मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मार्च, 2017 सत्र
गुरूवार, दिनांक 2 मार्च, 2017
(11 फाल्गुन, शक संवत् 1938)
[खण्ड- 13 ] [अंक- 7 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 2 मार्च, 2017
(11 फाल्गुन, शक संवत् 1938)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
तालाबों की मरम्मत
[जल संसाधन]
1. ( *क्र. 2884 ) श्री चन्दरसिंह सिसौदिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गरोठ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सिंचाई विभाग द्वारा कुल कितने जलाशयों का निर्माण कराया गया है? वर्तमान में इन जलाशयों की क्या स्थिति है? कौन-कौन से जलाशय क्षतिग्रस्त हैं, जिनकी मरम्मत कराया जाना अत्यन्त आवश्यक है? (ख) पिछले 4 वर्षों में शासन द्वारा किन-किन तालाबों की मरम्मत करवाई गई? कुल कितनी राशि कहाँ-कहाँ खर्च की गई? (ग) शासन द्वारा इन जलाशयों के संचालन एवं संधारण, मरम्मत हेतु पिछले 4 वर्षों में कितनी राशि जारी की गई? साथ ही सिंचाई की दृष्टि से और कौन-कौन सी योजना का सर्वे किया गया है और वर्तमान में उनकी क्या स्थिति है?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) गरोठ विधानसभा क्षेत्र में एक वृहद् एवं 39 लघु सिंचाई परियोजनाएं निर्मित हैं। वर्तमान में इन जलाशयों की स्थिति ठीक है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। गरोठ सूक्ष्म सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर कार्य प्रारंभ कराया गया है। शामगढ़-सुवासरा सूक्ष्म सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति के लिए विभाग की साधिकार समिति ने अनुशंसा की है।
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, हमको गलत कार्यसूची वितरित की गई है.
अध्यक्ष महोदय-- आपको जो कुछ भी बोलना है प्रश्नकाल के बाद बोलिए. किसी को भी मान्य नहीं करेंगे. प्रश्नकाल के बाद में सुनेंगे. कुछ भी रिकार्ड में नहीं आएगा. चन्दर सिंह जी आप अपना प्रश्न पूछिए. आप नहीं रुकिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (XXX)
श्री चन्दर सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा जो उत्तर दिया गया है उससे मैं पूर्ण रूप से संतुष्ट हूं लेकिन साथ ही एक बात जरूर है कि मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी ने...
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (XXX)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है. क्या यह बात शून्यकाल में नहीं आ सकती थी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- प्रश्नकाल को बाधित करने का यह कौन सा तरीका है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (XXX)
डा. नरोत्तम मिश्र -- आप गलत आपत्ति कर रहे हो.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- यह गलत आपत्ति है.
श्री सुन्दर लाल तिवारी -- (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- यह कौन सा समय है. हमको भी आपत्ति है. हर बात का जवाब देंगे, पर यह पूछने का कौन सा समय है ?
अध्यक्ष महोदय -- वह कार्य सूची में कौन से नंबर पर है जिस पर आप आपत्ति उठा रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- दो नंबर पर है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल कौन से नंबर पर है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- एक नंबर पर है.
अध्यक्ष महोदय-- तो फिर आप बैठ जाइए.
श्री चन्दर सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के उत्तर से संतुष्ट हूं. मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश में सबसे पहले गरोठ विधानसभा क्षेत्र को माइक्रो इरीगेशन से किसानों को लाभान्वित करने का एक ठोस कदम उठाया है. इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, प्रदेश की सरकार और माननीय मंत्री जी का हदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. पूरे क्षेत्र की जनता की ओर से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. साथ ही मेरा एक सुझाव है कि कुछ तालाब हैं जिनमें पानी का बहुत ज्यादा नुकसान होता है. उनको मद्देनजर रखते हुए नहरों का सुदृढ़ीकरण करके पक्का निर्माण किए जाने की आवश्यकता है. यह मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है और वह निश्चित रूप से करेंगे बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपनिर्वाचन की कार्यवाही
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
2. ( *क्र. 1789 ) श्री पन्नालाल शाक्य : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कलेक्टर गुना के आदेश क्र./स्था.निर्वा./मंडी/2016/420-421, दिनांक 09/08/2016 के द्वारा कृषि उपज मंडी समिति गुना के वार्ड क्रमांक 10 को रिक्त घोषित किया गया है? यदि हाँ, तो म.प्र. कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 के अनुसार 06 माह में रिक्त पद के विरूद्ध निर्वाचन क्यों नहीं कराया गया? (ख) क्या कृषि उपज मंडी समिति गुना का वार्ड क्र. 03 जो दिनांक 15/08/2016 को रिक्त हुआ था (प्रबंध संचालक म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड भोपाल का पत्र क्र./मंडी/निर्वा./बी-6/2/उपनिर्वा./2016/131/1348, भोपाल दिनांक 03/10/2016) के निर्वाचन की कार्यवाही मतदाता सूची का प्रकाशन, केन्द्र की सूची का प्रकाशन कार्य सम्पन्न हो चुका है? अर्थात उपनिर्वाचन कार्यक्रम जारी किया जा चुका है? (ग) यदि प्रश्नांश (ख) में वर्णित प्रश्नों के उत्तर हाँ में हैं तो प्रश्नांश (क) में वर्णित वार्ड 10 के उपनिर्वाचन की कार्यवाही क्यों नहीं की गई? यदि यह चूक या लापरवाही है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? क्या दोषी के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) जी हाँ। कलेक्टर गुना का आदेश क्रमांक/स्था.निर्वाचन/मंडी/2016/420-21, दिनांक 09.08.2016 मंडी बोर्ड मुख्यालय को दिनांक 03.11.2016 को प्राप्त हुआ। तत्समय उपनिर्वाचन की कार्यवाही प्रारंभ हो चुकी थी, इस कारण उपनिर्वाचन में शामिल नहीं किया जा सका। (ख) जी हाँ, वार्ड क्रमांक-03 के संबंध में सदस्य के स्वर्गवास होने की सूचना दिनांक 26.08.2016 को प्राप्त होने के कारण उक्त पद को दिसम्बर 2016 में होने वाले उपनिर्वाचन में सम्मिलित कर भरा गया है। (ग) दिसम्बर 2016 में होने वाले उपनिर्वाचन का कार्यक्रम शासन को दिनांक 30.09.2016 को अनुमोदन हेतु भेजा जा चुका था, के पश्चात् कलेक्टर गुना का आदेश क्रमांक/स्था निर्वा./मंडी/2016/420-421, दिनांक 09.08.2016 दिनांक 03.11.2016 को प्राप्त होने से उपनिर्वाचन में शामिल नहीं किया जा सका। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री पन्नालाल शाक्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि गुना मंडी समिति के वार्ड क्रमांक-10 का जो पद रिक्त हो गया था उसकी सूचना ग्वालियर और गुना को दे दी गई थी. यह पद रिक्त हुआ है और इसकी जानकारी दिनांक 9.8.2016 दी गई एवं दिनांक 10.8.2016 को फैक्स के द्वारा सूचित कर दिया गया था. जिस डायरेक्टर का पद दिनांक 15.8.2016 को रिक्त हो गया था उसका चुनाव करा दिया गया, लेकिन जिस डायरेक्टर का पद दिनांक 27.7 को रिक्त होने वाला है उसका चुनाव नहीं कराया गया. इसका क्या कारण है. मैं माननीय अध्यक्ष महोदय से निवेदन करुंगा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में चुनाव को रोकना हत्या के समान है. धारा 302 और धारा 307 के समान है. मैं उन अधिकारियों से मांग करना चाहता हूँ कि...
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जायें और उत्तर सुन लें. (हंसी)
श्री गौरीशंकर बिसेन--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो उत्तर दिया गया है उसके भाग (ग) को माननीय सदस्य पढ़ने का प्रयास करें. पर्टिक्यूलर इनका प्रस्ताव कलेक्टर के द्वारा हमें दिनांक 3.11.2016 को प्राप्त हुआ है इसलिए उसको सम्मिलित नहीं किया गया है. मंडी में जो पद रिक्त होते हैं हम उनके उप-चुनाव दो चरणों में दिसंबर और जून में कराते हैं. चूंकि दिसंबर का समय निकल चुका है हम जून में इसके चुनाव करा रहे हैं. इसका कार्यक्रम जारी करने की हमने पूरी कार्यवाही कर दी है.
नवलखा बीज कंपनी के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
3. ( *क्र. 1173 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नवलखा बीज कं. महिदपुर के विरूद्ध हाईकोर्ट के प्रकरण में शासन की ओर से कौन से वकील नियुक्ति किये गये? (ख) इस प्रकरण में कितनी तारीखें लगीं? उनमें शासकीय वकीलों की उपस्थिति/अनुपस्थिति बतावें। (ग) हाईकोर्ट के निर्णय के विरूद्ध शासन ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है या नहीं? यदि नहीं, तो कब तक अपील की जाएगी? (घ) यदि शासन सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं कर रहा तो इसका कारण भी बतावें।
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) नवलखा बीज कं. महिदपुर के विरूद्ध हाई कोर्ट के प्रकरण में शासन की ओर से प्रक्रिया अनुसार महाधिवक्ता ही उपस्थित होते हैं। प्रकरण में पृथक से वकील की नियुक्ति नहीं की गई है। (ख) प्रश्नांकित प्रकरण की याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी. 3162/2015 में माननीय उच्च न्यायालय इंदौर द्वारा दिनांक 17.06.2015 की तिथि नियत की गई तथा माननीय न्यायालय द्वारा उक्त दिनांक को ही निर्णय पारित किया गया। (ग) जी नहीं। उक्त प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय पर माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील की आवश्यकता नहीं है। (घ) प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय, इन्दौर द्वारा निर्णय दिया गया कि ''संबंधित नवलखा सीड्स, महिदपुर को मौका देते हुए साक्ष्य के आधार पर अपीलीय अधिकारी सुनवाई करें'', तद्नुसार अपीलीय अधिकारी, सह-संयुक्त संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास, संभाग उज्जैन म.प्र. द्वारा अपील की सुनवाई पर बीज अधिनियम 1966 एवं बीज नियंत्रण आदेश 1983 के तहत अपीलीय अधिकारी को प्रदत्त शक्तियों अनुसार अपील को खारिज किये जाने का निर्णय लिया गया।
श्री बहादुर सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बीज से जुड़ा हुआ था. माननीय कृषि मंत्री के आश्वासन पर अच्छी जाँच हुई. मैं माननीय कृषि मंत्री जी, प्रमुख सचिव और उनके विभाग को धन्यवाद देना चाहता हूँ और इससे संतुष्ट हूं. चूंकि प्रकरण न्यायालयाधीन है मैं आपके माध्यम से चाहता हूँ कि महिदपुर, जेएमएफसी कोर्ट में चालान पेश होने के बाद चार्ज फ्रेम होने के बाद नवलखा बीज कंपनी माननीय उच्च न्यायालय, इंदौर गई और उच्च न्यायालय ने निर्देश दिए कि इसका निर्णय कृषि विभाग करेगा. कृषि विभाग ने सह-संयुक्त संचालक को सुनने के बाद बीज अधिनियम 1966 एवं बीज नियंत्रण आदेश 1983 के तहत उनकी अपील निरस्त कर दी. निरस्त करने के बाद माननीय उच्च न्यायालय ने जिसमें चार्ज फ्रेम हो गया जिसमें मुल्जिम गिरफ्तार हो गये. माननीय उच्च न्यायालय, इंदौर ने उस एफआईआर को निरस्त कर दिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सीधा प्रश्न करना चाहता हूँ कि सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी है और हमारे कृषि मंत्री केबिनेट मंत्री हैं. मैं आपके माध्यम से यह चाहता हूँ कि क्या 15 दिवस के अन्दर पुलिस विभाग को यह निर्देश देंगे कि उच्च न्यायालय की याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी. 3162/2015 के विरुद्ध 15 दिवस में पुलिस को निर्देश देते हुए क्या सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के माननीय मंत्री जी निर्देश देंगे.
श्री गौरीशंकर बिसेन--माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकरण को हमने बहुत गंभीरता से लिया है इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि हमारी अपीलीय अथॉरिटी ने उनकी अपील को निरस्त कर दिया है. आईपीसी के तहत जो मुकदमा बना है उसको पुलिस ने भी गंभीरता से लिया है और माननीय सहायक पुलिस महानिरीक्षक, अपराध अनुसंधान विभाग, पुलिस मुख्यालय, भोपाल को इसके लिए पत्र भी लिखा गया है कि हमें अग्रिम न्यायालय में जाने की अनुमति दी जाए. चूंकि यह पुलिस विभाग को कार्यवाही करनी है उस कार्यवाही में हमारी तरफ से पूरा संरक्षण है और हम भी उनसे कहेंगे कि वे इसमें कार्यवाही करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, 15 दिवस में कार्यवाही का निर्देश दे दें.
अध्यक्ष महोदय--यह उनका विभाग ही नहीं है.
श्री बहादुर सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो सामूहिक जिम्मेदारी है. 15 दिवस में अपील के लिए तो निर्देशित कर सकते हैं. समय-सीमा में कर दें.
श्री गौरीशंकर बिसेन--माननीय अध्यक्ष महोदय, पुलिस विभाग स्वयं इसको गंभीरता से ले रहा है और मुझे लगता है कि मुझे इसमें कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है. मुझे लगता है इसमें कहीं पर भी अपराधी नहीं बचेंगे.
विभागीय योजनाओं का क्रियान्वयन
[उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण]
4. ( *क्र. 1668 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या राज्यमंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना में उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों के लिए कौन-कौन सी योजनाएं संचालित की जा रही हैं? योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिये किन साधनों का इस्तेमाल किया गया है, ताकि अधिक से अधिक किसानों तक योजनाओं की जानकारी पहुंच सके। (ख) वर्ष 2014 से प्रश्न दिनांक तक सतना विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत कितने किसानों को किस-किस योजना से लाभान्वित किया गया है? किस-किस योजना में कितना अनुदान/बीज/खाद/दवाईयां उपलब्ध करायी गयी हैं? (ग) किसानों को योजना का लाभ मिला या नहीं? इसका भौतिक सत्यापन किस-किस अधिकारी द्वारा किया गया है? कितने किसानों तक लाभ नहीं पहुंचा? कागजों पर चलायी गयी योजना के लिए कौन दोषी है, उसके लिए शासन क्या कार्यवाही करेगा?
राज्यमंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण ( श्री सूर्यप्रकाश मीना ) : (क) सतना जिले में विभाग की संचालित योजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। योजनाओं के प्रचार-प्रसार हेतु सामान्यत: कृषक प्रशिक्षण, मेला प्रदर्शनी, पेम्प्लेट वितरण, पोस्टर लगाना एवं संचार माध्यमों जैसे आकाशवाणी एवं समाचार पत्र का उपयोग किया जाता है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) योजना का लाभ सतना विधानसभा क्षेत्र के कृषकों को मिला है। उद्यानिकी फसल क्षेत्र विस्तार योजनाओं में संबंधित वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी द्वारा, यंत्रीकरण योजना में संयुक्त संचालक उद्यान, उप संचालक उद्यान, उप संचालक कृषि, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र एवं संबंधित वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी की संयुक्त समिति द्वारा और प्याज भण्डार गृह निर्माण योजना/माईक्रो इरीगेशन योजना में उप संचालक उद्यान, वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी एवं ग्राम पंचायत के सरपंच/पंच के समक्ष भौतिक सत्यापन किया गया। स्वीकृत प्रकरणों में भौतिक सत्यापन के जरिये लाभ पहुँचाने की पुष्टि की गई है। किसानों को लाभ नहीं पहुँचाने का प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है, अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री शंकर लाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर इस तरह आया है जैसे कोई चौपाल के सुनइयों को राम-राम करता है. मैंने प्रश्न में पूछा था कि सतना क्षेत्र के किन-किन किसानों को लाभान्वित किया गया है इसके उत्तर में एक लाइन किसी बाबू साहब ने लिख दी है कि सतना के किसानों को लाभ मिला है और जो परिशिष्ट में सूची भेजी है उसमें न तो किसी किसान का नाम है और न ही किसी ग्राम पंचायत का नाम है. मेरे प्रश्न का तात्पर्य यह है कि सतना जिले में उद्यानिकी का कार्य पिछड़ रहा है. यह प्रश्न सदन में उठाने के पीछे मेरी मंशा यह है कि उद्यानिकी विभाग द्वारा वर्ष 2014-16 में सतना जिले में जो कार्य किए गए हैं, क्या उनकी जांच भोपाल से किसी अधिकारी को भेज कर करवाई जा सकती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उद्यानिकी के तहत वास्तविकता में किसानों को कितना कार्य मिला है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं, सदन में पूर्व में भी यह बात आ चुकी है कि कीटनाशकों, बीज एवं यंत्रों की खरीद पर प्राप्त होने वाली सब्सिडी किसानों के खातों में सीधे पहुंच जायेगी. कृषि में उपयोगी वस्तुओं को क्रय करने हेतु सरकार द्वारा दुकानें चिन्हित की गई हैं. चूंकि चिन्हित दुकानों के रेट अधिक होते हैं इसलिए सब्सिडी का लाभ किसानों को मिलने के बजाय दुकानदारों को मिल जाता है और सब्सिडी बेकार हो जाती है, उससे किसानों का हित साध्य नहीं होता है. मैं निवेदन करता हूं कि चिन्हित दुकानों से ही खरीदी की बाध्यता को हटाया जाए ताकि यदि किसान को किसी और दुकान से कम दाम पर कीटनाशक, बीज और कृषि उपयोगी यंत्र मिलते हैं तो उससे किसानों को सब्सिडी का पूरा लाभ मिलेगा. इसके अलावा मेरा एक प्रश्न और है कि किसान उद्यानिकी विभाग की यात्राओं में जाते हैं, सतना जिले के किसानों के लिए उद्यानिकी एक नया क्षेत्र है. क्या मंत्री जी उद्यानिकी विभाग के कार्यक्रमों के संबंध में कोई समिति बनाकर विधायकों को उसमें शामिल करेंगे, ताकि विधायकों को जानकारी रहे कि उनके क्षेत्र में उद्यानिकी विभाग द्वारा क्या एवं किस प्रकार का कार्य किया जा रहा है ?
श्री सूर्यप्रकाश मीना- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे जवाब में लिखा है कि उद्यानिकी विभाग की सतना जिले से संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में उपलब्ध है. यदि विधायक जी को जानकारी प्राप्त नहीं हुई होगी तो हम उपलब्ध करवा देंगे.
श्री शंकर लाल तिवारी- माननीय मंत्री जी परिशिष्ट आपके पास भी उपलब्ध है. आप देख लें परिशिष्ट में किसी किसान या किसी पंचायत का नाम उल्लेखित नहीं है. सिर्फ एक फिगर डाल दिया गया है ताकि मुगालता पैदा हो सके. मैं कहना चाहता हूं कि क्या भोपाल से किसी अधिकारी को भेज कर आप उद्यानिकी विभाग के पिछले कार्यकाल की जांच करवायेंगे ? क्या आप किसानों को चिन्हित दुकानों के बजाय सामान्य दुकानों से भी कीटनाशक, बीज और यंत्र खरीदने की सुविधा देगें ? क्या आप उद्यानिकी विभाग के जो कार्यक्रम चलते हैं, उसके संबंध में विधायकों की कोई समिति बनायेंगे ?
श्री सूर्यप्रकाश मीना- माननीय अध्यक्ष महोदय, सूची यदि नहीं है तो हम उपलब्ध करा देंगे और उसके बाद माननीय विधायक जी यदि बतायें कि सूची की जांच करवानी है तो हम भोपाल से टीम भेज कर, जहां भी गड़बड़ी हुई होगी, उसकी जांच करवा लेंगे. चिन्हित दुकानों से सामान खरीदने के विषय में मैं कहना चाहूंगा कि मेरे विभाग ने अधिकांश योजनाओं में डी.बी.टी. लागू कर दी है. किसानों के ऑनलाईन आवेदन करने पर सब्सिडी सीधे उनके खातों में चली जायेगी, इसलिए अब खरीदी में कहीं किसी गड़बड़ी की गुंजाईश नहीं है.
श्री शंकर लाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पुन: कहना चाहता हूं कि जब तक चिन्हित दुकानों की बाध्यता समाप्त नहीं की जायेगी, फिर चाहे किसान ऑनलाईन या ऑफलाईन चाहे जैसे क्रय करें, उन्हें सब्सिडी का लाभ प्राप्त नहीं होगा. किसान चिन्हित दुकानों से सामग्री क्रय करने को बाध्य हैं. ये दुकानें रेट अधिक रखती हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि मंत्री जी ने अपने उत्तर में बताया है कि उद्यानिकी विभाग की योजनाओं के प्रचार-प्रसार हेतु पोस्टर, मेला प्रदर्शनी, पेम्प्लेटों का वितरण किया गया है. मैं कहना चाहता हूं कि इन सभी कार्यकलापों का सत्यापन अधिकारी-कर्मचारी आपस में ही कर लेते हैं इसलिए मैं कह रहा हूं कि भोपाल से अधिकारी भेजकर इसका सत्यापन करवाया जाए ताकि सत्यता सामने आ सके. जांच के पश्चात् ही यह तय हो पाएगा कि धरातल पर योजनाएं कितनी पहुंच पाई हैं.
श्री सूर्यप्रकाश मीना- अध्यक्ष महोदय, चिन्हित दुकानों के विषय में मैं कहना चाहता हूं कि यह सिस्टम अब बंद हो चुका है. डी.बी.टी. योजना के माध्यम से सब्सिडी की राशि सीधे किसानों के खातों में जायेगी.
श्री शंकर लाल तिवारी- मंत्री जी, आप सदन में घोषणा करें कि किसान चिन्हित दुकानों से सामग्री क्रय करने को बाध्य नहीं है. वह किसी भी दुकान से खरीदी करेगा तो भी उसे सब्सिडी का लाभ मिलेगा और क्या आप विधायकों को समिति में रखेंगे.
श्री सूर्यप्रकाश मीना- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान स्वतंत्र है, वह जहां से चाहे खरीदी कर सकता है. विधायकों को समिति में रखने के विषय पर हम विचार कर लेंगे.
गृह निर्माण संस्थाओं का ऑडिट
[सहकारिता]
5. ( *क्र. 2446 ) श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य) : क्या राज्यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इन्दौर जिले की गृह निर्माण संस्थाओं के ऑडिट सहकारिता विभाग द्वारा किये जाते हैं? यदि हाँ, तो पिछले तीन वर्षों में सहकारिता विभाग द्वारा कितनी गृह निर्माण संस्थाओं के ऑडिट कार्य किये जाने थे? उनमें से कितने गृह निर्माण संस्थाओं के ऑडिट कार्य विभाग द्वारा किये गए हैं और कितनों के नहीं? संख्या स्पष्ट करें। संस्थाओं के ऑडिट नहीं होने का क्या कारण हैं? (ख) क्या जिन गृह निर्माण संस्थाओं द्वारा ऑडिट नहीं कराया गया है, उन पर नियमानुसार विभाग द्वारा कार्यवाही की जाती है? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? (ग) विभाग द्वारा कब तक शेष गृह निर्माण संस्थाओं का ऑडिट कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा?
राज्यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी हाँ। पिछले तीन वर्ष क्रमशः 2012-13, 2013-14 एवं 2014-15 में विभाग द्वारा 868 गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के अंकेक्षण किये जाने थे, जिसमें से वर्षवार क्रमशः 471, 436 एवं 375 संस्थाओं के अंकेक्षण किये गये एवं क्रमशः 397, 432 एवं 493 संस्थाओं का अंकेक्षण कराया जाना शेष है। अंकेक्षण हेतु शेष गृह निर्माण संस्थाओं के अंकेक्षण न होने के प्रमुख कारण संस्थाओं का पंजीकृत पते पर न होना, अकार्यशील होना एवं संस्था का रिकॉर्ड प्राप्त नहीं होना है। (ख) जी हाँ। प्रश्नांकित अवधि में अंकेक्षण न कराने वाली गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के विरूद्ध निम्नानुसार कार्यवाही की गई है :- (1.) अधिनियम की धारा 56 (3) के अंतर्गत 416 गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किये गये। (2.) 25 गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष को अध्यक्ष पद से निरर्हित किया। (3.) 86 गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं को धारा 57 के अंतर्गत रिकॉर्ड जप्ती के आदेश किये गये। (4.) धारा 32 (5) के अंतर्गत 58 गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं को सूचना पत्र जारी किये गये। (5.) 208 गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं को परिसमापन में लाने हेतु कारण बताओ सूचना पत्र जारी किये गये हैं। साथ ही अंकेक्षण नहीं कराने वाली संस्थाओं पर अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत कार्यवाही किए जाने के निर्देश भी दिये गये हैं। (ग) संस्थाओं के अभिलेख प्राप्त होने के उपरांत यथाशीघ्र।
श्री सुदर्शन गुप्ता- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि 868 गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं के अंकेक्षण किए जाने थे, जिसमें से पिछले तीन वर्षों में क्रमश: 397, 432 एवं 493 संस्थाओं का अंकेक्षण किया जाना शेष है. माननीय मंत्री जी ने अपने उत्तर के बिंदु (क) में यह भी स्वीकार किया है कि अंकेक्षण न होने का प्रमुख कारण संस्थाओं का पंजीकृत पते पर न होना, अकार्यशील होना एवं संस्था का रिकॉर्ड प्राप्त नहीं होना है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर मामला है कि संस्थाओं ने जो पते दिए हुए हैं वे संस्थाएँ उस पते से गायब हैं तो ऐसी संस्थाओं के पदाधिकारी और अध्यक्ष के ऊपर तो आपराधिक प्रकरण कायम होना चाहिए, चार सौ बीसी का प्रकरण कायम होना चाहिए. मैं माननीय मंत्री जी से यह भी पूछना चाहता हूँ कि ऐसे आपराधिक प्रकरण वाले जो लोग हैं उनके खिलाफ कोई कार्यवाही करेंगे, जो अपनी संस्थाओं के पते पर ही मौजूद नहीं हैं और उसी के साथ-साथ इन्होंने कहा कि हमने सूचना पत्र जारी किए हैं, जब संस्थाएं पते पर हैं ही नहीं तो जो सूचना पत्र जारी किए हैं उन सूचना पत्रों का उपयोग क्या होगा?
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी ने जो प्रश्न किया है, उसमें विगत दिनों हमने ऐसे प्रकरणों में तेरह एफआईआर दर्ज करवाई हैं और यह बात सही है कि ऑडिट नहीं कराने के लिए बहुत सारी हाउसिंग सोसायटीज़ ऐसे सेफ पैसेज अपनाती हैं जहाँ पर कार्यालय का पता ठीक नहीं रहता, पदाधिकारी गायब हो जाते हैं और सोसायटी का कार्यालय भी नहीं रहता, साथ ही रिकार्ड भी उपलब्ध नहीं कराते, उसी के कारण ऑडिट होने में दिक्कत आ रही है पर मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहता हूँ कि पूरे प्रदेश की हाउसिंग सोसायटीज़ में हमने बहुत तेजी से ऑडिट की व्यवस्था की है और उसको लेकर हमने विगत तीन महीनों से एक प्रॉपर कार्यवाही करके एक अभियान चलाया उसके तहत, अभी करीब एक महीना शेष है, इस वित्तीय वर्ष को खत्म होने में, अभी तक हमारा अस्सी प्रतिशत ऑडिट हो चुका है और यदि तीन महीने की मैं प्रोग्रेस बताऊँ तो इन्दौर में ही, अक्टूबर 2016 में केवल चौबीस प्रतिशत संस्थाओं का ऑडिट हुआ था और आज तारीख तक लगभग साठ प्रतिशत संस्थाओं का हमने ऑडिट करा लिया है और हम ऐसे प्रयास करेंगे कि अगले डेढ़ से दो महीनों में हम पूरी तरह से ऑडिट खत्म कर दें. जहाँ तक विधायक जी ने एफआईआर दर्ज करने का कहा है तो इसकी हम पूरी व्यवस्था कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को यह भी बताना चाहता हूँ कि ऐसे पूरे प्रकरण में माननीय मुख्यमंत्री जी का भी निर्देश है, हाउसिंग सोसायटीज़ में जहाँ भी गड़बड़ी हैं उनको एड्रेस करने के लिए, पीड़ित को प्लाट दिलाने के लिए, यदि जरुरत पड़ेगी तो विधि विभाग से हम संपर्क करके एक्ट में भी थोड़ी और सख्ती के साथ, ऐसे सब प्रकरणों का निराकरण करेंगे.
श्री सुदर्शन गुप्ता-- मंत्री जी, क्या इसके लिए समय सीमा बता देंगे, आपराधिक प्रकरण कब तक कायम करेंगें, अभी सत्रह पर किए हैं बाकी लगभग चार सौ से ज्यादा और बचे हैं.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा, चूँकि यह ऑडिट की कार्यवाही चल रही है. यह जैसे ही कार्यवाही पूरी हो जाएगी और जहाँ पर भी गड़बड़ी होगी उसमें हम एफआईआर दर्ज कराएँगे.
श्री सुदर्शन गुप्ता-- मंत्री जी, धन्यवाद.
अमलाई से अनूपपुर तक सी.सी. रोड का निर्माण
[लोक निर्माण]
6. ( *क्र. 409 ) श्री रामलाल रौतेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा दिनांक 06/08/2016 को जिला अनूपपुर प्रवास के दौरान अमलाई से अनूपपुर (वाया चचाई) तक सी.सी. रोड निर्माण कराये जाने की घोषणा की गई थी? यदि हाँ, तो माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा की गई घोषणा के क्रियान्वयन में अभी तक क्या कार्यवाही की गई? (ख) प्रश्नांकित मार्ग के निर्माण में कितनी राशि व्यय होगी? (ग) प्रश्नांकित मार्ग का निर्माण कार्य कब से प्रारंभ किया जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। रूपये 49.85 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति जारी। निविदा कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ख) निविदा स्वीकृति के पश्चात् ही बताना संभव होगा। (ग) निश्चित तिथि बताना संभव नहीं।
श्री रामलाल रौतेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न अनूपपुर जिला मुख्यालय से संभाग मुख्यालय शहडोल को जोड़ने का महत्वपूर्ण सड़क के विषय का था. मैं माननीय मुख्यमंत्री और माननीय लोक निर्माण मंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूँ. जिन्होंने अभी तत्काल 49.85 करोड़ की स्वीकृति प्रदान की है. मैं आपके माध्यम से सरकार को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि क्या यह सड़क बरसात के पहले प्रारंभ हो सकती है?
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रथम निविदा आमंत्रण में कोई निविदा प्राप्त नहीं हुई है. द्वितीय निविदा आमंत्रण की कार्यवाही की जा रही है. जैसे ही एजेन्सी नियुक्त होगी, जल्दी हम इस सड़क को बनवाएँगे, महत्वपूर्ण सड़क है और इसकी स्वीकृति दी गई है. अध्यक्ष महोदय, माननीय रामलाल रौतेल जी को हम विश्वास दिला रहे हैं कि जल्दी इस सड़क का कार्य कराएँगे.
श्री रामलाल रौतेल-- अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में लगभग तीन या चार सड़कों की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई है. जिसकी निविदा दो बार, तीन बार, लगातार, लगाई जा रही हैं लेकिन आज तक वह कार्य प्रारंभ नहीं हो सका. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूँगा कि क्या तत्काल उसकी, दो, तीन, सड़कें और हैं, चूँकि इससे संबद्ध नहीं हैं लेकिन मैं अनुरोध करना चाहता हूँ कि दो, तीन, सड़कें और हैं क्या उनके कार्य अविलंब प्रारंभ कराएँगे?
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय विधायक जी की चिंता वाजिब है हम प्रयास करेंगे कि जल्दी से जल्दी इनके कार्य प्रारंभ हों.
श्री रामलाल रौतेल-- बहुत-बहुत धन्यवाद.
मुख्यमार्गों के चौड़ीकरण हेतु अधिगृहीत की गई भूमि का सीमांकन
[लोक निर्माण]
7. ( *क्र. 2369 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा जिलान्तर्गत एम.पी.आर.डी.सी. के तहत मार्गों के चौड़ीकरण अंतर्गत टू-लेन एवं फोर-लेन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, उसमें किसानों से सड़क के दोनों ओर की भूमि का अर्जन किया गया है? क्या अधिगृहीत भूमि का मुआवजा किसानों को प्रदाय किया जा चुका है? यदि हाँ, तो अधिगृहीत भूमि को किसानों के खसरे से काटा क्यों नहीं गया है? (ख) उक्त निर्माणाधीन मार्गों के दोनों ओर अधिगृहीत की गई भूमि की सीमा चिन्हांकन हेतु क्या कार्यवाही की गई है? (ग) क्या उक्त अर्जित भूमियों का सीमांकन कार्य किया जा चुका है? यदि नहीं, तो उक्त कार्यवाही की सीमा विभाग द्वारा क्या निर्धारित की गई है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। मुआवजा वितरण कार्य प्रगति पर है। तरमीम करने की कार्यवाही की जा रही है। राजस्व अधिकारियों से समन्वय कर खसरे में राज्य शासन का नाम दर्ज करवाने की कार्यवाही की जा रही है। (ख) पूर्ण मार्गों की सीमा रेखा पर सीमा रेखा पत्थर लगाये गये हैं। (ग) अर्जन की प्रक्रिया के दौरान सीमांकन के उपबंध हैं। निर्माण कार्य पूर्ण होने पर सीमा रेखा पर पत्थर लगाए जाने का प्रावधान है।
श्री दिव्यराज सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हॅूं कि हमारे विधानसभा से निकलने वाली सड़क जदुआ से चाघट मार्ग की आपके समय में स्वीकृति हो गई और उसमें काम बहुत तेजी से चल रहा है. मैं माननीय मंत्री जी के उत्तर से संतुष्ट हॅूं पर मैं एक मांग इसमें रखना चाहता हॅूं कि सबसे पहले तो इसी मार्ग पर त्योंथर गांव में यह सड़क बहुत ही संकरी हो गई है. वहां पर सीमांकन की प्रकिया जल्द से जल्द करा दी जाए क्योंकि जो संकरी सड़क है उसमें अभी एक ही गाड़ी मुश्किल से निकल पा रही है तो उसको चौड़ीकरण के लिए भी उसमें भी दिखवा दिया जाए.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सीमांकन का कार्य कराने के लिए हम लोग वहां के संबंधित जिलाधीश से, राजस्व विभाग के अमले से चर्चा कर रहे हैं और तुरंत जल्द-से-जल्द सीमांकन हो, रिकार्ड में भी किसानों के जो नाम हैं शासकीय रिकार्ड में आ जाए, उसकी कार्यवाही जल्दी से जल्दी कराएंगे.
श्री दिव्यराज सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक और बात रखना चाहता हॅूं कि इन मार्गों पर जब चौड़ीकरण हुआ तो वहां के कई हैण्डपम्प उखाड़ दिए गए. इसलिए मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हॅूं कि बहुत जल्दी गर्मी आ रही है तो जो हैण्डपम्प उखाडे़ गए थे और यह विभाग का ही दायित्व है कि उन हैण्डपम्पों को वापस लगवाना है तो मार्च के ही महीने में हैण्डपम्प जल्द से जल्द लगवा दिया जाए तो बहुत कृपा होगी.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी बहुत अच्छी बात की चिन्ता कर रहे हैं. पी.एच.ई. विभाग को हम जल्दी ही राशि देंगे और कहेंगे कि जल्दी से जल्दी वहां पर जो हैण्डपम्प हैं उनका खनन कराएं.
श्री दिव्यराज सिंह -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
8. ( *क्र. 2093 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत इछावर विधानसभा क्षेत्र के किसानों का बीमा चालू वित्तीय वर्ष में किया गया है? यदि हाँ, तो कितने किसानों का बीमा किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कितने किसानों की कितनी भूमि बीमित की गई? बीमा प्रीमियम की राशि का निर्धारण कैसे, किस दर पर किया गया है, बीमा करने वाली कम्पनी ऐजेन्सी कौन है? (ग) इछावर विधानसभा क्षेत्र में किस-किस वित्तीय संस्था या बैंकों द्वारा फसल बीमा किया गया, बैंक या संस्थावार किसानों की संख्या, बीमित राशि व वसूली गई प्रीमियम राशि का ब्यौरा दें। (घ) क्या जनवरी माह में इछावर विधानसभा क्षेत्र में ओला व पाला से फसलें खराब हुई हैं? यदि हाँ, तो किन-किन ग्रामों में कितने किसानों की कितनी फसलों का नुकसान हुआ है? ब्यौरा दें। क्या प्रभावित किसानों को फसल बीमा का लाभ मिलेगा?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) :
श्री शैलेन्द्र पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से जो प्रश्न पूछा था, प्रश्न (ख) के अनुसार कितने किसानों की कितनी भूमि बीमित की गई ? बीमा प्रीमियम की राशि का निर्धारण कैसे, किस दर पर किया गया है, और कौन-कौन सी एजेंसी है ? उत्तर में एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी का उन्होंने हवाला दिया है और जो उत्तर है मुझे जानकर आश्चर्य हुआ कि परिशिष्ट में जो उत्तर मिला कि भोपाल के न जाने कौन-कौन से बैंकों ने एक्सिस बैंक भोपाल, बैंक ऑफ इंडिया रातीबड़ और भोपाल और न जाने भोपाल के किन-किन बैंकों ने जाकर इछावर का फसल बीमा किया जिससे राशि का मिलना बड़ा संदिग्ध लग रहा है. मेरा प्रश्न माननीय मंत्री जी से यह है कि क्या नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत बोवनी के उपरांत अगर प्राकृतिक आपदा आती है और फसल खराब हो जाती है तो क्या उसमें बीमित किसानों को राशि देने का प्रावधान है ?
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का प्रश्न बहुत सामयिक है और मैं तो यह चाहता हॅूं कि यह इतना विस्तृत प्रश्न है कि इसके संदर्भ में मैं आसंदी से व्यवस्था चाहूंगा कि हमारे सदन के इस सत्र के मध्य ही कोई तिथि आप निर्धारित करें जिससे माननीय सदस्यों के साथ, हमारे विभाग के अधिकारी, मैं स्वयं उनके मन में जितने प्रश्न हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अत्यंत महत्वपूर्ण योजना है, इसे हम अच्छे से आमजन तक पहुंचा सकें. जहां तक नुकसानी का प्रश्न है मैंने अभी संशोधित उत्तर दिया है. उसमें बताया है कि प्रथम दृष्ट्या थ्रेशहोल्ड उपज के 50 परसेंट से भी कम आने की संभावना होने पर इसमें 25 प्रतिशत का अग्रिम भुगतान किये जाने का प्रावधान है लेकिन अभी रबी में वर्ष 2016-17 में दिनांक 11, 12 व 13 जनवरी 2017 को तेज ठंड के कारण गेहूं, चना, मसूर, धनिया एवं सब्जियों पर शीत लहर का जो असर दिखा, वह 25 परसेंट से कम था और इसलिए इनको लाभ देने की स्थिति नहीं बन सकी.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न था, माननीय मंत्री जी उसकी गंभीरता समझ रहे हैं और इस प्रश्न के माध्यम से मैं आपका भी ध्यान आकर्षित करना चाहता हॅूं. असल में नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में यह प्रावधान है कि अगर कोई किसान बोवनी करता है, बारिश हो जाती है, फसल खराब हो जाती है तो उसको बीमा राशि मिलेगी लेकिन सीहोर जिले के एक भी किसान को सोयाबीन फसल का एक भी लाभ नहीं मिल पाया. दूसरी बात यह है कि नदी-नालों के किनारों के कारण पिछले वर्ष सोयाबीन की फसल के दौरान नदी-नाले उफान पर थे. उनके किनारे की फसलें खराब हुईं और मात्र 660 किसानों का सर्वे 3 पटवारी हल्के में किया गया और उनके केसेस बन रहे हैं. जबकि कोई भी गांव ऐसा नहीं है जहां पर नदी-नाले नहीं होते हैं और नदी-नालों के किनारे की फसल खराब नहीं होती है.एक बात और मैं कहना चाह रहा हूं कि एक विडम्बना यह भी देखने में आई है कि एक गाँव है और किसान को राशि अलग-अलग मिल रही है. सर्वे पटवारी हल्का और पंचायत के हिसाब से होता है लेकिन अलग-अलग बैंक में अगर उन्होंने अपनी फसल का बीमा करवाया है तो अलग-अलग बैंक से उनको अलग-अलग राशि मिलती है. ना जाने कौन सा फार्मूला या मैकेनिज्म है अभी तक कोई भी उसको नहीं बता पा रहा है कि ऐसा क्यों होता है. मैं मंत्री जी से चाहता हूं कि वह जवाब दें और इसके बारे में स्पष्टता मध्यप्रदेश के अंदर हो कि नई फसल बीमा योजना कैसे लागू हो और कैसे किसानों को फायदा मिले.
श्री गौरीशंकर बिसेन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पुनः आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि इतना विस्तृत विषय है और इसके संदर्भ में इस प्रश्न में उत्तर देना मुझे लगता है कि मेरे लिये भी इस समय उचित नहीं होगा और मैं समझाने की स्थिति में नहीं रहूंगा. हालांकि हम सारे बिंदुओं को क्लियर करना चाहते हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बहुत स्पष्ट है कहीं कोई भ्रम की स्थिति नहीं है, हमको उसके अंदर, तह में जाने की आवश्यकता है. जहाँ तक सर्वे का सवाल है तो मैं कहना चाहता हूं कि फसल के बोने के बाद यदि फसल के अंकुरण के समय या हार्वेस्टिंग के समय 15 दिन के अंदर नदी-नाले के किनारे उफान आने की स्थिति में फसल 50 प्रतिशत से अधिक प्रभावित होती है,ऐसी स्थिति में अनुमानित उस समय में 25 परसेंट टोटल जो उसका स्केल ऑफ फायनेंस, जिसको कह सकते हैं, उसका पैसा देने का उसमें प्रावधान है.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अंत में एक छोटी-सी बात है कि पिछले सत्र में मैंने खुद अपने क्षेत्र के किसानो को एसएमएस करके कहा था कि जो आपकी फसल खराब हुई है उसकी आप फोटो खींच लीजिये और लगभग 25 प्रतिशत किसानों की नदी-नाले के किनारे फसल खराब हुई थी लेकिन उनको फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिला था. चूंकि मेरा प्रश्न यही था कि कितनों को लाभ मिला? लेकिन एक भी किसान को वह लाभ नहीं मिला था और बोनी के बाद लगभग 7 प्रतिशत किसानों की इछावर विधानसभा में फसल खराब हुई थी. मेरा यही आग्रह है कि यह लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है सरकार इसमें नाकामयाब हो रही है. आसंदी से इसके लिए व्यवस्था दी जाये ताकि किसानों के हित के बारे जब बात की जाती है तो वास्तविक हित किसानों को प्राप्त हो सके.
श्री गौरीशंकर बिसेन-- यह कहना उचित नहीं है कि सरकार इसमें असफल हो रही है. मैं एक-एक उत्तर देने के लिए तैयार हूं मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि दतिया जिले में 9 करोड़ रुपये हमने बाँटे हैं...(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र पटेल-- लेकिन एक भी उत्तर तो आपने नहीं दिया है..(व्यवधान)..एक भी किसान को फायदा नहीं मिला है.
अध्यक्ष महोदय-- (कई माननीय सदस्यों के एक साथ बोलने पर)-- कृपया आप सब बैठ जाएं.
श्री जितू पटवारी-- एक भी किसान को पैसा नहीं मिला..
श्री गौरीशंकर बिसेन-- पहली बार इतना पैसा बाँटा है, इन्होंने तो कभी किसानों को कुछ दिया नहीं है..(व्यवधान)... यह देश के प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना है और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने उसको दृढ़ता के साथ लागू किया है ...(व्यवधान).. इससे पूरे किसानों को लाभ मिलेगा. दतिया जिले में 9 करोड़ रुपये बाँटा है. इऩ्होंने तो कभी किसानों को दिया नहीं है.मैं पूछना चाहता हूं कि आपने क्या किया है.
अध्यक्ष महोदय-- आप सुनना चाहते हैं या नहीं..(व्यवधान).. आप बैठ जाएं. आप लोग उत्तर सुनना चाहते हैं या नही.मैं आगे बढ़ रहा हूं. प्रश्न क्रमांक 9 श्री हरवंश राठौर अपना प्रश्न करें.
श्री मुकेश नायक-- एक भी किसान को लाभ नहीं मिला है...(व्यवधान)..
श्री गौरीशंकर बिसेन-- 15 दिन के अंदर सूचना देना पड़ेगी.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- मंत्री जी, एक किसान को भी फायदा मिला हो तो नाम बता दीजिये.आप एक का नाम बता दीजिये.
श्री गौरीशंकर बिसेन-- अध्यक्ष महोदय, 9 करोड़ 63 लाख रुपये हमने दतिया में दिये हैं.आपने तो धेला नहीं दिया...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप आधे मिनट में बैठ जाइए नहीं तो मैं आगे बढ़ जाऊँगा...(व्यवधान)...आप लोग सुन तो रहे नहीं हैं. उत्तर आप सुनना नहीं चाहते हैं इतना महत्वपूर्ण विषय है. आप लोग बैठें, उत्तर सुन लें. डॉ.साहब , मुकेश जी आप लोग बैठ जाएं.
श्री मुकेश नायक--- प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत अगर किसान को भी सीहोर में बीमा की राशि मिली हो तो मंत्री जी नाम बता दें.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप बैठ जाएं, रिकार्ड में कुछ नहीं आएगा. प्रश्न क्रमांक 9 श्री हरवंश राठौर अपना प्रश्न करें...(व्यवधान)...आप तो अपना प्रश्न करिये. वह नहीं बैठेंगे. उनको किसी को उत्तर नहीं सुनना है.
श्री मुकेश नायक--(XXX)
श्री जितू पटवारी--(XXX)
डॉ. गोविंद सिंह--(XXX)
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है. दिक्कत यह है कि माननीय मंत्री महोदय ने कभी बयान दिया था.यह मुझे खुद समझ में नहीं आ रही है इसलिए थोड़ी दिक्कत हो रही है. कोई बयान दिया था मंत्री जी ने.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- हमें इस पर चर्चा करनी पड़ेगी, मैं सदन में कह रहा हूँ, जो मैंने वहाँ कहा था, यहाँ कह रहा हूँ और मैंने अध्यक्ष जी से व्यवस्था चाही है कि आप सभागार में हम सबको बुलाएं.
श्री अजय सिंह -- बिसेन साहब, पूरी बात तो सुन लें. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने खुद कहा कि इसमें पूरे प्रदेश की इतनी समस्याएं हैं कि मैं चर्चा करने के लिए तैयार हूँ. हमारा आपसे अनुरोध है और सत्ता पक्ष के विधायकों का भी अनुरोध होगा कि इस पर आधे घंटे की चर्चा करा लीजिए.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, चर्चा की आवश्यकता नहीं है, हम सभागार में माननीय सदस्यों के साथ बात करना चाहते हैं और आप जैसी चर्चा करना चाहें, हम तैयार हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, फसल बीमा योजना पर सदन जो चर्चा चाहे हम वह चर्चा करने को तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय -- बैठिए जैन साहब, हर्ष यादव जी बैठिए, सभी माननीय सदस्य बैठ जाएं, माननीय शैलेन्द्र पटेल जी के प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने सबसे पहले यही कहा कि इसी सत्र के दौरान एक कार्यशाला यहाँ रख ली जाए, जिसमें माननीय विधायक शामिल हों, क्योंकि प्रश्न में यह बात भी आई और माननीय सदस्य ने भी कहा कि यह जो योजना है, यह विस्तार से समझ में नहीं आती. इसके लिए माननीय मंत्री जी ने स्वयं कहा कि एक कार्यशाला सत्र के दौरान रख लें जिसमें योजना के बारे में बताया जाएगा और यदि कोई बात किसी को करना हो तो वे उसको समझने के लिए प्रश्न भी कर लें. मैं सोचता हूँ कि जो माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी ने कहा है वह विषय बाद में आता है, पहले वह कार्यशाला हो जाए, कार्यशाला हो जाने के बाद इस पर चर्चा रख सकते हैं, पर अभी उसका कोई औचित्य नहीं है. सभी माननीय सदस्य बैठ जाएं. अब श्री हरवंश राठौर अपना प्रश्न करें.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी ने खुद प्रस्ताव रखा है, अब नो क्वेशचंस. कोई क्वेशचन नहीं, बैठ जाइये.
सर्वेक्षित/सर्वेक्षणाधीन जलाशय योजना की स्वीकृति
[जल संसाधन]
9. ( *क्र. 2857 ) श्री हरवंश राठौर : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र बण्डा में कृषि भूमि में सिंचाई, पशुओं को पीने के पानी तथा जल स्तर की वृद्धि के लिए सेमरा रामचन्द्र जलाशय शाहगढ़, नीमोन जलाशय बंडा, महुआझोर जलाशय बंडा, तिन्सुआ जलाशय बंडा, नयाखेड़ा (गनेशगंज) स्टॉपडेम कम काजवे बंडा, मचनूघाट स्टॉपडेम कम काजवे बंडा, गूगराखुर्द (गहरानाला) बंडा, बूढ़ाखेरा वीयर कम काजवे बंडा, भड़राना वीयर बंडा, सेमरा दौलत वीयर बंडा, महादेव घाट बंडा, बुढ़ना नाला शाहगढ़ जलाशय, स्टॉप डेम बनाने के लिए विभाग द्वारा सर्वेक्षित/सर्वेक्षाणाधीन योजना तैयार कर शासन को साध्यता हेतु प्रेषित की गई थी? (ख) क्या सर्वेक्षित/सर्वेक्षणाधीन जलाशय योजना की स्वीकृति हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा भी माननीय मंत्री, जल संसाधन विभाग म.प्र. शासन भोपाल को अनुमोदन हेतु लेख किया गया था? उक्त योजना की वर्तमान में क्या प्रगति है? (ग) यदि कोई कार्यवाही प्रगतिरत है, तो अवगत करावें।
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) चिन्हित नई लघु सिंचाई परियोजनाओं को विभागीय वेबसाईट पर दर्ज कर उनकी साध्यता का परीक्षण किया जाना एक सतत् प्रक्रिया है। (ख) एवं (ग) बाबिर मटिया नहर विस्तार परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 20.10.2016 को रू. 182.34 लाख की सिंचाई क्षमता 310 हे. के लिए प्रदान की गई है। सेमरा रामचंद्र परियोजना की साध्यता स्वीकृति दिनांक 08.02.2017 को दी गई है। बाबिर मटिया नहर विस्तार परियोजना के लिए भू-अर्जन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
श्री हरवंश राठौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मेरी बण्डा विधान सभा के जलाशयों को लेकर है. मेरी विधान सभा में वर्ष 2014-15 और वर्ष 2015-16 में सेमरा रामचन्द्र, नीमोन, महुआझोर, तिन्सुआ, नयाखेड़ा, मचनूघाट, गूगराखुर्द, बूढ़ाखेरा, भड़राना, सेमरा दौलत, महादेव घाट, बुढ़ना नाला, यहाँ के सर्वे हो चुके हैं, डी.पी.आर. बन चुके हैं लेकिन अभी तक इन जलाशयों की प्रशासकीय स्वीकृति नहीं मिली है, क्या माननीय मंत्री महोदय जी ये जलाशय स्वीकृत करेंगे ताकि किसानों को पानी मिल सके और पशुओं के लिए भी पानी की व्यवस्था हो सके.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य ने जिन बाँधों का उल्लेख किया है हम इनकी पूरी की पूरी प्रक्रिया को एक महीने में पुन: प्रारंभ कर देंगे.
श्री हरवंश राठौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रक्रिया की बात नहीं है, इनकी स्वीकृति हो जाए, इनके डी.पी.आर. बन चुके हैं, ये वर्ष 2014-15 और वर्ष 2015-16 के हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भी इसमें अति उत्तम होगा, वह हम करेंगे, जो स्वीकृति वाले होंगे, उन्हें हम स्वीकृत भी करेंगे.
श्री हरवंश राठौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को धन्यवाद.
विकासखण्ड मुख्यालय सीतामऊ पर नवीन विश्राम गृह का निर्माण
[लोक निर्माण]
10. ( *क्र. 2874 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीतामऊ विकासखण्ड मुख्यालय पर विभाग द्वारा रेस्ट हाऊस कौन से वर्ष से संचालित किया जा रहा है तथा वर्तमान समय में किस स्थिति में है? (ख) विभाग द्वारा सीतामऊ मुख्यालय पर विश्राम गृह भवन उपलब्ध नहीं होने से अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के अल्प विश्राम या रात्रि विश्राम के लिए क्या व्यवस्था की गई है? (ग) विभाग द्वारा सीतामऊ में नवीन विश्राम गृह निर्माण हेतु अभी तक क्या कार्यवाही की गई है? (घ) राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध नटनागर शोध संस्थान एवं सीतामऊ विकासखण्ड मुख्यालय में नवीन विश्राम गृह भवन हेतु राशि कब तक स्वीकृत की जावेगी, जिससे मुख्यालय पर विश्राम गृह का निर्माण हो सके?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) रेस्ट हाऊस सीतामऊ द्वारा निर्मित तथा मध्य प्रदेश राज्य के गठन दिनांक 11/11/1956 से विभाग द्वारा संचालित। भवन जर्जर एवं जीर्ण-शीर्ण होने से दिनांक 01/05/2006 से अनुपयोगी घोषित। (ख) वर्तमान में विभाग द्वारा कोई व्यवस्था नहीं। (ग) अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। (घ) उत्तर (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री हरदीप सिंह डंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सीतामऊ हमारी विधान सभा का सबसे बड़ा कस्बा है, शहर है, इस विकासखण्ड में 107 पंचायतें हैं, वहाँ पर एस.डी.एम. कार्यालय है, वहाँ पर तहसील कार्यालय है और सबसे बड़ी बात यह है कि वहाँ पर नटनागर शोध संस्थान है जो कि एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है. वहाँ पर देश-विदेश के लोग शोध करने के लिए आते हैं. मैं चाहता हूँ कि वहाँ पर एक विश्राम-गृह बनाया जाए जो कि वहाँ नहीं है, वहाँ पर अधिकारी आते हैं, जनप्रतिनिधि आते हैं, अत: वहाँ पर एक विश्राम-गृह की अति आवश्यकता है. मुझे विश्वास है कि मंत्री इसी हाऊस में विश्राम-गृह की घोषणा करेंगे ताकि यह सुविधा मिल सके.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी की चिंता जायज है. अभी वहाँ पर एक पुराना रेस्ट-हाऊस है हम अधिकारियों को निर्देशित कर रहे हैं कि वे उसका परीक्षण करें, अगर उसको ठीक कर सकते हैं तो उसे ही तैयार करके अच्छा बना सकते हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग -- आपके डिपार्टमेंट ने उत्तर दे दिया है कि वह अनुपयोगी है.
अध्यक्ष महोदय -- आप उत्तर तो लीजिए. पूरा उत्तर तो सुन लें.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी की जो चिंता है, पहले उसका परीक्षण करा लेते हैं और अधिकारियों को कह रहे हैं कि इसका नया प्रस्ताव भी बनाकर लाएं और उस पर हम तुरंत कार्यवाही करेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, जो उत्तर आया है उसमें विभाग ने लिख रखा है कि वर्ष 2006 में अनुपयोगी घोषित हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय -- वे परीक्षण करवा रहे हैं ना.
श्री रामपाल सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग ने लिखा है, विभाग कह भी रहा है आपको.
श्री हरदीप सिंह डंग :- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर आ चुका है. आप प्रश्न के उत्तर ''ग'' में देखें, उत्तर आ चुका है
श्री रामपाल सिंह :- उत्तर आ चुका है लेकिन मैं भी तो उत्तर दे रहा हूँ. उत्तर बदल भी सकते हैं, यह उनका अधिकार है उसको हम रोक नहीं सकते, लेकिन हम गंभीरता से लेंगे. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने भी कहा है.
श्री अजय सिंह :- मंत्री जी, आज गंभीरता से मत लो, आज स्वीकृत कर दो.
बधाई
माननीय सदस्य श्री हरदीप सिंह डंग के जन्मदिन की बधाई
श्री रामपाल सिंह :- कल माननीय विधायक जी भी मिले थे, कोई कह रहा था कि आज इनका जन्मदिन भी है. मैं इनको जन्मदिन की बधाई देता हूं.
अध्यक्ष महोदय :- माननीय विधायक जी आपको जन्मदिन की बधाई एवं शुभकामनाएं.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
श्री हरदीप सिंह डंग :- माननीय मंत्री जी आप घोषणा कर दें.
अध्यक्ष महोदय :- माननीय मंत्री जी ने कहा है कि परीक्षण कर रहे हैं, परीक्षण करने के बाद निर्णय करेंगे.
श्री रामपाल सिंह :- अध्यक्ष जी, बता दिया आपको बधाई भी दे दी, जी अध्यक्ष जी कराएंगे
अध्यक्ष महोदय :- कराएंगे बोल दिया है, उन्होंने.
श्री हरदीप सिंह डंग :- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
मुख्यमंत्री की घोषणाओं का क्रियान्वयन
[लोक निर्माण]
11. ( *क्र. 1348 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री द्वारा राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्रवास के दौरान माह दिसम्बर 2013 से माह दिसम्बर 2016 तक की अवधि में लोक निर्माण विभाग से संबंधित की गई घोषणाओं में से कौन-कौन सी घोषणाएं मुख्यमंत्री कार्यालय में दर्ज हैं? (ख) उक्त दर्ज घोषणाओं में से कौन-कौन सी घोषणाओं पर अक्षरश: क्रियान्वयन किया गया? (ग) उक्त किन-किन घोषणाओं पर क्रियान्वयन किन कारणों से नहीं किया जा सका है? घोषणावार जानकारी दें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’, ‘अ-1’ एवं ‘अ-2’ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ-1’, ‘अ-2’ एवं ‘ब’ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ-1’, ‘अ-2’ एवं ‘स’ अनुसार है।
डॉ. गोविन्द सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय,(XXX).
अध्यक्ष महोदय :- यह कार्यवाही से निकाल दें.
डॉ गोविन्द सिंह :- इन्होंने जो भी पहले घोषणा की है उनका एक का भी पालन नहीं हुआ है.
श्री मुकेश नायक :- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रिंसिपल सेक्रेटरी माननीय मंत्री जी का फोन ही नहीं उठाता है.
डॉ गोविन्द सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से पूछा था कि मुख्यमंत्री जी ने तीन वर्ष 2014, 2015 एवं 2016 में कितनी घोषणाएं की हैं, तो इममें 430 घोषणाएं आयी हैं, इसके उत्तर में आया है. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि इन घोषणाओं में से सीहोर जिले की कितनी हैं और भिण्ड जिले की अभी दिसम्बर में घोषणाएं हुई हैं, जिसका आपने इसमें उल्लेख किया है तो वह कौन सी विधान सभा क्षेत्र में हैं तथा इसके साथ-साथ विदिशा जिले में की गई घोषणाएं है. सीहोर, भिण्ड और विदिशा जिले की घोषणाओं की संख्या बता दें आप, सीहोर का बता दें कितनी घोषणा है.
श्री रामपाल सिंह :- सबसे पहले तो मैं डॉक्टर साहब को इसलिए धन्यवाद दे रहा हूं कि वह हमारे मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं की भी आप चिन्ता कर रहे हैं. वैसे हमने आपको टोटल जानकारी दे दी है. आपको पूरी सूची उपलब्ध करा दी है, उसका आप गहन अध्ययन कर लें. यदि उसमें कोई रह गयी हो और आप उसकी जानकारी मांगेंगे तो मैं आपको दे दूंगा. दूसरा नायक जी बीच में कुछ बोल रहे थे, यदि आपसे अलग से चर्चा हो जाये तो अच्छा रहेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने कहा कि आप पढ़ लेना, हमने पढ़ लिया. लेकिन मैं मुख्यमंत्री जी की चिन्ता नहीं कर रहा.मैं मुख्यमंत्री जी का कारनामा प्रदेश की सवा सात करोड़ जनता के सामने उजागर कर रहा हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, 112 घोषणाएं केवल सीहोर जिले की हैं और मध्यप्रदेश में जहां-जहां उप चुनाव हुए हैं, उन्हीं उप चुनाव की घोषणाएं हैं और उनमें भी केवल 20 में पूर्ण हुई हैं बाकी अपूर्ण हैं, विदिशा जिले में मुख्यमंत्री जी का और आपका केवल यही कर्तव्य बनता है कि आप केवल दो जिलों तक ही सीमित रहो. मैं जानना चाहता हूं कि क्या आपका बजट प्रदेश के केवल दो-तीन जिले तक ही सीमित है या प्रदेश के सभी जिलों को उसका हक मिलेगा.
डॉ. रामपाल सिंह :- डॉक्टर साहब आपने कभी ''अपना मध्यप्रदेश है'' कभी इस धुन को सुना है '' प्यारा मध्यप्रदेश है, अपना मध्यप्रदेश है'' जहां तक कामों को सवाल है.
श्री गोविन्द सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो भी कहा है उसका कभी पालन नहीं हुआ है. मैं आपसे जानना चाहता हूं कि लहार विधानसभा आपको लहार विधान सभा क्षेत्र के आपको जो काम दिये थे, क्या आप उसको पूरा करेंगे ?
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हम लोग विधायक थे तब डॉक्टर गोविंद सिंह जी मंत्री थे, वह इसी तरह से करते थे, काम नहीं करते थे, लेकिन आश्वासन देते थे.
डॉ गोविन्द सिंह -- मैंने एक भी काम नहीं रोका है आप देख लें उठाकर. लेकिन आपने एक भी नहीं किया है, आपने जो काम दिया होगा हमारे कार्यकाल में हमने एक भी नहीं रोका है. आप अपने 13 वर्ष के कार्यकाल में एक काम बता दें. एक भी सिंगल काम बता दें.
श्री शंकरलाल तिवारी -- डॉक्टर गोविन्द सिंह जी जब भी किसी से पूछते हैं तो ऐसा लगता है कि किसी को डांट रहे हैं.
श्री रामपाल सिंह -- आपके यहां पर क्या क्या कर रहे हैं आपको जानकर ताज्जुब होगा, आप गोपालपुरा चले जाइये सीधे आपको यूपी से जोड़ रहे हैं, चंबल हाइवे की आपने चर्चा सुनी होगी जो आप कल्पना नहीं कर सकते हैं वह काम सरकार कर रही है.
डॉ गोविन्द सिंह -- चंबल से हमारा विधान सभा क्षेत्र नहीं जुड़ता है.
श्री रामपाल सिंह -- आपसे चार गुना ज्यादा आपके विधान सभा क्षेत्र के बारे में सोच रहे हैं, रेल लाइन की आपने कल्पना नहीं की थी ऐसे अद्भुत काम हमारी सरकार कर रही है, आप कह रहे हैं कि हम इस तरह की बात कर रहे हैं. आप जो कल्पना नहीं कर रहे हैं वह काम हम भिण्ड जिले में कर रहे हैं.
डॉ गोविन्द सिंह -- मेरे विधान सभा क्षेत्र के प्रस्तावों पर कब तक अमल करेंगे यह बता दें.
श्री रामपाल सिंह -- आपका प्रश्न माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा का है लेकिन आप कह रहे हैं तो इसको भी गंभीरता से लेंगे, और आप बतायेंगे उस पर बहुत गंभीरता से विचार करेंगे.
रेलवे कोच वर्कशाप में गैस पीड़ितों को रोजगार
[भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास]
12. ( *क्र. 3361 ) श्री आरिफ अकील : क्या राज्यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भोपाल स्थित रेलवे कोच वर्कशाप में 50 प्रतिशत रोजगार गैस पीड़ितों को दिए जाने का तयशुदा नियम है? यदि हाँ, तो वर्तमान में वर्कशॉप में कुल कितने कर्मचारी कार्यरत हैं और उनमें से कितने गैस पीड़ित कार्यरत हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2004 से प्रश्न दिनांक की स्थिति में किस-किस वर्ष में कितने गैस पीड़ितों को रोजगार उपलब्ध कराया गया? उनके नाम व पते सहित बतावें। (ग) क्या लापरवाही के चलते विगत 05 वर्षों से गैस पीड़ितों को रेलवे कोच वर्कशॉप में रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया है? यदि नहीं, तो जाँच कर कार्यवाही करेंगे? यदि हाँ, तो क्या तथा कब तक?
राज्यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) से (ग) पश्चिम मध्य रेल कार्यालय मुख्य कारखाना प्रबंधक, निशातपुरा, भोपाल जो भारत सरकार के अधीन संचालित है, के पत्र क्रमांक 351, दिनांक 21.02.2017 द्वारा अवगत कराया है कि इस कारखाने में नियुक्ति संबंधी कार्यवाही रेल मंत्रालय द्वारा जारी नियमों के अनुसार की जाती है। अतः वर्तमान में गैस पीड़ितों को 50 प्रतिशत रोजगार देने संबंधी कोई निर्देश प्राप्त नहीं हैं।
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह अनुरोध करना चाहता हूं कि जब गैस राहत मंत्री आदरणीय सारंग जी को बनाया गया तो हम सोच रहे थे कि गैस पीड़ितों की समस्या का समाधान होगा. कम से कम वह इतना तो करेंगे कि मुख्यमंत्री की गैस पीड़ितों के लिए जो घोषणाएं हैं उनको ही पूरा करेंगे. लेकिन जैसा कि अभी डॉक्टर साहब कह रहे थे कि उनके क्षेत्र की मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं का आप लोगों पर कोई असर नहीं होता है. वह गैस पीड़ित विधवा कालोनी गये थे वहां पर जिन कामों के लिए उन्होंने घोषणाएं की थीं आपका विधान सभा क्षेत्र है लेकिन उसके बाद में भी आज तक आप नहीं कर पाये हैं. आपके कार्यकाल में गैस पीड़ितों की जो दुर्दशा हो रही है, अस्पतालों में उनका इलाज नहीं हो रहा है, उनको किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं मिल रही है और गैस पीड़ितों की बस्तियों में पीने के पानी के भी लाले पड़े हुए हैं, सुप्रीम कोर्ट ने 50 करोड़ रूपये दिये हैं उस पानी के पैसों का आप समाधान नहीं कर पाये हैं और उसकी कोई व्यवस्था नहीं कर पाये हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि मुझे मालूम है कि आपकी सरकार बैसाखियों पर चल रही है, जो पर्ची आती है उसके माध्यम से ही आप जवाब दे पाते हैं. आपके पास में इतना समय तो है नहीं कि आप पढ़ें, आपने मेरे प्रश्न के जवाब में लिखा है कि आपने रेल मंत्री जी को लिखा था वहां से जवाब आ गया है, आप अपनी जानकारी को दुरूस्त कर लें मैं आपको बताना चाहता हूं कि 1989 में 117 पद, 1991 में 68 पद, फिर 1991 में 14 और फिर 1994 में 78 पद इस प्रकार से कुल 277 पदों पर गैस पीड़ितों की नियुक्ति हुई है. आप आज भी खत लिख रहे हैं वह ही बात हुई कि -- खत लिखेंगे गर के मतलब कुछ न हो, हम तो हाकिम हैं केन्द्र सरकार के -- पत्र लिखने से कुछ भी मतलब नहीं निकलेगा. मैं पूछना चाहता हूं कि गैस पीड़ितों को नौकरी देने के लिए स्वर्गीय माधवराव सिंधिया जी ने जो आदेश दिये थे उसके पालन में इतने लोगों को नियुक्ति मिली है. आपकी सरकार के आने के बाद में कितने गैस पीड़ितों को नौकरी दी है, यह बताने की कृपा करें ?
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आरिफ भाई ने बहुत लंबी बातें की और लिखित में पूछा खेत का और बोला यहां पर खलिहान का. मुझे आश्चर्य लगा कि पूछ रहे थे रेल विभाग में नौकरी देने का और बात कर रहे हैं अस्पताल की तो अच्छा रहता कि आरिफ भाई उन गैस पीड़ित बस्तियों की विधवा कालोनी जो कि इनके कार्यकाल में विधवा कालोनी कहलाती थी. हमारे मुख्यमंत्री जी ने तो उसका नाम परिवर्तित किया है. उसका नाम जीवन ज्योति कालोनी रखा है. आप भी इसके मंत्री रहे हैं, आप जिस समय की बात कर रहे हैं उस समय में कोई काम नहीं हुआ है, 50 करोड़ रूपये हमने दिये हैं, एक एक घर में नर्मदा जल हमने पहुंचाया है, जीवन ज्योति कालोनी में पूरी सीवेज लाइन डल गई है. आप निकलते ही नहीं है. आपको लक्ष्मी टाकीज से बाहर निकलने का समय नहीं रहता है. आप निकलें, आप आयें मैं आपको अपने क्षेत्र में बुलाता हूं दौरा करने के लिए आप आयेंगे तो पता चलेगा.
श्री आरिफ अकील - (XXX).
