मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2024 सत्र
मंगलवार, दिनांक 2 जुलाई, 2024
(11 आषाढ़, शक संवत् 1946)
[खण्ड- 3] [अंक- 2]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 2 जुलाई, 2024
(11 आषाढ़, शक संवत् 1946 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत् हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय,नमस्कार.
अध्यक्ष महोदय- कैलाश जी ने नमस्कार किया पहले प्रतिपक्ष को फिर पक्ष को.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
अपराधियों पर कार्यवाही की जानकारी
[गृह]
1. ( *क्र. 591 ) श्री पंकज उपाध्याय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना जिले के थाना जौरा में FIR 719, दिनांक 30.11.2023 के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है? अरोपियों को कब तक गिरफ्तार किया जायेगा? (ख) क्या जौरा विधानसभा में कानून व्यवस्था की हालत बहुत गंभीर है? जनवरी 2023 से लेकर जून 2024 तक कितने अपराध हुये एवं कितने अपराधी, आरोपी गिरफ्तार एवं कितने फरार हैं?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) : (क) जी हाँ। थाना जौरा के अपराध क्रमांक 719/23, धारा 365, 342, 294, 323, 506 भा.द.वि. के प्रकरण में आरोपी मुलायम सिंह की गिरफ्तारी हेतु हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं तथा संभावित स्थानों पर दबिश की कार्यवाही की जा रही है। प्रकरण विवेचना में है। गिरफ्तारी की समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) जौरा विधान सभा क्षेत्र में कानून व्यवस्था सुदृढ़ है। हाल ही में विधान सभा एवं लोक सभा चुनाव शांति पूर्वक रूप से सफलतापूर्वक संपन्न कराये गये हैं। अपराध एवं अपराधियों पर ठोस नियंत्रण है। जनवरी 2023 से प्रश्न प्राप्ति दिनांक 10 जून, 2024 तक जौरा विधान सभा क्षेत्र में कुल 2017 अपराध घटित हुये हैं, जिनमें 322 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है तथा फरार घोषित आरोपियों की संख्या निरंक है।
श्री पंकज उपाध्याय- क्या मुख्यमंत्री महोदय बताने की कृपा करेंगे कि क्या मुरैना जिले के थाना मे एफआईआर क्रमांक 719 दिनांक 30.11.2023 के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया आरोपियों को कब तक गिरफ्तार किया जाएगा. क्या जौरा विधानसभा क्षेत्र में कानून व्यवस्था की हालत बहुत गंभीर है. जनवरी 2023 से जून 2024 तक कितने अपराध हुए और कितने अपराधी गिरफ्तार हुए.
राज्यमंत्री लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से इन दोनों प्रश्नों के उत्तर सदन में देना चाहूंगा. अपराध क्रमांक 719/23 पूर्णत: राजनीतिक मुकदमा है, इसमें ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष ने शिकायत की है जो शिकायत की है वह यह है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के भतीजे हैं. यह प्रथम दृष्टया पूर्णत: राजनीतिक मुकदमा है. दूसरा विषय इसमें ये जो धाराएं लगाई गई हैं, उन सभी में 7 वर्ष से कम की सजा है, पूर्व में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार तथा अभी नई भारतीय न्याय संहिता के अधीन जिसमें 7 वर्ष से कम की सजा है, उनमें गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है. इसलिए गिरफ्तारी पर जोर कम रहा परन्तु उनको उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराने के लिए संबंधित अधिकारियों ने सूचित किया है. जौरा विधानसभा के अंतर्गत जो अपराध घटित हुए हैं, उनमें लगातार कटौत्री हुई है. वर्ष 2021 में 928 अपराध हुए थे वर्ष 2022 में 821 हुए थे वर्ष 2023 में 756 हुए हैं और अभी तक लगभग आधे वर्ष की अवधि हुई है,डॉंक्टर मोहन यादव जी के नेतृत्व में कानून व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से बहुत अच्छा सुधार हुआ है. केवल 288 अपराध अभी घटित हुए हैं. जहां तक अपराधों में गिरफ्तारी का विषय है अभी तक 7 वर्ष से अधिक सजा के अपराध कायम हुए हैं, उनमें 134 अपराधियों की गिरफ्तारी वांछित थी, जिसमें से 106 अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जो लगभग 80 प्रतिशत है. 7 वर्ष से कम सजा के जो अपराध है उनमें 1803 अपराधी अपेक्षित थे, जिनको नोटिस देकर अथवा गिरफ्तार करकर 1568 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, जो लगभग 87 प्रतिशत था तो मैं समझता हूं यह संतोषजनक कार्य यहां पर हुआ है.
श्री पंकज उपाध्याय-- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के जवाब से पूर्ण रुप से असहमत हूं. इन्होंने गलत, भ्रामक जानकारी सदन को दी है. क्या कोई राजनैतिक व्यक्ति कोई अपराध करता है, तो क्या उसको गिरफ्तार नहीं किया जायेगा. यह मंत्री जी बताने का प्रयास करें, स्पष्ट करें कि कोई राजनैतिक व्यक्ति का अपहरण हुआ है, एक ब्लाक अध्यक्ष का अपहरण हुआ है, हमारे ब्लाक अध्यक्ष का, लेकिन मंत्री जी कह रहे हैं कि राजनैतिक है. हमने सीडीआर से जांच की मांग की, आप सीडीआर से पता लगाइये कि जहां पर घटना हुई है, वहां से 25 किलोमीटर दूर आापके पुलिस के अधिकारियों ने उसको छुड़वाया हमारे ब्लाक अध्यक्ष को. रात के डेढ़ बजे वहां पर आपके 10-12 लोग क्या कर रहे थे. यह सीडीआर की जांच से आपको स्पष्ट होगा. आपकी पुलिस केवल..
अध्यक्ष महोदय-- पंकज जी, आप प्रश्न करें, आप क्या पूछना चाहते हैं.
श्री पंकज उपाध्याय-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यह है कि उन्होंने उत्तर दिया कि राजनैतिक अपराध हुआ है. तो क्या राजनैतिक अपराध में गिरफ्तारी नहीं होगी. एफआईआर में 10 लोगों के नाम हैं. 10 अज्ञात एफआईआर में बताया. यह निरन्तर रोज हमारे जो ब्लाक अध्यक्ष हैं और जो हमारे गवाह हैं, उनको डराया धमकाया जा रहा है, गिरफ्तारी नहीं की जा रही है. रोज उनको जान से मारने की धमकी दी जा रही है. आज तक 8 महीने होने के बावजूद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. दूसरा यह कह रहे हैं कि अपराध कम हुए हैं. इनके उत्तर में ही है कि 1 जनवरी,2023 से 10 जून,2024 तक 2017 अपराध घटित हुए हैं, यह अपने उत्तर में दिया है. ये सदन में असत्य बोल रहे हैं कि अपराध कम हुए हैं. तो ये जितनी बातें बोल रहे हैं, या तो ये अपनी बात को वापस लें या इसको सुधार करें कि जो इन्होंने उत्तर दिया है. यह सही है कि असत्य है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य एक असंसदीय शब्द का उपयोग कर रहे हैं, तो मैं आपके माध्यम से निवेदन करता हूं कि इसको सुधार करने का कष्ट करें. दूसरा, उन्होंने प्रश्न किया है, मैंने राजनैतिक अपराध नहीं राजनैतिक प्रकरण कहा है और जब एक तरफ से ब्लाक अध्यक्ष हैं, दूसरी तरफ से भाजपा के प्रत्याशी के भतीजे हैं, तो ये स्पष्टतः राजनैतिक प्रकरण है. ..
श्री पंकज उपाध्याय-- मंत्री जी, इसीलिये शायद आप गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं कि आपके पूर्व विधायक का भतीजा है या कोई भी है, इसलिये आप गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल--माननीय सदस्य, आप सुन लीजिये ना.
श्री पंकज उपाध्याय-- अध्यक्ष महोदय,अपहरण जैसे अपराध में 8 महीने हो गये हैं, अपहरण जैसा मामला है और आप अपने उत्तर में कह रहे हैं कि हमने लोकसभा, विधान सभा चुनाव पूरा निष्पक्ष रुप से कराया है. यह विधान सभा चुनाव होने वाला था, उसके 5 घण्टे पहले की घटना है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि यह वोटिंग होने वाली है, उसके 5 घण्टे पहले हमारे लोगों को उठाया गया, अपहरण किया गया, एफआईआर दर्ज है, उसके बावजूद भी इसको आप राजनैतिक प्रकरण बता रहे हैं. यह आप देखिये.
अध्यक्ष महोदय--पंकज जी, आप प्रश्न कर लें, तो उसका जवाब आ जायेगा. भाषण का जवाब नहीं आयेगा. आप क्या पूछना चाहते हैं, यह आप प्रश्न के माध्यम से पूछें.
श्री पंकज उपाध्याय-- अध्यक्ष महोदय, मेरा यही प्रश्न है कि क्या किसी राजनैतिक व्यक्ति का, यहां पर जो सदन बैठा हुआ है, यह निर्णय ले और यह बताये कि कोई भी बीजेपी का कार्यकर्ता होगा, तो उसकी गिरफ्तारी नहीं होगी क्या.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- अध्यक्ष महोदय,गिरफ्तारी के लिये मैंने राजनैतिक प्रकरण की बात नहीं की है. गिरफ्तारी के लिये मैंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा भारतीय न्याय संहिता की बात कही है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार 7 साल से जिनमें कम की सजा है, उनमें गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है.
श्री पंकज उपाध्याय-- अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी विनम्रता से पूछना चाहता हूं कि एक 323 का प्रकरण होता है, चेक बाउंस का केस होता है. ऐसे छोटे छोटे मामलों में भी आपकी पुलिस गिरफ्तारी करके लाती है. आपकी पुलिस कोई बिजली चोरी का मामला होता है, उसमें भी आप 302 जैसी कार्यवाही करते हैं, मामला बनाते हैं. लेकिन एक मामले में 7 साल की सजा हो सकती है. अपहरण किया है, लूट हुई है, उसमें आप अभी तक गिरफ्तारी नहीं कर रहे हैं. कोई डेट बताने के लिये तैयार नहीं हो रहे हैं, किस तारीख तक आप गिरफ्तार करेंगे, कब तक गिरफ्तार करेंगे. आप इसकी सीमा तय नहीं कर रहे हैं. मैं जानना चाहता हूं कि गिरफ्तारी कब तक होगी, क्या कार्यवाही होगी और कार्यवाही होगी कि नहीं होगी कि इसको बंद कर दिया जायेगा, एक राजनैतिक प्रकरण बताकर.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल-- अध्यक्ष महोदय, चूंकि दूसरे पक्ष से भी आवेदन दिया गया है, दूसरे पक्ष का भी कहना है कि यह प्रकरण पूर्णतः असत्य है और यह प्रकरण दर्ज करने से पूर्व में हमारे सम्मानीय विधायक जी ने...
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय, इसमें जो सामने वाली पार्टी है, उन्होंने भी आवेदन दिया है और जांच अभी चल रही है. यदि इसमें ऐसा लगेगा कि गिरफ्तारी होना चाहिये..
श्री पंकज उपाध्याय-- मंत्री जी, मैं फिर से बोल रहा हूं कि इसको 8 महीने हो गये हैं..
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- आप पूरी बात तो सुन लीजिये.
अध्यक्ष महोदय--पंकज जी, एक मिनट. संसदीय कार्य मंत्री जी बोल रहे हैं.
श्री अभय मिश्रा:- अध्यक्ष महोदय, क्या उनकी गिरफ्तारी नहीं होगी ?
अध्यक्ष महोदय:- अभय जी, संसदीय कार्य मंत्री जी कुछ बोल रहे हैं.
श्री अभय मिश्रा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई जांच चल ही नहीं रही है.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठें. संसदीय कार्य मंत्री जी बोल रहे हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय:- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने एप्लीकेशन दी है यह झूठा मुकदमा है, जांच अधिकारी जांच कर रहा है. 15 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट आ जायेगी उसके बाद फिर कार्यवाही की जायेगी.
श्री अभय मिश्रा:- माननीय अध्यक्ष जी, यह मंत्री जी ने इस मामले को यहीं न्यायाधीश बनकर पहले ही मुकदमा घोषित कर दिया. माननीय आप यह देखिये कि मंत्री जी ने मामले का झूठा मुकदमा घोषित भी कर दिया कि यह झूठा मुकदमा है.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल:- माननीय अध्यक्ष जी मैं इनका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि अंग्रेजों और मुगलों के जमाने के नियम बदल गये हैं, दंड संहिता की जगह अब न्याय संहिता है. न्याय संहिता में दोनों पक्षों को सुना जायेगा.
श्री अभय मिश्रा :- जनता देख रही है कि आप कर क्या रहे हो.
श्री पंकज उपाध्याय:- अध्यक्ष जी, इस प्रकरण में मेरा आपसे निवेदन है कि चूंकि आप हमारे जिले के ही जनप्रतिनिधि हैं. मेरा आपसे अनुरोध हैं कि यह दिखना चाहिये की आप विधान सभा में अध्यक्ष बनकर गये हैं तो भेदभाव नहीं होगा और समान रूप से कार्यवाही होगी. यह मेरा आपसे अनुरोध है.
थाना-चौकियों की सीमाओं का निर्धारण
[गृह]
2. ( *क्र. 435 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन गृह विभाग मंत्रालय के आदेश क्र. 01/1770880/2023/बी-3/दो भोपाल, दिनांक 02.1.2024 के अनुसार थाना चौकियों की सीमाओं का निर्धारण किया जाना था, जिसमें खरगापुर विधान सभा के ग्राम-फूलपुर, भटगोरा, गुड़ा, नज, पाली, मोररमन्ना, मगरई, पाली को थाना खरगापुर से हटाकर थाना जतारा में जोड़े जाने की प्रार्थना की गई थी? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में वर्णित ग्रामों को थाना खरगापुर से अपवर्जित कर थाना जतारा में जोड़े जाने हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा तारांकित प्रश्न क्रमांक 767 पर सदन में चर्चा की गई, जिसमें प्रश्नकर्ता को मान. संसदीय कार्य मंत्री महोदय द्वारा बताया गया कि आशा सिंह के द्वारा याचिका मान. उच्च न्यायालय में लगाई गई है, उसे वापिस ले लें तब सरकार विचार करेगी? (ग) क्या आशा सिंह द्वारा उक्त याचिका मान. उच्च न्यायालय जबलपुर से दिनांक 26.02.2024 को W.P. नं. 12224 वापिस लिये जाने का आवेदन पत्र दे दिया है और याचिका वापिस कर ली गई है? क्या सरकार क्षेत्र की आम जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुये ग्राम-फूलपुर भटगोरा, गुड़ा नज.पाली, मोररमन्ना मगरई, पाली को थाना खरगापुर से अपवर्जित कर थाना जतारा में जोड़े जाने के आदेश कब तक जारी कर दिये जावेंगे? कृपया समयावधि बतायें यदि आदेश जारी नहीं किये जा सकते हैं तो कारण स्पष्ट करें।
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल) : (क) जी हाँ। खरगापुर विधान सभा के ग्राम फूलपुर, भटगोरा, गुड़ा, नज, पाली, मोररमन्ना, मगरई, पाली को थाना खरगापुर से हटाकर थाना जतारा में जोड़े जाने की प्रार्थना की गई थी, उक्त ग्रामों के परिसीमन संबंधी याचिका क्रमांक wp 12224/2022 (पी.आई.एल.) आशा सिंह गौर विरूद्ध म.प्र. राज्य एवं अन्य माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में लंबित होने से समिति द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया था। (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ। आशा सिंह द्वारा दिनांक 22.06.2024 को माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका क्रमांक wp 12224/2022 (पी.आई.एल.) को वापिस लिये जाने हेतु आवेदन पत्र दिया गया है, जो वर्तमान में माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, माननीय उच्च न्यायालय में सुनवाई हेतु दिनांक 18.06.2024 नियत थी, जिसमें सुनवाई नहीं हुई अग्रिम संभावित दिनांक 08.07.2024 लगाई गई है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुरूप आगामी उचित कार्यवाही की जावेगी। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर:- माननीय अध्यक्ष महोदय, विगत विधान सभा सत्र में माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी के आश्वासन के भरोसे से माननीय उच्च न्यायालय में दायर याचिका दिनांक 26.02.2024 को याचिकाकर्ता द्वारा वापस लेने के बाद शासन को मेरे प्रश्न के ग्रामों फूलपुर भटगोरा, गुड़ा नज.पाली, मोररमन्ना मगरई, पाली को थाना जतारा में जोड़ने हेतु विलंब नहीं किया जाना चाहिये.
माननीय मंत्री जी, अनुरोध है सदन में घोषणार करें कि उपरोक्त ग्रामों को खरगापुर थाने से बदलकर जतारा थाने में जोड़ा जाये, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की आम जनता को नजदीक के थाने की सुविधा प्राप्त हो सके.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने यह प्रश्न पूर्व में भी लगाया था और इस प्रश्न पर विस्तार से चर्चा हुई थी और अभी सदस्य ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार याचिका वापस लगाने के लिये उन्होंने आवेदन किया है, परंतु न्यायालय ने उसको स्वीकार नहीं किया है. उसमें पहले 18 जून की तारीख लगी थी, जो बदलकर पुन: 18 जुलाई को संभावित है इसलिये अभी न्यायालय में ही प्रकरण है, यथास्थिति है.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर:- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी, संसदीय कार्य मंत्री जी के आश्वासन पर भरोसा था और याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली है, जो उत्तर में स्वीकार भी किया है तो फिर क्या परेशानी है. याचिका वापस लेने के बाद न्यायालय अपने मन से थोड़े ही केस लगाता है. इसीलिये आप जनहित में सदन में घोषणा करें कि प्रश्न में उल्लेखित ग्रामों को थाना खरगापुर से बदलकर थाना जतारा में जोड़ा जाता है.
माननीय मंत्री जी, इन ग्रामों को थाना जतारा में जोड़ने से जनता का आपके ऊपर परोपकार होगा.
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या जी को मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि जिन 6 गावों की चर्चा हो रही है उनके गुड़ा की दूरी जतारा से 27 किलोमीटर है जो अब घटकर 17 किलोमीटर हो गयी है. पाली की पहले जतारा से दूरी 33 किलोमीटर थी वह अब 16 किलोमीटर हो गयी है, मगरई की दूरी 30 किलोमीटर थी वह 18 किलोमीटर हो गयी है, मोररमन्ना की दूरी 35 किलोमीटर थी वह अब 20 किलोमीटर हो गयी है और फूलपुर की यथावत है. मैं फिर माननीय सदस्या से आपके माध्यम से निवेदन करता हूं कि चूंकि पहले जो स्थिति है अभी भी वही स्थिति है और यह भी कहना चाहूंगा यदि न्यायालय से याचिका वापस हो भी जायेगी तो उसके तथ्य, प्रमाण और जनता की भावना के अनुरूप जो जिले की समिति है वह निर्णय करेगी.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी गलत जानकारी दे रहे हैं, इनको गलत जानकारी मिली है.
अध्यक्ष महोदय:- आपके दो प्रश्न हो गये हैं, आप बैठ जायें.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर:- मंत्री जी फिर जांच करवा लें कि कितनी दूरी है. कहीं 7 किलोमीटर, कहीं 8 और 10 किलोमीटर दूरी है. आप बता रहे हैं कि 17, 15 किलोमीटर. ऐसी दूरी है नहीं. मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय:- अभी मंत्री जी ने आपको बताया कि कितनी दूरी कम हुई है और उसके बाद भी वह समिति है, वह उसकी जांच करेगी तो समिति के समक्ष आप अपना पक्ष रख सकती हैं.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर:-क्या लिखित में याचिका वापस होती है और
यदि लिखित में माननीय उच्च न्यायालय देता है तो क्या आप जतारा थाने में जोड़ेगें की नहीं ?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहूंगा कि याचिका वापस होने के बाद भी जिले की समिति तय करेगी, जिले की समिति सभी पक्षों को सुनेगी और जो निर्णय होगा, वह सबके सामने आएगा.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर - जिले की समिति तय करेगी तो क्या आप जोड़ देंगे?
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल - सौ प्रतिशत हो जाएगा.
आंगनवाड़ी भवनों की स्थिति
[महिला एवं बाल विकास]
3. ( *क्र. 466 ) श्री मोहन सिंह राठौर : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) ग्वालियर जिले के 18 भितरवार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कितने आंगनवाड़ी एवं उप आंगनवाड़ी केन्द्र भवन विहीन हैं? सूची उपलब्ध करायें। (ख) क्या विगत 04 वर्षों में ग्वालियर जिले में परियोजना कार्यालय सह प्रशिक्षण केन्द्र स्वीकृत किये गये थे? यदि हाँ, तो कितने एवं कहां-कहां? (ग) भितरवार विधानसभा क्षेत्र में परियोजना कार्यालय सह प्रशिक्षण केन्द्र/आंगनवाड़ी भवन निर्माणाधीन हैं तथा कितने अपूर्ण एवं अप्रारंभ हैं? ये कब तक पूर्ण किये जायेंगे, इनकी स्वीकृति वर्ष, राशि, क्रियान्वयन एजेन्सी एवं मद सहित सूची उपलब्ध करायें। निर्धारित समय-सीमा में कार्य पूर्ण न होने का कारण स्पष्ट करें तथा निर्माण एजेन्सी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (घ) विधानसभा क्षेत्र भितरवार में जनसंख्या के मान से कितने आंगनवाड़ी केन्द्र/उप आंगनवाड़ी केन्द्रों की आवश्यकता है? क्या जहां आवश्यक है, वहां केन्द्र खोले जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) ग्वालियर जिले के 18 भितरवार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 70 आंगनवाड़ी एवं 30 उप आंगनवाड़ी केन्द्र भवन विहीन है। भवन विहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) 18 भितरवार विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 30 आंगनवाड़ी भवन निर्माणाधीन/अपूर्ण एवं 32 आंगनवाड़ी भवन अप्रारंभ हैं। इनके स्वीकृति वर्ष, राशि, क्रियान्वयन एजेन्सी, मद एवं निर्धारित समय-सीमा में कार्य पूर्ण न होने के कारण सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) विधानसभा क्षेत्र 18 भितरवार में अंतर्गत जनसंख्या के मान से 55 आंगनवाड़ी केन्द्र/उप आंगनवाड़ी केन्द्रों की आवश्यकता है। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा नवीन आंगनवाड़ी केन्द्रों की स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं जानना चाहता हूं कि मेरे भीतरवार विधान सभा क्षेत्र में 100 आंगनवाड़ी, भवनविहीन हैं. इनमें से 62, वर्ष 2008 से लेकर 2024 के बीच में स्वीकृत हुए हैं. इन 62 में आज तक 32 अपूर्ण हैं और 30 बनने ही प्रारंभ नहीं हुए. इनका कब तक कार्य प्रारंभ होगा? इसकी समय-सीमा निश्चित करें और जो अपूर्ण कार्य हैं, उनके लिए जो एजेंसी या अधिकारी जिम्मेवार है, उनके खिलाफ क्या आप कार्यवाही करेंगे?
सुश्री निर्मला भूरिया - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहती हूं कि जो माननीय सदस्य ने प्रश्न किया है, इनका मूल प्रश्न था कि भीतरवार विधान सभा क्षेत्र में आंगनवाड़ी और उप आंगनवाड़ी की जो स्थिति है कि कहां भवन हैं, और कहां भवन नहीं हैं, उसकी जानकारी प्रश्नांश क में चाही है. वह जानकारी हमने पृथक से परिशिष्ट में उपलब्ध करा दी है. जिन आंगनवाड़ी केन्द्रों के बारे में अभी जो पूछा है कि जो अपूर्ण हैं या स्वीकृत की गई थी तो जैसे-जैसे फंड हमें मिलता है, उस हिसाब से हम उन आंगनवाड़ियों को शुरू करते हैं और जो अपूर्ण हैं, उसमें कहीं जमीन नहीं मिली या कहीं किसी तरह की परेशानियां जहां पर आई हैं तो उनको हल करके हम शीघ्र जो अधूरी हैं, उनको पूर्ण कराएंगे और जो किसी वजह से शुरू नहीं हो पाई हैं तो उनको भी हम कराएंगे.
श्री अभय मिश्रा - क्या यह काम पूरे प्रदेश में होगा?
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि परिशिष्ट अ और ब में ही यह जानकारी माननीय मंत्री जी ने दी है, जिसमें 62 अपूर्ण हैं, 30 का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ. 32 का कार्य प्रारंभ हुआ, लेकिन वह आज तक बनी नहीं हैं तो इसके लिए तो मेरे ख्याल से जिम्मेदारी तय करना चाहिए, उसके बारे में आप बताएं ?
सुश्री निर्मला भूरिया - अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने बताया है कि जैसे जैसे हमें फंड की उपलब्धता रहती है वैसे वैसे हम यह काम कराते हैं और भिन्न-भिन्न योजनाओं से हमें फंड उपलब्ध होता है, उनसे इसकी पूर्ति करवाते हैं. जो अपूर्ण हैं उनको भी पूर्ण कराने की हम व्यवस्था कर रहे हैं, जिन्होंने कार्य नहीं किया है उनको नोटिस भी दिया है. 2-3 जगहों पर जिन्होंने काम नहीं किया है, उनसे पैसे भी हमने वापस करवाए हैं.
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, 16 साल हो गये हैं. मेरे क्षेत्र में करीब 20000 आदिवासी हैं. माननीय प्रधानमंत्री जी जनमन योजना के अंतर्गत तमाम सारी उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहे हैं तो उसी में यह आता है, उसको आप किसी भी प्रकार से करें. इसके अलावा मैं दूसरी बात यह कहना चाहता हूं कि 55 आंगनवाड़ी केन्द्र नवीन स्वीकृत करने के लिए विभाग ने हमको जानकारी बताई है कि 55 आंगनवाड़ी हमें और स्वीकृत करनी है तो इन्हें कब तक करेंगे, इसके बारे में मैं जानकारी चाहता हूं?
सुश्री निर्मला भूरिया - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को मैं यह बताना चाहूंगी कि 55 आंगनवाड़ियां भवनविहीन हैं, उसमें भी जैसे जैसे हमें फंड की उपलब्धता रहेगी, उसमें कार्य करवा देंगे. 23 आंगनवाड़ी केन्द्र के लिए हमको फंड मिल गया है, उसको हम जल्दी से जल्दी करवाएंगे. हमारे प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र भाई मोदी, जनमन के माध्यम से भी जो जनजाति क्षेत्र हैं वहां पर भी आंगनवाड़ी खोलने की और उनको बनाने की व्यवस्था करते हैं तो अगर उस क्राइटेरिया में आपके क्षेत्र में भी यह जनजातियां आती हैं तो वहां पर भी हम भवन बना देंगे और खोल देंगे.
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, 55 नयी स्वीकृत होनी है.
अध्यक्ष महोदय - श्री मोहन सिंह राठौर जी, दो सप्लीमेंट्री प्रश्न करने होते हैं, आपने तीन प्रश्न कर लिये हैं.
श्री मोहन सिंह राठौर - अध्यक्ष महोदय, मेरा जवाब नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री महोदया, इसको जरा गंभीरता से देखें.
सुश्री निर्मला भूरिया - अध्यक्ष महोदय, जी हां.
श्री मोहन सिंह राठौर - धन्यवाद.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने अपनी पीड़ा सुनाई कि 16 साल से उनके क्षेत्र में आंगनवाड़ी नहीं बनी. अब आप लाखन सिंह जी की पीड़ा समझ सकते हैं और हम सब की पीड़ा समझ सकते हैं कि आंगनवाड़ी केन्द्र के भवन जब नहीं बन पा रहे हैं, तो कहां पर विकास है ? आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी की तारीफ करना हम सब का फर्ज है लेकिन सबसे निचले स्तर पर बच्चों की सुरक्षा के लिए, व्यवस्था के लिए क्या आप कोई निश्चित योजना बनाकर बताएंगे.
सुश्री निर्मला भूरिया -- अध्यक्ष महोदय, माननीय अजय सिंह जी, जो हमारे वरिष्ठ नेता हैं और चूंकि अगर अच्छा काम करते हैं तो उसकी तारीफ भी करना चाहिए और हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने पहली बार जन-मन योजना के अंतर्गत ऐसी जातियों के लिए खासकर ....
अध्यक्ष महोदय -- अजय सिंह जी ने तारीफ भी की है. वे यह पूछ रहे हैं कि क्या योजना बनाकर इसको त्वरित गति से कराएंगे ?
सुश्री निर्मला भूरिया -- अध्यक्ष महोदय, बनाएंगे. ऐसी हम लोगों को चिन्ता है और हमारे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी को भी चिन्ता है और हमको भी चिन्ता है क्योंकि हम खुद ऐसे आदिवासी एरिया से जीतकर आते हैं जहां के बच्चे दूरदराज के गांवों में रहते हैं. नदी-नालों को पार कर आते हैं और हमें चिन्ता है इसीलिए हमारा आगे यह प्लान है कि हम ऐसी जगहों पर, जहां पर आगंनवाड़ी भवन नहीं हैं, वहां पर आंगनवाड़ी भवन बनाएंगे.
जीर्ण-शीर्ण आंगनवाड़ी भवन और विद्युत व्यवस्था
[महिला एवं बाल विकास]
4. ( *क्र. 470 ) श्री विपीन जैन : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) मंदसौर जिले अंतर्गत कितने आंगनवाड़ी भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, जो विभाग के अन्य शासकीय भवन और किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं? (ख) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 580, दिनांक 09.02.2024 के परिशिष्ट (ब) में अपूर्ण तीन आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य कब तक पूरा कर लिया जायेगा? निर्माण कार्य में देरी के क्या कारण हैं? (ग) क्या जिले अंतर्गत संचालित सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बिजली कनेक्शन होकर प्रकाश हेतु लाइट, विद्युत पंखे आदि की व्यवस्था है और यदि नहीं, तो किन-किन आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बिजली कनेक्शन, विद्युत व्यवस्था नहीं है, सूची देवें। बिजली व्यवस्था कब तक कर दी जायेगी? (घ) क्या शहरी क्षेत्र में संचालित किराए के आंगनवाड़ी भवनों को समय पर किराया न देने और वर्तमान महंगाई अनुसार कम किराया देने के कारण अच्छे आंगनवाड़ी केंद्र भवन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( सुश्री निर्मला भूरिया ) : (क) मंदसौर जिले अंतर्गत 18 आंगनवाड़ी भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, जो अन्य शासकीय भवनों में संचालित हो रहे हैं। (ख) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 580, दिनांक 09.02.2024 के पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 'ब' में अपूर्ण 03 आंगनवाड़ी भवनों में से 02 आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है। निर्माण एजेंसी द्वारा कार्य शीघ्र पूर्ण करने का लेख किया गया है। शेष 01 आंगनवाड़ी भवन में स्थल विवाद होने से प्रकरण न्यायालय में प्रचलित है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी, नहीं, विद्युत व्यवस्था विहीन आंगनवाड़ी केन्द्रों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है, आंगनवाड़ी केन्द्रों में विद्युत व्यवस्था वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर है। अतः समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है। (घ) जी नहीं। शहरी क्षेत्र के किराये पर संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र के भवनों का माह मई 2024 तक का किराया भुगतान किया जा चुका है। शासन द्वारा निर्धारित मापदण्ड एवं राशि अनुसार किराये पर संचालित आंगनवाड़ी भवनों का किराया भुगतान किया जा रहा है।
श्री विपीन जैन -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मंदसौर जिले के अंदर आंगनवाड़ी के भवनों के अंदर विद्युत व्यवस्था एवं पंखों की व्यवस्था के संबंध में था. माननीय मंत्री जी ने जो मुझे बताया कि सूची के अंदर 343 आंगनवाड़ी भवन के अंदर विद्युत व्यवस्था नहीं है और वहां बच्चों के लिए पंखे भी नहीं हैं. जहां हमारे देश के भविष्य के छोटे-छोटे बच्चे बैठते हैं तो मैं माननीय मंत्री महोदय जी से यह जानना चाहता हॅूं कि जल्दी से जल्दी उन आंगनवाड़ियों में विद्युत व्यवस्था हो और वहां पंखे लगे.
सुश्री निर्मला भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को यह बताना चाहूंगी कि उन्होंने जो 343 आंगनवाड़ी भवनों में पंखे लगाने की बात कही है चूंकि वे भवन हमारे नहीं हैं वे दूसरे विभागों के शासकीय भवन हमने लेकर के उसमें संचालित कर रहे हैं और हम कोशिश करेंगे कि किसी भी तरह से उन भवनों में लाईट की व्यवस्था या पंखे की व्यवस्था करें, ऐसा हमारा प्रयास रहेगा.
श्री विपीन जैन -- अध्यक्ष महोदय, इस बार 45 से 50 डिग्री तक टेम्प्रेचर पहुंच चुका था. हम भी अगर पंखे के बिना नहीं बैठ सकते, तो छोटे-छोटे बच्चे जो देश का भविष्य हैं, वे बिना पंखे के कैसे बैठेंगे ?
सुश्री निर्मला भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय सदस्य कह रहे हैं जो चिन्ता व्यक्त कर रहे हैं, वह चिन्ता हमें भी है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, जैसे ही टेम्प्रेचर बढ़ा, कलेक्टर्स ने सारे स्कूल और आंगनवाड़ियां बंद करवा दी थीं. पहली बात तो यह है. दूसरी बात के लिए मैं निवेदन करना चाहता हॅूं कि जिस समय टेम्प्रेचर बढ़ा, सारे स्कूल बंद थे, सारी आंगनवाडि़यां बंद थीं. इसलिए आप यह कह रहे हैं कि 45 डिग्री में आंगनवाड़ियां चालू थीं, तो मैं यह नहीं मानता. मैं इसमें सभी दलों के सभी माननीय विधायकों से निवेदन करना चाहता हॅूं कि मेरा बेटा इस सदन में विधायक था. उसने सारी आंगनवाड़ियों में पंखे, पानी की टंकी सब जनसहयोग से करवाया. हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं रहें. बहुत सारे समाजसेवी, जो देना चाहते हैं, उनके बीच में जाकर सब फाइव स्टार आंगनवाड़ियां बनी हैं.
..(व्यवधान)...
श्री पंकज उपाध्याय -- अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी कहना चाहते हैं कि सरकार कुछ नहीं कर पाएगी. मंत्री जी कहना चाहते हैं कि सरकार बच्चों के लिए पंखे भी नहीं लगा पाएगी. आंगनवाड़ी के भवन ही नहीं बना पाएगी...(व्यवधान)...
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय कैलाश जी ने एक बहुत अच्छी बात कही कि बिजली नहीं थी, तो कलेक्टरों ने आंगनवाड़ी बंद करवा दी. अब बिजली नहीं रहेगी, तो आंगनवाड़ी भी बंद हो जाएगी और बिजली नहीं रहेगी, तो क्या-क्या बंद करेंगे कैलाश जी ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- उसको टर्न मत करिए. टेम्प्रेचर बढ़ा, जब विद्यालय बंद हुए और यह सारे प्रदेश के अंदर और देश के अंदर किए थे.
श्री भंवर सिंह शेखावत—अध्यक्ष महोदय, माननीय कैलाश जी आप हमारे बहुत बड़े नेता है. यह आंगनवाड़ी की समस्या सब विधायकों की है. यह बीजेपी एवं कांग्रेस की समस्या नहीं है. पूरे प्रदेश के अंदर आंगनवाड़ियों की स्थिति ऐसी है कि वहां पर सिर्फ कुत्ते बैठे रहते हैं, वहां पर बच्चे तो बैठ भी नहीं सकते हैं, यह स्थिति है ? वहां पर न तो कोई सफाई होती है और न ही कोई वहां देखने वाला है. आज तक का बजट उठाकर के देखिये मैं आदरणीय देवड़ा जी से निवेदन करना चाहता हू्ं कि यह समस्या माननीय कैलाश जी इस बात की नहीं है कि टेम्प्रेचर बढ़ रहा है या कम हो रहा है. यह समस्या प्रदेश के अंदर इस बात की है कि इसके लिये बजट में पैसा ही नहीं है. जितना पैसा है उसका 10 प्रतिशत भी खर्च नहीं हो रहा है. यह स्थिति बनने के कारण पूरे प्रदेश की स्थिति खराब है. इसको एक ऐसी समस्या के रूप में लेकर सब लोग मिलकर के करिये. यह दल वह दल मत करिये. इस समस्या के लिये यहां से रो रहे हैं, हम वहां पर भी रोते थे. समस्या एक ही है कि जितना पैसी स्वीकृत हो रहा है, उतना खर्च ही नहीं हो रहा है. हमारे सारे लोग परेशान हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में मनरेगा के कार्यों पर भी रोक लगा दी गई है. इससे सरकार का कंगालिया पन स्पष्ट रूप से दिख रहा है. मजदूरों को पैसा देने के लिये कुछ है नहीं और यहां पर बड़ी बड़ी बातें कही जा रही है. स्मार्ट सिटि बनाएंगे, यह बनाएंगे.
अध्यक्ष महोदय—कटारे जी आप कृपया बैठिये. श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी की बात रिकार्ड में आयेगी बाकी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री हीरालाल अलावा---(xxx)
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय कैलाश जी ने यहां पर बात रखी. उनके बेटे ने, पूर्व विधायक ने अपने क्षेत्र में समाज के लोगों को बोलकर के कार्यों को किया. मैं भी गारंटी के साथ इस बात को कह रहा हूं कि मेरी विधान सभा में 450
आंगनवाड़ियां हैं. एक भी आंगनवाड़ी में बच्चा जमीन पर नहीं बैठता है. मध्यप्रदेश की सबसे पहली...
श्री हीरालाल अलावा—अध्यक्ष महोदय, यह कुछ भी बात बता रहे हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—अध्यक्ष महोदय, आप बैठिये तो मेरी बात पूरी होने दीजिये उसके बात बोलिएगा.
श्री हीरालाल अलावा—पूरे प्रदेश में आंगनवाड़ियों में भवन तक नहीं हैं, यह गलत बयानबाजी कर रहे हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा—अध्यक्ष महोदय, सरकार तो किराये पर भी भवन लेने के लिये तैयार है. यह समस्या स्थानीय ज्यादा है. न कि विधान सभा स्तर की बात है. अगर आप लोग अपने अपने कलेक्टर कार्यालय में बैठकर वहां पर चर्चा करें कि किराये का मकान अगर किसी आंगनवाड़ी ने लिया वह सही नहीं लिया, उस पर आप चर्चा करें. जब नगरीय निकाय में पांच हजार रूपये किराया मिलता है एक कक्ष के लिये तो सही भवन का चयन क्यों नहीं हो रहा है ? यह समस्या यहां के स्तर के बजाय वहां के स्तर की है. यह भी बड़ी गंभीरता के साथ कहना चाह रहा हूं कि थोड़ी सी जब तक जन निगरानी नहीं आयेगी तब तक अंतिम छोर तक यह काम नहीं सुधर पायेगा. सरकार ने 2 हजार रूपये किराया ग्रामीण में कर दिया है. तो क्यों नहीं आंगनवाड़िया चला रहे हैं. यह सवाल को मैं जानना चाहूंगा.
श्री हीरालाल अलावा—आज 70 साल हो गये हैं आज भी आंगनवाड़ियों में भवन तक नहीं हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—अध्यक्ष महोदय, यह बजट सत्र चल रहा है बजट सत्र में बात हो रही है कि घर से पैसा लगाओ, सरकार की यह स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय—कोई इस तरह का सुझाव दे रहा है तो उस सुझाव का उपहास नहीं उड़ाना चाहिये. हर आदमी की अपनी क्षमता नहीं होती है कि वह बहुत सारे समाज सेवियों को इकट्ठा कर सकें. इस सुझाव को मानने के लिये कोई बाध्यता थोड़े ही है. इस सुझाव को माने तो बहुत अच्छा है.
श्री ओम प्रकाश सखलेचा—यह समस्या स्थानीय स्तर की समस्या है.
श्री महेश परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सदन में सभी सदस्य पूर्व मंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे नहीं है.(..व्यवधान) हम बहुत संघर्ष करके जीतकर जनता की बात करने के लिए यहां आए हैं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 5, अब आगे बढ़ गए हैं. विपिन जी अब बैठ जाइए, वित्त मंत्री जी के ध्यान में आ गया है. अब आप बैठ जाइए.
श्री महेश परमार - अध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्री जी का जिला है, आदेश करेंगे तो सब आंगनवाड़ी बन जाएगी मंदसौर जिले में, वित्त मंत्री जी अभी बोले हैं हमारे साथी के लिए.
अध्यक्ष महोदय - महेश जी आपका बोला हुआ रिकार्ड में नहीं आ रहा है . देवेन्द्र सखवार जी को अपना प्रश्न करने दीजिए.
दैनिक वेतन भोगी/संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण
[सामान्य प्रशासन]
5. ( *क्र. 104 ) श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा दैनिक वेतन भोगी/संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की क्या योजना है? (ख) वर्ष 2016 से प्रश्न दिनांक तक शासन ने कितने कर्मचारी नियमित किये हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में जिन कर्मचारियों को प्रश्न दिनांक तक नियमित नहीं किया गया है, उन्हें कब तक नियमित कर दिया जावेगा?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्रीमती कृष्णा गौर) : (क) सामान्य प्रशासन विभाग के ज्ञाप क्रमांक एफ-5-3/2006/1/3, दिनांक 16 मई, 2007 तथा समय-समय पर जारी स्पष्टीकरण/संशोधन अनुसार दैनिक वेतन भोगियों को विभाग में रिक्त उपलब्ध पदों पर नियमितीकरण की कार्यवाही के निर्देश हैं। नवीन संविदा नीति दिनांक 22 जुलाई, 2023 में उल्लेखित मापदण्ड अनुसार संविदा पर नियुक्त अधिकारियों/कर्मचारियों को नियमित नियुक्ति का अवसर प्रदान करने का प्रावधान है। (ख) पात्रतानुसार/नियमानुसार कर्मचारियों को नियमित किया गया है। (ग) उत्तरांश ''ख'' के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार - अध्यक्ष जी, मैंने मुख्यमंत्री जी से पूछा कि शासन द्वारा दैनिक वेतन भोगी एवं संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की क्या योजना है?
श्रीमती कृष्णा गौर(पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहूंगी कि दैनिक वेतन भोगियों के नियमितीकरण के लिए माननीय सुप्रीट कोर्ट के निर्णय के उपरांत हमारी सरकार द्वारा 16 मई 2007 को एक निर्णय लिया गया. पर्याप्त दिशा निर्देश जारी किए गए. नीति निर्धारण के साथ साथ भर्ती नियमों को और निर्धारित मापदंडों के साथ दैनिक वेतन भोगियों को नियमित किए जाने के निर्देश सरकार ने स्पष्ट रूप से सामान्य प्रशासन विभाग के सर्कुलर से जारी किए थे और जिसके तहत लगातार दैनिक वेतन भोगियों का नियमितीकरण हुआ और इसमें जो दैनिक वेतन भोगी छूट गए थे, उनकी भी चिन्ता करते हुए हमारी सरकार ने 2016 में स्पष्ट दिशा निर्देश दिए और उन छूटे हुए दैनिक वेतन भोगियों को स्थायी कर्मी के रूप में नियुक्त किया. साथ ही संविदा कर्मियों को भी पर्याप्त लाभ देने का काम हमारी सरकार ने किया है और वर्ष 2023 में स्पष्ट नीति संविदा कर्मियों की नियमितीकरण की बनी है, जिसके तहत लगातार नियमितीकरण किया जा रहा है.
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि उक्त प्रावधान के अनुसार वर्ष 2016 से प्रश्न दिनांक तक शासन में कितने कर्मचारी नियमित किए गए और कितने अनियमित रहे गए और जो अनियमित रह गए हैं, क्या सरकार उनको नियमित करेगी और करेगी तो कब तक?
श्रीमती कृष्णा गौर - अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2016 के बाद जिनका नियमितीकरण हुआ है, उसमें हमारे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी की संख्या 387 है, संविदाकर्मी 32 है और स्थायीकर्मी की संख्या तो हजारों में हैं, चूंकि आपने 2016 के बाद की संख्या मांगी थी और आपने सिर्फ दैनिक वेतन भोगी और संविदाकर्मियों की संख्या ही मांगी थी, इसलिए दोनों मिलाकर कुल 419 रे दैनिक वेतन भोगी और संविदाकर्मियों का नियमितीकरण हुआ है..
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार - अध्यक्ष जी, मंत्री जी से मैं यह पूछना चाह रहा था कि जो कर्मचारी नियमितीकरण के लिए रह गए हैं, उनको कब तक नियमित किया जाएगा. मैंने देखा है कि कुछ कर्मचारी तो ऐसे हैं, जिनको रिटायरमेंट में 2-4 साल का ही बचा है.
अध्यक्ष महोदय - देवेन्द्र जी बैठ जाइए. मंत्री जी.
श्रीमती कृष्णा गौर - अध्यक्ष जी, वैसे तो नियम प्रक्रिया के तहत लगभग सभी दैनिक वेतन भोगियों का नियमितीकरण किया जा रहा है और जो भर्ती नियमों के तहत आते हैं निर्धारित मापदंडों को पूरा करते हैं, उनमें कहीं कोई त्रुटि नहीं हो रही है. लेकिन अगर कोई ऐसा विषय माननीय सदस्य के संज्ञान में हैं तो वह हमारे ध्यान में लाए, हम जरुर उसका परीक्षण करवाकर उसको करेंगे.
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार - अध्यक्ष जी, मैं समय सीमा पूछ रहा हूं.
श्रीमती कृष्णा गौर - कोई समय सीमा नहीं होती.
बिंजलवाड़ा उदवहन सिंचाई परियोजना
[नर्मदा घाटी विकास]
6. ( *क्र. 582 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत बिंजलवाड़ा उदवहन सिंचाई परियोजना की स्वीकृति कब और कितनी राशि की जारी की गई थी? इसकी पूर्ण करने की समयावधि क्या निर्धारित की गई थी? वर्तमान तक परियोजना में कितनी राशि का व्यय हो चुका है तथा कार्य की भौतिक स्थिति क्या है तथा परियोजना कब तक पूर्ण की जायेगी? क्या उक्त परियोजना की स्वीकृत राशि में बढ़ोत्तरी की गई है? हाँ तो वर्तमान स्वीकृत राशि क्या है? क्या पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा जून 2023 में कार्य पूर्ण कर लोकार्पण करने की खरगोन सभा के दौरान घोषणा की गई थी? हाँ तो क्या कारण है कि जून 2024 तक कार्य अधूरा एवं अपूर्ण है तथा इसके लिए कौन दोषी है? उक्त परियोजना का कार्य विलम्ब करने के कारण वर्तमान तक संबंधित ठेकेदार के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है तथा सिंचाई हेतु किसानों को कब पानी उपलब्ध होगा?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) : प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 02.12.2016 को राशि रू. 745.00 करोड़ की। दिनांक 19.10.2021 थी। राशि रू. 731.31 करोड़। परियोजना का 87 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है एवं योजना, दिनांक 31.12.2024 तक पूर्ण हो जायेगी। प्रश्न दिनांक तक नहीं की गई है। जी हाँ। पम्प हाउस क्रमांक-1 से 5000 हेक्टेयर क्षेत्र में टेस्टिंग कर पानी दिया जा रहा है। भू-अर्जन में देरी तथा एम.पी.पी.टी.सी.एल. के द्वारा पम्प हाउस क्रमांक-03 पर कनेक्शन हेतु अंदड विद्युत सब स्टेशन पर फीडर-बे का निर्माण डेढ़ वर्ष पश्चात नहीं किया गया है, जिसके कारण विद्युत कनेक्शन प्राप्त न होने से योजना अपूर्ण है। अत: कोई दोषी नहीं है। दिनांक 16.02.2024 को ब्लैक लिस्ट किया गया एवं जून 2023 की समय-सीमा समाप्त होने के पश्चात ठेकेदार को बढी़ हुई मूल्यवृद्धि नहीं दी जा रही है। एम.पी.पी.टी.सी.एल. से विद्युत संयोजन कार्य उपरांत रबी सीजन वर्ष 2024-25 में सिंचाई हेतु जल प्रदाय किया जाना लक्षित है।
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगी, क्योंकि किसानों से संबंधित मेरा प्रश्न है, एन.बी.डी. विभाग माननीय मुख्यमंत्री जी के अंडर ही है, तो निश्चित ही वह इस प्रश्न को थोड़ा संज्ञान में लेंगे.
माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को बताना चाहूंगी और जो प्रश्न का जवाब भी आया है कि यह परियोजना वर्ष 2016 में शुरू हुई और छोटी रकम नहीं है 745 करोड़ रूपये है और उसकी समय सीमा पूर्ण होने की अवधि वर्ष 2021 थी, जो अभी वर्ष 2024 आ गया है और अभी तक 731.31 करोड़ रूपया खर्च हो चुका है और मुझे बताया गया है कि 87 प्रतिशत काम पूर्ण हुआ है, तो मैं आपको बता दूं अध्यक्ष जी की मेरे प्रश्न का जवाब पूरी तरह से असत्य दिया गया है कि यह काम 87 प्रतिशत हुआ है, वह नहीं हुआ है. कुछ दिन पहले ही मैंने अपने एस.डी.ओ. और विभाग के कर्मचारियों के साथ, ठेकेदार के कर्मचारियों के साथ इसका भ्रमण भी किया है, कहीं भी कार्य पूर्ण नहीं हुआ है और यदि आप मुझे कहेंगे कि आप गलत कह रही हैं, तो मैं एक-एक किसान का शपथ पत्र भी प्रस्तुत कर देना चाहूंगी कि इतनी बड़ी परियोजना जिसका काम पूरे सात साल से अधिक समय हो गया, अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाह रही हूं कि आपने मुझे यह भी कहा है कि इसको वर्ष 2024 में ब्लैक लिस्टेड भी किया गया है, तो ब्लैक लिस्टेड किया है, तो इसका काम कौन कर रहा है?
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी की जो चिंता है, वह वाजिब है और यह परियोजना दिनांक-02/12/2016 को स्वीकृत हुई थी और इसमें 745 करोड़ रूपये की राशि जारी की गई थी और इस परियोजना का कार्य अप्रैल 2018 से प्रारंभ हुआ था और इसकी समयावधि अक्टूबर 2021 की थी, लेकिन दो तीन कारण रहे, जिसके कारण इस परियोजना में विलंब हो गया. एक तो वन विभाग की स्वीकृति मिलने में देरी हुई, पर्यावरण की स्वीकृति मिलने में देरी हुई और उस समय कोविड 19 का भी समय आ गया था, इसलिये परियोजना में विलंब हुआ है और इस परियोजना का 87 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है और आने वाले समय में सरकार ने तय किया है कि परियोजना का जो कार्य है वह दिसंबर 2024 तक पूर्ण करा लिया जायेगा और मैं अभी माननीय विधायक जी को आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि अभी 5 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई भी हो रही है और आने वाले दिसंबर 2024 तक सरकार का लक्ष्य है कि इसमें 50 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य है, वह हम पूरा करेंगे( मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार, हमारी सरकार किसान हितैषी सरकार है. हम निरंतर सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से हर किसान के खेत में पानी पहुंचाने के लिये दृढ़संकल्पित हैं और माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूं कि वर्ष 2003 और 2004 में जब कांग्रेस की सरकार थी, तो साढे़ सात लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हुआ करती थी और आज बताते हुए गर्व महसूस कर रहे हैं कि आज 50 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई हो रही है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2003-04 का रोना कब तक रोयेंगे ये. अरे आप आज अपनी सरकार की उपलब्धियां बताओ कि आप क्या कर रहे हो?
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- मैं वही बता रहा हूं. (व्यवधान)...
श्री विक्रांत भूरिया -- माननीय मंत्री जी (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय --(एक साथ कई माननीय सदस्यों द्वारा अपने आसन से कहने पर) कृपया सभी शांत रहिये. कृपया आप सभी स्थान पर बैठें. (व्यवधान)...
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय )-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्य सुनना बड़ा कड़वा होता है, माननीय मंत्री जी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार थी तो 7 लाख हेक्टेयर सिंचाई का क्षेत्र था, आज 60 लाख हेक्टेयर में भारतीय जनता पार्टी ने सिंचाई का काम किया है(मेजों की थपथपाहट) यह सत्य सुनते क्यों नहीं है, यह सत्य है इसको जरा सहन करिये. श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी गुमराह कर रहे हैं, पूरी तरह से भ्रामक जानकारी दे रहे हैं, एक भी किसान के खेत में पानी नहीं पहुंचा है. मैं आपके साथ सदन के भीतर यह बात कह सकती हूं. सिर्फ टेस्टिंग हुई, टेस्टिंग किया और उसको बंद कर दिया क्योंकि काम पूरा हुआ ही नहीं है. आप जांच के लिये एक समिति बनाकर भेज दीजिये कि मैं जो कह रही हूं यह सही है कि नहीं. एक भी किसान के खेत में पानी नहीं पहुंचा है. मेरा पूरा विधान सभा सूखा है, ट्राइवल क्षेत्र है, किसानों के पास थोड़ी-थोड़ी जमीनें हैं अगर यह पानी जाता तो उनका बहुत ज्यादा विकास होगा, भविष्य में हम इसके कितने सालों तक सपने देखेंगे. वर्ष 2016 से लगाकर के 2024, पिछले चुनाव के पहले पूर्व मुख्यमंत्री जी ने खरगोन की सभा के दौरान उन्होंने बोला सालभर में शुरू करना है, क्योंकि वोट लेना है, हर काम के लिये वोट लेने की प्राथमिकता नहीं होना चाहिये. एक बार सरकार बनी तो प्राथमिकता विकास की होना चाहिये. इन्होंने देरी की वजह एक तो बताई है कि उसकी परमीशन समय से नहीं मिली, अब बता रहे हैं कि उसका पम्प हाउस चालू करने के लिये विद्युत कनेक्शन नहीं है. यह कौन करवायेगा अधिकारियों के पास परमीशन देने का भू-अर्जन करने का काम है जो नहीं कर रहे हैं और साथ में जिस दिन से काम शुरू हुआ है ठेकेदारों ने गुणवत्ताविहीन काम ऐसे किया है कि पाइप ऊपर ही पटके जा रहे हैं, कई जगह खुदाई करके लोगों को दिखा दिया कि पाइप अंदर है, पाइप अंदर नहीं बिछा है, खोदा और अंदर बंद कर दिया और यह आंदोलन हर दिन वहां तहसील में हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्या आप वरिष्ठ हैं, आप मंत्री जी से क्या जवाब चाहती हैं यह कहिये न.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष जी, वहां गुणवत्ताविहीन काम, समय में देरी जिसमें ठेकेदार और अधिकारी दोनों शामिल हैं. माननीय मंत्री जी पूरी ताकत से कहिये कि इनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे और क्या करेंगे आप सदन को बताइये.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) अध्यक्ष जी, एक तो मैं झूमा बहन जी को धन्यवाद देता हूं आप बहुत अच्छा बोलती हैं और बहुत अच्छे तरीके से विषय रखा है और बाकी माननीय मंत्री जी ने भी कह दिया है कि दिसम्बर 2024 तक पूरी हो जायेगी, मैं समझता हूं यह विधान सभा का आश्वासन है, इस पर विश्वास करना चाहिये और मैं भी उसकी वहां पर मॉनीटरिंग करूंगा.
श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव-- माननीय अध्यक्ष जी, चूंकि मेरी विधान सभा में भी यह परियोजना चल रही है....
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी-- अध्यक्ष जी, कार्यवाही, कार्यवाही से संतुष्टि मिलेगी. अध्यक्ष जी, कार्यवाही चाहिये इतना बर्दाश्त नहीं कर सकती.
अध्यक्ष महोदय-- झूमा जी, दिसम्बर 2024 का मंत्री जी ने आश्वासन दे दिया है.
श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस हिसाब से काम चल रहा है वह दिसम्बर 2024 तक पूरा होने वाला नहीं है. मेरा अनुरोध है कि जो मांग माननीय विधायक जी ने रखी है उसकी एक समिति बनाई जाये, माननीय मंत्री जी स्वयं आयें, हम लोगों को साथ में रखें और साथ में रखकर जो भी अधिकारी ठेकेदार हैं उनके साथ में पूरी समीक्षा बैठक हो और पूरा दौरा हो.
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा निरंतर चलने वाली है.
श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस हिसाब से मंत्री जी ने कहा है कि दिसम्बर 2024 तक पानी आने वाला है पानी नहीं आने वाला, क्योंकि जो जमीनी हकीकत है वह माननीय मंत्री जी से बहुत दूर है.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी-- अध्यक्ष जी, कार्यवाही चाहिये इतनी देरी के लिये जो जिम्मेदार हैं उनके ऊपर कार्यवाही हो.
श्री अजय अर्जुन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान हितैषी सरकार है हम लोग बिलकुल मानते हैं. साढ़े सात लाख हेक्टेयर से 50-60 लाख हेक्टेयर में सिंचाई करा दी. आदरणीय विजयवर्गीय जी ने यहां तक कह दिया कि इसकी मैं मॉनीटरिंग करूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक अनुसूचित जनजाति के क्षेत्र का मामला है. माननीय मंत्री महोदय ने उत्तर में अभी कहा कि 5 हजार हेक्टेर में सिंचाई उपलब्ध हो चुकी. माननीय विधायिका महोदय कह रही हैं कि एक एकड़ में एक किसान के खेत में पानी नहीं है इस पर आपका संरक्षण चाहते हैं. माननीय मंत्री महोदय खुद विधायक महोदय भी वहां हों यदि आप समय सीमा में वहां जाकर इसका निरीक्षण करा दें और यदि गलती है, ठेकेदार काम नहीं कर रहा है तो जो भी कार्यवाही विधायिका जी चाहती हैं वह कार्यवाही करें माननीय अध्यक्ष महोदय तब पता चले कि किसान हितैषी सरकार है.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- माननीय अध्यक्ष जी, यह वाकई एक क्षेत्र की समस्या नहीं है, यह ठेकेदारों की अधिकारियों की मिलीभगत से इस तरह की योजनायें कई सालों तक लंबित होने के कारण सरकार पर भी बोझ आता है, जितना बजट होता है उस बजट का तीन गुना बजट हो जाता है जब वह प्रोजेक्ट कम्प्लीशन पर आता है. वर्ष 2017 के अंदर आदरणीय शिवराज जी के टाइम में बदनावर के अंदर नर्मदा की लिफ्ट के माध्यम से पानी लाकर के खेतों तक पानी पहुंचाने की योजना शुरू हुई थी.
अध्यक्ष महोदय-- भंवर सिंह जी लेकिन यह प्रश्न एक क्षेत्र का है.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- अध्यक्ष महोदय मेरी विधान सभा में भी यही हाल है बदनावर में भी आज 5-6 साल हो गये वहां भी यही ठेकेदार की समस्या अधिकारियों की समस्या है, जहां नर्मदा खड़ी थी वहीं खड़ी है और एक इंच बाहर नहीं आई, 6-6 साल 7-7 साल माननीय झूमा जी सही कह रही हैं. यह झूमा जी के अकेले की समस्या नहीं है बहुत सारे प्रोजेक्ट ऐसे है जिसके अंदर समय पर ठेकेदार और अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं और उससे नुकसान हो रहा है. माननीय कैलाश जी अगर मॉनीटरिंग करें तो बहुत अच्छी बात है. I appreciate you that you have started monitoring also.
श्री बाबू जण्डेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे श्योपुर में पाइप के प्रोजेक्ट में पूरी तरह से भ्रष्टाचार है.
श्री सुरेश राजे - अध्यक्ष जी, 2013 से डबरा में चल रही है. आपका तो क्षेत्र रहा है वह. 2013 से यही योजना चल रही है.
अध्यक्ष महोदय - देवेन्द्र जी, कृपया बैठिये.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी - मंत्री जी जवाब दीजिये.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, जो विषय अजय सिंह जी ने स्पेसिफिक बताया उसका जवाब आ जाये तो ठीक रहेगा.
राज्यमंत्री,संस्कृति (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो विधायक गणों की चिंता है वह वाजिब है और मैं परियोजना से संबंधित जो विलंब और अन्य प्रकार की शिकायतें आई हैं तो हम वरिष्ठ अधिकारियों की टीम भेजकर उसकी जांच करा लेंगे. दूध का दूध और पानी का पानी आ जायेगा तो आप लोग निश्चिंत रहें क्योंकि हमारी जो सरकार है वह किसान हितैषी है और निरंतर हर किसान के खेत में पानी पहुंचाने का जो सरकार का लक्ष्य है उसकी ओर सरकार बढ़ रही है और जब आप लोग सिंचाई की बात करते हैं तो मैं कांग्रेस के मित्रों से मैं कहना चाहता हूं कि आप लोग अपने गिरेबान में झांकें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, जवाब आ गया है. आगे के प्रश्न भी हैं.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, जो समिति बने उस समिति में मुझे रखा जाए ताकि मैं उसमें हर चीज से आपको अवगत कराऊंगी और मंत्री जी भी उसमें रहें.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्र.7 श्री नीरज सिंह ठाकुर
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - (..व्यवधान..) माननीय अध्यक्ष महोदय,सरकार महिला आरक्षण बिल लाने की कोशिश कर रही है और महिलाओं को संरक्षण नहीं मिल रहा है.
(..व्यवधान..)
नहरों के रख-रखाव में उदासीनता
[नर्मदा घाटी विकास]
7. ( *क्र. 461 ) श्री नीरज सिंह ठाकुर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि बरगी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बाँयीं तट मुख्य नहर माइनर, डिस्ट्रीब्यूटरी नहरों के सुधार, सफाई एवं लाईनिंग की रिपेयरिंग हेतु विगत 5 वर्षों में नहर वार कितने कार्य कितनी-कितनी राशि से कराये गये? नहर वार, राशि, निर्माण एजेंसी के नाम सहित वर्षवार जानकारी दें? क्या सफाई एवं रख-रखाव नहीं होने से अनेक नहरों में टेल तक पानी नहीं पहुँच रहा है ? बेलखेड़ा माइनर, गुबराकलाँ माइनर आदि किन-किन नहरों में पानी टेल तक नहीं पहुँच रहा है?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) : जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं। पानी पहुँचाया गया है।
श्री नीरज सिंह ठाकुर - माननीय अध्यक्ष महोदय,बरगी विधान सभा क्षेत्र में रानी अवंतिबाई लोधी सागर परियोजना के अंतर्गत रबी और खरीफ सीजन में किसानों को सिंचाई के लिये पानी दिया जाता है इसके रखरखाव पर भी समय-समय पर राशि खर्च की जाती है.2019-20,2020-21,2021-22,2022-23 और 2023-24 में भी रखरखाव और सुधार के कार्य हुए हैं जो परिशिष्ट में जानकारी प्रदाय की गई है उसके अनुसार लगभग 22 करोड़ के कार्य इन पांच वर्षों में हुए हैं मगर अफसोस यह है कि जो जवाब दिया गया है कि बेलखेड़ा टेलमाइनर और गुबराकलॉ टेलमाइनर जो टेल प्वाइंट हैं वहां पानी दिया गया है. पानी तो दिया गया है मगर सिर्फ एक दिन के लिये पानी दिया गया था लेकिन सिर्फ एक दिन के लिए पानी दिया गया था. अधिकारियों,कर्मचारियों ने फोटो सेशन किया था और मंत्री जी को सूचना दे दी गई थी और यदि आप वास्तव में बात करें कि रबी और खरीफ सीजन में जब किसान को पानी की आवश्यकता होती है उस समय पानी मुहैया नहीं हुआ. जवाब में मंत्री जी ने यह भी दिया है कि रखरखाव और सुधार कार्य की वजह से टेल तक पानी नहीं जा रहा है. मैं इससे सहमत नहीं हूं. आज भी मुख्य नहर में पूरे जीरो से 63 प्वाइंट तक सभी हिस्सों में कार्य की आवश्यकता है. बहुत पुराना यह सिस्टम है. करीब 25 साल पहले मुख्य नहर,माइनर वगैरह का निर्माण हुआ था. तो आपका यह कहना कि रखरखाव और सुधार कार्य की वजह से टेल तक पानी नहीं जा रहा है मैं इससे सहमत नहीं हूं.
अध्यक्ष महोदय - नीरज जी, आप प्रश्न करो.इतना लंबा भाषण नहीं दें.आपका स्पेसिफिक प्रश्न क्या है.
श्री नीरज सिंह ठाकुर - अध्यक्ष महोदय,मैं यह पूछना चाहता हूं कि रखरखाव और सुधार कार्य के लिये मंत्री जी के माध्यम से अधिकारियों को निर्देशित किया जायेगा कि सर्वे कार्य कराकर जहां पर रखरखाव और मरम्मत होना है वह कार्य होंगे.
राज्यमंत्री,संस्कृति (श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी) - माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय विधायक जी की चिंता वाजिब है. मेरा मानना यह है कि इनके जो दो गांव हैं एक बेलखेड़ा माइनर और गुबराकलॉ माइनर तक पानी नहीं पहुंच रहा है. तो मैं आश्वस्त करना चाहूंगा कि अधिकारियों की एक टीम भेजकर जांच करा लेंगे और उसमें आपको भी शामिल कर लेंगे और आने वाले सीजन में जहां पानी नहीं पहुंच पा रहा है वहां पानी पहुंचाने के लिये अधिकारियों को निर्देशित किया जायेगा और इसकी जांच करवाकर उसमें क्या विसंगति आ रही है. किस कारण से नहीं पहुंच पा रहा है और नहीं पहुंच पा रहा है उस विसंगति को दूर करके वहां पानी पहुंचाया जायेगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री नीरज सिंह ठाकुर -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से सिर्फ एक आश्वासन चाहता हूँ कि पूरे खरीफ के सीजन में और रबी के सीजन में किसानों को पानी दिया जाए, सिर्फ एक या दो दिनों की औपचारिकता न की जाए. आपने जो समिति बनाने की घोषणा की है, समिति में मुझे भी भ्रमण के लिए आपने बोला है, उसके लिए मैं आपको और माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ कि आपके माध्यम से समस्या का उचित निराकरण किया गया है.
प्रदेश में उत्पादित शराब की अन्य प्रदेशों में तस्करी
[वाणिज्यिक कर]
8. ( *क्र. 546 ) श्री आतिफ आरिफ अकील : क्या उप मुख्यमंत्री, वित्त महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के किन-किन जिलों में वर्ष 2020 से प्रश्न दिनांक तक शराब उत्पादन का कार्य किया जाता है? वर्षवार/जिलेवार पृथक-पृथक जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या प्रदेश में उत्पादित शराब का गोरख धंधा किया जाकर अन्य प्रदेशों के परमिटों के माध्यम से तस्करों को बेचा जा रहा है? यदि हाँ, तो किन-किन तस्करों के माध्यम से कितनी-कितनी आबादी वाले किन-किन प्रदेशों में मध्यप्रदेश में बनाई जाने वाली शराब अवैध रूप से बेची जा रही है? प्रदेशों की सूची सहित अवगत करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में अन्य प्रदेशों में की जाने वाली शराब तस्करी में कौन-कौन जिम्मेदार, अधिकारी/कर्मचारी दोषी हैं? क्या दोषियों पर प्रश्न दिनांक तक कोई कार्रवाई की गई? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो करवाई न किए जाने के क्या कारण हैं?
उप मुख्यमंत्री, वित्त ( श्री जगदीश देवड़ा ) : (क) वर्ष 2020 से प्रश्न दिनांक तक जिन जिलों में शराब उत्पादन का कार्य किया जाता है, की वर्षवार/जिलेवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं, प्रदेश के विभिन्न जिलों में संचालित मदिरा विनिर्माणी इकाइयों से उत्पादित शराब का गोरखधंधा किया जाकर अन्य प्रदेशों के परमिटों के माध्यम से तस्करों को बेचे जाने संबंधी कोई भी प्रकरण प्रकाश में नहीं आने से जानकारी निरंक है। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नांश ''ग'' की जानकारी निरंक है।
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं यह चाहता हूँ कि प्रदेश के अंदर शराबबंदी हो जाए क्योंकि हम देखते हैं कि गुजरात के अंदर, मिजोरम के अंदर, बिहार के अंदर शराबबंदी है और जिन प्रदेशों में शराबबंदी है तो कहीं न कहीं वे प्रदेश और विकास कर रहे हैं. राजस्व के मामले में अगर हम देखें तो लगभग 13 से 14 प्रतिशत के आसपास राजस्व प्रदेश को प्राप्त होता है. यहां पर कुछ कंपनीज हैं, माननीय मंत्री जी से मैंने जो जानकारियां मांगी थीं, मैंने पृथक-पृथक जानकारियां मांगी थीं, उन्होंने उसका जवाब हां, ना में दे दिया. मैं चाह रहा था कि उसको नंबर के साथ बताएं कि किन-किन जिलों के अंदर कितनी-कितनी कंपनियां काम कर रही हैं ? जैसे अगर धार जिले के अंदर गैलवेनाइज कंपनी है, वहां पर हर महीने 35 करोड़ वाइन बनाई जाती हैं सिर्फ 3 करोड़ पर ही लेबल लगाया जाता है. बाकी के राजस्व की सब चोरी की जाती है. मैंने इस सवाल के अंदर यह भी पूछा था कि इन कंपनीज के खिलाफ, एक ओएसएस कंपनी भी है, इन कंपनीज के खिलाफ अभी तक क्यों कार्यवाही नहीं की गई ? मेरा सवाल है उनसे.
श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने केवल प्रश्न किया था कि प्रदेश में शराब उत्पादन का कार्य कहां-कहां पर किया जाता है, वर्ष 2020 से प्रश्न दिनांक तक शराब उत्पादन का कार्य किन-किन जिलों में किया जाता है, वर्षवार/जिलेवार पृथक-पृथक जानकारी दें. वह पूरी जानकारी परिशिष्ट-''एक'' में हमने उपलब्ध करवा दी है. विस्तार से कुल 19 जिलों में 11 आसवनी, 8 ब्रहरी, 22 विदेशी, 11 देशी और दो जिलों में हेरिटेज मदिरा का उत्पादन किया जाता है, यह जानकारी हमने उपलब्ध करवा दी है. वर्षवार जानकारी की जहां तक बात है, मैं...
श्री आतिफ आरिफ अकील -- मैंने कंपनियों के नाम पूछा था...(व्यवधान)...
श्री जगदीश देवड़ा -- सुन लो, सुन लो..
अध्यक्ष महोदय -- आतिफ जी, अभी आपको दूसरा सप्लीमेंट्री प्रश्न करने का मौका मिलेगा.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न में ही नहीं है कुछ भी ऐसा, जो जानकारी माननीय सदस्य ने मांगी है, हमने पूरी जानकारी दी है.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पृथक-पृथक जानकारी मांगी है, जिलेवार कहां-कहां मैन्यूफेक्चरिंग की जाती है, उसके बारे में जानकारी मांगी है.
श्री जगदीश देवड़ा -- बता रहा हूँ, बता रहा हूँ.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- आपने केवल हां या ना में जवाब दे दिया, आपने बाकायदा जो रिकार्ड भेजा है, वह मेरे पास है.
श्री जगदीश देवड़ा -- बता रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आतिफ जी, मंत्री जी का जवाब पूरा आने दीजिए, उसके बाद आप अनुमति लेकर बोलें.
श्री जगदीश देवड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्षवार जानकारी भी माननीय सदस्य चाहेंगे तो अभी भी उपलब्ध हो जाएगी. मैं उनको उपलब्ध करवा दूंगा. वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22, 2022-23, 2023-24, ये पूरी विदेशी मदिरा, देशी मदिरा, बीयर बल्क लीटर, सारी जानकारी अगर ये चाहेंगे तो अभी मैं उनको उपलब्ध करवा दूंगा, जिलेवार जानकारी जो इन्होंने मांगी है, यह जानकारी मैं उपलब्ध करवा दूंगा.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल और केवल, मैं जो इन कंपनीज के नाम ले रहा हूँ तो उनकी जांच क्यों नहीं कर रहे हैं. अगर जांच होगी तो क्लियर हो जाएगा. मैं तो सिर्फ यह चाहता हूँ कि आप बोलें कि जांच हो. सबसे स्पष्ट बात यह है कि आप जांच करने से क्यों डर रहे हैं.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, कोई डर का सवाल नहीं है.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- जांच करने से आप क्यों डर रहे हैं.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, जांच का न तो कोई इन्होंने प्रश्न किया, लेकिन अगर...
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक जानकारी और देता हूँ कि अलीराजपुर पायलेट बेरियर के जंगलों के जरिए अलग-अलग प्रदेशों के अंदर तस्करी की जाती है. आपका तीसरा जो जवाब है, उसके अंदर हम लोगों ने स्पष्ट पूछा था, आप कह रहे हैं कोई तस्करी नहीं होती, जबकि अखबारों तक के अंदर यह चीज छपी है. आप जांच करिए, क्लियर हो जाएगा. जांच करने से आप क्यों डर रहे हैं.
श्री जगदीश देवड़ा -- अध्यक्ष महोदय, ऐसी कोई जानकारी...
श्री आतिफ आरिफ अकील -- माननीय मंत्री जी, जांच करने से आप क्यों डर रहे हैं, आप बोलिए जांच करेंगे, अगर हम गलत होंगे तो शांत हो जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपना प्रश्न करके बैठेंगे तो उत्तर आएगा.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- आप जांच करने से क्यों डर रहे हैं, आप बोलिए मैं जांच करूंगा. आप क्लियर करें, कंपनीज का हम नाम बता रहे हैं, आप जांच करें, अगर गलत होंगे तो क्लियर हो जाएगा. अरबों रुपयों का नुकसान मध्यप्रदेश के अंदर हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- अकील साहब, आप बैठो.
श्री आतिफ आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, अरबों रुपयों का प्रदेश को नुकसान हो रहा है. टैक्स की चोरी की जा रही है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, आप प्रश्न देख लीजिये. माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है.
अध्यक्ष महोदय - मैंने अभय मिश्रा जी को अनुमति दी है, उन्हीं की बात रिकॉर्ड की जायेगी और किसी की बात रिकॉर्ड नहीं की जायेगी.
श्री आतिफ आरिफ अकील - (XXX)
श्री अभय मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रदेश के हित में एक निेवेदन करूँगा. मैं तीन वर्ष पहले इस कारोबार से बहुत करीब से जुड़ा. मैं एकदम साफगोई से बता रहा हूँ, मैं इसकी बारीकी बता रहा हूँ. मैं यह भी बता रहा हूँ कि इसमें मंत्री महोदय बिल्कुल इन्वॉल्व नहीं हैं, इसमें ईमानदार प्रमुख सचिव हैं, और लगातार इतने अच्छे अधिकारी रहे हैं, पूरा भ्रष्टाचार पुलिस, आबकारी अधिकारी ........
अध्यक्ष महोदय - मिश्रा जी, आपका प्रश्न क्या है ? आप प्रश्न तो बताइये.
श्री अभय मिश्रा - आप इसमें एक पॉलिसी बना लीजिये. जो परमिट है, उसको ऑनलाईन कर लीजिये, सब बन्द हो जायेगा. इसमें क्या है कि एक परमिट पर दो बार गाड़ी जा रही हैं.
श्री आतिफ आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मंत्री जी ने गोल-मोल जवाब दिया है.
श्री अभय मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, परमिट में 10 करोड़ रुपये की प्रतिदिन की शराब नम्बर दो की है. एक बॉटल 2,000 रुपये की है, जिसमें गवर्नमेंट का 1,300 रुपये का टैक्स है.
अध्यक्ष महोदय - (श्री आतिफ आरिफ अकील को देखकर) अगर आप वास्तव में सप्लीमेंट्री प्रश्न करोगे तो बताएं, नहीं तो मैं आगे बढ़ जाऊँगा.
श्री अभय मिश्रा - जो परमिट है, वह केवल धार भर में क्यों नहीं है. आप देखिये, धार, झाबुआ में टेम्परेरी परमिट पर शराब जा रही है. रीवा में जा रही है, अपराध चरम पर है. आप ऑनलाईन कर दीजिये, तो यह अपने आप कन्ट्रोल में आ जायेगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक- 9 श्री कामाख्या प्रताप सिंह. मैंने सिर्फ कामाख्या प्रताप सिंह को अनुमति दी है, उन्हीं की बात रिकॉर्ड की जायेगी.
अवैध उत्खनन तथा अवैध क्रेशर का संचालन
[खनिज साधन]
9. ( *क्र. 511 ) श्री कामाख्या प्रताप सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम पंचायत सिंगरावन खुर्द जनपद पंचायत नौगांव द्वारा शासकीय पहाड़ी को खोदकर गौशाला निर्माण कराई जा रही है? इस पहाड़ी की मिट्टी को निजी उपयोग हेतु प्रस्तावित पेट्रोल पम्प पर फोरलेन किनारे उपयोग किया है? इन पर मनरेगा राशि के गलत उपयोग एवं खनिज विभाग के नियमों के उल्लंघन के कारण राजस्व हानि की वसूली कब तब की जायेगी? (ख) क्या तहसील नौगांव के सर्किल लुगासी अंतर्गत खकरी-वीरपुरा मौजा के खसरा नं. 919 एवं मौजा नयागांव के खसरा नं. 1245 पर बने प्राचीन मंदिर को तोड़कर पहाड़ी पर अवैधानिक उत्खनन कर मुरम व पत्थर बेचा जा रहा है? राजस्व हानि की वसूली कब तक की जायेगी? (ग) क्या कुछ लोगों द्वारा अवैध क्रेशर का संचालन के लिए पर्यावरण विभाग की अनुमति एवं पंचायत की स्वीकृति प्राप्त की गई है? यदि नहीं, तो क्रेशर संचालक के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) अधिकृत - राज्य मंत्री (श्री दिलीप अहिरवार) : (क) मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत नौगांव से प्राप्त जानकारी अनुसार ग्राम पंचायत सिंगरावन खुर्द जनपद पंचायत नौगांव में मनरेगा योजना अंतर्गत गौशाला स्वीकृत की गई है। प्रगतिरत गौशाला में पुराई कार्य हेतु मिट्टी पहाड़ियों से ली गई है। पहाड़ी की मिट्टी को निजी उपयोग हेतु प्रस्तावित पेट्रोल पम्प पर फोरलेन किनारे उपयोग नहीं किया गया है। शेष भाग का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) तहसील नौगांव के ग्राम खकरी-वीरपुरा के खसरा नंबर 919 एवं मौजा नयागांव के खसरा नंबर 1245 में मौके पर पहाड़ी पर प्राचीन मंदिर के अवशेष नहीं पाये गये। उत्खनन नियमानुसार समस्त वैधानिक अनुमतियाँ प्राप्त कर किया गया है। शेष भाग का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) क्रेशर संचालन हेतु पर्यावरण विभाग की अनुमति एवं पंचायत की स्वीकृति नियमानुसार प्राप्त की गई है। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री कामाख्या प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहूँगा कि मेरी विधान सभा में जो क्रेशर संचालकों द्वारा यह अवैध उत्खननन हो रहा है, इसमें उन्होंने क्या कार्यवाही की है. जैसा इन्होंने जवाब में दिया है कि गौशाला के लिए पहाड़ पर इन्होंने निर्माण कराया, तो गौशाला के लिए पहाड़ पर जब निर्माण कराया तो दूसरी पहाडि़यों से मिट्टी की जरूरत कहां से पड़ गई, जो इस पहाड़ी की मिट्टी है, वह कहां बेची गई, कितनी निकाली गई, इस पर इन्होंने क्या कार्यवाही की है ? और इसमें इनके पास उपयंत्री से जो इसकी रिपोर्ट आई है, उसमें उपयंत्री के दस्तखत भी नहीं हैं. सिर्फ सचिव और सरपंच के माध्यम से रिपोर्ट मांगी गई है, तो मैं उनसे पूछना चाहूंगा कि इसमें क्या उचित कार्यवाही हुई है ? और नहीं हुई है क्यों नहीं हुई. इसमें जो दोषी पाया जायेगा, क्या उस पर कार्यवाही की जायेगी कि नहीं की जायेगी.
श्री दिलीप अहिरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य के जवाब देने से पूर्व मैं सदन में बताना चाहूँगा कि खनिज विभाग के द्वारा जो उपलब्धि अभिनन्दन करना चाहता हूँ, मध्यप्रदेश के हमारे आदरणीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का, जिन्हें प्रदेश की मुख्य खनिज की खदानों की सर्वविदित नीलामी के लिए देश में प्रथम स्थान से सम्मानित किया गया है, इसके लिए मैं उनका अभिनन्दन करता हूँ. (मेजों की थपथपाहट) खान मंत्री भारत सरकार द्वारा यह सम्मान हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी को दिया गया है. इसके लिए उनका बहुत-बहुत धन्यवाद. माननीय मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व से सन् 2019-20 की खनिज से आय 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व था, जो वर्तमान में सन् 2023-24 में पहली बार 10,000 करोड़ रुपये से अधिक आय हुई है, जिसमें 23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ प्रदेश ने पहली बार खनिज राजस्व संग्रहण में 10,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा प्राप्त किया है. (मेजों की थपथपाहट) इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद. प्रदेश में हमारे माननीय मुख्यमंत्री जो निरन्तर यह कार्य कर रहे हैं, प्रदेश में अवैध परिवहन ओवरलोडिंग रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 40 इलेक्ट्रॉनिक नाकों की स्थापना की जा रही है, निश्चित रूप से हमारे माननीय मुख्यमंत्री जो दिन-रात कार्य कर रहे हैं, मैं उनका अभिनन्दन करता हूँ. माननीय विधायक जी ने जो जवाब मांगा है, मैंने उनको पूरी जानकारी दी है, जो इन्होंने कहा है कि मिट्टी खोदकर गौशाला में लगाई गई है, तो मैं माननीय विधायक जी को बता दूँ.
श्री कामाख्या प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जानकारी पूर्ण रूप से ही नहीं दी गई है. आपने पहाड़ पर जो गौशाला बनाई, लेकिन वह मिट्टी पहाड़ से कहां बेची. उसके आसपास के जो किसान परेशान हो रहे हैं. उसके लिए क्या कार्यवाही कलेक्टर साहब कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - कामाख्या जी, ऐसा नहीं होता है.
श्री दिलीप अहिरवार - अध्यक्ष महोदय, जो आप कह रहे हैं. वह जो मिट्टी आई है, गौशाला के लिए, तो उसमें बकायदा सरपंच, सचिव सबकी स्वीकृति है, बगैर उसके अलग से कोई मिट्टी नहीं खोदी गई है. माननीय सदस्य आपको पूरी जानकारी दे दी गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बता दूँ कि उसकी पूरी जानकारी है, उसकी पूरी स्वीकृति है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे
बधाई
श्री राजेश कुमार वर्मा एवं श्री महेन्द्र केशरसिंह चौहान, सदस्य के जन्मदिवस पर सदन में शुभकामनायें दी जाना
अध्यक्ष महोदय- आज माननीय सदस्य श्री राजेश कुमार वर्मा, गुनौर एवं श्री महेन्द्र केशरसिंह चौहान, भैंसदेही का जन्मदिवस है. मैं, अपने और पूरे सदन की ओर से उन्हें शुभकामनायें देता हूं.
(मेजों की थपथपाहट)
12.01 बजे
वक्तव्य
तीन नवीन न्याय संहिताओं के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री का वक्तव्य
अध्यक्ष महोदय- अब मुख्यमंत्री जी तीन नवीन न्याय संहिताओं के संबंध में वक्तव्य देंगे.
मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, इस सदन के सभी सदस्यों का ध्यान, नए लागू हुए तीन कानूनों की ओर ध्यान आकर्षित करवाना चाहता हूं और मध्यप्रदेश के सभी नागरिकों को बधाई भी देना चाहता हूं. आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि अंग्रेजों के बनाये हुए कानून, भारतीय दण्ड संहिता 1860 को भारतीय न्याय संहिता अधिनियम, 2023 के रूप में बदला गया है. दण्ड संहिता प्रक्रिया (1898) 1973 को, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता अधिनियम, 2023 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है. इन तीनों नए कानूनों की आत्मा, भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिये गए सभी अधिकारों के तहत न केवल उनकी रक्षा करती है बल्कि मूल भाव से भी परिचित करवाती है.
उदाहरण के लिए हमारे लिए IPC अर्थात् भारतीय दण्ड संहिता का नाम सुनते ही लगता है कि दण्ड देने के लिए ही इसे बनाया गया है जबकि हमारे यहां तो न्याय देने की परंपरा है. ऐसे में हमारी जो मूल भावना है, उसे जोड़कर ये तीनों कानून बनाये गए है, ये सच्चे अर्थों में हमारे सभी अधिकारों की रक्षा करते हैं और साथ ही साथ इनका उद्देश्य दण्ड देना नहीं है, इनका उद्देश्य न्याय दिलाना है.
(मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, न्याय की अपेक्षा से ही आम आदमी न्यायालय तक पहुंचता है और ऐसे में न्याय की अपेक्षा की इस प्रक्रिया में हमारे माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं हमारे गृह मंत्री श्री अमित शाह जी द्वारा विगत चार वर्षों तक सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्र शासित प्रदेशों के जवाबदार अधिकारियों, सर्वोच्च न्यायालय, सभी उच्च न्यायालयों, तमाम न्यायिक अकादमियों, विधि विश्वविद्यालयों, सभी सांसदों, विधायकों एवं आम जनता से मिलकर एक बड़ी कवादय की गई और उसके पश्चात् ये नए कानून, संविधान के अंतर्गत, न्याय के मापदण्ड स्थापित करेंगे, जिनके कारण भारतीय न्याय संहिता 2023 तैयार हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कुछ बदलाव भी किए गए हैं, जिनके बारे में मैं, आप सभी को बताना चाहूंगा जैसे अभी तक IPC के अंतर्गत लगभग 511 धाराओं के माध्यम से न्याय होता था, अब नए भारतीय न्याय संहिता अधिनियम, 2023 में 356 धाराओं का समावेश होगा. 175 धाराओं को परिवर्तित किया गया है, 8 नई धारायें जोड़ी गई हैं, 22 धाराओं को निरस्त किया गया है.
CRPC की जगह लेने वाले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में अब 533 धारायें हैं और पुराने कानूनों की 160 धाराओं में बदलाव किया गया है. नई 9 धारायें जोड़ी गई है और 9 धाराओं को निरस्त किया गया है.
साक्ष्य अधिनियम का स्थान देने के लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 167 के बजाय 170 धारायें होंगी, 23 धारायें बदली गई हैं, 1 नई धारायें जोड़ी गई और 5 धारायें निरस्त की गई हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खासकर नागरिकों की सुरक्षा के लिए 75 वर्षों के पश्चात् "जीरो एफआईआर" एक बड़ी सुविधा दी गई है. अभी तक कोई अपराध घटने पर, संबंधित थानों में ही प्रकरण पंजीबद्ध करने के लिए जाते थे. अब यह सुविधा है कि कहीं से भी कोई व्यक्ति जीरो पर अपने प्रकरण की कायमी करवा लेगा.
(मेजों की थपथपाहट)
जीरो पर कायमी होगी और कायमी होने के बाद उस पर कार्यवाही होने की प्रक्रिया चलेगी. अर्थात् वह प्रकरण उस थाने के लिए निर्धारित नहीं होगा. अपराध कहीं भी होगा, पूरे प्रदेश में एक साथ संज्ञान में लिया जायेगा और शासन उस पर गंभीर होकर आगामी कार्यवाही करेगा. कुछ और बदलाव किये गये हैं जो मैं बताना चाहूंगा. सात साल या उससे अधिक सजा वाले अपराधों के लिए आजकल घटना स्थल पर जो कठिनाई आती है कि फोरेंसिक साईंस की टीम नहीं पहुंचती है तो कई बार इसका लाभ अपराधी को मिल जाता है तो इस प्रावधान में यह जोड़ा गया है कि किसी भी हालत में सात साल या उससे अधिक की सजा वाले प्रत्येक अपराध के लिए फोरेंसिक टीम जाएगी. फोरेंसिक टीम का दौरा अनिवार्य कर दिया गया है. इसके साथ ही पुलिस के पास वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए भी सारी व्यवस्था की गई है ताकि दोषियों के बरी होने की संभावना को न्यूनतम किया जा सके या समाप्त किया जा सके. अधिनियम में प्रावधान किया गया है. पुलिस को शिकायत की स्थिति में किसी हालत में 90 दिन के अंदर बताना होगा. इससे जवाबदेही भी बढ़ेगी और पारदर्शिता भी आएगी. सुनवाई, अपील, बयानों की रिकॉर्डिंग और इसमें प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया गया है. खासकर आज के समय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की भी अत्यंत आवश्यकता है. उसको इस प्रावधान से जोड़ा गया है. अभी तक इसके अभाव में अपराधियों को लाभ मिलता था. अधिनियम में यौन हिंसा की पीडि़तों के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य कर दी गई है. कई बार यह जो घटनाएं होती हैं और इसमें दूसरे कष्ट आते हैं और इसी में साक्ष्य को सुरक्षित रखने के लिए यह जो जबरदस्ती करना, हेराफेरी करना जब हम इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग बयान के समय ही कर लेंगे तो बाद की संभावना शून्य हो जाएगी. अधिनियम में आवश्यक किया गया है कि पुलिस सात वर्ष से अधिक सजा वाले मामले अगर वापस लेना चाहेगी तो अपनी मर्जी से नहीं ले सकेगी. उसमें पीडि़त पक्ष जिसने प्रकरण पंजीबद्ध कराया है उसकी स्वीकृति अनिवार्य रहेगी. यह अभी इसी के अंतर्गत जुड़ा है.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी जानकारी ले लें कि उसमें पीडि़त पक्ष की अनुमति की स्वीकृति का पहले से ही था.
डॉ. मोहन यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी जो प्रकरण वापसी हो रही है वह हमारे राज्य में कम है. अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर राज्य सरकार द्वारा प्रकरण वापस लेते हैं इसमें बगैर पीडि़त पक्ष की मर्जी के यह वापस नहीं लेते हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- पहले न्यायालय के माध्यम से होती थी. अब सीधी पीडि़त पक्ष को लिखी जाएगी. उसमें थोड़ा फर्क हो गया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- आप सभी माननीय सदस्यों को बीच में नहीं बोलना चाहिए. जब माननीय मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य चल रहा है तो बीच में नहीं बोला जाता है.
डॉ. मोहन यादव-- भगौडे़ अपराधियों पर भी अभी आमतौर पर प्रकरण पंजीबद्ध होता है और भगौड़ा यदि देश छोड़कर चला गया तो उस पर प्रकरण नहीं चलता है. अब उसके अभाव में भी न्यायालय द्वारा प्रकरण चलाया जाएगा. सजा भी निश्चित होगी तब ऐसी स्थिति में किसी भी कारण से जब भी वह उपलब्ध होगा या जब भी उसे पकड़कर लाया जाएगा तब उसे सजा दे सकते हैं अर्थात् अब भगौड़े बच नहीं सकते हैं. मजिस्ट्रेटों को ई-मेल, एस.एम.एस., व्हाटसप संदेश आदि द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के आधार पर भी अपराधों का संज्ञान लेने का अधिकार दिया गया है. यह जो नई प्रकार की व्यवस्था है जिसमें साक्ष्य संग्रह और सत्यापन में सुविधा होगी यह भी विशेष रूप से नई बात जोड़ी गई है. यह विशेषज्ञों की राय को साक्ष्य के रूप में मान्यता देता है. जैसे चिकित्सीय राय, हस्तलेख विशलेषण जो मामलों से संबंधित तथ्यों और परिस्थितियों को स्थापित करने में इनको उपलब्ध साक्ष्य के रूप में मान्यता देगा. डी.एन.ए. साक्ष्य जैसी सहमति, अभिरक्षा श्रृंखला आदि के विशेष प्रावधान किये गये हैं जो जैविक साक्ष्य की सटीकता अर्थात् डी.एन.ए से जोड़कर अपराध को ठीक प्रकार से न्यायालय में अपराधों का निराकरण करने में माननीय न्यायाधीश की मदद करेंगे जिससे विश्वसनीयता भी बढ़ेगी. यौन हिंसा के मामलों में खासकर यौन पीडि़ता के बयान को अनिवार्य कर दिया गया है और बयान की वीडियों रिकॉर्डिंग भी अनिवार्य कर दी गई है. जिससे यौन उत्पीड़न के मसले पर निराकरण करने में सरकार और खासकरके पीडि़ता पक्ष में यह बड़ी कार्यवाही हुई है. पुलिस के लिए यह अनिवार्य होगा कि वह 90 दिन के अंदर शिकायत की स्थिति बताए और उसके हर 15 दिन बाद वह किसी कारण से शिकायत का ठीक से निराकरण नहीं कर पा रहे हैं तो पीडि़त पक्ष को हर 15 दिन में की गई कार्यवाही से अवगत कराया जाएगा. यह पुलिस का दायित्व होगा इसमें पुलिस को बांधा गया है. छोटे-छोटे मामलों में समरी ट्रायल का दायरा बढ़ाया गया है. अब तीन साल तक सजा वाले अपराध में इसके कारण से 40 प्रतिशत से ज्यादा लोड जो लोकल न्यायालय में स्थानीय न्यायालय में है वह इससे कम हो जाएगा और यह बहुत ही प्रभावशील रहेगा. चार्जशीट दाखिल करने की 90 दिन की तय समय-सीमा में अतिरिक्त रूप से 90 दिन के बाद केवल 180 दिन में ही उसको पूरा करना पड़ेगा और ट्रायल शुरू करना पड़ेगा. न्यायालय को 60 दिन के भीतर आरोपी को आरोप पत्र तय कर सूचना देना होगी. बहस पूरी होने के 30 दिन के भीतर न्यायालय को फैसला देना पडे़गा. यह पीड़ित पक्ष के लिए बहुत-बड़ा फैसला है कि प्रक्रिया करने के 30 दिन के अन्दर, आमतौर पर आदेश के मामले में माननीय न्यायाधीश लंबा कर देते थे, लेकिन 7 दिन के अन्दर उनको हर हाल में दिए गए फैसले की कॉपी संबंधित को उपलब्ध कराना पड़ेगी और यदि वह ऑनलाइन चाहेगा तो ऑनलाइन भी देना पड़ेगी. सरकार को सिविल सेवक, पुलिस अधिकारी के खिलाफ, मुकदमे की, यह हम सब की जानकारी में रहेगा 120 दिन के अन्दर शासन को उस पर निर्णय लेना होगा. अगर निर्णय नहीं लेते हैं तो यह माना जाएगा कि वह निर्णय हो गया. एक तरह से यह सबकी जानकारी का बड़ा विषय है. घोषित अपराधियों की संपत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान लाया गया है. अन्तर्राज्यीय गिरोहों, संबंधित अपराधों के खिलाफ कठोर सजा का नया प्रावधान भी इस कानून में जोड़ा गया है. शादी, नौकरी, प्रमोशन और झूठी पहचान बनाकर के, झांसा देकर के यौन संबंधों के अपराधों को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है. सामूहिक बलात्कार के सभी मामलों की कैद 20 साल या आजीवन कारावास से जोड़ी गई है. 14 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ अपराध के मामले में मृत्यु दण्ड का फैसला किया गया है. यह बच्चों के साथ होने वाली गलत हरकतों के लिए कठोर कार्यवाही के नाते से जाना जाएगा. मॉब लीचिंग अर्थात् भीड़ के द्वारा की जाने वाली घटनाएं सबके ध्यान में आ रही हैं. भीड़ के आधार पर की गई ऐसी कार्यवाही के खिलाफ भी कठोर कार्यवाही करने के निर्णय किए गए हैं. इसमें सामान्य रूप से सात साल की सजा देने का प्रावधान किया गया है और आगे बढ़ें तो आजीवन कारावास. घटना के आधार पर मृत्यु दण्ड तक का मॉब लीजिंग में प्रावधान किया गया है. यह सरकार का बहुत बड़ा निर्णय है. इसी के साथ साथ महिलाओं से मोबाइल फोन या चेन छीनने पर अभी पंजीबद्ध अपराध का कोई प्रावधान नहीं था. इसको भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है कि कोई किसी की चेन या मोबाइल छीनकर ले जाता है तो यह अपराध की श्रेणी में होकर इसमें भी कठोर प्रावधान किए गए हैं.
अध्यक्ष महोदय, जैसी कि हम सबको जानकारी है नवीन संहिता में देश द्रोह के कानून की बात जोड़ी जाती है, यह राज द्रोह के आधार पर माना जाता है. राज से बगावत करे तो वह देश द्रोह की श्रेणी में आता है. इसको स्पष्ट परिभाषित करते हुए. देश द्रोह, देश के साथ द्रोह करने वाली स्थिति में ही लागू किया जाएगा. भारत का लोकतंत्र आमतौर पर अभिव्यक्ति की आजादी पर यह जो लगाते थे, आप सबके लिए नई जानकारी भी आएगी कि आप विचारों की अभिव्यक्ति किसी की नहीं रोक सकते हैं. यह जो संशोधन किया गया है इसको राज द्रोह या देश द्रोह की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा. स्थायी विकलांगता, ब्रेन डेड होने की स्थिति में 10 वर्ष या आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया गया है. आमतौर पर इसमें 2 से 5 साल की सजा होती थी. इसको भी बढ़ाकर डबल किया गया है. बच्चों के साथ करने वाले अपराध की सजा 7 साल से बढ़ाकर 10 साल की गई है. सजा के साथ साथ अपराध में जुर्माने की राशि भी भारी संख्या में बढ़ाई गई है. पहले आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थी. अब सशस्त्र विद्रोह, विध्वंशकारी गतिविधि, अलगाववाद भारत की एकता और सम्प्रुभता और अखण्डता को चुनौती देने वाले जैसे अपराधों को पहली बार कानून में परिभाषित करने का प्रयास किया गया है. अनुपस्थिति में मुकदमा चलाने के संबंध में ऐतिहासिक प्रावधान किए गए हैं. सत्र न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा भगोड़ा घोषित व्यक्ति पर उसकी अनुपस्थिति में भी मुकदमा चलाया जा सकेगा और सजा दी जा सकेगी. चाहे वह दुनिया में कहीं भी छिपा हो. भगोड़े को सजा दिलाना हमारे कानून का महत्वपूर्ण और बड़ा निर्णय है.
अध्यक्ष महोदय, इन कानूनों के माध्यम से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव किए गए हैं. कुछ धाराओं की जानकारी मैं देना चाहूंगा यह हम सबके लिए बड़ा अच्छा भी रहेगा. उदाहरण के लिए जैसा हमको ध्यान में आता था कि धारा 323, अब इसे बदलकर धारा 115 माना जाएगा. चोट लगने पर, खून निकलने पर धारा 324 लगती थी, अब इसे धारा 118(1) माना जाएगा. धारा 325 को धारा 117 माना जाएगा. कुछ दिनों तक अपनी टेबल पर यह चार्ट रखेंगे तो सबको ध्यान में आएगा. चोरी की धारा 379 अब यह 303/2 मानी जाएगी. धारा 411 यह 317 मानी जाएगी. इसी प्रकार से अलग-अलग धाराओं के चार्ट अपने सभी मित्र अपने पास रखेंगे. जैसे आमतौर पर हम सबको मालूम है कि धारा 420 सभी के मुंह पर रटी हुई है जिस पर पिक्चर भी बनी है अब यह बदलकर धारा 318 हो गई है. यह सभी की जानकारी में होना चाहिए क्योंकि हम सब जनप्रतिनिधि हैं. रात दिन प्रकरण पंजीबद्ध कराने में हम सबको इनकी जानकारी होना चाहिए. इससे व्यवस्था में सहयोग रहेगा. मेरा प्रयास था कि इन सारी बातों की जानकारी आपको होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया उसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
12.15 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड का लेखा परीक्षा प्रतिवेदन
वर्ष 2020-2021
(2) मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद, भोपाल की वार्षिक रिपोर्ट
वर्ष 2022-2023
(3) समग्र शिक्षा अभियान मध्यप्रदेश की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2022-2023
(4) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
(5) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अधिसूचनाएं :-
(क) क्रमांक 692/मप्रविनिआ/2024, दिनांक 14 मार्च, 2024,
(ख) क्रमांक 691/एमपीईआरसी/2024, दिनांक 14 मार्च, 2024,
(ग) क्रमांक मप्रविनिआ/2023/180, दिनांक 17 जनवरी, 2024,
(घ) क्रमांक एमपीईआरसी/2024/480, दिनांक 20 फरवरी, 2024,
(ङ) क्रमांक 233/मप्रविनिआ/2024, दिनांक 22 जनवरी, 2024,
(च) क्रमांक 1236/मप्रविनिआ/2024, दिनांक 24 मई, 2024,
(छ) क्रमांक 1239/मप्रविनिआ/2024, दिनांक 24 मई, 2024,
(ज) क्रमांक 1238/एमपीईआरसी/2024, दिनांक 24 मई, 2024,
(झ) क्रमांक मप्रविनिआ/2024/220, दिनांक 19 जनवरी, 2024, एवं
(ञ) क्रमांक 616/एमपीईआरसी/2024, दिनांक 05 मार्च, 2024
(6)मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम मर्यादित, भोपाल का 58 वां वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2019-2020
(7)जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला झाबुआ, उमरिया एवं रीवा का वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2022-2023
समय 12.20
नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय – आज की कार्यसूची में प्रस्तुत निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएं प्राप्त हुई हैं जो पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
1. सुश्री रामश्री राजपूत ( रामसिया भारती)
2. श्री विपिन जैन
3. डॉ हिरालाल अलावा
4. इंजी. प्रदीप लारिया
5. डॉ रामकिशोर दोगने
6. श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे
7. श्री दिनेश राय ‘’ मुनमुन’’
8. श्री प्रणय प्रभात पांडे
9. श्री मधु भगत
10. श्रीमती अर्चना चिटनीस
डॉ सीतासरन शर्मा ( होशंगाबाद)—अध्यक्ष महोदय पहले तो मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार मानता हूं कि उन्होंने नये कानून संहिता के बारे में सदन को जानकारी दी है. सदन के माध्यम से भारत सरकार का और माननीय प्रधानमंत्री जी का भी आभार प्रगट करता हूं. अध्यक्ष महोदय एक गंभीर विषय यह है कि कल लोक सभा में प्रतिपक्ष के नेता जी ने हिन्दू समाज को हिंसक और नफरत वाला बताया है....(व्यवधान)..( एक साथ विपक्ष के अनेक सदस्य जोर जोर से अपनी बात बोलने लगे).. अध्यक्ष महोदय यह बहुत गंभीर बात है....( व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष( श्री उमंग सिंघार )—अध्य़क्ष महोदय इसे विलोपित करा दें..(व्यवधान)..
डॉ सीतासरन शर्मा – अरे यह बात मुख्य समाचार पत्रों में है और न्यूज चैनल में भी है....(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम – माननीय अध्यक्ष महोदय यदि आप इजाजत दें तो वह वीडियो टेप हम यहां पर रखने के लिए तैयार हैं...(व्यवधान)...
डॉ सीतासरन शर्मा – कहां तक हम यह अपमान सहन करेंगे...(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम – अध्यक्ष जी इस तरह से नहीं कहा गया है...(व्यवधान)..भ्रामक जानकारी दे रहे हैं.
डॉ सीतासरन शर्मा – 99 सीट लाकर हिलने डुलने वाले आज सारे समाज को गाली दे रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम – अध्यक्ष महोदय यह भाजपा के लोग भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं.....(व्यवधान)... असत्य बात कर रहे हैं, देश में गुमराह पैदा कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय – कृपया आप सभी अपने अपने आसन पर बैठ जाएं....(व्यवधान).. जिन माननीय सदस्य को मैंने अनुमति दी है वह ही अपनी बात कहें....(व्यवधान).. कृपया सभी माननीय सदस्य अपने स्थान पर बैठें...(व्यवधान)..
डॉ सीतासरन शर्मा – यह लोग माफी मांगे पूरे सदन और प्रदेश से..(व्यवधान)..
समय 12.22
बहिर्गमन
इण्डियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) – डॉ सीतासरन शर्मा जी द्वारा लोक सभा की जिस बात का यहां पर उल्लेख किया गया है उससे हम असंतुष्ट होकर बहिर्गमन करते हैं...(अनेक माननीय सदस्य अपने आसन पर खड़े होकर जोर जोर से बोलते रहे)..व्यवधान..
(इण्डियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा डॉ सीतासरन शर्मा की बात से असंतुष्ट होकर नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व में सदन से बहिर्गमन किया गया)
अध्यक्ष महोदय – सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित.
( 12.23 बजे से सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित )
12.42 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
( माननीय अध्यक्ष महोदय) (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर)(पीठासीन हुए)
12.44 बजे ध्यानाकर्षण
(1) इंदौर-बुधनी रेल लाईन हेतु अधिग्रहित भूमि का कम मुआवजा दिया जाना.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगांव):- माननीय अध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री (श्री करण सिंह वर्मा)- अध्यक्ष महोदय, बुधनी से इंदौर रेल लाइन परियोजना के लिये देवास जिले के 56 ग्रामों में 707 हेक्टेयर भूमि पर भूअर्जन की कार्यवाही की जा रही है. 54 ग्रामों में अवार्ड पारित कर दिया गया है और 2 ग्रामों में अभी अवार्ड की कार्यवाही प्रचलित है. 54 ग्रामों में अवार्ड की राशि 174 करोड़ रुपये है. भूअर्जन की कार्यवाही भूअर्जन पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिनियम 2013 की धारा 23 के अंतर्गत निर्धारित मापदण्ड के अनुसार ही किया जा रहा है और बाजार मूल्य के अनुसार ही मुआवजा दिया जा रहा है. विगत् 10 वर्षों में कोविड अवधि वर्ष 2019-20 से वर्ष 2021-22 के बीच की अवधि को छोड़कर हर वर्ष बाजार मूल्य में वृद्धि के अनुसार कलेक्टर गाइड लाइन की दर में भी वृद्धि की गई है. खेत पर स्थित समस्त परिसम्पत्तियों यथा कुआं,फलदार वृक्ष, ट्यूबवेल का उचित मूल्यांकन तकनीकी विभागों के अधिकारी/कर्मचारियों की टीम द्वारा किया गया है. तद्नुसार मुआवजा भी दिया जा रहा है. स्वीकृत सम्पूर्ण मुआवजे पर 100 प्रतिशत सोलेशियम की राशि भी दी जा रही है. अधिग्रहण की तारीख से मुआवजा वितरण की तिथि तक 12 प्रतिशत ब्याज भी दिया जा रहा है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि विकास परियोजनाएं समाज और देश के लिये आवश्यक होती हैं. इस रेल परियोजना से इन्दौर से जबलपुर की जो दूरी है, वह लगभग 70 किलोमीटर कम होने की संभावना है. लेकिन विकास किसानों की, जिसे हम कहेंगे नुकसान की कीमत पर नहीं होना चाहिये. इस परियोजना में बुधनी से लेकर इन्दौर तक के हजारों किसान प्रभावित हो रहे हैं. कई किसान ऐसे हैं, जिनके पास एक दो एकड़ भूमि है और उनकी शतप्रतिशत भूमि इस परियोजना में अधिग्रहित की जा रही है. कुछ किसानों की लगभग 75 प्रतिशत भूमि अधिग्रहित की जा रही है, जिसमें मात्र इतनी भूमि शेष बचेगी जिस पर वह खेती भी नहीं कर पायेगा. जिन किसानों का पट्टा मिला हुआ है सरकार से, उनको मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. हमारी सबसे बड़ी मांग यह है कि वर्तमान दौर में किसान के लिये भूमि बेचकर भूमि वापस से खरीदना संभव नहीं है, क्योंकि बाजार की दरें बहुत अधिक हैं. यह भी सही है कि कोविड के दौरान गाइड लाइन को और 20 प्रतिशत कम कर दिया गया, जिसके कारण किसानों को जो मुआवजा मिलना चाहिये, वह नहीं मिल पा रहा है. मैं मंत्री जी से यह मांग करता हूं कि भारत के महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात जैसे राज्यों में ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि के लिये गुणांक-2 किसान भाइयों को दिया जा रहा है और उसमें 100 प्रतिशत सोलेशियम फंड मिलने के कारण यह राशि लगभग चार गुना हो जाती है, चूंकि कृषि की भूमि प्रति दिन कम होती जारी है. कृषि का रकबा भी कम हो रहा है और इसलिये किसान चाहता है कि वह अगर खेती की यह अपनी जमीन छोड़ रहा है,तो उसे दूसरी जगह खेती के लिये जमीन खरीद पाये, लेकिन जो आप मुआवजा दे रहे हैं, उसमें उतननी भूमि खरीद पाना उसके लिये संभव नहीं है. मेरी इस ध्यानाकर्षण के माध्यम से किसानों की तरफ से यह भी मांग है कि मुआवजा देने के उपरांत किसान उस पैसे से जहां पर भूमि खरीदेगा, उसकी रजिस्ट्री भी निशुल्क की जाये, ऐसा प्रावधान इसमें किया जाये. मैं राज्स्व विभाग से, मध्यप्रदेश सरकार से यह मांग करता हूं कि मध्यप्रदेश के किसानों को भी गुणांक-2 नेशनल हाइवे और रेल परियोजनाओं में प्रदान किया जाये, ताकि उन्हें उचित क्षतिपूर्ति हो सके.
श्री करण सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैंने ध्यानाकर्षण के उत्तर में बताया है, यह तो जो आप मांग कर रहे हैं गुणांक-2 की, यह तो सभी प्रदेशों को अपने अपने अधिकार हैं. हिन्दुस्तान में कोई गुणांक-2 के हिसाब से देता है, कोई गुणांक-1 के हिसाब से देते है और हम समय समय पर कलेक्टर और रजिस्ट्रार को निर्देश देते हैं कि नये वर्ष की गाइड लाइन करें. जो गाइड लाइन के हिसाब सभी किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है. अगर उसमें कुआं है या कोई ट्यूबवेल है या उसमें मकान बना हुआ है उनका भी हम उसी दर से मुआवजा देंगे और किसान को कोई परेशानी नहीं होगी. आशीष जी, यह रेल लाइन आपने ही तो स्वीकृत करवाई है. बहुत अच्छा काम किया है आपने.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- मंत्री जी, मैं पहले ही कह चुका हूं कि रेल परियोजना का विरोध नहीं है. लेकिन जो भूमि जा रही है, कई इतने छोटे किसान हैं कि उनके पास भूमि का छोटा सा टुकड़ा ही मात्र बच पा रहा है. कई जगह पर किसान डेम से पाइप लाइन डालकर अपने खेत तक ले गये हैं, उस पाइप लाइन का मूल्यांकन नहीं किया गया है. इसलिये मैं चाहता हूं कि आप इस बात का आश्वासन दें कि एक टीम बनाकर पुन: सर्वे कराया जायेगा. जो सेटेलाईट, और ड्रोन सर्वे के आधार पर मुआवजा वितरण किया जा रहा है उसकी बजाए भूमि पर राजस्व विभाग की टीमें लगाकर पुन: मूल्यांकन परिसंपत्तियों के छूटने का कराया जाये.
श्री दिनेश जैन'बोस':- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी बोलना चाहता हूं क्योंकि किसानों का...
अध्यक्ष महोदय:- अभी एक मिनट आप रूको. मंत्री जी जवाब दे रहे हैं. मैं आपको बोलने का समय दूंगा.
श्री करण सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने पूछा है तो मैंने प्रश्न के उत्तर में बताया कि कुएं का, ट्यूबवेल, पाईप लाइन का और फलदार पेड़ का सभी टीम भेजेंगे. यदि आपको दिक्कत हो तो मुझे बता दें.मैं उसकी पुन: जांच करवा लूंगा.
श्री आशीष गोविंद शर्मा:- मंत्री जी आप बिल्कुल जो प्रभावित किसान हैं उन सब का पुन: सर्वे राजस्व विभाग के माध्यम से करवाइये. ताकि उनकी जो संपत्ति छूटी है उसे वापस उसमें जोड़ा जा सके.
श्री करण सिंह वर्मा:- आपके साथ सारे अधिकारियों को भेजकर जांच करा लेंगे.
श्री आशीष गोविंद शर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी जो मुख्य मांग है किसानों की तरफ से, वह है गुणांक-देने के लिये. किसानों के मांगने में मैं, मानता हूं कि किसान एकमत रहता है, क्योंकि किसान को सब देना चाहते हैं और हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किसानों के लिये भूमि अधिग्रहण कानून को पहले से और मजबूत बनाया है. लेकिन इस परियोजना में जो किसान विस्थापित हो रहे हैं, विस्थापन का दर्द बहुत बूरा होता है. इसीलिये मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से मांग करना चाहता हूं और मध्यप्रदेश सरकार से भी मांग करना चाहता हूं कि उन्हें गुणांक -2 यदि मिल सकेगा तो उनके विस्थापन पर मरहम लग पायेगा.
अध्यक्ष महोदय:- आशीष जी, आपकी बात आ गयी है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा:- धन्यवाद, माननीय अध्यक्ष जी.
श्री दिनेश जैन 'बोस':- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मंत्री जी बोल रहे थे कि ट्यूबवेल को, कुएं को लिया जाता है, लेकिन मेरा मुख्य बात यह है कि जो डायवर्शन करी हुई लैंड है, जो रोड से जाती हुई है. हमारे यहां रेलवे ट्रैक पर पुल बन रहा था तो मैंने कहा था कि मेरी जमीन डायवर्टेट तो अधिकारियों ने बोला कि आप डायवर्शन कराके ला दो तो आपको पांच गुना मुआवजा मिल जायेगा. तो मैं ऐसे हजारों, लाखों किसानों को नुकसान हो रहा है तो जो डायवर्शन करी हुई जमीन है या उनका डायवर्शन करा लिया जाये जो रोड के किनारे है और महंगी जमीने हैं. जब मुझे पांच गुना मुआवजा मिला है तो उनको भी मिले. इसके ऊपर भी ध्यान दिया जाये और जो किसानों की मैन जमीन जा रही है, यह बहुत बड़ा विषय है. इसमें लाखों, करोड़ों रूपये का किसानों का नुकसान हो रहा है. डायवर्शन करी हुई लैंड पर ज्यादा मुआवजा मिले और जिन किसानों का डायवर्शन नहीं है, उनकी जमीन का डायवर्शन कराया जाये और उसके बाद उनको मुआवजा दिया जाये.
श्री करण सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर डायवर्शन दो साल पुराना है तो उसका हम मुआवजा देते हैं और तत्काल यदि डायवर्शन कराया है तो उसका मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है.
श्री दिनेश जैन 'बोस':- किसान को पता भी नहीं रहता है, वह डायवर्शन कब करायेगा.
श्री करण सिंह वर्मा:- यह एक प्रावधान है.
श्री दिनेश जैन 'बोस':- नहीं, प्रावधान कि बात नहीं है. किसानों के नुकसान की बात कर रहा हूं. किसान को पता ही नहीं है, उसको मुआवजा मिल जाता है और वह चला जाता है. वह डायवर्शन करा ही नहीं पाता है.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय सदस्य ऐसा नहीं होता की भूमि अधिग्रहण हो रहा है और मैं जाकर फटाफट डायवर्शन करा लूं. डायवर्टेट लैंड जो होती है उसका डायवर्टेट लैंड के हिसाब से मुआवजा मिलता है. ऐसा नहीं है कि आज आपने डायवर्शन करा लिया और मिल गया.
श्री दिनेश जैन 'बोस':- मैं आपको अपना उदाहरण बता रहा हूं कि मेरी जमीन जा रही थी, मेरे को अधिकारी ने बोला कि यदि आप इसका डायवर्शन करा लोगे तो आपको पांच गुना मुआवजा मिल जायेगा और मैंने कराया और मिला भी सही है.
अध्यक्ष महोदय:भगवान दास जी बगल में बैठकर बात करो यदि करना हो तो.( खड़े होकर माननीय मंत्री जी से बात करने पर)
अध्यक्ष महोदय:- माननीय सदस्यों के अनुरोध एवं कल दोनों पक्षों की बात सदन में सुनने के बाद मेरे द्वारा सदन में की गई घोषणा के परिप्रक्ष्य में यह ये दूसरा ध्यानाकर्षण लिया गया है.
यह ध्यानाकर्षण लेने के पूर्व मैं यह उल्लेख करना चाहता हूं- कि विधान सभा प्रक्रिया नियम 138(2) में स्पष्ट प्रावधान है कि ध्यानाकर्षण सूचना पर शासन के मंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य पर कोई वाद-विवाद नहीं होगा, किंतु प्रस्तुतकर्ता सदस्य, अध्यक्ष की अनुमति से एक-एक प्रश्न पूछ सकेंगे इसकी सूचना देने वाले सदस्यों की संख्या काफी अधिक है तथा प्रकरण न्यायालय प्रक्रिया के अधीन है.
अत: माननीय सदस्य इसको दृष्टिगत रखते हुए सटीक प्रश्न पूछकर समय-सीमा में ध्यान आकर्षण पर कार्यवाही पूर्ण करने में सहयोग प्रदान करेंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात विशेष रूप से कहना चाहता हूं कि श्री कैलाश विजयवर्गीय जी ने एक बात कही थी और अभी भी आपने कहा. उन्होंने पाइंट ऑफ आर्डर उठाया था तो यह नियम को आधा पढ़ते हैं, पूरा नहीं पढ़ते हैं. जो इनके काम की बात होती है माननीय संसदीय मंत्री जी, वह पूरी बात सदन को बता देते हैं तो मैं यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन संबंधी नियम-134 में यह स्पष्ट लिखा है - "साधारणतया ऐसे प्रस्ताव को प्रस्तुत करने की अनुज्ञा नहीं दी जायेगी जो किसी ऐसे विषय पर चर्चा उठाने के लिए हो जो किसी न्यायिक या अर्द्धन्यायिक कृत्य करने वाली किसी सांविधिक न्यायाधिकरण या सांविधिक प्राधिकारी या किसी विषय की जांच या अनुसंधान करने के लिये नियुक्त किसी आयोग या जांच न्यायालय के सामने लंबित हो:" - पहले तो इसी बिन्दु के अंदर साधारणतया लिखा है. कोई इसके अंदर अनिवार्य रूप से नहीं लिखा है. दूसरा पैरा जो माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने पढ़ा नहीं है, मैं वह पूरे सदन को बताना चाहता हूं - "परन्तु अध्यक्ष अपने स्वविवेक से ऐसे विषय को सभा में उठाने की अनुमति दे सकेगा जो जांच की प्रक्रिया या विषय प्रक्रम से संबंधित हो, यदि अध्यक्ष का समाधान हो जाय कि जिससे सांविधिक न्यायाधिकरण, सांविधिक प्राधिकारी या आयोग या जांच न्यायालय द्वारा उस विषय के विचार किये जाने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है." धन्यवाद.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, मैंने सदन की नियम और प्रक्रिया के अनुसार ही कहा, वैसे तो यह सदन जानता है कि सभी अधिकार अध्यक्ष में निहित हैं. परन्तु यह नियम जो बनाए हैं वह भी माननीय अध्यक्ष ने ही बनाए हैं, इसलिए मेरा दायित्व है अध्यक्ष महोदय कि जो नियम बने हैं उसके अनुसार सदन चले. जब भी नियम के बाहर चले तो मेरा दायित्व है कि मैं अवगत कराऊं और इसलिए आपके पास आपका अधिकार है, आपके विवेक से आप निर्णय कर सकते हैं. यह निर्णय ही नहीं, बाकी निर्णय भी कर सकते हैं. अध्यक्ष महोदय के पास सर्वाधिकार सुरक्षित हैं.
श्री उमंग सिंघार - मेरा कहना था कि पैरा आधा पढ़ा, पूरा पढ़ते तो क्लियर हो जाता, यह मेरा आशय था.
अध्यक्ष महोदय - मैं नेता प्रतिपक्ष और संसदीय कार्यमंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि अब विषय आगे बढ़ गया है. श्री हेमन्त कटारे जी अपना ध्यान आकर्षण पढ़ने वाले हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, उनको 24 घंटे बाद याद आई. कल मैंने बताया था और मैंने ही इनको अंदर बताया.
अध्यक्ष महोदय - जो आप सब लोगों ने कहा, नियम और प्रक्रिया की इसी भावना के अंतर्गत यह निर्णय किया गया है.
श्री उमंग सिंघार - वह भी मालूम था, लेकिन आप चर्चा कराने के लिए तैयार हो, इसलिए हम चुप बैठे थे. आप चर्चा करा रहे हैं आपको धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, चर्चा के दौरान मैंने यह मुद्दा उठाया था. श्री कैलाश जी अर्द्धनारीश्वर के उपासक हैं तो अर्ध बातें ही समझते हैं, अर्ध बातें ही पढ़ते हैं, अर्ध काम भी यही करते हैं.
श्री उमाकांत शर्मा - अर्द्धनारीश्वर के रूप में भगवान शिव का अपमान नहीं सहेंगे.
अध्यक्ष महोदय - उमाकांत जी, कृपया बैठें.
1.00 बजे ध्यान आकर्षण
(2) मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल द्वारा नर्सिंग कॉलेजों को नियम विरूद्ध मान्यता दिया जाना.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे (अटेर), सर्वश्री जयवर्द्धन सिंह, लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय, अधिकारियों द्वारा मात्र दिखावे के लिए औपचारिक कार्यवाही की गई, जिससे दोषी व्यक्ति बाद में इसका लाभ उठा सके. इसीलिए उनके विरूद्ध एफआईआर तक नहीं करवाई गई है. साथ ही एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्तियां भी नहीं दी गई है.
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे(अटेर)—माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे इस गंभीर विषय पर बोलने का अवसर दिया इसके लिये आपको धन्यवाद. लाखों नर्सिंग के छात्र इस विषय से प्रभावित हैं. उनके भविष्य की सुनियोजित तरीके से हत्या की जा रही है. जब यह सारे बच्चे अपने न्याय की गुहार लगा रहे थे. जब आकर के अपने भविष्य की चिन्ता कर रहे थे, रो रहे थे. अपनी समस्याओं को रख रहे थे, सरकार के सामने, विपक्ष के सामने ऐसे मौकों पर संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय)—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है. बिना आपकी अनुमति के इस प्रकार प्रदर्शन करना किसी प्रकार के पत्र का इस सदन में कभी भी अनुमति नहीं दी जा सकती मेरा आपसे निवेदन है कि माननीय सदस्य को आप निर्देश दें कि इस प्रकार से पत्र को आप प्रदर्शित नहीं कर सकते.
अध्यक्ष महोदय—हेमंत जी, यह सही है कि बिना अनुमति के यह नहीं दिखाना चाहिये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—माननीय अध्यक्ष महोदय, आप लाईव करवा दो. पूरे प्रदेश की जनता हमेशा देखेगी. देश की जनता भी देखेगी. आप लाईव टेलीकास्ट क्यों नहीं करवा रहे हैं. आप लाईव करवा दें.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—अध्यक्ष महोदय, इसको क्या छुपाना है, जनता के ही तो विषय उठ रहे हैं. उन्हीं ने हमको चुनकर के भेजा है. इसको लाईव करवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय—सवाल यह है कि जो कागज आपने दिखाया, वह उचित नहीं है.
श्री उमंग सिंघार—अध्यक्ष महोदय, छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में लाईव हो रहा है, यहां पर नहीं हो रहा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना सा निवेदन करना चाहता हूं कि आपने बहुत बड़े हृदय से इसकी चर्चा ध्यानाकर्षण के माध्यम से ली है. वैसे ही यह प्रकरण सब ज्यूडिश है. इस पर
सीबीआई की जांच चल रही है, उसके बाद भी सदन ने आपके आदेश को शिरोधार्य किया. आपने ही आदेश दिया अभी कि भाषण नहीं होगा. आप अनुमति प्रश्न पूछने की दें, ये तो भाषण दे रहे हैं. इसलिए मेरा निवेदन यह है कि जो पर्चा अभी माननीय सदस्य ने दिखाया वह तो सदन की कार्यवाही में नहीं आना चाहिए और आगे भी माननीय सदस्यों को निर्देशित करने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, नियम प्रक्रिया का पालन करते हुए अपनी बात रखें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष जी, जो तस्वीर मैंने दिखाई थी, उस तस्वीर का चित्रण तो कह सकता हूं अपने शब्दों में, तस्वीर नहीं दिखाता. थोड़ा सा कह लेने दें.
अध्यक्ष महोदय - तस्वीर काहे की है. उसको छोड़ो.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - ठीक है तो इसमें मैं यह मांग करता हूं कि जो कार्यवाही सरकार बाईक स्टंट करने वालों के ऊपर करती है वीआईपी रोड पर बाइक चलाने के लिए (XXX) मुझे लगेगा कि सरकार जागरुक है. मैं विषय पर आ रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - ये जो आप दिखा रहे, जो विषय आप कह रहे यह विषय वस्तु से संबंधित नहीं है, विषय वस्तु के अंतर्गत रहो, जो आपने ध्यानाकर्षण दिया है, उसके अंतर्गत रहो.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष जी, ये रिकार्ड में भी नहीं आना चाहिए, मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, वह रिकार्ड में नहीं आएगा.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - इसमें गलत क्या है, रिकार्ड से हटाने के लिए ऐसा किस नियम से हटा रहे, नियम भी बता दें, क्यों नहीं आना चाहिए, नियम में है तो हटा दीजिए. नर्सिंग के ही व्यक्ति की बात हो रही है. (....व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - चलो आप आगे बढ़ो.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष जी, जब भारत विश्व कप जीता पूरा देश नाचा है, उसमें कोई बुरी बात नहीं है, उसमें क्या है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - रोहित शर्मा को उतनी खुशी नहीं हुई, जो कप्तान है, जितनी खुशी माननीय को हुई.
डॉ. सीतासरन शर्मा - भारत के जीतने से तकलीफ हैं इन्हें और कोई बात नहीं है (....व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग भी बैठ जाओ, कृपा करके बैठ जाओ. हेमंत जी हमें विषयांतर नहीं करना है, आप विषय के अंदर रहो.
श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय मेरा पाइंट ऑफ आर्डर है.
अध्यक्ष महोदय - भूपेन्द्र जी का क्या पाइंट ऑफ आर्डर है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट ऑफ आर्डर ये है कि ये नियम प्रक्रिया है. अगर सदन में किसी के ऊपर भी हम आरोप लगाते हैं तो ये नियम प्रक्रिया है कि हम वह दस्तावेज पटल पर रखते हैं और अध्यक्ष की अनुमति के बाद ही हम उन दस्तावेजों के बारे में अपनी बात सदन में कह सकते हैं. माननीय सदस्य जो बात कह रहे हैं, उस संबंध में उन्होंने कोई भी दस्तावेज पटल पर नहीं रखे हैं, इसलिए मेरा आग्रह है माननीय सदस्य से और सदन से भी अगर आपके पास कोई दस्तावेज है तो आप सदन के पटल पर रखें. अध्यक्ष महोदय की अनुमति लें, उसके बाद आरोप लगाएं, जिससे कि उन दस्तावेज के आधार पर जिस सदस्य पर आरोप लगे हैं, वह अपना जवाब दे सके. ऐसे खड़े होकर हम कोई भी पर्चा लहरा दें तो ये कोई सदन की अच्छी परम्परा है क्या माननीय अध्यक्ष महोदय? इसलिए इस गरिमा को हम सब बनाकर रखें मेरा यह आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय - हेमंत जी और बाकी सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि महत्वपूर्ण विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं. आप सभी लोगों का आग्रह था कि इस पर चर्चा कराई जाए, इसलिए नियम प्रक्रिया का पालन करते हुए हम अपनी अपनी बात रखें, जिससे समय सीमा पर ध्यानाकर्षण भी पूरा हो और जो बात हम रखना चाहते हैं उसके निराकरण के दिशा में भी हम कुछ बढ़ सके.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष जी, जब किसी भी व्यक्ति पर पर संकट आता है जीवन मौत से जूझ रहा होता है, ऐसे वक्त पर उसको डाक्टर और नर्सों की आवश्यकता पड़ती है या तो खुद वह बीमार हो, या उसके परिजन या चहेते बीमार हो तो ऐसे वक्त पर डाक्टर की आवश्यकता पड़ती है. डाक्टर का काम बहुत सीमित होता है 5 मिनट या दो मिनट देखना दवाई लिखना या निर्देश देकर आगे बढ़ जाना. लेकिन जो नर्स होती है उसकी ड्यूटी अगले पूरे 24 घंटे की देख रेख की होती है, वह इन नर्स के ही हाथों में होती है, तो इनका कार्य अति महत्वपूर्ण है किसी भी मरीज के प्रति, या इस विषय में इस बात को कहने की जरुरत है. क्योंकि अब कोई भी मरीज गया इलाज करवाने या हम में से कोई कभी बीमार हो गया, इलाज करवाने गया और वैसे वह ठीक है. लेकिन इलाज के दौरान उसको पता लगता है कि जो डॉक्टर उसका इलाज कर रहा है, वह इत्तेफाक से (XXX).
संसदीय कार्यमंत्री( श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है, विषय क्या है और नेताजी भाषण क्या दे रहे हैं? अध्यक्ष महोदय, इस विधानसभा का समय क्या इस प्रकार बर्बाद करेंगे?यहां पर कहां से व्यापमं आ गया है.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- यह इधर-उधर घूम रहे हैं, इनके पास कुछ भी जानकारी नहीं है न ही कोई विषय इनके पास है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न पूछें कि प्रश्न क्या है ? इनका तो भाषण हो रहा है और बिल्कुल विषय के बाहर भाषण हो रहा है, विषय के अंदर भाषण हो, तब भी हम झेल लेंगे.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, मैं विषय के सीधे बिल्कुल अंदर ही आ जाता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- आपने इससे यह स्वीकार कर लिया है कि अभी तक आप विषय के बाहर थे.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- हां, अध्यक्ष महोदय, विषय की भूमिका भी तो बनायी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप विषय पर आ जायें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, अब मैं सीधे विषय के अंदर आ जाता हूं. यह जो नर्सिंग घोटाला है, इस पूरे नर्सिंग घोटाले की जनक भारतीय जनता पार्टी है और किस प्रकार से है, अब वह मैं आपको बताता हूं. इंडियन नर्सिंग कांउसिंल के मापदंडों के अनुसार सारे कॉलेज संचालित होते थे, उनको संबंद्धता दी जाती थी, नियम लेट डाउन थे. वर्ष 2018 अक्टूबर में एक संशोधन लाया गया या नियम परिवर्तित किये गये, गजट नोटिफिकेशन के द्वारा और दिनांक-16/10/2018 को नियमों में परिवर्तन किया गया, नियमों में परिवर्तन करने का अधिकार होता है, लेकिन नियमों में परिवर्तन करना सुधार के लिये होता है न कि शिक्षा माफिया को छूट देने के लिये होता है. अब जब यह परिवर्तन हुआ इसके पहले नियम थे, हॉस्टल और बिल्डिंग प्रीमाइसिस को मिलाकर 44 हजार स्क्वायर फिट की जगह चाहिए होती थी. अब नियम परिवर्तित करके क्या सुधार किया? देखिये आप उसको ठीक 19 हजार लाकर कर दिया है, मतलब अब शिक्षा माफिया खुलेआम जाये और अपना भ्रष्टाचार व्यापक रूप से फैला सकता है, यह मैं 60 सीटों की बात कर रहा हूं. इसके बाद एक और परिवर्तन हुआ अभी दिनांक- 21/02/2024 को अगेन उसका गजट नोटिफिकेशन आया. अब यह जो आंकड़ा में बता रहा हूं इसको 19 हजार से कम करके 9 हजार 150 लगभग कर दिया है. मैं तो बोलता हूं एक छोटी सी परचूनी की दुकान में ही कर दें, इतनी भी फार्मेलिटी की जरूरत क्या है? एक छोटी सी दुकान से भी कॉलेज चल सकता है और पूर्व डी.एम. चला भी रहे थे. अभी तक के इतिहास में, मैं तो माननीय मंत्री श्री विश्वास भईया से आग्रह करूंगा कि वह अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज करवाने के लिये प्रयास करें तो हो सकता है, चूंकि एक वर्ष में 219 नये कॉलेज खोले हैं और उस समय मंत्री आदरणीय विश्वास सारंग जी थे और मकसद क्या था, अच्छा आप देखिये उसके पहले तक मेरी जानकारी के अनुसार 448 थे, जो डॉक्यूमेंट मेरे पास है, मैं वर्तमान माननीय मंत्री जी को दे दूंगा, आपने अपने भाषण में 453 बोला है.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इंदर सिंह सिंह परमार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न करें, यह तो सीधा-सीधा भाषण हो गया, यदि भाषण ही किसी को करना है तो मैं विषय को परिवर्तन करके भाषण शुरू करता हूं, ऐसा थोड़े ही चलेगा, हम भाषण शुरू करते हैं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- मैंने अध्यक्ष महोदय से अनुमति ले रखी है.
श्री इंदर सिंह सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है, केवल प्रश्न करना चाहिए, इस पर भाषण नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप आगे बढ़ें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, यह जो विश्व रिकार्ड बनाया है 219 कॉलेज एक वर्ष में खोलने का, अच्छा पहले तक यह था कि भ्रष्टाचार जो हमें पढ़ने को मिलता था, वह ऐसा होता था कि कॉलेज से फर्जी तरीके से पूरी मान्यता देने के लिये मोटा पैसा वसूला जाता था, ऐसा अखबारों में खबरें आती थीं, अब उसको इन लोगों ने अच्छा एक नया रूप दिया है, प्रति सीट कलेक्शन शुरू कर दिया है और हजारों करोड़ों रूपयों का इसमें घपला किया गया, वह भी हो कब रहा था जब कोविड काल चल रहा था. अब बिस्तरों के आंकड़ें तो इतने सारे थे लेकिन जब वास्तविकता में मरीज पहुंचे तो, बिस्तर थे ही नहीं. बिस्तर छोडि़ये बिल्डिंग नहीं थी, जमीन नहीं थी, वहां पर कुछ भी नहीं निकला कोविड काल में यह सब चल रहा था.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इनका प्रश्न क्या है ?इतनी देर में इनका प्रश्न क्या है ? हम कब तक इनको झेलेंगे?(हंसी)
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अभी 15-20 मिनट और झेलेंगे पंडित जी. (हंसी) डॉ.सीतासरन शर्मा -- (संसदीय कार्यमंत्री, श्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा अपने आसन से कहने पर) माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी कह रहे हैं, हम झेल लेंगे, साहब यह एक मिनट भी नहीं झिला रहे हैं. यह तो कोई बात नहीं हुई. यह प्रश्न करें अध्यक्ष महोदय, फिर दूसरे सदस्यों को भी पूछना है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, झेलना शब्द बड़ा संसदीय है, बहुत संसदीय शब्द है? इससे यह दिख रहा है कि सरकार बहुत घबराई हुई है, झेलना शब्द आपसे उम्मीद नहीं थी. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, यह झेलना शब्द विलोपित करायें, मैं अपनी बात को आगे बढ़ा रहा हूं. इसके पहले जो रजिस्ट्रार थीं, जिनको रजिस्ट्रार बनाया गया और किसके कार्यकाल में बनाया गया, माननीय के कार्यकाल में बनाया गया, उस समय सुनीता सीजू यह स्टॉफ नर्स है, इनकी रजिस्ट्रार बनने की पात्रता नहीं है, इनका अनुभव भी नहीं है. लेकिन इनको सारे नियमों को दरकिनार करते हुए रजिस्ट्रार बनाया गया, इनकी योग्यता क्या थी? वह मैं आपको बता देता हूं, इनकी योग्यता थी कि इनके विरूद्ध ईओडब्ल्यू में शिकायतें जांच के लिये लंबित थीं और शिकायतें किस चीज के लिये थीं, देश में हल्ला मचा वह है पेपर लीक को लेकर के, यह इनकी योग्यता थी इसलिये इनको बनाया. अभी भी मन नहीं भर रहा था अब और उसको व्यापक रूप से भ्रष्टाचार करने के लिये छूट दी जायेगी. एक और उदाहरण पर मैं आ रहा हूं. योगेश शर्मा, इनको बाद में प्रशासक बना दिया गया क्योंकि प्रशासक का माननीय उपमुख्यमंत्री जी ने उल्लेख भी किया है तो यह योगेश शर्मा जी की कुण्डली भी मैं आपको बता देता हूं. इनकी पहले जबलपुर मेडीकल कॉलेज में नियुक्ति होती है जिस अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर होती है...
श्री उमाकांत शर्मा-- (वगैर माइक के कुछ कहने पर)
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- बैठ जाओ पंडित जी, मैं आपको नहीं बता रहा, अध्यक्ष जी से बात कर रहा हूं. योगेश शर्मा जी की वहां नियुक्ति होती है, जो नियुक्ति पत्र है पहले तो नियुक्ति का आधार इन्होंने जो अनुभव प्रमाण पत्र दिया पीपुल्स डेंटल कॉलेज का, थाने में अभी भी जांच लंबित है और पीपुल्स डेंटल कॉलेज के अधिकृत व्यक्ति ने लिखकर दिया है कि इन्होंने हमारे यहां से कोई अनुभव नहीं लिया है, कहेंगे तो उपलब्ध भी करवा दूंगा. नियुक्ति पर भी प्रश्नचिन्ह है और नियुक्ति पत्र के जो बिंदु हैं कि किन-किन शर्तों पर नियुक्ति दी गई है उसका बिंदु नंबर 3 स्पष्ट रूप से यह कहता है....
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय हमारे धैर्य की परीक्षा ली जा रही है क्या. ... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- अभी वह बात पूरी कर रहे हैं.
श्री जगदीश देवड़ा-- अध्यक्ष महोदय प्रश्न तो करें कि क्या प्रश्न कर रहे हैं. ... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- हेमन्त जी संक्षिप्त करिये.
श्री उदय प्रताप सिंह-- चाह क्या रहे हो. ... (व्यवधान)....
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल तो सरकार इस पर चर्चा कराने के लिये बात कर रही थी, अब कोई बात आ रही है तो उसे सुने तो सही, इतना तो धैर्य रखें माननीयजन, घबरा क्यों रहे हो.
श्री इंदर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण पर प्रश्न पूछने का है आपने विषय रख दिया प्रश्न पूछो न, या तो पहले ट्रेनिंग करो ध्यानाकर्षण कैसे होता है.
अध्यक्ष महोदय-- राजेन्द्र कुमार सिंह जी कुछ कह रहे हैं. ... (व्यवधान)....
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे जो चर्चा हुई, सहमति बनी, हम तो स्थगन लाये थे, उस पर कराते, कराओ.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं नेता प्रतिपक्ष जी की बात को आगे बढ़ाना चाहता हूं. माननीय सीतासरन जी को, इंदर सिंह जी को अंदर क्या बात हुई आपके कक्ष में इनको नहीं मालूम पर कैलाश जी को तो मालूम है. बात यह हुई थी कि ध्यानाकर्षण के माध्यम से पूरी चर्चा होगी, चूंकि आप नहीं लेना चाहते थे, यह भी तैयार नहीं थे स्थगन प्रस्ताव लेने के लिये बात हुई थी, आप तो जानते हैं कैलाश जी फिर आप क्यों अमानत में खयानत कर रहे हैं भाई, अब झेलिये.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधान सभा क्या अंदर की बात से चलेगी. ... (व्यवधान)....
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय यदि नियम के अनुसार ....
श्री भंवर सिंह शेखावत-- अध्यक्ष महोदय आदरणीय कैलाश जी को आदत है यह बहुत देर तक झेल सकते हैं ...(हंसी)... आज भी चलने दो यार.
अध्यक्ष महोदय-- कुलमिलाकर सामान्य तौर पर कक्ष की जो चर्चा रहती है उसका सदन में उल्लेख नहीं करना चाहिये. हेमन्त जी जल्दी समाप्त कीजिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अंदर की बात यह भी करते थे साहब, पर बाहर बताते नहीं थे.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष महोदय, आपने मुझसे कहा था कि मैं शुरूआत कर रहा हूं तो मैं सारे विषय को विस्तृत रूप से रख सकता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- उसकी भी सीमा है न.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष जी, महत्वपूर्ण विषय है, मध्यप्रदेश के छात्रों से जुड़ा हुआ विषय है और मैं तथ्यात्मक बात रख रहा हूं, अब भूमिका बनाना बंद कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- भूमिका मत बनाओ तथ्यात्मक रखो.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष जी, मैं योगेश शर्मा का बता रहा था, इनका जो नियुक्ति पत्र है अब आप कह रहे हैं कि दिखा नहीं सकते तो मैं मौखिक ही बता देता हूं नहीं तो फिर वही बात आ जायेगी कि समय से, फिर हम लोग विषय से भटक जायेंगे, इसको पटल पर रख दूंगा. इसके बिंदु 3 में लिखा हुआ है कि जब से इनकी स्वशासी महाविद्यालय में नियुक्ति हुई है तब से लेकर 3 वर्ष तक यह अपनी मूल सेवायें यहीं पर देंगे, यह नियम की शर्त है, इस शर्त का उल्लंघन होता है तो इनकी नियुक्ति निरस्त होना चाहिये, कायदा यह है, लेकिन 3 वर्ष के अंदर ही माननीय के दवाब में इनका भोपाल ट्रांसफर कर दिया जाता है, जबकि ऐसा करने पर इनकी नियुक्ति समाप्त होनी चाहिये, कैसे किया जाता है वह मैं आपको बता देता हूं अध्यक्ष जी. यह एक पत्र माननीय विश्वास सारंग जी ने डीन गांधी मेडीकल कॉलेज को लिखा है और यह पत्र दिनांक 9.8.2021 का है. इसमें माननीय जी जो सार लिख रहे हैं मैं इसकी अंतिम लाइन पढ़ देता हूं- डॉ. योगेश शर्मा, सह प्राध्यापक, दंत विभाग चिकित्सा महाविद्यालय, जबलपुर को चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में सह प्राध्यापक दंत विभाग के रिक्त पद पर प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ करने हेतु आदेश जारी करें. 3 वर्ष नहीं हुए हैं और यह नहीं कह रहे हैं कि नियमानुसार आदेश जारी करें. यहां फर्क है. आदेश जारी करें, मतलब नियम नहीं, मंत्री जी का आदेश है. ऐसा कैसे, क्या मंत्री जी नियम के ऊपर होते हैं और मैं कहता हूं कि इस व्यक्ति ने जो-जो फर्जीवाड़े फिर किये उसकी जिम्मेदारी नैतिक ही क्यों पूरे तरीके से मंत्री जी के ऊपर आना चाहिये. लेकर भी आप ही आये. यह मंत्री जी का पत्र है.कैमरे पर नहीं दिखाता इसको लेकिन मीडिया या पटल के माध्यम से मैं आप तक पहुंचा दूंगा. माननीय विश्वास सारंग जी का मेरे पास यह पत्र लिखा है जिसके आधार पर मैं यह बात कह रहा हूं. योगेश शर्मा जी की योग्यता भी थोड़ी सी बता ही देता हूं. सीधे-सीधे आपका ही पत्र है. इनकी योग्यता यह है कि डीएमई ने इनको बार-बार लिखकर कहा अनेकों बार कहा और कहा कि 284 कालेज जो हैं उनकी मान्यता निरस्त की जाए एवं उन पर कानूनी कार्यवाही की जाए. यह आन रिकार्ड है. मैं आपको डेट्स बता देता हूं. डीएमई ने 24.7.2023 को,4.8.2023 को,8.8.2023 को,1.9.2023 को, 21.11.2023 को यह आफीशियल रिमाइंडर्स डीएमई द्वारा दिये गये इन 284 कालेजों के लिये लेकिन योगेश शर्मा जी इनकी मान्यता निरस्त नहीं कर रहे. किसी माननीय का दबाव हो सकता है,होगा.नहीं तो ऐसा कैसे हो सकता है डीएमई को बायपास कर देंगे. किसी माननीय का दबाव होगा ऐसी मुझे आशंका है लेकिन 5 रिमाइंडर्स के बाद सिर्फ 19 कालेजों की यह मान्यता निरस्त करते हैं और फिर धीरे से उनको एक-एक करके बहाल कर दी जाती है. एक और मैं बता देता हूं कि दिनांक 14.12.2022 को (XXX) उनके द्वारा उस बैठक में उपस्थित होकर निर्देशित किया गया कि जिन नर्सिंग और पैरामेडिकल कालेजों को 2019-20,2020-21,2021-22 में जिन कालेजों को संबद्धता नहीं दी गई है.
सहकारिता मंत्री(श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - अध्यक्ष महोदय,व्यक्तिगत नाम लेकर टीका-टिप्पणी नहीं की जाए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - मंत्री जी खुद बैठक में उपस्थित थे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय,व्यक्तिगत नाम लेकर टीका-टिप्पणी नहीं की जाए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - आप आसंदी पर बैठ जाईये फिर. आप बता दीजिये. अध्यक्ष जी टोक नहीं रहे हैं.
जल संसाधन मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट) - अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है. इसको विलोपित करें.
जनजातीय कार्य मंत्री(कुंवर विजय शाह) - अध्यक्ष महोदय, आपकी सहृदयता का फायदा लेते हुए ये जितना भाषण कर सकते थे उससे ज्यादा हो गया.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - आपको कैसे पता.
कुंवर विजय शाह - आपके पिताजी के साथ का हूं. 35 साल हो गये इस सदन में.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - बाहर पैर छू लूंगा. बोलने तो दो. फिर से मैं कह रहा हूं कि मंत्री जी,विश्वास सारंग स्वयं बैठक में उपस्थित थे. उन्होंने निर्देशित किया कि 2019-20,2020-21,2021-22 में जिन कालेजों को संबद्धता नहीं दी गई है उनको छात्र हित में पुनविर्चार कर समय-सीमा में कार्यवाही सुनिश्चित करें. अब यहां छात्र हित है या माननीय का हित है यह छुपा हुआ है.लिखने को तो छात्र हित है लेकिन हित किसी और का था. अचानक से छात्र हित याद आ गया. जो छात्र 3-4 साल से परीक्षा नहीं दे पाए उनका हित वहां याद नहीं आया यहां याद आ गया चूंकि उन फाईलों के लिये शायद कहीं से कोई एप्रूवल आ गया होगा. एक कोई महेन्द्र गुप्ता जी हैं उनके माध्यम से, कि इनको अब करना है आगे बढ़ाना है. फिर आगे परिणाम स्वरूप यह हुआ कि इस टीप के आधार पर धीरे-धीरे इन सबको छूट मिलने लगी. सारी संबद्धता जारी हो गयी. अब सबसे गंभीर बात यहां आती है कि ऐसा विश्व में कभी देखने को नहीं मिला. ऐसा भ्रष्ट आचरण कि मेडिकल कालेज जबलपुर ने एक आदेश जारी किया. आदेश की कापी मेरे पास है. माननीय पूर्व एवं वर्तमान मंत्री जी दोनों को उपलब्ध करवा दूंगा.16.2.2023 को, और उसमें उन्होंने लिखा कि जो एफिलेशन है. इन सब कालेजों को दिया जाए. पहले तो मंत्री जी की बैठक में आदेश का पालन करते हुए एफिलेशन दे दिया इसके बाद 16 ही तारीख से लिख दिया कि परीक्षा फार्म भरने के लिये भी नोटिफिकेशन शुरू. आज संबद्धता मिली. आज एडमीशन, आज से परीक्षा के भी फार्म भरना शुरू, पढ़़ाई की जरूरत ही नहीं, मध्यप्रदेश है यह. इनरोलमेंट 17 से शुरू,मतलब छात्र आया 15 दिन में वह नर्स बनकर निकल गया. अब वह मरीजों के साथ क्या करेगा आप खुद ही कल्पना कर लीजिये इसके बाद मैं धन्यवाद दूंगा जो विशाल बघेल जी जो इसके व्हिसिल ब्लोअर थे शर्मा जी, इन लोगों ने पिटीशन लगाई उन्होंने इस पूरे प्रकरण को बड़ी गंभीरता से विषय को उठाया और इस मुकाम तक पहुंचाने में छात्रों की मदद करने में पूरी सजगता से काम किया और दिलीप कुमार शर्मा जी की पिटीशन के बाद अब मैं पिटीशन की डिटेल में नहीं जा रहा क्योंकि वह विचाराधीन है लेकिन पहले कोर्ट ने स्टे दिया एग्जामिनेशन पर उसके बाद एक रिपोर्ट आती है जो कि सावर्जनिक हुई है. पटल पर भी है और वह रिपोर्ट आई इसमें कालेजों को 3 श्रेणी में बांटा गया. इसका माननीय मंत्री जी ने भी उल्लेख किया, सूटेबल, अनसूटेबल और...
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, विजय शाह जी 35 साल से विधायक हैं और मैं भी 30 साल से हूँ. मैंने ऐसा ध्यानाकर्षण आज तक नहीं देखा, 30 साल के अनुभव में, डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी से भी पूछ लीजिए, इन्होंने भी कभी ऐसा ध्यानाकर्षण नहीं देखा होगा. भई, इसमें प्रश्न पूछिए, प्रश्न क्रमांक 1, प्रश्न क्रमांक 2, प्रश्न क्रमांक 3, आप तो बिल्कुल यहां पर सत्यनारायण की कथा का वाचन कर रहे हैं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- छात्रों के भविष्य की हत्या हो रही है, इनको सत्यनारायण की कथा महसूस हो रही है.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, गलत परम्परा होगी, इस विषय पर थोड़ी सी चिंता करिए और माननीय सदस्य को जरा निर्देशित करिए, प्रश्न पूछकर अपना ध्यानाकर्षण समाप्त करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष जी, इसमें सूटेबल, अनसूटेबल और डेफिशियन्ट तीन कैटेगरीज में बांटा गया. अभी तक दो श्रेणियां सुनी थीं, पात्र और अपात्र सुना था. डेफिशियन्ट मतलब कमी होना. कमी होने के बाद भी अपात्र नहीं कर रहे हैं, यह भ्रष्टाचार की छूट देने का एक और तरीका था. इसमें से भी जो 169 कॉलेजेस सूटेबल बताए गए और उनकी जब ग्राउंड रियालिटी चेक की गई, कई पत्रकार गए, एनडीटीवी के, भास्कर, पत्रिका, ये सारी न्यूज रिपोर्ट्स रखी हुई हैं.
1.32 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय -- भोजनावकाश का समय हो गया है. मुझे लगता है कि ध्यानाकर्षण पूर्ण होने तक हम समय की वृद्धि करें. मैं समझता हूँ, सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
1.33 बजे ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, कंटीन्यू करा दें, बाकी ज्यादा भूख सहन नहीं होगी. ऐसा भाषण, उसके बाद भूख को सहन करना, दोनों चीज सहन नहीं हो सकती. (हंसी).
अध्यक्ष महोदय -- चलिए, दो मिनट में खतम करिए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष जी, दो-तीन बिंदु मैं रख देता हूँ. इस विषय के लिए महत्वपूर्ण हैं.
अध्यक्ष महोदय -- दो मिनट में पूरा करें अब, उसके बाद जयवर्द्धन सिंह को बुलाएंगे.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, 169 कॉलेजेस की जब ग्राउंड रियालिटी चेक की गई, पत्रकारों ने भी की और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी की तो कहीं पर गौशालाएं मिल रही हैं. मतलब भ्रष्टाचार भी पवित्र उद्देश्य से कर रहे थे. कहीं पर मैरिज-गार्डन मिल रहे हैं. कहीं स्कूल और कॉलेज एक ही बिल्डिंग में हैं, कहीं तीन कॉलेज एक ही बिल्डिंग में हैं. कहीं हॉस्पिटल है नहीं, और हॉस्पिटल है तो मापदण्ड से कई दूरी पर है. कहीं पर बिल्डिंग नॉर्म्स के अनुसार नहीं है. फैकल्टी है नहीं, और है तो प्रिसिंपल नहीं है. यदि फैकल्टी है तो 15-15 जगह एक ही फैकल्टी अटैच है, इस तरीके के फर्जीवाड़े देखने को मिले और पूर्व डीएमई श्रीवास्तव जी, उन्होंने खुद ने कॉलेज खोलकर क्या फर्जीवाड़ा किया, वह आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी विस्तार से बता देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- हेमन्त जी, अब कनक्लूड करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, सीबीआई ने क्या किया, वह तो सबके सामने ही है, उस पर मैं बात नहीं करता. एक छात्र है, रवि परमार, जब इसने ये सारे विषय को उठाने की कोशिश की तो माननीय अध्यक्ष जी, यह विषय गंभीर है कि उसको 151 की धारा पर, इतनी छोटी धारा पर दो दिन के लिए जेल भेजा गया. दो दिन के लिए जेल और कैसे भेजा, उसके हाथों में हथकड़ी लगाई, हथकड़ी लगाने के नियम कमिश्नरेट से पूछने चाहिए. ऐसे हथकड़ी लगा नहीं सकते हैं. ये इल्लिगल कन्फाइनमेंट है और पुलिस वालों के ऊपर केस दर्ज होना चाहिए. ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना, किसी को हथकड़ी सिर्फ आरोप के ऊपर नहीं लगाई जा सकती, माननीय अध्यक्ष जी, क्या वह कोई टेरेरिस्ट था और जो वाकई में रंगे हाथों पकड़े गए, उनके भी फोटो पब्लिश हुए थे कि वे मोबाइल पर बात कर रहे थे. मोबाइल में बात कस्टडी में बैठकर कर रहे थे रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद भी..
अध्यक्ष महोदय -- हेमन्त जी, अब कनक्लूड करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय, अब मैं कनक्लूड कर रहा हूँ. सारे तथ्यों से यह स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार तो हुआ है. प्रश्न पूछ लेता हूँ, बार-बार आपको प्रश्न की चिंता है, एक प्रश्न तो यह है कि माननीय डिप्टी सीएम के गृह जिले में क्यों एकमात्र नर्सिंग कॉलेज है और वह भी अनसूटेबल है ? यह उदाहरण है मध्यप्रदेश के लिए पूरे देश में, यह मेरा प्रश्न है. और प्रश्न पूछता हूँ, बार-बार आप प्रश्न पूछने की बात कर रहे थे, अब प्रश्न ही पूछ लेता हूँ. दूसरा मेरा प्रश्न यह है कि यह जो योगेश शर्मा है..
अध्यक्ष महोदय -- दो ही प्रश्न पूछ सकते हैं, इतने भाषण के बाद.(हंसी).
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, ठीक है, तो दूसरा प्रश्न यह है कि सारंग जी ने जो पत्र लिखकर निर्देशित किया, नियमों को ताक पर रखकर, योगेश शर्मा जी को लाकर और योगेश शर्मा जी ने जो फर्जीवाड़े किए, (XXX) और नैतिकता नहीं है तो आप लोगों को जिम्मेदारी और काग्नीजेंस लेकर उनके ऊपर कार्यवाही करनी चाहिए. मेरा इस विषय पर इतना कहना है दलगत राजनीति से ऊपर उठकर...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष जी, यह डिस्एलाऊ करिए आप. इसको कार्यवाही से निकालिए. यह कोई प्रश्न है क्या ? क्या किसी की नैतिकता पर प्रश्न उठाया जा सकता है ?
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- हां, उठाया जा सकता है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इसको विलोपित करना चाहिए. यह अनर्गल बात कर रहे हैं.
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, इसको विलोपित करवाइये. किसी की नैतिकता पर सवाल नहीं किए जा सकते.
अध्यक्ष महोदय -- यह विलोपित करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष जी, मेरा सिर्फ इतना कहना है कि यह विषय बहुत गंभीर है, लाखों छात्रों से जुड़ा हुआ है, इसमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना चाहिए. इसको राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- हेमन्त जी, अब खत्म करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष जी, आपको और हमको मिलकर इसमें सार्थक पहल करना चाहिए. बस, जो मांग है, वह भी मैं बता देता हूँ जिससे कि वह बात भी आ जाए. शार्ट में एक मिनट के अंदर खत्म कर दूंगा. पहली मांग है, क्योंकि मंत्री विश्वास सारंग जी उस समय इस विभाग के मंत्री थे और आज भी वे इस स्थिति में हैं कि वे इस जांच को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए मंत्री जी को इस जांच से ऐसी जगह हटाना चाहिए कि वे उस जांच को प्रभावित न कर पाएं, मंत्री पद से उनको इस्तीफा देना चाहिए या आपको बर्खास्त करना है, यह पहली मांग है. अध्यक्ष महोदय, मेरी दूसरी मांग छात्रों के हित की है कि जो कॉलेजेस अमान्य घोषित कर दिए हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, यह मांग है कि प्रश्न है. यह मांग करने की जगह है क्या ? आप प्रश्न कीजिये. यह तो मांग कर रहे हैं.
जल संसाधन मंत्री (तुलसीराम सिलावट) - आप प्रश्न कीजिये न.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - मेरी दूसरी मांग नहीं है, प्रश्न है. मैं मांग को प्रश्न में बदलता रहा हूँ. जो कॉलेजेस अमान्य डिक्लेयर कर दिए हैं, उसमें छात्रों का तो कोई दोष नहीं है, वे तो नॉर्म्स चेक करके एडमिशन लेते नहीं हैं. मेरा आग्रह यह है कि सरकारी व्यय पर उनको जो मान्य कॉलेजेस हैं या गवर्नमेंट कॉलेजेस हैं, सिर्फ रीवा को छोड़कर, बाकि सबमें उन छात्रों को भर्ती करवा दिया जाये, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित बना रहे. मेरा तीसरा प्रश्न है कि वीसी एवं रजिस्ट्रार, जो जबलपुर में हैं, वह भी इस बात के दोषी हैं, उन दोनों के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की गई है, उनको टर्मिनेशन किया जाना चाहिए और कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए. एक माननीय महेन्द्र गुप्ता जी हैं, इनकी प्रॉपर्टीज की जांच होनी चाहिए, इनके सीडीआर की जांच होनी चाहिए कि ये क्या, किस प्रकार से एवं किस-किसके लिए कलेक्शन करते थे, एसीएस साहब उस समय जो थे, वे आज भी हैं, उनको भी ऐसी जगह पर पदस्थ करना चाहिए कि वे जांच को प्रभावित न कर सकें. जो आन्दोलनकारी थे, उनके केस वापस होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - श्री जयवर्द्धन सिंह जी अपनी बात रखें. हेमन्त जी, आप खत्म कर दीजिये. आपका पहला ध्यानाकर्षण था, आपको पर्याप्त समय दिया है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष महोदय, जिन स्टूडेंट्स के तीन वर्ष बर्बाद हुए हैं, उसकी भरपाई तो हो नहीं सकती है, उनको कम्पनसेशन दिया जाना चाहिए. इसकी भरपाई के लिए सरकार को इस बात पर चिन्तन करना चाहिए. आपने मुझे इस विषय पर बोलने का मौका दिया, उसके लिए आपको धन्यवाद. साथ ही, मैंने जो प्रश्न उठाये हैं, मैं आशा करूंगा कि उस पर गंभीरता से विचार और निराकरण किया जायेगा.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने इस बहुत ही गंभीर और संवेदनशील विषय पर चर्चा करने का मौका दिया है, हम सब आपके आभारी हैं. कल जब स्थगन स्वीकार करने की चर्चा हुई थी, तो माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने कहा था कि क्योंकि यह मामला सब-ज्युडिस है और सीबीआई जांच कर रही है, तो इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पूरे विषय में कुछ ऐसे बिन्दु हैं, जो बहुत गंभीर हैं, उसमें से कुछ बिन्दुओं का उल्लेख माननीय उपनेता प्रतिपक्ष हेमन्त जी ने किया है, आज जो सबसे गंभीर विषय इस पूरे मामले में हैं, कि जिस सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को जांच करने के लिए पूरी जिम्मेदारी दी गई थी, उसी भ्रष्ट्राचार निरोधक शाखा का अफसर भ्रष्ट निकला. शायद पूरे देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि जो जांच अधिकारी था, वही भ्रष्ट निकला और आज वह भ्रष्ट अधिकारी और एक इंस्पेक्टर वह आज गिरफ्तार हैं, उनके साथ लगभग 10 से 12 कॉलेज के संचालक भी आज गिरफ्तार हैं, उसके साथ-साथ जिन राजस्व अधिकारियों को कॉलेज की स्थिति मौके पर जांच करने के लिए भेजा गया था, वह भी दोषी पाये गये हैं. उन पर भी कार्यवाही की जा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो इसमें मूल बिन्दु है. उसके बारे में हेमन्त जी ने उल्लेख किया है कि किस प्रकार मई 2021 में लगभग 200 कॉलेजों को अनुमति दी गई. जब माननीय पूर्व मंत्री जी उस समय इस विभाग में थे, लेकिन उसके बाद जो हेमन्त जी उल्लेख करते हैं कि दिनांक 15 दिसम्बर, 2022 के पत्र के बारे में, मेरे पास माननीय मंत्री जी के कार्यालय का वह पत्र है. मैं उसको आपकी अनुमति से मेरे वक्तव्य के बाद पटल पर रखना चाहूँगा. लेकिन इसमें जिस चौथे बिन्दु के बारे में हेमन्त जी ने उल्लेख किया था, उसमें स्पष्ट लिखा गया है कि जिन नर्सिंग कॉलेजों को वर्ष 2019-20, 2020-21 और 2021-22 में अमान्य घोषित किया गया था. उन कॉलेजों के संबंध में ही माननीय मंत्री जी कुलपति जी को निर्देश देते हैं कि तत्काल उन कॉलेजेस की वापस जांच हो, पुन: विचार किया जाये और उनको सम्बद्धता दी जाये. उसके बाद अध्यक्ष महोदय यह बात 15 तारीख की है, उसके ठीक एक हफ्ते बाद दिनांक 22 दिसम्बर, 2022 को मंत्री जी के पत्र के सात दिन बाद, मलय कॉलेज ऑफ भोपाल, जिसको विगत तीन-चार वर्षों से संबद्धता नहीं दी गई थी, उसे मान्यता मिल जाती है और आज उसी कॉलेज का मालिक जेल में है. (शेम-शेम)
इस घटनाक्रम के द्वारा यह साबित होता है कि जो पत्र और जो बैठक मंत्री जी की अध्यक्षता में हुई थी और जहां उनके द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि वे कॉलेज जिन्हें पहले मान्यता नहीं मिल पायी थी, उन पर पुनर्विचार किया जाये और उसके एक सप्ताह के बाद विचार कर, उन कॉलेजों को, जो मान्य नहीं होने चाहिए थे, इनके दबाव में मान्य हो जाते हैं. वही मालिक आज जेल में हैं तो क्या इस प्रकरण में मंत्री जी दोषी नहीं हैं ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, वे दोषी हैं, इसलिए आज हमारी मांग है कि जब सीबीआई के जांच अफसर ही दोषी पाये गए हैं, वे ही पैसा ले रहे हैं, माननीय उच्च न्यायालय इसमें कार्यवाही कर रहा है. लेकिन आज हमारे जो चिकित्सा शिक्षा मंत्री हैं, वे उपमुख्यमंत्री भी हैं, गंभीर भी हैं, विद्वान भी हैं, मैं, उनसे प्रार्थना करना चाहता हूं कि आप, आज जब उत्तर देंगे तो आप, इस बात को स्पष्ट कीजिये कि जब एक मंत्री के कहने पर ही कॉलेज को संबद्धता दी गई थी और वही कॉलेज भ्रष्ट निकला तो क्या मंत्री दोषी नहीं है ? यह केवल एक मलय कॉलेज ऑफ भोपाल की बात नहीं है, मंत्री जी की इस बैठक के बाद दो और बैठकें होती हैं. पहली बैठक 11.1.2023 को मंत्री जी की बैठक के एक माह पश्चात् हुई थी. इस बैठक की अध्यक्षता कुलपति महोदय द्वारा की गई थी और दूसरी बैठक 16.2.2023 को हुई थी, यह भी कार्य परिषद की बैठक थी, कुलपति महोदय इसके अध्यक्ष होते हैं, इस दोनों बैठकों में से, एक बैठक में 21 कॉलेज जो पूर्व में अमान्य थे, उनको मंत्री जी के आदेश पर मान्य घोषित किया जाता है और दूसरी बैठक में भी 17 अन्य कॉलेजों, जिन्हें पूर्व में चार वर्षों में संबद्धता नहीं मिल पाई थी, उन्हें भी मंत्री जी के आदेश पर ही मान्य किया गया. ऐसे लगभग 40 से अधिक कॉलेज हैं, जो मान्य नहीं होने चाहिए थे लेकिन केवल तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री के दबाव में उन्हें मान्य किया गया. इसलिए आज हम सभी की मांग यही है कि जब मंत्री जी उत्तर दें तो इस पूरी कार्यवाही और पूर्व मंत्री जी की भूमिका पर हमने जो प्रश्न उठाया है, उस पर वर्तमान माननीय मंत्री जी क्या कार्यवाही करेंगे, इसका उत्तर हमें अवश्य मिले.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हेमंत भाई ने कहा कि बैठक के एक दिन बाद ही कॉलेजों का एक साथ पंजीयन हो जाता है, मान्यता मिल जाती है और परीक्षा की अनुमति भी उन्हें मिल जाती है. ऐसा पहले कभी हमारे देश और प्रदेश में नहीं हुआ है. सुनीता शिजू और योगेश शर्मा दो रजिस्ट्रार हैं लेकिन पूर्व मंत्री के कार्यकाल में इनके अलावा श्रीमती चंद्रकला दिवगैया, स्टेला पीटर ये दो और रजिस्ट्रार थे, जिन पर कार्यवाही हुई है, जो दोषी पाए गए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब चार रजिस्ट्रार चार वर्षों में दोषी पाए गए, सीधे परिषद के अध्यक्ष, जिन्होंने बैठक ली, तत्कालीन मंत्री जी द्वारा ही उन कॉलेजों को मान्यता दी गई तो क्या मंत्री जी दोषी नहीं हैं ? क्या उन पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए ? यह मेरा सीधा प्रश्न है.
अंत में जो बात हेमंत जी ने कही है, इसमें तीन लोग हैं, (XXX) की क्या भूमिका रही है ? क्या इनकी जांच होगी ? क्या इन पर रेड की जायेगी ? इनके जो अपराध हैं, इन्होंने जो लेन-देन किया है, क्या इनकी कॉल रिकॉर्डिंग की जांच की जायेगी ? मेरा इसमें अंतिम बिंदु यह है कि यह सारी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि कहीं न कहीं लाखों नर्सिंग छात्र आज भी भटक रहे हैं, यह पूरे देश पर कलंक है, हमारे प्रदेश पर कलंक है. पिछले चार वर्षों में एक भी नर्सिंग छात्र को प्रमोशन नहीं मिल पाया है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां इस सदन की परम्परा रही है कि हम सदन के सदस्य के खिलाफ या कोई ऐसा व्यक्ति जो सदन का सदस्य नहीं है, जो सदन के बाहर है उसके खिलाफ यदि आरोप लगाते हैं तो वह तो यहां पर अपना बचाव करने आएगा नहीं. कम से कम आपको आरोप लगाने के पहले अनुमति लेना चाहिए. क्या माननीय जयवर्द्धन जी ने इसकी अनुमति ली है? मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम के अंतर्गत कह रहा हूं. मैं आपको इसके पूरे नियम पढ़कर सुना देता हूं. नेता प्रतिपक्ष जी, मैं आपको पूरे नियम पढ़कर सुना देता हूं.
श्री उमंग सिंघार-- मैं भी आपको पूरे नियम बता रहा हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंघार जी भी संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय-- नेता प्रतिपक्ष जी, कैलाश जी की बात पूरी हो जाने दीजिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अध्यक्ष को तथा संबंधित मंत्री को पर्याप्त समय पहले सूचना दें. लगातार माननीय मंत्री जी के ऊपर आरोप लग रहे हैं. आपने जो आरोप लगाए हैं क्या उसकी सूचना लिखित में आप तक या माननीय मंत्री जी तक पहुंची है ?
अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या आपके पास इस प्रकार की सूचना उनके द्वारा दी गई है क्या? जो आरोप लगा रहे थे वह आरोप पत्र दिया गया है क्या? क्या वह आरोप पत्र माननीय मंत्री जी के पास पहुंचा है ? तो क्या इस प्रकार के आरोप इस सदन के अंदर बिना नियम प्रक्रिया के तहत लगाये जा सकते हैं ?
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे ऐसा निवेदन है कि ऐसे जो आरोप लगे हैं उन्हें विलोपित किया जाना चाहिए. आप बहुत ही गंभीर हैं और आपको दोनों सदनों का भी अनुभव है. आप वहां पर भी संसदीय कार्य मंत्री रह चुके हैं और आप यहां पर भी विधान सभा के अध्यक्ष हैं इसीलिए आपसे अपेक्षा बहुत ज्यादा है कि यह सदन नियम और प्रक्रिया से चले, यदि यह नियम और प्रक्रिया से है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है. फिर जैसा आपका आदेश है वह शिरोधार्य है.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने पूरी बात रख दी है.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाईंट ऑफ ऑर्डर है. मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन संबंधी नियम के अनुसार'' नियम 251 बोलते समय कोई सदस्य- किसी सदस्य के विरुद्ध व्यक्तिगत दोषारोपण नहीं करेगा'' यह नियम 251 में स्पष्ट है.
'' नियम 252 के अनुसार किसी सदस्य द्वारा वाद-विवाद में किसी व्यक्ति के विरुद्ध मानहानिकारक या अपराधरोपक आरोप नहीं लगाया जाएगा. जब तक कि वाद-विवाद में भाग लेने के एक दिन पूर्व उस सदस्य ने अध्यक्ष को तथा संबंधित मंत्री को भी पूर्व सूचना न दे दी हो. अध्यक्ष महोदय, यह आरोप लगा रहे हैं. यह सारा कार्यवाही से विलोपित किया जाना चाहिए.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बात आरोप की नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- जयवर्द्धन जी, सिंघार जी को बोल लेने दीजिए. वह कुछ कहना चाहते हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी नियम एवं प्रक्रिया की बात करते हैं. आपने कहा कि आरोप नहीं लगा सकते हैं तो मैं आपको 22 जुलाई 2002 की बात बताना चाहता हूं जब श्री निवास तिवारी जी थे. उस समय यह बात हुई थी नेता प्रतिपक्ष या अन्य आरोप प्रत्यारोपों के बारे में पूर्व सूचना को देकर आरोपों के बारे में तो इसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी रूलिंग दी थी. मैं वह भी आपके समक्ष पढ़ना चाहता हूं. ''आपकी रूलिंग यह है कि आरोपों को लगाये जाने के संबंध में मैंने विविध पक्षों को सुना. संसदीय व्यवस्था का सारथ यह है कि सदन में सदस्यगण बिना किसी भय या दबाव में अपनी बात को मुक्त कंठ से कहे. सर्वोच्च न्यायालय ने तेज कुमार बनाम राजीव, संजीव रेड्डी के प्रकरण में स्पष्ट कर दिया कि सदन की कार्यवाही सदन के नियमों, सदस्यों के सद्भाव और अध्यक्ष के नियंत्रण के अतिरिक्त अन्य कोई नियंत्रण नहीं होगा क्योंकि यदि सदस्य की वाणी की स्वतंत्रता छीन ली गई तो उस तरह से किसी भी लगाये गये जनहित के अनेक महत्वपूर्ण मामले सदन में कभी नहीं आ पायेंगे. आरोप के संबंध में यह स्पष्ट कहा गया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने भी वही बात कही है जो कि मैंने कही है केवल इन्होंने शब्द बदलकर कही है.
अध्यक्ष महोदय-- मेरा सभी सदस्यों से अनुरोध है कि मुझे लग रहा है कि बोलने वाले सदस्य कोई पहली बार नहीं आए हैं. हमेशा सदन में यह बात रही है कि जो व्यक्ति सदन के भीतर नहीं है उस पर हम लोग नाम लेकर आरोप न लगाएं क्योंकि वह अपना पक्ष रखने सदन में नहीं आ सकता है, दूसरी बात यह है कि जब हम किसी प्रकार की चर्चा करते हैं तो चर्चा में व्यक्तिगत पूर्वाग्रह दृष्टिगोचर नहीं होना चाहिए. यदि व्यक्तिगत पूर्वाग्रह दृष्टिगोचर होता है तो यह परम्परा भी एक तौर से उचित नहीं है. जयवर्द्धन जी, आप अपनी बात को संक्षिप्त में पूरा करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बात आरोप की नहीं है. मैंने तथ्यों के माध्यम से यह साबित किया है और जो पत्र माननीय मंत्री ने लिखा है. पत्र क्रमांक 856 दिनांक 15.12.2022 जिसमें इन्होंने खुद ही कहा है कि उन कॉलेजों पर पुनर्विचार होना चाहिए. उसके ही सात दिन बाद मान्यता मिल जाती है. उस कॉलेज को जिसका मालिक आज जेल में है. मैं इसमें घटनाक्रम बता रहा हूँ. आखिरी में इसमें मेरा यही पाइंट है मैंने वर्तमान मंत्री जी से प्रश्न पूछा है कि उनके वक्तव्य में वे जरुर इस बात का उल्लेख करें कि हमने जो विषय उठाया है और जो घटनाक्रम हुआ है. 15 दिसम्बर, 2022 और फरवरी 2023 के बीच में जिसमें मंत्री जी की बैठक के बाद ही अमान्य कॉलेज को मान्यता दी गई है. क्या उसकी पूरी जाँच की जाएगी. अगर की जाएगी तो किस स्तर पर की जाएगी. मेरा सेकंड पाइंट यह है कि इनके भ्रष्टाचार के कारण चार साल से नर्सिंग कॉलेज के छात्र न्याय के लिए भटक रहे हैं. पहली बार शायद देश के इतिहास में ऐसा हुआ है कि कॉलेज शुल्क जमा करने के बाद भी उनके एग्जाम नहीं हो पा रहे हैं. कॉलेज शुल्क जमा करने के चार साल बाद भी प्रमोशन नहीं मिल पा रहा है. उनको डिग्री नहीं मिल पा रही है. दूसरा मेरा यही पाइंट रहेगा कि मंत्री जी उनके भाषण में यह बताएं कि जो लाखों कॉलेज छात्र आज भटक रहे हैं, न्याय मांग रहे हैं उनको कब तक न्याय दिया जाएगा. जिन छात्रों पर एफआईआर दर्ज की गई है. हेमंत जी ने रवि परमार जी का उल्लेख किया था उन पर आठ एफआईआर हैं. अब जब सिद्ध हो गया है कि इसमें बड़ा खेल हुआ है, भ्रष्टाचार हुआ है तो उनके खिलाफ जो एफआईआर दर्ज की गई थी क्या वह वापिस ली जाएगी. आखिरी में मैं यही कहना चाहता हूँ कि व्यापम था आज से लगभग 10 साल पहले जहां पर एक दोषी पर कार्यवाही....
श्री उमाकांत भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिगरेट की पन्नी पर लिख देते थे...(व्यवधान)
श्री जयवर्धन सिंह -- अध्यक्ष महोदय, अब व्यापम टू में बहुत से मंत्रियों पर कार्यवाही की जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- यह व्यापम का विषय नहीं है.
श्री दिनेश गुर्जर -- उमाकांत जी इतना मत चिल्लाओ, गरिमा के अनुरुप नहीं है इतना चिल्लाना.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हो रही है और जिस प्रकार से हास परिहास हो रहा है इससे प्रदेश के युवाओं के प्रति सरकार कितनी गंभीर है यह दिख रहा है. मेरा आपसे अनुरोध है कि आप आसंदी से निर्देश दें कि इस गंभीर चर्चा पर गंभीरता बनाए रखें.
श्री लखन घनघोरिया (जबलपुर पूर्व) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस मामले की गंभीरता मैं समझता हूँ कि भले ही ऊपर से कोई न समझे लेकिन अन्तरमन से सब समझ रहे हैं. यह मामला तीन प्रकार के अपराध का बोध कराता है. सबसे पहले तो वे हजारों छात्र जो अपने भविष्य को सम्हालने के लिए प्रयासरत् थे उनके हितों के साथ कुठाराघात हुआ है. स्वास्थ्य सेवा हर सरकार की प्रतिबद्धता होती है, प्राथमिकता होती है. 7 करोड़ जनमानस के साथ बहुत बड़ा छलावा हुआ है क्योंकि यह स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा हुआ मामला है. कोरोनाकाल में हमने देखा कि 64 हजार 13 मेडिकल स्टाफ की कमी रही है. जबकि गंभीरता से हमको इसे भरना था. यह हुआ नहीं. तीसरा जो जाँच एजेंसियां हैं इसकी जाँच कर रही थीं, अब बाड़ ही खेत खा जाए इससे बड़ा उदाहरण क्या मिलेगा. जाँच एजेंसी इसमें अजीब प्रकार का व्यवहार कर रही है. कटघरे में जाँच एजेंसियां खड़ी हुई हैं. जब सरकार में गलत लोग आ जाएं तो फिर शिक्षा भी बिकती है और परीक्षा भी बिकती है. इस मामले में यह देखने को मिल रहा है. बहुत विस्तार से जब बता रहे थे, आदरणीय कैलाश भाई हमारे वरिष्ठ सदस्य हैं उनके सामने सारी बातें हुईं थीं. जयवर्धन जी ने और हेमंत जी ने अपनी बात कह दी है. मैं तो सिर्फ यह जानकारी लेना चाहता हूँ कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने जब 1972 में अधिनियम बनाया उसके मुताबिक गठन हुआ था उसमें नियम है कि चुनाव प्रक्रिया के साथ इसका गठन होना था वर्ष 2018 में, यदि नियमों में संशोधन किया और स्टेट ने मध्यप्रदेश नर्सेज काउंसिल बनाई, तो क्या उन नियमों का पालन किया. क्या नर्सेज काउंसिल के रजिस्ट्रार की नियुक्ति लोकतांत्रिक माध्यम से की ? जिनकी योग्यताएं नहीं थीं, जिनके पास कोई क्षमताएं नहीं थीं, स्टाफ नर्स को यदि आप बना देंगे तो फिर व्यवस्थाएं कैसी होंगी ? वही होगा कि जब गलत आदमी सरकार में आ जाए तो शिक्षा भी बिकेगी और परीक्षा भी बिकेगी और यह पूरे प्रकरण में देखने को मिला है. वर्ष 2018 के बाद खेल शुरू हुआ है. आप बिंदुवार देख लें. हमारे आरोप पत्र में हमने जो मांग की है उसमें बहुत स्पष्ट है कि वर्ष 2018-19 में कुल 300 कॉलेज थे और वर्ष 2019-20 में वह भी 20 मार्च, 2020 के बाद 63 कॉलेज बढ़े. वर्ष 2020-21 में 219 कॉलेजों को मान्यता दी. ऐसे समय में जब हम सब देख रहे थे कि कोरोना चल रहा है तब आपदा में अवसर ढूढ़ा गया. यह क्या चिंता का विषय नहीं है ? आज भी हम कहां बैठे हैं. वर्ष 2019-20 में 448 कॉलेज थे और वर्ष 2020-21 में सीधे 667 कॉलेज हो गए, क्या यह भ्रष्टाचार नहीं था ? पूरी जांच एजेंसियां बोल रही हैं, सब चीख चीखकर कह रही हैं और विथ प्रूफ कह रही हैं.
1.56 बजे { सभापति महोदय (श्री अजय विश्नोई) पीठासीन हुए }
सभापति महोदय, बहुत विस्तार से सारे सदस्यों ने अपनी बात रखी. वर्ष 2022-23 में मध्यप्रदेश में माइग्रेड फैकल्टी, अन्य राज्यों की फैकल्टी रजिस्टर्ड की गई जिससे फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता मिली. मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति क्या इसकी जांच होगी. क्या इस पर कार्यवाही करेंगे ? मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति श्री अशोक खंडेलवाल और रजिस्ट्रार श्री पुष्पराज बघेल द्वारा वर्ष 2020-21 के सत्र में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को नियम विरुद्ध मान्यता दी गई है. हैरानी की बात है कि श्री पुष्पराज बघेल के ऊपर ऑलरेडी लोकायुक्त के 5 मामले लंबित हैं. तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री अब चूंकि बोला गया है कि नाम लेकर नहीं बोलें, तो चूंकि वर्ष 2018 के बाद इस पूरी पिक्चर में कौन सामने था यह भी स्पष्ट है. मंत्री जी की अध्यक्षता में बैठक हुई, विथ प्रमाण जयवर्द्धन जी ने सारी बातें कह दी हैं और वह पत्र भी पटल पर रख दिया है. वर्ष 2020-21 में कॉलेजों की मान्यता और फिर बड़ी विचित्र बात है कि स्टाफ नर्स श्रीमती सुनीता सिजू की आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में पहले से जांच चल रही है, पेपर लीक मामले में जांच चल रही है, उसके बाद भी उसको ऊपर पहुंचा देना, तो दोषी कौन है ? सरकार का क्या यह दायित्व नहीं है, सरकार में बैठे जिम्मेदार लोगों का यह दायित्व नहीं है ? ठीक है, आप निर्णय करने की स्थिति में हैं हमारे बहुत से वरिष्ठ साथी बैठे हैं, क्या यह गंभीर विषय प्रदेश के लिये नहीं है जो हमारी स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा है ? हम यहां बैठकर ‘’हम ही दलील, हम ही अपील और हम ही जज, हम ही वकील.’’ कम से कम सत्य को तो स्वीकार करें. ‘’ऊपर वाले की अदालत में वकालत नहीं चलती और जब सजा हो जाए, तो जमानत भी नहीं मिलती.’’
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- सभापति महोदय, एक शेर मुझे भी याद आ गया आपके लिये, आपने सुनाया तो ‘’हर बार इल्ज़ाम हम पर लगाना ठीक नहीं, वफा खुद भी नहीं करते और इल्ज़ाम हम पर लगाते हैं.’’
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय कैलाश भैया, आपकी सरकार की स्थिति बता रहे हैं ‘’कि यह हुकूमत भी गजब का काम करती है, यह हुकूमत भी गजब का काम करती है, छीन लेती हैं ऑंखें, फिर चश्मा दान करती है.’’
अब इल्ज़ाम क्यों न लगे, ऑंखें छीनकर चश्मा दान करते हो, इल्ज़ाम तो लगेगा ही.
समय 02.00
सभापति महोदय – माननीय सदस्य विषय पर आ जाएं.
श्री लखन घनघोरिया – माननीय सभापति महोदय मेरा विनम्र आग्रह है कि हमारे तमाम साथियों से, बहुत विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि यह मामला प्रदेश के उन लाखों छात्रों का है जो कि अपना भविष्य संवारने के लिए निकलते हैं. तीन साल का कोर्स है और 7 साल तक डिग्री न मिले तो क्या इससे भविष्य संवर पायेगा. आज 64 हजार पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है. क्या इन फर्जी कालेजों से उनकी पूर्ति हो रही है. मेरा यह कहना है कि कोई भी दोषी हो कार्यवाही होना चाहिए. यदि हम व्यवस्था सुधारने के लिए निकले हैं, यदि हम व्यवस्था सुधारने की बात कर रहे हैं तो फिर दोषारोपण नहीं होना चाहिए. 2018 के बाद से जितनी चीजें बिन्दूवार हुई हैं वह सब कटघरे के दायरे में आती हैं, चाहे उसमें बहुत बड़े अधिकारी हों, या चाहे उस समय के कोई भी स्वास्थ्य आयुक्त रहे हों, कोई भी उ स समय स्वास्थ्य शिक्षा के आयुक्त रहे हों या कोई भी सीएस या एसीएस रहे हों. यदि वह कटघरे में आते हैं तो उनकी जांच तो होना चाहिए.
मेरा बस यही आप सबसे आग्रह था और बहुत विनम्रता के साथ की मर्यादा सब चीज की होना चाहिए. मंत्रिपरिषद की भी होना चाहिए,अगर कोई सदस्य अपनी बात कह रहा है तो सारे मंत्री उस पर टूट पड़े, अरे आप तो सरकार में हों, सरकार तुम्हारी दरबार तुम्हारा, तुम असत्य को सच लिख दो अखबार तुम्हारा . आखिर इस दौर के फरियादी जाएँ तो कहां जाएं.भैया कुछ तो जनता को राहत मिले इस दायित्व के लिए हम यहां पर आएं हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय – चिराग जलाने का सलीका सीखों यारों, हवाओं पर इल्जाम लगाने से क्या होगा.
सभापति महोदय – माननीय सदस्यों से आग्रह है कि जो मूल प्रस्ताव था वह श्री हेमंत कटारे जी, श्री जयवर्धन सिंह जी और श्री लखन घनघोरिया जी का था वह विस्तार से इस विषय पर अपनी बात रख चुके हैं. फिर भी चूंकि अन्य सदस्यों के भी नाम इसमें हैं तो अन्य सदस्यों से निवेदन है कि वे 1-2 मिनट में उनके जो दो प्रश्न करना है, वह दो प्रश्न करेंगे तो हम यहां पर इसे समय सीमा में समाप्त कर पाएं.
श्री आतिफ आरिफ अकील (भोपाल उत्तर) – सभापति महोदय नर्सिंग के जो मैं सबसे अहम सवाल पूछ रहा हूं जो कि कहीं न कहीं संशोधन किये गये हैं. जो कालेज अनसूटेबल थे उनके लिए जो संशोधन किये गये हैं वह क्यों किये गये हैं. यह मेरा एक प्रश्न है और जो इंफ्रास्ट्रक्चर में 23 हजार स्कवायर फीट में था जिसे 8 हजार स्कवायर फीट कर दिया गया. 10 छात्रों पर एक टीचर होता था. अब वह 20 छात्रों पर एक टीचर क्यों कर दिया गया है. नर्सिंग लैब जो की 1500 स्कवायर मीटर की थी उसे 900 स्कवायर मीटर क्यों किया गया है. मेरे यह तीन सवाल हैं मुझे इन तीनों सवालों के जवाब चाहिए.
श्री राजेन्द्र भारती(दतिया)- माननीय सभापति महोदय, नर्सिंग कॉलेज एक बहुत-बड़ा मुद्दा है और भारतीय जनता पार्टी को दो मामलों में बहुत विशेषज्ञता हासिल है. एक तो जोड़-तोड़ करके और छल-कपट करके सरकार बनाना और दूसरा सरकार बनाकर 20 वर्षों के अंदर लगभग यदि हम आपको संख्या की गिनती कराए तो लगभग 20 गबन घोटाले निकलेंगे. माननीय सभापति महोदय, नर्सिंग घोटाले में सरकार के द्वारा लगभग 5-6 बार नियम बनाए गए हैं.
सभापति महोदय- राजेन्द्र जी निवेदन है कि सारा विषय आ चुका है दोहराने से लाभ नहीं है, मूल प्रश्न यदि आपका अलग से है तो वो पूछ लीजिए.
श्री राजेन्द्र भारती- मान्यता देने के लिए जो नियम बनाए गए हैं, वह अक्टूबर 2016 इसके बाद वर्ष 2019, 2022, 2023 और 2024 में मान्यता देने के लिए नियम बनाए गए हैं और जितनी बार भी सरकार ने नियम बनाए यह नियम जो फर्जीवाड़ा करने वाले लोग थे उन पर शिंकजा कसने के लिए बनाए गए थे या उनको छूट देने के लिए बनाए गए थे क्योंकि लगातार उन पर करप्शन के चार्ज और अनियमितताओं के चार्ज निरन्तर रूप से आते रहे.माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से केवल 4-6 बातें रखना चाहता हूं
सभापति महोदय- बातें नहीं रखना है, आप प्रश्न पूछ लीजिए
श्री राजेन्द्र भारती- प्रश्न है लेकिन आपसे अनुमति चाहता हूं कि पूरी बात आपके और सदन के समक्ष में आ जाए
सभापति महोदय- ध्यानाकर्षण की जो मर्यादा है उस मर्यादा से अलग जाकर अध्यक्ष महोदय ने अनुमति दी है और काफी विस्तार से विषय आपके पूर्व सदस्य रख चुके हैं इसलिए अब जो सदस्य बचे हैं वो अपने प्रश्न तक सीमित रहेंगे तो समय बचेगा.
श्री राजेन्द्र भारती- माननीय सभापति, महोदय जो आप नियम बता रहे हैं उसी के अंतर्गत मैं अपनी बात रखने की कोशिश करूंगा. नर्सिंग कॉलेज के निरीक्षण करने वाले जो निरीक्षण टीम थी या जिन्होंने निरीक्षण करके रिपोर्ट भेजी है सीएमएचओ, पटवारी, आरआई, नायब तहसीलदार, एसडीएम और कलेक्टर इन्होंने जो रिपोर्ट भेजी है और वो रिपोर्ट गलत पाई गई है. क्या इसके बाद मध्यप्रदेश शासन उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेगा.
सभापति महोदय- अगला प्रश्न
श्री राजेन्द्र भारती- क्या घोटाले में लिप्त नर्सिंग स्टॉफ डॉक्टर जो इसमें लिप्त हैं और जिन्होंने गलत रिपोर्ट दी है, क्या मध्यप्रदेश सरकार उनकी डिग्री की मान्यता समाप्त करेगी. माननीय सभापति महोदय तीसरा प्रश्न जो नर्सिंग कॉलेज का बॉयलॉज है, उस बॉयलॉज में क्या चुनाव कराने का प्रावधान था, यदि चुनाव कराने का प्रावधान था तो फिर चुनाव क्यों नहीं कराए गए और इसकी जिम्मेदारी और इसके लिए दोषी कौन है.
सभापति महोदय- राजेन्द्र जी आपके तीन प्रश्न हो गए हैं कृपया समाप्त करें
श्री राजेन्द्र भारती- माननीय सभापति महोदय, फैकल्टीज़ डुप्लीकेसी वर्ष 2021-22 इसमें 227 नर्सिंग कॉलेज हैं और इन कॉलेजों के संबंध में संचालक व अध्यक्ष, चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा प्रशासक को पत्र लिखा गया कि इनके खिलाफ कार्यवाही करना है, इसलिए इनकी रिपोर्ट भेजिए लेकिन प्रशासक ने इन 227 नर्सिंग कॉलेज जो फर्जीवाड़े में लिप्त हैं, इनके विरूद्व अभी तक रिपोर्ट नहीं भेजी है तो क्या प्रशासक के खिलाफ शासन कार्यवाही करेगा, इनके जो फर्जी नर्सिंग कॉलेज है डुप्लीकेसी उनके खिलाफ तो कार्यवाही की जाएगी और जो दूसरा प्रशासक हैं क्या उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. माननीय सभापति महोदय, अंत में मैं केवल आपके माध्यम से निवेदन करना चाहूंगा. क्या सरकार सिटिंग हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में सम्पूर्ण मामले की जांच जिसमें सीबीआई के अधिकारी और दूसरे अधिकारी भी लिप्त हैं और माननीय मंत्री महोदय का नाम भी इसमें आ रहा है क्या सरकार सिटिंग हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में सम्पूर्ण प्रकरण की जांच कराएगा धन्यवाद .
श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल- माननीय सभापति महोदय, भोजन के समय में भोजन अवकाश का भी ध्यान रखा जाए.
सभापति महोदय-- ओमकार सिंह मरकाम जी, कृपया आप प्रश्नों तक सीमित रहें. इसमें भाषण नहीं होगा, भाषण पर्याप्त हो चुके हैं.
श्री ओमकार सिह मरकाम(डिण्डोरी)-- सभापति महोदय, मैं प्रश्नों तक सीमित रहूंगा.
सभापति महोदय-- जी धन्यवाद.
श्री ओमकार सिह मरकाम-- सभापति महोदय, मैं बड़ा व्यथित हूं, दुखी हूं. मैं इस बात को लेकर के दुखी हूं कि लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर में जहां न्याय और जनता के विकास की चर्चा होती है, जिसके लिये हम लोग उद्देश्य बनाकर के जनता के बीच से आते हैं. मैं इसलिये भी बहुत दुखी हूं, ठीक है आज आप सत्ता पक्ष में हैं, हम विपक्ष में हैं, परन्तु जो हमारे पवित्र मंदिर की जिम्मेदारी है, मैं इसलिये बहुत व्यथित हूं कि एक हमारे पूर्व मंत्री जी थे (xx) आज वे हमारे बीच में नहीं हैं.
सभापति महोदय-- मरकाम जी, आप विषयान्तर्गत नहीं करें. विषय पर सीमित रहें.
श्री ओमकार सिह मरकाम--सभापति महोदय, मैं विषयान्तर नहीं कर रहा हूं.
सभापति महोदय-- क्षमा करें, अभी पूर्व मंत्री के नाम का उल्लेख किया गया है, उसे मैं विलोपित कर रहा हूं. इसमें उनके उल्लेख की कहीं कोई आवश्यकता नहीं थी. आप अपने विषय पर सीमित रहें और प्रश्न पूछिये.
श्री ओमकार सिह मरकाम--सभापति महोदय, मैं आपसे यह अनुरोध करना चाह रहा हूं कि जो समय की बाध्यता आप कह रहे हैं, आप कहें, तो हम सदन में ही नहीं आयें. यह आप क्या करना चाहते हैं कि इस तरह से चर्चा पर भी आप समय का बंधन करेंगे.
सभापति महोदय-- जी हां. नियमों का बंधन हर चर्चा में रहता है.
श्री ओमकार सिह मरकाम--सभापति महोदय, मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि अगर आप इस तरह से मध्यप्रदेश के लोकतंत्र के इस पवित्र मंदिर में अगर इस गंभीर मुद्दे पर हम अपनी अभिव्यक्ति भी न कर पायें, अपने विचारों को भी न रख पायें, यह आप क्या करना चाहते हैं...
सभापति महोदय-- आप नियमों के तहत अपनी बात रखें.
श्री ओमकार सिह मरकाम--सभापति महोदय, (xx)
सभापति महोदय-- यह विलोपित किया जाये. ओमकार जी, आप यदि विषय पर अपनी बात नहीं रखेंगे, फिर मैं दूसरा नाम बुला लूंगा. ..(व्यवधान).. ओमकार जी, यदि आप अपनी बात नहीं रखना चाहते हैं, तो मैं दूसरा नाम बोल लेता हूं. आप अपने प्रश्न पर सीमित रहिये, नहीं तो मैं दूसरा नाम ले लूंगा.
श्री ओमकार सिह मरकाम--सभापति महोदय, क्या पवित्र मंदिर में इंसाफ की बात करने के लिये भी आप समय नहीं दे सकते.
सभापति महोदय-- समय दिया गया है, आपको नियमों को ढीला करके अध्यक्ष महोदय ने समय दिया है. आपसे अनुरोध है कि आप समय का सदुपयोग करें.
श्री ओमकार सिह मरकाम--सभापति महोदय, लोगों के जीवन से ऊपर नियम प्रक्रिया नहीं है और मैं समझता हूं कि आप तो महाकौशल की धरती के वीर हैं. महाकौशल के इंसान कमजोर नहीं होते हैं. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आप वीरता दिखायें, क्योंकि यह विषय नहीं है. जरुरत पड़ी आजादी की लड़ाई में तो महाकौशल सबसे आगे रहा है. आप तो वहां के हैं. यह क्या बात हुई.
सभापति महोदय-- अभी तो जो विषय पर प्रश्न है, वह प्रश्न पूछ लीजिये. महाकौशल की चर्चा अपन सदन के बाहर कर लेंगे.
श्री ओमकार सिह मरकाम--सभापति महोदय, मैं आपसे व्यथित मन से बात कर रहा हूं, आपको उसमें भी दया नहीं आ रही है, धन्य हैं.
सभापति महोदय-- विषय पर बोलें. बाकी लोगों को भूख लग रही है. भोजन पर जाना है जल्दी, जितना जल्दी आप समाप्त करेंगे, तब तो बात आगे बढ़ेगी.
श्री ओमकार सिह मरकाम--सभापति महोदय, इतने निवेदन के बाद भी इतने निर्दयी नहीं हुआ करते. इतनी निर्दयता उचित नहीं है. मेरा सिर्फ यह अनुरोध है, मेरा मन व्यथित होने का सिर्फ यह अनुरोध है कि वह हजारों बच्चे इस देश की 8 करोड़ जनता क्या कह रही है. हम विधायक हैं, जब हम क्षेत्र में जाते हैं, तो हमारा क्या चरित्र निर्मित हो रहा है. आप प्रदेश का क्या हाल बनाते जा रहे हैं. उप मुख्यमंत्री जी, आप तो बहुत विद्वान हैं, मेरा यह कहना है कि कुछ तो इज्जत हमारी भी विधायकों की जब क्षेत्र में जायें..
सभापति महोदय--ओमकार जी, प्रश्न पर आइये.
श्री ओमकार सिह मरकाम--सभापति महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि प्रदेश एवं देश के विकास की बुनियाद शिक्षा है. शिक्षा के बिना किसी भी देश की, किसी भी समाज के विकास की बुनियाद आगे नहीं बढ़ सकती है. शिक्षा से जुड़ा हुआ यह प्रश्न है. जिस प्रश्न पर लगातार प्रमाणित जानकारियां आ रही हैं और सरकार ने भी अगर किसी को निलम्बित किया है, तो प्रमाण के आधार पर ही निलम्बित किया है. मेरा प्रश्न है कि क्या मुख्यमंत्री जी इस विषय को संज्ञान में लेकर के राज धर्म निभाते हुए प्रदेश की जनता के प्रति अपना संदेश इस माध्यम से दें कि जो भी गड़बड़ी करने वाले हैं, उनको दण्डित करके निष्पक्ष न्याय मुख्यमंत्री जी कर रहे हैं,ऐसा मैं मुख्यमंत्री जी से चाहूंगा, मैं उप मुख्यमंत्री जी का दायर जानता हूं. उप मुख्यमंत्री जी एक विभाग के हैं. क्या इसमें निर्देश देंगे. मेरा इसमें सिर्फ प्रश्न यह है कि मुख्यमंत्री जी इस विषय को जरूर अपने, क्योंकि विशेषाधिकार है, मुख्यमंत्री जी जरूर जवाद दें और अगर कहीं न कहीं लोकतंत्र में विधायिका के ऊपर एक कलंक लगा है.
सभापति महोदय:- आप प्रश्न पूछिये, सरकार जवाब देगी. आप प्रश्न पूछकर समाप्त करिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम:- माननीय पूछ रहा हूं आप ही तो सिखाते हैं कि ऐसा प्रश्न करना है. अब आप उधर बैठ गये हैं तो समय ही नहीं दे रहे हैं, क्या बात है. जब आप डिण्डोरी के प्रभारी मंत्री थे तो सिखाते थे कि लड़ना पीछे न हटना तो अब लड़ रहे हैं.
मेरा पहला निवेदन है कि माननीय मुख्य मंत्री जी इस विषय को लेकर के, क्योंकि हमारे 230 से जुड़ा हुआ है. नेताओं के प्रति जनमानस में दृष्टि ठीक नहीं है. ठीक है, चुनाव एक मजबूरी हो जाती है तो वह कहते हैं कि क्या करें, देना ही पड़ेगा, इसको दें, उसको दें. मेरा आपसे यह अनुरोध है कि क्यों आप हमारे डॉक्टर हैं. मुख्यमंत्री से मेरी एक अपील है कि जब आप डॉक्टर की पढ़ाई कर रहे थे उस समय इस तरह से यदि ऐसे फर्जी मेडिकल वाले आ जाते तो मुश्किल हो जाता. इसीलिये मेरी आपसे दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना है और एक और प्रार्थना है कि आप इसको राजनैतिक रूप से न देखें. यह कांग्रेसी, भाजपाई यह न देखें. यह हमारे चरित्र का मामला है. नेताओं की नेतागिरी खराब होती जा रही है.
सभापति महोदय:- मरकाम जी, आप कृपा करके अपना प्रश्न पूछें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम:- मेरा पहला प्रश्न यह है कि शैक्षणिक व्यवस्था के संचालन में इतना लापरवाह क्यों ?
दूसरा, इतनी गड़बड़ी होती जा रही है, हमें भी अफसोस है. यदि उच्च न्यायालय दखल कर रहा है और हमारे ऊपर आ रहा है तो हमें भी दर्द . मेरा प्रश्न यह है कि बच्चों के जो तीन-चार खराब हुए हैं. मैं जानता हूं कि हमारे क्षेत्र की एक दिव्यांग बच्ची के पिताजी ने अपनी जमीन बेचकर के फीस वहां के इंस्टीट्यूट में 85 हजार रूपये प्रतिवर्ष. वह सिर्फ 10 हजार रूपये कम थे तो वह मान नहीं रहा था. दिव्यांग बच्ची के गार्जियन को मैं अपनी गाड़ी में लेकर के गया था. जब मैंन गया तो उन्होंने कहा कि विधायक जी 10 हजार रूपये तो देना ही पड़ेगा. शुक्ल साहब हमने मदद की और फीस जमा की. आज उनके आंख में आंसू हैं.
मैं चाहता हूं कि क्या सरकार ऐसे छात्र तीन वर्ष तक अपनी परेशानियों का सामना करते हुए अपना भविष्य दांव पर लगा दिया. उसके लिये क्या मध्यप्रदेश सरकार विशेष पैकेज देकर के उनकी जो उम्र है, उसमें छूट प्रदान करते हुए उनकी संपूर्ण शिक्षा का पुन: अवसर देने के लिये क्या निर्णय लेगी.
सभापति महोदय:- धन्यवाद, मरकाम जी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम:- तीसरा प्रश्न ..
सभापति महोदय:- अभी और प्रश्न हैं ?
श्री ओमकार सिंह मरकाम:- माननीय जबलपुर कमजोर नहीं है. वह तो अलग बात है कि भाजपा सरकार में इज्जत नहीं होती है. जबलपुर वाले राकेश भैया को मंत्री बनाया है तो फंड ही नहीं होता है. हम लोग रोड मांगते हैं है तो कहते हैं कि फंड ही नहीं है, क्या करें.
मेरा तीसरा प्रश्न ये है कि माननीय सभापति महोदय जी, जो बच्चे के आर्थिक नुकसान के अलावा, जिनके परिवार के बच्चे के गार्जियन उम्मीद कर रहे थे कि इस जमीन को बेच दूंगा तो मेरी बेटी पढ़ाई करके नौकरी करने लगेगी उनकी जमीन खत्म हो गयी है.ऐसे लोगों को जिनने-जिनने जमीन बेची, कर्जा लिया उनके कर्ज के लिये क्या स्पेशल पैकेज मध्यप्रदेश सरकार देगी ? ताकि उनका जो कर्जा है, जिन्होंने कर्जा बैंक से लिया है तो क्या नैतिकता परिचय वर्तमान की भाजपा सरकार देगी ? ईमानदारी के साथ माननीय मुख्यमंत्री जी मैं तो चाहूंगा और प्रार्थना भी करूंगा और दो नारियल भी चढ़ाऊंगा भगवान को कि मुख्यमंत्री जी को सदभूद्धि आये और इसमें स्वाभिमान के साथ अपनी बात रखे.
सभापति महोदय:- ओमकार जी, आपके आखिरी प्रश्न के लिये धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम:- आखिरी में एक बात और बोलना चाहता हूं कि चूसता है खून गरीब का, उसे शैतान कहते हैं, करता है मदद गरीब की उसे इंसान कहते हैं. मुझे पता है कि वह इंसानियत का परिचय देंगे.
सभापति महोदय:- आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय - श्रीमती झूमा सोलंकी, पुनः निवेदन है कि सिर्फ प्रश्न पूछें और 2 से ज्यादा प्रश्न न पूछें.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी (भीकनगांव) - सभापति महोदय, नर्सिंग घोटाला, एक तरह से सभी लोग समझ रहे हैं कि यह बहुत गंभीर मामला है और बड़े दुःख के बाद कहना पड़ रहा है कि माननीय मंत्री जी वगैरह कह रहे हैं कि भूख लगी है तो मुझे लगता है कि इतने लाखों युवाओं का भविष्य अंधकारमय हुआ है और उसके लिए हम लोग एक घंटा भूखे नहीं रह सकते हैं, यह बहुत दुःख की बात है.
नर्सिंग घोटाले पर हमारे विपक्ष की ओर से सभी साथियों ने अपनी बात रखी है. काफी अनियमितताएं हुईं. भ्रष्टाचार हुआ है. इनके ऊपर कार्यवाही होना चाहिए. चूंकि आपने सीधे प्रश्न का ही बोला है तो मैं आपसे कहना चाह रही हूं कि मरकाम जी ने जो कहा है कि आर्थिक रूप से लगातार बच्चे एक ही क्लास में हैं. एक ही क्लास में पढ़ना? आप बताइए कि वे मानसिक और आर्थिक रूप से कितने आहत हुए हैं? क्या आप इनको जनरल प्रमोशन देंगे? और उनकी पढ़ाई लगातार हो क्योंकि अपात्र जितने कॉलेज थे, वहां पर उन बच्चों को अपात्र घोषित कर दिया गया है, उन बच्चों को जो पात्र कॉलेज हैं, वहां पर उनकी पढ़ाई जारी रखें, उनका रिजल्ट दें और उस दरम्यिान जो आर्थिक रूप से उनके परिवारों ने पैसा उठाकर उनकी पढ़ाई करवाई है तो क्या उनको छात्रवृत्ति दी जाएगी? क्योंकि इसमें एस सी, एस टी और पिछड़ा वर्ग, गरीब बच्चों ने भी पढ़ाई की है, उनको छात्रवृत्ति मिले. यह मेरा पहला प्रश्न है.
दूसरा, आप सभी लोग जानते हैं कि नर्सिंग की ट्रेनिंग ज्यादातर बच्चियां लेती हैं और सेवाएं देती हैं. जीवन भर अपने स्वास्थ्य की सेवाओं के प्रति जवाबदारी के साथ अपना काम करती हैं. बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, यह स्लोगन कहां तक सार्थक है? मैं इस सदन से पूछना चाहती हूं कि इन बच्चियों के साथ जो अन्याय हो रहा है, उनको न्याय मिले और उनको कहीं न कहीं अन्य पदों पर भी आगे बढ़ाने के लिए उनको मदद दी जाय, जब माननीय मंत्री जी बात कहें तो इसको जरूर ध्यान रखें. सभी पढ़ने वाले विद्यार्थियों के मूल दस्तावेज उनके पास में नहीं हैं. पिछले इतने सालों से न उनकी परीक्षाएं हो रही हैं, न वे कहीं और कुछ काम कर पा रहे हैं. अन्य जगह और कुछ पढ़ सकें, अध्ययन कर सकें, लेकिन वह यह नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनके मूल दस्तावेज मनमानी के साथ कॉलेजों ने, उनके जिम्मेदारों ने ले रखे हैं. उनके दस्तावेज उनको अविलंब दिये जाये और उनके साथ में न्याय हो. यह सम्पूर्ण घटना मात्र ध्यान आकर्षण के रूप में नहीं, बल्कि इस पर पूरे दिन भर चर्चा होनी थी ताकि उन युवाओं की बात पर सदन में चिंता है, इसका एक संदेश जाता पूरे मध्यप्रदेश में कि यहां पर उनके साथ में न्याय होगा तो मैं चाहती हूं कि यह सारी बातें उप मुख्यमंत्री जी जरूर कहें. सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर (पृथ्वीपुर) - सभापति महोदय, नर्सिंग कॉलेज का मामला कोई मामूली मामला नहीं है. इसने न सिर्फ प्रदेश के युवाओं का भविष्य बर्बाद किया है बल्कि हमारे प्रदेश के हैल्थ इनफ्रास्ट्रक्चर को तोड़ा है, इससे मरीजों का जीवन भी अधर में लटक सकता है. मेरा सीधा प्रश्न है कि नियमों के मुताबिक नर्सिंग कॉलेज केवल तभी चल सकता था जब उसका क्षेत्रफल कम से कम 23 हजार वर्गफिट हो, नये नियम में इसको घटाकर 8 हजार वर्गफिट क्यों कर दिया गया? साथ ही सहायक प्रोफेसर और छात्रों के 10:1 अनुपात को घटाकर 20:1 कर दिया गया, ऐसा क्यों? नर्सिंग लैब के न्यूनतम क्षेत्र को 1500 वर्गमीटर से संशोधित कर 900 वर्गमीटर कर दिया गया, ऐसे कई फैसलों से सभापति महोदय, कई लोगों को शक है कि सिस्टम में कोई तो है जो घोटाला करने वालों का मददगार है. सभापति महोदय जी, प्रदेश जानना चाहता है कि नियमों को बदला गया, वह किसकी सिफारिशों पर बदला गया और खासतौर पर मेरा कहना है कि उन सवा लाख छात्रों का क्या होगा, जो 4 साल से परीक्षा का इंतजार करते रहे. अब परीक्षा शुरू हुई, लेकिन जिन कॉलेजों पर रिश्वत देकर पात्र सर्टिफिकेट हासिल करने का आरोप है वहां के हजारों छात्रों के भविष्य संकट में आ गए. उन युवाओं का समय क्या कोई वापिस कर सकता है या उनके परिवार के जो पैसे खर्च हुए, क्या उनको कोई वापिस कर सकता है. इसका जवाब हम माननीय मंत्री जी से चाहते हैं. आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ.विक्रांत भूरिया (झाबुआ) -- सभापति महोदय जी, बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं इस विषय पर अपनी बात रखना चाहता हॅूं और सवाल भी करना चाहता हॅूं क्योंकि जिस फील्ड से मैं आता हॅूं वह मेडिकल फील्ड है और नर्सिंग घोटाला हमारी फील्ड से जुड़ा हुआ है. सदन के सामने मैं कुछ बातें रखना चाहूंगा. सरकार का सबसे पहला दायित्व क्या है. सबसे पहला दायित्व शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा देना है. इस घोटाले में शिक्षा तो तार-तार हुई ही है, पर इस प्रदेश के स्वास्थ्य के साथ भी जबरदस्त खिलवाड़ हुआ है और ऐसे लोगों को, जिन्हें पहले व्यापमं में फर्जी डॉक्टर बनाया गया, आज नर्सिंग घोटाले के माध्यम से फर्जी नर्सिंग स्टॉफ बनाया जा रहा है और यह कहीं न कहीं पूरे प्रदेश के लिए चिन्ता का विषय है. मैं आज एक एप्रिन में आया हॅूं. एक डॉक्टर एप्रिन कब पहनता है, वह तब पहनता है जब उसे किसी की जान बचानी होती है.
सभापति महोदय -- विक्रांत जी, प्रश्न पूछिए.
डॉ.विक्रांत भूरिया -- सभापति महोदय, मैं प्रश्न पूछूंगा और दो प्रश्न ही पूछूंगा. हम तो नए लोग हैं. हम पहली बार के विधायक हैं. यदि आप ही हमारा सरंक्षण नहीं करेंगे, तो हमारा सरंक्षण कौन करेगा ? और आज मुझे आपके सरंक्षण की जरूरत है इसलिए मैं अपनी बात रख रहा हॅूं कि आज पूरे प्रदेश को बचाने के लिए हम लोगों को एकजुट होना पडे़गा. भ्रष्टाचार हुआ है, धांधली हुई है, घोटाला हुआ है, यह प्रमाणित है. आपको मैं बता दूं कि इस सरकार ने तब तक कार्यवाही नहीं की, जब तक की कोर्ट ने उसका संज्ञान नहीं लिया. अगर सरकार को कार्यवाही करनी होती, तो पहले ही करनी चाहिए थी. जब माननीय न्यायालय ने संज्ञान लिया और सीबीआई को जॉंच सौंपी, तब पता चलता है कि सीबीआई ने भी फर्जीवाड़ा कर दिया और सबसे बड़े दुख की बात आप सबके सामने रखना चाहूंगा कि वर्ष 2018 में नर्सिंग के नियम बनाए गए और उसमें जो एरिया की बात की गई, वह कम से कम 23,200 स्क्वेयर फीट क्षेत्र की बात की गई. अगर आपको नर्सिंग कॉलेज खोलना है और आपको बता दूं कि जैसे ही कोर्ट ने कहा, सीबीआई जॉंच हुई. उसमें परिवर्तन कर दिया गया. यह गंभीर विषय है. यह राजपत्र मैं आपके सामने रखना चाहता हॅूं. (कागज दिखाते हुए) यह 21 फरवरी 2024 का है और उसमें जितने क्षेत्र की आवश्यकता थी, उसे 23,200 स्क्वेयर फीट से घटाकर 11,600 स्क्वेयर फीट कर दिया गया. यह गंभीर विषय है. इसका मतलब यह था कि जो अनुपयुक्त कॉलेज थे, उनको क्राइटेरिया में लाने का प्रयास किया गया है.
सभापति महोदय -- विक्रांत जी, यह सारी बातें आपके पूर्व वक्ताओं के द्वारा दी गई हैं. इसलिए मेरा निवेदन है कि उनकी विद्वता पर प्रश्नचिन्ह मत लगाइए, आप अपना प्रश्न पूछिए.
डॉ.विक्रांत भूरिया -- सभापति महोदय, मैं पूछना चाहता हॅूं कि अगर यह धांधली हुई है और जांच के बाद धांधली हुई है तो क्या माननीय मंत्री जी ने अपने पद का दुरूपयोग नहीं किया है ? सवाल यह है कि कोर्ट में जो विषय चल रहा है वह उपयुक्त, अनुपयुक्त नर्सिंग कॉलेजों का चल रहा है लेकिन उसमें माननीय मंत्री जी की जो भूमिका है, उस पर यह सवाल कौन करेगा ? मैं आपको बता दूं, मैं अभी उस पर भी आ रहा हॅूं. बात यह है कि हमारा आरोप है और मैं यह प्रमाण के साथ बोल रहा हॅूं कि मंत्री जी ने अपने करीबियों को नर्सिंग कॉलेज की बंदरबांट की है और मैं इसमें सबसे बड़ा उदाहरण भोपाल पब्लिक हायर सेकेण्डरी स्कूल का दूंगा, जो साकेत नगर में है. यहां से सिर्फ 7 किलोमीटर दूर है. उसमें जो संचालक हैं, वह दीपक गुप्ता हैं. उनके भाई सूर्यकांत गुप्ता वह पार्षद हैं भारतीय जनता पार्टी के, वह मंत्री जी के खास हैं.
सभापति महोदय—आप प्रश्न पूछिये भाई.
डॉ.विक्रांत भूरिया-- सभापति महोदय पद का दुरूपयोग हुआ है कि नहीं हुआ है, यह एक हमारा प्रश्न है ? दूसरा प्रश्न उसी स्कूल में दो नर्सिंग कालेज का रजिस्ट्रेशन है. अब यह बताइये कि एक स्कूल है जहां पर दो शिफ्ट में क्लास लगती है उसमें दो नर्सिंग कालेज का रजिस्ट्रेशन कैसे हो गया ? तीसरा सवाल यह है कि मध्यप्रदेश में 16 नर्सिंग कालेज थे. 16 में से जो सरकार के कालेज हैं उसमें से 8 को रिजेक्ट कर दिया गया है. मतलब कि अनुपयुक्त हैं तो यह साफ नहीं है कि हम एक तरफ प्रायवेट नर्सिंग कालेज खोल रहे हैं और सरकार के नर्सिंग कालेज को पूरी तरह से दरकिनार कर रहे हैं. क्योंकि सरकार के नर्सिंग कालेज में गरीब परिवार के लोग पढ़ते हैं जो पैसा नहीं दे सकते हैं और जो पैसा दे सकते हैं वह तो पैसा देकर नर्सिंग कालेजों में पढ़ रहे हैं उसमें फर्जी कामों के माध्यम से अपना काम पूरा कर रहे हैं. मैं सवाल करता हूं कि यहां पर जो बच्चों की बात की गई है.
2.32 बजे {अध्यक्ष महोदय(डॉ.नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय, जिन बच्चों को भटकते भटकते चार साल खराब हो गये हैं पर परीक्षाएं नहीं हो रही है.
सभापति महोदय—यह विषय भी आ चुका है. आप बाकी सदस्यों की भी चिन्ता करें. आपके बाद में आपकी पार्टी के और भी सदस्यों को बोलना है.
डॉ.विक्रांत भूरिया—अध्यक्ष महोदय उनका अधिकार है उनको बोलना भी चाहिये. एक बात मैं कहना चाहता हूं कि यह बात बार बार यहां पर लाई जाती है कि घोटाले को कांग्रेस के समय में किया गया है. मैं यह दावे से कहता हूं और प्रमाण के साथ कहता हूं कि कांग्रेस की जब सरकार थी तब 50 से 60 नर्सिंग कालेज खुले थे. पर जैसे ही बीजेपी की सरकार आयी 219 नर्सिंग कालेज खोले गये तो क्या यह लोग पूरी तरह से भ्रष्टाचार से लिप्त नहीं थे. आखिर में अपनी बात रखते हुए मैं यह कहता हूं कि हमारा जो सिस्टम है उसको बदलने की जरूरत है. जो भ्रष्टाचारी हैं उनको दरकिनार करने की जरूरत है. आज हमारा जो मध्यप्रदेश का युवा है. वह अगर सीबीआई पर भरोसा नहीं कर सकता, सरकार पर भरोसा नहीं कर सकता तो किस पर भरोसा करेगा ? मैं यह मानता हूं कि सिर्फ इसमें सीबीआई जांच से काम नहीं होगा. इस विधान सभा को एक कमेटी का गठन करना चाहिये. जो इसमें जांच करें उसमें दूध का दूध और पानी का पानी करे. मैं यह प्रश्न करता हूं और उम्मीद करता हूं कि इस पर सरकार बहुत ही गंभीरता के साथ निर्णय लेगी और भ्रष्टाचारियों का साथ नहीं देंगी. जो मगरमच्छ हैं उनको जेल पहुंचाने का काम करेगी. धन्यवाद.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे—अध्यक्ष महोदय, इस महत्वपूर्ण चर्चा में माननीय मुख्यमंत्री जी उपस्थित रहते तो अच्छा रहता. वह सदन के मुखिया हैं. प्रदेश के युवाओं के प्रति उनकी चिन्ता शायद है नहीं जितनी होनी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय—सारे मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी इस सदन में होती है. सारे वरिष्ठ मंत्री यहां पर बैठे हुए हैं. एक मंत्री तो आपके बगल में बैठे हैं. वह पूरी चिन्ता के साथ ग्रहण कर रहे हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)—इस चर्चा में अभी कांग्रेस पार्टी की तरफ से 7-8 वक्ताओं का बोलना बाकी है. उसमें माननीय नेता प्रतिपक्ष भी हैं उसमें जवाब भी आयेगा. अभी भूख भी लग रही है और भाषण भी हो रहे हैं तो मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि लंच ब्रेक कर दें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—अध्यक्ष महोदय, 24 घंटे भूखे रहकर काम हो सकता है. अभी तो 24 घंटे तो हुए ही नहीं है इसलिये आपको याद दिला रहा हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय जी— अध्यक्ष महोदय, माननीय विक्रांत जी ने वही बातें बोली हैं एक भी नयी बात नहीं बोली है. बाकी सब रिपीटेशन हो रहा है. उसमें आपके लिये कुछ बचेगा नहीं.
श्री उमंग सिंघार—आप माननीय संसदीय कार्य मंत्री हैं. लाबी में ही लंच की व्यवस्था करा दें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय— अध्यक्ष महोदय, पहले बोलते तो करवा देते. मेरा निवेदन है कि साढ़े तीन बजे तक के लिये लंच ब्रेक कर दें.
श्री उमंग सिंघार—हम तो नियमित चर्चा कराने के लिये सहमत हैं. जैसे आपकी मर्जी.
अध्यक्ष महोदय—सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.30 बजे तक के लिये स्थगित .
(अपराह्न 2.35 से 3.30 बजे तक अंतराल)
03.41 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय - श्री फुन्देलाल सिंह मार्को जी, अब सभी सदस्य एक एक मिनट में अपनी बात करेंगे, अपनी अपनी बात सोच लो.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को(पुष्पराजगढ़) - अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, संरक्षण का सवाल नहीं है, ये ध्यानाकर्षण है , ध्यानाकर्षण जिनका होता है वह विस्तार से बोलते हैं, बाकी लोगों को एक प्रश्न करने का अधिकार है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - अध्यक्ष जी, अभी तक आपने इतनी अच्छी चर्चा करवा दी. मैं आसंदी को प्रणाम करते हुए अपनी बात को रखूंगा. अध्यक्ष जी, मुझे ऐसा लगा कि माननीय तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री धृतराष्ट्र की तरह मंत्रालय को चला रहे थे. पता नहीं क्यों उनके कान में बच्चों की आवाज नहीं गूंजी, उन बच्चों की हड़ताल, धरना, प्रदर्शन को आपने क्यों नहीं देख पाया, उन फाइलों को, उन अधिकारियों के द्वारा उनके विभाग के द्वारा जो माननीय मंत्री के अवलोकन के लिए आई, उस फाइल में कितना वजन था और क्या कारण से आपने तीन साल, चार साल तक जो आपने परमिशन दिया और बच्चों की परीक्षा नहीं हो सकी, उन बच्चों के भविष्य के बारे में आपने विचार नहीं किया, माननीय मंत्री जी. माननीय अध्यक्ष जी इस घटना से, इस घोटाला से चाहे वह सत्ता का हो चाहे विपक्ष का हो.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष जी, भजन के बाद तो भाषण सुनने की क्षमता नहीं है, इसको प्रश्न तक ही सीमित रखें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - आप भोजन करके बैठे हैं, आपने ही स्वीकृति दिया था कि भोजन कर लें फिर सुनेंगे.
अध्यक्ष महोदय - मार्को जी आप अपनी बात पूरी करिए.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - अध्यक्ष महोदय, उन बच्चों की चिन्ता हमें और आपको दोनों को है. ये सरकार साढ़े आठ करोड़ जनसंख्या वाले प्रदेश और जहां बच्चों को सर्वांगीण विकास की दिशा में शिक्षा, स्वास्थ्य और तमाम गतिविधियों, चाहे एकल हो, सामूहिक हो उस पर चिन्तन करने की जवाबदारी पक्ष और विपक्ष दोनों की है. ये घटना जब घटी पूरे प्रदेश में एक वातावरण बना कि ये सरकार (XXX) है, ये सरकार (XXX) करके उन कॉलेजों को अनुमति दी. आप क्यों नहीं एक भी बार वहां जाकर देखें, उन कॉलेजों की भूमि को, उन कॉलेजों की स्थिति को, जिसको हम मान्यता दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - मार्को जी आप प्रश्न करो, आप सरकार से क्या पूछना चाहते हों?
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - अध्यक्ष जी, उसी पर आ रहा हूं, लेकिन आपने ऐसी आवश्यकता नहीं समझा. अध्यक्ष जी, 2020 में तो कोरोनाकाल था,
उस कोरोना काल में हर व्यक्ति बचना चाह रहा था, प्राणों के लिये, आक्सीजन के लिये लोग परेशान थे. लोग अपने आपको बचने के लिये यहां वहां भाग रहे थे, एमडिसीवर और अन्य चिकित्सा के लिये लोग, जनता परेशान थी, उस समय तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी फाइलों को मंगवाकर दस्तखत करे जा रहे थे, इन पर कोविड लागू नहीं था, इनके विभाग पर कोविड लागू नहीं था कि आप उस समय लॉकडाउन था और लॉकडाउन के समय आपने जो है अनुमति कैसे दिया? आप उस समय जब बच्चे नहीं पढ़ रहे थे, आप कॉलेजों को बुला बुलाकर अनुमति दे रहे थे, इससे साफ जाहिर होता है कि इसमें तत्कालीन जो हमारे चिकित्सा शिक्षा मंत्री दोषी हैं. वह दोषी हैं और इस बात को पूरे प्रदेश की जनता कहती है. आपका सिस्टम खराब था, आपने किस प्रलोभन में किया, यह हम नहीं कहना चाहते हैं लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय --मार्को जी आप प्रश्न नहीं कर रहे हो, मैं मधु भगत जी को बुला रहा हूं, आपको कोई प्रश्न पूछना हो तो पूछो.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है और इसीलिए इस पर कार्यवाही होना चाहिए, मैं यह कहना चाहता हूं कि क्या तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री के ऊपर कार्यवाही होगी? नंबर दो तीन साल से प्रदेश के उन नर्सिंग कॉलजों में जो पढ़े, जिनसे मोटी-मोटी रकम वसूली गई, क्या उनके शुल्क उन बच्चों को वापस किया जायेगा कि नहीं ? यह भी माननीय मंत्री जी बतायेंगे, तीसरा इस सिस्टम में पटवारी से लेकर जिसने भूमि को नापा उसके बाद वह धीरे-धीरे चलते हुए और हमारे केबिनेट तक पहुंचा, यह सारी सिस्टम को क्या आप एक बार पुन: उसको जो है दंडित करेंगे ? ऐसा मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं, धन्यवाद.
श्री मधु भाऊ भगत (परसवाड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि पूर्व में तत्कालीन कार्यकाल के मंत्री एवं इस प्रदेश के अंदर जो वर्ष 2018 से संचालित नये नियम अनुसार जितने भी नर्सिंग कॉलेज खोले गये थे, वर्ष 2018,2019,2020,2021 और 2022 जिसके अंदर जो घोटाला सामने आया है, जिसमें कॉलेज की किसी प्रकार से उनकी मान्यता के अनुरूप उनकी व्यवस्था नहीं थी, फिर भी उसमें आया है. अध्यक्ष महोदय, मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा मैं सिर्फ कुछ मूल एक दो प्रश्न है, वह कर दूंगा क्योंकि मैं समय की सीमा को समझ रहा हूं और समय को देखते हुए मैं सिर्फ दो तीन प्रश्न मेरे जो जहन में चल रहे हैं कि अगर घोटाला होता है तो इसके जो दोषी होते हैं, क्या उनके ऊपर कार्यवाही होना चाहिए या नहीं होना चाहिए? अगर होना चाहिए तो उसमें तत्कालीन कौन था, वर्तमान में कौन है और कहां पोस्टेड है? उस नर्सिंग घोटाले के अंतर्गत इस कानून व्यवस्था को अगर मजबूत नहीं रखेंगे तो कहीं न कहीं बच्चों का भविष्य जो एक तो खिलवाड़ में जा चुका है, आने वाले वर्तमान में तो परेशान है, भविष्य की उनको चिंता सता रही है कि कहीं अगर हम एडमीशन ले लेंगे तो फिर इसका क्या होगा? मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि काउंसलिंग की जो रजिस्ट्रार महोदया चंद्रकला जी हैं एवं सुनीता सीजू यह इस पद के पात्र है या नहीं? यह प्रश्न खड़ा होता है, चूंकि इसमें ऑलरेडी जूनियर को रजिस्ट्रार का प्रभार दिया गया है, जबकि शासन के नियमानुसार वरिष्ठ अधिकारी को प्रभार दिया जाता है परंतु यह जूनियर को दिया गया है. इसमें सुनीता सीजू पर लोकायुक्त की जांच ऑलरेडी चल रही है, ऐसी परिस्थिति में रजिस्ट्रार का पद नियुक्त करना क्या यह शासन और इस प्रशासन का दायित्व बनता है? यह प्रश्न खड़ा होता है. कहीं न कहीं पर अगर वर्ष 2020 में पांच मंत्री उस शासन पर काबिज हैं, तो उस शासन पर काबिज होने पर अगर पांच मंत्री हैं और हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जो अभी हमारे कृषिमंत्री हैं, उस समय मुख्यमंत्री हुआ करते थे, वह भी थे, उनके कार्यकाल में इसको जो संचालित कर रहे थे. माननीय सुलेमान अपर मुख्य सचिव जो आज भी पद पर बने हुए हैं, यह क्या दोषी नहीं है ? प्रश्न मैंने अपने खड़े किये हैं, प्रश्न बच्चों के हैं, प्रश्न इस मध्यप्रदेश के उस शिक्षा संस्थान के हैं और प्रश्न अभी वहां जो ऑलरेडी घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं के हैं. इसके पहले मैं व्यापमं का नाम बिल्कुल नहीं लूंगा, क्योंकि मैं बोलूंगा तो आवाज फिर से सामने से आयेगी कि फिर आपने व्यापम बोलकर टाइम खराब किया, जबकि हकीकत तो यह है कि आज प्रदेश के अंदर शिक्षा व्यवस्था छिन्न-भिन्न है, अगर वह शैक्षणिक किसी नर्सिंग से, हास्पिटल से रिलेटेड कहीं शिक्षा ले रहा है तो वह कहीं न कहीं अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहा है. मैं एक शब्द और संज्ञान में लाना चाहूंगा माननीय अध्यक्ष महोदय जी, चूंकि मैं एक आदिवासी बालाघाट क्षेत्र से आता हूं मुझे बोलने का अवसर बहुत कम मिलता है.
अध्यक्ष महोदय-- आपको हमेशा अवसर मिलता है, ऐसा नहीं है.
श्री मधु भाऊ भगत-- माननीय अध्यक्ष जी एक बार मिला, मैं बहुत-बहुत धन्यवाद आपको देता हूं कि आपने हमेशा मुझे अवसर दिया है. प्रश्न के माध्यम से तो आयेगा तो जरूर मैं सवाल करूंगा. लेकिन मैं यहां पर बैठे हुये स्वास्थ्य मंत्री जी से आग्रह करना चाहूंगा कि बालाघाट के ऊपर आप विशेष ध्यान दें, मैं आपसे पर्सनल मिलने आपके बंगले पर भी गया था और आपसे मैंने कहा था कि स्वास्थ्य सेवायें बिलकुल ठीक नहीं हैं, कहीं न कहीं पर गड़बड़ है. माननीय अध्यक्ष जी, मैंने अपने प्रश्न खड़े कर दिये हैं यह भ्रष्टाचारियों को और इसमें यह न देखा जाये कि कौन किस पद पर है, कौन इसमें प्रमुख है, कौन इसमें प्रभावशाली ओहदा रखता है, यहां पर न्याय होना चाहिये और उनको दण्ड मिलना चाहिये. अगर किसी को निष्कासित करना है तो निष्कासित करना चाहिये और किसी को इस्तीफे की पेशकश अगर हम लोग कर रहे हैं तो उनको इस्तीफा देना चाहिये. बहुत बहुत धन्यवाद माननीय अध्यक्ष जी आपने बोलने का समय दिया.
अध्यक्ष महोदय-- श्री सुरेश राजे जी बोलना चाहते हैं.
श्री सुरेश राजे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नहीं.
श्री नारायण सिंह पट्टा-- (अनुपस्थित)
श्री राजन मण्डलोई (बड़वानी)-- अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से जो नर्सिंग घोटाला है इस पर मुझे दो प्रश्न खड़े करना है. समिति की बात तो पुराने वक्ताओं ने बोल दी है पर इसमें बड़ी विचित्र स्थिति पैदा हुई है कि जो नर्सिंग कॉलेज है इसके अंदर एक ही व्यक्ति 8-8 कॉलेज के प्राचार्य रहे और एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज की दूरी लगभग 100-100 किलोमीटर तक रही. एक व्यक्ति मिस्टर बिष्णु स्वर्णकार 15 कॉलेज का प्रिंसीपल रहा और एक महिला लीना नायक जी जो 8 कॉलेज की प्राचार्य रही. ऐसे कई मामले हुये हैं. मेडीकल नर्सिंग कॉलेजों में न कोई फेकल्टी, न कोई टीचर, न कोई स्टॉफ और जो नर्सिंग कॉलेज चला रहे हैं उनके पास कोई मेडीकल अस्पताल, न कोई बेड जहां वह ट्रेनिंग कर सकें तो यह सिर्फ कागजों में चलाया है और जो बच्चे हैं जिनके 3-3, 4-4 साल एग्जाम नहीं हुये और उनके जो डाक्यूमेंट हैं वह कॉलेज वालों ने जोर जबरदस्ती रख लिये, वह कहीं दूसरी जगह एडमीशन भी नहीं ले पाये, उनका भविष्य अलग खराब हुआ है तो ऐसी परिस्थिति में यह जो घोटाले हैं यह बड़े स्तर पर लंबे समय तक चलते रहे. क्या कारण रहा कि मंत्री जी ने या उस विभाग ने इन नर्सिंग कालेजों को उनके नालेज में, विभाग के नॉलेज में यह सब घोटाले होते गये, सरकार ने इन घोटालों को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया. धन्यवाद माननीय अध्यक्ष जी.
श्री पंकज उपाध्याय (जौरा)-- माननीय अध्यक्ष जी, यह इतना पवित्र पेशा है इतनी पवित्र सेवा है जो नर्स बनते हैं उन्हें इतनी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है और इस घोटाले ने निश्चित रूप से उस पवित्र पेशे पर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है. अध्यक्ष जी, हमारा प्रदेश इन घोटालों के परिणाम से यह हुआ कि नवजात शिशु मृत्युदर, बाल मृत्युदर, गर्भवती महिला मृत्युदर, कुपोषण इन सबमें हम 10 साल से पूरे देश में हम सबसे अव्वल हैं. प्रदेश की औसत आयु संपूर्ण देश में 5 साल कम है और कोरोना काल में 10 से 12 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई. कहीं न कहीं यह नर्सिंग घोटाला इसके पीछे बहुत दोषी है. मैं आपसे अनुरोध करता हूं, निवेदन करता हूं कि जो भी लोग दोषी हैं उन लोगों की जवाबदारी तय की जाये उन्हें दण्ड दिया जाये. जिन अधिकारी, कर्मचारियों ने पूरी ईमानदारी से काम नहीं किया जो लोग यह नहीं देख पा रहे थे कि एक ही प्राचार्य 15-15 जगह नौकरी कर रहा है, कैसे कोई कर सकता है. अध्यक्ष महोदय, कितना बड़ा खेल हुआ है यह निश्चित रूप से देखने वाली बात है और इस सदन की हम सबकी भूमिका बनती है. बिना किसी पार्टी और बिना किसी भेदभाव के अगर इतना बड़ा घोटाला हो रहा है तो हम देखें कि हमारे बच्चों के भविष्य के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ हो रहा है.
यह कांग्रेस और बीजेपी की बात नहीं है यह हम सब लोगों की बात है अगर हम सब लोग आँख मूंद कर पार्टी और पालिटिक्स देखकर दोषियों की रक्षा करेंगे तो आने वाले भविष्य में लोग हमें माफ नहीं करेंगे और आने वाली पीढ़ियां हमें ही दोषी मानेंगी. मेरा इतना ही निवेदन है कि जिन छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है उन्हें निश्चित रूप से मुआवजा मिलना चाहिये. जो लोग नौकरी में लेट हुए हैं उन्हें 3-4 साल का अलग से और समय देना चाहिये ताकि वह अपनी तैयारी कर सके और हमें इस मामले को संवेदनशील तरीके से गंभीरता से रखना चाहिये. धन्यवाद.
श्री प्रताप ग्रेवाल(सरदारपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रदेश का संवेदनशील मामला है. मेरा आपसे यही अनुरोध है कि जिन नर्सिंग कालेजों में गड़बड़ियां हुई हैं वे सारे के सारे कालेज किनके द्वारा चलाये जा रहे थे उनके नाम क्यों छिपाए जा रहे हैं. स्कूल कालेज बंद करने से न्याय नहीं मिलता और जो तत्कालीन रजिस्ट्रार थे जिनको नौकरी से बर्खास्त किया है. उनके काल डिटेल की जांच की जाए साथ ही लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया जाए. किसके कहने पर उन्होंने काम किया क्यों किया और उनके ऊपर किसका दबाव था यह जवाबदेही तय होनी चाहिये. धन्यवाद.
श्री दिनेश जैन "बोस"(महिदपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्सिंग घोटाला एक बहुत बड़ा घोटाला है. आज हमारे मध्यप्रदेश के लोग चिकित्सा की ओर इसलिये जाते हैं कि हमारे बच्चों को नौकरी मिल जाए. मध्यप्रदेश में आज चिकित्सा के क्षेत्र में,स्वास्थ्य विभाग में नौकरियों की बहुत कमी है. वे बहुत पैसा कमाकर बहुत मन्नत से बच्चों को पढ़ाते हैं लेकिन सदन में मैंने देखा है कि कल जब स्थगन प्रस्ताव हम लेकर आए तो हमें नियम,कानून बताए गए और हमें स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा नहीं करने दी गई और एक बंद कमरे में मीटिंग होती है और यह आदेश आता है कि ध्यानाकर्षण के माध्यम से आपको सुनाया जाएगा. यह कितना संवेदनशील विषय है. हजारों बच्चे बाहर आंदोलन कर रहे हैं और मैं पहली बार का विधायक हूं. सदन उसको गंभीरता से नहीं ले रहा है. कोई बोल रहा है कि नींद आ रही है. कोई शेर-शायरी कर रहा है. मैं पहली बार का विधायक हूं. मुझे बहुत खराब लगा कि (xx) वहां हजारों,लाखों लोग तड़फ रहे हैं कि सदन में हमारे लिये क्या होगा. मैं ज्यादा नहीं बोलना चाहता. मैं एक्चुअल फैक्ट पर ही बात करना चाहता हूं तो ऐसे महत्वपूर्ण विषयों पर पार्टी पालिटिक्स को नहीं देखा जाकर पूरी चर्चा की जाए.
अध्यक्ष महोदय - दिनेश जी, आपने कहा कि सदन गंभीर नहीं है. मैं समझता हूं कि सदन में सभी लोग गंभीरता से चर्चा कर रहे थे.बीच-बीच में इंटरवल कोई नहीं किया. जब सदन सहमत हुआ तो इंटरवल हुआ. इसलिये इसको विलोपित किया जाए. मर्यादाओं का आप ख्याल रखो.
संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय,यह सीधा-सीधा आसंदी पर आरोप है.
श्री दिनेश जैन "बोस" - मैं माफी चाहता हूं. मेरे दो प्रश्न हैं. 14 हजार फेकल्टीज हैं इसमें से 3 हजार फेकल्टीज आउट आफ स्टेट हैं और उनके पास कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है न उनके पास कोई निर्धारित डाक्यूमेंट हैं. उनके ऊपर कुछ कार्यवाही होगी.दूसरा मेरा प्रश्न है कि विष्णु कुमार स्वर्णकार जो 15 नर्सिंग कालेज में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और एसोसियेट प्रोफेसर है तो इसके ऊपर भी जांच बैठाकर कार्यवाही होगी. यह मेरे दो प्रश्न है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती सेना महेश पटेल (जोबट) -- अध्यक्ष महोदय, नर्सिंग घोटाले में जिस तरह से जो कृत्य हुए हैं, मेरा यह प्रश्न है कि 40 से अधिक कॉलेज जो मान्य नहीं हैं, क्या ऐसे कॉलेजों के ऊपर कार्यवाही होगी ? हमारे मध्यप्रदेश में ''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ'' का नारा दिया जाता है, लेकिन आज यहां यह प्रतीत हो रहा है कि हमारी ''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ'' का नारा कितना सक्सेस हो रहा है. आज मध्यप्रदेश रोजगार नहीं दे पा रहा है. हमारे नर्सिंग कॉलेज के जो बेटा-बेटी हैं, उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है. उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है और जो जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए हैं, उनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. मेरा सीधा सा प्रश्न यह है कि क्या जिन लोगों ने जिस तरह से ये जो काम किया है, उनके ऊपर कार्यवाही होगी या नहीं ? मैं बताना चाहूँगी कि हमारे जो बच्चे हैं, बेटा-बेटी हैं, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. उनकी जो पढ़ाई का स्तर है, उनकी एज ओल्ड होती जा रही है. अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्र हो या कोई भी क्षेत्र हो, हमारे आदिवासी समाज के बच्चे पलायन करने को मजबूर हैं. मैं चाहूँगी कि इसका जल्दी से जल्दी निराकरण हो और उन बच्चों को न्याय मिले. धन्यवाद.
श्री फूलसिंह बरैया (भाण्डेर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम काफी लोग, हमारे माननीय सदस्य बोल चुके हैं, लेकिन इसका कोई अर्थ नहीं है क्योंकि यह बहुत बड़ा घोटाला नहीं, महाघोटाला है. इसके लिए स्थगन पर पूरे दिन भर भी चर्चा होती तो भी कोई बड़ी बात नहीं थी क्योंकि लाखों लोगों के जीवन का सवाल है. लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो रही है और उनके घरवाले हैं, जो इंतजार कर रहे हैं कि मेरा बेटी नर्सिंग ऑफिसर बनकर के आएगी, उनका चूल्हा जलेगा. अध्यक्ष महोदय, करोड़ों लोग भूख से मरेंगे और हमारे सदन में चर्चा हो रही है कि भूख लगी है, भूख लगी है. करोड़ों लोगों के लिए अगर सदन में भूख से तड़प है तो बात यह होनी चाहिए थी कि करोड़ों लोगों के लिए हमें कुछ भी करना पड़ेगा, हम करेंगे. विषय को बहुत हल्के से लिया गया है. स्थगन के बाद इसको ध्यानाकर्षण में समेट दिया गया है. उसमें भी बड़ी सीमाएं बनाई गईं, प्रश्न करिए, प्रश्न करिए. एक घंटा प्रश्नकाल होता तो है, इसमें क्यों प्रश्न किए जाएं. अगर ऐसी कोई बात है तो बोल लेने दी जाए. मैं आपसे और इस सदन से समझना चाहता हूँ कि क्या इतने बड़े मुद्दे के ऊपर हम लोग कुछ बात नहीं कर पाएंगे ? क्या करोड़ों लोगों के जीवन से जुड़ी बातों को हम कह नहीं पाएंगे ? यह बड़ा विषय है, इसके ऊपर हमें गंभीरता से बात करनी चाहिए. मैं इसके ऊपर ज्यादा बात इसलिए नहीं करना चाहता हूँ क्योंकि काफी लोगों ने बात की है. यह बात सेंसलेस है, इसका कोई अर्थ नहीं निकलेगा, न इसके ऊपर कोई सस्पेंड होगा, न इसके ऊपर कोई एफआईआर लॉज होगी, न कोई जेल जाएगा. यह सारा का सारा विषय ऐसे दबा दिया गया, इसका कोई मतलब नहीं. मैं इस मौके पर फिर भी आपसे यह कहना चाहूँगा कि जब सभी से कहा गया है कि सवाल कीजिए. मैं इस विषय पर दो सवाल करूंगा. मेरा एक विषय है, जो फर्जी संस्थाएं हैं, जिनकी मान्यता खुद दी गई थी, उनको छोड़ दिया जाए. उस पर कुछ होना भी नहीं है. लेकिन जो संस्थाएं अभी आपके नजर में असली हैं, अगर ऐसा लगता है कि ये संस्थाएं सही कार्य कर रही हैं तो उन संस्थाओं में सरकार, मुख्यमंत्री महोदय, मंत्री महोदय, अगर आपको ऐसा लगता है कि जो संस्थाएं बची हुई हैं, उनमें मेरे सवाल हैं, उनका जवाब दिया जाए, एक सवाल है क्या इन संस्थाओं में शेड्यूल कॉस्ट, शेड्यूल ट्राइब और ओबीसी का प्रॉपर कोटा है ? अगर प्रॉपर कोटा नहीं है तो सिर्फ जवाब देने से ही काम नहीं चलेगा, इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसका भी जवाब हमें चाहिए. मुझे उम्मीद तो नहीं है, फिर भी मेरा दायित्व बनता है कि मैं सवाल पूछूँ. और दूसरा मेरा प्रश्न है कि ये जो छात्र-छात्राएं हैं, उनको स्कॉलरशिप नहीं दी जाती. पिछड़े वर्गों के लिए, एससी के लिए एवं एसटी के लिए तमाम सभी जगह पर पूरे मध्यप्रदेश के अन्दर इनको स्कॉलरशिप नहीं दी जा रही है, इनसे इतने चक्कर लगाए जाते हैं, जैसे उनके घर से ही यह पैसा आ रहा है. यह पैसा सरकार से आता है, सरकार को टैक्स से पैसा आता है, यह पैसा किसी के घर का नहीं है. लेकिन स्कॉलरशिप के नाम पर बच्चे को ऐसे प्रताडि़त करते हैं कि जब बच्चा स्कॉलरशिप मांगने जाता है तो उसे यह याद दिला देते हैं कि हम तुम्हें भीख दे रहे हैं. क्या अध्यक्ष महोदय सरकार इसका जवाब देगी ? यह भीख नहीं है. बाबा साहेब अम्बेडकर ने उस समय इसीलिए इस बात को रखा था कि जिन लोगों के घरों में पढ़ने का अधिकार नहीं है, उनको पढ़ने के लिए, उनको प्रोत्साहन देने के लिए क्योंकि इसके पहले तो इनकी पढ़ाई-लिखाई रोकने के लिए उनकी जीभ काटने का अधिकार था. मैं यह कहना चाहूँगा कि इनको प्रोत्साहन देने के लिए बाबा साहेब अम्बेडकर ने यह छात्रवृत्ति का कार्यक्रम बनाया था, उस कार्यक्रम को यह सरकार कुचल रही है. यह सरकार ऐसे कुचल रही है कि जैसे इनके घरों से ही पैसा आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मेरे दो प्रश्न हैं, मुझे इन प्रश्नों के जवाब चाहिए और इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं बोलना चाहता हूँ. मुझे लगता है कि यह करोड़ों लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ विषय है, इससे मध्यप्रदेश की पूरे देश में (XXX) हो रही है. इसके ऊपर भी सरकार गंभीर नहीं है, तो मैं यही कहूंगा कि कोई बात नहीं है. हम लड़ेंगे और तब तक लड़ेंगे, जब तक हम अपना पूरा हक एवं अधिकार नहीं ले लेंगे. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - फूल सिंह जी, बहुत धन्यवाद.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कल्याण (श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन करना चाहता हूँ कि प्रतिपक्ष से बार-बार गंभीरता की बात हो रही है, लेकिन जब आपने उनके नाम लिए थे तो प्रतिपक्ष के अनेक सदस्य अनुपस्थित हैं, इससे उनको इस मामले में इसकी कितनी गंभीरता दिख रही है ?
श्री भंवरसिंह शेखावत (बदनावर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अन्त में कुछ बातों को जोड़ना चाहता हूँ. यह विषय बहुत व्यापक है. यह प्रदेश के लाखों लोगों के परिवारों से जुड़ा हुआ विषय है. अब इसमें कुछ बोलने के लिए ज्यादा इसलिए नहीं बचा है कि इस विषय को, जिस तरीके से माननीय हेमन्त जी ने, जयवर्द्धन जी ने एवं बाकी हमारे सब सदस्यों ने अपको बता दिया है. यह आज का विषय नहीं है, यह विषय काफी लम्बे समय से चल रहा है. सन् 2018 के बाद अभी तक इसमें सीबीआई की जांच भी हुई, इसके अन्दर कुछ लोग मामले को कोर्ट में भी ले गये. आदरणीय कैलाश जी कल बता रहे थे कि चूँकि मामला कोर्ट में लम्बित है, कोर्ट में कुछ मामले लम्बित हैं, पूरा नर्सिंग घोटाला उसमें लम्बित नहीं है. बहुत सारी बातें हैं. लेकिन मैं सिर्फ अन्त में दो बातों में अपनी बात को समेटकर कहना चाहता हूँ कि सीबीआई की जांच भी सबके सामने थी, सीबीआई के लोग जो जांच करने वाले थे, वह भ्रष्टाचार में पाये गये एवं पकड़े गए, उन पर केस चल रहे हैं, मुकदमे चल रहे हैं. जो फर्जी लोग थे, उनमें से कई प्राचार्य एवं आचार्य आज सब जेल की सींखचों के पीछे हैं, फर्जी कॉलेज चलाने वाले कई फैकल्टियों के बारे में चर्चा हुई, यहां राजस्थान में पढ़ने वाले लोगों ने अपने आपको यहां पर फैकल्टी दर्ज करवा दिया और फैकल्टी में चल रहे थे. पहले भी मध्यप्रदेश एक बहुत बड़ा घोटाला भुगत चुका है और जब यह सारा का सारा तंत्र ही काम करता है, तो अन्त में कोई बात किसी एक जन-प्रतिनिधि पर आकर रूक जाती है कि क्या अकेला जनप्रतिनिधि ही इसके लिए दोषी होता है. पिछले घोटाले में भी एक जन-प्रतिनिधि को टारगेट बनाकर उसका जीवन ले लिया गया, लेकिन इतने सारे अधिकारी, कर्मचारी पटवारी से लेकर ऊपर तक एक भी अधिकारी/कर्मचारी व्यापम घोटाले के अन्दर आज तक किसी अपराध में लिप्त नहीं पाया गया है, उसकी कोई जांच भी नहीं हुई है. स्व. श्री कैलाश सारंग जी हमारे वरिष्ठ रहे हैं, वह तो चले गए हैं. आज उनका पुत्र है. आज वह गिर जायेगा ? क्या वह अकेला दोषी है ? क्या मंत्री के साईन के बाद में उस कार्य के क्रियान्वयन करने का काम किन लोगों के हाथ में है ? क्या वह लोग दोषी नहीं हैं ? कौन पूछेगा कि पटवारी से लेकर नीचे तक किसी का नाम नहीं आ रहा है ? एक बहुत बड़ा सिस्टम काम करता है, जो लूट रहा है, अकेले एक आदमी पर लूट का आरोप लगा दिया जा रहा है. अभी तो बहुत सी बातें हैं, जो जांच में नहीं हैं, कोर्ट में नहीं हैं, उनका भी सामने आना बाकी है. मैं, विश्वास जी और इस सदन से अनुरोध करूंगा कि हम लोग जनप्रतिनिधि हैं, जनता के द्वारा चुनकर भेजे जाते हैं, काम करने की जवाबदारी हमें संविधान देता है लेकिन काम करने की जवाबदारी का अर्थ यह नहीं है कि काम करने के लिए जितना तंत्र साथ में काम करता है, उसे छोड़ दिया जाये और किसी एक जनप्रतिनिधि को फंसा दिया जाये. अकेले विश्वास सारंग को फंसाने से काम नहीं चलेगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं, कहना चाहता हूं कि सिस्टम के अंदर जितने लोग शामिल हैं, ऊपर से नीचे तक, क्यों मुख्य सचिव बचेगा, क्यों प्रमुख सचिव बचेगा, क्यों डायरेक्टर बचेंगे, ग्वालियर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने क्या कमेंट किए हैं, जब डायरेक्टर उनके पास गए तो उन्होंने कहा आप इसे तुरंत जेल में डालो, यदि यह पद पर रहेगा तो यह कॉलेज चल नहीं पायेगा. 150-300 फुट जगह में कॉलेज कैसे प्रारंभ हो गए, पटवारी, तहसीलदार, कलेक्टर इन पर कौन हाथ उठायेगा ? क्या ये भारत माता के सपूत बहुत ईमानदार हैं ? चुनकर आये हुए जनप्रतिनिधि की गर्दन फंसा दी जाये, मेरा आपसे अभी-भी निवेदन है और मैं, सारे सदन को साथ लेकर कहना चाहता हूं कि अभी इसमें बहुत बातें आना बाकी हैं, बहुत सारे लोग आना बाकी हैं, आज सदन में जिनकी चर्चा हुई है, इसके अलावा बहुत सारी एजेंसी के लोग इसमें काम कर रहे हैं और फंसे हुए हैं, जिन लोगों ने इस छोटे से घोटाले को बड़े घोटाले में परिवर्तित किया है. उन लोगों ने बच्चों के परिवारों के साथ खिलवाड़ किया है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि सदन के दोनों पक्षों के प्रभावशाली लोगों की एक समिति बनाई जाये और वह समिति इन सभी लोगों की, ऊपर से नीचे के लोग, जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उन सभी को सामने लाये और दोनों दलों के लोग बैठकर इस बात को तय करें कि क्या केवल एक आदमी पर दोष डालकर सारे अधिकारियों को बचा लिया जायेगा ? सारे कर्मचारी बच जायेंगे ? कलेक्टर बच जायेगा ? आप एक आदमी को फांसी पर चढ़ा देंगे, यह नहीं चलेगा.
अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि आप इस पर विचार करें. मैंने आदरणीय नेता प्रतिपक्ष से भी निवेदन किया है कि इस समिति में दोनों पक्षों के प्रबुद्ध लोग हों. आपकी अध्यक्षता में, हम यह आप पर छोड़ रहे हैं, आप दोनों बैठकर तय करें और आने वाले समय में जो लोग इसमें शामिल हैं, उन सभी के नाम इसमें आने चाहिए, कोई न बचे और भविष्य में भी ऐसा न हो कि एक व्यक्ति को टारगेट बनाकर, सभी अधिकारी मस्त मस्ती मार रहे हैं. एक आई.ए.एस. नहीं फंसा, एक कलेक्टर नहीं फंसा, एक तहसीलदार नहीं फंसा, एक आर.आई. का नाम नहीं आया और हमारा लक्ष्मीकांत शर्मा चला गया.
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही संवेदनशील विषय है. बार-बार इतने बड़े सदन में हम इतनी बड़ी भूल कर जाते हैं कि हमारे आदमी को तो फंसा देते हैं, बाकी ये भारत माता के सपूत, जो तनख्वाहें ले रहे हैं, जनता के पैसे पर ऐश कर रहे हैं, किसी पर कोई कार्यवाही नहीं. पूरे व्यापम घोटाले में अकेले लक्ष्मीकांत के सिवाए किस को सजा मिली ? किसी एक व्यक्ति को नहीं. मेरा अनुरोध है कि हम अपनी गलती की पुनरावृत्ति न करें. दोनों दलों के प्रबुद्ध लोगों को साथ लेकर, इस विषय की गहराई तक जाया जाये, यही मेरा अनुरोध है, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- नेता प्रतिपक्ष जी.
श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया)- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय- मैंने नेता प्रतिपक्ष को आमंत्रित कर लिया था. भंवर सिंह जी वरिष्ठ सदस्य हैं इसलिए उनको समय दिया. आप अपना विषय नेता प्रतिपक्ष को बता दीजिये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- अध्यक्ष महोदय, हमारे सदस्य केवल दो प्रश्न करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय- सब भाषण ही कर रहे हैं, कोई प्रश्न नहीं कर रहा है. अब बहुत लंबा हो गया है. अभी आपको बोलना है, विश्वास जी का नाम आया है, उनको बोलना है. राजेन्द्र शुक्ल जी को बोलना है. नारायण जी केवल एक मिनट में अपनी बात रखें.
श्री नारायण सिंह पट्टा- अध्यक्ष महोदय, मंडला जिले में जिस भारत इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग का नाम सामने आया है, असल में वह इंस्टिट्यूट मंडला में कभी खुला ही नहीं. मंडला में उसका कोई अस्तित्व ही नहीं है और वह केवल कागजों में है और मंडला के नाम पर कहीं और चलाया जा रहा था. उस कॉलेज में जिस विष्णु स्वर्णकार का नाम, प्राचार्य के नाम पर कागज में था वह व्यक्ति उसी समय में 15 अन्य नर्सिंग कॉलेजों में प्रिंसिपल, वाइज़ प्रिंसिपल और एसोसियेट प्रोफेसर के पद पर भी उनका नाम दर्शाया गया है मेरा प्रश्न यह है कि जो कॉलेज अस्तित्व में था ही नहीं उनकी मान्यता कैसे हो गई. कॉलेजों का बिना भौतिक सत्यापन किए फर्जी जांच रिपोर्ट कैसे बनाई गई? क्या माननीय मंत्री जी इसकी जांच कराएंगे? मेरा एक और प्रश्न है कि नर्सिंग कॉलेज की तत्कालीन रजिस्ट्रार सुनीता सीजू पर कब-कब किन-किन धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. क्या यह सही है कि हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद जब घोटाला सामने आया तो उन्हें निलंबित करने के 24 घंटे के भीतर ही स्वास्थ्य संचालनालय में वापस लिया गया. उक्त आरोपी के इस बचाव के लिए विभाग के कौन-कौन से अधिकारी दोषी हैं इसका जबाव जब माननीय मंत्री जी देंगे तो वह इन प्रश्नों का भी उत्तर दें. धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने सभी माननीय सदस्यों को इस सदन में बोलने का समय दिया इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं विश्वास भाई के लिए एक शेर कहना चाहूंगा. ''शोहरत की बुलंदी पर पलभर तमाशा है जिस डाल पर बैठे हो वह टूट भी सकती है''. प्रदेश के हजारों छात्र चाहे वह दलित हों, चाहे वह आदिवासी हों, चाहे वह सामान्य वर्ग के हों, चाहे वह ओबीसी के हों उस छात्र को यह नहीं पता है कि उस छात्र को जिस कॉलेज में एडमीशन लेना है वह कॉलेज ही फर्जी है. उस छात्र को सिर्फ अपनी परीक्षा पास होना है. उस छात्र को कहीं एक नर्स की छोटी नौकरी मिल जाए. इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा चल रही है और माननीय मुख्यमंत्री जी सदन में उपस्थित नहीं है यह बहुत ही दु:ख की बात है. इससे पता चलता है कि वह प्रदेश के युवा छात्रों के लिए कितने गंभीर हैं. नर्सिंग घोटाला इंडियन नर्सिंग काउंसिल एक्ट के तहत जो नियम थे उन नियमों को बदल दिया गया. सन् 1973 में नियम बने, कानून बना, अधिनियम बना. वर्ष 2018 में इसके नियम बने. वर्ष 2020-2021 में सबसे ज्यादा कॉलेजों की परमीशन दी गई 219 कॉलेजों की अचानक ऐसी क्या बाढ़ आ गई कि वर्ष 2019-2020 तक 488 कॉलेज थे और सीधे 670 कॉलेज हो गए तो यह नियमों में जिस प्रकार से हेर फेर किया जा रहा था उसके कारण कॉलेज की संख्या बढ़ती गई. अब रही बात जो काउंसिल का एक्ट था धारा (4) में इसमें प्रावधान थे कि नियमानुसार इसका गठन होना चाहिए. गठन हुआ लेकिन क्या जो इलेक्टेड थे वह इस काउंसिल में रहे. क्यों चार अधिकारी चला रहे थे? क्यों मंत्री चला रहे थे? मैं आपको बताना चाहता हूं कि इस एक्ट में साफ-साफ लिखा था कि-- Two sister tutors of schools of nursing in Madhya Pradesh of nominate by the state government by rotation. One nurse elected by the Madhya Pradesh branch of trained nursed associations from amongst the registered nursed residing in Madhya Pradesh. Three nurses elected by registered nurses other than those who are members of the Madhya Pradesh board of trained nurses associations from amongst themselves of whom one shall be male nurse. One midwife elected कि रजिस्टर्ड होना चाहिए. शॉर्ट में कहता हूं कि- one auxiliary nurse midwife elected by registered होना चाहिए. One health visitor elected होना चाहिए. One member elected by the Red Cross society होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूँ कि इसमें धारा (6) के अन्दर स्पष्ट लिखा है. An election under clauses (h), (i), (j) and (k) sub section (1) of section (4) shell be conducted by the council and an election under clauses (g), (1) and (1) and (m) of sub section (1) of section 5 shall be conducted by the bodies referred to therein in the prescribed manner.
आपने इलेक्शन ही नहीं कराए, क्यों नहीं कराए. आपको काउंसिल चलाने का अधिकार ही नहीं है. आप चाहते थे हमारे हाथ में रहे. काउंसिल का कंट्रोल अवैध रुप से लिया गया. कैसे लिया गया. इस अधिनियम की धारा- 31 में स्पष्ट लिखा है. जब सरकार को यह प्रतीत होता है कि नर्सिंग कांउसिल अपने दायित्व पूर्ण करने में विफल रही है. काउंसिल ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है. उन परिस्थितियों में काउंसिल को विघटित कर राज्य शासन सभी नियंत्रण अपने हाथ में ले सकता है. काउंसिल बनी नहीं, बनी तो चुनिंदा अधिकारियों की, इलेक्टेड लोग नहीं रहे. काउंसिल में घोटाला हुआ नहीं फिर कैसे सरकार ने पॉवर टेक ओवर कर लिया. यह सबसे बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न है. यह धारा 31 के अनुसार उसी स्थिति में कर सकती थी जब काउंसिल में कोई घोटाला हो. हमारे तत्कालीन मंत्री विश्वास सारंग, इन्हीं के आदेश हैं इन्होंने किस प्रकार से टेक ओवर किया. यह सुनियोजित तरीके से अधिकारों को आपने अपने हाथ में लिया. उस काउंसिल को बनने नहीं दिया गया. उस काउंसिल का जो बजट 200-300 करोड़ रुपए का था उस बजट में हेरफेर किया वह एक अलग विषय है. सारंग जी आप क्या दांत निकाल रहे हैं, थोड़ा गंभीर भी रहो. मैं आपसे कहना चाहता हूँ. कोर्ट ने ऐसी कोई रोक नहीं लगाई है कि इस पर विभाग की और मंत्री की जाँच नहीं होना चाहिए. सीबीआई जाँच कर रही है, सुटेबल एण्ड सुटेबल कॉलेज की. बार-बार यहां पर नियम के हवाले दिए जाते हैं. नियम हम बनाते हैं, आप बनाते है, यह सदन बनाता है. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि जनता के हित में अगर यह नियम आड़े आएं तो यह नियम बदल देना चाहिए. उस समय आयुक्त थे निशांत बरबडे़ जी. जब सीबीआई ने जाँच की तो मालूम पड़ा कि सरकारी कॉलेज भी अनसुटेबल है. जाँच हुई, रीवा कॉलेज सबसे पहले आया. 4-5 सरकारी कॉलेज आए. वर्ष 2018 में जो 23000 स्कवायर फिट था उसे आनन-फानन में वर्ष 2024 में 21 फरवरी को 8000-9000 स्कवायर फिट कर दिया. देश में कहीं मान्यता नहीं है. इंडियन नर्सिंग काउंसिल के नियमों की आपने धज्जियां उड़ा दीं. अपने हिसाब से नियम बना दिए. नियम बनाने वाला कौन विभाग का मंत्री, विभाग चलाने वाला कौन, विभाग का मंत्री. बगैर मंत्री के कोई अधिकारी घोटाला नहीं कर सकता है यह बात मैं जवाबदारी से कह सकता हूँ. अगर किसी अधिकारी ने विपरीत टिप्पणी लिखी है तो वह सामने आना चाहिए कि हम सहमत नहीं हैं. अगर उस अधिकारी ने मंत्री की सहमति में सब काम किए हैं तो वह अधिकारी भी दोषी है, इस बात को भी मैं कहना चाहता हूँ. अभी कुछ देर पहले मंत्री जी जवाब दे रहे थे स्टाफ की भर्ती कब हो रही है जब हाई कोर्ट से फटकार पड़ रही है. आपने नर्सिंग स्कूल को कॉलेज में बदल दिया. आपके पास बिल्डिंग नहीं हैं, आपके पास स्टाफ नहीं है लेकिन नंबर बढ़ाने में आपने उसको कॉलेज बना दिया. तो यह शिक्षा जगत के साथ और सबके साथ खिलवाड़ है. मैं आपकी जानकारी में लाऊं कि इंडियन नर्सिंग काऊंसिल का जो क्राइटेरिया है कि 23 हजार स्क्वायर फिट आपके पास शिक्षण के लिये ब्लॉक होना चाहिये और 21 हजार स्क्वायर फिट हॉस्टल होना चाहिये. 44 हजार स्क्वायर फिट का आपका क्राइटेरिया अनिवार्य रूप से है, लेकिन अभी हमारे साथियों ने चाहे रहीम परमार हों एनएसयूआई के चाहे यूथ कांग्रेस के हों, इसके व्हिसल ब्लोअर हमारे विशाल बघेल जी, कई साथियों ने हमें पूरी सूची दी है 5-5 हजार, 8-8 हजार स्क्वायर फिट के अंदर यह 100 की सूची मय प्रमाण है जो आपके नर्सिंग कॉलेज चल रहे हैं, लेकिन मुझे यह नहीं पता है कि अधिकारी ऐसी कौन सी करता है कि वहां पर जाकर उसको सुटेबल दिखा देता है. मतलब 5 हजार और 10 हजार स्क्ववायर फिट उसको 44 हजार स्क्वायर फिट दिख रही है. यह आप चाहें तो मैं प्रमाण भी दे सकता हूं.
अध्यक्ष महोदय, अब बात आई कि नर्सिंग काऊंसिल में नियमित पद करना है, तो आपने नियमित पद क्यों नहीं स्वीकृत किये ? मध्यप्रदेश नर्सिंग काऊंसिल नहीं रही अब मध्यप्रदेश आऊटसोर्स काऊंसिल हो गई है. वह कैसे आऊटसोर्स काऊंसिल हो गई कि 56 लोगों को आऊटसोर्स से भर्ती किया गया एक निजी फर्म से जिस फर्म का नाम था वैष्णव हाऊस कीपिंग एंड सिक्योरिटी सर्विस. जब आपके नियम ही नहीं हैं नियमित भर्ती करने के तो आपको क्या आवश्यकता पड़ी, वह इसलिये आवश्यकता पड़ी कि घोटाले कौन करेगा, किसके नाम पर होंगे उस बात को लेकर किये गये. इनके फरार घोषित ओएसडी ..(xxx).. जो अभी भाग गये, भूमिगत हो गये वह कहां हैं ? बताएं.
अध्यक्ष महोदय, अब मैं आपको बताना चाहता हूं निजी फर्म के काम क्या थे. निजी फर्म देती थी मान्यता, निजी फर्म देती थी रजिस्ट्रेशन, निजी फर्म लेती थी परीक्षा और रिजल्ट देती थी, वहां के कर्मचारी यह सब काम करते थे, तो सरकार कब से ऐसी निजी फर्म बनाकर आऊटसोर्स कर्मचारियों से काम करा रही है और इतने महत्वपूर्ण विषय युवाओं के और उनकी परीक्षाओं से संबंधित हैं, गंभीरता कितनी है इस विभाग की, उस मंत्री की यह आप समझ सकते हैं. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मंत्री जी के बंगले पर भी आऊटसोर्स कर्मचारी थे. मैं उसकी सूची और एग्रीमेंट आपको प्रमाण में दे रहा हूं. मंत्री जी के बंगले पर थे...(xxx) ...
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्वाइंट ऑफ आर्डर है. मैंने पहले भी इस बात के लिये आपसे जिक्र किया है. पहले भी मैंने मध्यप्रदेश विधान सभा प्रक्रिया कार्य संचालन संबंधी नियम का मैंने जिक्र किया है और डॉ. सीतासरन शर्मा जी ने भी किया है. मैं आपको कौल शकधर का भी क्योंकि कौल शकधर संसदीय व्यवस्था के लिये एक तरीके से गीता बाइबिल जैसी है. कौल शकधर में भी सीधा-सीधा यह कहा गया है कि सभा में आरोप लगाने के पहले किसी सदस्य के लिये अध्यक्ष को केवल सामान्य रूप से सूचना देना ही काफी नहीं है, इसके लिये आवश्यक है कि सदस्य अध्यक्ष को तथा संबंधित मंत्री को पर्याप्त समय पहले सूचना दे प्वाइंट नंबर वन. जो आरोप लगाये जाते हैं उनका स्पष्ट विवरण दिया जाये और उसके समर्थन में आवश्यक दस्तावेज भी साथ लगायें जिन्हें सदस्य द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिये. सदस्य को प्रमाणित करके दस्तावेज आपको देना है और माननीय सदस्य को देना है. सदस्य सभा में आरोप लगाने से पहले जांच करने के बाद स्वयं यह समाधान करें कि आरोप लगाने का कोई आधार है क्या. यह मैं कौल और शकधर में से बताना चाह रहा हूं. आप तो लोक सभा में रहे हैं वहां पर तो कार्यवाही इसके आधार पर ही चलती है. सदस्य को आरोपों की जिम्मेदारी लेने के लिए और उनको सिद्ध करने के लिए तैयार रहना चाहिए. यह सारे प्रावधान इस व्यवस्था में हैं. मैं आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष से पूछना चाहता हूं कि आपने लिखित में माननीय अध्यक्ष महोदय को और माननीय सदस्य को इन सब आरोपों की सूचना दी है. यदि नहीं दी है तो यह सब सदन से विलोपित होना चाहिए.
श्री उमंग सिंघार – माननीय अध्यक्ष महोदय लिखित में सूचना दी है और रही बात, आपने आरोप की बात की है..
श्री कैलाश विजयवर्गीय – अध्यक्ष महोदय मुझे इस पर आपसे व्यवस्था चाहिए कि क्या इस प्रकार से सदन में चर्चा को रिकार्ड पर ला सकते हैं.
श्री उमंस सिंघार – माननीय अध्यक्ष महोदय इस प्रकार से खुले आम घोटाले होंगे और उस पर कोई बात भी नहीं कर सकते हैं. आप कहते हैं कि अधिकारी का नाम मत लो, अब क्या मंत्री का भी नाम नहीं लें.
अध्यक्ष महोदय – आप अपनी बात कहें. आप कैलाश विजयवर्गीय जी के प्वाइंट आफ आर्डर पर कुछ कहना चाहते हैं.
डॉ सीतासरन शर्मा – अध्यक्ष महोदय इस प्वाइंट आफ आर्डर पर मुझे कुछ कहना है. अध्यक्ष महोदय पूर्व उदाहरण है इसी सदन का, सभापति की व्यवस्थाएं किताब से है, परंतु अध्यक्ष किसी भी समय अध्यक्ष सदस्य को ऐसा आरोप लगाने से प्रच्युत कर सकेगा. माननीय अध्यक्ष स्वर्गीय रोहाणी जी ने यह व्यवस्था दी थी. जब आरिफ अकील साहब ने इसी प्रकार से आरोप लगाने का विषय उठाया था तब उन्होंने यह व्यवस्था दी थी कि आप यह आरोप नहीं लगा सकते हैं. यह पूर्व उदाहरण में है.
श्री उमंग सिंघार – माननीय अध्यक्ष महोदय अब इस पर चर्चा नहीं होना चाहिए. मैंने सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग दे दी है.
अध्यक्ष महोदय – माननीय सदस्यगण मेरा आप सबसे अनुरोध है कि यह बात पहले भी हुई थी और पहले सदन चल रहा था तब भी यह बात आई थी कुल मिलाकर हमेशा से यह परिस्थितियां रही हैं कि हम कोई आरोप लगाते हैं तो आरोप के संबंध में पूरा विवरण, प्रमाण और बाकी सारी चीजें एडवांस में सदन को भी देना चाहिए और जिस पर आरोप लगा रहे हैं उस तक भी वह पहुंचना चाहिए. क्योंकि उसके हिसाब से वह आरोपों का जवाब दे सके. कौल शकधर में भी इसका उल्लेख है और समय समय पर सदन में भी इस प्रकार की बातें आयी हैं तो सबने इसका पालन भी किया है. राजेन्द्र कुमार सिंह जी जैसे सीनियर सदस्य यहां पर बैठे हुए हैं. उन्होंने भी समय समय पर इस बात को इंगित किया है, जब भी आवश्यकता हुई है तो मेरा आपसे अनुरोध है कि हम लोग नियम प्रक्रिया का पालन करते हए अपनी बात को आगे बढ़ायें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय – इसको विलोपित करें. अध्यक्ष महोदय यह रिकार्ड में नहीं आ सकता है.
अध्यक्ष महोदय – मैं उसको दिखवा लेता हूं.
श्री उमंग सिंघार – माननीय अध्यक्ष महोदय मैने आपको सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग बता दी है. अगर उसको डिनाय करना है तो ठीक है, कैलाश जी डिनाय करवा दें सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग को.
अध्यक्ष महोदय – वह अलग विषय है. यह जो कैलाश जी ने कौल शकधर का उल्लेख किया है. वह निश्चित रूप से एक मान्य परंपरा है. हम सब जानते हैं कि कोई परंपरा है, जो आरोप हम लगा रहे हैं. वह आरोप अगर पहले से संबंधित लोगों के पास नहीं होगा तो उसका जवाब भी नहीं आ पायेगा.
श्री उमंग सिंघार – यहां पर जो इतनी प्वाइंट आफ आर्डर की बात हो रही है न, अगर मेरे आरोप गलत है तो मैं सीएलपी से इस्तीफा दे दूंगा, नहीं तो इनसे इस्तीफ् ले लेना आप. हंसी मजाक की बात करते हैं, नियम कानून में उलझाते रहते हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण है कांग्रेस बीजेपी की बात नहीं है. यह आम लोगों की बात है, आम युवाओं की बात है. प्रदेश की बात है उसकी बात ही नहीं करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय – उमंग जी आप इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि कोई विषय गंभीर है. इसलिए विपक्ष हो या सत्तापक्ष हो, या मैं स्वयं भी अपने आपको आपके साथ में जोड़ता हूं. अगर इस विषय की गंभीरता नहीं होती तो मैं समझता हूं कि कोई भी ध्यानाकर्षण इतने समय तक नहीं चलता. यह सिर्फ इसलिए की सभी लोगों की बात इस पर आ जाय, इ सलिए कई चीजों को ओवर रूल भी किया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय – अध्यक्ष महोदय मेरा भी 30 – 35 साल का इस विधान सभा का अनुभव रहा है. मैंने अपने जीवन में ऐसा ध्यानाकर्षण कभी भी नहीं देखा है. जैसा कि आपकी अध्यक्षता में हो रहा है.
श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने तो अनुरोध किया है.
अध्यक्ष महोदय - चलिए अब इसका पथ्य बरतते हुए अपनी बात आगे रखें.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने तो संसदीय मंत्री जी से अनुरोध किया था कि स्थगन पर चर्चा करा लें पर यही चाहते थे कि ध्यानाकर्षण. तो ठीक है अब 24 घंटे झेलो. नियमित नियुक्ति कॉसिल में नहीं हुई. (XX)
अध्यक्ष महोदय- उमंग जी ये बात भी हाउस में आ चुकी है .
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार से सदन नहीं चलेगा ये क्या कोई तरीका है. अध्यक्ष महोदय, ये सदन नियम और प्रक्रिया से चलेगा क्या सदन के अंदर कोई भी कुछ भी बोलेगा, बिल्कुल नहीं चलेगा. अध्यक्ष महोदय (भारी व्यवधान) यह सदन इस प्रकार से नहीं चल सकता है, आखिर नियम और प्रक्रिया होती है. अध्यक्ष महोदय, आपकी सह्रदयता का हम सम्मान करते हैं, पर इस प्रकार बिना तथ्य के सीधे आरोप लगा देना इसका क्या सबूत है, यह आपकी सह्रदयता का दुरूपयोग है .(व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार -अध्यक्ष महोदय पटल पर रखने के लिए तैयार हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-अध्यक्ष महोदय, इसलिए इस प्रकार सदन चले यह हम कतई बरदाश्त नहीं करेंगे इसलिए अध्यक्ष महोदय इसको पहले तो आप रिकार्ड से निकलवाइए. (भारी व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- सुरेश जी बैठ जाओ, दिनेश जी बैठ जाओ, कृपा करके बैठ जाओ, कृपा करके बैठ जाइए. यह बात पहले भी आई थी और मैंने भी इसका उल्लेख किया था जब ध्यानाकर्षण शुरू कर रहे थे तब भी आप सब लोगों को इस बात का ध्यान दिलाया था कि हम ऐसे व्यक्ति के नाम का उल्लेख न करें जो व्यक्ति सदन में अपनी सफाई देने के लिए नहीं आ सकता. आरोप लगाना है तो आरोप लगाने की भी जो मर्यादा है, वहां तक हम सीमित रहेंगे तो ठीक है, नहीं तो क्या है कि सारी परंपराओं सारी प्रक्रिया के भीतर जाएंगे तो काफी दिक्कत होगी इसलिए जो नाम आए हैं, वो विलोपित किए जाएं और उमंग जी थोड़ा जल्दी करेंगे.
श्री उमंग सिंघार- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब ठीक है हाईकोर्ट में सब चीजें आ गई हैं अब यहां विलोपित करने से अलग आपने यहां व्यवस्था दे रखी है ठीक है. माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्सिंग कॉउंसिल के पदेन अध्यक्ष थे, मध्यप्रदेश डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के डीएनएम श्रीवास्तव जिनका भोपाल में 3 हजार वर्गफीट के अंदर कॉलेज चल रहा था और 2014 से लेकर 2020 तक 7 साल चला. इसके बाद जांच हुई फर्जीवाड़ा हुआ तो कॉलेज बंद कर दिया गया. अब 7 साल में कितनी फर्जी डिग्री बांटी कौन नर्स वहां से निकला, भगवान जाने किसका इलाज कैसा हो रहा है ये नहीं पता. आज तक उस पर एक एफआईआर नहीं हुई यह मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं ये बात है. माननीय अध्यक्ष महोदय, कैसे सूत्र जुडे़ मैंने पूरी बात बता दी है. अब रजिस्टार की नियुक्ति जब कॉन्सिल को अधिकार है तो शासन नियुक्ति कर रहा है, क्योंकि कॉउंसिल के अधिकार आपने ले लिए अधिनियम 1972 की धारा 13(1) मे प्रावधान है कि कॉउंसिल का रजिस्टार जो कॉउंसिल के सचिव के रूप में काम करेगा, उसकी नियुक्ति कॉउंसिल द्वारा की जाएगी कॉउंसिल ही नहीं बनी.
अध्यक्ष महोदय-- यह बात हेमंत जी बोल चुके हैं. आप नई बात बोलिये.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, यह नई बात है, इसलिये मैं कह रहा हूं. ये अस्थाई रुप से रजिस्ट्रार को प्रभार सौंपते रहे, ताकि कंट्रोल अपना रहे, लेकिन कभी इन्होंने निरीक्षण की बात नहीं की. इससे पता चला कि तत्कालीन मंत्री जी और अधिकारियों की सांठ-गांठ से अयोग्य व्यक्तियों को रजिस्ट्रार बना दिया गया. कौन कौन, किसे कब बनाया गया. अंगूरी सिंह जी को बनाया 2013 से 2018 में, जैसी फिलिप को बनाया 2018 से 2019 में, जयंती चौरसिया को बनाया 2019-2020 में, चंद्रकला दिवगैया जिनको अभी हटा दिया. 2020 से 2021 में बना दिया. फिर आखिरी में सुनीता शिजू को बना दिया गया.
अध्यक्ष महोदय-- उमंग जी, फिर आप नाम ले रहे हैं.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, तो अब यह तो सब culprit हैं. पूरे-पूरे प्रदेश को खा गये. अब इनको क्या पेपर में छपवाये, फिर आप बोलेंगे कि पेपर की कटिंग यहां पर नहीं चलती. कहीं न कहीं तो बात करना पड़ेगी ना.
अध्यक्ष महोदय-- आपको बोलते हुए आधा घण्टा हो गया है.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय,सरकारी पत्र है, पटल पर रख दूंगा. अब ट्रेजरार की बात करें. नरसिंग कौंसिल को किस प्रकार से कंट्रोल करते थे. मध्यप्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन कौंसिल में ट्रेजरार की नियुक्ति करने का अधिकार अधिनियम की धारा 13 में था. लेकिन आज तक कौंसिल में ट्रेजरार की नियुक्ति नहीं हो पाई, पूरे इतने साल हो गये. 20-25 साल से सरकार है, ट्रेजरार की नियुक्ति नहीं हुई है. ट्रेजरार के अधिकार रजिस्ट्रार को दे रखे हैं. रजिस्ट्रार उसको बनाया जो नर्स है, उसको ताकि अपने हिसाब से 200-300 करोड़ के फण्ड को एडजेस्ट कर सकें. यह इसके अन्दर एक बड़ा घोटाला है और इस पर कोर्ट ने और सीबीआई ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है और न उनकी इस दिशा की तरफ जांच है. इस पर आपको और सरकार को कदम उठाना चाहिये, ऐसा मेरा सोचना है. डुप्लीकेट फैकल्टी, ऐसा कम्प्युटर था, जादूगर कम्प्युटर, जो हाई कोर्ट में इन्होंने जानकारी दी है. वह जानकारी गलत तो हो नहीं सकती है. अब तत्कालीन मंत्री जी, विश्वास जी अलग जानकारी दे दें, तो अलग बात है. सारी प्रक्रिया ऑन लाइन रहती थी. फैकल्टी और किस को सिलेक्शन करना है और उसका यूनिक कोड जनरेट होता था फैकल्टी का. लेकिन एक फैकल्टी 10 कालेज में कैसे काम करे, लेकिन काम कर रही है. जब आप ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं, पारदर्शिता रख रहे हैं, लेकिन ऐसी 2 हजार फैकल्टी अन्य राज्यों से लाई गई. एमएससी नर्सेज तो 2018 में चालू हुआ. यहां था ही नहीं, तो कहां से 2 हजार एमएससी नर्सेज और जो बाहर की अगर फैकल्टी आती थी, उसका मायग्रेशन नम्बर जनरेट होता था. भाई एक ही व्यक्ति फलाना कोई भी राम का नाम, राम के नाम के 10 फैकल्टी के 10 कालेज में चल रहे हैं और जनरेट हो रहे हैं यहां पर. जनरेट करने वाले कौन, जो सरगना थे उसके, वह. तो यह भी एक बहुत बड़ा घोटाला ऑन पेपर है, इसके भी पूरे प्रमाण हैं. रजिस्ट्रार पर मेहरबान रहती थी सरकार हमेशा. सुनीता शिजू , जो तत्कालीन उस समय रजिस्ट्रार थी, हाई कोर्ट की चलती कार्यवाही में उनको निलम्बित किया गया. तत्काल आदेश हुए, विदिशा पोस्टिंग करा दी थी. लेकिन तत्काल एक आवेदन दिया उस महिला रजिस्ट्रार ने, उस नर्स की पोस्टिंग कर दी सतपुड़ा भवन के अन्दर सीधे आयुक्त के यहां. वहां नर्स की क्या जरुरत है, भाई अस्पताल में उसकी जरुरत है. तो कहने का मतलब यह है कि जिनसे आप घोटाले करा रहे थे, उनको आपने कैसे उपकृत किया, यह आदेश की कापी है. किन अधिकारियों के इसमें साइन हैं, वह भी है. किसने अनुमोदन दिया, वह भी है. आप चाहेंगे, तो मैं पटल पर रख दूंगा, प्रमाण के साथ. हम यही कहना चाहते हैं कि हम यही कहना चाहते हैं कि ये एक प्रदेश का बड़ा घोटाला है और इसके अन्दर सीधे-सीधे तार मंत्रालय और विभाग से जुड़े हुए तत्कालीन मंत्री थे. उस पर न कोई कोर्ट ने, मैं फिर स्पष्ट करना चाहता हूं रिकार्ड पर कि कोई ऐसे निर्देश नहीं दिये. कोट करने के आधार पर जांच हो रही है, वह अलग है. लेकिन यह कड़ी अलग है और यह विषय अलग है. नर्सिंग काउंसिल के इलेक्शन नहीं हुए, फर्जी भर्तियां हुईं, आउट सोर्स कांउसिल बनायी गयी, किसके आदेश यह सब हुआ. किसने अनुमोदन दिया, यह महत्वपूर्ण है. मैं यही चाहता हूं कि इसकी जांच होना चाहिये और हमारी पार्टी की तरफ से मैं कहना चाहता हूं कि तत्कालीन उस समय के मंत्री विश्वास सारंग का इस्तीफा होना चाहिये. यह हमारी पार्टी की मांग है.
दूसरा, मैं आपसे चाहता हूं कि सर्वदलीय दोनों पक्षों के विधायकों, जैसा कि हमारे शेखावत जी ने कहा कि एक कमेटी बनें और इसकी निष्पक्ष जांच हो , ताकि भविष्य में इस प्रकार के घोटाले न हो, यह हम चाहते हैं. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद कि आपने बोलने का मौका दिया.
अध्यक्ष महोदय:- विश्वास सारंग जी, कुछ अपनी बात रखना चाहते हैं.
खेल एवं युवा कल्याण,सहकारिता मंत्री( श्री विश्वास सारंग):- अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने बहुत ही विस्तारित रूप से इस विषय की चर्चा यहां पर की. यह बात सही है कि ऐसा अभी तक मध्य प्रदेश की विधान सभा के इतिहास में नहीं हुआ, पर अच्छी बात है क्योंकि मैं भी चाहता था, कल मैंने स्वयं खड़े होकर आपसे निवेदन किया था कि इस विषय पर चर्चा होनी चाहिये. मैं बस निवेदन यह करना चाहता हूं कि मैं, सुबह से सुन रहा हूं कि जितना नाम मेरा लिया गया उतना नाम भगवान का लेते तो शायद ज्यादा कुछ अच्छा हो जाता. पर सुबह से लेकर शाम तक मेरा नाम..
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे):- माननीय अध्यक्ष महोदय,..
श्री विश्वास सारंग:- हेमंत भैया सुना करो, थोड़ी जल्दबाजी मत करो. आप सुनो भी और समझो भी. माननीय अध्यक्ष जी, मैं निवेदन कर रहा हूं क्योंकि मुझे मालूम है कि यह मेरी बात नहीं सुनेंगे और उससे जायेंगे.
श्री उमंग सिंघार:- नहीं, नहीं आप बिल्कुल बोलिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि..
अध्यक्ष महोदय:- उमंग जी, विश्वास जी को अपनी बात रखने दीजिये.
श्री उमंग सिंघार:- जैसे हमने विषय पर बात करी, यह भी विषय पर बात करें. अब अयोध्या न पहुंच जायें, वहां तो यह हार चुके हैं.
श्री विश्वास सारंग:- नहीं, उमंग भैया आप बड़े नाराज हैं, आपको मेरे दांत दिख रहे हैं. उस पर आप लगातार हंस रहे हैं उसमें कोई दिक्कत नहीं हैं. मैं ना आपसे कोई व्यक्तिगत बात करूंगा. आपने शेर से शुरूआत की, मैं तो नहीं करना चाह रहा था. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब विधायी बहस चली है. इन्होंने मुझ पर एक कुछ कमेंट किया है तो मुझे भी एक शेर याद आ जाता है-
''जबकि मालूम था दरबान है सूरज फिर भी,
मोम के लोग मेरे घर को जलाने आये हैं.''
माननीय अध्यक्ष महोदय, सुबह से देख रहा हूं कि विश्वास सारंग, विश्वास सारंग, अरे विश्वास सारंग न हो गया, क्या मालूम कहां का माफिया हो गया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे पीड़ा है क्योंकि यह बात सही है कि यह विगत एक महीने से लगातार चल रहा है. मैंने इस पर कोई बयान नहीं दिया, क्योंकि मुझे लगा कि हो सकता है ये पॉलिटिकल हो. आम तौर पर जब राजनीतिक बात होती है तो प्रतिद्वंदी इस तरह की बातें करते हैं. पर मुझे समझ नहीं आया कि वह राजनीति, कब व्यक्ति तक पहुंच गयी. मैं सुबह से देख रहा हूं खड़ा नाम लिया जा रहा है. मैं उमंग भाई को उमंग भाई कहूंगा, जयवर्द्धन जी को मैं जानता था कि यह बहुत संस्कारी परिवार के हैं, पर मैं उनको जयवर्द्धन भाई बालूंगा. प्रतिद्वंदिता इस तरह से पहुंच जाये कि मुझे इस चौराहे पर खड़ा करने की कोशिश की जाये, जिसका दोषी मैं नहीं हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बिल्कुल अलग नहीं जाउंगा. मैंने भी सुबह से कागज़ और पैन पर लिखकर ...
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे:- माननीय अध्यक्ष महोदय,...
श्री विश्वास सारंग:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बार खड़ा नहीं हुआ.
अध्यक्ष महोदय:- अब आप उनको टोको नहीं. उनको अपना पक्ष रख लेने दीजिये.
श्री विश्वास सारंग:- श्री राजेन्द्र सिंह जी बहुत वरिष्ठ हैं. मैं चाहूंगा कि इस मामले में आप संरक्षण दीजियेगा. वहां की कितनी सुनेगे सामने वाले मुझे नहीं मालूम.
अध्यक्ष्ा महोदय, मेरा निवेदन यह है कि सुबह से लेकर शाम तक विश्वास सारंग, विश्वास सारंग. मैंने इसको रजिस्ट्रार बना दिया. मैंने यह कॉलेज खुलवा दिये, मैंने इसको रख लिया, मैंने यह कर दिया. मैं इस सदन में निवेदन करना चाहता हूं कि मेडिकल काउंसिल एक ऑटोनामस बाडी है. यहां पर बहुत सारे मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर रहे हैं. कोई भी फाईल मंत्री तक नहीं आती. वह केवल मेडिकल काउंसिल का विषय है, कोई मंत्री के मंत्री के पास फाईल नहीं जाती. आप कह रहे हो मैंने घपला कर दिया.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - आप बताएं कि काउंसिल के इलेक्शन कब हुए? आप असत्य बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्नकाल नहीं है. आपने अपनी बात रखी है. उनको अपनी बात रखने का अधिकार है. उनको बात रखने दीजिए.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, वह जवाब दें, मैंने काउंसिल के इलेक्शन का पूछा है, वह बताएं.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मैं सब बताऊंगा. सुनीता सुजू, बड़ी बात हुई. इन्होंने बना दिया, इसके साईन, उसके साईन. अध्यक्ष महोदय, पढ़कर तो आ जाते, जिसने कागज दिये थे, उससे पूछकर तो आ जाते. अध्यक्ष महोदय, छाती ठोक ठोक कर मुझ पर इल्जाम लगा रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर इल्जाम लगा रहे हैं. सुनीता सुजू, अध्यक्ष महोदय, यह पत्र है. यह पत्र है श्री जयवर्द्धन जी, श्री हेमन्त जी. अध्यक्ष महोदय, यह पत्र है. कांग्रेस की सरकार के समय सुनीता सुजू ने ही नर्सिंग कॉलेज की परमिशन दी है. यह पत्र है कांग्रेस की सरकार का, हमने नहीं बनाया. (शेम-शेम की आवाज) सुबह से सुनीता सुजू, सुनीता सुजू, यह साईन है, मैं नहीं बोल रहा और यही नहीं, बड़ी बातें चल रही हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं पटल पर रखूंगा. यह साईन हैं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष महोदय, जो योगेश शर्मा जी के जो पत्र का उल्लेख किया है, वह बता दीजिएगा.
अध्यक्ष महोदय - श्री हेमन्त जी उनको बोलने दीजिए.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष महोदय, जब मैं कागज दिखा रहा था, तब नियम थे. अब वह कागज दिखा रहे हैं तो सारे नियम खत्म?
अध्यक्ष महोदय - ऐसा नहीं है. आप बैठें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - मैं ऐसे कर रहा था तो सब मना कर रहे थे, उन्होंने दिखाए तो किसी ने रोका? मेरे लिये पूरा नियम था. इन्होंने कैसे दिखाए, उसको भी विलोपित करवाइए.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, बातें चली कि हमने बहुत सारे कॉलेज बना दिये. हमने बहुत सारे कॉलेज की मान्यता दे दी. अध्यक्ष महोदय, यह सदन गवाह है. श्री कमलनाथ जी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे. 20 मार्च को उनका इस्तीफा हुआ था. पूरी सरकार, सरकार बचाने में लगी थी. परन्तु उस समय की तत्कालीन मंत्री नर्सिंग कॉलेज को परमिशन देने में लगी थी. 20 मार्च को कमलनाथ की सरकार का इस्तीफा होता है और 20 मार्च को ही इन 353 कॉलेजों को मान्यता दी जाती है, यह पत्र है. (शेम-शेम की आवाज).. मुझ पर इल्जाम? अध्यक्ष महोदय, यह भी पटल पर रखूंगा. यही नहीं, मैं पढ़कर बता देता हूं.
अध्यक्ष महोदय - विश्वास जी, आप पत्र का रिफरेंस दे दें. पत्र लहराने की जरूरत नहीं है. आप रिफरेंस दीजिए.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मैं बिल्कुल नहीं करूंगा. अध्यक्ष महोदय, मैं कोई वैसा पत्र नहीं दिखा रहा. यह पत्र जो इससे रेलिवेंट है वह बता रहा हूं. मैं जितने इल्जाम लगे हैं उसके अलावा मैं कहीं नहीं जाऊंगा.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -हमने कोई ई-रेलिवेंट पत्र नहीं दिखाया है, यह गलत है. एक ही सदन में दो सदस्यों के लिए दो नियम लागू नहीं होंगे. या तो हम भी दिखाएंगे या कोई नहीं दिखाएगा.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, ज्ञानी भैया मैं माफी मांग रहा हूं. भाई साहब मुझसे गलती हो गई.
अध्यक्ष महोदय - यह बात आने के बाद श्री हेमन्त जी, व्यवस्था के बाद भी आपने कई बार पत्र दिखाया. नेता प्रतिपक्ष भी बोले, उन्होंने भी पत्र का कई बार उपयोग किया तो अब उसको ज्यादा नहीं खींचना चाहिए, विश्वास जी को अपनी बात जारी रखना चाहिए.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, आरएलडी नर्सिंग कॉलेज, भिण्ड सरकार बचाने में लगे थे, परन्तु परमिशन कब हो रही है दिनांक 13.3.2020 को, जब सरकार जा रही थी, क्या जरूरत थी? आप हम पर इल्जाम लगा रहे हो. सरकार जाते जाते, अध्यक्ष महोदय, बहुत सारे हैं. सिद्धी विनायक दतिया, कैम्ब्रिज इंस्टिट्यूट आफ नर्सिंग कॉलेज, एक-एक, दो-दो दिन पहले, हम पर इल्जाम लगा रहे हैं? दूसरा इल्जाम लगाया. बात आई डॉ. एन.एम. श्रीवास्तव, अध्यक्ष महोदय, मैं तो जानता भी नहीं हूं. कहने लगे कि वह संचालक थे. मेरे समय नहीं थे. संचालक के 3-3, 4-4 कॉलेज थे. मैंने परमिशन दी, बहुत अच्छा!
अध्यक्ष महोदय, माननीय डॉ.एन.एम.श्रीवास्तव, सविता कॉलेज ऑफ भोपाल है, उसके लिए परमीशन किसने दी ? कांग्रेस की सरकार ने वर्ष 2018 में परमीशन दी, हमने नहीं दी. (शेम-शेम) हम पर इल्जा़म, यह डॉक्यूमेंटरी प्रूफ है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यहां पर जिक्र करना चाहता हॅूं. बहुत सारी बातें हुईं. हेमन्त भैया ने कहा कि इनका तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम आ जाना चाहिए. 2 साल कितने महीने के होते हैं ? 24 महीने के होते हैं न. अरे, रिकॉर्ड में तो आपका नाम आना चाहिए. हेमन्त भैया, आपने 15 महीने में 2 परमीशंस दी हैं. अब यदि आप (XX) को कटघरे में खड़ा करने के लिए मुद्दा उठा रहे हो, तो यह आपकी प्राब्लम है. यह मेरी प्राब्लम नहीं है और मैं यह बता देता हॅूं कि 15 महीने में दो-दो....
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ जी इस सदन की सदस्य नहीं हैं, उनके नाम का जिक्र कर रहे हैं, यह गलत बात है.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, मैंने उन पर इल्ज़ाम नहीं लगाया है.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, नियम सबके लिए बराबर होना चाहिए. इसे विलोपित किया जाए, यह गलत बात है.
अध्यक्ष महोदय -- इसे विलोपित कर दीजिए.
श्री विश्वास सारंग -- अरे बिल्कुल, आखिरी का सुन लीजिए. हमें कोई मतलब नहीं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से याद दिलाना चाहूंगा कि सरकार को आरोप नहीं लगाना चाहिए. सरकार ताकतवर है, तो कार्यवाही करके दिखाना चाहिए. आपकी भी और उनकी भी दोनों की सीबीआई की जांच करवा लेते हैं. आप अनुमति दे दीजिए.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय जयवर्द्धन सिंह जी ने एक पत्र का जिक्र किया. मैं जयवर्द्धन सिंह जी की बड़ी इज्जत करता हॅूं और मुझे लगता था कि जयवर्द्धन सिंह जी तो शायद कुछ पढ़-लिखकर ही बात करेंगे. जयवर्द्धन सिंह जी ने बोला कि मंत्री जी ने लिख दिया कि मान्यता दे दो. मंत्री जी ने उस कॉलेज को दे दिया, जिसको रिजेक्ट कर दिया गया था. मंत्री ने पत्र लिख दिया. पत्र का हवाला है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पत्र पढ़ देता हॅूं. पहली बात तो यह है कि मैंने कोई पत्र नहीं लिखा. माननीय विधायक जी ने जो कहा है, बहुत सारे ऐसे कॉलेज थे, मैं प्रक्रिया का यहां पर जिक्र करना चाहता हॅूं. एक तो जयवर्द्धन भैया पढे़-लिखे हैं. यह मान्यता और सम्बद्धता में अंतर ही नहीं समझ पा रहे हैं. इनको यही नहीं मालूम कि सम्बद्धता क्या होती है और मान्यता क्या होती है. काउंसिल मान्यता देती है और जब मान्यता देती है तो कॉलेज में उसके एग्जाम लेने के लिए यूनिवर्सिटी के साथ सम्बद्धता होती है. अब यह समझ ही नहीं रहे हैं. इनको किसी ने पत्र दे दिया, इन्होंने पढ़ दिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि नर्सिंग काउंसिल ने कॉलेजों को मान्यता दे दी, पर मान्यता देने के बाद जब उन कॉलेजेस ने यूनिवर्सिटी में सम्बद्धता के लिए एप्लाई किया, उस समय 3 साल के बहुत सारे कॉलेजेस की सम्बद्धता नहीं हुई और इसको लेकर मेरे पास ज्ञापन है. छात्रों ने ज्ञापन दिया क्योंकि उनको कॉलेज में तो एडमीशन मिल गया था, लेकिन यूनिवर्सिटी में वे एग्जाम देने के लिए इनटाइटल नहीं हो रहे थे. उनको रोल नंबर नहीं मिल रहा था, तो एक उच्च स्तरीय बैठक हुई. इसके मिनिट्स हैं. यह कोई चोरी छुपा नहीं है. इसमें 4 पाइंट हैं. यह जो उच्च स्तरीय मीटिंग हुई, उसके रिमाइंडर हैं कि यह-यह निर्णय या यह-यह एडवाइस हुई थी, इस पर विचार करके कार्यवाही सुनिश्चित करें. जयवर्द्धन भैया, मैं बहुत विनम्रता के साथ आपसे पूछना चाहता हॅूं. इसमें 4 पाइंट थे. कोरोना काल के प्रभावित परीक्षा कैलेण्डर को समय-सीमा में पूर्ण किया जाए, यह एडवाइस थी. विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिये ई-लाइब्रेरी की सुविधा प्रदान की जाए, यह एडवाइजरी थी. हिन्दी में तैयार मेडिकल की पुस्तकों को उपलब्ध कराया जाए, यह एडवाइस थी. विश्वविद्यालय से सम्बद्धता, जिसको आप समझ ही नहीं पाए हैं. विश्वविद्यालय से सम्बद्धता के प्रकरणों के निराकरण हेतु विद्यार्थियों के हित में पुनर्विचार किया जाए. मैंने कहीं आदेश नहीं दिया. मेरा पत्र भी नहीं है. जिन कालेज को एफिलेशन के लिये जिनको दिक्कत आ रही थी, जिनको मान्यता नर्सिंग कोंसिल से मिल गई थी. यदि यूनिवर्सिटी से उसकी सम्बद्धता नहीं होती तो विद्यार्थियों का भविष्य क्या होता ? हमसे कह रहे हैं कि हमने बेईमानी कर दी, ऐसा नहीं है.
श्री जयवर्द्धन सिंह—अध्यक्ष महोदय, इन्होंने मेरा नाम लिया है.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय,आपने मेरा पचास बार नाम लिया है. यह ठीक नहीं है.
श्री जयवर्द्धन सिंह—अध्यक्ष महोदय,आपने स्वयं ही कहा आप मुझसे प्रश्न पूछ रहे हो. अगर मुझसे प्रश्न पूछ रहे हैं तो मेरा अधिकार है उनको उत्तर देने का.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय,इसका भी जवाब दे देना.
अध्यक्ष महोदय—आपने जो बोला है उसका वे जवाब दे रहे हैं. उनको आप गंभीरता के साथ सुनिये.
श्री जयवर्द्धन सिंह—अध्यक्ष महोदय,मेरा जो बिन्दु था जिस पत्र का मैंने उल्लेख किया है. वह इनके ऑफिस से ही गया है इनके ओएसडी के माध्यम से.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय,हां गया है ना.
श्री जयवर्द्धन सिंह—अध्यक्ष महोदय,रोकड़े जी के माध्यम से. उसके एक हफ्ते बाद ही जिस कॉलेज का मैंने उल्लेख किया था. उसको मान्यता दी गई है.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय,जी बहुत अच्छा. मान्यता नहीं सम्बध्दता. यही तो दिक्कत है.
श्री जयवर्द्धन सिंह—अध्यक्ष महोदय,विश्वास जी आप गलत पढ़ रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय,रूक जाओ रूक जाओ उसका भी बता देता हूं. मलय के बारे में.
अध्यक्ष महोदय— जयवर्द्धन जी यह बहस का समय नहीं है. आप मंत्री जी का जवाब सुनिये.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय,आपने मलय नाम लिया. अध्यक्ष महोदय, 2018-19 में जब कांग्रेस की सरकार के समय मान्यता हुई जिसको सुनीता सुजु ने दिया. इन्होंने मलय मलय मैंने मलय नहीं किया भैय्या जयवर्द्धन भैय्या. फिकर मत करो मलय कालेज ऑफ नर्सिंग 540 जी/एचआईजी/अयोध्या नगर कांग्रेस के समय में इनको परमीशन मिली है. मैंने नहीं दी.
श्री सचिन यादव—कांग्रेस के समय में परमीशन हुई है तो आपने उसकी जांच क्यों नहीं की ?
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, उसके बारे में भी बता रहा हूं. बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी. (XXX) मुझे तो ऐसे डांट रहे थे जैसे आप प्रिंसिपल हों.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—अध्यक्ष महोदय, हम तो आदिवासी हैं.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय,यह अब विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं, यह भी आप खेल लो.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय,मैंने इनको इसलिये कहा था मैं आपको याद दिला रहा हूं कि गंभीरता होना चाहिये. (XXX)
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय,आप ही तो हंस रहे हो, मैं हंसा हूं ?
अध्यक्ष महोदय—आप मंत्री जी बोलिये.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, 15 महीने में आपने 2-2 मान्यताएं दे दीं. मुझसे 214 अथवा 219 कितने फिगर बोल रहे थे. इनके कार्यकाल में 353 पहले और बाद में 448 सौ कालेज तो आपने दो महीने में ही बढ़ा दिये. मैं कहना चाहता हूं कि बिना किसी निरीक्षण के—
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष महोदय,मंत्री जी गलत जानकारी दे रहे हैं. जो जानकारी मैंने दी है उसके डाक्यूमेंट मेरे पास हैं उसको मैं दिखा सकता हूं. सचिन भाई बोल रहे थे कि उसको बंद कर देते. अब बंद करने वाली बात बता देता हूं सुनना 453 कालेज जो कांग्रेस के समय में थे. हमने अध्यक्ष महोदय, लगातार रिफार्म करके हमने किसी पर अन्याय नहीं किया. हमने किसी छात्र पर अन्याय नहीं किया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार छात्र हित करने वाली सारकार है, हमने किसी छात्र के साथ अन्याय नहीं किया, पर वह 453 कालेजों में से जो इन्होंने परमीशन दी थी, 150 कॉलेज भौतिक सत्यापन में बंद हुए हैं, फेल हुए हैं, ध्यान रखिए, ये मलय भी उसी में बंद हुआ है. सचिन भाई, मैं तीनों केटेगरी बता दूंगा आपको, आप लोगों ने बिना समझे.
अध्यक्ष महोदय - विश्वास जी हर प्रश्न का जवाब देना जरुरी नहीं है, आप अपनी बात को कंटीन्यू रखो.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, बात हो रही थी कि हमने नियम बदल दिए.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, विश्वास जी बोल रहे हैं, और जो भी बोल रहे रिकार्ड पर बोल रहे हैं. हम भी जानते हैं कि जो बोल रहे सत्य ही बोल रहे हैं. हमें पता है सरकार ने हाईकोर्ट में क्या दिया, बोले.
अध्यक्ष महोदय - सारंग जी का पूरा जवाब आने दो.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, बात चल रही थी कि हमने नियम बदल दिए अध्यक्ष महोदय मेरे हाथ में मध्यप्रदेश का राजपत्र है. कांग्रेस की सरकार में वर्ष 2018 का जिसका जिक्र हुआ, जो नियम हमारी सरकार ने बनाए थे, पर आचार संहिता लगी हम उसका इम्पलीमेंट नहीं ..
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
कर पाए, आचार संहिता लगी, चुनाव हुआ और चुनाव होने के बाद वर्ष 2018 के नियम थे उसके माध्यम से नई सरकार जो कांग्रेस की सरकार थी उसने दो बार मान्यता देने की बात की, परंतु वर्ष 2018 के हमारे नियमों का पालन नहीं किया, और वही जो आपका बर्डन था उसको हमने आखिरी में आकर ठीक किया. आप हमें गलत बोल रहे हों आपने पूरी तरह से जानकारी नहीं ली, तीन तरह की केटेगरी है, एक है जो कॉलेज चल रहा है उसको हमने भौतिक सत्यापन करवाया, एक कॉलेज वह है जो नया अप्लाई हुआ उसकी हमने आवेदन के समय स्क्रूटनी की, एक कॉलेज वह था जो चल रहा था, उसके रिन्युअल की बात थी, उसकी हमने स्क्रूटनी की, सचिन भाई आप बोल रहे चले ही गए, तीन तरह के कॉलेज थे. मैं बिलकुल ये नहीं मान रहा कि वैमनस्यता है, मैं बिलकुल अपने दिल में ये भार रखकर बात नहीं कर रहा. पर जिस प्रकार से मुझे कल्प्रिट बनाने की कोशिश की. अध्यक्ष जी मैं तो बोलना भी नहीं चाह रहा था, पर मैंन देखा कि सब कुछ ठीकरा मेरे सिर पर, मैंने आपसे निवेदन किया आपकी सहृदयता है कि आपने मुझे बोलने दिया.
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2018 के नियम को जिसमें यह था कि स्वयं का अकादमिक भवन होना चाहिए उसको रिलेक्स कांग्रेस की सरकार ने किया, जिसके सबसे ज्यादा प्रकरण हुए उसमें इन्होंने लिखा कि यदि संस्था का स्वयं का अपना अकादमिक भवन नहीं है तो आवेदक संस्था द्वारा इस आशय आवेदन के समय 10 लाख रुपए की बैंक गारंटी दे और किराए के भवन में नर्सिंग कॉलेज शुरू कर दें. हमारा नहीं था ये आपने किया. हमने नियम नहीं बदले, आपने बदले.
अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा कि वर्ष 2018-19 से 2000 तक इन्होंने 100 कॉलेज बढ़ाए. मैं निवेदन करना चाहता हूं, हम पर बात आ रही कि हमने नए नर्सिंग कॉलेज खोले. अध्यक्ष जी इस सदन में मुझे यह कहते हुए कहीं कोई संकोच नहीं है कि दिक्कतें थी, उसके निराकरण के लिए हमने प्रयास किया. जब मैं मंत्री बना, उसके शुरू में तो नहीं चार-छह महीने बाद बहुत सारी चीजें पता लगी और उसके रिफार्म के लिए हमने काम किया और यही काम नहीं किया, हमने जांच की, जांच हमने करवाई और जांच में कोई दोषी था तो हमारे सरकार ने उनको सस्पेंड करने का काम किया चाहे वह अधिकारी रहे हो या कर्मचारी रहे हो.
अध्यक्ष महोदय, उसके बाद इस पूरे सेक्टर को ठीक कैसे करना है इसका प्रयास हमने किया, मैं जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं रात दिन मेहनत करके हम सबने मिलकर ये पूरे सेक्टर को ठीक करने का प्रयास किया. मैं बताना चाहता हूं कांग्रेस की सरकार के समय कोई नर्सिंग कॉलेज को एप्लाई करता था तो वह आफलाइन होता था, आफलाइन होता था तो कोई भी कागज फाड़ दिया जाता था, कोई भी कागज बाद में लगा दिया जाता था. मैंने प्रक्रिया शुरू की, हमने प्रक्रिया शुरू की एमपी आनलाइन के माध्यम से सभी नर्सिंग कालेज को एप्लाई करने की. सबसे पहले रिफार्म हमने वह किया. अध्यक्ष महोदय जो स्क्रूटनी की कमेटी थी, जो नये मेडीकल कॉलेज रिन्युअल के लिये आते थे या रिन्युअल के लिये नर्सिंग कॉलेज आते थे, उसकी जो स्क्रूटनी कमेटी थी, उसमें केवल नर्सिंग फेकल्टी रहती थी, माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने उसको स्ट्रिक्ट करने के लिये मेडीकल कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर को स्क्रूटनी कमेटी में लगाया ( मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, बात कर रहे हैं, हमने बहुत गड़बड़ की अरे आपके समय तो निरीक्षण ही नहीं होता था. केवल नये कॉलेज का निरीक्षण होता था, नवीनीकरण का निरीक्षण नहीं होता था. हमने आकर उस पर काम किया, पहले साल हमने निरीक्षण दल में मेडीकल कॉलेज के प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर को लगाया और फिर हमें लगा कि इसको और सख्त करना चाहिए तो हमने प्रयास करके कलेक्टर के प्रतिनिधि को उसमें जोड़ा और उसी का परिणाम निकला कि हमने 480 कॉलेज को आगे बढ़ने से रोका यह हमने रिफार्म किया (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने पता किया कि पूरे मामले में ज्यादा गड़बड़ क्या होती है ? तो रजिस्ट्री भवन की लगती थी, उसमें डुप्लीकेसी होती थी, वह रजिस्ट्री इधर से उधर होती थी, हमने प्रयास करके आई.जी.आर.प्रक्रिया को उसमें लागू किया, जिसमें कोई भी रजिस्ट्री गलत न लग सके, जिस भवन की रजिस्ट्री होगी वही लगेगी, हमने यह प्रयास किया. हमें पता लगा और जिसकी बात चल रही थी कि जो नर्सिंग कॉलेज कहीं दिखाये जाते हैं और होते कहीं हैं, पते में गड़बड़ होती है. हमने जियो टैगिंग शुरू की, आपने क्या किया? अरे हमने जियो टैगिंग शुरू की और इसीलिए 480 कॉलेज हमने बनने से, आगे जाने से रोके हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, फैकल्टी की डुप्लीकेसी की बात आई निश्चित रूप से होती थी, उसमें कहीं कोई बात नहीं है, पर माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर कुछ गड़बड़ होती थी, तो उसको ठीक करने का हमने प्रयास किया है और ऑनलाईन माईग्रेशन और सर्टिफिकेट का वेरीफिेकेशन हमने किया. उसके बाद हमने नर्सिंग कॉलेज का भौतिक निरीक्षण शुरू करवाया, जिस बैंक गारंटी की आपने लचर व्यवस्था कर दी थी, पर क्योंकि कॉलेज बन गये थे, उनको पांच साल नहीं हुए थे, हम एकदम से वह नियम नहीं हटा सकते थे, पर हमने सख्त करने के लिये दस लाख से बढ़ाकर पच्चीस लाख रूपये की बैंक गारंटी की.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बातें कर रहे हैं कि हमने गड़बड़ की, आपने जब नर्सिंग कॉलेज की मान्यता दी, उस समय हर मेडीकल कॉलेज की जो अर्हता होती है कि उसको सौ बिस्तर का अस्पताल चाहिए, वह सौ बिस्तर अस्पताल ऑफलाइन उसका अटैचमेंट होता था और उसमें गड़बडि़यां होती थीं. मैंने अध्यक्ष महोदय, प्रयास करके जबकि वह हेल्थ का विषय था, उसको प्रयास करके ऑनलाइन किया और एक भी कॉलेज में गलत अस्पताल का अटैचमेंट नहीं होने दिया ( मेजों की थपथपाहट). यह सब रिफार्म करने के बाद माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि वर्ष 2020-21 और 2022 में कुल मिलाकर 792 आवेदन हमें मिले, उसकी स्क्रूटनी करके माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने 242 आवेदनों को अमान्य किया, इसी तरह 242 में से 115 जो कॉलेज थे, वह नवीन थे और 127 हमने पुराने बंद किये हैं, यह सब हमने रिफार्म किया है, उसके कारण से है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम पर इल्जाम लग रहा है, वर्ष 2022-23 में हमें टोटल मिलाकर 723 आवेदन मिले, जिसमें से हमने 238 आवेदन अमान्य किये हैं और उसमें से भी केवल 45 नये कॉलेज खोले और 193 जो है हमने पुराने कॉलेज बंद किये हैं. टोटल मिलाकर तीन वर्षों में हमने 509 कॉलेज बनने से आगे रोके हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि बात चल रही थी सी.बी.आई. की तो निश्चित रूप से सी.बी.आई. बहुत अच्छी जांच कर रही है और मैं हाईकोर्ट को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने इस गंभीर विषय में संज्ञान लिया. आप ऐसा बोल रहे हो भईया तो आप बहुत कोर्ट की बात कर रहे हो, इस विषय में माननीय कोर्ट की क्या टिप्पणी क्या है ?उसको भी पढ़ लीजियेगा, यदि सी.बी.आई. की भी चीज पकड़ाई है, तो वह उनकी विजलैंस टीम ने ही पकड़ी है, वह आपने नहीं बताया है, वह उन्हीं ने ही पकड़ी है, यह एक व्यवस्था है, चाहे रेल का हो, किसी भी डिपार्टमेंट की अपनी विजलैंस की एक टीम होती है, वह पीरियेडिक समय-समय पर उसकी जांच करती है और उसमें कुछ गड़बड़ था, वह सामने आया, पब्लिक डोमन में आया, उसमें छिपाया क्या गया है?
माननीय अध्यक्ष महोदय, सी.बी.आई. ने जिनको अनसुटेबल कहा है, बहुत बात हो रही थी, मैं बताना चाहता हूं कि उन 60 कॉलेज में से 39 कॉलेज कांग्रेस की सरकार के समय के हैं(शेम शेम की आवाज) माननीय अध्यक्ष महोदय, और यह हम पर आरोप लग रहे हैं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष जी, जो प्रश्न पूछे हैं यह पत्र आपको है यह योगेश शर्मा की प्रतिनियुक्ति आपने नियम विरूद्ध की है, यह योगेश शर्मा जो हैं इनके अनुबंध पत्र में, नियुक्ति पत्र में 3 साल अनिवार्यता स्वशासी महाविद्यालय में सेवा देने का....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप यह अलाऊ कर रहे हैं तो मैं बैठ जाता हूं. ....(व्यवधान)....
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- यह आपकी चिट्ठी है कि नहीं है, यह बताइये.
अध्यक्ष महोदय-- हेमन्त जी, हो सकता है आगे वह जवाब देने वाले हों.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- आप आश्वस्त कर दीजिये कि इसका उत्तर मुझे मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप 20 लोगों ने उनके नाम का उल्लेख किया है तो 20 लोगों के जवाब तो देने दो उनको. ....(व्यवधान)....
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- इलेक्शन कब करवाये पिछले 1 साल के कार्यकाल में 219 कॉलेज खुले की नहीं खुले.
श्री विश्वास सारंग-- हेमन्त भाई, ज्ञानी भाई साहब.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- भैया महाज्ञानी आप ही हो.
श्री विश्वास सारंग-- भाई साहब आप बहुत ज्ञानी हो आप स्टंटबाजी की क्या बात कर रहे हो, मैंने वह स्टंट नहीं किये जो आपने किये हैं, ध्यान रखना ....(व्यवधान)....
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- हम महिलाओं की बात नहीं करते सामान्य बात करते हैं, आंख मिलाकर. ....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग-- मैंने तुम्हारे जैसे स्टंट नहीं किये, ठीक है न, मेरे को स्टंटबाजी की बात नहीं करना भैया मेरे. ....(व्यवधान).... बैठ जाओ भैया बैठ जाओ.
अध्यक्ष महोदय-- विश्वास जी, आप अपनी बात जारी रखें.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बात हो रही है नर्सिंग काउंसिल के गठन की. हम पर यह इल्जाम लगा रहे हो, दो साल आपकी भी तो सरकार थी, आप करवा लेते, आपने क्यों नहीं करवाये और माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने अभी लेटेस्ट, मैं माननीय मंत्री जी को भी बधाई दूंगा, हमारे अधिकारियों को भी बधाई दूंगा, अभी नर्सिंग काउंसिल का जो स्ट्रेक्चर है उसका पूरा काम होकर, उसके गठन की व्यवस्था कर दी गई है और माननीय अध्यक्ष महोदय, आउटसोर्स, आउटसोर्स मुझे समझ में नहीं आया कि कौन से लोग मेरे यहां लग गये, ऐसा लगा अरे मंत्री के यहां, मंत्री का बंगला, मंत्री का बंगला और नाम पड़ा तो कहने लगे मंत्रालय, मंत्रालय. अरे बंगले और मंत्रालय में अंतर है कि नहीं है भैया और यदि आप बात करो तो बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, लघु वनोपज संघ की लिस्ट भी मेरे पास आई है. कौन कब वनमंत्री था, मैं कुछ नहीं बोलूंगा, मैं बिलकुल नहीं बोलूंगा. मैं बोलूंगा तो बोलोगे कि बोलता है. मैं नहीं बोलूगा माननीय अध्यक्ष महोदय.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष जी हम तो सब तरह से तैयार हैं.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं. हमारे भाई उमंग जी ने भी बहुत सारी बातें कही हैं, अब मुझे नहीं मालूम कि कौन सी सिक्योरिटी की बात यह कर रहे हैं. इन्होंने बोला है तो मैं जानकारी लूंगा, पक्का लूंगा, मैं पूरी जवाबदारी से यह बात कह रहा हूं कि इन्होंने जो बात इसीलिये मैंने एक-एक बात का जवाब दिया है. मैं भाग नहीं रहा और मैंने पिछले डेढ़ महीने से, मेरे को चौराहे पर जिसको जो मन पढ़ रहा है पर मुझे लगा कि इस तरह की बात का काहे का जिक्र करना, पर अब जब पानी सर से ऊपर उठ गया तो माननीय अध्यक्ष महोदय उजले को उजला बताना पड़ेगा और ध्यान रखिये यह मध्यप्रदेश की विधान सभा है, हो सकता है कि कहावत हो कि सौ असत्य बोलने के बाद सच हो जाता है पर यहां यह नहीं चलेगा यहां पर तो सच ही सच रहेगा आपका असत्य नहीं चलेगा. ....(व्यवधान)....
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- और नेता प्रतिपक्ष जी ने जो आरोप लगाये हैं उनका जवाब ... ....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग-- बात चली काउंसिल के गठन की मैं उमंग भाई की बात पर ही आ रहा हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय यह बात बिलकुल सही है कि पहले केवल और केवल आउटसोर्स के माध्यम से ही वह काउंसिल चलती थी और उसका बहुत बड़ा कारण था कि पहले यह आईएनसी के द्वारा परमीशन होती थी. वर्ष 2018 के बाद प्रदेश में यह व्यवस्था आई और वर्ष 2018 में प्रदेश में जैसे ही यह व्यवस्था दी गई हमारी सरकार ने जिम्मेदारी के साथ बायलॉज बनाये, हमारी सरकार ने पूरी जिम्मेदारी के साथ उसके पूरे गठन की और सबकी प्रक्रिया को सुनिश्चित किया और उसके बाद हमारी सरकार चली गई वर्ष 2018 के बाद. दो साल तक आपकी सरकार रही, आपने परमीशन तो दे दी आखरी दिन 20 मार्च को, अरे आपने गठन क्यों नहीं किया, आपने लोगों की परमानेंट भर्ती वहां पर क्यों नहीं की. आपने आउटसोर्स से दो साल क्यों चलाई, हमको बोल रहे हो और माननीय अध्यक्ष महोदय हमने उसको भी संज्ञान में लिया और मेरे कार्यकाल में पूरे नर्सिंग काउंसिल का सेटअप को ठीक करके हमने 37 पद सृजित किये और वहां पर 37 लोगों की व्यवस्था की यह हमने किया.
हमने उसका गठन किया. हमने हर विषय पर कार्य किया मगर एक दिन में तो व्यवस्थाएं नहीं बदलेंगी. हमने व्यवस्थाएं बदलीं तो आप कहने लगे कि हमने भ्रष्टाचार किया. मान्यता निरस्तीकरण, 180 से अधिक कालेजों का पुनर्निरीक्षण करके हमने उनकी मान्यता को निरस्त किया. फेकेल्टी की डुप्लीकेसी की बात हो रही थी. मैं बताना चाहता हूं इस पर भी हमने काम किया और 19 कालेजों पर हमने 2-2 लाख रुपये का अर्थदण्ड लगाया. हम उस विषय पर भी अलग नहीं हटे. आप बता दो. आपने आखिरी दिन पर इतनी सारी मान्यता दे दी. एक बता दो कि आपने भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाया हो. एक अधिकारी,कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही की हो. एक कालेज संचालन के खिलाफ कार्यवाही की हो. आपने कहीं नहीं की. यदि मैं बोलूंगा आपने 15 महीने में इतने सारे कालेज, और जब सरकार नहीं बच रही थी उस दिन दिल्ली में लिस्ट भेज दी. 353 कालेजों को मान्यता दे दी. ऐसी क्या जल्दी थी. यदि देना ही था तो काउंसिल बना देते. करना ही थी तो जो डुप्लीकेट फेकल्टी थीं उनके खिलाफ कार्यवाही करते. आपने नहीं की. हमने 19 कालेजों पर जो फेकल्टी की डुप्लीकेसी थी उसके खिलाफ कार्यवाही की और हमने 2 नर्सिंग कालेजों के खिलाफ और कार्यवाही की. एक बात और मैं बहुत जिम्मेदारी के साथ कहना चाह रहा हूं. यह हमारी मोहन यादव जी की भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. यहां पर बात हुई छात्र हित की, मैं पूरी जिम्मेदारी से कहना चाहता हूं. एक भी छात्र के हित पर कहीं कुठाराघात नहीं होगा. जो कालेज बंद हुए यदि उनमें कहीं किसी का एडमीशन था तो दूसरे कालेजों में उनको ट्रांसफर करने की व्यवस्था बनाई उसकी लिस्ट भी मेरे पास है. मैंने एक-एक बिन्दु का यहां पर जिम्मेदारी से जवाब दिया है जो कीचड़ मुझ पर उछली थी.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष जी, जवाब तो दिया नहीं. घुमा-फिराकर लच्छेदार बात कर रहे हैं. मैंने प्रमाण,तथ्यों के साथ बात कही. उसका जवाब ही नहीं आया.
श्री विश्वास सारंग - इसको जवाब नहीं कहते तो और किसको कहते हैं. किसी ने मुझे लिखकर दिया है. आखिरी में चार लाईनें सुनाकर मैं अपनी बात समाप्त करूंगा
" चमन को सींचने में कुछ पत्तियां झड़ गई होंगी,
यह इल्जाम लग रहा है मुझ पर बेवफाई का,
कलियों को रौंद डाला जिसने अपने पांव से,
वही दावा कर रहे हैं रहनुमाई का "
धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय विश्वास सारंग जी की इतनी नियत साफ है मन साफ है तो इस्तीफा देकर जांच करवा लो.
5.23 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्य सूची में उल्लिखित विषयों पर कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई
5.24 बजे ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी मांग है कि विधान सभा की एक सर्वदलीय कमेटी बने वह जांच कराए. यदि निष्पक्ष जांच करानी है तो तत्काल मंत्री से इस्तीफा लिया जाए और विधान सभा की कमेटी बनाई जाए ताकि दूध का दूध और छाछ का छाछ हो जाए. यह हमारे विधायक दल की तरफ से हमारी मांग है.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं. सब लोग सुन लो. मैं इस्तीफा नहीं दूंगा.
श्री उमंग सिंघार - अगर सरकार इतना बड़ा दिल रखती है तो तत्काल मंत्री से इस्तीफा कराएं अध्यक्ष महोदय, अगर इनकी नियत साफ है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया इतना जोर-जोर से नहीं बोलें.
उप मुख्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्सिंग कॉलेजेस की मान्यता को लेकर जो कुहासा पिछले कई महीनों से छाया हुआ था और जिसको विपक्ष के माननीय सदस्यों ने आपकी अनुमति के बाद ध्यानाकर्षण के माध्यम से लाया है, अब यह ध्यानाकर्षण क्या, एक तरीके का पूरा स्थगन ही था, जिसमें लगभग 22 माननीय सदस्यों ने हिस्सा लिया. उन्होंने वर्ष 2018 के बाद हुईं मान्यताओं को लेकर प्रश्न खड़े किए थे. वर्ष 2018 के बाद का मामला इसलिए आ रहा है क्योंकि वर्ष 2018 के पहले इंडियन नर्सिंग काउन्सिल मान्यता देती थी. कर्नाटक के उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद इंडियन नर्सिंग काउन्सिल ने मान्यता देने का अधिकार राज्यों को दिया, स्टेट नर्सिंग काउन्सिल को दिया, उसके बाद से मान्यता देने का काम मध्यप्रदेश में हो रहा है. मान्यता देने का काम वर्ष 2018-19 में हुआ, वर्ष 2019-20 में हुआ. वर्ष 2020-21 में हुआ. वर्ष 2020-21 में जो हुआ, उसको लेकर तो सवाल खड़े किए गए, लेकिन वर्ष 2018-19 और 2019-20 में भी कम मान्यता नहीं दी गई. वर्ष 2018-19 में साढ़े तीन सौ मान्यता दी गई और वर्ष 2019-20 में साढ़े चार सौ मान्यता दी गई. इस समय कांग्रेस की सरकार थी. हाई कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई ने जब जांच की तो जो 66 कॉलेजेस को अनसूटेबल पाया, उनमें 39 कॉलेज वे नर्सिंग कॉलेज थे, जिनकी मान्यता वर्ष 2019-20 में दी गई थी. इसका मतलब यह है कि 60 प्रतिशत के लगभग वे कॉलेज अनसूटेबल पाए गए, जिनकी मान्यता वर्ष 2018-19 और 2019-20 में दी गई थी. जो 73 डेफिशिएन्ट कॉलेजेस थे, उनमें 50 उन कॉलेजेस को सीबीआई ने माना, ये 2018-19 और 2019-20 में मान्यता दिए जाने वाले नर्सिंग कॉलेजेस की बात थी, जिस समय 15 महीने की आपकी सरकार थी. बहुत तेजी के साथ मान्यता दी गई.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय मंत्री जी, वर्ष 2020-21 का भी बता दें. ध्यानाकर्षण में वर्ष 2020-21 का भी जिक्र है. इस वर्ष में कितनी परमिशन दी गईं ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, अब 66 में यदि 39 आपकी थी तो 26 बाद वाली थी.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय, मैं वर्ष 2020-21 का पूछ रहा हूँ.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- आपने शायद जो मेरा विस्तृत वक्तव्य था, उसे नहीं पढ़ा, उसमें स्पष्ट दिया हुआ है कि वर्ष 2018-19 में कितनी मान्यता हुई, वर्ष 2019-20 में कितनी मान्यता हुई और वर्ष 2020-21 में कितनी मान्यता हुई. उसके बाद हम यह नहीं कहते हैं कि जिन्होंने मान्यता दी है, वे सब सही थे क्योंकि उसकी जांच हो रही है. हाई कोर्ट में सीबीआई जांच कर रही है. उसमें से उन्होंने 73 और 66 कॉलेजेस को डेफिशिएन्ट और अनसूटेबल माना. अनसूटेबल को हम लोगों ने बंद करा दिया. दो जो रजिस्ट्रार थे, वे पहले निलंबित हुए, फिर वे बर्खास्त हुए. उसमें जो शिजू थी, वह भी बर्खास्त हुई.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को बताना चाह रहा हूँ कि वर्ष 2020-21 में 219 कॉलेजेस की परमिशन दी गई. यह आपने हाई कोर्ट में भी कहा है और आपके जवाब में भी कहा है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- आप जो वर्ष 2020-21 में कह रहे हैं 219, वर्ष 2020-21 में 670 कॉलेजेस को परमिशन दी गई है. आप गलत बोल रहे हैं.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय मंत्री जी, 488 तो पहले थे, उसमें माइनस करेंगे तो इतने ही आएंगे ना. आप थोड़ा देखिए, वर्ष 2020-21 की बात मैं कह रहा हूँ.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- नहीं तो क्या आप यह चाहते हैं कि स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार नहीं होना चाहिए. नए मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं. यदि नर्सिंग कॉलेजेस की मान्यताओं की सीबीआई जांच कर रही है और सीबीआई के जांच करने के बाद सबको ठीक मानते हुए 66 और 73 कॉलेजेस को गलत मान रहा है और जिनको गलत माना, उसमें 60 प्रतिशत वे मान्यता प्राप्त नर्सिंग कॉलेज हैं, जिनकी मान्यता आपकी सरकार में हुई है तो इसलिए (नेता प्रतिपक्ष, श्री उमंग सिंघार के अपने आसन पर खड़े होने पर) एक मिनट, बार- बार खड़े हो रहे हैं, उमंग जी, आप तो नेता प्रतिपक्ष हैं..
श्री उमंग सिंघार -- आप गलत जवाब दे रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- आगे जवाब मिलेगा ना आपको.
श्री उमंग सिंघार -- सही जवाब तो दीजिए. आप वर्ष 2018-19 में ही अटक गए हैं, आगे तो आइये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, पूरा हाऊस विश्वास सारंग जी के जवाब के बाद, अब मैं तो औपचारिकता पूरी कर रहा हूँ और ...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप कंटिन्यू करें. आप ही को बोलना है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, विश्वास सारंग जी के जवाब के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि आधारहीन आरोप, तथ्यों से परे आरोप लगाने का काम इस हाऊस में हुआ है और मध्यप्रदेश सरकार पूरी तरीके से मान्यता की प्रक्रिया को सुधारने के लिए बहुत ही कृतसंकल्पित है. मान्यता से संबंधित किए गए सुधारों के बारे में विश्वास सारंग जी ने बताया है और मेरे पास पूरी सूची है. क्या-क्या हम लोग करने वाले हैं और जहां तक आप नर्सिंग काउन्सिल के गठन की बात करते हैं, जहां तक आप दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की बात करते हैं...(व्यवधान)...
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - हम इससे सहमत नहीं हैं. आप बहुत जिम्मेदारी के पद पर हैं.
अध्यक्ष महोदय - (प्रतिपक्ष के कुछ सदस्यों के खड़े होकर बोलने पर) हेमन्त जी, आप लोग बैठिये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष जी, हम लोग ऐसे जवाब थोड़े ही सुनेंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, यह लोग बायकाट करने वाले हैं.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी का जवाब आ रहा है. उन्होंने दिन भर आप लोगों को सुना है. आप लोग उनको बोलने दीजिये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, 20 सदस्यों में से लगभग 15 सदस्यों ने कहा है कि जिन लोगों ने मान्यता देने में गड़बड़ी की है, उसके खिलाफ सरकार क्या कार्यवाही कर रही है ? यह बहुत ही अच्छा विषय आपने उठाया है. जो कुछ हुआ, वह हो गया, आगे क्या कार्यवाही होने वाली है, तो डिफिशिएंट कॉलेज के संदर्भ में माननीय उच्च न्यायालय ने दिनांक 13.2.2024 को स्पष्ट निर्णय किया है, जो मैं पढ़कर सुनाता हूँ. 'Further, the Committee will propose what action is to be taken against the hearing officers and the Inspectors, who had inspected the colleges and submitted a favourable report'. हाईकोर्ट ने एक कमेटी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बनाई है, यह तीन लोगों की कमेटी है, अमान्य के खिलाफ तो वह कॉलेज बन्द हो गए और डिफिशिएंट की रिपोर्ट जिन्होंने फेवरेबल दी थी, जिससे उनको मान्यता मिली. हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज और तीन मेम्बर्स की कमेटी इस पर यह तय करेगी कि कौन दोषी है और उनको क्या सजा देना है ? यह हाई कोर्ट तय करेगा. इसलिए आप लोग निश्चिंत रहें कि कार्यवाही के मामले में मध्यप्रदेश सरकार से अधिकार लेकर और हाई कोर्ट ने उस अधिकार को अपने पास संरक्षित रख लिया है, इसमें ज्यादातर लोगों ने कहा है और दूसरा, नर्सिंग काउन्सिल के गठन की बात कही है तो विश्वास जी ने बता ही दिया है कि 18 लोगों की नर्सिंग काउन्सिल का गठन हो गया है, यह पहले क्यों नहीं हुआ ? उसका स्पष्ट कारण यही है कि सन् 2018 के बाद ही यह सारी चीजें ट्रांसफर हुई हैं, सन् 2018 के बाद काम शुरू हुआ. इसमें सबसे पहले तो समस्या यह हो गई कि आपकी 15 महीने की सरकार आ गई, जिसमें काम होने की उम्मीद हम लोग कर ही नहीं सकते थे. उसके बाद हमारी सरकार आई, तो कोविड आ गया, कोविड के बाद सारी चीजों को इकट्ठा किया गया कि कौन गड़बड़ कर रहा है, कहां गड़बड़ कर रहा है ? और उसके बाद कार्यवाहियां होकर एक-एक करके अब मान्यता को इतना फुलप्रूफ बनाकर, अब मान्यता देने का कार्य क्योंकि हमें इस बात की भी चिन्ता करनी है कि नर्सिंग कॉलेजेस के आवेदन आने में कमी न आये, मान्यता देने में कमी न आये, उसके एफिलिएशन में, एडमिशन में देरी न हो, जो विश्वास जी कह रहे थे. फिर इन्रोलमेंट कॉलेजेस में इन्रोलमेंट में देरी न हो, क्योंकि बहुत तेजी के साथ हमें स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना है. केन्द्र सरकार और राज्य सरकार, अब आप सोचिए कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने की हमारी तैयारी है, जब हमारी सरकार बनी तो तब 5 या 6 मेडिकल कॉलेज थे, आज 14 मेडिकल कॉलेज हो गए, इस वर्ष 3 और मेडिकल कॉलेज शुरू करने वाले हैं, अगले वर्ष 6 और मेडिकल कॉलेज शुरू करने वाले हैं (मेजों की थपथपाहट) लगातार सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल से लेकर जिला अस्पतालों में उन्नयन, सिविल अस्पतालों में उन्नयन, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाना, हमें नर्सेस की जरूरत है. इसलिए हमने ज्यादा मान्यता दे दी तो कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया, यह बात सही नहीं है. हमने ज्यादा मान्यता दे दी तो यह अच्छी बात है. लेकिन मान्यता सही निरीक्षण के बाद देनी चाहिए और उस दिशा में हमारी सरकार, डॉ. मोहन यादव जी की सरकार बहुत संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है, जो दोषी होगा, उसको नहीं बख्शेंगे. लेकिन काम को हम रोकेंगे भी नहीं.
अध्यक्ष महोदय - (प्रतिपक्ष के कुछ सदस्यों के खड़े होकर बोलने पर) भंवरसिंह जी, श्री अभय कुमार मिश्रा जी बैठ जाइये. ऐसे नहीं चलेगा. आप दिन भर से बोल रहे हैं.
श्री अभय कुमार मिश्रा (सेमरिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके यहां रीवा के बच्चे न्याय मांगने गए थे, उनकी बहुत पिटाई हुई. आखिर रीवा के बच्चों के बारे में, रीवा की समस्या के बारे में आप इस भाषण में, थोड़े से शब्द कह दें ताकि रीवा के लोग जो उम्मीद लगाये सुन रहे होंगे और मेरी ड्यूटी भी बनती है. मैं कांग्रेस से वहां से एकलौता विधायक हूँ कि मैं उस बात को उठाऊँ, ताकि वह यह नहीं कह पाएं कि किसी ने कुछ पूछा नहीं, इसलिए मैं कहना चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी, इसमें जरूर अपना पक्ष रखें कि वहां की क्या स्थिति है ?
अध्यक्ष महोदय - श्री अभय जी हो गया. ऐसे हर एक प्रश्न का उत्तर नहीं होगा. अभी कार्य सूची बहुत बाकी है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष जी, भंवरसिंह तो बोल चुके हैं. यह बार-बार बोल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- भंवर सिंह जी, आपने अपनी बात रख ली है.
श्री भंवर सिंह शेखावत (बदनावर)- अध्यक्ष महोदय, मैं, केवल एक बात कहकर अपनी बात समाप्त कर रहा हूं. विश्वास जी का स्पष्टीकरण आ गया, मंत्री जी ने भी अपनी बात कही, सभी अपनी बात रख चुके हैं. सभी बातों से यह निकलकर आया है कि चाहे वर्ष 2018 का प्रकरण हो या वर्ष 2020 का हो, सरकार तो किसी की भी आयेगी, किसी की भी जायेगी, लेकिन एक सिस्टम हमेशा कार्य करता है. मेरा आपसे निवेदन है कि आप ऐसे अपना पल्ला मत झाड़ें, किसी एक व्यक्ति पर आरोप मत डालें क्योंकि सिस्टम गड़बड़ है और इस सिस्टम के अंदर जो गड़बड़ी है, उसे निराकृत करने के लिए, हमें कोई न कोई कदम उठाना पड़ेगा. इसलिए मैंने कहा था कि दोनों दलों की एक समिति बना दें और वह समिति कम से कम सुझाव तो दे केवल एक जनप्रतिनिधि पर सारा का सारा विषय डालकर, सारे अधिकारी-कर्मचारी बच जायें, यह ठीक नहीं है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- अध्यक्ष महोदय, भंवर सिंह जी ने पहले भी बहुत अच्छे तरीके से अपनी बात रखी थी, उन्होंने विश्वास जी पर सीधे कोई हमला न करके सिस्टम को सुधारने की बात कही थी और सिस्टम को सुधारने में बहुत समय नहीं लगेगा. जो कमियां हैं, हम उनको दूर कर रहे हैं और दूर कर भी चुके हैं. इनकी सोच वास्तव में सुधारवादी है, इसलिए हम इनका स्वागत करते हैं. (मेजों की थपथपाहट)
दूसरी जो सबसे महत्वपूर्ण बात है जो सभी सदस्यों ने यहां रखी और वास्तव में जमीन से जुड़े हुए सारे जनप्रतिनिधि यहां हैं, चाहे वे प्रतिपक्ष में हों, मैं इन्हें विपक्ष कभी नहीं कहता, ये हमारे प्रतिपक्ष के साथी हैं और इन्होंने यह चिंता व्यक्त की कि यह जो दो-तीन वर्षों से चल रहा है, इसमें उन छात्रों का क्या होगा, जिन्होंने वर्ष 2019-20 और 2020-21 में एडमिशन लिया था. उनके विषय में, मैं, सबसे महत्वपूर्ण बात आप सभी को बताने जा रहा हूं कि बीते हुए अप्रैल माह में 20 हजार से ज्यादा बच्चों की परीक्षा हमने करवा दी है, आने वाली मई में 10 हजार से ज्यादा बच्चों की परीक्षा होनी है और 6-6 माह के अंतर में हमने विश्वविद्यालय से कैलेंडर जारी करवाया है और दिसंबर 2025 तक सारे 1 लाख से अधिक छात्रों की परीक्षा करवाने का कार्य हम लोग पूरा करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी का इस पूरे प्रकरण में स्पष्ट, एक लाईन का निर्देश हमारे विभाग को प्राप्त हुआ है कि छात्रों की परीक्षायें प्रभावित नहीं होनी चाहिए, छात्रों का वर्ष खराब नहीं होना चाहिए. इसलिए आप सभी इस बात को सुनकर प्रसन्न हो रहे होंगे कि कोई भी ऐसा छात्र नहीं होगा, ये बात अलग है कि जिसने वर्ष 2019-20 में एडमिशन लिया होगा, वह जनरल प्रमोशन में वर्ष 2020-21 में द्वितीय वर्ष में आ गया, फिर तृतीय वर्ष में आ गया. हम 6-6 माह के अंतर से उन छात्रों की परीक्षायें करवाकर, बाद में उन्हें डिग्री दे देंगे, इससे छात्र प्रसन्न भी हैं.
उन छात्रों को रोजगार का अवसर मिलेगा, उन्हें रोजगार चाहिए, हमें नर्स की आवश्यकता है, तब जाकर ही हमारा हेल्थ सिस्टम ठीक प्रकार से चल सकेगा. इसलिए मैं, समझता हूं कि आपने ध्यानाकर्षण के माध्यम से, स्थगन की तरह से ही, यहां जो चर्चा करवायी है, उससे प्रतिपक्ष संतुष्ट हुआ है, हम सभी भी संतुष्ट हुए हैं और विश्वास जी को कटघरे में खड़ा करके, जो तीर इनके ऊपर चलाये जा रहे थे, उनके वक्तव्य से वह भी स्पष्ट हुआ है. विश्वास जी पूरी तरह से इस पूरे मामले में खरे हैं. (मेजों की थपथपाहट)
श्री उमंग सिंघार- सीबीआई की जांच चल रही है और आप उन्हें क्लीन चिट दे रहे हैं, आपको धन्यवाद है. अध्यक्ष महोदय, इनका जवाब आ गया है, हमारे भंवर सिंह जी ने अभी कहा कि इसमें सर्वदलीय समिति बनाई जाये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- उमंग जी, आप नेता प्रतिपक्ष हैं और यह मामला नैतिकता का है.
श्री उमंग सिंघार- यदि नैतिकता का मामला है तो आप उनका इस्तीफा लेकर जांच करवा लीजिये, उसके बाद वापस मंत्री बना दीजियेगा.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, आप अपना जवाब पूरा कीजिये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- उमंग जी, कृपया मेरी बात सुनें. आप कह रहे हैं कि सीबीआई की जांच चल रही है और आप क्लीन चिट दे रहे हैं. आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि मंत्री का नर्सिंग कॉलेज की मान्यता में, संबद्धता में किसी कागज में कोई हस्ताक्षर नहीं होता है लेकिन इसमें नैतिकता के आधार पर किसी को दोषी या निर्दोष साबित किया जा सकता है. विश्वास जी ने इन तीन चार वर्षों में 15 महीने और कोविड को छोड़ दें तो जो समय मिला उसमें मान्यता की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए जो प्रयास किया जा सकता था, उन्होंने किया है और उसी के कारण यह सुधार हुआ है. ...(व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निवेदन यह है कि एक कमेटी नहीं बन सकती है क्या? इसमें सरकार को क्या डर हो रहा है. मेरा आपसे निवेदन है कि इसमें एक सर्वदलीय कमेटी बने. चाहे आप उसकी अध्यक्षता करें. इसमें परेशानी क्या है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कुछ बचा है क्या.
अध्यक्ष महोदय-- राजेन्द्र जी आपका विषय पूरा हो गया है.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय..(व्यवधान) जांच जरूरी है. जांच नही हो पाएगी. (व्यवधान)
5.41 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं नारेबाजी की गई)
(व्यवधान)
5.42 बजे अनुपस्थिति की अनुज्ञा
(1) निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 2- विजयपुर से निर्वाचित सदस्य श्री रामनिवास रावत को विधान सभा के जुलाई, 2024 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा
(व्यवधान)
(2) निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 145-बासौदा से निर्वाचित सदस्य, श्री हरिसिंह रघुवंशी को विधान सभा के जुलाई, 2024 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा
(व्यवधान)
5.43 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- कार्यसूची में आज की उल्लेखित माननीय सदस्यों की याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी. (व्यवधान)...
5.43 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
(व्यवधान)
(1) मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 9 सन् 2024)
(व्यवधान)
(2) मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2024 (क्रमांक 10 सन् 2024)
(व्यवधान)
(3) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 11 सन् 2024)
(व्यवधान)
5.45 बजे
(व्यवधान)
(4) मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 9 सन् 2024)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 4 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 4 इस विधेयक के अंग बने.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(व्यवधान)
5.46 बजे
(5) मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2024
(क्रमांक 10 सन् 2024)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(व्यवधान)
5.47 बजे
(6) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024
(क्रमांक 11 सन् 2024)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इन्दर सिंह परमार) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रश्न यह है कि कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
5.50 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस विधायक दल सदन से बहिगर्मन करता है इसका विरोध करता है. हम आपसे कहना चाहते हैं कि हम बहिर्गमन करते हैं. हम विरोध करते हैं.
(नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
5.51 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय -- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इंदर सिंह परमार) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 3 जुलाई, 2024 के प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 5.53 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 3 जुलाई, 2024 (12 आषाढ़, शक संवत् 1946) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 2 जुलाई, 2024 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा