मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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षोडश विधान सभा                                                                      तृतीय सत्र

 

 

जुलाई, 2024 सत्र

 

गुरूवार, दिनांक 4 जुलाई, 2024

 

(13 आषाढ़, शक संवत्‌ 1946)

 

 

[खण्ड- 3]                                                                                      [अंक- 4]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

गुरूवार, दिनांक 4 जुलाई, 2024

(13 आषाढ़, शक संवत्‌ 1946 )

विधान सभा पूर्वाह्न 11.02  बजे समवेत् हुई.

{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

 

11.03                                शोक उल्‍लेख

                श्री विराग सागर जी महामुनिराज की महासमाधि संबंधी उल्‍लेख

          अध्‍यक्ष महोदय -- सदन को सूचित करते हुए मुझे अत्‍यंत दुख है कि परमपूज्‍य राजसंत भारत गौरव गणाचार्य बुन्‍देलखण्‍ड के प्रथमाचार्य युग प्रतिक्रमण प्रवर्तक उपसरविजेता महासंघ गणनायक आचार्य भगवंत श्री विराग सागर जी महामुनिराज की महासमाधि आज 4 जुलाई 2024, गुरूवार, चतुर्दशी प्रात: 2:30 बजे जालना (महाराष्‍ट्र) के नजदीक देवमूर्ति ग्राम सिंदखेड़ राजा रोड पर हुई है. ऐसे संतों-भगवंतों के चरणों में नमोस्‍तुते, नमोस्‍तुते, नमोस्‍तुते.

          अब सदन दो मिनट का मौन रखकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.

(सदन द्वारा दो मिनट मौन खडे़ रहकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)

 

11.04                      तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

 

बस कंपनियों में बसों के संचालन की अद्यतन स्थिति

[नगरीय विकास एवं आवास]

1. ( *क्र. 1368 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बी.सी.एल.एल., ए.आई.सी.टी.एस.एल. एवं जे.सी.टी.एस.एस. के गठन से प्रश्‍न दिनांक तक कुल कितनी चल-अचल संपत्ति है? इस संपत्ति के अतिरिक्त और कौन-कौन से आय के स्रोत हैं? कितनी राशि भारत सरकार से, राज्य सरकार से किस-किस प्रयोजन से कब प्राप्त हुई? प्राप्त राशि का उपयोग उपरांत उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर दिया है, तो संपूर्ण जानकारी का पृथक गौशवारा मय दस्तावेजों के दें। (ख) प्रश्‍नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में बी.आर.टी.एस. कॉरिडोर में बस स्टॉप के साथ दुकानों का निर्माण किया गया है? कुल कितनी दुकानें बनाई गईं, दुकानों का साईज क्या है? इन दुकानों को किसे किस दर पर कितनी अवधि के लिये किसी एजेन्सी विशेष को, अन्य किसे लीज, किराये या विक्रय किया गया है? अनुबंध की प्रति सहित संपूर्ण जानकारी का गौशवारा बनाकर बतायें। दुकानों की अद्यतन स्थिति क्या है? (ग) प्रश्‍नांश अवधि में कितनी-कितनी बसें किस शहर में संचालित हो रही हैं? बसों के संचालन के लिये कितनी निविदा आमंत्रित की गई ? किन निविदाकारों से किस दर पर किस प्रकार की कितनी बसें, किस-किस मापदण्डों के आधार पर क्रय की गईं? कब-कब, कितना-कितना भुगतान किस माध्यम से किया गया? वर्षवार, शहरवार, एजेन्सीवार पृथक-पृथक गौशवारा बनाकर बतायें। (घ) प्रश्‍नांश अवधि में कितने प्रश्‍न किस माननीय सदस्यों के कब-कब प्राप्त हुये हैं? संपूर्ण प्रश्‍नों का गौशवारा बनाकर बतायें। विधानसभा में जवाब प्रस्तुत करने वालों, कार्यों के लिये किन्हें क्या जिम्मेदारी तीनों कंपनियों को सौंपी गई थी, उनके नाम, पदनाम, उत्तरदायित्व सौंपा गया था? तीनों कंपनियों में कितने संविदाकर्मी किस पद पर कब से कार्यरत हैं, उनका सेवाकाल कब-कब बढ़ाया गया? नाम, पदनाम, मानदेय सहित गौशवारा बनाकर बतायें।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) :

 

 

            श्री जयवर्द्धन सिंहमाननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न अमृत योजना के अंतर्गत जो अनुदान राशि मोबिलिटी के लिये दी गई है उसके संदर्भ में है. अमृत 2 के अंतर्गत बसों का टेण्डर किया गया था जिसमें सबसे पहले मैं बात करना चाहता हूं कि भोपाल लिंक सिटी सर्विसेज है. उसके अंतर्गत सबसे पहला टेण्डर एनआईटी 121 जिसमें 300 बसें क्रय करनी थीं उसमें सिर्फ 100 बसें ही क्रय कर पाये. उसके बाद जो दूसरा टेण्डर था उसमें एनआईटी 150 बसों की थी उसमें भी सिर्फ जिस ठेकेदार को टेण्डर मिला था उसमें 150 बसों में से 50 बसें क्रय कर पाया. इस योजना में केन्द्र सरकार के द्वारा वी.जी.एफ. वायबिल्टी गेप फंडिंग का प्रावधान दिया गया था. जो बस के मूल्य का 40 प्रतिशत था. उसमें अध्यक्ष महोदय एनआईटी में स्पष्ट लिखा है कि यह सिर्फ अनुदान एक बार दिया जायेगा तो मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मैंने उल्लेख किया भोपाल के टेण्डरों के बारे में उसी प्रकार से जबलपुर की जो बस सर्विसिज कम्पनी है. वहां पर भी लगभग 200 बसों का टेण्डर हुआ था. मैं सदन को जानकारी देना चाहता हूं कि जो ठेकेदार जबलपुर में वही ठेकेदार भोपाल में भी है. वहां पर भी 200 बसों में से सिर्फ 50 बसें ही चल रही हैं. यह एक गंभीर विषय है दो टेण्डर भोपाल में हुए उसमें से पहले टेण्डर में 300 बसें आनी थीं उसमें 100 बसें आयीं दूसरे टेण्डर में 150 बसें आनी थीं उसमें से 50 बसें ही आयीं. एक तिहाई आयी. उसी प्रकार से जबलपुर के टेण्डर में जहां पर 200 बसें आनी थीं सिर्फ 50 बसें ही वहां पर आ पाई हैं, इसका कारण क्या है ? क्या इस पूरी प्रक्रिया में जो ठेकेदार अपना कमिटमेंट फुलफिल नहीं कर पाया है क्या उनके खिलाफ कोई एक्शन लिया गया है. इसके साथ साथ जैसा मैंने पहले पूछा था अब तक इस ठेकेदार को कितना वीजीएफ प्रदान किया गया है. मंत्री जी बतायें? यह पहला प्रश्न है अध्यक्ष महोदय.

            श्री कैलाश विजयवर्गीयमाननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं इसी विभाग में 10 साल पहले भी मंत्री था. उस समय सरकार केन्द्र में मोदी जी की नहीं थी. मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि जब से डबल इंजन की सरकार आयी है. जब से नगरीय प्रशासन विभाग को जो केन्द्र से मदद मिल रही है हर क्षेत्र में पहले सिर्फ जवाहरलाल नेहरू शहरी विकास योजना थी उससे 10 गुना ज्यादा पैसा अलग अलग योजनाओं के माध्यम से मिल रहा है. इसलिये मैं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी को इस बात के लिये बधाई देना चाहूंगा. माननीय सदस्य जी ने सही कहा है कि पहले 300 बसों का किया. इसमें यात्री कितने चल रहे हैं ? जैसे ही डिमाण्ड बढ़ेगी उसी हिसाब से बसों की संख्या भी बढ़ेगी. दुर्भाग्य से भोपाल एवं जबलपुर में यात्रियों की संख्या बहुत कम है इसलिये ठेकेदार पर कोई दबाव नहीं बनाया गया है कि वह 300 बसें एक साथ खरीदे. क्योंकि यह देश की हानि है हम कह दें आप 300 बसें खरीद लो, बसें खड़ी रहें. इसलिये जब जब जितनी बसों की आवश्यकता पड़ती है उतने बसें मंगायी जाती हैं. जहां तक राज्य शासन इसमें 40 प्रतिशत राशि देती है और केन्द्र सरकार से 60 प्रतिशत दी जाती है. केन्द्र सरकार के जितने भी प्रोजेक्ट हैं उसमें राज्य शासन की कहीं न कहीं से सहभागिता होती है.    

          अध्‍यक्ष महोदय, डबल इंजन की सरकार के माध्‍यम से प्रदेश के अंदर अमृत 1 एवं अमृत 2, ये सबके माध्‍यम से जहां इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर का विकास हो रहा है, वही ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में भी बहुत विकास हो रहा है और मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि मध्‍यप्रदेश में, इंदौर में मेट्रो, भोपाल में मेट्रो ये सब केन्‍द्र के सहयोग से हो रहा है डबल इंजन की सरकार का आवागमन में बहुत महत्‍वपूर्ण योगदान है.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने बहुत सरल प्रश्‍न पूछा था, जिसका उत्‍तर माननीय नहीं दें पाएं. मैं उनका बहुत सम्‍मान करता हूं, बहुत वरिष्‍ठ नेता है. मैंने स्‍पष्‍ट प्रश्‍न पूछा है कि अब तक बीजीएफ के माध्‍यम से कितनी राशि दी गई है ठेकेदार को, मैं मेरे उत्‍तर के माध्‍यम से यह साबित करना चाहता हूं कि जो माननीय मंत्री जी उल्‍लेख कर रहे हैं, ये सरकार डबल इंजन नहीं, (XXX) की सरकार है. मेरा बहुत प्‍वाइंटेड प्रश्‍न है, मैं वापस वही प्रश्‍न पूछूंगा मंत्री जी से अब तक जबलपुर और भोपाल में कितनी राशि बीजीएफ की दी गई है कंपनी को अमृत 2 में.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्‍यक्ष जी, अगर इसमें आप मूल प्रश्‍न देखेंगे तो मूल प्रश्‍न में यह उल्‍लेखित नहीं था, फिर भी मैं बता देता हूं पूरक प्रश्‍न है इसमें लगभग 40 प्रतिशत बीजीएफ केन्‍द्र शासन का और 60 प्रतिशत हमारा है, राशि का आपने जहां तक उल्‍लेख किया है, अभी मेरे पास राशि का आंकड़ा नहीं है, मैं आपको व्‍यक्तिगत रूप से बता देता हूं.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - कोई बात नहीं, मैं उत्‍तर दे देता हूं, क्‍योंकि उत्‍तर तो मुझे आपने दिया है, इसमें पूरा उल्‍लेख है उत्‍तर का.

          अध्‍यक्ष महोदय - जयवर्द्धन सिंह जी हो गया.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, ये मेरा अधिकार है. मैंने स्‍पष्‍ट प्‍वाइंटेड प्रश्‍न पूछा मंत्री जी से कुल कितना बीजीएफ दिया गया और मैं सदन में इस बात का उल्‍लेख करना चाहता हूं. प्रावधान यह था कि कुल जो टेण्‍डर किया गया है, एक बस की कीमत 25 लाख थी, उसमें केन्‍द्र सरकार के द्वारा अमृत योजना में यह प्रावधान दिया गया था कि 40 प्रतिशत बीजीएफ दिया जाएगा, जो 10 लाख रुपए प्रति बस पर आता है, इसके संबंध में भोपाल की जिसका मैंने उल्‍लेख किया कुल 150 बसें क्रय कर पाई थी कंपनी, उसमें से कुल आर्डर 450 बसों का था, सिर्फ 150 बस क्रय कर पाई, 150 बसों के लिए बीजीएफ दिया गया  साढ़े नौ करोड़ रुपए का जो मेरे पास आपने जानकारी दी है. दूसरा पाइंट, मंत्री जी कह रहे है कि और बसों की आवश्‍यकता नहीं थी, डिमांड नहीं थी, लेकिन अध्‍यक्ष जी यही कंपनी 2022 में एक और टेण्‍डर निकालती है, 70 बसों का. जब पहले टेण्‍डर की पूर्ति नहीं हो पा रही तो दूसरा टेण्‍डर क्‍यों निकल रहा है, इसमें सबसे महत्‍वपूर्ण पाइंट है, अमृत योजना के अंतर्गत सिर्फ वन टाइम बीजीएफ का प्रावधान था, सिर्फ बस की कैपीटल कॉस्‍ट पर पूंजीगत व्‍यय पर लेकिन मैं मंत्री जा का इसमें सहयोग करना चाहता हूं. मैं आपको प्रश्‍न नहीं कर रहा हूं, सहयोग कर रहा हूं कि आपको आगे क्‍या करना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय - जयवर्द्धन सिंह जी कोई प्रश्‍न हो तो पूछिए इसको लंबा मत कीजिए. प्रश्‍न काल में सुझाव नहीं देते हैं. प्रश्‍न है तो एक और पूछ लो दो से ज्‍यादा प्रश्‍न नहीं पूछे जाते कायदे से.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्‍यक्ष जी, जैसा आप कहे, मेरा दूसरा प्रश्‍न है कि नगर पालिका निगम भोपाल के द्वारा दिनांक 24.11.2022 को आयुक्‍त नगरीय प्रशासन को पत्र दिया जाता है कि ठेकेदार के पास पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था नहीं है ऑपरेशनल कॉस्‍ट के लिए, वह मांग करता है कि इसमें जबलपुर और भोपाल में बस के संचालन के लिए ठेकेदार को अतिरिक्‍त्त राशि दी जाए और इस संबंध में स्‍टेट लेबल टेक्निकल कमेटी(एसएलटीसी), जिसमें मंत्री जी शायद आप नहीं बैठ पाते, शायद मैं गलत हो सकता हूं लेकिन जो मुझे जानकारी है कि उसमें आप मौजूद नहीं रहते, उसमें अधिकारी मौजूद रहते हैं, वे इसमें इसी ठेकेदार के लिए भोपाल में पांच करोड़ अतिरिक्‍त ऑपरेशनल एक्‍सपेंसेस की बात कर रहा हूं और जबलपुर में अतिरिक्‍त दो करोड़ का एक्‍सपेशेंस ठेकेदार के लिये स्‍वीकृत करते हैं, मान्‍य करते हैं (शेम शेम की आवाज) आप कल्‍पना कीजिए जब साढ़े चार सौ बसेस में से इस ठेकेदार से भोपाल में सिर्फ 150 संचालित हो रही हैं, जबलपुर में दो सौ में से सिर्फ 50 बसे संचालित हो रही हैं, लेकिन पहले ही शर्त की ठेकेदार पूर्ति नहीं कर पा रहा है और उसके बावजूद यह (XXX) की सरकार उसी ठेकेदार को अतिरिक्‍त सात करोड़ रूपये की मदद प्रति वर्ष देने का फैसला ले रही है(शेम शेम की आवाज) यह बहुत गंभीर मुद्दा है. मैं माननीय मंत्री जी से यही अनुरोध करूंगा कि जिस पत्र का उल्‍लेख मैंने किया है, जो अतिरिक्‍त राशि इस ठेकेदार को दी जा रही है, जबकि वह ठेकेदार अपनी ही जिस शर्त से उसने टेंडर लिया था, जब उसी की वह पूर्ति नहीं कर पा रहा है, तो कृपया आप इसका संज्ञान लें, आप इसकी स्‍वयं जांच करायें.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय जयवर्द्धन जी प्रश्‍न आ गया है, माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहेंगे.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्‍य को धन्‍यवाद देता हूं, बड़ी अच्‍छी जानकारी के साथ आपने प्रश्‍न पूछा है और यह बात सही है कि उनका पत्र भी आया है, पर मैं यह देख लूंगा कि अगर टेंडर की शर्तों के अंदर विशेष अनुदान दिया जा सकता है, तो दिया गया या नहीं दिया गया है. मैं प्रमुख सचिव को जांच के आदेश देता हूं और यदि इसमें किसी भी प्रकार की कोई अनियमितता होगी तो निश्चित रूप से हम कार्यवाही करेंगे, यह मैं माननीय सदस्‍य को आश्‍वासन देता हूं.

 

 

          अनुसूचित जाति/जनजाति पंप धारक किसानों को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना

[ऊर्जा]

2. ( *क्र. 270 ) श्री आतिफ आरिफ अकील : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति के पंप धारक कृषि उपभोक्ताओं को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय किए जाने की योजना वर्तमान में प्रचलन में होकर कृषकों को योजना अंतर्गत लाभ प्रदान किया जा रहा है? (ख) यदि हाँ, तो भोपाल एवं रायसेन जिले में वर्ष 2023 से योजना अंतर्गत नि:शुल्क विद्युत योजना का लाभ प्रदान करने में उपयोग में लाये गए कितने ट्रांसफार्मर जल गए तथा कितने जले ट्रांसफार्मरों को बदला गया? जले हुए ट्रांसफार्मरों को बदलने में कितने वाहनों का प्रयोग किया गया और उन वाहनों में कितना डीजल व्यय किया गया? (ग) प्रश्‍नांश "क एवं ख" के परिप्रेक्ष्य में ट्रांसफार्मर बदलते समय लाइट बंद एवं चालू करने में हुआ विलंब, एक से अधिक बार वितरण केन्‍द्र के अंतर्गत जलने वाले ट्रांसफार्मर की सूची मय कारणों के ट्रांसफार्मर जलने एवं बदलने की तिथि सहित संपूर्ण जानकारी से अवगत करावें।

          ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ, प्रदेश सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 01 हेक्‍टेयर तक की भूमि वाले 05 हॉर्स पावर तक के पंप धारक कृषि उपभोक्‍ता‍ओं को नि:शुल्‍क विद्युत प्रदाय किये जाने की योजना वर्तमान में प्रचलन में है तथा उक्‍तानुसार पात्र कृषकों को योजनांतर्गत लाभ प्रदान किया जा रहा है। (ख) भोपाल जिले में वर्ष 2023 से दिनांक 10.06.2024 तक उक्‍त नि:शुल्क विद्युत प्रदाय योजना का लाभ प्रदान करने में उपयोग में लाये गए 14 वितरण ट्रांसफार्मर फेल/जले थे, जिन्‍हें बदल दिया गया है। रायसेन जिले में वर्ष 2023 से दिनांक 10.06.2024 तक उक्‍त नि:शुल्‍क विद्युत प्रदाय योजना का लाभ प्रदान करने में उपयोग में लाये गए 03 वितरण ट्रांसफार्मर फेल/जले थे, जिन्‍हें बदल दिया गया है। भोपाल एवं रायसेन जिलों के अंतर्गत फेल/जले ट्रांसफार्मर के बदलने हेतु पात्र होने एवं उनके बदलने का विवरण संलग्‍न परिशिष्ट के प्रपत्र '''' एवं '''' अनुसार है। म.प्र. मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभाग द्वारा अनुबंधित वाहन का उपयोग कर फेल/जले वितरण ट्रांसफार्मर को बदला जाता है। अनुबंधित वाहन के देयक का भुगतान वाहन मालिक को विद्युत वितरण कंपनी के द्वारा किलोमीटर के आधार पर किया जाता है। वाहन में डीजल भरने की जिम्‍मेदारी वाहन मालिक की होती है, अत: योजना के ट्रांसफार्मर बदलने में हुई डीजल की खपत संबंधी जानकारी पृथक से संधारित नहीं हो पाती है। भोपाल एवं रायसेन जिलों में प्रश्‍नाधीन फेल/जले वितरण ट्रांसफार्मरों को बलदने के लिये क्रमश: 3 एवं 1, वितरण कंपनी द्वारा अनुबंधित वाहनों का उपयोग किया गया। (ग) उत्‍तरांश "क" एवं "ख" के परिप्रेक्ष्‍य में ट्रांसफार्मर बदलते समय लाईट बंद एवं चालू करने में हुए समय का विवरण संलग्‍न परिशिष्ट के प्रपत्र '''' एवं '''' अनुसार है। भोपाल एवं रायसेन जिलों में वर्ष 2023 से दिनांक 10.06.2024 तक अनुसूचित जाति/जनजाति के 5 हॉर्सपावर तक के पंप धारक कृषि उपभोक्‍ताओं को नि:शुल्‍क विद्युत प्रदाय का लाभ प्रदान करने में उपयोग में लाये गये वितरण ट्रांसफार्मरों में से कोई भी वितरण ट्रांसफार्मर एक से अधिक बार नहीं जला है।

परिशिष्ट - "एक"

          श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न माननीय ऊर्जा मंत्री जी के लिये था और मेरा प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश में एस.सी.,एस.टी., पंप धारक किसानों को किस योजना के अंतर्गत लाभ दिया जा रहा है, उस योजना की संपूर्ण जानकारी प्रदान करें. दूसरा भोपाल संभाग के एस.सी.,एस.टी. पंप धारक किसान जिन्‍हें योजना का लाभ मिल रहा है, उनकी सूची उपलब्‍ध करावें.

        श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय विधायक जी को यह जवाब दे रहा हूं कि पहले तो हमारी सरकार द्वारा एक हेक्‍टेयर तक जो हमारे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के कृषक हैं, उनको पांच हार्स पावर तक के कृषि पंप वाली नि:शुल्‍क बिजली प्रदान की जाती है, वर्ष 2023-24 में इस हेतु रूपये 5 हजार 775 करोड़ रूपये जारी किये गये, इसमें 9 लाख 36 हजार कृषि उपभोक्‍ताओं को लाभ दिया जा रहा है. यह हमारी सरकार है जो किसानों और गरीबों के हित में काम कर रही है. इन्‍होंने पूछा है तो इन्‍होंने भोपाल में 3 हजार 548 नि:शुल्‍क विद्युत प्रदाय कनेक्‍शन धारी हैं, रायसेन में 16 हजार 854 हैं. इसके अलावा भोपाल में और क्‍या जानकारी चाहिए यह मुझसे पूछ लें मैं बता दूंगा.

        श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय मैं प्रदेश की अगर बात करूं तो विजलैंस कमेटी जो गरीब लोगों के चालान बनाती रहती है, तो पहले एक कमेटी बना दी जाती थी, जो कहीं न कहीं एग्‍जामिन करती थी कि वह गलत है या सही है, तो अब वह कमेटी बंद कर दी गई है, उसको दोबारा गठित करने की आपसे उम्‍मीद करता हूं.

        श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वैसे इस प्रश्‍न में यह चीज उद्भूत नहीं हो रही है, लेकिन जनहित में, गरीबों के हित में कोई बात आई है तो मैं विभाग में चर्चा करके जनहित और लोक कल्‍याणकारी कार्य अगर होगा तो उस पर विचार कर लेंगे.

        श्री आतिफ आरिफ अकील -- अध्‍यक्ष महोदय, यह कमेटी अगर गठित हो जायेगी तो गरीबों के ऊपर जो ज्‍यादतियां हो रही हैं, वह नहीं होंगी.

        नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारे सदस्‍य ने बड़ा अच्‍छा मुद्दा उठाया है, इसमें कोई पार्टी पालिटिक्‍स वाली बात भी नहीं है, एस.सी., एस.टी., के लिये अच्‍छी योजनाएं सरकार की हैं, मेरा आपके माध्‍यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि इसमें सामान्‍यत: फील्‍ड में देखा जाता है कि महीनों भर तक ट्रांसफार्मर ठीक नहीं होते हैं, रिपेयर नहीं होते हैं, इसमें कोई समय सीमा दो दिन, चार दिन, पांच दिन, सात दिन ऐसी समय सीमा कम से कम फिक्‍स हो. समय सीमा रहती भी है तो वह होते नहीं है, उसके लिये अगर समय सीमा में नहीं हो रहे हैं, तो उसके लिये क्‍या कार्यवाही हो? यह भी एक निश्चित होना चाहिए ताकि किसान की फसल खराब नहीं हो, क्‍योंकि यह आदिवासी और सभी सामान्‍य किसान उनकी भी परेशानी रहती है, क्‍योंकि लाईन तो सब दूर जाती है, उसी से जाती है, मैं यह कहना चाहता हूं.

        अध्‍यक्ष महोदय -- वैसे मंत्री जी ने कहा है कि गरीबों के हित में वह गंभीरता से देखेंगे.

                                                                                               

          श्री उमंग सिंघार-- इसमें कोई एक नियम बन जाये ताकि आगे सुनिश्चित रहे, यह मेरा आपके माध्‍यम से आपसे अनुरोध है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  मंत्री जी, कुछ कहना चाहेंगे.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं पहले ही कह चुका हूं, दूसरा हमारी सरकार गरीबों के हित में लगातार काम कर रही है. आपके सकारात्‍मक सुझाव होंगे उनको हम स्‍वीकार करेंगे. हम पक्ष, विपक्ष के लिये नहीं बैठे, हम जनहित के लिये बैठे हैं.

राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण

[लोक निर्माण]

3. ( *क्र. 1100 ) श्री दिनेश राय मुनमुन : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या शासन के प्रावधानों अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग समतल होना चाहिए? (ख) क्‍या नागपुर से जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिवनी जिले अंतर्गत छपारा से बंजारी घाटी के मध्‍य दरारें पड़ गयी हैं? (ग) क्‍या उक्‍त राजमार्ग पर अनेक स्‍थानों पर किये गये पेच वर्क के कारण मार्ग अनेक जगह असमतल हो गया है, जिसके कारण आये दिन दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं, फलस्‍वरूप बड़ी संख्‍या में जन-धन की क्षति हो रही है? (घ) यदि हाँ, तो क्‍या उक्‍त मार्ग ठेकेदार से समतल कराये जाने एवं दरारे भरने हेतु विभाग द्वारा लिखा गया है? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों नहीं?

लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण कार्य आई.आर.सी. के मानकों अनुसार कराये जाते हैं। (ख) प्रश्‍नांकित मार्ग प्रमुख अभियंता, लो.नि.वि. के कार्यक्षेत्र अंतर्गत नहीं है, अपितु मार्ग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भारत सरकार से संबंधित है, उनसे प्राप्त उत्तर संलग्‍न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) एवं (घ) प्रश्‍नांश '' के उत्तर अनुसार।

परिशिष्ट - "दो"

          श्री दिनेश राय मुनमुन-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्‍न है वह राष्‍ट्रीय राजमार्ग से संबंधित है. मैं इसमें इसलिये आपका संरक्षण चाहूंगा क्‍योंकि वर्ष 2019 में भी यही प्रश्‍न मैंने उठाया था और तत्‍कालीन रोड का निर्माण कार्य चल रहा था और उस समय उस विभाग ने उस पर तत्‍परता नहीं दिखाने के कारण आज कम से कम सेकड़ों ऐसी दुर्घटनायें हुई हैं जिसमें 10 लोगों को तो कम से कम उठाने वाला मैं हूं, वहां से ले जाने वाला, क्‍योंकि वह मेरे मार्ग में आता है. घायलों को मृत लोगों को उठाने का काम मैंने खुद अपने हाथों से किया है और आज भी वहां पर कई गाडि़यां एक्‍सीडेंट में हैं. एनएचएआई को लगातार प्रश्‍न करने के बाद भी लेटर देने के बाद भी उन्‍होंने ठेकेदार पर कार्यवाही नहीं की. मुझे इस सदन को बताते हुये इस बात का बड़ा घोर दुख होता है कि वह व्‍यक्ति जो इस सदन का सदस्‍य है उसने उस मार्ग को बनाया. मेरा आपसे आग्रह है कि इसमें आप संरक्षण दें. इसमें हमेशा जवाब के माध्‍यम से जो दिया जाता है कि वह राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण है, इसमें हमारी सरकार कुछ नहीं कर सकती, लेकिन जो दुर्घटना हो रही है वह मेरी विधान सभा से निकलने वाले मार्ग में, मेरे ही राज्‍य के लोगों की हो रही हैं. जिस समय वह काम कर रहा था उस समय भी मैंने एनएचएआई को लिखकर दिया कि इसमें जो पहाड़ी काट रहा है उसकी मुरम और बोल्‍डर है वह ही उस सड़क में डाल रहा है. जब तक उसमें कम्‍प्रेशन नहीं होगा, दवाब नहीं बनाया जायेगा जब आपने अर्थवर्क किया है उसी का गुणवत्‍ताहीन काम किया है तो ऊपर डामर कैसे चलेगा और इसमें जो जवाब दे रहे हैं कि उसमें समतलीकरण है. आज भी अगर माननीय मंत्री जी उसका निरीक्षण करा लें तो आज भी रोड डेमेज है. 9 किलोमीटर में सबसे ज्‍यादा नागपुर से जबलपुर के बीच में अगर दुर्घटनायें होती हैं, वह इसी 9 किलोमीटर में होती हैं और वह व्‍यक्ति पीडब्‍ल्‍यूडी का 100 करोड़ का काम अभी मेरी विधान सभा में कर रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि इसकी जांच करा लें.

          श्री राकेश सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष जी माननीय विधायक जी की चिंता स्‍वाभाविक और जायज है. कहीं भी जब सड़कों का निर्माण होता है तो लोगों की अपेक्षा होती है कि वह अच्‍छी गुणवत्‍ता की होंगी और उसके साथ-साथ वह विकास का समवाहक भी बनेंगी. जिस सड़क की बात की जा रही है, यह सड़क राष्‍ट्रीय राजमार्ग के पास है, लोक निर्माण विभाग से सीधा उसका कोई संबंध नहीं है. लेकिन फिर भी चूंकि सड़क है और नेशनल हाइवे से जो जानकारियां हमें प्राप्‍त हुई हैं उसके माध्‍यम से मैं माननीय सदस्‍य को उत्‍तर देने का पूरा प्रयास करूंगा. अध्‍यक्ष महोदय, यह लखनादौन, सिवनी के बीच में लगभग 9.24 किलोमीटर की फोरलेन की सड़क है. इस कांट्रेक्‍ट जो था यह उदित इंफ्रा वर्ल्‍ड प्राइवेट लिमिटेड, प्रकाश असफाल्टिंग्‍स एण्‍ड टोल हाइवेज, रीवा के पास है और वर्ष 2018 में इसकी परफार्मेंस गारंटी भी समाप्‍त हुई, लेकिन यह बात सही है कि इस मार्ग पर जब काफी अधिक मात्रा में जब डस्टिंग हुई तो मार्ग असमतल हुआ और उसको दुरूस्‍त करने के लिये एनएचएआई ने बार-बार नोटिस जारी किये, लेकिन ठेकेदार ने इस कार्य को नहीं किया. बाद में रिस्‍क एण्‍ड कास्‍ट में ठेकेदार को नोटिस देते हुये और एनएचएआई ने इस काम को कराया और उसमें जो 60 लाख रूपये की लागत थी वह ठेकेदार से वसूले गये. बाद में जिसका जिक्र माननीय सदस्‍य जी कर रहे हैं कि कुछ दरारें भी वहां पर आई हैं तो एक बार जब रोड की क्‍वालिटी ठीक तरीके से नहीं बनती बेस ठीक से तैयार नहीं होता तो स्‍वाभाविक रूप से कुछ कठिनाईयां आती हैं वह दरारें आई हैं और उन दरारों को सुधारने के लिये भी एनएचएआई ने टेण्‍डर कॉल कर लिये हैं और उसका कार्य भी प्रारंभ होने की स्थिति में है. जहां तक दुर्घटनाओं की बात है तो यह बात सही है कि वह स्‍थान उसको एनएचएआई ने चिन्हित किया है, बंजारी घाटी और घुनई घाटी को वह ब्‍लेक स्‍पॉट की सूची में उसको शामिल किया है. यहां पर वर्ष 2020 और 2021 में कुछ अल्‍पकालिक यानि प्रारंभिग रूप से सुधार के कार्य भी कराये गये थे, लेकिन बाद में इसमें जियोमेट्रिक इम्‍प्रूवमेंट हो इसके लिये अब कार्य प्रारंभ कर दिया गया है और एनएचएआई ने यह सूचना दी है कि शीघ्र ही इस कार्य को पूरा कर लिया जायेगा. सदस्य महोदय को प्रसन्नता होगी मैं एक अतिरिक्त जानकारी उनको देना चाहता हूं कि वहां लखनादौन-रायपुर मार्ग, एनएचएआई ने उसकी भी लगभग स्वीकृति प्रदान कर दी है.डीपीआर के आदेश हो गये हैं. यह रोड जो बनेगी तो यह लखनादौन-बरघाट-सिवनी-लालबर्रा-रजेगांव होते हुए रायपुर तक लगभग 310 कि.मी. का रोड होगा जो पर्यटन की दृष्टि से,आर्थिक विकास की दृष्टि से और नक्सलाईट गतिविधियों को रोकने की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगी और 120 कि.मी. प्रति घंटे की डिजाईन गति के साथ इस रोड का एक्सेस कंट्रोल होगा.

          श्री दिनेश राय"मुनमुन" - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें गंभीर मामला यह है एक तो  राष्ट्रीय राजमार्ग रायपुर के लिये मैं धन्यवाद दूंगा मंत्री जी को. मेरा यह कहना है कि जब आपने ही इस बात को माना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर  60 लाख रुपये खर्च किये और वह गुणवत्ता विहीन है तो हमेशा उसमें ऊपर-ऊपर लीपापोती की जायेगी. जब बेस ही खराब है जिसकी नींव ही खराब है तो वह लैंटर्न कितने दिन तक चलेगी. मंत्री जी उस रोड का घटिया काम है. पूरी रोड नई खुदकर बनेगी तभी वह रोड आपकी संचालित,संधारित हो सकेगी.

          संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) - आपने एक गंभीर बात कही है कि सदन के सदस्य ने बनाई है.

          श्री दिनेश राय"मुनमुन" - (XX)

          श्री अभय मिश्रा -                (XX)

          श्री दिनेश राय"मुनमुन" -  (XX)        

            (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - दिनेश जी एक मिनिट  बैठिये. यह सब चर्चा विलोपित की जाये. अभय जी बैठिये.

          श्री अभय मिश्रा - मंत्री जी, 5 वर्ष की परफार्मेंस गारंटी की अवधि समाप्त हो चुकी है. यह विभाग आपका नहीं है. यह केन्द्र का है.

          अध्यक्ष महोदय - अभय जी, आप अब बैठिये.

          (..व्यवधान..)

          श्री अजय सिंह – (XXX) अगला प्रश्न लिया जाये. माननीय मंत्री महोदय, दोनों को अपने चेंबर में बुला लें और चर्चा कर लें.

          अध्यक्ष महोदय - दोनों विधायकों की आपस की चर्चा मैंने विलोपित कर दी है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि माननीय दिनेश राय "मुनमुन" जी ने जो प्रश्न उठाया है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से  निवेदन करना चाहता हूं कि यदि रोड खराब है तो आप एनएचआई को  एक पत्र लिखें कि वहां पर टोल नहीं लेना चाहिये, जब तक कि रोड ठीक न हो. यह हमारे मध्यप्रदेश की जनता के साथ अन्याय है कि वे गढ्ढे वाली सड़क पर भी चलें और टोल भी दें तो एक एनएचएआई को आप पत्र लिखें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- एक मिनट, दिनेश जी, आपका विषय यह नहीं है, भैरो सिंह बापू जी का प्रश्‍न चल रहा है. माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं.

          श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष जी, राष्‍ट्रीय राजमार्ग को लेकर लोक निर्माण विभाग का सीधा उस पर कोई नियंत्रण नहीं होता है, लेकिन फिर भी जो भावना माननीय सदस्‍य की है और माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा है, उनको हम अवगत जरूर कराएंगे. उन्‍होंने यह जरूर जानकारी दी है कि जो रोड अभी खराब है, उसको लेकर उन्‍होंने टेण्‍डर कर लिया है और बहुत जल्‍दी ही उसको पूरा करेंगे. एक बात तो आप सबको माननी पड़ेगी कि पूरे देश में नेशनल हाईवे को लेकर जो एक कीर्तिमान बना है, सड़कों को लेकर पूरे देश में आज किसी भी स्‍थान पर हम चले जाएं, तो देश में सड़कों को देखकर ही कहा जाता है कि यह मोदी जी की सरकार है. राष्‍ट्रीय राजमार्ग बहुत अच्‍छी गुणवत्‍ता के हैं. कहीं पर किसी जगह पर अगर कोई ऐसी स्‍थिति बनी है तो वह खराब क्‍वालिटी के कारण बनी होगी, लेकिन नेशनल हाईवे ऐसे विषयों पर भी तत्‍परतापूर्वक कार्यवाही करता है. संबंधित ठेकेदार के खिलाफ 60 लाख रुपये की वसूली उन्‍होंने पहले ही की है. यदि विभाग को यह लगेगा कि नहीं, अभी भी कमी बाकी है तो विभाग और भी आगे की कार्यवाही करेगा, जिसमें पैसे की वसूली से लेकर ब्‍लैक लिस्‍टेड होने तक कार्यवाही उसमें शामिल है.

अधिक बिजली बि‍ल एवं विदयुत व्‍यवस्‍था में सुधार

[ऊर्जा]

4. ( *क्र. 1265 ) श्री भैरो सिंह बापू : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                    (क) सुसनेर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत अतिभारित किन-किन ग्रि‍डों पर वर्तमान में कितने-कितने एम.वी.ए. ट्रांसफार्मर की ओर आवश्‍यकता है? इस हेतु विभाग से प्राप्‍त मांग पत्र पर शासन द्वारा क्‍या-क्‍या स्‍वीकृति प्रदान की गई है? (ख) विधानसभा क्षेत्र के कई इलाकों में वोल्‍टेज ड्रॉप की समस्‍या तथा अघोषित बिजली कटौती से क्षेत्र के लोगों को काफी परेशानी का सामाना करना पड़ रहा है, इस लापरवाही का जिम्‍मेदार कौन है? अघोषित कटौती क्‍यों की जा रही है? (ग) सुसनेर विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में कितने स्‍थानों पर लाईनों में केबल डालना आवश्‍यक है तथा अतिभारित ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि कब तक की जावेगी? (घ) वर्तमान में बिजली बिल अत्‍यधिक राशि के दिये जाने का क्‍या कारण है?

        ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ) : (क) वर्तमान में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्‍दौर अंतर्गत सुसनेर विधानसभा क्षेत्र में स्‍थापित कोई भी अति उच्‍चदाब एवं 33/11 के.व्‍ही. विद्युत उपकेन्‍द्र (ग्रिड) अतिभारित नहीं है। अत: शेष प्रश्‍न नहीं उठता। (ख) प्रश्‍नाधीन क्षेत्र अंतर्गत पर्याप्‍त संख्‍या में 33/11 के.व्‍ही. विद्युत उपकेन्‍द्र एवं अन्‍य विद्युत अधोसंरचना उपलब्‍ध है, जिससे प्रश्‍नाधीन क्षेत्र में पर्याप्‍त वोल्‍टेज पर आकस्मिक अवरोधों के कारण आए व्‍यवधानों को छोड़कर नियमानुसार कृषि प्रयोजन हेतु प्रतिदिन 10 घंटे एवं गैर कृषि प्रयोजन हेतु प्रतिदिन 24 घंटे गुणवत्‍तापूर्ण विद्युत प्रदाय किया जा रहा है तथा किसी भी प्रकार की अघोषित विद्युत कटौती नहीं की जा रही है। उल्‍लेखनीय है कि विद्युत लाईनों/अधोसंरचना के रख-रखाव हेतु पूर्व निर्धारित शट-डाउन लेने तथा तकनीकी कारणों/प्राकृतिक आपदा से आये आकस्मिक व्‍यवधानों जैसी अपरिहार्य स्थिति के कारण कतिपय अवसरों पर विद्युत प्रदाय बाधित होता है, जिसमें आवश्‍यक रख-रखाव/सुधार कार्य कर विद्युत प्रदाय शीघ्र ही सुचारू कर दिया जाता है। विद्युत अधोसंरचना के आवश्‍यक रख-रखाव कार्य हेतु लिए जाने वाले शटडाउन की सूचना विद्युत उपभोक्‍ताओं को अखबार एवं अन्‍य माध्‍यमों से दी जाती है। अत: उक्‍तानुसार की जा रही कार्यवाही के परिप्रेक्ष्‍य में किसी के दोषी होने का प्रश्‍न नहीं उठता। (ग) प्रश्‍नाधीन क्षेत्र में 223 स्थानों पर विद्युत लाईनों के के‍बलीकरण का कार्य आवश्‍यक है, इस हेतु आर.डी.एस.एस. योजना के अंतर्गत 109 स्थानों पर केबलीकरण का कार्य स्वीकृत हुआ है। शेष स्‍थानों पर विद्युत लाइनों के के‍बलीकरण का कार्य आर.डी.एस.एस. योजना के द्वितीय चरण (सिस्टम मॉडर्नाईजेशन) में प्रस्तावित है। प्रश्‍नाधीन क्षेत्र में वित्‍तीय वर्ष 2022-23 से प्रश्‍न दिनांक तक की स्थिति में कुल 47 अतिभारित वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि के कार्य किए गए हैं। वर्तमान में प्रश्‍नाधीन क्षेत्रांतर्गत 108 वितरण ट्रांसफार्मर अतिभारित हैं, जिनमें से 43 वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमतावृद्धि के कार्य एस.एस.टी.डी. योजना अंतर्गत स्‍वीकृत हैं, उक्‍त कार्यों को माह अक्‍टूबर, 2024 तक पूर्ण कर लिया जावेगा। शेष 65 अतिभारित वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि के कार्यों को आर.डी.एस.एस. योजना के द्वितीय चरण (सिस्टम मॉडर्नाईजेशन) में प्रस्तावित किया गया है, जिसकी स्वीकृति उपरांत कार्यों को शीघ्र पूर्ण किया जावेगा। (घ) विद्युत उपभोक्ताओं को उनके परिसर में स्थापित विद्युत मीटर में दर्ज विद्युत की वास्तविक खपत एवं म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के तहत ही विद्युत देयक जारी किये जाते हैं। कतिपय प्रकरणों में किसी कारणवश त्रुटिपूर्ण विद्युत देयक जारी हो जाने पर विद्युत उपभोक्ता से आवेदन प्राप्‍त होने पर प्रकरण का नियमानुसार समुचित निराकरण किया जाता है।

          श्री भैरो सिंह बापू -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री महोदय से जानकारी चाही थी कि विद्युत की अघोषित कटौती मेरे क्षेत्र में हो रही है. आए दिन, चाहे नगरीय क्षेत्र हों, चाहे ग्रामीण क्षेत्र हों, चाहे किसान भाई हों, सभी विद्युत की कटौती से परेशान हैं. आज जो अधिकारियों द्वारा माननीय मंत्री महोदय को अवगत कराया गया, यह पूरा असत्‍य है कि विद्युत की कटौती नहीं हो रही है. दूसरा, जो 65 अतिभार वाले ट्रांसफार्मर जल्‍दी ही लगाने की आपने स्‍वीकृति प्रदान की है, वह कब तक लग जाएंगे, यही मेरा आपसे निवेदन है और मेरे क्षेत्र की ही नहीं, यह हर जगह की परेशानी है, बहुत से बिल मेरे पास हैं, अध्‍यक्ष महोदय, आप आदेश करेंगे तो मैं प्रस्‍तुत करूंगा, जैसे 126 यूनिट का बिल है, 1980 रुपये का...

          अध्‍यक्ष महोदय -- भैरो सिंह जी, प्रश्‍न आ गया है, उत्‍तर आ जाने दीजिए.

          श्री भैरो सिंह बापू -- अध्‍यक्ष महोदय, यही मेरा आपसे निवेदन है कि जल्‍द से जल्‍द पूरे क्षेत्र की ...

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब उत्‍तर सुन लें, दूसरा सप्‍लीमेंट्री इसके बाद कर लीजिएगा.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष जी, आपके माध्‍यम से मैं सम्‍माननीय सदस्‍य को बताना चाहता हूँ कि मध्‍यप्रदेश में बिजली कटौती नहीं है. बिजली अवरोध है, मतलब अवरोध के कई कारण हैं कि अगर ट्रांसफार्मर रखा हुआ है, वह ट्रांसफार्मर अगर 25 केवी का रखा हुआ है, अगर उस पर लोड ज्‍यादा आ जाएगा तो ट्रांसफार्मर या तो ट्रिप करेगा या फुंक जाएगा. उसके बारे में आप यदि मेरे साथ बैठेंगे, मैं आपको बता भी दूंगा, उसको ठीक करने की बात करूंगा. दूसरा, आपने पूछा है कि हमारे यहां जो आपके ट्रांसफार्मर हैं, जो ओवरलोडेड हैं, उसमें से 43 ट्रांसफार्मर आगामी रबी सीजन तक हम क्षमता वृद्धि ट्रिपल आईडीएस में कर देंगे. तीसरा, 65 ट्रांसफार्मर जो हैं, हमने फेज टू में आर.डी.एस.एस. में इनके लिए लिए हुए हैं, उनको भी हम करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, दूसरा पूरक प्रश्‍न करें.

          श्री भैरो सिंह बापू -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके आश्‍वासन से मैं धन्‍यवाद देता हूँ कि जल्‍दी ही मेरे क्षेत्र की समस्‍या सुधरे. सबसे महत्‍वपूर्ण यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के अंदर और शहरी क्षेत्र के अंदर जो केबल की स्‍थिति खराब है, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि अधिकारियों की एक टीम बनाकर जल्‍दी से जल्‍दी पूरे क्षेत्र के अंदर केबल की व्‍यवस्‍था सुधारी जाए, जो आए दिन जनहानि हो रही है. एक और मेरा आपसे निवेदन है कि जो यह बिल की त्रुटि हो रही है, इसके लिए जल्‍दी से जल्‍दी तहसील स्‍तर पर आपके विभाग द्वारा शिविर लगाए जाएं और आम जनता को इससे राहत दी जाए. माननीय अध्‍यक्ष महोदय के माध्‍यम से यही आपसे निवेदन है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिहं तोमर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सम्‍मानित सदस्‍य को बताऊंगा कि वर्तमान में इनके क्षेत्र में 496 किलोमीटर केबलीकरण है. उसमें से हमारे ट्रिपल आईडीएस में अभी 224 किलोमीटर केबल बदलने का प्रस्‍ताव है, उसे हम बदलेंगे. साथ ही सम्‍माननीय सदस्‍य ने जो बिल के बारे में चिंता जताई है, मैं यह चाहूँगा कि आपके बिलों में कोई शिकायतें हैं तो हमारे संबंधित एसई को जाकर वे शिकायतें आप बताएं और जो बिल त्रुटिपूर्ण होगा, विभाग की कोई कमी होगी, उसको सुधारा जाएगा. यह मैं आपको आश्‍वस्‍त करता हूँ.

 

वैध एवं अवैध कॉलोनी के दिशा-निर्देश

[नगरीय विकास एवं आवास]

        5. ( *क्र. 964 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अवैध से वैध कॉलोनी हेतु शासन द्वारा क्या-क्या निर्देश जारी किए हैं ? (ख) सुवासरा विधानसभा के नगरीय क्षेत्र में चिन्हित अवैध एवं वैध कॉलोनियों के वार्ड क्र., नगर का नाम, कॉलोनाईजर के नाम सहित पृथक-पृथक जानकारी देवें। (ग) शासन द्वारा सीतामऊ, शामगढ़, सुवासरा के नगरीय क्षेत्र में चिन्हित अवैध कॉलोनियों को वैध करने हेतु क्या-क्या कार्यवाही की गई है? वार्ड क्र., कॉलोनी, शहर के नाम सहित जानकारी देवें। (घ) शासन द्वारा उपरोक्त अवैध से वैध कॉलोनी होने पर इनके विकास हेतु कौन जवाबदेह होगा?

        नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) अवैध से वैध कॉलोनी करने हेतु कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं, अपितु नगरीय क्षेत्र में निर्दिष्‍ट अवधि के पूर्व अस्तित्‍व में आई चिन्हित अनधिकृत कॉलोनियों में नागरिक अधोसंरचना एवं भवन अनुज्ञा प्रदान करने के लिए म.प्र. नगर पालिका (कॉलोनी विकास) नियम, 2021 में प्रावधान किए गए हैं। (ख) अनधिकृत कॉलोनियों की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार एवं वैध कॉलोनियों की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ग) उत्‍तरांश '''' के अनुसार नगर पालिका के सक्षम प्राधिकारी अर्थात कलेक्‍टर मन्‍दसौर द्वारा म.प्र. नगरपालिका (कॉलोनी विकास) नियम, 2021 के अंतर्गत चिन्हित अनधिकृत कॉलोनियों में नागरिक अधोसंरचना एवं भवन अनुज्ञा प्रदान करने के लिए की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (घ) उत्‍तरांश '''' के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है, यद्यपि म.प्र. नगरपालिका (कॉलोनी विकास) नियम, 2021 के अंतर्गत कार्यवाही पूर्ण होने पर अनधिकृत कॉलोनियों में नागरिक अधोसंरचना के विकास कार्य संबंधित स्‍थानीय नगरीय निकाय द्वारा कराए जायेंगे।

          श्री हरदीप सिंह डंग - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्‍न में माननीय मंत्री जी से यह पूछा था कि अवैध कॉलोनी से वैध कॉलोनी करने के लिए विभाग द्वारा क्‍या निर्देश दिए गए हैं, तो उसमें लिखा है कि कोई ऐसे निर्देश नहीं दिए गए हैं और भवन अनुज्ञा एवं नागरिक अधोसंरचना के लिए म.प्र. नगर पालिका (कॉलोनी विकास) नियम, 2021 के तहत भवन के निर्माण की अनुमति दी जाती है. मैं यह पूछना चाहता हूँ कि जब अवैध और वैध कॉलोनी की अनुज्ञा दी जाती है तो वैध कॉलोनी पर दी जाती है कि अवैध कॉलोनी पर दी जाती है, क्‍योंकि लगातार जो मकान के काम चल रहे हैं, तो वहां पर हम उनको अवैध कॉलोनी बोल रहे हैं. जो अनुज्ञा दी गई है, वह वैध कॉलोनी पर दी गई है कि अवैध कॉलोनी पर दी गई है. मेरा यह प्रश्‍न है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्‍य के प्रश्‍न का उत्‍तर दूँ. उसके पहले इसकी पृष्‍ठभूमि बताना चाहता हूँ. यह बात सही है कि मध्‍यप्रदेश में अवैध कॉलोनी की समस्‍या शहरों के अन्‍दर ज्‍यादा है और इसका एक नैक्‍सेस काम कर रहा है. अब माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने हमें निर्देश दिए हैं कि इसके लिए कड़े कानून बनाए जायें, जिससे अब अवैध कॉलोनियां नहीं बनें. हमारा विभाग उसके लिए काम कर रहा है. अध्‍यक्ष महोदय होता यह है कि वैध कॉलोनी वाला प्‍लॉट 1,000 रुपये स्‍क्‍वायर फीट में बिकता है और उससे आधा किलोमीटर दूरी पर अवैध कॉलोनी वाला प्‍लाट 250 रुपये स्‍क्‍वायर फीट में बिक जाता है. प्‍लॉट वाला,  प्‍लॉट बेच देता है, तो लोग वहां पर मकान बनाकर रहने चले जाते हैं, फिर हम वहां से चुनाव लड़ते हैं, लोग हमको घेरते हैं कि आप सड़क बनाइये, पानी दीजिये. यह मेरी समस्‍या नहीं है, यह सभी की समस्‍या है. इसलिए अवैध कॉलोनी प्रदेश में नहीं बने, इसके लिए हम कड़े नियम बना रहे हैं. हम आने वाले समय में सदन में उसको प्रस्‍तुत करेंगे.

          दूसरा, माननीय सदस्‍य ने पूछा कि यह बात सही है कि हम अवैध को वैध नहीं कर रहे हैं, पर वहां के नागरिकों को निर्माण की अनुमति मिले, वहां अधोसंरचना का विकास हो, इसकी अनुमति जरूर दे रहे हैं. अब इसका पॉलिटिकल कारण भी होता है, मैंने आपको बता दिया है कि जब हम वहां पर जीतकर जाते हैं, तो लोग कहते हैं कि हमने आपको वोट दिया है, आप सड़क बनवाइये, आप हमें पानी दीजिये, हमारे यहां विकास कीजिये. इसलिए हमारी सरकार ने पिछली बार इन सब कॉलोनियां में नागरिक सुविधाएं मिलें, अधोसंरचना का विकास हो, इसलिए मकानों को बनाने की अनुमति भी दी है और अधोसंरचना का विकास भी किया है.

          श्री हरदीप सिंह डंग - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन यह है कि कई वर्षों से हमारी छोटी-छोटी नगर परिषदें थीं, तो वहां पर पहले खेत हुआ करते थे. अब वहां पर किसान भी कहीं न कहीं व्‍यापार की तरफ ज्‍यादा बढ़ रहे हैं. उन्‍होंने स्‍वयं ही कॉलोनियां काटी हैं और वे कॉलोनी बनाकर भूल गए हैं कि कभी यह हमारी कॉलोनी थी. अब न तो वह कॉलोनी वालों से बोल पाते हैं और न ही नगर परिषद से बोल पाते हैं. अब ऐसे में अभी तक जो अवैध कॉलोनी मानी जाती हैं, तो उनको वैध करने के लिए जो 15-15 वर्ष, 20-20 वर्ष हो गए हैं, जिनको अवैध बोला जाता है, तो उनकी अभी विज्ञप्ति भी जारी की गई है, तो मेरा निवेदन है कि उनको वैध करने की कार्यवाही जो 20 वर्ष, 25 वर्ष पहले की कॉलोनी बनी हैं, तो उनको तत्‍काल वैध करके, जैसे इन्‍दौर में बड़ी-बड़ी चौड़ी एवं अच्‍छी सड़कें बनती हैं और 7 बार इन्‍दौर स्‍वच्‍छता में प्रथम आया है, उज्‍जैन भी सिंहस्‍थ के कारण पूरा विकास के रास्‍ते पर जा रहा है तो यह हमार नगर छोटी परिषद भी विकास की राह देख रही है, तो छोटी-छोटी गलियां, मुहल्‍ले वहां पर नगारिकों को सुविधाएं नहीं मिलती हैं तो मेरा यह मानना है कि एक तो यह किया जाये. दूसरा, सुवासरा में सन् 1938 एवं 1939 में बन्‍दोबस्‍त हुआ था, तो राजस्‍व विभाग और नगर परिषद आपस में दो ही टकराते हैं. कि यह जमीन आपकी है और यह जमीन आपकी है, तो यह मेरा प्रश्‍न भी था. यहां पर राजस्‍व मंत्री जी भी बैठे हुए हैं. अभी इन्‍होंने कहा था कि बन्‍दोबस्‍त का कार्य बन्‍द हो गया है, बन्‍दोबस्‍त में नक्‍शा सुधार, खसरा सुधार, बी-1 का सुधार हमारे नगर परिषद में राजस्‍व और नगर परिषद को यही पता नहीं है कि यह जमीन किसकी है ? तो आप एक आदेश जारी कर दें कि वहां पर नगर परिषद की जितनी भी जमीन हैं, उनके नक्‍शे सुधारे जाएं, उनके खसरे बी-1 सुधारे जाएं. जिससे वहां पर जनता को राहत मिल सके. यहां पर आप दोनों मंत्री जी तय कर लें कि वह काम कौन करेगा ? सन् 1938-39 के बाद आज तक नक्‍शा सुधार नहीं हुआ है. आपने कहा कि बंदोबस्‍त का कार्य बंद हो चुका है, तो नई कौन सी स्‍कीम आई है, जिससे नक्‍शे सुधारे जायेंगे. बड़े-बड़े भू-माफिया इसका लाभ उठा रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  हरदीप जी, आप प्रश्‍न पर आ जायें.

          श्री हरदीपसिंह डंग-  अध्‍यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि बंदोबस्‍त का काम, जो कि बंद हो चुका है तो नगरीय क्षेत्र में कौन उन नक्‍शों को सुधारेगा, इन्‍हें या तो नगर परिषद सुधारे या राजस्‍व विभाग सुधारे, जिससे पता चल सके कि जमीन किसकी है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-  अध्‍यक्ष महोदय, ये बात सही है कि सिर्फ सुवासरा नहीं, प्रदेश के काफी नगर पालिका और नगर निगमों में जमीन को लेकर संशय है कि भूमि राजस्‍व की है कि नगर निगम की है. हम इसके लिए अगल से सारे कलेक्‍टरों को निर्देश देंगे कि कम से कम नगर निगम, नगर पालिका या नगर पंचायत की जितनी भूमि है, उसे मार्क कर बतायें कि ये भूमि उनकी है.

          दूसरा आपने सुवासरा के विषय में कहा कि जितनी भी अवैध कॉलोनी हैं, हम उन्‍हें वैध तो नहीं करेंगे लेकिन वहां पर नागरिक सुविधायें उनको मिल जाये और अधोसंरचना का विकास हो, वे बिल्डिंग परमिशन ले सकें, हम तीन माह के भीतर आपके यहां जितनी कॉलोनियां हैं, उन पर निश्चित रूप से अनुमति प्रदान कर देंगे.

          श्री हरदीपसिंह डंग-  अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आखिर प्रश्‍न है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  हरदीप जी, काफी हो गया, आप मंत्री जी से व्‍यक्तिगत रूप से मिल लीजियेगा.

          श्री हरदीपसिंह डंग-  अध्‍यक्ष महोद,य मेरा निवेदन है कि अभी सिंहस्‍थ आने वाला है, मेरी विधान सभा पूरे उज्‍जैन से जुड़ी हुई है. आप लाखों-करोड़ों रूपये उधर खर्च कर रहे हैं, निवेदन है कि हमारी नगर परिषदों को भी विकास के नाम पर कोई विशेष निधि स्‍वीकृत हो जाये तो उन कॉलोनीवासियों का उद्धार होगा और रास्‍ते भी बन जायेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आप व्‍यक्तिगत रूप से उनसे मिल लें. सिंहस्‍थ का विषय अलग है.

          श्री हरदीपसिंह डंग-  अध्‍यक्ष महोदय, मुझे आपके माध्‍यम से ऐसा मौका मिला है, मंत्री जी अभी बोल दें कि मिल लेना.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-  हरदीप जी आप मुझसे मिल लीजियेगा. (मंत्री जी द्वारा माननीय सदस्‍य से अपने आसन पर बैठे-बैठे कहा गया.)

          श्री हरदीपसिंह डंग-  धन्‍यवाद.

 

 

विद्युत लाईन एवं विद्युत आपूर्ति

[ऊर्जा]

        6. ( *क्र. 626 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या खरगापुर विधान सभा के कई ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राम कोटरा खेरा अनु.जाति बस्‍ती खुमानगंज, वार्ड नं. 7 लाल्‍ले अहिरवार के घर से खज्‍जू रैकवार के घर तक नगर परिषद बल्‍देवगढ़ एवं ग्राम पठाघाट में ज्‍वाला के कुंआ से छोटे लाल के कुंआ तक घरों वाली लाईन से जोड़े जाने तथा विद्युत मण्‍डल पलेरा, खरगापुर, बल्‍देवगढ़ में प्रश्‍नकर्ता द्वारा स्‍टीमेट हेतु एवं लाईन लगवाकर बिजली आपूर्ति हेतु प्रस्‍ताव पत्र संबंधित अधीक्षण अभियंता (सं./सं.)/कार्यपालन अभियंता (सं./सं.) को लिखे हैं? क्‍या वर्णित लाईनों के कार्य एवं प्रस्‍तावों के अनुसार लाईने लगवाने तथा आम जनता को बिजली आपूर्ति की व्‍यवस्‍था कब तक करा दी जावेगी? (ख) क्‍या खरगापुर विधान सभा इन उल्‍लेखित लाईनों के खम्‍बे लगाकर लोगों को बिजली प्रदान किये जाने के आदेश जारी करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों? (ग) क्‍या ऊर्जा विभाग द्वारा जिन स्‍थानों पर बिजली नहीं है, उन स्‍थानों पर बिजली लगाये जाने का सर्वे करायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों?

        ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ) : (क) प्रश्‍नाधीन विद्युतीकरण के कार्यों हेतु माननीय प्रश्‍नकर्ता विधायक महोदया द्वारा अधीक्षण अभियंता (सं./सं.)/कार्यपालन अभियंता (सं./सं.) को नहीं अपितु कनिष्‍ठ यंत्री, विद्युत वितरण केन्‍द्र बल्‍देवगढ़ एवं खरगापुर को पत्र लिखे गये हैं। पत्रों में वर्णित विद्युतीकरण के कार्यों हेतु सर्वे कार्य पूर्ण कराकर जमा योजना अंतर्गत प्राक्‍कलन तैयार कर, प्राक्‍कलित राशि जमा कराये जाने हेतु माननीय प्रश्‍नकर्ता विधायक महोदया को कार्यालय बल्‍देवगढ़ वितरण केन्‍द्र के पत्र दिनांक 15.06.2024 से लेख किया गया है। नियमानुसार प्राक्कलन राशि जमा हो जाने के उपरान्त प्रश्‍नाधीन दोनों स्थानों पर लाईन विस्‍तार कार्य हेतु कार्यवाही की जा सकेगी। (ख) उत्‍तरांश (क) में उल्‍लेखित दोनों कार्यों हेतु नियमानुसार प्राक्‍कलित राशि जमा होने के उपरान्त ही आगामी कार्यवाही की जा सकेगी। (ग) विद्युतीकरण हेतु निर्धारित नीति अनुसार सर्वप्रथम प्रदेश के सभी आबाद ग्रामों के विद्युतीकरण का कार्य एवं तदुपरांत आबाद ग्रामों के चिन्हित मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य वित्‍तीय उपलब्‍धता अनुसार क्रमश: केन्‍द्र शासन की विभिन्‍न विद्युतीकरण की योजनाओं, यथा-राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना एवं दीनदयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना, में किया गया। तदुपरांत सौभाग्‍य योजना के प्रावधानों के अंतर्गत शत्-प्रतिशत घरों के विद्युतीकरण का कार्य किया गया, किन्‍तु इस योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार खेतों में दूर-दूर अवस्थित घरों को तकनीकी एवं वित्‍तीय साध्‍यता नहीं होने के कारण योजना में सम्मिलित नहीं किया गया। सौभाग्‍य योजना के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदेश के शत्-प्रतिशत घरों के विद्युतीकरण का कार्य दिनांक 22.10.2018 को पूर्ण कर लिया गया था। नये घरों/मजरों/टोलों का निर्माण एक सतत् प्रक्रिया है। उक्‍त योजनाओं के क्‍लोज हो जाने के उपरांत निर्मित मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य वित्‍तीय एवं तकनीकी साध्‍यता अनुसार वित्‍तीय उपलब्‍धता के अनुरूप किया जा सकेगा, जिस हेतु वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

          श्री चंदा सुरेन्‍द्र सिंह गौर-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं, मंत्री जी द्वारा जो उत्‍तर दिया गया है, उससे संतुष्‍ट हूं लेकिन मैं, मंत्री जी से एक अनुरोध करना चाहती हूं कि विधायक निधि से मुझे अपने क्षेत्र में और कई कार्य करने हैं और राशि कम है, मेरा क्षेत्र भी बहुत बड़ा है. इसलिए आपके विभाग की राशि से इन ग्रामों में बिजली पहुंचा दी जाये तो बहुत अच्‍छा होगा.

          ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर)-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं, बताना चाहता हूं कि विभाग के अंतर्गत समय-समय पर जो योजनायें आती हैं, जिन बस्तियों में विद्युतीकरण होता है, अभी पहले बड़े-बड़े गांव और मजरों में हो गया है, अब जब टोलों के लिए कोई योजना आयेगी तो उस योजना में इन्‍हें शामिल कर वहां काम करवाया जायेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय-  चंदा जी, दूसरा पूरक प्रश्‍न करें.

          श्री चंदा सुरेन्‍द्र सिंह गौर-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं, केवल इतना चाहती हूं कि किसी न किसी माध्‍यम से आप इन ग्रामों में बिजली की व्‍यवस्‍था, अपने विभाग के माध्‍यम से करवा दें, धन्‍यवाद.

नगर निगम जबलपुर के नये वार्डों के वर्ष 2014 के पूर्व के नक्‍शे, पट्टे की जानकारी

[नगरीय विकास एवं आवास]

        7. ( *क्र. 523 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या वर्ष 2014 के पूर्व के नक्‍शे, पट्टे आदि के अभिलेख उपलब्‍ध हैं ? (ख) यदि हाँ, तो कौन-कौन से अभिलेख उपलब्‍ध हैं? वार्डवार जानकारी देवें। (ग) प्रश्‍नांश (क) के अंतर्गत क्‍या हितग्राहियों को तत्‍कालीन समय के स्‍वीकृत नक्‍शों एवं पट्टों की जानकारी उपलब्‍ध नहीं कराई जा रही है? (घ) यदि हाँ, तो क्‍यों?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी नहीं। अपितु वर्ष 2014 के पूर्व नये वार्ड नगर निगम सीमांतर्गत न होने के कारण इन वार्डों में अनुज्ञा जारी नहीं की जाती थी। अत: इन वार्डों के नक्‍शे, पट्टे आदि के अभिलेख उपलब्‍ध नहीं है। (ख) से (घ) प्रश्‍नांश '''' के परिप्रेक्ष्‍य में शेषांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

          श्री सुशील कुमार तिवारी-  अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न है कि वर्ष 2013-14 में परिसीमन लागू हुआ था. उसमें हमारी पंचायत की कुछ पंचायतें, नगर निगम के वार्डों में सम्मिलित हुई हैं परंतु उनके रिकॉर्ड नगर निगम में अभी तक नहीं दिए गए हैं. यह दो विभागों का मामला है. लोगों के मृत्‍यु प्रमाण-पत्र और जन्‍म-प्रमाण पत्र वहां 50 वर्षों के जो रिकॉर्ड रखे हैं, उससे नहीं मिल पा रहे हैं. जनपद पंचायत कहती है कि  अब यह हमारी पूंजी नहीं रह गई है, यह नगर निगम की पूंजी है. हमारा अनुरोध है कि नगर निगम उस रिकॉर्ड को लाये क्‍योंकि उन्‍होंने परिसीमन के बाद, जब वे वार्ड शामिल कर दिए तो रिकॉर्ड लेना उनकी जवाबदारी होगी.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मंत्री जी उस रिकॉर्ड को उपलब्‍ध करवायें जिससे जनता को उससे लाभ मिल सके, जिसमें मृत्‍यु प्रमाण-पत्र, जन्‍म-प्रमाण पत्र और भी कई अन्‍य आवश्‍यक दस्‍तावेज शामिल हैं, उन्‍हें जनता प्राप्‍त कर सके. क्‍योंकि लगभग 9 वर्ष हो गए हैं लेकिन इसका निराकरण नहीं हो पाया है.

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-  अध्‍यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्‍यम से इसके पहले वाले प्रश्‍न में कहा है कि यह समस्‍या प्रदेश के अधिकांश नगर पालिका, नगर निगमों में है. हम कलेक्‍टरों को निर्देश दे रहे हैं कि कम से कम नगर पालिका और नगर निगम का सीमांकन करके उनकी भूमि कौन सी है वह सुनिश्चित करें. तिवारी जी मैं दो माह के अंदर आपके यहां किसी अधिकारी को नियुक्‍त कर दूंगा कि वह इसको देखेगा और दो माह के अंदर आपकी जो समस्‍या है उसका निराकरण हो जाएगा.

          श्री सुशील कुमार तिवारी-- मंत्री जी बहुत बहुत धन्‍यवाद.

नगर परिषद अम्‍बाह में प्रतिवर्ष लगने वाले मेले से प्राप्‍त राजस्‍व

[नगरीय विकास एवं आवास]

8. ( *क्र. 106 ) श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या विधानसभा क्षेत्र अम्‍बाह के नगर परिषद अम्‍बाह में नगर परिषद द्वारा प्रतिवर्ष मौसमी मेला लगाया जाता है? (ख) यदि हाँ, तो वर्ष 2023 में जो मेला लगाया गया था, वह किस ठेकेदार द्वारा और कितनी राशि पर लगाया गया था? क्‍या ठेकेदार से नगर परिषद अम्‍बाह को तय राजस्‍व राशि प्राप्‍त हुई थी? यदि हाँ, तो कितनी? यदि नहीं, तो क्‍यों  (ग) राजस्‍व राशि प्राप्‍त नहीं होने पर ठेकेदार के विरूद्ध क्‍या कार्यवाही की गई? यदि कार्यवाही नहीं की गई तो क्‍यों? कारण स्‍पष्‍ट करें।

 (घ) वर्ष 2023 के पूर्व नगर परिषद अम्‍बाह द्वारा विभागीय कमेटी बनाकर मेला लगाया जाता था? यदि हाँ, तो वर्ष 2023-24 में ठेकेदार द्वारा क्‍यों लगवाया गया?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी हाँ। (ख) निकाय द्वारा वर्ष 2023 में मेला लगाया गया था। उक्त मेले के ठेकेदार मे. पण्डित मेला महोत्सव सर्कस एवं मीना बाजार प्रो. रवि शर्मा पुत्र श्री महेश कुमार शर्मा निवासी डी-12, श्रीराम नगर दर्पण कॉलोनी थाटीपुर ग्वालियर म.प्र. से शासकीय प्रीमियम राशि 25,00,000/- (पच्चीस लाख रूपये) थी, जिसके विरूद्ध ठेकेदार द्वारा निकाय में कुल 11,25,000/- रूपये एवं 2,50,000/- धरोहर राशि राजसात कर निकाय के खाते में कुल 13,75,000/- जमा कराये गये हैं। (ग)  

(घ) जी हाँ। वर्ष 2023-24 में निकाय द्वारा परिषद संकल्प 05, दिनांक 17.02.2023 में निर्णयानुसार उक्त मेले का आयोजन ऑनलाइन निविदा आमंत्रित कर ठेके से आयोजित किया गया।

          श्री देवेन्‍द्र रामनारायन सखवार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से नगर परिषद अम्‍बाह में प्रतिवर्ष लगाये जाने वाले मेले के संबंध में पूछना चाहता हूं कि विधान सभा क्षेत्र अम्‍बाह के नगर परिषद अम्‍बाह में नगर परिषद् द्वारा प्रतिवर्ष मौसमी मेला लगाया जाता है. मुझे इसका जबाव मिला था कि वर्ष 2023 में जो मेला लगाया गया था वह ठेकेदार द्वारा लगाया गया था और वर्ष 2023 से पहले जो मेला लगाया जाता था वह स्‍थानीय नगर निगम की कमेटी के द्वारा लगाया जाता था. मेरा प्रश्‍न यह है कि वर्ष 2023 और 2024 में मेला ठेकेदारी प्रथा द्वारा क्‍यों लगाया गया ?  

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो स्‍थानीय निकाय है यह चुनी हुई परिषद रहती है और अपना निर्णय स्‍वयं करती है. साधारण तौर पर हम इस विषय में कोई हस्‍तक्षेप नहीं करते हैं क्‍योंकि यह उनका अधिकार है, उन्‍होंने निर्णय लिया है परंतु आप कुछ सलाह देना चाहें तो हम वह सलाह उनके पास तक पहुंचा सकते हैं.

          श्री देवेन्‍द्र रामनारायन सखवार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि वर्ष 2023 में जो मेला लगा था वह जिस ठेकेदार के द्वारा लगाया गया था उस ठेकेदार द्वारा पूर्ण राशि जमा नहीं की गई है. हमारे स्‍थानीय व्‍यापारी छोटे-छोटे दुकानदार इन सबको दोनों वर्षों में दुकानों के लिए परेशान होना पड़ा था. महंगी दुकानें उठी थीं. परिषद द्वारा जो मेला लगाया जाता था उसमें हमारे सभी स्‍थानीय दुकानदार सुरक्षित थे और महंगी दुकानें नहीं उठी थीं. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्‍या यह ठेकेदारी प्रथा खत्‍म होगी या नहीं होगी.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने पहले ही निवेदन किया है कि यह चुनी हुई परिषद है यह स्‍वयं निर्णय करते हैं परंतु मैं यह जरूर सुनिश्चित करूंगा कि वहां के लोकल दुकानदारों को संरक्षण मिले. 

अवैध कॉलोनियों का निर्माण

[नगरीय विकास एवं आवास]

9. ( *क्र. 173 ) डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश भर के साथ ही रतलाम जिले में भी नियम विरुद्ध शहरी एवं शहरी क्षेत्र से लगे क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियां निरंतर बनाई जाकर आम गरीब जन को मूलभूत सुविधा से वंचित कर मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है? (ख) यदि हाँ, तो रतलाम जिला अंतर्गत किन-किन स्थानों पर अवैध एवं अविकसित कॉलोनी के साथ बिना किसी नियम प्रक्रिया पालन के काटी गई कितनी कॉलोनियां चिन्हित की गईं? (ग) क्या इनके मानचित्र संबंधित निकाय, नगर निवेश विभाग अथवा ग्राम पंचायत द्वारा अनुमोदित किए गए तो, क्या इन्हें कॉलोनी विकसित किए जाने के समय नोटिस दिए गए? नियमानुसार आश्रय शुल्क जमा किया गया तो कहां किस खाते में जमा किया गया एवं क्या नियमानुसार प्‍लॉट बंधक रखे गए तथा गरीब एवं मध्यम वर्ग हेतु एवं बगीचा इत्यादि हेतु भूमि रिक्त रखी गई? (घ) उपरोक्तानुसार नियम विरुद्ध काटी गई अनियमित कॉलोनियों के संबंध में क्या-क्या कार्यवाही की गई? उन कार्यवाहियों के परिणाम क्या आए? साथ ही विगत वर्षों में कॉलोनाईजर्स के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज की गई तो उसके पश्चात क्या विवेचना इत्यादि पूर्ण होकर न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत करवाया गया तथा बंधक प्‍लॉट विक्रय कर विकास कार्य किए गए एवं जमा आश्रय शुल्क की राशि के माध्यम से क्या-क्या कार्य किए गए?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) नगरीय क्षेत्र एवं नगरीय क्षेत्र से लगे क्षेत्रों में अनधिकृत रूप से कॉलोनियों का निर्माण होता हैजिनके विरूद्ध दण्‍डात्‍मक कार्यवाही करने के लिए अधिनियम में उपबन्‍ध भी रखे गए हैंजिसके अनुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्‍थानीय स्‍तर पर कार्यवाही की जाती है। अनधिकृत कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहता हैजिसके दृष्टिगत राज्‍य सरकार द्वारा निर्दिष्‍ट अवधि के पूर्व अस्तित्‍व में आई नगरीय क्षेत्र की चिन्हित अनधिकृत कॉलोनियों में नागरिक अधोसंरचना प्रदान करने के लिए म.प्र. नगरपालिका (कॉलोनी विकास) नियम, 2021 में प्रावधान है। (ख) जी हाँ। अनधिकृत कॉलोनियों की जानकारी पुस्‍तकालय रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' एवं '''' अनुसार तथा विकास अनुमति प्राप्‍त अविकसित कॉलोनियों की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' एवं '''' अनुसार है। (ग) जी हाँ। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट  के प्रपत्र '''' एवं '''' अनुसार है। (घ) जी हाँ। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''', '''', '''' एवं  '''' अनुसार है।

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी ने निश्चित रूप से उनके अनुभवों से बहुत ही विस्‍तार से जानकारी दी है और उनका उत्‍तर भी दिया है और विभाग ने यह स्‍वीकार किया है कि नगरीय क्षेत्र एवं नगरीय क्षेत्र से लगे क्षेत्रों में अनाधिकृत रूप से कॉलोनियों का निर्माण होता है जिनके विरुद्ध दण्‍डात्‍मक कार्यवाही करने के लिए अधिनियम में उपबंध भी रखे गये हैं. जिसके अनुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्‍थानीय स्‍तर पर कार्यवाही की जाती है. निश्चित रूप से अनाधिकृत और अवैध कॉलोनियों में विकास की आवश्‍यकता होती है. रतलाम जिले की जो स्थिति है मैं थोड़ा सा निवेदनपूर्वक कहना चाहूंगा कि अनाधिकृत कॉलोनी रतलाम नगर निगम में 71 हैं. नगर पालिका जावरा में 64 हैं. आलोट में 41 हैं, ताल नगर परिषद में 30, वड़ावदा नगर परिषद में 21, पिपलौदा नगद परिषद में 3, नामनी नगर परिषद में 37, सैलाना में 16 इस तरह से 283 अनाधिकृत कॉलोनियां हैं और इसी के साथ में अविकसित कॉलोनी रतलाम नगर निगम में 55 हैं,  जावरा नगर पालिका में 38 हैं. लगभग 93 हैं. दोनों की संख्‍या देखें तो 376 है. अवैध, अविकसित कॉलोनियां होकर के लगभग डेढ़ से दो लाख नागरिक नारकीय जीवन जीने को मजबूर हो रहे हैं. एक ओर कहा जा रहा है कि स्‍थानीय स्‍तर पर सक्षम अधिकारी इसके विरुद्ध कार्यवाही कर सकता है. मेरा आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से यह प्रश्‍न है और वह काफी अनुभवी हैं. आपने अभी पिछले प्रश्‍न में भी अवगत कराया है और मैं निवेदन करना चाहता हूं कि एफआईआर दर्ज हो गई है, एफआईआर थाने में पहुंच गई, कुछ एफआईआर को दर्ज किये जाने के लिए निकाय के द्वारा निवेदन भी किया गया यह सम्‍पूर्ण जिले की स्थिति है तो जिनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई उनके विरुद्ध भी विवेचना नहीं की जा करके अभी तक कोई आगामी कार्यवाही नहीं की गई है. दूसरा कलेक्टर के द्वारा भी अनुविभागीय अधिकारी और सीएमओ को अवगत कराया गया था कि आगामी कार्यवाही करें. सीएमओ ने पुलिस विभाग को अवगत कराया किन्तु आगामी कार्यवाही के लिए न तो एफआईआर दर्ज की गई और न ही उस आवेदन पर कोई कार्यवाही की गई. जो पिछली एफआईआर थी उस पर आगामी कार्यवाही नहीं हुई. आगामी एफआईआर दर्ज की जाना है उन पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है. क्या माननीय मंत्री जी के निर्देश पर एफआईआर दर्ज होने के पश्चात् विकास के कार्य भी करवाए जाएंगे और क्या एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूँ. मैंने पहले भी कहा है कि प्रदेश में अवैध कॉलोनी एक बहुत बड़ी समस्या है. अवैध कॉलोनी और अनाधिकृत कॉलोनी दोनों में थोड़ा सा अन्तर है. अवैध कॉलोनी तो वह है जो ग्रीन लैंड में बन गई, तालाब में बन गई या सरकारी जमीन पर बन गई. यह वह अवैध कॉलोनियां हैं जो वैध हो ही नहीं सकती हैं. कुछ ऐसी कॉलोनियां हैं जो वैध हो सकती हैं हम उसका रास्ता निकालकर वहां के नागरिकों को अधोसंरचना मिले, वहां के मकान की रजिस्ट्री हो, रजिस्ट्री होने के साथ साथ वे लोन भी ले सकें. इस सब की सुविधा हम दे रहे हैं. जहां तक एफआईआर का सवाल है, यदि एफआईआर हो गई है और पुलिस ने कार्यवाही नहीं की है तो मैं भोपाल से किसी अधिकारी को भेज दूंगा वे जाकर देख लेंगे. भविष्य में अवैध कॉलोनियां नहीं बनें इसके लिए हम कड़े कानून बनाने वाले हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमको निर्देश दिए हैं. हर शहर के लिए यह बहुत बड़ी समस्या है. मास्टर प्लान धरा का धरा रह जाता है. हम बड़ी मुश्किल से मास्टर प्लान बनाते हैं और अवैध कॉलोनी वाले अवैध प्लाट बेचते रहते हैं. वहां के नागरिक परेशान होते रहते हैं. हम इसके लिए कड़े कानून बनाने वाले हैं ताकि भविष्य में अवैध कॉलोनी का निर्माण न हो.

          डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और आग्रह था. जो मध्यमवर्गीय परिवार हैं, जो गरीब परिवार हैं इनके लिए कॉलोनियों में रिक्त भूमि छोड़ी जाती है. इसी के साथ साथ बगीचे की भूमि छोड़ी जाती है. साथ ही कुछ प्लाट भी बंधक रखे जाते हैं. क्योंकि बंधक प्लाट को बेचकर निकाय उस कॉलोनी का विकास कार्य कर सकता है. बगीचे का निर्माण हुआ या नहीं हुआ उसका निरीक्षण कर सकता है. जो गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के लोग हैं उनके लिए जो रिक्त भूमि छोड़ी गई है वहां पर उनको भूमि देकर उनके मकान का निर्माण कर सकता है. किन्तु कॉलोनाइजर द्वारा न तो बंधक प्लाट छोड़े जाते हैं और यदि छोड़े भी जाते हैं तो अन्य को उसे विक्रय कर दिया जाता है. इस तरह की घटनाएं भी जिले के अन्तर्गत हुई हैं. दूसरा गरीब परिवारों के लिए जो 15 प्रतिशत भूमि छोड़ी जानी चाहिए वह छोड़ी भी गई या नहीं छोड़ी गई, यह जाँच का विषय है. वहां पर भी प्लाट का विक्रय कर दिया गया है. तीसरा बगीचे के लिए जो भूमि छोड़ी गई वहां पर भी बगीचा नहीं बना है. क्या ऐसी कॉलोनियों का निरीक्षण, परीक्षण करते हुए आगामी विकास के कार्य मंत्री जी के निर्देश पर किए जाएंगे. क्या जाँच होगी.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, जो बंधक प्लाट रहते हैं साधारणतया एसडीएम उसकी परमीशन देता है उसकी परमीशन के बिना वह बेच नहीं सकता है. यदि उसने बेचे हैं तो हम उस पर सख्त कार्यवाही करेंगे, रजिस्ट्री तो उसकी हो ही नहीं सकती है. यदि ऐसा कुछ हुआ है तो हम सख्त कार्यवाही करेंगे. मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य से निवेदन करना चाहता हूँ कि ऐसे प्रकरण यदि आपके ध्यान में हैं आप मुझे लिखित में दे दीजिए. मैं कॉलोनाइजर के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करवाउंगा. इस प्रकार जो शासन के नियमों का उल्लंघन करेगा  हम उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेंगे.

          डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन है कि जो गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार हैं इनसे निकाय में प्रमाण-पत्र मांगा जाता है इनको प्रमाण-पत्र दिए जाने की व्यवस्था कर दें ताकि वह अपने मकान का निर्माण कर सके. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि डूडा का अधिकारी सक्षम नहीं है. वह तृतीय श्रेणी कर्मचारी है, लोवर लेवल का अधिकारी है. डूडा और कॉलोनी सेल वह विगत कई वर्षों से देख रहा है. उसके कारण इतनी लापरवाहियां हो रही हैं. मैं आरोप भी नहीं लगाना चाहता हूँ लेकिन कहीं न कहीं विसंगतियां हैं कहीं न कहीं नियम विरुद्ध कार्य किए जा रहे हैं. डूडा अधिकारी की भी जाँच करके उसको वहां से पद से मुक्त किया जाए. गरीबों को प्रमाण-पत्र कहां से मिल जाएं इसकी व्यवस्था कर दी जाना चाहिए. 

श्री दिनेश जैन ‘’बोस -- अध्‍यक्ष महोदय मेरा भी एक प्रश्‍न है कि टाऊन एंड कंट्री प्‍लानिंग की परमिशन के बिना, नगर निगम की परमिशन के बिना, पंचायत की परमिशन के बिना आज भी कालोनियों का काम चल रहा है. प्‍लाट भी बिक रहे हैं परमिशन भी नहीं है, कितनी भी बार शिकायत करने के बाद उनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं होती है. मेरे महिदपुर विधान सभा क्षेत्र के अंदर 20 कालोनियां अवैध हैं. नगर पालिका सीएमओ ने पुलिस में इनके ऊपर कार्यवाही करने की बात कही है, लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई और टाऊन एंड कंट्री प्‍लानिंग की परमिशन के बिना यह काम ही क्‍यों करते हैं. अगर ऐसा आदेश जारी कर दिया जाएगा कि परमिशन लेंगे तो ही काम चालू होगा. आज भी धड़ल्‍ले से पूरे ग्रामीण क्षेत्र में, नगर पालिका में मेरे विधान सभा क्षेत्र में 25 से 30 कालोनियां बिना परमिशन के बिना डायवर्जन के बन गई हैं.

अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये. मंत्री जी कुछ कहना चाहेंगे.

श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, पर्सनल मुझे शिकायत लिखकर दे देंगे और मुझसे मिल लेंगे मैं इनकी मदद कर दूंगा.

प्रश्‍न संख्‍या - 10 श्री सोहनलाल बाल्‍मीक  (अनुपस्थित)

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय मुझे एक प्रश्‍न करना है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अगले वाले में पूछ लेना अभी कार्यवाही आगे बढ़ गई है.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह -- प्रश्‍न तो माननीय कैलाश जी से है.

          श्री कैलाश कुशवाह -- अध्‍यक्ष महोदय, एक प्रश्‍न रखना चाहता हूं जो नगर पंचायत से संबंधित है.

          अध्‍यक्ष महोदय नहीं. श्री बाला बच्‍चन जी अपना प्रश्‍न करेंगे. 

          प्रश्‍न संख्‍या - 11 श्री बाला बच्‍चन  (अनुपस्थित)

नल-जल योजना

[नगरीय विकास एवं आवास]

12. ( *क्र. 935 ) श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनूपपुर जिला अंतर्गत नगर पंचायत अमरकंटक के लिए 23 करोड़ की नल-जल योजना को वर्ष 2016-17 में स्वीकृति प्रदान की गई थी तथा समय से पूर्ण किया जाना था? परंतु आज दिनांक तक क्यों प्रारंभ नहीं की गई है? (ख) प्रश्‍नांश (क) अंतर्गत नल-जल योजना नगर पंचायत अमरकंटक में कब तक पूर्ण होगी? ताकि नगर पंचायत के रहवासियों को 24 घंटे पेयजल उपलब्ध हो सकेगा? (ग) इस योजना में विलंब के कारण क्या हैं तथा जिम्मेदार कौन हैं? विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की छायाप्रति उपलब्ध कराएं।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी नहीं, अपितु नगर परिषद अमरकटंक की पेयजल योजना मुख्‍यमंत्री शहरी पेयजल योजनान्‍तर्गत वर्ष 2017-18 में राशि                 रू. 12.56 करोड़ की स्‍वीकृत की गई थी। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ख) वस्‍तुस्थिति की जानकारी उत्‍तरांश '''' अनुसार है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। शेषांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है।

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय, ‘’त्‍वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे.’’ माई नर्मदा जी को प्रणाम करते हुये चूंकि यह मॉं नर्गदा जी का और पवित्र नगरी अमरकंटक का विषय है, वर्ष 2017-18 में यहां पर पेयजल स्‍वीकृत किया गया चूंकि नगर पंचायत पवित्र स्‍थान है, यहां पर बहुत से तीर्थ यात्री आते हैं और इस उद्देश्‍य से वहां नलजल को स्‍वीकृत किया गया था. यह पत्राचारों की पूरी पुस्‍तक बन गई और पत्र पर पत्र, पत्र पर पत्र लिखे जा रहे हैं वर्ष 2017-18 से और प्रश्‍न दिनांक तक यह पत्र ही मेरे हाथ में लगा है वहां के नगरवासियों से, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि जैसे संसदीय कार्यमंत्री जी बता रहे थे कि हमारे डबल इंजन की सरकार है धकाधक चल रही है, यह पत्र मुझे नहीं चाहिये, 7 साल हो गया और यह धकाधक करना छोड़ें और टपाटप (अनेक सदस्‍यों के बोलने पर) शांत रहो, टपाटप पानी मिलना चाहिये. आप नल से जल कब पहुंचाओगे ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- मार्को जी, प्रश्‍न करें टाईम खत्‍म हो रहा है फिर आपका प्रश्‍न रह जाएगा.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि कब तक यह नल जल योजना आप प्रारंभ कर देंगे, नगर पंचायत के लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सकेगा और यह विलंब का क्‍या कारण है आपने दोषियों पर क्‍या कार्यवाही की है ? जल्‍दी बता दें अब समय कम है एक ही मिनट है.

          श्री राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- अध्‍यक्ष महोदय, खटाखट करने वाले आपके ही नेता हैं.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय, यहां भी चलेगा खटाखट, यहां भी होगा चिंता न करें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जवाब आने दें. जवाब आ रहा है. एक मिनट बचा है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, यह बात सही है कि इस योजना में विलंब हुआ है और उसका कारण फॉरेस्‍ट की जमीन पर जो इन्‍होंने निर्णय लिया था, वह फॉरेस्‍ट की जमीन थी, उसकी परमिशन में थोड़ा सा समय लग गया, परंतु मैंने समय सुनिश्चित किया है कि तीन महीने के अंदर यहां से और भारत शासन से भी कोई चला जाएगा, मैं भारत शासन में खुद परश्‍यु करूंगा, हम कोशिश करेंगे कि तीन महीने के अंदर वहां काम प्रारंभ हो जाए. मार्को जी, फिर आप एकदम खटाखट और गटागट पानी पीना.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- मंत्री जी, आप एक और बात बता दें ताकि मैं चाहूंगा कि आप ही आकर उद्घाटन करें. मैं तीन महीने में आपसे ही उद्घाटन करवाऊंगा. तीन महीने उस समय की मैं प्रतीक्षा करूंगा. धन्‍यवाद.

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

 

 

         

समय 12.00 बजे.

 

शासकीय वक्तव्य

लोक पथ एप लांच करने के संबंध में लोक निर्माण मंत्री का वक्तव्य

          अध्यक्ष महोदय श्री राकेश सिंह जी वक्तव्य देगे.

          लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) माननीय अध्यक्ष महोदय धन्यवाद्. चूंकि सड़कों को लेकर सभी की चिंता रहती है. मैं सदन को आपके माध्यम से एक सकारात्मक सूचना देना चाहता हूं. अभी दो दिन पूर्व माननीय मुख्यमंत्री जी के हाथों एक लोक पथ एप को लांच किया गया है. लोक निर्माण विभाग ने लगातार कड़ी मेहनत के बाद में इसको तैयार किया है. यह एप कोई भी व्यक्ति फिलहाल तो गूगल से डाऊन लोड कर सकता है बाद में यह बाकी के प्लेटफार्म पर भी उपलब्ध होगा.  लोक निर्माण विभाग की जो सड़कें है उसमें से जो राष्ट्रीय राजमार्ग जो कि लोक निर्माण विभाग के पास है, स्टेट हाइवे और मुख्य जिला मार्ग. यह लगभग 40 हजार किलो मीटर के आसपास होता है. इसमें कहीं पर भी अगर सड़क पर गड्डा है तो कोई भी नागरिक उस एप के माध्यम से फोटो लेगा वह फोटो जीयो टैग फोटो होगी. वह स्वाभाविक रूप से सीधे संबंधित अधिकारी के पास जायेगी. वह सब कुछ उस एप में उसके डैश बोर्ड में दिखाई देगा. उस अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि 7 दिने के भीतर वह उस मौके पर पहुंचे, और 7 दिवस के भीतर वह उस गड्डे को रिपेयर करे और रिपेयर करने के बाद में वह वापस से उस एप में डाले तो शिकायतकर्ता तक वह फोटो पहुंचेगी. उसके माध्यम से विभाग कहीं ज्यादा जिम्मेदार होगा उत्तरदायी होगा साथ ही विभाग व जनता के बीच में समन्वय भी होगा और सड़कों को ठीक करने में भी कहीं ज्यादा आसानी होगी. अगर 7 दिन में वह संबंधित अधिकारी अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करता है तो विभाग उस पर अगली कार्यवाही करेगा. यह एक बड़ी चुनौती है. आमतौर पर ऐसी चुनौतियां ली नहीं जाती है. विभाग और जनता के बीच में बेहतर तालमेल हो इसलिए माननीय मुख्यमंत्री जी से परामर्श के उपरांत यह एप लांच किया गया है. यह जनता की सहूलियत के लिए है. हमारे माननीय सदस्य उससे अवगत रहें इसलिए यहां पर यह जानकारी सभी को दी है. बहुत बहुत धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय बहुत धन्यवाद् राकेश जी.

          श्री अभय मिश्रा5 वर्ष पहले इसका नोटिस जारी हुआ है.

          अध्यक्ष महोदय इ स पर अभी चर्चा नहीं हो रही है. मुझे ऐसा लगता है कि इस एप की जानकारी लिखित में सभी जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाना चाहिए ऐसी मेरी अपेक्षा है जिससे कि उसका ठीक से उपयोग हो सके.

विशेष उल्लेख

श्री चेतन्य कश्यप द्वारा वेतन समर्पण करने के संबंध में सूचना

          सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ( श्री चेतन्य कश्यप ) माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मंत्री के रूप में प्राप्त होने वाले वेतन भत्ते का समर्पण करना चाहता हूं. महोदय राष्ट्र सेवा, जन सेवा और समाज सेवा करना ही मेरा ध्येय है. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैं राजनीति में आया हूं. किशोर अवस्था से ही समाज सेवा के कार्यों में अग्रसर हूं. कई सेवा प्रकल्पों का संचालन कर रहा हूं. ईश्वर ने मुझे इस योग्य बनाया है कि मैं जनसेवा में किंचित योगदान कर सकूं. मैं विधायक के रूप में प्राप्त होने वाले वेतन भत्ते एवं पेंशन प्राप्त नहीं कर रहा हूं. मैंने 14वी और 15वी विधान सभा में भी वेतन भत्ते प्राप्त नहीं किये हैं. 16वी विधान सभा में भी मैं वेतन भत्ते एवं पेंशन नहीं लेने की घोषणा कर चुका हूं.

इसी तारतम्य में मैंने मंत्री के रूप में प्राप्त होने वाले वेतन भत्ते नहीं लेने का निश्चय किया है. मैं चाहता हूं कि मंत्री के रूप में मिलने वाले वेतन भत्ते की राशि का राजकोष से ही आहरण न हो, ताकि उस राशि का उपयोग प्रदेश के विकास ए वं जनहित के कार्यों में हो सके. अनुरोध है कि आप मेरे निवेदन को स्वीकार कर अनुग्रहित करने का कष्ट करेंगे. ( मेजों की थपथपाहट)

 

            नेता प्रतिपिक्ष ( श्री उमंग सिंघार ) अध्यक्ष महोदय शून्यकाल की सूचनाएं माननीय सदस्यों की तरफ से आ जाती तो ठीक रहता. मेरा आपसे अनुरोध है कि आसंदी से निर्देश हो जाय  उसके बाद में यह व्यवस्था आयें तो ठीक है. चूकि आपने आगे कार्यवाही शुरू कर दी है लेकिन फिर भी मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि कल हमारे विधायक दल की तरफ से सचिन यादव, जयवर्द्धन जी ने विशेषाधिकार की सूचना आपको दी थी. मैं चाहता हूं कि उस पर आप व्यवस्था दें.

नर्सिंग बड़ा घोटाला है. माननीय तत्‍कालीन मंत्री विश्‍वास सारंग जी ने असत्‍य बोला आरोप लगाए,  उस पर हमने आपको सूचना दी है, प्रमाण के साथ सूचना दी है. मैं चाहता हूं कि इस पर आप व्‍यवस्‍था दें.

 

 

 

 

 

 

 

12.10 बजे                                        नियम 267 (क) के अंतर्गत विषय

            अध्‍यक्ष महोदय-

 

 

 

 

 

 

 

 

 

            अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

          विशेषाधिकार भंग की दी गई सूचनाएं

 

            अध्‍यक्ष महोदय-  नेता प्रतिपक्ष्‍ा ने विशेषाधिकार के मामले में ध्‍यान दिलाया है. मुझे विशेषाधिकार मामले की दो सूचनाएं कल प्राप्‍त हुई हैं, मैं इनका परीक्षण कर शीघ्र नियमानुसार कार्यवाही करूंगा.

           

            नेता प्रतिपक्ष ( श्री उमंग सिंघार) -  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दो ही व्‍यवस्‍था हैं,चर्चा करा लें या कमेटी को दे दें.

            अध्‍यक्ष महोदय-  मुझे विचार तो करने दीजिए, परीक्षण तो करने दीजिए       

            श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,क्‍या व्‍यवस्‍था बनी हैं, बता दें

                                    पत्रों का पटल पर रखा जाना.

(1)       (क) मध्‍यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल का लेखा परीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022

            (ख)भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण, मध्‍यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 

 

 

 

(2)        (क) मध्‍यप्रदेश राज्‍य जैव विविधता बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 तथा

            (ख) मध्‍यप्रदेश राज्‍य वन विकास निगम लिमिटेड का 46 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2020-2021

 

            श्री कैलाश विजयवर्गीय (नगरीय विकास एवं आवास मंत्री)- अध्‍यक्ष महोदय मैं (क) जैव विविधता अधिनियम 2022 (क्रमांक 18 सन 2003) के अधीन बनाए गए मध्‍यप्रदेश जैव विविधता नियम 2004 के नियम 21 के उपनियम (3) की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश राज्‍य जैव विविधता बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-23 तथा

(ख) कंपनी अधिनियम 2013 ( क्रमाक 18 सन 2013) की धारा 394 की उपधारा दो की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश राज्‍य वन विकास निगम लिमिटेड का 46 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2020-21 पटल पर रखता हूं.

(3) (क) मध्‍यप्रदेश मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड का  वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023,

(ख) शहपुरा थर्मल पॉवर कम्‍पनी लिमिटेड का 17 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023,

(ग) बाणसागर थर्मल पॉवर कम्‍पनी लिमिटेड का 12 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 तथा

            (घ) मध्‍यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का एकविशंति: (इक्‍कीसवां) वार्षिक प्रतिवेदन             वर्ष 2022-2023

 

 

 

(4) (क) विक्रम विश्‍वविद्यालय, उज्‍जैन का 66 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023,

(ख) अटल बिहारी वाजपेयी हिन्‍दी विश्‍वविद्यालय, भोपाल का ग्‍यारहवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023,

(ग) महर्षि पाणिनि संस्‍कृत एवं वैदिक विश्‍वविद्यालय, उज्‍जैन (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 तथा

(घ) मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय विनियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा संपरीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024

 

 

 

(5) मध्‍यप्रदेश लोक सेवा आयोग, इन्‍दौर का 65 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022

 

 

(6) नर्मदा बेसिन प्रोजेक्‍टस कंपनी लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 

 

(7) मध्यप्रदेश प्लास्टिक सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन ग्वालियर, लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा दिनांक 31 मार्च,2023.

          राज्यमंत्री, वन (श्री दिलीप अहिरवार)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम,2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ब) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्लास्टिक सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन ग्वालियर, लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा दिनांक 31 मार्च,2023 को समाप्त वर्ष के लिये पटल पर रखता हूं.

 

 

 

 

 

12.11                                        अध्यक्षीय व्यवस्था (क्रमशः)

                   अध्यक्ष महोदय-- उमंग जी बताइये, आप क्या कह रहे हैं.

                   नेता प्रतिपक्ष ( श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय,  जैसा  कि मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 165 में है कि- जो सदस्य  विशेषाधिकार का प्रश्न चाहे,  वह उसकी लिखित सूचना  उस दिन की  बैठक प्रारंभ होने से पूर्व..

                   संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय, इस पर मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है.

                   अध्यक्ष महोदय-- उमंग जी, आप बोलें.

                   श्री उमंग सिंघार-- कृपया बोलने दें.  इसमें स्पष्ट लिखा है कि  इसमें आपको व्यवस्था देना है.  क्योंकि तात्कालिक मुद्दा है.  तत्काल आपका इस पर वक्तव्य आया,तत्कालीन  मंत्री जी का. तो इसमें हम यह चाह रहे हैं कि  इस पर चर्चा हो जाये.  या आप  जो व्यवस्था चाहें, वह आप दें.  यह हमारा आपसे अनुरोध है.  अब दो सदस्यों ने  पूरे दल की तरफ से  यह सूचना दी है.  इस पर आपकी तो  तत्काल व्यवस्था आना चाहिये ना.

                   श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय,  मेरा इस पर व्यवस्था का प्रश्न है.  यह विधान सभा  नियम और प्रक्रिया के अंतर्गत  चलेगी.  यह कोई (xx) का खेल नहीं है कि किसी भी प्रश्न पर  आकर आप खड़े हो गये.

                   श्री उमंग सिंघार--  अध्यक्ष महोदय, ये (xx) आप किसको बोल रहे हैं.

                   श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय,  आपके निर्देश हो गये, आपकी व्यवस्था हो गई, क्या  उसके ऊपर कोई  व्यवस्था का प्रश्न उठा सकता है.

..(व्यवधान)..

                   श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, यह शब्द विलोपित करायें.

                   ..(व्यवधान)..

                   अध्यक्ष महोदय--कृपा करके आप लोग बैठ  जाइये. ..(व्यवधान).. कृपा करके आप लोग अपने स्थान पर बैठ जायें.  आज बजट पर भी चर्चा शुरु होना है.

                   श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय,  संसदीय कार्य मंत्री जी ने  असंसदीय भाषा का उपयोग किया है, इस शब्द को विलोपित करायें. हमारा आपसे यह निवेदन है.

                   अध्यक्ष महोदय--नेता प्रतिपक्ष जी, मेरा भी आपसे निवेदन है कि  आपने विषय को उठाया, मैंने उस पर व्यवस्था दे दी कि  मुझे सूचनाएं प्राप्त हो गई हैं,  मैं उन पर विचार कर  नियमानुसार कार्यवाही करुंगा.

                   श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय,  अध्यक्ष की व्यवस्था पर व्यवस्था का प्रश्न हो सकता है क्या.  उस पर ये व्यवस्था का प्रश्न उठा रहे हैं.  फिर मैं (xx) नहीं कहूं, तो फिर क्या कहूं. 

                   अध्यक्ष महोदय--अध्यक्ष की व्यवस्था पर पाइंट ऑफ आर्डर  उठाने का प्रावधान नहीं  होता है.  इस शब्द को विलोपित करें. ..(हंसी)..

                   श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, फिर हम भी बोलना  चालू करें क्या. ओ प्यारे, ओ राजा, ऐसा बोलना चालू  करें क्या फिर हम.

                   अध्यक्ष महोदय-- इस शब्द पर आपको आपत्ति क्यों  है, यह बताओ मुझे. ..(हंसी)..

                   श्री उमंग सिंघार-- मुझे तो लगता है कि ये आपको बोल रहे हैं.  इसलिये मैंने आपत्ति ली है.

                   अध्यक्ष महोदय-- मुझे बोलने का सवाल ही नहीं है.  ..(व्यवधान).. अब ध्यानाकर्षण लिये जायेंगे. डॉ. सीतासरन शर्मा.  कृपया सभी लोग बैठ जायें, यह विषय खत्म हुआ.

                   श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, मेरा अब एक आखिरी निवेदन है.

                   अध्यक्ष महोदय--कृपया बैठ जायें, आप बजट  पर चर्चा कर सकते हैं. 

                   श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, विशेषाधिकार पर तत्काल  व्यवस्था दी जाती है.  सामान्यतः परम्परा यह  रही है.

                   अध्यक्ष महोदय--  नहीं, बजट पर  बोलने का सबको अवसर मिलेगा.

                   श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, यह परम्परा रही है.

                   अध्यक्ष महोदय--मैंने व्यवस्था दे दी है.  इस व्यवस्था पर कोई व्यवस्था का प्रश्न  नहीं होगा.

                   श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, अध्यक्षीय व्यवस्था पर  कोई व्यवस्था का प्रश्न  नहीं उठता है. यह सदन की परम्परा रही है और आप बार बार उठ रहे हैं, फिर मैं इसको (xx) नहीं कहूं, तो क्या कहूं, आप बताइये.

                   श्री उमंग सिंघार-- अरे प्यारे, ओ राजा अब मैं यह बोलूं.

                   अध्यक्ष महोदय-- ध्यानाकर्षण. डॉ. सीतासरन शर्मा.

12.14 बजे                                             ध्यानाकर्षण

        प्रदेश में संचालित यूनानी महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम को हिन्दी में न पढ़ाया जाना.

                   डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)-- अध्यक्ष महोदय,

                  

          उच्‍च शिक्षा, आयुष मंत्री (श्री इन्‍दर सिंह परमार):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

          डॉ. सीतासरन शर्मा:- माननीय मंत्री जी कह रहे उनको सबको हिन्‍दी भाषी कर दिया है. इसके लिये धन्‍यवाद्.

          किन्‍तु पिछले तीन सालों में एससीएसटी वर्ग के कितने छात्रों ने यूनानी महाविद्यालयों में प्रवेश लिया, कृपया जानकारी दे दें.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे मध्‍यप्रदेश में एक शासकीय और तीन अशासकीय महाविद्यालय संचालित होते हैं. वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 में एक भी एससीएसटी के छात्रों को एडमिशन नहीं मिला है उन्‍होंने एडमिशन नहीं मांगा है.

           डॉ. सीतासरन शर्मा:- अध्‍यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है, पर अब जो हो गया सो हो गया. कृपया आपसे अनुरोध है कि स्‍पष्‍ट रूप से माननीय मंत्री बता दें कि क्‍या भविष्‍य में यह बंधन हटा दिया जायेगा ? और हिन्‍दी भाषी या अन्‍य भाषावादी छात्रों को वहां प्रवेश दिया जायेगा और साथ ही जो एससीएसटी और ओबीसी वर्ग के छात्र हैं, क्‍या उनके लिये भी सारे महाविद्यालय खुले रहेंगे ?

          श्री इन्‍दर सिंह परमार:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एससीएसटी और ओबीसी वर्ग के विद्यार्थियों के लिये आरक्षण की व्‍यवस्‍था है. लेकिन ओबीसी वर्ग में तो एडमिशन पूरे हो जाते हैं और एससी और एसटी के छात्र हैं, उनकी सीट का कोटा तो दूसरे वर्ग से भर दिया जाता है. लेकिन वास्‍तव में एससी और एसटी का कोई विद्यार्थी उसमें नहीं आ पाता है. हमारे यहां जो पढ़ाई की व्‍यवस्‍था है वह हिन्‍दी, कुछ अंग्रेजी और उर्दू, ऐसी पढ़ाई की व्‍यवस्‍था है. लेकिन आम छात्रों में और आम समाज में यह मान्‍यता है कि यूनानी की पढ़ाई उर्दू में होती है और इसलिये हिन्‍दी भाषी छात्र, मुझे लगता है कि इधर आने से ही डरते हैं. इसलिये अभी हमने तय किया है कि हम हिन्‍दी माध्‍यम से अगले वर्ष से पढ़ाना प्रारंभ करेंगे और साथ में उसका प्रचार-प्रसार पहले से पर्याप्‍त मात्रा में किया जायेगा, ताकि हमारे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के जो बेटे, बेटियां हैं जो वहां आना चाहते, पढ़ना चाहते हैं. वह हिन्‍दी में भी पढ़कर इस विधा का लाभ ले सकते हैं और आगे अपने जीवन के लिये रोजगार के अवसर उपलब्‍ध करा सकते हैं.

          डॉ. सीतासरन शर्मा:- ऐसा क्‍यों साहब, माननीय मंत्री जी आप इसी वर्ष से प्रारंभ कीजिये. अभी जुलाई माह तो चल रहा है. दूसरा, सामान्‍य वर्ग का ई.डब्‍ल्‍यू.एस जो है उसके एडमिशन की भी व्‍यवस्‍था हो जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय:- डॉक्‍टर साहब, मंत्री जी कह रहे हैं.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार:- अध्‍यक्ष महोदय, उसमें जो नीट से पास करके आते हैं, उसमें से पहले कोई मेडिकल में चले जाते हैं, आयुर्वेद में जाते फिर होम्‍योपैथिक में जाते हैं और आखिरी में जो बच्‍चे बचते हैं , मुझे लगता है कि वह यूनानी में आते हैं. भारत सरकार के जो नियम हैं उसके कारण हमको कई सारी बाध्‍यताएं हैं, हम उनको भी लिखने वाले हैं कि इसमें हम संशोधन करना चाहते हैं. लेकिन अभी हिन्‍दी में किताबें नहीं हैं और यह सत्र अभी प्रारंभ हो रहा है तो हम पूरी तरह से किताबें लिखकर, उसके लिये पूरी तरह से हमको एक्‍सपर्ट बुलाने पड़ेगें, लेकिन एक बात और हम साथ में कर रहे हैं कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति वर्ष 2020 में जिस प्रकार से हायर एजुकेशन में क्रियान्‍वयन समितियां बनायी हैं, देश भर के एक्‍सपर्ट को बुलाया. ऐसा ही यूनानी में, आयुर्वेद में और टेक्निकल में भी हम एक्‍सपर्ट लोंगों को बुलाकर के क्रियान्‍वयन समिति बना रहे हैं. यदि हमारे मध्‍य प्रदेश में एक्‍सपर्ट नहीं हैं तो बाहर के लोगों का हम सहयोग लेकर हिन्‍दी में किताब लिखवाने का  काम करेंगे और अगले सत्र से हिन्‍दी माध्‍यम में पढ़ाई हो जायेगी.

          डॉ. सीतासरन शर्मा:- धन्‍यवाद.

 

12.20 बजे           (2) प्रदेश में वृद्धावस्था पेंशन न मिलने से उत्पन्न स्थिति

 

श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी (भीकनगांव)  (सर्वश्री आतिफ आरिफ अकील, लखन घनघोरिया)- अध्यक्ष महोदय,

 

                                              

 

 

 

 

 

 

सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण मंत्री (श्री नारायण सिंह कुशवाह) - अध्यक्ष महोदय, 

 

                                            

 

 

 

 

          श्रीमती झूमा डॉ.ध्‍यानसिंह सोलंकी -- अध्‍यक्ष महोदय, यह जो प्रक्रिया अपनायी जा रही है, इसमें ई-केवायसी प्रोफाईल अपडेट करें, इसमें कोई दिक्‍कत नहीं है. आज का युग कम्‍प्‍यूटर युग का जमाना है किन्‍तु इस दरमियान वृद्धजनों को पूरी तरह से कह दिया जाता है कि आपको पेंशन नहीं मिलेगी, आप अपात्र हो गए हैं तो यह एक तरह से गलत है और यह प्रक्रिया जारी रखें और पेंशन भी जारी रहे, मैं सिर्फ इतना चाहती हॅूं कि उनकी पेंशन जारी रहे. वे बहुत वृद्ध और गरीब व्‍यक्‍ति हैं और इस तरह से आज के जमाने की कार्यवाही से उनको गुजरना पड़ता है, यह कठिन है. इसलिए यह प्रक्रिया जारी रहे और इसमें उनको मदद की आवश्‍यकता है. यह प्रक्रिया जारी रहे, उस समय उनकी पेंशन जारी रहेगी, यह माननीय मंत्री जी मुझे बताएं.

          श्री नारायण सिंह कुशवाह -- अध्‍यक्ष महोदय, दिनांक 01.4.2023 को कलेक्‍टर के माध्‍यम से सारे नगरीय निकाय, ग्राम पंचायतों को यह निर्देश जारी किया गया है. इसकी प्रक्रिया चल रही है इसमें जिनको पात्रता है उन्‍हें पूरी करने के लिए कैम्‍पों के माध्‍यम से पंचायत स्‍तर पर, वॉर्ड स्‍तर पर, मोहल्‍ला स्‍तर पर कैम्‍प लगाने के लिए भी विभाग ने एक आदेश जारी किया है. कहीं अगर ऐसी कोई दिक्‍कत आती है कि कोई हितग्राही पात्रता रखता है और वह कैम्‍प तक आने में भी सक्षम नहीं है तो यह निर्देश हमने जारी किए हैं कि संबंधित विभाग, संबंधित अधिकारी उसके घर पर जाकर केवायसी का काम पूरा करेंगे और पूरा एरियर सहित राशि पात्र हितग्राही को जितने माह की पेंशन रूकी है, वह पूरा प्रदाय करेंगे, ऐसा निर्देश भी जारी किया है. (मेजों की थपथपाहट)

          श्रीमती झूमा डॉ.ध्‍यानसिंह सोलंकी -- अध्‍यक्ष महोदय, यह प्रक्रिया जारी हो, उनको उस दौरान की पेंशन जारी रहे, यह मैं आपसे जानना चाह रही हॅूं. आप एरियर दे रहे हैं और 6 महीने बाद दे रहे हैं तो 6 महीने का वक्‍त अधिक होता है. उस प्रक्रिया के दौरान भी 1 महीना, 2 महीना, 3 महीना वह उनको हर महीने लगातार पेंशन मिले, यह मैं कहना चाहती हॅूं. माननीय मंत्री जी, इसमें कोई ज्‍यादा तकलीफ नहीं है, आप यह कर सकते हैं. वह प्रक्रिया भी रहे और यह भी रहे. इसमें काफी वृद्धजन हैं यह कोई एक व्‍यक्‍ति की बात नहीं है. यह पूरे मध्‍यप्रदेश की बात है और सारे वृद्धजन मानसिक रूप से प्रताडि़त हो रहे हैं.

          श्री नारायण सिंह कुशवाह -- अध्‍यक्ष महोदय जी, यह डॉ.मोहन यादव जी की सरकार है और मध्‍यप्रदेश में कहीं भी किसी भी गरीब या किसी नि:शक्‍त व्‍यक्‍ति के साथ में अन्‍याय नहीं होगा और सबको न्‍याय दिलाने के लिए है. कहीं भी अगर कोई हितग्राही पात्रता रखता है तो 6 माह की पेंशन, 4 माह की पेंशन, वैसे इसमें यह 2 माह अंतराल आया है, ज्‍यादा नहीं है, उसको पूरा भुगतान किया जाएगा. कहीं किसी की पेंशन रोकने का काम नहीं है. सबको बिल्‍कुल अच्‍छे आदर के साथ में उन्‍हें पेंशन वितरण का काम किया जाएगा.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारी बहन का सीधा-सीधा यह कहना था कि एक सुनिश्‍चित नीति रहे कि हितग्राहियों को समय पर पेंशन मिले, तो 600 रूपए के लिए एक महिला, एक वृद्धजन, यदि उसे शक्‍कर खाना पडे़ तो उसके लिए उसको 5-5, 6-6 किलोमीटर जाना पडे़, तो उस महिला या वृद्ध के साथ ऐसा संघर्ष क्‍यो ? तो एक नीति तय होना चाहिए. आप 4 महीने, 6 महीने में उसको दे रहे हैं 6 महीने में अभी हाल प्रश्‍न लगा है, ध्‍यानाकर्षण लगा है तो कल पैसे डाले, तो यह क्‍या न्‍याय है ? इसमें किसी की जवाबदारी तय होना चाहिए. कलेक्‍टर ने लैटर लिख दिया तो क्‍या हुआ, ठीक है कि वहां रजिस्‍ट्रेशन हो गए. यह क्‍या है. एक सुनिश्‍चित समय-सीमा होना चाहिए कि इस 4 दिन के अंदर, 8 दिन के अंदर, 15 दिन के अंदर उसके रजिस्‍ट्रेशन होना चाहिए. इसमें नीति बन सकती है, नियम बन सकते हैं. इसमें क्‍या परेशानी है. आप यही चाहे रहे हो, सभी के लिए सामूहिक रूप से हो.

अध्यक्ष महोदयमाननीय मंत्री जी ने स्पष्ट कहा है कि अशक्त है, बुजुर्ग है, उसके घर जाकर के.वाय.सी.करायी जायेगी.

 श्री उमंग सिंघारअध्यक्ष महोदय, बुजुर्गों एवं वृद्ध महिलाओं को छः छः महीने से पैसे नहीं मिल रहे हैं.

  अध्यक्ष महोदयमंत्री जी कह रहे हैं कि उनको दो महीने से पेंशन नहीं मिल रही है.

श्री नारायण सिंह कुशवाह अध्यक्ष महोदय, सारी कसरत उसी बात की हो रही है कि उनका बैंक में खाता होगा तो उनको दोबारा बैंक जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. ऴऴझझ  अधDOअअधD अध््दतततततजजजजजजुुुुुुुुुुउनके खाते में ही पेंशन जायेगी.

श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, केवाईसी जो महिलाएं करवाती हैं, वह फिर से नहीं करवा पाती हैं महिलाएं उनको पता नहीं रहता है उन्होंने एक बार रजिस्ट्रेशन करा दिया. यह जवाबदारी अपने रोजगार सहायक अथवा नगर में जो भी जवाबदार कर्मचारी की होती है.

अध्यक्ष महोदयदरअसल क्या है कि ई केवाईसी तो बहुत जरूरी और यह होते ही रहना चाहिये जिससे कि पात्रता में हमेशा सुधार होता रहता है, लेकिन यह बात भी सही है कि उसके कारण किसी पात्र व्यक्ति को कोई तकलीफ न हो, यह मंत्री जी ध्यान में रखेंगे. इसमें आतिफ अकील जी, दो और माननीय सदस्य हैं, जिनको इनके बारे में प्रश्न करना है. माननीय झूमा जी ने पूरे विषय को गंभीरता के साथ रख दिया है. आपका दूसरा नाम है इसलिये आप पूरक प्रश्न पूछिये श्री आतिफ आरिफ अकील.

श्री आतिफ आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, यह बुजुर्गों की बात है हम राजधानी की बात करें. तो राजधानी के अंदर मैं माननीय मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि बहुत सारे क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर मैं ऐसे बुजुर्गों से मिलवा सकता हूं कि उनकी पेंशन बंद है. उनको ई केवाईसी के नाम पर रोक दिया जाता है. उनके आधार कार्ड के माध्यम से फिंगर प्रिन्ट तक नहीं आते हैं. कई बुजुर्ग जो इन पैसों से अपने इलाज के लिये दवाएं खरीदते हैं हर महीने में उनको पेंशन नहीं मिलने के कारण बहुत परेशानी होती है.

अध्यक्ष महोदयअकील जी प्रश्न तो बताओ क्या है ?

 श्री आतिफ आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, फिंगर प्रिन्ट का जो इश्यू आ रहा है वह नहीं आ रहा है तो उसके लिये क्या करना पड़ेगा ?

श्री नारायण सिंह कुशवाह अध्यक्ष महोदय,उसमें दूसरी पहचान और है कि फिंगर प्रिंट की जगह उनकी आंख देखकरके भी केवाईसी करवा सकते हैं.

श्री आतिफ आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, यह मध्यप्रदेश में होती है अथवा मध्यप्रदेश के बाहर होती है, यह और बता दीजिये ?

श्री नारायण सिंह कुशवाह अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में ही होती है.

श्री आतिफ आरिफ अकील अध्यक्ष महोदय, नगर निगम की क्या व्यवस्थाएं हैं, मुझे बखूबी मालूम है. आप मालूम कर लीजिये कि मध्यप्रदेश के बाहर होती है क्या यह व्यवस्था ? यह गरीब बुजुर्गों की बात हो रही है. मेरी व्यक्तिगत बात नहीं हो रही है. मध्यप्रदेश के सभी बुजुर्गों की बात हो रही है ? उनको छः सौ रूपये पेंशन नहीं मिल रही है.

अध्यक्ष महोदयमाननीय लखन सिंह जी थोड़ा इसको स्पष्ट कर देंगे.

श्री आतिफ आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि जो बुजुर्ग हैं उनको पेंशन नहीं मिल पा रही है, वह क्या करें ? उनको सिर्फ छः सौ रूपये पेंशन मिलती है ? वैसे तो इसमें वृद्धि करनी चाहिये, लेकिन उनको छः सौ रूपये भी नहीं मिल रहे हैं, इसलिये उनको दर दर भटकना पड़ता है, बैंकों के चक्कर काटने पड़ते हैं.

            श्री लखन घनघोरिया-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अपने जवाब में इस बात को स्वीकार किया है कि 1 लाख 17 हजार ऐसे हितग्राही जिनकी पेंशन रोकी गई है. उनके सत्यापन को आधार माना गया है. यह भी मंत्री जी द्वारा कहा गया है कि हमने 1.4.24 को संबंधित कलेक्टर एवं समस्त अधिकारियों को निर्देशित किया कि उनका भौतिक सत्यापन करें. उसमें मुसीबत यह होती है कि बुजुर्ग जो कम से कम 60-70 साल के होते हैं वह स्वयं तो जा नहीं पाते हैं और आपके पास इतना अमला नहीं है, नगर निगम हो, चाहे नगर पालिका हो, चाहे नगर परिषद हो, आपके पास इतना अमला नहीं है कि वह जाकर भौतिक सत्‍यापन करें, वे करना तो चाहते हैं, लेकिन अमला है नहीं. पूरी प्रक्रिया में कम से कम 6-7 महीने लग जाते हैं, जो बुजुर्ग पांचों प्रकार की पेंशन उठाते हैं, विशेषकर के दिव्‍यांग, विधवा और ओल्‍ड ऐज इनकी स्थिति यह होती है कि 6-7 महीने तक ये इंतजार नहीं कर पाते. विधायक बहन झूमा सोलंकी जी ने मंत्री जी से आग्रह किया है कि ये ई-केवायसी की प्रक्रिया चलती रहे और जो पहले प्रक्रिया थी कि तीन फोटो एवं आयु का प्रमाण पत्र लेकर, उसको देखकर कम से कम उसकी पेंशन जारी रखी जाती थी, यदि उसको जारी रखे तो वास्‍तव में ये व्‍यवहारिक भी होगा और कम से कम उन बुजुर्गो को सम्‍मान भी मिलेगा और उनकी असुविधा खत्‍म होगी, क्‍या मंत्री जी व्‍यवहारिक दृष्टिकोण से इस प्रक्रिया को जारी रखेंगे, हमारा प्रश्‍न यह है, क्‍योंकि आपने 1 अप्रैल को यह आदेश जारी किया है और कलेक्‍टर के यहां से साल भर बाद वहां पहुंचे नगर निगम, नगर परिषद, आपके पास आरआई, पटवारी तहसीलदार सब अमला है, लेकिन बहुत काम है. मेरा आपसे आग्रह है ई-केवायसी भी जरुरी है. मंत्री जी कह रहे थे आई स्‍कैनर का, तो ये कोई व्‍यक्त्‍िा करना चाहे तब तो होगा, थंब का भी कोई व्‍यक्त्‍िा करना चाहे तब‍ तो होगा, आपके पास उतना अमला नहीं है, हम सिर्फ बुजुर्गों की बात कर रहे हैं, कम से कम बुजुर्गों के साथ न्‍याय तो हो. 1-1 साल पोर्टल बंद है, कभी कुछ है, केवायसी के लिए जाते है तो पोर्टल बंद है.

          अध्‍यक्ष महोदय - लखन जी आपका प्रश्‍न आ गया है.

          श्री लखन घनघोरिया - मेरा यही आग्रह है कि आप कम से कम मंत्री जी संवेदनशीलता और बुजुर्गों के सम्‍मान में  ये घोषणा कर देंगे कि ये दोनों चीजें एक साथ चलती रहेगी, ई-केवायसी भी आप करते रहे और कम से कम पुराने आधार पर जो आयु का प्रमाण पत्र, तीन फोटो और पेंशन की प्रक्रिया को जारी रखेंगे तो हम समझते हैं कि न्‍याय होगा.

          श्री नारायण सिंह कुशवाहा - अध्‍यक्ष जी, इन पेंशनों में केन्‍द्र का भी योगदान है और केन्‍द्र के द्वारा विभाग को निर्देश मिले हैं कि केवायसी अत्‍यंत आवश्‍यक है. केवायसी करने के लिए कैम्‍पों के माध्‍यम से ऐसे निर्देश हम लोगों ने जारी किए है कि वृद्ध, दिव्‍यांग जो आने में असमर्थ है उसके घर जाकर कार्यवाही पूरी करवा लेंगे और मैं ऐसा मानता हूं कि तीन माह के अंदर ये प्रक्रिया विभाग के द्वारा पूरी कर ली जाएगी, इसमें कोई भी पात्र व्‍यक्ति छूटेगा नहीं इसकी गारंटी है.

          श्री लखन घनघोरिया - अध्‍यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है हर योजना केन्‍द्र के निर्देश से चलती है, मध्‍यप्रदेश की सरकार परिपालन करती है. हम नियम को शिथिल या खत्‍म करने की बात नहीं कह रहे हैं. हम ये नहीं कह रहे कि केवायसी मत कराएं. केवायसी करवाएं, लेकिन पारदिर्शता होनी चाहिए, कम से कम एक संवेदनशीलता तो दिखना चाहिए, बुजुर्गों को लगता है कि सरकार संवेदनशून्‍य हो गई है कि हमको 10 -10 महीने यहां से वहां भटकना पड़ता है, उनको यह नहीं पता कि उनको केवायसी करवाना है या कोई उनके घर आए, एक तो आते नहीं है, नगर निगम, नगर पालिका अभी जल संकट से जूझ रहा था, अब जलप्‍लावन से जूझेगा, आपके पास समय कितना है , आप दोनों चीजों को जारी कर दें, तो अच्‍छा होगा, उनके हितों साथ न्‍याय होगा, सरकार का भी तो अंशदान है छह प्रकार की पूरी पेंशन में. प्रदेश भी तो अपना पैसा देता है.

          अध्‍यक्ष महोदय - लखन भाई कृपया समाप्‍त करें. विषयांतर हो रहा है. मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं.

          श्री लखन घनघोरिया - कृपया जवाब दिलवा दें.

           अध्‍यक्ष महोदय -- लखन भाई आप समाप्‍त करें. मंत्री जी, आप कुछ बोलना चाहते हैं.

          श्री नारायण सिंह कुशवाह -- सरकार भी संवदेनशील है और यह विभाग भी संवेदनशील है और जो है, जैसा मैंने कहा कि मैंने स्‍वयं की दिलचस्‍पी लेकर यह सारी चीजें कराईं हैं, अब इसमें अपात्रता के कई कारण हैं, कहो तो मैं बता दूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी कृपया आप बैठें. लखन भाई और बाकी जो सदस्‍य हैं, सामान्‍य तौर पर उन सबका यह कहना है कि ई के.वाय.सी. कराना चाहिए, लेकिन पूरी संवेदनशीलता के साथ कराना चाहिए, मेरा भी आग्रह है कि पूरी संवेदनशीलता के साथ कराओ(मेजों की थपथपाहट)  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.41 बजे                                  अनुपस्थिति की अनुज्ञा

निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 122 जुन्नारदेव (अ.ज.जा.) से निर्वाचित सदस्‍य, श्री सुनील उईके एवं निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 128 पांढ़ुर्णा (अ.ज.जा.) से निर्वाचित सदस्‍य, श्री निलेश उईके को विधान सभा के जुलाई, 2024 सत्र में दिनांक 1 जुलाई से 13 जुलाई, 2024 तक की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा.

         

                                                                                   


12.44 बजे                       प्रतिवेदन की प्रस्तुति एवं स्वीकृति.

गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का द्वितीय प्रतिवेदन

 

 

 

 

                                                                                        


 

12.45 बजे                        कार्यमंत्रणा समिति का प्रतिवेदन

 

 

 

 

12.48 बजे                                  बधाई एवं शुभकामना

            कु. निर्मला भूरिया एवं श्री चन्‍दर सिंह सिसौदिया को जन्‍मदिन की बधाई.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आज हमारे सदन के सदस्‍य कु. निर्मला भूरिया जी और श्री चन्‍दर सिंह सिसौदिया जी दोनों का जन्‍मदिन है. सदन की ओर से उनको बहुत बधाई.

 

12.48 बजे                                  याचिकाओं की प्रस्‍तुति

          अध्‍यक्ष महोदय--  आज की कार्यसूची में पदक्रम 6 पर जो याचिकाओं का उल्‍लेख किया गया है उनको प्रस्‍तुत किया हुआ माना जायेगा.

 

 

 

 

 

 

 

12.48 बजे                                      अध्‍यक्षीय घोषणा

                                              भोजनावकाश न होने विषयक

          आज चूंकि सामान्‍य बजट पर चर्चा होगी और इसलिये आज लंच नहीं होगा और भोजन लॉबी में उपलब्‍ध रहेगा. सभी लोग चर्चा करेंगे विमर्श करेंगे भोजन करेंगे और बजट को आगे बढ़ायेंगे.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.49 बजे                      समितियों के लिये सदस्‍यों का निर्वाचन

7. लोक लेखा प्राक्‍कलन सरकारी उपक्रमांक संबंधी तथा स्‍थानीय निकाय एवं पंचायतीराज लेखा समितियों के लिये सदस्‍यों का निर्वाचन.

 

                                                                            

 

12.50 बजे

अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति वर्ग के कल्याण संबंधी

समिति के लिए सदस्यों  का निर्वाचन

       

 

 

 

 

 

12.52 बजे

 

                पिछड़े वर्गों के कल्याण संबंधी समिति के लिए सदस्यों का निर्वाचन

 

 

 


 

12.55 बजे                                शासकीय विधि विषयक कार्य

 

(1)    मध्यप्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक, 2024 (क्रमांक 12 सन् 2024) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

 

 

(2) मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2024 (क्रमांक 13 सन् 2024) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(3) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2024 (क्रमांक 14 सन् 2024) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(4) मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 15 सन् 2024) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(5) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 16 सन् 2024) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

 

(6) मध्यप्रदेश खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक, 2024 (क्रमांक 17 सन् 2024) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

 

 

12.59 बजे                                   अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

बजट पर सामान्‍य चर्चा में पहले भाग लेने वाले सदस्‍यों के अतिरिक्‍त अन्‍य सदस्‍यों को विभागवार चर्चा में भाग लेने का अवसर दिया जाना

 

 

 

1.00 बजे                                   अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

          अध्‍यक्ष महोदय - वर्ष 2024-2025 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा प्रारंभ हो. उसके पूर्व एक जानकारी आपके ध्‍यान में लाना चाहता हूँ कि विगत दिनों         2 जुलाई को सदन ने एक ध्‍यानाकर्षण पर चर्चा की, वह ध्‍यानाकर्षण काफी लम्‍बा था, चर्चा में भी रहा. लेकिन मैंने विशेष अनुमति देकर उस ध्‍यानाकर्षण पर चर्चा कराई थी क्‍योंकि विषय ज्‍वलंत था और सब चाहते थे कि उस पर चर्चा हो. लेकिन इस प्रकार की चर्चा, आगे न तो उदाहरण के रूप में इस्‍तेमाल की जायेगी और न परम्‍परा बनेगी, यह ध्‍यान में रहना चाहिए.

 

 

 

 

1.01 बजे                            

वर्ष 2024-2025 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्‍त मंत्री देवड़ा जी के द्वारा प्रस्‍तुत वर्ष 2024-2025 के आय व्‍ययक पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से, अपने दल की तरफ से बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. चूंकि यह समर्थन करने योग्‍य नहीं है, इसलिए मैं पूरी तरह से इससे सहमत नहीं हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय, जब कल माननीय वित्‍त मंत्री जी बोल रहे थे, तो सदन में शोर हो रहा था. लेकिन फिर भी मैं एक कान लगाकर सुन रहा था और कैलाश जी की तरफ मेरा विशेष ध्‍यान था और कोई तो बोल नहीं रहा था.

          अध्‍यक्ष महोदय - जो लोग सुन नहीं रहे थे, कैलाश जी उनका बार-बार ध्‍यान आकर्षित कर रहे थे.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, जी. कैलाश जी हौसला-अफजाई कर रहे थे, कहीं वाह-वाह कर रहे थे, कहीं कुछ कर रहे थे. हमें लगा कि यह क्‍या हो रहा है ? इतने वरिष्‍ठ नेता हैं, हमारे कैलाश जी. हम लोगों ने, मध्‍यप्रदेश और इनकी पार्टी ने इनको राष्‍ट्रीय स्‍तर का नेता बनाया. वह वहां से भी लौटकर, यहां सदन में चले आए. उनका यहां रहना सदन की गरिमा, यहां जो चर्चाएं होती हैं, यह इसको ताकत ही प्रदान करता है, गरिमा देता है. इसमें कोई दो राय नहीं है और शेर भी आपने खूब सुनाए. चूंकि कैलाश जी इन्‍दौर के हैं,  मैं शुरू करने के पहले सोच रहा था कि इन्‍दौर के ही राहत इंदौरी साहब का एक शेर बयां करूँ, ' चरागों को उछाला जा रहा है, हवा पर रौब डाला जा रहा है, न हार अपनी न जीत अपनी होगी, मगर सिक्‍का उछाला  जा रहा है'. 

          अध्‍यक्ष महोदय, यह जो बजट है, आय-व्‍ययक है, तीन लाख पैंसठ हजार करोड़ रुपये का है और यह उल्‍लेख किया गया है कि पिछले वर्ष से लगभग 16 प्रतिशत अधिक है. यह डॉक्‍यूमेंट्स में परिलक्षित होता है. लेकिन मैं इसका समर्थन नहीं करता हूँ, इसका प्रमुख कारण यह भी है कि पूरा बजट कर्जे के बोझ के ऊपर रखा है. तीन लाख पैंसठ हजार करोड़ रुपये का बजट और तीन लाख पिचहत्‍तर हजार करोड़ का ऋण है, अगर मैं गलत हूँ तो देवड़ा साहब संशोधित एवं ठीक कर सकते हैं. यहां पर एक बड़ा महत्‍वपूर्ण मुद्दा आता है, एक परसेपशन बनाया जाता है, जो प्रचार होता है. एक तो वोकल फॉर लोकल, दिल्‍ली से कहीं कुछ आ जाता है कि स्‍टैंण्‍ड अप इण्डिया, सिट अप इण्डिया और पता नहीं क्‍या-क्‍या आ जाता है ? पता नहीं कौन-कौन से इण्डिया. मेक इन इण्डिया. अब वोकल, लोकल के लिए तो है, लेकिन अगर हम केन्‍द्र सरकार की बात करें, पूरे देश की बात करें. अध्‍यक्ष महोदय, चीन जिसके साथ हमारा तनाव हमेशा बना रहता है, गलवान घाटी और तमाम सीमा क्षेत्र हैं, वहां क्‍या परिस्थितियां हैं, उससे सभी अवगत हैं, कोई इससे अंजान नहीं है. हम चीन को जो निर्यात करते हैं और चीन से जो आयात करते हैं, उसमें एक से छ: गुना का फर्क है, यानि छ: गुना चीज़ या रूपये या terms of value हम ज्‍यादा आयात करते हैं और जो निर्यात करते हैं, पता नहीं उसमें ये लोकल फॉर वोकल कहां गया ? कुछ समझ नहीं आता.

          अध्‍यक्ष महोदय, एक नया फार्मूला इन्‍होंने और दे दिया गया है, 5 एफ- फार्म टू, फाइबर टू, फैक्‍टरी टू, फैशन टू, फॉरेन, पता नहीं इसका मतलब क्‍या है, समझ नहीं आता. इतना जरूर है कि जो बजट बनाते हैं, सुझाव देते हैं, हम भी उस दौर से गुजर चुके हैं, बड़े-बड़े बुद्धिमान अधिकारी होते हैं, उच्‍च स्‍तर पर आई.ए.एस. और उनके समकक्ष अधिकरी बनने के लिए बड़ी योग्‍यता चाहिए, उनका दिमाग भी बड़ा फर्टाइल होता है. आजकल एक नई परंपरा हो गई कि अपने पॉलिटिकल बॉस को हमें खुश रखना है इसलिए ये अधिकारी नई-नई सलाह दे देते हैं. इन्‍होंने जो सलाह दी है, मैं, चा‍हता हूं कि मध्‍यप्रदेश सरकार कुछ अफसरों को चुनें और उनके लिए पद्म-श्री की भी सिफारिश करे. जिससे अगले बजट भाषण में और नई-नई चीजें हमारे सामने आयेंगी.

          अध्‍यक्ष महोदय, अब रहा सवाल हमारी अर्थव्‍यवस्‍था की परफॉरमेंस का. भारत की कुल GDP में मध्‍यप्रदेश का हिस्‍सा केवल 3.16 प्रतिशत है और हमारी आबादी राष्‍ट्रीय आबादी का जो प्रतिशत है, वह 6.2 प्रतिशत है. तो हमारा परफॉरमेंस कहां है ? हम देश की अर्थव्‍यवस्‍था की गति में अपना कितना योगदान दे रहे हैं, यह एक सोचनीय प्रश्‍न है. जिसकी चिंता न सिर्फ आपको करनी चाहिए बल्कि हम सभी जो जिम्‍मेदार यहां बैठे हैं, को भी करनी चाहिए. यहां बजट की पुस्तिका में दिया गया है कि हम विश्‍व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था हैं, इसमें कोई संशय नहीं है लेकिन हमारी आबादी कितनी है, हमारी आबादी अब 142 करोड़ हो गई है. अमेरिका जो सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है, जो हमसे कई गुना बड़ी है, उसकी आबादी 33 करोड़ है. जापान जो दूसरे नंबर पर है उसकी आबादी लगभग 12 करोड़, फिर जर्मनी है उसकी आबादी 8 करोड़ है, फ्रांस की आबादी  7 करोड़ है और हम 142 करोड़ हैं.

 

1.08 बजे

{सभापति महोदय (डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय) पीठासीन हुए.}

          और हम इस पर बड़ा गर्व करते हैं, अभी तक तो हमें प्रथम स्‍थान पर या कम से कम दूसरे स्‍थान पर कब का पहुंच जाना चाहिए था. लेकिन हमें अपनी पीठ थपथपाने की आदत है. हम परफॉरम करें या न करें. मुझे भी आज एक बहुत ही अद्भुत बालक का किस्‍सा याद आ रहा है.

          सभापति महोदय, एक रेस हुई और बालक जब रेस के बाद घर पहुंचा तो उसके पिताश्री ने उससे पूछा कि बेटे रेस में कौन से स्‍थान पर आया तो वह बोला प्रथम आया, फिर पिताजी ने पूछा दूसरे नंबर पर कौन आया बालक बोला दूसरे नंबर पर भी हम ही हैं, फिर पिताजी ने नंबर तीन का पूछा तो उसने कहा हम ही हैं. वह ऐसा अद्भुत बालक है और हम अपनी पीठ थपथपाते हैं, आंकड़े आपके सामने हैं. हमारी GSDP (Gross State Domestic Product) अब 15 लाख करोड़ में पहुंची है और पिछले वर्ष जैसा मैंने कहा कि सरकार कर्ज के बोझ तले दबी है. 45 हजार करोड़ रुपए हम पिछले वित्‍तीय वर्ष 2023-2024 में ले चुके हैं और जो एफ.आर.बी.एम. एक्‍ट है जो रिजर्व बैंक की गाइडलाइन है कि कोई भी सरकार 3 प्रतिशत से ज्‍यादा अपने जी.एस.डी.पी. का कर्ज नहीं लेती है और इसके लिए भी केन्‍द्र सरकार अनुमति देती है. केन्‍द्र सरकार के पास से पता नहीं अनुमति आई कि नहीं आई. माननीय वित्‍त मंत्री जी अभी करेक्‍ट करेंगे कि इन्‍होंने आगे लोन लेने के लिए अनुमति ली कि नहीं ली ताकि ये योजनाएं जो आय व्‍यय पत्रक में हैं उनको पूरा कर सकें. केन्‍द्र सरकार को अनुमति के लिए पत्र भेजा है अनुमति आई कि नहीं आई यह जानकारी सदन को माननीय वित्‍त मंत्री जी दें. वर्ष 2023-2024 का 45 हजार करोड़ रुपए और वर्ष 2024-25 का बढ़क‍र लगभग 55 हजार करोड़ रुपये या इससे भी ज्‍यादा इतना कर्ज होने वाला है.

          सभापति महोदय, अब जो 3 लाख 65 हजार करोड़ रुपए का बजट है इसमें विभिन्‍न विभागों की योजनाएं शामिल हैं. अपने साधनों, संसाधनों के अतिरिक्‍त आपको 95 हजार करोड़ रुपए और चाहिए. वित्‍त मंत्री जी को और सरकार को ताकि वह सुगमता से अपनी दी गई योजनाओं को क्रियान्वित कर सकें, इनको पूरा कर सकें. अब प्रश्‍न यह है कि 95 हजार करोड़ रुपए कहां से आएगा. अब वह कर्ज पूरक बजट में डाल देंगे, लेकिन अनुमति कौन देगा. केन्‍द्र सरकार दे नहीं रही है. बजट की पुस्‍तक में बड़ी-बड़ी योजनाओं का जिक्र है. अटल एक्‍सप्रेस-वे यह एक्‍सप्रेस- वे, वह एक्‍सप्रेस-वे कल ही मैं एक अखबार में पढ़ रहा था कि केन्‍द्र सरकार ने वह योजनाएं बंद कर दी हैं. पता नहीं यह वित्‍त मंत्री जी के संज्ञान में हैं कि नहीं हैं. यह योजनाएं अधूरी योजनाएं हैं पर कतिपय कारणों से, केन्‍द्र सरकार ने उन योजनाओं को बंद कर दिया है. अब कर्ज लेने के लिए वित्‍त मंत्री जी को ऋण भी मिलता है और कई तरह से लिया जाता है तो यह इनको विशेष प्रयास करना होगा तभी यह संभव हो पाएगा.

          सभापति महोदय-- डॉ. साहब आप तो वरिष्‍ठ हैं. यह सभी शासन की व्‍यवस्‍थाएं रहती हैं. सभी शासन करता है.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह-- माननीय सभापति महोदय, उल्‍लेख करना मेरा  धर्म है तो मैं उसका उल्‍लेख कर रहा हूं. माननीय देवड़ा जी के नेतृत्‍व में इनका विभाग और माननीय मोहन जी मुख्‍यमंत्री यह चार्वाक ऋषि के अनुयायी हैं. यह बात सही है, आपने ठीक कहा और चार्वाक जी कहा कहते थे कि घी पियो और कर्ज लो, मौज करो. जो कुछ है अब देखिये हमारे सनातन धर्म में कितने तरह की विचारधाराएं थीं. उनका कहना था कि यहीं सब कुछ है इसके बाद कुछ भी नहीं है. न स्‍वर्ग है और न ही कुछ और है. खाओ, पियो और मस्‍त रहो. माननीय वित्‍त मंत्री जी यह सिद्धांत अब ठीक नहीं है. आप इतना कर्ज न लें और मैं समझता हूं कि आप चार्वाक ऋषि के रास्‍ते पर न चलें. किसी भी देश या प्रदेश में विकास या समृद्धि के दो पैमाने होते हैं ऐसा मैं सोचता हूं .प्रतिव्‍यक्ति आय कितनी है हर व्‍यक्ति जो शासन की आमदनी है प्रदेश की आमदनी है उस गरीब का क्‍या हिस्‍सा है.  प्रति व्यक्ति आय कितनी है और रोजगार कितने पैदा हो रहे हैं. अगर इन सूचकांकों पर सरकार खरी नहीं उतरती है तो मैं समझता हूँ कि यह सरकार का फेल्यीअर है. इस दिशा में काम करने की बहुत जरुरत है. वर्ष 2024-2025 के बजट में लगभग 3 लाख 80 हजार रोजगार पैदा होने की बात कही गई है. यह तो पत्रक में ही है. निजी क्षेत्र में 18500, शासकीय क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित होंगे. शिक्षाकर्मियों के  11 हजार पदों की बात कही गई है. मैं समझता हूँ करीब 27-28 हजार पर शिक्षा विभाग में रिक्त हैं. सरकार को इसे प्राथमिकता देना चाहिए. इन पदों को भरना चाहिए. बहुत से शिक्षित बेरोजगार कस्बों में रहते हैं, छोटे शहरों में रहते हैं सब बड़ी आशा भरी निगाह से सरकार की तरफ देखते हैं कि कब यह पद निकलेंगे, कब इनका प्रकाशन होगा, कब चयन होगा. उनकी आशाओं को पूरा करना हमारा दायित्व है. अब देश और प्रदेश में एक परम्परा बन गई है कि सारे पेपर लीक हो जाते हैं. बेचारा नौजवान हताश हो जाता है. उत्तर प्रदेश में जितनी परीक्षाएं हुईं सभी का पर्चा लीक हो गया. हमारे प्रदेश में भी हो गया. नीट वाला मामला बड़ा गंभीर है. व्यापम की चर्चा अब बेमानी है वह भी रहा है.  पब्लिक सर्विस कमीशन से जो इम्तेहान होने थे उनका भी पर्चा लीक हुआ. पर्चा लीक न हुआ करे इसके लिए एक सुदृढ़ व्यवस्था बनानी चाहिए नहीं तो पढ़े लिखे नौजवानों में हताशा और निराशा घर कर जाएगी. किसी भी राष्ट्र का नौजवान अगर निराश हो तो वह राष्ट्र तेजी से आगे नहीं बढ़ सकता है.

          सभापति महोदय, अभी रीजनल इनवेस्टर्स मीट मुख्यमंत्री जी ने उज्जैन में की. बहुत अच्छा है करना चाहिए, हमें उद्योगों को आकर्षित करना है. लोग आएंगे तो विकास की गति बढ़ेगी. विकास का पहिया घूमेगा. लोगों को रोजगार मिलेगा, माल बनेगा, व्यापार बढ़ेगा. अगर उद्योग आते हैं तो उस इलाके में एक Spin of benefit भी शुरु हो जाता है. रीजनल इनवेस्टर्स मीट से जो राशि आनी है वह लगभग 15 हजार करोड़ रुपए है. मैं समझता हूँ इस दिशा में काम करने की जरुरत है. लेकिन जो पुराने अनुभव हैं वो हमें संशय में डालते हैं, निराश करते हैं. जब शिवराज जी यहां मुख्यमंत्री थे उस समय बड़े धूमधाम से ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट हुआ था. अभी एक बहुत अच्छी बात है माननीय मोहन जी ने उसको ग्लोबल नाम नहीं दिया है रीजनल ही दिया है. ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट के आयोजन  में बहुत राशि खर्च हुई थी. ऐसे ऐसे आंकड़े आए थे जो विश्वास करने योग्य नहीं थे. इसमें 29 लाख रोजगार पैदा करने का वादा किया गया था. यहां मोहन जी तो चंद लाखों की ही बात कर रहे हैं, लाख के अऩ्दर ही हैं. बहुत सारी धनराशि लगभग 15.42 लाख करोड़ रुपए इनवेस्ट होना था. कुछ नहीं आया, 5 प्रतिशत भी नहीं आया. यह किसकी जिम्मेदारी है, इतना व्यय हुआ और उसके बाद भी वह काम पूरा नहीं हुआ. उद्योग आए नहीं, रोजगार सृजित नहीं हुए. यह बड़ा महत्वपूर्ण मामला है. सरकार को इसको देखना चाहिए. दो इंडीकेटर हैं, रोजगार का मैंने बता दिया, प्रतिव्यक्ति आय यह भी मैं आपके माध्यम से इस सदन को बताना चाहता हूँ. माननीय वित्त मंत्री जी के ध्यान में लाना चाहता हूँ. आपके ही वर्ष 2023-24 के पत्रक में प्रति व्‍यक्ति आय 1,42,565 दी है. अब एक ऐसी परम्‍परा बन गई है शिवराज जी की सरकार में भी थी, यहां भी शुरुआत हो गई है कि हर चीज को वर्ष 2003-04 से कम्‍पेयर करते हैं. अरे भाई ! 20 वर्ष हो गये आपकी सरकार के, इसका रोना पीटना तो छोडि़ये. नये युग में जब इतनी टेक्‍नालॉजी आ गई है,  आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस आ गया है, क्‍लाउड कम्‍प्‍यूटिंग है, तब रफ्तार बड़ी तेज होती है. जो विकास की रफ्तार आजादी के बाद वर्ष 1947 से 1972 तक थी उससे कहीं ज्‍यादा पिछले 20 साल तक की वह 5 साल में हुई और अब जो 20 साल हैं उसका तीन साल में होने की संभावना है बशर्ते हम सब संसाधनों को टैब कर सकें उपयोग कर सकें, तो यह रोना मैं समझता हूं खत्‍म करना चाहिये वित्‍त मंत्री जी, लेकिन मैं आपकी ऑंख भी खोलना चाहता हूं कि अब इन्‍होंने कहा है कि दिग्‍विजय सिंह जी की सरकार के समय वर्ष 2003-04 में प्रति व्‍यक्ति आय 13,465 थी और पिछले वर्ष 2023-24 में 1,42,565 कर दी. अब वह ज्‍यादा थी कि यह ज्‍यादा है. आपने विचार किया माननीय वित्‍त मंत्री जी, मैं सभापति महोदय आपके माध्‍यम से पूछना चाहता हूं कि कौन सा ऐसा पैमाना है जिससे नाप सकते हैं कि किस सरकार की अर्थव्‍यवस्‍था में एक आम आदमी की आय ज्‍यादा थी या कम थी. सोना ले लीजिये दुनिया भर में चलने वाली सबसे स्‍टैंडर्ड चीज सोना होता है. सोने की कीमत वर्ष 2003 में 5,600 रुपये प्रति दस ग्राम थी वित्‍त मंत्री जी, यह आंकड़ा निकलवा लीजियेगा, आज वर्तमान में 2023-24 मैंने 31 मार्च,  2024 का आंकड़ा लिया है उसके बाद और थोड़ा फ्लक्‍चुएशन हुआ है चूंकि कमोडिटी की ट्रेडिंग बहुत होती है, पूरी दुनिया में होती है, तो इसकी कीमत है 71,252 रुपये प्रति दस ग्राम. अब इसमें बहुत साधारण गणित लगता है. 10 वीं का विद्यार्थी भी माननीय कैलाश जी सुन रहे हैं कि नहीं, वर्ष 2003 में आय ज्‍यादा थी कि अभी प्रतिव्‍यक्ति आय ज्‍यादा है. मैं यह माननीय सभापति जी के सौजन्‍य से बता रहा हूं आप विशेष रूप से इस पर ध्‍यान दें. पहले की बात तो आप समझ ही गये होंगे, तो मैं यह प्रश्‍न कर रहा हूं और जवाब भी मैं ही दूंगा. प्रश्‍न भी कर रहा हूं कि 13,465 ज्‍यादा थी कि अभी जो आय है वह ज्‍यादा है. अभी की आय आपकी 1,42,565 है. लगभग 12 गुना का अंतर है सोने की कीमत में और अगर 12 से गुणा करेंगे तो आंकड़ा 1,61,580 आता है. अब यह कौन सी आमदनी ज्‍यादा है. कब ज्‍यादा थी. अरे ! आमदनी का मुख्‍य माध्‍यम क्रय शक्ति होती है. तब वर्ष 2003 में 1,61,580 थी जिसको आप हमेशा याद करते रहते हैं भूलते नहीं हैं और आज आपकी आय जब इतने विकास की बात करते हैं, इतनी योजनाए हैं, आपने तो किताब भर दी है इतनी योजनाएं हैं कि आदमी कंफ्यूज हो जाता है और उनकी जो हितग्राही मूलक योजनाएं हैं मैं समझता हूं कि उनका 50 फीसदी लाभ भी जो चिह्नित और टारगेटेड लोग हैं, उनको नहीं मिल पाता है. सभापति महोदय मेरा यह कहना है कि वर्तमान सरकार न तो रोजगार दे पा रही है और न ही लोगो की आय बढ़ रही है. सरकार रोजगार नहीं दे पा रही है आप रोजगार कार्यालयो के आंकड़े देख लें.

          सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी को बताना चाहूंगा कि 2022-23 में 23 लाख पढ़े लिखे नौजवान  पंजीकृत हुए थे. अब तो 2024-25 शुरू हो गया है नया वर्ष है इस वर्ष में 3 लाख और जुड़े हैं यह 26 लाख हो गये हैं, घटे नहीं हैं. अगर रोजगार मिला होता तो ये रोजगार कार्यालय में पढ़े लिखे नौजवानों की  पंजीकृत संख्या दिख रही है वह संख्य घटती, यह साफ जाहिर करता है कि यह आंकड़ो की बाजीगरी है, अच्छी कर लेते हैं, दुकान भी अच्छी सजती है, कैलाश जी, माल कैसा भी हो दुकान तो सजती है, ग्राहक आते हैं और आप मौके पर कुछ न कुछ देकर वोट ले लेते हैं. अब उसका ज्यादा उल्लेख मैं यहां पर नहीं करूंगा.

          माननीय सभापति महोदय अब इनकी जो ग्यारंटी हैं. एक तो प्रधानमंत्री जी ने, मैं उनकी शान में गुस्ताखी नहीं करूंगा. प्रधानमंत्री जी ने गत विधान सभा चुनाव के दौरान दो प्रमुख ग्यारंटियां दी थी. आपको भी स्मरण होगा. गेहूं की खरीदी 2700 रूपये क्विंटल , धान की खरीदी 3100 रूपये क्विंटल, विधान सभा के चुनाव के बाद में खरीफ सीजन चला गया और उसके बाद में खरीदी चल रही थी. रबी का गेहूं का सीजन भी चला गया और यह फेलुवर है हमारा कि हम कि उचित मूल्य की दुकानों के लिए जो हमारा कोटा है खरीदी का जो एफसीआई देता है, वह 80 लाख टन का था हम मात्र 37 या 38 लाख टन ही खरीद सके हैं. यह वही प्रदेश है जिसने एक वर्ष 1 करोड़ 17 या 18 लाख टन गेहूं खरीदा था, तो इस वर्ष क्यों नहीं, तो क्यों नहीं उनको प्रधानमंत्री जी की घोषणा अनुसार लाभ दिया गया, यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है. इसका भी निराकरण समय पर होना चाहिए.

          सभापति महोदय मध्यप्रदेश सरकार ने भी कुछ घोषणाएं की थीं. उन का क्या हुआ है यह भी हम जानना चाहेंगे क्योंकि चुनाव में आपने कहा था. लाड़ली बहना को आपने पहले 1250 रूपये प्रतिमाह दिया है जो कि अभी भी मिल रहा है. लेकिन चुनाव के समय आपने कहा था कि 3000 रूपये प्रतिमाह तक ले जायेंगे, बजट भी आ गया है लेकिन एक भी रूपये की राशि बढ़ी नहीं है. यह लाड़ली बहनाओं के प्रति अन्याय है या नहीं, धोखा है या नहीं है. उऩकी आंखों पर लोगो ने धूल झोंकी है, आपको इस पर आपको मनन करने की जरूरत है. सभी महिलाओं को 500 रूपये में गैस का सिलेण्डर मिलना था, वह भी नहीं मिल रहा है.

          माननीय सभापति महोदय अब कुछ बातों पर मैं तारीफ भी कर सकता हूं, इसमें कोताही नहीं है. जगदीश जी का तो काम बहुत अच्छा है, बहुत अच्छे इंसान हैं, वे योग्य भी हैं. एक जो गौशाला निर्माण की बात है 2190 गौशाला संचालित हैं ऐसा आपने आंकड़ा दिया है. यह बात भी अपनी जगह पर सही है कि जब 2018-19 में कमलनाथ जी की सरकार थी तब एक हजार गौशालाएं बनी थीं. लेकिन उसमें आवारा पशु नहीं थे. गऊ गाय या जो भी प्रजाति है, अधिकांश गौशालाएं खाली थीं. उसका एक कारण यह भी था कि प्रति गाय, अब क्या कहें बड़ा संवेदनशील यह गौमाता का शब्द है, हाल ही जिंदाबाद मुर्दाबाद होने लगती है. प्रति गाय के हिसाब से 20 रूपये दिया जाता था जिसे आपने बढ़ाकर 40 रूपये किया. अब 40 रूपये में लोग प्रोत्साहित तो होंगे, कुछ स्वसहायता समूह है जो भी चलाते हैं अलग अलग, क्षेत्रों में अलग समितियां या समूह यह सारे लोग गौशाला चलाते हैं. तो 40 रूपये में उनको पर्याप्त भूसा चारा उऩको मिलेगा.

          डॉं राजेन्‍द्र कुमार सिंह - गौशाला चलाते है, 40 रूपए में उनको चारा- भूसा अनाज मिलेगा तो वह प्रोत्‍साहित होंगे . माननीय सभापति महोदय, मैं पूरी तरह से आपको शाबासी तब दूंगा, जब प्रदेश के किसानों से यह भी सूचना मिलने लगे कि अब आवारा पशु उनके खेतों में नहीं जा रहे हैं. सब गौशालों में जा रहे हैं, जिनको देवड़ा साहब ने बनवाया है. राशि इतनी सारी दी है.यह भी सूचना मिले कि हमारे हाइवे और रोड में पशु घूम नहीं रहे हैं. जो एक्‍सीडेंट का सबसे बड़ा कारण होता है, कितने लोग-काल कवलित होते हैं,  यह आप अच्‍छी तरह से जानते हैं. सभापति महोदय, आप तो इतने सीनियर नेता हैं, हर चीज से वाकिफ हैं और आपके इलाके में तो नीलगाय का भी बड़ा प्रकोप है, आपके यहां रोजड़ा कहते हैं.

          सभापति महोदय- रोजड़ा नहीं, नीलगाय कहते हैं.

          डॉं राजेन्‍द्र कुमार सिंह- इसका भी बड़ा प्रकोप है, उसके लिए भी कुछ प्रयास कीजिए जो जंगल के किनारे खेत हैं और मैं आपको बताना चाहता हूं यह जानवर जंगल में भी नहीं रहता ये खेतों में समतल जमीनों में रहता है और साल में दो बार बच्‍चे देता है, ये डियर प्रजाति है, दो बार बच्‍चे देता है, इसलिए इनकी संख्‍या भी बढ़ती है, बड़े हो जाते हैं तो मारने के लिए भी दौड़ते हैं, आप जानते हैं, घोड़ो के बराबर होते हैं, इनके लिए भी कुछ तो योगदान करिए, कोई नीति बनाइए संवेदनशील विषय है. आपको केन्‍द्र सरकार से भी वार्तालाप करनी पड़ेगी, चर्चा करना पड़ेगी फिर तमाम आपके जो पशु प्रेमी हैं, वह भी अड़चन पैदा करेंगे. एक पशु प्रेमी अब सांसद नहीं रह गई, वो बड़ा परेशान करती थीं, इन विषयों पर कोई निर्णय नहीं होने देती थीं. इनका भी आप ध्‍यान रखें. माननीय सभापति महोदय, आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूं,मिलिट्स को प्रोत्‍साहन करने के लिए आपने बहुत अच्‍छा काम किया है.ये हमारे पुरातन काल से है हमारी फूड हेविट्स, हमारा कल्‍चर, हमारी सभ्‍यता से जुड़े हुए अन्‍न हैं. हमें याद है हम लोगों के यहां कोदू का बहुत बड़ा स्‍टॉक हुआ करता था. 5-5 हजार क्विंटल 10-10 हजार क्विंटल रखा जाता था और कोदू ऐसा अनाज है जो 100 साल तक भी खराब नहीं होता. माननीय सभापति महोदय, मैं जानता हूं आपके इलाके में कोदू नहीं होता आपके यहां तो अफीम बहुत होती है आप केश क्रॉप वाले हैं, हम लोग गरीब किसान है, हमारे यहां कोदू बहुत होती है और वह 100-100 साल खराब नहीं होती थी. लोग उसको भंडारित करके रखते थे और जब अकाल पड़ता था, सूखा पड़ता था. शासन के पास इतने संसाधन नहीं हुआ करते थे तो लोग दिया करते थे, कोदम है, कुटकी है, ये मिलिट्स का जो प्रोग्राम है, यह सराहनीय है. 10 रूपए प्रतिकिलो प्रोत्‍साहन राशि भी है इसको और  प्रोत्‍साहन  करना चाहिए और भी अनाज हैं सांवा है, मोरधन है, इनको भी प्रोत्‍साहित करना चाहिए. आप पशु पालकों को दूध दे रहे हैं आपने प्रोत्‍साहन राशि देने की बात कही है सब्सिडी देंगे जब वो सहकारी समिति के माध्‍यम से दूध बेंचे कितना देंगे इसका उल्‍लेख नहीं है पर अच्‍छी बात है दूध उत्‍पादन बढ़ेगा और आमदनी का वैकल्पिक स्‍त्रोत बढ़ेगा किसान के पास जब पैसा आएगा तो किसान समृद्व होगा खुशहाली आएगी अब दो चार बातें और रखकर मैं समाप्‍त करूंगा उत्‍पादकता बढ़ाने के लिए बहुत सारी चीजें की जाती है एक होता है मृदा परीक्षण किसानों को मालूम हो कि कौनसा पोषक तत्‍व उसकी जमीन में है कौनसे नहीं है कौनसे हमको डालना है एक बहुत जरूरी जानकारी होती है जो किसान को होनी चाहिए केन्‍द्र सरकार ने बहुत गंभीरता बरती है और राज्‍य सरकार ने भी लेकिन कहीं सिलिप कहते हैं कप और लिप में कम में पानी तो है पर वह पी नहीं पा रहे हैं. हम पूरे मध्यप्रदेश की बात नहीं करेंगे,  क्योंकि ठोस  जानकारी नहीं है, गलत   नहीं  हो जाये.  हम अपने सतना जिले  की बात करेंगे,  उदाहरण के लिये.  चैसे चावल पकता है, पूरा चावल पका है कि नहीं एक दाना निकाल कर  देख लेते हैं, तो सतना जिले को ही चावल का एक दाना मान लीजिये. हमारे यहां 8 विकास खण्ड हैं.  आठों में भवन  बने हुए, वर्ष 2014-15 में भवन  बन गये थे.  8 केन्द्र हैं हमारे. चार साल पहले  मशीनें भी आ गईं,लेकिन स्टाफ एक भी नहीं है उसमें.  वह कैसे चले मृदा परीक्षण केन्द्र और हालत यह है कि उसमें पीपल, बबूल  इस तरह के पेड़  दीवारों के  ..

1.36 बजे       {अध्यक्ष  महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तमोर} पीठासीन हुए.)

.. किनारे उग आये  हैं.   अध्यक्ष  महोदय, आप जानते हैं कि पीपल और बबूल  किसी भवन के किनारे  उग आयें,  तो उस भवन की दीवार भी जाने वाली है. तो यह मृदा परीक्षण केन्द्र  जो है,  आपने इसमें  आवंटन कुछ नहीं किया है.  मैं वित्त मंत्री जी को कहना चाहूंगा कि  एक बहुत महत्वपूर्ण  इंस्ट्रूमेंट होता है यह.  उपयोगी होता है,  हमारे यहां सिर्फ  सतना मण्डी  में एक चालू है और क्यों चालू है कि उसमें मण्डी ने अपने कर्मचारी लगा दिये हैं.  इस योजना के तहत  कृषि विभाग ने नहीं लगाये,  तो एक  चालू हो गई.  तो यह मृदा परीक्षण केन्द्र  यह हो जायें.  पेय जल  की आपकी समूह  योजनाएं हैं.  हमारे यहां से सबसे बड़ी लगभग  हमारे क्षेत्र में योजना बन रही है, सतना बाण सागर समूह पेयजल योजना,  इसमें लगभग 1056 गांव  में पानी जाना है, पेय जल जाना है और जहां से लिफ्ट हो रहा है,  हमारे क्षेत्र से ही बाण सागर है, वहां पर सोन नदी है, वहां से यह लिफ्ट हो रहा है.  कुल प्रस्तावित जो घर हैं, जहां यह जायेगा,  2 लाख 52 हजार, वर्तमान में 1 लाख  41 हजार कनेक्शन  दे  दिये हैं,  ऐसा बताते हैं अधिकारी.  इसको चेक कर लीजियेगा.  लेकिन पानी कितने नलों में आ रहा है, सवाल, महत्व इस बात का है.  वह सिर्फ 21 हजार  नलों में पानी  आ रहा है.  अब बताइये  1 लाख  41 हजार कनेक्शन दे दिये, पानी 21 हजार में आ रहा है.  तो यह एक बड़ी विफलता है, इसका भी  ध्यान रखने की जरुरत है और सिंचाई के बड़े बड़े दावे हैं. यह  बड़ा हास्यास्पद है.  2013-14  में याद है मुझे जब  शिवराज सिंह जी, मुख्यमंत्री थे.  आंकड़ा बताया जाता था कि  सिंचित रकबा हमने बढ़ाकर  50 लाख हेक्टेयर कर दिया.  अब यह 2013-14 की बात  है. चेक कर लीजिये भाषण में और आज भी बताया जा रहा है  कि  यह 50 लाख हेक्टेयर है.  अब यह मिसमैच्ड हमें समझ में नहीं आ रहा है.  कहीं न कहीं तो गलत बयानी  है. 8 साल पहले  50 लाख हेक्टेयर  था,  अब भी 50 लाख हेक्टेयर  है.  बहरहाल सिंचाई  बड़ा महत्वपूर्ण  विषय है.  यह तो होना ही चाहिये.  हमारे यहां बड़ी बड़ी योजनाएं आ रही हैं.  केन बेतवा  लिंक है,  चम्बल काली सिंध, पार्वती  लिंक है.  लेकिन वह ऐसी योजनाएं हैं कि  एकाध पीढ़ियां गुजर जायेंगी.  बाण सागर परियोजना  हमारे यहां बनी है,  उसको  27 साल लगे कम्प्लीट होने में. यह तो और बहुत बड़ी  परियोजनाएं हैं.  जितने माननीय सदस्य बचे हैं,  बहुत युवा हैं, शायद वह देख लें, हम लोग तो नहीं देख पायेंगे.  नर्मदा का जहां तक सवाल है, इसमें बहुत गंभीर होना चाहिये सरकार को,  क्योंकि हमारा जो एलाटमेंट है 18.25   एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) है  हमारा एलाटमेंट.  अगर हम अगने वर्ष 2024 तक पानी इस्तेमाल नहीं कर लेंगे,  तो फिर  गुजरात राज्य वहां टकटकी  लगाये  बैठा है और गुजरात में पानी जाने से  आप भी  अन्दर से सहमत होंगे देवड़ा जी  भी, सब भाजपा  के नेता, सभी नेता सहमत होंगे कि उसको कोई रोक नहीं पायेगा. सारा पानी गुजरात चला जायेगा. मध्यप्रदेश के किसानों का हक  मारा जायेगा.   तो नर्मदा का जो जल है 18.25 एमएएफ,  इसका उपयोग  शीघ्रातिशीघ्र हो और  विशेष इस प्रकार की योजना बने, क्योंकि जो संबंधित लोग हैं. मैं  सिंचाई मंत्री जी से भी अनुरोध करुंगा,  वैसे संसदीय कार्य मंत्री जी हमारे    ऑल राउण्डर हैं.  इनको अगर बता दिया जाता है,  तो सब तक बात पहुंच जाती है.

            अध्‍यक्ष महोदय:- इनको आप गंभीरता से बता दो.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह:- जी, इनको तो बतायेंगे.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय:- मैं गंभीरता से सुन रहा हूं. अगर आप मुझे बोलने की अनुमति देंगे तो मैं एक-एक बात का जवाब भी दे सकता हूं. पर क्‍योंकि हमारे सीनियर सदस्‍य हैं, उनके सम्‍मान में मैं, पूरा सुन रहा हूं. जो सुनने लायक नहीं है वह भी सुन रहा हूं.

          अध्‍यक्ष्‍ा महोदय:- जवाब वित्‍त मंत्री को जी को देना है.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह:- अध्‍यक्ष महोदय, मैंने अपने पूरे भाषण में एक भी ऐसी नहीं कही, जो किसी के सम्‍मान के विरूद्व हो.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय:- मैं वह नहीं कह रहा हूं. आपने जो आंकड़े दिये हैं, वह जरूर में थोड़े से आपको बता दूंगा. मैं इकट्ठे कर रहा हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- वह आप बाद में बता देना. राजेन्‍द्र सिंह जी अब आपको भाषण समाप्‍त करना पड़ेगा.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह:- अध्‍यक्ष महोदय, मैं कैलाश जी को बताना हूं कि मैंने इन आंकड़ों का अध्‍ययन किया है. मैं भी मैथेमेटिक्‍स का स्‍टूडेंट हूं, वैसे इंजीनियर हूं. लेकिन फिर राजनीति शास्‍त्र करके इसमें आ गया, गोरखधंधे में. लेकिन मैथेमेटिक्‍स का स्‍टूडेंट हूं तो मैंने इसमें एक-एक चीज़ निकाली है. चूक एकाध जगह हो सकती है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय:- स्‍टूडेंट आप भी रहे और हम भी रहे. हम लोग पास कैसे हुए यह हम भी जानते हैं और आप भी जानते हैं.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह:- देखिये, हम बड़े साधारण आदमी हैं. हमारी पिताजी पुलिस अफसर थे.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय:- तो पढ़ने की जरूरत ही नहीं थी.

          डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह:- वह डी.जी के पद से रिटायर हुए. यहां विधान सभा में 74-75 साल की उम्र .में एक टर्म विधान सभा के सदस्‍य भी रहे. हम लोग बड़े अनुशासित वातावरण में पढ़े हैं. मेरे पिताजी आपके साथ रहे हैं तो आप उनको समझते होंगे, उनको जाना होगा, उनको अच्‍छी तरह से पहचाना होगा. वह बहुत अनुशासित रहते थे तो नकल करने की बात है नहीं. हां, इंदौर का माहौल मुझे मालूम है और जब नौजवान थे, कैलाश जी. वह बड़े उछंखल थे लोग बताया करते थे और जब बार यह विधायक बनकर आये मैं इधर मंत्री था तो इस तरह से हम लोगों को घूमा-फिरा के हम लोगों को तंग करते थे, लपेटते रहते थे और कुछ भी बोलते रहते थे. हम लोग इनका बुरा नहीं मानते थे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- अब आप बजट की चर्चा पर जायें.

           डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह:- इनकी दूधी बात कीजिये, पता नहीं बचपन में खेल खेला है कि नहीं, जो थोड़ा सा नटखट होता था तो लोग कह देते थे कि इसकी दूधीभाती है, चलने दो जो करता है, इसको झेलो. हम लोग कैलाश जी को हमेशा झेलते रहे हैं और झेलते रहेंगे, बड़े योग्‍य व्‍यक्ति हैं. हम लोग उनका बहुत सम्‍मान करते हैं.

          अब मैं एकाध चीज और बताना चाहता हूं. आयुष्‍मान भारत योजना, एक हजार छ : सौ सत्‍तर से बढ़ाकर आपने एक हजार नौ सौ बावन को इसमें चिकित्‍सा प्रक्रियाओं को मान्‍यता दे दी है. लेकिन अभी इसको फाइन टयूनिंग करने की जरूरत है. मैं इसलिये कह रहा हूं और बड़ी जिम्‍मेदारी से कह रहा हूं कि सतना जिले को ही उदाहरण ले लीजिये, वहां का एक भी अस्‍पताल इस योजना से संबंद्व नहीं है. अब बताइये जिले का जिला, अब दो जिले बन गये हैं सतना और मैहर. एक भी योजना से जुड़ा नहीं है, राशि भी कम है. मैंने डॉक्‍टरों से पूछा कि आप क्‍यों नहीं लेते हो. तो बोले हर ऑपरेशन की या जो वह लोग करते हैं, इतनी कम राशि है कि हमें बड़ा घाटा होता है, नुकसान होता है. आपको इस पर विचार करना चाहिये. चूंकि यह केन्‍द्र की योजना है आप भी राशि देते हैं. आपने भी लगभग 2-3 हजार करोड़ का अंशदान इसमें रखा है. मैं यह समझता हूं कि सभी माननीय सदस्‍य इससे सहमत होंगे क्‍योंकि यह तो सबके क्षेत्र का मामला है और अध्‍यक्ष महोदय, फसल बीमा अभी एक महत्‍वपूर्ण पहलू है. फसल बीमा किसानों के लिये एक जीवन रेखा है. लेकिन हमारा जो अनुभव हैं, हम यह देखते हैं कि किसान बीमित हो जाता है. अपना शेयर देता है, राज्‍य सरकार दे देती है और केन्‍द्र सरकार दे देती है. लेकिन जब बीमा कंपनियां पेमेंट करती है तो वहां पर घालमेल है और इसको दुरूस्‍त किया जाना बहुत जरूरी है. आप एक बार आंकड़ें उन्‍होंने 20 हजार करोड़ सब बीमा कंपनियों को मिलाकर, यह आंकड़ा सही नहीं हो सकता; माननीय कैलाश जी आगे-पीछे हो सकता है. केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं किसानों की लगभग 18-20 हजार करोड़ रुपये की उनको प्रीमियम की राशि मिलती है और जब वह भुगतान करते हैं तो यह भी आंकड़ा ले लीजिए, 4-5-6 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान नहीं करते हैं. अब इससे प्रॉफिटेबल धंधा कोई दुनिया में हो ही नहीं सकता है कि आप एक सीजन में 12-13 हजार करोड़ रुपये कमा लीजिए और पूंजी, पैसा तो आपको बाद में देना है. सरकार प्रतिपूर्ति करती रहती है. किसान पहले ही दे देता है. इसको भी देखने की जरूरत है क्योंकि यह किसानों से ताल्लुक रखता है और मेरी सब बातें आ गई हैं, आपने समय दिया और सबने सुना. श्री कैलाश जी ने सुना, किसी ने कोई टोका नहीं. मैं सभी का आभारी हूं. एक फिर कह दूं श्री कैलाश जी, आपने 3-4 कहे थे. अब देवड़ा साहब का तो हक बनता है, किताब में प्रिंटेड थे तो उनको तो पढ़ना पड़ता. अधिकारियों ने उसमें जोड़ दिया था. हालांकि इन्होंने कहा होगा, शेर भी लिखकर लाना. आंकड़े तो आपने लाते हैं शेर इनके दिये होंगे. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से कहना चाहता हूं -

"थोड़ी मस्ती थोड़ा- सा ईमान बचा पाया हूं,

यह क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूं,

कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकती यादें,

जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूं. "

 

अध्यक्ष महोदय, आपने जो समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

 

संसदीय कार्यमंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) - अध्यक्ष महोदय, आपके सम्मान में मैं केवल दो लाइन सुना देता हूं.

"किसी को आसानी से मत मिल जाना,

लोग सस्ता समझने लगते हैं."

 

डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, हमारे पूर्व वक्ता, विद्वान साथी डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी, आप सीनियर हैं विधान सभा में वर्ष 1980 में पहले आ गये थे, मैं वर्ष 1990 में आया. अब वह बी.ई. इंजीनियर हैं तो उन्होंने गणित से हिसाब-किताब लगाया. मैं डॉक्टर हूं तो मैं आपरेशन करूंगा. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का और माननीय वित्त मंत्री जी का बहुत आभार मानता हूं. उन्होंने एक सर्वस्पर्शी, सर्वव्यापी प्रदेश की जनता के हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए बजट प्रस्तुत किया. अध्यक्ष महोदय, यह बजट बड़े सोच विचार करके बनाया गया है. यह "खटाखट-खटाखट" नहीं बना. (मेजों की थपथपाहट).. और इसी कारण से एक भी रुपये का टैक्स बढ़ाया नहीं और वर्ष 2023-24 से गत वर्ष से 2024-25 में 16 प्रतिशत बजट का आकार बढ़ गया, यह बुद्धि का काम है, आंकड़ों का नहीं है. यह मैदान का काम है.

डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, आपने तो बहुत लोक-लुभावन बात की. एक पैसे का टैक्स नहीं बढ़ाया. मगर आपको तो पेट्रोल, डीजल पर टैक्स घटाना चाहिए था. महाराष्ट्र की सरकार ने टैक्स घटाया है और आप टैक्स लगा किसमें सकते हैं? डीजल, पेट्रोल, मोबिल, शराब, सिगरेट, तम्बाकू और बाकी में तो आप टैक्स लगा ही नहीं सकते. जीएसटी काउंसिल की बैठक में श्री देवड़ा जी जाते हैं. बेचारे प्रयास करते हैं लेकिन हो गया, वहां तो पूरे देश के वित्त मंत्री आते हैं. श्रीमती निर्मला जी वहां रहती हैं, वहां सब तय होता है तो टैक्स लगाने, न लगाने का उनका अधिकार ही नहीं है.

डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, अब मैं वाद-विवाद में नहीं पड़ना चाहता हूं. कर्नाटक की सरकार ने विधान सभा चुनाव के बाद डीजल, पेट्रोल पर टैक्स बढ़ा दिया था. सरकार किसकी थी आप जानते हैं.

श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष महोदय, मैं एक चीज कहना चाहूंगा.

डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, यही मुश्किल है, हमने शांति से सुना.     (व्यवधान)

श्री दिलीप सिंह परिहार - जब आपका समय आए तब आप बोलिएगा.

अध्यक्ष महोदय - आप बैठें, आपको बोलने का समय मिलेगा.

श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष महोदय, उसी से जुड़ी हुई बात है.

श्री शैलेन्द्र कुमार जैन - इनके भाषण में किसी भी एक व्यक्ति ने टोका-टाकी नहीं की. सबने बड़ी शालीनता से सुना है.                                                                                        

          वित्‍त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) -- अध्‍यक्ष महोदय...

          उपनेता प्रतिपक्ष (श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे) -- अध्‍यक्ष महोदय, एक मिनट...

          अध्‍यक्ष महोदय -- डॉ. सीतासरन शर्मा जी के अलावा किसी का ना लिखें.

          श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे -- (XXX)

          श्री जगदीश देवड़ा -- अध्‍यक्ष महोदय जी, यह न हो, तो अच्‍छा. सबका समय आए तो वे बोलें.

          डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं तो सीधी-सादी बात कर रहा हॅूं. जब आड़ी-तेड़ी बात करूं, तब आप जरा खडे़ हो जाएं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, आप बोलिए.

          श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे -- (XXX)

          डॉ. योगेश पंडाग्रे -- अध्‍यक्ष महोदय, इनको भी समय मिलेगा, तब यह अपने समय पर बोलें. यह व्‍यवस्‍था बिगाड़ने का काम कर रहे हैं, यह सुनना नहीं चाहते हैं.

          डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, जैसा वित्‍त मंत्री जी ने कहा था कि यह सिर्फ आय-व्‍यय का आय-व्‍ययक नहीं है. इस बजट में प्रदेश के विकास का रोडमैप है. इसमें शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, कृषि, सिंचाई जैसी विकास की अनेक योजनाएं हैं और इसलिए जब वित्‍त मंत्री जी बजट प्रस्‍तुत कर रहे थे, तो प्रदेश के स्‍टूडेंट्स सुनना चाहते थे कि हमारे लिए क्‍या है. किसान जानना चाहते थे कि हमारे लिए क्‍या है. बहनें-महिलाएं जानना चाहती थीं कि उनके लिए क्‍या है. समाज का हर एक वर्ग जानना चाहता था कि सरकार उनके लिए क्‍या कर रही है. गृहणी जानना चाहती थी कि सरकार कोई नया टैक्‍स तो नहीं लगा रही है. नहीं जानना चाहते थे, तो ये 63 लोग थे. ये हल्‍ला मचा रहे थे. प्रदेश की जनता की नजर थी. पत्रकार और अर्थशास्‍त्री जानना चाह रहे थे. ये 63 लोग बैठे थे. ये सुनना नहीं चाहते थे. एक डॉक्‍टर राजकुमार सिंह साहब ने जरूर सुना. एक तरफ सुना, वह भी एक ही कान से सुना. दोनों कानों से नहीं सुना. एक कान से उनकी सुनते थे और दूसरे कान से हमारी सुनते थे. इन्‍हें प्रदेश की कोई चिन्‍ता नहीं है. यदि चिन्‍ता होती, तो ये नारे नहीं लगाते, ये राजनीति नहीं करते. ये सुनते कि सरकार प्रदेश की जनता के लिए क्‍या कह रही है, क्‍या ला रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने आपसे अनुरोध किया कि इस बजट में सिर्फ जनता की नजर नहीं थी, पत्रकारों और अर्थशास्‍त्रियों की भी नजर थी. मैं पढूंगा नहीं, यदि आप अनुमति देंगे तो सिर्फ हैडिंग पढ़कर सुनाऊंगा. पत्रकारों ने इसमें क्‍या कहा. राज एक्‍सप्रेस ने कहा- आम जनता को राहत, युवाओं को रोजगार. हरिभूमि ने कहा- मोहन के बजट ने मोहा मन. नवदुनिया ने कहा-मनमोहन बजट. यह पत्रकारों की प्रतिक्रिया है. नवदुनिया में धनंजय प्रताप सिंह जी ने इस बजट के बारे में अपना स्‍टेटमेंट दिया, वह मैं बता देता हॅूं. मोहन सरकार के बजट में दिखा दीनदयाल का विज़न, मोदी का मिशन. यह पत्रकारों ने कहा. (मेजों की थपथपाहट) इन्‍हें समझ नहीं आएगा कि विरोध कर रहे हैं. चलिए जाने दीजिए. पत्रकारों ने कहा तो अर्थशास्‍त्रियों ने क्‍या कहा. अभी डॉ.सिंह साहब बजट के एफआरवीएम एक्‍ट की बात कर रहे थे, आंकड़ों की बात कर रहे थे. माननीय वित्‍त मंत्री जी उत्‍तर देंगे. एकाध बात मैं भी बोल दूंगा. देखिए, प्रोफेसर हिमांशु राय इंदौर के बिज़नेस मैनेजमेंट के इंस्‍टटीट्यूट में प्रोफेसर हैं. बजट में हेल्‍थ, इन्‍फ्रॉस्‍ट्रक्‍चर व जनकल्‍याण पर फोकस यानि मूलभूत जरूरतों पर ध्‍यान दिया गया है. प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी- मध्‍यप्रदेश का इन्‍फ्रॉस्‍ट्रक्‍चर अब सड़कों से आगे इंडस्‍ट्रीयल. अभी डॉ.साहब बात कर रहे थे. मध्‍यप्रदेश का इन्‍फ्रॉस्‍ट्रक्‍चर अब सड़कों से आगे, इंडस्‍ट्रीयल कॉरीडोर की ओर बढ़ रहा है. प्रोफेसर कन्‍हैया आहूजा- यह युवाओं पर फोकस बजट, महिलाओं और किसानों की जरूरतों पर भी ध्‍यान दिया गया है. यह अर्थशास्‍त्रियों ने कहा है. नौकरशाहों ने क्‍या कहा. चीफ सेक्रेटरी ब्‍योहार साहब, इन्‍हीं के समय के हैं, जो वामपंथी थे. वे विचारधारा से वामपंथी हैं. इसके बाद भी पूरी तारीफ तो कर नहीं सकते थे फिर भी उन्‍होंने क्‍या लिखा. बजट में नये-पुराने वादों के लिए कमिटमेंट है. यह है भारतीय जनता पार्टी की सरकार, यह है मोदी की गारंटी. (मेजों की थपथपाहट) एक्‍स चीफ सेक्रेटरी लिख रहे हैं. यह आपकी सरकार का है.

          अध्‍यक्ष महोदय, डॉ.सिंह साहब ने घाटे की जो बात की, मैं उस वक्‍त भी था. अब वह आपने कहा कि वही पुराना रोना मत रोओ. जब तक हमारी पीढ़ी है तो हमने भुगता है. आप अध्यक्ष महोदय समय देंगे. आप भी उस समय विधान सभा में सदस्थ थे. एक बार स्वर्गीय बापट जी ने प्रश्न पूछा विधान सभा में कि यहां पर ऐसी कौन सी सड़क है जिसमें प्रति एक गज में गड्डा नहीं है. सरकार ने कहा कि पूरी सड़क में गड्डे ही गड्डे हैं. एक भी बिना गड्डे की सड़क नहीं है. एक एक गज में गड्डे थे. यह प्रश्न का उत्तर था बापट जी ने पूछा था आपको निकलवाकर भी दे दूंगा. उस समय आपका बजट 22 हजार करोड़ का बजट था और 24 हजार करोड़ रूपये का कर्जा था. उस समय न तो सड़क थी, न ही अस्पताल था, न ही स्कूल था और न ही मेडिकल कॉलेज थे.

          श्री लखन सिंह घनघोरियाउस समय मुख्य सचिव जी आपके बड़े भैय्या थे.

          डॉ.सीतासरन शर्माअध्यक्ष महोदय, लखन जी आप वरिष्ठ विधायक एवं मंत्री रहे हैं पिछले कार्यकाल में. अध्यक्ष महोदय, जब बजट आता है. उसका दो दृष्टियों से परीक्षण किया जाता है. एक दृष्टि तो डॉ.साहब बहुत ही विद्वान हैं उनके साथ बहुत ही निकटता के साथ मैंने काम किया है. मेरा ज्ञान उनके बराबर नहीं है. उन्होंने कहा कि जो एफआरबीएम एक्ट है उसका पालन नहीं हो रहा है. 3 प्रतिशत उसमें राजकोषीय घाटे की लिमिट है. सरकार ने उत्तर दिया है कि ऊर्जा की रिक्वायरमेंट भारत सरकार चाहती है. यदि उसको उस हिसाब से कर देंगे तो आधा प्रतिशत वह बढ़ा देंगे. तो यह 3.5 प्रतिशत हो जायेगी. इस तरह से इस राजकोषीय घाटे को सीमा में ले आयेंगे. दूसरी बात जो कि इस बजट की बड़ी विशेषता है. इस बजट में पूंजीगत व्यय 64 हजार करोड़ रूपये का है. बजट भाषण में भी माननीय वित्तमंत्री जी ने लिखा है कि सन् 2023-24 में 60 हजार करोड़ रूपये ऑल टाईम अधिकतम था. उससे अधिक का इस वर्ष का प्रस्तावित है. एक तो यह काम वित्तीय दृष्टि से किया जाता है. थोड़ी सी बात मैंने बतायी विस्तार से माननीय वित्तमंत्री जी बतायेंगे. अभी मेरे पीछे भी कई विद्वान साथी हमारे बैठे हैं, वह भी बतलाएंगे. यह तो अर्थशास्त्री परखते हैं कि वित्तीय प्रबंधन कैसा है ? पत्रकार एवं जनता क्या चाहते हैं उन पर आते हैं. पहले आते हैं आने वाली पीढ़ी की चिन्ता हम सब करते हैं. तो पहले आते हैं छात्रों पर जाऊंगा वहीं 2003-04 के पहले वाले पर पहले आप सुन लें उसके बाद ही जाऊंगा. आदरणीय उच्च शिक्षा मंत्री जी यहां पर बैठे हैं. उनके स्कूल शिक्षा मंत्री के कार्यकाल में माननीय शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में एक परिकल्पना थी सीएम राईज स्कूल की और सीएम राईज स्कूल का खाका उसी वक्त से डाला गया. इस वर्ष के बजट में 2 हजार 7 सौ 37 करोड़ रूपया सीएम राईज के लिये रखा गया है. 150 सीएम राईज 2024-25 में नवीन भवनों में शिफ्ट हो जाएंगे. लगभग 40 करोड़ रूपयों से बन रहा है. एक एक विधान सभा में 3-3, 4-4 बन रहे हैं. हमारा जिला छोटा है, वहीं 12-13 बन रहे हैं. आपके समय में क्या था एक उत्कृष्ट विद्यालय बमुश्किल से आपके कार्यकाल में घोषित किया गया था. जिले में एक विधान सभा में एक उनकी बिल्डिंग नहीं, पुरानी बिल्डिंगों में लगाओ. शिक्षकों की व्यवस्था नहीं करेंगे, जो पढ़ा रहे हैं वही पढ़ाएंगे ? आपने एक उत्कृष्ट विद्यालय को बने बनाये को चलाया.

          कमलेश्वर डोडियारआप कहां से पढ़कर के आये ?

          डॉ.सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, हम तो प्रायवेट स्कूल से पढ़कर के आये हैं. क्योंकि जब हम पढ़ते थे तो सरकारी स्कूल ही नहीं थे. आप हमसे कहलवाओं मत.

          श्री दिनेश गुर्जरप्रायवेट स्कूल कहां से आ गये थे.

          डॉ.सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, 70 साल पहले प्रायवेट स्कूल बी.आर.मेडिकल कॉलेज आपके बनाये हुए में पढ़े हैं हम.

          श्री दिनेश गुर्जरइतने शासकीय स्कूल पहले भी रहे हैं.

          एक माननीय सदस्यडॉ.साहब बहुत बढ़िया बोल रहे हैं आप सुनो.

          अध्यक्ष महोदयकृपया दिनेश जी आप बैठें.

          श्री दिनेश गुर्जरसारे स्कूल पहले नहीं थे, अस्पताल पहले नहीं थे. पहले भी हुआ करते थे.

          अध्यक्ष महोदय दिनेश जी आप कृपया टोका-टाकी मत करें.  

          श्री दिनेश गुर्जर - डॉ साहब गलत बोल रहे, सरकारी स्‍कूल नहीं थे, इतने शासकीय स्‍कूल पहले भी रहे है. डाक्‍टर साहब गलत बोलेंगे सुनेंगे थोड़ी हम, क्‍या पहले अस्‍पताल नहीं थे, स्‍कूल नहीं थे क्‍या.

          अध्‍यक्ष महोदय - दिनेश जी कृपया टोकाटाकी न करें.

          डॉ. सीतासरन शर्मा - मेरे पास सब बात के उत्‍तर है, बात निकलेगी तो दूर तक जाएगी.

          श्री दिनेश गुर्जर - आप तो कर लो उजागर और नर्मदा की कसम खाकर बोलो की पहले मध्‍यप्रदेश में शासकीय विद्यालय नहीं हुआ करते थे.

          अध्‍यक्ष महोदय - दिनेश जी कृपया टोकाटाकी न करें, बैठ जाए

          डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्‍यक्ष जी, बड़ी तकलीफ हैं इन्‍हें, आप काम क्‍यों कर रहे हैं, काम कर रहे हैं, तो बता क्‍यों रहे हैं. हम नहीं सुनेंगे, सही बात नहीं सुनेंगे. बड़ी मुश्किल है, आपके यहां भी खुलेंगे सीएम राइज स्‍कूल, बच्‍चे तो हमारे है, इस प्रदेश के हैं, आपके समान भेदभाव नहीं करते.    

          श्री दिनेश गुर्जर - कई गांवों में विद्यालय नहीं है, जो शालाएं बंद हो गई हैं, मध्‍यप्रदेश सरकार ने उनके विद्यालय संचालन करने की कोई व्‍ययवस्‍था नहीं की है.

          डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्‍यक्ष महोदय, 2003 में तत्‍कालीन वित्‍त मंत्री जी का भाषण पढ़ा रहा था, गुरुजी को ये ढाई ढाई सौ रुपए देते थे, बात करते हैं, मत करो दिनेश जी, पूरी पोलपट्टी खुल जाएगी.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह - शर्मा जी, जो दो दो सौ रुपए पाते थे, वे आज 75 से 80 हजार रुपए पा रहे हैं, वह आपने भर्ती नहीं करे हैं.

          डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्‍यक्ष जी, बड़ी खुशी है, ज्‍यादा नहीं बोलता इन्‍होंने एक कानून बनाया वह जो सुपर प्राइममिनिस्‍टर होते थे, उस वक्‍त नेशनल एडवाइजरी कौंसिल प्रधानमंत्री जी ने भी इसका उल्‍लेख किया था. संविधान बचाने के लिए किताब हिला रहे थे, पढ़ी थी नहीं, प्रधानमंत्री के ऊपर एक नेशनल एडवाइजरी कौंसिल बनाई और उसमें गैर चुने हुए लोगों को रखा. हमने सलाह दी आरटीई से सरकारी स्‍कूल के बच्‍चे प्रायवेट स्‍कूल में भेजो, भाई क्‍यों भेजो प्रायवेट में तुम बना नहीं सकते, हजारों करोड़ का बजट लिए बैठे हो और प्रायवेट बच्‍चों को फीस दो सरकारी खर्चें से, गजब थी भाई सरकार.

          श्री दिनेश गुर्जर - जब ही चीफ सेकेटरी बन गए थे आपके भैया और आप भी डाक्‍टर बन गए थे. आपकी सरकार में घोटाले के डाक्‍टर इंजीनियर बन रहे हैं.

          डॉ. सीतासरन शर्मा - सुनने की शक्ति रखो एक ही बार आओगे, दोबारा आ नहीं पाओगे, बड़ी मुश्किल से तो आए हो. अध्‍यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने कहा कि हम प्रायवेट स्‍कूल के मुकाबले के स्‍कूल बनाएंगे इसलिए सीएम राइज स्‍कूल की परिकल्‍पना की, जब प्रायवेट स्‍कूलों में बच्‍चे बस से जा सकते हैं तो सरकार ने कहा हम भी बच्‍चों को बसों से लाकर पढ़ाएंगे, यह पहली बार हमारी सरकार ने व्‍यवस्‍था की. स्‍कूल में पढ़ लेंगे, कॉलेज में क्‍या होगा, मैं पुरानी बात कहना नहीं चाहता. रायसेन जिले में 1962-63 तक कालेज नहीं था, आजादी के 15 साल बाद आया. हमारे यहां तो था ही नहीं, हम तो प्रायवेट कालेज में पढ़े, 1972 में छुड़ा लिया आपने और उसी कॉलेज को सरकारी कर दिया. सरकार ने कहा कि यदि सीएम राइज से बच्‍चे आ रहे हैं तो कॉलेज भी उसी स्‍टेण्‍डर्ड का होना चाहिए तो पीएम श्री एक्‍सीलेंस कॉलेज खोले.. (मेजों की थपथपाहट...)

अध्‍यक्ष महोदय, पर सिर्फ औपचारिक ट्रेडिशनल शिक्षा नहीं, रोजगारोन्‍मुखी शिक्षा भी देना है. मैं हायर एज्‍युकेशन मिनिस्‍टर बैठे हैं, उनको धन्‍यवाद देता हूं, उन्‍होंने पी.एम. श्री एक्‍सीलेंस कॉलेज दिये, स्‍कूल एज्‍युकेशन मिनिस्‍टर चले गये, उनको भी धन्‍यवाद है, उन्‍होंने हमारी विधानसभा में तीन दे दिये हैं, एक और लेना है उनसे और मंत्री जी से भी एक ओर लेना है.(हंसी) अभी उनको एक का पुराना धन्‍यवाद और एक का अलग से एडवांस में धन्‍यवाद है. हम 22 आई.टी.आई. नई खोलेंगे, 5 हजार 280 एक्‍स्‍ट्रा सीट्स आई.टी.आई. में रहेंगी, इस वर्ष से बढ़ रही है, तो इस प्रकार से कौशल विकास के लिये भी यह सरकार चल रही है, पर अध्‍यक्ष महोदय, सिर्फ शिक्षा और कौशल विकास नहीं, खेल भी उतना ही जरूरी है.      अध्‍यक्ष महोदय, वित्‍तमंत्री जी ने अपने भाषण में कहा था कि 6 गोल्‍ड मेडल लेकर आये हैं, इससे शारीरिक मानसिक दोनों का विकास होता है, सरकारों की प्रतिष्‍ठा बनती है, समाजों की प्रतिष्‍ठा बनती है, तो 586 करोड़ इस वर्ष दिये. अब वर्ष 2003 के पहले कितने देते थे, 4 करोड़ मुझे तो बताने में बड़ी शर्म आती है, यह 4 करोड़ देते थे, हम 586 करोड़ रूपये दे रहे हैं, यह युवाओं के प्रति इनकी नीति थी. अध्‍यक्ष महोदय, तीर्थ दर्शन योजना (एक माननीय सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) अध्‍यक्ष महोदय, यह टेम्‍पो नहीं बनने देते हैं, जैसे तैसे गाड़ी स्‍पीड में लाता हूं, यह गियर बदलवा देते हैं. (एक माननीय सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) गाड़ी पुरानी है, कश्‍ती जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है. (हंसी)

श्री दिलीप सिंह परिहार -- मॉडल पुराना है पर कंडीशन ओके है(हंसी)

डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, मुख्‍यमंत्री तीर्थ दर्शन इनकी सरकार ने बंद कर दिया, एक बार ले गये थे, उसी को वह पी.सी.शर्मा साहब थे, उसके मंत्री वह उसी का गाना गाते रहते थे (हंसी). हमें तो आये अभी छ: महीने हुए हैं और दो बार हरी झंडी दिखा चुके हैं, हवाई जहाज से भी ले जा रहे हैं, 50 करोड़ रूपये की राशि है, पर इनको तो जमेगा नहीं.

श्री अभय मिश्रा -- हमने पढ़ा है 25 करोड़ रूपये है. मात्र तीन सौ लोगों को ले जा सकते हैं , हमने हिसाब निकाला है.

डॉ. सीतासरन शर्मा - आप पढ़ लेना, ट्रेन से भी ले जा रहे हैं, फ्लाईट से भी ले जा रहे हैं, इनको पचेगा नहीं क्‍योंकि यह तो कहते हैं कि तीर्थ दर्शन वाले हिंसा और नफरत फैलाते हैं, इन्‍हें कैसे पचेगा (मेजों की थपथपाहट)

श्री दिनेश गुर्जर -- हिंसा तीर्थ दर्शन वाले नहीं फैलाते हैं, हिंसा ऐसी विचारधारा के लोग फैलाते हैं.

डॉ.सीतासरन शर्मा -- भईया कह रहा है कि आप तो हिंसा फैलाते हैं, नफरत फैलाते हैं, इनका नेता तो ऐसा कहता है, अब यह बेचारे निंदा नहीं करें तो क्‍या करें, इसमें इनकी क्‍या गलती है. (व्‍यवधान..)    

श्री सचिन सुभाष यादव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी आपत्ति है. (व्‍यवधान..)    

डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह -- आप गलत बयानी मत करिये, यह आप पूरे देश में परसेप्‍शन क्रिएट करते हैं, हमारे नेता ने ऐसा नहीं कहा है, उन्‍होंने ने क्‍या कहा आप अच्‍छी तरह जानते हैं. आप जब कल चर्चा हो रही थी, तो आपने इस चीज को माना भी था और आप परसेप्‍शन कुछ भी क्रियेट करते हो.

डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय -- किसी ने नहीं कहा था कि संविधान  बदलेंगे, लेकिन भईया देश भर में घूमता रहा. (व्‍यवधान)

अध्‍यक्ष महोदय --  (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) आप सभी बैठ जाईये. (व्‍यवधान)

श्री पंकज उपाध्‍याय -- आपके ही सांसद जी ने कहा था, आपको वीडियो भी बता देंगे. (व्‍यवधान)

श्री फूल सिंह बरैया -- अध्‍यक्ष महोदय (व्‍यवधान)..     

अध्‍यक्ष महोदय -- श्री फूल सिंह बरैया जी आप बैठ जायें. (व्‍यवधान)..

श्री नरेन्‍द्र शिवाजी पटेल -- 25 जून 1978 याद करो, संविधान का अपमान आपने किया था. (व्‍यवधान)..         

श्री फूल सिंह बरैया -- अध्‍यक्ष महोदय (व्‍यवधान)..     

अध्‍यक्ष महोदय -- बरैया जी आप बैठ जायें. ( एक साथ कई माननीय सदस्‍यों द्वारा अपने आसन से कहने पर) यह बीच बीच में जो लोग बोल रहे हैं, उनका समय आखिरी में जब बोलने का टाईम आयेगा तो कट जायेगा. (व्‍यवधान)..

डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्‍यक्ष जी बार बार गुस्‍सा हो जाते हैं, पर एक बात तो मैं कहूंगा ही(एक माननीय सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) इधर सब एलाउ है, कांस्टियूशनल इम्‍यूनिटी है. (व्‍यवधान)..

          श्री अभय मिश्रा--  आपके प्रति कुछ और सोच है जी. आप ऐसा कर रहे हैं, ऐसा तो हम लोग नहीं करते. ...(व्‍यवधान)...

          श्री पंकज उपाध्‍याय--  अध्‍यक्ष जी, मेरा अनुरोध है शर्मा जी से हम इनको बहुत वरिष्‍ठ समझते हैं, आसंदी पर बैठे हैं ...(व्‍यवधान)...अगर यह इतना असत्‍य कहेंगे तो निश्चित रूप से गलत परंपरायें पड़ेंगी. मेरा अनुरोध है हम तो शर्मा जी से सीखना चाहते हैं. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  अभय मिश्रा जी का भी सोच आपके बारे में बहुत अच्‍छा है, ऐसा उन्‍होंने बोला.

          डॉ. सीतासरन शर्मा--- अध्‍यक्ष महोदय, हमारा देश अहिंसावादी है, विषय से अलग है जरा क्षमा चाहता हूं, आधी लाइन बोल लेने दो. मैं विषय से बाहर कभी नहीं जाता एक लाइन ही बोल रहा हूं. ...(व्‍यवधान)...        

          अध्‍यक्ष महोदय--  डॉ. साहब आगे बढि़ये, थोड़ा कन्‍क्‍लूड करिये.

          डॉ. सीतासरन शर्मा-- अध्‍यक्ष महोदय, दो-तीन पन्‍ने बचे हैं, एक-एक मिनट में पढ़ दूंगा. किसी विद्वान ने कहा था सच सुनना कितना कटु होता है, कड़वा होता है यह आज समझ में आ गया. सच बोलने ही नहीं दे रहे हैं, मैं बोलता हूं तो खड़े हो जाते हैं.

          श्री कैलाश कुशवाह— (XXX) 

डॉ. सीतासरन शर्मा-- यह व्‍यक्तिगत आ रहे हैं साहब, इसको कार्यवाही से निकाल दीजिये, अच्‍छा नहीं लगता. भले आदमियों का सदन है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री नरेन्‍द्र शिवाजी पटेल--  उनके बच्‍चे तो इसी सदन में बैठे हैं और सुन रहे हैं कि सच बोल रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          श्री अभय मिश्रा--  भविष्‍य में चर्चा किया करेंगे कि हमारे बब्‍बा कितना सच बोलते थे. ...(व्‍यवधान)...

          श्री महेश परमार--  आदरणीय अध्‍यक्ष जी शर्मा जी को फिर यहां क्‍यों बिठाया है, वहां बिठाना था. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय-- महेश जी बैठ जाइये.

          डॉ. सीतासरन शर्मा-- अध्‍यक्ष महोदय, पहले घंटों रेलवे क्रासिंग पर खड़े रहना पड़ता था, बार-बार जाकर पूछते थे कि भैया ट्रेन कितनी देर में आ रही है. 116 रेलवे क्रासिंग पर पुल बनाये जा रहे हैं.

          श्री लखन घनघोरिया--  होशंगाबाद की पेसेंजर बंद हो गई दादा, और बता दो.

          डॉ. अभिलाष पाण्‍डेय--  भैया अब वंदेभारत चालू हो गई है न. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. सीतासरन शर्मा-- आगामी पांच साल में, आदरणीय डॉ. साहब ने भी उसका उल्‍लेख किया था, अटल प्रगति पथ 299 किलोमीटर, नर्मदा प्रगति पथ 900 किलोमीटर, विंध्‍य एक्‍सप्रेस वे साढ़े 400 किलोमीटर, मालवा निमाड़ विकास पथ 450 किलोमीटर, बुंदेलखंड विकास पथ 330 किलोमीटर और मध्‍य भारत विकास पथ 746 किलोमीटर इसकी योजना है. अध्‍यक्ष महोदय, इनसे एमडीआर नहीं बनती थी 15 किलोमीटर की. हम तीन तीन सौ से कम के प्रोग्राम लेते ही नहीं हैं.

          प्रति व्‍यक्ति आय, आदरणीय डॉ. साहब ने भी उसका उल्‍लेख किया था और बहुत विद्वता से किया. उस समय की जो स्थिर कीमत थी उसके हिसाब से किया. हम मानते हैं, बिलकुल ठीक बात पर आपने जो चीज सबसे अधिक महंगी है उससे तुलना की, पर कोई बात नहीं, वह भी मंजूर....

          श्री अभय मिश्रा -  अध्यक्ष महोदय, प्रति व्यक्ति आय पिछले 20 वर्षों में 11 गुना मध्यप्रदेश में है पूरे भारत में 20 गुना है.

          डॉ.सीतासरन शर्मा - अभी मध्यप्रदेश के बजट की बात हो रही है अभय जी जब भारत के बजट पर बात होगी तब वह भी बता देंगे.

          एक माननीय सदस्य - कर्ज कितना हुआ ?

          श्री अभय मिश्रा -  प्रति व्यक्ति लगभग 55 हजार रुपये कर्ज हुआ.

          उच्च शिक्षा मंत्री(श्री इन्दर सिंह परमार) - अध्यक्ष महोदय, बार-बार ऐसा करेंगे तो फिर इधर से भी प्रतिक्रिया होगी.(..व्यवधान..)हमने माननीय राजेन्द्र सिंह जी बोले किसी ने कुछ नहीं बोला.

          (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठें. अभय मिश्रा जी, आप जब अपनी तरफ से बोलोगे तब सारे तथ्य रख देना.

          डॉ.सीतासरन शर्मा - अभी राजेन्द्र सिंह जी ने जो प्रति व्यक्ति आय की बात कही तो यह अभी 1 लाख 42 हजार रुपये है तब 11 हजार रुपये थी. 13 हजार आपने बताई. मेरे पास 11 हजार की जानकारी है.  आपने कहा कि 14 गुना सोने का रेट बढ़ा तो 1 लाख 54 हजार हो गई लेकिन जब 11 हजार या 13 हजार थी तब आप जो नहीं करते थे वह हम सब कर रहे हैं और प्रति व्यक्ति आय भी हम बढ़ा रहे हैं. हम अनाज दे रहे हैं 1 रुपये किलो तब बाजार भाव से खरीदना पड़ता था. हम स्टूडेंट्स को छात्रवृत्ति दे रहे हैं. आपने कहा कि आखिर यह रुपया बाजार में जायेगा ना लेकिन यह बाजार में जायेगा नहीं बचेगा. इसलिये हम आयुष्मान कार्ड दे रहे हैं. हम लाड़ली बहना योजना में बहनों के खाते में 1200 रुपये डाल रहे हैं. हम संबल कार्ड दे रहे हैं.हम स्कूलों में साईकलें दे रहे हैं.

          श्री साहब सिंह गुर्जर - अध्यक्ष महोदय,आयुष्मान कार्ड से कोई ईलाज नहीं हो पा रहा है.

          डॉ.सीतासरन शर्मा - हम स्कूलों में साईकलें दे रहे हैं. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में हम बेटियों की शादी कर रहे हैं. ढाई लाख रुपये का मकान बना रहे हैं पहले यह सब 13 हजार में करना पड़ता था अब 1 लाख 42 हजार की इनकम भी हो गई और यह सब काम सरकार करके दे रही है और आप कहते हैं कि प्रति व्यक्ति नहीं बढ़ी. बचत बढ़ी है. इनकम नहीं बढ़ी लेकिन बचत बढ़ी है. बचत बढ़ना ही बड़ी बात है इसी से इकॉनामी बढ़ती है. 2 करोड़ 30 लाख लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर हुए हैं. 600 करोड़ का बजट संबल योजना के लिये है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में 46 हजार नवीन पद सृजित किये गये हैं. 7500 पुलिस विभाग में किये गये हैं. पीएम श्री एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है और 21 हजार 444 करोड़ का स्वास्थ्य का बजट है. 34 परसेंट पिछली बार से ज्यादा. 52 हजार करोड़ का बजट है स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग का मिलाकर. सिंचाई  पर आपने बात कही कि 50 लाख हेक्टेयर,हमने हमेशा भाषण में बोला आप निकलवाकर देख लें कि 7 लाख हेक्टेयर से 45 लाख हेक्टेयर पर आये हैं.  यही भाषण दिया है. कहीं भी 50 लाख हेक्टेयर नहीं बोला. अब आज इसमें लिखा है अब 50 लाख हेक्टेयर और हमारा लक्ष्य है 65 लाख का. यहां रुकेंगे नहीं आप तो 7 लाख पर ही रुक गये थे. सिंचाई में केन-बेतवा लिंक परियोजना 44 हजार करोड़ की स्वीकृत हो गई है और पार्वती-कालीसिंध-चंबल  अंतर्राज्यीय  लिंक परियोजना की सैद्धांतिक स्वीकृति दोनों मुख्यमंत्रियों की 10-12 साल से लंबित थी इससे बुंदेलखण्ड मालामाल हो जायेगा. हमारी सरकार जैसा मैंने अभी बताया बहुत सी कल्याणकारी योजनाएं अनुसूचित जाति,जनजाति कल्याण के लिये बनाई है.बैगा-सहरिया-भारिया की इन्होंने राशि बंद कर दी थी 2018-19 में इस बार 450 करोड़ रुपये रखे हैं उनको 1500 रुपये महिने देने के हिसाब से.

          जनजातीय बच्‍चों को कोचिंग देने के लिए 10 करोड़ रुपये की आकांक्षा योजना है. जनजाति के लिए 40 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना में राशि 75 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये कर दी गई है. अध्‍यक्ष महोदय, आखिरी बात, इस तरह से नीचे जो वर्ग रह गए हैं, उनको आगे लाने के लिए बजट में प्रावधान किया गया है. एक तो घुमन्‍तु जाति के बारे में कभी पहले सोचा नहीं गया, आप पुराने बजट उठाकर देख लेना. हमारी सरकार ने सोचा है और बजट में प्रावधान किया है. दूसरा वे गरीब कैदी, ये है आखिरी तक जाने वाली दीनदयाल जी की विचारधारा की सरकार, जो गरीब कैदी जुर्माना नहीं दे पाते थे और जेल में पड़े रहते थे, उनके लिए सरकार गरीब कैदियों को वित्‍तीय सहायता की योजना ला रही है. अध्‍यक्ष महोदय, सब मिलाकर के जैसा मैंने शुरू में कहा था, सर्वव्‍यापी और सर्वस्‍पर्शी यह बजट है. सारे समाज को आगे बढ़ाने वाला यह बजट है. यही समाचार-पत्र कह रहे हैं, यही पत्रकार कह रहे हैं, यही अर्थशास्‍त्री कह रहे हैं और यही प्रदेश की जनता कह रही है. माननीय वित्‍त मंत्री जी को और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद.

          राज्‍यमंत्री, लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा शिक्षा (श्री नरेन्‍द्र शिवाजी पटेल) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी एक माननीय सदस्‍य ने बीच में टोकते हुए कहा था कि आयुष्‍मान कार्ड के द्वारा इलाज उपलब्‍ध नहीं हो रहा है तो मैं आपके माध्‍यम से उस माननीय सदस्‍य को और पूरे सदन को आश्‍वस्‍त करता हूँ, वचन देता हूँ कि यदि एक भी ऐसा उदाहरण वे बता देंगे, उसको तत्‍काल इलाज हम उपलब्‍ध करा देंगे.    ...(व्‍यवधान)...

          श्री महेश परमार -- उज्‍जैन में चलिए, लोग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. कोई सुनने वाला नहीं है.   ...(व्‍यवधान)...

          (प्रतिपक्ष के अनेक माननीय सदस्‍य अपने-अपने आसनों पर खड़े होकर अपनी-अपनी बात कहने लगे) ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया बैठिए.

          सहकारिता मंत्री (श्री विश्‍वास सारंग) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बहुत सार्थक बात की है, यदि ऐसा कुछ होगा तो उनको इतल्‍ला दे दें, यदि कहीं कोई कमी वेशी रहेगी तो उसको ठीक करेंगे. उन्‍होंने तो बहुत पॉजीटिव बात की है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है, यह बहुत जिरह का विषय नहीं है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री अभय मिश्रा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अगर वे सही कह रहे हैं... ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय -- अभय जी, प्‍लीज. ऐसे नहीं चलेगा. माननीय मंत्री जी ने सिर्फ इतना कहा कि अगर किसी को इलाज नहीं मिल रहा हो तो उनके संज्ञान में ला दें. इसमें विमर्श के लिए क्‍या जगह है. अगर अपने ध्‍यान में है तो नाम लिखकर उनको दे दें और उसके बाद उनसे जवाब लें.

          बजट पर चर्चा चल रही है. डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह जी और डॉ. सीतासरन शर्मा जी, प्रतिपक्ष और पक्ष, दोनों के जो आरंभिक वक्‍ता हैं, उन्‍होंने अपना वक्‍तव्‍य दिया है और यह चर्चा 1 बजे प्रारंभ हुई थी. 6 बजे तक हमें पूर्ण करना है. अवधि में 5 घंटे हमारे पास उपलब्‍ध रहेंगे. दलीय स्‍थिति के अनुसार कांग्रेस पक्ष को 1 घंटा 26 मिनट, भाजपा पक्ष को 3 घंटा 30 मिनट निर्धारित हैं. कृपया सभी दल उनके निर्धारित समय में ही अपने सदस्‍यों को भाषण पूर्ण करना सुनिश्‍चित करें. सदस्‍यों के भाषण का समापन 5 बजे तक होना चाहिए, तदुपरांत उप मुख्‍यमंत्री, वित्‍त अपना जवाब प्रारंभ करेंगे.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपसे निवेदन है कि जो कार्य मंत्रणा समिति में चर्चा हुई थी. आप उसको डेढ़ घण्‍टे में सीमित कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - नेता प्रतिपक्ष महोदय, मैं वह नहीं कह रहा हूँ. मैं कुल मिलाकर यह कह रहा हूँ कि अभी डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह जी 40 मिनट बोले, 30 मिनट डॉ. सीतासरन शर्मा जी बोले.    

          श्री कमलेश्‍वर डोडियार (सैलाना) - अध्‍यक्ष महोदय, मुझे भी समय दिया जाये. मैं भारत आदिवासी पार्टी से एकमात्र विधायक हूँ. मुझे बोलने का समय नहीं दिया जाता है, मुझे भी समय दिया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय - कमलेश्‍वर जी, आपको भी बोलने का समय मिलेगा. आप भारत आदिवासी पार्टी के अकेले सदस्‍य हैं. आपको भी समय आवंटित होगा. आप निश्चिंत रहें. 

          श्री कमलेश्‍वर डोडियार - धन्‍यवाद.     

          अध्‍यक्ष महोदय - इसलिए अब जो भी सदस्‍य बोलेंगे. वे पक्ष के हों या प्रतिपक्ष के हों. उनको 5 मिनट में अपनी बात पूरी करनी चाहिए, तो सारे सदस्‍यों को बोलने का अवसर मिलेगा और अगर इसका पालन नहीं होगा, तो कुछ न कुछ  सदस्‍यों को हमें सूची बाद में संशोधित करने के लिए दोनों पार्टी के नेताओं से आग्रह करना पड़ेगा.

          श्री सचिन सुभाष यादव (कसरावद) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कल माननीय वित्‍त मंत्री जी ने बजट प्रस्‍तुत किया और जो उन्‍होंने बजट के आंकड़े सदन में रखे, यह सुनने में तो अच्‍छा लगता है- तीन लाख पैंसठ हजार करोड़ रुपये का बजट माननीय वित्‍त मंत्री जी ने रखा. लेकिन अध्‍यक्ष महोदय, जब हम इस बजट की बारीकियों में जाते हैं, इसके अन्‍दर झांकते हैं, तो इस बजट की हकीकत सामने आती है, आज के इस अवसर पर मुझे एक मशहूर शायर अदम गोंडवी जी का एक शेर याद आ रहा है- 'तुम्‍हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, तुम्‍हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है.'  यह इनके बजट की हकीकत है, यह इनके बजट की सत्‍यता है.

          राज्‍यमंत्री, संस्‍कृति (श्री धर्मेन्‍द्र सिंह लोधी) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो शेर है, जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी, तब लिखा गया था.

          श्री सचिन सुभाष यादव - लोधी जी, आप बैठ जाइये. आप मंत्री हैं, आप कम से कम अपने पद की गरिमा तो रखें. बाकी लोग बोलें तो बात समझ में आती है. आप मंत्री हैं. 

          श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हर मंत्री को संवेदनशील होना चाहिए.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) - हमारे सभी मंत्री संवेदनशील हैं.  

          श्री सचिन सुभाष यादव - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस बजट में जो राजस्‍व व्‍यय दिखाया गया है, वह दो लाख इकसठ हजार छ: सौ चवालीस करोड़ रुपये है, जो इस बजट का 80 प्रतिशत हिस्‍सा है, यह राशि सरकार, अपनी सरकार चलाने के लिए खर्च करती है, इससे प्रदेश की जनता का कोई भला नहीं हो रहा है. सरकार इसमें कर्मचारियों की तनख्‍वाह देने का काम करती है, पेंशन देने का कार्य करती है, यह इनका कमिटेड एक्‍सपेंसेस है, यह इनको व्‍यय करना ही है, नहीं तो सरकार नहीं चलेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय, कैपिटल आऊटले में मात्र 61,000 करोड़ रुपये इस सरकार ने रखे हैं. जो इस पूरे बजट का 20 प्रतिशत है. आप कल्‍पना कीजिये कि किस प्रकार से आने वाले समय में सरकार हमारे जो विकास के दावे कर रही है, विकास की जो बातें कर रही हैं, उन वायदों को, उन दावों को कैसे पूरा करेगी. मैं आपके माध्‍यम से माननीय वित्‍त मंत्री जी से एक प्रश्‍न करना चाहता हूँ कि इस सदन की एक परम्‍परा है, इस सदन में विधायकी की कार्यप्रणाली होती है और इस कार्यप्रणाली में सरकार के वित्‍त मंत्री सदन में अपना बजट प्रस्‍तुत करते हैं और सदन की अनुमति से उस बजट को पास किया जाता है. सभी विभागों को उनकी मांगों के अनुरूप बजट का आवंटन किया जाता है और फिर उस बजट को विभाग अपनी स्‍वेच्‍छा से, विभाग अपनी रीति-नीति के अनुरूप, अपनी योजनाओं में खर्च करने का काम करता है, जो इस सदन के माध्‍यम से अनुमोदित किया जाता है. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है और यह इस सदन का अपमान है, इस सदन में बैठे हुए 230 सदस्‍यों की भौतिक और वित्‍त क्षमताओं पर संदेह, माननीय वित्‍त मंत्री जी और उनका विभाग आदेश जारी करके, उन पर रोक लगाकर, हम सभी पर संदेह करने का कार्य, उनके द्वारा किया जा रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरे पास एक सर्कुलर है, यह इनके वित्‍त विभाग का ही सर्कुलर है. दिनांक 31.03.2023 को फरवरी में आपने 4 माह के लिए बजट पास करवाया और बजट पास करने के बाद 31.03 2024 को आपके वित्‍त विभाग से यह सर्कुलर जारी होता है, जिसमें सातवें क्रमांक पर, आप लिखते हैं कि परिशिष्‍ट तीन में उल्‍लेखित योजनाओं में वित्‍त विभाग से अनुमति उपरांत ही आहरण किया जायेगा. इसका क्‍या मतलब है ? माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्‍यम से जानना चाहता हूं. वित्‍त मंत्री जी जब अपना जवाब देगें तो मेरी इस बात का विशेष रूप से उल्‍लेख करें, यह किस प्रकार की तानाशाही है. मुझे इस शब्‍द का इस्‍तेमाल करते हुए बुरा लग रहा है लेकिन मजबूर होकर मुझे इस शब्‍द का इस्‍तेमाल करना पड़ रहा है आप सदन में बजट प्रस्‍तुत करते हैं, सदन के सदस्‍यों की अनुमति से बजट पारित होता है और कुछ दिन बाद आपके विभाग से एक सर्कुलर निकाला जाता है और परिशिष्‍ट जारी किया जाता है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरे पास उस परिशिष्‍ट की कॉपी भी है, इसमें 43 विभागों की 150 योजनायें शामिल हैं. आप बतायें फिर इस सदन का क्‍या औचित्‍य है ? यहां चुनकर आये हुए सदस्‍यों का क्‍या औचित्‍य है ? हमारी विधायिकी प्रणाली का क्‍या औचित्‍य है ? क्‍या ब्‍यूरोक्रेसी सदन से ऊपर हो गई है ? हमारे विभिन्‍न मंत्री जी जो इस सदन के सदस्‍य हैं, जो अपना विभाग चला रहे हैं, क्‍या सदन की मंजूरी के बाद, बजट आवंटन के बाद, क्‍या वे अपनी स्‍वेच्‍छा से, अपने विभागों में अपनी योजनाओं पर खर्च नहीं कर सकते हैं ? क्‍या हर योजना के लिए उनको वित्‍त विभाग से मंजूरी लेनी होगी, इस बात का जवाब वित्‍त मंत्री जी को देना पड़ेगा. शासन की तमाम् महत्‍वपूर्ण योजनाओं का इसमें उल्‍लेख है. महिला एवं बाल विकास विभाग की लाड़ली लक्ष्‍मी योजना इसमें शामिल है. नवीन नर्सिंग कॉलेजों के निर्माण की योजना इसमें शामिल है. मुख्‍यमंत्री ऋण समाधान योजना इसमें है, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, मुख्‍यमंत्री जन कल्‍याण योजना इसमें शामिल है और तो और कृषि विभाग की समस्‍त योजनाओं को इसमें शामिल किया गया है. कृषि मंत्री जी यहां बैठे हुए हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  सचिन जी, कृपया समाप्‍त करें.

          श्री सचिन सुभाष यादव-  अध्‍यक्ष महोदय, अभी तो मैंने प्रारंभ किया है. मैं, आपका संरक्षण चाहता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  केवल पहले वक्‍ता को पूरा बोलना होता है. बाकी सभी पक्ष और विपक्ष के लोग पांच-पांच मिनट बोलेंगे तो ही काम चल पायेगा.   

          श्री सचिन सुभाष यादव-  अध्‍यक्ष महोदय, कृषि विभाग की तमाम योजनाओं पर रोक लगाई गई है. तो फिर इन्‍हें मंत्री पद पर बैठाने का कोई मतलब ही नहीं है, आप इन्‍हें हटा दीजिये.

आप अपने वित्‍त विभाग से और विभाग में जो आपके कर्मचारी बैठे हुए हैं, अधिकारी बैठे हुए हैं उनसे विभाग चला लीजिए. मुख्‍यमंत्री कृषक फसल उपार्जन योजना, कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्राकृतिक खेती के प्रोत्‍साहन हेतु प्रचार-प्रसार योजना, खाद भण्‍डारण पर ब्‍याज अनुदान योजना, कृषि अधोसंरचना निधि का संचालन, कृषि यंत्रीकरण के क्षेत्र में कौशल विकास कार्यक्रम, कृषि क्षेत्र में अधोसंरचना विकास, कृ‍षि उत्‍पादन संगठनों का गठन एवं संवर्धन तमाम महत्‍वपूर्ण योजनाएं हैं. मैं सदन के लोगों से भी पूछना चाहता हूं कि इस प्रकार की कार्यप्रणाली यहां पर रहेगी, यहां पर विधायकी से ऊपर अफसरशाही हो जाएगी तो मैं नहीं समझता हूं कि जितने भी यहां पर वरिष्‍ठ मंत्रीगण बैठे हुए हैं जो अपने विभाग का सुचारू रूप से संचालन करने का प्रयास कर रहे हैं वह कैसे कर पाएंगे. मेरा आपसे अनुरोध है कि इस परिस्थिति को बदलना पड़ेगा, इस व्‍यवस्‍था को बदलना पड़ेगा. आज हम अधिकारियों से चर्चा करते हैं तो पता लगता है कि बजट तो अलॉट हो गया है, लेकिन पैसा नहीं है. कोई भी योजना होती है तो उसके लिए वित्‍त विभाग की स्‍वीकृति की जरूरत पड़ती है. फाइलें चलती हैं. वित्‍त विभाग का मन होता है तो बजट स्‍वीकृत करता है नहीं तो नहीं करता है. तमाम लोग चाहे वह लोक निर्माण विभाग हो, चाहे कृषि विभाग हो जितने भी महत्‍वपूर्ण विभाग हैं इस सरकार के आप जाकर के पता कर लीजिए कि हर ठेकेदार जिसने काम किये हैं उनके भुगतान नहीं हो रहे हैं. क्‍यों नहीं हो रहे हैं उसने काम किया है  उसके काम का भुगतान होना चाहिए. आपने बजट अलॉटमेंट किया है, आपने उसको सदन से पास करवाया है तो जब माननीय मंत्री जी इस सदन में अपनी बात रखें तो मैं चाहूंगा कि आप इसका आश्‍वासन अपने उद्बोधन में दें ऐसा मेरा अनुरोध है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक ओर चीज जो अपने बजट भाषण में माननीय वित्‍त मंत्री जी ने कही. डबल इंजन की सरकार को इन्‍होंने मेंशन किया और डबल इंजन की सरकार हमारी कितनी मदद करेगी उसके आधार पर आपने अपना बजट प्रोवीजन करने का काम किया है. केन्‍द्र से जो हमको सहायता मिलती है. अगर हम पिछले वर्ष की बात करें तो हमने जब अनुमानित बजट का प्रावधान किया उसमें 44 हजार 113 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया था, लेकिन हकीकत में हमको 9 प्रतिशत कम राशि केन्‍द्र सरकार से मिली जबकि हम सभी की तो उम्‍मीद थी कि यह डबल इंजन की सरकार है तो हमको डबल पैसा मिलना चाहिए था. हमने तो 44 हजार करोड़ रुपए की मांग की थी. हमें तो यह उम्‍मीद थी कि हमें यह राशि डबल मिलेगी, लेकिन डबल राशि मिलना तो दूर की बात है जो हमने मांग रखी थी, जो हमारी संभावना थी, जिसका हमने प्रोवीजन कर रखा था वह प्रोवीजन ही हमको नहीं मिला इसका मतलब क्‍या हुआ? इसका मतलब यह हुआ कि इंजन तो आगे निकल गया लेकिन डब्‍बा पीछे छूट गया और पुन: वही गलती हम इस बजट में भी करने जा रहे हैं. इस बजट में भी आपने 44 हजार 892 करोड़ रुपए केन्‍द्र सरकार से सहायता के रूप में लेने का प्रोवीजन दिखाया है और उसी आधार पर आप आपने प्रदेश के विकास कार्यों को और प्रदेश की योजनाओं को लागू करने का काम करने जा रहे हैं. जब पिछली बार ही जो हमारा कमिटमेंट हुआ था, जो हमने प्रोवीजन्‍स रखे थे वही पूरे नहीं हुए हैं और हम मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- सचिन जी आप अपना भाषण पूरा करें मैं शैलेन्‍द्र जैन जी को आमंत्रित कर रहा हूं.

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप कह रहे हैं तो मुझे अपना भाषण समाप्‍त करना ही होगा, लेकिन एक महत्‍वपूर्ण बात मैं निश्चित रूप से कहना चाहूंगा. कल अपने वित्तीय भाषण में माननीय वित्त मंत्री जी ने भारतीय जनता पार्टी के, अपनी सरकार के संकल्प पत्र का जिक्र किया था. माननीय अध्यक्ष महोदय, वह संकल्प पत्र नहीं मैं कहूंगा वह जुमला है, जुमला पत्र है, संकल्प पत्र नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय, इन्होंने संकल्प पत्र में कहा था कि किसान का गेहूं 2700 रुपए में खरीदा जाएगा. क्या इसके लिए कोई प्रोवीजन किया आपने, आपने कहा था कि 3100 रुपए में धान खरीदा जाएगा, क्या आपने खरीदा. क्या इसके लिए कोई प्रोवीजन आपने किया. आपने कहा था कि लाड़ली बहना को 3 हजार रुपए दिया जाएगा. क्या आपने 3 हजार रुपए दिया. इसका कोई प्रोवीजन किया. आपने कहा था कि प्रदेश की बहनों को 450 रुपए में गैस सिलेण्डर दिया जाएगा. प्रदेश की मेरी माताएं देख रही हैं, मेरी बहनें देख रही हैं वे उम्मीद कर रही थीं कि यह सरकार जो कहेगी वह करेगी. आपने कहा था कि 450 रुपए में गैस का सिलेण्डर देने का काम किया जाएगा. क्या गैस का सिलेण्डर देने का काम किया जा रहा है.

          श्री शैलेन्द्र जैन -- गैस सिलेण्डर का हो रहा है.

          श्री सचिन यादव -- अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया उसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.

          श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस वर्ष के 2024-2025 के लिए मध्यप्रदेश सरकार के इस लोक कल्याणकारी एवं विकास की गति को नई दिशा देने वाले इस जानदार और शानदार बजट के लिए मैं मध्यप्रदेश सरकार के बहुत ही संवेदनशील, सरल और सौम्य लेकिन लक्ष्य के प्रति बहुत समर्पित सम्माननीय वित्त मंत्री महोदय का और प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री सम्माननीय डॉ. मोहन यादव जी को सदन की ओर से मध्यप्रदेश सरकार के बहुत ही शानदार बजट के लिए मध्यप्रदेश की जनता की ओर से बहुत बहुत साधुवाद देता हूँ. बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ, बधाई देता हूँ.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी इस बात का उल्लेख हो रहा था कि इंटरनेशलन मॉनीटरी फण्ड ने अभी 14 जून, 2024 के जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं उन आंकड़ों के हिसाब से जो हमारा देश है वह पूरे विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. यह हम सब के लिए निश्चित रुप से बहुत ही गर्व और प्रसन्नता का विषय है. अभी इस उपलब्धि के लिए हमारे पूर्व वक्ता सम्माननीय डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी ने बड़ा आश्चर्य व्यक्त किया था. मुझे उनके आश्चर्य पर ध्यान आया कि एक बार हमारे पूर्व राष्ट्रपति महोदय श्रद्धेय एपीजे अब्दुल कलाम आजाद साहब के यहां कोई वैज्ञानिक मिलने के लिए गया तो वहां पर एक कैलेण्डर लगा हुआ था उस कैलेण्डर में सौर्य मंडल का एक चित्र छपा हुआ था. उसमें नीचे लिखा हुआ था प्रिंटेड इन वेस्ट जर्मनी. उसे देखकर साइंटिस्ट ने एकदम कहा कि जो वेस्ट जर्मनी की टेक्नालॉजी है उनकी प्रिंटिंग है उसका कोई मुकाबला नहीं है. अब्दुल कलाम साहब ने उन्हें निवेदन किया कि जनाब जरा और नीचे पढ़िए उसमें लिखा था साभार भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन. उसको पढ़कर उस वैज्ञानिक ने आश्चर्य से कहा "अच्छा" यह वैसा ही आश्चर्य था. हमारी प्रगति पर हमें गर्व करना चाहिए न कि आश्चर्य करना चाहिए. मैं विनम्रतापूर्वक अपने विपक्ष के साथियों से कहना चाहता हूँ, यह बजट जो है यह बंद कमरों में एयर कंडीशनर कमरों में बैठकर तैयार नहीं किया गया है. यह एक परम्‍परा डाली गई है पिछले अनेक वर्षों में कि हम समाज के अर्थशास्‍त्रीगण, हमारे बुद्धिमान लोग, हमारे मनीषी लोग उनके साथ चर्चा करके, उनके विचारों को बजट में समावेश कर एक ऐसा बजट लाने की कोशिश की जाती है जो जनता का बजट हो और सही मायने में पूरी की पूरी जनता का प्रतिनिधित्‍व करता हो.

          अध्‍यक्ष महोदय, अभी हमारे विपक्ष के साथीगण मध्‍यप्रदेश सरकार की उपलब्धियों को कमतर आंकने की असफल कोशिश कर रहे थे. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि ‘’मंजिल मिल ही जायेगी मुश्किल ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं.’’ पिछले एक लंबे समय से मैं देखता आ रहा हूं कि विपक्षी साथियों की सुई ऋण पर आकर अटक जाती है. ले देकर उनको मध्‍यप्रदेश सरकार के ऋण को लेकर बहुत सारी चिंता, बहुत सारी समस्‍याएं पैदा होती हैं. मैं आज आपकी सहमति से जरा उनका ज्ञानवर्द्धन करना चाहता हूं. यह जो कर्जा लेने की पद्धति है, हां आप बहुत भाग्‍यशाली हैं कि आप जब सत्‍ता में थे उस समय जो व्‍यवस्‍था थी, उस व्‍यवस्‍था के तहत एफआरबीएम जैसी संस्‍थाओं की वैसी मॉनीटरिंग नहीं थी, वह सीलिंग नहीं लगी हुई थी, तो आप जो भी लोन लेना चाहते थे, लेकिन लोन लेने के लिये कोई भी फायनेंशियल इंस्‍टीट्यूशन जब आपको लोन देता है, तो आपकी री-पेमेंट करने की कैपेसिटी अवश्‍य देखता है. आज आप लोन लेने जाएं तो ऐसे ही आपको बाजार में लोन नहीं मिल जाएगा. आपके लोन लेने की और उसको पटाने की कैपेसिटी नहीं थी, तो आपको यह सुविधा होने के बावजूद कितना लोन आप ले पाये, यह हमारे वर्ष 2003-04 तक के बजट में परिलक्षित होता है.

          अध्‍यक्ष महोदय, संविधान के अनुच्‍छेद 393(3) के अंतर्गत केन्‍द्र सरकार की अनुमति से राज्‍य सरकार ऋण प्राप्‍त कर सकती है. राज्‍य की उधार सीमा राज्‍य के एफआरबीएम अर्थात् मध्‍यप्रदेश राज्‍य कोषीय उत्‍तरदायित्‍व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत केन्‍द्रीय वित्‍त आयोग की अनुसंशा एवं भारत सरकार की दी गई सहमति के आधार पर प्रतिवर्ष निर्धारित की जाती है और इस वर्ष के लिये हालांकि यह कुछ आंकड़े मेरे पास हैं अध्‍यक्ष महोदय, आपकी अनुमति हो तो मैं पढ़ दूं. वर्ष 2020-2021 में हमारा यह प्रतिशत् था उधारी की जो सीमा थी, जीएसडीपी के प्रतिशत् के हिसाब से 5 प्रतिशत् थी. इस 5 प्रतिशत् की जो सीमा है वर्ष 2021-22 में 4 प्रतिशत् किया गया. वर्ष 2022-23 में साढ़े तीन प्रतिशत् किया गया. वर्ष 2023-24 में उसको 3 प्रतिशत् किया गया, जो आज भी 3 प्रतिशत् है, तो हम 3 प्रतिशत् से ज्‍यादा तो ऋण ले ही नहीं सकते, लेकिन हमारे कुशल प्रबंधन की वजह से ऊर्जा के क्षेत्र में जो कार्य किये हैं, जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उनको ध्‍यान में रखते हुये आधा प्रतिशत् और अधिक ऋण लेने की क्षमता हमें प्रदान की गई थी और इस प्रकार से यह साढे़ तीन प्रतिशत् और साढ़े तीन प्रतिशत् के अलावा जो विशेष पूंजीगत सहायता केन्‍द्र सरकार से हमें मिलती है, एक लंबी अवधि का बगैर ब्‍याज का जो हमें ऋण मिलता है, वह ऐसा लगभग .62 प्रतिशत् इसको कुल मिलाकर 4.12 प्रतिशत ऋण लेने की हमारी लिमिट है और हमने वर्ष 2024-25 में हमारी जो ऋण की सीमा है उसको अध्यक्ष महोदय 4.11 प्रतिशत ही रखा है यानि की ऋण लेने की हमारी जो अधिकतम सीमा है उस अधिकतम सीमा से ऋण कम लेने का स्टीमेट किया है तो मैं इस कुशल वित्तीय प्रबंधन के लिए मध्यप्रदेश सरकार को बहुत बहुत बधाई देता हूं. वह समय हम भूले नहीं हैं कि किस तरह से कुप्रबंधन के चलते आपको न ऋण मिलता था , और आपको अध्यक्ष महोदय एक बड़ी बात इस बजट में देखने में आयी है वह है हमारा पूंजीगत व्यय में लगातार वृद्धि होना. पूंजीगत व्यय यानि की..

          अध्यक्ष महोदय सभी सीमाओं का आप ध्यान रख रहे हैं तो समय सीमा का भी ध्यान रखें.

02.51 बजे.    (सभापति महोदय)( डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह)(पीठासीन हुए)

          सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से बताना चाहूंगा मध्यप्रदेश सरकार के इस बजट के अलहदा इसके पहले वर्ष 2003-04 के पश्चात् जितने भी हमारे बजट  आये हैं सारे के सारे बजट जो हैं, रेवेन्यू सरप्लस हैं, सारे के सारे बजट में हमने रेवेन्यू सरप्लस करने का  कीर्तिमान बनाया है उसके पहले के ये मेरे पास में आंकड़े हैं. कांग्रेस सरकार के 10 वर्ष के कालखण्ड में लखन भैया एक भी वर्ष में आप आधिक्य की स्थिति में नहीं थे. आप लगातार 10 वर्ष तक रेवेन्यू डेफिसिट की स्थिति में रहे हैं. मैं समझता हूं कि इससे ज्यादा वित्तीय कु प्रबंधन नहीं हो सकता है. आपके पूंजीगत व्यय यह मेरे सामने हैं. आपका रेवेन्यू एक्सपेंडिचर 80 और 90 प्रतिशत था 10 से 15 प्रतिशत के आसपास आपका केपीटल एक्सपेंडिचर था. सभापति महोदय जब हम पूंजीगत व्यय करते हैं, चाहे वह सिंचाई क्षमता में वृद्धि के रूप में हो, चाहे वह पुल और सड़कों के निर्माण के रूप में हो, चाहे ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने की बात हो.

          सभापति महोदय आपको काफी समय हो गया है.

          श्री शैलेन्द्र कुमार जैन --यह सारे के सारे पूंजीगत व्यय की वजह से हुए हैं. आज मध्यप्रदेश में जो सिंचाई का रकबा बढ़ाने का काम हुआ है वह इसी पूंजीगत व्यय की वजह से हुआ है. मैं इस बात के लिए प्रदेश सरकार को और सम्माननीय वित्त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि पूंजीगत व्यय के मामले में आज तक के इतिहास का अधिकतम पूंजीगत व्यय 60 हजार करोड़ रूपये से अधिक का इस बजट के माध्यम से अनुमानित है. आगे वर्ष 2024-25 के लिए यह हमारा पूंजीगत व्यय 70 हजार करोड़ रूपये से ऊपर का होने का अनुमान है.

माननीय सभापति महोदय हमारे पूर्व वक्ता जी ने एक विषय रखा था वह हमारी प्रति व्यक्ति आय को लेकर था. हमारी प्रति व्यक्ति आय निश्चित रूप से 16 गुना बढ़ी है और जो उदाहरण दिया गया था वह सोने को लेकर था. मैं समझता हूं कि यह उचित आधार नहीं था. अगर हम सबसे ज्यादा जो कॉमन कमोडिटी है उदाहरण के लिए देखें तो गेहूं तो गेहूं की कीमत 2003-04 में जो थी वह आज की कीमत में देखी जाय तो तीन से चार गुना  ज्यादा की वृद्धि नहीं हुई है. उसके मुकाबले हमारी प्रति व्यक्ति आय लगभग 16 प्रतिशत बढ़ी है.

          सभापति महोदय आपको 11 12 मिनट हो गये हैं अब समाप्त करें.

          श्री शैलेन्द्र कुमार जैन सभापति महोदय एक शेर पढ़ने की अनुमति दे दें.

           सभापति महोदय - हॉं बिल्‍कुल अब तो रिवाज हो गया है कैलाश जी ने शुरू किया है .

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन-  ये जो बजट है, इस बजट में सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है. बजट में परिश्रम, उत्‍तरदायित्‍व और भविष्‍य की संभावनाएं, उन सब का समावेश करते हुए कहा है कि गजल में बंदिशों अल्‍फाज ही नहीं काफी,  जिगर का खून भी तो चाहिए असर के लिए. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          श्री लखन घनघोरिया (जबलपुर पूर्व)-   माननीय सभापति महोदय, चूंकि शेरो- शायरी का दौर चल रहा है, इसलिए मैं अपनी बात भी एक शेर से ही शुरू करूंगा. अहम से ताल्‍लुक गहरे बहुत हैं और जुबा पर असत्‍य के पहले बहुत हैं और कैसे बनाऊं मैं तस्‍वीर तेरी, तेरे एक जिस्‍म में चेहरे बहुत हैं. माननीय सभापति महोदय, बजट का चेहरा अलग, संकल्‍प का चेहरा अलग, गारंटी का चेहरा अलग, ये चेहरे हैं. शैलेन्‍द्र भाई. माननीय सभापति महोदय, सरकार कोई भी हो उसकी प्रतिबद्वता होती है, जनमानस की सुविधाओं के लिए और विशेषकर के शिक्षा, चिकित्‍सा और रोजगार यह सबसे बड़ा फोकस होता है और जनमानस की उम्‍मीद होती है, बजट बहुत विश्‍वास होता है कि सरकार का बजट आएगा, बहुत उम्‍मीदें होती हैं लेकिन जब विश्‍वास उम्‍मीद अफसोस में बदल जाए तो शैलेन्‍द्र भाई अंदाज लगाओ आप. उम्‍मीद से शुरू और अफसोस पर खत्‍म है यह बजट.

          सभापति महोदय -      यह भी एक शेर ही है.

          श्री लखन घनघोरिया - श्री माननीय सभापति महोदय, संकल्‍प,गारंटी चाहे 3 हजार रूपए की लाडली बहना की रही  हो, चाहे किसानों के लिए एमएसपी की बात हो, गेंहू की धान की, क्‍योकि सचिन भाई बोल चुके चाहे नौजवानों के लिए रोजगार की बात हो. माननीय मामा जी ने संकल्‍प में छै महीने में एक लाख लोगों को हर साल रोजगार देने की बात कही थी. छै महीने के अंदर चार लाख रोजगार की बात की थी. एक लाख तो पूरा कर नहीं पाए, चार लाख रोजगार देने की बात की माननीय सभापति महोदय, जनता को सरकारों पर बड़ा विश्‍वास होता है बहुत उम्‍मीद होती है विष का वास नहीं होना चाहिए, विश्‍वास होना चाहिए लेकिन जनता को कौन सा जहर पीना पड़ रहा है विष का वास समझ में आया, शैलेन्‍द्र भाई यूं विष का वास है. माननीय सभापति महोदय, तीन लाख पैसठ हजार करोड़ का लगभग तीन लाख साड़े पैसठ हजार करोड का बजट है और हमारे ऊपर अनुमानित कर्जा दर्शाया है, चार करोड 29 लाख 925 हजार.

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन -  अध्‍यक्ष महोदय यह फिगर थोडे से करेक्‍ट करा लें ये बजट से जयादा कर्जा बता रहे हैं.

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- लखन भैया,  बजट से ज्यादा कर्जा बता रहे हैं आप.

          श्री लखन घनघोरिया--  कर्जा ज्यादा  है,  बजट से ज्यादा. वही तो कह रहे हैं.

          श्री शैलेन्द्र जैन-- लखन भैया, कुछ भी.

          श्री लखन घनघोरिया--   कुछ भी नहीं.  जो है, वह देखें ना.

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय ने आपको सदन में बोलने के लिये अवसर दिया, तो कुछ भी बोलेंगे.

          श्री लखन घनघोरिया--   दृष्टि दोष हो, तो चशमा लगा लो. हर व्यक्ति के ऊपर  55 हजार का कर्जा है.  खुद्दारियों को बेचकर दौलत खरीद ली और नादां  समझ रहा है कि मुकद्दर  संवर गया.  वाह.  सभापति महोदय,  जब पैसे की कमी हो,  तो खर्चा कम करना पड़ता है और जब  अकल न हो,  तो फिर चर्चा कम करनी पड़ती है.  किसी विद्वान ने कहा है,  हम नहीं कह रहे हैं.  किसी विद्वान ने यह कहा है.  सभापति महोदय, मैं चिकित्सा के क्षेत्र में बताना चाहता हूं.  बड़ी बड़ी बातें की गई थीं.   चुनाव के पहले हमारे  पूर्व मुख्यमंत्री जी  ने  और  बजट में उसका उल्लेख है कि  हमारे 14 मेडिकल कालेज  खुले हैं और  इतने ही मेडिकल कालेजों के लिये  भूमि पूजन हो गया था.  उनका बजट में कहीं उल्लेख नहीं है.  हम नाम पढ़कर सुना देते हैं.  टीकमगढ़, छतरपुर, दमोह,धार, मुरैना, भिण्ड, मण्डला, पन्ना, कटनी,  बालाघाट, सीधी, खरगोन,  श्योपुर.  सब में भूमि पूजन हुआ है, चुनाव के पहले, लेकिन बजट में कहीं चर्चा नहीं है.

          श्री शैलेन्द्र जैन-- लखन भैया, काम चालू है.

          श्री लखन घनघोरिया--   सभापति महोदय, इसके बाद  डॉक्टरों की स्थिति समझ लें.  पद कितने रिक्त हैं.  चिकित्सकों के पद 4 हजार खाली हैं और जिसमें 2404  विशेषज्ञों के खाली हैं  शैलेन्द्र भाई.  64 हजार पैरा मेडिकल  के पद रिक्त हैं और  उसमें भी  नर्सिंग घोटाला हुआ. जहां  गंभीर होना था सरकार को.  जो विश्वास होना था,  उसमें विष का  वास हो गया. यह है सरकार की स्थिति.  स्कूलों की स्थिति देख लें.  बड़े उससे बता रहे थे  सीतासरन जी चल गये.  स्कूलों की स्थिति भी बता दें.   सीएम राइज स्कूल का बोल रहे थे.  प्रदेश के 44754   स्कूलों में खेल के मैदान  नहीं हैं.  87 हजार  टीचरों के पद रिक्त हैं.  आप गेस्ट फैकल्टी-फैकल्टी  खेल खेलकर  उसका दुरुपयोग कर रहे हैं 87 हजार पदों का.  1 लाख 80 हजार  छत्रों का  एडमीशन  सिर्फ  फीस के अभाव में  समाप्त हुआ है.  आप सीएम राइज  कर रहे हैं.  प्रदेश के 5176 सरकारी  स्कूलों में पानी की सुविधा नहीं है. यहां तक  कि बच्चियों के स्कूलों में  शौचालय नहीं हैं  और उनकी संख्या भी सुन लो आप 5945. यहां शौचालय नहीं है.  खेल के  व्यायाम के टीचर नहीं हैं.  अकेले जबलपुर  में 145  स्कूलों में  व्यायाम टीचर नहीं हैं.  आप एक दो  सीएम राइज  बना  दोगे,  बाकी प्रदेश भाड़ में जाये. यह कौन सी शिक्षा प्रणाली है, आप वाहवाही लूटते हैं. आपने कहा कि 2 करोड़, 21 लाख बहुआयामी गरीबी से लोग बाहर निकले हैं. फिर 5 करोड़, 35 लाख लोगों को आप फ्री भोजन कैसे दे रहे हैं. 7 करोड़ तो आबादी है ही नहीं. यह आपका कौन सा चेहरा है, बजट में. पहले आप बजट को पूरा पढ़ो. आप 2 करोड़ 31 लाख लोगों को आप बहुआयामी गरीबी से निकाल रहे हैं. आप 5 करोड़, 35 लाख लोगों को फ्री खाद्यान्‍न उत्पन्‍न करा रहे हैं. हर वर्ग के साथ छलावा हुआ है. अभी माननीय सामाजिक न्‍याय की बात कर रहे थे. कौन सी स्‍कॉलरशिप है जो लोगों को मिल रही है, पेंशन तो छोड़ दीजिये. कुल मिलाकर फिर कह रहा हूं कि जब पैसे की कमी हो तो भैया खर्चा कम करो और जब अक्‍ल न हो तो चर्चा कम करो.

          सभापति महोदय, मुख्‍यमंत्री सीखो-कमाओ योजना, वहीं चली गयी घोटाले में. जिन्‍होंने विभाग चालू किया तो उन्‍होंने किसको क्‍या सिखाया है. इसमें कुछ उल्‍लेख नहीं है सीखो-कमाओ योजना का.

          सभापति महोदय:- लखन जी समय की मर्यादा है. आपको बोलते हुए 10 मिनट हो गये हैं. आपको आसंदी से बोलने के लिये 5 मिनट दिये थे. आपको बोलते हुए 12 मिनट हो गये हैं.

          श्री लखन घनघोरिया:- सभापति महोदय, विषय तो बहुत है, क्‍योंकि कार्य-मंत्रणा समिति में हम लोग खुद ही शामिल थे और यह तय हुआ था कि देर रात 2 बजे तक चलेगी. बीच में टोकाटाकी , मंत्रि परिषद के हमारे सम्‍माननीय साथियों को कम से कम इस मर्यादा का पालन करना चाहये. हम तो विपक्ष में हैं हम आपको आईना नहीं दिखायेंगे तो कौन आईना दिखायेगा. कम से कम गंभीरता से तो सुनें. सिर्फ शब्‍दों की बाजीगरी है. परमार जी हमारे वरिष्‍ठ सदस्‍य हैं. कॉलेजों की स्थिति यह है, क्‍योंकि हम लोग कॉलेज की राजनीति से आये लोग हैं. यहां हमारे सामने प्रहलाद जी बैठे हैं. हमारे यहां जबलपुर में एग्रीकल्‍चर यूनिवर्सिटी भी है और रानी दुर्गावती विश्‍वविद्यालय भी है. आपकी गजब की शिक्षा नीति आयी है. एक पूरा का पूरा एग्रीकल्‍चर विश्‍वविद्यालय स्‍टडी के लिये है. लेकिन नया विषय हमारे जबलपुर विश्‍वविद्यालय में चालू कर दिया गया है, कृषि. अब उसकी नयी लेब बने. महाकौशल आटर्स कॉलेज एक ही परिसर में आटर्स और साइंस कॉलेज एक ही था. अब आटर्स कॉलेज में साइंस शुरू कर दिया है और आटर्स विषय का व्‍याख्याता साईंस कॉलेज का प्रिंसिपल, साईंस विषय का आर्टस् का प्रिंसिपल, कॉमर्स का एग्रीकल्‍चर का प्रिंसिपल. आपकी गजब की शिक्षा नीति है. हम प्रदेश की कौन सी तस्‍वीर बना रहे हैं.

          सभापति महोदय, मेरा तो अपने सभी साथियों से आग्रह है, आपके यहां भी यही स्थिति होगी, यह दर्द होगा जो छात्र राजनीति से जुड़े होंगे. उनको यह चीज महसूस होगी, कम से कम सच्‍चाई पर तो बोलें. अपनी जुबान से सहमति दे दें.

          सभापति महोदय:- लखन जी, अब आप बैठिये.

          श्री लखन घनघोरिया:- सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिये धन्‍यवाद.

श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी) - सभापति महोदय, आपसे संरक्षण लेते हुए इस सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय वाले बजट को पेश करने के लिए मैं इस प्रदेश के वित्तमंत्री, उपमुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा जी को बहुत सारी बधाई देता हूं. शेरो शायरी बहुत चली. हम तो तुलसी के भक्त हैं, प्रभु श्री राम के भक्त हैं. वहीं से एक निकालकर लाया हूं.

 'बरसत हरसत सब लखें, करसत लखे न कोय,

    तुलसी प्रजा सुभाग से, भूप भानु सो होय.' 

सभापति महोदय, इसका अर्थ है राज्य का कर निर्धारण इस प्रकार से हो, जैसे सूर्य समुद्र से, तालाब से आदि विभिन्न जल स्रोतों से जल अवशोषित करता है. सोख लेता है. किसी को महसूस भी नहीं होता है. लेकिन वही सूर्य जब उस जल को बादल रूप में लाकर बरसाता है, पूरी पृथ्वी पर बरसाता है तो हर कोई प्रसन्न और सूखी हो जाता है. ऐसा ही बजट हमारे प्रदेश का है. हमारे माननीय वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री जी के द्वारा लाया गया ऐसा बजट है, जो सबका हित देख रहा है, सबका सुख देख रहा है और सबसे बड़ी बात है कि किसी भी प्रकार का कोई नया कर नहीं है. बिना किसी नये कर का यह बजट हमारे मुख्यमंत्री जी राजा विक्रमादित्य से प्रेरित हैं. संस्कृति वत्सल प्रतापी, कुशल प्रशासक राजा विक्रमादित्य से प्रेरित होकर ऐसा बजट लाने वाले हमारे वित्तमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को बहुत सारी बधाइयां देता हूं. बहुत सारा धन्यवाद देता हूं.

सभापति महोदय, यह बजट मध्यप्रदेश मॉडल को सामने लाता है और मध्यप्रदेश मॉडल क्या होता है? मध्यप्रदेश मॉडल, 7 स्तम्भों का मॉडल है. इसमें अधोसंरचना है सबसे मूल, जिसके लिए लगभग 65 हजार करोड़ रुपयों की व्यवस्था की गई है. हमारे एसजीडीपी का 4.3% अधोसंरचना के लिए है.

हमारा अगला स्तम्भ है सामाजिक न्याय का, इसलिए आपने देखा होगा कि हमारे बजट में अनुसूचित जाति, जनजाति इन वर्गों का जो बजट है उस बजट का 48 प्रतिशत हिस्सा जो है समाज के हर शोषित वर्ग के लिए है. धन्यवाद देता हूं ऐसे वित्तमंत्री जी को जो सामाजिक न्याय के लिए कार्य कर रहे हैं. सामाजिक न्याय ही नहीं यहां पर सामाजिक उत्थान भी है और यह उत्थान किस प्रकार से है?

सभापति महोदय, अगर हम बात करें, सबके वेलफेयर की तो स्वास्थ्य क्षेत्र की चर्चा से मैं शुरू करूंगा. स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट में लगभग 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. आयुष्मान योजना का दायरा बढ़ा है. मैं धन्यवाद देना चाहूंगा हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी को, हमारे वित्तमंत्री जी को. पीएम श्री एयर एम्बूलेंस, जिसकी कल्पना मध्यप्रदेश का आम आदमी नहीं कर सकता था, आज वह आम आदमी की जद में लाने का प्रयास हो रहा है. लेकिन जो सबसे बड़ी बात है, वह यह है कि निःशुल्क खून और अन्य प्रकार की जाचें जो है हमारे छोटे-छोटे सामुदायिक अस्पतालों में की जा रही है, जिससे समय पर बीमारी का पता चल जा रहा है. मैं समझता हूं कि बहुत छोटा लेकिन बड़े स्तर पर यह बहुत बड़ा कदम है. मैं पुनः इसके लिए हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी और उपमुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा.

सभापति महोदय, इसी में अगला स्तम्भ है शिक्षा का, शिक्षा का हमारा जो बजट है उसमें भी 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और सीएम राईज स्कूल की लगातार चर्चा चल रही है. मैं एक बात बताना चाहूंगा कि सीएम राईज स्कूल एक ऐसा उदाहरण है. जब प्राइवेट स्कूलों से अच्छे अच्छे स्कूलों से बच्चों को निकालकर सरकारी स्कूल में डाला जा रहा है तो ऐसा अगर कोई उदाहरण आता है तो वह सीएम राईज स्कूल का उदाहरण आता है. मैं हमारे शिक्षा विभाग को धन्यवाद दूंगा. (मेजों की थपथपाहट)..और इस बजट में वैज्ञानिकी की क्षेत्र में बढ़त करने के लिए 3 गुना ज्यादा प्रावधान किया गया है. भविष्य की सोचने वाला बजट, यह बजट ऐसा है जिसमें 3 गुना ज्यादा प्रावधान किया गया है. सभापति महोदय, इसके बात हम बात करेंगे कि युवाओं की. मैं जिस वर्ग से आता हूं. हमारे युवाओं की शिक्षा के लिए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस लाया गया है. खेल के लिए एक बड़ा बजट किया गया, लेकिन जो बात मैं सबके ध्‍यान में लाना चाहूंगा, वह है सैनिक स्‍कूलों के लिए जो राशि है, उसको 3 गुना बढ़ाया गया. इस देश की रक्षा करने वालों को तैयार करने की बात अगर किसी ने सोचा है, तो हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सोचा है, उसके लिए मैं पुन: हमारे मुख्‍यमंत्री और वित्‍त मंत्री जी को बहुत ज्‍यादा बधाई और धन्‍यवाद दूंगा. आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद है.

          सभापति महोदय, युवाओं के लिए रोजगार के साधन के लिए भी सोच रहे हैं. उद्योग जगत में 40 प्रतिशत की राशि में बढ़ोत्‍तरी की गई है. मैं समझता हॅूं कि यह सरकार एक और इतिहास बनाने जा रही है. 40 प्रतिशत की बढ़ोत्‍तरी का अगर उद्योग जगत में इन्‍वेस्‍टमेंट होगा, तो उससे हमारी जीडीपी बढे़गी और अगर हमारी जीडीपी बढे़गी तो हमें हर प्रकार के विकास कार्य करने की हमारी क्षमता बढे़गी.     सभापति महोदय, अगला स्‍तम्‍भ अगर हमारा कोई है तो वह महिलाएं हैं. महिलाओं के लिए भी हमने 15 प्रतिशत बजट बढ़ाया. इसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद. इसलिए कल मैं देख रहा था, जब हमारे नेता श्री कैलाश जी लगातार बधाई दे रहे थे. बाद में बहुत हंगामा हुआ, इतना अच्‍छा बजट था लेकिन हंगामें के बीच में उसकी आवाज कहीं-कहीं सुन्‍न हो रही थी. हमारे नेता श्री कैलाश जी बधाई दे रहे थे और जब मैं बजट को पढ़ रहा था, तो मुझे एहसास हुआ कि कितना शानदार बजट आया है. बहुत ज्‍यादा बधाईयां.

          सभापति महोदय, हमारे प्रदेश का एक और स्‍तम्‍भ किसान हैं. उनके लिए 15 प्रतिशत राशि बढ़ायी गई. 65 लाख हेक्‍टेयर सिंचित भूमि करने का लक्ष्‍य है और मुझे उम्‍मीद है कि इस राशि में हमारे बालाघाट के किसानों का भी विशेष ध्‍यान रखा जाएगा. हम यहां नहीं रूकते हैं, पर्यावरण की भी सोचते हैं. पर्यावरण के क्षेत्र में जो कार्य हो रहे हैं, उसके लिए भी मैं बधाई देना चाहूंगा और पुन: बधाई देना चाहूंगा. इंदौर में 51 लाख की जो कल्‍पना की गई है उसी प्रकार हमारे बालाघाट में भी चन्‍दन से वन्‍दन की 51 हजार पेड़ लगाने की कल्‍पना की गई है.

          सभापति महोदय, डिजिटल के लिए जो ई-विधान, ई-केबिनेट लाया जा रहा है, उसके लिए मैं पुन: हमारे विधानसभा अध्‍यक्ष जी सहित माननीय मुख्‍यमंत्री जी, वित्‍त मंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहूंगा. अंत में ज्‍यादा चर्चा न करते हुए, लेकिन मेरे जो आज के पहले वक्‍ता थे, उन्‍होंने एक थोड़ी-सी गलत जानकारी दी. उन्‍होंने बताया कि मध्‍यप्रदेश का देश की जीडीपी में 3.84 प्रतिशत हिस्‍सा है लेकिन मैं माननीय को बताना चाहूंगा कि 3.84 प्रतिशत नहीं, बल्‍कि 4.84 प्रतिशत देश की जीडीपी में मध्‍यप्रदेश का हिस्‍सा है. यह हिस्‍सा बढ़ गया है. (मेजों की थपथपाहट) प्रदेश आगे बढ़ रहा है. मैं और एक बात बताना चाहूंगा कि हमारी जो डेब्‍ट टू जीडीपी है वह भी पिछले 15-20 सालों में कम हुई है. हम 26 प्रतिशत पर आ गए. एक समय पर 32 प्रतिशत जीडीपी होती थी. यही बातें आपके ध्‍यान में लाते हुए पुन: मैं बधाई देना चाहूंगा कि फिस्‍कल डेफिसिट के सारे टॉरगेट को पूर्ण करते हुए हमारे वित्‍त मंत्री जी का यह जो बजट है, यह सबके हित में है. आखिर में आप सबको पुन: धन्‍यवाद देते हुए मध्‍यप्रदेश को विकसित भारत का हिस्‍सा बनाने के लिए प्रदेश की अर्थव्‍यवस्‍था को अगले 5 साल में दुगुना बनाने की कल्‍पना करने वाले हमारे मुख्‍यमंत्री जी को मैं धन्‍यवाद देता हॅूं और बताना चाहूंगा कि मध्‍यप्रदेश भारत के उन गिने-चुने बडे़ राज्‍यों में है जोकि रेवेन्‍यू सरप्‍लस है. रेवेन्‍यू सरप्‍लस होना एक बड़ी चीज है (मेजों की थपथपाहट) और हमारे पूर्व के एक वक्‍ता ने बोला था कि हम रेवेन्‍यू का व्‍यय किसमें कर रहे हैं तो सरकार अपने खर्चे में नहीं करती. रेवेन्‍यू का व्‍यय सरकार अस्‍पतालों के खर्चे में करती है, स्‍कूलों के खर्चे में करती है जहां हमारे बच्‍चे पढ़ते हैं. जहां हमारे बच्‍चों को मुफ्त ड्रेसेस मिलती हैं. अस्‍पतालों में दवाईयां मिलती हैं. यह सारी चीजें जो हैं, वह रेवेन्‍यू के खर्चें में ही जोड़ा जाता है. मैं पुन: आप सबको धन्‍यवाद देते हुए हमारे मुख्‍यमंत्री जी और वित्‍त मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हॅूं.

श्री अभय मिश्रा (सिरमौर)--    सभापति महोदय, सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्ष 2023-24 के अनुपात में 4.02 प्रतिशत से बढ़कर 4.11 प्रतिशत बजट अनुमान वर्ष 2024 के अनुसार बढ़ा है. जो कि संकट की स्थिति है, कर्ज को ध्यान में रखकर. इसी तरह से 2023-24 के पुनरीक्षित बजट अनुसार पूंजीगत एवं अन्य प्राप्तियां जो मूल काम है. एक होता है राजस्व की तनख्वाह देना है, दुनिया भर के खर्चे करने हैं, बांटने हैं. एक है प्रदेश में लगाना है, जिससे प्रदेश आगे बढ़ेगा जिसमें निर्माण करना है. वह 69 हजार 181 करोड़ रूपये था. जो वर्ष 2024-25 में 66 हजार कर दिया गया है इस साल यानि मूल कार्य के लिये पैसा कर्ज बढ़ने के बाद भी घट गया है. इसी तरह से वर्ष 2023-24 में कुल प्राप्तियां 3 लाख 915 करोड़ रूपये थी जिसे वर्तमान में 2024-25 हेतु 3 लाख 30 हजार करोड़ रूपये अनुमानित किया गया है. जो कि एक टेढ़ी खीर है, इतना बढ़ नहीं पायेगा. जनता पर टैक्स का दबाव पढ़ेगा, कर्ज लेने के बाद भी. इसी तरह से पूंजीगत व्यय पिछले वर्ष 2023-24 के पुनरीक्षित बजट में 68 हजार 570 करोड़ बताया गया था. जो अब वर्ष 2024-25 में 64 हजार 738 करोड़ रूपये दर्शाया गया है. अर्थात् पिछले वर्ष से कम कार्य किये जायेंगे. हमारे लिये काम करने के लिये कम हैं. इससे हमारे विकास के सपने अधूरे रह जायेंगे. अब आ जाईये बजट में हम पक्ष एवं विपक्ष को न देखें. हम लोग समाज के लिये काम करें हमारा किसी से व्यक्तिगत झगड़ा नहीं है. हमें उतने पैर पसारना चाहिये जितनी हमारी चादर है. मूल काम है हमारे खर्च कम होने चाहिये. बहुत सारी हम नई नई चीजें जोड़ रहे हैं. केग की रिपोर्ट बता रही है कि आपके 150 करोड़ रूपये सरेण्डर हो रहे हैं. आप उनको क्यों नहीं हटा रहे हैं. ? हमारा बजट में आय बढ़ाने का प्रयास है. बजट में मितव्ययता बहुत जरूरी है. आय बढ़ाने पर हम फोकस नहीं कर रहे हैं, लीकेज को हम रोक नहीं रहे हैं. अवैध मायनिंग, आर.आर.सी में आज तक वसूली नहीं हो रही है. लाईम स्टोन से गिट्टी बन रही है. हम रायल्टी की ओर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. मुम्बई-दिल्ली में जैसे टाटा जैसी एजेंसियां नहीं लगा पा रहे हैं कि हम बिजली की चोरी को रोकें. पुनर्घनत्वीकरण को हम बंद नहीं कर रहे हैं. एक तरफ आपने लोक परिसम्मति कर विभाग खोल लिया है. आप जमीनों के ऑक्शन कर रहे हैं जिसमें बहुत अच्छा पैसा मिल रहा है. 28 हजार रूपये प्रति वर्ग फिट जमीन बिक रही है. वहीं 12 सौ रूपये प्रति वर्ग फिट जमीन आप सिरमौर चौराहे पर दे रहे हैं. लोक परिसम्मति में वही पैसा नहीं मिल रहा है. उसके बदले में आप घास लगवा रहे हैं. इसको आप विकास की यात्रा कह रहे हैं आप सब जानते हैं कि कौन कर रहा है ? योजना आर्थिकी एवं सांख्यिकी विभाग के द्वारा हम दुनिया को ज्ञान बांटते हैं. हमें जो विधायक निधि मिलती है. हम टेंकर और यात्री प्रतीक्षालय में 60 प्रतिशत से ज्यादा क्यों देते हैं ? हम यात्री प्रतीक्षालय कंस्ट्रक्शन में 60 हजार का बनवा लेते हैं.  एम.पी.एग्रो में पिछले 10-12 सालों में 50 हजार से बढ़ाते बढ़ाते 3 लाख 85 हजार रूपये कर दिया. जब कि यह पक्के निर्माण कार्य हैं उसमें 1 लाख 20 हजार रूपये में पक्का बनता है. उसमें आप 50 हजार रूपये की चीज को 3 लाख 85 हजार रूपये दे रहे हैं उसमें हम ईमानदार बन रहे हैं ? हम टेंकर में भी यही खेल कर रहे हैं. आयुष्मान में भी लूट नहीं है क्या ? यह नर्सिंग होम क्यों पनप रहे हैं ? हम इसमें क्यों पैसे बर्बाद कर रहे हैं. उद्योग एवं निवेश के लिये मालूम है कितना पैसा बढ़ाया है ? 71 करोड़ 38 लाख रूपये मात्र 71 करोड़ रूपये हम मीटिंग कर रहे हैं, मीट्स कर रहे हैं कि हम उद्योगों में निवेश करेंगे. मांग संख्या 30 एवं 40 में हमने एक एक पैसा जोड़ा है. आपने पंचों के लिये पांच रूपये नहीं दिये हैं. माननीय मंत्री जी ने पिछली बार सदन में दिखाया है इसके बाद माननीय मंत्री जी का ही आदेश आया है कि मात्र 50 रूपये बंटेगा. यह आदेश मेरे पास है. 50 रूपये आखिरकार कहां का न्याय है. गरीबों के लिये कुछ करना है तो थोड़ा बहुत न्याय कर लिया जाये. वर्ष 2021-22 में केग (सीएजी) की रिपोर्ट बोल रही है. 2021-22 के दौरान योजनाओं में मुख्य शीर्ष चिकित्सा शिक्षा अनुदान 500 में प्राकृतिक आपदा 2245 इसमें से बचत है 1 लाख 62 हजार करोड़ रूपया सरेण्डर किया गया है. बजटरी नीड का उपयोग 2021-22 में 86 प्रतिशत ही हो पाया है.

          केन्‍द्रीय सड़क निधि में जमा 8449, अन्‍य जमा समय पर हस्‍तांतरित नहीं किया गया है, यह कैग की रिपोर्ट बता रही है. सार्वजनिक उपक्रम 32 वर्षों तक निष्क्रिय थे, 32 उपक्रमों में इतने करोड़ का कारोबार दर्ज हुआ, सकल घरेलू उत्‍पाद से इतना बढ़कर के 21 हजार 597 करोड़ तक का घाटा हुआ. लेखा परीक्षा में पुलों के चयन का बजट में शामिल प्रस्‍ताव है. एक खुली बात बता रहा हूं, एक पुल माफिया हमारे यहां काम कर रहा है, उसका केन्‍द्र बिन्‍दु है हमारा रीवा, राजनीति में संरक्षण है. आज तो ये भी एलाऊ हो गया कि एक विधायक दुसरे विधाक का नाम लेगा तो मैं भी लूंगा. एक हमारे माननीय मंत्री जी है बहुत महत्‍वपूर्ण पद पर बैठे हैं पूरा प्रदेश चला रहे हैं, पुलों की आप जांच करवा लीजिए कैग की रिपोर्ट में है, (आसंदी की ओर कैग की रिपोर्ट दिखाते हुए) रिपोर्ट में है कि पुलों के इस्‍टीमेट में पूरा का पूरा खेल हुआा है, ड्योढ़ा दूना करके पुलों में पूरा पैसा पलटी किया गया है. इसके बाद पीडब्‍ल्‍यूडी में इतने सारे अधिकारी है, जिनके फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर इस तरह से लूट पाट कराई जा रही है, इसमें भी बहुत राशि सरेण्‍डर हो रही है, इस पैसे को हम क्‍यों नहीं बचा पा रहे हैं. पुलिस में आप गूगल खोलिए, सर्वाधिक अपराध आपको मालूम कहां है इंदौर में है, मुख्‍यमंत्री जी का गृह जिला उज्‍जैन,  इसके बाद ग्‍वालियर, फिर भोपाल, फिर रीवा और कोरेक्‍स के नशे में एक नंबर पर कौन है रीवा और माननीय हमारे उप मुख्‍यमंत्री जी अभी योगी जी के पास गए थे, उनसे गुहार लगाई है कि कोरेक्‍स बंद करो बीस वर्ष में याद आया है, अभी गांजा आ रहा है उड़ीसा से वहां भी जाने वाले है, वहां भी जाएंगे, अपने यहां कंट्रोल नहीं करेंगे. रीवा जिले में पिछले दो वर्षों में 25 हजार अपराध हुए हैं, पांच हजार से ज्‍यादा केस पेंडिंग है, पांच हजार से ज्‍यादा अपहरण के केस हैं, इसके बाद हम इनको राशि आवंटित कर रहे हैं और पुलिस विभाग ने लगभग 1 लाख कुछ हजार करोड़ की राशि सरेण्‍डर की है फिर हम इनको बजट में राशि क्‍यों देते जा रहे हैं. खनिज में आप ये बताएं कि जो लाइम स्‍टोन है, लाइम स्‍टोन की रायल्‍टी 200 है, खनिज का उत्‍पादन होता है आप भी वहां जाना, बहुत कम माइनर मिनरल की खदानें हैं, सब मेजर मिनरल की है, उनसे हम गिट्टी बना रहे हैं, हम नेशनल लॉस नहीं कर रहे हैं, एक एक जिले में एक-एक, दो-दो लाख करोड़ के काम हो रहे हैं ये गिट्टी  कहां से आ रही है जब माइनर मिनरल नहीं है तो, सब मेजर मिनरल और इनको पकड़ना हो, सब अधिकारी मिले हुए हैं, कोई नहीं पकड़ेगा, ये पकड़े जाएंगे बिजली के बिल से ये आखिर इनका बिजली का बिल इतना कहां से आ रहा है. इतनी ज्‍यादा लूट है, हम उससे पैसा कमा सकते हैं, हम उससे नहीं कमा रहे हैं, मतलब बाड़ी ही खेत खाने लगेगी तो क्‍या स्थिति बनेगी.

          सभापति महोदय - समाप्‍त कीजिए अब.

          श्री अभय मिश्रा - अध्‍यक्ष जी, जेल के लिए आपने देखिए हम लोग इंसान है किसी ने पास किया उसको मात्र तीन करोड़ एक बुक आपने निकाली है, उस बुक को लगता है कि आप कितनी करुणामयी सरकार है, कितनी करुणा, कितनी दया, कितना ध्‍यान हैं इनको बंदियों में और मात्र 93 करोड़ रुपए वहां पर, भाजपा में जेल भेजने का बड़ा कल्‍चर है, आधी से ज्‍यादा भीड़ आप ही बढ़ा रखे हैं. मेरा यह कहना है कि कम से कम इनकी तो चिन्‍ता कर लें, अंतिम बात कहकर अपनी बात समाप्‍त कर रहे हैं जब लोक परिसम्‍पत्ति विभाग आपने खोल दिया और इस विभाग में बहुत अच्‍छा रेवेन्‍यु आ रहा पैसा आ रहा तो आप पुनर्घनत्‍वीकरण को बंद क्‍यों नहीं कर रहे.

          सभापति महोदय - अभय जी समाप्‍त करें.

          श्री अभय मिश्रा - बचपन से सड़क पर ईंट ढोकर यहां तक पहुंचा हूं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मैं हर लेवल पर सहन कर लूंगा, (..व्‍यवधान)

          श्री अरविन्‍द पटैरिया - अभय जी आपने हमारी पांच सड़कें बनवाई है वह तो सही करवा दो एक साल नहीं हुआ उखड़ गई पूरी.

श्री अभय मिश्रा - आप लेटर दे दीजिए, आपके मंत्री जी है, आपने मंत्री जी का इंट्रेस्‍ट नहीं देखा जब पूरी बात बंद हो गई, जो आपके अधिकार में नहीं है, 9 साल पहले की रोड है, पांच साल पहले परफार्मेंस गारंटी खत्‍म हो चुकी है (व्‍यवधान..) आप उसमें क्‍या कर लोगे.

श्री अरविंद पटैरिया --  [xx]

सभापति महोदय -- यह जो बोल रहे हैं, यह रिकार्ड में नहीं आयेगा. (व्‍यवधान..)

श्री अभय मिश्रा -- सभापति महोदय; महोदय, मेरा मतलब है बजट को लेकर. (व्‍यवधान..)

श्री अरविंद पटैरिया --[xx]

सभापति महोदय -- मिश्रा जी बैठ जायें, यह गलत बात है. (व्‍यवधान..)

श्री अभय मिश्रा --  (एक माननीय सदस्‍य द्वारा अपने आसन से कहने पर) मैं खर्च को कम करने की बात कह रहा हूं.  आप बात को भटका रहे हैं, आपको प्रदेश की जनता देख रही है. (व्‍यवधान..)

सभापति महोदय -- आप बैठ जायें, सखलेचा जी को बोलने दें.  

श्री अरविंद पटैरिया --[xx]

सभापति महोदय -- (श्री अभय मिश्रा द्वारा अपने आसन से बार-बार कहने पर)अभय जी बैठ जाईये, आप सुनते क्‍यों नहीं है.  यह गलत बात आप व्‍यवस्‍था नहीं मान रहे हैं, यह कौन सी बात है. आप बैठ जायें, सखलेचा जी आप बोलेंगे और वही आयेगा रिकार्ड में. (श्री अभय मिश्रा द्वारा पुन: अपने आसन से कुछ कहने पर) यह गलत बात है, आप दूसरे मौके पर और बोल लीजियेगा अभी आप बैठ जायें. 

श्री अभय मिश्रा -- सभापति महोदय, धन्‍यवाद.

श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) -- माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय वित्‍तमंत्री जी का बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं कि उन्‍होंने इस बजट को बनाने से पहले प्रदेश के सभी सामान्‍य वर्ग के लोगों का अभि‍मत लिया, तीन हजार से ज्‍यादा लोगों की उन्‍होंने बातें सुनकर, उसके बाद आज की जरूरत का आंकलन करते हुए, इस बजट को चाहे युवा हो, चाहे महिला हो, चाहे किसान हो, चाहे उद्यमी हो, चाहे शिक्षा हो, चाहे स्‍वास्‍थ्‍य हो, हर विभाग का ध्‍यान रखते हुए इस बजट की रचना की है. बजट की रचना में बजट का साईज तो बढ़ा ही बढ़ा है, लेकिन इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में बहुत बड़ा फोकस किया गया है.

सभापति महोदय -- (कई माननीय सदस्‍यों द्वारा आपस में बात करने पर) यह आप लोग आपस में चर्चा नहीं करेंगे, यह गलत है. आपस में बात करना संसदीय मर्यादा नहीं है.

 श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- सभापति महोदय, सबसे पहले वक्‍ता की एक बात पर पूरे सदन का ध्‍यान दिलाना चाहता हूं, जब यह बात आई कि नर्मदा के पानी का 18.5 एम.एफ.टी. पानी का यूटीलाइजेशन, नर्मदा के पानी का बंटवारा वर्ष 1979 में हुआ था 1968 में उसका ट्रिब्‍यूनल में केस फाइल किया गया था और वर्ष 1979 से लेकर वर्ष 2006 तक 10 प्रतिशत भी उसके पानी का उपयोग नहीं किया गया है. वर्ष 2006 के बाद इस पानी का उपयोग शुरू हुआ, जिसके कारण मध्‍यप्रदेश की सबसे पहली तरक्‍की की शुरूआत हुई. कृषि के क्षेत्र में डबल डिजिट ग्रोथ में सबसे ज्‍यादा अगर किसी चीज का योगदान है  तो सिंचाई के रकबे के बढ़ने का और रकबा बढ़ा नर्मदा का जो वर्ष 1979 में पानी का बंटवारा हुआ, जिसके लिये आज आप चर्चा कर रहे थे और चर्चा में आपने बड़ी गंभीरता से कहा कि पूरा नहीं होगा,लेकिन उन 22-23 सालों में जिन सरकारों ने बिल्‍कुल परफार्मेंस नहीं किया, उसके बारे में किसने सोचा, 23 साल जिस पानी का बंटवारा और उसके कारण कहीं न कहीं गुजरात की तरक्‍की का सबसे बड़ा कारण जो पानी हमारा बहकर गुजरात में गया, उससे तरक्‍की हुई.

            सभापति महोदय, मैं यहां ज्‍यादा लंबा  समय नहीं लूंगा और समय की सीमा को ध्‍यान में रखते हुए कागज तो मैं भी बहुत लेकर आया था और पूर्व वक्‍ताओं की बात को मैं रिपीट नहीं करना चाहता हूं, लेकिन उस पानी के साथ जो डबल डिजिट किसानों की तरक्‍की हुई, उससे इकोनॉमी में रोटेशन आया और अब मध्‍यप्रदेश केवल उसके साथ सड़क और बिजली का जो तेजी से विकास हुआ इन दोनों इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के किसानों के पास आने के कारण अब तेजी से पिछले पांच सालों से उद्योग में भी हम तेजी से इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के कारण तरक्‍की कर रहे हैं. पहले कभी कोई मध्‍यप्रदेश में उद्योग के आने के बार में चार बार सोचता था कि कहां से उसको बिजली मिलेगी कहां से उसका इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर  होगा, बिना इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और बिजली के उद्योग विभाग कैसे चलेगा? उस समय यह सोच आती थी कि शिक्षा में हमारे पास क्‍या स्थिति थी, यह बातें जरूर सच होंगी. मेरे पूर्व वक्‍ताओं ने कहा कि कुछ स्‍कूलों में खेल के मैदान नहीं होंगे, कुछ स्‍कूलों में छोटी-मोटी कमियां भी होंगी, लेकिन हम क्‍या केवल उन्‍हीं बातों को सोचकर क्‍या सी एम राइज जैसे डेढ़ सौ स्‍कूल खोलने में रूकावट करेंगे. मैं बड़ी गंभीरता से माननीय सदस्‍य को बताना चाहता हूं कि केवल जावद का अगर मैं केवल एक जगह के स्‍कूल का बताऊं तो वहां से 17 बच्‍चों ने नीट की परीक्षा बिना किसी कोचिंग इंस्‍टीट्यूट के कोरोना के बाद अगर पास किया तो वह इसलिये पास किया कि उनको फ्री टेवलेट सीएसआर फंड से वहां मिल गये. अभी पिछले साल वहां से 40 बच्‍चों ने पास आउट किया. विषय आता है कि शिक्षा के स्‍तर में सबको मिलकर केवल बजट ही या केवल कमियां निकालने से नहीं, जहां हम सुधार कर सकें वहां सुधार करके एक-एक कदम आगे बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी. अगर हम केवल यही सोचते रहें मैंने यह प्रयोग भी किया और जहां तक सवाल है कि आज जो यह सीएम राइज स्‍कूल जो बन रहे हैं इससे एक इमेज बन रही है देश की और प्रदेश की आज लोग मध्‍यप्रदेश में इन्‍वेस्‍ट करने के बारे में सोच रहे हैं. आज हम जिस तेजी से आईटी और अभी हमने 9 हजार बच्‍चों को केवल नीमच जिले में एआई और एनीमेशन और उसके माध्‍यम से और अभी बहुत तेजी से हम स्‍कूलों में पैटर्न लेंग्‍वेज सिखाने की शुरूआत कर रहे हैं जो कभी आपने सोचा नहीं होगा क्‍योंकि आने वाला युग टेक्‍नोलॉजी वेस स्‍टडी मांगता है. हम उसके बारे में आज तैयारी कर रहे हैं. पैटर्न की बात कर रहे हैं, स्‍कूल में वह बात कर रहे हैं, कॉलेज में बात कर रहे हैं तो कल ही मैं उच्‍च शिक्षा मंत्री जी के साथ बैठा था तो वहां चर्चा हो रही थी कि हम सूर्य मित्र कैसे ज्‍यादा से ज्‍यादा बनाये क्‍योंकि सूर्य मित्र की दुनिया में ज्‍यादा मांग है. हम कल बैठकर यह चर्चा कर रहे थे कि कैसे हम अपने कोर्सों में एडीशनल कोर्स को एडवांश करें कि हमारे बच्‍चों को रोजगार के अवसर भी पैदा हों. हम बात कर रहे हैं केवल एजूकेशन के साथ-साथ ह‍म उनके आगे के प्‍लेसमेंट की बातें भी कर रहे हैं. यह केवल हवा में बातें नहीं हैं, उन पर एक्‍सरसाइज हो रही है और एक दिन में दुनिया नहीं बदलती है. मुझे अच्‍छी तरीके से याद है जब मैं पहली बार विधायक बना था तो जावद से यहां आने में 14 घंटे लगते थे अब 14 घंटे से साढ़े 5 घंटे लगते हैं. इस मेन ऑवर की जो बचत है वह एक नहीं हजारों व्‍यक्तियों के मेन ऑवर की बचत  है, टाइम से बड़ी कोई कीमती चीज नहीं है. हमने अगर किसी का समय बचाया है तो उसके जीवन में बहुत कुछ उसका आउटपुट आयेगा, हम केवल यही बात नहीं कर रहे हैं, हम बात करना चाहते हैं कि केवल आदमी को जीने के लिये अगर 60 प्रतिशत बीमारियां पीने के पानी से आती थीं तो हमने पेयजल के लिये हमारे प्रधानमंत्री जी ने जो मिशन शुरू किया मुझे बड़ी खुशी है कि केवल नीमच जिले में 1600 करोड़ रूपये पेयजल के लिये खर्च किये. जितना बजट वर्ष 2003 में पूरे विकास का 50 प्रतिशत बजट जो 4 हजार करोड़ रूपये होता था वह वर्ष 2003 में पूरा स्‍टेट के डेव्‍हलपमेंट का उसका 50 प्रतिशत केवल नीमच जिले में पीने के पानी के लिये कर रहे हैं और कर दिया है और इसी साल दिसम्‍बर तक सब लोगों को पीने के पानी की उपलब्‍धता होगी. शुद्ध पीने का पानी मतलब 60 प्रतिशत बीमारियां कम होना. हम बात कर रहे हैं केवल योजना की नहीं मैं उस पर बड़ी गंभीरता से बात कर रहा हूं कि हमने योजनायें बनाई केन्‍द्र सरकार ने कि Preventive is better than treatment और प्रिवेंटिंव की जो जांचें शुरू हुई हैं उसके कारण हमारी 60 प्रतिशत बीमारियां भी कम हुई हैं. स्‍वच्‍छता का नारा था स्‍वच्‍छता के कारण कितनी सीजनल बीमारियों में कमी आई, आप भी ग्रामीण क्षेत्रों में घूमते हैं उस चीज का आंकलन करें. बात छोटी सी लगती थी कि स्‍वच्‍छता लेकिन उसके कारण कितना बड़ा अंतर आया किसी भी अस्‍पताल के ओपीडी का कार्ड उठाइये 15 साल पहले का और आज का तो आपको आंकलन आयेगा कि सरकार के काम से छोटी सी बात से कितना बड़ा इम्‍पेक्‍ट पड़ा जो आखिरी गरीब आदमी है अगर वह सीजनल बीमारियों से बचता है तो उसके मेन ऑवर कैसे बढ़ते हैं.

          सभापति महोदय--  ओमप्रकाश जी, अब एक मिनट में कन्‍क्‍लूड करें.

            श्री ओमप्रकाश सखलेचा - मैं थोड़ी सी बात कालेज आफ एक्सीलेंस की भी करना चाहूंगा. जहां तक सवाल है कि हम इन सब योजनाओं में कहीं न कहीं हम अतिआवश्यक कालेज आफ एक्सीलेंस की बात कर रहे थे. जिसमें अभी हमने कल बैठकर कुछ कोशिश की है और माननीय मंत्री जी का मैं धन्यवाद करना चाहूंगा कि जिले के साथ उन्होंने जावद के लिये भी एक कालेज आफ एक्सीलेंस की कल सहमति दी क्योंकि वहां के बच्चों की भी उनकी चिंता थी. जहां तक सवाल है मैं बात करूं विदेश अध्ययन  के लिये विदेश भेजने के लिये भी सरकार ने काफी खर्च किया. अभी हमने कुछ और योजनाएं और बनाई हैं.  कल मैंने मंत्री जी से चर्चा भी कि आज तेजी से पूरी दुनियां में विदेशों में युवाओं की बहुत ही जरूरत है.

          अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा -  माननीय सभापति जी आप कह रहे हैं तो मैं अपना भाषण समाप्त करता हूं. आपने समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.

          श्री फूलसिंह बरैया(भाण्डेर) - माननीय सभापति महोदय, पहले दिन जब हम लोग चुनकर आए थे तो भारतीय संविधान की किताब हमको दी गई उस पर माननीय नरेन्द्र सिंह तोमर जी के साईन थे और कहा था शुभकामनाओं सहित. बड़े प्रेम से किताब दी गई तो पढ़ना भी पड़ेगा. जब संविधान बनने की प्रस्तावना शुरू हुई थी तो उसके पहले एक आधार बनाया गया था कि संविधान किस आधार पर हमारे देश में लागू होगा. एक आदमी, एक वोट, एक कीमत, इसके आधार पर माना जायेगा. बजट भी इसी आधार पर लागू होगा. जिस दिन माननीय जगदीश देवड़ा जी भाषण कर रहे थे उस बजट को मैं शुरू से विरोध करता हूं. इस बजट में उस संविधान के अनुसार कुछ भी नहीं है. इस बजट को मैं असंवैधानिक भी घोषित करता हूं. 3 लाख 65 हजार करोड़ रुपये का बजट है. संविधान की अगर हम लाईन देखें तो 7 करोड़ लोगों के लिये बजट है लेकिन सभापति महोदय, यह 7 करोड़ लोगों के लिये बजट नहीं है 6 करोड़ 30 लाख लोगों के लिये इस बजट में कुछ भी नहीं है. अगर बजट होता है, पैसा आता है तो समृद्धि भी आती है. जहां मानव विकास होगा वहीं  बजट होगा. जहां मानव होगा ही नहीं तो बजट पेश क्यों होगा. समृद्धि की जहां तक बात है तो 90 प्रतिशत अनुसूचित जाति,जनजाति,अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के पास 12 प्रतिशत संपत्ति है. 10 प्रतिशत लोगों के पास 88 करोड़ की संपत्ति है तो यह बजट 6 करोड़ 30 लाख लोगों के लिये नहीं है और मैं कहना चाहूंगा कि अगर यह  बजट सही तरीके से लागू होता तो पिछड़े वर्गों के लिये इसमें लिखा गया है कि 1704 करोड़ का बजट है. इसमें पिछड़ा वर्ग है. अल्पसंख्यक है. विमुक्त जातियां हैं. घुमन्तु जातियां हैं. अद्ध घुमन्तु जातियां हैं. 1704 करोड़ का बजट उनके लिये है. जबकि संविधान के अनुसार यह बजट अगर पास होना चाहिए तो अन्‍य पिछड़े वर्ग के लिए 1 लाख 82 हजार करोड़ रुपये का बजट होना चाहिए. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये का बजट होना चाहिए. अल्‍पसंख्‍यक के लिए 24,540 करोड़ रुपयों का बजट होना चाहिए. सभापति महोदय, इस बजट में लिखा गया है और कहा गया है कि सम्‍मान के लिए रविदास जी की मूर्ति हम सागर में बना रहे हैं और विश्‍व में इसका नाम होगा. मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि उसी सागर में इनकी नाक के नीचे कुरई विधान सभा में एक बच्‍ची को छेड़ा जाता है, उस बच्‍ची के भाई ने रोका, मैं बच्‍ची का नाम नहीं ले रहा हूँ, उस बच्‍ची के भाई ने रोका, उसकी हत्‍या की जाती है. बच्‍ची ने जो केस दर्ज किया था छेड़छाड़ का, उसका राजीनामा करने के लिए दबाव डाला गया. चाचा ने विरोध किया तो चाचा की हत्‍या की जाती है. बाद में उस बच्‍ची की भी हत्‍या कर दी जाती है. जहां रविदास जी कहते थे कि सम्‍मान चाहिए और वहां नेताओं की नाक के नीचे, कलेक्‍टर, एसपी की नाक के नीचे यह काण्‍ड हो रहा है.

          सभापति महोदय, इस बजट में कहा गया है कि छात्रवृत्‍तियों के लिए हमने बहुत राशि दी है. छात्रवृत्‍ति के बारे में मैं आपको कहना चाहता हूँ कि इसकी जांच होनी चाहिए. मध्‍यप्रदेश में छात्रवृत्‍तियों का घोटाला हो रहा है. छात्रवृत्‍ति के नाम से बहुत बंदरबांट की जा रही है. छात्रवृत्‍ति पाने वाले छात्रों का इतना बुरा हाल है कि वे हमारे पास सैकड़ों की संख्‍या में आते हैं. हम शिकायत भी करते हैं, लेकिन इस सरकार में कोई सुना नहीं जाता है क्‍योंकि गूंगी, बहरी सरकार है. यही नहीं है, छात्रावासों के बारे में भी कहा गया है कि हम अच्‍छा संचालन कर रहे हैं, सभापति महोदय, एक सिद्धांत है कि देश में और इस मध्‍यप्रदेश में छात्रावास कैसे होने चाहिए कि छात्रावास अगर शेड्यूल ट्राइब का है तो उसको चलाने वाला संचालक भी शेड्यूल ट्राइब का ही होना चाहिए. छात्रावास अगर शेड्यूल कॉस्‍ट का है तो उसका संचालक भी शेड्यूल कॉस्‍ट का होना चाहिए और अगर ओबीसी का छात्रावास है तो संचालक भी ओबीसी का होना चाहिए. शेड्यूल कॉस्‍ट का छात्रावास है और सामान्‍य वर्ग का व्‍यक्‍ति संचालन कर रहा है तो सिद्धांत कौन सा लागू होता है कि बिल्‍ली से कहा जाए कि चूहों की रक्षा करे. ये सिद्धांत चालू है और यह नहीं बंद किया गया तो इन छात्रावासों का कोई मतलब नहीं है. मैं आपसे कहना चाहूँगा कि यही नहीं है..

          श्री अभिलाष पाण्‍डेय -- आदरणीय सभापति महोदय, ये जो विषय है कि जिस कॉस्‍ट का है, उस कॉस्‍ट का संचालक होना चाहिए. इस विषय पर मेरी आपत्‍ति है. सम्‍माननीय डॉ. भीमराव आम्‍बेडकर जी का चित्र यहां पर लगा हुआ है और हम उन्‍हें बड़े आदर और सम्‍मान से पूजते हैं, आदरणीय भीमराव आम्‍बेडकर जी का भी पालन-पोषण किसी ने किया था तो वह उस जाति का नहीं था, वह सामान्‍य जाति का था, जिन्‍होंने उनको आगे बढ़ाने का काम किया. ये आप किस दिशा की बात कर रहे हैं.

          सभापति महोदय -- ठीक है, बैठ जाइये.

          श्री फूल सिंह बरैया -- सभापति महोदय, इनकी बातों का कोई मतलब नहीं है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री अभिलाष पाण्‍डेय -- आपकी बात का पूरा मतलब है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री फूल सिंह बरैया -- इन्‍होंने संविधान पढ़ा ही नहीं है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री अभिलाष पाण्‍डेय -- देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्‍द्र मोदी जी ने देश को बताया कि 26 नवंबर के दिन संविधान लागू किया गया है, आपने तो हमें 26 जनवरी, 1950 के बारे में, गणतंत्र दिवस के बारे में पढ़ाया था. ...(व्‍यवधान)...

          श्री साहब सिंह गुर्जर -- जब वे भाषण दे रहे हैं, तो बीच में इनको बोलने की क्‍या जरूरत है.

          श्री फूल सिंह बरैया -- सभापति महोदय, यह इस बजट भाषण में कहा गया है कि हम शेड्यूल ट्राइब को समाज की मुख्‍य धारा में जोड़ने के लिए 40,400 करोड़ रुपये का बजट दे रहे हैं. शेड्यूल कॉस्‍ट को मुख्‍य धारा में जोड़ने के लिए 27 हजार करोड़ रुपये का बजट दे रहे हैं. अगर हमें इतना बजट मिलेगा, अगर बजट सम्‍मान से मिलेगा और इनकी शक्‍ति बढ़ेगी, लेकिन जब इनका थानेदार उनके मोहल्‍ले में जाता है तो जूता चारपाई पर रखकर के बात करता है. इस थानेदार को किसने अधिकार दिए हैं. थाना प्रभारी और एसडीओपी चारपाई पर पैर रखकर बात करता है. यह अपने आपको क्‍या समझते हैं ? क्‍या यह जमाना ऐसे ही रहेगा. सभापति महोदय, जमाना बदलेगा, एक थानेदार अभी एक गाड़ी ने 13 बच्‍चे कुचल दिये, जिला भिण्‍ड मेहगांव विधानसभा में टेकरी के पुरा (सोनी) में एक गाड़ी ने 13 बच्‍चे कुचल दिये और थानेदार आया, तो चारपाई पर बात करते हुए क्‍या कह रहा है कि (XXX) सभापति महोदय, क्‍या यह सब कुछ (XXX) से चल रहा है. यही विषय है. (XXX)

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - माननीय सभापति महोदय, लोक सभा के बाद अब यहां विधान सभा में भी संविधान पर चर्चा होगी. इधर संविधान पर चर्चा हो रही है क्‍या ?

(..व्‍यवधान....)

          सभापति महोदय - (पक्ष एवं विपक्ष के कुछ माननीय सदस्‍यों के एक साथ खड़े होकर जोर-जोर से बोलने पर)  आप लोग बैठ जाएं. नहीं, हम दिखवा लेंगे. अगर कोई आपत्तिजनक चीज होगी तो कार्यवाही से निकल जायेगी. आप लोग बैठ जाइये. आप सदन चलने दीजिये, बरैया जी अच्‍छा भाषण दे रहे हैं. आप सुनिये.

(..व्‍यवधान....)

          श्री पंकज उपाध्‍याय - यह संविधान का नाम आते ही (XXX) क्‍यों हैं ?

          श्री फूल सिंह बरैया -    सभापति महोदय, यह मेरा पूरा समय (XXX) गए हैं.

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - सभापति महोदय, संविधान की बुक मिली है, उसको पढ़ लेना.

          श्री कमलेश्‍वर डोडियार - सभापति महोदय, संविधान की वजह से तो विधान सभा आए हैं, और विधान सभा सदस्‍य होने के बाद भी संविधान पर आपत्ति हो रही है. यह क्‍या है ?

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - सभापति महोदय, मेरा सीधा यह कहना था कि बजट के ऊपर बोलें.

          (..व्‍यवधान....)

          सभापति महोदय - आप लोग बैठ जाइये.

          श्री महेश परमार - सभापति महोदय, जो भ्रष्‍टाचारी पकड़ाया है, उस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं. इधर-उधर की बात कर रहे हैं. .........

          (..व्‍यवधान....)

          सभापति महोदय - बैठ जाएं. बैठ जाइये. 

          डॉ. रामकिशोर दोगने - सभापति जी, यह लगातार सदन का अपमान कर रहे हैं, यह स्‍वीकार योग्‍य नहीं है.

          सभापति महोदय - बैठ जाएं. आप शुरू कीजिये. आप एक-डेढ़ मिनट में समाप्‍त करें.

          श्री फूल सिंह बरैया - सभापति महोदय, इन्‍होंने सारा समय (XXX) लिया है और पूरा बजट (XXX) लिया है.

          सभापति महोदय - आपके पड़ोसियों को तो रोकिये. पड़ोसी भी कर रहे हैं.

          श्री फूल सिंह बरैया - सभापति महोदय, यह बार-बार डबल इंजन मोदी जी की बात करते हैं. इस देश के अन्‍दर एक आंकड़ा मेरे पास है, दिल्‍ली के मंत्रालय में क्‍लास ग्रुप ए की नौकरी पिछड़े वर्ग की कितनी नौकरियां हैं, 8,274 में से सिर्फ 2 नौकरियां हैं. यह डबल इंजन की बात करते हैं, यह मोदी जी की बात करते हैं.  

          सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी बोलना चाह रहे हैं.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) - माननीय सभापति महोदय, मेरा एक निवेदन है कि आप कम से कम आंकड़ों को या तो अथेंटिकेट करें अन्‍यथा ऐसा न बोलें. इतना ही निवेदन था.

          श्री फूल सिंह बरैया -    सभापति महोदय, मैं आंकड़े नहीं रखूंगा. आप अनुसूचित जाति के लिए इतना पैसा दे रहे हैं और बाकी के लिए इतना दे रहे हैं.

          सभापति महोदय - आप प्रदेश की बात करें एवं समाप्‍त करें.

          श्री फूल सिंह बरैया -    प्रदेश में लोग ही तो रहते हैं.

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - उन्‍हें प्रदेश की जानकारी ही नहीं है.  

          श्री फूलसिंह बरैया- सभापति महोदय, मैं, यह जानना चाहता हूं कि यह बजट मानव के विकास के लिए है कि धरती और पत्‍थरों के विकास के लिए है ?

          सभापति महोदय-  प्रदेश के मानवों के लिए है.

          श्री फूलसिंह बरैया-  सभापति महोदय, तो क्‍या SC मानव नहीं हैं, ST मानव नहीं हैं, OBC मानव नहीं हैं, सवर्ण मानव नहीं हैं, सभी के लिए यह बजट है और मैं उसी की बात कर रहा हूं. उसमें जब मैंने कुछ कह दिया, ये लोग आरोपी हैं, इनके दिल में ये है,  ये समझ रहे हैं कि ये आरोपी हैं इसलिए तो मुझे बोलने से मना कर रहे हैं. (XXX)

          सभापति महोदय-  बैरया जी, अब आप समाप्‍त करें.

          श्री फूलसिंह बरैया-  सभापति महोदय, मैं, आपकी बात का सम्‍मान करता हूं और मैं, ज्‍यादा कुछ नहीं कहूंगा, केवल यही कहूंगा कि यह बजट मानव के लिए होना चाहिए, मानव विकास के लिए होना चाहिए, संविधान में इसकी विवशता है और मानव विकास के लिए जब तक बजट नहीं आयेगा, तब तक उस बजट का कोई मतलब ही नहीं है इसलिए मैं, इस बजट का शुरू से लेकर अंत तक विरोध करता हूं, धन्‍यवाद, जय भीम, जय भारत.

          राज्‍यमंत्री, वन (श्री दिलीप अहिरवार)-  सभापति महोदय, मैं, केवल एक बात कहना चाहूंगा.

          सभापति महोदय-  आप किस नियम के तहत बोल रहे हैं ?

          श्री दिलीप अहिरवार-  मैं, इनकी बात का जवाब दे दूं जो इन्‍होंने खुरई की एक बेटी की बात की है, इन्‍होंने जो गलत टिप्‍पणी की है, मैं, उसके लिए बोल रहा हूं.

          सभापति महोदय-  आप मेरी बात सुनें. बहुत से लोग गलत बोल रहे हैं, वित्‍त मंत्री जी यहां बैठे हैं, वे जवाब देंगे.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस (बुरहानपुर)-  सभापति महोदय, मैं, निर्धारित समय में अपनी बात पूरी करने का प्रयास करूंगी और मध्‍यप्रदेश के इतिहास के सबसे बड़े बजट, कल्‍पनातीत बजट को प्रस्‍तुत करने के लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी एवं वित्‍त मंत्री जी को मन से ढेरों बधाई देती हूं और अभिनंदन करती हूं. कल कुछ विचित्र परिस्थितियां प्रदेश और देश ने मध्‍यप्रदेश विधान सभा में देखी. इतिहास का सबसे बड़ा बजट, जब प्रस्‍तुत हो रहा था तो बड़ा हंगामा भी था. जब बेहद कमिटमेंट के साथ बजट प्रस्‍तुत हो रहा था, तब बेहद शोर हमने इस सदन में देखा. सतत विकास और सेवा का बजट, सतत् नारेबाजी के बीच में प्रस्‍तुत हुआ.

          सभापति महोदय, मैं, वित्‍त मंत्री जी का अभिनंदन करती हूं कि उस शोर, हुड़दंग, हंगामे और नारेबाजी में, जिस तल्‍लीनता के साथ, धैर्य के साथ, अविचलित होकर वे बजट प्रस्‍तुत करते रहे, ऐसा वही व्‍यक्ति कर सकता है जो प्रदेश के विकास, प्रगति और सेवा के प्रति ध्‍येय निष्‍ठ हो. (मेजों की थपथपाहट)

          सभापति महोदय उनकी उस प्रस्‍तुति को देखकर मुझे कुछ शब्‍द याद आये-

 

हे, वीर पुरूष पुरूषार्थ करो, तुम अपना मान बढ़ाओ न,

अपनी इच्‍छाशक्ति से, उनको जवाब दे जाओ न.

 

          और वही आपने कल करके दिखाया. यह बजट प्रस्‍तुत तो हुआ एक साल के लिए परंतु उस बजट के साथ एक विज़न था, जो बजट इस वर्ष प्रस्‍तुत हुआ है, पांच वर्षों में उसको दुगुना करेंगे, मतलब बड़ी दूरदर्शिता के साथ माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी की विकास की अवधारणाओं और अनुभवों से प्रेरित होकर, यह बजट एक ऐसा बजट है, मैं, आंकड़ों के विस्‍तार में जाना नहीं चाहती हूं क्‍योंकि समय का अभाव है, जिसमें शहरी और ग्रामीण विकास की दृष्टि से संपूर्णता में संतुलन है. इसके लिए मैं, सरकार का अपने ह्दय की गहराइयों से अभिनंदन करती हूं. परंपरा एवं तकनीक इसके दोनों सिरों को इस बजट ने पकड़ा हुआ है. जिसको अंग्रेजी में कहते हैं Meeting two ends.

          सभापति महोदय, इस बजट ने इंसान की सेहत, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की चिंता की है और साथ ही प्रकृति की सेहत की भी पूरी-पूरी चिंता इस बजट में की गई है. कृषक कल्‍याण के साथ इंडस्ट्रियल कॉरिडोर तक असीमित संभावनाओं को समेटे इस बजट में माननीय वित्‍त मंत्री जी ने कोई नया अतिरिक्‍त कर नहीं लगाया. इसे एप्रीशियेट न भी करें तो एक्‍नॉलेज तो हमारे सभी मित्रों को करना चाहिए. महिलाएं, बच्‍चे, युवा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति सबके विकास पर यह बजट खरा उतरता है और मैं आसंदी के माध्‍यम से सभी को यह कहना चाहती हूं कि गत वर्षों में चाहे सड़क हो, चाहे सिंचाई हो, शिक्षा हो, स्‍वास्‍थ्‍य हो, चाहे मातृ मृत्‍यु दर को ही देख लें, कृषि उत्‍पाद देख लें, फल, सब्‍जी उत्‍पाद देख लें, दुग्‍ध उत्‍पादक देख लें मत्‍स्‍य पालन देख लें, प्रतिव्‍यक्ति आय देख लें जितने भी पैरामीटर होते हैं व्‍यक्ति के विकास से लेक‍र इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर डेव्‍हलपमेंट के सारे पैरामीटर पर मध्‍यप्रदेश जहां से चला था और जहां पहुंचा है एक बहुत लंबी दूरी हमने तय की है.

        सभापति महोदय, जब 15 महीने कांग्रेस की सरकार रही तब मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना की राशि को 25 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दुगना किया गया. इसे बजट में भी प्रस्‍तुत किया गया होगा परंतु 50 हजार की घोषणा करने वाली सरकार में जिन बेटियों के हाथ पीले हुए उन 15 महीनों में किसी एक कन्‍या को भी यह सरकार वह राशि नहीं दे पाई.

          श्री लखन घनघोरिया-- सभापति महोदय, 76 हजार शादियां कराईं थी. 316 करोड़ रुपए हमने अपनी 15 महीने की सरकार में दिये हैं. आपने एक साल में 41 हजार कराई हैं. 

          सभापति महोदय-- घनघोरिया जी आप जबाव मत दीजिए.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस-- मैं आपको स्‍मरण दिला दूं कि आपने कागज दिये थे कि आप पैसा देने वाले हैं परंतु आपने पैसा दिया नहीं था. पैसा उन्‍हें तब मिला जब हमारी सरकार आई.

          श्री लखन घनघोरिया--आप पता कर लीजिए कि पैसा रिलीज़ हुआ है.

          सभापति महोदय-- लखन जी आप बैठ जाइए. आप हर बात का जबाव मत दीजिए.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस-- सभापति महोदय, संबल योजना के कार्ड हम बनाते गये और यह काटते गये जब फिर से हमारी सरकार आई तब संबल के कार्ड मिलकर गरीबों को उसका लाभ मिलना प्रारंभ हुआ.

          सभापति महोदय, जल जीवन मिशन मैं इस बात को लेकर गौरवान्वित हूं कि मैं जिस जिले से आती हूं वह देश का पहला जिला है जिसमें हर घर नल और नल में जल की योजना माननीय प्रधानमंत्री जी की मंशा के अनुसार पूरी हुई है. 

          श्री दिनेश गुर्जर-- प्रदेश में बहुत सारे घरों में नल ही नहीं है.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस-- मैं आपको बुरहानपुर आमंत्रित करती हूं कि आप आएं और जल जीवन मिशन का क्रियान्‍वयन बुराहनपुर जिले में आकर देखकर जाएं.

          श्री प्रहलाद लोधी-- आप मेरे विधान सभा क्षेत्र में चलें नल जल देखना हो तो.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस-- सभापति महोदय, शिक्षा पर बहुत संवेदनशीलता से हमारे बहुत से मित्र बात कर रहे थे, मैं इस सदन में बहुत जबावदारी से कह रही हूं कि हमें जीरो बजट और जीरो टीचर्स स्‍कूल लेगेसी में प्राप्‍त हुए थे. जब हमारी सरकार बनी तो जीरो बजट स्‍कूल्‍स और जीरो टीचर्स स्‍कूल्‍स और वहां से चले थे और आज हम सभी को गर्व है कि सीएम राईज़ स्‍कूल्‍स प्रारम्‍भ होने के बाद हमारे पास सिफारिशें आती हैं‍ प्राईवेट स्‍कूल्‍स में एडमीशन्‍स के लिए नहीं सीएम राईज़ स्‍कूल्‍स में एडमीशन्‍स के लिए हमारे पास सिफारिशें आती हैं. यह सही है कि बजट तो एक बड़ी तस्‍वीर है कि हमको प्रदेश को ऐसा बनाना है या हमारा प्रदेश ऐसा होना चाहिए परंतु इसे लागू करने के लिए इसके इम्‍प्‍लीमेंटेशन के लिए लेजिसलेटिव और एडमिनीस्‍ट्रेटिव दोनों ही प्रजातंत्र के पिलर में आपस में को-ऑर्डिनेशन और एक कलेक्टिव एफर्ट्स के साथ में काम करने की अनिवार्य आवश्‍यकता है. जन प्रतिनिधि, शासन, प्रशासन और सम्‍पूर्ण समाज को लेकर हम इसे जमीन पर उतारें ऐसा हम सभी का प्रयास होना चाहिए.  सकारात्‍मकता के साथ में माननीय वित्‍त मंत्री जी मेरे दो, तीन सुझाव हैं माननीय मंत्री जी उद्यानिकी फसलों का बीमा हो सके इसके लिए उद्यानिकी विभाग को वेदर सेक्‍शन्‍स बनाने के लिए आप बजट दें भारत सरकार के मानक विभागीय वेदर स्‍टेशन्‍स की आवश्‍यकता पर जोर देते हैं. लखपति दीदी की माननीय प्रधानमंत्री जी की जो घोषणा है उसे साकार करने के लिए कुटीर उद्योग विभाग का बजट बढ़ाएं इसे हमने थोड़ा और बढ़ा दिया तो माननीय प्रधानमंत्री जी की कल्पना को मध्यप्रदेश की सरजमीं पर साकार करेंगे. रेशम और खादी विभाग का आवंटन बढ़ाएं ऐसा मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है. मेरा जिला एकमात्र जिला है जिसमें जेल नहीं है. जेल के लिए आप टोकन प्रोवीजन कर दें तो  उस पर टेंडर वगैरह करके हम आगे काम कर सकेंगे. मुझे बहुत प्रसन्नता हुई जब काली सिंध और चंबल को लेकर हमारे मुख्यमंत्री जी और राजस्थान के मुख्यमंत्री जी ने एक एमओयू किया. वर्षों से लंबित योजना पूरी हुई. मैं आज इस सदन में इस बात की कल्पना करती हूँ इस बात की मैं प्रार्थना करती हूँ कि ताप्ती नगर रिचार्ज को भी एक दिन हम साकार होते हुए देखेंगे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के साथ में हमारे मुख्यमंत्री जी, जल संसाधन मंत्री जी इनीसेटिव लेकर इसे आगे बढ़ाएं. मैं अपनी बात पूरी करते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी के लिए, माननीय वित्त मंत्री जी के लिए इन शब्दों के साथ अपनी बात पूरी करुंगी.

          धरा हिला, गगन गूंजा, नदी बहा, पवन चला,

          विजय तेरी, विजय तेरी,

          ज्योति सा जलजला, भुजा फड़क-फड़क ,

          रक्त में धड़क  धड़क, अग्नि सा धधक धधक,

          हिरन सा सजग- सजग, सिंह सा दहाड़कर,

          शंख सी पुकारकर, रुके न तू, झुके न तू, थमे न तू,

          सदा चले, सदा चले.

          धन्यवाद.

 

          डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर) -- माननीय सभापति महोदय, आपका संरक्षण चाहते हुए मैं वर्ष 2024-2025 के बजट पर अपनी बात रखता हूँ. मैं इस बजट का इसलिए विरोध करता हूँ क्योंकि बाबा साहेब अंबेडकर ने जो संविधान बनाया और संविधान में जो व्यवस्था दी. संविधान के अनुसार बजट एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग तक नहीं पहुंच रहा है. यह बजट भले ही आंकड़ों में 3 लाख 65 हजार करोड़ रुपए का प्रस्तावित है. लेकिन मैं दावे के साथ कह रहा हूँ कि अगर आदिवासी इलाकों में इस बजट का एक हजार करोड़ रुपए भी ईमानदारी से पहुंच जाए तो इन क्षेत्रों का इतना विकास हो जाएगा जितना की आजादी के 75 सालों में नहीं हुआ है.

          सभापति महोदय, बजट ऐसा है कि यह अमीरों को अमीर और गरीबों को गरीब बना रहा है. मध्यप्रदेश में बेरोजगारी सबसे ज्यादा युवाओं में है. अभी विधान सभा से हाल ही में जानकारी मिली है कि 1 लाख 30 हजार से ज्यादा इंजीनियर बेरोजगार हैं. 3 हजार से ज्यादा एमबीबीएस डॉक्टर बेरोजगार हैं. जो डिग्री कॉलेज कर रहे हैं जो बीए, एमएससी कर रहे हैं उन युवाओं की बेरोजगारी की दर क्या होगी. बेरोजगारी के कारण हमारे आदिवासी इलाकों से लोग पलायन करके गुजरात, महाराष्ट्र जा रहे हैं. एक एक पिकअप में बकरों की तरह भरकर ले जाया जा रहा है. हम क्षेत्र में देखते हैं कि पिकअप में 50 की जगह 300-300 आदिवासी बच्चे-बच्चियां पलायन करके दो वक्त की रोटी के लिए जा रहे हैं. अगर इस बजट में वास्तव में 3 लाख 65 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान है तो इस पलायन को रोकने के लिए सरकार को कोई योजना बनानी चाहिए थी. पिछले 20 सालों से एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के 1 लाख 50 हजार के बैकलाग के पद हैं जिन्हें सरकार नहीं भर रही है. तारीख पर तारीख बढ़ाई जा रही है. आज हालत यह है कि हमारे एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के युवा ओवरएज हो रहे हैं. उनको उम्र में छूट का कोई प्रावधान नहीं है. आज बड़ी मुश्किल से किसान का बेटा, एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का बेटा, एक मजदूर का बेटा, एक आदिवासी का बेटा जब परीक्षा देने जाता है तो पता चलता है कि पेपर लीक हो गया है. हाल ही में नीट फर्जीवाड़ा हुआ. यूजी में भी और पीजी में भी. हाल ही में पीएससी पेपर लीक हुआ. पटवारी भर्ती हुई थी  उसका भी फर्जीवाड़ा हुआ था. एक ही कॉलेज के अन्दर 10-10 लोग टॉपर बने. आज दिनांक तक पटवारी भर्ती की की जो जाँच हुई है उस घोटाले की जाँच सार्वजनिक नहीं हुई है. मैं आपके माध्‍यम से मांग करता हूं कि पटवारी घोटाले की जांच सार्वजनिक होनी चाहिये और इस घोटाले में जो भी दोषी पाए जाएं उनको कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिये. इस बजट में कुपोषण दूर करने के लिये सरकार ने ऐसी कोई योजना शुरू नहीं की है. आज मध्‍यप्रदेश के मैं अपने विधान सभा क्षेत्र का आंकड़ा बता रहा हूं, एक ब्‍लॉक में 600 से ज्‍यादा कुपोषित बच्‍चे हैं और पूरे मध्‍यप्रदेश में 1 लाख से ज्‍यादा कुपोषित बच्‍चे हैं. सरकार ने एनआरसी सेंटर बनाये हैं मध्‍यप्रदेश के एक भी एनआरसी सेंटर पर कोई विशेषज्ञ डॉक्‍टर की भर्ती नहीं हुई. एक भी एनआरसी सेंटर पर डाईटिशियन का पद नहीं है. आप बताइये अगर हम कुपोषण जैसे कलंक को मध्‍यप्रदेश से मिटाना चाहते हैं तो क्‍या स्‍टाफ नर्स के भरोसे पर कुपोषण दूर कर सकते हैं. यह कभी संभव नहीं है. अगर सरकार कुपोषण दूर करना चाहती है तो एनआरसी सेंटरों की संख्‍या तो बढ़ाये ही साथ ही प्रत्‍येक सेंटर पर एक पीडियाट्रीशियन और डाईटिशियन की पोस्‍ट भरनी चाहिये.

          सभापति महोदय, इस बजट भाषण में पेसा नियम का जिक्र हुआ. जब वर्ष 1996 में पेसा कानून बना, तो इसकी परिकल्‍पना की गई थी कि गांव को स्‍वशासन देंगे, आर्थिक रूप से सक्षम बनाएंगे, हम आदिवासियों की रूढि़, परम्‍पराओं, रीति रिवाजों, धार्मिक परम्‍पराओं का पालन करेंगे, लेकिन मूल पेसा कानून 1996 में लागू हुआ था, उसके 25 साल बाद मध्‍यप्रदेश में वर्ष 2022 में पेसा नियम बने, लेकिन पेसा नियम बनने के बाद आज भी ग्राम पंचायत, ग्राम सभा के माध्‍यम से अगर एक ट्राली रेत लेना चाहे, तो नहीं ला सकते, ऐसा पेसा नियम बनाया है तो आर्थिक रूप से सक्षम कैसे बनाएंगे. पेसा नियम में परिकल्‍पना थी कि गांव को आर्थिक रूप से सक्षम बनाएंगे, संसाधनों पर अधिकार देंगे. अगर गांवों में आपसी विवाद होता है, तो उनको निपटारा करने का अधिकार है, लेकिन छोटे मोटे विवाद होते हैं, महुये की शराब के मामले में कुछ भी छोटा मोटा विवाद हुआ, तो आबकारी विभाग के अधिकारी उठाकर ले जाते हैं बिना ग्राम सभा की अनुमति के और उन पर 34(2) के केस लगाकर 6-6 महीने के लिये जेल में डाल रहे हैं. छोटे-छोटे झगड़ों के मामले में पेसा कानून में प्रावधान था कि आपसी झगड़ों का निवारण ग्राम पंचायत, ग्राम सभा के लोग बैठकर करेंगे, लेकिन पुलिस विभाग के अधिकारियों को आज भी पेसा कानून का कोई प्रशिक्षण नहीं है और आदिवासी इलाकों में आज भी सरकार की तानाशाही चलती है.

          सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से यह भी बताना चाहता हूं कि पेसा क्षेत्र ऐसे क्षेत्र हैं जो शेड्यूल एरिया में आते हैं. मध्‍यप्रदेश में 2006-07 के बाद आज तक नये शेड्यूल एरियों का गठन नहीं हुआ. अनुसूचित क्षेत्रों के अलावा ऐसे क्षेत्र भी हैं प्रदेश में जहां पर लाखों की संख्‍या में आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं, लेकिन उन समुदायों को सरकार की कोई योजना का लाभ नहीं मिल पाता है, क्‍योंकि वहां पर पेसा के तहत या अनुसूची 5 के तहत स्‍वशासी परिषदों का गठन करना चाहिये था सरकार को, लेकिन कभी भी सरकार ने आदिवासियों के विकास के लिये, सही मामले में अगर संविधान की बात करें तो बाबा साहब के माध्‍यम से जो शेड्यूल 5 का जो अधिकार मिला, अधिसूचित क्षेत्रों में तो कुछ हद तक उसका लाभ मिला, लेकिन सामान्‍य क्षेत्र में रहने वाले हमारे आदिवासी भाइयों को जहां नये शेड्यूल एरिया का गठन नहीं हुआ वहां पर स्‍वशासी परिषद नहीं बनी, इसके कारण उनको कोई लाभ नहीं मिल रहा है.

          सभापति महोदय, महिला एवं  बाल विकास विभाग में 27,000 करोड़ रुपये का प्रावधान है. कहा गया कि ट्राइबल एरिया में 270 आंगनवाड़ी केन्‍द्र बनाये जाएंगे. सदन में बहुत सारी चर्चा हुई कि आंगनवाड़ी केन्‍द्रों को तो हमने गोद ले लिया. कोई कह रहा है कि आंगनवाड़ी केन्‍द्र किराये के मकान में संचालित कर लो. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 270 आंगनवाड़ी केन्‍द्रों में से मात्र 70 आंगनवाड़ी केन्‍द्र के भवन हैं बाकी 200 केन्‍द्र अभी भी भवन विहीन हैं. आदिवासी इलाकों में कच्‍चे मकान से पानी टपक रहा है कहां पर किराये से लेंगे. अगर इस तीन लाख करोड़ के बजट में सरकार चाहे तो सिर्फ मेरे विधान सभा की बात नहीं है, अगर सरकार उन छोटे-छोटे बच्‍चों का भविष्‍य सुधारना चाहती है, तो मैं चाहता हूं कि प्रत्‍येक विधान सभा में स्‍वयं के आंगनवाड़ी केन्‍द्र बनाये और किराये के भवन में आंगनवाड़ी केन्‍द्र नहीं लगें ऐसी मैं सरकार से मांग करता हूं.

          सभापति महोदय, सिकल सेल पर हमारी केन्‍द्र सरकार और राज्‍य सरकार सिकल सेल उन्‍मूल की एक योजना चला रही है. सिकल सेल से सबसे ज्‍यादा प्रभावित ट्राइबल एरिया है, ट्राइबल लोग हैं. हर तीसरा आदमी इस बीमारी से प्रभावित है. लेकिन मध्‍यप्रदेश के किसी भी जिले में एक भी सिकल सेल का हॉस्पिटल नहीं है. लेकिन मध्यप्रदेश के किसी भी जिले में एक भी सिकल सेल का अस्पताल नहीं है. एक भी सिकल सेल के विशेषज्ञ डॉक्टर की पदस्थापना नहीं है. न ही सिकल सेल के पीड़ित मरीजों को पेंशन दी जाती है. सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से मांग करता हूं कि सिकल सेल के मरीजों के लिए कम से कम पेंशन शुरू करे.

          सभापति महोदय सरकार सीएम राइज स्कूलों के माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा देने का अच्छा काम कर रही है मैं सरकार को इसके लिए बधाई देता हूं लेकिन यह भी मांग करता हूं कि एक ब्लाक में एक सीएमराइज स्कूल बनाकर उस ब्लाक में अगर 300 स्कूल हैं तो क्या उन स्कूलों को बंद कर देगी सरकार या उन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक हैं उनके पद समाप्त नहीं करेंगे इस बात का भी भरोसा सरकार को दिलाना होगा.

          सभापति महोदय एक और महत्वपूर्ण बिंदू है प्रधानमंत्री आवास योजना में आज सरकार एक लाख वीस हजार रूपये दे रही हैं. आज 20 हजार रूपये में एक ट्राली ईट मिलती है तो क्या इस महंगाई के दौर में एक गरीब आदमी अपना घर बना पायेगा. मैं आज सदन में आपके माध्यम से मांग करता हूं कि अगर सरकार वास्तव में गरीबों की हितैषी है तो कम से कम 5 लाख रूपये प्रधानमंत्री आवास योजना में मंजूर करना चाहिए.

          सभापति महोदय एक और महत्वपूर्ण बिन्दू है. मैं यह आपके माध्यम से सदन में रखना चाहता हूं. संविधान में बाबा साहब अंबेडकर जी ने आरक्षण दिया. अभी हाल में ज्यूडिशियरी की परीक्षा हुई है उसमें 121 पद आदिवासियों के लिए आरक्षित थे. लेकिन एक भी पद पर किसी का चयन नहीं किया गया है. इ वर्ग को अगर वास्तव में मुख्य धारा से जोड़ने की मंशा रखती है सरकार तो क्या नियमों को शिथिल करके ज्यूडिशियरी में इण्ट्री नहीं देना चाहती है सरकार.

          सभापति महोदय अतिथि शिक्षकों का गंभीर मुद्दा है. अतिथि शिक्षक को साल में 10 माह के लिए रखते हैं. अप्रैल से लेकर अगस्त तक इनको गेप दिया जाता है. अभी इनके सिर पर ठीकरा फोड़ दिया है कि इनके कारण रिजल्ट 30 प्रतिशत से नीचे आ गया है. क्या स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे ही चल रहे हैं.  यह अतिथि शिक्षक बड़ मुश्किल से 3 से 10 हजार रूपये तक की नौकरी कर रहे हैं. मैं चाहता हूं कि सरकार इनके बारे में सोचे और इनको स्थायी करे.

          सभापति महोदय एक बात और कहना चाहता हूं कि आज टीबी के मरीजों के लिए अस्पतालों में दवा नहीं है. मेरा कहना है कि कम से कम टीबी की दवा अस्पतालों में उपलब्ध करवायें. पेन क्लिर उपलब्ध करायें और साथ में   बर्न आईसीयू की बात कहना चाहता हूं कि सिर्फ 6 कालेजों में बर्न यूनिट है और एक भी कालेज में बर्न यूनिट में वेंटिलेटर नहीं है. आ पके माध्यम से मैं यहां पर स्वास्थ्य मंत्री जी से मांग करता हू कि हर मेडीकल कालेज मे बर्न यूनिट की आईसीयू यूनिट बने ताकि बर्न के जो मरीज हैं उनको इलाज में सहायता हो सके. प्रदेश का विकास हो ऐसी मैं अपेक्षा करता हूं. आपने बोलने के लिए  समय दिया बहुत धन्यवाद्.

          श्री कमलेश डोडियार (सैलाना)सभापति महोदय बजट प्रस्तुत हुआ है इसका अध्ययन करने के दौरान मुझे पता चला मैं मेरे क्षेत्र की बात करूं तो मेरा क्षेत्र आदिवासी क्षेत्र है यहां पर छोटे छोटे गांव में स्कूल हैं. गांव के स्कूलों में 2-3 प्रकार के भवन की समस्या है. एक तो बहुत सारे गावों में स्कूलों के भवन नहीं है. जहां पर भवन है तो वह बहुत ही बुरी हालत में हैं, जरजर हैं. मेरे क्षेत्र में तीन कालेज एक सैलाना में है एक बाजना और एक रावटी में है. रावटी में कालेज भवन नहीं है और पिछले तीन चार साल से एक पुराने जरजर स्कूल में कालेज चल रहा है. कई बार हमने पत्र लिखे हैं लेकिन उसके बाद में भी कोई कार्यावाही नहीं कर रहे हैं और बजट में भी कोई व्यवस्था नहीं है. बाजना में जो कालेज है वह अधूरा भवन बना हुआ है. जो मूलभूत सुविधाएं बच्चों को मिलना चाहिए वह नहीं है ग्राऊण्ड नहीं है और उसके बाद में भी कालेज चालू कर दिया है.

          सभापति महोदय मेरे क्षेत्र सैलाना में 5 हायर सेकेण्ड्री स्कूल हैं. लेकिन सामान्य किस्म का बच्चा, मध्यम तरीके से पढने वाले बच्चों को वहां पर प्रवेश नहीं मिल सकता है. एक एकलव्य आवासीय विद्यालय हैं वहां पर बच्चों को पढ़ने के लिए प्रवेश परीक्षा देना होता है. सैलाना ब्लाक में दो सीएमराइज हैं दोनों के दोनों सीएमराइज सैलाना नगर में बना दिये हैं और उन दोनों में मध्यम वर्ग के बच्चे को आसानी से प्रवेश नहीं मिल सकता है.

          श्री कमलेश डोडियार - उन दोनों में मध्‍यवर्ग के बच्‍चों का आसानी से प्रवेश नहीं मिल सकता है. लॉटरी से सीएम राइज स्‍कूल में प्रवेश मिलता है और एक पीएमश्री स्‍कूल बनाया है, जिसमें प्रवेश परीक्षा देने के बाद प्रवेश मिलेगा. एक कन्‍या शिक्षा परिसर है, वहां पर भी प्रवेश परीक्षा देने के बाद ही  प्रवेश मिलेगा तो  जो सामान्‍य बच्‍चा है, जिसको प्रवेश लेना है, किसी एक को भी प्रवेश नहीं मिल सकता है. मैं सैलाना विधानसभा, रतलाम से आया हूं, जितने भी छात्रावा बने हैं सारे छात्रावासों में एक भी अधीक्षक नहीं हैं, जितने भी शिक्ष्‍ाक हैं, शिक्षकों को छात्रावास का अधीक्षक बना दिया गया है. इस बजट में छात्रावास अधीक्षकों की भर्ती करने का कोई भी उल्‍लेख नहीं हैं. थोड़े-बहुत शिक्षक हैं तो उन्‍हें दूसरे सरकारी विभागों में अटेच कर दिया जाता है. मतलब जो स्‍कूलों के बच्‍चे हैं, वह राम भरोसे छोड़ रखे हैं और ज्‍यादातर प्रदेश के जो स्‍कूल हैं, उनमें अतिथि शिक्षक पिछले 12-15 सालों से पढ़ाने का काम कर रहे हैं और वह अतिथि शिक्षक परमानेंट नहीं किए जा रहे हैं बार- बार मांग की जा रही है. मैं भी इस बजट पर कहना चाहता हूं कि अतिथि शिक्षकों के लिए विशेष व्‍यवस्‍था की जाए या तो इन्‍हें परमानेंट किया जाए या फिर विभागीय स्‍तर पर इनकी परीक्षा लेकर इनको नियमित किया जाना चाहिए और मेरे क्षेत्र के अंदर में सैलाना विधानसभा क्षेत्र में जितने भी आंगनबाड़ी बने हुए हैं, उनकी मरम्‍मत की जाए,उनको ठीक किया जाए, बंहुत ही बुरी हालत में हैं और जहां पर आंगनबाड़ी नहीं बने हैं, वहां पर ग्राम वार आंगनबाड़ी भवन बनाए जाएं और विभिन्‍न अलग-अलग विभागों में जो रिक्‍त पद पड़ें हुए हैं, माननीय सदस्‍य ने भी उल्‍लेख किया है  कि एक लाख से ज्‍यादा बैकलाग के पद रिक्‍त पड़े हुए हैं बैकलाग के रिक्‍त पदों की भी भर्ती नहीं की जा रही है और अलग अलग विभागों में हर साल भर्तियां होनी चाहिए वह भी नहीं की जा रही हैं और पेसा अधिनियम की बात करते हैं पंचायत एक्‍सटेंशन टू शिड्यूल एरियाज भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची को लागू करने के लिए पेसा कानून 1996 में बना और उस कानून को लागू करने के लिए 2022 में नियम में बने लेकिन एक भी नियम जमीन पर लागू नहीं है पेसा कानून लागू करने के लिए मोबिलाइजर की भर्ती की है, मोबिलाइजर को भी समय पर वेतन नहीं मिलता, 4 हजार रूपए प्रतिमाह इनको वेतन मिलता है, इनका वेतन बढ़ाना चाहिए और पेसा कानून के जितने भी नियम बने हैं, जमीन पर लागू करने के लिए हमें कुछ करना चाहिए. अभी हमारे सीनियर एमएलए सर ने बताया कि जितने भी संसाधन हैं पंचायत खुद ही मालिक है, सरपंच सचिव, अपनी पंचायत से एक ट्राली रेत भी नहीं उठा सकता है, ग्राम पंचायत में जितनी भी खदाने होती हैं उनका एक भी रूपया ग्राम पंचायतों को रेवेन्‍यू के रूप में नहीं दिया जा रहा है जबकि पेसा कानून के तहत ग्राम पंचायत को राजस्‍व दिया जाना चाहिए. सभापति महोदय, मैं वित्‍त मंत्री जी का ध्‍यान आकर्षित करना चाहता हूं पिछले कई सालों से आउट सोर्स के माध्‍यम से कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है, इसमें जो कर्मचारी होते हैं वह स्‍थाई नहीं होते हैं और जो कंपन्‍नी के मालिक होते हैं, बड़े अधिकारी होते हैं ये जब मर्जी पड़े आउट सोर्स के कर्मचारी को बंद कर देते हैं उसको नौकरी से निकाल देते हैं कर्मचारी का भविष्‍य सुरक्षित नहीं है इस बजट सत्र पर मेरी मांग है कि आउट सोर्स पर जितने भी कर्मचारी आज दिनांक तक काम कर रहे हैं उन सबको नियमित किया जाए और जितनी भी कंपन्‍नी है जो आउट सोर्स पर कर्मचारी देती है  सारी की सारी आउट सोर्स की कंपन्‍नी को बंद कर दिया जाए जब भी सरकार को कर्मचारी की भर्ती करने की जरूत लगे तो सरकार स्‍थाई तरीके से कर्मचारी की भर्ती कर, परमानेंट तरीके से भर्ती करे.

          सभापति महोदय-       कमलेश्‍वर जी, अब समाप्‍त करें

          श्री कमलेश डोडियार - माननीय सभाप‍ति महोदय, बीजेपी, कांग्रेस को छोड़कर मैं, मेरी पार्टी का अकेला विधायक हूं, आप समय नहीं देंगे तो उन वंचितों की आवाज दबी की दबी रह जाएगी.

          सभापति महोदय-       संख्‍या के अनुपात में ही बोलने का समय मिलता है.एक मिनट में समाप्‍त करें.

          श्री कमलेश डोडियार - सभापति महोदय, मनरेगा की योजना चलती है मनरेगा का उद्देश्‍य है कि मजदूरों को रोजगार देना लेकिन हकीकत आप पता करेंगे तो मजदूरों के खातों में फर्जी तरीके से पैसा डालकर जेसीबी और ट्रेक्‍टर वालों को पैसा दिया जा रहा है मजदूरो को रोजगार नहीं मिल रहा है और पता करेंगे सभापति महोदय मजदूरों की दर क्‍या है, उत्‍तराखंड, हिमाचल प्रदेश, असम उनकी तुलना में रोजगार गारंटी में मजदूरों की दर बढ़ाई जानी चाहिए और स्वास्थ्य में,  मेरा आदिवासी इलाका है.  छोटे छोटे उप स्वास्थ्य केन्द्र बने हुए हैं.  वहां पर दवाइयां भी नहीं मिलतीं और डॉक्टर भी उपलब्ध नहीं हैं.  डॉक्टर्स हैं, तो बड़े बड़े नगरों  में  पदस्थ   किये जाते हैं.  एमएसपी की बात की जाती है, जो कपास की खेती  करते हैं, उनके लिये भी  कुछ एमएसपी  जैसा कुछ  किया  जाना चाहिये. मेरे क्षेत्र में  कृषि की मण्डियां, उप मण्डियां बनी हुई हैं, सरवन  में बनी हुई है, रावटी में, बाजना  में  बनी हुई है.  एक भी उप मण्डी में  खरीदी  नहीं की जाती है.  तो  कृपया  इनके लिये बजट की कोई व्यवस्था की जाये, ताकि ये मण्डियां विधिवत  तरीके से चलें और  कपास  की खेती करने  वाले  किसानों के लिये कुछ किया  जा सके.  सभापति महोदय, आपने अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री अनिरुद्ध (माधव) मारु (मनासा)-- सभापति महोदय, आपका धन्यवाद कि आपने समय दिया.  अभी लखन जी बात कर रहे थे चेहरों की. तो  चेहरे तो बहुत हैं इधर, लेकिन सब में दीन दयाल है. सदन में प्रदेश के मुखिया,  श्री मोहन यादव जी के नेतृत्व  में, हमारे उप मुख्यमंत्री, श्री जगदीश देवड़ा जी  ने  अपना बजट प्रस्तुत किया है.  बजट में सबसे बड़ी  खास बात यह है कि जन अपेक्षाओं  के अनुसार, जनता से  पूछते हुए,  विशेषज्ञों  से चर्चा करते हुए  सब का समावेश,  सभी वर्गों का,  सभी समाजों का, सभी दलों का,  सब को समाहित करते हुए पूरे प्रदेश  का एक समुचित विकास  का बजट  मोहन यादव जी की सरकार लेकर आई है. मैं इस बात के लिये  बधाई देता हूं कि इस बजट में  जन अपेक्षाओं का पूरा सम्मान किया गया है.  इसलिये  जनाकांक्षी  बजट होना चाहिये,  क्योंकि जनता की आकांक्षा को पूरी करता  है यह. बजट की तुलना  हम उन वर्षों से क्यों करें,  जब देश में कोई  काम ही नहीं किया  पिछली सरकारों ने उस समय में. हम अपनी सरकारों  की बात करें,  जब से देश में एवं प्रदेश में भाजपा  की सरकार आई, निरन्तर विकास के नये सौंपान  चढ़ती गई. लगातार हर बार   पिछले साल से  अधिक बड़ा  बजट,  पिछली बार से अधिक बड़ा  विकास,पूंजीगत व्यय, यह भाजपा  की सरकारें, जो प्रधानमंत्री, मोदी जी के नेतृत्व में  लगातार   देश एवं प्रदेश का विकास कर रही हैं और यही बात इस बजट में  नजर भी आती है. इस बजट  में सबसे अच्छी बात यह है कि  भाजपा के संकल्प पत्र को भी  शामिल कर लिया गया है.  उसको भी स्वीकृति दी गई कि जो हमने घोषणाएं की थीं, जो हमारा संकल्प था,  हम उसको पूरा करेंगे,इस बजट में उस संकल्प को पूरा स्थान दिया गया. प्रधानमंत्री, मोदी जी के नेतृत्व में  भारत विश्व की सबसे बड़ी  पांचवीं  अर्थ व्यवस्था बन चुका है.  यह सब मानते हैं, हमारा विपक्षी दल भी इसको मानता है कि  निश्चित रुप से यह पांचवीं अर्थव्यवस्था  बन चुका है.  लेकिन अभी माननीय सदस्य  गिनती गिना रहे थे कि हम  140 करोड़,142 करोड़ हो गये.  तो 60 साल तो सरकार आपने चलाई है,  तब आपको संख्या का ध्यान नहीं आया.  तब  हम कहां बैठे हुए थे.  यह हमारी मोदी जी की सरकार और प्रदेश की भाजपा  की सरकार  है, इसलिये हम पांचवी  सबसे  बड़ी शक्ति बने हैं, क्योंकि हमारी  संकल्प शक्ति है और उन संकल्पों के साथ हम  आगे बढ़ रहे हैं. इसलिये देश में मोदी  जी के नेतृत्व में और प्रदेश में मोहन यादव जी के नेतृत्व में  मध्यप्रदेश लगातार  विकास  के नये सौंपान चढ़ रहा है.  मध्यप्रदेश की अर्थ व्यवस्था में   गत वर्ष से 16 प्रतिशत अधिक  और मोहन यादव जी का संकल्प   है कि  5 वर्ष में इस बजट को  हम दोगुना कर देंगे.  आप कल्पना करिये कि हम  कितनी तेजी से चलने की बात कर रहे हैं,  इस अर्थ व्यवस्था को  कितना मजबूत  करने  की बात कर रहे हैं.  केंद्र में हमारी मोदी जी की सरकार  के लगातार पूंजी निवेश  की  वजह से हमारे  प्रदेश में  यातायात, परिवहन, सिंचाई, पर्यटन, हवाई सेवाएं,  ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, सभी  क्षेत्रों में    हम नई ऊंचाइयां  छूने की ओर हैं. लगभग 2 करोड़, 30 लाख लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आये हैं, यह आंकड़े हैं और यह सच्‍चाई भी है. आज धरातल पर देखें तो निश्चित रूप से लोग गरीबी से ऊपर उठ चुके हैं और कृषि के क्षेत्र में तो हम लोग हर साल एक नया रिकार्ड बना रहे हैं. 1 करोड़, 30 लाख टन गेहूं , अभी आंकड़े बता रहे थे कि 28 लाख टन खरीदी हुई. 28 लाख टन खरीदी क्‍यों हुई, क्‍योंकि पिछले साल बाजार में अनाज का भाव आपके समर्थन मूल्‍य से अधिक था तो किसान हमारा बहुत समझदार हो गया है. जहां ज्‍यादा पैसा मिलेगा वह वहीं माल बेचना चाहेगा. ऐसा थोड़े है कि सब सरकार को दे दे. यदि बाहर ज्‍यादा पैसा मिलता है तो निश्चित रूप से उसको वहीं बेचना चाहिये, आप उसको मजबूर नहीं कर सकते कि हमारे पास बेचना पड़ेगा. इसलिये पिछले साल गेहूं कम तुला. प्रतिवर्ष 2023-24 में पूंजीगत व्‍यय पर 60 हजार, 689 रूपये खर्च हुए. जो कि वर्ष 2022-23 की तुलना में 29 प्रतिशत ज्‍यादा था और इस वर्ष 2024-25 के बजट में लगभग 70 हजार करोड़ हमारा पूंजीगत व्‍यय होने वाला है. यह निश्चित रूप से एक बड़ा रिकार्ड है विकास की दौड़ में. लगभग 6 हजार, 646 किलोमीटर नई सड़कें, साथ ही चार हजार करोड़ से 700 किलोमीटर पुरानी सड़कों का नवीनीकरण, 123 पुलों का निर्माण और 116 आरओबी निर्माणाधीन हैं. जिस प्रदेश में हमेशा सड़कों का रोना रोया जाता रहा है. हमेशा ही रोना रोते रहे की सड़कों का कि कब पहुंचेंगे, कब निजा़द मिलेगी. आज एक भी ऐसी सड़क प्रदेश में नहीं है, जिसका कोई रोना रोता हो. सभी उन सड़कों पर यात्रा करते हैं. इसीलिये अब इनके पास कहने के लिये कोई गुंजाईश नहीं बची है.

          माननीय वित्‍त मंत्री जी से मैं, एक निवेदन करना चाहूंगा कि हमारी बहुप्रतिक्षित सड़क नीमच से झालावाड़ रोड इंटरचेंज 8 लेन पर हमारी सीधी सड़क मिलती है 136 किलोमीटर पर. कृपया उसका 4 लेन का सर्वे हो चुका है, लेकिन किसी कारण से उनको 2 लेन में परिवर्तित करने की बात हुई. उस सड़क के बीच में फारेस्‍ट का एरिया पड़ता है. लेकिन उसको 4 लेन बनाया जाना इसलिये आवश्‍यक है, क्‍योंकि चीते हमारे यहां मेरे विधान सभा क्षेत्र नीमच जिले में आने वाले हैं. चूंकि वह पर्यटन क्षेत्र बड़ा डेव्‍हल्‍पमेंट होने वाला है तो वहां से 8 लेन से एप्रोच सबसे ज्‍यादा आवश्‍यक है, उस क्षेत्र को बढ़ाने के लिये और विशेष रूप से हमारे नीमच, मनासा, पिपल्या, मंदसौर यह बहुत बड़ी मंडियां है. इन सब के माल के आवागमन के लिये हमें 8 लेन पर एप्रोज चाहिये और यह सीधी एप्रोज हमारे को वहां मिलती है तो इसका आश्‍वासन मिले, मैं, ऐसी अपेक्षा करता हूं.

          सभापति महोदय, पेयजल पर हमारे यहां 1800 करोड़ रूपये पिछली सरकार ने दिये थे उस समय हमारे मुख्‍यमंत्री शिवराज जी थे. 1800 करोड़ की जल जीवन मिशन योजना, तब प्रहलाद भाई साहब केन्‍द्र में जल शक्ति मंत्री थे उन्‍होंने उस योजना को स्‍वीकार कराने में बड़ी कृपा करी. निश्चित रूप से मैं इनका आभारी हूं. पर आपसे उस योजना में एक निवेदन करना चाहूंगा कि जितने गांव पहले से पेयजल से जुड़े हुए हैं उनको भी पानी की सप्‍लाई दी जाये और उन गांवों में भी बचा हुआ काम पीएचई से कराने के बजाय, जल जीवन मिशन की इसी योजना के इसी प्रोजेक्‍ट में करा लिया जाये तो काम व्‍यवस्थित होगा, विशेष रूप से इस पर भी ध्‍यान दिया जाये. ऊर्जा उत्‍पादन में हम आत्‍म निर्भर तो हुए ही हैं, अब बिजली बेचने की स्थिति में हो गये हैं.

          सभापति महोदय:- मारू जी अब आप समाप्‍त करें.

          श्री अनिरूद्व माधव मारू:- सभापति जी, आखिरी में एक शेर सुना दूं.(xxx)      

          सभाप‍ति महोदय:- ऐसी भाषा का उपयोग न करें. इसको कार्यवाही से निकाल दें.

          श्री अनिरूद्व माधव मारू:- मैं अभी सभी की बातें सुन रहा था. एक आखिरी शेर सुना देता हूं, मैंने सभी विषय सुनें- बड़ी उम्‍मीद से, उम्‍मीदों पर भी बात हो रही थी. दोनों ही बातें लखन भैया कर रहे थे. चेहरे की बात पर उनका ही शेर सुना दिया.  वह उम्‍मीद की बात भी कर रहे थे- ''बड़ी उम्‍मीद थी, तेरे आने की पर तू तिरेसठ ही ला पाया हम क्‍या करें.

डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा)- सभापति महोदय, आपने बजट पर बोलने का मौका दिया है इसके लिए मैं बहुत बहुत आभारी हूं. यह जो बजट 3 लाख 67 हजार करोड़ रुपये का आया है, यह सिर्फ कागजी बजट है. इसको बजट नहीं कहना चाहिए, प्रोजेक्टेड रिपोर्ट कहना चाहिए क्योंकि इस बजट में पिछले कई सालों से देखा जा रहा है कि बजट में जो प्रस्तुत होता है . बजट तो बना दिया 3 लाख 67 हजार करोड़ रुपये का, परन्तु खर्चा हुआ मुश्किल से 2 लाख करोड़ रुपये का, बाकी का रुपया लैप्स हुआ जा रहा है या विभाग खर्च नहीं कर पा रहा है या बहानेबाजी हो रही है. यह एक्चुअल बजट नहीं है, यह प्रोजेक्टेड रिपोर्ट ही है. मैं तो यही कहूंगा.

सभापति महोदय, बजट में बातें बहुत बड़ी बड़ी की गई हैं, परन्तु जमीन पर देखें तो कुछ भी नहीं है. बजट में बताया गया है कि हम स्कूल बना रहे हैं, कॉलेज बना रहे हैं. हम दुग्ध उत्पादकों को लाभ दे रहे हैं.  हम गौशालाएं बना रहे हैं, हम लाड़ली बहना को लाभ दे रहे हैं, परन्तु देखेंगे तो कुछ नहीं है. पुराना का पुराना उठाकर रख दिया गया है.

सभापति महोदय, आप देखें स्कूलों में तो प्रभारी प्राचार्य हैं. आज वर्तमान में जितने स्कूल देखेंगे तो 80 परसेंट स्कूलों में प्रभारी प्राचार्य स्कूल चला रहे हैं. कॉलेजों को देखेंगे तो प्रभारी प्राचार्य चला रहे हैं. प्रोफेसर है ही नहीं. अस्पतालों में देखेंगे तो डॉक्टर नहीं हैं. यह व्यवस्था बननी चाहिए और व्यवस्था के लिए बजट बनाया जाता है, बजट में प्रावधान तो कर दिये जाते हैं परन्तु इसका क्रियान्वयन नहीं होता है, इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए और उसका काम करना चाहिए. इन्होंने कृषि का बजट बनाया है. हम देखें कि जो इनका घोषणा पत्र था, संकल्प पत्र था, उसमें कहा था कि किसानों का 2700 रुपये क्विंटल गेहूं खरीदेंगे, परन्तु आज तक कोई घोषणा नहीं की और न ही कोई खरीदा जा रहा है. उसके साथ ही लाड़ली बहना को 3000 रुपये देने की बात कही थी परन्तु उनको भी 1250 रुपये पर अटका कर रखा है, उनको भी नहीं दिया जा रहा है.

सभापति महोदय, प्रदेश में मूंग खरीदी की बात की थी. पिछले साल 15 क्विंटल 90 किलो प्रति एकड़ पर मूंग खरीदा गया था, परन्तु आज 3 क्विंटल प्रति एकड़ खरीदा जा रहा है. किसान कहां जाएगा, किसान के लिए बजट बनाया है तो कहां गया यह बजट? किसानों को क्यों लाभ नहीं मिल रहा है, किसानों को क्यों फायदा नहीं पहुंच रहा है. हम देखें हमारी व्यवस्थाएं की कि सिंचाई विभाग का, कृषि विभाग का बजट बना दिया, परन्तु नहरों की सफाई तक नहीं हो रही है. बड़े बड़े डेम स्वीकृत होकर पड़े हैं, परन्तु डेमों को बनाया नहीं जा रहा है. मेरे यहां हरदा विधान सभा में हरदा गंजाल मोरन डेम बहुत बड़ा डेम है. 3500 करोड़ रुपयों का स्वीकृत है. परन्तु यहां पर अधिकारियों की लापरवाही के कारण, पर्यावरण की एनओसी के कारण वह 3 साल से अटका पड़ा है. टेण्डर हो गया है. ठेकेदार पड़ा है, सब सामान लेकर सब चीजें पड़ी हैं लेकिन अभी तक वह बन नहीं पा रहा है. जबकि उसी तरह का केन बेतवा डेम है, उसको उसी आधार पर प्राथमिकता की परमिशन मिल गई है कि प्राथमिक काम कर सकते हैं. परन्तु हरदा में यहां प्राथमिक काम करने के लिए भी उसको परमिशन नहीं दी जा रही है. यह बजट और यह काम दोनों होना चाहिए तो ही अच्छी बात है, नहीं तो काम का कोई मतलब नहीं निकलता. बजट बनाने का कोई मतलब नहीं निकलता.

सभापति महोदय, मेरा निवेदन आपके माध्यम से सरकार से है कि नहरें जितनी भी खुदी हुई है. नहरों की लाइनिंग हुई है, वह सब खत्म हो गई हैं, उनकी गाद निकाली नहीं जा रही है, जिससे किसानों को पानी कम मिलता है क्योंकि कृषि प्रधान प्रदेश है और यहां 70-80 परसेंट किसान हैं और उस पर 10-15 परसेंट लोग डिपेंड हैं. 80 परसेंट लोग उसी पर आधारित हैं, उनके लिए जो काम होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है और बजट में उस चीज का उल्लेख नहीं किया गया है. इसके साथ ही मैं बताना चाहता हूं कि जैसे उन्होंने उल्लेख किया है कि दूध उत्पादक लोगों को 150 करोड़ रुपये का बजट दिया है. आप बताइए कि 150 करोड़ रुपये में दूध उत्पादकों का क्या होगा? आपने कहीं किसी विभाग को तो 50000 करोड़ रुपयों का बजट दे दिया है और दूध उत्पादक जो किसान से जुड़ा हुआ मामला है, उसको 150 करोड़ रुपया दे दिया.

सभापति महोदय, एक प्लांट लगाने जाएंगे तो 150 करोड़ रुपये में बनेगा तो 150 करोड़ रुपये का बजट रखना, यह किस आधार पर रखा है, यही समझ में नहीं आता. गौ शालाओं के ऊपर कहना चाहता हूं कि आप गाय की बात करते हैं, धर्म की बात करते हैं परन्तु गौ शालाओं के लिए आपने सिर्फ 250 करोड़ रुपया बजट रखा है. 250 करोड़ रुपयों में गौशाला का क्या होगा? जो गौ शालाएं बनी हुई हैं उन्हीं की आप व्यवस्था नहीं करवा पा रहे हैं. हर गांव में, हर जिले में गौ शालाएं बनी हुई हैं, परन्तु गौशालों की व्यवस्था नहीं की जा रही है, इस कारण से गाय रोड पर हैं और रोज एक्सीडेंट हो रहे हैं, रोज एक्सीडेंट से गाय मारी जा रही हैं. हम देख रहे हैं कि रोज ट्रकों में गाय पकड़ा रही हैं और कटने के लिए जा रही हैं, उसको रोका नहीं जा रहा है. आप गौशाला का बजट तो ठीक से रखते, जिससे यह काम रुक सके और हमारी इच्छाशक्ति रोकने की होना चाहिए तो वह नहीं किया जा रहा है. इसके साथ ही बच्‍चों को ई-स्‍कूटी देने की पिछले साल योजना थी, इस बार उसका उल्‍लेख नहीं किया गया है. 217 आंगनवाड़ियों का उल्‍लेख किया गया कि 217 आंगनवाड़ियां बनाई जाएगीं. 217 आंगनवाड़ी एक जिले में या एक विधानसभा में 250-300, 400-400 आंगनवाड़ियां हैं तो 217 आंगनवाड़ियां पूरे मध्‍यप्रदेश में बनेंगी, तो क्‍या होगा. जबकि बच्‍चा पैदा होता है उसके बाद उसकी आंगनवाड़ी से ही शुरूआत करने की योजना सरकार की है. इसके बाद भी वहां व्‍यवस्‍था नहीं दी जा रही है और बात की जाती है कि सामाजिक सहयोग से या आपसी सहयोग से उसको चलाइए तो यह क्‍यों ? सरकार का इतना बड़ा बजट बनता है तो बजट में इस चीज को क्‍यों नहीं लिया जाता. वहां सहयोग से चलाने की बात क्‍यों की जाती है तो इसमें भी बजट बढ़ना चाहिए. इसमें काम होना चाहिए. इसमें जरूर सरकार को फायदा मिलेगा क्‍योंकि वे बच्‍चे अच्‍छी जगह से पढ़कर निकलेंगे, अच्‍छे संस्‍कार लेकर निकलेंगे, तो निश्‍चित ही मध्‍यप्रदेश का भी भविष्‍य सुधरेगा और देश का भविष्‍य भी सुधरेगा, इसलिए आंगनवाड़ियों पर विशेष ध्‍यान देना चाहिए.

          सभापति महोदय, इसके साथ ही मैं बताना चाहता हॅूं कि हमारे क्षेत्र में एक बतायजंजाल मोरन डेम है. इसी तरह से और भी योजनाएं रूकी पड़ी हैं. मोहाल एक माइनर है उस माइनर से कम से कम हमारे किसानों की 1 हजार हेक्‍टेयर में सिंचाई हो सकती है. 4 साल से अधिकारियों की लापरवाही के कारण नहीं हुआ. उसका पैसा सेंग्‍शन हो चुका है, सब चीजें हैं पर 4 साल से उसको बनने नहीं दिया जा रहा है और नहीं बनने से किसानों का कम से कम 100 करोड़ रूपए साल का नुकसान हो रहा है. 4 साल से 400 करोड़ रूपए का नुकसान हो गया और अभी यह बरसात आ गई. गर्मी में भी खुदने नहीं दिया फिर यह बरसात आ गई. भूमि अधिग्रहण का छोटा सा काम है और अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं. भूमि अधिग्रहण के कारण वह नहर नहीं खुद पा रही है.

          सभापति महोदय, इसी तरह से हमारे हरदा में लॉ कॉलेज 3-4 साल से पड़ा है. लॉ कॉलेज की जमीन अधिग्रहण नहीं कर पा रहे हैं इसलिए लॉ कॉलेज नहीं खुल पा रहा है. इसी तरह मॉडल कॉलेज आया था, तो मॉडल कॉलेज की जमीन अधिग्रहण करने में लेट कर दिया. 10 एकड़ जमीन चाहिए थी, लेकिन जिला प्रशासन ने 6 एकड़ जमीन दी और उसका 17 करोड़ रूपए जो रूसा से आया था, वह वापस चला गया. फिर वापस अभी स्‍टेट गवर्नमेंट ने 8 करोड़ रूपए दिया. उससे बिल्‍डिंग बन रही है तो इस तरह का लॉस होता है. इसके लिए अधिकारी जवाबदार रहे, तो उनके ऊपर कार्यवाही होना चाहिए. आपके माध्‍यम से सरकार से मेरी यह मांग है.

          सभापति महोदय, इसी तरह से हमारे बहुत सारे रोड पडे़ हैं. एक हंडिया-गांगला रोड है जो वर्ष 2007 का सेंग्‍शन है लेकिन आज तक कम्‍प्‍लीट नहीं हुआ. एक हंडिया से गुल्‍लास रोड है यह भी वर्ष 2007 से सेंग्‍शन है यह भी आज तक कम्‍प्‍लीट नहीं हुआ. यह अधिकारियों, ठेकेदारों की लापरवाही की वजह से है.

          श्री आशीष गोविंद शर्मा -- दोगने जी, इस बजट में आपको 3 सड़कें मिलीं हैं. पीडब्‍ल्‍यूडी मिनिस्‍टर को धन्‍यवाद तो दे दीजिए.

          डॉ.रामकिशोर दोगने -- 3 सड़कें मिलीं हैं उसमें आप बजट देखेंगे, कितने का है. एक तरफ तो कह रहे हैं कोई जिले वाले बोल रहे हैं 1600 का मिला है. सकलेचा जी बोल रहे हैं हमारे यहां 1600 का बजट मिला है और मुझे यदि 15 करोड़ का बजट दे दिया, तो कहां से धन्‍यवाद की बात आ गई. इसके साथ ही हमारे यहां हंडिया बेराज है. हंडिया बेराज में हमारे खातेगांव को भी फायदा मिल रहा है और हरदा को भी फायदा मिल रहा है पर आज तक उसका प्‍लांट डिक्‍लेयर नहीं हुआ है जनता को बताया नहीं गया है कि कौन-कौन डूब क्षेत्र में आएंगे. किसकी जमीन जाएगी, किसका क्‍या नुकसान होगा और उसकी भरपाई कैसे होगी. यह आज तक बताया नहीं जा रहा है. बार-बार पूछने के बाद भी नहीं बताया जा रहा है तो यह सब चीजें सरकार को सामने रखकर किसानों को या आम आदमी को, जिसको लाभ और नुकसान होता है उसके सामने रखकर हम करेंगे, तो निश्‍चित ही उसका फायदा मिलेगा और उनको विश्‍वास में लेकर काम करना चाहिए, नहीं तो फिर बाद में जैसे आंदोलन होते हैं, इस तरह के आंदोलन होंगे, उससे प्रोजेक्‍ट रूकेगा और नुकसान सरकार का होगा.

          सभापति महोदय, इसी तरह से हमारे यहां बहुत से आदिवासी क्षेत्र हैं. मगरधा में एक आदिवासी छात्रावास की आवश्‍यकता है. वहां छात्रावास होना चाहिए और वहां कॉलेज की आवश्‍यकता है. लड़कियां 27 किलोमीटर दूर जाकर पढ़ती है तो वहां कॉलेज होना चाहिए. इसी तरह हमारे यहां मोरगढ़ी भी आदिवासी क्षेत्र है. वहां भी कॉलेज नहीं है, वहां भी कॉलेज होना चाहिए. हंडिया में भी कॉलेज नहीं है वहां भी कॉलेज होना चाहिए. हरदा में कृषि महाविद्यालय के लिए तात्‍कालीन मुख्‍यमंत्री और कृषि मंत्री ने डिक्‍लेयर कर चुके हैं उसके बाद भी आज तक नहीं बना, तो वहां कृषि महाविद्यालय बनना चाहिए. फोरलेन पर 27 किलोमीटर के ऊपर हमारे यहां टोल टैक्‍स वसूला जा रहा है तो 27 किलोमीटर पर टोल वसूली नहीं होना चाहिए, क्‍योंकि टोल का नियम है कि 60 किलोमीटर कम से कम टोल बने, उसके बाद वसूली हो, तो वसूली नहीं हो रही है. हंडिया को पर्यटन स्‍थल डिक्‍लेयर किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री सड़कें दो-दो साल से पड़ी हैं उसको बनाना चाहिए. इस तरह का हमारा निवेदन है.

          सभापति महोदय, हमारे यहां जितने भी हाई स्‍कूल हैं. उन हाईस्‍कूलों को प्रमोट करके हायर सेकेण्‍डरी में करना चाहिए. जिससे बच्‍चों को शिक्षा मिल सके. सरकार और शासन को शिक्षा के ऊपर ध्‍यान देना चाहिए तो ज्‍यादा अच्‍छा होगा. हरदा विकासखण्‍ड में शासकीय हाईस्‍कूल मांगरूल, बैड़ी, रेलवां, रिजगांव, अबगांवखुर्द, खामापड़वा, ऊड़ा, रन्‍हाईकलां, शासकीय नगरपालिका हाईस्‍कूल, हरदा, नकवाड़ा, गहाल, झाड़पा, रैसलपुर, नीमगांव, पलासनेर, बिछौला, करनपुरा है. ऐसे ही खिरकिया विकासखंड में शासकीय हाईस्‍कूल छिपाबड़, पोखरनी (उबारी), जिन्‍वानीया, खमलाय, पहटकलां, कुड़ावा, पहनपाट और जटपुरामाल है. शिक्षा अच्‍छी होगी तो निश्‍चित ही विकास होगा और शिक्षा रूपी चाबी हर ताले में लगती है. इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्‍यादा काम करने की आवश्‍यकता है चाहे वह प्रदेश सरकार हो या देश की सरकार हो. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

            श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच)सभापति महोदय, माननीय वित्तमंत्री जी ने सीमित संसाधनों में बजट बढ़ाकर सर्वहारा वर्ग के कल्याण करने के लिये जो काम किया है, वह स्वागत योग्य है. मैं निश्चित ही स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में बताना चाहता हूं कि पहले कोई भी व्यक्ति जब नीमच एवं मंदसौर जिले में बीमार हो जाता था. तो उनको अहमदाबाद, मंदसौर, इंदौर लेकर के जाना पड़ता था. कई लोगों ने मेरे प्रश्न के उत्तर में भी आया था कि हजारों लोगों ने एक साल में दम तोड़ा था. उन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर तथा उसके उन्नयन हेतु जो काम किया है. उसमें लगभग 46 हजार से अधिक नवीन पदों का सृजन किया गया है. साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिये हमारी सरकार ने चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत काम किया है. मध्यप्रदेश में 2003 में 5 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय थे उनको बढ़ाकर 14 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित किये हैं मैं इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. वर्ष 2024-25 में हमारे यहां पर 3 चिकित्सा महाविद्यालय प्रारंभ हो रहे हैं. मैं इसके लिये आपको धन्यवाद दूंगा कि आपने नीमच-मंदसौर का चिकित्सा महाविद्यालय बनकर तैयार हो गया है. हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी ने निर्णय लिया था कि नीमच के चिकित्सा महाविद्यालय का नाम स्वर्गीय वीरेन्द्र कुमार सखलेचा जी के नाम से रखा गया है. इसके लिये धन्यवाद देता हूं. मंदसौर के महाविद्यालय का नाम स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा जी के नाम से रखा गया है. यह दोनों ही महाविद्यालय इस वर्ष में प्रारंभ हो रहे हैं. वहां पर डॉक्टर्स शिक्षा प्राप्त करेंगे. दीनदयाल जी कहते थे कि अंतिम पंक्ति में बैठे हुए व्यक्ति की चिकित्सा सुविधा के लिये वह काम करेंगे. आज हम देख रहे हैं कि निश्चित ही आगामी दो वर्षों में 8 और शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संचालित करने का जो निर्णय प्रतीक्षा में है उनको भी आने वाले समय में निश्चित ही प्रारंभ होंगे. हम देख रहे हैं कि आयुष्मान कार्ड के माध्यम से जो गरीब अपना इलाज करवाने के लिये अपने जेवर तथा जमीन गिरवी रखता था. आज आयुष्मान कार्ड के माध्यम से 5 लाख रूपये तक का इलाज मुफ्त में करवा पा रहा है. जो हमारे लिये दुआ देने वाला काम है. यह 1 करोड़ 8 लाख परिवारों में से 4 करोड़ 1 लाख लोगों ने आयुष्मान कार्ड का बनवाकर उसका लाभ भी अधिकांश लोगों ने लिया है. इस योजना में कुल 1 हजार 381 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. जो पूर्व की तुलना में 45 प्रतिशत अधिक है. निशुल्क जांच सुविधाएं भी नीमच तथा अन्य सारे जिलों में की जा रही है.

4.49 बजे {सभापति महोदया(श्रीमती अर्चना चिटनीस) पीठासीन हुईं}

इसके लिये सभापति महोदया धन्यवाद देता हूं. गरीब व्यक्ति जब पहले जांच कराने के लिये जाता था तो उसको बहुत पैसा लग जाता था. आज जिला चिकित्सालय में ही लगभग 132 प्रकार की जांचें निशुल्क हो रही हैं इसके लिये मान्यवर वित्तमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि नीमच में ट्रामा सेन्टर खुमान सिंह शिवाजी के नाम से स्थापित किया है. वहां पर बच्चों के लिये आयुष्मान वार्ड की स्थापना की और भी अनेक उपलब्धियां मध्यप्रदेश की धरती पर दी हैं. पीएमश्री एयर एम्बूलेंस यदि कोई बीमार हो जाता है तो उस एयर एम्बलेंस के माध्यम से चिकित्सा सुविधा की दृष्टि से ले जाने में उनका बड़ा योगदान रहा है. 800 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का संचालन मध्यप्रदेश की धरती पर हो रहा है. वर्ष 2023-24 में बजट के अनुसार 34 प्रतिशत अधिक की वृद्धि हुई है. मैं इसके लिये भी सरकार को बहुत धन्यवाद देता हूं. इस बजट के माध्यम से शरीर में जैसे धमनियों में नसें दौड़ती हैं उसमें रक्त दौड़ता है. उसी प्रकार से मध्यप्रदेश में सड़कों का जाल फैला है उसके फैलने की वजह से आज विकास लगातार नजर आ रहा है. वर्ष 2023-24 में 6 हजार 446 किलोमीटर की सड़क निर्माण तथा उन्नयन हेतु 4 हजार 408 किलोमीटर सड़क नवीनीकरण का जो लक्ष्य लिया है. वह स्वागत योग्य है. 132 पुलों का निर्माण का लक्ष्य रखा था. जब हम देखते थे जब कोई व्यक्ति जाता था जब पानी ऊपर आ जाता था तो लोग इधर से उधर नहीं जा सकते थे. आज 132 पुलों का निर्माण पूर्ण किया गया है. 116 रेलवे ओवर ब्रिज, जो किसान अपनी खेती करने जाता था वह जा नहीं पाता था, रेलवे की फाटकें बनाने का काम किया है. अटल प्रगति पथ हम देख रहे हैं कि लगभग 900 किलोमीटर बना है, वह अदभुत है. नर्मदा प्रगति पथ जो 64 किलोमीटर का बना है, विन्‍ध्‍य एक्‍सप्रेस 450 किलोमीटर और मालवा निमाड़ विकास हेतु 330 किलोमीटर का बुलंदशहर और मध्‍य भारत विकास पथ बनाया गया है. हम सब जानते हैं, हर 12 साल में सिंहस्‍थ आता है और उस सिंहस्‍थ में उज्‍जैन नगरी का विकास होता है, जहां बाबा महाकाल विराजमान हैं और आने वाले वर्ष 2028 में भी सिंहस्‍थ आने वाला है, उसकी तैयारी को लेकर भी वित्‍त मंत्री जी ने बजट में प्रावधान किया है, उज्‍जैन शहर को बायपास दिया है, इसलिए भी धन्‍यवाद देता हूं साथ ही फोर लेन और 8 लेन बनाने का निर्णय लिया है. नीमच मल्‍हानगढ़ से जो जीरन सड़क आती थी उसको पहले बनाया था, अभी नीचम से चीताखेड़ा, चीताखेड़ा से जीरन, जीरन से मल्‍हानगढ़ एक फोर लेन सड़क दी है, पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री, वित्‍त मंत्री और मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद दूंगा, क्‍योंकि ये सड़क बहुत ही महत्‍वपूर्ण सड़क थी यह सड़क 8500 लाख की है. चीताखेड़ा से रमावली सड़क ऐसी अनेक सड़कें आपने देने का काम किया है. हम सभी गौमाता को अपनी मां मानते हैं. गौमाता के संरक्षण के लिए भी जो गौमाता हिन्‍दु, मुस्लिम, बच्‍चे, बुजुर्ग, को दूध पिलाती है ऐसी गौमाता के संरक्षण के लिए भी इस बजट में प्रावधान किया गया है. पूर्व के नेताओं ने चारागाह की भूमि के पट्टे बांटकर आपस में लड़ाने का काम किया. बजट के माध्‍यम से हम गौमाता की सेवा कर रहे हैं, हम यह चाहते हैं कि उनके स्‍वास्‍थ्‍य की चिन्‍ता हो, क्‍योंकि वह बिना बोलने वाला जानवर है, जो गाय भैंस पालने वाले हैं, उनको भी कहीं न कहीं दूध के उत्‍पादन में प्रोत्‍साहन राशि देने का कार्य किया है इसके लिए धन्‍यवाद देता हूं. आपने मुझे बोलने का मौका दिया इस‍के लिए पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री, वित्‍त मंत्री, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री और मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह(केवलारी) - धन्‍यवाद सभापति महोदया, बहुत दिनों बाद आप आसंदी पर विराजित हैं, मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे पूरा समय मिले. जिससे मैं अपने क्षेत्र और प्रदेश की बात रख सकूं.

          सभापति महोदया - अध्‍यक्ष जी ने सभी के लिए 5 मिनट निर्धारित किया है मैं भी और आप भी उससे बंधे हुए हैं.

श्री रजनीश हरवंश सिंह - बहुत गंभीर विषय पर अपनी बात रखूंगा. मुझे बहुत अच्‍छा लगा प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी और वित्‍त मंत्री जी ने प्रदेश के लिए 3 लाख 65 हजार करोड़ रुपए का बजट पेश किया. निश्चित रूप से प्रदेश के विकास के लिए ये एक मील का पत्‍थर साबित होगा, पर जब मैं अमरवाड़ा विधान सभा क्षेत्र के चुनाव से आज सदन आने के लिए सुबह सुबह भोपाल पहुंच ही रहा था, तो मैंने लोकतंत्र के चौथे मजबूत खंभे के एक अखबार में मैंने पढ़ा, उस अखबार की हैडलाइन थी 'कर्ज के पहाढ़ पर, विकास और रोजगार' अगर हमारे प्रदेश के ऊपर कर्ज रहेगा तो हम प्रदेश का कैसे विकास करेंगे, इसकी हमको भी चिन्‍ता है कि हम किस ढंग से इस कर्ज के भार से अपने प्रदेश को मुक्‍त कराएं. आज सरकार पर इतना कर्जा है कि प्रत्‍येक व्‍यक्ति जो मध्‍यप्रदेश का रहवासी है लगभग 55 हजार रुपया प्रतिमाह उसके ऊपर कर्ज से लदा हआ है और ये कर्ज यहीं रुका नहीं है, थमा नहीं है, इसी जुलाई में लगभग पौने चार लाख करोड़ रुपया हो जाएगा, ये चिन्‍ता का विषय है, निश्चित रूप से हमको इस कर्ज से मुक्ति पाना है. आज जरुरत है कि हमारे नीचे जो प्रशासनिक अमला है  हम उस पर कसावट लाए, जो सरकार की योजनाएं हैं, उन पर हम ध्‍यान दें, जो सरकार के आय के स्‍त्रोत हैं, हम निश्चित रूप से उन पर अंकुश लगाने का काम करें, तब जाकर रेवेन्‍यू वसूल होगा, तब जाकर सरकार की आय बढ़ेगी और तब जाकर इस प्रदेश का विकास होगा. मेरे जिले में मेरी विधानसभा क्षेत्र में बहुत सारी संभावनाएं हैं. मेरे यहां पर हिररी  नदी में, धनी नदी में रेत होती है और वर्ष 2018 तक उनकी नीलामी नहीं हुई. मैं उस समय भी आपके साथ में वर्ष 2013 में विधानसभा में आपके साथ सदस्‍य के रूप में था. माननीय सभापति महोदया, आज यह हो रहा है कि एक ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिये आज प्रशासन सहयोग कर रहा है, संविधान की धज्जियां उड़ रहीं हैं, अवैध तरीके से नदी का दोहन हो रहा है और यह भी ध्‍यान नहीं रखा जा रहा है कि मध्‍यप्रदेश की सरकार की और देश की सरकार की मंशा क्‍या है? माननीय सभापति महोदया, हम आभारी है भारत सरकार के, आदरणीय माननीय मंत्री महोदय उस समय केंद्र में मंत्री हुआ करते थे, उस समय पर हमारे जिले में एक सौगात मिली भारत सरकार की 9 सौ करोड़ रूपये की योजना और वह ऐसी योजना जिसका कि कोई तोड़ नहीं पूरे हिंदुस्‍तान में, भारत में, सबसे पहली योजना हमारे यहां पर लागू हुई और वह हुई देश का पहला एलीवेटेड ब्रिज, किसलिये बना वन और पर्यावरण को बचाने के लिये, लेकिन उसके साथ वन्‍य प्राणियों को बचाने के लिये भारत सरकार ने करोड़ों रूपये की राशि स्‍वीकृत की और आज रेत का उत्‍खनन होने से वह वन्‍य प्राणी.

श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन -- रजनीश जी मोदी का धन्‍यवाद भी कर दीजिये.

श्री रजनीश हरवंश सिंह -- भारत सरकार में मोदी जी ही तो हैं. 9 सौ करोड़ रूपये की महती योजना न केवल कागजों में बल्कि सड़क पर है, कोरीडोर बनकर तैयार है और अवैध उत्‍खनन होने से, उस खदान को सरकार को देने से जहां हिररी नदी और जहां धनी नदी जो फारेस्‍ट के बीचों बीच से निकली है और यह कोरीडोर सामान्‍य कोरीडोर नहीं है, यह सिवनी जिले से लाल बर्ररा, बालाघाट, नैनपुर, मण्‍डला, कान्‍हा, जो प्रदेश के हमारे दोनों बड़े रिजर्व टाईगर जोन हैं, जहां पर की पैंच में जो हमारे जिले में आता है 80 से 90 शेर हैं, चीता 50 से 60 हैं, मृग हिरणों को आप गिन नहीं सकते हो, भालूओं को आप गिन नहीं सकते हो, इतना अच्‍छा पैंच नेश्‍नल पार्क बना हुआ है, जहां न केवल प्रदेश और देश बल्कि पूरे विश्‍व, देश और दुनिया से लोग पर्यटक वहां पर आते हैं, इससे सरकार की और वन विभाग की रिेवेन्‍यू वहां पर बढ़ती है और इसी तरह से कान्‍हा जहां 150 से अधिक शेर हैं, इससे भी अधिक चीता हैं, मेरी चिंता इस बात की है कि यहां पहले से रेत की खदानें नहीं थीं, यह आनन फानन में वर्ष 2017 और 2018 में यह नयी खदानें बनी हुई हैं और इनसे जहां एक तरफ अपनी जीविका के लिये मनुष्‍य पलायन करता है, आज वन्‍य प्राणीय जंगल से पलायन करके गांव की ओर कस्‍बों की ओर आ रहे हैं और आये दिन घटनायें दुर्घनाएं घटित हो रही हैं, जिनकी रिपोर्ट थाने में वन विभाग में बहुंसख्‍यक मात्रा में है. मेरा ध्‍यानाकर्षित करने का मतलब इस बात का है कि इन रेत खदानों को रद्द करना चाहिए और वन्‍य प्राणियों को सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए उनके जीवन की सुरक्षा हो सके.

सभापति महोदया -- आप छ: मिनट से अधिक अपनी बात कर चुके हैं, अब समाप्‍त करें.

श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय सभापति महोदया, मैं थोड़ा सा समय लूंगा और मेरी बड़ी विनम्र प्रार्थना और पीड़ा इस बात की है कि जहां वन्‍य प्राणियों के लिये भारत की सरकार चिंतित है, तो हम तो मध्‍यप्रदेश के हैं, हमारा तो यह जिला अंग है, हमें तो भारत सरकार से ज्‍यादा हमारी प्रदेश की सरकार को इसमें चिंतित होना चाहिए, क्‍योंकि यह कोरीडोर 10, 50, 100 किलोमीटर का नहीं है, यह पैंच से लेकर घनघोर जंगल से होता हुआ कान्‍हा तक का गया है. मेरी दूसरी चिंता माननीय सभापति महोदया, यह है कि तीन तारीख को माननीय मुख्‍यमंत्री जी जबलपुर की समीक्षा बैठक में आये

. उन्‍होंने अच्‍छा निर्णय लिया कि हर विधायक को अपनी बात कहने का जनप्रतिनिधि को मौका मिलेगा. उन्‍होंने संभागवार बैठक आहूत कराने का निर्णय लिया. 3 तारीख को जब पहली बैठक में एसीएस आये, उनके साथ पूरे संभाग के कलेक्‍टर्स थे, पूरे संभाग के विधायक और माननीय मंत्रीगण थे सभी की मौजूदगी में मैंने ज्ञापन दिया और अपनी बात को भी रखा. एसीएस महोदय श्री विनोद कुमार जी के समक्ष भी मैंने सारे साक्ष्‍य दिये, मैंने पेनड्राइव दिया. मैंने 28 तारीख को चिट्ठी लिखी, 23 तारीख को चिटठी लिखी, 4 तारीख को चिट्ठी लिखी, यह सातवां महीना चल रहा है, छठवें म‍हीने तक मैंने यह सब चिट्ठियां लिखीं. माननीय सभापति महोदया, मैं एक विनम्र प्रार्थना यह भी करना चाहता हूं सबकी प्रतिलिपि है मेरे पास, मैं इनको पटल पर भी रखना चाहता हूं कि हर महीने प्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री को, एसीएस साहब को, कमिशनर साहब को, जिले के कलेक्‍टर को, जिले के माइनिंग अधिकारी को और कहां जाउं माननीय सभापति महोदया, किसके दरवाजे खटखटाऊं. मैंने सारी चिट्ठियां लिखीं, जो वंच है मैं वह आपके पटल पर रखता हूं. तीसरा रेत के उत्‍खनन करने से न केवल वन्‍यप्राणी जो नदी के दोनों किनारों में जो कृषक हैं छोटे-छोटे 2-2, 4-4, 5-5 एकड़ के रकवे के अरंडिया, खुर्शीपार, सकरी, हिर्री नदी के दोनों तरफ के पाट जहां के लगभग माननीय सभापति महोदया 12 कृषकों की भूमि, लगभग 5 हेक्‍टेयर भूमि उनकी दोनों तरफ की लापता हो गई है, उसका पता नहीं है, कटाव होकर वह बह चुकी है. जो ठेकेदार है राजेश पाठक वह खनन कर रहा है और वह पूरी की पूरी जमीन निगल गया. पर्यावरण का कोई भी एक वृक्ष नहीं लगाया. कम से कम 70 विशालकाय वृक्ष जल समेत उखड़कर चले गये. पर्यावरण की टीम आई पंच रहे, सरपंच रहे, जनपद के सदस्‍य रहे, जिला पंचायत के सदस्‍य रहे, मैं खुद उस क्षेत्र का विधायक हूं, मैं रहा, वीडियोग्राफी हुई. मेरा माननीय मंत्रीगणों से निवेदन है कि मेरी बात को गंभीरता से सुने क्‍योंकि माननीय प्रहलाद पटेल जी हमारे सिवनी के भी पूर्व में सांसद रहे हैं और बालाघाट के भी रहे हैं. मैं जितनी बात कह रहा हूं वह आपके भी संज्ञान में है. सभापति महोदया, पर्यावरण की टीम आई उन्‍होंने केमरे में हम लोगों को कैद किया उसके बाद भी पर्यावरण ने इसमें कोई कार्यवाही नहीं की और यहां के खनिज कार्पोरेशन से इन खदानों की आनन-फानन में न पर्यावरण का ध्‍यान दिया गया और उसके पूर्व मैंने मुख्‍यमंत्री जी और कमिशनर साहब से गुहार लगाई. कमिशनर साहब ने इसमें समिति बनाई उस समिति में 7 लोगों को रखा. 7 लोग कोई छोटे-मोटे नहीं थे बड़े-बड़े अधिकारी थे.

          सभापति महोदया-- अब आप अपनी बात समाप्‍त करें.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह--  माननीय सभापति महोदया, मुझे मात्र 2 मिनट चाहिये, इसके बाद मेरा विषय पूरा हो जायेगा. क्षेत्रीय संभाग कमिशनर ने कमेटी बनाई, 7 लोग रहे, कमिशनर साहब निकले मुझे फोन किया कि हम निरीक्षण करने आ रहे हैं. चिलचिलाती धूप में 49 डिग्री की गर्मी में कमिशनर साहब बुलेट में मेरे साथ बैठकर एक-एक मुआयना किया, क्‍या हुआ माननीय सभापति महोदया. न ठेकेदार पर पेनाल्‍टी लगी, न उस पर जुर्माना लगा और उसको ईसी जारी हो जाती है. उसको खनन करने की परमीशन दी जाती है और जब मैंने उसमें तहकीकात किया तो यह कागज मुझे मिलता है और उसमें लिखा रहता है In the proposed area the mining activity will be carried out of semi mechanized and manual method for mining operation.  माननीय सभापति महोदया, नदी लंबी और गहरी और वन के बीच में है, आसपास गांव हैं क्‍या टू हंडरेट पोकलेन वहां चला सकते हैं, क्‍या वहां पर भारी भरकम डम्‍पर जा सकते हैं, क्‍या वहां पर ट्रेक्‍टर जा सकता है, एक भी मजदूर से वहां पर रेत का भराव नहीं हो रहा है. मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि तत्‍काल  प्रभाव से इन खदानों को बंद करना चाहिये. नसीपुर खदान जिसके गांव के सारे लोगों ने विरोध किया उसके बाद भी उसकी ईसी जारी हो जाती है यह क्‍या है, कौन से कानून की व्‍यवस्‍था है. सभापति महोदया मेरा आपके माध्‍यम से यह प्रार्थना है कि इन दोनों खदानों को बंद होना चाहिये. यह वही ठेकेदार है जिसको बालाघाट जिले में शराब का ठेका मिला और शराब के ठेके में इसका ट्रेडर्स जिसका यह प्रोप्राईटर है ब्लेक लिस्टेड हुआ उसके बाद सिवनी जिले की मेरी केवरारी विधान सभा क्षेत्र की इन 5-6 खदानों को इसको फिर से आवंटित कर दिया. एक तरफ यह सरकार का पैसा नहीं चुका रहा है और दूसरी तरफ सरकार उसको फिर से लीज दे रही है और फिर से उसको खनन करने का काम दे रही है. हम कैसे सरकार की आय बढ़ाएंगे. हम कैसे अपने कर्जे के बोझ को कम करूंगा. मुझे यह परमीशन दी जाए कि मैं इन दस्तावेजों को पटल पर रखूं और इनकी सूक्ष्मता से जांच होनी चाहिये. इसमें विधान सभा की एक उच्च अधिकारियों की कमेटी बननी चाहिये और उस कमेटी में क्षेत्रीय विधायक होने के नाते मुझे भी शामिल करना चाहिये. यह मेरी आपसे प्रार्थना है. एक अंतिम बात और रह गई है माननीय सभापति महोदया, माननीय  जल संसाधन मंत्री सिलावट जी ने मुझे याद दिलाया है मैं उनको धन्यवाद देता हूं. मेरे यहां पर माइक्रो इरीगेशन स्कीम चालू है. 6 महिने के अंदर उसका काम पूरा हो जायेगा. हमारे 2 गांव आदिवासी गांव है जो फ्लोराईड युक्त हैं. जहां कुंए में भी पीने का पानी नहीं होता. इन दोनों गांवों को माईक्रो इरीगेशन स्कीम में जोड़ने का मेरा विनम्र अनुरोध है.

          जल संसाधन मंत्री( श्री तुलसीराम सिलावट) - यह किसानों की सरकार है आप निश्चिंत रहें.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह - मेरा आपसे अनुरोध है कि यह दोनों आदिवासी गांव हैं यहां पीने के पानी की दिक्कत है. इनको  इस स्कीम में जोड़ लें.

          डॉ.तेजबहादुर सिंह चौहान(नागदा खाचरोद) - माननीय सभापति महोदय, मैं मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी को और वित्त मंत्री माननीय श्री जगदीश देवड़ा जी को हृदय की गहराईयों से धन्यवाद देता हूं इतने अच्छे बजट के लिये जो विकसित भारत के संकल्प के साथ विकसित मध्यप्रदेश को बनाने वाला है प्रस्तुत हुआ है. यह बजट किसानों के लिए,मजदूर भाईयों के लिये,बहनों के लिये और युवाओं के लिए समर्पित है. इस बजट में जहां व्यापारी भाईयों का ध्यान रखा गया है वहीं लघु उद्योगपतियों और प्रदेश के औद्योगिक विकास के साथ-साथ अधोसंरचना पर भी भारी जोर दिया गया है. बजट में हर योजना,हर क्षेत्र,हर वर्ग और हर विभाग को ध्यान में रखकर सुविधा और विकास को ध्यान में रखा गया है. यह बजट विकास का प्रतीक है. आगामी 5 वर्षों में यह बजट जो वर्तमान में 3 लाख 65 हजार करोड़ रुपये का है यह दुगुना हो जायेगा और वर्तमान में पिछली बार से 16 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बड़े आकार का बजट है. मैं मुख्यमंत्री जी को इस बात के लिये भी बधाई देना चाहता हूं कि जावरा से उज्जैन फोर लेन सड़क की स्वीकृति प्रदान करके उन्होंने जावरा नागदा उज्जैन घट्टिया विधान सभा क्षेत्र को जो एक सौगात दी है. पूरा क्षेत्र उनके लिये धन्यवाद ज्ञापित करता है और माननीय मुख्यमंत्री जी ने उज्जैन और ओंकारेश्वर दोनों ज्योतिर्लिंगों के लिये जो हवाई सेवा प्रारंभ की है यह भी एक महती योजना है. जो भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिये विशेष महत्व रखने वाली है. एयर एंबुलेंस जो प्रारंभ की गई है मध्यप्रदेश शासन द्वारा, उसके लिये भी मध्यप्रदेश की सरकार बधाई की पात्र है. रीवा,जबलपुर,भोपाल,इन्दौर यह सारे क्षेत्र हवाई यात्रा के साथ जुड़ेंगे जहां उद्योगपति,अधिकारियों,राजनेताओं और विभिन्न आवश्यक क्षेत्र के लोगों को जल्दी पहुंचने की आवश्यक्ता महसूस करेंगे, वे इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे. मैं मुख्यमंत्री जी को और सिंचाई मंत्री जी को इस बात के लिये भी बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने कालीसिंध,पार्वती और चंबल लिंक परियोजना को जो 43 हजार करोड़ रुपये के लगभग है और इस योजना में मध्यप्रदेश के जिन 10 जिलों को शामिल किया गया है.उसमें एक उज्‍जैन जिला भी आता है. मैं मान्‍यवर मुख्‍यमंत्री जी और वित्‍त मंत्री जी को बधाई देते हुए कहना चाहता हूँ कि मध्‍यप्रदेश हिन्‍दुस्‍तान के साथ-साथ कृषि आधारित प्रदेश है और इस कृषि आधारित प्रदेश में मध्‍यप्रदेश की सरकार ने विशेष सुविधाओं को देते हुए कृषि उत्‍पादन को बढ़ाने का अभूतपूर्व काम किया है. सिंचाई सुविधा बढ़ने से कृषि उत्‍पादन में वृद्धि हुई है.

          सभापति महोदया, किसान परिवार अपने परिश्रम से देश की जनता को खाद्यान्‍न उपलब्‍ध कराते हैं, पूरे देश में हमारा प्रदेश दलहन उत्‍पादन में प्रथम और खाद्यान्‍न व तिलहन उत्‍पादन में दूसरे स्‍थान पर है. प्रदेश के किसानों के सफल प्रयासों के परिणामस्‍वरूप खरीफ वर्ष 2023 में प्रदेश का कुल उत्‍पादन 300 लाख मीट्रिक टन रहा और रबी वर्ष  2023-24 में कुल उत्‍पादन 393 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है. श्री अन्‍न उत्‍पादन को प्रोत्‍साहित करने के उद्देश्‍य से मध्‍यप्रदेश राज्‍य मिलेट मिशन गठित किया है. राज्‍य सरकार द्वारा श्री अन्‍न के उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि के लिये, फेडरेशन के माध्‍यम से उपार्जित किए जा रहे कोदो-कुटकी पर प्रति किलोग्राम दस रुपये की अतिरिक्‍त राशि भी दी जायेगी. जिला डिण्‍डौरी में श्री अन्‍न अनुसंधान केन्‍द्र की स्‍थापना प्रस्‍तावित की गई है, मिट्टी की गुणवत्‍ता के प‍रीक्षण एवं सुधार मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं का पृथक उत्‍पादन कृषि स्‍नातक उद्यमियों के माध्‍यम से संचालित करने का नवाचार किया जा रहा है. इससे एक ओर जहां कृषि उत्‍पाद में वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर इन प्रयोगशालाओं से कृषि क्षेत्र में शिक्षित युवाओं को स्‍वरोजगार भी उपलब्‍ध होगा. इस योजना में   वर्ष 2024-25 में 50 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है. कृषि क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के क्रम में जिला उज्‍जैन में चना तथा जिला ग्‍वालियर में सरसों अनुसंधान संस्‍थान की स्‍थापना प्रस्‍तावित की गई है. मैं इसके लिए मान्‍यवर मुख्‍यमंत्री जी एवं कृषि मंत्री जी को धन्‍यवाद ज्ञापित करता हूँ.

          सभापति महोदया, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के एक हेक्‍टेयर तक के भूमिधारकों को 5 हॉर्सपावर तक के विद्युत पंप उपयोग पर नि:शुल्‍क विद्युत आपूर्ति तथा अटल कृषि ज्‍योति योजनान्‍तर्गत 10 हॉर्सपावर तक के किसानों को ऊर्जा प्रभार में सबसिडी दी जा रही है, इस हेतु वर्ष 2024-25 में 11,065 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों को केन्‍द्र सरकार द्वारा 6,000 रुपये सहायता राशि उपलब्‍ध कराई जाती है. राज्‍य सरकार भी मुख्‍यमंत्री किसान कल्‍याण योजना के माध्‍यम से 6,000 रुपये की सहायता राशि उपलब्‍ध कराती है, इस प्रकार दोनों योजनाओं से प्रतिवर्ष प्रति किसान 12,000 रुपये की सम्‍मान निधि लगभग 82 लाख किसानों को प्राप्‍त हो रही है, मुख्‍यमंत्री किसान कल्‍याण योजना में 4,900 करोड़ रुपये का प्रावधान मध्‍यप्रदेश सरकार ने किया है, कृषकों को उनकी उपज का बेहतर मूल्‍य प्राप्‍त हो, इसके लिये न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य के लिए अतिरिक्‍त गेहूँ उपार्जन पर रुपये 125 प्रति क्विंटल बोनस दिया जा रहा है, इस योजना में राशि 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

          सभापति महोदया - आप समय-सीमा में बात समाप्‍त करें.

          डॉ. तेज बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदया, प्रधानमंत्री फसल योजनान्‍तर्गत खरीफ सन् 2023 में 97.71 लाख और रबी सन् 2023-24 में 80.96 लाख कृषक बीमित हुए हैं. वर्ष 2024-25 में इस योजना के अंतर्गत 2,000 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है. मैं यह सब कहते हुए कहना चाहूँगा कि 32 लाख से अधिक किसानों को लगभग 600 करोड़ रुपये जीरो प्रतिशत ब्‍याज पर उपलब्‍ध हो सके, इसलिए उपलब्‍ध कराए गए हैं. उज्‍ज्‍वला में जो बहनें छूट गई हैं, उन बहनों के लिए भी वर्ष 2024-25 में 520 करोड़ रुपये रखे गए हैं.

          सभापति महोदया - मेरा आपसे आग्रह है कि सतत वाचन करने की परम्‍परा नहीं है, जल्‍दी समाप्‍त करें.

          डॉ. तेज बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदया, मैं मध्‍यप्रदेश की सरकार को इसलिए भी धन्‍यवाद कहूँगा कि उज्‍जैन संभाग में नीमच, मन्‍दसौर में चिकित्‍सा महाविद्यालय जो प्रारंभ करने का काम इस बार हो रहा है, इसके लिए सरकार धन्‍यवाद की पात्र है एवं मैं आभार ज्ञापित करता हूँ. स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में 21,144 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है तथा 11 नये शासकीय चिकित्‍सालय मध्‍यप्रदेश की सरकार प्रारंभ करने वाली है, इसके लिए भी मध्‍यप्रदेश की सरकार को धन्‍यवाद ज्ञापित करता हूँ. मैं मध्‍यप्रदेश की सरकार को सीएम राइज स्‍कूलों के लिए 667 करोड़ रुपये के लिए भी धन्‍यवाद ज्ञापित करता हूँ. मैं अपनी बात को यहीं पर समाप्‍त करते हुए और आपके माध्‍यम से, शासन के समक्ष अपनी कुछ बातें रखना चाहता हूँ खाचरोद से बड़नगर, नागदा से महिदपुर और रतलाम से वाया खाचरोद-नागदा होकर फोरलेन सड़क का निर्माण इस बजट सत्र में शामिल कर, अगर हम इस क्षेत्र को लाभ देंगे तो बड़ी कृपा होगी. मैं, नागदा में इंजीनियरिंग कॉलेज और आई.टी.आई. की भी मांग करता हूं और खाचरोद में फूड प्रोसेसिंग प्‍लांट के लिए शासन से आग्रह करता हूं.

          सभापति महोदया, मेरा निवेदन है कि अभी सभी जनप्रतिनिधियों में ग्रामीण क्षेत्र का पंच एक ऐसा जनप्रतिनिधि है, जिसके बैंक खाते में सीधे उसका मानदेय ट्रांसफर नहीं किया जाता है. यदि सरकार पंचों का मानदेय भी उनके बैंक खाते में ट्रांसफर करेगी तो उचित होगा. मैं, पुन: प्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी एवं वित्‍त मंत्री जी को बधाई देते हुए, इस बजट के लिए धन्‍यवाद ज्ञापित करते हुए, अपनी बात समाप्‍त करता हूं, धन्‍यवाद.

          श्री पंकज उपाध्‍याय (जौरा)-  सभापति महोदया, मंहगाई अपने चरम पर पहुंच चुकी है और इस बजट में ऐसा कुछ भी नहीं दिखता, जिससे मंहगाई थोड़ी भी कम होती हुई प्रतीत होती हो. मातायें-बहनें गैस की टंकी का सपना देख रही थी कि कुछ दाम कम होंगे लेकिन उसका कोई प्रावधान इस बजट में नहीं किया गया. राजकोषीय घाटा वर्ष 2011-12 में 1.86 था जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 4.02 हो गया है और आज 4.11 का अनुमान है. हम 8 प्रतिशत ब्‍याज देंगे और 8 प्रतिशत ही किश्‍ज अदा करेंगे, इस प्रकार से हम 60 हजार करोड़ रुपये, केवल कर्ज को चुकाने में खर्च करेंगे.

          सभापति महोदया, इतना कर्ज लेने के बाद भी हम 2 सौ करोड़ रुपया, हवाई जहाज में, 20 करोड़ रुपया मंत्रियों के बंगलों के रेनोवेशन में, 10 करोड़ रुपया नई गाडि़यों में खर्च कर रहे हैं, यह निश्चित रूप से चिंतनीय है. जहां पिछले वर्ष 6 हजार रुपया प्रदेश के एक व्‍यक्ति पर कर्ज था, आज बढ़कर लगभग 50 हजार रुपया हो गया है. हमने पिछली बार सुना था सरकार ने कहा था कि 1 लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा लेकिन कहीं भी युवाओं को रोजगार मिलता हुआ दिखा नहीं, न ही प्रतीत हुआ.

          सभापति महोदया, यहां सड़कों की बात हुई. हमारे कई वरिष्‍ठों ने सड़कों और पुलों की बात की, मैं, जिस क्षेत्र से आता हूं, उसके कई गांवों में आज भी सड़क नहीं है. कालाखेत, पालचिनीया हमारे ऐसे गांव हैं, जहां आज भी सड़क नहीं पहुंच पाई है और बातें हो रही हैं, हर गांव में सड़क पहुंचाने की.

          सभापति महोदया, प्रदेश में निर्माणाधीन रेल परियोजनाओं में लोक निर्माण विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है. लेकिन हमारे विधान सभा के जौरा और कोलारस में रेलवे का नया काम चल रहा है, जिसमें इतनी अव्‍यवस्‍था है कि जिसकी चर्चा ही नहीं की जा सकती. 2-3 वर्षों से लोग वहां अंडरब्रिज के लिए मांग कर रहे हैं, धरने पर बैठे हुए हैं लेकिन उनकी आज तक सुनवाई नहीं हुई है.

          सभापति महोदया, 299 किलोमीटर का अटल प्रगति पथ बनने की बात इसमें की गई है. लेकिन मैं, आपको बताना चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र के लोग कई दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, विरोध कर रहे हैं, जहां पहले उसका अलायमेंट बीहड़ में हो चुका था, उस अलायमेंट को परिवर्तित करके, अब ऐसी जगह हो रहा, जहां बहुत अच्‍छी कृषि होती है, किसानों की बहुत उपजाऊ भूमि है, उस अलायमेंट को बदला नहीं जा रहा है. हमारा पूरा क्षेत्र इसका विरोध कर रहा है, अभी तक यह योजना धरातल पर नहीं आई है लेकिन आपने इसका बजट बना दिया है और बजट पुस्तिका में लिख भी दिया है, जिससे मैं, पूर्ण रूप से असहमत हूं.

          सभापति महोदया, पेयजल की बात की गई. जैसा आपने भी कहा कि नल-जल योजना सभी आपके क्षेत्र में जाकर देखें. लेकिन मैं, आपसे कहता हूं कि आप मेरे क्षेत्र में जाकर देखें कि वहां किसी घर में नल से पानी नहीं मिल रहा है. नल-जल योजना में किसी टंकी से पानी हमारे घरों में नहीं मिल रहा है. सभी जगह सड़कें खोद कर रख दी गई हैं, किसी भी पंचायत में काम पूरा नहीं हुआ है और यह बात मैं आपको पूरी ईमानदारी तथा विश्‍वास से कहना चाहता हूं.

          सभापति महोदया, ऊर्जा के क्षेत्र में हमारे मुरैना क्षेत्र को बिलकुल अछूता कर दिया गया है. कोई योजना हमारे क्षेत्र में नहीं दी गई है. पिछले दिनों गर्मी के मौसम में वहां केवल 2-3 घंटे बिजली आती थी, 20-20 घंटे बिजली नदारद रही है.

          सभापति महोदया, ऐसे ही नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में नीमच, आगर और शाजापुर में जो 550 और 500 मेगावॉट के सोलर प्‍लांट बन रहे हैं, उनकी चर्चा कर ली गई है लेकिन पहाड़गढ़ में घोषित 1200 मेगावॉट का जो सोलर प्‍लांट बन रहा है, जिसे हमने कई बार सुन लिया लेकिन आपने उसे बजट में शामिल नहीं किया है. यहां मेरी आपसे असहमति है और आप इसकी ओर ध्‍यान दीजिये. ऐसे ही हमारी कोटा, बैराज नहर है जो टूटी-फूटी पड़ी हुई है. कई दिनों से हमने भी शिकायत की है कि किसानों को पूर्ण रूप से पानी नहीं मिल पा रहा है लेकिन उसके बारे में भी इसमें कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है. किसानों का फसल बोने का काम चल रहा है, लेकिन किसानों को डीएपी कहीं भी नहीं मिल रही है. किसानों के फोन सुबह से शाम तक आते रहते हैं, लेकिन हम उनके लिए डीएपी की उपलब्‍धता नहीं कर पा रहे हैं. मैं यहां आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि इस ओर भी ध्‍यान दिया जाए.

          सभापति महोदया, मुख्‍यमंत्री सहकारी दुग्‍ध उत्‍पादक प्रोत्‍साहन योजना की चर्चा इसमें की गई है, लेकिन ग्‍वालियर चंबल क्षेत्र में आपका एकमात्र प्‍लांट सांची दुग्‍ध संघ है जिसको कि पूरे तरीके से बर्बाद करके बेचने की प्‍लानिंग कर ली गई है, लेकिन आपके द्वारा इसमें एक बार भी उसका उल्‍लेख नहीं किया गया है. बहुत कम पैसे में वह वापस से जीवित होकर चल सकती है. वह कई लोगों को रोजगार देती है. कई पशुपालकों के लिए जीवनदायिनी है लेकिन अधिकारियों ने मिलकर उसको बर्बाद कर दिया है इसके लिए यहां पर कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है. मेरा आपसे अनुरोध है कि आप प्रावधान करें. गौशालाएं बंद पड़ी हुई हैं. हमारे कई माननीय सदस्‍यों ने गौशालाओं की बात कही है. मैं आपको विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे मुरैना, जौरा क्षेत्र में ऐसा कोई दिन नहीं होता है जिस दिन मुझे एक न एक गाय दुर्घटना में मरी हुई न मिली हो. ऐसा एक भी दिन नहीं है. एक भी गौशाला पूरे मुरैना जिले में काम नहीं कर रही है. आपने यहां पर इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर लीं हैं, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है.

          सभापति महोदय, स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं के बारे में भी बहुत सारी बातें हुईं हमारे अस्‍पतालों में न तो डॉक्‍टर हैं न ही नर्स हैं और न ही बिल्‍डिंगें हैं. हमारे जौरा क्षेत्र में कई स्‍थानों पर पशु बंध रहे हैं, लेकिन वहां पर आज तक कोई डॉक्‍टर नहीं पहुंचा है. कैलारस में माननीय मंत्री जी जब सांसद हुआ करते थे, मंत्री हुआ करते थे घोषणा करके आये थे कि यहां पर ऑक्‍सीजन प्‍लांट का निर्माण किया जाएगा. वहां पर आज तक ऑक्‍सीजन प्‍लांट का कोई भी काम नहीं हुआ है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक गांव है परसौटा उसमें लगभग 50 लोग कैंसर की बीमारी से मृत हो चुके हैं. मैंने कई बार प्रशासन को सूचना दी है, लेकिन आज तक कोई भी अधिकारी या वरिष्‍ठजन वहां नहीं गया है. वहां आज भी लगभग 100 लोग कैंसर की गंभीर बीमारी से पीडि़त हैं, लेकिन आज तक आपके स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के किसी भी कर्मचारी, अधिकारी ने वहां पर जाकर उनकी जानकारी नहीं ली है. आपकी आयुष्‍मान योजना भी पूरे तरीके से फेल हो चुकी है. हमारे यहां दिन भर में कम से कम 500 से 1000 लोग आते हैं जो केवल आयुष्‍मान योजना में मदद करने की बात करते हैं.

          सभापति महोदया, तीन हजार रुपए देने की घोषणा की है वह योजना भी फेल है. आंगनवाडि़यों में हमारे यहां लगभग 200 जगह आंगनवाडि़यों की घोषणा कर चुके हैं लेकिन  वहां पर आंगनवाड़ी का भवन तक नहीं बनाकर दिया गया है. मेरे विधान सभा क्षेत्र के 50 गांवों में स्‍कूल नहीं है. पेड़ के नीचे किराये की जगह पर स्‍कूल बनाये जाते हैं और यहां पर हम सीएम राईज़ स्‍कूलों की बात कर करके अपनी छाती को ठोक रहे थे, लेकिन किसी ने भी उन गरीब बच्‍चों पर ध्‍यान नहीं दिया जहां पर पेड़ के नीचे बरसात में और गर्मी में बच्‍चे पढ़ रहे हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक कॉलेज की घोषणा हुई है वहां स्‍टॉफ के रूप में कोई भी नहीं है न बिल्डिंग है, न स्‍टॉफ है इसकी ओर भी मैं आपका ध्‍यान दिलाना चाहता हूं. एक बहुत ही गंभीर विषय है कि हमारे मुरैना क्षेत्र से सबसे ज्‍यादा लोग सेना में जाते हैं, फौज में जाते हैं और अपनी शहादत देते हैं. ऐसा कोई साल नहीं जाता है जब वहां पर शहादत का कोई सम्‍मान न मिलता हो, लेकिन आज तक कई सरकारें घोषणा कर चुकी हैं कि हम यहां पर ट्रेनिंग सेंटर बनाएंगे, हम युवाओं के लिए ऐसी योजनाएं बनाएंगे जिससे ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग वहां से निकल सकें. इस बजट में भी आपने हमारे चंबल क्षेत्र के युवाओं के लिए कोई काम नहीं किया है. मैं आपको यहां पर ध्‍यान दिलाना चाहता हूं. मैं सदन में यह भी कहना चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र के आदिवासी आज भी प्‍यास से मर रहे हैं. मैंने 48 जगहों पर हैण्‍डपम्‍प की मांग की है, लेकिन आज तक नल जल योजना से भी उसमें कोई काम नहीं किया गया है. मैं गृह विभाग की बात करता हूं आपके पुलिस के अधिकारी कहते हैं कि हमारे पास गाड़ी नहीं है अपराधियों को पकड़ने के लिए, रोज घटनाएं हो रही हैं, ट्रेक्‍टर चोरी हो रहे हैं, लेकिन आपका पुलिस प्रशासन गाडि़यों की और स्‍टॉफ की कमी के कारण कोई काम नहीं कर रहा है. मैं आपका इस ओर भी ध्‍यान आकर्षि‍त करना चाहता हूं कि जो हमारे दिव्‍यांग साथी हैं वह प्रमाण पत्र के लिए भटकते रहते हैं उनको प्रमाण पत्र नहीं मिलता है मेरा आपसे निवेदन है कि ऐसी कोई व्‍यवस्‍था की जाए कि आसानी से दिव्‍यांगों को थ्री ट्रायसिकल मिल सके. आपने मुझे बोलने के लिए समय दिया इसके लिए मैं आपका आभारी हूं. धन्‍यवाद.

            डॉ. अभिलाष पाण्डेय (जबलपुर उत्तर) -- सभापति महोदय, आपने मुझे बजट पर बोलने का अवसर दिया है इसके लिए आपको धन्यवाद.

          सभापति महोदय, यह जो बजट आदरणीय जगदीश देवड़ा जी के कुशल नेतृत्व में और आदरणीय हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के कुशल मार्गदर्शन में हम सब लोगों को मिला है. निश्चित तौर पर इस बजट की बात करें तो यह समग्र विकास, सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबके विश्वास को समाहित करने वाला बजट है. आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी जो बात कहते हैं. हम वर्ष 2015 में अर्थव्यवस्था के रुप से सातवें नंबर पर थे. वर्ष 2022 में हम पाचवीं अर्थव्यवस्था के रुप में आ गए हैं. रिपोर्ट के आधार पर हमें स्पष्ट रुप से दिखाई देता है कि वर्ष 2025 में हम विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था के रुप में अपना स्थान बना लेंगे. वर्ष 2029 तक शायद भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने वाला है. ठीक इसी तरह वर्ष 2002-03 में मध्यप्रदेश को बीमारु राज्य कहा जाता था. इस बीमारु राज्य के बारे में यदि मैं बात करूं और इसकी स्पेलिंग के बारे में बात करूं तो इसकी स्पेलिंग हुआ करती थी. BIMARU और बाद में बीच में उसमें O भी हुआ करता था लेकिन उड़ीसा को उससे हटा दिया गया था. लेकिन आज मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि BIMARU कि यदि आप बात करेंगे तो उसमें बिहार है, मध्यप्रदेश है, असम है, राजस्थान है और उड़ीसा को हटाने के कारण उसमें उत्तर प्रदेश है. मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि इन सारे राज्यों को बीमारु से ऊपर उठाने का काम इसीलिए हो पाया है क्योंकि इन सारे राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं. आज मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि वर्तमान में प्रदेश की विकास दर 19.7 प्रतिशत है जो देश की अर्थव्यवस्था के 4.6 प्रतिशत का योगदान कर रही है. मैं अभी आंकड़े की बात कर रहा था, बहुत सारी बातें हमने सुनी हैं. हमारे प्रदेश का बजट आदरणीय जगदीश देवड़ा जी के माध्यम से रखा गया. यह 3 लाख 65 हजार 67 करोड़ का बजट है जो पिछले बजट की बढ़ोत्तरी की बात करें तो वह 12 प्रतिशत थी लेकिन इस बजट में उस बजट से 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का काम मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. इसके लिए मैं मध्यप्रदेश की सरकार को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ. यह खुशहाली का बजट है, यह सशक्त और समृद्ध मध्यप्रदेश बनाने का बजट है. इस बजट में गौ-संवर्धन के विषय का भी समावेश है. मध्यप्रदेश में शांति सेवा के विषय का भी समावेश है. कृषि की दृष्टि से आपने 16 हजार 605 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. हम कहते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था को डिपेंड किया जाता है. मुझे लगता है इस बजट के माध्यम से किसान की आय दोगुनी करने का काम किया जाएगा.

          आदरणीय उप मुख्यमंत्री जी भी यहां पर बैठे हैं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में  21 हजार 444 करोड़ रुपए जो कि पिछली बार से 34 प्रतिशत ज्यादा है. शिक्षा के क्षेत्र में चाहे उच्च शिक्षा में हो, चाहे स्कूल शिक्षा हो उसमें 52 हजार 682 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. हम एजूकेशन की बात करते हैं कि हम क्वालिटी ऑफ एजूकेशन के इम्प्रूवमेंट पर काम कर रहे हैं इसीलिए इस बजट के प्रावधान से यह बात स्पष्ट होती है कि मध्यप्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर काम कर रहा है. हम एनर्जी पर काम कर रहे हैं. रिनूवल एनर्जी पर भी हम काम कर रहे हैं. ऊर्जा के लिए 19 हजार 406 करोड़ रुपए का बजट है. यह मध्यप्रदेश को प्रकाश की ओर अग्रसर करने वाला है. अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के लिए भी इसमें समावेश किया गया है. औद्योगिक विकास की दृष्टि से भी इसमें सारी बातें कही गई हैं. इसी तरह से ग्रामीण विकास की दृष्टि से, मैं धन्यवाद करना चाहता हूँ आदरणीय प्रहलाद पटेल जी को कि आपसे जब मैंने यह बात कही कि मध्यप्रदेश में आने वाली नर्मदा के किनारे के 16 जिले हैं उनमें मुझे जानकारी मिली है कि बजट के माध्यम से ही पिछले बजट में ही इन सारी बातों का समावेश किया गया था. उन सारे गांवों को जो 779 गांव हैं वे खुले में शौच से मुक्त हुए हैं.

5.29 बजे       {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}

        डॉ. अभिलाष पाण्डेय -- अध्यक्ष महोदय, नर्मदा हमारी ही नहीं गुजरात की भी जीवनदायिनी है उस पर भी सरकार ने काम किया है. नगरीय विकास की दृष्टि से 16,744 करोड़ रुपये का प्रावधान, हम नगर विकास की दृष्टि से काम कर रहे हैं. हर तरह से ग्रामीण विकास भी समाहित है, लेकिन नगरों के विकास और ग्रामीण विकास दोनों के समग्र विकास से ही हमारा प्रदेश आगे बढ़ सकता है. इसलिये नगरीय विकास के विषय भी इसमें शामिल किये गये हैं. वन एवं पर्यावरण के विषय पर भी 4,725 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान करना निश्चित तौर पर एक अच्‍छा कदम है. सड़कों एवं पुलों के साथ पर्यटन की दृष्टि से भी हम आगे बढ़ रहे हैं. पिछले बजट से इस बजट में 16 प्रतिशत् का जो मैंने कहा इन सारे विषयों को समाहित करते हुये 16 परसेंट की जो बढ़ोत्‍तरी हुई है वह निश्चित तौर पर विकास के नये पैमानों को साबित करेगा और मैं दावे के साथ कहता हूं कि आदरणीय जगदीश देवड़ा जी के द्वारा रखा गया यह बजट मध्‍यप्रदेश के विकास में मील का पत्‍थर साबित होगा और आने वाले समय में मध्‍यप्रदेश के विकास की गति को और प्रशस्‍त करेगा और सकारात्‍मक सोच के साथ हर व्‍यक्ति के समग्र विकास पर यह बजट काम करने वाला है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मुझे आज इस बजट को देखकर एक बात याद आती है कि जिस बात को कहा गया था कि ‘’मुखिया मुख सो चाहिये, खान पान पर एक और पाले पोसे सकल अंग, तुलसी सहित विवेक.’’ हर प्रकार की विधाओं को ध्‍यान में रखकर जो यह बजट का प्रावधान किया गया है, मैं निश्चित तौर पर आदरणीय जगदीश देवड़ा जी सहित मध्‍यप्रदेश की सरकार और मुखिया आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद और साधुवाद देना चाहता हूं. इस बजट के अंदर चूंकि हमने नौजवानों के बीच में काम किया है, आपके सानिध्‍य और आशीर्वाद से मैं मध्‍यप्रदेश युवा मोर्चे का साढ़े पांच साल तक प्रदेश अध्‍यक्ष रहा हूं, मैं युवाओं के विषय की बात करता हूं. युवा और उसके साथ रोजगार और मैं तो यह कहता हूं कि इस बजट के अंदर प्रावधान किये गये चाहे वह कृषि हो, औद्योगिक विकास हो, स्‍कूल एजुकेशन हो, हमारा हैवी इंडस्‍ट्रीज का विषय हो, ऊर्जा हो, सारे विषयों पर यदि हम बात करें तो सब जगह युवाओं को रोजगार मिलने के संसाधन उपलब्‍ध कराने का काम किया जा रहा है. इसलिये इस बजट के अंदर मैं जो बात कहना चाहता हूं कि युवाओं के भविष्‍य को ध्‍यान में रखते हुये और युवाओं के रोजगार का सृजन करते हुये काम आदरणीय जगदीश देवड़ा जी और आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी के द्वारा जो बजट आया है उसमें इन सारे विषयों का प्रावधान किया गया है. हम राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति पर काम करने वाले लोग हैं और मैं धन्‍यवाद देना चाहता हूं मध्‍यप्रदेश की सरकार को कि मध्‍यप्रदेश देश का वह पहला राज्‍य है जिसने राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिये सबसे पहले देश में हाथ बढ़ाया है. मैं चाहता हूं कि जोरदार अभिवान एक बार तालियों के माध्‍यम से मध्‍यप्रदेश की सरकार का हमारे साथियों से निवेदन है कि करें (मेजों की थपथपाहट). इस प्रकार से मध्‍यप्रदेश की सरकार निरंतर विकास की ओर आगे बढ़ रही है. हम पीएम ऊषा किरण योजना के माध्‍यम से मैंने आपसे कहा कि युवाओं के रोजगार के सृजन की बात कर रहे हैं, मैं धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि 2,000 ऐसे नये पदों के माध्‍यम से हमारे कॉलेजों के अंदर वह सारे पद भरे जाएंगे जिससे युवाओं को रोजगार मिलने का काम किया जायेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय, यह मध्‍यप्रदेश के अंदर शिक्षा की गुणवत्‍ता को बढ़ाने का काम मध्‍यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है. विश्‍वविद्यालय क्षेत्र में काम करते हुये मुझे ध्‍यान में आता था कि मध्‍यप्रदेश में 84 विश्‍वविद्यालय थे, जिसमें 23 राज्‍य सार्वजनिक विश्‍वविद्यालय थे, 47 राज्‍य निजी विश्‍वविद्यालय थे, 10 राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍थान, 2 केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय, 1 राज्‍य मुक्‍त विश्‍वविद्यालय और साथ ही एक डीम्‍ड सरकारी विश्‍वविद्यालय था, लेकिन जब मैंने इस बजट को पढ़ा तब मैंने महसूस किया कि मध्‍यप्रदेश के जिन महामनाओं के नाम पर 3 नये विश्‍वविद्यालयों का जो प्रावधान किया गया है उसमें हमारे लिये, हमारे जनजातीय भाइयों के लिये भी जो ऐसे टंट्या भील जी हैं, जिनका हम आदर और सम्‍मान करते हैं, उनके नाम पर एक विश्‍वविद्यालय बनाने का काम मध्‍यप्रदेश की सरकार कर रही है. हम तात्‍या टोपे जी के नाम पर विश्‍वविद्यालय बना रहे हैं. गुना के अंदर इस विश्‍वविद्यालय को बना रहे हैं. साथ ही रानी अवंती बाई लोधी, नाम में सिर्फ पीछे लोधी है, लेकिन सभी समाज उनका सम्‍मान करते हैं और सागर के अंदर जो विश्‍वविद्यालय बनाया जा रहा है वह रानी अवंती बाई लोधी जो हमारे लिये आस्‍था और श्रद्धा का केन्‍द्र है, उनके नाम पर वह विश्‍वविद्यालय बनाकर निश्चित तौर पर युवाओं को नई दिशा पर जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि इस बजट के माध्‍यम से हम सकल पंजीयन अनुपात जिसको हम कहते हैं कि हर बच्‍चे के एडमिशन की यदि प्रोसेस की जाती है और उसके अनुपात को निकालें तो मुझे लगता है, मैं विपक्ष के साथियों से भी निवेदन करना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश की सरकार की पीठ थपथपाने की आवश्‍यकता है, क्‍योंकि यदि आप सकल पंजीयन अनुपात की बात करेंगे तो वर्तमान में मध्‍यप्रदेश..

5.35 बजे.

सदन के समय में वृद्धि

          अध्यक्ष महोदय सदन के समय में एक घंटे की वृद्धि की जाय. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.

                             सदन द्वारा सहमति दी गई.       

         डॉ अभिलाष पाण्डेय बहुत बहुत धन्यवाद. मुझे लगता है कि अव हम लोगों को भी 4 5 मिनट ज्यादा मिल जायेगा. अध्यक्ष महोदय हम सकल पंजीयन अनुपात की बात कर रहे थे. मैं हमारे विपक्ष के साथियों से कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में अगर आप सकल पंजीयन अनुपात का आप रेशो् उठाकर देखेंगे तो प्रदेश का सकल पंजीयन अनुपात 28.09 है जो राष्ट्रीय सकल अनुपात 28.04 से अधिक है इसलिए भी मध्यप्रदेश की सरकार बधाई की पात्र है. हम डिजिटिलाइजेशन की बात करते हैं. आज मैं धन्यवाद देना चाहता हूं डीजी लाकर के माध्यम से, अब हमें किसी प्रमाण पत्र को लेकर चलने की आवश्यकता नहीं है. अब डी जी लाकर से  चाहे वह सत्ता हो विपक्ष हो या किसी भी राजनीतिक दल के लोग हों या मध्यप्रदेश के युवा हों, प्रदेश के व्यापारी हों. अब हर वर्ग और हर समाज का व्यक्ति को डी जी लाकर के माध्यम से लाभ पहुंचाने का काम देश की और प्रदेश की सरकारें कर रही हैं. उसके लिए भी मैं आपके प्रति आभार व्यक्त करता हूं.

          अध्यक्ष महोदय हम कौशल विकास की बात करते हैं. हम हर यूथ को कौशल की दृष्टि से आगे बढ़ाने की बात करते हैं. मैं आपके माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूं कि छिंदवाड़ा एवं धार के अंदर हम ग्रीन स्किल आईटीआई की स्थापना करने जा रहे हैं.  आने वाले समय में आपसे कह रहा था कि हम पर्यावरण संरक्षण की बात करते हैं. हम नवकरणीय ऊर्जा की बात करते हैं. मुझे ध्यान आता है कि आईटीआई के अंदर जिस प्रकार के नये स्किल्ड यूथ खड़ा करने की आप बात करते हैं. हम 22 नये आईटीआई खोलने वाले हैं जिसमें 5280 नये अतिरिक्त विद्यार्थियों को उसमें प्रवेश देंगे. हम रिन्यूअल एनर्जी पर भी काम करेंगे, हम ग्रीन एनर्जी पर भी काम करेंगे. मैं यहां पर मध्यप्रदेश की सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि  आप ई बसें चलाने की बात कर रहे हैं तो जबलपुर के अंदर भी वह ई बसें चलेंगी. पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से उठाया हुआ यह बड़ ऐतिहासिक कदम है.

          अध्यक्ष महोदय हम मेधावी छात्रों के उन्नयन की बात करते हैं. छात्रवृत्ति बढ़ाकर मेधावी छात्रों का उत्साह वर्धन करने का काम मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है उ सके लिए भी मैं आपके प्रति धन्यवाद देना चाहता हूं. हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंटस पर काम कर रहे हैं. हम साथ ही मशीन लर्निंग और कोड़िंग पर भी मध्यप्रदेश की सरकार काम कर रही है. हम व्यावसायिक परीक्षा की परीक्षा फीस जो है, उसके लिए मैं सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं और प्रदेश के नौजवानों को बधाई देना चाहता हूं कि  अब व्यावसायिक परीक्षा की फीस भरने का काम  मध्यप्रदेश की सरकार करेगी. अब विद्यार्थियों को फीस भरने की आवश्यकता नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय मेरा यह भी कहना है कि खेल के उत्थान पर भी आपने काम किया है. अर्जुन  एवार्ड मध्यप्रदेश के तीन लोगों ने जीता है. हम इंटरनेश्लन एकेडमी मध्यप्रदेश में भोपाल की धरती पर बना रहे हैं साथ ही पेरिस औलंपिक के अंदर 7 खिलाड़ी भेजने का काम किया जा रहा है. अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से अब अपनी बात को समाप्त ही करने वाला हूं. मैं आप सबसे निवेदन करना चाहता हूं कि इस पूरे मधयप्रदेश का जो बजट आया है उसमें सारी बातों का समावेश करते हुए, सारे विषयों का समावेश किया गया है. मध्यप्रदेश की सरकार के विकास के माडल पर मध्यप्रदेश का बजट आया है मैं दावे के साथ कहता हूं कि हम जैसे जो नये विधायक जो कि पहली बार विधान सभा में आये हैं. हमें सीखने को भी मिला है. मैं दावे के साथ कहता हूं कि चाहे सत्तापक्ष हो विपक्ष हो या मध्यप्रदेश के किसी भी एरिये का युवा हो सभी के विकास की चिंता इस बजट में की गई है. और मैं इन बातों के साथ में अपनी बात को समाप्त करूंगा कि मेरे पिताजी हमेशा मुझसे कहते थे कि जहां गतिशील जल होता वहां कीचड़ नहीं होता जहां जनशूल सा विदफूल सा सौरभ लुटाते हैं वहां मधु मास होता है कभी पतझड़ नहीं होता. अध्यक्ष महोदय इ सलिए भी मैं आदरणीय मुख्यमंत्री जी को और आदरणीय जगदीश देवड़ा जी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं देते हुए. इ स बजट को जो मध्यप्रेदश के विकासका मील का पत्था साबित होगा उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद बहुत बहुत आभार.

          श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया) -       माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद. माननीय वित्‍त मंत्री आदरणीय देवड़ा जी बहुत ही काबिल वित्‍त मंत्री हैं और उन्‍होंने अपने बजट भाषण में भी कहा कि जनता के सुझाव से यह बजट बनाया गया है और सत्‍ता पक्ष के सभी साथियों ने भी कहा कि यह आज तक का सबसे बड़ा बजट है किन्‍तु अध्‍यक्ष महोदय, हम एक तरफ देखते हैं. लगातार प्रारंभ से लेकर  आज तक कहीं न कहीं चाहे सत्‍ता पक्ष का मित्र हो चाहे, चाहे विपक्ष का साथी हो कहीं न कहीं इस प्रदेश की चिन्‍ता, यहां के छात्रों की, यहां के युवाओं की चिन्‍ता, सभी ने व्‍यक्‍त की है. किसी ने अपनी लाइन से कहा कि रोजगार की दृष्टि से यह मध्‍यप्रदेश अव्‍वल है तो किसी ने अपने आकड़ों से कहा कि यहां का जो बेरोजगारी का प्रतिशत है, यहां का जो आंकड़ा है वह देश में कहीं न कहीं सबको एक तरह से प्रज्‍जवलित करने की  दिशा दिखा रहा है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हर बार की तरह इस बार भी युवाओं को छला गया है, शिक्षक भर्ती के नाम से और पुलिस भर्ती के नाम से, बजट में कोई ऐसी नई उम्‍मीद नहीं है, यह बजट कर्मचारियों को भी ठगने से कहीं असत्‍य साबित नहीं हुआ,बड़ी उम्‍मीद लगाकर देख रहे थे. वास्‍तव में बजट में हमारे जो अधिकारी कर्मचारी है जो वरिष्‍ठ है जो सेवानिवृत्ति की कगार पर हैं महज उनकी वरिष्‍ठता और ऑन लाईन के नाम पर उन लोगों को एक तरह से असत्‍य आश्‍वासन दिया गया है. अध्‍यक्ष महोदय, आपकी निगाह मेरी तरफ है मैं ज्‍यादा विस्‍तार में नहीं जाउंगा क्‍योंकि जब जब मेरी बात आती है आप संक्षिप्‍त कर देते हैं अभी अभिलाष पांडे जी को अच्‍छा समय मिला सभापति महोदय विराजमान थे तो वो पूरा समय का लाभ लिए उसके बाद आप विराजमान हुए तब भी उन्‍हें पूरा समय का लाभ मिला. अध्‍यक्ष महोदय, मैं ज्‍यादा कुछ नहीं कहना चाहता पिछली सरकार के समय भी हमारे लाखों युवाओं को सपना दिखाया गया था, चाहे वह बैकलाग के पद हों, चाहे नियमित नियुक्ति की बात हो, आज भी वह आंकड़े जस के तस हैं बल्कि हमारे प्रदेश के आंकड़े बढ़ गए हैं.ं आज प्रदेश के 25 लाख से ज्‍यादा युवा बेरोजगार हैं और जब वह रोजगार की बात करते हैं तो हमने और आपने सबने देखा है कि उनको रोजगार के बजाय उनके साथ लाठियां भांजी जाती हैं जेलों में उनको पहुचाया जाता है इस तरह की स्थिति हमारे मध्‍यप्रदेश की है. मैं आदरणीय वित्‍त मंत्री जी को कहना चाहता हूं आपने अधोसंरचना में लगभग 10 हजार करोड़ से ज्‍यादा का प्रावधान किया है आपने उसमें सड़क पुल पुलियों का जिक्र किया है जिसमें 123 पुल 4 हजार से ज्‍यादा किलोमीटर सड़क और 116 ओव्‍हर ब्रिज. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से निवेदन करना चाहता हूं हमारा आदिवासी बाहुल्‍य मंडला जिला है बहुत ही काबिल और तारीफ पूरा देश करता है मैं भी इस सदन के माध्‍यम से तारीफ करना चाहता हूं भारत सरकार के मंत्री आदरणीय गड़करी साहब की.जब उनका मंडला आगमन हुआ था जैसे ही वह जबलपुर से मंडला के लिए निकले और मंडला पहुंचे तो सबसे पहले उन्‍होंने मंडला की जनता से उन्‍होंने क्षमा मांगी  और जो बरेला से मंडला तक की सड़क की दुर्दशा के बारे में उन्‍होंने देखा उस समय मैं खुद मंच पर था उनसे आग्रह किया था कि माननीय मंत्री जी आपने अकेली सड़क की दुर्दशा तो देखी है मेरे विधानसभा क्ष्‍ोत्र का जो अंजनिया चौराहा है, जहां पर आए दिए एक्‍सीडेंट होते हैं, अभी दो दिन पहले एक कंटेनर ने साइकिल चालक को रौंद दिया जहां पर उसकी मृत्‍यु हो गई. वहां पर ओवर ब्रिज के लिये आदरणीय  गडकरी साहब ने  घोषणा की थी.  दो दो बजट  निकल गये. केन्द्र  का भी बजट निकल गया.  मैं वित्त मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि यह  भारी भरकम हमारे  सड़क और ओवर ब्रिज  भी  बनाये जा रहे हैं,  कम से कम हमारे   भारत सरकार के मंत्री,  जिन्होंने घोषणा की है,  उसको भी शामिल  करने का प्रयास करें. एक  और मेरा प्रश्न था,लेकिन 20 नम्बर पर था  और ध्यानाकर्ष  2 तारीख को  भी मैंने  लगाया था.  दो दो बार तत्कालीन मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान  जी ने   जो हमारे बिछिया बायपास  की घोषणा कर चुके हैं और  घोषणा करने के बाद  जब विभाग  ने उसको स्वीकार किया, प्रथम स्तरीय प्राक्कलन  पहुंचाया, लेकिन  अधिकारियों द्वारा कहीं न कहीं  घुमा फिराकर  के उत्तर  प्रस्तुत करने के कारण  उस रोड को एनएचआई  का बता दिया गया.  हम मानते हैं कि वह एनएचआई  है, लेकिन यह घोषणा  2018 की है, इसके बाद घोषणा 2021 की है.  जो मुझे उत्तर में भी दिया गया है  और सरकार द्वारा स्वीकार भी किया गया है.  उस समय यह रोड  एमपीआरडीसी का था और  पीडब्ल्यूडी के नियंत्रण  में था. फिर भी  चूंकि आये दिन  हमारे पंचायत मंत्री जी  और पूर्व  भारत सरकार के मंत्री कई बार  आपका रिलेशन भी बिछिया  में है,  मैं भी जाता हूं,  आपसे  नमस्कार, चमत्कार  करने के लिये.  आपने वहां पर देखा है कि  बीच शहर से  भारतीय राष्ट्रीय राज मार्ग गुजरता है.  हर लोगों  के मन में  एक डर समाया हुआ होता है. मैं वित्त मंत्री जी से आग्रह  करना चाहता हूं कि तत्कालीन हमारे मुख्यमंत्री जी  दो-दो बार घोषणाएं जब  कर चुके हैं,  विभाग उसका प्राक्कलन  भेज चुका है,  तो  इसको एनएचआई का नाम  देकर के हम एक  तरह से जिम्मेदारियों से दूर   न भागें, ऐसा मेरा निवेदन है.  चाहे वह एनएचआई से हो,  चाहे  पीडब्ल्यूडी से हो, तत्काल  वह हमारा जो 5 किलोमीटर  का बायपास  है, उसका निर्माण करने के लिये उसको इस बजट  में  शामिल किया जाये.  मेरा निवेदन है कि सबसे पहले प्रथम चरण में  जल शक्ति मंत्री थे,  आदरणीय पटेल साहब भारत सरकार में और दूसरा जो  हालोन परियोजना  जब हमारे  राज्य सरकार के   द्वारा बनाई गई,  जब जल निगम इसकी एजेंसी हुआ,  446 गांवों के लिये  पूरे मण्डला जिले के साथ साथ  सबसे ज्यादा मेरे  विधान सभा क्षेत्र के गांवों में  स्वीकृत हुआ.  आज  भी मैं आपसे कहना चाहता हूं कि  लोक स्वास्थ्य  यांत्रिकी विभाग द्वारा  बैठे बैठे उस समय टेबल पर  बैठ करके  प्राक्कलन तैयार किया गया.   जब आज वह काम  शुरु हुआ, तो हमारे उस  गांव के  बहुत से ऐसे मजरे टोले हैं,  जो दूर दूर की बसाहट  में है, वह अछूते रह गये हैं.  अभी  विभाग को बार बार हम लोगों ने  सचेत  किया, अतिरिक्त कार्य योजना बनाकर के  प्रस्ताव भेजा गया है, मैं  वित्त मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि  जो  हमारे मण्डला जिले की अतिरिक्त   कार्य योजना बनाकर  जो  प्रस्ताव इसमें शामिल  करने के लिये आया हुआ है,  यह जो बजट प्रस्तुत किया गया है, उसमें इसको  शामिल कर लिया जाये.  मैं  सिंचाई परियोजना की बात करना चाहता हूं,  इसमें भी 13596  करोड़  का प्रावधान  किया गया है, जिसमें हमारे सत्तापक्ष के मित्रों  के द्वारा  कहा गया कि  2023-23 में 60 लाख हेक्टेयर   से अधिक की सिंचाई हमने  की.  2024-25 में हमारा लक्ष्य  65 लाख हेक्टेयर का है. निश्चित रुप से  अगर सिंचाई का रकबा बढ़ेगा,   तो हमारा किसान  सशक्त, मजबूत होगा.  इसी सिंचाई के अंतर्गत जो   एनवीडीए आता है,  बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि सबसे ज्‍यादा भ्रष्‍टाचार मुझे लगता है, इसी में होता है. चाहे वह ई टेंडरिंग के मामले से लेकर अन्‍य भी परियोजनों में भ्रष्‍टाचार जगजाहिर हुए हैं, मुझे उनकी डिटेल की ज्‍यादा जरूरत नहीं है. फिर भी एनवीडी को सिंचाई परियोजनाओं के लिये 6 हजार करोड़ का बजट दिया गया है. इसमें नयी परियोजनाएं भी शामिल हो सकती हैं, पिछली परियोजनाएं मतलब दो या चार साल पुरानी नहीं बल्कि बीस या बाईस साल पुरानी परियोजनाएं अब तक पूरी नहीं हो पायी हैं. इस तरह जनता के पैसे जनता के विकास के लिये खर्च तो नहीं किये जाते लेकिन वह विकास जब जनता तक 20 सालों में नहीं पहुंच पाये तो यह जनता के पैसे का दुरूपयोग ही कहलायेगा. मैं आपको अपनी विधान सभा क्षेत्र की एक हालौन परियोजना के बारे में बताना चाहता हूं. हालौन परियोजना की प्रशासकीय स्‍वीकृति जून, 2003 में दी गयी थी. उस समय उसकी लागत 221.60 करोड़ रूपये थी, लेकिन दिसम्‍बर, 2003 में नयी सरकार आने के बाद 6 साल तक इस परियोजना के बारे में सोचा भी नहीं गया और 2009 में इसकी लागत 100 करोड़ रूपये बढ़ाकर के 321.11 करोड़ रूपये हो गयी है. इसके बाद भी इस पर काम शुरू नहीं हुआ 2011 में इसकी पुनरीक्षित स्‍वीकृति जारी की गयी, जहां इसकी कीमत 414.21 करोड़ रूपये हो गयी. इसका कर्यादेश जारी करने में दो साल लग गये. 2013 में कार्यादेश जारी हुआ और यह कार्य 3 साल महज, 2016 में पूर्ण होना था और जिस कम्‍पनी को काम दिया गया था, उसका ठेका निरस्‍त करके इसमें नयी निविदा जारी की गयी. अब तक यह कार्य पूर्ण नहीं होपाया है. आज 11 साल कम्‍प्‍लीट हो गये हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- नारायण सिंह जी अब आप समाप्‍त करिये.

          श्री नारायण सिंह पट्टा-  मैं निवेदन करना चाहता हूं हमारी  मंत्री जी भी यहां पर बैठे हुए हैं. मुझे गौर से देख रहे हैं हमेशा छोटे भाई कहते हैं. लेकिन यह जो 11 साल हो गये हैं, अब हम 60 लाख हेक्‍टेयर सिंचित कर चुके हैं और 65 लाख हैक्‍टेयर की सिंचाई की तैयारी में हैं. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि वर्ष 2003 के बाद मण्‍डला जिले में कोई भी ऐसी परियोजना लागू नहीं की गयी है और इस तरह से यदि हम इस परियोजना में भी देरी करेंगे तो सोचिये, जिस तरह से बजट भाषण में 65 लाख हैक्‍टेयर सिंचाई क्षमता को आंका गया है, हम कैसे वहां तक पहुंचेंगे. इसी प्रकार एनवीडी के माध्‍यम से अपर बुढ़नेर परियोजना स्‍वीकृत हो गयी.

          अध्‍यक्ष महोदय:- पट्टा जी, अब आप समाप्‍त करिये समय ज्‍यादा हो गया है.

          श्री नारायण सिंह पट्टा-  अपर बुढ़नेर परियोजना स्‍वीकृत हुई है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि इसमें भी अभी सर्वे का काम चालू है. बहुत से हमारे ऐसे जनजाति वर्ग के किसान हैं, हमारे कुछ गांव हैं जो उस कमांड एरिया में आ रहे हैं. मेरा निवेदन है कि सबकी भावनाओं को समझते हुए जो भी कंम्‍पन्‍सेशन की राशि सरकार की तरफ से निर्धारित होगी. मैं इस सदन के माध्‍यम से निवेदन करना चाहता हूं कि ..

          अध्‍यक्ष्‍ा महोद:- दिनेश जी अपनी बात प्रारंभ करें. पट्टा जी शेष आप मंत्री जी से मिलकर बता देना.

          श्री दिनेश गुर्जर(मुरैना):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिये मैं आपको धन्‍यवाद देता हूं. सरकार का जो बजट है, क्‍योंकि कई वर्षों से हम लोग भी राजनीतिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं. जिस तरह से हर बार बजट भारतीय जनता पार्टी की सरकार लाती है. वह पेपरों में पढ़ने में और टी.व्‍ही में देखने में अच्‍छा लगता है, परन्‍तु धरातल पर कभी भी गरीब, मजदूर और किसानों को उन योजनाओं का लाभ नहीं मिलता. इसी तरह से यह बजट है. इस बजट में भी मैं नहीं समझता कि हमारे किसान भाईयों को या नौजवानों को कोई लाभ मिलेगा. अध्यक्ष महोदय, मुरैना जो मेरा विधान सभा क्षेत्र है, कहने में बड़ा दुख होता है कि आज भी शहर के अंदर न अच्छी सड़कें हैं, न अच्छे पुल पुलिया नाले हैं, न बिजली की अच्छी व्यवस्था है. न ही ऐसा कोई पर्यटक स्थल है, जहां हमारे शहर के लोग जाकर परिवार के साथ मनोरंजन कर सकें. इस बजट में विधान सभा वार जो भेदभाव किया गया है.

          अध्यक्ष महोदय,  मैंने अपने मुरैना जिले का देखा है, उसमें हमारे क्षेत्रों में बहुत कम संख्या में बहुत छोटे छोटे काम बजट में हैं. भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को अधिक काम दिये गये हैं तो जो भेदभाव इस बजट में हुआ है. यह भेदभाव न हो और बजट में हमारे भी काम शामिल किये जाएं, जिस तरह से भटपुरा से परिचा मार्ग है, वहां जर्जर हालत में पुल पडा हुआ है. इस बजट में उसको भी लेना चाहिए था. यह एक मुख्य मार्ग है. वह टूटा पड़ा हुआ है, जनता के हित में वहां पर पुल बनना बहुत आवश्यक है.

          अध्यक्ष महोदय, मुरैना शहर में जनसंख्या अधिक होने के कारण हैडक्वार्टर होने के कारण आए-दिन ट्रेफिक जाम लगा रहता है, वहां पर रिंग रोड की कोई व्यवस्था नहीं है. हम चाहते हैं कि बजट में मुरैना शहर में रिंग रोड नहर के किनारे से मुरैना गांव से सुआपुरा तक बनाया जाय, जिससे कि अम्बाहपोरसा जाने वाला व्यक्ति है वह सुविधा से उधर से जा सके, वह शहर में होकर न जाय. अस्पताल मुरैना के हालात जिस तरीके से हैं कि डॉक्टरों की कमी है, उनकी पूर्ति कब तक होगी? अध्यक्ष महोदय, मुरैना विधान सभा क्षेत्र में जो एडेड शालाएं थीं, सभी एडेड शालाएं मुरैना विधान सभा क्षेत्र की बंद पड़ी हैं. कहीं भवन नहीं हैं. जो एडेड शालाओं में शिक्षक थे, वह रिटायर हो गये उसके बाद सभी एडेड शालाएं बंद पड़ी हैं. ऐसे में हमारे क्षेत्र के छात्र छात्राओं की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. हमारे बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. हमारी मांग है कि बजट के माध्यम से वहां पर शालाएं खोलकर शिक्षक दिये जायं, जिससे कि हमारे क्षेत्र के छात्र छात्राएं अच्छे से पढ़ाई कर सकें. यह हमारी प्रार्थना है. दूसरी मैंने पहले भी आग्रह किया था  कि जो हाईटेंशन लाईन ग्रामों शहरों से निकली हैं, जिससे हमारे लोग भय के वातावरण में जीवन जी रहे हैं. जब नर्सिंग जैसे घोटाले हो रहे हैं, उसमें मान्यता के लिए जब नियम बदले जा सकते हैं तो क्या हाईटेंशन लाईन बदलने के लिए यह नियम नहीं बनाए जा सकते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार इसके लिए बजट का प्रावधान करे कि जिन जिन क्षेत्रों से हाईटेंशन लाईन निकली है वहां का पैसा मध्यप्रदेश सरकार खर्च करेगी और उसे दूसरी जगह शिफ्ट करेगी, जिससे कि आम जनता इससे सुरक्षित महसूस कर सके.

          अध्यक्ष महोदय, वित्तमंत्री जी से मेरी मांग है कि आसन नदी जो मुरैना शहर के पास छोंदा टोल के पास में है, वहां पर्यटक स्थल बनाया जाय. वहां एक भव्य पार्क बनाया जाय, जिम बनाया जाय, वहां पर वोट क्लब बनाया जाय, क्योंकि कि मुरैना शहर के नागरिकों के पास कहीं भी मनोरंजन का स्थल नहीं है. अगर यह वहां पर बनेगा तो यह निश्चित तौर पर नेशनल हाईवे पर है, उसका आम जनता को मुरैना जिले के लोगों को लाभ होगा.

          अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि हमारे यहां पर आप इस काम को कराएं. मुरैना शहर में सड़क और पानी की निकासी नहीं है, उसके कारण गंदा पानी शहर में चारों तरफ भरा रहता है. हमारी मांग है कि मुरैना शहर के अंदर बड़े नाले बनाकर शहर का जो गंदा पानी है, उसको निकालने के लिए उसको भी इसमें योजना में जोड़ा जाय तो निश्चित तौर पर इससे हमारे शहर के लोगों को लाभ होगा. अध्यक्ष महोदय, जो आपने समय दिया उसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री साहब सिंह गुर्जर (ग्‍वालियर-ग्रामीण) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अपनी विधानसभा क्षेत्र की जनता को धन्‍यवाद करता हॅूं कि उन्‍होंने मुझे चुनकर के प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत इस सदन में भेजा है. मैं इसलिए धन्‍यवाद कर रहा हॅूं कि उस समय वह सौभाग्‍य मुझे प्राप्‍त हुआ है, जब आप इस आसंदी पर विराजमान है, सुशोभित कर रहे हैं. मैं आने को तो वर्ष 2018 में भी आ सकता था लेकिन मेरे भाग्‍य में नहीं था, पर उस समय भाग्‍य में था, जब आप इस आसंदी पर विराजमान हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बजट पर चर्चा हो रही थी, मैं धन्‍यवाद भी करना चाहता हॅूं कि बजट तो बहुत दिया है पर उस बजट में कई क्षेत्र जो अछूते रह गए हैं, उसके बारे में कहना चाहता हूँ. 8 घंटे बिजली देने की बात कही गई थी लेकिन 8 घंटे बिजली किसानों को नहीं मिल पाती है. लाईट ट्रिप हो जाती है. अघोषित कटौती होती है. लाईट काट देने के कारण किसान परेशान होते हैं. मेरे क्षेत्र में अघोषित कटौती होती है और केबल पूरी तरह से जर्जर हालत में हैं. हादसे हो रहे हैं. जनहानि की आशंका बनी रहती है. जिन मजरे-टोलों पर लाईट नहीं पहुंची है उन मजरे-टोलों में 24 घंटे लाईट दी जाए. किसान, आमजन परेशान हैं. विद्युत को लेकर इस बजट में मेरे क्षेत्र को सम्‍मिलित किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय, जल-जीवन मिशन के तहत वर्ष 2019 में नल-जल योजना चालू हुई जो कि 13 लाख 53 हजार 151 घरेलू नल कनेक्‍शन की संख्‍या थी, जो अभी पूरी तरह चालू नहीं हुई है. उसको बढ़ाकर 70 लाख 86 हजार 293 की गई है जिसके संधारण के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है. उसको बजट में शामिल किया जाए, जिससे पुरानी योजना चालू हो सके. नल-जल योजना के कारण इस बरसात के मौसम में ग्रामीणजनों को, किसानों को बहुत परेशानी हो रही है. आए दिन किसान रोज परेशान हो रहे हैं. घर से निकलने के लिए रास्‍ता तक नहीं है. कीचड़ मची हुई है. रोड टूटी-फूटी है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र ग्‍वालियर-ग्रामीण के तिघरा बांध, जोकि पूरे शहर को पानी पिलाने का स्रोत है, मैं चाहता हॅूं कि साड़ा क्षेत्र के गांवों में सिंचाई हेतु वेस्‍टेज पानी को पुरानी नहर से जोड़ा जाए, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल सके ताकि किसान खुशहाल हो सके. इसको बजट में शामिल किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हॅूं कि ग्‍वालियर एक महानगर है. बड़ा उद्योग केन्‍द्र क्‍यों नहीं है ? जोकि होना चाहिए.  मेरा विधानसभा क्षेत्र शहर के चारों तरफ फैला हुआ है. ग्रामीण के युवाओं को रोजगार मिल सके, इसे बजट में शामिल किया जाए. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.       

 

          "माझी तेरी कश्‍ती के तलबगार बहुत हैं,

                   कुछ इस पार हैं, कुछ उस पार बहुत हैं.

                             जिस शहर में खोली है शीशे की दुकान,

                                      वहां पत्‍थर के तलबगार बहुत हैं. "

         

            श्री सुरेश राजे (डबरा) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहता हॅूं कि हमारे सम्‍मानीय उपमुख्‍यमंत्री और मुख्‍यमंत्री जी ने बजट में जो प्रावधान किए हैं, उसमें सबसे पहले उन्‍होंने कहा है कि 10 घंटे बिजली किसान के लिए और 24 घंटे घरेलू बिजली देंगे.

          अध्यक्ष महोदय, मैं कह सकता हूं कि 24 घंटे बिजली देना तो बहुत बड़ी बात है. ग्रामीण क्षेत्र में बिजली 10 घंटे भी नहीं पहुंच रही है. जो 10 घंटे बिजली पहुंच रही है, उसकी स्थिति यह है कि किसी किसी गांव में यह बिजली चार चार दिन तक नहीं पहुंचती. अगर एक बार लाईट में फाल्ट हो जाये तो अधिकारियों को चार चार बार हमको बोलना पड़ता है. कहीं दुर्भाग्य से डी.पी.में फाल्ट आ गया तो डी.पी. को बदलवाने में 15 से 20 दिन का समय लगना बहुत बड़ी बात नहीं है. यह कहीं से भी स्थिति ठीक नहीं है. इसमें मेरा निवेदन है कि जो कहा है इस पर थोड़ा बहुत तो अमल होना चाहिये. आप 24 घंटे तो बिजली नहीं दे सकते हैं. सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि ऐसे एक महान नेता जी के नाम से अटल ज्योति योजना है. जो कि भारतीय जनता पार्टी के नेता नहीं थे देश के नेता नहीं थे, वह विश्व के नेता थे. कम से कम उनके नाम को हम कलंकित न करें. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. अगर ऐसा ही करना है वह योजना नहीं चल सकती है तो मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री अथवा वित्तमंत्री जी से मांग करना चाहता हूं कि इसका नाम बदल दें. वैसे भी डबल इंजन की सरकार है तो ज्यादा दिक्कत है नहीं. मैं चाहता हूं कि इस योजना को सुधार नहीं सकते हैं तो महान नेता अटल जी के नाम की जगह इस योजना को मोदी ज्योति कर दें तो ज्यादा दिक्कत नहीं होगी. कम से कम यह गांव में तो कहने सुनने को नहीं मिलेगा कि अटल ज्योति नहीं आयी. जब नहीं आयेगी तो कहेंगे कि मोदी ज्योति नहीं आयी, यह ज्यादा ठीक रहेगा.

          अध्यक्ष महोदय, दूसरा बजट में दिया है कि इसमें सिंचाई का रकबा बढ़ाया है अथवा इतना कर दिया है. यह बहुत अच्छी बात है. बढ़ाएं यह समय की मांग भी है. लेकिन टूटी-फूटी नहरें आप अध्यक्ष महोदय उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. हरसी नहर की जर्जर स्थिति किसी से भी छिपी नहीं है. आपके तमाम प्रयासों के बावजूद कम से कम उस क्षेत्र में हमको एक अथवा आधा इंच भी सफलता नहीं मिली है. मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहूंगा कि हरसी नहर जो हमारे क्षेत्र की जीवनदायनी है किसानों के लिये उसके जीर्णोद्धार के लिये इस बजट में प्रावधान होना चाहिये. मेरे सामने माननीय सिंचाई मंत्री जी विराजमान हैं लगभग 2013 में एक शिलान्यास हुआ था जिगनिया मारकरी नहर का मां रतनगढ़ में तब से लेकर आज दिनांक 2024 तक इतना पैसा खर्च हो चुका. लेकिन यह योजना पूर्ण होने का नाम नहीं ले रही है. मैं व्यक्तिरूप से माननीय सिंचाई मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इस पर हजारो करोड़ रूपया इसमें खर्च हो चुका है, पर आप चिन्ता करें. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के एक हैक्टेयर के भूमिधारकों को पांच हास पावर तक के विद्युत पम्प उपयोग पर निशुल्क विद्युत आपूर्ति तथा अटल कृषि ज्योति योजना अंतर्गत 10 हास पावर तक किसानों की ऊर्जा प्रभार में सबसिडी दी जा रही है. मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि 2020 में आपके आशीर्वाद से इस सदन में आया. 2020 से 2024 मैं अपने विधान सभा क्षेत्र की बात कर रहा हूं. मुझे नहीं लगता है कि इसका लाभ 10 लोगों को भी मिला हो. आखिर में यह योजना कहां पर चल रही है. इसकी ठीक से मॉनिटरिंग करानी चाहिये. मुझसे पूर्व में भी हमारे साथियों ने यह मुद्दा उठाया था.

          अध्यक्ष महोदय, गौमाता, गौवंश एवं गौशालाएं यह विषय एक ही है. आपका अध्यक्ष महोदय उस क्षेत्र में आना जाना लगा रहता है. डबरा से ग्वालियर और ग्वालियर से दतिया इस बीच में जितनी निर्दयता से घटनाएं गौमाता के साथ घटती हैं इस हाईवे के कारण है.

          अब गौशालाएं तो बन गईं, लेकिन उनका संचालन ठीक से नहीं हो रहा, ये  बहुत दुर्भाग्‍यपूर्ण है. कम से कम इस गौशाला की जगह, एक निवेदन है कि एक बड़ा गौ-अभ्‍यारण अपने क्षेत्र में कहीं बनाएं, जहां कम से कम 5 से 10 हजार गायें रह सकें, ऐसा एक बड़ा गौ-अभ्‍यारण बने. अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मैं डबरा से संबंधित एक मामला है, बताना चाहता हूं. जब आप पहली बार ग्‍वालियर लोक सभा से चुनाव लड़ रहे थे, उस समय डबरा में एक विषय था राजस्‍व नामांतरण का. 2014 से 2024 आ गया, आखिर ऐसा क्‍या कारण है कि वहां रजिस्‍ट्री तो करवा दी जाती है रजिस्‍ट्री पर रजिस्‍ट्री हो जाती है, लेकिन उन भूखंडों के नामांतरण आज तक नहीं खुले है, आखिर ऐसा क्‍या कारण है.

          अध्‍यक्ष जी आपसे निवेदन है कि डबरा की इस ज्‍वलंत समस्‍या पर ध्‍यान दिया जाए. दूसरा है, डबरा कृषि उपज मंडी, ये मंडी प्रदेश की ए-क्‍लास मंडियों में शुमार है, करोड़ों रुपए की आय इस मंडी से शासन को होती है, लेकिन इसके लिए कोई बायपास रोड नहीं होने के कारण डबरा में आए दिन जाम लगे रहते हैं, प्रदेश को ए-क्‍लास का राजस्‍व देने वाली मंडी है और उसके लिए आप कम से कम एक रिंग रोड की व्‍यवस्‍था कराने की कृपा करेंगे, यह मेरा निवेदन है. हमारा 100 बिस्‍तर का अस्‍पताल पिछले कई वर्षों से कछुआ की चाल रेंग रहा है, उसी ठेकेदार को ब्‍लैकलिस्‍ट किया और उसी को पुन: काम दे दिया, वह बनाने को तैयार नहीं है, यह बहुत बड़ी विडम्‍बना है डबरा के साथ. आपकी अनुमति हो तो एक बात कहकर अपनी वाणी को विराम दूंगा. अध्‍यक्ष महोदय डबरा महत्‍वपूर्ण स्‍थान है यहां के लिए एक कन्‍या महाविद्यालय की मांग आपके माध्‍यम से उस समय हमने की थी और इस सदन में फिर आपके माध्‍यम से मंत्री जी तक यह बात पहुंचाना चाहता हूं कि कम से कम इस पर ध्‍यान दें, आपने मुझे बोलने के लिए अवसर दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          श्री अनिल जैन(कालूहेड़ा) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं पहली बार सदन में आया हूं, अपने बोलने का अवसर दिया इसलिए आपके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. अभिनंदन करना चाहता हूं, मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री डॉ मोहन यादव एवं वित्‍त मंत्री जगदीश देवड़ा जी का, जिन्‍होंने सर्वस्‍पर्शी, सर्वव्‍यापी और सभी क्षेत्र में समानांतर विकास हो एक ऐसा बजट जो कि A+B का होलस्‍केवर, इक्‍वल ए स्‍केवर प्‍लस बी स्‍केवर, प्‍लस टू ए बी को प्रतिबिम्‍बित करता है, ऐसा बजट प्रस्‍तुत किया है. अध्‍यक्ष जी, मैं उज्‍जैन से आता हूं और उज्‍जैयनी सप्‍तपुरियों में से एक है-

          अयोध्‍या, मथुरा, माया, काशी, कांछी, अवंतिका, पुरी, द्वारावती चैव सप्‍तैता       मोक्षदायिका:

ऐसी अवंतिका नगरी जहां 12 ज्‍योतिर्लिंगों में से एक ज्‍योतिर्लिंग बाबा महाकाल विराजमान है, जहां राजा भर्तहरि ने अपने तप के माध्‍यम से तप आराधना की और न्‍यायप्रिय राजा वीर विक्रमादित्‍य ने शासन व्‍यवस्‍था के प्रतिबिंब के रूप में एक न्‍यायप्रिय राजा के रूप में अपने आपको स्‍थापित किया. भगवान श्रीकृष्‍ण की शिक्षा स्‍थली रही और पास ही में नारायणा में भगवान श्री कृष्‍ण और सुदामा के मिलन का केन्‍द्र भी है.

 ऐसी नगरी जहां पर अष्‍टभैरव, जहां पर सप्‍तसागर, नौ नारायण और 84 महादेव हैं, मैं ऐसी नगरी से आता हूं और ऐसी नगरी से माननीय मुख्‍यमंत्री जी भी आते हैं.

अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2028 में सिंहस्‍थ प्रस्‍तावित है और यह बाबा महाकाल की कृपा है और बाबा महाकाल का यह आर्शीवाद है जो उज्‍जैन का बेटा मध्‍यप्रदेश का यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री बना और वर्ष 2028 का सिंहस्‍थ सामने दिखाई दे रहा है.

06.16 बजे {सभापति महोदय (डॉ.राजेन्‍द्र पाण्‍डेय) पीठासीन हुए}

          माननीय सभापति महोदय, इस दृष्टि से उज्‍जैन के आसपास के 60 किलोमीटर के सभी रोड फोरलोन हो यह बजट में प्रबंधन किया गया है, इसलिये मैं सम्‍मानीय देवड़ा जी का धन्‍यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं. यहां पर तुलसीराम सिलावट जी, आदरणीय जलसंसाधन मंत्री जी भी उपस्थित हैं, मैं आज उनका भी धन्‍यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं.

          माननीय सभापति महोदय, उज्‍जैन की जीवन रेखा गंभीर डेम हुआ करती थी परंतु गंभीर डेम जब बना, वह वर्ष 1980 के सिंहस्‍थ में बना और वह आगामी 40-50 साल की दृष्टि को देखते हुए बना, उस समय उज्‍जैन की आबादी ढाई, तीन लाख हुआ करती थी और जब से उज्‍जैन में माननीय प्रधानमंत्री जी ने महाकाल लोक का उद्घाटन किया लोकार्पण किया, उसके बाद से उज्‍जैन के अंदर दो लाख लोगों का प्रतिदिन आगमन हो रहा है और उज्‍जैन चूंकि  धार्मिक नगरी है, इसलिये रिटायर होने के बाद या अन्‍य स्‍थानों से इस धार्मिक नगरी में अपने आपको पुण्‍य प्राप्‍त करने के लिये भी तेज गति से वहां पर बसाहट प्रारंभ हो गई है, और वर्तमान में अभी अनुमानित आठ से नौ लाख की आबादी का शहर हो गया है. माननीय जल संसाधन मंत्री जी ने माननीय मुख्‍यमंत्री जी के निर्देश पर सेवरखेड़ी डेम परियोजना को वहां पर शिलान्‍यास करके उज्‍जैन की जनता को जो लाभ पहुंचाया गया है, उसके लिये मैं मध्‍यप्रदेश की सरकार का, माननीय मुख्‍यमंत्री जी का और माननीय देवड़ा जी और माननीय तुलसीराम सिलावट जी का बहुत-बहुत धन्‍यवाद करना चाहता हूं. साथ में तुलसीराम भईया आपने तो वास्‍तव में उज्‍जैन के लिये आपने नदी क्षिप्रा मईया को, क्षिप्रा मईया शुद्ध रहे, क्षिप्रा मईया निर्मल बहती रहे, क्षिप्रा मईया में अमावस्‍या या अन्‍य अन्‍य त्‍यौहारों के या कार्तिक पूनम के स्‍नान ठीक प्रकार से हो, अच्‍छे पानी से हो, शुद्ध पानी में हो, इस दिशा में जो कान्‍ह नदी इंदौर से आती थी, उस कान्‍ह नदी को कान्‍ह डक्‍ट परियोजना के माध्‍यम से परिवर्तित करने का काम हमारी सरकार ने किया है. (मेजों की थपथपाहट) और उस कान्‍ह डक्‍ट परियोजना के लंबे क्षेत्र में चार ई.टी.पी. प्‍लांट लगेंगे. Effluent Treatment Plants  वहां पर उच्‍च स्‍तर की प्रयोगशाला होगी उसमें पानी की पी.एच. वेल्‍यू हार्डनेस टोटल वेल्‍यू, सी.ए.बी., बी.ओ.बी., सब चेक होकर के वहां पानी छोड़ा जायेगा, ताकि आगे भी किसी प्रकार से उस पानी का उपयोग करें, तो किसी को नुकसान नहीं हो.

            माननीय सभापति महोदय, यह सरकार सिंहस्‍थ की दृष्टि से, सिंहस्‍थ का क्षेत्र और विकसित हो, सिंहस्‍थ के चारों तरफ, सिंहस्‍थ के आंतरिक विकास के लिये, आदरणीय वित्‍तमंत्री जी ने आंतरिक विकास के लिये पांच सौ करोड़ रूपये स्‍वीकृत किये हैं. मैं चाहता हूं उज्‍जैनी हम सबकी है, पूरा सदन देवड़ा जी के लिये और माननीय मुख्‍यमंत्री जी के लिये तालियां बजाए कि आपने 500 करोड़ रूपये उज्‍जैन के आंतरिक विकास के लिये इस बजट में प्रावधान किया है. (मेजों की थपथपाहट) माननीय सभापति महोदय, मैं स्‍वयं उज्‍जैन से चुनाव  लड़ा और मेरे ही क्षेत्र में पूरा सिंहस्‍थ आता है. पूरा चुनाव मैंने एक एक्टिवा से लड़ा, एक फोर व्‍हीलर की परमीशन करवाई, वह फोर व्‍हीलर भी अंदर नहीं जा पाई क्‍योंकि इतनी रोडें संकरी हैं और वहां 18 हजार से 20 हजार ई रिक्‍शा हो गई हैं, इसलिये ई-रिक्‍शा पर भी कोई पॉलिसी इस सरकार को तय करना पड़ेगी, लाईसेंस पॉलिसी क्‍योंकि ईको फ्रैंडली के नाम पर उस ई-रिक्‍शा की कोई पॉलिसी नहीं है. इसलिये उज्‍जैन शहर के सभी मार्गों के चौड़ीकरण के लिये और आंतरिक विकास के लिये माननीय देवड़ा जी, माननीय वित्‍तमंत्री जी आपने तो अपना अगला लोक भी इस पुण्‍य के द्वारा कमा लिया है आपने उज्‍जैन को गौरवशाली उज्‍जैन बनाने में, जो आपने अपने खुले हाथ से 500 करोड़ और रोड के विकास के लिये अनेकों योजनायें दी हैं, इसलिये मैं माननीय वित्‍तमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्‍यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं. माननीय सभापति महोदय, माननीय प्रधानमंत्री जी ने उज्‍जैन के अंदर जहां देशांतर और कर्क रेखाओं का मिलन है और इसलिये हम चूंकि टाइम की गणना का केन्‍द्र गिनविस को मानते हैं, जबकि टाइम गणना का केन्‍द्र उज्‍जैन में है और माननीय प्रधानमंत्री जी ने वैदिक घड़ी का उदघाटन करके सारे विश्‍व को संदेश देने का काम किया है. माननीय सभापति महोदय, हमारे संवेदनशील मुख्‍यमंत्री जी और हमारे वित्‍तमंत्री जी ने जिस तरह से कैदियों के श्रम के वेतन की वृद्धि की है उसके बाद यदि कोई कैदी छूट जाता है और उसके पास पैसा नहीं है जुर्माने का तो वह काम भी भारतीय जनता पार्टी की डॉ. मोहन यादव जी की संवेदनशील सरकार करने वाली है. हमने अंतर्राज्‍यीय जो नाके हैं भ्रष्‍टाचार पर लगाम लगे, भ्रष्‍टाचार मुक्‍त मध्‍यप्रदेश हो इस दिशा में दमदारी से काम करने का काम हमारी सरकार मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में कर रही है और अंतर्राज्‍यीय नाकों पर 1 जुलाई से प्रतिबंध लगाने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. माननीय सभापति महोदय, हमारी बहन बेटियां सुबह उठकर खेत और खलिहान में जाती थीं, निंदाई और खुदाई करती थीं, उनके कपड़ों में बदबू आ जाती थी, वह घर जाती थीं खाना बनाकर के फिर सो जाती थीं, क्‍या उनके जीवन में लाइफबाय और रेक्‍सोना का आनंद लेने का समय नहीं था, क्‍या उन्‍हें पाउडर और क्रीम लगाने का सौभाग्‍य नहीं मिलना चाहिये, उनको भी बराबर का हक मिलना चाहिये. इसलिये माननीय मुख्‍यमंत्री जी और माननीय वित्‍तमंत्री जी ने लाड़ली बहना के माध्‍यम से उन बहनों का जीवन स्‍तर ऊंचा उठाने का काम किया है. सरकार के अनेक काम में एक काम और महत्‍वपूर्ण जो 30 करोड़ रूपये Soil परीक्षण का जो काम किया है यह महत्‍वपूर्ण काम है. Yellow soil, Black soil, grew soil, सेंट आधारित Soil, स्‍टोन आधारित Soil यह अनेक प्रकार की Soil का यदि परीक्षण होकर के उस जिले के उस क्षेत्र के ग्राम सेवक से यदि टाइअप करा देंगे तो वह ग्राम सेवक उस किसान को उचित परामर्श देंगे कि यहां पर कौन सी फसल उपजाऊ हो सकती है इस दिशा में भी हमारी सरकार ने काम किया है.

          माननीय सभापति महोदय भगवान श्री कृष्‍ण के संदेशों को पहुंचाने के लिये उनके मार्ग पर जहां-जहां भी हैं उन संदेशों को ध्‍यान में रखते हुये वहां आस्‍था के केन्‍द्र बनाने का काम हमारी सरकार ने किया है, संस्‍कृति विभाग ने किया है, क्‍योंकि हमारे मुख्‍यमंत्री संस्‍कृति के संवर्धक है इसलिये वर्ष 2023 और 2024 के बजट में संस्‍कृति के लिये ढाई गुना जो बजट की वृद्धि की है इसलिये मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी और माननीय वित्‍तमंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं. भारत के महानायकों को हम हमेशा-हमेशा के लिये याद करते रहें और उनका जीवन परिचय और उन्‍होंने जो काम किया है इसके लिये वीर भारत न्‍यास की जो स्‍थापना की गई है इसलिये माननीय मुख्‍यमंत्री जी का और माननीय देवड़ा जी का बहुत-बहुत धन्‍यवाद ज्ञापित करते हैं. हमारे 11 करोड़ पर्यटक मध्‍यप्रदेश में बढ़े हैं. माननीय सभापति महोदय, मैं इसमें इसलिये बल दे रहा हूं यदि हमारा रोड इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, हमारा रेल इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, हमारा एयर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर ठीक है इस कारण से 11 करोड़ पर्यटक बढ़े हैं, यह कोई छोटी मोटी बात नहीं है. यह इस सरकार की विकास की चहूमुंखी क्षेत्र में उपलब्‍धता को दिखाने का काम कर रही है. धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने के लिये धार्मिक हवाई सेवा और उस सेवा का भागीदार मैं और मेरा विधायक साथी भाई सतीश मालवीय जी ने हमने पहली यात्रा उज्‍जैन से ओंकारेश्‍वर करके अब धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का काम आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी कर रहे हैं. अनेकों काम माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने किये हैं एक बात कहकर के जो मुख्यमंत्री जी ने हमको 5-5 लाख रुपये ई आफिस के लिये दिये हैं वह कोई छोटा-मोटा काम नहीं. हम टेक्नालाजी से जुड़ें. हम आई.टी. से जुड़ें इसको ध्यान में रखते हुए हमारे आफिस ठीक प्रकार से चलें इन बातों को ध्यान में रखते हुए ई आफिस के लिये 5-5 लाख रुपये दिये हैं उसके लिये  मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. माननीय देवड़ा जी और माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस मध्यप्रदेश के भविष्य के लिये सकारात्मक,विकसित और चहुमुखी मध्यप्रदेश का विकास हो इसका ध्यान रखा. धन्यवाद.

          श्री राजेन्द्र भारती(दतिया) - माननीय सभापति महोदय, माननीय जगदीश देवड़ा जी ने जो बजट प्रस्ताव रखा है उस बजट प्रस्ताव में, उस किताब में, जो कुछ उन्होंने कहा और अंत में उन्होंने एक बात कह दी है कि यह मान्यता है कि बजट महज आंकड़ों का ही खेल है. आपने सारे बजट पर एक प्रश्न चिन्ह लगा दिया है कि यह बजट सत्य है या सत्य से परे. दूसरी बात मैं कहना चाहता हूं कि आपने बजट के अंदर जितना प्रावधान रखा है और जितना इंफ्रास्ट्रक्चर पर, खास कर निर्माण कार्यों पर, जो भ्रष्टाचार होगा या होता आ रहा है उस पर आपने किसी भी प्रकार का प्रतिबंध लगाने का काम नहीं किया और इस पूरे बजट भाषण में आपने जो नियंत्रण करने वाली एक मात्र संस्था है लोकायुक्त, लोकायुक्त के मामले में आपने एक भी शब्द इस पूरे बजट भाषण में नहीं कहा इसका मतलब यह है कि पूरी सरकार भ्रष्टाचार पर नियंत्रण नहीं करना चाहती. यदि आप नियंत्रण करना चाहते तो लोकायुक्त का उद्धरण  इसमें देते कि लोकायुक्त ने अभी तक कितना काम किया है इस मध्यप्रदेश में और विशेषकर एंटी करप्शन एक्ट,जो आपका एंटी करप्शन एक्ट है उस एक्ट के मुताबिक अभी तक कितने अधिकारियों,कर्मचारियों के खिलाफ मामले बने. कितनों के खिलाफ सरकार ने चालान पेश करने की अनुमति दी. यह कहीं भी इसमें उल्लेख नहीं है और न ही सरकार ने इस बारे में कुछ बोला या बताया है. एक और बात,आपके जितने भी प्रकरण लोकायुक्त में बनते हैं उसमें चालान पेश नहीं हो रहे हैं. जो आयोग बने हैं. मध्यप्रदेश सरकार ने जो आयोग बनाए हैं. उन आयोगों की जांच, उनका प्रतिवेदन,उनकी रिपोर्ट सरकार के द्वारा पटल पर नहीं रखी गई. आप जांच आयोग बनाते हैं. जांच आयोग के बाद उस पर क्या कार्यवाही होनी चाहिये सुझाव के अनुसार, वह कार्यवाही भी किसी को ज्ञात नहीं है और न किसी को यह जानकारी है कि आपने अभी तक उन जांच आयोगों पर क्या कार्यवाही की है. बजट भाषण में नीति आयोग यह कहता है. नीति आयोग ने कहा है कि भारत सरकार द्वारा जनवरी,2024 में जारी रिपोर्ट के अनुसार 2013-14 से 2022-23 की अवधि में 2 करोड़ 30 लाख लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आये. दूसरी तरफ आप बिन्दु क्र.45 में यह कहते हैं कि साढ़े सात करोड़ हमारे मध्यप्रदेश की जनसंख्या है. उस जनसंख्या में आप 5 करोड़ 37 लाख हितग्राहियों को नि:शुल्क खाद्यान्न देते हैं. यह विरोधाभासी बात आपके बजट में है. हम किस बात को सत्य मानें. या तो आप गरीबी रेखा से बाहर लाये या आप गरीबी रेखा के अंदर अभी भी लोगों को रखे हुए हैं. आपका जो भी बजट है, उस बजट का लाभ गरीबों तक नहीं पहुँच रहा है. वह लाभ जो मिडिल क्‍लास लोग हैं, निश्‍चित रूप से उन तक पहुँच कर बर्बाद हो जाता है. भ्रष्‍टाचार में चला जाता है. इस पर आप नियंत्रण रखने की बात करिए. माननीय सभापति महोदय, तुलसी भाई यहां पर बैठे हुए हैं. मैं उनका ध्‍यान आकर्षित कराना चाहूँगा कि हमारे पूर्व मुख्‍यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी दतिया गए, उन्‍होंने एक उदगवां सर्किल है, वहां पर लोकसभा चुनाव में, विधान सभा चुनाव में जाकर यह बोला कि 50-60 गांव जो असिंचित हैं, उनको हम सिंचित करेंगे, लेकिन आज तक उनको सिंचित करने के संबंध में शासन के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई. इसी प्रकार माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने सभी सम्‍माननीय विधायकों को, खासकर के सत्‍ता पक्ष के विधायकों को 15-15 करोड़ रुपये विकास कार्यों के लिए दिया है. हम और आप ये शपथ लेते हैं कि पक्षपात नहीं करेंगे, भेदभाव नहीं करेंगे, इसके बाद हमारे जो कांग्रेस पक्ष के विधायक हैं, उन विधायकों से 5-5 करोड़ रुपये के प्रस्‍ताव लेने के बाद भी एक भी निर्माण कार्य नहीं दिया गया है. इसलिए मैं आपके माध्‍यम से निवेदन करना चाहूँगा कि इस पर भी सरकार ध्‍यान दे और हमारे क्षेत्र के लिए जो हमने प्रस्‍ताव दिए हैं, उनको गंभीरता से ले. विधायक, चाहे वह कांग्रेस पक्ष का हो, चाहे वह सत्‍ता पक्ष का हो, जनता उसे चुनकर भेजती है. हम लोगों का दायित्‍व होता है और आपका भी दायित्‍व बनता है कि आप उसके अनुसार काम करें. आपने मुझे समय दिया, मैं आपके कहने से पहले ही अपनी बात समाप्‍त करता हूँ. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री महेश परमार (तराना) -- आदरणीय सभापति महोदय, हमारे आदरणीय साथी विधायक को आपने काफी समय दिया. भगवान महाकाल के हमारे आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी हैं, हमारे उज्‍जैन संभाग के आदरणीय उप मुख्‍यमंत्री, वित्‍त मंत्री जी हैं और आप भी आदरणीय सभापति महोदय उज्‍जैन संभाग में ही आते हैं. सभापति महोदय, जितनी कृपा आपने आदरणीय अनिल जैन साहब पर की है, उससे कहीं ज्‍यादा मुझ पर करे, मेरी ऐसी प्रार्थना आपसे है.

          आदरणीय सभापति महोदय, मुझे एक बात समझ में नहीं आई कि आदरणीय पूर्व विधान सभा अध्‍यक्ष जी जब बोल रहे थे तो मैंने उनको पिछली बार भी सुना था, तराना विधान सभा की जनता जनार्दन के आशीर्वाद से मुझे दूसरी बार विधान सभा में आने का अवसर मिला है. मुझे यह बात समझ में नहीं आई कि किस तरह से असत्‍य बात को सत्‍य के रूप में परोसा जाता है, उस पक्ष में कौन सी पाठशाला में सिखाया जाता है, लगभग 6 वर्षों में यह बात मैं आज तक समझ नहीं पाया. बड़े-बड़े दावे हो रहे थे कि अभी तक मध्‍यप्रदेश का सबसे बड़ा बजट कल पेश हुआ. आदरणीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूँ कि अभी तक, आजादी के बाद, मध्‍यप्रदेश में सबसे ज्‍यादा कर्ज का बोझ इस सरकार ने दिया है. उज्‍जैन भगवान महाकाल लोक है, आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी जब मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने, भगवान महाकाल की कृपा से हमें उनसे काफी उम्‍मीद थी, लेकिन आदरणीय सभापति महोदय, आज उज्‍जैन की पहचान भगवान महाकाल के रूप में होती है. विश्‍व का सबसे बड़ा मेला, सनातन मेला, सिंहस्‍थ मेला वहां होना है और जैसा कि मेरे साथी विधायक ने कहा कि उज्‍जैन में वर्ष 1980 में गंभीर डैम बना, वे हमारे साथी यहां से चले गए, सन 1991-92 में पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय पी.वी. नरसिंहराव ने जी इसका लोकार्पण किया था, इसका उद्घाटन किया था. आदरणीय सभापति महोदय, विश्‍व का सबसे बड़ा सनातन का मेला, सिंहस्‍थ मेला उज्‍जैन में होना है, यह हम सबके लिए बड़े गौरव की बात है, लेकिन आज तक पेयजल के लिए दूसरी कोई कार्ययोजना इस सरकार ने उज्‍जैन में नहीं बनाई. मैं पूछना चाहता हूँ कि इतने बड़े मेले में पूरे विश्‍व के लोग, करोड़ों लोग उज्‍जैन में क्षिप्रा मां में डुबकी लगाने आएंगे तो पेयजल की व्‍यवस्‍था कहां से करेंगे. आदरणीय सभापति महोदय, बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन उज्जैन शहर की आज ये स्‍थिति है कि आधे शहर में आज पेयजल की व्‍यवस्‍था नहीं है. आदरणीय सभापति महोदय, भगवान महाकाल, क्षिप्रा मां, हरसिद्धी मां, चिंतामण गणेश मंदिर, काल भैरव, मंगलनाथ भगवान हैं. आप अगर एक क्विंटल चावल लेकर उज्‍जैन में दर्शन करने जाएंगे, तो चावल भी कम पड़ जाएंगे, वहां इतने मंदिर हैं, भगवान महाकाल की कृपा से स्‍वर्ग के समान हमारा उज्‍जैन है. यह बड़े शर्म की बात है कि पूरे विश्‍व में भगवान महाकाल के कारण, सिंहस्‍थ मेले के कारण क्षिप्रा मां के कारण और भगवान श्रीकृष्‍ण की शिक्षास्‍थली के रूप में हमारी पहचान थी. लेकिन इस सरकार ने महाकाल लोक का भ्रष्‍टाचार करके हम सब उज्‍जैनवासी और मध्‍यप्रदेशवासियों को नीचा दिखाने का कार्य किया है.

          सभापति महोदय, लोकायुक्‍त में आज जांच चल रही है, तीन-तीन आईएएस अधिकारी, उनको पुरस्‍कृत किया जाता है. उसमें से एक अधिकारी को भोपाल का कलेक्‍टर बनाया, आज वह भ्रष्‍ट अधिकारी इन्‍दौर का कलेक्‍टर बना बैठा है. महाकाल लोक में भ्रष्‍टाचार जिनके संरक्षण में हुआ है, जब वह वहां कलेक्‍टर थे, वह सब आज कहीं कलेक्‍टर बनकर बैठे हुए हैं. मैं आपके माध्‍यम से निवेदन करना चाहता हूँ कि ऐसे भ्रष्‍ट अधिकारियों के खिलाफ यह सरकार जांच कमेटी बनाये और उनको सजा मिले. इसके बाद आपको एक बात और बताना चाहता हूँ कि उज्‍जैन में भगवान महाकाल के नाम से भगवान महाकाल की प्रबंध समिति की लगभग 100 बीघा जमीन इस सरकार ने यूडीए के माध्‍यम से नीलाम कर दी, उसमें योजना बनाई. यह योजना इसलिए बनाई कि ओमेक्‍स सिटी के भू माफिया की जमीन उस जमीन से लगी हुई थी, सनातन धर्म की जमीन भगवान महाकाल की जमीन उसमें योजना बनाई, ओमेक्‍स सिटी के भूमाफियाओं को लाभ पहुँचाने के लिए भगवान महाकाल की जमीन को उस योजना में शामिल किया गया और उसे योजना से  मुक्‍त कर दिया गया. सनातन और धर्म की बात करने वाले भगवान महाकाल और राम के नाम पर वोट मांगने वाले भगवान महाकाल की जमीन इन लोगों ने नीलाम कर दी.

          सभापति महोदय, मैं आदरणीय मुख्‍यमंत्री एवं उपमुख्‍यमंत्री अभी यहां पर उपस्थित नहीं हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि यह आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी ने हमें पुरस्‍कृत किया है. यह पुरस्‍कार हमें आदरणीय देवड़ा जी ने दिया है. भगवान महाकाल की जमीन को तत्‍काल यूडीए की योजना में शामिल किया जाये एवं भगवान महाकाल की जमीन को मुक्‍त किया जाये, नहीं तो आने वाली पीढि़यां हमें कभी माफ नहीं करेंगी.

          सभापति महोदय - अब आप समाप्‍त करें. समय की मर्यादा रखें.         

          श्री महेश परमार - सभापति महोदय, आपने अनिल जैन जी पर बड़ी कृपा की है. मैं आपका ध्‍यान आकर्षित करना चाहता हूँ और आपका समय लेना चाहता हूँ. खान नदी की बात आई, इन्‍दौर नगर के 50 लाख लोगों का मल-मूत्र हमें सहन करना पड़ रहा है, खान नदी के माध्‍यम से. खान नदी और इन्‍दौर का पानी, मां क्षिप्रा नदी में मिल रहा है.  उज्‍जैन के सैकड़ों गंदे नाले मां क्षिप्रा में मिल रहे हैं, वह पानी आचमन करने योग्‍य नहीं है. जब मैंने आन्‍दोलन किया था, उसमें डुबकी लगाई थी तो आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी को भी उसमें डुबकी लगानी पड़ी. यह भगवान महाकाल और क्षिप्रा मां की कृपा है. 1,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद क्षिप्रा मां की स्थिति वही की वही बनी हुई है. फिर आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी के अधिकारियों ने फिर से इस प्रकार की योजना बनाई. सभापति महोदय मैं आपसे और सरकार से निवेदन करना चाहता हूँ कि आप पहले 1,000 करोड़ रुपये का हिसाब दीजिये कि वह रुपये कहां गए ? जब आपने वह योजना बनाई. आज मुख्‍यमंत्री एवं गृह मंत्री उज्‍जैन के हैं, उज्‍जैन की पहचान भूमाफिया, शराबमाफिया एवं अपराधमाफिया के मामले में उज्‍जैन तथा उज्‍जैन संभाग नम्‍बर वन है. आदरणीय सभापति महोदय, आप वरिष्‍ठ विधायक हैं.

            सभापति महोदय, टाटा सीवरेज की लगभग 2,000 करोड़ रुपये की योजना है, यह कार्य 2 वर्ष में पूरा होना था, उस योजना को चलते हुए 6 वर्ष हो गए हैं, उस योजना के माध्‍यम से पूरे उज्‍जैन को खोद डाला गया है. उस योजना में ठेकेदार को लाभ पहुँचाने के लिए चार बार उस योजना में परिवर्तन किया गया और उसमें धनराशि की वृद्धि की गई. यह उज्‍जैन की स्थिति है. इससे बड़ा एक कारनामा आपको बताना चाहता हूँ, शिवांगी परिसर इं‍जीनियरिंग कॉलेज के यहां एक जमीन सरकार ने अधिग्रहण की, हाउसिंग बोर्ड ने उस जमीन पर घर बनाकर लोगों को देने के लिए योजना तैयार की उस योजना के माध्‍यम से एक वर्ष तक काम चला, काम चलने के बाद, कब न्‍यायालय का निर्णय आता है, तब तक लगभग 64 लोगों को मकान आवंटित हो गए, उस जमीन पर तत्‍काल रातों-रात उस योजना को समाप्‍त कर दिया जाता है और कहा जाता है कि गलत तरीके से हाऊसिंग बोर्ड ने योजना बनाई. मैं कहना चाहता हूं कि वे कौन भ्रष्‍ट अधिकारी-कर्मचारी हैं जो भोपाल से लेकर उज्‍जैन में बैठे हैं, जिनके माध्‍यम से उस करोड़ों रुपये की जमीन पर योजना बनी और अब उस जमीन के लिए कह रहे हैं कि वह जमीन वृद्धाश्रम के लिए है तो आप वह जमीन भगवान महाकाल को दान कर दें. महाकाल प्रबंध समिति इतनी सक्षम है कि वहां वृद्धों के लिए आश्रम बना सके.

          सभापति महोदय, पूरा प्रदेश जानता है कि जब लोग महाकाल के दर्शन करने आते हैं, मुख्‍यमंत्री जी के रहते हुए, (XXX) रोज-रोज समाचार पत्रों में इलेक्‍ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में बड़ी-बड़ी खबरें छपती है.

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)-  सभापति महोदय, सदस्‍य मर्यादा रखें, बजट पर बोलें, क्‍या ये बजट का अंग है ?

(...व्‍यवधान...)

          श्री दिलीप सिंह परिहार-  मेरे भाई, भगवान महाकाल को तो माफ करो.

          श्री महेश परमार-  तुलसी भाई,  क्‍या अभी सभी बजट पर बोले ? यह मेरा दायित्‍व है, मैं भगवान महाकाल का सेवक हूं. हमें लज्ज्ति होना पड़ता है, 3-4 हजार रुपये में (XXX) दी जाती है. आप विगत एक वर्ष के समाचार-पत्र देख सकते हैं. खुलेआम (XXX) जा रही है. भगवान महाकाल प्रबंध समिति से लगभग 2 सौ बार प्रकरण दर्ज करवाने के लिए महाकाल थाने में आवेदन दिया गया है. मेरे पास ये उसके प्रमाण हैं.

(...व्‍यवधान...)

          सभापति महोदय-  आप लोग कृपया आपस में चर्चा न करें. आप सीधे विषय पर आयें और कृपया संक्षेप में अपनी बात रखें. आपका समय भी हो चुका है और सदस्‍य भी हैं.

          श्री महेश परमार-  सभापति महोदय, मैं, बजट पर बोलने के लिए केवल दो मिनट लूंगा.

(...व्‍यवधान...)

          श्री लखन पटैल-  हम भगवान महाकाल का अपमान नहीं सहेंगे.

          सभापति महोदय-  कृपया आपस में प्रत्‍यक्ष चर्चा न करें और शांति बनाये रखें.

(...व्‍यवधान...)

          श्री गौतम टेटवाल-  बाबा महाकाल हमारी श्रद्धा का विषय हैं.

          सभापति महोदय-- महेश परमार जी, कृपया शांति बनाये रखें. सदन को चलाने में सहयोग करें यह उचित तरीका नहीं है. (व्‍यवधान)

          श्री महेश परमार-- यह भगवान महांकाल का मामला है. भगवान महांकाल भ्रष्‍टाचार सहन नहीं करेंगे. (व्‍यवधान)..

          सभापति महोदय-- आप सभी कृपया शांति बनाए रखें और अपनी बात को संक्षेप में समाप्‍त करें. आभी बोलने के लिए काफी सदस्‍य बचे हैं. आप उन्‍हें भी सहयोग करें. आपकी बात शेष रहेगी तो वह अन्‍य सदस्‍यों के माध्‍यम से आ जाएगी.(व्‍यवधान)..

          श्री महेश परमार-- माननीय सभापति महोदय, मैं केवल दो मिनट का समय और लूंगा. (व्‍यवधान)

          सभापति महोदय-- आपको दस मिनट से ज्‍यादा हो गए हैं. आप केवल संक्षेप में एक मिनट में अपनी बात को समाप्‍त करें.

          श्री महेश परमार-- माननीय सभापति महोदय, मनरेगा जैसी महत्‍वपूर्ण योजना पिछले दो,तीन सालों से बंद है. खेत सड़क योजना भी बंद है. विद्युत मण्‍डल की यह व्‍यवस्‍था है कि कहीं तार है तो करेंट नहीं है और करेंट है तो खंभे नहीं है. पूरे उज्‍जैन संभाग में बहुत ही बुरी स्थिति है. स्‍कूल शिक्षा विभाग की बात करूं तो सीएम राइज़ स्‍कूल, जल जीवन मिशन में आदरणीय मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं, लेकिन पूरे प्रदेश में ही नहीं पूरे हिन्‍दुस्‍तान में यदि कोई सबसे बड़ा घोटाला है तो वह जल जीवन मिशन का है. उज्‍जैन में आकर देखिये, मेरे विधान सभा क्षेत्र तराना में आकर देखिये मेरा निवेदन है कि स्‍कूल, स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, पंचायतीराज, आजीविका मिशन इन सभी बिंदुओं में इस बजट में आमजन के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास के लिए कोई राहत नहीं है मैं ऐसे बजट का विरोध करता हूं. धन्‍यवाद.

          श्री प्रताप ग्रेवाल (अनुपस्थित)

          सभापति महोदय-- अनिल जी आप कुछ कहना चाहते हैं. 

          श्री अनिल जैन-- माननीय सभापति महोदय, बाबा महांकाल की गौरवशाली नगरी और हम सभी का दायित्‍व है कि पर्यटन का क्षेत्र हो या दर्शन का क्षेत्र हो भस्‍मआरती (व्‍यवधान)....

          सभापति महोदय-- कृपया आप बैठ जाइए. यह बात आ चुकी है. आप भाषण दे चुके हैं. (व्‍यवधान)

          श्री अनिल जैन--सभापति महोदय, भस्‍म आरती बेंचे जाने विषय को विलोपित किया जाए. (व्‍यवधान) ...

          सभापति महोदय-- आप कृपया इसे विषयांतर न करें. आप सभी बैठ जाइए. 

          श्री महेश परमार-- हर-हर महादेव. क्षिप्रा मैय्या की जय हो.  (अपने आसन से खड़े होकर नारे लगाये) मैं आपके माध्‍यम से आदरणीय देवड़ा साहब और सभी मंत्रियों से कहता हूं और खास करके तुलसी भैय्या जी से कि आप एक बार क्षिप्रा मां के पानी का आचमन कर लें, एक बार डुबकी लगाएं. एक हजार करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी (व्‍यवधान)...

          श्री तुलसी राम सिलावट-- जरूर आएंगे.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदय, कौन बोल रहा है क्‍या है यह सब आप व्‍यवस्‍था दीजिए.  (व्‍यवधान)

          सभापति महोदय-- कृपया आप सभी माननीय सदस्‍या को बोलने दीजिए. कृपया शांति बनाए रखें. (व्‍यवधान)

           श्रीमती सेना महेश पटेल (जोबट)-- माननीय सभापति महोदय, जिस तरह से बजट पर चर्चा हो रही है, यहां पर बहुत ज्‍यादा शोर-शराबे के बीच चर्चा चल रही है, लेकिन हकीकत तो यह है कि प्रदेश में 25 लाख 82 हजार 759 युवा बेरोजगार हैं जिनको अभी तक रोजगार नहीं दिया गया है. युवाओं को रोजगार देने के लिए इस बजट में कोई भी प्रावधान नहीं रखा गया है ऐसा क्‍यों? समस्‍त विभागों में जिस तरह से रिक्‍त पद पड़े हुए हैं हम सब चाहते हैं कि इन रिक्‍त पदों को भरने के लिए इन युवाओं को रोजगार देने का काम किया जाए. ताकि हर विभाग में जो फुल फ्लेश अधिकारी होना चाहिए वह नही हैं और प्रभारियों के भरोसे हमारे विभाग चल रहे हैं. ऐसे में शासन की महत्‍वपूर्ण योजनाओं को जमीन पर कैसे ले जाना है, किसके माध्‍यम से ले जाना है यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है. इसके ऊपर विचार करना चाहिए. जिस तरह से लाड़ली बहना को 1200 रुपए महीने दिये जा रहे हैं,

 

6.49 बजे           (अध्‍यक्ष महोदय {श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर} पीठासीन हुए.)

 

          श्रीमती सेना महेश पटेल-- सभापति महोदय, लेकिन बजट में तीन हजार रुपए प्रतिमाह दिये जाने का वादा किया गया था  लेकिन बजट में इसका कोई उल्‍लेख नहीं है और इसमें एक बात‍ मैं यह कहना चाहूंगी कि हमारा अलीराजपुर जिला, झाबुआ जिला, धार जिला, बड़वानी जिला और पूरे मध्यप्रदेश में अनेकों ऐसे जिले हैं. माननीय पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान जी ने घोषणा की थी कि महिलाओं को, लाड़ली बहनों को, मातृशक्ति को 1200 रुपए दिया जाएगा. महिलाएं महंगाई से परेशान होकर पलायन करके अन्य राज्यों में चली गईं थीं उनका रजिस्ट्रेशन इस योजना में नहीं हो पाया आज की तारीख में उनको वह 1200 रुपए नहीं मिल रहे हैं. मैं यह निवेदन करुंगी कि इस पोर्टल को खोला जाए और इस योजना का लाभ महिलाओं को दिया जाए.  मध्यप्रदेश में किसानों की क्या स्थिति है. किसान अन्नदाता है लेकिन आज उसकी स्थिति ऐसी हो गई है उसको समय पर खाद नहीं मिल रहा है. किसानों को समय पर बीज नहीं मिल रहा है, समय पर बिजली उपलब्ध नहीं हो रही है. किसानों की आय दोगुनी करने की बात की जा रही है लेकिन यह सब कागजों और फाइलों पर रह गई है. किसानों को एमएसपी देने की बात हो रही थी वह इस बजट में कहीं से कहीं तक नहीं है. मध्यप्रदेश की माताओं को गैस सिलेण्डर 1200 रुपए में मिल रहा है. लेकिन 400 रुपए में देने का वादा किया गया था. क्या इस बजट में इन माताओं को याद रखा गया. बजट में इसका उल्लेख होना चाहिए. 24 घंटे बिजली देने की बात होती है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है. न ही ग्रामीण क्षेत्र में हैंडपम्प खनन हो रहे हैं. न ही ग्रामीण क्षेत्र में कोई सुविधा दी जा रही है. गरीब जनता आज भी परेशान है. अलीराजपुर जिले में न तो स्कूलों में टीचर मिलेंगे और हर विभाग प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं. हर विभाग में 10-10, 12-12 साल से अधिकारी जमे हुए हैं. जिसके कारण जो काम होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है. सभी वर्गों को बजट से जो फायदा होना चाहिए वह चीज इसमें नहीं दिख रही है. इसलिए पूरा विपक्ष और हम सब मिलकर इस बजट का विरोध करते हैं. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान जी ने जो घोषणा की थी विभागवार समान कार्य, समान वेतन लेकिन वह भी आज तक लागू नहीं हुआ है. अलीराजपुर में कृषि कॉलेज, एक मेडिकल कॉलेज खोला जाए ताकि हमारे जिले के और आसपास के छात्रों को इसका लाभ मिल सके. प्रधानमंत्री आवास की मैं बात करना चाहूंगी. नगरीय क्षेत्र में इसके लिए 2 लाख 50 हजार रुपए दिए जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्र में 1 लाख 20 हजार रुपए दिए जाते हैं. हम सभी चाहते हैं कि इस महंगाई के जमाने में अगर यह राशि सभी के लिए एक समान 5 लाख रुपए कर दी जाए तो इससे सभी का फायदा होगा. संबल योजना जो चल रही है इसका पोर्टल 6-6 महीने, 1-1 साल में ओपन होता है. मैं अवगत कराना चाहती हूँ कि एक्सीडेंट केस में 4 लाख रुपए प्राप्त होते हैं, सामान्‍य मृत्‍यु पर 2 लाख रुपये प्राप्‍त होते हैं लेकिन समय अवधि साल-साल भर की होती है. इसलिये पोर्टल नहीं खुलने से उस व्‍यक्ति को इसका लाभ नहीं मिल पाता. हम यह चाहते हैं कि कम से कम तीन महीने में एक बार पोर्टल ओपन हो जाए जिससे यह राशि उन परिवारों को मिल सके. मेरे विधान सभा क्षेत्र जोबट जिला अलीराजपुर में रेलवे वहां से निकली हुई है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्रीमती सेना जी, अब थोड़ा समाप्‍त करें.

          श्रीमती सेना महेश पटेल -- जी एक प्‍वाइंट बचा है. रेलवे जो निकली हुई है और हमारे किसानों की जमीनें गई हैं, पेड़ पौधे गये हैं, लेकिन उनका उचित मुआवजा नहीं मिला, तो इसको थोड़ा संज्ञान में लीजिये ताकि हमारे किसान आदिवासी भाइयों को इसका मुआवजा मिल सके.

अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय नितिन गडकरी जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देना चाहूंगी कि मेरी विधान सभा में सेजावाड़ा से लेकर अमवा तक सिंगल पट्टी थी, लेकिन उन्‍होंने रोड सेंग्‍शन करके उसका उद्घाटन भी कर दिया, उनको बहुत बहुत धन्‍यवाद, लेकिन ठेकेदार के द्वारा कार्य अभी चालू नहीं किया गया, तो इसको संज्ञान में लिया जाए. इसके पश्‍चात् अलीराजपुर नगर जिला मुख्‍यालय है, हम चाहेंगे कि नगरीय क्षेत्र में एक सीवेज़ लाईन का प्रावधान किया जाए ताकि हम सब नगरवासी उसका लाभ ले सकें. यह सब प्‍वाइंट जो मैंने रखे हैं इसके ऊपर वित्‍तमंत्री महोदय विशेष ध्‍यान दें. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद. जय हिंद. जय भारत.

          श्री भैरो सिंह ‘’बापू’’ (सुसनेर) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं धन्‍यवाद देता हूं कि मुझे बोलने का मौका मिला. मेरी विधान सभा के नलखेड़ा में पाण्‍डव कालीन विश्‍व प्रसिद्ध स्‍वयंभू सिद्धपीठ मॉं बगलामुखी मंदिर है, जहां पर योगेश्‍वर भगवान श्रीकृष्‍ण की प्रेरणा से महाभारत युद्ध में विजय प्राप्ति हेतु पाण्‍डवों ने तपश्‍या की थी. जो अपने आप में एक चमत्‍कारिक और बहुत ही प्रसिद्ध धाम है. स्‍वयंभू त्रिशक्ति ब्रह्मास्‍त्र विद्या के रूप में माता के मंदिर की चारों दिशाओं में चार श्‍मशान तथा पश्चिम दिशा में लखुंदर लक्ष्‍मणा नदी के तट पर विराजित मॉं का चमत्‍कारिक दरबार अश्‍चर्यजनक शक्तियों से संपन्‍न है. यहां देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी प्रतिदिन हजारों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन, पूजा करने आते हैं. जहां दोनों नवरात्रि में विशाल भंडारे भी होते हैं. मेरा निवेदन है और मैं माननीय अध्यक्ष जी के माध्‍यम से इस पवित्र और प्रसिद्ध धाम में मॉं बगलामुखी लोक बनाये जाने की मांग रखता हूं. मैंने पूर्व में भी माननीय मंत्रीजी से मांग रखी थी, लेकिन इस बजट के अंदर कहीं भी मॉं बगलामुखी के इस आस्‍था के केन्‍द्र में क्‍योंकि मुझे लगता है कि इस सभा के अंदर बैठे हुये 230 सदस्‍यगण जो वरिष्‍ठ हैं शायद ऐसा कोई भी नहीं होगा जो आज तक उस मॉं बगलामुखी के चरणों में आकर कुछ मांगा नहीं होगा. इस बजट के अंदर सरकार से बड़ी उम्‍मीदें थीं, तो मैं आपके माध्‍यम से इसकी मांग करता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय, बात करें लाड़ली बहना की, तो 3,000 रुपये का वादा इस सरकार की तरफ से गायब है. सबसे पहले तो सरकार को धन्‍यवाद दूंगा कि मैंने कई बार मांग रखी थी 20 रुपये जो गाय के भरण पोषण के लिये दिया जाता है उसको बढ़ाया जाए, तो सरकार ने मांग को मंजूर किया और उसको 40 रुपये किया, इसके लिये भी मैं सरकार को धन्‍यवाद ज्ञापित करता हूं. आज जो पूरे आगर क्षेत्र के अंदर गौशाला का निर्माण अधूरा है, वहां पर ना तो बिजली, ना पानी की व्‍यवस्‍था हुई है, इस बजट के अंदर कहीं न कहीं उसके लिये भी व्‍यवस्‍था की जाए. आपके माध्‍यम से पूरे आगर क्षेत्र में नीलगायों से..हमारा पूरा मालवा नीलगाय से बुरी तरह से त्रस्त है, सबसे बड़ी किसानों की समस्या नीलगाय की है. आज राजस्थान में जिस तरह से अशोक गेहलोत जी ने नीलगायों से फसल से बचाव के लिए तार की फेंसिंग के लिए राजस्थान सरकार पैसादे रही है और आज भी पैसा दे रही है. मैं यहां पर मध्यप्रदेश सरकार से मांग करूंगा कि राजस्थान सरकार की तरह वह भी यहां पर नील गायों से बचाने के लिए इस बजट के माध्यम से कुछ प्रयास करें. नील गायों से किसान को बचाया जाय और तार फेंसिंग की व्यवस्था की जाय.

          अध्यक्ष महोदय मैंने पहले भी मांग रखी थी कि कुण्डलिया सिंचाई परियोजना से वंचित छोटे क्षेत्र हों या बड़ा गांव परिसीमन क्षेत्र हो, शाजापुर जिला ही नहीं अपितु आगर मालवा पूरे जिले में जो किसान कुण्डलिया सिंचाई परियोजना से वंचित हैं उन सबको जोड़ने की व्यवस्था इस बजट के माध्यम से की जाय. एक भावांतर योजना 2019-20 में माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा दी गई थी उसमें कुछ जिले चयनित किये गये थे. उसमें शिवपुरी, रायसेन, आगरमालवा, उज्जैन, झाबुआ,खरगौन,  खण्डवा, ग्वालियर, सीहोर, रतलाम, नीमच और इंदौर,भोपाल शाजापुर मदसौर बड़वानी हरदा धार और देवास जिला  शामिल है. आजतक भावांतर योजना का पैसा किसान भाइयों को मेरे आगर मालवा जिले में नहीं मिला है. मैं अध्यक्ष जी के माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इस विषय पर आप ध्यान दें.

          अध्यक्ष महोदय 3 दिसंबर 2021 को मेरे क्षेत्र सुसनेर विधान सभा के सौयत के गांव दीवानखेड़ी के अंदर एक सैनिक की शहादत हुई थी जिसका नाम बनवारी राठौर था माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा उसे 1 करोड़ रूपये देने की घोषणा की गई थी और परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने की बात कही गई थी, आज दिनांक तक न तो पैसा मिला हैऔर न ही किसी परिवार के सदस्य को नौकरी दी गई है. मैं यहां पर आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि मंत्री जी जगदीश देवड़ा जी यहां पर उपस्थित हैं और उनके क्षेत्र का एक मामला है. आज हमारा सोंधिया राजपूत समाज जिसको आपके ही एक कर्मचारी द्वारा थाने की एफआईआर दिनांक 19-6-2004 को हुई है अगर वह दोषी है तो उसको सजा मिलनी चाहिए लेकिन उस अधिकारी ने एफआईआर में लिखा है कि उक्त आरोपीगण सोंधिया जाति के सदस्य हैं. जो कि नीमच मंदसौर चित्तौड़ में मादक पदार्थ की तस्करी करने वाले कुख्यात जाति के हैं. मेरी जाति को कुख्यात बताया गया है. मैं यहां पर मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि आप यहां पर पिछले 6-7 बार से विगत 35 वर्ष से विधान सभा में हैं और आपका सहयोग सोंधिया समाज ने कहीं न कहीं कंधे से कंथा मिलाकर किया है. मैं माननीय अध्यक्ष जी के माध्यम से आपसे निवेदन करूंगा कि आज मेरे समाज के ऊपर जिस तरह से इस अधिकारी ने अप शब्द कहते हुए, कुख्यात बताया है. उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाय. आज राजपूत सोंधिया समाज का इतिहास आपके ही जिले के अंदर सीतामऊ के राजवाडे का जो भी संग्रहालय है उसके अंदर आज भी है. अकबर से भी इस समाज ने समझौता नहीं किया था चाहे उन्होंने भूखे रहकर जंगल में रहना पसंद किया था और उस जाति को आपका एक अधिकारी कुख्यात बताता है. आपकी ही सरकार में एक मंत्री बैठे हैं वह भी मेरे सोंधिया राजपूत समाज से आते हैं, उसके खिलाफ में सख्त कार्यवाही की जाय अगर कोई आदमी दोषी होता है तो क्या जाति सूचक शब्द उसके खिलाफ कहे जायेंगे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सिर्फ मेरी ही मांग नहीं है सभी 230 विधायकों की मांग है पूरे हिन्‍दुस्‍तान के अंदर महाराष्‍ट्र विधानसभा में विधायकों की राशि 5 करोड़, दिल्‍ली के अंदर 7 करोड़, राजस्‍थान में 5 करोड़, हरियाणा में 5 करोड़, झारखण्‍ड में 5 करोड़ और पंजाब के अंदर पहले 3 करोड़ थी. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा विकास के लिए आप तत्‍पर हैं, मुख्‍यमंत्री जी तत्‍पर हैं तो क्‍यों न सभी विधायकों की राशि मध्‍यप्रदेश के अंदर 5 करोड़ की जाए. मैं सत्‍ता पक्ष से भी निवेदन करूंगा हालांकि आपको जरूरत नहीं है क्‍योकि आपको 15 करोड़ मिल गए हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय वित्‍त मंत्री जी मैं समझता हूं कि भैरोसिंह जी ने जो जाति सूचक वाला विषय उठाया है, उसे सरकार को संज्ञान में लेना चाहिए.

          श्री जगदीश देवड़ा - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसको गंभीरता से लेंगे;

          श्री केदार चिड़ाभाई डाबर (भगवानपुरा) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. मैं आदिवासी विधानसभा क्षेत्र से हूं और आदिवासी हूं. मैं जनजाति कार्य विभाग से ही अपनी बात की  शुरूआत करता हूं जहां हजारों करोड़ का बजट आदिवासियों के उत्‍थान के लिए, उनके क्षेत्र में उत्‍थान के लिए दिया जाता है लेकिन क्षेत्र में जो शिक्षा की गति है आदिवासी क्ष्‍ोत्र में जो माध्‍यमिक विद्यालय प्राथमिक, विद्यालय जो चल रहे हैं अधिकांश भवन वर्षों पुराने होकर जर्जर हो गए हैं उसमें बच्‍चे तक नहीं बैठ पाते हैं और वह अपनी शिक्षा प्राप्‍त नहीं कर पाते है.

          अध्‍यक्ष महोदय - मुझे लगता है सभी सदस्‍यों से मेरा अनुरोध है क्षेत्र की सीधी सीधी बात अगर हम 3 मिनट में रख देंगे तो सब लोगों को अवसर मिल जाएगा नहीं तो कुछ लोगों को छोड़ना पड़ेगा क्‍योंकि बोलने वालों की संख्‍या ज्‍यादा है और मेरी विवशता है इसलिए मेरा आप सभी से आग्रह है कि कार्यवाही में सहयोग प्रदान करें.

          श्री केदार चिड़ाभाई डाबर- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहूंगा मेरी विधानसभा क्षेत्र मे जो बालक-बालिकाएं दूर दूर तक पढ़ने नहीं जा पाती हैं. जैसे ग्राम सांवरपाठ, सिरबेल, दस्‍नाबल, दामखेड़ा में आदिवासी बालक छात्रावास खोले जाएं साथ ही सेगांव मेरा ब्‍लाक मुख्‍यालय है, भगवानपुरा मेरा विधानसभा मुख्‍यालय है और बिष्‍ठान बड़ा कस्‍बा है वहां जो छात्रावास संचालित हैं उसमें 100-100 सीटें बढ़ाई जाएं. वर्षों से जो सीटों की  स्‍वीकृति है, उसमें बढ़़ोत्‍तरी नहीं हुई है बच्‍चों को इधर उधर पढ़ने जाने में दिक्‍कत होती है. साथ ही खरगौन हमारा जिला मुख्‍यालय है. चार किलोमीटर के बाद से मेरा विधानसभा क्षेत्र मुख्‍यालय से लगता है यहां पर उच्‍च शिक्षा के लिए जो छात्र छात्राएं आते हैं उनको रहने की सुविधाएं नहीं मिल पाती है  और वह किराए के आवास में रहते हैं, जिन्‍हें भवन मालिक ज्‍यादा दिन तक नहीं रहने देते हैं. वहां पर बालक बालिकाओं के लिए 500-500 सीटर नवीन छात्रावास खोले जाएं और वहां की जो वर्तमान में संचालित आदिवासी बालक छात्रावास है और बालिका छात्रावास है, उसमें 100-100 सीटर बढ़ाई जाए. साथ ही तलकपुरा और केलीबड़ौद कस्‍बे हैं  यहां पर हायर सेकेण्‍ड्री स्‍कूल संचालित है लेकिन भवन नहीं होने से बच्‍चों को काफी दिक्‍कत होती है वहां नवीन भवन स्‍वीकृत किया जाए. नर्मदा घाटी विकास, जल संसाधन विभाग की बात करूं तो  मेरे विधानसभा क्ष्‍ोत्र में नांगलवाड़ी माइक्रोउद्वहन सिंचाई योजना चल रही है साथ ही बिष्‍ठान उद्वहन सिंचाई योजना चल रही है. यहां पर अधिकांश गांवों को अधूरा लिया गया है और शेष गांव जो छूट गए हैं ऐसे गांव को इस परियोजना में जोड़ा जाए जैसे माइक्रोउद्वहन सिंचाई योजना में तीरी सतावड़ चीजगांव आंचलबाडी़ केली लावड्यापानी देवली सांगवी क्षितिनपानी क्षितिपुरा सिनखेड़ी नवाड़ बालकी नवाड़ सिलोटिया नवाड़ खोलगांव जामनिया के ग्राम जो छूट गए हैं इनको नागलवाड़ी उद्वहन में जोड़े और शेष भाग को जोड़कर उसमें काम किया जाए मैं स्‍कूल शिक्षा विभाग से बात करूंगा. माननीय अध्‍यक्ष महोदय धन्‍यवाद.

 

7.10 बजे                                     अध्यक्षीय घोषणा

    सदन के समय में वृद्धि विषयक

                   अध्यक्ष महोदय--  वर्ष 2024-2025  के  आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा  पूर्ण होने तक सदन के समय में  वृद्धि की जाये.  मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.

                                                          (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

7.11             वर्ष 2024-2025 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमशः)

                    श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)-- अध्यक्ष महोदय, मैं  वर्ष 2024-2025 के बजट का विरोध करता हूं.  मैं भी  मां नर्मदा की उस   पावन भूमि से आता हूं, जो मां नर्मदा  इस  मध्यप्रदेश  की जीवनदायिनी है.  लाखों करोड़ों  लोग   मां नर्मदा के तट पर. उसकी अमृत    धारा और जल से  जीवन यापन  कर रहे हैं  और यह विश्व की एक ऐसी नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है.  इसके उदगम स्थल अमरकंटक के विकास  के लिये  इस बजट में कोई प्रावधान नहीं  किया गया है. उसके सौंदर्यीकरण, रख रखाव के लिये,  उसके भू कटाव के लिये,  जो छोटी छोटी नदियां मां नर्मदा में जाकर के प्रवाहित हो रही हैं,  उस गांव का, शहर का गंदा पानी  जाकर के  मां के जल में प्रवाहित  हो रहा है,  उसको रोकने की कोई  व्यवस्था सरकार  के पास नहीं है.  मां नर्मदा के   नाम का ये उपयोग करते हैं, उसके जल का  उपयोग करते हैं, लेकिन  उसकी व्यवस्था  करने में  सरकार पता नहीं क्यों  असमर्थ है.  मैं निवेदन करना चाहूंगा कि  मां नर्मदा  में जहां लाखों, करोड़ों  लोग, चाहे महाशिवरात्रि में  हों,  चाहे  मां नर्मदा की जयंती के अवसर  पर वहां देश विदेश के लोग  आते रहते हैं.  वहां की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिये.  मैं तो आभार व्यक्त करता हूं माननीय पूर्व केंद्रीय  मंत्री,  हमारे पटेल साहब का. आपने  50 करोड़ रुपया  वहां के सौंदर्यीकरण के लिये दिये.  इसके लिये मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं.  उससे दोनों तटों  में,  उत्तर और दक्षिण  तट  का विकास हुआ.  वहां गार्डन बनें और  आज वह देखने लायक हैं.  घाटों का  निर्माण किया गया.  यदि इस बजट में भी थोड़ा सा   प्रावधान  उसके लिये किया गया होता,  तो मैं समझता  हूं कि  वहां की और सुन्दर व्यवस्था  होती और  वहां  लोग जाते हैं, तो पता नहीं क्यों ऐसा  वहां जाने से लोग कतराते हैं,  वहां पर सुविधा न होने के कारण.  तो मैं चाहता हूं कि आने वाले समय में  वित्त  मंत्री जी मां नर्मदा  के विकास पर भी जरा ध्यान देंगे, तो   इस पूरी सरकार के ऊपर भी  मां नर्मदा कृपा करेगी. अध्यक्ष महोदय, एक उप संचालक उमरिया में है, 8 साल से है,  भू संरक्षण अधिकारी है,प्रभारी उप संचालक है.  उनका एक ऑडियो वायरल  हुआ और  उस ऑडियो में  पैसे का लेन देन, मंत्री का लेन देन, गुप-चुप बातें, वह सारी चीजें हैं.  मेरे पास वह है और उस ऑडियो के आधार पर  कमिश्नर, शहडोल ने  जांच की, तथ्य को सही पाया गया,  उन्होंने अपनी टीप में लिखा कि  उसने इस कृत्य  से  उमरिया  जिले की  छबि  को  खराब किया है. इसके कारण  उनको निलम्बित कर दिया गया.  इसके  10-15  दिन बाद  पता नहीं  किस का फोन गया, कैसे गया.  निलम्बित व्यक्ति को,  जिन्होंने  इतना बड़ा  घपला, घोटाला किया और उसके बाद  उसको उमरिया में ही पदस्थ कर दिया गया.  मैं सरकार  से  और मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि  इसमें ऐसे व्यक्ति,  जिसके विरुद्ध अभी जांच चल रही है,  वहीं  आपने जो हैं पुनः  उसको भ्रष्टाचार   करने के लिये  वहां पदस्थ कर दिया. उसमें बीज की भी बात आई है,  खाद की भी बात आई है कि  आप 3 हजार के खाद को  कैसे 2500 में दे रहे हैं.  वह भी ऑडियो में है.  तो  इस तरीके से  वहां पर हुआ है, तो मैं  यह चाहता हूं कि  उस पर कार्यवाही करें,  ताकि एक अच्छा संदेश सरकार  का जाना चाहिये कि आप अच्छा काम कर रहे हैं.  अध्यक्ष महोदय, अभी मैंने वन  एवं पर्यावरण पर चर्चा  नहीं की है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- मार्को जी, समाप्‍त करें. सवाल यह है कि इस चर्चा में तो एक घण्‍टा लग सकता है. लेकिन समय की सीमा है.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को:- अध्‍यक्ष महोदय, मैं बड़ी धैर्यता से बैठा रहा.

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं, अभी और लोगों को भी धैर्यता से बैठना है.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को:- अध्‍यक्ष महोदय, मैं पर्यावरण पर दो शब्‍द कहूंगा. चूंकि सरकार का आदेश है, उस पर बात करूंगा. सिंगल बैग पॉलिथिन पर सरकार ने बैन लगा दिया है कि इसका किसी प्रकार भी उपयोग नहीं किया जायेगा. परंतु धड़ल्‍ले से आज बिक रही है. नाली में, खेत में, खलिहान में पूरी पॉलिथिन उड़कर जा रही है. इस पर आपका आदेश है, निर्देश हैं तो इसका आप पालन क्‍यों नहीं कर रहे हैं. इससे हमारा कृषि पर प्रभाव पड़ रहा है, जल पर प्रभाव पड़ रहा है, प्रदूषण पर पड़ रहा है. अब मैं विकास की बात कर लेता हूं. अनूपपुर जिले में रेत का वर्ष 2023-24 में 18 खदानों का इन्‍होंने टेण्‍डर कर दिया उस समय वह राशि 40-42 करोड़ थी और उसी खदानों का जब टेण्‍डर वर्ष 2024-25 में कर रहे हैं तो वह राशि घटकर के 18 करोड़ हो गयी और 18 करोड़ में से वह ठेकेदार मात्र 9 करोड़ रूपये जमा करेगा. इस बार विभाग की सांठगांठ से मात्र पांच आवेदन आये और उन टेण्‍डरधारियों को बुलाकर के जिसने सबसे कम रेट में टेण्‍डर भरा उसको स्‍वीकृत कर दिया गया. इस तरीके से जहां हमारे जिले का राजस्‍व 42 करोड़ रूपये की रायल्‍टी थी, वह 18 करोड़ से अब मात्र 9 करोड़ रूपये सरकार को मिलेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय:- मार्को जी, आपकी बात आ गयी है, अब आप समाप्‍त करें. श्री दिनेश जी.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को:- अध्‍यक्ष महोदय, मात्र दो बातें हैं. एक तो माननीय वित्‍त मंत्री जी बैठे हैं उनसे आग्रह है कि ग्राम पंचायत कंचनपुर, दोनिया, ताली, लपटी, बिजौरी, मंझौली, पिपराहा , अमगवां, बसनियां और सिवरीचंदास के भवनों का निर्माण कराया जाये.

          दूसरी बात यह है कि समूह जल प्रदाय योजना में जो समूह जल प्रदाय योजना नर्मदा नदी पर आधारित करौदाटोला, तिपान नदी पर आधारित गौधन, पाटन समूह जल प्रदाय योजना, जौहिला नदी पर आधारित समूह जल प्रदाय योजना बसही एवं जौहिला नदी पर आधारित समूल जल प्रदाय योजना कुम्‍हनी स्‍वीकृत करने की कृपा करें.

          मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि जो जलाशय हैं उसके संबंध में मैं, कृषि मंत्री और वित्‍त मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि जीलग, बड़ीतुमगी, बिजौरा, बटकी,लपटी,किराड़ी,जौहिला, नवगवां झिलमिला ये बड़े-बड़े जलाशय हैं. यदि आप इसकी नहर का विस्‍तारीकरण कर दें तो वहां के किसानों को फायदा होगा और आपकी सिंचाई क्षमता बढ़ जायेगी. आपने बोलने के लिये समय लिया उसके लिये धन्‍यवाद.

          श्री दिनेश जैन'बोस'  :- अध्‍यक्ष महोदय, कल मैंने इस बजट को पूरा पढ़ा भी और उस समय यहां पर सुना भी. लेकिन उस पूरे बजट को पढ़ने के बाद यह पाया की यह बजट केवल शहरों के लिये बना हुआ है. पूरे बजट को पढ़ने के बाद मुझे ऐसा अनुभव हुआ कि इस बजट का 75 प्रतिशत भाग केवल शहरों को दिया गया है. एक उदाहरण मैं बताता हूं कि स्‍वच्‍छ भारत मिशन 20 के अंतर्गत प्रदेश के सभी शहरों में ठोस अपशिष्‍ट प्रबंध और अपशिष्‍ट जल प्रबंध, मतलब वेस्‍ट मैनेजमेंट में सॉलिड वेस्‍ट और सीवेज़ ट्रीटमेंट प्‍लांट के आगामी पांच वर्ष में लगभग पांच हजार करोड़ रूपये की राशि दी जायेगी. इसमें कहीं भी गांव का नाम नहीं लिखा है. पंचायतों में गंदगी नहीं होती. पूरे गांव बांसते हैं, हम जाते हैं तो गांव वाले बोलते हैं कि नाली नहीं, ये नहीं. पांच हजार करोड़ के करीबन उनको शहरों को डो टू डोर कलेक्‍शन करना, ट्रांसपोर्ट करना उसके बाद सैकेंड लैंडफिल फैसेलिटी बनाना और उसके बाद उसको डिस्पोज करना, यह पूरे काम शहर को दिये जा रहे हैं. ग्रामीण में अगर हम देखते हैं, अगर एक करोड़ रुपया भी, एक लैंडफिल फेसिलिटी बनाने के लिए एक पंचायत में दे दिया जाता है तो इस बजट को हम मानते कि यह बजट ग्रामीण के लिए भी और शहर के लिए भी सही है, लेकिन 230 करोड़ रुपया भी इस 4500-5000 करोड़ रुपयों में से सॉलिड वेस्ट के लिए एक लैंडफिल सिक्युरिटी बनाने के लिए पंचायतों के लिए नहीं दिया गया है.

अध्यक्ष महोदय, आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि पंचायत के अंदर अगर 15वें वित्त आयोग और 5वें वित्त आयोग के अंदर केवल एक से डेढ़ लाख रुपया नाली साफ करने का मिलता है, यह कैसा स्वच्छ भारत मिशन है? एक जगह केवल एक लाख पचास हजार रुपया, वह भी टाइड. 5वें और 15वें वित्त आयोग में दो चीज होती है, टाइड और अनटाइड. टाइड में केवल सरपंच, एक से डेढ़ लाख रुपया, अगर 1000 गांव की आबादी है तो केवल डेढ़ लाख रुपया खर्चा कर सकते हैं. इस 5000 करोड़ रुपये में मैं मेरी महिदपुर तहसील को जाकर क्या बताऊंगा कि मैं एक रुपया भी नहीं लेकर आ पाया. मैं आपकी गंदगी के लिए कोई बात नहीं कर सका. मैं सदन में बैठकर आपके लिए कुछ भी नहीं कर पाया. 5000 करोड़ रुपयों की बंदरबाट बटी, लेकिन मैं उसमें एक रुपया भी लेकर नहीं आ पाया तो मैं अनुरोध करूंगा कि इस 5000 करोड़ रुपयों में हमारी सभी पंचायतों को एक-एक करोड़ रुपया एक सिक्योर लैंडफिल फेसिलिटी बनाने के लिए मिल जाय तो हमारे गांव की सब गंदगी साफ हो जाएगी और यह 230 करोड़ रुपया अगर आप निकाल लेते हैं तो हमारे गांव भी साफ हो सकेंगे, आपका स्वच्छता अभियान तभी सफल होगा, जबकि 75 प्रतिशत आबादी गांव में रहती है और 25 प्रतिशत आबादी शहर में रहती है, उस 25 प्रतिशत के लिए 4500 करोड़ रुपया? मैं ऐसे बजट का विरोध करता हूं क्योंकि सदन से 5000 करोड़ रुपये का बजट तो पास हो गया है तो उसमें कटौती करके 250 करोड़ रुपया या 230 करोड़ रुपया हमको मिल जाय तो एक लैंडफिल फेसेलिटी हम हमारे यहां भी मना लेंगे और हमारे गांव को भी स्वच्छ रख सकेंगे.

अध्यक्ष महोदय - श्री दिनेश जी अब आप समाप्त करें.

श्री दिनेश जैन बोस- दूसरा बिन्दु भी महत्वपूर्ण है. अध्यक्ष महोदय, श्री अनिल जी ने बोला, डोंगला मुख्यमंत्री जी का सपना है कि यहां से काल गणना चालू हो, उस डोंगला गांव की यह हालत है, वहां से एक किलोमीटर दूर है. वह पूरी सड़क खराब हो गई है. मुख्यमंत्री का वहां पर सपना है. इस बजट में उस ग्रामीण सर्किल के अंदर उज्जैन जिले की पांचों ग्रामीण जो विधान सभाएं हैं, उसमें एक करोड़ रुपये का भी रोड नहीं है, उसमें डोंगला भी है, जबकि मैंने 8 दिन पहले एक अवैध माइनिंग वाले को पकड़ा, उसने 7 मीटर से 15 मीटर तक की खुदाई कर दी. जब उसके ऊपर चार्ज लगा, उसकी जवाबदारी बनी क्योंकि अवैध उत्खनन करने वालों ने वे सड़कें खराब कर दी. प्रधानमंत्री सड़क योजना, अटल बिहारी वाजपेयी की थी, लेकिन आज भी हमारे ग्रामीण सर्किल में एक किलोमीटर से पांच किलोमीटर, एक किलोमीटर से दो किलोमीटर, एक किलोमीटर से तीन किलोमीटर की सड़कें ऐसी हैं, उन सड़कों के कारण हमारे यहां के बच्चों की शादियां नहीं होती हैं. उनका एक सपना है कि हमारे यहां पर सड़क बन जाय.

अध्यक्ष महोदय, खेलकूद के लिए कहा गया है.  हमारे बच्चे एशियाड ओलम्पिक में जाते हैं लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि हमारे बच्चों को वह सुविधा नहीं मिल पाती है कि वह राष्ट्रीय स्पर्धा में भाग ले लें. उनके पास में कोई ग्राउंड नहीं है, वह टेनिस बाल से खेलते हैं. वह प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकते हैं.  अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.

श्री सिद्धार्थ तिवारी (त्योंथर) - अध्यक्ष महोदय, हृदय की गहराइयों से आपको धन्यवाद देता हूं. आपने जो यह मुझे बोलने का मौका दिया है.

अध्यक्ष महोदय - सिद्धार्थ जी समय सीमा में पूरा करना है.

श्री सिद्धार्थ तिवारी - आपका आदेश सिर आंखों पर है, जब उस आसंदी को मैं देखता हूं तो मेरे लिए भावुक पल भी होता है क्योंकि मेरे बाबा भी वहां पर बैठा करते थे.

अध्यक्ष महोदय, मैं इस बजट के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं और जन हितैषी बजट लाने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी डॉ. मोहन यादव जी को, माननीय वित्त मंत्री जी आदरणीय श्री जगदीश देवड़ा जी को बहुत बहुत साधुवाद और धन्यवाद देता हूं.माननीय अध्‍यक्ष जी, डॉ.मोहन यादव जी की सरकार पहले दिन से ही विरासत भी और विकास भी दोनों को साथ में लेकर के मोदी जी के सपने के हिसाब से काम कर रही है. मुझे गर्व होता है और मैं वित्‍त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हॅूं. पिछले एक साल में हमारी जीएसडीपी ग्रोथ साढे़ नौ परसेंट रही, जोकि देश में अग्रणी राज्‍यों में से एक है. मुख्‍यमंत्री जी ने जब अपना पहला भाषण दिया था, तब से ही यह क्‍लीयर हो गया था कि यह सरकार प्रधानमंत्री मोदी जी के स्‍वर्णिम भारत के सपने को साकार करेगी और यह बजट उसका परिचायक है. मैं आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हॅूं कि यह प्रदेश का आज तक सबसे बड़ा बजट है और 16 प्रतिशत वृद्धि पिछले साल से इस साल हुई है और हमारा टॉरगेट है कि अगले 5 साल में इस बजट को डबल कर दें, जो आज साढे़ तीन लाख है यह 7 लाख करोड़ तक हो जाए. मैं इसके लिए वित्‍त मंत्री जी और मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हॅूं. यह ठीक उसी लाइन पर है.

          अध्‍यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी ने बीमारू राज्‍य का टैग मध्‍यप्रदेश से हटाया, जिस तरह से माननीय नरेन्‍द्र मोदी जी भारत को फ्रैजाइल फाइव से निकालकर के इसे फैब्‍यूलस फाइव में लेकर के आ गए हैं. आज हम विश्‍व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था हैं और हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था 5 ट्रिलियन डॉलर की, जो हमारी इकॉनामी का टॉरगेट है उसकी लाइन में ही यह बजट है, मैं इसके लिए सरकार को बधाई देना चाहता हॅूं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ग्रोथ के नए आयाम तय हुए हैं. प्रति व्‍यक्‍ति आय वर्ष 2003 के मुकाबले 11 से 12 गुना बढ़ गई है. हमारे कांग्रेस के साथियों को कर्ज के बारे में बात करने का काफी शौक है. कर्ज की जब बात होती है तो उसमें आपके ऊपर जो लॉयबिलिटी है उसमें आपका क्रेडिट स्‍कोर कैसा है. एक भी लोन हमने डिफॉल्‍ट नहीं किया है और मोहन यादव जी की सरकार, भारतीय जनता पार्टी की सरकार इन्‍फ्रॉस्‍ट्रक्‍चर बनाने के लिए कर्ज लेती है. हमारे कांग्रेस के पूर्व मंत्री श्री लखन घनघोरिया जी बात कर रहे थे कि पैसा कहां खर्च होता है. मैं आपके माध्‍यम से बता देना चाहता हॅूं कि जबलपुर से जब रीवा आते हैं तो सटासट जो रोड बनी हुई है, यह उस ग्रोथ का एक हिस्‍सा है. जब कांग्रेस की सरकार थी और मैं यह 15 महीने की सरकार की बात कर रहा हॅूं, जब ये लोग लोन लेते थे, तो आईफा करवाते थे. कोई एक एक्‍ट्रेस की फोटो भी बड़ी वायरल हुई थी और ढाई लाख प्रधानमंत्री आवास रोक दिये गये थे,  वापस कर दिये गये थे. नहीं मिल रहे थे. यह रिकॉर्ड में है, इसको जाकर के चेक कर लें.

          अध्‍यक्ष महोदय, संबल योजना के पैसे आने बंद हो गए थे. कर्ज का इस्‍तेमाल सिर्फ आईफा को ऑर्गेनाइज कराने में हो रहा था. मैं आदरणीय मोहन यादव जी को बधाई देना चाहता हॅू जिन्‍होंने अपने प्रयास से केन्‍द्र से जितना पैसा आना था, उससे 4 हजार करोड़ ज्‍यादा लेकर के आए. मैं चाहता हॅूं कि हमारे सभी साथी ताली बजाकर के इसका स्‍वागत करें. (मेजों की थपथपाहट) मैं आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी और वित्‍त मंत्री जी को पूरे विंध्‍य की तरफ से बधाई देना चाहता हॅूं, धन्‍यवाद ज्ञापित करना चाहता हॅूं कि आपने विंध्‍य को विंध्‍य एक्‍सप्रेस-वे के रूप में 676 किलोमीटर की एक सड़क इस बजट में दी है. हम पूरे हृदय से आपको धन्‍यवाद करना चाहते हैं. कुछ आंकडे़ मैं विपक्ष के सामने रख देना चाहता हॅूं. सबको याद है, हम लोग छोटे थे लेकिन हमारे विपक्ष में भी यहां जो प्रतिपक्ष में बैठे हैं कुछ इसमें से भी उस समय भी प्रौढ़ थे. 26 जनवरी 2024 को 17 हजार 614 मेगावाट बिजली की हमने आपूर्ति की है, जो वर्ष 2003 से कई गुना ज्‍यादा है. हमारे कांग्रेस के साथी भी इसको मानेंगे. वो एक सरकार थी. जब तत्कालीन मुख्यमंत्री यह बोला करते थे यह ऑन रिकार्ड है उसको सदन उठाकर के भी देख सकता है. काम करने से सरकार नहीं बनती है उनका उदाहरण कौन हुआ करता था. आप जाकर के लालू यादव जी को देखिये. वो सरकार बार बार लाते हैं और काम कुछ भी नहीं करते हैं. इसलिये उनका प्रदेश बीमारू राज्य बन गया था. हमारे कांग्रेस के मित्रों ने भी उसको भोगा हुआ है. मैं मोहन यादव जी की सरकार को बधाई देना चाहता हूं कि जिन्होंने इस बजट में गोसंवर्धन के लिये मील के पत्थर के रूप में काम किया है. हमने इस सरकार ने 76 प्रतिशत बजट गोसंवर्धन के लिये बढ़ाया. हम अपने गांवों में तथा क्षेत्र में भी जाकर देखा करते हैं कि वहां पर उत्साह है. यह उत्साह इसलिये है कि जो 20 रूपये मिला करते थे प्रतिदिन प्रति गाय अब उसको बढ़ाकर के 40 रूपये किया गया है. हर पंचायत में जब जाता हूं तो लोगों में उत्साह दिखता है. लोग हमसे मांगते हैं हमें गौशाला चाहिये. मुझे पूरा भरोसा है कि मेरी विधान सभा में भी और जिले में भी हर पंचायत में गौशाला खुल जायेंगी और गौवंश का संवर्धन होगा. स्वास्थ्य सुविधाओं पर कायाकल्प किया गया है. इसमें भी मैं कांग्रेस को आईना दिखाना चाहूंगा चूंकि मैं दोनों साईडों को अच्छे से जानता हूं. कांग्रेस के समय में पांच मेडिकल कालेज थे. उसमें भी जो रीवा मेडिकल कॉलेज आया था वह भी कांग्रेस के समय में नहीं आया था. पांच में से एक माननीय गोविन्द नारायण जी ने खोला था कांग्रेस के समय में नहीं आया था. आज 14 मेडिकल कालेज हैं इस बजट में तीन खुलेंगे और अगले तीन सालों में 8 और खुलेंगे. पांच से पांच गुना बढ़कर के 25 मेडिकल कालेज मोहन यादव सरकार आपको खोलकर के देगी इसके लिये मैं मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. 150 सीएम राईज स्कूल खोलेंगे. स्वयं मेरी विधान सभा में दो और आये हैं. पहले से एक था. हमारे कांग्रेस के माननीय सदस्यों की विधान सभाओं में भी सीएम राईज स्कूल खुलेंगे इससे आपको भी इससे लाभ होगा. आपको भी इसके लिये सरकार को बधाई देनी चाहिये. मैं साफ्टवेयर इंजीनियर हूं इसलिये आर्टीफिशली इंटेलीजेंस और मशीन की लर्निंग को समझता हूं. मैंने उसमें काम किया है. मध्यप्रदेश जिस तरह से शिक्षा में इनवेस्ट कर रहा है. आर्टीफीशियल और मशीन लर्निंग में जो कर रहा है. हम ग्लोबल टेलेंट प्रोड्यूस्ड कर रहे हैं अपनी स्टेट में न केवल हम भारत को बल्कि विश्व की सारी कम्पनियां आयेंगी मैं इसके लिये बधाई देना चाहता हूं आदरणीय मुख्यमंत्री जी तथा वित्तमंत्री जी को ऐसा अच्छा बजट वह लाये हैं. जहां अगले पांच साल में हम निवेश देखेंगे ग्लोबल कम्पनी में अपने मध्यप्रदेश में मैं पुनः इस सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं. धन्यवाद.

          श्री कैलाश कुशवाह (पोहरी)अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री तथा वित्तमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के नक्शे में शायद शिवपुरी जिले को भूल गये हैं, ऐसा लग रहा है इस बजट में. शिवपुरी जिले में झांसी से पोहरी से शिवपुरी होते हुए वहां पर रेल्वे लाईन की बहुत ज्यादा जरूरत है आवागमन के लिये दोनों जिलों के लिये बहुत बड़ा साधन है. शिवपुरी जिले से श्योपुर तक रेल लाईन की बजट में रखने की की मांग करता हूं. हमारे श्योपुर में पुलों और पोहरी विधान सभा क्षेत्र में कून्हों है वहां पर चीते आये और करोड़ो रूपये उन पर खर्च किये गये अभी तक यह भी पता नहीं है कि कितने चीते जिन्दा हैं और कितने मर गये हैं ? मैं यही कहूंगा कि अगर इतने पैसे रोजगार के लिये लगाते तो आज हमारे विजयपुर विधान सभा में लगभग 20 हजार आदिवासी भाई हैं. पोहरी विधान सभा में 70 से 80 हजार आदिवासी भाई हैं. आज वे भूखे सो रहे हैं क्‍योंकि उनका रोजगार जंगल की जड़ी बूटी, लकड़ी और तेन्‍दूपत्‍ता से है. आज वे जंगल में चीतों के डर से नहीं जा रहे है. पोहरी में एक उद्योग और शिवपुरी जिले में एक बड़े उद्योग की जरुरत है, जिसमें 30 से 50 हजार कर्मचारी मजदूर काम कर सके. वहां पथरीली जमीन है, शिवपुरी जिले का चौराहा ऐसा मुख्‍यालय है, जहां सुबह 8 बजे 10 से 20 हजार आदमी इकट्ठा होकर मजदूरी तलाशता है. हमारे वित्‍त मंत्री जी, मुख्‍यमंत्री जी से निवेदन है कि इस जिले में बड़ा उद्योग दिया जाए, जिससे शिवपुरी जिले का पलायन हो, जनता इधर उधर भाग रही है. यही कहना चाहता हूं कि शिवपुरी जिले के लिए एक बड़ा उद्योग दिया जाए. हमारे जिले में काफी संख्‍या में स्‍कूल जर्जर हो चुके हैं, स्‍कूल का सत्र चल रहा है जुलाई से बच्‍चे आना प्रारंभ हो चुके हैं, बैठने की जगह नहीं है, बरसात का मौसम है, पानी टपक रहा है, आप सर्वे करवाकर नए भवन दें, पुरानी बिल्डिंगें जल्‍दी ठीक करवाए, क्‍योंकि बच्‍चे नीचे बैठ रहे हैं, कभी कोई बड़ी दुर्घटना बच्‍चों के साथ न हो जाए इसलिए मांग करते हैं कि स्‍कूलों पर भी ध्‍यान दिया जाए. कांग्रेस वाले कह रहे हैं बीजेपी ने घोटाला किया है, बीजेपी वाले कह रहे हैं कांग्रेस ने घोटाला किया है, माननीय से निवेदन है कि आप जो घोटोले में सिद्ध होता है दूध का दूध पानी का पानी हो जाए, इसकी जांच की जाए, उनको सजा मिलनी चाहिए, क्‍योंकि युवाओं के भविष्‍य का सवाल है. हमारे क्षेत्र में उद्योग की बड़ी जरुरत है, इसके अलावा क्षेत्र में बिजली की बड़ी समस्‍या है, लाइन नहीं दी जा रही समय के अनुसार, डीपी. छोटी है वित्‍त मंत्री जी से मांग है कि बड़ी डीपी रखवाने के लिए क्षेत्र में सर्वे करवाकर कनेक्‍शन के हिसाब से डीपी रखी जाए, हमारे पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज जी चौहान ने घोषणा की थी किसानों के साथ और जनता के साथ बिजली का बिल माफ किया जाएगा, लेकिन जनता को गुमराह किया गया कहीं न कहीं, बिल की वसूली दोबारा की जा रही है, इससे काफी दिक्‍कत हो रही है. तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी ने घोषण की तो उनकी बात रखी जाए, एक बात और रखना चाह रहा हूं कि हमारे सभी माननीयों ने कसम खाई थी कि भाजपा के विधायक हो या कांग्रेस के भेदभाव नहीं किया जाएगा. 15 करोड़ रुपए भाजपा वालो को दिए, कांग्रेस वालों को 5 करोड़ का वादा किया था, अभी एक करोड़ का आया है, आप वचन के पक्‍के हैं तो वादा निभाए, बहुत धन्‍यवाद

          कुँवर अभिजीत शाह (अंकित बाबा)(टिमरनी) - मैं माननीय अध्‍यक्ष महोदय से कहना चाहूंगा कि मैं पहली बार का विधायक हूं, अगर कुछ गलती करूं तो माफी चाहूंगा और आपका संरक्षण चाहूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - समय का ध्‍यान रखें.

कुँवर अभिजीत शाह (अंकित बाबा) - जी अध्‍यक्ष जी, समय का ध्‍यान रहेगा. मेरे साथी विधायक ने जहां खत्‍म किया था, वहीं से मैं शुरू करना चाहूंगा, क्‍योंकि क्षेत्र के विकास करने के लिए हमें विधायक निधि दी जाती है, वह आप देखेंगे कि राजस्‍थान, हरियाणा में 5 करोड़ हैं, पंजाब में पिछले सत्र तक 3 करोड़ 75 लाख थी जिसको भी बढ़ाकर अब 5 करोड़ कर दिया गया है, देश में सबसे ज्‍यादा विधायक निधि है तो वह दिल्‍ली में है 7 करोड़ रुपए. मैं पहली बार का विधायक हूं, अभी तक माननीयों की बात सुन रहा था, सुनकर ऐसा लगा कि जो माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय है, उनका जो विजन है वह विकास करना है और जैसा कि हम सभी ने देखा है  बैलगाड़ी हो चाहे ट्रेक्‍टर हो उसके दो चक्‍के होते हैं, एक छोटा रह जाए और एक चक्‍का बड़ा हो जाए तो विकास नहीं हो सकता न बैलगाड़ी चल सकती है. अगर आपका उ्देश्‍य विकास कराना है तो हम लोगों का उद्देश्‍य भी विकास कराना है,  इसलिये मैं कहना चाहूंगा कि हम तो मात्र 63 विधायक हैं, बाकी विधायक तो आप ही के हैं और एक क्षेत्र में जिस भी क्षेत्र का विधायक हो, चाहे वह सत्‍ता पक्ष का हो, चाहे विपक्ष का हो, अपनी विधानसभा को वह सबसे अच्‍छी तरीके से जानता है. अगर मेरी विधानसभा में पांच करोड़ रूपये विधायक निधि मेरे पास होती, तो मैं आपको बताना चाहूंगा कि सिराली एक तहसील है, उस तहसील मुख्‍यालय से जिला मुख्‍यालय को जोड़ने वाला जो रोलगांव पुल है, वह टूटा हुआ है. मेरे पास इतनी क्षमता नहीं है कि मैं उसको जोड़ सकूं, बनवा सकूं, अगर होती तो मैं वह भी कर सकता था. ऐसे ही एक और पुलिया है जिसको हम भायली पुलिया के नाम से जानते हैं, जो टिमरनी क्षेत्र में है वह भी टूटी हुई है.

          अध्‍यक्ष महोदय, खेर मैं ज्‍यादा समय न लेते हुए एक चीज और कहना चाहूंगा क्‍योंकि मैंने शुरूआत जय किसान बोलकर की थी. मेरी विधानसभा में किसान बहुत है, सभी की एक मांग थी, वह चाहते थे कि मैं यहां पर उठाऊं. पहले खेत सड़क योजना चला करती थी, आजकल वह बंद हो गई है, आप देखेंगे कि किसान को अपने खेत में जाने के लिये बहुत संघर्ष करना पड़ता है, इतना संघर्ष करना पड़ता है  जितना वह फसल उगाने में नहीं करता है, ऐसी मध्‍यप्रदेश सरकार की कोई योजना नहीं है, जिससे हम किसान के गुहे को काकड़ को सुधरवा सकें, इसलिये मेरी सरकार से मांग है कि खेत सड़क योजना को चालू किया जाये एवं बजरी जो होती है, किसानों के लिये वह बजरी नि:शुल्‍क की जाये और ग्राम पंचायतों को यह पावर दिया जाये कि किसानों को अगर अपने खेत में जाने के लिये सड़क बनानी है तो वह बजरी ले जा सके.

          अध्‍यक्ष महोदय, अभी तक तो आपको मेरी बातें बहुत अच्‍छी लगी होंगी, लेकिन अब मैं कुछ कड़वा कहना चाहूंगा, यह जो बजट है यह सिर्फ शहरों के लिये है, लेकिन किसान विरोधी बजट है. यहां पर आज कृषिमंत्री जी को होना चाहिए था, मुख्‍यमंत्री महोदय को होना चाहिए थे, पर वह यहां मौजूद नहीं है, तो मैं इस पटल के माध्‍यम से मैं अपनी आवाज वहां तक पहुंचाना चाहूंगा और पूछना चाहूंगा कि क्‍या उनका कोई नुमाइंदा यहां पर है? कोई जवाबदेह यहां पर है, अगर है, तो मैं पूछना चाहता हूं कि यह सरकार किसान विरोधी है या हितैषी है?

          अध्‍यक्ष महोदय -- अभिजीत जी मंत्रिमण्‍डल की सामूहिक जवाबदारी होती है, वित्‍तमंत्री जी हैं, पंचायत मंत्री जी हैं, लोकनिर्माण मंत्री जी हैं, यहां पर सारे मंत्री बैठे हुए हैं.

          श्री अभिजीत शाह ''अंकित बाबा'' -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं इस सरकार से पूछना चाहता हूं कि 32 जिलों में मूंग की फसल पैदा होती है. पिछले साल तक 16 क्विंटल प्रति हेक्‍टेयर के हिसाब से यही सरकार मूंग  खरीदी करती थी, इस बार आपने कौन सी सेटेलाईट से या कौन सी एजेंसी से सर्वे करवा लिया है कि आपको मालूम चला कि फसल घट गई है. इस बार एक आदेश आया है, इस बजट में देख लीजिये प्रावधान है कि 16 क्विंटल प्रति हेक्‍टेयर को घटाकर 8 क्विंटल प्रति हेक्‍टेयर कर दिया गया है. अब मुझे बताईये यह सरकार किसान विरोधी है या किसान हितैषी सरकार है. मैं एक चीज और कहना चाहूंगा कि किसान के जो ट्रेक्‍टर में ट्राली  होती है, उसमें 35 से 40क्विंटल फसल आती है, इन्‍होंने लिमिटेशन लेकर आये हैं कि एक किसान एक दिन में मात्र 25 क्विंटल मूंग की फसल को तुलवा सकता है. अब मुझे बताईये कि अगर किसी किसान के पास में 35 क्विंटल अगर फसल है तो  वह 25 क्विंटल एक दिन में तुलवाकर जायेगा और फिर अगले दिन दस क्विंटल लेकर आयेगा क्‍या? इसलिये इसको बढ़ाया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा बहुत से नेताओं के चाहे वह कांग्रेस में हों, चाहे भाजपा में हों वेयरहाउस हैं, उनकी सोसाइटीज हैं या उनके संबंध वालों की हैं, जिस कारण से जो मूंग की फसल खरीदी जाती है, उसकी जो तुलाई होती है, वह हाथ कांटे से होती हैं, जिससे किसान को आर्थिक घाटा होता है, मेरी इस सरकार से मांग है, खास तौर से हरदा की मैं बात कर रहा हूं और 32 जिले ओर भी हैं कि जो मूंग की खरीदी की जाये, वह धर्मकांटे से किया जाये ताकि किसान को ठगा न जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा एक आदिवासी विधानसभा है, मैं इस सरकार से पूछना चाहता हूं कि  क्‍या वनग्रामों में रहने वाले आदिवासियों को सड़क का अधिकार नहीं है, मैं पिछले तीन सालों की घटना बता रहा हूं. चार आदिवासी सिर्फ इसलिये मर गये क्‍योंकि एबुंलेंस वहां पर नहीं पहुंच पाई, मैं पेपर कटिंग दिखा सकता हूं कि खटिये पर लेकर आ रहे थे. मेरी विधानसभा में चूनी, बाबजा, बिटिया, लाखादेह ऐसे बहुत से गांव हैं, जहां पर सड़क नहीं है, इसीलिए मैं माननीय मंत्री महोदय जी से और मेरी बात अगर माननीय मुख्‍यमंत्री जी सुन रहे हैं तो यह कहना चाहूंगा कि मेरी विधानसभा में सड़कों का जाल बिछाने का कष्‍ट करिये, अगर आप करते हैं तो मैं इसी पटल से आपको धन्‍यवाद भी करूंगा.जय हिन्‍द, जय भारत, वंदे मातरम. 

          श्री देवेन्‍द्र रामनारायण सखवार (अम्‍बाह)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कल माननीय मंत्री महोदय द्वारा बजट पेश किया था, उस बजट में मैंने देखा कि यह कैसा बजट है जिसमें न तो किसानों के कर्जें की कोई बात है न युवाओं के रोजगार की कोई बात है. आज हमारा किसान इतना परेशान है, कर्जे से दबा हुआ है, लेकिन इस सरकार ने उसके लिये कोई भी बात नहीं रखी. आज हमारा युवा इतना परेशान है कि नौकरी के लिये दर-दर भटक रहा है, लेकिन किसी भी विभाग में इस सरकार ने कोई भी वेकेंसी नहीं दी. एक बात मैं और कहना चाहूंगा अध्‍यक्ष महोदय आपके माध्‍यम से मैं मंत्री महोदय से एक प्रश्‍न पूछना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश में शिक्षा का स्‍तर नीचे क्‍यों जा रहा है. सरकार पूरी तरह से छात्र, छात्राओं के प्रति गंभीर नहीं है. मेरी विधान सभा में ही 12 से अधिक ऐसे स्‍कूल हैं जो भवनविहीन हैं. अब सोचिये कि पूरे मध्‍यप्रदेश में कितने स्‍कूल होंगे जो भवनविहीन हैं. जब भवन ही नहीं होगा तो शिक्षा कैसे मिलेगी. पूरे मध्‍यप्रदेश की यही स्थिति है. शासकीय स्‍कूल भवनविहीन होंगे सरकार छात्र छात्राओं की उन्‍नति के लिये बहुत सारी योजनायें तो बनाती है क्‍या उस योजना का लाभ पूरी तरह से छात्र छात्राओं को मिल रहा है, नहीं. आज सरकार की उदासीनता से सरकारी स्‍कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं का परीक्षा परिणाम लगातार कमजोर हो रहा है जिससे उनके अभिभावकों को अपने बच्‍चों के भविष्‍य की चिंता हो रही है और वह अपने बच्‍चों को निजी स्‍कूलों में निकालकर ले जा रहे हैं, वहां पर उन पर आर्थिक बोझ डाला जाता है, किताबें इतनी महंगी आती हैं, कक्षा एक की किताब 2 से 3 हजार रूपये तक आती है. मैं माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से कहना चाहता हूं कि इस परेशानी को समझते हुये अभिभावकों पर जो बोझ पड़ रहा है इस आर्थिक बोझ को आप एनसीईआरटी का कोर्स लागू करके कम कर सकते हैं, चाहे निजी स्‍कूल हों, चाहे शासकीय स्‍कूल हों, मैं मंत्री महोदय से मांग करता हूं कि आप सभी विद्यालयों में एनसीईआरटी का कोर्स लागू करें और अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन और करना चाहता हूं कि हमारी विधान सभा में कोई कन्‍या महाविद्यालय नहीं है, मैं आपके माध्‍यम से कन्‍या महाविद्यालय की मांग करना चाहता हूं और दूसरी बात मैं आयुष्‍मान योजना पर कहना चाहता हूं कि आयुष्‍मान योजना के तहत मरीज को सही तरीके से इलाज नहीं मिल पाता जिस तरह से वह चाहता है. आयुष्‍मान योजना का दायरा बढ़ाया जाये मैं यह कहना चाहता हूँ, हर अस्‍पताल में लागू हो जिससे उनको लाभ मिल सके. दूसरा आवारा पशु के बारे में मैं कहना चाहता हूं कि गौशालायें बनी हैं, मैंने देखा है, मैं अपनी विधान सभा की कह रहा हूं कि हर जगह गौशाला बनी है पंचायत में, लेकिन चालू नहीं है. मेरी विधान सभा में मात्र एक नागाजी गौशाला चालू है. मैं चाहता हूं कि सरपंचों को अधिकार दिये जायें कि वह गौशालायें चालू करवायें जिससे आवारा पशु उसमें जायें और आये दिन जो एक्‍सीडेंट होते हैं, आये दिन जो जनहानि होती है उससे बचा जा सके. एक निवेदन और करना चाहूंगा कि नगरीय निकाय में आये दिन जलभराव की समस्‍या से मकान गिर रहे हैं. मैं मांग करना चाहता हूं कि हमारे अम्‍बा पोरसा नगर में सीवर की योजना दी जाये बस यही मांग है. धन्‍यवाद.

          श्री केशव देसाई (गोहद)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कल 3 तारीख को बजट पेश हुआ उसमें जनता और युवाओं को लग रहा है कि यह विश्‍वासघाती बजट है. मैं कहना चाहता हूं कि चुनाव के समय कितनी ही घोषणाएं कीं चाहे वह लाड़ली बहना योजना हो, चाहे सिलेण्डर की हो,चाहे धान खरीदी की हो, चाहे गेहूं खरीदी की हो. एक भी चीज पर खरे नहीं उतरे. इसमें कहीं उल्लेख नहीं है और पूरे प्रदेश की जनता के साथ, अनुसूचित जाति,जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लोगों को बजट में धोखा दिया है और मैं कहना चाहता हूं कि शिक्षित युवाओं को स्वरोजगार,खेत प्रशिक्षण एवं निर्माण खेत अनुदान मद में भी आवंटन नहीं दिया गया है. अनुसूचित जाति,जनजाति बस्तियों के विकास हेतु भी बजट में किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी नहीं की गई है. डॉ.भीमराव अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान महू को स्थापना अनुदान में किसी भी प्रकार की बढ़ोत्तरी नहीं की गई है. अनुसूचित जाति,जनजाति छात्रावास मद  में भी बजट में किसी प्रकार की बढ़ोत्तरी नहीं की गई है और कल से सत्ता पक्ष के लोग बड़ी बढ़ाई कर रहे हैं तो हमारे सेंवढ़ा सिंध नदी में कम से कम तीन वर्ष हो गये. आपकी ही सरकार में भी पुल को बनाया गया और आपकी ही सरकार में पुल ढह गया है. तीन वर्ष में जनता को इतना नुकसान हो रहा है कि हमारे यहां से सेंवढ़ा तक 10 रुपये लगते थे अब दस दिन बाद 400 रुपये में सेंवढ़ा पहुंच पाएंगे तो उसको अतिशीघ्र बनवाने की कृपा करें. हमारी मां रत्नागढ़ वाली नहर परियोजना के लिये दो साल पहले पूजन हो चुका है हमें नहीं पता है कि वह कब चालू की जायेगी. स्वास्थ्य विभाग के लिये आपने बताया है कि इतनी राशि एंबुलेंस के लिये दी गई है तो पिछली 20 तारीख को हमारे बड़े भाई का स्वास्थ्य खराब हुआ तो हमने डाक्टर को फोन किया तो उन्होंने बोला कि एंबुलेंस नहीं है और 8 डाक्टरों में एक डाक्टर मिला. डाक्टरों की लापरवाही से हमारे भाई की मौत हुई तो मैं निवेदन करना चाहता हूं कि लापरवाह डाक्टरों पर दण्डात्मक कार्यवाही हो और एक एंबुलेंस गोहद अस्पताल को दी जाए धन्यवाद.

          श्री बाबू जण्डेल(श्योपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, श्योपुर विधान सभा में 90 प्रतिशत किसान हैं और पूरे विधान सभा में किसान से ही पूरा कार्य चलता है. जब लोकतंत्र में वल्लभ भाई पटेल ने नारा दिया था जय जवान,जय किसान. आज मेरे क्षेत्र में किसानों के साथ जो कमलनाथ जी की सरकार में 10 एच.पी. का हाफ बिल आता था उसका बिल बताते हैं कि यह 10 एचपी का नहीं 20 एचपी का बिल है. 10 एचपी का किसान का पंप है उसका बिल 20 एचपी का आ रहा है. जो किसान दो एकड़,तीन एकड़ का है उन किसानों का बिल 25 से 30 हजार आता है तो तीन बीघा जमीन वाला क्या अपने परिवार को चलाएगा. किसान भूखों मरने की स्थिति में है मेरे क्षेत्र में  90 प्रतिशत  धान की खेती होती है तो किसी भी गांव में, किसी भी खेत के लिये कोई रोड नहीं है. माननीय शिवराज जी ने सड़क योजना चालू की थी वह योजना सिमट गई. मैं परसों मेरे गांव में जाऊँगा. मैं विधायक हूं मेरे पास 15 एकड़ जमीन है. मुझे मेरे खेत में सिर पर खाद का कट्टा रखकर जाना पड़ेगा फिर आप लोग कहेंगे कि बाबू जण्डेल ड्रामा करता है. यह मजबूरी है ड्रामा नहीं है. मैं सिर पर खाद का कट्टा लेकर जाऊंगा क्योंकि मेरे भी खेत में सड़क नहीं है और जो बिजली के बिल बढ़ाकर दे रहे हैं तो यह अनिवार्य किया जाये कि जिन किसानों के पास एक हेक्टेयर से कम जमीन होती है.  जो छोटे किसान होते हैं, एक हैक्‍टेयर से नीचे के लोग होते हैं, उनके लिए बिल, जो सिस्‍टम में आ रहा है, वह बिल दिया जाए. सौ बीघे के किसान या पचास एकड़ के किसान या दो एकड़ के किसान बराबर बिल देते हैं, ये किसानों के साथ बड़ा अन्‍याय है. जो सौ बीघा का किसान होता है, वह किसान नहीं होता है, वह जागीरदार होता है. वह नौकर से भी ताकतवर होता है, क्‍योंकि उसके पास जमींदारी है. किसान वही होता है जो 10 बीघा से नीचे का किसान है, वह गरीब किसान है.

          अध्‍यक्ष महोदय, गांव में डीपीआर जो फुंकती है, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में, डीपीआर 25 केवी का है, वह 20 साल से 25 केवी क्षमता का ही है, 20 साल में आबादी कितनी बढ़ गई, वही 25 केवी का डीपीआर अभी भी चल रहा है. दो दिन में डीपीआर फुंक जाता है. फिर अधिकारी कहते हैं कि 10 प्रतिशत बिल जमा करो. सरकार इससे बर्बाद है. किसान जब डीपीआर लेकर जाते हैं, 2 दिन में फुंक जाती है, फिर वापिस आते हैं तो 2 महीने तक डीपीआर नहीं मिलता है. फिर डबल में 10 प्रतिशत करेंट बिल जमा करना पड़ता है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप केन्‍द्र में हमारे कृषि मंत्री भी रहे, हम भी भाग्‍यशाली हैं कि हमारे नेता तोमर साहब इस विधान सभा के सदन में विराजमान हैं. हमारे अध्‍यक्ष महोदय हैं. हमको चला रहे हैं. 35 गांव की जो सिंचाई की बात आ रही है कि 10 गुना सिंचाई हमने, बीजेपी सरकार ने बढ़ाई है, मेरे क्षेत्र में 35 गांव का चंबल नहर का प्रोजेक्‍ट था, वह वर्ष 2019 से प्रारंभ हुआ, वर्ष 2022 में उसे चालू हो जाना चाहिए, पर जब बटन दबाया तो किसानों की जमीन के पाइप ऊपर आ गए. किसानों की हजारों बीघे जमीन में गड्ढे पड़ गए, आप देख लें, जांच करवा लें. अभी तक भी एक बीघा में पानी नहीं है, एक हेक्‍टेयर में पानी नहीं है. किसान बर्बादी की ओर हैं. रोज आंदोलन हो रहे हैं, रोज आवेदन दे रहे हैं, हड़तालें हो रही हैं. रेत की यह स्‍थिति है कि हमारे गरीब लोग मकान नहीं बना सकते हैं, रात में पुलिस रेत का डम्‍पर निकालती है और 40 हजार रुपये में डम्‍पर बिकता है, बताएं, किसान, मजदूर कैसे मकान बनाएंगे. जो प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास के लिए पैसे मिलते हैं, वे पैसे दो डम्‍पर में खत्‍म हो जाते हैं. उनके मकान का पिलर तक नहीं उठ पाता है. उसमें से भी 10 प्रतिशत रिश्‍वत जाती है तो ये जो डम्‍पर खनन की कालाबाजारी हो रही है, उसको क्‍लियर किया जाए.

          माननीय, आप हमारे अध्‍यक्ष महोदय हैं, ज्‍यादा समय मैं नहीं लूंगा. बहुत से विधायकों ने शेरो शायरी सुनाई, मैं शेरो शायरी नहीं सुनाऊंगा, मैं हकीकत का एक गाना सुनाऊँगा, ''आइने के सौ टुकड़े करके हमने देखे हैं, एक में तन्‍हा थे, सौ में भी अकेले हैं'' तो ये 15 करोड़ रुपये बीजेपी के विधायकों के लिए हैं, हमारे लिए एक करोड़ रुपये भी नहीं हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जन्‍डेल  जी, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री बाबू जन्‍डेल  --  मैं ऐसा पहला विधायक हूँ कि मेरी राशि से मैंने रोडों के लिए पैसे दिए हैं. अगर मुझे और हमारे कांग्रेस के विधायक मित्रों को 5 करोड़ रुपये की राशि दी जाए, तो हम भ्रष्‍टाचार को खत्‍म कर देंगे. जो ''जय जवान, जय किसान'' का नारा है, आज जो जवान हैं, पुलिस हैं, उनका आप वेतन देखें, पुलिस वालों का वेतन मध्‍यप्रदेश में सबसे कम है, इसलिए वे ट्रक के पीछे भागते हैं, डम्‍परों के पीछे भागते हैं और डम्‍परों को रोकते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जन्‍डेल  जी, खत्‍म करें अब.

          श्री बाबू जन्‍डेल  -- जो गांव के किसान इकट्ठे होकर अपने निजी ट्रैक्‍टरों से भी लाना चाहते हैं तो पुलिस पकड़ लेती है और रात में नंबर दो के डम्‍परों को निकालती है. जय जवान, जय किसान.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जन्‍डेल  जी, शेर बोलने के बाद और नहीं बोला जाता है, भाषण समाप्‍त किया जाता है.

          श्री नितेन्‍द्र बृजेन्‍द्र सिंह राठौर (पृथ्‍वीपुर) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सबसे पहले तो इतनी धैर्यतापूर्वक आपने हम सबको अवसर दिया, लगभग 8 बजने आए हैं. मैं इसके लिए आपका हृदय से आभारी हूँ, आपको धन्‍यवाद प्रकट करना चाहता हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आभार प्रकट मत करें, जल्‍दी खत्‍म करें. (हंसी).

          श्री नितेन्‍द्र बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक कहावत से अपनी बात शुरू करना चाहूँगा कि जब बोए पेड़ बबूल के तो आम कहां से होय और जो आम होय तो सबमें बांटो. यह मैंने इसलिए कहा कि मुझे पता चला है कि भारतीय जनता पार्टी के विधायकों से सबसे अपने-अपने क्षेत्र के, बजट के लिए प्रस्‍ताव लिये गये थे और कांग्रेस के विधायकों से नहीं लिये गये, ऐसी जानकारी मुझे प्राप्‍त हुई है. यदि ऐसा है तो अगर सबसे प्रस्‍ताव लिये जाते.

          श्री कमलेश्‍वर डोडियार - अध्‍यक्ष महोदय, मुझसे भी प्रस्‍ताव नहीं लिये.

          श्री नितेन्‍द्र बृजेन्‍द्र सिंह राठौर - अध्‍यक्ष महोदय, सबसे प्रस्‍ताव लिये जाते, तो शायद बजट बहुत अच्‍छा होता और बेहतर होता. खैर, वित्‍त मंत्री जी ने बजट में इस बार 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. लेकिन मैं यह भी पूछना चाहूँगा कि प्रदेश में कितना कर्जा बढ़ गया ? इसकी चर्चा कहीं नहीं आई, साथ ही सरकार कह रही है कि हम शांति वाहन सेवा शुरू करेंगे. मैं कहना चाहता हूँ कि बुन्‍देलखण्‍ड क्षेत्र में आज भी कई ऐसे अस्‍पताल मेरे संज्ञान में हैं कि जहां पर अस्‍पतालों में मरीजों को स्‍ट्रेचर नहीं मिल रहे हैं, ठेले और खाटों पर जनता मरीजों को लेकर जा रही है, ऐसी स्थितियां आज भी हैं. दूसरी तरफ सरकार कहती है कि मध्‍यप्रदेश में रिकॉर्ड सड़कों का निर्माण हुआ है, लेकिन आज भी कई ऐसे गांव हैं, जिसमें एम्‍बुलेंस मरीज तक नहीं पहुँचती, बल्कि मरीज एम्‍बुलेंस तक जैसे तैसे पहुँचता है. 

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अगर हम शिक्षा क्षेत्र की बात करें तो वर्ष 2024-25 में 52,682 करोड़ रुपये का प्रावधान बता रहे हैं, जबकि वर्ष 2023-24 में यह 48,000 करोड़ रुपये था. लेकिन स्‍कूलों की दुर्दशा किसी से छिपी हुई नहीं है. 16,000 स्‍कूल आज भी सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. दिनांक 4 जुलाई, 2023 को शिवराज जी ने प्रदेश के 2.50 लाख संविदाकर्मियों से संविदा कल्‍चर खत्‍म करने का जो वादा किया था, वह आज तक पूरा नहीं हुआ है और इस बजट में भी कोई प्रावधान नहीं है. शिक्षा विभाग में 1.25 लाख पद आज भी खाली हैं और उनके भरे जाने का आज भी कोई जिक्र नहीं है. मैं इसमें ज्‍यादा नहीं बोलूँगा, मैं अपने क्षेत्र पर ही आऊँगा. मेरे पास मैटर तो बहुत है. मैं अपने क्षेत्र की कुछ बातें आपके समक्ष रखना चाहता हूँ. मैं मानता हूँ कि आपने पर्यटन में इस बार बजट कुछ बढ़ाया है, इसका स्‍वागत है. मैं राम राजा की नगरी ओरछा से आता हूँ. वहां हवाई सेवा शुरू होती है तो हम इसका स्‍वागत करते हैं. लेकिन मेरी विधान सभा में बहुत सारी ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जो आज भी बदतर हैं, जिस पर अभी पर्यटन का ध्‍यान नहीं गया है. मैं यह अवगत कराना चाहूँगा कि मेरी विधान सभा में अछरू माता का प्राचीन मंदिर है, मोहनगढ़ का खूबसूरत किला है, मड़खेरा का पांचवीं सदी का सूर्य मंदिर है, वीरसावा का राधा कृष्‍ण मंदिर है, गढ़ कोनार का किला है और तमाम पर्यटन स्‍थल की संभावनाएं विधान सभा एवं जिले में हैं. जिसकी ओर मैं चाहता हूँ कि सरकार इस पर ध्‍यान दे, इससे सरकार का भी राजस्‍व बढ़ेगा और नौजवानों को रोजगार भी मिलेगा, जो सबसे बड़ी समस्‍या है. बुन्‍देलखण्‍ड की सबसे बड़ी समस्‍या पलायन है, बेरोजगारी चरमसीमा पर है क्‍योंकि लोगों के पास काम नहीं है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा निवाड़ी और टीकमगढ़ दोनों जिलों में आती है. मेरा मानना है कि यहां पर कोई बड़ा उद्योग आना चाहिए. जैसे कोई फूड प्रोसेस की बड़ी यूनिट आये तो किसान अपनी पैदावार वहां पर बेच सके और उसके बाय प्रोडक्‍ट्स बनाकर सरकार बेचे, जिससे भी सरकार का रेवेन्‍यू जनरेट होगा और साथ ही साथ नौजवान साथियों को रोजगार मिलेगा. अध्‍यक्ष महोदय, इस दिशा में सरकार का ध्‍यान जाना चाहिए. मैं आपके समक्ष यह बात रखना चाहता हूँ, साथ ही मैं कुछ बातें और कहना चाहता हूँ. यह बजट रोजगार विरोधी है, युवा विरोधी है क्‍योंकि रोजगार की कोई बात नहीं है बल्कि नर्सिंग जैसे घोटाले इनके कार्यकाल में फल-फूल रहे हैं. शिक्षा विभाग में आज भी 1.25 लाख पद रिक्‍त हैं, साथ ही साथ मैं सिर्फ इतना कहूँगा कि शिक्षा पर बजट में 4 प्रतिशत की वृद्धि, एससी, एसटी एवं ओबीसी के कल्‍याण में 10 प्रतिशत की वृद्धि,  कृषि में 15 प्रतिशत एवं स्‍वास्‍थ्‍य एवं महिला कल्‍याण में 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई. यह कैसा संतुलन है ? सिर्फ चिकित्‍सा पर धनराशि लुटा देंगे, क्‍योंकि उसमें फायदा है, उसमें मलाई है. तो मेरा मानना है कि सरकार को सभी दिशा में ध्‍यान देना चाहिए. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

            श्री चैन सिंह वरकड़े (निवास)-  अध्‍यक्ष महोदय, बजट पर बहुत से वरिष्‍ठ सदस्‍यों ने अपनी बात रखी है. मैं, आपके माध्‍यम से यही कहना चाहता हूं कि इस वर्ष 3 लाख 65 हजार करोड़ रुपये का बजट प्रस्‍तुत हुआ, अगले साल यह 4 लाख करोड़ का हो जायेगा, उसके अगले साल 5 लाख करोड़ का हो जायेगा परंतु क्षेत्र की समस्‍यायें समाप्‍त होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. चूंकि मैं, मंडला जिले के आदिवासी क्षेत्र से आता हूं, वहां आज भी अधोसंरचना के क्षेत्र में कोई कार्य नहीं हुआ है. आज भी वहां न सिंचाई की सुविधा है, न स्‍कूल है, निवास मुख्‍यालय में केवल एक कॉलेज है, जहां केवल स्‍नातक तक की कक्षायें हैं, वहां न एम.ए. की कक्षायें हैं, न एम.एस.सी. की कक्षायें हैं, न भवन है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्‍यम से मांग करना चाहता हूं कि निवास कॉलेज में एम.ए. और एम.एस.सी. की कक्षायें आरंभ हों. साथ ही जिले में क्‍योंकि रोजगार के साधन नहीं हैं इसलिए लोग बाहर पलायन कर जाते हैं. पिछले सत्र में तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी 7 जून, 2023 को निवास विधान सभा क्षेत्र के बवलिया में आये थे और वहां उन्‍होंने बरगी जलाशय से उद्वहन सिंचाई योजना की घोषणा की थी, लेकिन आज तक वह घोषणा पूरी नहीं हुई है. अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्‍यम से सरकार से मांग करना चाहता हूं कि उन दो उद्वहन सिंचाई योजना कुड़ामेली और बेलखेड़ी दोनों को यदि स्‍वीकृति मिल जाती है क्‍योंकि जब बरगी जलाशय बना, मंडला और सिवनी के 184 गांव डूब में आये लेकिन वे एक बूंद पानी का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. यदि उद्वहन सिंचाई योजना लागू हो जाये तो निश्चित ही हमें उससे सिंचाई हेतु पानी मिल सकेगा.     

          अध्‍यक्ष महोदय, बेरोजगारों के रोजगार के लिए निवास में एक नवीन औद्योगिक इकाई स्‍थापित की जाये ताकि वहां बेराजगारों को रोजगार का अवसर मिल सके. साथ ही एक बहुत बड़ी मांग, मैं, आपके माध्‍यम से रखना चाहता हूं कि प्रतिवर्ष एक पालक अपने बच्‍चे का एडमिशन करवाता है यदि उसका बच्‍चा कक्षा पहली में गया तो पालक उसके लिए किताबें खरीदता है, फिर दूसरे साल उसका दूसरा बच्‍चा कक्षा पहली में जाता है तो फिर उसे नई किताबें खरीदनी पड़ती हैं. प्रतिवर्ष किताबों के परिवर्तित होने से, हमारे पालक बहुत परेशान हैं. मैं छोटा था तो मेरे बड़े भाई ने उन पुस्‍तकों से पढ़ा, फिर उन पुस्‍तकों से मैं पढ़ा इसलिए कम से कम एक पैटर्न की पुस्‍तकें पांच वर्ष तक चलनी चाहिए ताकि यदि उस परिवार में  तीन-चार बच्‍चे हैं तो वे एक ही बार खरीदी गई पुस्‍तकों से पढ़ सकें.

          अध्‍यक्ष महोदय, रोजगार गारंटी सरकार की बहुत अच्‍छी योजना है. परंतु मैं, आपको अवगत कराना चाहता हूं कि लगभग विधान सभा चुनावों के बाद जनवरी में इसका भुगतान हुआ था, इसके बाद आज 6-7 माह हो गए, कोई भुगतान नहीं हुआ है. काम पूरा करने के बाद, यदि मजदूरों को समय पर उनका भुगतान मिलेगा तो निश्चित ही वे क्षेत्र में रहेंगे लेकिन रोजगार गारंटी के तहत समय पर मजदूरी न मिलने की वजह से वे बाहर पलायन कर जाते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  चैन सिंह जी, अब आप समाप्‍त करें.

          श्री चैन सिंह वरकड़े-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपका संरक्षण चाहता हूं क्‍योंकि मैं आरक्षण से विधायक बनकर आया हूं लेकिन यदि यहां संरक्षण नहीं मिलेगा तो उस आरक्षण का कोई महत्‍व नहीं रह जायेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय-  संरक्षण पूरा है लेकिन समय-सीमा भी है.

          श्री चैन सिंह वरकड़े-  अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि जो भी अधोसंरचना के काम हों, वे ईमानदारी से हों ताकि उनके लिए पुन: बजट का प्रावधान न करना पड़े. कायदे से तो यह होना चाहिए कि जिस अधोसंरचना हेतु इस वर्ष राशि दी गई, वह अगले वर्ष न देनी पड़े लेकिन प्रतिवर्ष दी जाती है, इसके बाद भी हमारी समस्‍यायें जहां की तहां हैं. अंत में, मैं, आपसे यही कहूंगा कि अभी सदन में सत्‍ता पक्ष के जो लोग हैं. 163 लोग सभी ने यह कहा कि हमारे क्षेत्र में डबल इंजन की सरकार ने भरपूर विकास कर दिया है, लेकिन ह‍मारे कांग्रेस पक्ष के विधायकों ने कहा कि हमारे क्षेत्र में बहुत ज्‍यादा समस्‍याएं हैं. मैं आपके माध्‍यम से आग्रह करना चाहता हूं कि इस साल का बजट जिन विधायकों के क्षेत्र में विकास नहीं हुए हैं उन विधायकों के क्षेत्र में खर्च किये जाएं ताकि समान रूप से पूरे प्रदेश का विकास हो सके. मैं यही मांग आपसे करना चाहता हूं. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए धन्‍यवाद.

          श्रीमती अनुभा मुंजारे (अनुपस्थित)

          श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्‍डोरी)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद. यह चौथी बार है कि हम भाजपा को कंट्रोल करने वाले अध्‍यक्ष आए हैं नहीं तो पहले सरकार वाले जैसा चाहते थे वैसा कर लेते थे. मैं आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं. मैं हमारे काबिल वित्‍त मंत्री जी को उप मुख्‍यमंत्री बनाये जाने पर भी आपको बधाई देता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय, वित्‍त मंत्री जी ने जो बजट पेश किया है 3 करोड़ 65 लाख 67 हजार रुपए का विनियोग जिसमें शुद्ध व्‍यय 3 करोड़ 26 लाख 382 करोड़ रुपए का है. अब आपकी जो कुल आय है जो कि संचित निधि से है. 2 लाख 63 हजार 344 करोड़ रुपए है अब आपका जो घाटा है 63 हजार 38 करोड़ रुपए का है परंतु आपने कितनी चतुराई से एक संदेश दिया कि हम किसी का कर नहीं बढ़ा रहे हैं परंतु आपने ऋण के लिए वर्ष 2024-2025 में 64 हजार 734 करोड़ रुपए की जुगाड़ कर ली है. आपने कर्जा लेने के लिए हमको पहले से बता दिया है. यह पुस्‍तक आपने ही छापी है. हमने नहीं छापी है. अब इसमें आपने उसको जोड़कर 3 लाख 30 हजार 193 करोड़ रुपए बता दिया है. कितनी चतुराई से आपने बजट पेश किया है इसके लिए भी आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद. कर्जा तो ले रहे हैं लेकिन चतुराई से बता भी रहे हैं यह भाजपा की ट्रेनिंग होती है, इसमें हमारे लोग पीछे हैं. हमारे लोग बुद्धिमानी से चतुराई नहीं कर पाते हैं इसलिए सही-सही बताते हैं तो पिट जाते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, जब हमने इस बजट को देखा तो हमें यकीन था कि आप मजदूरों के लिए सोचेंगे. उनकी मजदूरी राशि पूरे भारत देश में मध्‍यप्रदेश एक ऐसा राज्‍य है जहां मजदूरी दर सबसे कम है. मध्‍यप्रदेश की मजदूरी दर पिछले साल 221 रुपए थी और 221 रुपए छत्‍तीसगढ़  में था इसके बाद मैं आपको डेटा दे सकता हूं मैं उम्‍मीद करता हूं कि मजदूरों पर आपकी कृपा हो जाए. मजदूरों का पैसा नहीं बढ़ाया, रसोईया आंदोलनरत हैं, बहुत परेशान हैं उनके लिए आपने पैसा नहीं बढ़ाया है. संविदाकर्मी के लिए आपने पैसा नहीं बढ़ाया है. आशाकार्यकर्ता के लिए आपने पैसा नहीं बढ़ाया, आपने कोटवार का पैसा नहीं बढ़ाया, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आप भी अपने क्षेत्र में जाते हैं, युवा खेलना चाहते हैं. इस समय भारत के नौजवान विश्‍व में 20-20 का वर्ल्‍डकप जीतकर आए हैं. मैं तो चाहता हूं कि यदि सत्‍ता पक्ष सहमत हों तो आपके माध्‍यम से हमारे खिलाडि़यों को हम धन्‍यवाद ज्ञापित कर दें और हमारे हर गांव में खिलाड़ी मांग करते हैं कि हमको क्रिकेट का मैदान मिले क्रिकेट किट मिले कबड्डी यह सब मांगते हैं परंतु आपने बड़ी मेहरबानी की कि 3 लाख 65 हजार करोड़ में खिलाडि़यों के लिए 586 करोड़ मलतब आप खिलाड़ियों के विरोधी हैं. आप उनके लिए कुछ नहीं करने वाले हैं. दूसरी तरफ मत्स्य का व्यवसाय बहुत बड़ा व्यवसाय है आपने इसके लिए मात्र 229 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. माननीय मंत्री जी आप ही की पुस्तक है. पर्यटन के विकास के लिए आपने मात्र 282 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. विज्ञान के माध्यम से हम आगे बढ़ना चाहते हैं इसमें आपने मात्र 472 करोड़ रुपए रखे हैं. न विज्ञान को आप आगे बढ़ा रहे हैं न नौजवान को आप आगे बढ़ाना चाह रहे हैं. वहीं जो ओपीएस की मांग की जाती है. मैं बहुत गंभीर जानकारी देना चाहता हूँ इस समय एनपीएस का क्या नियम है. 14 प्रतिशत आप जमा कर रहे हैं 10 प्रतिशत कर्मचारी का होता है. 10 हजार रुपए उसकी बिना इच्छा के ले रहे हैं, 14 हजार रुपए आप दे रहे हैं. इस प्रकार 24 हजार रुपए जमा कर रहे हैं. आपके राजकोषीय घाटे की आप कहां से पूर्ति करते हैं. क्या नियम है. पहले यह लोक लेखा में जाता था वहां से आप उठाते थे. अगर आपको 50 हजार करोड़ रुपए की जरुरत होती थी तो आप लोक लेखा से 10 हजार करोड़ रुपए उठाते तो आपको 40 हजार करोड़ ही बाहर से लेना पड़ता. आपने इसके लिए फण्ड मैनेजर के माध्यम से पूरे भारत देश में कार्पोरेट सिस्टम को बढ़ाने का सबसे बड़ा षड्यंत्र किया है. अगर आज भाजपा को सबसे बड़ा मीडिया का सपोर्ट मिलता है, फायनेंस सपोर्ट मिलता है तो इसी तरह से आप हमारे अधिकारी, कर्मचारी जिनको 35 साल बाद पैसा देना पड़ता वह पैसा आप दे देते हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- समय समाप्त हो गया है. श्री हेमंत कटारे.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की बात कर लूं.

          अध्यक्ष महोदय -- मैं तो पहले ही कह रहा था कि क्षेत्र की बात से शुरु करो.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, आप तो केन्द्र में मंत्री थे तो अपने क्षेत्र में चमाचम कर लिए अब हमारे इधर भी कुछ हो जाए. माननीय मंत्री जी आपने हमें एक झुनझुना दे दिया है. उसका नाम है डिण्डौरी में कोदो-कुटकी का अनुसंधान केन्द्र. माननीय मंत्री जी आपके संज्ञान में ला दूं वहां पर कृषि अनुसंधान केन्द्र पहले से है. कृपा करके आप कृषि महाविद्यालय खोलने की घोषणा कर दें,  कभी हम भी चुका देंगे, कभी आप इधर हो गए हम उधर आ गए तो हम भी ध्यान रखेंगे. प्रहलाद भैया आप हमारे यहां के नेता हो भाजपा में हो वह बात अलग है, आप भी सपोर्ट करना. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे भी निवेदन है कि कृषि महाविद्यालय हमारी आवश्यकता है उसके लिए घोषणा हो. दूसरी बात माननीय पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान में भारत सरकार के मंत्री चौहान जी ने हमारे यहां मिनी स्टेडियम, इंडोर स्टेडियम की वर्ष 2008 में घोषणा की थी. उसके लिए अभी तक पैसा नहीं मिला है. इसके लिए भी हम आपसे उम्मीद करते हैं. माननीय मंत्री जी आपसे हमारा अनुरोध है कि कृपा करके बड़ा दिल दिखाएं एक नई परम्परा आ रही है 15 करोड़ रुपए उधर, 5 करोड़ रुपए इधर इस तरह से युद्ध न कराएं.

          अध्यक्ष महोदय -- हेमंत कटारे जी.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- कम से कम समान रुप से हमारे लोगों को न्याय दें. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ.

          श्री हेमंत सत्यदेव कटारे (अटेर) -- क्षमा चाहूंगा अध्यक्ष महोदय, आपने दो बार नाम पुकारा फिर भी पालन नहीं कर पाया. ओमकार भैया हमारी केन्द्रीय चुनाव समिति के भी सदस्य हैं तो थोड़ा आगे का भी देखना पड़ता है. बात शुरु करने के पहले आपके मन की बात कह ही देता हूँ एक बहुत वरिष्ठ सदस्य जिनका मैं बहुत आदर और सम्मान करता हूँ उन्होंने मेरी समय-सीमा 10 मिनट की बांध दी है. उतना आप दे देना.

अध्‍यक्ष महोदय नहीं-नहीं,10 मिनट नहीं 5 मिनट हैं. मरकाम जी, ध्‍यान रखना हेमंत जी के टिकट का, आपकी वजह से नहीं उठे.  

श्री हेमंत सत्‍यदेव कटारे -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं उठूंगा ही नहीं. मरकाम जी के नाम पर उठूंगा ही नहीं और किसी पर उठ जाऊंगा. आप यहां सचिवालय से क्रम बदल दीजिएगा. मैं यह कहना चाहूंगा कि हमारे एक विधायक जी ने इस बात का प्रस्‍ताव पहले ही अपने उद्बोधन में रख दिया है इसलिये मैं इसको विस्‍तार से नहीं कहता.

अध्‍यक्ष महोदय -- जो बातें आ गई हैं उनको छोड़ देना चाहिये. वरिष्‍ठ नेता की यही पहचान होती है.

श्री हेमंत सत्‍यदेव कटारे जी. महत्‍वपूर्ण बात है रिकॉर्ड पर ले आता हूं कि जैसे पड़ोसी राज्‍यों के विधायकों को 5 करोड़ रुपये विधायक निधि मिल रही है, क्‍योंकि विधायक जो होता है वह गली-गली, चप्‍पा चप्‍पा घूमा होता है, उसको हर गांव के हर व्‍यक्ति की, हर सड़क की, हर हैंडपंप की समस्‍या पता होती है, तो जो कार्य डायरेक्‍ट जा रहा है वह विधायक के माध्‍यम से चला जाए. मूल आग्रह है कि विधायक निधि को कम से कम 5 करोड़ रुपये करना चाहिये, ऐसी मुझे आपसे आशा है और इसकी मैं मोहन यादव जी की सरकार से भी आशा और प्रार्थना करता हूं.

अध्‍यक्ष महोदय, लाड़ली बहना योजना, याद दिलाना चाहूंगा चूंकि इसके पहले जब चुनाव चल रहे थे तब बीजेपी के लोग चिल्‍ला चिल्‍लाकर हर मंच से एक ही बात कहते थे कि लाड़ली बहना, 3 हजार रुपये लाड़ली बहना को देंगे, आपने भी सुनी और मैं समझता हूं कि हर व्‍यक्ति जो यहां मौजूद है उसने सुनी. कान फट गये सुन सुनकर. बिल्‍कुल खून निकाल दिया कि 3 हजार रुपये देंगे और यही सबसे बड़ा वायदा था जिसके कारण सरकार बनी. कहां गये 3 हजार रुपये. कुल मिलाकर इस बजट में जो वायदा खिलाफी हुई, जो धोखाधड़ी हुई है मैं समझता हूं कि यह मध्‍यप्रदेश की आधी आबादी लगभग ठीक है, अनुपात में हो सकता है मूल रेसियो, फीमेल रेसियो में थोड़ा सा अंतर हो सकता है, अगर मैं मोटी-मोटी बात करूं तो महिलाएं आधी तो होंगी, तो करीब-करीब आधी आबादी के साथ तो धोखाधड़ी स्‍पष्‍ट है. इसमें कोई प्रमाण की जरूरत नहीं है. इसको कोई डिनाइ भी नहीं कर सकता है. बची हुई आबादी के साथ क्‍या धोखाधड़ी हुई वह भी मैं आपको बता दूंगा. जो यह बजट जनता के लिये आना चाहिये था मुझे तो इसमें ऐसा दिखाई नहीं दिया कि जनता के लिये, जनता के हितों को इसमें सुरक्षित रखा गया है. एक और बहुत ही महत्‍वपूर्ण चीज बताना चाहता हूं अपनी बात को और प्रैस करने के लिये कि इस बजट में कैपिटल एक्‍सपेंडिचर में रिडक्‍सन किया गया है. जो पूंजीगत व्‍यय है उसमें सीधे-सीधे 9 परसेंट से कटौती की गई है. वह भी वर्ष 2023-24 में था, कोई अगर आंकड़ा पूछना चाहेगा तो बुक्‍स रखी हुई है, विश्‍वास सारंग जी हैं नहीं, प्‍वाइंट ऑफ ऑर्डर वही करते रहते हैं, अभी वह नर्सिंग में निकल लिये हैं. कैलाश जी भी नहीं हैं. अरे ! मैं बता दूंगा. मैं अभी अपनी बात आगे कंटीन्‍यु करता हूं. 9 परसेंट जो रिडक्‍सन ..  

          अध्‍यक्ष महोदय -- तीन मिनट हो गये हैं.

          श्री हेमंत सत्‍यदेव कटारे -- अध्‍यक्ष महोदय, 10 मिनट. कुछ बातें महत्‍वपूर्ण हैं. मैं मेहनत करके आया हूं, मैं जाग रहा हूं, पढ़ रहा हूं, अब आप ऐसा कर देंगे तो कैसे चलेगा.

          श्री उमंग सिंघार -- यह भी आपके चंबल के कोहिनूर हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हां यह भी हैं.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- संविधान और खटाखट.

          श्री हेमंत सत्‍यदेव कटारे -- अध्‍यक्ष महोदय, पूंजीगत व्‍यय में 9 प्रतिशत् की कटौती हुई है. वर्ष 2023-24 में 67,177 करोड़ खर्च हुआ और वर्तमान में वर्ष 2024-25 में जो प्रस्‍तावित है वह 61,635 है. अब मैं कहना यह चाहता हूं कि कैपिटल एक्‍सपेंडिचर सबसे महत्‍वपूर्ण होता है, चूंकि जितने भी रोड से संबंधित निर्माण कार्य होते हैं, एरीगेशन से संबंधित सिंचाई परियोजनाएं हो होती हैं, ऊर्जा विभाग से संबंधित निर्माण कार्य होते हैं, यह सब इसी मद के अंतर्गत होते हैं और इस मद में पिछले 5 वर्षों में पहली बार कटौती हुई है, तो यह बजट मध्‍यप्रदेश को पीछे ले जा रहा है या मध्‍यप्रदेश को प्रगति की ओर ले जा रहा है इससे यह क्‍लीयर होता है. हमेशा बढ़ा है, यह पहली बार हुआ है 5 सालों में कि यह घटकर सीधे 9 परसेंट से गिरा है, जहां सारे महत्‍वपूर्ण विकास कार्य जुड़े हुये हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, यह मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं. माननीय वित्‍तमंत्री जी के भाषण में जो उन्‍होंने बातें कहीं 2-3 ही रख देता हूं वैसे तो बहुत सारी हैं अब मैं शॉर्ट कर देता हूं. उन्‍होंने प्‍वाइंट 44 में एक बात कही कि प्राकृतिक खेती को लेकर जिसमें सारे सम्‍माननीय विधायकों ने दे दनादन तालियां बजाईं. जब ताली सुन रहा था तब मुझे ऐसा लग रहा था कि कौन सा बजट आ गया, कल से दिन बदल जाएंगे, फिर पढ़ा तो ऐसा लगा कि वैसे ही बिना पढ़े ही ताली बजा रहे थे. प्राकृतिक खेती में वह कह रहे हैं कि 2024-25 में 30 करोड़ रुपये का प्रावधान है. सुनने में बड़ा लग रहा है. अब इसको विधान सभा के अनुपात में बांट लेते हैं, तो 230 से डिवाइड करते हैं तब प्रति विधान सभा 13 लाख रुपये हो जाते हैं. अब इसको गांवों में डिवाइड कर लेते हैं. मेरे यहां 328 गांव हैं. मैं 300 पर ही मान लेता हूं तो 300 गांव से जब इसको डिवाइड करते हैं तो 4,333 रुपये एक गांव में प्राकृतिक खेती के लिये मिल रहे हैं. इस पर तालियां बज रही हैं. मुझे तो लगता है कि यह अपनी कमियां बता रहे थे और लोग समझ ही नहीं पाये. 4 हजार रुपये प्राकृतिक खेती पर आप ताली बजवा गये ! गजब.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्‍वाइंट 45 की बात करूंगा. प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना अंतर्गत् इस बात पर लोग बोल चुके हैं, मैं बस इतनी सी बात कहूंगा कि 70 प्रतिशत् आबादी है, 5 करोड़ 37 लाख लोगों को यह कह रहे है कि हम फ्री का खाना बांटेंगे, एक तरफ राज्यपाल के अभिभाषण में कह रहे हैं कि गरीबी दूर कर दी तो फिर यह फ्री का खाना अमीर लोग तो खायेंगे नहीं. भूख तो हमें भी लग रही है लेकिन डिनर का प्रावधान नहीं है. अ ध्यक्ष जी ने अपने भाषण में एक बात और कही बिंदू 209 में कर की बात कही थी कुल मिलाकर के कर को यथावत रखा गया है. पहले तो कम करना चाहिए था लेकिन यथावत भी रखा है तो उप मुख्यमंत्री जी से मैं यह कहना चाहता हूं कि आपके अधिकारी जब बजट बनाते है तो शायद इसका पूरा अध्ययन नहीं करते हैं एक तरफ आप कह रहे हैं कि कर को वैसा ही रख रहे हैं, उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया है. अच्छी बात है. वैसे तो परिवर्तन करके कम करना चाहिए था दूसरी चीज मैं यहां पर कहना चाहूंगा कि अगर वैसा ही रखा है तो जो प्रस्तावित बजट है उसमें आपने स्टाम्प ड्यूटी को 17 प्रतिशत से कलेक्शन क्यों बढ़ाया है, क्यों आपने स्टेट जीएसटी का कलेक्शन 25 प्रतिशत से बढ़ाया है, क्यो आपने मोटर व्हीकल टैक्स का कलेक्शन15 प्रतिशत से बढ़ाया है क्यों इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी को 19 प्रतिशत से बढ़ाया है. अगर ग्रोथ रेट भी देखेंगे तो सामान्य दर 7 8 प्रतिशत होती है तो यह दोनों विरोधाभासी बातें हैं तो मुझे लगता है कि ( X X X ) ऐसे ही आपके साथ भी हो रहा है कृपया इसे आप अपने स्तर से चैक कीजियेगा.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल अध्यक्ष महोदय इस बात को विलोपित करवा दें.

          अध्यक्ष महोदय इसे कार्यवाही से निकाल दें.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे अध्यक्ष महोदय मैं यहां पर इंफ्लेमेशन की बात कहना चाहूंगा. महंगाई बढ़ रही है 13.08 प्रतिशत से, जो इनकम है, प्रति व्यक्ति आय है वह 1.4 प्रतिशत से बढ़ रही है, अब आप इसमें अंतर देखिये, तो यह जो गैप है इसको भरने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. पेंशनर्स और कर्मचारियों के लिए कहना चाहूंगा. जो मोदी सरकार की बात करते हैं तो उनसे सीख लेना चाहिए कि वह कर्मचारियों को 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता दे रहे हैं, हम 46 प्रतिशत दे रहे हैं और वहां पर 3 प्रतिशत बढ़ाने के लिए प्रावधान रखा है, यहां परकोई सोच ही नहीं रहा है. पेंशनर्स के लिए हम 42 प्रतिशत दे रहे हैं वह 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता दे रहे हैं क्योंकि यह लाखों परिवारों से जुड़ा हुआ विषय है इसलिए मैं इसको कह रहा हूं इसको जोड़ना जरूरी है इस पर विचार करना चाहिए.

          एक हमारे क्षेत्र का विषय है जिसमें अध्यक्ष जी आपकी विधान सभा भी आती है. अटल प्रोग्रेस वे, पहले यह चंबल एक्सप्रेस वे के नाम से आयी  इसका नाम बदलकर अटल प्रोग्रेस वे कर दिया, पचासों बार वहां पर नारियल फूट गये लेकिन वहां पर काम कुछ नहीं हुआ है, कुछ भी नहीं हुआ है . आपको भी पता है इसके बारे में, और तो और यहां पर भ्रष्टाचार क्या हुआ है. मेरी विधान सभा में एसडीएम था उदय सिंह सिकरवार जो कि वर्तमान में भी प्रदेश में कही न कहीं पर पदस्थ होगा , उसने खुद अपने नाम पर दो जमीनें खरीद ली जहां से वह लेन निकलना थी. उसने अपनी पत्नी के नाम से दो जमीनें खरीद ली है मेरे पास में रजिस्ट्री हैं. मैंने स्वयं लोकायुक्त में शिकायत भी कर रखी है जिसको दबवाकर रखा होगा किसी माननीय ने मैं उस पर बाद में आऊंगा लेकिन इस योजना के बारे केवल छपता ही रहेगा या यह देखने को भी मिलेगी, क्योंकि यह आपके और मेरे क्षेत्र से जुड़ा हुआ है इसलिए इस विषय को यहां पर उठा रहा हूं.

कैलाश विजयवर्गीय जी यहां पर नहीं है लेकिन जब होंगे जैसे डिनर और पार्टी पर मिलूंगा एक दो दिन में तो यह चुन्नु मुन्नु वाली बात मैं उनसे पूछना चाह रहा था. आप और नेता प्रतिपक्ष जी कुछ बात कर रहे थे यह आपसे कुछ आग्रह कर रहे थे और आप उसका उत्तर दे रहे थे और उन्होंने खड़े होकर कुछ कहा कि यह चुन्नु मुन्नु के बस की बात नहीं है तो यह किसको चुन्नु मुन्नु कहना चाह रहे थे उनसे आप भी यह पूछना क्योंकि आप लोग बात कर रहे थे तो ऐसा तो नहीं कि नेता प्रतिपक्ष जी की आड़ मे विश्वास सारंग जी को बचाने वाला गुस्सा कहीं जा रहा हो.

          अध्यक्ष महोदय चुन्नु मुन्नु प्यार का शब्द है उसको ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए.

          श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे ठीक है तो मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. एक बात यह कहना चाहूंगा कि नर्सिंग घोटाले में जो छात्रों कंपनसेशन मिलने की मैंने मांग की थी उसका बजट में प्रावधान नहीं है, जिन अपात्र  लोगों को आप लोग भर्तियां दे रहे हैं माननीय वह हैं नहीं स्टंटबाज, वह जो भर्तियां दे रहे हैं, वह नियम विरूद्ध भर्तियां देकर शासकीय जो पैसा है उस मद से उनकी सेलरी निकल रही है इसलिए यह बजट से जुड़ा हुआ भी विषय है तो मैं मांग करना चाहता हूं कि उसके लिए प्रावधान करना चाहिए.इतना ही कहकर मैं अपनी बात समाप्त करता हूं.  आपने मुझे बलने का अवसर दिया बहुत बहुत धन्यवाद्.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह गहरवार(चित्रकूट)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले तो कामतानाथ भगवान की जय. माननीय मुख्‍यमंत्री और वित्‍त मंत्री जी को बंहुत बहुत धन्‍यवाद और बधाई देना चाहता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय- सुरेन्‍द्र जी दो तीन मिनट में ही समाप्‍त करें

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह गहरवार- चित्रकूट की बात किसी माननीय सदस्‍य ने नहीं उठाई इसलिए निवेदन कर रहा हूं. चित्रकूट को जैसे ओंकारेश्‍वर में महालोक बनाने के लिए एक व्‍यवस्‍था बनी है. उज्‍जैन में महाकालेश्‍वर पर महाकालेश्‍वर महाकाल बना पहले से भी था और काफी काम हुआ काशी विश्‍वनाथ में भी काफी ऊचाईयां दी गई, पुरानी प्राचीनता को नए सिरे से बनाया गया. अयोध्‍या में भगवान श्रीराम की पुर्नस्‍थापना की गई. अयोध्‍या में भगवान श्री राम का जन्‍म हुआ था वो वहां राजकुमार थे. 14 साल के बनवास में श्रीराम जी 12 साल चित्रकूट में रहे. देश और दुनिया में यश और कीर्ति मर्यादा पुरूषोत्‍तम वनवासी श्रीराम का जो परिचय विश्‍व में हुआ, वह चित्रकूट से हुआ. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को, माननीय उपमुख्‍यमंत्री जी और वित्‍त मंत्री जी को बहुत बहुत बधाई और धन्‍यवाद देना चाहता हूं. एक छोटे से संदेश में चित्रकूट को प्राधिकरण घोषित किया अभी रामपथ गमन के लिए 456 करोड़ रूपए दिया भी है उसकी शुरूआत होने जा रही है. हमारे नगरीय प्रशासन मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय जी ने भी चित्रकूट के नगरीय विकास के लिए 182 करोड़ रूपए दिया. चित्रकूट भी जिनका मैंने अभी उल्‍लेख किया चित्रकूट भी उसी ऊंचाई पर पहुंचे विश्‍व का सबसे बड़ा आध्‍यात्मिक स्‍थल है और ऊंचाई तक बढ़े और प्रतिष्ठित हो. अभी भी साढ़े तीन से चार करोड़ लोग देश दुनिया से साल भर में चित्रकूट आते हैं. रोड चौड़ी करना है. मैं माननीय प्रधानमंत्री जी को माननीय गड़करी साहब को इस सदन के माध्‍यम से बहुत बहुत धन्‍यवाद देना चाहता हूं. मैहर से सतना अभी टू लेन रोड कुछ दिन पहले ही बना है, कुछ महीने पहले ही पूरा हुआ है. अभी चित्रकूट से मैहर फोर लेन मंजूर हो गया है. फोर लेन को जोड़ करके चित्रकूट और एमपी यूपी का 12 किलोमीटर का जो हिस्‍सा है, उसको भी जोड़ करके गुप्‍त गोदावरी मोड़ से और भरतकूप पहुंचा देने के बाद वो बुंदेलखंड हाइवे से जुड़ जाता है और हम सतना से भोपाल आने में जितना समय लगता है उस समय में हम सतना से दिल्‍ली पहुंच जाएंगे. इस अद्भुत  विकास के लिए मैं बहुत बहुत बधाई और धन्‍यवाद देता हूं. अभी ओंकारेश्‍वर में आचार्य शंकर की 108 फीट की प्रतिमा भी बन रही है. जो हमारा प्राचीन अध्‍यात्‍म रहा है देश के अंदर उसको पुन: जागृत करने के लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने वहां पर  एक मिशन की स्‍थापना की है.वीर भारत न्‍यास की स्‍थापना की है. आचार्य शंकर अंतर्राष्‍ट्रीय अदवैत वेदांत संस्‍थान की भी स्‍थापना की है ऐसे तमाम संस्‍थान देश के परिचय को पुनर्जीवित करने के लिए भारतीय जनता पाटी की सरकार जो एक नया परिचय पुरानी खोई हुई बातों को रख रही है, उसके लिए मैं धन्‍यवाद देना हूं और यहां बैठे पक्ष और विपक्ष के सभी माननीय सदस्‍यों से पुन: प्रार्थना करता हूं कि चित्रकूट की धरती पर समय समय पर जिसको जब समय मिले पधारे और भ्रमण करें और जो भी उनके सुझाव हों, अभी तो वहां अतिक्रमण है, उसको हटाना है बहुत सारे काम करना है.

          अध्‍यक्ष महोदय -         सुरेन्‍द्र जी समाप्‍त करें.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह गहरवार-         माननीय अध्‍यक्ष महोदय बस एक मिनट

          अध्‍यक्ष महोदय -         मुझे मालूम था मेरे कहने के बाद आप एक मिनट कहने वाले हैं.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह गहरवार-         माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बस एक अनुरोध कर लू्ं चित्रकूट में जो पुराना रास्‍ता था उसको अगर तोड़ा जाएगा तो मठ मंदिर काफी क्षतिग्रस्‍त हो जाएंगे और चित्रकूट का मास्‍टर प्‍लान बनाया जाए तब उसका आगे काम बढ़ाया जाए जो नया कामतानाथ से पुराना ट्रांसपोर्ट बैरियर था जो मार्ग बना है उसको कम से कम 100 मीटर रखा जाए ताकि चित्रकूट के 100 साल का भविष्‍य कैसा हो वहां से सारी सुविधाएं उपलब्‍ध कराई जा सकें जमीन अधिग्रहित करके और चित्रकूट के हित में देश दुनिया का हिन्‍दू समाज वहां पर जाकर दर्शन कर सके रास्‍ता सकरा न पड़े इसके लिए उसको जरूर ध्‍यान में रखना चाहिए एक अच्‍छा अधिकारी भेंजे जो अतिक्रमण हटाकर प्‍लान के साथ वहां का अच्‍छा विकास कर सके. आपने बोलने का समय दिया अध्‍यक्ष महोदय आपका बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले  आपको धन्यवाद, सदन को एक मैराथन के रुप में चलाने के लिये  विशेष रुप से  आपको धन्यवाद और  आपने सबको  मौका दिया मेरे दल के सदस्यों को,  उनकी तरफ से भी मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं.  उप मुख्यमंत्री, वित्त देवड़ा जी, जैसे हमारे सदस्य कटारे जी ने  कहा, आंकड़ों की बात की.  कुछ आंकड़े हो सकते हैं,  अब वह  क्या है, वह तथ्य की बात है.  हमेशा डबल इंजन की  सरकार की बात होती है, लेकिन डबल इंजन की सरकार कहीं न कहीं कर्जे में डूबी रहती है.  मैं कहना चाहता हूं कि  निश्चित तौर पर  आपका  एक दायित्व है बजट का, लेकिन महत्वपूर्ण है कि  वित्तीय प्रबंधन  के साथ वित्तीय नियंत्रण और वित्तीय नियंत्रण के साथ   आपको यह महत्वपूर्ण है कि  काम उत्कृष्ट हो रहा है  कि नहीं.  उत्कृष्ट बजट का सृजन तो ठीक है,  बजट के सर्वोत्तम उपयोग हेतु  बजट का प्रबंधन  है. लेकिन बजट के सर्वोत्तम उपयोग के लिये  तथा दुरुपयोग रोकने के लिये  बजट पर कुशल नियंत्रण आवश्यक है, ऐसा मैं मानता हूं. लेकिन मुझे लगता है कि सरकार कहीं न कहीं बजट के नियंत्रण में   असफल रहती है और रही है.  जहां तक बजट में 16 प्रतिशत की वृद्धि, पूंजीगत  परि व्यय, केपिटल आउट ले में 15 प्रतिशत की वृद्धि, कुल पूंजीगत परिव्यय   और राज्य के सकल घरेलु   उत्पाद,  एसजीडीपी इसमें 4.25  प्रतिशत के आंकड़ों का  प्रश्न है.  यह परम्परागत रुप से  बजट  सभी लोग देते आये हैं और यह  एक मैकेनिकल  प्रक्रिया है,  कैसे  बजट को आंकड़ों में दिखाना.  बेहतर बजट  को प्रदर्शित करने के लिये  आकंड़ों की बाजीगिरी होती है, सामान्य बात है. लेकिन महत्वपूर्ण  है कि  आपने बात की  रोजगार की सुनिश्चितता की,  गौवंश की रक्षा की,  बेरोजगारों की. ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट  पर प्रकाश डाला,  सब पर बात हुई. पर व्यापम, नीट,पटवारी और नर्सिंग में जो बच्चे हैं,  अभी माननीय तत्कालीन मंत्री जी हैं नहीं,  उनके घावों पर आप मरहम नहीं लगा पाये.  उनके लिये आपने  व्यापम का नाम बदल दिया प्रोफेशनल  एग्जामिनेशन  बोर्ड में भर्ती प्रक्रिया में  भ्रष्टाचार समाप्त जब तक नहीं हो जाता,  तब तक प्रदेश के युवाओं को न्याय  नहीं मिलेगा.  मैं कहना चाहता हूं कि  डबल इंजन सरकार की बात बहुत बोलते हैं.  अभी संसदीय मंत्री जी कह रहे थे.  केन्द्र सरकार  2019 में जब थी,  90 लाख करोड़ का कर्जा था और 2023 में  161 लाख  करोड़ का कर्जा हो गया.  तो यह आपकी प्रधानमंत्री   मोदी की सरकार है और अन्तर्राष्ट्रीय  मुद्रा कोष में  आईएमएफ ने  भारत की आर्थिक स्थिति  पर टिप्पणी की है कि  यदि यही कर्ज की रफ्तार रही, तो  2028 में  भारत का  जीडीपी के बराबर  100 प्रतिशत कर्ज हो जायेगा.  मतलब आप श्रीलंका, पाकिस्तान  की तरफ ले जायेगें देश को. यह मेरी टिप्पणी नहीं है,  अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की टिप्पणी है.  राज्य बजट  3 लाख 65 हजार करोड़  समथिंग. 88 हजार करोड़ का आप कर्ज  ले रहे हैं, मतलब  38 परसेंट  ज्यादा,  आप अधिक   कर्ज ले रहे हैं. आय से अधिक खर्चा कर रहे हैं. प्रदेश के व्‍यक्ति पर 6 हजार रूपये से सीधा 10 हजार रूपये का कर्ज हो जायेगा. उसकी आय की बात नहीं हो रही है उस पर कर्जा कैसे चढ़े यह आपके बजट से परिलक्षित होता है. लोक सभा चुनाव के पहले प्रदेश में 8 हजार करोड़ रूपये की घोषणाएं करीं और 800 करोड़ के काम की शुरूआत भी नहीं हुई. कर्ज का ब्‍याज चुकाने के लिये कर्ज है, यह एक नयी व्‍यवस्‍था. हमारे साथियों ने आपको आंकड़े गिना ही दिये, मैं, उस पर नहीं जाता हूं. लेकिन पैट्रोल,डीजल सबसे ज्‍यादा मध्‍यप्रदेश के अंदर महंगा है. लेकिन इसमें सरकार ने टैक्‍स कम  करने की बात नहीं करी. आम जनता को कैसे महंगाई से राहत मिले, शांत हो आपने इस पर कोई सोच नहीं बनाई, ना आपने कोई घोषणा करी. महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, उत्‍तर प्रदेश और गुजरात इन सबसे मध्‍यप्रदेश सबसे आगे है, सबसे ज्‍यादा टैक्‍स अपने यहां पर है, पैट्रोल, डीजल पर. आप आपके घोषणा पत्र को भूल गये. शिवराज सिंह जी तो घोषणावीर थे, हजारों घोषणा कर गये और दिल्‍ली चले गये. जब भाजपा की सरकार आयी तो कई घोषणाएं करी, 31000, 2700 रूपये गेहूं के, 3000 रूपये लाड़ली बहना के लिये, मामा के साथ लगता है कि लाड़ली बहना भी..

          श्री तुलसीराम सिलावट:- 31000 नहीं 3100 रूपये.

          श्री उमंग सिंघार-ठीक है, माफी चाहता हूं 3100 रूपये.

          अध्‍यक्ष महोदय:- तुलसी भाई कितनी चिंता करते हैं,इससे आप अंदाज लगा लो.

          श्री उमंग सिंघार- लेकिन मुझे पता है कि सिंचाई विभाग में एस्‍केलेशन कितना करते हैं. 3000 रूपये उनको मिलना नहीं है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जिन वादों पर आप चुनाव जीत कर आये, उन वादों को भूल गये और आप कहते हैं कि प्रदेश के युवाओं का बजट है, प्रदेश की बहनों के लिये बजट है, प्रदेश के किसानों के लिये बजट है. यदि मैं आपको बताऊं तो घाटाले बहुत निकल जायेंगे. आपकी सरकार के अंदर ही एक घोटाला हुआ है, किसानों को लेकर. केंचुए की 110 करोड़ रूपये की खरीदी हुई. 10 रूपये का केंचुआ वहां 50 रूपये में किसानों को मिला नहीं, मालूम करा लेना, यह हैं आपके खर्चे. सुबह हमारी एक बहन का ध्‍यानाकर्षण आया था. मैंने भी उसमें सवाल किया था. उस पर अध्‍यक्ष जी ने भी व्‍यवस्‍था दी थी, बहुत अच्‍छी बात है. मानवता के नाते मैं, इस बात को कहना चाहता हूं कि 60 वर्ष के ऊपर के सभी नागरिक को पेंशन देना हमारी जवाबदारी है और वह उनको समय पर मिले. क्‍योंकि मुझे याद है कि जब मैं पहली बार विधायक बना था तो, अध्‍यक्ष जी मैं आपको भी बताना चाहता हूं और सदन को भी बताना चाहता हूं कि मैं एक गांव में गया, मैं भीड़ में था. मैंने दूर से देखा की एक झोपड़ी थी, पत्‍तों से बनी हुई. मैंने पूछा कि यह पत्‍तों से बनी हुई झोपड़ी कैसी है, बारिश का समय था जुलाई अगस्‍त की बात है, लोग बोले वह बुजुर्ग महिला की है. मैंने कहा कि उसकी स्थिति ऐसे कैसी है. बोले उसके लड़के ने उसको भगा दिया. मैं अंदर गया वहां पर एक खाट थी, 75 साल की एक बुजुर्ग महिला मां के समान पत्‍तों की झोपड़ी में लेटी थी. मैंने स्‍वेच्‍छादान से जो मदद कर सकता था उसके घर के लिये की. लेकिन सरकार प्रदेश के अंदर ऐसे कितने लोग हैं, जो बुजुर्ग हैं, हम उनके बारे में नहीं सोचते हैं. कम्‍प्‍यूटर में उलझ जाते हैं कि अपडेट हुआ की नहीं, के.वाय.सी हुई की नहीं. कुछ काम दिल से और जमीन पर ईमानदारी से करना पड़ते हैं, इसमें पार्टी की बात नहीं होती है. कभी रोजगार सहायक ने एंट्री नहीं करी. मैं गांव में जाता हूं, देखता हूं वह बेचारी महिलाएं कभी-कभी मेरे पैर पढ़ने लगती है, 150 रूपये के लिये. मुझे बड़ा दर्द होता था और बोलता था कि मेरे पैर मत पढ़ो. तो हम लोग इस लायक है, मंत्री हैं, सरकार चला रहे हैं क्या हमने कभी उस गरीब महिला के दर्द के बारे में बात की, सोचा? अगर हम उसके दर्द के हिसाब से सोचते तो हमारे नियम और कानून कभी बीच में नहीं आते. ईमानदारी से उसकी सेवा होती. (मेजों की थपथपाहट).. इस बारे में मैं चाहूंगा. अध्यक्ष महोदय ने भी अच्छी व्यवस्था दी है, लेकिन इसके नियम बड़े सुदृढ़ और मजबूत होना चाहिए और जवाबदेही तय होना चाहिए. हम जवाबदेही तय नहीं करते हैं, नियम बना लेते हैं. कलेक्टर को जवाबदारी दे देते हैं, सीईओ को तहसीलदार को जवाबदारी दे देते हैं, रिपोर्ट बुलवा लेते हैं. कागजों पर रिपोर्ट आती है, कैसी आती है और विधान सभा में कैसे जवाब दिये जाते हैं अनुत्तरित, जानकारी एकत्रित की जा रही है. जनप्रतिनिधियों के साथ यह स्थिति  होती है.

          अध्यक्ष महोदय, बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं. वर्ष 2021-22 में 23 लाख थे और वर्ष 2022-23 में 25 लाख बच्चों ने स्कूल छोड़ा, ये आंकड़ें हैं. आपके पोर्टल से पूरा डेटा निकालकर दिखवा लें. बच्चे स्कूल क्यों छोड़ रहे हैं? क्या हो रहा है, क्या कारण है, क्या पढ़ाई नहीं हो रही है? सरकारी स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, उन शिक्षकों का सम्मान नहीं है. अतिथि शिक्षकों को हम नौकरी नहीं दे रहे हैं. वर्ष शिक्षक 1, 2 एवं 3 की नौकरियां नहीं दे रहें. शिक्षक के बगैर किसी भी परिवार, किसी गांव का भविष्य कभी नहीं बन सकता.  इस पर सरकार को सोचना चाहिए. अनुसूचित जनजाति के लिए आपने लगभग 40000 करोड़ रुपयों का बजट रखा. अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आपने 27500 करोड़ रुपयों का बजट रखा. आपके लिए अच्छी बात है. लेकिन पिछड़ा वर्ग  और अल्पसंख्यकों को आप भूल गये. पिछड़ा वर्ग आपके डॉ. मोहन यादव जी, श्री शिवराज सिंह चौहान जी, पिछड़े वर्ग से कई आते हैं. माननीय मुख्यमंत्री बने हों, 1407 करोड़ रुपये रखे? मोहन यादव सरकार की पिछड़े वर्ग के लिए आपकी क्या सोच है, यह पता चलता है. मेरा आपसे निवेदन है, मैं कभी जातिगत इस पर बात नहीं करता हूं, मैं कभी कट्टरवादी नहीं हूं, लेकिन निष्पक्ष रूप से जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से मिलना चाहिए, ऐसा मेरा सोचना है. युवा बेरोजगार हो रहे हैं. आप युवाओं के लिए इंडस्ट्री की बात कर रहे हैं. इंडस्ट्री कब आएगी, कब उसका निवेश होगा, कुछ पता नहीं है?

          अध्यक्ष महोदय, विधान सभा में दिनांक 31 मई, 2023 की स्थिति में 25 लाख 42 हजार बेरोजगारों की जानकारी दी गई और एक साल में  10 लाख बेरोजगार कम हुए हैं. अब सरकार बताएं, आपका पोर्टल कह रहा है, मैं नहीं कह रहा हूं. सरकार बताएं कि जानकारी छिपा रही है कि गुमराह कर रही है कि 10 लाख युवाओं को रोजगार मिल गया? ऐसी असत्य जानकारी युवाओं के बारे में दी जाती है. मैं कहना चाहता हूं कि देश का, प्रदेश का, गांव का पंचायत का भविष्य रहता है युवा. उसके साथ, उसके सपनों के साथ नहीं खेलना चाहिए, जिस प्रकार से परीक्षाओं में घोटाले हो रहे हैं. इस बात का विशेष रूप से चिंतन करना चाहिए. मुझे पता है कि सेन्सस वर्ष  2021 हो गया, सरकार जातिगत जनगणना तो कराएगी नहीं. अगर जातिगत जनगणना कराएं तो सबका सब दूध का दूध और पानी का पानी सब क्लियर हो जाय. अब सरकार मोहन यादव जी की है, पिछड़ा वर्ग से क्या चाहते हैं, यह अलग बात है.

            अध्यक्ष महोदय, कई बार कार्यमंत्रणा समिति में बात होती है कि बिजनेस नहीं है. मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए लोकायुक्त का गठन हुआ, लेकिन लोकायुक्त संगठन के 34वें प्रतिवेदन से लेकर 41वें प्रतिवेदन तक यानी 8 प्रतिवेदन, मेरे प्रश्न में जवाब दिया है दिनांक 8.11.23 तक,  यह 8 प्रतिवेदन वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2023 तक के प्रतिवेदन लंबित हैं. मतलब सरकार चाहती है कि भ्रष्टाचार बढ़े, किसी पर जांच नहीं हो, चाहे अधिकारी हो, चाहे मंत्री हो तो इसका सीधा मतलब है कि सरकार भ्रष्‍टाचार चाहती है. अगर आप साफ हैं तो सदन के पटल पर आना चाहिए. उन प्रतिवेदनों पर चर्चा होना चाहिए. आप क्‍यों मुंह छिपाना चाहते हैं. क्‍यों आप अपने कपड़ों पर कीचड़ के दाग लेना चाहते हैं. यदि आप ईमानदार हैं तो हम आपका स्‍वागत करते हैं लेकिन अगर कहीं घोटाले हैं, घपले हैं तो पूरे प्रदेश को पता होना चाहिए, ऐसा मेरा सोचना है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, राजकीय वित्‍तीय स्‍थिति पर मैंने प्रश्‍न लगाया था कि 31 मार्च 2020 से लेकर 31 मार्च 2024 तक सरकार ने किस प्रयोजन के लिए खर्च किया. क्‍या व्‍यय किया. मैंने कहा कि क्‍या सरकार इसमें श्‍वेत पत्र जारी करेगी? इसमें क्‍या प्रॉब्‍लम है. अगर आप ईमानदार हैं यदि आपने सही खर्च किया यदि आपका पूंजीगत व्‍यय सही है. पूरे सदन को, पूरे प्रदेश के लिए श्‍वेत पत्र लाने के लिए तो फिर आपको क्‍या परेशानी है. काम करो, तो ईमानदारी से छाती ठोककर बोलो कि हमने जवाबदारी से कहा. सिर्फ आंकड़ों से काम नहीं चलेगा, ऐसा मेरा सोचना है.

          अध्‍यक्ष महोदय, अभी परिसंपत्‍ति विवाद है. संपत्‍तियां बेची जा रही हैं वित्‍तीय वर्ष 2022-23 में बताया गया कि 500-500 करोड़ की सम्‍पत्‍तियां बेची गईं. मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहता हॅूं कि यह भी एक बहुत बड़ा घोटाला है जो 500 करोड़ की सम्‍पत्‍तियां हैं उसका कम से कम 10 से 15 हजार करोड़ का आज बाजार मूल्‍य है तो यह किसके यहां जा रहा है, किसकी जेब में जा रहा है. भ्रष्‍टाचार कैसे हो रहा है ? क्‍या इस पर सरकार की नजर नहीं है. आप सरकार की आय के स्रोत क्‍यों नहीं बनाते कि उसको हम बाजार मूल्‍य से बेचें. 100 करोड़ की चीज है उसको आप 110 करोड़ में बेचना चाहते हैं तो आप गाईडलाईन से क्‍यों नहीं करते. जब वह 500 करोड़ की चीज है तो सामने यह सीधा दिख रहा है कि भ्रष्‍टाचार कहीं न कहीं हो रहा है तो मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी से कहूंगा कि इस पर भी विचार होना चाहिए, नहीं तो यह लाखों-करोड़ों की सम्‍पत्‍तियां कौड़ियों के भाव बिक जाएगीं.

          अध्‍यक्ष महोदय, विधायक निधि की सब साथियों ने बात की. इसमें मैं एक टेक्‍नीकल प्‍वाइंट यह भी बताना चाहता हॅूं कि विधायक निधि में 18 परसेंट जीएसटी लगता है तो 35 से 36 लाख तो जीएसटी में चला जाता है. इसमें क्‍या हो सकता है, उस पर सोचना चाहिए क्‍योंकि हर विधायक के 35 से 40 लाख रूपए सिर्फ टैक्‍स में जा रहे हैं और आप विकास निधि क्षेत्र के विकास के लिए दे रहे हैं. यदि टैक्‍स में अगर हमको विधायक निधि मिल रही है तो फिर उसका क्‍या मतलब है या तो फिर पैसे बढ़ायें. इस पर विचार होना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय, तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति महोदय श्री रामनाथ कोविंद जी वर्ष 2022 में यहां भोपाल आए थे. रीजनल इंस्‍टटीट्यूट ऑफ रेस्‍पीरेटरी डिसीज का उन्‍होंने शिलान्‍यास किया था. तत्‍कालीन मंत्री श्री विश्‍वास सारंग जी ने उस समय भूमिपूजन करा दिया था लेकिन एयरपोर्ट अथॉरिटी और आर्मी ने वहां पर जगह देने से मना कर दिया, तो इतने बडे़ देश के राष्‍ट्रपति महोदय, वह भी एक दलित समाज से हैं उनको आप ऐसी जगह ले जा रहे हैं जहां पर परमीशन नहीं है. यह शर्म की बात है. इसमें पहले एनओसी होना था, उसके बाद वहां ले जाते. वहां जो भूमिपूजन हुआ, उस पर एनओसी करवाकर तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी की गरिमा के हिसाब से मैं चाहूंगा कि आप उनके बारे में आप विचार करके इन दोनों सेंटर को चालू कराएं. युवा बेरोजगार हैं. कई बातें हैं. नौकरियां नहीं मिल रही हैं लेकिन विमानन विभाग 75 करोड़ का जेट प्‍लेन खरीद रहा है. 50 करोड़ का हेलीकॉप्‍टर खरीद रहे हैं. युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है और सरकार किस प्रकार से कर्ज लेकर के हेलीकाप्‍टर और प्‍लेन खरीद रही है. यह मैं नहीं बोल रहा हूं यह आपके आय-व्‍ययक में आया है, वह मैं बोल रहा हॅूं.

          अभी एयर एम्बूलेंस माननीय मुख्यमंत्री जी ने चालू की. 2-3 जगहों से मुझे जानकारी मिली कि मरीज लिये गये हैं. उसमें जो नियम बनाये गये हैं उसमें कलेक्टर परमीशन देंगे, डिस्ट्रिक्ट सीएमओ परमीशन देंगे. आपने किसके लिये एम्बूलेंस बनायी हैं ? एक आम व्यक्ति के लिये बनाये गये हैं या वीआईपी लोगों के लिये बनायी है. इनके नियमों को आपको देखना चाहिये. उसमें आधे नियम बने हैं. अभी प्रदेश के अंदर हेलीपेड ही नहीं बने हैं आपने मुख्यमंत्री जी से हेलीकाप्टर उड़वा दिया. कहां पर हेलीपेड बने हैं पूरे प्रदेश के अंदर और कहां आप ले जाने वाले हैं ? यहां से मरीज को ले गये दिल्ली तो दिल्ली में स्ट्रक्चर ठीक हे वहां से अस्पताल जाओ. अस्पताल से क्या ज्वाईंट वेंचर हुआ, क्या कोर्डीनेशन हुआ, कब एम्बलेंस आयेगी, कब मरीज को ले जाएगी उसके बारे में नियमों में उल्लेख ही नहीं है. इस प्रकार से फिजूलखर्ची पर पैसे बर्बाद हो रहे हैं. अगर आप ईमानदारी से पैसा खर्च कर रहे हैं तो आखिर तक हर व्यक्ति को उसका लाभ मिलना चाहिये. बातें बहुत सारी हैं. शार्ट में कर रहा हूं बहुत लोग बोल चुके हैं इसलिये. अध्यक्ष महोदय, सड़क और पुल पर आपने 6646 सड़कों के निर्माण के संबंध में आपने कहा है. देश में जब बुलेट ट्रेन आ सकती है तो मध्यप्रदेश के अंदर बुलेट ट्रेन क्यों नहीं आ सकती है ? कर्जा तो आप ले ही रहे हैं एक बुलेट ट्रेन के लिये भी कर्ज ले लो. उसके पीछे मेरी सोच है. इन्दौर हो, देवास हो, भोपाल हो, जबलपुर हो, या ग्वालियर हो हर जगह पर जनसंख्या में वृद्धि होती जा रही है. जिसके कारण दबाव बढ़ता जा रहा है. क्यों न इन्दौर का व्यक्ति भोपाल आये काम करके आधे घंटे के अंदर चला जाये. आधे घंटे का सफर रहेगा दिन भर काम करेगा और आधे घंटे में वापस चला जायेगा. ऐसी सुविधाओं के लिये हमें एडवांस एवं हाईटेक बनना पड़ेगा. प्रदेश में जमीन है, जगह है, सब कुछ है. सड़कें बना रहे हैं, उसको डबल कर रहे हैं, कहां कर रहे हैं ? इन चारों-पांचों जिलों की कनेक्टीविटी के बारे में सोचना चाहिये. अभी तो आपकी मेट्रो पड़ी है. मेट्रो की बैठकें होती जा रही है. चार-पांच बैठकें हो गईं इन्दौर की, भोपाल की, लेकिन कब चालू होगी. सिर्फ जुमलेबाजी हो जाएगी, उसको तत्काल चालू करेंगे, उसको भूल गये. अध्यक्ष महोदय, 24 घंटे बिजली की बात कर रहे हैं. आपने लिखा है कि गैर कृषि उपभोक्ताओं को 24 घंटे तथा कृषि उपभोक्ताओं को प्रतिदिन औसतन 10 घंटे विद्युत का प्रदाय किया जा रहा है, पूरे प्रदेश के अंदर बतायेगा माननीय विधायक जी क्या प्रदेश में 24 घंटे बिजली मिल रही है ?

          श्री सुरेश राजे24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है.

          एक माननीय सदस्यबिजली तो मिल रही है, लेकिन आपके जनरेटर वालों की दुकानें बंद हो गईं हैं. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदयकृपया सभी बैठ जाएं. नेता प्रतिपक्ष जी जारी रखें.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि ऐसी असत्य बातें एवं असत्य आंकड़े क्यों दिये जाते हैं ? अगर आप ईमानदारी के साथ काम करते हैं हम आपका स्वागत करते हैं. हम आपको माला भी पहनाएंगे. लेकिन 24 घंटे बिजली तो मिले. मैं दावे के साथ कहता हूं जब शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री थे मैंने 8 अथवा 10 साल पहले कहा था कि अगर प्रदेश में 24 घंटे बिजली आपने दे दी है तो मैं अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दूंगा. यह बात रिकार्ड में है. 10 साल में भी यही स्थिति है. आप किसी भी गांव में जाकर के देखिये ऐसे असत्य वादे करके प्रदेश को बताने से क्या होता है ? अध्यक्ष महोदय, जलजीवन मिशन यह बहुत बड़ा घोटाला है, यह 20 हजार करोड़ रूपये का घोटाला है. पाइप डल गए टोटियां उसमें लगी नहीं है. गांव में घर के अंदर थाले नहीं बने, मैंने गएवार भी ये बात उठाई थी, माननीय पंचायत मंत्री जी ने उस समय कहा था क्‍या पूंजीगत व्‍यय हम ऐसी योजनाओं पर खर्च कर रहे हैं, जो किसी के वहां से करप्‍शन के सोर्स है, 40 से 50 प्रतिशत उसमें घोटाला हुआ है, कमीशन किनकी जेब में गया, क्‍या सरकार ने कभी सोचा है कि जांच करवाएं मेरी विधान सभा में जांच चल रही है, लेकिन जांच कछुए की तरह चल रही है. क्‍योंकि प्रमाण हैं, वीडियो हैं गांव के लोगों के बयान हैं, घर में कनरेक्‍शन नहीं है, मेरी विधान सभा में 300 करोड़ के काम हुए, बरबाद हो गए पैसे. आदिवासी क्षेत्रों के अंदर विशेष रूप से और पूरे प्रदेश के अंदर घोटाला है, यदि इस प्रकार से योजनाओं में पैसा खर्च करना चाहते हो तो वाहवाही नहीं मिलेगी, प्रदेश की जनता देख रही है. अभी तीन महीने हुए कैसे बहनों ने सर पर घड़े रखकर 4-5 किलोमीटर चली, कैसे कुएं में नीचे उतरे फोटो देखिए आप, मीडिया में छपा, लेकिन हमें उनके दर्द का अहसास नहीं है, कैसी सरकार भावनाविहीन.

          अध्‍यक्ष महोदय एक कृषि मित्र योजना आई थी, चुनाव के पहले डीपी लगाने की कि पचास प्रतिशत सब्सिडी की हमारे मंत्री जी है नहीं अभी, कितनी राशि इसमें आवंटित हुई, जितने लोगों के आपने फार्म भरवाए थे चुनाव के पहले, इसमें कितना आपने प्रायोजन रखा ये बताएं, जिनके पैसे जमा हो गए पचास प्रतिशत आज छह महीने होने आए उनके पास आज भी डीपी नहीं पहुंच पाई. पूरे प्रदेश के अंदर आप लोगों ने फार्म भरवाए, ऐसी क्‍यों योजना बना रहे हो, या तो पैसे उनको वापस करें, या उनको डीपी मिले. इस बारे में मेरा आपसे कहना है कि कृषि मित्र योजना के बारे में आप वस्‍तुस्थिति दिखवाएं. प्रयोग शाला, मोदी जी और आपने भी कहा है कि सरकार द्वारा मिट्टी की गुणवत्‍ता सुधार के लिए पूरे प्रदेश में प्रयोगशालाएं धूल खा रही है 50-50 लाख रुपए खर्च हुए हैं, न हमने वहां पर स्‍टाफ अपाइंट किया. मशीनें लाखों रुपए की धूल खा रही हैं, आप कह रहे हैं कि मिट्टी की गुणवत्‍ता के लिए हम हर किसान को पहुंचा रहे हैं, प्रमाण चाहिए, प्रमाण दे दूंगा, मेरी आदत है बगैर प्रमाण के बोलता नहीं हूं. मैं आपसे कहना चाहता हूं इसमें 50 करोड़ के बजट का प्रावधान रख दिया और 50 करोड़ रुपए किसके जेब में जाएंगे यह भी समझना पड़ेगा, वित्‍त मंत्री जी इसमें भी विशेष रूप से आप देखें. माननीय मैंने आपसे गएवार भी कहा था कि फसल बीमा को लेकर कंपनियां लेट करती हैं, किसान को मुआवजा लेट मिलता है, नुकसान करती है, ओला पाला, कई स्थितियों में. मैंन सुझाव भी दिया था कि सेटेलाइट सर्वे होने चाहिए, ताकि बीमा कंपनी में जो हमारे लाखों करोड़ रुपए जाते हैं, कहां जाते हैं, केसे जाते है, आप सब समझते हैं. तत्‍काल किसान को फायदा हो लेकिन उसके बारे में सरकार ने कोई प्रावधान नहीं किया. डिजीटल बनाना है प्रदेश को विधायक को डिजीटल बनाना है, विधायक निधि नहीं देना है, लेकिन पांच लाख रुपए आप सिर्फ उसको आफिस के लिए देना चाहते हैं, हर चीज आप पारदर्शी कीजिए, पूरा डिजीटल कीजिए. अध्‍यक्ष महोदय, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग, घोटालों की जगह हो गई है, अभी अनूपपुर में दो लोग पकड़ाए हैं, विदेश से आ रहे थे तिवारी बंधुओं को एअरपोर्ट पर गिरफ्तार किये, आरीटीपीसीआर किट कोरोना में लाखों रुपए की सप्‍लाई हो गई, पचास रुपए की आरटीपीसीआर किट 250 रुपए में सप्‍लाई हुई है .

           सरकार ने उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया है और उसमें अनूपपुर कलेक्‍टर की रिपोर्ट है, ब्‍लड सैम्‍पलिंग वाली, ब्‍लड का अलग है, पूरे प्रदेश में ब्‍लड सैम्‍पलिंग के नाम पर एक-एक व्‍यक्ति के दस-दस बार म‍हीने में ब्‍लड सैम्‍पल लिये जाते हैं. आपको प्रमाण चाहिए तो प्रमाण दे दूंगा. हम इस प्रकार की योजनाओं में पैसा खर्च कर रहे हैं. दो, चार करोड़ नहीं, सौ, दौ सौ, पांच सौ, हजार करोड़ रूपये खर्च किये जा रहे हैं, तो पैसा रोटेड होकर कहां जा रहा है, यह भी एक विषय है, उस कंपनी का नाम साइंस हाउस मेडीकल है, यह उनकी सहयोगी कंपनियां हैं, इस पर अभी तक एस.आई.टी. बैठना चाहिए था और जांच तत्‍काल होना था, लेकिन सरकार ने अभी तक इसमें कोई संज्ञान नहीं लिया है.

          अध्‍यक्ष महोदय, नर्सिंग कॉलेज का घोटाला आपको पता ही है. माननीय तत्‍कालीन मंत्री ने जिस प्रकार से असत्‍य जवाब दिये हैं, आपको पता ही है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपको व्‍यवस्‍था देना है कि इस पर भी एक सर्वदलीय कमेटी की जांच विधायकों के माध्‍यम से होना चाहिए, यह मैं आपसे कहना चाहता हूं. अध्‍यक्ष महोदय, आयुष्‍मान भारत योजना, आपने कई आंकड़े गिना दिये कि इसके अंदर इतने लोगों को हमने लाभान्वित किया, लेकिन मैं आपसे माननीय वित्‍तमंत्री जी के माध्‍यम से स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री तो हैं नहीं, उनसे कहना चाहता हूं कि प्रायवेट अस्‍पताल में आयुष्‍मान योजना का पैसा जा रहा है, लेकिन सरकारी अस्‍पतालों में 50 प्रतिशत पैसा जाता है और आधे 50 प्रतिशत के लिये वह मरीज परेशान रहता है, तो ऐसा भेदभाव क्‍यों? उस बीमार पेशेंट को ऐसा संघर्ष क्‍यों करना पड़ रहा है? इस योजना के बारे में भी आपको वापस से एक बार सोचना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय, लाड़ली बहना योजना के बारे में आप सबको पता ही है कि क्‍या स्थिति है. सी.एम.राईज की जो बिल्डिगें बन रही हैं, गुजरात के ठेकेदार अधिकतर आकर बना रहे हैं और इसमें जो घोटाला चल रहा है, ओवर बीलिंग हो रही है, एसक्‍लेशन

 हो रहा है. अगर तीन मीटर की खुदाई करना है तो दो मीटर हो रहा है, ऐसे ही बिल बन रहे हैं. मैं किसी भी बिल्डिंग को खुदवाकर बता दूंगा, जांच करा लें, कितना इसके अंदर, इसके अंदर घोटाला है? एक-एक की पचास-पचास करोड़ की बिल्डिंग होगी अंदर.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ट्रेनिंग प्रोग्राम स्‍किल इन्‍होंने बात की है 268 शासकीय आईटीआई इसमें संचालित होंगी. कई जगह ट्रेनिंग स्किल प्रोग्राम कागज पर हो रहे हैं, एंट्रिया हो जाती हैं,इसकी भी एक समीक्षा होना चाहिए. पैसा बर्बाद हो रहा है, इसलिए मैं आपको याद दिला रहा हूं और अगर प्रमाण चाहिए तो मैं प्रमाण रख दूंगा, इसकी पूरी जानकारी कितने जिलों की ट्रेनिंग स्‍क्लि की आपको चाहिए?

अध्‍यक्ष महोदय, एस.सी., एस.टी. के छात्रवृत्ति की आपने कहा आंकड़ें गिना देते हैं, लेकिन मैं स्‍पेसिफिक माननीय वित्‍तमंत्री जी से आपके माध्‍यम से पूछना चाहूंगा कि आठवीं में आपने कितने पैसे बढ़ाये, दसवीं में कितने पैसे बढ़ाये, दसवीं से बारहवीं में कितने पैसे एस.सी.एस.टी. के बढ़ाये? वह सरकार रखे सिर्फ आंकड़े गिनाने से क्‍या होगा.  हजार रूपये, दो सौ रूपये, ढाई सौ रूपये के अंदर कौन सा बच्‍चे को आजकल पूरा लाभ हो जाता है. आज वह गांव से यहां से वहां जायेगा और आप उसको साल भर के पांच सौ रूपये दे रहे हो, क्‍या स्थिति है? इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, नहीं तो ऐसी झूठी योजनाएं जो मंहगाई के जमाने में सौ, पांच सौ, हजार रूपये में कोई फायदा नहीं है, इसको बंद कर दो, अगर देना है तो उसको समान राशि ईमानदारी से देना चाहिए, मैं इसमें आपसे यह कहना चाहता हूं.

            माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पेसा कानून की हमारे साथियों ने बात की है. पेसा कानून आदिवासियों के लिए बनाया गया है. श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने इसकी आदिवासी क्षेत्रों में बहुत ब्राडिंग की है, महाकौशल से लेकर मालवा निवाड़ तक पूरे क्षेत्र में ब्राडिंग की गई है. पेसा कानून में वहां की सुरक्षा समिति पंचायत की है, उसको अधिकार है. आप कहते हैं कि पुलिस के पास जाने की जरूरत नहीं है, थाने के पास जाने की जरूरत नहीं है, दस हजार, बीस हजार, पच्‍चीस हजार, पचास हजार रूपये उस आदिवासी से लूटे जा रहे हैं, क्‍या अधिकार है? वह अपना न्‍याय अपने गांव में नहीं कर सकता है? क्‍यों नहीं इसमें आप स्‍पष्‍ट रूप से नीति बनाते हैं, इस पर अभी तक सरकार मौन है. आंकडे़ कागजों पर बनाने से नहीं होता, आंकड़ें गिनाने से नहीं होता है,  11 हजार 783 गावों में आप कह रहे हैं, 11 हजार 783 गांवों में पुलिस कितनी बार गई, क्‍या पुलिस ने वहां पर रजिस्‍टर में कितनी बार एंट्री की, कितनी बार वहां से कागज आया कि इस पर एफआईआर होना चाहिये, इस पर नहीं होना चाहिये, कोई इस पर सरकार ने समीक्षा की, नहीं की, आंकड़े गिना दिये. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना 1 हजार 34 अनुसूचित जाति बाहुल्‍य ग्रामों का अतिरिक्‍त 619 का चयन किया गया. आदर्श ग्राम योजना का नाम देने से नहीं होगा, आपको अगर देना है तो उसकी डीपीआर बनाकर प्रोजेक्‍ट बनाकर उसकी मॉनीटरिंग होना चाहिये. पैसा जा रहा है, बर्बाद हो रहा है. क्‍या वहां पर स्‍कूल बन रहा है, क्‍या वहां पर सड़कें बन रही हैं, इसकी मॉनीटरिंग  कहां हो रही है. आजकल एक नया आ गया है जियो टेग, जियो टेग से क्‍या होता है. ठीक है बिल्डिंग दिखाते हैं, बाकी उसमें सुविधायें, व्‍यवस्‍थायें थोड़ी हैं व‍ह भी तो देखें कौन देख रहा है, कोई नहीं देख रहा है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रधान मंत्री सड़क योजना कई सालों के बाद मुझे लग रहा है कि आप इसमें पैसे दे रहे हैं. मेरी जो जानकारी है कि 2-3 सालों से इसके अंदर पैसा गया ही नहीं. इस योजना में आप जो पैसा दे रहे हैं इसमें मैं निवेदन करूंगा कि चाहे आपके पक्ष के विधायक हों चाहे हमारे पक्ष के विधायक हों उसमें निष्‍पक्ष रूप से सबको एक-एक सड़क प्रधानमंत्री मिले, जहां विधायक चाहते हैं, यह मेरा आपको सुझाव है. मनरेगा आपके यहां जो मनरेगा की परिषद है, वर्ष 2023 की बजाय 2018, 2019, 2020 के कब के पेमेंट हो रहे हैं. पोर्टल पर लॉक है, अगर 40 काम करना है, 50 काम करना है तो पुराने रिक्‍त हैं तो लॉक ही रहता है, लेकिन उस गांव के अंदर काम तो एक ही हो रहा है. नया सरपंच बना वह काम ही नहीं कर पा रहा तो इस पर भी आपको तकनीकी रूप से सोचना चाहिये कि किस प्रकार से आप इसको कंट्यूनेशन में लायें, 60-40 का रेश्‍यो आप जानते हैं क्‍या होता है. कई जिलों के अंदर मेनटेन नहीं होता, लेकिन जहां अपने लोगों को देना है वहां दे देते हैं तो यह दुर्व्‍यवहार नहीं होना चाहिये सबके साथ निष्‍पक्ष होना चाहिये. मध्‍यान्‍ह भोजन स्‍कूलों के अंदर अभी गर्मियों में सप्‍लाई हो गया. स्‍कूल की छुटि्टयां लगी हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय मध्‍यान्‍ह भोजन जा रहा है, प्रदेश में हो क्‍या रहा है. मध्‍यान्‍ह भोजन के नाम पर घोटाले हो रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  अभी रात्रि भोजन का समय हो गया है. ...(हंसी)....

          श्री उमंग सिंघार--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 5-7 मिनट लूंगा वैसे तो बहुत सारी बातें हैं. डिजीटल की बात की जा रही है कि हम प्रदेश को डिजीटल बनायेंगे, लेकिन जिस सदन में डिजीटल की बात की जाती है, यहीं से डिजीटल लाइव टेलीकास्‍ट नहीं किया जा रहा, छत्‍तीसगढ़ जैसे छोटे से राज्‍य में हो रहा है, कई राज्‍यों में हो रहा है, केरल में हो रहा है. माननीय अध्‍यक्ष जी, आपने भी कई बार व्‍यवस्‍था दी थी कि इस पर विचार अच्‍छा है, विचार होना चाहिये, लेकिन सरकार क्‍यों डर रही है क्‍या विपक्ष अपनी आवाज करता है बोलता है अधिकारों की और प्रदेश की बात करता है तो क्‍या सरकार विधायकों से डर रहीं है, सदस्‍यों से, हमारे विपक्ष के साथियों से तो माननीय देवड़ा जी सबसे पहले यहां प्रॉवीजन होना चाहिये. (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय--  यह रिकार्ड में नहीं आयेगा.

            श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वन विभाग की बात कर रहे थे परसों तत्‍कालीन मंत्री विश्‍वास सारंग जी डरा रहे थे, चमका रहे थे, मैंने बोला कि जो जांच कराना है करा लो. मैं कभी किसी गरीब के पैसे नहीं खाता हूं जीवन के अंदर यह मैंने माननीय जमुना देवी जी से सीखा है, कभी कमीशनखोरी में विश्‍वास नहीं रखता हूं. बिजनेस करता हूं, काम करता हूं, ईमानदारी से करता हूं और छाती ठोककर करता हूं. लेकिन यहां तो आदिवावसियों को जो तेंदूपत्‍ता वनोपज संघ में मैं भी उस समय मंत्री था. मैं चाहता था कि  वहां पर आई.पी.एस.अधिकारियों का प्रभाव है उससे बाहर आ सकें. आपने बोला कि तीन हजार से चार हजार हमने पारिश्रमिक कर दिया तेंदू पत्ता संग्राहकों का. अरे,पैसा तो उन्हीं का है. पत्ते तो वही इकट्ठे कर रहे हैं उनकी मेहनत है वह जंगल में जाकर तोड़ रहे हैं वह पानी के अंदर बारिश में जा रहे हैं  गर्मी में जा रहे हैं. आपका पैसा कहा हैं और आप वाहवाही ले रहे हैं कि  तीन हजार से चार हजार कर दिये हमने. पूरा पैसा उन आदिवासी,उन पिछड़ों का,उन दलितों का,उन किसानों का पैसा नहीं है. आपका पैसा नहीं है और उस पैसे में से यह भी गड़बड़ी होती है. यहां से चप्पलें दे रहे हैं. मच्छरदानी दे रहे हैं उसमें कमीशनखोरी. वह तेंदू पत्ता संग्राहक है उसकी इच्छा है जो उसको खरीदना हो. आप उसके लिये मेडिक्लेम की पालिसी लाएं. उसके परिवार की पालिसी लायें. उसके बारे में बात नहीं होना लेकिन उसके बारे में बात नहीं होना लेकिन जूते,चप्पल खरीदना,मच्छरदानी लाना,साड़ी बांटना. लाखों रुपये,करोड़ों रुपये  के 50-60 लाख,1-1 करोड़ रुपये के, वह पैसा उन तेंदू पत्ता संग्राहकों के हिस्से के खर्च हुए. यह पैसे क्या मजाक है. इस पैसे का अधिकार वह रखते हैं उनको मिलना चाहिये ऐसा मेरा सोचना है. एक और चीज जब मैं मंत्री था तब मैंने जांच भी कराई थी पूरे नर्मदा के किनारों की. 6 करोड़ पौधे, 350 करोड़ रुपये के पौधे लगे थे. पूंजीगत व्यय, तो 350 करोड़ के पौधे आये आंध्रप्रदेश से,महराष्ट्र से, मध्यप्रदेश में पौधे ही नहीं है और एक दस रुपये का पौधा, डेढ़ सौ रुपये में, दो सौ रुपये में, मैंने उस पर पूरी एक रिपोर्ट भी बनाई थी. जीएडी में भेजी भी थी.(XXX)  उस रिपोर्ट को दबा दिया तो वृक्षारोपण के नाम पर घोटाले किये. मैंने प्रमाण के साथ दिया था नोटशीट पर. 

..........................................................................

XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

          डॉ.सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसे कार्यवाही से निकालना चाहिये.

          (..व्यवधान..)

            पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -  अध्यक्ष महोदय,चूंकि शिवराज जी, इस सदन के अभी सदस्य नहीं है मुझे भी लगता है उनके खिलाफ जो बोला गया है इसे रिकार्ड से निकाल देना चाहिये. इसमें कोई विवाद का कारण नहीं है.

          श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि आप उसमें नाम हटा दें बाकी 6 करोड़ पौधों का घोटाला हुआ वह 350 करोड़ रुपये के आये. ठीक है उनका नाम हटा देता हूं लेकिन घोटाला तो हुआ.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल - आप दस्तावेज की बात कर रहे हैं. कई बार आपने कहा भी है मैं यह कर दूंगा. वह कर दूंगा. आप बिल्कुल करिये. यह अधिकार तो आपके पास सुरक्षित है लेकिन सदन के भीतर क्योंकि वह सदस्य नहीं हैं वह अपनी बात नहीं कह सकते. इस नाते कह रहा हूं. आपको उनके खिलाफ कार्यवाही करनी है आपको पूरा अधिकार है करिये. मैं आखिरी में बोलना चाह रहा था. बार-बार हम असत्य योजनाएं बोले. यह असंसदीय शब्द है हमें इसको बाहर करना होगा. मैं सोच रहा था कि नेता प्रतिपक्ष के भाषण के बाद बोलूंगा लेकिन मुझे लगता है कुछ चीजें हमें ध्यान रखना चाहिये. आपको पूरा अधिकार है. आपको गलत लगता है आप कार्यवाही करिये ना किसने रोका है.

          अध्यक्ष महोदय - शिवराज जी का नाम कार्यवाही से निकाल दें.

          श्री उमंग सिंघार -  6 करोड़ पौधों का जो घोटाला हुआ है जिसमें मैंने जीएडी को खुद ने एज ए फारेस्ट मिनिस्टर रहते हुए जांच के लिये कहा था. एफआईआर के लिये लेकिन सरकार बनते ही उसको रोक दिया. उद्देश्य यह है कि जनता के पैसे का दुरुपयोग क्यों हो रहा है. महत्वपूर्ण विषय यह है. पैसे कैसे जा रहे हैं कहां जा रहे हैं किस योजना में जा रहे हैं अलग बात है लेकिन उस योजना का आम व्यक्ति के लिये जो उद्देश्य है वह पूरा होना चाहिये. यह मेरी भावना है. माननीय अध्यक्ष महोदय, डी.एम.ए. फण्ड को लेकर मैं आपसे कहना चाहता हूं कि डी.एम.ए. फण्ड कई जिलों के अंदर माईनिंगें होती हैं. लेकिन उस पैसे को आप भोपाल क्‍यों बुलाते हैं, जिस जिले में है, जिस जिले में खनन हो रहा है, माइनिंग हो रही है, उस क्षेत्र के विकास के लिए क्‍यों नहीं देते हैं.

          श्री रजनीश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जबकि एक्‍ट में भी लिखा है.

          श्री उमंग सिंघार -- एक्‍ट में तो लिखा है लेकिन यहां कानून चल कहां रहा है, यहां तो कानून की धज्‍जियां उड़ाई जाती हैं. इस पर भी विचार होना चाहिए, क्‍योंकि यह हजारों करोड़ का है. इसके भी पैसे का दुरुपयोग होता है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं यही कहना चाहता हूँ, मुद्दे तो बहुत सारे हैं. आपने बोल दिया रात्रि का, डिनर का ध्‍यान रखना है. लेकिन अंत में मैं आपसे यही कहना चाहूँगा कि जिस प्रकार से सरकार अपनी बात करती है, परंतु आंकड़ों से हम प्रदेश की जनता के साथ न खेलें. योजनाओं में आप काम करना चाहते हैं, हम विपक्ष हैं, आलोचना कर सकते हैं, लेकिन आलोचना करने का मतलब यह नहीं है कि हम आप पर कोई व्‍यक्‍तिगत आरोप लगा रहे हैं. मेरी भावना हमेशा रहती है, मेरे सदस्‍यों की भावना हमेशा रहती है कि आपको चेताए रखें, ताकि जो भी घोटाले हैं, वे भविष्‍य में न हों. मैं चाहूँगा कि सभी जो मेरे मुद्दे हैं, मेरे सदस्‍यों के मुद्दे हैं, माननीय वित्‍त मंत्री जी उन पर गौर करेंगे और ध्‍यान रखेंगे. धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय, एक बात और, मेरे पास हमारे साथियों ने पर्ची भेजी कि भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को 15-15 करोड़ रुपये सरकार दे रही है, तो मैं चाहता हूँ कि उस पर भी विचार करें. निष्‍पक्षता रहे. हमें भी विकास के लिए चाहिए. या तो आप एजेंसी को काम दें, हमको, किसी को व्‍यक्‍तिगत नहीं चाहिए कि हम लोग रिकमण्‍ड करें. हम एजेंसी के लिए रिकमण्‍ड करें. एजेन्‍सी कोई भी हो, आरईएस हो, पीडब्‍ल्‍यूडी हो, उसके माध्‍यम से काम हो. उस पर मेरे ख्‍याल से कोई आपत्‍ति नहीं होनी चाहिए. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          उप मुख्‍यमंत्री, वित्‍त (श्री जगदीश देवड़ा) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बजट की सामान्‍य चर्चा पर आज हमारे सभी सम्‍माननीय माननीय सदस्‍यों ने अपने विचार व्‍यक्‍त किए, सुझाव भी दिए. माननीय डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह जी, माननीय डॉ. सीतासरन शर्मा जी, माननीय श्री सचिन यादव जी, माननीय श्री शैलेन्‍द्र जैन जी, माननीय श्री लखन घनघोरिया जी, माननीय श्री गौरव पारधी जी, माननीय श्री अभय मिश्रा जी, माननीय श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी, माननीय श्री फूल सिंह बरैया जी, माननीया श्रीमती अर्चना चिटनिस जी, माननीय डॉ. हिरालाल अलावा जी, माननीय श्री कमलेश्‍वर डोडियार जी, माननीय श्री अनिरुद्ध माधव मारू जी, माननीय डॉ. राम किशोर दोगने जी, माननीय श्री दिलीप सिंह परिहार जी, माननीय श्री रजनीश हरवंश सिंह जी, माननीय डॉ. तेजबहादुर चौहान जी, माननीय श्री पंकज उपाध्‍याय जी, माननीय डॉ. अभिलाष पाण्‍डेय जी, माननीय श्री नारायण सिंह पट्टा जी, माननीय श्री दिनेश गुर्जर जी, माननीय श्री साहब सिंह गुर्जर जी, माननीय श्री सुरेश राजे जी, माननीय श्री अनिल जैन जी, माननीय राजेन्‍द्र भारती जी, माननीय श्री महेश परमार जी, माननीय श्री प्रताप ग्रेवाल जी, माननीया श्रीमती सेना महेश पटेल जी, माननीय श्री भैरो सिंह जी, माननीय श्री केदार चिड़ाभाई डाबर जी, माननीय फुंदेलाल सिंह मार्को जी, माननीय श्री दिनेश जैन जी, माननीय श्री सिद्धार्थ तिवारी जी, माननीय श्री कैलाश कुशवाहा जी, माननीय कुँवर अभिजीत शाह जी, माननीय श्री देवेन्‍द्र रामनारायन सखवार जी, माननीय श्री केशव देसाई जी, माननीय श्री बाबू जन्‍डेल जी, माननीय श्री नितेन्‍द्र बृजेन्‍द्र सिंह राठौर जी, माननीय श्री चैन सिंह वरकड़े जी, माननीय श्री ओमकार सिंह मरकाम जी, माननीय श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे जी, माननीय श्री सुरेन्‍द्र गहरवार जी और माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो भी सरकार बनती है, वह अपना बजट प्रस्‍तुत करती है. यह संवैधानिक व्‍यवस्‍था भी है और यह हमेशा से ही सरकारों में होता है. यह वास्‍तव में सही बात है कि यह आय-व्‍यय का केवल ब्‍यौरा ही नहीं होता है, यह सरकार का रोडमैप भी होता है.

          अध्‍यक्ष महोदय, बजट के पहले, हमने पहले भी जो बजट प्रस्‍तुत किए थे, उसके पहले हमने आम जनता से सुझाव भी आमंत्रित किए थे, प्रबुद्धजनों के बीच में भी हमने बात की. बजट के जो विषय विशेषज्ञ हैं, उनको भी हमने प्रशासन अकादमी में बुलाकर उनसे संवाद किया था, उनसे सुझाव लिये थे और हमारे वित्‍त विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकर हमने उन सारे सुझावों के बारे में मंथन किया और जो कुछ बजट में सम्मिलित करना चाहिए, हमने पूरी कोशिश की और हमने बजट में सम्मिलित भी किया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने जब बजट प्रस्‍तुत किया तो मेरे मन में बड़ा कष्‍ट हुआ, दु:ख हुआ. वित्‍त मंत्री के नाते पहले भी मैंने एक बार बजट पेश किया था, तब भी पूरे बजट को नहीं सुना गया था और कल भी यही हुआ. जिस विषय पर कल यहां बात हो रही थी. अध्‍यक्ष जी, आपने बड़े उदार मन से एक ध्‍यानाकर्षण में बहुत लम्‍बा समय दिया, मैं उसको बार-बार दोहराना नहीं चाहता हूँ. मुझे लगता है कि उसमें सारी बातें आ गई थीं. उसके बावजूद भी कल दिन भर उस बजट को नहीं सुना गया, आप पूरे प्रदेश की बात कर रहे हैं, जनता की बात कर रहे हैं, गांव की बात कर रहे हैं, गरीब की बात कर रहे हैं, महिलाओं की बात कर रहे हैं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग की बात कर रहे हैं. अभी आपने सभी बातें कीं, अगर आप गंभीरता से बजट को सुनते, आपको पूरा प्रदेश देख रहा था. मेरे मन को बहुत तकलीफ हुई. आप कम से कम बात को तो सुनते, आप अपनी बात कहते, विधान सभा के फोरम पर अपनी बात कहने का मौका मिलता है, आप जरूर बोलते और आपने बोला है. यह विपक्ष का अधिकार है कि वह अपनी बात को रखे. लेकिन मुझे बहुत पीड़ा है, मैंने यह बजट बहुत ही आशा और विश्‍वास के साथ रखा था. पूरे प्रदेश की जनता जिनको सदन में बैठाती है, जिनकी सरकार बनात है एवं जो सरकार में बैठते हैं. वे गांव,  गरीब,  किसान एवं मजदूर के लिए काम करें, विकास के लिए काम करें. हम यह नहीं कह रहे हैं कि हमने किसी के माथे पर अहसान कर दिया. यह हर सरकार का राजधर्म है, उसको करना ही चाहिए (मेजों की थपथपाहट), यह कर्तव्‍य है, यह कोई अहसान नहीं है. यदि कोई वित्‍त मंत्री के नाते, मुख्‍यमंत्री के नाते एवं सरकार में बैठकर कोई काम करता है, तो वह किसी के माथे पर अहसान नहीं कर रहा है, यह राजधर्म का पालन है और उसे करना ही चाहिए. हमने वह राजधर्म का पालन किया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं याद दिलाना चाहता हूँ कि विपक्ष के सब हमारे साथी हैं. मुझे भी इस सदन में आते हुए 34 वर्ष हो गए हैं, आपके साथ भी काम करने का अवसर मिला और हमारी स्‍वर्गीय बुआ जी का मुझ पर बहुत आशीर्वाद रहता था, मैं उनके साथ भी बैठा हूँ. हमारे बहुत वरिष्‍ठ आदरणीय डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह जी भी बैठे हुए हैं. आप मंथन करें. आपने अभी बहुत सारी बातें यहां पर कीं. आपने गरीबों के बारे में बात की. आजादी के 75 वर्ष में आप ईमानदारी से अपनी आत्‍मा पर हाथ रखकर बताएं कि कौन-सी सरकारें थीं ? आपने कब विचार किया ? हिन्‍दुस्‍तान की आजादी के 75 वर्ष के बाद हिन्‍दुस्‍तान के लोगों की क्‍या दुर्दशा रही ? लाखों लोग आसमान के नीचे जिन्‍दगी जीने को मजबूर रहे, आसमान के नीचे गर्मी में, बरसात में, ठण्‍ड में, गंदे नालों के किनारे एवं रेल्‍वे स्‍टेशन के किनारों पर रहे- इसमें कौन दोषी हैं ? किसकी सरकारें   थीं ? किसने विचार किया ? किसने योजनाएं बनाई ? उस समय मुझे मालूम है कि इन्दिरा आवास मिलते थे. एक गांव में एक आवास मिलता था. मैं आलोचना की दृष्टि से यहां खड़ा होकर नहीं बोल रहा हूँ. लेकिन मैं कह रहा हूँ कि आत्‍ममंथन करें, यहां सदन में बैठकर हम एक-दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्‍यारोप करते हैं, यह राजधर्म है, आपका धर्म है, आपको करना चाहिए. लेकिन आप विचार करें कि आजादी के बाद किस पार्टी की सरकार रही ? कब विचार किया ? क्‍या योजनायें बनाई, मैं, यह नहीं कह रहा हूं कि हमने सौ प्रतिशत काम पूरे कर दिये. देश में यशस्‍वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी बैठे, यह नहीं है कि उन्‍होंने सौ प्रतिशत काम कर दिया या हम यहां बैठे हैं तो हमने सौ प्रतिशत काम कर दिये. हमने जो काम किए, हमारी जो इच्‍छाशक्ति है काम करने की, जमीन पर यदि वे कार्य पूरे नहीं हो पाये तो वास्‍तव में कहीं त्रुटि होगी, मैं, इससे सहमत हूं. नेता प्रतिपक्ष जी ने जो कहा अगर कहीं गलतियां हैं, कोई दोषी हैं तो उसके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए, न्‍यायालय है, सरकार को भी करना चाहिए लेकिन इस मध्‍यप्रदेश में, देश में कहां किसी ने पीने के पानी के प्रबंध का विचार किया. कहां गरीब के माथे पर छत हो, इसका विचार किया. गरीब के घर में गैस के चूल्‍हे का कनेक्‍शन चला जाये, गैस चूल्‍हे जायें, कहां किसने विचार किया. आजादी के बाद जब वर्ष 1990 में मैं भी विधायक था, सीतासरन जी और भी वरिष्‍ठ सदस्‍य साथ थे और हम जब गांव में जाते थे तो इलाज कराने के लिए कोई जा नहीं सकता था, कोई बीमार होता, किसी महिला को इलाज के लिए ले जाना होता तो ऐसा लगता था कि कोई अर्थी ले जा रहे हैं. 5-10 किलोमीटर ले जाना पड़ता था, किसी ने कभी विचार नहीं किया. इतनी सरकारें रहीं लेकिन एकमात्र पंडित अटलबिहारी वाजपेयी जी थे, आज वे चले गए लेकिन मैं, उन्‍हें धन्‍यवाद दूंगा कि जब वे प्रधानमंत्री के रूप में बैठे तो उन्‍होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना बनाई. (मेजों की थपथपाहट) 

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं, जानता हूं कि एक-एक गांव को सड़क से जोड़ने का काम हुआ, गांव वालों ने सड़क ही तब देखी थी, इसके लिए कौन दोषी है, सरकार में कौन बैठे थे ? उस समय अटल जी ने शुरूआत की, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और उसमें पारदर्शिता की, बड़े-बड़े बोर्ड लगाये गए, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हेतु मंजूर राशि, सड़क कितने किलोमीटर की है, पांच वर्ष की गारंटी आदि का उल्‍लेख किया गया. पुल-पुलिया सब कुछ बनाया, भरपूर पैसा दिया. अगर कहीं बेईमानी हुई तो उनके खिलाफ कार्यवाही हुई. मैं, कहता हूं कि सरकार में कोई भी बैठे, इधर बैठे, उधर बैठे, जो दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए और योजनायें बनाने की इच्‍छाशक्ति तो हो लेकिन आपने तो योजनायें ही नहीं बनाई. आपने कभी प्रदेश की चिंता नहीं की.

          अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश भी बीमारू राज्‍य था, आपने कभी जनकल्‍याणकारी योजनाओं के बारे में नहीं सोचा, मैंने तो नहीं सुना कि आपने कुछ किया हो कि किसी गरीब परिवार में जिसके माता-पिता के पास पैसा नहीं है, गरीब बेटी की शादी करनी है, कौन करेगा ? हमारी सरकार ने चिंता की. हजारों-लाखों गरीब बेटियों के विवाह हमारी सरकार ने करवाये. लाड़ली लक्ष्‍मी योजना, लाड़ली बहना योजना चलाई. सरकार का संकल्‍प है, पांच वर्ष का संकल्‍प है, आप बार-बार कह रहे हैं कि 3 हजार रुपये नहीं देंगे, मैं, कहता हूं कि हम देंगे. मैं, इस सदन में खड़ा होकर कह रहा हूं कि जो मध्‍यप्रदेश की सरकार ने, हमारे मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने जो वायदे किए, मैं आज यहां कह रहा हूं कि उनको हम सौ प्रतिशत पूरा करेंगे. (मेजों की थपथपाहट) 

          अध्‍यक्ष महोदय, जितनी योजनायें चल रही हैं, उनमें से एक को भी हम बंद नहीं करेंगे. योजनायें बंद करने का काम आपने किया है. संबल योजना हो, गरीब आदमी के घर यदि कोई मृत्‍यु हो गई तो अंत्‍येष्टि का खर्च देना हो, तो वह बंद हुआ.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम-  मंत्री जी, आप गलत कह रहे हैं, बार-बार असत्‍य कह रहे हैं.

(...व्‍यवधान...)

 

          उच्‍च शिक्षा मंत्री (श्री इन्‍दर सिंह परमार)-  अध्‍यक्ष महोदय, यह गलत तरीका है, हमने पूरा दिन इनको सुना, जब नेता प्रतिपक्ष बोल रहे थे हमने कोई व्‍यवधान नहीं किया. अध्‍यक्ष महोदय, आप व्‍यवस्‍था दीजिये.

(...व्‍यवधान...)

 

          श्री दिलीप सिंह परिहार-  मेरे भाई, सुनने की हिम्‍मत रखो और सत्‍य को स्‍वीकार करो. आप भी सदन की मर्यादा रखो.

(...व्‍यवधान...)

          अध्‍यक्ष महोदय-- मरकाम जी आपको सरकार ने दिनभर बैठकर सुना है. अब आपका यह‍ फर्ज है कि आप पूरे लोकतांत्रिक तरीके से वित्‍त मंत्री जी का जबाव सुनिये. (व्‍यवधान)

          श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्‍यक्ष महोदय, यह असत्‍य बात‍ है. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय-- इससे सदन नहीं चलेगा. मरकाम जी आप बैठ जाइए. यह सदन की परम्‍परा नहीं है. मरकाम जी आप अपनी बात रख चुके हो. आपको बोलने का अवसर मिल चुका है. आप वित्‍त मंत्री जी का जबाव सुनिये.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने इतनी विनम्रता से सुना, टोकने का यह तरीका नहीं है. आप नियम और तरीका न बताइए. आपने गलती की है, यदि आपको लगता था तो आप आधिकारिक रूप से अध्‍यक्ष जी को बोल सकते थे. इस तरीके से आप सदन की मार्यादा को भंग नहीं करोगे. यह ठीक नहीं है.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम-- क्‍या यह लगातार आरोप लगाएंगे. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय--मरकाम जी, यह ठीक नहीं है. यह गलत बात है. आपने अपनी बात बोल दी है. अब सवाल बहस का नहीं है.

          श्री जगदीश देवड़ा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं विपक्ष के सभी सम्‍माननीय सदस्‍यों से प्रार्थना करूंगा कि हम भी पूरे दिनभर बैठे रहे. आपने जो कुछ भी कहा वह हम भी सुन रहे हैं और निश्चित रूप से मैं इस बात को भी स्‍वीकार करता हूं कि अगर आपके कहीं सुझाव हैं कहीं कमी है तो यह 100 प्रतिशत यहां पूरा रिकार्ड में है उस रिकार्ड को निकलवाकर हम देखेंगे कि कहां कमी है. आपने क्‍या कहा उसको ठीक करना चाहिए. मैंने पहले ही कहा कि यह राजधर्म है. परंतु आप विचलित मत होईए. आप विचलित होकर बात मत कीजिए. आप सिमट गए यह जनता का थर्मामीटर है. यह फैसला जनता करती है कि कौन अच्‍छा है और कौन बुरा है. प्रजातंत्र में यह जनता देखती है कि कौन सी सरकार है जिसने काम किये हैं. मध्‍यप्रदेश में आप विकास की बात करें ईमानदारी से जरा अपने दिल पर हाथ रखकर करें. यहां बोलना तो आपकी मजबूरी है, लेकिन आप देखें कि आप बिजली की बात कर रहे थे. आप फिर कहेंगे कि आप फिर वर्ष 2003 की बात कर रहे हैं. कहीं बिजली मिल रही होगी या नहीं मिल रही होगी उसको हम कह रहे हैं कि हम ठीक करेंगे. कहां कमी है उसको ठीक करेंगे, लेकिन उस समय तो एक घण्‍टा भी बिजली नहीं मिलती थी. कहां गया पैसा? हमने यह बजट पेश किया अभी तक के मध्‍यप्रदेश के इतिहास में सबसे बड़़ा बजट है. पूंजीगत व्‍यय के लिए हमने रखा. आपके समय आप बार-बार इस बात को कहते हैं. मैं बता दूं कि वर्ष 2021-2022 का 44 हजार 463  वर्ष 2023-2024 का पुनरीक्षित अनुमान है 68 हजार यह हम लगातार बढ़े हैं. वर्ष 2023-2024 का 60 हजार 689 और यह अभी है पूंजीगत व्‍यय का 64 हजार 738 आज तक कभी नहीं किया.

          अध्‍यक्ष महोदय, कर्जा लेना मैंने यहां पहले भी कहा कि कर्जा आपने
भी लिया है और आप कह रहे थे कि कर्जा लेकर के घी पिया है. हमने कर्जा लेकर यहां इस मध्‍यप्रदेश में सिंचाई योजनाएं बनाई
, मध्‍यप्रदेश में सड़कें बनाईं. अभी यहां हमारे साथी ओमप्रकाश जी बोल रहे थे कि मैं खुद मंदसौर से आता था तो भोपाल आने में 8 से 10 घण्‍टे लगते थे और आज 4 घण्‍टे में मंदसौर पहुंच रहे हैं. आप ईमानदारी से अगर बोलें. आप विचलित होकर बात मत कीजिए. मध्‍यप्रदेश की सरकार में आप भी रहे हैं. कर्जा लेकर आपने भी वेतन, भत्‍ते दिये हैं मैंने सब रिकार्ड निकलवाया है. वेतन, भत्‍ते दिये हैं, स्‍थापना का खर्च दिया. पूंजीगत व्‍यय में आपने कर्जा लेकर वहां दिया. एक भी रिकार्ड आप बता दें. आप पूरा रिकार्ड देख लें. आज नहीं कल बता दें कि मध्‍यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कर्जा लेकर के कभी वेतन, भत्‍ते स्‍थापना के खर्चे किये. हमने पुल, पुलिया, तालाब, स्‍टॉप डेम, मेडिकल कॉलेज हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूल के भवन, सीएम राइज़ स्‍कूल बनाये और आपने एक शब्द में कह दिया कि कुछ नहीं किया. मध्यप्रदेश में जो सारा डेवलपमेंट दिखाई दे रहा है वह कब दिखाई दिया. जब-जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तब जमीन पर पैसा खर्च हुआ. आप इस बात को स्वीकार करो. आप एकतरफा खड़े होकर बोल रहे हो कि काम नहीं हुआ है. किसान सम्मान निधि मिल रही है, खातों में जा रही है. कौन सा हिन्दू-मुसलमान-सिख-ईसाई हमने किया. कौन सा जाति भेदभाव किया, कोई भेदभाव नहीं किया. यहां क्लिक दबाते हैं और वहां खाते में पैसे जमा होते हैं. प्रधानमंत्री जी दिल्ली में क्लिक दबाते हैं और यहां खाते में पैसे जमा हो जाते हैं. कौन काँग्रेस, कौन बीजेपी, हमने कभी नहीं किया. जल जीवन मिशन. अरे यह कल्पना तो करो कि हिन्दुस्तान की जनता को पीने का शुद्ध पानी 75 साल होने को आए आजादी को. हम मंत्री के रुप में भी गांव में जाते हैं तो बहनें बर्तन रखकर हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हैं कि एक हैंडपम्प लगा दो. यह डूब मरने की बात तो जो लोग बैठे थे उनके लिए है कि 75 साल की आजादी के बाद शुद्ध पीने का पानी नहीं पिला पाए. मैं धन्यवाद दूंगा नरेन्द्र मोदी जी को कि उन्होंने वहां बैठकर योजना बनाई, कमी है उसको दूर करेंगे लेकिन उन्होंने यह संकल्प लिया कि हिन्दुस्तान के एक-एक घर में परिवार में शुद्ध पीने का पानी, नल से जल मिलेगा. ठेकेदार की अगर गड़बड़ी है तो ठेकेदार जेल में जाएगा. कार्यवाही करवाएंगे, सरकार के माध्यम से करवाएंगे. लेकिन उनका उद्देश्य, उनकी इच्छाशक्ति, उन्होंने कहा कि यह भेदभाव नहीं होगा. हिन्दुस्तान के हर घर में हर परिवार में एक-एक परिवार को शुद्ध पीने का पानी मिलेगा. यह काम करने की इच्छाशक्ति है. इस मध्यप्रदेश में कब हुआ काम, मैंने तो नहीं देखा. यहां बहुत पूर्व मुख्यमंत्री रहे, मैं नाम नहीं लेना चाहता हूँ. कहां काम हुए. सड़कें क्यों नहीं बनीं, कहां गया पैसा, बजट का पैसा कहां खर्च किया. न कोई जनकल्याणकारी योजनाएं बनाईं आपने, न विकास के कोई काम किए तो पैसा गया कहां.

          श्री फूल सिंह बरैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति, जनजाति के काम नहीं हो रहे हैं. (व्यवधान)

          श्री जगदीश देवड़ा - बरैया जी बैठो. आप अनुसूचित जाति, जनजाति की बात कर रहे हो. मैं यहां खड़े होकर कह रहा हूँ. अध्यक्ष महोदय, मैं गर्व से कह सकता हूँ. मैं विचलित नहीं होता हूँ. मुझे गर्व है मैं जिस दल का सदस्य हूँ, और आज यहां विधान सभा के फ्लोर से बोल रहा हूँ. मुझे गर्व है उस पार्टी का मैं सदस्य हूँ. अनुसूचित जाति, जनजाति की बात कर रहे हैं. अनुसूचित जाति, जनजाति को सम्मान देने का काम अगर किसी ने किया है तो वह नरेन्द्र मोदी जी ने किया है. (व्यवधान)

          श्री फूल सिंह बरैया -- असत्य बात कर रहे हैं. (व्यवधान)

          श्री इंदर सिंह परमार -- 2 लाख का टारगेट वापिस कर दिया था, कमलनाथ जी की सरकार में वर्ष 2018-2019 में, आज यहां पर यह बात कर रहे हो  (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय -- बरैया जी, फूल सिंह जी, सुरेश जी. बरैया जी यह तरीका नहीं है. यह तरीका बिलकुल नहीं है. यह सदन को चलाने का तरीका नहीं है. अगर इस तरीके से होगा तो दिक्कत जाएगी.

          श्री इंदर सिंह परमार -- जब 2 लाख गरीबों के आवास केन्द्र सरकार से आए तो क्यों बजट आवंटित नहीं किया, क्यों नहीं किया तुम्हारी सरकार ने. क्यों वापिस कर दिया..0(व्यवधान)

          श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत सम्मान से बोल रहा हूँ. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठिए. (व्यवधान)

श्री जगदीश देवड़ा -- अध्‍यक्ष महोदय, हमको गर्व है कि राष्‍ट्रपति के पद पर हमारी द्रोपदी मुर्मू जी बैठी हुई हैं. रामनाथ कोविंद जी हमारे राष्‍ट्रपति के पद पर रहे हैं. अब्‍दुल कलाम जी को भारतीय जनता पार्टी ने राष्‍ट्रपति बनाया. यह भारतीय जनता पार्टी ..    

          अध्‍यक्ष महोदय -- अरे बरैया जी, आप क्‍या कर रहे हैं (श्री फूलसिंह बरैया के अपने आसन पर खड़े होने पर). यह तरीका थोड़ी है. यह तरीका ठीक नहीं है. मैं नेता प्रतिपक्ष जी से अनुरोध करूंगा कि कृपया वे उन्‍हें समझाएं, ऐसे हाऊस नहीं चलेगा. यह तरीका नहीं है.

          श्री जगदीश देवड़ा -- अध्‍यक्ष महोदय, यह बजट सर्वस्‍पर्शी बजट है. किसी वर्ग को इसमें वंचित नहीं रखा और मेरा यह कहना है कि अगर किसी विभाग में अगर कोई कमी होगी, तो यह सरकार जिम्‍मेदार हैं. हम उसमें और व्‍यवस्‍था करेंगे. कोई कमी नहीं आने देंगे. अभी जैसा आपने बताया कि अनुसूचित जनजाति योजना के अंतर्गत हमने 2024-25 में भी 40,804 करोड़ का प्रावधान किया है. यह पिछले वर्ष से 3,856 करोड़ अधिक है. यह अभी इसी बजट में प्रावधान किया है. अनुसूचित जाति के लिये हमने 27,900 करोड़ का प्रावधान किया है. अब यह छांट-छांटकर निकालें कि इसमें नहीं हुआ, उसमें नहीं हुआ, तो हम यह कह रहे हैं कि जहां नहीं हुआ वहां हम व्‍यवस्‍था करेंगे. सरकार 5 साल के लिये हैं और संकल्‍प पत्र भी 5 साल का है. यह केवल आज ही पूरा नहीं हो रहा है. यह 5 साल का संकल्‍प पत्र है इसको पूरा करेंगे, लेकिन धैर्य रखिये विचलित मत होइये. आत्‍ममंथन करिये कि यह दुर्दशा इसलिये हो रही है हिन्‍दुस्‍तान में और मध्‍यप्रदेश में क्‍योंकि जब आपकी सरकारें बैठी थीं उस समय खजाने का पैसा कहां गया. इसका हिसाब जनता मांग रही है. इसलिये दुर्दशा हो गई और यह काम जब-जब भाजपा की सरकार बैठी, डेव्‍हलपमेंट के काम जिधर जाओ, 8 लाईन, 4 लाईन, 2 लाईन, 6 लाईन, आज जिधर जाओ. यह भी स्‍वीकार करते हैं. हमारे साथी हैं जब साथ में बैठते हैं तो कहते हैं कि वास्‍तव में सड़कें तो बहुत जोरदार बन गईं हैं यह कहते हैं, तो यह केवल आत्‍ममंथन करिये आप कि उस समय खजाने के पैसे से क्‍यों नहीं बन पाईं सड़कें, क्‍यों जनकल्‍याणकारी योजनाएं नहीं बनीं. क्‍यों विद्यार्थियों के लिये व्‍यवस्‍था नहीं हुई. आपने कमियां गिनाई, मैं वित्‍तमंत्री के नाते स्‍वीकार कर रहा हूं और सरकार के हमारे यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी हम जिम्‍मेदारी से कह रहे हैं, ऐसा नहीं है कि अगर विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष ने या हमारे विपक्ष के साथियों ने कुछ कहा है, तो हमने नोट नहीं किया. हम पूरा रिकॉर्ड निकलवार जो कमियां होंगी उनको पूरा करेंगे. यह हमारी नैतिक जिम्‍मेदारी है. हम करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, हमने यह अभी कुछ प्रमुख क्षेत्रों में तुलनात्‍मक विवरण राशि का प्रावधान किया है. सामाजिक क्षेत्र में स्‍वास्‍थ्‍य एवं महिला बाल विकास में हमने 56 प्रतिशत् की वृद्धि की. महिलाओं के बारे में महिला सशक्तिकरण के बारे में जितनी चिंता नरेन्‍द्र मोदी जी ने, जितनी चिंता मध्‍यप्रदेश की सरकार ने किया है, मुझे नहीं लगता है कि कोई करेगा. खाली एक उसकी कमी निकालना कि 3 हजार नहीं दिये अरे, 3 हजार नहीं जितने कहा उतने देंगे. पूरे देंगे. हम कह रहे हैं. हम कहीं जा नहीं रहे हैं. न आप जा रहे हैं और न कहीं हम जा रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, रोजगार उद्योग में 39 प्रतिशत् की वृद्धि की. संस्‍कृति संवर्द्धन में 35 प्रतिशत् की वृद्धि की. कृषि के क्षेत्र में 15 प्रतिशत् की वृद्धि की गई. नगरीय एवं ग्रामीण विकास में 13 प्रतिशत् की वृद्धि की गई. सामाजिक क्षेत्र में एससी, एसटी, ओबीसी में 10 प्रतिशत् की वृद्धि की गई. अधोसंरचना में 9 प्रतिशत् की वृद्धि की गई. शिक्षा में 4 प्रतिशत् की वृद्धि की गई. इन सब में हमने राशि का प्रावधान किया है. बजट बनाया हमने, बहुत गंभीरता से इस पर विचार किया है कि हमसे कोई भी वर्ग वंचित नहीं रहे .यह महत्‍वपूर्ण योजनाओं में हमने प्रावधान किया है. यह लाड़ली बहना इसमें 18,984 करोड़ का प्रावधान रखा है.

          हमने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 4500 करोड़ का प्रावधान किया, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार ग्यारंटी योजना में 3500 करोड़ का प्रावधान किया है, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण में 2400 करोड़ का प्रावधान किया, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 2001 करोड़ का प्रावधान किया. अभी प्रधानमंत्री फसल बीमा की बात आयी थी उसमें हमने प्रावधान किया है आपदा प्रबंधन योजना में हमने 1193 करोड़ का प्रावधान किया है, हाऊसिंग फार आल शहरी में 1020 करोड़ का प्रावधान किया है, मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता 1000 करोड़ का प्रावधान किया है . अध्यक्ष महोदय इन्होने पूरी किताब पढ़ ली पूरा बजट का भाषण पढा, यह सब भी उसी में हैं मैं कोई अलग से नहीं बोल रहा हूं. यह सब उसी में प्रावधान किया है. समर्थन मूल्य के किसानों की फसल का उपार्जन बोनस भुगतान की बात की है नवीन योजनाएं हम प्रारम्भ कर रहे हैं. सिंहस्थ में माननीय मुख्यंत्री जी जनसहभागिता निर्माण योजना, नगर वनीकरण योजना, मुख्यमंत्री आश्रय स्थल योजना, पीएम बस सेवा, मध्यप्रदेश शांति वाहन सेवा, विधायक कार्यालयों का काम भी हम कर रहे हैं. पीएंमसीएलई गरीब कैदियों को वित्तीय सहायता का, कोड़िंग लैब की स्थापना का.

 अध्यक्ष महोदय मैंने पहला ही शब्द यह कहा कि हम किसी के माथे पर एहसान नहीं कर रहे हैं. तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा, यह जनता का पैसा जनता के लिए खर्च कर रहे हैं. कोई इस भ्रम में नहीं रहे कि यह हम कर रहे हैं. हम कर रहे हैं जनता ने बैठाया है जिम्मेदारी दी है और प्रचंड बहुमत से जिताकर के बैठाया है. यदि कहीं पर कमी होती तो नहीं बैठाते. कुछ काम किया होगा.

          अध्यक्ष महोदय,  मैं बहुत विनम्र प्रार्थना से कह रहा हूं मैं इस बात से इंकार नहीं रहा हूं जल जीवन मिशन में जो काम चल रहा है उसमें कई जगह पर काम ठीक नहीं हो रहा है. मैं यहां पर सदन में कह रहा हूं कि निश्चित रूप से उसकी चिंता करके जो दोषी लोग हैं और जो ठीक से काम  नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ हम कार्यवाही करवायेंगे.

          अध्यक्ष महोदय स्वास्थ्य सुविधाओ के विस्तार के लिए 21444 करोड़ यह कहीं न कहीं लोगों के काम आयेगा. मैं आज इस सदन में खड़े होकर बोल रहा हूं. आयुष्मान कार्ड की आलोचना करना बहुत सरल है तुरंत आदमी प्रतिक्रिया में बोल देता है . कमी की बात मैंने स्वीकार की है कि प्रधानमंत्री जी ने जो इच्छा व्यक्त कीहै कि कोई भी गरीब आदमी इलाज के अभाव में मरे नहीं, मरना और जीना तो ईश्वर के हाथ में होता है लेकिन यह सरकार की चिंता थी और प्रधानमंत्री जी की सोच उन्होंने कहा कि एक एक गरीब के पास में वह 5 लाख की ग्यारंटी, एक साल की पांच लाख की ग्यारंटी अध्यक्ष जी मैं आज यहां पर सदन में कह रहा हूं कि जब हम सार्वजनिक सभा में जाते हैं और भाषण करते हैं लोगों के बीच में, तो हम पूछते हैं कि बताएं आयुष्मान कार्ड से किसका इलाज हुआ है कोई खड़ा होकर बताएं. वह खड़े होते हैं, हम उन्हें माइक पर खड़ा करते हैं पूछते हैं कि बताओ तुमको कैसा लगा.  अध्यक्ष महोदय कई लोगों की आंखों में आसू आ जाते हैं वह खड़े होकर कहते हैं. वह कहते हैं कि हमारे घर की स्थिति 1 2 हजार रूपये खर्च करने की नहीं है. लेकिन धन्य है मोदी जी का यह आयुष्मान कार्ड नहीं होता तो हम भगवान के घर चले जाते, आंखो में आंसू रहते हैं. इसे यहा पर केवल वाह वाही लूटने के लिए नहीं कह रहा हूं. लेकिन यह भी कहें कि आयुष्मान कार्ड से लाखों गरीबों का इलाज हुआ है और वह ग्यारंटी कार्ड है, वह हिन्दुस्तान के किसी भी कोने में जायेंगे तो केवल आधार कार्ड और आयुष्मान कार्ड जेब में रखकर जायेंगे तो वह किसी भी बड़े अस्पताल में जाकर इलाज करवा लेंगे, यह कम ग्यारंटी नहीं है. यह तो इच्छा शक्ति की बात है, क्यों नहीं हुआ है 75 साल में जब आप बैठे थे तो क्यों आयुष्मान कार्ड की इच्छा नहीं हुई, क्यों गरीब के इलाज का प्रबंध करने की इच्छा नहीं हुई, अरे ठीक है अगर यही काम आपके द्वारा भी हो जाते तो आज तो स्वर्ग हो जाता लेकिन आपके समय में यह काम नहीं हुए हैं, कुछ भी नहीं हुआ, काम तो मुझे दिखा ही नहीं विकास तो कहीं पर भी दिखता ही नहीं था. मध्यप्रदेश में तो 40 साल मुझे भी घूमते हुए हो गये हैं.

 

          मध्‍यप्रदेश में घूमते-घूमते चालीस साल मुझे भी हो गए हैं, कहीं कुछ नहीं दिखता. अगर आप थोड़ा थोड़ा भी करते तो ये स्‍वर्ग हो जाता. गांव में कोई आवेदन देने वाला नहीं मिलता. अध्‍यक्ष महोदय,  महापुरूषों के जितने भी स्‍थान को अगर कहीं ठीक करने का काम किया है तो वह भाजपा ने किया है. धार्मिक स्‍थान हो, चाहे महापुरूषों की बात हो, ये सारे काम मैं गिना नहीं रहा हूं अगर गिनाऊंगा तो बहुत लम्‍बी सूची है. कमियां तो आपने बताई उनको हमने स्‍वीकार भी किया कि हम उनको भी ठीक करेंगे लेकिन काम कितने हुए यह भी देखों और अपने आपमें मंथन करो.चाहे आप हों या मैं विचिलित होने से काम नहीं चलता. अगर कहीं कमियां हैं तो ठीक करना चाहिए. अगर जगदीश देवड़ा में कमी है तो जगदीश देवड़ा स्‍वीकार करेगा. कोई बुराई नहीं है. सार्वजनिक क्षेत्र में काम करते है तो बहुत पारदिर्शिता लोग देखते हैं जनता देखती है इसलिए मुझे कहते हुए गर्व है कि मध्‍यप्रदेश की सरकार यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री डॉं मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में जो सरकार चल रही है वह बहुत ही बेहतर काम कर रही है, अच्‍छा काम कर रही है और हमें पूरा विश्‍वास है कि हम आने वाले समय में भी अच्‍छा काम करेंगे. मोदी जी ने कहा है कि गरीब, युवा, महिलाएं और किसान इस हिन्‍दुस्‍तान में ये चार जातियां हैं, चार लोग हैं, जिनके बारे में विचार करना और इन सब बातों को ध्‍यान में रखकर हमने प्रावधान किया है. अध्‍यक्ष महोदय, मोदी जी चाह रहे हैं और देश की जनता चाहती है कि आने वाले 2047 में हमारा देश विश्‍व में विकास की श्रेणी में नम्‍बर 1 पर आए और उसी तर्ज पर हम मध्‍यप्रदेश में भी काम कर रहे हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अर्थ व्‍यवस्‍था की बात कर रहे हैं, पंडित अटल बिहारी बाजपेयी जी जब प्रधानमंत्री थे, उस समय 11वे नम्‍बर पर अर्थ व्‍यवस्‍था थी, उसके बाद कांग्रेस की सरकार लगातार रही एक भी नीचे नहीं आएगा 11 से 10 भी नहीं हुए और जब देश के यशस्‍वी प्रधान मंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी प्रधान मंत्री बने उस अर्थ व्‍यवस्‍था को 5 वे नम्‍बर पर लाए और आने वाले समय में ये तीसरी नम्‍बर की शक्ति बन जाएगी. अध्‍यक्ष महोदय, हम इस लाईन पर काम कर रहे हैं. अध्‍यक्ष महोदय, विपक्ष के साथियों से मैं तो केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि मन में किसी प्रकार की मलाल रखने की जरूरत नहीं है, हम सब चाहते हैं कि मध्‍यप्रदेश का विकास हम सब साथ में मिल कर करें. कमी हो तो बताओ, हम कमी को पूरा करेंगे. अध्‍यक्ष महोदय, जीएसडीपी के बारे में भी बताना चाहूंगा तो यह पूरी हो जाएगी. अध्‍यक्ष महोदय, समय भी बहुत हो गया है. सुबह दस बजे से ही बैठ गए. जितने भी हमारे सम्‍मानीय सदस्‍यों ने जो सुझाव दिए हैं जो यहां पर विचार व्‍यक्‍त किए उनको रिकॉर्ड से निकलवाकर के भी हम गंभीरता से उनको लेंगे और आने वाले समय में हम इस मध्‍यप्रदेश को और आगे बढ़ाने का काम हम करेंगे. यशस्‍वी प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में, यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में हम पूरा काम करेंगे. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका भी बहुत आभारी हूं, वित्‍तीय वर्ष 2024-25 के लिए बजट पारित किए जाने का प्रस्‍ताव विधानसभा के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया है. मैं माननीय सदस्‍यों से प्रार्थना करूंगा कि सर्वसम्‍मति से इन प्रस्‍तावों को पारित करें.

09:59 बजे.

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्‍वविद्यालय जबलपुर के प्रबंध मंडल के लिए निर्विरोध निर्वाचन.

          अध्‍यक्ष महोदय- श्री जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्‍वविद्यालय जबलपुर के प्रबंध मंडल के लिए राज्‍य विधानसभा के तीन सदस्‍यों के निर्वाचन के संबंध में घोषित किए गए क्रमानुसार नाम वापसी के पश्‍चात् केवल तीन उम्‍मीदवार शेष है उक्‍त कृषि विश्‍वविद्यालय के लिए तीन सदस्‍य ही निर्वाचित किए जाने हैं. अत: मैं निम्‍नानुसार सदस्‍यों को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्‍वविद्यालय जबलपुर के प्रबंध मंडल के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित करता हूं.

(1)     श्रीमती मनीषा सिंह

(2)     डॉं अभिलाष पांडे

(3)     श्री नारायण सिंह पट्टा.

           विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार दिनांक 5 जुलाई 2024 को प्रात: 11:00 बजे तक के लिए स्‍थगित.

          अपरान्‍ह 10:00 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 5 जुलाई 2024 (14 आषाढ़, शक संवत् 1946) के पूर्वाह्न 11:00 बजे तक के लिए स्‍थगित की गई.

 

भोपाल:                                                                                      अवधेश प्रताप सिंह

दिनांक : 4 जुलाई 2024                                                                        प्रमुख सचिव

                                                                                              मध्‍यप्रदेश विधानसभा