मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा अष्टम सत्र
फरवरी-मार्च, 2021 सत्र
गुरुवार, दिनांक 4 मार्च, 2021
(13 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
[ खण्ड- 8 ] [ अंक-8 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 4 मार्च, 2021
(13 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
11.01 बजे हास-परिहास
नेता प्रतिपक्ष (श्री कमल नाथ) - अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी को निवेदन करना चाहता हूँ कि आप इसी रूप में ज्यादा आया कीजिये, जब वे इस रूप में आते हैं तो आप समझ गए होंगे कि मैं क्या कह रहा हूँ ? तो इनका मूड जरा ठीक रहता है. (हंसी)
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - इनका रूप हमेशा एक सा ही रहता है. आप जो रूप बार-बार बदलते हो, उसका सोचें.
श्री कमल नाथ - मैंने आज तक अपना रूप नहीं बदला है. यह कोई नहीं कह सकता कि उसने मुझे किसी दूसरे रूप में देखा हो पर नरोत्तम जी, आपकी तसल्ली के लिये एक दिन मैं दूसरे रूप में भी आऊँगा. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हमें उस रूप की प्रतीक्षा रहेगी.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - (श्री कमल नाथ जी को देखकर) अध्यक्ष महोदय, यह बात जो आपने कही है, यह बात बिल्कुल सही है कि ठंड हो या गर्मी, आपके कपड़े हमेशा ऐसे ही रहते हैं. मैंने हमेशा ऐसे ही देखा है. कड़ाके की ठण्ड में भी आपके कपड़े ऐसे ही रहते हैं, आप क्या खाते हैं, क्या पीते हैं ? कुछ समझ में नहीं आता.
डॉ. गोविन्द सिंह - मैंने एक दिन अपने नेता जी से निवेदन किया था कि आप यह बताएं कि इसमें ऐसा कौन-सा करंट फिट है कि आप स्वेटर और जर्सी कुछ नहीं पहनते हैं, आप केवल कुर्ता-पजामा ही पहनते हैं लेकिन उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया.
श्री कमल नाथ - माननीय अध्यक्ष जी, आप एक ट्रेनिंग सेशन बुलवाइये. मैं इन सबको ट्रेनिंग दे दूँगा. (हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - दिक्कत क्या है, गोविन्द सिंह जी, इनने कभी आपकी मानी ही नहीं. यही पीड़ा रही.
अध्यक्ष महोदय - शायद इनके इस रूप से सामने वाले को ऊर्जा आती है, आप इसीलिए ऐसे आते हैं.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिसमें सब प्रसन्न हों, मैं तो वही रूप धरता हूँ, जनता भी प्रसन्न रहे और आप भी प्रसन्न रहें. मुझे क्या दिक्कत है ?
11.03 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
जिलों में पदस्थ जिला खनिज अधिकारी
[खनिज साधन]
1. ( *क्र. 2574 ) डॉ. सतीश सिकरवार : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. के कितने जिलों में जिला खनिज अधिकारी पदस्थ हैं एवं कितने जिलों में प्रभारी खनिज अधिकारी कार्यरत हैं? जिलों के नाम, प्रभारी अधिकारियों के समय सहित जानकारी दी जावे। (ख) क्या प्रदेश में अनेक जिलों में प्रशासनिक खनिज सेवा के जिला खनिज अधिकारी के पद पर पदस्थ किये गये, क्यों? तथ्यों सहित पूर्ण जानकारी दी जावे। (ग) प्रदेश के कितने जिलों में टेक्निकल विंग (भौमकीय विधि) के खनिज अधिकारी कार्यरत हैं? क्या पूर्व में शासन द्वारा प्रशासनिक खनिज विंग के अधिकारियों को इन पदों से हटा दिया गया था, कब कितने ऐसे अधिकारियों को हटाया गया? स्थान, नाम सहित जानकारी दी जावे। (घ) क्या भौमिकीय विधि के जानकार खनिज अधिकारियों के अभाव में खनिज खोज की प्रगति धीमी पड़ गई है? क्या शासन सेवानिवृत्त हुए इस विंग के अधिकारियों को पुन: संविदा पर रखेगा? जानकारी दी जावे।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' पर दर्शित है। (ख) विभागीय प्रशासनिक आवश्यकता के दृष्टिगत जिलों में पदस्थापनायें की गईं हैं। (ग) प्रदेश के 06 जिलों में टेक्निकल विंग (भौमिकीय विधि) के अधिकारी प्रभारी अधिकारी (खनि शाखा) के रूप में कार्यरत हैं। शासन द्वारा प्रशासनिक आवश्यकता के दृष्टिगत स्थानांतरण उपरांत हटाये गये खनिज विंग के अधिकारियों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' पर दर्शित है। (घ) जी नहीं। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डॉ. सतीश सिकरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में खनिज संपदा का अवैध उत्खनन हो रहा है, चाहे वह कोयला हो, चाहे वह पत्थर हो, चाहे वह रेत हो. सरकार द्वारा कोई प्रभावी कदम इस पर अभी तक नहीं उठाया गया है. आज पूरे प्रदेश में वन विभाग के कर्मचारियों पर पत्थर माफियाओं द्वारा हमला किया जा रहा है, रेत माफियाओं द्वारा पुलिस प्रशासन पर हमला किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, जो हमारे यहां खनिज अधिकारी बनाये गये हैं, उसमें जो टेक्निकल विंग के जियोलॉजिस्ट हैं, उनको खनिज अधिकारी बना दिया गया है जबकि इनका काम यह है कि ये खोज करें और खोज करें कि कहां पर कौन-सा खनिज पदार्थ है, जिससे वहां पर उद्योग-धंधे स्टार्ट हों, लेकिन उनको खनिज अधिकारी बनाया गया है. माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री जी श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिशा-निर्देश दिये गये थे, उनके दिशा-निर्देश पर उस समय 22 जिलों में जो अधिकारी पदस्थ किये गये थे, वे सभी हटा दिये गये थे. लेकिन ऐसा क्या कारण है कि वे पुन: पदस्थ कर दिये गये. इससे क्या है कि दोगुना (डबल) नुकसान हो रहा है. एक तरफ तो वे खोज नहीं कर पा रहे हैं, दूसरी तरफ उनको प्रशासनिक अनुभव नहीं है, तो सरकार को उनके पास प्रशासनिक अनुभव न होने का भी नुकसान हो रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि उन्हें माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार हटाया गया था. किसके कहने पर पुन:पदस्थापन किया गया है, जबकि इनका काम प्रशासनिक नहीं है, इनको केवल फील्ड में रहना है और इनको केवल खनिजों की जांच करनी है, कौन-कौन से जिले में कौन -कौन से खनिज उपलब्ध हैं? जिससे सरकार वहां उद्योग धंधे स्थापित करे लेकिन इनको पैसे कमाने के लिये..
अध्यक्ष महोदय -- उत्तर आने दीजिये, माननीय मंत्री जी बोलें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने बात कही है और जहां तक उनकी पदस्थापना की बात और हटाने की बात है, इन पांच लोगों को वहां से हटाया गया था और जहां तक पदस्थ करने की बात है, क्योंकि हमारा अभी सुप्रीमकोर्ट में कोई केस चलने के कारण पदोन्नति रूकी हुई है और अमले की कमी के कारण हमें यह सब चीजें करनी पड़ती है और प्रभारी के रूप में पदस्थ करना पड़ता है. यह हमें एक रूटीन वे में करना पड़ता है.
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनकी सेवा शर्तों में क्लियर लिखा है कि इनको प्रशासनिक पदों पर नहीं रखा जायेगा, इनको खनिज अधिकारी नहीं बनाया जायेगा, इनकी सेवा शर्तों में है, उसके बाद भी किसके कहने पर माननीय मंत्री महोदय इनको रखा गया है, क्यों रखा है, क्या कारण है और कब तक इनको हटायेंगे, इनको क्यों रखा गया है ?
अध्यक्ष महोदय -- वह कारण तो बता रहे हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट और माइनिंग अधिकारी, सहायक खनिज अधिकारी की शैक्षणिक योग्यता का मामला है, दोनों ही एक ही पोस्ट के हैं. दोनों की योग्यता एक ही है और उनकी श्रेणी भी एक ही है. अब जियोलॉजिस्ट एक टेक्निकल विंग में है और एक प्रशासनिक विंग में है. हमारे पास टेक्निकल विंग के लोग ज्यादा हैं और प्रशासनिक विंग के कम लोग हैं क्योंकि उनकी पदोन्नति नहीं हो पा रही है और सुप्रीमकोर्ट में केस लंबित है. हमारे कुछ अधिकारी कम होने के कारण हम जो टेक्निकल विंग के लोग हैं, उनको हम प्रशासनिक विंग में फॉर ए टाइम बीइंग पदस्थ करते हैं.
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी व्यक्ति को हड्डी वाले डॉक्टर या सर्जरी की जरूरत है और उसका इलाज रेडियालॉजिस्ट से कराया जा रहा है, यह कहां का नियम है ? उनकी सेवा शर्तों में क्लीयर लिखा है कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय के आदेशानुसार उनको तत्कालीन समय हटा भी दिया गया था, उसके बाद दोबारा उनको बनाया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि पूरे प्रदेश में जिस प्रकार से खनन माफियाओं द्वारा..
अध्यक्ष महोदय -- आप इसी प्रश्न में अपने आपको सीमित रखिये.
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप देखिये इसी प्रश्न में है. 6 जिलों में इनके द्वारा उनको खनिज अधिकारी बनाया गया है. कुछ जिलों में खनिज इंस्पेक्टरों को भी खनिज अधिकारी बनाया गया है.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपना प्रश्न पूछें कि आप चाहते क्या हैं?
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूं कि जिसका जो काम है, वह काम करेंगे कि नहीं करेंगे ? रेडियोलॉजिस्ट का काम खोज करना है कि कौन से जिले में क्या-क्या खनिज पदार्थ हमको उपलब्ध हैं. क्या वह खोज कर रहे हैं ? उन्होंने खोज की है तो क्या-क्या खोज की है, उनका काम क्या है ? जब वह उनका काम ही नहीं कर पा रहे हैं तो हमको पता कैसे लगेगा कि हमारे मध्यप्रदेश में किन-किन स्थानों पर कौन सा खनिज पदार्थ उपलब्ध है ? जिससे सरकार वहां पर यदि कोई फैक्ट्री लगायेगी, कोई वहां पर उद्योग धंधा स्थापित करेगी, यह सरकार को जब पता होगा तभी तो वह करेगी.
अध्यक्ष महोदय -- यह तो आपका भाषण हो गया, आप प्रश्न पूछिये कि आप चाहते क्या हैं ?
डॉ. सतीश सिकरवार -- मैं यह चाहता हूं कि जिन लोगों की सेवा शर्तों में क्लियर लिखा हुआ है कि उनको खनिज अधिकारी नहीं बनाया जा सकता है, उनको काम नहीं दिया जा सकता है तो उनको काम किसके कहने पर दिया गया है और उनको हटायेंगे कि नहीं हटायेंगे और हटायेंगे तो कब तक हटायेंगे ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- जहां तक एज्युकेशन की बात है, दोनों की डिग्री सेम है, दोनों राजपत्रित अधिकारी हैं और इसलिये यह कहीं पर भी ऐसा नहीं है कि हम उनको नहीं रखेंगे या रखेंगे. लेकिन यह बात सही है कि टेक्निकल विंग का अमला कम होने के कारण हम फॉर ए टाइम बीइंग उनकी व्यवस्था बना रहे हैं और जहां तक इनका कहना है कि सर्वे कम हुआ है, यह सब चीजें हुई हैं, तो हमारे लगातार सर्वे हो रहे हैं. हमारे ब्लॉक आरक्षित हो रहे हैं और उसकी संख्या जो है वह निरंतर बढ़ रही है. अभी हमने करीब 13 जगह पर ब्लॉक ऑक्शन किये हैं जिससे कि हमें भविष्य में 60 हजार करोड़ के ऊपर उससे रेवन्यू भी मिलने वाला है. इसलिये हमारी हर साल लगातार प्रोग्रेस बढ़ रही है. यह कहना अनुचित है कि वहां पर हमारे जियोलॉजिस्ट पदस्थ होने के कारण हमारा सर्वे घट रहा है, ऐसा कहना गलत है.
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा भी जो संभाग स्तर पर फ्लाइंग स्कॉड बनाई गई हैं, उनको भी टेक्निकल विंग के अधिकारी जियोलॉजिस्टों को वहां पर भी पदस्थ कर दिया गया है, जबकि उनका काम ही यह नहीं है. वह क्यों रखे गये हैं ? यह सब जानते हैं, पूरा सदन जानता है कि इन जियोलॉजिस्टों को खनिज अधिकारी क्यों बनाया गया है और यह वहां क्या कर रहे हैं, इससे मध्यप्रदेश शासन को लाखों करोड़ों रूपये का चूना लग रहा है और अवैध उत्खनन को बढ़ावा मिल रहा है, क्योंकि इनको प्रशासनिक अनुभव नहीं है. इसलिये अवैध उत्खनन को बढ़ावा मिल रहा है और पूरे प्रदेश में अवैध उत्खनन हो रहा है. पत्थर माफिया हो चाहे रेत माफिया हो, वह पुलिस पर और वन अमले पर हमला कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अब हो गया है.
डॉ. सतीश सिकरवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन यह है कि अगर एक पोस्ट पर उनके समान वेतनमान हैं तो इसका मतलब यह थोड़े है कि हम किसी को भी देंगे. हमें डॉक्टर की जरूरत है, बच्चों का इलाज कराने के लिये बाल रोग विशेषज्ञ की जरूरत है, क्या हम जियोलॉजिस्ट से इलाज करायेंगे, क्या हम रेडियोलॉजिस्ट से इलाज करायेंगे, क्या हम पैथोलॉजिस्ट से उनका इलाज करायेंगे? मैं यह पूछना चाहता हूं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों की एजूकेशन सेम है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, चूंकि वह पहली बार चुनकर आये हैं इसलिये उनको इतना संरक्षण दे रहा हूं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- मेरा यह कहना है कि यदि मेरे पास अमला होता तो हमने 7 जगह जो खनिज निरीक्षक, सीनियर खनिज निरीक्षक को प्रभारी खनिज अधिकारी बना रखा है तो हम नहीं बनाते, यदि हमारे पास माइनिंग आफीसर होते और मैं पहले ही बता चुका हूं कि उनका आरक्षण का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और हमारे यहां पदोन्नति नहीं हो रही, अमला कम है और अभी हमने उसका प्रस्ताव भी करीब 1327 लोगों के सुदृढ़ीकरण के लिये प्रस्ताव हमारा वित्त विभाग में लंबित है, वह जैसे ही स्वीकृत हो जायेगा और हमारे पद क्रियेट हो जायेंगे, हम निश्चित रूप से उनको पदस्थ कर देंगे.
श्री जितु पटवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय-- जितु जी, दूसरे में पूछियेगा, वह पहली बार के हैं इसमें रहने दीजिये, उनको खुद पूछने दीजिये.
विधानसभा क्षेत्र पनागर के अंतर्गत स्कूल/ सड़क की भूमि पर अतिक्रमण
[राजस्व]
2. ( *क्र. 2717 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासकीय स्कूल बल्हवारा एवं पड़वार में स्कूल की जगह पर कब्जे किये गये हैं? (ख) क्या पड़वार बाजार की सड़क पर दुकानें निर्मित कर सड़क पर कब्जा कर लिया गया है? (ग) यदि हाँ, तो क्या दबंगों एवं आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों के कब्जे होने के कारण हटाने की कार्यवाही नहीं की जा रही है? (घ) यदि नहीं, तो क्या यह कब्जे हटाये जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक?
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)--
श्री सुशील कुमार तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी संशोधित उत्तर हमें प्राप्त हुआ कि शासकीय स्कूल में कब्जा पाया है. पूर्व में कब्जा नहीं था और अब संशोधित उत्तर में आया है कि कब्जा पाया है. हमारा माननीय मंत्री जी से यह निवेदन है, यह बताने की कृपा करें कि कब्जा होने के बाद आप इस संवेदनशील प्रकरण में कि स्कूल में कब्जा है इसको कब तक हटायेंगे, समय सीमा बताने की कृपा करें.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, शासकीय स्कूल बल्हवारा भूमि के अंश भाग पर ईश्वर दास सन ऑफ हल्के, काशीराम बल्द हल्के, बैनीप्रसाद बल्द हल्के तथा शासकीय स्कूल पड़वार पर श्री सतेन्द्र गर्ग उर्फ बिजेन्द्र जोशी द्वारा अतिक्रमण करना पाया गया है. अध्यक्ष महोदय, ग्राम पड़वार की आबादी में गांवठान मद में खसरा नंबर 184 पर बनी ग्राम की सड़क पर किनारे में राकेश अग्रवाल एवं श्री आनंद साहू द्वारा अतिक्रमण किया गया था. आनंद साहू द्वारा स्वयं कब्जा हटा लिया गया है, स्कूल भूमि पडवार ग्राम की सड़क के किनारे अतिक्रमण करने वालों के विरूद्ध भू-राजस्व संहिता की धारा 248 का प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की जा रही है.
श्री सुशील कुमार तिवारी-- माननीय मंत्री जी से हम निवेदन करते हैं कि आप समय-सीमा बतायें कि कब तक यह अतिक्रमण हटा देंगे, कार्यवाही तो अब जब तय हो गया कि अतिक्रमण है तो मैं समझता हूं कि इसमें देर नहीं होना चाहिये. कृपया इसमें समय-सीमा निर्धारित करें.
श्री गोविन्द्र सिंह राजपूत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि प्रकरण तहसील न्यायालय में चल रहा है, उसकी सुनवाई के बाद ही निर्णय ले सकेंगे.
श्री सुशील कुमार तिवारी-- माननीय अध्यक्ष जी, हमारा एक निवेदन है कि इसमें कोई भी सुनवाई अभी तक नहीं चल रही है, शायद मैं मंत्री जी के संज्ञान में यह बात डालना चाहता हूं कि अतिक्रमण है यह आपके उत्तर में स्पष्ट हो गया कि अतिक्रमण है तो इसके बाद मैं समझता हूं कि इसमें कुछ करने की आवश्यकता नहीं है. आप समय-सीमा बतायें तो बड़ी कृपा होगी.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, अतिक्रमण है यह सच है और पटवारी पर कार्यवाही भी की गई है, यह सच है कि प्रकरण तहसील न्यायालय में चल रहा है और न्यायालयीन प्रक्रिया पूर्ण होते ही तुरंत कार्यवाही की जायेगी.
मनावर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत संचालित खदानें
[खनिज साधन]
3. ( *क्र. 2996 ) डॉ. हिरालाल अलावा : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मनावर विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत कितनी खदानों से कितने प्रकार के खनिज प्राप्त होते हैं? कितनी खदानें गिट्टी क्रशर वर्तमान में संचालित हो रहे हैं? खदानों, गिट्टी क्रशर के आवंटन की तिथि, लीज़ समाप्त होने की तिथि एवं संचालकों के नाम सहित ब्यौरा दें। (ख) प्रश्नांश (क) के खदानों, गिट्टी क्रशरों से जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक प्राप्त रॉयल्टी/राजस्व का वर्षवार ब्यौरा दें? (ग) प्रश्नांश (क) के खदानों, गिट्टी क्रशरों को किन नियमों/शर्तों के तहत किस दिनांक से कितने वर्ष के लिये लीज़ पर दिया गया, आवंटन किया गया? लीज़ समाप्त होने की तिथि एवं लीज़ नवीनीकरण के नियमों/शर्तों की प्रति सहित ब्यौरा दें। (घ) क्या प्रश्नांश (क) के खदानों, गिट्टी क्रशरों के आवंटन/नीलामी से पूर्व ग्रामसभा की अनुमति ली थी? अनुमति नहीं ली गई तो विधिसम्मत कारण बताएं। किसकी जवाबदेही तय कर क्या कार्यवाही की जाएगी? (ड.) प्रश्नांश (क) के खदानों, गिट्टी क्रशरों के प्रदूषण जाँच एवं निगरानी किसके द्वारा किस नियम के तहत की है? छमाही या वार्षिक जाँच एवं निगरानी के लिये कोई कमेटी का गठन किया जाता है? यदि हाँ, तो तत्संबंधी ब्यौरा दें? किस नियम के उल्लंघन पर कितना जुर्माना किन खदानों, गिट्टी क्रशरों से जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक किस नियम के तहत वसूला गया? (च) प्रश्नांश (क) के खदानों, गिट्टी क्रशरों में क्या पंचायत अधिनियम 1996 की धारा 4 (घ), (ट), (ठ) का पालन किया गया? यदि हाँ, तो प्रति सहित उसका ब्यौरा दें? यदि नहीं, तो विधिसम्मत कारण बताएं? पंचायत अधिनियम 1996 के उल्लंघनकर्ताओं पर कब तक क्या कार्यवाही की जाएगी? (छ) प्रश्नांश (क) के खदानों, गिट्टी क्रशरों के आवंटन/नीलामी में आदिवासी/स्थानीय आदिवासी समितियों के लिये किस दिनांक को किस अधिसूचना के तहत कितना आरक्षण का प्रावधान किया गया? वर्तमान में क्या प्रावधान प्रचलित है?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) मनावर विधानसभा क्षेत्र में चूनापत्थर, पत्थर/गिट्टी एवं रेत खनिज उपलब्ध है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में चूनापत्थर के खनिपट्टों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ, क्रशर से गिट्टी निर्माण हेतु पत्थर के उत्खनन पट्टों एवं रेत की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित है।
(ख) जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक प्राप्त रॉयल्टी/राजस्व का वर्षवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स पर दर्शित है।
(ग) पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब में उल्लेखित क्रशर से गिट्टी निर्माण हेतु पत्थर के उत्खनन पट्टे मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 के नियमों/शर्तों के तहत प्रदान की गई है। ये नियम अधिसूचित हैं। जिसमें लीज़ नवीनीकरण के प्रावधान भी दर्शित हैं। शेष जानकारी भी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब पर दर्शित हैं।
(घ) नवीन खदानों में ग्राम सभा/ग्राम पंचायत की अनुमति प्राप्त की गई है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
(ड.) क्षेत्रीय अधिकारी, क्षेत्रीय कार्यालय, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, धार से प्राप्त जानकारी अनुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रश्नाधीन क्षेत्र की खदानें गिट्टी क्रशरों के प्रदूषण की जाँच समय-समय पर की जाती है। वर्तमान में छमाही या वार्षिक जाँच एवं निगरानी के लिये कोई कमेटी गठित नहीं है। बोर्ड द्वारा जल एवं वायु अधिनियमों के तहत न्यायालयीन कार्यवाही करने व इकाई को बंद कराने का प्रावधान है। वर्ष 2015 से प्रश्न दिनांक तक किसी भी क्रशर से जुर्माना वसूल नहीं किया गया। क्षेत्रीय अधिकारी, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राप्त जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-द पर दर्शित है।
(च)
(छ) मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में गिट्टी क्रशरों के आवंटन/नीलामी में, आदिवासी/स्थानीय आदिवासी समिति के लिये अधिसूचना के तहत आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
डॉ. हिरालाल अलावा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, आपका संरक्षण चाहता हूं और इस सदन से भी अनुरोध है कि इस गंभीर प्रश्न पर आप सभी ध्यान दें. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न अनुसूचित क्षेत्रों में 5वीं अनुसूची के प्रावधान और पर्यावरण से संबंधित हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं आपको और इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम विकास विरोधी नहीं हैं, हम लोग आदिवासी क्षेत्रों में विकास चाहते हैं. आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ की बुनियादी सुविधायें मिलें, लेकिन हम ऐसा विकास भी नहीं चाहते जिसमें आदिवासियों के हितों को अनदेखा किया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न पर आइये, आपको बजट में मौका दिया जायेगा.
डॉ. हिरालाल अलावा-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न पर ही आ रहा हूं. मेरा जो प्रश्न था कि अनुसूचित क्षेत्र अंतर्गत मनावर विधान सभा क्षेत्र में कितनी खदानें हैं, किस-किस प्रकार के इनमें मिनरल्स निकाले जाते हैं.
और क्या इन खदानों को अनुमति देते समय ही पेसा कानून का अनुपालन किया गया. मुझे सवाल का जवाब मिला है कि " उल्लेखित मुख्य खनिज चूना पत्थर की खदानें,खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन)अधिनियमन,1957 में संशोधन, दिनांक 12.1.2015 के पूर्व से स्वीकृत है. तत्समय उक्त अधिनियम के तहत मुख्य खनिजों की ऐसी स्वीकृति से पूर्व ग्राम सभा/ग्राम पंचायत का अभिमत लिये जाने का प्रावधान नहीं था. "
माननीय अध्यक्ष महोदय, 1950 में जब प्रावधान बना. पांचवीं अनुसूची के प्रावधान जो अनुच्छेद 244(1) के तहत लागू किये गये. 1996 में संसद ने पेसा कानून बनाया और पेसा कानून के तहत यह सुनिश्चित किया गया कि अनुसूचित क्षेत्र में कोई भी परियोजना,कोई भी उद्योग अगर विकास के नाम पर आते हैं तो ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है लेकिन मुझे जवाब दिया गया कि 1957 के संशोधन के तहत, जबकि यहां पर भी पेसा कानून के तहत उन कंपनियों को अनुमति लेनी चाहिये थी. मेरे विधान क्षेत्र में अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री एक बड़ा उद्योग है जिसने 965 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की है अनुसूचित क्षेत्रों में और उसने ग्राम सभा की अनुमति नहीं ली. तो मैं जानना चाहता हूं कि क्या अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री जो कि आदिवासी क्षेत्र में, अनुसूचित क्षेत्र में है जो बिना ग्राम सभा की अनुमति के स्थापित की गई है, क्या मंत्री महोदय यह बताने का कष्ट करेंगे कि क्या इस उद्योग को संचालित करने के लिये ग्राम सभा की अनुमति ली जायेगी जो वर्तमान के पेसा कानून के तहत जो मापदण्ड है ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सदस्य जी ने बताया. अल्ट्राटेक के लिये उन्होंने पर्टिकुलर संबोधन भी दिया है. वह मेजर मिनरल में आता है और जो मेजर मिनरल का नियम है जैसा उन्होंने खुद ही कहा है कि हमारे खान एवं खनिज अधिनियम,1957 में यह नियम है कि उसमें ग्राम सभा या ग्राम पंचायत की अनुमति नहीं ली जाती. इसलिये उसके अंतर्गत वह चल रही है. जहां तक माइनर मिनरल की बात है माइनर मिनरल में हमने अनुमति ली और उसका जवाब हमने दिया भी है और इसलिये वह अनुमति हमने पंचायत के नियम के तहत जिसका उन्होंने प्रश्न में उल्लेख किया है उसके तहत ही ली.
डॉ.हीरालाल अलावा - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जो चूना पत्थर के नाम पर अनुमति ली गई है वह गौण खनिज में आता है और गौण खनिज में ग्राम सभा के प्रावधान, ग्राम सभा का पेसा कानून उन पर लागू होता है तो गौण खनिज के अंतर्गत यह राजपत्र के द्वारा अधिसूचित है कि चूना पत्थर गौण खनिज में आता है तो इसके लिये ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, 2 चीजें हैं. लाइम स्टोन अगर इंफीरियर क्वालिटी का रहता है तो वह गिट्टी में चला जाता है उसे गौण खनिज में हम लेते हैं यदि वह हाई क्वालिटी का, हाई ग्रेड का है तो वह मेजर में चला जाता है तो मेजर में परमीशन नहीं है. जो गौण खनिज में आ रहा है उसमें हम परमीशन ले रहे हैं. हमने बोला भी है कि हमने परमीशन ली और उसको हमने उपलब्ध भी कराया है. कहीं पर्टिकुलर आपको लग रहा है कोई चीज बची है, उल्लेख कर दें. मैं देख लूंगा.
डॉ.हीरालाल अलावा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि पेसा कानून के तहत भाग- 9 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी राज्य का विधान मण्डल पेसा कानून के तहत बनाए गए नियमों के अधीन ही कोई नियम बनाएगा लेकिन मुझे नहीं लगता है कि पेसा कानून के तहत अनुमति दी गयी. तो मैं मंत्री जी से चाहता हूं कि पेसा कानून के प्रावधानों का पालन करते हुए ही अनुमति दी जाए अन्यथा अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट को केंसिल किया जाए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि माननीय सदस्य को कहीं लग रहा है क्योंकि हम तो नियम, प्रावधान की बात कर रहे हैं और उसमें हमने फालो किया है. यदि पर्टिकुलर जगह माननीय सदस्य बता देंगे तो हम उसका परीक्षण करा लेंगे.
डॉ.हीरालाल अलावा - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक पर्यावरण से संबंधित महत्वपूर्ण बात है.
अध्यक्ष महोदय - अब आपका हो गया. आप लिखकर दे दीजिये मंत्री जी को.
डॉ.हीरालाल अलावा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जवाब दिया कि मनावर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत 31 खदानें हैं उसमें से ज्यादातर गिट्टी खदानें हैं और गिट्टी खदानों के लिये पर्यावरण की जांच की बात मैंने कही थी. गिट्टी खदानों से, अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट से इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण लगातार हो रहा है. इस क्षेत्र में प्रदूषण फैल रहा है और बहरापन और सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं, लेकिन प्रदूषण बोर्ड ने पिछले 5 सालों में इन फैक्ट्रियों के खिलाफ, इन खदानों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की और कोई जुर्माना नहीं लगाया. तो मैं कहना चाहता हूं कि अनुसूचित क्षेत्रों में 5वीं अनुसूची के जहां प्रावधान होते हैं, वहां पर यह विशेष रुप से निर्देश दिया जाये कि पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जाये और मैं चाहता हूं कि प्रदूषण बोर्ड के जो अधिकारी हैं, जिन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की है, उनके ऊपर कार्यवाही की जाये और जिन्होंने ग्राम सभा के नियमों का उल्लंघन किया है, उनके ऊपर कार्यवाही की जाये.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जहां तक कि गौण खनिज की बात की है, गिट्टी क्रेशर के 27 क्रेशर हैं, जो 18 एवं 9 संचालित हैं और जहां तक इन्होंने प्रदूषण बोर्ड की बात की है, 33 जगह पर इन्सपेक्शन हुए हैं. हमारे पास लिस्ट है, इनके औचक निरीक्षण होते रहते हैं और वहां जो भी गलती करता है, उनके नियम के अनुसार वह लोग कार्यवाही करते हैं, फिर उस पर हम लोग कार्यवाही करते हैं. वे हमारे डिपार्टमेंट को बताते हैं, हम उसके अंतर्गत कार्यवाही करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य का कोई विशेष हो, तो आप बातचीत करके देख लीजियेगा.
डॉ. हिरालाल अलावा -- अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय -- बस, बहुत हो गया.
फतेहपुर तालाब का निर्माण
[जल संसाधन]
4. ( *क्र. 1705 ) श्री लक्ष्मण सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र चाचौड़ा के आदिवासी इलाके फतेहपुर तालाब का कार्य 2018 से क्यों बंद पड़ा हुआ है? (ख) तालाब निर्माण की वर्तमान स्थिति से अवगत करायें। (ग) फतेहपुर तालाब का निर्माण कब तक पूर्ण कर दिया जाएगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) एवं (ख) विधान सभा चाचौड़ा के अंतर्गत फतेहपुर तालाब के डूब क्षेत्र से प्रभावित 4.50 हेक्टर वन भूमि की प्रथम चरण स्वीकृति वन विभाग से अपेक्षित होने के कारण वर्तमान में परियोजना का निर्माण कार्य बंद है। फतेहपुर तालाब का निर्माण कार्य वर्तमान में 25 प्रतिशत पूर्ण होना प्रतिवेदित है। (ग) फतेहपुर तालाब का निर्माण कार्य वन विभाग से प्रथम चरण की स्वीकृति प्राप्त होने तथा पूर्व निविदाकार का अनुबंध विखण्डित होने के कारण पुन: निविदा आमंत्रित कर एजेंसी निर्धारित होने के पश्चात प्रारंभ किया जाना संभव होगा। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. मैं मंत्री जी के उत्तर से संतुष्ट नहीं हूं, न इनके उत्तर से संतुष्ट हूं, न इनकी राजनीति से संतुष्ट हूं. यह फतेहपुर तालाब, सिंचाई योजना जो है, यह अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके बनने से लगभग 15 गांव के गरीब मजदूरों का पलायन रुकता है, जो अधिकतर अनुसूचित जाति, जनजाति के हैं. अब इस तालाब की बड़ी विचित्र स्थिति है. इस तालाब का निर्माण शुरु हो गया, बिना वन विभाग की स्वीकृति लिये, करोड़ों रुपया खर्च हो गया और फिर इसको रोक दिया गया. तो जब बिना वन विभाग की स्वीकृति के शुरु कर दिया, तो रोका क्यों. फिर मैंने वहां जाकर धरना दिया और मुझे वहां के इंजीनियर ने बताया कि साहब दो महीने में हम काम शुरु कर देंगे. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने उत्तर में कहा है कि समय सीमा बताना संभव नहीं है. जब आपके इंजीनियर को आपत्ति नहीं है, वह समय सीमा बता रहा है, तो आपको समय सीमा बताने में क्या आपत्ति है, पहली बात. दूसरी बात 4 हेक्टेयर भूमि का क्लीयरेंस होना है और वहां वन नाम की कोई चीज नहीं है, मैदान, पठार है. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहूंगा कि क्या वन विभाग की स्वीकृति आप लेकर काम शुरु करायेंगे. वन मंत्री जी आपके सामने ही बैठते हैं. बैठकर उनसे बात कर लीजिये और स्वीकृति लेकर काम शुरु करा दीजिये, क्योंकि सरकार का करोड़ों रुपये खर्च हो गया है और मजदूरों के पलायन का मामला है. अगर आपको कोई आपत्ति है, वन विभाग स्वीकृति नहीं देता है, तो नया सर्वेक्षण करवाकर फिर उसको पूरा कराइये, कैसे भी उसको पूरा कराइये, क्योंकि वह काम शुरु हो गया है,करोड़ों रुपया खर्च हो गया है और हजारों मजदूरों के पलायन का प्रश्न है. यह काम आप कब तक शुरु करेंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, लक्ष्मण सिंह जी, हमारे वरिष्ठतम् सदस्य हैं, न वे मेरे उत्तर से संतुष्ट हैं, न मेरी राजनिति से संतुष्ट हैं. किस बात से संतुष्ट होंगे, मैं अलग से उनसे बात करुंगा. अध्यक्ष महोदय, फतेहपुर तालाब गुना जिले की चाचौड़ा तहसील में स्थित लघु सिंचाई परियोजना है. एक महत्वपूर्ण परियोजना है. मैं माननीय सदस्य की भावनाओं से सहमत हूं, आदिवासी इलाका है, पर जो काम प्रारम्भ हुआ था, उसके पीछे उस समय जिस प्रकार से आपने कहा कि एक बार जमीन का आधिपत्य हमें कलेक्टर द्वारा दे दिया गया था, बाद में वन विभाग ने आपत्ति लगाई, इसलिये काम रुका. साढ़े चार हेक्टेयर वन भूमि है और निरन्तर हमारा अपना विभाग वन विभाग से सम्पर्क में है. एक बार नहीं 11 बार कलेक्टर से लेकर, कमिश्नर से लेकर हर स्तर पर इस समस्या का समाधान करने के प्रयास एवं कोशिश की. मैं वरिष्ठ सदस्य को यह अवगत कराना चाहता हूं और यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि जैसे ही वन विभाग की स्वीकृति आ जायेगी, हम कार्य अतिशीघ्र प्रारंभ करेंगे.
श्री लक्ष्मण सिंह - (XXX) मेरा सवाल यह है कि..
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, मेरी आपत्ति है.
उच्च शिक्षा मंत्री (डॉ. मोहन यादव) - अध्यक्ष महोदय, यह गलत बात है, माननीय सदस्य को मर्यादा में रहना चाहिए. ऐसी छूट नहीं दी जा सकती है. आप प्रश्न पूछने की मर्यादा का उल्लंघन कर रहे हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट - (XXX)
श्री लक्ष्मण सिंह - अध्यक्ष महोदय, इंजीनियर को आपत्ति नहीं है. एक्जिक्यूटिव इंजीनियर 2 महीने से काम शुरू करने का कह रहा है, इनको क्या आपत्ति है?
श्री जितु पटवारी - (XXX)
(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - (संकेत से) यह रिकॉर्ड नहीं करें.
श्री लक्ष्मण सिंह - एक्जिक्यूटिव इंजीनियर कह रहा है कि 2 महीने में शुरू कर दूंगा तो मंत्री को क्या आपत्ति है?
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, मुझे कोई आपत्ति नहीं है.
श्री लक्ष्मण सिंह - (XXX) वह इंजीनियर कह रहा है कि मैं 2 महीने में शुरू कर दूंगा आपको क्या आपत्ति है? आप शुरू करिए, शिवराज सिंह जी खुद इस मामले में गंभीर हैं कि पलायन न हो. मैं उनसे तालाब के संबंध में भेंट कर चुका हूं.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, यह मामला गंभीर है. हमारे मध्यप्रदेश के ओजस्वी मुख्यमंत्री वह किसान के बेटे हैं यह सम्माननीय सदस्य ने खुद ने माना है.
श्री लक्ष्मण सिंह - सब जानते हैं 15 साल सुन रहे हैं और वह 15 साल के पहले से जानते हैं. मैं उनकी तारीफ कर रहा हूं.
श्री तुलसीराम सिलावट - आपने अभी माना कि मुख्यमंत्री जी गंभीर हैं, वन विभाग भारत सरकार से अनुमति प्राप्त होते ही मैंने कहा कि हम कार्य प्रारंभ कर देंगे.
श्री लक्ष्मण सिंह - इंजीनियर कह रहा है कि 2 महीने में शुरू कर दूंगा साहब, आपको समय सीमा बताने में क्या आपत्ति है, कहो दो महीने में शुरू कर देंगे, बात खत्म करो.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, सरकार इंजीनियर से नहीं चलती है.
श्री लक्ष्मण सिंह - (XXX) जब आपका इंजीनियर कह रहा है कि 2 महीने में काम शुरू कर दूंगा तो आपको आपत्ति क्या है? (XXX) हजारों मजदूरों का सवाल है आपका संरक्षण चाहूंगा आप आदेशित करें, यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि आमने-सामने बात न करें, आसंदी को संबोधित करते हुए बात कहें.
श्री तुलसीराम सिलावट -अध्यक्ष महोदय, आप सदन के वरिष्ठ सदस्य हैं. मैंने कहा कि मैं पूरा प्रयास करूंगा कि वन विभाग से जैसे भी हमको प्रशासकीय स्वीकृति मिलती है, अतिशीघ्र हम क्योंकि यह आदिवासियों का मामला है, पूरे चाचौड़ा जिले में इस योजना को प्रारंभ कर देंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट - (श्री जितु पटवारी, सदस्य के बैठे बैठे कुछ कहने पर) आपके प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है.
(व्यवधान).
अध्यक्ष महोदय - श्री आरिफ अकील जी..
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - (XXX)
श्री जितु पटवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह रिकॉर्ड में नहीं आएगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
डॉ. गोविन्द सिंह - (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (XXX)
श्री तुलसीराम सिलावट - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह सब रिकॉर्ड में नहीं आएगा.
मध्यप्रदेश के विभिन्न संभागों में अवैध उत्खनन
[खनिज साधन]
5. ( *क्र. 2945 ) श्री आरिफ अक़ील : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्वालियर चंबल संभाग और मध्यप्रदेश के अनेक संभागों में प्रशासन की मिलीभगत से रेत माफियाओं द्वारा अवैध रेत उत्खनन निरंतर चल रहा है? (ख) यदि हाँ, तो मार्च 2019 से प्रश्न दिनांक तक कहां-कहां रेत माफियाओं द्वारा कानून को अपने हाथ में लिया गया तथा माफियाओं के विरूद्ध क्या-क्या अपराध पंजीबद्ध किये गये? जिलेवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में उक्त घटनाओं में अभी तक जिन अपराधियों को गिरफ्तार किया है? क्या उनके चालान न्यायालय में पेश किये गये? यदि नहीं, तो कारण बतावें?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) जी नहीं। ग्वालियर/चंबल संभाग एवं अन्य संभागों में निविदा के माध्यम से सफल निविदाकार को खदान संचालन की अनुमति प्रदाय की जा चुकी है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर अनुसार सभी संभाग में सफल निविदाकार कार्य कर रहे हैं। रेत माफिया जैसी स्थिति नहीं है। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आपने जवाब दिया है हमने पढ़ा है. अभी भी मौका है उसमें संशोधन करने के लिए क्या उसमें कोई संशोधन करेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य बहुत वरिष्ठ हैं उन्होंने माफिया शब्द का उपयोग करके प्रश्न लगाया है. हमारे सभी सफल निविदाकार हैं जो आये हैं माफिया वाली कोई बात नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- वह शब्द हटाकर कोई दूसरा पूछ लीजिए.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय माफिया तो इतना सुनने को मिल रहा है कि गड़ा देंगे, 10 - 15 फीट गड़ा देंगे, गड्डे में दफन कर देंगे और पनपने नहीं देंगे. माफिया की श्रेणी तो इस तरह से आने लगी है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से सीधा पूछना चाहता हूं कि धौलपुर राजस्थान के आईजी साहब ने भिण्ड के एसपी साहब को पत्र लिखा है कि अवैध उत्खनन हो रहा है जिससे हमारे यहां भी ट्रैफिक में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है. उसके कारण आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं उस पर विचार करें. जब उन्होंने नहीं किया है तो दूसरा पत्र आई जी को लिखा, जब आईजी को पत्र लिखा तो भिण्ड के एसपी 300 जवानों के साथ में उस क्षेत्र में गये और वहां पर अवैध उत्खनन रोकने की कोशिश की. मेरा प्रश्न यह है कि यह बात सही है या नहीं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय जहां तक यह आईजी के पत्र व्यवहार की बात है तो यह गृह विभाग का मामला है. यह माइनिंग विभाग का मामला नहीं है. यह तो गृह विभाग ही बता सकता है कि कौन सा पत्राचार हुआ है.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय गृह विभाग जवाब देगा. मेरी जानकारी के अनुसार तो सरकार की मिली जुली जिम्मेदारी होती है. यह ही परंपरा चली आ रही है कि एक भी मंत्री अगर बोलते हैं तो वह सरकार का जवाब माना जाता है.
अध्यक्ष महोदय -- खनिज वाला आप कोई सवाल पूछ लें.
श्री आरिफ अकील -- मैं यह पूछना चाहता हूं कि अभी भिण्ड जिले में और आसपास के दूसरे जिलों में कितनी पनडुब्बियां जब्त की हैं, जो कि अवैध उत्खनन में संलग्न थीं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय सदस्य ने जो प्रश्न किया है वह दो संभागों को लेकर है ग्वालियर और चंबल संभाग,
डॉ गोविन्द सिंह -- अभी केवल भिण्ड का नाम लिया है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - मैं भिण्ड का अलग से बता देता हूं.
श्री आरिफ अकील -- नहीं. मेरा प्रश्न तो पूरा है. मैंने उसके अलावा दूसरे जिलों का भी पूछा है. आप एक बार प्रश्न पढ़ लें.
अध्यक्ष महोदय -- अभी आपने भिण्ड का पूछा है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- गोविन्द सिंह जी तो जब उनकी सरकार थी तब भी दुखड़ा रो चुके थे कि कोई नहीं सुन रहा है. हम अवैध उत्खनन नहीं रूकवा पा रहे हैं, ऐसा उन्होंने भिण्ड के बारे में पत्र लिखा था.
श्री आरिफ अकील -- अब आप रूकवा लें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय वरिष्ठ सदस्य ने जो बात कही हैं जहां तक ग्वालियर और चंबल संभाग की बात है तो इन दोनों संभागों में जो प्रकरण दर्ज हुए हैं वह 2369 हैं जिसमें हमने जेसीबी पोकलेन जो आप कह रहे हैं जब्त करने की बात है वह करीब 2111 हमने पनडुब्बियां भी जब्त की है उसमें पोकलेन भी हैं कई वाहन भी हैं जो हमने जब्त किये हैं. इसमें दोनों संभाग के हमने 2010 प्रकरण निराकृत भी किये हैं. दोनों संभाग में हमने 382 एफआईआर भी की हैं जिसमें से 56 के चालान भी हमने प्रस्तुत कर दिये हैं जो कोर्ट चले गये हैं. यह दोनों संभागों का निचोड़ है अलग अलग अगर कहेंगे तो वह भी उपलब्ध करा देंगे.
आरिफ अकील -- मैंने पनडुब्बियों के बारे में पूछा था.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया है हम आगे बढ़ गये हैं आपने जानकारी चाही थी वह दे दी हैं.
आरिफ अकील -- मैंने पनडुब्बियों के बारे में पूछा सीधा सीधी पूछा है.
अध्यक्ष महोदय -- वह उन्होने जवाब दे दिया है सबका बता दिया है.
श्री आरिफ अकील -- मैंने केवल पनडुब्बियों के बारे में पूछा है.
अध्यक्ष महोदय -- सबका उन्होंने बता दिया है.
श्री आरिफ अकील -- उन्होंने पनडुब्बियों के साथ में सबको मिला दिया है. मैं तो केवल पनडुब्बियों के बारे में पूछ रहा हूं कि कितनी पनडुब्बियां जब्त हुई और उस पर क्या कार्यवाही हुई है.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी वह केवल पनडुब्बी के बारे में पूछ रहे हैं वह बता दें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय मैंने बताया है कि 2311 प्रकरण दोनों संभाग में जब्ती के हुए हैं जहां तक भिण्ड की बात है तो वहां पर वाहन जेसीबी या जो पनडुब्बी वगैरह जब्त हुई हैं वह दोनों में 40 कुल वाहन है उसमें जेसीबी, पनडुब्बी और भी जो वाहन हैं वह जब्त किये गये हैं. इस तरह से भिण्ड में 40 प्रकरण हुए हैं.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय एक प्रश्न....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं आपका हो गया है गोविन्द सिंह जी पूछना चाहते हैं.
श्री आरिफ अकील -- पहले मैं अपना पूछ लूं फिर आप गोविंद सिंह जी को अनुमति देना हो तो देना नहीं तो मत देना...(व्यवधान)..अध्यक्ष महोदय आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि अवैध उत्खनन की आपके पास में कोई शिकायत नहीं है. कुछ दिन पहले आपके एक मंत्री जी का स्टेटमेंट पढ़ने को मिला था उनका कहना था कि कुछ दिन पहले आपके एक मंत्री जी का स्टेटमेंट पढ़ने को मिला था, उन्होंने यह कहा था कि मैं आईजी से कह चुका हूं कि अवैध उत्खनन रोको, लेकिन अवैध उत्खनन नहीं रोका जा रहा. माननीय मंत्री जी, क्या वह आपके संज्ञान में है और उस पर आपने कोई कार्यवाही की है ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि हम लगातार कार्यवाही कर रहे हैं और जो अभी मैंने अवैध उत्खन्न की कार्यवाही के बारे में ही बताया, जो फिगर मैंने अभी पढ़ा है.
अध्यक्ष महोदय -- गोविंद सिंह जी.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, आखिरी प्रश्न है, अनुमति दीजिये. आपसे मैंने क्लीयर नाम लेकर पूछा था, अब एक और नाम लेकर आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- वे आपको सूची दे रहे हैं न.
श्री आरिफ अकील -- मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं, उधर देख भी नहीं रहा, देखूंगा तो आप नाराज़ हो जाएंगे कि उधर क्यों देख रहे हो हमें देखो.
अध्यक्ष महोदय -- बोलना इधर है, देखना उधर है.
श्री आरिफ अकील -- जी, ऐसा कर लेंगे. अब मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के लोगों ने इंदौर में कोई ऐसी कम्पलेंट की थी कि कोई मंत्री आये और अवैध उत्खनन की गाडि़यों को छुड़ाकर ले गये ?
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न में है क्या ?
श्री आरिफ अकील -- हां, जवाब में आया है कि अवैध उत्खनन नहीं हो रहा है, उस जवाब में सब आता है.
अध्यक्ष महोदय -- वह नहीं आता है.
श्री आरिफ अकील -- क्यों नहीं आता ? अवैध उत्खनन में आएगा कि नहीं आएगा ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं आएगा. गोविंद सिंह जी.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, अगर यह परम्परा इन्होंने शुरू की यह जो कहेंगे वही आसंदी कहेगी तो हम लोगों का बोलना बेकार है, हम इधर ही देखकर बात कर लिया करें.
अध्यक्ष महोदय -- आरिफ अकील जी, आप भी मंत्री रहे हैं.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के सारे अखबारों में घटना छपी है आप कहें तो मैं आपको भी दिखा दूं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं अखबार से नहीं होगा. माननीय गोविंद सिंह जी.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, एक आखिरी प्रश्न पूछ लेने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, बहुत हो गया. गोविंद सिंह जी प्रश्न करेंगे.
श्री आरिफ अकील -- फॉरेस्ट के लोगों ने शिकायत की थी या नहीं की थी इतना आ जाय.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- लंबी बीमारी के बाद आए हैं. इनके शतायु होने की कामना करें और गोविंद सिंह जी को अधिकृत कर दें. बहुत लंबे बीमार थे, शतायु होने की कामना कर रहे हैं, सीएम खुद बैठकर गये हैं.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, कृपा करिये आखिरी प्रश्न पूछ लेने दीजिये. आप इनसे बाद में मोहब्बत कर लेना, लेकिन पहले मुझसे कर लीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उनको तो समय दे दिया है.
श्री आरिफ अकील -- उसके बाद मुझे समय देंगे ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आपसे कोई मोहब्बत करेगा ?
श्री आरिफ अकील -- आपके अलावा कोई नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आज कल घर पर भी प्रश्न वाचक रिमार्क लग जाता है.
डॉ. गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं, क्या आपके विभाग का पोकलेन मशीनें, पनडुब्बियों के माध्यम से बीच नदी में रेत का अवैध उत्खनन या खनन कराने का कोई निर्देश है ? यदि नहीं, तो भिण्ड जिले में अवैध रेत उत्खनन में पनडुब्बियां, पोकलेन मशीनें, जेसीबी मशीनें पकड़ी गईं क्या वह जप्त की गईं हैं ? और क्या उनके मालिकों के विरुद्ध भी एफआईआर दर्ज की गई हैं, जैसा माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि हम ड्रायवर के साथ उनके मालिकों को भी अपराध में चोरी का मुल्जि़म बनाएंगे, तो क्या आपने भिण्ड जिले में और आसपास के जिले दतिया, इसके बाद सबसे ज्यादा अवैध उत्खनन दतिया में हो रहा है...
अध्यक्ष महोदय -- आपने केवल भिण्ड के लिये कहा था.
डॉ. गोविंद सिंह -- उसके बाद डबरा इनमें क्या आप जो निर्देश है इसको जारी करके सख्ती से कार्यवाही करेंगे ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जहां तक भिण्ड की बात है, तो मैं बता चुका हूं कि 40 प्रकरणों में जप्ती हुई है. चाहे वह मशीन हों, चाहे अवैध वाहन हों उन सबको जप्त करके हमने राजसात भी किये हैं. इसमें हमने 26 लाख रुपये से ऊपर का अर्थदण्ड भी अधिरोपित किया है. जहां तक दतिया की बात कर रहे हैं वहां पर भी हमने 8 वाहनों पर कार्यवाही की है. पोकलेन मशीन जप्त की हैं और इसलिये मैंने अलग-अलग संभाग वाईज़ चूंकि संभाग का प्रश्न था तो मैंने जिले वाईज़ उसको बताया है.
डॉ. गोविंद सिंह -- माननीय मंत्री जी हम यह सब नहीं जानना चाहते, हम केवल इतना जानना चाहते हैं कि जैसा माननीय मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिया है मालिक पर एफआईआर करेंगे समाचार पत्र और मीडिया में पढ़ा है, क्या उन पर चोरी की एफआईआर और गिरफ्तार करने की कार्यवाही की गई है ? नहीं की गईं तो क्या प्रकरणों में उनको अपराधी बनाया जाएगा और वाहन राजसात किये जाएंगे ? अगर यह हो जाता है तो अपने आप अवैध उत्खनन बंद हो जाएगा.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जब से माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश हुये हैं तब से बड़ी कड़ाई हुई है और निरंतर हमारी रॉयल्टी बढ़ रही है और हमारा अवैध उत्खनन बंद हो रहा है. जो भी आपके निविदाकार हैं सब पूर्व के आये हुये हैं, इनके एग्रीमेंट पहले हुये हैं. और इसलिए जहां तक एफआईआर की बात है तो दोनों संभागों में कुल मिलाकर 382 एफआईआर हुई हैं और करीब 56 लोगों का हमने चालान पेश किया है. जहां तक गिरफ्तारी की बात है, गिरफ्तारी पुलिस डिपार्टमेंट करेगा, लेकिन दोनों संभागों की एफआईआर हमने करवाई हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, नहीं, डॉ. गोविन्द सिंह का प्रश्न दूसरा है, उनका प्रश्न यह है कि क्या उनके मालिकों के खिलाफ भी कार्यवाही होगी ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- निश्चित रूप से, जो वहां पर वाहन पकड़े जाते हैं, उनके मालिकों के खिलाफ ही एफआईआर होती है.
अध्यक्ष महोदय -- बस हो गया. ..(व्यवधान)..
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मुझे आखिरी प्रश्न पूछना है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मैंने संजीव सिंह जी को समय दिया है. उनका प्रश्न हो जाने दीजिए. मदद करिए. एक प्रश्न पूछने देंगे आपको, अभी आप बैठ जाएं. ..(व्यवधान)..
श्री संजीव सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने भी पूछा था, उसमें मुझे जवाब मिला है, अभी बात सिर्फ पनडुब्बियों की बात हो रही हैं कि अभी तक कितनी पनडुब्बियां पकड़ी गईं, इसका स्पष्ट जवाब माननीय मंत्री जी ने अभी तक नहीं दिया है कि कितनी पनडुब्बियां पकड़ी गई हैं और महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस खदान पर पनडुब्बी पकड़ी गई, उसमें किसके ऊपर कार्यवाही की गई, कौन उस पनडुब्बी को चला रहा था, कौन उस खदान का संचालन कर रहा था, इस पर अभी तक स्पष्ट बात माननीय मंत्री जी के द्वारा नहीं की गई है. दूसरी बात, जो आपने राजसात करने की बात की है, मैंने एक प्रश्न पूछा था, माननीय मंत्री जी का उसमें जवाब आया कि मशीन पकड़ी गई है और मशीन के ऊपर जुर्माने की कार्यवाही जारी है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि ट्रैक्टरों को आप जब्त करते हैं...
अध्यक्ष महोदय -- पूरक प्रश्न की इजाजत दे रहा हूँ तो इतना मत पूछिए.
श्री संजीव सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट, आप ट्रैक्टरों को जब्त करते हैं तो उनको तत्काल राजसात करने की कार्यवाही कर देते हैं और मशीन को आपने जब्त किया और अभी तक आपने राजसात करने की कार्यवाही नहीं की. (XXX) मुझे इस पर स्पष्ट जवाब चाहिए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह कहना सरासर गलत है कि संरक्षण दे रहे हैं. ये जो भी निविदाकार आए थे, सब इन्हीं के समय पर आए थे. जो माफिया वाली बात कही जा रही है, उन पर सख्ती से कार्यवाही हो रही है.
श्री संजीव सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर इनके समय आए थे तो क्या उनको कुछ भी करने की छूट है ? अध्यक्ष महोदय, ये कौन सी बात हुई कि इनके समय आए थे, अगर इनके समय आए थे तो क्या उनको कुछ भी करने की छूट है. हम कहते हैं कि उन पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए और जो अवैध उत्खनन कर रहा है, जो माफिया वहां से रेत निकाल रहा है, पनडुब्बी चलाने का कार्य कर रहा है, उसके ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए. उसके ऊपर जुर्माना होना चाहिए. उसको जेल में डाला जाना चाहिए. लेकिन कार्यवाही किस पर करते हैं, किसी ट्रैक्टर चलाने वाले पर कार्यवाही करते हैं, जब आप रेत का अवैध उत्खनन करके देंगे तो ट्रैक्टर वाला भरेगा, आप उसको पकड़ने का काम करते हैं. अध्यक्ष महोदय, आप भिंड में चले जाइये, बहुत महत्वपूर्ण बात है, नेशनल हाईवे है, खनिज विभाग के जो कंपनी के गुर्गे हैं, बंदूकें लेकर एनएच पर खड़े हैं. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- हो गया, हो गया, सबका महत्वपूर्ण है, अब बैठ जाइये. ..(व्यवधान)..
श्री संजीव सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी स्पष्ट उत्तर दे दें. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- हो गया, अब आप बैठ जाइये. ..(व्यवधान)..
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से प्रश्न पूछना चाहता हूँ.. ..(व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य -- जिला शिवपुरी में करैरा में अवैध उत्खनन धड़ल्ले से हो रहा है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय (बहुत से माननीय सदस्यों के खड़े होने पर) -- सब लोग बैठ जाइये, रूक जाइये, बात तो करने दीजिए. मैं बात कर लूँ, फिर बताता हूँ ..(व्यवधान).. मंत्री जी बैठ जाइये. ..(व्यवधान)..मंत्री जी, आप सुन लीजिए, आरिफ अकील जी अभी एक सवाल करेंगे, मंत्री जी, दोनों सवालों के जवाब आप दे दीजिएगा. आरिफ अकील जी, पर अब आप घुमा-फिराकर सवाल मत कीजिएगा, सीधा सवाल करिए. ..(व्यवधान)..
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात कहना चाहूँगा, इनसे पहले.. ..(व्यवधान)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप तो मंत्री हैं, (XXX), इस्तीफा दे दो. ..(व्यवधान)..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- आदरणीय सुन लीजिए, मैं कुछ गलत नहीं कह रहा .. ..(व्यवधान)..
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष जी, आपने इनको परमिशन दी ? ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- अवैध उत्खनन में संरक्षण आप ही दे रहे हैं. अवैध खनन में आप क्यों खड़े हो जाते हैं. ..(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, क्या यह उचित है कि कोई मंत्री खड़ा हो.. ..(व्यवधान)..
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मैं बोलूँ ?
अध्यक्ष महोदय -- हां, बोलिए. आप घुमाकर मत सवाल पूछिए, सीधा सवाल पूछिए. ..(व्यवधान)..
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सीधा-सीधा सवाल मंत्री जी से पूछ रहा हूँ कि भैया, जो मंत्री दंबगाई से गाड़ी छुड़ाकर ले गए, क्या उनके खिलाफ आपने अभी तक एफआईआर की है ?
अध्यक्ष महोदय -- क्या यह इसमें है ?
श्री आरिफ अकील -- हां, इसमें है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, इसमें नहीं है.
श्री आरिफ अकील -- अवैध उत्खनन .. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, क्या इसका जवाब दे दूं?..(व्यवधान)..
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, क्या आप जवाब देंगे, जब आपसे संबंधित होगा, तब आप जवाब दीजिएगा.
अध्यक्ष महोदय -- आरिफ जी, आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं.
श्री आरिफ अकील -- जब आपसे संबधित होगा, तब आप जवाब दीजिएगा. यह अवैध उत्खनन पूरे मध्यप्रदेश को बरबाद कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, और उसमें एक पक्ष कह रहा है कार्यवाही करो, एक उसको रोक रहा है. उसमें कुछ न कुछ तो निष्पक्ष होना चाहिए. आप संरक्षक हो, यदि आप मदद नहीं करेंगे तो हमें क्या मदद मिलेगी...(व्यवधान)..यह कुछ नहीं होते कहने वाले, आप जवाब दिलवाइए. केवल आप जवाब दिलवा दीजिए...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कृपया आप बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी, संजीव सिंह ने जो कहा है, वह मिलाकर आप जवाब दे दीजिए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्योंकि यह विषय पता नहीं इंदौर का पर्टीकुलर कोई अलग विषय हमें बता रहे हैं उसे लेकर उसमें हमारा कोई जवाब नहीं है और न उससे रिलेटेड हमारा कोई प्रश्न है. यदि आप अलग से बात करेंगे तो हम उसकी जानकारी लेकर संबंधित को उपलब्ध करा देंगे...(व्यवधान)..
11.46 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
डॉ.गोविन्द सिंह (लहार)-- सरकार के जवाब से हम संतुष्ट नहीं हैं. ...(व्यवधान)...लगातार अवैध उत्खनन के मामले को दबाया जा रहा है ..(व्यवधान)...हमारी पार्टी बहिर्गमन करती है... ..(व्यवधान)...
(डॉ.गोविन्द सिंह, सदस्य के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया)
...(व्यवधान)...
11.47 बजे तारांकित प्रश्नोत्तर के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 6, प्रश्न क्रमांक 7, प्रश्न क्रमांक 8, प्रश्न क्रमांक 9 श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा.
प्रश्न क्रमांक-- 7 (अनुपस्थित),
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बाजरा खरीदी पर प्रश्न लगाया है मैंने क्रम में ही पूछा है. समर्थन मूल्य बाजरा खरीदी खरीफ वर्ष 2020-21 में मुरैना जिले में ऐसे कितने किसान हैं जिन्हें बाजरा विक्रय कर पावती प्राप्त करने के उपरांत भी आज दिनांक तक भुगतान नहीं हुआ है.कारणों सहित खरीद केन्द्रवार भुगतान हेतु कुल राशि का विवरण देवें. दूसरा प्रश्न मैंने यह पूछा है कि क्या किसानों द्वारा फसल तुलाई के समय पंजीयन सत्यापित थे, किन्तु तुलाई उपरांत संबंधितों द्वारा किसानों से अवैध लाभ कमाने के उद्देश्य से असत्यापित कर दिये गये.
अध्यक्ष महोदय -- यह उत्तर आया है, आप प्रश्न पूछिये.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह पूछना चाहता हॅूं कि बाजरा खरीदी में सबसे पहले जो लक्ष्य था, उससे कई गुना खरीदी हमारे मुरैना जिले में हुई है..(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आठवें नंबर का प्रश्न है मैं यही हॅूं. यह तो गलत बात है. अध्यक्ष जी, हमारा प्रश्न है हम बैठे हुए हैं. ..(व्यवधान)... यह अवैध उत्खनन के माफिया को संरक्षण देने के लिए प्रश्नों को नहीं पूछने दिया जाएगा. माफिया का राज चलेगा. ..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मैंने आपका नाम पुकारा था.
श्री कुणाल चौधरी -- मेरा आठवें नंबर का प्रश्न है. ...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप खडे़ नहीं हुए. मैंने प्रश्न पूछा. मैंने आपका नाम पुकारा. ...(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यहीं हॅूं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप साथ में बाहर गए थे. ...(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, यह बहिर्गमन करके गए, आपने इनका नाम पुकारा था और यह कह रहे हैं कि सदन में मौजूद थे...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- विश्वास जी, आप बैठ जाइए. ...(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन में मौजूद थे...(व्यवधान)...
डॉ.मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, आसंदी पर असत्य आरोप लगाना, यह गलत बात है....(व्यवधान).. और यह हमारे अच्छे सदस्य का प्रश्न है इस चक्कर में उनका समय खत्म करना चाह रहे हैं. पहले ही बहुत लंबा समय चला गया है...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष जी,..(व्यवधान)..
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न पूरा हो जाए. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- सिकरवार जी, एक सेकेंड आप बैठ जाइए.
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न है कि..(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, यह व्यवस्था में है कि 25 प्रश्न होने के पश्चात् जो शेष बचते हैं उनका नाम बाद में पुकारा जाता है..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, आप बैठ जाइए. सवाल यह है कि आप तय करें कि आप इनके साथ बहिर्गमन में गए या नहीं गए. दो चीज तय करिए ना, आप गए कि नहीं गए? आप यहीं थे, यह तय करिए.
डॉ.गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, आप वहाँ गेट से वापस आ गए.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, तब तक हम प्रश्न में आगे बढ़ गए. गोविन्द सिंह जी, मदद कीजिए. तब तक प्रश्न में आगे बढ़ गए,..(व्यवधान)..नहीं, नहीं, मैं समय देने को तैयार हूँ, पर तय यह हो जाए कि वह बहिर्गमन में बाहर गए कि नहीं गए?
श्री जितु पटवारी-- जिसका प्रश्न था वह नहीं गया. बाकी सब गए.
अध्यक्ष महोदय-- वह नहीं गए ना? बहिर्गमन में नहीं गए आप. बैठ जाइये. प्रश्न क्रमांक 8 कुणाल चौधरी जी. यह भी आ जाए कि वह कह रहे हैं कि बहिर्गमन में नहीं गए...(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- नहीं आप तो गए, प्रश्न आएगा तो फिर कहोगे कि नहीं गए, कोई नहीं गया. अभी आप बैठ जाइये. उनका प्रश्न आने दीजिए. ..(व्यवधान)..
जिला सहकारी बैंकों के बकाया ऋण की वसूली
[सहकारिता]
8. ( *क्र. 3153 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शाजापुर जिले में कितने किसानों पर प्रश्न दिनांक तक जिला सहकारी बैंकों का ऋण बकाया है? विधानसभा क्षेत्रवार किसानों की संख्या एवं राशि बतायें। (ख) जिला सहकारी बैंकों का ऋण जमा नहीं करने पर विभाग ने 01 अप्रैल, 2020 से प्रश्न दिनांक तक कर्ज वसूली को लेकर क्या-क्या कार्यवाही की है? (ग) जिला सहकारी बैंकों में ऋण जमा नहीं करने पर कितने किसानों के खाते एन.पी.ए. हो गये हैं? संख्या बतावें। (घ) शाजापुर जिले में कुल कितने किसानों की भूमि जिला सहकारी बैंकों के पास बंधक है? विधानसभा क्षेत्रवार संख्या बतायें।
सहकारिता मंत्री ( डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ) : (क) जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या. शाजापुर, प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं एवं जिला सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक शाजापुर (परिसमापनाधीन) की जानकारी क्रमश: संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 01, 02 एवं 03 अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित संस्थाओं की जानकारी क्रमश: संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 01, 02 एवं 03 अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) में उल्लेखित संस्थाओं की जानकारी क्रमश: संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 01, 02 एवं 03 अनुसार है। (घ) उत्तरांश (क) में उल्लेखित संस्थाओं की जानकारी क्रमश: संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 01, 02 एवं 03 अनुसार है।
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, मेरे इस प्रश्न से किसान विरोधी सरकार का आईना दिख रहा है और जो कमलनाथ जी की कर्ज माफी की योजना को रोक कर इस सरकार ने किसानों की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है. उसी का परिणाम है कि जो सूची दी गई है कि किस प्रकार से किसानों के साथ अत्याचार यह सरकार कर रही है. मेरा पहला प्रश्न मंत्री जी से यह है कि सूची में सीमान्त तथा लघु कृषक कितने हैं और इस सूची में अनुसूचित जनजाति और जाति के कृषकों की संख्या कितनी है?
डॉ अरविन्द भदौरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो माननीय सदस्य ने यहाँ पर असत्य बोला, ये यहाँ पर बहिर्गमन में निकल गए थे. आपने नाम पुकारा.....
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष जी, आप नाम पुकारते जब मैं आ जाता.
डॉ अरविन्द भदौरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि ये पहले तो इस सदन से माफी मांगे....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, मैंने अनुमति दे दी है.
डॉ अरविन्द भदौरिया-- नहीं तो वीडियो फुटेज निकाल कर देख लें. ये सदन से बाहर चले गए थे और इस सदन में असत्य बोलना, सत्य के जो परे है, वह ठीक नहीं है और जीतू भाई जैसे विद्वान व्यक्ति.....
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न का जवाब नहीं है. (XXX)
डॉ अरविन्द भदौरिया-- मैं सब जवाब दूंगा. आप जो पूछोगे मैं सब जवाब दूंगा.
श्री कुणाल चौधरी-- (XXX)
चिकित्सा शिक्षा मंत्री(श्री विश्वास सारंग)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि ये लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर है, मैं अध्यक्ष जी की अनुमति से खड़ा हुआ हूँ, आपको बैठना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, यह लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर है और हम यहाँ पर जो भी अपना आचरण करते हैं वह पूरा देश और प्रदेश देखता है. ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी-- माफिया को संरक्षण देना बंद करिए.
डॉ गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब तक इनका भाषण चलेगा तब तक तो प्रश्न काल ही खत्म हो जाएगा. ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, यह साजिश चल रही है. ..(व्यवधान)..
डॉ गोविन्द सिंह-- मैंने स्वीकार किया था कि वहाँ तक गए गेट से लौटकर वापस आए. ..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग-- काँग्रेस के विधायक द्वारा असत्य बोला गया यह आपत्तिजनक है. सरकार हर प्रश्न का जवाब देने को तैयार है...(व्यवधान)..हम सक्षम हैं पर जिस प्रकार का कृत्य इन्होंने किया, वह निन्दनीय है. ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी-- (XXX)..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- सब बैठ जाइये. कुणाल चौधरी जी को मैंने अनुमति दी है. सारी परिस्थितियों के बाद मैंने उनको अनुमति दी है. मैंने उनको प्रश्न पूछने की अनुमति दे दी है..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग-- पर माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सदन में कहीं न कहीं सदस्य को आसन्दी से ..(व्यवधान)..हम तैयार हैं, अध्यक्ष महोदय, ये सदस्य आसन्दी से माफी मांगे. हम तैयार हैं. ..(व्यवधान)..(अनेक सदस्य एवं मंत्रीगण एक साथ खड़े होकर एक साथ अपनी अपनी बातें कहने लगे)
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(विधान सभा की कार्यवाही 11.55 बजे 5 मिनट के लिए स्थगित की गई)
12.05 बजे
{माननीय अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
अध्यक्षीय व्यवस्था
आसंदी से दी गई व्यवस्था के पालन के संबंध में
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यों से अनुरोध है, माननीय मंत्रियों से भी अनुरोध है कि यदि आसंदी से कोई व्यवस्था दी गई है तो कृपया उसको स्वीकार करें, उसमें किसी तरह के हस्तक्षेप या टिप्पणी की आवश्यकता नहीं है.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे आसंदी से व्यवस्था दी थी. मेरा नाम पुकारा था. इसके बाद मंत्री दबाव बना रहे हैं, क्या हमारे अधिकारों को संरक्षण नहीं मिलेगा. हमारे अधिकार सदन में संरक्षित नहीं रहेंगे क्या. यह मंत्री दबाव बना रहे हैं. (व्यवधान)
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो निर्णय लिया है वह शिरोधार्य है. आप जो कहेंगे उसका अक्षरश: पालन होगा.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- यह व्यवस्था पर व्यवस्था दे रहे हैं. आसंदी का अपमान कर रहे हैं. जब आपने निर्णय दे दिया है फिर भी बोल रहे हैं. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आसंदी का अपमान कर रहे हैं. बीच में उठकर किसी मंत्री को बोलना चाहिए क्या, यह आसंदी का अपमान कर रहे हैं. यह गलत तरीका है. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो किया है वह विशेषाधिकार हनन की परिधि में आता है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आप सभी बैठ जाइए.
12.06 बजे स्वागत उल्लेख
डॉ. के.पी.यादव एवं श्री सुधीर गुप्ता, सांसद का अध्यक्षीय दीर्घा में स्वागत
अध्यक्ष महोदय -- आज सदन की दीर्घा में माननीय डॉ. के.पी. यादव जी एवं श्री सुधीर गुप्ता जी, सांसद उपस्थित हैं. सदन की ओर से उनका स्वागत है.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे हक का क्या होगा, हमारे अधिकारों का क्या हुआ जो हमने गरीब किसानों के संबंध में हमने प्रश्न पूछा था.
12.07 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय --
12.08 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) संत रविदास म.प्र.हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम लिमिटेड, भोपाल का 38 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2018-2019
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) --
(2) (क) मध्यप्रदेश वित्त निगम के 31 मार्च, 2017 को समाप्त हुए वर्ष के लेखों पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का पृथक् लेखा परीक्षा प्रतिवेदन, तथा
(ख) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का राज्य के वित्त पर लेखा परीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च, 2019 को समाप्त हुए वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2020 का प्रतिवेदन संख्या-3,
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) --
(3) जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) की वैधानिक आडिट रिपोर्ट वर्ष 2017-2018
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल ) --
(4) मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड के लेखा परीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015, वर्ष 2015-2016 एवं वर्ष 2016-2017
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (डॉ. प्रभुराम चौधरी) --
(5) (क) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अंकेक्षित लेखे वित्तीय वर्ष 2018-2019,
(ख) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अधिसूचना क्रमांक 678 मप्रविनिआ/2020, दिनांक 02 जून, 2020, तथा
(ग) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) --
(6) आयुक्त, नि:शक्तजन, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020
सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री (श्री प्रेमसिंह पटेल)-- अध्यक्ष महोदय,
(7) (क) महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, कटनी (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
(ख) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा संपरीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
(ग) (i) देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
(ii) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) का 48 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020, तथा
(iii) महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, छतरपुर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
(घ) महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020,
उच्च
शिक्षा
मंत्री (डॉ.
मोहन यादव)--
अध्यक्ष
महोदय,
(8) एम.पी.स्टेट एग्रो इण्डस्ट्रीज डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 49 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2017-2018
उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण,राज्यमंत्री (श्री भारत सिंह कुशवाह)-- अध्यक्ष महोदय,
(9) मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग का वार्षिक लेखा वर्ष 2016-2017
राज्यमंत्री सामान्य प्रशासन, (श्री इन्दर सिंह परमार)-- अध्यक्ष महोदय,
12:13 बजे ध्यानाकर्षण
(1) जबलपुर के केण्ट क्षेत्र में हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास की दूसरी किश्त की राशि न मिलना
श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी (जबलपुर केन्टोनमेंट) -- अध्यक्ष महोदय,
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री(श्री भूपेन्द्र सिंह):- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज भी छत के लेवल तक कार्य होने के बाद भी, जियो टेगिंग होने के बाद भी अधिकारियों की लापरवाही के बाद 1500 लोग दूसरी किश्त से वंचित हैं, उनकी छत नहीं डल पा रही है, वह पन्नी डालकर या किराये के मकानों में रहकर वह अपना जीवन-यापन कर रहे हैं. प्रधानमंत्री जी की यह योजना की हर गरीब को मकान मिले, माननीय मुख्यमंत्री जी की यह योजना कि हर गरीब को मकान मिले, उसमें अधिकारियों की लापरवाही के कारण आज गरीब परेशान है. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जिनकी जियो टेगिंग हो गयी है, जिनका कार्य छत के लेवल पर आ चुका है कम से कम उनकी किश्त पिछले दो सालों से नहीं मिल रही है, उसकी जांच कराकर उनके खातों में दूसरी किश्त चली जाये, यह मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है.
श्री भूपेन्द्र सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने बीच में राशि के संबंध में कहा है, कि विलंब हुआ है. मैं इसकी जांच भी करा लूंगा और मैं, माननीय सदस्य को आश्वस्त करता हूं कि जो हितग्राही रह गये हैं उन सभी की एक सप्ताह के अंदर सारी किश्तें उनके खाते में डाल दी जायेंगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, माननीय सदन को यह भी अवगत कराना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री आवास योजना एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है और हमारी सरकार का माननीय प्रधानमंत्री जी का और माननीय मुख्यमंत्री जी का यह लक्ष्य है कि हमारे देश में कोई भी गरीब परिवार ऐसा न हो, जिसका अपना खुद का आवास न हो, खुद की अपनी छत न हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह निर्णय लिया है कि जो हमारे प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के काम चल रहे हैं, पूरे प्रदेश में कई जगह किश्त जाना है और इसीलिये इसके लिये बजट में विशेष प्रावधान किये गये हैं और मैं सदन को अवगत कराना चाहूंगा कि अगले सप्ताह में संभावित दिनांक 12 है. प्रदेश के सभी जितने भी प्रधान मंत्री आवास के हितग्राही हैं उनके सभी के खाते में 16 सौ करोड़ की राशि वन क्लिक में माननीय प्रधान मंत्री जी उनके खाते में डालेंगे. न केवल प्रधान मंत्री आवास की राशि देंगे, पिछले कोविडकाल के कारण हमारे जो नगरीय निकाय हैं उनमें कहीं पर सड़कों के काम हैं, बाकी अन्य काम हैं. इन कामों के लिये भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने बजट में विशेष प्रावधान किये हैं. 12 तारीख को ही प्रदेश की सभी नगरीय निकायों में लगभग 15 सौ करोड़ रूपये की राशि विकास कार्यों के लिये भी हम लोग जारी करेंगे.
श्री अशोक रोहाणी--माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी केंट विधान सभा में बहुत सारी योजनाएं माननीय मुख्यमंत्री जी ने 2014 तक निवासरत् लोगों को पट्टा वितरित कर प्रधान मंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने का आदेश किया है. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि केन्ट विधान सभा के उन क्षेत्रों का जहां पर आबादी घोषित नहीं हुई है उनका सर्वे करवाकर उनको पट्टे वितरित कर प्रधान मंत्री आवास योजना का लाभ दिलायें.
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी इसमें तरूण भनोत जी से संबंधित प्रश्न भी जुड़वा दीजिये.
श्री तरूण भनोत-- धन्यवाद माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का इस ध्यानाकर्षण के माध्यम से जो हमारे माननीय केन्ट क्षेत्र के विधायक जी ने लगाया है इस ओर आकर्षित कराना चाहूंगा कि माननीय उच्च न्यायालय के एक फैसले के अधीन बहुत भारी संख्या में जबलपुर में लोग विस्थापित हुए थे. तब इस सरकार ने उनको भरोसा दिलाया था कि हम आपको दूसरी जगह भी देंगे और प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत मकान की सुविधा भी देंगे. जो लोग विस्थापित हुए थे वह मेरे पश्चिम विधान सभा क्षेत्र में आते थे. विस्थापन के बाद केन्ट विधान सभा क्षेत्र में पहुंच गये हैं. सरकार ने प्रयास किया तथा तत्कालीन सरकार ने भी प्रयास किया, उसके पूर्व की सरकार ने भी प्रयास किया. उनका स्थापन तो किया गया, पर जैसा कि माननीय विधायक जी ने कहा है कि उनकी जो द्वितीय किश्त प्रधान मंत्री आवास की राशि है, वह नहीं प्राप्त हो रही है. माननीय मंत्री जी मुझे पता है कि सरकार इस मामले में गंभीर है, होना भी चाहिये. हमने उनसे वायदा किया था. चाहे सरकार जो भी हो पर साथ साथ इस बात की ओर आपका ध्यानाकर्षित करना चाहूंगा कि कुछ अधिकारी नगर निगम के ऐसे हैं जो बिना दलाली के वहां पर उनको किश्त जारी होने नहीं देते. जब तक वह गरीब आदमी वहां पर पैसा न दे दे जो आवासहीन है, तब तक उसको बार बार किसी न किसी छोटे-मोटे कागज की कमी बताते हुए, जबकि शासन की मंशा पर हमें कोई शक नहीं है कि वह पैसा नहीं देना चाहते हैं. इस व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिये क्या माननीय मंत्री महोदय कोई नया प्लान लायेंगे कि जो आवासहीन लोग हैं उनको समय पर पैसा मिल सके और वह खुले में रहने की बजाय अपने आवास की छत के नीचे वह रह सके. दूसरा मामला भी गंभीर है और यह प्रदेश से जुड़ा हुआ है माननीय विधायक जी ने उसका भी जिक्र किया है. वह आबादी के पट्टो का है, यह समस्या पूरे मध्यप्रदेश की है और यह लगभग 50-60 वर्षों से चली आ रही है कि जो आबादी क्षेत्र घोषित हैं वह नगर निगम के क्षेत्र के शहरी सीमा क्षेत्र के अंतर्गत आ गये हैं वहां पर अभी भी लोगों का नाम दर्ज नहीं हुआ है अभी तक हमने प्रयास किया था जो अल्पकाल का समय सरकार के माध्यम से मिला था और उसमें प्रोग्रेस भी हुई थी. मेरा आपसे यह निवेदन है कि उसमें मैंने प्रश्न भी लगाया था और आज ही के प्रश्न में है, जिसमें राजस्व मंत्री जी ने यह तो मान लिया कि उन पर कार्यवाही पूर्ण हो गई है उनके नाम भी पट्टों पर चढ़ा रहे हैं, परन्तु उसमें समय सीमा नहीं बतायी गई है. अध्यक्ष महोदय, 50 वर्ष का समय बहुत लंबा होता है. अब यह बात न करें कि सरकार किसकी थी और किसकी नहीं थी लंबा समय आपका भी हो गया है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि वह राजस्व मंत्री जी से बात करके यह बात निश्चित कर दें कि आगामी 15 दिन से 3 महीने में उनका शासन की मंशा के अनुरूप नाम चढ़ जायेगा और उनको पट्टा प्राप्त हो जायेगा, जिससे वह भी प्रधान मंत्री आवास योजना का लाभ उठा सकें.
अध्यक्ष महोदय--श्री पी.सी.शर्मा जी आप भी पाईंटेड पूछ लीजिये.
श्री पी.सी.शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से प्रधान मंत्री आवास के बारे में बात करना चाहूंगा भोपाल की एक पूरा प्रोजेक्ट तैयार है.
अध्यक्ष महोदय--वहां की बात नहीं है, यह जबलपुर की बात है.
श्री पी.सी.शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधान मंत्री तो पूरे मध्यप्रदेश के चल रहे हैं. देश के हैं तो वह कहीं पर भी मामला फिट हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय--विधान सभा के नियम प्रक्रिया की मर्यादा है.
श्री पी.सी.शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि एक कम्पलीट प्रोजेक्ट तैयार है उसके टेन्डर हो गये हैं उसका भूमि-पूजन भी हो गया है. उसमें एक साल के लिये सरकार से टेम्परेरी जमीन लेना है, उसमें एक साल हो गया है. लेकिन वह जमीन नगर निगम, भोपाल को नहीं मिल पा रही है. यह आठ स्टोरी बिल्डिंग गरीबों के लिये बन रही है. श्री जयवर्द्धन सिंह जी, जब मंत्री थे तब उन्होंने एप्रूव्ह किया था. वह काम शुरू हो जाये और उसके लिये जमीन का आवंटन टेम्परेरी दो वर्ष के लिये हो जाये. वह दो एकड़ जमीन है, पूरी प्रक्रिया हो चुकी है. यह हो जायेगा तो यह बहुत बड़ा प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री जी के नाम से शुरू हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, तीनों माननीय सदस्यों का एक साथ जवाब दे दीजिये.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री रोहाणी जी के द्वारा जो उन्होंने वहां पर शेष कार्य रह गये हैं और बाकि जो अन्य कार्य बताये हैं, उसके तत्काल हम निर्देश जारी कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, वह सारे कार्य भी जो माननीय रोहाणी जी ने बताये हैं, वह सारे कार्य भी हम एक सप्ताह के अन्दर करायेंगे. माननीय सदस्य श्री तरुण भनोत जी, जो हमारे पूर्व मंत्री थे, उन्होंने दो विषयों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है. पहला, उनका कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत किस्तों को लेकर कुछ बीच में कठिनाइयां आती हैं, लेन-देन की शिकायतें आती हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको ध्यान में रखकर ही हमारी सरकार ने, माननीय प्रधानमंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह व्यवस्था निश्चित की थी कि पैसा सीधे हितग्राही के खाते में ही भेजा जायेगा. यह व्यवस्था हमने बनाई है, पर आपका कहना है कि कुछ जगह से इस तरह की शिकायतें आती हैं, मैं इससे असहमत नहीं हूँ. आपने जो कहा है, अगर आप मुझे स्पेसिफिक बता देंगे तो मैं तत्काल उसकी जांच के आदेश करके और इस तरह की अनियमितता हुई होगी तो हम कड़ी से कड़ी कार्यवाही करेंगे. माननीय तरुण भनोत जी ने जो वहां पर विस्थापित हैं. और उनको पट्टे नहीं मिलने की बात भी कही है. मेरा माननीय सदस्य से आग्रह है कि हमारी सरकार ने 2016 में नई आवास नीति तैयार की है, उस नई आवास नीति में हमने सभी लोगों को पट्टे देने का प्रावधान किया है, इसके भी हम निर्देश जारी करेंगे, जो माननीय तरुण भनोत जी ने कहा है, उसका परीक्षण करवाकर और जितने भी अधिकतम लोगों को पट्टे दिये जा सकते होंगे, हम लोग पट्टे देने का प्रयास करेंगे.
अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य श्री पी.सी.शर्मा जी, पूर्व मंत्री उन्होंने भी वहां पर आवास स्वीकृत हुए हैं. जहां पर आवास बनना हैं, वहां से लोगों को शिफ्ट करना है, इसके बारे में उन्होंने मुझे व्यक्तिगत तौर पर भी बताया था. मैंने तत्काल उसी समय निर्देश जारी कर दिये थे क्योंकि यह आवास का मामला है, गरीब का आवास बनना चाहिए, उनको आवास मिलना चाहिए और इसलिए इसके बारे में भी हम आज फिर से समीक्षा करेंगे. कमिश्नर नगर निगम से भी कहेंगे कि वे श्री पी.सी.शर्मा जी से बात करके और तत्काल इस कार्य को प्रारंभ कराएंगे.
श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी - धन्यवाद मंत्री जी.
12.29 बजे
(2) जबलपुर एवं डिण्डोरी शहर के गंदे नाले का पानी नर्मदा नदी
में मिलने से नदी का जल प्रदूषित होना.
सर्वश्री संजय यादव (बरगी) [ओमकार सिंह मरकाम, लखन घनघोरिया] अध्यक्ष महोदय,
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री संजय यादव (बरगी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा विनम्र निवेदन है कि जिस भी अधिकारी ने आपको जवाब बनाकर दिया हो, वह बिल्कुल (XXX) बनाकर दिया है, असत्य जवाब बनाकर दिया है.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री(श्री भूपेन्द्र सिंह) -- श्री संजय भाई एक मिनट पहली बात तो आप यह समझ लें.
श्री संजय यादव -- पहले मेरी बात तो आप सुन लें क्योंकि मैं वहां का रहने वाला हूं.
श्री लक्ष्मण सिंह(चाचौड़ा) -- वह भी चुने हुए प्रतिनिधि हैं, आप उनकी बात सुन लें.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- भाई साहब मैं सुन रहा हूं. पहली बात मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि न मैं और न ही कोई भी मंत्री जवाब अधिकारियों से नहीं बनवाते हैं, हम लोग खुद जवाब बनाते हैं. यह जवाब भी मैंने खुद ने पूरा पढ़कर और देखकर बनाया है, इसलिये कृपया इस प्रकार से न बोलें.
श्री संजय यादव -- ठीक है. मां नर्मदा हम शर्मिन्दा हैं, तेरे आंचल में मिल रहे गंदे नाले आपके कारण जिंदा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से पूछना चहता हूं कि नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि हम नर्मदा जी में गंदे नाले नहीं मिलने देंगे. क्या उस घोषणा का यहां पर आपके पास कोई कागज है, या कोई प्लान है. ? मैं नर्मदा जन्मोत्सव के दिन जब अभी 19 तारीख को नाले के ऊपर धरना देकर बैठा था, तब पहली बार जबलपुर नगर निगम के कमिश्नर मेरे धरने के बाद वहां देखने आये थे, लेकिन दूसरे दिन उस कमिश्नर को हटा दिया गया. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या आपने कोई बजट में ऐसा प्रावधान रखा है कि हम मां नर्मदा में मिलने वाले गंदे नाले रोक सकें. माननीय मंत्री जी सड़क की इतनी आवश्यकता नहीं है, जितनी आवश्यकता हमें मां नर्मदा में मिलने वाली गंदगी को रोकने की आवश्यकता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरे नगर परिषद भेड़ाघाट में पंचवटी के पास, भेड़ाघाट एक पर्यटक स्थल है, लेकिन जब हम जाते हैं तो वहां हम देखते हैं कि किस तरह से गंदा नाला नर्मदा में सीधे समाहित हो रहा है. मैंने अभी जहां दद्दा घाट के सामने धरना दिया है. वर्ष 2017 में जिस समय परम पूज्य गुरूदेव का वहां पर यज्ञ चल रहा था, माननीय मुख्यमंत्री जी वहां आने वाले थे, लेकिन मुख्यमंत्री जी पटवा जी के निधन के कारण नहीं आ पाये थे, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि अगर आपको वास्तविकता देखना है तो आप जबलपुर में आईये और देखिये, होशंगाबाद में देखिये, डिण्डोरी में देखिये. जब तक आप स्वयं वहां आकर निरीक्षण नहीं कर लेंगे, तब तक आपके पास वास्तविक स्थिति नहीं आ पायेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जवाब में कहा गया कि उमरिया, डुंगरिया, मैं यह बताना चाहता हूं कि उमरिया, डुंगरिया भी मेरे क्षेत्र में है, लेकिन यह इतनी दूर है कि नर्मदा जी के आसपास से इसका कोई वास्ता ही नहीं है. जवाब में कहा गया कि खंदारी नाला, मैं बताना चाहता हूं कि ललपुर का मैं रहने वाला हूं और जहां वह नाला मिलता है, उसके सामने ही मेरा घर है, इसलिये मुझे बारीकियां पता हैं. मेरे साथ चाहे लखन भईया हों, चाहे तरण भनोत जी हों, चाहे जालमसिंह जी हों, इनको नर्मदा जी एक-एक जानकारी है, जो उन अधिकारियों को नहीं हैं क्योंकि अधिकारी इस नाले को नहीं देख सकते हैं, क्योंकि जो शाह नाला, खंदारी नाला सबसे बड़ा नाला है वह मेरे घर के सामने घाना है वहां पर मिलता है. मैं एक किलोमीटर उसके अंदर नाव से गया और जबलपुर नगर निगम कमिश्नर को अभी 19 तारीख को नाव से लेकर गये थे, इतना बड़ा गंदा नाला है. आप वहां वास्तविकता में जाकर देखेंगे तो आपको खुद शर्म आयेगी मेरा निवेदन आपसे यह है कि हम बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, सड़क की बातें करते हैं लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बावजूद भी जितना आपने नर्मदा सेवा यात्रा में राशि खर्च की, प्रचार प्रसार में राशि खर्च की है, आप उससे आधी भी खर्च कर देते.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न तो करें.
श्री संजय यादव -- मेरा प्रश्न यह है कि आप भेड़ाघाट या ग्वारीघाट या जहां भी नर्मदा के नाले मिल रहे हैं, वहां क्या आप निरीक्षण करने चलेंगे और दूसरा मेरा प्रश्न यह है कि जो सबसे बड़ा गंदा नाला ललपुर के पास शाह नाला मिल रहा है, उसको अभी बंद करने की आपके पास कोई योजना नहीं है, आप उसकी योजना कब तक तैयार करेंगे ? यह आप हमें बताने का कष्ट करें.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य संजय यादव जी ने कहा है, यह बात सही है कि मां नर्मदा जीवनदायिनी है और मध्यप्रदेश की जीवन रेखा भी है और इसी बात को ध्यान में रखकर हमारी सरकार का यह संकल्प माननीय मुख्यमंत्री जी ने लिया था कि मां नर्मदा में अमरकंटक से लेकर और ओंकारेश्वर में जहां-जहां पर भी जो लगे हुए शहर हैं. वहां पर जहां-जहां पर भी गंदे नाले जाकर मां नर्मदा जी में मिलते हैं, उन सभी के लिये हम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर मां नर्मदा जी में गंदा पानी न जाये इसको रोकने के लिये सरकार प्रयासरत है. उसी के अंतर्गत जबलपुर में 4 एसटीपी बनाये गये हैं, जिनकी लागत 362 करोड़ 31 लाख रूपये है. माननीय अध्यक्ष जी, अगर हम पूरे प्रदेश में देखेंगे, हमारी सरकार ने जो एसटीपी स्वीकृत किये हैं, 19 शहरों में 1262 करोड़ की लागत से अमरकंटक, डिण्डोरी, मंडला, जबलपुर, भेड़ाघाट, नरसिंहपुर, सांईखेड़ा, होशंगाबाद, बुधनी, नसरूल्लागंज, नेमावर, मंडलेश्वर, ओंकारेश्वर, बड़वाहा, सनावद, महेश्वर, धर्मपुरी, अंजड़, बड़बानी इस तरह से हम लोगों ने 1262 करोड़ के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हमारी सरकार ने उस समय स्वीकृत किये थे जो कुछ हो गये हैं और कुछ में काम अभी चल रहे हैं. भेड़ाघाट में भी 13 करोड़ 97 लाख की सीवेज परियोजना का कार्य प्रगति पर है, जो जुलाई 2022 तक पूर्ण होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय सदस्य से, सदन से आग्रह है कि हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने, सरकार ने मां नर्मदा का जल शुद्ध हो और न केवल मां नर्मदा जी का बल्कि प्रदेश की जितनी भी हमारी पवित्र नदियां हैं उनमें सभी में उनका जल शुद्ध हो. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक उदाहरण के रूप में आपसे आग्रह करूंगा, मैं सिंहस्थ का इंचार्ज था, सिंहस्थ का प्रभारी मंत्री था और उस समय जो मां छिप्रा नदी है उसमें एक खान नदी आकर मिलती थी, छिप्रा में लोग शुद्ध जल में स्नान करें, उस समय माननीय मुख्यमंत्री जी ने सिंहस्थ में 100 करोड़ रूपये की राशि खान नदी के डायवर्सन के लिये स्वीकृत की थी और शुद्ध नर्मदा जल में छिप्रा जी में हम लोगों ने स्नान कराये थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से मां नर्मदा में न केवल गंदे नालों को रोकने का प्रयास, बल्कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक मिशन चलाया, अभियान चलाया और इसमें यह है कि नर्मदा जी के किनारे, नर्मदा जी की धारा कम न हो इसलिये वृक्षों को लगाना, नर्मदा के तट पर जैसे अंतिम संस्कार की परंपरा है हमारे यहां, उसके लिये अलग से शमशान घाट बनाने की व्यवस्था कराना, अस्थि विसर्जन के लिये नर्मदा कुण्ड बनाने का काम करना, एसटीपी बनाने का काम करना, यह सारे काम माननीय शिवराज जी की सरकार ने नर्मदा जी के शुद्धीकरण के लिये, शुद्ध जल के लिये किये हैं.
श्री संजय यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं. मैं सुझाव भी देना चाहता हूं. अभी तक जो सबसे बड़ा गंदा नाला यह नगर निगम स्वीकार करती है, मैंने इसकी हाईकोर्ट में पिटीशन भी लगाई थी, हाईकोर्ट जवाब नहीं दे पाया, माननीय उच्च न्यायालय ने पिटीशन ग्रीन ट्रिब्यूनल, भोपाल में स्थानांतरित कर दी. माननीय मंत्री जी, जो सबसे बड़ा नाला है उसके लिये जबलपुर नगर निगम ने कोई भी योजना नहीं बनाई और जो आप ट्रीटमेंट प्लांट की बात कर रहे हैं, आपके आधे से ज्यादा ट्रीटमेंट प्लांट फैल हो चुके हैं जो ग्वारीघाट में लगे हुये हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप सुझाव तो दीजिये.
श्री संजय यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे पूछना चाहता हूं जो सबसे बड़ा नाला है शाह नाला, खंदारी नाला जो ललपुर के पास जाकर मिलता है उसके लिये क्या आपने कोई योजना बनाई है और दूसरा मेरा इसमें आपको सुझाव भी है कि मैंने कहा था कि उस नाले को केनाल रूपी आप बना दीजिये, बीच-बीच में स्टॉप डेम बना दीजिये और स्टॉप डेम का पानी जब खेत में किसान लेना चाहें तो वह ले लें, उस नाले को हम ट्रीटमेंट करके, साफ करके केनाल में भी मिला सकते हैं जो पाटन तक आती है और जो केनाल का पानी आता है नर्मदा का तो हम नर्मदा का शुद्ध जल बचा सकते हैं और इन गंदे नालों को गुजरात की तरह आप ऐसी योजना क्यों नहीं बनाते कि आप गुजरात की तरह अगर हम गंदे नाले का पानी ट्रीट करके अगर हम केनालों में दें तो किसानों के भी काम आयेगा. उसकी ओर शासन का ध्यान क्यों नहीं जाता. हम बात तो करते हैं बड़ी-बड़ी कि हम ऐसा कर रहे हैं उसका प्रावधान आपको रखना चाहिये. मेरा आपसे निवेदन है. मेरी बात का जवाब दे दें कि साय नाला के लिये जबलपुर नगर निगम ने उसकी कोई योजना बनाई क्या उस पर काम शुरू करेंगे क्या ?
अध्यक्ष महोदय - और लोग हैं उन्हें पूछने दीजिये.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - अभी इसमें मूल प्रश्नकर्ता ही दो हैं. मैं प्रयास यह करूंगा क्योंकि यह संवेदनशील मामला है. 2-3 लोगों को समय देंगे और मंत्री जी कृपया आप सबकी बात सुनकर सबका एक साथ जवाब दे दें. श्री ओमकार सिंह मरकाम..(अनुपस्थित) श्री लखन घनघोरिया
श्री लखन घनघोरिया(जबलपुर पूर्व)‑ धन्यवाद अध्यक्ष महोदय. मां नर्मदा के प्रति सबकी आस्था और प्रदूषण को लेकर चिंता है. मैंने अपनी जो ध्यानाकर्षण की सूचना दी थी उसमें कुछ विषयों का उल्लेख इसमें नहीं आया है. मैं आपका संरक्षण चाहता हूं कि मेरी ध्यानाकर्षण सूचना के जो विषय हैं आपकी इजाजत हो तो पढ़ दूं.
अध्यक्ष महोदय - पढ़िये नहीं आप प्रश्न पूछें.
श्री लखन घनघोरिया - आदरणीय मंत्री महोदय ने अपने जवाब में 3 ट्रीटमेंट प्लांट 2017 में जबलपुर में लगाने की बात कही. उसके रिजल्ट क्या हैं. हमारे साथी आदरणीय संजय यादव जी ने बहुत विस्तार से बताया. सिर्फ आस्था और भक्ति का प्रश्न नहीं है. लोगों के स्वास्थ्य का भी मामला है. नर्मदा का जल प्रदूषण से किस तरीके से युक्त हुआ है इसके जो आंकड़े हैं. मैं आपसे रखना चाहूंगा कि पानी से बीओडी से 2.8 नाइट्रोजन प्रति घन मीटर, डिजाल्व आक्सीजन 8.7 नाइट्रोजन प्रति घन मीटर और कालीफार्म बैक्टीरिया 900 प्रति लीटर पाया गया और यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक से कई गुना अधिक है और वह जल जबलपुर में आम लोगों के पीने के लिये उपयोग में लिया जा रहा है. ग्वारीघाट से जिलहरीघाट तक 2 बड़े नाले खंदारी व साय नाला. मंत्री जी बोल रहे थे कि खंदारी, साय नाला में मिलता है. ये दोनों अलग-अलग हैं और दोनों अलग-अलग जगह पर मिलते हैं. दोनों बड़े नालों के साथ-साथ ग्वारी घाट से खारीघाट,सिद्ध घाट, जिलहरी घाट, सिद्ध घाट में जहां बा बा सिद्धनाथ की तपोभूमि है और जिसको सिद्ध तीर्थ कहा जाता है उसमें बार-बार मांग होने के बावजूद भी आज तक उन नालों को रोका नहीं गया है.ऐसे करीब 7-8 नाले,नालियां हैं. दूसरी नदियों की बात भी माननीय मंत्री महोदय ने कही है. जबलपुर की ही बात करें तो गौर और खंदारी. जहां से भी हमारे पानी की सप्लाई होती है. वहां की स्थिति भी बिल्कुल अलग है. डेयरियां जाने के कारण वहां डेयरी का अपशिष्ट मिलता है. यह तमाम चीजों का उल्लेख मंत्री जी ने अब तक नहीं किया. 2016-17 में घोषणाएं बहुत हुईं. हमने नर्मदा तटों को पवित्र तीर्थ घोषित किया और दायरा भी बताया कि कितने दायरे तक इसको मुक्त रखा जायेगा. दायरा बताया मांस,मंदिरा की दुकानों तक. यह जो ट्रीटमेंट प्लांट हमारे हैं 2017 से अभी तक आप जिनको कह रहे हैं कि बन रहे हैं. वहां यदि यथार्थ की जमीन पर आकर देखें, तो आपको हकीकत समझ में आयेगी कि वहां प्रदूषण किस हद तक है. बार-बार कहने के बाद, बार-बार आवाज उठाने के बाद भी यह परिस्थिति बनी हुई है कि आज भी हम विसर्जन कुण्ड की वाह-वाही तो लूटते हैं, लेकिन नाला रोकने के लिये कोई प्रयास नहीं करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया प्रश्न पूछें, क्योंकि मैं इसमें और सदस्यों को अनुमति देना चाहता हूं.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय, यह ट्रीटमेंट प्लांट कब तक तैयार हो जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- (श्री भूपेन्द्र सिंह,नगरीय विकास एवं आवास मंत्री के उठने पर) मंत्री जी, नहीं नहीं, अभी हमने कहा ना कि एक साथ जवाब दीजियेगा, सबका हो जाये.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय, हमारा एक प्रश्न रह गया. चूंकि हमारे विषय ही इसमें नहीं लिये गये.
अध्यक्ष महोदय -- आप दूसरी बात करने लगते हैं, आप सीधा प्रश्न पूछ लीजिये, वह उसका भी उत्तर दे देंगे. आप प्रश्न पूछिये.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय, मैं दूसरा प्रश्न मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि ग्वारीघाट जबलपुर का सबसे ज्यादा पवित्र स्थल कहलाता है. आज की स्थिति में हजारों लोग रोज शाम को दिन भर नर्मदा जी के दर्शन करने जाते हैं. वहां अव्यवस्था, अराजक स्थिति ऐसे बन जाती है कि रोड्स के दोनों तरफ जो डामरीकरण होना था, रोड खोद दी गई, दोनों तरफ डामरीकरण एक साल से नहीं हुआ. गड्ढे बने हुए हैं, तीज त्यौहार कोई भी हो, नर्मदा जयंती के अवसर पर यह स्थिति थी कि 5-7 घण्टे तक जाम की स्थिति बनी थी. मंत्री जी, आपसे निवेदन है कि कटंगा से ग्वारीघाट तक जो काम रोका गया था डामरीकरण का, वह काम आप कब तक पूरा कर लेंगे.
श्री तरुण भनोत (जबलपुर-पश्चिम) -- अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. मैं अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है, जितने जगह की भी बात हो रही थी, यह मेरे सब जबलपुर पश्चिम विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं और मां नर्मदा जी की असीम कृपा हम सबके ऊपर है और मध्यप्रदेश की जनता के ऊपर भी बनी हुई है.यह राजनैतिक विषय नहीं है. मैं सिर्फ दो मिनट लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप स्वतः मंत्री रहे हैं, इतना थोड़ा सा समझ लें.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं उस बात को. मुझे याद हैं कि इस सदन में मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने वर्ष 2017 में यह कहा था कि हम नर्मदा सेवा यात्रा निकालने जा रहे हैं, हम विपक्ष में यहीं थे. हमने, मैंने सदन में खड़े होकर यह कहा था कि आप बहुत अच्छा काम करने जा रहे हैं, हम आपका स्वागत करते हैं और सिर्फ कहा नहीं था, जब उन्होंने नर्मदा सेवा यात्रा निकाली और वह जबलपुर में, हमारे पश्चिम विधान सभा क्षेत्र, जहां ग्वारीघाट की आप बात कर रहे थे माननीय सदस्य, वहां पहुंचे तो हमने सारे दायरों को, मायनों को भूलकर, क्योंकि वे एक बहुत अच्छे काम के लिये निकले थे, उनका स्वागत किया और जो भव्यतम् स्वागत संभव हो सकता था, वह किया. उसके बाद मध्यप्रदेश की इसी विधान सभा में हम सबको सौभाग्य प्राप्त हुआ कि मुख्यमंत्री जी एक संकल्प लेकर आये कि हम मां नर्मदा को जीवित इकाई का दर्जा देंगे. उसकी यहां चर्चा नहीं हुई, हम सबने उसका स्वागत किया और वह भी हुआ. बहुत घुमा फिराकर कहने की मेरी आदत भी नहीं है, मैं तो एक निवेदन मंत्री जी से करना चाहता हूं कि जब अमरकंटक से मां नर्मदा का जो उद्गम स्थल है, जहां से मां नर्मदा निकलती है और भरुच तक जाती है, खम्भात की खाड़ी में मिलती है. सबसे बड़ा अगर कोई महानगर रास्ते में पड़ता है, तो वह जबलपुर ही पड़ता है और शहर की सीमा के साथ लगभग 10-12 किलोमीटर सटे हुए शहर के साथ मां नर्मदा का जल प्रवाहित होता है. तो निश्चित तौर पर सबसे ज्यादा प्रदूषण भी वहीं होता है, उसको ध्यान में रखकर और हमारे संत समाज की भावनाओं को ध्यान में रखकर हमने पिछले वर्ष मध्यप्रदेश शासन के द्वारा मां नर्मदा गौ कुम्भ का आयोजन जबलपुर में किया, जिसमें पूरी दुनिया के संत आये. सबने वहां पर मां नर्मदा की सेवा के बारे में और गौ माता की सेवा के बारे में चिंता की और उसके बाद हमारी सरकार ने एक निर्णय लिया, जिसको हमने पिछले बजट में रखा भी था कि हम जबलपुर शहर में कम से कम जो नगर निगम सीमा में आता है, तिलवारा घाट से लेकर और भटौली घाट तक मां नर्मदा रिवर फण्ड का निर्माण करेंगे और उसके लिये राशि का प्रावधान भी तत्कालीन बजट में किया गया था. अध्यक्ष महोदय, आज बजट भाषण होने वाला है, मैं उस पर चर्चा करने वाला था, पर यह अच्छा बहुत पहले हो गया, आपको धन्यवाद. इस बजट में उसका उल्लेख नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- उसकी चर्चा बजट में करियेगा. केवल इसमें प्रश्न पूछ लीजियेगा.
श्री तरुण भनोत -- नहीं, ध्यान आकर्षण मां नर्मदा पर है. मैं मंत्री जी से सिर्फ यह निवेदन करना चाहता हूं कि आप खुद नर्मदा भक्त हैं. जबलपुर से आपका गहरा नाता है और आप बड़े संजीदा मंत्रियों में शुमार होते हैं, हम सब आपकी गंभीरता की तारीफ भी करते हैं. कृपया जल संसाधन मंत्री जी से बात करके पूरी तैयारियां हो चुकी थीं, जल्दी से जल्दी क्या सरकार जबलपुर को यह सौगात देगी और बड़े हर्ष का विषय है कि महामहिम राष्ट्रपति महोदय इसी माह परसों जबलपुर के उसी ग्वारीघाट के तट पर आ रहे हैं मां नर्मदा की आरती करने और उनके साथ हमारे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस महोदय और अन्य पूरे देश भर के हाईकोर्ट से न्यायाधीश आ रहे हैं तो इससे अच्छा मौका नहीं होगा. आज जबलपुर के पूरे संत समाज माननीय मंत्री जी सही में उद्वेलित है, आम जनता सही में परेशान है और दोनों जो आपके जल शोधन संयंत्र हैं, जो जबलपुर को पानी देते हैं, उसी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत मां नर्मदा के तट पर ही मौजूद है ललपुर का भी और जो नया आपने बनाया है रामनगरा का भी, तो कहीं न कहीं यहां से जो जल जबलपुर की 15 लाख की आबादी को जा रहा है, वह दूषित जल जा रहा है, उसके लिए कोई राजनीतिक बात हम करना नहीं चाहते हैं कि क्या हुआ, क्या नहीं हुआ. आपसे नम्र निवेदन है सदन के माध्यम से कि मां नर्मदा रिवर फ्रंट जो बनाना है तिलवारा घाट से लेकर बडौली तक उसको स्वीकृति प्रदान करें, जल्दी से जल्दी उसका काम करें. आप आएं, मुख्यमंत्री जी को लेकर आएं, हम खुले हृदय से वहां पर आपका स्वागत करेंगे. धन्यवाद.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर उत्तर) - अध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद देना चाहता हूं . एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है जहां माननीय महामहिम राष्ट्रपति जी आ रहे हैं और माननीय चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया आ रहे हैं ग्वारीघाट जो उमाघाट आजकल कहलाता है. उसी जगह पर नाले का ट्रीटमेंट का माननीय मंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहता हूं, वहीं पर एसटीपी जो काम नहीं कर रहा है उसी का गंदा पानी वहीं पर आ रहा है तो मैं आग्रह यह करना चाहता हूं कि कम से कम उस एसटीपी की तत्काल रूप से जांच करा लें और माननीय मंत्री जी कभी अगर जबलपुर पधारें तो कम से कम कांग्रेस के विधायक जो बात आपके संज्ञान में लाए हैं, नर्मदा जीवित इकाई की घोषणा इस सरकार ने की थी. नर्मदा जी जीवित इकाई के मामले में इस सदन को माननीय मंत्री जी संज्ञान देंगे कि आखिर उसमें क्या हुआ?
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न पूछिए?
श्री विनय सक्सेना - उसमें तब तो यह हुआ था आदरणीय अध्यक्ष महोदय कि धारा 307 लगेगी जो नर्मदा जी को गंदा करेगा. माननीय श्री कमल पटेल जी सामने बैठे हुए हैं. अभी नरसिंहपुर में उत्खनन हो रहा है कलेक्टर के माध्यम से तो नर्मदा जी के साथ में जो ये घटनाएं चल रही हैं. मेरा कहना है कि उन पर कार्यवाही कब होगी? और जो नर्मदा नदी में ग्वारीघाट में गंदा पानी मिल रहा है उसको रोकने के लिए माननीय मंत्री जी क्या कदम उठाएंगे?
श्री फून्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) - अध्यक्ष महोदय, माननीय अध्यक्ष जी मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं और प्रणाम भी करता हूं. मां नर्मदा के श्री चरणों में प्रणाम करता हूं चूंकि मां नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है. मैं इसलिए खड़ा हुआ हूं कि माननीय मंत्री जी के लिस्ट में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट अमरकंटक का उद्बोधन नहीं है. जब मां का जन्म ही नहीं होता तो छठीपूजा हम कहां से करते? मेरा निवेदन है कि 7 वर्ष से ट्रीटमेंट प्लांट खोद-खादकर पूरा रास्ता खराब कर दिया है. यह आपकी सूची में नहीं है माननीय मंत्री जी, मेरा निवेदन है कि मां नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है, ट्रीटमेंट प्लांट स्वीकृत है, प्रशासन की लापरवाही शासन की अनदेखी जैसा भी हो मेरा अनुरोध है ट्रीटमेंट प्लांट को तत्काल गति प्रदान किया जाय, उसे अतिशीघ्र बनाया जाय, यह मैं आपसे अपेक्षा करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी सबका का जवाब एक साथ दे दें.
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर) - अध्यक्ष महोदय, मां नर्मदा नदी के तट पर जो मेला आयोजित होता है और लाखों लोग घाटों पर आते हैं, जो श्रद्धालुजन हैं, परिक्रमावासी भी घाटों पर रुकते हैं जो गीला सूखा कचरा छोड़कर जाते हैं उसके लिए समुचित व्यवस्था हो. बरमान घाट पर अमावस्या, पूर्णिमा पर लाखों लोगों की संख्या आती है, वहां पर स्थायी शौचालयों की व्यवस्था बने, जो अभी है वह पर्याप्त नहीं है, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इसमें कोई व्यवस्था आप देंगे.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया) - अध्यक्ष महोदय, मैं मंडला जिले के रामनगर जहां पर प्रतिवर्ष आदि उत्सव का आयोजन होता है. मैं सिर्फ यह मांग करता हूं माननीय मंत्री जी से कि यह बहुत बड़ा आयोजन होता है और लगातार होता है. उपराष्ट्रपति जी, प्रधानमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी और अनेक मंत्रीगण यहां पर आ चुके हैं. नर्मदा तट की सीढ़ी निर्माण के लिए माननीय मंत्री जी अपने जवाब में उल्लेख करें और इसको शामिल कर लें क्योंकि पर्यटन स्थल रामनगर है, गौंड़कालीन राजाओं का वहां पर इतिहास है, महल है और प्रत्येक वर्ष आदि उत्सव वहां पर आयोजित होता है.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय हमारे वरिष्ठ सदस्य श्री लखन घनघोरिया जी ने ग्वारीघाट के बारे में और ग्वारीघाट में जो कटंगी चौराहा है, उसके बारे में सदस्य ने कहा है. मैं सदस्य से आग्रह करना चाहूंगा कि ग्वारीघाट के समीप सड़कों की मरम्मत का कार्य प्रगति पर है और इसके लिए 5 करोड़ की राशि हमने विशेष निधि से दी है जिससे सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय माई की कृपा है कि मैं माई के दर्शन रोज करता हूं. मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि जबलपुर से आपका भी बहुत नजदीक का रिश्ता है. आप नहीं तो आपके अपने लोग हैं, उनसे जानकारी ले लें, आप बजाय विभागीय जानकारी लेने के आप अपने पारिवारिक लोगों से जानकारी लें.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- नहीं. मैं तो आपकी बात मान रहा हूं. आप बतायें कि क्या करना है.
श्री लखन घनघोरिया -- वहां पर पूरा काम बंद है, काम हो ही नहीं रहा है.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- मैं आज ही फिर से निर्देश जारी करूंगा, अगर काम बंद है तो तत्काल कार्य प्रारम्भ हो.
श्री तरूण भनोत -- माननीय मंत्री जी आप हम लोगों के साथ में एक बार दौरा कर लें.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- हां, बिल्कुल. आ जायेंगे और आपके साथ में दौरा कर लेंगे. यह कार्य अगर प्रारम्भ नहीं हुआ है तो तत्काल प्रारम्भ हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप दौरे के समय सभी माननीय विधायकों को साथ में रख लें.
श्री संजय यादव -- मेरा जवाब नहीं आ पाया है.
अध्यक्ष महोदय -- आप सुन तो लें मेरी बात. जब यह तय हो गया है कि मंत्री जी दौरा करेंगे और आप सभी विधायकों को साथ में रखेंगे जिन्होने भी यहां परअपनी बात रखी है.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय अगर सबको साथ में रखेंगे तो कमलनाथ जी घबरा जायेंगे. सावधानी रखना..(व्यवधान)..
01.02 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित समस्त याचिकाएं पढी हुई मानी जायेंगी.
1.05 बजे कार्यमंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
1.08 बजे खनिज साधन मंत्री का वक्तव्य
दिनांक 30 दिसम्बर, 2020 को पूछे गये तारांकित प्रश्न संख्या 01 (क्रमांक 308) के
उत्तर में संशोधन करने के संबंध में खनिज साधन मंत्री का वक्तव्य
खनिज साधन मंत्री (बृजेन्द्र प्रताप सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, मैं
01.10 बजे वर्ष 2020-2021 के प्रथम अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन
01.11 बजे वर्ष 2020-2021 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन
01.12 बजे वर्ष 2020-2021 की प्रथम अनुपूरक मांगों पर मतदान
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) -- अध्यक्ष महोदय, पारित किया जाए.
01.14 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2021 (क्रमांक 16 सन् 2021) का पुर:स्थापन एवं पारण
1.16 बजे
(10) वर्ष 2020-2021 की द्वितीय अनुपूरक मांगों पर मतदान.
1.17 बजे
(11) शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक, 2021 (क्रमांक 17 सन् 2021) का
पुर:स्थापन एवं पारण
1.19 बजे वर्ष 2021-2022 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा
अध्यक्ष महोदय -- अब, वर्ष 2021-2022 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा प्रारंभ होगी. श्री तरुण भनोत जी.
श्री तरुण भनोत(जबलपुर-पश्चिम)-- धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री महोदय ने जो बजट मध्यप्रदेश विधान सभा में रखा है, उस पर हम लोगों ने बड़ा गौर किया, उसका अध्ययन किया और यह जानने का प्रयास किया कि ऐसी कौन कौन सी चीजें उसमें शामिल की गई हैं जो मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, मध्यप्रदेश को आगे ले जाने के लिए महत्वपूर्ण है और दीर्घकालिक ऐसी कौनसी योजनाएं हैं जिससे प्रदेश में लगातार, जब कर्ज का बोझ बढ़ रहा है, उसको कम किया जा सके. अध्यक्ष महोदय, मैं यह जरूर कहना चाहूँगा कि,
“अब किस किस सितम की मिसाल दूँ आपको, अब किस किस सितम की मिसाल दूँ आपको, आप तो हर सितम बेमिसाल करते हों.”
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की जनता के ऊपर कोविड काल के दौरान जो गुजरी
उसके बाद आपने उनके घावों पर इस बजट के माध्यम से नमक छिड़का और अपनी खुद की पीठ थपथपाने का प्रयास किया, यह कह कर कि हमने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए जनता के ऊपर किसी भी प्रकार का कोई भी नया कर नहीं लगाया. माननीय मंत्री महोदय, गुंजाईश बची थी क्या? किस पर टैक्स लगाएंगे? कौनसा नया कर लगाएँगे? गरीब की थाली महँगी है, कर्मचारी की जेब खाली है, नौजवानों के हाथ में काम नहीं है, किसान खेत में परेशान है और आप कहते हैं हम जीरो परसेंट टेक्सेशन का बजट लाए हैं. अध्यक्ष महोदय, यह तो आँकड़ों के साथ मैं आगे आप से चर्चा के दौरान बताऊँगा कि आपने कौनसा जीरो परसेंट का टैक्सेशन लगाया क्योंकि आपके हाथ में तो कुछ था ही नहीं. क्या लगाते आप? पर हाँ, माननीय मंत्री महोदय, एक चीज जरूर आपके हाथ में थी कि इस संकट के समय में (श्री गोविन्द सिंह राजपूत मंत्री जी द्वारा पास की सीट पर आकर बैठकर माननीय सदस्यों से बात करने पर) माननीय मंत्री जी, थोड़ा सा.....
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ नरोत्तम मिश्र)-- ये तुम्हें शुरू से ही डिस्टर्ब कर रहे हैं, तुम समझ समझ ही नहीं पाए. मेरे को अभी तक समझ में नहीं आई यह बात.
श्री तरुण भनोत-- यहाँ पर आप ही तो एक मेरे शुभचिन्तक हैं. माननीय, मेरी भावनाओं को सिर्फ आप ही तो समझते हों, मैं समझता हूँ इस बात को. माननीय अध्यक्ष महोदय, थोड़ी व्यवस्था आ जाए.
अध्यक्ष महोदय-- (श्री गोविन्द सिंह राजपूत जी से) माननीय मंत्री जी, अपनी सीट पर जाइये.
श्री तरुण भनोत-- (श्री जीतू पटवारी जी से) यह पूर्व मंत्री पटवारी जी को भी भेज दीजिए.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- वास्तव में मर्म को मार कर रहा है, ये दो ही हैं जड़ में, एक ये बंगलौर पहुँच गया था , एक ये बंगलौर पहुँच गया था.
श्री तरुण भनोत-- आपने सही समय पर इशारा कर दिया माननीय, मैं समझ गया. (हँसी)
माननीय अध्यक्ष महोदय, जीरो परसेंट टेक्सेशन की बातचीत हो रही थी. जीएसटी लागू हो गया. राज्य सरकारों के हाथ में बचा नहीं कुछ और बचा भी तो क्या इसलिए कि हम अपनी परेशान जनता को और परेशान करें. अध्यक्ष महोदय, हर चीज पर राजनैतिक बात करना भी नहीं चाहिए. अध्यक्ष महोदय, पेट्रोल के दाम पूरे हिन्दुस्तान में बढ़े हैं और मध्यप्रदेश में तो इतने बढ़े हैं कि आसपास के जो बॉर्डर जिले हैं वहाँ पर पेट्रोल पम्प पर कोई पेट्रोल और डीज़ल नहीं भरवाता, हमारे जो पड़ोसी राज्य हैं, कहीं उत्तर प्रदेश, कहीं महाराष्ट्र, कहीं छत्तीसगढ़, वहाँ पर जाकर लोग अपनी गाड़ियों में लोग पेट्रोल और डीज़ल भरवाते हैं.
1.24 बजे
{सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए}
सभापति महोदय, इस संकट काल में हम सबको ऐसी आशा थी कि सरकार आम जनता को राहत देगी और मध्यप्रदेश का यह सर्वोच्च संवैधानिक सदन से निकल कर एक ऐसी भावना मध्यप्रदेश की जनता के पास जाएगी कि हम बड़ी धीरता और गंभीरता के साथ यहाँ बैठकर चर्चा करते हैं और उनकी बेहतरी के काम के लिए उपाय भी करते हैं, सोचते भी हैं और ऐसे प्रावधान भी करते हैं. सभापति महोदय, माननीय वित्त मंत्री महोदय, मुझे विश्वास है कि आप भी अन्दर से जरूर परेशान होंगे कि हाँ एक दबाव आपके ऊपर भी होगा कि पेट्रोल और डीज़ल के रेट बढ़े हैं, गैस का सिलेण्डर महँगा हो गया और उसके कारण अन्य जो रोजमर्रा की चीजें हैं, वह भी महँगी होती जा रही हैं. जब आप इस चर्चा का जवाब देंगे तो आप जरूर सहानुभूति पूर्वक इस बात के ऊपर विचार करेंगे, बजट की इस किताब में तो उसका उल्लेख नहीं है पर आपके मुख से जरूर यह बात निकलेगी कि कम से कम आप 5 प्रतिशत वेट कम करेंगे और मध्यप्रदेश की आम जनता को राहत देंगे. मैं आपसे ऐसी अपेक्षा करता हूँ. यह कहा गया कि पूर्ववर्ती सरकार ने कुछ भी नहीं किया, सारी योजनाएं बंद कर दीं. मध्यप्रदेश की जनता की भलाई के लिए कोई काम नहीं किया. मैं इस परम्परा से हटकर बात करना चाहता हूँ. वर्तमान की सरकार ने भी कुछ अच्छे काम किए हैं. बजट भाषण के पैरा 67 में आपने गैस पीड़ितों को पेंशन देने की बात का उल्लेख किया है जो कि केन्द्र की सरकार द्वारा बंद की गई थी. मैं आपके इस कदम का स्वागत करता हूँ, यह प्रशंसनीय काम है परन्तु साथ में एक बात और कहता हूँ कि थोड़ा दिल बड़ा करते इसी पैरा में इस बात का भी उल्लेख कर देते कि कांग्रेस पार्टी की सरकार जो कि 15 महीने के लिए थी, उसने सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 300 रुपए से बढ़ाकर 600 रुपए किया था यह भी कर देते तो आपका क्या जाता, उसका भी उल्लेख कर देते और आप और बड़े हो जाते.
माननीय सभापति महोदय, मैं मध्यप्रदेश की जनता की ओर से आपको धन्यवाद देना चाहूँगा कि आपने सीएम राइज योजना को इस बजट में शामिल किया कि हम नए सरकारी स्कूल बनाएंगे, कानवेंट स्कूलों की तर्ज पर बनाएंगे. जहाँ पर एक गरीब का बच्चा भी पढ़ सके. प्रायवेट स्कूलों के समकक्ष वहाँ पर सुविधाएं हों. अच्छे टीचर उपलब्ध हों, माहौल अच्छा हो, सारी व्यवस्थाएं हों. माननीय यह भी उल्लेख कर देते कि यह योजना बनकर कब तैयार हुई थी. हमें वर्ष 2020 का बजट रखने का सौभाग्य नहीं मिला. यह हम स्वीकार करते हैं कि इस सदन में जब हमें 20 मार्च को बजट रखना था तो हमारी सरकार गिर गई, पर योजना तो हम उसके पहले बनाकर ले आए थे. आपको धन्यवाद देना चाहते हैं, साधुवाद देना चाहते हैं कि आपने एक अच्छी परम्परा का निर्वहन किया. जो एक अच्छी योजना हमने बनाई थी उसको आप बजट में लेकर आए. मैं आपको शुभकामनाएं देता हूँ क्योंकि मध्यप्रदेश के भविष्य के लिए जरुरी है. यह योजना सिर्फ कागजों में न रह जाए इसको आप क्रियान्वित करिए इसमें हम विपक्ष के रुप में जो भी रचनात्मक सहयोग दे सकते हैं वह जरुर देंगे. वक्त आने पर अच्छे-अच्छे सुझाव भी देंगे. वित्त मंत्री महोदय, एक बात जरुर कहना चाहता हूँ कि इसके लिए आप केडर ही अलग बनाइएगा, भर्ती अलग कीजिएगा. गुणवत्ता के साथ बिना पैसे के, सस्ती दर पर गरीबों के बच्चों को पढ़ने का मौका मिले. कानवेंट स्कूल में जो छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं वैसी शिक्षा प्राप्त कर सकें. यह मध्यप्रदेश के लिए बड़े सौभाग्य की बात होगी इसके लिए मैं आपको बधाई देता हूँ. मैं आपको बधाई इसलिए भी देना चाहता हूँ भले ही आपने नाम बदल दिया हो, कोई बात नहीं ऐसा होता है. समय-समय पर नाम बदल जाते हैं पर आपने एक बहुत अच्छी महत्वाकांक्षी योजना जिसको हमने पिछले बजट में भी रखा था उसको नाम बदलकर पुन: इस बजट में शामिल किया और लेकर आए.
माननीय सभापति महोदय, राइट टू वाटर जिसका नाम अब आपने जल जीवन मिशन कर दिया है. मैं यह बातें सिर्फ भाषण के लिए नहीं कह रहा हूँ. मैं आँकड़े निकालूंगा और पुराने बजट के जो प्रावधान हैं वह भी हमारे पास उपलब्ध हैं वह मैं आपके सामने रखूंगा. माननीय वित्त मंत्री महोदय, आपको बहुत-बहुत बधाई कि आपने हमारी उस योजना को भी आगे बढ़ाया है. आपने उसको राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा. यह महत्वपूर्ण है कि सभी को पीने का साफ पानी मिलना चाहिए, घर-घर में स्वच्छ जल पहुंचना चाहिए. आपने उस बात को आगे बढ़ाया है.
माननीय सभापति महोदय, यह तो मीठा-मीठा था और मैंने आपको शुभकामनाएं भी दीं कि इन कामों में आप सफल भी हों और आगे बढ़ें. थोड़ा सा कड़वा वाला भी कहना चाहता हूँ. हमारी सरकार ने एक और महत्वपूर्ण काम किया था. कर्मचारी आयोग बनाया था. कर्मचारियों की जो समस्याएं हैं उनके लिए एक आयोग बने, उससे चर्चा हो, उनकी बात को रखा जाए. जवाबदारी उन्हीं के ऊपर सौंपी जाए. उस आयोग के गठन का मकसद भी यही था कि कई बार सरकार के कामकाज में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है, जब हमारा कर्मचारी आन्दोलित होता है. वह स्थितियां न बन पाएं, समय-समय पर उस कर्मचारी आयोग में कर्मचारी अपनी बातें रखते रहें, उसके ऊपर चर्चा होती रहे, सरकार तक आती जाए और सरकार उनका निदान करती रहे. माननीय वित्त मंत्री महोदय उस कर्मचारी आयोग की पिछले एक वर्ष में एक भी बैठक नहीं हुई. अगर हुई होती तो आज जो कर्मचारियों के अन्दर रोष का माहौल उत्पन्न हुआ है, वह चाहे उनके डीए को लेकर हो, चाहे उनके एरियर्स को लेकर हो, चाहे उनकी पदोन्नति को लेकर हो, चाहे रिटायर्ड कर्मचारियों के पेंशन के मामले हों यह वहीं सुलझा लिए गए होते और आज सरकार को भी कटघरे में खड़ा नहीं होना पड़ता.
माननीय सभापति महोदय-- माननीय सदस्य का भाषण जारी रहेगा. सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्थगित.
(1.30 बजे से 3.00 बजे तक अन्तराल)
3:03 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय-- तरुण भनोत जी अपना भाषण पूरा करें.
श्री तरुण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने भाषण की शुरुआत ही की थी कि लंच ब्रेक हो गया. मैं माननीय वित्त मंत्री जी के भाषण को पढ़ रहा था जो सदन में रखा गया उसमें लिखा गया और आपके द्वारा बताया गया है कि हमें एक खाली खजाना मिला था.
3:04
बजे {सभापति
महोदय (श्री
लक्ष्मण
सिंह) पीठासीन
हुए.}
श्री तरुण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, तत्कालीन सरकार कुछ भी छोड़कर नहीं गई थी इसीलिए हमें काम करने में बड़ी कठिनाई हुई. कोविड आया और कोविड के कारण ऐसी परिस्थितियां बनी कि निश्चित तौर पर कोई भी सरकार होती उसके लिए एक चुनौती का सवाल था और ऐसे समय पर ही हमारी परीक्षा होती है कि हम चुनौती का सामना किस प्रकार से करते हैं. वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण में उल्लेख किया कि एफ.आर.बी.एम. के ऊपर मैं अलग से सदन में अपना वक्तव्य दूंगा. मैं आपके बजट भाषण से बड़ा भ्रमित हो रहा हूं. वित्त मंत्री महोदय, मैं आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा कि बजट भाषण के पेज 5 पर पैरा 10 में कहा गया है कि ''इस प्रकार भारत सरकार द्वारा मध्यप्रदेश के लिए लगभग रुपये 19 हजार 353 करोड़ के अतिरिक्त वित्तीय संसाधन का प्रावधान किया.'' ये कौन से अतिरिक्त वित्तीय संसाधन का प्रावधान केंद्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश की जनता के लिए किया गया है. यह बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न है और मध्यप्रदेश की जनता को यह जानने का हक है कि केंद्र सरकार ने इतनी बड़ी दरियादिली दिखाई और 19 हजार 353 करोड़ रुपये अतिरिक्त वित्तीय संसाधानों का प्रावधान किया है. मैं बड़ा आश्चर्यचकित था, मुझे इसका जवाब कहीं मिल नहीं रहा था, परंतु जब मैं भाषण को पढ़ते हुए आगे बढ़ा तो मुझे इसका जवाब मिल गया.
माननीय सभापति महोदय, पेज 41 पैरा 163 में, वित्त मंत्री जी पेज 5 पर केंद्र सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं और पेज 41 में कहते हैं कि- ''वित्तीय संसाधनों की कमी को देखते हुए भारत सरकार द्वारा अतिरिक्त ऋण लेने की सीमा स्वीकृत की गई है, जिसमें प्रदेश शासन को राजकोषीय घाटे की सामान्य सीमा 3 प्रतिशत के ऊपर, विशेष केंद्रीय सहायता के रुपये 1 हजार 320 करोड़ सहित कुल अतिरिक्त ऋण सीमा रुपये 19 हजार 353 करोड़ स्वीकृत की गई.''
माननीय सभापति महोदय, मेरी जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश को, जो कि हमारा डेवॉल्यूशन (Devolution) का शेयर में है, वह लगभग 8.63% है या थोड़ा-बहुत, ऊपर-नीचे हो गया हो. उसके मुताबिक 61 हजार करोड़ रुपया मध्यप्रदेश को अपने हक का, जीएसटी शेयर का मिलना चाहिए था. वित्त विभाग के जिम्मेदार अधिकारी यहां बैठे हुए हैं, माननीय मंत्री जी चाहें तो उनसे जानकारी भी ले सकते हैं. आप यहां बता रहे हैं कि उस 61 हजार करोड़ के विरूद्ध रुपया 45 हजार करोड़ केंद्र से प्राप्त हुआ है. आप किस बात के लिए धन्यवाद, केंद्र सरकार को दे रहे हैं ? उन्होंने आपकी ऋण लेने की सीमा बढ़ा दी है, आप अतिरिक्त ऋण ले लीजिये, उसके ब्याज का भुगतान भी आप कीजिये, उसका बोझ भी मध्यप्रदेश की जनता और मध्यप्रदेश सरकार के खज़ाने पर आयेगा. हमारा पैसा कहां गया ?
माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2019 में हमें जो रेवेन्यू जीएसटी के अगेंस्ट में केंद्र सरकार से प्राप्त हुई वह 49 हजार 500 करोड़ रुपया था. हम सरकार में थे. जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई, हमने हल्ला मचाया, इस बात पर विरोध प्रकट किया कि 49 हजार 587 करोड़ की राशि या थोड़ी-बहुत, इधर-उधर होगी, उसके विरूद्ध आपने मध्यप्रदेश की जनता को 12 हजार करोड़ रुपये कम दिये हैं. हम उस 12 हजार करोड़ की क्षतिपूर्ति की बात कर रहे थे. अगले वित्तीय वर्ष में जब उस राशि को बढ़कर मिलना था तो आप 45 हजार करोड़ रुपये मिलने पर केंद्र सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं और साथ ही यह भी कह रहे हैं कि हमें अतिरिक्त वित्तीय संसाधन केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध करवाये गये. उन्होंने कुछ उपलब्ध नहीं करवाया अपितु मध्यप्रदेश की जनता पर ऋणों का बोझ और बढ़ गया. हो सकता है, आप की मजबूरी हो, केंद्र सरकार के सामने आप नहीं कह पा रहे हों परंतु मैं बताना चाहूंगा कि यह हमारी और आपकी सरकार में अंतर था कि हम मध्यप्रदेश की जनता की बात निर्भीक तरीके से जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री महोदया के समक्ष रखते थे और कहते थे कि मध्यप्रदेश को उसका पैसा मिलना चाहिए. हमारा पैसा कम हो रहा है, हमारा राजकोषीय घाटा बढ़ता जा रहा है, हमारे ऊपर लोन की सीमा बढ़ती जा रही है.
माननीय सभापति महोदय, मैं इस सदन के माध्यम से वित्त मंत्री जी से एक और प्रश्न पूछना चाहता हूं कि हमें यह जानकारी मिली है कि आपको FRBM (Fiscal Responsibility and Budget Management) में एक प्रतिशत की छूट मिली है कि आप अतिरिक्त लोन ले सकते हैं. मंत्री जी, जब आप इस सदन में इस चर्चा के पश्चात् जवाब देंगे तो जरूर पूरे सदन को इस बात से अवगत करवाइयेगा कि वह छूट कब तक के लिए है. मैं वित्त विभाग के आंकड़े देख रहा था और यह चौंकाने वाली बात है, इसमें राजनीति की बात नहीं होनी चाहिए. हम सभी सदन के जिम्मेदार सदस्य हैं. हम मध्यप्रदेश की जनता का प्रतिनिधित्व इस सदन में करते हैं, हमें उनके हक की बात को बड़े ध्यान से इस सदन में रखना पड़ेगा. यह नहीं कि आज हम सरकार में हैं, कल आप थे, कल हम होंगे. हमें मध्यप्रदेश के दूरगामी भविष्य को भी देखना पड़ेगा. क्योंकि विश्वास के साथ भी हमें भी लोगों ने इस सदन में भेजा है. 21 हजार करोड़ के लगभग ऋण के रूप में मध्यप्रदेश सरकार ने ब्याज की राशि अदायगी की. सिर्फ ब्याज 21 हजार करोड़ रूपये का, आप उसको भाग देकर देखिये वित्त मंत्री महोदय उसका अर्थ यह होता है कि 60 करोड़ रूपये मध्यप्रदेश सरकार प्रतिदिन ब्याज के रूप में भर रही है, जो आपने लोन लिया है उसका. आप उसका एक और भाग करके देखिये कि प्रति घण्टे मध्यप्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा ब्याज के रूप में हम ढाई करोड़ रूपये भर रहे हैं. माननीय हम कर्ज लेकर प्रदेश को आगे बढ़ाना चाहते हैं और माननीय मैं स्वस्थ परम्परा पर विश्वास करता हूं, मैं कर्ज के खिलाफ नहीं हूं. आम आदमी भी अपने जीवन में कर्ज लेता है और उसका प्रबंधन करता है, सोच के, विचार करके सलाह करके, जो इकानॉमिस्ट होते हैं उनके साथ बैठकर और आपके पास तो बहुत अच्छी टीम है जो वित्त विभाग को वल्लभ भवन में संभाल रही है. कई बार हम अपनी राजनीतिक मजबूरियों को देखते हुए ऐसी बातें थोपने का प्रयास करते हैं और उसके दूरगामी प्रभावों की, परिणामों की हम चिंता नहीं करते हैं, यह एक सोचनीय विषय है. आपने प्रस्तावित किया है कि इस वित्तीय वर्ष में आपने जो बजट पेश किया है उसकी पूर्ति हेतु लगभग 49 हजार 8 सौ करोड़ रूपये का कर्जा और लेंगे. यह बहुत ज्वलंत प्रश्न हम सबके सामने है. सभापति महोदय,कर्जा लेना तो बहुत आसान होता है और पीढि़यां भी कर्जे नहीं चुका पाती हैं. इस पर हमको विचार करना पड़ेगा, सरकार यह प्रयास क्यों नहीं करती कि हम अपने अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटायें,बहुत से तरीके से हो सकते हैं, हमने भी प्रयास किया था, आपने कहा खाली खजाना छोड़ गये. माननीय वित्त मंत्री महोदय, आप अपने पुराने लेखे-जोखे को उठाकर देखिये कि जब हम सरकार में आये तो रेवेन्यु के रूप में आपको आबकारी से कितना पैसा प्राप्त होता था और जो नीति हमने बनायी उसके बाद आपको कितना रूपया प्राप्त हुआ.
सभापति महोदय, आज सदन में रेत का बड़ा ज्वलंत मुद्दा रेत का था, बार-बार उठ रहा था रेत के उत्खनन का, जब प्रश्नकाल चल रहा था तो सदन को स्थगित तक करना पड़ा था. माननीय वित्त मंत्री महोदय, पूर्ववर्ती सरकार के समय जब हम सरकार में आये उसके पहले मेरी जानकारी के मुताबिक सरकार को कुल दौ सौ, सवा दौ सौ रूपये की रेवेन्यु मिलती थी, जो नीति हमने बनायी उसके मुताबिक आज आपने बड़े गर्व के साथ कहा कि साढ़े चौदह सौ करोड़ रूपये हमें सिर्फ रेत के टेण्डर की नीलामी की प्रक्रिया अपनायी है, उससे प्राप्त होगा. माननीय महोदय, मैं श्रेय नहीं लेना चाहता हूं पर वह टेण्डर कब हुए थे, वह नीति कब बनी थी ? बनाकर हम गये थे, करके हम गये थे, पैसा आया, हमारे घर का पैसा नहीं था मध्यप्रदेश की आम जनता का पैसा था, परन्तु यह हमारा कर्तव्य भी बनता है कि जब पैसा आया तो पैसा खर्चा कैसे हो, यह प्रश्न हम बहुत दिनों तक टाल नहीं सकते हैं. इस समाधान को हम टाल नहीं सकते हैं, हमें कई बार राजनीतिक मजबूरियों को पीछे छोड़कर ऐसे कदम भी उठाने पड़ेंगे कि अगर हम सही में एक आत्म निर्भर मध्यप्रदेश बनाना चाहते हैं, हम अपने नौजवानों को काम देना चाहते हैं, हम सही में एक आधारभूत अच्छा ढांचा प्रदेश के अंदर खड़ा करना चाहते हैं, अगर हम यह चाहते हैं कि हमारे बेटे-बेटियां पढ़ें, आगे बढ़ें, उनके लिये अच्छी शिक्षा की व्यवस्था हो तो हमें बहुत गंभीरता के साथ कई चीजों को रिवाइज करके सोचना पड़ेगा और एक नई सोच के साथ आगे बढ़ना पड़ेगा और मैंने आपसे पहले भी कहा है कि आपके पास बहुत सारी ऐसी क्षमताएं मौजूद हैं जिनका उपयोग हमें राजनैतिक तौर-तरीकों को छोड़कर करना पड़ेगा. बड़े काबिल अधिकारी बैठे हैं, एक से एक इकॉनामिस्ट बैठे हैं, हम भी उनसे सलाह लेते थे. माननीय वित्त मंत्री महोदय, आप उनसे सलाह लीजिये आप उनको बुलाइये सेमीनार आयोजित कीजिये, आपने लिखा भी है कि आप वेबीनार आयोजित करेंगे, परन्तु यह तो आपको बजट लाने से पहले भी करना चाहिये था, उनसे चर्चा करना चाहिये था, पूछना चाहिये था कि बिना जनता पर बोझ डाले, बिना कर्ज का बोझ बढ़ाये हम कैसे अपने प्रदेश की जनता को सबसे अच्छी बेहतर सुविधाएं दे सकते हैं. कैसे हम आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने की ओर तेजी से अग्रसर हो सकते हैं ? आप वित्त विभाग के मंत्री हैं, कामर्शियल टैक्स विभाग भी आपके पास है, योजना भी आपके पास है, आर्थिक सांख्यिकी विभाग भी आपके पास है. एक बड़ी विरोधाभासी चीज मुझे देखने को मिली जो मैं कह रहा हूं तथ्यों के साथ कह रहा हूं. आपसे उत्तर की अपेक्षा भी करूंगा जब आप चर्चा के बाद अपना वक्तव्य देंगे. मध्यप्रदेश में आर्थिक सर्वेक्षण आया बजट के पहले प्लानिंग विभाग लाता है उसके मंत्री भी आप हैं. उसमें मैंने बड़ी चौकाने वाली चीज देखी. आर्थिक सर्वेक्षण यह कहता है कि हमारी जी.एस.डी.पी. सकल घरेलू उत्पाद 10 लाख करोड़ के करीब रहेगा, उसके नीचे रहेगा. जो बजट आपने 2021-22 का रखा है इसमें आप कह रहे हैं कि हमारी जी.एस.डी.पी. का अनुमान जो है 11 लाख 50 हजार करोड़ रूपये से अधिक है. मैं किसको सही मानू ? आप दोनों विभागों के मंत्री हैं. आपके प्लानिंग विभाग के आर्थिक सर्वेक्षण को सही मानू कि वित्त विभाग के द्वारा आपने जो बजट प्रस्तुत किया इसको मैं सही मानू ? अगर इस प्रकार से भ्रमित करके हम सिर्फ आंकड़ों का खेल खेलेंगे तो मध्यप्रदेश का भविष्य क्या होगा इसकी कल्पना हम यहां पर बैठे सब जिम्मेदार व्यक्ति कर सकते हैं. 175 पैरा इस बजट भाषण में है उसमें वायदे, प्रावधान, उसमें यह करेंगे, सोचेंगे, प्रयास करेंगे. पर अगर प्रावधानित करके बजट के लिये कुछ चीजे रखी गई हैं. वह मात्र 20 से 24 पैरा में सिमट जाती हैं. क्या इस प्रकार से हम आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने वाले हैं. सिर्फ एक कागज जिसे हम बजट विजन डाक्यूमेन्ट कहते हुए इस सदन के अंदर रख दें और अपेक्षा यह करें कि हम जिम्मेदार जन-प्रतिनिधि यहां पर बैठकर इसको पास कर देंगे. मैंने पहले ही कहा था कि मैं नकारात्मक राजनीति में कभी विश्वास नहीं करता. हम विपक्ष के रूप में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिये तैयार हैं, हम आपको हर कदम पर साथ देने को तैयार हैं, क्योंकि आपके पास जिम्मेदारी जितनी महत्वपूर्ण शासन चलाने की है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण जनता ने हमें जिम्मेदारी सौंपी है. हमें विपक्ष मे रहते हुए आपके हर कदम को अगर गलत दिशा में जाता है उसको ठीक करने के दायित्व हमारे पास में है. मैं वित्तमंत्री जी के सामने कुछ आंकड़े रखूंगा. आपने यह कहा था कि यह सब हमने किया पहले कुछ नहीं किया गया था वह मेरे पास में सारे आंकड़े हैं. मैं पुराना बजट का भाषण भी लाया हूं और उसमें जो प्रावधान थे वह भी आपके सामने जरूर रखूंगा. एक बात मैं समझ नहीं पा रहा हूं वैसे तो हम हर मामले में बड़े भावनात्मक हो जाते हैं और भारतीय परम्परा एवं हमारी संस्कृति है. मनुष्य में भावनाएं होनी भी जरूरी हैं, पर ऐसी भावनाएं हमारी जब हम वित्तीय प्रबंधन की बात करते हैं, हम क्यों यह सोचते हैं कि हम कहीं कमजोर दिखेंगे, कहीं कमजोर पड़ेंगे. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप जो बाजार से ऋण लेते हैं उसका एक प्रोसेस है मार्केट में आपके 7 प्रतिशत से लेकर 8 प्रतिशत तक की दरों पर ब्याज पर पैसा मिलता है. आप हमेशा से प्रयास करते हैं जब मैं भी वित्त विभाग में था तो मुझे भी अधिकारी समझाते थे कि वेज एण्ड मीन्स नहीं लगना चाहिये, क्यों नहीं लगना चाहिये उससे क्या नकारात्मक होने वाला है, सदन को तथा मध्यप्रदेश की जनता को आप बतायें? अगर वेज एण्ड मीन्स लगेगा उसमें जो ऋण आप ले रहे हैं वह 3 से साढ़े तीन प्रतिशत पर मिलेगा. हम क्यों उससे बचना चाहते हैं ? क्यों भावनात्मक हो जाते हैं, क्यों झूठी वाहवाही करना चाहते हैं ? यह किसी का व्यक्तिगत रूपया थोड़े ही है जो हमें ब्याज के रूप में देना है. यह मध्यप्रदेश की आम जनता का पैसा है जो करों के रूप में हमें प्राप्त होता है चाहे वह जीएसटी से केन्द्र से आये चाहे यहां से आये. लगने दीजिये वेज एण्ड मीन्स लीजिये 3 से साढ़े तीन प्रतिशत पर पैसा, क्यों हम 7 से 8 प्रतिशत का ब्याज हम भरेंगे. कौन आपको रोकता है?
कौन रोकता है आपको हम आपका साथ देंगे हम यहां सवाल नहीं उठाएंगे, बल्कि यहां बैठकर ताली बजाएंगे कि नहीं आपने प्रदेश की जनता का पैसा बचाया. 4 प्रतिशत कम ब्याज पर आपने पैसा लिया. माननीय सभापति जी, 15 वां वित्त आयोग मध्यप्रदेश में आया था. हमने मुलाकात की एक बड़े काबिल व्यक्ति उसके अध्यक्ष थे, जो पूर्व में हिन्दुतस्तान के केबीनेट सेक्रेटरी भी रह चुके हैं, आदरणीय एन.के. सिंह साहब. मुझे जानकारी हुई मिली है कि शायद 15 वें वित्त आयोग ने अपनी सिफारिशें प्रस्तुत भी कर दी. हमने उनसे निवेदन किया कि केन्द्र सरकार मध्यप्रदेश के साथ बहुत भेदभाव करती है और खासतौर पर मध्यप्रदेश जैसा राज्य जो खेती के ऊपर 70 प्रतिशत निर्भर करता है. हिन्दुस्तान में यदि आनुपातिक देखा जाए तो आदिम जाति, हमारे यहां सबसे ज्यादा शेड्यूल ट्रायबल के लोग रहते हैं, उनकी संख्या सर्वाधिक है मध्यप्रदेश में, एस.सी. वर्ग के लोगों की संख्या सर्वाधिक है. हमारे साथ भेदभाव क्या होता है, सभापति महोदय, वित्त मंत्री महोदय, इस बारे में आप जरूर केन्द्रीय वित्त मंत्री महोदया से निवेदन कीजिए और जरूरत पड़े तो प्रधामंमंत्री महोदय के पास चले, मध्यप्रदेश की जनता की बात है, आपके नेतृत्व में हम भी आपके साथ चलने को तैयार हैं और यह मांग उनके सामने रखेंगे कि जब आप सरचार्ज और सेस लगाते हैं तो लाखों करोड़ों रूपए हमारे हिन्दुस्तान की जनता से मध्यप्रदेश की जनता से वसूलते हैं, उसको डिवोल्युशन के शेयर में क्यों नहीं डालते, अनुपातिक मात्रा जो हमें हमारा परसेंटेज मिलना है, जीएसटी के कलेक्टशन का वह सेस और सरचार्ज में क्यों नहीं मिलना चाहिए. क्या मध्यप्रदेश की जनता के ऊपर आप सेस और सरचार्ज नहीं लगाते. मेरी जानकारी के मुताबिक सेस और सरचार्ज से केन्द्र की सरकार को 4 लाख करोड़ रूपए से भी अधिक प्राप्त होगा. 4 लाख करोड़ में 32 हजार करोड़ कम से कम मध्यप्रदेश की जनता का हिस्सा है.
सभापति महोदय - आप 1-2 मिनट में खत्म कीजिए. सारे बिन्दुओं पर आपने बहुत अच्छी तरह से बात रखी.
श्री तरुण भनोत - अभी तो मैं आपसे बता रहा हूं, यह आपके और प्रदेश की जनता के काम आएंगे, अगर आपको लगता है, महत्वपूर्ण है तो वित्त मंत्री महोदय आप ही सभापति महोदय से निवेदन कर दें कि मुझे 5 मिनट अतिरिक्त देवें.
सभापति महोदय - आपका अभी आधा घंटा हो गया है, पार्टी की तरफ से स्पष्ट नाम है, बाकी जो सदस्य हैं, उनका समय कम होता जा रहा है. एक-दो मिनट में समाप्त कीजिए.
श्री तरुण भनोत - हम लोग सब एक ही है, कहावत है न हाथी के पांव में सबका पांव.
सभापति महोदय - चलिए समाप्त कीजिए.
श्री तरुण भनोत - माननीय सभापति जी, आपके ऊपर टोटल जो लोन है वह लगभग 2 लाख 33 हजार करोड़ रूपए से अधिक हो गया है, जो आपने वर्ष 2021-22 के लिए रखा है, उसके मुताबिक वह हो जाएगा, 2 लाख 82 हजार करोड़ रूपए से भी अधिक. आप लोन लेते जा रहे हैं, ब्याज बढ़ता जा रहा है, पब्लिक वेलफेयर में, जनता के कल्याणकारी कार्यों में हमारी जो सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी हुई स्कीम्स है, उसके तहत जो लाभ मिलना चाहिए, उसका बहुत बड़ा भाग आप ब्याज के रूप में बैंकों को चुका रहे हैं. यह एक बड़ी सोचनीय बात है. वित्त मंत्री महोदय, आपने एक बात और कहीं थी, मैंने शुरू में कहा भा था, यह दावा किया गया, अखबारों में, टी.वी. में सभी जगह जीरों प्रतिशत टैक्सेशन का कर, आपने प्रस्तावित किया, राज्य के मुख्य कर राजस्व जो आपको प्राप्त होने वाले हैं, इस वित्तीय वर्ष में, जीएसटी बिक्री कर, प्रवेश कर विलासिता कर 36 प्रतिशत बढ़कर आपको मिलेगा, राज्य उत्पाद शुल्क 9 हजार करोड़ से बढ़कर 12 हजार 109 करोड़ रूपए हो जाएगा, स्टाम्प तथा पंजीकरण शुल्क 5 हजार करोड़ से बढ़कर 6 हजार 495 करोड़ हो जाएगा, आय तथा व्यय पर अन्य कर 325 से बढ़कर 340 करोड़ हो जाएंगे, वाहन कर ढाई हजार से बढ़कर 3 हजार 600 करोड़ रूपए हो जाएगा, भू राजस्व 500 करोड़ से बढ़कर 850 करोड़ हो जाएगा, विद्युत कर तथा शुल्क 3 हजार करोड़ से बढ़कर 31 सौ करोड़ हो जाएगा, खनिज उपकर 650 करोड़ से बढ़कर 680 करोड़ हो जाएगा. माननीय जब आप वही जीरों प्रतिशत टैक्सेशन का बजट लाए हैं, कोई नया कर आप नहीं लगा रहे हैं तो ये रेवेन्यु आपकी कैसे बढ़ रही है और अगर इतनी रेवेन्यू आपकी बढ़ रही है तो आप यह क्यों प्रस्तावित कर रहे हैं कि अगले वित्तीय वर्ष में हम लगभग 50,000 करोड़ रुपये का नया लोन लेने जा रहे हैं. इन प्रश्नों के जवाब मध्यप्रदेश की जनता आपसे चाहती है.
सभापति महोदय - अब आप समाप्त कीजिये.
श्री तरुण भनोत - मैंने आपसे कहा है कि हमारा एक वक्ता कम हो जायेगा. आप 5 मिनट दे दीजिये.
सभापति महोदय - मैं आपको 5 मिनट नहीं दे सकता हूँ. आप केवल एक मिनट में समाप्त करें.
श्री तरुण भनोत - सभापति महोदय, हमारी जनता परेशान है, कर्मचारी परेशान हैं, किसान परेशान हैं और साथ-साथ अब तो हमारे घरों की गृहणियां- हमारी माताएं एवं बहनें, जो चूल्हा-चौका करती हैं, वह भी महंगाई से परेशान हैं. मैं आपसे पुन: निवेदन कर रहा हूँ कि कम से कम पेट्रोलियम पदार्थों पर आप 5 प्रतिशत जीएसटी कम करें, स्टेट के लिए वैट कम करें. अब कुछ आंकड़े बताकर अपनी बात समाप्त करूँगा. आपने यह कहा था कि पिछली सरकार ने कुछ नहीं किया है. कृषि बजट के लिये सन् 2019-20 में 46,559 करोड़ रुपये का प्रावधान हमारी सरकार ने किया था. किसानों के ऋण माफ करने हेतु 'जय किसान फसल माफी योजना' में 8,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था और माननीय सभापति महोदय, वह बजट इसी सदन ने पास किया था और वह लागू भी हुआ था. आप कहते हैं कि हमारी सरकार ने किसानों का ऋण माफ नहीं किया. (डॉ. सीतासरन शर्मा जी को उनके स्थान पर खड़े होते हुए देखकर) पंडित जी, आप बहुत विद्वान हैं, आपको मौका मिलेगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा - किसानों का ऋण कितना था ? 50,000 करोड़ रुपये. आपने 8,000 करोड़ रुपये दिये.
श्री तरुण भनोत - आप सभापति महोदय जी से बोल दें, वे मुझे समय दे दें. मैं आपकी बात का जवाब दूँगा.
सभापति महोदय - आप समाप्त करें.
श्री तरुण भनोत - माननीय हमारे यहां किसानों के ऊपर, आप बता रहे हैं 50,000 करोड़ रुपये कर्जा था. यह फिगर आपको किसने दिया. बैंकों ने किसानों के ऊपर कर्ज निकाला हुआ था, उनके एकाउंट बन्द थे, एनपीए था, हमारे माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री महोदय ने बैंक के उच्चाधिकारियों से बैठकर बात की. प्रथम चरण में जिन किसान भाइयों के ऊपर 28,000 करोड़ रुपये का ऋण बाकी था, उसका अगर हमने 8,000 करोड़ रुपये में सेटलमेंट करके उस ऋण को चुकाया तो हमने प्रदेश का पैसा ही बचाया, न कि हम वह पैसा उठाकर बैंकों को दे देते. जो जनता की गाढ़ी कमाई का टैक्सों के रूप में प्राप्त पैसा था. यह तो हमारा प्रबंधन था, हमारा कुशल मैनेजमेंट था कि 28,000 करोड़ रुपये की हमारी देनदारियां, हमने किसान भाइयों की 8,000 करोड़ रुपये में करवाकर उनके खाते पुन: चालू करवा दिये. आप बोलते हैं कि आपने 50,000 करोड़ रुपये क्यों नहीं दिये ? तो क्या वे 50,000 करोड़ रुपये हमसे मांगते और हम उनको दे देते. मुझे अपने घर से पैसा नहीं देना था. तत्कालीन मुख्यमंत्री जी को अपने खाते से पैसा नहीं देना था. यह जनता का पैसा था अगर हमने बैंकों से सहमति करके 28,000 करोड़ रुपये के कर्जे को 8,000 करोड़ रुपये में बराबर करके किसानों को राहत दी, तो आपको तो हमारी पीठ थपथपानी चाहिए.(मेजों की थपथपाहट) आप हमारा विरोध करते हैं.
माननीय सभापति महोदय, उद्यानिकी में हमने 1,116 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित की थी, आपने 1,236 करोड़ रुपये प्रस्तावित किये हैं. यहां पर बड़ी-बड़ी बातें की जा रही थी, मैं दावे के साथ इस सदन में कह रहा हूँ कि आप पुराने बजट को उठाकर पढ़ लीजिये. मेरे पास कॉपी है, यदि आपको चाहिए तो आपको भी दे दूँगा. सहकारिता विभाग के लिए हमने 2,583 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था और हमने सहकारिता विभाग के अंतर्गत सहकारी बैंकों को अंश पूंजी हेतु 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. सहकारी बैंकों के माध्यम से कृषकों को अल्पकालीन ऋण पर ब्याज अनुदान हेतु 700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, आप कहते हैं कि हमने किसानों के लिए कुछ नहीं किया, हमने सहकारिता के लिए कुछ नहीं किया. पशुपालन एवं मछुआ कल्याण में हमारे द्वारा 1,204 करोड़ रुपये की राशि प्रावधानित की थी और आपने 866 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है. माननीय महोदय, ग्रामीण विकास की योजनाओं के लिए 17,186 करोड़ रुपये का प्रावधान माननीय वित्त मंत्री महोदय, तत्कालीन सरकार ने किया था, जिसमें ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना पर बार-बार यह हल्ला मचाया जाता है कि कांग्रेस पार्टी की तत्कालीन सरकार ने उन योजनाओं को बन्द कर दिया था, हमने दोबारा शुरू कर दी. मैं आंकड़ों के साथ आपको बता रहा हूँ. आप वित्त मंत्री हैं. हमने 6,600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना हेतु हमने 2,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था और आप सदन में, इस महत्वपूर्ण जगह पर खड़े होकर आप बोल देते हैं कि सरकार ने सारी योजनाएं बंद कर दी थीं, गरीबों के आवास बंद कर दिये थे, शहर में रहने वाले लोगों ने गरीबों के आवास बन्द कर दिये थे.
सभापति महोदय - तरुण जी, बहुत-बहुत धन्यवाद. आपका अच्छा संबोधन रहा. आपके मंत्री के रूप में संबोधन से भी अच्छा रहा. धन्यवाद. सारे बिन्दुओं पर चर्चा हो गई.
श्री तरुण भनोत - सभापति जी, संबोधन अच्छे या बुरे की बात नहीं है. आपने मुझे बोलने का समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय -- आपने बहुत अच्छा बोला है, सारे बिंदुओं पर चर्चा हो गई है.
श्री तरूण भनोत -- माननीय सभापति महोदय, यह मध्यप्रदेश की जनता के भविष्य की बात है. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का सपना सिर्फ सपना न रह जाये. सभापति महोदय, आपने समय दिया इसके लिये धन्यवाद. मैं बात तो अपनी ओर रखना चाहता था पर किसी ओर प्लेटफार्म पर व्यक्तिगत तौर पर मिलकर भी रख सकता हूं. माननीय सभापति महोदय, मुझे यह विश्वास है कि हमारे जो सुझाव होंगे आप उसको सकारात्मक तरीके से लेंगे और अधिकारियों से चर्चा करके अगर कुछ नया हम समाहित कर सकते हैं तो इसमें कोई छोटा बड़ा नहीं हो जाता है. जब आपने सुझाव रखे थे तो हमने भी आपके सुझावों को माना था. आप जरूर बड़प्पन दिखायेंगे और हमारी बातों को भी समाहित करेंगे, धन्यवाद.
श्री केदारनाथ शुक्ल (सीधी) -- माननीय सभापति जी, लोकोपकारी बजट के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी, वित्तमंत्री जी और पूरी सरकार को धन्यवाद है.
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
माननीय प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया है. मध्यप्रदेश सरकार ने नीति निर्धारकों, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, नागरिकों से इन सबसे विचार विमर्श करके कुछ रोड मेप तैयार किया है. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिये चार स्तंभ तय किये गये है. भौतिक अधोसंरचना, शिक्षा एवं स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था एवं रोजगार, सुशासन सभी क्षेत्रों में समय सीमाओं में लक्ष्य प्राप्त करने का उद्देश्य है और चारों स्तंभों में अपने कुछ नये मिशन हैं, उन मिशन की हम प्राप्ति करेंगे.
माननीय सभापति महोदय,हम अगर विस्तार में जायेंगे तो भाषण बड़ा लंबा होगा लेकिन हम कुछ टू दा प्वाइंट बात करेंगे. आत्मनिर्भर बजट वर्ष 2021-22 में मिशन मोड तैयार किया है. जनता का बजट तैयार करने के लिये सुझाव लिये गये हैं. वर्ष 2021-22 का बजट डिजिटली प्रस्तुत किया गया है, जिसे एम.पी.गर्वनमेंट डायरी एप के माध्यम से कभी भी देखा जा सकता है. यह Budget www.finance.mp.gov.in वित्त विभाग की वेबसाईट पर भी उपलब्ध रहेगा. अब इसमें कुल विनियोग की राशि 2 लाख 41 हजार 375 करोड़ रूपया है, जिसमें कुल शुद्ध व्यय 2 लाख 17 हजार 123 करोड़ का प्रावधान किया गया है. इसमें राजस्व घाटा 8 हजार 294 करोड़ रूपये का है. सकल राज्य घरेलु उत्पाद से राजकोषीय घाटे का 4.5 प्रतिशत अनुमानित है. अनुमानित राजस्व प्राप्तियां 1 लाख 64 हजार 677 करोड़ है, जिसमें राज्य के स्वयं के कर की राशि 64 हजार 914 करोड़ रूपये है. केंद्रीय करों में प्रदेश का हिस्सा 52 हजार 247 करोड़, क्रयेत्तर राजस्व 11 हजार 742 करोड़ एवं केन्द्र से प्राप्त सहायता अनुदान राशि 35 हजार 774 करोड़ रूपये शामिल है. वर्ष 2021-22 में वर्ष 2020-21 के पुनरीक्षित अनुमान की तुलना में राज्य स्वयं के कर राजस्व में 22 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है. वर्ष 2021-22 में वर्ष 2020-21 के पुनरीक्षित अनुमान की तुलना में राजस्व व्यय में 9 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है. इसी तरह पूंजीगत परिव्यय में वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद का 3.9 प्रतिशत अनुमानित है. राजस्व घाटा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का माइनस 0.73 प्रतिशत है. वर्ष 2021-22 में ब्याज भुगतान का कुल राजस्व प्राप्तियों का 12.72 प्रतिशत है.
माननीय सभापति महोदय, अब विभागवार हम इन सब बातों को देखेंगे तो अनुसूचित जनजाति सब स्कीम जितनी हैं, उनमें 24 हजार 911 करोड़ रूपया अनुसूचित जनजाति के लिये जो हमारी उप योजनाएं हैं, उनमें हम खर्च करने जा रहे हैं. अनुसूचित जाति सब स्कीम है, अनुसूचित जनजाति के लिये है 24 हजार 911 करोड़ रूपये है, अनुसूचित जाति के लिये जो विभिन्न परियोजनाएं हैं 17 हजार 980 करोड़ रूपये की हैं. सरकारी प्राथमिक शालाओं की स्थापना हेतु 9 हजार 793 करोड़ का प्रावधान स्कूल शिक्षा विभाग के मार्फत किया गया है. एक नई बात जो शुरू करने जा रहे हैं, जिसे प्रधानमंत्री जी ने भी कहा जल मिशन, तो जल जीवन मिशन हेतु 5 हजार 765 करोड़ रूपये का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है. माध्यमिक शालाएं, शालाओं का विकास और शालाओं के लिये 5 हजार 329 करोड़ रूपये का प्रावधान माध्यमिक शालाओं के लिये किया है. अटल कृषि ज्योति योजना के लिये 4600 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. शासकीय हाईस्कूल, हायर सेकेण्डरी शालाओं हेतु 4 हजार 27 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. समग्र शिक्षा अभियान हेतु 3993 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. 15वें आयोग की बात आई थी, 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा अनुसार स्थानीय निकायों को अनुदान हेतु 4394 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. प्रवेश कर से नगरीय निकायों को हस्तांतरण हेतु 3600 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 3200 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन हेतु 3035 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. प्राथमिक शालाओं हेतु जनजातीय कार्य विभाग में 2987 करोड़ रूपये, जनजातीय के लिये अलग योजनायें हैं उनके लिये पहले बताया था, यह विद्यालय के लिये है, प्राथमिक शालाओं के लिये, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हेतु 2925 करोड़ रूपये का प्रावधान, अटल गृह ज्योति योजना के लिये 2581 करोड़ रूपये का प्रावधान, प्रधानमंत्री आवास योजना हेतु 2500 करोड़ रूपये का प्रावधान है, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हेतु 2220 करोड़ रूपये का प्रावधान है. नहर तथा उससे संबंधित निर्माण कार्य हेतु 2026 करोड़ रूपये का प्रावधान है. कला, विज्ञान तथा वाणिज्य महाविद्यालयों के लिये 2016 करोड़ रूपये का प्रावधान है. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना हेतु 2 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान है. मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता हेतु 2 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान है. बाह्य तथा संलग्न कार्य हेतु 1885 करोड़ रूपये का प्रावधान है. सामाजिक सुरक्षा तथा कल्याण हेतु 1816 करोड़ रूपये का प्रावधान है. माध्यमिक शालाओं हेतु 1769 करोड़ रूपये, हाउसिंग फॉर ऑल के लिये 1500 करोड़ रूपये का प्रावधान है. सीएम राइज हेतु 1500 करोड़ रूपये का प्रावधान है. न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम विशेष पोषण आहार योजना 1450 करोड़ रूपये का प्रावधान है. मध्यप्रदेश विद्युत मंडल द्वारा 5 एच.पी. के कृषि पम्प, थ्रेसर तथा एक बत्ती कनेक्शन को नि:शुल्क विद्युत प्रदाय हेतु प्रतिपूर्ति रूपये 1301 करोड़ रूपये का प्रावधान है. आंगनबाड़ी सेवायें जो गांव में चलती हैं उनके लिये 1272 करोड़ रूपये का प्रावधान है. मेग्नीफिसेंट, एमपी इनवेस्टमेंट अर्टेक्शन स्कीम हेतु 1237 करोड़ रूपये का प्रावधान है. जिला सिविल अस्पताल एवं औषधालय हेतु 1208 करोड़ रूपये का प्रावधान है. चिकित्सा महाविद्यालय तथा संबद्ध चिकित्सालय हेतु 1172 करोड़ रूपये का प्रावधान है. इंदिर गांधी राष्ट्रीय वृद्धवस्था पेंशन 1144 करोड़ और मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम हेतु 1001 करोड़ रूपये का प्रावधान है. अटल मिशन फार रिजुवनेशन एण्ड अर्बन ट्रांसफार्मेशन 1000 करोड़ रूपये रूपये का प्रावधान है. सहकारी बैंकों के माध्यम से कृषकों को अल्पकालीन ऋण पर ब्याज अनुदान 1 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान है.
श्री पी.सी. शर्मा-- शुक्ला जी, यह तो वित्तमंत्री जी ने बजट में पढ़ दिया था, आप उसको फिर से पढ़ रहे हो. यह सभी जानकारी बजट में आ गई है.
श्री केदारनाथ शुक्ल-- वित्तमंत्री जी ने जो बजट भाषण दिया है उसी पर तो भाषण होगा और उस पर यहां से निकालकर के किस मद में कितना दिया है, यह हम आपको निचोड़ बता रहे हैं फिर आपको जो विरोध करना होगा वह करियेगा. अब इतनी बड़ी योजनायें और इन पर जो दिया गया पैसा है अगर हम केवल भाषण देने लगेंगे तो यह बात थोड़ी आ जायेगी.
श्री पी.सी. शर्मा-- अभी भनोत जी ने बताया, पैसा कहां है.
सभापति महोदय-- शुक्ल जी आप अपना सम्बोधन जारी रखें.
श्री केदारनाथ शुक्ल-- लाड़ली लक्ष्मी हेतु 922 करोड़, स्मार्ट सिटी हेतु 900 करोड़, अनुरक्षण तथा मरम्मत हेतु 891 करोड़, ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना 878 करोड़, 11वीं और 12वीं महाविद्यालय छात्रवृत्ति हेतु 872 करोड़, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को अतिरिक्त मानदेय 8070 करोड़, प्रधानमंत्री सड़क योजना अंतर्गत निर्मित सड़कों का नवीनीकरण एवं उन्नयन 850 करोड़, गहन विकास परियोजना 684 करोड़, ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिये 620 करोड़, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिये 602 करोड़, मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना हेतु 600 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. मध्यप्रदेश सड़क विकास कार्यक्रम एडीव्ही वित्त पोषित 600 करोड़, राज्य शासन के उपक्रमों की पुनर्संरचना एवं ऋण सहायता हेतु 550 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि 550 करोड़, एनव्हीडीए से वित्त पोषण 515 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, निर्मल भारत अभियान हेतु 500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. माननीय सभापति महोदय, इन प्रावधानों के बाद एक बात उठती है कि पिछली सरकार की तुलना में, पिछले बजट की तुलना में आपने क्या अधिक किया क्या कम किया. तो उसमें सामान्य प्रशासन के लिये जो 2020-21 का बजट था उसमें बजट अनुमान था 857.9 करोड़. हमारा बजट अनुमान 2021-22 का 1016 करोड़ है. 158.1 करोड़ का अंतर है जो 18.4 प्रतिशत है. इसी तरह गृह विभाग में 8110 करोड़ का प्रावधान था 2020-21 में, हमारा है 8672 करोड़ का, अंतर है 565 करोड़. 6.9 प्रतिशत में अंतर है जेल विभाग में 442.3 करोड़ बजट था. हमारा 2020-21 का अनुमान है 528.5 करोड़. जो 19.5 प्रतिशत में अंतर है. इसी तरह विभिन्न विभागों में पिछले बजट की तुलना में कुल मिलाकर 35977.8 करोड़ का हमारे बजट में अंतर है जो17.5 प्रतिशत होता है. हमने लगातार बजट मे वृद्धि की है. हमारा लोकोपकारी बजट है. सामने की ओर से बात आती है कि हमारा यह बजट में प्रावधान था. इन्होंने बजट में प्रावधान किया था. इन्होंने घोषणा की कि हम बिटिया की शादी में, कन्यादान योजना में 51 हजार रुपये देंगे. एक भी माननीय प्रतिपक्ष के विधायक अपने क्षेत्र की एक भी बिटिया का, एक भी जोड़े का नाम बता दें जिसको 51 हजार रुपये दिये हों.
श्री कुणाल चौधरी - मेरे यहां 1 हजार शादियां हुई है और सबके पैसे आ गये. यह असत्य कह रहे हैं.
सभापति महोदय - शुक्ल जी, वरिष्ठ सदस्य हैं. उनको अपनी बात कहने दें.कृपया जल्दी समाप्त करें.
श्री केदारनाथ शुक्ल - एक को भी नहीं दिया. परिस्थिति यह बनी, संबल योजना जो गरीबों के लिये बनी थी. संबल योजना को इन्होंने बंद कर दिया. संबल योजना का गरीबों को लाभ नहीं मिल पा रहा था. सभी परेशान थे. अभी हमने सामान्य प्रशासन को, स्थानीय निकायों के निर्वाचन के लिये 221 करोड़ का प्रावधान किया है. गृह विभाग के अंतर्गत सामान्य व्यय के लिये 4376 करोड़ का प्रावधान किया है. सामान्य व्यय के लिये, विशेष पुलिस, 1486 करोड़ का प्रावधान किया है. मुख्यमंत्री पुलिस आवास योजना के लिये 405 करोड़ का प्रावधान किया है. जेल विभाग में, केन्द्रीय तथा जिला जेलें, 420 करोड़. राजस्व विभाग के अंतर्गत राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन करके और सारी बातें समाहित करके 622 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान किया है. आपदा प्रबंधन योजनाओं को बनाने हेतु 485 करोड़ का प्रावधान किया है. आपदा प्रबंधन को एक नये तरीके से बनाना है. बाढ़ तथा अतिवृष्टि पीड़ितों की राहत हेतु 423 करोड़ का प्रावधान किया है. पंद्रहवें वित्त आयोग के अंतर्गत क्षमता निर्माण हेतु 240 करोड़ का प्रावधान किया है. भूप्रबंधन हेतु 158 करोड़ का प्रावधान किया है. ओला पीड़ितों की राहत हेतु 150 करोड़ का प्रावधान किया है. इसमें बहुत सारी बातें नवाचार की हैं जो नये ढंग से घोषित की गयी हैं. वन विभाग में प्रतीकात्मक वन रोपण निधि में 550 करोड़ रुपये हम खर्च करने जा रहे हैं. केम्पा निवल वर्तमान मूल्य हेतु 388 करोड़ का प्रावधान, कार्य योजनाओं के क्रियान्वयन,संरक्षण हेतु 350 करोड़ का प्रावधान. केम्पा प्रतिपूरक वनीकरण हेतु 211 करोड़ का प्रावधान. एक केम्पा योजना भी जो फारेस्ट में लागू की गयी है. यह नयी है. इसके पहले यह नहीं थी. औद्योगिक नीति एवं निवेश के प्रोत्साहन के लिये 1237 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. मेग्नीफिसेंट एम.पी. इन्वेस्टमेंट अट्रेक्शन स्कीम में.
सभापति महोदय - मैं यह बताना चाहूंगा कि केम्पा योजना का नाम नया दिया है. योजना बहुत पुरानी है.
श्री केदारनाथ शुक्ल - ठीक है सभापति महोदय. ऊर्जा विभाग के अंतर्गत पंद्रहवें वित्त आयोग के अनुसार अपेक्षित सुधार करने के लिये 5607 करोड़ का प्रावधान किया है. अटल गृह ज्योति योजना हेतु 2581 करोड़ का प्रावधान किया है. उदय योजना अंतर्गत वितरण कंपनियों की हानियों की राशि के अधिग्रहण हेतु 1000 करोड़. समाधान योजना हेतु 460 करोड़. टेरिफ अनुदान हेतु 375 करोड़ उप पारेषण एवं वितरण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण हेतु रुपये 230 करोड़. मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल द्वारा 5 एच.पी. के कृषि पम्पों, थ्रेशरों तथा एकबत्ती कनेक्शन को निशुल्क विद्युत प्रदाय हेतु प्रतिपूर्ति हेतु 205 करोड़ रुपये का प्रावधान है..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- सभापति महोदय, डॉ. गोविन्द सिंह की मुझे यह पीड़ा नहीं देखी जा रही है, यह आप देखो पढ़-पढ़कर कैसे होते जा रहे हैं. अगर यह इतना जब विद्यार्थी थे, तब पढ़ते,तो आज कोविड 19 का इलाज कर रहे होते.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मैं आपके कारनामें पढ़ रहा हूं. दतिया में आपने जो किये हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- सभापति महोदय, मैं तो कारनामें करते रहूंगा. और ये पढ़ते ही रहेंगे,पर मैंने ऐसी दुर्गति नहीं देखी साहब.
सभापति महोदय-- गोविन्द सिंह जी, आप अध्ययन करिये, इनकी बात नहीं सुनिये.
डॉ. गोविन्द सिंह -- सभापति महोदय, इन्होंने जो कारनामा दतिया में किया है, उसकी जानकारी, रिकार्ड सब हमारे पास आ गया है. आपने नियम कायदे की धज्जियां उड़ाकर लोकेन्द्र क्लब को धराशायी किया है. इसलिये वे सब आये हैं. मैं दस्तावेज पढ़ रहा हूं कि क्या क्या आपने किया है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- सभापति महोदय, गोविन्द सिंह जी डॉक्टर कैसे बन गये हैं. मैं नरोत्तम जी से यह पूछना चाहता हूं.
सभापति महोदय-- ये भी डॉक्टर हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- ये डॉक्टर कैसे हो गये, मैं तो उस मास्टर को ढूण्ड रहा हूं, जिसने इनको पढ़ाया है. ..(हंसी)..
सभापति महोदय-- दोनों डॉक्टर हैं. शुक्ल जी, कृपया समाप्त करें.
श्री केदारनाथ शुक्ल -- सभापति महोदय, इस तरह से विभिन्न विभागों के लिये हमारी सरकार ने जो बजट प्रस्तावित किया है, वह बहुत व्यापक भी है और सम्पूर्ण है. इसमें राजस्व आधिक्य घाटा जो है, लेखा 2019-20 में माइनस 0.31, पुनरीक्षित अनुमान 2020-21 में माइनस 2.25, बजट अनुमान 2021-22 में माइनस 0.73, आगामी 3 वर्षों में निर्धारित लक्ष्य 2022-23,2023-24 एवं 2024-25 में हम आधिक्य की उम्मीद कर रहे हैं. राजकोषीय घाटा लेखा 2019-20 में 3.64 था, पुनरीक्षित अनुमान वर्ष 2020-21 में 5.51, बजट अनुमान 2021-22 में 4.50 और इधर आगे हम 3 वर्षों में तीन, साढ़े तीन, चार की उम्मीद कर रहे हैं. कुल बकाया दायित्व लेखा में 24.33 2019-20 में था, पुनरीक्षित अनुमान 2020-21 में 28.78 था, बजट अनुमान 2021-22 में 28.52 था, इधर आगे के तीन वर्षों हम 31 के आस पास आधिक्य की उम्मीद कर रहे हैं. सभापति जी, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, मैंने केवल आंकड़े बताये इसलिये कि मैं जानता था कि अगर लंगोटा घूमाकर घुमाऊंगा, तो बहुत देर अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को घुमा सकता हूं, पर सही बात नहीं आ पायेगी, इसलिये मैंने आंकड़ों की बात की है और आंकड़ों के मार्फत अपने बजट की तारीफ करता हूं और इस बजट का समर्थन करता हूं और इस बजट को पास करने की सदन से उम्मीद करता हूं.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) -- सभापति महोदय, धन्यवाद. वर्ष 2021-2022 के आय व्ययक पर चर्चा हो रही है. मैंने वित्त मंत्री जी का बजट भाषण पढ़ा है और मुझे स्पष्ट यह लगा कि सरकार की मानसिकता बजट भाषण की स्टार्टिंग से ही कर्ज लेने की थी और वह नीयत साफ स्पष्ट उसमें दिख गई है. कितना कर्ज लिया है, कहां कहां से लिया है, जमकर कर्ज लिया है और मैंने जब इस बात की स्टार्टिंग में मैंने आपसे पूछी थी, तो मुझे आपने कहा था कि 31 मार्च के बाद में जवाब दूंगा. लेकिन आर्थिक सर्ववेक्षण के जो आंकड़े आये हैं, उसमें सब खुलासा हो गया है. आपके एवं सरकार के बस में कितनी बातें बची हैं, कितना नियंत्रण, कंट्रोल है, वह सब स्पष्ट हो गया है. यह बजट केवल और केवल आंकड़ों की कलाकारी, बाजीगिरी और मायाजाल है. 2 लाख 41 हजार 375 करोड़ रुपये का यह बजट, जिसमें 1 लाख 64 हजार 677 करोड़ की राजस्व आय आप बता रहे हैं, बाकी लगभग लगभग 77 हजार करोड़ रुपये का आप इंतजाम कैसे करेंगे, उसमें आपने बताया है कि 50938 करोड़ रुपये आप कर्ज लेंगे. बाकी 27 हजार करोड़ रुपये का क्या होगा. इसलिये मैंने यह बात कही है कि ये केवल और केवल आंकड़ों की बाजीगिरी है. 27 हजार करोड़ रुपये का क्या होगा. कहां से आप इंतजाम करेंगे, यह मेरा कुछ दिन पहले प्रश्न था, उसमें भी मैंने यह पूछा था कि अभी तक यह सरकार इस वित्तीय वर्ष में 47 101 करोड़ रुपये कर्ज ले चुकी है और लगभग 21 हजार करोड़ जो आपने कर्ज लिया है, उसके ब्याज की अदायगी कर रहे हैं.
आप मध्यप्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई का कितना दोहन करेंगे, माननीय वित्त मंत्री जी, इससे यह स्पष्ट होता है कि यह केवल और केवल आंकड़ों का मायाजाल है और इसको मैं आगे स्पष्ट कर रहा हूं .
सभापति महोदय, आप मुझे समय दें, मुझे आपका संरक्षण चाहिए. आप लगभग 21 हजार करोड़ रुपये की ब्याज के रूप में अदायगी कर रहे हैं मैं समझता हूं कि जब आप सदन में बोलेंगे तो आप इस बात को स्पष्ट करें और जहां तक राज्य के घरेलू उत्पाद की बात करें, उसके भी आंकड़ों में जो बजट अनुमान है, उसके आंकड़ों में निरंतर गिरावट होती जा रही है. मैं उसका आगे खुलासा करूंगा. मैं यह स्पष्ट करने जा रहा हूं लेकिन फिर भी आप अपने इस बजट को लोक-लुभावना बता रहे हैं. मैं समझता हूं कि कागज के ऊपर आपने इसको खूब अच्छा सजाया है. यह केवल आंकड़ों की कलाकारी है. एफआरबीएम एक्ट आपकी सरकार ने बनाया है और यह भारत सरकार का अधिनियम जिसको मैं समझता हूं कि रिजर्व बैंक की मॉनीटरिंग में केन्द्र सरकार को भी और देश की अन्य राज्यों की सरकारों भी इस एक्ट का पालन करना चाहिए. इस एक्ट के अंतर्गत सरकारों का बजट तैयार करना चाहिए. जो आपको स्टार्ट में करना चाहिए, वह आपने यह कहा है कि बाद में मैं इस बारे में वक्तव्य दूंगा. जब आप वक्तव्य देंगे तो आप इसका उल्लेख करें कि कब वह वक्तव्य देंगे और अधिनियम के जितने बिन्दु हैं, सरकार को वित्तीय बजट बनाने के लिए जो आवश्यकताएं पड़ेगी, उन सभी को आप कवर करेंगे.
माननीय मंत्री जी जिस समय आप बोलें, तब इस चीज को आप स्पष्ट करें. मैं समझता हूं कि बजट बनाने के पहले आपको इस पाइंट ऑफ व्यू से इस एक्ट के अंतर्गत यह बजट बनाना चाहिए. प्रारंभ में जो काम करना चाहिए, वह आप बोल रहे हैं कि बाद में वक्तव्य दूंगा. हम उसका भी इंतजार करेंगे लिखित में देंगे, मौखिक देंगे, कब देंगे, आप हमें उसको बताना.
सभापति महोदय, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की मैं बात करूं वर्ष 2019-20 की, उसमें 12 प्रतिशत जीडीपी थी, उस समय का जो अनुमान था वह लगभग 1 लाख 62 हजार करोड़ रुपये के आसपास था, लेकिन अब वह वर्ष निकल चुका है उसकी वास्तविकता आ चुकी है, उसके वास्तवित आंकड़ें आ चुके हैं, वह 1 लाख 7 हजार करोड़ रुपये, प्रतिशत में है वह 12 प्रतिशत है. ऐसे ही जो वर्ष 2020-21 की बात करें, इसमें 5 प्रतिशत जीडीपी है यह अनुमान 1 लाख 49 हजार करोड़ रुपये है, अब यहां एकदम आप जम्प कर रहे हैं यह वर्ष जिस पर हम चर्चा रहे हैं वर्ष 2021-22 की, यह बजटीय वर्ष है इस पर आपने बताया है कि लगभग 19 प्रतिशत जीडीपी इनक्रिजिंग आर्डर में है.
यह कोरोना महामारी का समय है, उद्योग धंधे सारे बंद पड़े हैं और उसके बाद वैश्विक आर्थिक मंदी का जमाना है, जीएसटी और अन्य जो केन्द्र सरकार से करों का हिस्सा मिलना चाहिए, वह मिल नहीं रहा है. यह 19 प्रतिशत जीडीपी में जम्प करके हमसे जो जानकारी आप छिपाना चाहते हैं उसमें यह स्पष्ट है कि राजकोषीय घाटे का जो आंकड़ा है, यह 50938 करोड़ रुपये का है, आप इसको 4.5 दायरे में लाने के लिए जो मैंने एफआरबीएम का एक्ट का उल्लेख किया है, राजकोषीय घाटे की सीमाओं को बढ़ाने के लिए आपने 50938 करोड़ रुपये का जो उल्लेख किया है मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि 4 प्रतिशत तक का आपका अपना अधिकार है. आपने 0.5 परसेंट इसलिए बढ़ाया यह कहकर बढ़ाया है कि हमने नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अच्छा काम किया है इस कारण से हमें 0.5 परसेंट की छूट मिल जाएगी, क्या आपने वह 0.5 परसेंट के लिए जहां जिसका अधिकार क्षेत्र है केन्द्र सरकार का, वहां से क्या आपने अनुमति ली थी? आपने अनुमति लेने की बात कही है लेकिन उसके लिए आपने क्या प्रयास किया है, क्योंकि जब मेरा प्रश्न था तब भी मैंने आपसे पूछा था, उस समय भी आपने मुझे इस तरह से घुमाया था और 0.5 परसेंट राजकोषीय घाटे का कितना हो जाएगा, जहां तक मैंने केलक्यूलेशन किया है. जो आपने आंकड़े दिया है 50938 करोड़ रूपये का उससे मैंने जो केलकूलेट किया है उससे आंकड़ा 5618 करोड़ रूपये आते है. इस तरह से आपने जो पतली गली ढूंढी है. मंत्री जी हमारी भी स्क्रीनिंग लगी हुई है सरकार के ऊपर, सरकार के बजट हेड पर, विभाग के ऊपर, राज्यपाल जी के अभिभाषण सभी पर हमारा और हमारे विधायक साथियों का ध्यान लगा हुआ है. वित्त मंत्री जी जिस समय आप जवाब देंगे तो यह बताना कि यह जो आपकी जीडीपी का आँकड़ा है 2021-22 का मेरे हिसाब 11 लाख 32 हजार करोड़ के लगभग होता है. मैंने जो केलकूलेशन किया है यह छोटी मोटी बात और छोटी मोटी राशि नहीं है. अगर 0.1 प्रतिशत की भी आप हेराफेरी करते हैं तो आंकड़ो में बड़ा अंतर आता है, जब आप अपना जवाब दें तो इन चीजों को जरूर स्पष्ट करना.
सभापति महोदय मेरा आगे यह भी मानना है कि जिस तरह से आपने एफआरबीएम कानून का 4 प्रतिशत जीडीपी के बजटीय घाटे की अनुमति के लिए किया है वह आपने कवर किया है लेकिन..
डॉ नरोरत्तम मिश्र -- सभापति महोदय एक बात तो सिद्ध हो गई कि यह तरूण से ज्यादा योग्य वित्त मंत्री बनते कमलनाथ जी ने वहां पर भी चूक की है.
श्री बाला बच्चन -- मंत्री जी जब कभी बात आयेगी तो उस पर भी चर्चा कर लेंगे. आपने एफआरबीएम का कहीं पर भी उसकी बेसिस और शर्तों का कहीं पर भी उल्लेख नहीं किया है. मंत्री जी जब आप जवाब देंगे तो हमें इस बात की भी जानकारी दें. आपने 5618 करोड़ रूपये का लाभ लेने की मंशा की है. वह मैं समझता हूं कि प्रदेश की जनता के लिए ठीक नहीं है और यह आंकड़े छिपाने वाली जो बात है, जब आप सदन में जवाब देंगे तो इन चीजों को स्पष्ट करें.
माननीय सभापति महोदय यह सरकार का आय व्यय संक्षिप्त है इसके पेज 4 पर देखें राजस्व प्राप्ती एवं राजस्व व्यय की विवेचना के बारे में उल्लेख करना चाहता हूं. वर्ष 2019-20 में कांग्रेस शासन काल में आय व्यय का घाटा केवल दो प्रतिशत था जैसे ही आपकी सरकार बनी तो आप 2020-21 का देखें 8 गुना घाटा बढ़ गया है जो लगभग 16 प्रतिशत होता है तो ऐसी जो अप्रत्याशित और भाजपा की एक साल की सरकार को यह दर्शाता है. सभापति महोदय अपनी सरकार जो 2019-20 की सरकार का घाटा था वह 2800 करोड़ रूपये होता है और आपकी 2020-21 की सरकार का राजस्व घाटा 21 हजार करोड़ रूपये है, और फिर अब जो वापस 2021-22 के राजस्व घाटे की हम बात करें तो वह घाटा 8 हजार कुछ करोड़ रूपये के आसपास है, तो जब आप जवाब देंगे तो राजस्व घाटे की बात और राजकोषीय घाटे की बात जरूर करें, उसके बाद में राजस्व प्राप्तियों की बात भी आप अपने जवाब अवश्य करें.
सभापति महोदय वर्ष 2020-21 और 2021-22 में राजस्व आय व्यय का अंतर मात्र 8293 रूपये का है जिसका मैं पूर्व में उल्लेख कर चुका हूं. सदन और सामान्य जनता को भी यह विदित होना चाहिए कि आय के प्रति अनुमान हमारा 1 लाख 64 हजार 677 करोड़ रूपये था जो पूर्व में मैं बता चुका हूं. 2020-21 का है 1 लाघ 37 हजार 619 करोड़ रूपये जो कि कोषों दूर है आप इसको प्राप्त भी नहीं कर सकते हैं, मैंने जो उल्लेख किया है कि महामारी के कारण और अन्य कारणों से आप इसे प्राप्त नहीं कर सकते हैं. सभापति महोदय इसी आय व्यय संक्षेप का पेज नंबर 8 देखें कर भिन्न राजस्व तालिका का विवेचन उसके लिए भी मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि उसके लिए भी मुझे समय दें. कांग्रेस शासन 2019-20 में ब्याज का लाभांश एवं लाभ की प्राप्तियां 918.51 करोड़ रूपये की थीं और इनकी सरकार में वह घटकर 2020-21 में 525.13 करोड़ रूपये रह गई है इसमें यह 43 प्रतिशत की गिरावट है. ऐसे ही वर्ष 2021-22 के अनुमान मात्र 385.19 करोड़ रूपये रह गई जो कि 58 करोड रूपये गिर गई है. माननीय मंत्री जी मैं चाहता हूं कि आप अपने जवाब में इन चीजों को भी स्पष्ट करें. इससे यह स्पष्ट लगता है कि भाजपा शासन में गिरावट अत्यंत चिंता का विषय है. आप जवाब देंगे तो इन चीजों को स्पष्ट करें. आरक्षित निधियां जो वर्ष 2019-20 में 5,825 करोड़ थी 2020-21 में 332 करोड़ रह गई. इस वर्ष आप उसे माइनस में ले गये हैं जो 1,298 करोड़ रुपये रह गई है. ऐसे ही जो भविष्य निधियां हैं 2019-20 में 2,456 करोड़ रुपये थी, 2020-21 में 1,272 करोड़ हो गई है.
सभापति महोदय -- इसमें कोविड का भी असर हुआ होगा.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदय, यह माइनस में गई है. हमको आशंका है कहीं यह तो नहीं कि आपने इन पर भी कर्ज निकालकर या ब्याज के चक्कर में इस खजाने को भी कहीं लुटा तो नहीं दिया है. उपरोक्त दोनों भविष्य निधि आरक्षित निधि कम होने से राज्य का कर भिन्न राजस्व के तहत ब्याज प्राप्ति लाभांश मिलता था वह काफी कम हो गया है. यह दोनों निधियों से हमको जो ब्याज मिलता था वह 2019-20 में 918 करोड़ था जो घटकर 2020-21 में 525 करोड़ रुपये हो गया और वर्ष 2021-22 में 385 करोड़ रुपये अनुमानित हो गया है. माननीय मंत्री जी, यह दोनों भविष्य निधि और यह जो निधियां हैं उनमें काफी गिरावट आंकड़ों में भी आई है. जब आप बोलें तो इनको स्पष्ट करेंगे. राज्य की आरक्षित निधियां माइनस में चली गई हैं. कर भिन्न राजस्व के तहत अलौह धातु खनन व धातुकर्म उद्योग से वर्ष 2020-21 में 4,375 करोड़ रुपये की तुलना में 5,978 करोड़ रुपये का अनुमान है. वित्तमंत्री जी बताएं कि कैसे होगा, लगभग 1,600 करोड़ का राजस्व आधिक्य किस तरह संभव होगा. यह मैंने जो पढ़ा है और समझ में आया है वह मैं आपसे जानना चाहता हूं कि आप इस बारे में बताएं.
सभापति महोदय, एक तरफ सरकार यह कह रही है कि बजट में न कोई कर लगाया है और न ही बजट में कोई बढ़ोत्तरी की है फिर राज्य का कर वर्ष 2020-21 के 53,147 करोड़ रुपये था वह इस वर्ष बढ़कर 64,913 करोड़ रुपये अर्थात लगभग 20 प्रतिशत कैसे बढ़ेगा ? कर भिन्न राजस्व, पुलिस एवं जेल विभाग से वर्ष 2020-21 में 156 करोड़ रुपये की आय हुई थी. आप यह बताएं वर्ष 2021-22 में यह बढ़कर 270 करोड़ रुपये अर्थात लगभग 75 प्रतिशत यह वृद्धि कैसे होगी ? जब आपने कहा कि न कर में हम बढ़ोत्तरी कर रहे हैं और न कोई नया कर लगा रहे हैं, तो इस चीज को भी आप स्पष्ट करें. एक और उदाहरण है कर भिन्न राजस्व में आवास तथा शहरी विकास में 2019-20 में 57 करोड़ रुपये आय हुई थी. इस बार आपका लक्ष्य केवल 30 करोड़ का है इतनी माइनस और इसमें इतनी कमी क्यों हो गई है. इंदौर एवं भोपाल मेट्रो ट्रेन के लिये मात्र 262 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है यह ''ऊंट के मुंह में जीरा'' के समान है. हम सरकार में नहीं थे, उसके पहले भी हम इन मुद्दों को उठाते रहते थे कि कब जाकर इसकी उपलब्धि इंदौर, भोपाल और मध्यप्रदेश वासियों को मिलेगी. बजट में आपने 24,000 शिक्षकों की भर्ती की बात कही है, मैं यह जानना चाहता हूं कि वर्ष 2019 के चयनित शिक्षकों की भर्ती है या यह नवीन भर्ती होगी, आप इस चीज को भी स्पष्ट करें. आपने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की जो बात की है और उसके बाद कंडिका 99 में आपने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में केवल 112 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया है तो आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश कैसे बन सकता है, मैं समझता हूं कि यह सपने जैसी बात है. कर्ज माफी के बारे में आपने 3,000 हजार करोड़ रुपये की बात कही है, हमारे प्रश्नों के जवाब में हम सभी साथी जो प्रश्न लगाते थे उसमें आप यह जवाब देते थे कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. आपकी और सरकार की नीयत अगर कर्ज माफी की बची हुई दूसरी किश्त माफ नहीं करने की थी, तो आप उसको स्पष्ट करें. हमने लगभग 27 लाख किसानों की साढ़े ग्यारह हजार करोड़ की कर्जमाफी की थी. आपसे बची हुई कर्ज की राशि की हम और मध्यप्रदेश के किसान जो उम्मीद कर रहे थे लेकिन आपने ऐसा नहीं किया है. आपने मण्डी अधिनियम में संशोधन का अध्यादेश जारी तो किया है लेकिन वह कानून का रूप नहीं ले पाया है और उसके बाद जो देश की सरकार ने मंडी से संबंधित 3 काले कानून बनाये हैं और इन सबका असर जो हमारी मंडियों और उप मंडियों पर पड़ा है कि 300 मंडिया लगभग बंद होने की कगार पर हैं.
सभापति महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1,856 दिनांक 01.03.2021 के उत्तर में बताया गया है कि मांग संख्या 2,676 में 11 वीं, 12 वीं और महाविद्यालय की छात्रवृत्ति जो छात्रों को मिलती थी वह वर्ष 2019-20 में 307 करोड़ रुपये थी, जिसका भुगतान केन्द्र सरकार करती है, वर्ष 2020-21 में वह घटकर 172.5 करोड़ हो गई. ऐसे ही वर्ष 2019-20 में छात्रवृत्ति 150 करोड़ रुपये थी, जिसका भुगतान राज्य सरकार करती थी, वह घटकर 57.5 प्रतिशत रह गई. इस तरह अनुसूचित जनजाति के बच्चों की लगभग 227 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति कम कर दी गई है. माननीय वित्त मंत्री, जब राज्यपाल के अभिभाषण पर माननीय मुख्यमंत्री जी भाषण दे रहे थे तो मैंने इस बात को कहा था कि आप अनुसूचित जनजाति, आदिम जाति कल्याण विभाग के कार्यों को शिक्षा विभाग के विद्यालयों में संविलियन कर रहे हैं, यह ठीक नहीं है. मैं समझता हूँ कि आदिम जाति कल्याण विभाग के एरिए के सारे विधायक, जनता और छात्र-छात्राएं भी इसका विरोध करते हैं. राज्यपाल के अभिभाषण पर माननीय मुख्यमंत्री जी की बात मैंने कोट की है. एक तरफ आप बजट में 'मिशन नगरोदय' का उल्लेख करते हैं और दूसरी तरफ उपचुनाव में, अभी जो 28 विधान सभाओं के उपचुनाव हुए, जिन सीटों पर आप और आपकी पार्टी हारी है, वहां दी हुई राशि को भी आपने वापल ले लिया है. इसका मैं उल्लेख करना चाहता हूँ कि ये जो नगरपालिकाएं हैं, गोहद, मुरैना, करैरा, इन नगरपालिकाओं में जो कांग्रेस के एमएलए बने हैं, वहां की नगरपालिकाओं को आवंटित राशियां भी आपने खत्म कर दी हैं.
माननीय सभापति महोदय, जो कोविड महामारी के टीकाकरण का काम चल रहा है, विधान सभा के स्टॉफ को बाहर जाना पड़ रहा है. बाहर जाकर उनको टीकाकरण कराना पड़ रहा है. मेरा यह आग्रह है, हमारे कई विधायक साथियों से भी मेरी बात हुई है, उनका भी यही मत है कि आप अगर टीकाकरण कार्य विधान सभा में ही एलाउड कर देंगे तो ज्यादा ठीक रहेगा, क्योंकि इससे संबंधित यहां पर डॉक्टर्स, पैरा मेडिकल स्टॉफ भी लगभग पूरा है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- सभापति महोदय, यह विषय थोड़ा भिन्न प्रकार का है, जो बाला भाई ने उठाया है कि विधायकों को यहां पर वेक्सीन अलाऊ कर दें.
श्री बाला बच्चन -- विधान सभा के स्टॉफ को.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- किसी को भी, क्या होता है कि यहां पर उतने उपकरण नहीं हैं जो कि होने चाहिए. मान लो कि किसी को रिएक्शन या कोई शिकायत होती है तो दिक्कत हो सकती है.
सभापति महोदय -- हॉस्पिटल में ही उचित है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- जी हां.
श्री बाला बच्चन -- माननीय सभापति महोदय, कर्मचारियों को 5 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने के लिए रोक हटाने के लिए बजट में उल्लेख नहीं किया गया है. क्यों नहीं किया गया है, मैं सरकार से जानना चाहता हूँ. इसी तरह वर्ष 2020 में रोकी गई वेतनवृद्धि का उल्लेख भी बजट भाषण में कहीं भी नहीं किया गया है. सरकार ने अपने बजट भाषण में सातवें वेतनमान की शेष राशि देना उल्लेख किया था, लेकिन...
सभापति महोदय -- मंत्री जी ने यह सब नोट कर लिया है, समापन करिए.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदय, मेरा माननीय वित्त मंत्री जी से निवेदन है कि हमारे पक्ष के साथी, हमारे पूर्व वित्त मंत्री श्री तरूण भनोत जी ने हमारे पक्ष की तरफ से भाषण की शुरूआत की थी. सेकंड नंबर पर मैंने भी अपनी बात कही. हमारे और अन्य विधायक साथिगण भी जो बात कहेंगे और भी हमारे जो मुद्दे हैं, माननीय वित्त मंत्री जी, आने वाले समय में आने वाली अनुदान मांगों पर, डिमांड्स पर और हम अपनी बातें रखेंगे, लेकिन हमारा यह आग्रह है कि सदन के प्रति, विधायकों के प्रति, जो चुनकर आते हैं, सरकार के प्रति, मध्यप्रदेश की जनता का, सर्वहारा वर्ग का विकास हो, सर्वांगीण विकास की बात हो तो मैं समझता हूँ कि जो इस विधान सभा में बजट पर चर्चा हो रही है तो इस चर्चा की सार्थकता तब सिद्ध होगी, माननीय वित्त मंत्री जी, जब आप बोलें तो मेरी इन सभी बातों का जवाब दें. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) -- सभापति महोदय, धन्यवाद. मध्यप्रदेश सरकार के विद्वान वित्त मंत्री द्वारा वर्ष 2021-22 का जो बजट प्रस्तुत किया गया है.
सभापति महोदय -- तरूण भनोत जी भी विद्वान हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- जी हां, निश्चित रूप से, अति विद्वान.
सभापति महोदय -- ये भी विद्वान, वे भी विद्वान, सभी विद्वान हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय सभापति महोदय, उनको विद्वान कहकर मैं उनकी गरिमा कम नहीं कर रहा हूँ. निश्चित रूप से जो समय, परिस्थिति, काल है, उस समय, परिस्थिति, काल के हिसाब से इससे बेहतर बजट की कल्पना नहीं की जा सकती थी. मैं समझता हूँ कि जो परिस्थितियां रहीं, उन परिस्थितियों के चलते हुए यह एक आदर्श बजट है. इस आदर्श बजट में किसी भी नए कर का कोई प्रावधान नहीं किया गया है और न ही प्रचलित, जो हमारे करों की दरें हैं, उन दरों में कोई भी इजाफा किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2020-21 जो है, पूरे देश और पूरी दुनिया के लिए जिस तरह चुनौतीपूर्ण था, इस चुनौतीपूर्ण समय में जहां एक ओर कोविड-19 जैसी महामारी, एक ऐसी अनजान बीमारी से हमने सफलतापूर्वक चुनौती का सामना करके उस पर विजय प्राप्त की. सभापति महोदय, दूसरी तरफ जो हमारा आर्थिक फ्रंट है, हमारा आर्थिक मोर्चा है उस मोर्चे पर भी हमारी सरकार ने बहुत बेहतर काम किया है. मैं इस बात के लिये सरकार को बधाई देना चाहता हॅूं कि इन विषम परिस्थितियों के बावजूद भी हमारी सामाजिक सुरक्षा से संबंधित जितनी भी योजनाएं थीं उन योजनाओं को न केवल जारी रखा गया वरन् पूर्व सरकार के द्वारा जो कुछ योजनाएं बंद कर दी गई थीं उन बंद योजनाओं को भी शुरु करके नाम बदलने के नाम पर..
श्री तरुण भनोत -- सभापति महोदय, हमने अभी आपको उत्तर दिया है. वित्त मंत्री महोदय भी सहमत होंगे. बिना तथ्यों के नहीं कहा जाए. किसी प्रकार की कोई योजना तत्कालीन सरकार द्वारा बंद नहीं की गई थी. जो आपकी अच्छी योजनाएं थीं उनको निरंतरता के साथ जारी रखा. कुछ बदलाव हो सकते हैं कि किए हों और आपने भी तो यही किया है. आपने भी हमारी जो योजनाएं थीं, उनका नाम बदलकर जारी रखा है. सिर्फ यह कह देना कि हमने आपकी जो जनकल्याणकारी योजनाएं थीं, उनको बंद कर दिया, यह सही बात नहीं है.
सभापति महोदय -- चलिए, उन्होंने संज्ञान में ले लिया.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय सभापति महोदय, संबल योजना को उसका नाम बदलकर उसके नाम पर जैसा नामांतरण में समय लग जाता है, 1 साल 15 महीने में किसी भी एक हितग्राही को एक भी पैसे का लाभ नहीं पहुंचा, यह निश्चित रुप से चिन्ताजनक बात थी.
श्री तरुण भनोत -- निराश्रित पेंशन मिल रही है या नहीं मिल रही है ?..(व्यवधान).. अरे 1000 हजार रुपए नहीं, 2000 हजार रुपए करते.
सभापति महोदय -- चलिए.
एक माननीय सदस्य -- इसका संबल से संबंध नहीं है, संबल योजना को रोककर आपने बहुत नुकसान किया है.
सभापति महोदय -- एक मिनट, श्री शैलेन्द्र जैन.
श्री तरुण भनोत -- माननीय मत बोलो, आपके यहां 600 रुपए मिल रहा है.
सभापति महोदय -- (श्री गोविन्द सिंह राजपूत, राजस्व मंत्री जी के अपने आसन पर खडे़ होने पर) आप क्यों खडे़ हो गये?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय सभापति महोदय, आपने संबल योजना बंद की और संबल योजना की जगह नया सवेरा चालू करते-करते...(व्यवधान)..
श्री जयवर्द्धन सिंह -- आप भी उस सरकार में थे...(व्यवधान)..महेन्द्र सिंह सिसौदिया जी ने ही बंद करवाया है गोविन्द जी. आप शांति से बैठ जाइए.आपके जो मित्र हैं...(व्यवधान)..
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- नया सवेरा चालू करवाया था. नया सवेरा हो गया..(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- संसदीय कार्य मंत्री जी.
श्री तरुण भनोत -- नया सवेरा का लाभ तो इन्हीं को मिला है. इन्हीं का नया सवेरा हुआ है...(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- सभापति जी, यह दोनों इसलिए नहीं मानेंगे कि यह नया सवेरा चालू करते-करते इन्होंने पूरे जीवन में ही अंधेरा ला दिया है. (हंसी)
श्री तरुण भनोत -- सभापति जी, विद्वान हैं ठीक हैं पर मुझे नहीं पता था. हम तो प्रयास यह कर रहे थे कि आप मुख्यमंत्री बन जाएं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय सभापति महोदय, यह सारा जो व्यवधान है यह हमारे समय में शामिल नहीं होगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- बना बनाया महल बिखर गया..(हंसी)
श्री तरुण भनोत -- वह नया सवेरा है.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय सभापति महोदय, यह जो बजट है यह केवल आय-व्यय का दस्तावेज नहीं होता. इस बजट में संवेदनाएं होती हैं, संकल्प होता है, समर्पण होता है और संकल्प, समर्पण की प्राप्ति के लिए नीति और नियत का भी प्रकटीकरण होता है. यह बजट वास्तव में जनता का बजट है. इस बजट को बनाते समय न केवल अर्थशास्त्रियों के साथ विचार-विनिमय किया गया, बल्कि जो हमारी जनता से जुडे़ हुए लोग थे, हमारे व्यापारी थे, हमारे उद्योगपति थे उन तमाम लोगों से बातचीत करके संवाद करके इस बजट में उनके सुझावों को यथासंभव सम्मिलित करने का काम किया गया है.
श्री सुनील सराफ -- माननीय सभापति जी, कौन-सी भावनाओं की बात कर रहे हैं ?
सभापति महोदय -- आप क्यों खडे़ हो गए ? आप बैठ जाइए.
श्री सुनील सराफ -- सभापति जी, पेट्रोल का रेट, डीज़ल का रेट, गैस का रेट, यह किस भावनाओं की बात कर रहे हैं ?
सभापति महोदय -- आप बैठ जाइए. वह बोल रहे हैं, उनके बोलने का समय है. आप बोलिए, जैन साहब.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय सभापति महोदय, यह जो कोविड से संबंधित परिस्थितियॉं थीं, उन परिस्थितियों में जिस तरह से आर्थिक फ्रंट पर हमारी अर्थव्यवस्था को बहुत आघात पहुंचा, उस आघात से उभरने के लिए आर्थिक गतिविधियों को, व्यापारिक गतिविधियों को, औद्योगिक गतिविधियों को पुन: पटरी पर लाने के लिए सम्मानीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा एक आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई. इस आर्थिक पैकेज के तहत समस्त राज्यों को 660 करोड़ रुपए की राशि लंबी अवधि के ऋण के रुप में दी गई. साथ में उनके राजकोषीय घाटे से एक प्रतिशत अधिक जो सामान्यतः तीन प्रतिशत होता है, उसे एक प्रतिशत अधिक ऋण लेने की छूट प्रदान की गई. इसके साथ में माननीय सभापति महोदय, माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा जो एक पैकेज दिया गया जिसके तहत चार सैक्टर में, ऊर्जा के सैक्टर में, हमारे उद्योग के सैक्टर में, हमारे खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अन्तर्गत एवं नगरीय प्रशासन के विभाग के अन्तर्गत जो सुधारवादी कदम उठाए जाने थे, उन सुधारवादी कदम को उठाने में, उनको पूर्ण करने में, हमारी सरकार सफल रही और इन विभागों के मंत्रियों के द्वारा सफलता पूर्वक उनका क्रियान्वयन किया गया, जिसके चलते हुए न केवल हमें 660 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि प्राप्त हुई. वरन् प्वाईंट नाईन प्रतिशत अतिरिक्त ऋण की सुविधा भी हमारी सरकार को प्राप्त हुई. इसके तहत सभापति महोदय, लगभग 1320 करोड़ रुपये की राशि हमें प्राप्त हुई और जिसका उल्लेख सम्माननीय पूर्व वित्त मंत्री जी कर रहे थे 19353 करोड़ रुपये के अतिरिक्त ऋण लेने की सुविधा हमें प्राप्त हुई. मैं उसको बहुत क्लियर कर रहा हूँ. वह कोई अनुदान नहीं मिला है, ऋण है. सभापति महोदय, हमारी सरकार का फोकस, माननीय वित्त मंत्री जी......
श्री तरुण भनोत-- सभापति महोदय, जो मध्यप्रदेश के हिस्से की राशि थी वह प्राप्त नहीं हुई 18 हजार करोड़ की और खुश इसलिए हो रहे हैं कि हमें 18 हजार करोड़ का अतिरिक्त ऋण मिल गया, अरे तो जीएसटी का कंपनसेशन था, एक डीवेल्यूएशन का पैसा था वह मिलना चाहिए था.......(व्यवधान)...
सभापति महोदय-- श्री शैलेन्द्र जैन, आप आसन्दी की तरफ देख कर बोलिए.
श्री हरिशंकर खटीक-- सभापति जी, जब पूर्व वित्त मंत्री जी बोल रहे थे तो हम लोग कोई नहीं बोल रहे थे. आपको कोई छेड़ नहीं रहा था...(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- श्री शैलेन्द्र जैन जी बोलिए. जल्दी समाप्त करिए नहीं तो व्यवधान होता जाएगा.
श्री हरिशंकर खटीक-- कम से कम हमारे माननीय सदस्य बोल रहे हैं तो उनके बीच में न बोलें.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय सभापति महोदय, भौतिक संरचना के लिए हमारी इस सरकार ने सबसे ज्यादा फोकस करने का काम किया. भौतिक अधोसंरचना के माध्यम से न केवल नये रोजगार का सृजन हो सकता है. वरन् जो हमारी अर्थव्यवस्था है, जो हमारे उद्योग धन्धे हैं, उनको पटरी पर लाने के लिए उसमें निश्चित रूप से हमें लाभ होगा. इसमें सबसे पहले पहल जो है सड़क के माध्यम से की गई. हमारे इस बजट में माननीय....
सभापति महोदय-- आप कितना समय और लेंगे?
श्री शैलेन्द्र जैन-- 10 मिनट तो और बोलने दीजिए.
सभापति महोदय-- 10 मिनट तो ज्यादा है, जल्दी समाप्त कीजिए.
श्री शैलेन्द्र जैन-- सभापति महोदय, अभी हमने बोला ही नहीं है.
सभापति महोदय-- आपके मुख्यमंत्री जी स्वयं ने कहा है कि निन्दक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाय, तो जो निन्दा कर रहे हैं उनको आप ज्यादा सुन लेंगे, आपको थोड़ा कम.
श्री
शैलेन्द्र
जैन-- सभापति
महोदय, मैं
कोशिश करूँगा
कि जल्दी
समाप्त करूँ.
सभापति महोदय,
ढाई हजार
किलोमीटर की
नई सड़कें
निर्माण करने
का हमने
संकल्प लिया
है, 65 नवीन पुल
निर्माण करने
का हमने
संकल्प लिया
है और
मध्यप्रदेश
में 105 आर
ओबी बनाने का
भी हमारे इस
बजट में
प्रावधान किया
गया है. मैं
माननीय लोक
निर्माण
मंत्री सम्माननीय
भार्गव जी का
और सम्माननीय
वित्त मंत्री
जी का धन्यवाद
करना चाहता
हूँ कि हमारी
विधान सभा के
लिए भी दो
आरओबी और
हमारी जो एक
संजय ड्राइव
से लेकर कनेरा
देव की सड़क
थी, बड़ी
बहुप्रतीक्षित
सड़क थी, उसका
भी समावेश
उन्होंने कर
लिया है, बहुत
बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय,
हमारी सरकार
ने विद्युत के
क्षेत्र में....
सभापति महोदय-- मैं समझा आपने मुझे धन्यवाद दिया. मैं भी आपको धन्यवाद देता हूँ आप जल्दी समाप्त करिए.
श्री शैलेन्द्र जैन-- नही, नहीं सभापति महोदय, ऐसा मत करिए. सभापति महोदय, विद्युत के क्षेत्र में हमारी इस सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है और जो विद्युत की हमारी क्षमता है, उस क्षमता में अभूतपूर्व सुधार हुआ है और आगे आने वाले समय में हम 76 हजार मेगावॉट तक विद्युत की हमारी जो उपलब्धता है, वह सुनिश्चित करने वाले हैं, माननीय सभापति महोदय, एक दिन में मध्यप्रदेश में अधिकतम जो सप्लाई की, अधिकतम डिमांड की जो सप्लाई हुई है, वह लगभग 15300 मेगावॉट के आसपास हुई है, जो मध्यप्रदेश राज्य में अभी तक का रिकार्ड है, नया कीर्तिमान स्थापित किया गया है. मैं ऊर्जा मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ.
सभापति महोदय, चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में हमारी सरकार ने बहुत अच्छा काम किया है. वर्ष 2003 में जहां समूचे मध्यप्रदेश में मात्र पांच चिकित्सा महाविद्यालय थे. सागर शहर में वर्ष 2009 में जो पहला चिकित्सा महाविद्यालय खोला गया था वह 35 वर्ष के बाद खोला गया उसके साथ में 9 नये चिकित्सा महाविद्यालय खोले गए जो लगभग पूर्णता की ओर हैं. इसके बाद इस बजट में 9 नए चिकित्सा महाविद्यालय खोलने का हमारा संकल्प है. यह निश्चित रूप से अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि हमने अनेक चिकित्सा महाविद्यालयों में सुपर स्पेशिलिटी फेसिलिटी शुरु की है. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि सागर का जो चिकित्सा महाविद्यालय है, वह लगभग 12 वर्ष पुराना हो चुका है लेकिन सुपर स्पेशिलिटी के नाम पर सागर के चिकित्सा महाविद्यालय में कोई भी सुविधाएं अभी उपलब्ध नहीं हैं. सागर और समूचे बुन्देलखण्ड के लोगों को 200 से 300 किलोमीटर चलकर भोपाल, जबलपुर या फिर नागपुर जाना पड़ता है. मैं वित्त मंत्री महोदय जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि सागर के मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशिलिटी का प्रावधान बजट में करिएगा ताकि सागर और बुन्देलखण्ड के लोगों को समुचित चिकित्सा की सुविधाएं प्राप्त हो सकें.
सभापति महोदय, नवीन और नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हमारी सरकार ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है. बहुत अच्छा काम किया है. इस क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्लान्ट शुरु हो गया है. इसके माध्यम से दिल्ली की मेट्रो रेल को पॉवर सप्लाई हो रही है. इसके अलावा वर्तमान में नीमच, शाजापुर, आगर, छतरपुर एवं मुरैना में 4500 मेगावॉट के प्लांट विकसित करने का हमारा लक्ष्य है इसमें बुन्देलखण्ड के छतरपुर को सम्मिलित किया गया है.
सभापति महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में जो सीएम राइज योजना है यह माननीय मुख्यमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना है उसके लिए शिक्षा जगत की ओर से मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. इससे शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा. 24 हजार शिक्षकों की भर्ती का हमने संकल्प लिया है. मेरा वित्त मंत्री जी से अनुरोध है कि जब इनका चयन किया जाए तब जो अतिथि शिक्षक हैं उनका भी समावेश किया जाए. जिन शिक्षकों ने अर्हता पूर्ण कर ली है और उनको अभी तक नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाए हैं उनको भी नियुक्ति पत्र दे दिया जाए, उनकी पदस्थापना कर दी जाए.
सभापति महोदय, पशुपालन एक महत्वपूर्ण विभाग है. हमारी पिछली सरकार ने एक हजार गौशालाएं खोलने का संकल्प लिया था. वर्तमान में वित्त मंत्री जी ने दो हजार से ज्यादा गौशालाएं खोलने का संकल्प लिया है, लेकिन यह नाकाफी है. बड़ी संख्या में निराश्रित पशु हैं उनके शेल्टर के लिए पूर्व में गौ सदन योजना संचालित थी जिसे तत्कालीन सरकार ने बंद कर दिया था. उस योजना को भी यदि हम शुरु करेंगे तो बेसहारा और निराश्रित पशुओं के लिए बेहतर स्थिति बनेगी.
सभापति महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ (महेश्वर)--माननीय सभापति महोदय, यह सरकार प्रजातांत्रिक मूल्यों की हत्या करके संवैधानिक..
श्री कमल पटेल-- लोग शुरू-शुरू में तारीफ करते हैं आप थोड़ बहुत तारीफ तो करें.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय सभापति महोदय, मेरा समय इसमें बर्बाद नहीं किया जाए. यह मेरे समय में काउंट नहीं किया जाए.
सभापति महोदय-- साधौ जी, आप अपना भाषण जारी रखें.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- प्रजातांत्रिक मूल्यों का हृास करके, संवैधानिक मूल्यों की हत्या की गई जबकि मेंडेट कांग्रेस के पक्ष में प्रदेश की जनता ने आदरणीय कमल नाथ जी को दिया था.
सभापति महोदय-- आप बजट पर ही बोलिए.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- सभापति महोदय, मैं बजट पर ही आ रही हूं. भूमिका तो बनाना पड़ेगी. माननीय वित्त मंत्री जी ने वर्ष 2021-2022 का जो बजट यहां प्रस्तुत किया हैं मैंने रातभर बहुत किताबें खंगालीं लेकिन यह बजट खोदा पहाड़ और निकली चुहिया वाला बजट प्रतीत होता है. मैं डॉक्टर हूं इसलिए बोलूंगी कि अर्थव्यवस्था वेंटीलेटर पर है, रोजगार सृजन कोमा में चल रहा है, न नौकरी है और न रोजगार है. कृषि क्षेत्र भी मंदी की दशा की मार खा रहा है और बेहद खराब आर्थिक प्रबंधन के चलते युवाओं को रोजगार में भारी कमी...
श्री कमल पटेल-- सरसों 3000 थी 5600 हो गई है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- आप तो बैठ ही जाइए, आप तो किसानों के विरोधी हो, आप किसानों को क्या बोल रहे हैं.
सभापति महोदय-- मंत्री जी, वह महिला हैं कम से कम उनको तो बोलने दीजिए. महिलाओं का आदर कीजिए, उन्हें बोलने दीजिए.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- आपको मैंने टी.वी. पर सुना.
श्री कमल पटेल-- माननीय सभापति महोदय, मैं बहन को बताना चाहता हूं कि पिछली बार सरसों 3000 रुपए बिक रही थी अब 5600 रुपए हो गई है.
सभापति महोदय-- वह मंत्री रही हैं उनको सब मालूम है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- सभापति महोदय, यह वह कृषि मंत्री हैं जो यह बोल रहे हैं कि कांग्रेस की सरकार ने 27 लाख किसानों का जो कर्ज माफ किया है, (XXX) कृषि मंत्री के यह बयान हम सबने देखे हैं. माननीय सभापति महोदय, यह (XXX) तो हम रोज करेंगे अगर हमें मौका मिला तो यह कृषि मंत्री जी बोल रहे हैं. आर्थिक प्रबंधन युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी यह कहता है कि बेरोजगारी की दर 8.5 प्रतिशत है जो आजादी के बाद की सबसे कम बेरोजगारी दर इस प्रदेश में, देश में है.
सभापति महोदय, इंटरनेशन लेबर ऑर्गेनाइजेशन आएलो के अनुसार दुनिया में बेरोजगारी की दर 4.95 प्रतिशत है. इसके हिसाब से पूरे विश्व में हमारी बेरोजगारी की दर दोगुनी है. यह बात दर्शाती है कि इसके ऊपर माननीय वित्त मंत्री जी ने कोई ध्यानाकर्षित नहीं किया. 24200 शिक्षकों की यह बात कर रहे हैं इनके बजट भाषण में बताया लेकिन जो शिक्षक चयनित हैं उनका क्या होगा? उनको रोजगार मिलेगा उनकी पोस्टिंग्स होंगी या नहीं होंगी इसको कहीं भी मेंशन नहीं किया गया है. अभी भी मध्यप्रदेश के हर विभाग में हजारों पद रिक्त पडे़ हुए हैं लेकिन सरकार प्राइवेट सेक्टर में देने के प्रयास कर रही है इसलिए सरकारी नौकरियां मिलना बहुत मुश्किल है. सूक्ष्म लघु और मध्यम व्यवसाय बुरी तरह से बर्बाद हो रहा है परिवारों पर महंगाई का बोझ जैसा कि माननीय वित्त मंत्री जी ने कहा कि हम कोई टैक्स नहीं लगा रहे हैं अच्छी बात है. लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से चाहे पेट्रोल के भाव बढ़े, चाहे डीज़ल के भाव बढ़े, चाहे मात्र तीन-चाह माह के अंदर 250 रुपया, गृहिणियां खाना बनाती हैं, उस गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ी है. यह अप्रत्यक्ष रूप से मंहगाई की मार नहीं तो और क्या है ? आंकड़ों की बाज़ीगरी में यदि बता दिया जाये कि हम कोई नया टैक्स नहीं लगा रहे हैं तो इससे यह साबित होता है कि हर व्यक्ति, हर वर्ग कहीं न कहीं से परेशान है.
माननीय सभापति महोदय, नोटबंदी, जीएसटी और कोरोना, इन तीनों ने आर्थिक रूप से जनता की रीढ़ की हड्डी को तोड़ रखा है और जनमानस पूरी तरह से बेपटरी हो गया है. इसकी ओर भी माननीय वित्त मंत्री जी ने, मंहगाई किस प्रकार कम की जायेगी, कैसे की जायेगी, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता इस बजट में महसूस नहीं की है.
माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2018 के पूर्व जो 15 वर्षों का इनका कुशासन था, जिसमें मध्यप्रदेश किसान अत्याचार में नंबर वन, महिला अत्याचार में नंबर वन, एसटी-एससी अत्याचार में नंबर वन, इन सभी को देखते हुए प्रदेश की जनता ने, जनता के द्वारा जनता की चुनी हुई सरकार, आदरणीय कमल नाथ जी के नेतृत्व में बनाई थी और उस लोकतंत्र पर विश्वास न करते हुए जिस तरह से इन्होंने किया, कोरोना काल में नमस्ते-ट्रंप और सरकार को गिराने का जो काम, इन्होंने किया वह जग-जाहिर है. पहले कर्नाटक, फिर गोवा, मणिपुर, फिर मेघालय और फिर मध्यप्रदेश का नंबर आया और राजस्थान में तो इनकी दाल नहीं गली. अभी पुदुचेरी में चुनी हुई सरकार को इन्होंने गिराया. यह इनकी मानसिकता है, यह इनका कर्म है.
श्री गोविंद सिंह राजपूत- आपकी सरकार, आपके अपने कर्मों से गिरी है. अच्छा ये बता दीजिये कि आप लोग गिर क्यों रहे हैं ?
श्री जितु पटवारी- कर्म तो तुम्हारे खराब थे.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ- माननीय सभापति महोदय, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपनी एक उंगली भी शहीद नहीं की, वे लोग लोकतंत्र का महत्व क्या समझेंगे ?
सभापति महोदय- मंत्री जी, आप बैठ जाइये.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ- माननीय सभापति महोदय, कोरोना-काल में बहुत सारी बातें कही गयीं. गाहे-बगाहे माननीय मुख्यमंत्री जी भी कहते रहते हैं कि पुरानी सरकार ने कुछ नहीं किया, मैंने आते ही यह कर दिया, वह कर दिया. मैं आपको बताना चाहूंगी कि बीच में यह भी बात आई कि केवल 5 मेडिकल कॉलेज थे, वित्त मंत्री जी ने बताया कि एक सागर मेडिकल कॉलेज आया, फिर 6 मेडिकल कॉलेज हुए. यूपीए की सरकार ने वर्ष 2009 और 2011 में 7 मेडिकल कॉलेज दिये थे. मैं स्वीकार करती हूं कि यह 60-40 का रेश्यो है. प्रस्ताव राज्य सरकारें भेजती हैं लेकिन उसकी स्वीकृति केंद्र सरकार के माध्यम से आती है. आप ये क्यों भूल जाते हैं कि यूपीए की सरकार मनमोहन सिंह जी के नेतृत्व में थी, तब आपको वहां से 9 मेडिकल कॉलेज आये, सुपर स्पेशलिटी आया, इस प्रकार 17 मेडिकल कॉलेज हुए. माननीय सभापति महोदय, वायरोलॉजी लैब की बात की जाती है. कोरोना- काल में कोई टेस्ट नहीं हो रहे थे. आप ये क्यों भूल जाते हैं कि वर्ष 2011 में हर मेडिकल कॉलेज को एक वायरोलॉजी लैब दी गई थी. वर्ष 2011 से 2018 तक यह सरकार उसमें से एक भी लैब चालू नहीं कर पाई. वर्ष 2018 में कमल नाथ जी की सरकार आते ही मुझे चिकित्सा शिक्षा विभाग प्राप्त हुआ और मैंने सबसे पहले लक्ष्य निर्धारित कर मात्र 6 माह के भीतर भोपाल, इंदौर, जबलपुर की वायरोलॉजी लैब शुरू करवाई. जिसके कारण कोरोना के टेस्ट होना संभव हो पाये हैं. मैं यह नहीं कहती कि इस हेतु मुझे श्रेय दीजिये या आप श्रेय लीजिये लेकिन कहीं न कहीं वास्तविकता पर तो जाइये कि कहां हुआ, कैसे हुआ. कोरोना-काल सबसे बड़ी महामारी थी. इससे हम और आप सभी को मिलकर लड़ना है लेकिन श्रेय लेने के चक्कर में आप यह भूल जाते हैं कि कब हुआ, क्या हुआ, कैसे हुआ. अभी मेडिकल कॉलेज 11 दिये गए थे. विजय लक्ष्मी, चिकित्सा शिक्षा मंत्री थी, प्रस्ताव हमने यहां से भेजे थे पंरतु आपने, जो आपकी नियत है, आपकी नीति है, 9 मेडिकल कॉलेज आपके द्वारा स्वीकृत किए गए लेकिन महेश्वर का मेडिकल कॉलेज, 300 बिस्तरों के अस्पताल की स्वीकृति वर्ष 2019 में केबिनेट से हुई थी और उसके लिए 116 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान रखा गया था, उसके बाद भी आपने उसको स्वीकृत नहीं किया. मेरे पास यह भारत सरकार के अवर सचिव का पत्र है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री(श्री विश्वास सारंग):- माननीय सभापति महोदय, चूंकि यह मेडिकल एजुकेशन से जुड़ा मामला है और शुरू में भी यह बहन बात कर चुकी हैं कि हमारी सरकार ने महेश्वर का मेडिकल कालेज रोक दिया. मैं सदन को जानकारी देना चाहता हूं कि आप बहुत जागरूक विधायक हैं, आप बहुत जागरूक मंत्री भी थीं, परन्तु बहनजी आपके कार्यकाल के समय ही आपके विभाग ने सही से परस्यु नहीं किया और इसलिये वह मेडिकल कॉलेज मध्यप्रदेश से बाहर चला गया, आपके कारण. महेश्वर का मेडिकल कॉलेज आपके कारण से महेश्वर से बाहर चला गया है. माननीया आपने उस समय इसको सही ढंग से इसको परस्यु नहीं किया.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ:- माननीय सभापति महोदय,यह आरोप असत्य है, यह आरोप असत्य है.माननीय सभापति महोदय...
श्री प्रहलाद लोधी:- माननीय सभापति महोदय, छतरपुर का कॉलेज भी यह अपने पास ले गयीं, हमारे कॉलेज को पैसा नहीं दिया नहीं तो छतरपुर का कॉलेज बन जाता. आपके कारण हमारा कॉलेज नहीं बन पाया. आज हमारे मुख्यमंत्री जी ने हमारे कॉलेज की घोषणा की है और साथ में दमोह को भी कॉलेज दिया है.
{ 4.36 बजे सभापति महोदय (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए.}
श्री चेतन्य कुमार काश्यप:- सिंगरौली का मेडिकल कॉलेज भी आपने रोका था.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ:- माननीय सभापति महोदय, 2019 में 116 करोड़ रूपये की लागत का 300 बिस्तर का अस्पताल जनवरी में स्वीकृत हुआ था, जिसका मैं, भूमिपूजन कर चुकी थी. जहां तक मंत्री जी...
श्री विश्वास सारंग:- मैं मानता हूं कि स्वीकृत हुआ था, दिल्ली से उसकी स्वीकृति आ गयी थी, मध्यप्रदेश सरकार के बजट में आपने प्रावधान कर दिया पर उसके बाद आपको केन्द्र सरकार के साथ आपको जो पत्राचार करना था और जो कार्यवाही करनी थी, वह आपकी सरकार ने नहीं की इसलिये महेश्वर का कॉलेज कहीं और चला गया, यह गलती आपकी सरकार की थी, आप सजग नहीं थीं, आप विधायक के रूप में महेश्वर में सजग नहीं थीं इसलिये यह गड़बड़ हुई है.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ:- मंत्री जी फिर गलत बयानी कर रहे हैं, फिर असत्य बोल रहे हैं. सभापति महोदय, मेरे पास लेटर है. आप असत्य बोल रहे हैं, आप मेरी बात तो सुनिये. माननीय सभापति महोदय, आप सुन लें कि 20 मार्च, 2020 का केन्द्र सरकार का पत्र हमें आया था...
श्री विश्वास सारंग:- सभापति महोदय, यह 20 मार्च, 2020 का पत्र है, परन्तु माननीय तत्कालीन मंत्री जी आपने उस समय पर सही ढंग से कार्यवाही नहीं की, इसलिये गड़बड़ हुई है.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप:- आपने 11 में से 5 की अनुमति दी थी..
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ:- 20 मार्च, 2020 का लेटर है, एमओयू सिग्नेचर करने के लिये कहा है, सभापति महोदय, आप इनको समझाइश दो.
श्री जितु पटवारी:- (xxx)
सभापति महोदय:- पटवारी जी, मैंने आपको अलाउ नहीं किया है. पटवारी जी जो भी बोल रहे हैं वह नहीं लिखा जायेगा. साधौ जी आप कन्टीन्यू करें.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ:- माननीय सभापति महोदय, मेरे पास प्रमाण हैं. गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का 20 मार्च, 2020 का लेटर है, यह लेटर अण्डर सेक्रेटरी श्री अमित बिस्वास का है. मैं नाम पढूंगी महेश्वर और सिंगरौली दो मेडिकल कॉलेज का है. Approved Cost - 325 crore, cenral share- 60%- 195.00 crore, state share 40% - 130.00 crore. इसमें लास्ट पैरा में यह लिखते हैं कि -
I am also directed to enclose herewith a copy of memorandum of understanding (MOU) With the request that the same may be signed by the compelent Authority of the Govt.of Madhay Pradesh , in respect of each medical college separately. The copies of MOUs (in duplicate) duly signed and stamped, be returned to this Ministry at the earliest.
सभापति महोदय,यह 20 मार्च का लेटर है और 20 मार्च को हमारी सरकार गिर गयी, फिर आप कैसे कह सकते हो. यहां सदन के अंदर मंत्री जी असत्य कथन बोल रहे हैं. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- मैं यही तो बोल रहा हूं कि 20 मार्च को लेटर आया और और उस समय तो आप मंत्री थीं. (व्यवधान)
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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
(व्यवधान)
श्री जितू पटवारी--एक मंत्री होकर असत्य जानकारी दे रहे हैं. (व्यवधान)
सभापति महोदय--आप लोग कृपया बैठिये क्या यहां पर प्रश्नोत्तर हो रहा है ?
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय, मुझे आपका संरक्षण चाहिये. आप मंत्री जी के ऊपर कार्यवाही करें जो उन्होंने असत्य बात बोली है.
श्री चैतन्य काश्यप--उसके लिये विशेषाधिकार हनन की सूचना दीजिये.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय, विधायक का विशेषाधिकार है मेरे विशेषाधिकार का हनन हुआ है और माननीय मंत्री जी की तरफ से असत्य कथन हुआ है.
श्री शरदेन्दु तिवारी--असत्य नहीं है, यह पत्र दिल्ली का पढ़ा जा रहा है. दिल्ली का पत्र आपके मेडिकल कॉलेज में पैसा न देने के कारण आया है.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय, आप मंत्री जी के खिलाफ कार्यवाही करें, यह ठीक नहीं है.
सभापति महोदय--आप अपना वक्तव्य जारी रखिये.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय, इस सदन के अंदर .....
डॉ.नरोत्तम मिश्र--इनको आप बेंच पर खड़ा करवाओ.
सभापति महोदय--ऐसा नहीं होगा.
श्री विश्वास सारंग--उनसे मंत्री रहकर गलती हो गई.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय, मेरे से कोई गलती नहीं हुई.
श्री विश्वास सारंग-- सभापति महोदय, मंत्री रहते हुए इनसे गलती हो गई है कोई दिक्कत नहीं है. अगली बार भेजे प्रस्ताव हम सहृदयता के साथ महेश्वर का प्रस्ताव हम फिर से भेजेंगे. आपने गलती कर दी आपका कंट्रोल नहीं था उस समय मुख्यमंत्री जी उनकी सुनते नहीं थे.
सभापति महोदय--माननीय मंत्री जी का बड़ा दिल है आप पुनः प्रस्ताव बनाकर भेजिये उस पर कार्यवाही करेंगे.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय, यह एक असत्य कथन है.
श्री विश्वास सारंग-- सभापति महोदय, मैं फिर से बोल रहा हूं कि आप प्रस्ताव फिर से भेजिये हम बड़े हृदय के साथ भेजेंगे.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय, जो हुआ है उसका क्या ?
श्री विश्वास सारंग-- सभापति महोदय, गलती हो गई है कोई दिक्कत नहीं है. आप फिर से भेजो हम प्रस्ताव को भेज देंगे.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय, मंत्री जी फिर से असत्य कथन कह रहे हैं.
सभापति महोदय--इसको कहते हैं बड़ा दिल.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ-- नहीं सभापति महोदय.
सभापति महोदय--धन्यवाद आपका.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय,यह कोई बात नहीं होती.
श्री शरदेन्दु तिवारी-- सभापति महोदय, 11 में से 5 मेडिकल कॉलेज के लिये पैसा मध्यप्रदेश की उस समय की सरकार ने दिया. दिल्ली ने पत्र लिखा है.
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति महोदय, मैं कुछ दिनों से यह देख रहा हूं कि एक अजीब सा परिवर्तन एक अजीब सा व्यवहार सदन में मुझे देखने के लिये मिल रहा है. खूब उग्र होकर, आक्रामक तरीके से भाषण करेंगे, यहां आरोप लगायेंगे, इसके बाद खिलखिलाकर हंसने लगेंगे तो मुझे यह डबल रोल समझ में नहीं आ रहा है कि यह क्या हो रहा है ?
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय, आप अगर असत्य कथन नहीं करेंगे तो हम आक्रामक नहीं होंगे. मंत्री अगर सदन में असत्य कथन बोलता है तो आक्रामक होना हमारा बनता है, क्योंकि आप सुनेंगे नहीं तो आक्रामक तो होंगे ही.
सभापति महोदय--माननीय सदस्य आप इधर मुखातिब होकर के बोलें.
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति महोदय, सरकार होती है उसका मैं उदाहरण दे रहा हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र रेहली में उद्यानिकी महाविद्यालय शुरू हुआ उसमें तीन सेमेस्टर हो गये, लेकिन मैं उसमें आक्षेप नहीं लगा रहा हूं उसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने वही महाविद्यालय छिन्दवाड़ा ट्रांसफर कर लिया. अब आप इस बात को समझ सकती हैं, इससे ज्यादा मैं आपको नहीं बता सकता.
सभापति महोदय--आप अपना वक्तव्य जारी रखते हुए कितना और समय लेंगी.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय, मेरा समय ही बीच-बचाव में निकाल दिया. मैंने आपको पहले ही निवेदन किया था, प्रार्थना की थी कि मुझे आप संरक्षण दीजिये. मेरे समय को और के समय में मत काऊंट कीजिये.
सभापति महोदय--आप जल्दी समाप्त करें.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय,जहां तक भार्गव जी का मामला है, यह बड़े बड़े लोगों की विचारधारा का मामला है उसमें क्या हुआ है और क्या नहीं हुआ है उसमें मैं नहीं जाना चाहती हूं. लेकिन मैं जिस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हूं. वहां की बात अगर नहीं रखूं, यह मेरे लिये ठीक नहीं है. मैं अपनी बात रख रही हूं और जोर-शोर से रख रही हूं.
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति महोदय, आप जोर शोर से रखें, आप विधायक कार्यालय में उसको रख दें, सारे लोगों को पढ़वाएं, स्थानीय महेश्वर के अखबार में छपवा दें, इन्दौर के अखबार में छपवा दें, इससे ज्यादा आप कुछ नहीं है.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय, इससे ज्यादा कुछ नहीं है क्या ?
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति महोदय, हम लोग साथ साथ विधायक रहे हैं मैं साधौ जी, अनुसुईया उइके जी, बीच में आप विधान सभा में नहीं रहीं. आप अन्य जगह पर चली गईं. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि मैं आपके साथ में हूं, लेकिन मैं क्या कर सकता हूं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आप इनको तीन बार आदरणीय कह चुकी हैं. यह आदरणीय भी हो सकते हैं फादरणीय भी हो सकते हैं, लेकिन विश्वसनीय नहीं हैं.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ--सभापति महोदय,यह देखिये भार्गव साहब यह तो आपके बीच का मामला है.
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति महोदय,अभी सदन में मतदान हो जाये कि मैं और नरोत्तम जी में कौन विश्वसनीय है तो आपको मालूम चल जायेगा.
सभापति महोदय--दोनों ही विश्वसनीय हैं. अविश्वसनीयता का तो प्रश्न ही खड़ा नहीं होता.
श्री जितू पटवारी - दोनों पर विश्वास करूं कि नहीं करूं यह भविष्य के गर्त में है.
श्री विश्वास सारंग - जितू भाई मैं विश्वास हूं.
श्री जितू पटवारी - ये सच है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से यह सच पटल पर रखना चाहती हूं. मेडीकल एज्युकेशन की सीट्स के बारे में पी.जी. की सीट्स, यू.जी. सीट्स के बारे में मैं नहीं कहती हूं कि मैंने सीट बढ़ाई या नहीं बढ़ाई, यह तो एक निरंतर प्रक्रिया है. जिसके माध्यम से हम लोगों ने प्रयास किए और अभी जो 9 मेडीकल कॉलेज आए हैं, इसमें यूपीए सरकार ने 7 दिए थे, अभी हम लोग 9 लेकर आए हैं, उसमें आदरणीय कमल नाथ जी की सरकार का भी बहुत बड़ा योगदान है. सुपर स्पेशियालिस्ट बने, यू.जी.पी.जी. की सीट्स बनी, हमने एमसीएच और डी.एम. की सीट भी बढा़ई थी, उस वक्त और जो प्लान का पैसा है. केन्द्र सरकार ने 90 हजार करोड़ से करीब करीब 3 लाख करोड़ हेल्थ के ऊपर किया था, जो एक बहुत बड़ी बात थी. बहुत सारी चीजें इसमें आई है, मैं उसमें नहीं जाना चाहती. मैं यह निवेदन करना चाहती हूं कि आपने जो एनवीडीए के बारे में भी इसमें बताया गया है, उसमें महेश्वर हाइडल प्रोजेक्ट का कहीं जिक्र नहीं किया है, नर्मदा प्राधिकरण का अवार्ड के अंतर्गत प्रदेश को आवंटित जल की आपने बात की है और मध्यप्रदेश का नर्मदा नदी के ऊपर यह सबसे आखिरी प्रोजेक्ट है, उसके बाद गुजरात आ जाता है सरदार सरोवर, इसके बारे में भी आधा अधूरा है इसमें कोई मेंशन नहीं है, यह प्रॉपर नहीं हुआ है, वहां पर जो कर्मचारी कार्य कर रहे हैं, उनको तनख्वाह नहीं मिल रही है, उसका क्या होगा, वह एस.कुमार्स के पास है या उसको सरकार ने ले लिया है, यह बिल्कुल भविष्य के गर्त में है, इसको कोई नहीं जानता कि क्या होगा, वहां पर जो फाटक लगाए जाते हैं, वह भी एक टूटकर गिर गया, कहीं बड़ी हानि इस पर हो सकती है. इसके ऊपर भी आपने कुछ बात नहीं कही है, इसके साथ ही जल निगम के माध्यम से आपने जो जल व्यस्था की बात की है तो वित्त मंत्री जी से यह कहना चाहती हूं कि आपकी ये जो जल निगम के माध्यम से आपने नल जल योजना का जो प्रावधान किया है, इसमें हो क्या रहा है कि एक ग्राम में वह नल जल योजना जाती है तो एक गली तक जाकर के उसको छोड़ दिया जाता है. ये नल जल योजनाएं जो एससी-एसटी की जो बस्तियां होती हैं वह गांव के बाहर होती है और उनको कव्हर न करते हुए मात्र एक गली तक जाकर उस योजना को पूर्ण कर दिया जात है. इस पर भी आपका ध्यान दिलाना चाहूंगी. गंभीर परियोजना जो माइक्रो सिंचाई योजना की आपने बात की है, इसमें गंभीर परियोजना मेरे क्षेत्र से जो जा रही है यह परियोजना भी वास्तविक धरातल में कोई बहुत बड़ा काम नहीं कर रही है. इसके साथ ही आपने जो स्कूल आदिम जाति कल्याण विभाग और स्कूल शिक्षा के ऊपर आपने जो बात की है, इसमें भी प्रॉविजन रखा है, इसमें बहुत सारा जो विदेश अध्ययन हेतु छात्रवृत्तियां हैं इसमें भी कहीं न कहीं कमियां और खामियां हैं, जो दिल्ली के प्रतिष्ठानों में कोचिंग करते हैं, इसमें आपने मेंशन नहीं किया कि इसमें कितना क्या प्रावधान रखा है. ये सारी चीजें मैं बताना चाहती थी. सभापति महोदय आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. सीतासरन शर्मा - सभापति महोदय, अभी माननीय सदस्यों की सब चर्चाएं सुनी. वैसे बहुत सी बातें आ गई हैं, उनको दोहराने का कोई अर्थ नहीं है, किन्तु फिर भी जो नवाचार इस बजट में हुआ है. उसकी ओर आपका ध्यान कुछ नवाचार और कुछ पिछली सरकार ने जो काम बंद कर दिये थे, उनको प्रारंभ करने का काम. इसके बारे में, मैं आपसे बात करूँगा.
सभापति महोदय, अब मैं शिक्षा के बारे में बात करूँगा. वर्ष 2019 में एक स्कूल भी नया नहीं खुला, न प्रायमरी, न मिडिल, न हाईस्कूल और न हायर सेकेण्डरी. शिक्षा की नीति में भारत सरकार ने एक परिवर्तन किया और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने नवाचार के तहत 9,200 सीएम राइज स्कूल खोलने का प्रस्ताव रखा है, जिनकी शुरूआत इस वर्ष की जायेगी.
सभापति महोदय, केन्द्र सरकार ने राइट टू एज्यूकेशन एक्ट बनाया था, तब इनकी सरकार थी. उसमें प्रावधान यह कर दिया था कि सरकारी स्कूल से बच्चे प्रायवेट स्कूलों में जाएं और उसका रिएंबर्समेंट सरकार करे, बजाय इसके कि सरकारी स्कूलों का एम्पावरमेंट किया जाये. सरकारी स्कूलों को कमजोर करने की योजना बनाई गई. हमारी नई सरकार ने अब नये तरीके से, शासकीय स्कूलों का एम्पावरमेंट करने की योजना बनाई है और अब उनमें वे सब सुविधाएं देंगे, जो प्रायवेट स्कूल्स में दी जाती है. मैं दो-तीन विषयों पर बोलूँगा. जैसा कि हमारे पूर्व वक्ताओं ने भी कहा और मैंने पहले भी इसकी चर्चा की थी कि प्रदेश में मेडिकल कॉलेजेस की अभी भी कमी है, अभी भी डॉक्टर्स नहीं है, पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर्स बहुत से अस्पतालों में नहीं हैं तो उसका क्या कारण है ? उसका कारण सिर्फ एक था कि हमारे यहां मेडिकल कॉलेजेस खोले ही नहीं गए थे. अब भले ही हमारे सामने वाले सदस्य इसकी क्रेडिट लें कि यूपीए सरकार में यह प्रस्ताव रखे गये थे. 50 वर्ष आपकी सरकार रही थी, पांच से छटवां नहीं हुआ. 15 वर्ष की सरकार में ही 5 से 23 हुए. सन् 2019 में एक मेडिकल कॉलेज भी नहीं खुला.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - सभापति महोदय, मेरे कार्यकाल में सन् 2002-2003 में अरबिन्दो, पीपुल्स मेडिकल कॉलेज, आरकेडीएफ और गार्गी प्रायवेट मेडिकल कॉलेज खुले थे.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य अपना वक्तव्य जारी रखें.
डॉ. सीतासरन शर्मा - सभापति महोदय, अब मुझे 20 वर्ष पुरानी बात याद नहीं है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - मैं तो आपको नाम गिनवा रही हूँ. अरबिंदो मेडिकल कॉलेज, पीपुल्स मेडिकल कॉलेज, आरकेडीएफ और गार्गी प्रायवेट मेडिकल कॉलेज हैं.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य, एक बार आपकी बात आ गई है.
श्री उमाकांत शर्मा - सभापति महोदय, आपको धैर्य से सुनना चाहिए, आपको टोका-टाकी से खुद के लिए बुरा लग रहा था और अब आप टोका-टाकी कर रही हैं तो क्या यह अच्छा है ?
सभापति महोदय - आप भी विराजिये.
श्री तरुण भनोत - सभापति महोदय, प्रदेश में व्यापम 2 शुरू होने वाला है.
सभापति महोदय - मैंने आपको अनुमति नहीं दी है.
डॉ. सीतासरन शर्मा - सभापति महोदय, हमारी सरकार ने सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटलों की व्यवस्था की है. अब समय चेंजिंग हैं, पहले एमबीबीएस फिर एमडी डॉक्टर्स और डीएम आने लगे हैं और इसलिए सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की आवश्यकता थी. अभी फिर से रेस्पाइरेटरी मेडिसिन, अर्थोपेडिक्स और ऑप्थलमोलॉजी में उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना की जाना प्रक्रियाधीन है, कैन्सर हॉस्पिटल्स भी खोले जा रहे हैं. सभापति महोदय, किसानों की बात बहुत होती है. हमारे सामने वाले साथी बड़ी चिंता करते हैं और माननीय पूर्व वित्त मंत्री जी ने बहुत से फिगर दिये थे, बड़ी विद्वतापूर्ण उनका भाषण था और किसानों की बात भी उन्होंने कर्जमाफी के संबंध में की थी. मैं उनसे एक बात पूछना चाहता हूँ. आपके समय कितना गेहूँ उपार्जन किया गया था. 73 लाख मीट्रिक टन और अब 1 करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन.
श्री कुणाल चौधरी - सभापति महोदय, आप मिट्टी भी 300 रुपये क्विंटल खरीदने वाले थे और अभी क्या खरीद रहे हैं ? चना 1,600 रुपये क्विंटल बिक रहा है.
सभापति महोदय -- डॉक्टर साहब आप संवाद उधर देखकर न करते हुए, मेरे माध्यम से उनका ध्यानाकर्षित करवा दें, अन्यथा वह फिर जवाब देंगे.
श्री तरूण भनोत -- सभापति महोदय, मुझे अनुमति दे दें.
सभापति महोदय -- मैंने आपको अनुमति नहीं दी है.
श्री तरूण भनोत -- माननीय सभापति महोदय, अनुमति दे दीजिये (हंसी.)
सभापति महोदय -- अच्छा ठीक है(हंसी).
सुश्री कलावती भूरिया -- गेहूं छोड़कर बाजरा भेज रहे हैं इसलिये.
श्री तरूण भनोत -- माननीय सभापति महोदय, मेरे बुजुर्ग ने बहुत अच्छा प्रश्न पूछा है.
संसदीय कार्यमंत्री( डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- बुजुर्ग पर तो आपत्ति है. किसी को भी असमय गाली नहीं दे सकते हैं (हंसी..)
श्री तरूण भनोत -- यह पता नहीं आप लोग कौन सा, क्या खाते हो, आपके यहां पर कोई बुजुर्ग ही नहीं होता है (हंसी..). माननीय सभापति महोदय, एक सेकेण्ड में खत्म कर दूंगा. हर जगह नकारात्मक बातें नहीं करना चाहिये. हमारे टाईम उपार्जन नहीं हुआ.
सभापति महोदय -- आपने तो आज गजब किया है, प्रारंभ से लेकर वित्त मंत्री जी की जो आपने प्रशंसा की है, बजट की प्रशंसा की है, जो अच्छी चीजें हैं, उनको आपने बहुत अच्छे से रखा है.
श्री तरूण भनोत -- उसके पीछे की भावनाओं को आप समझो.
सभापति महोदय -- जो रिकार्ड में आ गया, वह तो आ ही गया है.
श्री तरूण भनोत -- भावनाओं को समझो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- हम तो भावनाओं को समझ रहे थे, ये नहीं समझे हैं (हंसी..)
श्री तरूण भनोत -- समझिये उसके पीछे क्या था, मुझे लगता है सकारात्मक सोच की कमी दिख रही है. माननीय आपने कहा कि आपके समय उपार्जन नहीं हुआ. अरे पंडित जी जो हमने लोन माफी किया, उससे किसान का संबल बढ़ा और उसने और ज्यादा उत्पादन किया, उसके जो बंद खाते थे, उनको हमने चालू करवाया है, हमने उसका लोन भरा है. इसलिये फसल के बारे में आपको पता है क्योंकि आप तो खुद किसान हैं, मतलब आप प्रत्यक्ष न हो अप्रत्यक्ष तो किसान हैं. आप जब फसल लगाते हैं तो क्या वह अगले दिन पैदा होती है ?
इंजीनियर प्रदीप लारिया -- आपके समय किसानों को यूरिया नहीं मिला था.
श्री तरूण भनोत -- हमने फसल लगाई और वह फसल आपने काट ली. (व्यवधान..)
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य आपकी बात आ गई है.
श्री कुणाल चौधरी -- यूरिया मिली तभी तो इतना गेहूं मिला था. यूरिया के कारण ही तो गेहूं इतना मिला, तीन गुना मिला था, इस बार कुछ भी यूरिया नहीं मिला है. (व्यवधान..)
श्री उमाकांत शर्मा -- लगता है भनोत जी राजनीतिक फसल की बात कर रहे हैं. राजनीतिक फसल काटने की बात कर रहे हैं, हमने काट ली.
सभापति महोदय -- एक मिनट डॉक्टर सीतासरन शर्मा जी आप बोलें.
श्री तरूण भनोत -- फसल हमारी थी और आपने काट ली.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य तरूण जी, आप बैठ जायें.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- हमने 15 साल में जो फसल लगाई थी, उसको आपने 15 महीने में बर्बाद किया है. हमें फिर से फसल लगाना पड़ रहा है और फिर से बोना पड़ रहा है. सभापति महोदय, 32 जींस जो वनीय क्षेत्र की हैं, उनको समर्थन मूल्य पर खरीदने का प्रस्ताव मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है और हमारी सरकार किसानों के अलावा आदिवासी बंधुओं की भी चिंता कर रही है.
सभापति महोदय, नगरीय विकास और प्रधानमंत्री आवास बस एक दो बातें कहकर मैं अपनी बात समाप्त करूंगा. प्रधानमंत्री आवास आपने वापस कर दिये थे कि हमें नहीं चाहिए, जबकि भारत सरकार देने को तैयार थी, किंतु आपने उन आवासों की संख्या घटा दी और 19 महीने में हम तो भुक्तभोगी हैं. हमारे यहां 672 आवास के प्रस्ताव हैं, जिनको आपने रिजेक्ट कर दिये और अब नई सरकार के आने के बाद वह स्वीकृत हुए हैं.
श्री तरूण भनोत -- आपसे यह उम्मीद नहीं थी.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- (हंसी..) मैं तो सही बात कहता हूं. आप जो उम्मीद करते हैं, मैं वैसे ही बात करता हूं. प्रधानमंत्री आवास के साथ ही 19 महीनों में स्मार्ट सिटी योजना एक भी काम नहीं हुआ है. 19 महीने में शहरों में कोई काम नहीं हुआ है. श्री संजय यादव साहब ने नर्मदा प्रदूषण की बात रखी थी, जो योजनाएं बनाई थीं, उनकी जमीन की जमीन तक एलॉट नहीं की गई है, क्योंकि नर्मदा परिक्रमा जो हुई थी, उसके तत्काल बाद चुनाव हो गये और सरकार कांग्रेस की आ गई थी तो इन्होंने जो हमारे सीवेज टीट्रमेंट प्लांट के 160 करोड़ रूपये आये थे, उसकी जमीन ही एलॉट नहीं हुई थी. अब जमीन एलॉटमेंट करवाकर और टेंडर होकर एक साल कोविड में निकल गया. इस प्रकार से जो पैसा दिया गया, उसका भी काम नहीं हुआ है. मैं तो साफ बात करता हूं पिछले 15 महीनों में एक ईंट किसी भवन में लगी हो और जो पुराने काम थे वह भी वापस कर लिये हैं. पंचायतों से पैसा वापस बुलवा लिया, जो भजन मण्डलियों को पैसा दिया था, वह भी वापस करा लिया. सभापति महोदय, नई सरकार ने वह सारे पुराने काम, तीर्थ योजना चालू की है. पी.सी.शर्मा साहब जी ने 100-50 लोगों को कुंभ भिजवा दिया था तो उसी का रिकार्ड बजाते थे, इसके बाद में तीर्थ योजना ही बंद हो गई. हमारे मुख्यमंत्री जी ने फिर से बुजुर्गों के लिये तीर्थ योजना चालू की है.
श्री पी.सी.शर्मा -- सभापति महोदय.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अरे आप कहां से आ गये(हंसी..). मुझे मालूम होता तो मैं इनका नाम ही नहीं लेता कि ये यहां पीछे बैठे हैं.
सभापति महोदय-- देखिये आपने याद किया, तुमने पुकार और हम चले आये.
श्री पी.सी. शर्मा-- वर्ष 2019 में तो आप सच बोलते थे, अब असत्य कैसे बोलने लगे. यह पूरी योजनायें चलीं कभी बंद नहीं हुईं और कुंभ में कभी नहीं गई थी, बीजेपी के आपके कार्यकाल में कुंभ ही भेजा था.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- इलाहाबाद, वही आपने गाना गाया और वही रिकार्ड बजाया.
श्री पी.सी. शर्मा-- इलाहाबाद के अलावा वैष्णो देवी, तिरूपति सब जगह गई है और पूरे मध्यप्रदेश से गई, जबलपुर से भी गई और होशंगाबाद से भी गई थी.
श्री संजय यादव-- मैं आदरणीय दादा जी से एक बहुत अच्छी बात कहना चाहता हूं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- इतने सीनियर भी नहीं हैं भाई.
सभापति महोदय-- माननीय सदस्य कहा जा सकता है.
श्री संजय यादव-- सभापति महोदय जी, कोई ऐसी योजना नहीं है क्या ...(व्यवधान)... मेरा एक निवेदन है दादाजी. ...(व्यवधान)... आदरणीय सभापति महोदय जी, क्या हम यहां कोई ऐसी योजना बना सकते हैं कि क्या हमारे दादा आडवाणी जी बनने के पहले ...
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति जी, आसंदी से एक व्यवस्था आना चाहिये, यह बहुत आवश्यक भी है जैसा कि अभी संसदीय कार्यमंत्री जी ने भी कहा था, युवा लोगों के लिये दादा कहना मैं मानकर चलता हूं इससे बड़ा हतोत्साहन कुछ नहीं हो सकता और केशव बिहारी सभी ने अपनी-अपनी कविताओं में लिखा है क्या कष्ट होता है केशव, केशन, आस करी और आप सभी जानते हैं इस कारण मैं कहता हूं इसको बंद करो.
श्री संजय यादव-- इसलिये हम लोग भी आपको दादाजी बोलना चाहते हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- इनके तो अभी पूरे बाल काले हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- अभी 5 चुनाव और लड़ूंगा, मैं अभी बिलकुल दादा नहीं हूं. 5 चुनाव लड़ूंगा, आपको मिलूंगा.
श्री संजय यादव-- हम तो चाहते हैं आपका आशीर्वाद हम लोगों को मिलता रहे. हम लोग भी आपके साथ-साथ चलें.
श्री पी.सी. शर्मा-- भार्गव जी, यह तो शिवराज जी से पूछना पड़ेगा.
श्री संजय यादव-- मेरा एक सुझाव है कि हमारे दादा जी आडवाणी जी बनें, उसके पहले प्रस्ताव पास करके कहीं का राज्यपाल बनवा दिया जाये तो कम से कम यह आडवाणी जी बनने से बच जायेंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- सभापति महोदय, नगरीय क्षेत्र की बात करके अपनी बात समाप्त करूंगा. पिछले कार्यकाल में नगर पालिकाओं के पास तनख्वाह देने के पैसे नहीं थे. (श्री तरूण भनोत जी की तरफ देखते हुये) बुरा मुंह मत बनाईये पूर्व वित्तमंत्री जी. यह बात बिलकुल सही है, चुंगी कर में भी कटौती की गई. इस साल चुंगी छतिपूर्ति के रूप में 560 करोड़ बढ़ाकर दी जा रही है और 3600 करोड़ रूपये का प्रावधान किया जा रहा है. जहां पहले चुंगी में से घटाई गई राशि अब उसको बढ़ाकर दिया जा रहा है. जल जीवन मिशन के बारे में माननीय वित्तमंत्री जी ने कहा था कि आपने नाम बदल दिया, पूर्व वित्त मंत्री जी ने.
श्री तरूण भनोत-- आपकी वाणी सही हो जाये.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अभी 15 साल नहीं होगी, उसके बाद की आप देखना. 15 साल माननीय जगदीश देवड़ा साहब ही प्रदेश में वित्तमंत्री रहेंगे. जो आपने पानी का कानून बनाया था उसका इस जल जीवन मिशन से कोई संबंध नहीं है, राइट टू वाटर जो आपने बनाया था. जल जीवन मिशन गांव-गांव में नल के द्वारा पानी पहुंचाने की योजना है. राइट टू वाटर में आपने ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं किया. जल जीवन मिशन के माध्यम से टोटी से गांव के लोग नल कनेक्शन लें यह विजन है मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी का और हमारे वित्तमंत्री जी का. सभापति महोदय, बहुत सी बातें हैं किंतु हरेक सदस्य को बात करना है, इस प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिये यह बजट प्रस्तुत हुआ है इससे जन-जन को लाभ होगा, चाहे वह छात्र हों, चाहे किसान, चाहे शहर के आवासीय लोग हों और चाहे हमारे गरीब मजदूर. मैं माननीय वित्तमंत्री जी को और मुख्यमंत्री जी को बधाई देता हूं.
श्री जयवर्द्धन सिंह(राघौगढ़) - माननीय सभापति महोदय, जब से कोरोना वायरस का संकट पूरे देश और प्रदेश में चालू हुआ है यह उसके बाद पहला बजट है. मैं सुन रहा था माननीय वित्त मंत्री जी का बजट भाषण और राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में अधिकतर अगर एक शब्द का प्रयोग किया गया और वह था आत्मनिर्भर,आत्म निर्भर मध्यप्रदेश लेकिन जो आंकड़े बजट में प्रस्तुत किये गये. कुल व्यय राजस्व और पूंजीगत व्यय को मिलाकर 2 लाख 41 हजार करोड़ और इसी के साथ कुल ऋण जो पूरा लिया जायेगा वह पहुंचेगा ढाई लाख करोड़ और यह प्रदेश के इतिहास में पहला बजट होगा जिसमें कुल ऋण 50 हजार करोड़ का ऋण इस साल का.
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री(श्री कमल पटेल) - आप क्या कह रहे हैं.
श्री तरुण भनोत - हम यही पूछ रहे हैं कि यह आपने क्या बनाकर दे दिया. यह आपने प्रस्तावित किया है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - पहले का ऋण कृषि मंत्री जी था 2 लाख करोड़ का और इस बार 50 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण लिया जायेगा. जिसके माध्यम से कुल ऋण ढाई लाख करोड़ हो जायेगा. जबकि कुल व्यय लगभग 2 लाख 40 हजार करोड़ होगा. जो प्रदेश के इतिहास में पहली बार हो रहा है. मैं मानता हूं कि इससे यह बात साबित होती है कि यह आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश नहीं, कर्ज निर्भर मध्यप्रदेश, भाजपा सरकार बना रही है. हम बात करें किसानों की, अगर किसी ने किसानों को आत्मनिर्भर किया है, तो यह शुरुआत कमलनाथ जी ने की थी, जब कर्जमाफी की शुरुआत की गई थी. 2019-20 में हमने कर्जमाफी के लिये 8 हजार करोड़ रुपये आवंटित किये थे और यह दुर्भाग्य की बात है कि सरकारें आती हैं जाती हैं. कोई सरकार भाजपा, कांग्रेस की नहीं होती. सरकार मध्यप्रदेश शासन की होती है और यह बड़े दुख की बात है कि इस बार कर्जमाफी के लिये सिर्फ 3 हजार रुपये. यह कैसा मजाक है. मैं आपसे अर्ज करना चाहता हूं 2019-20 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कांग्रेस सरकार ने 2800 करोड़ रुपये दिये थे.
श्री कमल पटेल - कमलनाथ जी ने 54 हजार करोड़ रुपये कर्ज माफी के लिये देने का कहा था.
श्री तरुण भनोत - माननीय सभापति जी, क्या मंत्रीगण सदस्यों को बोलने से रोकेंगे. आपका संरक्षण चाहिये.
सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्य को अपना भाषण जारी रखने दें.
श्री जयवर्द्धन सिंह - आपने खुद माननीय मंत्री जी, मेरे प्रश्न में उत्तर दिया है कि कमलनाथ सरकार ने 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया है.
श्री कमल पटेल - अरे भतीजे, मेरी बात सुनो.
श्री जयवर्द्धन सिंह - अंकल, आपकी बारी भी आयेगी.
श्री कमल पटेल - कमलनाथ जी ने मुख्यमंत्री बनते ही कहा था कि 48 लाख किसानों का 54 हजार करोड़ का कर्ज माफ करने का इंतजाम किया जा रहा है.
(..व्यवधान..)
श्री जितु पटवारी - कृषि मंत्री जी ने आपने यह नहीं कहा कि किसानों का कर्ज माफ करना पाप है. यह कहा कि नहीं. अखबारों में छपा कि नहीं.
सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी.
श्री कमल पटेल - यह मैंने कहा था लेकिन क्यों कहा था सुनो.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय सभापति महोदय,यह कृषि मंत्री हैं इनको किसानों से क्या तकलीफ है.
(..व्यवधान..)
श्री तरुण भनोत - मंत्री जी, हम कृषि विभाग पर चर्चा करेंगे.
श्री कुणाल चौधरी - जब किसान की बात आती है तो आपको तकलीफ क्यों होती है.
(..व्यवधान..)
सभापति महोदय - कृपया बैठें. माननीय सदस्य अपना वक्तव्य जारी रखें.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय सभापति महोदय, यही नहीं मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि लेखा शीर्ष 5408 पर. मुख्यमंत्री प्याज कृषक प्रोत्साहन योजना. वर्ष 2019-20 में इसके लिये 100 करोड़ रुपये आवंटित थे, इस बार जीरो. यही नहीं लेखा शीर्ष 5381 अटल कृषि ज्योति योजना में वर्ष 2019-20 में 5700 करोड़ रुपये का प्रावधान था, इस बार 1200 करोड़ रुपये कम प्रावधान किया गया है, अटल कृषि ज्योति योजना में. यही नहीं माननीय शुक्ल जी, जिन्होंने शुरुआत की थी सत्ता पक्ष की तरफ से, उन्होंने टेरिफ अनुदान के बारे में उल्लेख किया था. लेखा शीर्ष 7313, इसमें वर्ष 2019-20 में कांग्रेस सराकर ने 1500 करोड़ रुपये आवंटित किये थे और इस बार सिर्फ 375 करोड़ रुपये, 1200 करोड़ रुपये की कमी की गई है टेरिफ अनुदान में, जिसका सीधा लाभ किसान को मिलता है. यही नहीं काले कृषि कानून के बारे में बहुत बातें हुई हैं. इस साल 62 फीसदी मंडियों में मांग की गई है कि वह वेतन नहीं दे पा रही हैं. अनुदान की मांग की गई है 62 प्रतिशत मंडियों के द्वारा. यही नहीं लगभग ऐसी 49 मंडियां हैं, जहां पर एक रुपये की आमदनी नहीं हुई है इस बार. मैं खुद कल का एक उदाहरण देता हूं और वह उदाहरण है नसरुल्लागंज मंडी का, सीएम साहब के क्षेत्र का, जहां पर एक किसान ने मजबूरन रुप से उनका गेहूं बेचा है 1625 रुपये में, जबकि एमएसपी है 1975 रुपये. यह उदाहरण सीएम साहब के क्षेत्र बुधनी का है. मैं आपको अर्ज करना चाहता हूं कि अगर स्थिति ऐसी बनेगी तो किसान जो मध्यप्रदेश का है, कभी आत्मनिर्भर नहीं बन पायेगा. ..
डॉ. सीतासरन शर्मा -- इस साल तो गेहूं आया नहीं.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- गेहूं कट चुका है. आप कहा हैं, ये कैसा मजाक कर रहे हैं. कटाई चालू हो चुकी है, गेहूं कट भी चुका है. आप कहां खो गये. आप तो वरिष्ठ सदस्य हैं.
..(व्यवधान)..
श्री पारस चंद्र जैन -- सभापति महोदय, अभी तो नये गेहूं की 22 मार्च से खरीदी चालू होगी.
श्री कुणाल चौधरी -- सभापति महोदय, गेहूं आ गया है. 2100 रुपये क्विंटल तो मिट्टी खरीद रहे थे शिवराज सिंह जी, गेहूं नहीं खरीद रहे हैं, 2100 रुपये क्विंटल की बात कर रहे थे.
सभापति महोदय -- कृपया बैठ जायें.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- सभापति महोदय, यह बात आप जानते हैं और मै भी जानता हूं कि यह इस साल का गेहूं है. यहीं नहीं मुख्यमंत्री जी ने अभिभाषण की चर्चा में कहा था कि कांग्रेस ने पेट्रोल, डीजल पर वेट बढ़ाया. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि पिछले साल इसी समय पेट्रोल का रेट था 70-75 रुपये के बीच में, वहीं डीजल का रेट था पिछले साल लगभग 65 रुपये के आस पास. आज यह बहुत दुख की बात है कि दिल्ली में पेट्रोल का रोट तो 90 रुपये है, लेकिन मध्यप्रदेश में 100 रुपये पहुंच गया है और वहीं डीजल का रेट 90 रुपये है, जो पेट्रोल का रेट दिल्ली में है. अगर सरकार ऐसी रहेगी, तो कभी मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर नहीं बन पायेगा और हमें उम्मीद थी कि वेट कम किया जायेगा, लेकिन वेट भी बिलकुल इस बार कम नहीं किया गया. सभापति महोदय, मैं माननीय सीएम साहब के एक ट्वीट का उल्लेख करना चाहता हूं. यह ट्वीट 22 अक्टूबर का है, उप चुनाव के ठीक 10 दिन पहले का. जहां उन्होंने ट्वीट पर कहा कि मेरे प्रदेश वासियों, भारत में कोरोना की वैक्सीन तैयार करने का कार्य तेजी से चल रहा है. जैसे ही वैक्सीन तैयार होगी, मध्यप्रदेश के प्रत्येक नागरिक को वह मुफ्त में उपलब्ध कराई जायेगी. यह क्या चुनावी जुमला था. अब जब वैक्सीन की आपूर्ति चल रही है पूरे देश में, हमें उम्मीद थी कि इस बजट भाषण में भी इसका उल्लेख किया जाता और अगर सबको नहीं, क्योंकि बहुत लोग सक्षम होते हैं, लेकिन कम से कम जो गरीब परिवार हैं, बीपीएल परिवार हैं, कम से कम उनको निशुल्क वैक्सीन का इस बार उल्लेख करना चाहिये था. मुझे उम्मीद होगी..
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) -- सभापति महोदय, वैक्सीन मुफ्त में ही लग रही है.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- नहीं लग रही है. कहां लग रही है.
श्री विश्वास सारंग -- जयवर्द्धन सिंह जी, मुफ्त में लग रही है. फार यूअर काइंड इनफर्मेशन.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- क्यों नहीं उल्लेख किया इस बजट में.
श्री विश्वास सारंग -- सरकारी व्यवस्था में हर जगह फ्री में लग रही है. यदि कोई अगला फेसिलिटी लेकर प्राइवेट सेक्टर में लगवाना चाहता है, तो उसको पेमेंट करना है. सरकार की व्यवस्था मुफ्त की ही है.
श्री जयवर्द्धन सिंह- लेकिन इसके बारे में वित्तमंत्री जी उनके भाषण में जरूर उल्लेख करें, क्योंकि बजट में इसका स्पष्टीकरण कहीं भी नहीं था.
सभापति महोदय, अगर मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर बनेगा तो सबसे पहले जो प्रदेश का युवा है उसको आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा और युवा तब आत्मनिर्भर होगा जब उसके पास रोजगार होगा, यह कहकर बहुत दुख होता है कि अकेले अगर हम तुलना करें पिछले साल 1 जनवरी और 25 फरवरी के बीच में तो लगभग उस समय के बीच में रोजगार कार्यालय में 41 हजार बेरोजगार युवाओं ने पंजीयन कराया था, लेकिन इसी वर्ष 1 जनवरी और 25 फरवरी के बीच में 7 लाख 70 हजार बेरोजगार युवाओं ने रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराया है. यही नहीं, अभी 2 दिन पहले मैंने विधान सभा में प्रश्न पूछा था कि बेरोजगार युवाओं के लिए सरकार की क्या नीति है, उत्तर में यह आता है कि 51 जिले जहां पर रोजगार कार्यालय है, उनमें से 36 जिलों में जो रोजगार कार्यालय हैं उनको बंद किया जा रहा है.
सभापति महोदय, यह बहुत गलत निर्णय है कम से कम हर जिले में रोजगार कार्यालय को खुला रहना चाहिए. मैं आपका ध्यान एक और विषय पर लाना चाहता हूं कि अभी यह बात सामने आई है कि कृषि विस्तार अधिकारी का अभी चयन किया गया है जिसमें व्यापम के माध्यम से यह बात सामने आई है कि जो टॉप 10 स्टूडेंट्स थे, जिनको इसमें सबसे अच्छे मॉर्क्स मिले हैं, ये सब एक ही कॉलेज के थे और इन सबको एक जैसे मॉर्क्स आए हैं और जो प्रश्न का उत्तर उन्होंने गलत दिया था, वह भी उनके एक जैसे हैं.
5.17 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, यह जो पूरा एक्जॉम व्यापम के द्वारा हुआ है इसकी जरूर जांच होनी चाहिए. मैं एक बात और अर्ज करना चाहता हूं कि 15 साल भाजपा की सरकार में भूमाफिया हावी था, रेत माफिया हावी था. लेकिन वह कमलनाथ जी की सरकार थी, जिसने माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया था, उसके साथ में शुद्ध के लिए युद्ध का अभियान चालू कराया था, यही नहीं 15 साल में रेत के टेण्डर एक बार भी पूर्व सरकार नहीं लगा पाई थी लेकिन कमलनाथ जी की सरकार ने 15 महीनों में रेत टेण्डर के माध्यम से प्रदेश सरकार को 1400 करोड़ रुपये की आमदनी दिलाई थी.
खनिज साधन मंत्री (श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह) - एग्रीमेंट हमने करवाए, नहीं तो एग्रीमेंट ही नहीं हो रहे थे.
श्री जयवर्द्धन सिंह - आप भी जानते हैं मैं भी जानता हूं कि उस समय टेण्डर हो चुके थे. मैं आपसे अर्ज करना चाहता हूं कि 7 साल पहले प्रधानमंत्री जी ने उनके भाषण में कहा था कि नरेगा कांग्रेस का फेल्योर का प्रतीक है , लेकिन पिछले 1 साल में जब कोविड का पूरे प्रदेश में संकट था उस समय मनरेगा का सबसे अधिक उपयोग हुआ है, इसके साथ में आज जो प्रदेश भर में गौ शालाएं बन रही हैं वह भी नरेगा की देन है, यही नहीं मैं आपसे कहना चाहता हूं कि कमलनाथ जी की सरकार ने गौ माता के लिए प्रतिदिन एक गाय के लिए 20 रुपये की सहायता की थी, लेकिन जैसे ही पुनः भाजपा सरकार बनी यही राशि वापस 2 रुपये कर दी है, जो मैं मानता हूं कि बहुत ही गलत निर्णय है और इस पर पुनर्विचार होना चाहिए.
हमारे पूर्व वक्ता कह रहे थे कि प्रधानमंत्री आवास योजना में हमारे समय कमी की गई थी, लेकिन यह भी बिल्कुल गलत है जो आंकड़े बजट में है उसमें यह बात साबित होती है कि वर्ष 2019-20 में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 4800 करोड़ रुपये हमने आवंटित किये थे, जो इस बार सिर्फ 2500 करोड़ रुपये है तो इसका मतलब है कि कमलनाथ जी की सरकार ने प्रधानमंत्री आवास के लिए लगभग 2300 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटित किये थे. मैं आपको कहना चाहता हूं कि इस एक साल में ऐसे रिकॉर्ड तोड़े गये हैं जो कहीं न कहीं सकारात्मक नहीं है लेकिन नकारात्मक हैं, चाहे हम बात करें ढ़ाई लाख करोड़ रुपये के कर्ज के बारे या फिर हम उस बात को याद करें कि अकेले श्री शिवराज सिंह चौहान जी प्रथम 30 दिन जब उन्होंने कार्य संभाला था, तो अकेले वह मुख्यमंत्री थे, कोई मंत्री उनके पास नहीं था, उसके बाद 100 दिन ऐसे रहे जहां सिर्फ 5 मंत्री थे. जबकि 5 मंत्री के साथ ही कैबिनेट के निर्णय हुए हैं. अध्यक्ष महोदय अभी स्थिति ऐसी है कि पूरा एक साल हो चुका है लेकिन अभी तक प्रभारी मंत्री नहीं बनाये गये हैं, लोग कहते हैं कि क्या दो भाजपा हो गई है, महाराज भाजपा और नाराज भाजपा, शायद इसीलिए स्थिति ऐसी बन गई है कि अभी तक प्रभारी मंत्री नहीं बन पाये हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- वह तो उधर उधर था नाराज नाराज, इधर नाराज नाराज नहीं है,..(व्यवधान)..
श्री जितु पटवारी -- यह बात सही है कि आत्मा से आप हमारे परिवार के सदस्य हो यह ठीक है कि आपने अपने चरित्र का बदलाव किया है संजय पाठक मेरा दोस्त है और जीवन भर अंतिम सांस तक रहेगा, पिछली बार वह मंत्री बने थे तब भी हमेंऐसी बातें कहीं गई थी, आप भी ध्यान रखना तरूण ने कहा है गलत नहीं है, याद रखना.
श्री तुलसी सिलावट -- आप असत्य बोलते कहां है पटवारी जी. आपके चरित्र में असत्य बोलना नहीं है.
श्री प्रियव्रत सिंह --आपकी आत्मा भटकने न लगे इस बात का ध्यान रखना.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्यक्ष महोदय मैं अंत में यह ही कहना चाहता हू कि बजट पूरे मध्यप्रदेश के लिए प्रस्तुत होता है लेकिन जमीनी स्तर पर उसका निर्वहन होता है डीपीसी के माध्यम से और अगर एक साल में भी प्रभारी मंत्री नियुक्त नहीं हुए हैं तो कहीं न कहीं इस सरकार में सब ठीक नहीं है.इसका कारण यह है कि यह प्रदेश के इतिहास की पहली ऐसी सरकार है जो वोटों के आधार पर नहीं नोटों के आधार पर बनी है. बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- ( X X X )
श्री हरी शंकर खटीक --( X X X )
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- ( X X X )
श्री तरूण भनोत --( X X X )
श्री प्रियव्रत सिंह -- ( X X X )
श्री बहादुर सिंह चौहान ( महिदपुर ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा जी के द्वारा 2 लाख 41 हजार 375 करोड़ 23 लाख 7 हजार रूपये का बजट यहां पर प्रस्तुत किया गया है. बजट पर कोई नया कर नहीं लगाया गया है. पुराने जितने भी कर हैं उसमें वृद्धि नहीं की गई है और यह आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का बजट है. चूंकि कृषक होने के नाते इस बजट में माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा कृषि के क्षेत्र में सबसे अधिक बजट दिया गया है मैं इनकी प्रशंसा करता हूं धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय कृषि के लिए वित्त मंत्री जी के द्वारा 35353 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. हम जानते हैं कि मध्यप्रदेश के सभी विभागों में से कृषि विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है और पूरी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. हम जानते हैं कि उन्नत किस्म का बीज हो फाउण्डेशन फर्स्ट, सेकण्ड, थर्ड सर्टिफाइड वन, टू , थ्री उच्च किस्म का उर्वरक हो उच्च किस्म का कीटनाशक हो तो कृषक बहुत अच्छी कृषि कर सकता है. अध्यक्ष महोदय इस राशि के प्रावधान से मैं अच्छी तरह से जानता हूं किसान होने के नाते मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि मैं वर्ष 2003 में जब पहली बार इस विधान सभा में विधायक बनकर आया था उस समय इस मध्यप्रदेश में कृषि का रकबा साढ़े सात लाख करोड़ था और आज माननीय शिवराज जी की सरकार ने 15 साल पूरा कार्य किया और आज मध्यप्रदेश में 41 लाख हैक्टेयर पर सिंचाई हो रही है और आप अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारी केन्द्र की सरकार द्वारा प्रधान मंत्री सम्मान निधि प्रारंभ की गई है. यह 6,000 रुपये तीन किश्तों में दिया जाता है. इसी तर्ज पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने मध्यप्रदेश में भी किसान कल्याण योजना प्रारंभ की है जिसमें 4,000 रुपये प्रतिवर्ष का प्रावधान किया गया है. यह दो भागों में दो बार दी जाती है. केन्द्र के 6,000 रुपये और प्रदेश सरकार के 4,000 रुपये, इस प्रकार कुल 10,000 रुपये होते हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि इस मध्यप्रदेश में जितने कृषक हैं उनमें से 80 प्रतिशत कृषक लघु और सीमांत कृषक हैं. यह 80 प्रतिशत कृषक ही 10,000 रुपये का महत्व समझते हैं. सक्षम किसान तो कहीं से भी अपनी कृषि अच्छी से अच्छी कर सकता है, लेकिन इन दोनों निधियों के माध्यम से लघु और सीमांत कृषक अपनी अच्छी कृषि कर लेते हैं. हम जानते हैं कि गेहूं के उपार्जन को लेकर गेहूं का एमएसपी 1,975 रुपये प्रति क्विंटल है. चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य केन्द्र ने 5,100 रुपये किया है. मसूर का भी 5,100 रुपये है. सरसों का 4,650 रुपये केन्द्र के द्वारा समर्थन मूल्य तय किया गया है. वर्ष 2020-21 में कुल गेहूं का उपार्जन 73 लाख मीट्रिक टन किया गया है. माननीय अध्यक्ष जी, यही मध्यप्रदेश है, यही कृषक हैं, वही रकबा है, माननीय शिवराज सिंह जी सरकार ने जो किया है वह आपके सामने है. पूरे प्रदेश में जो गेहूं का संग्रह हुआ है वह 15 लाख, 81 हजार किसानों का 1 करोड़ 28 लाख, 42 हजार मीट्रीक टन गेहूं का उपार्जन इस वित्तीय वर्ष में किया गया है जिसका मूल्य 24 हजार 833 करोड़ रुपये का संपूर्ण भुगतान किसानों को समय पर किया गया है. यहां तक ही नहीं आज धान की 37 लाख, 26 हजार, 446 मीट्रिक टन जो खरीदी की गई है वह 5 लाख, 86 हजार किसानों से खरीदी गई है और इसकी राशि 6,935 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों के खातों में समय पर किया गया है. उपार्जन के क्षेत्र में हमारे गेहूं का उपार्जन हो या दलहन का उपार्जन हो, मध्यप्रदेश को एक बार नहीं, दो बार नहीं, लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड केन्द्र की सरकार द्वारा दिया गया है. इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी को बधाई देना चाहता हूं.
5.28 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि की जाना
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य का भाषण पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
5.29 बजे वर्ष 2021-2022 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमश:)
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, इस बार गेहूं का उपार्जन बहुत अच्छा हुआ है, जिससे मध्यप्रदेश के किसानों को उसका मूल्य अच्छा प्राप्त होगा. इसके लिये माननीय मुख्य मंत्री जी द्वारा एक नई योजना प्रारंभ की गई है जिसका नाम है मुख्यमंत्री फसल सहायता योजना यह प्रस्तावित की गई है. अध्यक्ष महोदय, इसके लिये इस वर्ष के बजट 2021-22 में 2 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. हम जानते हैं कि गेहूं का उपार्जन हमारी मार्केटिंग संस्थाओं द्वारा, मार्कफेड और हमारे सहकारिता विभाग की जो कृत्रिम साख संस्थाएं होती हैं उनके द्वारा इनकी खरीदी की जाती है. मैं जानता हूं कि उनकी माली हालत कमजोर होने के नाते समय पर उनके वेतन और अन्य कार्य जो खर्च होते हैं, वह संस्थाएं नहीं कर पाती हैं इसलिये उपार्जन प्रभावित होता है. यह 2,000 करोड़ रुपये उन संस्थाओं को जो गेहूं का उपार्जन, चना का उपार्जन, सरसों का उपार्जन देने से वह संस्थाएं मजबूत होंगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं जल संसाधन की बात कर रहा हूँ. जल संसाधन विभाग द्वारा वृहत, मध्यम और लघु, इस प्रकार 164 योजनाएं मंजूर हुई हैं. इससे मध्यप्रदेश में एक लाख 27 हजार हेक्टेयर में सिंचाई का रकबा बढ़ेगा, जिससे निश्चित रूप से अनाज की पैदावार बढ़ेगी. साथ ही नर्मदा घाटी विकास विभाग में वर्ष 2020-21 में 2413 करोड़ रुपये का प्रावधान था. यह उस समय मात्र 2413 करोड़ रुपये का था, आज माननीय जगदीश देवड़ा जी को मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ कि नर्मदा घाटी विकास विभाग में 1267 करोड़ रुपये बढ़ाकर वर्ष 2021-22 के लिए 3680 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसका लाभ पूरे मालवा क्षेत्र में हम लोगों को मिलने वाला है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक निर्माण विभाग, यह बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. मैं सत्य कह रहा हूँ कि वर्ष 2003 में जब मैं विधायक बना तो अपनी गाड़ी उज्जैन में रखकर रेल में बैठकर हम लोग भोपाल आते थे. आज इतनी बढ़िया सड़क बन गई है कि ढाई घण्टे में हम लोग उज्जैन से भोपाल पहुँच जाते हैं. उस समय पांच से साढ़े पांच लगा करते थे, इसलिए हम लोग अपनी गाड़ी से भोपाल नहीं आते थे, उज्जैन से रेल में बैठ जाते थे. शाम को यहां से 6 बजे की रेल पकड़कर हम लोग 9-10 बजे तक उज्जैन पहुँचते थे. पूरे मध्यप्रदेश में लोक निर्माण विभाग द्वारा बहुत अच्छे कार्य किए गए हैं. इनका वर्ष 2020-21 में जो बजट का प्रावधान था, वह 6866 करोड़ रुपये था, इसे 475 करोड़ रुपये बढ़ाकर वर्ष 2021-22 के लिए 7341 करोड़ रुपये किया गया है. इससे एमडीआर रोड, जो जिले को जोड़ता है, वह रोड बनाने में भी हमें सुगमता होगी. इस 7341 करोड़ रुपये की राशि से पूरे मध्यप्रदेश में 2441 किलोमीटर सड़कों का निर्माण होगा. साथ में इसमें 65 नए पुल भी सम्मिलित किए गए हैं और रेलवे के 105 ब्रिज भी इसके अंदर रखे गए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा विभाग हमारा बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. आज हम विद्युत पर पूर्णत: आश्रित हो चुके हैं. ऊर्जा विभाग के अंतर्गत हमारी पारेषण प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए, उपपारेषण प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए, मीटर लगाने के लिए, 33/11 के ग्रिड लगाने के लिए, 132 का ग्रिड लगाने के लिए, 11 केव्ही की लाइनें बिछाने के लिए, 33 की लाइनें बिछाने के लिए, इस बार ऊर्जा विभाग में 5728 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. ऊर्जा विभाग में बहुत ही महत्वपूर्ण पैसा दिया गया है. अध्यक्ष महोदय, मैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कहना चाहता हूँ कि वर्ष 2003 में ऊर्जा का उत्पादन मात्र 2900 मेगावाट था, 55 साल तक किसका शासन रहा, वर्ष 2003 से तुलना करें तो आज मध्यप्रदेश में 2900 मेगावाट की तुलना में 21361 मेगावाट बिजली मध्यप्रदेश की स्वयं की हो गई.
श्री प्रियव्रत सिंह -- वर्ष 2003 में डिमांड कितनी थी ?
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 31 दिसंबर, 2020 का दिन इतिहास में सर्वाधिक शीर्षमान रहा. इस दिन 15425 मेगावाट बिजली की पूर्ति की गई. यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. यह बहुत बड़ी पहल विभाग द्वारा 31 दिसंबर के दिन की गई है. अध्यक्ष महोदय, ओंकारेश्वर में विश्व का सबसे बड़ा 600 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर पॉवर प्लांट लगाया जा रहा है. हमको आज नहीं तो कल सोलर ऊर्जा पर आना पड़ेगा. धीरे-धीरे कोयले और अन्य चीजें खत्म हो जाएंगी, आने वाला समय सोलर ऊर्जा का है. इसको लेकर मध्यप्रदेश की सरकार, माननीय जगदीश देवड़ा जी के द्वारा नीमच, शाजापुर, छतरपुर, आगर एवं मुरैना जिलों के लिए 4500 मेगावाट के सोलर पार्क विकसित किए जा रहे हैं, जिससे 4500 मेगावाट सोलर ऊर्जा मध्यप्रदेश को उपलब्ध होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की बात करूं तो मैं 31 साल से राजनीति में हूँ. हम बोर लगाते हैं मोटर अंदर रह जाती है फिर कोलेप्स हो जाती है. डीडीएक्स बोर होते हैं, कॉम्बीनेशन बोर होते हैं मशीनें साफ करती हैं. किसी भी गांवों के बोर लगाने के बारे में सब विधायक जानते हैं. मांग खत्म होती नहीं है फिर कहते हैं कि यह बोर तो कोलेप्स हो गया इसके अंदर मोटर गिर गई है अब यह पानी पीने के लिए नया बोर लगाओ, यह कोई स्थायी हल नहीं है. यह बोरों को धीरे-धीरे कम करते हुए इसके बजट को नल कनेक्शन पर ले जाना बहुत ही जरुरी है और इसके लिए बहुत ही ऐतिहासिक 11 समूह नल-जल योजना बनाई गई है. मध्यप्रदेश के 4 हजार 4 सौ 28 गांव इन योजनाओं से जुडे़ंगे. इसके लिए 33 लाख घरेलू नल कनेक्शन और इस प्रकार पूर्व के 26 लाख कुल मिलाकर 59 लाख नल कनेक्शन घर-घर में दिये जाएंगे. साथ ही मैं यह कहना चाहता हॅूं कि जल जीवन मिशन बहुत महत्वपूर्ण मिशन है कि इसमें बजट नहीं दिया गया, बजट नहीं दिया गया, वह घाटे की बात करते आ रहे हैं. ग्रामीण एवं शहरी जल जीवन मिशन के लिये वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान में 1 हजार 364 करोड़ रुपए दिये गये थे और वर्ष 2021-22 में 5 हजार 9 सौ 62 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, जो पुराने बजट की तुलना में 337 प्रतिशत अधिक है. जल के लिए हमारी सरकार इतना बड़ा काम कर रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, शालाओं के लिये 8 हजार 3 सौ से अधिक, आंगनवाडि़यों के लिये 15 हजार 7 सौ से अधिक शालाओं के लिये पानी की व्यवस्था की. पंचायत एवं ग्रामीण...
श्री संजय यादव -- बहादुर भैया, कितने आंगनवाड़ी भवन तो हैं ही नहीं, मध्यप्रदेश में. पानी कहां से दे देंगे, जब भवन ही नहीं हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- आपके क्षेत्र में नहीं होगा, हमारे आगर-मालवा में तो भवन है.
श्री संजय यादव -- मेरे क्षेत्र में ही 500 कम है. पूरा मध्यप्रदेश है आपका.
श्री उमाकांत शर्मा -- आपके जमाने में तो स्कूल बड़ के पेड़ के नीचे लगते थे, अब वह जमाना भी तो याद कर लो.
श्री संजय यादव -- दादा, आप तो ना बोला करो, क्योंकि आप असत्य ही असत्य बोलते हो...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- 15 मिनट हो गए.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल दो मिनट में खत्म कर रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव -- एक चेतावनी है मेरी. दादा से मत उलझा करो. साक्षात् परशुराम हैं वह.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 72 प्रतिशत जनता गांवों में रहती है. यदि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना नहीं होती, तो आज गांवों में कई सड़कें नहीं होतीं. माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा यह योजना प्रारंभ की गई थी. आज प्रत्येक गांवों में इस प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के द्वारा सड़कें बनाई गई हैं और इसके लिये 2 हजार 92 किलोमीटर की सड़कों का निर्माण करवाया जाएगा. पूर्व की सरकार की योजनाओं को हमने प्रारंभ रखा है. यह योजना सीएम राइज योजना है यह बहुत अच्छी योजना है. पूर्व की सरकार की योजना को लागू किया है. इस योजना के अंतर्गत 9 हजार 2 सौ विद्यालयों को सर्वसुविधायुक्त बनाया जाएगा. इस वर्ष हम 350 स्कूलों को इसमें सम्मिलित कर रहे हैं, इसके लिए 1 हजार 5 सौ करोड़ प्रस्तावित किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अंत में मैं कहना चाहता हॅूं कि इस योजना से गरीब के बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ने के लिए जाएंगे. जितनी भी योजनाएं बनी हैं उसमें संबल योजना एक महत्वपूर्ण योजना है. जैसे ही दुर्घटना होती है...
श्री प्रवीण पाठक -- सबसे ज्यादा घोटाला भी उसी में था.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उसके बाद तीर्थ दर्शन योजना आपके समय में बंद हो गई थी..(व्यवधान)...
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, इन सब योजनाओं को बंद करने के कारण तीर्थयात्रियों का पाप आप लोगों को लगा. उन वृद्ध माता-पिताओं का पाप लगा. इस कारण आप विपक्ष में जाकर बैठे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री प्रवीण पाठक –(XXX), बहादुर भैया.
श्री प्रहलाद लोधी – (XXX)
श्री प्रवीण पाठक -- हमने नहीं की, फिर किसने की है ?
श्री प्रहलाद लोधी -- शुरुआत आपने की है खत्म हमने की है. (हंसी)
5.34 बजे समितियों का निर्वाचन
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 5 मार्च, 2021 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 5.47 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 5 मार्च, 2021 (14 फाल्गुन, शक संवत् 1942) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, ए.पी. सिंह,
दिनांक 4 मार्च, 2021 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा