, सभी माननीय सदस्य चर्चा करना चाहते हैं, इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, आप चर्चा कल करवा लें.
श्री उमाशंकर गुप्ता- माननीय अध्यक्ष महोदय, चर्चा हो सकती है, कितने सदस्य हैं ? चर्चा हो सकती है. (व्यवधान)......
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, हम विनम्रतापूर्वक कह रहे हैं. सदस्य तो सब आ जाएंगे, आप चर्चा कल रख लें.
अध्यक्ष महोदय - अभी आप विधेयक तो हो जाने दें. आप यह चर्चा वाला विधेयक तो हो जाने दें, उसके बाद में फिर आगे ले लेंगे.
कुंवर सौरभ सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा निवेदन है कि आप चर्चा कल करवा लें. (व्यवधान)......
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, ठीक है चर्चा वाला ले लें, हम साढ़े 5 बजे तक बैठेंगे.
अध्यक्ष महोदय - अभी 5.29 हो गया है इसलिए समय तो बढ़ाना ही पड़ेगा. चर्चा वाले का मैंने नहीं बोला है, मैंने जो पढ़ा है वही बोला है. चर्चा वाला मैंने नहीं पढ़ा है. मैंने आज की कार्यसूची तक पढ़ा है. आप बैठ जाएं. माननीय मंत्री जी आप बोलें.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 'ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस' के प्रयासों को, प्रदेश के हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी के कुशल निर्देशन में बहुत प्रभावी रूप से, साकार किया जा रहा है तथा नगरीय विकास और आवास विभाग ने इस दिशा में बहुत ही प्रभावी काम भी किया है. मैं सदन को बताना चाहती हूँ कि नगरीय निकायों में भवन पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र और अधिवासित होने की जो परमिशन है, उसे देने के लिए रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट्स और इंजीनियर्स को सशक्त किये जाने के लिए दिनांक 1 नवम्बर, 2017 को अध्यादेश जारी किया गया था और आज अध्यादेश को विधेयक के रूप में पारित करने के लिए यहां सदन में चर्चा हो रही है.
अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को यह बताना चाहती हूँ कि 'ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस' के अन्तर्गत हमने न केवल उद्योग और व्यापार करने की बल्कि जो विभिन्न अनुमतियां हैं, उन्हें ऑनलाइन किया है और इन सबको लोक सेवा गारन्टी में भी शामिल किया है तथा यहां पर ऑटोमेटिक बिल्डिंग प्लान एप्रूवल सिस्टम में बिल्डिंग परमिशन प्राप्त करना अत्यन्त आसान हो गया है, यह कठिन नहीं हुआ है बल्कि यह इससे और आसान हो गया है. मैं आपको बताना चाहती हूँ कि इससे पहले तो आम नागरिकों को भवन अनुज्ञा प्राप्त करने में नगरीय निकायों के चक्कर काटने पड़ते थे, परेशानियों का सामना करना पड़ता था लेकिन अब यह ऑटोमेटिक बिल्डिंग प्लान एप्रूवल सिस्टम को लागू करके नागरिकों के लिए, जो भवन अनुज्ञा प्राप्त करने की प्रक्रिया है, हमने उस प्रक्रिया को बहुत सरल किया है. 14 नगरीय निकायों में हमने इस सिस्टम को लागू किया है और इसके तहत हमने चार साल के अन्दर 36,327 नक्शे जिनका क्षेत्रफल 7.98 करोड़ वर्ग फीट है, नागरिकों द्वारा ऑनलाइन स्वीकृत किए हैं, हमने इसमें इतना काम किया है. 14 नगर निगमों में यह सिस्टम ऑलरेडी लागू है और मैं आपको बताना चाहती हूँ कि अब जितने भी हमारे नगरीय निकाय हैं, उनमें भी हमने इसको लागू किये जाने का काम शुरू कर दिया है और जल्दी से लागू भी करेंगे. इसके साथ ही साथ सन् 2018 में प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में इसको लागू कर दिया जायेगा.
अध्यक्ष जी, ऑटोमेटिक बिल्डिंग प्लान एप्रूवल सिस्टम में अपलोड की गई हमारी मॉडल ड्रॉइंग के अनुसार, अब नागरिकों को दिक्कत नहीं होगी. रावत जी, अब उनको कोई तकलीफ नहीं होगी बल्कि वे अपना मकान मात्र बिल्डिंग की अनुज्ञा शुल्क प्रदाय करके तैयार कर लें, फिर उसकी सूचना संबंधित नगर निगम को प्रेषित कर दें, नहीं तो इसके लिए पहले उन्हें अलग-अलग अनुमतियां प्राप्त करने के लिए, इतने सारे चक्कर लगाने पड़ते थे तो हमने इसका सरलीकरण किया है और इसके साथ ही साथ, बहुत सारी ऐसी सुविधाएं हैं, जिनके बारे में मैं आपको बताना चाहती हूँ कि भवन अनुज्ञा को ऑनलाइन करके लोक सेवा गारन्टी में लाया गया है और फायर एन.ओ.सी. को ई-नगरपालिका के माध्यम से ऑनलाइन किया गया गया है तथा लोक सेवा गारन्टी में इसको अधिसूचित किया गया है. इसी प्रकार ले-आऊट एप्रूवल हैं, जैसे पेड़ काटने की अनुमति है तथा ट्रांजिट पास को ऑनलाइन किया गया है.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, यह मेरी जिज्ञासा है. मैं एक चीज समझना चाहूँगा कि भवन अनुज्ञा स्वीकृति प्रदान करने का लोक सेवा गारन्टी में भी प्रावधान किया गया है. क्या नगर निगम से रजिस्टर्ड प्रायवेट आर्किटेक्ट लोक सेवा गारन्टी के अन्तर्गत आएंगे? क्या वह कवर होगा ?
श्रीमती माया सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह जो नल कनेक्शन्स हैं, वे नल कनेक्शन्स ऑनलाइन किए गए हैं, निरीक्षण की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया है और ई-नगरपालिका के माध्यम से सभी नगरीय निकायों के कर भुगतान को भी हमने ऑनलाइन कर दिया है. सम्माननीय रामनिवास रावत जी ने पूछा है कि यह अधिकार कब दिया गया है ? यह 2014 में संशोधन करके इसको हमने लाया है और एक बार में अनुमति देने के बारे में आपने जो कहा है तो हमने पहले ही सारे नक्शे ऑनलाइन कर दिये हैं, अपलोड कर दिये हैं, उसके आधार पर इसका सरलीकरण किया है, उनके काम को सरल बनाया है. उनको जो बार बार काम के लिए चक्कर काटने में परेशानी होती थी, उसको दूर किया है, इसका मूल उद्देश्य यह है कि एक ही व्यक्ति को अलग अलग जगह जाकर चक्कर नहीं काटने पड़े, काम की अधिकता के कारण यह रजिस्टर्ड वास्तुविद् को दिया है और इसमें जनता को परेशानी नहीं होगी, बल्कि इससे उन्हें सुविधा होगी और आसानी होगी, मैं यह कहना चाह रही हूं. इसके साथ साथ मैं आपको बताना चाहती हूं कि हमारे जो ईज आफ डूइंग बिजनेस के तहत सामान्यत: हमारे देश की जो रेंकिंग है वह पहले 130 और 140 के बीच में रहती थी लेकिन अब माननीय प्रधानमंत्री जी के प्रयासों के फलस्वरूप 190 देशों में प्रथम जो 100 देश है उनमें हमारा भारत देश आ गया है. हमारा यह भी प्रयास है कि प्रदेश को भी हम ईज आफ डूइंग बिजनेस के तहत देश में उच्च रेंकिंग में लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. अभी देश में मध्यप्रदेश हमारा पांचवें स्थान पर है और हमें पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हम अपने प्रदेश को प्रथम स्थान पर इसमें लेकर आएंगे. (मेजों की थपथपाहट.......) मैं कहना चाहती हूं कि हमारे सम्मानीय विधायक गोविन्द सिंह जी ने भी कुछ सुझाव रखे हैं, कुछ जिज्ञासाएं भी इसमें उन्होंने रखी हैं. श्री यशपाल सिसौदिया जी, रामनिवास रावत जी आपने कहा है कि इनके सबके अधिकार कम कर दिए जाएंगे, हमने लोकल बॉडीज के अधिकार कम नहीं किए हैं, बल्कि उसके कामों का सरलीकरण किया है और उनको व्यवस्थित किया है, जो उनकी चिन्ता है वह चिन्ता बाजिव नहीं है. इसके साथ ही साथ मैं यह कहना चाहती हूं कि भवन अनुज्ञा का जो काम है मैं सम्माननीय विधायक जी से कहना चाहूंगी कि उद्योग लगाने के लिए भवन अनुज्ञा की अनुमति बहुत ही महत्वपूर्ण काम है इसके साथ ही साथ भवन पूर्ण करने के बाद भवन पूर्णता का प्रमाण पत्र और अधिवासित होने के प्रमाण पत्र की जो प्रक्रिया है वह भी इसका एक अंग है. आज भवन प्रमाण पत्र और अधिवासित प्रमाण पत्र प्रदान करने की जो शक्तियां हैं वह पहले नगरीय निकायों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के पास थी, लेकिन अब इसे सरल बनाने के लिए हमने वर्तमान में संशोधन विधेयक के माध्यम से यह शक्ति 300 वर्गमीटर तक के भूखंड के लिए रजिस्टर्ड वास्तुविद् और संरचना इंजीनियर को प्रदान करने का काम विधेयक के माध्यम से किया गया है. मैं पूरे सदन से आग्रह करना चाहूंगी कि यह जो हमारा आज मध्यप्रदेश नगरपालिका विधि (संशोधन) विधेयक, 2017 हमने प्रस्तुत किया है इसमें सभी हमारे पक्ष और विपक्ष के सम्माननीय सदस्यों ने भाग लिया है, उनको मैं धन्यवाद देना चाहूंगी और आग्रह करना चाहूंगी कि इस विधेयक को सर्वानुमति से पारित करने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि(संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खंडों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2, 3 तथा 4 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2, 3 तथा 4 इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्रीमती माया सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, मैं, प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि(संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि(संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि(संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017
(क्रमांक 29 सन् 2017)
अध्यक्ष महोदय--मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017.
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, साढ़े पांच बज चुके हैं. सदन का साढ़े पांच बजे तक का समय रहता है. हमारा आपसे अनुरोध है कि आप सदन को कल समाप्त करें.
अध्यक्ष महोदय--कृपया सहयोग करें.
श्री रामनिवास रावत--जी अध्यक्ष महोदय. हमारा विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि प्रदेश के 18 जिलों की 138 तहसीलों में.......
वाणिज्य उद्योग एवं रोजगार मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल)--अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय--यह निरसन विधेयक है छोटा सा विधेयक है उसको हो जाने दें.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, आपकी बात मान लेते हैं इसके आगे तो नहीं?
अध्यक्ष महोदय--इसके आगे सदन को चलाएंगे.(हंसी)
श्री रामनिवास रावत--यह तो बच्चों को जैसे लालीपॉप देते हैं कि मान जा, ऐसे आप कर रहे हैं (हंसी) आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध है कि प्रदेश के 18 जिलों की 138 तहसीलों में सूखा पड़ा है.
श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, अभी हमको बैठकर के काम करना चाहिये. विधान सभा की बैठके रात्रि 12 बजे तक भी संचालित हुई हैं.
श्री रामनिवास रावत--विधान सभा की बैठकें 8 तारीख तक के लिये हैं. हमारा विनम्रतापूर्वक अनुरोध है कि कल तक तो विधान सभा को चलाईये. ऐसे ही जल्दी जल्दी में कार्यों को निपटाना है तो अलग बात है.
श्री यादवेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, 8 तारीख तक विधान सभा है. आज तो 4 तारीख है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, चार विधेयकों पर ढाई घंटे की चर्चा है. ऐसा नहीं होना चाहिये कि हमें तो अपना कार्य निपटाना है तो कैसे भी निपटायें, इनका प्रदेश की जनता की समस्या से कोई वास्ता नहीं है. हम आपका संरक्षण चाहते हैं कि विधान सभा को कल तक चलाईये.
कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा--अध्यक्ष महोदय, कल तक के लिये विधान सभा को चलाया जाये. (व्यवधान)
श्री यादवेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, मंत्री भर ही बैठे हैं.
अध्यक्ष महोदय--विधेयक तो हो जाने दें.
श्री यादवेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, अभी पौने छः बज रहे हैं.(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--अभी लोक लेखा समिति के सभापति महोदय का पद तभी खाली पडा है उस पर भी किसी को मनोनीत करना था,उसको भी नहीं निपटाया है. माननीय अध्यक्ष महोदय प्रदेश के 18 जिलों की 138 तहसीलों में सूखा पड़ा है......
अध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017 पर विचार किया जाय.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, प्रस्ताव तो प्रस्तुत हो गया. हमारे निवेदन पर भी विचार कर लिया जाये.
अध्यक्ष महोदय--विधेयक पर तो बोलें. श्री रामनिवास रावत....
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, मैं ही खड़ा हूं.
अध्यक्ष महोदय--बोलिये ना.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, हमारे निवेदन पर भी विचार कर लिया जाए.
अध्यक्ष महोदय--पहले विधेयक हो जाने दें.यह चारों महत्वपूर्ण विधेयक हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, किसानों की चर्चा महत्वपूर्ण है उस पर आप चर्चा ही नहीं कराना चाहते हैं.
कुंवर विक्रमसिंह --अध्यक्ष महोदय, किसानों की भी बहुत ही महत्वपूर्ण चर्चा है. मेरा जिला भी सूखे से ग्रस्त है.
अध्यक्ष महोदय--विधेयक पर चर्चा तो हो जाने दें.
श्री यादवेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, पौने छः बज रहे हैं. विधान सभा साढ़े पांच बजे तक है.
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, वास्तव में आज ही विधान सभा को समाप्त करने का निर्णय ले लिया है तो हमारा समय हो गया है. आप कह दें कि विपक्ष जा सकता है हम समाप्त कर लेंगे. हमें कोई आपत्ति नहीं है. अभी हम सब लोग उठकर के चले जाते हैं.
श्री यादवेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, विधान सभा चलाने की दिनांक 8 आपने ही दी है. आप ही बदल रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, जितनी देर तक बहस हो रही है उतनी देर में तो विधेयकों पर चर्चा हो जाती.
श्री रामनिवास रावत--चर्चा करिये ना.
अध्यक्ष महोदय-- सदन देर तक भी चलता है. (व्यवधान)
श्री यादवेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, यह गलत बात है.(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, आपका यही निर्णय है. आपको प्रदेश की 18 जिलों की 138 तहसीलों में सूखे की स्थिति पर चर्चा ही नहीं कराना चाहते हैं. प्रदेश में सूखे की स्थिति पर चर्चा ही नहीं करानी है, प्रदेश के किसानों के संबंध में चर्चा नहीं करानी है. प्रदेश के किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं के बारे में चर्चा ही नहीं करानी है. (व्यवधान)
श्री यादवेन्द्र सिंह--पांच दिन से एजेण्डा आ रहा है. (व्यवधान)
श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक मांगों पर इसके संबंध में चर्चा हो भी चुकी है. (व्यवधान)
श्री यादवेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, कहां हुई है इस पर चर्चा.(व्यवधान)
श्री उमाशंकर गुप्ता--चर्चा करने से कोई इंकार नहीं कर रहा है. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--फिर कराईये ना चर्चा.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित
(5.45 बजे विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित)
विधान सभा की कार्यवाही 5.56 बजे पुन: समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, मेरा..
अध्यक्ष महोदय:- आपकी बात सुन ली है. यदि आपको विधेयक पर कुछ बोलना है तो बालें.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, आप हमें बता तो दें, 6 बजने वाले हैं. प्रदेश के 18 जिलों की 138 तहसीलों में सूखा पड़ा हुआ है.कम से कम हमें यह आश्वासन तो मिल जाये कि चर्चा करायेंगे. हम तो बैठें रहेंगे.(व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह:- अध्यक्ष महोदय, कम से कम किसानों की चिंता तो होनी चाहिये, हम क्ष्ोत्र में क्या जवाब देंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता :- आश्वासन तो दे दिया है कि हम चर्चा कराने को तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय:- बोला तो है कि कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की गई है. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत :- माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्य पूर्ण होने तक इतनी जल्दी चर्चा नहीं होती है.(व्यवधान) यदि इसी तरह से सदन को चलाना है तो (व्यवधान)
कुंवर विक्रम सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा निवेदन स्वीकार करें.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा नारेबाजी की गयी.)
5.58 बजे बहिष्कार
श्री रामनिवास रावत :- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप हमें संरक्षण दीजिए. हमारा आपसे विनम्रतापूर्वक निवेदन है.(व्यवधान) हम बहिगर्मन करते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह:- (XXX)
(नियम 139 के अधीन चर्चा को अगले दिन कराए जाने की मांग को लेकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिष्कार किया गया)
शासकीय विधि विषयक कार्य(क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री राजेन्द्र शुक्ल:- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय:- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सहायता उपक्रम (विशेष उपबंध) निरसन विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
5.59 बजे
(6) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक,2017 (क्रमांक 31 सन् 2017)
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता):- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय:- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संधोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
1. श्री रामनिवास रावत- (अनुपस्थित) 2. डॉ. गोविन्द सिंह- (अनुपस्थित)
3.श्री शैलेन्द्र पटेल (अनुपस्थित)
श्री उमाशंकर गुप्ता:- अध्यक्ष महोदय, हम केवल एक व्यवस्था कर रहे हैं कि जिस प्रकार इन दिनों भू-राजस्व के कामों को तेजी से निपटाने का अभियान चला हुआ है,उसमें एक बात ध्यान में आयी थी कि हमारे जो अपर-आयुक्त, संभागीय स्तर पर होते हैं, वहां पर बहुत काम लंबित है. अभी यह व्यवस्था थी कि हम एक या दो संभाग में एक अपर-आयुक्त रख सकते थे. अब हम यह व्यवस्था कर रहे हैं कि एक संभाग में एक से अधिक भी अपर-आयुक्त रख सकते हैं. वही संशोधन हम इस विधेयक में लेकर आये हैं.
अध्यक्ष महादेय:- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संधोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय:- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा. प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री उमाशंकर गुप्ता- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
6.01 बजे
(7) मध्यप्रदेश वृत्तिकर (संशोधन) विधेयक, 2017
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयंत मलैया)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश वृत्तिकर (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश वृत्तिकर (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए. श्री रामनिवास रावत.
श्री रामनिवास रावत- (अनुपस्थित)
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी.
श्री जयंत मलैया- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश वृत्तिकर (संशोधन) विधेयक, 2017 में जो संशोधन है, यह 1 जुलाई 2017 से जी.एस.टी. लागू होने के कारण आया है. इसके पहले वैट एक्ट के तहत तीन टियर (3-Tier) में टैक्स लगता था. पहला 10 लाख रूपये तक निल, फिर 10-50 लाख रूपये तक 2000 रूपये प्रतिवर्ष और 50 लाख से ऊपर की राशि पर 2500 रूपये प्रतिवर्ष. अब इसमें से हमने वार्षिक बिक्री को समाप्त कर दिया है. चूंकि अब प्रोफेशनल टैक्स सभी के ऊपर एक समान है और जी.एस.टी.के अंतर्गत इसकी सीमा कम से कम 20 लाख रूपये हो गई है. इसलिए अब संशोधन के बाद सभी के ऊपर एक समान टैक्स, हर रजिस्टर्ड डीलर पर 2500 रूपये प्रतिवर्ष की दर से लगेगा.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश वृत्तिकर (संशोधन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है खण्ड 2 से 7 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 7 इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जयंत मलैया- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश वृत्तिकर (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश वृत्तिकर (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश वृत्तिकर (संशोधन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
6.03 बजे
(8) मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017
राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक कैलाश जोशी)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए. श्री शैलेन्द्र पटैल.
श्री शैलेन्द्र पटेल- (अनुपस्थित).
अध्यक्ष महोदय- श्री शैलेन्द्र जैन.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017 का समर्थन करता हूं और माननीय मंत्री महोदय एवं सरकार को इस बात के लिए बधाई देना चाहता हूं कि इस प्रदेश के हजारों-लाखों अभिभावकों के हितों और विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है. निजी विद्यालयों में अभी तक फीस नियमन की व्यवस्था नहीं थी, इसके लिए कुछ निर्देश जारी किए गए थे परंतु वे निर्देश नाकाफी थे, और माननीय हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने इसके संबंध में जो निर्देश दिए थे उन सारे विचारों को ध्यान में रखते हुए माननीय मंत्री महोदय के द्वारा जो विधेयक लाया गया है उससे निश्चित रूप से हमारे अभिभावकों का संरक्षण होगा और जो निजी विद्यालय इस तरह का शोषण कर रहे थे उनकी शिक्षा के व्यावसायीकरण की एक प्रवृत्ति थी उस पर अंकुश लगेगा. मैं पूरे सदन से अनुरोध करता हूं कि इसको सर्वसम्मति से पारित किया जाए.
डॉ. गोविन्द सिंह -- (अनुपस्थित)
श्री रामप्यारे कुलस्ते (निवास)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) संबंधित विधेयक माननीय मंत्री जी सदन में लेकर आए हैं मैं इसका समर्थन करता हूं इसलिए कि सचमुच में शिक्षा आज की महती आवश्यकता है और शिक्षा के नाम पर जिस तरह से निजी विद्यालयों के द्वारा मनमानी फीस वसूली का जो क्रम होता था जिससे अभिभावक बहुत परेशान रहते थे और लगता था कि सचमुच में शासन का नियंत्रण इसमें नहीं हो पा रहा है इस तरह की उंगलियां भी इसमें उठती थीं परंतु इस विधेयक के माध्यम से जो व्यवस्थाएं इसमें की गई हैं उससे प्रदेश में और अभिभावकों में नई ऊर्जा और नई चेतना की जागृति आई है और इससे हर बच्चे को एक अच्छी शिक्षा की जो संकल्पना राज्य सरकार की है, गुणात्मक शिक्षा की जो संकल्पना है, वह शिक्षा भी हमारे प्रदेश के बच्चों को मिल पाएगी. इस विधेयक के माध्यम से सारे उन पहलुओं पर भी ध्यान रखा गया है कि प्राईवेट विद्यालय तो चलें परंतु इसमें किस तरह के लागू होना चाहिए, समय-समय पर किसका इस पर नियंत्रण होना चाहिए. हर जिला स्तर पर इसकी एक समिति बनी है वह समिति इसको निरंतर मॉनिटरिंग करने का काम करेगी. अगर हमारी इस तरह की ये संस्थाएं जिला स्तर की कमेटी से भी संतुष्ट नहीं होती तो राज्य स्तर पर उसकी अलग से एक कमेटी बनी हुई है और वहां से भी निगरानी करने की व्यवस्था की गई है. इस तरह से कहीं कोई ऐसी गुंजाईश नहीं है कि इसमें कहीं कोई गड़बड़ी हो या शंकायें-कुशंकायें हों. इस तरह से सारी पारदर्शिता के तहत और नियमसम्मत है. हमारे सरकारी विद्यालय के साथ प्रदेश में प्राईवेट विद्यालय भी संचालित हों, बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके ऐसा प्रयास इस विधेयक के माध्यम से किया गया है इसीलिए मैं इस विधेयक का समर्थन करते हुए, सदन से आग्रह करता हूं कि इस विधेयक को सर्वानुमति से पास करने की सहमति प्रदान करें. आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत -- (अनुपस्थित)
श्री दीपक कैलाश जोशी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकतांत्रिक व्यवस्था में रोटी, कपड़ा, मकान बुनियादी आवश्यकताएं प्रतिपादित की गईं थीं लेकिन विचारधाराओं के परिवर्तन के साथ पंडित दीनदयाल के अंत्योदय को जब मध्यप्रदेश की सरकार ने अपने साथ जोड़ा तो रोटी, कपड़ा, मकान के अलावा पढ़ाई-लिखाई, दवाई का इंतजाम सरकार की पहली प्राथमिकता रही है और इसको दृष्टिगत रखते हुए सरकार ने शिक्षा की व्यवस्थाओं में लगातार गुणवत्ता और सुधार की दृष्टि से बहुत से काम किए लेकिन निजी विद्यालयों पर अंकुश लगाने का कोई भी कानूनी प्रावधान पूर्व के मध्यप्रदेश शासन में नहीं था इसको दृष्टिगत रखते हुए तथा अभिभावकों की लगातार शिकायतें आ रही थीं कि अनाप-शनाप फीस वृद्धि हो रही है, फीस के साथ एक्टिविटी के नाम पर काफी शुल्क वसूला जाता है. इस कारण से मध्यप्रदेश की सरकार ने विचार करते हुए शिक्षाविदों को, निजी विद्यालय के संचालकों को और अभिभावकों को लगातार संपर्क करके एक ड्राफ्ट तैयार किया. ड्राफ्ट को तैयार करने के बाद पूरे विचार-विमर्श करने के साथ पास के राज्यों में जहां पर फीस को नियंत्रित करने का कानून है. उसका अध्ययन करते हुए मध्यप्रदेश के लिए एक कानून हमारे द्वारा लाया जा रहा है. जिसमें शिक्षा से जुड़े हुए सारे पहलुओं को समाहित करते हुए. उन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए इस विधेयक को मध्यप्रदेश को सौंपने का प्रयास किया है. अभिभावकों की लगातार शिकायतें आती थीं. इसमें सब बातों को समाहित किया गया है जैसे शिक्षण शुल्क, वाचनालय शुल्क, खेल फीस, प्रयोगशाला फीस, कम्प्यूटर फीस, कॉशन मनी, परीक्षा फीस, अनेक अवसरों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की फीस जैसे राष्ट्रीय पर्व, वार्षिक उत्सव, खेलकूद स्पर्धा, प्रवेश फीस, पंजीकरण विवरण पत्रिका, प्रवेश आवेदन प्रारुप के लिए फीस, कोई अन्य राशि जो छात्रों से मांगी जा रही हो या छात्रों से देय अन्य राशि जो सरकार द्वारा निहित की गई है. इन सबको दृष्टिगत रखा गया है ताकि निजी विद्यालयों के संचालन में कठिनाई नहीं आए. इस बात को दृष्टिगत रखते हुए आय और व्यय के आधार पर इनकी फीस के निर्धारण का काम हमने किया है. मैं मानता हूँ कि मध्यप्रदेश के जन्म से लेकर आज तक किसी प्रकार के नियंत्रण का कानून मध्यप्रदेश में नहीं था लेकिन इस कानून के आने के बाद हम निजी विद्यालयों की फीस को नियंत्रित करने का अधिकार लेकर शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार को निरंतर बढ़ाने का प्रयास करेंगे. मैं सदन से अपील करता हूँ कि इस विधेयक को सर्वानुमति से पास किया जाए.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय--अब, विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 19 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 19 इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री दीपक कैलाश जोशी--अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक, 2017 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
6.11 बजे नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा
अल्पवर्षा से फसलों के नष्ट होने विषयक.
अध्यक्ष महोदय--अल्पवर्षा से फसलों के नष्ट होने, कृषि उत्पादों का समुचित मूल्य न मिलने, कृषि मजदूरों के पलायन आदि के कारण कृषि एवं कृषकों पर प्रतिकूल प्रभाव से उत्पन्न स्थिति के संबंध में माननीय सदस्यों से स्थगन, ध्यानाकर्षण, शून्यकाल एवं नियम-139 के अंतर्गत अनेक सूचनाएं प्राप्त हुई हैं. विषय की गंभीरता एवं माननीय सदस्यों के अनुरोध को देखते हुए इन सूचनाओं को समामेलित करते हुए नियम-139 के अंतर्गत इन एकजाई विषयों पर चर्चा कराने का निर्णय लिया गया है.
मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
डॉ. गोविन्द सिंह --(अनुपस्थित)
श्री रामनिवास रावत--(अनुपस्थित)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- (अनुपस्थित)
श्री आरिफ अकील --(अनुपस्थित)
श्री बाला बच्चन --(अनुपस्थित)
श्री के.डी.देशमुख (कटंगी)--अध्यक्ष महोदय, मैं इस चर्चा में भाग ले रहा हूँ. बालाघाट जिला मध्यप्रदेश में एक ऐसा जिला है जो सबसे ज्यादा धान उत्पादित करता है. धान की फसल उत्पादित करने के लिए पानी की नितांत आवश्यकता पड़ती है. एक फसल को छोड़कर धान की फसल को छोड़कर बालाघाट जिले में दूसरी फसल नहीं होती है.लोग थोड़ी बहुत गेहूं की फसल पैदा करते हैं वह भी नहीं के बराबर. हमारे यहां जून और जुलाई में वर्षा ऋतु में वर्षा नहीं हुई, अल्पवर्षा हुई. बालाघाट जिले में खासतौर से कटंगी विधान सभा क्षेत्र, कटंगी तहसील, तिरोड़ी तहसील, खैरलांजी तहसील में कम वर्षा हुई है. कम वर्षा होने से धान की रोपाई नहीं कर पाये और ऐसा कोई गाँव नहीं बचा जिसमें रोपाई पूरी हुई हो. हर गाँव में दो-दो सौ एकड़, तीन-तीन सौ एकड़ जमीन की रोपाई नहीं हो पाई है. जहाँ सिंचाई का साधन था वहाँ लोगों ने कुँए से, नदी-नाले से जुगाड़ करके खेतों में पानी पहुँचाया और वहाँ फसल हुई लेकिन अच्छी फसल आने के बाद प्रकृति की ऐसी मार पड़ी कि धान की फसल को बीमारी हो गई, एक बीमारी होती है करपा,माहो और ब्लास्ट, यह ऐसी बीमारी है कि एक रात में पूरी पचास-पचास, सौ-सौ एकड़ जमीन में धान को गिरा देती है. इसको कहते हैं करपा,माहो और ब्लास्ट.पूरी पकी हुई फसल इसके कारण नष्ट हो गई. पूरे बालाघाट जिले में लालबर्रा क्षेत्र, कटंगी क्षेत्र, तिरोड़ी क्षेत्र, खैरलांजी क्षेत्र, लांजी क्षेत्र, परसवाड़ा क्षेत्र में जगह-जगह सौ-सौ, दो-दो सौ एकड़ रकबे में पूरी फसल नष्ट हो गई है. आज की स्थिति में वहाँ हाहाकार मचा हुआ है. हमारे पास कोई दूसरा चारा नहीं बचा है. अब हम अगले साल फसल लगाएंगे, जब जुलाई में फसल लगाएंगे तो नवंबर में धान-चाँवल खाने मिलेगा हमारे पास कोई चारा नहीं है कि हम दूसरी फसल लगा कर अपना उदर-पोषण कर सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बालाघाट जिले में हाहाकार मचा हुआ है. हमारे यहाँ का किसान दुखी है. हम पर तरह-तरह के आरोप लग रहे हैं कि आप बोलते क्यों नहीं हो, आप मुख्यमंत्री से क्यों नहीं कहते, आप कृषि मंत्री से क्यों नहीं कहते, आप राजस्व मंत्री से क्यों नहीं कहते. मैं सबके पास गया. मैं आठ दिन से घूम रहा हूँ. मैंने मुख्यमंत्री जी से भी कहा, प्रमुख सचिव महोदय से मैंने बोला है, मैंने कृषि मंत्री, राजस्व मंत्री जी से भी कहा है. मैंने शरद जैन जी से भी कहा है कि भाई, हम संकट में है और बालाघाट जिले का किसान संकट में है आप कोई-न-कोई मदद ऐसे बुरे वक्त पर हमारी कीजिये. हमारे क्षेत्र के, पूरे जिले के किसान बोल रहे हैं कि सूखाग्रस्त घोषित करो.वह सही कह रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने सन् 1965 में सूखा देखा है, मैं तब जबलपुर में कॉलेज में पढ़ता था. एक सूखा दो-तीन साल पर जाता है और किसान की घर-गृहस्थी चरमरा जाती है. आदमी कुछ नहीं कर पाता है. अध्यक्ष महोदय, ऐसी परिस्थितियों में सूखाग्रस्त घोषित करना बहुत जरूरी है. हमारे जिले की जनता आंदोलित है. अभी चार दिन पहले मेरे विधानसभा क्षेत्र में (XXX) इस प्रकार से किया, जनता में इतना आक्रोश है.
अध्यक्ष महोदय-- पुतले वाली बात रिकार्ड में नहीं आएगी.
श्री के.डी.देशमुख-- अध्यक्ष महोदय, ऐसी परिस्थतियों में सूखाग्रस्त घोषित ना होना? अब मुझे बता रहे हैं कि सूखाग्रस्त घोषित होना केंद्र सरकार से होता है. मुझे विधायक रहते हुए बहुत लंबा समय हो गया है. मैंने कभी ऐसा देखा नहीं कि केंद्र सरकार से सूखा की लिस्ट आती हो. हो सकता है अब आती होगी पर मैंने भी अपने जीवन में तीन सूखे देखे हैं सन् 1975,1972 और सन् 1978.मैं यहाँ पर हक्का-बक्का रह गया हूँ. मैं आठ दिन से घूम रहा हूँ. मैं सबके पास गया कि इसके लिए येन केन प्रकारेण कुछ न कुछ करिये. यह कह रहे हैं कि 14 जिले हमने भेजे थे. 4 जिले आ गये. कोई परफेक्ट जानकारी नहीं दे रहा है. हम विधायक हैं हमको जानकारी नहीं दे रहे हैं तो जनता को क्या देंगे. जनता कहती है कि आप जाओ सूखाग्रस्त घोषित करवाओ. हम गौरीशंकर जी के पास जाते हैं, हम जा-जा कर परेशान हो गये हैं. आखिर क्या बात है भाई, कौनसे केन्द्र सरकार के नार्म्स हैं, केंद्र सरकार भी तो हमारी ही है. गाँव के लोग कहते हैं कि केंद्र सरकारी भी तुम्हारी, पंच से लेकर केंद्र तक सब हमारी सरकार है तो कौनसा कानून आड़े आ रहा है यह हमको समझ नहीं आ रहा है. हमने यहाँ पर कहा कि फसल बीमा दे दो. किसानों ने सोसायटी में फसल बीमा की राशि जमा कर दी. हमारी सरकार ने एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी,भोपाल को बीमा का काम दिया है. हम यह चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी बीमा हो जाये और किसानों को कुछ तो पैसा मिल जाये. किसानों के पास एक इंजेक्शन लगाने का पैसा नहीं है यह स्थिति में वह आ गये हैं. अध्यक्ष महोदय, आप पता लगा लीजिये, आपके तो रिश्तेदार हैं बालाघाट जिले से, आप तो बालाघाट जिले की धरती से परिचित हैं वहाँ का अन्न-जल आपने खाया है. धान उत्पादन करने वाला बालाघाट जिला आज एक-एक चावल के दाने के लिए मोहताज हो गया है, क्या करेंगे ? किसानों ने अभी यह जो केसीसी बनाया, सहकारी सोसायटियों से किसानों ने सोडा (खाद) लिया. किसानों ने केसीसी लिया है किसान अब केसीसी नहीं पटा सकता. केसीसी कहां से पटाएगा ? उनके पास कुछ भी नहीं है. बैंक में केसीसी पटाने की 31 मार्च आखिरी तारीख है. किसान केसीसी नहीं पटाएगा, तो वह डिफाल्टर बन जाएगा. अब 3 प्रतिशत ब्याज लगेगा और 12 प्रतिशत अलग से लगेगा, किसान मर गया, वह अब तो इस साल पटा ही नहीं सकता और अगले साल भी वह खेती नहीं कर सकता. इस साल का
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
किसान अगली बार सोसायटी से सोडा (खाद) नहीं उठा सकता, क्योंकि वह डिफाल्टर हो गया. इसीलिए बालाघाट जिले की जनता कहती है कि आप सूखाग्रस्त घोषित कर दो. इस साल का हम पर जो कर्जा है वह हम अगले साल पटाएंगे. जैसा कहोगे, वे लोग वैसा ब्याज देंगे. मगर इस साल के कर्जे से हमको छूट दिला दो ताकि हमारे बाल-बच्चे चैन से रह सकें, यह स्थिति है. यह अगले साल पर चला जाएगा. सरकार ब्याज लेगी तो देंगे, नहीं लेगी तो नहीं देंगे, परंतु वसूली स्थगित की जाए. अब सोसायटी से लाल पर्चे, अब देखो जले पर नमक कैसा होता है, लाल पर्चे शुरु हो गए, इधर मेरा भाषण चल ही रहा है मैं भोपाल आया हॅूं लेकिन ठहरो तो, मुझे आने तो दो वहां से, बोले नहीं लाल पर्चे आ गए. लाल पर्चे का मतलब यह है कि सोसायटी वाले अब किसानों के घर में जाने लग गए. किसान को कहते हैं कि निकालो. यह स्थिति आ गई है. हमारी सरकार कहती है कि हम किसानों की मदद कर रहे हैं किसानों के बुरे वक्त में हम किसानों के साथ खडे़ हैं तो वही बात उलट करके लोग कहते हैं कि हमारी सरकार ने तो ऐसा कहा, हमारे मंत्री जी ने ऐसा कहा और फसल बीमा योजना के समय में चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे, सेटेलाइट से होगा और उसका पिक्चर आएगा. परहा (रोपाई) लगाते रहेगा, उसका भी पिक्चर आएगा. फसल बीमा योजना से कोई किसान वंचित नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय, आज हमारी केन्द्र सरकार की इज्जत खराब हो रही है और हमारी राज्य सरकार की भी इज्जत खराब हो रही है. हम कहां जाएं ? लोग कहते हैं कि आप आकर देखिए. आप विधानसभा से आकर हमारे गांव में आइए और आकर देखिए. अध्यक्ष महोदय, वास्तव में ऐसी स्थिति बन गई है. मैं बढ़ा-चढ़ाकर बात नहीं कर रहा हॅूं. मैंने इस बात को माननीय मंत्री जी से, विधायक दल की बैठक में वन-टू-वन में विस्तार से अपनी बात कही है. मैं सदन के माध्यम से यह चाहता हॅूं कि यहां पर माननीय राजस्व मंत्री जी बैठे हैं, माननीय किसान कल्याण विकास मंत्री जी बैठे हैं, माननीय मुख्यमंत्री जी चले गए. हम आज भी उनसे मिले हैं. अध्यक्ष महोदय, हम चिन्तित हैं. अपने किसी भी कोष से केन्द्र सरकार सहायता नहीं देती है. इसे सूखाग्रस्त घोषित किया जाए. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय में मैं चर्चा करने के लिए खड़ा हुआ हॅूं. जिस तरीके से बालाघाट जिले के विधायक महोदय श्री के.डी.देशमुख जी ने बताया है कि सत्ता पक्ष के होने के बाद भी उन्होंने जो सत्यता सामने लायी है उससे भी बद्तर स्थिति मेरे विधानसभा क्षेत्र सिवनी जिले की है, वहां अल्पवर्षा हुई है. कहीं न कहीं ऐसी टेक्निकल बातें सामने आ रही हैं जब किसान को पानी की जरुरत थी, उस समय वर्षा नहीं हुई, जब फसल सूख गई, तब बारिश हुई तो उसको मान लिया गया कि समान वर्षा के लगभग-लगभग बारिश हो गई है लेकिन उससे किसानों का कहीं हित नहीं हुआ है. सूखा की स्थिति है जो स्थिति बालाघाट की है वह हमारे सिवनी विधानसभा क्षेत्र की भी स्थिति है. मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है स्वयं कृषि मंत्री जी हमारे क्षेत्र में घूमे हैं. पौने तीन सौ गांव मैं विधानसभा आने के पहले घूमा हॅूं. उनका कहना है कि इस बार की जो भावांतर योजना है आपने बनायी बहुत शानदार, लेकिन इसमें थोड़ी-सा सुधार हो जाए. आप किसान को मंडी तक न जाने देते, 235 रुपए जो उनका हक बन रहा था, वह आप उनके एकाउंट में दे देते. मंडी में तीन-तीन, चार-चार दिन किसान पड़ा रहता है, धक्के खाता है, वास्तव में उसमें 435 रुपए होना था. 800-900 रुपए से ऊपर हमारा कोई भी व्यापारी नहीं खरीद रहा है और 43 क्विंटल कौन-सा मापदंड है बाजू में हमारा छिंदवाड़ा जिला है वहां 47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मक्का ले रहे हैं. हमारे यहां के किसानों ने 25 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ बोया है. उपज निकाली है. कम से कम 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अगर आप लेते तो उनको कुछ तो लाभ होता. इसी प्रकार धान की बोवनी हुई है धान काफी मात्रा में इस बार किसानों ने लगाया है लेकिन अल्पवर्षा के कारण खराब हुई है लेकिन जो मिला है जो धान है उसके जो शासकीय रेट हैं आप जो खरीदी कर रहे हैं वह बहुत कम है उसमें शासन बोनस की व्यवस्था करे. मेरा आपसे आग्रह है कि अभी सिवनी को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए मैं पुन: आग्रह करता हूँ. हमारा ड्राई एरिया है जहां पर जल स्रोत नहीं हैं. आज जब मेरा प्रश्न था तो उसमें माननीय राजस्व मंत्री जी ने स्वीकार किया था कि बालाघाट जिले में 45 प्रतिशत पानी गया है और मैं बोल रहा था कि पानी गया है मगर माननीय कृषि मंत्री जी कह रहे थे कि एक इंच पानी नहीं गया है. मैंने अकेले ने नहीं कहा है, माननीय मंत्री ने भी इसका उत्तर सामने दिया है क्योंकि आपने अगर नहर बनाई है तो आप उस नहर को सूखे वाले एरिया में अगर ले जाएंगे तभी तो वह किसान के हित में होगा, मेरा आग्रह है कि अगर आने वाले समय में आप ऐसा कोई कार्य करते हैं तो कम से कम उनके छोटे-छोटे तालाब जो भर नहीं पाते, उनके लिए उस नहर को वहां तक पहुँचाएं, ड्राई एरिए तक पहुँचाएं जिससे उस क्षेत्र को हम सिंचित कर सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे किसान कर्ज से डूबे हुए हैं. मैं सरकार से कर्ज माफी के लिए आग्रह करता हूँ. इस साल जो स्थिति है उसके लिए आप कर्ज माफ करें. बिजली बिल तो बिल्कुल माफ कर दें, वोल्टेज नहीं मिल पा रहा है, अधिक लोड पड़ने के कारण वहां पर किसान की मोटरें लगातार जल रही हैं क्योंकि आप ट्रांसफार्मर बढ़ाते नहीं हैं. अध्यक्ष महोदय, फिर बैंकों की बात आई, तो एनओसी के बारे में मेरा कहना है कि सहकारी बैंक वाले कहते हैं कि सोसायटी की एनओसी लेकर आओ, किसान दिन भर चक्कर काट रहा है, परेशान हो रहा है और उनको पर्याप्त लोन न मिलने के कारण आने वाली पहली फसल खराब हुई है और दूसरी फसल आने की कोई उम्मीद नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय कृषि मंत्री जी का क्षेत्र मेरे क्षेत्र से लगा हुआ है. उनसे मेरा विनम्र आग्रह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र और सिवनी जिले को सूखाग्रस्त घोषित करें और सरकार की जो तमाम सुविधाएं आप दे सकते हैं, दें. मक्का को 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर करने के लिए मैं मांग करता हूँ और 235 रुपये बोनस की जगह 435 रुपये बोनस करें. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शिवनारायण सिंह (बांधवगढ़) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अल्प वर्षा के कारण उमरिया जिले में भी फसलों की नुकसानी हुई है. उमरिया जिला एक छोटा सा जिला है, इस जिले में दो विधान सभा क्षेत्र हैं, एक मानपुर और एक बांधवगढ़. मैं बांधवगढ़ विधान सभा क्षेत्र से आता हूँ. मैं अवगत कराना चाहता हूँ कि मानपुर विधान सभा क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है लेकिन बांधवगढ़ को छोड़ दिया गया है. पता नहीं किस तरह का मूल्यांकन हुआ है कि बांधवगढ़ तहसील को छोड़ दिया गया है और मानपुर तहसील को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि बांधवगढ़ तहसील को भी सूखाग्रस्त घोषित किया जाए. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल (वारासिवनी) -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ. माननीय अध्यक्ष महोदय, असत्य बोलना पाप है और चार वर्षों में हमने कभी नहीं कहा कि हमारी वारासिवनी, कटंगी, बालाघाट क्षेत्र को कीटाणु खा गया, माहो खा गया, कहीं रिकार्ड नहीं है. लेकिन इस बार मजबूरी में गुहार लगानी पड़ रही है, चूँकि ऐसी विडंबना हुई कि किसान शाम को जब अपने खेत में था तो वह अपनी फसल को देखकर नाच रहा था, लेकिन जब वह सुबह अपने खेत में पहुँचा तो कीटाणु उसकी फसल खा चुके थे, उसको देखकर उसके आंसू नहीं रुके. सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेकर बालाघाट जिले की वारासिवनी, कटंगी, तिरोड़ी, खैरलांजी, इन सभी तहसीलों में मैं चाहता हूँ कि किसानों पर दया करनी चाहिए. यह जो आपकी दया होगी, यह शायद किसानों के आंसू पोंछेगी, किसान खुश हो जाएगा. अभी के.डी. भाऊ बोल रहे थे कि इंजेक्शन के लिए पैसे नहीं है, इंजेक्शन के लिए तो सरकार ने बहुत से पैसे दे दिए लेकिन दैनन्दिनी कार्यों के लिए जो जरूरत है, जो उसको चाहिए, जो उसकी और आवश्यकताएं हैं, बच्चों को शिक्षा के लिए, कपड़ों के लिए, विवाह के लिए, फलदान की बारात के लिए, यह सब किसान कैसे निकालेगा. यह असंभव सा है, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि कहीं न कहीं हमारे बालाघाट जिले की वारासिवनी, कटंगी, खैरलांजी, तिरोड़ी, इन तहसीलों के किसानों के आंसू पोंछे. धन्यवाद. भारत माता की जय.
श्री रणजीत सिंह गुणवान (आष्टा) -- अध्यक्ष महोदय, फसलों के नष्ट होने पर जो चर्चा कराई जा रही है, हकीकत में हमारे क्षेत्र सीहोर जिले में बारिश नहीं हुई, लेकिन यह जोड़ लिया है कि वहां बारिश हुई है. जबकि खेत में या जमीन पर पानी का जरा सा डोबना भी नहीं भरा, पानी बहना तो अलग बात है. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से और सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे सीहोर जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाये. आष्टा विधानसभा क्षेत्र में दो तहसीलें हैं आष्टा और जावर. लेकिन हमारा जिला सूखा ग्रस्त घोषित नहीं किया गया है. अत: ज्यादा न बोलते हुये मेरा आग्रह यही है कि हमारे आष्टा विधानसभा क्षेत्र को भी सूखाग्रस्त घोषित किया जाये. आपने बोलने के लिये समय दिया, धन्यवाद.
श्री अनिल फिरोजिया (तराना) -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से सबसे पहले माननीय मुख्यमंत्री जी और कृषि मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा जिन्होंने भावान्तर योजना के अंतर्गत किसानों को राहत देने का काम किया. लेकिन उसके साथ-साथ विडम्बना यह है कि माननीय मुख्यमंत्री जी और मध्यप्रदेश सरकार एक कदम बढ़ती है तो प्रकृति दो कदम आगे चली जाती है. पहले प्याज में 8 रुपये किलो का भाव दिया और अब भावान्तर योजना में भी दे दिया, लेकिन बारिश ने इस बार फिर से किसान को मार दिया. मालवांचल में भी कम बारिश हुई है. हमारा उज्जैन जिला चाहे वह तराना हो, महिदपुर हो, बड़नगर हो, हमारे यहां कम बारिश हुई है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि कम बारिश को ध्यान में रखते हुये उज्जैन जिले को सूखाग्रस्त घोषित करें. हमने कलेक्टर के मार्फत शासन को लेटर भी दिया है. आपके माध्यम से निवेदन है कि माननीय मंत्री जी गंभीरता से इस पर विचार करके उज्जैन जिले को सूखाग्रस्त घोषित करें.
श्री मंगल सिंह धुर्वे (घोड़ाडोंगरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र घोड़ाडोंगरी के अंतर्गत घोड़ाडोंगरी जनपद, शाहपुर और चिचौली हैं, जिनमें बारिश बहुत कम हुई है. वहां पर मक्का, धान और सोयाबीन भी नहीं हुआ है. आखिरी में फसल कटने के बाद बारिश ने गेच मिला दिया है. वहां के कलेक्टर से बात हुई तो वह बोले कि आंकडे पूरे हैं. लेकिन यह फसल कटने के बाद हुआ है. तो मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि मेरे क्षेत्र को भी सूखाग्रस्त घोषित करने का कष्ट करेंगे. धन्यवाद.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 139 की चर्चा अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस चर्चा में मैं एक बात कहना चाहता हूं कि भारत सरकार और राज्य सरकार ने सूखाग्रस्त घोषित करने के मानदण्डों की समीक्षा की है. उसके बाद 18 जिलों की 133 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है. इसी के साथ-साथ कीट प्रकोप से जहां पर फसलें प्रभावित हुई हैं वहां के सभी कलेक्टरों को यह कहा गया है कि 50 प्रतिशत से अधिक फसल का यदि क्रॉप कटिंग एक्सपेरीमेंट में उत्पादन नहीं आएगा तो उस क्षेत्र को अधिसूचित करें. अधिसूचित करने से वहां पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिल सकेगा. इसी के साथ-साथ आरबीसी 6(4) के प्रावधान स्वमेव लागू हो जाएंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि हमने इसके साथ-साथ रबी में बीजों की बुवाई समय पर हो सके और जो हमारा एरिया निर्धारित है उसको कव्हर कर सकें इसकी भी चिंता की है. जहां 118 लाख हैक्टेयर में बोनी होनी थी अभी हमने 75 लाख हैक्टेयर में बोनी कर ली और बाकी में भी हमारी बोनी चल रही है. इसी के साथ-साथ हमने खाद, बीज का भी पर्याप्त प्रबंधन किया है.
श्री रणजीत सिंह गुणवान (आष्टा) -- अध्यक्ष महोदय, फसलों के नष्ट होने पर जो चर्चा कराई जा रही है, हकीकत में हमारे क्षेत्र सीहोर जिले में बारिश नहीं हुई, लेकिन यह जोड़ लिया है कि वहां बारिश हुई है. जबकि खेत में या जमीन पर पानी का जरा सा डोबना भी नहीं भरा, पानी बहना तो अलग बात है. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से और सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे सीहोर जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाये. आष्टा विधानसभा क्षेत्र में दो तहसीलें हैं आष्टा और जावर. लेकिन हमारा जिला सूखा ग्रस्त घोषित नहीं किया गया है. अत: ज्यादा न बोलते हुये मेरा आग्रह यही है कि हमारे आष्टा विधानसभा क्षेत्र को भी सूखाग्रस्त घोषित किया जाये. आपने बोलने के लिये समय दिया, धन्यवाद.
श्री अनिल फिरोजिया (तराना) -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से सबसे पहले माननीय मुख्यमंत्री जी और कृषि मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा जिन्होंने भावान्तर योजना के अंतर्गत किसानों को राहत देने का काम किया. लेकिन उसके साथ-साथ विडम्बना यह है कि माननीय मुख्यमंत्री जी और मध्यप्रदेश सरकार एक कदम बढ़ती है तो प्रकृति दो कदम आगे चली जाती है. पहले प्याज में 8 रुपये किलो का भाव दिया और अब भावान्तर योजना में भी दे दिया, लेकिन बारिश ने इस बार फिर से किसान को मार दिया. मालवांचल में भी कम बारिश हुई है. हमारा उज्जैन जिला चाहे वह तराना हो, महिदपुर हो, बड़नगर हो, हमारे यहां कम बारिश हुई है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि कम बारिश को ध्यान में रखते हुये उज्जैन जिले को सूखाग्रस्त घोषित करें. हमने कलेक्टर के मार्फत शासन को लेटर भी दिया है. आपके माध्यम से निवेदन है कि माननीय मंत्री जी गंभीरता से इस पर विचार करके उज्जैन जिले को सूखाग्रस्त घोषित करें.
श्री मंगल सिंह धुर्वे (घोड़ाडोंगरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र घोड़ाडोंगरी के अंतर्गत घोड़ाडोंगरी जनपद, शाहपुर और चिचौली हैं, जिनमें बारिश बहुत कम हुई है. वहां पर मक्का, धान और सोयाबीन भी नहीं हुआ है. आखिरी में फसल कटने के बाद बारिश ने गेच मिला दिया है. वहां के कलेक्टर से बात हुई तो वह बोले कि आंकडे पूरे हैं. लेकिन यह फसल कटने के बाद हुआ है. तो मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि मेरे क्षेत्र को भी सूखाग्रस्त घोषित करने का कष्ट करेंगे. धन्यवाद.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 139 की चर्चा अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस चर्चा में मैं एक बात कहना चाहता हूं कि भारत सरकार और राज्य सरकार ने सूखाग्रस्त घोषित करने के मानदण्डों की समीक्षा की है. उसके बाद 18 जिलों की 133 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है. इसी के साथ-साथ कीट प्रकोप से जहां पर फसलें प्रभावित हुई हैं वहां के सभी कलेक्टरों को यह कहा गया है कि 50 प्रतिशत से अधिक फसल का यदि क्रॉप कटिंग एक्सपेरीमेंट में उत्पादन नहीं आएगा तो उस क्षेत्र को अधिसूचित करें. अधिसूचित करने से वहां पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिल सकेगा. इसी के साथ-साथ आरबीसी 6(4) के प्रावधान स्वमेव लागू हो जाएंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि हमने इसके साथ-साथ रबी में बीजों की बुवाई समय पर हो सके और जो हमारा एरिया निर्धारित है उसको कव्हर कर सकें इसकी भी चिंता की है. जहां 118 लाख हैक्टेयर में बोनी होनी थी अभी हमने 75 लाख हैक्टेयर में बोनी कर ली और बाकी में भी हमारी बोनी चल रही है. इसी के साथ-साथ हमने खाद, बीज का भी पर्याप्त प्रबंधन किया है. यही नहीं जब मध्यप्रदेश में कीट प्रकोप आया तो संभाग एवं जिला स्तर पर हमने कृषि विज्ञान केंद्र के साइंटिस्ट्स का दल बनाकर के किसानों को सलाह दी गई कि कौन सी दवाएं डालें और किस दवा के डालने से क्या फायदा होगा.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने मुख्यमंत्री भावान्तर भुगतान योजना मध्यप्रदेश में लागू करके मध्यप्रदेश के किसानों के लिये सुरक्षा कवच का काम किया है. मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं कि हमारे 3 दिसम्बर, 2017 तक, यानि कल तक 18 लाख 30 हजार 858 किसानों ने पंजीयन किया और अभी छिंदवाड़ा के पोर्टल की जानकारी नहीं आई है, क्योंकि उसमें उस समय में साफ्टवेयर में कुछ प्रॉबलम आ गई थी, अभी उनका मेनुअल रिकार्ड ले लिया गया है, कुछ संख्या इसमें और बढ़ेगी. 16 से 31 अक्टूबर,2017 तक हमने 129 करोड़ 40 लाख रुपये का भुगतान किसानों का किया है. किसानों की मांग को दृष्टिगत रखते हुए मैं बताना चाहूंगा कि सोयाबीन के विक्रय की समायवधि को 16 अक्टूबर से 31 दिसम्बर,2017 तक रखा गया है और मक्का के लिये 16 अक्टूबर से 31 जनवरी,2018 तक रखा गया है. शेष मूंग, मूंगफली, तिल, रामतिल, उड़द है, इसके लिये 16 अक्टूबर से 15 दिसम्बर,2017 तक तथा तुअर के लिये 1 फरवरी से 30 अप्रैल,2018 तक का समय रखा है. यही नहीं मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि 4 हजार करोड़ रुपये का भावान्तर भुगतान योजना के लिये अनुपूरक बजट में प्रावधान किया है. जहां तक 16 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर,2017 तक जो मॉडल रेट थे, उसमें जो मॉडल रेट आये, उसकी भी मैं इस सदन को जानकारी देना चाहूंगा. सोयाबीन 2580, समर्थन मूल्य 3050, उड़द 3000 समर्थन मूल्य 5400, मक्का 1190 समर्थन मूल्य 1425, मूंग 4120 समर्थन मूल्य 5575, मूंगफली 3720 समर्थन मूल्य 4450, तिल 4440 समर्थन मूल्य 5300. अध्यक्ष महोदय, तिल और रामतिल को छोड़कर के बाकी जो हमारी फसलें हैं, जो समर्थन मूल्य से नीचे बिकीं, उनमें हमने भावान्तर भुगतान योजना का जो भुगतान किया है, उसको भी मैं रखना चाहूंगा और खास तौर से मुनमुन राय जी सुन लें. अपने सिवनी जिले में पहले जो जिले के आंकड़े के अनुसार पिछले 5 साल के औसत उत्पादन के आधार पर 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर को हमने भावान्तर भुगतान योजना में रखा था, लेकिन बाद में कलेक्टर से प्रतिवेदन मंगाने के बाद हमने उसको बढ़ाकर के 43 क्विंटल प्रति हेक्टेयर कर दिया और छिंदवाड़ा जिले में जो 36 क्विटंल प्रति हेक्टेयर था, उसको बढ़ाकर के 49 क्विटंल प्रति हेक्टेयर किया है. इस सरकार ने प्रयास किया है कि किसान के पूरे के पूरे उत्पादन को अधिकतम लाभ मिले. अब कलेक्टर का प्रतिवेदन 43 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का है, यदि यह बढ़कर आता, तो हम बढ़ाकर देते. छिंदवाड़ा के कलेक्टर ने 49 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दिया, तो उनको 49 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हमने दिया. कोई एक बात तो हमको तय करनी पड़ेगी. अध्यक्ष महोदय, हमने जो मॉडल रेट और भावान्तर भुगतान योजना में अंतर की राशि दी, सोयाबीन में हमने 470 रुपया, मक्का में 235 रुपया, मूंग में 1455 रुपया, उड़द में 2400 रुपया, मूंगफली में 730 रुपया, तिल में 140 रुपया दिया. यह तो अक्टूबर की बात हो गई और हम जो नवम्बर महीने का भावान्तर भुगतान योजना में भुगतान करने वाले हैं. मुनमुन राय जी, हम 315 रुपये दे रहे हैं मक्के पर, 410 रुपये देंगे सोयाबीन पर, 1455 रुपये हम देंगे मूंग पर, 2330 रुपये हम देंगे उड़द पर और मूंगफली पर 880 रुपया प्रति क्विंटल भावान्तर भुगतान योजना में अंतर की राशि का भुगतान करेंगे. जहां तक हमारे के.डी. देशमुख जी ने जो विषय उठाया है. मैं वारासिवनी विधान सभा क्षेत्र में, जिसका आधा भाग खैरलांजी विकास खण्ड का उसमें जुड़ा है और कटंगी विधान सभा क्षेत्र में जो खैरलांजी का आधा क्षेत्र है, इन दोनों विधान सभा क्षेत्रों का प्रवास किया है. माननीय डॉ. योगेन्द्र निर्मल जी भी थे और माननीय के.डी. देशमुख जी भी थे. लांजी क्षेत्र का भी प्रवास किया है, बालाघाट के लालबर्रा का भी प्रवास किया है. अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि बालाघाट में जब फसल पकने पर आ गई थी, तब वहां पर भूरा माहो नाम का रोग लगा था और रोग लगा था और खड़ी फसल को उसने तबाह कर दिया था. यह भी सही है कि कटंगी क्षेत्र के 25 पटवारी हल्का क्षेत्रों में 75 प्रतिशत धान की रोपाई नहीं हुई है जिसके बारे में मैंने आज के ध्यानाकर्षण में उत्तर दिया है मैं माननीय सदस्य को इस बात के लिए आश्वस्त करना चाहता हूं कि 15 दिन के अंदर उन 25 पटवारी हल्का नंबरों में हमारे बीमा के मानदण्ड हैं उसके अनुसार 25 प्रतिशत फायनेंस की राशि उनके खाते में जमा कर दी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय मैंने आज जिला प्रशासन से जानकारी प्राप्त की है. कटंगी और तिरोही तहसील में 43 प्रतिशत आनावारी आयी है और भारत सरकार के मानदण्ड है कि 33 प्रतिशत से अगर ज्यादा नुकसान होता है तो उसे 100 प्रतिशत नुकसान माना जाता है. हमारे माननीय विधायकों को इस बात के लिए आश्वस्त कराना चाहता हूं कि आरबीसी 6(4) के प्रावधान तिरोही और कटंगी क्षेत्र में लागू रहेंगे,वहीं पर हमारी खैरलांजी की रिपोर्ट नहीं आयी है. अभी जैसे दिनेश राय जी ने कहा कि तहसील सिवनी को अकाला घोषित करें, सिवनी, छिंदवाड़ा में जितने रकबे में सोयाबीन बोया गया है, जबलपुर में जितने रकबे में सोयाबीन बोया गया है लेकिन अफलन हुआ है और जड़ में रोग लग गया है, हमने आरबीसी 6(4) के प्रावधान के तहत प्रत्येक कलेक्टर को निर्देशित किया है साथ ही मैंने हमारे राजस्व मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी से बात की है हमने वहां पर दोनों प्रावधान रखे हैं, आरबीसी 6(4) और फसल बीमे का भी लाभ मिलेगा. अध्यक्ष महोदय मधयप्रदेश के ऐसे सारे जिले जहां पर फसलें प्रभावित हुई हैं और हमारी हितैषी सरकार का इससे बड़ा और क्या प्रमाण हो सकता है. आज सदन में विपक्ष के साथी नहीं हैं,इन्होंने तो धेला किसानों को नहीं दिया है. आज हम एक ही बार में 4 हजार करोड़ रूपये देने के लिए तैयार हैं और ज्यादा जरूरत होगी तो वह भी देंगे. इसलिए हमारे माननीय योगेन्द्र निर्मल जी को हमारे उमरिया के विधायक जी को और अन्य साथियों को मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के किसी भी जिले की किसी भी तहसील का कोई भी पटवारी हल्का नंबर यदि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुआ होगा उसको यह सरकार मुआवजा भी देगी जो बीमित किसान हैं उनको बीमे की राशि का भुगतान भी करेगा. बहुत बहुत धन्यवाद्.
06.42बजे सत्र का समापन
सदन की बैठक अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाना
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) -- अध्यक्ष महोदय, नवम्बर- दिसम्बर 2017 सत्र के लिए निर्धारित समस्त आवश्यक शासकीय और वित्तीय कार्य पूर्ण हो चुके हैं. अत: मध्यप्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 12-ख के द्वितीय परंतुक के अंतर्गत मैं प्रस्ताव करता हूं कि सदन की कार्यवाही का समापन किया जाय एवं तदुपरांत बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
06.43 बजे
राष्ट्रगान "जन-गण-मन" का समूहगान
अध्यक्ष महोदय -- अब "जन-गण-मन" राष्ट्रगान होगा.
( सदन में राष्ट्रगान "जन-गण-मन" का सामूहिक गायन किया गया.)
06.44 बजे. सदन की कार्यवाही का अनिश्चितकाल के लिये स्थगन
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित.
अपराह्न 06.44 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 4 दिसम्बर, 2017 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा