मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्दश सत्र
फरवरी-मार्च, 2023 सत्र
गुरुवार, दिनांक 02 मार्च, 2023
(11 फाल्गुन, शक संवत् 1944)
[ खण्ड- 14 ] [अंक- 4 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 02 मार्च, 2023
( 11 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11. 06 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
कान्हा
नेशनल पार्क
को प्रदाय
राशि
[वन]
1. ( *क्र. 660 ) श्री नारायण सिंह पट्टा : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कान्हा नेशनल पार्क के विभिन्न वन परिक्षेत्रों में जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी राशि प्रदाय की गई है एवं अन्य स्रोतों से परिक्षेत्रों को कुल कितनी राशि प्राप्त हुई है? इस राशि से कौन-कौन से कार्य कराए गए हैं या गतिविधियों का संचालन किया गया है? (ख) कान्हा नेशनल पार्क अंतर्गत गठित एल.ए.सी. समिति की जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक कितनी बैठकें कब कब हुई हैं? बैठकवार पालन प्रतिवेदन उपलब्ध कराएं। क्या उक्त बैठकों में बिना अनुमति बनाये गए होटल या व्यावसायिक भवनों के विरुद्ध कार्यवाही का विषय सदस्यों द्वारा लगातार उठाया गया है? बैठक दिनांक 28.04.2022 में प्रश्नकर्ता द्वारा किन-किन भवनों/होटल्स का विषय उठाया गया था? उसमें क्या कार्यवाही की गई? (ग) सरही जोन के लिए कितने टिकट जारी किये जाने के निर्देश हैं? वर्तमान में कितने वाहन सरही गेट से सरही जोन में प्रवेश करते हैं? क्या सरही जोन हेतु निर्धारित टिकट में से पूरे वाहन सरही गेट के अलावा अन्य गेटों से प्रवेश दिए जाते हैं, जिससे सरही जोन में पर्यटन प्रभावित हो रहा है? क्या एल.ए.सी. की बैठक दिनांक 28.04.2022 में सरही जोन हेतु निर्धारित सभी टिकट का प्रवेश सरही गेट से ही किये जाने हेतु आश्वासन दिया गया था? यदि हाँ, तो सभी टिकटों पर सरही गेट से प्रवेश कराया जाना कब तक सुनिश्चित किया जाएगा? यदि नहीं, क्यों?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) कान्हा नेशनल पार्क के कोर, बफर एवं फेन अभयारण्य में जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक विभिन्न योजनाओं एवं अन्य स्त्रोतों से प्राप्त राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। प्राप्त राशि से टाइगर रिजर्व के अंतर्गत घास मैदानों का विकास, हेबिटेट इम्प्रूवमेंट, वनमार्ग मरम्मत, रपटा-पुलिया निर्माण, जल स्त्रोत विकास, जल संरक्षण कार्य, भवन मरम्मत एवं पर्यटन अधोसंरचना के कार्य किये गये। (ख) कान्हा टाइगर रिजर्व के अंतर्गत गठित स्थानीय सलाहकार समिति की जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक 5 बैठकें दिनांक 21.06.2019, दिनांक 28.01.2021 दिनांक 18.06.2021, दिनांक 28.04.2022 एवं दिनांक 03.02.2023 को आयोजित की गयी। दिनांक 03.02.2023 की बैठक को छोड़कर शेष बैठकों का बैठकवार पालन प्रतिवेदन पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। जी हाँ। उक्त बैठकों में कान्हा टाइगर रिजर्व के आस-पास अवैध रूप से निर्मित होटल/रिसोर्ट पर नियमानुसार कार्यवाही किये जाने हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा उठाये गये बिन्दु में चर्चा की गई तथा ऐसे होटल/रिसोर्ट के विरूद्ध कार्यवाही कर एफ.आई.आर. दर्ज करने के निर्देश प्रसारित किये गये। (ग) सरही जोन में भ्रमण हेतु धारण क्षमता अनुसार प्रतिदिन 36 टिकिट जारी किये जाने के निर्देश हैं। वर्तमान में सरही जोन से 4 टिकिट प्रवेश द्वार पर तथा एकल सीट की ऑनलाईन 4 टिकिट सरही प्रवेश द्वार से ही प्रवेश करने की अनिवार्यता है। इसके अतिरिक्त जो पर्यटक सरही प्रवेश द्वार का चयन करता है, उन पर्यटकों को भी सरही प्रवेश द्वारा से प्रवेश दिया जाता है। जी हाँ। एल.ए.सी. की बैठक दिनांक 28.04.2022 में सरही जोन हेतु निर्धारित सभी टिकिट का प्रवेश सरही गेट से ही किए जाने हेतु सहमति व्यक्त कर अग्रिम कार्यवाही हेतु प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी), भोपाल को लेख करने का निर्णय लिया गया, परंतु अपर्याप्त आवासीय व्यवस्था के कारण प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी), भोपाल द्वारा आंशिक टिकिटों का प्रवेश आरक्षित करने का प्रावधान किया गया। ऑनलाइन टिकिट में सॉफ्टवेयर प्रक्रिया में कठिनाई के कारण आंशिक टिकिट संख्या आरक्षित नहीं हो पा रही है। यदि समस्त परमिट सरही प्रवेश द्वार से आरक्षित किए जाते तो सभी टिकिट का उपयोग नहीं हो पाएगा, सरही प्रवेश द्वार के समीप पर्याप्त संख्या में अधोसंरचना विकसित होने पर सरही जोन की टिकिटों का प्रवेश सरही जोन से किया जावेगा। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री नारायण सिंह पट्टा--अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिये बहुत गंभीर विषय है. मेरे द्वारा पूछा गया था कि वन परिक्षेत्र जनवरी, 2019 से आज प्रश्न दिनांक तक प्राप्त राशि से कौन कौन से कार्य कराये गये हैं. जिसमें उत्तर वर्षवार, कार्यवार विवरण सहित दिया जाना था, लेकिन कार्यों का विवरण उपलब्ध नहीं है. मात्र एक पन्ने में हजारों कार्यों की जानकारी छोड़कर के बजट की जानकारी दी गई है और औपचारिकता पूरी की गई है. कार्यों की जानकारी इसलिये महत्वपूर्ण है, क्योंकि कान्हा टाईगर रिजर्व एक प्रतिबंधित क्षेत्र है. जहां पर हर कोई प्रवेश नहीं कर सकता और ना ही कार्यों को देख सकता है. इसी का फायदा उठाकर के पिछले कई वर्षों से कान्हा टाईगर रिजर्व परिक्षेत्रों में फर्जी एवं बोगस कार्य किये जाते हैं. ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिसमें पार्क के अंदर किये जाने वाले कार्य केवल कागजों में होते हैं उसमें भयंकर अनियमितता होती है. यदि कार्यों के भुगतान वाऊचर पटल पर होते तो आप भी इनमें से 10 से 20 ऐसे नाम चिन्हित कर लेते जो हर वन परिक्षेत्र में भुगतान हुआ जंगल के अंदर प्रवेश प्रतिबंधित होने से विभाग के अधिकारी स्वीकृत कार्यों को कैसे करवा रहे हैं इसकी पारदर्शिता पूर्णतः संदेहास्पद है. कान्हा नेशनल पार्क मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और इसकी बारीकियों की मुझे जानकारी है. लेकिन प्रतिबंधित क्षेत्र होने की वजह से मैंने वर्ष 2012-13 में भी कान्हा कोर जोन के अंदर जेसीबी से कार्य कराये जाने का विषय उठाया था जिस विषय को महामहिम राज्यपाल महोदय ने संज्ञान में लेकर के जांच भी करायी थी और सही भी पाया गया था और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही भी की थी. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि क्या इन कार्यों की समिति गठित करवाकर के जांच करवाएंगे.
कुंवर विजय शाह--अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य जी को आपके माध्यम से बतलाना चाहता हूं कि परिशिष्ट-2 का अध्ययन कर लें उसमें जितनी भी जानकारियों कार्यों के बारे में चाही हैं उसमें हर काम का विवरण दिया गया है. दूसरा आपने कहा कि जेसीबी से पार्क के अंदर काम कराना. जेसीबी से पार्क के अंदर काम कराना बंद नहीं किया है, क्योंकि अंदर टाईगर रहते हैं अगर आदमी ज्यादा भेजेंगे और टाईगर ने किसी को पकड़ लिया तो क्या जवाबदार विधायक जी रहेंगे. इसलिये हमने अनुमति ली है नेशनल पार्क के अंदर जल्दी से काम हो और जेसीबी से काम हो. वहां पर आदमी भेजकर काम करने को प्रोत्साहित नहीं करते हैं.
श्री नारायण सिंह पट्टा--अध्यक्ष महोदय, मैंने सेन्सेटिव एरिया कोर जोन की बात की है. जहां पर हम किसी तरह की मिशनरी नहीं चला सकते हैं. यह तो मैंने 2012-13 में उठाया था इसकी जांच हुई. जांच सही पाई गई उसमें दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही भी हुई. मेरा प्रश्न यह है कि मैंने जो कार्यवार विवरण मांगा है. वह इकजाई दे दी गई है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि वन परिक्षेत्र खापा, बीट मुआला और बीट उमरदेही, उमरदोनी के बीच कम्पार्टमेंट नम्बर 1058 में फेंसिंग का कार्य कराया गया है. माननीय मंत्री जी बातएंगे कि फेंसिंग कार्य में लगी हुई पटवारी हल्का नम्बर मुआला के खसरा नम्बर 14/3/1, 14/3/2 कुल रकबा 6.89 हेक्टेयर, 15 एकड़ से ज्यादा जो खरीदी गई भूमि है और उस भूमि को संरक्षित करने के लिए, उसका मूल्यांकन बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा 40 लाख रुपये खर्च कर फेंसिंग कार्य कराया गया है. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि क्या उसकी जांच करवाएंगे और यदि जांच करवाएंगे तो किस स्तर की जांच करवाएंगे ?
कुँवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न में यह उद्भुत नहीं होता. जो पर्टिक्युलर फेंसिंग की बात कही है. उसकी एक वरिष्ठ अधिकारी एपीसीसीएफ भेजकर और 8 दिन में जांच करवा लेंगे.
श्री नारायण सिंह पट्टा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कार्यों का इसलिए खर्च मांगा था और मात्र एक पन्ने में पूरे खर्च का विवरण दे दिया गया है और कार्यवार जानकारी नहीं दी गई है. मंत्री जी कहते हैं कि कार्यवार खर्च का विवरण दिया है.
अध्यक्ष महोदय - सदस्य जी, खर्चे का हिसाब, रुपये का हिसाब तो एक पन्ने में आएगा न. वह नोट के बण्डल की तरह थोड़े ही आएगा.
श्री नारायण सिंह पट्टा - अध्यक्ष महोदय, इसलिए मैंने एक काम का ही उदाहरण दिया है. ऐसे अन्य कार्य हैं.
अध्यक्ष महोदय - उसमें मंत्री जी ने जांच कराने का कह दिया है.
श्री नारायण सिंह पट्टा - अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि क्या मंत्री जी उसकी जांच करवाएंगे ? उन्होंने स्वीकार किया है. लेकिन किस स्तर का अधिकारी जांच करेगा ?
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने भोपाल स्तर के अधिकारी से जांच करने का कह दिया है.
श्री नारायण सिंह पट्टा - क्योंकि नेशनल प्रबंधन के अधिकारी से जांच कराएंगे तो यह पूरा गोल-माल हो जायेगा. क्या उस जांच की सूचना हमें मिलेगी ?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, जांच करते समय विधायक जी को भी सूचना दे दीजियेगा.
कुँवर विजय शाह - बता देंगे.
श्री नारायण सिंह पट्टा -अध्यक्ष महोदय, मेरे दो और प्रश्न हैं क्योंकि यह गंभीर विषय है. कान्हा नेशनल पार्क का विषय है. प्रश्न 'ख' के उत्तर में बताया गया है कि केटीआर के आसपास अवैध होटल व रिसोर्ट निर्माण के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के आदेश प्रसारित किए गए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज तक एक भी एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है और यदि कराई गई है तो मंत्री जी एफआईआर कब दर्ज कराई गई है और कराई गई है तो एफआईआर के कागज से क्या सदन को अवगत करा सकते हैं ? पटल में रख सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - उसी में यह लिखा है कि एफआईआर के लिए निर्देश हुआ है. एफआईआर नहीं हुई है.
श्री नारायण सिंह पट्टा - अध्यक्ष महोदय, मैं जानना चाह रहा हूँ कि कब कराई गई है. एफआईआर कराने के निर्देश प्रसारित किये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, उनका भाव यह है कि जो आपने निर्देश प्रसारित किए हैं, उसका पालन कब तक कर देंगे ?
कुँवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, निर्देश का पालन तो एक महीने के अन्दर होता है.
अध्यक्ष महोदय - आपको इतना बढि़या मंत्री कहां मिलेगा ?
श्री नारायण सिंह पट्टा - अध्यक्ष महोदय, वहां ऐसे-ऐसे रसूखदार लोग हैं जिनके खिलाफ कार्यवाही प्रबंधन भी नहीं कर सकती है. अगर मंत्री जी चाहेंगे तो मैं तो नाम का भी उल्लेख कर सकता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - हां, बता दीजियेगा. मंत्री जी को बता दीजियेगा.
श्री नारायण सिंह पट्टा - मैं यही चाह रहा हूँ कि कब एफआईआर हुई ? मंत्री जी, यह बता दें.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी कह रहे हैं कि एक महीने के भीतर हो जायेगी.
श्री तरुण भनोत - यहां मंत्री बैठे हैं, तुरन्त एफआईआर हो जानी चाहिए. आपको एफआईआर के लिए एक महीने का समय चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - जो उन्होंने आदेश किया है, उसका पालन एक महीने में हो जायेगा. यह कह रहे हैं.
श्री नारायण सिंह पट्टा - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी यह तो बता दें कि कब एफआईआर होगी. सिर्फ निर्देश प्रसारित हुए हैं. एलएसी की बैठक में यह प्रस्ताव हो चुका है, निर्णय लिये जा चुके हैं, लेकिन एफआईआर अभी तक नहीं हुई है. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि अगर नहीं हुई है तो यह कब तक करा देंगे, यह बता दें.
कुँवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, आपके निर्देश पर मैंने बड़े स्पष्ट तरीके से कहा है कि निर्देश पार्क प्रबंधन ने दिए हैं, मेरा एपीसीसीएफ जा रहा है, देखकर सारी कार्यवाही एक महीने के अन्दर हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 2 श्री अर्जुन सिंह काकोडिया. अब बहुत प्रश्न हो गए हैं. बाकि आप मंत्री जी मिल लीजियेगा.
श्री नारायण सिंह पट्टा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट में प्रश्न कर ले रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय - दूसरा प्रश्न भी वन विभाग का प्रश्न है.
श्री नारायण सिंह पट्टा - अध्यक्ष महोदय, सरही गेट का विषय है. मंत्री जी भी चाह रहे हैं, मैं भी चाह रहा हूँ. पूरा सदन चाह रहा है. सरही गेट एक नया गेट है, नया जोन है और वहां पर टाइगर शो बहुत अच्छा होता है, लेकिन वहां के लिए 36 टिकिट प्रावधानित हैं, लेकिन आज महज 4 टिकिटें देकर वहां पर पर्याप्त आवासीय व्यवस्था का हवाला देकर
जबकि 40 रूम उपलब्ध हैं, जो पर्यटकों के लिये पर्याप्त हैं, मैं यह जानना चाहता हूं कि सरही गेट को डेव्हलप कराने के लिये क्या यह 36 टिकिट सरही गेट से ही कब से प्रारंभ कर दिये जायेंगे?
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेन प्रश्न तो इनका यही था, विधायक जी इधर-उधर घुमा रहे थे. मैं भी चाह रहा था कि मध्यप्रदेश के डेव्हलपमेंट के लिये, पार्कों के डेव्हलपमेंट के लिये, पर्यटकों के डेव्हलपमेंट के लिये सरही गेट में सारे टिकिट मिले और सरही गेट से ही सारे पार्क के सारे गेटों के टिकिट वहां से मिलेंगे. वहां पर 30- 32 टिकिट मिलना हैं, सारा डेव्हलपमेंट होगा. सब दूर के टिकिट मिलेंगे, जिस दिन मैं जाउंगा उस दिन खोल दूंगा.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि आज ही घोषणा कर दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- आपका हो गया है, आपका सब सकारात्मक हो गया है.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, आज ही घोषणा कर दें.
अध्यक्ष महोदय -- कर दिया है न, वह जा रहे हैं.
श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्यक्ष महोदय, खुसाना गेट में पर्यटकों की भारी मात्रा हो जाती है, बहुत परेशानी हो जाती है.
अध्यक्ष महोदय -- बस हो गया, पूरा खोल दिया है, सब कर दिया है, जो आपने मांगा सभी कर दिया है. श्री अर्जुन सिंह काकोडिया जी आप बोलें.
पेंच नेशनल पार्क से प्राप्त आय
[वन]
2. ( *क्र. 419 ) श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला सिवनी विधानसभा क्षेत्र बरघाट के अंतर्गत विकास खण्ड कुरई स्थित पेंच नेशनल पार्क से विगत 04 वर्षों में शासन को कितनी आय प्राप्त हुई है? वर्षवार जानकारी देवें। (ख) पेंच नेशनल पार्क से शासन को प्राप्त होने वाली आय से क्या स्थानीय क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी समुदाय के विकास हेतु प्रयास किये गये हैं? यदि हाँ, तो क्या-क्या प्रयास किये गये? नहीं तो क्यों नहीं?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) पेंच नेशनल पार्क अंतर्गत राजस्व के अतिरिक्त अन्य आय पर्यटन से प्राप्त होती है। पर्यटन से प्राप्त आय का 33 प्रतिशत ईको विकास समितियों को जाता है एवं अन्य राशि पार्क के विकास एवं पर्यटन सुविधाओं में उपयोग की जाती है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) पेंच टाइगर रिजर्व से शासन को होने वाली आय राजस्व के रूप में जमा कर दी जाती है। शासन से प्राप्त होने वाले बजट आवंटन से विभिन्न कार्य संपादित किये जाते हैं। पर्यटकों से प्राप्त राशि से स्थानीय क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी समुदाय एवं अन्य के विकास हेतु प्रयास किए गए हैं, प्राप्त आय का 33 % राशि ईको विकास समितियों में जमा की जाती है। समितियों द्वारा प्रस्ताव पारित कर स्थानीय क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी समुदाय एवं अन्य के विकास कार्य कराये जाते हैं। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है।
श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या -- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, मैं जिस विधानसभा से आता हूं, वह विधानसभा कुरई ब्लॉक है, जहां पर पेंच नेशनल पार्क है. सिवनी जिले में मात्र कुरई ब्लॉक ऐसा है, जहां से शासन को सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि उस ब्लॉक के जो लोग हैं, जो स्थानीय नागरिक हैं, बाहर के लोग आकर वहां पर करोड़पति बन रहे हैं, लेकिन वहां के स्थानीय लोग रोजगार की तलाश में दूर दराज जा रहे हैं. मेरा आपके माध्यम से मंत्री महोदय जी से सवाल था कि यह जो पेंच नेशनल पार्क है, जिसका भारत में जितने नेशनल पार्क हैं, उसमें उसका बेहतर एक स्थान है और बहुत अच्छी आय उसमें हो रही है और प्रावधान भी है कि जिस क्षेत्र में इस तरीके का डेव्हलपमेंट हुआ है, चूंकि स्थानीय लोगों के बहुत सारे हितों को दरकिनार करके किया जाता है, तो फिर उनको उसमें से क्या फायदा होता है ? मैंने मंत्री महोदय जी से चाहा था, पिछले चार वर्ष का ही मैंने मांगा था कि गत चार वर्षों में प्रतिवर्ष नेशनल पार्क से कितनी आय हुई है और उस आय का कितना हिस्सा उस क्षेत्र के लोगों के विकास के लिये किया जाता है ? लेकिन दुर्भाग्य है कि जो मुझे जानकारी दी गई है, वह जानकारी स्पष्ट नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करें.
श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या -- अध्यक्ष महोदय, चूंकि वहां नेशनल पार्क ही नहीं है,इतना बेहतरीन जंगल है और इतनी बेहतरीन लकडि़या हैं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया प्रश्न करें.
श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या -- अध्यक्ष महोदय, वहां के लोगों के लिये अभी तक और जो मुझे आंकड़े दिये गये हैं, वह आंकड़े तो इतने हास्यास्पद है कि समझ में ही नहीं आता है. इसलिये तो स्पष्ट रूप से मैं चाह रहा था कि आय कितनी है और उस आय से आपने कितना प्रतिशत स्थानीय लोगों को आप दे रहे हैं ? वह आय मुझे बता दें और उससे कितना राजस्व आप शासन को दे रहे हैं ? यह स्पष्ट नहीं है और उसके बाद फिर जो आय आप लोगों ने दिया है, जो यहां पर कहा है कि 33 प्रतिशत हम दे रहे हैं तो 33 प्रतिशत राशि है कितनी ? और उस 33 प्रतिशत राशि से आपने स्थानीय क्षेत्र में क्या-क्या विकास किया है? यह कुछ स्पष्ट नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- इसमें आपने परिशिष्ट देखा है.
श्री अर्जुन सिंह काकोडि़या -- अध्यक्ष महोदय, मैंने जो देखा है यह तो बड़ा हास्यास्पद है, जो मैं देख रहा हूं यह वर्ष 2018 और 2019 और 20 में इन्होंने जो लिखा है कि पर्यटन से जो राशि प्राप्त हुई है उससे विकास निधि में 2 करोड़ 52 लाख 84 हजार 433 विकास के लिये रखा है और शासन को दिया 9 लाख 15 हजार 196 तो यह मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि राशि आई कितनी ? आय कितनी हुई और उसमें विकास के लिये कितना प्रतिशत आपने रखा है और शासन को क्या रखा है? यह कोई स्पष्ट हीं नहीं है कि उस वर्ष 2018 और 2019 में आपकी आय प्रतिवर्ष कितनी हुई है? पूरे वर्षों का मात्र चार साल का ही मैंने मांगा है.
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो स्थानीय निधि की आय होती है, उसमें से 30 प्रतिशत स्थानीय लोगों के डेव्हलपमेंट के लिये और पार्क प्रबंधन के लिये खर्च की जाती है. अभी मेरे पास जो आंकड़े हैं, उसमें वर्ष 2019-20 में 9 लाख 15 हजार और वर्ष 2020-21 में 10 लाख 8 हजार, वर्ष 2021-22 में 13 लाख और यह जनवरी 2023 तक 12 लाख रूपये की राशि लगभग बाकी आंकड़े में नहीं दी है वहां पर हमने खर्च किये हैं और जिनसे स्थानीय युवाओं को हमने सैलून की ट्रेनिंग दी, ब्यूटीशियन की ट्रेनिंग दी, होटल की ट्रेनिंग दी, ड्राइवर और गाइड की ट्रेनिंग दी, सिलाई की ट्रेनिंग दी और आपके माध्यम से मुझे बतलाते हुये प्रसन्नता है कि जो हमारी स्थानीय 15 युवतियां थीं उनको हमने ट्रेनिंग दी और वह 15 की 15 अपने घरों में या वहां की होटलों में 15 की 15 लड़कियां काम कर रही है, अपने पैरों पर खड़ी हो गई हैं. जिन 15 बच्चों को हमने सैलून की ट्रेनिंग दी उसमें से 4 बच्चे अपनी ट्रेनिंग करके अपना सैलून डाल चुके हैं, जो होटल की ट्रेनिंग 8 बच्चों को दी वह 8 के 8 बच्चे होटल में काम करने लगे हैं. जिन 10 युवतियों को सिलाई की ट्रेनिंग दी है उसमें से 4 बच्चियां सिलाई का काम शुरू कर चुकी हैं. ऐसे ही मशरूम की खेती से लेकर के गाइड की ट्रेनिंग से लेकर के और भी काम हम स्थानीय लागों को अपने पैरों पर खड़े होने के लिये करते हैं. बाकी परिशिष्ट-2 में पूरी जानकारी है और कहीं आंकड़ों में पिछली बार जो 2 करोड़ का विधायक जी बता रहे हैं उसकी 30 प्रतिशत राशि अगर नहीं गई होगी तो हम जांच करा लेंगे.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया-- नहीं, जांच करा लेंगे, मुझे समझ में नहीं आया. यह अभी जो आपने आंकड़े दिये और आपने कहा.
कुंवर विजय शाह-- अगर आंकड़ों में आप जो बता रहे हैं, माननीय विधायक जी, मैंने जो जवाब दिया है.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया-- नहीं क्या जांच करायेंगे, अध्यक्ष महोदय, हमें मालूम है कि प्रतिवर्ष हमारी आय कितनी है और उसमें से शासन को हमको कितना देना है और यहां पर स्थानीय ईको समितियों को कितना देना है यह बहुत स्पष्ट है, उसकी क्या जांच करायेंगे, यह आंकड़े जो दिये हैं यह मुझे मजाक लग रहा है, यह अधिकारी बैठकर काम क्या कर रहे हैं ? जांच कराने का क्या मतलब, यह अधिकारी क्या काम कर रहे हैं यहां पर आप खुद असत्य बोल रहे हैं. आप जो मुझे बता रहे हैं कि यहां पर आप लोगों ने 9 लाख 15 हजार की बात कर रहे हैं कि हमने खर्च किया है, इसको आप खुद स्पष्ट लिख रहे हैं कि राजस्व में दिया, आपको भी नहीं मालूम, आप पढ़ रहे हैं क्या कर क्या रहे हैं ? यह मजाक हो रहा है और यह गंभीर विषय है मैं आपको आदिवासी क्षेत्र की बात बता रहा हूं, मैं आपसे बहुत हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट कर रहा हूं, आदिवासियों के साथ बिलकुल भी मजाक नहीं चलेगा, वन मंत्री जी आप खुद भी आदिवासी हैं, आप लोग ऐसा मजाक मत करो. अभी आप कह रहे थे कि जंगलों में हम लोगों ने इजाजत ली है कि हम मशीनों से काम करायेंगे, चूंकि आदमियों को भेज नहीं सकते हैं और वहां पर्यटन में आदमी जा रहे हैं तो.
अध्यक्ष महोदय-- विधायक जी, उत्तर आने दीजिये.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया-- अध्यक्ष महोदय, यह बतायें तो सही कि पर्यटन में जब वहां पर आदमियों को भेज रहे हैं तो फिर मजदूरों से काम क्यों नहीं करा सकते, यह क्या है. यह मजाक चल रहा है. पूरा प्रशासन बैठा है यह लोग कर क्या रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं यह तो भाषण हो गया, आप उत्तर आने दीजिये. माननीय मंत्री जी, आपके प्रपत्र-1 में 2 कॉलम हैं वर्ष 2019-20 का पहला जो कालम है पर्यटन से प्राप्त कुल राशि विकास निधि में जमा 2 करोड़ 52 लाख 84 हजार और आगे के कॉलम में राजस्व प्राप्ति शासन में जमा 9 लाख 15 हजार, इसी तरह से चारों कॉलम में है. उनकी शायद मंशा यह है कि जो 52 आपने लिखा एक तरफ उत्तर आपका है कि हम 33 प्रतिशत जमा करते हैं, पर्यटन से प्राप्त आय का 33 प्रतिशत ईको विकास समिति को देते हैं तो यह 2 करोड़ 52 लाख यदि आप समिति को दे रहे हैं तो यह बाकी पैसा कहां है, शायद उनकी मंशा यह है.
कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, शायद विधायक जी को, यह जो मैंने आपको बताया था कि 9 लाख 15 हजार 196 यह राशि हम खजाने में जमा करते हैं और जो दूसरी पर्यटन से कुल प्राप्त आय 2 करोड़ 52 लाख इसमें से 30 प्रतिशत राशि स्थानीय समिति को दी जाती है तो जो स्थानीय समिति को खर्च हुआ है उसका विवरण है और यह 2 करोड़ 52 लाख का 30 प्रतिशत है, वह दिया गया है.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया-- मैं आपसे वही तो जानना चाह रहा था, आपसे मैंने पूरा स्पष्ट कहा है कि टोटल आय कितनी हुई, हर वर्ष टोटल आय कितनी हुई, उसमें से आपने शासन को कितना दिया और उसमें से आपने टोटल आय से 33 प्रतिशत देना है यह आपने बहुत स्पष्ट लिखा है.
टोटल आय से आपको विकास के लिये 33 प्रतिशत देना है. यह आपने बहुत स्पष्ट लिखा है. तो उस 33 प्रतिशत में आपने बाल बनाना सिखा दिया. ब्यूटीशियन सिखा दिया. ड्रायवर बना दिया. यह क्या मजाक है. यह बाल बनाना,ब्यूटीशियन बनाना,ड्रायवर बनाना, यह तो घर में सीख जाता है.(XXX). उनको बाल बनाना सिखा रहे हो. वह सब लोग सीख जाते हैं. यह बहुत गंभीर विषय है. यह आदिवासियों के साथ (XXX). मैं जिस जिले से आता हूं और मैं कह रहा हूं कि मध्यप्रदेश शासन को सबसे ज्यादा राजस्व आदिवासी क्षेत्रों से प्राप्त हो रहा है और आदिवासियों की हालत गंभीर है. यह बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. यह जो मजाक है आपका पांचवीं अनुसूची और यह चीजें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. बहुत बेवकूफ आपने बना लिया. अब हमारा नौजवान जाग चुका है. हम लोग यह बर्दाश्त नहीं करेंगे अध्यक्ष महोदय और यह जो गोलमोल जवाब है आपका सदन में तो होगा क्या.
कुंवर विजय शाह - विकास के काम भी हो रहे हैं. इस तरीके से भाषण का प्रावधान नहीं है. मैं आपको बता रहा हूं. आप सुन लीजिये. यह तो मैंने केवल ट्रेनिंग की बात कही थी. काम की बात मैं बताता हूं. रूखड़ में टेंट सामग्री, चैनल गेट, सौर ऊर्जा पाईप,बल्ब, खेलकूद की सामग्री, मरम्मत के काम, माइक्रोफोन,सामाजिक बर्तन, फसल,सुरक्षा श्रमिक हुए. यह हम तय नहीं करते अध्यक्ष जी. यह समिति तय करती है क्या करना है. सारी लिस्टें हैं. और क्या चाहिये.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया - यह बढ़िया है. मैं आपको बता रहा हूं. आपने कहा कि हम लोग समितियों को यह चीजें दे रहे हैं. आप 2020-21 में घाटकोहका में सामाजिक बर्तन के लिये आपने दिये 4 लाख 43 हजार फिर यहीं 2020-21 में वहीं घाटकोहका में 4 लाख 19 हजार फिर वहीं 2020-21 3 लाख 47 हजार दिये. फिर वहीं 2020-21 में 3 लाख रुपये दिये. यह हो क्या रहा है. एक ही जगह आप एक वर्ष में 50 लाख, 1 करोड़ के बर्तन दे रहे हैं एक समिति में. यह क्या है. यह आपने दिया है यह आपका चिट्ठा है. आप इसको देख लो. छोटी-छोटी सड़कें नहीं बनी हैं. यह हंसी-मजाक कर रहे हो आप. यह मजाक जनता से हो रहा है. यह शासन चल रहा है क्या चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्न पूछिये.
श्री तरुण भनोत - यह भ्रष्टाचार का मामला है. एक ही समिति को हर साल आप बर्तन दे रहे हैं.मेरा एक निवेदन है कि सदन की एक समिति बनाकर इसकी जांच की जाए.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया - यह जो मंत्रियों की इतनी बड़ी फौज बैठी हुई है. यह हो क्या रहा है. एक गंभीर विषय मैं आपको बताऊं. मैं हाथ जोड़कर आपसे प्रार्थना कर रहा हूं. हमारे यहां कुरई में कालेज का भवन बनना था. कन्या परिसर बनना था. 36 हेक्टेयर जमीन राजस्व की हमने फारेस्ट को दे दी. 18 हजार हेक्टेयर जमीन मांगी थी. अभी तक कालेज के लिये जमीन नहीं मिली है. कन्या परिसर के लिये जमीन नहीं मिली है जबकि उसकी एवज में 36 हेक्टेयर जमीन फारेस्ट को मिल गई है. कालेज नहीं बन रहा है. हमारे बच्चे-बच्चियां झाड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. हमारी बच्चियां भेड़-बकरियों जैसे कमरे में घुसी हुई हैं. यह तमाशा है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय विधायक जी, आप प्रश्न कम कर रहे हैं. आप प्रश्न करिये. जो लिखा है उसी को पढ़ रहे हैं.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया - यह तकलीफ है. यह जो मजाक आदिवासियों के साथ चल रहा है. यह पीड़ा है. कहां बताएंगे हम लोग. कहां बोलेंगे. सदन में बोलेंगे कहां बोलेंगे. यह तकलीफ है इस तकलीफ को गंभीरता के साथ आप सुनिये.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष जी, वास्तव में मामला गंभीर है. क्योंकि एक समिति में दो-तीन गांव होते हैं. किसी-किसी में एक ही गांव होता है. एक समिति में यदि एक करोड़ के बर्तन दिये गये हैं तो स्पष्ट लगता है कि इसमें कहीं न कहीं गड़बड़ी हुई है. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं क्योंकि हम जानते हैं कि इन समितियों में आप इन्वाल्व नहीं हो सकते. यदि किसी समिति में गड़बड़ी हुई है उसमें निष्पक्ष जांच में क्या दिक्कत है. आप जांच समिति बना दो.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष जी, यह विषय नहीं है. जो उन्होंने कालेज का बताया वह इससे उद्भूत नहीं होता. वह इस पर कब बोलेंगे तो अभी राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर सारी बात रख सकते हैं. जहां तक सवाल एक ही समिति को बर्तन देने का है. जैसा नेता प्रतिपक्ष ने एक करोड़ का कहा तो एक करोड़ के बर्तन नहीं दिये गये वह प्रति साल के हिसाब से दो लाख,ढाई लाख,तीन लाख सालों में दिये गये न कि एक साल में. इसके बावजूद भी नेता प्रतिपक्ष कह रहे हैं कि उसकी जांच करा लें. वह सारे बिंदु दें. जांच कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय - वह जांच कराने का कह तो रहे हैं.
श्री कमल नाथ-- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न पेंच नेशनल पार्क का उठा था. इस पेंच नेशनल पार्क से मेरा एक इमोशनल संबंध है. मैं जब पर्यावरण मंत्री था वर्ष 1991-92 में, इसकी स्थापना मैंने की थी. यह सिवनी जिले में भी आता है और छिंदवाड़ा जिले में भी आता है. जो सैद्धांतिक बात है कि जितने भी हमारे नेशनल पार्क्स हैं, मैं उस मुद्दे पर नहीं जा रहा हूं कि बर्तन कितने हैं, वह सब, मैं इस पर नहीं जा रहा हूं. जितने भी हमारे नेशनल पार्क्स हैं प्रदेश में, हमें गर्व है कि हम टाइगर कैपिटल हैं, टाइगर कैपिटल केवल मध्यप्रदेश के नहीं, देश के नहीं, विश्व के टाइगर केपिटल हैं. तो वहां के स्थानीय लोगों को यह बात अहसास होती है कि हमें नेशनल पार्क से कोई फायदा नहीं है. मुझे याद है कि जब पेंच नेशनल पार्क बन रहा था, तो स्थानीय लोगों का बहुत विरोध था, वे कहते थे कि हमें क्या फायदा होगा. लोग आयेंगे, शेर, टाइगर देखने, पर हमारा क्या आता जाता है. तो यह एक नये तरीके से, एक नई सोच से हमें सब नेशनल पार्क्स के बारे में सोचना पड़ेगा कि स्थानीय लोगों को अहसास हो कि उनको इससे कितना फायदा है. पर्यटक आते हैं, वहां होटल खुल गये,कुछ को नौकरियां मिल गईं, पर नौकरी लेने वाले तो बहुत हैं, मिलती कम हैं. तो ऐसी कोई योजना सोचें, ताकि इसमें क्लेश न हो. स्थानीय लोगों और नेशनल पार्क्स में कोई क्लेश न हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- जी अध्यक्ष जी. यह सोचने वाली बात है.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया-- अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी निवम्रता के साथ कह रहा हूं..
अध्यक्ष महोदय-- नहीं हो गया. आप बैठ जाइये. अभी नेता प्रतिपक्ष जी ने एक सवाल उठाया है. जांच कराने के लिये नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा है. तो हां, हो गया, जांच कराने के लिये कह दिया ना. जांच कराने के लिये यहां से भोपाल से भेजकर अधिकारी से जांच करा लीजिये.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- अध्यक्ष महोदय, जांच कराने की बातें जो होती हैं, उसमें समय सीमा नहीं दी जाती है. पिछली बार मेरे प्रश्न में भी यही हुआ है. आप समय बता दें कि कब तक तक जांच कराकर रिपोर्ट प्रस्तुत करवायेंगे.
श्री सुनील सराफ-- अध्यक्ष महोदय, जांच में प्रश्नकर्ता माननीय सदस्य को भी रखा जाये.
अध्यक्ष महोदय-- वह नहीं, जांच होगी. जांच करा लेने दें.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- अध्यक्ष महोदय, जांच के लिये समय सीमा तो होना चाहिये ना. हर बार, मेरे प्रश्न में भी यह जांच कराई जायेगी, आज तक उसकी रिपोर्ट नहीं आई है. जांच की समय सीमा बता दीजिये और उसमें स्थानीय सदस्य को भी शामिल करें.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी, जांच कब तक हो जायेगी.
कुंवर विजय शाह-- अध्यक्ष महोदय, 3 साल जो 33 प्रतिशत राशि समिति को दी गई. 3 साल में केवल 14 लाख के बर्तन उस समिति ने खरीदे हैं. 1 करोड़ का कहना भ्रामक है. नम्बर दो, नेता प्रतिपक्ष जी ने और पूर्व मुख्यमंत्री जी ने जो चिंता जाहिर की है. तो मध्यप्रदेश सरकार उससे आगे बढ़कर काम कर रही है और सारे आस पास के रहने वाले लोगों को रोजगार के लिये, ट्रेनिंग के लिये हम लोग प्रयासरत् हैं. वहां स्थानीय होटल्स में भी 70 प्रतिशत लोग स्थानीय हैं. हम लोग जांच कर लेंगे, अगर कोई ऐसी बात होगी, हम लोग जब अनुमति देते हैं पार्क से, तो स्थानीय रोजगार को 70 प्रतिशत की पात्रता का प्रश्न रखते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न संख्या 3 श्री संजय उइके.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया-- अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, जांच का हो गया, यही तो आप चाहते हैं कि जांच हो जाये.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया-- अध्यक्ष महोदय, जांच अपनी जगह है, मैं बड़ी विनम्रता के साथ कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब बहुत हो गया. 15 मिनट हो गये हैं इस पर.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया-- अध्यक्ष महोदय, मैंने जो बोला है कि जो राशि प्राप्त हो रही है हमको प्रति वर्ष, उसमें आप ईको विकास समिति को कितना दे रहे हैं, यह मुझे आप स्पष्ट रुप से बतायें. यह जो आपने बना दिया, बर्तन दे दिया, उसमें विकास में हम क्या काम कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने कहा कि हम 30 परसेंट दे रहे हैं.
श्री अर्जुन सिंह काकोडिया-- अध्यक्ष महोदय, लिखा 33 परसेंट है, कह रहे है 30 परसेंट है.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, अभी मंत्री जी कह रहे हैं कि 3 साल में ढाई करोड़, तो समिति को उसके हिसाब से 75 लाख रुपये देना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- तरुण जी, ऐसा भ्रम फैलाने की आवश्यकता नहीं है. मंत्री जी यह कह रहे हैं कि जो बर्तन आप एक करोड़ का कह रहे हैं, वह केवल 14 लाख का है. यह कह रहे हैं मंत्री जी. यह नहीं कह रहे हैं कि हमने केवल 14 लाख रुपये दिया है, ऐसा नहीं कहा है उन्होंने. बर्तन का जो आपने 1 करोड़ का कहा, उसको यह कह रहे हैं कि केवल 14 लाख के करीब दिया है.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, आपने जो जांच की घोषणा की है, उसकी समय सीमा बता दीजिये, उसमें स्थानीय विधायक महोदय को रख लीजिये. बात समाप्त हो गई.
अध्यक्ष महोदय-- जांच का कह तो दिया, जांच करा लेंगे.
योजनान्तर्गत प्राप्त आवंटन
[वन]
3. ( *क्र. 178 ) श्री संजय उइके : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग को केन्द्र एवं राज्य सरकार से विभिन्न योजनाओं में राशि प्राप्त होती है? (ख) यदि हाँ, तो वित्तीय वर्ष 2017-18 से प्रश्न दिनांक तक बालाघाट जिले की बैहर विधान सभा क्षेत्र में प्रत्येक योजनावार कितनी-कितनी राशि वर्षवार प्राप्त हुई एवं कितनी राशि व्यय की गई? (ग) विधानसभा क्षेत्र बैहर में प्रत्येक योजनावार प्राप्त राशि से कहां-कहां, कौन-कौन से कार्य कितनी-कितनी राशि के किए गये हैं? वर्षवार जानकारी उपलब्ध करावें।
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) हाँ। (ख) वित्तीय वर्ष 2017-18 से प्रश्न दिनांक तक बालाघाट जिले को वनमंडलवार बैहर विधान सभा क्षेत्रवार, प्रत्येक योजनावार, वर्षवार प्राप्त राशि एवं व्यय राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) विधान सभा क्षेत्र में वनमंडलवार प्रत्येक योजनावार, वर्षवार प्राप्त राशि से कराये गये कार्य की एवं उस पर हुए स्थलवार व्यय राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री संजय उइके - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में जो जानकारी चाही गई थी, उस जानकारी में मुझे ताम्र परियोजना मलाजखंड हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड द्वारा भूमिगत खनन और विस्तारण हेतु पर्यावरण स्वीकृति के पूर्व 6 करोड़ 37 लाख रुपये की राशि वन्य प्राणी संरक्षण योजना में जो जमा कराई गई थी, उस राशि को कहां व्यय किया गया, किस तरह से व्यय किया गया, उसकी जानकारी नहीं दी गई है.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न में उसका उल्लेख नहीं है. जो आप पूछ रहे हैं, जो जानकारी आपने मांगी है तो वह भिजवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय - कितनी राशि वर्षवार प्राप्त हुई, यह जानकारी मांगी है.
कुंवर विजय शाह - पर्टिक्युलर उन्होंने जो राशि का कहा है, वह एक संस्था से आई है, उस संस्था की जानकारी है.
श्री संजय उइके -अध्यक्ष महोदय, वन्य प्राणी संरक्षण योजना के तहत यह राशि प्राप्त हुई है, यह राशि वर्ष 2016-17 से जमा की गई है, यह अभी तक व्यय नहीं की जा सकी है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि यह कब तक और कितने समय में यह राशि जारी कर दी जाएगी?
कुंवर विजय शाह - एक बार मैं चाहूंगा कि प्रश्न को पढ़ लें. एक संस्था की जानकारी मांगी है.
अध्यक्ष महोदय - वह कह रहे हैं कि योजनावार कितनी-कितनी राशि प्राप्त हुई है, यह प्रश्न में आया है.
श्री संजय उइके - कान्हा टाईगर प्रोजेक्ट में यह राशि जमा की गई है.
कुंवर विजय शाह -अध्यक्ष महोदय, परिशिष्ट में पूरी जानकारी दी गई है.
श्री संजय उइके -उस जानकारी में यह जानकारी नहीं है. जो जानकारी मैं मांग रहा हूं, वह जानकारी नहीं है, इसलिए मैं यह जानकारी मांग रहा हूं.
कुंवर विजय शाह -अगर उसमें जानकारी नहीं है तो आपको 7 दिन के अंदर जानकारी भेज देंगे.
श्री संजय उइके - अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न कान्हा टाईगर प्रोजेक्ट से ही संबंधित है कि वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22 एवं 2022-23 में परिक्षेत्र खापा, मुक्की, सूपखार और समनापुर में चैनलिंग फेंसिंग मरम्मत कार्य के लिए इन्होंने 15-15, 16-16 लाख रुपये व्यय किये हैं तो यह किस कक्ष क्रमांक में और किस बीट में कितने मीटर में मरम्मत कार्य किये गये हैं, वह जानकारी दे दें?
अध्यक्ष महोदय - यह जानकारी पुस्तकालय में रखी है यह बताया है.
श्री संजय उइके - उसमें बीट, कक्ष क्रमांक वगैरह नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - आपने जितनी जानकारी मांगी थी वह जानकारी दी है.
श्री संजय उइके - मैंने जानकारी मांगी है कि राशि कहां-कहां व्यय की है, उन्होंने स्थान दिया है, लेकिन कक्ष क्रमांक नहीं दिया है.
अध्यक्ष महोदय - आपने यह जानकारी मांगी थी कि राशि कहां कहां, कौन-कौन से कार्य में कितनी-कितनी राशि खर्च की गई है, उसकी जानकारी परिशिष्ट में दी है.
श्री संजय उइके -अध्यक्ष महोदय, मैं जानकारी मांग रहा हूं कि कौन से कक्ष क्रमांक में राशि व्यय की गई है?
अध्यक्ष महोदय - यह तो प्रश्न में लिखा नहीं है.
श्री संजय उइके -चैनलिंग फेंसिंग के लिए 15-15, 16-16 लाख रुपये व्यय किये गये हैं, भवन मरम्मत में 20-20 लाख रुपये व्यय किये गये हैं, 40-40 लाख रुपये व्यय किये गये हैं. मुझे जानकारी दे दें कि किस कक्ष क्रमांक में कितने मीटर में मरम्मत कार्य हुए हैं ?
अध्यक्ष महोदय - आपने जो जानकारी मांगी है, उसकी जानकारी परिशिष्ट में दी हुई है.
श्री संजय उइके - अध्यक्ष महोदय, मेरा यह अनुपूरक प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - आपने जो जानकारी मांगी, वह उन्होंने पूरी जानकारी दे दी है. यह डिटेल में है, यह डिटेल आपने देखी है?
श्री संजय उइके - अध्यक्ष महोदय, मेरा यह अनुपूरक प्रश्न है क्योंकि इसमें बहुत सारे कार्य हुए ही नहीं हैं और इन्होंने कार्य दिखा दिये हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप कह रहे हैं कि जो कार्य नहीं हुआ है, जिसको बताया गया है, वह जानकारी आप उनको बताइए.
श्री संजय उइके -मुक्की बीट पर जो चैनलिंग फेंसिंग का कार्य दिखाया गया है, खापा परिक्षेत्र में चैनलिंग फेंसिंग का कार्य दिखाया गया है, वह मरम्मत कार्य कहीं हुआ ही नहीं है?
कुंवर विजय शाह -अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सदन को और माननीय सदस्य को भी यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि कहीं इसमें छिपाने का प्रश्न खड़ा नहीं होता, काम हुए हैं, जितना आपने पूछा है वह जानकारी दी गई है. इसके अलावा मेरे पास जो जानकारी आई है कि इसमें कक्ष क्रमांक दिये गये हैं. अगर आप नहीं पढ़ पाए हों.
श्री संजय उइके - अध्यक्ष महोदय, मुझे जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसमें कोई कक्ष क्रमांक नहीं दिये गये हैं.
कुंवर विजय शाह -मुझे अभी जो अधिकारी जानकारी दे रहे हैं, इसमें जानकारी है.
श्री संजय उइके -मुझे आपने जो जानकारी दी है, उसमें कहीं भी कक्ष क्रमांक नहीं दिये गये हैं.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, आप अगर पढ़ नहीं पाए हैं तो मैं अभी आपको जानकारी भिजवा देता हूं.
श्री संजय उइके - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके सामने दिखा देता हूं कि कक्ष क्रमांक नहीं डले हैं.
कुंवर विजय शाह -अध्यक्ष महोदय, छिपाने का प्रश्न ही नहीं उठता है, काम हुए हैं, कक्ष क्रमांक कोई बहुत बड़ी चीज नहीं है.
श्री संजय उइके -परिशिष्ट में कहीं भी कक्ष क्रमांक नहीं डले हैं.
कुंवर विजय शाह -अध्यक्ष महोदय, कक्ष क्रमांक अभी एक घंटे में भिजवा देता हूं.
श्री संजय उइके -अध्यक्ष महोदय, इसमें कक्ष क्रमांक दिये ही नहीं गये हैं, इसलिए मैं यह बोल रहा हूं. मैं क्यों असत्य बोलूंगा?
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, कुछ छिपाने का प्रश्न ही खड़ा नहीं होता है.
श्री तरुण भनोत - माननीय मंत्री जी, आप पर अध्यक्ष महोदय की विशेष कृपा है.
अध्यक्ष महोदय - तरुण जी, इसमें कृपा नहीं है. आप देखिए, इसी में लिखा है कक्ष क्रमांक 189, आप उसमें देखिए. इसमें लिखा हुआ है.
श्री शैलेन्द्र जैन - आप उसको प्रतिष्ठा का प्रश्न मत बनाइए.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय, फॉरेस्ट विभाग में हमारे यहां भी ऐसे ही है.
अध्यक्ष महोदय -- अशोक मर्सकोले जी आप बैठ जाइये. आपका भी प्रश्न आ रहा है.
श्री संजय उइके -- अध्यक्ष महोदय, इसमें अगर आप कहें तो मैं आपको दिखा देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, मेरे पास भी है ना.
श्री संजय उइके -- यह आखिरी के 7 वें, 8 वें पेज पर 15 लाख रुपये मुक्की में जो व्यय किये हैं इसमें कहीं कक्ष क्रमांक नहीं डला है.
अध्यक्ष महोदय -- बाकी ऊपर तो उसमें कक्ष-कक्ष करके कक्ष क्रमांक है.
श्री संजय उइके -- कहीं भी कक्ष क्रमांक नहीं डला है.
कुँवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, किसी भी चीज को छिपाने का प्रश्न ही खड़ा नहीं होता, जो माननीय सदस्य ने चाहा है हम उसकी पूरी तरीके से जांच करवाकर और उसमें कक्ष क्रमांक तो है अगर आपको ऐसा लगता है कि काम हुआ ही नहीं है और कक्ष क्रमांक फर्जी है तो आप ऐसी शिकायत करें. कक्ष क्रमांक दिया गया है और अगर उसमें नहीं है तो हम दे देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, माननीय विधायक जी तीन जगहों का नाम बता रहे हैं जो आपने काम बताया है काम हुआ ही नहीं, केवल उसकी जांच करा लेना है.
कुँवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, चेक करवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है. उन्होंने कहा है जांच करा लेंगे. आपका माइक चालू नहीं है.
श्री संजय उइके -- अध्यक्ष महोदय, कक्ष क्रमांक इसलिये नहीं बता पा रहे हैं क्योंकि काम हुआ ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आपने जो बताया काम नहीं हुआ है उसकी जांच करा लेंगे उन्होंने कहा है. जांच करा लेंगे.
श्री संजय उइके -- समय सीमा बता दें. एक महीना, दो महीना बता दें मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय -- वह वन मंत्री जी हैं, उनकी समय-सीमा आप देखते हैं एक हफ्ता, 15 दिन, एक महीना बोलते हैं.
कुँवर विजय शाह -- एक महीने के अंदर.
श्री संजय उइके -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
धार जिले की सिंचाई परियोजनाएं
[जल संसाधन]
4. ( *क्र. 8 ) डॉ. हिरालाल अलावा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार जिला अंतर्गत किन-किन विधानसभा क्षेत्रों में वर्ष 2020-21, 2021-22 एवं 2022-23 में कितनी वृहद/मध्यम/लघु सिंचाई परियोजनायें स्वीकृत की गईं? प्रश्न दिनांक तक कितनी संचालित हैं? विधानसभावार पृथक-पृथक नाम सहित ब्यौरा दें। (ख) किन-किन सिंचाई परियोजनाओं, जलाशयों, नहरों के लाईनिंग, पक्कीकरण इत्यादि कार्य गुणवत्ताहीन होने की शिकायत प्रश्नकर्ता द्वारा एवं अन्य द्वारा माननीय मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, कलेक्टर धार एवं विभाग को नवंबर 2022 से प्रश्न-दिनांक तक किया गया? इस पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? गुणवत्ताहीन कार्य के लिए कौन-कौन अधिकारी एवं एजेंसी जिम्मेदार हैं? अधिकारी एवं ठेकेदार का नाम बताते हुये क्या विभाग द्वारा उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी? (ग) धार जिले के टवलाई और कोठड़ा में अधूरा नहर निर्माण का कार्य कब तक पूरा कर लिया जायेगा? अधूरे नहर निर्माण से किसानों के खेतों में पानी जमा होने से बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा नहीं दिए जाने का कारण बताएं। (घ) मनावर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामपंचायत काकड़दा से बहदरा, सुरानी, नीलदा, धोलिबाड़ी, पठा, करोंदिया खुर्द, जामनीया मोटा, पिपलिया मोटा, मंडावादा होते हुए पाडला तक पूरा एरिया ड्राईजोन है, उक्त क्षेत्र में सिंचाई के लिए नर्मदा नदी से पानी उपलब्ध कराने बाबत् क्या कार्यवाही प्रचलित है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) धार जिला अंतर्गत वर्ष 2020-21, 2021-22 एवं 2022-23 में कुल 13 लघु सिंचाई योजनायें स्वीकृत होकर प्रगतिरत हैं। स्वीकृत परियोजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। विधानसभावार संचालित परियोजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) कार्यालयीन अभिलेख अनुसार माननीय सदस्य का नवम्बर 2022 से प्रश्न दिनांक तक सिंचाई परियोजनाओं, जलाशयों, नहरों की लाईनिंग, पक्कीकरण इत्यादि की गुणवत्ताहीन कार्य होने संबंधी पत्र न तो शासन स्तर पर प्राप्त हुआ है और न ही मैदानी कार्यालयों में प्राप्त होना प्रतिवेदित है। कार्यपालन यंत्री, नर्मदा विकास संभाग क्र. 30, मनावर से प्राप्त जानकारी अनुसार ओंकारेश्वर परियोजना चरण-3 की डी.व्हाय-9 एम.आर. 3 से नहरों का पानी खेतों एवं रास्ते में भरने संबंधी पत्र माननीय विधायक द्वारा माननीय मंत्री जी को संबोधित करते हुए पत्र प्राप्त हुआ था। वर्तमान में ओंकारेश्वर परियोजना नहर चरण 3 की डी.व्हाय 9 की एम.आर. 3 में जल संचालन के गेट को सुधार कर कृषकों की आवश्यकता अनुसार नहर में जल प्रवाहित किया जाना प्रतिवेदित है। कोई अधिकारी एवं ठेकेदार जिम्मेदार नहीं होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जल संसाधन विभाग द्वारा ग्राम टवलाई एवं कोठड़ा में नहर निर्माण संबंधी कोई कार्य नहीं किया जाना प्रतिवेदित है। अपितु नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधीन कार्यरत कार्यपालन यंत्री, नर्मदा विकास संभाग क्र. 30, मनावर से प्राप्त जानकारी अनुसार ओंकारेश्वर परियोजना चरण-3 की डी.व्हाय-9 एम.आर. 3 ग्राम टवलाई एवं कोठड़ा में नहर का निर्माण कार्य पूर्ण होना प्रतिवेदित है। अज्ञात तत्वों द्वारा डी.व्हाय-9 के गेट को रात्रि के दौरान जे.सी.बी. से तोड़ दिया गया था, जिसके कारण नहर में अत्यधिक जल प्रवाह होने से टवलाई, कोठड़ा के कृषकों की भूमि में ओवरफ्लो का पानी चला गया। विभाग द्वारा तत्काल कार्यवाही करते हुए जल को नियंत्रित कर लिया गया। कोई भी फसल नुकसानी परिलक्षित नहीं हुई है। अत: फसल मुआवजा दिये जाने का प्रश्न की उपस्थित नहीं होता है। (घ) नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधीन कार्यरत कार्यपालन यंत्री, नर्मदा विकास विभाग संभाग क्र. 30, से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रश्नाधीन ग्रामों में नर्मदा नदी से पानी उपलब्ध कराने संबंधी कोई कार्यवाही प्रचलन में नहीं होना प्रतिवेदित है।
अध्यक्ष महोदय -- हिरालाल अलावा जी, सीधा प्रश्न करिएगा बहुत बड़ी भूमिका मत बांधिएगा.
डॉ. हिरालाल अलावा -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न तो सीधा ही होता है लेकिन मुद्दे इतने गंभीर होते हैं इसलिये मुझे थोड़ा सा बोलना पड़ता है. आपका संरक्षण चाहते हुये मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं अलावा जी, आज पूछिये मत, कहिये क्या चाहिये आपको.
डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय अब आपने बोल दिया तो मैं कहना चाहता हूं, मैं माननीय मंत्री जी और सदन को बताना चाहता हूं कि आजादी के इस अमृतकाल में संसद में हमारे प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि हमने 12 करोड़ परिवारों को नलजल योजना जल जीवन मिशन के तहत पानी पहुंचाया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि हमारे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में मनावर विधान सभा क्षेत्र के माण्डू के आसपास के ग्रामीण इलाके हैं जिसमें ग्राम पंचायत काकड़दा से बहदरा, सुरानी, नीलदा, धोलीबाड़ी, पठा, करोंदिया खुर्द, जामनिया मोटा, पिपलिया मोटा, मंडावादा से पाडला तक पूरा ड्राई जोन है और फ्लोराइड प्रभावित जोन है, केन्द्र सरकार फ्लोराइड प्रभावित एरियों के लिये स्पेशल बजट हर साल आवंटित करती है लेकिन आजादी के 7 दशक बाद भी इन क्षेत्रों में ना तो फ्लोराइड से मुक्ति के लिये आदिवासियों को स्वच्छ पानी मिल पाया है ना सिंचाई के लिये यहां पर कोई ऐसी नहर परियोजना के माध्यम से पानी पहुंचाया गया है. मैंने जब माननीय मंत्री जी से प्रश्न पूछा तो माननीय मंत्री जी, जल संसाधन ने यह प्रश्न एनव्हीडीए को ट्रांसफर किया. एनव्हीडीए ने कहा कि हमारे पास ऐसी कोई प्रस्तावित योजना नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं यह सरकार आपकी है अब हमको तो पानी चाहिये, आप जल संसाधन से दो, चाहे पीएचई से दो, चाहे एनव्हीडीए से दो, हमको किसी भी कीमत पर और इसी वित्त वर्ष में इन ग्रामीण क्षेत्रों के लिये पानी चाहिये, क्योंकि पीएचई विभाग ने जो एकल नलजल योजना के तहत पानी दिया है, सारा का सारा भ्रष्टाचार चढ़ा और किसी भी गांव में हमारे यहां नलजल योजना के तहत पानी नहीं मिल रहा है, तो आप तालाब खोदकर दो, चाहे चौथे चरण की नहर से बाइफरकेट करके उन गांवों में पानी दो, चाहे किसी अन्य परियोजना, योजना या एक्शन प्लान के माध्यम से पानी दो, मैं यह जानना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, पानी की विकट समस्या है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदस्य ने जो चिंता व्यक्त की है, हमारी जो सरकार है यह हमारा मुख्यमंत्री एक किसान का बेटा है. हमारा संकल्प है हर आदिवासी इलाके में हम पानी पहुंचाने की बात करेंगे. जो आपने मुझसे जानकारी मांगी थी वर्ष 2020-21, वर्ष 2022-23 धार जिले में कुल 13 लघु सिंचाई परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं. नाम सहित आपको मैंने जानकारी दे दी है. धार जिले में जल संसाधन विभाग की छोटी 320 लघु सिंचाई परियोजना पहले से ही संचालित हैं और नाम सहित मैंने आपको इसकी जानकारी दी है. इसके अतिरिक्त नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा ओंकारेश्वर वृहद सिंचाई परियोजना, खरगौनमान वृहद सिंचाई परियोजना, धार एवं जोबट मध्यम सिंचाई परियोजना अलीराजपुर के धार जिले में लगभग-लगभग 1 लाख 4 हजार हेक्टेयर के क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है और आपको मैं यह गर्व के साथ बता सकता हूँ कि 366 ग्रामों में इससे सिंचाई की जा रही है. पर उसके बाद भी जो सम्माननीय सदस्य ने चिंता व्यक्त की है, माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार किसानों की सरकार है, किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है. जिन 11 ग्रामों की बात माननीय सदस्य ने की है, नर्मदा नदी का पानी पहुँचाए जाने का उल्लेख माननीय सदस्य ने किया है, मैं मेरे सम्माननीय सदस्य को यह आश्वस्त करता हूँ कि सरकार इस संबंध में परीक्षण कराएगी और सरकार किसानों को सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश करेगी.
डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ, किसानों के लिए पानी उपलब्ध कराने का आपने कह दिया, उसके लिए धन्यवाद, लेकिन ये कब तक होगा. इसी वित्त वर्ष में कराना चाहिए क्योंकि आज वहां पर फ्लोराइड के कारण हमारे आदिवासी भाइयों की हड्डियां टेढ़ी हो गई हैं और भ्रष्टाचार इतना है कि पीएचई विभाग की नल-जल योजनाओं में पानी के लिए जो पाइप बिछाये गए हैं, वे भी सबके सब ऊपर बिछा दिए गए हैं तो मैं आपसे यह पूछना चाहता हूँ कि यह जो आदिवासी क्षेत्रों में आपने बहुत सारी परियोजनाएं दी हैं....
अध्यक्ष महोदय -- अलावा जी, हो गया, वही प्रश्न आपका है. माननीय मंत्री जी.
डॉ. हिरालाल अलावा -- अध्यक्ष महोदय, आखरी प्रश्न है, माननीय मंत्री जी, दूसरा प्रश्न यह है कि जब आप हमारे आदिवासी क्षेत्रों के लिए योजनाएं बनाते हैं तो आप भ्रष्टाचार के लिए एक अलग एजेंसी नियुक्त कीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, ये नहीं.
डॉ. हिरालाल अलावा -- क्योंकि कारम डैम की तरह हमारे यहां भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए. नल-जल योजना में भी भ्रष्टाचार हुआ है, हमने शिकायत की, एफआईआर के लिए लिखा है लेकिन कोई एफआईआर नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, केवल एक बात है, उन्होंने कुछ गांवों का वर्णन किया है, उल्लेख किया है, उन गांवों में उनको पानी चाहिए तो उनको आश्वस्त करिए कि यह कैसे हो सकता है. उन्होंने विशेषकर कुछ गांवों का नाम लिया है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार सिंचाई के लिए पानी हर किसान को, हर खेत को देगी, सिंचाई हेतु परीक्षण करा लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय -- आपने जिन गांवों का कहा है, उन गांवों का परीक्षण कराने के लिए उन्होंने कह दिया है.
डॉ. हिरालाल अलावा -- अध्यक्ष महोदय, गावों का परीक्षण आपका विभाग करेगा, एनवीडीए करेगा या पीएचई विभाग करेगा, यह भी आप क्लियर कर दीजिए, क्योंकि आप तीनों विभागों की लड़ाई में हमको पानी नहीं मिल रहा है ?
अध्यक्ष महोदय -- यहां विभाग का सवाल नहीं आएगा, यहां तो मंत्री जवाब दे रहे हैं.
सड़क परिवहन निगम के कर्मियों का संविलियन
[परिवहन]
5. ( *क्र. 926 ) श्री जालम सिंह पटैल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. सड़क परिवहन निगम के समापन की कार्यवाही पूर्ण हो चुकी है? (ख) वर्तमान में निगम के कुल कितने अधिकारी/कर्मचारी कार्यरत हैं? (ग) क्या तिलहन संघ के समान ही सड़क परिवहन निगम के शेष बचे कर्मचारियों के संविलियन की कोई योजना सरकार के पास विचाराधीन है? यदि हाँ, तो शेष बचे कर्मियों का संविलियन जहां जिस विभाग में कार्यरत हैं, वहां करने हेतु शासन कब तक कार्यवाही पूर्ण कर लेगा? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या म.प्र. शासन तथा अन्य निगम/मंडलों/संघ/आयोग में सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष निर्धारित है, फिर सड़क परिवहन निगम के कर्मियों की सेवानिवृत्त आयु 58 वर्ष क्यों है? क्या यह इनके साथ अन्याय नहीं है? अन्य निगम मंडलों/संघ/आयोग की तरह सड़क परिवहन निगम के कर्मियों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष करने के आदेश कब तक प्रसारित किए जायेंगे? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी नहीं। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों की सेवा विनियम के अध्याय-3 नियम 59 के तहत शासकीय सेवकों की अर्द्धवार्षिकी आयु 58 वर्ष निर्धारित है। म.प्र. सड़क परिवहन निगम के आदेश दिनांक 18.05.1990 द्वारा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की अर्द्धवार्षिकी आयु 60 वर्ष निर्धारित की गई है। मध्यप्रदेश सड़क परिवहन के परिसमापन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने से प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अध्यक्ष महोदय -- सीधा प्रश्न करें, कुछ आगे बढ़ने दीजिए.
श्री जालम सिंह पटेल -- अध्यक्ष महोदय, सड़क परिवहन निगम के जो तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 216 कर्मचारी हैं, उनकी जिन विभागों में प्रतिनियुक्ति है, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि क्या वहां उनका संविलियन करेंगे ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम बंद करने का निर्णय वर्ष 2005 में ले लिया गया था. चूँकि 90 प्रतिशत कर्मचारी स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति (वीआरएस) ले चुके हैं और सड़क परिवहन निगम बंद करने की प्रक्रिया अभी चल रही है, इसलिए शेष कर्मचारियों के संविलियन की कोई योजना विभाग में विचाराधीन नहीं है.
श्री जालम सिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार के श्रम विभाग ने कर्मचारियों के संविलियन/विस्थापन के पूर्व इसको बंद करने का कोई आदेश नहीं किया है. अभी वह चल रहा है. दूसरा, वर्तमान में मुख्य सचिव ने 6 माह पूर्व कर्मचारियों की अन्य विभागों में संविलियन की अनुशंसा की है, तो मेरा यही निवेदन है कि कर्मचारी काम कर ही रहे हैं और जहां पद खाली हैं, वहीं काम कर रहे हैं, पद की अलग से आवश्यकता नहीं है, न ही कोई अलग से भार आएगा, मैं ऐसा मानता हूँ कि पूरे मध्यप्रदेश में विंध्य क्षेत्र के ही लगभग कर्मचारी हैं. कल ही मेरी विधान सभा की एक कर्मचारी मात्र 58 वर्ष की आयु में श्रीमती सरस्वती चौरसिया रिटायर हो गईं. इसमें दूसरा मेरा एक प्रश्न आयु सीमा के संबंध में भी है. कुछ जो भृत्य हैं वे 60 वर्ष की आयु में रिटायर हो रहे हैं और कुछ लोग 58 वर्ष की आयु में रिटायर हो रहे हैं और बाकी कर्मचारियों को, जहां वे काम कर रहे हैं उनको 62 वर्ष की आयु में रिटायर कर रहे हैं और इन्हें 60 वर्ष और 58 वर्ष में रिटायर कर रहे हैं. यह भी मेरा एक निवेदन है कि क्या उनको भी उसी हिसाब से लाभ दिया जाएगा ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि मैं पहले भी माननीय सदस्य महोदय से कह चुका हॅूं और यह बात भी सही है कि निगम करीब-करीब बंद होने की कगार पर है. बहुत थोड़े से कर्मचारी इसमें काम कर रहे हैं. मात्र 123 तृतीय वर्ग के कर्मचारी, 93 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, 6 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी हैं. केन्द्र सरकार के श्रम विभाग का थोड़ा-सा अड़चन है जिसको जल्दी ही हम लोग दूर कर लेंगे. माननीय सदस्य ने जो 58 वर्ष और 60 वर्ष की आयु में रिटायर के बारे में प्रश्न पूछा हैं, वह मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों के तीन नियम-59 में उस समय सेवा शर्तों में ही कर्मचारी की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष निर्धारित की गई थी, इसलिए यह संभव नहीं है. मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम बंद करने की प्रक्रिया चल रही है. सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाया जाना अभी संभव नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, तब जब सड़क परिवहन निगम था, तब भी परेशानियों के दौर से पूरा डिपार्टमेंट चलता था. आज जब उसके अधिकारी, कर्मचारी संविलियन में आ गए हैं, तब वे भी उभर नहीं पा रहे हैं. मैं माननीय जालम सिंह पटेल जी को धन्यवाद देना चाहता हॅूं कि उन्होंने बहुत अच्छा प्रश्न किया है और लाटरी में भी आ गया. एक कर्मचारी की तो कल ही सेवानिवृत्ति हुई है जैसा कि माननीय जालम सिंह पटेल जी ने बताया. मेरा सिर्फ इतना कहना है कि अगर केन्द्र सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा स्वीकृति पूर्व कर्मचारियों के विस्थापन की कार्यवाही पूर्ण करने की शर्त रखी गई है तो उसी अनुरूप हम चाहते हैं कि इसमें संविलियन का पूरा-पूरा लाभ मिले क्योंकि वे कर्मचारी, अधिकारी काम तो कर रहे हैं लेकिन उनका जो प्रीविलेज़ हैं उनको जो अधिकार मिलना चाहिए, वह मिले. आज में भी झंझावात है. तब जब निगम के कर्मचारी थे, तब भी और जब आज संविलियन हो गया है, तब भी परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी निवेदन करना चाहूंगा. मुख्य सचिव महोदय ने भी इसकी अनुशंसा की है. आपके विभाग में इसका संविलियन कब तक हो जाएगा, इसके बारे में आप थोड़ा एक आश्वासन दे दें. वैसे तो वे संविलियन में काम कर रहे हैं. वे संविलियन के रूप में तो हैं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य महोदय की चिंता जायज़ है. अभी वे संविलियन में नहीं, बल्कि प्रतिनियुक्ति पर काम रहे हैं और बहुत कम कर्मचारी हैं. यह माननीय सदस्य महोदय ने स्वयं स्वीकारा है. इसमें श्रम विभाग की थोड़ी अड़चन है. मैंने हमारे प्रमुख सचिव और कमिश्नर से बात की है कि जल्दी से जल्दी चलें और मैं स्वयं दिल्ली जाऊंगा और इस मामले को (XXX). यह हम लोग खुद अभी 1100 करोड़ रूपए का ऋण लेकर इनको पैसा दे रहे हैं.
श्री लक्ष्मण सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी कह रहे हैं (XXX). इसका क्या अर्थ हुआ ? इसको विलोपित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- सुलझाएंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- समाधान कर लेंगे.
श्री लक्ष्मण सिंह -- हां, समाधान बोलो.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- हां, समाधान करेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अच्छा, राजा, इन्होंने सुलटा ही दी, आपकी समझ में नहीं आयी क्या...(हंसी)...
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 6, श्री लाखन सिंह यादव जी. सीधा-सीधा प्रश्न करें. श्री बाला बच्चन जी का भी प्रश्न लेना है. थोड़ा जल्दी प्रश्न पूछें.
वन विभाग के कार्यों की जानकारी
[वन]
6. ( *क्र. 585 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भितरवार विधानसभा क्षेत्र में विकास हेतु एवं आदिवासियों की मूलभूत सुविधाओं हेतु सरकार के द्वारा वन विभाग के विभिन्न कार्य स्वीकृत किये गए हैं? यदि हाँ, तो विगत 03 वर्षों में कौन-कौन सी मद से कितनी-कितनी राशि के कौन-कौन से कार्य स्वीकृत किये गये थे? कार्यवार, राशिवार एवं किन-किन (पंचायतों में) स्थानों पर उक्त कार्य किये गये? सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) उक्त स्वीकृत कार्यों में से कितने कार्य पूर्ण, अपूर्ण एवं प्रगतिरत हैं? अपूर्ण कार्यों को कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा? उक्त कार्यों की कितनी-कितनी राशि का भुगतान किया गया है, कितनी राशि भुगतान हेतु शेष हैं तथा सत्यापनकर्ता अधिकारी का नाम एवं निर्माण कार्य एजेंसी का नाम बतावें। (ग) ग्वालियर जिले में वन विभाग में कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी पदस्थ हैं, उनका नाम, पद, पदस्थापना दिनांक, मुख्यालय एवं ग्वालियर जिले में कब से पदस्थ हैं? पूर्ण विवरण दें।
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) भितरवार विधानसभा क्षेत्र में स्वीकृति किये गये विकास कार्यों/मूलभूत सुविधाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है।
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न में माननीय मंत्री जी से जानना चाहा था कि ग्वालियर जिले की भितरवार विधानसभा में विगत 3 वर्षों में कौन-कौन से मद से, कितनी-कितनी राशि के कौन-कौन से कार्य स्वीकृत किए गए थे. कार्यवार, राशिवार एवं किन-किन पंचायतों में कितने-कितने कार्य किए, कितने अपूर्ण हैं और कितने पूर्ण हैं. माननीय मंत्री जी ने मुझे 22 पेज का उत्तर दिया है और 22 पेज में पिछले ढाई साल में इन्होंने 450 वीट और कच्छ में काम कराए हैं. अलग-अलग मद से अलग-अलग काम कराए हैं. मैं आपके माध्यम से सिर्फ इतना जानना चाहता हॅूं कि इसमें मेरे खुद का भी काम है. मेरे खुद के भी काम में इन्होंने शो किया कि करीब 28 लाख रूपए का आपने मेरे गांव में काम कराया है. इसमें बडे़ पैमाने पर भ्रष्टाचार है. यह पूरा मेरी विधानसभा का मैटर है. कहीं भी इन्होंने न तो कोई वृक्षारोपण कराया है. कैब के माध्यम से कैब मद का इन्होंने जो पैसा दर्शाया है, कहीं भी कोई काम नहीं किया है. मैं इसमें चूंकि समय का अभाव है टाइम पूरा हो रहा है. मैं सिर्फ इतना चाहता हॅूं कि जितने भी आपने यह काम कराएं हैं, कृपा करके इनकी भोपाल स्तरीय किसी समिति से जॉंच करा लें और जॉंच में क्षेत्रीय विधायक के नाते मुझे भी उसमें शामिल कर लें, इतना मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हॅूं. भ्रष्टाचार का अगर मैं गिनाना चाहूँ....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, अब हो गया.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य सदन को भ्रामक जानकारी दे रहे हैं. आपका आरोप है कि ये काम ही नहीं हुए. अगर ये काम नहीं हुए तो मैं इस्तीफा दे दूँगा..(व्यवधान)..
श्री लाखन सिंह यादव-- वैसे भी तुम्हारा तो इस्तीफा....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, ऐसा नहीं. आप थोड़े ही काम करा रहे हैं. अधिकारियों की जिम्मेदारी आपको नहीं लेना है भाई. अधिकारियों की जिम्मेदारी अपने ऊपर क्यों लेते हों?
कुँवर विजय शाह-- आप भ्रामक जानकारी दे रहे हैं.
श्री लाखन सिंह यादव-- कैसे भ्रामक है?
कुँवर विजय शाह-- आप पर्टिक्यूलर एक बात बताइये कि भाई ये चीज नहीं हुई है, मैं जाँच कराऊंगा, लेकिन मेहरबानी करके इस पवित्र सदन में भ्रामक जानकारी न दें.
श्री लाखन सिंह यादव-- यह जानकारी अध्यक्ष महोदय.....
अध्यक्ष महोदय-- लाखन सिंह जी, बैठ जाइये. माननीय मंत्री जी, माननीय विधायक ने अपने गाँव का जिक्र किया है, हमारा गाँव भी उसमें शामिल है जिसमें काम नहीं हुआ, तो जब गाँव का जिक्र कर रहे हैं तब तो जाँच करा लेनी चाहिए.
कुँवर विजय शाह-- अध्यक्ष जी, जाँच करवाने से कोई तकलीफ नहीं है, लेकिन आप पूरे के पूरे काम का बोलेंगे कि नहीं हुए….
अध्यक्ष महोदय-- पूरे नहीं, वे अपने गाँव का कह रहे हैं.
कुँवर विजय शाह-- मैं चैलेंज कर रहा हूँ, अगर पूरे काम नहीं हुए हों तो…
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले मेरी पूरी बात सुन लें. मैं यह कह रहा हूँ 452 इन्होंने काम किए हैं बीट और कक्ष में मैं मात्र 5 पंचायतों की बात कर रहा हूँ. आप सबको छोड़िए. 5 पंचायतों में ये जाँच करा लें.
कुँवर विजय शाह-- आप फिर भ्रामक जानकारी दे रहे हों.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं 5 पंचायतों के नाम बता रहा हूँ. बागवाला ग्राम पंचायत, आरोन पंचायत, रेट, करई और रामपुर ये खुद का मेरा गाँव है. इनमें आप जाँच करा लें....
अध्यक्ष महोदय-- हाँ ठीक है ना.
श्री लाखन सिंह यादव-- भोपाल स्तरीय समिति से और उसमें मुझे भी रखें, क्षेत्रीय विधायक के नाते, मेरा खुद का गाँव है, मुझे भी रखें.
अध्यक्ष महोदय-- तीन गाँव का कह रहे हैं, तीन गाँव की करा लें.
कुँवर विजय शाह-- अध्यक्ष जी, वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर जाँच करा लेंगे. जाँच की कॉपी सदन में रख देंगे. विधायक को शामिल करने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता.
श्री लाखन सिंह यादव-- क्यों नहीं रखेंगे? भ्रष्टाचार की जाँच करने वाले तुम्हारे ही लोग हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आप से अनुरोध कर रहा हूँ, मेरा खुद का गाँव, मेरा खुद का निर्वाचन क्षेत्र, मैं चाहता हूँ इस समिति में मुझे भी रखा जाए. तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो पाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, समिति में नहीं रख रहे हैं तो जब वे जाँच करने जाएँ तो आपको सूचना दे दें.
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, आपके होते हुए आप जब से आए हैं इस कुर्सी पर आए हैं नवाचार आपने बहुत सारे किए हैं. इसमें तो मुझे शामिल कराया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं वो मंत्री जी खुद सक्रिय हैं, बहुत ज्यादा सक्रिय हैं वो जाँच करवा लेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, ये क्या जाँच करेंगे, एक भी काम नहीं हुआ इनका.
कुँवर विजय शाह-- माननीय विधायक जी, मेरा निवेदन सुन लें. माननीय विधायक जी ने जो चिन्ता जाहिर की, मेरा विभाग है, मेरी सरकार है, अगर थोड़ी भी गड़बड़ी पाई गई....
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, अगर ये ईमानदार हैं तो मुझे रखने में क्या आपत्ति है? मैं क्या कोई आपके खिलाफ काम करूँगा? अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरे वरिष्ठ अधिकारी ए पी सी सी एफ लेवल के इक्वेलेंट हैं. यहाँ से जाएँगे अगर उनकी जाँच में थोड़ा सी भी मुझे कोई शंका प्रतीत होती है तो उस अधिकारी को मैं क्या करूँगा बाद में बताऊँगा.
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, जब तक तो ये खुद नहीं रहेंगे. अध्यक्ष महोदय, मुझे आपका संरक्षण चाहिए. मुझे जाँच में शामिल कराया जाए. अध्यक्ष महोदय, आसन्दी से निर्देश जाने चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब हो गया, अब उसमें काफी आ गया, जाँच का आदेश हो गया ना. बाला बच्चन जी, अब अपना प्रश्न करिए.
श्री लाखन सिंह यादव-- कहाँ आया?
अध्यक्ष महोदय-- जाँच का तो आदेश तो कर दिया ना उन्होंने.
वनमंडलों में हुए व्यय की जानकारी
[वन]
7. ( *क्र. 245 ) श्री बाला बच्चन : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्रमांक 1160, दिनांक 27.07.2022 के (क) उत्तर अनुसार बड़वानी व सेंधवा वनमंडलों में वर्ष 2018, 2019, 2020 एवं 2021 में हुए समस्त व्यय के भुगतान की जानकारी भुगतान प्राप्तकर्ता व्यक्ति/फर्म नाम, बैंक अकाउंट नम्बर, बैंक नाम, फर्म का G.S.T. नम्बर T.D.S. कटौत्रा राशि सहित वनमण्डलवार वर्षवार देवें। (ख) जिन भुगतान में T.D.S. नही काटा गया है, उनकी जानकारी कारण सहित देवें। इसके जिम्मेदार अधिकारियों के नाम, पदनाम सहित देकर बताएं कि इसके लिए उन पर कब तक कार्यवाही होगी? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार अवधि में रोपित पौधों में प्रश्न दिनांक की स्थिति में कितने पौधे जीवित हैं? उपरोक्त अवधि में किस कक्ष क्रमांक पर कितने पौधों का रोपण किया गया, की जानकारी वनमंडलवार वर्षवार देवें। (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार जानकारी संबंधित अधिकारी की निरीक्षण तिथि सहित देवें।
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ग) एवं (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है।
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी माननीय वन मंत्री जी से प्रश्न है मेरे अपने बड़वानी जिले के दो वन मण्डल हैं बड़वानी और सेंधवा वन मण्डल में पहले 4 साल में वर्ष 2014 से, 15, 16, 17 में 20 लाख पौधे लगा दिए.....
अध्यक्ष महोदय-- बाला बच्चन जी, उत्तर लीजिए. सीधा प्रश्न करिए.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, फिर मैंने प्रश्न पूछा था मेरा प्रश्न क्रमांक था 1160 नंबर का, 27 जुलाई 2022 में मैंने पूछा था, उसमें भी वर्ष 2018, 19, 20,21 में फिर उसी जमीन पर फिर 20 लाख पौधे लगाना बता दिए गए हैं और वो नियम प्रक्रिया के खिलाफ न जीएसटी नंबर लिए गए उन फर्मों से न व्यक्तियों के, न टीडीएस काटा गया. मेरा यह कहना है कि 40 लाख पौधे 8 साल में सरकार ने लगाना एक ही धरती पर बताए हैं. वे पौधे नहीं लगे हैं. मेरा अपना जिला है, मेरा अपना क्षेत्र है, मैं डेली उन क्षेत्रों में घूमता हूँ. माननीय वन मंत्री जी, इसकी जाँच कराकर, जैसा हमारे पूर्व विधायकों ने पूछा है, मैं भी यह पूछना चाहता हूँ कि क्या आप इसकी जाँच कराओगे? उस जाँच में आप भी रहो और हम भी रहें जिससे कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए और....
अध्यक्ष महोदय-- बस हो गया, उत्तर आने दीजिए.
श्री बाला बच्चन-- पौधे खरीदने और पौधा रोपण में कितना भ्रष्टाचार किया है वह स्पष्ट हो जाए.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने सीधे जांच की मांग की है.
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से बतलाना चाहता हूँ कि वर्ष 2018-2019 में उस समय की सरकार और उस समय के अधिकारियों ने गड़बड़ी की थी. हमारी सरकार वर्ष 2020 में आई थी. जैसे हमें मालूम पड़ा हमने टीडीएस कटवाना शुरु कर दिया. यह तो आप लोगों से समय की बात है. जीएसटी की जो बात माननीय बाला बच्चन साहब कर रहे हैं वह सच है. वर्ष 2018-2019-2020 इन वर्षों में तत्कालीन अधिकारियों ने लापरवाही की है. जीएसटी नम्बर नहीं लिया है और टीडीएस नहीं काटा है. इसकी वसूली की जाएगी और उस समय के आपकी सरकार के समय के जो अधिकारी होंगे उन पर कार्यवाही की जाएगी.
श्री बाला बच्चन -- मेरा एक प्रश्न और है.
अध्यक्ष महोदय -- अभी उनका उत्तर पूरा नहीं आया है, पहले उत्तर आने दीजिए.
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार कोई भी रहे अगर अधिकारी ने गड़बड़ी की है तो मारा जाएगा.
श्री बाला बच्चन -- यह बड़वानी जिले की जनता के साथ धोखा है. भ्रष्टाचार में सरकार पूरी डूबी हुई है. माननीय मंत्री जी आपको इसका जवाब देना होगा. यह असत्य और भ्रामक जानकारी आपने दी है. मैं इसको आगे की चर्चा में भी उठाऊंगा. पौधे नहीं लगे हैं, उसका पैसा सरकार ने निकाला है. एक जमीन पर 40 लाख पौधे लगाए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- समय समाप्त हो गया है. प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय -- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
1. श्री कमलेश्वर पटेल
2. कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा
3. श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय
4. श्री महेश परमार
5. श्री पहाड़ सिंह कन्नौजे
6. श्री बहादुर सिंह चौहान
7. श्री संजय सत्येन्द्र पाठक
8. श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव
9. श्री दिनेश राय मुनमुन
10. श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल
12.02 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) (क) मध्यप्रदेश वित्त निगम का 67 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022, एवं
(ख) मध्यप्रदेश वित्त निगम के 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वर्ष के लेखों पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का पृथक लेखा परीक्षा प्रतिवेदन.
(2) मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल का लेखा परीक्षा
प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 एवं वर्ष 2019-2020
(3) अधिसूचना क्रमांक एफ-2-6-2019-सात-शा-7, दिनांक 10 जनवरी, 2023
(4) जिला खनिज प्रतिष्ठान उमरिया, नीमच, ग्वालियर, दमोह, सिंगरौली, झाबुआ एवं पन्ना के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
(5) मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड का 20 वां वार्षिक प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2021-2022
(6) (क) भोपाल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पार्क लिमिटेड का पंचम वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, एवं
(ख) मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रानिक्स डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 37वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021
(7) महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट सतना (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
(8) मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का 38 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020
(9) मध्यप्रदेश प्लास्टिक पार्क डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड के अन्तिम लेखे वर्ष 2021-2022
(10) मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021
12.08 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने चीन से आये हुए मोबाइल पर करीब 40 एप पर प्रतिबंध लगाया है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी ने भी फटाखों पर प्रतिबंध लगाया है.
अध्यक्ष महोदय, विधान सभा के द्वारा कल जो टेबलेट दिया गया है वह भी चीन से ही आया हुआ है. उसमें लिखा हुआ है. Assembled in china. अब जब स्वयं सरकार इसका विरोध करती है तो इसको मंगाना प्रदेश के हित में नहीं है. हम सभी लोगों का डाटा चोरी हो सकता है इसीलिए मैं आपके दिए हुए टेबलेट को आज विधान सभा में वापस करता हूं. मैं इसे आज आपके कार्यालय में जमा करा दूंगा. कमलनाथ जी ने भी उसे नहीं लिया है वापस कर दिया है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं नेता प्रतिपक्ष जी का ज्ञानवर्द्धन नहीं कर रहा हूं और कर भी नहीं सकता हूं क्योंकि वह मेरे बड़े भाई हैं. मैं आपको यह बता दूं कि वह टेबलेट एप्पल कंपनी का है और एप्पल कंपनी के पूरे विश्व में अलग-अलग जगह पर प्रतिष्ठान हैं. असेम्बल शब्द का अर्थ होता है अलग-अलग जगह पर अलग-अलग चीजें वहां बैटरी भी बनती है, दूसरी चीजें भी बनती हैं. सम्मानित सदस्य को पता नहीं इस बार इस टेबलेट से क्या हुआ है. पहले ही दिन वह बोले कि हमारे आदिवासी भाई पढ़ना-लिखना ही नहीं जानते हैं. आप नेता प्रतिपक्ष हो आप जनजाति के लोगों पर पहले दिन ही इस तरह का आरोप लगा रहे हो.
डॉ. गोविन्द सिंह-- मैंने यह नहीं कहा है. आप उसको गुमराह कर रहे हैं. मैंने कहा था कि स्वयं नहीं जानता.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं नेता प्रतिपक्ष जी की बाइट सुना सकता हूं. मैं अभी भी उनसे प्रार्थना कर रहा हूं कि इसमें वापस करने की जरूरत नहीं है. एप्पल की जरूरत है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप वोटिंग करा लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- किस चीज की वोटिंग.
डॉ. गोविन्द सिंह-- इसी की कि इस टेबलेट को कितने लोग स्वीकार कर रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- वोटिंग में कांग्रेस शुरू से हारती आई है, आज भी हारेगी.
डॉ. गोविन्द सिंह—(XXX) आप तो वोटिंग करा लें पता चल जाएगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस तो वोटिंग में 20 सालों से हार रही है.
डॉ. गोविन्द सिंह--आप सभी विपक्ष के विधायकों से एक-एक बार पूछ लो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप कह रहे हो वोटिंग करा लो इसका क्या मतलब है. कांग्रेस फिर हार जाएगी. नेता प्रतिपक्ष जी कह रहे हैं तो वोटिंग करा लें.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप चीन से टेबलेट बनवाकर मंगवा रहे हो. कथनी और करनी में अंतर है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा है तो आप अभी वोटिंग करवा लें मैं तैयार हूं.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप फटाखों पर प्रतिबंध लगाते हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- हम फिर प्रतिबंध लगाएंगे जो प्रतिबंध लगाने की चीज है उस पर प्रतिबंध लगाएंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह-- लगा दो प्रतिबंध और चीन से जाकर गठबंधन करोगे, व्यापार बढ़ाओगे. 67 प्रतिशत व्यापार बढ़ा दिया तीन तिहाई व्यापार बढ़ा दिया है. वैसे ही हमारा निर्यात कम हो गया है और आप वहां से आयात कर रहे हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--यह कांग्रेस का अकारण भ्रम पैदा करना बहुत बढ़ गया है. आप पहले अनुसूचित जाति और जनजाति के भाईयों से माफी मांगिए कि आपने उन्हें निरक्षर कहा आप पहले माफी मांगिए क्योंकि आपने कहा कि वह टेबलेट चलाना नहीं जानते हैं आपने ऐसा क्यों कहा. आप पहले माफी मांगिए.
डॉ. गोविन्द सिंह-- मैंने ऐसा नहीं कहा है. न तो गांव में नेटवर्क मिलता है, पहाड़ी इलाके में नेटवर्क नहीं मिलता है. हम लोगों के यहां भी नेटवर्क नहीं मिलता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय इन्हें बेंच पर खड़ा करो. पता नहीं यह कौन सी दुनिया की बात कर रहे हैं. लहार में नेटवर्क मिल रहा है सभी जगह मिल रहा है अगर लहार में नेटवर्क नहीं मिलता तो यह बात कहां से करते.
डॉ. गोविन्द सिंह- लहार में नेटवर्क नहीं मिलने से दो दिन तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का कारोबार, 15 दिन पहले बंद रहा था. आप असत्य वचन न कहें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- मेरी डॉक्टर साहब से प्रार्थना है कि वे ऐसा न करें. वह टैबलेट, एप्पल कंपनी का है.
डॉ. गोविन्द सिंह- मैंने तो वापस कर दिया है, जमा कर दिया है. वह मेरी ओर से गृह मंत्री जी को भेंट कर दिया जाये, वे दो-दो चलायेंगे.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष टैबलेट का अर्थ ही नहीं समझे हैं. कल चर्चा हो रही थी तो उन्होंने कहा कि मैं तो डॉक्टर हूं और मैं बीमार भी नहीं हूं. ये समझे कि वो टैबलेट शायद खाने की कोई गोली या दवाई है. (हंसी)
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)- अध्यक्ष महोदय, मैं, कल जब टैबलेट लेने गया तो वहां हमारे विपक्ष के साथियों की लाईन लगी थी. इतने प्रेम से वे टैबलेट ले रहे थे.
...(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि अभी संसदीय कार्य मंत्री जी ने बताया कि वे टैबलेट चाइना में असेंबल हुए हैं, सरकार इसे स्वीकार करती है. उस टैबलेट का बड़ा-मोटा असेंबल का कार्य चाइना में हुआ है तो यह सरकार और भाजपा की कथनी और करनी में अंतर नहीं है ? आप जो चाइना का विरोध करने की बात करते हैं.
अध्यक्ष महोदय- अब बहुत हो गया है. आपके नेता प्रतिपक्ष ने उसे वापस कर दिया है और मंत्री जी ने उसका जवाब दे दिया है, तो अब उस पर क्या बहस करना ? यदि वह चल रहा होता तो उस पर बहस करते.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाईंट ऑफ ऑर्डर है. मंत्री महोदय ये गलत कह रहे हैं कि विपक्ष के विधायकों की लाईन लगी हुई थी. आपने टैबलेट देकर हम पर कोई एहसान नहीं किया है, कोई खैरात नहीं बांटी है.
...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय- अभी अनावश्यक टैबलेट पर बहस न करें. अभी बजट पर बहस करेंगे. एनर्जी व्यर्थ न करें.
12.11 बजे
बधाई
श्री हरदीपसिंह डंग, सदस्य के जन्मदिवस पर शुभकामना
अध्यक्ष महोदय- आज माननीय मंत्री श्री हरदीपसिंह डंग जी का जन्मदिवस है. मैं, अपनी और पूरे सदन की ओर से उन्हें शुभकामनायें देता हूं.
(मेजों की थपथपाहट)
12.12 बजे
ध्यानाकर्षण
(1) भिण्ड जिले के लहार में विद्युत सामग्री के चोरी प्रकरण पर कार्यवाही न किया जाना
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)- अध्यक्ष महोदय मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह)--अध्यक्ष महोदय, मंत्री होकर इतना असत्य बयान करना यह सदन में उचित प्रतीत नहीं होता. आप भी उसी क्षेत्र के हैं मैंने आपको स्वयं दो बार फोन किया है. हमने आपको लिखकर भी दिया. अब बताईये कि जो आदमी चोरी में पकड़ा गया उसकी एफआईआर लिख रहे हो, उसको आप इनाम दे दो. कोई शिकायत ही नहीं हुई है. आठ पोल मैंने स्वयं जगदीशपुरा से ईस्ट ने रखवाये थे, पकड़े हमने उसमें डीई को डांटा आईये लेकर तब तक नहीं हटूंगा तब वह यहां से जप्त करके ले गया. आप कह रहे हैं चार पोल इस तरफ से लगातार चोरी हो रही है उधर लाईनें लगती हैं और उधर दो दिन बाद दूसरी तरफ से लाईनें उतारी जाती हैं. आप कह रहे हैं ग्राम गांध में कोई व्यवस्था नहीं है तीन ट्रांसफार्मर कैसे लगे चलिये आपको मैं दिखवा दूंगा. अभी 15 दिन पहले ग्राम गांध है वहां पर बिजली का सपरेशन चल रहा है. चार विभाग के ट्रांसफार्मर मंजूर थे वहां ग्राम में पहुंच गये तीन लगा दिये. एक पर लोगों ने कहा कि यहां नहीं वहां लगाओ उन्होंने कहा कि हम इसकी परमीशन लेंगे. इसी तरह से वहां से ट्रांसफार्मर उठाकर ले गये. इसी तरह से ट्रांसफार्मर तीन तीन चार चार मंजूर होते हैं ग्राम में ले जाते हैं लेने के बाद कोई बहाना बनाकर चार ट्रांसफार्मर में से दो लगाये और दो नहीं लगाते हैं, यह वर्षों से खेल चल रहा है. लगातार पिछले आठ सालों का अनुमान लगाओ तो करोड़ो का बिजली चोरी का घोटाला आपके कर्मचारियों एवं अधिकारियों के संरक्षण में हो रहा है. आप इसमें बोल रहे हैं कि सही नहीं है. तो क्या आप हरीशचन्द्र जी के घर में पैदा हुए हो, हम तो सब गलत बोल रहे हैं. आप चलिये जनता के बीच में सामने पूछ लीजिये आपको सच्चाई का पता चल जायेगा. आप कम्पनी को बचाना चाहते हैं या बर्बाद करना चाहते हैं हम तो कम्पनी के हित की बात कर रहे हैं. हमने आपके चोरी के प्रकरण के संबंध में डीई के साथ मीटिंग भी ली हमने उनको कहा कि आप इनको पकड़िये आपकी लाखो रूपये की बिजली की चोरी हो रही है. अभी भी अध्यक्ष जी गांवों में क्या हो रहा है बिजली की गांवों में पानी की लगी हैं 10 मोटरें 3-4 चल रही हैं बिल आ रहे हैं कम और 4-5 मोटरें चोरी से चल रही हैं. इनका बिल कम वसूल होता है. जहां पर 20-20 वर्षों से कुएं फेल हो गये, वहां ट्रांसफार्मर नहीं हैं उनके पास में 2-2 लाख रूपये के बिजली के बिल आ रहे हैं. आप इसकी जांच कराईये मैं इसके आपको प्रमाण दूंगा. यह बात अपने आप ही सिद्ध हो जायेगी कि जहां पर गांव 7 हार्स पावर का किसी ने कनेक्शन लिया उनको 12 हजार रूपये का बिल भिजवा रहे हैं उसकी शिकायत की उसकी जांच करवाई खुद मौके पर जाकर इंजीनियर ने कहा कि यह गलत है उसको सुधार देंगे, लेकिन आज तक नहीं सुधार रहे हैं. गांवों की आप एफआईआर करवा रहे हैं, गांव वालों पर आप लूट का मुकदमा लगवा रहे हैं, कुर्की करवा रहे हैं भिण्ड में आदेश हो गया कि जो किसान बिजली का बिल नहीं दे पाये 20 साल पहले वहां पर कोई नहीं है वहां पर ट्रांसफार्मर नहीं है, लाईन नहीं है, खम्बे नहीं है. बिल वहां हो रहे हैं 3-3 लाख रूपये के यह व्यवस्था पूरे विद्युत विभाग ने बिगाड़ी है. लोगों से करोड़ो रूपये निकाल रहे हैं. चलो ठीक है. अगर आपको चोरी करवाना है और वहां पर इनाम दे दो कर्मचारियों को हमको उनसे कोई व्यक्तिगत रंजिश नहीं है. लगातार उनको समझाने के बाद जब 8 ट्रांसफार्मर मैंने स्वयं पकड़कर कहा था कि तुम मान जाओ लोकल हो तुम गरीब आदमी हो, लेकिन वह दूसरे के नाम से ठेकेदारी आपकी कम्पनी में कर रहा है, पैसा कमा रहा है, गाड़ी है स्कारपियो लाईनमेन के पास ठीक है आप करवाओ चोरी आप कह दो करवाऊंगा. चाहे वह डकैती डाले, चोरी करे उसको हम इनाम देंगे, आप दे दो मैं आपको मंजूर करता हूं. आप अगर सरकार का विभाग ऐसे ही चलाना चाहते हैं तो आपको विभाग आप बर्बाद करके ही जाओगे, आप बचाने वाले नहीं हैं. मैं तो आपके हित की बात कर रहा हूं. आपको मैंने चोरी से संबंधित फोन 6 महीने पहले दो बार किया था 18 किलो मीटर तार लगी हुई थी वहां पर मनमोहन तार को उतरवा रहा है वह कह रहा है कि यहां के लिये दूसरे तार आयेंगे. यहां पर केबल लगेगी. न केबल ही लगी है वहां तार भी उतारकर के ले गया. उसकी रिपोर्ट नहीं की. बेनामी रिपोर्ट करी, जब गांव वाले कह रहे हैं कि हमारे सामने तार उतारकर के ले गया है. आपका डीई था श्री मेहता उन्होंने कोई रिपोर्ट नहीं की मैंने उनको खुद भी कहा, अब यह हालत है. ठीक है साहब कराओ जो कराना हो, जवाब दीजिये कि उनके विरूद्ध कठोर कार्यवाही करोगे कि नहीं. इनको बर्खास्त अथवा निलंबित करना चाहिये या तो फिर इनको इनाम दे दो बता दो कि हम उनको इनाम दे रहे हैं. हम अपना ध्यानाकर्षण वापस ले लेंगे.
श्री प्रद्मनसिंह तोमर--अध्यक्ष जी डॉ.साहब जी ने जो बात कही है मैं उनको आश्वस्त करता हूं कि प्रकरण की जांच 15 दिन में पूर्ण कर नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी आप
पूरी बात सुन लें. साथ ही, अगर इसमें जांच करने पर जिस अधिकारी ने ढिलाई बरती होगी, तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जायेगी. मैं आपसे व्यक्तिगत भी चर्चा कर लूँगा. सामग्री जब्ती अगर नहीं हुई होगी, उससे कोई राशि शेष वसूली की होगी तो की जायेगी, यह मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, आप वहां खुद चले जाइये. आपकी तो वहां रिश्तेदारियां हैं. हम नहीं जाएंगे, आप खुद ही पता कर लेना. गांव वाले बता देंगे कि यहां क्या हो रहा है ? हम केवल इतना चाहते हैं कि जिस अधिकारी को आपने चोरी में एफआईआर कराने का ऑर्डर किया. अब हमने ध्यानाकर्षण लगाया तो आपने उसका ट्रांसफर श्योपुर कर दिया. लेकिन आप उसको सस्पेंड करें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - डॉक्टर साहब, मैं अनुरोध यह करना चाहता हूँ कि वह संविदा का कर्मचारी है. यहां सदन में, मैं कोई वक्तव्य दूँगा. कोर्ट वगैरह की कार्यवाही को, 15 दिन में कार्यवाही करके, आपकी भावनाओं के सम्मान के अनुरूप, जो दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्यवाही होगी. यह भरोसा मैं आपको सदन में देता हूँ.
12.26 बजे
(2) कटनी जिले में स्थित सीमेंट प्लांट एवं कुटेश्वर सेल माइन्स द्वारा स्थानीय लोगों को रोजगार न दिया जाना.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक (विजयराघवगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है:-
कटनी जिले में स्थित ए.सी.सी. कैमोर सीमेंट प्लांट एवं अमेहटा प्लांट तथा गैरतलाई स्थित कुटेश्वर सेल माईन्स के अधिकारियों द्वारा स्थानीय लोगों को नौकरी देने का लालच देकर उनकी जमीनों का बिना मुआवजा दिये अधिग्रहण किया गया और विगत 30-35 वर्षों से न तो उन्हें रोजगार दिया गया एवं न ही जमीन का मुआवजा दिया गया है. भूमिस्वामी किसानों की सहमति के बिना लीज का रिन्यूवल भी लगातार नियम विरुद्ध तरीके से हो रहा है और उल्टा इन किसानों द्वारा उस जमीन का लगान भी भरा जा रहा है. 6 फरवरी, 2021 को अमेहटा प्लांट के भूमिपूजन हेतु पधारे माननीय मुख्यमंत्री जी को मैनेजमेंट द्वारा 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार देने हेतु आश्वस्त किया गया था. किन्तु खेद का विषय है कि 25 प्रतिशत स्थानीय लोगों को भी रोजगार नहीं दिया गया, बल्कि पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार के मजदूरों को लाकर कार्य कराया जा रहा है और स्थानीय गाड़ी मालिकों को ट्रांसपोर्टिंग का कार्य न देकर बाहरी गाड़ी मालिकों के वाहनों से फ्लाई ऐस की ट्रांसपोर्टिग कराई जा रही है. उपरोक्त तीनों कंपनियों के मैनेजमेंट के इस रवैये से किसानों, शिक्षित बेरोजगारों, गाड़ी मालिकों में आक्रोश व्याप्त है एवं स्थिति जनआंदोलनात्मक हो सकती है.
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री (श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव) – अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर जिला कटनी से प्राप्त जानकारी के आधार पर मध्यप्रदेश शासन के द्वारा ए.सी.सी. लिमिटेड कैमोर सीमेंट वर्क्स को तहसील विजयराघवगढ़ के अंतर्गत ग्राम कोडलिया एवं अन्य 15 ग्रामों में 1520.22 हेक्टेयर की माईंनिंग लीज 31.3.2030 तक स्वीकृत है. उक्त वर्णित लीज के अंतर्गत कंपनी के स्वामित्व की भूमि 795.78 हेक्टेयर म.प्र. भू-राजस्व संहिता की धारा 247 (4) के अंतर्गत प्राप्त 128.3 हेक्टेयर एवं शासकीय भूमि 97.79 हेक्टेयर है. अमहेटा प्लांट कंपनी शासन के द्वारा कैमोर सीमेंट प्लांट को प्रदत्त उक्त माईनिंग लीज की भूमि पर ही स्थित है. अमेहटा प्लांट के निर्माण हेतु आद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग से अतिरिक्त 3.06 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है.
कैमोर सीमेंट वर्क्स में कार्यरत् संविदा श्रमिकों में से कुल 89 प्रतिशत संविदा श्रमिक मध्यप्रदेश के निवासी हैं जबकि निर्माणाधीन अमहेटा प्लांट में आावश्यकता एवं विशेषज्ञतानुसार संख्या में बढ़ोत्तरी व कमी होती रहती है. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अमहेटा प्लांट शुरू होने की प्रक्रिया में है. इस प्रक्रिया में विशिष्ट प्रकार के श्रमिकों के नियोजन की आवश्यकता होती है, जिसके परिप्रेक्ष्य में स्थानीय श्रमिकों का नियोजन लगभग 52 प्रतिशत है. इसी प्रकार स्थाई कर्मचारियों के परिप्रेक्ष्य में कुल कर्मचारियों का 71 प्रतिशत मध्यप्रदेश के निवासी हैं.
कुटेश्वर लाईम स्टोन माईन्स द्वारा निजी भूमि रकबा 441.09 हेक्टेयर शासकीय भूमि रकबा 149.02 हेक्टेयर एवं बाणसागर की भूमि का रकबा 246.62 हेक्टेयर भूमि कुल भूमि 836.73 हेक्टेयर अधिग्रहित की गई है, जिसमें से 75 परिवारों से 76 व्यक्तियों को सेल माईन्स में नियुक्ति दी गई है. 152 व्यक्तियों को कन्टेक्च्युअल या अन्य प्रकार से कार्य प्रदान किया गया है.
कटनी जिले में स्थित एसीसी सीमेंट प्लांट कैमोर एवं अमहेटा प्लांट तथा गैरतलाई स्थित कुटेश्वर सेल माईन्स के अधिकारियों द्वारा स्थानीय लोगों को नौकरी देने का लालच देकर उनकी जमीनों को बिना मुआवजा दिये अधिग्रहण किये जाने का कोई मामला प्रकाश में नहीं आया है.
कटनी जिले में स्थित एसीसी कैमोर सीमेंट प्लांट लगभग 100 वर्ष पुराना प्रतिष्ठान है, जिसे वर्तमान में कोई वित्तीय सुविधा/सहायता प्रदान नहीं की गई है तथा एसीसी अमेहटा प्लांट वर्तमान तक स्थापित नहीं हुआ है. उद्योग संवर्धन नीति- 2014 (यथासंशोधित 2018) अंतर्गत प्रावधानित वित्तीय तथा अन्य सुविधाओं का लाभ लेने वाली इकाइयों को उनके द्वारा उपलब्ध कराये गए कुल रोजगार का 70 प्रतिशत रोजगार मध्यप्रदेश के स्थायी निवासियों को दिया जाना अनिवार्य है. जिसका पालन कराया जायेगा.
फ्लाईऐश के ट्रांसपोर्ट कराने का निर्णय कंपनी का व्यवसायिक निर्णय है.
उपरोक्त तीनों कंपनियों के द्वारा स्थानीय लोगों को भी रोजगार एवं व्यवसाय दिया गया है. उपरोक्त तीनों कंपनियों के मैनेजमेंट के रवैये से किसानों, शिक्षित बेरोजगारों, गाड़ी मालिकों में आक्रोश जैसी स्थिति नहीं है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हमारे मित्र आदरणीय राज्यवर्धनसिंह जी का सम्मान करता हूं, इन्होंने जो उत्तर सदन में दिया है, यह उत्तर माननीय मंत्री जी का उत्तर न होकर यह कंपनियों का उत्तर है जो कलेक्टर के माध्यम से सीधे भेज दिया गया है, जितने भी आंकड़े माननीय मंत्री जी ने अभी रखे हैं, सारे निराधार हैं, असत्य हैं.
अध्यक्ष महोदय -- उत्तर में लिखा भी है, उत्तर में पहले ही लिखा हुआ है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- जी, मैं आपको वही बता रहा हूं कि यह जो आंकड़े माननीय मंत्री जी से कहलवाये जा रहे हैं, वह एकदम गलत हैं. जहां एक तरफ माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री उद्योग संवर्धन नीति को मध्यप्रदेश में इतना प्रभावी बना रहे हैं कि 15 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा का इंवेस्टमेंट एक तरफ मध्यप्रदेश की ओर आकर्षित होकर आ रहा है. मध्यप्रदेश उद्योग की दृष्टि में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और प्रधानमंत्री जी की जो पांच ट्रिलियन इकोनॉमी की सोच है, उसको आगे ले जाने में मध्यप्रदेश अपना महत्वपूर्ण अपना योगदान दे रहा है. ऐसे में हमारी सरकार, हमारा उद्योग विभाग, हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी उद्योगपतियों को मध्यप्रदेश में उद्योग लगाने के लिये सारी सुविधाएं दे रहे हैं लेकिन खेद की बात माननीय अध्यक्ष महोदय, यह है कि कुछ उद्योग ऐसे भी आ रहे हैं, या आ गये हैं, या हैं जो चल रहे हैं, जैसे मैं सिर्फ अपनी ही बात करूंगा जिनको हमने सारी सुविधाएं दीं, सरकार सारी सुविधाएं दे रही हैं, लेकिन इनसे जो माननीय मुख्यमंत्री जी, को आश्वासन मिला क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी ने मेरे ही विधानसभा क्षेत्र में 6 फरवरी 2021 को जाकर इस अमहेटा प्लांट का भूमि पूजन किया था, उस भूमि पूजन के अवसर पर ए.सी.सी. कंपनी के उच्चाधिकारियों ने यह बोला कि 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जायेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय अभी यहां पर लिखा है कि 89 प्रतिशत स्थानीय लोगों को संविदा श्रमिक के रूप में कार्य दिया गया है, 89 प्रतिशत माननीय अध्यक्ष महोदय साढ़े तीन हजार से ज्यादा मजदूर झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के आये हैं, अब आप अगर 89 प्रतिशत स्थानीय है तो यह 11 प्रतिशत हुए तो क्या विभाग यह बतायेगा कि वहां 89 प्रतिशत अगर स्थानीय लोगों को मिला और 3500 लोग आये हैं, तो यह 1100 अगर 3500 हैं तो क्या साढ़े पैंतीस हजार मजदूर वहां कार्यरत हैं? यह गलत है, एकदम असत्य आंकड़े दिये जा रहे हैं, वहीं कुशल श्रमिकों की जो बात की गई कि 71 प्रतिशत, मैं माननीय अध्यक्ष महोदय मैं दावे के साथ कह सकता हूं मेरे पास पूरा आंकड़ा है अगर आप अनुमति देंगे तो मैं मतलब पर पूरी पैन ड्राइव रख दूंगा, कंपनी की ही पैन ड्राइव है, कंपनी के ही आंकडे़ हैं, इन्होंने बोला 71 प्रतिशत स्किल्ड लोगों को काम दिया गया है, यह भी माननीय मंत्री जी से गलत कहलवाया गया है और जो मजदूर माननीय अध्यक्ष महोदय, बिहार से आये हैं, झारखंड से आये हैं, बंगाल से आये हैं, उनका कोई पुलिस वेरिफिकेशन नहीं हुआ है, कई आदतन अपराधी भी आये हैं उसमें, कई हत्याएं हमारे क्षेत्र में हुई हैं, कई लूट डकैतियां भी हमारे क्षेत्र में हुई हैं, यहां तक की सांप्रदायिक दंगे भी हुए हैं, इस पर मैंने आपत्ति ली थी और माननीय मुख्यमंत्री जी से भी शिकायत की थी मुख्यमंत्री जी ने संज्ञान लिया था और अधिकारियों को निर्देशित किया था कि सबका पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाये, जो भी आपराधिक प्रवृत्ति के हैं, उनको बाहर किया जाये और स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाये.
लेकिन खेद की बात है माननीय अध्यक्ष महोदय कि अभी तक लोगों को जो रोजगार मिलना चाहिये 75 प्रतिशत, आप तो स्वयं ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं माननीय अध्यक्ष महोदय मजदूर वहां से लाने की क्या आवश्यकता है, क्या हमारे क्षेत्र में मजदूर नहीं हैं, गैंती चलाने वाले, मिट्टी खोदने वाले, गिट्टी डालने वाले ये लेबर हमारे यहां नहीं मिलते जो आपको 3500 से ऊपर मजदूर बाहर से लाने पड़ गये, माननीय अध्यक्ष महोदय, यह गलत जानकारी दी गई है और वहीं दूसरी तरफ यह बता रहे हैं कि जमीन का अधिग्रहण जो हुआ था वह वैधानिक था, मैं मानता हूं बहुत सारी जमीनों का अधिग्रहण एकदम बेलिड हुआ था, लेकिन कई सारी जमीनें ऐसी हैं जिनका अधिग्रहण नहीं हुआ, जिनका मुआवजा नहीं दिया गया, किसी प्रकार का कोई हर्जाना नहीं दिया गया और उन किसानों की जमीनें भी एसीसी कंपनी के लीज एरिये के अंदर उन्होंने कवर कर लीं और न कोई अधिग्रहण न कोई मुआवजा और बाउंड्रीवाल बना ली, आज वह किसान उस जमीन का लगान दे रहे हैं, अपनी जमीन पर खेती नहीं कर सकते, उन्होंने बाउंड्रीवाल बना ली, उनको उनके खेत में जाने की अनुमति नहीं है तो या तो उनको मुआवजा दे दें और साथ में जैसी बात है कि परिवार में एक को रोजगार मिलना चाहिये तो रोजगार दें, माननीय अध्यक्ष महोदय वह भी नहीं दिया गया है. फ्लाई ऐश के ट्रांसपोर्टिंग की बात का मैंने जिक्र किया है, फ्लाई ऐश अपने पॉवर प्लांट का जो वेस प्रोडक्ट है जो घातक जहरीला होता है इसकी ट्रांसपोर्टिंग कभी ओपन ट्रक में नहीं की जाती, इसको बंद कंटेनर में बल्कर में किया जाता है, वह ट्रांसपोर्टिंग का काम भी हिमाचल प्रदेश के लोगों को दिया गया, खेत के लोगों की गाडि़या खड़ी हैं, उनको काम नहीं मिल रहा और माननीय अध्यक्ष महोदय, कटनी से 14 किलोमीटर दूर पठरा करके एक गांव है फ्लाई ऐश का जो हिमाचल प्रदेश का ठेकेदार है वह फ्लाई ऐश बल्कर से वहां से भरकर लाता है क्योंकि पावर प्लांट से उनको पर टन इनसेंटिव मिलता है तो वहां से वह पैसा लेने के चक्कर में ज्यादा माल लोड करके लाता है और जो टोल टैक्स है उससे 2 किलोमीटर पहले सड़क के दोनों तरफ फ्लाई ऐश खाली कर दिया है और फ्लाई ऐश से कैंसर होता है, जहां एक तरफ मनुष्यों के लिये खतरा है वहीं दूसरी तरफ वन्यजीवों के लिये भी खतरा है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न कीजिये.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक-- मैं इनका जवाब बता रहा हूं माननीय अध्यक्ष महोदय, थोड़ा समय आपसे लूंगा बस. मेरा यह आग्रह है कि जब मध्यप्रदेश सरकार उद्योगपतियों को सारी सुविधायें दे रही है तो बदले में माननीय मुख्यमंत्री जी का सिर्फ इतना सा आशय है कि आपको हम सारी सुविधायें देंगे लेकिन आप स्थानीय लोगों को रोजगार दें, तो यह आंकड़े एसीसी के पूरे गलत हैं, इस पर मैं चाहूंगा कि मंत्री जी भी संज्ञान लेकर जो भी निर्णय देना चाहें मैं इनका सुनूंगा साथ में इनके जवाब में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की जो कोटेश्वर माइंस है उसको लेकर यह 1974 से लेकर 1977-78 तक कुछ भूमियों का अधिग्रहण हुआ, अधिकतर भूमियों को सहमति से लिया गया और सहमति में एक एग्रीमेंट बना, यह एग्रीमेंट 1977-78 में बना, किसानों, सेल के अधिकारियों और जिला प्रशासन के बीच कि आपकी जमीन में हम माइनिंग करेंगे, गड्डा करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न पूछें, बहुत हो गया, यह तो बजट का भाषण हो गया, ध्यानाकर्षण में इतना नहीं आता, आप सीधा प्रश्न करें.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनको जानकारी तो देना पड़ेगी. मेरा सीधा प्रश्न है कि जिन किसानों की जमीनें बिना अधिग्रहण किये कब्जा करके वहां माइनिंग की जा रही है क्या वह जमीनें वापस लौटाई जायेंगी और जो उसमें माइनिंग की गई है, गड्डे खोद दिये गये हैं, क्या वह भरकर किसानों को वापस की जायेगी या बदले में मुआवजा या रोजगार स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, कोटेश्वर देगा और यही चीज कैमोर की है कि क्या कैमोर में स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिये आप यहां पर कोई निर्णय लेंगे और जो तथ्य गलत हैं इसके लिये आप क्या निर्णय करते हैं, जो तथ्य आपके द्वारा कहलवाये गये हैं वह पूर्ण रूप से असत्य हैं उस विषय में आप क्या कहेंगे.
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, संजय पाठक जी हमारे बहुत वरिष्ठ विधायक हैं, खुद उद्योगमंत्री रहे हैं इनका लंबा अनुभव है और जो इन्होंने प्वाइंटेड सवाल पूछे हैं किसानों के संबंध में कि उनकी जमीनें ली गईं और मुआवजा नहीं दिया गया, रोजगार नहीं दिया गया तो इसका निश्चित तौर पर हम परीक्षण करायेंगे और मध्यप्रदेश की नीति अनुसार जहां स्थानीय लोगों को रोजगार भी दिया जाता है. एक तो यह कि अगर यह परिवार वास्तविकता में प्रभावित हुये हैं तो उनको रोजगार देने का भी हम कंपनी प्रबंधन से कहेंगे कि उनको रोजगार भी दिया जाये, जहां माननीय सदस्य ने यह निवेदन किया है कि वहां पर नीति संगत नहीं हुआ है और अनियमितता हुई है उसका भी निश्चित तौर पर परीक्षण करायेंगे. जो कैमोर की एक बात हमारे संज्ञान में लाई है वहां किसी भी प्रकार से अगर यह पाया गया कि अगर पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन हुआ है.
माननीय सदस्य ने जो ध्यान आकर्षित किया है सदन का,बहुत महत्वपूर्ण और चिंतनीय विषय है और प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी की भी निरंतर इस विषय पर चिंता रहती है इसमें निश्चित तौर पर कार्यवाही की जायेगी. अमेठा का भी माननीय सदस्य ने हमारे संज्ञान में बात लायी है कि यहां पर स्थानीय लेबर का कुछ इश्यू है. वह प्लांट हालांकि अभी चालू नहीं हुआ है लेकिन क्योंकि माननीय सदस्य ने इस विषय में ध्यान आकर्षण लाया है.
श्री संजय पाठक - एक-दो महिने में चालू होने वाला है.
श्री राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव - होने वाला है. आप बिल्कुल सही जानकारी दे रहे हैं. उसका भी हम निश्चित तौर पर हम परीक्षण कराएंगे और माननीय सदस्य से मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि क्योंकि आप सम्मानित हैं, वरिष्ठ हैं, विभाग की पूरी जानकारी भी रखते हैं. आप एम.एस.एम.ई. मिनिस्टर खुद रहे हैं. तो विभाग का प्रबंधन, जिला प्रशासन, सभी को हम निर्देशित करेंगे कि जनहित में सदस्य के साथ बैठकर, उनसे मुलाकात करके,उनसे पूरी चर्चा करके इसका पूरा निदान किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - दो बातें हैं. एक बात जो उन्होंने उठाई हैं. कई किसानों की जमीनों का लगान वह भूमि स्वामी होकर भी वही जमा कर रहा है और वह जमीन उनके केम्पस में आ गई. स्वाभाविक है वह वहां जा नहीं पाएगा. ऐसी भी जांच करा लें कि उन किसानों की हालत क्या है और दूसरा, फ्लाई एश सड़कों के किनारे बिखराया गया, वह क्यों है ? इन दोनों प्वाइंटों की जांच बहुत जरूरी है.
श्री राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव - अध्यक्ष महोदय, वे दोनों बातें मैंने उल्लिखित कीं. पहला, सदस्य की जो चिंता किसानों के विषय में है उसका गहन परीक्षण कराया जाएगा. दूसरा जो पर्यावरण के विषय में आपकी चिंता है और तीसरा, जैसा मैंने आपके माध्यम से सदन को अवगत कराया, कंपनी प्रबंधन, विभाग के हमारे तमाम संबंधित अधिकारी, प्रशासन के समस्त संबंधित वरिष्ठ अधिकारी सम्मानित सदस्य के पास जाकर, सम्मानित सदस्य से चर्चा करके और भी कोई विषय इस चर्चा में छूट गये हों उनको भी संज्ञान में लेकर नीति अनुसार न्यायोचित, जनहित में त्वरित कार्यवाही करें.
श्री संजय पाठक - अध्यक्ष महोदय, इसमें केवल अमेठा की बात आई है. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि अमेठा और कोटेश्वर सेल, यह दोनों के लिये समिति बना दें और मेरा आग्रह है कि 13 तारीख से विधान सभा है. बीच में छुट्टियां भी हैं. आप निर्देश दे दें कि 13 तारीख के पहले बैठक हो जाए.
श्री राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव - अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा है और जो इन्होंने कोटेश्वर सेल का जिक्र किया है उसको भी परीक्षण में लेंगे और जैसा हमारे सम्मानित वरिष्ठ सदस्य चाह रहे हैं 13 तारीख से पहले इस बैठक को करा लेंगे.
श्री संजय पाठक - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को और माननीय अध्यक्ष महोदय आपको, बेरोजगारों की तरफ से, किसानों की तरफ से आभार प्रकट करता हूं ,धन्यवाद देता हूं और साथ ही हमारे आज नन्द कुमार चौहान जी की पुण्यतिथि है उनको श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं. धन्यवाद.
12.43 बजे आवेदनों की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों के सभी आवेदन प्रस्तुत किये हुए माने जाएंगे.
12.44 बजे
गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति के तृतीय प्रतिवेदन की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
12.45 बजे अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्य, श्री गौरीशंकर बिसेन द्वारा तुलसीधाम बालाघाट का बिना किसी रसायन तत्व के जी.आई.टेक प्राप्त जैविक, प्राकृतिक रुप से उगाये गये उत्पाद को माननीय सदस्यों को भेंट किया जाना.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य, श्री गौरीशंकर बिसेन द्वारा तुलसीधाम बालाघाट का बिना किसी रसायन तत्व के जी.आई.टेक प्राप्त जैविक, प्राकृतिक रुप से उगाये गये सुगंधित चिन्नौर चांवल एवं गुड़ बट्टी माननीय सदस्यों को भेंट की जा रही है. माननीय सदस्य उक्त उत्पाद सूचना कार्यालय से प्राप्त करने का कष्ट करें.
12.46 राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधनों पर चर्चा का पुनर्ग्रहण.
अध्यक्ष महोदय-- अब राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का पुनर्ग्रहण होगा.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा)-- अध्यक्ष महोदय, हम सभी पिछले 3 वर्षों से राज्यपाल महोदय के अभिभाषण और इस सरकार के बजट को देखते आ रहे हैं, सभी अध्ययन कर रहे हैं. मुझे बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि एक नई परम्परा देखने को आई है कि पूर्व सरकार ने जो कुछ किया, सब गलत किया, हम जो कर रहे हैं, वह सही है. ऐसा पहले नहीं होता था. शर्मा जी मुझसे सहमत होंगे. अगर पूर्व सरकार ने कुछ किया है और वर्तमान सरकार ने कुछ अच्छा किया है, तो उसको वह बजट में लेते थे, उस पर चर्चा होती थी, उसकी सराहना की जाती थी. यह मैं नहीं देख रहा हूं. पूर्व सरकार ने निर्णय लिया था छोटे जिले बनाने का और छोटे जिले बनाने से रोजगार बढ़ता है, सरकार का राजस्व बढ़ता है. यह जितने आर्थिक विशेषज्ञ हैं, वह कहते हैं कि राजस्व बढ़ता है. आपने स्वयं ने एक छोटा जिला बनाया है. आज अशोक नगर जिला बना है, आप देखिये वहां जाकर, अभूतपूर्व प्रगति हुई है. जमीनों के दाम बढ़े हैं,रोजगार मिला है, कालेज खुले हैं, अस्पताल बड़े बड़े बने हैं. निवाड़ी में आपने जिला बनाया. निवाड़ी को आप देखिये, वहां कितना विकास हुआ है. पूर्व सरकार ने केबिनेट में प्रस्ताव लाकर पास किये थे छोटे जिले बनाने के लिये उसमें एक चाचौड़ा जिला भी था.
श्री उमाकांत शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, हमारे सिरोंज, लटेरी के साथ अन्याय किया गया था. अशोक नगर जिला महाराजा सिंधिया से बचने के लिये दिग्विजय सिंह जी ने बनवाया था.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठें. आप उनको बोलने दीजिये.
श्री लक्ष्मण सिंह-- अध्यक्ष महोदय, चाचौड़ा का जो जिला है, इसकी घोषणा केबिनेट में पूर्व मुख्यमंत्री, श्री कमल नाथ जी ने तो की थी और उसके बाद मैं शिवराज सिंह जी से मिला. शिवराज सिंह जी और हम 1990 से साथ में है. संसद में साथ रहे. वर्षों से साथ में हैं और वे विपक्ष में थे उस टाइम. उन्होंने बाहर आकर मीडिया में कहा कि नहीं चाचौड़ा जिला बनना चाहिये. उसी उम्मीद के साथ आज मैं और मैं अकेला नहीं वहां चाचौड़ा के लाखों लोग उम्मीद लगाकर बैठे थे कि जिला बनेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फिर हम चर्चा करें बिजली की. पॉवर सेक्टर में उत्पादन बढ़ा है, मैं इसकी सराहना करता हूं. आपने सौर ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाया है, मैं सराहना करता हूं, लेकिन डिस्ट्रीब्यूशन का क्या हाल है. आज जो आपका डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क है, जो वितरण प्रणाली है, वह डॉ. गोविन्द सिंह जी ने बिलकुल सही कहा, मैं उनसे सहमत हूं. यह वहां जो ठेकेदार हैं, वह चला रहे हैं, उसमें आपका कोई ज्यादा दखल नहीं है. आज पूरे कई गांवों की आपने बिजली काटकर रखी हुई है. उन गांवों की बिजली कटी है, जिनके बिल जमा हो गये.
12.49 बजे {सभापति महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुई.}
सभापति महोदया, राजस्थान बगल का प्रदेश है. वहां पर 10 की डीपी लगाने की अनुमति है. सस्ती पड़ती है, 5-6 लोग पैसा इकट्ठा करके जाते हैं, खरीदकर लगा लेते हैं. मध्यप्रदेश में क्यों नहीं है. 25 से नीचे की डीपी लगा नहीं सकते, बड़ा अजीब नियम है और जो 25 की डीपी का भी खर्च आता है, वह राजस्थान में आधा है, हमारे यहां ज्यादा क्यों है. सौर ऊर्जा राजस्थान में सस्ती है, हमारे यहां इतनी महंगी क्यों है. इतने महंगे एग्रीमेंट क्यों हुए हैं. अब बिजली के बिल कितने आते हैं और गलत बिल आते हैं. उनका कोई निराकरण नहीं होता. अब यह आंकड़े मैं आपको बताऊं, यह पिछले विधान सभा सत्र के आंकड़े हैं, वर्तमान में आंकड़े नेट पर नहीं हैं और यह सही आंकड़े देने वाले नहीं हैं. सरकारी विभागों पर करोड़ों का बिल बकाया है. किसानों से आप बिल वसूल रहे हैं, लेकिन सरकारी विभागों का हाल देखिये. सबसे ज्यादा बकाया नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग पर 277.30 करोड़, कुल बकाया राशि है 895.50 करोड़ रुपया सरकारी विभागों पर है.
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग 241 करोड़ रुपये, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग 9 करोड़ रुपये, जल संसाधन विभाग 21 करोड़ रुपये, नर्मदा घाटी विकास विभाग 97 करोड़ रुपये, गृह विभाग 15 करोड़ रुपये, स्कूल शिक्षा विभाग, ऐसे करते-करते 895 करोड़ रुपये सरकारी विभागों पर बकाया है. बाकी जो जिलों में कलेक्टर के दफ्तर के और अन्य के जो खर्चे हैं, उसका उल्लेख ही नहीं है. किसान यह कहता है कि जब सरकार ही बिजली का बिल नहीं चुका रही है तो मैं क्यों चुकाऊं? क्या इसका जवाब आपके पास है? ऊर्जा मंत्री नहीं है, अगर वह यहां होते तो जवाब देते.
सभापति महोदया, आपने कहा है कि सिंचाई का क्षेत्र बढ़ाया. हम मानते हैं कि सिंचाई का क्षेत्र बढ़ा है, लेकिन क्या जो विस्थापित हुए हैं उनके साथ आपने न्याय किया है? कई जगहों पर नहीं किया है. मैं आपको एक उदाहरण देता हूं. पार्वती नदी पर एक बांध बन रहा है. उधर राजगढ़ जिला है इधर गुना जिला है. राजगढ़ जिले में आपने जो मुआवजा दिया है, वह 7 या 8 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर के हिसाब से दिया है. गुना जिले में जो डूब के क्षेत्र आ रहे हैं, गांव आ रहे हैं. किसानों की जमीन डूब रही है, उनका मुआवजा आपने 2 लाख रुपया प्रति हैक्टेयर तय किया है. ऐसा भेदभाव क्यों हैं? इस मुद्दे को लेकर श्री दिग्विजय सिंह जी के साथ हम सब किसान लोग बैठे. आज प्रियव्रत भी हैं, जयवर्द्धन है, ठीक है. वह एक मीटिंग में आया था. हम लोग वहां पर किसानों के साथ बैठे, आन्दोलन किया. मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया. मुख्यमंत्री आए गाड़ी से निकल गये, उन किसानों से रुककर 5 मिनट बात नहीं की, जिनकी जमीन डूब रही है. इस तरह का व्यवहार क्यों है? यह मैं जानना चाहता हूं.
सभापति महोदया, सड़कों के बारे में बताया गया है. सड़कें बनी हैं, हम मानते हैं. लेकिन सड़कें पहली बरसात में बह भी गई हैं. नेशनल हाईवे नम्बर 12, भोपाल-जबलपुर नेशनल हाईवे पर एक बारिश में मंडीदीप के पास में जो एप्रोच रोड है, रिटेनिंग वॉल है, एक बारिश में बह गई. ऐसा क्यों हुआ? क्या उसकी जांच हो रही है, उसकी जांच नहीं हो रही है, अभी तक उसमें कुछ निर्णय नहीं लिया गया है.
सभापति महोदया, पोषण आहार घोटाला, पिछले विधान सभा सत्र में सीएजी की रिपोर्ट भी आई है. अभी तक उसका कुछ निराकरण नहीं हुआ है. यह सीएजी की रिपोर्ट कहती है कि जहां 5,50,877 यूनिट बिजली की जरूरत थी, वहां केवल 2,89,000 यूनिट बिजली की खपत हुई है तो बिजली की कम खपत हुई है, लेकिन उत्पादन ज्यादा बताया गया है, ऐसे कैसे संभव हो सकता है? बिजली की खपत कम हुई, लेकिन उत्पादन ज्यादा बताया गया और सीएजी आपत्ति में क्या कहते हैं कि चारों जिलों में 55089 मीट्रिक टन प्रतिदिन काल्पनिक उत्पादन दिखाया गया है. यह सीएजी की रिपोर्ट कहती है, काल्पनिक उत्पादन!
सभापति महोदया, 'लाड़ली बहना योजना' अच्छी बात है, अगर हमारी बहनों को पैसा मिलता है. यह बहुत अच्छी बात है. लेकिन एक बात हमको ध्यान में रखना पड़ेगी कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र, ये दो ऐसे राज्य हैं, जहां जब बच्चियां पैदा होती है, उनको कुड़ेदान तक में फेंक दिया जाता है. उनका गर्भपात करा दिया जाता है. उसमें मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र दो अव्वल राज्य हैं. इस पर भी ध्यान दीजिए कि ऐसा न हो, नहीं तो यह 'लाड़ली बहना योजना' का क्या मतलब हुआ?
सभापति महोदया, सीएम राइज़ स्कूल आप खोल रहे हैं, यह अच्छी बात है आप खोलिए. लेकिन हम यह जानना चाहते हैं कि सीएम राइज़ स्कूल में क्या वही शिक्षक पढ़ाएंगे जो अभी तक अधिकतर पढ़ाने नहीं जाते हैं कि नये शिक्षकों की भर्ती होगी?आज स्कूलों में क्या हाल है, आप देख लीजिए. शिक्षक घर बैठे हैं और अतिथि शिक्षक आन्दोलन की राह पर हैं. पढ़ाने नहीं जाते हैं. अगर इन्हीं से आप पढ़वाएंगे, सीएम राइज स्कूल इनको सौंपेंगे, तो नतीजा हमको मालूम है. दसवीं, ग्यारहवीं के छात्र उनको यह पता नहीं है कि राष्ट्रपति कौन हैं, यह महामहिम राष्ट्रपति का और संविधान का अपमान है. मैं जानना चाहता हूं क्या यही लोग सीएम राइज स्कूल में पढाएंगे ? नलजल योजना घर-घर पानी, दीजिये कौन मना कर रहा है, लेकिन जाकर देखिये आप गांवों में लाइन खुदी पड़ी है, लोग चल नहीं पा रहे हैं, कीचड़ हो रहा है. वर्ष 2024 में आपको योजना खत्म करनी है, हर घर में नल देना है, लेकिन आपके यहां अचीवमेंट कितना है, मुश्किल से 20-25 परसेंट, वर्ष 2023 आ गया अभी चुनाव आएंगे, आचार संहिता लग जाएगी काम फिर रुक जाएगा.
सभापति महोदया, चीता के बारे में बात की गई. बहुत अच्छी बात है. वन मंत्री जी बैठे हैं. चीता आए. 21 चीते आ गये और उससे पर्यटन खूब बढ़ेगा. वह स्वस्थ हैं यह भी बहुत अच्छी बात है, परंतु वहां जो विशेषज्ञ हैं वन विभाग के और मंत्री जी भी जानते हैं और मेरी भी इस विषय में बहुत रुचि है, उनसे मैंने चर्चा की, उनका यह कहना है कि इसके लिये आपको एरिया और बढ़ाना पड़ेगा, क्योंकि यह चीता जब ब्रीड करेंगे, इनकी संख्या जब बढ़ेगी तो इनको और जगह चाहिये. अब यह ग्वालियर तरफ तो भाग नहीं सकते, वहां शहर है. यह राजस्थान में जाएंगे नहीं वहां रणथम्बौर नेशनल पार्क में जाएंगे नहीं क्योंकि वहां टाइगर है, तो टाइगर के सामने चीता नहीं जाएगा. फिर चम्बल नदी है, चम्बल नदी में बहुत सारे मगर हैं उसको क्रॉस नहीं करेगा. यह झांसी की तरफ नहीं जाएगा वहां भी आबादी है, वह भागकर सब आएंगे हमारे गुना तरफ, बमोरी तरफ आएंगे. मंत्री जी, राघौगढ़ आएंगे, नरसिंहगढ़ तक जाएंगे. अब इनके लिये क्या व्यवस्था आप कर रहे हैं ? बजट में हमारे राघौगढ़ सैंचुरी की कोई चर्चा नहीं है नरसिंहगढ़ के हमारे विधायक जी भी बैठे हैं.
श्री उमाकांत शर्मा -- आप बनवा लीजिये.
सभापति महोदय -- शर्मा जी, आप बैठ जाइये.
श्री लक्ष्मण सिंह -- अरे महाराज, आप इस विषय को नहीं समझते हैं आपका विषय अलग है, उस विषय को मैं नहीं समझता हूं..(हंसी) सभापति महोदया, आप राघौगढ़ की सैंचुरी डिक्लेयर करिये और एक कॉरीडोर बनाइये. बमोरी, राघौगढ़ यह पहले था. पहले हमारे गुना में चीता, लायन तक था.
श्री उमाकांत शर्मा -- लटेरी भी बना दीजिये.
श्री लक्ष्मण सिंह -- अच्छी बात है लटेरी भी जोड़ दीजिये, कह रहे हैं बहुत अच्छा सुझाव है. धन्यवाद, इसको जोड़ दीजिये. जितना ज्यादा जुड़ेगा अच्छा है और उसमें कोई विस्थापित नहीं होगा. कोई एक गांव भी विस्थापित नहीं होता है. अफ्रीका में जाकर देखिये, वहां के जो स्थानीय लोग हैं वह रहते हैं, आसपास चीते घूमते हैं, एक चीते ने आज तक इतिहास में एक आदमी पर हमला नहीं किया पूरे विश्व में, चीता आदमी पर हमला कभी नहीं करता. वह मारेगा उनकी बकरियों को खाएगा और थोड़ा-बहुत उनके मवेशियों को खाएगा. एक बात और आप ध्यान में रखिये कि जो राशि आप देते हैं इसके लिये आप उनका मुआवजा बढ़ाइये.
वन मंत्री (कॅुंवर विजय शाह) -- बढ़ा दिया है.
श्री लक्ष्मण सिंह -- कहां बढ़ाया, कितना किया ? बकरा मिल रहा है 20 हजार रुपये में और आप दे रहे हैं 6 हजार रुपये.
कॅुंवर विजय शाह -- हम आपके जवाब में बताएंगे. डबल कर दिया है. मुख्यमंत्री जी ने डबल कर दिया है.
श्री लक्ष्मण सिंह -- डबल से क्या होता है ?
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- आरिफ भाई बताएंगे कितने का मिल रहा है.
श्री लक्ष्मण सिंह -- आप अच्छा मुआवजा दीजिये क्योंकि यह गरीबों से जुड़ा प्रश्न है. गरीब आदिवासियों से जुड़ा प्रश्न है. वहां पर सब आदिवासी लोग रहते हैं. सहरिया समाज के रहते हैं. बकरी पालन पर जिंदा हैं. उनकी बकरियों का मुआवजा आप जितना बढ़ा सकते हैं बढ़ाइये, 15 हजार, 20 हजार करिये कम से कम. एक और सुझाव है. कूनो वन क्षेत्र के आसपास अभी टूरिज्म बहुत बढ़ेगा, दुनिया से लोग आएंगे, वहां बहुत सारे होटल बनेंगे. आप कॉंक्रीट होटल बनाने की अनुमति मत दीजिये नहीं तो बुरा हाल हो जाएगा जैसे और नेशनल पार्क्स में आपने कर दिया है. केवल टेन्टिंग अकमोडेशन बनाइये. एक से एक बढि़या टेंट मिलते हैं. टेंट ही लगें बस. कोई बड़ा ग्रुप आए आने दीजिये. लेकिन टेंट ही लगेंगे. वहां सॉलिड कंस्ट्रक्शन मत कराइये. फिर वहां जो 2-3 गांव के लोगों को विस्थापित कर रहे हैं, अगर वहां आप उनका एक अच्छा कॉलेज बनाकर देते हैं और अच्छा अस्पताल बनाकर देते हैं तो वह तैयार हैं, मैं उनसे मिलकर आया हूं. वह बोले अगर हमको यह सुविधाएं मिल जाएंगी तो हम यहीं रहने को तैयार हैं और उनके अंदर जो भय था कि चीता हम पर हमला करेगा, ऐसा कुछ नहीं है्. वह भय भी दूर हो गया है. इसलिए यह जो आपका प्रोजेक्ट है, यह आसपास के जिलों के लोगों को और वहां के आदिवासियों को बहुत सारा रोजगार दे सकता है. उनकी माली हालत बदल सकती है.
सभापति महोदया -- कृपया समाप्त करें.
श्री लक्ष्मण सिंह -- सभापति महोदया, बस एक मिनट, आखरी प्वॉइन्ट और है. दो मिनट में समाप्त कर दूंगा. कल बजट आया. उसमें पृष्ठ क्रमांक 49 पर एक कॉलम है, शुद्ध लेन-देन, उसका मतलब है कि राजस्व आया है और उसका खर्चा उस हिसाब से होगा. लेकिन सभापति महोदया, मैं सरकार से जानना चाहता हूँ कि जो अशुद्ध लेन-देन चल रहा है, उसका क्या होगा. अशुद्ध लेन-देन, किस तरह का भ्रष्टाचार ऊपर से लेकर नीचे तक बना हुआ है. आज कम से कम सौ से अधिक अधिकारी, वरिष्ठ अधिकारी और नीचे के कर्मचारियों की तो कोई संख्या नहीं है, वे आज आपके लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के घेरे में हैं. उनकी जांच दबाई जा रही है. अगर भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगा...
1.01 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
सभापति महोदय -- आज भोजनावकाश नहीं होगा, माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
01.02 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री यशपाल सिंह सिसोदिया, सदस्य द्वारा
दिनांक 27 फरवरी, 2023 को प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण (क्रमश:)
श्री लक्ष्मण सिंह -- अगर भ्रष्टाचार नहीं रुका तो आपकी योजनाओं का क्या मतलब है और अभिभाषण का क्या मतलब है. सभापति महोदया, आपने समय दिया, उसके लिए धन्यवाद.
श्री सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) -- धन्यवाद सभापति जी. अभी माननीय वरिष्ठ सदस्य श्री लक्ष्मण सिंह जी का विद्वतापूर्ण, सारगर्भित और तथ्यपरक भाषण सुना. उन्होंने कहा कि आप लोग पिछली सरकारों की तारीफ नहीं करते. बुराई-बुराई ही करते हैं, निंदा करते हैं. मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ, मैं भी निंदा करूंगा.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- सभापति महोदया, लक्ष्मण सिंह जी ने बीच में तारीफ भी की है, सड़कें बनीं हैं, पानी की व्यवस्था हुई है, यह अच्छी बात है.
श्री सीतासरन शर्मा -- वे कह रहे हैं कि हमारी भी तारीफ करो. अब हमने अच्छा काम किया है तो उन्होंने हमारी तारीफ की है, उसके लिए उनका आभार है.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- राजपूत जी, लक्ष्मण सिंह जी की भाषा स्वतंत्रतापूर्वक है, प्रजातान्त्रिक है और शर्मा जी की भाषा दबाव में है. अगर वे ऐसा नहीं बोलेंगे तो आज उनका टिकट ही कट जाएगा.(हंसी) इसलिए आपको जो बोलना है बोलो, हम स्वीकार करते हैं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- विधान सभा में दो लोग ही हैं जो सच स्वतंत्र बोलते हैं, एक डॉ. गोविन्द सिंह और दूसरे श्री लक्ष्मण सिंह जी, इसमें कोई दो मत नहीं है. डरते किसी से नहीं हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र (श्री तरूण भनोत के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) -- सीखते तो वहां होते. (हंसी)
श्री लक्ष्मण सिंह -- आप लोग ऐसा बोलकर हम दोनों का ही टिकट कटवाएंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- किसकी हिम्मत है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति जी, किसी भी सरकार और उसके मुखिया में दो गुण होने चाहिए. एक तो लीडर विजनरी होना चाहिए और दूसरा उसको संवेदनशील होना चाहिए. किसी भी सरकार के विकास का आंकड़ा भी दो चीजों से मोटे तौर पर देखा जाता है. एक तो देखा जाता है इन्फ्रास्ट्रक्चर से, अधोसरंचना से और दूसरा देखा जाता है उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के शैक्षणिक और सांस्कृतिक विकास से, यह जो हमारे राज्यपाल महोदय का अभिभाषण है, इसमें .. (श्री तरूण भनोत के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) .. पूर्व वित्त मंत्री जी, अरे बैठो भैया चुपचाप, नहीं, बिल्कुल नहीं, अभी बताएंगे तो आप लोग खड़े हो जाएंगे. हमने पिछली सरकार का रिकार्ड भी लाए हैं.
श्री तरूण भनोत -- माननीय सभापति महोदया, एक पुरानी कहावत है, राजा अच्छा हो न हो, जब राजवंश थे, तब यह कहा जाता था, [xxx] अच्छे होने चाहिए.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति जी, यह शब्द निकलवा दें.
सभापति महोदया -- हां, यह शब्द विलोपित कर दें.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति जी, मैं कहना नहीं चाहता था, पर अब कह देता हूँ. मैंने बात बोली संवेदनशीलता की. सभापति जी, लाड़ली लक्ष्मी योजना लाए, बहुत-से लोगों ने बात की, मैं उस पर बात नहीं करूंगा, पर यह कोई किताब में लिखी चीज नहीं थी, यह कोई राजनीति से सम्बन्धित चीज नहीं थी, यह निर्णय कोई वोट से सम्बन्धित नहीं था. यह मुख्यमंत्री जी में संवेदनशीलता है कि बेटियों का क्या होगा (मेजों की थपथपाहट) और मैं उसका एक उदाहरण देता हॅूं. उसका उदाहरण यह है कि छतरपुर में एक बच्ची बोरवेल में गिर गई और उसको जब निकाला गया तो मुख्यमंत्री जी निरंतर उसकी मॉनीटरिंग करते रहे. मुख्यमंत्री जी ने उस बच्ची की मॉं से बात की और जो बचाव दल था, उसको बधाई दी, उसको धन्यवाद दिया. यह मुख्यमंत्री जी की संवेदनशीलता है..
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- नेमावर की बेटी गड्ढे में गिरी थी, तब मुख्यमंत्री जी की संवेदनशीलता कहां गई थी...(व्यवधान)..
डॉ.सीतासरन शर्मा -- यह (XX) की बात करते हैं. इनकी लाड़ली आयी थी, तो 6 क्विंटल गुलाब पैरों के नीचे बिछाये थे. अरे, (XX) तो आप लोग करते हो. आत्मग्लानि नहीं होती आपको ? हमारा मुख्यमंत्री गरीब की बेटी के लिये बैठा रहता है और आप क्या करते हो ? ..(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- आपके मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर में गैती लेकर चले थे. हमको भी मध्यप्रदेश में हेलीकाप्टर दिलवा दो...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- शर्मा जी, हमको गुलाब बिछाने में ग्लानि नहीं होती...(व्यवधान)..
सभापति महोदया -- आप लोग बैठ जाइए.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- मैं इसलिए कह रहा हॅूं कि यदि मैं बोलूंगा, तो आप लोग चिल्लाओगे...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- नहीं, नहीं, हम तो आपसे कह रहे हैं कि सारे मजदूरों को हल दिलवा दो. हेलीकाप्टर में हल लेकर चलें. सब हेलीकाप्टर में चलें जाएं, कुदाली लेकर...(व्यवधान)..
डॉ.सीतासरन शर्मा -- किसी लोकतांत्रिक देश में ऐसी (XX) देखी नहीं...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- सभापति महोदया, बार-बार वही शब्द आ रहा है. इस शब्द को विलोपित करवाइए...(व्यवधान)..
सभापति महोदया -- इसको विलोपत करें. माननीय तरूण जी, आप बैठ जाइए. विलोपित करवा दिया है.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदया, इनको आत्मग्लानि नहीं होती. आत्माएं मर गईं इनकी...(व्यवधान)..
सभापति महोदया -- आप बैठ जाइए. इस शब्द को विलोपित करवा दिया है.
श्री तरूण भनोत -- शर्मा जी इस शब्द का 12 बार उपयोग कर चुके हैं.
सभापति महोदया -- तरूण जी, आप बैठ जाइए.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- फिर आपने क्यों किया. हमने आपकी (XX) बता दी. हम तो भईया, सरकारी पार्टी की तारीफ करेंगे ही...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- मैं तो एक कहावत बता रहा था. आपने अपने ऊपर ले लिया...(व्यवधान)..
डॉ.सीतासरन शर्मा -- माननीय लक्ष्मण सिंह जी का आभार, उन्होंने सिंचाई की बात की, मैं करना नहीं चाहता था, पर यह 1999 का विज़न, साहस है, जरा आप कंपेरिजन करके देख लीजिए. कहां वो सरकार और कहां हमारी सरकार.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- मोहनजोदड़ों और हड़प्पा की खुदाई के बारे में जानने की जरूरत है आपको. 18वीं सदी का ले आओ...(हंसी)..
डॉ.सीतासरन शर्मा -- डरते क्यों हो. अपना आईना जब दिखाते हैं तो डरते क्यों हो. क्योंकि कुछ किया नहीं. किया नहीं, तो डरेंगे. अब बता नहीं दें कहीं.
श्री तरूण भनोत -- आप डॉक्टर बन गये और आप कह रहे हैं कि कुछ किया नहीं. हमारी सरकार में आप डॉक्टर बन गये. ऐसा मत करो, पंडित जी. आप तो वर्ष 2003 में डॉक्टर बने हैं न.(हंसी)...
डॉ.सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदया जी, यह वर्ष 1999 का गवर्नर एड्रेस है. पिछले 5 वर्षों में 2 लाख 75 हजार हेक्टेयर क्षमता उन्होंने बढ़ायी. ऐसा नहीं हैं, मैं उनकी भी तारीफ कर देता हॅूं, उन्होंने कहा है और आगामी 5 वर्षों में 6 साल हो गये थे. वर्ष 1999 में कांग्रेस की सरकार को 6 साल हो गये थे. यह पहली लाईन में बैठे हुए सब उस समय मंत्री थे. यह सब दोषी हैं उसके...(हंसी)..
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- डॉ. साहब, उस समय मुख्य सचिव कौन थे ? मंत्री आपको याद आ रहे हैं मुख्य सचिव कौन थे, यह भी तो याद कर लीजिए.
श्री तरूण भनोत -- माननीय विद्वान पंडित जी को मुख्य सचिव का नाम याद नहीं है..(हंसी)...
सभापति महोदया -- आप सब बैठ जाइए.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदया, आगामी 5 साल के लिये 3 लाख हेक्टेयर यह 10 साल में 5 लाख हेक्टेयर बढ़ायेंगे. यहां 15 साल में 37 लाख हेक्टेयर क्षमता बढ़ा दी. यह है भारतीय जनता पाटी की सरकार..(मेजों की थपथपाहट). लक्ष्य ही नहीं है और अभी 65 लाख हेक्टेयर कर देंगे. हम 5 साल में 20 लाख हेक्टेयर बढ़ाते हैं और आप 5 साल में 3 लाख हेक्टेयर बढ़ाते हैं. नौ दिन चले, अढ़ाई कोस. एक पुरानी कहावत है. भैय्या, नौ दिन से चल रहे हैं चले कितना, अढ़ाई कोस. सभापति जी, उन्होंने दोनों चीजों की तारीफ की, जरा सड़क की स्थिति देख लीजिए. यह गवर्नर एड्रेस 1998, ये मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य है. पाँच साल हो गए थे सरकार बने. ये तो स्थानीय शासन मंत्री थे. पूरे प्रदेश में हमारे यहाँ सड़कों का जाल बहुत कम बिछा हुआ है, कौन कह रहे हैं, साठ साल की सरकार वाले और 5 साल से खुद मुख्यमंत्री बनकर बैठे हुए कह रहे हैं और यदि आँकड़े देखेंगे तो इस देश में सबसे कम प्रति स्क्वेयर किलोमीटर लैंथ आफ रोड हमारे यहाँ है, गर्व से कहते थे.....
श्री विजय रेवनाथ चौरे-- सभापति महोदया, छिंदवाड़ा जिले में एक सड़क नहीं दी है शर्मा जी. छिंदवाड़ा जिले के साथ सौतेला व्यवहार हुआ है...(व्यवधान)..
डॉ.योगेश पण्डाग्रे-- ऐसे ही कमलनाथ जी ने भी आमला क्षेत्र में एक भी सड़क नहीं दी थी, जब वे मुख्यमंत्री थे, पुराना इतिहास उठाकर भी देख लो..(व्यवधान)..
डॉ. सीतासरन शर्मा-- सभापति जी, अब आ जाएँ हम, यह 1998 का है जिसमें मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि हम सबसे पीछे हैं, तो भैय्या पीछे हैं तो थोड़े आगे बढ़ जाओ. पर 1999 का भाषण सुनिए आप एक साल हो गया सड़क फिर नहीं बनी यह गवर्नर एड्रेस है 1999 का, पूरे प्रदेश के नगरीय और ग्रामीण क्षेत्र को व्यापार, परिवहन, संचार की दृष्टि से जोड़ना एक बड़ी चुनौती है. यहाँ तो जोड़ दिया. नेश्नल हाई वे, स्टेट हाई वे, एमडीआर, गाँव गाँव जुड़े हुए हैं, गाँव से गाँव जुड़े हुए हैं, गाँव से मेन रोड जुड़े हुए हैं. एक एक सड़क बन गई. अब तो खेत सड़क पर बात आ गई. इनसे मुख्य मार्ग नहीं बने. ये थी इनकी सरकार और यह है शिवराज जी की सरकार. दो तीन बातें करेंगे क्योंकि सारी बातें जो इसमें लिखी हैं हमारे साथियों ने कर ली.
सभापति जी, विकास यात्रा, बड़ी तकलीफ, क्यों गए जनता से मिलने, बहुत कष्ट है इनको और कुछ तो कहने लगे कि विकास यात्रा, निकास यात्रा है, दोनों हैं विकास यात्रा भाजपा की आई, निकास यात्रा काँग्रेस की निकली, तो इनकी निकास यात्रा हमारी विकास यात्रा है. अभी 2023 में मालूम पड़ जाएगा. 38 ही बचेंगे जो पिछली बार थे 2003 में....
सभापति जी, लॉ एण्ड ऑर्डर, जरा यह राज्यपाल का 2001, 8-9 साल हो गए थे सरकार को. 1993 में बनी थी, ये सब बैठे थे, ये सामने वाले सब थे तब.
कुँवर विजय शाह-- स्थायी हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- नहीं स्थायी नहीं हैं. इस बार सब बिदा हो जाएँगे. आरिफ भाई रहेंगे बस. देखिए जरा आप, आपने कौनसा व्यापार डेवलप किया था. मुरैना और भिण्ड में अपहरण हो रहे हैं. यह 2001 के गवर्नर एड्रेस पर मुख्यमंत्री का भाषण है. मुरैना और भिण्ड में अपहरण हो रहे हैं. उससे हम चिन्तित हैं. यह वहाँ एक व्यापार सा बन गया है इसमें हमारी चिन्ता है. व्यापार इन्होंने भी खोला पर इन्होंने अपहरण का खोला 8 साल की सरकार के बाद आज कहाँ का डाकू बचा वहाँ? यह है शिवराज सिंह चौहान की सरकार है (मेजों की थपथपाहट)
श्री रविन्द्र सिंह तोमर-- सभापति जी, मेरा निवेदन यह है कि चम्बल में यह बार बार भिण्ड मुरैना की बात आती है कि डाकू और बदमाश.........
श्री रविन्द्र सिंह तोमर -- मैं सदन में इस बात का खण्डन करता हूँ कि चम्बल में कभी कोई डाकू और बदमाश नहीं हुआ है. अन्याय के खिलाफ बगावत करने वाले लोग हुए हैं उन्हें बागी तो कह सकते हैं, डाकू या बदमाश कहना चम्बल के लोगों का अपमान है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- किसने कहा आप सुनिए तो.
सभापति महोदया -- आपस में बात न करें.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- हमने अपने मन से तो कुछ कहा ही नहीं है. हमने तो यह कहा है कि वहां सब अच्छे लोग हैं. यह पता नहीं कांग्रेस के राज में कहां से आ गए थे. अपहरण करते थे, वर्ष 2001 का गवर्नर एड्रेस पर मुख्यमंत्री का भाषण है. तब आपकी सरकार को 8 साल हो गए थे. अपहरण का व्यापार खोल दिया था. हमारी सरकार माफियाओं को मिटा रही है. 23 हजार एकड़ जमीन खाली करा ली है. अपराधियों के मकान तोड़ दिए हैं.
कु्ँवर विक्रम सिंह -- माननीय सभापति महोदया, सरकार जो काम कर रही है, पुलिस विभाग इशारे पर काम कर रहा है, असत्य प्रकरण दर्ज करवा रहे हैं, असत्य कथन करके रिपोर्ट ली जा रही हैं. यह वर्तमान सरकार करवा रही है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदया, नक्सलाइट्स के बारे में बताना चाहूँगा. मेरा यह आरोप है कि सामने वाले लोग नक्सलाइट्स को बढ़ावा देते हैं. हमने प्रदेश में भी भुगता है और छत्तीसगढ़ में तो क्या नहीं हुआ. आपके सारे नेता मारे गए थे. षड्यंत्र था आप जरा जांच करवा लीजिए, (XXX). जरा अपने गिरेबान में झांकिए. नक्सलाइट्स से कितना प्रेम है उसका एक उदाहरण सुन लीजिए.
श्री जितु पटवारी -- यह आपत्तिजनक है (बैठे-बैठे)
डॉ. नरोत्तम मिश्र --सज्जन भैय्या को आप (श्री जितु पटवारी) निर्देश दोगे. इतने सीनियर सदस्य को आप बैठे-बैठे निर्देश दे रहे हो. सज्जन भैय्या के बारे में ऐसा बोल रहे हो आप.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- सज्जन भाई क्या, वो चैलेंज कर रहे हैं कांग्रेस के हाइकमान को, वो कह रहे हैं कि यह कार्यवाहक अध्यक्ष नहीं है. यह स्वयंभू अध्यक्ष बने फिर रहे हैं. चेत जाओ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आज माइक पर स्पष्ट कर दो कि आप क्या हो.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदया, इनके जो लोक सभा में दल के नेता हैं, पार्लियामेंट्री पार्टी के लीडर हैं, वे पुराने नक्सलाइट हैं, यह आपको मालूम है या नहीं मालूम है. खड़े होकर बोलो.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- क्या इस पर सदन में चर्चा हो सकती है. (व्यवधान)
डॉ. सीतासरन शर्मा -- यह नक्सलवादियों की चर्चा हो रही है. (XXX) (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी -- सभापति महोदया, मेरा निवेदन है कि यह दोनों बातें हटवा दी जाएं. यह स्टंटबाजी का काम हमारा है. यह नए लोग करें तो अच्छा लगता है इतना बुजुर्ग आदमी इस तरह की बात कर रहा है. (व्यवधान)
डॉ. सीतासरन शर्मा -- मैं जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ.
सभापति महोदया -- जितु जी कृपया बैठ जाइए. इनके बाद आपका ही नम्बर है. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदया, यह विलोपित कराइए. (व्यवधान)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- यह विलोपित कराइए. (व्यवधान)
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अरे अखबारों में है. इंडिया टुडे में आया है. (व्यवधान)
श्री मनोज चावला -- अमित शाह पर आएं...(व्यवधान)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- बीबीसी का हवाला दें. (व्यवधान)
एक माननीय सदस्य -- बीबीसी का वीडियो भी देख लो. बीबीसी के नाम पर दर्द हो रहा है. इंडिया टुडे चलेगा (व्यवधान)
डॉ. सीतासरन शर्मा -- आप बैठ जाओ, अबकी बार आप नहीं आ पाओगे.
सभापति महोदया -- डॉक्टर साहब कृपया खत्म करिए.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति जी, आखिरी बात कहना चाहता हूँ. यह पार्टी वह पार्टी है जिसने अभी बिहार में सीपीआईएमएल, इसलिए मैं कहता हूँ कि नक्सलवाद को बढ़ावा देते हैं. उसकी जो मीटिंग हुई उसमें कांग्रेस पार्टी शामिल हुई. यह हथियारों वाली मीटिंग्स में शामिल होते हैं. गर्वनर एड्रेस पर हमारे साथियों ने वह बोला जो हमारी सरकार कर रही है. मैंने पिछली सरकार से तुलना करके अपनी बात रखी है. हमारे वित्त मंत्री जी ने एक शेर बोला था. तुम अपने पास रखो अपने सूरजों का हिसाब, अब सूरजों लिख दिया, इनके पास सूर्य एक ही है और वह अभी लंदन गया हुआ है. तुम अपने पास रखो अपने सूरज का हिसाब मुझे आखिरी घर तक दिया जलाना है. आपका सूरज तो लंदन गया है, डूब गया है, अंधेरा हो गया है.
सभापति महोदया, यह वर्ष 2023 में आधे से भी कम आएंगे. मैं राज्यपाल महोदय द्वारा दिए गए अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन का समर्थन करता हूँ. धन्यवाद.
श्री जितु पटवारी (राऊ)-- माननीय सभापति महोदय, डॉक्टर साहब बहुत ही सीनियर मोस्ट और बहुत ही अनुभवी हैं. वह 1993 की बात कर रहे थे. जब इनका भतीजा मेरा दोस्त था. जब मैं उसके साथ इनसे मिलने जाता था तब इनके सारे बाल काले थे. शिवराज सिंह जी की सरकार में ही ऐसा हुआ. 20-25 साल पहले के राज्यपाल के अभिभाषण इन्होंने पढ़े और जो लगातार 18 साल हमारे मुख्यमंत्री जी ने जो अभिभाषण दिए वह इन्होंने नहीं पढ़े हैं. शिवराज सिंह जी बहुत ही संवेदनशील व्यक्ति हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- हमारे साथियों ने पढ़ दिया इसलिए.
श्री जितु पटवारी-- आपने शिवराज सिंह जी की बहुत तारीफ की. उन्होंने कहा कि विजनरी लीडर चाहिए है, संवेदनशील लीडर चाहिए है, मेहनती लीडर चाहिए है और एक ऐसा व्यक्ति जो राजनीति को रोज जीता हो. रोज सार्वजनिक जीवन में सेवा करने का जज़्बा रखता हो. डॉक्टर साहब ने इस तरह की भावना व्यक्त की है और यह बिलकुल सही है. जबलपुर की एक घटना है. भारतीय जनता पार्टी का एक प्रोग्राम था शिवराज जी उसमें दिनभर व्यस्त रहे. फिर रात को दस बजे जब सारे नेता सो गये तब शिवराज जी ने कहा कि चलो जबलपुर का चक्कर लगाते हैं चाय पीते हैं. चाय पीने कुछ नेताओं के साथ गये. जैसे ही वहां से आए तो उनको पता चला कि एक्सीडेंट हो गया है तो वह वापस रीवा गए रातभर उनको देखा उनके लिए एयर एम्बूलेंस की और जो दस तरह के दायित्व होते हैं वह निभाए और फिर वापस पांच बजे जबलपुर आए.
श्री विश्वास सारंग-- जितु जी आप जरा अपने ज्ञान का वर्द्धन करो.
श्री जितु पटवारी --जहां भी था. रीवा की घटना की भावना है.
श्री विश्वास सारंग--जितु भाई वहां का भी नहीं है.
श्री जितु पटवारी -- रीवा के हॉस्पिटल में मरीज भर्ती थे इतना तो सच है.
श्री विश्वास सारंग-- आप थोड़ा ज्ञानवर्द्धन करिए.
श्री जितु पटवारी --सीधी सिंगरौली की घटना थी.
श्री विश्वास सारंग--आप पूरा प्रदेश की ही नाम ले लें तो भी सही जगह नहीं आ पा रहे हैं. दिक्कत तो यही है कि आप खेत की बात करते हैं और खलियान पर पहुंच जाते हैं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- इसके बावजूद भी सारी कांग्रेस तुम्हे झेल रही है.
श्री विश्वास सारंग-- यह आपको कैसे मालूम गोविन्द भाई अकेले में जाकर पूछो.
श्री प्रियव्रत सिंह-- गोविन्द राजपूत जी को कांग्रेस के बारे में नहीं मालूम यह आप कैसे कह सकते हो.
श्री विश्वास सारंग-- मैं तो जो मेरी और आपकी बात हुई थी वो बता रहा हूं.
श्री जितु पटवारी-- सभापति महोदय, भावना का मूल उद्देश्य यह है कि हमारे मुख्यमंत्री एक मेहनती, संवेदनशील, विजनरी, हार्डवर्कर हैं ऐसा हमारे डॉक्टर साहब बता रहे थे. यह बिलकुल सच है. विजनरी शब्द का बहुत महत्व होता है. [XX]
श्री विश्वास सारंग-- जितु भाई यह कहानी पुरानी है कुछ नया लाओ.
श्री जितु पटवारी -- नया भी आएगा बैठो.
श्री विश्वास सारंग-- पहले विजनरी की स्पेलिंग बता दो. विजनरी-विजनरी बोल रहे हो. पहले एक बार इसकी स्पेलिंग बता दो.
श्री जितु पटवारी --सभापति महोदय, यह मेरे हेडमास्टर हैं यह मुझे आज पता चला और इनकी डिग्री और मेरी डिग्री का हिसाब भी इन्हें देना पडे़गा यह भी मुझे आज सदन के अंदर पता चला. यह निवेदन था कि [XX]
....(व्यवधान)...
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग)- सभापति महोदया, (XXX) ये आपत्तिजनक है.
डॉ. सीतासरन शर्मा- ये नहीं चलेगा, यहां इस तरह से सदन में बातें नहीं हो सकतीं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- उदाहरण तो देना पड़ेगा, उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया.
श्री राकेश मावई- वे तो केवल कहानी बता रहे थे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- आप लोग बहुत जल्दी समझ गए कि किसकी बात हो रही है.
....(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग- ऐसा थोड़ी है कि आप कुछ भी बोलेंगे. जितु भाई तो नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते हैं, थोड़ी गंभीरता लायें.
सभापति महोदया- आप लोग कृपया बैठ जायें.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ- माननीय सदस्य ने किसी का नाम तो लिया नहीं, फिर ये कैसे समझ गए कि किसको बोल रहे हैं ?
....(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग- बहन जी, आप बहुत सीनियर हैं. आप ऐसी बात न करें. आप जितु भाई को थोड़ा सिखाओ. आप बतायें, ये सदन क्या कहानी सुनाने की जगह है ?
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ- भूमिका तो बांधनी पड़ती है न ?
सभापति महोदया- कृपया आपस में बात न करें. किसी का नाम नहीं लिया गया है. जितु भाई आप अपना भाषण जारी रखें.
डॉ. सीतासरन शर्मा- यदि इस तरह की बातें सदन में होंगी तो ये ठीक बात नहीं है.
....(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह- सभापति महोदया, एक बात यह है कि जब तक जितु भाई शेर की बात कर रहे थे उधर से कोई नहीं उठा लेकिन (XXX). बंदर में और यहां में, क्या संबंध है, विश्वास भाई आप बताओ.
श्री विश्वास सारंग- अभी आप उठे हैं.
श्री जितु पटवारी- डॉक्टर साहब, मैं, आपकी भावना की कद्र करता हूं और मैं, आपके संबंध में ऐसी कोई बात नहीं करूंगा.
श्री उमाकांत शर्मा- सभापति महोदया, (XXX)
....(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी- सभापति महोदया, इस कहानी का (XXX)
डॉ. सीतासरन शर्मा- सभापति जी, आप ये विलोपित करवायें. ये क्या तरीका है ?
श्री विश्वास सारंग- ये कोई रंगमंच नहीं है. इसे विलोपित करवायें. यदि इनकी गरिमा नहीं है तो इस सदन की गरिमा तो है, उसे तो बनाये रखें.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ- हमारी उत्पत्ति भी तो बंदर से ही हुई है.
श्री विजय रेवनाथ चौरे- आप लोग भी तो कहानी सुनाते हो.
....(व्यवधान)...
डॉ. सीतासरन शर्मा- सभापति महोदया, आप मुझे दो मिनट दें, एक कहानी मैं भी सुनाता हूं. कहानी भी नहीं है, सच्ची घटना है.
श्री जितु पटवारी- डॉक्टर साहब आप बोल चुके, आपका भाषण हो गया, अब आप सुनें.
....(व्यवधान)...
सभापति महोदया- डॉक्टर साहब, कृपया आप बैठ जायें. आपका समय समाप्त हो चुका है.
डॉ. सीतासरन शर्मा- सभापति जी, आप इसे विलोपित करवायें, नहीं तो हम नहीं बैठेंगे.
....(व्यवधान)...
श्री विजय रेवनाथ चौरे- हमने आपका भाषण सुना, अब आप हमारा सुनें.
सभापति महोदया- कृपया आप सभी बैठ जायें.
श्री विश्वास सारंग- सभापति महोदया आप इसे विलोपित करवायें.
....(व्यवधान)...
डॉ. सीतासरण शर्मा:- इस प्रकार से सदन नहीं चलेगा.(व्यवधान)
कुंवर विजय शाह:- सभापति महोदय, इसको डिलीट करवाइये. (व्यवधान)
एक माननीय सदस्य:- यह बात डिलीट नहीं होगा.(व्यवधान)
डॉ. सीतासरण शर्मा:- नहीं, बात नहीं बनेगी.(व्यवधान)
श्री प्रियव्रत सिंह:- सभापति महोदय, इतना कष्ट हो रहा है. (व्यवधान) नरेन्दर नाथ की बात करो, नरेन्द्र नाथ की.(व्यवधान)
कुंवर विजय शाह:- माननीया सभापति महोदय, अरे यह तो सरदार है. (व्यवधान) यह लोग तो हथेली पर हत्ती बनाने वाले लोग हैं. (व्यवधान) यह लोग राहुल गांधी जी से इतने डरे हुए हैं, उसके अलावा इनको कुछ नहीं दिखता है. (व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी:- इनके हिसाब से चलेगी क्या विधान सभा. (व्यवधान)
एक माननीय सदस्य:- मध्यप्रदेश में इन लोगों ने जंगल राज कायम कर दिया है.
सभापति महोदय:- किसी की बात समझ नहीं आ रही है.( व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- सभापति महोदया,आप इसको डिलीट करवाइये ना. आप इसको डिलीट क्यों नहीं करवा रहे हैं. (व्यवधान) यहां सदन में इस तरह की आपत्तिजनक बात होगी ? (व्यवधान) यह सदन की गरिमा का ध्यान नहीं रख सकते. (व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी:- यह (XXX) कर रहे हैं, (XXX). ( व्यवधान) रीशफल होने वाला है तो यह (XXX) कर रहे हैं. (व्यवधान)
कुंवर विजय शाह:- सभापति महोदया, सदन की गरिमा का जरूर ध्यान रखना चाहिये. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- यह सदन नहीं चलेगा.(व्यवधान) यह सदन बिल्कुल नहीं चलेगा. आप इसको विलोपित करवायें. (व्यवधान)
डॉ. सीतासरण शर्मा:- आप इसको डिलीट करवाइये. ऐसे सदन नहीं चलेगा.(व्यवधान)
सभापति महोदय:- विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.
(1.33 बजे विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित की गयी.)
(विधान सभा पुनः समवेत हुई)
1. 43 बजे (सुश्री हिना लिखीराम कांवरे{सभापति महोदया}पीठासीन हुईं)
श्री विश्वास सारंग--सभापति महोदय, मेरा निवेदन है कि सदन की गरिमा का ध्यान रखते हुए चाहे इस पक्ष के लोग हों, चाहे उस पक्ष के लोग हों, हमें इस सदन की गरिमा का ध्यान रखना है. यही परम्पराएं आगे की पीढ़ी के लिये कहीं न कहीं प्रेरणा देने का या गलत प्रेरणा देने का काम करती हैं. मेरा निवेदन है कि जो भी बात है, कहानी है उसको डिलीट करवाईये माननीय सभापति महोदया.
सभापति महोदय--इस कहानी को डिलीट किया जाये. जितु भाई आप अपनी बात सीधे सीधे रखें समय काफी बीतता जा रहा है.
श्री जितु पटवारी--सभापति महोदया, मैं तो सिर्फ 30 सेकण्ड बोला हूं. मेरे पास में मेरा खुद का भी अलार्म लगा है मैंने अभी तक 30 सेकण्ड बोला है बाकी सब यह बोले हैं.
सभापति महोदय--अभी आप चालू रखिये आपका समय हो रहा है.
श्री जितु पटवारी--सभापति महोदया, मेरा किसी की भावना को ठेस लगे, यह संदर्भ था ही नहीं. संदर्भ यह था कि--
सभापति महोदया--आप उसको छोड़ दीजिये. अपनी बात कंटिन्यु करिये.
श्री जितु पटवारी--सभापति महोदया, श्रम का परिणाम से संदर्भ है.
श्री विश्वास सारंग--सभापति महोदया, सदन का समय फिर से बर्बाद कर रहे हैं. फिर से वही बात कह रहे हैं.
श्री जितु पटवारी--सभापति महोदया, आप सुनने का धैर्य रखो.
डॉ.सीतासरन शर्मा--हममें बहुत धीरज है.
सभापति महोदया--कृपया आप लोग आपस में बात न करें.
श्री जितु पटवारी--सुनने का धैर्य रखो. अभी तो मुख्यमंत्री जी को भी बाद में बोलना है.
श्री विश्वास सारंग--क्या धमकी दे रहो हो. (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी--हां आप जो समझो.
श्री विश्वास सारंग--समझो समझो नहीं आप धमकी मत देना. (व्यवधान)
सभापति महोदया--कृपया आप लोग आपस में बात न करें.
श्री जितु पटवारी--श्रम का आंकलन परिणाम से होता है. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--यह ज्यादा स्मार्टनेस ना दिखायें.
श्री इन्दर सिंह परमार--यह वाली भाषा सदन में नहीं चलेगी (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी--यह बतायें कि मैंने मुख्यमंत्री जी से पूछा तो आपने कहा कि 2016 में एक लाख बार कि किसानों की आय दुगुनी करनी है. 10 बार पूछा. यह राज्यपाल के अभिभाषण की बात है. 2016 के अभिभाषण में कहा, किसानों की आय दुगुनी करनी है, 2018 के अभिभाषण में कहा, किसानों की आय दुगुनी करनी है. प्रधानमंत्री को शेरपुर, सीहोर में लेकर आए, फिर कहा कि किसानों की आय दुगुनी करनी है. मुझे कहा कि जानकारी एकत्र कर रहे हैं, आंकड़े इकट्ठे कर रहे हैं. हर्ष विजय गहलोत ने जब यह सवाल किया तो कहा कि हमने कभी कहा ही नहीं कि हमें किसानों की आय दुगुनी करनी है. ये दोनों प्रश्न हैं. विद्वान मंत्री जी, इसका उत्तर दिलवाइये सरकार से. एक सरकार है, दो उत्तर हैं. सरकार है कि (xx). आपको कहानी बुरी लगती है.
श्री तुलसीराम सिलावट - सभापति महोदया जी, यह कोई तरीका है, यह सब नहीं चलेगा.
सभापति महोदया - इस शब्द को विलोपित कर दीजिये.
श्री जितु पटवारी - आदरणीय सभापति महोदया जी, बात इतनी नहीं है.
श्री तुलसीराम सिलावट - यह सब नहीं चलेगा.
सभापति महोदया - आप लोग बैठ जाइये.
श्री जितु पटवारी - सरकार के दो उत्तर हैं. सरकार का, मुख्यमंत्री के विभाग का, श्रम से परिणाम का ताल्लुक है. हमें समझाओ मत कि मैंने क्या कहानी कही. एक शब्द भी ऐसा नहीं बोला कि जो विलोपित करने जैसा हो, कोई दुर्भावना नहीं है. सदन का सदस्य हूँ, जनता की आवाज उठाऊँगा.
सभापति महोदया - आप लोग बैठ जाइये. आप अपनी बात कहें.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - सभापति महोदया, यह आपके निर्णय को ही चैलेंज कर रहे हैं. आप इनका प्रबोधन करवाइये.
श्री जितु पटवारी - सभापति महोदया, जितु पटवारी कोई (xx) नहीं है.
डॉ. सीतासरन शर्मा - सभापति जी, सरकार इधर है और (xx) उधर है.
सभापति महोदया - इन शब्दों को विलोपित कर दें.
श्री जितु पटवारी - सभापति जी, इन्होंने कहा कि राज्यपाल का भाषण 1996 का, 1992 का, 1993 का है. राज्यपाल का अभिभाषण 2006 का, 2008 का, 2018 का यह नहीं दिखा आपको, इसका भी जिक्र करते.
आदरणीय सभापति महोदया, निवेदन यह है कि दुग्ध में किसानों की आय बढ़ी नहीं है. इस दौरान घटी, अद्भुत घटी, लागत बढ़ी. यही इसका भी परिणाम है, दूध का उत्पादन प्रदेश में घटा, सारी एजेंसियों के आंकड़े हैं और दूध का उत्पादन करने वालों ने इसे छोड़ा.
1.47 बजे [अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.]
अध्यक्ष महोदय, (XXX) यह उसकी विज्ञप्ति है. मैं नाम नहीं लेना चाहता. यह बात कहने की बात है. किसानों की आय का घटने का......(व्यवधान)
(...व्यवधान...)
श्री तुलसीराम सिलावट - यह आपत्तिजनक है, घोर आपत्तिजनक है. इस तरह की भाषा का उपयोग कर रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, यह क्या बातें कर रहे हैं ? इसको विलोपित करवाइये. जो इन्होंने बोला है, वह विलोपित करवाइये.
श्री जितु पटवारी - मैंने क्या बोला है ? क्या विलोपित करा रहे हो ? बोलकर बताओ.
(...व्यवधान...)
श्री विश्वास सारंग - ज्यादा समझदार बन रहा है.
श्री जितु पटवारी - यह क्या गुंडागर्दी है ?
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये, आप भी बैठ जाइये. सभी लोग बैठ जाइये. बैठ जाइये. मुझे कुछ कहने दीजिये. मुझे कहने दीजिये, शर्मा जी बैठ जाइये. जितु जी, मैं आपसे एक आग्रह करता हूँ. यह विधान सभा है, यह बाहर का मैदान नहीं है. जिस तरह से आप बातचीत करते हैं, शालीनता बरतें, इसमें कौन सी हड़बड़ी है. (मेजों की थपथपाहट)
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष जी, बिल्कुल आपकी बात मानता हूँ.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष जी, जो बोला है, वह शब्द विलोपित करा दीजिये.
श्री कुणाल चौधरी - क्या विलोपित करना है ? अध्यक्ष जी, यह आपको निर्देशित कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, निर्देशित नहीं है.
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष जी, आपने बिल्कुल सही कहा. मैं भी ऐसा ही चाहता हूँ कि शालीनता से अपनी बात रखूँ पर जिस तरीके से उधर से अवरोधक आता है, इधर से रिएक्शन होता है. आप दोनों का ध्यान रखेंगे तो मैं गलती नहीं करूँगा, मैं यह वचन देता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, बिल्कुल. आप चिन्ता मत करो.
श्री जितु पटवारी - आदरणीय अध्यक्ष जी, कुल मिलाकर मेरी भावना यह है कि सरकार पिछले 15 वर्षों से यह कह रही है कि हम किसानों की आय दुगुनी करेंगे. आय घटी है, लागत बढ़ी है. सारे जितने फर्टिलाइजर हैं, या जितने कृषि में संसाधन हैं, जो उत्पादन के होने चाहिए, सबके मूल्य बढ़े हैं. महंगाई बढ़ी है. क्यों नहीं 3,000 रुपये क्विंटल किसानों का गेहूँ करना चाहिए ? इस बार 3,200 रुपये क्विंटल में बिका है.
श्री रामखेलावन पटेल - श्री जितु पटवारी, आप सुन लीजिये.
अध्यक्ष महोदय - श्री रामखेलावन जी, जब आपका नम्बर आएगा, उस समय बोलिएगा.
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष महोदय, मैं शालीनता से बात कर रहा हूँ. मेरे जितने परिवार के लोग उस साइड बैठे हैं, उनसे विनम्र प्रार्थना करता हूँ, हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ कि एक राजनीतिक भावना से ऊपर आकर कहता हूँ. कोई कांग्रेस, बीजेपी नहीं, किसान से हमही सब चुनकर आते हैं. आप भी, हम भी कई किसान हैं, शिवराज जी भी किसान हैं. क्या हम सर्वसम्मति से यह पास कर सकते हैं कि 3,000 रुपये प्रति क्विंटल इस वर्ष किसानों का गेहूँ खरीदा जायेगा ? इसमें आपको क्या आपत्ति है. प्रस्ताव तो कर ही सकते हैं, आप किसान हितैषी हैं, तो यह करना चाहिए. हमने 10 वर्ष से वोट लिये, 15 वर्ष से वोट लिये.
श्री सीतासरण शर्मा -- आपने वर्ष 2019 में कितने में खरीदा था?
श्री जितु पटवारी -- डॉ. साहब हमने क्या खरीदा था, इसलिये हम हट गये, अब आप हो.
श्री पी.सी.शर्मा -- डॉ. साहब इसको तो डिलीट नहीं करवाना है.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन इतना ही है कि क्या हमें सर्वसम्मति से 3000/- रूपये क्विंटल किसानों का गेहूं खरीदना चाहिए की नहीं ? हाथ ऊंचा करके समर्थन करो, आपसे भी मेरा आग्रह है. नहीं तो यह वीडियो गांव-गांव भेजूंगा में कि बी.जे.पी. के विधायकों ने एक ने भी हाथ ऊंचा खड़ा नहीं किया 3000/- रूपये क्विंटल में. आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है समर्थन करो, (व्यवधान..) हम सब समर्थन करेंगे 3000/-रूपये क्विंटल का. कांग्रेस पार्टी का एक-एक विधायक मांग करता है, सरकार से मुख्यमंत्री से इस बात की कि खरीदी 3000/-रूपये क्विंटल गेहूं की हो, आप सब इसमें सहमत नहीं हो. मध्प्रदेश का किसान देख रहा है, समझ रहा है, सुन रहा है और वह बतायेगा कि भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने सब किसानों का सर्वसम्मति से 3000/- रूपये क्विंटल बात की थी, तो यह समर्थन में नहीं आये. (व्यवधान.)
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- (कांग्रेस के कई सदस्यों द्वारा अपने आसन पर बैठे-बैठे कुछ कहने पर) जितु जी आप ही के लोग कर रहे हैं. (व्यवधान..)
श्री संजय शाह -- जितु भाई क्या किसानों का दो लाख रूपये का कर्ज माफ हुआ था कि नहीं यह भी बताओ. (व्यवधान..)
श्री जितु पटवारी -- आदरणीय मुख्यमंत्री जी प्रदेश के आदर्श हैं. 16 साल से मुख्यमंत्री हैं, 17साल से, कुछ अच्छा होगा तभी वहां बैठे हैं, हम कितने भी उनकी नेगेटिव बात कर लें, पर तो कुछ तो ऐसा है, जो वह वहां बैठे हैं.
सहकारिता मंत्री(श्री अरविंद सिंह भदौरिया) -- वह किसी की कृपा पर मुख्यमंत्री नहीं है, न तुम्हारी कृपा पर मुख्यमंत्री हैं, मध्यप्रदेश की जनता जनार्धन की कृपा से मुख्यमंत्री हैं और मध्यप्रदेश की जनता जनार्धन ने जिताकर भेजा है, तब मुख्यमंत्री हैं. कोई तुम्हारी कृपा से 16 साल से,17 साल से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं हैं, जनता जनार्धन की कृपा से, किसानों की कृपा से (व्यवधान..) कोई आपकी कृपा से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं है (व्यवधान..)
श्री कुणाल चौधरी -- खरीद के बने हैं मुख्यमंत्री, ये खरीदे हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, खरीदे हुए जनादेश के (व्यवधान..)
श्री संजय शाह -- हमारी बहनों का आर्शीवाद है, तभी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. (व्यवधान..)
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- (कांग्रेस के कई सदस्यों द्वारा अपने आसन पर बैठे-बैठे कुछ कहने पर) जितु पटवारी जी आप देखें उधर हाथ उठाकर आप ही के लोग हल्ला कर रहे हैं, वह आपको बोलने नहीं दे रहे हैं. वह आप ही को नहीं बोलने दे रहे हैं. आपको आप ही के लोग बोलने नहीं दे रहे हैं. (व्यवधान..)
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा था कि मुख्यमंत्री हमारे आदर्श हैं. (व्यवधान..)