अध्यक्ष महोदय - इसे कार्यवाही से निकाल दें.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब यह बोल रहे थे मैं चुपचाप बैठा था.
श्री आरिफ अकील - अध्यक्ष महोदय सब बोल रहे थे, तब मैं चुपचाप था और जब मैं बोल रहा हूं तो मुझे बोलने नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप उनसे उत्तर ले लें.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जरा सा बोल दिया तो श्री आरिफ भाई को पता नहीं क्यों बुरा लग गया है. जहां तक रेल्वे कोच फैक्ट्री में नौकरी की बात कर रहे हैं, तो यह सीधे सीधे रेल्वे विभाग का मामला है, केंद्र सरकार का मामला है परंतु मैं आपके माध्यम से सदन को जानकारी देना चाहता हूं कि हमने कोच फैक्ट्री में यह लिखकर पूछा था कि इसका क्या नियम है और किन नियमों के तहत पुराने समय में नौकरी दी गई थी ? इस संबंध में उन्होंने हमें जो जानकारी उपलब्ध कराई है, उस पत्र में लिखा है कि उपलब्ध कार्यालय रिकार्ड के अनुसार पूर्व में रेल मंत्रालय द्वारा भोपाल गैस त्रासदी पीडि़तों को भोपाल में नियुक्ति हेतु 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था, जो दिनांक 31/10/1995 तक लागू था, इसके पश्चात् रेल मंत्रालय द्वारा कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन की जानकारी में यह भी कहना चाहता हूं कि वर्ष1995 में यह नियम बंद हो गया और उसके बाद वर्ष 2003 तक श्री आरिफ भाई ही इस मंत्रालय के मंत्री रहे हैं. इन्होंने कोई प्रयास नहीं किया कि वहां पर लोगों को नौकरी लग सके, गैस पीडि़तों को नौकरी लग सके. (शेम-शेम की आवाज) माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि यह चाहते तो उस समय प्रयास कर लेते, आज यह हम पर आक्षेप लगा रहे हैं. मैं जानकारी देना चाहता हूं कि मेरे मंत्री बनने के बाद हमने रेल विभाग को लिखा है और आगे भी हम लिखेंगे कि यदि यह नियम फिर से लागू हो जाये तो गैस पीडि़तों को इसका लाभ मिल सके.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इनका जवाब पढ़ लीजिये. यह बैशाखी के सहारे वक्तव्य तो कुछ भी दे सकते हैं लेकिन जवाब में यह लिखा है कि प्रावधान नहीं है. जब मैंने बताया कि इस-इस सन् में इतने - इतने पद दिये थे, तब भी हमारी सरकार थी और इनकी सरकार आने के बाद यह नियम बंद कर दिया और अब यह मगरमच्छ के आंसू बहाने के लिये खड़े हो जायें कि जीवन ज्योति कॉलोनी में बहुत काम कर दिया.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न क्या है वह बतायें, यहां वाद विवाद नहीं हो रहा है.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप मेरे साथ चलें, यह इन्होंने कहा है कि जीवन ज्योति कॉलोनी में बहुत काम किया है, लेकिन वहां पर सीवेज है, गड्ढे हैं, चलने के लिये रास्ते नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - जो आपने प्रश्न पूछा है और उस पर उन्होंने जो उत्तर दिया है, आप उस पर यदि कोई पूरक प्रश्न हो तो पूछें.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा प्रश्न यह है कि इन्होंने जवाब में जो कुछ लिखा है, क्या गैस पीडि़तों को नौकरी के लिये रेल मंत्रालय को लिखकर जो हमारी सरकार में नौकरी दी जाती थी और जो आप कह रहे हो कि आपकी सरकार में बंद हो गई, 13 साल आपकी सरकार को आये हुए हो गये हैं, इन 13 सालों में आपने उसको खोलने की कोशिश नहीं की. क्या आप प्रयास करेंगे कि गैस पीडि़तों को पहले जो नौकरी दी जाती थी वह नौकरी फिर से दी जाए ?
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी के ज्ञान के लिये बताना चाहता हूं कि इन्होंने अपने प्रश्न में वर्ष 2004 का जिक्र किया है, वर्तमान की बात की है और हमारे विभाग ने वर्तमान का उत्तर दिया है कि वर्तमान में ऐसा कोई नियम नहीं है. वर्ष 1995 तक यह नियम था और उसके बाद क्योंकि इन्होंने प्रश्न पूछा था इसलिए वह पत्र मैंने पढ़कर बताया जिसमें वर्ष 1995 तक के नियम का जिक्र किया गया था, परंतु जो प्रश्न श्री आरिफ भाई ने पूछा है उसमें स्पष्ट रूप से वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पूछा गया है कि वर्ष 2004 के बाद कितनी नौकरियां दी गई हैं, उसकी जानकारी उपलब्ध कराने की बात की गई थी, वह जानकारी हमने उपलब्ध कराई है. अब श्री आरिफ भाई जो भी बाकी बातें कर रहे हैं तो उस संबंध में वह प्रश्न लगा सकते हैं, जिससे हमारी सरकार बाकी गैस पीडि़तों के लिये क्या काम कर रही है, उसकी जानकारी हम उन्हें उपलब्ध करा सकें.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक प्रश्न लगाने का प्रश्न है, प्रश्न लगे हुए हैं. मेरा आपसे अनुरोध यह है कि यह गैस पीडि़तों को न्याय दिलाने वाला मामला है.
अध्यक्ष महोदय - अब बहुत चर्चा हो गई, प्रश्न क्रं0-13 पं. रमेश दुबे.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट आपका और लूंगा.
अध्यक्ष महोदय - आपको बहुत समय दे दिया है,एक प्रश्न में इतना समय नहीं दिया जा सकता है.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह गैस पीडि़तों को नौकरी दिलाने के लिये प्रयास करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - बार- बार वह कह तो रहे हैं, वह एक ही बात बार- बार कैसे कहें ?
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहले ही कह चुका हूं कि श्री आरिफ भाई के मंत्री बनने के बाद इन्होंने कोई प्रयास नहीं किया है. मेरे मंत्री बनने के बाद मैंने केंद्र सरकार को लिखा और आज भी हम इस संबंध में प्रयास करेंगे.
श्री आरिफ अकील - मेरे मंत्री बनने के बाद मेरे विधानसभा क्षेत्र में जुएं, सट्टे नहीं चले हैं.
अध्यक्ष महोदय - पं. रमेश दुबे जी आप अपना प्रश्न पूछिये, आपकी आवाज जोर की है.
गुणवत्ताहीन भवन निर्माण
[लोक निर्माण]
13. ( *क्र. 3127 ) पं. रमेश दुबे : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिन्दवाड़ा जिले के विधानसभा क्षेत्र चौरई में विगत 3 वर्षों में किन-किन भवनों के निर्माण की स्वीकृति कब-कब प्राप्त होकर निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग को नियुक्त किया गया? (ख) उक्त स्वीकृत भवनों में से कौन-कौन से भवनों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है, कौन-कौन से भवन निर्माणाधीन हैं? निर्माणाधीन भवनों के निर्माण की अवधि क्या है? अवधि बाह्य भी भवनों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं करने वाले ठेकेदारों के विरूद्ध विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? नहीं की गई है तो क्यों? (ग) ग्राम देवरी विकासखण्ड बिछुआ में निर्माणाधीन हाई स्कूल भवन का प्राक्कलन प्रत्येक स्टेप की ड्रॉईंग-डिजाईन सेंपल जाँच रिपोर्ट उपलब्ध कराते हुए कार्यवार एवं सामग्रीवार ठेकेदार को अब तक भुगतान की गई राशि की जानकारी दें? (घ) क्या प्रश्नकर्ता ने ग्राम देवरी आदिवासी विकासखण्ड बिछुआ में निर्माणाधीन हाईस्कूल भवन के गुणवत्ताहीन निर्माण की जाँच के संबंध में सहायक आयुक्त आदिवासी विकासखण्ड छिन्दवाड़ा और माननीय आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय को पत्र प्रस्तुत किया है? क्या यह पत्र लोक निर्माण विभाग को प्राप्त हो गया है? यदि हाँ, तो क्या शासन प्रश्नकर्ता की उपस्थिति में उक्त गुणवत्ताहीन भवन निर्माण की जाँच का आदेश देगा? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ ‘अ-1’ अनुसार है। (ग) भवन का प्राक्कलन प्रत्येक स्टेप की ड्राईंग, डिजाईन एवं सेम्पल रिपोर्ट की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है तथा ठेकेदार को अब तक किये गये कार्य की कार्यवार राशि के भुगतान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (घ) इस विभाग को ज्ञात नहीं है। कार्य गुणवत्ता पूर्ण किया गया है। जाँच का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
पं. रमेश दुबे - अध्यक्ष महोदय, हमारा प्रश्न बड़ा महत्वपूर्ण है. मेरे प्रश्न के उत्तर में बताया गया है कि गुणवत्तापूर्ण उस भवन का निर्माण हुआ है. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को मैं जानकारी देना चाहता हूं कि इस भवन के लोकार्पण की जो तिथि मैंने तय की थी, उस तिथि को व्यवस्था देखने जब कार्यकर्ता वहां गये और बरसात का समय था. बरसात होने के कारण इस भवन से पानी टपक रहा था, इसलिए मैंने लोकार्पण के कार्यक्रम को स्थगित किया था. मैं माननीय मंत्री जी से इतना जानना चाहता हूं कि क्या शाला भवन का जो निर्माण हुआ है, इसकी उच्च स्तरीय जांच कराएंगे और जो इसमें दोषी पाए जाएंगे, क्या उनके खिलाफ आप कार्यवाही करेंगे? दूसरा, इस शाला भवन की मरम्मत करके इसको क्या समय-सीमा में लोकार्पित कराने का काम करेंगे?
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी की जो चिंता है और उन्होंने जो बात रखी है. भवन तो तैयार हो गया है, उसमें कमी है, उसकी जांच के लिए आपने कहा है, उसकी जांच कराई जाएगी, जांच कराएंगे और जल्दी से जल्दी आप से भी समय लेकर और आपसे ही उसका लोकार्पण भी कराएंगे. कोई कमी होगी, दोषी अधिकारी होंगे तो उनके खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे.
पं. रमेश दुबे - अध्यक्ष महोदय, समय-सीमा निश्चित कर दें. इसको एक वर्ष से ऊपर हो चुका है. छात्र चाहते हैं वे इस भवन में बैठ सकें, इसकी मरम्मत आप कब तक कराएंगे, इसकी समय-सीमा आप सुनिश्चित कर दें?
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य पूछ रहे हैं कि वह नया भवन, जिसका लोकार्पण नहीं हुआ, उसकी मरम्मत कब कराएंगे?
अध्यक्ष महोदय - वह बहुत सीनियर हैं, वह सब पूछ लेंगे.
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, विलंब के लिए ठेकेदार पर 1 लाख 66 हजार रुपए का अर्थदंड भी किया है, जो आपकी चिंता है, और जो जांच होगी, उसमें परिणाम भी आएंगे और आपसे समय लेकर उसके लोकार्पण की तिथि भी तय करेंगे.
पं. रमेश दुबे - अध्यक्ष महोदय, उसके मरम्मत की उसमें समय-सीमा सुनिश्चित कर दें?
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, एक महीने में करेंगे और उसमें कार्यवाही भी हो जाएगी.
शक्ति नगर जलाशय का कार्य प्रारंभ किया जाना
[जल संसाधन]
14. ( *क्र. 1968 ) श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला दमोह के हटा नगर के पास शक्ति नगर जलाशय के नाम पर रूपये 7.12 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति वर्ष 2007 में जारी की गई थी? यदि हाँ, तो प्रशासकीय स्वीकृति आदेश की छायाप्रति उपलब्ध करावें? (ख) 10 वर्ष बीत जाने के बाद न तो जलाशय निर्माण का कार्य चालू हुआ, न ही जलाशय का कार्य निरस्त हुआ? क्या यह जलाशय का कार्य प्रारंभ होगा? यदि हाँ, तो कब तक, नहीं तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ, राशि रू. 712.80 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 04.06.2008 को प्रदान की गई थी। आदेश की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) परियोजना के कुल डूब क्षेत्र का प्रतिशत लाभांवित क्षेत्र की तुलना में अधिक होने से तथा डूब प्रभावित कृषकों द्वारा प्रबल विरोध किए जाने एवं निर्माण कार्य रोकने के लिए मान. उच्च न्यायालय जबलपुर में प्रकरण क्र. डब्ल्यू.पी. 18261/2011 विचाराधीन होने के कारण निर्माण कार्य संभव नहीं हो सका। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक - अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2007 में 7 करोड़ 80 लाख रुपए की राशि से शक्ति सागर जलाशय की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान हुई थी. 10 वर्ष बीत जाने के उपरांत आज दिनांक तक कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है. कुछ 2-3 किसानों की जमीन डूब क्षेत्र में आ रही है, इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय में सिर्फ आवेदन दिया है, स्कूल भी जलाशय से लगभग 1 कि.मी. दूर है. अध्यक्ष महोदय, जब यह योजना बनी थी, उसके पूर्व सर्वे नहीं हुआ था क्या? प्रशासकीय स्वीकृति उपरांत यह आपत्ति क्यों है? प्रशासन, माननीय न्यायालय को अवगत कराए हुए जलाशय का कार्य प्रारंभ कराए व समय-सीमा भी बताए?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2007-08 का यह जलाशय है. चूंकि उस समय डूब क्षेत्र के लोगों ने आंदोलन किया था, फिर डूब क्षेत्र के लोग न्यायालय में चले गये थे, इसके कारण से विलंब हुआ. आज भी मामला न्यायालय में विचाराधीन है. अब उसकी लागत राशि जो उस समय की थी और इस समय की लागत में अंतर आ गया है. सम्मानीत सदस्या का कहना है तो हम न्यायालय को भी इससे अवगत करा देंगे और इसका पुनः परीक्षण करा लेंगे.
श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करती हूं कि मेरी विधान सभा में सिंचाई सुविधा बढ़ाने के लिए मंझौली, बमनी, उदयपुरा, नारायणपुरा एवं खमरियाकलार में नये जलाशय बनाए जाने की स्वीकृति प्रदान की जाय एवं विधान सभा में घोषणा की जावे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, चूंकि उनका परीक्षण और साध्यता की श्रेणी है तो हम आज ही उसका परीक्षण करवाने के लिए बोल देते हैं, जो भी उसमें आएगी, वह हम करेंगे.
श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक - अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहती हूं. साथ ही कुम्हारी क्षेत्र के खोवा और गुदरी जलाशय की नहरें क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिससे किसानों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. माननीय मंत्री जी से निवेदन करती हूं कि वे नहरें भी सुधरवाई जाएं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, क्षतिग्रस्त नहरें हैं तो हम आज ही तत्काल कहेंगे, उन्हें तत्काल ठीक करें.
पॉली हाउस निर्माण में अनियमितता
[उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण]
15. ( *क्र. 2699 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या राज्यमंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रतलाम जिले के ग्राम हरथली के कृषक ने पॉली हॉउस निर्माता कम्पनी "जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड" के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी? यदि हाँ, तो शिकायत की अद्यतन स्थिति की जानकारी देवें? शिकायतकर्ता ने पॉली हॉउस नष्ट होने के बाद गत 3 वर्ष के नुकसान की कितनी राशि निर्माता कम्पनी से चाही है? (ख) क्या म.प्र. राज्य उद्यानिकी मिशन भोपाल के उपसंचालक उद्यान ने उपसंचालक उद्यान जिला रतलाम को पत्र क्र. 1130, दिनांक 05 अगस्त 2016 से अवगत कराया कि, निर्माता कम्पनी पॉली हाउस की पूरी फिल्म बदलने को तैयार है, किन्तु भविष्य में पॉली हाउस के सम्बन्ध में कृषक को आश्वासन देना होगा की वह कोई उच्चस्तरीय शिकायत नहीं करेगा? क्या निर्माता कम्पनी के समर्थन में विभाग द्वारा इस तरह के लिखित आदेश जारी किये जा सकते हैं? यदि हाँ, तो नियमों की प्रतिलिपि देवें। (ग) प्रश्नांश (ख) संदर्भित कृषक का पॉली हाउस निर्माता कम्पनी के पुन: निर्माण के पश्चात् भी भविष्य में खराब नहीं होगा, क्या इसकी ग्यारंटी विभाग लेने को तैयार है? क्या पॉली हाउस निर्माण से अब तक कृषक को हुये नुकसान की भरपाई निर्माता कम्पनी या विभाग करेगा? यदि नहीं, तो भविष्य की शिकायत नहीं करने का क्या औचित्य है?
राज्यमंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण ( श्री सूर्यप्रकाश मीना ) : (क) रतलाम जिले के ग्राम हरथली की कृषक श्रीमती रामकन्या बाई शर्मा द्वारा प्रश्नाधीन पॉली हाउस निर्माता कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। पॉली हाउस निर्माण की जाँच भारत सरकार की संस्था सीपेट से एवं एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर कराई गई, जिसकी अनुशंसा पर पॉली हाउस में वांछित सुधार कार्य करवाया गया। कृषक ने दिनांक 23.05.2016 को पुन: पॉली हाउस फटने की शिकायत की जिस पर कंपनी ने पॉली हाउस की पूरी फिल्म बदलने का प्रस्ताव दिया है, किन्तु कृषक ने पॉली हाउस की जाँच GSITS इन्दौर के सक्षम दल से कराने की मांग की है। प्रकरण में भारत सरकार की संस्था एवं उच्च स्तरीय समिति जिसमें तकनीकी विशेषज्ञ शामिल थे, की रिपोर्ट में पॉली हाउस में जो तकनीकी खामियाँ थी, उन्हें दुरुस्त कर दिया गया, अत: पुन: जाँच की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। शिकायतकर्ता ने गत तीन वर्ष के नुकसान की कितनी राशि निर्माता कंपनी से चाही है, इसकी जानकारी विभाग को नहीं है। (ख) उप संचालक उद्यान, मध्यप्रदेश राज्य उद्यानिकी मिशन भोपाल का प्रश्नाधीन पत्र बिना वरिष्ठ अधिकारियों के अनुमोदन से जारी हुआ था, जो जारी नहीं किया जाना था, संज्ञान में आने पर पत्र निरस्त किया जा चुका है। उप संचालक उद्यान को बिना अधिकार के पत्र जारी करने हेतु कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) पॉली हाउस का निर्माण कृषक द्वारा स्वयं कंपनी का चयन कर हस्ताक्षरित अनुबंध की शर्तों के अनुसार कराया गया है, इसी कारण से कृषक की शिकायत पर कंपनी द्वारा पूर्ण पॉली फिल्म बदलने का प्रस्ताव दिया था, जिसके संबंध में कृषक ने कोई सहमति नहीं दी है। पॉली हाउस का निर्माण कृषक एवं कंपनी के अनुबंध अनुसार हुआ है, जिसमें विभाग पक्षकार नहीं है। इस कारण विभाग कोई गारंटी ले या दे नहीं सकता है। उत्तरांश (ख) अनुसार उप संचालक उद्यान का पत्र निरस्त किया जा चुका है, अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--माननीय अध्यक्ष महोदय,92 वर्ष की महिला जो रतलाम जिले की हरथली ग्राम की रहने वाली हैं जिसका नाम श्रीमती रामकन्या है. पॉली हाउस के निर्माण को लेकर मेरे द्वारा लगातार डेढ़ वर्षों से इस 92 वर्ष की महिला के साथ आंधी-तूफान से तथा घटिया निर्माण के कारण से जैन इरिगेशन सिस्टम लिमिटेड जलगांव द्वारा एक पॉली हाऊस का निर्माण करवाया, उसके परखच्चे उड़ गये. शिकायत पर 10 जुलाई 2015 को निरीक्षण प्रतिवेदन में रिपोर्ट मोहम्मद मुस्तफा वैज्ञानिक कालूखेड़ा, डॉ. कामिनी कुमारी, मृदा वैज्ञानिक कालूखेड़ा, श्री आर.एस.कटारा उप संचालक उद्यान रतलाम, श्री आर.एस.चन्द्रावत, कृषि विकास अधिकारी रतलाम, श्री एस.पी. शर्मा उद्यानिकी विकास अधिकारी रतलाम इन सबने निरीक्षण के दौरान पाया कि फीनिशिंग ठीक नहीं पाई गई टेप से पॉली हाऊस के अंदर टेप से चिपकाई गई जिसके कारण शिमला मिर्च की फसल 70 प्रतिशत खराब हो गई है. इस प्रकार से जो कृत्य हुआ है उसके कारण हितग्राही को काफी नुकसान हुआ है. इसमें दो चीजें उल्लेखित कर रहा हूं. दिनांक 27 जुलाई, 2016 को जैन इरिगेशन सिस्टम ने तीन पृष्ठ का पत्र उद्यानिकी आयुक्त को लिख दिया है उसमें यह भी लिख दिया कि इसमें शरारत, षड़यंत्र दिख रहा है और इसकी टेस्ट रिपोर्ट सही कराकर के कार्य कर दिया जायेगा. लेकिन सवाल यह उठता है कि एक हितग्राही के पक्ष में 6 अगस्त 2015 को प्रवीर कृष्ण प्रमुख सचिव कुटीर एवं ग्राम उद्योग ने रतनसिंह कटारा, उप संचालक रतलाम को पत्र लिख करके समस्त पॉली हाउस को परिवर्तित करने के निर्देश दिये थे इसमें इन्होंने कहा है कि अत्यधिक घटिया किस्म के पॉली हाउस बनाये गये हैं, यह पी.एस. का पत्र है. माननीय मंत्री जी से दो चीजें पूछना चाहता हूं कि क्या मंत्री महोदय भोपाल स्तर से कोई जांच दल भेज करके इन समस्त पत्राचारों की जिसमें यह घटिया निर्माण कार्य हुआ है उसकी जांच करवा लेंगे, दूसरा प्रश्न क्या हितग्राही का पॉली हाउस प्रमुख सचिव श्री प्रवीण कृष्ण की मंशा के अनुसार उसको परिवर्तित कर दिया जाएगा.
श्री सूर्यप्रकाश मीना--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि रतलाम जिले के ग्राम हरथली की कृषक श्रीमती रामकन्या बाई द्वारा प्रश्नाधीन पॉली हाउस निर्माता कम्पनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गई थी पॉली हाउस निर्माण की जांच भारत सरकार की एक संस्था सीपेट से एवं एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर करायी गई जिसकी अनुशंसा पर पाली हाऊस में वांछित सुधार कार्य करवा दिया गया है. इसमें माननीय सदस्य का कहना है कि इन्दौर की एक संस्था है उसके माध्यम से जांच करवाएं इसके बाद भी जो जैन इरिगेशन सिस्टम जिसमें यह पॉली हाउस बनाया है उसको एक बार फिर से दुरूस्त करने के लिये तैयार है और इसमें एक सीधी नीति है कि हमारे विभाग के अंतर्गत जो भी आवेदन आता है हम उसकी सबसिडी को स्वीकृत करते है और किसान को पॉली हाउस निर्माण के लिये हम लोग एक सहमति पत्र भी देते हैं इसके बाद किसान स्वयं सक्षम है कि किस कम्पनी के द्वारा पॉली हाउस का निर्माण करवाया जाना है वह अपनी मर्जी से अनुबंध करवाकर उस कम्पनी से पॉली हाउस का निर्माण करवाता है, लेकिन बाद में अभी कुछ देखने को आया है कि कई कम्पनियों ने पॉली हाउस का निर्माण घटिया किया है तो हमने एक पॉलिसी बनायी हमने इस बार ऑन लाईन आवेदन बुलवाकर पॉली हाउस निर्माण कम्पनियों को रजिस्टर्ड यहां पर किया है उसमें निर्धारित फीस भी रखी है कि भविष्य में इस तरह का घटिया निर्माण यदि किया गया तो उनकी जो राशि है उसको राजसात करके पॉली हाउस निर्माण करवाने में किसान की मदद करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, उनकी फसल का 60 लाख रूपये का नुकसान हुआ है उसके मुआवजे का क्या होगा. माननीय मंत्री जी ने 9 (ग) के उत्तर में बताया है कि पॉली हाउस को फिल्म में बदलने का प्रस्ताव दिया था जिसके संबंध में कृषक ने अपनी सहमति ही नहीं दी है. मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि मैं उस कृषक रामकन्या बाई से एक सहमति पत्र दिलवा दूं और उसका पॉली हाउस पूरा का पूरा बदल जाए उसकी फसल का जो नुकसान हुआ है उसका क्या होगा ? जैन इरिगेशन सिस्टम 80 प्रतिशत पॉली हाउस सप्लाई करता है. आपने स्वयं स्वीकार किया है कि वह घटिया निर्माण कर रहा है. घटिया निर्माण करके जो फसल की बरबादी हो रही है तथा पॉली हाउस के प्रति लोगों का विश्वास समाप्त हो रहा है. यह हार्टिकल्चर को बढ़ावा देने का काम है, उद्यानिकी की फसले पाली हाऊस में होती है. कल्याण गुरू एक स्थापित नाम है रतलाम का उस परिवार की यह महिला है यह 92 वर्ष की महिला है. क्या प्रमुख सचिव ने पॉली हाउस परिवर्तित करने के निर्देश दिये थे, क्या उसका पालन करायेंगे? स्वयं पीएस ने दिनांक 6 अगस्त 2015 को लिखा है उन्होंने लिखा है कि रतनसिंह कटारा आपका उप संचालक है उसको निर्देशित किया कि पूरा पॉली हाउस बदला जाए तथा भारत सरकार से जो टीम आयी उसमें फोरी सुविधा दी गई है, उसकी रिपेयरिंग की गई है ? श्री सूर्यप्रकाश मीना-- अध्यक्ष महोदय, चूंकि किसान और पॉली हाउस निर्माता के बीच इसमें सीधा अनुबंध है और विभाग की इसमें सीधी कोई भूमिका नहीं है. मैंने अपने उत्तर में यह भी नहीं कहा कि जैन इरीगेशन ने घटिया निर्माण किया है. मेरा यह कहना है कि भविष्य में जो कंपनियां घटिया निर्माण करेंगी उनके खिलाफ हम कार्रवाई करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--अध्यक्ष महोदय, सरकार इसमें अनुदान देती है. सरकार पक्षकार क्यों नहीं है? सरकार की जवाबदारी है.
श्री सूर्यप्रकाश मीना-- अध्यक्ष महोदय, अब हमने यह नियम बना लिया है, हमने पंजीकृत किया कि मध्यप्रदेश में जो कंपनियां काम करेंगी उनसे निर्धारित फीस हमने जमा की है ताकि यदि भविष्य में इस तरह की कोई गलती होगी तो उन पर सीधी कार्रवाई की जाएगी.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- आप तो प्रमुख सचिव के पत्र के आधार पर कार्रवाई कर दें ताकि उसका पॉली हाउस पूरा बदल जाए. क्या दिक्कत है?
श्री सूर्यप्रकाश मीना--अध्यक्ष महोदय, चूंकि अनुबंध सीधा कृषक और निर्माता कंपनी के बीच है तो उसमें विभाग सीधे हस्तक्षेप कैसे कर सकेगा?
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- माननीय मंत्री जी, प्रमुख सचिव ने निर्देशित किया पॉली हाउस बदलना चाहिए. आप पॉली हाउस बदलवा दें.
श्री सूर्यप्रकाश मीना-- अध्यक्ष महोदय, उसमें जो कृषक की मदद के लिए जो भी संभावना होगी हम वह कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न काल समाप्त.
(प्रश्न काल समाप्त )
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों की शून्य काल की सूचनाएं पढ़ी हुईं मानी जाएंगी.
शून्य काल में उल्लेख
श्री के पी सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मेरे तथा मेरे दल के कई सदस्यों ने प्रदेश में बढ़ती हुई आतंकवादी संगठन आईएसआई के संबंध में स्थगन और ध्यानाकर्षण दिए हैं. हमें उम्मीद थी कि इस हफ्ते आप किसी न किसी रुप में आप चर्चा कराएंगे लेकिन आज दिनांक तक हमारे पास कोई सूचना नहीं है कि किस रुप में इसको ग्राह्य किया गया है. मेरा आपसे अनुरोध है कि चूंकि इसमें सत्ताधारी दल के लोग शामिल हैं और हो सकता है कि सरकार इससे बचने की कोशिश में हो. मेरा आपसे आग्रह है कि इसको किसी न किसी रुप में लें.
अध्यक्ष महोदय-- इस पर विचार कर लेते हैं और आपको सूचना कर देते हैं.
श्री के पी सिंह-- कब तक सूचित कर देंगे. दो हफ्ते गुजर गए.
अध्यक्ष महोदय-- जल्दी से जल्दी सूचित कर देंगे.
श्री के पी सिंह-- कब तक?
अध्यक्ष महोदय-- अतिशीघ्र.
डॉ नरोत्तम मिश्रा-- अध्यक्ष जी, सरकार किसी में शामिल नहीं हैं. आप जब चाहें, जैसे चाहें चर्चा में लें.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाएं. आपकी बात आ गई. मैं भी आपको आश्वस्त कर रहा हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह )-- अध्यक्ष महोदय, इस विषय पर स्थगन दिया है. आपसे अनुरोध है कि चर्चा कब लेंगे, किस रुप में लेंगे? इसका सवाल है. आप थोड़ा बता देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- अभी आज नहीं बताया जा सकता किन्तु मैं आपको जल्दी सूचित करुंगा.
औचित्य का प्रश्न एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, आज की कार्य सूची मुझे मिली है. जब हमने कार्य सूची पढ़ी तो उसमें क्रमांक 2 में लिखा है कि जयंत मलैया जी द्वारा मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंतर्गत यथा अपेक्षित विवरण वर्ष 2017-18 पटल पर रखेंगे. अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि यह हमारा जो कानून है उस कानून का उल्लंघन हो रहा है. वह कानून इसी सदन के द्वारा बनाया गया है जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख है कि जब बजट प्रस्तुत किया जाए, लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाए, उसी वक्त एफआरबीएम एक्ट के तहत क्लॉज़ 5 का पालन होना चाहिए. उसमें लिखा है The state government shall in each financial year lay before the legislature, the following statement of the fiscal policy along with the budget.
इस बात का क्लॉज़ 5 में उल्लेख है.
डॉ नरोत्तम मिश्रा-- अध्यक्ष जी, इसके बाद सरकार को भी सुन लें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष जी, मेरा यह निवेदन है कि एफआरवीएम एक्ट है इसका पालन नहीं किया और माननीय वित्त मंत्री जी ने बजट पहले रख दिया और इसके बाद यह सदन में रखने की बात कही. अध्यक्ष जी, एक सवाल और उठता है कि क्या यह पत्र के रुप में माना जाएगा? क्योंकि बजट तो प्रस्तुत किया जाता है और बजट प्रस्तुत किया जाता है तो उसके साथ ही एफआरबीएम एक्ट के साथ वह लेखा-जोखा उनको प्रस्तुत करना चाहिए था. अब, यहां पर यह कह रहे हैं और पत्र बनाकर इसको प्रस्तुत कर रहे हैं. मेरा निवेदन है कि यहां कानून का घोर उल्लंघन हो रहा है और बार-बार वित्त मंत्री जी यह कर रहे हैं. पिछली बार भी मैंने आपत्ति उठाई थी तब वित्त मंत्री जी ने कहा था कि हमने टेलीफोन पर अनुमति ले ली है. अब फिर से आप कानून का उल्लंघन कर रहे हैं जो कानून आपने बनाया. हम लोग विधान सभा में बैठे हैं जहां कानून बनते हैं. यह सरकार की मनमानी है कि वह कानून का उल्लंघन करती रहे और मनमाने तरीके से जो चाहे जब चाहे प्रस्तुत कर दे.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय,मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम,2005 की धारा-5 का यहां माननीय सदस्य ने अंग्रेजी में उल्लेख किया मैं उसका हिन्दी में उल्लेख करना चाहता हूं. यह जो धारा-5 में दिया है कि- " राजकोषीय नीति विनियोजन विवरण विधान मण्डल के समक्ष रखे जाएं " इसमें राज्य सरकार बजट के साथ-साथ, बजट के साथ नहीं, बजट के साथ-साथ शब्द है. यदि साथ रखना होता अनिवार्य होता तो इस तरह से नहीं लिखा जाता. कल ही बजट पेश किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको भी मालूम है कि बजट के साथ में कोई भी दस्तावेज सदन के अन्दर नहीं रखे जाते और बजट के बाद आज पहली कार्यसूची जारी हुई है और उसके साथ-साथ वित्तीय विवरण विधान मण्डल के समक्ष यह रखा जा रहा है. सम्मानित सदस्य ने जो उल्लेख किया है मैं उसी अधिनियम को पढ़ने के बाद आपसे निवेदन कर रहा हूं कि पूरा कार्य नियमानुसार है. ऐसा नहीं कि यह पहली बार हो रहा हो. 2005 के बाद जब-जब बजट प्रस्तुत किया गया है तब-तब यही प्रक्रिया और यही परंपरा का पालन किया गया है.
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय बजट जब रखा जाता है तो बजट रखने के पूर्व जो बजट का विनियोजन है यह होना चाहिये. सी.ए.जी. ने अपनी रिपोर्ट में कहा है आप उस रिपोर्ट का अवलोकन करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कहीं विषयांतर तो नहीं हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय - हां विषयांतर हो रहा है.
श्री मुकेश नायक - अध्यक्ष महोदय, उसी से उद्भूत हो रहा है. वर्ष 2014-15 के दौरान 446.28 करोड़ रुपये का आधिक्य व्यय हुआ जिसके संविधान के अनुच्छेद-205 के अधीन नियमन की आवश्यक्ता है. इसके अतिरिक्त विगत वर्षों से संबंधित 774.60 करोड़ रुपये अभी नियमित होना बकाया है. इसमें नियम का भी सी.ए.जी. ने उल्लेख किया है अनुच्छेद 205 के मुताबिक.मुझे यह बताईये कि पिछले वर्षों का जो आधिक्य व्यय का बकाया है उसकी अनुमति आपको विधान सभा से लेना चाहिये कि नहीं,उसकी परमीशन आपको मंत्रिमण्डल से लेनी चाहिये कि नहीं लेनी चाहिये, उसकी संक्षेपिका बनाकर स्वीकृति के लिये भेजनी चाहिये कि नहीं ?
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्न न करें. आप बैठ जाएं. आप उत्तर ले लें. कल आपका पत्र भी मुझे प्राप्त हुआ है. एक तो जो तिवारी जी ने प्रश्न उठाया है इससे यह संबंधित नहीं है. दूसरी बात यह है कि जिन सालों का आप उल्लेख कर रहे हैं उनका अभी पी.ए.सी. में परीक्षण चल रहा है. इसलिये वह विषय यहां नहीं उठाया जाना चाहिये. कौल एण्ड शकधर में और भारत के संविधान के अनुच्छेद-115 में भी इसके समय का उल्लेख नहीं है कि बजट के पूर्व यह समायोजन होना ही चाहिये, बल्कि कौल एण्ड शकधर ने तो स्पष्ट लिखा है कि पी.ए.सी. की रिपोर्ट के बाद में इसका समायोजन होता है. इसलिये आपका विषय ठीक नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने सदन में यह बात कही कि वर्ष 2005 से यह प्रथा चली आ रही है. मेरा निवेदन यह है कि यह कानूनी बात है निर्णय तो वही होगा जो आप चाहेंगे. मेरा निवेदन यह है कि क्या प्रथा कानून के ऊपर बैठ सकती है नंबर एक, कोई भी प्रथा विद्यमान कानून के ऊपर नहीं है और कोई प्रथा यदि गलत चल रही है तो उसको भी सुधारा जा सकता है, इसी सदन के द्वारा सुधारा जा सकता है और निर्णय हो सकता है. दूसरी बात मेरा कहना है जो कानून को पढ़ा है, मैं पुन: पढ़कर आपको सुनाता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- मेरे पास है, आप मत सुनाईये.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट लगेगा The State Government shall in each financial year lay before the legislature. The following statement of fiscal policy along with the Budget. बजट पेश किया जाता है, along with the Budget शब्द यूज है इसमें, हिन्दी वाला तो हमने देखा नहीं, लेकिन along with the Budget. फिर दूसरी बात है बजट प्रस्तुत होता है और आप इस पत्र को सदन में रख रहे हैं There is a lot of difference between the two. इसको भी differentiate अध्यक्ष महोदय करेंगे. पत्र का रखना और legislature के समक्ष प्रस्तुत करना इसको भी differentiate कर दें तो पूरा सदन संतुष्ट हो जायेगा. यह कानून का प्रश्न है और बार-बार कोई प्रथा अगर गलत चल रही है तो उसमें सुधार का निर्णय अवश्य होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय श्री सुंदरलाल जी तिवारी ने जो प्रश्न उठाया है और माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने उसके संबंध में जो अपनी बात रखी है अब यह व्याख्या का प्रश्न है. आपने उसका अंग्रेजी वर्जन पढ़ा और माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने हिन्दी वर्जन पढ़ा.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, आपको दोनों का ज्ञान है.
अध्यक्ष महोदय-- पर आज हिन्दी वाले का फैसला करेंगे, क्योंकि in continuation है वह along with जो शब्द है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- यह केन्द्र सरकार ने ही बनाया है.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ तो जायें. साथ-साथ का तो क्लीयर अर्थ यही है, साथ यदि अकेला होता इसमें, इसके साथ रखा जायेगा तो साथ ही रखा जाता, किंतु इसके साथ दो बार उसको जोड़ा गया साथ-साथ, इसका मतलब in continuation of the budget. Along with, इसका भी अर्थ सीधा-सीधा उसके साथ ही नहीं होता. यह भी व्याख्या का विषय है और जब किसी विषय में व्याख्या हो तो जो परंपरा चल रही है उस परंपरा के अनुसार ही कार्य चलता है. जैसा कि माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2005 में एफआरबीएम एक्ट आया और दो वर्ष यहां आपकी उपस्थिति में भी यह एफआरबीएम एक्ट बाद में रखा गया. माननीय वित्त मंत्री जी कुछ कह रहे हैं.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय तिवारी जी ने जो एफआरबीएम एक्ट की विवरणी प्रस्तुत करने के बारे में यहां पर बताया कि इसको बजट के साथ-साथ ही पेश करना चाहिये, बहुत लंबे समय से मैं इस विधान सभा में हूं और लगातार चौथी बार यहां बजट भी पेश किया है. मुझे याद नहीं आता कि कभी भी यह एफआरबीएम एक्ट की विवरणी बजट के साथ पेश की गई हो. आज जो हम इसको पेश करने जा रहे हैं यह पूरी तरह से विधि संगत है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय वित्त मंत्री जी और माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी की बात सुनने के बाद मैं आपकी आपत्ति निरस्त करता हूं. अब आगे की कार्यवाही करेंगे. पत्रों का पटल पर रखा जाना. श्री जयंत मलैया माननीय वित्तमंत्री ...(व्यवधान)....
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, अभी आपका निर्णय नहीं आया है. ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- आ गया निर्णय, मैंने निरस्त कर दी आपकी आपत्ति. ...(व्यवधान)....
12.13 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1)मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 (क्रमांक 18 सन् 2005)
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 (क्रमांक 18 सन् 2005) की धारा 5 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंतर्गत यथा-अपेक्षित विवरण वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.
(2) मध्यप्रदेश स्टेट माईनिंग कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 52वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015
खनिज साधन मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 394 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार दि मध्यप्रदेश स्टेट माईनिंग कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 52वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015 पटल पर रखता हूं.
12.15 बजे
श्री आरिफ अकील - अध्यक्ष महोदय, शून्यकाल वाली बात है, कुछ बात कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - फिर और सदस्य भी हाथ उठाएंगे.
श्री आरिफ अकील - आपका आदेश जैसे होगा वैसा ही होगा, आप जहां चाहोगे ब्रेक लगा देंगे तो गाड़ी आगे बढ़ नहीं सकती. आप अगर अनुमति दे दें तो एकाध कदम चल लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - आज समय की बात है, कल आपको सुन लेंगे. अन्य सदस्यों को क्या कहें मधु भगत जी ने भी हाथ उठाया है, प्रताप सिंह जी ने भी हाथ उठाया है. आप बहुत वरिष्ठ सदस्य है. मैं आपकी बात कभी भी नहीं टालता हूं. आज आप मेरा आग्रह स्वीकार कर लें.
श्री आरिफ अकील - अध्यक्ष महोदय, ठीक है.
12.20 बजे ध्यानाकर्षण
(1) उज्जैन जिला चिकित्सालय में थेलेसिमिया बीमारी का इलाज न होना
श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा खाचरौद) - अध्यक्ष महोदय, आपने एक महत्वपूर्ण मुद्दे को मेरी ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से ग्राह्य करने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं, मेरी ध्यानाकषर्ण की सूचना का विषय इस प्रकार है -
स्वास्थ्य मंत्री (श्री रूस्तम सिंह) - अध्यक्ष महोदय,
श्री दिलीप सिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जैसा कहा है कि 7 वर्ष पूर्व मशीन नहीं खरीदी, जो मशीन खरीदी थी वह अफेरेसिस मशीन थी. एक तो मेरा प्रश्न यह है कि यह जो मशीन आपने खरीदी है, वह क्या 7 वर्ष पूर्व चालू थी. दूसरा, यह जो आपने कहा है कि अप्रैल, 2016 में आवश्यक उपकरण के लिये आपने बजट दे दिया था. एक वर्ष तक यह मशीन क्यों नहीं खरीदी गई, यह भी मैं आपसे जानना चाहूंगा. इसके लिये दोषी कौन हैं और जैसा आपने कहा कि अगर मशीन नहीं होती है, तो हम निशुल्क उपचार करते है. लेकिन मेरी जानकारी में है कि आपके आदेश के बाद में भी, क्योंकि मेरे पास प्रमुख सचिव महोदय का एक पत्र भी है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि निशुल्क उपचार किया जाये. लेकिन वहां पर मेरी जानकारी अनुसार उनसे कुछ पैसा लिया जाता है. इसमें ऐसे जो दोषी अधिकारी हैं, उन दोषी अधिकारियों पर क्या आप जांच करके कार्यवाही करेंगे और अफेरेसिस मशीन चालू है कि नहीं, यह भी मुझे बताने का कष्ट करेंगे.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जो 7 वर्ष पूर्व मशीन खरीदी थी, वह अभी चालू नहीं है. वह क्यों चालू नहीं है, उसकी वजह क्या थी, उसकी तह में भी हम जायेंगे, उसकी जांच भी करायेंगे और उसमें जो दोषी कर्मचारी, अधिकारी होंगे, उनके खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे. दूसरा, जो अप्रैल, 2016 में मशीन क्रय के निर्देश दिये गये थे, वह मशीन खरीद ली गई है, उसके उपकरण भी आ गये हैं. दो उपकरण बचे हैं, बाकी उसकी फार्मल्टीज हो रहीं हैं, जो काफी पूरी शीघ्र हो जायेंगी और उसके बाद वह चालू कर दी जायेगी. जहां तक थैलेसिमिया के मरीजों से चार्ज लेकर के, पैसे लेने की खर्चे की बात है, वह मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की सरकार और मुख्यमंत्री जी ने बहुत संवेदनशीलता के साथ इस थैलेसिमिया के किसी भी मरीज का कोई भी पैसा खर्च का न लगे, यह सुनिश्चित किया है. ऐसे डायरेक्शन भी मध्यप्रदेश सरकार ने जारी कर दिये हैं. मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि हर जगह थैलेसिमिया के जो भी मरीज होंगे, अगर वह प्रायवेट में भी इलाज करवायेंगे, तब भी उसका पूरा ब्लड कम्पोनेंट फ्री होगा और उसके जो चार्जेस होंगे, वह भी मध्यप्रदेश सरकार वहन करेगी.
श्री दिलीप सिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा, लेकिन उनसे इतना आग्रह जरुर करुंगा कि यह जो आपने कहा है कि 7 वर्ष पूर्व मशीन खरीदी गई है और उस मशीन से संबंधित जांच कब तक करा लेंगे. एक तो मुझे यह समय सीमा बता दें. दूसरा, इसी से ही एक प्रश्न उद्भूत होता है कि नागदा- खाचरौद में जो उद्योगों का पानी चम्बल के डाउन स्ट्रीम में जाता है और वहां पर लगभग 22 गांवों में से कई गांव तो ऐसे हैं, जिनमें 70-70 बच्चे विकलांग रहते हैं, उनके लिये भी एक उच्च स्तरीय डॉक्टरों का दल बनाकर और उस बीमारी का क्या कारण है, वह पता लगायेंगे, तो निश्चित रुप से मेरे क्षेत्र की यह समस्या ठीक होगी.
अध्यक्ष महोदय -- इससे उद्भूत नहीं होता.
श्री दिलीप सिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, एक बीमारी से संबंधित है..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप बैठ जायें. मंत्री जी, आप जांच की समय सीमा बता दें, जो उनके प्रश्न का आधा हिस्सा है उसकी.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, शीघ्रातिशीघ्र जांच कर ली जायेगी और जो दूसरा प्रश्न उद्भूत नहीं है, उसके बारे में भी हम जांच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. आप सिफारिश मत करें. ध्यानाकर्षण क्रमांक-2. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- (अनुपस्थित)
12.29 बजे प्रतिवेदन की प्रस्तुति तथा स्वीकृति
12.30 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
राज्यपाल भाषण के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं
संशोधनों पर चर्चा (क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय - श्री अजय सिंह, माननीय नेता प्रतिपक्ष. अपना भाषण प्रारंभ करें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल के अभिभाषण के संशोधन प्रस्ताव के पक्ष में अपनी कुछ बात रखना चाहता है. राज्यपाल का अभिभाषण, यदि कोई आंख मूँद कर सुने तो ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरे प्रदेश में सब कुछ ठीक-ठाक हो गया है, हर व्यवस्था बेहतर है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकतंत्र में सरकार जनता की तरफ उत्तरदायी होती है, उपलब्धियों के साथ यह अच्छा होता कि अपनी कुछ कमियां भी बताते, लेकिन जिस तरह से निरन्तर बात हो रही है. माननीय मुख्यमंत्री महोदय शायद मेरे भाषण के बाद अपनी बात बड़ी अच्छी तरह से प्रस्तुत करेंगे और अपने 11 साल की, मुझे उनके बस्ते से लग रहा है कि 1993 और 2003 से तुलना करेंगे. मेरी यह सोच है कि आप इस तरह से तैयारी करके आए हैं. सन् 1993 एवं सन् 2003 एक अलग विषय था, कितनी राशि बजट में आती थी ? हम कहां से एवं किस तरह से सरकार चलाते थे ? यह एक अलग कहानी है, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री महोदय को जो स्वर्णिम काल मिला है. उसमें इस तरह की व्यवस्था जो आज है, वह नहीं होनी चाहिए. माननीय मुख्यमंत्री महोदय 2-3 चीजों पर विशेष जोर देते हैं, मैं वहां से शुरूआत करता हूँ. जब शुरू में मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने कहा था कि मैं एक किसान का बेटा किसान मुख्यमंत्री बना हूँ और मेरी चिन्ता किसानों के प्रति है. हम सबको बहुत अच्छा लगा. हम बधाई देते हैं कि चार साल से लगातार कृषि कर्मण अवार्ड भी प्रदेश को मिल रहा है. 20 प्रतिशत ग्रोथ रेट मध्यप्रदेश में कृषि के क्षेत्र में हो रही है. 20 प्रतिशत ग्रोथ रेट मध्यप्रदेश की जी.डी.पी. में कहीं पर भी परिलक्षित नहीं हो रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, न जी.डी.पी. में और न ही प्रदेश के पूँजीगत निवेश में वह परिलक्षित हो रही है. यह किस तरह का 20 प्रतिशत ग्रोथ है, जो कहीं परिदृश्य में नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक चीज और कही कि किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण मिलेगा, शायद जीरो प्रतिशत ऋण तो ठीक है लेकिन उन्होंने यह जानकारी नहीं दी है कि 40 प्रतिशत किसान समय पर न देने पर 14 प्रतिशत ब्याज देना पड़ रहा है और 40 प्रतिशत किसान डिफाल्टर हो रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री महोदय की यही कहानी है. हर समय एक नया जुमला आ जाता है. इस बार राज्यपाल के अभिभाषण में एक नए मिशन की बात हो रही है कृषि वानिकी. कुछ वर्ष पहले तक मध्यप्रदेश का नाम सोयाबीन स्टेट था. माननीय मुख्यमंत्री जी भी इस बात से अवगत हैं. पूरे हिन्दुस्तान में चर्चा थी कि सबसे ज्यादा सोयाबीन मध्यप्रदेश के किसान उत्पादित करते हैं, सबसे ज्यादा तेल यहां उत्पादित होता था, सबसे ज्यादा निर्यात होता था लेकिन आज क्या हाल है. हम किसान कृषि को लाभ का धन्धा बनाना चाहते हैं लेकिन जो पुराना लाभ का धन्धा था वह आज किस हालत में है. आज भोपाल से इन्दौर चले जाइए, भोपाल से नरसिंहपुर चले जाइए, भोपाल से सिवनी मालवा चले जाइए. एक उदाहरण बता दीजिए जो तेल के सोयाबीन प्लाण्ट थे सॉल्वेंट डिस्ट्रेक्शन प्लाण्ट आज एक भी चालू नहीं है क्या हम अपना फेमिली सिल्वर बेचकर कृषि को लाभ का धन्धा बनाना चाहते हैं जो हमारी पूंजी थी क्या हम उसको खोकर आगे बढ़ना चाहते हैं? आज पाम ऑइल कितना आयात हो रहा है, माननीय मुख्यमंत्री जी अपने उद्बोधन में जरूर इस चीज का जिक्र करेंगे. अभी पचमढ़ी में विधायकों की बैठक हुई थी उसमें माननीय मुख्यमंत्री जी ने सलाह दी थी और उस सलाह में सबसे कहा था कि सबको संपन्न होना है आर्थिक रूप से सशक्त बनो, लेकिन सम्भलकर. गाड़ी, मकान और दुकान नहीं लो लेकिन जैसे मैंने किया है वैसा करो. मैंने फूलों की खेती की.....(व्यवधान)
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- आप नेता प्रतिपक्ष हो इस पर आप कुछ तो सीधी सीधी सी बात करते. (व्यवधान)
सहकारिता मंत्री, (श्री विश्वास सारंग)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बिना आधार कर रहे हैं. यह ठीक नहीं है. इनका आधार क्या है और यह राज्यपाल के अभिभाषण पर बात करें यदि कन्टेंट नहीं हैं तो बता दें कि कन्टेंट नहीं है. (व्यवधान)
श्री अजय सिंह-- मैं राज्यपाल के अभिभाषण पर ही बात कर रहा हूं. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग-- राज्यपाल के अभिभाषण पर बात कर रहे हैं राहुल भाई कन्टेंट न हो तो आप जो बोलेंगे हम उस पर भी मेजें थपथपा देंगे, परंतु मुद्दा यह है कि आप राज्यपाल के अभिभाषण पर बात करें. यह आप कौन से रिफरेंस की बात कर रहे हैं. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह-- फूलों की खेती की है मुख्यमंत्री जी ने. अनार की खेती करना अपराध है क्या. (व्यवधान)
श्री के.के. श्रीवास्तव-- मुख्यमंत्री जी ने फूलों की खेती की है कांटों की नहीं की है. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह -- फूलों की खेती, डम्पर की नहीं बोल रहे हैं फूलों की बोल रहे हैं. (व्यवधान)
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)-- जिसकी जो मानसिकता है वही तो करेगा. मेरी फूलों की मानसिकता है मैं फूलों की खेती करता हूं इनकी कांटों की मानसिकता है यह कांटों की खेती करते हैं. इसमें क्या बुराई है. (व्यवधान)
श्री आरिफ अकील-- करो. (व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- जितने चाहे कांटे लगाकर आओ इसमें क्या बुराई है. यदि आपकी मानसिकता ही दुनिया को कांटे चुभोने की है तो इस तरीके की क्या बात करते हो. (व्यवधान)
श्री मुकेश नायक--अध्यक्ष महोदय, सदन की यह परम्परा रही है जब सदन का नेता बोले और प्रतिपक्ष का नेता बोले तो इन्ट्रप्शन नहीं होना चाहिए. मैं यह कहना चाहता हूँ कि आप जो अनुमति प्रतिपक्ष के नेता के समय इन्ट्रप्शन की दे रहे हैं, माननीय मुख्यमंत्री जी जब बोलेंगे तो हम सारे लोग खड़े होकर उनसे भी सवाल करेंगे. इस तरह की परम्परा नहीं रही है और इस तरह से बीच में इन्ट्रप्शन नहीं करना चाहिए. (व्यवधान)
श्री रणजीत सिंह गुणवान--जब मुख्यमंत्री जी बोलेंगे तब आप बहिर्गमन करके बाहर चले जाएंगे.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, आपने किसी को अनुमति नहीं दी है और मुकेश भाई ने जैसा कहा है कि हमने कोई प्रश्न भी नहीं किया. चूंकि जिस स्थान का उल्लेख किया उस स्थान पर सभी विधायक थे इसलिए यह विषय आया है, ऐसा नहीं है. माननीय नेता जी अपनी बात कहें.
श्री अजय सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने किसानी में सिर्फ लाभ के धंधे की बात कही. किसी को फल में लाभ हो रहा है, किसी को फूल में हो रहा है किसी को अनार में हो रहा है उसकी चिंता हमें नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश का किसान बेहाल है इसकी चिंता है. मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा आत्महत्या पिछले सालों में किसानों ने की है. किसान बिजली की अव्यवस्था से परेशान है उसके लिए भी तो कोई चिंता होनी चाहिए. यदि आप अच्छी तरह से खेती कर रहे हैं, सशक्त बन रहे हैं तो जो मध्यप्रदेश के किसान हैं, सीमांत किसान हैं उनको भी सशक्त बनाइए यह चिंता है. लेकिन 4 साल से जीडीपी में ग्रोथ हो रही है उसके बाद भी कहीं दिखाई नहीं दे रही है यह समझ के परे है, यह शोध का विषय है. जैसे कहीं एक दफे और किसी केन्द्रीय मंत्री के विषय पर अमेरिका में शोध का हुआ था. मध्यप्रदेश का यह शोध भी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में होना चाहिए कि 20 प्रतिशत ग्रोथ हो, 10 प्रतिशत जीडीपी हो और हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा कुपोषण हो तो वह मध्यप्रदेश में हो. यदि इतनी ग्रोथ हो रही है तो कुपोषण क्यों हो रहा है. मुख्यमंत्री पिछले 10-11 साल से वही लाड़ली लक्ष्मी योजना, वही हमारे मध्य प्रदेश के बच्चों के मामा हैं. आज दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आप बहुत अच्छे व्यक्ति हो सकते हैं, हैं, लेकिन यह आंकड़े कहां जा रहे हैं. 13 साल के सरकार के कार्यकाल में 11 साल आप मुख्यमंत्री रह चुके हैं. सबसे ज्यादा कुपोषण मध्यप्रदेश में हो रहा है. जब विकास दर 10 प्रतिशत है तो यहां का बच्चा भूखा क्यों सो रहा है यहां का बच्चा सही चीज क्यों नहीं पा रहा है यहां के बालक-बालिका कुपोषित क्यों हैं. यह कुपोषण क्यों है. किसके हाथ में पोषण आहार की कुंजी है ? यह मुख्यमंत्री जी को देखना होगा. हमारी चिंता सिर्फ इतनी है कि मुख्यमंत्री जी यदि कह रहे हैं कि वे प्रदेश के बच्चों के मामा हैं तो वे बच्चों का ख्याल रखें. 10 प्रतिशत वृद्धि हो बहुत अच्छी बात है हम लोग इसका स्वागत करते हैं. प्रदेश में अभी तक मृत्यु दर प्रति हजार 52 है. खुद स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले साल विधान सभा में स्वीकार किया था कि जनवरी से मई 2016 के बीच प्रदेश में कुपोषण से 9288 बच्चों की मौत हुई. सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि अकेले राजधानी भोपाल में सर्वाधिक 587 मौतें हुईं, लेकिन अभिभाषण में पोषण आहार का जिक्र तक नहीं हुआ है. कौन दे रहा है पोषण आहार ? प्रदेश के मासूम बच्चों का पोषण आहार मध्यप्रदेश में किसके हाथ में है ? माननीय मुख्यमंत्री जी आप ध्यान दीजिए, जो आपकी सोच है वह जमीन पर दिखाई नहीं दे रही है.
अध्यक्ष महोदय, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वे में प्रदेश में बालिकाओं की स्थिति को उजागर करने वाली एक और बात सामने आई है. यह सर्वेक्षण बताता है कि राज्य में बालिका लिंगानुपात बीते 10 साल में 960 से घटकर 927 प्रति हजार रह गया है. आप एक ओर विवाह उत्सव, लाड़ली लक्ष्मी, बालिकाओं की संख्या में बालकों की अपेक्षा वृद्धि की बात करते हैं. बेटी बचाओ और बालिकाओं के जन्म को प्रोत्साहित करने की बात करते हैं लेकिन आंकड़े कुछ और ही बताते हैं. इस बारे में हम चिंतित हैं. हम चाहते हैं कि विकास हो, हम चाहते हैं कि प्रदेश हर क्षेत्र में वृद्धि करे. हम चाहते हैं कि प्रदेश की जी.डी.पी. 10 प्रतिशत नहीं 15 प्रतिशत हो जाए, हम सभी मिलकर विकास करें. किसी ने कहा था कि भाजपा सरकार के तंबू में केवल एक ही बंबू है, और वह है- शिवराज सिंह चौहान. लेकिन शिवराज नामक सरकार का जो तंबू है, वह चार बंबूओं पर खड़ा है. आप ही के हिसाब से कह रहा हूं पहला बंबू किसान, दूसरा बाल-बच्चों के मामा हो आप, तीसरा उद्योग लगाने की बात और चौथा बंबू है सुशासन. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने सदन में किसानों के हक की बात रखी है. किसान परेशान है. राज्य में कुपोषण इतनी बड़ी समस्या है लेकिन सरकार की इस बारे में कोई सोच ही नहीं है. आज छत्तीसगढ़ भी हमसे बेहतर हो गया है जो कभी हमारा ही हिस्सा था और हमसे ही विभाजित होकर अस्तित्व में आया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, महिला अपराध के विषय में माननीय मुख्यमंत्री जी का पिछले साल का मैं भाषण पढ़ रहा था, थोड़ा-बहुत उनका भाषण मैंने सुना भी था. अपने भाषण में मुख्यमंत्री जी ने गिनाया था कि प्रदेश इस विषय में नंबर वन है, फलाने में नंबर वन है लेकिन आज हालत क्या है ? बालिका अपराध में हिन्दुस्तान में हम पांचवे नंबर पर हैं. इसमें हम कब नंबर वन बनना चाहते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में मध्यप्रदेश फिर नंबर वन है. क्या आप आज बतायेंगे कि हम इस मामले में भी नंबर वन हैं. मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है, अभी हाल ही की भोपाल की घटना है, क्या हुआ हम सभी जानते हैं. दो-तीन दिनों तक जब मीडिया और अन्य सभी के द्वारा दबाव बनाया गया तब जाकर कार्यवाही हुई. माननीय मुख्यमंत्री महोदय, कार्यवाही करने में कतराते क्यों हैं ? प्रशासन क्यों पंगु हो जाता है ? क्या सिर्फ और सिर्फ सत्ताधारी लोगों के इशारों पर ही प्रशासन काम करेगा. यही वजह है कि चाहे पोषण आहार की बात हो, किसानों की समस्या की बात हो, चाहे अन्य समस्यायें हों आपकी सरकार कहती कुछ है परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रदेश में हालत इतनी बिगड़ती जा रही है कि इसमें 222 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. माननीय मुख्यमंत्री जी स्वास्थ्य के विषय में कितने चिंतित हैं, इसे मैं एक उदाहरण से आपको बताना चाहता हूं कि अभी हाल में राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में यह बात कही गई थी कि डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए जहां आवश्यकता होगी वहां आयुर्वेद एवं यूनानी डॉक्टरों को लगाया जाएगा लेकिन हमारे यहां हो यह रहा है कि पशु चिकित्सकों को भी इंसानों के इलाज के लिए नियुक्त करना शुरू कर दिया गया है. हाल ही में लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग ने विधान सभा क्षेत्र बुधनी में पदस्थ पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारी डॉ. शैलेश कुमार साकल्ले को स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सा अधिकारी के पद के विरूद्ध पदस्थ किया गया है. मैं डॉ.शैलेश कुमार साकल्ले को नहीं जानता हूं. मुख्यमंत्री जी के ही विधान सभा क्षेत्र के हैं. इनके आदेश दिसंबर 2016 के हैं. इन्हें लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में चिकित्सा अधिकारी पद के विरूद्ध राज्य एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम का अधिकारी बना दिया गया है. (शेम-शेम की आवाज)
अध्यक्ष महोदय, यूनानी, होम्योपैथी तो समझ रहे हैं. पशु चिकित्सक भी हमारे यहाँ आ जाएँगे? एक तो वैसे ही व्यापम में 634 लोग पता नहीं कहाँ होने वाले डॉक्टर कहाँ चले गए? यह आदेश है भाई.
वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार)-- इलाज का नहीं है भाई.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- जवाब मिलेगा.
श्री अजय सिंह-- जवाब तो दोगे ही.
श्री आरिफ अकील-- जवाब में तो नंबर वन हो आप.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, ठंडक से सुनें तो दिक्कत है आपको. आप ही उधर से बोलने लगते हों, हम बोलें तो दिक्कत है. ऐसे कैसे काम चलेगा?
श्री आरिफ अकील-- आप लोग बैठे बैठे बोलो तो कुछ नहीं....
श्री अजय सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहाँ तक ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट की बात है. कौन नहीं चाहता कि मध्यप्रदेश में उद्योग स्थापित हों? कौन नहीं चाहता यहाँ की बेरोजगारी दूर हो? कौन नहीं चाहता यहाँ के पढ़े-लिखे युवा को अच्छी नौकरी मिल जाए? लेकिन यदि पाँच लाख छः हजार दो सौ करोड़ का अनुबंध हो और सिर्फ छब्बीस सौ करोड़ का जमीन में आए तो यह इन्वेस्टर्स समिट की बात क्या है? माननीय अध्यक्ष महोदय, आप से एक अनुरोध है आज सदन के सभी साथी जानना चाहते हैं कि जितनी इन्वेस्टर्स समिट हुए हैं उसमें शुरू से लेकर 2016 के इन्वेस्टर्स समिट में कितने हजार लाख करोड़ का अनुबंध हुआ है और उस अनुबंध के बाद जमीन पर कितने कारखाने लगाए गए हैं? माननीय मुख्यमंत्री जी, आज यह हम लोगों को अपने भाषण में जरूर बताएँ. लेकिन देशी-विदेशी मेहमानों की खातिरदारी में कोई कमी नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री महोदय तो हर कार्यक्रम को एक उत्सव बना देते हैं. आओ भाई, खजाना अपना तो है ही नहीं. मध्यप्रदेश का खजाना है लुटाओ, दे दो. यह भी कार्यक्रम करो, वह भी कार्यक्रम करो. अध्यक्ष महोदय, रुचि नहीं ले रहे भोपाल में एजुकेशन हब बनाने के लिए, अचारपुरा से बड़ी लागत के ग्यारह भूखण्ड खाली पड़े हैं. रायसेन के तामोट में प्लास्टिक पार्क के एक सौ चार प्लाट में कोई निवेशक नहीं आया. विदिशा के जांगरबागरी में एक सौ चौदह में से केवल चार सौ पचास वर्ग मीटर का केवल एक भूखण्ड बुक हुआ. यही हाल होशंगाबाद के कीरतपुर का है. यहाँ तीन सौ अस्सी प्लाट खाली हैं. बाकी संभागों के भी यही हाल हैं. मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय से गुजारिश करूँगा कि हर इन्वेस्टर्स समिट में वह कोई न कोई दो चार केन्द्रीय मंत्री को बुलाते हैं और बहुत ताम-झाम से घोषणा होती है. फिर अखबार में आता है कि फलाने केन्द्रीय मंत्री ने यह सौगात मध्यप्रदेश को दी. मैं तीन चार उदाहरण दे देता हूँ. ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में केन्द्रीय इस्पात मंत्री, नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा था बॉक्साइट रिजर्व क्षेत्र में नाल्को छःहजार करोड़ निवेश करेगा. सौर ऊर्जा के लिए एचसीएल सौ करोड़ तथा मेगनीज संयंत्र के लिए माइल दो सौ पचास करोड़ का निवेश करेगा. हीरा उत्खनन के लिए एनएमडीसी टीकमगढ़ में एक हजार करोड़ निवेश करेगा. नाल्को उन्नीस हजार करोड़ तथा एनएमडीसी तीन हजार करोड़ का निवेश करेगा, लेकिन अब तक एक का भी पालन नहीं हुआ. फिर उसी तरह बंगलौर से आए थे रसायन मंत्री, जो एक समय आप लोगों के प्रभारी थे. उन्होंने वायदा किया था कि बीना रिफायनरी क्षेत्र में एक लाख करोड़ की लागत से पेट्रो इन्वेस्टमेंट रीजन, पेट्रो केमिकल कांप्लेक्स बनेगा. बीना रिफायनरी की क्षमता छःहजार से बढ़ाकर आठ मिलियन टन, पच्चीस हजार करोड़ से की जाएगी. क्या हुआ माननीय अध्यक्ष महोदय? सिर्फ घोषणा? इन्वेस्टर्स मीट में सब चीज घोषणा भर है? अच्छा खासा मंच सज जाता है, भोजन अच्छा हो जाता है, चार सौ रुपये की प्लेट, पन्द्रह सौ रुपये की हो जाती है, उससे हम लोगों को चिंता नहीं, खर्च करो, लेकिन इन्वेस्ट की जो बात हुई वह तो हो. गेल में, मंत्री अनंत कुमार ने यह कहा था दस हजार करोड़ से गैस ग्रिड बनाएँगे. जबलपुर और शहडोल में 12000 करोड़ रूपये के उर्वरक संयंत्र, मंडीदीप में प्लास्टिक पॉर्क, इसी तरह एक और उद्योग राज्यमंत्री निर्मला सीतारमन आईं थीं. उन्होंने कहा था कि पीथमपुर, धार, महू ये सबसे बड़ा इन्डस्ट्रीयल हब बनेगा. उज्जैन के पास स्मार्ट इन्स्ट्रीयल सिटी विकसित होगी. मध्यप्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित किए जाएंगे. क्या इन्वेस्टर्स समिट में सिर्फ घोषणाओं के लिए इन लोगों को बुलाया जाता है या कोई फॉलोअप भी होता है ? सिर्फ दो-तीन दिन अखबार में छपा, सबने वाहवाही लूटी, इन्वेस्टर्स समिट बहुत अच्छा हुआ लेकिन धरातल में क्या हुआ ? एक रिपोर्ट के आधार पर बताना चाहता हॅूं. श्रम और रोजगार मंत्रालय की सर्वेक्षण रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि देश में घटी बेरोजगारी और मध्यप्रदेश में बढ़ी बेरोजगारी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में बेरोजगारी वर्ष 2012-13 में 1.8 प्रतिशत थी जो वर्ष 2013-14 में 2 प्रतिशत हो गई एवं वर्ष 2015-16 में 3 प्रतिशत हो गई. जब इतने इन्वेस्टर्स समिट हो रहे हैं, इतने उद्योग स्थापित हो रहे हैं मुख्यमंत्री जी जान लगा रहे हैं. सब कुछ हो रहा है तो बेरोजगारी बढ़ क्यों रही है ? अभी कल मुझसे युवा लोग मिले थे कि सरकार हमारे प्रदेश की बेरोजगारी दूर नहीं करने के प्रयास कर रही है. बाहर के लोगों को यहां पर इम्तिहान देने के लिए छूट दे रही है. यदि मध्यप्रदेश का युवा किसी प्रांत में नौकरी लेने जाना चाहता है तो उसके लिए अलग-अलग शर्त होती है. उत्तरप्रदेश में दसवीं और बारहवीं की परीक्षा राज्य शिक्षण बोर्ड से उत्तीर्ण होना आवश्यक है. झारखंड में भी इसी तरह का है. छत्तीसगढ़ में पटवारी पद के लिए केवल छत्तीसगढ़ के मूल निवासी को ही लिया जाएगा लेकिन मध्यप्रदेश में चाहे कोई महाराष्ट्र से आ जाए, चाहे उत्तरप्रदेश से आ जाए, चाहे झारखंड से आ जाए तो हमारे युवा कहां जाएंगे ? (मेजों की थपथपाहट) हमारे युवाओं को रोजगार कैसे मिलेगा ? यदि चिन्ता है तो इस तरह का कानून बनाएं, इस तरह का प्रावधान रखें कि मध्यप्रदेश को प्राथमिकता हो. यहां पर दसवीं या बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण किया हो, उसको प्राथमिकता हो. यह न हो कि 36 ट्रांसपोर्ट के सिपाही भर्ती हो जाएं. किसी एक शहर के जो मध्यप्रदेश के निवासी न हों. उन्होंने न दसवीं पास की, न बारहवीं पास की. किसी और दूसरे प्रांत से, महाराष्ट्र से आ गए, लेकिन इस तरह का नहीं चलेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक अवैध उत्खनन की बात है, माननीय मुख्यमंत्री महोदय से प्रार्थना है कि केन्द्र सरकार की योजना के तहत मेजर और माइनर मिनरल चेंज हुआ. माइनर, मिनरल कुछ और सूची में जोडे़ गए और उसके लिए गजट नोटिफिकेशन मध्यप्रदेश को लागू करना है लेकिन आज की तारीख में 8 महीने हो गए यहां पर गजट नोटिफिकेशन नहीं हो रहा है और क्यों नहीं हो रहा है ? मिनिस्ट्री ऑफ माइंस ने गजट नोटिफिकेशन किया था उसका सिर्फ यहां से अगेट, बॉल क्ले, बैराइट, कैल्साइट, चॉक इन सब चीजों पर मेजर से माइनर कर दिया जाए लेकिन वह नहीं है. मध्यप्रदेश में तो अवैध उत्खनन से ही हमारा सब काम चल रहा है. बडे़ दु:ख के साथ कहना पड़ रहा है कि कानून कुछ और कहता है. कानून में प्रावधान है कि जो रेत का डंपर बनता है उसका बार कोड बनना चाहिए. ट्रेकिंग डिवाइस उसमें लगानी चाहिए. कहाँ से आ रहा है, कहाँ जा रहा है वह सब सुनिश्चित करना चाहिए. लेकिन मध्यप्रदेश में खुलेआम, मैं आरोप लगाता हूं, भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं के संरक्षण में अवैध रेत का खनन हो रहा है. कल ही हम लोग सुन रहे थे, हर-हर नर्मदे. माननीय अध्यक्ष महोदय, शर्म आनी चाहिए. जिस हर-हर नर्मदे की चिंता आपको है उसी माँ नर्मदा की चिंता हम सब को भी है. हमारी भी वह उतनी ही पवित्र नदी है लेकिन उनको छलनी बनाकर वहाँ से अवैध उत्खनन हो रहा है यह कौनसी बात है?
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माइनिंग के रूल्स हैं, उसमें आप यदि देखें और आप ही की एसेसमेंट, एनवायरमेंट क्लीयरेंस में इस तरह से हैं कि"No Transportation shell be permitted in the village". गांवों के अंदर ट्रांसपोर्ट नहीं होगा. हाईवा, कच्चा नेरो रोड में नहीं चलेगा, यह कानूनन है. लेकिन आप बता दीजिये सब के गृह क्षेत्रों में जहाँ भी अवैध उत्खनन हो रहा है, रेत का ट्रांसपोर्टेशन हो रहा है, यदि किसी के क्षेत्र में प्रधानमंत्री सड़क योजना की सड़क हो, आज वह किस हालत में हो गई, यह आप सब जानते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी भी नदी का डायवर्सन एलाउड नहीं है लेकिन नर्मदा में पुल बना दिया जाता है, नर्मदा नदी में मशीन से रात को रेत का खनन होता है. कहीं यह प्रावधान नहीं है कि नदी के अंदर मशीन का उपयोग हो. नियमों में लिखा है कि" heavy vehicle should not be allowed on the banks for loading of sands. mining activities shall be done manually.लेकिन अब मैं क्या बताऊँ. माननीय मुख्यमंत्री महोदय के हाथ भी बँधे हैं. मैं समझता हूं उनकी चिंता है कि इसको कैसे रोकें. अभी हाल में आपके ही क्षेत्र से डंपर आ रहे थे किसी अधिकारी ने उसको रोका. अब समस्या यह है कि मैं कुछ कह दूंगा तो दिक्कत हो जाएगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं किसी के ऊपर आरोप नहीं लगा रहा हूं.शायद मुख्यमंत्री जी को जानकारी भी ना हो कि हमारे भतीजे ने जो माइन ली है उसका आज तारीख तक एनवायरमेंटल क्लीयरेंस नहीं है. यदि उस जहाजपुरा माइन की एनवायरमेंटल क्लीयरेंस नहीं है तो उनका डंपर रेत कहाँ से लेकर आ रहा है और यदि किसी दूसरे का डंपर पकड़ लिया जाता है तो उसके लिए तो कार्यवाही राजसात् की होती है. बड़वानी में मुख्यमंत्री महोदय ने कहा कि आज के बाद किसी का डंपर अवैध रेत उत्खनन में पकड़ा जाएगा तो राजसात् होगा लेकिन भोपाल में कितने डंपर पकड़े गये और कितने छोड़ दिये गये, उसका उत्तर माननीय मुख्यमंत्री जी देंगे. हम तो यह जानते हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी बहुत ही संवेदनशील हैं. चाहते हैं लेकिन उनके भी हाथ कुछ दबे हुए हैं. उनके आसपास कुछ ऐसे प्रभावशाली लोग हो गये हैं कि उससे वह निकल नहीं पा रहे हैं.आज मध्यप्रदेश में 586 रेत खदानें हैं उसमें से 450 रेत खदानें सिर्फ दो लोगों के पास हैं. एक कोई शिवा कार्पोरेशन है और दूसरा दिव्यानी इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड है. यह कौन लोग हैं ? किन के साथ जुड़े हैं, किन का संरक्षण प्राप्त है? एक माइनिंग अधिकारी के ऊपर हाईवा चलाने की कोशिश होती है. मुरैना में एक बड़े होनहार युवा आईपीएस अधिकारी नरेन्द्र के ऊपर कोशिश होती है. पन्ना में कोशिश होती है, केन नदी में कोशिश होती है, भिंड में एस.डी.एम. की पिटाई होती है, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कितने अधिकारियों के नाम बताऊँ ? आप खुद ही चिंतित हैं, आप तो नर्मदा जी के तट पर रहते हैं, आपसे ज्यादा चिंता किसको होगी ?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नेता जी, आप कितना समय लेंगे ?
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तो शुरू किया है. अभी तो फ्लो में आया हूँ. दो-चार दफे टोकेंगे तो और फ्लो में आऊँगा.
अध्यक्ष महोदय -- आपको 35 मिनट हो गए हैं.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं ज्यादा समय नहीं लूंगा, दो-चार बात ही ऐसी हैं जिनका जिक्र मैं करना चाहता हूँ. मुख्यमंत्री महोदय से मैं इतनी ही प्रार्थना करना चाहता हूँ कि आप जो बयान देते हैं कि छोड़ो मत किसी को, पकड़ के रखो, कोई भी रेत का अवैध उत्खनन करेगा, उसको तुरंत बंद कर दो, तो फिर वह छूट कैसे जाता है ? यदि आप माँ नर्मदा की यात्रा कर रहे हो तो माँ नर्मदा के अंदर अवैध रेत उत्खनन क्यों हो रहा है? माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा माननीय मुख्यमंत्री जी से स्पष्ट अनुरोध है कि आज की तारीख में अपने भाषण में कह दें कि आज के बाद नर्मदा नदी से अवैध उत्खनन किसी तरह से नहीं होगा और मेरे परिवार का कोई भी व्यक्ति यदि पकड़ा जाएगा तो उसको उसी दिन जेल भेज देंगे. हर-हर नर्मदे.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा 'हर-हर नर्मदे' के नारे लगाए गए)
क्या आप ही हर-हर नर्मदे कर सकते हो ? क्या आप ही नर्मदा जी के प्रेमी हो ? हम लोग नहीं हैं ? अध्यक्ष महोदय को नर्मदा से जितना प्रेम है उतना किसी को नहीं हो सकता. बचपन में वहाँ स्नान करने के लिए जाते थे.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, माँ नर्मदा तो पाप-नाशिनी है तो इनको भी अधिकार है.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मुझे चिंता इसलिए है कि पवित्र माँ नर्मदा नदी मेरे संभाग से निकलती है, माँ नर्मदा का उद्भव अमरकंटक से है, हमें यह चिंता है कि जहाँ एक कुंड से माँ नर्मदा जी निकलती हैं, वह सही सलामत बनी रहे. आप कितना भी चाहो उसको रोक नहीं सकते, लेकिन यह अवैध उत्खनन रोक दो. नर्मदा जी की जो पवित्रता है उसको खंडित मत करो. पैसा खर्च करना है तो मंदिरों के जीर्णोद्धार में खर्च करो, वहाँ के घाट मरम्मत कराओ. वहाँ के सीवेज के लिए कुछ प्रावधान करो, अभी तक उसमें कुछ नहीं हो रहा है. यदि सारे लोगों की एक दिन की अवैध कमाई को ही लगा दें तो सेठानी घाट चमक जाए ? अध्यक्ष महोदय, वहाँ पर आरती करने के लिए हम दोनों साथ गए थे. यह माइनिंग की बात हुई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहाँ तक आदिवासी विकास की बात है, इसके लिए बहुत सारा समय लिया. इसके लिए बहुत सारा बजट का प्रावधान भी है, लेकिन मुझे बहुत दु:ख हुआ, कल के बजट भाषण के बाद आज का अखबार पढ़कर कि क्या अभी भी हम बीमारू हैं? कब इससे उठेंगे ? जयंत मलैया जी, लगता है कि आप ही ने कुछ कह दिया है, आज किसी न्यूज-पेपर की हेडलाइन है कि मध्यप्रदेश अभी भी बीमारू है. 20 प्रतिशत कृषि विकास दर है, 10 प्रतिशत जी.डी.पी., इसके बाद भी हम बीमारू हैं. आप घर जाकर अखबार पढ़ लीजिएगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहाँ तक आदिवासी भाइयों की बात है, जो मध्यप्रदेश का मूल निवासी है और जिसके ऊपर पूरी भारतीय जनता पार्टी की सरकार टिकी हुई है.सबसे ज्यादा वहां पर बजट आवंटित हुआ है करोड़ों रूपये का, लेकिन मध्यप्रदेश के दौरे पर आये हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री रामेश्वर ओरांव कुछ दिन पहले आये उन्होंने कहा कि दो साल में आदिवासी क्षेत्रों में कोई भी चमत्कार नहीं हुआ है. वे बदहाली में हैं , वे रामेश्वर ओरांव कौन हैं, आपकी ही पार्टी के है उन्होंने पत्रकारवार्ता में कहा कि जमीनी हकीकत केन्द्र सरकार को पेश की जायेगी, फिर वह झाबुआ का दौरा करने गये हैं वहां पर पत्रकारों से कहा कि झाबुआ में लोगों को 3 - 4 दिन के अंतराल से पानी मिल रहा है, इसकी व्यवस्था नहीं है, कौन दोषी है आदिवासियों को मुक्तधारा से जोड़ने की सरकारी कोशिशें फ्लाप साबित हो रही हैं. बहुत सारी बातें उसमें कहीं गईं कि स्कालरशिप दी जायेगी. आजकल तो एक अलग विडंबना है सभी माननीय विधायक साथी परेशान होंगे हम भी बहुत परेशान हैं, आप भी परेशान हैं, जिस जिले में चले जायें खुले में शौच नहीं होगा, हम नंबर एक हैं ओडीएफ में पूरा काम धाम ठप्प हो गया है किसी कलेक्टर को ढूंढो, किसी एसडीएम को ढूंढों तो पता चलता है कि साहब सुबह 4 बजे से गये हैं कोई खेत खलिहान देखने के लिए, ओडीएफ में, शौचालय बन जायेंगे लेकिन पानी की व्यवस्था नहीं है, आदिवासी क्षेत्र में पानी की बात ओरांव साहब गये थे उसके बाद में अब क्या हालत है.
अध्यक्ष महोदय, अभी हाल में दो तीन महीने पहले राजधानी में अनुसूचित जाति जनजाति युवा संघ ने रोजी रोटी संघर्ष अभियान के बैनर तले रैली आयोजित की गई थी प्रदेश भर से आये युवाओं की भीड़ को देखकर पुलिस की सांसें फूल गईं और एसडीएम ज्ञापन लेने पहुंचे तो छात्र भड़क गये तो रेपिड एक्शन फोर्स ने लाठियां बरसाई हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक जनश्री बीमा योजना में भी गड़बड़ी है. एक कोई सहायक आयुक्त हैं ग्वालियर में, बीमा कंपनी से सांठगांठ कर , कंपनी को 1 करोड़ 72 लाख का अग्रिम भुगतान कर दिया, ग्वालियर के सहायक आयुक्त ने भुगतान किया डिंडौरी, मण्डला, छिंदवाड़ा, बालाघाट, अनूपपुर के आदिवासी भाइयों का आखिर इन घोटालों की जांच भी तो होना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं व्यापम के बारे में नहीं बोलना चाहता. अब उसमें कितना संघर्ष हुआ, कितना लोग परेशान हैं, उसके लिए मैं व्यापम पर चिंता कर अपना समय व्यतीत नहीं करूंगा क्योंकि उसमें माननीय मुख्यमंत्री जी खुद ही चिंतित हैं कि कैसे इससे बचें, यह क्या हो गया है, यह क्या है व्यापम घोटाला ? बड़े दुख के साथ में कहना पड़ रहा है कि इस व्यापम घोटाले ने मध्यप्रदेश की एक युवा पीढ़ी समाप्त कर दी है. ( विपक्ष की तरफ से शेम शेम की आवाजें ) एक युवा पीढ़ी उनकी उम्र नहीं लौटने वाली है वह तो भूल जायें जो 634 मेडीकल छात्रों को निकाल दिया गया है. क्या हुआ है सुप्रीम कोर्ट में, लेकिन लाखों की संख्या में जिनको रोजगार मिला है और जिनको नहीं मिला है जो अभाव से रह गये हैं, वे गरीब अभिभावक कोई मंडला का, कोई डिंडौरी का, कोई बैतूल का उसने ट्यूशन दिलवाकर अपने बच्चे को पढ़ाया लेकिन उसकी नियुक्ति नहीं हुई है, उसकी जगह पर कोई झोला दे गया है उसकी नियुक्ति हुई है. अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी मैंने पहले ही कहा है आपको बहुत चिंता है, आप बहुत संवेदनशील हैं. आप दिन रात मध्यप्रदेश के विकास के लिए सोचते हैं, लेकिन आप सावधान हो जाइये कि आपके आसपास कुछ ऐसे लोग हो गये हैं जो आपकी बाधा बन गये हैं, आपको भ्रमित करते हैं, वह तो कहते हैं कि हम कुछ भी कान में बताते हैं वह मान जाते हैं, यह क्या है ? आप इतने भले मत रहो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यापम में क्या हालत हुई क्या नहीं हुई यह सबको अच्छी तरह से मालूम है लेकिन यह जरूर है माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो व्यापमं का घोटाला हुआ है उसके संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने दो तीन चीजें कहीं हैं, मैं उनका जिक्र करना चाहता हूं. व्यापम घोटाला मध्य प्रदेश के लिये काला धब्बा है. इस व्यापम घोटाले ने मध्यप्रदेश को कलंकित कर दिया है, चाहे हम कितनी भी सफाई दें, परंतु अब तो इतिहास में आ गया है कि व्यापम घोटाला कहां हुआ है, यह घोटाला मध्यप्रदेश में हुआ है और सुप्रीमकोर्ट ने तीन सवालों के जवाब भी मांगे हैं, राज्य में कितने घोटाले हुए हैं ? घोटाले हुए हैं तो उनकी जांच कहां तक पहुंची है ? और पटवारी से लेकर पीएससी तक अगर कोई घोटाला हुआ तो उसकी पूरी जानकारी दें ? (मेजों की थपथपाहट) मतलब सुप्रीम कोर्ट को भी मालूम पड़ गया है कि पटवारी से लेकर पीएससी तक घोटाला हुआ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मैं नहीं कह रहा हूं यह सुप्रीमकोर्ट के निर्देश हैं और जब यह बात निकली थी, तो भारतीय जनता पार्टी के कुछ सांसदों ने भी सुप्रीम कोर्ट को कहा और टिप्पणी की थी. अब माननीय मुख्यमंत्री जी उन सांसदों का नाम जानते होंगे, जिन्होंने कहा है, सही कहा है, यह गलत हुआ है. इस संबंध में सरकार को चिंता का विषय होना चाहिए मैं अकेले में आपको नाम बता दूंगा, वैसे आपको जानकारी होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पूरे अभिभाषण को बड़ी बारीकी से देखा कि कहीं पर एक लाईन में भी वर्ष 2015-16 के सबसे बड़े आयोजन के बारे में जिक्र होगा, लेकिन सिंहस्थ के बारे में एक शब्द नहीं आया, क्यों नहीं आया ? ऐसी क्या बात हो गई कि जब पिछले वर्ष राज्यपाल के अभिभाषण में हम लोग सुन रहे थे कि इस वर्ष सिंहस्थ होने वाला है, हमने यह व्यवस्था की है और इस तरह से सब सुनिश्चित व्यवस्था की जायेगी कि कोई भी श्रद्धालु कहीं से भी आयेगा, उसके लिये कोई दिक्कत नहीं रहेगी, लेकिन इस साल एक शब्द भी नहीं आया. यह शोध का विषय होना चाहिए कि यह शब्द क्यों नहीं आया है और हिसाब की बात तो छोड़ दीजिये. (डॉ. गौरीशंकर शेजवार द्वारा अपने आसन से बैठे बैठे कुछ कहने पर)
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा है कि शेजवार जी की पुरानी आदत है बैठे-बैठे बोलने और मुस्कुराने की और मुस्कुराकर, बैठकर, बोलकर मुख्यमंत्री को फंसाने की आदत है. यह आपके शुभचिंतक नहीं है माननीय मुख्यमंत्री महोदय, यह मेरा आरोप है और यह मुख्यमंत्री जी आप जानते हैं
श्री गौरीशंकर शेजवार - (श्री जितू पटवारी द्वारा अपने आसन से बैठे-बैठे कुछ कहने पर) बाकी तो सब ठीक है लेकिन आप वकील थोड़े अच्छे स्तर का रखो, यह वकील जम नहीं रहा है.
श्री अजय सिंह - मैं अभी नया नया वापस आया हूं मैं वकील ठीक रखूंगा लेकिन आप पुराने हो गये हैं और आप उनकी वकालत न करो.
अध्यक्ष महोदय - माननीय नेता जी आप कितना समय और लेंगे, 50 मिनट हो चुके हैं.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ की बात का कहीं जिक्र नहीं हुआ है, लेकिन अभी दो दिन पहले ही माननीय बाबूलाल गौर जी ने और एक अन्य किसी भारतीय जनता पार्टी के नेता ने उज्जैन में कहा कि जो नर्मदा-क्षिप्रा लिंक है उसमें प्रदूषित जल खान नदी में आने लगा है. हमने बहुत सुना है 650 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं. माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने बहुत बेहतर काम किया है. मैं भी सिंहस्थ में गया था, मैंने भी डुबकी लगाई, बहुत अच्छा जल था, लेकिन इतना जल्दी कैसे खराब होने लगा, इसको थोड़ा आप चैक करिये. कौन सी कंपनी को आपने ठेका दिया था ? कहां की कंपनी थी ? वह कंपनी मध्यप्रदेश की नहीं थी वह कंपनी गुजरात की थी (मेजों की थपथपाहट) क्या हुआ उसमें, किसने पैसा खाया, यह माननीय मुख्यमंत्री महोदय आपसे गुजारिश है. माननीय मुख्यमंत्री हरदम कहते हैं, जीरो टॉलरेंस इन करप्शन. जीरो टॉलरेंस इन करप्शन मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री का नारा है. हम स्वागत करते हैं. लेकिन आज भी 163 लोगों के ऊपर अभियोजन का कार्यवाही नहीं हो पा रही है. लोकायुक्त में भेजा गया है, लेकिन उसमें कार्यवाही नहीं हो रही है. शिवराज सिंह जी सरकार 200 भ्रष्ट अफसरों पर अभियोजन की कार्यवाही की अनुमति नहीं दे रही है. पिछले एक साल में लोकायुक्त ने सिर्फ राजस्व विभाग के 113 अधिकारियों-कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए दबोचा और दुःख की बात है कि आज तक लोकायुक्त कोई नहीं है?
माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकायुक्त का होना बहुत जरूरी है, यदि करप्शन जीरो टॉलरेंस है. इस वर्ष के राज्यपाल अभिभाषण में जैसे परंपरागत 2-3 साल से हम सुन रहे हैं कि हम मेट्रो में सफर करेंगे. चाहे वह भोपाल की हो, चाहे वह इंदौर की हो, चाहे और कहीं की हो. हर बार यह आ जाता है कि मेट्रो के लिए सरकार संकल्पित है. लेकिन मेट्रो का कोई बजट आवंटन हुआ क्या? क्या मेट्रो के लिए फाइनेंस जैसी कोई चीज तय हो गई? जो जापान की कंसल्टेंसी कंपनी जाइका या जो कोई भी थी, उसने मना कर दिया. माननीय मुख्यमंत्री उनसे मिलने जापान भी गये थे. कोशिश पूरी है. लेकिन यह मेट्रो, जो माननीय श्री बाबूलाल गौर जी एक दिन मंत्राणी महोदया से प्रश्नकाल में पूछ रहे थे कि हमारी मेट्रो का क्या हुआ, तो उन्होंने कहा कि जैसा आप छोड़ गये थे, उसी तरह हालत आज भी हैं.
नगरीय विकास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) - अध्यक्ष महोदय, जो शब्द वह कह रहे हैं ऐसा नहीं कहा. गलत शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं.
श्री अजय सिंह - अंदाज ऐसा ही कुछ था. लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें बड़ी खुशी है. राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में भी यह बात आई कि मध्यप्रदेश की इतनी सारी सिटी, स्मार्ट सिटी बन रही हैं. वैसे जहां जहां चुनाव होता है, उप चुनाव होता है वहां पर मिनी स्मार्ट सिटी मुख्यमंत्री जरूर बना देते हैं. अभी हाल ही में मैहर उपचुनाव हुआ था तो उसको भी बता आए थे कि मिनी स्मार्ट सिटी बना देंगे. सतना को आने वाले समय में जोड़ना है. उपाध्यक्ष महोदय भी उसके लिए अनुरोध कर रहे थे कि वह स्मार्ट सिटी से जुड़ जाय. लेकिन स्मार्ट सिटी तो दूर की बात है. राजधानी भोपाल में वर्ष 2004 से आज तक मास्टर प्लॉन नहीं बन पाया. जब श्री जयंत मलैया जी पहले मंत्री थे, तब उन्होंने कहा था कि हम मास्टर प्लॉन जल्दी ही लाने वाले हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 12 साल हो गये हैं. भोपाल राजधानी का मास्टर प्लॉन नहीं बन पाया और इसी वजह से रोजाना अवैध कालोनियां बन रही हैं. ग्रीन बेल्ट में इनक्रोचमेंट हो रहा है. मैंने खुद भोपाल राजधानी के कलेक्टर महोदय को भदभदा पुल से लेकर रातीबड़ तक उनको दिखाया कि कल इस रोड पर चौड़ीकरण होगा तो कैसे होगा क्योंकि दोनों तरफ इनक्रोचमेंट हो रहा है? उन्होंने कहा कि मैं तुरन्त कार्यवाही करूंगा. 6 महीने हो गये हैं? कार्यवाही तो दूर की बात है, मैंने पता लगाया कि कब्जा किसका है? छोटे-छोटे भाजपा नेता दोनों तरफ गुमटियां पहले बनाते हैं, मिट्टी भरते हैं और उसके बाद होटल तान देते हैं. मैं इसलिए कह रहा हूं कि श्री बाबूलाल गौर जब मुख्यमंत्री थे, तब पूरा अमला साक्षी ढाबे को तोड़ने के लिए जा चुका था. लेकिन उस समय माननीय मुख्यमंत्री का बहुत चहेता वह पार्षद था, जिसका वह ढाबा था और उन्होंने कहा कि अरे, इसको तोड़ो मत भाई, मैं मुख्यमंत्री हूं, कितना बुरा असर जाएगा तो वह ढाबा रुक गया. यह कहानी नहीं है, यह सही है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी, आपसे अनुरोध है 1 घंटा हो गया है, कृपया अब समाप्त करें.
श्री अजय सिंह - लेकिन यह जरूर बात है कि हम बड़े खुश हैं, जब से डिपार्टमेंट ऑफ हेप्पीनेस बना है, हम आनन्दम में हैं. मिले चाहे कुछ नहीं लेकिन खुशी, है खुशी कि नहीं है. उस तरफ क्या है मैं बताता हूं? हम सब हेप्पीनेस से इतने गदगद हैं, सुबह उठते हैं तो गदगद, शाम को सोते हैं तो गदगद हेप्पीनेस. भूटान में ग्रॉस डोमोस्टिक हेप्पीनेस इंडेक्स होता है. हमारे यहां पर जीडीपी होता है वहां पर सही हेप्पीनेस होगी वहां पर सब चीजें हेप्पी हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में हेप्पीनेस लाने के लिये मुख्यमंत्री जी बहुत समय लगेगा, पर आपकी सोच अच्छी है, क्रियान्वयन गड़बड़ है. एक नारा अंत में जरूर कहना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी के बेनर तथा होर्डिंग्स में लिखा रहता है कि सबका साथ नहीं. सबका साथ अपना हाथ. धन्यवाद.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)--माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं नेता प्रतिपक्ष को फिर से नेता प्रतिपक्ष बनने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं. नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उनका सबसे पहला बयान मैंने पढ़ा कि कांग्रेस को 2018 में जीतने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है, क्योंकि मैं नेता प्रतिपक्ष बन गया हूं.
श्री अजय सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बयान उस संदर्भ में दिया था कि जब 22 तारीख को सम्पूर्ण नेता यहां पर आये थे उसके बाद ही यह बयान दिया था कि अब कोई ताकत नहीं रोक सकती है और मैं यह दावे के साथ कहता हूं कि 2018 में कोई ताकत कांग्रेस को नहीं रोक सकती है.
अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषय
अध्यक्ष महोदय--कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर माननीय मुख्यमंत्री का भाषण पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव एवं संशोधनों पर चर्चा (क्रमशः)
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, जब अजय सिंह जी नेता प्रतिपक्ष बने हमारे कुछ मंत्री उनके पास जाकर बधाई देने के लिये बैठे. हमारे एक सदस्य ने बड़ा गुस्सा करते हुए कहा कि उनके पास मंत्री क्यों बार-बार जा रहे हैं तो दूसरे सदस्य ने कहा कि वह भी तो अपने ही हैं .
श्री शिवराज सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने कहा कि मैं नेता प्रतिपक्ष बन गया हूं इसके पहले जो थे माटी‑कूड़ा थे वह किसी के काम के नहीं थे अब मैं आ गया हूं. वह तो श्रेष्ठ वर्ग से आते हैं उन्होंने बार बार कहा कि हम लोग तो किसान के बेटे, किसान के बेटे, तो मैं किसान का ही बेटा हूं खेती करता हूं, सामान्य परिवार तथा पिछड़े परिवार से आया हूं . उन्होंने घोषणा की कि तो की दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती लेकिन विधान सभा में आने के पहले सबसा बड़ा काम किया कि यह मामा नंबर 1 पर बैठा कैसे है ? (हंसी)
श्री आरिफ अकील--हम तो मामा आपको ही मानते हैं.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह--यह अभिभाषण का विषय नहीं है.
श्री शिवराज सिंह चौहान--तो क्या ये अभिभाषण के विषय थे.माननीय अध्यक्ष महोदय, अब उठ के खड़े हो गये,नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद--
श्री के.पी.सिंह--अध्यक्ष महोदय, आपसे अर्ज कर रहा हूं कि पहले अपने मामा को हटाया अब आपको हटाएंगे तो आप भी सलामत रहोगे वह भी सलामत रहेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहली चिट्ठी विधायक दल की कि विधान सभा में उपाध्यक्ष श्रीमान राजेन्द्र सिंह जी पहले नंबर पर कैसे बैठे हैं ?
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, गलत जानकारी दे रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- मुझे सुन लें.
श्री अजय सिंह-- सुन तो लिया. आप गलत बात कर रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- आपने कई गलत बातें कही हैं.
श्री अजय सिंह-- चिट्ठी में सिर्फ लिखा था कि सुनिश्चित करें, कहां बैठेंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- आप हर कुछ बोलते रहे, हम सुनते रहे.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक सभा में व्यवस्था है कि लोक सभा के उपाध्यक्ष नंबर एक पर बैठते हैं, नेता प्रतिपक्ष उसके बाद बैठते हैं. विधान सभा का विषय मुझे नहीं पता? लेकिन मैं जानता हूं कि स्वर्गीय श्रीमान सत्यदेव कटारे जी नेता प्रतिपक्ष थे तो वह दूसरे नंबर पर बैठा करते थे. लेकिन आप दूसरे नंबर पर कैसे बैठ सकते हैं. नेता प्रतिपक्ष बनते ही...अब सामन्ती मैं नहीं कहूंगा 'आने वाले जरा होशियार, हम हैं यहां के राजकुमार. (हंसी) हम दूसरे नंबर पर बैठ ही नहीं सकते. लेकिन उन्होंने कहा-दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती. अध्यक्ष महोदय, हम तो सामान्य नागरिक हैं. जनता के सेवक हैं. दम्भ और अहंकार से भरे हुए नहीं हैं. लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि आप हो या कोई और हो यदि किसी में रोकने की ताकत है तो लोकतंत्र में जनता-जनार्द्धन में है. यह दम्भ और अहंकार की भाषा नहीं बोलना चाहिए.
श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय, यह कहना गलत है. जितने भी लोग हैं सब जनता द्वारा चुन कर आये हैं (व्यवधान)
श्री उमाशंकर गुप्ता-- मुकेश नायक जी ये क्या है, इनको समझाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष ने कई चीजों का उल्लेख किया. मैं केवल इतना निवेदन करना चाहता हूं. मैंने बाकी भाषण भी देखे. मैंने महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी का भाषण पढ़ा. गोविन्द सिंह जी यहां बैठे हैं. गोविन्द सिंह जी को बाबाओं से बड़ा प्रेम है. पहले वह एक बाबा के पीछे पड़े थे, अब पता नहीं वह कहां से खोज करके लाये हैं, शोध करके लाये कि शहद से मध्यप्रदेश में रोज चार लोग मर रहे हैं !
अध्यक्ष महोदय, मैंने एक एक भाषण बड़े ध्यान से पढ़ा. घूम फिर कर सारे भाषणों का लब्बोलुआब है शिवराज सिंह चौहान. सोते-बैठते-उठते-जागते. दिन में तो दिन में, कई बार रात में चमक-चमक कर जाग जाते हैं शिवराज कब हटेगा, शिवराज कब जाएगा? अभी पचमढ़ी की गाथा सुना दी. पचमढ़ी में मैं अकेला नहीं था. मेरे विधायक दल के सारे सदस्य थे. सब अंतर्रात्मा पर हाथ रख कर बताएंगे. हम लोगों ने आचरण-संहिता की बात की. नैतिकता की राजनीति कैसे करें? हां, मैंने कहा था कि आर्थिक दृष्टि से हमको सबल बनना चाहिए और इसके लिए हमारे जायज आर्थिक स्रोत विकसित करने चाहिए. हमको बेईमानी और राजनीति से पैसा कमाने का पाप कभी नहीं करना चाहिए.(मेजों की थपथपाहट) लेकिन पता नहीं कहां से आधी-अधूरी जानकारी ले ली. आपके जासूस अगर आपने भेजे तो जरा आप विचार कर लेना वह प्रामाणिक नहीं हैं. ऐसे तो आपको फंसा देंगे. अभी तो पहली बार है. आप मुझे कह रहे थे और मैं आपको कह रहा हूं कि ऐसे लोगों की बातों पर भरोसा मत करना नहीं तो गहरी चोट खाओगे.
अध्यक्ष महोदय, आप मामा की बात कर रहे थे. बच्चों से लाड़, बच्चों से प्यार. आपने तो जवानी में प्रवेश करते ही बाल चुरहट लॉटरी कांड ! वह ऐसा प्रकरण था उसके कारण...अब मैं आगे नहीं कहूंगा. ज्यादा कहना ठीक नहीं है. मैं उनका आदर करता हूं. वह हमारे मित्र हैं. मैं बच्चों से प्रेम करता हूं. मैं कहने के लिए नहीं कह रहा हूं. मैं हृदय से प्रेम करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश साढ़े सात करोड़ का प्रदेश है. हम तो इसको परिवार मानते हैं. आप भी हमारे परिवार के सदस्य हैं. हम लोग राजनीति में विचारों के विरोधी हो सकते हैं लेकिन व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है. व्यक्तिगत दुश्मनी हम रखेंगे भी नहीं. लेकिन अगर मैं 11 साल से मुख्यमंत्री हूं तो इसमें मेरा कोई दोष है क्या? 11 साल से मुख्यमंत्री हूं तो आपकी मेहरबानी से हूं क्या? 11 साल से मुख्यमंत्री बनकर सरकार चला रहा हूं तो अध्यक्ष महोदय कुछ तो किया होगा.अध्यक्ष महोदय, अभी वह कह रहे थे कि आंकड़े बताओ कि तब क्या था, अब क्या है. जब आप कहोगे कि आज इस बारे में बताईये तो मैं बताऊंगा कि उसमें तब क्या था और अब क्या है और तब से वर्तमान में क्या अंतर आया है ? मैं आपको भी ध्यान दिलाना चाहता हूं और आपके माध्यम से प्रदेश की जनता का भी ध्यान दिलाना चाहता हूं. चर्चा में माननीय सदस्यों ने अलग-अलग बातें कहीं हैं. कल माननीय वित्त मंत्री जी ने बजट प्रस्तुत किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी, मैं एक-एक बिन्दु का जवाब दूंगा. उसमें कुपोषण भी शामिल है, उसमें मातृ मृत्युदर भी शामिल है,उसमें शिशु मृत्यु दर भी शामिल है. यह बात सही है कि मध्यप्रदेश ऐतिहासिक रूप से पिछड़ा राज्य था. यह बात भी सही है कि मध्यप्रदेश पहले बीमारू राज्य था लेकिन मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य होने का दंश अगर झेलना पड़ा था तो कांग्रेस के पचास सालों के कुशासन के कारण झेलना पड़ा था. मध्यप्रदेश को बदहाली में अगर किसी ने पहुंचाया था तो कांग्रेस ने पहुंचाया था. हम तेरह सालों से सरकार चला रहे हैं तो तेरह सालों का सरकार का लेखा-जोखा हम आपको भी देंगे और आपके माध्यम से प्रदेश की जनता को भी देंगे लेकिन जो हमने परिवर्तन मध्यप्रदेश में किया है वह परिवर्तन यह है कि पिछले चौदह वर्षों में राज्य के बजट का आकार आठ गुना हुआ है. कल वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण में उसका उल्लेख किया है. जब आपकी सरकार थी तो उस समय कुल बजट होता था 21647 करोड़ रुपये का और कल वित्त मंत्री जी ने बजट का जो आकार बताया है वह 1 लाख 69954 करोड़ रुपये का है. विनियोग को मिलाकर कहें तो यह 1 लाख 85 हजार करोड़ रुपये का है. अब माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने कहीं से तो संसाधन जुटाये होंगे, हमने कुछ तो अतिरिक्त प्रयत्न किये होंगे. अभी बात हो रही थी, राज्य शासन ने चौदह सालों में अपने स्वयं के करों से कितनी राशि एकत्रित की तो चौदह सालों पहले जो स्थिति थी वह स्वयं के साधनों से केवल 6805 करोड़ रुपये की उपलब्धता थी और 2017-18 में 50295 करोड़ रुपये अनुमानित है. आप मुझे गाली देते रहें मुझे फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मैं जानता हूं वह आपकी मजबूरी भी है अब अगर किसी को कांग्रेस में बड़ा नेता बनना हो तो उसकी अनिवार्य शर्त है कि शिवराज सिंह चौहान को कितनी गालियां देते हो. कई गालियां देने के बाद कहते हैं कि हिम्मत हो तो मानहानि का केस कर दो, अरे, मान ही नहीं हो तो हानि क्या करूंगा मैं. मैं प्रदेश की जनता की सेवा में लगा हूं. कर दो, फिर बताएंगे हाईकमान को, हमने मुख्यमंत्री के खिलाफ यह बोला, लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं,पूंजीगत व्यय 2003-04 में 2678 करोड़ रुपये था जिसको बढ़ाकर हमने 35435 करोड़ रुपये करने का चमत्कार किया है. अभी सकल घरेलू उत्पाद की बात सुन लीजिये. अभी नेता प्रतिपक्ष कह रहे थे 20 प्रतिशत की ग्रोथ,10 प्रतिशत की ग्रोथ,कृषि कर्मण अवार्ड,मेरे भाई कृषि कर्मण अवार्ड हमें किसने दिया ? यह बात सही है कि दो साल एन.डी.ए. की सरकार ने दिया लेकिन दो साल यू.पी.ए. की सरकार ने भी दिया. प्रख्यात अर्थशास्त्री श्रीमान् मनमोहन सिंह जी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाने जाते हैं. वह आकर शिवराज सिंह चौहान को कृषि कर्मण अवार्ड दिलवाते हैं महामहिम राष्ट्रपति महोदय के हाथों और आप यहां सवाल उठाते हैं अरे,हम पर भरोसा मत करो डॉ.मनमोहन सिंह पर तो भरोसा करो, यू.पी.ए. की सरकार पर तो भरोसा करो. आलोचना करना हो तो कुछ भी कहेंगे. कहां दिखाई दे रहा है. सकल घरेलू उत्पाद के मेरे आंकड़े नहीं हैं. जब आपकी यू.पी.ए. की सरकार के आंकड़े थे,एन.डी.ए. की सरकार के आंकड़े थे. 2003-04 में 1 लाख 28390 करोड़ रुपये सकल घरेलू उत्पाद था और अब सकल घरेलू उत्पाद बढ़कर 6 लाख 40484 करोड़ रुपये हुआ है. अब इन आंकड़ों को भी आप झुठलाएंगे. इनको झूठ कहेंगे. अभी बड़ी चर्चा होती है कि मध्यप्रदेश पर कर्ज बढ़ गया है. आपको मैं बताना चाहता हूं,वित्त मंत्री जी विस्तार से बताएंगे. जब कांग्रेस की यहां सरकार हुआ करती थी. ब्याज भुगतान राजस्व प्राप्तियों से प्रतिशत के रूप में उस समय ब्याज भुगतान पर आप 22.44 प्रतिशत खर्च कर देते थे. मेरे कुशल वित्त मंत्री जी बैठे हैं, केवल 8.30 प्रतिशत हम ब्याज भुगतान पर खर्च करते हैं यह हमारे कुशल वित्तीय प्रबंधन का नतीजा नहीं है ? अभी बात अनुसूचित जनजाति के लोगों की हो रही थी. आपकी सरकार थी आप इन पर 818 करोड़ रुपये खर्चा करते थे. मुझे कहते हुए गर्व है कि 25862 करोड़ रुपये अनुसूचित जनजाति के कल्याण पर हमारी सरकार खर्च करेगी. अनुसूचित जनजाति के अलावा हम अनुसूचित जाति कल्याण पर 16381 करोड़ रूपये हम खर्च करेंगे. राजकोषीय घाटा, आपके समय स्थिति क्या थी, हालत यह थी कि तनख्वाह नहीं बांट पाते थे, तनख्वाह बांटने के लाले पड़े थे, एरियर देना तो दूर है. अभी कई मित्रों ने बात की 7वें वेतन आयोग की, आपके समय तो एरियर की राशि ही सरकार खा गई थी. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं बताना चाहता हूं राजकोषीय घाटा तब 7.12 प्रतिशत था वह घटकर हो गया है 3.49 प्रतिशत. इस सीमा के अंदर ही हम कर्ज लेते हैं, इससे ज्यादा हम कभी कर्ज नहीं लेते. माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्य पर जो ऋण का भार था सकल घरेलू उत्पाद का वह आपके समय 33.71 प्रतिशत था, हमारे समय यह घटकर 22.22 प्रतिशत रह गया है, मैं वित्त मंत्री जी को इसके लिये बधाई देना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी, ओवरड्राफ्ट, लेकिन जबसे हमारी सरकार है एक दिन भी हमने ओवरड्राफ्ट नहीं लिया है. प्रतिव्यक्ति आय, आप कह रहे थे कहां चली गई 20 प्रतिशत की वृद्धि, 10 प्रतिशत की वृद्धि, मैं बताता हूं नेता प्रतिपक्ष जी जब आपकी सरकार थी तो 13 हजार रूपया पर केपिटा इनकम थी प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 13 हजार रूपये थी और वह बढ़कर हो गई है 13 हजार से 72599 रूपये पर केपिटा इनकम, यहां गई है वह 20 प्रतिशत और 10 प्रतिशत, यहां दिखाई दे रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विपक्ष के साथियों ने अनेकों सवाल उठाये. नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह जी ने भी मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर की बात की. माननीय अध्यक्ष महोदय, उन समस्याओं के लिये केवल हम दोषी हैं क्या ? तकलीफ होती है अभी भी यह दर ज्यादा है, लेकिन आपके समय मातृ मुत्यु दर थी 379 प्रति लाख और आज हमने हमारे प्रयासों से घटाकर उसको 221 प्रति लाख कर दिया है, आप बहुत ज्यादा छोड़कर गये थे, क्योंकि 50 साल तक आपने सरकार चलाई है, हमने प्रयास किये उन प्रयासों के परिणाम आ रहे हैं. लगातार इसको घटाने में हम सफल हुये हैं. शिशु मृत्यु दर आप कह रहे थे 50, हां सही है, अभी 50 है, इसको घटाने की हम और गंभीर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जब आपकी सरकार हुआ करती थी, यह 86 प्रति हजार हुआ करती थी, इसको घटाकर हम 50 प्रति हजार लेकर आये हैं, इसको लगातार हम और नीचे ले जायेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, संस्थागत प्रसव की अगर मैं बात करूं तो आपके समय केवल 26.9 प्रतिशत था हमने बढ़ाकर उसको किया है 86 प्रतिशत. हम लागातार प्रयास कर रहे हैं, हम लगतार कोशिश कर रहे हैं. अभी हमारे विद्वान मित्र गोविंद सिंह जी या के.पी. सिंह जी ने हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल की बात कही थी, मैं उनके भाषण को पढ़ रहा था. आपके समय में हाईस्कूल 1515 थे, हमने बढ़ाकर कर दिये 3863. हायर सेकेण्डरी स्कूल आपके समय थे 1517, बढ़ाकर हमने कर दिये 2885 और उनमें वह स्कूल नहीं जोड़े जो कल वित्त मंत्री जी ने अपने भाषण में कहे हैं, वह और जुड़ेंगे. प्राथमिक शालायें बढ़ी, माध्यमिक शालायें बढ़ीं, हाई स्कूल बढ़े, हायर सेकेण्डरी स्कूल बढ़े. मेडिकल कॉलेज की आप बात कर रहे थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उनके समय भी खोले थे, लेकिन जीरो बजट पर.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- उनके समय खोले थे तो वह भी जीरो बजट पर खोले थे. हर्र लगे न फिटकरी, रंग चढ़े चोखा. स्कूल खुल गये, पढ़ाने वाला कोई है नहीं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पिछली चीजों का जिक्र इसलिये किया कि आईना तो साफ होना चाहिये, सारी चीजें जनता के सामने आना चाहिये, आपके भी सामने आना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, अधोसंरचना की बात भी आई, कई मित्रों ने सड़कों की बात कही. जब कांग्रेस का जमाना था, सड़कों के क्या हाल हुआ करते थे, गड्डो में सड़क थी कि सड़क में गड्डा था या गड्डम गड्डा था यही पता नहीं चलता था. गाडि़यों की क्या स्थिति होती थी कोई विस्तार से भाषण देने की आवश्यकता नहीं है. मुझे कहते हुये गर्व है, मैं बहुत लंबी बात सड़कों के बारे में नहीं कहूंगा, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने योजना बनाई है कि सभी गांवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ा जायेगा और उसके लिये सवा लाख किलोमीटर सड़कें हम बना चुके हैं जिसमें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के साथ-साथ मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना भी हम लेकर आये हैं और मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में अब जो ग्रेवल रोड बनी है 10 हजार किलोमीटर रोड डामर रोड के रूप में परिवर्तित कर दी जायेगी और आने वाले 3 सालों में हमारा प्रयास है कि कम से कम एक कनेक्टिविटी हर गांव से हर गांव को मिल जाये कोई गांव बिना सड़क के न रहे, उसमें हम तेजी से अमल करने का काम कर रहे हैं. अभी बिजली की बात आई, कुछ मित्रों ने बिजली की बात अपने भाषण में कही थी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बिजली पर ज्यादा भाषण नहीं देना चाहता लेकिन वह दिन मुझे याद है जब गर्मियों के दिनों में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में घरों के अंदर लोग सो नहीं सकते थे, घरों के बाहर निकलते थे कई तो चढ्ढी-बनियान में टावेल लपेटकर के कीर्तन गाया करते थे क्योंकि गर्मियों में घर के अंदर आप रूक नहीं सकते थे, यह बिजली की हालत थी. बिजली की उपलब्धता आपके समय 2900 मेगावॉट थी और आज मुझे कहते हुये गर्व है कि इस सरकार ने जिस प्रभावी ढंग से कार्य किया है 17,000 मेगावॉट से ज्यादा बिजली की उपलब्धता आज मध्यप्रदेश की जनता के लिये, मध्यप्रदेश के किसानों के लिये है. यह मध्यप्रदेश की सरकार के चमत्कार हैं .अभी सोलर पॉवर प्लान्ट की मैं बात करूं. पहले हमने एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लान्ट बनाया नीमच जिले में 135 मेगावॉट का और अब रीवा में 750 मेगावॉट का दुनियां का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लान्ट अगर लग रहा है वह रीवा की धरती पर लग रहा है और हमारी ट्रांसपेरेंट प्रक्रिया देखिये. हमारे बिड करने का तरीका देखिये जहां 5 रूपये, 6 रूपये और 7 रूपया प्रति यूनिट सोलर की बिजली की कीमत आती थी लेकिन यह मध्यप्रदेश की ट्रांसपेरेंट प्रक्रिया का चमत्कार है कि 2.97 रूपये प्रति यूनिट सोलर की बिजली मिलेगी. यह चमत्कार नहीं है तो और क्या है. अब कुछ लोगों ने कहा कि बिजली नहीं मिल रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, तकनीकी कारण कहीं कहीं हो सकते हैं, ट्रांसफार्मर की कमी कहीं पर किसी कारण से बन सकती है, छोटे मोटे लोकल व्यवधान आ सकते हैं. लेकिन मुझे कहते हुये गर्व है कि हम मध्यप्रदेश के गांव में भी 24 घंटे बिजली दे पाने में सफल हो पा रहे हैं (सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा मेजों की थपथपाहट) और किसानों को 10 घंटे बिजली दे रहे हैं. आप पूरे मध्यप्रदेश में देख लीजिये, अपवाद कहीं हो सकता है, मैं उससे इन्कार नहीं कर सकता लेकिन किसानों को भी भरपूर बिजली हमने दी है. फसल किसी की हमने बर्बाद नहीं होने दी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिंचाई के आंकड़े देख रहा था. प्रगति को आप कैसे मापेंगे. 20 प्रतिशत जो हमने कृषि विकास दर हासिल की है , कैसे की है. यह हवा में हासिल नहीं की है, कोई मंत्र नहीं था कि हमने फूंक दिया हो और मंत्र के कारण चमत्कार हो गया हो. अध्यक्ष महोदय, सुनियोजित रोडमेप मध्यप्रदेश की सरकार ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सरकार के आते ही बनाया साढ़े सात लाख हेक्टेयर में कांग्रेस के समय और केवल कांग्रेस के समय का नहीं है वो साढे सात लाख मेगावॉट, कांग्रेस, राजा, नवाब, अंग्रेज सब मिलाकर के कर पाये साढ़े सात लाख हेक्टेयर और शिवराज सिंह चौहान को कहते हुये गर्व है कि हमने उस क्षमता को पहुंचा दिया 40 लाख हेक्टेयर पर(सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा मेजों की थपथपाहट).
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने सभी सदस्यों को कहना चाहता हूं मध्यप्रदेश में हर इलाके में जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी तो कह दिया जाता था कि संभव नहीं है. यह चमत्कार कैसे हुआ है उसके कुछ उदाहरण मैं आपके सामने रखना चाहता हूं. इंदिरा सागर योजना- इंदिरा सागर बांध से मूलत: सिंचाई की योजना बनी थी 79 हजार हेक्टेयर में, 79 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होनी थी लेकिन हमने दिमाग भी लगाया, तरकीब भी भिड़ाई, योजना भी बनाई और आज मुझे कहते हुये गर्व है कि 13 माइक्रो इरीगेशन की योजनाओं के माध्यम से अब हम 79 हजार हेक्टेयर में सिंचाई नहीं करेंगे हम सिंचाई करेंगे 7 लाख 83 हजार हेक्टेयर में. मेरे मित्र यहां पर बैठे हैं, निमाड़ के मेरे साथी भी यहां पर बैठे हैं. आपने एक नहीं जिस भी योजना की आपने बात कही छैगांव माखन में सिंचाई की योजना की बात आई हमने कहा कि छैगांव माखन में बनायेंगे . हमारी बहन झूमा सोलंकी यहां पर बैठी हैं उन्होंने मुझसे कहा कि बिस्टान में सिंचाई की योजना चाहिये, वहां के सांसद जी ने मांगी,बिस्टान में सिंचाई की योजना बन गई उस पर हम काम प्रारंभ कर रहे हैं. ओंकारेश्वर बांध जब आपकी सरकार थी तब यह बांध भी कांग्रेस की सरकार में कभी भी पूरे नहीं हुये, मुझे कहते हुये तकलीफ होती है कि बाणसागर जैसे बांध जिनका 1978-79 में शिलान्यास होता है और शिलान्यास के बाद काम बंद हो जाता है फिर वह काम कब प्रारंभ होता है जब फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आती है. आज इस बात को विंध्य के हमारे मित्र जानते हैं. उस बाणसागर के पानी को हम कहां कहां ले जा रहे हैं. सतना जिले में, रीवा जिले में और नेता प्रतिपक्ष जी सीधी जिले में भी अगर बाणसागर के पानी को ले जाने का चमत्कार किया है तो इसी सरकार ने किया है (सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा मेजों की थपथपाहट) एक नहीं उसी से हमने कई लिफ्ट इरिगेशन की योजनायें बनाई. मै ओंकारेश्वर की बात कर रहा था मूलत: नहरों से सिंचाई होना थी केवल 91 हजार हेक्टेयर में हमने माइक्रो सिंचाई से बढ़ाकर के इसको 2 लाख 64 हजार हेक्टेयर कर दिया. हमने 1 लाख 14 हजार हेक्टेयर की 4 योजनायें स्वीकृत भी कर दी हैं. चिंकी बांध परियोजना 73 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होनी थी, 1700 करोड़ की योजना थी, हमने उसको घटाकर 1200 करोड़ कर दी एवं 1 लाख 4 हजार हेक्टेयर में सिंचाई कर रहे हैं. आप ट्रांसपेरेन्सी की बात करते हैं. मुझे कहते हुए गर्व है, मुझे बताते हुए भी गर्व है. अभी मैंने रीवा के सोलर पावर प्लांट की बात कही है, जितनी भी सिंचाई की योजनाएं हैं, मैं अपने विधायक साथियों को जानकारी देना चाहता हूं. चाहे वह एनबीडीए की सिंचाई की योजना हो, चाहे इरिगेशन की सिंचाई की योजना हो, हमारी ट्रांसपेरेन्ट वीडिंग के कारण, हमारे तरीके के कारण. पहल अगर 100 करोड़ रूपए बीडिंग में रेट आता था तो वह अब घटकर 70 करोड़ रूपए हो गया है, क्योंकि हमारी सारी प्रक्रियाएं ट्रांसपेरेन्ट हैं. इसलिए ज्यादा सिंचाई की व्यवस्था करने में भी हम सफल हो पाए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अलीराजपुर गया था, अलीराजपुर के मित्रों ने बात की कि अलीराजपुर की जमीन ऊंची-नीची है, हमको वहां पानी चाहिए, वहां लिफ्ट इरिगेशन की योजना बन गई, छीपानेर में लिफ्ट इरिगेशन की योजना बन गई. जल संसाधन की 35 योजनाओं में केवल 8 लाख 12 हजार हेक्टेयर में सिंचाई करने की आपकी योजना थी. हमने उसको बढ़ाकर 14 लाख 9 हजार कर दिया. मैं माननीय विधायक साथियों को प्रसन्नता के साथ यह बताना चाहता हूं कि अगर तड़प हो दिल में खेती को फायदे का धंधा बनाने की, केवल भाषण देने से कुछ नहीं होता, केवल किसान किसान करने से कुछ नहीं होता अगर तड़प हो दिल में किसानों की खेती को लाभ का धंधा बनाने की, वह तड़प आपकी 2 लाख 53 हजार हेक्टेयर की बजाए, 11 लाख 51 हजार हेक्टेयर में सिंचाई करवाती है, वह तड़प है. गोविंद सिंह जी यहां बैठे हैं, कांग्रेस के जमाने में क्या चम्बल की नहर का पानी भिण्ड जिले में कभी आता था. मैं जानता हूं माननीय गोविंद सिंह जी आप तो झूठ नहीं बोलते (हंसी). लेकिन टेल एंड अंत तक भिण्ड जिले में भी पानी पहुंचाने का काम किया है तो इसी सरकार ने किया है, इधर बैठी हुई सरकार ने ही किया है.
श्री यादवेन्द्र सिंह - (xxx)
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप बैठ जाइए, मर्यादा रखिए.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - (xxx)
अध्यक्ष महोदय - कुछ लिखा नहीं जाएगा. रिकार्ड में नहीं आएगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, वे गुस्सा न हो. शिलान्यास का पत्थर आपने गड़ाया, उसके बाद कई वर्षों तक उस पत्थर का उपयोग कुछ दूसरा होता रहा. काम तब प्रारंभ हुआ जब हमारी सरकार आई.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - नेता प्रतिपक्ष जी, आप इस बात पर ध्यान दीजिए, ये परम्परा गलत हो रही है. मेरी आपसे प्रार्थना है कि इधर से लोग खड़े होंगे तो फिर दिक्कत आएगी.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मान्यवर को यह बताना चाहता हूं कि सीधी जिले में एक महान गुलाब सागर सिंचाई परियोजना, उसका भी शिलान्यास हुआ था, लेकिन उसका काम भी पूरा किया तो शिवराज सिंह चौहान और इधर की सरकार ने काम पूरा किया, आपकी सरकार में काम पूरा नहीं हुआ. यह बात कहें तो बार बार उठकर खड़े होते हैं, हम तो कभी उठकर खड़े नहीं होते, (हंसी) सच सुनने का साहस रखिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य सुने, नेता प्रतिपक्ष सुने, खेती को फायदे का धंधा बनाएंगे, पांच साल में कृषि आय दोगुना करेंगे, उसका रोड मेप सुन लो, हमने जो सिंचाई की योजना बनाई है, अगर सिंचाई का पानी खेतों में जाता है तो किसानों की फसल का उत्पादन दोगुना, ढाई गुना और तीन गुना हो जाता है. नर्मदा-मालवा-गंभीर लिंक में 50 हजार हेक्टेयर, काम चल रहा है, बलवाड़ा माइक्रो 5 हजार हेक्टेयर, काम चल रहा है. छैगांव माखन माइक्रो, विस्टान माइक्रो, चेडीजमानिया, बलकबाड़ा, अम्बारोडिया, जावर, हरसूद, छीपानेर, सिमरोल अम्बाचंदन, चिंकी, भीकनगांव, बिजलवाड़ा, अलीराजपुर, पुनासा, खरगौन, ओंकारेश्वर, कठोरा इनमें से कई योजनाएं पुनासा जैसी जब उधर के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और उधर के ही विधायक मांगते थे कि हमारे यहां पुनासा लिफ्ट इरीगेशन में काम करवा दो, तो वह कहते थे असम्भव. हो ही नहीं सकता. यह असम्भव है. जो असम्भव है, उसको हमने सम्भव करके दिखाया है और इनके अलावा ..
डॉ. रामकिशोर दोगने -- मुख्यमंत्री जी, करड़पुरा हरदा में भी आप घोषणा करके आये थे, उसको भी ले लेंगे, तो अच्छा रहेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, ढीमरखेड़ा 15 हजार हेक्टेयर,नागलवाड़ी 38 हजार हेक्टेयर, किल्लोद 10 हजार हेक्टेयर, पुनासा 5345 हेक्टेयर, नर्मदा काली सिंध 2 लाख हेक्टेयर, नर्मदा पार्वती से 1 लाख हेक्टेयर, नर्मदा क्षिप्रा से 2 लाख हेक्टेयर, नर्मदा मालवा गंभीर से 1.5 लाख हेक्टेयर, यह पूरी सिंचाई का रोड मेप इस सरकार ने, इधर की सरकार ने बैठकर बनाया है. मैं इसके बल पर यह दावा करता हूं कि हम किसानों की आय को 5 साल में दोगुना करके दिखायेंगे और इस साल भी फिर आप ध्यान से सुन लीजिये, नोट कर लीजिये. मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर 20 प्रतिशत से नीचे नहीं रहेगी, क्योंकि हमने उसकी ठोस योजना बनाई है और आगे भी जो हमने योजना बनाई है, वह योजना भी मैं आपके सामने रखना चाता हूं. 6 लाख विद्युत के जो अस्थाई कनेक्शन थे, उनको परमानेंट कनेक्शन में बदलने का हम काम कर रहे हैं. 4500 कस्टम हायरिंग सेंटर्स का जाल पूरे प्रदेश में हम बिछा रहे हैं. एसआरआई पद्धति, रिज एंड फरो पद्धति, रेज्ड बेल्ट प्लांटिंग पद्धति और धारवाड़ जैसी पद्धति, जिससे अरहर का विपुल उत्पादन मध्यप्रदेश में हुआ है. इन नवीन तकनीकों का हम उपयोग करके किसानों की आय दोगुनी करने का प्रयास करेंगे. जीरो टिलेज के अंतर्गत 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल लाया जायेगा. 31 मार्च तक सभी किसानों को हम सॉइल हेल्थ कार्ड उपलब्ध करायेंगे, ताकि उनकी मिट्टी में कौन से तत्व हैं, उनको पता चलें और वह संतुलित उर्वरकों का उपयोग कर सकें. जैविक खेती, यह 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की प्रमाणीकरण की क्षमता का हम विकास करेंगे. अभी आप कह रहे थे, जीरो परसेंट ब्याज की बहुत चर्चा कर रहे थे. हां हमने जीरो परसेंट ब्याज किया है. अध्यक्ष महोदय, जब उधर की सरकार हुआ करती थी, तो 14 प्रतिशत ब्याज पर कर्जा मिलता था. खाद और बीज का कर्ज 18 प्रतिशत पर मिला करता था. नेता प्रतिपक्ष जी, हमने उसको घटाते-घटाते जीरो परसेंट पर किया और अब खाद बीज का कर्जा यह मध्यप्रदेश सरकार ने ही चमत्कार किया है कि 1 लाख ले जाओ और साल भर बाद 90 हजार वापस दे जाओ, ताकि किसानों की लागत घटे. यह किसानों की लागत घटाने का हमने प्रयास किया है. अंतरवर्ती फसलों का क्षेत्रफल 3 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर हम 9 लाख हेक्टेयर कर रहे हैं. आप कृषि वानिकी की बात कर रहे थे. अब आप मजाक उड़ा लें. मुझे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन कृषि वानिकी के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है और उस दिशा में हम लगातार प्रयास कर रहे हैं. 3 लाख हेक्टेयर में हम नवीन लाभकारी फसलें जैसे गुआरगम, कुसुम, अरंडी, इनकी खेती प्रारम्भ करवा रहे हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अभी कुछ मित्रों ने कहा कि बीमा की राशि बहुत कम दी है. आपकी जब सरकार थी, तब कितनी देते थे. मैंने आंकड़े उठाकर देखे हैं. 2002-03 में बमुश्किल 8 करोड़ रुपये आपने बांटे थे और कई साल तो कुछ भी नहीं बांटे. यह भारतीय जनत पार्टी की सरकार बैठी है. हमने इसी साल 4400 करोड़ उसमें 200 करोड़ रुपये फिर और निकल गये. 4600 करोड़ रुपया साढ़े बीस लाख किसानों के खाते में सीधे भेजे हैं. तो इसी सरकार ने भिजवाये हैं. कभी आपकी सरकार ने भेजे क्या. मैं आपसे पूछना चाहता हूं. केवल भाषण आप देते हैं. किसानों का क्या हो गया. हम कहना चाहते हैं कि यह 4600 करोड़ रुपया फसल बीमा योजना का किसानों के डायरेक्ट खाते में पहुंचाया और उसके पहले 4800 करोड़ रुपया, जो किसानों की फसलों का नुकसान हुआ था, वह रुपया भी किसान के सीधे खाते में पहुंचाया. हिन्दुस्तान में और किसी राज्य सरकार ने इतनी विपुल राशि कभी किसानों के खाते में डालने का काम नहीं किया. यह प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से 75 प्रतिशत किसानों को जोड़ने का हमारा टारगेट है. फॉर्मर प्रोड्यूसर कम्पनी की स्थापना करके लघु एवं सीमान्त किसानों की लागत में हम कमी लेकर आएंगे. शरबती गेहूँ, लाल चना, पिपरिया तूअर, काली मूँछ, जीरा संकर, चिन्नौर धानी इसका जी.आई. प्राप्त किया जायेगा और ब्राण्डेड कृषि उत्पादों पर किसानों को अधिक लाभ दिलाने का प्रयास किया जायेगा. 50 कृषि उपज मण्डियों में फल और सब्जी के लिए प्लेटफॉर्म, क्लीनिंग, ग्रेडिंग, पैकेजिंग फैसिलिटी, कोल्ड स्टोरेज की अधोसंरचना खड़ी करने का काम किसानों के लिए कर रही है तो प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है. कृषि उपज मण्डियों में कृषि उत्पाद भण्डारण क्षमता 10 लाख मीट्रिक टन करने का काम कर रही है तो मेरी सरकार कर रही है. नवीन खाद्य प्रसंस्करण नीति में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने का मेरी सरकार कर रही है. अब मैं विस्तार से इस रोड-मैप को आपको बताऊँगा तो समय काफी होगा. मैं माननीय नेता जी और सभी सदस्यों को भेज दूँगा, लेकिन यह संकल्प है कि प्रदेश की सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. हम उस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन मैं, अपने मित्रों से यह कहना चाहता हूँ कि शिवराज सिंह चौहान पर सवाल उठाओ, कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि मैं तो आपका सब्जेक्ट हूँ. एक मित्र से मैंने पूछा कि बहुत गाली देते हो यार, मैं इतना खराब तो नहीं हूँ. उसने अकेले में कहा कि आदमी तो अच्छे हो लेकिन हम तुम्हें नहीं कोसेंगे तो हम स्टैण्ड कैसे करेंगे ? तुम तो हमारे सब्जैक्ट हो. मुझे सब्जैक्ट बनाये रखो, कोई दिक्कत नहीं है, कोई परेशानी नहीं है, लेकिन नर्मदा सेवा यात्रा का तो विरोध मत करो.
अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि कम से कम कुछ मुद्दे तो ऐसे होने चाहिए, जिसमें पक्ष हों, प्रतिपक्ष हों. मैंने नेताओं के भाषण पढ़े हैं कि नर्मदा सेवा यात्रा, मुख्यमंत्री इसलिए निकाल रहे हैं कि रेत सर्वेयर बना है. मुझे रेत सर्वेयर बना दिया. वे बोले कि मैं जुलूस लेकर जा रहा हूँ, हजारों लोगों को लेकर जा रहा हूँ, साधु-सन्तों को लेकर जा रहा हूँ, समाज-सेवियों को लेकर जा रहा हूँ. मैं क्यों लेकर जा रहा हूँ ? रेत का सर्वे करने जा रहा हूँ. आप अपने शब्दों का वजन क्यों कम करते हो ? नर्मदा सेवा यात्रा में कैसी भीड़ उमड़ती है, हमारे कई मित्र साक्षी हैं और कई कांग्रेस के भी हमारे मित्र साक्षी हैं, जनता-जनार्दन उमड़ कर आती है क्योंकि नर्मदा मैया, मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदा सेवा यात्रा क्यों ? यह कोई राजनीतिक कर्म-काण्ड नहीं है. हम सब जानते हैं कि यह नर्मदा मैया हैं. जो मध्यप्रदेश के शहरों को पीने का पानी देती है, भोपाल नर्मदा का पानी पिये, इन्दौर नर्मदा का पानी पिये, जबलपुर नर्मदा का पानी पिये, मण्डला पिये, डिण्डोरी पिये, ओंकारेश्वर पिये, महेश्वर पिये, बड़वाह पिये, देवास पिये, अलग-अलग जगह जहां पानी की जरूरत पड़ती है, हम नर्मदा मैया का पानी ले जाते हैं और यही नर्मदा मां की कृपा है कि जिसके कारण इतनी माइक्रो एरिगेशन की योजना बनाकर मध्यप्रदेश की एक-एक इंच जमीन को सींचने का संकल्प हमने लिया है और उसको पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं. जो नर्मदा हमें जल के रूप में जीवन दे रही है. जो नर्मदा हमारे अन्न के भण्डारों को भर रही है. जो नर्मदा हमें बिजली प्रदान कर रही है. जहां हम पर्यटन की गतिविधियों का विस्तार करके रोजगार के नये-नये साधन खड़े कर रहे हैं. उस नर्मदा मैया की सेवा के लिए, अगर यात्रा निकाली और यात्रा में हम कह रहे हैं कि दोनों तटों पर 1000 किलोमीटर उत्तर तट पर और 1000 किलोमीटर दक्षिण तट पर केवल पेड़ लगाये जायेंगे. इसलिए कि नर्मदा किसी ग्लेशियर से नहीं निकलती है, गंगा जी ग्लेशियर से निकलती है, यमुना जी ग्लेशियर से निकलती है, बर्फ पिघलता है, पिघल-पिघलकर पानी बनता है और मां गंगा और यमुना की धार बन जाता है, लेकिन मेरी नर्मदा मैया ग्लेशियर से नहीं निकलती. सतपुड़ा एवं विन्ध्याचल के जो घोर घने जंगल हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय मुख्यमंत्री जी, 1000 किलोमीटर नहीं, वह 1000 मीटर है. वह एक किलोमीटर है. आप जो पेड़ लगाने का कह रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माफ कर दो, अभी सदमे में है. (श्री बाला बच्चन की ओर देखकर)
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय बाला बच्चन जी, मैं आपसे निवेदन कर रहा हूँ कि 1000 किलोमीटर हमारे यहां नर्मदा जी की लम्बाई है, 1042 किलोमीटर के आसपास है तो 1000 किलोमीटर उत्तर तट पर और 1000 किलोमीटर दक्षिण तट पर, एक-एक किलोमीटर दूर तक तट से पेड़ लगाये जाएं. तट से एक- एक किलोमीटर दूर तक पेड़ लगाए जाएं. यह पेड़ लगेंगे तो वर्षा का जल अवशोषित करेंगे. उषा ठाकुर जी ने उस दिन अपने भाषण में बताया था कि पेड़ों में कितना पानी संचित करके रखने की क्षमता है. 50 हजार लीटर पानी संचित करके रखने की क्षमता एक पेड़ की जड़ में होती है और हम में से जितने नर्मदा किनारे रहने वाले हैं. मेरे सारे मित्र जो यहां बैठे हैं वह जानते हैं कि एक जमाना था जब नर्मदा जी के दोनों किनारों पर झिर फूटा करती थी, बुलबुले निकला करते थे और वह पानी बीच बीच में नर्मदा जी में मिलता जाता था. नर्मदा जी की धार बड़ी होती जाती थी. दोनों तरफ के जो जंगल कटे हैं उनके कारण नर्मदा में पेड़ों द्वारा अवशोषित जो जल आता था वह जल आना कम हो गया है. ओम प्रकाश जी यहां होंगे आपको याद होगा हम पुल का उदघाटन करने डिंडोरी गए थे. नर्मदा जी के पुल का उदघाटन करना था मई का महीना था और नर्मदा जी में पानी नहीं था बहुत पतली-पतली धार बह रही थी. इसके बाद हमने विशेषज्ञों की बैठक बुलाई और विशेषज्ञों ने यही कहा कि नर्मदा जी में पानी की धार को अगर लगातार प्रवाहमान रखना है तो इसका एक ही तरीका है कि व्यापक पैमाने पर वृक्षारोपण होना चाहिए. इसलिए नर्मदा सेवा यात्रा में यह तय किया गया कि दोनों तटों पर व्यापक वृक्षारोपण हो. सरकारी जमीन पर सरकार वृक्ष लगा लेगी, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट डॉ. शेजवार जी यहां बैठे हुए हैं बाकी विभाग भी पूरी तैयारी कर रहे हैं. नर्मदा सेवा मिशन हमने बनाया है लेकिन प्राइवेट किसान अपने खेतों में फलदार खेती करें इसके लिए हम उनको प्रेरित करने का प्रयास कर रहे हैं. उसके लिए हमने एक पैकेज भी बनाया है हम 30 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से उनको मुआवजे की राशि देंगे. बीच में जब तक फलदार पेड़ बडे़ नहीं हो जाते तब तक वह बीच-'बीच में दूसरी खेती करें. इंटरक्रॉपिंग के माध्यम से वह लाभ प्राप्त करें. मनरेगा के माध्यम से गड्ढे खोदेंगे. हार्टीकल्चर की सब्सिडी उनको देंगे. इसके साथ केवल पेड़ ही नहीं माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जो बात कही ट्रीटमेंट प्लांट की मैं आपको जानकारी देना चाहता हूं कि वह सारे नगर जिनका मल जल, जिनका सीवेज का पानी नर्मदा जी में मिलता है वहां ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए राशि स्वीकृत हो गई है, टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है. अमरकंटक से प्रारंभ कर नीचे तक और उसमें नालों पर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगा रहे हैं क्योंकि नालों में रिस-रिस कर यहां वहां से पानी पहुंच जाता है. वर्षा का जल हम नदी में पहुंचने से नहीं रोक सकते इसीलिए सीवेज के पानी को एक अलग जगह नदी से दूर ले जाएंगे. वहां उसको ट्रीट करेंगे और जो ट्रीटेट पानी है, जो शुद्ध पानी है वह नर्मदा जी में नहीं जाएगा. उस पानी को हम किसानों के खेत में या बाग बगीचों में दे देंगे. सीवेज का पानी नर्मदा जी में न जाए इसका पुख्ता इंतजाम किया जाएगा. तीसरी बात मैं आप सबसे निवेदन करना चाहता हूं आपके माध्यम से जनता से भी निवेदन करना चाहता हूं कि कई बार पूजन सामग्री के नाम पर भी हम ऐसी चीजें मां की गोद में विसर्जित करते हैं जो प्रदूषण फैलाती हैं. माला, चुनरी, प्लास्टिक के दोने, दीपक और मुझे यह कहते हुए बहुत आनंद है कि साधू संतों के आशीर्वाद से जब जनता के सामने यह प्रस्ताव रखा कि ऐसी कोई सामग्री नर्मदा मैय्या में नहीं डालेंगे जो नर्मदा जी के जल को प्रदूषित करे और जनता इसे प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार कर रही है. परंतु फिर कैसे नर्मदा जी का पूजन करेंगे तो हमने कहा पूजन कुंड बनाएं उसमें नर्मदा जी का जल भरें और वहां दीपक डालें, वहां आप चुनरी डालें, वहां आप फूल माला डालें और जनता इसके लिए तैयार है और अगर हम पूजन कुंड बनाने की बात करते हैं तो कौन सी गलत बात करते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ-साथ हम लोगों ने तय किया माताओं, बहनों के स्नान करने के वस्त्र बदलने के स्थान चेंजिंग-रूम बनाएं जाएं. हमने तय किया अंतिम संस्कार करने के लिए मुक्ति धाम बनाए जाएं. बिलकुल किनारे पर अंतिम संस्कार क्यों करें, नर्मदा जी से थोड़ी दूर करें और बाद में चुटकी भर राख मैय्या में डालकर बाकी राख को अपने साथ ले जाएं. दूसरी नदियों में ले जाएं या खेतों में विसर्जित करने का काम करें. इसी नर्मदा यात्रा में यह तय किया कि नर्मदा जी के तटों के दोनों ओर पांच-पांच किलोमीटर तक एक अप्रैल से कोई शराब की दुकान नहीं खुलेगी. कोई शराब की दुकान नहीं होगी. मैं कहता हूं कई बार विरोध जायज है क्योंकि आप प्रतिपक्ष में हैं आपको विरोध करना चाहिए मैं स्वागत करता हूं लेकिन माइनिंग की बात आई, इसी नर्मदा सेवा यात्रा ने माइनिंग को इतना बड़ा मुद्दा बनाया क्योंकि आपको लगा कि यात्रा तो बड़ी सफल हो रही है अब कुछ न कुछ इसमें ऐसी चीज तो डालो जिसके कारण संदेह के बादल उठें इसलिए माइनिंग का सवाल उठा. अवैध माइनिंग रोकी जानी चाहिए. मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि यह सरकार कृत संकल्पित है. यह अवैध माइनिंग कोई आज का विषय नहीं है. आप सब जानते हैं अवैध माइनिंग का मामला केवल प्रदेश का नहीं देश का भी मामला है और अवैध माइनिंग की बात वह करें जिन्होंने अपनी सरकार में जंगल के जंगल साफ कर दिए थे, खोद डाले थे. माननीय सर्वोच्च न्यायालय टिप्पणियां करता था. मैं किसी के ऊपर नहीं कर रहा हूँ लेकिन यह सच्चाई है कि यह सरकार अवैध माइनिंग रोकने के प्रमाणित प्रयास कर रही है, प्रमाणित प्रयास करेगी. उस समय तो मुख्यमंत्री के पास बैठकर इस बात पर बहस होती थी कि नहीं रुकेगी यह तो जारी रहेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भारतीय जनता पार्टी की बात करते हैं. आपने कहा कि मैं आरोप लगाना चाहता हूँ. मैं कहना चाहता हूँ कि उस जमाने में तो अपने नाम पर नहीं आदिवासी भाई और बहनों के नाम पर समितियां बन गईं थीं. धन्नू, कन्ना,पन्ना, मन्ना के नाम पर समितियां बन गईं थीं और बाकी आनंद कोई दूसरे उठा रहे थे इसीलिए तो अब तक आनंद में हैं, कोई अंतर नहीं पड़ा. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता जो करते हैं अपने नाम से करते हैं, लेकिन जहां तक अवैध माइनिंग का सवाल है मेरी सरकार दृढ़-संकल्पित है मैं कहना चाहता हूँ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के नाते कि साढ़े सात करोड़ जनता मेरा परिवार है लेकिन अगर कोई परिवार का सदस्य गलत काम करेगा, विधि विरुद्ध काम करेगा तो किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा. यह स्पष्ट नीति हमारी सरकार की है. (श्री जितू पटवारी के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) मेरे भाई इंदौर में कैसे-कैसे प्रापर्टी का काम करके कौन-कौन आगे बढ़ा है यह भी मैं अच्छी तरह जानता हूँ. छिद्रान्वेषण करने का....(व्यवधान)
श्री जितू पटवारी--गलत काम करने वालों को आपने कहा है कि छोड़ा नहीं जाएगा तो आपका धर्म बनता है कि उनको पकड़ो और उनको अन्दर करो एक भी छूटना नहीं चाहिए वह चाहे आपका भतीजा हो चाहे साढ़े सात करोड़ जनता का कोई नुमाइन्दा हो.
श्री शिवराज सिंह चौहान--शिवराज सिंह चौहान अपने राजधर्म का पालन करेगा इसके लिए मुख्यमंत्री हूं. जनता मुझ पर विश्वास करती है इसलिए मैं कह रहा हूँ, मैंने बात की थी राजसात करने की लेकिन मैंने यह कहा था कि राजसात करने के हम नियम बना रहे हैं. हमारे माइनिंग मिनिस्टर यहां बैठे हैं वह नियम लगभग बनकर तैयार हैं वे नियम जल्दी से जल्दी नोटिफाई होंगे और उसके बाद अवैध माइनिंग करते हुए कोई भी ट्रक, डम्पर पकड़ा जाएगा वह राजसात ही किया जाएगा, किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ा जाएगा.
कुंवर विक्रम सिंह--माननीय मुख्यमंत्री जी मैं आपसे एक निवेदन करना चाहता हूँ नदियों में जो लिफ्टर लगाए गए हैं उन लिफ्टर्स को सबसे पहले बंद करवाइए.
श्री शिवराज सिंह चौहान--आपके सुझाव का स्वागत है लिफ्टर हो चाहे बाकी कोई चीज हो अवैध माइनिंग रोकने के लिए जो जो कदम उठाए जाने आवश्यक हैं सरकार वह कदम उठाएगी उसमें कोई कसर नहीं छोड़ेगी. उस समय जब आपकी सरकार हुआ करती थी तब माइनिंग से कितनी आय प्राप्त होती थी. सरकार को उस समय लगभग 500 करोड़ रुपया कुल मिलाकर माइनिंग से राजस्व की प्राप्ति होती थी. हमारी सरकार में यह बढ़कर 3610 करोड़ रुपए हो गई. उस समय रेत की रायल्टी तो लगभग आती ही नहीं थी. हमने सेंड माइनिंग में भी सीधे-सीधे ई-आक्शन करने की नीति बनाई है. आपके समय में तो यह होता था कि "अंधा बांटे रेवड़ी चीह्न चीह्न कर दे." हम तो ई-ऑक्शन करते हैं. यहां की बात छोड़िए दिल्ली तक में क्या हुआ कोल ब्लाक कैसे आवंटित किए गए. पहले कैसे पर्चे पर आवंटित हो जाते थे और बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने सबको निरस्त करने का काम किया था. जो पांव से लेकर सिर तक अवैध माइनिंग के काम में डूबे रहे उनको तो यह हक भी नहीं है कि वे अवैध माइनिंग की बात करें. (व्यवधान)
श्री तरुण भनोत--आपके पार्टनर है जेबी के स्टेट माइनिंग कार्पोरेशन के.(व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--जबलपुर में भी किस-किस की रेत की खदानें चल रही हैं शिवराज सिंह चौहान को सब मालूम है चिंता नहीं करो. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी--यह कहकर आप किसको डराना चाहते हो, आप सरकार में हो कार्रवाई करो सर, यह कहकर किसको डराना चाहते हो. (व्यवधान)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)--जिन-जिन की अवैध माइनिंग चल रही हैं सबको डराना चाहते हैं. अवैध नहीं होने देंगे. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी--आपके भाई कहां से कहां पहुंच गए, उनकी संपत्ति कितनी हो गई इसका हिसाब दो आप. यह बोल बोलकर किसको डराना चाहते हो. (व्यवधान)
श्री तरुण भनोत--अडानी का कोयला बेच रहे हो (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी--इस तरह की भाषा बोलकर कहते हैं मैं अच्छा आदमी हूं. यह अच्छे आदमी की भाषा नहीं है सर (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--जितू पटवारी जी बैठिए. भनोत जी बैठिए. (व्यवधान)
श्री तरुण भनोत--यह कोयला कहां से आता है. अडानी जी, स्टेट माइनिंग कार्पोरेशन से उनका ज्वाइंट वेंचर है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--भनोत जी बैठ जाइए..(व्यवधान) बैठ जाओ भाई सब बाद में हिसाब देना, मधु भगत जी बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, धार जिले में डकैतों का समर्थन करने में जिन्हें लज्जा नहीं आती, वे मुझसे बात कर रहे हैं.
श्री उमंग सिंघार- मुख्यमंत्री जी, आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार हुए हैं. आपने और आपके डी.जी.पी. ने अभी तक कोई सुध नहीं ली है. आप क्या बात कर रहे हैं ?
श्री जितू पटवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने बोला है, इसलिए मुझे बोलने का अवसर मिलना चाहिए.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)- माननीय अध्यक्ष जी, आप किस आधार पर इन्हें अवसर देंगे, कैसे अवसर दे देंगे ?
अध्यक्ष महोदय- मुख्यमंत्री जी के अलावा किसी का बोला हुआ कार्यवाही में रिकॉर्ड नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय- जितू जी, आप बैठ जाईये. आप शांति से सुनिये.
श्री जितू पटवारी- (xxx)
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग)- (xxx)
श्री उमंग सिंघार- (xxx)
अध्यक्ष महोदय- ये वाद-विवाद का विषय नहीं है. उमंग सिंघार जी आप बैठ जाईये. पहले सुन लीजिए. ....(व्यवधान).... जब प्रतिपक्ष के नेता बोल रहे थे तो सब लोग शांति से सुन रहे थे.
श्री उमंग सिंघार- (xxx)
श्री विश्वास सारंग- (xxx)
अध्यक्ष महोदय- आप सभी बैठ जाईये और मर्यादा से बात करें. किसी को चिल्लाने की जरूरत नहीं है. ....(व्यवधान).... आप धीरे बोलिये (श्री उमंग सिंघार जी से) वरना मुझे आपके खिलाफ एक्शन लेना पड़ेगा.
श्री विश्वास सारंग- (xxx)
अध्यक्ष महोदय- मुख्यमंत्री जी के सिवाय किसी का रिकॉर्ड में नहीं आएगा ....(व्यवधान)....
श्री जितू पटवारी- (xxx)
श्री विश्वास सारंग- (xxx)
अध्यक्ष महोदय- जितू जी आप बैठ जाईये. मैं सदन के माननीय नेता प्रतिपक्ष से अनुरोध करता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय मुख्यमंत्री जी शायद कुछ उत्तेजित हो गए हैं और जिन लोगों का विषय नहीं है उनके बारे में इस तरह से टिप्पणी करना सही नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- किसी का नाम मुख्यमंत्री जी ने नहीं लिया है. जिनको मिर्ची लगी है, वे स्वयं सोचें.
श्री अजय सिंह- मैं यह नहीं कह रहा हूं कि भोपाल में सबसे ज्यादा सट्टा कौन चला रहा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- यह आप कह सकते हैं. लेकिन उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है.
श्री अजय सिंह- आप क्यों खड़े हो गए. आपको मिर्ची लग गई क्या.
(श्री विश्वास सारंग के खड़े होने पर)
श्री विश्वास सारंग- आप तिलमिला क्यों रहे हैं ?
श्री अजय सिंह- तिलमिला इसलिए रहा हूं क्योंकि जबरदस्ती आपके सट्टे की बात आ गई....(व्यवधान).... (xxx)
अध्यक्ष महोदय- यह कार्यवाही से निकाल दीजिए.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, बहुत अच्छी बात है. इनकी बात से इनका स्तर भी पता चल गया और इनके तिलमिलाने की बात भी पता चल गई.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष बोल रहे थे तो सत्तापक्ष की ओर से कोई खड़ा नहीं हुआ था. केवल एक बार कोई खड़ा हुआ था तो मुकेश भाई ने आपत्ति ली थी. इसके बाद पूरे भाषण में हम शांत रहे थे. आप देखिये अब क्या स्थिति हो रही है. एक बार पहले इस तरह का पूर्वानुमान हो चुका है कि अगर सदन के नेता को नहीं बोलने दिया जायेगा तो फिर हम भी नहीं बोलने देंगे. यह इनका तरीका गलत है. यह हमारी बात को धमकी के रूप में लेते हैं.
अध्यक्ष महोदय- आप सभी बैठ जाईये और मेरी बात सुन लीजिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- यह हम पर आरोप लगायें और हम सुनते रहें, यह तो कोई बात नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- जब प्रतिपक्ष के माननीय नेता जी बोल रहे थे, तब सभी सदस्यों ने शांति से सुना. (मेजों की थपथपाहट) हमारे सदन की और सभी सदनों की यह मर्यादा है कि प्रतिपक्ष के नेता जी या सदन के नेता बोलें, क्षणिक उत्तेजना हो सकती है किन्तु खड़े होकर निरंतर बातचीत करना और उत्तेजना की आवाज करना सर्वथा अनुचित है. मेरा दोनों ही दलों के नेताओं से, माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी से भी और सदन के नेता जी से भी अनुरोध है कि अपने अपने दलों को शांति से रखें और माननीय मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य सुनें.
श्री अजय सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम लोग चाहते हैं माननीय मुख्यमंत्री जी अपना भाषण खत्म करें, अच्छी तरह से बात करें. लेकिन इस तरह से धमकाना कि इन्दौर में जानता हूँ कि क्या हो रहा है. धार में जानता हूँ क्या हो रहा है...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अरे यह कोई बात हुई क्या? इन्दौर, धार की बात नहीं करें क्या? नेता है वह इन्दौर, धार का. अरे भाई किसी का नाम लिया क्या? ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी कृपया बैठ जाएँ. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- यह तो चोर की दाढ़ी में तिनके वाली बात हो रही है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, बैठ जाइये. माननीय मंत्री जी कृपया बैठ जाएँ. ..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय,...
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी....
अध्यक्ष महोदय-- मैंने आपको एलाऊ नहीं किया है.
श्री जितू पटवारी-- एक मिनट लूँगा. आप मेरे भी मुख्यमंत्री हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूरा करना चाहता हूँ. ..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- आप प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, मेरे भी हैं. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- यदि माननीय मुख्यमंत्री जी बैठ जाएँ तो आप एलाऊड हैं. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, यह तो आपत्तिजनक हो जाएगा. सदन के नेता खड़े हैं. ..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, बात तो पूरी कहनी पड़ेगी.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मुख्यमंत्री जी बैठ जाएँ तो आप एलाऊड हैं. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- बहुत बड़ा आपत्तिजनक हो जाएगा. यह बर्दाश्ती के बाहर है.
अध्यक्ष महोदय-- वे बैठ जाएँ तो आप एलाउड हैं नहीं तो आप एलाउड नहीं हैं. ..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- वे मुख्यमंत्री इस प्रदेश के हैं इसलिए हमें बात करने का हक है. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, फिर वही पुनरावृत्ति कर रहे हैं. ..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, अन्याय हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, बिल्कुल अन्याय नहीं. आप बैठ जाएँ. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, यह चोर की दाढ़ी में तिनका है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आपने कल भाषण दिया था, कोई नहीं बोला, आपने भी बहुत आक्षेप लगाए थे. आप बैठ जाएँ. अब सुनें. आपने भी कल बहुत आक्षेप लगाए थे, मैंने आपका भाषण सुना था. ..(व्यवधान)..
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कोई तरीका नहीं है. ..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी....
अध्यक्ष महोदय-- एलाऊ नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- यह नहीं होगा किसी कीमत पर भी. हम यह नहीं होने देंगे. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- जीतू पटवारी जी का कुछ नहीं लिखा जाएगा. किसी का कुछ नहीं लिखा जाएगा. सिर्फ मुख्यमंत्री जी का लिखा जाएगा. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (xxx) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- जीतू पटवारी जी, आप सब पर आरोप लगाते हैं, आप भी सुनने की क्षमता रखिए. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (xxx) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आपको मर्यादा में रहना पड़ेगा. यदि वे बैठते हैं तो आप बोल सकते हैं नहीं तो आप नहीं बोल सकते.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, ऐसी कोई परंपरा नहीं है कि सदन के नेता को बिठा कर उनकी बात आने दी जाए.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, यदि ईल्ड (Yield) करते हैं तो परंपरा है. अभी आप एलाउड नहीं हैं. ..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- अभी बैठ जाएँ. जीतू पटवारी जी कृपया बैठ जाएँ.
श्री जितू पटवारी-- (xxx) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- प्रतिपक्ष के नेता जी से मेरा अनुरोध है.... ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (xxx)
श्री जितू पटवारी-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- दो मिनट तो ठहरें. प्रतिपक्ष के नेता जी से मेरा अनुरोध है, प्रतिपक्ष के नेता जी ने सभी माननीय सदस्यों की तरफ से प्रतिपक्ष के सदस्यों की तरफ से अपनी आपत्ति बता दी. आप तो मानते ही नहीं हैं बिल्कुल. (श्री जितू पटवारी माननीय सदस्य द्वारा बैठे बैठे कुछ कहने पर) यह बात ठीक नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (xxx) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- यह उचित नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- बिल्कुल एलाऊ नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (xxx) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मुख्यमंत्री जी आप बोलिए.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह वर्ष दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म शताब्दी का वर्ष है और हमने तय किया है कि दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म शताब्दी का वर्ष हम गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाएँगे. (मेजों की थपथपाहट) हमने उसकी ठोस योजना बनाई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, गरीब को क्या चाहिए? रोटी चाहिए, कपड़ा चाहिए, मकान चाहिए, पढ़ाई-लिखाई, दवाई और रोजगार का इंतजाम चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, रोटी सस्ती मिले, राशन सस्ता मिले इसलिए पहले से ही एक रुपया किलो गेहूँ, चावल और नमक देने का फैसला हमने किया है. मैंने गोविंद सिंह जी का भाषण पढ़ा था. उन्होंने कहीं यह बात कही कि कई लोग उसका लाभ नहीं उठा रहे हैं, केवल 30-35 लाख लोग बचे हैं. पहले 70-80 लाख लोगों को मिलता था. मैं बड़ी विनम्रता के साथ उनको बताना चाहता हॅूं कि एक करोड़ पन्द्रह लाख परिवारों को यह सरकार एक रूपया किलो गेहूं, चावल और नमक वितरित करने का काम कर रही है. (मेजों की थपथपाहट) हॉं कुछ नाम कटे हैं. वे नाम कटे हैं जो गरीब नहीं थे, ये जॉंच लगातार होती रहनी चाहिए. अगर कोई गरीब नहीं है और गरीबों की सुविधा का लाभ उठाता है तो वह उचित नहीं है. इसलिए ऐसे नाम काटे गए थे जो वास्तव में गरीब नहीं थे. जिनके पास ट्रेक्टर थे, जिनकी बिल्डिंगें थीं और जिनका गरीबी रेखा में नाम था. ऐसे नाम जरूर कटे हैं लेकिन जो जायज गरीब है उन सब को यह लाभ मिला और इन सब के बावजूद अगर आप बता देंगे कि कहीं किसी जायज गरीब का नाम कटा है तो वह नाम जोड़ लिया जाएगा. कहीं कोई दिक्कत की बात नहीं है. अगर कहीं ऐसा लगेगा कि कोई गरीब का नाम रह गया है तो उसको सम्मिलित करने में हमें कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन दूसरी बात बड़ी तकलीफ की बात है कि आजादी के 70 साल के बाद 50 साल से ज्यादा आपने सरकार चलाई.
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
मध्यप्रदेश में आज भी कई गरीब ऐसे हैं जिनके पास रहने के लिए जमीन का टुकड़ा भी उनका नहीं है. रहने के लिए जमीन के टुकडे़ के मालिक भी नहीं हैं. वे गरीब मजबूरी में कहीं सड़क के किनारे, कहीं दूसरे स्थानों पर अपनी झोपड़ी बनाते हैं, जीवन-यापन करने का प्रयास करते हैं उसको अतिक्रमण कहा जाता है फिर अतिक्रमण हटाने की बात होती है इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने फैसला किया है कि इसी बजट सत्र में हम एक कानून बना रहे हैं और उस कानून में वे भाई और बहन, जिन्होंने मध्यप्रदेश की धरती पर जन्म लिया है, रहने के लिए जमीन के टुकडे़ के तो मालिक बनाए जाएंगे. (मेजों की थपथपाहट) मध्यप्रदेश की धरती पर कोई बिना जमीन के नहीं रहेगा. हमारा विधेयक तैयार है. हमारी कोशिश है कि इसी बजट सत्र में हम प्रस्तुत कर दें. गरीबों के बच्चों को भी जीने का हक है. उनको भी मुस्कुराने का अधिकार है. आखिर इतनी जमीन के टुकडे़ का हक सबके पास है जिसमें वह रहकर अपना मकान बना सके और केवल जमीन के टुकडे़ का मालिक नहीं बनाएंगे, उसके बाद जमीन के उस टुकडे़ पर उनका मकान बने, यह चिन्ता भी प्रदेश की सरकार करेगी. हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत हर गरीब को छत मुहैया कराने का संकल्प लिया है. मुझे कहते हुए खुशी है कि एक दिन में सवा तीन लाख गरीबों के खाते में हमने सीधे 1 लाख 20 हजार की जो पहली किश्त थी, वह मकान बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के खाते में डाली है. मुझे कहते हुए भी गर्व है कि शहरी क्षेत्र में हम 5 लाख मकान बना रहे हैं. अलग-अलग शहरों में बना रहे हैं. कोई नगरीय निकाय ऐसा नहीं है कि जिसमें गरीबों के घर न बनाए जा रहे हों. हम प्लॉट देंगे. गरीबों को शहरों में उतने प्लॉट नहीं मिलेंगे तो हम उनको रियायती दरों पर मकान देंगे. मकान मल्टी हो सकते हैं. छोटे-छोटे फ्लैट एक बिल्डिंग में बन सकते हैं लेकिन छत सबको मुहैया हो जाए, यह हमारा प्रयास रहेगा और तीसरा जो क्रांतिकारी फैसला किया है मेरे भाई तो बडे़ भाई हैं क्योंकि कल परसों उन्होंने राज खोला कि उनकी उम्र 63 साल की हो गई है. मैं भी 57 साल पूरा कर रहा हॅूं. 58 में हॅूं तो मेरे तो वह बडे़ भाई हुए. उन्होंने कहा कि मामा-मामा कहते हैं. मामा का रिश्ता है और यह रिश्ता केवल भाषण देने से नहीं बन सकता, यह रिश्ता केवल दिखावा करने से नहीं बनता.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब आपके हृदय से किसी के लिए स्नेह की धारा फूटती है तो ही उसके दिल पर असर करती है और कोई उससे प्रभावित होता है केवल भाषण देने से नहीं होता. प्रदेश के बच्चे मुझे मामा कहते हैं और मुझे उससे आनंद की अनुभूति भी होती है. मैं जहां जाता हॅूं वहां छोटे-छोटे बच्चों से मिलता हॅूं, उनको गले लगाता हूँ, उनके सर पर हाथ रखता हॅूं और भगवान से यह प्रार्थना करता हॅूं क्योंकि स्थिति ऐसी है और वास्तव में है कि मॉं की गोद में बैठा छोटा बेटा-बेटी भी जब मैं उतरता हॅूं आगे बढ़ता हॅूं तो उसको पता नहीं कि यह मुख्यमंत्री है मुख्यमंत्री कुछ दे सकता है लेकिन वह ये जरूर जानता है कि यह दुबला-पतला आदमी मेरा मामा है मेरा कुछ-न-कुछ लगता है, ये मेरे लिए जरूर सोचेगा. (मेजों की थपथपाहट) जो भाव उसके मन में होते हैं वही भाव मेरे मन से निकलते हैं और इसलिए स्नेह की कच्ची डोर से इन बच्चों ने मुझे बांधा है. मैं भगवान से प्रार्थना करता हॅूं कि जब तक जीवन की डोर रहे, ये प्रेम की कच्ची डोर कभी टूटने ना पाए. (मेजों की थपथपाहट) और इसलिए इन बच्चों के लिए हमने एक नहीं, कई योजनाएं बनाई हैं. पहली से लेकर बारहवीं तक की किताब नि:शुल्क है. दूसरे गांव जाएं तो साइकिल देने का फैसला किया. यूनिफॉर्म देने का फैसला किया. एससी के बेटा-बेटियों को स्कॉलरशिप, एसटी के बेटा-बेटियों को स्कॉलरशिप, पिछडे़ वर्ग के बेटा-बेटियों को स्कॉलरशिप, अल्पसंख्यक वर्ग के बेटा-बेटियों को स्कॉलरशिप. मैं अपने परम मित्र आरिफ भाई को बताना चाहता हॅूं कि जब उधर की सरकार होती थी तो लगभग 10 हजार बच्चों को स्कॉलरशिप मिला करती थी. इधर की सरकार ने 1 लाख 65 हजार अल्पसंख्यक बेटा-बेटियों को स्कॉलरशिप देने का काम किया है. लेकिन एक मार्मिक घटना मुझे कई बार याद आती है एक दिन एक छोटे बच्चे ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा, मामा क्या मुझे कभी स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी ? मैं भी तो गरीब हूं. मैंने कहा बेटा, क्या बात है तुझे स्कॉलरशिप क्यों नहीं मिलती? उसने कहा मामा, मेरा दुर्भाग्य यह है कि मैं गरीब तो हूं लेकिन मैं सामान्य वर्ग में पैदा हो गया. क्या सामान्य वर्ग वाला कोई गरीब नहीं होता, क्या मुझे कभी स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी? बात मेरे कलेजे में तीर की तरह चुभ गई और उसी समय हमने फैसला कर लिया कि सामान्य वर्ग के निर्धन बेटा-बेटियों को भी स्कॉलरशिप की जाएगी. किसी को वंचित नहीं रखा जाएगा. हमने सामान्य निर्धन वर्ग आयोग बनाया और आयोग बनाकर हम सामान्य वर्ग के लाखों बच्चों को स्कॉलरशिप का लाभ दे रहे हैं और अभी जिस योजना की घोषणा बजट भाषण में माननीय वित्तमंत्री जी ने की, बाकी कई चीजें मैं दोहराना नहीं चाहता.चाहे लैपटॉप का सवाल हो, स्मार्ट फोन का सवाल हो, गांव की बेटी योजना हो. उनके विस्तार में मैं नहीं जाना चाहता लेकिन एक क्रांतिकारी योजना हमने अपने इन बच्चों के लिए बनाई है. मैं जगह-जगह जहाँ जाता था, बच्चे मिलते थे. बेटे भी मिलते थे, बेटियाँ भी मिलती थीं. मेरे हाथ में चिट्ठियाँ देते थे. बेटों से ज्यादा बेटियाँ चिट्ठी देती थीं, उन चिट्ठियों में ज्यादातर एक बात लिखी रहती थी कि हम पढ़ने में तो तेज हैं. हममें क्षमता, बुद्धि, प्रतिभा है लेकिन हम गरीब घर में पैदा हुए हैं. हम निम्न मध्यम वर्गीय वर्ग में पैदा हुए हैं और इसीलिये हम अपनी फीस नहीं भर पाते. क्या मामा, हमारी फीस का इंतजाम करवाओगे ? मैं कई दिनों तक सोचता रहा. टेलेंट है,क्षमता है, योग्यता है, प्रतिभा है लेकिन पैसे के अभाव के कारण यह बच्चे नहीं पढ़ पा रहे और सोचते-सोचते हमने मुख्यमंत्री मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना बना ली और मुझे कहते हुए सुख का अनुभव है, संतोष का अनुभव मैं कर रहा हूं कि अब ऐसी योजना हम 1 अप्रैल से लागू कर देंगे कि हमारे वह बेटा-बेटी, वह किसी वर्ग के हों, किसी समाज के हों, वह सामान्य वर्ग के हों, वह पिछड़े वर्ग के हों, वह अल्प संख्यक वर्ग के हों, वह एससी बेटा बेटी हों, वह एसटी बेटा बेटी हों, वह घुमक्कड़, अर्ध घुमक्कड़ जाति से आते हों, समाज के किसी वर्ग से आते हों,ट्रांसपेरेंट प्रकिया से अगर उनका एडमीशन मेडीकल कॉलेज में होता है, चिन्हित इंजीनियरिंग कॉलेज में होता है, आईआईटी में होता है, आईआईएम में होता है और किसी कॉलेज में होता है और वह 12वीं बोर्ड में 85 परसेंट मार्क्स लेकर आते हैं. हमने इसको पढ़ाई से इसलिए जोड़ा कि बच्चे मेहनत करें. 85 परसेंट नंबर लाने की कोशिश करें. उनको प्रोत्साहन भी मिले कि इतने नंबर ले आएंगे तो हमारे मार्ग में फिर कोई बाधा नहीं रहेगी और इसलिए अध्यक्ष महोदय, हम लोगों ने यह तय किया है कि उन बच्चों एडमीशन प्राइवेट मेडीकल कॉलेज में भी होगा, जिसकी फीस पांच- सात लाख रुपया साल होती है तो पहले एजुकेशन लोन की योजनाएं थीं लेकिन एजुकेशन लोन सब बच्चों को नहीं मिल पाता कई बार बैंक वहाँ भी दिक्कत और परेशानी देते हैं. इसलिए हमने अपने बजट में प्रावधान करके यह फैसला किया है कि इन बच्चों की पूरी फीस प्रदेश की सरकार भरवाएगी. इनके माता-पिता नहीं भरवाएंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एक क्रांतिकारी फैसला है. फिर सवाल यह आया कि मान लीजिये कि 85 परसेंट नहीं ला पाएं तो क्या वह बच्चे वंचित होंगे ? वह भी वंचित नहीं होंगे. 85 परसेंट की शर्त हमने इसलिए रखी कि लोग और प्रयास करके 85 परसेंट के ऊपर नंबर लेकर आए लेकिन यदि वह 85 परसेंट नहीं भी ला पाए और उनका एडमीशन इन शिक्षण संस्थानों में हो गया तो भी उनकी फीस हम भरवाएंगे. लेकिन जब उनकी नौकरी रोजगार लग जाएगी तो बिना ब्याज के वह पैसा उनसे सरकार वापस ले लेगी तो ऐसे बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकेगी. इसका लाभ समाज के हर वर्ग के बेटा-बेटियों को मिलेगा और मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि इसके कारण टेलेंट और प्रतिभा शिक्षा से वंचित नहीं होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इलाज की व्यवस्था चाहिए अभी थैलेसीमिया का सवाल सवेरे दिलीप शेखावत जी ने उठाया था. हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी ने भी कहा था. हमने फैसला किया है कि थैलेसीमिया के मरीजों को भी उपचार की व्यवस्था की जाएगी. राज्य बीमारी सहायता कोष बना, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान की राशि मिलती है. इलाज में हम कोई कसर नहीं छोड़ते. अभी-अभी स्वास्थ्य विभाग ने गंभीर बीमारियों को चिन्हित करने के अलग-अलग केंप लगाये. हजारों बीमार पहचाने गये, जिनकी इलाज करवाने की व्यवस्था होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सवाल रोजगार का है. रोजगार चाहिए, बिना रोजगार के काम नहीं चलेगा. इसलिए हमने तय किया है और रोजगार भी अलग-अलग तरह का रहता है. एक गरीब बहनों और भाईयों को रोजगार, साइकिल-रिक्शा चलाने वाले, हाथठेला धकाने वाले, हम्माली करने वाले, घरों में कामकाज करने वाली मातायें-बहनें, केशशिल्पी इनके अलग-अलग वर्ग हैं.माननीय अध्यक्ष महोदय, जो साइकिल-रिक्शा चलाते हैं, उनका जीवन तो बड़ा नारकीय है. आज आदमी ही आदमी को ढोयें और पाँव से साइकिल रिक्शा चलाये, यह अमानवीय लगता है इसीलिए हमने फैसला किया है कि इन रिक्शों की जगह उनको ई-रिक्शा उपलब्ध कराये जाएंगे जिसमें उनको ताकत नहीं लगानी पड़ेगी. उसके लिए हम उनको सुविधायें मुहैया कराएंगे. फुटपाथ पर सामान बेचने वाले हमारे कई भाई-बहन हैं, उनके लिए अलग तरह की योजना बनाकर रोजगार देने का हम प्रयास कर रहे हैं लेकिन उस रोजगार के अलावा इस सरकार ने यह तय किया है कि साढ़े 7 लाख बेटा-बेटियों को हम हर साल स्किल्ड करने का काम करेंगे. स्किल डेवलपमेंट मिशन हमने बनाया हुआ है. साढ़े 7 लाख बेटा-बेटियों को हम स्व-रोजगार से लगाएंगे या रोजगार दिलवाएंगे. हमारा लक्ष्य है साल में साढ़े 7 लाख बेरोजगार नौजवानों को काम धंधे से लगाने का प्रयास करना.पूरी शिद्दत के साथ, पूरी गंभीरता के साथ हमारी सरकार यह कोशिश करेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, औद्योगिक विकास के बारे में माननीय प्रतिपक्ष जी ने कुछ सवाल खड़े किए थे, मैं वह भी हिसाब देना चाहता हूँ. यह बात सही है हमने कोशिश की है. पहले मध्यप्रदेश में कोई उद्योगपति नहीं आता था. आपको ध्यान होगा और माननीय अजय सिंह जी जानते होंगे कि एक बार कांग्रेस की सरकार थी तब खजुराहो में एक इन्वेस्टर्स समिट हुई थी. उस समय जो उद्योगपति वहाँ आए थे उन्होंने यही कहा था कि न तो सरकार के पास देने के लिए बिजली है, न चलने के लिए सड़कें हैं, उद्योग कहाँ लगा लें ? हमने सड़कें भी बनाई हैं, हमने बिजली की व्यवस्था भी की है, हमने इन्फ्रास्ट्रक्चर डेव्हलप करने का प्रयास किया है. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी इस बात से सहमत होंगे कि जब तक आपके पास औद्योगिक क्षेत्र नहीं होंगे, विकसित औद्योगिक क्षेत्र नहीं होंगे तो जंगल में उद्योग लगाने के लिए कोई नहीं आएगा. हमने अलग-अलग 27 औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के प्रयास किए हैं, हमने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की, मुझे यह कहते हुए गर्व है कि वर्ष 2014 में, जो जी.आई.एस.एम. ने किया था, उसमें लगभग 4 लाख 36 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव आए थे. मान्यवर, उनमें से 2 लाख 71 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव जमीन पर उतरे हैं. अगर आप कहें तो उनकी पूरी सूची मैं आपको पढ़कर सुना देता हूँ, अगर आप कहें तो मैं आपको भिजवा देता हूँ. आप देख लीजिए. हम गंभीरता से कोशिश कर रहे हैं, जो उद्योगपति पैसा लगाता है वह आसानी से नहीं आता, वह कई तरह की आश्वस्ति चाहता है, वह कई तरह की सुविधाएँ चाहता है, इसके बाद वह पैसा लगाता है. अभी भी वर्ष 2016 में हमने जो किया है उसमें लगभग 5 लाख करोड़ के 2630 इन्टेंसन टू इन्वेस्ट प्राप्त हुए हैं जिसमें हमने इन्वेस्टमेंट रिलेशनशिप मैनेजर नियुक्त कर उनको जमीन पर उतारने की कोशिश कर रहे हैं. जो आवश्यक औद्योगिक क्षेत्रों का विकास था, वह हमने करने की कोशिश की है. यह बात ठीक है हम गंभीरता के साथ प्रयास कर रहे हैं कि बाहर से उद्योगपति आएं, उनको लाने की कोशिश करते रहें, लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि एक प्रयास और गंभीरता के साथ हमें करना है जिसमें मैं आप सबका भी सहयोग चाहूँगा कि मध्यप्रदेश के बच्चों को हम कैसे उद्यमी बनाएँ ? मध्यप्रदेश के बच्चों में उद्यमिता का गुण आए इसके लिए हमने दो-तीन योजनाएँ बनाई हैं, एक युवा उद्यमी योजना बनाई है जिसका जिक्र मैं करना चाहूँगा, इसमें हमने फैसला किया है कि 10 लाख रुपये से लेकर 2 करोड़ रुपये तक का लोन हमारे मध्यप्रदेश के नौजवान बच्चों को मिले ताकि वे अपनी इंडस्ट्री डालें, लघु उद्योग डालें, कुटीर उद्योग डालें, इतने पैसे में तो यही डल सकते हैं. शुरुआत इसी से होनी चाहिए, बच्चों को 10 लाख रुपये से 2 करोड़ रुपये तक का लोन बैंक देंगे, लेकिन बैंक को पैसे वापस करने की गारंटी प्रदेश की सरकार लेगी. इसमें हम 15 प्रतिशत सब्सिडी भी देंगे, अगर 1 करोड़ रुपये लगाएगा तो 15 लाख रुपये अनुदान मिलेगा, 5 साल तक 5 प्रतिशत हम उसको इंटरेस्ट सब्सिडी देने का भी काम करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे कहते हुए खुशी है कि हर जिले में युवा उद्यमी पैदा हो रहे हैं. मेरे मित्र जानते हैं, उद्योग मंत्री जानते हैं, हमारे एम.एस.एम.ई. के मिनिस्टर भी जानते हैं कि जब हमने ऐसे उद्यमियों का सम्मेलन बुलाया था तो उसमें उन्होंने अपनी प्रदर्शनी लगाकर उन चीजों का प्रदर्शन किया था जिनको वे बना रहे हैं और अच्छा मार्केट भी उनको प्राप्त हो रहा है. देखिए टाटा, बिड़ला और अंबानी जैसे लोग भी छोटी पूंजी से धीरे-धीरे बड़े बने हैं, हमारी भी कोशिश यही है कि मध्यप्रदेश की धरती से हम टाटा, बिड़ला और अंबानी जैसे उद्योगपति पैदा करें. मध्यप्रदेश के बच्चों में क्षमता है, प्रतिभा है, योग्यता है, अगर उनको थोड़ा सा सहारा मिलेगा तो हमारे ये बच्चे भी आगे बढ़कर चमत्कार करेंगे. आपने जो रोजगार की बात पूछी, हमने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद जो अलग-अलग उद्योग लगाए, उनमें अलग-अलग छोटे और बड़े सभी उद्योगों में मिलाकर लगभग 15 बच्चों को डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे कहते हुए कहते हुए खुशी है कि अगर आप शिक्षा की बात करेंगे तो हमारे मध्यप्रदेश की धरती के हमारे एस.सी. के बेटा-बेटी, हमारे एस.टी. के बेटा-बेटी, हमारे आदिवासी बेटा-बेटी, डिण्डोरी जिले के बेटा-बेटी, मंडला जिले के बेटा-बेटी, धार जिले के बेटा-बेटी, इन सबके लिए हम लोगों ने बेहतर ट्रेनिंग, बेहतर कोचिंग देने की कोशिश की है. यह कोचिंग भी हमने किसी बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट में नहीं दी, हमारे उत्कृष्ट विद्यालयों में दी. मुझे आज कहते हुए खुशी है कि 300 से ज्यादा एस.सी. और एस.टी. के बेटा-बेटियों का सिलेक्शन आई.आई.टी. में हुआ है, आई.आई.एम. में हुआ है, मेडिकल कॉलेजेस में हुआ है और उनकी पूरी फीस सरकार भर रही है. इस साल हम फिर प्रयास कर रहे हैं कि उनको कोचिंग दें, हम प्रशिक्षित कोचिंग इंस्टीट्यूट से लोगों को बुलाते हैं और उनको ट्रेनिंग दिलवाने का काम करते हैं. इसलिए हमारी भरसक कोशिश यह है कि मध्यप्रदेश के बेटा-बेटियों की प्रगति के रास्ते में पैसा बाधा न बने. कुपोषण दूर करने की बात अभी आई थी, मातृ मृत्यु-दर, शिशु मृत्यु-दर का मैंने जिक्र किया, गंभीर रूप से जो कुपोषित बच्चे हैं, उन बच्चों की संख्या में कमी आई है, यह बात सही है कि ऐतिहासिक रूप से जब कांग्रेस सत्ता में थी तब भी कुपोषण के मामले में मध्यप्रदेश आगे था, आज भी यह दुर्भाग्य है कि मध्यप्रदेश के माथे पर कुपोषण के कलंक का टीका लगा हुआ है. कुपोषण का प्रतिशत कम हो रहा है, कुपोषित बच्चों का प्रतिशत कम हो रहा है, कांग्रेस के समय तो कुपोषित बच्चों को ठीक से इलाज देने के लिए किसी भी जिला मुख्यालय में कोई अस्पताल नहीं था.हमने शिशुओं की देखरेख की गहन इकाई एनआरसी खोलने का प्रयास किया है. वहां पर बच्चों को रखते हैं. कुपोषित बच्चों को पोषण आहार देते हैं. मां को वहां पर रखते हैं उनकी मजदूरी देने का प्रयास करते हैं. समस्या बड़ी है, गंभीर है, हम प्रयास कर रहे हैं कि इससे हम किस ढंग से निपटें.मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि आप हेल्थ के क्षेत्र में हों या शिक्षा के क्षेत्र में हों हमारी सरकार गंभीरता से प्रयास करके ठीक दिशा में काम करने की कोशिश कर रही है.
आपने व्यापम का जिक्र किया है. मैं समझता हूं कि इसका जिक्र बहुत आवश्यक है. मैं पूरी संजिदगी से कहना चाहता हूं. मैं पूरी गंभीरता से कहना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय महोदय , व्यापम के पहले, मैं यहां पर आरोप नहीं लगा रहा हूं, मैं सच्चाई बता रहा हूं, जब उधर सरकार थी तब भर्ती की कोई प्रक्रिया सरकार ने बनाई ही नहीं थी. आप अच्छी तरह से जानते हैं, मेरे मित्र अच्छी तरह से जानते हैं, शिक्षकों की भर्ती होना थी तो कैसे भर्ती होती थी, जनपद पंचायत, जिला पंचायत, सामान्य प्रशासन समिति उसके अध्यक्ष वह ही तय कर देंगे सब, वह ही सब तय करते थे और कैसे कैसे भर्तियां होती थीं. माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत विस्तार से बताने की आवश्यकता नहीं है, कई मामले कोर्ट में गये, अदालत में गये, पुलिस में जब भर्तियां होती थीं तो केवल एक विभाग ही पूरी भर्तियां कर लेता था. उस समय के पुलिस के अधिकारी, जब यह व्यवस्था बनी, अच्छी तरह से जानते थे कि आईजी और एसपी मिलकर पेपर सेट करते थे, फिजिकल भी हो जाता था और किसी को फिजिकल में बाहर कर दिया, किसी को और किसी स्तर पर बाहर कर दिया. पटवारी की भर्ती होती थी एक कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर को डेप्यूट कर देता था वह अपने हिसाब से भर्तियां कर लेता था, ईमानदारी से जरा कलेजे पर हाथ रखकर ईमानदारी से सोचना कि क्या पर्चियां नहीं जाती थीं बड़ी भर्तियों में कि इसका कर लिया जाय, इसका कर लिया जाय, सिलेक्शन हो जाता था उद्योग बना हुआ था, नौकरियां देने का.
माननीय अध्यक्ष महोदय मैंने क्या अपराध किया, मैंने क्या पाप किया. अगर मैंने कोई अपराध किया है तो वह अपराध किया है कि भर्ती कि एक निश्चित ट्रांसपेरेंट प्रक्रिया होगी, कोई पर्ची नहीं चलेगी, कोई सिफारिश नहीं चलेगी, ईश्वर जानता है, ईमानदारी से मैंने कोशिश की, ईमानदारी से मैंने प्रयास किया . हर तरह की आंगनबाड़ी की भर्तियों में हम लोगों ने तय कि जो भी बच्चा 12वीं में सबसे ज्यादा नंबर लेकर आयेंगे वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बन जायेंगे. हमने रोजगार सहायकों की भर्ती की 12वीं में गांव में सबसे ज्यादा नंबर होंगे वह रोजगार सहायक बन जायेगा. अगर हमें गलत नियुक्तियां करनी होतीं तो हम ट्रांसपरेंट व्यवस्ता क्यों बनाते.
माननीय अध्यक्ष महोदय एक व्यवस्था हमने बनाई है क्योंकि उस समय कोई व्यवस्था थी ही नहीं. वही व्यवस्था थी अंधा बांटे रेवड़ी चिन्ह चिन्ह कर दे, उसका किस्सा सार्थक होता था. आपमें से कई प्रत्यक्षदर्शी हैं. आपमें से कई गवाह हैं, जो व्यवस्था उस समय बनी थी लेकिन हमने उस व्यवस्था को समाप्त करके . एक नई व्यवस्था व्यापम की बनाई और व्यापम पकड़ा किसने आज में पूरी जिम्मेदारी के साथ में फिर कहना चाहता हूं कि प्रतिपक्ष ने नहीं पकड़ा है और कोई कहने के लिए नहीं आया. जब हमें जानकारी मिली की कहीं पर गड़बड़ी हो रही है तो हमने सबसे पहले गड़बड़ी पकड़ने का काम किया है तो इसी सरकार ने किया है. एसटीएफ को मामला किसने दिया है वह मैंने दिया है, और यह कहकर दिया है कि कोई भी हो छोड़ना नहीं है, अगर भर्ती प्रक्रिया में किसी ने गड़बड़ की है. सिस्टम में किसी ने छेद बनाया है , सेंध लगाई है तो वह किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाना चाहिए और मुझे यह कहते हुए गर्व है कि कोई छोड़़ा नहीं गया है, जहां जहां पर सबूत मिले हैं, जहां जहां पर शिकायतें मिली हैं, उसकी जांच हुई है और जांच के बाद में कार्यवाही हुई है. मैं यहां पर एक निवेदन जरूर करना चाहता हूं प्रतिपक्ष के मित्रों से भी करना चाहूंगा मध्यप्रदेश को ऐसा बदनाम मत करो देखो 2012 में कुल नियुक्तियां हुई 96247 और उसमें गड़बड़ी कितनी पायी गईं 240 , 0.2 प्रतिशत 99.8 प्रतिशत में कोई गड़बड़ नहीं हुई, 2012 में 80 हजार शिक्षकों की नियुक्ति हुई, गड़बड़ी कितनी थी 157, 0.2 प्रतिशत, 99.8 प्रतिशत में कोई गड़बड़ नहीं हुई, विभिन्न विद्यार्थियों की परीक्षा पीएमटी, पीईटी में जो एडमिशन हुए वह 1 लाख 77 हजार हुए हैं और उसमें गड़बड़ कितनी पायी गई 981 मतलब 0.6 प्रतिशत, मैं यह नहीं कहता कि एक भी गड़बड़ हो तो गलत है लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय गड़बड़ हुई है तो गड़बड़ हमने पकड़ी है, पकड़कर हमने सजा देने की कोशिश की है. अभी बड़ी बात हुई कि सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया. अगर व्यापम के जरिये कोई गलत भर्तियां हुईं थीं तो उनको निरस्त करने का काम किसने किया, गड़बड़ी पायी हमने जांच की और जांच करके जो गड़बड़ करके सिलेक्ट हो गये थे उनको बाहर किया, लोग जब हाई कोर्ट गये हाई कोर्ट ने जब कहा कि यह सही है राज्य शासन ने सही किया है. वह लोग सर्वोच्च न्यायालय गये तो सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य शासन ने सही किया है, उनकी बात को नहीं माना. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने तो गड़बड़ी पकड़ने का काम किया है. अगर यह अपराध है तो मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि हां मैं अपराधी हूं लेकिन गड़बड़ किसी भी कीमत पर मैं चलने नहीं दूंगा, यह सरकार नहीं चलने देगी.माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यापमं की जांच हमारी प्रमाणिकता का प्रतीक है और मैंने क्या-क्या नहीं सहा है. माननीय नेता प्रतिपक्ष ने भी जिक्र किया एक शहर के इतने नाम हो गये हैं, अब एक सज्जन तो इसी मामलें में अदालत में जा रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे अब कोई तकलीफ नहीं होती है, लेकिन नाम लेकर कहा कि फलाने शहर के इतने लोग हो गये, अगर उस शहर और प्रदेश का एक भी निकल जाये तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा(मेजों की थपथपाहट). पूरी जांच हो चुकी है, लेकिन झूठे आरोपों की भट्टी में झोंकने की कोशिश की गई है. पूरा हाईकमान लेकर हवाई जहाज दिल्ली से चला, बड़ा रहस्योउद्घाटन करने वाले हैं. उस समय सारे बड़े बडे़ नेता आये. सदन की परम्परा है कि जो नेता सदन का सदस्य नहीं होता है उसके बारे में नहीं कहा जाता है, इसलिए मैं नाम नहीं लूंगा. लेकिन सारे दिग्गज आये और बड़े- बड़े वकील लाये. यहां प्रेस कांफ्रेंस हुई कि सीएम तो बड़ा खतरनाक है, इसने तो बड़ी जालसाजी कर दी है सीएम काटकर दूसरे नाम लिख दिये हैं. मैंने कहा कि लिखता तो तुम्हारे नाम नहीं लिख देता, दूसरों के नाम क्यों लिखता(हंसी की आवाज). उस समय ऐसा बवंडर मचा की हत्याएं करवा रहे हैं. मेरी फोटो और मेरे साथ खून, दूसरी तरफ टी.वी. स्क्रीन पर इतनी हत्याएं, इतनी हत्याएं, इतने विकट गिर गये, इतना स्कोर हो गया. एक संवेदनशील व्यक्ति के दिल पर क्या गुजरती होगी कभी ठंडे दिमाग से आपने सोचा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सीबीआई ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उसमें यह कहा है कि उस पेन ड्राइव में कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है (मेजों की थपथपाहट) मिलकर जालसाजी की गई और एक ऐसे मुख्यमंत्री को जो पूरी प्रमाणिकता के साथ काम करने की कोशिश कर रहा है, पूरी ईमानदारी से काम करने की कोशिश कर रहा है, उसको कठघरे में ऐसा खड़ा कर दो कि पूरी जनता देखे कि वाह ये क्या मुख्यमंत्री है . लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्य के सूरज को असत्य के बादल लंबे समय तक ढक नहीं सकते हैं ''सांच को आंच नहीं '' सच साबित होकर ही रहता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, जो कुछ सहा है मैंने सहा है, लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि आरोप सही है, अगर कोई आरोप किया है तो जरूर कठघरे में खड़ा करो, जरूर घेरो, जरूर पकड़ो लेकिन केवल इसलिए कि किसी को बदनाम करना है किसी के परिवार को ऐसा त्रास मत दो कि जीना मुश्किल हो जाये. क्योंकि मैं तो अब समझ चुका हूं कि मुझ पर हमले होंगे, बिना उसके आपका चुनावी गणित पूरा नहीं होगा और अगर आपको लगता है कि शिवराज आपके रास्ते की बाधा है तो एक आध बार मेरे पास आ जाओ मुझसे पूछ लो कि शिवराज का क्या करोगे ? अकेले-अकेले इधर उधर से करते रहते हो (हंसी ठहाके की आवाज).
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं फिर कहता हूँ कि व्यापमं की जांच हमारी प्रमाणित का प्रतीक थी. कुछ सवाल और माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने उठाये उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में सोयाबीन की प्रोसेसिंग यूनिटस बंद हो रही है, यह बात सही है. सोयाबीन की फसल खराब होने के कारण उत्पादन घटने की दिशा में जा रहा है. लेकिन 40 प्रोसेसिंग यूनिटस अभी भी उनमें से चालू है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने एक पशु चिकित्सक का जिक्र किया और कहा कि इंसानों का ईलाज पशु चिकित्सक के हवाले कर दिया, मेरे विद्वान बड़े भाई साहब(हंसी, ठहाके की आवाज) मैं आपसे यह निवेदन कर रहा हूं कि यह केंद्र द्वारा विकसित एक योजना है, जिसमें समय-समय पर बर्ड फ्लू और पशुजनित जो बीमारी होती है, उन पर नजर रखने के लिये ऐसा अधिकारी तय होता है. भाई साहब इंसानों के ईलाज के लिये जानवर का डॉक्टर हमने तय नहीं किया, इतनी बड़ी गलती, इतना बड़ा जुल्म हम नहीं कर सकते हैं(हंसी की आवाज).
माननीय अध्यक्ष महोदय,एक बात और मेरे बड़े भाई साहब ने कही है रामेश्वर उराव जी भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी है, महाराज वह कांग्रेस के नेता है और हमारी सरकार आने के बाद भी मान्यवर वह इसलिए पद पर बने रहे क्योंकि हम नैतिकता की राजनीति करते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, कानून और व्यवस्था की स्थिति को हम लगातार ठीक करने की कोशिश और प्रयास कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ का भी सवाल उठा था कि सिंहस्थ में पता नहीं क्या हो गया है, सिंहस्थ का जिक्र ही नहीं किया गया है. सिंहस्थ की बात करते हुए मुझे गर्व है कि जिस ढंग से सिंहस्थ के मेले का आयोजन उज्जैन में हुआ है, उसके संबंध में मैं ही नहीं उसमें भाग लेने वाला हर एक इस बात का साक्षी है. साधु कह रहे हैं, संत कह रहे हैं, विद्वान कह रहे हैं, देशी कह रहे हैं, विदेश कह रहे हैं कि ऐसा सिंहस्थ आज तक कभी नहीं हुआ है. (मेजों की थपथपाहट). माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन उसमें भी कहानी बना दी गई कि पता नहीं, कौन-सी चीज कितने रुपए में खरीदी? मटके दिखाए जा रहे हैं, मटका लेकर सभा में घूम रहे हैं और कह रहे हैं कि ये मटके 47 करोड़ रुपए में खरीदे गये. माननीय अध्यक्ष महोदय, 4 लाख 76 हजार रुपए के मटके कांग्रेस को 47 करोड़ रुपए के लगते हैं तो उसमें शिवराज सिंह चौहान क्या कर सकता है?
जाकि रही भावना जैसी ।
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी ॥
अब आपको लगे तो मैं क्या कर सकता हूं मेरे भाई. आपने चप्पल खरीदी की भी बात की कि 40 हजार रुपए की चप्पल खरीदी. अब 40 रुपए की चप्पल 40 हजार रुपए की नजर आती है तो शिवराज सिंह चौहान क्या कर सकता है? श्रद्धालु और साधु महात्मा आते थे, उनके लिए झाडू खरीदी तो झाडुओं का रेट बताते फिरे, कुल 5150 रुपए की झाडू खरीदी गई, उन झाडुओं पर आपत्ति व्यक्त की जा रही है. गर्मी में सुकून भरा माहौल देने के लिए डिवाइडर पर घास, फूल, पत्ती लगाने में ढाई करोड़ रुपए का खर्चा हुआ, वह डेढ़ सौ करोड़ रुपए का नजर आ रहा है. 6 प्लेटों का सेट, उसकी कांग्रेस के मित्रों ने बड़ी चर्चा की. 6 प्लेटों का सेट प्रतिपक्ष को एक प्लेट नजर आती है. 9000 रुपए के थर्मस खरीदे, उन पर आपत्तियां ली जा रही है. इन सबका एक-एक का हमने ऑडिट करवाया और किसी भी ठेकेदार का पेमेंट तब तक नहीं हुआ, जब तक उसका भौतिक सत्यापन नहीं कर लिया गया कि कौन-सी चीज खरीदी गई है, कौन-सी चीज नहीं खरीदी गई है. (मेजों की थपथपाहट)...लेकिन कुछ न कुछ तो कहना है और इसलिए सिंहस्थ को भी इश्यू बनाने की कोशिश की गई.
मैं एक दो बात आपके सामने निवेदन करना चाहता हूं. हम लोगों ने इस साल पर्यटन को आगे बढ़ाने के लिए एक नहीं अनेकों प्रयास किये हैं क्योंकि पर्यटन रोजगार से जुड़ा हुआ है. हनुवंतिया में हमने एक टापू विकसित किया. हमारी विनम्र कोशिश थी. हम दुनिया के कई देशों में गये, जहां कुछ नहीं था. वहां ऑर्टिफिश्यल ऐसा क्रिएट कर दिया कि सारी दुनिया उसको देखने आती है तो हमने कहा कि मध्यप्रदेश में हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं. हमारा मध्यप्रदेश तो ऐसी प्राकृतिक संपदाओं से भरा हुआ है कि जिनका ढंग से हम दोहन कर लें तो रोजगार के अवसर की असीम संभावनाएं बनेंगी. एक हनुवंतिया का उदाहरण मैं दे रहा हूं, ज्यादा वक्त नहीं लूंगा. अकेले हनुवंतिया टापू में इस साल जल महोत्सव में 5 लाख से ज्यादा पर्यटक घूमने आए. एक नया क्रिएशन हमने क्रिएट करने की कोशिश की. जो अलग-अलग संरचनाएं हैं, उनको हम विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं. धार्मिक पर्यटन को हम बढ़ावा देंगे. धार्मिक पर्यटन के अलावा हम जल महोत्सव के माध्यम से बरगी हो, तवा हो, गांधी सागर हो, हमारा बाण सागर हो, इनको हम विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं. हम अलग-अलग जगह टूरिस्ट सर्किट बना रहे हैं ताकि रोजगार की नयी संभावनाओं की तलाश मध्यप्रदेश में हम कर सकें. मिल बांचे मध्यप्रदेश, हमने एक प्रयास किया. मैं जानता हूं कि आपने उसकी भी मजाक उड़ाई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर समाज, समाज के प्रबुद्ध लोग यह कोशिश करें कि वह एक स्कूल में साल में एक बार जायं, दो बार जायं, या कुछ ऐसे हो सकते हैं जो हर महीने जाने का नाता जोड़ लें या सप्ताह में एक दिन जायं तो उसमें आपत्ति क्या हो सकती है? हमने वहां हिन्दी कैसे पढ़ते हैं, उनसे पढ़कर सुनी, उनको पढ़कर सुनाई. कहानियों के माध्यम से प्रेरणा देने की कोशिश की. अच्छी बातें बताने का प्रयास किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, समाज के प्रबुद्ध जन अगर जाएंगे तो स्कूलों का सोशल ऑडिट भी हो जाएगा. वहां भी दबाव रहेगा कि शिक्षा का स्तर कुछ ऊंचा करो और बेहतर करने की कोशिश करो. इसलिए शिक्षा की गुणवत्ता कुल मिलाकर सुधारने की दिशा में हम महत्वपूर्ण कदम उठा पाएंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एक विनम्र प्रयास है. मुझे कहते हुए खुशी है कि 2 लाख से ज्यादा लोग पढ़ाने गये और जो पढ़ाने गये उनमें से अधिकांश ने कहा कि हम दोबारा जाएंगे. हम आह्वान करते हैं समाज को कि ऐसे भाई और बहन जो प्रबुद्ध हैं और जो पढ़ाने जा सकते हैं, सप्ताह में एक दिन दें तो स्कूल से हम उनको जोड़ेंगे. महीने में एक बार जाएंगे तो जोड़ेंगे. साल में एक बार जाएंगे तो जोड़ेंगे. मैं स्कूल के जो पूर्व विद्यार्थी हैं, उनका आह्वान करता हूं कि अपने स्कूल को ठीक करने के लिए अगर आप अच्छे पद पर हैं तो अपना योगदान दीजिए. हमने सबका आह्वान किया है और मुझे खुशी है कि लाखों पूर्व विद्यार्थी इस बात के लिए तैयार हुए हैं कि हम अपने स्कूल को बेहतर बनाने में अपना योगदान देना चाहते हैं, उसमें क्या आपत्ति है?
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने आनंद विभाग की बात की. मजाक उड़ाई जा सकती है. मुझे कोई आपत्ति भी नहीं है. लेकिन हम सब जानते हैं कि मनुष्य तलाश किस चीज की करता है? अंत तक मनुष्य की खोज रहती है, जो तलाश रहती है वह एक ही चीज की रहती है कि वह प्रसन्न कैसे रहे. वह आनंदित कैसे रहे. यह आनंद, धन और दौलत से नहीं आता है क्योंकि मैंने गरीबों से ज्यादा आंसू, अमीरों को बहाते हुए देखा है. यह आनंद, पद और प्रतिष्ठा से नहीं आता है. पद वालों को नींद नहीं आती है. कई बार रात-रात भर जागकर नींद की गोलियां खानी पड़ती है. पद, प्रतिष्ठा, धन, दौलत, भौतिक सुख-सुविधाएं, यह व्यक्ति के जीवन को सुखी नहीं रख सकतीं. सुख अंदर से निश्रित होता है, उसकी कला विकसित करने का प्रयास करना होता है. सुख, दूसरों को कुछ देने से होता है और इसलिए हमारा विनम्र प्रयास है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम योग, ध्यान, प्राणायाम करें जीवन जीने की कला जैसा ऑर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से श्री श्री रविशंकर जी सिखाते हैं उस दिशा में भी प्रयास किया, बाकी अनेक संत भी उस दिशा में प्रयास करते हैं. निष्काम कर्मयोगी बनकर ही व्यक्ति सुखी रह सकता है. हम पाठ्य पुस्तकों में ऐसे पाठ डालने की हम कोशिश करेंगे. ऐसे जो विद्वान विशेषज्ञ हैं उनसे प्रशिक्षण दिलाने की कोशिश करेंगे. अगर हमने यह कोशिश की कि गांवों में खेलकूद होंगे उसमें कितना आनन्द आयेगा. हम सबने देखा होगा उसमें दादा दादी, नाना नानी की दौड़ हुई
अगर हमने यह प्रयास किया कि जरूरत से ज्यादा आपके पास में है तो हमें दे जाओ और उस सामान की जिसको जरूरत है वह ले जाए. देने वाले को देने का सुख है और लेने वाले की जब जरूरत की पूर्ति होती है तो उसको अलग से आनन्द आता है. अगर हम कह रहे हैं कि अंतर में झांक करके देखो और विराम कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं तो इसमें क्या आपत्ति हो सकती है. एक कोशिश है मैं नहीं कहता इससे चारो तरफ केवल आनन्द की वर्षा होगी, लेकिन कोशिश करने में हर्ज क्या है. कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, यह माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने कहा है.
हमारी विनम्र कोशिश है और हम यह लगातार प्रयास करते रहेंगे कि मध्यप्रदेश की जनता प्रसन्न रहे, सुखी रहे, आगे बढ़े, उसी दिशा में कई तरह की चीजें हम लोग कर रहे हैं. शहरी विकास-ग्रामीण विकास से लेकर जितने भी आयाम हो सकते हैं, करेंगे. स्मार्ट सिटी की जब बात हुई मैं अर्बन डव्लपमेंट के माध्यम से मैं कहना चाहता हूं कि माननीय अपने बड़े भाई को कि तीन साल में 83 हजार करोड़ रूपया शहरी विकास पर खर्च रही है हमारी प्रदेश की सरकार कर रही है. मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा आपके जमाने में यू.आई.एस.एस.एम.डी.योजना के अलावा पेयजल की कोई भी योजना शहर में नहीं थी. हमने मुख्यमंत्री पेयजल योजना बनायी. आज मुझे यह कहते हुए बड़ी खुशी है कि कोई शहर बिना नल-जल योजना के नहीं छोड़ेंगे, हर घर में टेब वॉटर पीने के पानी का हम इंतजाम करेंगे. हम लोग मुख्यमंत्री जी पेयजल योजना ग्रामीण क्षेत्र में भी बना रहे हैं उसके विस्तार में मैं नहीं जाना चाहता हूं. लेकिन हर दिशा में प्रयास हो रहा है कि मध्यप्रदेश कैसे समृद्ध-विकसित बने, मध्यप्रदेश की जनता कैसे सुखी हो, क्योंकि मध्यप्रदेश की जनता ही हमारी जिन्दगी है और मध्यप्रदेश की जनता की जिन्दगी संवरे इसके लिये मेरी सरकार दिन और रात प्रयास कर रही है. हम कोई कसर नहीं छोड़ेगे. कल माननीय वित्त मंत्री जी का बजट भी इसी बात का प्रतिपादक है कि जनता के जीवन को सुगम बनाने के लिये मध्यप्रदेश को समृद्ध और विकास के पथ पर ले जाने के लिये हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. आरोप लगाएं कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इतना निवेदन जरूर है कि आरोप तथ्यों-तर्कों के साथ लगे हरेक रचनात्मक चीज में हम लोग मिलकर के साथ में खड़े हों उसमें कुछ बिन्दु तो ऐसे हों जिससे देश एवं प्रदेश की जनता को ऐसा लगे कि यह आम सहमति के हैं इसमें पक्ष एवं प्रतिपक्ष साथ में मिलकर चलने की कोशिश कर रहे हैं.
माननीय सदस्यों ने इसमें अपने विचार प्रकट किये हैं उसमें से कई माननीय सदस्य प्रतिपक्ष के एवं सत्तापक्ष के ऐसे हैं जिन्होंने अपने अमूल्य सुझाव दिये हैं उन एक एक सुझावों को मैं पढ़ रहा हूं. मैं सदन को आश्वस्त कर रहा हूं कि उनमें से जो लागू करने के लायक हैं उनको लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. आपके रचनात्मक सुझावों का हमेशा स्वागत है आईये इस समृद्ध एवं विकसित मध्यप्रदेश के निर्माण के लिये हम अपने आपको सपर्पित करें. हजारों साल पहले हमारे ऋषि-मुनियों ने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिनःसर्वे संतु निरामया. सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् भवेत सब सुखी हों, सभी निरोगी हों, सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो, ऐसा मध्यप्रदेश बनायें. ऐसे मध्यप्रदेश के निर्माण के लिये हमने समर्पित अपने आपको किया है और उसमें कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--मैं समझता हूं कि राज्यपाल के अभिभाषण के उत्तर में प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव में जितने संशोधन प्रस्तुत हुए हैं, उन पर एक साथ ही मत ले लिया जाये.
प्रश्न यह है कि --
जो माननीय सदस्य संशोधनों के पक्ष में हों वे कृपया "हां" कहें,
जो माननीय सदस्य संशोधनों के विपक्ष में हों वे कृपया "ना" कहें,
"ना" की जीत हुई/"ना" की जीत हुई,
समस्त संशोधन अस्वीकृत हुए
प्रश्न यह है कि-
"राज्यपाल ने जो अभिभाषण दिया, उसके लिये मध्यप्रदेश की विधान सभा के इस सत्र में समवेत सदस्यगण अत्यन्त कृतज्ञ हैं"
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा--अध्यक्ष महोदय, साढ़े चार बजे तक का लंच ब्रेक करेंगे, फिर पौने पांच बजे लगेगी और साढ़े पांच बजे छुट्टी करेंगे. मेरा निवेदन है कि कल का लंच ब्रेक खत्म कर लें अभी कल तक के लिये स्थगित कर दें बाकी जैसा नेता प्रतिपक्ष कहें, वैसा करें.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय,ठीक है कल तक के लिये कर दें.
अध्यक्ष महोदय--विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार दिनांक 3 मार्च, 2017 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
मध्यान्न 3.00 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 3 मार्च, 2017 (12 फाल्गुन, शक संवत् 1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपालः अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक- 2 मार्च, 2017 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा