
मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
षोडश विधान सभा सप्तम् सत्र
दिसंबर, 2025 सत्र
मंगलवार, दिनांक 02 दिसंबर, 2025
(11 अग्रहायण, शक
संवत् 1947)
[खण्ड- 7 ] [अंक-2 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 02 दिसंबर, 2025
(11 अग्रहायण, शक
संवत् 1947)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र
सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
11.02
बजे
गर्भगृह
में प्रवेश
एवं धरना
डिंडोरी
जिले में
मजदूरों का
पलायन होना
श्री
ओमकार सिंह
मरकाम -- अध्यक्ष
महोदय, डिंडोरी
जिले के
पचासों हजार
मजदूर पलायन
कर चुके हैं,
रोजगार
गारंटी का काम
खुल नहीं रहा
है.
माननीय
मंत्रीजी ने
प्रतिबंध
लगाकर रखा है. इसकी
मांग को लेकर
मैंने अनेकों
बार सदन में अनुरोध
किया है.
मंत्री जी से
अनुरोध किया
और इस मांग को
लेकर मैं धरने
पर बैठ रहा
हूं. जिसकी सूचना
मैंने आपको
दिया है.
अध्यक्ष
महोदय --
एक मिनट
मरकाम जी, आप
सीनियर मेंबर
हैं. प्लीज़.
श्री
नारायण सिंह
पट्टा -- अध्यक्ष
महोदय, हमारे
यहां मजदूरों
में हाहाकार
मचा हुआ है वे
पलायन कर रहे
हैं.
श्री
ओमकार सिंह
मरकाम -- अध्यक्ष
महोदय, मैं इसको
लेकर सदन के
गर्भगृह में
धरने पर बैठ
रहा हूं.
(श्री
ओमकार सिंह
मरकाम,
श्री नारायण
सिंह पट्टा
एवं श्री
फुंदेलाल
सिंह मार्को,
माननीय
सदस्यगण अपनी
बात कहते हुए सदन
के गर्भगृह
में आ गए एवं
धरने
पर बैठ गए)
11.03 बजे विशेष
उल्लेख
राष्ट्रीय
प्रदूषण
नियंत्रण
दिवस एवं
भोपाल गैस त्रासदी
में दिवंगतों
के
प्रति
श्रद्धांजलि
अध्यक्ष
महोदय --
आज राष्ट्रीय
प्रदूषण
नियंत्रण
दिवस है. 02
दिसंबर को हम
सब लोगों को
मालूम है कि
भोपाल गैस
त्रासदी की
घटना हुई थी
जिसमें
जहरीली गैस के
रिसाव के कारण
हजारों लोगों
की मृत्यु हो
गई थी. इस संबंध
में मैं समझता
हूं कि जो लोग
उसमें हताहत
हुए हैं उन
सबको हम लोग
कुछ समय मौन
रहकर
श्रद्धांजलि
अर्पित करेंगे.
(सदन
द्वारा
दिवंगतों के
सम्मान में
खड़े होकर एवं
मौन रहकर
श्रद्धांजलि अर्पित
की गई)
अध्यक्ष
महोदय --
ओम शांति..शांति.
11.04 बजे
बधाई
श्री विजय
रेवनाथ चौरे,
सदस्य को जन्मदिन
की बधाई
अध्यक्ष
महोदय --
आज हमारे
माननीय सदस्य श्री
विजय रेवनाथ
चौरे जी का
जन्मदिन है
उनको सदन की
ओर से
बहुत-बहुत
शुभकामनाएं.
श्री
विजय रेवनाथ
चौरे -- अध्यक्ष
महोदय, वह
त्रुटिवश
अंकित है.
मेरा जन्मदिन
16
नवंबर
है उसमें
त्रुटिवश 02
दिसंबर लिखा
गया है..(हंसी).. फिर
भी आपको बहुत-
बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- शुभकामनाओं से तो अच्छा ही रहता है. अब लिखा है तो वही पढ़ा जाएगा.
11.05
बजे विशेष
उल्लेख
श्री अरविन्द शर्मा, प्रमुख सचिव, विधान सभा के संबंध में.
अध्यक्ष
महोदय --एक
परिचय आप सभी
लोगों के बीच में
कराना चाहता
हूँ. श्री
अरविंद शर्मा
जी हमारे नए
प्रमुख सचिव
पदस्थ हुए
हैं. श्री
शर्मा जी लोक
सभा सचिवालय
में 34 वर्ष से
अधिक समय का
अनुभव अर्जित
कर एवं
संयुक्त सचिव, निदेशक
आदि विभिन्न
पदों पर
कार्यरत्
रहकर, सभी
संसदीय
कार्यों जैसे
विधायी,
प्रश्न, विधेयक,
जांच, संसदीय
समितियां,
संपादन एवं
प्रबंधन, अन्तर्राष्ट्रीय
सम्मेलन के
सफल संचालन
में शामिल रहे
हैं. श्री
शर्मा मार्च, 2024
से
मध्यप्रदेश
विधान सभा में
लगभग डेढ़
वर्ष से सचिव
के पद पर
कार्यरत्
रहने के
पश्चात् 01 अक्टूबर,
2025 से
मध्यप्रदेश
विधान सभा के
प्रमुख सचिव
के पद पर
पदस्थ हुए
हैं. मैं उनका
हृदय से स्वागत
करता हूं. हम
सभी का
प्रयत्न रहे
कि प्रमुख
सचिव से मिलकर
हम अपने
कामकाज को आगे
बढ़ाएं.
11.06
बजे तारांकित
प्रश्नों के
मौखिक उत्तर
औद्योगिक
क्षेत्र में भू-खण्ड
का आवंटन
[सूक्ष्म, लघु एवं
मध्यम उद्यम]
1. ( *क्र.
1363 ) श्रीमती
अनुभा
मुंजारे : क्या
सूक्ष्म, लघु एवं
मध्यम उद्यम
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) उद्योग
विभाग
बालाघाट
द्वारा 63 भूखंड का
आवंटन किस
प्रक्रिया से, किस नियम
के पालन में किया
गया है? नियमों
की प्रति
उपलब्ध
कराएं। (ख) भूखंड
आवंटन की
निविदा, शर्तों की
प्रति,
निविदा
प्रकाशन के
अखबार की
प्रति,
निविदाकारों
के नाम सहित
सम्पूर्ण
जानकारी उपलब्ध
कराएं। (ग) भूखंड
आवंटन में
प्रश्नांश
(क) व (ख)
अनुसार
शासन के नियम, निर्देशों
का पालन नहीं
किये जाने
हेतु कौन-कौन
अधिकारी
कर्मचारी
दोषी हैं? यदि दोषी
हैं, तो दोषियों
पर क्या-क्या
कार्यवाही की
गई और नहीं की
गई तो क्यों?
सूक्ष्म, लघु
एवं मध्यम
उद्यम मंत्री
( श्री चेतन्य
कुमार काश्यप
) : (क) औद्योगिक
क्षेत्र कनकी
में
मध्यप्रदेश
एम.एस.एम.ई. को
औद्योगिक
भूमि तथा भवन
आवंटन एवं
प्रबंधन नियम 2025 के
प्रावधानों
अनुसार
कार्यवाही की
गई है। नियमों
की प्रति पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट के
प्रपत्र-1 अनुसार है।
(ख) दिनांक
31.10.2025 तक 72 भूखंडों
के संबंध में
आवेदकों के
नाम सहित जानकारी
पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र-2 अनुसार
है। समाचार
पत्रों में
प्रकाशित
प्रेस विज्ञप्ति
की प्रति पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट के
प्रपत्र-3 अनुसार
है। भूखंड
आवंटन की
निविदा एवं
शर्तों की प्रति
(RFP) पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट के
प्रपत्र-4 अनुसार
है। (ग) विभाग
द्वारा मध्यप्रदेश
एम.एस.एम.ई. को
औद्योगिक
भूमि तथा भवन
आवंटन एवं
प्रबंधन नियम 2025 के
प्रावधानों
का पालन किया
गया है। अत:
शेष का प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता है।
श्रीमती अनुभा मुंजारे -- मेरा प्रश्न क्रमांक 1363 है.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप -- उत्तर पटल पर रखा हुआ है.
श्रीमती अनुभा मुंजारे -- माननीय मंत्री महोदय, मैं प्रश्न क्रमांक 1363 के संदर्भ में विभाग के जवाब से संतुष्ट नहीं हूँ. प्रश्नांश क्रमांक ख में निविदाकारको के नाम सहित सम्पूर्ण जानकारी मेरे द्वारा चाही गई है. परन्तु उद्योग विभाग बालाघाट द्वारा 199 आवेदकों की सूची उपलब्ध कराई गई है. जिसमें घोर मनमानी करते हुए एक-एक आवेदक को चार-चार प्लाट आवंटित किए गए हैं. जो बहुत ही आपत्तिजनक है. निविदाकारकों के अन्य अभिलेख भी मुझे प्रदाय नहीं किए गए हैं. जिले के अन्य योग्य, शिक्षित और जरुरतमंद आवेदकों को लाभ क्यों नहीं पहुंचाया गया. साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के आवेदकों को शासन के नियमानुसार भूखण्डों का आवंटन क्यों नहीं किया गया माननीय मंत्री जी कृपया बताने का कष्ट करें.
11.07
बजे गर्भगृह
से आसन पर
वापसी
सर्वश्री
ओमकार सिंह
मरकाम,
फुन्देलाल
सिंह मार्को
एवं श्री
नारायण सिंह
पट्टा, सदस्य
की गर्भगृह से
अपने-अपने आसन
पर वापसी
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी कृपया एक मिनट रुक जाएं. माननीय सदस्य गलियारे (गर्भगृह) में बैठे हैं. मेरा उन सब से अनुरोध है वे अपने आसन पर बैठने का कष्ट करें. हम सभी जानते हैं कि सदन नियम और प्रक्रिया से चलता है, दबाव और प्रभाव से नहीं चलता है. इसलिए मेरा सभी से अनुरोध है कि सदन की कार्यवाही आगे बढ़ने दें. आज अनेक प्रश्न चर्चा में हैं. सभी प्रश्न जनहित के हैं. प्रश्नकाल बाधित नहीं करने की परम्परा के सभी लोग समर्थक रहे हैं. मेरा सदस्यों से अनुरोध है कि वे अपने स्थान पर पहुंचे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे करबद्ध निवेदन है कि इन माननीय सदस्यों की बात आप इसके बाद अपने कक्ष में सुन लें.
अध्यक्ष महोदय -- उमंग सिंघार जी आप जानते हैं कि मैं किसी को कक्ष में आने से न तो रोकता हूँ, न ही सुनने से मना करता हूँ. जब आएं तो पूरे समय दरवाजे खुले हैं. मैं कक्ष में भी उपलब्ध हूँ. जरुर यह कक्ष में आएं.
श्री उमंग सिंघार -- धन्यवाद.
(सर्वश्री ओमकार सिंह मरकाम, फुन्देलाल सिंह मार्को एवं श्री नारायण सिंह पट्टा, सदस्य गर्भगृह में धरने से उठकर अपने-अपने आसन पर चले गए)
11.08
बजे
तारांकित
प्रश्नों के
मौखिक उत्तर
(क्रमश:)
श्री चेतन्य कुमार काश्यप -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने आवंटन के संबंध में प्रश्न उठाया है. वर्ष 2025 में एमएसएमई विभाग के द्वारा नई आवंटन नीति लागू की गई है. यह पारदर्शी नीति है. इसके तहत पूरे प्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में उद्योग और रोजगार वर्ष मना रहे हैं. इस पूरे वर्ष में हमने प्रदेश में करीब 1240 भूखण्ड 29 जिलों उपलब्ध करवाएं हैं. इनके 2887 यूएआई प्राप्त हुए हैं. जहां तक बालाघाट का सवाल है. वहां पर 199 एक्सप्रेस एवं इंटरेस्ट जो कि कम्प्यूटर पर पूरी पारदर्शिता के साथ में इंटरनेट और वेबसाइट के माध्यम से हमने प्राप्त किए हैं. उनके ऊपर 72 भूखण्डों के लिए 199 लोगों ने आवेदन किया और 19 भूखण्ड पर सिंगल आवेदन आए थे. बाकी 53 भूखण्डों पर बीडिंग सिस्टम हमने पारदर्शी तरीके से लागू किया था. मैंने पूर्व में ही कहा कि मध्यप्रदेश में आज तक एसएसएमई विभाग के द्वारा आज तक कभी 1250 भूखण्ड एक साथ नहीं दिए गए हैं. इसी कार्य को हमने और गति से आगे बढ़ाया है. हरेक में 20 प्रतिशत का आरक्षण एससीएसटी के लिए रखा है. बालाघाट में भी यही परिस्थिति है और उसके अंदर 6 भूखण्ड एससी, एसटी वर्ग को आवंटित भी किये गये हैं. यह सारी जानकारी परिशिष्ट के अंदर रखी गई है. उसमें कहीं कोई त्रुटि नहीं है. पूरी लिस्ट मेरे पास में उपलब्ध है. आप अगर परिशिष्ट में देखेंगे तो जो एलॉटमेंट हुए हैं. उन लोगों की सारी जानकारी उसमें रखी गई है. मध्यप्रदेश में आने वाले समय के अंदर भी हम 16 जगह पर नये औद्योगिक क्षेत्रों का निर्माण कर रहे हैं. पांच हजार नये भूखण्ड का निर्माण कर रहे हैं और हमारी सरकार की योजना है कि हम लोग इन्हें तीन साल के अंदर सरकार को उपलब्ध कराएं. आपने कहा है कि वहां पर कई युवा भूखण्ड से वंचित रह गये हैं तो इसके बाद में पिछले माह नवंबर में भी बाकी के आठ भूखण्डों के ऊपर 56 एप्लीकेशन हमको प्राप्त हुईं हैं और अभी भी आप अगर वहां पर सहयोग कर रहे हैं और कलेक्टर से कोई जमीन मिलेगी तो हम उद्योग विभाग की ओर से वहां पर एक और नया औद्योगिक क्षेत्र बनाएंगे. जहां आवश्यकता है वहां पर हम नये क्षेत्रों का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि लगातार हमने पांच हजार भूखण्डों का लक्ष्य रखा है और इसमें हमने 1250 भूखण्ड में से 1100 से ज्यादा भूखण्ड एलॉट हो चुके हैं और कहीं पर भी हमें एक भी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. मैं बताना चाहूंगा कि हमने इसमें जो परिशिष्ट लगाए हैं उसमें कोई कन्फ्यूजन है तो वह उसे स्पष्ट करें.
श्रीमती अनुभा मुंजारे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है. अधिकारियों ने जिस तरह से आपको जवाब बनाकर दिया है. वस्तुस्थिति कुछ और ही है. आदरणीय मैं बताना चाहूंगी कि यह मेरे विधान सभा क्षेत्र का ही मामला है. और बहुत ही संवेदनशील मामला है. उद्योग संचालनालय मध्यप्रदेश के पत्र क्रमांक 4760 दिनांक 26.08.2025 में दिये गये निर्देशानुसार निविदा का प्रकाशन राष्ट्रीय स्तर के एक अंग्रेजी समाचार पत्र एवं स्थानीय प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में भूखण्ड आवंटन का प्रकाशन किया जाना था जो नहीं किया गया है. यहीं पर नियम का उल्लंघन किया गया है और नियम विरुद्ध तरीके से औद्योगिक क्षेत्र कनकी, लालबर्रा जिला बालाघाट में 72 भूखण्डों का आवंटन कर दिया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से बस यही निवेदन करना चाहती हूं कि तत्काल 72 भूखण्डों के आवंटन की प्रक्रिया को निरस्त करें क्योंकि इसमें बहुत जनआक्रोश है. मेरे पास वही लोग आए थे जिनके साथ अन्याय हुआ है इसलिए मैं उन्हीं की बात लेकर सदन में शासन का ध्यानाकर्षित कराना चाह रही हूं. मैं आपसे मांग करती हूं कि 72 भूखण्डों के आवंटन की प्रक्रिया को तत्काल निरस्त करें और दोषी अधिकारी और कर्मचारी जिन्होंने असत्य जानकारी आपको दी है उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करें. मैं जनता की मांगों को यहां पर रख रही हूं. यही मेरा आग्रह है.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जनसम्पर्क विभाग के द्वारा कलेक्टर के पोर्टल पर 6 अखबारों की कटिंग लगाई गई है और आपको भी वह कटिंग उपलब्ध कराई है. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में विज्ञापन जारी हुआ है और तभी 72 भूखण्ड पर 199 आवेदन आए हैं और मैंने पूर्व में भी आपसे कहा कि जो 1240 भूखण्ड पिछले 6 माह में हमने दिये हैं उसमें करीब-करीब 2887 आवेदन प्राप्त हुए हैं तो यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से पूर्ण की गई है इसमें कहीं भी किसी गलती की संभावना नहीं है. आपको जो उपलब्ध करवाया गया है उसमें आप स्पेसेफिक जानकारी बताएं कि यह गलती है तो हम उसके ऊपर जवाब दे सकते हैं.
श्रीमती अनुभा मुंजारे--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगी कि आप मुझे थोड़ा सा समय अलग से दें तो मैं आपको मेरे पास जो अभिलेख हैं मैं आपके सामने उन सभी को प्रमाण सहित रखूंगी. एक-एक व्यक्ति को चार-चार भूखण्ड दिये गये हैं और वह भी प्रतिष्ठित व्यवसायियों को दिये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अनुभा जी, आज आप मंत्री जी से मिल लेना.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय, मेरा भी यही निवेदन है. मंत्री जी आप समय दे दीजिए. एक बार परीक्षण करा लीजिएगा.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप-- अध्यक्ष महोदय, विधान सभा सत्र के दौरान जब भी आप चाहे मैं हमेशा उपलब्ध हूं. आप जब भी आना चाहें फोन लगा दें तो हम बैठकर बात कर लेंगे.
श्रीमती अनुभा मुंजारे--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
सिटीजन एमेण्डमेंट एक्ट
[गृह]
2. ( *क्र. 534 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता विधायक द्वारा तारांकित प्रश्न क्रमांक 115, दिनांक 29.07.2025 में सिटीजन एमेण्डमेंट एक्ट के समर्थन में निकाली गई रेली पर हुई एफ.आई.आर. को वापस लिये जाने के संबंध में पूछे गये प्रश्न के उत्तर में विभाग द्वारा प्रकरण जिला प्रत्याहरण समिति को भेजा जाना बताया गया है? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक क्या प्रकरण जिला प्रत्याहरण समिति धार द्वारा अपनी अनुशंसा सहित शासन को अग्रेषित कर दिया गया है? यदि नहीं, तो विलम्ब के क्या कारण हैं तथा कब तक इसका निराकरण कर दिया जावेगा? (ग) क्या तत्कालीन समय धार जिला मुख्यालय पर धारा 144 जिला दण्डाधिकारी धार द्वारा लगायी गयी थी तथा क्या इस कारण इस प्रकरण में हुई एफ.आई.आर. को वापस लिये जाने में जिला दण्डाधिकारी जिला धार की अनुशंसा प्राप्त नहीं होने के कारण विलम्ब हो रहा है? (घ) क्या वर्ष 2019 में तत्कालीन कांग्रेस शासन के दौरान एफ.आई.आर. कर्ता स्वयं आवेदन कर प्रकरण वापस लेने की नीति बनाई गई है? यदि हाँ, तो क्या शासन उक्त गलत नीति को समाप्त कर ऐसे प्रकरणों के निष्पादन करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करेगा?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। अब तक न्यायालय में चालान प्रस्तुत नहीं किया जा सका है। कार्यवाही प्रचलित है।

श्रीमती
नीना विक्रम
वर्मा- अध्यक्ष
महोदय, मेरा
प्रश्न
क्रमांक 534 है.
श्री
नरेन्द्र
शिवाजी पटेल- अध्यक्ष
महोदय, प्रश्न
का उत्तर सदन
के पटल पर
प्रस्तुत है.
अध्यक्ष
महोदय-
सदस्य अपना
पूरक प्रश्न
करें.
श्रीमती
नीना विक्रम
वर्मा- अध्यक्ष
महोदय, मैं, यह प्रश्न
बार-बार इसलिए
लगा रही हूं
क्योंकि
मेरा उद्देश्य
केवल यह है कि
भारतीय जनता
पार्टी की
सरकार ने 10
दिसंबर,
2019 को
एक बहुत ही
महत्वपूर्ण
वचन पूर्ण
किया था, जिसके
तहत सिटीजन
एमेण्डमेंट
एक्ट (CAA)
को पारित
कर,
देश में लागू
किया गया था, लेकिन
मध्यप्रदेश
की तत्कालीन
सरकार ने इसका
विरोध किया और
विरोध करने के
साथ ही इसे
प्रदेश में
लागू करने से
मना किया था.
उस समय जनता
की मांग,
हमारे
संगठन के
अनुरूप और
भारतीय जनता
पार्टी की
मंशा के
अनुसार सभी
जिलों एवं
संभाग स्तर
पर रैली का
आयोजन किया
गया था. धार
जिले में भी
मुख्यालय स्तर
पर CAA के
समर्थन में
वृह्द रैली का
आयोजन 16 जनवरी,
2020 को
किया गया था.
तत्कालीन
मध्यप्रदेश
सरकार के
विरोध के रूप
में वहां भारी
जन आक्रोश था
और वहां जनता
तथा हमारे
कार्यकर्ता
एकत्रित हुए
थे. वहां लगभग 25
हजार से अधिक
का जनमानस था, लेकिन
जनता के
आक्रोश को
देखते हुए 16
जनवरी को हुए
प्रदर्शन पर, 18 जनवरी,
2020 को
भारतीय दण्ड
संहिता की
धारा 188 के
अंतर्गत
प्रकरण
पंजीबद्ध
किया. दो दिन
पश्चात् इस
प्रकरण को
दर्ज किया गया
और धार कोतवाली
थाने में 0038
नंबर की
एफ.आई.आर. दर्ज
की गई, जिसमें पूर्व
केंद्रीय
मंत्री
विक्रम वर्मा
जी,
वर्तमान
केंद्रीय
मंत्री
श्रीमती
सावित्री
ठाकुर जी, तत्कालीन
जिलाध्यक्ष
राज वर्मा
सहित कई
कार्यकर्ता
और गणमान्य
नागरिक वहां
उपस्थित थे.
मेरा बार-बार
निवेदन करने
का उद्देश्य
यह है कि
अनावश्यक
रूप से दो दिन
बाद, यदि इस तरह की एफ.आई.आर. दर्ज
होती है और
कार्यकर्ताओं
एवं गणमान्य
नागरिकों को
परेशान किया
जाता है तो क्या
वर्तमान
सरकार अपने
अधिकार का
उपयोग करते हुए, यह
प्रकरण वापस
लेने की
प्रक्रिया
करेगी ?
श्री
नरेन्द्र
शिवाजी पटेल- अध्यक्ष
महोदय, जैसा कि
विधायक जी ने
बताया कि
हमारे
प्रधानमंत्री
जी के नेतृत्व
में जो CAA
बना था, उसके
समर्थन में यह
रैली हुई थी, जिसमें पूर्व
केंद्रीय
मंत्री
विक्रम वर्मा
जी वर्तमान
केंद्रीय
मंत्री
श्रीमती
सावित्री ठाकुर
जी के नाम भी
सम्मिलित हैं. उसमें और
भी ऐसे कई
गणमान्य
नागरिकों के
नाम हैं. तत्कालीन
सरकार ने
उसमें
द्वेषभाव से
कार्रवाई की
है, ऐसा
निश्चित रूप
से प्रतीत
होता है.
वर्तमान सरकार
उस प्रकरण को
वापस लेने के
लिए तैयार है,
परंतु
वर्तमान
भारतीय
नागरिक
सुरक्षा संहिता, 2023 है, उसकी
धारा 360 के
अनुसार, जब तक
कोई प्रकरण न्यायालय
में प्रस्तुत
नहीं होगा, तब तक
उसे वापस नहीं
लिया जा सकता
चूंकि इस प्रकरण
में अभी तक
चालान प्रस्तुत
नहीं हुआ है ,इसलिए
इसकी वापसी की
प्रक्रिया
प्रारंभ नहीं
हुई है.
श्रीमती
नीना विक्रम
वर्मा- अध्यक्ष
महोदय, मैं, आपके
माध्यम से
मंत्री जी से
जानना चाहती
हूं कि पिछली
बार मैंने यह
प्रश्न पूछा
था, 3 माह पूर्व
मुझे जुलाई 2025
के सत्र में
यही जवाब दिया
गया था कि
प्रत्याहरण
समिति धार
द्वारा
अनुशंसा सहित
शासन को
अग्रेषित कर
दिया गया है, लेकिन आज
भी इसमें
यथास्थिति है, यह
मंत्री जी ज्यादा
अच्छे से
जानते हैं. मैं
पूछना
चाहूंगी कि
यदि आप इस पर
वास्तव में
गंभीर हैं क्योंकि
यह केवल धार
का ही नहीं, पूरे
प्रदेश का
मामला है. इस
प्रकरण में
शामिल प्रमुख
व्यक्ति तो
माननीय न्यायालय
से बरी हो
जायेंगे
लेकिन हमारा
सामान्य
कार्यकर्ता
जिस पर
एफ.आई.आर. दर्ज
हो गई है, यदि आज वह
अपने किसी अन्य
कार्य के लिए
जाता है तो
थाने द्वारा
लगाई गई
एफ.आई.आर. के
कारण उसे
बार-बार
परेशानी का
सामना करना
पड़ता है. क्या
मंत्री जी इस
प्रकरण को
गंभीरता से
लेते हुए
इसमें
समय-सीमा
बताने का कष्ट
करेंगे ?
श्री
नरेन्द्र
शिवाजी पटेल- अध्यक्ष
महोदय, जैसा कि
मैंने पूर्व
में बताया भारतीय
नागरिक
सुरक्षा
संहिता, 2023 है की धारा 360
के अनुसार, जब तक
कोई प्रकरण न्यायालय
में प्रस्तुत
नहीं होगा तब
तक उसे वापस
नहीं लिया जा
सकता. प्रत्याहरण
समिति में यह
प्रकरण
विचाराधीन था,
लेकिन उक्त
धारा के तहत
यह संभव नहीं
हो सका लेकिन
आगामी 3 माह की
अवधि में हम इसे
निश्चित रूप
से संपन्न कर
देंगे.
(किसान
कल्याण एवं
कृषि विकास मंत्री, श्री
एदल सिंह
कंषाना जी का
स्वास्थ्य
ठीक न होने के
कारण, सदन में
अचानक अपने
आसन पर
बैठे-बैठे
बेहोश होकर
गिर जाना.)
अध्यक्ष
महोदय- सदन की
कार्यवाही 10
मिनट के लिए
स्थगित.
(11.20 बजे
सदन की
कार्यवाही 10
मिनट के लिए
स्थगित की
गई.)
11.29
बजे
(अध्यक्ष
महोदय (श्री
नरेन्द्र
सिंह तोमर)
पीठासीन हुए.)
श्रीमती
नीना विक्रम
वर्मा - अध्यक्ष
महोदय,
अभी
मेरा प्रश्न
पूरा नहीं हुआ
है.
अध्यक्ष
महोदय - नीना जी, आप
दूसरा प्रश्न
कर लें.
श्रीमती
नीना विक्रम
वर्मा -
माननीय अध्यक्ष
महोदय, एक मिनट. मैं
आपको एक और
जानकारी देना
चाहती हूँ कि
यह धार में
शांतिपूर्ण
था,
लेकिन पूरे
प्रदेश में
बर्बरतापूर्वक
कार्यकर्ताओं
पर लाठीचार्ज
हुआ था. आज सदन
में वर्तमान
कई विधायक ऐसे
बैठे हुए हैं,
जिन्होंने
लाठियां खाई
हैं और
एफ.आई.आर. करने का
कोई बहुत
औचित्य, दो दिन
बाद करने का तो
कोई बिल्कुल
औचित्य नहीं
था,
लेकिन उसके
बाद भी आपसे
एक निवेदन है
कि जिले के
तमाम
कार्यकर्ता, उनको इससे
राहत देने के
लिए आप सरकार
को निर्देशित
करें.
बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष
महोदय - मंत्री जी, आप
कुछ कहना
चाहेंगे. (श्री
अमर सिंह जी
के खड़े होकर
बोलने पर) अमर
सिंह जी, प्लीज
आप बैठ जाइये.
यह सिर्फ एक
ही प्रश्न
है.
श्री
अमर सिंह यादव
-
अध्यक्ष
महोदय, इसी से
लगा हुआ प्रश्न
है.
अध्यक्ष
महोदय - हां, बेशक लगा
होगा,
लेकिन यह अलग
प्रश्न है.
प्लीज, प्लीज, आप कृपया
बैठ जाएं.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आदरणीय विधायक जी ने कहा, यह बात बिल्कुल सच है कि उस समय राजनीतिक द्वेष की भावना से कुछ कार्यवाहियां प्रदेश में अन्य जगह भी हुई हैं, जिसका संज्ञान निश्चित रूप से सरकार ने लिया है, तत्कालीन सरकार ने जो किसी भी द्वेष भाव से कार्यवाहियां यदि की हैं तो उसका संज्ञान लेकर परीक्षण करवा लेंगे और जहां भी ऐसी कार्यवाही की गई होगी, उसको वापिस लेने का काम करेंगे.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब वहां पर कोई आंदोलन नहीं हुआ, कुछ मारपीट नहीं हुई, शांति से प्रदर्शन था तो उसके चालान की जरूरत ही नहीं है. आप जांच करवा कर उसको खत्म कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नीना जी, अब बाकी के आगे की बात आप मंत्री जी से मिलकर कर लेना.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, दो-तीन बार मिल चुके हैं. हम तो कई बार आवेदन दे चुके हैं.
श्री अमर सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय -- अमर सिंह जी, मैं आपको इसलिए रोक रहा हूँ कि कारण क्या है कि इस प्रकार के प्रकरण सब जगह होते हैं. यह विषय सिर्फ प्रश्न का है. एक ही प्रश्न तक सीमित हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, आपने इस प्रश्न पर काफी समय भी दिया. पर मैं इतना निवेदन करना चाहता हूँ कि इस प्रकार के जो राजनीतिक मसले हैं. आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि उनको इकट्ठा करें, जो प्रकरण वापिस ले सकते हैं, वापिस लें. सफर कर रहे हैं. मतलब विक्रम वर्मा जी जैसे सीनियर व्यक्ति जो 80 साल के हैं, उनको कोर्ट जाना पड़ता है. अध्यक्ष महोदय, क्या उन्होंने कुछ किया होगा. मतलब यह चिंता वाली बात है कि आप मुकदमा कर रहे हैं. हमारे ऊपर 10 मुकदमे लगा दें, कोई फर्क नहीं पड़ता. पर 80 साल के व्यक्ति पर मुकदमा लगा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- 80 नहीं, वे 82 के हो गए हैं. (हंसी)
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, ऐसे प्रकरणों को गंभीरता से लेकर खत्म करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी ने कहा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- दो बार यह विषय विधान सभा में आ चुका है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, मंत्री जी ध्यान देंगे.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी ने बहुत सही रास्ता दिखाया है. लेकिन यह पूरे प्रदेश के अंदर, ऐसे असत्य मुकदमे, चाहे इस पार्टी के हो या उस पार्टी के...
श्री रामेश्वर शर्मा -- ये तो कमलनाथ जी की सरकार के समय के प्रकरण हैं और ये प्रकरण वे नहीं हैं, ये प्रकरण वे हैं कि पाकिस्तान, बांगलादेश में हिन्दू पिट रहा था, तुमने पिटने छोड़ा और उसे वे लेकर आ रहे थे. कानून के समर्थन का था और आपने उस समय ज्यादती की, आप लोगों ने बंद कराया.
श्री अमर सिंह यादव -- मेरे साथ मारपीट हुई थी. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठिए. आज महिलाओं का दिन है. उनके महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. महिलाओं को अपना विषय रखने दीजिए. प्लीज.. प्लीज.. अमर सिंह जी, प्लीज. आज महिलाओं का दिन है, महिलाओं के विषय को आने दीजिए. ...(व्यवधान)...
श्री अमर सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे साथ मारपीट की थी, 146 लोगों पर मुकदमा कायम है.
अध्यक्ष महोदय -- अमर सिंह जी, यह विषय बहस का नहीं है. श्रीमती कंचन जी... अमर सिंह जी, आपस में बहस मत करें, प्लीज बैठ जाएं. सोहन जी, कृपया अपने आसन पर आएं.
पुलिस
प्रशासन व
बटालियन की
व्यवस्था
[गृह]
3. ( *क्र.
1004 ) श्रीमती
कंचन मुकेश
तनवे : क्या
मुख्यमंत्री
महोदय यह
बताने की कृपा
करेंगे कि (क) खंडवा
जिला जो की
सिमी के आतंक
व आतंकियों का
केंद्र बन चुका
था एवं लगातार
जिले में
आतंकी,
तस्करी की
घटनायें हो
रही हैं, कुछ दिन
पहले खंडवा के
पेठिया ग्राम
में स्थित
मदरसे से 20 लाख के
नकली नोट
पुलिस ने जब्त
किये, खंडवा
जिला सदैव
संवेदनशील
रहा है? क्या इस
हेतु बटालियन
स्थापित किये
जाने की वर्तमान
में
कार्यवाही
शासन स्तर से
प्रचलित है एवं
कब तक बटालियन
की स्थापना की
योजना है? (ख) खंडवा
जिले में विगत
2 वर्षों
में किन-किन
थानों में
कितने तस्करी, पोस्को, महिला
उत्पीड़न, बाल
अपचारी, अनुसूचित
जाति, जन
जाति, बलात्कार, लव जिहाद, मर्डर, आत्महत्या, चोरी, जाल-साजी, अवैध ब्याज
वसूली आदि के
अपराधिक
प्रकरण किस-किस
केटेगरी के
पंजीबद्ध हुए
हैं एवं विगत
दो वर्षों में
अपराधिक
प्रकरणों में
क्या-क्या
कार्यवाही की
गई, जिस
से सुधार की
अपराधवार
तुलनात्मक
जानकारी
प्रदान की
जावे। (ग) खंडवा
जिले में नवीन
पुलिस चौकी, चौकियों
का उन्नयन
किये जाने की
क्या
कार्ययोजना
है एवं उसे
मूर्तरूप कब
तक दिया
जावेगा? (घ) प्रश्नांश
(क) के सन्दर्भ
में पूर्व में
भूमि का चयन व
विभाग द्वारा
प्रक्रियाधीन
कार्यवाही की
जानकारी
प्रदान करें।
मुख्यमंत्री
( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य
मंत्री (श्री
नरेन्द्र
शिवाजी पटेल) : (क) जिला
खरगोन में
नवीन बटालियन
की स्थापना की
कार्यवाही
प्रचलन में
होने के कारण
जिला खण्डवा
में नवीन
बटालियन की
स्थापना की योजना
प्रचलन में
नहीं है। (ख)
जानकारी संलग्न
परिशिष्ट अनुसार
है। (ग) खण्डवा
जिले में कुल 02 थानें,
07
चौकियों के
उन्नयन की
कार्यवाही
प्रचलन में है, कार्यवाही
पूर्ण होने की
समय-सीमा
बताना संभव
नहीं है। (घ) उत्तरांश
''क'' के क्रम
में प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता है।
श्रीमती कंचन मुकेश तनवे -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1004 है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्रीमती कंचन मुकेश तनवे -- माननीय अध्यक्ष जी को जय राम जी की. सदन में उपस्थित सभी मंत्रीगण, सभी विधायकगण, आप सभी को जय राम जी की. माननीय मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि खंडवा जिला, जो कि सिमी के आतंक व आंतकियों का केन्द्र बन चुका है एवं लगातार जिले में आतंकी, तस्करी की घटनाएं हो रही हैं, कुछ दिन पहले खंडवा के ग्राम पेठिया में स्थित मदरसे से 20 लाख के नकली नोट पुलिस ने जब्त किये, खंडवा जिला सदैव संवेदनशील रहा है. क्या इस हेतु बटालियन स्थापित किए जाने की वर्तमान में कार्यवाही शासन स्तर से प्रचलित है एवं कब तक बटालियन की स्थापना की योजना है ? खंडवा जिले में विगत 2 वर्षों में किन-किन थानों में कितने तस्करी, पोस्को, महिला उत्पीड़न, बाल अपचारी, अनुसूचित जाति, जनजाति, बलात्कार, लव जिहाद, मर्डर, आत्महत्या, चोरी, जाल-साजी, अवैध ब्याज वसूली आदि के आपराधिक प्ररकण किस-किस केटेगरी में पंजीबद्ध हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- कंचन जी, प्रश्न तो करें. आप सरकार से क्या पूछना चाहते हैं, वह दो लाइन में बताएं तो मंत्री जी जवाब देंगे.
श्रीमती कंचन मुकेश तनवे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह पूछना चाहती हूँ कि खंडवा की जनता को ज्यादा सुरक्षा की आवश्यकता है. लगातार आतंकी घटनाएं हो रही हैं. आमजन इससे पीड़ित है, इसलिए बटालियन की स्थापना खंडवा में की जाए.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है. माननीय मंत्री जी.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल -- माननीय अध्यक्ष जी, हमारी बहन को बहुत-बहुत जय सिया राम. जय राम जी की. बहन ने जो चिंता व्यक्त की है कि खंडवा में बटालियन स्थापना के लिए...
अध्यक्ष महोदय -- विजय शाह जी भी खंडवा के हैं, इनको भी दिक्कत है क्या.
कुँवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, नकली नोट बरामद हुए हैं.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हमारी विधायक बहन जी ने चाहा है चूंकि खरगोन में बटालियन की स्थापना की प्रक्रिया प्रचलन में है और पूरी निमाड़ की जो चिंता की गई है जिसमें खरगोन,खण्डवा,बुरहानपुर,बड़वानी चारों जिलों को दृष्टिगत रखते हुए खरगोन में यह कार्यवाही प्रचलन में चल रही है जिसमें लगभग 308 करोड़ रुपये खर्च करके बटालियन की स्थापना हो रही है जिसका लाभ खण्डवा,खरगोन,बुरहानपुर और बड़वानी निमाड़ के चारों जिलों को प्राप्त होगा तो खण्डवा में आवश्यक्ता नहीं है इस दृष्टिकोण से चूंकि खरगोन में विशेष सशस्त्र बल उपलबध होगा.
श्रीमती कंचन मुकेश तनवे - मैं मंत्री जी को बताना चाहूंगी कि हमारे यहां यह 100 एकड़ की भूमि 2018 में बटालियन के लिये दर्ज की जा चुकी है हमारे मंत्री विजय शाह जी भी बैठे हैं हम सबका कहना है कि हमारी बटालियन खण्डवा में बने क्योंकि इसकी अति आवश्यक्ता है क्योंकि त्यौहार होते हैं तो बिना पुलिस प्रशासन के हमारे यहां त्यौहार नहीं होते हैं.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, खण्डवा,खरगौन के बीच में केवल एक घंटे की दूरी का समय लगता है तो जब भी आवश्यक्ता पड़ेगी तो आसानी से खरगौन से बल पहुंच सकता है.तो इसलिये अभी आवश्यक्ता अनुभव नहीं होती.
श्री कैलाश विजयवर्गीय,संसदीय कार्य मंत्री - अध्यक्ष जी, माननीय सदस्या का प्रश्न बिल्कुल सही है क्योंकि इन्दौर संभाग में सर्वाधिक संवेदनशील जिला है तो खण्डवा है और वहां जिस प्रकार नकली नोट मिले हैं. एक तरह से चिंता की बात है चूंकि मदरसों का भी विषय इस प्रश्न से उद्भूत नहीं होता है तो मुझे लगता है कि बाकी मदरसों के बारे में भी सरकार विचार करेगी यह मैं आपको आश्वस्त करता हूं. खण्डवा के बारे में एक बार मंत्री जी जरा आप देखिये. बहुत संवेदनशील जिला है.सर्वाधिक दंगे वहां होते हैं. हर त्यौहार पर जब तक पुलिस संरक्षण नहीं हो वहां हो ही नहीं सकता इसलिये बहन का प्रश्न बिल्कुल सही है आप उसको गंभीरता से ले लीजियेगा. यह बात सही है आप खरगोन में कर रहे हैं किसी जमाने में तीन घंटे लगते हैं आजकल सड़क अच्छी हो गई तो एक-डेढ़ घंटे में आ जाते हैं फिर भी खण्डवा आपकी सूची में होना चाहिये क्योंकि वह संवेदनशील जिला है.
कुंवर विजय शाह,मंत्री,जनजातीय कार्य विभाग- अध्यक्ष महोदय, खण्डवा आतंकवादियों की हिट लिस्ट में है और जेल से भी लोग फरार हुए हैं बाकी एनकाउंटर्स भी हुए हैं और हमेशा से मध्यप्रदेश में संवेदनशील जिला है. हमने 100 एकड़ जमीन वहां चिन्हित भी कर रखी है और अभी खरगोन में काम शुरू नहीं हुआ है तो मेहरबानी होगी कि खण्डवा में अगर हम करें तो ज्यादा अच्छे तरीके से नियंत्रण कर सकते हैं खण्डवा में रहेगा तो हम खरगोन नियंत्रण कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने कहा कि गंभीरता से लेंगे. और कुछ कहना चाहते हैं.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है उन्होंने जो कहा है वह सरकार की तरफ से ही कहा है ऐसा माना जाये.
अध्यक्ष महोदय - संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा है तो समझो सरकार ने संज्ञान लिया है ऐसी ही मान्यता है.
जाँच को लंबित किया जाना
[वन]
4. ( *क्र. 542 ) सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत : क्या राज्य मंत्री, वन महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्रमांक 458, दिनांक 01.08.2025 के संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक, विकास वन मध्य प्रदेश भोपाल को जाँच हेतु पत्र दिया गया? यदि हाँ, तो जाँच अधिकारी कौन-कौन नियुक्त किये गये? (ख) समिति द्वारा किस दिनांक को जाँच की गई, जाँच अभिमत सहित विवरण उपलब्ध करायें, क्या जाँच प्रारंभ होने की प्रश्नकर्ता को सूचना दी गई? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो कब?
राज्य मंत्री, वन ( श्री दिलीप अहिरवार ) : (क) जी हाँ। जांच हेतु तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है, जिसमें श्री नरेश कुमार यादव, वन संरक्षक छतरपुर-अध्यक्ष, श्री अनुपम शर्मा, वनमंडलाधिकारी दक्षिण पन्ना-सदस्य एवं श्री राजाराम परमार, वनमंडलाधिकारी टीकमगढ़-सदस्य नियुक्त किये गये। (ख) समिति द्वारा दिनांक 17.11.2025 से जांच प्रारंभ कर दी गई है, जिसका प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं हुआ है। जांच प्रारंभ होने की सूचना मुख्य वन संरक्षक छतरपुर के पृ.क्र./व्यय/2025/2935, दिनांक 17.11.2025 से प्रश्नकर्ता को उनकी ईमेल आई.डी. ramsiyabharti00x2@gmail.com पर दी गई है।
सुश्री
रामश्री (बहिन
रामसिया
भारती) राजपूत
- प्रश्न
क्रमांक 542
राज्य मंत्री, वन ( श्री दिलीप अहिरवार ) - अध्यक्ष महोदय,उत्तर पटल पर रखा है.
सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत - माननीय अध्यक्ष महोदय,आपको सादर जयश्री राम.सदन में विराजित सभी को मेरी तरफ से बहुत-बहुत जयश्री राम. मेरा प्रश्न यह था मेरे पत्र क्रमांक8325,दिनांक 4.8.2025 को वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक,वन,मध्यप्रदेश भोपाल को दिया गया किन्तु जांच अभी तक लंबित है. मैंने उत्तर पुस्तिका जो मेरे पास आई उसे मैंने भली भांति पढ़ा है. उसमें मैंने एक कमेटी की बात कही थी तो कमेटी तो गठित की गई लेकिन कमेटी में ऐसा लगता है कि इस दौर के फैसले हमने देखे हैं इस दौर के फैसले हमने देखे हैं फैसला कत्ल का और कातिल के हवाले देखे हैं.इस जांच कमेटी में जिनके नाम दिये गये हैं जिनकी जांच होनी है उन्हीं को जांच दी गई है.कैसे जांच होगी.
श्री दिलीप
अहिरवार-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, हमारी बहिन
ने जो पत्र
भेजा था और
हमने उसकी कमेटी
भी बना दी है, उनके पास ई-मेल आईडी के
माध्यम से
पहुंचा भी
दिया, मगर मैं यह
समझ नहीं पा
रहा हूं कि
हमारी बहिन आपका
पत्र आया, फिर भी आपका
सम्मान करते
हुये हमने
जांच कमेटी
बनाई, मगर आप जांच
क्या कराना
चाह रही हैं, पूरे जिले की
जांच कराना
चाह रही हैं
आप क्या
कराना चाह रही
हैं. माननीय
अध्यक्ष
महोदय, इनका जो पत्र
था पिछले सदन
में इन्होंने
जवाब मांगा था
छतरपुर जिले
में वर्ष 2023 से
प्रश्न
दिनांक तक
जंगलों के
विकास और विस्तार
हेतु सरकार
द्वारा कितनी
धन राशि
दी गई थी, उक्त राशि
से कौन-कौन से
कार्य किये
गये थे, यह सारे जो
इन्होंने
मांगे थे वह
हमने इनको
उपलब्ध करा
दिये थे. फिर इनका एक
दूसरा पत्र
आया जांच
कराने के लिये
तो पत्र में
लिखा है कि
विधान सभा
प्रश्न
क्रमांक 458 दिनांक 01.08.2025 के
संबंध में
किये गये व्यय
की धरातल पर
जांच की जाये.
मैं यह समझना
चाहता हूं कि
आप पूरे जिले
की जांच कराना
चाह रही हैं
या अपनी विधान
सभा की जांच
कराना चाह रही
हैं, क्योंकि
आपने यह आंकलन
नहीं दिया कि
विधान सभा का
आपकी कोई
पर्टिकुलर
लगता है आपको, कोई समस्या
किसी चीज में
है तो आप
बताईये, हम तत्काल
जांच करा
लेंगे. फिर भी
आपका पत्र आया, हमने कमेटी
बनाई, कमेटी बनाकर
ई-मेल
के माध्यम से
हमने आपको
पहुंचा भी
दिया.
सुश्री
रामश्री (बहिन
रामसिया
भारती)
राजपूत--
माननीय अध्यक्ष
महोदय जी, मैं आपके
माध्यम से फिर
माननीय
मंत्री महोदय
जी से निवेदन
करना चाहती
हूं जो उन्होंने
बातें कही हैं
कि मुझे ई-मेल के माध्यम
से अवगत भी
कराया गया
परंतु मैं तो
यह चाहती हूं
कि जिन
अधिकारियों
को आपने उस
जांच कमेटी
में रखा है.
माननीय अध्यक्ष
महोदय, 28 तारीख को
मेरे पास फोन
आया, लेकिन 17 तारीख
को मुझे ई-मेल भी आया, लेकिन 28 तारीख
को मेरे पास
फोन आता है कि
आप अपने किसी
प्रतिनिधि को
भेज दें आप
अगर भोपाल में
हैं तो मैंने
उनको भेजा, माननीय अध्यक्ष
महोदय, साढ़े 4 बजे वह
अधिकारी जो
कमेटी गठित
हुई वह साढ़े 4
बजे
बड़ामलेहरा
पहुंचते हैं, साढ़े 7 बजे वह बाजना
पहुंचते हैं
और साढ़े नौ
बजे रात्रि
में बक्स्वाहा
में पहुंचकर
भोजन करते हैं
और वापस हो जाते
हैं, यह जांच हो
रही है माननीय
अध्यक्ष
महोदय जी, ऐसी जांच हो
रही है. मैं
चाहती हूं कि
राज्य
प्रशासनिक
सेवा के
अधिकारी की
अध्यक्षता
में एवं वित्तीय
मामले हेतु
वित्त विभाग
के सक्षम
अधिकारी एवं
तकनीकी
प्रेक्षण
हेतु सक्षम
अधिकारी को
सदस्य
नियुक्त
किया जाये एवं
इस बात का
विशेष ध्यान
रखा जाये कि
समिति के
अधिकारियों
का प्रत्यक्ष
एवं अप्रत्यक्ष
रूप से वन
मंडल छतरपुर
से कोई संबंध
न हो और
माननीय अध्यक्ष
महोदय, समय-सीमा
मुझे जरूर बता
दी जाये.
अध्यक्ष
महोदय--
रामश्री जी, कृपया आप
बैठिये.
सुश्री
रामश्री (बहिन
रामसिया
भारती)
राजपूत--
माननीय अध्यक्ष
महोदय, मेरी बिनती
है आप सबकी
सुनते हैं, भगवान राम जब
वन में गये थे
तभी मारीच और
सुबाहु का पता
कर पाये थे. जब
राम जैसा कोई
जांच के लिये
जायेगा...
अध्यक्ष
महोदय--
रामश्री जी
आप कृपया बैठिये
तो. मंत्री जी, आप कुछ कहना
चाहते हैं.
श्री दिलीप
अहिरवार-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, अभी हमारी
बहिन कह रही
थीं, बहिन हमारे
जिले की ही
हैं, हम बड़ा सम्मान
करते हैं बहन
का. हम आपको
बता दें आप यह
भी कह रही थीं
सदन में कि
हमने और जिन
लोगों ने
अधिकारियों
को जांच में
खड़ा किया तो
हम आपको बता
दें कि यह
मामला छतरपुर
का है और एक
अधिकारी हमने
टीकमगढ़ का भी
रखा है, एक अधिकारी
पन्ना का भी
रखा है ताकि
आपको यह न लगे
कि पूरे अधिकारी
छतरपुर के हैं. तीन जो समिति
दल की टीम
बनाई है तो
तीनों अधिकारी
अलग-अलग हैं.
माननीय अध्यक्ष
महोदय, फिर भी मैं
माननीय बहिन
सदस्य से
कहना चाहूंगा
कि आप यह तो स्पष्ट
कर दीजिये कि
आप किस ....
सुश्री
रामश्री (बहिन
रामसिया
भारती)
राजपूत--
माननीय अध्यक्ष
महोदय, मैं आपके
माध्यम से
कहना चाहती
हूं कि इस
जांच कमेटी से
मैं बिलकुल भी
संतुष्ट
नहीं हूं, मैंने जैसा
बताया है कि
समय-सीमा
बताते हुये पुन:
जांच कमेटी
बनाई जाये.
अध्यक्ष महोदय-- रामश्री जी, प्लीज एक मिनट बैठिये. मैं समझता हूं दो बातें ध्यान में आ रही हैं, एक तो माननीय सदस्य को कमेटी के जो मेम्बर्स हैं उन पर किसी प्रकार की आपत्ति है और दूसरा मंत्री जी का कहना यह है कि जांच का विषय क्या है, यह स्पष्ट नहीं है. मेरा अनुरोध सदस्य से है कि आज ही मंत्री जी आप माननीय सदस्य को समय दे दें और आप जांच के जो विषय हैं उनकी स्पष्टता कर दें और आप अपनी आपत्ति मंत्री जी को लिखित में दे दें.
बालिका
गृह तथा
वर्किंग वुमन
हॉस्टल की स्थापना
[महिला
एवं बाल
विकास]
5. ( *क्र.
1368 ) श्रीमती
रीती पाठक : क्या
महिला एवं बाल
विकास मंत्री
महोदया यह बताने
की कृपा करेंगी
कि (क)
क्या शासन के
संज्ञान में
है कि सीधी
जिले के
आदिवासी
बाहुल्य एवं
दूरस्थ
ग्रामीण क्षेत्रों
से उच्च
शिक्षा एवं
रोजगार की
तलाश में जिला
मुख्यालय आने
वाली
छात्राओं एवं
कामकाजी
महिलाओं को
सुरक्षित एवं
सुलभ आवास
सुविधाओं के
अभाव में
गंभीर
कठिनाइयों का सामना
करना पड़ता है? (ख)
क्या शासन
सीधी जिला
मुख्यालय में
छात्राओं
हेतु बालिका
गृह तथा
रोजगाररत
महिलाओं हेतु
वर्किंग वुमन
हॉस्टल
स्थापित करने
पर विचार कर
रहा है, ताकि
उन्हें
सुरक्षित
आवास, भोजन, सामुदायिक
सुविधाएँ एवं
आत्मनिर्भरता
के लिये
अनुकूल
वातावरण उपलब्ध
हो सके? यदि हाँ, तो
प्रस्ताव की
वर्तमान
स्थिति क्या
है? (ग)
उपरोक्त
दोनों
संस्थाओं की
स्थापना हेतु
भूमि चयन, बजट
स्वीकृति, निर्माण
एजेंसी, संचालन
व्यवस्था आदि
के संबंध में
अब तक शासन द्वारा
क्या-क्या
कार्यवाही की
गई है? विस्तृत
विवरण उपलब्ध
कराएं।
महिला
एवं बाल विकास
मंत्री (
सुश्री
निर्मला भूरिया
) : (क)
जी नहीं। सीधी
जिले से इस
सबंध में कोई
प्रस्ताव
प्राप्त
नहीं हुआ है।
(ख) एवं (ग) उत्तरांश
''क'' के
संदर्भ में
जानकारी
निरंक है।
श्रीमती
रीती पाठक -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मेरा
प्रश्न
क्रमांक-1368 है.
सुश्री
निर्मला भूरिया -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, उत्तर
पटल पर रख
दिया गया है.
श्रीमती
रीती पाठक -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, आपका
बहुत-बहुत धन्यवाद
और धन्यवाद
इसलिए भी कि
आपने प्रत्येक
सत्र में हम
बहनों के लिये
एक दिन प्रश्नकाल
के दौरान रखा
है.
संसदीय
कार्यमंत्री(श्री
कैलाश
विजयवर्गीय) -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, इसके
लिये तो मैं
भी आपको
बहुत-बहुत धन्यवाद
देना चाहता
हूं, क्योंकि
बहुत अच्छा
लगता है,
कोकिला
आवाज सुनने का
आनंद बहुत अलग
होता है(हंसी)
अध्यक्ष
महोदय-- (हंसी)
बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती
रीती पाठक -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, हमारे
देश के यशस्वी
प्रधानमंत्री
जी के द्वारा
महिला सशक्कतीकरण
के लिये
अनेकों अनेक
योजनाएं
बनाईं गई हैं
और इन योजनाओं
का विस्तृत
विस्तार और
महिलाओं को सशक्कत
करने की चिंता
लगातार हमारे
प्रदेश के मुख्यमंत्री
डॉ.मोहन यादव
जी के माध्यम
से की जा रही
है.
अध्यक्ष
महोदय,
आज
जो सवाल मैंने
रखा है, यूं तो
मुझे लगता है
कि पूरे मध्यप्रदेश
के लिये यह
सवाल बनता है,
चूंकि मेरी
विधानसभा
सीधी रही है, तो
इसलिए मैं
सीधी की तरफ
से यह सवाल
जरूर करना
चाहूंगी और एक
चीज जरूर में
कोड करना
चाहूंगी कि
हमारी सशक्कतीकरण
का और खासकर
आदिवासी वर्ग
से एक सशक्कत
उदाहरण जो हमारे
देश के लिये है, वह हमारे
देश की माननीय
राष्ट्रपति
महोदया
द्रौपदी
मुर्मू जी का
है,
उन्होंने
छात्रावास के
और वुमन हॉस्टल
के एक उद्घाटन
के दौरान यह
कहा था कि
हमारे बहनों
के सशक्कतीकरण
के लिये सबसे
ज्यादा आवश्यक
है,
शिक्षा और
शिक्षा में
यदि आवास की
सुविधा व्यवस्थित
नहीं है, तो
निश्चित रूप
से उनके
शिक्षा के
लिये अवरोध है
और उनके सम्मान
के लिये भी
अवरोध है और
उनकी सुरक्षा
के लिये अवरोध
है, तो
इसलिए इस चीज को
ध्यान में
रखते हुए,
मैं आपके
समक्ष अपना
प्रश्न रखना
चाह रही हूं,
आदरणीय
मंत्री जी को
मैं यह पूछना
चाहती हूं और
मैं शासन के
माध्यम से
आपके समक्ष यह
प्रश्न रखती
हूं कि मेरे
सीधी जिले में
क्या शासन के
संज्ञान में
है कि आदिवासी
बाहुल्य एवं
दूरस्थ ग्रामीण
क्षेत्रों से
उच्च शिक्षा
एवं रोजगार की
तलाश में जिला
मुख्यालय में आने
वाली
छात्राओं एवं
कामकाजी
महिलाओं को सुरक्षित
एवं सुलभ आवास
सुविधाओं के
अभाव में गंभीर
कठिनाइयों का
सामना करना
पड़ता है? तो
क्या शासन
सीधी जिला
मुख्यालय में
छात्राओं
हेतु बालिका
गृह तथा
रोजगार रत
महिलाओं हेतु
वर्किंग वुमन
हॉस्टल स्थापित
करने पर विचार
कर रहा है? ताकि
उन्हें
सुरक्षित
आवास, भोजन, सामुदायिक
सुविधाएँ एवं
आत्मनिर्भरता
के लिये
अनुकूल
वातावरण
उपलब्ध हो सके? यदि
ऐसा है तो
कृपया बताने
का कष्ट
करें.
अध्यक्ष
महोदय -- रीती
जी आपका गृह
में प्रश्न
लगा है, इसलिए
गृह मंत्रालय
का विषय आप
पूछिये, क्या
मंत्री जी इस
पर कुछ कहना
चाहते हैं.
श्रीमती
रीती पाठक -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, यह महिला
एवं बाल विकास
विभाग से
जुड़ा हुआ ही विषय
है.
सुश्री निर्मला भूरिया --माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायिका जी ने जो प्रश्न किया है, वह वास्तव में दो तीन विभागो से संबंध रखता है, लेकिन चूंकि उन्होंने हमसे यह प्रश्न किया है, तो हमारा महिला एवं बाल विकास विभाग वह वर्किंग वुमन हॉस्टल संचालित करता है और ऐसी बच्चियों के लिये भी हमारा गृह चलता है, जिसमें कि पीडि़त जो बच्चियां होती हैं, उनको रखा जाता है, लेकिन शिक्षा के लिये हमारा ट्रायवल विभाग भी है, उच्च शिक्षा विभाग भी है, यह विभाग हमारे शिक्षा के माध्यम से छात्रावास भी संचालित करते हैं और उनकी पूरी सुरक्षा की व्यवस्था भी करते हैं और शिक्षा की व्यवस्था भी करते हैं, तो माननीय सदस्य को यह बताना चाहूंगी कि वर्किंग वुमन हॉस्टल के संबंध में अभी सीधी जिले के लिये तो हमारा कोई प्रस्ताव नहीं है, चूंकि इसकी मंजूरी सेंट्रल गर्वनमेंट करती है, तो फिलहाल में इसके लिये कोई प्रस्ताव नहीं है.
श्रीमती
रीती पाठक – आदरणीय, मैं
सरकार से
अनुरोध करती
हूं कि इस व्यवस्था
के लिए न
सिर्फ सीधी
बल्कि, पूरे मध्यप्रदेश
को ध्यान में
रखते हुए ऐसी
जगह, जहां पर आवश्यकता
है,
वर्किंग वुमन
हॉस्टल की, वहां
पर हमारी
सरकार की ओर
से प्रस्ताव
भेजा जाए और
शीघ्र इसका
निराकरण किया
जाए, जिससे देश की
महिला सशक्त
हो सकें.
सुश्री
निर्मला
भूरिया – अध्यक्ष
जी, मैं
आपके माध्यम
से माननीय
सदस्य और सदन
को बताना
चाहूंगी कि
माननीय मुख्यमंत्री
जी के
मार्गदर्शन
में केन्द्र
से वित्त
पोषित योजना
अंतर्गत, पूंजीगत
निवेश के लिए राज्यों
को विशेष
सहायता में 284
करोड़ रुपए की
राशि स्वीकृत
करवाकर, 8 नए कामकाजी
हॉस्टल लेकर
हम आए हैं और
यह देश में
पहली बार हम ये 8 हास्टल
स्वीकृत
करवा कर लाए
हैं और इन हॉस्टल
में कुल 5121
महिलाओं को
हमने
लाभान्वित भी
किए हैं, इसके
अलावा हमने 14
नवीन कामकाजी
हॉस्टल स्वीकृत
करने के लिए
भारत सरकार को
प्रस्ताव भी
भेजे हुए हैं, उसकी
कार्यवाही चल
रही है.
फिलहाल उज्जैन, पीथमपुर, मंडीदीप
और मालनपुर
में औद्योगिक
नीति एवं निवेश
विभाग द्वारा
कामकाजी
महिलाओं के
लिए चार बड़े
परिसर बनाए जा
रहे हैं, जबकि
महिला एवं बाल
विकास विभाग
द्वारा झाबुआ, सिंगरौली, देवास, नर्मदापुरम
में कामकाजी
महिला हॉस्टल
का निर्माण
किया जा रहा
है. महिला एवं
बाल विकास
विभाग पूर्व
से ही इंदौर
एवं भोपाल में
तीन वर्किंग
वूमन हॉस्टल
का संचालन कर
रहा है. ये
हमारी सरकार
है, संवेदनशील
है. छात्राओं
को पढ़ने के
लिए और
महिलाओं के
सशक्तिकरण के लिए
भी लगातार
कार्य कर रहे
हैं, मैं
माननीय सदस्या
को आश्वस्त
करती हूं कि
हम ये करेंगे.
एफ.आई.आर.
दर्ज की जाना
[गृह]
6. ( *क्र.
871 ) श्रीमती
चंदा
सुरेन्द्र
सिंह गौर : क्या
मुख्यमंत्री
महोदय यह
बताने की कृपा
करेंगे कि (क) क्या
खरगापुर
विधान सभा-47 के ग्राम
भटगोरा के
लगभग 20-25
आदिवासियों
द्वारा
दिनांक 03.11.2025 को पुलिस
अधीक्षक
कार्यालय
टीकमगढ़ में
आवेदन पत्र
देकर माँग की
थी कि मनीराम, यादव, अखलेश पाल, राम किसन
पाल, गोविंद
पाल, रवीन्द्र
यादव सभी एक
राय होकर आवेदक
आदिवासियों
की फसलें नष्ट
करके जान से मारने
के लिये आमदा
हैं? यदि
हाँ, तो
इन सभी के
विरुद्ध क्या
कार्यवाही की
गई? जानकारी
दें। (ख) क्या
प्रश्नांश
(क)
में
नामांकित
व्यक्तियों
द्वारा गरीब
असहाय
आदिवासी
किसानों की
फसलें नष्ट
करके इनके घरों
में आग लगाकर
तथा हत्या
करने की नियत
से घटना को
अंजाम देना चाहते
हैं तथा
नामांकितों के संगठन
में शामिल
कोमल पाल, वीरन पाल
ने वर्ष 2009 में आग
लगाने जैसी
घटना को अंजाम
दिया था, जिस पर
पुलिस द्वारा
एफ.आई.आर. दर्ज
की थी? अब
फिर से 2009 जैसी घटना
को अंजाम देने
की फिराक में
यह सभी
व्यक्ति हैं। इनके
विरुद्ध
एफ.आई.आर. दर्ज
क्यों नहीं की
जा रही है? कारण
स्पष्ट करें। (ग) आदिवासी
परिवार के
किसानों को
नामांकित व्यक्तियों
की दंबगई से
सुरक्षित
करते हुये
प्रश्नांश
"क"
में
नामांकितों
के विरुद्ध
एफ.आई.आर. कब तक
दर्ज कर दी
जावेगी? समयावधि
बतायें।
मुख्यमंत्री
( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य
मंत्री (श्री
नरेन्द्र
शिवाजी पटेल) : (क) यह
सही है कि खरगापुर
विधानसभा के
ग्राम भटगौरा
के आदिवासियों
द्वारा
दिनांक 03.11.2025 पुलिस
अधीक्षक
कार्यालय
टीकमगढ़ में
शिकायत आवेदन
पत्र प्रस्तुत
किया गया था।
उक्त आवेदन
पत्र की जांच थाना
प्रभारी
जतारा से कराई
गई। जांच
उपरान्त जिला
टीकमगढ़ थाना
जतारा में
अपराध क्रमांक
246/25,
धारा 296
(a), 351 (3), 3 (5) बी.एन.एस., 3 (1) (द), 3 (1) (ध), 3 (2) (va) एस.सी./एस.टी.
एक्ट का
मनीराम यादव, अखलेश पाल, रामकिशन
पाल, गोविंद
पाल, रविंद
यादव,
निवासी
भटगौरा के
विरुद्ध
पंजीबद्द कर
अनुसंधान में है।
(ख) नामांकित
व्यक्तियों द्वारा
वन विभाग की
भूमि पर कब्जा
की शिकायतें
सी.एम.
हेल्पलाइन
एवं वन विभाग
के
अधिकारियों
को की गई थी, जिस पर वन
विभाग द्वारा
ग्राम अटगोरा देवराहा
के करीव 51
कब्जाधारियों
को वन भूमि से
बेदखल कर 90 हेक्टेयर
वन भूमि कब्जा
मुक्त की गई
है, जिसमें
आवेदकों की
जमीन भी शामिल
है। इसी बात पर
उभय पक्ष के
मध्य कहासुनी
पर आवेदन पत्र
दिया गया, जिस पर
जिला टीकमगढ़
थाना जतारा
में प्रथम सूचना
रिपोर्ट
क्रमांक 246/25, धारा 296 (a), 351 (3), 3 (5), बी.एन.एस., 3 (1) (द), 3 (1) (ध), 3 (2) (va) एस.सी./एस.टी.
एक्ट का
पंजीबद्ध
किया गया है।
उभयपक्षों के विरुद्ध
शांति
व्यवस्था
बनाए रखने
हेतु प्रतिबंधात्मक
कार्यवाही की
गई है। वर्ष 2009 में कोमल
पाल व वीरन
पाल के द्वारा
मारपीट एवं
घास-फूस
की झोपड़ी में
आग लगाने की
शिकायत पर
जिला टीकमगढ़
थाना जतारा, में
अप.क्र. 272/09 धारा 147, 427, 323, 435
आई.पी.सी. का
आरोपियों
कोमल पाल व
वीरन पाल के विरुद्ध
कायम किया गया
था, जिसमें
मान. न्यायालय
द्वारा
आरोपियों को
राजीनामा के
आधार पर दोषमुक्त
किया गया है। (ग) आदिवासी
परिवार के
किसानों को
नामांकित व्यक्तियों
से सुरक्षित
करते हुए
प्रश्नांश
"क" में
नामाकिंत
व्यक्तियों
के विरुद्ध
जिला टीकमगढ़
थाना जतारा
में अपराध
क्र. 246/25,
धारा 296
(a), 351 (3), 3 (5), बी.एन.एस., 3 (1) (द), 3 (1) (ध), 3 (2) (va) एस.सी./एस.टी.
एक्ट दर्ज है
एवं
नामांकितों
के विरुद्ध
प्रतिबंधात्मक
कार्यवाही
इस्तगासा क्र. 520/25 धारा 126, 135 (3) बी.एन.एस.एस. की
गई है।
श्रीमती
चंदा सुरेन्द्र
सिंह गौर – माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मेरा प्रश्न
क्रमांक नंबर
871 है.
श्री नरेन्द्र
शिवाजी पटेल – माननीय
अध्यक्ष जी, उत्तर
पटल पर रखा
हुआ है.
श्रीमती
चंदा सुरेन्द्र
सिंह गौर – माननीय
अध्यक्ष
महोदय, माननीय मुख्यमंत्री
जी की ओर से माननीय
मंत्री जी ने
जो उत्तर
दिया है कि
मामला
पंजीबद्ध कर
लिया गया है, जो
विवेचना में
है. मैं इससे
सहमत हूं.
लेकिन
आदिवासी
परिवारों को, महिलाओं, बच्चों
को अपराधी
लगातार
धमकियां दे
रहे हैं. अभी तो
उन्होंने
घरों में आग
लगाई है, अब जान से
मारने की धमकी
दे रहे हैं.
आदिवासी परिवार
खेतों पर काम
करने नहीं जा
पा रहे हैं. अपराधियों
को गिरफ्तार
कर जेल क्यों
नहीं भेजा जा
रहा है, उनको किसका
संरक्षण मिल
रहा है. पुलिस
किसके दबाव
में काम कर
रही है, अपराधी
खुलेआम घूम
रहे हैं, इनकी
गिरफ्तारी कब
तक हो जाएगी.
श्री नरेन्द्र
शिवाजी पटेल – माननीय
अध्यक्ष जी, जैसा
कि माननीय
सदस्या ने
कहा है 16/11 में
एफआईआर दर्ज
हो गई है और जो
भी अभियुक्त
उसमें
नामांकित है, उनकी
तालाश जारी है
और उनकी
गिरफ्तारी का
प्रयास किया
जा रहा है. यह जो
विवाद है, यह
उभयपक्षी और
कहा-सुनी का
विवाद है, उसमें
पहले भी जो
कहा था उसमें
दोनों पक्षों
के बीच में
समझौता भी हो
गया था, लेकिन अभी जो
माननीय सदस्या
जी चाहती हैं
कि अपराधियों
को गिरफ्तार
किया जाए, तो उनकी
तालाशी चल रही
है.
श्रीमती
चंदा सुरेन्द्र
सिंह गौर – माननीय
अध्यक्ष
महोदय, इन्हीं
अपराधियों ने
वर्ष 2009 में इन्हीं
आदिवासियों
के घरों में
आग लगाई थी.
अभी वर्ष 2025 में फिर
से आग लगा दी
आदिवासियों के
परिवार के
घरों में, इसलिए
भवष्यि में यह
अपराधी किस
प्रकार की घटना
को अंजाम देने
जा रहे हैं, अपराधियों
को किसका
संरक्षण
प्राप्त हो
रहा है, पुलिस कागजी
कार्यवाही तो
करती है, लेकिन
आदिवासियों
की सहायता
करने पुलिस तब
पहुंचती है, जब
घटना को अंजाम
दे दिया जाता
है. ऐसे
अपराधियों को
जेल की सलाखों
में तुरंत
भेजना चाहिए, नहीं
तो अपराधियों
के हौंसले
बुलंद हो जाते
हैं.
श्री नरेन्द्र
शिवाजी पटेल – माननीय
अध्यक्ष जी, जैसा
कि मैंने
पूर्व में
बताया था कि
जो वर्ष 2009 में
प्रकरण दर्ज
हुआ था, उसमें अलग
लोग नामांकित
थे, अभी
जो प्रकरण
दर्ज हुआ, उसमें
अलग लोग
नामांकित थे, लेकिन
पिछला जो
प्रकरण था
उसमें उनका
आपस में समझौता
हो गया था, उसके
कारण वह
प्रकरण खत्म
भी हो गया है, लेकिन
अभी जो इनका
झगड़ा हुआ है, उसमें
कहा-सुनी का
विषय है, इसमें
अपराधियों की
तलाश चल रही
है उनको जल्द
से जल्द
गिरफ्तार
करेंगे.
श्रीमती
चंदा सुरेन्द्र
सिंह गौर – माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मंत्री जी
समय सीमा तो
बता दें कि
अपराधी कब तक
गिरफ्तार हो
जाएंगे.
अध्यक्ष
महोदय – मंत्री जी ने
कहा तो है जल्दी
से जल्दी
गिरफ्तार
करेंगे स्पष्ट
उत्तर दिया
है मंत्री ने.
श्रीमती
चंदा सुरेन्द्र
सिंह गौर –
माननीय अध्यक्ष
महोदय, धन्यवाद.
नर्मदा
नदी के किनारे
निवासरत
ग्रामीणों को हटाया
जाना
[वन]
7. ( *क्र.
1012 ) श्रीमती
सेना महेश
पटेल : क्या
राज्य
मंत्री, वन महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि
(क) क्या
अलीराजपुर
जिले में वन
विभाग के आदेश
अनुसार 5 कि.मी. की
परिधि
अन्तर्गत
नर्मदा नदी के
किनारे
निवासरत
ग्रामीणों को
हटाये जाने के
आदेश जारी
किये गये हैं? यदि हाँ, तो इसका
उद्देश्य
क्या है और
इससे कितने
ग्राम एवं
परिवार
प्रभावित हो
रहे हैं? ग्रामवार
परिवार की
संख्या सहित
सूची उपलब्ध
करावें। (ख) प्रश्नांश
(क) अनुसार
आदेश जारी
किये जाने के
पूर्व क्या
ग्राम पंचायत
में पेसा एक्ट
के तहत ग्राम
सभा में सहमति
ली गई है? यदि नहीं, तो क्या
कारण है? यदि ली गई
है तो
कार्यवाही
विवरण उपलब्ध
करावें। (ग) प्रश्नांश
(क) अनुसार
क्या शासन यह
सुनिश्चित
करेगा कि किसी
भी परिवार को
उनके
पारम्परिक
निवास से
विस्थापित न
कर वन अधिकार
अधिनियम 2006
का पालन
किया जायेगा?
राज्य
मंत्री, वन ( श्री
दिलीप
अहिरवार ) : (क) जी
नहीं, अलीराजपुर
जिले में वन
विभाग के आदेश
अनुसार 5 कि.मी. की
परिधि
अन्तर्गत
नर्मदा नदी के
किनारे
निवासरत
ग्रामीणों को
हटाये जाने के
आदेश जारी
नहीं किये गये
हैं, अपितु
प्रदेश में
नर्मदा नदी के
तट से दोनों
ओर 5-5
कि.मी. के
दायरे से
दिनांक 13.12.2005 के बाद के
वन भूमि पर
अवैध
अतिक्रमण को
हटाने हेतु
पत्र दिनांक 21.08.2025
जारी किया है।
अतः शेष प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता है। (ख) पेसा
एक्ट में अवैध
अतिक्रमण को
रिक्त कराने हेतु
सहमति लेने का
कोई प्रावधान
नहीं है। अतः
शेष का प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता है। (ग) जी
हाँ।
श्रीमती
सेना महेश
पटेल—माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैं
आदिवासी समाज
से आती हूं.
आदिवासी समाज
के ऊपर जिस
तरह से
अत्याचार हो
रहे हैं
जिसमें
निरंतर भूमि
अधिग्रहण तथा
मां नर्मदा तक
को भी नहीं
छोड़ा जा रहा
है. मैं आपके माध्यम
से वन विभाग
के माननीय
मंत्री जी से
निम्न गंभीर
विषय पर जवाब
चाहूंगी कि
नर्मदा मईया
किनारे
आदिवासी
परिवार को
हटाने का आदेश
क्या सरकार
उन्हें बेघर
करना चाहती
है. जिला
अलीराजपुर
में नर्मदा
नदी के दोनों
किनारे के 5-5
किलोमीटर की
परिधि में
हजार आदिवासी
भाई बहन को
हटाने के आदेश
शासन स्तर और
संभाग स्तर और
जिला स्तर से
कुल 4 से 5 पत्र
जारी हुए हैं.
मेरे प्रश्न
के जवाब में
सरकार द्वारा
अपने उत्तर
में स्वीकार
किया है.
अध्यक्ष
महोदय—सेना जी तीन
मिनट ही बचे
हैं आप पूरा
प्रश्न करिये
नहीं तो
मंत्री जी से
उत्तर नहीं आ
पायेगा.
श्रीमती
सेना महेश
पटेल—माननीय
अध्यक्ष
महोदय, प्रदेश
के नर्मदा नदी
के तट पर
दोनों तरफ 5-5
किलोमीटर के
दायरे में 13.12.2005
के बाद वन
भूमि अवैध
अतिक्रमण को
हटाने हेतु
पत्र दिनांक
21.8.2025 जारी हुआ है
वहीं आपके
स्थानीय
मंत्री जी
कहते हैं कि
यह किसी
त्रुटिवश था.
मैं सीधा सीधा
सरकार से
पूछना चाहती
हूं कि जोबट
विधान सभा तथा
अलीराजपुर
जिले में
जितने भी भूमि
अधिग्रहण की जो
प्रक्रिया चल
रही है चाहे
वह नर्मदा
मईया के
किनारे हो,
चाहे आदिवासी
किसानों के
खेतों की हो.
मैं सरकार से
यह मांग करना
चाहती हूं कि
भारत सरकार
हो, या राज्य
सरकार हो, जो
जो जमीन छीनने
की प्रोसेस
हुई है चाहे
धार जिले की
हो, चाहे
बड़वानी जिले
की हो, चाहे
अलीराजपुर
जिले की हो,
चाहे झाबुआ
जिले की हो, आदिवासी
भाईयों जमीन
छीनने की जो
प्रक्रिया चल
रही है उसे
तत्काल
निरस्त किया
जाये. ताकि आदिवासी
किसान गरीब
छोटे छोटे
टुकड़ों में बसता
है वह
प्रभावित हो
रहा है.
श्री
दिलीप
अहिरवार—माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैं
निश्चित रूप
से हमारी
भारतीय जनता
पार्टी की
सरकार हमारे
यशस्वी
मुख्यमंत्री
जी श्री मोहन
यादव जी के
निर्देश पर हम
लोग चिन्ता कर
रहे हैं कि जीवनदायिनी
मां नर्मदा जी
की चिन्ता हो.
वहां पर
अगल-बगल तट पर
बसे चाहे
आदिवासी भाई
हो, चाहे अन्य
भाई हो, उनकी
भी हम चिन्ता
कर रहे हैं.
मैं बहन जी
आश्वस्त करना
चाहता हूं कि
यह हमारी
सरकार है, यह
आदिवासियों
की सरकार है
हमारे माननीय
मुख्यमंत्री
जी ने साफ तौर
पर निर्देशित
किया है कि यह
आठवें महीने
में आदेश हुआ
है, उसके तीन
महीने के बाद
भी कोई भी
अतिक्रमण
नहीं हटाया
गया है. हमने
आग्रह किया है
कि जो
स्वैच्छा से
हटायेगा उसी
का हटेगा
जबरदस्ती
किसी भी भाई
का अतिक्रमण
नहीं हटेगा,
क्योंकि हमें
चिन्ता करना
है
जीवनदायिनी नर्मदा
के जल के
निर्मल तथा
प्रभाव अविरल
बना रहे उसकी
भी हमें चिंता
करना है, नदी
के कटाव को रोकना
है. जल
संरक्षण और
पर्यावरण संरक्षण
की दृष्टि से
भी हमें यह
काम करना है
कि हमारी
जीवनदायिनी
नर्मदा जी की
भी हम चिन्ता
करें. मैं
आश्वस्त करना
चाहता हूं कि
जबरदस्ती किसी
का भी
अतिक्रमण
नहीं
हटायेंगे.
श्रीमती
सेना महेश
पटेल—माननीय
अध्यक्ष
महोदय,माननीय
मुख्यमंत्री
जी ने मुझे
इसी सदन के अंदर
आश्वासन दिया
था कि किसी भी
आदिवासी भाई
की जमीन नहीं
छीनी जायेगी
लेकिन उसके
पश्चात् एक
नहीं, दो नहीं,
तीन नहीं, यहां
से 4-4
लैटर
जारी हो जाते
हैं. आप
दो तरह की
बातें न करें
और सीधा-सीधा
आदिवासी का जो
हक है, जमीन है,
जायदाद है हम
आदिवासी लोग
देश के,
प्रकृति
के पूजक हैं
और हमको हमारी
जमीनों से
बेदखल न किया
जाये. जो नियम
बने हैं उन
सभी नियमों को
माननीय मुख्यमंत्री
जी से आग्रह
है कि इसी सदन
के अंदर से निरस्त
करने का एक
आदेश जारी
करवा दिया
जाये. मैं यही
बोलना
चाहूंगी और
याचिका
क्रमांक-109/ 2008 में
सुप्रीम कोर्ट
का आदेश है कि
किसी को भी
बेदखल नहीं
किया जाये.
अध्यक्ष
महोदय --
माननीय सदस्य, अब
प्रश्न काल
समाप्त हो
गया. प्लीज. (कई
माननीय सदस्यों
के एक साथ
खडे़ होने पर)...(व्यवधान)...
प्रश्नकाल
समाप्त
12.02 बजे अध्यक्षीय
घोषणा
आज
की कार्यसूची
में पद 10 (2) में
अंकित विधेयक
के भारसाधक
मंत्री जिनके
अनुरोध को
मान्य करते
हुए मैंने स्थायी
आदेश कंडिका 1 सभा
के समक्ष
कार्य की
पूर्ववर्तिता
को शिथिल कर
उक्त विधेयक
पर विचार
संबंधी प्रस्ताव
पत्रों के पटल
पर रखे जाने
के तुरंत पश्चात्
किये जाने की
अनुमति
प्रदान की है.
मैं
समझता हॅूं
सदन इससे सहमत
है.
(सदन
द्वारा सहमति
प्रदान की गई.)
...(व्यवधान)...
संसदीय
कार्य मंत्री
(श्री कैलाश
विजयवर्गीय) --
माननीय अध्यक्ष
महोदय. .(व्यवधान)....
अध्यक्ष
महोदय --. (सभी
सदस्यों के
एक साथ खडे़
होकर कुछ
बोलने पर).
कृपया, सभी लोग
बैठ जायें..
श्री
बाला बच्चन --
अध्यक्ष
महोदय, यह
आदिवासियों
की समस्या
है...(व्यवधान)..
श्रीमती
सेना महेश
पटेल -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
यह
सभी की समस्या
है.
अध्यक्ष
महोदय -- एक
मिनट. कृपया
सभी लोग बैठ
जाइए. मैंने
आपको पूर्व
में ही यह
अनुरोध किया था
कि बहुत लंबा
न करते हुए
अगर प्रश्न
करेंगे,
तो
दोनों प्रश्नों
के जवाब आ
जायेंगे. अब
आपने दूसरा
प्रश्न किया
और सेकेंड का
समय बचा था, तो
मैंने नाम
पुकार लिया, लेकिन अब
उसके बाद समय
समाप्त हो
गया...(व्यवधान)...
अब आप माननीय
मंत्री जी से
मिलकर बात कर
लीजिए.
श्रीमती
सेना महेश
पटेल -- जी
माननीय अध्यक्ष
महोदय.
संसदीय
कार्य मंत्री
(श्री कैलाश
विजयवर्गीय) -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैं बहुत
जवाबदारी के
साथ एक बात
कहना चाहता हॅूं
कि यह डबल
इंजन की सरकार
है. प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र
मोदी जी की
सरकार है, डॉ.मोहन
यादव जी की
सरकार है. एक
भी आदिवासी को
कहीं से नहीं
हटाया जायेगा. यह
मैं आपको आश्वस्त
करता हॅूं.
किसी आदिवासी
को नहीं हटाया
जायेगा...(व्यवधान)..
नेता
प्रतिपक्ष
(श्री उमंग
सिंघार) -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, यह डबल
इंजन की सरकार
है और प्रदेश
में किसानों
को पैसा नहीं
दे रही है. यह
डबल इंजन की
सरकार है...(व्यवधान)..
यह कैसी डबल
इंजन की सरकार
है.
हम
तो तैयार हैं
आपके डबल इंजन
की सरकार के
लिए,
लेकिन आएं, तो डबल
इंजन की
सरकार....(व्यवधान)..
अध्यक्ष
महोदय -- कृपया,
अपने स्थान
पर बैठ जाइए.
श्री
उमंग सिंघार --
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
संसदीय
मंत्री जी
नगरीय
प्रशासन
मंत्री भी हैं.
अब यहां पर
मास्टर प्लान
तो ला नहीं पा
रहे हैं.
इंदौर, भोपाल,
जबलपुर सब जगह
के मास्टर प्लान
रूके हुए हैं.
एक साल में दो
बार उन्होंने
आश्वासन दे
दिया. यह डबल
इंजन हैं.
सिंगल इंजन
में काम नहीं
कर पा रहे हैं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष
महोदय --
मेरा नेता
प्रतिपक्ष से
आग्रह है और
बाकी सदस्यों
से भी आग्रह
है. माननीय
सदस्य
श्रीमती सेना
महेश पटेल जी
को मैंने कहा
है कि वे
माननीय
मंत्री जी से
मिलकर उनको
पूरी तरह
संतुष्ट
करेंगे. यह
मैंने व्यवस्था
यहां से दे दी
है.
श्रीमती
सेना महेश
पटेल -- जी
माननीय अध्यक्ष
महोदय.
12.03
बजे अध्यक्षीय
घोषणा
नियम
267-क के अधीन
शून्यकाल की
सूचनाएं 10 के
स्थान पर 15
लिए जाने
संबंधी
अध्यक्ष
महोदय -- आज
शून्यकाल की
सूचनाएं
सामान्य तौर
पर 10 लेते हैं
मैं नियम को
शिथिल कर के आज
15 शून्यकाल
की सूचनाएं ली
जायेगी और
शून्यकाल की
सूचनाएं अभी
के बजाय बाकी
कार्यवाही पूर्ण
होने के बाद
उनको पढ़ने का
अवसर सभी सदस्यों
को दिया जायेगा. इसलिए
सभी सदस्य
उपस्थित
रहें.
12.04 बजे
पत्रों
का पटल पर रखा
जाना
(1) मध्यप्रदेश
वेट अधिनियम, 2002 की
धारा 71-क की
उपधारा (5) की
विभिन्न
अधिसूचनाएं-
उप
मुख्यमंत्री
(श्री जगदीश
देवड़ा) --

2. मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2024-2025
महिला एवं बाल विकास मंत्री (सुश्री निर्मला भूरिया) -

3. (क) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2024-2025,
(ख) म.प्र.राज्य
सहकारी विपणन
संघ मर्यादित
का
संपरीक्षित वित्तीय
पत्रक वित्तीय
वर्ष 2024-2025, एवं
(ग) मध्यप्रदेश
राज्य लघु
वनोपज (व्यापार
एवं विकास
सहकारी संघ
मर्यादित)
भोपाल का
संपरीक्षित
वित्तीय
पत्रक वर्ष 2024-2025.
सहकारिता
मंत्री (श्री
विश्वास
कैलाश सारंग) -

4.क) मध्यप्रदेश
विद्युत
नियामक आयोग
का वार्षिक
प्रतिवेदन
वित्तीय
वर्ष 2024-2025,
(ख) एम.पी.पॉवर
मैनेजमेंट
कम्पनी
लिमिटेड का
18वां वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2023-2024, एवं
(ग) मध्यप्रदेश
विद्युत
नियामक आयोग
की अधिसूचना क्रमांक
1925/मप्रविनिआ/2025
भोपाल,
दिनांक 03 अक्टूबर, 2025
जल
संसाधन मंत्री
(श्री
तुलसीराम
सिलावट) - अध्यक्ष
महोदय,
मैं
(क) मध्यप्रदेश
विद्युत
अधिनियम, 2003
(क्रमांक 36 सन्
2003) की धारा 105 की उपधारा (2)
की
अपेक्षानुसार
मध्यप्रदेश
विद्युत
नियामक आयोग
का वार्षिक प्रतिवेदन
वित्तीय
वर्ष 2024-2025,
(ख) कंपनी
अधिनियम, 2013
(क्रमांक 18 सन्
2013) की धारा 394 की
उपधारा (2) की
अपेक्षानुसार
एम.पी.पॉवर
मैनेजमेंट
कम्पनी
लिमिटेड का
18वां वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2023-2024, एवं
(ग) मध्यप्रदेश
विद्युत
अधिनियम,
2003
(क्रमांक 36 सन्
2003) की धारा 182 की
अपेक्षानुसार
मध्यप्रदेश
विद्युत
नियामक आयोग
की अधिसूचना
क्रमांक
1925/मप्रविनिआ/2025
भोपाल,
दिनांक 03 अक्टूबर, 2025
पटल
पर रखता हूं.
5. (क) जिला
खनिज प्रतिष्ठान, जिला
छिन्दवाड़ा
एवं कटनी का
वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2022-2023 तथा
जिला
पांढुर्णा, ग्वालियर, बालाघाट, छिन्दवाड़ा
एवं कटनी का
वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2023-2024 तथा
जिला पांढुर्णा
एवं छिन्दवाड़ा
का वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2024-2025 एवं
(ख) डी.एम.आई.सी.पीथमपुर
जल प्रबंधन
लिमिटेड,
इन्दौर
का वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2021-2022
सूक्ष्म, लघु और
मध्यम
उद्यम
मंत्री (श्री
चेतन्य कुमार
काश्यप) - अध्यक्ष
महोदय,
मैं
(क) खनिज
प्रतिष्ठान
नियम, 2016 के
नियम 18 (3) की
अपेक्षानुसार
जिला खनिज
प्रतिष्ठान, जिला
छिन्दवाड़ा
एवं कटनी का
वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2022-2023 तथा
जिला
पांढुर्णा, ग्वालियर, बालाघाट, छिन्दवाड़ा
एवं कटनी का
वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2023-2024 तथा
जिला
पांढुर्णा
एवं छिन्दवाड़ा
का वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2024-2025 एवं
(ख) कंपनी अधिनियम, 2013 (18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार डी.एम.आई.सी.पीथमपुर जल प्रबंधन लिमिटेड, इन्दौर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 पटल पर रखता हूं.
(6) मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम मर्यादित का 42वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-20.
राज्यमंत्री, पर्यटन (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी)—अध्यक्ष महोदय, कंपनी अधिनियम,2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम मर्यादित का 42वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020 पटल पर रखता हूं.
12.11
बजे शासकीय
विधि विषयक
कार्य
(1) मध्यप्रदेश
नगरपालिका
(संशोधन)
विधेयक,2025 (क्रमांक
20 सन् 2025) पर
विचार.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) – अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक,2025 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. मंत्री जी, कुछ बोलना चाहते हैं. भूमिका में आप बोलना चाहते हैं क्या.
श्री कैलाश विजयवर्गीय – अध्यक्ष महोदय, हां मैं बोलना चाह रहा था, पर मैंने माननीय राज्य मंत्री जी से कहा था कि वह बोलेंगे. अध्यश्र महोदय, नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद् इनके चुनाव पहले डायरेक्ट होते थे. कोविड के बाद कुछ परिस्थितियां ऐसी बनीं कि नगर निगम के चुनाव तो डायरेक्ट हो रहे थे, किन्तु नगर पालिका और नगर परिषद् के चुनाव इनडायरेक्ट हुए. उसके बाद बहुत सारे राजनैतिक दल के लोग भी मिले, मुख्यमंत्री जी से भी मिले, हमसे भी मिले और सबका यह आग्रह था कि इसको डायरेक्ट ही होना चाहिये. नहीं तो थोड़ा सा पार्षदों का हॉर्स ट्रेडिंग वगैरह यह सब चलता है. तो इसको डायरेक्ट करने से यह बात है कि अध्यक्ष के ऊपर किसी प्रकार का प्रेशर नहीं होगा और वह विकास के काम कर पायेगा. अभी कई बार हमारे पार्षद लोग ग्रुप बनाकर अध्यक्ष के ऊपर दबाव बनाते हैं. अध्यक्ष काम नहीं कर पाते हैं और नगर पालिका, नगर परिषद् का एक अध्यक्ष संघ भी है. उन लोगों का भी प्रतिवेदन मुझे मिला था. मुख्यमंत्री जी से भी उनका दल मिला था और एक बार कांग्रेस के कुछ हमारे मित्रों ने भी आग्रह किया था कि इसको कैसे भी खतम करो. तो इसीलिये सब की सलाह से ही यह बिल लाया गया है और इससे सभी जितनी भी लोकल बॉडीज हैं, चाहे महापौर हो, चाहे नगर पालिका के अध्यक्ष हो, चाहे नगर परिषद् के अध्यक्ष हों, सबके चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे और आम मतदाता अपना जन प्रतिनिधि चुन सकेगा. अध्यक्ष महोदय, इसमें एक कमी और थी, जो ध्यान में लाना चाहता हूं कि हम जो पैसा भेजते थे, तो अध्यक्ष कई बार उस नगर के साथ न्याय नहीं कर पाता था. क्योंकि वह उस वार्ड से चुनकर आया है. तो अपने वार्ड पर ही सारा पैसा लगा लेता था, क्योंकि नगर के प्रति उसकी जवाबदारी नहीं होती थी. अब उसकी नगर के प्रति जवाबदारी होगी, क्योंकि नगर के लोग उसको चुनेंगे, तो किसी एक वार्ड को वह पैसा खर्च नहीं होगा. तो ऐसे छोटे कुछ असंतुलन हो रहे थे, जिसके कारण यह बिल हम लाये हैं. मुझे उम्मीद है कि हमारे माननीय सदस्यगण इसका समर्थन करके और प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हो सभी लोकल बॉडीज में, यह हमारा प्रयास है. मुझे उम्मीद है कि इसमें सर्वानुमति बनना चाहिये, ऐसी मेरी इच्छा है, क्योंकि इसमें एक जो थोड़ा सा असंतुलन होता है, विकास में भी और राजनीतिक परिस्थितियों में भी, तो वह शायद दूर होगा और विकास भी संतुलित होगा और नगर पालिका, नगर निगम, नगर परिषद् काम भी अच्छा करेंगी, ऐसा मुझे लगता है.
अध्यक्ष
महोदय—श्री
फूलसिंह
बरैया.
श्री
कैलाश
कुशवाह(पोहरी)--
माननीय
अध्यक्ष महोदय,
मैं अनुरोध
करना चाहता
हूं कि...
अध्यक्ष
महोदय-- कैलाश
जी अभी
फूलसिंह
बरैया जी आपकी
तरफ से बोल
रहे हैं.
कृपया बैठें.
श्री
फूलसिंह
बरैया(भाण्डेर)
-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
मध्यप्रदेश
नगरपालिका (संशोधन) विधेयक 2025 जो
माननीय नगरीय
विकास एवं
आवास मंत्री
जी द्वारा सदन
में प्रस्तुत
किया गया है, यह
संशोधन
निश्चित रूप
से जनता के
हित में है और
इससे काफी
अनियमितताओं
पर अंकुश
होगा. इसमें
जनता के
द्वारा अब
सीधा चुनाव
कराया जायेगा.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, इसमें
कोई शक नहीं
कि यह संशोधन
आवश्यक था और
यह संशोधन आज
भी आवश्यक है,
लेकिन इसमें
एक बात यह
सामने आती है
कि जब कभी भी
हम पुराने कानून
को संशोधित
करते हैं तो
पुराने कानून
में क्या क्या
खामियां थीं,
क्या उसके
सामाजिक दुष्प्रभाव
थे, क्या
राजनैतिक
दुष्प्रभाव
थे, क्या
आर्थिक
दुष्प्रभाव
थे, सदन को यह
बताना चाहिये
था कि जो
पुराना कानून
था वह किन
मामलों में
उचित नहीं था,
इसका जिक्र इस
विधेयक में
नहीं किया गया
है. मैं समझता
हूं कि जब तक
इसका जिक्र
इसमें नहीं
होगा, और जो हम
संशोधन करने
जा रहे हैं तो
आगे जो
संशोधित
कानून बनेगा
तो कैसे
विश्वास होगा
यह कानून सही
बनेगा. जब तक
पहले वाले
कानून, उसकी
खामियां,
कमियां हमारे
सामने नहीं
आयेंगी तब तक
निश्चित रूप
से आने वाला
कानून सही
होगा कि नहीं होगा
यह असमंजस्य
में चला
जायेगा.माननीय
अध्यक्ष
महोदय, इसमें
निश्चित रूप
से उसका उल्लेख
होना चाहिये
था.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, अभी तक
पार्षदों के
द्वारा जो
अध्यक्ष चुने
जाते थे, यह
बहुत समय से
चल रहा है कि
एक व्यक्ति जो
अध्यक्ष बनना
चाहता है तो 5
पार्षद, 10
पार्षद और 20
पार्षद लेकर
के काश्मीर
चला गया, कोई
पंचमढ़ी चला
गया, कोई
बैंगलोर चला
गया, कहीं
उज्जैन और
कहीं काशी चला
गया और जब तक
चुनाव की तारीख
थी उस तारीख
तक फाइव स्टार
होटल की
सुविधा, जो
बनने वाला
अध्यक्ष हो वह
पार्षदों को
सुविधा
मुहैया करवा
रहा है. जो
जनता ने
पार्षद चुना
था, इस
प्रक्रिया ने
उस पार्षद को
टोटल भ्रष्ट
बना दिया, जो
अच्छा भी पार्षद
चुना गया था,
जो पार्षद
नैतिकता के
नाते जनता के
प्रति
उत्तरदायी था
और उस पार्षद
को निश्चित
रूप से खराब
बनाने का काम
किया गया. यह
संशोधन जो हम
करने जा रहे
हैं उसके पहले
तक यह काम
सरकारें करती
आई हैं.
इसलिये मेरा
मत है कि जिस
कानून का हम
संशोधन करने
जा रहे हैं जब
तक उस पुराने
कानून में रही
कमियों का
संशोधन जब तक
नहीं होगा और
हम नया कानून
बना देंगे,
उसको संशोधित
कर देंगे तो वह
कानून
निश्चित रूप
से उपयुक्त
नहीं माना जायेगा.
और पूर्व रूप
से उसको हम
देखें तो वह
पार्षद और
अध्यक्ष
लोटकर के आते
हैं और चुने
जाते हैं, और
फिर वह जब
अध्यक्ष
बनेगा तो
निश्चित रूप
से वह अध्यक्ष
जनता के प्रति
उत्तरदायी
नहीं माना
जायेगा.
यह सारी की सारी प्रक्रिया चलती रही. यह प्रक्रिया किसने बिगाड़ी कि उस अध्यक्ष का कोई भी उत्तरदायित्व जनता के प्रति नहीं है. अध्यक्ष है तो पार्षदों को पूरे कार्यकाल खुश करता रहेगा और पार्षद होगा तो उन्होंने उसे भ्रष्ट बना ही दिया है. मैं समझता हूं कि अब हम आने वाले समय में संशोधन में यह प्रावधान करने जा रहे हैं कि उसे वापस बुलाने का अधिकार जनता को दिया है, तो जनता के द्वारा वापस बुलाने का जो अधिकार है उसमें 3 वर्ष की सुरक्षा दी गई है. कानून को पूर्ण रूप से लागू करने में हमें डर क्यों लगता है ? क्या हम कानून को मजबूत नहीं बनाना चाहते, तो फिर यही घोषणा कीजिए कि उसका कार्यकाल 3 वर्ष का है. 3 वर्ष में अगर हम उसको बुला लेंगे तो फिर बाकी 2 वर्ष के लिए उसका वही तमाशा शुरू हो जाएगा. मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि कोई भी चुनाव प्रक्रिया हमारे संविधान ने 5 वर्ष निश्चित कर दी है तो हम उस प्रक्रिया को पूरे 5 वर्ष के लिए क्यों न करें. यदि 3 वर्ष भी राइट टू रीकॉल का है तो वह 3 वर्ष भी जनता के हित में नहीं है, क्योंकि हम संशोधन कर रहे हैं तो इस संशोधन में जो एक अच्छाई दिखनी चाहिए वह पूर्ण रूप से दिखाई नहीं दे रही है. इसका पूरा जो कार्यकाल है हमें इस कार्यकाल को 3 वर्ष रीकॉल नहीं करना चाहिए बल्कि पूरे 5 वर्ष काम करने के लिए उसे देना चाहिए. अगर हम उसे 5 वर्ष काम करने देते हैं तो मुझे ऐसा लगता है कि कोई भी चुना हुआ प्रतिनिधि 5 वर्ष काम करेगा क्योंकि एक-दो साल पहले से वह मन बनाता है और एक साल आगे तक उसके दिमाग में वह कार्य रहता है. उसे मालूम है कि उसे 3 साल में वापस जाना ही है तो 2 साल के बाद वह इसी में लग जाएगा. वह फिर से चुनाव की तैयारी करेगा क्योंकि रीकॉल का जो सिस्टम संशोधन में बनाया है, जो प्रस्ताव लाए हैं, तो रीकॉल का जो प्रस्ताव है वह भी जनता के द्वारा ही है यानी जनता ही उसे चुनकर लाएगी और जनता ही उसे रिजेक्ट करेगी. उसे 3 वर्ष में जनता रिजेक्ट क्यों करे, अगर जनता से रिजेक्ट कराना ही है, अगर मान लें उन्होंने खराब व्यक्ति को चुन लिया है तो 5 वर्ष का टाइम दिया जाए और फिर 5 वर्ष में जनता उसे रिजेक्ट कर देगी. अगर हम उसको 5 वर्ष का टाइम नहीं देंगे तो अध्यक्ष महोदय, इस संशोधन का कोई फायदा होने वाला नहीं है. इस संशोधन का फायदा पूरी तरह से अगर हम जनता के हित में लेना चाहते हैं तो उसे 5 वर्ष तक फ्री हैंड काम करने का एक अवसर मिलना चाहिए. अगर 5 वर्ष वह काम करेगा तो जनता के लिए काम कर सकता है. इसमें यह पद्धति ठीक है कि जनता हमें डायरेक्ट चुनेगी. जिस व्यक्ति को जनता डायरेक्ट चुनती है कोई भी प्रतिनिधि हो वह व्यक्ति जनता के प्रति जवाबदेह होता है. यह उसकी रिस्पांसबिलिटी है कि जनता ने मुझे चुना है तो मैं जनता के हित में काम करूंगा. यह संशोधन जनता के हित में काम करने के लिए आया है तो फिर जनता के हित में 5 वर्ष का क्यों नहीं आना चाहिए. मेरा ऐसा मानना है कि इसमें हमने कई बार देखा है कि अभी हटाने के प्रस्ताव तमाम जगह के आए हुए थे लेकिन जब हमारा सिस्टम ही उसे स्वीकार नहीं कर रहा है कि तमाम जगह के लोगों को हटा दिया फिर भी पेंडेंसी है. कई ऐसे कार्य हैं जो नगरपालिका, नगर परिषद् में कई ऐसे प्रस्ताव हैं, कई ऐसे-ऐसे बिन्दु हैं जो आज ही हो जाने चाहिए उनको आज भी नहीं करने दे रहे हैं. रोकने वाले लोग अगर उसमें मौजूद रहेंगे और विकास की लाइन को हम रोकेंगे तो फिर विकास नहीं हो पाएगा भले ही हम कितना भी अच्छा कानून लेकर आ जाएं. जैसे उदाहरण के लिए मास्टर प्लान जैसी व्यवस्था है. यह चलती ही जा रही है, लोग सोच रहे हैं कि यह कब आएगी लेकिन वह आने का नाम ही नहीं ले रही है. नगर पालिका और नगर परिषदों में ऐसी व्यवस्थाएं हैं. ऐसे ऐसे लोग उसमें पल जाते हैं कि एक-एक व्यक्ति पूरी नगरपालिका को अपने हाथ में कंट्रोल कर लेता है. इसकी आपने क्या व्यवस्था की है. यदि तीन साल का री-कॉल रहेगा तो इस कानून से कोई फायदा नहीं होगा. पांच वर्ष का मौका देना चाहिए. तीन की जगह पांच वर्ष का कार्यकाल हो जाए तो मुझे विश्वास है इसमें कोई अच्छा काम हो सकता है. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्री शैलेन्द्र कुमार जैन जी. जैन जी थोड़ा संक्षिप्त करेंगे. जैन जी (Gen Z) आजकल बड़ा प्रचलित शब्द है.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन (सागर) -- जी माननीय अध्यक्ष महोदय (हंसी).
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2025 के लिए मैं सम्माननीय संसदीय कार्य मंत्री, इस विभाग के माननीय मंत्री महोदय और मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया माननीय डॉ. मोहन यादव जी को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, यह संशोधन निश्चित रुप से आज की आवश्यकता है. आज जब हम सुचिता और स्वच्छता की राजनीति की बात करते हैं तो ऐसे समय में अगर चुनाव में किसी भी प्रक्रिया में धन-बल, बाहुबल इत्यादि का इस्तेमाल करके जैसा कि अभी सम्माननीय सदस्य बता रहे थे. इनकी संभावनाएं अप्रत्यक्ष रुप से चुनाव की प्रक्रिया में बनी रहती है. यह प्रक्रिया वर्ष 1999 से 2015 तक थी. तब प्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव होते थे. लेकिन वर्ष 2022 में इसमें आंशिक संशोधन किया गया था. मेयर के चुनाव तो प्रत्यक्ष प्रणाली से किए गए लेकिन नगरपालिका अध्यक्षों के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए. इसमें विसंगतियां देखने में आईं. इसमें अध्यक्ष की भूमिका पूरे समय दबाव में काम करने की बनी रहती है. पार्षदों का अनावश्यक दबाव होता है उसके चलते निर्णय करने में वे उतने सक्षम नहीं होते हैं. दूसरा वे एक वार्ड के पार्षद के नाते अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी करते हैं तो वे अपने क्षेत्र के लिए नगरीय निकाय के साथ पूरा न्याय नहीं कर पाते हैं. इस तरह से यह अप्रत्यक्ष रूप से जो चुनाव होते हैं उसमें निश्चित रुप से विसंगतियां हैं. इन विसंगतियों को दूर करने का प्रयास माननीय मंत्री महोदय के द्वारा किया गया है. मैं बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ. आशा करता हूं कि समूचा सदन एक मत से इसका समर्थन करेगा. हम सभी की यह इच्छा रहती है कि राजनीति में अनुचित दबाव का प्रयोग न हो. इस दिशा में यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है.
अध्यक्ष महोदय, इसमें एक विषय की ओर मैं माननीय मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. अभी भी यदि अध्यक्ष को हम प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनेंगे लेकिन उसको अपदस्थ करने की जो प्रक्रिया है उसमें पार्षदों की पुन: भूमिका है. हालांकि तीन चौथाई पार्षद मिलकर अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे. अविश्वास प्रस्ताव कलेक्टर के माध्यम से माननीय मंत्री महोदय तक जाएगा. मंत्री महोदय के माध्यम से निर्वाचन आयोग को जाएगा, लेकिन यह जो पार्षदों की भूमिका है. अगर इसमें पार्षदों की भूमिका को खत्म किया जा सकता है तो जो एक थोड़ा बहुत जो पार्षदों का दबाव रहता है वह भी खत्म हो सकता है और यह जो सारी व्यवस्था है और भी पारदर्शी और दबाव रहित काम करने की होगी.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय को बधाई देते हुए इस संशोधन विधेयक का समर्थन करता हूं.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नगरीय प्रशासन मंत्री जी के द्वारा मध्यप्रदेश नगरपालिका संशोधन विधेयक (क्रमांक 20 सन् 2025) पर मुझे चर्चा करने का मौका मिला है और जैसा माननीय मंत्री जी ने कहा कि आज के इस विधेयक के द्वारा यह प्रस्ताव किया गया है कि पुन: मध्यप्रदेश में प्रत्यक्ष रूप से नगरपालिका और नगर पंचायत में अध्यक्ष का चयन किया जाए. सबसे पहले सन् 1993 और सन् 2003 के बीच में जब दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री थे तब यह संशोधन किया गया था कि सभी नगरीय निकायों के प्रत्यक्ष रूप से चुनाव होने चाहिए. उसके बाद जैसा मंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2019-20 में कोरोना काल के पहले इसमें संशोधन किया गया जब मैं ही मंत्री था और उस उसमें हमने इसमें एक बिंदु रखा था कि हमारे देश में संसदीय लोकतंत्र है. हम बात करें लोकसभा की तो सीधा जनता प्रधानमंत्री को नहीं चुनती है. सांसद चुनकर आते हैं संसदीय लोकतंत्र में और वह अपना नेता चुनते हैं जो प्रधानमंत्री बनते हैं. उसी प्रकार से हम विधान सभा की बात करें तो विधान सभा में भी जनता सीधे सीएम नहीं चुनती है. पहले सदन में विधायक चुनकर आते हैं और फिर सदन में जिसके पास बहुमत है वह अपने बीच से लीडर चुनते हैं. जो Leader of the house. कहलाता है. उसी प्रकार से हम और नीचे आ जाएं हम जिला पंचायत की बात करें तो जिला पंचायत में भी पहले जिला पंचायत मेंबर निर्वाचित होते हैं और फिर वह अपने बीच में से एक अध्यक्ष का चयन करते हैं. हम जनपद पर आते हैं तो जनपद में भी पहले जनपद मेंबर निर्वाचित होते हैं और वह फिर अध्यक्ष का चयन करते हैं. अब अगर वर्तमान में कोई जगह ऐसी है जहां सीधा मुख्य प्रतिनिधि का निर्वाचन होता है तो पंचायत में होता है जो लोग पंच चुनकर आते हैं लेकिन पंच सरपंच का निर्वाचन नहीं करते हैं पंच का अलग दायित्व रहता है, लेकिन यहां हम सभी जानते हैं कि पंच का योगदान लगभग न के बराबर रहता है. जो भी निर्णय है सरपंच, पंचायत सचिव और रोजगार सहायक ही लेते हैं तो सरपंच के पद को छोड़कर दूसरा सिर्फ नगरपालिका अध्यक्ष का पद ही ऐसा रहेगा जहां अध्यक्ष प्रत्यक्ष रूप से चुना जाएगा. जनता के बीच में लेकिन जो बात माननीय मंत्री जी कह रहे थे जिसका उल्लेख शैलेन्द्र जी ने भी किया था इसमें एक बात यह जरूर आती है कि जो दबाव या प्रभाव अध्यक्ष के ऊपर एक पार्षद का रहता है वह कम हो जाएगा, लेकिन मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करूंगा क्या वह उचित है या अनुचित है कि आखिर पार्षद वह व्यक्ति होता है जो निर्वाचित होता है अगर चुनाव होते हैं अप्रत्यक्ष रूप से पार्षद का दबाव रहता है.
अध्यक्ष
सर्तक रहता है
कि अगर हम
इनकी सुनवाई
नहीं करेंगे
तो कहीं वे
हमारे खिलाफ
हो सकते हैं,
लेकिन जैसे ही
वापस अभी
प्रत्यक्ष
रूप से चुनाव
होंगे, तो कहीं
न कहीं पूर्ण
रूप से जो
भूमिका अभी पार्षद
की है, वह
समाप्त हो
जायेगी. मैं
बरैया जी से
पूर्णत: सहमत
हूं, उन्होंने
बिलकुल सही
कहा है कि जब
जनता अध्यक्ष
को चुन रही तो
आज हम यह भी तय
करें कि राइट
टू रिकॉल पर
जो 3 वर्ष की
सीमा है, वह क्यों
रखी जाए, उसे भी
लगातार 5 वर्ष
काम करने का
मौका मिले. इस पर
भी मंत्री जी
विचार कर सकते
हैं, आप बहुत
वरिष्ठ सदस्य
हैं, आपसे
बेहतर
विशेषकर इस
विभाग को कोई
नहीं जानता है.
जो बात मंत्री
जी ने कही कि
प्रत्यक्ष
चुनाव के माध्यम
से हॉर्स
ट्रेडिंग बंद
हो जायेगी,
लेकिन जो
हॉर्स
ट्रेडिंग
जनपद, जिला
पंचायत में
होती है, वर्ष 2020
में विधानसभा
में हुई, इस पर भी
मंथन होना
चाहिए. जो लोग
हॉर्स बनकर
ट्रेड हो जाते
हैं, घोड़े
जैसे. क्या
उन पर
कार्रवाई
नहीं होनी
चाहिए ? क्या
इस पर भी कोई
नियम न बनाया
जाये ? जिसके
द्वारा जो व्यक्ति
जनमत को बेचकर
बीच कार्यकाल
में ही, अपनी
पार्टी बदल
देता है, उस पर
कार्रवाई
नहीं होनी
चाहिए ? क्या
यह लोकतंत्र
का अपमान नहीं
है ?
मैं मंत्री जी
से आग्रह करूंगा
कि मूल बात यह
है कि विषय
केवल एक विभाग
का नहीं है,
बात पंचायत एवं ग्रामीण विकास
विभाग की भी
है. हमारे
प्रदेश में 10-12
वर्षों से
मंडी और
सहकारिता
विभाग में
चुनाव नहीं
हुए हैं, वे सभी
खंडित पड़े
हुए हैं.
वहां प्रशासक
बैठे हुए हैं,
मंत्री जी
केबिनेट की सबसे
मुखर आवाज़
हैं, इसलिए
उनसे आग्रह है
कि जब अगली
बैठक हो, तो आप
मुख्यमंत्री
जी से आग्रह
करें कि सभी
विभागों के लिए
एक स्ट्रीम
लाईन हो और जो
चुनाव नहीं हो
पा रहे हैं,
मंडी-सहकारिता
के वे भी होने
चाहिए.
अध्यक्ष
महोदय, मेरा एक
और विषय है जो
इस विषय से भिन्न
है,
लेकिन कल जो
विषय पूर्व
विधान सभा अध्यक्ष
डॉ.
सीतासरन
शर्मा जी
उठाया था, वह
बहुत गंभीर
विषय है. यदि हम
भोपाल-इंदौर-जबलपुर-ग्वालियर
की बात करें, तो
वहां
प्रशासनिक
अमला होता है,
वहां किसी
शासकीय भूमि
पर कब्जाधारी
पर तत्काल
कार्रवाई
होती है, क्योंकि
नगर निगम के
पास पर्याप्त
बल होता है,
संख्या होती
है कि कोई व्यक्ति
अवैध रूप से
अतिक्रमण न कर
सके, लेकिन
इसी विषय पर
समस्या शुरू
होती है नगर
पालिका, नगर
पंचायतों में. क्योंकि
वहां उनके पास
न संख्या है
न अधिकार है.
सी.एम.ओ. के पास
केवल एक व्यक्ति
होता है, जो
अतिक्रमण का
विषय देखता
है. उसके पास 4-5
मैट होते हैं, जो
यह कार्य
देखते हैं.
यदि वहां कोई
अतिक्रमण कर
ले, तो
वे वहां से
वापस भाग
जायेंगे.
अध्यक्ष
महोदय,
यह
समस्या केवल
नर्मदापुरम,
इटारसी की
नहीं है, अपितु
मध्यप्रदेश
के पूरे 400
निकायों में
लगातार
अतिक्रमण हो
रहा है और इसे
रोकने के लिए
कोई नहीं है.
शिकायत
तहसीलदार, SDM,
CMO के
पास होती है
लेकिन कोई
कार्रवाई
नहीं होती है, इस पर भी
मंत्री जी को विचार करना
चाहिए.
अध्यक्ष
महोदय, हम मध्यप्रदेश
नगरपालिका (संशोधन)
विधेयक,2025 का समर्थन
इसलिए नहीं
करते हैं क्योंकि
कहीं न कहीं
अलग-अलग
विभागों में अलग-अलग
चुनावों में
जो समानता
होनी चाहिए, वह आज
मध्यप्रदेश
में नहीं है, इस पर
केबिनेट जरूर
विचार करे, यह
मेरा आग्रह है, धन्यवाद.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय (जबलपुर-उत्तर)- अध्यक्ष महोदय, अभी मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक,2025, माननीय नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जी द्वारा सदन के समक्ष रखा गया है. निश्चित तौर पर इस प्रदेश में मंत्री जी ने जिन विषयों को देखा है, मुझे लगता है उसी दृष्टि से यह संशोधन विधेयक मंत्री जी सदन में लेकर आए हैं.
12.40
बजे
(सभापति
महोदय (डॉ.
राजेन्द्र
पाण्डेय) पीठासीन
हुए.)
सभापति
महोदय,
चुनाव
के दौरान हम
सब लोगों ने
भी कई बार
देखा है कि
किस तरह से
पार्षदों के
चुनाव के बाद
नगरपालिका, नगर निगम
अध्यक्षों
के लिए, नगर
पंचायतों के
अध्यक्षों
के लिए, जो अभी
हॉर्स ट्रेडिंग
की बात चल रही
थी, वह
निश्चित तौर
पर एक बड़ी
समस्या ध्यान
में आती है और
जिस तरह से
प्रत्यक्ष
प्रणाली के
विषय को लेकर
माननीय
मंत्री जी ने
इस संशोधन
विधेयक को
लेकर यहां पर
सदन के पटल पर
रखा है. मेरा यह
मानना है कि
पहले जिस तरह
से दो-तिहाई
पार्षदों के
माध्यम से और
उसके अन्दर
संशोधन और उन्हें
अपने पद से
हटाने का जो
काम किया जा
सकता था, लेकिन अब 3
वर्ष की
समयावधि और
साथ में
तीन-चौथाई
पार्षदों के
माध्यम से यह
काम संभव हो
पायेगा. मैं
अभी सुन रहा था, हमारे कई
सदस्य कह रहे
थे कि
पार्षदों की
भूमिका समाप्त
हो जायेगी.
लेकिन इस
विधेयक के अन्दर
जिस बात का
उल्लेख किया
गया है, उसमें
प्रारंभिक
तौर पर यदि
अविश्वास
कोई लाने वाली
एजेन्सी है, तो
वह पार्षद ही
है. पार्षद ही
सबसे पहले
इसकी एजेन्सी
होगा, वही
पार्षद मिलकर
अविश्वास
प्रस्ताव
लाएंगे. लेकिन
माननीय मंत्री
जी के माध्यम
से यह जो
विधेयक आया है,
इसके अन्दर
उन पार्षदों
की मोनोपॉली
नहीं हो सकती
है कि जो अपने
अध्यक्ष के
ऊपर दबाव
क्रियेट करें.
दूसरा एक व्यापक
दृष्टिकोण भी
इसके अंतर्गत
और संशोधन में
लाया गया है.
जब हम पार्षद
के माध्यम से
पंचायत के अध्यक्ष, नगर
पंचायत के अध्यक्ष
या नगरपालिका
अध्यक्ष
चुनते हैं, तो
हर व्यक्ति
की अपनी
प्रायोरिटी
होती है. जब वह
पार्षद के
रूप से किसी
एक वार्ड से
पार्षद बनकर
आता है, फिर उसके
बाद
नगरपालिका या
नगर पंचायत का
अध्यक्ष
बनता है, तो मुझे
लगता है कि
सीमित रूप से
उसका विचार भी
होता है और
अपने उस
क्षेत्र के
प्रति ही उसकी
सबसे बड़ी
जवाबदेही
दिखती है. इसलिए
यदि नगर
पंचायत का अध्यक्ष
है, तो
उसका व्यापक
दृष्टिकोण
होना चाहिए, यदि वह
जनता से
सामूहिक रूप
से चुनकर आया
है और मुझे
लगता है तथा
जनता को भी यह
लगता है कि हमारे
द्वारा चुना
हुआ नेतृत्व
यदि हमारा
होगा, तो जनता
के लिए काम और
जनता के आने
वाले विजन को
लेकर भी समाज
के बीच में
अच्छा काम कर
पायेगा.
इसीलिए जनता
के प्रति
जवाबदेही भी
उसकी ज्यादा
होगी. मुझे
लगता है कि
जिस तरह का इस
देश के कई
राज्यों ने
चाहे वह उत्तरप्रदेश
हो, बिहार
हो, हरियाणा
हो,
कर्नाटक हो,
पंजाब हो,
आन्ध्रप्रदेश
हो और
तेलंगाना
जैसे राज्यों
में भी इस
प्रकार से
प्रत्यक्ष
प्रणाली से
चुनाव कराये
जाते हैं और
जिस तरह से
उनको हटाने और
अविश्वास का
विषय तो
पार्षदों के
अन्दर भी
इसका अधिकार
सुनिश्चित
किया गया है. हमने
पार्षदों के
अधिकारों का
हनन नहीं किया
है. लेकिन इस
विधेयक के अन्दर
जिन बातों का
उल्लेख
माननीय
मंत्री जी ने
किया है, मैं यह
मानता हूँ कि
मध्यप्रदेश
के समग्र
विकास और हर
क्षेत्र के
विकास के लिए
संशोधन
विधेयक बहुत
आवश्यक है और
मैं इसका
पूर्ण रूप से
समर्थन करते
हुए,
माननीय
मंत्री जी और
माननीय मुख्यमंत्री
जी को इस काम
के लिए
बहुत-बहुत
बधाइयां और
शुभकामनाएं
देता हूँ.
सभापति
महोदय - धन्यवाद
अभिलाष जी.
श्री आरिफ
मसूद जी.
श्री आरिफ मसूद (भोपाल मध्य) - सभापति महोदय, मध्यप्रदेश नगरपालिका का डायरेक्ट चुनाव के लिए संशोधन बिल आया है क्योंकि मंत्री महोदय ने सदन से अनुरोध किया है कि सभी लोगों से सर्वानुमति से अगर इसको पारित करेंगे तो अच्छा लगेगा. कांग्रेस पक्ष ने निर्णय लिया है कि ठीक है, हम इसका सर्वानुमति से पारित करायेंगे. लेकिन अगर यही काम नगर के विकासों में नगर निगम मास्टर प्लान की बार-बार बात चलती है, तब भी सदन ऐसे ही गंभीर हो जाये. ऐसे ही मंत्री जी अनुरोध कर लें कि हां, हम पहल करेंगे और इस तरह के काम करेंगे तो बहुत अच्छा होगा, जनता का फायदा होगा. आपने 3 वर्ष और 5 वर्ष का कहा कि पार्षदों का लेन-देन हो जाता है, इससे मैं सहमत नहीं हूँ. सभापति महोदय, अगर ऐसा है तो फिर तो बहुत सारी जगह, बहुत सारी चीजें होती रही हैं, यह कोई उसका कारण नहीं होता कि उस वजह से हम निगम अध्यक्ष के ऊपर यह कह देंगे कि पार्षदों के अधिकार कम करें. हर पार्षद को हम इस नजर से भी नहीं देख सकते और हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि शहर और प्रदेश विकास करे. एक बात इस बिल में यह आई कि इसकी वजह से जो अध्यक्ष बनता है, वह पार्षद के नाते जब अध्यक्ष बनता है तो वह पैसा अपने वार्ड में लगाता है. कल यह प्रश्न विधायक का होगा कि मुख्यमंत्री जी भी फिर सारा उज्जैन ले जाते हैं. फिर क्या होगा. कल कोई पार्लियामेंट में खड़ा होकर कहे, फिर क्या होगा. मैं नहीं समझता कि इसका कोई यह तर्क है कि इस वजह से लाया गया है. लेकिन ठीक है, अगर सरकार को लगता है कि डायरेक्ट चुनाव कराना चाहिए और यह प्रथा पहले होती रही है तो करा लीजिए लेकिन करा लीजिए तो फिर 3 साल वाला बंधन आप क्यों लगा रहे हैं. फिर आपको हमारे इस आग्रह को स्वीकार करना चाहिए, जो आग्रह हमारे साथी फूलसिंह बरैया जी ने किया है, जयवर्द्धन सिंह जी ने किया है, तो हमारे इस आग्रह को आप स्वीकार करें कि 3 साल का बंधन हटाएं. जब हम विकास भी चाह रहे हैं. एक नई प्रणाली को लाना भी चाह रहे हैं और हम चाह रहे हैं कि बिल्कुल निष्पक्षता से सब कुछ हो तो फिर यह बाध्यता भी खत्म होनी चाहिए. 3 साल का बंधन, मैं समझता हूँ कि उचित नहीं होगा. यह अच्छा नहीं है. मैं इस बिल का समर्थन करता हूँ. धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1961 के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ. जैसा अभी चर्चा में कहा जा रहा है, ये डायरेक्ट चुनाव पहले भी होते रहे हैं. वर्ष 1999 से अभी तक. वर्ष 2022 में इसमें परिवर्तन किया गया. परिवर्तन के बाद 3 साल के कंडिशन की बात है, जिस पर सबकी अभी राय आई है. मैं उन बातों की पुनरावृत्ति नहीं करूंगा, जो पहले बोली जा चुकी हैं. लेकिन दो-तीन बड़े महत्वपूर्ण विषय आए कि पार्षद द्वारा अविश्वास प्रस्ताव कहीं पर भी किसी भी सदन में लाया जाता है. विधानसभाओं में भी आता है, लोकसभा में भी चर्चा आती है. वहां यह बात आई, चर्चा हुई. चर्चा के बाद उसका एक चुनाव होगा, खाली सीट, भरी सीट, प्रक्रिया लंबी है, प्रोसेस लंबी है. एक बात आई, सम्माननीय जयवर्द्धन सिंह जी ने जैसा कहा, तो ये चुनाव, नगरपालिका के चुनाव पार्टी के चुनाव-चिह्न पर होते हैं. जबकि अन्य चुनाव, जिसका उन्होंने कोट किया, वे पार्टी के चुनाव-चिह्न पर नहीं होते हैं. तो ये अंतर है कि उसकी जवाबदेही और विकास के समय कितना दबाव पार्षदों का उनके ऊपर आए और कितना अध्यक्ष, चूँकि बहुत छोटी-छोटी होती हैं. मेरी विधान सभा में 7 नगर परिषदें हैं. मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा नगर परिषदें जावद में हैं. 7-8 हजार वोट होते हैं. 8 हजार में से जब एक आदमी चुनकर आता है, किसी कारण अगर वह बहुत ज्यादा पब्लिक का विषय आता है तो एक पुनर्विचार की संभावना आती है, 3 साल बाद. 3 साल बहुत समय होता है, आदमी को अपनी योजना रखने के लिए, क्योंकि जो भी आदमी आता है, वह पहले अपनी योजना भी बनाता है, जब वह अध्यक्ष बनता है. योजना बनाकर अपना एक खाका बनाता है कि मुझे विकास किस दिशा में करना है. केवल एक वार्ड के बजाय वह पूरे शहर के विकास की बात सोचे, इसलिए डायरेक्ट चुनाव उपयुक्त हैं और अगर वह वार्ड का पार्षद बनकर आता है तो केवल उतना ही पहले सोचेगा, उसकी एकाउंटेबिलिटी उतनी ही होगी. जैसे हम लोग भी पहले अपनी विधान सभा के बारे में सोचते हैं. हम रोज अपने विधान सभा के विकास की बात करते हैं. ऐसे ही हर पार्षद के अपने क्षेत्र के विकास की बात करना उसकी जिम्मेदारी है तो अध्यक्ष जब उन्हीं में से आता है तो वह एक विषय आता है. इसलिए जरूरी है कि डायरेक्ट चुनाव हों और डायरेक्ट चुनाव के साथ ही पार्षदों का तीन चौथाई हिस्से पर अगर असहमति आए तो खाली सीट, भरी सीट की वोटिंग हो. उसके बाद अगर वह खाली सीट में आएगा तो फिर वापिस वही चुनावी प्रक्रिया होगी. एक लंबा प्रोसेस है ताकि स्पष्टवादिता जनता के मन में बिल्कुल साफ आए. उद्देश्य एक ही है कि पूरे क्षेत्र का विकास करने के लिए हर संभव सोच का तरीका किया जाए. चूँकि ये पार्टी के चुनाव हैं, इसलिए चुनाव-चिह्न हैं, इसलिए जो सीट बदलते हैं बार-बार या तो उसमें वह भी लागू होता है, पार्षदों पर इसलिये जरूरी है और मैं इस पूरे बिल के संशोधन और मैं इसके पक्ष में हूं और मैं अभिनंदन करना चाहता हूं माननीय नगरीय निकाय मंत्री,संसदीय कार्य मंत्री एवं मुख्यमंत्री जी का कि वह इस विषय के माध्यम से जैसा पूरा सरकार की मंशा है कि पूरी ट्रांसपेरेंसी से हर वार्ड में प्रापर विकास हो सके उसके लिये उचित व्यवस्था की जाये मैं इसके समर्थन में बोलता हूं धन्यवाद.
श्री
नारायण सिंह पट्टा(बिछिया)
- माननीय
सभापति महोदय,
माननीय मंत्री जी ने
मध्यप्रदेश
नगरपालिका
संशोधन
विधेयक 2025 जो
लाये हैं मैं
उस पर बोलना
चाहता हूं.
वैसे सुधार
क्या करना
चाहिये क्या
नहीं करना
चाहिये इस पर
बहुत सारे
सदस्य अपना
पक्ष रख चुके
हैं.विशेष रूप
से चाहे वह
नगर परिषद
हो,नगर पालिका
हो,निगम हो, यह
हम सबके लिये महत्वपूर्ण
इकाईयां हैं
और इनके विकास
में भी हम सब
लोगों का
योगदान होता
है इस
दृष्टिकोण को
ध्यान में
रखते हुए जिस
प्रकार से
अप्रत्यक्ष
प्रणाली की
व्यवस्था थी
उस
अप्रत्यक्ष प्रणाली
में पार्षदों
का एक दल एक
यूनिट बनकर
जिस तरह से जो
हमारे
लोकतांत्रिक
प्रक्रिया है
उसमें
निसंदेह एक
प्रश्नवाचक
चिन्ह बनते थे
बरैया जी ने
उसका उल्लेख
किया मैं उसका
उल्लेख नहीं
करना चाहता.
जब यह प्रत्यक्ष
प्रणाली के
चुनाव होंगे
तो निश्चित
रूप से इसमें
एक अंकुश
लगेगा और
इसमें विशेषकर
जो हमारे सभी
साथियों ने
सुझाव दिये
हैं कि दलगत
आधार पर जो
हमारे पार्षदों
का निर्वाचन
होता है कभी
बीच में ऐसे
अवसर आते हैं
कि दल
परिवर्तन हो
जाना इस पर भी
एक संशोधन
उसका भी एक
नियम हो उसकी
भी एक समय
सीमा इस
संशोधन के साथ
जोड़ा जाये कि
जिस तरह से
राष्ट्रीय
पार्टियों
में दलबदल
कानून लागू
होता है उस
प्रकार से हमारे
नगरीय
निकायों में
भी यह कानून
सुनिश्चित की
जाये साथ ही
पार्षदों के
लिये भी एक रूप
सुनिश्चित हो
कि किन
बिन्दुओं पर
हम अध्यक्ष के
ऊपर किस तरह
दबाव बना सकते
हैं जो पब्लिक
हित में
हो,नगर के
विकास के हित
में हो.
कभी-कभी
अनावश्यक
होता क्या है
कि एक गुट या दल
बनाकर
जबर्दस्त जो
दबाव बनाया
जाता है उससे विकास
में अवरोध
उप्तन्न होते
हैं और जो
अध्यक्ष होता
है वह कहीं न
कहीं उनकी तरफ
मूव करता है
उनका समर्थन
करता है उससे
हमारे नगरीय
निकाय के
विकास में एक
अवरोध
उत्पन्न होता
है तो इसमें
भी एक नियम
माननीय
मंत्री जी लायें
और दूसरा भी
साथियों ने इस
बात को कहा है
कि 3 साल
और 5 साल का
राईट रीकाल
इसका विशेष
माननीय
मंत्री जी
ध्यान रखते
हैं तो हम जो
अप्रत्यक्ष
प्रणाली से
अध्यक्ष का
चुनाव कराने
जा रहे
हैं उससे एक
विशेषाधिकार
भी उनको
प्राप्त होगा
साथ ही मैं एक
निवेदन यह
विषय से ही
जुड़ा है
लेकिन संशोधन
से हटकर है कि
जो पहले ग्राम
पंचायतें थीं
अब वह नगर
परिषद बन चुकी
हैं. कोई दस
साल हो गये
हैं कोई पांच
साल होने को
हैं.
इनमें जो
हमारे व्यापारी
थे या कुछ
हमारे
दुकानदार हैं
और वह चूंकि
ग्राम पंचायत
के
नियमानुसार
जहां पर भी थे ग्राम
पंचायत का
टेक्स लगता
था, वह
टेक्स पे
करते थे, चूंकि नगर
परिषद बनने के
बाद, चूंकि वह नगर
निकाय के
नियमों में आ
चुके हैं, वह जो
प्रीमियम की
राशि जो नगर
पालिका और नगर
परिषद
निकायों के
रूल्स के
आधार पर होता
है,
चूंकि वह
छोटे-छोटे व्यापारी
होते हैं जो
नगर परिषद बने
हुये हैं, वह छोटा
क्षेत्र होता
है तो ऐसा कोई
संशोधन लाया
जाये ताकि वह
प्रीमियम की
राशि आसानी से
हमारा वह व्यवसायी
या दुकानदार
है वह उसको
सुनिश्चित कर सके, जमा कर सके और
उसको एक राहत
भी मिल सके, ऐसा संशोधन
में जोड़ने का
प्रयास किया
जाये, ऐसा मैं
माननीय
मंत्री जी से
अनुरोध करता
हूं.
बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री अभय मिश्रा (सेमरिया)-- माननीय सभापति महोदय, यह सोच तो अच्छी है, यह जो सीधा प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा, इसमें बहुत सारी विकृतियां हटेंगी. जो एक दवाब रहता है, जो अभी सब लोगों ने बताया कि पार्षदों के माध्यम से कई तरह के गलत हथकंडे होते हैं फिर उनका दवाब रहता है तो माननीय मंत्री महोदय ने जो यह विचार किया है यह अच्छा है मेरी दृष्टि में, इसमें थोड़ा सा गहराई से और कहीं हम जल्दबाजी में जैसे हम एक किताब को पढ़ते हैं तो पहली बार में कुछ और दिखता है, दूसरी बार उसको और पढ़ते हैं तो कुछ और दिखता है, तीसरी बार में और नजर जाती है. हम ग्राम पंचायत को लेते हैं, ग्राम पंचायत में एक सरपंच होता है, एक पंच होता है. बलवंत राय मेहता ने बनाया था, एक पंचायती राज की कल्पना की थी, यह स्थानीय साधिकार का मामला है. स्टेट यूनियन लिस्ट की अलग वर्किंग है, इसकी अलग वर्किंग है. इसमें जब एक पंच, अभी आप एक तरह से कल्पना कीजिये कि सरपंच की जगह आ गया हमारा नगर पंचायत का अध्यक्ष या नगर पालिका का अध्यक्ष और पंच की जगह आ गया पार्षद. एक और कल्पना कीजिये कि अगर जो भी अध्यक्ष चुना गया नगर पालिका का, नगर पंचायत का अगर वह निरंकुश हो गया तो आप क्या करेंगे, तो कहीं न कहीं अंकुश तो जरूरी है. मेरी राय में तो जो तीन वर्ष वाला है कि बीच में उसको, एक चीज का तो कहीं न कहीं यह लगना चाहिये कि हमारे ऊपर भी कोई है. फिर सबसे बड़ी बात यह है कि पार्षद जो हैं वह बेकार न हो जायें, यह भी सोचना है, उनकी भूमिका ही शून्य हो जाये. इस तरफ मैं ध्यान दिलाना चाह रहा हूं कि हम कैसे करें कि पार्षदों की भी कीमत रहे, उनकी भी सुनवाई हो, नहीं तो पता है अगर सामने वाले को कि हमारा कुछ नहीं कर सकते, हम अपनी मनमर्जी से करेंगे तो समतामूलक विकास फिर नहीं हो पायेगा. पिछली बार जब हम लागों ने 3 वर्ष वाला अविश्वास का किया था, उसमें हमने जल्दबाजी में या जैसा भी हुआ हो भूतकालिक प्रभाव के बारे में कल्पना नहीं की थी. इसका आज जो यह संशोधन आयेगा वह आज से लागू होगा जैसे कई जगह ऐसे हैं कि नगर पंचायत अध्यक्ष अब इस दुनिया में नहीं हैं उनके रिक्त स्थान हैं अभी उनका चुनाव होना है तो यह जो एक्ट पारित हो रहा है मतलब संशोधन विधेयक पारित हो रहा है, यह आज दिनांक से लागू होगा, यह भी थोड़ा स्पष्ट, नहीं तो क्या होता है कि लोग न्यायालय की शरण ले लेते हैं और अपने-अपने इंट्रेस्ट के हिसाब से उसको मैनिपुलेट कर लेते हैं तो मेरा यह अनुरोध था कि इसका भी जिक्र होना चाहिये. एक और बात अगर आप कर सकें तो बहुत अच्छा होगा जो पार्षद या चुने हुये निर्वाचित प्रतिनिधि जांचों में दोषी पाये जा चुके हैं, सिद्ध हो चुके हैं कि इन्होंने आपराधिक कार्य किया है या अपने पद का दुरूपयोग किया है, इस अधिनियम में, क्योंकि फिर बार-बार तो हम कर नहीं सकते, फिर वह न्यायालय की शरण ले लेंगे तो अगर इसमें वह भी वर्णित हो जो इस तरह से दोषी लोग हैं उनको चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिलना चाहिये और हमारा ऐसा मानना है कि यह बेहतर होगा, इससे बहुत सारी चीजें अच्छी होंगी, बस थोड़ा सा पार्षद भी एकदम से डेड न हो जाये, अध्यक्ष के ऊपर भी नियंत्रण बना रहे, चेक एण्ड बेलेंस वाली थोड़ी बात रहे, इसी ओर आपका ध्यान दिलाना था. धन्यवाद.
श्री लखन
घनघोरिया(जबलपुर-पूर्व)
-- माननीय सभापति
महोदय, मध्यप्रदेश
नगरपालिका
(संशोधन)विधेयक,
2025 के
संदर्भ में जो
बातें सामने आ
रही हैं, यह संशोधन
बिल तो है
लेकिन इसमें
एक संदेह है
कि यह सत्ता
के केंद्रीयकरण
का हथियार न
बन जाये, इसमें
लोकतंत्र का
हनन न हो, किसी ने
लिखा है कि
''स्याही
भी तुम्हारी
है, मातहत भी
तुम्हारे
हैं,
कागज-कलम
तुम्हारी, मजमून भी
तुम्हारा है,
तोड़ो
मरोड़ो, धज्जियां
उड़ाओ,
सल्तनत
तुम्हारी है, कानून
तुम्हारा है''
(मेजों की
थपथपाहट)
सभापति
महोदय, इस
विधेयक में
साफ लिखा है
कि नगरपालिका
क्षेत्र के
मतदान करने
वाले
मतदाताओं की
कुल संख्या
के आधे से
अधिक
मतदाताओं के
बहुमत के
द्वारा गुप्त
मतदान से वापस
बुलाया जाये,
साथ में यह भी
है कि परंतु
वापस बुलाने
की ऐसी कोई
प्रक्रिया तब
तक आरंभ नहीं
की जायेगी, जब
तक की
निर्वाचित
पार्षदों की
कुल संख्या
के कम से कम
तीन चौथाई
पार्षदों
द्वारा प्रस्ताव
पर हस्ताक्षर
न कर दिये
जायें और उसको
कलेक्टर को
प्रस्तुत न
कर दिया जाये, यह
बड़ा संशय
पैदा करता है.
यह प्रावधान
सीधा-सीधा है
कि अध्यक्ष
को या चेयरपर्सन
को अलग किया
जाना है तो
उसके संबंध
में निर्णय
लेने का
अधिकार है,
समाधान का
अधिकार कलेक्टर
द्वारा किया
जाना है, इस
स्थिति में
अध्यक्ष
चेयरपर्सन को
प्रशासनिक
हस्तक्षेप
जो
लोकतांत्रिक
संस्थाओं के
लिये ठीक नहीं
होता है या
अधीन रहते हुए
कार्य करेगा, स्वतंत्र
रूप से कार्य
नहीं कर
पायेगा, यह बहुत
स्पष्ट है.
कलेक्टर
चाहे तो दो
महीने, चार
महीने, छ: महीने
लटका दे, क्योंकि
सारे पॉवर पर
वही है. हम डबल
इंजन, त्रिपल
इंजन सबकी बात
करेंगे, इंजन में
ड्राइवर भी
महत्वपूर्ण
होता है, तो गार्ड
भी महत्वपूर्ण
होता है, वह सिग्नल
तो दिखाता है,
तभी तो गाड़ी
पटरी से नहीं
उतरती है,
यदि ड्राइवर
मदहोश है और
गार्ड सही है
तो कम से कम
गाड़ी सही
पटरी पर चलेगी, यह
लोकतांत्रिक
व्यवस्थाएं
हैं, इन
पर इस तरीके
के संशोधन स्वाभाविक
रूप से हमारी
संस्थाओं को
कमजोर करते हैं.
सभापति
महोदय, इसमें यह
भी लिखा है कि
अगर किसी नेता
के चुनाव पर
कोर्ट में केस
चल रहा हो, कोई
शिकायत हो, कोई जांच
लंबित हो, मतदान
में गड़बड़ी
के आरोप हो, तो वह
नेता अपनी
कुर्सी पर
बैठा रहेगा, यह कौन सा
न्याय है, यदि वह
दागी है, जैसे
जयवर्धन जी ने
कहा था और
हमारे श्री
नारायण सिंह
पट्टा जी ने
कहा था कि हम
विधेयक तो ला
रहे हैं, कैलाश
भईया यह बिल्कुल
वैसा ही है, जो चुनाव
चिन्ह पर
चुनकर आते हैं, उनको आप
टॉफी दिखाकर
बुला लेते हैं, उनके
लिये क्या व्यवस्था
है?
ये तो कुल
मिलाकर वैसे
ही है, खूब समझते
हैं हम आज
तेरे धोखे, तू
मुझको बुलाए
और दरबान तेरा
रोके. कुल मिलाकर
सब कुछ सरकार
के अधीन चले.
श्री कैलाश
विजयवर्गीय(संसदीय
कार्यमंत्री) – लखन भैया, तुम मुझ
पर लगाओ, मैं तुम
पर लगाता हूं, जख्म
मरहम से नहीं,
इलजाम से भर
जाएंगे(...मेजो
की थपथपाहट)
सभापति महोदय
– लखन
जी, अपनी
बात जारी रखें, नहीं
तो
शेर-ओ-शायरी
में उलझ
जाएंगे, दोनों
पारंगत हैं.
श्री लघन
घनघोरिया – इंदौर
में है तो
राहत जी की
आत्मा भी
कहीं भटक सकती
है, कैलाश
जी राहत जी का
शेर है सुना
दें.
लूट मची है
चारो और आगे
की लाइन खुद
बोलना..
लूट मची है चारों
ओर सारे,… इसके
आगे नहीं, क्योंकि
आप बोल देंगे
इसको काटो...
एक थाली में
सारे, क्या
चपरासी क्या
अधिकारी..
एक थाली में
सारे, क्या
चपरासी क्या
अधिकारी.. क्या
ताकतवर, क्या
कमजोर सारे
....(हंसी)
उजले कपड़े
पहन रखें हैं,
सांपों ने.. ये
जहरीले सारे...
श्री कैलाश
विजयवर्गीय – लखन जी..
मुझे भी कुछ
सुनाना पड़ेग.
कुछ
सांप इतने
खूबसूरत हैं, कुछ
सांप इतने
खूबसूरत हैं,
न
चाहते हुए भी
आस्तीन में
पालने पड़ते
हैं.. (...मेजो की
थपथपाहट)
सभापति
महोदय – लखन जी, डेढ़ बजे
के पहले
विधेयक पारित
करना है और कार्यसूची
में
प्रतिवेदनों
की प्रस्तुति
बगैरह भी है, थोडा
सा शीघ्रता से
अपनी बात कर
लें.
श्री
लखन घनघोरिया –
सभापति जी, एक
तो ये कलेक्टर
के ऊपर पूरे
पावर होंगे, सत्ता
का केन्द्रीयकरण
होगा, नगरों की
समस्या जस की
तस, वैसे ही
बनी रहेगी, सरकार
सिर्फ
राजनैतिक
प्रबंधन पर
लगी रहेगी.
अभी भी क्या
हो रहा आपने
संपत्ति कर
डबल कर दिया.
एक दिन कोई
संपत्ति कर
देने से चूक
जाए, तो उसका
डबल हो जाएगा.
मान लो कोई
बीमार है, कैंसर
से पीडि़त है, पूरा
घर इलाज कराने
में जुटा है,
यदि उस दिन वह
कर नहीं भर
पाया तो डबल
हो जाएगा. इस
तरीके से
सरकार की पूरी
योजनाएं हैं, कुल
मिलाकर ये
संस्थाएं
जनता से सीधे
जुड़ी हुई हैं. अविश्वास
प्रस्ताव का
रास्ता, कमजोर
और गलत काम के
लिए कोई
नियंत्रण
नहीं होगा.
सारे कर, जल
कर से लेकर
सफाई कर, चारों
तरफ अंबार मचा
है, लेकिन हम
स्वच्छता
में अवार्ड ले
रहे हैं, कचरों
का ढेर का
अंबार मचा है.
सब जगह गंदगी
बजबजा रही है,
लेकिन अवार्ड
मिल रहा है. कुल
मिलाकर यदि
पार्षदों की
भी आवाज दबाई
जाएगी तो भी
ये लोकतंत्र
के हित में
नहीं हैं, पार्षदों
को कमजोर
करना. एक तरफ
आप विधेयक में
यह भी कह रहे
हैं कि एक
चौथाई पार्षद जब
लिखकर देंगे
जब आप अविश्वास
प्रस्ताव,
वह भी कलेक्टर
तय करेंगे, समाधान
कलेक्टर कर
पाएंगे,
ये बड़ा दोहरा
है, इसमें स्पष्ट
नहीं है कि
सरकार की मंशा
क्या है, सरकार
क्या चाहती
है, भ्रम में
रखकर सिर्फ
अपनी मंशा को
पूरा करना चाहती
है,
लोकतांत्रिक संस्थाओं में कब्जा करना चाहती है. यदि करना चाहती है तो मैंने पहले ही कहा है कि सल्तनत तुम्हारी है, कानून तुम्हारा है यह पहले ही कहा है. कैलाश जी आप तो हमेशा कहते हैं कि नगरीय निकाय को आत्मनिर्भर बनना चाहिये. यह आत्मनिर्भर बन पाये या न बन पाये. नगरीय निकाय को बनना चाहिये इतना कर लगा दें. फिर राहत इन्दौर जी ने कहा है कि लूट मची है चारो ओर सारे चोर सारे चोर अब किस किस का नाम गिनाएं कैलाश भाई सत्ता में बैठे हैं मैं कहना चाहता हूं कि यह विधेयक जल्दबाजी में लाया गया है. इसमें व्यापक बहस होना चाहिये और बदलाव होना चाहिये. इतनी जल्दी क्या है ? इतनी जल्दी क्या पड़ी है, आप तो वैसे ही ले आते हो बने बनाये महापौर उठा लेते हो आप तो पारंगत हो, इसमें इतनी जल्दी क्या है ? इसमें व्यापक बहस करके जनता के हितों की रक्षा हो इसके साथ साथ लोकतांत्रिक संस्थाओं का अच्छे से संरक्षण हो, ऐसा मेरा आग्रह है. आपने समय दिया धन्यवाद.
1.12 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
डॉ.तेजबहादुर सिंह चौहान—अध्यक्ष महोदय, स्थानीय निकाय के माननीय मंत्री जी मान्यवर मुख्यमंत्री जी द्वारा यह जो नगर पालिका संशोधन विधेयक प्रस्तुत हुआ है मैं इसका समर्थन करता हूं. इसके लिये धन्यवाद भी देता हूं. मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस प्रस्ताव में ना ही पार्षदों के अधिकार खत्म होंगे और ना ही बल्कि लगातार पिछले निर्वाचन के बाद स्थानीय निकायों के चुनावों के पश्चात् नगर पालिका एवं नगर परिषद् के अध्यक्षों के ऊपर जो अनैतिक दबाव बनाया जाता था जो अनैतिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से डराने और धमकाने का काम किया जाता था उन्हें पद से हटा देने के लिये इस तरीके के दबाव को बनाकर और लोग अपना उल्लू सीधा करना चाहते थे. निश्चित ही ऐसे जनप्रतिनिधि जो पार्षद के रूप में निर्वाचित होकर के आये हैं उन पर अंकुश लगेगा. अपनी व्यक्तिगत दुर्भावना, अपने व्यक्तिगत हित या अपनी व्यक्तिगत नाराजी के कारण नगर परिषदों को मात्र निर्वाचित सदस्यों की संख्या चाहे नगर पालिका या नगर परिषद् में हो उसकी पांच हिस्से की संख्या से अविश्वास प्रस्ताव कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत हो जाता था अर्थात् नगर परिषद् में 15 वार्ड होते हैं मात्र तीन पार्षद ही अविश्वास प्रस्ताव रखकर और एक अनैतिक दबाव बनाने का प्रयास करते थे. वर्तमान में इस संशोधन विधेयक के कारण इस तरीके का दबाव नहीं हो पायेगा और तीन चौथाई पार्षदों के माध्यम से चाहे वह नगर परिषद् होगी या नगर-पालिका होगी कलेक्टर के सामने प्रस्ताव प्रस्तुत होगा उसके उपरांत भी अगर नगर परिषद् या नगर-पालिका का परिषद् नगर हित में विकास के कार्यों के साथ जुड़ा हुआ है तो भी उसे खाली कुर्सी और भरी कुर्सी के बीच चुनाव में जनता के बीच जाना पड़ेगा और उसे हटाने का काम भी जनता करेगी. इसलिये मैं सोचता हूं कि इस विधेयक के माध्यम से अध्यक्ष और मजबूत होंगे और जनता के बीच विकासशील काम करने वाले अध्यक्षों को मजबूती के साथ काम करने का अवसर मिलेगा. इसलिये मान्यवर कैलाश विजयवर्गीय जी तथा मान्यवर मुख्यमंत्री जी को इस संशोधन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं. धन्यवाद.
श्री भंवर सिंह शेखावत—अध्यक्ष महोदय, माननीय कैलाश जी प्रस्ताव लाये हैं तो पास तो होगा तथा पास कराना भी पड़ेगा हम इसका विरोध तो कर ही नहीं सकते. लेकिन मैं दो तीन मुख्य बातें कहना चाहता हूं.
श्री
गोपाल भार्गव
-- अध्यक्ष
महोदय,
आपने
जो अभी कहा,
मुझे एक
प्रसंग याद
आता है. शून्यकाल
में हम लोग
खडे़ हुए थे.
सामान्यत: जो
ध्यानाकर्षण
या स्थगन की
सूचनाएं देते
थे, हम
लोग अपोजीशन
में थे.
माननीय
श्रीनिवास
तिवारी जी
आसंदी पर थे, तो
आप खडे़ हुए.
आपने जोर-जोर
से शून्यकाल
में विषय को
उठाया,
तो
आसंदी से पूछा
गया कि आपने
क्या दिया. स्थगन
दिया, ध्यानाकर्षण
दिया, क्या
दिया, तो
आपने कहा कि
जिन लोगों ने
दिया, उनका क्या
हुआ...(हंसी)..
श्री
भंवरसिंह
शेखावत -- अध्यक्ष
महोदय, और जिन्होंने
दिया, उनका भी
कुछ नहीं हो
रहा है...(हंसी) ..
और माननीय कैलाश
जी सवाल उतना
ही है कि, आप यह
संशोधन लाए तो
हैं लेकिन मैं
2-3 मूल मुद्दों
पर आपका ध्यान
आकर्षित करना
चाहता हॅूं. इसका
कोई मतलब नहीं
है जब सरकार
बहुमत में होती
है, तो
जो संशोधन ले
आए,
पहले यही
संशोधन इसी
सदन ने पास
किया था कि डायरेक्ट
चुनाव होंगे.
बाद में इसी
सदन ने पास
किया कि इनडायरेक्ट
चुनाव होंगे.
अब वापस लौटकर
घर को आए. यह
बार-बार
संशोधन सरकार
अपनी इच्छा
के अनुसार
करती है कि
उसका क्या
करना है क्या
नहीं करना है.
आप संशोधन लाएं
हैं.
नगरपालिका के चुनाव
डायरेक्ट
होते हैं. नगरपालिका
के महापौर आधे
हो रहे हैं. उनकी
बात कोई सुनता
नहीं है.
कमिश्नरों
की कोई सुनता
नहीं है. असहाय
हो गए हैं. यह
शिकायतें
उनकी भी रहती
है.
अब
आप इसको
डायरेक्ट
करना चाहते
हैं तो मैं
सहमत हॅूं.
आपके इस तर्क से
मैं सहमत हॅूं
कि डायरेक्टर
चुनाव जनता के
हित में होगा. इससे
हॉर्स
ट्रेडिंग
रूकेगी. लेकिन
हॉर्स ट्रेडिंग
रूकती कहां
है. सरकार अगर
चाहेगी,
तो 50 खोके, ऑल
ओके.
क्या
दिक्कत है. 50
खोके, ऑल ओके
में सारी
सरकारें हैं.
चाहे महाराष्ट्र
की हो, चाहे मध्यप्रदेश
की हो, कहीं की
भी सरकार जा
सकती है और अब
तो वह प्रथा भी
खतम हो गई है
कि चीफ मिनिस्टर्स आपको
विधायकों को
चुनना है.
पर्ची आयी और
विधायक देखते
रह जाते
हैं...(हंसी)..
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय --
अध्यक्ष जी, ऐसे दोस्त
हों, तो
दुश्मनी
करने की जरूरत
ही नहीं है..(हंसी)..
श्री
भंवरसिंह
शेखावत -- अध्यक्ष
महोदय, इसमें 2-3 चीजें
और साथ में
जोड़ दी जायें, तो
लोकतंत्र की
मजबूती के लिए
हम लोग और आप
सब भी लड़ रहे
हैं. आजकल
डेमोक्रेसी
धीरे-धीरे खतरे
में आ रही है
इस पर भी कहीं
न कही जाकर
रोक लगानी
पडे़गी. आप
इसके लिए प्रयास
कर रहे हैं,
मैं आपका
समर्थन करता
हॅूं लेकिन
जनपद, जिला
पंचायत,
मंडी
इनमें
इनडायरेक्ट
चुनाव क्यों
होना चाहिए.
आप मंडी के
चुनाव भी
डायरेक्ट
करिए. जनपद के
चुनाव भी
डायरेक्ट कर
दीजिए. जिला
पंचायत में भी
हॉर्स
ट्रेडिंग
होती है आप
बंद करिए. मैं
तो आपके
समर्थन में
हॅूं. आप सब को
लेकर आइए. डेमोक्रेसी
को ठीक करने
का काम सरकार
यह पॉर्ट में
क्यों लाती
है
कि
नगरपालिका को
पहले कर दिया.
अब नगर निगम
को करेंगे तो
जनपद, जिला
पंचायत, मंडी
सबका चुनाव आप
डायरेक्ट
करिए. पूरा
चुनाव
डायरेक्ट हो.
पूरे देश में
एक बात पर और
प्रतिबंध
लगाने की
जरूरत है. क्या
है कि जैसे
हमारे साथी कह
रहे थे कि
हवाईजहाज में
भरकर के कहीं
ले जाना है.
असम में ले
जाकर के
हवाईजहाज
खड़ा कर दिया
और वापस लौटने
पर पता चला कि
सरकारें बदल
गईं. महापौर
बदल गये, अध्यक्ष
बदल गये, तो इस
प्रक्रिया को
रोकने का
प्रयास सभी
दलों को मिलकर
करना चाहिए.
अभी संविधान
भी खतरे में
है और सरकार
भी खतरे में
है,
डेमोक्रेसी
भी खतरे में
है. आप उसको
बचाने का प्रयास
कर रहे हैं,
आपको
बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष
महोदय -- श्री
उमंग सिंघार
जी.
नेता
प्रतिपक्ष
(श्री उमंग
सिंघार) -- धन्यवाद
माननीय अध्यक्ष
जी.
श्री
हरदीप सिंह
डंग -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैं कहना
चाहता हूँ.
अध्यक्ष
महोदय -- हरदीप
सिंह जी, अब नेता
प्रतिपक्ष जी
बोल रहे हैं. आपने
नाम नहीं
दिया. नहीं तो
मैं आपका नाम
बुलाता. अभी
दूसरा बिल आने
वाला है उस पर
बोल लीजिएगा.
दूसरे बिल पर
आपका नाम बुला
लेंगे.
श्री
हरदीप सिंह
डंग -- जी
माननीय अध्यक्ष
महोदय.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य सीनियर शेखावत जी ने कहा और माननीय संसदीय मंत्री जी की मन की बात कही. वह अलग बात है कि उन्होंने कह दिया कि ऐसे दोस्त हों तो दुश्मन की क्या जरूरत.
अध्यक्ष महोदय- सारा मामला इंदौर का ही है. (हंसी)
श्री कैलाश विजयवर्गीय- प्रधान मंत्री जी ने कहा है कि यह दौर इंदौर का ही है.
श्री उमंग सिंघार - अभी इंदौर पर भी आता हूं. अध्यक्ष महोदय,सरकारें बनती हैं, जनता के वोटों से, विधायक बनते हैं जनता के वोटों से, सांसद बनते हैं जनता के वोटों से और मुख्य मंत्री बनते हैं पर्ची से. नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव होना है, जनता से. वहां पर यह नहीं चलेगा. नया विकास का मॉडल आया है वर्ष 2025 में, लेकिन मैं सरकार से जानना चाहता हूं कि आप अभी तक आप मास्टर प्लान लेकर क्यों नहीं आ पाये ? माननीय संसदीय मंत्री जी, ने भी इसी सदन के अंदर की जून तक लायेंगे. साल आने वाला है 2026
श्री कैलाश विजयवर्गीय- मास्टर प्लान का विषय, यह तो संशोधन बिल है.
श्री उमंग सिंघार - मैं उसी पर आऊंगा, बिल पर भी आऊंगा.
अध्यक्ष महोदय - नगरीय निकाय हैं ना, इसलिये इनको टच करना है. (हंसी)
श्री उमंग सिंघार - नगरीय निकाय के अंदर धारा -16 से बहुत काम हुए और विशेषकर के इंदौर में.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, वह बेड टच और गुड टच. जरा देखना पड़ेगा ना.
अध्यक्ष महोदय- इस बिल को लंच तक पूरा कर लें, ऐसा कुछ करो.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, ठीक है, कोशिश करता हूं. मेरा सरकार से कहना है मास्टर प्लान पर भी चर्चा होना चाहिये. आप नयी व्यवस्था ला रहे हैं, नया मॉडल ला रहे हो, लेकिन आप जनता को विकास नहीं देना चाहते हो, सड़कें अच्छी नहीं दे सकते हो, आबो-हवा अच्छी नहीं दिला सकते हो और पानी नहीं दे सकते हो. जमीनें बिल्डर और विचौलिये अपने हिसाब से खरीद रहे हैं. बिचौलिया कैसे हो रहा है, आपको पता है. आजकल तो प्रदेश में बिल्डर माफिया आ गये हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार सीधे चुनना चाहती है, इस बिल के माध्यम से, लेकिन हमारे कुछ तर्क हैं. वर्ष 1992 के अंदर संविधान में 74 वां संशोधन हुआ था और संविधान ने इसको एक तीसरी सरकार के रूप में मान्यता दी थी. स्थानीय निकाय को कांस्टिट्यूशन स्टेट्स दिया गया. लेकिन भावना यह थी कि यह संस्था सामूहिक रूप से निर्णय करेगी, यह संस्था ताकि स्थानीय रूप से सबका विकास और सबकी भागीदारी हो. भाव तो कलेक्टर लीडरशिप के हैं, लेकिन सरकार उसको बदलना चाहती है. मुझे लगता है कि बिल के संशोधन भी आवश्यक हैं, उसके कुछ नुकसान भी हैं. इसमें स्थानीय मुद्दे और राजनीतिक ध्रुवीकरण होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्थानीय शासन का असली फोकस पानी, सड़क, कचरा, स्ट्रीट लाइट को लेकर है, इससे ध्यान हट जायेगा. इसका पूरी तरह से राजनीतिक ध्रुवीकरण हो जायेगा. क्या हम वहां पर पानी देना चाहते हैं, सड़क देना चाहते हैं, नाली देना चाहते हैं या नगर पालिका को राजनीतिक अखाड़ा बनाना चाहते हैं. पहले ही अखाड़ा, ठीक है मैं मानता हूं कि हॉर्स ट्रेडिंग होती है, हर चीज में होती है. विधायकों, सांसदों में होती है तो यह तो सामान्य बात है, लेकिन ये आपका तर्क ठीक नहीं है कि हम सिर्फ हॉर्स राइडिंग को रोकने के लिये, खरीद-फरोख्त को रोकने के लिये हम इस बिल को ला रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह उद्देश्य सिर्फ भारतीय जनता पार्टी का चुनावी मॉडल है. इससे जनता को क्या फायदा होगा. क्या पानी बहने लग जायेगा, सड़कें जल्दी बनने लग जायेंगी, कचरा अपने-आप उठने लग जायेगा या भ्रष्टाचार कम हो जायेगा ? आपको पता है कि नगर पालिकाओं में क्या स्थिति है. मुझे लगता है कि इसका व्यवहारिक रूप से शून्य है. इसका राजनीतिक लाभ ज्यादा है. सरकार का असली मकसद चुनाव कराना है. नगर पालिका का चुनाव हम कैसे जीतें और मैं तो यहां तक कहता हूं कि यह इसमें छोटा गरीब व्यक्ति नहीं आ पायेगा. अब जो नगर पालिका चुनाव लड़ेगा, वह लखपति, करोड़पति व्यक्ति होगा. जो एक सामाजिक क्षेत्र में अब संघर्ष कर रहा है अपने गांव के अन्दर, अपने क्षेत्र में, अपने नगर पालिका क्षेत्र में, उसको मौका नहीं मिल पायेगा और टिकट बेचने का एक नया मॉडल है यह. मैं समझता हूं कि इस पर सरकार को विचार करना चाहिये. मुझे मालूम है कि वोटर लिस्ट में भी गड़बड़ी होगी. नगर पालिका की वोटर लिस्ट अलग बनती है. विधान सभा, लोक सभा की अलग बनती है. इन सब बातों को लेकर के भी हमको समझना है कि हम सीधे अधिकार तो देना चाहते हैं..
श्री अजय विश्नोई—अध्यक्ष महोदय, एसआईआर होने के बाद एक व्यक्ति का नाम दो जगह हो ही नहीं सकता. तो यह जो सोच रहे हैं कि पंचायत में, नगर पालिका में और नगर निगम में अलग अलग हो जायेगी, वह अब नहीं हो पायेगी. एसआईआर की यह खासियत है.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से विश्नोई जी को जानकारी के लिये बताना चाहता हूं कि जब नगर पालिका की सूची बनती है, वोटर लिस्ट बनती है, वह अलग बनती है. ठीक है, अगर एक बन जाये, तो अच्छी बात है. मैं देखता हूं कि बनती है कि नहीं बनती है, आप भी यही हो, मैं भी यहीं हूं. अध्यक्ष महोदय, धारा 47 रिकॉल प्रक्रिया की मैं बात करना चाहता हूं. 3 साल के बाद पार्षद वापस ले सकते हैं उस अध्यक्ष को. एक तरफ आप जनता से उसको चुनवा रहे हो, पहले भी व्यवस्था थी कि पार्षद लिखकर के दे, तो अध्यक्ष हट जाता था. अब 3 साल के बाद अगर पार्षद लिखकर देंगे तीन चौथाई, कलेक्टर या चुनाव आयोग को भेजेगा स्टेट के और वह उसको हटा सकते हैं. तो सरकार का भी दबाव, पार्षद का भी दबाव. फिर यह डबल प्रक्रिया क्यों. आपकी धारा 47 में लिखा है. और एक तरफ जहां रिक्त पद होगा, वहां पर 50 प्रतिशत मतदान होगा, यह फिर नई बात. एक तरफ आप वोटिंग करवा रहे हैं, एक तरफ आप खाली पद के अन्दर आप वोटिंग करायेंगे और जब उसको हटाना है, तो वहां पर पीछे से तीन चौथाई पार्षद. इस बिल के अन्दर प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रुप से मैं समझता हूं कि कहीं न कहीं विसंगतियां हैं, इस पर सरकार को विचार करना चाहिये. इस सरकार, मुझे समझ में नहीं आता है कि जब प्रधान मंत्री, मुख्यमंत्री बनते हैं, विधायक और सासंद के द्वारा चुने जाते हैं, तो फिर आज इस बिल की आवश्यकता क्यों है आपको. इससे मुझे लगता है कि जहां काम की आवश्यकता है, वहां पर हम इसको राजनीति का अखाड़ा बना रहे हैं और यह बिल इससे बड़ा सबूत नहीं है. निश्चित तौर से मैं, मेरे दल की ओर से जैसे सब ने भावना रखी, मैं समझता हूं कि इस संशोधन के बाद अगर इससे आप सहमत हैं, तो हम लोगों की सहमति है, हम यह कहना चाहते हैं. धन्यवाद, अथ्यक्ष महोदय.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) – अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष, बरैया जी, शैलेन्द्र जैन साहब, जयवर्द्धन सिंह जी, अभिलाष पाण्डेय जी, आरिफ मसूद जी, ओमप्रकाश सखलेचा जी, नारायण सिंह जी, अभय मिश्रा जी, लखन घनघोरिया जी, आपके बैटे इलेक्ट्रेट युवक कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने, आपको बधाई भी देता हूं मैं. डॉ. तेज बहादुर सिंह जी, भंवर सिंह शेखावत जी और काफी लोगों के बोलने की इच्छा भी थी इसमें, पर जो लोग कुछ सुझाव देना चाहें, नहीं बोल पाये, तो वे कृपया सरदार जी आप भी, मुझे लिख करके दे दीजियेगा. अध्यक्ष महोदय, मैं खाली इतिहास के पन्ने पलटना चाहता हूं कि हमारे मित्र हैं..
1.29 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन
के समय में
वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी, एक मिनट. विधेयक पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये, मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा
सहमति प्रदान
की गई.)
समय
1.30 बजे
शासकीय
विधि विषयक
कार्य (क्रमश:)
मध्यप्रदेश
नगर
पालिका(संशोधन)विधेयक,
2025(क्रमांक 20 सन्
2025)
अध्यक्ष
महोदय--
माननीय
मंत्री जी..
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय--
धन्यवाद
माननीय अध्यक्ष
महोदय.
अध्यक्ष जी
मैं इतिहास के
पन्ने पलटना
चाहता हूं,
मुझे लगता है
कि महात्मा
गांधी जी ने
स्वच्छ भारत
का सपना देखा
था पर महात्मा
गांधी जी के
सपने को पूरा
किया
नरेन्द्र मोदी
जी ने और
स्वच्छ भारत
आज हमें हर
जगह दिखाई
देता है.
अध्यक्ष
महोदय, उसी
प्रकार से
राजीव गांधी
जी चाहते थे
कि पंचायत
राज, नगरीय
प्रशासन में
भी अच्छी
व्यवस्था हो
और इसीलिये वह
बिल भी लाये
थे,
और
यह बिल लाये
थे, माननीय
दिग्विजय
सिंह जी और
उन्होंने इसी
सदन में उस
बिल को रखा था,
वही बिल है यह,
इसमें कोई
बहुत ज्यादा
परिवर्तन
नहीं है. जो
दिग्विजय
सिंह जी बिल
लाये थे उसमें
यह बात सही है
कि बीच में
संशोधन
इसलिये करना
पड़ा की बीच
में कोविड आ
गया था कोविड
काल में थोडी
सी जनता के
बीच में
दूरियां बनी
रहे इसलिये
अप्रत्यक्ष
चुनाव की
मजबूरी थी,
सलाह यह आई कि
अब अप्रत्यक्ष
कर देना
चाहिये
इसलिये किया
था, पर उसके
दुष्परिणाम
आपमें से ही
कई विधायकों
ने आकर के
हमें बताये .
आपमें से कई
विधायक. अब
मुझे समझ में
नहीं आता है
कि हम राजीव
गांधी जी के
सपने को पूरा
कर रहे हैं तो
यह राहुल जी के
लोग उसका
विरोध क्यों
कर रहे हैं.
श्री
उमंग सिंघार --
अध्यक्ष
महोदय, हमने
विरोध की बात
नहीं की हमने
तो संशोधन की
बात नहीं की.
अध्यक्ष
महोदय-- मंत्री
जी, नेता
प्रतिपक्ष ने
विरोध नहीं
किया है.
किंतु-परंतु
लगाया है.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय --
अध्यक्ष
महोदय, मैं माननीय
सभी सदस्यों
को यह विश्वास
दिलाना चाहता
हूं कि हमारी मंशा
प्रजातंत्र
को मजबूत करने
की है और
प्रजातंत्र
की पहली सीढ़ी
है यह, जब
पार्षद बनता
है, जब पंच बनता
है, जब सरपंच
बनता है यदि
वह राजनैतिक
पवित्रता से
रहना चाहे तो
उसके लिये
बहुत जरूरी है
कि सरकार उस
मार्ग को ठीक
करे यदि वहां
पर किसी
प्रकार की
गड़बड़ हो तो.
और यह बहुत
जरूरी था. हमारे
की विधायकों
ने ही, अधिकांश
विधायकों ने
यह कहा कि
इसको खतम
करिये. हमारे
नगर पालिका-
नगर परिषद के
अध्यक्ष का
संघ है
उन्होंने भी
माननीय
मुख्यमंत्री
जी से बात की,
उनसे मिले,
हमारी पार्टी
के लोगों से
भी मिले और
सबका यह मत
बना कि यह
प्रस्ताव
लाना चाहिये.
इसमें से आपके
यहां के भी कई
विधायकों ने
मुझसे कहा,
मैं नाम नहीं
लेना चाहता पर
यह सिर्फ
प्रजातंत्र
की पहली सीढ़ी
में राजनैतिक
पवित्रता के
लिये लाया गया
संशोधन है.यह
हमारी मंशा
है. अब अगर
पहली सीढ़ी
में राजनैतिक
पवित्रता
नहीं होगी तो
आगे क्या होगा
इसलिये इसको
राजनैतिक
दृष्टि से
देखने की जरूरत
नहीं है.
प्रजातंत्र
को पहली सीढ़ी
से पवित्र
करने की दिशा
में उठाया गया
यह संशोधन का
कदम है.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, माननीय
फूल सिंह बरैया
जी ने इसकी
शुरूवात की
थी, उन्होंने
कहा था कि भाई
रिकॉल करने की
क्या जरूरत
है, अध्यक्ष महोदय,
पंडित
दीनदयाल
उपाध्याय जी
की एक किताब
बहुत मशहूर
है, सब
कार्यकर्ताओं
को भी पढ़ना
चाहिये.
उन्होंने कहा
कि यह डेमोक्रेसी
है,
डेमोक्रेसी
के अंदर
विधायक बन
जाते हैं,
सांसद बन जाते
हैं किंतु
उनको रिकॉल
करने का कोई पॉवर
नहीं है.
अध्यक्ष जी,
प्रजातंत्र
तब मजबूत होगा
जब जनता का डर
भी उसमें हो.
मैं समझता हूं
कि यह पहली
सीढ़ी है और
अगर पहली ही
सीढ़ी से हम
इसकी शुरूवात
करें तो आगे
विधानसभा और
लोकसभा में भी
इसका प्रयोग
हो सकता है,
कोई खास बात
नहीं है. यह
बात भी सही है
कि हॉर्स ट्रेडिंग
सब दूर चल रही
है और इससे
इंकार नहीं
किया जा सकता
है कि राजनीति
की जो
पवित्रता थी
वह प्रदूषित
हुई है पर
प्रदूषण
फैलाने वाले
भी हम हैं और
पवित्रता की
जवाबदारी भी
हमारी है. हम
सबकी है.
इसलिये हमारी
सबकी
जवाबदारी है,
इससे आपको
इंकार नहीं
करना चाहिये
मैं फिर से उस
शेर दोहराऊं
कि :
तुम
मुझ पर इल्जाम
लगाओ
मैं
तुम पर इल्जाम
लगाऊं
जख्म
इल्जाम से भर
जायेंगे
मरहम
से नहीं.
माननीय अध्यक्ष महोदय और इसीलिये हम एक दूसरे पर इल्जाम लगा सकते हैं . यह पवित्र स्थान है . इल्जाम लगाने के पहले हमें यह भी देखना है कि हम कितने जिम्मेदार हैं. और यह बहुत जिम्मेदारी वाला हमारी सरकार का कदम है.माननीय मुख्यमंत्री जी से जब इस बारे में काफी चर्चायें हुई तो उन्होंने कहा कि नहीं, इसको तो लाना ही है और बरैया जी ने जो कहा कि 5 साल के लिये उसको काम करने दो तो, नहीं हमारे प्रजातंत्र की खूबसूरती यह है कि हर जगह चेक बैलेंस है. हर जगह है कहीं पर भी आप उठाकर के देख लीजिये अध्यक्ष महोदय, यह प्रजातंत्र की खूबसूरती है इसलिए चेक बैलेंस बहुत जरूरी है. उसमें इतना सा संशोधन किया है कि जब माननीय दिग्विजय सिंह जी के समय यह बिल लाया गया था उसमें ढाई साल था, उसे हमने साढ़े तीन साल किया है और उसमें दो तिहाई था जिसे हमने तीन चौथाई किया है. इतना सा संशोधन किया है ताकि फिर से ब्लेकमेलिंग नहीं हो, यही उसके पीछे मंशा है. शायद माननीय नेता प्रतिपक्ष जी इस बिल को व्यस्तता के कारण पढ़ नहीं पाए होंगे. इसमें अध्यक्ष के ऊपर किसी प्रकार का दबाव नहीं है. अध्यक्ष को हटाने की एक राजनैतिक प्रक्रिया है. उस प्रक्रिया में तीन चौथाई माननीय पार्षद अविश्वास का प्रस्ताव लाएंगे. वह अविश्वास का प्रस्ताव कलेक्टर के पास जाएगा. कलेक्टर उसका परीक्षण करेंगे फिर वह राज्य शासन के पास आएगा.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, यह तो लिखा है आपके नियम में इसके अलावा कौन सी चीज लिखी थी जो नहीं पढ़ पाए वह आप बताओ ना. मैं पूरा बिल पढ़ चुका हूं. धारा बोल चुका हूं, रीकॉल बोल चुका हूं, तीन चौथाई बोल चुका हूं. सब बता चुका हूं. आपने फिर ध्यान नहीं दिया.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, आपने कहा सीधा कलेक्टर. आप अपना भाषण देख लीजिएगा. आपने सीधा चुनाव आयोग बोला राज्य शासन नहीं बोला है. कोई बात नहीं, हो सकता है आपसे चूक हो गई हो, वह आपने पढ़ा है. बहुत अच्छी बात है आप काफी समझदार हैं, बहुत इंटेलीजेंट हैं. मैं तो आपकी प्रशंसा हमेशा करता रहता हूं. मैं तो आपको तब से जानता हूं जब आप विद्यार्थी थे और कुछ बातें ऐसी हैं जो सदन में बताने की नहीं हैं. ..(हंसी)..
अध्यक्ष महोदय -- मंत्रीजी बहुत संक्षिप्त कर रहे थे इसलिए कुछ चीजें उन्होंने बोली नहीं. पढ़ तो पूरा लिया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, यह मेरे छोटे भाई हैं, शुरू से रहे हैं इनका संरक्षण करना भी मेरा काम है.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, मेरा ऐसा है कि मैं इन माननीय का बहुत सम्मान करता हूं और निश्चित तौर से मैं कॉलेज में था तब आप पार्षद थे, विधायक थे तब से जानता हूं, लेकिन कुछ मैं भी जानता हूं जो नहीं बोल सकता हूं. ..(हंसी)..
अध्यक्ष महोदय -- आप यह कहो कि कुछ मैं जानता हूं कुछ वह भी जानते हैं. ..(हंसी)..
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, अभी तो मैं इनके मन की बात जानता हूं कि इनका नंबर नहीं आ पाया.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि हम एकदूसरे के मन की बात जानते हैं. इनका नंबर कहां नहीं आ पाया मैं वह नहीं बता सकता. ..(हंसी)..
अध्यक्ष महोदय -- वैसे सामान्य तौर पर कुछ चीजें दबी और ढंकी रहती हैं उसका आनंद अलग है. .(हंसी)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, जैसा बरैया जी ने कहा कि 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर दें, तो वह अध्यक्ष इससे एकदम निरंकुश हो जाएंगे क्योंकि अब आरक्षण का भी है कि मुझे अगले बार बनना नहीं है पता नहीं आरक्षण में कौन सी सीट होगी, तो वह बिल्कुल निरंकुश हो जाएगा. इसलिए अंकुश बहुत ज्यादा जरूरी है. चेक बैलेंस बहुत जरूरी है. इसलिए उसको रीकॉल करने का जनता को अधिकार है. हमें लगता है कि यह हमारी अच्छी मंशा है.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, आपने कहा जनता को अधिकार है लेकिन इसमें पार्षदों को अधिकार दिया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, वही पार्षद और जनता. पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे. वह भी तो जनता के प्रतिनिधि हैं.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, वोटिंग तो आप सीधे करा रहे हैं तो वापस रीकॉल करने का अधिकार जनता को दीजिए ना. पार्षदों को क्यों दे रहे हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, आप कुछ संशोधन दे देते. आप संशोधन दे देते तो हम उसको स्वीकार कर लेते. आपने संशोधन दिया नहीं. अगली बार आप ध्यान रखना संशोधन दे दिया करें.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, अब आपके कुछ निवेदन का ध्यान रखता हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, यस सर..(हंसी).. इस संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद यह तत्काल लागू हो जाएगा. अभय मिश्रा जी ने एक श्ांका इसमें प्रकट की थी तो मैं उनको बता दूं कि यह तत्काल लागू हो जाएगा. इसमें प्रक्रिया जैसे मैं बता ही चुका हूं कि खाली कुर्सी और भरी कुर्सी का चुनाव होगा और जनता उसको वापस ले सकेगी. फिर निर्वाचन आयोग बचे हुए समय के लिए चुनाव करा सकता है.
अध्यक्ष महोदय, बाकी भी सब सदस्यों ने इस पर विचार रखे हैं और मैं समझता हूं कि अंदर से सब लोग सहमत हैं. अगर मैं कांग्रेस के किसी भी मित्र से पूछूं कि यह कैसा संशोधन विधेयक है तो सब कहेंगे बहुत अच्छा है. अच्छा लाए हैं, परंतु क्या करें उधर बैठे हैं तो थोड़ा-थोड़ा विरोध तो करना पड़ेगा. आपने थोड़ा-थोड़ा विरोध किया बाकी मैं आप सभी से यह आग्रह करूंगा कि इसके पीछे प्रजातंत्र को मजबूत करना और प्रजातंत्र की पवित्रता कायम करना है. इसलिए आप सबसे आग्रह है कि आप सब इसको सर्वानुमति से पारित करेंगे तो मैं यह मानकर चलूंगा कि प्रजातंत्र की पवित्रता के लिए आप सब लोगों ने भी हम कदम बनकर सरकार का साथ दिया. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्री कैलाश विजयवर्गीय.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2025 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव
स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 18 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 18
इस विधेयक के
अंग बने.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1,
पूर्ण नाम तथा
अधिनियमन
सूत्र इस विधेयक
का अंग बने.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2025 पर पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2025 पर पारित किया जाए.
प्रस्ताव
स्वीकृत हुआ.
विधेयक
पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही 3.15 बजे तक के लिए स्थगित.
(अपराह्न 1.42
बजे से
3.15 बजे तक
अन्तराल)
3.21बजे
{अध्यक्ष
महोदय (श्री
नरेन्द्र
सिंह तोमर) पीठासीन
हुए. }
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- मैंने स्थगन दिया है. अगर यह ले लेते तो चर्चा हो जाती.
3.22 बजे ध्यानाकर्षण
(1) सीहोर
स्थित वीआईटी
युनिवर्सिटी
में दूषित पानी
व निम्नस्तरीय
भोजन के कारण
विद्यार्थियों
में पीलिया
होना
श्री दिनेश जैन (बोस) (महिदपुर) (सर्वश्री हेमन्त सत्यदेव कटारे, महेश परमार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,

उच्च
शिक्षा
मंत्री (श्री
इंदर सिंह
परमार)-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय,



अध्यक्ष
महोदय- इस ध्यानाकर्षण
से संबंधित
सदस्य क्रमश:
2-2 प्रश्न
करेंगे.
श्री दिनेश जैन (बोस)- अध्यक्ष महोदय, VIT विश्वविद्यालय में देश भर के कोने-कोने से छात्र अपना भविष्य बनाने आते हैं और उनके अभिभावक उन्हें यहां इस भाव से भेजते हैं कि उनके बच्चों का भविष्य बनेगा. लेकिन इस विश्वविद्यालय में छात्रों को केवल खाना खाने के लिए और उनका स्वास्थ्य खराब न हो, उसके लिए इतना बड़ा आंदोलन करना पड़ा. जिससे मध्यप्रदेश के ऊपर भी एक दाग लगा और हमें भी खराब लगता है कि हमारे राज्य में जो निजी विश्वविद्यालय है, जिसमें 3000 से अधिक छात्र अध्ययनरत् हैं, उन्हें केवल खाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, स्वास्थ्य के लिए संघर्ष करना पड़ता है. आपने स्वयं स्वीकार किया कि 18 पेयजल सैंपलों ट्यूबवैल, ग्राउण्ड लेवल और टैंक आर.ओ. सिस्टम में से लिये गए, जिनमें से 4 सैंपलों में जीवाणु पाया गया. यह छात्र आंदोलन एक दिन में नहीं भड़का होगा.
दिनांक 25 नवम्बर
की रात्रि को
जो हुआ. वह एक
दिन में नहीं
हो सकता है. यह
महीनों से
जारी विफलता, बीमारियों
और प्रशासन की
चुप्पी का
परिणाम है कि
बड़े पैमाने
पर छात्र एक साथ
इकट्ठे हो गए
और कैम्पस
में तोड़फोड़
हुई.
अध्यक्ष
महोदय - दिनेश
जी, यह
तो आप सब पढ़
ही चुके हैं.
यह रिकॉर्ड हो
गया है. आप
क्रॉस क्वेश्चन
करें, तो
मंत्री जी जब
जवाब देंगे तो
उससे कुछ लाभ
होगा.
श्री
दिनेश जैन
(बोस) - अध्यक्ष
महोदय, मेरा यही
कहना है कि जो
जांच हो, वह
मजिस्ट्रियल
जांच हो, ताकि
दोषियों को
सजा मिले.
विनियामक
आयोग की जवाबदारी
थी,
उसके ऊपर भी
प्रश्न उठता
है कि उन्होंने
क्या किया ?
महीनों से
जांच चल रही
थी,
महीनों से आन्दोलनरत
थे, तो
जो भी दोषी
हैं, उन
पर कार्यवाही
हो और कड़ी
कार्यवाही हो.
जो विद्यार्थियों
के ऊपर फर्जी
केस बना दिए
गए हैं, वह वापस
लिये जायें.
श्री
इन्दर सिंह
परमार - माननीय
अध्यक्ष महोदय,
मेरे उत्तर
में उल्लेखित
पूर्व में भी
कई नोटिस उस
विश्वविद्यालय
को जारी किए
गए हैं. आयोग
के द्वारा
चेतावनी भी दी
गई है और यह
बात सही है कि
जहां पर 13,000 से
अधिक
विद्यार्थी
छात्रावास
में निवास करते
हैं और उसमें
से 3-4 हजार
छात्र यदि
सड़क पर आ
जाते हैं, तो
यह कोई सामान्य
बात नहीं है.
इसको गंभीरता
से सरकार ने,
विभाग ने लिया
है, तत्काल
मुख्यमंत्री
जी ने हमको
निर्देश दिए
हैं. वहां के प्रभारी
मंत्री को कहा
गया कि आप
वहां जाइये,
हमको
कार्यवाही
करने के लिए
कहा गया. हमने तत्काल
एक कमेटी
बनाकर और
कमेटी के जो
तथ्य आए हैं,
जैसा
समाचार-पत्रों
में भी आया है,
जैसा छात्रों
ने बताया है
और जैसा सारे
जनप्रतिनिधि
भी सोचते हैं,
उसी प्रकार की
वहां की
शिकायतें
मिलीं, गंभीर
प्रकृति की
शिकायतें
मिली हैं और
हमने तय किया
है कि उसके
खिलाफ सख्त
कार्यवाही
करना चाहिए और
उसी धारा के
अंतर्गत हमने
उसको सूचना-पत्र
जारी कर दिया
गया है.
अध्यक्ष
महोदय - दिनेश
जी, आप
दूसरा पूरक
प्रश्न करें.
श्री
दिनेश जैन
(बोस) - अध्यक्ष
महोदय, मैं
चाहता हूँ कि इस पर
जांच कब तक
होगी ? और
कितने दिनों
में हम लोगों
को न्याय
मिलेगा. इसमें
हम चाहते हैं
कि
मजिस्ट्रियल
जांच हो और
विद्यार्थियों
को न्याय मिल
पाये, हमारी
छवि भी खराब न
हो, इस
तरह की कानूनी
कार्यवाही हो
कि जिससे हमारे
मध्यप्रदेश
में पूरे देश
के कोने-कोने
से यहां विद्यार्थी
आते हैं, तो एक अच्छा
संदेश जाये, नहीं
तो हमारे राज्य
का नाम खराब
हो जायेगा और
विद्यार्थियों
के ऊपर जो आपराधिक
प्रकरण हैं, वह
वापिस लिये
जायें.
श्री
इन्दर सिंह
परमार -
माननीय अध्यक्ष
महोदय, कार्यवाही
चालू कर दी गई
है,
नोटिस जारी
करना उसी का
एक हिस्सा है
और क्योंकि
उसमें यह
प्रावधान है
कि सात
दिन के नोटिस
करने के बाद, जो
हमने 41 (2) की
कार्यवाही की
है. वह बहुत
सख्त
कार्यवाही
होगी और मैं
समझता हूँ कि
उसके कारण से
सारे जो विषय
हैं, प्रबंधन
एक तरफ हो
जायेगा और जो
छात्रों की शिकायतों
का निराकरण
करने तक, हम उस
व्यवस्था
को
नियमानुसार
जारी रखेंगे.
अध्यक्ष
महोदय - श्री
हेमन्त सत्यदेव
कटारे जी.
श्री
हेमन्त सत्यदेव
कटारे (अटेर) - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, आज
मंगलवार का
दिन है, बजरंग
बली का दिन है, जय
बजरंग बली जी
की. हमारे देश
में एक स्थान
ऐसा है, जहां पर
बजरंग बली का
नाम लिया जाता
है, तो
उनके ऊपर
कार्यवाही की
जाती है, 5,000 रुपये का
फाईन लगाया
जाता है और
दंडात्मक
कार्यवाही की
जाती है, यह वही
संस्थान है,
जिसका अभी
माननीय
मंत्री जी
अपने जवाब में
उल्लेख कर
रहे थे. मैं
बताना चाहता
हूँ कि दिनांक
8.7.2022 को
वहां के
छात्रों ने
बजरंग बली के
नाम का स्मरण
किया और इसके
लिए उनपर
दंडात्मक
कार्यवाही की
गई. श्री
कैलाश
विजयवर्गीय जी
अभी यहां नहीं
है, वह
सुबह मोदी राज
और डॉ. मोहन
राज के बारे
में बता रहे
थे, तो
शायद राम राज्य
की ऐसी कल्पना
हम कभी नहीं
कर सकते कि
जहां हनुमान
जी का नाम
लेने पर ऐसी
कार्यवाही हो.
मैंने तो देश में
ऐसा कभी नहीं
देखा है, इससे
बड़ा
दुर्भाग्य
हो नहीं सकता
है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो वीआईटी यूनिवर्सिटी बनी हुई है, यह किले की तरह बनी हुई है और सच बात तो यह है कि इस किले के अन्दर माननीय मंत्री जी का भी हस्तक्षेप नहीं है, प्रशासन का भी कोई हस्तक्षेप नहीं है और यह जांच रिपोर्ट में आया है, माननीय मंत्री जी ने जो पढ़ी होगी, दिनांक 1 को जांच रिपोर्ट सबमिट हुई, उसमें यह उल्लेख है कि तीन सदस्यीय जांच दल वहां पर गया, उन्होंने जो जांच में पाया, पूरा विस्तृत रूप से दिया गया है. साउथ की एक पिक्चर थी- केजीएफ कोलार गोल्ड फील्ड, वहां पर ऐसा होता था कि लोगों को बंधुआ मजदूर बनाकर काम करवाते थे, लगभग-लगभग वही स्थिति यहां पर छात्रों की है. मैं आपको एक उदाहरण बताना चाहूँगा कि जब भी कोई छात्र वहां पर प्रवेश लेता है, तो प्रवेश लेने के पहले छात्र को यह बॉण्ड भरकर देना अनिवार्य होता है. यह माननीय मंत्री जी के भी संज्ञान में होगा. मैं इस बॉण्ड की सिर्फ एक लाइन पढ़ देता हूँ, जिससे की पता लग जायेगा कि वहां किस प्रकार की गतिविधियां चल रही हैं ? बॉण्ड में लिखा हुआ है कि ''I Consent to permit the tracing doctor to collect and store blood, urine samples and also to disclosed the result to VIT Bhopal if necessary.'' मतलब छात्रों से जब चाहें, तब उनका यूरिन सैम्पल ले लेंगे, जब चाहें उनका ब्लड सैम्पल ले लेंगे, अनिवार्य है और अब खास बात यह है कि यह कौन लेगा ? यह लेगा निश्चित रूप से कोई डॉक्टर या नर्सिंग स्टॉफ का व्यक्ति लेगा.
अंदर
एक क्लिनिक
बना हुआ है. ये
जो क्लिनिक
बना हुआ है,
क्लिनिक के
मापदण्ड
होते हैं कि
जो सीएमएचओ
होता है,
जब तक वह
अनुमति नहीं
देगा, तब तक ऐसी
कोई भी क्लिनिक
संचालित नहीं
हो सकती. मध्यप्रदेश
शासन ने इस
तरह के किसी
भी क्लिनिक
की वहां पर
अनुमति नहीं
दी है. अब
गंभीर बात यह
है कि जब
सीएमएचओ वहां
जांच करने के
लिए जाते हैं
तो माननीय
मंत्री जी को
पता है, यह
रिपोर्ट में
भी आया है कि
सीएमएचओ को 2
घण्टे
दरवाजे के
बाहर खड़ा
रहना पड़ता
है. सीएमएचओ
सड़क पर बैठा
है, जो सीहोर
का प्रमुख
अधिकारी है.
यह जांच की
रिपोर्ट में
है. वह दरवाजे
के अंदर नहीं
घुस सकता.
मजाल है कि
घुस जाए क्योंकि
वीआईटी, वेल्लोर
वाले बहुत
बड़े व्यापारी
हैं. कोई बहुत
मोटा समझौता
होगा कि सीएमएचओ
अंदर नहीं घुस
सकता तो मेरा
पूछना यह है
कि क्या
सीएमएचओ के
शासकीय कार्य
में बाधा उत्पन्न
करने के बराबर
यह नहीं है ? आमजनों
पर तो तुरंत
कार्यवाही
होती है.
तुरंत केस
दर्ज होते
हैं. यहां पर
नोटिस देकर
आपने उनको एक
तरीके से समय
दे दिया कि
विधान सभा तब
तक खत्म हो
जाएगी, आगे देखा
जाएगा, कार्यवाही
होनी है कि
नहीं होनी है.
जो सबसे महत्वपूर्ण
चीज है, इनके
पीएचई की जो
रिपोर्ट आई है,
स्वयं
माननीय
मंत्री जी ने
अपने उत्तर
में कबूल किया,
स्वीकार
किया कि वहां
पर पेयजल जो
है, उसमें
बैक्टेरिया
पाया गया और
वह पानी पीने
के लिए सुरक्षित
नहीं था.
माननीय
मंत्री जी,
तीन साल से क्यों
पिला रहे थे,
इसका भी तो
उत्तर आना
चाहिए. वह कल
तो एकदम से
अशुद्ध हुआ
नहीं है.
माननीय अध्यक्ष
महोदय, अशुद्ध
जल तो वह
सालों से चला
आ रहा था और जो
पांच साल से
वे यह पानी पी
रहे थे, इसका
दोषी कौन है.
मैं नहीं
बोलता इसमें
आपका दोष है,
सरकार का दोष
है, मैं
मानता हूँ कि
इसमें सबसे
बड़ा यदि किसी
का दोष है तो
वह संस्थान
का दोष है.
संस्थान के
अंदर आप घुस
नहीं सकते.
आपके सीएमएचओ
अंदर घुस नहीं
सकते. यह
रिपोर्ट में
है तो ये लोग
डिग्रियां
बेच रहे हैं,
भोपाल के नाम
से, लिखते
हैं, वीआईटी,
भोपाल...
अध्यक्ष
महोदय -- आप
प्रश्न तो
करें.
श्री
हेमन्त सत्यदेव
कटारे --
माननीय अध्यक्ष
महोदय, मेरा
प्रश्न आने
दीजिए. जो
रिकॉर्ड पर
बात नहीं आई
है, वह लेकर आ
रहा हूँ. जो आ
गई है, उसको
नहीं
दोहराऊँगा.
वीआईटी, भोपाल के
नाम से इन्होंने
इंस्टीट्यूट
खोला है और
भोपाल के नाम
की डिग्री बेच
रहे हैं,
यहां से 100
किलोमीटर दूर
जाकर के सीहोर
में, तो यह भी
एक फोरजरी है
तो मैं सीधे
प्रश्न पूछ
लेता हूँ.
मेरा माननीय
मंत्री महोदय
से पहला प्रश्न
यह है कि
धार्मिक
भावनाओं को
भड़काया,
एक चीज. दूसरी
बात, सीएमएचओ
को ढाई घण्टे
दरवाजे पर रोक
करके शासकीय
कार्य में
बाधा उत्पन्न
किया, दूसरी
गैर-जमानती
धारा बनती है.
एक फर्जी क्लिनिक
का संचालन
अंदर हो रहा
है, तीसरी
गैर-जमानती
धारा इस पर भी
बनती है. जो वे एड्रेस
का
फर्जीवाड़ा
करके स्टूडेन्ट्स
को भ्रमित कर
रहे हैं,
ऐसी चार-चार
धाराएं
सीआरपीसी के
अंतर्गत,
बीएनएस के
अंदर धाराएं
बनती हैं तो
माननीय मंत्री
जी, क्या आप
इनके डायरेक्टर
के ऊपर, क्योंकि
सिर्फ एक के
ऊपर एफआईआर
दर्ज हुई है.
क्या इनके
डायरेक्टर,
सोसाइटी के
मेंबर्स और
रजिस्ट्रार,
इन सबके ऊपर
एफआईआर दर्ज
करके सख्त
कार्यवाही
करेंगे या बच्चों
के ऊपर ही
एफआईआर दर्ज
होगी ?
श्री इंदर सिंह परमार -- यह बात सही है कि वहां लगातार शिकायतें मिल रही थीं और उसके कारण लंबे समय से बच्चों में एक बड़ा आक्रोश बन गया था और यह बात भी सही है कि वहां बाहर का व्यक्ति सामान्य परिस्थिति में कोई जा नहीं सकता. पूर्व में एक घटना हुई थी, उस समय भी उनके खिलाफ कार्यवाही की गई थी और अभी इस बार सीएमएचओ की और सारी बातें आई हैं क्योंकि यह जिला प्रशासन के निर्देश पर हमने सबसे पहले कलेक्टर को और हमारे वहां के एसपी से मेरी खुद की बात हुई, हमारे एसीएस की बात हुई और हमने उन्हें इनवॉल्व किया क्योंकि सामान्यतया समिति को भी वहां जाने में मुश्किल पैदा की गई है. समिति की पूरी विस्तृत रिपोर्ट है जो सबके सामने सार्वजनिक हो चुकी है, इसलिये मैं उस पर ज्यादा चर्चा नहीं करना चाहता हूं लेकिन यह बात सही है कि वहां पर जो व्यवस्था है, वह मानवीय दृष्टिकोण से सही नहीं थी और इसलिये हम सख्त कदम उठाने पर मजबूर हुए क्योंकि जैसे ही कमेटी की रिपोर्ट आई, हमने तत्काल मुख्यमंत्री जी से बात की और उसी दिन निर्णय किया था कि इसके आधार पर हमको आगे कार्यवाही करनी चाहिये ताकि प्रबंधन को भी समझ में आ जाये और जिस प्रकार से यदि और भी विश्वविद्यालय इस प्रकार से यदि बच्चों के साथ व्यवहार करते हैं, उनको भी समझ में आ जाए कि सरकार की ओर से कार्यवाही की जाएगी. सख्त से सख्त, जो उस एक्ट में प्रावधान है, उसके लिए हम कार्यवाही करेंगे और जो तथ्य हैं, तथ्य की जांच में सब चीजें आ गई हैं. लेकिन क्योंकि जिला प्रशासन भी इनवॉल्व है, कलेक्टर, एसपी भी इनवॉल्व हैं, सीएमएचओ को भेजने का काम उन्होंने किया था और यदि उनको ऐसा लगता है कि उन पर शासकीय कार्य में बाधा की कार्यवाही होनी चाहिए तो सीएचएमओ को स्वयं और कलेक्टर को मिलकर के कराना चाहिए थी, मुझे लगता है कि वह शायद कार्यवाही नहीं की गई है. हम एक बार कलेक्टर से आग्रह करके, उसके लिए भी कहेंगे कि इनकी ओर से भी शासकीय कार्य में जो बाधा उत्पन्न की गई है, उसको प्रवेश नहीं दिया गया है या और भी अन्य शासकीय अधिकारियों को प्रवेश नहीं दिया गया है. उस मामले को लेकर भी वहां के प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- सेकण्ड सप्लीमेंट्री कोई, वैसे तो आपके तीन-चार प्रश्न आ गए हैं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, अभी नहीं आए. इतना बड़ा विषय है, छात्र हित का विषय है, थोड़ा सा समय दीजिएगा.
माननीय मंत्री जी ने सारी बातों को स्वीकार किया किन्तु उन्होंने जो शब्दावली चुनी कि हम कलेक्टर से आग्रह करेंगे तो मैं उनके दायित्व को याद दिलाना चाहूंगा आप निर्देशित करें आप आग्रह मत करो आप निर्देशित कीजिये सीएमएचओ कि वह जाकर एफआईआर दर्ज कराये और उनको करानी पड़ेगी आप कलेक्टर को निर्देशित कीजिये आप मंत्री हैं इसलिये उस आग्रह शब्द को बदलकर निर्देशित में तब्दील में किया जाये और यह आपका आश्वासन के रूप में मैं ले रहा हूं सदन में और जल्दी ही इनके ऊपर एफआईआर दर्ज होगी और यह क्रिमिनल एफेंस है इसमें कोई नोटिस नहीं चाहिये इसमें वीएऩएस की धाराओं में क्रिमिनल एफेंस के तहत आप सीधे एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं अब मैं दूसरे प्रश्न पर आ रहा हूं.दूसरा प्रश्न आपके भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं गोपाल सिंह इंजीनियर जी काफी समय से वह सवाल उठा रहे हैं इस संस्था के ऊपर भी.एबीवीपी के लोगों ने सवाल उठाए तो उन बेचारों के ऊपर भी एफआईआर दर्ज कर दी वह तो जाना बंद कर गये. बजरंग दल ने सवाल उठाए दरवाजे के बाहर से उनको अंदर नहीं घुसने दिया और आपके खुद के भारतीय जनता पार्टी के विधायक ने प्रश्न कई बार लगाया लेकिन उनकी बात को अनसुनी कर दिया. उनके उत्तर में जानकारी आई है कि जो बिल्डिंग वहां ब नी हुई हैं उनकी अनुमति नहीं ली गई है सिर्फ आवेदन देकर बिल्डिंग बना दी तो अवैध निर्माण हैं. फायर एनओसी ली नहीं गई है इतनी बड़ी आगजनी नहीं होती अगर फायर एनओसी और फायर के प्रावधान होते. नगर पालिका के ड्यूज नहीं दिये गये. यह जेन-जी का पहला आंदोलन देश में एक छोटा सा जेन-जी का आंदोलन ऐसा जनता का मानना है. सबसे गंभीर बात आपके संज्ञान में लाना चाहूंगा मेरे विधायक साथी आदरणीय जयवर्द्धन सिंह जी सदन में मौजूद हैं उन्होंने एक प्रश्न लगाया मार्च सत्र में उसका जो जवाब आया उसका असत्य उत्तर सदन के पटल पर रखा गया इस वीआईटी को संरक्षण देने के लिये. उन्होंने पूछा एक शिकायत दर्ज की गई. हमारा एनएसयूआई का कार्यकर्ता रवि परमार ने यूजीसी को एक शिकायत की. वह शिकायत भी इतनी गंभीर थी कि जो वाईस चांसलर है वह अयोग्य है वह भी मंत्री जी के संज्ञान में है. उसकी शिकायत के ऊपर यूजीसी ने उच्च शिक्षा विभाग को लिखा और उसके ऊपर लिखा कि शीघ्र,अतिशीघ्र इस डाक को पहुंचाया जाए. उसका मेल भी सर्कुलेट किया आफीशियल वेबसाईट से लेकिन मंत्री जी के विभाग के अधिकारियों द्वारा जो जवाब दिया गया उसमें कहा गया कि ऐसी कोई शिकायत नहीं की गई जबकि वह शिकायत मेरे पास है. वह शिकायत यूजीसी के आफीशियल मेल के द्वारा भेजी गई है तो सदन में वीआईटी को बचाने के लिये असत्य उत्तर दिया जा रहा है. यदि मंत्री जी इस विषय को लेकर संवेदनशील हैं तो जो तीन हजार बच्चों के भविष्य की बात आई है जो तीन हजार बच्चों पर एफआईआर दर्ज की गई है उसको तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिये छात्र हित में क्योंकि आगे चलकर यूनिवर्सिटी वाले इनको ब्लेकमेल करेंगे आप खुद स्वीकार कर रहे हैं शासन,प्रशासन वहां घुस नहीं सकता वह के.जी.एफ. है साउथ का यहां पर.दूसरा,बिल्डिंग परमीशन के बिना बिल्डिंग बनी है उन बिल्डिंगों को ध्वस्त किया जाना चाहिये. इनके लिये उदाहरण होना चाहिये कि ऐेसे मध्यप्रदेश में आकर कोई अवैध निर्माण नहीं करेगा साथ ही मेरा प्रश्न है मंत्री जी से साथ ही जो सदन में असत्य उत्तर दिया गया उसके लिये सदन के समक्ष आप माफी मांगेंगे और आपके अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही करेंगे.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में बहुत सारे विश्वविद्यालयों से शिकायत आई थी कि वहां पर पात्र लोग वाइस चांसलर नहीं हैं.हमने उस समय तत्काल कार्यवाही करके क्योंकि 38-39 विश्वविद्यालयों में वह शिकायत आई थी सबको समय दिया था कि 15-20 दिन में आप अपनी प्रक्रिया पूरी करके शासन को बताईये. उन्होंने क्रम से करके नियमानुसार पूर्ति कर ली है और जिन्होंने पूर्ति नहीं की थी उनके खिलाफ हमने नोटिस जारी करके कार्यवाही भी सुनिश्चित की है इसलिये लगातार जो ऐसी विसंगतियां विश्वविद्यालयों द्वारा की जा रही थीं उसको हमने ठीक मुकाम पर पहुंचाया. यह जरूर है कि हमने उन पर सख्ती न करते हुए उनको कहा कि आप 15-20 दिन में इसकी पूर्ति करिये और इसको ठीक करिये. रेगुलर व्यक्ति जो नियुक्त करना है वह नियम प्रक्रिया के अनुसार करिये. अभी माननीय सदस्य का कहना है अभी जो बिल्डिंग और सारी चीजें हैं हम एक बार फिर से पूरा जिस नियम के तहत् हम विश्वविद्यालयों को मान्यता देते हैं उसका जहां-जहां भी उल्लंघन किया होगा तो हमारे आयोग की फिर से एक कमेटी जायेगी और उन सारे बिन्दुओं को,क्योंकि इसमें और भी छूटा है आपसे भी छूट रहा है . इतना व्यापक है क्योंकि छात्रावासों के बारे में उसमें कुछ है नहीं जबकि वह छात्रावास चला रहे हैं तो उसके बारे में भी हम कुछ प्रावधान करने जा रहे हैं कि भविष्य में कोई भी छात्रावास चलायेगा तो शासन को उसकी जानकारी होना चाहिये और मान्यता लेते समय भी उसका कुछ उल्लेख उसमें होना चाहिये ताकि सरकार की जानकारी में कम से कम रहे कि वहां कैसा-कैसा होता था और उनको निरीक्षण के दायरे में भी लेने का करेंगे. प्रावधान जितना हमारा एक्ट में है यदि जरूरत पड़ी तो हम आगे भी प्रावधान में संशोधन करके इस बात को भी जोड़ने जा रहे हैं.
ताकि किसी भी
विश्वविद्यालय
द्वारा जिस
प्रकार
से VIT में घटना हुई
है और छात्रों
को बहुत ज्यादा
पानी जो
मूलभूत चीज है
वह बेसिक विषय
है उसको लेकर
के और यह
प्रश्न खड़े
हुये उनका
समाधान मिलना
चाहिये, समाज को भी
मिलना चाहिये
और छात्रों के
बीच में भी
जाना चाहिये, यह हमने
सरकार में
निर्णय किया
है.
जहां तक
एफआईआर का
विषय है
एफआईआर उन्होंने
की है, लेकिन वह
जांच में है.
मैं समझता हूं
कि एफआईआर
जांच में जो
बिंदु हैं
उस आधार पर
कोई आगे
बढ़ेगी नहीं, क्योंकि
अभी फाइनल
उसमें नहीं है, केवल जांच
में पेंडिंग
रखी गई है
जैसा आपने कहा
है उस प्रकार
हम आगे विचार
करेंगे.
श्री हेमन्त
सत्यदेव
कटारे-- छात्र
हित में यह जो 3
हजार बच्चों
का भविष्य
बर्बाद न हो
उस एफआईआर को
या तो निरस्त
किया जाये या
वापस लिया
जाये.
अध्यक्ष
महोदय-- एकाध
प्रश्न महेश
जी के लिये भी
छोड़ दें.
श्री इंदर
सिंह परमार-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
मैं आपको
विश्वास
दिलाता हूं कि
एक भी छात्र
का भविष्य
खराब नहीं
होगा क्योंकि
यह विश्वविद्यालय
के प्रबंधन के
कारण समस्या
पैदा हुई है, छात्रों के
कारण नहीं हुई
है,
इसलिये हमारी
सरकार
प्रतिबद्ध है
और किसी भी हालत
में छात्रों
के खिलाफ ऐसी
कार्यवाही नहीं
होगी जिससे
छात्रों का भविष्य
खराब हो जाये.
श्री हेमन्त
सत्यदेव
कटारे--
माननीय
मंत्री जी को
मैं धन्यवाद देना
चाहूंगा, उन्होंने
इस विषय पर
पूरी गंभीरता
से उत्तर
दिया, जहां
गलतियां थीं
उनको स्वीकार
किया और छात्र
हित में
निर्णय लिया.
बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष
महोदय--
मंत्री जी
बहुत
संवेदनशील
हैं.
उनकी रूचि की
कई बातें आपने
कहीं हैं.
श्री महेश
परमार (तराना)--
माननीय अध्यक्ष
जी,
मैं आपको बहुत
बहुत धन्यवाद
और साधुवाद
करता हूं.
हम तीनों
साथी आदरणीय
कटारे जी और
दिनेश जैन बोस
जी हमारे देश
और प्रदेश की
भावी पीढ़ी
जिनके भविष्य
से हमारा देश
आगे बढ़ेगा.
मैं बड़े दुख
के साथ ''सब सुख लहे
तुम्हारी
शरणा, तुम रक्षक
काहु को डरना'' हनुमान
चालीसा का पाठ
कर रहे थे, वीर बजरंग
बली हम सब
उनके सेवक हैं
और उनकी कृपा
से यहां
पहुंचे हैं.
ऐसे हमारे
छात्र साथी जो
हनुमान
चालीसा का पाठ
करने से रोकने
का काम कौन
शिक्षा
माफिया है जो
मध्यप्रदेश
की भगवान
श्रीकृष्ण
की
शिक्षा स्थली
उज्जैन इसको
कलंकित करने
का काम कौन है
वह पहले सदन
में माननीय
शिक्षा
मंत्री जी यह
बतायें. माननीय
अध्यक्ष जी, दो पड़ौसी
देश हमने देखे
नेपाल और एक
देश का नाम
मैं लेना नहीं
चाहूंगा क्योंकि
वह हमारे लायक
नहीं है वहां
छात्रों का
आंदोलन हमने
देखा क्या
स्थिति बनी और
वही छोटा
उदाहरण छोटी
फिल्म हमें
सीहोर में
देखने को मिली. आदरणीय
कटारे जी ने
कहा आदरणीय
अध्यक्ष जी
नियामक आयोग
इस
महाविद्यालय
की अनुमति
किसने दी
माननीय
मंत्री जी यह
बतायें. माननीय
मंत्री जी आज
पहली बार आपकी
विनम्रता
देखने को मिली, आप बहुत
आक्रामकता से
हर बात का
जवाब देते हैं
मुझे लगता है
बहुत बड़ा देश
का शिक्षा
माफिया कहीं न
कहीं आपके ऊपर
भी दवाब है, कान पकड़कर
क्षमा चाहते हुये.
अध्यक्ष
महोदय-- अब
प्रश्न तो
करो.
श्री महेश
परमार--
माननीय अध्यक्ष
महोदय मेरा
प्रश्न आपके
माध्यम से यह
है कि क्या
मंत्री जी जो
वर्तमान में VIT
प्रशासक हैं
उनको बर्खास्त
करके एक
प्रशासक
नियुक्त
करके उनकी
जांच होगी.
दूसरा मेरा एक
और प्रश्न है
क्या यह जांच
जब होगी जब वह
आपके सीएमओ को
अंदर नहीं
जाने देते.
आपको कलेक्टर
से निवेदन करना
पड़ेगा, आप वरिष्ठ
मंत्री हैं, तो कौन लोग
हैं तो क्या
पहले वहां
प्रशासक
नियुक्त करके
उसकी उच्च स्तरीय
जांच होगी, यह आप
सदन में
बतायें.
अध्यक्ष
महोदय-- सीएमओ
वाली बात का
जवाब तो वह दे
चुके हैं.
माननीय
मंत्री जी
बाकी प्रश्नों
का जवाब दें.
श्री इंदर
सिंह परमार-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय जो धारा
41(1) में हमने
नोटिस जारी
किया है और
धारा 41(2) का जो
पार्ट है वह
यही है कि
उसको हम सरकार
अपने
नियंत्रण में
लेकर के
कार्यवाही
करेंगे और
छात्रों के
प्रश्नों का
समाधान
करेंगे.
श्री महेश परमार-- माननीय अध्यक्ष जी, कब समय-सीमा, 4 हजार छात्र, यह तो धन्यवाद देता हूं मैं वहां के प्रशासन को कि यदि वही छात्र सीहोर सड़क पर आ जाते, यदि वही छात्र भोपाल की तरफ कूच कर देते उनके साथ और छात्र साथी इस आंदोलन में कूदते तो मध्यप्रदेश की स्थिति उच्च शिक्षा मंत्री जी आप संभाल नहीं पाते. पहले आप तारीख तय करें, बतायें यह सबसे महत्वपूर्ण मामला है. आप सोचिये बड़े-बड़े किलेनुमा, यह राजतंत्र नहीं है लोकतंत्र है माननीय मंत्री जी पहले आप बताइये कि कब तय करेंगे और कौन लोग हैं जिन्होंने इस विश्वविद्यालय की अनुमति दी उन लोगों का नाम भी पटल पर आना चाहिये और आपने स्वीकार किया कि बार-बार कई बार यह शिकायत आई तो जब आप उच्च शिक्षा मंत्री हैं और आप संवेदनशील हैं आपकी सरकार संवेदनशील है और यह भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली है तो पहले बतायें और दूसरा मेरा प्रश्न है माननीय अध्यक्ष जी कि क्या हर छोटे-छोटे मामले में हम विधान सभा स्तर की समिति बनाते हैं, क्या मध्यप्रदेश के विधायकों की समिति बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों की समिति बनाकर VIT जो विश्वविद्यालय है जो महाविद्यालय है वहां हमें जांच करने का मौका मिलेगा, क्योंकि सबसे गंभीर मामला है और यह हमारे मध्यप्रदेश की जो भावी पीढ़ी है उनके भविष्य के लिये खतरा है पूरे देश में कलंकित करने का काम यह विश्वविद्यालय कर रहा है. इन दोनों की समय सीमा निश्चित करें कि प्रशासक कब नियुक्त करेंगे और विधान सभा के हम तीनों सदस्यों को भी रखें और बाकी वरिष्ठ सदस्यों को भी रखें और आप स्वयं भी उसमें रहें, यह मेरा निवेदन है माननीय अध्यक्ष जी, यह बहुत गंभीर मामला है. मध्यप्रदेश में जो शिक्षा माफिया हैं वह उज्जैन हो हर जगह यही स्थिति है. आप देखेंगे नर्सिंग वाला मामला हो, नये-नये विश्वविद्यालय खुल रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय आपसे निवेदन है कि आप जवाब दिलाने की कृपा करें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष
महोदय -- मैं
समझता हूं कि
वैसे मंत्री
जी ने बहुत ही
विस्तार से
छोटी-छोटी
चीजों को भी
छुआ है, लेकिन
इसके बावजूद
भी जो विषय रह
गये हैं, निश्चित
रूप से उसको
भी आप गंभीरता
से लें और जो
जवाब रह गया
है,
वह मंत्री जी
आप दे सकते
हैं.
श्री
इंदर सिंह
परमार --
माननीय अध्यक्ष
महोदय, जो पहला
प्रश्न
माननीय सदस्य
का है,
उसका उत्तर
में दे चुका
हूं 41 (1) के सूचना
पत्र की
समयावधि 7 दिन
की निश्चित है, उसके बाद
हम 41(2) पर आगे
बढ़ेंगे, इसलिए
समयावधि
ऑटोमेटिक
उसमें आ जाती
है,
उसमें कुछ अलग
से कहने की
जरूरत नहीं
है. बाकी जो-जो विषय
हैं,
मैं समझता हूं
कि अब वह ऐसा
कैंपस हो
जायेगा कि जब
कोई
जनप्रतिनिधि
वहां जाना
चाहेगा तो उसको
वहां जाने की
व्यवस्था
रहेगी, ऐसी व्यवस्था
हम कर देंगे.
श्री
महेश परमार --
माननीय अध्यक्ष
महोदय, दस
विधायक साथी
वहां जाकर
देखें तो
स्थिति क्या
है?
यह बच्चों के
भविष्य का
मामला है, यह
शिक्षा
माफिया मध्यप्रदेश
को लूट रहे
हैं,
यह किसानों के
बेटे हैं, यह
मजदूरों के
बेटे हैं, यह गरीब वर्गों
के बेटे हैं, यह हर
वर्ग के बच्चे
हैं.
श्री
इंदर सिंह
परमार --
माननीय अध्यक्ष
महोदय, मध्यप्रदेश
की सरकार ने
हमारे मुख्यमंत्री
जी ने गंभीरता
के साथ में इस
प्रश्न को
लेते हुए, आपके सभी
प्रश्नों का
समाधान करते
हुए आज तक
किसी विश्वविद्यालय
के खिलाफ इतनी
कड़ी
कार्यवाही
नहीं हुई होगी, ऐसी
कार्यवाही हम
करने जा रहे
हैं.
केवल यह भाषण
का विषय नहीं
है,
यह छात्रों के
प्रश्नों के
समाधान का
विषय है, यह समाज
के प्रश्नों
के समाधान का
विषय है, इसलिए
मैं समझता हूं
कि सख्ती के
साथ हम
कार्यवाही कर
रहे हैं और जितना
विषय है, उससे ज्यादा
हटकर हम
कार्यवाही
करने जा रहे
हैं.
श्री
महेश परमार --
अध्यक्ष
महोदय, छात्रों
को दूषित पानी
पीना पड़ रहा
है.
अध्यक्ष
महोदय --
डॉ.अभिलाष
पाण्डेय जी
आप बोलें.
(2) प्रदेश
में 14 वर्ष से
कम आयु के बच्चों
में स्मार्टफोन
और इंटरनेट के
अनियंत्रित
उपयोग से उत्पन्न
स्थिति.
डॉ.
अभिलाष पाण्डेय
(जबलपुर-उत्तर)
-- अध्यक्ष
महोदय, यह विषय
वर्तमान की
चुनौती और
भविष्य की
भयावह समस्या
को लेकर है, इसलिए
मैंने यह ध्यानाकर्षण
आप सबके समक्ष
लाने का
प्रयास किया
है,
जो हर घर की
समस्या है और
हर जनमानस की
समस्या है, यह यहां
पर सदन में
बैठे हुए हर
व्यक्त्िा
की समस्या है.

महिला
एवं बाल विकास
मंत्री(सुश्री
निर्मला भूरिया)
– अध्यक्ष जी,

डॉ. अभिलाष पाण्डेय—माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी ने इस विषय को गंभीरता से भी लिया है, मंत्री जी ने जवाब भी व्यवस्थित रूप से दिया है. मैं सदन को यह बताना चाहता हूं कि जिस तरह से फसलों के उत्पादन को लेकर हमने जहरीले कीटनाशकों का उपयोग करना प्रारंभ कर दिया था. वह आज हमारे सामने भयानक समस्या बनकर देश के सामने खड़ी हो गई है जिसमें अब पीछे जाना संभव नहीं हो पा रहा है. उसी तरह से यह आने वाली पीढ़ी के लिये बड़ी चुनौती है. जिस तरह से जो बच्चे गेम वीडियो रील तेज आवाज में तथा उसमें रंग-बिरंगे चित्र देखते हैं उसमें बच्चों के अंदर डोपोमिन नाम का एक न्यूरो ट्रांसमीटर केमिकल आता है जिसके कारण उनका इस काम में मन लग जाता है. मैं मंत्री जी से यह आग्रह करता हूं कि यह जो विषय है शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विकास विभाग तीनों के विषय हैं, लेकिन ध्यानाकर्षण की भी अपनी एक मर्यादा है. माननीय मंत्री जी गाजियाबाद के एक सीएमएचओ ने एक एडवाईजरी जारी की है जिसमें बच्चों में टी.व्ही और मोबाइल को लेकर एक एडवाईजरी उन्होंने दी है. हमने यह बात सुनी है कि भय बिन प्रीत न होये गोसाईं. जब तक परिवारों को जागरूक नहीं करेंगे और जागरूकता के नाम परिवारों को यह बात में उनकी यह समस्या नहीं बताएंगे. उसी तरह से एक एम्स की भी रिपोर्ट है यह भयानक इसलिये समस्या है कि हर परिवार की समस्या मेरे और आपके घर की भी समस्या है. एक रिपोर्ट एम्स से जारी की है जिसको कहते हैं मायोपिया यह मायोपिया की जो बीमारी है उन्होंने पिछले 20 साल का सर्वे किया है जो 2001 में 7 प्रतिशत थी जिसमें आंख में चश्मा लगता है. पहले 18 से 20 साल के बच्चे को लगता था अब 10 से 12 साल के बच्चों में यह समस्या आ रही है. 2001 में 7 प्रतिशत थी, 2011 में 13.5 प्रतिशत थी, 2021 में यह 21 प्रतिशत है. मतलब आप यह सोचिये कि तीन गुना से ज्यादा वृद्धि वर्तमान समय में आ गई है. इसी के साथ साथ एक एडवाईजरी और एक रिपोर्ट और आयी है. जिसमें स्मार्ट फोन यूजर्स पूरे विश्व के अंदर एक रिपोर्ट है जिसमें देश में 10 से 14 साल के बच्चे 83 प्रतिशत बच्चे अब डिजीटल मोबाइल का उपयोग कर रहे हैं जो दुनिया में 76 प्रतिशत है. लेकिन 7 प्रतिशत ज्यादा हमारे भारत के अंदर है. यह आने वाले समय की भारत की भयानक समस्या है. इसलिये मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं मंत्री जी से देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी ने अपने मन की बात में कहा था नो गेजेट जोन हम बनाएंगे. मैं मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि नो गेजेट जोन की मन की बात में आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने देश से आग्रह किया है. क्या हम मध्यप्रदेश के अंदर भी इस तरह का जन-जागरण अभियान चला सकते हैं ? नो गेजेट जोन के लिये परिवार को अनिवार्य रूप से निवेदन करें. अध्यक्ष महोदय, एक बात बताते हुए एक विषय बताना चाहता हूं कि मैं एक बार ट्रेन में सफर कर रहा था. एक तीन के बच्चे को खाना खिलाने के लिये चार लोग लगे थे उनकी मम्मी उनको खाना खिला रही थीं, बड़ा भाई मोबाइल दिखा रहा था और दादा दादी उनको समझा रहे थे. इस तरह की स्थितियां हर घर की हैं. इसी तरह से एक बड़ा काम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने किया है जो अपने 100 साल में पंच परिवर्तन की बात उन्होंने कही है जिसके अंदर कुटुम्ब प्रबोधन भी एक बड़ा विषय है महिला बाल विकास की दृष्टि से यदि सामूहिक परिवार की कल्पना हम करेंगे तो मुझे लगता है कि बच्चों में जिस तरह का अवसाद और एकांगी रहने का समय आ रहा है. मैं मानता हूं कि इस दिशा पर आगे बढ़ेंगे तो निश्चित तौर पर मंत्री जी मेरा निवेदन है कि इस विषय को अत्यंत गंभीरता से लीजिये, क्योंकि यह हमारी भविष्य की दृष्टि से समस्या है. हम हमेशा कहते हैं वर्तमान की चिन्ता भविष्य के सपने हमारी आंखों में होना चाहिये. इसलिये मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इसको लेकर के एक कड़ी एडवाईजरी और कड़े कानून के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय—आपकी बात गंभीरता के साथ विस्तार से आ गई है. मैं समझता हूं कि मंत्री जी इसको गंभीरता से लेंगे इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिये.
श्रीमती निर्मला भूरिया—अध्यक्ष महोदय, बहुत ही गंभीर विषय की ओर माननीय सदस्य द्वारा ध्यानाकर्षित किया है उससे हर परिवार प्रभावित हो रहा है चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र में रह रहा हो या नगरीय क्षेत्र में रह रहा हो इसके लिये जागरूकता की बहुत जरूरत है तथा सामाजिक जागरूकता की भी जरूरत है. इसके लिये महिला एवं बाल विकास विभाग निरंतर जाकर के प्रयास कर रहा है. लेकिन इसके लिये मैं सबसे आग्रह करना चाहती हूं कि हम सबको मिलकर के प्रयास करना पड़ेगा और यह चीजें हम अपने सामने होते हुए देख रहे हैं, तो मेरा यही आग्रह है कि हम सब मिलकर के हम प्रयास करेंगे. माननीय मुख्यमंत्री जी भी यही चाहते हैं, हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी भी यही चाहते हैं तो जरूर से जरूर हम करेंगे. बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.
अभिलाष
पाण्डेय—माननीय
अध्यक्ष जी,
माननीय
मंत्री जी
आपका बहुत
बहुत धन्यवाद.
4.05 बजे अनुपस्थिति
की अनुज्ञा
निर्वाचन
क्षेत्र
क्रमांक-52-बिजावर
से निर्वाचित
सदस्य, श्री
राजेश कुमार शुक्ला
(बबलू भैया), को विधान
सभा के दिसम्बर, 2025 सत्र
की बैठकों
अनुपस्थित
रहने विषयक.
4.06 बजे
प्रतिवेदनों
की प्रस्तुति
(1) याचिका
एवं अभ्यावेदन
समिति का
याचिकाओं से
संबंधित नवम्
एवं चतुर्दश
विधानसभा का
कार्यान्वयन
से संबंधित
सप्तम्
प्रतिवेदन
तथा अभ्यावेदनों
से संबंधित
बयालीसवां,
तैतालीसवां
एवं
चवालीसवां
प्रतिवेदन

(2) शासकीय
आश्वासनों
संबंधी समिति
का पन्द्रहवां, सोलहवां, सत्रहवां, अठारहवां, उन्नीसवां, बीसवां, इक्कीसवां
एवं बाईसवां
प्रतिवेदन

(3) कृषि, विकास
समिति का षष्ठम्
कार्यान्वयन
प्रतिवेदन

04.07 बजे
याचिकाओं
की प्रस्तुति
अध्यक्ष
महोदय -- आज की
कार्यसूची के
पद क्रमांक 6 के
सरल क्रमांक 1
से 59 तक में उल्लिखित
याचिकाएं सदन
में प्रस्तुत
की हुई मानी
जाएंगी.
मैं
सभी सदस्यों
के नाम पढ़
रहा हॅू.
1. डॉ.हिरालाल
अलावा जी,
2. श्री
अनिल जैन जी,
3. श्री
विजय रेवनाथ
चौरे जी,
4. श्री
राजेश कुमार
वर्मा जी,
5. श्री
पंकज उपाध्याय
जी,
6. श्री
गोपाल सिंह
इंजीनियर,
7. श्री
श्रीकान्त
चतुर्वेदी जी,
8. श्री
यादवेन्द्र
सिंह जी,
9. श्री
विश्वनाथन
सिंह मुलाम
भैया जी,
10. श्री
प्रहलाद लोधी
जी,
11. श्री
बिसाहूलाल
सिंह जी,
12. श्री
नितेन्द्र
बृजेन्द्र
सिंह राठौर जी,
13. श्री
सोहनलाल बाल्मीक
जी,
14. श्री
भैरोसिंह
बापू जी,
15. श्री
मोंटू सोलंकी
जी,
16. श्री
रमेश प्रसाद
खटीक जी,
17. श्री
शैलेन्द्र
कुमार जैन जी,
18. श्री
विपीन जैन जी,
19. श्री
मोहन सिंह
राठौर जी,
20. डॉ.सीतासरन
शर्मा जी,
21. श्री
ब्रजेन्द्र
प्रताप सिंह
जी,
22. श्री
हजारीलाल
दांगी जी,
23. श्री
मधु भगत जी,
24. श्री
हेमंत सत्यदेव
कटारे जी,
25. डॉ.सतीश
सिकरवार जी,
26. श्रीमती
अनुभा
मुंजारे जी,
27. डॉ.राजेन्द्र
पाण्डेय जी,
28. श्री
दिनेश गुर्जर
जी,
29. श्री
आतिफ आरिफ
अकील जी,
30. श्री
राजन मण्डलोई
जी,
31. डॉ.चिन्तामणि
मालवीय जी,
32. श्री
कालु सिंह
ठाकुर जी,
33. श्री
फूलसिंह
बरैया जी,
34. श्री
दिनेश राय
मुनमुन जी,
35. श्री
साहब सिंह
गुर्जर जी,
36. श्री
घनश्याम चन्द्रवंशी
जी,
37. श्री
सिद्धार्थ
सुखलाल
कुशवाह जी,
38. श्री
अभय मिश्रा जी,
39. श्री
मुकेश टंडन जी,
40. श्री
प्रणय प्रभात
पांडे जी,
41. इंजीनियर
प्रदीप
लारिया जी,
42. श्री
नारायण सिंह
पट्टा जी,
43. डॉ.रामकिशोर
दोगने जी,
44. श्री
दिनेश जैन बोस
जी,
45. श्रीमती
चंदा सुरेन्द्र
सिंह गौर जी,
46. श्री
दिलीप सिंह
परिहार जी,
47. श्री
मथुरालाल
डामर जी,
48. श्री
राजेन्द्र
भारती जी,
49. श्री
प्रताप
ग्रेवाल जी,
50. श्रीमती
सेना महेश
पटेल जी,
51. श्री
केदार
चिड़ाभाई
डाबर जी,
52. श्री
सुरेन्द्र
सिंह हनी बघेल
जी,
53. श्री
कामाख्या
प्रताप सिंह
जी,
54. श्री
प्रदीप
अग्रवाल जी,
55. डॉ.राजेन्द्र
कुमार सिंह जी,
56. श्री
सुरेश राजे जी,
57. श्री
बाला बच्चन
जी,
58. श्री
विवेक विक्की
पटेल जी,
एवं
59. श्री
बृज बिहारी
पटैरिया जी.
अध्यक्ष
महोदय -- आज की
कार्यसूची के
पद क्रमांक 6 के
सरल क्रमांक 1
से 59 तक में उल्लिखित
याचिकाएं सदन
में प्रस्तुत
की हुई मानी
जाएंगी.
मैं
सभी सदस्यों
के नाम पढ़
रहा हॅू.
डॉ.हिरालाल
अलावा जी,
श्री अनिल जैन
जी, श्री विजय
रेवनाथ चौरे
जी,
श्री राजेश
कुमार वर्मा
जी,
श्री पंकज
उपाध्याय जी,
श्री गोपाल
सिंह
इंजीनियर,
श्री
श्रीकान्त
चतुर्वेदी जी,
श्री यादवेन्द्र
सिंह जी, श्री
विश्वनाथन
सिंह मुलाम
भैया जी, श्री
प्रहलाद लोधी
जी,
श्री
बिसाहूलाल
सिंह जी, श्री
नितेन्द्र
बृजेन्द्र
सिंह राठौर जी,
श्री सोहनलाल
बाल्मीक जी,
श्री
भैरोसिंह
बापू जी, श्री
मोंटू सोलंकी
जी,
श्री रमेश
प्रसाद खटीक
जी,
श्री शैलेन्द्र
कुमार जैन जी,
श्री विपीन
जैन जी, श्री
मोहन सिंह
राठौर जी,
डॉ.सीतासरन
शर्मा जी,
श्री ब्रजेन्द्र
प्रताप सिंह
जी,
श्री
हजारीलाल
दांगी जी,
श्री मधु भगत
जी,
श्री हेमंत
सत्यदेव
कटारे जी,
डॉ.सतीश
सिकरवार जी,
श्रीमती
अनुभा
मुंजारे जी,
डॉ.राजेन्द्र
पाण्डेय जी,
श्री दिनेश
गुर्जर जी,
श्री आतिफ
आरिफ अकील जी,
श्री राजन मण्डलोई
जी,
डॉ.चिन्तामणि
मालवीय जी,
श्री कालु
सिंह ठाकुर जी,
श्री फूलसिंह
बरैया जी,
श्री दिनेश
राय मुनमुन जी, श्री
साहब सिंह
गुर्जर जी,
श्री घनश्याम
चन्द्रवंशी
जी,
श्री
सिद्धार्थ
सुखलाल
कुशवाह जी,
श्री अभय
मिश्रा जी,
श्री मुकेश
टंडन जी, श्री
प्रणय प्रभात
पांडे जी,
इंजीनियर
प्रदीप
लारिया जी,
श्री नारायण
सिंह पट्टा जी,
डॉ.रामकिशोर
दोगने जी,
श्री दिनेश
जैन बोस जी, श्रीमती
चंदा सुरेन्द्र
सिंह गौर जी,
श्री दिलीप
सिंह परिहार
जी,
श्री
मथुरालाल
डामर जी, श्री
राजेन्द्र
भारती जी,
श्री प्रताप
ग्रेवाल जी,
श्रीमती सेना
महेश पटेल जी,
श्री केदार
चिड़ाभाई
डाबर जी, श्री
सुरेन्द्र
सिंह हनी बघेल
जी,
श्री कामाख्या
प्रताप सिंह
जी,
श्री प्रदीप
अग्रवाल जी,
डॉ.राजेन्द्र
कुमार सिंह जी,
श्री सुरेश
राजे जी, श्री
बाला बच्चन
जी,
श्री विवेक
विक्की पटेल
जी,
एवं श्री बृज
बिहारी
पटैरिया जी.
4.10 बजे
7. वक्तव्य
दिनांक
5 अगस्त, 2025 को
पूछे गये
परिवर्तित
अतारांकित
प्रश्न
संख्या 117
(क्रमांक 2856) के
उत्तर में
संशोधन करने
के संबंध में.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री ( श्री चेतन्य कुमार काश्यप)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा वक्तव्य इस प्रकार है-

4.12 बजे
8.

4.13 बजे
9.

4.14 बजे
शासकीय
विधि विषयक
कार्य
मध्यप्रदेश
दुकान तथा स्थापना
(द्वितीय
संशोधन)
विधेयक,2025 (क्रमांक
19 सन् 2025)
श्रम
मंत्री (श्री
प्रहलाद सिंह
पटेल)- अध्यक्ष
महोदय, मैं प्रस्ताव
करता हूं कि
मध्यप्रदेश
दुकान तथा स्थापना
(द्वितीय
संशोधन)
विधेयक, 2025 पारित
किया जाय.
अध्यक्ष
महोदय- प्रस्ताव
प्रस्तुत
हुआ.
श्री फूल
सिंह बरैया-
अनुपस्थित.
श्री
शैलेन्द्र
कुमार जैन(सागर)
- माननीय अध्यक्ष
महोदय, मध्य
प्रदेश दुकान
तथा स्थापना
अधिनियम की
धारा- 2, 6, 7, 8, और 41 में जो
संशोधन प्रस्तावित
हैं, यह
संशोधन ना
केवल मध्यप्रदेश
दुकान तथा स्थापना
अधिनियम- 1958 के
तहत जो संस्थाएं
संचालित हैं, जो
छोटी दुकानें
संचालित हैं,
थिएटर्स हैं,
छोटे होटल्स
हैं,
रेस्टोरेंट्स
हैं,
ऐसे तमाम
लोगों को उनके
कार्यों में
सुविधा देने
की दृष्टि से
कुछ समुचित
संशोधन किये
गये हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं उनका समर्थन करता हूं. खासतौर से जो छोटे संस्थान होते हैं, उन छोटे संस्थानों में आये दिन यह समस्या होती है कि लेबर इंस्पेक्टर कभी भी किसी भी समय ऐसी संस्थाओं में प्रवेश करके और अनुचित दबाव बनाकर उन संस्थाऩ के मालिकों से अनुचित तरीके से उनसे लाभ प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं. इसमें मंत्री जी ने यह जो महत्वपूर्ण संशोधन प्र्स्तावित किया है कि जिन संस्थाओं में 20 या 20 से कम कर्मचारी कार्यरत् हैं, इन संस्थाओं के निरीक्षण के लिये लेबर इंस्पेक्टर को अब लेबर कमिश्नर या उनके द्वारा अधिकृत किये गये सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त करने के पश्चात् ही ऐसी संस्थाओं में वे प्रवेश कर पायेंगे. यह निश्चित रुप से एक स्वागत योग्य संशोधन होगा. मैं समझता हूं कि इससे छोटे दुकानदार और छोटी संस्थाओं पर अनुचित दबाव बनाकर जो लाभ प्राप्त करने की एक गलत परम्परा है, उससे निजात मिलेगी. एक संशोधन और जो इसमें प्रस्तावित है. अब ऐसी संस्थाओं को मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना अधिनियम, 1958 के तहत जो पंजीयन कराना होता है, वह पंजीयन के लिये बहुत परेशानियां होती थीं, ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते थे. बहुत समय जाया होता था. अर्थ की भी बर्बादी होती थी. इन तमाम पंजीयन को ऑनलाइन करने की व्यवस्था बनाई गयी है. न केवल ऑनलाइन संस्थाओं के पंजीयन हो पायेंगे. अगर कोई संस्थान अपने संस्थान के स्ट्रक्चर में या नाम में कोई संशोधन करना चाहे, तो संशोधन के लिये भी ऑनलाइन की व्यवस्था है. वह तमाम संशोधन ऑनलाइन किये जा सकते हैं. ऐसे संस्थान जो डिफंक्ट हो गये हैं या काम नहीं कर रहे हैं, किसी कारण से बंद हो गये हैं, ऐसी संस्थाओं को अपने ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से 10 दिन के अंदर वहां पर इंटीमेट करने की आवश्यकता होगी और 10 दिन के अंदर जैसे ही वह इंटीमेट होंगे कि वह संस्थाएं जो डिफंक्ट हो गई हैं, बंद हो गयी हैं, उन संस्थाओं का नाम सूची से बाहर कर दिया जायेगा, निकाल दिया जायेगा. तो एक बहुत अच्छी व्यवस्था जो है ऑनलाइन पद्धति से पोर्टल के माध्यम से यह किया जा सकेगा. यह भी एक बहुत अच्छा संशोधन है, मैं उसके लिये भी समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, अभी यह तमाम संशोधन इत्यादि के लिये 250 रुपये फीस का प्रावधान वर्तमान में प्रचलन में है. लेकिन आगे भविष्य की दृष्टि से कभी आवश्यकता पड़ेगी तो उसमें कोई परिवर्तन करने के लिये हमें पुनः सदन के लिये आने की आवश्यकता न हो, सदन का समय जाया न हो बहुत छोटी चीजे के लिये. इसलिये इसे ढाई हजार रुपये तक प्रावधानित किया गया है. मैं समझता हूं कि यह बहुत ही उपयोगी संशोधन है. इससे निश्चित रुप से मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना अधिनियम के तहत संचालित होने वाली जो संस्थाएं हैं, उन्हें निश्चित रुप से पर्याप्त सुविधा मिलेगी. अनुचित दबाव से मुक्ति मिलेगी और एक स्वतंत्र वातावरण में उनको काम करने की स्वतंत्रता होगी. मैं इसका समर्थन करता हूं और आशा करता हूं कि इसको पास किया जाये.
श्री फूलसिंह बरैया (भाण्डेर)-- अध्यक्ष महोदय, सदन में मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना (द्वितीय संशोधन) विधेयक,2025 चर्चा हेतु लाया गया है. इसमें तमाम ऐसी व्यवस्थाएं की गई हैं, जिसमें ऑनलाइन पंजीयन होगा, डिजिटल सर्टिफिकेट मिलेंगे और 30 दिन के अन्दर समय सीमा निश्चित की गई है प्रतिष्ठाऩों को और यहां कर्मचारियों की संख्या में महत्वपूर्ण बदलाव 7 दिन के भीतर अपडेट करना होंगे, यह सारी व्यवस्थाएं हैं.
अध्यक्ष
महोदय, लेकिन
इसमें जो
महत्वपूर्ण
बात है कि 20
कर्मचारियों
से कम अगर
किसी संस्थान
में कर्मचारी
हैं, बिना
श्रम आयुक्त
की अनुमति के
निरीक्षण कार्यवाही
को समाप्त
करके विधिक
रूप से सरल
बनाना होगा.
यानि जिस
संस्था में 20
कर्मचारी से
कम है उसको
श्रम आयुक्त
की जरूरत नहीं
पड़ेगी, और
उसको वैध ठहरा
दिया जायेगा.
अध्यक्ष
महोदय, इस
संबंध में मैं, यह
कहना चाहता
हूं कि 20
कर्मचारी से
कम जहां पर कर्मचारी
हैं उनके जीवन
का क्या होगा,
उनको कौन सा
महत्व दिया
गया है, उनके
किस मामले में
ध्यान दिया
गया है. यह
सारा विवरण इस
विधेयक मे अभी
स्पष्ट नहीं
है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस कानून का जो उद्धेश्य है वह आधुनिकीकरण और सरलीकरण करना है. इसमें यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि इसमें जो कर्मचारी कार्य करेंगे उनको कर्मचारी कहा जायेगा या श्रमिक की संज्ञा दी जायेगी. कितना काम करेंगे, कितना अवकाश पायेंगे, क्योंकि इसमें कई संस्थायें हैं, दुकान है, वाणिज्य स्थापना है, निवास युक्त होटल हैं, उपाहार गृह , भोजन गृह, नाट्यशाला, अथवा सार्वजनिक आमोद या मनोरंजन का अन्य स्थान है, इसमें जो लोग काम करेंगे क्या काम करेंगे कि उनके जीवन से संबंधित जो श्रम कानून कहता है, इस देश का श्रम कानून यह कहता है कि जो वेतन संहिता है, वेतन संहिता 2019 बिना मजदूरी और बिना वेतन के कौन काम करेगा, कैसे काम होगा और यही नहीं यह एक बड़ी बिडम्बना थी. बहुत पहले की बात है जब हमारा देश आजाद नहीं हुआ था तो 14 घंटे मजदूरों से मजदूरी कराई जाती थी. बाबा साहब डॉ.भीमराव अम्बेडकर ने यह लड़ाई उस समय अंग्रेजों के सामने लड़ी और कहा कि 14 घंटे नहीं सिर्फ श्रमिकों से 8 घंटे ही काम लिया जा सकता है. एक श्रमिक सिर्फ 8 घंटे ही काम करेगा. उसके बाद इसको मान्यता मिली और यह मान्यता कागजों में आज भी बहाल है. लेकिन अगर हम लोग देखें, जिन संस्थानों का मैंने अभी यहां पर जिक्र किया है, इन संस्थानों में कितना काम होता है. इसमें सबसे बड़ी बात जो कही गई है कि कोई भी बच्चा 14 वर्ष की आयु से कम का है वह श्रमिक का काम नहीं कर सकता है. और तमाम छोटे होटलों में, बड़े होटलों में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे काम करते हुये आज भी देखे जा सकते हैं. क्या उन होटलों में कानून बनाने वाले और उनका पालन करने वाले लोग जाते नहीं है क्या. क्या हम उन होटलों में रूकते नहीं हैं यह सब देखते नहीं है. यह सारी चीजें आज भी अनवरत रूप से जारी हैं, और इसको रोकने की जिम्मेदारी सरकार की है. अगर यह जिम्मेदारी सरकार की बनती है तो सरकार को यह भी तय करना पडेगा और आर्टिकल 23 में लिखा है कि बच्चों को किसी भी प्रकार की यातना से भी रोकना होगा. यह भी देखना होगा कि इन जगहों में बड़े बड़े होटलों में मानव तस्करी होती है. जबरन श्रम नहीं करवाया जा सकता है, इस पर रोक लगाने की बात कही गई है, लेकिन अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से श्रम मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि महिला के लिये जो सबसे बड़ी बात कही गई है, कहां पर महिला निषेध की गई है, हमारे मंत्री महोदय, उस विभाग के मंत्री भी रहे है, खदान विभाग के, तो गहराई में अगर कोई काम होता है वहां पर महिला के काम करने पर रोक है लेकिन होटल आदि में महिला की रोक नहीं है तो फिर महिलाओं के लिए क्या व्यवस्था की जाएगी, इनकी क्या न्यूनतम मजदूरी होगी. महिलाओं के लिए बाबा साहब अंबेडकर ने उस समय ठोस तरीके से कहा था हालांकि उस समय नहीं माना गया लेकिन आज मान लिया गया है. महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश अधिनियम बनाया गया, उन महिलाओं के लिए श्रमिक कल्याण कोष बनाया, उन महिलाओं के लिए बाल संरक्षण और महिला संरक्षण अधिनियम बनाया गया. हालांकि उस समय परिस्थितियां अलग थीं बात नहीं मानी गई लेकिन आज हम लोग सभी महिलाओं के पक्ष में बात कर सकते हैं, कानून भी बना सकते हैं. इसमें इस बात का खुलासा करना जरूरी था कि इनकी पोजीसन क्या रहेगी, क्या इनका वेतन रहेगा, क्या इनकी उम्र रहेगी, भर्ती का नियम क्या होगा, हटाने के नियम क्या होंगे और इनका ईपीएफ और इनकी बचत क्या होगी यह सारे के सारे प्रबंध किए गए. अगर कोई इनका उल्लंघन करता है तो कानून के तहत सजा का प्रावधान भी होना चाहिए. सबसे ज्यादा अत्याचार अगर बच्चों और महिलाओं के साथ होता है तो इन्हीं संस्थाओं में होता है. इसलिए अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहूंगा कि यह ऐसा विभाग है जिसमें यह बात है. हालांकि वह यहां लागू नहीं करेंगे, होती भी नहीं है और करेंगे भी नहीं, लेकिन मैं एक मानवता के दायरे में चर्चा कर रहा हूं. शेड्यूल कास्ट, शेड्यूल ट्राइब्स, मायनॉरिटी और ओबीसी के लोग इन जगहों में बिल्कुल ही अलाऊ नहीं हैं. होटल कोई ऐसी जाति का व्यक्ति नहीं खोल सकता, न चला सकता और न उसको मंजूरी मिलेगी. जिसके होटल पर कोई चाय पीने नहीं जाए..
श्री आशीष गोविंद शर्मा -- बरैया जी, बहुत होटलें चल रही हैं मध्यप्रदेश में. अब इस तरह का कोई वातावरण नहीं है.
श्री फूल सिंह बरैया -- समरसता है बहुत बढि़या इसके लिए आपको बधाई.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- इस प्रकार की बात करके आप समाज को और प्रदेश को भ्रमित मत करिए. यह आप नहीं कहें. बहुत सारी होटलें हैं. मेरे यहां भी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रदीप जी, कानून पर चर्चा हो रही है. प्लीज़ बरैया जी, आप कंटीन्यू करिए. आप विषयांतर मत हों.
श्री फूल सिंह बरैया -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि यह कह रहे हैं कि आज कुछ नहीं है. जिस बच्चे ने घड़े को हाथ लगा दिया उसको पीट पीटकर मार डाला. जिसने मूछें रखा ली उसकी गर्दन काट दी.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं है. यह फिर भ्रमित कर रहे हैं. इसको सदन की कार्यवाही से हटाया जाए. यह असत्य बोल रहे हैं. आप असत्य बयानी कर रहे हैं. मेरे यहां आप आकर देखिए.
श्री फूल सिंह बरैया -- आप लंदन में नहीं रहते हैं.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- मैं दतिया में रहता हूं. आप भी दतिया से ही विधायक हैं. आप मेरे यहां आकर देखिए. आप आइए. आपसे पानी भरवाएंगे.
श्री फूल सिंह बरैया -- मैं भी दतिया में रहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- फूल सिंह जी, आप कानून पर अपनी बात रखें ना.
श्री फूल सिंह बरैया -- अध्यक्ष महोदय, मैं कानून पर ही बात कर रहा था. इन्होंने उस कानून की जो चर्चा की है इनको कितनी मिर्ची लगती है जबकि इस देश में 6,743 जातियां हैं. कोई भी जाति किसी के साथ न उठती है, न बैठती है, न खाना खाती है, न पानी पीती है, हम 10-20 लोगों को छोड़ दिया जाए. मैं यह कह रहा हूं कि यह जो संस्थान मैंने गिनाए हैं वहां पर इन जातियों के लोगों, महिलाओं, बच्चों के साथ बहुत नाइंसाफी होती है मैं यह कह रहा था. कोई अगर यह कहता है कि अब यह खत्म हो गया है तो खत्म होने के सपने जो आप दिखा रहे हैं यह किसको दिखा रहे हैं. हमको मत दिखाइए. खत्म हो गई हैं यह सारी चीजें आप अपने घर में रखिए. हम तो इस समस्या को जी रहे हैं. हम जीते हैं. गांव में एक कहावत कही जाती है कि ‘’जिसके पांव न फटी बेवाईं वह का जाने पीर पराई.’’ अभी आए नहीं है. इन्होंने मजदूरी नहीं की है. अगर यह 8 घंटे मजदूरी करेंगे और उधर खड़ा है हंटर लेकर, जूता लेकर, तब पता चलेगा कि अन्याय क्या होता है. इन संस्थाओं में जो अन्याय होता है और यह जो संस्थाएं हैं इन संस्थाओं के अंदर यह व्यवस्था की जाए, अध्यक्ष महोदय, इस कानून में अगर यह सारी चीजें सम्मिलित की जाती हैं तो कानून सार्थक होगा, कानून जनता के हित का होगा. अगर यह सारी चीजें शामिल नहीं की जाती हैं तो ऐसे कानून का कोई फायदा नहीं है इसलिए मैं इसका समर्थन नहीं विरोध करता हूं. धन्यवाद.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 19 सन् 2025) सदन में पेश हुआ है. मैं इस विषय में यह जरूर कहना चाहूंगा कि सरकार की तरफ से जो बहुत सारी चीजें इसके अंदर शामिल की हैं वह शामिल करने की आवश्यकता भी थी. दुकान के पंजीयन के बारे में जो बाते इसमें उल्लेख की गई हैं कि ऑनलाईन पोर्टल से इस व्यवस्था को बनाया जाएगा. डिजिटल प्रमाण पत्र सह जारी होगा तो उसमें एक बात जरूर आएगी कि यदि हम ऑनलाईन में सारी व्यवस्था बना लेंगे, डिजिटल प्रमाण पत्र भी मिल जाएगा पर उसका वेरिफिकेशन कैसे होगा. यह कैसे प्रमाणित होगा कि यह जो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हुआ है वह सही है या नहीं है. इसकी भी एक व्यवस्था इसके अंदर होनी चाहिए ताकि यह पता चले कि जो ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन कर रहा है वह सही कर रहा है या नहीं कर रहा है. जिस दुकान के लिए कर रहा है वह दुकान है या नहीं है या किसी दूसरी दुकान की व्यवस्था बनाने के लिए यह गुमराह करके ऑनलाइन व्यवस्था बन रही है. उसका वेरिफिकेशन होना भी बहुत जरूरी है. वह वेरिफिकेशन कैसे होगा यह माननीय मंत्री जी बताएंगे. पंजीयन से पहले इंस्पेक्टर दुकान की जानकारी की जांच करता था, परंतु अब सत्यापन के बाद रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र जारी होगा तो उसके जारी होने के बाद में पहले जो इंस्पेक्टर या निरीक्षक आते थे और उसकी जानकारी लेते थे तो अब वह जानकारी भी नहीं हो पाएगी. इस बिल के अंदर इस बारे में भी ध्यान देने की आवश्यकता है. ऑनलाईन करना अच्छी बात है क्योंकि डिजिटल का जमाना है. ऑनलाइन होना भी चाहिए. यह व्यवस्था ठीक है, लेकिन जैसा मैंने पहले भी कहा कि वेरिफिकेशन यदि कमजोर होगा तो निश्चित रूप से कानून भी कमजोर होगा. वेरिफिकेशन मजबूती से करना चाहिए ताकि आगे आने वाले समय में कोई भी विभाग को गुमराह न कर सके और सही चीज के लिए जो वेरिफिकेशन हो रहा है वह उसी के लिए वेरिफाई हो.
अध्यक्ष महोदय, सरकार दुकान के स्थापना अधिनियम को पूरी तरह से ऑनलइन पोर्टल आधारित बना रही है यह विचार सुनिश्चित आधुनिक है. इसमें होना भी चाहिए क्योंकि आजकल आधुनिक जमाना है, डिजिटल का जमाना है. इस डिजिटल के जमाने में यह सारी व्यवस्था हो ताकि लोगों को सुविधा मिल सके. मगर सुविधा के हिसाब से उसकी रक्षा करना भी हम सभी की जवाबदारी बनती है. यदि सिस्टम में थोड़ा बहुत भी लेकुना हुआ या गड़बड़ी होगी तो निश्चित रूप से इसका दुरुपयोग होगा. उस दुरुपयोग को रोकने के लिए हमको और भी व्यवस्था माननीय मंत्री जी के विचार में लाना चाहिए और उसको आगे चलकर बनाने की आवश्यकता है. यह विधेयक पहली चीज आसान करता है लेकिन दूसरी चीज को पूरी तरह से हटा दिया गया है. जैसे मैंने फ्रॉड रजिस्ट्रेशन की बात की जब सत्यापन ही नहीं होगा तो मालिक जो चाहे लिख सकता है. जो मैंने पहले कहा कि जब सत्यापन नहीं हो पाएगा तो उसका कोई औचित्य नहीं होगा. उसको जो करना होगा वह करेगा. दुकान का गलत पता भी डाल सकता है. दुकान जो बंद हैं उनको सक्रिय करने के लिए भी इस तरीके की व्यवस्था में वह ऑनलाइन से व्यवस्था बना सकता है तो मान लीजिए दुकान को सक्रिया करेगा और बंद दुकान सक्रिय होती है और वह हमारे रिकार्ड में आता है तो विभाग पर एक अतिरिक्त बोझ होगा उससे कोई लाभ नहीं मिल पाएगा. जब वेरिफिकेशन करने जाएंगे तो ऐसी दुकान नहीं मिल पाएगी जो ऑनलाइन में रजिस्टर्ड है.
अध्यक्ष महोदय, उदाहरण के लिए जो मैं यह बात कह रहा था कि मान लीजिए कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है तो केमिकल गोदाम खोलना चाह रहा है और उसका रजिस्ट्रेशन नहीं मिल पाता है या किसी कारण से उतने पेपर सब्मिट नहीं कर पाता है तो वह दूसरी दुकान का नाम डाल देगा और केमिकल की दुकान खोल लेगा तो उसे कौन वेरिफाई करेगा, उसका जवाबदार कौन होगा? गलत तरीके का उपयोग करके इस तरीके की जो चीजें नहीं होनी चाहिए. साथ ही कई चीजें मजदूरों के संबंध में कहीं. मैं भी यह कहना चाहता हूं कि कर्मचारियों की क्या व्यवस्था होगी यह आपने कह दिया कि कर्मचारी के ऊपर जो रहेंगे उनमें श्रम कानून लागू होगा और बाकी जो 19 एवं 20 वर्ष से कम होंगे तो उनकी क्या सुरक्षा होगी? उनके लिए क्या कल्याणकारी योजना होगी? क्या मिनिमम मजदूरी की व्यवस्था हो पाएगी?
जैसा
कि 14 वर्ष से कम
आयु के बच्चे
अधिकांशत: इसी
तरह से कार्य
करते हैं. इसे
रोकने के लिए
या यदि वे
कार्य कर रहे
हैं तो उनकी
सुरक्षा व्यवस्था
और वेतन कैसे
निर्धारित
होगा. महिलाओं
की सुरक्षा की
बात करें तो
निश्चित रूप
से जो बिंदु
यहां आये हैं, चाहे
दुकान हो,
मॉल या छोटी
अन्य फैक्ट्री, जो
20 मजदूरों से
कम में चलती
है,
उनकी भी हम
बात करेंगे.
जब इसमें श्रम
कानूनों की व्यवस्था
नहीं होगी और
यह श्रमायुक्त
के दायरे से
बाहर होगा तो
निश्चित रूप
से मजदूरों को
जो समस्यायें
आयेंगी, तो वे
किसके पास
जायेंगे ? वे
इंस्पेक्टर
के पास नहीं
जा सकते, यदि
दुकानदार,
मालिक उसके
साथ शोषण कर
रहा है, तो वे
कहां जाकर
गुहार
लगायेंगे,
इसलिए इसके
अंदर भी एक
कानून की व्यवस्था
होनी चाहिए कि
हम दुकानदार
को तो लाभ और
सुविधा देने
की बात कर
रहें हैं,
लेकिन उसके
कर्मचारी, जो
वहां काम कर
रहे हैं, उन
कर्मचारियों
का क्या होगा ? क्या
उनका पी.एफ.
कटेगा ? क्या
उनके लिए कल्याणकारी
व्यवस्था
होगी ? यदि कोई
महिला
गर्भवती हो गई
तो क्या उसे
छुट्टी देने
का प्रावधान
है ? क्या
निजी क्षेत्र
के मालिक इस
व्यवस्था
को देंगे ? मालिक
उतना वेतन दे
पायेंगे ? इसलिए
इन सभी
बिंदुओं पर भी
ध्यान देने
की आवश्यकता
है.
अध्यक्ष
महोदय, इसमें एक
बात जरूर है
कि अब बिना
श्रमायुक्त
की अनुमति के
निरीक्षक
दुकान में
प्रवेश नहीं
कर पायेगा.
यदि दुकानों
में किसी
प्रकार का
निरीक्षण
नहीं होगा और
उन्होंने कह
दिया कि हम इस
दायरे से बाहर
हो गए तो क्या
दुकान
मालिकों, छोटे मॉल, फैक्ट्री
वालों की
मनमानी नहीं
चलेगी ? जब
उन पर हमारा
नियंत्रण
धीरे-धीरे कम
हो जायेगा, जब वे
नियंत्रण से
बाहर होंगे, तो जो
उनकी मर्जी
आयेगा वो
करेंगे, जैसा
चलाना हो वैसा
चलायेंगे. वह
किस दायरे में
रहेगा, उसकी क्या
भूमिका रहेगी, यदि वह
किसी
कर्मचारी पर
अत्याचार/शोषण करता
है तो इसकी
जवाबदेही कौन
निर्धारित
करेगा, कर्मचारी
के काम करने
के घंटे भी
निर्धारित होने
चाहिए. मंत्री
जी जब बोलेंगे
तो इन सारी व्यवस्थाओं
के विषय में
बताने का कष्ट
करेंगे, ऐसा मेरा
आग्रह है.
अध्यक्ष
महोदय, इसमें
बहुत सारी
दुकानें
आयेंगी, यहां कम
का ही उल्लेख
है,
किराना, होटल, मोबाइल
शॉप, कपड़े की
दुकान, छोटी
फैक्ट्रियां
हैं. जहां 2-5-10-15
कर्मचारी, जो मैं कह
रहा था 20 से कम
कर्मचारी, उस तरीके
के
कर्मचारियों
की व्यवस्था
के लिए कहीं न
कहीं हम
सोचें. सरकार
ने न्यूनतम
वेतन तय कर
दिया है लेकिन
कर्मचारियों को
वह मिल नहीं
पा रहा है, हम इसे
लागू नहीं कर
पा रहे हैं. मंत्री
जी इसे कानून
के अंतर्गत
लाकर, इसमें
सख्त कानून
बनायेंगे, यदि कोई न्यूनतम
वेतन नहीं दे
पा रहा है, तो उस पर
क्या
कार्रवाई हो
सकती, कितनी
सख्त
कार्रवाई हो
सकती, इसका भी
प्रावधान
इसमें आवश्यक
है.
अध्यक्ष
महोदय, ऑनलाईन
दुकानों के
रजिस्ट्रेशन
की व्यवस्था
बनाई गई है, उसमें 10
गुना शुल्क
अतिरिक्त
वसूला जा रहा
है. पूर्व में
यह रुपये 250 था
जो कि अब
रुपये 2500 हो गया
है. यह लगभग 900
प्रतिशत
बढ़ोतरी है और
इस मंहगाई के
दौर में 10 गुना
बढ़ोतरी होना, निश्चित
रूप से छोटे
व्यापारियों
की जेब से
पैसा काटने की
संभावना इसमें
है. इसका भी ध्यान
रखना चाहिए कि
इसकी भी एक
सीमा हो कि
किस सीमा तक
शुल्क
बढ़ाना चाहिए, ताकि
छोटे व्यापारियों
पर इसका बोझ न
पड़ पाये.
अध्यक्ष
महोदय, मेरा आपके
माध्यम से
मंत्री जी से
आग्रह है कि
आपने जो व्यवस्था
बनाई है, जो
संशोधन
विधेयक आप
लाये हैं
लेकिन इसमें
कर्मचारियों
की व्यवस्था, उनकी
सुरक्षा, उनके कल्याण
की व्यवस्था, उनके
वेतन की व्यवस्था, क्या
होगी किस तरह
से वे स्वतंत्र
रूप से कार्य
करते हुए, अपने
अधिकारों को
प्राप्त कर
सकें, उनका
शोषण न हो सके, इस बात का
ध्यान जरूर
रखा जायेगा.
यदि इस विधेयक
में इन बातों
का किसी
प्रकार से कोई
उल्लेख नहीं
है तो आने
वाले समय में
इस विधेयक के
इन सभी बातों
का आप समावेश
करेंगे ताकि
हमारे
कर्मचारी
सुरक्षित रूप
से कार्य कर
सकें, धन्यवाद.
श्रम मंत्री (श्री
प्रहलाद सिंह
पटेल)- अध्यक्ष
महोदय, मैं, मध्यप्रदेश
दुकान तथा स्थापना
(द्वितीय
संशोधन)
विधेयक,2025 (क्रमांक
19 सन् 2025) की इस चर्चा
में माननीय
शैलेन्द्र
जी,
बरैया जी एवं सोहनलाल
जी का आभार व्यक्त
करता हूं.कि
उन्होंने
बिल को पढ़ा
लेकिन मैं यह
जरूर कहूँगा कि
पूरा नहीं
पढ़ा है. जो
संशोधन आए हैं,
उनने सिर्फ
संशोधन को ही
यह मान लिया
है कि शायद
वही बिल है.
धारा 2 का जो
संशोधन है,
उसमें नवीन
परिभाषा है, जो
वास्तव में
अभी नहीं थी.
हम तकनीक की
दुनिया में जा
रहे हैं, लेकिन
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन
इस पिछले
कानून में
नहीं था, यदि आप
ऑनलाइन व्यवस्था
लाना चाहते
हैं, तो
संशोधन आपको
सदन में भीतर
लाना पड़ेगा.
अध्यक्ष
महोदय, इसलिए
अब जैसे ''केन्द्रीयकृत
निरीक्षण
प्रणाली'' वर्ष
2021 से मध्यप्रदेश
में लागू है.
यदि अगर कोई
भी श्रम अधिकारी
किसी दुकान
में,
किसी इण्डस्ट्रीज
में जाना
चाहता है तो
भारत सरकार ने
जब यह संशोधन
किया था, तभी राज्य
ने भी वर्ष 2021 में
संशोधन किया
कि आपको रेन्डम,
उसको पता भी
नहीं चलेगा,
उसी समय पता
चलेगा कि आपको
यहां पर जाना
है और यह
प्रणाली मध्यप्रदेश
में मौजूद है.
यह बाकी जगह
पर यह मौजूद
नहीं है, इसलिए हम
यह न कहें कि
यह नहीं होगा, ''निरीक्षण
प्रणाली'' एक्जीस्टेंस
में है, वर्ष 2021 से
है, वह
मनमर्जी से
नहीं जा सकता, किसी
की दुकान पर
जाकर आप जाकर
डण्डा
पटकेंगे, तो
यह नहीं हो
सकता. दूसरा,
आपने पोर्टल
का कहा, तो
पोर्टल इसलिए
बनाया कि पहले
यह शब्द था
ही नहीं, तो वह एक
बार स्पष्ट
हो जाये कि
पोर्टल का
मतलब है कि आप
इस पर जाएंगे, ऑनलाइन
जाएंगे, इसलिए
उसका संशोधन
इस पर पोर्टल
के रूप में
किया है. स्थापना
पंजी रिकॉर्ड
है, अब
जब आपने यह
बात कही कि वह
दुकान बदल
सकता है, तो
पंजीयन में जो
चीजें हैं,
मैं उनको पढ़
देता हूँ.
अध्यक्ष
महोदय, ऑनलाइन
आवेदन के लिए
जो दस्तावेज
चाहिए- आईडी
प्रूफ चाहिए, प्रोपराईटर
का पता चाहिए, उसकी
जियो टैगिंग
चाहिए, उसका
आधार उससे
जुड़ा हुआ
होना चाहिए,
पार्टनर्स
डीड उसकी है, तो
वह होनी चाहिए
और समग्र आईडी
होनी चाहिए. इतने
के बाद अगर वह
कोई जो चीजें
वह कहता है, वह
उससे बदलेगा
और जिस दिन भी
कोई सूचना
आयेगी तो वह
व्यक्ति बच
नहीं सकता, यह
इसका आधार है. दूसरा, यह
है कि पंजीयन
प्रमाण-पत्र
एकरूप होगा,
तभी आप उसको
ट्रैस कर
पायेंगे कि
उसके पास में
कोई कॉपी न कर
ले. इसके लिए उसको रखा
गया है, ताकि कोई
उसमें बदलाव न
हो सके और
उसकी कॉपी न हो
सके. जैसे
धारा 6 का
जो संशोधन है, को
इंटरप्रेट
गलत तरीके से
किया है, शैलेन्द्र
जी ने इस बात
को स्पष्ट
किया था. शुल्क
250 रुपये ही है,
लेकिन यदि
हमको कभी उसको
बढ़ाना है, दो
वर्ष बाद,
पांच वर्ष बाद
तो फिर से
चूंकि हमको
यहीं आना पड़ेगा, तो
विधान सभा में
न आना पड़े, तो
हमने उसकी
अधिकतम सीमा 2,500 रुपये
रखी है कि जब 2,500 रुपये
से ऊपर बढ़ाने
का मौका आयेगा, तो
उसको सदन में
आना पड़ेगा.
शुल्क अभी 250
रुपये ही है,
अगर कभी हमें
कालान्तर
में शुल्क
बढ़ाना पड़ा, तब
की परिस्थिति
है कि अब 2,500 रुपये
तक तो बढ़ा
सकते हैं,
लेकिन अगर 2,500 रुपये
से ज्यादा हम
बढ़ाना
चाहेंगे, तो जो
भी होगा उसको
सदन के सामने
आकर ही वह
बढ़ा पायेगा,
अन्यथा वह
नहीं बढ़ा
पायेगा. धारा 7 का जो
संशोधन है कि
यदि कोई
प्रोपराइटर
है,
अगर वह चाहता
है कि वह उसकी
जगह पर उसके
भाई या उसमें
अन्य किसी को
संशोधित करना
चाहता है, तो
उसको ऑफिस
जाने की जरूरत
नहीं है, वह
ऑनलाइन अपने
घर बैठकर उस
टाइटल को बदल
सकता है, अपने उन
पार्टनर्स के
नामों को बदल
सकता है. अगर
वह अपनी दुकान
बन्द करना
चाहता है, उस
टाइटल को निरस्त
करना चाहता है, तो
धारा 8 के
तहत वह उसको
निरस्त कर
सकता है. अब वह
धारा 12 जिसमें
हमने संशोधन नहीं
किया. आपने भी
कहा,
बरैया जी ने
भी कहा कि
उनका क्या
होगा ? जो बच्चे
श्रम कानून में करते
हैं. धारा 12 में
कोई परिवर्तन
नहीं है. अगर
बाल श्रमिक
कोई रखेगा, तो
उनके खिलाफ
वैधानिक
कार्यवाही
होनी चाहिए,
उसमें
कार्यवाही का
प्रावधान है.
उसमें कोई संशोधन
नहीं हुआ है.
अगर आप धारा 12
पढ़ेंगे, तो
आपकी सारी जो
बातें सदन के
भीतर कही गई
हैं, वह
स्पष्ट हो
जाएंगी.
अध्यक्ष महोदय, उसके बाद धारा 41 का जो संशोधन है, वह 20 से कम कर्मचारी पर, इसको भी इन्टरप्रेट गलत ढंग से करने की कोशिश हुई है. अगर 20 से कम कर्मचारी हैं, अगर वहां पर कोई श्रम अधिकारी जायेगा, जो मैंने आपको पहले भी कहा है कि ऑलरेडी वर्ष 2021 से हमारे पास एक सिस्टम है, इसमें हमारा जो कमिश्नर है, वह रेन्डम लोगों को रहता है कि आप यहां जाकर सर्वेक्षण कीजिये. लेकिन अगर 20 से कम कर्मचारी हैं, तो वह बिना हमारे लेबर कमिश्नर की जानकारी के, बगैर उसकी अनुमति के नहीं जा सकता. वह वहां नहीं जायेगा, ऐसा नहीं है. लेकिन वह कहीं भी जाकर डण्डा पटके, यह नहीं हो पायेगा.
जो आपकी चिंता है, अध्यक्ष महोदय, वह इस सदन की चिंता है और इसलिए अगर 20 से कम कर्मचारी होंगे और अगर वहां पर जानकारी के लिए जाना है तो कमिश्नर की सहमति से और उसकी जानकारी में वह जा सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि उसको जांच से मुक्त कर दिया गया है और इसलिए किसी भी मजदूर का यह अधिकार नहीं छीना जा सकता, यह उसमें स्पष्ट है.
श्री फूलसिंह बरैया -- इसमें लिखा है कि बिना कमिश्नर की अनुमति से...
श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- नहीं, नहीं, कमिश्नर की अनुमति से. कमिश्नर की अनुमति से उसके नीचे जा सकता है. आपने ऐसा ही बोला है, मैं भी वही बात सुन रहा था. अब जो बात आप अभी लगातार भाषण में कह रहे हैं, मैं देश के प्रधानमंत्री जी को और भारत सरकार को धन्यवाद दूंगा अध्यक्ष जी, हम यह पहली बार लेकर नहीं आए हैं. जब श्रम कानूनों में परिवर्तन हुआ और उसके चार कोड बने, जो पहले 29 थे, मैं सदन में इसके पहले भी जब हम रिपील के लिए कुछ लेकर आए थे, तब भी मैंने यह बात कही थी. जिन संशोधनों की बात बरैया जी कर रहे हैं, मैं उनसे बड़ा आग्रह करूंगा कि एक बार हमको इन संशोधनों को पढ़ लेना चाहिए. अगर आप मिनिमम वेज की बात करते हैं तो पहले चार मिनिमम वेज के कानून थे. न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948, वेतन भुगतान अधिनियम, 1936, बोनस भुगतान अधिनियम, 1965, सामान्य पारिश्रमिक अधिनियम, 1975 और आप वर्ष 2019 का उल्लेख कर रहे हैं. जो वॉल्यूम चार बने, इसमें जो चेंजेस हुए हैं, अगर उनको हमने ध्यान से पढ़ा होता, आप महिलाओं की बातें कर रहे हैं, महिलाओं के लिए समान वेतन का अधिकार है और मातृत्व अवकाश देने वाली भारतीय जनता पार्टी की पहली सरकार है. चाहे वह राज्य की हो, चाहे केन्द्र की हो. कभी भी महिलाओं को यह अधिकार नहीं था. जहां तक सुरक्षा की बात है, जब हमने 24 घण्टे दुकान खोलने की बात की थी, तब भी यही आपत्ति आई थी. सुरक्षा देना हमारी जिम्मेदारी है, सरकार की जिम्मेदारी है. अगर हम इनका पंजीयन नहीं करते...
श्री फूलसिंह बरैया -- मंत्री महोदय, वर्ष 1946 में डॉ. आम्बेडकर ने मातृत्व अवकाश का अधिनियम बनाया था.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- मैं आ रहा हूँ. मुझे लगता है कि भारत रत्न बाबा साहब आम्बेडकर की बात का ही हम अनुसरण कर रहे हैं, जिन्होंने नहीं किया है, उस खेमे में आप बैठे हुए हैं. लेकिन मुझे लगता है, मैंने भी पढ़ा है, आपने भी पढ़ा है, लेकिन आप कम से कम इस बात के लिए तो धन्यवाद देते कि जो बाबा साहब ने कहा था, उसको इम्प्लिमेंट किसने किया है. फिर क्यों कहना, दोनों बातें आप नहीं कह सकते. अध्यक्ष महोदय, या तो हम, मैं बाबा साहब की बात को इंकार नहीं कर रहा हूँ. मैं तो सैल्यूट कर रहा हूँ. लेकिन उनकी भावनाओं को अगर पूरा कोई कर रहा है तो यही कानून कर रहा है. यदि हम पढ़ेंगे तो उसका जवाब हमें मिलेगा. हम महिलाओं की बात करते हैं. बच्चों की बात करते हैं. अगर ओवर टाइम करने में दोगुनी मजदूरी मिले, यह फैसला अगर किसी ने किया तो यह मोदी सरकार ने किया है, जिसको हमने स्वीकार किया है. मुझे लगता है कि इस पर तो आप बहस नहीं कर सकते क्योंकि आपने तो नहीं किया. मुझे लगता है कि यह संशोधन तो नियमों का संशोधन है. राज्य को अधिकार है बरैया जी, यह तो आप भी अच्छी तरह से जानते हैं कि यदि श्रम कानून बन भी जाएं, तब भी उद्योगों का पंजीयन हमारा अधिकार है. लायसेंस का अधिकार हमारा अधिकार है. निरीक्षण की प्रक्रिया हमारा अधिकार है. मुझे लगता है कि नियम इन्हीं के लिए तो सदन में आते हैं और मैं चाहता हूँ कि इन पर खुलकर बातचीत होनी चाहिए. इसलिए इसमें आशंका की गुंजाईश नहीं है, लेकिन हां, जिस प्रकार से भारत की अर्थव्यवस्था तेज गति के साथ बढ़ रही है, हमें अपने लोगों पर भरोसा करना होगा. व्यापारी के प्रति शत्रुता का भाव हो या व्यापारी को हम इतना निरंकुश बना दें कि वह हमारे मजदूर की मजदूरी खा जाए या जैसा आप कह रहे थे कि बच्चे होटलों में काम करते हैं, यह अधिकार, यह सामाजिक उत्तरदायित्व सिर्फ सरकार का नहीं है, हम सबका है, जो सदन में बैठे हैं. इसलिए मुझे लगता है अध्यक्ष महोदय कि कानून तो है, धारा 12 के तहत जो कानून का अधिकार मिलना चाहिए कि बाल श्रमिक अगर कोई रखता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही होगी, इसमें तो कोई दो मत नहीं है. इसलिए मुझे लगता है कि कानूनों में कहीं कोई कमी नहीं है. लेकिन हां, श्रम संहिताओं को अगर भारत सरकार ने पुनरीक्षित किया है तो मैं इस सदन के भीतर सिर्फ इतना ही कहूँगा, जैसे वेज का मामला आपने उठाया तो मैंने बताया कि नहीं, ऐसा है. अगर औद्योगिक संबंध में हम सुरक्षा की बात करते हैं, जिसमें आपने महिला सुरक्षा की बात की है. 24 घण्टे दुकान खोलने का अधिकार इसी सरकार ने दिया है इन दो साल के भीतर और हमने कहा है कि हम सुरक्षा की भी गारंटी देंगे क्योंकि शहरी विकास मंत्रालय हो या गृह मंत्रालय हो, चाहे राज्य का हो, चाहे भारत सरकार का हो, डेटा उसको चाहिए. डेटा देने की जिम्मेदारी हमारी है, लेकिन सुरक्षा देने की जिम्मेदारी हमारी ही सरकार के हिस्से की है. इसके पहले जितने भी अधिनियम थे इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट अधिनियम,1947,ट्रेड यूनियन एक्ट,1926,इंडस्ट्रियल एंप्लायमेंट स्टैंडिंग आर्डर 1946, अब ये तीन थे इनको एक कर दिया है तो इस पर भी हमको बात करनी चाहिये कि हम एक बार पलट कर तो देखें कि 29 की जगह अगर 4 वाल्यूम भारत सरकार ने बनाए हैं तो इसके नीचे जितनी भी रिपील करनी थी पिछले सत्र में आपकी उपस्थिति में तमाम चीजों को रिपील किया गया यह दुकान का जो अधिनियम था इनमें शाब्दिक त्रुटियां भी थीं इनमें दंड भी था उसको कहीं न कहीं स्पष्ट किया गया है कि फीस कैसे लेंगे कैसे आप रजिस्ट्रेशन करोगे ताकि सुविधाजनक तरीके से हम आगे बढ़ सकें. मैं अंत में फिर कहूंगा कि हम अब उस देश की उस स्थिति में हैं कि हम एक दूसरे को अपना बैरी न मानें बल्कि जिम्मेदारी तय करें यदि हम यह अधिकार पाते हैं कि हम सेल्फ अटेस्टेशन करके अपनी जाति के बारे में लिखकर दे सकते हैं या जो सेल्फ अटेस्टेशन का अधिकार भारत की सरकार ने आम आदमी को दिया है तो यह अधिकार हमारे व्यापारी या हमारे किसी मजदूर को क्यों नहीं मिलना चाहिये तो मुझे लगता है कि यह भरोसा शुरू करना पड़ेगा इसीलिये छोटी मोटी बातें किसी अवरोध के रूप में सामने आएँ उन चीजों को अलग करने के लिये कानून है किसी भी अन्याय के खिलाफ कानून इस देश में है उसके खिलाप लड़ा जा सकता है इसलिये अध्यक्ष जी आपके माध्यम से सदन से मैं आग्रह करता हूं बातें तो मैं और भी कर सकता हूं हम जब बोलते हैं तो हमें जरूर इन बातों को ध्यान में रखना चाहिये कि वास्तव में हम बिना जानकारी के बोलेंगे तो हम इंटरप्रिटेट गलत ढंग से करेंगे अगर हमें यह पता हो कि वास्तव में सिस्टम है तो..
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, जो शुल्क बढ़ाने की बात आ रही थी तो उसमें आज की तारीख में दुकान के पंजीयन का शुल्क क्या होगा.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - 250 रुपये और जो रजिस्ट्रेशन नहीं करेगा उसका दंड वह 50 रुपये से 500 रुपये.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - आपने उसको ढाई हजार कर दिया क्या.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - ढाई हजार अधिकतम सीमा है शब्द लिखा है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - वह कर्मचारी के ऊपर है.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल - शैलेन्द्र जी ने भी कहा मैं रिपीट कर देता हूं. पंजीयन का शुल्क 250 रुपये है और अधिकतम 2500 इसलिये किया गया है कि आगे बढ़ाने की गुंजाईश रहे तो ढाई हजार तक सरकार बढ़ाती रहे अगर उससे ज्यादा बढ़ाएगी तो उसको सदन में आना पड़ेगा. मैं यही कहते हुए अपनी बात को यहीं समाप्त करता हूं और सदन से आग्रह करता हूं कि इस बिल का समर्थन करे.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना(द्वितीय संशोधन)विधेयक,2025 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
अध्यक्ष महोदय -प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3,4,5 तथा 6 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3,4,5 तथा 6 इस विधेयक का अंग बने.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि खण्ड 1, पू्र्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1,पू्र्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र इस विधेयक का अंग बने.
श्री प्रहलाद सिंह पटेल,मंत्री,श्रम - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2025 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2025 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक
पारित हुआ.
समय
4.59 बजे नियम
267-क के अधीन
विषय
अध्यक्ष
महोदय -
डॉ.सीतासरन
शर्मा जी
बताकर गये हैं
कि वह हाऊस की
एक बैठक में
हैं उनकी
सूचना पढ़ी
हुई मानी
जायेगी.
1.
समग्र
शिक्षा
अंतर्गत
कार्यरत
प्रशिक्षकों
से संबंधित
नियुक्ति
प्रक्रिया
में अनियमितता
होना.
श्री महेश
परमार (तराना)-- माननीय अध्यक्ष
महोदय, मेरी शून्य
काल की सूचना इस
प्रकार है-

4.56 बजे सभापति
महोदय (डॉ. राजेन्द्र
पाण्डेय) पीठासीन
हुये.
2. हरदा
जिला अंतर्गत ग्राम
हंडिया के मां
नर्मदा को नाभी
लोक घोषित किया
जाना.
डॉ. रामकिशोर
दोगने (हरदा)--
माननीय अध्यक्ष
महोदय, मेरी शून्य
काल की सूचना
इस प्रकार है-

3. खंडवा-जावर-मुंदी
मार्ग की हालत
खराब होने से शीघ्र
कार्य प्रारंभ
कर प्रक्रिया पूर्ण
करने बाबत्.
श्रीमती
कंचन मुकेश
तनवे (खण्डवा)--
माननीय अध्यक्ष
महोदय, मेरी शून्य
काल की सूचना
इस प्रकार है-
माननीय अध्यक्ष
महोदय, मेरी विधान
सभा खंडवा-जावर-मुंदी मार्ग
अत्यंत खराब
हाल में है
एवं लंबे समय
से मार्ग के
निर्माण की
मांग जन-जन द्वारा
की जा रही है.
मार्ग की हालत
इतनी ज्यादा
खराब है कि
उसमें कई लोग
अपनी जान गंवा
चुके हैं.
पिछले ही वर्ष
तीन युवा अपनी
जान गंवा चुके
हैं. आये दिन
बस एवं यात्री
वाहन से दुर्घटना
का शिकार हो
रहे हैं जिसके
चलते जनता में
आक्रोश है.
मेरे बार-बार
आवेदन, निवेदन, पत्राचार के
बाद भी कार्य
की प्रक्रिया
पूर्ण नहीं
होने से
अप्रिय
स्थिति
निर्मित हो
रही है.
4.
जिला
छिंदवाड़ा
में
आंगनवाड़ी
कार्यकताओं व
सहायिकाओं की
नियुक्ति
प्रक्रिया
पूर्ण न की
जाना.
श्री
सोहनलाल बाल्मीक(परासिया)--
माननीय
सभापति महोदय, मेरी शून्यकाल
की सूचना का
विषय इस
प्रकार है कि

5.सिवनी
जिले में
कोविड के समय
आये कोवेक्सीन
व कोवीशील्ड
टीकों का
दुरूपयोग
होना.
श्री
फुंदेलाल
सिंह
मार्को(पुष्पराजगढ़)--
माननीय
सभापति महोदय, मेरी शून्यकाल
की सूचना का
विषय इस
प्रकार है कि

6.
प्रदेश में
कीर समाज को
पूर्व की
भांति सूची में
स्वतंत्र
जाति घोषित की
जाना.
श्री
विजयपाल सिंह
(सोहागपुर)--
माननीय
सभापति महोदय, मेरी शून्यकाल
की सूचना का
विषय इस
प्रकार है कि

7.ग्वालियर
जिला स्थित हरसी
डेम की नहरों
की मरम्मत न
किये जाने से
उत्पन्न
स्थिति.
श्री
मोहन सिंह
राठौर(भितरवार)--
माननीय सभापति
महोदय, मेरी शून्यकाल
की सूचना का
विषय इस
प्रकार है कि

8. श्री मधु
भाऊ
भगत(परसवाड़ा)—अनुपस्थित
(9) डबरा
कृषि उपज मंडी
में वाहनों के
जाम से हो रही
परेशानी के
संबंध में.
श्री
सुरेश राजे
(डबरा) – सभापति
महोदय, मेरी शून्यकाल
की सूचना का
विषय इस
प्रकार है कि
–
ग्वालियर
जिले के
अंतर्गत डबरा
कृषि उपज मंडी
ए-ग्रेड की
मंडी है.
इसमें
किसानों की
ट्राली एवं
वाहनों का
हमेशा जाम लगा
रहता है. इस
कारण किसान
एवं आम जनता
को काफी
परेशानी हो
रही है. इस समस्या
के निराकरण
हेतु डबरा में
बायपास एवं
मंडी प्रांग्रेड
से टीसरा रोड
निर्माण
कार्य किए जाने
की मांग
नागरिकों
द्वारा की गई, किन्तु
इस दिशा में
कोई
कार्यवाही
नहीं की गर्ठ
है. इससे उत्पन्न
स्थिति से
नागरिकों में
रोष एवं
असंतोष व्याप्त
है.
(10) (प्रदेश में
डाक्टरों की कमी
होने से उत्पन्न
स्थिति.)
श्री
कैलाश
कुशवाहा
(पोहरी) – सभापति
महोदय, मेरी शून्यकाल
की सूचना का
विषय इस
प्रकार है कि
–

(11) (टीकमगढ़ में
पेयजल की समस्या
होना.)
श्री
यादवेन्द्र
सिंह
(टीकमगढ़) –
सभापति
महोदय, मेरी शून्यकाल
की सूचना का
विषय इस
प्रकार है कि
–

(12) (अतिथि
शिक्षकों को नियमित
किए जाने के संबंध
में.)
श्री
नारायण सिंह
पट्टा
(बिछिया) –
सभापति
महोदय, मेरी शून्यकाल
की सूचना का
विषय इस
प्रकार है कि
–

(13) सिवनी विधान सभा स्थित बैनगंगा नदी पर पुल निर्माण कराया जाना.
श्री
दिनेश राय “मुनमुन” (सिवनी)
सभापति महोदय, 
माननीय सभापति महोदय, थोड़ा एक छोटा सा मुद्दा है. मेरे यहां के किसान मक्का को लेकर के रोड़ पर आ गये हैं उसमें दो तीन रीजन हैं मैं शासन का ध्यान इस ओर दिलाना चाहता हूं कि एथेनॉल कम्पनियां हैं और अन्य प्रोडक्ट करने वालों ने अपने प्लांटों को 30-35 प्रतिशत पर लाकर के काम कर रहे हैं उसका रीजन है कि अभी किसान मक्का बेचेगा उनके ऊपर प्रेशर बनाकर के मंडियों में कम से कम कीमत में मिले उसको लेकर के उन्होंने जो किया है. इसके लिये मेरा आग्रह है कि शासन इसको गंभीरता से ले कहीं न कहीं जो लोग उद्योग चला रहे हैं उन पर कार्यवाही हो, जिससे किसान उद्वेलित हो गये हैं रोड़ पर आ गये हैं. इसलिये मेरा निवेदन है कि इसकी दरें अधिक हों तथा किसानों को भावांतर योजना के अंतर्गत लाया जाये, ऐसा मेरा आपसे आग्रह है.
(14) दतिया के ग्राम रावरी में सांय नदी पर पुल का निर्माण किया जाना.
श्री राजेन्द्र
भारती—(दतिया) सभापति
महोदय, 
सभापति महोदय—सदन की कार्यवाही गुरुवार दिनांक 4 दिसम्बर, 2025 को प्रातः 11.00 तक के लिये स्थगित की जाती है.
अपरान्ह्न
5.14 बजे विधान
सभा की
कार्यवाही गुरुवार
दिनांक 4 दिसम्बर, 2025
(13 अग्रहायण, शक संवत 1947 ) के प्रातः 11.00 तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल अरविन्द शर्मा
दिनांक 2 दिसम्बर, 2025 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा