मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा दशम् सत्र
फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 4 मार्च, 2016
(14 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 9]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 3 मार्च, 2016
(14 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
विधान सभा पूर्वाह्न 10. 32 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
खण्डवा
में यातायात
व्यवस्था
का सुचारू
संचालन
1. ( *क्र. 175 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खण्डवा यातायात पुलिस विभाग द्वारा विगत दो वर्षों में कितने चालान बनाए गए तथा कितनी राशि का अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया है? दो पहिया एवं चार पहिया की पृथक-पृथक जानकारी दी जाए। (ख) क्या यातायात पुलिस की मनमानी से खण्डवा नगर के नागरिक एवं व्यापारियों ने परेशान होकर आन्दोलन किये थे? यदि हाँ, तो इसके लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं? (ग) यातायात में बाधित कितने हरे वृक्षों को विभाग द्वारा कटवाया गया है? नगर के बड़े हरे-भरे वृक्षों को काटने के विरूद्ध यातायात/संबंधित विभाग द्वारा कहां-कहां एवं कब-कब क्षतिपूर्ति पौधारोपण किया गया? (घ) क्या यातायात पुलिस विभाग द्वारा वन-वे के नाम पर बाम्बे बाजार व्यवसायियों को प्रताड़ित किया गया तथा अवैध वसूली की गई? यदि हाँ, तो यातायात विभाग के ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? यदि नहीं, तो क्यों?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) जी हाँ। विगत दो वर्षों में यातायात खण्डवा द्वारा कुल चालान-7101 बनाये गये, जिसमें राशि रूपये 3070850/- की अर्थदण्ड के रूप में वसूली की गई है, जिसमें दो पहिया वाहन 4932 तथा चार पहिया वाहन 2043 चालान हैं। (ख) जी नहीं। यातायात पुलिस की मनमानी से नागरिकों एवं व्यापारियों को परेशान नहीं किया जा रहा है, अपितु यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध सख्ती से विधिवत कार्यवाही की जा रही है। (ग) जी नहीं, यातायात पुलिस द्वारा शहर में हरे भरे वृक्ष की कटाई नहीं की गई है। (घ) जी नहीं, वर्तमान में इस प्रकार की कोई व्यवस्था लागू नहीं है, न ही इसके कारण व्यापारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है ना ही अवैध वसूली की जा रही है, किंतु नगर सड़क सुरक्षा समिति के द्वारा दिनांक 14.07.2015 को हुई बैठक में सर्वसम्मति से एकांकी मार्ग प्रायोगिक तौर पर घोषित किया गया था। व्यापारियों एवं नागरिकों की असुविधा के संबंध में चैम्बर्स आफ कॉमर्स एवं शिवसेना द्वारा दिये गये ज्ञापनों के आधार पर उक्त बाम्बे बाजार का वन-वे समाप्त कर दिया गया है। यातायात विभाग द्वारा किसी प्रकार की मनमानी एवं प्रताड़ना की शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में जो जवाब आया है वह पूरी तरह असत्य है. सिर्फ (क) में जो राशि का जवाब दिया है उसके अतिरिक्त जो (ख) (ग) और (घ) जवाब दिया है वह पूरी तरह असत्य है. जैसा कि मैंने पूछा था कि यातायात पुलिस की मनमानी के कारण वहां आंदोलन हुए और मैं बताना चाहता हूँ कि दीवाली के समय जहां सर्राफा बाजार सजाये जाते है, हमारे खण्डवा शहर में सर्राफा व्यावसायियों ने हड़ताल की. इसी प्रकार राखी जो महिलाओं का प्रमुख त्यौहार है, ऐसे राखी के त्यौहार पर हमारे बाम्बे बाजार व्यावसायियों द्वारा और राखी व्यावसायियों द्वारा हड़ताल की गयी. इसी प्रकार ईद के समय जिसमें फ्रूट का एक बड़ा व्यवसाय होता है. फ्रूट व्यावसायियों द्वारा 3-4 दिन हड़ताल की गयी. चेम्बर ऑफ कामर्स द्वारा कई बार हड़ताल की गयी. जिस कारण शहर में आक्रोश व्याप्त है और दूसरा पूरे शहर के जो ऐतिहासिक महत्व हरे पेड़ थे वह यातायात विभाग द्वारा काट दिये गये. जिसका यातायात से कोई लेना-देना या संबंध नहीं था और उसमें किसी भी प्रकार की प्रक्रियाओं को नहीं अपनाया गया. मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि ऐसे डीएसपी को हटाकर जांच करायी जाए.
श्री बाबूलाल गौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय,उनके (क)(ख)(ग)और(घ) हर प्रश्न का उत्तर दिया है और उसमें जो नगर सड़क सुरक्षा समिति है उसकी मीटिंग कंट्रोल रुम में होती है और उसमें नगर के जनप्रतिनिधि भी होते हैं. उनके द्वारा जो व्यवस्था के लिए कार्य बताये जाते हैं उसके द्वारा करते हैं. अगर सड़क पर कोई व्यापार करेगा या सड़क के ऊपर दुकानें खोलेगा तो यातायात में बाधा पहुँचती है. इसलिए उनको शांतिपूर्ण ढंग से हटाया जाता है और जो गलत कार्य करते हैं, वाहन ठीक से नहीं चलाते हैं उन पर जुर्माना किया जाता है. इसमें जांच का कोई विषय ही नहीं है.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि जो हरे झाड़ पेड़ थे, पूरे शहर के काट दिये गये. इसी प्रकार शहर के हर वर्ग ने आंदोलन किया है. शहर में अगर किसी का चालान बनाया गया और उसने किसी जनप्रतिनिधि को फोन लगाया तो उसका पांच गुना ज्यादा चालान बनाया गया. अगर पुलिस से उन्होंने किसी प्रकार की बात करने की कोशिश की तो उस पर धारा 151 लगाकर जेल पहुंचा दिया गया. इस प्रकार की प्रताड़ना ट्रेफिक के नाम पर की जा रही है और इससे पूरे शहर में आक्रोश है.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, ट्रेफिक पुलिस द्वारा किसी भी प्रकार की वृक्षों की कटाई नहीं की जाती है और न उनका काम है. यह नगर पालिका के द्वारा किया जाता है और नगर पालिका ने किया होगा, हमारे विभाग द्वारा नहीं किया गया है और जो भी कानून-व्यवस्था और ट्रेफिक के नियमों को तोड़ता है उनके खिलाफ कार्यवाही की जाती है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पूरी प्रदेशव्यापी स्थिति है. बढ़ते हुए वाहनों के कारण छोटे शहरों में पार्किंग नहीं होने की वजह से, वन वे नहीं होने की वजह से कठिनाइयां हैं. शासन को थोड़ा इस तरफ ध्यान देना चाहिए ताकि इस तरह की विसंगतियां उत्पन्न न हों.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया-- अध्यक्ष महोदय, थोड़ा सा त्यौहारों के समय लिबरल हो जाना चाहिए.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि इन्होंने जवाब दिया है कि बाम्बे विहार से वन वे हटा दिया गया. सिर्फ बाम्बे विहार की बात नहीं है, शहर की वे सड़कें जहां पर ज्यादा ट्रेफिक रहता है या जहां माता-बहनों का जहां पर बाजार लगता है ऐसे सभी को उन्होंने बगैर किसी प्रकार की कार्यवाही किये उऩ्होने वन वे कर दिया और हटा दिया. इस प्रकार शहर के सभी प्रमुख रोडों को उन्होंने वन वे करने का काम किया और हटाने का काम किया. मात्र उनका उद्देश्य यह है कि किस प्रकार ज्यादा से ज्यादा लोगों को परेशान किया जाए और अगर हमने बात करने की कोशिश की तो उन्होंने इस प्रकार का जवाब दिया कि मेरा ट्रांसफर करा दो (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- चलिये बैठ जाइये(व्यवधान) मैंने राजेन्द्र वर्मा जी को अलाऊ किया है. बैठ जाइये.देवेन्द्र जी कृपया बैठ जाएं.(व्यवधान) सिर्फ राजेन्द्र वर्मा पूछेंगे,कोई नहीं पूछेगा.आप कृपया व्यवस्था बनायें. देवेन्द्र जी कृपया बैठ जाएं. आप की ही वे बात कह रह हैं. राजेन्द्र वर्मा जी सिर्फ एक प्रश्न संक्षेप में करें. भाषण नहीं.
श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, बहुत बहुत धन्यवाद. मैंने कल मोदी जी का संसद का पूरा भाषण सुना. उऩ्होंने यह कहा कि सरकारें आयेंगी, सरकारें जाएंगी लेकिन यह प्रदेश यहीं रहने वाला है.उन्होंने अपने भाषण में यह भी कहा कि हम अफसरों के भरोसे देश को और प्रदेश को नहीं छोड़ सकते. यदि वहां का तीन बार का विधायक कोई बात कह रहा है, वहां के व्यापारी कोई बात कह रहे हैं, वहां का पूरा जनमानस कह रहा है और केवल एक डीएसपी को बचाने के लिए इस सदन की गरिमा को खत्म कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- इस तरह से आरोप नहीं लगाना चाहिए. आप सीधा प्रश्न कर दें.
श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा-- आप उस डीएसपी को हटाइये (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- उत्तर ले लें. बैठ जाएं आप.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, अगर मंत्री जी का जवाब सही हुआ तो जांच करवायी जाए और डीएसपी को हटाया जाए.
श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा माननीय मंत्री जी से प्रश्न है नम्बर एक, उस डीएसपी को हटायेंगे क्या? और दूसरा जितने आरोप माननीय विधायक जी ने लगाये हैं और वहां के व्यापारियों ने लगाये हैं, उन सब की जांच यहां से प्रमुख स्तर के अधिकारी को भेज के जांच करायेंगे क्या?(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये.अब उत्तर तो ले लो, उन्होंने आपकी बात कह दी.
श्री बाबूलाल गौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो आरोप लगाये गये हैं उनकी लिखित शिकायत आप देंगे तो पूरी जांच भोपाल के प्रमुख....(व्यवधान)...
श्री देवेन्द्र वर्मा-- लोगों ने कोर्ट में वाद लगाया है...(व्यवधान).. सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की है.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाएं क्या आप उत्तर नहीं लेना चाहते हैं. यह बात ठीक नहीं है अगर आप उत्तर नहीं लेंगे तो मैं आगे बढ़ जाऊँगा.
श्री बाबूलाल गौर--- अगर आप कोई आरोप लगाना चाहते हैं तो स्पेसीफिक आरोप लगाये तो हम भोपाल से प्रमुख , वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर जांच करा देंगे.
अध्यक्ष महोदय--- प्रश्न क्रमांक 2 श्री रामनिवास रावत(श्री देवेन्द्र वर्मा एवं कई अन्य सदस्यों के एक साथ बोलते रहने पर) आपकी बात का निराकरण हो गया , आप दोनों के प्रश्नों का निराकरण हो गया है. जांच होगी.
श्री देवेन्द्र वर्मा--- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से निवेदन है कि उस डीएसपी को हटाकर जांच की जाए उस अधिकारी को वरिष्ठ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है. ..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- रामनिवास रावत जी कृपया अपना प्रश्न करें. रावत जी आप खड़े होंगे तब ही यह सदस्य शांत होंगे. ...(व्यवधान)....रावत जी, आपका भी प्रश्न दो पेज का है.
श्री देवेन्द्र वर्मा--- उसको हटाकर जांच की जाये.
डॉ. गोविंद सिंह-- आप गौर साहब को दबाना चाहते हो क्या, गौर साहब नहीं दबने वाले नहीं हैं,
श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा--- अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए .
अध्यक्ष महोदय--- ( एक साथ सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के अनेक माननीय सदस्यों को खडे़ होकर बोलते रहने पर) क्या माननीय सदस्य प्रश्नकाल नहीं चलने देना चाहते हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, यह सत्ता पक्ष की स्थिति है?
अध्यक्ष महोदय--- दोनों पक्ष खड़े हो गये हैं आप अपने पक्ष को बिठाईए. फिर हम सत्ता पक्ष से बोलते हैं..(व्यवधान)....
श्री देवेन्द्र वर्मा--- माननीय अध्यक्ष महोदय, उस डीएसपी को हटाकर जांच की जाये उसने पूरे शहर को , पूरे जिले को परेशान कर रखा है, हमारे खंडवा शहर में दो साल से किसी प्रकार के त्यौहार शांतिपूर्ण तरीके नहीं मना पा रहे हैं...(व्यवधान)... उसको वरिष्ठ अधिकारियों को संरक्षण प्राप्त है. करोड़ों रुपयों के घपले उसने शहर में किये हैं...(व्यवधान)... वह तानाशाही कर रहा है, पूरे शहर को परेशान कर रखा है. गरीब टेंपों चलाने वालों से दो-दो , तीन-तीन हजार की वसूली वह कर रहा है. ..(शेम शेम की आवाजें)
अध्यक्ष महोदय--- आप एक मिनट बात सुन लीजिये.
श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा--- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए.
अध्यक्ष महोदय--- माननीय विधायकगण बैठ जाएं, चौहान जी बैठ जाएं, बलबीर सिहं जी बैठे, सतीश मालवीय जी बैठ जाइए.
श्री देवेन्द्र वर्मा--- अध्यक्ष महोदय, मैंने यदि असत्य कहा है तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय--- बैठ जाइए मैं किसी को एलाऊ नहीं कर रहा हूं. माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा उसके उत्तर में माननीय मंत्री जी ने स्पष्ट कर दिया है कि स्पेसीफिक शिकायत आने के बाद वह वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर जांच करा लेंगे और उसके बाद में आपका समाधान हो जाएगा. प्रश्न क्रमांक 2 श्री रामनिवास रावत.
श्री देवेन्द्र वर्मा--- अध्यक्ष महोदय, उसको हटाकर जांच कराई जाए ...(व्यवधान).... मेरा निवेदन है कि अगर मैं असत्य बोल रहा हूं तो मेरा इस्तीफा ले लीजियेगा.
अध्यक्ष महोदय--- इस्तीफे की कोई जरूरत नहीं है...(व्यवधान)...
श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा--- अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए उसको हटाकर जांच कराई जाए .यह बहुत गंभीर बात है...(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत--- गौर साहब , अब तो पसीज जाओ , विधायक का सम्मान तो रखिये...(व्यवधान)...
डॉ. गोविंद सिंह--- इस्तीफा क्यों दे रहे हैं. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय--- विधानसभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(10.45 बजे विधानसभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई)
10.57 बजे {अध्यक्ष महोदय(डॉ सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 2 श्री रामनिवास रावत.
श्री रामनिवास रावत-- मामला शांत हो गया?
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न पूछ रहे हैं कि नहीं?
श्री रामनिवास रावत-- जी.
श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 25-25 विधायक विधान सभा में चिल्ला रहे हैं कि एक डी एस पी को हटाया जाए.
श्री रामनिवास रावत-- आप नाराज क्यों हैं? आप हँसो तब तो मैं प्रश्न पूछ पाऊँगा.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, आप गुस्से में क्यों हैं?
अध्यक्ष महोदय-- दो पेज का उनका प्रश्न है. जरा आप प्रश्नोत्तर सूची तो देखिए.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, उत्तर बड़ा है, प्रश्न बड़ा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न बड़ा करोगे तो उत्तर बड़ा नहीं आएगा तो क्या आएगा?
श्री रामनिवास रावत-- प्रश्न बड़ा नहीं है. प्रश्न इतना सा है, आधे पेज का.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न पूछें.
श्री शंकरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, आप इतने सीनियर हैं प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न होता है क्या?
श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मेरे को एक सेकंड का अवसर दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आधा सेकंड भी नहीं.
श्री शंकरलाल तिवारी-- बड़वानी पर ध्यानाकर्षण आ चुका है. प्रश्न लग चुका है. मुख्यमंत्री जी व्यवस्था दे चुके हैं. पाँच हजार रुपये पेंशन देने की बात कही है फिर भी बार-बार वही वही प्रश्न लगाने का मतलब क्या है?
अध्यक्ष महोदय-- यह विषय अलग है. आप उनको प्रश्न पूछने दीजिए.
श्री रामनिवास रावत-- दादा पूरा पढ़ तो लो.
अध्यक्ष महोदय-- विषय अलग है.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, अच्छा हुआ कि तिवारी जी अध्यक्ष नहीं बने, नहीं तो हम लोगों को पूछने ही नहीं देते, यहाँ पर बैठने ही नहीं देते.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय.....
अध्यक्ष महोदय-- अब कुछ नहीं लिखा जाएगा. श्री रामनिवास रावत जी का लिखा जाएगा.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- आप कहाँ पीछे चले गए? आप रावत जी को पूछने दीजिए. डण्डौतिया जी का कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- रिकार्ड में कुछ नहीं आ रहा है. आपके यहाँ से कुछ लेना देना नहीं है, डण्डौतिया जी, आप बैठ जाइये. रावत जी, आप प्रश्न पूछिए.
मोतियाबिंद ऑपरेशन में लापरवाही
2. ( क्र. 3127 ) श्री रामनिवास रावत : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2015-16 में जिला बड़वानी एवं श्योपुर में आंखों में मोतियाबिंद के ऑपरेशन शिविरों के पश्चात् मरीजों की आंखें खराब होने की प्राप्त शिकायतों के पश्चात् क्या-क्या कार्यवाही की गई? जिला बड़वानी एवं श्योपुर में शिविरों में ऑपरेशन हुए मरीजों के नाम, पिता का नाम, उम्र, निवास का पता सहित जानकारी दें। (ख) क्या माह नवंबर 2015 में जिला श्योपुर में आयोजित नेत्र ऑपरेशन शिविर में ऑपरेशन कराने वाले मरीजों द्वारा भी आंखों से धुंधला दिखाई देने, आँखों की रोशनी चले जाने की शिकायत पर मरीजों का परीक्षण किया गया? यदि हाँ, तो किन-किन मरीजों का पुन: परीक्षण किया? ऑपरेशन में लापरवाही के कारणों का पता लगाने के लिये किस-किस अधिकारी द्वारा जाँच की गई? जाँच में क्या तथ्य सामने आए? किन-किन अधिकारियों के विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई? कितने मरीजों की आंखों की रोशनी पूर्णत: चली गई है? (ग) प्रश्नांश (क) की अवधि में ऑपरेशन असफल होने पर मरीजों की आंखों की रोशनी चले जाने पर उन्हें रूपये 5000.00 प्रतिमाह पेंशन दिए जाने की मा. मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुरूप जिला बड़वानी में किन-किन मरीजों को पेंशन स्वीकृत की गई है? क्या जिला श्योपुर के मरीजों को भी रूपये 5000.00 प्रतिमाह पेंशन स्वीकृत की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) क्या भविष्य में आंखों के ऑपरेशन शिविरों में सर्जरी से बचने के लिये समस्त जिला चिकित्सालयों में लेज़र मशीन उपलब्ध कराने हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा लिखे गए पत्र पर क्या शासन गंभीरता से विचार कर जिला चिकित्सालयों को लेज़र मशीन उपलब्ध कराने का निर्णय लेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) वर्ष 2015-16 में जिला बड़वानी एवं श्योपुर में आंखों में मोतियाबिंद के ऑपरेशन शिविरों के पश्चात मरीजों की आंखें खराब होने की प्राप्त शिकायतों के पश्चात जिला बड़वानी मे निम्न कार्यवाही की गई :- 1. सभी संक्रमित मरीजों को बड़वानी से एम.व्हाय.एच. इंदौर तथा अरविन्दो चिकित्सालय इंदौर उपचार हेतु भेजा गया। 2. कलेक्टर बड़वानी द्वारा रेडक्रास सोसायटी बड़वानी से इंदौर भेजे गये मरीजों को राशि 5000/- रूपये एवं स्थानीय अस्पताल में इलाज करवाने वाले मरीजों को राशि 2000/- रूपये प्रति मरीज सहायता प्रदान की गई। 3. नेत्र शिविर मे दिनांक 16 नवम्बर, 2015 से 23 नवम्बर, 2015 तक कुल 86 मरीजों का ऑपरेशन किया गया, जिसमें से 68 मरीजों की आंखों मे संक्रमण हुआ, शासन द्वारा 68 रोगियों को प्रति रोगी राशि रूपये 2 लाख का भुगतान किया गया तथा सामाजिक एवं न्याय विभाग के माध्यम से 65 नेत्र रोगियों को आजीवन प्रति रोगी रूपये 5000/- प्रति माह सहायता राशि दिसम्बर 2015 से प्रदान की जा रही है। नेत्र शिविर में ऑपरेशन हुए मरीजों के (नाम, पिता/पति का नाम, उम्र, निवास का पता) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार। 4. संचालक के निरीक्षण उपरांत प्रथम दृष्टया दोषी डॉ. अमर सिंह विश्नार, सिविल सर्जन जिला चिकित्सालय बड़वानी, डॉ. आर.एस. पलोड, नेत्र रोग विशेषज्ञ, श्री प्रदीप चोगडे नेत्र सहायक, श्रीमती लिली वर्मा स्टाफ नर्स, विनीता चौहान स्टाफ नर्स, शबाना मंसूरी, स्टाफ नर्स, माया चौहान, स्टाफ नर्स को दोषी पाया गया, जिनको निलंबित कर दिया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार। 5. शासन स्तर से उच्च स्तरीय जाँच दल अपर मुख्य सचिव (वित्त विभाग), अधिष्ठाता, चिकित्सा महाविद्यालय इन्दौर एवं विभागाध्यक्ष, माइक्रोबाईलोजी विभाग, एम्स भोपाल द्वारा जाँच की गई। जाँच प्रतिवेदन का परीक्षण किया जा रहा है। जिला श्योपुर मे निम्न कार्यवाही की गई :- 1. वर्ष 2015-16 में दिनांक 26 एवं 27 नवम्बर 2015 को जिला चिकित्सालय श्योपुर में नेत्र विशेषज्ञों के द्वारा 66 मरीजों के नेत्र ऑपरेशन किये गये थे। दिनांक 11.01.2016 को मरीजों के टांके काटे गये थे, उस समय कुछ मरीजों के द्वारा कम दिखने की शिकायत बताई गई थी। कैम्प के मरीजों का जिला चिकित्सालय श्योपुर की नेत्र ईकाई में पुन: परीक्षण कराया गया, जिसमें मरीजों की आँखों में नेत्र संक्रमण नहीं पाया गया तथा उनको चश्में प्रदाय किये गये। दिनांक 26-27 नवम्बर 2015 को आयोजित नेत्र शिविर में ऑपरेशन हुए मरीजों के (नाम, पिता/पति का नाम, उम्र, निवास का पता) की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार। (ख) जी हाँ। पुनः परीक्षित मरीजों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार। जिला श्योपुर में संचालक तथा उप संचालक (नेत्र) तथा क्षेत्रीय संयुक्त संचालक ग्वालियर द्वारा जाँच की गयी। श्योपुर मे मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान प्रोटोकॉल का पालन पूर्णतः नहीं किया गया, परन्तु मरीजों की आंखों में किसी प्रकार का कोई संक्रमण नहीं पाया गया। संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें मध्यप्रदेश द्वारा डॉ. एस.के. तिवारी, प्रभारी सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला श्योपुर, डॉ. निर्मला छत्रसाली, नेत्र चिकित्सक मेडिकल कॉलेज ग्वालियर, डॉ. आर.के. गुप्ता, नेत्र चिकित्सक, मेडिकल कॉलेज ग्वालियर को अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-5 अनुसार। श्योपुर में कैम्प डयूटी के दौरान मरीजों के पूर्ण रिकार्ड संधारण न करने के कारण श्री गंगासिंह जाटव उप स्वास्थ्य केन्द्र धीरोली सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बडोदा एवं श्री मातादीन जाटव, उप स्वास्थ्य केन्द्र जावदेश्वर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बडोदा बहुउददेशीय कार्यकर्ता को एवं नेत्र सहायक महेन्द्र प्रताप सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कराहल को निलंबित किया गया तथा तीन नेत्र सहायकों क्रमशः रविकिशोर दीक्षित, संजीव यादव सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बडोदा, आदर्श सक्सेना जिला चिकित्सालय श्योपुर को कारण बताओ नोटिस जारी किये गये। किसी भी मरीज की आंखों की रोशनी पूर्णतः नहीं गई। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-6 अनुसार। (ग) जी हाँ बड़वानी जिले में कुल 65 रोगियों को आजीवन मासिक सहायता राशि रू. 5000.00 स्वीकृत कर दिसम्बर 2015 से भुगतान किया जा रहा है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-7 अनुसार। जी नहीं प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी नहीं, प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ा गंभीर मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा हुआ प्रश्न है. माननीय सदस्य ने बड़वानी का कहा, बड़वानी का मैंने हवाला दिया है. बड़वानी की इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी श्योपुर में पुनः ऐसी घटना घटी. श्योपुर में 26 एवं 27 नवंबर को 66 मरीजों का ऑपरेशन किया और मैन्युअल ऑपरेशन किया और टाँके लगाने की भी बात आई, जबकि 30 वर्ष पहले से मेन्युअल और टांके लगाने वाला ऑपरेशन पूरी दुनिया से ही खत्म हो चुका है. दिनांक 11.1.2016 को मरीजों के टांके काटे गये उस समय परीक्षण किया गया तो सभी मरीजों ने शिकायत की कि हमें दिखाई नहीं दे रहा है और आंखें खराब हो गई हैं. आपने कहा है कि संक्रमण नहीं पाया गया है व चश्मे प्रदान किये गये. इतने मरीजों के ऑपरेशन हुए बार-बार परीक्षण किये गये फिर भी तीन मरीजों के टांके दो महीने बाद नहीं काटे गये. जब यह बात सामने आई तो आपने डॉ.एस.के. तिवारी, सीएमओ, निर्मला छत्रसाली, नेत्र चिकित्सक, आर.के.गुप्ता, नेत्र चिकित्सक को कारण बताओ नोटिस दे दिया. गंगासिंह जाटव, उप स्वास्थ्य केन्द्र धीरोली सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र श्योपुर केंप ड्यूटी के दौरान मरीजों का पूर्ण रिकार्ड संधारण न करने के कारण गंगासिंह जाटव मेल कार्यकर्ता व मातादीन जाटव को आपने निलंबित किया है जो कि कुछ है ही नहीं सिर्फ वर्कर हैं वह भी दूसरे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इतनी संवेदनाओं से भरा हुआ विषय है आज भी वे लोग घूम रहे हैं इन 66 लोगों में से 26 लोग ऐसे हैं जिन्हें बिलकुल धुंधला दिखाई देता है, दिखाई नहीं देता है चश्मा लगाते हैं तो जलन होती है और पांच लोग ऐसे हैं जिन्हें बिलकुल दिखाई नहीं दे रहा है इनमें से एक हैं श्रीमती रामकन्या बाई, उम्र 32 वर्ष यह धधूनी की रहने वाली है, अमीरन बाई ढोढर की रहने वाली है, मांगीबाई सुमन भी वहीं की रहने वाली है और मरियम. यह पांच लोग ऐसे हैं जिन्हें बिलकुल दिखाई नहीं दे रहा है सरकार इस मामले में इस तरह से जवाब दे रही है बड़ा आश्चर्य हो रहा है. अगर मैं यह कहूंगा कि क्या आंखें खराब हुई हैं तो सरकार मानने को तैयार नहीं होगी. अभी तीन दिन पहले 26 लोग कलेक्टर से मिले थे. सत्तापक्ष के माननीय विधायक आदरणीय विजयवर्गीय जी यह कह दें कि लोगों की आंखें खराब नहीं हुई हैं तो मैं एक भी प्रश्न नहीं पूछूंगा.
अध्यक्ष महोदय--आप तो मंत्रीजी से पूछिये जो पूछना है.
श्री रामनिवास रावत--उनसे कहलवा दें कि एक भी आंख खराब नहीं हुई है वे भी सत्तापक्ष के हैं.
अध्यक्ष महोदय--उनसे क्यों कहलवायें, कृपा करके आप सीधा प्रश्न करें. आप वरिष्ठ विधायक हैं.
श्री रामनिवास रावत--उनके पीएसओ की दादी मां की आंखें खराब हो गई हैं. मेरा प्रश्न यह है कि सरकार ने बड़वानी के बाद क्या कोई इन्तजाम किए, जिन लोगों को शिकायतें हैं उनकी जांच तक नहीं की गई उन्हें देखा तक नहीं गया क्या उन लोगों को सरकार के खर्चे पर चेन्नई भेजकर जांच करायेंगे.
अध्यक्ष महोदय--पहले इतनी बात का उत्तर ले लें.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री शरद जैन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 26 एवं 27 नवंबर, 2015 को श्योपुर में जो नेत्र ऑपरेशन हुए थे 11 जनवरी को इनके टांके काटे गये थे टांके काटने के बाद विजन कुछ कम था. यह जानकारी गलत है कि उनको बिलकुल नहीं दिख रहा था उसके बाद मरीजों को घर-घर जाकर चश्मे वितरित किये गये चश्मे लगाने के बाद उनको ठीक तरीके से साफ-साफ दिखाई दे रहा है यह कहना गलत है कि दिखाई नहीं दे रहा है. तीन लोग चश्मे का नाप देने के लिए नहीं आये थे वे तीन लोग रह गये हैं जब वे लोग आयेंगे तो उनको भी चश्मा दे दिया जायेगा. चश्मा लगाने के बाद उनको साफ-साफ दिखाई दे रहा है. माननीय सदस्य ने बड़वानी का जो जिक्र किया है.
अध्यक्ष महोदय--बड़वानी का उन्होंने कुछ नहीं पूछा है .
श्री शरद जैन--जानकारी तो ले लें.
अध्यक्ष महोदय--उन्होंने पूरक प्रश्न नहीं पूछा है वह तो लिखा हुआ है.
श्री शरद जैन--हम तो जानकारी दे रहे हैं. रामनिवास जी गुस्से में मत आओ.
श्री रामनिवास रावत--(XXX). मैं यह कह रहा हूँ तुम्हारे विधायक से कहलवा दो.
अध्यक्ष महोदय--नहीं चिल्लाएं नहीं. यह कार्यवाही से निकाल दीजिए इस तरह की भाषा बोलना यह बात ठीक नहीं है.
श्री शरद जैन-- इसे विलोपित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय--विलोपित कर दिया है.
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ मानवीय संवेदनाएं भी होती हैं.
श्री शरद जैन--हम आपको जानकारी दे रहे हैं.
श्री रामनिवास--हम कह रहे हैं वह गलत कह रहे हैं ?
श्री शंकरलाल तिवारी--मानवीय संवेदना ठीक है लेकिन मानवीय संवेदना के नाम पर जबरन नेतागिरी और राजनीति कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत--यह नेतागिरी नहीं है आपको नेतागिरी दिखाई देती है.
अध्यक्ष महोदय-- आप उत्तर तो सुन लें.
श्री शरद जैन--मेरा कहना यह है कि बड़वानी में ऑपरेशन के दौरान आंख में इन्फेक्शन आ गया था. श्योपुर में जो आपरेशन हुए हैं उसमें बिलकुल भी इन्फेक्शन नहीं आया है इसलिए शेष जो आपकी मांग है वह मेरी समझ में उचित नहीं है और यदि आपको लगता है कि उनको दिखाई नहीं दे रहा है तो उसका परीक्षण करा लेंगे.
श्री रामनिवास रावत:- मैं यही बात तो कह रहा हूं , मुझे जो लग रहा है.
श्री शरद जैन :- आप पहले मेरी बात ता सुन लें. डॉक्टर आप हैं कि गोविन्द सिंह जी हैं.
श्री रामनिवास रावत:- न डाक्टर में हूं, न आप हैं, न गोविंद सिंह जी हैं. आप अपने विधायक से कहलवा दो कि उनके पीएसओ से कहलवा दो कि उनकी दादी मां को दिख रहा है, तो मैं मान लूंगा कि सरकार सत्य बोल रही है.(XXX)
अध्यक्ष महोदय :- यह शब्द कार्यवाही से निकाल दें, रामनिवास जी मर्यादा में रहे.
श्री शरद जैन :- रामनिवास जी, किसी ओर से कहलवाने का प्रश्न नहीं है. जब अध्यक्ष जी ने व्यवस्था की है कि आप अपना प्रश्न मुझसे करें. मेरा आपसे साफ-साफ कहना है कि जो मुझेजानकारी है और मेरी जानकारी सही है कि चश्मा लगने के बाद उनको साफ- साफ दिखाई दे रहा है. आंख में इन्फेक्शन नहीं है. इसलिये शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है. आप कह रहे हैं कि इस बात का परीक्षण कर लें, किस बात का कि उनको ठीक दिखाई दे रहा है या नहीं.
श्री रामनिवास रावत:- मैं परीक्षण की ही बात कर रहा हूं कि उन लोगों को...
अध्यक्ष महोदय:- वह कह तो रहे हैं कि राजी हैं, बस आप चेन्नई का कह रहे हैं, वह लोकल में करवा लेंगे.
श्री रामनिवास रावत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकल में नहीं.
श्री शरद जैन :- मेरा कहना है कि चश्मा लगने के बाद ..
श्री रामनिवास रावत:- उनको चश्मा तो लग गया है.
श्री शरद जैन :- मैंने आपकी बात सुन ली है, आप मेरी बात भी सुन लो.
श्री रामनिवास रावत:- नहीं आप तो कुछ भी असत्य वाचन करेंगे.
श्री शरद जैन :- मैं असत्य नहीं, सत्य वाचन कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय :- नहीं ऐसा है,प्रीजम्पशन नहीं कर सकते हैं.
श्री बाबूलाल गौर :- आप ही जवाब दे देते यहां से.
श्री रामनिवास रावत:- असत्य नहीं हो तो गौर साहब आप हमारे निराकरण वाले बन जाओ. आप मेरे साथ चलो मैं राजनीति छोड़ दूंगा.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं आप गवाही क्यों ढूंढ रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत:- नहीं आप चलो मेरे साथ, मैं राजनीति छोड़ दूंगा. इस्तीफा देकर अगली बार विधान सभा नहीं आऊंगा.
श्री बाबूलाल गौर :- नहीं, यह तो बहुत मंहगा सौदा हो गया कि आप राजनीति छोड़ें.
श्री रामनिवास रावत:- आपको ऐसा लगता है तो अगली बार विधानसभा नहीं आऊंगा. आप मेरे साथ चलें और निराकरण कर दें.
श्री बाबूलाल गौर :- आप यहां पर बुला लें, यहां पर परीक्षण करा लेते हैं.
श्री रामनिवास रावत:- जो परीक्षण कराना चाहते हैं, उनको सरकार बुला ले और परीक्षण करा ले.
डॉ गौराशंकर शेजवार :- अध्यक्ष महोदय, आपसे मेरी दो प्रार्थना है कि या तो आप इन्हें हिदायतें न दें या इनको वरिष्ठ न कहें. इस पर क्या होगा कि इन पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा.
श्री रामनिवास रावत :- आप जिस तरह से प्रश्न काल में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं. यह भी आपकी वरिष्ठता का परिचायक है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार:-दूसरी बात यह है कि वरिष्ठ डॉक्टर भी हैं, यह लोग अनुभवी भी हैं. मध्यप्रदेश में भोपाल में, ग्वालियर में उनकी योग्यता पर आप प्रश्न चिन्ह न लगायें, आप यदि कहेंगे तो श्यापुर से और ज्यादा वरिष्ठ लोग हैं, जो ज्यादा बड़े पदों पर हैं और उनके पास ज्यादा डिग्रीयां हैं. उनसे जांच करवा लेंगे, लेकिन आप बीच बीच में यह भी कहते हैं कि मैंने देखा तो उनकी आंखों से आप कैसे देखेंगे. मेरा मतलब यह है कि मुझे धुंधला दिख रहा है और मेरा विजन कम है इस पर तो विश्वास नहीं कर रहे हैं कि इनसे पूछो.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि आप देंगे, जब इन्होंने फायनल जांच की तो इन्होंने चार लोगों के तो टांकें नहीं काटे. यह कितनी बड़ी लापरवाही है. इन्होंने डाक्टरों को तो कहा है कि शो काज नोटिस दे दिये हैं कि जवाब आना है, जवाब आना नहीं है और कोई कार्यवाही होना नहीं है. जो लोग एम पी डब्ल्यू हैं, उनको दो लोगों को निलंबित कर दिया और निलंबित सिर्फ इसलिये किया कि रिकार्ड का संधारण नहीं करने के कारण, मेरा अंतिम प्रश्न यह था कि प्रदेश में भविष्य में किसी की आंखें खराब न हो और आपरेशन ठीक से हो. कोई बुजुर्ग आदमी जो बेसहारा होने की स्थिति में हो, उनको किसी सहारे की जरूरत न पडे़, इसके लिये मैंने अंतिम प्रश्न किया था कि क्या आपरेशन शिवरों मे सर्जरी से बचने के लिये समस्त जिला चिकित्सालयों में लेजर मशीनें उपलब्ध कराने हेतु, मेरे लिखे गये पत्र पर सरकार विचार करेगी. यह आंखों के आपरेशन हेतु, जो लेजर मशीन आती है तो भविष्य में ऐसी स्थितियां न बने तो क्या सरकार इस प्रकार की व्यवस्था नहीं कर सकती है.
अध्यक्ष महोदय :- वैसे तो उत्तर दिया है, फिर भी आप बोल दीजिये.
श्री रामनिवास रावत :- उत्तर तो यह दिया है कि जी नहीं.
श्री शरद जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, हम पूरे प्रदेश में यथा संभव बिना टांके वाली सर्जरी शुरू कर रहे हैं. दूसरी बात जिन लोगों पर कार्यवाही की गई है वह कार्यवाही इसलिये की गई है
श्री रामनिवास रावत - (XXX) उनका आपरेशन में कोई मतलब नहीं है. किसी भी तरह का इन्वाल्वमेंट नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - इसे निकाल दें. यह ठीक नहीं है.
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता) - किसी भी मामले में जाति को ले आना यह प्रकृति ठीक नहीं है. यह प्रवृत्ति ठीक नहीं कि हर मामले में जाति को ले आएं.
श्री रामनिवास रावत - यह बता दें कि जिनका कोई दोष नहीं है इन्वाल्वमेंट नहीं है उनको निलंबित क्यों किया गया ?
श्री शरद जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, सिविल सर्जन को कारण बताओ नोटिस दिया है कि उन्होंने ठीक ढंग से प्रोटोकाल का पालन नहीं किया और तीन लोगों ने रिकार्ड ठीक से नहीं रखा उन तीन लोगों को कारण बताओ नोटिस दिया.
श्री रामनिवास रावत - उन लोगों को जांच के लिये कब तक भिजवा देंगे ?
श्री शरद जैन - शीघ्र बहुत शीघ्र.
श्री रामनिवास रावत - यह कोई निर्माण कार्य तो करा नहीं रहा कि अतिशीघ्र प्रशासकीय स्वीकृति मिलेगी. इसमें समय-सीमा दे दें.
श्री शरद जैन - एक माह के अंदर.
अध्यक्ष महोदय - ज्यादा समय है जांच के लिये तो जल्दी भिजवा दें.
श्री शरद जैन - 15 दिन के अंदर करा देंगे.
नरसिंहपुर जिले में गेंहू की खरीदी
3. ( *क्र. 3689 ) श्री संजय शर्मा : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले में वर्ष 2014-15 में गेंहू खरीदी के कितने केंद्र बनाये गये थे? केंद्रवार जानकारी प्रदान करें। (ख) इन केंद्रों पर कितनी मात्रा में गेंहू का उपार्जन किया गया? (ग) उक्त उपार्जित की गई गेंहू किस-किस परिवहन ठेकेदार के माध्यम से किस-किस गोदाम/वेयर हाउस में भेजी गई? (घ) क्या जिला आपूर्ति अधिकारी द्वारा परिवहनकर्ता ठेकेदारों के विरूद्ध जाँच संस्थापित की गई थी, की गई कार्यवाही का विवरण प्रदान करें?
खाद्य मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) नरसिंहपुर जिले में वर्ष 2014-15 में समर्थन मूल्य पर गेंहू उपार्जन हेतु 71 केन्द्र बनाये गये थे। केन्द्रवार उपार्जित गेंहू की मात्रा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) नरसिंहपुर जिले में प्रश्नांश (क) में उल्लेखित उपार्जन केन्द्रों पर 13,77,643.09 क्विंटल गेंहू का उपार्जन किया गया। (ग) नरसिंहपुर जिले में वर्ष 2014-15 में उपार्जित गेंहू के परिवहन हेतु श्री नरेन्द्र राजपूत नरसिंहपुर गोटेगांव एवं करेली तेन्दुखेड़ा सेक्टर एवं श्री सुभाष ट्रांसपोर्ट गाडरवारा सेक्टर हेतु परिवहनकर्ता नियुक्त थे। परिवहनकर्ता द्वारा उपार्जन केन्द्रों से परिवहन कर गोदामवार भंडारण हेतु भेजी गई गेंहू की मात्रा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (घ) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संजय शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा कि जो ग में जानकारी दी है कि उपार्जित दो ठेकेदारों द्वारा परिवहन कराया जाता है. बहुत महत्वपूर्ण विषय है कि ये ठेकेदार बीस वर्षों से ट्रांसपोर्टेशन का काम करते हैं. इस प्रक्रिया को सरल करके प्रदेश में ई टेंडरिंग के माध्यम से इस वर्ष गेहूं की ट्रांसपोर्टिंग कराई जाये और जिले का एक ठेकेदार न हो एक ट्रांसपोर्टर न हो अलग-अलग तहसीलों में और तहसीलों में जहां पर वेयर हाऊस हैं पहले वह भर जायें उसके बाद दूसरी जगह ले जाया जाये. जानकारी आपने दी है कि गोटेगांव का गेहूं तेंदूखेड़ा आता है तेंदूखेड़ा का गोटेगांव जाता है जबलपुर का नरसिंहपुर जाता है नरसिंहपुर का जबलपुर जाता है. यह बहुत ही ज्यादा जानबूझकर की गई अनियमितता है कि जब वहां वेयर हाऊस उपलब्ध हैं. 50 हजार क्विंटल जबलपुर से नरसिंहपुर रखने आता है और नरसिंहपुर से जबलपुर जाता है इससे भारी भ्रष्टाचार होता है और भण्डारण अच्छे से नहीं हो पाता. वेयर हाऊसों के मालिकों के साथ कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों को बैठाकर खरीदी के पहले बैठक कराई जाये और यह तय किया जाये कि जहां पर वेयर हाऊस कम हैं वहां का गेहूं बाहर जाये और जहां पर वेयर हाऊस उपलब्ध हैं तो उनका भण्डारण वहीं किया जाये.
कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो प्रश्न माननीय विधायक जी ने उठाया है. आलरेडी ऐसे आदेश जारी हो चुके हैं. सबसे पहले हम लोग सेंट्रल वेयर हाऊस को भरते हैं उसके बाद दूसरे वेयर हाऊसों का नंबर आता है. विभिन्न केटेगिरी में जो हमारे पास होते हैं. अभी जो मामला आपने गोटेगांव और तेंदूखेड़ा का उठाया. एक व्यापारी ने जरूर कुछ गेहूं नरसिंहपुर ले गया और जो अतिरिक्त रूप से उसने भुगतान के लिये हमें भेजा था उसकी जांच कराकर उसे अतिरिक्त भुगतान नहीं किया गया काट लिया गया और भविष्य में यह निर्देश जारी कर दिये गये हैं कि जहां पर गोडाउन जितनी-जितनी केटेगिरी के हमारे पास रजिस्टर्ड हैं वह पहले भरेंगे उसके बाद ही बाहर भेजेंगे.
श्री संजय शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आदेश मंत्री जी के पहले से हैं लेकिन उस पर अमल नहीं किया जाता है. आप यह तय कर दें कि तहसील के स्तर पर ही ट्रांसपोर्टिंग होगी तहसील स्तर के वेयर हाऊस भरने के बाद और जगहों पर ले जाया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी आप इनका उत्तर दे दीजिये.
श्री संजय शर्मा--अध्यक्ष महोदय, नियम तो पहले से ही है, अभी तक उस पर अमल नहीं किया गया है. माननीय मंत्री जी के ज्ञान में है तथा कई वेयर हाऊसों में ऐसी व्यवस्था है कि माल वहां रहता ही नहीं है. आप तो यह व्यवस्था कर दीजिये कि तहसील स्तर के वेयर हाऊस से ट्रांसपोर्टिंग करवा दें उसका ई टेन्डरिंग के माध्यम से उसका सरलीकरण करके और भी ट्रांसपोर्टरों को इसमें मौका दिया जाएगा.
कुंवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय मैं माननीय विधायक जी को बतलाना चाहता हूं कि हम लोग ई टेन्डरिंग के माध्यम से पूरे मध्यप्रदेश में टेन्डरिंग करते हैं पहले आओ पहले पाओ की हमारी जो नीति है.
डॉ.गोविन्द सिंह--ई टेन्डरिंग तो पिछले वर्षों से है उसका पालन नहीं हो रहा है, उसकी सचाई यह है.
अध्यक्ष महोदय--यही बात माननीय संजय शर्मा जी ने बोली.
कुंवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत ही स्पष्टता के साथ खाद्य विभाग में तीन वर्षों में काफी सख्ती की है और जो इस टाईप के ठेकेदार थे, वह परेशान भी हो रहे हैं और हमने संजय जी उनका पैसा भी काटा है जिन्होंने पैसा तेन्दूखेड़ा जमी न करके नरसिंहपुर ले गये उनका पैसा भी काटा है भविष्य में इसका सख्ती के साथ पालन करेंगे.
श्री संजय शर्मा--तहसील स्तर पर ट्रांसपोर्टिंग व्यवस्था की जाए ई टेन्डरिंग तो पहले से ही होती है उसमें इतने सख्त नियम बना दिये जाते हैं कि उसमें छोटे लोग भाग नहीं ले पाते हैं.
अध्यक्ष महोदय--उसको सुनिश्चित कर रहे हैं.
श्री गोविन्द सिंह पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्य जी ने जो प्रश्न उठाया है उसका मूल प्रश्न यह है कि एक ही ठेकेदार और बरसों से वही टेन्डर तो सब डालते हैं किसी का भी टेन्डर नहीं आता है उनका निरस्त कर देते हैं मेरा तो कहना है कि उस ठेकेदार को निरस्त करेंगे क्या ? नरेन्द्र राजपूत जी जिनका जवाब में आया है कि बरसों से वह टेन्डर डाल रहा है, लेकिन उसका टेन्डर नहीं आता है, क्यों उसी व्यक्ति की टेन्डर हर वर्ष आता है जैसा कि विधायक जी ने कहा है कि पांच तहसीलें हैं हमारे जिले में पांच तहसीलों में अलग ढंग से ठेकेदार नियुक्त किये जाएं और वेयर हाऊस भी हर जगह पर है वहां पर भंडारण हो और इसमें बड़ा ही घोटाला होता है एक तो यह कि इतने बरसों से उस ठेकेदार को ठेका दिया जा रहा है क्या उसका ठेका निरस्त करेंगे ?
कुंवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, टेन्डर बहुत ही निष्पक्षता के साथ होता है पहले अलग व्यवस्थाएं थीं जब से हमने ई टेन्डरिंग की है जब से इस शंका-कुशंका का समाधान निकल चुका है और जिसके पैसे कम होते हैं उसको टेन्डर दिया जाता है. रहा सवाल जो नरेन्द्र ठेकेदार है उसकी पहली बार विधायक महोदय के पास में शिकायत आयी हमने उसकी जांच करायी और हमने उसका पैसा काट दिया है.
प्रश्न संख्या 4
अनूपपुर जिले में पालन-पोषण, देख-रेख योजना का क्रियान्वयन
4. ( *क्र. 3274 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) अनूपपुर जिले के विभिन्न महिला एवं बाल विकास परियोजनाओं के अंतर्गत वर्ष, 2013-14 से 2015-16 तक पालन पोषण देख-रेख योजना से वर्षवार परियोजनावार कितने-कितने लोगों को लाभ दिया गया? लाभार्थियों की संख्या बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार जिला एवं परियोजनावार वर्षवार कितनी-कितनी धनराशि प्राप्त हुई तथा प्राप्त आवंटन किन-किन कार्यों में व्यय किया गया? (ग) पालन-पोषण, देख-रेख योजना से किस प्रकार लाभ दिया जाता है तथा प्रति व्यक्ति/बच्चा प्रतिमाह कितनी राशि दिये जाने का प्रावधान है? क्या योजना में नगद राशि भी बच्चों के माता-पिता को देने का प्रावधान है?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र '1' पर है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र '2' पर है। (ग) पालन-पोषण देखरेख योजना के अंतर्गत बच्चों का पालन पोषण करने में असमर्थ माता पिता के बच्चों एवं विपत्तिग्रस्त बच्चे जो अपने परिवार से बिछड़ गये हैं, को अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन पालन पोषण योजना में लाभ दिया जाता है। योजना के अंतर्गत 2000/- रूपये प्रति बच्चा/प्रतिमाह दिये जाने का प्रावधान है। योजना में नगद राशि बच्चों के माता-पिता को देने का प्रावधान नहीं है।
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न पीड़ित मानवता की सेवा से संबंधित है जिसमें पालन-पोषण एवं देखरेख योजना के अंतर्गत बच्चों का पालन- पोषण करने में असमर्थ माता-पिता,बच्चों एवं विपत्ति ग्रस्त बच्चों को जो अपने परिवार से बिछड़ गए हैं, ऐसे बच्चों की सेवा करना, इस योजना का मुख्य उद्देश्य था ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदया से यह जानना चाहूँगा कि ऐसे बच्चे को जहां इसका लाभ दिया जा रहा है, वहां कुछ कुपोषित बच्चे भी आ जाते होंगे और कुपोषण को समाप्त करने के लिए जो आहार पोषण दिया जा रहा है वह किसके द्वारा प्रदाय किया जाता है, उस आहार पोषण की सामग्री में निर्धारित पोषण तत्व कितनी कितनी मात्रा में होना चाहिए इसकी लैब रिपोर्ट कब ली गई और उसमें प्रोटीन और कैलोरी की कितनी कितनी मात्रा पाई गई है ।
पशुपालन मंत्री(सुश्री कुसुम सिंह महदेले)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य मुझे लगता है कि थोड़े से भ्रम में हैं, क्योंकि माननीय सदस्य ने जो पहला हिस्सा पूछा है वह तो सही है,प्रश्न में शामिल है लेकिन जो दूसरा हिस्सा पूछा है वह इस प्रश्न में शामिल नहीं है । मेरा कहना है कि शून्य से 18 साल के बच्चों के लिए 2 हजार रूपया प्रति बच्चे के हिसाब से खर्चा दिया जाता है और प्रत्येक जिले के लिए 10 लाख रूपए की राशि निर्धारित है, इसमें ऐसे बच्चे शामिल होते हैं जिनके माता-पिता या तो जेल में हैं या उनका दिमाग खराब है अथवा पालन पोषण करने में समर्थ नहीं हैं, ऐसे बच्चों को यह सहायता दी जाती है । इस योजना को फास्टर केयर योजना कहते हैं, आपने फास्टर केयर योजना के अंतर्गत प्रश्न पूछा है, इसमें पोषण आहार की बात नहीं आती है ।
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब बच्चे भोजन करेंगे तो आहार की बात क्यों नहीं होगी ।
अध्यक्ष महोदय - राशि दे रहे हैं, भोजन नहीं दे रहे हैं ।
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यह जो राशि 2 हजार रूपए दी जा रही है और इस 2 हजार रूपए में मैं ऐसा समझता हूँ कि यह राशि बहुत कम है, इसलिए मैं चाहता हूँ कि यह राशि 2 हजार रूपए से बढ़ा दी जाए ताकि जिन बच्चों को आप रख रहे हैं, सेवा दे रहें उनका अच्छे से पालन पोषण हो जाए और आने वाले समय में जो उनका भविष्य है, वह अच्छा बने इसके साथ ही इसमें नगद राशि देने का भी प्रावधान किया जाए, 2 हजार रूपए दे रहे हैं वह तो वहां खर्च हो जाता है और बच्चे के हाथ में कुछ नहीं लग रहा है । बच्चे साबुन,तेल, कपड़े भी नहीं ले पा रहे हैं । मैं चाहता हूँ कि 2 हजार के स्थान पर शासन द्वारा ऐसी व्यवस्था की जाए कि हजार, पांच सौ रूपए बच्चे के खाते में भी जमा किया जाए ताकि वहां से निकलने के बाद बच्चा उसका उपयोग कर सके ।
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भारत सरकार की योजना है, इस योजना को हम मध्यप्रदेश में लागू करते हैं । भारत सरकार की योजना में राज्य सरकार राशि नहीं बढ़ा सकती है ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, 2 हजार रूपए किस किस काम में खर्च किए जाते हैं, किस किस मद में व्यय किए जाते हैं, बहुत महत्वपूर्ण मामला है, इस पैसे को पूरे अधिकारी निपटा लेते हैं ।
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस राशि में कुछ हो भी नहीं पाता है और काफी भ्रष्टाचार.....
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- माननीय अध्यक्ष महोदय,2 हजार रूपया बिल्कुल भी कम नहीं है, 2 हजार रूपए में भोजन में खर्च किए जाते हैं ।
विभागीय योजनाओं में बजट आवंटन
5. ( *क्र. 2761 ) श्री गोपाल परमार : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शाजापुर/आगर जिले को विभाग से वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 में किस-किस मद में कितनी-कितनी राशि का आवंटन स्वीकृत किया गया है? मदवार जानकारी देवें एवं कार्यालय प्रमुख द्वारा किन-किन मदों में कितनी-कितनी राशि व्यय की गई है? (ख) क्या स्वास्थ्य विभाग द्वारा निविदा प्रक्रिया के अंतर्गत किन-किन सामग्री/औजार हेतु निविदत्त दर निर्धारित की गई है? आगर/शाजापुर जिले में निविदत्त न्यूनतम दरों पर एवं निविदत्त संस्था सामग्री/औजार क्रय न किये जाकर नोडल ऐजेंसी/उपक्रमों एवं कोटेशन से क्रय की कार्यवाही की जा रही है? क्रय कार्य में वित्तीय अनियमितता रोकने हेतु शासन द्वारा क्या-क्या ठोस कार्यवाही की जा रही है एवं निविदत्त दर से क्रय कार्यवाही न की जाकर नोडल ऐजेंसी/उपक्रम तथा स्थानीय कोटेशन से किन नियमों के अंतर्गत की जा रही है? (ग) क्या उक्त जिलों में नियमों के विरूद्ध खरीदी की गई है? यदि हाँ, तो विगत 2 वर्षों में क्या सामग्री क्रय की गई है? क्रय की गई सामग्री की तादात एवं दर से अवगत करावें? जाँच में अनियमितता पाये जाने पर शासन अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही करेगा?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) शाजापुर/आगर जिले को विभाग से वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 में मदवार आवंटन एवं कार्यालय प्रमुख द्वारा किये गये व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार। (ख) अस्पतालों में लगने वाली आवश्यक सामाग्रियाँ एवं मशीन व उपकरणों में निविदा आमंत्रित कर दरें निर्धारित की गईं हैं। यदि उपरोक्त में से किसी सामग्री की दर निर्धारित नहीं हैं तो शासन की अन्य अधिकृत एजेन्सियों के द्वारा निर्धारित दर पर क्रय किया जा सकता है। अतिआवश्यक एवं समय कम होने पर स्थानीय स्तर पर निविदा/कोटेशन आमंत्रित कर, न्यूनतम दर पर सामग्रियाँ क्रय की जा सकती हैं। उपरोक्त कार्यवाही म.प्र. शासन के भण्डार क्रय नियमों के अंतर्गत की जाती है। वित्तीय अनियमितता पाये जाने पर संबंधित शासकीय सेवक के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। (ग) सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला शाजापुर द्वारा नियम विरूद्व खरीददारी एवं अन्य अनियमितताएं की गई हैं । डॉं. बी.एस.मैना, तत्कालीन प्रभारी सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला शाजापुर एवं श्री गुलाबचंद्र गुप्ता कैशियर सह प्रभारी लेखापाल कार्यालय सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, शाजापुर को दिनांक 2.3.16 को निलंबित किया गया है ।
श्री गोपाल परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को इसलिए धन्यवाद देना चाहता हूँ कि इन्होंने स्वीकार किया है कि अनियमितताएं हुई, अनियमितताएं मेरे प्रश्न के माध्यम से पाई गईं और डॉं बी.एस.मैना और डॉ. गुलाबचंद्र गुप्ता को निलंबित किया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद, इसमें केवल एक संशोधन और चाहता हूँ कि जो लोग लाभ लेने से वंचित रह गए क्या उसकी जांच करके उन लोगों को भी लाभ दिलाया जाएगा ।
श्री शरद जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो विधायक जी को धन्यवाद देंगे कि उन्होंने हमें धन्यवाद दिया है । जो उनका प्रश्न था, उसमें जानकारी हम देना चाहेंगे कि जो भी सामग्री क्रय की जाती है, वह भंडार क्रय नियमों के अंतर्गत की जाती है और जो शिकायत आई थी, उसमें अनियमितताएं पाई गई थीं और तत्कालीन सिविल सर्जन, तत्कालीन लेखापाल दोनों को निलंबित किया है और जो जानकारी माननीय विधायक जी ने मांगी है, उस पर हम विचार कर लेंगे ।
श्री गोपाल परमार- धन्यवाद ।
शास. चिकित्सालयों में दवाई/इंजेक्शन का नि:शुल्क वितरण
प्रश्न-6. ( *क्र. 2304 ) श्री अरूण भीमावद : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में शास. चिकित्सालयों में मरीजों को नि:शुल्क दवाईयां/इंजेक्शन प्रदाय की जाती हैं, उनमें से कौन-कौन सी दवाईयां/इंजेक्शन शासन स्तर से या स्थानीय स्तर पर क्रय किये जाने के प्रावधान हैं? (ख) क्या नि:शुल्क दवाईयां/इंजेक्शन को स्टाक पंजी में सूचीबद्ध एवं इनकी उपलब्ध संख्या के मान से किया जाता है? (ग) यदि हाँ, तो क्या स्टाक समाप्त होने के पूर्व ही दवाईयां/इंजेक्शन क्रय किये जाना चाहिए, जिससे मरीजों को हमेशा प्राप्त होती रहे? (घ) जिला चिकित्सालय शाजापुर में मरीजों को नि:शुल्क दवाईयां/इंजेक्शन क्यों नहीं प्राप्त होते हैं?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ। प्रदेश में शासकीय चिकित्सालयों में निःशुल्क दवांईयां एवं इंजेक्शन प्रदाय किये जाते हैं। जो दवांईयों एवं इंजेक्शन ई-औषधि की दर सूची में उपलब्ध नहीं है। उनका क्रय दवा नीति 2009 में निहित प्रावधान अनुसार आवंटित बजट की 20 प्रतिशत राशि से स्थानीय स्तर पर किया जा सकता है। (ख) एवं (ग) जी हाँ। (घ) जिला चिकित्सालय शाजापुर में मरीजों को निःशुल्क/दवांईयाँ/इंजेक्शन ई.डी.एल. सूची के अनुसार उपलब्ध रहते हैं एवं मरीजों को निःशुल्क वितरण किये जाते हैं।
श्री अरूण भीमावद - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में क, ग और घ के जवाब से संतुष्ट हूँ और साथ ही, जो शाजापुर जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन को निलंबित किया है, उसके लिये, मैं सरकार एवं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. यह शिकायत हमने 6 महीने पहले की थी, जिसका निराकरण हुआ है. साथ ही, जो 'ख' का जवाब दिया है, उससे मैं असन्तुष्ट हूँ. कल ही, मैंने शाम को जाकर जिला चिकित्सालय में दवाई का स्टॉक देखा तो वहां पर टिटनेस के इंजेक्शन, एंटी रैबिज वैक्सीन, जेन्टीसीन और फोलिस कैथेटर की दवाईयां उपलब्ध नहीं थीं, जो कि उपलब्ध होनी चाहिए थीं. इसलिए, मेरा माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न है कि क्या आप ये दवाईयां शीघ्र जिला चिकित्सालय को उपलब्ध करवायेंगे ?
श्री शरद जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, दवाईयां उपलब्ध करवा देंगे.
प्रश्न क्रमांक- 7 (अनुपस्थित)
प्रश्न क्रमांक- 8 (अनुपस्थित)
नवीन पुलिस थाने की स्थापना
प्रश्न-9. ( *क्र. 59 ) श्री राम लल्लू वैश्य : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला सिंगरौली अंतर्गत वर्तमान में नये पुलिस थाने खोले जाने की शासन की योजना है? (ख) यदि हाँ, तो कहां-कहां कितने नये पुलिस थाने स्थापित किये जायेंगे और इनका भवन निर्माण आदि का कार्य कब तक पूरा कर लिया जायेगा?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) जी हाँ। (ख) जिला सिंगरौली में महिला थाना एवं नवानगर थाने की स्थापना का प्रस्ताव विचाराधीन है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री राम लल्लू वैश्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से सिंगरौली जिले में नवीन थाने की जानकारी चाही थी, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया है कि महिला थाना और एक नवानगर थाने का प्रस्ताव विचाराधीन है. मैं चाहता हूँ कि इसकी घोषणा हो जाये.
गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला सिंगरौली में महिला थाना एवं नवानगर थाने की स्थापना का प्रस्ताव विचाराधीन है और एक वर्ष में ये थाने खुल जायेंगे.
श्री राम लल्लू वैश्य - धन्यवाद.
आंगनवाड़ी सहायिकाओं की सेवानिवृत्ति में अनियमितता
प्रश्न-10. ( *क्र. 4024 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या महिला एवं बाल विकास विभाग में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष है? यदि हाँ, तो शासन आदेश की छायाप्रति उपलब्ध करायें? (ख) विगत वर्ष 2011-12 से 2015-16 तक कुक्षी विधानसभा में कितनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं/सहायिकाओं को सेवानिवृत्ति प्रदाय की गई? (ग) क्या शासन को गलत तरीके से सेवानिवृत्त किये जाने के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो उत्तरदायी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘एक’ पर है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘दो’ पर है। (ग) जी नहीं। अपितु धार जिले में दिनांक 19/01/2016 की जनसुनवाई में एकीकृत बाल विकास परियोजना डही अंतर्गत ग्राम पीपलूद बरजनियापुरा की आंगनवाड़ी सहायिका को सेवानिवृत्त किये जाने संबंधी 01 शिकायत प्राप्त हुई, जिसकी जाँच प्रचलित है।
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल - मेरा प्रश्न, मेरे विधासनभा क्षेत्र में सेवानिवृत्त हुई आदिवासी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के संबंध में है. क्या मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि जिन 7 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं 34 सहायिकाओं को परियोजना अधिकारियों द्वारा बिना आयु प्रमाण-पत्र एवं बिना मेडीकल बोर्ड के प्रमाण-पत्र के बिना सेवानिवृत्ति दी गई है ? प्रश्न 'ग' के उत्तर अनुसार एकीकृत बाल विकास सेवा परियोजना डही अन्तर्गत ग्राम पीपलूद बरजनियापुरा की आंगनवाड़ी सहायिका की शिकायत के यह सिद्ध होता है कि क्या ऐसे प्रकरणों में शासन स्तर पर कोई कार्यवाही करेंगे ?
पशुपालन मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) - माननीय अध्यक्ष महोदय, 60 वर्ष की अवस्था आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका की सेवानिवृत्ति आयु होती है. कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. जन-शिकायत निवारण में धार जिले से, एक शिकायत दि. 19/01/2016 को प्राप्त हुई थी. जिसमें उसे रिटायर्ड कर दिया गया था. नियम यह है कि जिसमें कोई प्रमाण-पत्र नहीं होता, कोई सर्टिफिकेट नहीं होता है, स्कूल या आयु का प्रमाण-पत्र नहीं होता, उसके लिये जांच करने के लिए डॉक्टरों की टीम बैठती है और उनके द्वारा जांच होती है, उससे यह निर्धारित किया जाता है कि उसकी उम्र कितनी है और सहायिका द्वारा, जो जन शिकायत में जिला स्तर पर शिकायत हुई, वह भी मैंने बताया है कि शिकायत दि. 19/01/2016 को प्राप्त हुई थी तो प्रमाण-पत्र एवं आयु संबंधी दस्तावेजों की जांच की जा रही है, जांच के आधार पर, जो भी दोषी पाया जायेगा, उसके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो प्रकरण है, उसमें एक प्रकरण सामने आया है बाकियों की जानकारी मेरे पास है. क्या माननीय मंत्री जी उन प्रकरणों की, जिन प्रकरणों पर मेडीकल बोर्ड द्वारा उनकी आयु का प्रमाण-पत्र नहीं दिया गया है या फिर उनकी आयु का कोई प्रमाण नहीं है. क्या उन प्रकरणों की वापिस जांच करवायेंगे ? और जांच में अगर यह सिद्ध होता है कि उन महिलाओं की उम्र 60 वर्ष नहीं हुई है तो उनको वापिस पदस्थापना दी जायेगी कि नहीं ? यह मंत्री महोदया बतायें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, आयु का कोई न कोई प्रमाण-पत्र तो होना आवश्यक है या तो स्कूल का सर्टिफिकेट या मेडीकल बोर्ड की जांच होना आवश्यक है. और निश्चित रुप से यदि ऐसी शिकायत प्राप्त होगी कि समय के पूर्व रिटायर किया गया है, तो हम उसकी मेडिकल बोर्ड से जांच करायेंगे और यदि 60 वर्ष की उम्र नहीं हुई है और जिन अधिकारियों ने इस प्रकार का कृत्य किया है, निश्चित ही उनके विरुद्ध कार्यवाही होगी.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी समयावधि बता दें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- यथाशीघ्र
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल -- मंत्री जी, यथा शीघ्र कब तक.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- अध्यक्ष महोदय, यथाशीघ्र का मतलब यह होता है कि मेडिकल बोर्ड के गठन करने से लेकर के जांच होने तक जितना समय लगेगा, उतने में होगा.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
11.31 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
11.32 बजे शून्यकाल में उल्लेख
डॉ. गोवन्द सिंह (लहार) -- अध्यक्ष महोदय, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत करीब 50 लाख आदिवासियों को मिलावटी आयोडीन नमक बांटा जा रहा है. इससे करीब ढाई करोड़ के आस पास बच्चे और युवक पीड़ित हो गये हैं. उनमें घेंघा रोग हो गया है. मंत्री जी से अनुरोध है कि उसकी जांच कराकर जहां जहां लोग घेंघा रोग से पीड़ित हुए हैं, उनकी समुचित व्यवस्था करे और बिना परीक्षण के जो नमक बांटा गया है, उनके विरुद्ध कार्यवाही करें.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- अध्यक्ष महोदय, पन्ना जिले की हीरा खदानों में से जो खदानें बंद हो गयी हैं, अभी तक रेत का अवैध खनन चलता था, बोल्डर का अवैध खनन चलता था, पत्थर का अवैध खनन चलता था. अब हीरों का भी अवैध खनन होने लगा. पन्ना जिले की हीरा खदान से हीरे निकल कर, अवैध खनन करके आये और बेचे गये. कितनी गंभीर बता है कि इसकी शिकायत मंत्री महोदया ने मुख्यमंत्री जी को लिखकर के नोटशीट पर भेजी है. यह बड़े दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि प्रदेश की एक तरफ तो वित्तीय स्थिति खराब है, किसानों पर टैक्स बढ़ाया जा रहा है और दूसरी तरफ हीरों का अवैध उत्खनन हो रहा है. मैं मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने बड़ी सक्षमता के साथ लिखा है. मैंने इसमें ध्यान आकर्षण दिया है.
श्री मुकेश नायक (पवई) -- अध्यक्ष महोदय, पिछले सत्र में मैंने इस पर ध्यान आकर्षण दिया था. कम से कम डेढ़ सौ करोड़ का हीरा, उसके फोटो वाट्स एप पर हैं, उस हीरे के. जो गायब कर दिया गया.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, इस पर चर्चा करायें. यह बहुत गंभीर मामला है. इससे पूरे प्रदेश के राजस्व कर में लगातार कमी आ रही है. इस तरह की चोरियों को कम से कम रोका जाय. मैंने ध्यान आकर्षण दिया है. यह गंभीर बात है. मंत्री जी को धन्यवाद है कि उन्होंने नोटशीट लिखकर शिकायत की है. कम से कम उन्हीं को अधिकार दे दें कि वे रोकें.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है. आप लोगों की बात आ गई.
श्री विजयपाल सिंह (सोहागपुर) -- अध्यक्ष महोदय, कल शाम के समय मेरे विधान सभा क्षेत्र के बावई ब्लॉक में काफी ओलावृष्टि हुई है. मैं आपके माध्यम से कृषि मंत्री जी एवं राजस्व मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि उसकी तत्काल जांच कराकर किसानों को लाभ पहुंचाने का कष्ट करें.
11.33 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना.
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग का 57वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-14
11.34 बजे ध्यान आकर्षण
(1) बुरहानपुर जिले में स्वकराधान योजना के तहत पंचायतों को राशि न मिलना.
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची में उल्लेखित प्रथम ध्यान आकर्षण सूचना को संबंधित माननीय सदस्या के अनुरोध पर आज के स्थान पर आगामी 9 मार्च,2016 को लिये जाने की अनुज्ञा मेरे द्वारा प्रदान की गई है. तद्नुसार यह ध्यान आकर्षण आगामी बुधवार को लिया जायेगा.
श्रीमती अर्चना चिटनिस -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
11.35 बजे
प्रदेश में मानसिक तनाव के कारण विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या की जाना
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो मैंने एक पर्टिक्यूलर घटना को लेकर के ध्यानाकर्षण दिया था चूंकि विषय काफी संवेदनशील था इसलिये आपने सभी घटनाओं को इसमें समाहित कर दिया है इसके लिये आपका आभार. अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय,विषय की गंभीरता को देखते हुए इसको ग्राह्य किया है. हम विषय उठाते रहेंगे. आरोप लगाते रहेंगे और सत्तापक्ष इसका जवाब देता रहेगा और कहता रहेगा यह सही नहीं है, यह भी सही नहीं है. हमारा काम है आरोप लगाना लेकिन सभी को मिलकर इस पर विचार करना पड़ेगा कि हम कहीं न कहीं चूक रहे हैं. कहीं न कहीं गलती कर रहे हैं. इसको कैसे सुधारा जाये. कैसे व्यवस्था की जाये. आदित्यमान सिंह नाम का जो लड़का डीपीएस स्कूल में पढ़ता था, उसने आत्महत्या की. इंडियन आईडल जूनियर जो गीत-संगीत का नेशनल लेवल का काम्पीटिशन था, उसमें उसने भाग लिया था. यह बात आपने भी स्वीकार की.
अध्यक्ष महोदय, उसकी प्रतिभा जब उधर जाने की थी तो इसके साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया गया. दूसरी तरफ आपने जो जवाब दिया अगर इसी को मैं लूं तो आप कह रहे हैं 22.2.2016 को स्कूल में रिजल्ट बताया गया जिसमें आदित्यमान सिंह केमेस्ट्री,गणित विषय में फैल था. दूसरी तरफ कह रहे हैं कि अनुत्तीर्ण नहीं होता.इन अंकों के आधार पर विद्यार्थी अनुत्तीर्ण नहीं होता क्योंकि वार्षिक परीक्षा परिणाम सतत एवं व्यापक मूल्यांकन के अंतर्गत मासिक टेस्ट, अर्द्ध वार्षिक परीक्षा एवं वार्षिक परीक्षा के प्राप्तांक के आधार पर तैयार किया जाता है. तो कहीं न कहीं हम किसी को बचाने का, प्रणाली को छुपाने का प्रयास करते हैं, किसी पर आरोप लगाने का प्रयास करते हैं. अध्यक्ष महोदय, सिस्टम में सुधार करने की आवश्यकता है. जैसे आपने हेल्प लाईन बना दी. कितने बच्चे हेल्प लाईन तक आ पाये. आप ऐसी व्यवस्था करें कि हर स्कूल में परीक्षा प्रणाली में सुधार हो. अभी हमारी लाईफ स्टाईल और एजुकेशन की स्टाईल भी बदली है. क्या तो शिक्षकों का और क्या तो अभिभावकों में जो प्रतियोगी प्रतिस्पर्धा की भावना के तहत 98 और 99 प्रतिशत लाने के लिए लगातार जोर देते हैं. न तो शिक्षक छात्रों को बताते हैं कि कितने भी अंक आये, अंकों की आवश्यकता या अंकों की जरुरत खत्म हो जानी चाहिए. केवल एक मूल्यांकन का आधार रखना चाहिए. जिसको जिधर जाना हो, उधर जाने दें. बच्चों पर किसी भी प्रकार का मानसिक प्रभाव न पड़े वह इस प्रकार का कदम उठाये.
अध्यक्ष महोदय, मैं, माननीय मंत्रीजी से यह जानना चाहूंगा कि जो एनसीएस राष्ट्रीय पाठ्य चर्चा की रुपरेखा जिसकी रिपोर्ट आपके पास 2002 में भी आयी और 2005 में भी आयी उसमें व्यवस्थागत सुधार के बारे काफी बातें की गई. क्या आप उन्हें लागू करेंगे और दूसरी बात मैं अपनी तरफ से भी निवेदन करना चाहूंगा कि कोर्स से इस तरह के विषय हटा दिये गये हैं. पहले महापुरुषों की जीवनी भी दी जाती थी. कई महापुरुष ऐसे भी थे जो परीक्षा में पास नहीं हुए जैसे हमारे पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय अब्दुल कलाम आजाद के समान कई लोग थे. हम राष्ट्र के भविष्य को खो रहे हैं जो हमारे काम आ सकता है. जो राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सकता है. उसको हम खो रहे हैं. इसके लिये यहां पर आरोप-प्रत्यारोप वाली कोई बात नहीं है. हम चाहते हैं कि व्यवस्थागत सुधार करे.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह अपेक्षा करुंगा कि एक तो परीक्षा प्रणाली में सुधार करें. ऐसे विषय जो चाहे महापुरुषों की जीवनी से संबंधित हों. चित्त विकास, नैतिक शिक्षा जैसे विषयों का समावेश किया जाये जिससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ सके. आपने हेल्प लाईन के माध्यम से मनोवैज्ञानिक और व्यक्तित्व विकास के शिक्षकों द्वारा समझाईश की बात की है यह अनिवार्य कर दें. कोई भी स्कूल तब प्रारंभ किया जायेगा जब वहां बच्चों के मनोविज्ञान और व्यक्तित्व को समझने वाले शिक्षक की नियुक्ति कर दे. तब तक स्कूल चलाने की अनुमति नहीं दी जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मुख्यमंत्री जी, आरिफ अकील साहब का भी नाम है, उनकी भी बात सुन लें फिर आप इकट्ठा उत्तर दे दें. आरिफ अकील साहब, यह प्रश्नकाल या प्रश्नोत्तर की बात नहीं है यह एक सामाजिक समस्या है और उसी कारण से इसको लिया है. जैसा माननीय सदस्य रावत जी ने भी कहा कि यह आरोप-प्रत्यारोप की बात भी नहीं है. सुझाव और समस्या का समाधान हो, इसके लिए ही इस विषय को लिया है. आप अपनी बात और कह दें, माननीय मुख्यमंत्री जी भी इस विषय पर बोल रहे हैं.
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर) - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से और माननीय शिक्षा मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि हमने आपकी छात्र राजनीति देखी है, छात्र राजनीति में आप दोनों नारे लगाते थे कि छात्र शक्ति, राष्ट्र शक्ति है. यह राष्ट्र शक्ति कमजोर पड़ती जा रही है, इसके पीछे कमजोरी कुछ पढ़ने में हो रही है, कुछ बहुत वी.वी.आई.पी. लोग अपने स्कूल का संचालन कर रहे हैं, उसकी वजह से वह अपनी मनमानी हिटलरशाही दिखा रहे हैं, उसकी वजह से परिणाम खराब होते जा रहे हैं और बच्चों को यह करना पड़ रहा है. जहां तक आदित्य का सवाल है, मेरी जानकारी के अनुसार पहली क्लास से लेकर 10 वीं क्लास तक वह फर्स्ट क्लास में पास हुआ है. वहां पर उसके रिजल्ट मौजूद हैं. यह भी सही है कि वह गाने का शौकीन था, इसलिए उसके बहुत सारे प्रोग्रामों में उसने हिस्सा लिया और उसको अवार्ड मिले. लेकिन वहां पर जो वंदना द्रुपद मैडम और प्रीति सक्सेना और रूपाली मैडम हैं, दो विषयों में अगर वह फेल हो गया तो वह कोई सालाना इम्तिहान नहीं था, मध्यप्रदेश शिक्षा मंडल का यह नियम तो नहीं है कि कोई टेस्ट में अगर लड़का फेल हो जाय तो उसको वार्षिक परीक्षा में नहीं बैठाएंगे तो ऐसे नियमों का पालन दिल्ली पब्लिक स्कूल में क्यों नहीं हो रहा है?
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक माननीय मंत्री जी ने कहा कि उनके परिवार के लोग बयान नहीं दे रहे हैं. उनके पिताजी ने भी कहा, सारे समाचार पत्र टी.वी चैनल इससे भरे पड़े हैं कि स्कूल के लोगों ने उनको परेशान किया और यहां तक कि स्कूल के लड़के ने बयान दिया कि वह एक दिन छत पर घूम रहा था और कह रहा था कि ये दोनों मैडम ने मेरा भविष्य खराब करने के प्रयास कर रही हैं. मैं सुसाईड कर लूंगा. उसके पिता ने उस दिन शमशान में भी कहा और लोगों से भी कहा, बयान भी दिया. आप मेहरबानी करके जो मुख्यमंत्री जी कार्यक्रम चला रहे हैं, जो बच्चों को समझा रहे हैं, जो बच्चों को हिदायत दे रहे हैं उसके लिए जरूरी है हम उनको बधाई देते हैं, हम उनके आभारी हैं. लेकिन जो ऐसे दोषी लोग हैं जो हिटलरशाही दिखा रहे हैं. मनमानी कर रहे हैं. अपने तामझाम की वजह से लोगों को प्रताड़ित कर रहे हैं और जो बड़े-बड़े स्कूल हैं उसमें तो बच्चों से ज्यादा सजा तो उनके माता-पिता को मिलती है. अगर सालाना मीटिंग में मां-बाप जाते हैं तो उनको सारे लेक्चर सुनना होते हैं, उनको प्रताड़ित होना पड़ता है. मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि कृपया करके ऐसी व्यवस्था करें कि उनको जो समझा रहे हैं, आपको टी.वी पर भी सुना है, उसके लिए भी हम आपके आभारी हैं. लेकिन ऐसी व्यवस्था भी देखें कि जहां ज्यादती हो रही है, अगर उन पर कार्यवाही नहीं करेंगे तो यह तो बढ़ती जाएगी. अधिकारियों ने यह कह दिया कि उनके घर के लोग बयान देने को तैयार नहीं हैं स्कूल के बच्चों ने बयान दे दिया और उन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, उन पर कार्यवाही इसलिए नहीं हो रही है कि वे बहुत वीआईपी लोग हैं, इसलिए कार्यवाही नहीं हो रही है. अगर ऐसे लोगों को बचाया जाएगा, उनको छोड़ा जाएगा तो निश्चित ही यह घटना बढ़ती रहेंगी. मेरा आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है कि जहां आप समझा रहे हैं वह तो बहुत अच्छा कदम है, लेकिन जहां लोग अन्याय कर रहे हैं उनके खिलाफ भी आप कार्यवाही कराइए, आपकी कृपा होगी.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन के वरिष्ठ सदस्य माननीय श्री रामनिवास रावत जी ने, माननीय श्री आरिफ अकील जी ने एक बहुत महत्वपूर्ण विषय को आज ध्यान आकर्षण के माध्यम से उठाया है. हम यह सब मानते हैं कि बच्चे कच्ची माटी के लौंदे होते हैं. लेकिन आज इस शिक्षा की व्यवस्था ने उनकी जिंदगी की स्वाभाविकता छीनी है. बस्ते के बोझ ने उनके शरीर को तोड़ा है. अच्छे नम्बर लाने के दबाव ने उनके मन को तोड़ दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम लोगों को याद है कि जब हम बचपन में पढ़ते थे तो 6 साल की उम्र में स्कूल में एडमिशन हमारा हुआ था. वह तो दादी मां जाने नहीं देती थी कि अभी उम्र कितनी है, कहां स्कूल भेजोगे और अगर कोई मां-बाप कहते थे तो दादी मां डांटती थी. लेकिन आज ढ़ाई साल की बच्चे की उम्र नहीं होती, वह नर्सरी में पटक दिये जाते हैं. शिक्षा की इस व्यवस्था ने, इस दबाव ने बच्चों की जिंदगी की स्वाभाविकता छीनी है. यह बात जो श्री रामनिवास रावत जी कह रहे थे, यह बिल्कुल सच है कि केवल अच्छे नम्बर लाना और अच्छे नम्बर लाने के लिए माता पिता भी दोषी हैं क्योंकि लगातार दबाव हम भी बच्चों पर देते हैं.
कहां जा रहा है मत खेलो, पढ़ने बैठो, स्कूल से आये नहीं कि ट्यूशन पढ़ने जाओ कई बच्चे स्कूल से आकर ट्यूशन पढ़ने चले जाते हैं, वह खेल कूद भूल गये हैं. उसके बाद में स्कूल की रेटिंग कैसे अच्छी रहे, स्कूल की साख कैसे बनी रहे. कम नंबर नहीं आ जायें नहीं तो साख पर बट्टा लग जायेगा. इसलिए स्कूल मैनेजमेंट और शिक्षक वह अलग दबाव बनाते हैं कि नंबर अच्छे लाना है. इ सके कारण सचमुच में बच्चों की जिंदगी, आनंद और प्रसन्नता से रहित हो गई है. हम सबको यह सोचना होगा, समझना होगा और फैसले भी करना होंगे , यह बात सही कही है कि यह सामाजिक समस्या है तो इससे सरकार यह कहकर बच नहीं सकती है. यहीं पर समाज भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है. आपने यह सही कहा है कि प्रतिभा नंबरों से नहीं आंकी जा सकती है.
मैंने अपने बच्चों से कहने की कोशिश की है. केवल अच्छे नंबर लाना है सफलता की कसौटी नहीं है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी पढ़ाई में कोई बहुत एक्सीलेंट नहीं थे, कलाम साहब की बात आपने की है कलाम साहब एक बार फेल हो गये थे तो उन्होंने कहा कि मेरी असफलता को मैं अपने ऊपर हावी नहीं होने दूंगा. ऐसे एक नहीं अनेकों उदाहरण हैं. अल्बर्ट आइंस्टाइन जी को स्कूल से निकाल दिया गया था. पढ़ाई में वह अच्छे नहीं थे बार बार वह फेल होते थे. चार्ल्स डार्विन की भी यही स्थिति थी, सचिन तेंदूलकर इतने अच्छे खिलाड़ी हैं हमारे देश के वह कभी पढ़ाई में टॉप थोड़ी करते थे. थामस एडिशन जैसे, अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे लोग, अब्राहिम लिंकन जैसे लोग जिन्होंने दुनिया के इतिहास को बनाने का काम किया है. यह लोग पढ़ने में कोई बहुत अच्छे नहीं थे. इ सलिए हमें शिक्षा की व्यवस्था में और समाज के सोच में भी परिवर्तन करना पड़ेगा कि सफलता केवल अंकों से नहीं आंकी जा सकती है. हमको यह व्यवस्था बनाने की कोशिश करना होगी इसलिए कि यह विषय इतना महत्वपूर्ण है कि जिस पर हम सबको विचार करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय तात्कालिक रूप से मुझे जो लगता है. एक तो यह जो बच्चों पर ज्यादा दबाव होता है यह 10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाओं में दवाब चरम पर होता है. इसलिए 9वी क्लास से ही बच्चों की, पेरेन्टस की, टीचर्स की चाहे वह प्राइवेट स्कूल के टीचर हों या शासकीय स्कूल के टीचर हों और प्रायवेट स्कूल को भी यह साफ कह दिया जायेगा कि अच्छे नंबरों के लिए बच्चों पर दबाव बनाना भी अपराध है. यह किसी अपराध से कम नहीं है. इसलिए उनकी काउंसलिंग 9वी क्लास से, शिक्षकों और पेरेन्टस की तो पहले से लेकिन एक व्यवस्था बनायेंगे. वह व्यवस्था कैसे बनेगी उसके बारे में बैठकर विचार करेंगे. लेकिन केवल परीक्षा के पहले हमने एक उपदेश दे दिया और हम बच्चों को एकदम स्वाभाविक कर देंगे यह नहीं हो सकता है. इसकी तैयारी हमें पहले से करना होगी. यह बात बिल्कुल सही कही है कि नैतिक शिक्षा , महापुरूषों की जीवनी, योग की शिक्षा, योग को हम किसी और चीज से न जोड़े लेकिन मेडीटेशन ध्यान हर पद्धति में परंपरा में कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में आपको जरूर मिलेगा. इसलिए बच्चों को तनाव रहित करने के लिए, उसकी शिक्षा देने की भी आवश्यकता है. स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रारम्भ किया है. हमारे जो नियमित शिक्षकहैं उनको ही योग शिक्षक की ट्रेनिंग देकर उनको अलग अलग जगह पर नियुक्त करने का काम किया है. लेकिन मुझे लगता है कि ध्यान की इस तरह की शिक्षा जो कि बच्चों को जो कि तनाव रहित करे. वह शिक्षा आवश्यक है, उ स दिशा में भी हम गंभीर प्रयास करेंगे.
अध्यक्ष महोदय मेरा कहना है कि खेल कूद तो आजकल लगभग समाप्त ही हो गया है. बस्ता लादो स्कूल जाओ, घर आओ तो फिर ट्यूशन पढ़ने के लिए जाओ. लेकिन स्कूलों में भी मुझे लगता है कि खेल का पीरियेड अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे दिन भर केवल पढ़ें ही नहीं कबड्डी खेलें, फुटबाल खेलें, क्रिकेट खेलें, बालीवाल खेलें तो इससे कुल मिलाकर एक तनाव रहित रहने का मौका मिलेगा. लेकिन खेल के साथ साथ में आपने नाम लिया शायद आदित्य उसका नाम है वह संगीत में एक्सीलेंट था बहुत अच्छा बच्चा था. अगर वह बच्चा केवल नंबर का बोझ नहं होता तो हो सकता है कि वह बच्चा बहुत अच्छा कलाकार हो सकता था. लेकिन और भी आयाम हैं केवल नंबर लाना ही सफलता का मापदण्ड नहीं है. इसलिए ड्रामा नाटक संगीत..
श्री आरिफ अकील -- वह बच्चा पहली कक्षा से लेकर दसवी तक फर्स्ट डिवीजन में पास होता था लेकिन स्कूल का दवाब स्कूल का प्रेशर बच्चों पर रहता है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- दूसरी बात जो आपने कही वह और एक चीज और यह है कि जो हम कैरियर बनाने की बात करते हैं और शिक्षा इसलिए कि बच्चों का कैरियर बन जाए, कैरियर केवल प्रतिस्पर्द्धी परीक्षाओं की सफलता में ही नहीं है. इसलिए 10वीं और 12वीं के बाद हमारे बच्चों के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग हमें प्रारंभ करनी पड़ेगी ताकि उन्हें अच्छा रोजगार मिल सके. अगर अच्छे वोकेशनल इंस्टीट्यूशंस होंगे तो 12वीं के बाद यह जरूरी नहीं है कि फर्स्ट क्लास फर्स्ट आकर वह आईएएस या आईपीएस की परीक्षा दे या आईआईटी और आईआईएम में उसको भेजने की कोशिश करें. एक तमाशा सा हो गया है, मुझे नाम लेना चाहिए या नहीं लेना चाहिए, लेकिन कोटा भेजो, कोटा भेजो और कोटा में भी यह हालत है कि वहां बच्चे तनावग्रस्त हो जाते हैं और तनावग्रस्त होकर आत्महत्या कर लेते हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, कोटा जो भेजने की बात कही है, इसमें कहीं न कहीं हम भी उदार प्रवृत्ति अपनाए हुए हैं. जितने भी बच्चे कोटा में पढ़ने के लिए जाते हैं कहीं न कहीं सभी बच्चों के नामांकन हमारे शासकीय स्कूलों में हैं और इस वजह से यह प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. अगर हम अपने शासकीय स्कूलों को ठीक करें और इस तरह की अनुमति न दें तो निश्चित रूप से स्थिति सुधरेगी. कोटा में भी बहुत बुरी हालत है, मैंने वहां अपने बच्चे भेजे थे और पढ़ भी रहे हैं लेकिन वहां भी मैं समझता हूँ कि प्रति 3 या 4 दिन में एक-दो बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मेरा किसी शहर विशेष का नाम लेने का मंतव्य नहीं था लेकिन सफलता की कुंजी की बात की जाती है इसलिए कि वहां प्रतिस्पर्द्धी परीक्षाओं के लिए कोचिंग कराओ, कोचिंग कराओ. अगर वोकेशनल ट्रेनिंग के इंस्टीट्यूट हमारे यहां अच्छे होंगे और 10वीं या 12वीं के बाद हम अपने बच्चों को आश्वस्त कर पाएं कि आप ये ट्रेनिंग ले लो इसके बाद आप अपना काम-धंधा या रोजगार चालू कर सकते हो और उसमें सफल हो सकते हो, यदि हम यह विश्वास उनको दिला पाए तो उन पर से दबाव कम होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत लंबी बात न कहते हुए मैं आज केवल इतना कहना चाहता हूँ कि यह सामाजिक समस्या भी है, समाज को भी हमें इस दिशा में शिक्षित करने की कोशिश करनी पड़ेगी. स्कूलों में दोनों तरह की चीज करनी पड़ेगी, काउंसिलिंग का काम भी करना पड़ेगा और नाजायज तरीके से, गलत तरीके से दबाव डालकर अगर ज्यादा नंबर लाने का प्रेशर कोई बनाए तो वैसी घटनाओं पर कार्यवाही भी हमें सुनिश्चित करनी पड़ेगी. हम अपने बच्चों का भविष्य बर्बाद होते हुए नहीं देख सकते. छोटी सी उम्र में अवसादग्रस्त हो जाएं, तनावग्रस्त हो जाएं और ऐसी स्थिति में पहुँच जाएं कि अपनी जीवन की लीला ही समाप्त कर लें, मैं मानता हूँ कि यह भी एक सामाजिक अपराध होगा, उस दिशा में भी सरकार काम करेगी.
ध्यानाकर्षण पर सदन की समिति बनाने विषयक मुख्यमंत्री महोदय की मांग एवं
अध्यक्षीय व्यवस्था
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूँ कि यह विषय इतना विस्तृत है कि थोड़ी देर में हम इसका हल निकाल लें ऐसी स्थिति नहीं है, इसलिए मैं चाहता हूँ, आपकी अनुमति यदि हो तो इस विषय पर ही सदन की एक समिति बनाई जाए, जिसमें पक्ष और विपक्ष दोनों ओर के सदस्य हों क्योंकि सदन की समिति में पक्ष, विपक्ष का सवाल नहीं है इस सामाजिक समस्या को लेकर हम सब एक हैं. यह समस्या वास्तव में आज बहुत विकराल हो गई है. हम जो समिति बनाएं वह समिति विषय के विशेषज्ञों से भी चर्चा करे. मैं मानता हूँ कि अकेले हम विशेषज्ञ नहीं हैं कि सारे समाधान, सारे सॉल्यूशंस हमारे दिमाग में होंगे, भारत में और दुनिया में जितने विषय विशेषज्ञ इस मामले में हो सकते हैं उनसे विचार करें. लोग निश्चित तौर पर विचार कर रहे होंगे कि कैसे हम अपने बच्चों को इस दबाव से मुक्त करें, शिक्षा की व्यवस्था में क्या परिवर्तन किए जाएं. मैं व्यक्तिगत रूप से भी इस बात का पक्षधर नहीं हूँ कि बस्तों का बोझ बढ़ा के हम अपने बच्चों को बड़ा पंडित बना देंगे और उनकी जिंदगी को सफल और सार्थक कर देंगे. इस बस्ते का बोझ कैसे घटे, स्वाभाविक प्रतिभा का प्रकटीकरण कैसे हो पाए, इस पर हमें विचार करना होगा. इसमें तो प्रतिभा कुंद हो जाती है अब कोई बच्चा सब विषयों में अच्छा है गणित में नंबर नहीं ला पा रहा है तो गणित में नंबर लाओ वह उसी में मर जाता है कि गणित में मैं फेल हो जाऊंगा, कोई और विषय में कहीं बहुत अच्छा है लेकिन अगर विज्ञान में, फिजिक्स में, केमेस्ट्री में अच्छे नंबर नहीं ला पाया तो एक विषय ही उसकी सारी प्रतिभा को मार देता है. इसलिए स्वाभाविक प्रतिभा का प्रकटीकरण बच्चों का कैसे हो सके, इसकी हमको कोशिश करनी पड़ेगी और इसलिए मैं मानता हूँ कि इस विषय पर व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता है और यह जिम्मेदारी सदन उठाए. मध्यप्रदेश एक उदाहरण बन जाए कि कुछ घटनाओं से सीख लेकर मध्यप्रदेश की विधान सभा ने यह फैसला किया है कि हम अपने बच्चों के बचपन को बर्बाद नहीं होने देंगे. उनकी स्वाभाविक प्रतिभा का प्रकटीकरण हो सके और वे स्वाभाविक रूप से आगे बढ़ सकें, ऐसी परिस्थिति हम पैदा कर सकें, इसलिए यह जिम्मेदारी सदन उठाए, समिति बने और वह समिति देश और दुनिया के विशेषज्ञों से चर्चा करे, बातचीत करे और कोई समाधान ढूंढे. यह समिति जो निष्कर्ष निकालेगी उसको सरकार जमीन पर लागू करे और समाज के हिस्से में जो काम आएगा, हम समाज का आह्वान करेंगे. मैं तो आज अपने बच्चों से फिर इस सदन के माध्यम से यह आह्वान करना चाहता हूँ कि बेटे, बेटियों, सफलता की कुंजी केवल अंक नहीं हैं, मेहनत करो, परिश्रम करो लेकिन जीवन स्वाभाविक जीओ और परीक्षा के दबाव से मुक्त रहो. जीवन में अगर सफल होना है तो परीक्षा एक माध्यम हो सकती है लेकिन परीक्षा ही एकमात्र माध्यम नहीं है इसके अलावा भी दूसरी विधाएं हैं जिनमें यदि आप परिश्रम करेंगे तो निश्चित तौर पर आगे बढ़ेंगे, सफलता और असफलता को समान मानते हुए केवल परिश्रम करें, परिणाम की इच्छा छोड़ दें, उसकी चिंता न करें. अच्छे नंबर आने से ही जिंदगी बनेगी यह सच नहीं है इसलिए तनावरहित होकर हमारे बच्चे परीक्षा दें और पेरेंट्स से भी मैं अपील करना चाहूंगा कि बच्चों पर दबाव बनाकर वह यह अपराध न करे कि बच्चों की स्वाभाविकता छिन जाए और कई बार जिंदगी ही छीन ले. स्कूल के मैनेजमेंट की जो बात आपने कही है, हम उनसे भी अपील करना चाहते हैं कि बेहतर नंबर के लिए और केवल साख बनाने के लिए बच्चों के ऊपर वे दबाव न बनाएं, बोझ न बनाएं और अगर ऐसी घटनाएं होती हैं और तथ्य मिलते हैं तो उन तथ्यों के आधार पर निश्चित तौर पर कार्यवाही होगी. मैं फिर से यही निवेदन करना चाहता हूँ कि आप सदन की एक समिति बनाएं जो इस पर गंभीरता से विचार करे और देश तथा दुनिया में जो कुछ अच्छा हो सकता है, उसको लेने की कोशिश करें, यही मेरा निवेदन है, धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह ध्यानाकर्षण है और इसमें मेरा प्रश्न भी है. मैं प्रश्न भी करना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- कृपा करके अब आप बैठ जाएं.
श्री रामनिवास रावत-- यह मेरा अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय-- आपका अधिकार है पर मेरा अनुरोध है. माननीय रावत जी, आपका अधिकार जरुर है किन्तु जैसा कि आपने स्वयं इसको व्यक्त किया कि यह कोई बहस का या प्रश्न का या उत्तर का विषय नहीं था. भले ही माननीय दो सदस्यों ने उसको ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाया किन्तु वास्तव में यह सारे सदन की चिन्ता है और इसलिए प्रश्नोत्तर का प्रश्न यहां नहीं है और इस सदन की चिन्ता को माननीय मुख्यमंत्री जी ने पूरे सदन की ओर से व्यक्त किया है . चूंकि अब इसमें एक समिति के गठन का भी मुख्यमंत्री जी ने मंशा व्यक्त की है इसलिए वे सारे प्रश्न जो आपके मन में हैं, मैं नहीं सोचता कि उनको यहां आने की कोई आवश्यकता है. वे सारे प्रश्न और सारे उत्तर उस समिति के सामने आयें और वहां से एक ऐसी व्यवस्था निकले जो इस बड़ी समस्या का हल कर सके तो उचित होगा. इस संबंध में मैं सदन के नेता माननीय मुख्यमंत्री जी से और प्रतिपक्ष के नेता जी से सलाह करके एक समिति का जल्दी गठन करुंगा और एक समय-सीमा में उसके उत्तर की व्यवस्था करुंगा. ( मेजों की थपथपाहट)
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष जी, माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो घोषणा की और आपने जो सदन की समिति बनाने की कार्यवाही करने की बात कही है उससे इस केस को प्रभावित न किया जाए. इसके जो तथ्य हैं उसके हिसाब से इसमें कार्यवाही अलग की जाए.
अध्यक्ष महोदय-- वह आपकी बात ठीक है. उससे सहमत हैं. वह केस अपनी जगह है.
श्री आरिफ अकील-- उसमें कार्यवाही जो नियमानुसार है, वह होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- हां उसकी कार्यवाही होगी.उसमें कोई व्यवधान नहीं आयेगा.
12.07 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में उल्लेखित माननीय सदस्यों की याचिकाएँ प्रस्तुत की गई मानी जाएंगी.
12.08 बजे वर्ष 2016-2017 की अनुदानों की मांगों पर मतदान(क्रमश:)
मांग संख्या-13 किसान कल्याण तथा कृषि विकास
मांग संख्या-54 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री गिरीश भण्डारी अपना भाषण शुरु करेंगे. माननीय सदस्य, बहुत से नाम है इसलिए अब आप तो ओपन कर रहे हैं इसलिए आपके लिए थोड़ी रिलेक्सेशन है पर माननीय सभी सदस्यों से अनुरोध है कि संक्षेप में अपनी बात रखेंगे.
श्री गिरीश भण्डारी(नरसिंहगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत आभारी हूँ कि आपने मुझे सबसे पहले मुझे इस कृषि के संबंध में बोलने का मौका दिया.मैं सबसे पहले मांग संख्या 13 और मांग संख्या 54 का विरोध करता हूँ और मैं कुछ सुझाव जो कृषि के संबंध में हैं, मैं आपके माध्यम से देना चाहता हूँ. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रुप से पिछले वर्षों में प्राकृतिक असंतुलन के कारण खेती में काफी नुकसान हुआ जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति अत्यन्त खराब हो गयी. हम सब लोग इस सदन में, सदन के बाहर भी हमेशा यह चर्चा होती है कि यह किसानों की सरकार है. हम सब किसानों का प्रतिनिधित्व करते हैं और मैं यह भी मानता हूँ कि सदन में उपस्थित सदस्यों में से 80 से 90 प्रतिशत सदस्य ग्रामीण क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करते हैं. जब ग्रामीण क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करते हैं तो हम हब सब लोगों की जवाबदारी बनती है कि हम लोग कृषि के संबंध में क्या अच्छा कर सकते हैं, इसके बारे में हम यहां सुझाव दें. आज अभी कल ही चर्चा हो रही थी कि सिंचाई के हमने साधन बढ़ा दिये हैं. निश्चित रुप से सिंचाई के साधन बढ़े हैं लेकिन सिर्फ सिंचाई के साधन बढ़ने से ही खेती को लाभ का धंधा नहीं बनाया जा सकता है. इसके लिए आवश्यक है कि हमने जो पिछले वर्षों में खेती को अधिक उत्पादन पाने के लिए रासायनिक खाद, दवाइयों से जो खेती की उर्वरा शक्ति को खत्म कर दिया है उसको वापस पुन: कैसे बनाया जाए इसके लिए भी हमें विचार करना चाहिए.आज रासायनिक खादों और दवाइयों का दुष्परिणाम इतना हो चुका है कि बिना रासायनिक खाद के, बिना दवाइयों के हम खेती का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं और सब्जी के मामले में तो हालत यह हो गयी है कि बिना रासायनिक खाद के और दवाइयों के हम एक सब्जी भी पैदा नहीं कर पा रहे हैं. इसके कारण इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह हो रहा है कि किसान की खेती में लागत बढ़ती जा रही है और दूसरा हमारी खेती खराब होती जा रही है. हम सब लोग बात कर रहे हैं, गेहूं का उत्पादन बढ़ाने की बात हो रही है, कृषि कर्मण पुरुस्कार प्राप्त करने की बात कही जा रही है लेकिन सिर्फ हम जो गेहूं की या सोयाबीन इन खेतियों से ही हम किसान को आत्मनिर्भर या किसान की खेती को हम फायदे का धण्धा नहीं बना सकते. हमें कहीं न कहीं किसान को सब्जियों की तरफ, मसालों की खेती की तरफ , फूलों की खेती की तरफ किसानों को ले जाना पड़ेगा और इसके लिए जब तक जिला स्तर पर, तहसील स्तर पर, ब्लाक स्तर पर इन खेतियों के प्रचार-प्रसार इन खेतियों में किसानों को प्रशिक्षण नहीं दिया जाएगा, तब तक हम इस तरफ अग्रसर नहीं हो पायेंगे और इसके लिए कहीं भी इस तरह का कोई प्रावधान बजट में नहीं किया गया है.जब यह माना जाता है कि इस देश की, इस प्रदेश की 70 परसेंट आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है तो निश्चित रूप से वहाँ के किसान का बेटा और युवा भी 70 परसेंट गांवों में ही निवास करता है लेकिन उसके लिए कहीं कोई ऐसी कृषि से संबंधित शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है और व्यवस्था न होने का कारण वह शहर में आता है और शहर की देखा देखी, कहीं बीकाम , बीए, बीएससी की पढ़ाई करता है और उसके बाद संविदा नियुक्तियों के लिए दर दर भटकता रहता है . न वह किसान का बेटा रह पाता है और न कहीं अच्छी नौकरी कर पाता है. इसलिए कहीं न कहीं यह होना चाहिए कि दसवीं, बारहवीं के बाद जो गांव का लड़का है उसको खेती की पढ़ाई की ओर अग्रसर करना चाहिए, उद्यानिकी की पढ़ाई की ओर अग्रसर करना चाहिए जिससे कि अगर उसको कहीं नौकरी न मिले तो वह अपनी उस खेती को ही अच्छे से कर सके. मैंने कल भी इस बात को कहा था और आज भी कहना चाहता हूं कि कृषि विद्यालय खोलने की बात आई है, माननीय वित्तमंत्री जी ने बताया है कि हमने दो कृषि विद्यालय खोले लेकिन जब हम इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि 70 परसेंट आबादी गांव में रहती है हमारा 70 परसेंट युवा ग्रामीण क्षेत्र से आता है तो क्या सिर्फ दो कृषि विद्यालय खोलने से पूरे मध्यप्रदेश के बालक उसमें पढ़ पाएंगे, उसमें कितनी सीटें होंगी और कितनों को एडमीशन मिल पाएंगे, क्या यह संभव है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह सुझाव है कि जो हमारे कालेजेस हैं,जिनमें बीकाम, बीएससी और बीए की पढ़ाई की जाती है उन्हीं कालेजेस में कृषि की पढ़ाई की भी व्यवस्था की जाए . वहाँ पर कृषि वैज्ञानिक न सही लेकिन कृषि से संबंधित प्रोफेसर्स की भर्ती की जाये , जो कृषि संबंधित विषयों को बच्चों को पढ़ा सके और जब वह बच्चे कृषि में ग्रेजुएशन करके नौकरी का प्रयास करें यदि उनको नौकरी नहीं मिलेगी तो वह अपने घर की खेती को बहुत अच्छे से सुचारू रूप से चला सकेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज यदि कृषि को बढ़ावा देना है तो उससे रिलेटेड क्षेत्रों को भी बढ़ाना पड़ेगा, चाहे वह डेरी की बात हो, चाहे मसाला खेती या फूलों की खेती की बात हो, चाहे सब्जियों की बात हो इनको भी बढ़ावा देना पड़ेगा. कल जैसे कि आंकड़े बताये जा रहे थे कि हमारे पशुओं में कमी आ गई है, उस कारण से हमें कहीं न कहीं जो गोबर का खाद मिलना था उसमें भी कमी आई है और इसी कारण किसान आज रासायनिक खाद की ओर बढ़ रहा है . यदि हम खेती से जुड़े हुए डेरी उद्योगों को बढ़ावा देंगे, किसानों को प्रोत्साहित करेंगे, उनको लोन देकर हम उनके लिए दुधारू पशुओं की व्यवस्था करेंगे तो निश्चित रूप से रासायनिक खाद पर निर्भरता की जो प्रवृत्ति हो रही है वह कम होगी. हम कम्पोस्ट खाद के माध्यम से हमारी खेती को बहुत अच्छे से कर पाएंगे और खेती की जो उर्वरा शक्ति रासायनिक खादों से, पेस्टीसाइड , दवाईयों से खत्म हो गई है उस उर्वरा शक्ति को हम पुनः वापस पा सकेंगे. अभी माननीय प्रधानमंत्री जी आए थे , कहीं पर मैंने यह पढ़ा कि वहाँ हेल्थ स्वाइल कार्ड बांटे गये . मैं यह सुझाव देना चाहता हूं कि हेल्थ स्वाइल कार्ड बांटने से काम नहीं चल पाएगा, हमको किसान को यह बताना भी पड़ेगा, हर किसान को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना पड़ेगा कि वह अपने-अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण करवाए और इसके लिए आवश्यक है कि हर तहसील स्तर पर एक ऐसी लेबोरेट्री बने जहाँ पर उनकी मिट्टी का परीक्षण हो. जिससे कि किसान को यह जानकारी मिल पाए कि मेरी खेती में किस तरह की कमी है, जिसकी कि मैं पूर्ति कर सकूँ. लेकिन इस तरह का कोई प्रावधान नहीं किया गया है इसलिए मैं मांग करता हूँ कि....
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री गिरीश भण्डारी-- हर तहसील स्तर पर इस तरह की व्यवस्था की जाए ताकि किसान बहुत आसानी से अपनी मिट्टी का परीक्षण करवा कर और उसकी खेती में किस बात की कमी है, उस बात की पूर्ति कर सके. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मेरे राजगढ़ जिले में, मेरी नरसिंहगढ़ विधान सभा में अच्छी खेती होती है, वहाँ अच्छे फलों की खेती होती है, हमारे यहाँ का संतरा बहुत प्रसिद्ध है. मैं चाहता हूँ कि वहाँ पर एक कृषि विद्यालय खोला जाए ताकि वहाँ के आसपास के बच्चे, वहाँ कृषि विद्यालय में पढ़कर अपनी खेती को अच्छे से कर सके और साथ ही मैं कृषि से संबंधित, चूँकि इसमें नहीं आता है, लेकिन मुआवजे की बात है, हम लोग कृषि बीमा की बात करते हैं. मुआवजा देने की बात करते हैं, राहत देने की बात करते हैं लेकिन मुआवजा देना या उनको तात्कालिक राहत देना, यह कोई समस्या का समाधान नहीं है. समस्या का समाधान यह है कि हम हमारे बजट में कृषि पर बहुत ज्यादा बजट प्रावधान करने की आवश्यकता है और जो मैंने सुझाव दिए हैं. इन सब पर काम करने की आवश्यकता है. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया इसके लिए धन्यवाद.
डॉ गोविन्द सिंह(लहार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी की पुण्य तिथि है उनका मध्यप्रदेश के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा और वे केवल मध्यप्रदेश के ही नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र के नेता थे. मैं सदन से, माननीय मुख्यमंत्री जी, आप से प्रार्थना करता हूँ कि उनको श्रद्धांजलि दी जाए....
अध्यक्ष महोदय-- ऐसा बीच में नहीं होता है. आप वरिष्ठ सदस्य हैं. यह ठीक परंपरा नहीं होती, आप शुरू में बोल देते.
डॉ.गोविन्द सिंह-- मैं अपनी ओर से श्रद्धांजलि देता हूँ, और का नहीं लिखें तो मेरी ओर से तो लिख ही दें कि मैं सदन में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- ऐसा हर कहीं थोड़ी कुछ भी. श्रीमती शीला त्यागी बोलें.
श्रीमती शीला त्यागी(मनगवां)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं किसान कल्याण तथा कृषि विकास एवं कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा के संबंध में अपनी बात कहना चाहती हूँ. अध्यक्ष महोदय, कृषि हमारे देश के विकास की रीढ़ है और यह भी सच है कि बहुत सारे उद्योग धंधे कृषि पर आधारित हैं और यह भी सच है कि कृषि हमारे देश के मानसून का जुंआ है. कभी अतिवृष्टि, कभी ओलावृष्टि, कभी ओला-पाला, ये सभी जो प्राकृतिक आपदाएँ हैं, हमारे किसान भाइयों को झेलनी पड़ती हैं, जिसकी वजह से वह हताश हो जाता है. अपने खून पसीने की कमाई वह खेतों में डाल देता है, इसके बाद प्राकृतिक आपदाओं के कारण उसकी कमर टूट जाती है और साथ ही साथ किसान पूरी तरह से निराश होकर आत्महत्या करने के लिए मजबूर होते हैं. कृषि के विकास के लिए कई योजनाएँ बनीं. सरकार की भी मंशा है कि अधिक से अधिक लोगों को कृषि से फायदा हो. किसानों के हित की जो योजनाएँ बनी हैं. उनका सही तरीके से फायदा नहीं मिल रहा है. न उनको पर्याप्त बिजली मिल रही है. साथ ही साथ उनको फर्जी बिल भी दिया जा रहा है. नकली खाद, बीज भी दिए जा रहे हैं. इसके पहले भी मैंने अपनी बात रखी थी कि नकली खाद, बीज बनाने वाली जो फैक्ट्रियाँ हैं या तो उनकी जाँच की जाए या उनको बंद किया जाए. हमारी मनगवां विधान सभा में भी बहुत सारे खाद, बीज की दुकानें हैं जहाँ पर आए दिन शिकायत होती रहती है कि यहाँ पर खाद और बीज जो मिलते हैं, नकली मिलते हैं. खास कर सोसायटी में भी ऐसी समस्याएँ आती रहती हैं और मैं यह भी कहना चाहती हूँ कि हमारे रीवा जिले में कृषि महाविद्यालय है. वह काफी पुराना है. वहाँ पर जो शिक्षा दी जा रही है. जो अनुसंधान केन्द्र खोला गया है. वहाँ स्टाफ की कमी है और अनुसंधान के लिए लैब में जो इंस्ट्रूमेंट होते हैं वह भी काफी पुराने हो चुके है यहां तक की वे इंस्ट्रूमेंट पूरी तरह से जर्जर हैं आये दिन शिकायत होती रहती है. कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए, कृषि महाविद्यालय का जो स्टाफ है उसकी कमी पूरी करने के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है मैं गुजारिश करती हूँ कि आप इस ओर ध्यान दें. मनगवां विधानसभा क्षेत्र का राजस्व सर्किल नईगढ़ी और रामपुर है यहां पर अभी भी सड़कें नहीं हैं सड़कें न होने के कारण किसानों को काफी दूरी तय करना पड़ती है और जब वे राजस्व केन्द्र आते हैं तो वहां भी उनको दिक्कत होती है. देश को आजाद हुए 65 वर्ष हो गए हैं कृषि दिन रात तरक्की कर रही है लेकिन वहां पर नहरों का निर्माण नहीं हुआ है मैं आपसे गुजारिश करती हूँ कि नहरों का निर्माण कराया जाए. मनगवां विधान सभा में किसानों को अभी तक मुआवजे की राशि नहीं मिली है. वहां फर्जी बिल दिए गए हैं और पुलिस से उनको धमकाया जाता है उनसे फर्जी बिल वसूला जाता है. सरकार की मंशा है कि कृषि का अत्यधिक विकास हो लेकिन विकास अभी तक नहीं हो पाया है. मध्यप्रदेश के बजट में हैप्पीनेस इंडेक्स जरुर नजर आता है लेकिन हकीकत में यह हैप्पीनेस इंडेक्स कहीं नजर नहीं आता है इसलिए आपसे गुजारिश है कि मनगवां विधान सभा में छोटा सा ही सही कृषि अनुसंधान केन्द्र खोला जाए, किसानों को सुविधाएं दी जाएं उनका बिजली का बिल माफ किया जाए, उनको सर्वे का सही मुआवजा दिया जाए उनको पूरा अनुदान ठीक तरह से दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 13 किसान कल्याण तथा कृषि विकास व मांग संख्या 54 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हिंदुस्तान में 68 से 70 प्रतिशत लोग गांवों में निवास करते हैं उसमें से 95 प्रतिशत लोग किसानी करते हैं, कृषक हैं उनकी आजीविका कृषि से चलती है. मैं बताना चाहता हूँ वर्ष 2003-04 में जब मैं पहली बार विधायक बनकर आया था उस समय भी कृषि पर मैं बोला करता था चूंकि व्यवसाय से भी कृषक हूं इसलिये कृषि के विषय में मैं जानकारी रखता हूँ. मध्यप्रदेश के कृषि विभाग के अन्तर्गत मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था आती है जो कि बहुत महत्वपूर्ण है. यह संस्था बीज के उत्पादन करने का कार्य करती है. उत्तम क्वालिटी का बीज किसान को मिले ऐसा इसका प्रयास रहता है. सबसे पहले ब्रीडर बीज होता है जिसकी लागत बहुत ज्यादा होती है ब्रीडर बीज से फाउंडेशन प्रथम व फाउंडेशन द्वितीय बनता है उसके बाद सर्टिफाईड वन, सर्टिफाईड टू और सर्टिफाईड थ्री इस प्रकार के बीज उस ब्रीडर बीज से बनाये जाते हैं. मैं सदन में कहना चाहता हूँ कि वर्ष 2004-05 में राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा जो बीज का उत्पादन किया जाता था वह मात्र 14.49 लाख टन था इस कारण किसानों को उच्च क्वालिटी का जो बीज चाहिए वह बीज नहीं मिल पाता था. मध्यप्रदेश की जनता ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाई और माननीय शिवराज सिंह जी को नेतृत्व मिला धीरे-धीरे मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा 14.49 लाख टन बीज के विरुद्ध वर्ष 2014-15 में वर्ष 2014-15 में जाकर के राज्य बीज प्रामाणिक संस्था ने 31 लाख क्विंटल बीज प्रमाणित उत्पादन किया है जिससे आज यह कृषि आगे बढ़ी है. माननीय अध्यक्ष जी कृषि करने के लिये ऊर्जा और जल संसाधन विभाग का भी विभाग बहुत महत्वपूर्ण है. हम देखते हैं कि जहां पर कृषि उत्पादन करने योग्य भूमि है वहां पर पानी की उपलब्धता नहीं है और जहां पर पानी की उपलब्धता है वहां पर बिजली की उपलब्धता नहीं थी वर्ष 2003-04 में. अगर बिजली और पानी उपलब्ध है तो वहां पर वर्ष 2003-04 में कृषि करने योग्य भूमि नहीं थी. इसलिये वर्ष 2003-04 के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद बड़ी गंभीरता से चर्चा करने के बाद जहां पर पानी की उपलब्धता थी वहां पर बिजली के पोल खड़े किये और बिजली की ग्रीडें लगायी गयी और जहां पर काश्त करने के योग्य भूमि थी वहां पर बड़े बड़े डेम बनाये गये. माननीय अध्यक्ष महोदय जहां पर पानी उपलब्ध है, बिजली उपलब्ध है और जहां पर कृषि करने योग्य भूमि है तो निश्चित रूप से कृषक अपनी उत्तम क्वालिटी की कृषि कर सकता है.
12.31 बजे { उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए }
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपका ध्यान आकर्षित करते हुए कहना चाहता हूं कि बीज के बाद अच्छी खेती करने के लिये अच्छे बीज और उर्वरक की आवश्यता होती है. वर्ष 2003 में मैंने देखा है और सत्य कह रहा हूं कि कांग्रेस की सरकार के समय उर्वरक की स्थिति खराब थी कि सिर्फ एस डी एम, एस डी ओ और थाना प्रभारी को थानों में जाकर के ट्रक खडें करके कांग्रेस की सरकार में सिर्फ खाद ही बंटवाया जाता था. किसान उस उर्वरक को लूट लेता था, किसान आंदोलित और चक्का जाम करता था.
डॉ गोविन्द सिंह :- आप गलत बयानी कर रहे हैं, आप मार्कफेड में जाकर पूछ लीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान :- गोविन्द सिंह जी गलत नहीं बोल रहा हूं. कांग्रेस की सरकार के द्वारा दिनांक 1 जनवरी, 2005 में इस मध्यप्रदेश में हमारी सरकार बनने के बाद नागार्जुन खाद इस मध्यप्रदेश में आया था और इटारसी में पूरी रेक लगी थी और महिदपुर थाने में उठाकर देख लो 3/7 ईसी एक्ट मेरे द्वारा विधायक रहते हुए बनाया गया और नागार्जुन खाद का एलोगेशन मध्यप्रदेश में नहीं था, वह खाद यहां पर बिकता था. वह कार्यवाही हमारे द्वारा की गयी. आप मंगवाकर देख लेना गोविन्द सिंह जी जो मैं कह रहा हूं वह गारण्टी के साथ कह रहा हूं .
श्री रामनिवास रावत:- आप तो बहादुर हो सच-सच बोलो.
श्री बहादुर सिंह चौहान :- मैं सच ही बोलता हूं. मैंने अगर 3/7 ईसी एक्ट यदि कायम नहीं किया हो तो महिदपुर थाने में नार्गाजुन खाद के विरूद्ध और उस व्यक्ति को तीन साल की सजा भी हो चुकी है और वह किस पार्टी का है यह कहना नहीं चाहता हूं. वह व्यक्ति भी कांग्रेस का है. यह मैं गारण्टी के साथ कह रहा हूं.
डॉ गोविन्द सिंह :-(XXX).
श्री बहादुर सिंह चौहान :- महाकाल की कसम खाकर के बोल रहा हूं, जिस पर सबकी श्रद्धा है यह प्रकरण नार्गाजुन खाद पर दर्ज हुआ है और संबंधित व्यक्ति को तीन वर्ष की सजा 3/7 ईसी एक्ट के अंतर्गत हुई है. यदि मेरी बात असत्य पायी जाये तो आप जो सजा दें उसके लिये मैं तैयार हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके बाद आता है दवाई का मामला, आपको खाद अच्छी कम्पनी का मिल गया तो फिर विषय आता है दवाई का तो देखने में आया है कि 2003-04 में जो कृषकों को कांग्रेस की सरकार में दवाईयां मिलती थी, वह नकली दवाईयां मिलती थी. नकली खाद, नकली दवाईयां और नकली बीज इसलिये कभी भी कृषि अवार्ड उस सरकार को नहीं मिला.यह मैं सिद्ध करूंगा, यह कैसे करूंगा यह मैं आपको बताना चाहता हूं कि नकली बीज किसान को 2003-04 में मिलता था,नकली दवाई और नकली उर्वरक मिलता था इसलिये कांग्रेस की सरकार में नकली चीजें मिलने के कारण कृषक को जो अच्छा पौधे का उत्पादन होना चाहिये था वह नहीं हुआ, क्योंकि बीज अच्छा नहीं तो पौधा कमजोर, फर्टिलाइजर कमजोर तो पौधा कमजोर और उसमें दवाई डालने का जो काम, तो दवाई नकली तो पौधा कमजोर. हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार, शिवराज जी सरकार आने के बाद मध्यप्रदेश के अन्दर अन्नदाता किसान को असली बीज,असली खाद और असली दवाईयां मिली इसलिये चार चार बार कृषि कर्मण इस सरकार को मिला है. और मैं आंकड़ों के साथ कहूंगा. अभी मेरे मित्र गिरीश जी कह रहे थे कि मिट्टी परीक्षण की प्रयोगशालाएं नहीं हैं. 265 मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिये पैसा आवंटित कर दिया गया है और कई स्थानों पर उनका कार्य प्रारम्भ हो गया है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय माननीय मंत्री जी ने लिया है इससे क्या होगा कि मेरे खेत में यूरिया की आवश्यक्ता है और मुझे जानकारी नहीं और मैं जाकर एम.पी.के.डाल रहा हूं तो फसल पर उल्टा असर पड़ता है. मिट्टी परीक्षण करने से किसान के खेत में जिस तत्व की आवश्यक्ता होगी वही तत्व खेत में डालेगा तो उसका परिणाम बहुत अच्छा आयेगा. मैं 2004-05 और 2014-15 इन 10 वर्षों की तुलनात्मक बात कहना चाहता हूं. कुल 2004-05 में कुल कृषि उत्पादन सभी जिंस मिलाकर जो उस समय मध्यप्रदेश में उत्पादित होते थे वह 2 करोड़ 14 मैट्रिक टन होता था. भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद सभी व्यवस्थाओं को सुधारते-सुधारते 2014-15 में जितने भी जींस उत्पादित हुए हैं वह 4.50 करोड़ मैट्रिक टन हुए हैं. दस वर्षों में 110 प्रतिशत की वृद्धि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने की है. पचास सालों में जो कार्य नहीं हुआ है वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दस सालों में किया है. यह आंकड़े हैं. इसके बाद खाने वाला खाद्यान्न मध्यप्रदेश में 1.43 करोड़ मैट्रिक टन 2004-05 में होता था. इन दस वर्षों में 2014-15 में कुल खाद्यान्न जो मध्यप्रदेश में पैदा हो रहा है वह 3.21 करोड़ मैट्रिक टन उत्पादन हुआ है. इस प्रकार दस वर्षों में खाद्यान्न दर प्रतिवर्ष12 प्रतिशत बढ़ाने के बाद जो वृद्धि हुई है 124 प्रतिशत हुई है. दलहन की फसलों में 2004-05 में 33.51 लाख मैट्रिक टन होता था और 2014-15 में 47.63 लाख मैट्रिक टन हुआ है. दलहन में भी दस वर्षों में 42.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. तिलहन फसलों का उत्पादन 2004-05 में 49.08 लाख मैट्रिक टन होता था. आज इन दस वर्षों की तुलना में 2014-15 में 76.82 लाख मैट्रिक टन हो गया. इसका तात्पर्य यह हुआ कि 56.52 प्रतिशत की वृद्धि इन दस वर्षों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने की है और मैं कहना चाहता हूं कि देश के जितने भी राज्य हैं उसमें से यह तिलहन का 30 प्रतिशत उत्पादन मध्यप्रदेश करता है यह हमारे लिये बड़ी खुशी की बात है. 2004-05 में सोयाबीन की जो स्थिति थी लेकिन आज हम सोयाबीन के उत्पादन में हमारा देश में प्रथम स्थान है. यह एक रिकार्ड दस सालों में हम ने किया है. चने का उत्पादन में हिन्दुस्तान में जितने राज्य हैं उसमें हम प्रथम स्थान पर हैं. यहां तक कि दलहन के उत्पादन में भी हिन्दुस्तान के जो 29 राज्य हैं उसमें भी हम प्रथम हैं और तिलहन में भी हम प्रथम हैं और गेहूं के उत्पादन में 2004-05 की तुलना में हमने तीनगुना बढ़ोत्तरी की है. धान के उत्पादन में चार गुना वृद्धि की है और कुल मिलाकर कृषि का जो रकबा है 39 लाख हेक्टेयर ,इन 10 वर्षों में बढ़ा है. कृषि विकास दर आज हिन्दुस्तान में जितने भी प्रदेशों की है वह इस प्रकार है- 2012-13 में 22.41 प्रतिशत, 2013-14 में 2014-15 में 18.41 प्रतिशत, इस प्रकार इन चार वर्षों में कृषि विकास दर बढ़ी तो लगातार चार बार हिन्दुस्तान में चाहे कांग्रेस की सरकार हो, चाहे भारतीय जनता पार्टी की सरकार हो चारो बार कृषि कर्मण पुरस्कार यह सौभाग्य सिर्फ 29 राज्यों में प्राप्त हुआ है. भूत बाबा महाकाल की कृपा से अगली बार भी कृषि कर्मण पुरस्कार मध्यप्रदेश की सरकार को ही मिलेगा.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे--माननीय उपाध्यक्ष महोदय,जब अनुदान की बात आती है तो सामान्य तौर पर सरकार का जितना टारगेट होता है उससे 10 गुना ज्यादा आवेदन लगते हैं, किन्तु मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि कृषि विभाग की जितनी भी अनुदान की योजनाएं उनमें से किसी भी अनुदान की योजना में सरकार टारगेट के अनुसार न तो अनुदान बांट सकी है और न ही स्वीकृत राशि को पूरा खर्च कर सकी है, यह बात मैं नहीं कह रही हूं बल्कि विभाग का प्रशासकीय प्रतिवेदन कह रहा है, जो कि अत्यंत आपत्तिजनक है इसमें जितनी भी अनुदान की योजनाएं दी हुई हैं चाहे वह बैलगाड़ी पर अनुदान हो, कृषि में सूचना प्रौद्योगिकी की बात हो, चाहे अन्नपूर्णा योजना की बात हो या नलकूप खनन की बात हो जितनी भी योजनाएं यहां पर दी गई हैं उनमें टारगेट से कम खर्च सरकार कर पायी है. सबसे बड़ी बात मैं यह कहना चाहती हूं कि राष्ट्रीय कृषि योजना के अंतर्गत कृषकों को नलकूप खनन पर 25 हजार रूपये तथा सब मर्सीबल पम्प पर 15 हजार रूपये का अनुदान देने का प्रावधान है. मुझे सदन में यह बोलने में थोड़ा सा भी संकोच नहीं है कि जिन कृषकों के पास पहले से ही ट्यूबवेल खुदे हुए थे तथा सब मर्सीबल पम्प लगे हुए थे ऐसे ही कृषकों को इस योजना में लाभान्वित किया गया है तथा फर्जी बिल के आधार पर ट्यूबवेल खनन तथा सब मर्सीबल पम्प के बिल लगाकर कृषि विभाग के अधिकारियों ने ऐसे कृषकों के साथ सांठ-गांठ करके पैसे निकाल लिये हैं. मैं कृषि मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि आप इस तरह से फर्जी बिलों की निकाली गई राशि की जांच प्रदेश स्तर से कमेटी बनाकर के करवाएंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जंगली जानवारों से होने वाले नुकसान पर सदन में अक्सर आवाजें होती हैं. कई बार किसान इतना परेशान हो जाता है कि फसल लगाना ही बंद कर देता है इसमें मुआवजे की प्रक्रिया इतनी कठिन है कि मुआवजा मिल नहीं पाता. भारत सरकार ने जंगल के किनारे खेती करने वाले किसानों के लिये एक योजना बनायी है जंगल के किनारे एक फेंसिंग कर दी जाए ताकि जंगली जानवर किसानों के खेतों में न आ सकें, लेकिन वर्तमान में मंडला, उमरिया, होशंगाबाद को लिया गया है. मेरा निवेदन है कि बालाघाट सहित प्रदेश के सभी जगह यह योजना लागू करवा दी जाए ताकि जंगली जानवरों से खेती को बचाया जा सके. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
डॉं. गोविन्द सिंह(लहार)- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं मंडी के बारे में बात करूंगा,हमारी गाड़ी निकल जाएगी, हमारा भोजन उधार रहा ।
श्री बाला बच्चन - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सिर्फ कृषि मंत्री जी अकेले बैठे हैं, सामने की पूरी बेंच खाली है ।
डॉं. गोविन्द सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंडी,कृषि उपज मंडी के बारे में बात करना चाहता हूँ और उनके बारे में आपको सुझाव भी दे रहा हूँ । वास्तव में आज कृषि उपज मंडियों की हालत बहुत खराब है, मंडियां दयनीय स्थिति से गुजर रही हैं । प्रदेश सरकार ने और उस समय दिग्विजय सिंह जी की सरकार ने, महेन्द्र सिंह जी के समय मध्यप्रदेश कृषि सड़क निधि रखी गई थी, एक प्रतिशत आप उसमें ले रहे हैं और उसके बाद भी 5 प्रतिशत निराश्रित व्यय अन्य में लेते हैं, आमदनी के 45 रूपए में से 45 पैसे मंडियों को मिलते हैं, उसी से कृषि उपज मंडियों को अपना खर्चा चलाना होता है, उसी में उनको अपने अन्य काम जैसे- बिजली, पानी आदि की व्यवस्था करना पड़ती है ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय,हमारा अनुरोध है कि आप देखिए कृषि उपज मंडियों की हालत क्या है, मंडी बोर्ड में आप मंत्री हैं, माननीय उपाध्यक्ष जी, अगर आप पुराना रिकार्ड उठाकर देखें पिछले दो तीन मंत्रियों को, मंडी बोर्ड में जो सड़क निधि का पैसा है,पूरे मध्यप्रदेश में आधा पैसा लगा तो आधा पैसा मंत्रियों के घर में लगा, क्षेत्र में लग गया है । चाहे माननीय गोपाल भार्गव जी हों या कुसमारिया जी हों,आपकी जानकारी हमारे पास नहीं है, इसलिए आप पर आरोप नहीं लगा रहा हूँ । क्या यह मंत्रियों की संपत्ति है, किसानों के द्वारा गल्ला बेचा एक - एक रूपया जोड़ा जा रहा है, उसकी आमदनी से जो पैसा एकत्रित होता है, वह सार्वजनिक विकास के लिए होता है । सभी विधायकों के लिए है, उनके क्षेत्र में यदि आपने 10 वर्ष में 2 करोड़ रूपए लिए हैं तो कम से कम उनको 25 लाख तो दे सकते हैं, एक रूपया नहीं दिया, एक-एक, दो-दो,तीन-तीन, किलोमीटर की सड़क के लिए मैंने लगातार मंत्री,एम.डी. को पत्र लिखते रहा हूँ,हमने कहा, कहां गया पैसा, यहां पर नरोत्तम जी बैठे थे, उन्होंने कहा कि राजोरा साहब को दे दो, बढि़या आदमी है, वह निभाएंगे उनको भी पत्र दे दिया, मुझे कहा गया था कि तत्काल आर्डर निकलेगा लेकिन अभी तक नहीं निकला है ।
श्री गौरीशंकर चतुर्भज बिसेन- साधिकार समिति की बैठक नहीं हुई है ।
डॉं गोविन्द सिंह- हम बैठक में रहे या न रहें, आप काम करें, आप तो बैठक में रहोगे, दो साल से बैठक नहीं हुई, मैं दो साल से मांग कर रहा हूँ । मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि जो आमदनी आप ले रहे हैं, मंडी के विकास के लिए प्रत्येक मंडी के लिए धनराशि सुनिश्चित करें, 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत उसमें अलग से दें । दूसरी बात आप ठेके देते हैं, हमारी लहार मंडी में तीन वर्ष पहले आज छटवां साल चल रहा है, मंडी 3 किलोमीटर दूर बना दी, बिना सोचे - समझे आपने मंडियों पर कर्जा लाद दिया,ठेकेदार नियुक्त कर दिए,तौल कांटे लगा दिए, 30-30 लाख की ग्रेडिंग मशीन और सामान लगा दिए और आज वह मशीनें चल नहीं रही हैं और न ही मशीन चलाने वाले हैं और आधी मशीनें गायब हो गई हैं,फिर भी आप मंडियों से ब्याज वसूल कर रहे हैं,लूट खसोट पहले हुई है, लेकिन आप इसको भी देखें अगर मनमाने तरीके से लगाए गए हैं तो उनसे टैक्स नहीं लेना चाहिए और न ही उन पर कर्ज लादना चाहिए, मंडी में चौकीदार रखना है । इसी प्रकार मैं कहना चाहता हूँ कि व्यापारियों के लिए जो प्लाट दे रहें हैं, 3 किलोमीटर दूर प्लाट की कीमत आस-पास की जमीन की 80 हजार रूपए प्रति बीघा है और आप उसमें छोटा सा प्लाट दे रहें हैं, उसकी कीमत है 5 लाख है,व्यापारी वहां जाने को तैयार नहीं है, उनकी इतनी आमदनी नहीं है कि वह दुकान के लिए जगह ले सकें, 5-7 लाख रूपए छोटी सी दुकान की कीमत है, नहीं ले सकते हैं तो आप किराए पर दे दें ताकि वह अपना अस्थाई मकान बनाकर, स्टोर बना सके इसके अलावा मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूँ कि जो मंडियों के ठेके हैं, वह आप सीधे यहां से दे देते हो, मंडियों पर कंट्रोल नहीं है, ठेकदार कहता है कि मैंने ठेका आपसे नहीं लिया है, आप देखने वाले कौन होते हो,मनमाने तरीके से यह काम कर रहे हैं । आपका अध्यक्ष है, आपने चुने हुए बोर्ड को तो अपंग कर दिया है. उनको कोई पावर नहीं है, सेकेट्री को एक रूपया खर्च करने का पावर नहीं है, कोई अधिकार नहीं हैं. एक आदेश निकाल देंगे. आपको नाकेदार की ड्यूटी लगाना है तो वह देखते हैं कि कौन नाकेदार हमें ज्यादा पैसा देगा ? उसकी ड्यूटी लगाते हैं. यह स्थिति आप संभालिये, प्रजातांत्रिक रूप से चुनी गई कृषि मण्डी समितियों को अधिकार दें. इसके अलावा कहीं गड्डे ज्यादा है, मण्डी की हालत बहुत दुर्दशापूर्ण है, गड्डे भरे हुए हैं, किसान आते हैं, उनको कोई सुविधा नहीं है, पानी की सुविधा नहीं है क्योंकि पैसा नहीं है. उनके पास पैसा नहीं है, पीने के लिए पानी नहीं रख सकते हैं तो कम से कम चौकीदार तथा पानी का टैंकर की व्यवस्था करें और इसके साथ मण्डी में ज्वाइंट डायरेक्टर बैठा दिया. उनकी कोई जरूरत नहीं है, सीधे एम.डी. से सम्पर्क रखें. वह बीच में आकर, हर महीने जाकर चैक करते हैं और उसमें जो 10 प्रतिशत आमदनी हैं, उसमें से हमें चाहिए. इस प्रकार आप लोग लूट-खसोट क्यों मचाए हो ? कम से कम यह सुधार तो कीजिये. आपकी छवि ठीक है. हमने इस पूरी विधानसभा में आपको एक ही डायमण्ड मिनिस्टर माना है. आप ही हैं और कोई नहीं. आप अपनी छवि के अनुकूल तो कार्य करें, उनको अधिकार दें. आपने चुनाव में जो पद्धति बदल दी है, सदस्यों वाली, इसमें लेन-देन बढ़ गया है. कई लोग पैसे वाले बन जाते हैं, फिर मण्डियों को लूटते हैं. सार्वजनिक चुनाव आम किसानों से करायें, यह हमारी राय है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके अलावा, एक हमारी दमोह मण्डी है, उप मण्डी है. उपाध्यक्ष जी, 40 बीघा जमीन करोड़ों की बीच शहर में आ गई है. मण्डी के अधिकारी-कर्मचारी ने पुराने समय में कोर्ट में बयान देकर एकपक्षीय फैसला करवाकर और आधी जमीन हमने झगड़ा कर, सबको इकट्ठा कर, बैठाकर, पूरी बस्ती को आन्दोलित कर आधी जमीन ली. अब आधी जमीन के लिए भी उसने हाईकोर्ट में लगा दिया है. मुआवजा पेड़ों का चाहिए. पेड़ों के मुआवजे के लिए हमसे 7 लाख रूपये की मांग हो रही है. 7 लाख रूपये मण्डी नहीं दे रही है. अब वह कब्जा कर लेगा, उसके आगे दुकानों का एरिया था- उसको वह धड़ाधड़ बेच रहा है और आप लोग यहां से 7 लाख रूपये नहीं दे रहे हैं, करोड़ों की सम्पत्ति क्यों डुबाना चाहते हो? अनेक चिट्ठियां लिख चुके हैं, अनेक बार निवेदन कर चुके हैं, अध्यक्षों को बुलाकर एवं सेकेट्री को बुलाकर, माननीय मंत्री जी से भी मिलवा चुके हैं तो कम से कम यह वास्तव में अपनी योग्यता के अनुरूप, सच्चाई के आधार पर मण्डियों की मदद करें, निर्णय लें और जिन मण्डियों की स्थिति अच्छी है, लोग ईमानदारी से काम करना चाहते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, व्यापारी लगातार घाटे में जा रहा है, भाग रहा है. हर मण्डी में एक-दो व्यापारियों का दिवाला निकल रहा है. एक-दो व्यापारी बचे हैं, उनमें भी आप भगाना चाहते हैं तो वह कहां जायेगा ? तो फिर किसान कहां बेचने जायेगा. 70-80 किलोमीटर में कोई व्यवस्था नहीं है. उत्तरप्रदेश के बीच में दो नदियां पड़ती हैं, वहां भी नहीं बेच पायेंगे. मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप इन सब बातों को ध्यान रखकर हमारे लहार क्षेत्र की मण्डियों एवं एक-दो सड़कों के लिए धनराशि दें. धन्यवाद.
श्रीमती प्रमिला सिंह (जयसिंह नगर) - आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 का समर्थन करती हूँ. जब से हमारी पार्टी की सरकार प्रदेश में है तब से सभी क्षेत्रों के साथ-साथ कृषि विकास में भी प्रगति की है. हमारा शहडोल संभाग पूर्णत: कृषि पर आधारित है.
उपाध्यक्ष महोदय, इसके बावजूद प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से कृषि उत्पादकता में पीछे है. उन्नत तकनीक के माध्यम से खेती को बढ़ावा देने तथा नकदी फसलों के उत्पादन में बढ़ावा देने के लिए और किसानों के जीवन-स्तर में सुधार लाया जा सकता है. अत: मेरा माननीय मंत्री महोदय जी से अनुरोध है कि शहडोल में कृषि महाविद्यालय की स्थापना से कृषि को बढ़ावा मिलेगा व क्षेत्र में उन्नत तकनीकी से खेती को प्रोत्साहन मिलेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी के साथ, कृषि व उद्यानिकी में हमारी बहिनें घरेलू सब्जी-भाजी लगाकर और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, उनके लिए भी मैं, उद्यानिकी मिशन को राष्ट्रीय मिशन लागू कर दिया जाये ताकि उनको उद्यानिकी फसलों में प्रोत्साहित किया जाये. कृषि वैज्ञानिक केन्द्र शहडोल में 6 पदों में से 4 पद रिक्त हैं. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहती हूँ कि इन पदों की पूर्ति होने पर हमारे किसानों को लाभ मिलेगा एवं उचित मार्गदर्शन मिलेगा, इसके साथ-साथ नलकूप खनन का भी पैसा हमारे शहडोल जिले में नहीं दिया गया है, कृपया दिलवाने का कष्ट करें. इन्हीं शब्दों के साथ, अब मैं समाप्त करती हूँ. धन्यवाद.
श्रीमती योगिता बोरकर (पंधाना) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 के समर्थन में अपना वक्तव्य प्रस्तुत करुंगी. भारत कृषि प्रधान देश है एवं 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आधारित है. सर्व प्रथम मैं मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी, जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में नये आयाम लगाये हैं और कृषि को लाभ का धंधा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. इसलिये मेरे क्षेत्र पंधाना में छेगांवमाखन उद्वहन सिंचाई योजना की स्वीकृति प्रदान की है, जिससे मेरा क्षेत्र भी हरा भरा हो जायेगा. यह क्षेत्र ग्रे एरिये में गिना जाता है. इससे आज किसानों के चेहरे पर खुशियाली है. किसानों के चेहरे कमल की तरह खिले हुए हैं और आने वाले समय में उनकी अर्थव्यवस्था सुधरेगी. मैं इसके लिये किसानों की ओर से मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद एवं साधूवाद देती हूं. कृषि मंत्री जी एवं बहनों के भाई, बच्चों के मामा, शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद बारम्बार ज्ञापित करती हूं कि उन्होंने इस सूखे के समय में मेरे क्षेत्र के किसानों को राहत प्रदान कर एक मरहम लगाने का काम किया है. हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी को भी बहुत बहुत धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में फसल बीमा योजना लाकर एक चमत्कार किया है. कृषि मंत्री जी ने उद्यानिकी की खेती को बढ़ावा देने के लिये बजट में उद्यानिकी के लिये प्रावधान किया है. मैं मंत्री जी से निवेदन करती हूं कि मेरे पंधाना विधान सभा क्षेत्र में भी इसका बजट और बढ़ा दिया जाये, ताकि उद्यानिकी का फायदा मेरे किसान भी अच्छी तरह से ले सकें. मुख्यमंत्री खेत तीर्थ योजना के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहन कर उन्नत खेती की ओर बढ़ावा मिला है. मैं कृषि मंत्री जी को अवगत कराना चाहूंगी कि मेरे क्षेत्र में अरबी एवं प्याज बहुतायत में पैदा होता है. बाहर के व्यापारी कम मूल्य पर किसानों के घर से उपज उठा लेते हैं और बाद में पैसा भी नहीं देते हैं. कुण्ठी, बलरामपुर क्षेत्र में प्याज और अरबी की मंडी स्वीकृत की जायेगी, तो किसानों के लिये और अच्छा ललाभ होगा, जिससे खेती को बढ़ावा मिलेगा. मैं मंत्री जी से एक और निवेदन करना चाहूंगी कि किसान किसी भी समाज का हो, जो लघु किसान हैं, उन्हें एक रुपये किलो गेहूं, चावल, उपलब्ध यदि कराया जाये तो उन्हें भी सस्ता गेहू, चांवल प्राप्त हो सकेगा. मेरा मंत्री जी से एक और निवेदन है कि किसानों के बच्चों को भी शिक्षा के अधिकार के तहत प्रायवेट स्कूलों में निशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया जायेगा, तो किसानों के बच्चे भी लाभान्वित हो सकेंगे. किसानों को अतिरिक्त भार जो निदाई- गुणाई में लगता है, उसके लिये कभी कभी मजदूर मिल नहीं पाते. इसलिये जो लघु किसान हैं, उनके लिये जो निदाई-गुणाई की मशीनें हैं, उन्हें आसान ऋणों पर उपलब्ध कराया जायेगा, तो किसानों को बहुत लाभ होगा और उसके अच्छे परिणाम आयेंगे. मेरा एक और निवेदन यह है कि मेरा जो बोरगांव और कुण्ठी वाला क्षेत्र है, वह छोटा पंजाब माना जाता है, वहां अच्छी खेती होती है. तो बोरगांव में कृषि महाविद्यालय खोला जाये, तो इससे कृषि की शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और बच्चे भी शिक्षित होंगे. उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को भी धन्यवाद और आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
12.49 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची में उल्लेखित कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय, मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
माननीय सदस्यों की मांग अनुसार आज भोजन अवकाश न किया जाकर सदन की कार्यवाही सतत् जारी रहेगी. माननीय सदस्यों के लिये भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की जा रही है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि अपराह्न 1.30 बजे से सुविधा अनुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
वर्ष 2016-17 की अनुदान मांगों पर मतदान(क्रमश:)
डॉ.योगेन्द्र निर्मल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप मुझे सिर्फ 11 मिनट देना क्योंकि फिर आपकी गुगली चलती है तो हमारे स्टम्प उखड़कर के दूर चले जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- निर्मल जी, आपको समय देंगे. बैठ जायें.
श्री अरूण भीमावत -- (अनुपस्थित)
श्री गिरीश गौतम (देवतलाब)-- माननीय उपाध्यक्ष जी, कृषि विभाग की मांग संख्या 13 और 54 के पक्ष समर्थन के लिये मैं खड़ा हुआ हूं और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि शायद आपको मुझे टोकना नहीं पड़ेगा उसके पहले ही मैं अपनी बात को समाप्त करने का प्रयास करूंगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं हमारे किसानों को जो मेहनत और लगन से कृषि उत्पादन में जुड़े हुये हैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं. और मुख्यमंत्री जी को इस बात का धन्यवाद देना चाहता हूं कि उनके संकल्प के कारण कि किसानी को हम लाभ का धंधा बनायेंगे तो उनको ब्याज जीरो% किया, खाद-बीज की सुविधा उपलब्ध कराई, इन सब चीजों के चलते हमने कृषि उत्पादन की ताकत और ज्यादा बढ़ाई जिसके कारण 2011-12 में सकल खाद उत्पादन में और वर्ष 2013-14 में गेहूं के रिकार्ड उत्पादन के कारण लगातार 4 वर्षों से हमें कृषि कर्मण्य अवार्ड मिल रहा है जिसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये ही मध्यप्रदेश की सरकार ने कृषि बजट अलग से प्रस्तुत किया है. यह तीन चार साल से लगातार प्रस्तुत किया जा रहा है और इस वर्ष 5 हजार 300 करोड़ का अतिरिक्त रूप से इस बजट में प्रावधान किया गया है इससे यह पता चलता है कि हम खेती में किस तरह से किसानों को ज्यादा से ज्यादा सहायता करके खेती को लाभ का धंधा बना सकते हैं. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि आज स्थिति वो नहीं है. पहले स्थिति यह थी कि किसी को यदि चपरासी की नौकरी मिल रही है तो खेती छोड़कर वह चपरासी की नौकरी करने का प्रयास करता था क्योंकि उसको लगता था कि उसका भविष्य उसमें सुरक्षित है. हमने जब किसानों के खेतों में नहरों के माध्यम से पानी पहुंचाया, यह जो नहरों का पानी जो बोरवेल से पानी निकालते हैं उससे उत्पादकता में डेढ गुना ज्यादा वृद्धि होती है. हम लोगों के क्षेत्र के अंदर जो बाणसागर परियोजना का पानी आता है और जो बोरवेल से पानी निकालते हैं उसकी पैदावार की तुलना करें तो निश्चित तौर से बहुत बड़ा अंतर दिखाई देता है. नहर के पानी से उत्पादकता ज्यादा है, बोरवेल वाली कम है. खेतों के अंदर जब बोरवेल का पानी पड़ता है तो पूरा सफेदा छा जाता है, इससे पता चलता है कि वह पानी मिट्टी को नुकसान पहुंचा रहा है. मैं आंकड़ों पर नहीं जाना चाहता. दो-तीन सुझाव में अवश्य देना चाहता हूं. मैं यह कहना चाहता हूं कि जो कृषि उत्पादकता क्षेत्र बढ़ा है वह निश्चित रूप से पानी के कारण बढ़ा है. हमारे बीज के कारण बढ़ा है. यह भी कहना चाहता हूं कि हिन्दुस्तान में हमारे प्रदेश का गेहूं एमपी ब्रांड से बिकता है. यह हमारी सरकार की सफलता है, हमारे किसान की लगनशीलता की सफलता है. हमारा कृषि का क्षेत्रफल भी बढ़ा है. मैं सुझाव देना चाहता हूं (कृषि मंत्री के सदन में उपस्थित न रहने पर) उपाध्यक्ष जी माननीय कृषि मंत्री जी नहीं है , कोई सुझाव नोट करेगा तभी तो हम बोलेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय- आ रहे हैं. आपका भाषण नोट हो रहा है.
श्री गिरीश गौतम-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं हमारे कृषि वैज्ञानिकों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं . उन्होंने अच्छे प्रमाणिक बीज तैयार किये, जिसकी उत्पादकता बहुत ज्यादा है. अनुसंधान के बारे में कृषि विश्वविद्यालयों या कृषि महाविद्यालयों में ही अनुसंधान का काम होता है इसमें मेरा सुझाव है कि हम प्रयोगशाला कृषि महाविद्यालय को नहीं बनाये, कृषि विश्वविद्यालय क्षेत्र की जमीन को नहीं बनायें, हम किसी गांव का सलेक्शन करें किसी गांव के किसान के खेत को हम प्रयोगशाला बनायें और जो हमारा अनुसंधान हो तो कम से कम उस गांव के सारे किसान इस बात को देखें कि किस तरह से पैदावार की जा रही है, और जब वह बढोत्री होगी तो किसान का आकर्षण उससे बढ़ेगा और वह भी अपने खेतों में वैसा ही करने का प्रयास करेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा सुझाव मेरा माननीय मंत्री जी को यह है कि जो हमारा मौसम विज्ञान है इससे हम खेती को जोड़ने का प्रयास जरूर करते हैं पर मान लें कि इस वर्ष पता लगा कि वर्षा हमारी बहुत कम हो रही है तो कौन कौन सी फसलों को हम कम पानी में लगा सकते हैं तथा ज्यादा पैदावार कर सकते हैं इसकी भी आवश्यकता है कि गांव के भीतर जाकर के हम जागरूकता हम पैदा करें. जागरूकता के लिये आपका एक ग्राम सेवक होता है, भागवान के दर्शन आसान हैं, ग्राम सेवक का दर्शन थोड़ा कमजोर है. ग्राम सेवक की उपस्थिति सुनिश्चित हो ग्राम के भीतर, वह वहां पर मिल सके लोगों को सलाह दे सके इसको करने की आवश्यकता है, तो हम शायद ज्यादा बेहतर इसको कर सकेंगे और हमारे तमाम प्रतिपक्ष के या जो भी बोंले, सबकी राय को हमें निश्चित तौर पर यदि विकास के लिये हमको आवश्यकता है, कृषि उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है, कृषि क्षेत्र बढ़ाने की आवश्यकता है और सुविधा देने की आवश्यकता है, तो माननीय मंत्री जी मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि--
सार-सार को गहि रहे, थोथा देय उड़ाय.
तो जो अच्छी अच्छी बातें हैं उसको कलेक्ट करिये और कलेक्ट करके उसको उस दिशा में ले जाने का काम करें. जो तीसरा एक बड़ा काम है, विंध्य क्षेत्र में खासतौर पर उपाध्यक्ष जी भी वहीं से हैं. हमारे यहां मालवा की जमीन से हमारी तुलना नहीं हो सकती, हमारी महाकौशल की जमीन से भी तुलना नहीं हो सकती. यदि हमारा 10 एकड़ का कोई खेत है तो हम सब जानते हैं कि उसमें ढाई एकड़ और तीन एकड़ मेढ़ में चला जाता है. उसका कारण यह है कि हमारी जमीन समतल नहीं है, तो समतलीकरण के लिये हमें कृषि विभाग से विशेष योजना चलाई जानी चाहिये और विंध्य प्रदेश की सतना की सीधी की रीवा की यह तमाम सारे जो जिले हैं इन जिलों की जमीनों को ज्यादा से ज्यादा समतल करने की सरकार की, किसान को पैसा देने की आवश्यकता नहीं है, आप किसान को पैसा मत दीजिये, केवल उसको सर्टीफिकेशन चाहिये, उसके खेतों के अंदर गांव का हमने समतलीकरण कर दिया है, समतलीकरण करके उसकी बेहतर व्यवस्था क्योंकि हम पानी दे रहे हैं, पानी भी हमारा बेकार नहीं जाये, तो हमको वह करने की आवश्यकता है यदि हम करेंगे तो बहुत ही अच्छा होगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव....
श्री शंकरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां बहुत ही ऊबड़-खाबड़ जमीन हैं यदि 100-200 करोड़ रूपये ही लगाकर, किसान को एक पैसा न दीजिये, सब्सिडी न दीजिये, सिर्फ समतलीकरण करा दें, जोत का रकबा बढ़ जायेगा, मैं इसका समर्थन करता हूं. इसलिये खड़ा हुआ हूं उपाध्यक्ष महोदय.
उपाध्यक्ष महोदय-- शंकरलाल जी गिरीश जी वही कह रहे हैं जो आप कह रहे हैं.
श्री गिरीश गौतम-- यह जो हमारे अनुसंधान के केन्द्र हैं, खास तौर पर हमारे विश्वविद्यालय मैं उसमें भी माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि मैंने बजट को देखा है, हमारी जो जवाहरलाल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जबलपुर है इसके बजट को पिछले साल हमने वर्ष 2013, 2014, 2015 में 89 करोड़ 65 लाख किया था, वर्ष 2015-16 में हमने 85 करोड़ किया और अभी जब यह अनुदान लगाते हुये 112 करोड़ 60 लाख किया और इस साल जो प्रावधानित है वह बहुत कम कर दिया गया, वह केवल 77 करोड़ कर दिया गया है, जबकि इसमें 112 करोड़ पिछले साल था, अब इसमें से तमाम सारी चीजें देनदारी होगी, पेंशन योजना विश्वविद्यालयों के पेंशनरों के लिये शासन द्वारा लागू की गई, उनको देना है, संचालन है, शासन का अंशदान देना है, तो इस तरह से कुल मिलाकर के इस बार जो 154 करोड़ 29 लाख का जो प्रस्तावित प्रावधान है उसको मेरा आग्रह यह है माननीय मंत्री जी उसको भी जोड़ने का प्रयास करें, उसमें यह प्रयास करें. एक छोटा सा सुझाव और है, सबसे बड़ा संकट हमारे यहां है, आप भी जानते हैं उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां मवेशियों का संकट बहुत है और संख्या हमारे यहां कम नहीं है मवेशियों की.
उपाध्यक्ष महोदय-- आयरा प्रथा.
श्री गिरीश गौतम-- हां आयरा प्रथा, तो हमारा जो केटल रिस्पाक्ट एक्ट है उसको रोकने का, उसको शक्ति से लागू करने का कोई इस तरह से हमने कोई जोर नहीं लगाया है, जोर न लगाने के दो कारण है, एक कारण यह है कि मवेशी को हम ले जाकर बाड़े के अंदर रख देते हैं, अब बाड़े के अंदर हमने रख दिया, फिर उसको खर्चा कौन दे, उसको खिलावे, पिलावे कौन. यदि बाड़े के अंदर मवेशी मर गये तो सरपंच की सामत आ गई. इसलिये मेरा आग्रह इसमें यह है, दो बातों का इसमें आग्रह है, एक तो यह है कि जो कम दूध देने वाले मवेशी हैं, इनका परिवर्तन करने की आवश्यकता है, ज्यादा दूध देने वाले मवेशी हम पैदा करें तो ज्यादा बेहतर होगा और हमको प्रयास यह करना है कि पंचायतों को और ज्यादा अधिकार दें, इनको और ज्यादा सुविधा दें कि वह मवेशियों को रखकर के उसका संरक्षण कर सकें, एक तो यह करने की आवश्यकता है. तीसरी बात मैं निवेदन यह करना चाहता हूं कि यह जो फसलें हम पैदा करते हैं, खास तौर पर आम है या इस तरह से, इनकी प्रोसेसिंग का, इनका कोई ऐसा प्रोडक्ट तैयार हो जिससे किसानों को भी फायदा हो, यह जिला स्तर पर करने की आवश्यकता है और कई चीजें एकदम खराब हो जाती हैं, होता यह है कि जो आम की जो हमरी है, यहां से आठ आना में लेकर जाते हैं वहां कानपुर में ले जाकर दवाई में उपयोग करने के लिये 8 रूपये 10 रूपये में बेंचते हैं, किसान को कुछ नहीं मिलता उससे, इसलिये यह भी करने की आवश्यकता है. माननीय उपाध्यक्ष जी आपने समय दिया, जैसा कि मैंने आपसे वादा किया था शायद आपको टोकना न पड़े इसलिये उस समय के अंदर ही मैं मंत्री जी को फिर से धन्यवाद करते हुये आपको खास तौर पर धन्यवाद करता हूं. मैं अपेक्षा करता हूं कि मेरे जो सुझाव हैं, खासतौर पर जो मांग है एग्रीकल्चर इंडस्ट्री के लिये उसको माननीय मंत्री जी सम्मिलित करेंगे और उसको पूरा करेंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- दिनेश जी और शैलेन्द्र जी के कुर्ते आज दोनों बहुत सफेद हैं, मैं तय नहीं कर पा रहा हूं कि किसको पहले बुलाऊं.
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर)--धन्यवाद उपाध्यक्ष जी. उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 13 और 54 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, जो कृषि का विषय है उस विषय की गंभीरता आज जो सदन में संख्या है उससे परिलक्षित होती. आज सदन में सदस्यों की ज्यादा संख्या होती तो शायद जो पक्ष और विपक्ष के विचार यहां पर आते तो निश्चित रुप से उससे प्रदेश के किसानों का भला होता. मैं चंद लाईनों के साथ अपनी बात रखना चाहता हूं.
हम मुस्काते फूल नहीं, जिनको आता है मुरझाना
हम तारों के दीप नहीं, जिनको आता है बुझ जाना.
हम सूने नैन नहीं,जिनके बनते आंसू मोती,
हम प्राणों की सेज़ नहीं, जिनमें बेसुध पीड़ा सोती.
हम हैं धरती पुत्र, देते हैं भोजन का उपहार,
छोड़ मेरे अन्नदाता भाई, अपनी आत्महत्या का विचार.
उपाध्यक्ष महोदय, आंकड़ों की बाजीगरी के कारण शायद देश में मध्यप्रदेश कृषि में नंबर वन है. लेकिन आत्महत्या के जो आंकड़ें आते हैं, उसमें देश में प्रदेश तीसरे स्थान पर है. दोनों बातें विरोधाभासी हैं. नेशनल क्राइम ब्यूरों के ये आकंड़े हैं. पहले मध्यप्रदेश में यह विचार सुनने में नहीं आता था कि किसान आत्महत्या कर सकता है. हम विदर्भ या कालाहांडी या अन्य प्रदेशों की बातें सुनते थे. लेकिन हमारे प्रदेश में किसान आत्महत्या करे यह विचार ही नहीं उठता था. आज जो विचार उठता है वह इस बात का उठता है कि किसान ने आत्महत्या क्यों की इस ओर नहीं उठता लेकिन इस खबर को कैसे दबाया जाये,
उसके कर्ज की स्थिति को कैसे दबाया जाये. उसके तनाव की बात को कैसे दबाया जाये, उसे ओर बातें उठती हैं लेकिन आत्महत्या क्यों कर रहा है उसके कारणों पर नहीं जाया जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक कारण समझता हूं जो मुझे सबसे बड़ा कारण दिखता है वह है असत्य आश्वासन, असत्य दिलासा. क्योंकि जब बड़ी बड़ी दिलासा दिखा दी जाती है और उसकी पूर्ति नहीं होती तो किसानों को कहीं न कहीं ठेस पहुंचती है. वह तनाव में आता है. यह बहुत बड़ा कारण है. मुझे यह उम्मीद है कि जो बातें कहीं जाये वाकई वह बातें हों. किसान अन्न का दान करता है, दिन रात मेहनत करता है. हाड़तोड़ मेहनत करता है. लेकिन जब उसको प्रतिफल नहीं मिलता है तो वह मायूस होता है. आज के विकासशील राज्य में आज जहां पर दूसरे सेक्टर जितना विकास कर रहे हैं उतना विकास किसान नहीं कर पा रहा है. यह एक बहुत बड़ा तनाव का कारण है.
उपाध्यक्ष महोदय, सूबे के मुखिया किसान के आंसू पोछने की बात तो करते हैं. जो मदद उनको देते हैं वह मदद बहुत बेमानी होती है. मैं पूरे प्रदेश की बात नहीं करता. मैं अपने जिले की बात करता हूं. सीहोर जिला जो कि गृहमंत्री का प्रभार का जिला भी है, उसका उदाहरण यह कि जब मुआवजे की राशि का वितरण हुआ तो सीहोर विधानसभा में लगभग 13 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया गया. आष्टा के विधायकजी अभी नहीं हैं, वहां मात्र 20 करोड़ और मेरी विधानसभा में मात्र 25 करोड़ कुल मिलाकर 55 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया गया. लेकिन प्रदेश के मुखिया की विधानसभा है, उसमें 58 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया. एक ओर एक विधानसभा को 58 करोड़ और दूसरी ओर तीन विधानसभा को मिलाकर 55 करोड़ तो यह कहीं न कहीं पक्षपात पूर्ण रवैया है.
उपाध्यक्ष महोदय, मुआवजा भी दे दिया गया तो सोयाबीन के बदले में धान क्योंकि बुदनी, नसरुल्लागंज में तो धान पैदा होता है तो धान के किसानों को सोयाबीन का मुआवजा और सोयाबीन के किसानों को मात्र 400-500 रुपये एकड़ का मुआवजा प्राप्त हुआ है. जिले की ऐसी कई विसंगतियां हैं कभी मौका मिलेगा तो बताऊंगा.
समय 1.13 बजे अध्यक्ष महोदय (डॉ सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए.
अध्यक्ष महोदय, कृषि को कैसे लाभ का धंधा बनाया जाये. जो बजट आवंटित हुआ है उसकी ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. कृषि विभाग को इस वर्ष 2949.82 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है. पिछले वर्ष 2784.79 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था. 165.03 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है. लेकिन आंकड़ों की जब बाजीगरी होती है और उन आंकड़ों की तरफ हम देखेंगे तो पिछले वर्ष के कुल बजट में जो कृषि विभाग को आवंटित किया गया था वह 2.12 प्रतिशत था और इस वर्ष उसको घटाकर 1.86 प्रतिशत कर दिया गया है तो यह किसान के बजट को बढ़ाया गया है या घटाया गया है यह प्रश्न उठता है.
जब पिछले वर्ष वह 2.12 प्रतिशत था तो इस वर्ष 1.86 प्रतिशत क्यों कर दिया गया है? इस ओर भी बहुत बड़ा प्रश्न उभरता है. किसानों को विकास हेतु जो मूलभूत आवश्यकता होती है, वह वर्षा, सिंचाई और मौसम, जो प्रकृति से मिलती है, परमात्मा से मिलती है और जो सरकार के ऊपर निर्भर होता है, वह सिंचाई के साधन, खाद, बीज, तकनीक, ऊर्जा और सबसे महत्वपूर्ण उसके उत्पाद की कीमत. लेकिन उसके उत्पाद की कीमत किसान को नहीं मिल रही है. जो स्थिति बन रही है कि प्रदेश में पैदावार तो ज्यादा हो रही है. साथ में खर्च भी ज्यादा हो रहे हैं और उसकी आमदनी कम होती जा रही है. आंकड़ों में तो हम पैदावार बढ़ाते जा रहे हैं. लेकिन किसानों की जेब में पैसा उतना नहीं पहुंच पा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, सोया स्टेट मध्यप्रदेश को कहा जाता है. मध्यप्रदेश सोयाबीन के उत्पादन में चौथे नम्बर पर है. अरहर में पैदावार में पिछले वर्ष 9.30 प्रतिशत की कमी आई है, चने के उत्पादन में पिछले वर्ष 36 प्रतिशत की कमी आई है. तिलहन, राई, सरसों में जो कमी आई है वह 40.52 प्रतिशत की आई है. मक्का में 37.45 प्रतिशत की कमी आई है. यह आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ें हैं. फिर भी कृषि कर्मण अवॉर्ड गेहूं की पैदावार के कारण मिले हैं. उसके आंकड़ों में नहीं जाना चाहता हूं. गेहूं की पैदावार जो किसान कर रहा है क्योंकि वह उसको सुरक्षित खेती मानता है, चने और दलहन को वह सुरक्षित नहीं मानता क्योंकि उसको लाभ नहीं मिल पा रहा और तो सबसे बड़ी समस्या रोज, हिरण की तो आती है, उस ओर भी ध्यान देने की बहुत-बहुत आवश्यकता है. माननीय कृषि मंत्री जी के लिए मेरे कुछ सुझाव हैं. क्या प्रदेश में जो कृषि अधिकारी हैं उनकी संख्या आप बढ़ाएंगे? कितनी नयी प्रजातियां आपने बनाई है, उसका विश्लेषण देंगे, क्या नयी तकनीक अपनाई है, फसल के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं कि उसके उचित दाम मिले, उसके लिए आप क्या प्रयास कर रहे हैं और तो और जो जैविक उत्पाद है, वह कहां गया, कैसे गया, उसके ऊपर भी आप ध्यान दें. फॉर्म की जो बात की गई थी कि फॉर्म कल्चर विकसित करें ताकि उसमें नगदी फसल सब्जी, फल सारी की सारी बात आए, मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जो कृषि की परामर्शदात्री समिति है, उसकी बैठक जरूर बुलाएं.
अध्यक्ष महोदय - बस अब नहीं, अब आप समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र पटेल - अध्यक्ष महोदय, अंत मैं एक बात कहना चाहता हूं, दो लाईन के साथ अपनी बात खत्म करना चाहता हूं -
'न तीर से न तलवार से मरती है सच्चाई,
जितनी दबाओ उतनी उभरती है सच्चाई,
ऊंची उड़ान भर ले कुछ देर को फरेब,
आखिर में उसके पंख काटती है सच्चाई.'
अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) - अध्यक्ष महोदय, मैं कृषि विभाग की मांगों का समर्थन करने के लिए मैं यहां पर आपके समक्ष उपस्थित हूं.
अध्यक्ष महोदय - कृपया संक्षेप में बोलेंगे, माननीय सदस्यों से यह मेरा अनुरोध है. सिर्फ अपने क्षेत्र की बात और सुझाव दे दें.
श्री दुर्गालाल विजय - ठीक है अध्यक्ष महोदय, आपके आदेश का पालन करेंगे. अध्यक्ष महोदय, हमारे श्योपुर क्षेत्र में चूंकि मध्यप्रदेश ने कृषि के क्षेत्र में बहुत बड़ा क्रांतिकारी सफलता हासिल की है. उसमें श्योपुर का भी बहुत बड़ा स्थान है. अध्यक्ष महोदय, खेती का रकबा बढ़ा. क्षेत्रफल बढ़ा. लगभग 39 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल पिछले वर्षों में बढ़ा है, जिसके कारण से हमारे कृषि उत्पादन में बहुत बड़ी वृद्धि हुई है. अध्यक्ष महोदय, कृषि उत्पादन में वृद्धि की दर लगभग 20 प्रतिशत के आसपास है, जो पूरे देश में सबसे अव्वल नम्बर पर है. गेहूं के उत्पादन में हम सबसे अव्वल नम्बर पर हैं और पूरे मध्यप्रदेश का गेहूं हिन्दुस्तान में बहुत अच्छे गेहूं के रूप में जाना जाता है. श्योपुर का गेहूं भी मध्यप्रदेश में नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान में बहुत अच्छी क्वालिटी का गेहूं होता है. इसके साथ साथ दलहल के रूप में, दलहन का जो उत्पादन है, वह दलहन के उत्पादन में हम पूरे देश में अव्वल हैं. तिलहन का उत्पादन भी बढ़ा है और धान के उत्पादन में भी मध्यप्रदेश ने बहुत बड़ा स्थान प्राप्त किया है. एक समय था जब कृषि के उत्पादन के मामले में पंजाब, हरियाणा की तरफ देखा जाता था. लेकिन आज मध्यप्रदेश ने पिछले 10 वर्षों में कृषि विभाग ने, मुख्यमंत्री जी ने, प्रदेश की सरकार ने जो प्रयास किये हैं और प्रदेश की सरकार की नीतियों के अनुरूप हमारे किसानों ने मेहनत की, परिश्रम किया. योजना के अनुरूप अपने कार्य को आगे बढ़ाया. इसके कारण से आज हमारा प्रदेश पूरे हिन्दुस्तान के अंदर कृषि के क्षेत्र में आगे और ऊपर अव्वल नंबर पर नाम लिया जाने लगा है. इसके लिए मैं माननीय कृषि मंत्री जी को और माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
आज मंडी के क्षेत्र में जो नई तकनीक लाने का काम किया है. उसको इलेक्ट्रानिक्स के माध्यम से आक्शन को जोड़ने का जो निर्णय हमारे कृषि विभाग ने हमारे मंत्री जी ने लिया है तो निश्चित रूप से हमारे किसानों को अच्छे भाव प्राप्त करने के लिए इ सका लाभ प्राप्त होगा. पूरे देश में व्यापारी कहीं से भी एक स्थान की मंडी से उपज प्राप्त कर सकेगा.
अध्यक्ष महोदय कृषि मंत्री जी से मेरा एक आग्रह है कि श्योपुर के जो अनुज्ञप्तिधारी व्यापारी है कृषि उपज मंडी के अंतर्गत उन व्यापारियों ने वहां पर प्लाट आवंटन के लिए पहले निवेदन किया था कृषि उपज मंडी ने उसमें निर्णय करके जो राशि तय की थी वह राशि भी वहां के व्यापारियों ने जमा करा दी है राशि जमा होने के बाद में प्लाट का आवंटन होना चाहिए था लेकिन अभी वहां पर जो सचिव है उन्होंने कुछ अड़चन की है. मैं चाहता हूं कि जो पुराने रेट पर तय किया गया था पैसा जमा किया है उसी रेट में उनको प्लाट का आवंटन कर दिया जाय.
अध्यक्ष महोदय मेरा एक और निवेदन है कि आज हमारा श्योपुर धान के उत्पादन में अव्वल नंबर पर है गेहूं के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है. कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ने की संभावनाएं हैं इसके कारण श्योपुर में एक कृषि महाविद्यालय की बहुत आवश्यकता है. लोग राजस्थान के जयपुर में उत्तरप्रदेश के आगरा में और अन्य जगह पर जाते हैं.
श्योपुर में कृषि का क्षेत्रफल बढ़ाया जा सकता है. चंबल के बीहड़ों की बहुत सारी जमीन अभी भी वहां पर बेकार पड़ी हुई है. अगर उसके समतलीकरण के बारे में राज्य सरकार ठीक तरीके से विचार करे और समतलीकरण करके बढ़ाये तो श्योपुर जिले के अंदर कृषि का क्षेत्रफल बहुत अधिक बढ़ सकता है. अध्यक्ष महोदय आपको बहुत बहुत धन्यवाद इस बात के लिए भी की हमें सीमित समय मिल जाताहै.
श्री दिनेश राय ( सिवनी ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं सबसे पहले अपने कृषि मंत्री जी को बहुत बहुत बधाई दूंगा कृषि कर्मण पुरस्कार तीसरी बार लेकर आये हैं. आप वजनदार मंत्री हैं हमारे प्रदेश के, उम्मीद करताहूं कि आपके दांये हाथ का खेल है कृषि महाविद्यालय सिवनी में देने के लिए.
जंगली जानवर चाहे वह सुअर हो, हिरण हों या रोज हों इन सभी से हमारे क्षेत्र में बहुत नुकसान हो रहा है. इसलिए निवेदन है कि मध्यप्रदेश स्तर से इनको मारने के लिए आदेश कराया जाय. सभी कहते हैं कि एसडीएम को पावर हैं लेकिन वह इसका उपयोग करते नहीं हैं. हमारे यहां पर ओला, पाला या सूखा हो सर्वे पूरा सही सही हो जाय कुछ किसानों का सर्वे में नाम नहीं आया है निवेदन है कि उन तमाम किसानों का नाम उसमें सम्मिलित किया जाय और उनको मुआवजा मिले.
हमारी सिवनी की मंडी है वह शहर से काफी बाहर है. आपको पता है कि वहां पर किसान और व्यापारी नहीं जाते हैं. वहां पर चोरी होती है ऊधम भी होता है आपसे निवेदन है कि मंडी को उसी पुरानी जगह पर कर दें तो वास्तव में मंडी का विकास भी होगा और आपके द्वारा किसानों को जो अनुदान दिया जाता है उसमें छूट रखें कि किसान किसी भी दुकान से अपनी मन मर्जी के खरीद सके, उ सके लिए भी मैं आपसे कहना चाहूंगा. बलराम तालाब आपने बंद कर दिये हैं पहले मैंने उसकी शिकायत की थी उसमें बहुत कमियां पायी गई थी मैं चाहता हूं कि वह चले या बलराम तालाब जैसी कोई और योजना चलायें जिससे हमारे किसानों को फायदा मिले. मंडी कर्मचारियों की मिलीभगत से बड़े व्यापारियों का धंधा चौपट हो गया है छोटी गाड़ियों में माल भरकर अन्य प्रदेशों में पहुंचा देते हैं. मेरा निवेदन है कि उन पर रोक लगे और हमारे क्षेत्रीय व्यापारियों को रोजगार मिले. सबसे बड़ा रोजगार अगर कोई देता है तो वह खेती ही देती है तो मेरा निवेदन है कि उसको रोजगार के रूप में भी विकसित करने का प्रयास करें. अध्यक्ष महोदय आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद संक्षेप में बोलकर अपनी बात को समाप्त किया है मंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपके दांये हाथा का जो काम है वह आप कर दें.
अध्यक्ष महोदय -- आपको बहुत बहुत धन्यवाद कि आप समय सीमा में ही अपनी बात करते हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार को कृषि कर्मण पुरस्कार चौथी बार मिला है लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण वर्ष 2015-16 के अनुसार 4 प्रतिशत कृषि विकास दर गिरी है, इसका क्या कारण है, वर्ष 2013-14 में 22.41 थी वर्ष 2014-15 में 18 हो गई. इसी प्रकार जीडीपी में जो कृषि का योगदान है वह भी गिर रहा है. यह वर्ष 2004-05 में 59 था, वर्ष 2012 में घटकर 26 आ गया और गत वर्ष की आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में यह 20 हो गया था तो कृषि विकास दर क्यों गिर रही है, जीडीपी में योगदान क्यों गिर रहा है, यह समझ में नहीं आ रहा है और आत्महत्याएं क्यों कम नहीं हो रही हैं, 1200 से 1500 आत्महत्याएं प्रतिवर्ष हो रही हैं, 1 जुलाई, 2015 से 30 अक्टूबर, 2015 तक 4 महीने में 342 किसान, मजदूरों ने आत्महत्याएं कीं यह गृहमंत्री ने बताया है. किसान ऋण नहीं चुका पा रहे हैं, आप उनके बीमे का पैसा नहीं दिलवा पा रहे हैं. 4 बीमा कंपनियों का करोड़ों रुपया वर्ष 2013-14 में विदिशा के श्री पवन देव रघुवंशी ने याचिका दायर की थी तो 1400 करोड़ रुपये की फौरी राहत का आदेश हुआ लेकिन आप बीमा कंपनियों का पक्ष ले रहे हैं. केन्द्र ने 85 हजार करोड़ कृषि ऋण का रुपया माफ किया था. किसानों का ऋण कम नहीं हो रहा है इसलिए भी आत्महत्याएं हो रही हैं. आप और मुख्यमंत्री जी दोनों मोदी जी के पास जाइये और कुछ हजार करोड़ रुपये तो किसानों का माफ करवाइये. आप मुझे यह बताइये कि पिछले 10 वर्षों में बीमा कंपनियों ने कितना प्रिमियम वसूल किया और कितना बीमा दिया, इससे मालूम पड़ जाएगा कि आप और अधिकारी सब लोग बीमा कंपनियों का पक्ष ले रहे हैं. मंदसौर में किसानों को आप बिजली चोर बताकर हथकड़ी पहना रहे हैं, किसानों की रक्षा आप नहीं करेंगे, लाइनमेन और बिजली विभाग के कर्मचारी जो चोरी कराते हैं उनको आप दंडित नहीं करते हैं, उद्योगपति चोरी करते हैं उनको आप दंडित नहीं करते हैं और बेचारे किसान को हथकड़ी डाल देते हैं. मेरे जिले अशोक नगर में जिलाधीश प्रजापति ने संचालक कृषि को लिखा कि औसत पैदावार के आंकड़े अंतिम तिथि तक शासन के वेबसाइट पर दर्ज नहीं होने से बीमा क्लेम का भुगतान नहीं किया जा सका. आपके अधिकारियों की वजह से, संचालक की गलती से बीमा क्लेम नहीं मिल रहा है तो आप किसानों को बीमा दिलवाइये. रतलाम जिले में एक ग्राम बरखेड़ी है उसका नाम गजट नोटिफिकेशन में नहीं है तो उसका बीमा नहीं है. इसे आप नोट कर लें. नेशनलाइज्ड बैंक दे रहे हैं लेकिन कॉ-ऑपरेटिव्ह बैंक नहीं दे रहे हैं. मुंगावली, चंदेरी में पिछले 3 साल से सोयाबीन, चने आदि की फसल को ओला-पाला से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है और उसका आंकलन यहां नहीं भेजा गया. पटवारियों ने मनमाना आंकलन किया इसके कारण हमारे किसानों को बहुत नुकसान हुआ. श्री जगदीश देवड़ा जी और कैलाश चावला जी का मैं आभारी हूँ कि उन्होंने कम से कम एक ध्यानाकर्षण रखा जिसमें किसानों को मुआवजा नहीं मिलने का जिक्र था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मंदसौर, रतलाम और नीमच जिले के अफीम उत्पादक किसान बहुत परेशान हैं, उनकी फसलें नष्ट हो रही हैं, बीमारी लग गई है और आपकी श्रेणी में वे लोग आते नहीं हैं क्योंकि आप हर फसल का मुआवजा देते हैं लेकिन अफीम का नहीं तो मेहरबानी करके आप अफीम की फसल को भी उसमें जोड़ने का कष्ट करें. ये रोज़ और सुअर, इनको मारने के लिए आपने इतना लंबा प्रोसिजर कर रखा था, पहले एसडीओ को आवेदन दो उसके बाद पटवारी जाएगा, नुकसान का आंकलन करेगा, ये सब तमाशा क्यों कर रहे हो. ये दिन दुनी और रात चौगुनी की दर से बढ़ रहे हैं. मेरे खुद के खेत के संतरे और आम की फसल हमेशा खा जाते हैं और जब ये अफीम खाते हैं तो नशे में हो जाते हैं उसके बाद ये किसी को पास में नहीं आने देते हैं और मारने के लिए दौड़ते हैं, जीप पर पैर रख देते हैं तो इनको कम से कम किसान के खेत में शूट करने की अनुमति तो दें, ये सब ब्यूरोक्रेटिक हेसल्स हटाइये, यह मेरा आपसे अनुरोध है किसान इससे बहुत परेशान है और बर्बाद हो रहा है. जावरा मंडी में 100 बीघा और जमीन देने का प्रस्ताव मैंने फूड पार्क के लिए रिजर्व रख दी थी उसको आप औपचारिकता पूरी करके जल्दी दिलवाइये और वहां पर एक रोजाना की 2 किलोमीटर की रोड है मंडी की एप्रोज रोड है और ईदगाह से 5 किलोमीटर की रोड है, आप मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली मीटिंग बुलवाइये और जल्दी से ये दोनों रोड्स सेंक्शन कीजिए. आप दुनिया भर की रोड्स सेंक्शन करते हैं जबकि आपको प्राथमिकता मंडी से लगी हुई रोड्स को देनी चाहिए जो आप नहीं दे रहे हैं. नकली खाद, बीज, कीटनाशक तो जबरदस्त बढ़ रहा है. पहली बार किसानों को लाइन में लगना पड़ा और पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ीं. मेरा एक अनुरोध आपसे और है कि भूतेड़ा में एक करोड़ की एक बॉयोलॉजिकल लैब बनी है, 10 साल हो गए वह 1 करोड़ की बिल्डिंग धूल खा रही है, उस लैब में आप वहां कुछ पदांकन क्यों नहीं करते हैं, आपके पास 14 पोस्ट हैं जिनको आपको भरना है, आप डिप्टी डायरेक्टर, असिस्टेंट डायरेक्टर, प्लांट प्रोटेक्शन ऑफिसर ये हमारे से ले लीजिए, मेरा एनजीओ कृषि विज्ञान केन्द्र चलाता है, हमारे पास प्लांट प्रोटेक्शन के साइंटिस्ट हैं, मंदसौर हार्टिकल्चर से ले लीजिए, एग्रीकल्चर कालेज से ले लीजिए, इसको चलाइये तो सही, मैं इतना ही निवेदन करूंगा क्योंकि समय कम है. धन्यवाद. जय हिन्द.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों से अनुरोध है दो मिनट में अपने क्षेत्र की बात और सुझाव रख दें ताकि रिपीटीशन न हो.
श्री नारायण सिंह कुशवाह—(अनुपस्थित)
डॉ. योगेन्द्र निर्मल( वारासिवनी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सी बातें तो आ गई . अभी मुख्यमंत्री विपणन पुरस्कार योजना, यह अभी हमारे मुख्यमंत्री जी और कृषि मंत्री जी ने बजट में शामिल की है . इनको तत्काल मंडियों में वर्ष में दो बार लेना है, इनको शामिल किया जाये . हमारे कृषि मंत्री वर्षों से यह बात कहते थे कि घोटी से पानी ढूटी ले जाएंगे . वह सपना हमारा पूरा हुआ, उसके लिए कृषि मंत्री बधाई के पात्र हैं. हम एक बात देखते हैं जो आज स्थिति है, कई बार हम अनाज ले जाते ट्रेक्टर को देखते हैं तो एक बात ध्यान में आती है कि बहुत दिया देने वाले ने तुझको, ट्रेक्टर में ही न समाये. यह चरितार्थ हो रहा है . हम कई बार कृषि उपज मंडी में जाते हैं तो हमको वहाँ के सफाई कर्मचारी मिलते हैं, मेरे यहाँ भी हैं, उनको कलेक्टर रेट दिया जाना चाहिए. कृषि मंत्री जी से मेरा एक अनुरोध है चूंकि वे वास्तव में तारीफे काबिल मंत्री हैं, जो मंडी शुल्क में अभी छूट दी गई थी उसको वापस ले लिया है, मेरा उनसे अनुरोध है कि जो व्यापारी जिन्होंने 50 परसेंट पुराना नया मिलाकर के इनवेस्ट किया है उनको वापस छूट दी जाए , जो मंडी शुल्क छूट व्यापारियों को दी जा रही है तो मंडी शुल्क की आपूर्ति कृषि विभाग, मंडी विभाग से की जाये ताकि वहाँ के कर्मचारियों को तनख्वाह बराबर मिले इस बात का संपूर्ण ध्यान रखा जाये . मेरी कृषि उपज मंडी बहुत पुरानी है ख श्रेणी की मंडी है उसके उन्नयन के लिए और सड़कों के लिए पैसा दिया जाये . मंडी विकास की ओर से आज यह बात कहना चाहता हूं कि जो शीतगृह इस बजट में लिया है वह बहुत अच्छा काम किया है. चूंकि अब प्याज की ओर हमारे प्रदेश के कृषकों का ध्यान गया है . अभी बहुत हाहाकार हमारे विपक्षी लोग करते थे कि प्याज महंगा हो गया है, आज प्याज दस रुपये और आठ रुपये किलो में बिक रहा है , यह बहुत अच्छी बात है, लोगों को प्याज दिलेरी से मिल रही है और वह प्याज दिलेरी से खा रहे हैं. मैं सारे धन धान्य और अन्न के लिए एक बात कहना चाहूंगा कि
सांई इतना दीजिये जामें कुटुंब समाय ,
आप ही भूखा न रहे और साधु भूखा न जाय.
भारत माता की जय. वन्दे मातरम्.
कुंवर सौरभ सिंह(बहोरीबंद)--- माननीय कुंवर अर्जुन सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री की पुण्य स्मृति में अपनी श्रद्धा के सुमन अर्पित करते हुए मांग संख्या 13 और 54 के विरोध में अपनी बात रखना चाहूंगा . माननीय अध्यक्ष महोदय, पेज नंबर 30 में भूमि एवं संरचना के आवंटन के विषय में दिया है, इसमें नियम में सुधार की आवश्यकता है क्योंकि भूमि और निर्माण की लागत को जोड़कर जो आफसेट प्राइज रखी जाती है उसमें आम व्यापारी नहीं आ सकते हैं ,बड़े प्लेयर खेलते हैं. पेज क्रमांक 30 में मंडियों की समितियों में आवक के विषय में दिया है, आप इसमें 3.32 की बढ़ोत्तरी बता रहे हैं जबकि मंडी शुल्क में आय में 3.02 की कमी बता रहे हैं, यह बिल्कुल असत्य है. कृषकों के भोजन के विषय में आपने पेज नंबर 3 में कहा है कि पांच रुपये में कृषकों को भोजन दिया जा रहा है. हकीकत यह है कि आज की तारीख में पांच रुपये का समोसा आता है या चाय आती है. किसी कृषक को मंडी में भोजन नहीं मिल रहा है. 27.9.2008 को आपने मुख्यमंत्री कृषक जीवन कल्याण योजना लागू की थी, इसमें प्रदेश के बहुत से किसानों की मृत्यु हुई है पर उनको किसी को लाभ नहीं मिला. पिछले माह इसी में आपने, ग्वालियर में संयुक्त संचालक व अन्य चार कर्मचारियों को सस्पेंड किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, कृषि विपणन पुरस्कार योजना , क,ख,ग,घ में कृषकों को चार प्रकार के पुरस्कार देने होते हैं प्रतिवेदन में किसी का भी उल्लेख नहीं है, सिर्फ आंकड़ों की बात है. पेज नंबर 32 में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के बारे में कहा है. 26 जिलों में यह योजना चालू हैं , सात चलित प्रयोगशालायें हैं. मेरे जिले में भी सात में से एक है जिसमें सिर्फ एक ही टेक्नीकल आदमी है .न बस में बैटरी है, न कोई विशेषज्ञ है, सिर्फ योजना बड़े बड़े फ्लैक्स में है. माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान कल्याण विभाग में सरकार को कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है जब विगत तीन वर्षों में वर्षा ही नहीं हुआ हम सूखा राहत का पैसा बांट रहे हैं तो यह कहाँ से मिला. मेरा कहना है कि पीडीएस का गल्ला पुनः मार्केट में जाता है और तुलकर मंडियों में आता है. दलहन के विषय में प्रगति बिंदु क्रमांक चार में दिया है . दलहन पर उत्पादन आपने 22 परसेंट अधिक बताया है पर रेट बाजार में 200 रुपये किलो चल रहा है . पूरी हंडी में एक ही चांवल टटोलकर पता किया जाता है कि स्थिति क्या है, माननीय इस बिंदु क्रमांक चार की प्रासंगिकता आप समझ सकते हैं. पेज नंबर दो तीन में विभागीय ढांचा के विषय में हैं आपके पास में प्रथम श्रेणी के रिक्त पद 33 हैं, द्वितीय श्रेणी के 258 और तृतीय श्रेणी में 3 और (ख) को मिलाकर आपके पास 4248 मैदानी स्तर पर पद खाली है . जब मैदान में ही पद खाली हैं. मतलब प्रत्येक विकासखंड में 12 से 15 कर्मचारी कम हैं, तो यह आँकड़ों का खेल हम कैसे मानें. माननीय अध्यक्ष महोदय, विभागीय जाँच के आपके द्वारा 312 प्रकरण लंबित हैं. रीठी विकासखंड में चने का बीज चोरी हुआ. चोर आए, ताला खोला, चना चोरी किया और ताला लगाकर वापस चले गए. माननीय अध्यक्ष महोदय, ताला बहुत महँगा था. यह ताला पिछले 3 साल से इसी तरह खुल रहा है और बंद हो रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट एवं व्यय, पेज नंबर 5 पर, कृषि में केन्द्र सरकार से जो प्राप्त बजट राशि है दो लाख इक्कीस हजार बारह दशमलव शून्य पाँच लाख है. जिसमें मार्च 2015 तक मात्र आपने एक लाख पिंच्यानबे हजार दो सौ अड़तालीस दशमलव चवालीस का व्यय किया. लगभग 12 परसेंट राशि हम लोगों ने लैप्स की और कृषि कर्मण अवार्ड ले रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
कुँवर सौरभ सिंह-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट. अध्यक्ष महोदय, बजट में वर्तमान वित्तीय वर्ष 2015-16 में दिसंबर तक 38 परसेंट राशि का उपयोग अभी नहीं कर पाए. अध्यक्ष महोदय, पेज नंबर 7 बलराम तालाब के बारे में, भाग 3, 1.1 बलराम तालाब योजना में मैं इसमें सरकार की बहुत बहुत प्रशंसा करता हूँ. आपने चोरी भी पकड़ी, स्वीकार भी किया और माना कि अक्सर फर्जी आँकड़े थे इसीलिए आपने इस योजना को बंद कर दिया पर अध्यक्ष महोदय, अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत. अध्यक्ष महोदय, पेज क्रमांक 9 में सूरज धारा योजना, अन्नपूर्णा योजना के विषय में, सतना और रीवा जिले में फर्जी वितरण की जाँच स्वयं संचालक महोदय को करना पड़ी और दोषी पाया. पेज क्रमांक 9 में कृषि बीमा योजना, हमारे ब्लाक बहोरीबंद में ग्राम तिवरी में सौ हैक्टेयर से कम में धान का रकबा हुआ इसीलिए किसानों को लाभ नहीं हो पाया.
अध्यक्ष महोदय-- अब कृपया समाप्त करें. उसमें अभी बहुत पन्ने बचे हैं.
कुँवर सौरभ सिंह-- अध्यक्ष महोदय, हम कहते हैं जय जवान, जय किसान, जब एक जवान मरता है तो हम और मीडिया के भाई लोग पेपर में जगह देते हैं, केंडल मार्च होता है. पर जब एक किसान खेत में पानी लगाते हुए साँप, बिछिया, गुहेरा या बिजली के करंट से मरता है तो सिर्फ यह लिख कर छोड़ दिया जाता है कि एक ग्रामीण की मौत.
अध्यक्ष महोदय, हम समर्थन मूल्य पर खरीद एक माह के लिए करते हैं मेरा निवेदन है कि यह बारहों महीने होना चाहिए. दो वर्ग के कृषक तैयार हो गए हैं. एक जो पारंपरिक कृषक हैं और दूसरे जो पैसा कमाकर कृषक बने.
अध्यक्ष महोदय-- बस अब समाप्त करें. डॉ कैलाश जाटव...
कुँवर सौरभ सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि जो पैसा कमा कर 25-50 लाख के कृषक नये पैदा हुए हैं ऋण पुस्तिका से, उनको लाभ नहीं मिलना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, हमारे जिले में आई आर 64 और टेन-टेन धान को मोटे में लिया जाता है. मगर यह धान सतना जिले में और जबलपुर में पतले में आते हैं.....
अध्यक्ष महोदय-- बस अब कृपया समाप्त करें.
कुँवर सौरभ सिंह-- अध्यक्ष महोदय, कभी कभी नंबर आता है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं आप रोज बोलते हैं और अच्छा बोलते हैं पर समय नहीं है. डॉ कैलाश जाटव...श्री लखन पटेल..
डॉ कैलाश जाटव-- (अनुपस्थित)
श्री लखन पटेल(पथरिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ. अध्यक्ष महोदय, जैसा कि किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग के नाम से प्रतीत होता है कि यह विभाग किसानों का कल्याण करने के लिए है और किसानों के कल्याण में इस सरकार ने, इस विभाग के मंत्री जी ने और मुख्यमंत्री जी ने जिन योजनाओं को बनाकर किसान को लाभ पहुँचाने का काम किया है. मैं बहुत विस्तार से बात नहीं करूँगा परन्तु हमारे मुखिया आदरणीय शिवराज सिंह जी चौहान ने जो खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए योजनाएँ बनाई हैं. उनका बहुत बड़ा योगदान है कि आज हम 4-4 बार कृषि कर्मण अवार्ड लेने में सफल हुए. उनमें चाहे जीरो परसेंट की बात हो. चाहे खाद समय पर उपलब्धि की बात हो. चाहे सिंचाई की बात हो. अध्यक्ष महोदय, इस अवार्ड को पाने के लिए और किसान को लाभ पहुँचाने के लिए सरकार ने जहाँ योजनाओं के माध्यम से किसान को लाभ पहुँचाया है. वहीं रिसर्च के माध्यम से भी बहुत सारे नये-नये आयाम तय किए हैं. चाहे उसमें नई-नई व्हेरायटी उत्पन्न करने की बात हो. चाहे खेती के लिए और जो योजनाएँ हैं उनकी बात हो. अध्यक्ष महोदय, जहाँ पर हम मध्यप्रदेश में दलहन में और तिलहन में नंबर वन हुए हैं वहीं पर सीड प्रोडक्शन में भी हम देश में नंबर वन हैं और इसके लिए बहुत सारी नई तकनीक, जैसे हमारे यहाँ धान का उत्पादन अगर बढ़ा है तो एस आर आई पद्धति के उपयोग करने के कारण बढ़ा है. सोयाबीन का उत्पादन अगर बढ़ा है तो वेज एंड फैरो पद्धति लोगों ने अपनाई है, इसकी वजह से बढ़ा है. अध्यक्ष महोदय, वहीं पर आदरणीय प्रधानमंत्री जी सीहोर आए थे. आदरणीय प्रधानमंत्रीजी सीहोर आए थे तो उन्होंने एक बात कही थी कि अब किसान को कोई प्राकृतिक आपदा नहीं डरा सकती है. मुझे लगता है फसल बीमा योजना मील का पत्थर साबित होगी. इसी सदन में मैंने पिछली बार कहा था कि फसल बीमा किसानों की उपज का बीमा नहीं है यह बीमा बैंक के ऋण का बीमा था इस बार इसमें बदलाव किया गया है जो बहुत सराहनीय है इसमें 15000 रुपये के स्थान पर 30000 रुपये तक बीमित करने का काम किया गया है वहीं दूसरी और इसकी प्रीमियम राशि भी घटाई गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि बलराम तालाब मेरे क्षेत्र में सबसे ज्यादा हैं मुझे लगता है प्रदेश में भी सबसे ज्यादा मेरे क्षेत्र में होंगे इस योजना को बंद करने से किसानों में निराशा है इसलिए मेरा अनुरोध है कि इस योजना को पुन: प्रारंभ किया जाए और इसका लाभ किसानों तक पहुंचाया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक समस्या जंगली जानवरों व आवारा पशुओं की भी है. माननीय मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि फेंसिंग पर यदि अनुदान प्रारंभ करेंगे तो किसान अपने खेतों पर भी फेंसिंग कराकर गर्मी की फसलें ले सकेंगे. क्योंकि आवारा जानवरों के कारण बहुत सारे गांवों में फसलें लेने में किसानों को परेशानी हो रही है. अगर रिसर्च का काम हुआ है तो नये-नये कॉलेज खोलने के कारण हुआ है मैं माननीय मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि हमारे जिले में भी एक कृषि महाविद्यालय खोलेंगे तो बड़ी कृपा होगी. मेरे क्षेत्र में बटियागढ़ ब्लाक में मंडी बनकर तैयार हो गई है उसे स्वतंत्र मंडी घोषित करने की कृपा करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया उसके लिए धन्यवाद.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 13 किसान कल्याण तथा कृषि विकास व मांग संख्या 54 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा की अनुदान मांगों के विरोध मैं और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूँ कि हमारा प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है मुख्यमंत्रीजी भी किसान हैं, कृषि मंत्रीजी भी किसान हैं यहां बैठे हुए विधायकगण भी 80 प्रतिशत किसान हैं जब किसान की बात आती है तो किसान के काम के लिए या किसान की सुविधा की ओर कोई ध्यान नहीं देता है. कृषि के विकास की हम बात करते हैं परन्तु नकली खाद, नकली बीज व नकली दवाई बिक रही है उसको रोकने की बात नहीं करते हैं इसका बहुत बड़ा बिजनिस हो रहा है और इससे पूरी खेती चौपट हो गई है हमारे खेतों की मिट्टी भुरभुरी हो गई है मिट्टी से पौधों को जो तत्व मिलना चाहिए वे नहीं मिल पा रहे हैं और पैदावार कम होती जा रही है. हरदा जिले के खिरकिया और सिराली क्षेत्र में एक एकड़ में 20 से 25 क्विंटल गेहूं पैदा होता था अब वहां 5 क्विंटल गेहूं पैदा हो रहा है. उम्बी (गेहूं की बालें) बड़ी-बड़ी हैं परन्तु उसमें दाने नहीं आ रहे हैं इस तरह की बीमारियां बहुत सारी लगने लगी हैं जो नकली दवाई, नकली खाद और नकली बीज के कारण हो रही हैं इस पर शासन रोक लगाएगा तो निश्चित ही हमारा प्रदेश उन्नति करेगा अन्यथा ऐसे ही पैदावार कम होती चली जाएगी. बीमारू राज्य की परिभाषा बार-बार सरकार द्वारा बताई जा रही है परन्तु सरकार यह नहीं सोच रही है कि 12 साल बाद बच्चा समझदार हो जाता है सातवीं कक्षा में चला जाता है अभी भी वे पुरानी बातें करते हैं और नई बात की तरफ ध्यान नहीं देते हैं इस तरफ ध्यान देना पड़ेगा. 12 साल से आपकी सरकार चल रही है और यह सब परिस्थितियां बनी हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है इसको देखना पड़ेगा.
मेरा निवेदन है कि सभी पंचायत लेवल पर कम से कम कृषि जमीन के लिये या मिट्टी परीक्षण के लिये प्रयोगशालाएं पंचायत लेवल पर होना चाहिये. दूसरा यह है कि चांदे, मुनारे नहीं है. सीमांकन की बहुत परेशानी होती है. किसानों की आपस में लड़ाईयां होती है, पुलिस में जाते हैं, जबरदस्ती परेशानी होती है तो उसको दूर करने के लिये चांदे, मुनारे स्थापित किये जाएं, यह बात मैं पहले भी उठा चुका हूं. परन्तु अभी तक स्थापित नहीं हुए हैं. वह स्थापित किये जायें तो निश्चित ही लोगों की समस्या का निराकरण होगा. मेरे यहां पर कृषि विभाग के पास जमीन है और वहां पर कृषि अनुसंधान केन्द्र भी बना हुआ है. परन्तु जो बिल्डिंग बनी है वह 10-15 साल से बनी हुई है, वह बिल्डिंग पूरी टूट गयी है. वहां की खिड़कियां और दरवाजे लोग निकाल कर ले गये हैं. पर अभी केन्द्र नहीं बना है, जबकि वहां पर लाखों करोड़ों रूपये लगे हुए हैं, वहां पर 30 एकड़ जमीन लगी हुई है. वहां पर अगर कृषि महाविद्यालय बना दिया जाए तो बहुत अच्छा होगा और इसके साथ ही हमारे यहां पर 90 एकड़ जमीन कृषि विभाग के पास और है. वहां पर कृषि विभाग के पास जमीन है सारी सुविधा है और हमारा जिला कृषि प्रधान जिला है इसलिये हरदा में कृषि महाविद्यालय डाल दिया जायेगा तो कृषि मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी की बहुत बहुत मेहरबानी होगी. आपने बोलने का समय दिया बहुत धन्यवाद. जय हिन्द.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक ( बिजावर):-माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 13 कृषि विकास तथा कृषि विकास तथा मांग संख्या-14 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के समर्थन में मैं अपनी बात कहने के लिये खड़ा हुआ हूं.
अध्यक्ष महोदय, कृषि विकास के मामले में विभाग ने बहुत उन्नति की है पिछले 10 वर्षों में 110 प्रतिशत की वृद्धि होकर अनाज, दलहन और तिलहन की परम्परागत जो उत्पादन के घटक हैं उनमें वृद्धि प्राप्त की है. दलहन के उत्पादन में भी पर्याप्त वृद्धि हुई है और तिलहन में भी पर्याप्त वृद्धि हुई है. लेकिन मैं विशेष रूप से उल्लेख करना चाहता हूं कि क्षेत्रफल के हिसाब से जो वृद्धि विभाग ने प्राप्त की है वह बहुत महत्वपूर्ण है. आय-व्ययक के पत्रक में यह बताया गया है कि 2004-2005 में प्रति हैक्टेयर पैदावार होती थी वह 18.21 क्विंटल. दस वर्ष बाद 2014-2015 में यह उत्पादन प्रति हैक्टेयर हुआ है 30. 79 क्विंटल, चूंकि भारत वर्ष में लगातार जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा है और अब हमारे पास जमीन बढाने के कोई साधन नहीं है. ऐसे में जनसंख्या वृद्धि की पूर्ति करने का केवल एक ही साधन है कि जितनी भी जमीन हमारे पास है उसमें उत्पादकता बढायी जाये. आने वाले दिनों में ज्यों ज्यों जनसंख्या का भार हमारे ऊपर बढ़ेगा तो बंटवारे होंगे तो यह तो हो सकता है कि तीन बच्चों के बीच में बंटवारे में घर ऊपर नीचे एक मंजिल, दो मंजिल और तीन मंजिल पर दे दिये जाएं परन्तु बच्चों के बीच में जमीन ऐसी नहीं बांटी जा सकती कि बड़ा बेटा जमीन पर खेती करेगा, मंझला बेटा जमीन से तीन फीट नीचे खेती करेगा. जमीन चूंकि इतनी ही है इसलिये केवल और केवल एक ही तरीका है कि जमीन की उत्पादक क्षमता बढ़ायी जाए. इस दृष्टिकोण से यह बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है, इसके लिये मैं इस मांग के समर्थन में मैं कहना चाहता हूं कि मक्का की दुगनी पैदावार हुई है, यह तो प्रत्यक्ष हमें देखने में दिखाई दे रहा होगा. शादी ब्याह में हम पहुंचते हैं तो वहां पॉप कॉन से स्वागत जरूर होता है, सिनेमा हाल में जायें तो पॉप कॉन से स्वागत होने लगा है. इसका अर्थ है कि मक्का की जो पैदावार है वह कागजों में नहीं है वह सामने भी दिखाई दे रही है. एक विशेष योजना जो सरकार ने बलराम तालाब की दी है तो निश्चित रूप से उसका बहुत लाभ है गत वर्ष में एक हजार पांच सौ अड़सठ तालाब स्वीकृत हुए थे, वह पूरे हुए हैं और 589 निर्माणाधीन हैं. बलराम तालाब का लाभ मैंने स्वयं देखा है. जहां- जहां पर बलराम तालाब हैं, मैंने अपने भी खेत में इसका उपयोग और लाभ देखा है कि बलराम तालाब के होने से जो कुएं के स्त्रोत होते हैं उन स्त्रोंतो में भरपूर वृद्धि होती है और यह बहुत कारगर योजना है. यदि इसके लिये विशेष रूप से सरकार प्रयास करके इन्हें औरबढ़ाने का काम करेगी तो जल स्तर का निश्चित रूप से बहुत सुधार हो जायेगा. जैविक खेती के लिये बहुत उपयोगी है कि भारत वर्ष में अब जैविक खेती का उपयोग बढ़ना बहुत उपयोगी हो गया है. एक जमाने में लोकी की सब्जी ऐसी होती थी तो हम अम्मा से लड़ बैठते थे कि लोकी क्यों खिला रही हो, क्या हम बीमार हैं क्या. लेकिन जब से बाबा रामदेव जी ने इसका उपयोग बढ़ाया है तब से लोकी पैदावार इतनी बढ़ गयी है कि लोकी की डिमांड बहुत बढ़ गयी है , इसका दुरूपयोग एक यह हुआ कि लोकी उत्पादन करने वालों ने उसमें इंजेक्शन का उपयोग करना शुरू कर दिया है. तो जो लोग इसका उपभोग करने वाले लोग थे उनको भी शंका होने लगी कि अब इसमें भी केमीकल आने लगे हैं. इसलिये जैविक खेती की ओर लोगों का ध्यान गया है और जो लोग भी सब्जी लेते हैं, वह निश्चित रूप से इस तरफ ध्यान देते हैं कि जैविक उत्पादन के साथ अगर उनको सब्जी मिल रही है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें. आप अनुशासित सदस्य हैं. आपसे अनुरोध है कि एक मिनट में बात समाप्त करें.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक - जी अध्यक्ष महोदय. मैं मंत्री जी को तीन सुझाव देना चाहता हूं. एक तो रोज,रोजड़ों की वजह से पूरे मध्यप्रदेश में फसलों का नुकसान हो रहा है. हमारे नातीराजा साहब तो लगातार दस वर्षों से इस विषय को सदन में उठाते आ रहे हैं. मैं उनके समर्थन में कहना चाहता हूं कि उनके नियंत्रण का कोई पुख्ता इंतजाम किये जायें. अभी तक के इंतजाम कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. दूसरा मेरा कहना यह है कि जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिये बिजावर विधान सभा क्षेत्र में इकाई देना प्रस्तावित किया है. उसको वहां निश्चित रूप से करें. नौगांव में कृषि उपज मण्डी खोलने की मुख्यमंत्री जी की घोषणा थी. घोषणा के बाद वहां काम तो आगे बढ़ा है लेकिन यदि समिति गठित हो जायेगी तो वह अपना काम सुचारू रूप से कर सकेगी. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को(पुष्पराजगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र के विषय में ही बोलूंगा. मेरे पुष्पराजगढ़ विधान सभा क्षेत्र जंगल,पहाड़ और नदी नालों से घिरा हुआ है. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण भूकटाव वहां तेजी से होता है. वहां जब भी कृषि से संबंधित प्रोजेक्ट बनाये जायें तो स्थानीय स्तर पर और भौगोलिक और प्राकृतिक तथा जलवायु को भी शामिल करके वहां की कार्य योजना तैयार की जाये. बहुत सी ऐसी योजनाएं हम बना देते हैं जब धरातल पर हम काम करने जाते हैं तो वहां उनका लाभ नहीं हो पाता या उनकी उप योगिता वहां नहीं होती है. अपने क्षेत्र में मैं चाहूंगा कि जब भी वहां अधोसंरचना के अंतर्गत काम किये जायें तो वहां छोटे-छोटे स्टापडेम,चेकडेम और वाटर हार्वेस्टिंग टैंक और पत्थर के बांध जो भूकटाव को रोकने का काम करे. ऐसे क्षेत्रों में चयन करके प्रोजेक्ट तैयार किये जायें ताकि कृषि को जो हम लाभ का धंधा बनाने जा रहे हैं और वहां की ऊबड़-खाबड़ जो जमीन है उसका समतलीकरण भी किये जाये ताकि किसानों को लाभ पहुंचे और खासकर मृदा परीक्षण जो महत्वपूर्ण है आज वर्तमान में उसको हम प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में ऐसे स्थान चिन्हित किये जायें कि वहां वास्तव में उसका परीक्षण किया जाये और समय-समय पर किसानों को उसकी जानकारी मिलती रहे. जो आज सबसे बड़ी समस्या कृषि के क्षेत्र में है जो हमारे पहाड़ों में जंगलों में निवास कर रहे अनुसूचित जाति,जनजाति के लोग बहुत पहले कोदू,कुटकी,ज्वार,बाजरा की खेती किया करते थे और ये कोदू, कुटकी ऐसा अनाज है कि डायबिटीज के मरीजों के लिये अपने आप में औषधि है इसकी पैदावार करना लोगों ने कम कर दिया है. इसको भी प्रोत्साहित करना चाहिये. लोग उसकी खेती करें और वर्तमान में जिस तरीके से सूखे की स्थिति प्रदेश में निर्मित हुई ऐसे समय में यह कोदू,कुटकी बहुत काम आते. यह चार-पांच साल भी रख दें तो यह खराब होने वाला अनाज नहीं है. आज यह काफी लुप्त होता जा रहा है इसको संरक्षित किया जाये. साथ ही मेरे पुष्पराजगढ़ में पोंडी फार्म है उसकी वर्तमान में स्थिति बहुत दयनीय है. वहां 1500 एकड़ जमीन है मैं चाहता हूं कि वहां कृषि महाविद्यालय बना दिया जाये तथा कृषि अनुसंधान केन्द्र भीस्थापित किया जाये. वहां नाशपाती,चाय,काफी के लिये बहुत अच्छी जलवायु है. यदि वहां नाशपाती,चाय,काफी की खेती किसानों से कराई जाये और उन्हें प्रोत्साहित किया जाये तो उनको अच्छी आय का साधन होगा और एक स्थाई लाभ नाशपाती लगाकर लोग पैसा कमा सकते हैं. कृषि उपज मण्डी पुष्पराजगढ़ में स्थापित की जाये. आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिये धन्यवाद.
श्री अनिल जैन (निवाड़ी) सम्मानीय अध्यक्ष जी, मांग संख्या 13-54 के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूं. खेती किसानों को प्रदेश की समृद्धि का आधार एवं किसानों को खुशहाल बनाने के प्रयासों ने 10 वर्षों में जो परिवर्तन आये उससे प्रदेश आज देश के पहले नंबर पर है. खेती को लाभ का धन्धा बनाने के लिये माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान तथा इस प्रदेश के कृषिमंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन जी ने प्रदेश के किसानों के लिये कई योजनाएं लागू कीं जिसका आज परिणाम है कि मध्यप्रदेश में 4-4 बार कृषि कर्मण पुरस्कार से मध्यप्रदेश को सम्मानित किया गया. मध्यप्रदेश के किसानों को सरकार पर पूरा भरोसा है इसका यह परिणाम है कि माननीय इस देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी जब शेरपुर आये तो अटूट रिकार्ड तोड़ जनता, किसान सीहोर के क्षेत्र में पहुंचे तो निश्चित रूप से सारे रिकार्ड वहां के टूट गये तथा किसानों के शब्दों को खुद हमने सुना है एवं खुद चर्चा की मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान का नेतृत्व हो तो किसानों को किसी प्रकार की चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री ने एक ऐसी नजीर पेश की कि जब सूखे की स्थिति में किसानों के ऊपर जब कोई संकट आया तो मुख्यमंत्री जी ने विधान सभा का एक विशेष सत्र चलाकर ऐसी नजीर पेश की कि वह देखने के साथ साथ तथा किसानों के लिये अनुकरणीय मदद की उससे निश्चित रूप से इस प्रदेश के किसानों को बहुत बड़ा लाभ हुआ. प्राकृतिक आपदा से किसानों को जो हानि हुई उसके लिये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी को हृदय से प्रदेश की जनता ने धन्यवाद दिया. कृषि क्षेत्र में भी कई उपलब्धियां हैं जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी उस समय किसानों से 18 प्रतिशत ब्याज लेकर के वसूला जाता था. आज मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इसको 18 प्रतिशत से धीरे धीरे कम करते हुए जीरो प्रतिशत तक लाने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया. माननीय मुख्यमंत्री जी ने बड़े हृदय के काम किया कि 100 रूपये पर दें तो उस पर 90 रूपये की वापसी हो तो इससे बड़ा कोई हृदय कोई सरकार कर सकती है. मैं क्षेत्र के विकास की बात करना चाहता हूं बुंदेलखंड को हमेशा पिछड़े हुए क्षेत्र में माना जाता रहा. सम्मानीय सभी विधायकों ने कृषि महाविद्यालय की मांग की तथा माननीय सदस्यों से भी कह रहे हैं कि अपने अपने क्षेत्र में मांग करें, लेकिन बुंदेलखण्ड में निवाड़ी विधान सभा क्षेत्र अति पिछड़ा हुआ क्षेत्र माना जाता रहा जहां राम राजा की नगरी ओरछा जहां पर राम राजा स्थापित हैं अध्यक्ष महोदय आपका संरक्षण प्राप्त हो तथा मंत्री जी की कृपा हो तो कृषि महाविद्यालय निवाड़ी विधान सभा में देने की कृपा करें. ओरछा तहसील के ग्राम रजपुरा में राजघाट नहर में पानी की उपलब्धता न के बराबर है वहां के किसान लंबे समय से संघर्षशील हैं मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर पानी है. इस गांव में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये ठोस कार्यवाही किया जाना आवश्यक है इसी प्रकार से ओरछा तहसील के जनोली एवं चनोली गांव में जल संसाधन विभाग के द्वारा समुचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बरूआ नाला नहरों का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है अधिकांश प्रस्तावित गांव तक पानी पहुंचाने की टेस्टिंग की जाना है इससे केवल किसानों को ही लाभ होगा. आपने समय दिया धन्यवाद.
कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 54 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा का विरोध करता हूं. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि संकलित अंकेक्षण प्रतिवेदन 2012-13 में आवासीय उप-संचालक स्थानीय निधि सम्परीक्षा जबलपुर से अर्थ वर्ष 2012-13 के लिये प्राप्त नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर तथा उससे संबंध इकाईयों के संकलित सम्परीक्षा प्रतिवेदन में 43 आपत्तियों का उल्लेख है जिनमें प्रमुख इस प्रकार हैं बैंक समाधान पत्रक तैयार न किया जाना, बकाया राशियों की वसूली का कार्य पूर्ण न होना निर्धारित लक्ष्य से कम उत्पादन.
माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल पत्र व्यवहार चल रहा है, कभी कभी विभाग द्वारा स्मरण पत्र जारी हो जाता है, कुल 43 आपत्तियों में से 7 आपत्तियों को पूर्ण रूप से निरस्त कर दिया गया है । माननीय अध्यक्ष महोदय, अधिकारियों,कर्मचारियों ने वित्तीय अनियमितताएं की हैं, उन पर उनके गुण-दोषों के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी, यह रिपोर्ट लेखा नियंत्रक की है, यह रिपोर्ट विधान सभा के समक्ष प्रस्तुत की गई है तथा मध्यप्रदेश शासन को भी प्रस्तुत की जा चुकी है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, दो बातें और बोलना चाहूँगा मैंने विधिवत् रूप से अध्ययन किया है, जिसका उजागर विधान सभा में कर रहा हूँ, जब प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में इतनी हानि हुई है,आर्थिक क्षति हुई है फिर भी कहते हैं कि हम कृषि के मामले में एक नम्बर पर हैं, बहुत सी चीजों में हैं और इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी को धन्यवाद भी देता हूँ, यह रिपोर्ट बोल रही है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि प्रदेश को बचाएं, लक्ष्य से कम उत्पादन होने की संभावित हानि 2977011 आपत्ति क्रमांक 1 कृषि महाविद्यालय, रीवा, आपत्ति क्रमांक 6 कृषि विद्यालय केन्द्र पन्ना रूपयों में 1019660.
श्री मनोज सिंह पटैल- माननीय अध्यक्ष महोदय,पता नहीं कहां कहां से रिपोर्ट लेकर आते हैं, उस दिन जितू पटवारी जी रिपोर्ट लेकर आए थे, आज ये लेकर आए हैं ।
अध्यक्ष महोदय- पटेल साहब, आप बैठ जाइए । आप अपनी बात जारी रखें ।
कुंवर विक्रम सिंह- कृषि विद्यालय, केन्द्र दमोह आपत्ति क्रमांक 7 रूपयों में 95 लाख 76 हजार की इसमें कमी है, ऐसे करते-करते सारी चीजों को देखते हुए 11114097 की हानि हुई है । माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कृषि मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि इस विभाग में कई घोटाले हैं, उनको भी समय समय पर अवगत कराऊंगा, विपक्ष का काम सही लाईन देना होता है । माननीय अध्यक्ष महोदय, रोज़ और सुअर जो खेती खा रहे हैं, उसके लिए भी कोई प्रावधान नहीं है, अधिकारियों से निवेदन करूंगा कि सभी अधिकारी मिलकर इसका समाधान करें । माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया,उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्री जालम सिंह पटैल(नरसिहपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 13 और 54 के समर्थन में अपनी बात रखूंगा । मध्यप्रदेश की सरकार के मुखिया आदरणीय मुख्यमंत्री और हमारे प्रदेश के कृषि मंत्री के संयुक्त प्रयास से किसानों के दु:ख दर्दों को समझा है और पढ़ा है, सम्पूर्ण प्रदेश में कृषि और किसानों के लिए सैकड़ों योजनाएं लेकर आए हैं, लाखों वर्षों से परंपरागत खेती हो रही है और खेती के अनुसार उत्पादन भी बढ़ा है कुछ वर्ष पूर्व हरितक्रांति के नाम पर कई प्रकार के प्रयोग किए गए, रासायनिक खाद्य,बीजों का प्रयोग किया गया,कृषि यंत्रों का प्रयोग भी किया गया और विदेशी तकनीक का उपयोग भी किया गया, उत्पादन बढ़ाया गया और उत्पादन बढ़ने के साथ विशाक्त अनाज पैदा हो गया, मिट्टी जहरीली और बंजर हो गई, ग्राउन्ड वॉटर ओपेन वॉटर विशाक्त होने लगा । विशाक्त अनाज एवं पानी के कारण फसलों एवं मनुष्यों को,हजारों बीमारियां हो गई, जिसका दुष्परिणाम प्रत्येक व्यक्ति को हो रहा है । हमारे देश के सम्मानीय प्रधान मंत्री अभी सीहोर आए हुए थे और उन्होंने शेरपुर गावं में अपनी बात रखी थी,प्रधानमंत्री जी ने युवाओं से आव्हान किया था कि आने वाले 15-20 वर्षों बाद सम्पूर्ण विश्व में शुद्व अनाज और पानी की आवश्यकता पड़ेगी इसकी तैयारी आज से अभी से करने की जरूरत है पूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भी संसद में अपना वक्तव्य दिया था कि अगला विश्व युद्व पीने के पानी पर होगा । क्योंकि पीने का शुद्ध पानी भारतवर्ष में उपलब्ध होगा, इसे सहेजने की आवश्यकता है. इस दिशा में हमारे प्रदेश के मुखिया आदरणीय श्री शिवराज सिंह चौहान ने लगातार जैविक खेती के लिये प्रयास किया है और सम्माननीय हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के माध्यम से मूड क्राप योजना लागू की है.
मैं माननीय मंत्री जी को सुझाव देना चाहता हूँ कि हमारे जिले में प्रदेश का लगभग 60 से 65 प्रतिशत गन्ना है. पूरे प्रदेश में 1,41,000 हैक्टेयर गन्ना है और हमारे जिले में 60 से 70,000 हैक्टेयर गन्ना है एवं जो जिले के किसान हैं, उनका शोषण होता है, जो ब्लॉक स्तर पर हैं, जिला स्तर पर, प्रदेश स्तर पर गन्ना विकास परिषद् बनाने की कृपा करें. दूसरा, हमारे जिले में जो सिंचाई होती है, रानी अवन्तिबाई नहर और कई बांधों से होती है. उसमें जो सिंचाई होती है, उसके माध्यम से, नर्मदा के किनारे, जो ऊँचे-नीचे क्षेत्र हैं, वहां सिंचाई नहीं हो पाती है, पानी बह जाता है. दो सुझाव हैं, दूसरा हमारी जो प्रणाली है, उसके कारण फसल सड़ जाती है.
मेरा आपसे समतलीकरण के लिए निवेदन है कि अगर समतलीकरण होगा तो हमारे प्रधानमंत्री जी की जो मंशा है, उसमें एक-एक बूँद का उपयोग होगा. एक निवेदन और है जो जंगली-जानवरों के माध्यमों से नुकसान हो रहा है, मनरेगा के माध्यम से हम उसमें बाड़ लगाने के लिए भी आपसे निवेदन है कि मनरेगा की राशि का उपयोग हो. मनरेगा की राशि से कृषि में जो मजदूर लगाये जाते हैं, उसका भी उसमें एकड़ के हिसाब से उपयोग किया जा सकता है कि एक एकड़ में वर्ष में 30 दिन या 40 दिन, उसका उपयोग हो. इस प्रकार आपसे निवेदन है. आपने बोलने का अवसर दिया है, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सतीश मालवीय (घट्टिया)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ. आज मध्यप्रदेश विकसित राज्यों की श्रेणी में खड़ा है. इसका एकमात्र कारण मध्यप्रदेश के किसान मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह जी चौहान का किसानों के हित में, किसानों के प्रति संवेदनशील होना और उनके सुख-दुख के बारे में चिन्तन करना यही एकमात्र मुख्य कारण है. मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री और मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री काफी दिनों से किसानों को खेती लाभ का धंधा कैसे बने, उसकी चिन्ता पाले हुए हैं साथ ही, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री श्री गौरी शंकर बिसेन जी को मैं धन्यवाद देना चाहूँगा कि उन्होंने कृषि जगत में आमूल-चूल परिवर्तन किया है साथ ही, मध्यप्रदेश के इतिहास में कृषि विभाग को माननीय मुख्यमंत्री जी ने कृषि कैबिनेट का दर्जा दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहॅूंगा कि मध्यप्रदेश की इस धरती पर देश में पहली बार ऐसा कोई प्रदेश है, जिसको चार बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला है. मैं ऐसी आशा भी करता हूँ कि आने वाले समय में भी यह रफ्तार इसी प्रकार चलती रहेगी और आने वाले समय में भी यह अवार्ड पुन: मध्यप्रदेश को ही मिलेगा. मैं अपने क्षेत्र में तीन उप-मण्डी जिनके लिये पान बिहार, घटिया एवं बिछड़ौद में करोड़ों रूपये के निर्माण कार्य हुए. उसके लिए माननीय कृषि मंत्री जी को धन्यवाद दूँगा. साथ ही, एक अनुरोध और करना चाहूँगा. मैं मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि हमारे उज्जैन में जिले की ए क्लास की कृषि उपज मंडी है, जो कि शहर के बीचों बीच में है. वहां पर किसानों को आने जाने में काफी मुश्किलें आती हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि उसको अन्यत्र घटिया विधान सभा में पास में ही 3-4 जगहों पर इस प्रकार की भूमियां हैं. जहां पर अगर आप उसको स्थानान्तरित कर देंगे, तो आने वाले समय में किसानों को बहुत लाभ मिलेगा. मैं मंत्री जी से एक और निवेदन करना चाहूंगा कि हम चूंकि यहां पर सब विधायक बैठे हुए हैं, किसी किसी विधायक के क्षेत्र में कम से कम 7 से 8 कृषि उपज मंडियां होती हैं या उप मंडियां होती हैं. लेकिन विधायक सिर्फ एक ही मंडी में बैठता है, बाकी की 7-8 मंडियां जो रहती हैं, उसमें न तो विधायक बैठ पाता है और न ही उनका प्रतिनिधि बैठ पाता है. मेरा अनुरोध यह है कि अगर हम लोगों को वहां पर प्रतिनिधि नियुक्त करने का अधिकार दिया जाये और अगर ऐसा नियम हो, तो हमारे द्वारा उस मंडी की मानीटरिंग हो जायेगी. अगर अच्छे काम होंगे, तो उसका श्रेय हम लोग लेंगे. अगर कहीं गड़बड़ होती है, तो उसकी तरफ भी मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करेंगे. अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) ‑- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. किसान इस देश की रीढ़ होता है. जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार ने कई योजनाएं किसानों की समृद्धि के लिये चला रखी हैं. इन योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल में उस अनुरुप नहीं हो पाता, जैसी कि सब की एक मंशा होती है. कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर न तो जलाशय हैं, न कोई नदी और नाले हैं, जिससे सिंचाई की उचित व्यवस्था की जाये. ऐसी हालत में आपकी लघु सिंचाई योजनायें बहुत ही कारगर हैं. मंत्री जी से मैं चाहूंगा कि ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित करके वहां लघु सिंचाई योजनाओं को लागू किया जाय. जो लघु सिंचाई योजनाएं आपकी चल रही हैं, यह सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में लागू नहीं हैं..
अध्यक्ष महोदय -- आप यह बातें जल संसाधन विभाग की मांगों पर कहिये.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह नलकूप का जो विषय है, यह कृषि में आता है. जो अनुसूचित जाति, जनजाति कृषकों को सफल, असफल नलकूप खनन की लागत 75 प्रतिशत अधिकतम 25 हजार रुपये और पम्प की स्थापना हेतु लगभग 15 हजार रुपये का अनुदान आपके विभाग के द्वारा दिया जाता है. किन्तु मैं यह कहना चाहूंगा कि आज भी शहडोल जिले में विगत् 3 वर्षों से आज भी आपके नलकूप खनन का अनुदान नहीं मिला है. कृपा करके इसका भुगतान करवाया जाये. दूसरी बात मैं यह कहना चाहूंगा कि प्रामाणिक बीज जो आपके विभाग से जाता है, वह प्रामाणिक बीज या तो नकली है, वह पूरी तरह से जर्मीनेट नहीं होते हैं, जर्मीनेशन नहीं हो पाता है. इस पर भी सुधार किये जाने की आवश्यकता है. आदिवासी क्षेत्रों में जो लुप्त प्रायः जनजातियां जैसे बैगा, सहरिया कई ऐसी जातियां हैं, जो एक हेक्टेयर से कम रकबे का किसान है, जैसे धान, उड़द, तुअर के बीज को प्रदर्शन के लिये दिया जाता है, उनका भी अता पता नहीं रहता है कि वह बीज कहां जाता है, किन को प्रदान किया जाता है, इसमें भी सुधार किया जाना चाहिये. कृषि विभाग में आरएओ होते हैं, लगभग 30 से 50 गांवों का प्रभार उनको आप दिये हुए हैं. उनका कहीं अता पता नहीं रहता है. आपकी जो योजनाएं हैं, उनको संचालित करने में बड़ी दिक्कत होती हैं. आदिवासी क्षेत्र में कई ऐसे किसान हैं, जो आपकी योजनाओं से अनभिज्ञ हैं, मैं आपसे निवेदन करता हूं कि उसके लिये ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को रखा जाना चाहिये. मेरा भी क्षेत्र ऐसा है, जहां कि वन सुअरों और रोजों के द्वारा किसानों की फसल को बहुत क्षति पहुंचाई जाती है. मैं भी इस सदन के माध्यम से चाहता हूं कि कई ऐसे किसान हैं, जिनकी पूरी फसल नष्ट कर दी जाती है. उनको मुआवजा देने की त्वरित कार्यवाही की जानी चाहिये. मैं मंत्री जी से यह भी कहना चाहूंगा कि शहडोल जिले में भी कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की जाये. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया, धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पवांर(ब्यावरा) -- सम्माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और आदरणीय बिेसेन जी ने जितना भी प्रयास खेती के लिये किया है उसके कारण हमारा मध्यप्रदेश आज देश के अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित है. अनेक मामलों में जैसे कि सदन में आंकड़े आये हैं मध्यप्रदेश काफी आगे है. कृषि कर्मण अवार्ड लगातार चौथी बार प्रदेश को मिलने का गौरव प्राप्त हुआ है, निश्चित रूप से इन सबको देखते हुये कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश लगातार रिकार्ड की ओर बढ़ रहा है और आने वाले समय में हम पंजाब और हरियाणा से कृषि उत्पादन के मामले में आगे होगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मै अपने क्षेत्र की बातों तक ही सीमित रखने का प्रयास करूंगा क्योंकि आपने मुझे सीमित समय दिया है. मैं मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि मेरा राजगढ़ जिला काफी पिछड़ा हुआ जिला है. विकास के कार्य में पूर्ववर्ती सरकारों ने कभी भी उसको उचित स्थान नहीं दिया है. राजगढ़ जिले का सबसे बड़ा स्थान ब्यावरा है उसमें कृषि महाविद्यालय स्थापित किये जाने की मांग करता हूं. वहां पर 85-90 बीघा जमीन कृषि फार्म की अनुपयोगी पड़ी है, पानी के अभाव में वहां न तो किसी प्रकार का उत्पादन होता है न ही कोई कृषि उपज ली जा सकती है, वह जमीन शहर के बीचों बीच आ गई है, उस जमीन का उपयोग करते हुये उसमें कृषि महाविद्यलाय स्थापित किया जावे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राजगढ़ जिला उद्यानिकी और फलोद्यान की दृष्टि से भी काफी प्रगति कर रहा है, वहां पर मेरी मांग है कि एक हब बनाकर के वहां शीत केन्द्र स्थापित किया जाये, ताकि फलोद्यान को हम प्रोत्साहित कर सकें. सब्जी के लिये भी वहां पर शीत केन्द्र की आवश्यकता है, अनाज के भण्डारण के लिये भी प्रायवेट सेक्टर में गोदामों की बहुत कमी है . मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि अनाज भण्डारण के लिये भी कृषकों को प्रोत्साहित किया जावे, उसका अनुदान बढाया जावे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंचाई की दृष्टि से कहना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र से लगी हुई पार्वती नदी लगभग 50 किलोमीटर दूर से बहती है. उसके ऊपर और अधिक बंधान बनाये जायें ताकि कृषि को सिंचाई का लाभ मिल सके. राजगढ़ जिले में कृषि उपज मंडी ब्यावरा में काफी बड़ी मंडी है ए क्लास की मंडी है उसमें कृषि लेप-मिट्टी परीक्षण के लिये पिछले 4-5 वर्षों से भवन बना हुआ है लेकिन भवन में कोई संसाधन उपलब्ध नहीं कराये हैं तो वहां पर भी संसाधन और स्टाफ उपलब्ध कराये जाने की कृपा करें. वन भूमि और राजस्व भूमि का चिह्नांकन न होने के कारण रोज असुविधा का सामना किसानों को करना पड़ता है और रोज वन विभाग के प्रकरण किसानों के खिलाफ बनते हैं. मंत्री जी से निवेदन है कि इस संबंध में आदेश जारी करने की कृपा करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी प्रकार की कृषि की जोतें छोटी होती जा रही है जिसके कारण किसान को लाभ नहीं हो पाता है इसलिये कृषि के उपकरणों अनुदान और बढ़ाया जावे और हो सके तो चकबंदी की ओर भी शासन को विचार करना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में पिछले सत्र कम वर्षा के कारण फसल उत्पादन का जो मुआवजा किसानों को मिलना चाहिये था हालांकि वहां पर 32 करोड़ की राहत राशि किसानों को बंट चुकी है लेकिन 15 करोड़ की राशि मिलना अभी भी अपेक्षित है इसमें लगभग 103 गांव के किसान प्रभावित हो रहे हैं, अतिशीघ्र उस राहत राशि को बंटवायें. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- अध्यक्ष महोदय, 2 मिनिट में अपनी बात रखूंगा, अनुमति दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- अब नहीं, मंत्री जी.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय 30 सेकेन्ड तो दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- अब नहीं, मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वे सहयोग करेंगे. प्लीज..अब नहीं. किसी को नहीं, सब माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि हर विभाग पर हर सदस्य बोलना चाहता है. ऐसा संभव नहीं हो पायेगा और ऐसे में सदन को चलाना भी मुश्किल होगा. इसलिये सदस्यों से अनुरोध है कि सारी बातें आ चुकी हैं. राजेन्द्र जी आप तो बहुत सहयोग करते हैं. किसी को समय नहीं देंगे, कोई सदस्य नहीं. जिसकी जो समस्यायें हैं कृपया माननीय मंत्री जी को लिखकर के दे दें . माननीय मंत्री जी से मैं सबकी तरफ से अनुरोध कर लेता हूं कि वो उन समस्याओं पर भी ध्यान देंगे किंतु अब यह विषय समाप्त सिर्फ शासन का उत्तर आयेगा. अब किसी की बात नहीं आयेगी. मंत्री जी...
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मध्यप्रदेश के इस गरिमामय सदन में मध्यप्रदेश के माननीय विधायकगण और यह हमारी सरकार जहां एक ओर कृषि कल्याण और कृषि विकास के संदर्भ में अपनी डिमांड के माध्यम से विस्तृत चर्चा और सुझाव प्राप्त कर रही है, वहीं मुझे यह बताते हुये अत्यंत प्रशंसा है कि हमारे पंचायत स्तर पर 1 मार्च से लेकर 15 अप्रैल तक लगातार 45 दिनों तक हम प्रत्येक ग्राम पंचायत में, जितनी मध्यप्रदेश की ग्राम पंचायतें हैं, एक अलग से ग्रामसभा करने जा रहे हैं जिमसें सिर्फ विषय होगा, कृषि, कृषि की तरक्की, सिंचाई के संसाधन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, स्वायल हेल्थ कार्ड और असिंचित क्षेत्र को कैसे हम सिंचित करें, इसी के साथ साथ पूरा रोड मेप तैयार करने का काम ग्रामीण अंचल से हम शुरू करने जा रहे हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय. यह सबसे बड़ा काम मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार यदि किसी सरकार ने किया है तो माननीय शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने किया है. माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर ग्राम पंचायत से हम सुझाव प्राप्त करके जितने प्रस्ताव हमारे माननीय सदस्यों ने यहां रखे हैं, उन सबको समाहित करते हुये मैं अपना आने वाला रोड मेप बनायेंगे जिसमें भारत के प्रधानमंत्री मान्यवर नरेन्द्र मोदी जी ने कहा है कि आने वाले 5 वर्षों में आज के मूल्य सूचकांक के अनुरूप हमारे देश के किसानों की आय दोगुनी हो जानी चाहिये, उस दिशा में यदि किसी सरकार ने पहला काम शुरू किया तो मध्यप्रदेश की सरकार ने शुरू किया है और इस सदन में आने से पूर्व माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमारे इस विषय पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की है, इस संदर्भ में हम 2-3 बार बैठ चुके हैं और बहुत जल्दी ही हम मध्यप्रदेश में परिणाम देंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय आज 24 लोगों ने हिस्सा लिया है, हमारी संख्या 203 है, 10 प्रतिशत लोगों ने चर्चा में हिस्सा लिया है, चूंकि शुक्रवार को मेंबर बिजनेस होता है, इसके बावजूद भी 24 सदस्यों को माननीय अध्यक्ष महोदय आपने बोलने की अनुमति दी है, मैं आपका अभिनंदन करना चाहता हूं, मैं आपका स्वागत करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- कई सदस्य बोलना चाहते थे, पर उनसे अनुरोध किया कि वह न बोलें, रूचि है सदस्यों की.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- हमारे दल के तो 20 सदस्यों के नाम थे उसमें से कई नाम हटाने पड़े.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी अगर सहमत हो जायें तो फिर अगले दिन के लिये ले लें, सब सदस्य बोलना चाहते हैं.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- मैं सहमत हूं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी सहमत हैं तो फिर क्या दिक्कत है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं अब गाड़ी रोल बैक नहीं होगी. अब रोल बैक नहीं होती.
श्री रामनिवास रावत-- मैं भी बोलना चाहता था.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- मुझे लिखकर दे दें आप.
श्री रामनिवास रावत-- आप अपनी बात से मुकर गये.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- नहीं, नहीं मैं तैयार हूं, अध्यक्ष जी की आसंदी के बाद उनकी व्यवस्था के सामने मेरी व्यवस्था कहां चलेगी.
श्री रामनिवास रावत-- आप निवेदन कर दो.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- आपने निवेदन किया, मैंने सहमति दी है अब अध्यक्षीय व्यवस्था का हम सब पालन करें.
श्री रामनिवास रावत जी-- बोलें, बोलें आप.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- माननीय अध्यक्ष महोदय आज हमारे विद्वान मिश्र मुकेश नायक जी नहीं हैं, जब उन्होंने बजट भाषण शुरू किया तो यह हमारे विकास दर के ऊपर उन्होंने संशय जाहिर किया कि कैसी विकास दर है, पहले बढ़ती दिखती है, फिर बाद में घटते क्रम में आता है. मैं सदन के माध्यम से अवगत कराना चाहता हूं क्योंकि यह बात रिकार्ड में आयेगी, पहला फसल का पूर्वानुमान होता है जो रवी के मध्य में लिया जाता है, इसके बाद में दूसरा त्वरित होता है जो अगस्त सितम्बर में लिया जाता है, तीसरा प्रावधानित होता है और चौथा होता है अंतिम अनुमान और इसी के आधार पर विकास दर सुनिश्चित होती है और इसीलिये कभी भी कोई अपना अनुमान लगाता है उसमें कम ज्यादा होना स्वाभाविक है और इसीलिये मैं एक बात कहना चाहता हूं, यह जो 2011 में जब यूपीए की सरकार थी, अब सारे सर्वेक्षण योजना आर्थिक सांख्यिकी विभाग के द्वारा होते हैं, कृषि विभाग तो कोई सर्वेक्षण करता नहीं, तो फिर हमारे उपर शक करने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होना चाहिये और जो सर्वेक्षण होते हैं उस सर्वेक्षण के ऊपर अंतिम मोहर भारत सरकार की लगी है, उन्होंने कहा कि वर्ष 2011-12 में हमारी विकास दर 18.90 रहा, यह अंतिम सर्वेक्षण रिपोर्ट है, और जो अंतिम आता है उसके ऊपर जितना ग्रोथ आता है, उसकी हम गणना करते हैं माननीय अध्यक्ष महोदय. वर्ष 2012-13 में प्रावधानित हमारा 18.5 हुआ. इसके बाद 2013-14 में 22.41 रहा और 2014-15 में 18.83 अग्रिम है यह हमारा अग्रिम रहा. मैं एक बात बताना चाहता हूं जो हमारा पूर्वानुमान था वह 15.16 था लेकिन हमारा फायनल 15.04 आया. इसमें अंतर आता है. बोया गया क्षेत्र,प्राकृतिक आपदा, उत्पादन में कमी या उत्पादन में बढ़ौत्री के कारण अंतर है.
अध्यक्ष महोदय, मैं इसका श्रेय मध्यप्रदेश के किसानों को देना चाहता हूं. इसका श्रेय हमारे कुशल प्रबंधन को देना चाहता हूं. इसका श्रेय मध्यप्रदेश के वैज्ञानिकों को देना चाहता हूं. इसका श्रेय हमारी सरकार को देना चाहता हूं जिसके मुखिया माननीय शिवराज सिंह चौहान हैं, उनकी प्रबल इच्छा शक्ति को देना चाहता हूं. वे स्वयं एक प्रगतिशील किसान हैं. उन्होंने अपने खेत कृषि के नये नये प्रयोग करके हम सबको एक नई दिशा है. माननीय मुख्यमंत्रीजी यदि इस प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं होते तो मैं कह सकता हूं 2003-04 में इस प्रदेश में हमारी भूख मिटाने के लिए राशन की दुकान पर आस्ट्रेलिया और अमेरिका का गेहूं बांटा गया है. जिस सरकार के कार्यकाल में विदेशों से आयातीत गेहूं बांटा गया हो, उसको तो कम से कम यह कहने का हक नहीं है कि आपने विकास दर अर्जित नहीं की. हमने विकास दर को उच्चतम ऊंचाई तक पहुंचाया है.
अध्यक्ष महोदय, एक बात बताना चाहता हूं. 18 तारीख को सीहोर में कृषि कर्मण पुरस्कार मिला वह गेहूं के सर्वाधिक उत्पादन के लिए था. जो तीसरा कृषि कर्मण पुरस्कार था. अब 19 मार्च को दिल्ली में चौथा कृषि कर्मण पुरस्कार मिलने जा रहा है. इसको लेने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जायेंगे. मैं उन भाग्यशाली मंत्रियों में से हूं जो तीसरी कृषि कर्मण पुरस्कार लेने के लिए जाऊंगा. इसके लिए मेरे मित्रों को केन्द्र की सरकार को साधुवाद देना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, हमारी सबसे बड़ी चुनौती है कि हम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को किस तरह से और कैसे स्वरुप में लायें जिससे कि हमारे किसान की फसलों की तो सुरक्षा हो ही और कम से कम उसकी लागत तो निकल जाये. इसके संदर्भ में अभी हमने इसका अंतिम निर्णय नहीं लिया है. भारत सरकार ने 8 इंश्योरेंस कंपनियों से कहा कि आप निविदाएं आमंत्रित करिये. हम मार्च महीने में अधिसूचना जारी करेंगे. इसके बाद माननीय मुख्यमंत्रीजी की अध्यक्षता में बैठक होगी. हम भारत सरकार के मार्गदर्शी सिद्धांत के अनुरुप अपनी फसल बीमा योजना को लागू करेंगे. मैं उसको दोहराना नहीं चाहता. यह पहली बार हुआ है कि खरीफ में सारी फसलों के लिए 2 प्रतिशत, रबी में सारी फसलों के लिए डेढ़ प्रतिशत और बागवानी फसलों में 13-15 प्रतिशत से घटाकर केशक्राप में 5 प्रतिशत किया है. यह तो किसान का अंश होगा और जो निविदाओं के द्वारा आयेंगे, उसमें आधा राज्य पटायेगा, आधा केन्द्र देगा और यदि दावों का भुगतान1.35 से अधिक आया तो उन दावों के भुगतान में भी आधा भारत सरकार देगी और आधा राज्य सरकार देगी. यह प्रधानमंत्री बीमा योजना संजीवनी का काम करेगी. हम चाहते हैं कि मध्यप्रदेश ही नहीं, पूरे देश में इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हो. हम चाहते हैं कि प्रदेश में हमारे किसान इसमें अधिकतम सहभागी बनें. हमारी योजना है. इसी साल कम से कम 50 प्रतिशत किसान इसमें कवरेज प्राप्त कर सके.
अध्यक्ष महोदय, हम फसल बोते थे लेकिन यदि पानी नहीं गिरा, जर्मीनेशन नहीं हुआ. मैं धान के क्षेत्र से आता हूं. धान का ट्रांसप्लांटेशन नहीं हुआ, किसान को कुछ नहीं मिलता था. अब ऐसी परिस्थिति में जब किसान धान का ट्रांसप्लांटेशन नहीं करेगा तब भी उसको 25 प्रतिशत का भुगतान होगा. जिससे उसको लागत मिल सके. यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की सबसे बड़ी विशेषता है. फसल कटाई के तजुर्बे में निःसंदेह देर भी होती थी और त्रुटि भी होती थी. अब हमारे पास आधुनिक तकनीक इतनी विकसित आ चुकी है कि फसल कटाई के तजुर्बे को अब हम रिमोट सेंसिंग से ड्रोन के माध्यम से ,स्मार्ट फोन के माध्यम से करेंगे.
और हमने तय किया है कि अपने कृषि विभाग के अधिकारियों को भी यह जिम्मा दिया जाएगा जिससे कि फसल के अनुमानित आंकड़ें आ जाय और फसल कटाई के बाद में हमारे वास्तविक आंकड़ें आएंगे. इसी के साथ साथ मैं एक बात कहना चाहता हूं कि 14 दिन में यदि खेत में रखी फसल प्राकृतिक आपदा से, बाढ़ से, या आगजनी अन्य घटनाओं से नुकसानी में आएगी तो यह पहली बार हुआ है कि व्यक्तिगत किसान को उसकी भरपाई की जाएगी. इसमें जितना अच्छा हो सकेगा, हम उसको करने का प्रयास करेंगे. अभी हमारे वरिष्ठ सदस्य श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी ने जानकारी चाही थी कि यह जो प्रीमियम ज्यादा ली गई और किसानों को पैसा कम मिला. वर्ष 1999 से वर्ष 2016 तक प्रीमियम जमा हुआ है 2500 करोड़ रुपए और दावा बांटा गया है 10000 करोड़ रुपए (मेजों की थपथपाहट)..यह जो दावा बांटा गया है, उसमें इस देश में सर्वाधिक दावा किसी सरकार ने बांटने का निर्णय लिया है तो इस वित्तीय वर्ष में मध्यप्रदेश की सरकार 4300 करोड़ रुपए मध्यप्रदेश के किसानों को देना जा रही है जो हिन्दुस्तान के सारे राज्य और केन्द्र पोषित राज्यों में नम्बर एक है. (मेजों की थपथपाहट).. पिछले साल 2187 करोड़ रुपए दिया गया, उसमें नम्बर दो पर है. इसके बाद में बाकी राज्य हैं. यह काम किसी सरकार ने किया है तो श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने किया है. यह दृढ़ इच्छाशक्ति वाली सरकार ने किया है. इसीलिए मैं कह सकता हूं अध्यक्ष महोदय, यदि मैं आकड़ों को रखूंगा तो समय मुझे इजाजत नहीं देगा. मैं मोटी-मोटी बात कहना चाहता हूं, मेरे पास सारे आंकड़ें हैं कि कितने किसानों को दिया गया. इसी के साथ-साथ खरीफ वर्ष 2014 में हमने 515 करोड़ रुपए दिये, खरीफ वर्ष 2014 की रबी में 150 करोड़ रुपए करीब 2 लाख किसानों को दिया है. यह वर्ष 2015 की खरीफ की नुकसानी हम अप्रैल तक हमारा पूरा प्रयास है कि मार्च-अप्रैल तक हम किसानों को भुगतान करेंगे. इसमें लगभग 300 करोड़ रुपए तो प्रीमियम का है और बाकी 2000 करोड़ रुपया राज्य का हिस्सा होगा और 2000 करोड़ रुपए केन्द्र का हिस्सा होगा. इसीलिए मैं एक बात कहना चाहता हूं कि जो भी भारत सरकार ने चाहे यूपी की सरकार रही हो, चाहे आज हमारी एनडीए की सरकार है. जब भी केन्द्र की सरकार ने किसानों के हित में जो भी निर्णय लिया है, मध्यप्रदेश पहला राज्य है, जिसने आगे बढ़कर उसमें हिस्सा लिया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात कहना चाहता हूं कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने हमें मिशन के रूप में स्वॉईल हेल्थ कॉर्ड बनाए जाने का निर्देशित किया है और हमें व्यवस्था भी दी है. भारत सरकार इसमें अनुदान भी दे रही है. 100 करोड़ रुपया अपने स्थानीय व्यवस्था से देश का मध्यप्रदेश पहला राज्य होगा जो 265 नवीन मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला बनाने जा रहा है. मेरे माननीय सदस्यों ने कहा था हमारे क्षेत्र में एक-एक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला होनी चाहिए. मध्यप्रदेश में 313 विकास खण्डों में इस 6 महीने के अंदर प्रत्येक विकास खण्ड में एक-एक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला होगी और वह सुसज्जित होगी. सारे माइक्रो एलिमेंट्स की उसमें जांच होगी. अभी हम प्रारंभिक तौर पर डबल एसके 46 हमारे जो उपकरण हैं, वह मंगा रहे हैं, जिनमें एक-एक पर 12 से 15-15 लाख रुपए का खर्चा होगा. आने वाले समय में हम सारी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं को उत्कृष्ट बनाएंगे, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश इनकी तो जांच होगी ही, लेकिन माइक्रो एलिमेंट्स की भी जांच होगी क्योंकि आज सूक्ष्म तत्वों की जांच के बिना हम कृषि की प्रगति की जो कल्पना है उसको मूर्त रूप नहीं दे सकते हैं. मैं एक बात कहना चाहता हूं कि हमारे संसाधन सीमित हैं. लेकिन इस बार वर्ष 2015-16 में 4.62 लाख मिट्टी के नमूने लिये गये और इसमें 435 लाख किसानों को स्वॉईल हेल्थ कॉर्ड हमने उपलब्ध कराए हैं. यह हमारे सीमित साधनों में हमने किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं सभी हमारे माननीय सदस्यों का अभिनंदन करना चाहता हूं, जिन्होंने इस बात की चिंता की कि रेन फेड एरिया में या असिंचित क्षेत्र में या जो समतल क्षेत्र हैं, उन क्षेत्रों में खेती की प्रगति के लिए हमको कोई नयी तकनीकी को अपनाना चाहिए. इसको हमने भी माना है. भारत सरकार ने भी माना है. हमारे भारत सरकार के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने जो हमें दिया है कि जितनी अपूर्ण सिंचाई योजनाएं हैं, इन अपूर्ण सिंचाई योजनाओं को हम प्राथमिकता पर पूरा करें. चाहे वह बृहद योजना हो, चाहे मध्यम सिंचाई योजनाएं हों. हर खेत को पानी इसके लिए सतही आधारित संरचनाएं बनाई जाएंगी, per drom more crop scheme , ड्रिप स्प्रिंकलर, रेन गन, नलकूप, कुंआ, डीजल, विद्युत, सोलर पंप, पाईप लाईन आदि का क्रियान्वयन किया जाएगा.
जल क्षेत्र का विकास तथा सतही जल प्रबंधन हमारी प्राथमिकता होगी. इसके लिए हम बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं.
अध्यक्ष म होदय यह हमारी नरवायी जलने से हमारे किसानों को बहुत नुकसान होता है इसकेलिए हमने नई तकनीकि को प्राप्त कर लिया है इसको कहते हैं जिरोटिन सिलटिन जिसमें बिना जुताई के गेहूं और धान की बुवाई हो सकती है और उत्पादन पर कोई भी फर्क नहीं पड़ने वाला है. इसी के साथ साथ हेपीसीटर, ट्रिप कम बाइण्डर , स्ट्रीपर , रैक एण्ड बेलर को भी अनुदान के लिए हमने 8 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है.
अध्यक्ष महोदय स्वास्थ्य जीवन की दृष्टि से आज हमारे लिए क्वालिटी फूड बहुत महत्वपूर्ण है. इसलिए जैविक खेती में हम देश में एक नंबर पर हैं. 40 प्रतिशत जैविक उत्पादन हमारे मध्यप्रदेश में हो रहा है. लेकिन हम इ सको और मजबूती देना चाहते हैं. इसके लिए हमने तय किया है कि प्रदेश के जैविक उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाय जैविक उत्पादन करने वाले जो हमारे किसान हैं. उनको रजिस्ट्रेशन का अवसर मिले. उ सका सरलीकरण किया जाय इसी के साथ साथ जो उनका जैविक उत्पाद है आऊटलेट मिले इसके लिए हमने तय किया है कि प्रदेश की प्रत्येक मंडी में एक शेड जैविक उत्पाद की बिक्री के लिए हम आरक्षित करेंगे जिससे हमारे उपभोक्ताओं को जैविक उत्पाद मिल सकें.
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- कितना अच्छा काम हमारे मंत्री जी कर रहे हैं उनकी थोड़ी तारीफ तो कर दें.
श्री रामनिवास रावत-- किसानों केद्वारा जो आत्महत्याएं की जा रही हैं उनके बारे में और बता दें.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन -- अध्यक्ष महोदय हम 50 - 50 एकड़ के कलस्टर बना रहे हैं जिसमें 25 से 50 कृषक होंगे. 51 जिलों में हमने 880 क्लस्टरों का चयन किया गया है. जहां पर परंपरागत जैविक खेती होगी . यह बताते हुए प्रसन्नता है कि भारत सरकार के कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर 160 क्लस्टरों में 6022 किसानों की 9001 हेक्टेयर रकबा चयन कर अपलोड किया गया है. यह पूरे देश में पहला है कि हमने परंपरागत खेती में इतने आगे बढ़कर के अपनी प्रगति पायी है. किसानों कीआय दोगुना करने के लिए हम रोड मेप तैयार कर रहे हैं. मैं इस सदन के माध्यम से मध्यप्रदेश के किसानों को और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आने वाले 5 साल में आज के मूल्य सूचकांक पर मध्यप्रदेश के किसानों की आय को दोगुनी करने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे चाहे जो करना पड़ेगा बजट में जो भी प्रावधान करना होगा करेंगे. लेकिन देश के प्रधानमंत्री मान्यवर नरेन्द्र मोदी जी ने हमें जो संकल्प दिया है उस संकल्प को पूरा करने का मैं सदन को वचन देना चाहता हूं. इस क्षेत्र में हम पर्याप्त काम करेंगे. इसको बढ़ाने में आज ही नहीं जब भी हमारी सदन में चर्चा हो तब या सदन से बाहर हमारे माननीय प्रतिपक्ष के विधायकगण और सत्तापक्ष के विधायकगण भी हमें मार्गदर्शन दें, हम आपके हर मार्गदर्शन और सुझाव का स्वागत करेंगे. जिससे हम अपने किसान की आय को दोगुना कर सकेंगे. इ सके लिए एग्रीकल्टर सेक्टर के साथ साथ हमारी हार्टिकल्चर,मत्स्य पालन, दुग्ध पालन, सहरीकल्चर, एग्रो फारेस्टरी इन सबको जोड़कर के जब तक हम एक माडल कृषक का स्वरूप नहीं बनायेंगे. हमारे प्रदेश में छोटे छोटे किसान हैं. इसलिए एक हेक्टेयर का एक स्वरूप हो सकता है यह स्वरूप 1 से 3 हेक्टेयर का भी हो सकता है. हमारा एकीकृत यूनिट बनेगा. जब हमारा किसान सभी तरह के उत्पाद करेगा तो मैं कह सकता हूं कि यदि किसी एक फसल में या किसी एक क्षेत्र में उसको नुकसान हो गया तो वह बाकी क्षेत्र से उसकी न केवल भरपाई करेगा बल्कि अपनी परिवार का पालन करेगा और अपनी आय को बढ़ाने में भी सक्षम होगा. इसलिए हम यहां पर हमारे सभी माननीय सदस्यों के जो सुझाव आये हैं उन सभी का स्वागत करते हैं.
अध्यक्ष महोदय हमारे बीज प्रमाणीकरण संस्थान के बारे में हमारे किसी माननीय सदस्य ने कहा मैं एक बात कहना चाहता हूं कि हमारे सदस्यों ने बहुत बहुमूल्य सुझाव दिये हैं हमारे गिरीश भण्डारी जी ने शीला त्यागी जी ने श्री बहादुर सिंह चौहान ने सुश्री हिना कांवरे जी ने, श्री बहादुर सिंह जी चौहान ने, सुश्री हिना कावरे जी ने, डॉ. गोविन्द सिंह जी ने, श्रीमती प्रमिला सिंह जी ने, श्रीमती योगिता बोरकर जी ने, श्री गिरीश गौतम जी ने, श्री शैलेन्द्र पटेल जी ने, श्री दुर्गालाल विजय जी ने, श्री दिनेश राय जी ने, श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा मेरे वरिष्ठ मार्गदर्शक ने, डॉ. योगेन्द्र निर्मल जी ने, कुँवर सौरभ सिंह जी ने, श्री लाखन सिंह पटेल जी ने, श्री रामकिशोर दोगने जी ने, श्री पुष्पेन्द्र पाठक जी ने, श्री फूंदेलाल सिंह मार्को जी ने, श्री अनिल जैन जी ने, कुँवर विक्रम सिंह जी ने, श्री जालम सिंह जी ने, श्री सतीश मालवीय जी ने, श्री रामपाल जी ने, श्री नारायण सिंह पंवार सहित हमारे सारे सदस्यों ने बहुत अच्छे सुझाव दिए हैं, मैं सभी के सुझावों का समग्र रूप से उत्तर दे रहा हूँ क्योंकि किसी ने भी हमारे किसी कार्य के ऊपर आक्षेप नहीं लगाया. कुछ लोगों ने जरूर जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के संबंध में ऑडिट पैरे के ऑब्जेक्शंस की बात की, ऑडिट के ऑब्जेक्शंस आते हैं उनका समाधान भी किया जाता है यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है उसके संदर्भ में मुझे कुछ नहीं कहना है. इसके साथ साथ श्री गिरीश गौतम जी ने कहा था कि यूनिवर्सिटी का बजट कम किया गया, हम माननीय वित्त मंत्री के पास जाएंगे और हम उन्हें विश्वास दिलाना चाहते हैं कि दोनों विश्वविद्यालयों को किसी तरह के बजट की कोई कमी नहीं होगी क्योंकि वे हमारे अनुसंधान के सेंटर हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात बताना चाहता हूँ कि जवाहर लाल कृषि विश्वविद्यालय ने 200 तरह के अनुसंधान खाद्यान्न के, दलहन के, तिलहन के हमारे राज्य को दलहन के क्षेत्र में, तिलहन के क्षेत्र में और गेहूँ के क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर बनाया बल्कि देश में नंबर एक और दो का स्थान दिलाया, ऐसे संस्थानों की कभी उपेक्षा नहीं होगी. विश्वविद्यालय की बात आ गई तो मैं आपको बताना चाहता हूँ कि हमारे कई माननीय सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्र में केवीके अथवा एग्रीकल्चर कालेज खोलने की बात की. मांग बहुत है लेकिन मैं इस सदन को बताना चाहता हूँ कि पवांरखेड़ा में, जो कि आपका विधान सभा क्षेत्र है, हमने कृषि महाविद्यालय शुरू किया है और इसी सत्र से वहां विद्यार्थियों की पढ़ाई शुरू हो जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद मंत्री जी, हमारे होशंगाबाद और हरदा दोनों जिलों की ओर से हम आपके आभारी हैं.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब भारत सरकार के वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली जी आए थे तो उस समय माननीय मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी. मुख्यमंत्री जी की घोषणा का पालन और आने वाले समय में हमने सीटों का भी प्रबंधन कर दिया है. मैं चाहूंगा कि कभी माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ आप कार्यक्रम बनाएं और आप जब चाहें अपने कालेज की शुरूआत कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- इसी साल घोषणा हुई और इसी साल आपने कार्यान्वित कर दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके पूर्व और दो एग्रीकल्चर कालेज खुले हैं और आने वाले समय में हमारा पूरा प्रयास होगा कि जहां-जहां उपयुक्त स्थान होगा जरूर हम एग्रीकल्चर कालेज की ओर आगे बढ़ेंगे.
अध्यक्ष महोदय, उर्वरक के बारे में किसी ने कोई चिंता नहीं की लेकिन एक बात मैं बताना चाहता हूँ कि हमें तो आवंटन ज्यादा मिला और आवंटन को हमें कम करना पड़ा क्योंकि हमारे पास पानी नहीं होने के कारण इस बार जोत का रकबा भी घटा और किसान को टॉपिंग यूरिया नहीं करना पड़ा क्योंकि बीच में पानी नहीं गिर सका. लेकिन इसके बावजूद भी हमने भारत सरकार से जो वर्ष 2016 के लिए 9.75 लाख मेट्रिक टन यूरिया, 6.50 लाख मेट्रिक टन डीएपी, 2.20 लाख मेट्रिक टन कॉम्प्लेक्स एवं 75 हजार मेट्रिक टन पोटाश प्राप्त करने की सहमति प्राप्त कर ली है और इससे खरीफ फसल में कहीं पर भी फर्टिलाइजर की कमी नहीं आने दी जाएगी. वर्ष 2015 में हमने 30 प्रतिशत वृद्धि का फर्टिलाइजर दिया, वर्ष 2015-16 में अभी तक 19 प्रतिशत फर्टिलाइजर में वृद्धि दर्ज हुई है और हमने इस समय यूरिया का अग्रिम भंडारण भी 3.50 लाख मेट्रिक टन खरीफ के लिए किया है. मैं यह कह सकता हूँ कि राज्य में फर्टिलाइजर की कमी नहीं होगी. हमारे माननीय सदस्य, प्रतिपक्ष के मित्र लोग कहते हैं कि शिवराज सिंह जी आंदोलन क्यों नहीं करते, किस बात के लिए करेंगे, जब वहां से इतना मिल रहा है कि उठा नहीं सक रहे हैं, ऐसी तो कोई सरकार नहीं हो सकती कि जो पूरा दे और उसके बाद भी हम आंदोलन करें.
श्री रामनिवास रावत -- क्या मिल रहा है.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- कितना चाहिए.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- रोज़ मारने के लिए बंदूक चाहिए.
श्री रामनिवास रावत--- एक पैसा नहीं आया, स्टार सिटी में पहली बार ऐसा हुआ है कि मध्यप्रदेश के इतिहास में प्राकृतिक आपदा में पहली बार केंद्र सरकार से एक नई पाई नहीं आई है. ..(व्यवधान).....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--- रावत जी, क्या चाहिए रोजड़े मारने के लिए बंदूक चाहिए क्या.
अध्यक्ष महोदय--- कृपया सभी सदस्य बैठ जाएं , रावत जी बैठ जाइए.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो वैसा ही जैसा देश के प्रधानमंत्री जी ने बिहार के विधानसभा चुनाव में कहा था कि 50 हजार करोड़, 60 हजार करोड़, 1 सवा लाख करोड़ दिये और उसके परिणाम में भारतीय जनता पार्टी को क्या मिला, ऐसी बात कर रहे हैं.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन--- 2018 में पता चल जाएगा और कम संख्या हो जाएगी आपकी.
श्री उमाशंकर गुप्ता--- उन्होंने जो कहा था वह दे रहे हैं, परिणाम देखकर भारतीय जनता पार्टी काम नहीं करती है, जनता के लिए हम काम करते हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अब तो बैठ जाओ, मनमाफिक विभाग नहीं है जबरिया चला रहे हो.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन--- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जब हम आधुनिक कृषि की बात करते हैं आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करना चाहिए. माननीय वित्तमंत्री जी को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने कृषि यंत्रों पर पिछले वर्ष से ही वेट को खत्म कर दिया और इसका परिणाम हुआ कि हमने राज्य में कस्टम हायरिंग के जो निजी क्षेत्र में सेंटर हैं, हमने 1005 कस्टम हायरिंग सेंटर हमारे पढ़े लिखे नौजवानों को दिया है जो अपनी भी खेती करते हैं और बगल में हमारे किसान को उसकी जमीन की जुताई करके उसकी बोनी करके अपनी आय भी कमाते हैं. अभी 200 ऐसे गांव हमने सलेक्ट किया हैं ,जहाँ पर यंत्रदूत योजना में 100 प्रतिशत हम चाहते हैं कि वहाँ पर मशीनीकरण के माध्यम से खेती हो , यंत्रों के माध्यम से खेती हो. आने वाले तीन वर्ष में हम 600 यंत्रदूत गांव करेंगे . जब कम पानी गिर जाता है तो किसान को तकलीफ होती है खासतौर से सोयाबीन में, ज्यादा बरसात हो गई तो दिक्कत होती है इसलिए रेज एंड बेंट पद्धति पर 75 प्रतिशत अनुदान देने के लिए तीन हजार रेज एंड बेंट प्लान्टर उपलब्ध कराएंगे जिससे कि किसान को अधिक से अधिक फायदा हो सके . इसी के साथ साथ इस पद्धति से हमको और जरूरत पड़ेगी तो इसमें वृद्धि भी करेंगे. वेज एंड फेरो पद्धति में 90 प्रतिशत अनुदान है हम 35 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन करेंगे और उसमें 35 परसेंट अनुदान देंगे . हमारे जालम सिंह जी बैठे हैं, इनके क्षेत्र में बहुत ज्यादा गन्ना होता है लेकिन गन्ने की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिलते है हमने पिछले साल से गन्ना हार्वेस्टर देने की योजना बनाई और गन्ना हार्वेस्टर की कीमत होती है डेढ़ करोड़ ,हम उसमें 40 परसेंट अनुदान दे रहे हैं. 60-60 लाख हमने 40 हार्वेस्टरों को 24 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है और इस साल भी देंगे जिससे हम गन्ने का उत्पादन बढ़ा सके. हमारा गन्ने का क्षेत्र बढ़ा है और उसको हम और अधिक बढ़ाना चाहते हैं. कृषि महोत्सव के बारे में कहना चाहता हूं ...
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, कितना समय और लेंगे.
श्री गौरीशकंर चतुर्भुज बिसेन--- आप जितना कह देंगे.
अध्यक्ष महोदय--- आप बातें भी सब कर लें और संक्षेप भी कर लें.
श्री गौरीशकंर चतुर्भुज बिसेन--- माननीय अध्यक्ष महोदय, 25 मई से लेकर 15 जून तक 2015 में कृषि महोत्सव हुआ . इसमें 2,56,244 कृषि किटों का वितरण हुआ , यह छोटी संख्या नहीं है. 6,70,000 उद्यानिकी किटों का वितरण हुआ है. 20,50,000 पशुओं का टीकाकरण हुआ. 900 नवीन दुग्ध उत्पादन समितियों का गठन हुआ है क्योंकि हमने सब काम्पैक्ट योजनायें बनाई थी. इसी के साथ साथ 2,85000 किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया गया है. 89,600 खाता खतोनियों को राजस्व की ऋण पुस्तिका उपलब्ध कराई गई है. 1,40,000 ऋण पुस्तिका का वितरण हुआ है और 12 लाख पौधों का उद्यानिकी और वानिकी के माध्यम से वितरण हुआ है और 47 हजार खेतों में स्थाई पंप कनेक्शन का लाभ कृषकों को दिया गया है और अब तो मध्यप्रदेश की सरकार ने तय कर लिया है कि 2015 तक जितने किसानों के टेंपरेरी कनेक्शन है उन सबको परमानेंट कर दिया जाएगा और उसके लिए पृथक से बजट का प्रावधान किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे लिए जो हमारे विश्वविद्यालय हैं एक तौर से कृषि का सबसे बड़ा जो सेंटर है या हमारी जो शक्ति है वहीं से हमको मिलती है.
अध्यक्ष महोदय, प्रजनन बीजों में हमारे राज्य के कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर का योगदान पूरे देश में 23 प्रतिशत है. ब्रीडर सीड सर्वाधिक कहीं पैदा होता है तो जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में पैदा होता है, वह 23 प्रतिशत है. अध्यक्ष महोदय, जैविक के लिए हमको कुछ रिसर्च करने होंगे इसलिए हमने जैविक अनुसंधान और प्रशिक्षण केन्द्र औरई मंडला में स्थापित कर दिया है. हमारा मंडला, चूँकि ट्रायबल जिला है यहाँ पर परंपरागत जैविक की खेती होती है. यहाँ पर जैविक अनुसंधान केन्द्र, जालम सिंह जी, आपके यहाँ पर गन्ना अनुसंधान केन्द्र बोहानी नरसिंहपुर में हम सारे पदों को भर रहे हैं इसकी भी हमने अधिसूचना जारी कर दी. जबलपुर में खाद प्रौद्योगिकी और प्रसंस्करण संस्थान खोलने का निर्णय लिया. जिससे हमारा नौजवान खाद प्रसंस्करण के क्षेत्र में आगे आए और जो हमारा कच्चा फल होता है, सब्जी जो होती है, टमाटर इत्यादि उनको हम सुरक्षित कर सकें.
अध्यक्ष महोदय, आज बीहड़ों पर कुछ हमारे माननीय सदस्यों ने विषय रखा है. कुल कृषि उत्पादन 10 वर्षों में दोगुना, कुल खाद्यान्न 10 वर्षों में दोगुना. 10 वर्षों में 19 लाख हेक्टयर कृषि क्षेत्र में वृद्धि, देश में फार्म पॉवर उपलब्धता की दिशा में 5 वर्षों में दोगुना, 8 वर्षों में जैविक खेती में तिगुना, तीसरी फसल तीन लाख हेक्टयर में लेना प्रारंभ किया है जिसमें इटारसी और होशंगाबाद को प्राथमिकता दी है. पिछली बार बड़े पैमाने पर मूंग पैदा की गई 1100 करोड़ की मूंग पिछली बार पैदा हुई है इसी के साथ-साथ 10 वर्षों में हमने बहुत तरक्की की है. ट्रेक्टरों के पंजीयन तिगुने हो रहे हैं प्रमाणित बीज 10 वर्षों में दोगुना किया है. प्रत्येक विकासखण्ड में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के साथ-साथ प्रत्येक संभाग में बीज एवं ऊर्वरक प्रयोगशाला प्रारंभ करने जा रहे हैं. जैविक बीज उत्पादन के 10 शासकीय परिक्षेत्र का चयन किया गया है इसी के साथ साथ ऊर्वरकों का अग्रिम भंडारण कर रहे हैं, शंकर सरसों का वृहद क्षेत्रफल हम बढ़ायेंगे शंकर धान की एसआरआई पद्धति से खेती करेंगे. स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न का वृहद क्षेत्र में उत्पादन प्रारंभ किया है. अरहर की शंकर किस्मों के बीज वितरण की योजना बनाई है. 2011-12 में अन्नदूत योजना को हमने प्रारंभ किया था. जैविक खेती के लिए किसानों का डाटाबेस तैयार करेंगे यह डाटा अपलोड रहेगा और लोगों को पता रहेगा कि कौन सा किसान जैविक फसल का उत्पादन कर रहा है. 52000 गांवों में सीड ट्रीड्रेट ड्रम स्पायरल ग्रेडर का वितरण किया गया है. कृषि वानिकी योजना प्रारंभ की गई है. मुख्यमंत्री सोलर कृषि पंप योजना में 50 प्रतिशत अनुदान आरकेवाय योजना से और 35 प्रतिशत टाप अप राज्य की निधि से दिया जाकर हम सोलर एनर्जी को प्रोत्साहित करना चाहते हैं. जहां हम सोलर का उत्पादन बढ़ा रहे हैं वहीं सोलर का उपयोग अधिकतम कृषि क्षेत्र में भी लाना चाहते हैं. मुख्यमंत्री किसान तीर्थ दर्शन योजना बड़े पैमाने पर लागू की गई है.
श्री बाला बच्चन--माननीय मंत्रीजी आप सोलर को वढ़ावा देना चाह रहे हैं और पवन ऊर्जा के बारे में क्या कर रहे हैं आप उसको भी बढ़ावा दो क्योंकि अभिभाषण में सोलर और पवन ऊर्जा दोनों के बारे में हमने पढ़ा है.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन--दोनों को एक जगह नहीं रख सकते हैं, पवन के लिए बड़ी पहाड़ी लगती है पहाड़ी पर खेती होती नहीं है. ऊर्जा मंत्रीजी पवन को भी बढ़ावा देंगे. पवन का उपयोग होगा बिजली के उत्पादन में सोलर का उपयोग होगा जमीन से पानी निकालने के लिए दोनों यूनिट एक ही जगह नहीं लग सकती हैं. पानी कितना बरसा यह जानने के लिए अभी पुराने यंत्र लगे हुए हैं मेन पॉवर से उसकी गणना होती है इसलिये प्रत्येक विकासखण्ड में 4 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन के मान से 1252 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशनों की स्थापना की हमने स्वीकृति जारी कर दी है. जिससे कि एक विकासखण्ड में कितना पानी गिरा इसकी जानकारी मिल सके. पीलीमोझिक से सोयाबीन को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर ब्रीडर सीड हमारे अनुसंधान केन्द्रों ने तैयार किया है इसको हम आगे बढ़ा रहे हैं. माननीय सदस्यों ने प्रतिवेदन के आधार पर रिक्त पदों की चिन्ता की है मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूँ लेकिन एक बात बताना चाहता हूँ कि पीएसी की परीक्षा के परिणाम आ गए हैं और सहायक संचालक के 130 पद लोक सेवा आयोग द्वारा हमें मिल गए हैं हम बहुत जल्दी उनकी भर्ती करने जा रहे हैं. ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी का हमने विज्ञापन निकाला था लेकिन उद्यानिकी के विद्यार्थियों ने कहा कि हमें इसमें सम्मिलित करें इसलिये हमने उनको सम्मिलित करके हम उस पर यह विचार कर रहे हैं कि यह पद क्लास-थ्री के हैं इसमें राज्य के मूल निवासियों को ही अवसर दिया जाये यह मामला शासन के पास विचाराधीन है विचार हो जाने के बाद हम इन पदों की भर्ती करेंगे.
श्री रामनिवास रावत--हम भी यही चाहते हैं हमारे यहां के बच्चों को ही यह अवसर मिले इसमें हम आपके साथ हैं इस बात के लिए आप अड़ जाना.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--माननीय मंत्रीजी बहुत बहुत धन्यवाद उद्यानिकी के पदों को लेकर आपने जो चिन्ता व्यक्त की है मंदसौर अकेला कृषि स्तानक महाविद्यालय है.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन--हार्टिकल्टचर और एग्रीकल्चर दोनों के विद्यार्थी एक ही पढ़ाई करते हैं. अब आ जायें देश में हमारा पहला स्थान कृषि विकास दर में हम देश में नहीं दुनिया में नंबर एक, जैविक खेती में हम नंबर एक, कुल दलहन उत्पादन में हम नंबर एक, कुल तिलहन उत्पादन में हम नंबर एक, प्रजनन बीज के उत्पादन में नंबर एक, अध्यक्ष महोदय, प्रमाणिक बीज के उत्पादन में नंबर एक, चना के उत्पादन में नंबर एक, सोयाबीन के उत्पादन में नंबर एक, जैविक खरपतवार, उरर्वरकों की खपत 16 प्रतिशत की वृद्धि देश में बढ़ते क्रम में नंबर एक, निजी कस्टम हायरिंग में नंबर एक 1005 और किसानों की फसल की बीमा का क्लेम दावे स्वीकृत करने में नंबर एक इसमें 4300 करोड़ रूपये और इसलिये जैसा मैंने कहा 19 तारीख को चौथी बार कृषि कर्मण अवार्ड पूसा आई.सी.आर में प्रधान मंत्री जी के द्वारा हमारे राज्य को माननीय मुख्यमंत्री जी को प्रदान किया जा रहा है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- भाषण में नंबर एक.
श्री रामनिवास रावत :- सदन में या दुनिया में .
श्री बाला बच्चन :- जो माननीय मुख्यमंत्री जी ने बोला है नंबर वन में वही माननीय मंत्री जी ने बोल कर उसका रिपीटेशन किया है.
श्री गौरीशंकर बिसेन :- माननीय मुख्यमंत्री जी के पीछे ही तो मंत्री हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी की ही टीम में तो मंत्री हैं या बाहर हैं.
श्री बाला बच्चन :- मुख्यमंत्री जी ने यह सब बोला था.
श्री गौरीशंकर बिसेन :- देखिये मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में ही मध्यप्रदेश में ही कृषि केबिनेट का गठन हुआ और कृषि का विकास उच्चतम ऊंचाई तक गया है.
अध्यक्ष महोदय :- माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि कृपया जल्दी समाप्त करें.
श्री गौरीशंकर बिसेन :- हमारे राजेन्द्र पाण्डे जी का पिछले दिनों एक प्रश्न था, किसी कारणवश नहीं आ सके थे, उनकी मंडी में पुरानी मंडी को सब्जी और फलों की मंडी में विकसित करने के लिये चार करोड़ रूपये उन्होंने मांगा है हम वह चार करोड़ रूपये उनको देंगे.
डा. राजेन्द्र पाण्डेय :- माननीय मंत्री जी, आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री गौरीशंकर बिसेन :- डा. राजेन्द्र पाण्डेय जी ने बाउण्ड्री के लिये 1 करोड़ रूपये का प्रस्ताव भेजा है, उनकी नयी मंडी जो निर्माणाधीन मंडी है अभी मैं 10 तारीख को वहां पर गया था, वहां पर मान्यवर कालूखेड़ा जी नहीं आ सके थे, हमने आप को भी आमंत्रित किया था, उस मंडी की बाउण्ड्री बनना बहुत आवश्यक है औरउसमें और एरिया बढ़ाने की आवश्यकता है, हमने जो देश की 50 मंडियों को चयनित किया है, जिनको हम राष्ट्रीय मंडी से जोड़ रहे हैं, उसमें जावरा भी मंडी है, उसका क्षेत्र भी बढ़ायेंगे और उसकी बाउण्ड्री के लिये एक करोड़ रूपये भी दिये जायेंगे. इसी के साथ आपने उस मंडी के लिये एक बायपास रोड और दो छोटी रोड की बात की है, साधिकार कमेटी में डी पी आर बनाने के लिये लिखा है. वहां पर उसका निर्णय होगा.
डॉ राजेन्द्र पाण्डेय :- मंत्री जी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत :- माननीय मंत्री जी, हमारी कई पुरानी कृषि उपज मंडी समिति हैं कई जगह पर, मेरे यहां पर भी हैं, वहां पर पूरी आबादी हो गयी है, वहां पर जो भूखण्ड आवंटन किये थे,शाप कम गोडाउन को वहां पर पूरी आबादी हो गयी है. वहां से अब उसको हटाया जाना भी संभव नहीं है. मेरी मंडी को आप दूसरी जगह स्थापित करवा दें, आप उसके लिये राशि दे दें तो आपकी कृपा होगी. घोषणा कर दें कि जमीन का प्रस्ताव मंगाकर के उस मंडी को नयी जगह विस्थापित करवा दें.
श्री गौरीशंकर बिसेन :- आपके वहां के कलेक्टर से प्रस्ताव मंगाकर के यदि हमें जमीन मिलती है या आप जमीन उपलब्ध करवा दो, हम स्थान परिवर्तित कर देंगे.
मैं जो कह रहा हूं वह अधिकारी सुन रहे हैं आप चिंता मत करें आपको नयी मंडी मिलेगी.
श्री रामनिवास रावत :- मंत्री जी धन्यवाद् .
श्री दिलीप सिंह परिहार :- माननीय मंत्री जी , हमारा नीमच का भी मंडी का प्रस्ताव है.
श्री गौरीशंकर बिसेन :- माननीय सदस्य,सदस्य लिखकर दे दें.वैसे दिलीप सिंह जी को तो जहां कहें वहां कर देंगे. आपको मना नहीं किया है.
श्री अमर सिंह यादव :- अध्यक्ष महोदय, मुझे बोलने का मौका भी नहीं मिला है,मेरे राजगढ़ जिला मुख्यालय की उप मंडी है उसको मंडी घोषित की जाए.
अध्यक्ष महोदय :- आपकी बात रिकार्ड में में आ गयी है. पटेल साहब आप बैठ जाईये अब कुछ नहीं बोलेंगे. आपके जिले में ही तो सब काम कर रहे हैं.
श्री गौरीशंकर बिसेन :- अध्यक्ष महोदय, मैं वहां का साढ़े तीन साल प्रभारी मंत्री रहा हूं, वहां से मुझे बहुत स्नेह है वहां से . मुख्यमंत्री कृषक जीवन कल्याण योजना में आंशिक और पूर्ण अपंग होते थे, उनको अनुदान दिया जा रहा है साढ़े सात, पच्चीस और एक लाख. लेकिन होता क्या है कि अध्यक्ष महोदय, प्रकरण कलेक्ट्रेट के यहां से बनकर आने में विलंब होता है इसलिये इसको सरलीकरण करने के लिये कलेक्टर्स को राशि उपलब्ध करा दी है जिससे कि जिले में ही इस तरह के मामले का निपटारा कर लें और प्रकरण यहां न आना पड़े. प्रत्येक जिले को प्रारम्भिक तौर पर 5-5 लाख रुपये जिला कलेक्टर को भेज दिया गया है. यह जो हमारे हम्माल है उनके लिये वृद्धावस्था सहायता योजना हमने प्रारंभ की है. जिसमें एक हजार दो हजार रुपये तक हमारा हम्माल,तुलावटी जमा करेगा और एक हजार मंडी बोर्ड जमा करेगा और वह 5 साल तक इस योजना को चलाएगा तो जब वह रिटायर होगा तो पूरा पैसा मय ब्याज के उसको मिलेगा.यह भी काम हमने मध्यप्रदेश में प्रारंभ किया है. हमारी सभी मंडियों को हमने ई अनुज्ञा माडल से जोड़ दिया है और 1 जून,2015 से इसका उपयोग प्रारंभ हो गया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने 25मई, 2015 को इन्दौर में कृषि महोत्सव में इसका शुभारंभ किया था. हमारी मंडियों में टेल अकाउंटेंसी साफ्टवेयर हमने लगा दिया है यह काम 90 कृषि उपज मंडी समितियों में हो चुका है. अब 7 आंचलिक मंडियों में तथा 13 तकनीकी संभागों के 78 कार्यालयों में इस योजना का 31 मार्च तक विस्तार कर देंगे. एगमार्क नेट में हम देश में पहले नंबर पर हैं. मंडियों में किस भाव से वस्तुएं बिकती हैं उसकी हम सूचना हम देते हैं. राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना, ई प्लेटफार्म, इसमें हमने जब कर्नाटक में वर्कशाप हुआ था और कृषि मंत्री जी आये थे तो पहले चरण में हमने 50 मंडियों को चयनित किया है जिसमें कि 30-30 लाख रुपये प्रति मंडी के हिसाब से भारत सरकार से अनुदान मिल रहा है. मंडी बोर्ड से भी हम इसमें कुछ पैसा लगाएंगे और 14 अप्रैल,2016 को करोंद भोपाल की मण्डी से इसका शुभारंभ करने जा रहे हैं. इससे नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट,एन.ए.एम. में किसी भी स्थान का कोई भी व्यक्ति अपनी वस्तुओं को खरीद सकेगा. इसको नेटवर्क से जोड़ रहे हैं. मंडियों के जो सारे लेनदेन हैं. टेंडर से लेकर खरीदी और भुगतान तक हमने इनकी ई टेंडरिंग कर दी है इसीलिये कई बार दिक्कत आती है मैं एक बात कहना चाहता हूं कि पारदर्शी व्यवस्था तो करनी पड़ेगी. इसी के साथ-साथ कहने को तो बहुत है बहुत सी बातें हमारे प्रशासनिक प्रतिवेदन में भी हैं. हमारी उपमंडियों में 1 अप्रैल 2015 से 19 फरवरी तक 3 उपमंडियों को मंडियों का दर्जा दिया और 6 नई उपमंडियां हमने खोलीं. 5 सब्जी और फल की मंडियां खोली हैं और माननीय सदस्यों के जहां-जहां के भी प्रस्ताव आये हैं उन पर भी हम विचार करेंगे. चूंकि मंडी में किसान को जहां एक और अपनी फसल का उचित लाभकारी मूल्य मिलता है वहीं सरकार को आय भी होती है. मैं अंतिम बात कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा.2015-16 में अप्रैल,15 से जनवरी तक की अवधि में प्रदेश की मंडियों में 223.32 लाख टन आवक हुई. विगत 2014-15 की अवधि में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी जो हमारी आवक .68 प्रतिशत कम रही लेकिन इसी के साथ साथ किसानों को उनकी उपज का ज्यादा मूल्य मिलने के कारण जो हमारी आय हुई वह हुई 889 करोड़ रुपये, जो अब तक की सर्वाधिक है और हमारी मंडी की आय में 46.53 करोड़ का इजाफा हुआ है जो कि 5.52 प्रतिशत अधिक है. कहीं पर भी मंडी की आय नहीं घटी है. बाकी जो इलेक्ट्रानिक तोलकांटे इत्यादि हैं यह काम तो हम करते ही रहते हैं और जितना अच्छा हो सकेगा हम अधोसंरचना के क्षेत्र में भी मंडियों को पर्याप्त पैसा दे रहे हैं साथ ही साथ सब्जी मंडियों में हमने विकल्प खुले रखे हैं कि जो लोग सब्जी मंडी के बाहर अपनी सब्जी बेचना चाहते हैं और फल बेचना चाहते हैं वे टैक्स फ्री हैं और जो मंडी के अंदर बेचेंगे उन पर टैक्स लगेगा.एक बड़ा फैसला हमने किया है कि जो सब्जी पर 7 प्रतिशत आढ़त लगती थी उसको घटाकर के हमने 2 प्रतिशत कर दिया है जिससे किसानों को लाभ मिले उसका कुछ जगहों पर विरोध भी हो रहा है, लेकिन मुझे लगता है कि कृषकों के हित में यह निर्णय है. मैं सभी माननीय सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आपका आभार व्यक्त करता कि आपने इतना अधिक समय दिया और कृषि विभाग की मांगों को विस्तृत रूप से आपके सामने रख सके बाकी माननीय सदस्यों से मेरा निवेदन है कि यहीं पर तथा बाद में सदन में उपलब्ध हैं जो आपके सुझाव हैं वह स्वागत योग्य होंगे तथा हम परिणाम देने का प्रयास करेंगे.
अध्यक्ष महोदय--मैं पहले कटौती प्रस्ताव पर मत लूंगा.
मांग संख्या 13 एवं 54 पर कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जाएं.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब मैं मांगों पर मत लूंगा. 31 मार्च 2016 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को ---
अनुदान संख्या---13 किसान कल्याण तथा कृषि विकास के लिये एक हजार आठ सौ सतहत्तर करोड़, 87 लाख बानवे हजार रूपये तथा
अनुदान संख्य--54 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के लिये 91 करोड़ 50 लाख 2 हजार रूपये तक की राशि दी जाए.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत
अशासकीय संकल्प
(1) श्योपुर से ग्वालियर छोटी रेल लाईन (नैरोगेज) को बड़ी रेल लाईन (ब्राडगेज) में परिवर्तन करने के कार्य को शीघ्र प्रारंभ किये जाने
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर)--अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि श्योपुर से ग्वालियर छोटी रेल लाईन (नैरोगेज) को बड़ी रेल लाईन (ब्राडगेज) में परिवर्तन करने के कार्य को शीघ्र प्रारंभ किया जाये.
(2) छतरपुर जिले के रेल्वे स्टेशन डुमरा-सिंहपुर में खजुराहोसे आने तथा जाने वाली इन्टरसिटी एवं सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस गाड़ियों का स्टापेज किया जाये.
कुंवर विक्रम सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि छतरपुर जिले के रेल्वे स्टेशन डुमरा-सिंहपुर में खजुराहोसे आने तथा जाने वाली इन्टरसिटी एवं सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस गाड़ियों का स्टापेज किया जाये.
(श्री सुदेश राय, सदन में अनुपस्थित रहने के कारण उन्होंने संकल्प प्रस्तुत नहीं किया)
(3)रीवा से इन्दौर चलने वाली ट्रेन क्रमांक 11703 को सायं 6.00 बजे तथा इन्दौर से रीवा चलने वाली ट्रेन क्रमांक 11704 को शाम 5.00 बजे से प्रारंभ कर स्लीपर कोच के साथ प्रतिदिन चलाई जाए.
श्री दिव्यराज सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन केन्द्र शासन से यह अनुरोध करता है कि रीवा से इन्दौर चलने वाली ट्रेन क्रमांक 11703 को सायं 6.00 बजे तथा इन्दौर से रीवा चलने वाली ट्रेन क्रमांक 11704 को शाम 5.00 बजे से प्रारंभ कर स्लीपर कोच के साथ प्रतिदिन चलाई जाए.
(4)बैरागढ़ रेल्वे स्टेशन को पश्चिम रेल्वे के रतलाम से हटाकर प्रशासनिक रूप से भोपाल मध्य रेल्वे मण्डल से जोड़ा जाए.
सर्वश्री रामेश्वर शर्मा तथा यशपाल सिंह सिसोदिया--अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन केन्द्र सरकार से अनुरोध करता है कि बैरागढ़ रेल्वे स्टेशन को पश्चिम रेल्वे के रतलाम से हटाकर प्रशासनिक रूप से भोपाल मध्य रेल्वे मण्डल से जोड़ा जाए.
श्री दुर्गालाल विजय--माननीय अध्यक्ष महोदय, श्योपुर जिला मुख्यालय ग्वालियर से 220 किलोमीटर, जयपुर राजस्थान से 200 किलोमीटर, शिवपुरी तथा कोटा रेल्वे स्टेशन से 120 किलोमीटर है.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आवागमन की दृष्टि से...
उच्च शिक्षा मंत्री( श्री उमाशंकर गुप्ता)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार सहमत है ।
अध्यक्ष महोदय- कृपया दो तीन मिनट में अपनी बात कह दें, क्योंकि माननीय मंत्री जी ने कह दिया है कि सरकार सहमत है ।
श्री दुर्गालाल विजय- माननीय अध्यक्ष महोदय,इस दूरी के कारण से और रेल्वे कनेक्टिविटी श्योपुर को न मिलने के कारण से श्योपुर का विकास जो तेज गति से होना चाहिए, श्योपुर विपुल कृषि उत्पादन वाला जिला है और ऐसे स्थान पर रेल्वे कनेक्टिविटी न हो पाने के कारण से जिले का कृषि उत्पादन भी ठीक तरीके से विपणन नहीं हो पाता है और इसके साथ लोगों को आवागमन की भी बहुत कठिनाई होती है कहीं भी किसी भी स्थान पर जाने के लिए लोगों को कोई सुविधा प्राप्त नहीं है ।
03:16 बजे सभापति महोदय( श्री रामनिवास रावत) पीठासीन हुए ।
माननीय सभापति महोदय, एक बार जाकर के और लम्बी दूरी तय करके रेल्वे स्टेशन पर जाना पड़ता है । स्टेट टाईम की जो छोटी रेल लाईन जो नैरोगेज लाईन है, यह नैरोगेज लाईन काफी लंबे समय से चल रही है, लगभग 28 स्टेशन इसके बीच में है और ग्रामीण अंचल में वनवासी क्षेत्र से गुजरने वाली इस रेल लाईन को ब्रॉडगेज में परिवर्तित करके इसको दिगोज कोटा से जोड़े जाने की आवश्यकता है माननीय सभापति महोदय, आपकी जानकारी में भी है कि यह रेल्वे लाईन पिछले समय मंजूर हुई है, लेकिन इसका कार्य अभी प्रारंभ नहीं हुआ है, इसके कारण से मैं सदन के समक्ष इस प्रस्ताव को लेकर के आया हूँ कि यह सदन केन्द्र सरकार से अनुरोध करे कि वनवासी क्षेत्र की इस रेल लाईन को जल्दी से जल्दी प्रारंभ किया जाए, जिससे श्योपुर के जिले वासियों को और आसपास के क्षेत्र के लोगों को विशेषकर किसानों को आवागमन की सुविधा प्राप्त हो सके और श्योपुर कृषि उपज मंडी में जो विपुल मात्रा में धान,गेंहू की जो फसलें आती हैं, उनके परिवहन के लिए भी ठीक से व्यवस्था हो सके, इस कारण से इस रेल मार्ग को बड़ी रेल लाईन के रूप में परिवर्तित किया जाकर और इसको कोटा से जोड़े जाने की मेरी प्रार्थना है । माननीय सभापति महोदय, आपने बोलने के लिए समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय- इसके लिए पैसा और जोड़ना चाहिए था, यदि पैसा केन्द्र सरकार से रिलीज हो जाएगा तो काम शुरू हो जाएगा ।
श्री दुर्गालाल विजय- जी, सभापति महोदय, यह सही है जब यह प्रस्ताव जाएगा तो उस पर विचार करके राशि देना चाहिए काम प्रारंभ होगा बिना राशि के प्रारंभ नहीं होता है, इसलिए हमने प्रार्थना की है कि इसको प्रारंभ कराने के लिए सरकार जल्दी तय करके शुरू कराए तो राशि उपलब्ध हो जाएगी, धन्यवाद ।
कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर)- माननीय सभापति महोदय, मेरा जो अशासकीय संकल्प है, आपके माध्यम से मैं चाहता हूँ कि सरकार केन्द्र सरकार को यह प्रस्ताव भेजे और सर्वसम्मति से भेजे ताकि डुमरा, सिंगपुर में इंटरसिटी एवं संपर्कक्रांति का स्टापेज हो सके, ताकि वहां से लगा हुआ महाराजपुर का जितना भी क्षेत्र है हमारे लवकुश नगर का जितना भी क्षेत्र है, ग्रामों की संख्या गिनाने आऊंगा तो 158 गांव हैं, जो इस क्षेत्र में लगते हैं ।
सभापति महोदय- सरकार सहमत है, गांव के नाम गिनाने की आवश्यकता नहीं है ।
कुंवर विक्रम सिंह- धन्यवाद सभापति महोदय, यदि सरकार सहमत है तो मैं सरकार का भी धन्यवाद करता हूँ और गाडियां रूकें यही आशा और उम्मीद रखता हूँ.
श्री दिव्यराज सिंह(सिरमौर)- माननीय सभापति महोदय,वतर्मान् में रीवा से इंदौर ट्रेन चल रही है, वह रीवा से सुबह 5 बजे चलकर इंदौर 8 बजे पहुंचती है और इंदौर से प्रात: 4 बजे चलकर रीवा रात्रि 10:10 बजे पहुंचती है । माननीय सभापति महोदय, इसकी जो टायमिंग है, लगभग 15 घण्टे जनता को चेयरकार में बैठकर जाना पड़ता है, मेरे ख्याल से किसी भी ट्रेन में 15 घण्टे बैठकर जाने के लिए काफी लम्बा समय होता है,इसलिए मैं यह मांग करता हूँ कि इसकी टायमिंग चेंज कराई जाए और इसको ओव्हर नाईट ट्रेन बनाई जाए । माननीय सभापति महोदय, इस ट्रेन का उपयोग रीवा, सीधी तथा सतना जिलों के लोग करते हैं. इन्दौर में 2 लाख से ऊपर हमारे क्षेत्र के लोग वहां पर निवास करते हैं. इन्दौर हमारे राज्य की फायनेन्शियल कैपिटल भी है.
डॉ. रामकिशोर दोगने - माननीय सभापति महोदय, मुझे अभी यह सूचना प्राप्त हुई है कि लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री पी. ए. संगमा जी का निधन हो गया है.
सभापति महोदय - सदन के विषय पूर्ण होने के बाद.
श्री दिव्यराज सिंह - सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से इस सरकार से अनुरोध करता हूँ कि केन्द्र सरकार से इसका समय बदलने की व्यवस्था की जाये. आपका धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) - माननीय सभापति महोदय, मेरा जो आग्रह है, वह इस प्रकार है कि जो रतलाम और भोपाल की दूरी लगभग 300-325 किलोमीटर की है और पश्चिम रेल्वे में हमारा बैरागढ़ जो मेरी विधानसभा क्षेत्र में है और भोपाल डी.आर.एम. से जिसकी दूरी 16 से 17 किलोमीटर है. बैरागढ़, जो सन्त हिरदाराम नगर है, वह व्यावसायिक केन्द्र भी है. व्यावसायिक केन्द्र के साथ-साथ, वहां ई.एम.ई. आर्मी सेन्टर भी है और उसके कारण वहां रेल्वे स्टेशन पर प्रशासनिक नियंत्रण पर भी शिथिलता आती है और साथ में उसके विस्तार में भी परेशानी आ रही है. दूसरा, जब भी हम बात करते हैं हमको ऐसा लगता है कि बैरागढ़ और भोपाल की दूरी 16 किलोमीटर होने के बाद यहां बैरागढ़ रेल्वे मण्डल को भोपाल रेल्वे मण्डल से जोड़ा जाये तो इसका नियन्त्रण आसानी से होगा और उसका विकास भी हो सकता है और आसानी से वहां पर सुविधायें जुटाई जा सकती हैं. लेकिन 300-350 किलोमीटर दूरी होने के बाद, वहां से अगर हम डी.आर.एम. से सम्पर्क करें तो हमारा सम्पर्क भी नहीं होता और अनेक प्रशासनिक बाधायें भी आती हैं.
सभापति महोदय, आये दिन वहां व्यापारिक क्षेत्र होने के कारण, प्रशासनिक वहां पर लोगों में तनाव रहता है और भी विकास की अनेक चीजें हैं, उसके कारण नहीं हो रहा है. अगर भोपाल मध्य डी.आर.एम. से सन्त हिरदाराम बैरागढ़ रेल्वे स्टेशन को जोड़ा जाये तो यहां के नागरिकों को सुविधा होगी और लगभग 2.50 लाख से 3.00 लाख की आबादी को सुविधा होगी. साथ में, उसमें प्रशासनिक नियन्त्रण आसानी तथा सुगमता से हो सकता है. आपके माध्यम से, मेरा आग्रह है कि वह यहां के नागरिकों की परेशानियों के कारण है, वर्षों से यह मांग चली आ रही है, सदन भी सहमत है तथा सरकार भी सहमत है. आग्रह यही है कि हम अगर केन्द्र सरकार से और आग्रह करेंगे कि इसको रतलाम डी.आर.एम. से हटाकर, भोपाल डी.आर.एम. में बैरागढ़ सन्त हिरदाराम नगर रेल्वे स्टेशन को जोड़ा जाये.
3.23 उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह बात बिल्कुल सत्य है कि बैरागढ़ अपने आप में आऊटर है. जहां गाड़ी खड़ी रहती है, समझो, बैरागढ़ आ गया है. परन्तु क्यों किन कारणों से रतलाम जिसकी दूरी बैरागढ़ भोपाल से 300 किलोमीटर है. यह भी आश्चर्यजनक तथ्य है कि मध्य रेल्वे का डी.आर.एम. कार्यालय बैरागढ़ में मात्र 10 किलोमीटर दूर है. भोपाल का डी.आर.एम. कार्यालय बैरागढ़ से 10 किलोमीटर दूर है. पश्चिम क्षेत्र का जो रतलाम डी.आर.एम. है, जो बैरागढ़ से 300 किलोमीटर दूर है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, व्यापारिक संगठनों ने इस संबंध में कई बार वरिष्ठ रेल अधिकारियों और जन-प्रतिनिधियों को ज्ञापन भी दिये हैं. रेल उपभोक्ता संघ ने भी कई बार इस मामले को लेकर ध्यान आकृष्ट किया है. उपाध्यक्ष महोदय, सबसे बड़ी जो परेशानी आती है, वह पश्चिमी रेल्वे का अंतिम स्टॉपेज होने के कारण, यहां पर समुचित विकास बैरागढ़ का नहीं हो पा रहा है. दूसरा, 14 से 15 यात्री गाडि़यों का स्टॉपेज पश्चिम क्षेत्र रेल्वे का अंतिम स्टेशन होने के कारण बैरागढ़ के नागरिकों को, यात्रियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, रेल्वे प्लेटफॉर्म का विकास नहीं होने के साथ-साथ, डिसप्ले बोर्ड भी उसके ऊपर नहीं लग पा रहा है. दैनंदिनी कार्यों को लेकर कुछ व्यापारियों की, कुछ यात्रियों की कुछ बोगियों को लेकर जो शिकायतें या परेशानियां होती हैं. उसके लिये बैरागढ़ भोपाल के लोगों को, बैरागढ़ भोपाल को इसलिए जोड़ रहा हूँ कि वह एक ही है. बैरागढ़ के लोगों को रतलाम डी.आर.एम. से सम्पर्क करना पड़ता है.
उपाध्यक्ष महोदय, यह आवश्यक होगा कि यह मध्य क्षेत्र का जो भोपाल डी.आर.एम. कार्यालय है, उससे इसको संविलियन कर दिया जाये. मैं समझता हूँ कि इस मामले में, पूरा सदन सर्वानुमति से इस प्रस्ताव का समर्थन करेगा.
श्री मुकेश नायक (पवई) -- उपाध्यक्ष महोदय, हमारे सम्मानित विधायक, रामेश्वर शर्मा जी ने जो यह अशासकीय संकल्प सदन में रखा है, मैं इसके प्रति अपनी सहमति प्रकट करता हूं और यह अशासकीय संकल्प जनोपयोगी, जनता की रोजमर्रा की जिंदगी से संबंधित है और भोपाल के लोगों के लिये बेहद उपयोगी है. इसलिये इस अशासकीय संकल्प को अगर पारित किया जाये, तो मैं इसके प्रति अपनी सहमति प्रकट करता हूं.
परिवहन मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह)-- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य, श्री दुर्गालाल जी विजय, कुंवर विक्रम सिंह जी, श्री दिव्यराज सिंह जी, श्री रामेश्वर शर्मा जी, श्री यशपाल सिंह सिसोदिया जी एवं श्री मुकेश नायक जी के द्वारा यह जो प्रस्ताव यहां पर प्रस्तुत किय गया है, इस प्रस्ताव से विभाग पूरी तरह से सहमत है और ये सभी प्रस्ताव केंद्र सरकार से संबंधित हैं. हम सभी प्रस्तावों को विभाग की ओर से सर्वानुमति से केन्द्र सरकार को भेज देंगे.
उपाधय्क्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि -
(1) श्योपुर से ग्वालियर छोटी रेल लाइन (नैरोगेज) को बड़ी रेल लाइन (ब्राडगेज) में परिवर्तन करने के कार्य को शीघ्र प्रारंभ किया जाए,
(2) छतरपुर जिले के रेल्वे स्टेशन डुमरा- सिंहपुर में खजुराहो से आने तथा जाने वाली इन्टरसिटी एवं सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस गाड़ियों का स्टापेज किये जावे,
(3) रीवा से इंदौर चलने वाली ट्रेन क्रमांक 11703 को सायं 6.00 बजे तथा इंदौर से रीवा चलने वाली ट्रेन क्रमांक 11704 सायं 5.00 बजे से प्रारंभ कर स्लीपर कोच के साथ प्रति दिन चलाई जाए, तथा
(4) मध्यप्रदेश के भोपाल के समीप बैरागढ़ रेल्वे स्टेशन को प्रशासनिक रुप से हटाकर समीपस्थ भोपाल रेल मण्डल (डी.आर.एम.कार्यालय) से जोड़ा जाए.
संकल्प सर्व सम्मति से स्वीकृत हुए.
श्री रामेश्वर शर्मा -- उपाध्यक्ष महोदय, अशासकीय संकल्प में रतलाम शब्द जोड़ दें. रतलाम से हटाकर भोपाल डीआरएम में किया जाए, यह जोड़ दें.
उपाध्यक्ष महोदय -- जी हां.
(2) प्रदेश के मीणा (रावत,मैना,देशवाली), मांझी (कहार,ढीमर,भोई, केवट) कीर एवं पारदी जाति को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मिलित किया जाना.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि -
सदन का यह मत है कि प्रदेश के मीणा (रावत,मैना,देशवाली), मांझी (कहार,ढीमर,भोई, केवट) कीर एवं पारदी जाति को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मिलित किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय -- संकल्प प्रस्तुत हुआ. उक्त संकल्प में एक संशोधन है.
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि संकल्प क्र. 2(1) की द्वितीय पंक्ति में शब्दावली "पारदी" के बाद शब्दावली तथा "धानक" जोड़ा जाए.
उपाध्यक्ष महोदय -- संशोधन प्रस्तुत हुआ. अब मूल अशासकीय संकल्प एवं प्रस्तुत संशोधन पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री रामनिवास रावत -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा यह संकल्प प्रस्तुत किया गया है कि मध्यप्रदेश की मीणा जाति, मांझी जाति, कीर और पारदी. मीणा में कई जगह भिन्न भिन्न, अलग अलग ढंग से लिखते हैं रावत, मैना, देशवाली और मांझी, जो पानी से संबंधित काम करने वाली कहार,ढीमर,भोई, केवट और कीर एवं पारदी जाति को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अनूसचित जनजाति की अनुसूची में सम्मिलित किया जाए. जैसा कि आदिवासी अनुसंधान केन्द्र के माध्यम से यह रिसर्च किया जाता है कि कौन कौन सी जातियां आदिवासियों के अंतर्गत आती हैं और कौन कौन सी जातियां नहीं आती हैं. मैं मीणा जाति के संबंध में कहना चाहूंगा कि मीणा जाति मूलत: राजस्थान की एक आदिवासी, पिछड़ी जाति है जो समूहों में, जंगलों में, बीहड़ों क्षेत्रों में रहती थी, धीरे धीरे आदमी की लाइफ स्टाइल चेंज होती रही, आजीविका की स्थितियां बनती रहीं तो राजस्थान से माइग्रेन होकर के मीणा जाति मध्यप्रदेश में भी बसी, महाराष्ट्र में बसी और देश के अन्य प्रदेशों में बसी. जब मध्यप्रदेश का पुर्नगठन हुआ राजस्थान राज्य के सिरोंज और लटेरी सब डिवीजन राजस्थान क्षेत्र के थे वह मध्यप्रदेश में मिले उस समय मीणा जाति काफी संख्या में सिरोंज और लटेरी में भी निवास करती थी और सिंरोज और लटेरी में मीणा जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त था. इसके पुराने इतिहास में जाने से पूर्व मैं यह भी निवेदन करना चाहूंगा कि भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र 2013 में यह घोषणा की थी अंत्योदय, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग वनवासी, अल्पसंख्यक कल्याण के माध्यम से मैं संकल्प 2013 भारतीय जनता पार्टी,मध्यप्रदेश की बात कर रहा हूं. इसके चोथे क्रमांक पर है कि मांझी, कीर, मीणा एवं अन्य जाति अनुसूची में शामिल होना चाहती हैं उनकी अनुशंसा मध्यप्रदेश की सरकार केन्द्र सरकार को भेज रही है.माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूर्व में भी यह संकल्प 28.2.2003 को यहां से पारित हुआ यहां से प्रस्ताव भी गया लेकिन इसके बाद भी स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि कहीं न कहीं या तो इसमें राज्य सरकार की मंशा नहीं रहती , राज्य सरकार निर्धारित प्रोफार्मा में अपना प्रस्ताव नहीं भेज पाती या कहीं न कहीं इसको परस्यू करने में राज्य सरकार पीछे रह जाती है इसलिये यह प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो पाते हैं. मैं ध्यान दिलाना चाहूंगा कि 1931 में सबसे पहले जनगणना आधारित आंकडे प्रकाशित किये गये थे और 1971 के जनगणना आधारित आंकड़ों के प्रकाश में एससी एसटी कास्टवाइज सेन्सस की बुक भी प्रकाशित की गई थी. इसमें सेन्सस आफ इंडिया 1931 जे.एच.हटन की लिखी हुई यह किताब है. ट्रायवल के मामले में लिखी गई है, जिसका नाम है "सेन्सस आफ इंडिया विथ कंपलीट सर्वे आफ ट्रायवल लाईफ एंड सिस्टम" - लेखक जे.एच. हटन. इस पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 522 की टेवल 27 में आदिवासी जाति क्रमांक-2 पर मीना जाति पूरे भारत की आदिवासी सूची में सम्मलित है. इसी प्रकार से एक पुस्तक है "आक्सफोर्ट इंडिया पेपरबेक द शेड्यूल ट्राइब्स आफ" जिसके लिखक हैं के. एस. सिंह उनकी पुस्तक में भी पृष्ठ क्रमांक 1222 की आदिवासी जाति की सूची के क्रमांक 251 पर मीना जाति इसमें सम्मलित है. मध्यप्रदेश के गठन के पूर्व, आजादी के पूर्व यहां नागपुर स्टेट हुआ करती थी. मध्य प्रांत सरकार नागपुर में भी. नागपुर-तारीख 31 मार्च 1949 को..
श्री वेल सिंह भूरिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय रावत जी से कहना चाहता हूं कि इतने साल यह क्यों नहीं जुड़ी, दूसरी जातियों को जबरन मध्यप्रदेश में क्यों जुड़वा रहे हो.
उपाध्यक्ष महोदय-- बेलसिंह जी बैठ जायें, यह प्रश्नकाल नहीं है.रावत जी को अपनी बात रखने दें.
श्री रामनिवास रावत- मैं आपसे बाद में बात कर लूंगा. अभी मुझे कहने दें.
श्री वेल सिंह भूरिया-- हां कर लेंगे बात.
श्री रामनिवास रावत -- उपाध्यक्ष महोदय, 1949 में आदिवासी जाति की सूची प्रकाशित हुई मध्य प्रांत की रियासत नागपुर के द्वारा. इसमें कवांर और केवट क्रम 50 और 51 पर है, 71 पर मांझी है 95 पर मीना जाति को इसमें रखा गया है लेकिन धीरे धीरे इन लोगों को इस सूची से हटा दिया गया, कहीं न कहीं इसमें किसी न किसी की भूल या कमजोरी रही या मध्यप्रदेश में मीणा भी,कीर भी, मांझी भी और पादरी छोटी छोटे पॉकेटों में आते थे, मांझी तो आज भी आदिवासी की अनुसूची में उल्लेखित हैं लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि मांझी जाति में कौन कौन लोग आते हैं. ढीमर, केवट, भोई, मल्लाह यह सारे लोग इसमें आते हैं और इसकी वजह से पहले प्रमाण पत्र दिये जाते थे, अब प्रमाण पत्र देना बंद कर दिया है. और केन्द्र सरकार ने वर्ष 2002 में इन सभी जातियों को एसटी की सूची में से डिलीट कर दिया बिना राज्य सरकार की अनुशंसा के. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूर्व में भी भारतीय जनता पार्टी, माननीय अध्यक्ष महोदय आसंदी पर नहीं हैं, श्री सीतासरन शर्मा जी जब विपक्ष में थे और सदस्य थे तब उनके द्वारा भी अशासकीय संकल्प लाये गये और इस पर काफी बहस भी हुई और काफी चर्चा भी हुई, अशासकीय संकल्प सर्वानुमति से पारित हुये. हमारी यह चाहत है कि संकल्प के साथ-साथ इसका पूरा सर्वे कराकर के पूरी रिपोर्ट एक निर्धारित प्रोफार्मा पर डीआरआई के सहित भेजें. इसी के साथ-साथ जो अधिकारी कर्मचारी पहले मांझी जाति के हों, मीणा जाति के हों जो सिरोंज और लटेरी के प्रमाण पत्र के आधार पर शासकीय सेवा में आये हों अधिकारी हों, कर्मचारी हों और इसी तरह से मांझी जाति के लोग हों उन पर कार्यवाही करने का काम और सरकार ने प्रारंभ कर दिया है, जबकि इसी के साथ-साथ एक उच्चतम न्यायालय का निर्णय भी है. उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार इसी सरकार ने मोंगिया जाति के संबंध में हलवा कोष्ठी जाति के संबंध में आदेश भी जारी किये हैं कि इस जाति के लोगों को उच्चतम न्यायालय ने यह कहा कि अब जो लगे हुये हैं उन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाये भविष्य में बिना जाति प्रमाण पत्र के जब हटा ही दिया डिलीट कर दिया तो उन्हें बंद कर दिया तो उन पर भी रोक लगाने के लिये मैं अनुरोध सत्ता पक्ष से, सरकार से, माननीय मंत्री जी से करूंगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यही चाहता हूं बोलने के लिये तो काफी कुछ है कि भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में भी है, संकल्प पत्र में भी है. हम चाहते हैं कि इन सभी जातियों को जिसमें आदिवसी जातियों के सभी लक्षण हैं, कीर है, पारधी है, मीणा है और मांझी है, इन सभी को अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मिलित करने के लिये सर्वानुमति से इस प्रस्ताव को पारित करें, मेरा यही निवेदन है.
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धानुक जाति लगभग संपूर्ण प्रदेश में है और नरसिंहपुर जिले में वह जाति गरीब और गांव में रहने वाली जाति है. 1995 के पूर्व वह अनुसूचित जनजाति वर्ग में वह आती थी, वर्ष 1998 के बाद उसको उस सूची से अलग कर दिया. दिनांक 14.6.2012 में एक परीक्षण आदिम जाति अनुसंधान विकास द्वारा परीक्षण हुआ, अनुसूचित जाति के रूप में उसको सिद्ध किया गया कि यह अनुसूचित जाति में आती है. यह तो सिद्ध हो गया कि यह जाति बहुत पिछड़ी है, गरीब है और बहुत कमजोर है. धानुक जाति यह मानती है कि हम अनुसूचित जनजाति में हैं और हमारी जो रिश्तेदारी है वह अनुसूचित जनजाति में रहने वाले लोगों के साथ है और वह चाहती है कि उसको अनुसूचित जनजाति में रखा जाये. मैं माननीय उपाध्यक्ष महोदय से निवेदन करता हूं कि आप इसमें केन्द्र सरकार को सर्वसम्मति से अनुसूचित जनजाति में जोड़ने का प्रस्ताव पास करें.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे सीहोर जिले में खासकर मेरी इछावर विधानसभा में, इछावर नगर पंचायत के कुछ मोहल्लों में पारधी जाति के लोग निवासरत हैं, वह अत्यंत गरीब हैं और निर्धन हैं उनके बहुत से रिश्तेदारों को अन्य जिलों में अनुसूचित जाति का जनजाति का प्रमाण पत्र दिया जाता है, लेकिन वहां पर वह प्रमाण पत्र पहले इछावर में भी दिया जाता था, वह बंद कर दिया गया है और इस जाति के विकास हेतु इनके पास न जमीन है न जायदाद है, न कोई काम है और पहले से भी इनको इसी वर्ग में रखा जाता था. संपूर्ण मध्यप्रदेश में पारधी कहीं पर इनको बागरी भी कहा जाता है, पारधी से भी मिलता-जुलता है, तो इस संपूर्ण जाति को पूरे मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाये, उसी तरीके से जो मीणा जाति है मेरी इछावर विधानसभा में उनको देशवाली भी कहा जाता है वह भी हमारे जंगल का जो इलाका है वन क्षेत्र का उसमें निवासरत हैं. चाहे वह मुंगाड़ा हो, चाहे वह कनेरिया ऐसे कई आदिवासी अंचल के गांव हैं जिसमें वह वर्षों से निवासरत हैं और वहां पर दूसरी आदिवासी जातियां भी निवासरत हैं उन्हें भी आदिवासी समाज में जोड़ा जाये, और इसी तरह से सीहोर जिले में भोई समाज रहता है जिनको कहीं पर कहार, ढींमर और केवट कहा जाता है, इन्हें भी अनुसूचित जनजाति में जोड़ा जाये.
उपाध्यक्ष महोदय,मैं आपके माध्यम से सदन से अनुरोध करता हूं कि सीहोर जिले में निवासरत् पारदी जाति जिसको बागरी भी कहते हैं और अन्य उल्लेखित जैसे मीना,रावत,मैना,देशवाली और मांझी, कहार,ढीमर,भोई,केवट कहा जाता है, सदन सर्व सम्मति से केन्द्र सरकार की ओर प्रस्ताव भेजे कि इन जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करे ताकि बहुत पीछे रह गये समाज के उत्थान के लिए प्रदेश में कार्य हो सके. धन्यवाद.
श्री मुकेश नायक--उपाध्यक्ष महोदय, मैं सदन में मंत्रिमंडल के सदस्यों की उपस्थिति की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. एक मंत्री माननीय गुप्ता जी और (XXX) मंत्री माननीय जैन साहब..
उपाध्यक्ष महोदय--नहीं, ऐसा नहीं कहें. इसे कार्यवाही से निकाल दें. (हंसी)
श्री मुकेश नायक-- वह राज्यमंत्री हैं, आप(श्री उमाशंकर गुप्ता )केबिनेट मंत्री हो. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत-- मुकेश भाई, आज तो उनको पूरा मंत्री कह दो.
उपाध्यक्ष महोदय--मुकेश जी, वह संसदीय कार्य राज्यमंत्री हैं.
श्री मुकेश नायक-- वह राज्यमंत्री हैं, केबिनेट मंत्री नहीं हैं. मैं यह कहना चाह रहा हूं कि इतने बड़े मंत्रिमंडल में (XXX) मंत्री विधानसभा में मौजूद हैं. संसदीय कार्यों के प्रति उनके दायित्व और कर्त्तव्य का बोध कराते हुए निर्देशित करें. बेचारे पूरी विधानसभा का इतना बड़ा बोझ उठाये हुए हैं. (हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय-- (XXX) शब्द भी हटा दीजिए.
श्री शरद जैन--मुकेशजी, सामने की तरफ भी देख लें.
श्री वेलसिंह भूरिया--उपाध्यक्ष महोदय, मैंने इस संकल्प में बोलने के लिए भी अपना नाम दिया है. मेरा नाम है ना?
श्रीमती ममता मीना(चाचौड़ा)--उपाध्यक्ष महोदय, हमारे पूर्व वक्ताओं ने मीना,मांझी, कीर और पारदी, ढीमर, केवट,भोई,रजक,धोबी समाज के बारे में कहा मैं उसका समर्थन करती हूं.
समय 3.42 अध्यक्ष महोदय (डॉ सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में ऐसी विसंगति आ गई कि मध्यप्रदेश में विदिशा जिले में सिरोज तहसील में मीना एसटी में आते थे लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा 2002 में जो जनगणना हुई उसमें बिना राज्य शासन के अनुमति के उन जातियों को केवल आंकड़े दर्शा कर विलोपित कर दिये. उसके बाद मीना समाज संगठन के द्वारा एक माह तक लगातार रेल या विधानसभा का घेराव और धरना प्रदर्शन करते रहे. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप जिस समय विधायक थे आप लोग 2003 में अशासकीय संकल्प लेकर आये थे. 2003 में अशासकीय संकल्प सदन के द्वारा सर्वसम्मति पारित होकर गया था. बहुत सारे सदस्य उस के पक्ष में बोले थे. लेकिन अध्यक्ष महोदय, कुछ टेक्निकल रिपोर्ट होती है, उस समय सरकार के द्वारा टेक्निकल रिपोर्ट लगायी नहीं गई क्योंकि जो टेक्निकल रिपोर्ट होती है वह अगर लगाई होती तो अब तक मध्यप्रदेश में मीना, मांझी, कीर, पारदी जाति को अब तक आरक्षण का लाभ मिल गया होता.
अध्यक्ष महोदय, सबसे बड़ी बात यह देखें कि राजस्थान में मीना समाज को आदिवासी का दर्जा प्राप्त है. हम लोग पुराने समय के राजस्थान से माईग्रेट लोग हैं. आज भी हमारे लोग वहां पर मौजूद हैं. आज भी हमारी माता पूजा होती है. आज भी हमारे जादापोती आते हैं तो वे वहां का उल्लेख करते हैं. संपूर्ण मध्यप्रदेश में मीना,मांझी, कीर,पारदी जाति राजस्थान से हैं. हमारे जादापोती को भी न्यायालय ने स्थान दिया है. लेकिन हम जब राजस्थान से शादी करके लड़की लेकर आएं तो राजस्थान की लड़की यहां पर पिछड़ा वर्ग में या सामान्य में चली जाती है, उसके जो बच्चे होते हैं तो वह सामान्य या पिछड़ा वर्ग में आ जाते हैं. अगर मध्यप्रदेश से हमारी लड़की शादी करके राजस्थान जाती है तो उसके बच्चे तो आदिवासी में आ जाते हैं. ऐसी विसंगति क्यों हैं?
अध्यक्ष महोदय, एक ही देश है, उसी में मध्यप्रदेश है, और उसमें ही राजस्थान भी है. मैं सबसे बड़ी एक विसंगति और बताती हूं कि मेरी विधान सभा चाचौड़ा है, उससे 7 कि.मी. बाद राजस्थान की सीमा प्रारंभ हो जाती है. राजस्थान की सीमा प्रारंभ होते ही जो मनोहर थाना के विधायक हैं श्री कमललाल जी मीना, वह आदिवासी सीट से आते हैं. उसके अलावा छबड़ा विधान सभा की बात करें तो छबड़ा विधान सभा के और मेरी विधान सभा के बीच में एक हंडेरी नदी बहती है, वहां जो लोग बोलते हैं तो कहते हैं कि डेश्याखेड़ी और बेजातपुर दोनों को एक करके बोलते हैं. जो डेश्याखेड़ी जो गांव है, वह मेरी चाचौड़ा विधान सभा में आता है और जो बेजातपुर गांव है, वह छबड़ा विधान सभा में आता है. वह जो एक मात्र नदी बीच में है, उसी सिंचाई वह करते हैं, एक ही नदी के सिंचाई के पानी से जो अन्न आता है वह खाते हैं. एक ही नदी में नहाते हैं, धोते हैं, केवल वह एक ही नदी बीच में है. लेकिन उधर बेजातपुर वाले मीना आदिवासी में आ गये. इधर वाले मीना पिछड़ा वर्ग में आ गये. ऐसी विसंगति वहां पर बनी हुई है. इसीलिए अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं कि पूर्व में भी अंग्रेजों के शासनकाल में भी जो जातिगत जनगणना हुई थी, उस जनगणना में भी जो जातिगत उल्लेखित पुस्तकें थीं, वर्ष 1929 में जातिगत जनगणना हुई थी. वर्ष 1931 में जारी आंकड़ों के अनुसार पूरे भारत वर्ष में आदिवासियों जातियों की सूची में मीना जाति को सम्पूर्ण भारत में आदिवासी माना गया. इसी तरह सेंसस ऑफ इंडिया, 1931 जे.एच. भुट्टन की ' दि शेड्युल्ड लाईफ ' के.एस. सिंह की पुस्तक है उसमें मीना जाति का उल्लेख है. मध्य भारत में उस समय की राजधानी नागपुर में दिनांक 31 मार्च, 1949 को आदिवासी जाति क्रमांक 95 में मीना सम्पूर्ण भारत में आदिवासी में आते थे. इसी तरह से मैं अध्यक्ष महोदय, आपसे संरक्षण भी चाहूंगी कि जो मीना, कीर, पारदी, मांझी और भी अन्य समाज हैं जिसके बारे में माननीय सदस्यों ने उल्लेख किया, उनके साथ में एक कार्यवाही चलती चली जा रही है क्योंकि मीना समाज के अधिकारी कर्मचारी बहुत लम्बे समय से सर्विस में हैं. मीना, कीर, पारदी, मांझी समाज के अधिकारी कर्मचारी बहुत लम्बे समय से सर्विस में हैं. मैं यह संरक्षण भी चाहूंगी कि सर्वसम्मति से पूरे मध्यप्रदेश में मीना समाज को आदिवासी जाति में घोषित किया जाय. साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों के ऊपर कार्यवाहियां चल रही हैं, उस पर भी लिखित में यहां से आदेशित कराएं क्योंकि जिस तरह से वर्ष 1998 में मोगिया समाज के लिए और उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार हलवा, कोष्टी के लिए जैसा निकला है, ऐसा आदेश मीना समाज के लिए भी निकलना चाहिए. उसी के साथ-साथ मैं यह एक और निवेदन करना चाहती हूं कि जब पूरे देश में उस समय मीना समाज आदिवासी में आता था तो राजनीतिक षड्यंत्रों के कारण मध्यप्रदेश में उसे हटाया गया था.
अध्यक्ष महोदय, यह जो भारतीय जनता पार्टी का घोषणा पत्र है, उसके पूरे ऑरिजनल दस्तावेज में उपलब्ध करवा दूंगी. वर्ष 2013 के घोषणा पत्र में भी इसका उल्लेख है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में मीना समाज को अनुसूचित जनजाति में घोषित करने के लिए उन्होंने घोषणाएं की है. आप चाहें तो मैं उसकी सीडी और कटिंग उपलब्ध करवा दूंगी. अध्यक्ष महोदय, आपसे और माननीय सदस्यों से भी निवेदन है कि आप भी सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को यहां से पास करवाकर केन्द्र को भेजें. अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री पन्नालाल शाक्य ( गुना ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तीन साल में तीसरी बार खड़ा हुआ हूं और आप कह रहे हैं कि संक्षेप में बोलूं. लोग कितना बोलते हैं डिस्टर्ब करके बोलते हैं. आप उनको रोक नहीं पाते हैं. मेरा निवेदन है कि तीन चार बिन्दुओं पर बात करूंगा कृपया सुन लें बस.
कल की बात है रावत जी ने कहा था कि दर्शक दीर्घा में ऐसा ऐसा हो रहा है. जो यहां पर अभी कर रहे थे उनके विषय में भी बोला करो. लोगों ने इस सदन को मंदिर कहा है और परिवार कहा है तो इस सदन को मंदिर के रूप में उपयोग करके कोई भी नियम और कानून बनाने की बात करना चाहिए. आज जो एक प्रस्ताव आया है बहुत अच्छी बात है, सारे सारे के जनमानस ब्रम्हा जी की ही तो औलाद हैं, फिर आरक्षण की क्या आवश्यकता है. लेकिन जिन्होंने (XXX) जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह विलोपित करें.
श्री पन्नालाल शाक्य -- चाहे वह फिर जनप्रतिनिधि हों या शासकीय कर्मचारी हों पहले उनके खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए. उसके बाद में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से भेजा जाय. मेरा इस बात पर विरोध है कि पहले उनके खिलाफ में कार्यवाही की जाय. सब आनंद कर रहे हैं मैने 10 लोगों के नाम दिये थे जो जनप्रतिनिधि बनकर आये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप विषय पर बोलें.
श्री पन्नालाल शाक्य -- तो मेरा तो विरोध है इस पर.
श्री दुर्गालाल विजय ( श्योपुर ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि इस प्रस्ताव में भोई, कीर और मीना जाति के बारे में उल्लेख किया गयाहै. पारदी हमारे क्षेत्र में नहीं है तो उसकी जानकारी भी हमें नहीं है लेकिन कीर के बारे में जानकारी मुझे है. मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में कीर रहते हैं. जैसी दूर्दशा उनकी है ऐसी दुर्दशा तो किसी बिरादरी की होगी नहीं. यह लोग बहुत पहले चंबल के किनारे नांव चलाने का काम करते थे बड़े पुल बन जाने के कारण इनके पास में कोई रोजगार का साधन नहीं है उनका कोई मकान नहीं है, उनको कोई भूमि भी पट्टे पर नहीं दी गई है. अगर उनके जीवन को देखें तो निश्चित रूप से आरक्षण मिलने के लिए वह अव्वल नंबरपर बिरादरी है उसको लाभ दिया जाना चाहिए ऐसा मेरा अनुरोध है.
भोई समाज के लोग जो कि श्योपुर जिले में काम करते हैं.मछली पकड़ते हैं कभी कभी बाजार में भी ले आते हैं कभी कभी पुलिस डंडा मारकर भगा देती है तो वन विभाग केलोग भगा देते हैं मछली नहीं पकड़ने देते हैं जाल जब्त कर लेते हैं. ऐसी विषम परिस्थिति में जीवन निर्वाह करने वाले लोगों के पास में रोजगार का और कोई साधन नहीं है. उनको निश्चित रूप से आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.
अभी मीना जाति के बारे में यहां पर पूर्व वक्ताओं ने उल्लेख कियाहै. मैं राजस्थान जिले की सीमा पर रहता हूं. जैसा कि अभी ममता जी ने उल्लेख किया है कि एक नदी बीच में से बहती है इधर के मीना सामान्य बिरादरी में हैं और उधर के मीना आरक्षण का लाभ ले रहे हैं, जनजाति में हैं. एक ही नदी के किनारे खेती करना, उसी नदी से पानी लेना सब कुछ होता है. पिछले समय में हमारे श्योपुर जिले में मीना जाति का प्रवेश हुआ है वह राजस्था जिले से ही हुआ है. उ स समय का राजस्थान का जो कानून था राजस्थान के जो नियम प्रक्रिया बनाये गये थे. उसमें केवल हमारा मध्यप्रदेश का केवल सिरोंज क्षेत्र ही शामिल किया गया था उ समें सीहोर जिले के कुछ गांव थे. लेकिन श्योपुर जिले के कुछ गांवों को इसमें शामिल होना चाहिए था वह इसमें शामिल नहीं है. इस कारण से मैं इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कीर भोई और मीना समाज के लोगों को आरक्षक्ष में शामिल किये जाने का और सूची में सूचीबद्ध किये जाने का समर्थन करता हूं धन्यवाद्.
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब देश में संविधान बन रहा था तब परम पूज्य डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने जो कि वास्तव में इस देश की मूल जाति है इस देश के मूल निवासी हैं उनको अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की श्रेणी में सम्मिलित किया है. संविधान में कहीं ऐसा प्रावधान नहीं है और न ही कहीं इतिहास में ऐसा लिखा हुआ है. अभी हमारी बहन, हमारी पार्टी की माननीय विधायक महोदय ने प्रस्ताव रखा और रावत जी ने भी रखा, मेरा इस विषय में यह मानना है, हमने इतिहास भी पढ़ा है और कानून भी पढ़ा है, यह जाति हमारे मध्यप्रदेश की जाति नहीं है. यह किसी भी अनुसूची में नहीं है. मीना/मीणा, रावत, मैना, देशवाली, मांझी, कहार, ढीमर, भोई, केवट, कीर एवं पारदी जातियां सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में पिछड़ी जाति में हैं आदिवासी में नहीं है. मेरा निवेदन है कि आदिवासी का मतलब होता है आदिकाल से इस धरती के ऊपर जो रहने वाले हैं, हमारे परम पूज्य श्रीरामचन्द्र जी के जमाने से इस धरती के ऊपर जो रहने वाला है, जो आदिकाल में इस धरती पर पैदा हुआ है उन्हीं को आदिवासी माना गया है. यह एक व्यवस्था है. मैं यह कहना चाहता हूँ कि हमारे विधायक मित्रगण जो यह अशासकीय संकल्प लाए हैं मैं उसका पूरा-पूरा विरोध करता हूँ और मैं चाहता हूँ कि इन जातियों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में नहीं जोड़ा जाए. इससे पूरे देश के अंदर और मध्यप्रदेश के अंदर आरक्षण के नाम पर विस्फोटक स्थिति बनेगी और अशांति फैलेगी, तुष्टिकरण की नीति बनेगी जैसी कि हरियाणा में बनी थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, समाज और जनता के हित में और दो करोड़ आदिवासियों के हित में मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि आदिवासियों में इन जातियों को नहीं जोड़ा जाए.
अध्यक्ष महोदय -- अब कृपया समाप्त करें.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये पांचवीं अनुसूची में भी नहीं है, छठी अनुसूची में भी नहीं है यह केवल और केवल राजनीतिक तुष्टिकरण की नीति के तहत है. यह आदिवासियों का अधिकार छीनने की नीति है क्योंकि ये सभी जातियां सक्षम जातियां हैं और आदिवासी के लायक नहीं हैं. यह तो बाहुबली को आदिवासी की श्रेणी में सम्मिलित करने की वोटबैंक की राजनीति है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों का हक मारने के लिए इन जातियों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. मेरी इसमें आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी आपत्ति रिकार्ड में आ गई है.
श्री वैलसिंह भूरिया -- अध्यक्ष महोदय, मैं दो मिनट लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, बस अब आप समाप्त करें. आपकी आपत्ति व्यवस्थित आ गई है.
श्री वैलसिंह भूरिया -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि (XXX).
अध्यक्ष महोदय -- ऐसा नहीं है इसको आप इस तरह से न लें.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, यह तो आपत्तिजनक है.
अध्यक्ष महोदय -- ये रिकार्ड से निकाल दें.
श्री वैलसिंह भूरिया -- इसको आगामी दिनों में भी चर्चा में रखा जाए, आज इसे पोस्टपोंड किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपया बैठ जाएं, यहां चर्चा हो रही है, किसी का विरोध या समर्थन नहीं हो रहा है. ये रिकार्ड से निकाल दें.
श्री वैलसिंह भूरिया -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय -- बस अब आप समाप्त करें. अब कुछ नहीं लिखा जाएगा. आपकी बात आ गई है रिकार्ड में, बस अब आप बैठ जाएं. श्री मेहरबान सिंह रावत.
श्री मेहरबान सिंह रावत(सबलगढ़)--- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय रावत जी के द्वारा जो अशासकीय संकल्प लाया गया उससे मैं सहमत हूं, मैं तो वैसे भी कम बोलता हूं और शार्ट में ही बोलूंगा यह पूरा सदन 1990 का है , शायद ही कोई 90 के पहले का हो. उपाध्यक्ष महोदय और मुकेश जी पहले के हैं. कईयों बार प्रस्ताव पारित हुए, संकल्प पारित हुए . आपके द्वारा भी संकल्प रखा गया है. कई अशासकीय संकल्प आए और यहाँ से गये, गलती क्या हुई, जब प्रेसी लिखते हैं, आप अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे हो, आसंदी पर बैठे हो, मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं. लेकिन कोई भी आदेश निकलता है तो ईसरानी जी का निकलता, ग्राम पंचायत में सचिव का आदेश निकलता है, सरपंच का नहीं निकलता.
अध्यक्ष महोदय--- यह निकाल दें कार्यवाही से.
श्री मेहरबान सिंह रावत-- जब प्रेसी बनाई जाती है तो प्रेसी बनाने वाले आईएएस होते हैं.
श्री रामनिवास रावत--- जो आदेश निकलता है उस पर साइन की बात कर रहे हैं वह आदेश तो आपका ही रहता है.
श्री मेहरबान सिंह रावत--- आदेश रहता है पर जारी सचिव के साइन से होता है , आदेश रहता है सरपंच का, आदेश रहता है मुख्यमंत्री का. राज्यपाल के नाम से निकलता है आदेश. मेरी सरकार राज्यपाल महोदय कह सकते हैं और कोई नहीं कह सकता है. यह कई बार माननीय दिग्विजय सिहं जी ने भेजा, माननीय उमा भारती आई, उन्होंने भी भेजा इसके बाद शिवराज सिंह जी आए उन्होंने भी भेजा लेकिन गुणा-भाग ज्यों का त्यों , फिर भी कुनबा डूबा क्यों. सभी मुख्यमंत्री केंद्र के लिए लिखते रहे, पर भी गुणा भाग ज्यों की त्यों रहा.
श्री वैलसिंह भूरिया--- कहाँ से होगा, गलत तो गलत है, गलत कभी नहीं जुड़ेगा उसके लिए भारत सरकार भी है और मध्यप्रदेश की विधानसभा भी है.
अध्यक्ष महोदय--- आप बैठ जाएं.
श्रीमती ममता मीणा--- वैलसिंह जी मैं आपको नियमों की किताब दे दूंगी जो आप कह रहे थे कि नियमों में नहीं है . मैं नियमों की किताब आपको दे दूंगी ,जातिगत जनगणना की जो किताब है , वह दे दूंगी.
अध्यक्ष महोदय--- आप लोग सीधी चर्चा न करें.
श्री मेहरबान सिंह रावत--- वह हमें अध्यक्ष महोदय को देना है, उनको नहीं देना है. हमारे विद्वान रामनिवास जी ने ,ममता जी ने इस बात को विस्तार से रखा है, यह सबके पास है इसमें पूरे आदेश हैं. आप इन्हें पढ़ लें. अभी ममता जी ने एक नदी का उदाहरण दिया है. अभी हमारे दुर्गालाल जी बोल रहे थे, श्योपुर विधानसभा 1 नंबर है, विजयपुर विधानसभा 2 नंबर है और मेरी विधानसभा 3 नंबर है और हमारी चंबल नदी के एक किनारे का पानी मीणा आरक्षण में पीता है और दूसरे किनारे का पानी बिना आरक्षण के पीता है और आपके द्वारा भी इसमें संकल्प लाया गया है , जब आप विधायक थे. मैं इतना चाहता हूं कि इस संकल्प को पारित करें. हम यहाँ आरक्षण तो नहीं दे सकते हैं लेकिन सर्व सम्मति से इसको केंद्र को भेजा जाये केद्र क्या देगा, क्या नहीं देगा यह उसका विषय है. मेरी माता जी खत्म हो गई, पहले गांव के अंदर गुदना गुदाये जाते थे यह मापदंड आरक्षण का हुआ करता था. आज मेरी पत्नी के हाथ में गुदना गुदा हुआ है, राजबाई मेहरबान सिंह. मेरी माँ तो खत्म हो गई . यह गुदना आरक्षण में आने का मापदंड था. जो दीवालों पर चित्र और कंगूरे खिंचे रहते हैं, यह मापदंड थे कि इनको लिया जाये अथवा नहीं लिया जाये. खटीक समाज 1965 में आरक्षण में आया है. पर किन्हीं कारणों से जो प्रेसी से यहाँ से जाती रही उनस प्रेसियों में एक मात्रा से नाम बिगड़ जाता है. कल बात उठी थी , मैंने अखबारों में पढ़ा था कि किसी का नाम किरोरी है तो किरोरी न लिखकर किरोई लिख दिया तो वह अपने माइग्रेशन में मात्रा ठीक कराने के लिए चक्कर लगाता फिरता है. अध्यक्ष महोदय, आपसे मेरा निवेदन है आग्रह है कि इस प्रस्ताव को सर्व सम्मति से पास कर संकल्प को केंद्र सरकार को भेजा जाये, धन्यवाद.
श्री विजयपाल सिंह(सोहागपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर आप अनुमति दें तो मैं एक मिनट बोल लूँ?
अध्यक्ष महोदय-- आप अपनी बात एक मिनट में बोल लीजिए.
श्री विजयपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, जो अशासकीय संकल्प सम्माननीय रामनिवास रावत जी, श्री शैलेन्द्र पटेल जी और श्रीमती ममता मीना जी ने रखा है. मैं उसका समर्थन करता हूँ. चूँकि हमारे इस देश में अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग जातियाँ वर्णित हों कहीं न कहीं दिक्कत की बात है. मीना समाज जैसे मीना लिखते हैं और मीना रावत भी होते हैं मीना भी होते हैं और अनेक शब्दावली से मीना समाज अपने अपने सरनेम लिखते हैं. इसी प्रकार मांझी जाति, कहार, ढीमर, वर्मा, अनेकों प्रकार से अपने समाज का वह लिखते हैं. कीर समाज भी इसमें आता है और हमारे यहाँ भी मेरी विधान सभा में भी और होशंगाबाद जिले में भी अधिकांशतः मीना समाज मांझी समाज और कीर समाज रहता है. मैं इस संकल्प का समर्थन करते हुए मैं चाहता हूँ कि जो हमारे रावत जी ने और हमारी सम्माननीय श्रीमती ममता मीना ने जो प्रस्ताव रखा है, मैं उसका समर्थन करता हूँ और इसको केन्द्र सरकार की ओर भेजा जाए.
अध्यक्ष महोदय-- (माननीय सदस्य श्री इन्दर सिंह परमार के खड़े होने पर) अब हो गई बात. चलिए एक मिनट में अपनी बात कह लीजिए.
श्री इन्दर सिंह परमार(कालापीपल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय रावत जी ने, शैलेन्द्र जी ने और ममता जी ने जो प्रस्ताव रखा है उसमें मीना, मांझी, कीर और पारदी जातियों को अनुसूचित जनजातियों में सम्मिलित करने के लिए केन्द्र सरकार से अनुरोध किया है. मैं इस प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ और मैं समझता हूँ कि सदन को सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को केन्द्र को भेजना चाहिए क्योंकि आज भी इन जातियों की हमारे यहाँ सामाजिक स्थिति है, वह बहुत अच्छी नहीं है, उनकी हालत आर्थिक रूप से और सामाजिक रूप से बहुत खराब है, तो मैं सोचता हूँ कि आरक्षण सामाजिक रूप से विषमता समाप्त करने के लिए है तो जब तक सामाजिक विषमता समाप्त नहीं हो तब तक इसको रखना चाहिए इसलिए सदन को इस प्रस्ताव को पास करना चाहिए.
श्री गिरीश भण्डारी(नरसिंहगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे भी एक मिनट दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है एक मिनट बोल लीजिए.
श्री गिरीश भण्डारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय रामनिवास रावत जी, शैलेन्द्र पटेल जी, श्रीमती ममता मीना जी के द्वारा जो अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया गया है मैं इसके समर्थन में अपनी बात कहना चाहता हूँ. चूँकि प्रदेश का मीना, मीणा, जिसको कि रावत, मैना, देशवाली, मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी करीब 20 से 22 हजार मीणा समाज के लोग रहते हैं और जिनकी रिश्तेदारियाँ राजस्थान में जहाँ कि राजस्थान के मीणा समाज के लोग जो कि अनुसूचित जनजाति में आते हैं, वह उनके रिश्तेदार हैं, वह यहाँ आते हैं, उनके आपस में बेटी और रोटी के संबंध हैं. जब एक देश है तो क्यों न इनको भी अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए. दूसरा, मांझी, कहार, ढीमर, भोई, केवट, मांझी समाज इस भोपाल जिले में अनुसूचित जनजाति में आता है. लेकिन वहीं हमारे राजगढ़ जिले में मेरी नरसिंहगढ़ तहसील में इनके बहुत परिवार रहते हैं. उन लोगों को पिछड़े वर्ग में माना जाता है. मेरा निवेदन है कि उनको भी अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए और ये कीर एवं पारदी, अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें एक चीज का अनुरोध करना चाहता हूँ कि पारदी समाज मेरे यहाँ बहुतायत में है. लेकिन उसमें एक शब्द का फर्क आ रहा है. पारदी और पारधी जो "ध" धनुष का है वह पारधी समाज का उसमें जो अपनी सूची है, उसमें लिस्टेड है. लेकिन "द" नहीं है. अब वे पुराने लोग थे पढ़े-लिखे नहीं थे. जैसा नाम बदल जाता है किसी का मांगीलाल का मंगू कर देते हैं वैसे ही इसमें पारधी को पारदी लोगों ने अपनी, जो भी उनकी चाहे वह जमीनों की बात हो, चाहे उनके जाति प्रमाण पत्र की बात हो, उनमें पारदी लिखा गया है इसलिए मेरी यह मांग है कि कीर एवं पारदी समाज को संपूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति की अनुसूची में सम्मिलित किया जाए. मैं इस मांग का समर्थन करता हूँ. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया इसके लिए धन्यवाद.
श्री वैल सिंह भूरिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी एक बात रह गई थी उसे बोलना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--नहीं अब दोबारा नहीं बोल सकते हैं आप पांच मिनट बोले हैं सबसे अधिक आप ही बोले हैं.
श्री वैल सिंह भूरिया--जनता से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय-- अभी कोई निर्णय नहीं हुआ जा रहा है.
श्री वैल सिंह भूरिया--इनका बेटी और रोटी व्यवहार नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--अब इनका कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री वैल सिंह भूरिया--(XXX)
अध्यक्ष महोदय--अब आप बैठ जाइए आपकी यह बात ठीक नहीं है.आप बैठ जायें आपकी बात आ गई है.
श्री वैल सिंह भूरिया--(XXX)
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो संकल्प वरिष्ठ सदस्यों ने रखा है वह संकल्प ठीक है पर इसी के साथ इसी लेवल की बहुत सारी जातियां और भी हैं और आरक्षण की लड़ाई भी लड़ रही हैं मेरी गुर्जर जाति को हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर में एसटी का दर्जा प्राप्त है और राजस्थान में आरक्षण की लड़ाई लड़ रही है वहीं मध्यप्रदेश में भी अगर इनको आरक्षण दिया जाता है तो उसमें गुर्जर समाज को भी जोड़ा जाए.
अध्यक्ष महोदय--यह विषय नहीं है आप इसको नियम के तहत लाइये.
कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अशासकीय संकल्प जो रामनिवास रावत जी, श्री शैलेन्द्र पटेल, श्रीमती ममता मीना लेकर आई हैं इसके संशोधन में श्री जालम सिंह पटेल जी ने कहा उसके लिये मैं सहमत हूं. मैं मानता हूं सदन का ऐसा मत होना चाहिए सभी का अशासकीय संकल्प केन्द्र शासन को पहुंचाया जाये. इसमें एक बात कहना चाहता हूँ यह जो मांझी, कहार, ढीमर, भोई, केवट है इसमें अरमुइया, बरमुइया, उड़कया, घुड़कया, केवट मल्लाह और सुगरयाह यह रैकवार वंश के हैं. मेरे यहां पर बहुतायत में हैं मैं चाहता हूँ कि इन सभी को भी इसी के साथ सम्मिलित किया जाए क्योंकि यह ढीमर जाति के ही है.
अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिए धन्यवाद.
तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों की जी भावना है जो प्रस्ताव आया है जैसा आदरणीय रावत जी ने कहा कि यह प्रस्ताव पहले भी इस माननीय सदन ने पारित करके भेजा हुआ है. एक बात मैं यह कहना चाहता हूँ कि कभी भी केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार को संकल्प यह कहकर वापिस नहीं किया है कि किसी प्रोफार्मा में या पूरी जानकारी आपने नहीं दी है. जहां तक गंभीरता की बात आपने कही है तो मुख्यमंत्रीजी द्वारा 5 अप्रैल 2006 फिर 20 फरवरी, 8.5.2013 को फिर मुख्यमंत्रीजी द्वारा और अभी विभाग द्वारा 20.11.2015 को लगातार केन्द्र सरकार को इस सदन के प्रस्ताव पर निर्णय देने के लिए आग्रह किया जाता रहा है. मुख्यमंत्रीजी व्यक्तिगत रुप से दिल्ली में संबंधित विभाग के मंत्रियों से मिले हैं. गंभीरता से प्रयास नहीं हुआ यह आरोप लगाना मुझे लगता है उचित नहीं है. हमारी पार्टी के घोषणा-पत्र में भी यह शामिल था सरकार पहले भी इसका समर्थन कर...
श्री रामनिवास रावत--टीआरआई की अनुशंसा के साथ नहीं गया है उसके निर्धारित प्रोफार्मा में नहीं गया है.
श्री उमाशंकर गुप्ता--ऐसा कहीं केन्द्र ने नहीं मांगा है यह केवल आपके मन की उपज है आपका मस्तिष्क बहुत ऊर्जावान है बहुत सी कल्पना करता है उसी की यह उपज है केन्द्र सरकार ने नहीं कहा है कि कोई कमी रही है. 2005 में केन्द्र सरकार ने अमान्य किया है लेकिन आज जो प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ है, केवल जालम सिंह जी ने जो संशोधन रखा है उसके बारे में मेरा ऐसा कहना है कि जो सर्वेक्षण आदिम जाति अनुसंधान संस्थान ने किया है उसमें धानुक की पुष्टि अनुसूचित जाति के रुप में हुई है जनजाति के रुप में नहीं हुई है उसको जनजाति के प्रस्ताव में शामिल करना उचित नहीं होगा क्योंकि उसकी पुष्टि उन्होंने अनुसूचित जाति के रुप में की है और यह प्रस्ताव जनजाति का है तो जो मूल प्रस्ताव आया है सरकार उससे सहमति प्रदान करती है और सदन जैसा निर्णय देगा हम केन्द्र सरकार को इस प्रस्ताव को आपके निर्देश के अनुसार भेज देंगे.
श्री रामनिवास रावत--पत्रों की प्रति और उपलब्ध करा दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय सदस्य संशोधन वापिस ले लें तो उचित होगा.
अध्यक्ष महोदय--मंत्रीजी आपने जो संशोधन बोला वही व्यावहारिक है.
अध्यक्ष महोदय--पहले मैं संशोधन पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि संकल्प क्र. 2 (1) की द्वितीय पंक्ति में शब्दावली "पारदी" के बाद शब्दावली "तथा धानक" जोड़ा जाये.
सदन की सहमति से संशोधन वापस लिया गया.
अध्यक्ष महोदय :- माननीय सदस्य श्री जालम सिंह पटेल जी ने संशोधन वापस ले लिया है. अत: अब मैं संकल्प पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि - सदन का यह मत है कि प्रदेश के मीणा (रावत, मैना, देशवाली) , मांझी (कहार, ढीमर, भोई, केवट), कीर एवं पारदी तथा धानक जाति को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति की अनुसूची में सम्मिलित किया जाए.
संकल्प स्वीकृत हुआ.
(ii) रजक/धोबी एवं कुम्हार जाति को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति में सम्मिलित किये जाने संबंधी
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि- यह सदन केन्द्र सरकार से अनुरोध करता है कि -प्रदेश में रजक/धोबी एवं कुम्हार जाति को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति की अनुसूची में सम्मिलित किया जाए.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया :- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति में धोबी रजक समाज को सम्मिलित किये जाने की लड़ाई और यह संघर्ष संकल्पों के माध्यम से लम्बे समय से चल रही है. पूर्व में भी सदन में 3.4.1998 को लगभग 18 वर्ष बाद और दूसरी बार 17.2.2006 को भी संकल्प सदन के द्वारा पारित किया गया था लगभी 10 वर्ष बाद, कुल मिलाकर के 18 वर्षों के बाद पुन: तीसरी बार यह प्रस्ताव धोबी और रजक समाज का आया है. यह बड़ी विसंगति और विडंबना है कि मध्यप्रदेश के 51 जिलों में से 48 जिलों में धोबी समाज अनुसूचित जाति में नहीं है. सीहोर, रायसेन और भोपाल इन तीन जगहों पर नहीं है. अध्यक्ष महोदय, यह कैसी विडंबना है कि एक ही मध्यप्रदेश में निवास करने वाले वे लोग, जिनका समाज और परिवार के लोग इन तीन जिलों में तो अनुसूचित जाति में आते हैं और शेष 48 जिलों में वह गणना के आधार पर नहीं आ रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, पहले राजस्थान में भी केवल अजमेर शहर में धोबी समाज को अनुसूचित जाति में दर्जा दिया गया था. लेकिन 1976 के अंतर्गत क्षेत्रीय बंधनों को समाप्त करने का निर्णय 1.9.1977 को राजस्थान सरकार ने भी लिया और अजमेर के साथ साथ सम्पूर्ण राजस्थान में धोबी समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया. अध्यक्ष महोदय, बात यहीं समाप्त नहीं होती है. पूरे हिन्दुस्तान के 10 राज्यों में भी धोबी समाज को अनुसूचित जाति में नोटिफाई किया गया है. उसके आगे जाकर के रिकार्ड देखें तो 24.2.2015 को भारत सरकार ने अभी हाल ही में 2015 में कुछ और राज्यों में धोबी समाज को अनुसूचित जाति में दर्जा दिया गया है. मध्यप्रदेश अपना अकेला ऐसा राज्य है जिसमें तीन जिलों में तो धोबी समाज को अनुसूचित जाति में दर्जा दिया गया है और 48 जिलों में उनको पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में लिया जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह समाज वह समाज है जो परिश्रमी समाज है गंदे,मैले कपड़े धोकर के सुसज्जित कपड़ों के व्यक्तियों के व्यक्तित्व को निखारने का काम करता है डाक्टर भीमराव अम्बेडकर ने भी इस वर्ग,इस समाज के लिये, 1936 से लेकर 1956 तक लगभग बीस वर्षों तक मध्यप्रदेश में भी धोबी समाज को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया था जहां तक मेरी अपनी जानकारी भी है केन्द्र शासन के जनगणना आयुक्त ने इस सदन के पूर्व अशासकीय संकल्पों को अमान्य कर दिया. मुझे लगता है जिन आधारों पर उन्हें रिजेक्ट किया उनके पास जो आधार थे तथ्यहीन थे सत्य से विपरीत थे लेकिन आयुक्त महोदय ने जानने की कोशिश नहीं की और उन्होंने बगैर परीक्षण किये,बिना सरकार से पूछे,बगैर जनगणना के आधार पर बगैर किसी चर्चा के उन दोनों पूर्व संकल्पों को जो 1998 और 2006 में भी पारित किया उनको अमान्य कर दिया गया. इसलिये जब-जब भी धोबी समाज के सक्रिय प्रतिनिधि मुझसे चर्चा करते हैं तो आपके विधान सभा क्षेत्र की भी बात करते हैं और आपके क्षेत्र के कई रजक धोबी समाज के लोग आपसे भी मिलते हैं बाद में मुझसे भी दूरभाष पर चर्चा करते हैं. मैं भी मन्दसौर जिले के रजक धोबी समाज के निकट रहता हूं सक्रिय रहता हूं उनके बीच में इस विषय पर बातचीत करता रहता हूं. उनका भी यही सोच है जो मेरे यहां के लोगों का मानना है. मैं तो आपसे आग्रह करूंगा कि एक प्रतिनिधिमण्डल आपके नेतृत्व में थावरचन्द गहलोत जी जो सामाजिक न्याय मंत्रालय के केन्द्रीय मंत्री हैं उनसे मिलकर इस बात को क्लियर कर लें कि बार-बार यह चीज आ रही है चूंकि वे हमारे ही प्रदेश के निवासी हैं राज्यसभा सदस्य हैं और इसी विभाग के मंत्री हैं तो बार-बार जो जिस प्रकार से रावत,मीणा, आदि-आदि समाज की कमियां आ रही हैं क्योंकि उन्हीं समाज उन्हीं वर्ग के लोगों को कहीं न कहीं अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति में दर्जे प्राप्त हैं. ऐसा तो नहीं होता कि कहीं दर्जा प्राप्त हैं कहीं नहीं. इसीलिये मैं आपसे आग्रह करूंगा कि ये तीनों-चारों जो प्रस्ताव आये हैं विशेषकर रजक धोबी समाज जिसके बारे में आपने मुझे बोलने का समय दिया मैं आपका आभार व्यक्त करते हुए सदन से आग्रह करूंगा कि इसको भी सर्वसम्मति से पारित किया जाये.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो प्रस्तावप्रस्तुत हुआ है रजक धोबी समाज और कुम्हार प्रजापति समाज को शामिलकरने का. कुम्हार प्रजापति समाज का पहले भी 2012 में सदन से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होकर गया था और वर्तमान में जो कुम्हार समाज की परिस्थिति है केवल मिट्टी के बर्तन बनाने वाला ये समाज और कोई दूसरा रोजगार का इनके पास साधन नहीं है और प्लास्टिक के बर्तन आने से इनका वह रोजगार भी बहुत कम हो गया है इसीलिये जब तक इनको आरक्षण नहीं मिलेगा समाज की बराबरी पर खड़े होने का इनको अवसर नहीं मिलेगा तो ये और नीचे चले जायेंगे. अभी जो परिस्थिति विद्यमान हुई है उसमें सबसे बड़ी बात यह है कि न तो मिट्टी खोदने का स्थान उनके पास है. बर्तन भी उनके कम बिकते हैं. ऐसी अवस्था में ये जनजाति में नहीं आयेंगे तो ये बराबरी के दर्जे पर नहीं आ सकेंगे. इस कारण यह सदन इनको अनुसूचित जनजाति में लाने के लिये यह प्रस्ताव पारित करें. रजक समाज के बारे में कहना चाहता हूं जिसका केवल कपड़े धोने का काम था. आज तो पानी उपलब्ध नहीं होता.घाट पर कोई जाने नहीं देता और वाशिंग मशीनें आ गई हैं इस कारण उनका रोजगार छिन गया. बहुत विषय परिस्थिति में वे जीवन गुजार रहे हैं उनको आरक्षण की आवश्यक्ता है. इस कारण मेरा सदन से अनुरोध है कि उनके आरक्षण के लिये भी सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया जाये और प्रजापति समाज का पह ले से ही केन्द्र में विचाराधीन है उन्होंने अपनी सब बातें वहां रखी हैं पक्ष भी पहुंच गया है विधान सभा ने भी पहले पक्ष पहुंचाया तो दोबारा से प्रजापति समाज के पक्ष को पहुंचा दें तो उनको आरक्षण की प्राप्ति हो सकेगी. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सिसोदिया जी ने भी बताया कि रजक धोबी प्रदेश के भोपाल, सीहोर, रायसेन एवं कुंभार प्रजापति प्रदेश के 8 जिलों में निवासरत् हैं तथा वह अनुसूचित जाति वर्ग में आते हैं. जैसा कि विडम्बना है कि अभी भी कई जगहों पर ऐसी परेशानी होती है कि एक ही प्रदेश में तथा उसके कई क्षेत्रों में एक जिले में अनुसूचित जाति में आते हैं तथा दूसरे जिले में पिछड़े वर्ग में आते हैं. हमारे यहां पंचायतों एवं नगर-पंचायतों के चुनाव हुए जिनके यहां, जिनके परिवारों में अनुसूचित जाति की लड़कियां दूसरे जिलों में पहुंच गईं वह पिछड़ा वर्ग की श्रेणी के चुनाव लड़ने की पात्रता नहीं रखतीं न ही पिछड़े वर्ग का प्रमाण पत्र ही रहता है. पिछड़े वर्ग की लड़कियां व कन्याएं जो अनुसूचित जाति में रजक-धोबी आते हैं उनके यहां पर पहुंच गई तो वह अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र रखने की पात्रता नहीं रखती हैं. जैसा कि सिसोदिया जी ने कहा कि अनुसूचित जाति संशोधन एक्ट 1976 केन्द्र सरकार का पारित हुआ है इसमें स्पष्ट कहा गया कि राज्य या उसके इलाके 521 में राज्य इसके किसी इलाके को किसी जाति या जनजाति के लिये अनुसूची या उसके किसी भाग के लिये विनिर्दिष्ट किया गया है इस आदेश को इस भाग में परिवर्तन किया जा सकेगा जिससे उस जाति या जनजाति का क्षेत्र आदि को बढ़ाने के लिये विनिर्दिष्ट किया जा सकेगा, उस जाति या जनजाति के जनसंख्या के आंकड़े निश्चित करने के लिये उसके क्षेत्र में वृद्धि की जाना है यह इसके आधार पर, यह जनसंख्या 1971 के आधार पर मान्य है. इस तरह से उसकी वृद्धि की जा सकती है अब इसमें दो चीजें उद्भूत होती हैं एक तो जो हम प्रस्ताव लायें हैं उसको पारित करें. क्या इस अधिनियम के अनुसार जैसा कि सिसोदिया जी ने कहा कि राजस्थान में देखें इसी अधिनियम को आधार मानते हुए 1.9.1977 में revised lists of scheduled castes and scheduled tribes issued under the provision of the scheduled castes and scheduled tribes model इसमें अजमेर में धोबी समाज एससी में आता है उनको राजस्थान राज्य ने केन्द्र सरकार से अधिनियम पारित नहीं करवाया वहां 1976 के अधिनियम राजस्थान राज्य ने 1976 के अधिनियम को अनुसूचित जाति, जनजाति के अधिनियम को आधार मानते हुए इसको पूरे राज्य में अनुसूचित जाति में इसे घोषित कर दिया. अध्यक्ष महोदय, आपने भी यह अशासकीय संकल्प लाये आपने उस पर चर्चा की. इसमें चूंकि केन्द्र में लोकसभा में भी यह संकल्प पारित हो चुका है कि अगर कोई भी जाति किसी भी स्टेट के एक क्षेत्र में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति में आती है तो पूरे प्रदेश के लिये अधिसूचित किया जा सकता है इसको भी दिखवा लें. यह सारी चीजें जैसा कि हमारे दुर्गालाल विजय जी ने कहा कि दो जातियों के साथ बड़ी विशमता है इनको रिजर्वेशन की आवश्यकता क्यों पड़ी. आपने कई जगह पर संकल्प प्रस्तुत किया है, पारित भी करवाया तथा चर्चा में भी हिस्सा लिया है. यह दोनों समाज का भी अगर इसको पिछड़े समाज में देखा जाए तो शासकीय सेवाओं में इसका प्रतिनिधित्व शून्य, संवैधानिक व्यवस्थाओं तथा वैधानिक इंस्टीट्यूशन में भी इनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है. तो आपसे निवेदन है कि जैसा कि इस संकल्प को पारित करने के साथ साथ सिसोदिया जी ने जो सुझाव दिया है कि आपके नेतृत्व में अगर सहमत हो जाएं तो दोनों आपने एवं माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपने घोषणा-पत्र में भी यह चुनावी वायदा किया है तो सब लोगों को साथ में लेकर हमारे प्रदेश के ही माननीय मंत्री इस समय भारत सरकार में हैं यह एक प्रतिनिधि मण्डल के रूप में उनसे मिल लें.
वन मंत्री (डॉं गौरीशंकर शेजवार)- संकल्प अलग विषय है और संकल्प की पहल करना और उसके लिए केन्द्र सरकार से मिलना अलग विषय है, मेरा रावत जी से निवेदन है कि ऐसी बाध्यता आप दूसरों के सामने क्यों ला रहे हैं ।
श्री रामनिवास रावत- संकल्प का भाग नहीं है,निवेदन है ।
डॉं.गौरीशंकर शेजवार- जो चीज संकल्प का भाग नहीं है उस चीज के लिए सामने जो पदों पर बैठे हैं, उनके सामने ऐसी बाध्यता क्यों ला रहे हैं कि उन्हें हां या न में सोचना पड़े ।
श्री रामनिवास रावत- मैंने यशपाल जी की बातों का समर्थन किया है ।
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया- माननीय मंत्री जी, हम तो आग्रह कर रहे हैं, माननीय विधानसभा अध्यक्ष जी के क्षेत्र के लोग भी तो हैं ।
डॉं गौरीशंकर शेजवार- सिसोदिया जी, जो पार्ट है, जो अधिकार है, जो विषय है और जो नियम है, उस पर हम खूब चर्चा करें, बड़े पदों पर बैठे हुए लोगों के बारे में यह कोड करते हुए कि आप एकत्रित हों और हम सबको लेकर और केन्द्र सरकार से मिले और उनको ऐसी चीजों पर विचार करने के लिए हम सदन में क्यों बाध्य कर रहे हैं, जो सदन का हिस्सा नहीं है ।
श्री रामनिवास रावत - आप अपने संकल्प पत्र के प्रति, चुनावी घोषणा पत्र के प्रति तो प्रतिबद्व हो कि नहीं हो ।
डॉं गौरीशंकर शेजवार- चुनाव का घोषणा-पत्र अलग विषय है, यहां चुनाव के घोषणा पत्र पर बिल्कुल चर्चा नहीं चल रही है, जो संकल्प की शब्दाबली है और किसके द्वारा है, एजेटिस पास किया जाए या संशोधित रूप में पास किया जाए या न किया जाए केवल इस पर चर्चा हो रही है ।
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैं पूर्व में भी कह चुका हूँ, माननीय रावत जी द्वारा जो दूसरा अशासकीय संकल्प ........
श्री हरदीप सिंह डंग- माननीय मंत्री मैं एक मिनट मैं समर्थन करता हूँ । एक निवेदन करना चाहता हूँ कि (XXX)।
अध्यक्ष महोदय- यह विषय नहीं है, बाहर का कोई विषय नहीं लेंगे, इसको रिकार्ड से निकाल दें । माननीय मंत्री जी बोलें ।
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XXX आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
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श्री उमाशंकर गुप्ता- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रस्तुत अशासकीय संकल्प के बारे में सरकार अपनी सहमति देती है, सदन जैसा निर्णय करेगा उसका पालन सरकार करेगी ।
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि - सदन का यह मत है कि रजक/धोबी एवं कुम्हार जाति को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति की अनुसूची में सम्मिलित किया जाए.
“ संकल्प स्वीकृत हुआ ” ।
अध्यक्ष महोदय- विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार,दिनांक 8 मार्च,2016 को प्रात: 10.30 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 04:33 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 8 मार्च, 2016 (18 फाल्गुन, शक संवत् 1937 ) के पूर्वाह्न 10.30 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : भगवानदेव ईसरानी
दिनांक- 4 मार्च, 2016 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा