मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2024 सत्र
मंगलवार, दिनांक 2 जुलाई, 2024
(11 आषाढ़, शक संवत् 1946)
[खण्ड- 3] [अंक- 2]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 2 जुलाई, 2024
(11 आषाढ़, शक संवत् 1946 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत् हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय,नमस्कार.
अध्यक्ष महोदय- कैलाश जी ने नमस्कार किया पहले प्रतिपक्ष को फिर पक्ष को.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
अपराधियों पर कार्यवाही की जानकारी
[गृह]
1. ( *क्र. 591 ) श्री पंकज उपाध्याय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना जिले के थाना जौरा में FIR 719, दिनांक 30.11.2023 के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है? अरोपियों को कब तक गिरफ्तार किया जायेगा? (ख) क्या जौरा विधानसभा में कानून व्यवस्था की हालत बहुत गंभीर है? जनवरी 2023 से लेकर जून 2024 तक कितने अपराध हुये एवं कितने अपराधी, आरोपी गिरफ्तार एवं कितने फरार हैं?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) : (क) जी हाँ। थाना जौरा के अपराध क्रमांक 719/23, धारा 365, 342, 294, 323, 506 भा.द.वि. के प्रकरण में आरोपी मुलायम सिंह की गिरफ्तारी हेतु हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं तथा संभावित स्थानों पर दबिश की कार्यवाही की जा रही है। प्रकरण विवेचना में है। गिरफ्तारी की समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) जौरा विधान सभा क्षेत्र में कानून व्यवस्था सुदृढ़ है। हाल ही में विधान सभा एवं लोक सभा चुनाव शांति पूर्वक रूप से सफलतापूर्वक संपन्न कराये गये हैं। अपराध एवं अपराधियों पर ठोस नियंत्रण है। जनवरी 2023 से प्रश्न प्राप्ति दिनांक 10 जून, 2024 तक जौरा विधान सभा क्षेत्र में कुल 2017 अपराध घटित हुये हैं, जिनमें 322 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है तथा फरार घोषित आरोपियों की संख्या निरंक है।
श्री पंकज उपाध्याय- क्या मुख्यमंत्री महोदय बताने की कृपा करेंगे कि क्या मुरैना जिले के थाना मे एफआईआर क्रमांक 719 दिनांक 30.11.2023 के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया आरोपियों को कब तक गिरफ्तार किया जाएगा. क्या जौरा विधानसभा क्षेत्र में कानून व्यवस्था की हालत बहुत गंभीर है. जनवरी 2023 से जून 2024 तक कितने अपराध हुए और कितने अपराधी गिरफ्तार हुए.
राज्यमंत्री लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से इन दोनों प्रश्नों के उत्तर सदन में देना चाहूंगा. अपराध क्रमांक 719/23 पूर्णत: राजनीतिक मुकदमा है, इसमें ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष ने शिकायत की है जो शिकायत की है वह यह है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के भतीजे हैं. यह प्रथम दृष्टया पूर्णत: राजनीतिक मुकदमा है. दूसरा विषय इसमें ये जो धाराएं लगाई गई हैं, उन सभी में 7 वर्ष से कम की सजा है, पूर्व में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार तथा अभी नई भारतीय न्याय संहिता के अधीन जिसमें 7 वर्ष से कम की सजा है, उनमें गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है. इसलिए गिरफ्तारी पर जोर कम रहा परन्तु उनको उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराने के लिए संबंधित अधिकारियों ने सूचित किया है. जौरा विधानसभा के अंतर्गत जो अपराध घटित हुए हैं, उनमें लगातार कटौत्री हुई है. वर्ष 2021 में 928 अपराध हुए थे वर्ष 2022 में 821 हुए थे वर्ष 2023 में 756 हुए हैं और अभी तक लगभग आधे वर्ष की अवधि हुई है,डॉंक्टर मोहन यादव जी के नेतृत्व में कानून व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से बहुत अच्छा सुधार हुआ है. केवल 288 अपराध अभी घटित हुए हैं. जहां तक अपराधों में गिरफ्तारी का विषय है अभी तक 7 वर्ष से अधिक सजा के अपराध कायम हुए हैं, उनमें 134 अपराधियों की गिरफ्तारी वांछित थी, जिसमें से 106 अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जो लगभग 80 प्रतिशत है. 7 वर्ष से कम सजा के जो अपराध है उनमें 1803 अपराधी अपेक्षित थे, जिनको नोटिस देकर अथवा गिरफ्तार करकर 1568 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, जो लगभग 87 प्रतिशत था तो मैं समझता हूं यह संतोषजनक कार्य यहां पर हुआ है.
श्री पंकज उपाध्याय-- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के जवाब से पूर्ण रुप से असहमत हूं. इन्होंने गलत, भ्रामक जानकारी सदन को दी है. क्या कोई राजनैतिक व्यक्ति कोई अपराध करता है, तो क्या उसको गिरफ्तार नहीं किया जायेगा. यह मंत्री जी बताने का प्रयास करें, स्पष्ट करें कि कोई राजनैतिक व्यक्ति का अपहरण हुआ है, एक ब्लाक अध्यक्ष का अपहरण हुआ है, हमारे ब्लाक अध्यक्ष का, लेकिन मंत्री जी कह रहे हैं कि राजनैतिक है. हमने सीडीआर से जांच की मांग की, आप सीडीआर से पता लगाइये कि जहां पर घटना हुई है, वहां से 25 किलोमीटर दूर आापके पुलिस के अधिकारियों ने उसको छुड़वाया हमारे ब्लाक अध्यक्ष को. रात के डेढ़ बजे वहां पर आपके 10-12 लोग क्या कर रहे थे. यह सीडीआर की जांच से आपको स्पष्ट होगा. आपकी पुलिस केवल..
अध्यक्ष महोदय-- पंकज जी, आप प्रश्न करें, आप क्या पूछना चाहते हैं.
श्री पंकज उपाध्याय-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यह है कि उन्होंने उत्तर दिया कि राजनैतिक अपराध हुआ है. तो क्या राजनैतिक अपराध में गिरफ्तारी नहीं होगी. एफआईआर में 10 लोगों के नाम हैं. 10 अज्ञात एफआईआर में बताया. यह निरन्तर रोज हमारे जो ब्लाक अध्यक्ष हैं और जो हमारे गवाह हैं, उनको डराया धमकाया जा रहा है, गिरफ्तारी नहीं की जा रही है. रोज उनको जान से मारने की धमकी दी जा रही है. आज तक 8 महीने होने के बावजूद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. दूसरा यह कह रहे हैं कि अपराध कम हुए हैं. इनके उत्तर में ही है कि 1 जनवरी,2023 से 10 जून,2024 तक 2017 अपराध घटित हुए हैं, यह अपने उत्तर में दिया है. ये सदन में असत्य बोल रहे हैं कि अपराध कम हुए हैं. तो ये जितनी बातें बोल रहे हैं, या तो ये अपनी बात को वापस लें या इसको सुधार करें कि जो इन्होंने उत्तर दिया है. यह सही है कि असत्य है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य एक असंसदीय शब्द का उपयोग कर रहे हैं, तो मैं आपके माध्यम से निवेदन करता हूं कि इसको सुधार करने का कष्ट करें. दूसरा, उन्होंने प्रश्न किया है, मैंने राजनैतिक अपराध नहीं राजनैतिक प्रकरण कहा है और जब एक तरफ से ब्लाक अध्यक्ष हैं, दूसरी तरफ से भाजपा के प्रत्याशी के भतीजे हैं, तो ये स्पष्टतः राजनैतिक प्रकरण है. ..
श्री पंकज उपाध्याय-- मंत्री जी, इसीलिये शायद आप गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं कि आपके पूर्व विधायक का भतीजा है या कोई भी है, इसलिये आप गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल--माननीय सदस्य, आप सुन लीजिये ना.
श्री पंकज उपाध्याय-- अध्यक्ष महोदय,अपहरण जैसे अपराध में 8 महीने हो गये हैं, अपहरण जैसा मामला है और आप अपने उत्तर में कह रहे हैं कि हमने लोकसभा, विधान सभा चुनाव पूरा निष्पक्ष रुप से कराया है. यह विधान सभा चुनाव होने वाला था, उसके 5 घण्टे पहले की घटना है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि यह वोटिंग होने वाली है, उसके 5 घण्टे पहले हमारे लोगों को उठाया गया, अपहरण किया गया, एफआईआर दर्ज है, उसके बावजूद भी इसको आप राजनैतिक प्रकरण बता रहे हैं. यह आप देखिये.
अध्यक्ष महोदय--पंकज जी, आप प्रश्न कर लें, तो उसका जवाब आ जायेगा. भाषण का जवाब नहीं आयेगा. आप क्या पूछना चाहते हैं, यह आप प्रश्न के माध्यम से पूछें.
श्री पंकज उपाध्याय-- अध्यक्ष महोदय, मेरा यही प्रश्न है कि क्या किसी राजनैतिक व्यक्ति का, यहां पर जो सदन बैठा हुआ है, यह निर्णय ले और यह बताये कि कोई भी बीजेपी का कार्यकर्ता होगा, तो उसकी गिरफ्तारी नहीं होगी क्या.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- अध्यक्ष महोदय,गिरफ्तारी के लिये मैंने राजनैतिक प्रकरण की बात नहीं की है. गिरफ्तारी के लिये मैंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा भारतीय न्याय संहिता की बात कही है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार 7 साल से जिनमें कम की सजा है, उनमें गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है.
श्री पंकज उपाध्याय-- अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी विनम्रता से पूछना चाहता हूं कि एक 323 का प्रकरण होता है, चेक बाउंस का केस होता है. ऐसे छोटे छोटे मामलों में भी आपकी पुलिस गिरफ्तारी करके लाती है. आपकी पुलिस कोई बिजली चोरी का मामला होता है, उसमें भी आप 302 जैसी कार्यवाही करते हैं, मामला बनाते हैं. लेकिन एक मामले में 7 साल की सजा हो सकती है. अपहरण किया है, लूट हुई है, उसमें आप अभी तक गिरफ्तारी नहीं कर रहे हैं. कोई डेट बताने के लिये तैयार नहीं हो रहे हैं, किस तारीख तक आप गिरफ्तार करेंगे, कब तक गिरफ्तार करेंगे. आप इसकी सीमा तय नहीं कर रहे हैं. मैं जानना चाहता हूं कि गिरफ्तारी कब तक होगी, क्या कार्यवाही होगी और कार्यवाही होगी कि नहीं होगी कि इसको बंद कर दिया जायेगा, एक राजनैतिक प्रकरण बताकर.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- अध्यक्ष महोदय, चूंकि दूसरे पक्ष से भी आवेदन दिया गया है, दूसरे पक्ष का भी कहना है कि यह प्रकरण पूर्णतः असत्य है और यह प्रकरण दर्ज करने से पूर्व में हमारे सम्मानीय विधायक जी ने...
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय, इसमें जो सामने वाली पार्टी है, उन्होंने भी आवेदन दिया है और जांच अभी चल रही है. यदि इसमें ऐसा लगेगा कि गिरफ्तारी होना चाहिये..
श्री पंकज उपाध्याय-- मंत्री जी, मैं फिर से बोल रहा हूं कि इसको 8 महीने हो गये हैं..
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- आप पूरी बात तो सुन लीजिये.
अध्यक्ष महोदय--पंकज जी, एक मिनट. संसदीय कार्य मंत्री जी बोल रहे हैं.
श्री अभय मिश्रा:- अध्यक्ष महोदय, क्या उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी ?
अध्यक्ष महोदय:- अभय जी, संसदीय कार्य मंत्री जी कुछ बोल रहे हैं.
श्री अभय मिश्रा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई जांच चल ही नहीं रही है.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठें. संसदीय कार्य मंत्री जी बोल रहे हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय:- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने एप्लीकेशन दी है यह झूठा मुकदमा है, जांच अधिकारी जांच कर रहा है. 15 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट आ जायेगी उसके बाद फिर कार्यवाही की जायेगी.
श्री अभय मिश्रा:- माननीय अध्यक्ष जी, यह मंत्री जी ने इस मामले को यहीं न्यायाधीश बनकर पहले ही मुकदमा घोषित कर दिया. माननीय आप यह देखिये कि मंत्री जी ने मामले का झूठा मुकदमा घोषित भी कर दिया कि यह झूठा मुकदमा है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल:- माननीय अध्यक्ष जी मैं इनका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि अंग्रेजों और मुगलों के जमाने के नियम बदल गये हैं, दंड संहिता की जगह अब न्याय संहिता है. न्याय संहिता में दोनों पक्षों को सुना जायेगा.
श्री अभय मिश्रा :- जनता देख रही है कि आप कर क्या रहे हो.
श्री पंकज उपाध्याय:- अध्यक्ष जी, इस प्रकरण में मेरा आपसे निवेदन है कि चूंकि आप हमारे जिले के ही जनप्रतिनिधि हैं. मेरा आपसे अनुरोध हैं कि यह दिखना चाहिये की आप विधान सभा में अध्यक्ष बनकर गये हैं तो भेदभाव नहीं होगा और समान रूप से कार्यवाही होगी. यह मेरा आपसे अनुरोध है.
थाना-चौकियों की सीमाओं का निर्धारण
[गृह]
2. ( *क्र. 435 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन गृह विभाग मंत्रालय के आदेश क्र. 01/1770880/2023/बी-3/दो भोपाल, दिनांक 02.1.2024 के अनुसार थाना चौकियों की सीमाओं का निर्धारण किया जाना था, जिसमें खरगापुर विधान सभा के ग्राम-फूलपुर, भटगोरा, गुड़ा, नज, पाली, मोररमन्ना, मगरई, पाली को थाना खरगापुर से हटाकर थाना जतारा में जोड़े जाने की प्रार्थना की गई थी? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित ग्रामों को थाना खरगापुर से अपवर्जित कर थाना जतारा में जोड़े जाने हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा तारांकित प्रश्न क्रमांक 767 पर सदन में चर्चा की गई, जिसमें प्रश्नकर्ता को मान. संसदीय कार्य मंत्री महोदय द्वारा बताया गया कि आशा सिंह के द्वारा याचिका मान. उच्च न्यायालय में लगाई गई है, उसे वापिस ले लें तब सरकार विचार करेगी? (ग) क्या आशा सिंह द्वारा उक्त याचिका मान. उच्च न्यायालय जबलपुर से दिनांक 26.02.2024 को W.P. नं. 12224 वापिस लिये जाने का आवेदन पत्र दे दिया है और याचिका वापिस कर ली गई है? क्या सरकार क्षेत्र की आम जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुये ग्राम-फूलपुर भटगोरा, गुड़ा नज.पाली, मोररमन्ना मगरई, पाली को थाना खरगापुर से अपवर्जित कर थाना जतारा में जोड़े जाने के आदेश कब तक जारी कर दिये जावेंगे? कृपया समयावधि बतायें यदि आदेश जारी नहीं किये जा सकते हैं तो कारण स्पष्ट करें।
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) : (क) जी हाँ। खरगापुर विधान सभा के ग्राम फूलपुर, भटगोरा, गुड़ा, नज, पाली, मोररमन्ना, मगरई, पाली को थाना खरगापुर से हटाकर थाना जतारा में जोड़े जाने की प्रार्थना की गई थी, उक्त ग्रामों के परिसीमन संबंधी याचिका क्रमांक wp 12224/2022 (पी.आई.एल.) आशा सिंह गौर विरूद्ध म.प्र. राज्य एवं अन्य माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में लंबित होने से समिति द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया था। (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ। आशा सिंह द्वारा दिनांक 22.06.2024 को माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका क्रमांक wp 12224/2022 (पी.आई.एल.) को वापिस लिये जाने हेतु आवेदन पत्र दिया गया है, जो वर्तमान में माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, माननीय उच्च न्यायालय में सुनवाई हेतु दिनांक 18.06.2024 नियत थी, जिसमें सुनवाई नहीं हुई अग्रिम संभावित दिनांक 08.07.2024 लगाई गई है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुरूप आगामी उचित कार्यवाही की जावेगी। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर:- माननीय अध्यक्ष महोदय, विगत विधान सभा सत्र में माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी के आश्वासन के भरोसे से माननीय उच्च न्यायालय में दायर याचिका दिनांक 26.02.2024 को याचिकाकर्ता द्वारा वापस लेने के बाद शासन को मेरे प्रश्न के ग्रामों फूलपुर भटगोरा, गुड़ा नज.पाली, मोररमन्ना मगरई, पाली को थाना जतारा में जोड़ने हेतु विलंब नहीं किया जाना चाहिये.
माननीय मंत्री जी, अनुरोध है सदन में घोषणार करें कि उपरोक्त ग्रामों को खरगापुर थाने से बदलकर जतारा थाने में जोड़ा जाये, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की आम जनता को नजदीक के थाने की सुविधा प्राप्त हो सके.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने यह प्रश्न पूर्व में भी लगाया था और इस प्रश्न पर विस्तार से चर्चा हुई थी और अभी सदस्य ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार याचिका वापस लगाने के लिये उन्होंने आवेदन किया है, परंतु न्यायालय ने उसको स्वीकार नहीं किया है. उसमें पहले 18 जून की तारीख लगी थी, जो बदलकर पुन: 18 जुलाई को संभावित है इसलिये अभी न्यायालय में ही प्रकरण है, यथास्थिति है.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर:- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी, संसदीय कार्य मंत्री जी के आश्वासन पर भरोसा था और याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली है, जो उत्तर में स्वीकार भी किया है तो फिर क्या परेशानी है. याचिका वापस लेने के बाद न्यायालय अपने मन से थोड़े ही केस लगाता है. इसीलिये आप जनहित में सदन में घोषणा करें कि प्रश्न में उल्लेखित ग्रामों को थाना खरगापुर से बदलकर थाना जतारा में जोड़ा जाता है.
माननीय मंत्री जी, इन ग्रामों को थाना जतारा में जोड़ने से जनता का आपके ऊपर परोपकार होगा.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या जी को मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि जिन 6 गावों की चर्चा हो रही है उनके गुड़ा की दूरी जतारा से 27 किलोमीटर है जो अब घटकर 17 किलोमीटर हो गयी है. पाली की पहले जतारा से दूरी 33 किलोमीटर थी वह अब 16 किलोमीटर हो गयी है, मगरई की दूरी 30 किलोमीटर थी वह 18 किलोमीटर हो गयी है, मोररमन्ना की दूरी 35 किलोमीटर थी वह अब 20 किलोमीटर हो गयी है और फूलपुर की यथावत है. मैं फिर माननीय सदस्या से आपके माध्यम से निवेदन करता हूं कि चूंकि पहले जो स्थिति है अभी भी वही स्थिति है और यह भी कहना चाहूंगा यदि न्यायालय से याचिका वापस हो भी जायेगी तो उसके तथ्य, प्रमाण और जनता की भावना के अनुरूप जो जिले की समिति है वह निर्णय करेगी.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी गलत जानकारी दे रहे हैं, इनको गलत जानकारी मिली है.
अध्यक्ष महोदय:- आपके दो प्रश्न हो गये हैं, आप बैठ जायें.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर:- मंत्री जी फिर जांच करवा लें कि कितनी दूरी है. कहीं 7 किलोमीटर, कहीं 8 और 10 किलोमीटर दूरी है. आप बता रहे हैं कि 17, 15 किलोमीटर. ऐसी दूरी है नहीं. मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय:- अभी मंत्री जी ने आपको बताया कि कितनी दूरी कम हुई है और उसके बाद भी वह समिति है, वह उसकी जांच करेगी तो समिति के समक्ष आप अपना पक्ष रख सकती हैं.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर:-क्या लिखित में याचिका वापस होती है और
यदि लिखित में माननीय उच्च न्यायालय देता है तो क्या आप जतारा थाने में जोड़ेगें की नहीं ?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहूंगा कि याचिका वापस होने के बाद भी जिले की समिति तय करेगी, जिले की समिति सभी पक्षों को सुनेगी और जो निर्णय होगा, वह सबके सामने आएगा.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर - जिले की समिति तय करेगी तो क्या आप जोड़ देंगे?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - सौ प्रतिशत हो जाएगा.
आंगनवाड़ी भवनों की स्थिति
[महिला एवं बाल विकास]
3. ( *क्र. 466 ) श्री मोहन सिंह राठौर : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) ग्वालियर जिले के 18 भितरवार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कितने आंगनवाड़ी एवं उप आंगनवाड़ी केन्द्र भवन विहीन हैं? सूची उपलब्ध करायें। (ख) क्या विगत 04 वर्षों में ग्वालियर जिले में परियोजना कार्यालय सह प्रशिक्षण केन्द्र स्वीकृत किये गये थे? यदि हाँ, तो कितने एवं कहां-कहां? (ग) भितरवार विधानसभा क्षेत्र में परियोजना कार्यालय सह प्रशिक्षण केन्द्र/आंगनवाड़ी भवन निर्माणाधीन हैं तथा कितने अपूर्ण एवं अप्रारंभ हैं? ये कब तक पूर्ण किये जायेंगे, इनकी स्वीकृति वर्ष, राशि, क्रियान्वयन एजेन्सी एवं मद सहित सूची उपलब्ध करायें। निर्धारित समय-सीमा में कार्य पूर्ण न होने का कारण स्पष्ट करें तथा निर्माण एजेन्सी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (घ) विधानसभा क्षेत्र भितरवार में जनसंख्या के मान से कितने आंगनवाड़ी केन्द्र/उप आंगनवाड़ी केन्द्रों की आवश्यकता है? क्या जहां आवश्यक है, वहां केन्द्र खोले जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) ग्वालियर जिले के 18 भितरवार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 70 आंगनवाड़ी एवं 30 उप आंगनवाड़ी केन्द्र भवन विहीन है। भवन विहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) 18 भितरवार विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 30 आंगनवाड़ी भवन निर्माणाधीन/अपूर्ण एवं 32 आंगनवाड़ी भवन अप्रारंभ हैं। इनके स्वीकृति वर्ष, राशि, क्रियान्वयन एजेन्सी, मद एवं निर्धारित समय-सीमा में कार्य पूर्ण न होने के कारण सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) विधानसभा क्षेत्र 18 भितरवार में अंतर्गत जनसंख्या के मान से 55 आंगनवाड़ी केन्द्र/उप आंगनवाड़ी केन्द्रों की आवश्यकता है। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं जानना चाहता हूं कि मेरे भीतरवार विधान सभा क्षेत्र में 100 आंगनवाड़ी, भवनविहीन हैं. इनमें से 62, वर्ष 2008 से लेकर 2024 के बीच में स्वीकृत हुए हैं. इन 62 में आज तक 32 अपूर्ण हैं और 30 बनने ही प्रारंभ नहीं हुए. इनका कब तक कार्य प्रारंभ होगा? इसकी समय-सीमा निश्चित करें और जो अपूर्ण कार्य हैं, उनके लिए जो एजेंसी या अधिकारी जिम्मेवार है, उनके खिलाफ क्या आप कार्यवाही करेंगे?
सुश्री निर्मला भूरिया - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहती हूं कि जो माननीय सदस्य ने प्रश्न किया है, इनका मूल प्रश्न था कि भीतरवार विधान सभा क्षेत्र में आंगनवाड़ी और उप आंगनवाड़ी की जो स्थिति है कि कहां भवन हैं, और कहां भवन नहीं हैं, उसकी जानकारी प्रश्नांश क में चाही है. वह जानकारी हमने पृथक से परिशिष्ट में उपलब्ध करा दी है. जिन आंगनवाड़ी केन्द्रों के बारे में अभी जो पूछा है कि जो अपूर्ण हैं या स्वीकृत की गई थी तो जैसे-जैसे फंड हमें मिलता है, उस हिसाब से हम उन आंगनवाड़ियों को शुरू करते हैं और जो अपूर्ण हैं, उसमें कहीं जमीन नहीं मिली या कहीं किसी तरह की परेशानियां जहां पर आई हैं तो उनको हल करके हम शीघ्र जो अधूरी हैं, उनको पूर्ण कराएंगे और जो किसी वजह से शुरू नहीं हो पाई हैं तो उनको भी हम कराएंगे.
श्री अभय मिश्रा - क्या यह काम पूरे प्रदेश में होगा?
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि परिशिष्ट अ और ब में ही यह जानकारी माननीय मंत्री जी ने दी है, जिसमें 62 अपूर्ण हैं, 30 का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ. 32 का कार्य प्रारंभ हुआ, लेकिन वह आज तक बनी नहीं हैं तो इसके लिए तो मेरे ख्याल से जिम्मेदारी तय करना चाहिए, उसके बारे में आप बताएं ?
सुश्री निर्मला भूरिया - अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने बताया है कि जैसे जैसे हमें फंड की उपलब्धता रहती है वैसे वैसे हम यह काम कराते हैं और भिन्न-भिन्न योजनाओं से हमें फंड उपलब्ध होता है, उनसे इसकी पूर्ति करवाते हैं. जो अपूर्ण हैं उनको भी पूर्ण कराने की हम व्यवस्था कर रहे हैं, जिन्होंने कार्य नहीं किया है उनको नोटिस भी दिया है. 2-3 जगहों पर जिन्होंने काम नहीं किया है, उनसे पैसे भी हमने वापस करवाए हैं.
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, 16 साल हो गये हैं. मेरे क्षेत्र में करीब 20000 आदिवासी हैं. माननीय प्रधानमंत्री जी जनमन योजना के अंतर्गत तमाम सारी उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे हैं तो उसी में यह आता है, उसको आप किसी भी प्रकार से करें. इसके अलावा मैं दूसरी बात यह कहना चाहता हूं कि 55 आंगनवाड़ी केन्द्र नवीन स्वीकृत करने के लिए विभाग ने हमको जानकारी बताई है कि 55 आंगनवाड़ी हमें और स्वीकृत करनी है तो इन्हें कब तक करेंगे, इसके बारे में मैं जानकारी चाहता हूं?
सुश्री निर्मला भूरिया - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को मैं यह बताना चाहूंगी कि 55 आंगनवाड़ियां भवनविहीन हैं, उसमें भी जैसे जैसे हमें फंड की उपलब्धता रहेगी, उसमें कार्य करवा देंगे. 23 आंगनवाड़ी केन्द्र के लिए हमको फंड मिल गया है, उसको हम जल्दी से जल्दी करवाएंगे. हमारे प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र भाई मोदी, जनमन के माध्यम से भी जो जनजाति क्षेत्र हैं वहां पर भी आंगनवाड़ी खोलने की और उनको बनाने की व्यवस्था करते हैं तो अगर उस क्राइटेरिया में आपके क्षेत्र में भी यह जनजातियां आती हैं तो वहां पर भी हम भवन बना देंगे और खोल देंगे.
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, 55 नयी स्वीकृत होनी है.
अध्यक्ष महोदय - श्री मोहन सिंह राठौर जी, दो सप्लीमेंट्री प्रश्न करने होते हैं, आपने तीन प्रश्न कर लिये हैं.
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, मेरा जवाब नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री महोदया, इसको जरा गंभीरता से देखें.
सुश्री निर्मला भूरिया - अध्यक्ष महोदय, जी हां.
श्री मोहन सिंह राठौर - धन्यवाद.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने अपनी पीड़ा सुनाई कि 16 साल से उनके क्षेत्र में आंगनवाड़ी नहीं बनी. अब आप लाखन सिंह जी की पीड़ा समझ सकते हैं और हम सब की पीड़ा समझ सकते हैं कि आंगनवाड़ी केन्द्र के भवन जब नहीं बन पा रहे हैं, तो कहां पर विकास है ? आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी की तारीफ करना हम सब का फर्ज है लेकिन सबसे निचले स्तर पर बच्चों की सुरक्षा के लिए, व्यवस्था के लिए क्या आप कोई निश्चित योजना बनाकर बताएंगे.
सुश्री निर्मला भूरिया -- अध्यक्ष महोदय, माननीय अजय सिंह जी, जो हमारे वरिष्ठ नेता हैं और चूंकि अगर अच्छा काम करते हैं तो उसकी तारीफ भी करना चाहिए और हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने पहली बार जन-मन योजना के अंतर्गत ऐसी जातियों के लिए खासकर ....
अध्यक्ष महोदय -- अजय सिंह जी ने तारीफ भी की है. वे यह पूछ रहे हैं कि क्या योजना बनाकर इसको त्वरित गति से कराएंगे ?
सुश्री निर्मला भूरिया -- अध्यक्ष महोदय, बनाएंगे. ऐसी हम लोगों को चिन्ता है और हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी को भी चिन्ता है और हमको भी चिन्ता है क्योंकि हम खुद ऐसे आदिवासी एरिया से जीतकर आते हैं जहां के बच्चे दूरदराज के गांवों में रहते हैं. नदी-नालों को पार कर आते हैं और हमें चिन्ता है इसीलिए हमारा आगे यह प्लान है कि हम ऐसी जगहों पर, जहां पर आगंनवाड़ी भवन नहीं हैं, वहां पर आंगनवाड़ी भवन बनाएंगे.
जीर्ण-शीर्ण आंगनवाड़ी भवन और विद्युत व्यवस्था
[महिला एवं बाल विकास]
4. ( *क्र. 470 ) श्री विपीन जैन : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) मंदसौर जिले अंतर्गत कितने आंगनवाड़ी भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, जो विभाग के अन्य शासकीय भवन और किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं? (ख) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 580, दिनांक 09.02.2024 के परिशिष्ट (ब) में अपूर्ण तीन आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य कब तक पूरा कर लिया जायेगा? निर्माण कार्य में देरी के क्या कारण हैं? (ग) क्या जिले अंतर्गत संचालित सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बिजली कनेक्शन होकर प्रकाश हेतु लाइट, विद्युत पंखे आदि की व्यवस्था है और यदि नहीं, तो किन-किन आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बिजली कनेक्शन, विद्युत व्यवस्था नहीं है, सूची देवें। बिजली व्यवस्था कब तक कर दी जायेगी? (घ) क्या शहरी क्षेत्र में संचालित किराए के आंगनवाड़ी भवनों को समय पर किराया न देने और वर्तमान महंगाई अनुसार कम किराया देने के कारण अच्छे आंगनवाड़ी केंद्र भवन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) मंदसौर जिले अंतर्गत 18 आंगनवाड़ी भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, जो अन्य शासकीय भवनों में संचालित हो रहे हैं। (ख) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 580, दिनांक 09.02.2024 के पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'ब' में अपूर्ण 03 आंगनवाड़ी भवनों में से 02 आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है। निर्माण एजेंसी द्वारा कार्य शीघ्र पूर्ण करने का लेख किया गया है। शेष 01 आंगनवाड़ी भवन में स्थल विवाद होने से प्रकरण न्यायालय में प्रचलित है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी, नहीं, विद्युत व्यवस्था विहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है, आंगनवाड़ी केन्द्रों में विद्युत व्यवस्था वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (घ) जी नहीं। शहरी क्षेत्र के किराये पर संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र के भवनों का माह मई 2024 तक का किराया भुगतान किया जा चुका है। शासन द्वारा निर्धारित मापदण्ड एवं राशि अनुसार किराये पर संचालित आंगनवाड़ी भवनों का किराया भुगतान किया जा रहा है।
श्री विपीन जैन -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मंदसौर जिले के अंदर आंगनवाड़ी के भवनों के अंदर विद्युत व्यवस्था एवं पंखों की व्यवस्था के संबंध में था. माननीय मंत्री जी ने जो मुझे बताया कि सूची के अंदर 343 आंगनवाड़ी भवन के अंदर विद्युत व्यवस्था नहीं है और वहां बच्चों के लिए पंखे भी नहीं हैं. जहां हमारे देश के भविष्य के छोटे-छोटे बच्चे बैठते हैं तो मैं माननीय मंत्री महोदय जी से यह जानना चाहता हॅूं कि जल्दी से जल्दी उन आंगनवाड़ियों में विद्युत व्यवस्था हो और वहां पंखे लगे.
सुश्री निर्मला भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को यह बताना चाहूंगी कि उन्होंने जो 343 आंगनवाड़ी भवनों में पंखे लगाने की बात कही है चूंकि वे भवन हमारे नहीं हैं वे दूसरे विभागों के शासकीय भवन हमने लेकर के उसमें संचालित कर रहे हैं और हम कोशिश करेंगे कि किसी भी तरह से उन भवनों में लाईट की व्यवस्था या पंखे की व्यवस्था करें, ऐसा हमारा प्रयास रहेगा.
श्री विपीन जैन -- अध्यक्ष महोदय, इस बार 45 से 50 डिग्री तक टेम्प्रेचर पहुंच चुका था. हम भी अगर पंखे के बिना नहीं बैठ सकते, तो छोटे-छोटे बच्चे जो देश का भविष्य हैं, वे बिना पंखे के कैसे बैठेंगे ?
सुश्री निर्मला भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय सदस्य कह रहे हैं जो चिन्ता व्यक्त कर रहे हैं, वह चिन्ता हमें भी है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, जैसे ही टेम्प्रेचर बढ़ा, कलेक्टर्स ने सारे स्कूल और आंगनवाड़ियां बंद करवा दी थीं. पहली बात तो यह है. दूसरी बात के लिए मैं निवेदन करना चाहता हॅूं कि जिस समय टेम्प्रेचर बढ़ा, सारे स्कूल बंद थे, सारी आंगनवाडि़यां बंद थीं. इसलिए आप यह कह रहे हैं कि 45 डिग्री में आंगनवाड़ियां चालू थीं, तो मैं यह नहीं मानता. मैं इसमें सभी दलों के सभी माननीय विधायकों से निवेदन करना चाहता हॅूं कि मेरा बेटा इस सदन में विधायक था. उसने सारी आंगनवाड़ियों में पंखे, पानी की टंकी सब जनसहयोग से करवाया. हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं रहें. बहुत सारे समाजसेवी, जो देना चाहते हैं, उनके बीच में जाकर सब फाइव स्टार आंगनवाड़ियां बनी हैं.
..(व्यवधान)...
श्री पंकज उपाध्याय -- अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी कहना चाहते हैं कि सरकार कुछ नहीं कर पाएगी. मंत्री जी कहना चाहते हैं कि सरकार बच्चों के लिए पंखे भी नहीं लगा पाएगी. आंगनवाड़ी के भवन ही नहीं बना पाएगी...(व्यवधान)...
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय कैलाश जी ने एक बहुत अच्छी बात कही कि बिजली नहीं थी, तो कलेक्टरों ने आंगनवाड़ी बंद करवा दी. अब बिजली नहीं रहेगी, तो आंगनवाड़ी भी बंद हो जाएगी और बिजली नहीं रहेगी, तो क्या-क्या बंद करेंगे कैलाश जी ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- उसको टर्न मत करिए. टेम्प्रेचर बढ़ा, जब विद्यालय बंद हुए और यह सारे प्रदेश के अंदर और देश के अंदर किए थे.
श्री भंवर सिंह शेखावत—अध्यक्ष महोदय, माननीय कैलाश जी आप हमारे बहुत बड़े नेता है. यह आंगनवाड़ी की समस्या सब विधायकों की है. यह बीजेपी एवं कांग्रेस की समस्या नहीं है. पूरे प्रदेश के अंदर आंगनवाड़ियों की स्थिति ऐसी है कि वहां पर सिर्फ कुत्ते बैठे रहते हैं, वहां पर बच्चे तो बैठ भी नहीं सकते हैं, यह स्थिति है ? वहां पर न तो कोई सफाई होती है और न ही कोई वहां देखने वाला है. आज तक का बजट उठाकर के देखिये मैं आदरणीय देवड़ा जी से निवेदन करना चाहता हू्ं कि यह समस्या माननीय कैलाश जी इस बात की नहीं है कि टेम्प्रेचर बढ़ रहा है या कम हो रहा है. यह समस्या प्रदेश के अंदर इस बात की है कि इसके लिये बजट में पैसा ही नहीं है. जितना पैसा है उसका 10 प्रतिशत भी खर्च नहीं हो रहा है. यह स्थिति बनने के कारण पूरे प्रदेश की स्थिति खराब है. इसको एक ऐसी समस्या के रूप में लेकर सब लोग मिलकर के करिये. यह दल वह दल मत करिये. इस समस्या के लिये यहां से रो रहे हैं, हम वहां पर भी रोते थे. समस्या एक ही है कि जितना पैसी स्वीकृत हो रहा है, उतना खर्च ही नहीं हो रहा है. हमारे सारे लोग परेशान हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में मनरेगा के कार्यों पर भी रोक लगा दी गई है. इससे सरकार का कंगालिया पन स्पष्ट रूप से दिख रहा है. मजदूरों को पैसा देने के लिये कुछ है नहीं और यहां पर बड़ी बड़ी बातें कही जा रही है. स्मार्ट सिटि बनाएंगे, यह बनाएंगे.
अध्यक्ष महोदय—कटारे जी आप कृपया बैठिये. श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी की बात रिकार्ड में आयेगी बाकी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री हीरालाल अलावा---(xxx)
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय कैलाश जी ने यहां पर बात रखी. उनके बेटे ने, पूर्व विधायक ने अपने क्षेत्र में समाज के लोगों को बोलकर के कार्यों को किया. मैं भी गारंटी के साथ इस बात को कह रहा हूं कि मेरी विधान सभा में 450
आंगनवाड़ियां हैं. एक भी आंगनवाड़ी में बच्चा जमीन पर नहीं बैठता है. मध्यप्रदेश की सबसे पहली...
श्री हीरालाल अलावा—अध्यक्ष महोदय, यह कुछ भी बात बता रहे हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—अध्यक्ष महोदय, आप बैठिये तो मेरी बात पूरी होने दीजिये उसके बात बोलिएगा.
श्री हीरालाल अलावा—पूरे प्रदेश में आंगनवाड़ियों में भवन तक नहीं हैं, यह गलत बयानबाजी कर रहे हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—अध्यक्ष महोदय, सरकार तो किराये पर भी भवन लेने के लिये तैयार है. यह समस्या स्थानीय ज्यादा है. न कि विधान सभा स्तर की बात है. अगर आप लोग अपने अपने कलेक्टर कार्यालय में बैठकर वहां पर चर्चा करें कि किराये का मकान अगर किसी आंगनवाड़ी ने लिया वह सही नहीं लिया, उस पर आप चर्चा करें. जब नगरीय निकाय में पांच हजार रूपये किराया मिलता है एक कक्ष के लिये तो सही भवन का चयन क्यों नहीं हो रहा है ? यह समस्या यहां के स्तर के बजाय वहां के स्तर की है. यह भी बड़ी गंभीरता के साथ कहना चाह रहा हूं कि थोड़ी सी जब तक जन निगरानी नहीं आयेगी तब तक अंतिम छोर तक यह काम नहीं सुधर पायेगा. सरकार ने 2 हजार रूपये किराया ग्रामीण में कर दिया है. तो क्यों नहीं आंगनवाड़िया चला रहे हैं. यह सवाल को मैं जानना चाहूंगा.
श्री हीरालाल अलावा—आज 70 साल हो गये हैं आज भी आंगनवाड़ियों में भवन तक नहीं हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—अध्यक्ष महोदय, यह बजट सत्र चल रहा है बजट सत्र में बात हो रही है कि घर से पैसा लगाओ, सरकार की यह स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय—कोई इस तरह का सुझाव दे रहा है तो उस सुझाव का उपहास नहीं उड़ाना चाहिये. हर आदमी की अपनी क्षमता नहीं होती है कि वह बहुत सारे समाज सेवियों को इकट्ठा कर सकें. इस सुझाव को मानने के लिये कोई बाध्यता थोड़े ही है. इस सुझाव को माने तो बहुत अच्छा है.
श्री ओम प्रकाश सखलेचा—यह समस्या स्थानीय स्तर की समस्या है.
श्री महेश परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सदन में सभी सदस्य पूर्व मंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे नहीं है.(..व्यवधान) हम बहुत संघर्ष करके जीतकर जनता की बात करने के लिए यहां आए हैं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 5, अब आगे बढ़ गए हैं. विपिन जी अब बैठ जाइए, वित्त मंत्री जी के ध्यान में आ गया है. अब आप बैठ जाइए.
श्री महेश परमार - अध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्री जी का जिला है, आदेश करेंगे तो सब आंगनवाड़ी बन जाएगी मंदसौर जिले में, वित्त मंत्री जी अभी बोले हैं हमारे साथी के लिए.
अध्यक्ष महोदय - महेश जी आपका बोला हुआ रिकार्ड में नहीं आ रहा है . देवेन्द्र सखवार जी को अपना प्रश्न करने दीजिए.
दैनिक वेतन भोगी/संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण
[सामान्य प्रशासन]
5. ( *क्र. 104 ) श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा दैनिक वेतन भोगी/संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की क्या योजना है? (ख) वर्ष 2016 से प्रश्न दिनांक तक शासन ने कितने कर्मचारी नियमित किये हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में जिन कर्मचारियों को प्रश्न दिनांक तक नियमित नहीं किया गया है, उन्हें कब तक नियमित कर दिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्रीमती कृष्णा गौर) : (क) सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञाप क्रमांक एफ-5-3/2006/1/3, दिनांक 16 मई, 2007 तथा समय-समय पर जारी स्पष्टीकरण/संशोधन अनुसार दैनिक वेतन भोगियों को विभाग में रिक्त उपलब्ध पदों पर नियमितीकरण की कार्यवाही के निर्देश हैं। नवीन संविदा नीति दिनांक 22 जुलाई, 2023 में उल्लेखित मापदण्ड अनुसार संविदा पर नियुक्त अधिकारियों/कर्मचारियों को नियमित नियुक्ति का अवसर प्रदान करने का प्रावधान है। (ख) पात्रतानुसार/नियमानुसार कर्मचारियों को नियमित किया गया है। (ग) उत्तरांश ''ख'' के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार - अध्यक्ष जी, मैंने मुख्यमंत्री जी से पूछा कि शासन द्वारा दैनिक वेतन भोगी एवं संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की क्या योजना है?
श्रीमती कृष्णा गौर(पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहूंगी कि दैनिक वेतन भोगियों के नियमितीकरण के लिए माननीय सुप्रीट कोर्ट के निर्णय के उपरांत हमारी सरकार द्वारा 16 मई 2007 को एक निर्णय लिया गया. पर्याप्त दिशा निर्देश जारी किए गए. नीति निर्धारण के साथ साथ भर्ती नियमों को और निर्धारित मापदंडों के साथ दैनिक वेतन भोगियों को नियमित किए जाने के निर्देश सरकार ने स्पष्ट रूप से सामान्य प्रशासन विभाग के सर्कुलर से जारी किए थे और जिसके तहत लगातार दैनिक वेतन भोगियों का नियमितीकरण हुआ और इसमें जो दैनिक वेतन भोगी छूट गए थे, उनकी भी चिन्ता करते हुए हमारी सरकार ने 2016 में स्पष्ट दिशा निर्देश दिए और उन छूटे हुए दैनिक वेतन भोगियों को स्थायी कर्मी के रूप में नियुक्त किया. साथ ही संविदा कर्मियों को भी पर्याप्त लाभ देने का काम हमारी सरकार ने किया है और वर्ष 2023 में स्पष्ट नीति संविदा कर्मियों की नियमितीकरण की बनी है, जिसके तहत लगातार नियमितीकरण किया जा रहा है.
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि उक्त प्रावधान के अनुसार वर्ष 2016 से प्रश्न दिनांक तक शासन में कितने कर्मचारी नियमित किए गए और कितने अनियमित रहे गए और जो अनियमित रह गए हैं, क्या सरकार उनको नियमित करेगी और करेगी तो कब तक?
श्रीमती कृष्णा गौर - अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2016 के बाद जिनका नियमितीकरण हुआ है, उसमें हमारे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी की संख्या 387 है, संविदाकर्मी 32 है और स्थायीकर्मी की संख्या तो हजारों में हैं, चूंकि आपने 2016 के बाद की संख्या मांगी थी और आपने सिर्फ दैनिक वेतन भोगी और संविदाकर्मियों की संख्या ही मांगी थी, इसलिए दोनों मिलाकर कुल 419 रे दैनिक वेतन भोगी और संविदाकर्मियों का नियमितीकरण हुआ है..
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार - अध्यक्ष जी, मंत्री जी से मैं यह पूछना चाह रहा था कि जो कर्मचारी नियमितीकरण के लिए रह गए हैं, उनको कब तक नियमित किया जाएगा. मैंने देखा है कि कुछ कर्मचारी तो ऐसे हैं, जिनको रिटायरमेंट में 2-4 साल का ही बचा है.
अध्यक्ष महोदय - देवेन्द्र जी बैठ जाइए. मंत्री जी.
श्रीमती कृष्णा गौर - अध्यक्ष जी, वैसे तो नियम प्रक्रिया के तहत लगभग सभी दैनिक वेतन भोगियों का नियमितीकरण किया जा रहा है और जो भर्ती नियमों के तहत आते हैं निर्धारित मापदंडों को पूरा करते हैं, उनमें कहीं कोई त्रुटि नहीं हो रही है. लेकिन अगर कोई ऐसा विषय माननीय सदस्य के संज्ञान में हैं तो वह हमारे ध्यान में लाए, हम जरुर उसका परीक्षण करवाकर उसको करेंगे.
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार - अध्यक्ष जी, मैं समय सीमा पूछ रहा हूं.
श्रीमती कृष्णा गौर - कोई समय सीमा नहीं होती.
बिंजलवाड़ा उदवहन सिंचाई परियोजना
[नर्मदा घाटी विकास]
6. ( *क्र. 582 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत बिंजलवाड़ा उदवहन सिंचाई परियोजना की स्वीकृति कब और कितनी राशि की जारी की गई थी? इसकी पूर्ण करने की समयावधि क्या निर्धारित की गई थी? वर्तमान तक परियोजना में कितनी राशि का व्यय हो चुका है तथा कार्य की भौतिक स्थिति क्या है तथा परियोजना कब तक पूर्ण की जायेगी? क्या उक्त परियोजना की स्वीकृत राशि में बढ़ोत्तरी की गई है? हाँ तो वर्तमान स्वीकृत राशि क्या है? क्या पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा जून 2023 में कार्य पूर्ण कर लोकार्पण करने की खरगोन सभा के दौरान घोषणा की गई थी? हाँ तो क्या कारण है कि जून 2024 तक कार्य अधूरा एवं अपूर्ण है तथा इसके लिए कौन दोषी है? उक्त परियोजना का कार्य विलम्ब करने के कारण वर्तमान तक संबंधित ठेकेदार के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है तथा सिंचाई हेतु किसानों को कब पानी उपलब्ध होगा?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) : प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 02.12.2016 को राशि रू. 745.00 करोड़ की। दिनांक 19.10.2021 थी। राशि रू. 731.31 करोड़। परियोजना का 87 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है एवं योजना, दिनांक 31.12.2024 तक पूर्ण हो जायेगी। प्रश्न दिनांक तक नहीं की गई है। जी हाँ। पम्प हाउस क्रमांक-1 से 5000 हेक्टेयर क्षेत्र में टेस्टिंग कर पानी दिया जा रहा है। भू-अर्जन में देरी तथा एम.पी.पी.टी.सी.एल. के द्वारा पम्प हाउस क्रमांक-03 पर कनेक्शन हेतु अंदड विद्युत सब स्टेशन पर फीडर-बे का निर्माण डेढ़ वर्ष पश्चात नहीं किया गया है, जिसके कारण विद्युत कनेक्शन प्राप्त न होने से योजना अपूर्ण है। अत: कोई दोषी नहीं है। दिनांक 16.02.2024 को ब्लैक लिस्ट किया गया एवं जून 2023 की समय-सीमा समाप्त होने के पश्चात ठेकेदार को बढी़ हुई मूल्यवृद्धि नहीं दी जा रही है। एम.पी.पी.टी.सी.एल. से विद्युत संयोजन कार्य उपरांत रबी सीजन वर्ष 2024-25 में सिंचाई हेतु जल प्रदाय किया जाना लक्षित है।
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगी, क्योंकि किसानों से संबंधित मेरा प्रश्न है, एन.बी.डी. विभाग माननीय मुख्यमंत्री जी के अंडर ही है, तो निश्चित ही वह इस प्रश्न को थोड़ा संज्ञान में लेंगे.
माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को बताना चाहूंगी और जो प्रश्न का जवाब भी आया है कि यह परियोजना वर्ष 2016 में शुरू हुई और छोटी रकम नहीं है 745 करोड़ रूपये है और उसकी समय सीमा पूर्ण होने की अवधि वर्ष 2021 थी, जो अभी वर्ष 2024 आ गया है और अभी तक 731.31 करोड़ रूपया खर्च हो चुका है और मुझे बताया गया है कि 87 प्रतिशत काम पूर्ण हुआ है, तो मैं आपको बता दूं अध्यक्ष जी की मेरे प्रश्न का जवाब पूरी तरह से असत्य दिया गया है कि यह काम 87 प्रतिशत हुआ है, वह नहीं हुआ है. कुछ दिन पहले ही मैंने अपने एस.डी.ओ. और विभाग के कर्मचारियों के साथ, ठेकेदार के कर्मचारियों के साथ इसका भ्रमण भी किया है, कहीं भी कार्य पूर्ण नहीं हुआ है और यदि आप मुझे कहेंगे कि आप गलत कह रही हैं, तो मैं एक-एक किसान का शपथ पत्र भी प्रस्तुत कर देना चाहूंगी कि इतनी बड़ी परियोजना जिसका काम पूरे सात साल से अधिक समय हो गया, अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाह रही हूं कि आपने मुझे यह भी कहा है कि इसको वर्ष 2024 में ब्लैक लिस्टेड भी किया गया है, तो ब्लैक लिस्टेड किया है, तो इसका काम कौन कर रहा है?
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी की जो चिंता है, वह वाजिब है और यह परियोजना दिनांक-02/12/2016 को स्वीकृत हुई थी और इसमें 745 करोड़ रूपये की राशि जारी की गई थी और इस परियोजना का कार्य अप्रैल 2018 से प्रारंभ हुआ था और इसकी समयावधि अक्टूबर 2021 की थी, लेकिन दो तीन कारण रहे, जिसके कारण इस परियोजना में विलंब हो गया. एक तो वन विभाग की स्वीकृति मिलने में देरी हुई, पर्यावरण की स्वीकृति मिलने में देरी हुई और उस समय कोविड 19 का भी समय आ गया था, इसलिये परियोजना में विलंब हुआ है और इस परियोजना का 87 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है और आने वाले समय में सरकार ने तय किया है कि परियोजना का जो कार्य है वह दिसंबर 2024 तक पूर्ण करा लिया जायेगा और मैं अभी माननीय विधायक जी को आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि अभी 5 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई भी हो रही है और आने वाले दिसंबर 2024 तक सरकार का लक्ष्य है कि इसमें 50 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य है, वह हम पूरा करेंगे( मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार, हमारी सरकार किसान हितैषी सरकार है. हम निरंतर सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से हर किसान के खेत में पानी पहुंचाने के लिये दृढ़संकल्पित हैं और माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूं कि वर्ष 2003 और 2004 में जब कांग्रेस की सरकार थी, तो साढे़ सात लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हुआ करती थी और आज बताते हुए गर्व महसूस कर रहे हैं कि आज 50 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई हो रही है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2003-04 का रोना कब तक रोयेंगे ये. अरे आप आज अपनी सरकार की उपलब्धियां बताओ कि आप क्या कर रहे हो?
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- मैं वही बता रहा हूं. (व्यवधान)...
श्री विक्रांत भूरिया -- माननीय मंत्री जी (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय --(एक साथ कई माननीय सदस्यों द्वारा अपने आसन से कहने पर) कृपया सभी शांत रहिये. कृपया आप सभी स्थान पर बैठें. (व्यवधान)...
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय )-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्य सुनना बड़ा कड़वा होता है, माननीय मंत्री जी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार थी तो 7 लाख हेक्टेयर सिंचाई का क्षेत्र था, आज 60 लाख हेक्टेयर में भारतीय जनता पार्टी ने सिंचाई का काम किया है(मेजों की थपथपाहट) यह सत्य सुनते क्यों नहीं है, यह सत्य है इसको जरा सहन करिये. श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी गुमराह कर रहे हैं, पूरी तरह से भ्रामक जानकारी दे रहे हैं, एक भी किसान के खेत में पानी नहीं पहुंचा है. मैं आपके साथ सदन के भीतर यह बात कह सकती हूं. सिर्फ टेस्टिंग हुई, टेस्टिंग किया और उसको बंद कर दिया क्योंकि काम पूरा हुआ ही नहीं है. आप जांच के लिये एक समिति बनाकर भेज दीजिये कि मैं जो कह रही हूं यह सही है कि नहीं. एक भी किसान के खेत में पानी नहीं पहुंचा है. मेरा पूरा विधान सभा सूखा है, ट्राइवल क्षेत्र है, किसानों के पास थोड़ी-थोड़ी जमीनें हैं अगर यह पानी जाता तो उनका बहुत ज्यादा विकास होगा, भविष्य में हम इसके कितने सालों तक सपने देखेंगे. वर्ष 2016 से लगाकर के 2024, पिछले चुनाव के पहले पूर्व मुख्यमंत्री जी ने खरगोन की सभा के दौरान उन्होंने बोला सालभर में शुरू करना है, क्योंकि वोट लेना है, हर काम के लिये वोट लेने की प्राथमिकता नहीं होना चाहिये. एक बार सरकार बनी तो प्राथमिकता विकास की होना चाहिये. इन्होंने देरी की वजह एक तो बताई है कि उसकी परमीशन समय से नहीं मिली, अब बता रहे हैं कि उसका पम्प हाउस चालू करने के लिये विद्युत कनेक्शन नहीं है. यह कौन करवायेगा अधिकारियों के पास परमीशन देने का भू-अर्जन करने का काम है जो नहीं कर रहे हैं और साथ में जिस दिन से काम शुरू हुआ है ठेकेदारों ने गुणवत्ताविहीन काम ऐसे किया है कि पाइप ऊपर ही पटके जा रहे हैं, कई जगह खुदाई करके लोगों को दिखा दिया कि पाइप अंदर है, पाइप अंदर नहीं बिछा है, खोदा और अंदर बंद कर दिया और यह आंदोलन हर दिन वहां तहसील में हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्या आप वरिष्ठ हैं, आप मंत्री जी से क्या जवाब चाहती हैं यह कहिये न.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष जी, वहां गुणवत्ताविहीन काम, समय में देरी जिसमें ठेकेदार और अधिकारी दोनों शामिल हैं. माननीय मंत्री जी पूरी ताकत से कहिये कि इनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे और क्या करेंगे आप सदन को बताइये.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) अध्यक्ष जी, एक तो मैं झूमा बहन जी को धन्यवाद देता हूं आप बहुत अच्छा बोलती हैं और बहुत अच्छे तरीके से विषय रखा है और बाकी माननीय मंत्री जी ने भी कह दिया है कि दिसम्बर 2024 तक पूरी हो जायेगी, मैं समझता हूं यह विधान सभा का आश्वासन है, इस पर विश्वास करना चाहिये और मैं भी उसकी वहां पर मॉनीटरिंग करूंगा.
श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव-- माननीय अध्यक्ष जी, चूंकि मेरी विधान सभा में भी यह परियोजना चल रही है....
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी-- अध्यक्ष जी, कार्यवाही, कार्यवाही से संतुष्टि मिलेगी. अध्यक्ष जी, कार्यवाही चाहिये इतना बर्दाश्त नहीं कर सकती.
अध्यक्ष महोदय-- झूमा जी, दिसम्बर 2024 का मंत्री जी ने आश्वासन दे दिया है.
श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस हिसाब से काम चल रहा है वह दिसम्बर 2024 तक पूरा होने वाला नहीं है. मेरा अनुरोध है कि जो मांग माननीय विधायक जी ने रखी है उसकी एक समिति बनाई जाये, माननीय मंत्री जी स्वयं आयें, हम लोगों को साथ में रखें और साथ में रखकर जो भी अधिकारी ठेकेदार हैं उनके साथ में पूरी समीक्षा बैठक हो और पूरा दौरा हो.
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा निरंतर चलने वाली है.
श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस हिसाब से मंत्री जी ने कहा है कि दिसम्बर 2024 तक पानी आने वाला है पानी नहीं आने वाला, क्योंकि जो जमीनी हकीकत है वह माननीय मंत्री जी से बहुत दूर है.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी-- अध्यक्ष जी, कार्यवाही चाहिये इतनी देरी के लिये जो जिम्मेदार हैं उनके ऊपर कार्यवाही हो.
श्री अजय अर्जुन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान हितैषी सरकार है हम लोग बिलकुल मानते हैं. साढ़े सात लाख हेक्टेयर से 50-60 लाख हेक्टेयर में सिंचाई करा दी. आदरणीय विजयवर्गीय जी ने यहां तक कह दिया कि इसकी मैं मॉनीटरिंग करूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक अनुसूचित जनजाति के क्षेत्र का मामला है. माननीय मंत्री महोदय ने उत्तर में अभी कहा कि 5 हजार हेक्टेर में सिंचाई उपलब्ध हो चुकी. माननीय विधायिका महोदय कह रही हैं कि एक एकड़ में एक किसान के खेत में पानी नहीं है इस पर आपका संरक्षण चाहते हैं. माननीय मंत्री महोदय खुद विधायक महोदय भी वहां हों यदि आप समय सीमा में वहां जाकर इसका निरीक्षण करा दें और यदि गलती है, ठेकेदार काम नहीं कर रहा है तो जो भी कार्यवाही विधायिका जी चाहती हैं वह कार्यवाही करें माननीय अध्यक्ष महोदय तब पता चले कि किसान हितैषी सरकार है.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- माननीय अध्यक्ष जी, यह वाकई एक क्षेत्र की समस्या नहीं है, यह ठेकेदारों की अधिकारियों की मिलीभगत से इस तरह की योजनायें कई सालों तक लंबित होने के कारण सरकार पर भी बोझ आता है, जितना बजट होता है उस बजट का तीन गुना बजट हो जाता है जब वह प्रोजेक्ट कम्प्लीशन पर आता है. वर्ष 2017 के अंदर आदरणीय शिवराज जी के टाइम में बदनावर के अंदर नर्मदा की लिफ्ट के माध्यम से पानी लाकर के खेतों तक पानी पहुंचाने की योजना शुरू हुई थी.
अध्यक्ष महोदय-- भंवर सिंह जी लेकिन यह प्रश्न एक क्षेत्र का है.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- अध्यक्ष महोदय मेरी विधान सभा में भी यही हाल है बदनावर में भी आज 5-6 साल हो गये वहां भी यही ठेकेदार की समस्या अधिकारियों की समस्या है, जहां नर्मदा खड़ी थी वहीं खड़ी है और एक इंच बाहर नहीं आई, 6-6 साल 7-7 साल माननीय झूमा जी सही कह रही हैं. यह झूमा जी के अकेले की समस्या नहीं है बहुत सारे प्रोजेक्ट ऐसे है जिसके अंदर समय पर ठेकेदार और अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं और उससे नुकसान हो रहा है. माननीय कैलाश जी अगर मॉनीटरिंग करें तो बहुत अच्छी बात है. I appreciate you that you have started monitoring also.
श्री बाबू जण्डेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे श्योपुर में पाइप के प्रोजेक्ट में पूरी तरह से भ्रष्टाचार है.
श्री सुरेश राजे - अध्यक्ष जी, 2013 से डबरा में चल रही है. आपका तो क्षेत्र रहा है वह. 2013 से यही योजना चल रही है.
अध्यक्ष महोदय - देवेन्द्र जी, कृपया बैठिये.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी - मंत्री जी जवाब दीजिये.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, जो विषय अजय सिंह जी ने स्पेसिफिक बताया उसका जवाब आ जाये तो ठीक रहेगा.
राज्यमंत्री,संस्कृति (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो विधायक गणों की चिंता है वह वाजिब है और मैं परियोजना से संबंधित जो विलंब और अन्य प्रकार की शिकायतें आई हैं तो हम वरिष्ठ अधिकारियों की टीम भेजकर उसकी जांच करा लेंगे. दूध का दूध और पानी का पानी आ जायेगा तो आप लोग निश्चिंत रहें क्योंकि हमारी जो सरकार है वह किसान हितैषी है और निरंतर हर किसान के खेत में पानी पहुंचाने का जो सरकार का लक्ष्य है उसकी ओर सरकार बढ़ रही है और जब आप लोग सिंचाई की बात करते हैं तो मैं कांग्रेस के मित्रों से मैं कहना चाहता हूं कि आप लोग अपने गिरेबान में झांकें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, जवाब आ गया है. आगे के प्रश्न भी हैं.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, जो समिति बने उस समिति में मुझे रखा जाए ताकि मैं उसमें हर चीज से आपको अवगत कराऊंगी और मंत्री जी भी उसमें रहें.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्र.7 श्री नीरज सिंह ठाकुर
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - (..व्यवधान..) माननीय अध्यक्ष महोदय,सरकार महिला आरक्षण बिल लाने की कोशिश कर रही है और महिलाओं को संरक्षण नहीं मिल रहा है.
(..व्यवधान..)
नहरों के रख-रखाव में उदासीनता
[नर्मदा घाटी विकास]
7. ( *क्र. 461 ) श्री नीरज सिंह ठाकुर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि बरगी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बाँयीं तट मुख्य नहर माइनर, डिस्ट्रीब्यूटरी नहरों के सुधार, सफाई एवं लाईनिंग की रिपेयरिंग हेतु विगत 5 वर्षों में नहर वार कितने कार्य कितनी-कितनी राशि से कराये गये? नहर वार, राशि, निर्माण एजेंसी के नाम सहित वर्षवार जानकारी दें? क्या सफाई एवं रख-रखाव नहीं होने से अनेक नहरों में टेल तक पानी नहीं पहुँच रहा है ? बेलखेड़ा माइनर, गुबराकलाँ माइनर आदि किन-किन नहरों में पानी टेल तक नहीं पहुँच रहा है?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) : जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं। पानी पहुँचाया गया है।
श्री नीरज सिंह ठाकुर - माननीय अध्यक्ष महोदय,बरगी विधान सभा क्षेत्र में रानी अवंतिबाई लोधी सागर परियोजना के अंतर्गत रबी और खरीफ सीजन में किसानों को सिंचाई के लिये पानी दिया जाता है इसके रखरखाव पर भी समय-समय पर राशि खर्च की जाती है.2019-20,2020-21,2021-22,2022-23 और 2023-24 में भी रखरखाव और सुधार के कार्य हुए हैं जो परिशिष्ट में जानकारी प्रदाय की गई है उसके अनुसार लगभग 22 करोड़ के कार्य इन पांच वर्षों में हुए हैं मगर अफसोस यह है कि जो जवाब दिया गया है कि बेलखेड़ा टेलमाइनर और गुबराकलॉ टेलमाइनर जो टेल प्वाइंट हैं वहां पानी दिया गया है. पानी तो दिया गया है मगर सिर्फ एक दिन के लिये पानी दिया गया था लेकिन सिर्फ एक दिन के लिए पानी दिया गया था. अधिकारियों,कर्मचारियों ने फोटो सेशन किया था और मंत्री जी को सूचना दे दी गई थी और यदि आप वास्तव में बात करें कि रबी और खरीफ सीजन में जब किसान को पानी की आवश्यकता होती है उस समय पानी मुहैया नहीं हुआ. जवाब में मंत्री जी ने यह भी दिया है कि रखरखाव और सुधार कार्य की वजह से टेल तक पानी नहीं जा रहा है. मैं इससे सहमत नहीं हूं. आज भी मुख्य नहर में पूरे जीरो से 63 प्वाइंट तक सभी हिस्सों में कार्य की आवश्यकता है. बहुत पुराना यह सिस्टम है. करीब 25 साल पहले मुख्य नहर,माइनर वगैरह का निर्माण हुआ था. तो आपका यह कहना कि रखरखाव और सुधार कार्य की वजह से टेल तक पानी नहीं जा रहा है मैं इससे सहमत नहीं हूं.
अध्यक्ष महोदय - नीरज जी, आप प्रश्न करो.इतना लंबा भाषण नहीं दें.आपका स्पेसिफिक प्रश्न क्या है.
श्री नीरज सिंह ठाकुर - अध्यक्ष महोदय,मैं यह पूछना चाहता हूं कि रखरखाव और सुधार कार्य के लिये मंत्री जी के माध्यम से अधिकारियों को निर्देशित किया जायेगा कि सर्वे कार्य कराकर जहां पर रखरखाव और मरम्मत होना है वह कार्य होंगे.
राज्यमंत्री,संस्कृति (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) - माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय विधायक जी की चिंता वाजिब है. मेरा मानना यह है कि इनके जो दो गांव हैं एक बेलखेड़ा माइनर और गुबराकलॉ माइनर तक पानी नहीं पहुंच रहा है. तो मैं आश्वस्त करना चाहूंगा कि अधिकारियों की एक टीम भेजकर जांच करा लेंगे और उसमें आपको भी शामिल कर लेंगे और आने वाले सीजन में जहां पानी नहीं पहुंच पा रहा है वहां पानी पहुंचाने के लिये अधिकारियों को निर्देशित किया जायेगा और इसकी जांच करवाकर उसमें क्या विसंगति आ रही है. किस कारण से नहीं पहुंच पा रहा है और नहीं पहुंच पा रहा है उस विसंगति को दूर करके वहां पानी पहुंचाया जायेगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री नीरज सिंह ठाकुर -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से सिर्फ एक आश्वासन चाहता हूँ कि पूरे खरीफ के सीजन में और रबी के सीजन में किसानों को पानी दिया जाए, सिर्फ एक या दो दिनों की औपचारिकता न की जाए. आपने जो समिति बनाने की घोषणा की है, समिति में मुझे भी भ्रमण के लिए आपने बोला है, उसके लिए मैं आपको और माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ कि आपके माध्यम से समस्या का उचित निराकरण किया गया है.
प्रदेश में उत्पादित शराब की अन्य प्रदेशों में तस्करी
[वाणिज्यिक कर]
8. ( *क्र. 546 ) श्री आतिफ आरिफ अकील : क्या उप मुख्यमंत्री, वित्त महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के किन-किन जिलों में वर्ष 2020 से प्रश्न दिनांक तक शराब उत्पादन का कार्य किया जाता है? वर्षवार/जिलेवार पृथक-पृथक जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या प्रदेश में उत्पादित शराब का गोरख धंधा किया जाकर अन्य प्रदेशों के परमिटों के माध्यम से तस्करों को बेचा जा रहा है? यदि हाँ, तो किन-किन तस्करों के माध्यम से कितनी-कितनी आबादी वाले किन-किन प्रदेशों में मध्यप्रदेश में बनाई जाने वाली शराब अवैध रूप से बेची जा रही है? प्रदेशों की सूची सहित अवगत करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में अन्य प्रदेशों में की जाने वाली शराब तस्करी में कौन-कौन जिम्मेदार, अधिकारी/कर्मचारी दोषी हैं? क्या दोषियों पर प्रश्न दिनांक तक कोई कार्रवाई की गई? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो करवाई न किए जाने के क्या कारण हैं?
उप मुख्यमंत्री, वित्त ( श्री जगदीश देवड़ा ) : (क) वर्ष 2020 से प्रश्न दिनांक तक जिन जिलों में शराब उत्पादन का कार्य किया जाता है, की वर्षवार/जिलेवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं, प्रदेश के विभिन्न जिलों में संचालित मदिरा विनिर्माणी इकाइयों से उत्पादित शराब का गोरखधंधा किया जाकर अन्य प्रदेशों के परमिटों के माध्यम से तस्करों को बेचे जाने संबंधी कोई भी प्रकरण प्रकाश में नहीं आने से जानकारी निरंक है। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नांश ''ग'' की जानकारी निरंक है।
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं यह चाहता हूँ कि प्रदेश के अंदर शराबबंदी हो जाए क्योंकि हम देखते हैं कि गुजरात के अंदर, मिजोरम के अंदर, बिहार के अंदर शराबबंदी है और जिन प्रदेशों में शराबबंदी है तो कहीं न कहीं वे प्रदेश और विकास कर रहे हैं. राजस्व के मामले में अगर हम देखें तो लगभग 13 से 14 प्रतिशत के आसपास राजस्व प्रदेश को प्राप्त होता है. यहां पर कुछ कंपनीज हैं, माननीय मंत्री जी से मैंने जो जानकारियां मांगी थीं, मैंने पृथक-पृथक जानकारियां मांगी थीं, उन्होंने उसका जवाब हां, ना में दे दिया. मैं चाह रहा था कि उसको नंबर के साथ बताएं कि किन-किन जिलों के अंदर कितनी-कितनी कंपनियां काम कर रही हैं ? जैसे अगर धार जिले के अंदर गैलवेनाइज कंपनी है, वहां पर हर महीने 35 करोड़ वाइन बनाई जाती हैं सिर्फ 3 करोड़ पर ही लेबल लगाया जाता है. बाकी के राजस्व की सब चोरी की जाती है. मैंने इस सवाल के अंदर यह भी पूछा था कि इन कंपनीज के खिलाफ, एक ओएसएस कंपनी भी है, इन कंपनीज के खिलाफ अभी तक क्यों कार्यवाही नहीं की गई ? मेरा सवाल है उनसे.
श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने केवल प्रश्न किया था कि प्रदेश में शराब उत्पादन का कार्य कहां-कहां पर किया जाता है, वर्ष 2020 से प्रश्न दिनांक तक शराब उत्पादन का कार्य किन-किन जिलों में किया जाता है, वर्षवार/जिलेवार पृथक-पृथक जानकारी दें. वह पूरी जानकारी परिशिष्ट-''एक'' में हमने उपलब्ध करवा दी है. विस्तार से कुल 19 जिलों में 11 आसवनी, 8 ब्रहरी, 22 विदेशी, 11 देशी और दो जिलों में हेरिटेज मदिरा का उत्पादन किया जाता है, यह जानकारी हमने उपलब्ध करवा दी है. वर्षवार जानकारी की जहां तक बात है, मैं...
श्री आतिफ आरिफ अकील -- मैंने कंपनियों के नाम पूछा था...(व्यवधान)...
श्री जगदीश देवड़ा -- सुन लो, सुन लो..
अध्यक्ष महोदय -- आतिफ जी, अभी आपको दूसरा सप्लीमेंट्री प्रश्न करने का मौका मिलेगा.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न में ही नहीं है कुछ भी ऐसा, जो जानकारी माननीय सदस्य ने मांगी है, हमने पूरी जानकारी दी है.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पृथक-पृथक जानकारी मांगी है, जिलेवार कहां-कहां मैन्यूफेक्चरिंग की जाती है, उसके बारे में जानकारी मांगी है.
श्री जगदीश देवड़ा -- बता रहा हूँ, बता रहा हूँ.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- आपने केवल हां या ना में जवाब दे दिया, आपने बाकायदा जो रिकार्ड भेजा है, वह मेरे पास है.
श्री जगदीश देवड़ा -- बता रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आतिफ जी, मंत्री जी का जवाब पूरा आने दीजिए, उसके बाद आप अनुमति लेकर बोलें.
श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्षवार जानकारी भी माननीय सदस्य चाहेंगे तो अभी भी उपलब्ध हो जाएगी. मैं उनको उपलब्ध करवा दूंगा. वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22, 2022-23, 2023-24, ये पूरी विदेशी मदिरा, देशी मदिरा, बीयर बल्क लीटर, सारी जानकारी अगर ये चाहेंगे तो अभी मैं उनको उपलब्ध करवा दूंगा, जिलेवार जानकारी जो इन्होंने मांगी है, यह जानकारी मैं उपलब्ध करवा दूंगा.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल और केवल, मैं जो इन कंपनीज के नाम ले रहा हूँ तो उनकी जांच क्यों नहीं कर रहे हैं. अगर जांच होगी तो क्लियर हो जाएगा. मैं तो सिर्फ यह चाहता हूँ कि आप बोलें कि जांच हो. सबसे स्पष्ट बात यह है कि आप जांच करने से क्यों डर रहे हैं.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, कोई डर का सवाल नहीं है.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- जांच करने से आप क्यों डर रहे हैं.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, जांच का न तो कोई इन्होंने प्रश्न किया, लेकिन अगर...
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक जानकारी और देता हूँ कि अलीराजपुर पायलेट बेरियर के जंगलों के जरिए अलग-अलग प्रदेशों के अंदर तस्करी की जाती है. आपका तीसरा जो जवाब है, उसके अंदर हम लोगों ने स्पष्ट पूछा था, आप कह रहे हैं कोई तस्करी नहीं होती, जबकि अखबारों तक के अंदर यह चीज छपी है. आप जांच करिए, क्लियर हो जाएगा. जांच करने से आप क्यों डर रहे हैं.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, ऐसी कोई जानकारी...
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय मंत्री जी, जांच करने से आप क्यों डर रहे हैं, आप बोलिए जांच करेंगे, अगर हम गलत होंगे तो शांत हो जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपना प्रश्न करके बैठेंगे तो उत्तर आएगा.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- आप जांच करने से क्यों डर रहे हैं, आप बोलिए मैं जांच करूंगा. आप क्लियर करें, कंपनीज का हम नाम बता रहे हैं, आप जांच करें, अगर गलत होंगे तो क्लियर हो जाएगा. अरबों रुपयों का नुकसान मध्यप्रदेश के अंदर हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- अकील साहब, आप बैठो.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, अरबों रुपयों का प्रदेश को नुकसान हो रहा है. टैक्स की चोरी की जा रही है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, आप प्रश्न देख लीजिये. माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है.
अध्यक्ष महोदय - मैंने अभय मिश्रा जी को अनुमति दी है, उन्हीं की बात रिकॉर्ड की जायेगी और किसी की बात रिकॉर्ड नहीं की जायेगी.
श्री आतिफ आरिफ अकील - (XXX)
श्री अभय मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रदेश के हित में एक निेवेदन करूँगा. मैं तीन वर्ष पहले इस कारोबार से बहुत करीब से जुड़ा. मैं एकदम साफगोई से बता रहा हूँ, मैं इसकी बारीकी बता रहा हूँ. मैं यह भी बता रहा हूँ कि इसमें मंत्री महोदय बिल्कुल इन्वॉल्व नहीं हैं, इसमें ईमानदार प्रमुख सचिव हैं, और लगातार इतने अच्छे अधिकारी रहे हैं, पूरा भ्रष्टाचार पुलिस, आबकारी अधिकारी ........
अध्यक्ष महोदय - मिश्रा जी, आपका प्रश्न क्या है ? आप प्रश्न तो बताइये.
श्री अभय मिश्रा - आप इसमें एक पॉलिसी बना लीजिये. जो परमिट है, उसको ऑनलाईन कर लीजिये, सब बन्द हो जायेगा. इसमें क्या है कि एक परमिट पर दो बार गाड़ी जा रही हैं.
श्री आतिफ आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मंत्री जी ने गोल-मोल जवाब दिया है.
श्री अभय मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, परमिट में 10 करोड़ रुपये की प्रतिदिन की शराब नम्बर दो की है. एक बॉटल 2,000 रुपये की है, जिसमें गवर्नमेंट का 1,300 रुपये का टैक्स है.
अध्यक्ष महोदय - (श्री आतिफ आरिफ अकील को देखकर) अगर आप वास्तव में सप्लीमेंट्री प्रश्न करोगे तो बताएं, नहीं तो मैं आगे बढ़ जाऊँगा.
श्री अभय मिश्रा - जो परमिट है, वह केवल धार भर में क्यों नहीं है. आप देखिये, धार, झाबुआ में टेम्परेरी परमिट पर शराब जा रही है. रीवा में जा रही है, अपराध चरम पर है. आप ऑनलाईन कर दीजिये, तो यह अपने आप कन्ट्रोल में आ जायेगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक- 9 श्री कामाख्या प्रताप सिंह. मैंने सिर्फ कामाख्या प्रताप सिंह को अनुमति दी है, उन्हीं की बात रिकॉर्ड की जायेगी.
अवैध उत्खनन तथा अवैध क्रेशर का संचालन
[खनिज साधन]
9. ( *क्र. 511 ) श्री कामाख्या प्रताप सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम पंचायत सिंगरावन खुर्द जनपद पंचायत नौगांव द्वारा शासकीय पहाड़ी को खोदकर गौशाला निर्माण कराई जा रही है? इस पहाड़ी की मिट्टी को निजी उपयोग हेतु प्रस्तावित पेट्रोल पम्प पर फोरलेन किनारे उपयोग किया है? इन पर मनरेगा राशि के गलत उपयोग एवं खनिज विभाग के नियमों के उल्लंघन के कारण राजस्व हानि की वसूली कब तब की जायेगी? (ख) क्या तहसील नौगांव के सर्किल लुगासी अंतर्गत खकरी-वीरपुरा मौजा के खसरा नं. 919 एवं मौजा नयागांव के खसरा नं. 1245 पर बने प्राचीन मंदिर को तोड़कर पहाड़ी पर अवैधानिक उत्खनन कर मुरम व पत्थर बेचा जा रहा है? राजस्व हानि की वसूली कब तक की जायेगी? (ग) क्या कुछ लोगों द्वारा अवैध क्रेशर का संचालन के लिए पर्यावरण विभाग की अनुमति एवं पंचायत की स्वीकृति प्राप्त की गई है? यदि नहीं, तो क्रेशर संचालक के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री दिलीप अहिरवार) : (क) मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत नौगांव से प्राप्त जानकारी अनुसार ग्राम पंचायत सिंगरावन खुर्द जनपद पंचायत नौगांव में मनरेगा योजना अंतर्गत गौशाला स्वीकृत की गई है। प्रगतिरत गौशाला में पुराई कार्य हेतु मिट्टी पहाड़ियों से ली गई है। पहाड़ी की मिट्टी को निजी उपयोग हेतु प्रस्तावित पेट्रोल पम्प पर फोरलेन किनारे उपयोग नहीं किया गया है। शेष भाग का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) तहसील नौगांव के ग्राम खकरी-वीरपुरा के खसरा नंबर 919 एवं मौजा नयागांव के खसरा नंबर 1245 में मौके पर पहाड़ी पर प्राचीन मंदिर के अवशेष नहीं पाये गये। उत्खनन नियमानुसार समस्त वैधानिक अनुमतियाँ प्राप्त कर किया गया है। शेष भाग का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) क्रेशर संचालन हेतु पर्यावरण विभाग की अनुमति एवं पंचायत की स्वीकृति नियमानुसार प्राप्त की गई है। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री कामाख्या प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहूँगा कि मेरी विधान सभा में जो क्रेशर संचालकों द्वारा यह अवैध उत्खननन हो रहा है, इसमें उन्होंने क्या कार्यवाही की है. जैसा इन्होंने जवाब में दिया है कि गौशाला के लिए पहाड़ पर इन्होंने निर्माण कराया, तो गौशाला के लिए पहाड़ पर जब निर्माण कराया तो दूसरी पहाडि़यों से मिट्टी की जरूरत कहां से पड़ गई, जो इस पहाड़ी की मिट्टी है, वह कहां बेची गई, कितनी निकाली गई, इस पर इन्होंने क्या कार्यवाही की है ? और इसमें इनके पास उपयंत्री से जो इसकी रिपोर्ट आई है, उसमें उपयंत्री के दस्तखत भी नहीं हैं. सिर्फ सचिव और सरपंच के माध्यम से रिपोर्ट मांगी गई है, तो मैं उनसे पूछना चाहूंगा कि इसमें क्या उचित कार्यवाही हुई है ? और नहीं हुई है क्यों नहीं हुई. इसमें जो दोषी पाया जायेगा, क्या उस पर कार्यवाही की जायेगी कि नहीं की जायेगी.
श्री दिलीप अहिरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य के जवाब देने से पूर्व मैं सदन में बताना चाहूँगा कि खनिज विभाग के द्वारा जो उपलब्धि अभिनन्दन करना चाहता हूँ, मध्यप्रदेश के हमारे आदरणीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का, जिन्हें प्रदेश की मुख्य खनिज की खदानों की सर्वविदित नीलामी के लिए देश में प्रथम स्थान से सम्मानित किया गया है, इसके लिए मैं उनका अभिनन्दन करता हूँ. (मेजों की थपथपाहट) खान मंत्री भारत सरकार द्वारा यह सम्मान हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी को दिया गया है. इसके लिए उनका बहुत-बहुत धन्यवाद. माननीय मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व से सन् 2019-20 की खनिज से आय 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व था, जो वर्तमान में सन् 2023-24 में पहली बार 10,000 करोड़ रुपये से अधिक आय हुई है, जिसमें 23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ प्रदेश ने पहली बार खनिज राजस्व संग्रहण में 10,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा प्राप्त किया है. (मेजों की थपथपाहट) इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद. प्रदेश में हमारे माननीय मुख्यमंत्री जो निरन्तर यह कार्य कर रहे हैं, प्रदेश में अवैध परिवहन ओवरलोडिंग रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 40 इलेक्ट्रॉनिक नाकों की स्थापना की जा रही है, निश्चित रूप से हमारे माननीय मुख्यमंत्री जो दिन-रात कार्य कर रहे हैं, मैं उनका अभिनन्दन करता हूँ. माननीय विधायक जी ने जो जवाब मांगा है, मैंने उनको पूरी जानकारी दी है, जो इन्होंने कहा है कि मिट्टी खोदकर गौशाला में लगाई गई है, तो मैं माननीय विधायक जी को बता दूँ.
श्री कामाख्या प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जानकारी पूर्ण रूप से ही नहीं दी गई है. आपने पहाड़ पर जो गौशाला बनाई, लेकिन वह मिट्टी पहाड़ से कहां बेची. उसके आसपास के जो किसान परेशान हो रहे हैं. उसके लिए क्या कार्यवाही कलेक्टर साहब कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - कामाख्या जी, ऐसा नहीं होता है.
श्री दिलीप अहिरवार - अध्यक्ष महोदय, जो आप कह रहे हैं. वह जो मिट्टी आई है, गौशाला के लिए, तो उसमें बकायदा सरपंच, सचिव सबकी स्वीकृति है, बगैर उसके अलग से कोई मिट्टी नहीं खोदी गई है. माननीय सदस्य आपको पूरी जानकारी दे दी गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बता दूँ कि उसकी पूरी जानकारी है, उसकी पूरी स्वीकृति है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे
बधाई
श्री राजेश कुमार वर्मा एवं श्री महेन्द्र केशरसिंह चौहान, सदस्य के जन्मदिवस पर सदन में शुभकामनायें दी जाना
अध्यक्ष महोदय- आज माननीय सदस्य श्री राजेश कुमार वर्मा, गुनौर एवं श्री महेन्द्र केशरसिंह चौहान, भैंसदेही का जन्मदिवस है. मैं, अपने और पूरे सदन की ओर से उन्हें शुभकामनायें देता हूं.
(मेजों की थपथपाहट)
12.01 बजे
वक्तव्य
तीन नवीन न्याय संहिताओं के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री का वक्तव्य
अध्यक्ष महोदय- अब मुख्यमंत्री जी तीन नवीन न्याय संहिताओं के संबंध में वक्तव्य देंगे.
मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, इस सदन के सभी सदस्यों का ध्यान, नए लागू हुए तीन कानूनों की ओर ध्यान आकर्षित करवाना चाहता हूं और मध्यप्रदेश के सभी नागरिकों को बधाई भी देना चाहता हूं. आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि अंग्रेजों के बनाये हुए कानून, भारतीय दण्ड संहिता 1860 को भारतीय न्याय संहिता अधिनियम, 2023 के रूप में बदला गया है. दण्ड संहिता प्रक्रिया (1898) 1973 को, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता अधिनियम, 2023 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है. इन तीनों नए कानूनों की आत्मा, भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिये गए सभी अधिकारों के तहत न केवल उनकी रक्षा करती है बल्कि मूल भाव से भी परिचित करवाती है.
उदाहरण के लिए हमारे लिए IPC अर्थात् भारतीय दण्ड संहिता का नाम सुनते ही लगता है कि दण्ड देने के लिए ही इसे बनाया गया है जबकि हमारे यहां तो न्याय देने की परंपरा है. ऐसे में हमारी जो मूल भावना है, उसे जोड़कर ये तीनों कानून बनाये गए है, ये सच्चे अर्थों में हमारे सभी अधिकारों की रक्षा करते हैं और साथ ही साथ इनका उद्देश्य दण्ड देना नहीं है, इनका उद्देश्य न्याय दिलाना है.
(मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, न्याय की अपेक्षा से ही आम आदमी न्यायालय तक पहुंचता है और ऐसे में न्याय की अपेक्षा की इस प्रक्रिया में हमारे माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं हमारे गृह मंत्री श्री अमित शाह जी द्वारा विगत चार वर्षों तक सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्र शासित प्रदेशों के जवाबदार अधिकारियों, सर्वोच्च न्यायालय, सभी उच्च न्यायालयों, तमाम न्यायिक अकादमियों, विधि विश्वविद्यालयों, सभी सांसदों, विधायकों एवं आम जनता से मिलकर एक बड़ी कवादय की गई और उसके पश्चात् ये नए कानून, संविधान के अंतर्गत, न्याय के मापदण्ड स्थापित करेंगे, जिनके कारण भारतीय न्याय संहिता 2023 तैयार हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कुछ बदलाव भी किए गए हैं, जिनके बारे में मैं, आप सभी को बताना चाहूंगा जैसे अभी तक IPC के अंतर्गत लगभग 511 धाराओं के माध्यम से न्याय होता था, अब नए भारतीय न्याय संहिता अधिनियम, 2023 में 356 धाराओं का समावेश होगा. 175 धाराओं को परिवर्तित किया गया है, 8 नई धारायें जोड़ी गई हैं, 22 धाराओं को निरस्त किया गया है.
CRPC की जगह लेने वाले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में अब 533 धारायें हैं और पुराने कानूनों की 160 धाराओं में बदलाव किया गया है. नई 9 धारायें जोड़ी गई है और 9 धाराओं को निरस्त किया गया है.
साक्ष्य अधिनियम का स्थान देने के लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 167 के बजाय 170 धारायें होंगी, 23 धारायें बदली गई हैं, 1 नई धारायें जोड़ी गई और 5 धारायें निरस्त की गई हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खासकर नागरिकों की सुरक्षा के लिए 75 वर्षों के पश्चात् "जीरो एफआईआर" एक बड़ी सुविधा दी गई है. अभी तक कोई अपराध घटने पर, संबंधित थानों में ही प्रकरण पंजीबद्ध करने के लिए जाते थे. अब यह सुविधा है कि कहीं से भी कोई व्यक्ति जीरो पर अपने प्रकरण की कायमी करवा लेगा.
(मेजों की थपथपाहट)
जीरो पर कायमी होगी और कायमी होने के बाद उस पर कार्यवाही होने की प्रक्रिया चलेगी. अर्थात् वह प्रकरण उस थाने के लिए निर्धारित नहीं होगा. अपराध कहीं भी होगा, पूरे प्रदेश में एक साथ संज्ञान में लिया जायेगा और शासन उस पर गंभीर होकर आगामी कार्यवाही करेगा. कुछ और बदलाव किये गये हैं जो मैं बताना चाहूंगा. सात साल या उससे अधिक सजा वाले अपराधों के लिए आजकल घटना स्थल पर जो कठिनाई आती है कि फोरेंसिक साईंस की टीम नहीं पहुंचती है तो कई बार इसका लाभ अपराधी को मिल जाता है तो इस प्रावधान में यह जोड़ा गया है कि किसी भी हालत में सात साल या उससे अधिक की सजा वाले प्रत्येक अपराध के लिए फोरेंसिक टीम जाएगी. फोरेंसिक टीम का दौरा अनिवार्य कर दिया गया है. इसके साथ ही पुलिस के पास वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए भी सारी व्यवस्था की गई है ताकि दोषियों के बरी होने की संभावना को न्यूनतम किया जा सके या समाप्त किया जा सके. अधिनियम में प्रावधान किया गया है. पुलिस को शिकायत की स्थिति में किसी हालत में 90 दिन के अंदर बताना होगा. इससे जवाबदेही भी बढ़ेगी और पारदर्शिता भी आएगी. सुनवाई, अपील, बयानों की रिकॉर्डिंग और इसमें प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया गया है. खासकर आज के समय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की भी अत्यंत आवश्यकता है. उसको इस प्रावधान से जोड़ा गया है. अभी तक इसके अभाव में अपराधियों को लाभ मिलता था. अधिनियम में यौन हिंसा की पीडि़तों के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य कर दी गई है. कई बार यह जो घटनाएं होती हैं और इसमें दूसरे कष्ट आते हैं और इसी में साक्ष्य को सुरक्षित रखने के लिए यह जो जबरदस्ती करना, हेराफेरी करना जब हम इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग बयान के समय ही कर लेंगे तो बाद की संभावना शून्य हो जाएगी. अधिनियम में आवश्यक किया गया है कि पुलिस सात वर्ष से अधिक सजा वाले मामले अगर वापस लेना चाहेगी तो अपनी मर्जी से नहीं ले सकेगी. उसमें पीडि़त पक्ष जिसने प्रकरण पंजीबद्ध कराया है उसकी स्वीकृति अनिवार्य रहेगी. यह अभी इसी के अंतर्गत जुड़ा है.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी जानकारी ले लें कि उसमें पीडि़त पक्ष की अनुमति की स्वीकृति का पहले से ही था.
डॉ. मोहन यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी जो प्रकरण वापसी हो रही है वह हमारे राज्य में कम है. अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर राज्य सरकार द्वारा प्रकरण वापस लेते हैं इसमें बगैर पीडि़त पक्ष की मर्जी के यह वापस नहीं लेते हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- पहले न्यायालय के माध्यम से होती थी. अब सीधी पीडि़त पक्ष को लिखी जाएगी. उसमें थोड़ा फर्क हो गया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- आप सभी माननीय सदस्यों को बीच में नहीं बोलना चाहिए. जब माननीय मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य चल रहा है तो बीच में नहीं बोला जाता है.
डॉ. मोहन यादव-- भगौडे़ अपराधियों पर भी अभी आमतौर पर प्रकरण पंजीबद्ध होता है और भगौड़ा यदि देश छोड़कर चला गया तो उस पर प्रकरण नहीं चलता है. अब उसके अभाव में भी न्यायालय द्वारा प्रकरण चलाया जाएगा. सजा भी निश्चित होगी तब ऐसी स्थिति में किसी भी कारण से जब भी वह उपलब्ध होगा या जब भी उसे पकड़कर लाया जाएगा तब उसे सजा दे सकते हैं अर्थात् अब भगौड़े बच नहीं सकते हैं. मजिस्ट्रेटों को ई-मेल, एस.एम.एस., व्हाटसप संदेश आदि द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के आधार पर भी अपराधों का संज्ञान लेने का अधिकार दिया गया है. यह जो नई प्रकार की व्यवस्था है जिसमें साक्ष्य संग्रह और सत्यापन में सुविधा होगी यह भी विशेष रूप से नई बात जोड़ी गई है. यह विशेषज्ञों की राय को साक्ष्य के रूप में मान्यता देता है. जैसे चिकित्सीय राय, हस्तलेख विशलेषण जो मामलों से संबंधित तथ्यों और परिस्थितियों को स्थापित करने में इनको उपलब्ध साक्ष्य के रूप में मान्यता देगा. डी.एन.ए. साक्ष्य जैसी सहमति, अभिरक्षा श्रृंखला आदि के विशेष प्रावधान किये गये हैं जो जैविक साक्ष्य की सटीकता अर्थात् डी.एन.ए से जोड़कर अपराध को ठीक प्रकार से न्यायालय में अपराधों का निराकरण करने में माननीय न्यायाधीश की मदद करेंगे जिससे विश्वसनीयता भी बढ़ेगी. यौन हिंसा के मामलों में खासकर यौन पीडि़ता के बयान को अनिवार्य कर दिया गया है और बयान की वीडियों रिकॉर्डिंग भी अनिवार्य कर दी गई है. जिससे यौन उत्पीड़न के मसले पर निराकरण करने में सरकार और खासकरके पीडि़ता पक्ष में यह बड़ी कार्यवाही हुई है. पुलिस के लिए यह अनिवार्य होगा कि वह 90 दिन के अंदर शिकायत की स्थिति बताए और उसके हर 15 दिन बाद वह किसी कारण से शिकायत का ठीक से निराकरण नहीं कर पा रहे हैं तो पीडि़त पक्ष को हर 15 दिन में की गई कार्यवाही से अवगत कराया जाएगा. यह पुलिस का दायित्व होगा इसमें पुलिस को बांधा गया है. छोटे-छोटे मामलों में समरी ट्रायल का दायरा बढ़ाया गया है. अब तीन साल तक सजा वाले अपराध में इसके कारण से 40 प्रतिशत से ज्यादा लोड जो लोकल न्यायालय में स्थानीय न्यायालय में है वह इससे कम हो जाएगा और यह बहुत ही प्रभावशील रहेगा. चार्जशीट दाखिल करने की 90 दिन की तय समय-सीमा में अतिरिक्त रूप से 90 दिन के बाद केवल 180 दिन में ही उसको पूरा करना पड़ेगा और ट्रायल शुरू करना पड़ेगा. न्यायालय को 60 दिन के भीतर आरोपी को आरोप पत्र तय कर सूचना देना होगी. बहस पूरी होने के 30 दिन के भीतर न्यायालय को फैसला देना पडे़गा. यह पीड़ित पक्ष के लिए बहुत-बड़ा फैसला है कि प्रक्रिया करने के 30 दिन के अन्दर, आमतौर पर आदेश के मामले में माननीय न्यायाधीश लंबा कर देते थे, लेकिन 7 दिन के अन्दर उनको हर हाल में दिए गए फैसले की कॉपी संबंधित को उपलब्ध कराना पड़ेगी और यदि वह ऑनलाइन चाहेगा तो ऑनलाइन भी देना पड़ेगी. सरकार को सिविल सेवक, पुलिस अधिकारी के खिलाफ, मुकदमे की, यह हम सब की जानकारी में रहेगा 120 दिन के अन्दर शासन को उस पर निर्णय लेना होगा. अगर निर्णय नहीं लेते हैं तो यह माना जाएगा कि वह निर्णय हो गया. एक तरह से यह सबकी जानकारी का बड़ा विषय है. घोषित अपराधियों की संपत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान लाया गया है. अन्तर्राज्यीय गिरोहों, संबंधित अपराधों के खिलाफ कठोर सजा का नया प्रावधान भी इस कानून में जोड़ा गया है. शादी, नौकरी, प्रमोशन और झूठी पहचान बनाकर के, झांसा देकर के यौन संबंधों के अपराधों को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है. सामूहिक बलात्कार के सभी मामलों की कैद 20 साल या आजीवन कारावास से जोड़ी गई है. 14 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ अपराध के मामले में मृत्यु दण्ड का फैसला किया गया है. यह बच्चों के साथ होने वाली गलत हरकतों के लिए कठोर कार्यवाही के नाते से जाना जाएगा. मॉब लीचिंग अर्थात् भीड़ के द्वारा की जाने वाली घटनाएं सबके ध्यान में आ रही हैं. भीड़ के आधार पर की गई ऐसी कार्यवाही के खिलाफ भी कठोर कार्यवाही करने के निर्णय किए गए हैं. इसमें सामान्य रूप से सात साल की सजा देने का प्रावधान किया गया है और आगे बढ़ें तो आजीवन कारावास. घटना के आधार पर मृत्यु दण्ड तक का मॉब लीजिंग में प्रावधान किया गया है. यह सरकार का बहुत बड़ा निर्णय है. इसी के साथ साथ महिलाओं से मोबाइल फोन या चेन छीनने पर अभी पंजीबद्ध अपराध का कोई प्रावधान नहीं था. इसको भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है कि कोई किसी की चेन या मोबाइल छीनकर ले जाता है तो यह अपराध की श्रेणी में होकर इसमें भी कठोर प्रावधान किए गए हैं.
अध्यक्ष महोदय, जैसी कि हम सबको जानकारी है नवीन संहिता में देश द्रोह के कानून की बात जोड़ी जाती है, यह राज द्रोह के आधार पर माना जाता है. राज से बगावत करे तो वह देश द्रोह की श्रेणी में आता है. इसको स्पष्ट परिभाषित करते हुए. देश द्रोह, देश के साथ द्रोह करने वाली स्थिति में ही लागू किया जाएगा. भारत का लोकतंत्र आमतौर पर अभिव्यक्ति की आजादी पर यह जो लगाते थे, आप सबके लिए नई जानकारी भी आएगी कि आप विचारों की अभिव्यक्ति किसी की नहीं रोक सकते हैं. यह जो संशोधन किया गया है इसको राज द्रोह या देश द्रोह की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा. स्थायी विकलांगता, ब्रेन डेड होने की स्थिति में 10 वर्ष या आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया गया है. आमतौर पर इसमें 2 से 5 साल की सजा होती थी. इसको भी बढ़ाकर डबल किया गया है. बच्चों के साथ करने वाले अपराध की सजा 7 साल से बढ़ाकर 10 साल की गई है. सजा के साथ साथ अपराध में जुर्माने की राशि भी भारी संख्या में बढ़ाई गई है. पहले आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थी. अब सशस्त्र विद्रोह, विध्वंशकारी गतिविधि, अलगाववाद भारत की एकता और सम्प्रुभता और अखण्डता को चुनौती देने वाले जैसे अपराधों को पहली बार कानून में परिभाषित करने का प्रयास किया गया है. अनुपस्थिति में मुकदमा चलाने के संबंध में ऐतिहासिक प्रावधान किए गए हैं. सत्र न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा भगोड़ा घोषित व्यक्ति पर उसकी अनुपस्थिति में भी मुकदमा चलाया जा सकेगा और सजा दी जा सकेगी. चाहे वह दुनिया में कहीं भी छिपा हो. भगोड़े को सजा दिलाना हमारे कानून का महत्वपूर्ण और बड़ा निर्णय है.
अध्यक्ष महोदय, इन कानूनों के माध्यम से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव किए गए हैं. कुछ धाराओं की जानकारी मैं देना चाहूंगा यह हम सबके लिए बड़ा अच्छा भी रहेगा. उदाहरण के लिए जैसा हमको ध्यान में आता था कि धारा 323, अब इसे बदलकर धारा 115 माना जाएगा. चोट लगने पर, खून निकलने पर धारा 324 लगती थी, अब इसे धारा 118(1) माना जाएगा. धारा 325 को धारा 117 माना जाएगा. कुछ दिनों तक अपनी टेबल पर यह चार्ट रखेंगे तो सबको ध्यान में आएगा. चोरी की धारा 379 अब यह 303/2 मानी जाएगी. धारा 411 यह 317 मानी जाएगी. इसी प्रकार से अलग-अलग धाराओं के चार्ट अपने सभी मित्र अपने पास रखेंगे. जैसे आमतौर पर हम सबको मालूम है कि धारा 420 सभी के मुंह पर रटी हुई है जिस पर पिक्चर भी बनी है अब यह बदलकर धारा 318 हो गई है. यह सभी की जानकारी में होना चाहिए क्योंकि हम सब जनप्रतिनिधि हैं. रात दिन प्रकरण पंजीबद्ध कराने में हम सबको इनकी जानकारी होना चाहिए. इससे व्यवस्था में सहयोग रहेगा. मेरा प्रयास था कि इन सारी बातों की जानकारी आपको होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया उसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
12.15 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड का लेखा परीक्षा प्रतिवेदन
वर्ष 2020-2021
(2) मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद, भोपाल की वार्षिक रिपोर्ट
वर्ष 2022-2023
(3) समग्र शिक्षा अभियान मध्यप्रदेश की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2022-2023
(4) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
(5) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अधिसूचनाएं :-
(क) क्रमांक 692/मप्रविनिआ/2024, दिनांक 14 मार्च, 2024,
(ख) क्रमांक 691/एमपीईआरसी/2024, दिनांक 14 मार्च, 2024,
(ग) क्रमांक मप्रविनिआ/2023/180, दिनांक 17 जनवरी, 2024,
(घ) क्रमांक एमपीईआरसी/2024/480, दिनांक 20 फरवरी, 2024,
(ङ) क्रमांक 233/मप्रविनिआ/2024, दिनांक 22 जनवरी, 2024,
(च) क्रमांक 1236/मप्रविनिआ/2024, दिनांक 24 मई, 2024,
(छ) क्रमांक 1239/मप्रविनिआ/2024, दिनांक 24 मई, 2024,
(ज) क्रमांक 1238/एमपीईआरसी/2024, दिनांक 24 मई, 2024,
(झ) क्रमांक मप्रविनिआ/2024/220, दिनांक 19 जनवरी, 2024, एवं
(ञ) क्रमांक 616/एमपीईआरसी/2024, दिनांक 05 मार्च, 2024
(6)मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम मर्यादित, भोपाल का 58 वां वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2019-2020
(7)जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला झाबुआ, उमरिया एवं रीवा का वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2022-2023
समय 12.20
नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय – आज की कार्यसूची में प्रस्तुत निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएं प्राप्त हुई हैं जो पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
1. सुश्री रामश्री राजपूत ( रामसिया भारती)
2. श्री विपिन जैन
3. डॉ हिरालाल अलावा
4. इंजी. प्रदीप लारिया
5. डॉ रामकिशोर दोगने
6. श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे
7. श्री दिनेश राय ‘’ मुनमुन’’
8. श्री प्रणय प्रभात पांडे
9. श्री मधु भगत
10. श्रीमती अर्चना चिटनीस
डॉ सीतासरन शर्मा ( होशंगाबाद)—अध्यक्ष महोदय पहले तो मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार मानता हूं कि उन्होंने नये कानून संहिता के बारे में सदन को जानकारी दी है. सदन के माध्यम से भारत सरकार का और माननीय प्रधानमंत्री जी का भी आभार प्रगट करता हूं. अध्यक्ष महोदय एक गंभीर विषय यह है कि कल लोक सभा में प्रतिपक्ष के नेता जी ने हिन्दू समाज को हिंसक और नफरत वाला बताया है....(व्यवधान)..( एक साथ विपक्ष के अनेक सदस्य जोर जोर से अपनी बात बोलने लगे).. अध्यक्ष महोदय यह बहुत गंभीर बात है....( व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष( श्री उमंग सिंघार )—अध्य़क्ष महोदय इसे विलोपित करा दें..(व्यवधान)..
डॉ सीतासरन शर्मा – अरे यह बात मुख्य समाचार पत्रों में है और न्यूज चैनल में भी है....(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम – माननीय अध्यक्ष महोदय यदि आप इजाजत दें तो वह वीडियो टेप हम यहां पर रखने के लिए तैयार हैं...(व्यवधान)...
डॉ सीतासरन शर्मा – कहां तक हम यह अपमान सहन करेंगे...(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम – अध्यक्ष जी इस तरह से नहीं कहा गया है...(व्यवधान)..भ्रामक जानकारी दे रहे हैं.
डॉ सीतासरन शर्मा – 99 सीट लाकर हिलने डुलने वाले आज सारे समाज को गाली दे रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम – अध्यक्ष महोदय यह भाजपा के लोग भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं.....(व्यवधान)... असत्य बात कर रहे हैं, देश में गुमराह पैदा कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय – कृपया आप सभी अपने अपने आसन पर बैठ जाएं....(व्यवधान).. जिन माननीय सदस्य को मैंने अनुमति दी है वह ही अपनी बात कहें....(व्यवधान).. कृपया सभी माननीय सदस्य अपने स्थान पर बैठें...(व्यवधान)..
डॉ सीतासरन शर्मा – यह लोग माफी मांगे पूरे सदन और प्रदेश से..(व्यवधान)..
समय 12.22
बहिर्गमन
इण्डियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) – डॉ सीतासरन शर्मा जी द्वारा लोक सभा की जिस बात का यहां पर उल्लेख किया गया है उससे हम असंतुष्ट होकर बहिर्गमन करते हैं...(अनेक माननीय सदस्य अपने आसन पर खड़े होकर जोर जोर से बोलते रहे)..व्यवधान..
(इण्डियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा डॉ सीतासरन शर्मा की बात से असंतुष्ट होकर नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व में सदन से बहिर्गमन किया गया)
अध्यक्ष महोदय – सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित.
( 12.23 बजे से सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित )
12.42 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
( माननीय अध्यक्ष महोदय) (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर)(पीठासीन हुए)
12.44 बजे ध्यानाकर्षण
(1) इंदौर-बुधनी रेल लाईन हेतु अधिग्रहित भूमि का कम मुआवजा दिया जाना.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगांव):- माननीय अध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री (श्री करण सिंह वर्मा)- अध्यक्ष महोदय, बुधनी से इंदौर रेल लाइन परियोजना के लिये देवास जिले के 56 ग्रामों में 707 हेक्टेयर भूमि पर भूअर्जन की कार्यवाही की जा रही है. 54 ग्रामों में अवार्ड पारित कर दिया गया है और 2 ग्रामों में अभी अवार्ड की कार्यवाही प्रचलित है. 54 ग्रामों में अवार्ड की राशि 174 करोड़ रुपये है. भूअर्जन की कार्यवाही भूअर्जन पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिनियम 2013 की धारा 23 के अंतर्गत निर्धारित मापदण्ड के अनुसार ही किया जा रहा है और बाजार मूल्य के अनुसार ही मुआवजा दिया जा रहा है. विगत् 10 वर्षों में कोविड अवधि वर्ष 2019-20 से वर्ष 2021-22 के बीच की अवधि को छोड़कर हर वर्ष बाजार मूल्य में वृद्धि के अनुसार कलेक्टर गाइड लाइन की दर में भी वृद्धि की गई है. खेत पर स्थित समस्त परिसम्पत्तियों यथा कुआं,फलदार वृक्ष, ट्यूबवेल का उचित मूल्यांकन तकनीकी विभागों के अधिकारी/कर्मचारियों की टीम द्वारा किया गया है. तद्नुसार मुआवजा भी दिया जा रहा है. स्वीकृत सम्पूर्ण मुआवजे पर 100 प्रतिशत सोलेशियम की राशि भी दी जा रही है. अधिग्रहण की तारीख से मुआवजा वितरण की तिथि तक 12 प्रतिशत ब्याज भी दिया जा रहा है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि विकास परियोजनाएं समाज और देश के लिये आवश्यक होती हैं. इस रेल परियोजना से इन्दौर से जबलपुर की जो दूरी है, वह लगभग 70 किलोमीटर कम होने की संभावना है. लेकिन विकास किसानों की, जिसे हम कहेंगे नुकसान की कीमत पर नहीं होना चाहिये. इस परियोजना में बुधनी से लेकर इन्दौर तक के हजारों किसान प्रभावित हो रहे हैं. कई किसान ऐसे हैं, जिनके पास एक दो एकड़ भूमि है और उनकी शतप्रतिशत भूमि इस परियोजना में अधिग्रहित की जा रही है. कुछ किसानों की लगभग 75 प्रतिशत भूमि अधिग्रहित की जा रही है, जिसमें मात्र इतनी भूमि शेष बचेगी जिस पर वह खेती भी नहीं कर पायेगा. जिन किसानों का पट्टा मिला हुआ है सरकार से, उनको मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. हमारी सबसे बड़ी मांग यह है कि वर्तमान दौर में किसान के लिये भूमि बेचकर भूमि वापस से खरीदना संभव नहीं है, क्योंकि बाजार की दरें बहुत अधिक हैं. यह भी सही है कि कोविड के दौरान गाइड लाइन को और 20 प्रतिशत कम कर दिया गया, जिसके कारण किसानों को जो मुआवजा मिलना चाहिये, वह नहीं मिल पा रहा है. मैं मंत्री जी से यह मांग करता हूं कि भारत के महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात जैसे राज्यों में ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि के लिये गुणांक-2 किसान भाइयों को दिया जा रहा है और उसमें 100 प्रतिशत सोलेशियम फंड मिलने के कारण यह राशि लगभग चार गुना हो जाती है, चूंकि कृषि की भूमि प्रति दिन कम होती जारी है. कृषि का रकबा भी कम हो रहा है और इसलिये किसान चाहता है कि वह अगर खेती की यह अपनी जमीन छोड़ रहा है,तो उसे दूसरी जगह खेती के लिये जमीन खरीद पाये, लेकिन जो आप मुआवजा दे रहे हैं, उसमें उतननी भूमि खरीद पाना उसके लिये संभव नहीं है. मेरी इस ध्यानाकर्षण के माध्यम से किसानों की तरफ से यह भी मांग है कि मुआवजा देने के उपरांत किसान उस पैसे से जहां पर भूमि खरीदेगा, उसकी रजिस्ट्री भी निशुल्क की जाये, ऐसा प्रावधान इसमें किया जाये. मैं राज्स्व विभाग से, मध्यप्रदेश सरकार से यह मांग करता हूं कि मध्यप्रदेश के किसानों को भी गुणांक-2 नेशनल हाइवे और रेल परियोजनाओं में प्रदान किया जाये, ताकि उन्हें उचित क्षतिपूर्ति हो सके.
श्री करण सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैंने ध्यानाकर्षण के उत्तर में बताया है, यह तो जो आप मांग कर रहे हैं गुणांक-2 की, यह तो सभी प्रदेशों को अपने अपने अधिकार हैं. हिन्दुस्तान में कोई गुणांक-2 के हिसाब से देता है, कोई गुणांक-1 के हिसाब से देते है और हम समय समय पर कलेक्टर और रजिस्ट्रार को निर्देश देते हैं कि नये वर्ष की गाइड लाइन करें. जो गाइड लाइन के हिसाब सभी किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है. अगर उसमें कुआं है या कोई ट्यूबवेल है या उसमें मकान बना हुआ है उनका भी हम उसी दर से मुआवजा देंगे और किसान को कोई परेशानी नहीं होगी. आशीष जी, यह रेल लाइन आपने ही तो स्वीकृत करवाई है. बहुत अच्छा काम किया है आपने.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- मंत्री जी, मैं पहले ही कह चुका हूं कि रेल परियोजना का विरोध नहीं है. लेकिन जो भूमि जा रही है, कई इतने छोटे किसान हैं कि उनके पास भूमि का छोटा सा टुकड़ा ही मात्र बच पा रहा है. कई जगह पर किसान डेम से पाइप लाइन डालकर अपने खेत तक ले गये हैं, उस पाइप लाइन का मूल्यांकन नहीं किया गया है. इसलिये मैं चाहता हूं कि आप इस बात का आश्वासन दें कि एक टीम बनाकर पुन: सर्वे कराया जायेगा. जो सेटेलाईट, और ड्रोन सर्वे के आधार पर मुआवजा वितरण किया जा रहा है उसकी बजाए भूमि पर राजस्व विभाग की टीमें लगाकर पुन: मूल्यांकन परिसंपत्तियों के छूटने का कराया जाये.
श्री दिनेश जैन'बोस':- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी बोलना चाहता हूं क्योंकि किसानों का...
अध्यक्ष महोदय:- अभी एक मिनट आप रूको. मंत्री जी जवाब दे रहे हैं. मैं आपको बोलने का समय दूंगा.
श्री करण सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने पूछा है तो मैंने प्रश्न के उत्तर में बताया कि कुएं का, ट्यूबवेल, पाईप लाइन का और फलदार पेड़ का सभी टीम भेजेंगे. यदि आपको दिक्कत हो तो मुझे बता दें.मैं उसकी पुन: जांच करवा लूंगा.
श्री आशीष गोविंद शर्मा:- मंत्री जी आप बिल्कुल जो प्रभावित किसान हैं उन सब का पुन: सर्वे राजस्व विभाग के माध्यम से करवाइये. ताकि उनकी जो संपत्ति छूटी है उसे वापस उसमें जोड़ा जा सके.
श्री करण सिंह वर्मा:- आपके साथ सारे अधिकारियों को भेजकर जांच करा लेंगे.
श्री आशीष गोविंद शर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी जो मुख्य मांग है किसानों की तरफ से, वह है गुणांक-देने के लिये. किसानों के मांगने में मैं, मानता हूं कि किसान एकमत रहता है, क्योंकि किसान को सब देना चाहते हैं और हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किसानों के लिये भूमि अधिग्रहण कानून को पहले से और मजबूत बनाया है. लेकिन इस परियोजना में जो किसान विस्थापित हो रहे हैं, विस्थापन का दर्द बहुत बूरा होता है. इसीलिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से मांग करना चाहता हूं और मध्यप्रदेश सरकार से भी मांग करना चाहता हूं कि उन्हें गुणांक -2 यदि मिल सकेगा तो उनके विस्थापन पर मरहम लग पायेगा.
अध्यक्ष महोदय:- आशीष जी, आपकी बात आ गयी है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा:- धन्यवाद, माननीय अध्यक्ष जी.
श्री दिनेश जैन 'बोस':- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मंत्री जी बोल रहे थे कि ट्यूबवेल को, कुएं को लिया जाता है, लेकिन मेरा मुख्य बात यह है कि जो डायवर्शन करी हुई लैंड है, जो रोड से जाती हुई है. हमारे यहां रेलवे ट्रैक पर पुल बन रहा था तो मैंने कहा था कि मेरी जमीन डायवर्टेट तो अधिकारियों ने बोला कि आप डायवर्शन कराके ला दो तो आपको पांच गुना मुआवजा मिल जायेगा. तो मैं ऐसे हजारों, लाखों किसानों को नुकसान हो रहा है तो जो डायवर्शन करी हुई जमीन है या उनका डायवर्शन करा लिया जाये जो रोड के किनारे है और महंगी जमीने हैं. जब मुझे पांच गुना मुआवजा मिला है तो उनको भी मिले. इसके ऊपर भी ध्यान दिया जाये और जो किसानों की मैन जमीन जा रही है, यह बहुत बड़ा विषय है. इसमें लाखों, करोड़ों रूपये का किसानों का नुकसान हो रहा है. डायवर्शन करी हुई लैंड पर ज्यादा मुआवजा मिले और जिन किसानों का डायवर्शन नहीं है, उनकी जमीन का डायवर्शन कराया जाये और उसके बाद उनको मुआवजा दिया जाये.
श्री करण सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर डायवर्शन दो साल पुराना है तो उसका हम मुआवजा देते हैं और तत्काल यदि डायवर्शन कराया है तो उसका मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है.
श्री दिनेश जैन 'बोस':- किसान को पता भी नहीं रहता है, वह डायवर्शन कब करायेगा.
श्री करण सिंह वर्मा:- यह एक प्रावधान है.
श्री दिनेश जैन 'बोस':- नहीं, प्रावधान कि बात नहीं है. किसानों के नुकसान की बात कर रहा हूं. किसान को पता ही नहीं है, उसको मुआवजा मिल जाता है और वह चला जाता है. वह डायवर्शन करा ही नहीं पाता है.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय सदस्य ऐसा नहीं होता की भूमि अधिग्रहण हो रहा है और मैं जाकर फटाफट डायवर्शन करा लूं. डायवर्टेट लैंड जो होती है उसका डायवर्टेट लैंड के हिसाब से मुआवजा मिलता है. ऐसा नहीं है कि आज आपने डायवर्शन करा लिया और मिल गया.
श्री दिनेश जैन 'बोस':- मैं आपको अपना उदाहरण बता रहा हूं कि मेरी जमीन जा रही थी, मेरे को अधिकारी ने बोला कि यदि आप इसका डायवर्शन करा लोगे तो आपको पांच गुना मुआवजा मिल जायेगा और मैंने कराया और मिला भी सही है.
अध्यक्ष महोदय:भगवान दास जी बगल में बैठकर बात करो यदि करना हो तो.( खड़े होकर माननीय मंत्री जी से बात करने पर)
अध्यक्ष महोदय:- माननीय सदस्यों के अनुरोध एवं कल दोनों पक्षों की बात सदन में सुनने के बाद मेरे द्वारा सदन में की गई घोषणा के परिप्रक्ष्य में यह ये दूसरा ध्यानाकर्षण लिया गया है.
यह ध्यानाकर्षण लेने के पूर्व मैं यह उल्लेख करना चाहता हूं- कि विधान सभा प्रक्रिया नियम 138(2) में स्पष्ट प्रावधान है कि ध्यानाकर्षण सूचना पर शासन के मंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य पर कोई वाद-विवाद नहीं होगा, किंतु प्रस्तुतकर्ता सदस्य, अध्यक्ष की अनुमति से एक-एक प्रश्न पूछ सकेंगे इसकी सूचना देने वाले सदस्यों की संख्या काफी अधिक है तथा प्रकरण न्यायालय प्रक्रिया के अधीन है.
अत: माननीय सदस्य इसको दृष्टिगत रखते हुए सटीक प्रश्न पूछकर समय-सीमा में ध्यान आकर्षण पर कार्यवाही पूर्ण करने में सहयोग प्रदान करेंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात विशेष रूप से कहना चाहता हूं कि श्री कैलाश विजयवर्गीय जी ने एक बात कही थी और अभी भी आपने कहा. उन्होंने पाइंट ऑफ आर्डर उठाया था तो यह नियम को आधा पढ़ते हैं, पूरा नहीं पढ़ते हैं. जो इनके काम की बात होती है माननीय संसदीय मंत्री जी, वह पूरी बात सदन को बता देते हैं तो मैं यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन संबंधी नियम-134 में यह स्पष्ट लिखा है - "साधारणतया ऐसे प्रस्ताव को प्रस्तुत करने की अनुज्ञा नहीं दी जायेगी जो किसी ऐसे विषय पर चर्चा उठाने के लिए हो जो किसी न्यायिक या अर्द्धन्यायिक कृत्य करने वाली किसी सांविधिक न्यायाधिकरण या सांविधिक प्राधिकारी या किसी विषय की जांच या अनुसंधान करने के लिये नियुक्त किसी आयोग या जांच न्यायालय के सामने लंबित हो:" - पहले तो इसी बिन्दु के अंदर साधारणतया लिखा है. कोई इसके अंदर अनिवार्य रूप से नहीं लिखा है. दूसरा पैरा जो माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने पढ़ा नहीं है, मैं वह पूरे सदन को बताना चाहता हूं - "परन्तु अध्यक्ष अपने स्वविवेक से ऐसे विषय को सभा में उठाने की अनुमति दे सकेगा जो जांच की प्रक्रिया या विषय प्रक्रम से संबंधित हो, यदि अध्यक्ष का समाधान हो जाय कि जिससे सांविधिक न्यायाधिकरण, सांविधिक प्राधिकारी या आयोग या जांच न्यायालय द्वारा उस विषय के विचार किये जाने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है." धन्यवाद.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, मैंने सदन की नियम और प्रक्रिया के अनुसार ही कहा, वैसे तो यह सदन जानता है कि सभी अधिकार अध्यक्ष में निहित हैं. परन्तु यह नियम जो बनाए हैं वह भी माननीय अध्यक्ष ने ही बनाए हैं, इसलिए मेरा दायित्व है अध्यक्ष महोदय कि जो नियम बने हैं उसके अनुसार सदन चले. जब भी नियम के बाहर चले तो मेरा दायित्व है कि मैं अवगत कराऊं और इसलिए आपके पास आपका अधिकार है, आपके विवेक से आप निर्णय कर सकते हैं. यह निर्णय ही नहीं, बाकी निर्णय भी कर सकते हैं. अध्यक्ष महोदय के पास सर्वाधिकार सुरक्षित हैं.
श्री उमंग सिंघार - मेरा कहना था कि पैरा आधा पढ़ा, पूरा पढ़ते तो क्लियर हो जाता, यह मेरा आशय था.
अध्यक्ष महोदय - मैं नेता प्रतिपक्ष और संसदीय कार्यमंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि अब विषय आगे बढ़ गया है. श्री हेमन्त कटारे जी अपना ध्यान आकर्षण पढ़ने वाले हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, उनको 24 घंटे बाद याद आई. कल मैंने बताया था और मैंने ही इनको अंदर बताया.
अध्यक्ष महोदय - जो आप सब लोगों ने कहा, नियम और प्रक्रिया की इसी भावना के अंतर्गत यह निर्णय किया गया है.
श्री उमंग सिंघार - वह भी मालूम था, लेकिन आप चर्चा कराने के लिए तैयार हो, इसलिए हम चुप बैठे थे. आप चर्चा करा रहे हैं आपको धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, चर्चा के दौरान मैंने यह मुद्दा उठाया था. श्री कैलाश जी अर्द्धनारीश्वर के उपासक हैं तो अर्ध बातें ही समझते हैं, अर्ध बातें ही पढ़ते हैं, अर्ध काम भी यही करते हैं.
श्री उमाकांत शर्मा - अर्द्धनारीश्वर के रूप में भगवान शिव का अपमान नहीं सहेंगे.
अध्यक्ष महोदय - उमाकांत जी, कृपया बैठें.
1.00 बजे ध्यान आकर्षण
(2) मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल द्वारा नर्सिंग कॉलेजों को नियम विरूद्ध मान्यता दिया जाना.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे (अटेर), सर्वश्री जयवर्द्धन सिंह, लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय, अधिकारियों द्वारा मात्र दिखावे के लिए औपचारिक कार्यवाही की गई, जिससे दोषी व्यक्ति बाद में इसका लाभ उठा सके. इसीलिए उनके विरूद्ध एफआईआर तक नहीं करवाई गई है. साथ ही एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्तियां भी नहीं दी गई है.
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे(अटेर)—माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे इस गंभीर विषय पर बोलने का अवसर दिया इसके लिये आपको धन्यवाद. लाखों नर्सिंग के छात्र इस विषय से प्रभावित हैं. उनके भविष्य की सुनियोजित तरीके से हत्या की जा रही है. जब यह सारे बच्चे अपने न्याय की गुहार लगा रहे थे. जब आकर के अपने भविष्य की चिन्ता कर रहे थे, रो रहे थे. अपनी समस्याओं को रख रहे थे, सरकार के सामने, विपक्ष के सामने ऐसे मौकों पर संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय)—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है. बिना आपकी अनुमति के इस प्रकार प्रदर्शन करना किसी प्रकार के पत्र का इस सदन में कभी भी अनुमति नहीं दी जा सकती मेरा आपसे निवेदन है कि माननीय सदस्य को आप निर्देश दें कि इस प्रकार से पत्र को आप प्रदर्शित नहीं कर सकते.
अध्यक्ष महोदय—हेमंत जी, यह सही है कि बिना अनुमति के यह नहीं दिखाना चाहिये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—माननीय अध्यक्ष महोदय, आप लाईव करवा दो. पूरे प्रदेश की जनता हमेशा देखेगी. देश की जनता भी देखेगी. आप लाईव टेलीकास्ट क्यों नहीं करवा रहे हैं. आप लाईव करवा दें.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—अध्यक्ष महोदय, इसको क्या छुपाना है, जनता के ही तो विषय उठ रहे हैं. उन्हीं ने हमको चुनकर के भेजा है. इसको लाईव करवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय—सवाल यह है कि जो कागज आपने दिखाया, वह उचित नहीं है.
श्री उमंग सिंघार—अध्यक्ष महोदय, छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में लाईव हो रहा है, यहां पर नहीं हो रहा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना सा निवेदन करना चाहता हूं कि आपने बहुत बड़े हृदय से इसकी चर्चा ध्यानाकर्षण के माध्यम से ली है. वैसे ही यह प्रकरण सब ज्यूडिश है. इस पर
सीबीआई की जांच चल रही है, उसके बाद भी सदन ने आपके आदेश को शिरोधार्य किया. आपने ही आदेश दिया अभी कि भाषण नहीं होगा. आप अनुमति प्रश्न पूछने की दें, ये तो भाषण दे रहे हैं. इसलिए मेरा निवेदन यह है कि जो पर्चा अभी माननीय सदस्य ने दिखाया वह तो सदन की कार्यवाही में नहीं आना चाहिए और आगे भी माननीय सदस्यों को निर्देशित करने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, नियम प्रक्रिया का पालन करते हुए अपनी बात रखें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष जी, जो तस्वीर मैंने दिखाई थी, उस तस्वीर का चित्रण तो कह सकता हूं अपने शब्दों में, तस्वीर नहीं दिखाता. थोड़ा सा कह लेने दें.
अध्यक्ष महोदय - तस्वीर काहे की है. उसको छोड़ो.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - ठीक है तो इसमें मैं यह मांग करता हूं कि जो कार्यवाही सरकार बाईक स्टंट करने वालों के ऊपर करती है वीआईपी रोड पर बाइक चलाने के लिए (XXX) मुझे लगेगा कि सरकार जागरुक है. मैं विषय पर आ रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - ये जो आप दिखा रहे, जो विषय आप कह रहे यह विषय वस्तु से संबंधित नहीं है, विषय वस्तु के अंतर्गत रहो, जो आपने ध्यानाकर्षण दिया है, उसके अंतर्गत रहो.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष जी, ये रिकार्ड में भी नहीं आना चाहिए, मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, वह रिकार्ड में नहीं आएगा.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - इसमें गलत क्या है, रिकार्ड से हटाने के लिए ऐसा किस नियम से हटा रहे, नियम भी बता दें, क्यों नहीं आना चाहिए, नियम में है तो हटा दीजिए. नर्सिंग के ही व्यक्ति की बात हो रही है. (....व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - चलो आप आगे बढ़ो.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष जी, जब भारत विश्व कप जीता पूरा देश नाचा है, उसमें कोई बुरी बात नहीं है, उसमें क्या है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - रोहित शर्मा को उतनी खुशी नहीं हुई, जो कप्तान है, जितनी खुशी माननीय को हुई.
डॉ. सीतासरन शर्मा - भारत के जीतने से तकलीफ हैं इन्हें और कोई बात नहीं है (....व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग भी बैठ जाओ, कृपा करके बैठ जाओ. हेमंत जी हमें विषयांतर नहीं करना है, आप विषय के अंदर रहो.
श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है.
अध्यक्ष महोदय - भूपेन्द्र जी का क्या पाइंट ऑफ आर्डर है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर ये है कि ये नियम प्रक्रिया है. अगर सदन में किसी के ऊपर भी हम आरोप लगाते हैं तो ये नियम प्रक्रिया है कि हम वह दस्तावेज पटल पर रखते हैं और अध्यक्ष की अनुमति के बाद ही हम उन दस्तावेजों के बारे में अपनी बात सदन में कह सकते हैं. माननीय सदस्य जो बात कह रहे हैं, उस संबंध में उन्होंने कोई भी दस्तावेज पटल पर नहीं रखे हैं, इसलिए मेरा आग्रह है माननीय सदस्य से और सदन से भी अगर आपके पास कोई दस्तावेज है तो आप सदन के पटल पर रखें. अध्यक्ष महोदय की अनुमति लें, उसके बाद आरोप लगाएं, जिससे कि उन दस्तावेज के आधार पर जिस सदस्य पर आरोप लगे हैं, वह अपना जवाब दे सके. ऐसे खड़े होकर हम कोई भी पर्चा लहरा दें तो ये कोई सदन की अच्छी परम्परा है क्या माननीय अध्यक्ष महोदय? इसलिए इस गरिमा को हम सब बनाकर रखें मेरा यह आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय - हेमंत जी और बाकी सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि महत्वपूर्ण विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं. आप सभी लोगों का आग्रह था कि इस पर चर्चा कराई जाए, इसलिए नियम प्रक्रिया का पालन करते हुए हम अपनी अपनी बात रखें, जिससे समय सीमा पर ध्यानाकर्षण भी पूरा हो और जो बात हम रखना चाहते हैं उसके निराकरण के दिशा में भी हम कुछ बढ़ सके.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष जी, जब किसी भी व्यक्ति पर पर संकट आता है जीवन मौत से जूझ रहा होता है, ऐसे वक्त पर उसको डाक्टर और नर्सों की आवश्यकता पड़ती है या तो खुद वह बीमार हो, या उसके परिजन या चहेते बीमार हो तो ऐसे वक्त पर डाक्टर की आवश्यकता पड़ती है. डाक्टर का काम बहुत सीमित होता है 5 मिनट या दो मिनट देखना दवाई लिखना या निर्देश देकर आगे बढ़ जाना. लेकिन जो नर्स होती है उसकी ड्यूटी अगले पूरे 24 घंटे की देख रेख की होती है, वह इन नर्स के ही हाथों में होती है, तो इनका कार्य अति महत्वपूर्ण है किसी भी मरीज के प्रति, या इस विषय में इस बात को कहने की जरुरत है. क्योंकि अब कोई भी मरीज गया इलाज करवाने या हम में से कोई कभी बीमार हो गया, इलाज करवाने गया और वैसे वह ठीक है. लेकिन इलाज के दौरान उसको पता लगता है कि जो डॉक्टर उसका इलाज कर रहा है, वह इत्तेफाक से (XXX).
संसदीय कार्यमंत्री( श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है, विषय क्या है और नेताजी भाषण क्या दे रहे हैं? अध्यक्ष महोदय, इस विधानसभा का समय क्या इस प्रकार बर्बाद करेंगे?यहां पर कहां से व्यापमं आ गया है.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- यह इधर-उधर घूम रहे हैं, इनके पास कुछ भी जानकारी नहीं है न ही कोई विषय इनके पास है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न पूछें कि प्रश्न क्या है ? इनका तो भाषण हो रहा है और बिल्कुल विषय के बाहर भाषण हो रहा है, विषय के अंदर भाषण हो, तब भी हम झेल लेंगे.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, मैं विषय के सीधे बिल्कुल अंदर ही आ जाता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- आपने इससे यह स्वीकार कर लिया है कि अभी तक आप विषय के बाहर थे.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- हां, अध्यक्ष महोदय, विषय की भूमिका भी तो बनायी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप विषय पर आ जायें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, अब मैं सीधे विषय के अंदर आ जाता हूं. यह जो नर्सिंग घोटाला है, इस पूरे नर्सिंग घोटाले की जनक भारतीय जनता पार्टी है और किस प्रकार से है, अब वह मैं आपको बताता हूं. इंडियन नर्सिंग कांउसिंल के मापदंडों के अनुसार सारे कॉलेज संचालित होते थे, उनको संबंद्धता दी जाती थी, नियम लेट डाउन थे. वर्ष 2018 अक्टूबर में एक संशोधन लाया गया या नियम परिवर्तित किये गये, गजट नोटिफिकेशन के द्वारा और दिनांक-16/10/2018 को नियमों में परिवर्तन किया गया, नियमों में परिवर्तन करने का अधिकार होता है, लेकिन नियमों में परिवर्तन करना सुधार के लिये होता है न कि शिक्षा माफिया को छूट देने के लिये होता है. अब जब यह परिवर्तन हुआ इसके पहले नियम थे, हॉस्टल और बिल्डिंग प्रीमाइसिस को मिलाकर 44 हजार स्क्वायर फिट की जगह चाहिए होती थी. अब नियम परिवर्तित करके क्या सुधार किया? देखिये आप उसको ठीक 19 हजार लाकर कर दिया है, मतलब अब शिक्षा माफिया खुलेआम जाये और अपना भ्रष्टाचार व्यापक रूप से फैला सकता है, यह मैं 60 सीटों की बात कर रहा हूं. इसके बाद एक और परिवर्तन हुआ अभी दिनांक- 21/02/2024 को अगेन उसका गजट नोटिफिकेशन आया. अब यह जो आंकड़ा में बता रहा हूं इसको 19 हजार से कम करके 9 हजार 150 लगभग कर दिया है. मैं तो बोलता हूं एक छोटी सी परचूनी की दुकान में ही कर दें, इतनी भी फार्मेलिटी की जरूरत क्या है? एक छोटी सी दुकान से भी कॉलेज चल सकता है और पूर्व डी.एम. चला भी रहे थे. अभी तक के इतिहास में, मैं तो माननीय मंत्री श्री विश्वास भईया से आग्रह करूंगा कि वह अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज करवाने के लिये प्रयास करें तो हो सकता है, चूंकि एक वर्ष में 219 नये कॉलेज खोले हैं और उस समय मंत्री आदरणीय विश्वास सारंग जी थे और मकसद क्या था, अच्छा आप देखिये उसके पहले तक मेरी जानकारी के अनुसार 448 थे, जो डॉक्यूमेंट मेरे पास है, मैं वर्तमान माननीय मंत्री जी को दे दूंगा, आपने अपने भाषण में 453 बोला है.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इंदर सिंह सिंह परमार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न करें, यह तो सीधा-सीधा भाषण हो गया, यदि भाषण ही किसी को करना है तो मैं विषय को परिवर्तन करके भाषण शुरू करता हूं, ऐसा थोड़े ही चलेगा, हम भाषण शुरू करते हैं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- मैंने अध्यक्ष महोदय से अनुमति ले रखी है.
श्री इंदर सिंह सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है, केवल प्रश्न करना चाहिए, इस पर भाषण नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप आगे बढ़ें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, यह जो विश्व रिकार्ड बनाया है 219 कॉलेज एक वर्ष में खोलने का, अच्छा पहले तक यह था कि भ्रष्टाचार जो हमें पढ़ने को मिलता था, वह ऐसा होता था कि कॉलेज से फर्जी तरीके से पूरी मान्यता देने के लिये मोटा पैसा वसूला जाता था, ऐसा अखबारों में खबरें आती थीं, अब उसको इन लोगों ने अच्छा एक नया रूप दिया है, प्रति सीट कलेक्शन शुरू कर दिया है और हजारों करोड़ों रूपयों का इसमें घपला किया गया, वह भी हो कब रहा था जब कोविड काल चल रहा था. अब बिस्तरों के आंकड़ें तो इतने सारे थे लेकिन जब वास्तविकता में मरीज पहुंचे तो, बिस्तर थे ही नहीं. बिस्तर छोडि़ये बिल्डिंग नहीं थी, जमीन नहीं थी, वहां पर कुछ भी नहीं निकला कोविड काल में यह सब चल रहा था.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इनका प्रश्न क्या है ?इतनी देर में इनका प्रश्न क्या है ? हम कब तक इनको झेलेंगे?(हंसी)
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अभी 15-20 मिनट और झेलेंगे पंडित जी. (हंसी) डॉ.सीतासरन शर्मा -- (संसदीय कार्यमंत्री, श्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा अपने आसन से कहने पर) माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी कह रहे हैं, हम झेल लेंगे, साहब यह एक मिनट भी नहीं झिला रहे हैं. यह तो कोई बात नहीं हुई. यह प्रश्न करें अध्यक्ष महोदय, फिर दूसरे सदस्यों को भी पूछना है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, झेलना शब्द बड़ा संसदीय है, बहुत संसदीय शब्द है? इससे यह दिख रहा है कि सरकार बहुत घबराई हुई है, झेलना शब्द आपसे उम्मीद नहीं थी. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, यह झेलना शब्द विलोपित करायें, मैं अपनी बात को आगे बढ़ा रहा हूं. इसके पहले जो रजिस्ट्रार थीं, जिनको रजिस्ट्रार बनाया गया और किसके कार्यकाल में बनाया गया, माननीय के कार्यकाल में बनाया गया, उस समय सुनीता सीजू यह स्टॉफ नर्स है, इनकी रजिस्ट्रार बनने की पात्रता नहीं है, इनका अनुभव भी नहीं है. लेकिन इनको सारे नियमों को दरकिनार करते हुए रजिस्ट्रार बनाया गया, इनकी योग्यता क्या थी? वह मैं आपको बता देता हूं, इनकी योग्यता थी कि इनके विरूद्ध ईओडब्ल्यू में शिकायतें जांच के लिये लंबित थीं और शिकायतें किस चीज के लिये थीं, देश में हल्ला मचा वह है पेपर लीक को लेकर के, यह इनकी योग्यता थी इसलिये इनको बनाया. अभी भी मन नहीं भर रहा था अब और उसको व्यापक रूप से भ्रष्टाचार करने के लिये छूट दी जायेगी. एक और उदाहरण पर मैं आ रहा हूं. योगेश शर्मा, इनको बाद में प्रशासक बना दिया गया क्योंकि प्रशासक का माननीय उपमुख्यमंत्री जी ने उल्लेख भी किया है तो यह योगेश शर्मा जी की कुण्डली भी मैं आपको बता देता हूं. इनकी पहले जबलपुर मेडीकल कॉलेज में नियुक्ति होती है जिस अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर होती है...
श्री उमाकांत शर्मा-- (वगैर माइक के कुछ कहने पर)
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- बैठ जाओ पंडित जी, मैं आपको नहीं बता रहा, अध्यक्ष जी से बात कर रहा हूं. योगेश शर्मा जी की वहां नियुक्ति होती है, जो नियुक्ति पत्र है पहले तो नियुक्ति का आधार इन्होंने जो अनुभव प्रमाण पत्र दिया पीपुल्स डेंटल कॉलेज का, थाने में अभी भी जांच लंबित है और पीपुल्स डेंटल कॉलेज के अधिकृत व्यक्ति ने लिखकर दिया है कि इन्होंने हमारे यहां से कोई अनुभव नहीं लिया है, कहेंगे तो उपलब्ध भी करवा दूंगा. नियुक्ति पर भी प्रश्नचिन्ह है और नियुक्ति पत्र के जो बिंदु हैं कि किन-किन शर्तों पर नियुक्ति दी गई है उसका बिंदु नंबर 3 स्पष्ट रूप से यह कहता है....
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय हमारे धैर्य की परीक्षा ली जा रही है क्या. ... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- अभी वह बात पूरी कर रहे हैं.
श्री जगदीश देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय प्रश्न तो करें कि क्या प्रश्न कर रहे हैं. ... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- हेमन्त जी संक्षिप्त करिये.
श्री उदय प्रताप सिंह-- चाह क्या रहे हो. ... (व्यवधान)....
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल तो सरकार इस पर चर्चा कराने के लिये बात कर रही थी, अब कोई बात आ रही है तो उसे सुने तो सही, इतना तो धैर्य रखें माननीयजन, घबरा क्यों रहे हो.
श्री इंदर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण पर प्रश्न पूछने का है आपने विषय रख दिया प्रश्न पूछो न, या तो पहले ट्रेनिंग करो ध्यानाकर्षण कैसे होता है.
अध्यक्ष महोदय-- राजेन्द्र कुमार सिंह जी कुछ कह रहे हैं. ... (व्यवधान)....
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे जो चर्चा हुई, सहमति बनी, हम तो स्थगन लाये थे, उस पर कराते, कराओ.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं नेता प्रतिपक्ष जी की बात को आगे बढ़ाना चाहता हूं. माननीय सीतासरन जी को, इंदर सिंह जी को अंदर क्या बात हुई आपके कक्ष में इनको नहीं मालूम पर कैलाश जी को तो मालूम है. बात यह हुई थी कि ध्यानाकर्षण के माध्यम से पूरी चर्चा होगी, चूंकि आप नहीं लेना चाहते थे, यह भी तैयार नहीं थे स्थगन प्रस्ताव लेने के लिये बात हुई थी, आप तो जानते हैं कैलाश जी फिर आप क्यों अमानत में खयानत कर रहे हैं भाई, अब झेलिये.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधान सभा क्या अंदर की बात से चलेगी. ... (व्यवधान)....
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय यदि नियम के अनुसार ....
श्री भंवर सिंह शेखावत-- अध्यक्ष महोदय आदरणीय कैलाश जी को आदत है यह बहुत देर तक झेल सकते हैं ...(हंसी)... आज भी चलने दो यार.
अध्यक्ष महोदय-- कुलमिलाकर सामान्य तौर पर कक्ष की जो चर्चा रहती है उसका सदन में उल्लेख नहीं करना चाहिये. हेमन्त जी जल्दी समाप्त कीजिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अंदर की बात यह भी करते थे साहब, पर बाहर बताते नहीं थे.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष महोदय, आपने मुझसे कहा था कि मैं शुरूआत कर रहा हूं तो मैं सारे विषय को विस्तृत रूप से रख सकता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- उसकी भी सीमा है न.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष जी, महत्वपूर्ण विषय है, मध्यप्रदेश के छात्रों से जुड़ा हुआ विषय है और मैं तथ्यात्मक बात रख रहा हूं, अब भूमिका बनाना बंद कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- भूमिका मत बनाओ तथ्यात्मक रखो.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष जी, मैं योगेश शर्मा का बता रहा था, इनका जो नियुक्ति पत्र है अब आप कह रहे हैं कि दिखा नहीं सकते तो मैं मौखिक ही बता देता हूं नहीं तो फिर वही बात आ जायेगी कि समय से, फिर हम लोग विषय से भटक जायेंगे, इसको पटल पर रख दूंगा. इसके बिंदु 3 में लिखा हुआ है कि जब से इनकी स्वशासी महाविद्यालय में नियुक्ति हुई है तब से लेकर 3 वर्ष तक यह अपनी मूल सेवायें यहीं पर देंगे, यह नियम की शर्त है, इस शर्त का उल्लंघन होता है तो इनकी नियुक्ति निरस्त होना चाहिये, कायदा यह है, लेकिन 3 वर्ष के अंदर ही माननीय के दवाब में इनका भोपाल ट्रांसफर कर दिया जाता है, जबकि ऐसा करने पर इनकी नियुक्ति समाप्त होनी चाहिये, कैसे किया जाता है वह मैं आपको बता देता हूं अध्यक्ष जी. यह एक पत्र माननीय विश्वास सारंग जी ने डीन गांधी मेडीकल कॉलेज को लिखा है और यह पत्र दिनांक 9.8.2021 का है. इसमें माननीय जी जो सार लिख रहे हैं मैं इसकी अंतिम लाइन पढ़ देता हूं- डॉ. योगेश शर्मा, सह प्राध्यापक, दंत विभाग चिकित्सा महाविद्यालय, जबलपुर को चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में सह प्राध्यापक दंत विभाग के रिक्त पद पर प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ करने हेतु आदेश जारी करें. 3 वर्ष नहीं हुए हैं और यह नहीं कह रहे हैं कि नियमानुसार आदेश जारी करें. यहां फर्क है. आदेश जारी करें, मतलब नियम नहीं, मंत्री जी का आदेश है. ऐसा कैसे, क्या मंत्री जी नियम के ऊपर होते हैं और मैं कहता हूं कि इस व्यक्ति ने जो-जो फर्जीवाड़े फिर किये उसकी जिम्मेदारी नैतिक ही क्यों पूरे तरीके से मंत्री जी के ऊपर आना चाहिये. लेकर भी आप ही आये. यह मंत्री जी का पत्र है.कैमरे पर नहीं दिखाता इसको लेकिन मीडिया या पटल के माध्यम से मैं आप तक पहुंचा दूंगा. माननीय विश्वास सारंग जी का मेरे पास यह पत्र लिखा है जिसके आधार पर मैं यह बात कह रहा हूं. योगेश शर्मा जी की योग्यता भी थोड़ी सी बता ही देता हूं. सीधे-सीधे आपका ही पत्र है. इनकी योग्यता यह है कि डीएमई ने इनको बार-बार लिखकर कहा अनेकों बार कहा और कहा कि 284 कालेज जो हैं उनकी मान्यता निरस्त की जाए एवं उन पर कानूनी कार्यवाही की जाए. यह आन रिकार्ड है. मैं आपको डेट्स बता देता हूं. डीएमई ने 24.7.2023 को,4.8.2023 को,8.8.2023 को,1.9.2023 को, 21.11.2023 को यह आफीशियल रिमाइंडर्स डीएमई द्वारा दिये गये इन 284 कालेजों के लिये लेकिन योगेश शर्मा जी इनकी मान्यता निरस्त नहीं कर रहे. किसी माननीय का दबाव हो सकता है,होगा.नहीं तो ऐसा कैसे हो सकता है डीएमई को बायपास कर देंगे. किसी माननीय का दबाव होगा ऐसी मुझे आशंका है लेकिन 5 रिमाइंडर्स के बाद सिर्फ 19 कालेजों की यह मान्यता निरस्त करते हैं और फिर धीरे से उनको एक-एक करके बहाल कर दी जाती है. एक और मैं बता देता हूं कि दिनांक 14.12.2022 को (XXX) उनके द्वारा उस बैठक में उपस्थित होकर निर्देशित किया गया कि जिन नर्सिंग और पैरामेडिकल कालेजों को 2019-20,2020-21,2021-22 में जिन कालेजों को संबद्धता नहीं दी गई है.
सहकारिता मंत्री(श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - अध्यक्ष महोदय,व्यक्तिगत नाम लेकर टीका-टिप्पणी नहीं की जाए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - मंत्री जी खुद बैठक में उपस्थित थे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय,व्यक्तिगत नाम लेकर टीका-टिप्पणी नहीं की जाए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - आप आसंदी पर बैठ जाईये फिर. आप बता दीजिये. अध्यक्ष जी टोक नहीं रहे हैं.
जल संसाधन मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट) - अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है. इसको विलोपित करें.
जनजातीय कार्य मंत्री(कुंवर विजय शाह) - अध्यक्ष महोदय, आपकी सहृदयता का फायदा लेते हुए ये जितना भाषण कर सकते थे उससे ज्यादा हो गया.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - आपको कैसे पता.
कुंवर विजय शाह - आपके पिताजी के साथ का हूं. 35 साल हो गये इस सदन में.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - बाहर पैर छू लूंगा. बोलने तो दो. फिर से मैं कह रहा हूं कि मंत्री जी,विश्वास सारंग स्वयं बैठक में उपस्थित थे. उन्होंने निर्देशित किया कि 2019-20,2020-21,2021-22 में जिन कालेजों को संबद्धता नहीं दी गई है उनको छात्र हित में पुनविर्चार कर समय-सीमा में कार्यवाही सुनिश्चित करें. अब यहां छात्र हित है या माननीय का हित है यह छुपा हुआ है.लिखने को तो छात्र हित है लेकिन हित किसी और का था. अचानक से छात्र हित याद आ गया. जो छात्र 3-4 साल से परीक्षा नहीं दे पाए उनका हित वहां याद नहीं आया यहां याद आ गया चूंकि उन फाईलों के लिये शायद कहीं से कोई एप्रूवल आ गया होगा. एक कोई महेन्द्र गुप्ता जी हैं उनके माध्यम से, कि इनको अब करना है आगे बढ़ाना है. फिर आगे परिणाम स्वरूप यह हुआ कि इस टीप के आधार पर धीरे-धीरे इन सबको छूट मिलने लगी. सारी संबद्धता जारी हो गयी. अब सबसे गंभीर बात यहां आती है कि ऐसा विश्व में कभी देखने को नहीं मिला. ऐसा भ्रष्ट आचरण कि मेडिकल कालेज जबलपुर ने एक आदेश जारी किया. आदेश की कापी मेरे पास है. माननीय पूर्व एवं वर्तमान मंत्री जी दोनों को उपलब्ध करवा दूंगा.16.2.2023 को, और उसमें उन्होंने लिखा कि जो एफिलेशन है. इन सब कालेजों को दिया जाए. पहले तो मंत्री जी की बैठक में आदेश का पालन करते हुए एफिलेशन दे दिया इसके बाद 16 ही तारीख से लिख दिया कि परीक्षा फार्म भरने के लिये भी नोटिफिकेशन शुरू. आज संबद्धता मिली. आज एडमीशन, आज से परीक्षा के भी फार्म भरना शुरू, पढ़़ाई की जरूरत ही नहीं, मध्यप्रदेश है यह. इनरोलमेंट 17 से शुरू,मतलब छात्र आया 15 दिन में वह नर्स बनकर निकल गया. अब वह मरीजों के साथ क्या करेगा आप खुद ही कल्पना कर लीजिये इसके बाद मैं धन्यवाद दूंगा जो विशाल बघेल जी जो इसके व्हिसिल ब्लोअर थे शर्मा जी, इन लोगों ने पिटीशन लगाई उन्होंने इस पूरे प्रकरण को बड़ी गंभीरता से विषय को उठाया और इस मुकाम तक पहुंचाने में छात्रों की मदद करने में पूरी सजगता से काम किया और दिलीप कुमार शर्मा जी की पिटीशन के बाद अब मैं पिटीशन की डिटेल में नहीं जा रहा क्योंकि वह विचाराधीन है लेकिन पहले कोर्ट ने स्टे दिया एग्जामिनेशन पर उसके बाद एक रिपोर्ट आती है जो कि सावर्जनिक हुई है. पटल पर भी है और वह रिपोर्ट आई इसमें कालेजों को 3 श्रेणी में बांटा गया. इसका माननीय मंत्री जी ने भी उल्लेख किया, सूटेबल, अनसूटेबल और...
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, विजय शाह जी 35 साल से विधायक हैं और मैं भी 30 साल से हूँ. मैंने ऐसा ध्यानाकर्षण आज तक नहीं देखा, 30 साल के अनुभव में, डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी से भी पूछ लीजिए, इन्होंने भी कभी ऐसा ध्यानाकर्षण नहीं देखा होगा. भई, इसमें प्रश्न पूछिए, प्रश्न क्रमांक 1, प्रश्न क्रमांक 2, प्रश्न क्रमांक 3, आप तो बिल्कुल यहां पर सत्यनारायण की कथा का वाचन कर रहे हैं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- छात्रों के भविष्य की हत्या हो रही है, इनको सत्यनारायण की कथा महसूस हो रही है.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, गलत परम्परा होगी, इस विषय पर थोड़ी सी चिंता करिए और माननीय सदस्य को जरा निर्देशित करिए, प्रश्न पूछकर अपना ध्यानाकर्षण समाप्त करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष जी, इसमें सूटेबल, अनसूटेबल और डेफिशियन्ट तीन कैटेगरीज में बांटा गया. अभी तक दो श्रेणियां सुनी थीं, पात्र और अपात्र सुना था. डेफिशियन्ट मतलब कमी होना. कमी होने के बाद भी अपात्र नहीं कर रहे हैं, यह भ्रष्टाचार की छूट देने का एक और तरीका था. इसमें से भी जो 169 कॉलेजेस सूटेबल बताए गए और उनकी जब ग्राउंड रियालिटी चेक की गई, कई पत्रकार गए, एनडीटीवी के, भास्कर, पत्रिका, ये सारी न्यूज रिपोर्ट्स रखी हुई हैं.
1.32 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय -- भोजनावकाश का समय हो गया है. मुझे लगता है कि ध्यानाकर्षण पूर्ण होने तक हम समय की वृद्धि करें. मैं समझता हूँ, सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
1.33 बजे ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, कंटीन्यू करा दें, बाकी ज्यादा भूख सहन नहीं होगी. ऐसा भाषण, उसके बाद भूख को सहन करना, दोनों चीज सहन नहीं हो सकती. (हंसी).
अध्यक्ष महोदय -- चलिए, दो मिनट में खतम करिए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष जी, दो-तीन बिंदु मैं रख देता हूँ. इस विषय के लिए महत्वपूर्ण हैं.
अध्यक्ष महोदय -- दो मिनट में पूरा करें अब, उसके बाद जयवर्द्धन सिंह को बुलाएंगे.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, 169 कॉलेजेस की जब ग्राउंड रियालिटी चेक की गई, पत्रकारों ने भी की और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी की तो कहीं पर गौशालाएं मिल रही हैं. मतलब भ्रष्टाचार भी पवित्र उद्देश्य से कर रहे थे. कहीं पर मैरिज-गार्डन मिल रहे हैं. कहीं स्कूल और कॉलेज एक ही बिल्डिंग में हैं, कहीं तीन कॉलेज एक ही बिल्डिंग में हैं. कहीं हॉस्पिटल है नहीं, और हॉस्पिटल है तो मापदण्ड से कई दूरी पर है. कहीं पर बिल्डिंग नॉर्म्स के अनुसार नहीं है. फैकल्टी है नहीं, और है तो प्रिसिंपल नहीं है. यदि फैकल्टी है तो 15-15 जगह एक ही फैकल्टी अटैच है, इस तरीके के फर्जीवाड़े देखने को मिले और पूर्व डीएमई श्रीवास्तव जी, उन्होंने खुद ने कॉलेज खोलकर क्या फर्जीवाड़ा किया, वह आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी विस्तार से बता देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- हेमन्त जी, अब कनक्लूड करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, सीबीआई ने क्या किया, वह तो सबके सामने ही है, उस पर मैं बात नहीं करता. एक छात्र है, रवि परमार, जब इसने ये सारे विषय को उठाने की कोशिश की तो माननीय अध्यक्ष जी, यह विषय गंभीर है कि उसको 151 की धारा पर, इतनी छोटी धारा पर दो दिन के लिए जेल भेजा गया. दो दिन के लिए जेल और कैसे भेजा, उसके हाथों में हथकड़ी लगाई, हथकड़ी लगाने के नियम कमिश्नरेट से पूछने चाहिए. ऐसे हथकड़ी लगा नहीं सकते हैं. ये इल्लिगल कन्फाइनमेंट है और पुलिस वालों के ऊपर केस दर्ज होना चाहिए. ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना, किसी को हथकड़ी सिर्फ आरोप के ऊपर नहीं लगाई जा सकती, माननीय अध्यक्ष जी, क्या वह कोई टेरेरिस्ट था और जो वाकई में रंगे हाथों पकड़े गए, उनके भी फोटो पब्लिश हुए थे कि वे मोबाइल पर बात कर रहे थे. मोबाइल में बात कस्टडी में बैठकर कर रहे थे रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद भी..
अध्यक्ष महोदय -- हेमन्त जी, अब कनक्लूड करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय, अब मैं कनक्लूड कर रहा हूँ. सारे तथ्यों से यह स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार तो हुआ है. प्रश्न पूछ लेता हूँ, बार-बार आपको प्रश्न की चिंता है, एक प्रश्न तो यह है कि माननीय डिप्टी सीएम के गृह जिले में क्यों एकमात्र नर्सिंग कॉलेज है और वह भी अनसूटेबल है ? यह उदाहरण है मध्यप्रदेश के लिए पूरे देश में, यह मेरा प्रश्न है. और प्रश्न पूछता हूँ, बार-बार आप प्रश्न पूछने की बात कर रहे थे, अब प्रश्न ही पूछ लेता हूँ. दूसरा मेरा प्रश्न यह है कि यह जो योगेश शर्मा है..
अध्यक्ष महोदय -- दो ही प्रश्न पूछ सकते हैं, इतने भाषण के बाद.(हंसी).
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, ठीक है, तो दूसरा प्रश्न यह है कि सारंग जी ने जो पत्र लिखकर निर्देशित किया, नियमों को ताक पर रखकर, योगेश शर्मा जी को लाकर और योगेश शर्मा जी ने जो फर्जीवाड़े किए, (XXX) और नैतिकता नहीं है तो आप लोगों को जिम्मेदारी और काग्नीजेंस लेकर उनके ऊपर कार्यवाही करनी चाहिए. मेरा इस विषय पर इतना कहना है दलगत राजनीति से ऊपर उठकर...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष जी, यह डिस्एलाऊ करिए आप. इसको कार्यवाही से निकालिए. यह कोई प्रश्न है क्या ? क्या किसी की नैतिकता पर प्रश्न उठाया जा सकता है ?
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- हां, उठाया जा सकता है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इसको विलोपित करना चाहिए. यह अनर्गल बात कर रहे हैं.
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, इसको विलोपित करवाइये. किसी की नैतिकता पर सवाल नहीं किए जा सकते.
अध्यक्ष महोदय -- यह विलोपित करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष जी, मेरा सिर्फ इतना कहना है कि यह विषय बहुत गंभीर है, लाखों छात्रों से जुड़ा हुआ है, इसमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना चाहिए. इसको राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- हेमन्त जी, अब खत्म करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष जी, आपको और हमको मिलकर इसमें सार्थक पहल करना चाहिए. बस, जो मांग है, वह भी मैं बता देता हूँ जिससे कि वह बात भी आ जाए. शार्ट में एक मिनट के अंदर खत्म कर दूंगा. पहली मांग है, क्योंकि मंत्री विश्वास सारंग जी उस समय इस विभाग के मंत्री थे और आज भी वे इस स्थिति में हैं कि वे इस जांच को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए मंत्री जी को इस जांच से ऐसी जगह हटाना चाहिए कि वे उस जांच को प्रभावित न कर पाएं, मंत्री पद से उनको इस्तीफा देना चाहिए या आपको बर्खास्त करना है, यह पहली मांग है. अध्यक्ष महोदय, मेरी दूसरी मांग छात्रों के हित की है कि जो कॉलेजेस अमान्य घोषित कर दिए हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, यह मांग है कि प्रश्न है. यह मांग करने की जगह है क्या ? आप प्रश्न कीजिये. यह तो मांग कर रहे हैं.
जल संसाधन मंत्री (तुलसीराम सिलावट) - आप प्रश्न कीजिये न.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - मेरी दूसरी मांग नहीं है, प्रश्न है. मैं मांग को प्रश्न में बदलता रहा हूँ. जो कॉलेजेस अमान्य डिक्लेयर कर दिए हैं, उसमें छात्रों का तो कोई दोष नहीं है, वे तो नॉर्म्स चेक करके एडमिशन लेते नहीं हैं. मेरा आग्रह यह है कि सरकारी व्यय पर उनको जो मान्य कॉलेजेस हैं या गवर्नमेंट कॉलेजेस हैं, सिर्फ रीवा को छोड़कर, बाकि सबमें उन छात्रों को भर्ती करवा दिया जाये, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित बना रहे. मेरा तीसरा प्रश्न है कि वीसी एवं रजिस्ट्रार, जो जबलपुर में हैं, वह भी इस बात के दोषी हैं, उन दोनों के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की गई है, उनको टर्मिनेशन किया जाना चाहिए और कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए. एक माननीय महेन्द्र गुप्ता जी हैं, इनकी प्रॉपर्टीज की जांच होनी चाहिए, इनके सीडीआर की जांच होनी चाहिए कि ये क्या, किस प्रकार से एवं किस-किसके लिए कलेक्शन करते थे, एसीएस साहब उस समय जो थे, वे आज भी हैं, उनको भी ऐसी जगह पर पदस्थ करना चाहिए कि वे जांच को प्रभावित न कर सकें. जो आन्दोलनकारी थे, उनके केस वापस होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - श्री जयवर्द्धन सिंह जी अपनी बात रखें. हेमन्त जी, आप खत्म कर दीजिये. आपका पहला ध्यानाकर्षण था, आपको पर्याप्त समय दिया है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष महोदय, जिन स्टूडेंट्स के तीन वर्ष बर्बाद हुए हैं, उसकी भरपाई तो हो नहीं सकती है, उनको कम्पनसेशन दिया जाना चाहिए. इसकी भरपाई के लिए सरकार को इस बात पर चिन्तन करना चाहिए. आपने मुझे इस विषय पर बोलने का मौका दिया, उसके लिए आपको धन्यवाद. साथ ही, मैंने जो प्रश्न उठाये हैं, मैं आशा करूंगा कि उस पर गंभीरता से विचार और निराकरण किया जायेगा.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने इस बहुत ही गंभीर और संवेदनशील विषय पर चर्चा करने का मौका दिया है, हम सब आपके आभारी हैं. कल जब स्थगन स्वीकार करने की चर्चा हुई थी, तो माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने कहा था कि क्योंकि यह मामला सब-ज्युडिस है और सीबीआई जांच कर रही है, तो इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पूरे विषय में कुछ ऐसे बिन्दु हैं, जो बहुत गंभीर हैं, उसमें से कुछ बिन्दुओं का उल्लेख माननीय उपनेता प्रतिपक्ष हेमन्त जी ने किया है, आज जो सबसे गंभीर विषय इस पूरे मामले में हैं, कि जिस सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को जांच करने के लिए पूरी जिम्मेदारी दी गई थी, उसी भ्रष्ट्राचार निरोधक शाखा का अफसर भ्रष्ट निकला. शायद पूरे देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि जो जांच अधिकारी था, वही भ्रष्ट निकला और आज वह भ्रष्ट अधिकारी और एक इंस्पेक्टर वह आज गिरफ्तार हैं, उनके साथ लगभग 10 से 12 कॉलेज के संचालक भी आज गिरफ्तार हैं, उसके साथ-साथ जिन राजस्व अधिकारियों को कॉलेज की स्थिति मौके पर जांच करने के लिए भेजा गया था, वह भी दोषी पाये गये हैं. उन पर भी कार्यवाही की जा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो इसमें मूल बिन्दु है. उसके बारे में हेमन्त जी ने उल्लेख किया है कि किस प्रकार मई 2021 में लगभग 200 कॉलेजों को अनुमति दी गई. जब माननीय पूर्व मंत्री जी उस समय इस विभाग में थे, लेकिन उसके बाद जो हेमन्त जी उल्लेख करते हैं कि दिनांक 15 दिसम्बर, 2022 के पत्र के बारे में, मेरे पास माननीय मंत्री जी के कार्यालय का वह पत्र है. मैं उसको आपकी अनुमति से मेरे वक्तव्य के बाद पटल पर रखना चाहूँगा. लेकिन इसमें जिस चौथे बिन्दु के बारे में हेमन्त जी ने उल्लेख किया था, उसमें स्पष्ट लिखा गया है कि जिन नर्सिंग कॉलेजों को वर्ष 2019-20, 2020-21 और 2021-22 में अमान्य घोषित किया गया था. उन कॉलेजों के संबंध में ही माननीय मंत्री जी कुलपति जी को निर्देश देते हैं कि तत्काल उन कॉलेजेस की वापस जांच हो, पुन: विचार किया जाये और उनको सम्बद्धता दी जाये. उसके बाद अध्यक्ष महोदय यह बात 15 तारीख की है, उसके ठीक एक हफ्ते बाद दिनांक 22 दिसम्बर, 2022 को मंत्री जी के पत्र के सात दिन बाद, मलय कॉलेज ऑफ भोपाल, जिसको विगत तीन-चार वर्षों से संबद्धता नहीं दी गई थी, उसे मान्यता मिल जाती है और आज उसी कॉलेज का मालिक जेल में है. (शेम-शेम)
इस घटनाक्रम के द्वारा यह साबित होता है कि जो पत्र और जो बैठक मंत्री जी की अध्यक्षता में हुई थी और जहां उनके द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि वे कॉलेज जिन्हें पहले मान्यता नहीं मिल पायी थी, उन पर पुनर्विचार किया जाये और उसके एक सप्ताह के बाद विचार कर, उन कॉलेजों को, जो मान्य नहीं होने चाहिए थे, इनके दबाव में मान्य हो जाते हैं. वही मालिक आज जेल में हैं तो क्या इस प्रकरण में मंत्री जी दोषी नहीं हैं ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, वे दोषी हैं, इसलिए आज हमारी मांग है कि जब सीबीआई के जांच अफसर ही दोषी पाये गए हैं, वे ही पैसा ले रहे हैं, माननीय उच्च न्यायालय इसमें कार्यवाही कर रहा है. लेकिन आज हमारे जो चिकित्सा शिक्षा मंत्री हैं, वे उपमुख्यमंत्री भी हैं, गंभीर भी हैं, विद्वान भी हैं, मैं, उनसे प्रार्थना करना चाहता हूं कि आप, आज जब उत्तर देंगे तो आप, इस बात को स्पष्ट कीजिये कि जब एक मंत्री के कहने पर ही कॉलेज को संबद्धता दी गई थी और वही कॉलेज भ्रष्ट निकला तो क्या मंत्री दोषी नहीं है ? यह केवल एक मलय कॉलेज ऑफ भोपाल की बात नहीं है, मंत्री जी की इस बैठक के बाद दो और बैठकें होती हैं. पहली बैठक 11.1.2023 को मंत्री जी की बैठक के एक माह पश्चात् हुई थी. इस बैठक की अध्यक्षता कुलपति महोदय द्वारा की गई थी और दूसरी बैठक 16.2.2023 को हुई थी, यह भी कार्य परिषद की बैठक थी, कुलपति महोदय इसके अध्यक्ष होते हैं, इस दोनों बैठकों में से, एक बैठक में 21 कॉलेज जो पूर्व में अमान्य थे, उनको मंत्री जी के आदेश पर मान्य घोषित किया जाता है और दूसरी बैठक में भी 17 अन्य कॉलेजों, जिन्हें पूर्व में चार वर्षों में संबद्धता नहीं मिल पाई थी, उन्हें भी मंत्री जी के आदेश पर ही मान्य किया गया. ऐसे लगभग 40 से अधिक कॉलेज हैं, जो मान्य नहीं होने चाहिए थे लेकिन केवल तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री के दबाव में उन्हें मान्य किया गया. इसलिए आज हम सभी की मांग यही है कि जब मंत्री जी उत्तर दें तो इस पूरी कार्यवाही और पूर्व मंत्री जी की भूमिका पर हमने जो प्रश्न उठाया है, उस पर वर्तमान माननीय मंत्री जी क्या कार्यवाही करेंगे, इसका उत्तर हमें अवश्य मिले.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हेमंत भाई ने कहा कि बैठक के एक दिन बाद ही कॉलेजों का एक साथ पंजीयन हो जाता है, मान्यता मिल जाती है और परीक्षा की अनुमति भी उन्हें मिल जाती है. ऐसा पहले कभी हमारे देश और प्रदेश में नहीं हुआ है. सुनीता शिजू और योगेश शर्मा दो रजिस्ट्रार हैं लेकिन पूर्व मंत्री के कार्यकाल में इनके अलावा श्रीमती चंद्रकला दिवगैया, स्टेला पीटर ये दो और रजिस्ट्रार थे, जिन पर कार्यवाही हुई है, जो दोषी पाए गए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब चार रजिस्ट्रार चार वर्षों में दोषी पाए गए, सीधे परिषद के अध्यक्ष, जिन्होंने बैठक ली, तत्कालीन मंत्री जी द्वारा ही उन कॉलेजों को मान्यता दी गई तो क्या मंत्री जी दोषी नहीं हैं ? क्या उन पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए ? यह मेरा सीधा प्रश्न है.
अंत में जो बात हेमंत जी ने कही है, इसमें तीन लोग हैं, (XXX) की क्या भूमिका रही है ? क्या इनकी जांच होगी ? क्या इन पर रेड की जायेगी ? इनके जो अपराध हैं, इन्होंने जो लेन-देन किया है, क्या इनकी कॉल रिकॉर्डिंग की जांच की जायेगी ? मेरा इसमें अंतिम बिंदु यह है कि यह सारी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि कहीं न कहीं लाखों नर्सिंग छात्र आज भी भटक रहे हैं, यह पूरे देश पर कलंक है, हमारे प्रदेश पर कलंक है. पिछले चार वर्षों में एक भी नर्सिंग छात्र को प्रमोशन नहीं मिल पाया है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां इस सदन की परम्परा रही है कि हम सदन के सदस्य के खिलाफ या कोई ऐसा व्यक्ति जो सदन का सदस्य नहीं है, जो सदन के बाहर है उसके खिलाफ यदि आरोप लगाते हैं तो वह तो यहां पर अपना बचाव करने आएगा नहीं. कम से कम आपको आरोप लगाने के पहले अनुमति लेना चाहिए. क्या माननीय जयवर्द्धन जी ने इसकी अनुमति ली है? मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम के अंतर्गत कह रहा हूं. मैं आपको इसके पूरे नियम पढ़कर सुना देता हूं. नेता प्रतिपक्ष जी, मैं आपको पूरे नियम पढ़कर सुना देता हूं.
श्री उमंग सिंघार-- मैं भी आपको पूरे नियम बता रहा हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंघार जी भी संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय-- नेता प्रतिपक्ष जी, कैलाश जी की बात पूरी हो जाने दीजिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अध्यक्ष को तथा संबंधित मंत्री को पर्याप्त समय पहले सूचना दें. लगातार माननीय मंत्री जी के ऊपर आरोप लग रहे हैं. आपने जो आरोप लगाए हैं क्या उसकी सूचना लिखित में आप तक या माननीय मंत्री जी तक पहुंची है ?
अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या आपके पास इस प्रकार की सूचना उनके द्वारा दी गई है क्या? जो आरोप लगा रहे थे वह आरोप पत्र दिया गया है क्या? क्या वह आरोप पत्र माननीय मंत्री जी के पास पहुंचा है ? तो क्या इस प्रकार के आरोप इस सदन के अंदर बिना नियम प्रक्रिया के तहत लगाये जा सकते हैं ?
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे ऐसा निवेदन है कि ऐसे जो आरोप लगे हैं उन्हें विलोपित किया जाना चाहिए. आप बहुत ही गंभीर हैं और आपको दोनों सदनों का भी अनुभव है. आप वहां पर भी संसदीय कार्य मंत्री रह चुके हैं और आप यहां पर भी विधान सभा के अध्यक्ष हैं इसीलिए आपसे अपेक्षा बहुत ज्यादा है कि यह सदन नियम और प्रक्रिया से चले, यदि यह नियम और प्रक्रिया से है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है. फिर जैसा आपका आदेश है वह शिरोधार्य है.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने पूरी बात रख दी है.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाईंट ऑफ ऑर्डर है. मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन संबंधी नियम के अनुसार'' नियम 251 बोलते समय कोई सदस्य- किसी सदस्य के विरुद्ध व्यक्तिगत दोषारोपण नहीं करेगा'' यह नियम 251 में स्पष्ट है.
'' नियम 252 के अनुसार किसी सदस्य द्वारा वाद-विवाद में किसी व्यक्ति के विरुद्ध मानहानिकारक या अपराधरोपक आरोप नहीं लगाया जाएगा. जब तक कि वाद-विवाद में भाग लेने के एक दिन पूर्व उस सदस्य ने अध्यक्ष को तथा संबंधित मंत्री को भी पूर्व सूचना न दे दी हो. अध्यक्ष महोदय, यह आरोप लगा रहे हैं. यह सारा कार्यवाही से विलोपित किया जाना चाहिए.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बात आरोप की नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- जयवर्द्धन जी, सिंघार जी को बोल लेने दीजिए. वह कुछ कहना चाहते हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी नियम एवं प्रक्रिया की बात करते हैं. आपने कहा कि आरोप नहीं लगा सकते हैं तो मैं आपको 22 जुलाई 2002 की बात बताना चाहता हूं जब श्री निवास तिवारी जी थे. उस समय यह बात हुई थी नेता प्रतिपक्ष या अन्य आरोप प्रत्यारोपों के बारे में पूर्व सूचना को देकर आरोपों के बारे में तो इसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी रूलिंग दी थी. मैं वह भी आपके समक्ष पढ़ना चाहता हूं. ''आपकी रूलिंग यह है कि आरोपों को लगाये जाने के संबंध में मैंने विविध पक्षों को सुना. संसदीय व्यवस्था का सारथ यह है कि सदन में सदस्यगण बिना किसी भय या दबाव में अपनी बात को मुक्त कंठ से कहे. सर्वोच्च न्यायालय ने तेज कुमार बनाम राजीव, संजीव रेड्डी के प्रकरण में स्पष्ट कर दिया कि सदन की कार्यवाही सदन के नियमों, सदस्यों के सद्भाव और अध्यक्ष के नियंत्रण के अतिरिक्त अन्य कोई नियंत्रण नहीं होगा क्योंकि यदि सदस्य की वाणी की स्वतंत्रता छीन ली गई तो उस तरह से किसी भी लगाये गये जनहित के अनेक महत्वपूर्ण मामले सदन में कभी नहीं आ पायेंगे. आरोप के संबंध में यह स्पष्ट कहा गया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने भी वही बात कही है जो कि मैंने कही है केवल इन्होंने शब्द बदलकर कही है.
अध्यक्ष महोदय-- मेरा सभी सदस्यों से अनुरोध है कि मुझे लग रहा है कि बोलने वाले सदस्य कोई पहली बार नहीं आए हैं. हमेशा सदन में यह बात रही है कि जो व्यक्ति सदन के भीतर नहीं है उस पर हम लोग नाम लेकर आरोप न लगाएं क्योंकि वह अपना पक्ष रखने सदन में नहीं आ सकता है, दूसरी बात यह है कि जब हम किसी प्रकार की चर्चा करते हैं तो चर्चा में व्यक्तिगत पूर्वाग्रह दृष्टिगोचर नहीं होना चाहिए. यदि व्यक्तिगत पूर्वाग्रह दृष्टिगोचर होता है तो यह परम्परा भी एक तौर से उचित नहीं है. जयवर्द्धन जी, आप अपनी बात को संक्षिप्त में पूरा करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बात आरोप की नहीं है. मैंने तथ्यों के माध्यम से यह साबित किया है और जो पत्र माननीय मंत्री ने लिखा है. पत्र क्रमांक 856 दिनांक 15.12.2022 जिसमें इन्होंने खुद ही कहा है कि उन कॉलेजों पर पुनर्विचार होना चाहिए. उसके ही सात दिन बाद मान्यता मिल जाती है. उस कॉलेज को जिसका मालिक आज जेल में है. मैं इसमें घटनाक्रम बता रहा हूँ. आखिरी में इसमें मेरा यही पाइंट है मैंने वर्तमान मंत्री जी से प्रश्न पूछा है कि उनके वक्तव्य में वे जरुर इस बात का उल्लेख करें कि हमने जो विषय उठाया है औ