मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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             चतुर्दश विधान सभा                                                                                           दशम् सत्र

 

 

फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र

 

बुधवार, दिनांक 2 मार्च, 2016

 

(12 फाल्गुन, शक संवत्‌ 1937 )

 

 

               [खण्ड-  10 ]                                                                                                      [अंक- 7]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

बुधवार, दिनांक 2 मार्च, 2016

 

(12 फाल्गुन,  शक संवत्‌ 1937 )

 

विधान सभा पूर्वाह्न 10.32  बजे समवेत हुई.

 

{ अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}

 

तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.

 

          श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय मैं एक मिनट का समय लूंगा. मैं आपसे माफी चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल में कुछ नहीं सुनेंगे.

          श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय बहुत ही संवेदनशील मामला है. भावनात्मक और सदन से जुड़ा हुआ मामला है. जो यहां पर विधान सभा के सामने गेट की घटना है. कल एक बच्चे की वहां पर मृत्यु हो गई है.

          अध्यक्ष महोदय -- आगे से व्यवस्था करेंगे कि वह इलाका एक्सीडेंट फ्लोर न रहे. आप  प्रश्नकाल हो जाने दें. 11.30 के बाद देखेंगे.

 

 

अनूपपुर जिले में निर्माणधीन कार्य

1. ( *क्र. 2066 ) श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनूपपुर जिले को वर्ष 2012 के पश्‍चात प्रश्‍न दिनांक तक 12वें, 13वें वित्‍त आयोग मद में कितनी-कितनी राशि आवंटित की गई? (ख) उक्‍त राशि में से किस-किस कार्य के लिये कितनी-कितनी राशि, किस दिनांक को आवंटित हुई? ग्राम पंचायत एवं ब्‍लाकवार विवरण देवें। (ग) प्रश्‍नांश (ख) अनुसार कार्यों के लिये वित्‍तीय एवं प्रशासकीय स्‍वीकृतियां कब-कब जारी हुईं, स्‍वीकृत कार्य कितनी-कितनी राशि से      किस-किस एजेंसी द्वारा पूर्ण कराया गया, इससे कौन से ग्राम को लाभ हुआ?          (घ) स्‍वीकृत कार्यों में कौन-कौन से कार्य अभी निर्माणाधीन हैं तथा कौन-कौन से अभी प्रारंभ ही नहीं हुए? (ड.) पूर्ण हुए कार्यों पर कितनी-कितनी राशि व्‍यय हुई तथा       किन-किन निर्माण कार्यों की शिकायत की गई? जाँच की अद्यतन स्थिति क्‍या है?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) अनूपपुर जिले को वर्ष 2012 के पश्चात प्रश्न दिनांक तक 12वें, 13वें वित्त आयोग मद में निम्नानुसार राशि आवंटित की गई है :- जिला पंचायत अनूपपुर में 805.98 लाख, जनपद पंचायत जैतहरी में 165.00 लाख, जनपद पंचायत कोतमा में 145.00 लाख, जनपद पंचायत अनूपपुर में 145.00 लाख एवं जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ में 165.00 लाख कुल 1425.98 लाख आवंटित की गई।        (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अनुसार(ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अनुसार(घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र एवं अनुसार(ड.) जिला पंचायत अनूपपुर एवं जनपद पंचायतों के अंतर्गत स्वीकृत कार्यों में से पूर्ण कार्यों की संख्या 155 जिसमें व्यय राशि रूपये 706.51 लाख है, विवरण निम्नानुसार है :- जिला पंचायत अनूपपुर में 54 कार्य व्यय 266.58 लाख, जनपद पंचायत अनूपपुर में 24 कार्य व्यय राशि 118.53 लाख, जनपद पंचायत जैतहरी में 19 कार्य व्यय राशि 95.00 लाख, जनपद पंचायत कोतमा में 29 कार्य व्यय राशि 130.75 लाख एवं जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ में 29 कार्य व्यय राशि 95.65 लाख कुल स्वीकृत कार्य 155 कुल व्यय राशि 706.51 लाख। जिनमें किसी प्रकार की शिकायत प्राप्त नहीं हैं। अतः जाँच करने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।

 

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --  अध्यक्ष महोदय मेरा प्रश्न इस प्रकार से था कि अनूपपुर जिले को वर्ष 2012 के पश्चात् 12वां एवं 13वां वित्त आयोग के मद से कितनी कितनी राशि मिली और प्राप्त राशि में से कौन कौन से कार्य स्वीकृत किये गये, और उन कार्यों में से स्वीकृत कार्य कितने पूर्ण किये गये हैं. अध्यक्ष महोदय जो जानकारी आयी है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं. अनूपपुर जिले को जो राशि मिली है वह लगभग 1425.98 लाख रूपये है उसमें से 706.51 लाख रूपये का काम पूरा हुआ है और शेष राशि का काम जनपद पंचायतवार अपूर्ण है. माननीय अध्यक्ष महोदय  12वां एवं 13वां वित्त आयोग की जो राशि है वह सीधे पंचायत के खाते में भेजी जाती है और ग्राम पंचायत प्राक्कलन तैयार कर उपयंत्री के माध्यम से कार्य प्रारम्भ कराती हैं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय 2012 - 13 से प्रश्न दिनांक तक जो कार्य स्वीकृत हुए हैं और ऐसे कार्य जो कि मजरे टोलों को जोड़ने के थे. मैं यह चाहता हूं कि सीसी मार्ग निर्माण, पंचायत भवन निर्माण और मजरों टोलों में जो काम कराये गये हैं. वे सब अपूर्ण कार्य हैं. मैंने प्रश्‍न सं. 940 दिनांक 14.12.2015 के माध्‍यम से निर्माण कार्यों की जानकारी पूछी थी कि पुष्‍पराजगढ़ विधान सभा में और साथ ही उपयंत्री श्री सुमेर सिंह के क्षेत्र में उनके तकनीकी मार्गदर्शन में कौन-कौन से कार्य कराए गए, उनमें बहुत सारे कार्यों को पूर्ण बताया गया है. वही प्रश्‍न बाद में किया जाता है तो उन कार्यों को अपूर्ण बताया जाता है. वह वर्ष 2001 से उस पुष्‍पराजगढ़ विधान सभा में उपस्‍थित हुआ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप विषय पर आएं. आपको अपूर्ण कार्यों को पूर्ण करवाना है या पूर्ण कार्यों की जांच करवाना है ?

            श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं विषय पर ही आ रहा हूँ. 15 साल से एक उपयंत्री सुमेर सिंह उस क्षेत्र में कार्यरत है, उसके तकनीकी मार्गदर्शन में ये अपूर्ण कार्य वहां हो रहे हैं और उसके बाद भी शासन द्वारा उसको नहीं हटाया जा रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह कोई प्रश्‍न नहीं है.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूँ कि कुछ ऐसे पीसीसी मार्ग हैं जिनका निर्माण हुआ ही नहीं है और फर्जी तरीके से उनकी राशि आहरित कर ली गई.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप सीधे प्रश्‍न करें.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहूँगा कि क्‍या एक कमेटी बनाकर पुष्‍पराजगढ़ विधान सभा में 12वें और 13वें वित्‍त आयोग के माध्‍यम से जो कार्य कराए गए हैं उनकी जांच कराएंगे या नहीं ?

            श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरे जिले से संबंधित प्रश्‍न है. जिला पंचायत अनूपपुर के अंतर्गत 4 जनपदें हैं, इनमें 14 करोड़ 25 लाख रुपये की राशि का आवंटन किया गया था. प्रत्‍येक कार्य का ब्‍यौरा, उसकी प्रशासकीय स्‍वीकृति, तकनीकी स्‍वीकृति परिशिष्‍ट में है जो कि पुस्‍तकालय में रखा हुआ है यह माननीय सदस्‍य को उपलब्‍ध करा दिया गया है. इसमें से वे बता दें कि कौन से ऐसे कार्य हैं जिनमें अनियमितताएं हुई हैं हम उनकी जांच करा लेंगे और कर्मचारी दोषी होगा तो कार्यवाही करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जिले भर की तो जांच नहीं कराई जा सकती, कोई स्‍पेसिफिक कार्य हों तो बता दें जिनमें अनियमितता हुई है.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय, जिले भर की बात मैं नहीं कर रहा हूँ. पुष्‍पराजगढ़ में जो पीसीसी कार्य कराए गए हैं मैं पंचायत मंत्री जी से चाहता हूँ कि एक कमेटी बनाकर इन कार्यों की जांच करा दी जाए, उसमें मुझे भी शामिल किया जाए क्‍योंकि मैंने प्रश्‍न किया है ताकि सत्‍यता को मैं प्रमाणित भी कर सकूँ. मेरा उद्देश्‍य मात्र यह है कि जो निर्माण कार्य स्‍वीकृत हो रहे हैं, शासन से पैसा मिल रहा है तो उसका लाभ लोगों को मिले और ऐसे लोग जो कार्य को प्रभावित कर रहे हैं, उन्‍हें हटाया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कौन से कार्य की जांच कराना है.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय, जांच कराना है और उपयंत्री के संबंध में माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि उसे वहां 15 साल हो गए हैं तो यदि आप उसे भोपाल ले आएं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, कुछ कहेंगे.

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शहडोल संभाग के सुपरिन्‍टेन्‍डेन्‍ट इंजीनियर से माननीय विधायक जी को साथ ले जाकर जांच करवा लेंगे.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उपयंत्री को वहां पर 15 साल हो गए हैं तो कृपा करके उसको अन्‍यत्र कर दें, यदि ज्‍यादा दूर आप नहीं भेजना चाहते तो डिविजन में कर दें.

          श्री गोपाल भार्गव --  जब हटवाना है तो सीधा क्‍यों नहीं कहते कि हटवाना है ?

            श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- आप बहुत सौहार्द्रपूर्ण हैं मैं आपको जानता हूँ कि आपका आशीर्वाद मिलेगा. कृपया उसको वहां से हटा दें.

          श्री गोपाल भार्गव -- विचार कर लेंगे.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद.

          प्रश्‍न क्र. 2 (अनुपस्‍थित)

 

          नर्मदा परिक्रमा परिपथ का निर्माण

3. ( *क्र. 401 ) श्री संजय शर्मा : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अप्रैल, 2014 से प्रश्‍न दिनांक की स्थिति में नरसिंहपुर जिले में महात्‍मा गांधी नरेगा की उपयोजना नर्मदा परिक्रमा पथ निर्माण के लिए कितने कार्य कितनी राशि के स्‍वीकृत किये गये? (ख) कितने कार्य किन-किन ग्राम पंचायतों में कराया जाना प्रस्‍तावित है? (ग) उक्‍त कार्य कब तक पूर्ण करवाये जायेंगे, निश्चित समयावधि बतायें? (घ) विधान सभा क्षेत्र तेंदूखेड़ा अंतर्गत नर्मदा परिक्रमा पथ के लिये चिन्‍हांकित मार्ग का पूर्ण विवरण दें?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) प्रश्‍नाधीन अवधि में नरसिंहपुर जिले में नर्मदा परिक्रमा परिपथ निर्माण के लिये 5 कार्यों पर राशि रू. 21.009 लाख व्‍यय की गयी है। कार्यवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है।      (ख) नरसिंहपुर जिले में राशि रू. 105.00 लाख के कार्य प्रस्‍तावित हैं। कार्यवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। (ग) महात्‍मा गांधी नरेगा माँग आधारित योजना होने से अपूर्ण कार्यों की पूर्णता जॉबकार्डधारियों द्वारा रोजगार की माँग पर निर्भर होने से कार्य पूर्णता की निश्‍चित समय-सीमा बतलाया जाना संभव नहीं है। (घ) महात्‍मा गांधी नरेगा के प्रावधानों के अनुरूप जॉबकार्डधारी परिवारों द्वारा काम की मांग के आधार पर लेबर बजट एवं लेबर बजट की पूर्ति हेतु कार्यों को चिन्‍हित करने के लिये ग्राम पंचायतें स्‍वतंत्र हैं, ग्राम पंचायतों को परिक्रमा पथ को ही चिन्‍हित करने के लिये निर्देशित नहीं किया जा सकता। केवल सुझाव के रूप में विभाग द्वारा पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 3 अनुसार निर्देश जारी किये गये हैं।

 

          श्री संजय शर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में माननीय मंत्री जी से जो जानकारी आई है वह ठीक नहीं है. सूरजकुंड की सीसी निर्माण सड़क नर्मदा पथ की जो बनाई गई है उसका निर्माण हो चुका है लेकिन वर्तमान में देखा जाए तो सड़क वहां पर बनी नहीं है और न ही वहां की किसी एजेंसी को, पंचायत को कोई जानकारी है. दूसरी बात उसमें बताई गई है कि काम स्‍वीकृत हैं लेकिन आज तक उन कार्यों का काम प्रारंभ नहीं हो सका है, प्रशासनिक स्‍वीकृति कब हुई, इसकी कोई जानकारी नहीं है और कब तक यह कार्य प्रारंभ हो जाएगा इसकी जानकारी उपलब्‍ध कराई जाए. कंडिका 6 में  भौतिक सत्यापन ग्राम स्तरीय सतर्कता मूल्यांकन समिति से कराना है क्योंकि समिति को आज तक जानकारी नहीं है, न ही उसका मूल्यांकन समिति द्वारा कभी कराया गया और भुगतान हो चुका है. नर्मदा नदी हमारे विधानसभा क्षेत्र के बीच से निकली है और बड़ी तपो भूमि ब्रह्म जी के बरमान घाट  पर रही है और हर अमावस्या और पूर्णिमा  पर वहां पर हजारों लोग परिक्रमा करने आते हैं. दोनों तरफ पंचायतों में नर्मदा पथ है लेकिन कहीं नर्मदा पथ का निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ है. बहुत महत्वपूर्ण योजना सरकार की है तो मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि इसमें काम क्यों रुका है और काम कब तक प्रारम्भ हो जाएगा. जो राशि स्वीकृत है उसका कब कार्य प्रारम्भ होगा और इसकी जानकारी कि प्रशासकीय स्वीकृति कब हुई है, वह दिलाने की कृपा करें और जिन अधिकारियों ने इसमें अनियमितता की है उनके खिलाफ कार्यवाही करने की व्यवस्था की जाए?

          श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने पूछा है, यह बात सही है कि नर्मदा जी हमारे राज्य की जीवन रेखा है, जीवनदायिनी है और नर्मदा जी की परिक्रमा प्रतिवर्ष लाखों लोग करते हैं और हमारे लिए वह एक आस्था का विषय भी है और इस कारण  से विभाग ने तय किया था कि  नर्मदा जी के दोनों तरफ नर्मदा पथ का निर्माण किया जाए. खासतौर से महात्मा गांधी रोजगार गांरटी योजना के अंतर्गत हमने इसकी स्वीकृति नर्मदा पथ के चारों ओर घेरे में जो ग्राम पंचायतें हैं, उन ग्राम पंचायतों के लिए  हमने  उसकी  प्रशासनिक और तकनीकी स्वीकृति  दी थी. कुछ पंचायतों ने काम कराये हैं, जैसा कि उत्तर में स्पष्ट है लेकिन कुछ पंचायतों ने काम नहीं कराये हैं लेकिन जिन्होंने काम नहीं कराये हैं वे काम करायें इसके लिए भी निर्देशित करेंगे और जहां काम में यदि कोई गड़बड़ी हुई है, जैसा माननीय सदस्य ने कहा है, हम यहां से किसी अधिकारी को भेज के  उसकी  जांच करा लेंगे और यदि कोई अनियमितता होगी तो कार्यवाही भी करेंगे.

          श्री संजय शर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, इसके लिए कोई विशेष एजेन्सी बनायी जाए. नर्मदा पथ बहुत आवश्यक है लेकिन कहीं निर्माण कार्य चालू नहीं हुआ है. जो जानकारी दी गयी है, वह गलत है कि  11 लाख के काम से सी.सी. सड़क बनी है और वर्तमान में धरातल पर वहां कोई योजना वहां पर चालू नहीं हुई है. इसके लिए आरईएस के पास बहुत काम होते हैं जहां नर्मदा जी निकली है उस जिले में, उस जनपद में आरईएस में अलग से एक इंजीनियर  इसके लिए नियुक्त किया जाए जो इस कार्य को प्राथमिकता से कराये?

          श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत अच्छा सुझाव है, इस पर विचार करेंगे.

लोक सेवा प्रबंधन में प्राप्‍त आवेदनों का निराकरण

4. ( *क्र. 3917 ) श्रीमती ललिता यादव : क्या परिवहन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक सेवा प्रबंधन में 01 जनवरी 2014 से प्रश्‍न दिनांक तक किस-किस विभाग के छतरपुर विधानसभा क्षेत्र के लिये आवेदन आये? विभागवार बतायें।          (ख) प्रश्‍नांश (क) के प्रकाश में प्राप्‍त आवेदनों में से कितने आवेदनों पर कार्यवाही की गई और कितने आवेदन क्‍यों लंबित हैं? (ग) लोक सेवा प्रबंधन में किस-किस कार्य के लिये किस-किस विभाग के लिये कितना-कितना समय निर्धारित है और कार्यों को कराने व उसकी समीक्षा के लिये कौन जवाबदार है?

परिवहन मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) छतरपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत तहसील छतरपुर के लोक सेवा केन्द्र छतरपुर में दिनांक 01.01.2014 से 10.02.2016 तक 13 विभागों के 1,52,302 आवेदन प्राप्त हुये हैं, जिसकी सूची संलग्‍न परिशिष्ट के प्रपत्र अनुसार (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में 1,52,003 आवेदनों पर कार्यवाही की गई। लंबित आवेदन कुल 299 हैं, जो निर्धारित समय-सीमा में है। (ग) लोक सेवा प्रबंधन विभाग में प्रत्येक विभाग की अधिसूचित सेवाओं के लिए अलग-अलग समय निर्धारित है जिसकी सूची संलग्‍न परिशिष्ट के प्रपत्र अनुसार। कार्य को कराने के लिये प्रत्‍येक विभाग के पदाभिहित अधिकारी व उसकी स‍मीक्षा के लिये संबंधित विभाग के प्रथम अपीलीय अधिकारी जवाबदार हैं।

परिशिष्ट - ''एक''

 

          श्रीमती ललिता यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के पीछे यही  उद्देश्य है कि सरकार की मंशा है कि आम नागरिकों की समस्याओं का समाधान समय-सीमा में हो और उन्हें काम के लिए परेशान न होना पड़े. एक विधानसभा क्षेत्र में ही अल्प अवधि में इतने अधिक आवेदन आये.निश्चित ही लोगों का मानना है कि लोक सेवा प्रबंधन के माध्यम से उनके कार्य होंगे लेकिन मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि विभाग के द्वारा  कोई न कोई कारण बताकर आवेदन पर पूर्ण कार्यवाही कर दी जाती है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि  लोक सेवा प्रबंधन में आये आवेदन पर की गयी कार्यवाही की सतत् मॉनीटरिंग की आवश्यकता है क्योंकि इसकी जवाबदारी विभाग के अधिकारियों के पास होती है और अधिकारी कर्मचारियों पर  कार्यवाही करना नहीं चाहते हैं. मैं माननीय मंत्री जी से इतना निवेदन करना चाहती हूँ कि क्या समय-समय पर इसकी मॉनीटरिंग करायेंगे?

            संसदीय कार्यमंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्रा)-- अध्यक्ष जी,समय-समय पर मॉनिटरिंग करा देंगे.

          श्रीमती ललिता यादव-- धन्यवाद.

          श्री रामनिवास रावत-- इसका मतलब मॉनीटरिंग होती नहीं है(हंसी)

 

मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना में लाभांवित हितग्राही

5. ( *क्र. 1609 ) कुँवर विक्रम सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना अंतर्गत अप्रैल 2012 से अप्रैल 2015 तक छतरपुर जिले के जनपद राजनगर, लवकुशनगर, नौगांव, छतरपुर विजावर में कितने हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया? (ख) प्रश्‍नांश (क) में उपलब्‍ध कराई गई जानकारी से कितनी-कितनी राशि व्‍यय की गई व वर वधु को कौन-कौन से उपहार कितनी-कितनी राशि के दिये गये? (ग) वर-वधु को उपहार किस एजेन्‍सी से खरीदे गये? एजेन्‍सी का नाम व पता व भुगतान की गई राशि की जानकारी उपलब्‍ध करावें?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार।      (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार

         

            कुँवर विक्रम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय,  मेरे प्रश्न के उत्तर में जो प्रश्नांश-ख के उत्तर के प्रपत्र-दो पर दी गयी जानकारी के अनुसार क्रय की गयी सामग्री घटिया किस्म की थी और इसमें कई लोगों ने शिकायतें कीं परन्तु जिले में शिकायतों पर कोई भी कार्यवाही आज तक नहीं हुईं. पहला प्रश्न तो यह है, माननीय मंत्री जी इसका उत्तर दें. दो प्रश्न और पूछूंगा, सीधे टू दि प्वाइंट पूछूंगा.

          श्री गोपाल भार्गव--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास में या मुख्यालया में ऐसी कोई शिकायत नहीं आयी है लेकिन जैसा माननीय सदस्य ने कहा है, यदि  क्रय में कोई गड़बड़ी हुई होगी तो हम उसकी जांच करा लेंगे.

कुंवर विक्रम सिंह--  माननीय अध्यक्ष प्रश्नांश (ग) के उत्तर में प्रपत्र तीन पर जानकारी में क्या सभी संस्थाओं जिनके उपहार लिये गये उनके टैन नंबर वैरीफाइड किये गये हैं क्या. क्योंकि जो प्रपत्र मेरे पास में दिया गया है उसमें कईयों में टैन नंबर नहीं है. माननीय मंत्री जी, यह स्पष्ट करता है कि बड़े पैमाने पर इसमें घोटाला हुआ है और मैं चाहता हूं कि इसकी एक जांच कमेटी गठित की जाये जिसमें जिला पंचायत के सदस्य,जिले के विधायकों को रखकर कमेटी गठित की जाये और जांच की जाये.

          श्री गोपाल भार्गव--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला पंचायत को सीईओ और अध्यक्ष दोनों से जांच करा लेंगे.

          कुंवर विक्रम सिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संरक्षण चाहूंगा यह पूरे जिले का मामला है और खासतौर से मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का मामला है . मैं चाहूंगा कि इसमें विधायकों को भी साथ में सम्मिलित किया जाये और कमेटी गठित करके व्यवस्था दिलवायें.

          श्री गोपाल भार्गव--  माननीय विधायक भी शामिल हो जाएंगे उसमें तीन लोग हो जाएंगे क्या दिक्कत है.

प्रश्न संख्या 6 --- (अनुपस्थित)

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा---  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरे नंबर का प्रश्न था मैं थोड़ा सा पूछना चाहता हूं मुझे आप अनुमति दे दें.

          अध्यक्ष महोदय--  अब यह चक्र पूरा हो जाए इसके बाद पूछ लीजिये. इस तरह की परंपरा नहीं है ,पीछे जाने की परंपरा नहीं है. अब तो 25 प्रश्न होने के बाद फिर रिपीट करेंगे.

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा--  अध्यक्ष महोदय, पूरा तो हो नहीं सकता है ज्यादा समय नहीं लूंगा.

          अध्यक्ष महोदय-- अभी आप बैठे.

 

 

 

 

तकनीकी रूप से अनुपयोगी शौचालयों की मरम्‍मत

7. ( *क्र. 3585 ) श्री शैलेन्‍द्र पटेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या राज्‍य सरकार गरीब परिवारों के टूटे-फूटे, अधूरे और तकनीकी रूप से अनुपयोगी शौचालयों की मरम्‍मत करने और उन्‍हें उपयोगी बनाने के लिए स्‍वच्‍छ भारत मिशन की राशि का उपयोग अपने अधिकार क्षेत्र का करेगी? (ख) अगर नहीं तो प्रश्‍नांश (क) में वर्णित परिवारों के शौचालय बनाने की क्‍या योजना है? (ग) सीहोर जिले में ऐसे कितने शौचालय हैं? ब्‍लॉकवार जानकारी देवें।

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी नहीं। (ख) स्‍वच्‍छ भारत मिशन (ग्रा.) अंतर्गत भारत सरकार के पेयजल एवं स्‍वच्‍छता मंत्रालय द्वारा अनुपयोगी शौचालयों को उपयोगी बनाने हेतु स्‍वच्‍छ भारत मिशन (ग्रा.) अंतर्गत स्‍वच्‍छ भारत कोष का प्रावधान किया गया है, जिसके अंतर्गत जिलों के द्वारा हितग्राहीवार प्रस्‍ताव तैयार कर भारत सरकार को भेजने का प्रावधान है। (ग) सीहोर जिले में प्रश्‍नांश (क) अनुसार कुल 9490 शौचालय हैं। सीहोर जिले के विकासखण्‍ड सीहोर में 1380, आष्‍टा में 1487, नसरुल्‍लागंज में 1769, इछावर में 4854 एवं विकासखण्‍ड बुदनी में प्रश्‍नांश (क) अनुसार निरंक शौचालय हैं।

         

          श्री शैलेन्द्र पटेल--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न प्रदेश और जिले के अंदर जो टूटे-फूटे और मिसिंग शौचालय हैं, उनके  संदर्भ में था . मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने बड़ी हिम्मत से इस बात को स्वीकारा कि हमारे सीहोर जिले में लगभग 10 हजार शौचालय टूटे-फूटे व अनुपयोगी हैं. इस अनुरूप मेरी जानकारी अनुसार पूरे प्रदेश में लगभग 7 लाख शौचालय मिसिंग हैं और  लाखों शौचालय टूटे-फूटे हैं. केंद्र सरकार ने एक कोष की स्थापना की है कि जो ऐसे शौचालय हैं, उनको बनाने के लिए यदि राज्य सरकार प्रस्ताव बनाकर भेजती है तो यह टूटे-फूटे शौचालय बन सकते हैं. मेरा प्रश्न यह है कि जो टूटे-फूटे या मिसिंग शौचालय हैं, उसमें लाखों-करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है तब ही तो वह शौचालय बने नहीं हैं सिर्फ कागजों में है. उसके लिए सरकार क्या कर रही है क्योंकि जीरो परसेंट टालरेंस की बात की जाती है और भ्रष्टाचार और सुशासन की जो बात होती है.

          अध्यक्ष महोदय--- आप कृपया प्रश्न करें.

          श्री शैलेन्द्र पटेल--  अध्यक्ष महोदय, यह जो टूटे-फूटे या अनुपयोगी शौचालय हैं, जो बने नहीं हैं, उसमें जो भ्रष्टाचार हुआ है क्योंकि स्वीकार है कि 10 हजार टूटे फूटे और अनुपयोगी हैं, मिसिंग बहुत सारे हैं. इसके लिए सरकार क्या कर रही है .

          श्री गोपाल भार्गव --- माननीय अध्यक्ष महोदय, टूटे-फूटे शौचालयों की मरम्मत के लिए भारत सरकार के स्वच्छता मिशन में प्रावधान करने की बात कही गई है. जो भी सीहोर जिले के ऐसे शौचालय हैं, इनके बारे में भारत सरकार को पत्र लिख दिया गया है और उनसे राशि अपेक्षित है.

          श्री शैलेन्द्र पटेल--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मेरी जानकारी है उसमें मध्यप्रदेश के मात्र दो जिलों के प्रस्ताव गये हैं, जो प्रस्ताव गये हैं, उनका क्या हुआ और बाकी जिलों के प्रस्ताव क्यों नहीं गये क्योंकि समस्या पूरे प्रदेश की है .

          अध्यक्ष महोदय---  आपने टूटे फूटे का पूछा है सीहोर जिले का पूछा है उस  तक आप सीमित रहिये.

          श्री शैलेन्द्र पटेल---  अध्यक्ष महोदय, समस्या पूरे प्रदेश की है लेकिन एक जिले से पूरे प्रदेश की स्थिति समझ आती है जो कि मुख्यमंत्री जी का जिला है जब वहाँ यह स्थिति है तो पूरे प्रदेश की क्या स्थिति होगी.

          श्री सचिन यादव--  अध्यक्ष महोदय, यह पूरे प्रदेश का मामला है.

          अध्यक्ष महोदय---  आप उनको पूछने दें.

          श्री शैलेन्द्र पटेल---  अध्यक्ष महोदय, मात्र दो ही जिले के प्रस्ताव गये हैं बाकी जिलों के प्रस्ताव क्यों नहीं गये जबकि केन्द्र इसके लिए राशि आवंटित कर रहा है और इसके लिए प्रावधान है कि अगर राज्य सरकार अपनी तरफ से इसको भेजता है तो केंद्र सरकार उसके लिए राशि आवंटित करेगी और शौचालय बन जाएंगे . जब देश के प्रधानमंत्री स्वच्छता के प्रति इतने गंभीर हैं तो क्या राज्य सरकार गंभीर नहीं हैं.

          अध्यक्ष महोदय---  आप भाषण नहीं करें प्रश्न करें.

          श्री शैलेन्द्र पटेल--  अध्यक्ष महोदय, अभी तक प्रस्ताव क्यों नहीं भेजे गये हैं एक और बात है कि हमारे पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में तेजी से काम चल रहा है वह राशि पंचायतों में सीधी आ गई है. अध्यक्ष महोदय, पहले तीन योजनाओं में यह शौचालय बने हैं पहले संपूर्ण स्वच्छता अभियान योजना थी उस दौरान मात्र 500 से 2300 रुपये तक मिले थे और उसके बाद निर्मल भारत योजना के अंतर्गत 4600 रुपये मिले. तो जो अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग थे, जो बीपीएल कार्डधारी थे उनको यह राशि कम मिली और अब यह बीपीएल और एपीएल सभी के लिए है.

          अध्यक्ष महोदय---  आपका प्रश्न क्या है.

          श्री शैलेन्द्र पटेल---  अध्यक्ष महोदय, खास तौर पर जो हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के निर्धन लोग हैं उनमें अधिकतर के शौचालय टूटे-फूटे हैं और वह इस स्थिति में है कि उनको नहीं बना रहे हैं तो उनके शौचालय बनाने के लिए राशि कब तक आ जाएगी और जो यह भ्रष्टाचार मिसिंग शौचालय में हुआ है, उसमें सरकार क्या रवैया अपनाने वाली है?

            श्री गोपाल भार्गव--  माननीय अध्यक्ष महोदय, शौचालय एक बहुत महत्वपूर्ण चीज है. (हँसी) अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में 51 जिले हैं,  313 जनपदें हैं, 52000 गाँव हैं एवं 23000 ग्राम पंचायतें हैं. इनमें शौचालय बनाने का काम निरंतर पिछले वर्षों से चल रहा है. माननीय सदस्य ने जैसा बताया कि तीनों कैटेगिरी में शौचालय बने. पहले 2200 रुपये मिलते थे. इसके बाद में राशि बढ़ी, अब 12500 रुपये है. अलग-अलग कैटेगिरी के शौचालय, भारत सरकार हमारे लिए जैसे-जैसे राशि देती है,  वह जो व्यवस्था देती है, जितनी हमारे लिए राशि मंजूर करती है, उसी राशि से यह सब काम होते हैं और अध्यक्ष महोदय, 51जिलों में सर्वे का काम चल रहा है. अभी 2 जिलों में पूरा हो चुका है और धीरे-धीरे जैसे ही हमारे पास रिपोर्ट आती जाएगी, हम भारत सरकार को डिमांड भेज देंगे और जो टूटे-फूटे हैं, हम उनकी मरम्मत करवा देंगे.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न क्रमांक 8 डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय...

          श्री शैलेन्द्र पटेल--  अध्यक्ष महोदय, जो भ्रष्टाचार के कारण नहीं बने हैं उनके लिए सरकार क्या करेगी? 

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं. प्रश्न क्रमांक 8 डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय....(व्यवधान)..

          श्री शैलेन्द्र पटेल--  जो मिसिंग हैं, जो बने ही नहीं और पैसे निकल गए उसके लिए सरकार क्या कर रही है?भारी भ्रष्टाचार हुआ है और सिर्फ कागजों में बने हैं, मौके पर तो वो हैं ही नहीं...(व्यवधान)..

          श्री सचिन यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सात लाख मिसिंग शौचालय बता रहे हैं उनकी जाँच कराएँगे क्या?..(व्यवधान)..सात लाख शौचालय कहाँ गए, उनका जो पैसा निकाला गया वह शौचालय क्यों नहीं बनाए गए? क्या इसकी जाँच होगी?..(व्यवधान)..

          श्री शैलेन्द्र पटेल--  माननीय, जो भ्रष्टाचार के कारण पैसे निकल गए हैं क्या उसकी जाँच होगी?

प्रश्न संख्या--  8 (अनुपस्थित)

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न क्रमांक 9 श्री रामकिशन पटेल...

प्रश्न संख्या--  9 (अनुपस्थित)

          श्री शैलेन्द्र पटेल--  अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए. जिनके पैसे निकल गए और शौचालय नहीं बने. उनके लिए सरकार क्या करेगी? क्या भ्रष्टाचार की जाँच कराएगी?

          अध्यक्ष महोदय--  आप बैठ जाइये आपका प्रश्न हो गया. कुछ नहीं लिखा जाएगा श्री दिव्यराज सिंह जी का लिखा जाएगा.

          श्री शैलेन्द्र पटेल--  (xxx)

          अध्यक्ष महोदय--  आपकी बात हो गई. आपको दो की जगह चार प्रश्न करने दिए. कृपया सहयोग करें. सबके प्रश्न हैं. सबका उत्तर आ गया.

सिरमौर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत सड़क निर्माण

10. ( *क्र. 2585 ) श्री दिव्‍यराज सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिरमौर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत क्‍या जवां से भनिगवां प्रधानमंत्री सड़क का निर्माण कार्य विगत कई वर्षों से अधूरा पड़ा है? यदि हाँ, तो निर्माण कार्य क्‍यों नहीं कराया जा रहा है एवं ग्राम पंचायत जवा में महूहा टोला से ग्राम रतनी प्रधानमंत्री सड़क का सर्वे कार्य कराया गया था, तो क्‍या सड़क का निर्माण कार्य कराया जायेगा? (ख) यदि हाँ, तो कब तक?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी नहीं, सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत जवां से भनिगवां सड़क निर्माण नहीं कराया जा रहा है, अपितु लूक से भनिगंवा सड़क निर्माण कार्य पूर्ण कराया गया है। प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। जवां विकासखण्ड में महूहा टोला से ग्राम रतनी मार्ग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत महूहा टोला से भखरवार के नाम से स्वीकृत है। इस मार्ग के आंशिक भाग (प्रारंभ से 1.60 कि.मी.) नहर के बैंक पर से होकर जाता है, किंतु बैंक की चौड़ाई योजना के मापदण्डों से कम होने से सड़क निर्माण हेतु पर्याप्त चौड़ाई उपलब्ध न होने से सड़क निर्माण हेतु अन्य वैकल्पिक एक रेखण विचाराधीन है। वैकल्पिक एक रेखण के निर्धारण के पश्चात सड़क निर्माण कराया जावेगा। (ख) निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।

          श्री दिव्यराज सिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट हूँ. मेरी मंत्री जी से केवल एक ही दरख्वास्त है कि जो महुआ टोला से भकरवार मार्ग है. उसका अंश भाग 1.6 किलोमीटर नहर के एलाइनमेंट के कारण, उसका एलाइनमेंट बदलना है तो मैं केवल यह निवेदन करूँगा कि बरसात के पहले इसका एलाइनमेंट बदल करके इसका निर्माण हो जाए.

          श्री गोपाल भार्गव--  अध्यक्ष महोदय, नहर थी उस कारण से सिर्फ 3-4 फिट की चौड़ाई का स्थान सड़क बनाने के लिए मिल रहा था. एलाइनमेंट बदल कर और जल्दी से जल्दी से उसका काम, क्योंकि उसके किनारे सिंचित थे इस कारण से थोड़ा सा उसमें विलंब हुआ है. उसमें हम शीघ्र कार्य कर रहे हैं.

ग्राम पंचायत महमूदपुर के सरपंच द्वारा कराये गये कार्यों की जाँच

11. ( *क्र. 3460 ) श्री गिरीश गौतम : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या कलेक्‍टर रीवा को जन सुनवाई में दिनांक 26.08.2014 को सरपंच ग्राम पंचायत महमूदपुर के विरूद्ध कराये गये कार्यों की जाँच कराये जाने का आवेदन दिया गया था, जिसकी शिकायत संख्‍या 1516 दर्ज की गयी है तथा पुन: 01.09.14 एवं 07.10.15 को माननीय मुख्‍यमंत्री जी एवं कलेक्‍टर रीवा को शिकायती आवेदन दिया गया? यदि हाँ, तो जाँच कब किस अधिकारी द्वारा की गयी? क्‍या जाँच अधिकारी द्वारा शिकायतकर्ता को भी सुनवाई का अवसर दिया गया? यदि नहीं, तो क्‍यों? (ख) क्‍या उक्‍त शिकायतकर्ता द्वारा 25.08.14 को लोकायुक्‍त संगठन को भी शिकायत की गयी है? जाँच कब तक पूर्ण कर ली जायेगी?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। जनसुनवाई शिकायत दिनांक 26.08.2014 को प्राप्त हुई थी। पुनः दिनांक 01.09.2014 एवं 07.10.2015 को मान.मुख्यमंत्री एवं कलेक्टर जिला रीवा को अंकित शिकायत प्राप्त होना नहीं पाया गया। प्राप्त शिकायत दिनांक 26.08.2014 के संदर्भ में दिनांक 16.08.2015 को जाँच मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गंगेव द्वारा पी.सी.ओ. एवं उपयंत्री से कराई गई। प्राप्त जाँच प्रतिवेदन अनुसार निष्कर्ष में शिकायत निराधार पाई गई। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अनुसार। जी हाँ। शिकायतकर्ता को भी सुनवाई का अवसर दिया गया, शिकायतकर्ता द्वारा किसी प्रकार का कथन-मत देने से इंकार किया गया। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अनुसार। शेष प्रश्न नहीं उठता। (ख) लोकायुक्त को की गई शिकायत की जानकारी विभाग को नहीं है, अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

          श्री गिरीश गौतम--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मनरेगा के पैसे में किए गए भ्रष्टाचार से संबंधित है. इसमें अधिकारियों ने, जिन्होंने पैसा खाया, पूरा पैसा ले लिया, उन्होंने ही जाँच कर ली और असत्य तथ्यों पर हमारे माननीय मंत्री जी को भेज दिया और यहाँ पर सदन को गुमराह करने का प्रयास किया है. अध्यक्ष महोदय, इसमें आप उत्तर से ही देखें हमने पूछा था कि क्या शिकायतकर्ता को भी अवसर दिया गया? इन्होंने दिया है कि हाँ उसको अवसर दिया गया है. अभी जो आपने परिशिष्ट दिया है, परिशिष्ट में एक पत्र लगा हुआ है, पंचनामा, इस पंचनामे में लिखा है कि हम उपस्थित लोग आज दिनाँक 19.2.16 को, प्रश्न लगा है 1.2.16 को,  उसकी सूचना के लिए चला गया और इसमें यह लिख रहे हैं कि 19.2.16 को कथन करते हैं कि ग्राम पंचायत महमूदपुर के सरपंच सचिव के विरुद्ध की गई शिकायत की जाँच के दौरान शिकायतकर्ता श्री सुदामा प्रसाद मिश्र उपस्थित रहे और उन्होंने अपनी शिकायत के संबंध में कथन/मत देने से मना किया. 19.2.16 को यह एक पंचनामा बना है और इसमें जाँच प्रतिवेदन में क्या है, जाँच प्रतिवेदन को बताया गया कि यह जाँच करने गए आपके, यह आदेश 13.8 को हुआ और 16.8.2015 को जाँच करने गए. जाँच करने कौन गए, जिन्होंने प्राक्कलन दिया, जिन्होंने टी एस किया, जिन्होंने काम कराया, वही जाँच अधिकारी हो गए. वही पी सी ओ, वही सब इंजीनियर, वही ए ई, वह सारे जाँच अधिकारी हो गए जिन्होंने पैसा खाया वही उसके जाँच अधिकारी हो गए और जाँच करके उन्होंने लिख दिया कि सब काम सही हुआ है. मेरा इसमें सीधा प्रश्न यह है कि माननीय मंत्री जी से मैं आग्रह करना चाहता हूँ कि यह जाँच जो हुई है इस जाँच में चार लाख चालीस हजार के भ्रष्टाचार का सवाल था और जिन्होंने पैसा निकाला मैं ऐसा मानता हूं कि सरपंच अनुसूचित जाति की महिला थी बेचारी बहुत पढ़ी लिखी नहीं थी. सारे अधिकारियों ने खेल किया है. सचिव, सब इंजीनियर और एई ने मिलकर सारा पैसा निकाल लिया है. मेरा आग्रह यह है कि क्या इन अधिकारियों को हटाकर कोई जांच कमेटी बनायेंगे जो उच्च अधिकारियों से निर्मित हो वह जाकर यह जांच करे और जिन अधिकारियों ने पैसा निकाला है उनके विरुद्ध कार्यवाही करेंगे क्या ?

          श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सिर्फ एक ग्राम पंचायत से संबंधित मामला है. माननीय सदस्य ने जैसा कहा है हम सदस्य की उपस्थिति में  सुप्रीन्टेंडेंट इंजीनियर, रीवा से जांच करा लेंगे और जो भी निष्कर्ष होगा उसके आधार पर कार्यवाही करेंगे.

          श्री गिरीश गौतम--अध्यक्ष महोदय, मेरी उपस्थिति का प्रश्न नहीं है, मैं उपस्थित रहूं या न रहूं.

          अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी ने तो बोल दिया है अब आप उपस्थित रहें या न रहें यह आपकी इच्छा है.

          श्री गिरीश गौतम--मेरी इच्छा यह है कि जांच समिति में एक कार्यपालन यंत्री, लोक निर्माण विभाग का, एक आरईएस का और जिला पंचायत के किसी अधिकारी को सम्मिलित कर लें तथा इस समिति को भेजकर जांच करा लीजिये.

          श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, करा लेंगे.

          श्री गिरीश गौतम--बहुत-बहुत धन्यवाद.

          पंचायत समन्‍वय अधिकारियों की पदोन्‍नति में विसंगति

12. ( *क्र. 68 ) श्री प्रहलाद भारती : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या पंचायत राज संचालनालय म.प्र. भोपाल द्वारा जारी आदेश क्रमांक/स्‍था./1/पं.सं./287/11386 दिनांक 10.10.2014 के द्वारा स्‍नातक संवर्ग के पंचायत समन्‍वय अधिकारियों को खण्‍ड पंचायत अधिकारी के पद पर पदोन्‍नति आदेश जारी किए? यदि हाँ, तो प्रसारित आदेश की स्‍वच्‍छ प्रति उपलब्‍ध करावें? (ख) प्रश्‍नांश (क) में प्रसारित आदेश के सरल क्रमांक 2, 3, 9, 16, 53, 58, 65, 110, 119 की पदक्रम सूचियों में हेराफेरी कर मनमाने ढंग से उपस्थिति दिनांक, जन्‍म दिनांक अंकित की गई है?       (ग) क्‍या प्रश्‍नांश (क) में पदोन्‍नति सूची में भारी विसंगतियां कर प्रश्‍नांश (ख) में वर्णित सरल क्रमांकों के अभ्‍यर्थियों को कूटरचित दस्‍तावेजों द्वारा अनुचित लाभ दिया गया है? यदि हाँ, तो किन नियमों के अंतर्गत? वर्णित नियमों की प्रति उपलब्‍ध करावें? यदि नहीं, तो विवरण दें? (घ) प्रश्‍नांश (क) में वर्णित पदोन्‍नति सूची में गड़बड़ी/विसंगतियों के लिए किस स्‍तर के अधिकारी/कर्मचारियों का उत्‍तरदायित्‍व निर्धारण किया गया है एवं संबंधितों के विरूद्ध क्‍या कार्यवाही की गई अथवा की जा रही है? यदि नहीं, तो क्‍यों? कारण सहित स्‍पष्‍ट करें।

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘‘‘ अनुसार। (ख) जी नहीं। (ग) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘‘‘ अनुसार। (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।

          श्री प्रहलाद भारती--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्नांश (ख) का आधे से अधिक भाग ही प्रश्न से हटा दिया गया है. मैंने उसमें प्रसारित आदेश के सरल क्रमांक 2, 39, 16, 53, 58, 65, 110 एवं 119 पर अंकित अधिकारियों के नियुक्ति आदेश,उपस्थिति दिनांक, पदक्रम की सूची एवं जन्मतिथि मांगी थी जो कि मुझे नहीं दी गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से उपरोक्त जानकारी चाहता हूं.

          श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक मैंने जानकारी ली है यह पदोन्नतियां नियमों के अनुसार हुई हैं यदि माननीय सदस्य ऐसा कह रहे हैं या उनकी जानकारी में यह आया है कि नियम विरुद्ध पदोन्नतियां की गई हैं तो वे लिखकर दे दें हम जांच करा लेंगे यदि नियम विरुद्ध पदोन्नतियां की गईं होंगी तो उन्हें रद्द कर देंगे.

          श्री प्रहलाद भारती--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी से जांच करा लें. यह प्रदेश स्तर का मामला है. डाक्यूमेंट्री प्रूफ है.

          श्री गोपाल भार्गव--भोपाल से अधिकारी भेजकर जांच करा लेंगे.

          अध्यक्ष महोदय--मंत्रीजी कह रहे हैं कि भोपाल से अधिकारी भेजकर जांच करा लेंगे.

          श्री प्रहलाद भारती--प्रदेश स्तर का मामला है, जिला स्तर का नहीं यह भोपाल का ही मामला है.

          श्री गोपाल भार्गव--माननीय सदस्य तथ्यपरक सूचना लिखकर दे दें हम जांच करा लेंगे नियम विरुद्ध कोई पदोन्नति होगी तो उसको निरस्त कर देंगे.

          प्रश्न संख्या (13)         अनुपस्थित.

          सामान्‍य सभा द्वारा पारित निंदा प्रस्‍ताव पर कार्यवाही

14. ( *क्र. 4025 ) श्री सुरेन्‍द्र सिंह बघेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या दिनांक 01.07.2015 से दिनांक 31.01.2016 के मध्‍य आयोजित जनपद पंचायत निसरपुर जिला धार की सामान्‍य सभा की बैठक में जनपद स्‍तर के अधिकारियों के विरूद्ध निंदा प्रस्‍ताव पारित किये गये हैं? (ख) प्रश्‍नांश (क) के परिप्रेक्ष्‍य में पारित निंदा प्रस्‍ताव पर शासन द्वारा कोई कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो क्‍यों नहीं? कारण स्‍पष्‍ट करें। (ग) प्रश्‍नांश (ख) के परिप्रेक्ष्‍य में क्‍या शासन स्‍तर से कोई कार्यवाही की जायेगी?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। जनपद पंचायत निसरपुर द्वारा पत्र क्र. 287 एवं 301 दिनांक 29.01.2016 द्वारा पारित निंदा प्रस्ताव की प्रति संबंधित के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही हेतु जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, जिला धार एवं कार्यपालन यंत्री, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग कुक्षी को प्रेषित की गई है। (ग) जाँच उपरांत गुण दोष के आधार पर कार्यवाही की जायेगी।

          श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से प्रश्न करना चाहूंगा. यह प्रश्न भी है और सुझाव भी है. जनपद पंचायत निसरपुर में विकास की गति लाने के लिए और जनप्रतिनिधि व अधिकारियों में समन्वय बनाने के लिए क्या मंत्री महोदय प्रदेश स्तर की समिति गठित कर जनपद पंचायत निसरपुर में समीक्षा बैठक करायेंगे जिससे जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों में समन्वय बैठ पाये और विकास की गति बढ़ पाये, क्योंकि वहां पर विरोधाभास चल रहा है.

          श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, शासन की तरफ से स्पष्ट निर्देश पहले भी थे अभी पुन: दिए गए हैं कि जिला पंचायत, जनपद पंचायत की बैठकों में संबंधित अधिकारी अनिवार्य रुप से उपस्थित रहें जो उपस्थित नहीं रहेंगे उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही जो संबंधित विभाग हैं उनके जिला प्रमुख करेंगे जिला प्रमुख के ऊपर यदि कार्यवाही नहीं होगी तो प्रदेश स्तर पर कार्यवाही होगी. माननीय सदस्य जिला पंचायत के हों या जनपद पंचायत के हों चाहे अन्य संस्था के हों उनके मान-सम्मान की रक्षा करने और बैठकों में संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए विभाग से परिपत्र जारी हो गए हैं और सख्ती के साथ हमने निर्देश दिए हैं कि वहां पर जो भी समस्याएं आती हैं अधिकारी उनका निराकरण करें और उनकी उपस्थिति भी अनिवार्य हो.

          श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां विरोधाभास है. दो बार निंदा प्रस्ताव हो चुका है एक बार कार्यवाही की मांग हो गई है. मेरा उद्देश्य  अधिकारियों पर कार्यवाही करवाना या उन्हें दंडित करना नहीं है. मेरा सुझाव है कि वहां पर कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों में समन्वय हो जाये ताकि विकास के काम हो सकें, विकास महत्वपूर्ण है. यदि यहां से कोई प्रदेश स्तर का अधिकारी जाकर एक समीक्षा बैठक वहां पर ले ले तो स्थिति ठीक हो जाएगी. माननीय अध्यक्ष महोदय इसमें आपका संरक्षण चाहूंगा यह मेरा माननीय मंत्रीजी को सुझाव है.

          श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, दो अधिकारी वहां पर अनुपस्थित थे. पहली बात इनसे स्पष्टीकरण लिया गया है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उसमें से मेरे विभाग का एक अधिकारी था और एक अधिकारी महिला बाल विकास विभाग का अधिकारी था. प्रदेश में 313 जनपदें है तो हम कहां कहां जनपदों में समन्‍वय करने के लिये भोपाल से अधिकारी भेजेंगे. हमने नियम बनाये हैं, यदि नियमों की कोई अवहेलना करेगा, जिला पंचायतों की बेठकों में न आने का काम करेगा, जनपद की बैठकों में न आने का काम करेगा या जो प्रस्‍ताव हैं उनके क्रियान्‍वयन न करने का काम करेगा तो उसके विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी. यदि मेरे विभाग के इतर दूसने विभागों के अधिकारी होंगे तो उनके संबंधित विभागों को लिखकर कार्यवाही सुनिश्‍चित की जायेगी.

 

 

          फसल बीमा योजना में संशोधन

15. ( *क्र. 2395 ) श्री कमलेश्‍वर पटेल : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या केंद्र की नई फसल बीमा योजना के संदर्भ में राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र में राज्‍य सरकार द्वारा फसल बीमा के संबंध में किये गये राहत के प्रावधानों को संशोधित करने का कोई प्रस्‍ताव है? (ख) यदि नहीं, तो क्‍या केंद्र की नई फसल बीमा योजना और राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र के प्रावधान एक साथ लागू रहेंगे?

किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) फसल बीमा योजनांतर्गत दावों के भुगतान का राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र के प्रावधानों से सीधा कोई संबंध नहीं है, अत: शेष प्रश्‍न ही नहीं उठता है। (ख) उत्‍तरांश (क) के तारतम्‍य में प्रश्‍न ही उपस्थित नहीं होता है।

          श्री कमलेश्‍वर पटेल:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से जानना चाहेंगे कि जिन्‍हें आर.बी.सी 64 के अंतर्गत 33 प्रतिशत से अधिक का नुकसान का मुआवजा दिया है तो क्‍या उनकी आवश्‍यक रूप क्राप कटिंग करायी जाती है या नहीं और मेरा दूसरा प्रश्‍न है कि केन्‍द्र की बीमा योजना किस दिनांक से लागू की गयी है ? उसमें क्‍या क्‍या सुविधाएं मुहैया करायी जायेंगी.

          श्री गौरीशंकर बिसेन :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, क्राप कटिंग के एक्‍सपेरीमेंट होते हैं उसके बाद ही मुआवजा दिया जाता है. जब अनावरी कम आयेगी तब ही उन्‍हें मुआवजा दिया जाता है. भारत सरकार से संबंधित जो दूसरा प्रश्‍न माननीय सदस्‍य ने किया है कि भारत सरकार की फसल बीमा योजना कब से प्रारंभ की जायेगी तो अभी हम इसके टेण्‍डर काल करेंगे और खरीफ सीजन से इसको लागू करेंगे.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल:- अध्‍यक्ष महोदय क्‍या मध्‍यप्रदेश में पहले से फसल बीमा योजना लागू नहीं थी तो उसका जो हश्र पूर्व में हुआ है क्‍या वही हश्र अभी भी होगा, पहले भी ऐसा ही था.

          अध्‍यक्ष महोदय :- आप स्‍पेसीफिक प्रश्‍न करें, काल्‍पनिक प्रश्‍न न करें.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल :- अध्‍यक्ष महोदय, इसी से संबंधित प्रश्‍न है,हमारे सीधी सिंगरोली जिले में फसल बीमा का एक भी किसान को कोई भी फायदा नहीं मिला है और पूरी सोसायटियों में जब किसान गल्‍ला बेचने के लिये गया है तो फसल बीमा के नाम पर हर सोसायटियों में उनके पैसे काटे गये हैं. मेरा प्रश्‍न है कि नयी फसल बीमा योजना कब तक लागू हो जायेगी दूसरा जो पूर्व में हश्र हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय :- उन्‍होंने बता दिया है.

          श्री रामनिवास रावत :- अध्‍यक्ष महोदय, नयी फसल बीमा योजना में टेण्‍डर किये जायेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप उसको स्‍पष्‍ट करा लीजिये. आप उसका एक्‍सप्‍लेनेशन मांग लें.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल:- टेण्‍डर कराये जायेंगे यह तो ठीक है, उसमें क्‍या क्‍या प्रावधान है हमने यह भी पूछा था, वह भी नहीं बताया है.

          श्री गौरीशंकर बिसेन :- अध्‍यक्ष महोदय, नई फसल बीमा योजना में और पुरानी फसल योजना में क्‍या अंतर है, मैं उसको स्‍पष्‍ट करना चाहता हूं. अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से सदन को अवगत कराना चाहता हूं. जो नई फसल बीमा योजना है उसमें खरीफ फसलों के दो प्रतिशत प्रीमियम राशि किसान को देय होगी, पुरानी में जो पूर्व की जो राष्‍ट्रीय फसल बीमा योजना थी उसमें 3.5 प्रतिशत तक इसमें प्रीमियम देय होती थी. इसी के साथ साथ गेंहूं के लिये 1.5 प्रतिशत प्रीमियम किसानों से देय होगी. इसी के साथ साथ जो हमारी खरीफ की नगदी फसलें हैं बागवानी इत्‍यादि  इसका प्रीमियम 5 प्रतिशत होगा, पहले 13 प्रतिशत तक था. ओला वृष्टि, भूस्‍खलन जल पयावन आदि आपदाओं पर इसमें पूर्व में इसको कोई भुगतान का प्रावधान नहीं था, नयी योजना में इसको सम्मिलित किया गया है, इसमें किसान के किसी हिस्‍से में भी यदि नुकसान होगा तो उसका मुआवजा निर्धारित होगा. फसल की बोनी के बाद यदि फसल पैदा नहीं होती है या ट्रांसप्‍लाटेंशन नहीं हो सका तो ऐसी स्थिति में 25 प्रतिशत किसान को भुगतान किया जायेगा यह प्रावधान नयी फसल बीमा योजना में है. यह पुरानी योजना में नहीं था. इसी के साथ साथ फसल के कटाई के उपरांत 14 दिनों तक यदि खलियान में खेत में फसल रखी हुई है तो उसमें यदि प्राकृतिक आपदा से नुकसान होता है तो उसको भी फसल बीमा का कवरेज मिलेगा.पहले इस तरह का प्रावधान नहीं था. इसी के साथ साथ पहले हम मेन्‍युअल क्राप कटिंग के एक्‍सपेरीमेंट करते थे, अब अत्‍यानुधिक टेक्‍नालाजी को अपनाकर के क्राप कटिंग के एक्‍सपरीमेंट करें जायेंगे, जिससे की समय पर हमारे पास फसलों के नुकसानी के दावे प्राप्‍त हो सकें.

            श्री कमलेश्वर पटेल -  माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहेंगे कि जो फसल बीमा राशि किसी प्रायवेट कंपनी के माध्यम से किसानों को वितरित की जायेगी कि सरकार खुद यह क्रियान्वयन करेगी दूसरा जिस तरह से पूर्व में प्रायवेट कंपनी को फसल बीमा का काम दिया गया था योजना लागू की गई थी किसानों को किसी भी प्रकार की राहत राशि नहीं मिली वह पैसा कहां गया उसके बारे में भी नहीं बताया है.

            अध्यक्ष महोदय  इससे उद्भूत कहां हो रहा है.

            श्री कमलेश्वर पटेल -  माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा सीधी, सिंगरौली जिला सूखा प्रभावित जिला है और किसी भी किसान को फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिला.

            अध्यक्ष महोदय  - आपकी बात रिकार्ड में आ गई.

            श्री कमलेश्वर पटेल -  माननीय अध्यक्ष महोदय, एक इसी से संबंधित प्रश्न है. आरबीसी 6(4) के अंतर्गत जो राहत राशि किसानों को दी जाती थी यह फसल बीमा योजना लागू हो जाने के बाद वह राहत राशि मिलती रहेगी कि नहीं ?

               श्री गौरीशंकर बिसेन - मैंने अपने उत्तर में कहा कि आरबीसी 6(4) को नहीं हटाया गया है इसीलिये उस पर संशय करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता.

            श्री कमलेश्वर पटेल -  माननीय अध्यक्ष महोदय, यह नहीं बताया कि किस कंपनी से कराएंगे ?

            अध्यक्ष महोदय  - नहीं. अनुमति नहीं है.

            श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह जानकारी चाह रहा था कि एक तो आपने पिछली फसल बीमा और इस फसल बीमा योजना के प्रीमियम का अंतर  समझाया. अंतर पहले ज्यादा था आज कम है यह बताया लेकिन पहले किसान का कितना था  राज्य सरकार कितना था केन्द्र सरकार कितना देती थी. अब जो देंगे पूरा किसान देंगे. दूसरा  नई फसल बीमा योजना के लिये टेंडर आमंत्रित किये जायेंगे. टेण्डर की प्रक्रिया स्पष्ट कर दें.

            श्री गौरीशंकर बिसेन - माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार ने राज्यों को इस बात के लिये स्वतंत्र किया है कि वे बीमा की नीति बनाएं. अभी मार्च महीने में  राज्य सरकार बीमा कौन सी कंपनी से कराएंगे. भारत सरकार ने 8-9 बीमा कंपनियों को अधिकृत किया है. अभी  हमारी सरकार माननीय मुख्यमंत्री जी सब बैठकर तय करेंगे कि हमको आगे किस तरह बढ़ना है. रहा सवाल प्रीमियम का पहले यह था कि जो फसल के दावे का निर्धारण होता था उसमें आधा राज्य देता था और आधा केन्द्र देता था प्रीमियम को माईनस करके. अबकी बार किसी फसल का जो प्रोडक्शन कास्ट आता है डिस्ट्रिक्ट का  जो तय होगा उसके आधार पर दो प्रतिशत किसान देगा और ऊपर की जो राशि आएगी मान लीजिये 20 प्रतिशत किसी का प्रीमियम शिथिल होता है तो उस समय में 2 प्रतिशत किसान अंश होगा और बाकी जो 18 बच जायेगा उसमें 9 राज्य का होगा और 9 भारत सरकार का होगा. हम तो प्रत्येक ग्राम पंचायत में जाकर प्रधानमंत्री फसल बीमा को पहुंचाना चाहते हैं जिससे किसी तरह की विसंगति न हो. आज प्रदेश में 20-22 प्रतिशत लोग इंश्योरेंस के कवरेज में आ रहे हैं. हम चाहते हैं कि एक साल के अंदर 50 परसेंट से ऊपर किसान इस बीमा कवरेज में सम्मिलित हों.

रोहित गृह निर्माण सहकारी समिति के रिकार्ड की जप्‍ती

16. ( *क्र. 4016 ) श्री आरिफ अकील : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या रोहित गृह निर्माण सहकारी समिति का रिकार्ड सी.बी.आई. में जप्‍त है? यदि हाँ, तो किन-किन कारणों से व कब से जप्‍त है? (ख) यदि हाँ, तो क्‍या संस्‍था के रिकार्ड सी.बी.आई. में जप्‍त होने के बाद भी संस्‍था के कर्मचारियों/पदाधिकारियों द्वारा करोबार किया जा रहा है? यदि हाँ, तो किसकी अनुमति से और यदि अनुमति नहीं दी गई तो किन-किन विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से अवैध रूप से संस्‍था के कारोबार किए जा रहे हैं? (ग) प्रश्‍नांश (क) (ख) के परिप्रेक्ष्‍य में क्‍या नियम विरूद्ध कार्य करने वाले संस्‍था के कर्मचारियों/पदाधिकारियों एवं विभागीय अधिकारियों के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज कर विभागीय एवं वैधानिक कार्यवाही करेगें? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों कारण सहित बतावें?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ. श्री घनश्याम सिंह राजपूत, हेड क्लर्क, वेस्टर्न सेन्ट्रल रेल्वे भोपाल के द्वारा आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का संबंध रोहित गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल से होने के कारण प्रकरण क्रमांक.  RC0082007A0002 में दिनांक 10.03.2008 को रिकार्ड जप्त किया गया है.          (ख) मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा- 49 (7) के अंतर्गत दिनांक 11.6.2015 को संचालक मण्डल के स्थान पर विभाग द्वारा प्रशासक नियुक्त करने के पश्चात् बहिर्गामी संचालक मण्डल द्वारा रिकार्ड उपलब्ध न कराये जाने से स्पष्ट स्थिति बताया जाना सम्भव नहीं है. विभाग द्वारा किसी अवैध कार्य करने की अनुमति देने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता तथा विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता का कोई प्रमाण अभी तक उपलब्ध नहीं है. (ग) प्रथमतः रिकार्ड प्राप्त करने हेतु विभाग द्वारा सहकारी अधिनियम की धारा 57 (ए) के अंतर्गत कार्यवाही हेतु अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), टी.टी. नगर वृत्त को सर्च वारन्ट जारी करने हेतु आवेदन किया गया है. साथ ही उप पंजीयक, सहकारी संस्थायें, भोपाल को सहकारी अधिनियम की धारा 74 (ई) अंतर्गत कार्यवाही के निर्देश दिये गये हैं. समय-सीमा बताया जाना सम्भव नहीं है.

 

            श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी शायर का शेर याद आ रहा है कि "सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि सूरत बदलनी चाहिये"मैं आपके माध्यम से मध्यप्रदेश केबिनेट के सबसे दबंग मंत्री से यह रिक्वेस्ट करने के लिये खड़ा हुआ हूं कि आदरणीय वर्ष 2003 से यह रोहित गृह निर्माण समिति परेशान है. इसमें रिकार्ड जप्त हो गया. रिकार्ड जप्त होने के बाद संचालक मण्डल वहां काम करता रहा उसके बाद आपने प्रशासक नियुक्त कर दिया. रिकार्ड जप्त है लेकिन कारोबार जारी है. अब सीबीआई की जांच भी हो गई उसके बाद भी रिकार्ड उनके पास जप्त है और लेनदेन हो रहा है. लेनदेन में तो आप सख्ती से  कार्यवाही  करने के लिये मशहूर हो. आज मुझे देखना है कि  आपकी कथनी और करनी में क्या अंतर होता है. मुझे उम्मीद है कि जो 1500 मेंबर हैं उनके अलावा जिनको भी प्लाट दिये हैं. चाहे संस्था के लोगों ने दिये हैं चाहे आपके अधिकारियों ने दिये हों. उनके खिलाफ कार्यवाही करके वह जप्त करके  जो 137 लोग  प्लाट के लिये घूमते फिर रहे हैं क्या उनको प्लाट दिलाने में मेरी मदद करेंगे ?

            श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है. यह बात सही है कि यह रोहित गृह निर्माण समिति जो है इसमें भूखण्डों के आवंटन में गड़बड़ी हुई है. प्लाटों के आवंटन में गड़बड़ी हुई है इसे प्रथम दृष्टिया मैं स्वीकार करता हूं. समय समय पर इस समिति के जो पदाधिकारी हैं उनके विरूद्ध कार्यवाही की गई है, उनके विरूद्ध एफआईआर भी की गई है, जुर्माने भी लगाये गये हैं. जो पदाधिकारी हैं उनकी तीन पुलिस थानों में एफआईआर भी हैं मैं यह जानने का प्रयास कर रहा हूं कि इसमें हमारे विभाग के कर्मचारियों-अधिकारियों की जो हमारे ऑडिटर हैं और भी जो कर्मचारी हैं उनकी संलिप्तता होगी उसकी हम जां करवा रहे हैं. जिन सदस्यों प्लाट नहीं मिल पाये हैं उन सदस्यों के लिये प्लाट दिलाने का काम खास तौर से जिन अपात्र सदस्यों को प्लाट मिल गये हैं उनकी रजिस्ट्रियां निरस्त कराने का प्रयास कर रहे हैं, इसके लिये कलेक्टर को भी पत्र लिखा है, रिकार्ड जप्त है उस रिकार्ड को जो कमेटी का निर्वाचित बोर्ड है उसके सदस्य रिकार्ड को सुपुर्द नहीं कर रहे हैं तो हमने कलेक्टर को लिखा है कि एस.डी.एम के माध्यम से उस रिकार्ड के लिये हमारे अधिकारियों को उपलब्ध करवाए ताकि आगामी कार्यवाही हम सुनिश्चित कर सकें.            

          श्री आरिफ अकील--अध्यक्ष महोदय, यह 2003 का मामला है इसमें मंत्री जी ने आज जो जवाब दिया है उस जवाब में लिखा है कि समय सीमा बताना संभव नहीं है. 2003 से आज तक समय सीमा नहीं बता पाएंगे तो क्या 50 साल के बाद की समय सीमा निर्धारित करेंगे, क्या करेंगे मुझे आपसे बहुत सारी उम्मीदें मुझे भी तथा मध्यप्रदेश को भी हैं. मुझे उम्मीद है कि यह सवाल आपके नॉलेज में आने के बाद दूध का दूध और पानी का पानी होगा और जो लोग रिकार्ड नहीं दे रहे हैं तो क्या सरकार इतनी कमजोर हो गई है कि यह लोग रिकार्ड नहीं दे रहे हैं जो रिकार्ड सीबीआई के पास रिकार्ड जब्त है उसमें संचालक मण्डल के लोग आपके विभाग के अधिकारी प्लाट का कारोबार कर रहे हैं उनके विरूद्ध कार्यवाही करने में दबंग मंत्री सोचेंगे-विचार करेंगे उसमें समय सीमा नहीं बताएंगे तो कैसे काम चलेगा?

          अध्यक्ष महोदय--आप तो सीधा सीधा प्रश्न करिये.

          श्री आरिफ अकील--अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्न है कि एक तो समय सीमा बताईये जिन लोगों ने आपके कर्मचारियों की मिली भगत से रिकार्ड जब्त होने के बाद संचालक मण्डल ने जिन लोगों के साथ कारोबार किया है, यह तो वैसे की डकैती हो गई इसमें क्या कार्यवाही करेंगे तथा कितने दिन में करेंगे  ?

            श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने बहुत ही स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि इसमें गड़बड़ी हुई है इसमें जो अपात्र सदस्य हैं उनके लिये प्लाट दे दिये गये हैं जो पात्र सदस्य हैं वह अभी भी प्लाट से वंचित हैं. मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि जहां पर पंजीयन मुद्रांक के यहां पर गई है उसको अभी मैंने समझा है उसको निरस्त कराने में डीजे के सिविल कोर्ट में कार्यवाही करनी पड़ेगी.मैंने यह भी सोचा था कि शायद जिन पंजीयक ने रजिस्ट्री की है वह निरस्त कर सकते होंगे, वह निरस्त नहीं कर सकते हैं, इस कारण से हम प्रयास कर सकते हैं. एक तरफ तो वह कार्यवाही दूसरी तरफ इसमें कोई बदमाशी हुई है. संचालक मण्डल के लोगों के खिलाफ तो एफआईआर हो गई है 50 हजार रूपये उनके ऊपर फाईन भी लग गया है संचालक मण्डल भंग भी हो गया है वहां पर एक कर्मचारी बैठा हुआ है इस सबके बावजूद भी हम तीन महीने में सम्पूर्ण जांच करके अगले विधान सभा सत्र के पहले तक आपको अवगत करवा देंगे.

          श्री आरिफ अकील--अध्यक्ष महोदय, जिन लोगों को प्लाट नहीं मिले हैं उन लोगों को तीन महीने के अंदर प्लाट दिलवा देंगे.

          श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, जहां तक प्लाट दिलाने का विषय है मैंने माननीय सदस्य को अवगत कराया है कि यह सिविल प्रक्रिया है उस प्रक्रिया में हम प्रयास भी करेंगे हम जल्दी से जल्दी इसमें कार्यवाही करने की कोशिश करेंगे.

          श्री आरिफ अकील--अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि आज जब चर्चा विधान सभा में हो रही है और आपके सामने बात आ गई है इसमें कुछ तो ऐसी कार्यवाही हो जिसमें संस्था का रिकार्ड जप्त होने के बाद संचालक मण्डल के जिन सदस्यों ने आपके विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से जिन लोगों को प्लाट दिये हैं क्या उनके लिये कार्यवाही करने में भी आप तीन महीने लगाएंगे.

          अध्यक्ष महोदय--तीन महीने का समय ज्यादा नहीं होता है.

          श्री आरिफ अकील--अध्यक्ष महोदय, इनके लिये तीन महीने का समय ज्यादा है.

          श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, फिलहाल रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं, हम जल्दी से जल्दी उसे इसी सप्ताह में प्राप्त करने की कोशिश करेंगे. अध्‍यक्ष महोदय, प्रमुख सचिव द्वारा कलेक्‍टर को पत्र भी लिखा गया है कि सब डिवीजन मजिस्‍ट्रेट के द्वारा जल्‍द से जल्‍द रिकार्ड उपलब्‍ध करवाएं, सी.बी.आई. से भी उसकी प्रति प्राप्‍त करने का प्रयास कर रहे हैं और हमें प्रति प्राप्‍त हो जाएगी । मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूँ कि इस पूरी प्रक्रिया में थोड़ा समय लगेगा और यदि संचालक मण्‍डल के सदस्‍यों में, अध्‍यक्ष में अथवा हमारे कर्मचारियों में कोई मिली-भगत होगी तो इसको भी निर्धारित करने में हमें समय लगेगा अन्‍यथा अदालतों से स्‍टे मिल जाते हैं, इस कारण से 90 दिन का समय हम मानकर चलते हैं, विधानसभा के अगले सत्र में इसकी पूरी रिपोर्ट आपको दे देंगे ।

          डॉं गोविन्‍द सिंह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी का जवाब तो पूरा आ चुका है लेकिन मैं पूछना चाहता हूँ कि माननीय उच्‍च न्‍यायालय के निर्देश से 2014 में जांच पूरी होकर रिपोर्ट प्रस्‍तुत हो गई, एक तो इतनी देरी  का कारण और दूसरा अगर वास्‍तव में रजिस्‍ट्री हो चुकी, न्‍यायालयीन प्रक्रिया है, तो माननीय मंत्री जी से हमारा अनुरोध है कि न्‍यायालयीन प्रक्रिया की कार्यवाही और जो गलत तरीके से प्‍लाट आवंटित हुए हैं,अपात्र लोगों ने ले लिए हैं, उनको निरस्‍त करने की कार्यवाही की समय-सीमा कृपया बता दें ।

          श्री गोपाल भार्गव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो अपात्र लोग हैं, उनपर जल्‍दी से जल्‍दी कार्यवाही करेंगे ।

          डॉं गोविन्‍द सिंह-  न्‍यायालय में जाना पड़ेगा, तो न्‍यायालय में जल्‍दी से जल्‍दी चले जाएं ।

          अध्‍यक्ष महोदय- आप लोग बैठ जाइए, उनका अतारांकित था,इसलिए अनुमति दे दी, सारी बात आ गई, डॉं साहब आपकी बात भी आ गई, समय-सीमा तीन महीने है ।

 

 

अपात्र संचालकों के विरूद्ध कार्यवाही

 

17. ( *क्र. 3184 ) एडवोकेट सत्‍यप्रकाश सखवार : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या अपर आयुक्‍त सहकारिता मुख्‍यालय, भोपाल के आदेश क्र. 392/16.2.15 द्वारा म.प्र. सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 50-ए के अंतर्गत अपात्र संचालकों के विरूद्ध कार्यवाही हेतु कोई आदेश जारी किया था? (ख) यदि हाँ, तो क्‍या उक्‍त आदेश के पालन में ऐसे अपात्रों को चिन्हित किया गया है? यदि हाँ, तो अपात्र पाये गये संचालकों, सदस्‍यों के प्रति क्‍या कार्यवाही की गई है? यदि अपात्रों की जाँच नहीं कराई गई हो, तो अब तक विलंब का कारण क्‍या है? (ग) क्‍या शाजापुर एवं मुरैना, श्‍योपुर जिलों में कई समितियों के संचालक प्रश्‍नांश (क) में उल्‍लेखित धारा के अंतर्गत 12 माह से अधिक के कालातीत ऋणी होने के बाद भी संचालक पद पर बने हुए हैं? यदि हाँ, तो क्‍या यह प्रश्‍नांश (क) में वर्णित अधिकारी के आदेश का उल्‍लंघन नहीं है? (घ) आदेश का उल्‍लंघनकर्ता हटाया जायेगा? समय-सीमा बतावें

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ.

 (ख) जी जां । 2631 अपात्र संचालक चिन्हित किए गए हैं । 470 संचालकों के पद रिक्‍त घोषित किए गए हैं । शेष में कार्यवाही प्रक्रियाधीन। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता ।  

(ग) शाजापुर जिले में 51 मुरैना में 92 एवं श्‍योपुर जिले में 59 संचालक, अपात्र चिन्हित हुए हैं ।  मुरैना जिले में 7 संचालकों को पद से पृथक किया गया है । शेष में कार्यवाही प्रक्रियाधीन है । मध्‍यप्रदेश सहाकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 50 ए के अंतर्गत 12 माह से अधिक का डिफाल्‍टर होने के कारण संबंधित संचालक स्‍वमेव कार्य करने से प्रवरित हो जाता है । ऐसे संचालक को संचालक मण्‍डल की आगामी बैठक में आमंत्रित नहीं करना तथा उसके पद को रिक्‍त घोषित करने हेतु जानकारी पंजीयनकर्ता को भेजने की कार्यवाही संबंधित संस्‍था को करनाहोता है । अत: किसी अधिकारी के आदेश का उल्‍लंघन का प्रश्‍न नहीं है ।

 (घ) उत्‍तरांस ग अनुसार । संचालकों के डिफाल्‍टर होने की स्थिति समय समय पर परिवर्तित होती है, जो सतत प्रक्रिया है। संस्‍था से अपात्रता की जानकारी प्राप्‍त होने पर ऐसे संचालकों के पद रिक्‍त घोषित किए जाते हैं । अत: समयवाधि बताया जाना संभव नहीं है ।

          एडवोकेट सत्‍यप्रकाश सखवार- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मेरा माननीय मंत्री जी से यह प्रश्‍न है ।

          श्री अजय सिंह- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, (xxx)

          अध्‍यक्ष महोदय- आप बैठ जाइए, कुछ भी रिकार्ड में नहीं आएगा, वकील साहब एडवोकेट सत्‍यप्रकाश सखवार का रिकार्ड में आएगा ।

श्री गोपाल भार्गव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा अजय सिंह जी ने कहा है सरकार की यदि इच्‍छा शक्ति हो तो सरकार से बड़ा शक्ति शाली कोई तंत्र नहीं होता । मैं आपको विश्‍वास दिलाना चाहता हूँ किसी भी तरह से, सरकार लिप्‍त नहीं है मेरा यदि कोई प्‍लाट हो तो आप उस पर कब्‍जा कर लें नामी,बेनामी किसी भी तरह का कोई हो, मैं छूट देता हूँ ।

          श्री अजय सिंह-  एक नम्‍बर में कौन कब्‍जा करे, आप यह तो बताओ ।

          एडवोकेट सत्‍यप्रकाश सखवार- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसायटी के अंतर्गत अपात्र संचालकों के विरूद्व में जो संचालक 12 माह से अधिक के कालातीत ऋण होने के बावजूद भी संचालक पद पर बने हुए हैं, मेरा माननीय मंत्री जी से सवाल है कि क्‍या ऐसे दोषियों का पता लगाकर जो अपात्र पाए गए हैं,संचालकों को कब तक पद से हटाएंगे, समय सीमा बताएं ।

          श्री गोपाल भार्गव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जहां के बारे में सदस्‍य महोदय ने प्रश्‍न किया है, वहां के संचालक मण्‍डल को हटा दिया गया है ।

          एडवोकेट सत्‍यप्रकाश सखवार- माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद ।

          मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना में दिव्‍यांग जोड़ों को राशि का प्रदाय

18. ( *क्र. 2421 ) श्रीमती नंदनी मरावी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या जनपद पंचायत कुण्‍डम अंतर्गत वर्ष 2012 में मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना के अंतर्गत तीन ऐसे जोड़ों की शादी कराई गई थी, जिनमें लड़का-लड़की दोनों विकलांग थे? (ख) प्रश्‍नांश (क) जोड़ों को शासन के प्रावधान अनुसार रोजगार हेतु 50000/- रूपये प्रदाय किये जाने हेतु प्रश्‍नकर्ता द्वारा पत्र क्र. 458 दिनांक 14.12.2015 को विभागीय मंत्रीजी को लिखा गया था, किन्‍तु अभी तक योजना अनुसार राशि प्रदाय नहीं की गई? कब तक राशि प्रदाय कर दी जावेगी?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। दिनांक 20 फरवरी 2016 को आर.टी.जी.एस. के माध्यम से संबंधितों के खाते में राशि जमा कर दी गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

          श्रीमती नंदनी मरावी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय के जवाब से मैं पूरी तरह संतुष्‍ट हूँ और इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देती हूँ ।

प्रश्‍न संख्‍या- 19-  श्री सोहनलाल बाल्‍मीक (अनुपस्थित)

          ग्राम हाट बाजार योजनांतर्गत राशि की स्‍वीकृति

20. ( *क्र. 903 ) श्री गोवर्धन उपाध्‍याय : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले के सिरोंज एवं लटेरी विकासखण्‍ड में दिनांक 26.06.2013 से 31.03.2015 तक मुख्‍यमंत्री ग्राम हाट बाजार योजना के तहत किन-किन ग्राम पंचायतों में कितने कार्य एवं कितनी राशि स्‍वीकृत की गई है? (ख) प्रश्‍नांश (क) के अनुसार उनमें से कितने कार्य पूर्ण हुए एवं कितने कार्य अपूर्ण हैं? स्‍वीकृत कार्य में कितनी राशि का भुगतान किया गया है? भुगतान हेतु शेष राशि कितनी है? अपूर्ण कार्यों को कब तक पूर्ण किया जावेगा? (ग) प्रश्‍नांश (क) अनुसार किस-किस ग्राम पंचायत का ऑडिट हुआ है? क्‍या ऑडिट रिपोर्ट में भ्रष्‍टाचार होना पाया है? यदि हाँ, तो उस पर क्‍या कार्यवाही की गई?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्‍न परिशिष्ट अनुसार(ग) सिरोंज विकासखण्ड में प्रश्नांश में दर्शित अवधि में ग्राम पंचायतों का ऑडिट नहीं हुआ है। लटेरी विकासखण्ड में ऑडिट पूर्ण हो चुका है। जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

''परिशिष्ट - तीन''

          श्री गोवर्धन उपाध्‍याय-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि परिशिष्‍ट 7 में उन्‍होंने पंचायतों के निर्माण के संबंध में बताया है । हाट और बाजार के संबंध में तो यह काम कब तक पूरे होंगे । मेरा दूसरा प्रश्‍न यह है कि पिछले 3 वर्षों से सिरोंज ब्‍लॉक का अभी तक ऑडिट नहीं हुआ. क्‍या कारण है कि अभी तक ऑडिट नहीं हुआ ? इस संबंध में भी आप जानकारी देंगे और सबसे प्रमुख प्रश्‍न है परिशिष्‍ट में दिये गये क्रमांक- 7 एवं 8 में इन गांवों के नाम ईसरवास, जिसमें 13,74,000/- रू. खर्च हुए हैं. एक बटौली ग्राम है, जिसमें 13,94,000/- रू. खर्च हुए हैं. जबकि इन दोनों ग्रामों में न हाट लगता है और न ही बाजार लगता है और काम पूरा बताया गया है. मैं यह जानना चाहता हूँ कि यह कैसे हो गया है ? हाट बाजार लगता नहीं है. आपने मंजूरी दे दी एवं काम भी पूरा हो गया.

            श्री गोपाल भार्गव  - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिलों से जो प्रस्‍ताव एवं मांग आती है. उसके आधार पर, जहां बाजार लगने की, हाट लगने की परम्‍परा है. वहां पर हाट बाजार स्‍वीकृत किये जाते हैं. मैं स्‍थान तय नहीं करता हूँ, स्‍थान तो अधिकारी तय करते हैं. जो जिलों से रिपोर्ट आती है, उसके आधार पर वे तय करते हैं.  अब यदि वहां पर हाट बाजार उपयोगी नहीं हैं और उसकी स्‍वीकृति दे दी गई है, उसके औचित्‍य को भी देख लेते हैं, जो अपूर्ण हैं, इसके लिये हम शीघ्रातिशीघ्र 3 महीने में अपूर्ण कार्य पूर्ण करने की कोशिश करेंगे. ऑडिट का जहां तक प्रश्‍न है, लटेरी का ऑडिट हो गया है, बाकी के जगह की प्रक्रिया चल रही है. इस महीने ऑडिट की प्रक्रिया कुछ पूरी हो जायेगी.  

          श्री गोवर्धन उपाध्‍याय - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि कम से कम यह तो जांच करा लें कि जहां जंगल के गांव हैं, वहां हाट भी नहीं लग रहा है और 19 लाख रूपये कोई साधारण नहीं हैं, जो खर्च हो गए. दोनों में हुआ है और बाकी के जो 7 ग्राम पंचायतों में जहां हाट लगते हैं, उनका काम पूरा नहीं हुआ है. काम कई जगह स्‍टार्ट भी नहीं हुआ पर जहां पर हाट बाजार नहीं लग रहे हैं, वहां पर काम पूरा बता रहे हैं तो आप उसकी जांच करवा लें.

          श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें निर्माण एजेन्‍सी ग्राम पंचायतें थीं. हो सकता है कि जहां सरपंच, सचिव वगैरह ज्‍यादा सक्षम हों, उन्‍होंने काम करवा लिया ले‍किन उसके बावजूद भी मैं जांच करवा लूँगा कि एक जगह जल्‍दी क्‍यों पूर्ण हो गए हैं ?  और दूसरी जगह अभी तक तक क्‍यों अपूर्ण हैं ?

प्रश्‍न क्रमांक - 21    (अनुपस्थित)

प्रश्‍न 22. ( *क्र. 3681 ) श्री राजकुमार मेव : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगौन जिलान्‍तर्गत महात्‍मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 से प्रश्‍न दिनांक तक विकासखण्‍डवार एवं जिलेवार कौन-कौन से कार्य, कितनी-कितनी लागत के स्‍वीकृत किये गये? कितने कार्य पूर्ण हुये, कितने कार्य अपूर्ण हैं, कितने अप्रारंभ हैं? अपूर्ण, अप्रारंभ रहने का कारण बतावें। (ख) म.गा.रो.गा. योजना के तहत विगत वर्षों के वर्षवार कितने कार्य अपूर्ण हैं, अपूर्ण रहने का कारण बतावें? कब तक कार्यों को पूर्ण कराया जावेगा? (ग) क्‍या मनरेगा में अधिक कार्य अपूर्ण रहने से नये कार्यों की स्‍वीकृति पर प्रतिबंध लगाया गया है? क्‍या ग्राम पंचायत में पूर्व वर्षों के अपूर्ण कार्य नहीं होने के उपरान्‍त भी नये कार्य स्‍वीकृत नहीं किये जा रहे हैं?

        पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) खरगौन जिलान्‍तर्गत महात्‍मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 से प्रश्‍न दिनांक तक कुल 5796 कार्य लागत रू. 6174.30 लाख के स्‍वीकृत किये गये हैं। स्‍वीकृत कार्यों में से 238 कार्य पूर्ण, 5465 कार्य अपूर्ण तथा 93 कार्य अप्रारंभ हैं। महात्‍मा गांधी नरेगा योजना श्रमिकों की मॉग एवं जॉबकार्डधारियों की उपलब्‍धता पर निर्भर होने के कारण अपूर्ण/अप्रारंभ हैं। विकासखण्‍डवार जानकारी संलग्‍न परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है। (ख) म.गा.रो.गा. योजना के तहत विगत वर्षों के कुल 13095 कार्य अपूर्ण हैं, वर्षवार जानकारी संलग्‍न परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। कार्यों के अपूर्ण रहने का कारण उत्‍तरांश '' अनुसार है। कार्यों के पूर्ण होने की निश्‍चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी नहीं।

परिशिष्ट - ''चार''

          श्री राजकुमार मेव - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके द्वारा मंत्री जी से यह पूछना चाहूँगा कि महेश्‍वर में अपूर्ण कार्य कब तक पूर्ण हो जायेंगे. 953 अपूर्ण कार्य हैं. उसकी क्‍या मंत्री जी समय-सीमा बतायेंगे कि वे कब तक पूर्ण हो जायेंगे और नये कार्य की स्‍वीकृति कब तक दे पायेंगे ?

          श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि उत्‍तर में बताया है. माननीय सदस्‍य स्‍वयं इस बात से अवगत है कि बड़ी संख्‍या में जो कार्य स्‍वीकृत हैं, वे अभी अपूर्ण हैं. अध्‍यक्ष महोदय, विभाग ने तय किया है कि जो कार्य अभी बड़ी संख्‍या में अपूर्ण हैं. यदि उनकी उपयोगिता है तो पहले उन कामों को हाथ में लेकर पूर्ण किया जाये, उसके बाद ही नये कार्य स्‍वीकृत किये जायें. हम लोगों ने 15 लाख रूपये तक के कार्य, स्‍वीकृत करने के जो प्रशासनिक अधिकार हैं, वे हमने ग्राम पंचायतों को दिये थे और पंचायतों ने बहुत बड़ी संख्‍या में काम अपने-अपने ग्राम पंचायतों के अन्‍तर्गत मंजूर कर लिये हैं और इस कारण से अभी निश्चित रूप से तुलनात्‍मक रूप से यदि हम देखें तो काफी कार्य अभी अपूर्ण हैं. इस कारण से, मैं प्रयास करूँगा कि पूर्व में जो स्‍वीकृत कार्य है, वे जल्‍दी से जल्‍दी हो जायें. उसके बाद, जैसा माननीय विधायक जी बताएंगे तो उनकी प्राथमिकता के आधार पर, हम कार्य स्‍वीकृत कर देंगे.

प्रश्‍न 23. ( *क्र. 2939 ) श्री महेन्‍द्र सिंह : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का अनुमोदन संबद्ध विकासखण्‍ड स्‍तरीय स्‍थाई कृषि समिति से कराया जाना आवश्‍यक है एवं अनुमोदित विषयों के पारित प्रस्‍ताव पर कार्यवाही की जानी भी जरूरी है? (ख) यदि हाँ, तो विकासखण्‍ड गुनौर में कितनी बैठकें हुईं? किस बैठक में किस-किस योजना के प्रस्‍ताव पारित हुये व वर्ष 2015-16 में कितने हितग्राही को लाभ मिला? (ग) क्‍या कृषि विभाग द्वारा संचालित योजना नलकूप, खनन पर प्रतिबंध है? यदि हाँ, तो राज्‍य शासन का आदेश क्रमांक व दिनांक बताएं? क्‍या योजना के लाभ हेतु शासन द्वारा लक्ष्‍य निर्धारित होते हैं? यदि हाँ, तो विकासखंड गुनौर को कितने लक्ष्‍य प्राप्‍त हुये?

        किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) जी हाँ। (ख) वर्ष 2015-16 में विकासखण्ड गुनौर में 4 बैठकें आयोजित हुईं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) विभाग द्वारा प्रतिबंध नहीं है, किन्तु कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी जिला पन्ना के आदेश क्रमांक/394/रीडर/2015/पन्ना दिनांक 13.10.2015 द्वारा पन्ना जिले को जल अभावग्रस्त घोषित कर नलकूप खनन पर दिनांक 30.6.2016 तक प्रतिबंध लगाया गया है। योजना के लाभ हेतु शासन द्वारा लक्ष्य निर्धारित होते हैं। विकासखण्ड गुनौर को नलकूप खनन हेतु 22 प्रकरणों के लक्ष्य दिये गये हैं।

          श्री महेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने लिखा था कि जनपद में कृषि समिति से कौन-कौन सी मीटिंग करवाई जाती है ? कितनी मीटिंग हुई हैं ? उन्‍होंने 4 लिखा है. मेरा आशय यह था कि उन्‍होंने जो अनुमोदन करवाया, वह कृषि की जो योजनाएं हैं, उनका अनुमोदन करवाते हैं. लेकिन किन हितग्राहियों को मिलना है, क्‍या चयन होना है और किन-किन हितग्राहियों को लाभ होना है. उस लिस्‍ट का अनुमोदन करवाया जाता है या क्‍या करवाया जायेगा ?   

                        श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय,  जनपद की कृषि समिति में    जिनके अनुमोदन किये जाने थे,  वह सब कराये गये हैं.  मैं माननीय  सदस्य से जानना चाहता हूं कि  किस संदर्भ  का आप अनुमोदन  चाहते हैं.

                   श्री महेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय,  मैं मंत्री जी से एक निवेदन करना चाहता हूं कि  जो हितग्राही चयन की प्रक्रिया है, उसमें  किट्स देने की  जो योजना है,  किट किस को मिलती है,  किस को अधिकारी देते हैं.  मेरा निवेदन यह है कि  हितग्राही  चयन की  जो लिस्ट बने, वह  अनुमोदन हो जाये या  देने के बाद भी  अनुमोदन हो जाये तो पता लगे कि किस किस को  किस मापदण्ड में दिया गया है.

                   श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, विधायक  जी के प्रश्न के  अनुसार  हमने हलधर योजना में 31,  सोयाबीन मिनिकिट में  500,  अन्नपूर्णा योजना में 693, सूरजधारा योजना में 915,  बीजग्राम  में 500,  कम्पोजिट नर्सरी में  856, बलराम जलाशय में 7,यह 9.7.2015 की बैठक में और  26.8.2015 की बैठक में सीड ड्रिल में  7, रोटावेटर 1,  स्प्रिंकलर 4 और चेफकटर 25.  इसी के साथ साथ  उसके बाद की बैठक कोरम के अभाव में स्थगित हुई.  8.12.2015 की बैठक में  दलहन कलस्टर प्रदर्शन  800, प्रेशर यंत्र 40, गेहूं कलस्टर प्रदर्शन 100, सूरजधारा  योजना 672,  अन्नपूर्णा योजना 175, मिनीकिट 330.  इसी के साथ साथ  जो राज्य पोषित नलकूप खनन  के  प्रस्ताव थे, इनके अनुमोदन  नहीं हुए हैं और इनके जिले को  22 का टारगेट दिया गया है.

                   श्री महेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय,   मेरे प्रश्न का आशय शायद समझ में नहीं आया.  मैं यह निवेदन कर रहा हूं कि  जो हितग्राही हैं,  उनकी लिस्ट का   अनुमोदन ग्रामवाइज  नहीं करवाया जाता है, केवल योजना का अनुमोदन करवाया जाता है. जो योजनायें दी जाती है,  कितनी योजनायें कहां स्वीकृत की गईं.  मैं चाहता हूं कि हितग्राहियों  की लिस्ट बने, उसका भी  अनुमोदन करवाया जाये.

                   श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, अब तो  1.1.2016 से  ऑन लाइन पंजीयन की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है.  इसलिये जैसे ऑन लाइन में ड्रिप, स्प्रिंकलर, पाइप लाइन और जो हमारे कृषि यंत्र हैं, रेनगन, ट्रेक्टर मशीन, पावर चलित जो शक्ति यंत्र हैं.  यह सब हम ऑन लाइन पर पंजीयन कर रहे हैं.  इसलिये   यह जो  पहले असुविधा थी, वह  अब नहीं होगी और  पहला आओ एवं पहला पाओ को भी रखा है. इसके बाद  यदि ज्यादा आवेदन आयेंगे,  तो उसके बारे में विचार करेंगे.

                   श्री महेन्द्र सिंह -- मंत्री जी, धन्यवाद.

                   श्री घनश्याम  पिरोनियां -- अध्यक्ष महोदय,  मेरे विधान सभा क्षेत्र भाण्डेर  में  मैंने मंत्री जी से निवेदन किया था कि  2013-14,2014-15 और 2015-16 में..

                   अध्यक्ष महोदय -- इससे संबंधित ही पूछिये.

                   श्री घनश्याम  पिरोनियां -- अध्यक्ष महोदय,   जी हां, इसी से संबंधित है स्प्रिंकलर  वगैरह  जो हैं, यह वहां पर  बांटे नहीं गये हैं और  उन्होंने वहां से ठीक प्रकार से जानकारी  नहीं दी  है.  गहरी जुताई का भी उसमें लिखा था,  वह भी जानकारी नहीं दी गई है. मेरा निवेदन है कि  उसमें अगर मंत्री जी बता देंगे, तो  हमारे क्षेत्र के कृषकों का भला हो जायेगा.

                   अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्न ही उद्भूत नहीं होता.

                   श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय,  यह प्रश्न से  उद्भूत नहीं होता, लेकिन  वह लिखकर दे दें.

                   अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी कह रहे हैं कि   यह प्रश्न से उद्भूत नहीं होता.  लेकिन आप उनको लिखकर दे दें.

                   श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न  से उद्भूत नहीं होता, लेकिन विधायक जी लिखकर दे दें,  मैं उनको जानकारी से अवगत करा दूंगा.

                   श्री घनश्याम  पिरोनियां --  जी.  मंत्री जी, धन्यवाद.

स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को आवंटित जमीन पर निर्माण कार्य

24. ( *क्र. 3247 ) श्रीमती अनीता नायक : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र पृथ्‍वीपुर को राजस्‍व विभाग के द्वारा कितनी भूमि आवंटित की गई है एवं स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के द्वारा कितनी भूमि पर निर्माण कार्य किया गया है एवं कितनी भूमि खाली पड़ी है? (ख) खाली पड़ी भूमि पर लोगों के द्वारा कितनी भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण किया गया है? जिन लोगों के द्वारा अवैध रूप से अतिक्रमण किया गया है, उनके विरूद्ध क्‍या कार्यवाही कब तक की जायेगी?

राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) सामुदायिक स्वस्थ्य केन्द्र पृथ्वीपुर को ग्राम पृथ्वीपुर की शासकीय भूमि 1.068 हेक्टेयर आवंटित की गई है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पृथ्वीपुर को आवंटित की गई भूमि में से 0.600 हेक्टेयर पर स्वास्थ्य विभाग के शासकीय भवन निर्मित हैं एवं 0.468 हेक्टेयर भूमि मौके पर खाली पड़ी है। (ख) मौके पर खाली पड़ी भूमि पर वर्तमान में कोई अतिक्रमण नहीं है शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

 

                   श्रीमती अनीता नायक -- अध्यक्ष महोदय,  मैं  मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि  सामुदायिक  स्वास्थ्य केन्द्र, पृथ्वीपुर को   राजस्व विभाग के द्वारा कितनी भूमि आवंटित की गयी है एवं स्वास्थ्य विभाग के  द्वारा कितनी भूमि पर  निर्माण कार्य किया गया है एवं कितनी भूमि खाली पड़ी है.

                   अध्यक्ष महोदय -- इसका उत्तर तो लिखित में  आ गया है.  इसके अलावा आपको और कोई जानकारी चाहिये, तो वह पूछिये.

                   श्रीमती अनीता नायक -- अध्यक्ष महोदय,   जी.  वहां पर जो   नगरपालिका में दुकानें बनाई गई हैं,  उसका वह न किराया देते हैं और नगरपालिका वाले अपने कब्जे में किये हुए हैं  और कुछ जमीन खाली पड़ी है,  उसमें खेती हो रही है.  तो हम चाहते हैं कि उस  जमीन को कब्जे में लिया जाय.

                   अध्यक्ष महोदय --  उस पर अतिक्रमण है.

                   श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायिका जी  का जो प्रश्न है,  सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, पृथ्वीपुर  में शासकीय  भूमि पर अतिक्रमण  की बात कही है.  हमें जो जानकारी आई है,  उसमें अतिक्रमण नहीं है.  फिर भी माननीय सदस्य   अगर लिखकर देंगी, कोई अतिक्रमण है, तो तुरन्त  अतिक्रमण हटवाया जायेगा और उसका सीमांकन भी करवाया जायेगा.

                   अध्यक्ष महोदय -- आप लिखकर दे दीजिये. यदि कोई अतिक्रमण होगा, तो  हटवा देंगे.

                   श्रीमती अनीता नायक -- अध्यक्ष महोदय,   जी.

 

 

 

प्रधानमंत्री सड़क योजनांतर्गत सड़क निर्माण

25. ( *क्र. 3870 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सैलाना अंतर्गत वर्ष 2013-14 से आज दिनांक तक प्रधानमंत्री सड़क योजना अंतर्गत कुल कितनी सड़कों का निर्माण किया गया? सड़कों के नाम, लंबाई एवं लागत सहित जानकारी उपलब्‍ध करावें। (ख) क्‍या सैलाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत प्रधानमंत्री सड़क योजना से निर्मित भाटखेड़ी से कोठारिया सड़क मार्ग में ठेकेदार द्वारा गुणवत्‍ताविहीन कार्य किया गया? यदि हाँ, तो शासन द्वारा दोषी ठेकेदार एवं अधिकारी के विरूद्ध क्‍या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्‍या शासन द्वारा भाटखेड़ी से कोठारिया सड़क मार्ग में हुये गुणवत्‍ताविहीन निर्माण कार्य की जाँच क्षेत्रीय विधायक को टीम में सम्मिलित कर करवाई जायेगी?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) विधानसभा क्षेत्र सैलाना में वर्ष 2013-2014 से आज दिनांक तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत कुल 51 सड़कों का निर्माण किया गया है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं, सैलाना विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत भाटखेड़ी से कोठारिया सड़क निर्माण कार्य निर्धारित गुणवत्ता के अनुसार कराया गया है। उक्त सड़क का निरीक्षण स्टेट क्वालिटी मानीटर द्वारा विभिन्न स्तरों पर किया गया है, जिसमें उनके द्वारा सड़क निर्माण कार्य की गुणवत्ता को संतोषप्रद श्रेणी में वगीकृत किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) उत्तरांश (ख) के प्रकाश में कार्य का निरीक्षण स्वतंत्र स्टेट क्वालिटी मानीटर द्वारा किया जा चुका है एवं कार्य संतोषजनक पाया गया। अतः अन्य किसी जाँच की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती।

परिशिष्ट - ''पाँच''

            श्रीमती संगीता चारेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत ही महत्वपूर्ण व जनहित से जुड़ा हुआ मामला है. सड़कों की गुणवत्ता यदि बनी रहेगी तो सरकार की छवि में और अधिक निखार आयेगा. देखने में आया है कि सड़क निर्माण के 3 से 6 माह के भीतर सड़कें उखड़ना प्रारंभ हो जाती है, ऐसे में जनता का आक्रोश जनप्रतिनिधियों के ऊपर रहता है.मंत्री जी के माध्यम से विभाग द्वारा जो जानकारी मुझे दी गई है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं. मैं मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि सैलाना विधानसभा में जो सड़कों का निर्माण किया गया है उसमें पुलिया क्षतिग्रस्त है सड़कों की चौड़ाई भी संतोषजनक नहीं है. हम चाहते हैं कि मंत्री जी इस मामले मे जांच कराने की घोषणा करें.

 

 

          श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्टेट क्वालिटी मानीटर के द्वारा इस सड़क की गुणवत्ता की जांच कराई गई थी. उस रिपोर्ट में सड़क का बनना सही पाया गया है. पुलिया के बारे में जरूर विषय आया था तो माननीय सदस्या जैसा चाहेंगी वैसा ही पुलिया निर्माण का कार्य कर देंगे.

          श्रीमती संगीता चारेल-- मंत्री जी को धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त.

 

 

 

 

(प्रश्नकाल समाप्त)

 

 

 

 

 

 

 

          श्री जितू पटवारी (राऊ)-- अध्यक्ष महोदय, कल जिस तरीके से विधानसभा के सामने एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बेटे को बस ने टक्कर मारी और 1 घंटे तक वह तड़पता रहा, उसकी लाश पड़ी रही, आज के  सारे अखबारों में आया है. मैं समझता हूं कि वहां पर जो भी अधिकारी ड्यूटी पर तैनात थे, उनकी लापरवाही का इससे बड़ा कोई दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता है.

          अध्यक्ष महोदय-- आपका विषय आ गया है. भविष्य में इसको देखेंगे कि यह व्यवस्था ठीक हो, और उनके परिवार के साथ में हमारी पूरी संवेदनायें हैं.

          श्री जितू पटवारी -- मुख्यमंत्री का काफिला निकला, एक घंटे तक उसका शव पड़ा रहा जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया .

          अध्यक्ष महोदय-- कृपा करके उसमें आप राजनीति न करें.

 

 

 

 

11.31 बजे

नियम 267-क- के अधीन विषय

          अध्यक्ष महोदय--निम्नलिखित शून्यकाल की सूचनायें सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी.

1.      श्री दिनेश राय

2.      श्री रामनिवास रावत

3.      श्री(इंजी.)प्रदीप लारिया

4.      डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय

5.      श्री देवेन्द्र वर्मा

6.      पंडित रमेश दुबे

7.      श्री दुर्गालाल विजय

8.      श्री नारायण सिंह पंवार

9.      श्री घनश्याम पिरौनिया

10. श्री प्रहलाद भारती.

     श्री बाला बच्चन,प्रभारी नेता प्रतिपक्ष -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल ओलावृष्टि बहुत हुई है, बड़वानी, छिंदवाड़ा, बैतूल, डिण्डोरी, मंडला, सिवनी इत्यादि जिलों में बहुत ओलावृष्टि हुई है और किसानों की फसलों का बहुत नुकसान हुआ है. इतनी आंधी और तूफान आये हैं कि बिजली के खंबे भी उखड़ गये. मैं आपके माध्यम से सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि जल्दी से जल्दी सरकारी तंत्र उन किसानों के खेतों तक पहुंचे और रिपोर्ट प्रस्तुत कर पीड़ित किसानों को मुआवजे दिलाने की कार्यवाही करे.

     किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री(श्री गौरीशंकर बिसेन) --माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन जिन जिलों में ओला गिरा है वहां पर सर्वे का कार्य प्रारंभ हो चुका है. हमने सिवनी में, हमारे केवलारी के विधायक यहां पर बैठे हुये हैं . नुकसान का जो मोटा अनुमान हमारे पास में आया है उसके हिसाब से सरकार कार्य कर रही है. जानकारी नहीं देना थी चूंकि नेता प्रतिपक्ष ने मामले को उठाया है इसलिये मैं अवगत कराना चाहता हूं.सर्वे कराया जा रहा है. राजस्व मंत्री जी भी यहां पर बैठे हैं हम दोनों बैठकर के इस पर चर्चा कर रहे हैं.

     अध्यक्ष महोदय--बाला बच्चन जी आपकी बात को माननीय मंत्री जी ने संज्ञान(Cognizance) में ले लिया है.

     श्री बाला बच्चन- आपको बहुत बहुत धन्यवाद.

     श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय श्योपुर जिले में 66 लोगों की आंखों के आपरेशन किये गये थे उनमें 16 की आंख पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं. इस बात को मैंने कई बार उठाया भी है और ध्यानाकर्षण के माध्यम से मामले को लगाया भी है. मैं चाहता हूं कि ध्यानाकर्षण स्वीकार कर ले. सरकार इसको मानती नहीं है. यहां पर श्योपुर के विधायक बैठे हैं भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं ,मंत्री जी उनसे पूछ लें कि उनके पीएसओ की मां की आंखें आज भी खराब हैं.

     अध्यक्ष महोदय-- ध्यानाकर्षण की चर्चा कक्ष में कर लें.

     श्री रामनिवास रावत-- ध्यानाकर्षण तो मैंने दिया हुआ है.

     अध्यक्ष महोदय-- इसीलिये कह रहा हूं कि आप मेरे कक्ष में आ जायें. वहां चर्चा कर लें.

     श्री रामनिवास रावत-- प्रदेश में लोगों की आंखें खराब हो रही हैं, स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थायें इतनी बेकार हो गई हैं कि ठीक से आपरेशन नहीं कर पा रहे हैं. पहले बड़वानी अब श्योपुर, कम से कम ऐसी व्यवस्था तो करा दें कि लोगों की रोशनी न जाये.स्वास्थ्य मंत्री जी क्या आप रोशनी लेते रहेंगे, लोगों की आंखें फोड़ते रहोगे लोगों की.

     लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्रा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य का परसों ही दूसरे नंबर पर प्रश्न है. श्योपुर और बड़वानी की आंख  से जुड़ा हुआ मामला है. हालांकि मैं परसों नहीं हूं. मेरा पारिवारिक एक कार्यक्रम है. लेकिन उसके बाद भी आप लेंगे तो सरकार को चर्चा कराने में कोई दिक्कत नहीं है. बड़वानी के दोषियों को सजा मिल गई और मुख्यमंत्री जी ने 5 हजार रूपये महीने से लेकर के जितनी मदद कर सकते थे कर दी है उसके बाद भी सम्मानीत सदस्य जिस रूप में चर्चा चाहेंगे हम तैयार हैं.

 

 

 

 

 

 

 

11.34 बजे.

पत्रों का पटल पर रखा जाना.

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की वैधानिक आडिट रिपोर्ट वर्ष 2012-13

     किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 1963 की धारा 40 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर(मध्यप्रदेश) की वैधानिक आडिट रिपोर्ट वर्ष 2012-13 (उप संचालक, स्थानीय निधि संपरीक्षा, जबलपुर (मध्यप्रदेश) द्वारा प्रेषित प्रमुख आपत्तियां, स्पष्टीकरण हेतु उत्तर एवं प्रमण्डल की टिप्पणी) पटल पर रखता हूं.

 

 

 (क)    रानी दुर्गावती विश्‍वविद्यालय, जबलपुर (01 जुलाई, 2010 से 30 जून, 2011 को समाप्‍त होने वाले वर्ष) का वार्षिक प्रतिवेदन 2010-2011 एवं (01 जुलाई, 2013 से 30 जून, 2014 को समाप्‍त होने वाले वर्ष) का वार्षिक प्रतिवेदन 2013-2014.

 

 

 

(ख)     महर्षि पाणिनि संस्‍कृत एवं वैदिक प्रतिवेदन सन् 2011-2012, चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन सन् 2012-2013 एवं वार्षिक प्रतिवेदन सन् 2013-2014.

          मध्‍यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड का त्रयोदश वार्षिक प्रतिवेदन वित्‍तीय वर्ष 2014-2015.

 

 

 

 

 

 

ध्‍यानाकर्षण

सागर जिले के सिदगुवां एवं चनाटोरिया औद्योगिक इकाईयों द्वारा स्थानीय युवकों को रोजगार न दिया जाना.

          इंजी. प्रदीप लारिया-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है-

        

          श्री अंतर सिंह आर्य (श्रम मंत्री)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसी भी श्रम कानून, नियम अथवा विभागीय निर्देश में इस आशय का प्रावधान नहीं है कि किसी औद्योगिक क्षेत्र अथवा उद्योग विशेष में किस क्षेत्र के व्‍यक्तियों को रोजगार उपलब्‍ध कराया जाना चाहिये, अतएव वांछित जानकारी श्रम विभाग द्वारा संधारित नहीं की जाती है.

          श्री प्रदीप लारिया (नरयावली)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उद्योग संवर्धन नीति के तहत जैसे कि मध्‍यप्रदेश शासन की यह इच्‍छा है कहीं भी फैक्‍ट्री स्थित होती है तो वहां पर 50 प्रतिशत स्‍थानीय लोगों को रोजगार उपलब्‍ध कराना चाहिये, यह शासन की मंशा है माननीय अध्‍यक्ष महोदय. लेकिन हमारे यहां जो चनाटोरिया, सिदगुआ में जो फैक्ट्रियां हैं उसमें से जो मुख्‍य फैक्‍ट्री है, घड़ी साबुन फैक्‍ट्री, उसमें लगभग 1500 कर्मचारी कार्यरत हैं, उसमें 400 आफीसयल का स्‍टॉफ है और लगभग 1100 श्रमिक हैं, लेकिन इस 400 के आफीसियल के स्‍टॉफ में केवल 5 से 8 प्रतिशत स्‍थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है, वहीं श्रमिक वाले में भी बाहर से उत्‍तर प्रदेश से, बिहार से लोग काम करने के लिये आ रहे हैं, स्‍थानीय लोगों की उपेक्षा हो रही है. वैसे ही बुंदेलखंड में रोजगार के कम अवसर हैं और जब कोई फैक्‍ट्री आती है तो लोगों को आशा बनती है कि स्‍थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है आप वहां का परीक्षण करा लें, उद्योग विभाग और श्रम विभाग दोनों उसका परीक्षण करा लें और उसमें आप जब परीक्षण करायेंगे तो यह पायेंगे कि 5 से 10 प्रतिशत स्‍थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है, बाकी बाहर के लोग काम कर रहे हैं.

 

          मेरा माननीय अध्‍यक्ष महोदय आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि क्‍या श्रम विभाग और उद्योग विभाग की संयुक्‍त टीम वहां पर जाकर सिद्गुआ में औद्योगिक क्षेत्र की जितनी भी फैक्‍ट्री हैं उनका परीक्षण करेंगे, खास तौर पर घड़ी फैक्‍ट्री का और उसमें जो रोजगार मिल रहा है उस रोजगार का परीक्षण करके क्‍या स्‍थानीय लोगों को रोजगार सुनिश्चित करायेंगे.

            श्री अन्तर सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न उद्योग विभाग से संबंधित है. क्योंकि उद्योग विभाग और श्रम विभाग एक दूसरे के पूरक हैं. माननीय सदस्य ने जो ध्यानाकर्षण लगाया वह महत्वपूर्ण है. हम उद्योग विभाग से, माननीय मंत्रीजी से अनुरोध करेंगे कि संयुक्त रुप से वहां पर भौतिक सत्यापन करे और जो भी नियमानुसार होगा, वह कार्रवाई करेंगे.

          इंजी.प्रदीप लारिया-- अध्यक्ष महोदय, यह श्रम विभाग से भी जुड़ा हुआ विषय है.

          अध्यक्ष महोदय-- इसी से संबंधित होना चाहिए.

          इंजी.प्रदीप लारिया-- इसी से जुड़ा है. मेरा इसमें कहना है कि जो श्रमिक इनने रखे हैं, उसमें नियम है कि 8 घंटे काम कराना चाहिए, उनसे 12 घंटे काम करा रहे हैं. बच्चों से काम करा रहे हैं. मेरा निवेदन है कि चूंकि शासन की संयुक्त जिम्मेदारी है. मंत्रीजी समय सीमा बता दें कि कितने दिन में भौतिक सत्यापन करा लेंगे और दूसरा जो बच्चों से काम करा रहे हैं और 10-12 घंटे काम करा रहे हैं, उसके बारे में श्रम विभाग क्या कार्रवाई करेगा.

          अध्यक्ष महोदय-- मंत्रीजी, एक मिनट रुकें, शैलेन्द्र जैन भी प्रश्न कर लें, फिर दोनों का उत्तर दे दीजिए.

          श्री शैलेन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, चूंकि यह हमारे जिले का विषय है. यह हमारी विधानसभा क्षेत्र से लगा हुआ है. यह देखने में आया है कि बाहर के जो मजदूर हैं, जिसमें सेमी स्किल्ड,अन स्किल्ड और स्किल्ड हैं, उनको बिना पुलिस वेरिफिकेशन के रख लिया जाता है. वहां पर श्रम कानूनों का उल्लंघन हो रहा है. इससे वहां पर अपराध बढ़ने की संभावना हमेशा बनी रहती है. अध्यक्षजी, जो लेबर सागर में उपलब्ध है, वही लेबर हम यूपी और बिहार से लेकर आयें, यह प्राकृतिक न्याय के विपरित है. इस दिशा में आप आसंदी से जरुर इस पर घोषणा कराईये.

          अध्यक्ष महोदय-- मंत्रीजी ने स्वयं ही घोषणा कर दी है.

          श्री शैलेन्द्र जैन--धन्यवाद.

          श्री अन्तर सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय,मैं आपके माध्यम से दोनों माननीय सदस्यों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जहां कार्य के घंटे से अधिक कार्य हमारे श्रमिक भाईयों से लिया जा रहा है, इसकी हम एक माह में जांच करा लेंगे.

          अध्यक्ष महोदय-- मंत्रीजी, जो लेबर बाहर से आयी हैं, उनका पुलिस वेरिफिकेशन भी जरुर हो.

          इंजी.प्रदीप लारिया--अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी से पूछना चाहता हूं कि  क्या विधायक को भी परीक्षण के समय साथ रखा जायेगा?

          श्री अन्तर सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, साथ में रख लेंगे.

 

 

                   दतिया जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में अनियमितता होने.

 

        श्री घनश्याम पिरोनियां(भाण्डेर)अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है--

 

 

 

 

 

 

लोक निर्माण मंत्री (श्री सरताज सिंह) - अध्यक्ष महोदय,

 

           

 

 

 

 

 

 

          श्री घनश्याम पिरोनिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं भाण्डेर में 24 घंटे घूम रहा हूं तो यह माननीय मंत्री जी को अधिकारियों ने जो पढ़ने के लिए दिया है वह सही है या मैं जो कह रहा हूं वह सही है. मुझे बहुत दुख है कि जो भी जानकारी अधिकारियों ने मंत्री जी को दी है वह संभवतया असत्य है, क्योंकि वहां से न तो बिजली के खंबे हटाये गये हैं. मैं यहां पर निवेदन करूंगा कि विभाग की तरफ से मुझे एक पत्र आया था उ समें ए.सी. में बैठे हुए इनके विभाग के अधिकारियों ने मुझे लिखकर दिया था कि वहां पर कहीं भी दुर्घटना नहीं हो सकती है. वहां पर दुर्घटना इसलिए हो रही हैं कि वाहन चलाने वाले लोग है वह तेज गति से वाहन चलाते हैं, मैं कहूंगा कि वह अधिकारी वहां पर सायकिल ही चलाकर दिखा दें.

          अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इन कंपनियों को वहां पर संरक्षण देने की आवश्यकता क्यों है. मैं यह कहना चाहता हूं कि समय सीमा में होने के बाद  भी, अभी हमारी प्रभारी मंत्री जी क्षेत्र में गई थीं तो भ्रमण के दौरान उन्होंने आपत्ति भी की थी. मेरा यह निवेदन है कि उसकी एक उच्चस्तरीय जांच हो जाय. यहां पर डॉ. गोविंद सिंह जी भी बैठे हैं. उन्होंने भी कई बार इसको उठाया है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि ऐसी कंपनी को ब्लेक लिस्टेड करने की कार्यवाही हो, और वहां पर सड़क ठीक प्रकार से बने, गुणवत्तापूर्ण बने, एक उच्चस्तरीय जांच यहां से भोपाल से भेज दी जाय तब कहीं जाकर के शांति का मामला बनेगा, साथ ही जिन अधिकारियों ने गलत जानकारी दी है ऐसे अधिकारियों पर भी कार्यवाही होना चाहिए.

          श्री सरताज सिंह -- अध्यक्ष महोदय मैं उच्च स्तरीय जांच कराने के लिए सहमत हूं. जिस दिन जांच के लिए कोई टीम जायेगी तो माननीय विधायक जी को भी सूचित किया जायेगा उनकी उपस्थिति में जांच हो जायेगी और अगर कोई गलती पायी गई तो आवश्यक कार्यवाही की जायेगी.

          अध्यक्ष महोदय -- अब तो मंत्री जी को धन्यवाद दे दें.

          श्री घनश्याम पिरोनिया -- धन्यवाद् तो मैं दे रहा हूं लेकिन यह भी कह रहा हूं कि मंत्री जी उसकी समय सीमा तय कर दें कि वह कब तक पूर्ण हो जायेगा.

          श्री नरेन्द्र कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय इस कंपनी के द्वारा जहां जहां पर काम किया जा रहा है सभी जगह पर घटिया स्तर का काम हो रहा है  इसलिए उसको ब्लेक लिस्ट घोषित किया जाय...(व्यवधान)..

          श्री घनश्याम पिरोनिया -- वह कंपनी जहां जहां भी कार्य कर रही है वह गड़बड़ काम ही कर रही है.

          डॉ. गोविन्द सिंह ( लहार ) -- अध्यक्ष महोदय  यह बहुत ही गंभीर मामला है. इसी सड़क के मुद्दे पर पिछले 6 वर्ष में 7 बार ध्यानाकर्षण आ चुके है. 9 बार विधान सभा में प्रश्न लग चुके हैं, 8 अगस्त 2014 को माननीय मंत्री जी यहां पर आश्वासन देने के बाद में लहार पहुंचे तो हमने उनको सड़क दिखायी, गुणवत्ता की बात मंत्री जी ने वहां पर तो स्वीकार की थी कि ठीक है हम निर्देश जारी करेंगे. इसकी समय सीमा 3 - 4 बार बढ़ चुकी है. इसकी 86 करोड़ की लागत थी और 90 करोड़ रूपये भुगतान हो चुका. मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि मंत्री जी स्वयं देखकर आये थे और आपने 31 मार्च तक काम कराने का आश्वासन दिसम्बर के विधान सत्र में दिया था. मैं कहना चाहता हूं मंत्री जी आप स्वयं चलें या किसी को भेजें आपने एमडी को कहा था कि एमडी साथ में जायेंगे लेकिन एमडी गये होंगे लेकिन उन्होंने देखा नहीं. मैंकहना चाहता हूं कि वहां पर सड़क पर चिकनी मिट्टी डाल दी है तो क्या मंत्री जी आप स्वयं चले या एमडी या प्रमुख सचिव महोदय को भेजें. हमारे और पिरोनिया जी के समक्ष जांच करायें. अगर इसमें मिट्टी का बेस कमजोर नहीं निकले तो हम लोग आपको शक्ल नहीं दिखायेंगे. हमारा यह भी कहना है कि आप विधान सभा में गलत जवाब नहीं दिया करें.

          श्री सरताज सिंह -- अध्यक्ष महोदय एक माह में जांच करा ली जायेगी.

          डॉ गोविन्द सिंह --  हमें और किसी पर विश्वास नहीं है एमडी या प्रमुख सचिव जायें, बाकी के तो सब आपस में मिलकर खा रहे हैं.

          श्री सरताज सिंह -- दूसरी बात  जब भी जांच करने टीम जायेगी आपको और माननीय विधायक जी को सूचना दी जायेगी और आपकी उपस्थिति में जांच होगी..

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाइये, आप उत्‍तर चाहते हैं या भाषण देना चाहते हैं.

          श्री सरताज सिंह -- तीसरी बात यह है कि कोर से नमूने लिए जाएंगे और उन नमूनों को ग्‍वालियर स्‍थित शासकीय लेब में टेस्‍ट कराया जाएगा. चाहे वह डामर रोड हो, चाहे सीसी रोड हो, कोर में सब चीज सामने आ जाती है. अगर उसमें कोई कमी पाई जाएगी तो निश्‍चित रूप से कार्यवाही की जाएगी.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

11.56 बजे                                  अनुपस्‍थिति की अनुज्ञा

          निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 190-बड़वानी से निर्वाचित सदस्‍य, श्री रमेश पटेल को विधान सभा के फरवरी, अप्रैल, 2016 सत्र की बैठकों से अनुपस्‍थित रहने की अनुज्ञा.

 

          डॉ. गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष जी, हमारा जवाब आया नहीं है. मैं अनुरोध कर रहा हूँ बहुत बड़ा भ्रष्‍टाचार है. इतना तो रोहाणी जी भी नहीं करते थे जितना आप कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइये. अब आगे बढ़ गए हैं अब वह विषय गया. आप लोगों की सब बात आ गई है आप लोग संतुष्‍ट ही नहीं होते.

          श्री सरताज सिंह -- दोबारा जांच के लिए तो मैंने कह दिया है, कार्य प्रगति पर है काम तो लगातार चल रहा है.

          डॉ. गोविंद सिंह -- चलो पीएस को भेज दो बस, पीएस के सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.

          श्री सरताज सिंह -- ठीक है.

 

11.57 बजे                                  प्रतिवेदन की प्रस्‍तुति

नियम समिति का द्वितीय प्रतिवेदन

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं मध्‍यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 231 के उप नियम (3) के अधीन नियम समिति का द्वितीय प्रतिवेदन पटल पर रखता हूँ. 

 

याचिकाओं की प्रस्‍तुति

          अध्‍यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची में उल्‍लिखित माननीय सदस्‍यों की याचिकाएं प्रस्‍तुत मानी जाएंगी.

 

11.58 बजे                         वर्ष 2016-17 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा

          अध्‍यक्ष महोदय --  अब वर्ष 2016-17 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा प्रारंभ होगी.

          श्री मुकेश नायक (पवई) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश की सरकार ने जो इस वर्ष का आय-व्‍यय का लेखा-जोखा रखा है, उस विषय पर मैं बातचीत करने के लिए खड़ा हुआ हूँ. बड़े दु:ख के साथ मुझे यह कहना पड़ रहा है कि सरकार ने जो बजट रखा है इसमें भविष्‍य का कोई रोडमैप नहीं है, यह बिल्‍कुल रूटीन का बजट है जो माननीय वित्‍त मंत्री जी ने भी अपने बयान में कहा है. कल राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, राजस्‍व और कृषि के बुनियादी ढांचे को लेकर और कार्य संचालन को लेकर जिस तरह से तारीफ की और संतोष प्रकट किया है, उसको सुनकर ऐसा लगा कि इस सरकार में बैठे लोग न तो देखना चाहते हैं और न ही वस्‍तुस्‍थिति को समझना चाहते हैं. इतनी गलत जानकारियां विधान सभा के अंदर दी गईं, मैं अपनी जानकारी विधान सभा को देना चाहता हूँ और सम्‍माननीय वित्‍त मंत्री जी से यह कहना चाहता हूँ कि अगर इसमें कोई भी जानकारी गलत हो तो जो विधान सभा की विशेषाधिकार समिति है उसको आप दे सकते हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं जब 1985 में पहली बार जनप्रतिनिधि बना था उस वक्‍त मैंने विधान सभा का माहौल देखा था. माननीय अर्जुन सिंह जी मुख्‍यमंत्री थे, माननीय वोरा जी मुख्‍यमंत्री थे और प्रतिपक्ष में इस मध्‍यप्रदेश के माननीय पटवा जी, माननीय कैलाश जोशी जी, माननीय विक्रम वर्मा जी जैसे प्रखर प्रतिपक्ष के नेता थे जो बात करते थे तो पूरा सत्‍ता पक्ष तिलमिलाता था. उनकी तीखी भाषा, उनकी जानकारी और उनके ज्ञान का ऐसा अद्भुत समन्‍वय विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता के रूप में देखने को मिलता था जो अनुकरणीय है एक उदाहरण माना जाता है उससे हम विधायकों ने और सम्‍माननीय सदस्‍यों ने विधान सभा के अंदर सीखा था लेकिन मैंने देखा है इस सत्र में कि लंबे समय तक सत्‍ता में रहने के कारण ....

 

12.00 बजे             उपाध्यक्ष महोदय( डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ) पीठासीन हुए. 

 

            श्री मुकेश नायक-- .......मध्यप्रदेश की सरकार के मुख्यमंत्री, इनके मंत्री और इनके नेताओं को आलोचना सुनने की आदत नहीं रही. मुझे याद है कि जब विधानसभा में माननीय पटवा जी,माननीय कैलाश जोशी जी और माननीय विक्रम वर्मा जी जब बातचीत करते थे. नीति सिद्धांत और कार्यक्रमों को लेकर सरकार को जब जगाने का काम करते थे. मध्यप्रदेश की विधानसभा में जब तथ्यपरक जानकारी देते थे.तीखी आलोचना करते थे. मैंने उस भाषा को सुना है और मैं साक्षी मध्यप्रदेश की विधानसभा में रहा हूँ लेकिन अब देखकर दु:ख होता है..

          वन मंत्री(डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--  बाला बच्चन जी का परफार्मेंस अच्छा नहीं है, यह बता रहे हैं क्या? (हंसी)

          श्री मुकेश नायक-- माननीय शेजवार साहब भी प्रतिपक्ष के नेता था और मैं बड़े सम्मान के साथ में कहना चाहता हूँ..

          श्री बाला बच्चन--  नाम आ गया उनका.

          श्री मुकेश नायक--  वे बहुत अच्छे प्रतिपक्ष के नेता थे, बड़ी धारधार भाषा बोलते थे और बहुत ईमानदारी के साथ उन्होंने अपने प्रतिपक्ष के दायित्वों की निर्वहन भी मध्यप्रदेश की विधानसभा के अन्दर किया है. मैंने इस बात को देखा है लेकिन अब मध्यप्रदेश की विधानसभा का यह आलम है, मैं जब इनको बातचीत करते हुए मध्यप्रदेश की विधानसभा में देखता था और सदन के बाहर जब स्वर्गीय माननीय अर्जुनसिंह जी मेरे नेता, पटवा जी और कैलाश जोशी जी आपस में मिलते थे, सत्ता और विपक्ष के नेता जब आपस में मिलते थे, यह विश्वास नहीं होता था कि ये वही नेता हैं जो विधानसभा के अन्दर इस तरह की बातचीत करते रहे हैं.इतना सौहार्द्र, इतनी मर्यादा और इतना अनुशासन विधानसभा के बाहर  लेकिन विधानसभा के अऩ्दर जब वे बैठते थे तो विश्वास नहीं होता था, मैं तो पहली बार चुनकर आया था कि  ये वही नेता हैं जो विधानसभा के बाहर इस तरह का व्यवहार करते थे. एक संसदीय परम्परा, उसकी मर्यादा, उसकी सहिष्णुता और आलोचकों में संवाद, ये एक बहुत बारीक डोर होती है लोकतंत्र की और मुझे लगता था कि कहीं ये नेता  अभिनय तो नहीं करते हैं लेकिन धीरे-धीरे मुझे लगा कि इनके दो रुप अभिनय नहीं है, इन नेताओं का वास्तविक चरित्र है और ईमानदार चरित्र है और वह चरित्र यह है कि अपने अपने दायित्वों का पूरी ईमानदारी से, पूरी निष्ठा से निर्वहन करना और मध्यप्रदेश की जनता ने जिन उद्देश्यों को लेकर उनको मध्यप्रदेश की विधानसभा में भेजा है, पूरी ईमानदारी से जनभावनाओं का सम्मान करते हुए उन कर्तव्यों का पालन करना लेकिन आज तो ऐसा हो गया कि आलोचकों में संवाद भी,उसका स्तर कितना नीचे गिर गया. मैं पहले देखता था  जब आलोचकों में संवाद होता था तो आंखों का लिहाज होता था, संबंधों की नाजुकता बनी रहती थी, राजनीति का एक स्तर होता था और आज जब आलोचकों में संवादहीनता है तो इसका ही कारण है कि  राजनीति का पराभव, मूल्यों का अवमूल्यन और राजनीतिक गिरावट ये मूल कारण हैं. अपनी आलोचना कोई सुनना नहीं चाहता. आपको 15 साल के लिए मध्यप्रदेश में जनादेश मिला है. आप कभी यह भूल मत जाइये कि आप अमर हो गये. समय-समय पर जनता हमारे क्रियाकलापों को ऑडिट करती है, समीक्षा करती है.अपने छोटे छोटे चुनावों में, अपने छोटे छोटे जनादेशों में जनभावनाओं की अभिव्यक्ति होती है. पिछले 3 महीने में झाबुआ में 8 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव हुए और तीन विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव हुए. हमारे संसदीय कार्यमंत्री जी खड़े होकर बार बार धमकाते हैं.  सत्तापक्ष को हारने की आदत नहीं बची. एक राजनैतिक दल को चुनाव हारने जीतने के कारखाने में तब्दील करना चाहते हैं. किसी भी राजनैतिक दल के अन्दर जो मान्य परम्पराएँ हैं, उनकी सांस्कृतिक अस्मिताएँ हैं, जनभावनाओं के प्रति जो दायित्व की भावना है उसके इतर ये तो खड़े होकर केवल नागपंचमी के पहलवान जैसी हुँकार भरते  हैं, हम से कहते हैं कि अभी मैहर के चुनाव की धूल नहीं झड़ी. माननीय नरोत्तम जी, आठ विधानसभा क्षेत्र झाबुआ के उसमें चुनाव हुआ. तीन विधानसभा क्षेत्रों के उप चुनाव हुए, उसमे से आप सात में हारे हो और तीन में भर जीते हो. आप किस तरह के जनादेश की बातें कर रहे हो? किस तरह की आप अप्रत्यक्ष रुप से धमकियां देकर हमारे भीतर निराशा का वातावरण भरना चाहते हो? आज मध्यप्रदेश में वह स्थिति नहीं है जो आप सोच  रहे हैं. मैहर के चुनाव का वातावरण पूरे मध्यप्रदेश का वातावरण नहीं है, आप यह मान के चलना और आने वाले समय में आपके दम्भ,अहंकार और सत्ता की..

          संसदीय कार्यमंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्रा)--  उपाध्यक्ष जी, यह भाषण दे सकते हैं लेकिन बजट पर. एकाध शब्द तो आ जाए बजट का.                                                                                    उपाध्यक्ष महोदय--  वह इसका ध्यान रखेंगे, ऐसा करके वह अपना ही समय जाया कर रहे हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--  उपाध्यक्ष जी, इतने व्यथित और व्यथाओं में रहते हैं मुकेश जी इसलिए कथाओं का दौर शुरु कर दिया है.

          डॉ. गौरीशंकर शेजवार--  बजट पर बाद में आएंगे. पहले मानस पर फिर गीता पर बोलेंगे.

          श्री मुकेश नायक--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने केंद्र सरकार के बजट अनुदान के बारे में बड़ी बड़ी बातें कही हैं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने केंद्रीय सहायता और अनुदान और केंद्रीय करों में मध्यप्रदेश की भागीदारी पर इस सदन को गलत जानकारी दी है . मैं इस सदन को बताना चाहता हूं कि पिछले वर्ष के बजट में केंद्र सरकार से 13हजार करोड़ रुपये कम मिले हैं और इस वर्ष मध्यप्रदेश की सरकार को केंद्र सरकार से 17 हजार करोड़ रुपये कम मिले. वित्तमंत्री जी ,यदि मैं गलत जानकारी दे रहा हूं तो इसको दुरुस्त करियेगा. उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि सिंचाई योजनाओं में 650 करोड़ रुपये मिलना थे, मात्र आपको 200 करोड़ रुपये मिले है, यह मैं 2014 की बात कर रहा हूं. फिर 2015-16 के भी आंकड़े आपको दूंगा. बैकवर्ड रीजन ग्रांट में 1107 करोड़ रुपये मिलना थे मात्र 221 करोड़ रुपये मिले  और योजना भी बंद कर दी. मध्याह्न भोजन यह सोशल सेक्टर की  अनिवार्य जरूरत है. आज मध्यप्रदेश कुपोषण में भारत में सबसे अव्वल नंबर का राज्य  है. 51 फीसदी बच्चे यहाँ कुपोषण के शिकार हैं और बड़े दुख के साथ मुझे इस सदन को सूचित करना पड़ रहा है कि मध्याह्न भोजन में 1471 करोड़ रुपये मिलना थे केवल 796 करोड़ केंद्रीय सरकार से मिले .

माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी कल राज्यपाल के अभिभाषण पर शिक्षा पर बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे मैं अभी शिक्षा की पूरी पोल खोलूंगा पूरी जानकारी सदन को दूंगा बजट की भी और वर्तमान ग्राउण्ड रियलिटी की भी. मैं वित्तमंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि सर्वशिक्षा अभियान में 2630 करोड़ रुपये मिलना थे मात्र 1451 करोड़ रुपये मिले, मिले कि नहीं मिले ?प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 1125 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश को मिलना थे लेकिन केवल 708 करोड़ रुपये केंद्रीय सरकार से मिले. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मनरेगा के बारे में कहना चाहता हूं कि जब मध्यप्रदेश में सूखा पड़ा और किसान परेशान हुआ तो प्रधानमंत्री जी ने कहा था और प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने भी कहा था कि हम 50 दिन की अतिरिक्त मजदूरी मनरेगा के तहत मध्यप्रदेश के श्रमिकों को देंगे ताकि इस कठिन समय में उनको रोजगार मिल सके और उनकी अनिवार्य जरूरतें पूरी हो सके. लेकिन वित्तमंत्री जी आप बताइए कि मनरेगा में 4 हजार करोड़ रुपये मिलना थे मात्र 2452 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से मिले, मजदूरी नहीं मिली और आज मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में, जहाँ के वित्तमंत्री जी रहने वाले हैं, जहाँ से इतनी बार से वह विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं वहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में दलित वर्ग के केवल बुजुर्ग आदमी और कुत्ते भर बचे हैं. गांव के गांव छोड़कर मजदूर मजदूरी करने के लिए पलायन करके चले गये हैं और जब मजदूर पलायन करके चले गये तो बड़े दुख के साथ इस विधानसभा को बताना पड़ रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जो अनुसूचित जाति जनजाति के गरीब वर्ग के लोगों के सस्ते अनाज के राशनकार्ड होते हैं, ,जब वह बाहर मजदूरी करने चले जाते हैं तो व्यापारी बाहर से आते हैं उनके राशनकार्ड गिरवी रख लेते हैं. राशनकार्ड गिरवी रखने की एक नई परंपरा चली हुई है राशनकार्ड को गिरवी रखते हैं उतना राशन आहरित कर लेते हैं और उसको बाजार में ब्लैक कर देते हैं जब गांव के गांव खाली हो गये हैं तो मध्यप्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम और आपका फूड डिपार्टमेंट इतने राशन को कहाँ ले जा रहा है इसको मध्यप्रदेश की विधानसभा में स्पष्ट करना चाहिए.

माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में हमें केंद्र शासन 561 करोड़ रुपये मिलना थे लेकिन केवल 512 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने दिये हैं. वित्तमंत्री जी, जरा 2015-16 में केंद्रीय अनुदान के रूप में मिलने वाली राशि का विवरण सुन लीजिये इसमें 30 हजार करोड़ रुपये की राशि हमें मिलना थी 17 हजार करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई और यह  कटौती जिन मदों में की गई वह ऐसी अनिवार्य उपयोगी मदें हैं, जिसका प्रभाव पूरे मध्यप्रदेश के जनमानस और गरीब जनता के ऊपर पड़ा है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 589.5 करोड़ रुपये मिलने थे, केवल 230 करोड़ रुपये मिले. खाद्य सुरक्षा योजना में 310 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन केवल 130 करोड़ रुपये मिले. मनरेगा में 4000 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन 2300 करोड़ रुपये मिले. माननीय वित्त मंत्री जी, मैं गलत तो नहीं बोलता? प्रधानमंत्री सड़क योजना में 1125 करोड़ रुपये मिलने थे लेकिन मात्र 900 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार से मिले. राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा में 447.5 करोड़ रुपये मिलने थे लेकिन मात्र 200 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश को मिले. अब कल राज्यपाल जी के अभिभाषण पर, इस हिसाब से तो माननीय मुख्यमंत्री जी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है. पूरे सदन ने सुना कि मनमोहन सिंह जी की सरकार में केन्द्र सरकार से इनको कोई पैसा नहीं मिला. सब ने सुना, पूरी विधान सभा के सम्मानित सदस्यों ने सुना. मुझे एक चीज बताइये. अप्रैल में जब हमारी सरकार केन्द्र में थी. 27,881.23 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश को मिले जो केन्द्रीय करों में मध्यप्रदेश की हिस्सेदारी है उसमें और केन्द्रीय अनुदान के रूप में 30,063.19 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश की सरकार को मिले और पूरी विधान सभा के सामने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने यह कहा कि केन्द्र सरकार से हमें कोई सहायता प्राप्त नहीं हुई. जिम्मेदारी से बोलना चाहिए, जानकारी के साथ बोलना चाहिए. मुख्यमंत्री जी का लंबा भाषण मैंने जब खुद 20-25 बार सुना है तो मध्यप्रदेश के लोग तो उनका यह भाषण एकाध हजार बार सुन चुके होंगे. उनके भाषण में कभी कोई परिवर्तन नहीं आता, सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया:. दो हजार बार तो उनका यह श्लोक हम लोग सुन चुके. मुख्यमंत्री जी का 10 साल से भाषण नहीं बदला. विधान सभा में जो हमारे सम्मानित बी जे पी के विधायक हैं वे भी इस बात को जानते हैं कि पिछले 10 साल से उनका एक ही टेप रिकार्ड चल रहा है, उनका भाषण कभी नहीं बदलता. चाहे स्पेस टेक्नालॉजी पर भाषण हो, चाहे नासा पर भाषण हो, चाहे फिजिक्स और केमेस्ट्री पर भाषण हो, सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया: ...(व्यवधान)...

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--  मध्यप्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता को तो पसन्द आ रहा है...(व्यवधान)..

          उपाध्यक्ष महोदय--  बैठ जाएँ. उनको बोलने दीजिए. श्रीवास्तव जी बैठ जाइये.

          श्री के. के.श्रीवास्तव--  इनका स्वभाव ही क्षण-क्षण बदलने का है...(व्यवधान)..

          उपाध्यक्ष महोदय--  श्रीवास्तव जी बैठ जाइये.उनको बोलने दें. मुकेश जी, आप जारी रखें.

          श्री विष्णु खत्री--  उपाध्यक्ष जी, ये अभी जानकारी दे रहे हैं कि गाँव के गाँव खाली हो गए तो कृपया बता दें कि कितने गाँव खाली हो गए? मेरी विधान सभा में तो कोई गाँव खाली नहीं हुआ.

          उपाध्यक्ष महोदय--  यह प्रश्नकाल नहीं है. न वे मंत्री हैं. आप बैठ जाइये. आपका जब भाषण देने का नंबर आएगा तब आप अपनी बात कह लीजिएगा.

            श्री मुकेश नायक--  अगले चुनाव में आपको पता लग जाएगा कितने बचे हैं. माननीय वित्त मंत्री जी, अभी तो बजट पर ही भाषण चल रहा है फिर इतना व्यवधान क्यों हो रहा है? मैंने कहा है कि आलोचना सुनने की क्षमता होना चाहिए. शांतिपूर्वक सुनें. आपकी बात हम लोगों ने सुनी है. मध्यप्रदेश में कृषि के बारे में मैं कहना चाहता हूँ कि किसानों की और कृषि की सिंचाई क्षमता के प्रयोग की, उत्पादन की, बड़ी-बड़ी बातें मध्यप्रदेश की विधान सभा में की जाती हैं. उपाध्यक्ष महोदय, माननीय ऊर्जा मंत्री जी नहीं हैं.  ज्यादातर मंत्री तो इनके विधान सभा में रहते ही नहीं हैं. विधान सभा को कुछ समझते ही नहीं कि विधान सभा भी कोई चीज है. इतने गंभीर विषय पर बात हो रही है, जितने महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व वाले मंत्रिमंडल के सदस्य हैं, वे विधान सभा में उपस्थित नहीं हैं. उपाध्यक्ष महोदय, आसंदी से आपको निर्देश देना चाहिए कि यह विधान सभा मंत्री और विधायक दोनों के लिए है. उन्हें उपस्थित रहना चाहिए और मध्यप्रदेश की विधान सभा को गंभीरता से लेना चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में 21 लाख बगैर मीटर के एग्रीकल्चर पंप के कनेक्शन हैं. 21 लाख ऐसे उपभोक्ता हैं, जिनको 1 साल के लिए कनेक्शन दिया जाता है, जिसके मीटर नहीं दिए जाते हैं, जिसमें पूर्वी क्षेत्र में 6.5 लाख, पश्चिम क्षेत्र में 9 लाख और मध्य क्षेत्र में 5.50 लाख कनेक्शन हैं और मैं इस सरकार पर आरोप लगाता हूँ चूँकि तीनों विद्युत कंपनियाँ बहुत भयंकर घाटे में चल रही हैं. और एक ऐसा करप्शन का खेल मध्यप्रदेश में चल रहा है विद्युत वितरण के नाम पर, बिजली खरीदी के नाम पर और उसके भुगतान के नाम पर कि भारत के किसी राज्य में करप्शन का ऐसा खेल नहीं चल रहा है जैसा कि मध्यप्रदेश के विद्युत विभाग में चल रहा है. इसका एक उदाहरण मैं आपको देना चाहूंगा किसान को बिना मीटर का कनेक्शन दिया जाता है और विद्युत नियामक आयोग के सामने मध्यप्रदेश के मंत्री और मध्यप्रदेश के ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने एक प्रजेन्टेशन दिया और उसमें विद्युत नियामक आयोग से यह कहा कि एक हॉर्स पॉवर का 0.746 kw और प्रतिदिन 8 घंटे का उपयोग होगा देहाती क्षेत्रों में 10 घंटे का उपयोग होगा शहरी क्षेत्रों में और एक महीने में 30 दिन इसका उपयोग होगा व किसान इसका 8 से 10 महीने तक उपयोग करेगा. इस तरह से शहरी क्षेत्रों में 1760 यूनिट और देहाती क्षेत्रों में 1790 यूनिट का हिसाब-किताब बनाकर नियामक आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर दिया. इसकी 1200 से 1500 प्रतिवर्ष दर तय कर दी. कौन-सा किसान 10 महीने विद्युत पंप चलाता है कौन सा किसान 8 महीने विद्युत पंप चलाता है. एक यूनिट का किसान से 2.75 रुपये होता है. अगर इन किसानों को मीटर भी दे दिया जाता तो 1200 से लेकर 1500 रुपये जो इनका साल भर का खर्च आता है किसान के ऊपर इससे ज्यादा व्यय भार नहीं आता लेकिन इनको मीटर नहीं दिया गया. इनके मानक तय कर दिए गए. नियामक आयोग को कन्वेंश कर दिया गया.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं  इस सरकार पर आरोप लगाता हूँ कि 4000 करोड़ से ज्यादा की सब्सीडी बंदरबांट के रुप में विद्युत कंपनियों को बांट दी गई. कितना दुर्भाग्यजनक है एक तरफ यह सरकार किसानों की बात करती है.

          उपाध्यक्ष महोदय--मुकेश जी आप कितना समय और लेंगे.

          श्री मुकेश नायक--आधे घंटे लूंगा.

          उपाध्यक्ष महोदय--आप 20 मिनट बोल चुके हैं समय-सीमा में रहें. बजट पर बोलना आपने काफी देर से शुरु किया पहले ज्यादा बातें कर लीं. जारी रखिये जल्दी करिये.

          श्री मुकेश नायक--उपाध्यक्ष महोदय, आप बहुत संसदविद् हैं. मध्यप्रदेश की विधान सभा की लायब्रेरी में मैंने देखा है कि प्रतिपक्ष के लोग जब डिबेट ओपन करते थे तो दो-दो ढाई-ढाई घंटे तक उन्हें कोई रोकता तक नहीं था इसकी एक पूरी परम्परा है एक लंबी श्रृंखला है मैं कोई उसका उल्लंघन नहीं कर रहा हूं. आप इस सदन के बहुत वरिष्ठ सदस्य रहे हैं, संसदीय नियम संचालन और प्रक्रिया के विद्वान हैं आप खुद साक्षी रहे हैं कि पटवा जी 2 घंटे से कम कभी बोलते थे, विक्रम वर्मा कभी 2 घंटे से कम बोलते थे.

          उपाध्यक्ष महोदय--पटवाजी नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से बोलते थे.

          श्री मुकेश नायक--कैलाश जोशी नेता प्रतिपक्ष थे पटवा जी सदस्य थे.

          श्री गोपाल भार्गव--पटवाजी अविश्वास प्रस्ताव पर दो घंटे बोलते थे बजट पर नहीं.

          उपाध्यक्ष महोदय--आप चर्चा करें अपनी बात रखें, बजट पर अपनी बात रखें.

श्री मुकेश नायक-- मुझे बजट की प्रापर समीक्षा करना है इसके लिए मैं आपका संरक्षण चाहूंगा मुझे पर्याप्त समय की आवश्यकता है मुझे आधे से एक घंटे का समय और लगेगा अभी तो यह मैं बड़े-बड़े (सीट पर रखे साहित्य की ओर इशारा करते हुए) रखे हुए हूं इनके ऊपर फेंकने के लिए प्रमाण सहित अभी तो मुझे इनकी पूरी गाथा सुनानी है.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--बाला बच्चन जी के बाद क्या इसी से सीआर बनेगी.

          श्री जसवंत सिंह हाड़ा--इनके पास कुछ नहीं है बजट की जो कॉपी है वह दिखा रहे हैं इनके पास कुछ भी नहीं है.

          श्री मुकेश नायक--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कृषि कर्मण अवार्ड की भी इस सदन में पोल खोलना चाहता हूँ कि माननीय मुख्यमंत्रीजी कृषि कर्मण अवार्ड कैसे ले आये. इसके लिए मैं एक बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज सदन के पटल पर रखता हूँ.  माननीय कृषि मंत्रीजी मुझे लगता है इस सदन में मौजूद हैं. यह दस्तावेज पॉवर पाइंट प्रजेंटेशन के समय केन्द्र सरकार के सामने इस मध्यप्रदेश की सरकार ने रखे थे उसका एक नमूना मैं सदन को बताना चाहता हूँ और जो पब्लिक के सामने यह बात करते हैं, विधान सभा में यह बात करते हैं उसके विरोधाभास को मैं विधान सभा के समक्ष रखना चाहता हूँ. माननीय कृषि मंत्री जी अगर मैं कहीं कोई गलत आंकड़ा दूं तो आप खड़े होकर उसको दुरुस्त कर देंगे तो मैं मानने के लिए तैयार हो जाउंगा.

          उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार ने पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन के समय केन्द्रीय सरकार के समक्ष कृषि उत्पादन के जो आंकड़े रखे वह इस प्रकार से हैं उसकी कॉपी भी मेरे पास है सरकार की प्रति मेरे पास है राज्य सरकार ने जो केन्द्रीय सरकार के सामने

 प्रजेंटेशन रखा उसकी प्रति मेरे पास है . वर्ष 2011 में गेहूं का उत्पादन 145 लाख टन वर्ष 2012-13 में 161.25 लाख टन बताया गया अर्थात् 10.87 प्रतिशत की ग्रोथ बतायी गयी . कुल खाद्यान्‍न का उत्‍पादन 2011-12  में 229.67 लाख टन और 2012-13 में 287.35 लाख टन बताया गया और ग्रोथ रेट बतायी गयी 25.11 प्रतिशत और इसी तरह 11 अक्‍टूबर, 2014को जो डेटा केन्‍द्र सरकार को भेजा गया उसमें बताया गया कि गेहूं का उसमें उत्‍पादन 2012-13 में 131.3 लाख टन, 2013-14 में 170.70 लाख टन और ग्रोथ रेट 33 प्रतिशत बतायी गयी. इस प्रकार कुल खाद्यान्‍न के बारे में जो डेटा दिया गया वह वर्ष 2012-13 में 234.2 लाख टन और वर्ष 2013-14 में 300.7 लाख टन इसका मतलब है कि 28. 82 प्रतिशत ग्रोथ रेट बतायी गयी; मंत्री जी ध्‍यान से सुनने का कष्‍ट करें. इस प्रकार 15 दिसम्‍बर, 2015 को जो डेटा भेजा गया उसमें गेहूं के उत्‍पादन को बताया गया . वर्ष 2013-14 में 139 .30 लाख टन, 2014-15 में 184.80 लाख टन और कुल खाद्यान्‍न का उत्‍पादन बताया गया 2012-13 में 242.40 लाख टन और 2014-15 में 320. 43 लाख टन इसका मतलब है कि 32.19 प्रतिशत की ग्रोथ बतायी गयी. मैं अब सच्‍चाई आपको बताता हूं . वर्ष 2011-12 में इन्‍होंने कहा, मैंने नहीं कहा, इनकी सरकार ने यह डेटा केन्‍द्र सरकार को दिया कि 2011-12 में 127 लाख टन और 2012-13 में 131 लाख टन और 2013-14 139 लाख टन और इसमें इन्‍होंने 6प्रतिशत से अधिक की ग्रोथ नहीं बतायी है, जिसे ये 32-33 प्रतिशत तक की ग्रोथ बढ़ा चढ़ाकर बता रहे हैं.  इसी तरह से इन्‍होंने दाल,चावल और गेहूं कि कुल ग्रोथ रेट बढ़ाने के लिये झूठे आंकड़े प्रस्‍तुत करके चार वर्षों से कृषि कर्मण अवार्ड मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी ने लिया.

          अगर कृषि मंत्री जी पावर पाईंट प्रेजेन्‍टेशन के समय आपने यह प्रस्‍ताव केन्‍द्र सरकार को भेजे हैं. वित्‍त मंत्री जी मैं आपसे विनम्र अपील करना चाहता हूं कि बीते महिनों में 42 जिलों की कुल 267 तहसीलों में सूखा पड़ा, सोयाबीन, उड़द और मूंग फसल बर्बाद हो गयी, सोयाबीन की फसल 77 लाख मीट्रिक टन से आधी होकर 38 लाख मीट्रिक टन हो गयी है. फसलों का नुकसान 130866 करोड़ का अनुमान है. प्रदेश के 330283 गांव और इन गांवों के 54 लाख, 94 हजार, 98 किसान सूखे से प्रभावित हुए. मध्‍यप्रदेश की सरकार ने 4220.39 करोड़ रूपये मांगे थे, जिसमें 762 करोड़ रूपये मनरेगा के भी शामिल हैं. आप माननीय वित्‍त मंत्री जी एक बात बताईये, क्‍या आपको इतने रूपये केन्‍द्र सरकार से मिले, आप खड़े होकर इमानदारी से बताईये. आपको कितने रूपये आज की तारीख तक मिले.

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ नरोत्‍तम मिश्र):- माननीय उपाध्‍यक्ष जी, ऐसे सवाल जवाब होंगे तो और भी समय मांगेंगे. अगर नहीं खड़े होंगे तो भी दिक्‍कत है. अगर खड़े नहीं होंगे तो वह बोलेंगे की हमारी बात प्रमाणित है, यह खड़े नहीं हो रहे हैं. अगर खड़े हो जायें तो समय और चाहिये.

          उपाध्‍यक्ष महोदय:- वित्‍त मंत्री जी जब खड़े होंगे तो इन सब चीजों का जवाब देंगे.

          श्री मुकेश नायक:- उपाध्‍यक्ष महोदय, यह कितनी गंभीर बात है कि किसान अपने पिछले 50 साल के सर्वाधिक गंभीर दौर से गुजर रहा है. सब तरह के प्राकृतिक प्रकोंपो का शिकार किसान हुआ है, लेकिन आज की तारीख तक केन्‍द्र की सरकार ने एक पैसा भी मध्‍यप्रदेश की सरकार के खातें में नहीं डाला है. मैं पूरी जानकारी के साथ बोल रहा हूं.6 फरवरी को आप जेटली जी से मिले थे या नहीं, आपने यह बात बोली थी या नहीं एक पैसा भी केन्‍द्र सरकार ने मध्‍यप्रदेश शासन के बजट में आज की तारीख नहीं डाला है और आप बड़ी किसानों की बात करते हैं. आप कृषि कर्मण पुरस्कार की बात करते हैं. आप खेती,किसानी में काम करने वाले मजदूरों के उत्थान की बात करते हैं. आप कहते हैं कि आर्थिक और सामाजिक  विकास की दृष्टि से किसान हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता पर है. आपने किसान के लिये क्या किया. आपने सब्सिडी के चार हजार करोड़ रुपये खा लिये. आज की तारीख तक  आपकी केन्द्र की सरकार ने एक पैसा  मध्यप्रदेश को नहीं दिया और माननीय मुख्यमंत्री जी जब मनमोहन सिंह जी की सरकार थी पूरी संवैधानिक व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए धरने पर बैठ गये थे. मुख्यमंत्री को धऱना पर  नहीं बैठना चाहिये. मुख्यमंत्री को आंदोलन नहीं करना चाहिये क्योंकि  मुख्यमंत्री स्वयं अपने आप में एक संस्था है. आर्थिक,सामाजिक,शैक्षणिक,धार्मिक सभी हितों के संरक्षण और संवर्धन करने वाली  एक मुख्य संस्था है किसी भी राज्य में लेकिन फिर भी वे मध्यप्रदेश के किसानों के इतने बड़े हितैषी बने थे कि वे भूख हड़ताल पर बैठ गये थे धरने पर बैठ गये थे. अब क्यों धरने पर नहीं बैठते. अब क्यों निष्ठा बदल गई. अभी जब प्रधानमंत्री आये थे तो मुख्यमंत्री जी ने उनको संकेत किया था कि नहीं मध्यप्रदेश के किसानों को मदद की आवश्यक्ता है. कुछ मदद मिली ? तेरह हजार करोड़ रुपये पिछले बजट में काट लिये. सत्रह हजार करोड़ रुपये इस साल के बजट में काट लिये. एक रुपया ओला,पाला और सूखे से पीड़ित मध्यप्रदेश के किसानों को नहीं दिया. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने राज्यपाल के अभिभाषण में शिक्षा और स्वास्थ्य की बात कही. अभी वे विधान सभा में हैं नहीं पता लग जाता. मैंने पन्ना जिले में एक मानक सर्वे किया आपके बुनियादी ढांचे की स्थिति का पन्ना जिले का. डिप्टी कलेक्टर के वहां 7 पद स्वीकृत हैं जिसमें से  3 डिप्टी कलेक्टर हैं ही नहीं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में एसडीएम है ही नहीं. आप कैसे सूखा राहत बांट सकते हैं. 12 तहसीलदार हैं जिसमें से वर्तमान स्थिति में केवल 5 तहसीलदार हैं. 7 तहसीलदारों के पद पर कोई काम ही नहीं कर रहा. नायब तहसीलदार 13 हैं जिसमें से सिर्फ 2  नायब तहसीलदार पन्ना जिले में हैं. अस्पताल में 107 डाक्टरों के पद स्वीकृत हैं. आप सुन लीजिये नरोत्तम जी, मैं स्वास्थ्य की चर्चा करने वाला हूं. अस्पतालों में 107 डाक्टरों के पद स्वीकृत हैं उनमें से वहां केवल  39 डाक्टर हैं . मुख्यमंत्री जी कह रहे थे कि स्वास्थ्य सुविधाएं मध्यप्रदेश की बहुत अच्छी चल रही हैं. तुलना करते हैं 2003 से. अब मैं तुलना करने लगूं 1951-52 से तो उस समय पूरे भारत का बजट पौने तीन सौ करोड़ रुपये था. आज तो आपके एक आई.ए.एस.अधिकारी के यहां छापा  पड़ता है तो उस अकेले के पास तीन सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की सम्पत्ति बरामद होती है. इतनी भारत की स्थिति अब बदल गई है.

          श्री विश्वास सारंग - उपाध्यक्ष महोदय,यह आपत्तिजनक है किसके यहां छापा पड़ा और किसके यहां इतनी सम्पत्ति मिल गई. इसको विलोपित किया जाय. इस तरह से झूठे आंकड़े दे रहे हैं.

          श्री मुकेश नायक - अरविन्द जोशी और उसकी पत्नि के यहां  नहीं मिली.

          श्री रामनिवास रावत - सांवरिया ग्रुप के यहां.

          श्री मुकेश नायक - सारंग जी अभी नये-नये दूसरी बार चुनकर आये हो.

          उपाध्यक्ष महोदय - मुकेश जी समाप्त करें.

          श्री मुकेश नायक - उपाध्यक्ष महोदय, मुझे आधे घंटे का समय और चाहिये.

          उपाध्यक्ष महोदय - नहीं. यह संभव नहीं है. मुकेश जी,कार्यमंत्रणा समिति ने  कुल 6 घंटे पूरी चर्चा के लिये आवंटित किये हैं. इसमें कांग्रेस पार्टी का कितना हिस्सा होगा आप अंदाज लगा सकते हैं.  14 माननीय सदस्य कांग्रेस पक्ष से बोलना चाहते हैं. यह सूची यहां पर है.

          श्री रामनिवास रावत - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चर्चा आज और कल चलना है. आप जितने समय हमें बैठने को कहेंगे पूरा विपक्ष बैठने को तैयार हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय - दस मिनट में समाप्त करें.

          श्री मुकेश नायक - उपाध्यक्ष महोदय, सदन नियमों और परंपराओं से चलता है. मैं परंपराओं का हवाला देकर आपसे संरक्षण की मांग कर रहा हूं.

          उपाध्यक्ष महोदय - उन सब चीजों पर मैं विचार कर रहा हूं. नियमों पर भी परंपराओं पर भी. आप दस-पंद्रह मिनट में समाप्त करें.

            श्री मुकेश नायक --माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की चिकित्सा सुविधाओं को लेकर के बातचीत कर रहा था उसमें मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सब ठीक चल रहा है उन्होंने तुलना की 2003-04 से उसके बाद से आपको तीन बार जनादेश मिल चुका है इसलिये आप पिछले 15 सालों की तुलना करिये आप उसकी तुलना क्यों कर रहे हैं, जिस पर जनादेश हो चुका है. हम लोग चुनाव हार गये जनता ने हम लोगों को रिजेक्ट कर दिया आप पुराने कार्यकाल की तुलना क्यों करते हैं. आज 12 सालों से शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं आप साल-दर-साल बजट देते हैं आप साल दर साल का तुलनात्मक विश्लेषण सदन के पटल पर रखिये आप कह रहे हैं कि 2003 में ऐसा होता था, यह चतुराई चलने वाली नहीं है.

          श्री शंकरलाल तिवारी--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 12 साल की बात हम नहीं करते हैं, 12 साल की तुलना वाली बात आपकी ठीक है. हम 50 साल बनाम 12 साल की बात कर रहे हैं.

          श्री मुकेश नायक--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इन्होंने अपनी आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा है कि मध्यप्रदेश में 5 करोड़, 38 हजार लोग सस्त अनाज की दुकानों से अनाज लेते हैं आप कहते हैं कि भारत का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ राज्य है. सवा सात करोड़ में से 5 करोड़, 38 हजार लोग खुली दुकान से खाना नहीं खरीद सकते हैं आपके राज में मध्यप्रदेश का यह हाल है. आपने खुद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जब 5 करोड़ 38 हजार सस्ते अनाज की दुकानों से अनाज ले रहे हैं.

          श्री ओमप्रकाश सकलेचा--बीपीएल के सभी बोगस कार्ड आप लोगों ने बना दिये थे उनके बारे में चर्चा होनी चाहिये.

          श्री मुकेश नायक--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 12 सालों से शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री हैं आप गलत बीपीएल के राशन कार्डों को काट नहीं पाये.

            श्री शंकरलाल तिवारी--खाद्यान्न उनको मिल रहा है तो इनको पेट में दर्द क्यों हो रहा है.

          उपाध्यक्ष महोदय--आप इस तरह से बात मत करिये.

          श्री मुकेश नायक--माननीय उपाध्यक्ष महोदय,  असली बात यह है कि मध्यप्रदेश में गरीबी रेखा का एक कार्ड बनाने की कीमत 7 हजार रूपये है. अगर मैं गलत बोल रहा हूं तो आप बता दीजिये देहातों में जिनके पास में ट्रेक्टर, दुकान, मकान तथा जमीनें हैं, उनके गरीबी की रेखा के कार्ड हैं, लेकिन गरीब आदमियों के पास गरीबी रेखा के कार्ड आज भी नहीं है, यह हालत इस सरकार की है.

          श्री लालसिंह आर्य--उपाध्यक्ष महोदय, ट्रेक्टर वालों के पास जितने भी कार्ड बने हैं वह कांग्रेस के राज्य में बने थे, बीजेपी के राज्य में नहीं बने हैं आप इसकी लिखित में शिकायत करें कि इन इन लोगों के पास में बीपीएल के कार्ड हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय--लालसिंह जी आप बैठ जाएं.

          श्री मुकेश नायक--उपाध्यक्ष महोदय, आपकी कोई भी बात उत्तर देने के लायक है ही नहीं.

          श्री गोपाल भार्गव--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुसूचित वर्ग के हमारे मंत्री हैं इस कारण से उनकी उपेक्षा कर रहे हैं कि आपकी बातें उत्तर देने लायक नहीं हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय--ऐसी कोई बात नहीं है.

          श्री गोपाल भार्गव--मुकेश जी आप इस बात का स्पष्ट उल्लेख करें कि आपके कहने का क्या उद्देश्य है.

          श्री मुकेश नायक--आपने अपनी बुद्धि के हिसाब से ठीक समझा हमने अपनी बुद्धि के हिसाब से ऐसा कहा नहीं है.

          श्री गोपाल भार्गव--सरस्वती जी ने बुद्धि का टेण्डर इन्हीं का मंजूर किया है.      

             श्री मुकेश नायक-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय,मध्‍यप्रदेश में मुख्‍यमंत्री सहायता कोष से 42 करोड़ की राशि बांटी गई, जिसमें से  90 प्रतिशत राशि सीहोर,रायसेन और विदिशा जिले में बांट दी गई । क्‍या मध्‍यप्रदेश के अन्‍य जिलों में कोई आदमी नहीं रहता है । अब कुछ बोलो गोपाल भैया क्‍या आपके रहली में जहां के आप विधायक हैं, वहां कोई आदमी नहीं रहता  ।

          श्री गोपाल भार्गव- उपाध्‍यक्ष महोदय, सी.एम. रिलीफ फण्‍ड का रिकार्ड देख लें, मेरे विधानसभा क्षेत्र में भी अनुपातिक रूप से जितनी सीहोर,रायसेन और विदिशा में राशि दी गई है ।

          श्री मुकेश नायक-  आपके क्षेत्र में जो राशि बांटी गई है वह सी.एम. रिलीफ फण्‍ड की नहीं है, वह पैसा राज्‍य बीमारी सहायता निधि योजना का  है । 

          श्री गोपाल भार्गव-  उसका भी है ।

          श्री मुकेश नायक-  थोड़ा-पढ़ लिखकर आया करो ।

श्री गोपाल भार्गव - अच्‍छा शर्त रख लें, यदि सबसे ज्‍यादा राशि मेरे क्षेत्र में नहीं आई हो ।   मुकेश भाई आप भी मेरे क्षेत्र के रहने वाले हो, मेरे क्षेत्र के निवासी हो ।

श्री मुकेश नायक-  हम आपके वोटर हैं, आपको वोट देते हैं और अगर ऐसी बात करोगे तो हम आपको वोट नहीं देंगे ।

उपाध्‍यक्ष महोदय-  नहीं, नहीं, यह अनुचित है, आपस में वाद-विवाद न करें ऐसा लग रहा है कि जैसे बुंदेलखण्‍ड के दोनों नेताओं की मिली-जुली लड़ाई लग रही है ।

श्री गोपाल भार्गव -  उपाध्‍यक्ष महोदय, मुकेश जी अच्‍छा भाषण करते हैं मेरे भाई हैं, मुझे दु:ख इस बात का है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र के वोटर को इतनी कम जानकारी है । 

श्री मुकेश नायक -  मुझे थोड़ा सा बोलने दें तो बड़ी कृपा होगी, मैं अपनी बात पूर्ण कर लूं ।

उपाध्‍यक्ष महोदय-  5 मिनट में आप समाप्‍त करेंगे ।

श्री मुकेश नायक -  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय,15 मिनट में मैं खत्‍म कर दूंगा

उपाध्‍यक्ष महोदय-  मुकेश जी, इतना नहीं, आप सबका समय मैंने जोड़ लिया है ।

श्री मुकेश नायक-  उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं राज्‍य बीमारी सहायता योजना के पैसे की बंदरबाट की बात करना चाहता हूँ, राज्‍य बीमारी सहायता योजना की राशि का इस प्रदेश में कैसे बंदरबाट हो रहा है उसका एक नमूना प्रस्‍तुत करना चाहता हूँ । भोपाल में, एक शिवम हॉस्पिटल है, वह अस्‍पताल बहुत बड़े ठेकेदार का है जो आज से 10 साल पहले स्‍कूटर पर घूमता था,आज 18 करोड़ का मालिक बन गया है ।

वनमंत्री(डॉं गौरीशंकर शेजवार)-  उपाध्‍यक्ष महोदय, ऐसे आरोप लगाने के पहले कम से कम कुछ नियम कानून होते हैं, इन्‍होंने क्‍या बोला है, इनसे पूछो रिकार्ड दिखवा लीजिए ।

डॉं गोविन्‍द सिंह-  शिवम हॉस्पिटल से आपका क्‍या लेना-देना है ।

श्री मुकेश नायक-  कृपया मैं पूरी बात कर लूं ।

डॉं गौरीशंकर शेजवार-  (श्री अजय सिंह जी द्वारा अपने आसन पर खड़े होने पर) आपका विषय तो समाप्‍त हो गया है, एक नम्‍बर की सीट पर आने के लिए पहले तो अच्‍छी कुण्‍डली चाहिए और दूसरा लक्षण चाहिए और उपाध्‍यक्ष महोदय, यह दोनों गुण जिसमें नहीं है वह कभी एक नम्‍बर की सीट पर नहीं आ सकता । (व्‍यवधान)  मैं आपसे नहीं कह रहा हूँ, आप क्‍यों खड़े हो रहे हो, मैंने आपसे तो नहीं कहा कि अजय सिंह जी कभी एक नम्‍बर की सीट पर नहीं आ सकते ।

उपाध्‍यक्ष महोदय-  आपने बात कर ली, कृपया बैठ जाएं, उन्‍होंने किसी पर  व्‍यक्तिगत आरोप नहीं लगाए हैं ।

डॉं गौरीशंकर शेजवार-  इन्‍होंने स्‍पष्‍ट कहा है और इन्‍होंने इंगित किया है यह नहीं होना चाहिए ।

श्री मुकेश नायक-  क्‍या सत्‍ता और शासन का दुरपयोग करने वाले किसी आदमी की ओर हम इंगित नहीं कर सकते ।

डॉं गौरीशंकर शेजवार-  मैं यह प्रार्थना करना चाहता हूँ विपक्ष के प्रभारी नेता बैठे हैं क्‍या पूरा समय इन्‍होंने अपने दल के एक व्‍यक्ति को दे दिया है । (व्‍यवधान)

श्री मुकेश नायक-  यह आपकी समस्‍या नहीं है ।

डॉं गौरीशंकर शेजवार-  उपाध्‍यक्ष महोदय, आखिरकार विधान सभा नियमों से चलेगी, आपत्ति उठाने वाले लोग यह कह रहे हैं कि पूरा समय मुकेश नायक को दे दिया है ।

श्री मुकेश नायक-  यह आपकी समस्‍या नहीं है ।

उपाध्‍यक्ष महोदय- डॉं साहब, नियम प्रक्रिया हम भी कुछ जानते हैं ।

          श्री गौरीशंकर शेजवार - लेकिन व्‍यवस्‍था में कहीं कोई अव्‍यवस्‍था दिखेगी तो मैं यह कहूँगा कि व्‍यवस्‍था से यह सदन चले. (व्‍यवधान) 

          उपाध्‍यक्ष महोदय -  क्‍यों व्‍यवधान पैदा कर रहे हैं ? डॉ. शेजवार साहब आप तो इस सदन के वरिष्‍ठतम सदस्‍य हैं. कृपा कर बैठ जायें. आप लोग भी बैठ जायें. नायक जी आप बोलें.

          श्री गौरीशंकर शेजवार - उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि प्रभारी नेता प्रतिपक्ष खड़े होकर यह कह दें कि मेरे दल से इनके अलावा कोई दूसरा नहीं बोलेगा, इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है. (व्‍यवधान)

          उपाध्‍यक्ष महोदय - बैठ जाइये. डॉक्‍टर साहब 3-4 मिनिट्स तो आप ही ने ले लिया है. हमको समय कम करना पड़ेगा. मुकेश जी आप 5 मिनिट्स में समाप्‍त करें. (व्‍यवधान)

          श्री गौरीशंकर शेजवार - मैं अपने विभाग को बोलूँगा कि अपने 10 मिनिट्स यहीं समर्पित करता हूँ.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - आपका प्रस्‍ताव संज्ञान में ले लिया गया है. 5 मिनिट्स में समाप्‍त करिये.

          श्री जितु पटवारी - डॉक्‍टर साहब, आप बड़े हैं, उम्र ज्‍यादा हो गई है. आप हिल-हुला जाओगे तो हम ऐसी आवाज कहां से लाएंगे ?

          श्री गौरीशंकर शेजवार (श्री जितु पटवारी की ओर इशारा करते हुए)  - मैं कहना चाहता हूँ कि इनको कांग्रेस के वरिष्‍ठ सदस्‍य कहने लग जायेंगे. ये इतने दिग्‍गज सामने बैठे हैं, इनकी तरफ से कभी कोई आपत्ति नहीं आती है. कानून का ठेका तो कांग्रेस ने श्री जितु पटवारी को देकर रखा है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -  श्री मुकेश जी, आप 2 मिनिट में समाप्‍त करें.

          श्री मुकेश नायक - मैंने तो अभी ही बोला नहीं है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - आपने बहुत बोल लिया है. मुझे दूसरे वक्‍ता को बुलाना पड़ेगा.

          श्री मुकेश नायक - प्रतिपक्ष में कौन नेता कितना समय बोलेगा ? यह श्री शेजवार थोड़े ही तय करेंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -  दोनों ही पक्ष व्‍यवधान कर रहे हैं. किसी एक पक्ष को हम क्‍या कहेंगे ? डॉक्‍टर साहब कृपा करके बैठ जायें. [अच्‍छा, वे सदन के बाहर जा रहे हैं]  श्री मुकेश जी 2 मिनिट में समाप्‍त करें.

          श्री मुकेश नायक - उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं राज्‍य बीमारी सहायता योजना की चर्चा कर रहा था. एक शिवम हॉस्पिटल भोपाल में 10 नम्‍बर बस स्‍टॉप में है. इस शिवम हॉस्पिटल का रजिस्‍ट्रेशन भी, राज्‍य बीमारी सहायता योजना में नहीं है. उन्‍हीं अस्‍पतालों को राज्‍य बीमारी सहायता योजना का पैसा दिया जा सकता है, जो सरटेन स्‍पेसिफिकेशन्‍स को पूरे करते हों. स्‍वास्‍थ्‍य और सरकार के मापदण्‍डों को पूरा करते हों और उसी आधार पर राज्‍य बीमारी सहायता योजना का रजिस्‍ट्रेशन होता है, उसके बाद उनको पैसा दिया जाता है.

          स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जी, यह बतायें कि यह शिवम हॉस्पिटल का कौन-सा रजिस्‍ट्रेशन है ? दूसरी चीज, कैन्‍सर के इलाज के लिये किन हॉस्पिटल को पैसा दिया जा सकता है ? और कैन्‍सर हॉस्पिटल के मापदण्‍ड क्‍या हैं ? सुनिये, आप स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हैं, आपको पता नहीं होगा इसलिए मैं बता देता हूँ. पेट स्‍कैन होना चाहिये, कैन्‍सर हॉस्पिटल के लिए, कीमोथेरिपी की फैसिलिटी होनी चाहिए, ऑन्‍कोलॉजिस्‍ट स्‍पेशलिस्‍ट डॉक्‍टर होना चाहिए, रेडियोथैरिपी की फैसिलिटी होनी चाहिए. गामाकैमरा होना चाहिए और मैमोग्राफी की मशीन होनी चाहिए. शिवम हॉस्पिटल में कौन-सी मैमोग्राफी की मशीन है ? कौन-सा ऑन्‍कोलॉजिस्‍ट है ? कौन-सी रेडियो‍थैरेपी की फैसिलिटी है वहां पर. वहां पर कौन-सा कैन्‍सर सर्जन है ? किस आधार पर इतनी विपुल धनराशि आपने राज्‍य बीमारी सहायता योजना के अन्‍तर्गत दी गई और (XXX). मैंने प्रश्‍न लगाया था.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - नहीं, मुकेश जी. इस तरह नहीं. आपको आरोप लगाने के पहले नोटिस देना होगा. इसे कार्यवाही से निकाला जाये.

          श्री मुकेश नायक - मैं  पूरे दस्‍तावेज लाया हूँ एवं पटल पर रखता हूँ.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - इसे कार्यवाही से निकाला जाये.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - उपाध्‍यक्ष महोदय, यह कार्यवाही से निकलवाइये. बिना नोटिस दिये सीधा आरोप लगा रहे हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -  इसे कार्यवाही से निकाल दिया है.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -  नियम है, मुकेश जी. तभी आप व्‍यक्तिगत आरोप लगा सकते हैं. अब आप समाप्‍त करें. हम विश्‍वास सारंग को बुलवायेंगे. 

          श्री मुकेश नायक - यह सच था, जिससे तिलमिला गये. मेरे विधानसभा के प्रश्‍न के उत्‍तर में शासन ने जो धनराशि देने का कहा है, इनका राज्‍य बीमारी सहायता योजना का फिक्‍स ऑपरेशन सिस्‍टम है. और मैं आरोप लगा रहा हूं कि सत्ता और सरकार में बैठे लोगों  का इसमें कमीशन भी बिलकुल फिक्स है.  आप चाहेंगे, तो मैं प्रमाण दे दूंगा.  (सत्ता पक्ष के सदस्यों से) आपको भी पता है. मैं प्रमाण दे रहा हूं.  मेरे पास कागज रखे हुए हैं.

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- उपाध्यक्ष महोदय,  आज तक ये जिंदगी में   किसी चीज का  प्रमाण नहीं दे पाये.  सिर्फ कहते रहे हैं.  एक्चुअल में ये  बहुत अच्छे प्रवचनकर्ता हैं,रामायणी  भी हैं और उसी रामायण में यह लिखा है कि  साधु, चोर और लंपट, ज्ञानी,जस अपने तस अनका जानी।  यह मैं नहीं कह रहा हूं,  इनकी रामायण में लिखा है,  जिसके यह प्रवचनकर्ता है.

                   श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, यह इन पर लागू होता है,  इनके बारे में यह कहा गया है.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय,  ये वह शख्स हैं,  जिन्होंने साधू नहीं छोड़े, संत नहीं छोड़े,  अब हमको लपेट रहे हैं. ये कैसे पूंजीपति बने, हम जानते हैं,  हमसे ज्यादा इनको कौन जानता होगा.

                   उपाध्यक्ष महोदय -- रामायण के  आप दोनों  विद्वान हैं. कृपया बैठ जायें.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय,  अब हम बैठे रहें, तो दिक्कत हैं.  हम खड़े हो जाते हैं, तो कहते हैं कि  तिलमिला जाते हैं.

                   श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, इस मध्यप्रदेश की राजनीति में  आपको भी सब लोग जानते हैं, मुझे भी सब लोग जानते हैं.  कोई छुपा हुआ थोड़ी है.  यह आपके बारे में ही  कहा गया है.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय,  आप महर्षि महेश योगी जी के कितने बड़े भक्त रहे हो,यह  पूरा मध्यप्रदेश जानता है.

                   श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं सस्पेसीफिक  बता रहा हूं आपको. मेरे प्रश्न के जवाब में  आपने  यह उत्तर  दिया कि  इतनी इतनी धनराशि  उनको उपलब्ध कराई  गई.  मैंने स्पेसिफिकेशन आपको बताये.  आप  बताइये कि किस आधार पर यह राशि आपने उनको उपलब्ध कराई.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय,  जब ये हमारा नाम लेंगे,  तो क्या हम जवाब नहीं दें.  क्या हम इनकी बात को सुनते रहें, ये असत्य वाचन कर रहे हैं.  हम अगर गरीबों की सेवा करते हैं,  तो करेंगे.  हमें अगर उनके इलाज के लिये पैसा देना पड़ेगा तो  देते रहेंगे.  हमारे मुख्यमंत्री जी  कह रहे हैं और हम कह रहे हैं कि गरीबों के इलाज  के लिये  इस सरकार   से ज्यादा पैसा   देश में कोई दे नहीं पाया.  जितना और पैसा गरीबों के इलाज के लिये देना होगा,  वह हम देंगे.

                   श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, आपने मापदण्ड बनाये हैं, कोई हमने मापदण्ड नहीं बनाये.  आपने मापदण्ड बनाये हैं.  इन्होंने  शिवम् हॉस्पीटल को  कैसे ये धनराशि   उपलब्ध कराई, मैं यह इनसे जानना चाहता हूं.  यह बीजेपी की सरकार  के द्वारा प्रस्तुत किया हुआ बजट  और इनके  नेताओं के द्वारा  दिये गये भाषण  सिर्फ असत्य के पुलिन्दे हैं,  इसके अलावा कुछ नहीं हैं  और इसके कारण से  यह बजट बिलकुल निर्रथक है, जनविरोधी है,  भविष्य   का कोई रोड मेप  इस बजट में नहीं है.  इसलिये मैं इस बजट का विरोध करता हूं.  आपने बोलने के लिये समय दिया,   इसके लिये धन्यवाद.

12.48 बजे                अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.

                श्री विश्वास सारंग (नरेला) -- अध्यक्ष महोदय,  मैं वित्त मंत्री जी द्वारा  प्रस्तुत बजट की प्रशंसा भी करता हूं, उसका समर्थन भी करता हूं और  निश्चित रुप से  बजट  किसी भी सरकार का रोड मेप होता है.  सरकार की आशा, आकांक्षा, सरकार की आगे की प्लानिंग और  सरकार किस मंतव्य के साथ  प्रदेश में अपना राज्य चला रही है,  इसका पूरा का पूरा  दस्तावेज बजट होता है.  मुकेश नायक जी थक गये,  पसीना आ गया.  क्योंकि यह कहा गया है कि यदि हम सच बोलेंगे, तो  हम कम्फर्टेबल रहेंगे.  यदि हम असत्य  बोलेंगे, तो  हमें पसीना जरुर आयेगा.  उनके द्वारा कहा गया कि कुछ नहीं है इस बजट में.  मुकेश नायक जी कह रहे थे कि कुछ भी नहीं है.  सब बर्बाद हो गया.  सब असत्य का पुलिन्दा है.  कृषि कर्मण अवार्ड गलत मिल गया, इस पर भी ये कहने लगे.  दिल्ली की सरकार भी ऐसे ही चल रही है.  केंद्र की सरकार जब  कांग्रेस की थी,  मुकेश नायक जी आप आदरणीय मनमोहन सिंह जी की बात कर रहे थे,  उन्हीं ने इसकी शुरुआत की थी  मध्यप्रदेश को कृषि कर्मण अवार्ड देने की.  (श्री मुकेश नायक के बैठे बैठे कुछ कहने पर) मुकेश जी, मैं  एक बार भी आपके बीच में नहीं बोला.  आप तो बड़े भाई हो.  कह रहे थे कि अभी नये नये आये हैं दो ही बार.  आपका आशीर्वाद रहेगा, तो  हर बार आऊंगा और हम  सब लोग  आयेंगे. माननीय मुकेश भैया आप कह रहे थे कि बजट में कुछ नहीं है, आपने बजट पढ़ा नहीं, आप तो हेल्थ वाला मामला पढ़ते रहे, रेडक्रास की बात मैंने नहीं कही नहीं तो आप बाद में मुझसे लडेंगे.कह रहे थे कि बजट में कुछ नहीं है, बजट पढ़ो, बजट में बच्चों की आशा है, बेटियों की आकांक्षा है, युवाओं का विश्वास है, महिलाओं की शक्ति है, किसानों का आत्मबल है, व्यापारियों का संबल है. आप बजट तो पढें.

          श्री तरूण भानोत -- विश्वास भाई बजट में सब कुछ है पर सरकार के पास में पैसा कहां है.वह तो बताओ, बजट मे तो सब है. पैसा कहां है.

          श्री विश्वास सारंग --मुकेश भाई बजट में मध्यप्रदेश की साढे सात करोड़ जनता का विश्वास है और यदि यह विश्वास देखना है तो मैहर के चुनाव का रिजल्ट देखो जहां हम 28,000 वोटों से जीते हैं. मुकेश भाई कह रहे थे कि मैहर का चुनाव कुछ नहीं है. मुकेश भाई यह सेम्पल सर्वे है हमने 12 साल में जो किया और आपने 12 साल विपक्ष में बैठकर जो कुछ किया उसका सेम्पल सर्वे है मैहर का चुनाव. मुकेश भाई किसी ने कहा है -

          सच मानिये हुजूर चेहरे पर धूल है ,

           इल्जाम आईने पर लगाना फिजूल है.

          मुकेश भैय्या आपका यह अधिकार भी है और कर्तव्य भी है कि विपक्ष में बैठकर आप सत्ता पक्ष की बुराईयों को उजागर करें पर आपको यह बात जरूर ध्यान रखना चाहिये कि आपने बहुत से वरिष्ठ लोगों के नाम लिये, वो सीनियर्स आज इस सदन में नहीं है और हम चाहेंगे कि अगली बार हम भी आपका उसी तरह से नाम लें.

          श्री तरूण भानोत-- इसका मतलब आप नहीं रहेंगे.

          श्री विश्वास सारंग -- यह तो समझना पड़ेगा. हम यह चाहेंगे परंतु आप यदि असत्य की बात कहेंगे, आपने पटवा जी का नाम लिया, जोशी जी का नाम लिया, विक्रम वर्मा जी का नाम लिया...

          श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैहर के चुनाव की बात आई है.

          अध्यक्ष महोदय-- बहुत पहले निकल गई. बात आगे बढ़ गई है.

          श्री विश्वास सारंग- जी, मैहर जो रीवा के पास है.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, 7 हजार 481 लोगों के गरीबी रेखा में नाम लिखे गये हैं . 6 माह के अंदर यह पंचायत मंत्री का जबाव है.

          श्री विश्वास सारंग -- तो इसमें क्या गलत है, क्या बुराई है.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी- एक विधानसभा में ?

          श्री विश्वास सारंग -- तो इसमें क्या बुराई है. हमारे संजय पाठक जी जागरूक विधायक है 12,000 नाम लिखाये हैं.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना यह है कि यह 7 हजार 481 गरीबी की रेखा के नीचे वालों के नाम चुनाव के 6 माह के अंदर यह जोड़े गये हैं. चुनाव इस तरह से जीता गया है. इस तरह से चुनाव आप जीते हैं और केवल गरीबी की रेखा के कार्ड ही नहीं, विभिन्न योजनाओं के तहत अलग है, इंदिरा आवास अलग है, सारी चीजें अलग हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी आप बैठ जायें. विश्वास जी आप अपनी बात जारी रखें.

          श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी एक प्रार्थना है. तिवारी जी ने जो कहा है क्या मध्यप्रदेश का नागरिक, क्या मध्यप्रदेश की जनता को आप बिकाऊ समझते हैं, गरीबी रेखा के नीचे उसका नाम लिख लिया इसलिये उसने वोट दिया क्या कहना चाहते हैं इस लोकतंत्र में, क्या गरीब बिकाऊ है.

          अध्यक्ष महोदय-- शर्मा जी, बैठ जायें. उन्हें अपना भाषण पूरा करने दें.

          श्री रामेश्वर शर्मा-- क्या गरीब बिकाऊ है. अगर गरीब है तो मुख्यमंत्री जी की घोषणा है उसको 1 रूपये किलो गेहूं मिलेगा, उसका राशन कार्ड बनेगा.

          अध्यक्ष महोदय-- रामेश्वर जी बैठ जायें.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, इसी सदन में पंचायत मंत्री जी का जवाब है.6 माह के अंदर 7 हजार 481 लोगों के नाम चुनाव के पहले जोड़े गये हैं. और जिस तरह से प्रजातंत्र की वहां पर हत्या की गई है , मैहर में प्रजातंत्र की हत्या की गई है. यह 7 हजार 481 गरीब कहां थे. अगर मैं गलत कह रहा हूं तो पंचायत मंत्री जी यहां पर विराजमान हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी बैठ जायें, विश्वास जी को बोलने दें (श्री रामेश्वर शर्मा के खड़े होने पर) अरे आप बैठ जायें विश्वास जी उत्तर दे देंगे. वे सब बात का उत्तर दे देंगे. आप बैठ जायें. कृपा करके बैठ जायें. तिवारी जी बैठ जाईये.

          अध्‍यक्ष महोदय--  कुछ नहीं लिखा जायेगा. केवल विश्‍वास सारंग जी का लिखा जायेगा, किसी का कुछ नहीं लिखा जायेगा. ...(व्‍यवधान)..

          श्री सुंदरलाल तिवारी-- XXX

          श्री गोपाल भार्गव (पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री)--  हम तो अंत्‍योदय के समर्थक हैं और अंतिम आदमी का भला करना चाहते हैं, इसलिये जुड़ा है, जब तक अंतिम आदमी गरीबी रेखा के ऊपर नहीं उठ जाता तब तक हम करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय--  अरे तिवारी जी बैठो, यह वादविवाद क्‍या हो रहा है यहां पर. बैठ जाइये आप, तिवारी जी सीधी बात नहीं करेंगे, बैठ जाइये.

          श्री गोपाल भार्गव-- यह पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी के सपनों को साकार कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी बैठ जाइये आप. तिवारी जी बैठ जाइये, विश्‍वास जी आप बोलिये किसी की बात का उत्‍तर देने की जरूरत नहीं है.

          श्री विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तिवारी जी ने गरीबी रेखा के राशन कार्ड में नाम बढ़ने की बात की, तिवारी जी आप यदि उदाहरण दे रहे हो तो आपके समय रीवा की वोटर लिस्‍ट में नाम जुड़े थे उसका भी जिक्र कर देना, भैंसों के तबेले में आदमियों के नाम जोड़े थे आपने. ....(व्‍यवधान)....

          एक माननीय सदस्‍य--  अब नहीं है जवाब तिवारी जी के पास.....(व्‍यवधान)....

          श्री विश्‍वास सारंग-- अब जवाब नहीं है, अब बैठे-बैठे मुस्‍कुराओगे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बजट पर चर्चा हो रही है. ....(व्‍यवधान)....

          श्री सुंदरलाल तिवारी--  अध्‍यक्ष महोदय, हम पर झूठे आरोप लगाये जा रहे हैं और हम प्रमाण के साथ दे रहे हैं (हाथ में कागज दिखाते हुये) यह प्रमाण हैं.

          श्री विश्‍वास सारंग--  हम भी प्रमाण के साथ दे रहे हैं.

          श्री सुंदरलाल तिवारी--  XXX

            अध्‍यक्ष महोदय--  कुछ रिकार्ड में नहीं आयेगा, तिवारी जी ने जो बोला है. कुछ भी लिखा नहीं जायेगा. ....(व्‍यवधान)....

          नगरीय विकास एवं पर्यावरण राज्‍य मंत्री (श्री लाल सिंह आर्य)--  कांग्रेस का छल है, मैहर में जनता की जीत हुई है, सरकार के कामों की जीत हुई है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  मंत्री जी बैठिये कृपया आप अपने सदस्‍य को बोलने दीजिये.

          विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा पूरा समय तो तिवारी जी ने ले लिया.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप कृपा करके अपनी बात जारी रखें.

          श्री विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मुकेश भाई बजट की बहुत बात कर रहे थे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बात सही है कि मध्‍यप्रदेश का यह बजट जो वित्‍त मंत्री जी ने प्रस्‍तुत किया है इसमें कहीं भी आंकड़ों की बाजीगरी नहीं है, कहीं असत्‍य नहीं है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अमेरिकन प्रशासक जेकब लियो ने कहा है बजट के बारे में "Budget is not just a collection of numbers but an expression of our values an expression. मतलब बजट केवल आंकड़ों की बाजीगरी नहीं है. सरकार का मंतव्‍य, सरकार की भावना, सरकार का कमिटमेंट इसका जीता जागता दस्‍तावेज है यह बजट. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब मैं इस बात को कह रहा हूं तो लियो जेकब की इस बात को चरितार्थ माननीय वित्‍त मंत्री जी ने किया है. यह बजट केवल अर्थशास्‍त्र के उस शब्‍दकोष के आसपास नहीं घूमता जिसमें जीडीपी की बात होती है, जीएसडीपी  की  बात  होती  है,  एसओटीआर  की  बात  होती  है,  आयोजना व्‍यय, पूंजीगत व्‍यय केवल इस तक सीमित नहीं है माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बल्कि विगत दिनों हम सबको मालूम है भूटान में माननीय अध्‍यक्ष महोदय नई टर्मीनॉलॉजी शुरू हुई और उस पर पूरी दुनिया में बहस शुरू हुई है कि केवल जीडीपी किसी भी राज्‍य का किसी भी सरकार का ग्रोथ उससे नहीं मापी जाती. भूटान में नई टर्मीनॉलॉजी शुरू हुई Happiness Index की बात हुई, कि सरकार के कारण, सरकार की नीति के कारण, सरकार के बजट के कारण, सरकार के इम्‍प्‍लीमेंटेशन के कारण लोगों में खुशी है या नहीं, Happiness है या नहीं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं बधाई देना चाहता हूं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को, माननीय वित्‍त मंत्री जी को और समस्‍त केबीनेट को कि मैं यह बात ताकत के साथ कह सकता हूं कि यदि मापदण्‍ड अपनाया जाये, यदि इसकी वेल्‍यू निकाली जाये तो देश में यदि Happiness Index में नंबर 1 है तो वह मध्‍यप्रदेश है, मध्‍यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, चाणक्‍य ने कहा है किसी भी शासक के लिये संतोष की बात तब होती है, जब वहां की जनता शासक की नीतियों से खुशी की अनुभूति करती है और माननीय अध्‍यक्ष महोदय वह हमें देखने को मिलता है, मैहर का चुनाव हर क्षेत्र में माननीय अध्‍यक्ष महोदय जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी जीत रही है, संसद से लेकर ..... (व्‍यवधान)....

          अध्‍यक्ष महोदय-- बैठ जायें, आप भी बैठ जायें, माननीय सदस्‍य का भाषण पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये, मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है. 

            श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, यह सरकार दीनदयाल जी के विचार अन्त्योदय पर काम कर रही है. समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति की सेवा, उसका कल्याण यही हमारा लक्ष्य है.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी-- XXX (व्यवधान)

            अध्यक्ष महोदय-- आप बोलें. वह (श्री तिवारी) नहीं मानेंगे.उनका कुछ भी रिकार्ड में नहीं आयेगा.

          श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, घान का घान ही खराब है.(हंसी) तिवारी जी मेरी आपसे कोई जोड़ नहीं है. मेरे से आप वरिष्ठ हो.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी--XXX

          श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, तिवारीजी को कुछ हो गया. जैसा मैंने कहा कि यह बजट सार्थक है, सकारात्मक है. सबसे महत्वपूर्ण बात है वह यह कि जिस दिन बजट प्रस्तुत हुआ था तो मैंने पहला रिएक्शन यही दिया था कि इस बजट में आर्थिक और वित्तीय अनुशासन और वित्तीय प्रबंधन का पूरा ध्यान रखा गया. यह केवल अभी से शुरु नहीं हुआ. 2003 की बात करें जब हमें सरकार प्राप्त हुई थी, यह प्रदेश बीमारु राज्य कहलाता था. कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलता था.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, हमसे असत्य नहीं सुना जा रहा है इसलिए मैं सदन से जा रहा हूं.

          अध्यक्ष महोदय--मेहरबानी आपकी.     

 

                                      (माननीय सदस्य सदन से चले गये)

 

          श्री तरुण भनोत--XXX

            अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें.

          श्री विश्वास सारंग--तरुण भाई साहब आप विद्वान सदस्य हैं. सभी बातें आयेंगी. अध्यक्ष महोदय, अर्थव्यवस्था में यदि हम औसत वृद्धि की बात करें तो इस सरकार ने 10 प्रतिशत की औसत वृद्धि की है.  जीडीपी लगातार बढ़ा है. किसी भी प्रदेश में किसी भी शासन के विकास का मापदंड,उसके बजट के आयोजना व्यय(प्लान एक्सपेंडिचर) और पूंजीगत व्यय (केपिटल एक्सपेंडिचर)से मापा जाता है.

          अध्यक्ष महोदय, मुकेश भाई ने बहुत बात की. उन्होंने बात भी सही कही कि आप केवल 2003 से बात करते हो. मुकेश भाई, मैंने थोड़ी बहुत मेहनत की है. आपको लोगों ने दे दिया. आप आंकड़ें कहां से लेकर आये,मुझे नहीं मालूम. मैंने मध्यप्रदेश शासन के वित्त सचिवों के स्मृति पत्रों को पूरा पढ़ा. अभी का नहीं पढ़ा, बल्कि 1993 से लेकर 2003 और 2003 से लेकर 2016 तक के सभी स्मृति पत्रों को पढ़ने के बाद आंकड़े दे रहा हूं. इसलिए आप इसको न चैलेंज करना और न असत्य मानना.

          अध्यक्ष महोदय, मुकेश भाई ने कहा कि सब कुछ असत्य है, फरेब है. आंकड़े गलत हैं. जैसा मैंने कहा कि यदि विकास की बात हो तो प्लान एक्सपेंडिचर की हमें बात करनी चाहिए. 2014-15 में इसी सरकार में पिछले साल हमारा प्लान एक्सपेंडिचर था 40 हजार करोड़ रुपये, मैं वित्त मंत्रीजी को बधाई दूंगा कि आज यह बढ़कर 74 हजार करोड़ रुपये हुआ है. एक साल में हुआ है. ( श्री मुकेश नायक,सदस्य द्वारा बैठे बैठे कहे जाने पर) मुकेश भाई मैं बताऊंगा.  अध्यक्षजी, एक साल में 80 प्रतिशत की वृद्धि. मात्र दो साल में लगातार वृद्धि. आप बात कर रहे थे तो 1993 का बता दूं. 1993 में यह केवल 2000 करोड़ रुपये था. वर्ष 1993 का बता दूं, वर्ष 1993 में यह केवल 2000 करोड़ रुपए था और ये वर्ष 1993 से वर्ष 2003 तक 10 साल रहे..

          श्री के.पी. सिंह - अध्यक्ष महोदय, वर्ष 1990 से 1993 के बीच में कौन लोग थे? वर्ष 1993 की स्थिति जो आप बता रहे हैं, और वर्ष 1990 से वर्ष 1993 के बीच में जो स्थिति थी उसके लिए कौन जवाबदार है? उसके बारे में भी जरा बता दें, उसके लिए आप नहीं बोलेंगे?

श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, यह जो मैं आपको आंकड़े दे रहा हूं, कांग्रेस सरकार के ही दे रहा हूं.

श्री के.पी. सिंह - अपने पुराने आंकड़े भी तो दे दो.

श्री विश्वास सारंग - आप वह बोलेंगे तो अगली बार वह भी दे देंगे.

श्री के.पी. सिंह - अगली बार दे देना, वर्ष 1990 से वर्ष 1993 की तुलना कर लेना.

श्री विश्वास सारंग - वह भी दे देंगे. वह अच्छे होंगे. फिर बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी. फिर वर्ष 1956 से 1990 भी लेना पड़ेगा. अध्यक्ष महोदय, जो आज 74000 करोड़ रुपए है, वह इनके शासनकाल में कितना  था, जब इन्होंने हमें वर्ष 2003 में सत्ता सौंपी थी, उसके एक साल पहले, केवल 5684 करोड़ रुपए. यह आज कितना है, 74000 करोड़ रुपए है! इन्होंने 10 साल में 1-2 हजार करोड़ रुपए भी नहीं बढ़ाया, हमने 70000 करोड़ रुपए का इजाफा प्लॉन एक्पेंडिचर में किया है.

अध्यक्ष महोदय, यदि हम सरकार के कुल व्यय के अनुपात में प्लॉन एक्पेंडिचर की बात करें तो वर्ष 1993 में यह केवल 22 प्रतिशत था. वर्ष 2003-04 में यह 25 प्रतिशत हुआ. केवल 3 प्रतिशत की  वृद्धि ये 10 साल में कर पाए. वर्ष 2016-17 में जो आज का साल है इसमें हम 47 प्रतिशत यह प्लॉन एक्पेंडिचर का अनुपात लेकर आ रहे हैं. मतलब हमने 25 से 47 प्रतिशत किया और आप 22 से 25 प्रतिशत ही कर पाए थे. कहने का मतलब है कि इन 12-13 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लगभग 13 गुना की वृद्धि प्लॉन एक्पेंडिचर में की है.

श्री तरुण भनोत - मैं यह पूछना चाहता हूं कि वर्ष 1993 में आपकी उम्र कितनी थी?

अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्नकाल नहीं है, उनको अपनी बात कहने दीजिए. यह कोई प्रश्नकाल है क्या, आप बैठिए. आप किसी सदस्य का उत्तर मत दीजिए. आप सीधे अपनी बात रखें.

श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मैं किसी का उत्तर नहीं दे रहा हूं. वह इस लायक है भी नहीं कि उत्तर दिया जाय. अध्यक्ष महोदय, यह मेमोरेंडम ऑफ फाइनेंस सेकट्री है, यदि हम पूंजीगत व्यय की बात करें तो वर्ष 2016- 17 उसमें 36000 करोड़ रुपए अनुमानित है. इससे पहले साल में वर्ष 2015-16 में 21000 करोड़ रुपए था. हम साल में 21000 करोड़ रुपए से 36000 करोड़ रुपए पर पहुंचे हैं. यदि इसी की बात वर्ष 2003-04 की कहूं तो यह केवल 3000 करोड़ रुपए था. हम 3000 से 36000 करोड़ रुपए पर पहुंच गये हैं. अध्यक्ष महोदय, यह सीधे-सीधे विकास की बात है. यही परिलक्षित होती है, सड़क की बात, बिजली की बात, नहर की बात, खेत की बात, खलिहान की बात, हर जगह जो विकास दिख रहा है वह कमिटमेंट के कारण दिख रहा है. इन 10-12 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जो काम किया है, उसी का परिणाम है कि वह जमीन पर हमें हकीकत दिख रही है. यदि हम जीडीपी के अनुपात में पूंजीगत व्यय को देखे तो यह बहुत महत्वपूर्ण आंकड़ा है, वह आता है 5.06 प्रतिशत, यह शायद देश में जो विकसित राज्य बोले जाते हैं, चाहे गुजरात हो, चाहे तमिलनाडू हो, चाहे महाराष्ट्र  हो, उनके लगभग बराबर हम पहुंचे हैं. शायद हम उनसे भी ऊपर हो गये हैं, 5.0 प्रतिशत. वर्ष 2003 में यह अनुपात केवल 2.8 प्रतिशत, जब इस राज्य में कांग्रेस की सरकार थी. केवल आयोजना व्यय, पूंजीगत व्यय पर ही हमने काम नहीं किया. अध्यक्ष महोदय यदि हम विकास करना चाहते हैं तो हमें साधन संसाधन भी चाहिए, हमें पैसा भी चाहिए जैसा कि अभी तरूण जी कह रहे थे कि बजट बहुत अच्छा है लेकिन पैसा नहीं है. वह आंकड़े भी मैं लेकर आया हूं.  हमने इन 12 वर्षों में पैसे की भी समुचित व्यवस्था की है, उसी का परिणाम है कि यदि हम राजस्व प्राप्ति की बात करते हैं तो 2003-04 में राजस्व प्राप्ति थी 15863 करोड़ रूपये और आज  मुझे यह बताते हुए खुशी है कि यह आर्थिक प्रबंधन है, यह सुशासन है, यह शासन की कसावट है कि आज हमने राजस्व प्राप्ति में जो इजाफा किया है वह  1 लाख 26 हजार करोड़ रूपये का किया है. यह पिछले वर्ष केवल 88664 करोड़ रूपये था और उसमें भी हमने इजाफा किया है. कहने का सीधा सीधा तात्पर्य है कि यदि हम विकास करना चाहते हैं तो हम केवल लफ्फाजी नहीं करते हैं, केवल हम आंकड़ो की बाजीगरी नहीं करते हैं, केवल हम दस्तावेज नहीं छपवाते हैं, केवल हम योजना नहीं बनाते हैं कोई योजना बनाने के पहले उसके लिए समुचित पैसा मिल सके उसके लिए भी पूरी प्लानिंग करते हैं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार के मामले में अभी मुकेश भाई ने बहुत बातें की है. मैं  इस सदन के माध्यम से भाजपा की केन्द्र सरकार को और नरेन्द्र मोदी जी को बधाई देना चाहता हूं, मुकेश भाई आपको भी मेज थपथपानी चाहिए 32 से बढ़ाकर 42 प्रतिशत हमें करों में हिस्सा देने की घोषणा की है, यह देश के इतिहास में पहली बार हुआ है, यह 10 प्रतिशत है और वित्त आयोग सिफारिशें आपके समय भी थीं आपने उनको नहीं माना है, यह सभी राज्यों में संघीय ढांचे को मजबूत बनाने के लिए, यह केवल पैसा नहीं देगा यह बड़े भाई और छोटे भाई के रिलेशन को ठीक करेगा, केन्द्र और राज्यों के बीच में जो संघीय ढांचा बना है, यह हमारे संविधान की व्यवस्था है जो हमारे संविधान की आशा है उसको भी प्रतिपादित यह निर्णय करेगा. अभी केन्द्रीय करों में हिस्से की बात मुकेश भाई कह रहे थे. मैं यहां पर बताना चाहता हूं कि इस बार हमें  43676 करोड़ रूपये केन्द्रीय करों से प्राप्त हुआ है. इसी तरह से मैं राज्य के करों की बात करूं. 2014-15 में यह 26हजार करोड़ था आज बढ़कर यह 46 हजार करोड़ रूपये हुआ है और जब इनकी सरकार थी तब यह केवल 7 हजार करोड़ रूपये था, क्योंकि उस समय भ्रष्टाचार था उ स समय करों की वसूली सही तरीके से नहीं होती थी नीचे के स्तर पर इतना भ्रष्टाचार था कि कर  सरकार के खाते में नहीं जाते थेअधिकारियों और नेताओं की जेब में जाते थे.

          माननीय अध्यक्ष महोदय अभी मुकेश भाई नान प्लान की बात कर रहे थे. मैं वित्त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. यदि भाजपा की सरकार के नान प्लान के बजट को आप देखेंगे तो उसमें बड़ा कंपोनेंट  वेल्फेयर का है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी से अनुरोध  करना चाहूंगा कि अगली बार से जब बजट हो तो नान प्लान में जो वेल्फेयर का पैसा खर्च हुआ है वह यदि अलग से परिलक्षित हो तो पता लगेगा क्योंकि जो विकसित राज्य हैं उसमें कहीं भी वेल्फेयर के पैसे को नान प्लान में नहीं जोड़ना चाहिए. जो विकसित है वह अलग बात है लेकिन सही मायने में हमें कहीं न कहीं जो हमारा वेल्फेयर का पैसा है उसको अलग से बताना चाहिए वह नान प्लान में जरूर जाता है लेकिन कितना पैसा सरकार ने लोगों के वेल्फेयर पर खर्च किया है यह जरूर पता लगना चाहिए उसके बाद ही मुकेश भाई जैसे साथियों का ज्ञान वर्धन होगा.

          माननीय अध्यक्ष महोदय कृषि कर्मण अवार्ड की बहुत बात हुई. मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में जैसा आगे बढ़ा है इसमें सही मायने में किसी के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है. यह सामने दिखता है, हाथ अंगन को आरसी क्या और पढे़ लिखे को फारसी क्या. क्या हुआ है और क्या दिख रहा है. यह सब हमारे सामने है. कृषि के मामले में यह सरकार कितनी संवेदनशील है यह बजट में हमें देखने को मिलता है. इस बार वर्ष 2016-17 में आयोजना का बजट लगभग 2 हजार करोड़ रुपये है जो वर्ष 2002-03 में केवल 200 करोड़ था. इसी का परिणाम है जीरो प्रतिशत ब्‍याज पर ऋण देना, मुआवजा देना. मुआवजे के मामले में मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ राजस्‍व मंत्री जी यहां बैठे हुए हैं,  15-15 सौ करोड़, 2 हजार करोड़ रुपये यह सरकार देती है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विपदाओं के मामले में डॉ.ए.पी.जे. अब्‍दुल कलाम साहब ने बहुत अच्‍छी बात लिखी है मैं यहां पर जरूर उसका जिक्र करना चाहता हूँ और उसका सीधा-सीधा पालन शिवराज सिंह जी की सरकार ने किया है. कलाम साहब ने लिखा था कि All birds find shelter during a rain but eagle avoids rain by flying above the clouds बारिश के दौरान सभी पक्षी कहीं न कहीं आश्रय ले लेते हैं पर जो लीडर होता है जो सभी चिंताओं से मुक्‍त होकर लोगों का संरक्षण करना चाहता है वह बाज वर्षा से बचने हेतु बादल के ऊपर उड़ान भरने लगता है और उसी का परिणाम निकला कि हमने 1500 करोड़ रुपया किसानों को बांटने का निर्णय लिया और उसको किसानों को बांटा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सरकार आगे के सालों में भी कृषि के मामले में बहुत अच्‍छा कार्य करना चाहती है और यह सीधा-सीधा मिलता है उत्‍पादन से लेकर उत्‍पादकता और उत्‍पादकता के बाद उसके विक्रय पर, इन तीनों को पूरी तरह लाइन-अप करने का इस बजट में प्रावधान किया गया है. मृदा परीक्षण की जो बात है उससे निश्‍चित रूप से दूरगामी परिणाम मिलेंगे क्‍योंकि जब तक मृदा की टेस्‍टिंग नहीं होगी तब तक उत्‍पादन नहीं बढ़ेगा और जब उत्‍पादन बढ़ गया तो उसको सही ढंग से बेचने के लिए ई-मंडी की जो परिकल्‍पना की गई है उसके लिए मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बहुत बधाई देता हूँ, कृषि मंत्री जी को, वित्‍त मंत्री जी को बधाई देता हूँ कि अप्रैल में पहली ई-मंडी मेरे क्षेत्र में ही शुरू होने वाली है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कृषि कर्मण अवार्ड की जब बात हो रही थी, कृषि का जिक्र यहां पर मुकेश जी ने किया है. वे पता नहीं आंकड़े कहां से लेकर आए, कुछ आंकड़े मेरे पास भी हैं. आंकड़े दो साल बाद आते हैं. वर्ष 2004-05 में कांग्रेस की सरकार के समय जो उत्‍पादन था उसका मैं यहां पर जिक्र कर रहा हूँ. गेहूँ का उत्‍पादन उस समय लगभग 73 लाख टन था जो आज बढ़कर 158 लाख टन हो गया है. इसी का परिणाम है कि हमें कृषि कर्मण अवार्ड मिला. केवल उत्‍पादन की ही बात नहीं है, यदि हम इसकी उत्‍पादकता की बात करें, यदि आपको क्रॉस करना है तो आप उत्‍पादकता के साथ इसको जोड़कर देखिए मुकेश भाई, आपको जिसने भी जानकारी दी है वह गलत जानकारी दी है. यदि उत्‍पादकता की बात करें तो वर्ष 2004-05 में यह प्रति हेक्‍टेयर 1735 किलोग्राम थी जो आज बढ़कर हमारी नीतियों के कारण 2405 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर हो गई है. यदि धान के उत्‍पादन की बात करें तो वर्ष 2004-05 में यह 17 लाख टन था जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 34 लाख टन हो गया जो कि दुगुना है. यदि इसी में हम उत्‍पादकता की बात करें तो वर्ष 2004-05 में धान की उत्‍पादकता 720 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर थी जो वर्ष 2013-14 में बढ़कर 1474 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर हो गई, यह भी दुगुनी है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब कृपया आप समाप्‍त करें.

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 5-7 मिनट का तो और समय दे दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- चलिए 3-4 मिनट और ले लीजिए, उसमें आप समाप्‍त कर दें क्‍योंकि समय हो गया है.

          श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कुल खाद्यान के उत्पादन की हम बात करें तो 2004-05 में 113 लाख टन था और 2013-14 में 248 लाख टन हो गया. कृषि के लिए बहुत जरूरी है, जो हमारी पुरातन परम्परा है और मुझे इस सदन में कहते हुए कोई संकोच नहीं है कि पुरानी सरकारों ने  इस पर ध्यान नहीं दिया. यदि कृषि को लाभ का धंधा बनाना है तो केवल कृषि के माध्यम से नहीं चलेगा. उसमें पशुपालन का कम्पोनेंट जोड़ना पड़ेगा. उसका विकास नहीं होगा तो कृषि का विकास नहीं हो सकता. हमारी पुरानी परम्पराएँ है, हर गांव में हर खेत पर कहीं न कहीं मवेशी रखने की व्यवस्था होती थी और इसमें इस सरकार ने उसका पूरा ध्यान रखा है. पशुपालन के लिए मैं बधाई देना चाहता हूँ कि 109 चलित पशु चिकित्सालय जो शुरु करने की बात है, वह निश्चित रुप से इस सेक्टर को बहुत मजबूती देगा.

        माननीय अध्यक्ष महोदय,यदि हमने कृषि कर्मण अवार्ड लिया है तो उसमें बहुत बड़ा योगदान सिंचाई का है. वे नहरें जो बन गयी थीं उसके  टेल एण्ड तक पानी नहीं पहुंचता था. यह सरकार का कहीं न कहीं संकल्प था और उसी का परिणाम निकला. हमने जिसप्रकार से लगातार 10 वर्षों में सिंचाई का रकबा बढ़ाया है. 2003-04 में  साढ़े 7 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होती थी और आज  वह बढ़कर 2014-15 में  33 लाख हेक्टेयर के ऊपर पहुंच गयी है. माननीय वित्त मंत्री जी जल संसाधन मंत्री हैं. आयोजना व्यय में 4 हजार करोड़ का प्रावधान रखा है और मुकेश भाई आपकी सरकार में कितना था, केवल 700 करोड़ रुपये और इसीलिए 10 साल तक आप शासन चलाते रहे. एक इंच भी जमीन पर एक्स्ट्रा पानी आप नहीं दे पाये. खुद सिंचित होते रहे. खुद के जेब में पैसा आता गया. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना मैं बधाई दूंगा, मोर क्रॉप पर ड्रॉप, एक ड्रॉप पानी से कितनी ज्यादा उसकी उत्पादकता बढ़ सकती है. इस क्षेत्र में यह सरकार काम कर रही है. मैं बहुत बधाई दूंगा मंत्री जी को,उऩ्होंने निश्चित रुप से  इस क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया. 

        माननीय अध्यक्ष महोदय,उद्योग किसी भी शासन के लिए, किसी भी राज्य को लिए निवेश बहुत महत्वपूर्ण आयाम  है और यह सरकार ने  इस देश में इस बात को स्थापित किया है  कि अब इण्डस्ट्रीयलिस्ट केवल महाराष्ट्र की ओर नहीं देखते, केवल गुजरात की ओर नहीं देखते,केवल आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु की ओर नहीं देखते बल्कि यदि वे सोचते हैं अपने नये इन्वेस्टमेंट करने का तो उनको सबसे अच्छी जगह कोई मिलती है तो वह मध्यप्रदेश  मिलती है. 40 हजार करोड़ के एमओयू हुए. वे जमीन पर  आयें, मैं बधाई देना चाहता हूँ, यहां पर मैं जिक्र करना चाहता हूँ  किसी भी इण्डस्ट्रीयलिस्ट को करों के मामले में रियायत चाहिए, वन विंडो बहुत सारे राज्यों में स्थापित हुए हैं परन्तु उसके साथ साथ किसी भी इन्वेस्टमेंट करने वाले व्यक्ति को  जो सबसे महत्वपूर्ण बात है उसको सकारात्मक माहौल चाहिए, वह यदि कहीं मिलता है तो देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश में मिलता है और उसी के कारण लगातार उद्योग का उन्नयन हो रहा है. बजट आवंटन इस बात को परिलक्षित करते हैं. हमने इस बार लगभग 2462 करोड़ रुपये का बजट का आवंटन किया है  और उसके कारण मैं यहां जिक्र करना चाहता हूँ, इण्डस्ट्रीयल जो एरिया हैं उनका इन्फ्रास्ट्रक्टर कभी डेव्हलप नहीं होता था. मेरे क्षेत्र में एक छोटा सा पार्ट है गोविन्दपुरा इण्डस्ट्रीयल एरिये का, आमूल-चूल परिवर्तन हो गया, सड़क, नाली, बिजली सब मामलों में जिसप्रकार का डेव्हलपमेंट हुआ और सीधा सीधा उनके उत्पादन पर लिंक हुआ है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, सड़क किसी भी विकास की गाड़ी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है. क्लिंटन ने जब वे अमेरिका के राष्ट्रपति थे तो उन्होंने एक बार वहां के सदन में यह कहा था कि अमेरिका विकसित है इसके कारण वहां की सड़कें अच्छी नहीं है बल्कि हमारी सड़कें अच्छी हैं इसलिए हम विकसित हैं. कहने का मतलब यह है कि यदि विकास करना है तो सड़क की कनेक्टिविटी होनी चाहिए. यह काम इस देश में यदि किसी ने किया तो मुझे यहां उनका जरुर जिक्र करना चाहिए, पँडित अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में देश में पहली बार सड़कों को मिलाने का काम किया था, प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत् और उसको आगे बढ़ाने का काम हमारे मुख्यमंत्री जी ने मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत् किया. खेतों तक पहुंची थीं उसी का परिणाम है. 2016‑16 में हमने इसमें 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया.इसके पहले 1000 करोड़ था, जस्ट डबल किया है और यदि कांग्रेस की हम बात करें तो 2002-2003 में  यह केवल 188 करोड़ था और इसलिए उस समय सड़कों का जिक्र नहीं होता था, गड्ढों का जिक्र होता था और इसीलिए इनको आज विपक्ष में बैठने का मौका भी मिला है . माननीय अध्यक्ष महोदय, चिकित्सा के मामले में हमारे मुकेश भाई ने बहुत बातें की , मुकेश भाई चिकित्सा में क्या हुआ है यदि यह आपको पूछना है तो उन 2000 गरीब बच्चों से पूछो जिनके दिल की धड़कन यदि धड़कती है तो वह शिवराज सिंह चौहान के कारण धड़कती है. बाल ह्रदय उपचार योजना का मजाक उड़ाया जा रहा है , अब किसकी क्या बात है मुझे नहीं मालूम पर मुझे ऐसा लगता है यदि अच्छा कुछ हो रहा है तो इस तरह का इल्जाम हमें नहीं लगाना चाहिए .

          डॉ. रामकिशोर दोगने---  इसके बारे में भी बताइए कि कई लोगों की आंखें चली गई.

          श्री विश्वास सारंग---  चिकित्सा के मामले में यह कहना चाहता हूं कि हमारे मंत्री नरोत्तम मिश्रा के नेतृत्व में इस विभाग ने जो कुछ किया है विगत 25-30 वर्षों में मध्यप्रदेश में कभी नहीं हुआ है यह बात मैं पूरी चुनौती के साथ कह सकता हूं . आज फ्री में दवाईयां, फ्री में भोजन , हर एक क्षेत्र में चिकित्सा के मामले में डेवलपमेंट हुआ है. डायलिसिस के मामले में इस बार इस बजट में कहा गया है हर जगह डायलिसिस मशीन लगाने की बात है. कीमोथेरेपी, सीटी स्केन , एमआरआई जैसी सुविधायें भी लोगों को मिल सके इसका प्रावधान भी इस बजट में समुचित रूप से किया गया है . माननीय अध्यक्ष महोदय, बिजली के मामले में कांग्रेस के लोग भी इस बात को स्वीकार करेंगे कि इस क्षेत्र में हमारी सरकार ने जो किया वह शायद देश के इतिहास में किसी और सरकार ने नहीं किया. 24 घंटे बिजली उपलब्धता के मामले  हमारी बसपा की बहन दो तीन दिन पहले बोल रही थी उन्होंने कहा कि बात सही है कि बिजली तो मिल रही है, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया . चाहे खेत में हो, चाहे घर में हो बिजली मिल रही है और उसको और सुदृढ़ करने के लिए प्रयास हो रहा है . चूंकि विकास यदि होगा, खेती होगी , उद्योग चलेगा तो उसके लिए बिजली सबसे महत्वपूर्ण है.

          अध्यक्ष महोदय--  कृपया एक मिनट में समाप्त करें .

          श्री विश्वास सारंग--- माननीय अध्यक्ष महोदय,बिजली के लिए मैं वित्तमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं . इस बार लगभग 7 हजार करोड़ रुपये बिजली के लिए रखे गये हैं. निश्चित रूप से यह बहुत अनुकरणीय और स्वागत योग्य है. नगरीय प्रशासन के तहत जिस प्रकार से नगरों का डेवलपमेंट हो रहा है, उनका विस्तार हो रहा है, अरबेनाइजेशन का यह जमाना है, शहरीकरण का यह जमाना है. पूरी दुनिया में शहर बढ़ रहे हैं, गांवों से पलायन करके लोग शहर में आ रहे हैं . अध्यक्ष महोदय,आमतौर पर जब लोकतंत्र की बात होती है, लोकतांत्रिक व्यवस्था में जब सरकारें कोई नीतियाँ बनाती हैं तो उसमें ज्यादा फोकस होता है कि कहाँ ज्यादा मतदाता हैं वहाँ की बात हो और इसलिए रूरल डेवलपमेंट की बहुत बात होती है, शहरों में यह माना जाता है कि वहाँ जनसंख्या कम होती है पर मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास योजना के तहत शहरों में जो काम हुए हैं उसके लिए मैं निश्चित रूप से माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बधाई देना चाहता हूं इस बार लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का उसमें प्रावधान किया गया  भोपाल , इन्दौर , जबलपुर स्मार्ट सिटी बन रहे हैं, इसके लिए मैं माननीय प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं, भोपाल का जनप्रतिनिधि और नागरिक होने के नाते हम शिवराज सिंह चौहान जी और सरकार को इस बात का धन्यवाद देते हैं कि भोपाल और इन्दौर में मेट्रो चालू करने के लिए अलग से पैसा इस बजट में दिया गया है, निश्चित रूप से यह हम सभी के लिए खुशी की बात है.

          अध्यक्ष महोदय---  कृपया अब आधा मिनट में अपनी बात समाप्त करें, आपने पौन घंटा बोल लिया है. सब विषय आ गये हैं.

          श्री विश्वास सारंग---  माननीय अध्यक्ष महोदय, समाप्त ही कर रहा हूं. शिक्षा हमारे देश ,संस्कृति और भविष्य को बनाने के लिए बहुत जरूरी है. विवेकानंद जी कहा था कि “ Education alone, I travelling through many cities of Europe and observing in them the comforts and education of them of even the pure people . There was brought to my mind the state of our own pure people and I  use to shed tears . What made the difference education was the answer I got.

             उन्होंने कहा कि जब मैं पूरे यूरोप में घूम रहा था और जब मैंने वहाँ की संपन्नता देखी, वहाँ के गरीबों के बीच में भी एक अलग खुशी देखी तो उसका मैं आँसर देख रहा था. मैंने कंपेयर किया, हमारे यहाँ के गरीब को और उनके यहाँ के गरीब को और मुझे उसका आँसर केवल यह मिला कि वहाँ के गरीब भी शिक्षित हैं और हमारे लोग शिक्षित नहीं हैं. अध्यक्ष महोदय, कहने का मतलब यह है कि जब तक.....

          श्री मुकेश नायक--  पाँच हजार स्कूलों में एक भी टीचर नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय--  अब आप कृपया समाप्त करें.

          श्री विश्वास सारंग--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जब तक शिक्षा नहीं आएगी...

          अध्यक्ष महोदय--  अब कृपया समाप्त करें.

          श्री विश्वास सारंग--  अध्यक्ष महोदय, बस आधे मिनट में समाप्त कर रहा हूँ.

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं,  अब आधा मिनट भी नहीं.

          श्री विश्वास सारंग--  अध्यक्ष महोदय, मैं इस बजट का समर्थन करता हूँ और माननीय वित्त मंत्री जी को, माननीय मुख्यमंत्री जी को,  बहुत बधाई देना चाहता हूँ कि उन्होंने इतना सार्थक बजट प्रस्तुत किया. चार लाइनें कह कर मैं अपनी बात समाप्त करूँगा. माननीय वित्त मंत्री जी के लिए.....

          लिखी है जो स्याही से वह तहरीर बदलेंगे, हम अपने मुल्क के

            हर शख्स की तकदीर बदलेंगे. गली कूचे, दरो-दीवार,

            बाशिंदे यही होंगे, पर चेहरों से मायूसी की यह तस्वीर बदलेंगे.

          वित्त मंत्री जी, आपको बहुत बधाई.

          अध्यक्ष महोदय--  सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्थगित.

 

 

 

(1.32 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)

 

 

 

 

3.07 बजे       {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.

 

                   डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) -- उपाध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्रीजी द्वारा प्रस्तुत बजट में प्रदेश की जो दो गंभीर समस्यायें हैं जिनमें से एक किसानों से संबंधित है. किसान पिछले 3-4 वर्षों से सूखे, ओेले, पाले की चपेट में आ रहा है उसके लिये तो माननीय वित्त मंत्रीजी ने बजट में प्रावधान किया है परन्तु दूसरी विकराल समस्या है बेरोजगारी की मध्यप्रदेश में रोजगार कार्यालय में 22 लाख से अधिक नौजवान रजिस्टर्ड हैं जिसमें करीब 3 लाख के आसपास अशिक्षित भी हैं जो कि रोजगार की तलाश में हैं. सरकार ने इस ओर न तो बजट में कोई प्रावधान किया है न ही आगे कोई इनकी दिशा है. मध्यप्रदेश की सरकार की सोच नौजवानों के लिए उचित नहीं है. मध्यप्रदेश में बेरोजगारी 30 प्रतिशत के आसपास हो गई है गांव में भी करीब 30 लाख से अधिक नौजवान काम की तलाश में भटक रहे हैं. कुल मिलाकर सवा सात करोड़ की आबादी में 50 लाख से अधिक नौजवान रोजी-रोटी की तलाश में भटक रहे हैं. अराजकता की स्थिति है, छात्र जगह-जगह आन्दोलन कर रहे हैं, झगड़े-झंझट हो रहे हैं. इंजीनियर बेकार घूम रहे हैं उन्हें 5 हजार रुपये की नौकरी मिलना मुश्किल हो गया है. उत्तर प्रदेश में भृत्य के पद का विज्ञापन आया था उसमें मध्यप्रदेश के 3-4 हजार एमबीए, एमएससी, बीएससी और इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने भृत्य के पद लिए आवेदन किया था.

       उपाध्यक्ष महोदय, बजट में नौजवानों के लिए कौशल विकास केन्द्र के अलावा कोई बात नजर नहीं आयी. लगातार कहा गया कि हम उन्हें प्रशिक्षित करेंगे. वित्तमंत्रीजी के पिछले वर्ष के बजट भाषण के अनुसार 68500 के करीब नौजवानों को प्रशिक्षित किया गया. मैं जानना चाहता हूँ कि उनमें से कितने लोगों को रोजगार मिला है. अगली योजना में भी आपने प्रत्येक जिले में दो कौशल विकास केन्द्र खोलने की घोषणा की है आपने बजट में इसका उल्लेख किया है. मैं चाहता हूँ कि आप कभी कौशल विकास केन्द्र का निरीक्षण करें. वहां जाकर देखें वहां मशीन है नहीं है, स्टाफ नहीं है गांव में केवल कौशल विकास केन्द्र खोलकर बोर्ड टांग दिये है, वहां पर ताला लगा रहता है. जब वहां पर मशीनरी नहीं है, सिखाने वाले नहीं हैं तो वह कैसे प्रशिक्षण ले रहे होंगे. हमारा अनुरोध है कि इस दिशा में भी आप काम करें और जहां तक शासकीय नौकरियों का सवाल है तो मध्‍यप्रदेश में आज समूचे विभागों को ले लें तो कम से कम 25 से 30 प्रतिशत विभागीय पद खाली हैं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि आज ही मैंने अखबार में पढ़ा है कि आप प्रदेश में उच्‍च शिक्षा की गुणवत्‍ता लाने के लिये 2000 करोड़ रूपये का कर्ज विश्‍व बैंक से कर्ज ले रहे हैं. आपके पी डब्‍ल्‍यू डी के प्रमुख सचिव में वहां जाकर एम ओ यू साइन किया है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आपके विद्यालयों में प्रिंसिपल, प्राचार्य, सहायक अध्‍यापक सब मिलाकर यदि छोटे पदों जैसे भृत्‍य आदि को भी शामिल कर लिया जाये तो  70 प्रतिशत करीब 3000 से अधिक पद उच्‍च शिक्षा विभाग में खाली हैं. स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में करीब 4000 डाक्‍टरों की कमी है. आयुर्वेदिक चिकित्‍सकों की करीब 20 वर्षों से भर्ती नहीं हुई है, 35 हजार नौजवान डिग्री लेकर घुम रहे हैं. मध्‍यप्रदेश के जो शासकीय आयुर्वेदिक अस्‍पताल हैं, उनमें भी पद खाली पड़े हुए हैं, आज मध्‍यप्रदेश में करीब 1788 के करीब आयुर्वेदिक अस्‍पताल गांवों में हैं. परन्‍तु उनमें केवल 900 आयुर्वेदिक डाक्‍टर हैं बाकी रिटायर हो गये हैं. आपके पास इतने पद खाली हैं तो आप उनको भरने की कार्यवाही क्‍यों नहीं कर रहे हैं. इसी प्रकार राजस्‍व में भी अभी पांच हजार डिप्‍टी कलेक्‍टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, आर.आई  और पटवारी के पद खाली पड़े हुए हैं और पूरा क्षेत्रीय और मैदानी अमला है, वह पूरी तरह से खाली पड़ा है, लोग भटक रहे हैं. कई जगह तीन-तीन तहसीलों में एक तहसीलदार है, कभी वह एक तहसील में बैठता है, कभी दूसरी तहसील में जाता है या कभी जिले में मीटिंग में चला जाता है तो लोगों को छोटे-छोटे कार्यों के लिये भटकना पड़ता है, लोग प्रमाण पत्र बनवाने के लिये भटक रहे हैं. अनुसूचित जाति विभाग में भी बैक लाग के पद 2340 पद खाली पड़े हैं औेर अनुसूचित जनजाति में 5501 पद खाली पड़े हैं. इसी प्रकार स्‍कूल शिक्षा विभाग में प्राचार्य से लेकर भृत्‍य तक के करीब 1 लाख 46 हजार उसमें संविदा शिक्षकों को भी मिला लो तो इतने पद खाली पड़े हैं. आप तमाम पंजीकृत कार्यालय खोल रहे हैं. परन्‍तु उनसे कोई लाभ नहीं है. अगर बेरोजगार नौजवान भटकेगा तो अराजकता की ओर जायेगा. कई इंजीनियर लोग रोजी रोटी की तलाश में लूट कर रहे हैं. कई लोग दूसरे प्रदेशों में भी पकड़े गये हैं, कई ऐसे उदाहरण मिल रहे हैं. इसलिये आपने प्रदेश को पूरी तरह से अराजकता की स्थिति में पहुंचा दिया है, उसको सुधारने का काम इस दिशा में करें. यह विधान सभा का सवाल है कि जब 31 मार्च, 2015 में 15,783. 80 करोड़ रूपये का कर्ज था. एक वर्ष में आपने 11 बार और कर्जा ले लिया है. अभी आप वेतन बांटने के लिये कर्ज ले रहे हो. रिजर्व बैंक ने मध्‍यप्रदेश सरकार को चेतावनी दे दी है कि आपकी जो सीलिंग है, उससे ज्‍यादा आपको कर्ज नहीं मिलेगा. आप अपनी आमदनी के जरिये बढ़ाईये. परन्‍तु आप आज की स्थिति में 1 लाख, 63 हजार से ऊपर आपने कर्ज ले रखा है. गांव में कहावत है कि आप तो कम्‍बल ओढ़कर घी पी रहे हो. इस प्रकार से आप कर्जा ले रहे हो. परन्‍तु आपने बजट आने से 48 घंटे पहले ही 1200 करोड़ रूपये का कर्ज फिर ले लिया है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि वित्‍त मंत्री जी आप पढ़े लिखे हैं,विद्वान हैं और इंजीनियर हैं. मैंने आपके पूर्व वित्‍त मंत्री जी का बयान भी समाचार पत्रों में पढ़ा है, भले ही आज वह सदन में नहीं है, आपने उनके ऊपर आरोप लगाकर उनका टिकिट कटवा दिया है, परन्‍तु उनके समय में 65 से 70 प्रतिशत तक की जो सीलिंग थी उससे ज्‍यादा कर्ज नहीं लिया. परन्‍तु आपने 100 प्रतिशत कर्ज ले लिया और उससे भी अधिक कर्ज लेने का प्रयास कर रहे हैं. आपने इस बजट में  भारत सरकार से कहा कि हम इस बजट में 3.5 परसेंट सकल घरेलू उत्पाद करेंगे परन्तु 3 परसेंट से ज्यादा सीलिंग नहीं है.  आपको भारत सरकार से वह राशि नहीं मिली तो जैसे पिछले वर्ष का आपका बजट पूरी तरह चरमरा गया था उसी तरह से  2015-16 का बजट चरमरा जायेगा. मैं इसीलिये कहना चाहता हूं कि आपने इस बजट में विकासशील,जो जनउपयोगी विभाग थे उनके प्रावधानों में कटौती की है.आपने वन विभाग में गांवों के पुनर्वास के लिये 245 करोड़ पहले रखे थे परन्तु उसमें आपने बजट काटकर केवल 20.5 करोड़ किये. उपस्वास्थ्य केन्द्रों के निर्माण के लिये आपने 200 करोड़  का बजट किया था उसमें आपने 50 करोड़ केवल रखे. माध्यमिक शिक्षा मिशन के तहत आपने एक हजार करोड़ का प्रावधान पिछले बजट में किया था उसको कम करके केवल 323 करोड़ कर दिया. इसी प्रकार एकीकृत बाल विकास योजना में 306  करोड़ की जगह 37 करोड़, आदिवासी उप योजना में 173 करोड़ की जगह 31 करोड़ कर दिया. जो बाल बच्चों को पोषण आहार मिलता है उसमें भी 211 करोड़ का प्रावधान किया था  परन्तु 163 करोड़ कर दिया. बुजुर्गों,महिलाओं,विकलांग पेंशन,सामाजिक न्याय,विधवा पेंशन में भी 315 करोड़ की जगह केवल आपने केवल 127 करोड़ बजट काटकर कर दिया है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आपने टैक्स में कई जगह छूट दी है लेकिन छूट कहां दी है सूखे बेर और बेर चूर्ण में. मैं वित्त मंत्री जी आपसे पूछना चाहता हूं कि जरा वित्त मंत्री जी दुकान बता दें भोपाल में कहां है.  बेर चूर्ण की मैं कल से दुकान ढूंढता फिर रहा हूं कि बेर चूर्ण का डब्बा मिल जाये. पूरे भोपाल में एक दुकान नहीं मिली आपको कहीं मिले तो ले आओ. आपने इसी प्रकार मक्का दूध दोहने की मशीनों पर छूट दी है. आपने थाली,कटोरी को भी नहीं छोड़ा अच्छे-अच्छे प्लास्टिक के बर्तन बनने लगे हैं. 10-10 साल चलते हैं उन पर आप छूट प्रदान करें. इसी प्रकार आपने जो जुल्म ढाया है वह ढाया है कृषि भूमि पर और शहर से लगी हुई भूमियों पर पंजीयन शुल्क बढ़ाकर. होशंगाबाद रोड पर  आपका 2010-11 में 700 रुपये वर्गमीटर पंजीयन शुल्क था वह 2015-16 में बढ़ाकर 1500 रुपये वर्गमीटर कर दिया है. कई किसान ऐसे हैं जिनकी खेती अच्छी नहीं है जमीन उनके पास है उनकी जमीन को बाजार मूल्य से तय करना चाहते हैं. जो बाजार मूल्य है उस हिसाब से पंजीयन शुल्क निर्धारित करिये. एक मैं सुझाव देना चाहता हूं कि विज्ञापन पर आपकी सरकार और मंत्रियों द्वारा खर्च किया जा रहा है.  आप कर्ज बढ़ाने की जगह टैक्स लगाने के बजाय उस पर रोक लगा सकते हैं. आपने पिछले एक वर्ष में दो सौ करोड़ के विज्ञापन दे दिये. अपनी शक्लें छपवाते हैं. टी.वी. पर शिवराज सिंह जी दिखें इस पर आपने दो सौ करोड़ का प्रावधान किया. सीहोर में अभी आपने किसान सम्मेलन पर खर्च कर दिये. ठीक है देश के प्रधानमंत्री हैं उनका सम्मान करो लेकिन उस पर आपने करीब 40-50 करोड़ खर्च कर डाला. मैंने ऐसा आज तक नहीं देखा. आज तक विगत् 30 वर्षों के दौरान 28 वर्ष से मैं विधायक हूं. इस प्रकार से सरकार के द्वारा पार्टी के आयोजन के खर्च किया. अगर पार्टी का आयोजन नहीं था तो कांग्रेस के प्रति सभी सदस्यों को भी बुलाना चाहिये था आपने किसी भी विरोधी दल के नेताओं को बुलाने का काम किया क्या आप लोग ही किसानों के हितैषी आप लोग अकेले हैं. आपने जो इस पर पैसा सरकार का खर्च किया है इसलिये मेरा विरोध है, अन्यथा नहीं है. इसी प्रकार से विश्व राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन में खर्च किया है. यह सहकारी भारती क्या है, यह आर.एस.एस की एक संस्था है आपने उसमें करीबन 28 करोड़ रूपये दिये, भारत सरकार ने उसमें अलग से दिये थे, उसमें भी आपने खर्च किया. आपने अभी विश्व हिन्दी सम्मेलन पर करोड़ो रूपये खर्च कर दिये हम हिन्दी के कट्टर समर्थक हैं. हम डॉ.लोहिया जी के नारे से चलते थे इस देश में हिन्दी चलेगा अंग्रेजी के पट उखाड़े थे, परन्तु आज के विभागों में भी तमाम ऐसे विभाग हैं जिसमें अंग्रेजी में लिखा पढ़ी करते हैं तथा बातचीत करते हैं इनके कई पत्र अंग्रेजी में आ रहे हैं, इसको भी रोकने का आप काम करिये. मैं माननीय वित्तमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जो वास्तव में रजिस्ट्री शुल्क है इस पर विचार एवं मनन करें. जैसे हमारे यहां पर मनोड़ी गांव है उस गांव में 50-60 हजार रूपये बीगा जमीन की कीमत नहीं है, किन्तु आपकी रजिस्ट्री शुल्क का पैसा है 80 हजार इसलिये आप रजिस्ट्री शुल्क को कम करें या जमीन के रेट के निर्धारण के आधार पर टेक्स लेने का काम करें.उपाध्यक्ष महोदय धन्यवाद.

          श्री शैलेन्द जैन--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसी भी सरकार का जो बजट होता है वह सरकार का दृष्टिपत्र होता है इसमें न केवल सरकार का संकल्प परिलक्षित होता है वरन् समाधान भी अंतर्निहित होता है. बजट में सरकार की योजनाओं एवं सरकार के कार्यक्रमों का निश्चित रूप से लेखा-जोखा होता है, साथ में इस बात का भी गणित होता है कि वह योजनाएं एवं कार्यक्रम कैसे लागू कर पाएंगे. बजट मात्र कागजों का पुलिन्दा नहीं होता है उसमें संवेदनाएं भी होती हैं और आशाओं का भी उसमें संकलन होता है. अगर हम वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय परिदृष्य पर दृष्टिपात करें तो हम पायेंगे कि इस समय पूरा का पूरा जो विश्व है आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. विश्व की तेजी से बढ़ती हुई चीन की अर्थ व्यवस्था थी, उसकी गति भी मध्यम हुई है. इन तमाम वैश्विक मंदी का असर हमारे देश पर भी पड़ा है इसके हमारे प्रदेश की गति भी उन तमाम बातों से बाधित हुई है. एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियां हैं, तो दूसरी तरफ प्राकृतिक विपदाओं ने भी विकास के पहिये को मध्यम करने का प्रयास किया है. यह सर्वविदित है कि जिस तरह से विगत् कुछ वर्षों में अवर्षा की स्थिति से पूरे देश एवं प्रदेश में निश्चित रूप से प्रभावित किया है. मैं कहना चाहता हूं कि इस अवर्षा का प्रभाव सबसे ज्यादा अगर कहीं पड़ा है तो वह कृषि पर पड़ा है. हमारे कृषि की विकास की जो दर है वह निश्चित रूप से इससे प्रभावित हुए वगैर नहीं रह पायी, लेकिन इन वर्तमान परिस्थितियों के साथ में एक चुनौती भी हमारे बीच में थी, वह चुनौती थी यह वर्ष चूंकि भारत वर्ष के संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125 वीं जयंती का वर्ष है, यह वर्ष अंतोदय के प्रेणता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 100 वीं जयंती का वर्ष है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इस वर्ष को हमारी सरकार ने गरीब कल्‍याण वर्ष के रूप में मनाने का संकल्‍प लिया है,निश्चिय किया है, इन तमाम चुनौतियों के बीच, तमाम कठिनाईयों के बीच हमारी सरकार ने, माननीय वित्‍त मंत्री महोदय ने जो बजट प्रस्‍तुत किया है, उसमें न केवल विकास की दर को बरकरार रखा है वरन् हमारी तमाम योजनाओं को, हमारे गरीब भाईयों की जितनी योजनाएं हैं, उन तमाम योजनाओं को, हमने इस कार्यक्रम में, इस बजट में समाहित करने का निश्‍चय किया है जो इस बजट में परिलक्षित भी होता है ।

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इससे बेहतर बजट की कल्‍पना नहीं की जा सकती । मैं माननीय वित्‍त मंत्री महोदय को और इस सदन के नेता माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी को बहुत बधाई देना चाहता हूँ । मैं बधाई इन शब्‍दों के साथ, इन लाईनों के साथ देना चाहता हूँ कि इन कठिन परिस्थितियों में जिस तरह से बजट पेश किया है, कहा है कि :-

 वह पथिक और वह पथ भी क्‍या,

जिस पथ पर बिखरे सूल न हों ।

 नाविक की धैर्य कुशलता क्‍या,

 जब तक धारा प्रतिकूल न हो ।।

          श्री के.पी.सिंह-(पिछोर)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, पहले राघव जी कुछ न कुछ लिखते रहते थे, मलैया जी, शैलेन्‍द्र ने प्रतिपूर्ति कर दी है ।

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, हमारे विपक्षी साथियों को एक ही बात याद आती है, जब भी उनसे चर्चा की जाती है, इस प्रदेश ने बहुत कर्जा ले लिया है, इस प्रदेश ने क्‍या ले लिया है, मेरी समझ में नहीं आ रहा है । कर्जा लेना किसी भी अर्थ व्‍यवस्‍था के लिए बुरा नहीं है, किसी भी संस्‍थान के लिए, किसी भी सरकार के लिए कर्जा लेना, अच्‍छे कार्य के लिए कर्जा लेना, विकास के लिए कर्जा लेना, बुरी बात नहीं है । महत्‍वपूर्ण यह नहीं है कि कर्जा कितना लिया गया, महत्‍वपूर्ण यह है कि उस कर्जे का हमने किस तरह से उपयोग किया । एक जमाना था जिसका जिक्र डॉं गोविन्‍द सिंह जी कर रहे थे, घी पीने का । यह चार की परम्‍परा है और इस परम्‍परा को आपने भी निभाने का काम किया है, जिसको कहा है :- यावक जीवन, सुखी जीवेत, ऋणम् कृत्‍वा, घृतम पीवेत् इसको गालिब साहब ने बहुत ही सरल शब्‍दों में उसकी व्‍याख्‍या की है । आप लोगों ने जो 10 वर्षों में 1993 से लेकर 2003 तक जो कुछ भी किया है, उसकी व्‍याख्‍या गालिब साहब ने की है, उन्‍होंने कहा है कि :-

कर्ज की पीते थे मय, और यह समझते थे कि

रंग लाएगी , हमारी फाकामस्‍ती एक दिन ।

आपने विकास के लिए कोई पैसा खर्च नहीं किया,आपने जो कुछ भी ऋण लिया है, उस ऋण का क्‍या उपयोग किया, यह आज भी यक्ष प्रश्‍न है ।

 माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जबसे हमारी सरकार आई है, हमारा एक ही विजन है, एक ही डिजायर है, at most and positive &  proper utilization of public fund हमने इस दिशा में बहुत तेज गति से काम किया है, हमारे माननीय वित्‍तमंत्री  महोदय ने जिस कुशल वित्‍तीय प्रबंधन का परिचय दिया है, उसी के परिणाम सामने आने लगे हैं, वर्ष 2005-06 से लेकर वर्ष 2014-15 तक हमारी सरकार ने लगभग 50 हजार करोड़ रूपए का कर्ज लिया है । इसी अवधि में हमारी सरकार ने अधोसरंचना के क्षेत्र में लगभग 64 हजार करोड़ रूपए का पूंजीगत निवेश भी किया है । यह बहुत ही महत्‍वपूर्ण तथ्‍य है, इस निवेश से हमारा जो ग्रास स्‍टेट डोमेस्टिक प्रड्यूस है, हमारी जो जी.एस.डी.पी. है, वह 1 लाख 25 हजार करोड़ रूपए से बढ़कर वर्तमान में 5 लाख करोड़ रूपए से अधिक पहुंच गई है, यह बहुत महत्‍वपूर्ण तथ्‍य है, इसके परिणाम बहुत अच्‍छे आए हैं, हमारी जी.एस.डी.पी. के विरूद्व हमारे कर्जे का जो प्रतिशत है, जो उस समय माननीय गोविन्‍द सिंह जी के समय में 36 प्रतिशत था, हमने उसको बहुत ही अच्‍छी तरह से प्‍ले करते हुए बहुत अच्‍छे कुशल वित्‍तीय प्रबंधन के साथ उसको लगभग आधा कर लिया  है और आज उसका प्रतिशत 18 प्रतिशत रह गया है । यह भी एक महत्‍वपूर्ण तथ्‍य है । मैं वित्‍त मंत्री महोदय को इस बात के लिए भी बधाई देना चाहता हूँ । माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इस दौरान हमारी राजस्‍व प्राप्तियों में भी गुणात्‍मक सुधार हुआ है । मैं बताना चाहता था, वर्ष 2003-03 में आपकी प्राप्तियां मात्र 16 हजार करोड़ थीं ।

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय गोविन्‍द सिंह जी आपके समय प्राप्तियां 16,000 करोड़ रूपये थी. अभी वर्ष 2016-17 में हमारा अनुमान लगभग 1,27,000 करोड़ रूपये का है. गोविन्‍द सिंह जी, हम 8 गुना वृद्धि करने जा रहे हैं. यह बहुत महत्‍वपूर्ण है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -  उस समय वेतन 4,000/- रूपये था और आज 70,000/- रूपये है.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन - हम आपकी बात सुन रहे हैं. हम प्‍लान एक्‍सपेन्‍डीचर की भी बात करना चाहते हैं. उसमें कहना चाहते हैं कि आपके समय में प्‍लान एक्‍सपेन्‍डीचर 5,900 करोड़ रूपये था बाकि सब पैसा इनका नॉन प्‍लान एक्‍सपेन्‍डीचर में होता था. अभी हमारा वर्ष 2016-17 में प्‍लान एक्‍सपेन्‍डीचर 74,401 करोड़ रूपये होने की उम्‍मीद है. वह लगभग 12 गुना है. यह बहुत महत्‍वपूर्ण तथ्‍य हैं. इन तथ्‍यों के लिए, मैं निश्चित रूप से, इस उपलब्धि के लिए माननीय वित्‍त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, एक महत्‍वपूर्ण तथ्‍य और इस सदन में, मैं आपके माध्‍यम से लाना चाहता हूँ. जी.डी.पी. की वृद्धि दर के मामले में मध्‍यप्रदेश देश का अव्‍वल राज्‍य है. उसकी जी.डी.पी.का ग्रोथ रेट पूरे देश में सबसे ज्‍यादा है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, एक और विषय मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूँ. विगत लगभग 11 वर्षों में लगातार हम राजस्‍व आधिक्‍य की स्थिति में रहे, रेवेन्‍यू सरप्‍लस की स्थिति में रहे. वह स्थितियां आपके समय क्‍या थीं ? यह आप अच्‍छी तरह जानते हैं. जिन राज्‍यों की वित्‍तीय स्थितियों का प्रबन्‍धन बहुत अच्‍छा है. ऐसे राज्‍यों के लिए 14 वें वित्‍त आयोग ने अनुशंसा की है. उन्‍होंने उनके राजकोषीय उत्‍तरदायित्‍व घाटे की सीमा को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत करने की अनुशंसा की है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इससे हमारे मध्‍यप्रदेश को बहुत अधिक लाभ होने वाला है, लगभग 3,000 करोड़ रूपये की अतिरिक्‍त राशि हमें प्राप्‍त होगी. इससे हम विकास के कार्य निश्चिरूप से कर पायेंगे. मैं एक बात को और सदन को बताना चाहता हूँ. Is of doing business इसकी रेटिंग में पूरे देश में मध्‍यप्रदेश का स्‍थान छटवें नम्‍बर पर है. इसमें अभी और सुधारवादी कदम उठाये जाने की आवश्‍यकता है. मैं बताना चाहता था. एक जमाना था- सैल्‍स टैक्‍स रजिस्‍ट्रेशन, कमर्शियल टैक्‍स रजिस्‍ट्रेशन एवं वेट टैक्‍स रजिस्‍ट्रेशन इन तमाम रजिस्‍ट्रेशनों में तमाम तरह का भ्रष्‍टाचार होता था. हमारी इस सरकार ने Is of doing business के तहत सबसे पहले यह काम किया. अब हमारा रजिस्‍ट्रेशन ऑन-लाईन होता है. अब हमारे रजिस्‍ट्रेशन में किसी तरह के, किसी डॉक्‍यूमेन्‍ट्स की आवश्‍यकता नहीं होती. यहां तक की एफिडेविट देने का, जो हमारा प्रावधान था, हमने उसको भी संशोधित किया है. अब मैन्‍यूअल रजिस्‍ट्रेशन टोटली बन्‍द कर दिया गया है. इसका लाभ यह हुआ है कि कम समय में भ्रष्‍टाचार रहित, हमने एक व्‍यवस्‍था कायम की है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश 24 घण्‍टे के अन्‍दर रजिस्‍ट्रेशन देने वाला, भारतवर्ष का पहला राज्‍य बन गया है. इस बात के लिए भी, मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ. एक बात और महत्‍वपूर्ण है, इसमें मैं आपका संरक्षण चाहूँगा.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जिस तरह के एवं जितने भी किस्‍म के फॉर्मस् थे. जैसे सी-फॉर्मस, सैल्‍स टैक्‍स के फॉर्म, एफ-फॉर्म थे, इन तमाम फॉर्मों को ऑन-लाईन डाउनलोड करने की व्‍यवस्‍था उन्‍होंने दे दी है. अभी तक ई-पेमेन्‍ट करने के लिए, केवल 3 बैंक ही अधिकृत थे, हमारी सरकार ने अब सारे के सारे राष्‍ट्रीयकृत बैंकों को ई-पेमेन्‍ट के लिए नोटीफाई कर दिया है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, अभी तक हमारे छोटे और खुदरा व्‍यापारियों के लिए कठिनाई आती थी, उनके वार्षिक रिटर्न भरने की, जो सीमा थी, वह 20 लाख रूपये थी, उसको भी हमारी सरकार ने 40 लाख रूपये कर दिया है. मैं, ऐसे तमाम खुदरा व्‍यापारियों एवं छोटे व्‍यापारियों की ओर से सरकार का धन्‍यवाद करना चाहता हूँ. ई-रिफण्‍ड के जो विषय होते थे, जब हमारे करदाताओं की अधिक राशि सरकार के पास जमा हो जाती थी तो रिफण्‍ड लेना एक बहुत बड़ी समस्‍या थी, उसमें बहुत बड़ा भ्रष्‍टाचार होता था. अब ई-रिफण्‍ड के माध्‍यम से, करदाताओं के खाते में वह राशि डायरेक्‍ट पहुँच जायेगी. उसका हस्‍तान्‍तरण हो जायेगा, इससे भी काफी सुधार होने की संभावना है. एक बहुत बड़ा विषय है.  वह विषय ऐसा है कि  हमारी सीमाओं की रक्षा करने वाले हमारे सैनिक,  जो कि  मध्यप्रदेश में  पर्याप्त संख्या में हैं.  वह जब वाहन क्रय करना चाहते थे,  तो मध्यप्रदेश के अन्दर लगभग 15 प्रतिशत  का टैक्स लगता था. इस वजह से वह सीमावर्ती राज्यों से  वाहन क्रय करके लेकर के आते थे.  उससे न केवल हमारे  रजिस्ट्रेशन का नुकसान होता था, हमारे सैल्स  टैक्स का नुकसान होता था और  अन्य तरह के जो टैक्स हमें मिलने चाहिये थे,  वह नहीं मिल पाते थे.  इसको भी  उन्होंने  इस बजट में ठीक किया है और 15 प्रतिशत के स्थान पर   4 प्रतिशत  करने का संकल्प लिया है.  मैं इसके लिये वित्त मंत्री जी को धन्यवाद  देता हूं, लेकिन यह निवेदन भी करना चाहता हूं कि  हमारे सैनिकों के सम्मान के लिये  अगर हम 4 प्रतिशत को भी विलोपित कर देंगे,  तो यह बहुत अच्छा सुधार वादी कदम होगा और  यह  4 प्रतिशत का लाभ  सारे  के सारे पैरामिल्ट्री  फोर्सेस के लिये भी  अगर हो जायेगा, तो  वह भी प्रशंसनीय होगा.  जैविक खेती के लिये  हमारी सरकार ने बहुत  भागीरथी प्रयास किये हैं.  उसके लिये पृथक से एक नीति बनाई है और जैविक खेती को  तथा जैविक कीटनाशकों को, जो  केमिकल  फर्टीलाइजर  एवं केमिकल कीटनाशक हैं,  वह किस तरह से शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं,  उस सारे के सारे विषय को ध्यान में रखते हुए  जैविक कीटनाशकों को भी कर मुक्त कर दिया गया है,  उसके लिये भी मैं वित्त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं.

                   उपाध्यक्ष महोदय,  पशुपालन हमारी एक बहुत महत्वपूर्ण  गतिविधि है. कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिये  पशुपालन का बहुत महत्वपूर्ण  योगदान है  और दुग्ध के मामले में  इस समय हमारा मध्यप्रदेश  पूरे देश  में चौथे स्थान पर है.  उन्होंने मिल्किंग मशीन को भी  इससे मुक्त किया है, उसके लिये  भी  मैं उनको बधाई देता हूं.  एक विषय जरुर मैं वित्त मंत्री जी  के  सामने रखना चाहता हूं कि  आचार्य विद्या सागर महाराज  जी के नाम  पर एक योजना चल रही है.  आचार्य विद्या सागर गौ संवर्धन योजना.  उस योजना के नाम में  थोड़ा परिवर्तन किया गया है.  हालांकि उसके स्वरुप में  विस्तार किया गया है.  विस्तार का मैं स्वागत करता हूं,  लेकिन  नाम में कोई परिवर्तन न किया जाये,  ऐसा मैं वित्त मंत्री जी से  निवेदन करना चाहता हूं.

                   उपाध्यक्ष महोदय,  अंत में मैं  इन लाइनों के साथ वित्त मंत्री जी और  मुख्यमंत्री जी का  धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने  जो बजट पेश किया है,  वह न केवल विकासोन्मुख है, वरन उससे ऐसा कोई भी वर्ग नहीं है, जो   लाभान्वित  न हो रहा हो.  अभी गोविन्द सिंह जी बता रहे थे कि  बहुत सारे विभागों के बजट में कटौती की गयी है,  लेकिन  मैं बताना चाहता हूं कि  एकाध  दो विभाग  अपवाद हो सकते हैं, लेकिन सारे विभागों के बजट में  गुणात्मक वृद्धि हुई है  और उनके बजट में काफी सुधार किया गया है.  मैं इस प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान   का और इस  प्रदेश के  बहुत ही कुशल एवं दक्ष  वित्त मंत्री, श्री जयंत मलैया जी का  इन लाइनों के साथ इस्तकबाल  करना चाहता हूं कि-

                   मंजिल  मिल ही  जायेगी,  मुश्किल ही  सही,

                गुमराह तो वो हैं, जो  घर से  निकले ही नहीं.

  बहुत-बहुत धन्यवाद.

            कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा जो बजट पेश किया गया है उस पर अपनी बात कहने के लिये खड़ा हुआ हूं. उपाध्यक्ष जी सर्व प्रथम मे उच्च शिक्षा विभाग की बात करना चाहूंगा. उच्च शिक्षा विभाग हेतु प्रथम चरण के लिये 269 करोड़ की राशि मांगी गई है. इसी में 5 नवीन आदर्श महाविद्यालयों की स्थापना की जाना है. वित्त मंत्री जी और उच्च शिक्षा मंत्री दोनों उपस्थित हैं. मेरे विधानसभा क्षेत्र राजनगर में जो नया कॉलेज बनना है, उसके लिये जमीन का आवंटन हो चुका है. 3012 नंबर आरक्षित किया गया है, 2400 एकड़ जमीन है, उस जमीन पर नया कॉलेज का भवन बन जाये, यह मेरी वित्त मंत्री जी से मांग है और मुझे आशा नहीं विश्वास है कि मलैया जी मेरी इस मांग का पूरा करेंगे और अपने वक्तव्य में भी इस बात को कहेंगे.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्कूल शिक्षा विभाग की मैं बात करूं तो 120 हाईस्कूल खोलना इस वर्ष में प्रस्तावित किये गये हैं. 230 तो सदन के सदस्य ही हैं. इसलिये कम से कम 3-3 हाई स्कूल का प्रावधान किया जाना चाहिये था. यदि ऐसा होता तो यह स्वागत योग्य होता. मेरे जिले में शासकीय माध्यमिक शाला बरा, कुरेला, पारा-पुरवा, लखेरी की शालाओं का उन्नयन किया जाना नितान्त आवश्यक है. जनसंख्या और स्कूल की दूरी को देखते हुये उन्नयन किया जाना चाहिये. जहां पर ऐसी स्थिति है कि भवन न होने के कारण वहां हाईस्कूल विकसित नहीं कर पा रहे हैं तो कई अन्य भवन वहां पर उपलब्ध हैं जैसे बरा में भवन है, कुरेला में भवन है, बमीठा में भवन है, हर जगह हाईस्कूल संचालित करने के लिये भवन उपलब्ध हैं, वित्त मंत्री जी को तो केवल घोषणा करनी है तथा उनका क्रियान्वयन करना है.उपाध्यक्ष महोदय, बजट में इस बात का भी प्रावधान किया जाना चाहिये था कि नई भर्तियां शिक्षकों की हो सकें. इस विधानसभा में पूरे मध्यप्रदेश का जनप्रतिनिधि एकत्रित है. यह बड़ी जवलंत समस्या है, कई स्कूलों में शिक्षकों का अभाव है, शिक्षकों के अभाव के कारण छात्र छात्राओं की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.

 

          उपाध्यक्ष महोदय, चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत अभाव है. चिकित्सा के क्षेत्र में मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि हमारे छतरपुर जिले में ...

          उपाध्यक्ष महोदय- विक्रम सिंह जी आप जितने कागज हाथ में लिये हुये हैं उससे तो ऐसा लगता है कि आप कम से कम 2 घंटे बोलेंगे.

          कुंवर विक्रम सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, आपने पहले ही मुझे समय-सीमा में बांध दिया है इसलिये मैं बहुत शार्ट में अपनी बात कह रहा हूं.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--इसमें से 2 कागज भरे हुए हैं बाकी 98 कागज खाली हैं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र- उपाध्यक्ष महोदय, जब रियाया 45 मिनट बोली हो तो राजा तो डेढ घंटे से कम बोलेंगे.

          उपाध्यक्ष महोदय-- क्या आप इसकी अनुशंसा करते हैं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - जी राजा.

          उपाध्यक्ष महोदय-- संसदीय कार्य मंत्री आपकी (कुंवर विक्रम सिंह) अनुशंसा कर रहे हैं.

          कुंवर विक्रम सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं और  माननीय वित्त मंत्री जी और माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी से निवेदन करता हूं  कि हमारे छतरपुर जिले में एक मेडिकल कॉलेज की नितान्त आवश्यकता है. आपने इस बजट में 16,200 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा है. इस प्रावधान में यदि मेडिकल कॉलेज केन्द्र सरकार से स्वीकृत करवा दें तो पूरा जिला, जिले का एक एक व्यक्ति आपका आभारी रहेगा और आपकी इस सौगात को ध्यान रखेगा कि जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी तो उसने इस कॉलेज को स्वीकृत करवाकर के मेडिकल कॉलेज दिया. मैं वित्त मंत्री जी से आशा और उम्मीद रखता हूं कि इसके बारे में भी घोषणा करेंगे.

          उपाध्यक्ष महोदय-- फिर चुनाव में क्या होगा.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- कुंवर साहब का फिर क्या होगा. (हंसी)

          कुंवर विक्रम सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यशपाल जी से मैं एक बात कहना चाहता हूं कि मेरा वही होगा जो होना होगा लेकिन आप सोचिये कि आपका क्या होगा.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- आप इतने अच्छे निर्णय करवा दो कि अगली बार भी हम सत्ता पक्ष में ही बैठें.

          कुंवर विक्रम सिंह-- अब तो आप नहीं बैठ पायेंगे भैया. यह जनता समझ चुकी है. और जनता आने वाले समय में आपको इसका उत्तर देगी.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- जिस तरह से सरकार चल रही है निश्चित रूप से तीसरी बार भी हम सत्ता में ही रहेंगे.

          कुंवर विक्रम सिंह--अब आप मुझे अपनी बात को कहने दीजिये. इस विषय पर हम और आप बैठकर के अकेले में बात कर लेंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  अब आप दो मिनट में समाप्‍त करें.

          कुंवर विक्रम सिंह--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, तीन मिनट.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  विक्रम सिंह जी आप सहयोग करें, इस बजट चर्चा में 35 माननीय सदस्‍य बोलने वाले हैं.

          कुंवर विक्रम सिंह--  उपाध्‍यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में जो कटौती की गई है उसमें थोड़ा सा प्रावधान बढ़ाया जाये माननीय वित्‍त मंत्री जी. राजस्‍व में प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान आज तक पूरा नहीं हो पाया है मेरे विकासखंडों में, लवकुश विकासखंड में एवं राजनगर विकासखंड में बहुत से ऐसे गांव हैं जहां पर अभी तक हो नहीं पाया है, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं वित्‍त मंत्री जी आपने तो यहां से पैसा पहुंचा दिया परंतु वहां पर जो सोसायटी के ऊपर को-ऑपरेटिव बैंक है वह अभी रिलीज नहीं कर रहा है उस पैसे को, मैं आशा और उम्‍मीद रखता हूं कि वह पैसा जल्‍दी से जल्‍दी पहुंचे.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, तीन चीज और बोलना चाहूंगा, एक सिंचाई के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत प्रदेश में 51 जिलों में जिला सिंचाई प्‍लान तैयार किया जा रहा है जिसमें लघु सिंचाई तालाबों का निर्माण, मैं एक बात आपसे कहना चाहता हूं जो पुराने तालाब हैं उन तालाबों के रख रखाव के लिये और उनको जो फीडर चेनल्‍स उनके लिये बन सके यह प्रावधान इस बजट में करें मेरा अनुरोध है आपसे.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-- चलिये इसी के साथ समाप्‍त करें आप.

          कुंवर विक्रम सिंह--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, दो पाइंट और रह गये हैं फिर मेरा वन विभाग का भी है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  पाइंट वाइज कह लीजिये ज्‍यादा मत करिये आप.

          कुंवर विक्रम सिंह--  सड़क परिवहन में वर्ष 2016-17 में 2000 किलोमीटर से अधिक सड़कों के डामरीकरण का लक्ष्‍य रखा गया है, यह स्‍वागत योग्‍य है. मेरे यहां के 16-17 किलोमीटर की सड़क है जो राजनगर नटबब्‍बा से लेकर डहररा नई बस्‍ती तक जाती है, यह जीर्णशीर्ण हालत में है और आप उस विभाग के मंत्री हैं जहां पर कुट निपोषक जलाशय बना हुआ है, माननीय वित्‍तमंत्री जी इस सड़क को बनबाने का कष्‍ट करें.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  चलिये समाप्‍त करें.

          कुंवर विक्रम सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दो मिनट और दे दीजिये मैं अपनी बात को पूर्ण करता हूं, लास्‍ट रह गया है सिर्फ, सारे कागज रख दिये बस लास्‍ट रह गया है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  नहीं तो एक्‍सप्‍लेन न करिये आप.

          कुंवर विक्रम सिंह--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, पन्‍ना रा‍ष्‍ट्रीय उद्यान से लगा हुआ मेरी विधानसभा का क्षेत्र है और केन घडि़याल सेंचुरी से लगा हुआ जो है वहां पर सबसे प्रथम जो आज की ज्‍वलंत समस्‍या है वह यह है कि नदी में पानी है और गांव में पानी है नहीं, आदमी तो अपना जहां से भी बनता है, कुछ न कुछ गुजारा कर लेता है, परंतु मैं सरकार का ध्‍यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि लगे हुये जितने भी गांव हैं उनको कम से कम एक घाट की अनुमति केन नदी के पानी के लिये दी जाना चाहिये, अन्‍यथा यह जो पशु पले हुये हैं लोगों के यह कहां से पानी पियेंगे, भीषण सूखे का संकट है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  ठीक है समाप्‍त करें अब आप. श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी.

          कुंवर विक्रम सिंह--  लास्‍ट पाइंट रह गया है माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  पाइंट कह दें आप एक्‍सप्‍लेन ज्‍यादा करने लगते हैं.

          कुंवर विक्रम सिंह--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय वन मंत्री जी यहां पर नहीं हैं लेकिन मैं चाहूंगा कि माननीय वित्‍तमंत्री जी....

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  उनको बता देंगे, अब आप समाप्‍त करें.

          कुंवर विक्रम सिंह--  उनसे कहें कि रोज और जंगली सुअर के लिये कोई प्रावधान किया जाये और इसी वित्‍तीय वर्ष में जो आपका बजट प्रस्‍तुत किया जा रहा है उसमें सम्मिलित भी किया जाये. एक चीज और ब्‍लेकबक भी कहीं-कहीं बहुत ज्‍यादा बढ़ गये हैं, जैसे भिंड जिले में बढ़ गये हैं, मैं एक चीज कहना चाहता हूं माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय के माध्‍यम से कि वित्‍त मंत्री जी इसमें आपका धन खर्च नहीं होना है, आपको तो सिर्फ सरकार से मंजूर करवा कर परमिट दिलाने की आवश्‍यकता है, परमिट यदि खुल जायेंगे तो शिकार की जो रायल्‍टी जमा होगी उससे आपको रेवेन्‍यू भी जनरेट होगी एवं यह समस्‍या किसानों की हमेशा के लिये खत्‍म होगी, ऐसी आशा और उम्‍मीद के साथ मैं समाप्‍त करता हूं, धन्‍यवाद उपाध्‍यक्ष महोदय आपने मुझे बोलने का समय दिया.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  आखिरी जो चीजें अगर आप न कहते तो घर में एंट्री नहीं मिलती आज.... (हंसी)

            श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं बजट के पक्ष में अपनी बात यह कहते हुए शुरु करना चाहता हूं कि समय की जिस हिसाब से आप बंदिश डाल रहे हैं तो मैं सर्वश्री विश्वास जी और जैन साहब ने जो बातें पहले रखीं, उन सबका समर्थन करते हुए कहना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, इस मंदी के दौर में भी, जहां पूरी दुनिया में, पूरे देश में इतनी मंदी है, मध्यप्रदेश तरक्की के रास्ते पर है. तरक्की भी डबल डिजिट में चल रही है. यह कहीं न कहीं महत्वपूर्ण बात है. चाहे आप बढ़िया कहे, हंसी करें लेकिन कुछ सत्य बातों को हमें स्वीकारना होगा. जो जितनी जल्दी स्वीकार कर उस दिशा में आगे बढ़ेगा, उतनी ही जनता उसको स्वीकार करेगी.

          उपाध्यक्ष महोदय, हम बहुत स्पष्ट लाईन में बात करना चाह रहे हैं. बड़ी चर्चा हो रही थी कि कृषि में इतनी अच्छी प्रगति कैसे हो रही है. प्रगति होने के एक नहीं 3-4 महत्वपूर्ण कारण थे, जिसको इस बजट भाषण में बहुत स्पष्ट रुप से लिखा गया है. पहला, किसानों को भरपूर बिजली देना. उसका जनरेटर बंद रहे ताकि उसका डीज़ल पर खर्चा न हो. दूसरा, पानी की व्यवस्था करना. 6 लाख हेक्टर से 36 लाख हेक्टर तक सिंचित रकबा करना कोई सामान्य काम नहीं है और न सामान्य व्यक्ति के बस की बात है. अगर बात थी तो यह पानी पहले की भी सरकारों को उपलब्ध था. पानी का बंटवारा सन् 1980 के पहले हो गया था. 1980 से लेकर 2005 तक 25 वर्षों तक उस पानी का क्या किया? देखा जाये तो वास्तव में यह क्रिमिनल एक्ट है. अपने क्षेत्र के पानी को बरबाद होते देना और दूसरा जो काम करे, उस समय सदन में हंसी-मजाक करे, यह अनुचित है. हंसी-ठिठौली के लिए तो बहुत जगह, बहुत स्थान उपलब्ध है. अगर सदन में गंभीरता से बात करें तो कहीं न कहीं वह पानी का, बिजली का और बिजली की बढौत्री होने के कारण किसान की प्रति हेक्टर बिजली की खपत भी तीन गुना हुई है. वह खपत अपने आप में यह प्रदर्शित करती है कि जब वह बिजली चलाकर अतिरिक्त सिंचाई करेगा तो पैदावार भी अतिरिक्त होगी. और इस पैदावार के कारण ही क्योंकि मध्यप्रदेश की जनता आज भी 70 प्रतिशत कृषि पर आधारित जीवन-यापन कर रही है.

          उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्रीजी और माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत बधाई देता हूं कि एक लंबी योजना के उन्होंने इस बात की योजना बनाकर शुरु किया और कदम-दर-कदम तरक्की की. उस कदम का आज यह परिणाम है कि पूरे देश में मंदी के बाद भी, मध्यप्रदेश में तरक्की बनी हुई है.

          उपाध्यक्ष महोदय, मैं यहां पर 2-3 बातें और करना चाहता हूं. जैसा अभी केन्द्र  की सरकार ने, माननीय मोदी जी ने भी कहा है कि एक एक बूंद पानी का हिसाब किया जाये. मध्यप्रदेश की सरकार ने पहले से इस बात की चिन्ता करते हुए  कच्ची नहरों के स्थान पर पक्की नहरों के बारे में सोचा. पाईप द्वारा पानी को ले जाकर, पानी की बरबादी को रोकना और पानी बचाना यह सबके बारे में सोचना और सोच कर योजना बनाकर इसी वर्ष में शुरुआत करना यह बड़ी महत्वपूर्ण बात है. उसके कारण जो तरक्की होने वाली है, वह आने वाले सालों में भी मध्यप्रदेश को पूरे भारत का अव्वल प्रदेश बनाने में कहीं न कहीं सहयोग करेगा.

          उपाध्यक्ष महोदय, यहां पर मैं इस बात पर भी बधाई देना चाहता हूं कि जैसे जैसे खेती में सिंचाई और बिजली के बाद भी उस अनुपात को बनाये रखना कठिन हो तो उसके बारे में चिन्ता की गई. उद्यानिकी और पशुपालन को खेती के साथ जोड़ कर एक नया आयाम बनाकर तरक्की  के बारे में सोचना भी उतना ही महत्वपूर्ण विषय है जो आज का है.

लेकिन साथ ही उद्यानिकी के साथ कोल्ड स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन, इलेक्ट्रॉनिक मंडियां, ई-मंडियां और उसका प्रॉपर कैसे एक्सपोर्ट हो. उसमें कहीं न कहीं उस लाईन की बात करें तो देश में भी यह बात जो चर्चा में आई कि भारत में 160 एयरपोर्ट का सॉइमलटेनियसली का विकास होना. मतलब जो फल और सब्जियां जिनकी लाइफ साईकल 3 दिन से 10 दिन के बीच की है, वह सही समय पर पूरे भारत में जा सके, उसकी चिंता करना, उसके लिए व्यवस्था करना और यह सब बातें कितनी लम्बी दूरगामी प्लानिंग है, उसके बारे में सोचना. कहीं इस बात पर अगर पशुपालन बढ़ता है तो जैविक खेती का काम अपने आप होता है. जैविक खेती का काम होगा तो प्रति औसत किसान की आमदनी डबल होगी क्योंकि 2 साल के बाद उसकी आमदनी 3 गुनी हो जाती है. लेकिन अभी तक किसी ने पशुपालन को उस दृष्टिकोण से उतना महत्व नहीं दिया जितना देना चाहिए था, जो अब आएगा. मैं यहां पर माननीय वित्तमंत्री जी से विशेष निवेदन करना चाहता हूं. माननीय मुख्यमंत्री जी के ध्यान में भी इस बात को लाना चाहता हूं कि जिस तेजी से कृषि में सोचा, उसी तेजी से पशुपालन में भी जीरो प्रतिशत ब्याज पर लोन देना चाहिए. क्योंकि यह बहुत लंबी दूरदृष्टि का विषय होगा. अगर पशुपालन भी जीरो..

उपाध्यक्ष महोदय - सखलेचा जी, दो मिनट में समाप्त करें.

श्री ओमप्रकाश सखलेचा - आप बोलें तो मैं बैठ जाता हूं. मैंने आपसे पहले ही निवेदन किया कि मैं उन किसी विषय को रिपीट नहीं करना चाह रहा हूं. एक भी शब्द अगर रिपीट हो रहा हो तो मैं अपनी बात को यही पर खत्म करना चाहता हूं.

डॉ. गोविन्द सिंह -उपाध्यक्ष महोदय,  एक ही तो सदन में विद्वान सदस्य हैं.

श्री मुकेश नायक - मंत्री की वेटिंग में सबसे ज्यादा प्रतिभाशाली हो. इसी वजह से आपको मंत्रिमंडल में नहीं लिया, जबकि दो लोगों को ले लिया.

श्री ओमप्रकाश सखलेचा - कोई बात नहीं, चलता है. वह तो बहुत सिम्पल बात है कि हमें अपने कर्म पर विश्वास होना चाहिए, किसी के दया कर्म पर हम नहीं जीते हैं.

श्री के.पी. सिंह - आप अपनी विद्वत्ता को जितना ज्यादा स्पष्ट करोगे, उतना ही आपके लिए ठीक नहीं है.

श्री ओमप्रकाश सखलेचा - कोई बात नहीं, नुकसान भी सहन करने की हम लोगों में आदत है. हमने जीवन के बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं और उसमें एक उतार-चढ़ाव और सही. लेकिन इसके कारण अपनी भावना और अपने कर्तव्यों से विमुक्त होकर भाग जाना शायद मनुष्य धर्म नहीं होगा. मुझे अपना विषय रखने दें. उपाध्यक्ष महोदय, जितने समय आप बोलें, जब बोलेंगे मैं बैठ जाऊंगा, जब आपको लगे कि कोई विषय पर रिपीट हो रहा है तो आप इशारा कर दीजिएगा, मैं बैठ जाऊंगा. मैं बार-बार न निवेदन करने वाला हूं, न यह कहने वाला हूं कि समय ज्यादा चाहिए, सदन के लिए अगर उपयोगी बात होगी तो सदन सुनेगा, नहीं तो कोई बात नहीं है. उपाध्यक्ष महोदय, जहां तक मैं अभी निवेदन कर रहा था कि पशुपालन पर अगर जीरो प्रतिशत ब्याज पर लोन देंगे तो कहीं न कहीं पशुपालन, जैविक खेती और खेती की तरक्की, किसान की विदेशी खाद और फॉरेक्स का नुकसान वह सब भी बचेगा, उसके बारे में सोचना चाहिए. मैं थोड़ा-सा बुलेट पाइंट पर आ जाता हूं कि उद्योग विभाग में भी जब हमारे यहां पर सरप्लस बिजली हो गई तो आज पूरी दुनिया में जो अभी माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय उद्योग मंत्री जी घूमे, उसका अब सकारात्मक असर आ रहा है. उस सकारात्मक असर का फायदा और उसकी बड़ी उत्सुकता से हमारे नौजवान देख रहे हैं कि कहीं प्रदेश में कुछ उद्योग बढ़े तो उन्हें भी रोजगार, काम को मौका मिले और उसमें बहुत तेजी से मैं माननीय मुख्यमंत्री जी की दो योजनाओं की बड़ी तारीफ करूंगा..

उपाध्यक्ष महोदय - अब समाप्त करें.

श्री ओमप्रकाश सखलेचा -..धन्यवाद, आप जैसा चाहें, मैं अपनी बात को यहीं विराम दे देता हूं. लेकिन मुख्यमंत्री जी की युवा उद्यमी योजना और उसके द्वारा जो मध्यप्रदेश सरकार की गारंटी पर युवाओं को एक एक करोड़ रूपये तक का लोन मिल रहा है, उसके कारण जो नये उद्योग आ रहे हैं और उद्योग के साथ में रोजगार भी पैदा हो रहा है बजाय नौकरी मांगने के देने वाले भी पैदा हो रहे हैं. लेकिन मैं यहां पर एक छोटा सा विषय और ध्यान में लाना चाहूंगा कि कई बार बड़े उद्योग वाले भी जो कि कलेक्टर के यहां पर जनभागीदारी की राशि है उ से उनके ट्रस्ट उठा रहे हैं, उस पर कहीं कण्ट्रोल करना चाहिए कि देश के बड़े बड़े बिजनिस हाऊस जनभागीदारी का पैसा जो कि कलेक्टर के पास में होता है, जिसमें जितना पैसा जनता इकट्ठा करती है उतना कलेक्टर जोड़ कर उस काम को करता है वह पैसा वास्तव में गरीबों केलिए होता है. आपने समय दिया धन्यवाद्.

          श्री शैलेन्द्र पटेल ( इछावर ) -- उपाध्यक्ष महोदय आपको बहुत बहुत धन्यवाद आपने बोलने का मौका दिया अगर सदन में वित्त मंत्री जी होते तो मेरी बात और  सार्थक होती. मैं इन लाइनों के साथ में अपनी बात की शुरूवात करताहूं. दुष्यंत जी की कुछ पंक्तियां हैं –

                                      जिंदगी का कोई मकसद नहीं है,

                                      एक भी कद आज आदमकद नहीं है,

                                      पेड़ पौधे  हैं बहुत बौने तुम्हारे,

                                      रास्तों में एक भी बरगद नहीं है.

          जो बजट यहां पर प्रस्तुत हुआ है वह आंकड़ों में तो बहुत ज्यादा दिख रहा है. लेकिन जनता के हित में जनता के विकास के लिए उसमें कोई ज्यादा आशा नहीं दिख रही है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी की हिम्मत की दाद दूंगा कि उन्होंने एक कार्यक्रम में स्वीकारा की यह बजट कामकाजी है, जब कामकाजी बजट होता है तो उसका यह ही मतलब होता है कि यह काम चलाऊ बजट है . इसमें विकास की ज्यादा योजनाएं नहीं हैं. आंकड़ो की बाजीगरी के साथ में इस बजट को प्रस्तुत किया गया है. हम बजट का जो साइज है उसका ही गुणगान कर रहे हैं कि अब इसका साइज इतना हो गया है. जब भी बजट का मुकाबला करते हैं तो 12 से 13 साल पहले जाकर मुकाबला करते हैं. उस समय देश की प्रदेश की क्या आर्थिक स्थिति थी, इकानामी के फेक्टर क्या थे, उ सकी ओर कभी कोई बात नहीं की जाती है. हम इकानामिक्स में जब भी देखते हैं तो पिछले वर्ष से या कोई देश है तो अन्य देशों से उसके आंकड़ो का आंकलन करेंगे तो शायद प्रदेश की सही आर्थिक स्थिति सामने आयेगी ऐसा कहीं से कहीं तक नहीं किया जाता है.

          उपाध्यक्ष महोदय इस बजट में आय वृद्धि का कोई विजन नहीं है. हमारी निर्भरता है वह केन्द्र सरकार के कर हैं उसकी तरफ बढ़ती जा रही है, जो पहले 32 प्रतिशत था वह अब 42 प्रतिशत हो गया है. इस ओर ध्यान नहीं जा रहा है कि अगर अनुदानों में कटौती कर दी जायेगी तो बजट की और प्रदेश की आर्थिक स्थिति क्या होगी. क्योंकि देखा गया है कि जब भी पिछले वर्षों में अनुदानों में कटौती की गई है तो मध्यप्रदेश में एक आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. इसी तरह से जो राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया गया है  वह इस मान से किया गया है कि 3.5 प्रतिशत की हमें अनुमति मिल जायेगी. अगर अनुमति नहीं मिली तो बजट की क्या स्थिति बनेगी, उस ओर ध्यान नहीं दिया गया है.

          उपाध्यक्ष महोदय एक प्रश्न मेरे मन में उठता है कि मध्यप्रदेश इस देश का एक हिस्सा है. हम सभी भारत के और इस प्रदेश के नागरिक हैं. जब देश की प्रति व्यक्ति आय की हम बात करते हैं तो वह एक लाख रूपये प्रतिवर्ष के आसपास है लेकिन हमारे प्रदेश में जो प्रति व्यक्ति आय है वह 60 हजार रूपये प्रति वर्ष है, लगभग 40 मतलब आधे का अंतर है. जब तक हम प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने के प्रयास नहीं करेंगे तब तक प्रदेश की तरक्की के रास्ते नहीं निकल पायेंगे. घर चलाने के लिए आय के साथ में खर्चों की कटौती की जाती है तो आय वृद्धि के लिए क्या रास्ते अपनाये हैं और क्या कटौती की ओर हमारी प्लानिंग है, उस ओर हमने ध्यान नहीं दिया है.

          उपाध्यक्ष महोदय शराब से हमारे प्रदेश में बिक्री कर से19 प्रतिशत की आय हुई है. इस प्रदेश में गुमाश्ता कानून लागू है. दूध की दुकान तो 9 बजे बंद हो जाती है लेकिन शराब की दुकान 11 बजे बंद होती है. इ स प्रदेश के हम कहां लेकर जायेंगे, कहां नशाखोरी में युवा जायेंगे यह एक सोचने और समझने की बात है.

          श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- यह 11 बजे क्यों गये पहले तो यह बतायें. इनको कैसे पता कि 11 बजे बंद होती है 11 बजे यह कहां गये थे, यह भी सदन से लाइन देना चाहिए कि सदस्य 11 बजे शराब की दुकान पर घूमें यह ठीक नहीं लगता है.

          श्री शैलेन्द्र पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस सदन के बारे में मेरे बारे में बात नहीं करना चाहता, प्रदेश की बात करना चाहता हूं प्रदेश में कर्ज की बेतहाशा वृद्धि हो रही है यह प्रति व्यक्ति 11हजार से 14 हजार रूपये हो गया है और स्थिति यह हो गई है कि राहत इंदौरी की कुछ पंक्तियां याद आती हैं --  

                                       सारी बस्ती कदम में है

                                       यह भी फनकारी है,

                                      वरना बदन को छोड़कर

                                      सब कुछ सरकारी है.

यदि हम देखें तो आज की स्‍थिति कर्ज की यही है, इसी ओर प्रदेश जा रहा है. प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ रही है. रोजगार कार्यालय के वर्ष 2015 के जो आंकड़े हैं उनके अनुसार 15.60 हजार युवा बेरोजगार हैं और कृषि में जो डिसगाइज्ड अनइम्‍प्‍लायमेंट है वह काउन्‍ट ही नहीं होता क्‍योंकि रोजगार कार्यालय में पढ़े-लिखे लोगों का ही पंजीयन होता है, जिनके पास 12वीं की मार्कशीट है. कृषि की यदि हम बात करें तो दलहन और तिलहन का लगातार उत्‍पादन गिर रहा है और सूबे के मुख्‍यमंत्री कहते हैं कि मेरे स्‍वयं के खेत में तीन लाख रुपये की आमदनी एक एकड़ से होती है. मैं तो यह मानूंगा कि अगर किसान के खेतों में यह होने लगेगी तो गांव-गांव में उनके मंदिर बन जाएंगे. उनसे अनुरोध करता हूँ कि वे टिप्‍स अपने जिले में ही दे दें और वे सुविधाएं उपलब्‍ध करा दें ताकि किसान का विकास हो सके और किसान की भी आमदनी उस तरीके से बढ़े और कहीं न कहीं आत्‍महत्‍या का वे विचार छोड़ सकें.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, दूध के उत्‍पादन की बात हुई है और एक बहुत अच्‍छी योजना चालू की गई है महान संत के नाम पर, इसलिए मैं वित्‍त मंत्री जी का धन्‍यवाद देना चाहता हूँ कि उन्‍होंने आचार्य विद्यासागर जी के नाम पर यह कार्य किया है लेकिन इस ओर भी हमें ध्‍यान देना होगा कि पिछले 6 वर्षों में प्रदेश में एक करोड़ पशुधन की कमी आई है. हम एक तरफ कहते हैं कि पशुधन इतना बढ़ गया है जबकि पशुधन की कमी आई है. गुजरात का एक जिला मेहसाणा है उसका दूध का उत्‍पादन 43 लाख लीटर है और मध्‍यप्रदेश का 13 लाख लीटर है तो गुजरात के एक जिले के दूध उत्‍पादन से तुलना करें तो हम उस जिले से भी पीछे हैं. हम सभी अमूल को जानते हैं लेकिन प्रदेश का ऐसा कौन सा मक्‍खन है जिसे हम जानते हैं ? गुजरात का लिज्‍जत पापड़ सब जानते हैं मध्‍यप्रदेश का कौन सा पापड़ हम जानते हैं ? जब तक हम छोटे, लघु और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा नहीं देंगे तब तक देश की आर्थिक प्रगति में प्रदेश बहुत पीछे रहेगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, जैविक खेती में देश में हम नंबर वन है लेकिन मेरे मन में एक सवाल उठता है कि जैविक उत्‍पादों की बिक्री में हम कहां पर हैं ? हमारा जैविक उत्‍पाद हुआ तो गया कहां ? क्‍या बिक्री हुई ? किसानों को क्‍या फायदा हुआ ?  इसकी बात कहीं नहीं की गई लेकिन जो रजिस्‍ट्रेशन के नाम पर जैविक खेती में नंबर वन है उस पर सवाल उठता है. सामाजिक सरोकार के नाम पर 37.18 प्रतिशत का इस बजट में इन्‍क्‍लुजन है लेकिन बाद में उसकी कटौती कर दी जाती है बीच वर्ष में, वह कटौती कम से कम बीच वर्ष में न की जाए.    माननीय उपाध्‍यक्ष जी, आपकी अनुमति से अन्‍य प्रदेशों से मैं अपने प्रदेश की तुलना करना चाहता हूँ कि अगर हम 21 बड़े प्रदेशों से हमारे प्रदेश की तुलना करें तो हम शिक्षा में 16वें नंबर पर हैं. आज भी स्‍कूलों में बाऊन्‍ड्री वाल नहीं हैं, लाइट नहीं है, पहुँच मार्ग नहीं हैं, राइट टू एजूकेशन के अंतर्गत जितने स्‍कूल होने चाहिए उतने स्‍कूल नहीं बन पाए, इसके लिए  हम क्‍या विजन बना रहे हैं इसके बारे में भी हमें सोचना होगा और शिक्षा का स्‍तर कहां जा रहा है इस ओर भी हमें देखना होगा. प्रदेश में डॉक्‍टरों की कमी के बारे में हम सभी जानते हैं. आज प्रदेश रेप में नंबर वन है, हत्‍या में अव्‍वल है, महिला अपराध में नंबर वन है और प्रति व्‍यक्‍ति पुलिस बल की कमी को अभी तक पूरा नहीं किया गया है इसलिए हम अपराध के अंकुश की श्रेणी में 19वें नंबर पर हैं और केवल दो राज्‍य पीछे रह गए हैं. समावेशी विकास में हम 15वें नंबर पर हैं, निवेश में 21 में से 20वां नंबर है और सत्‍ता के विकेन्‍द्रीकरण में जिसमें कि पंचायती राज की बात होती है, हमारा स्‍थान 18वां है. मेक्रोइकॉनॉमी में 19वां स्‍थान है, पर्यावरण में 13वां और साफ-सफाई के मामले में पूरे देश में मध्‍यप्रदेश का 21वां स्‍थान है. ये आंकड़े एक सर्वे की रिपोर्ट में सामने आए हैं. मैं अपने क्षेत्र की एक बात करके अपनी बात को समाप्‍त करूंगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- विभाग की मांगों पर चर्चा के दौरान क्षेत्र की बात कर लेना, अब आप समाप्‍त करें.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल -- मैं दो मिनट में अपनी बात समाप्‍त करूंगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, अब आप अपनी बात कुछ वाक्‍यों के साथ समाप्‍त करें, इससे ज्‍यादा इजाजत नहीं दी जा सकती.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल -- उपाध्‍यक्ष महोदय, सिंचाई की आवश्‍यकता बहुत है. नर्मदा-पार्वती लिंक योजना जब तक क्षेत्र में नहीं आएगी तब तक गेहूँ का उत्‍पादन वहां का नहीं बढ़ेगा. अंत में एक लाइन के साथ अपनी बात समाप्‍त करना चाहता हूँ -

          अभी समय है  सुधार कर लो,  ये आनाकानी नहीं चलेगी,

          सही को नकली मोहर लगाकर,  गलत कहानी नहीं चलेगी,

          चमन के कांटों की बदतमीजी का हाल ये है कि कुछ न पूछो,

          हमारी  मानो  तुम्‍हारे  ढंग  से   ये बागवानी  नहीं  चलेगी.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री राजेन्‍द्र फूलचंद वर्मा (सोनकच्‍छ) -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद. मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी द्वारा पेश किए गए बजट के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. यह जो मध्‍यप्रदेश सरकार का बजट है, यह गांव, गरीब किसान का, दीन, दुर्बल, निर्धन, असहाय का बजट है. रोटी, कपड़ा, मकान और पढ़ाई, दवाई, कमाई का बजट है. हम लोग जिस विधारधारा से आते हैं वह विचारधारा ऐसी है कि हर खेत को पानी, हर हाथ को काम, गरीब अनुसूचित जाति की झोपड़ी में सुविधा तमाम और अयोध्‍या में श्रीराम.

                                                                              

          उपाध्यक्ष महोदय, हम दीनदयाल जी की विचारधारा को मानने वाले लोग हैं और उस विचारधारा का अर्थ यह है कि  जो समाज में सबसे पीछे और सबसे नीचे हैं उनके कल्याण के लिए हमको काम करना है. दीन दु:खी गरीब ही हमारा दरिद्र नारायण है यह हमको बरसों से सिखाया गया है और उसी के लिए यह बजट मध्यप्रदेश सरकार का है. यदि इस बजट को देखें तो एक तरफ इसमें दीनदयाल उपाध्याय जी का एकात्म मानववाद है और दूसरी तरफ देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का भी विकास का रोल मॉडल है. कोई भी सरकार की अवधारणा यह होती है या लोकतंत्र की अवधारण यह होती है कि जनता का, जनता के लिए,जनता के द्वारा(for the people,by the people,of the people). हम राजनीति में क्यों आये हैं? हम राजनीति में इसलिए आये हैं कि जनता के कल्याण के लिए, समाज के कल्याण के लिए, गरीब के कल्याण के लिए, समृद्ध विकसित मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए. मैंने मुकेश नायक जी का भी भाषण सुना, गोविन्दसिंह जी का भी सुना, सभी वक्ताओं का सुना. सब का बार बार यही कहना था कि जब मैहर के चुनाव की बात आयी तो तिवारी जी ने खड़े होकर कहा कि 7 हजार कुछ नाम उसमें जोड़ दिये. एक चुनाव नहीं, दो चुनाव नहीं, तीन-तीन बार मध्यप्रदेश की जनता ने मध्यप्रदेश की सरकार के लिए हमको जनादेश दिया है. लोक सभा की 26 सीटें हमारे पास हैं. 16 में से      16 नगर निगम हम लोग जीते हैं, कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया. 51 में से 46 जिला पंचायतें हमारे पास हैं. यह कहीं न कहीं इंगित करता है कि  मध्यप्रदेश की जनता का हमारे ऊपर  विश्वास है. जनता इस बात के लिए मध्यप्रदेश की कुंजी हमारे पास देना चाहती है, उसकी चाबी हमारे पास दे देना चाहती है कि हम वास्तव में मध्यप्रदेश का विकास करेंगे,शोषित पीड़ित के साथ न्याय करेंगे, गरीब के चेहरे पर हम लाली लायेंगे इसलिए मध्यप्रदेश की सरकार के रुप में हमको जनता ने जनादेश दिया है.उपाध्यक्ष महोदय, तीन चीजें किसी भी प्रदेश के लिए, किसी भी मिशन के लिए बहुत जरुरी होती हैं कि नेता ठीक हो, नेता की  नीति ठीक हो और उसकी नीयत ठीक हो. यहां नेता भी ठीक है, गरीब के कल्याण की नीति भी ठीक है और सरकार की मंशा के रुप में उसकी नीयत भी ठीक है.

          उपाध्यक्ष महोदय, यदि मैं बजट की बात करुं तो जो लगातार कल से अभी तक और अभी से नहीं साल भर से इस सदन में हम लोग सुनते आ रहे हैं कि केन्द्र से पैसा बंद हो गया. केन्द्र से पैसा नहीं आ रहा है. केन्द्र ने ये कर दिया. मैं पूरी विनम्रता के साथ बताना चाहता हूँ कि 2015-16 में 53457 करोड़ रुपये केन्द्र की तरफ से हम लोगों को मिले हैं. केन्द्रीय करों में राज्य का हिस्सा जो पहले 42 प्रतिशत था, वह 42 प्रतिशत हमको मिला है या अऩ्य फण्ड या जो जो मध्यप्रदेश सरकार को केन्द्र से मदद मिलने की बात हो, वह लगातार हम लोगों को मिल रही है. मध्यप्रदेश की विकास दर 10 प्रतिशत डबल डिजिट में है. उसका मैं रिपीटेशन करना नहीं चाहता लेकिन  पिछले 8 सालों से हमारी यह डबल डिजिट में ग्रोथ रेट बनी हुई है. इसके लिए मैं माननीय वित्त मंत्री जी का और मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों का धन्यवाद करना चाहता हूँ.

          उपाध्यक्ष महोदय, यदि मैं कृषि की बात करूं तो हम सब लोग ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं. चार चार बार कृषि कर्मण पुरुस्कार, उस पर भी बहुत सारी बात हो गयी कि कैसे मिला, क्या मिला. उस पर मुझे बहुत ज्यादा कुछ कहना नहीं है लेकिन कृषि की विकास दर 20 प्रतिशत है, हम कल्पना नहीं कर सकते लेकिन आज 20 प्रतिशत कृषि की हमारी विकास दर बनी हुई है उसके बारे में भी कल माननीय मुख्यमंत्री जी ने बहुत विस्तार से बताया था. शून्य प्रतिशत पर ब्याज इसकी कभी कोई कल्पना नहीं कर सकता था. कहां पहले 18 प्रतिशत, 16 प्रतिशत, 14 प्रतिशत, 12 प्रतिशतआज हम किसान को जीरो परसेंट ब्याज पर ऋण दे रहे हैं और यह जीरो परसेंट ब्याज किसान को मुख्यधारा में लाने का काम करेगा, खेती को लाभ का धंधा बनाने का काम करेगा. खाद के अग्रिम भण्डारण की बात हो उस पर भी मध्यप्रदेश सरकार ने बहुत गंभीरतापूर्वक सोचा. नहीं तो पिछली सरकार के समय कभी शिवराज जी को रेल मंत्री जी के पास जाना पड़ता था कि रैक का आवंटन करिये. कभी का खाद्य मंत्री के पास जाना पड़ता था. आज स्थिति यह है कि पूरे प्रदेश में खेती का पूरा सीजन हमारा निकल गया लेकिन कहीं खाद की किल्लत का एक समाचार हमको पढ़ने को नहीं मिला.  मैं इसके लिए भी मध्यप्रदेश सरकार का हृदय से धन्यवाद करना चाहता हूँ. बिजली की बात हो तो आज 16116 मेगावाट   बिजली हम उत्पादन कर रहे हैं और आगामी 2018 तक इसको  18 हजार मेगावट करने का हमारा लक्ष्य है. 24 घंटे बिजली देने की बात हो या 10 घंटे कृषि कार्य के लिए बिजली की बात हो, यह कभी हो नहीं सकता था. जब जिस समय शिवराज जी कहते थे उस समय हमारे कांग्रेस के मित्र उपहास उड़ाते थे कि impossible यह कभी हो नहीं सकता. उस स्थिति में आज कृषि के लिए किसान को बिजली मिल रही है और किसान को चाहिए क्या. अच्छा खाद, बिजली, पानी. आज वह तीनों स्थिति प्रमाणित बीज किसान को मिल रहा है. अच्छी बिजली मिल रही है. सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है तो कृषि की ग्रोथ रेट बढ़ रही है. चार चार बार कृषि कर्मण पुरूस्कार हमको मिल रहा है.

            उपाध्यक्ष महोदय, आज हम गेहूं के उत्पादन की यदि बात करें तो मध्यप्रदेश हिंदुस्तान के दूसरे नंबर के राज्य के रूप में है , यह हमारे लिए गौरव की बात नहीं है , यह विपक्ष के मित्रों के लिए गौरव की बात नहीं है ?

          उपाध्यक्ष महोदय--  राजेन्द्र जी दो मिनट में समाप्त कर दें.

          श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा--- उपाध्यक्ष जी , जब  आप कहेंगे मैं तब बैठ जाऊँगा मुझे कोई दिक्कत नहीं है. मैं अनुसूचित जाति से आता हूं उस विषय पर मुझे कहना था लेकिन आप कहेंगे तो बैठ जाऊँगा क्योंकि मैं तो बचपन से संसदीय परंपराओं को मानने वाले परिवार से आता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं स्वयं अनुसूचित जाति वर्ग से आता हूं, भीमराव अंबेडकर जी जो संविधान निर्माता थे, जिनके कारण मैं या अनुसूचित जाति का व्यक्ति इस हाउस में आ पाता है.  उनकी 125वीं जन्म जंयती इस वर्ष मनाने जा रहे हैं. महू की चिंता यदि किसी ने करी तो शिवराज सिंह चौहान जी ने करी . पहले भी मुख्यमंत्री होते थे और अंबेडकर जी की जन्मस्थली पहले भी वही थी . ऐसा नहीं हुआ है कि शिवराज जी के आने के बाद अंबेडकर जी की जन्मस्थली बनी है . उपाध्यक्ष महोदय, मुझे पूरे हाउस को बताते हुए बड़ी प्रसन्नता है कि अंबेडकर जंयती का जो बड़ा महाकुंभ वहाँ पर लगता है उसकी कल्पना हम नहीं कर सकते हैं, पूरे देश से लोग वहाँ पर श्रद्धा के साथ आते हैं और बाबा साहेब अंबेडकर के चरणों में अपना शीश नवाते हैं. उनकी मृत्युभूमि दिल्ली में , उस बंगले को किसी ने लाने का काम किया तो श्री अटलबिहारी बाजपेई जी ने किया. उस समय भी सरकार होती थी, उस समय भी बाबासाहेब की मृत्युस्थली वही थी और जन्मस्थली वही थी. मुख्यमंत्री तब होते थे, प्रधानमंत्री तब भी होते थे  लेकिन अनुसूचित जाति के बाबा भीमराव अंबेडकर जी के सम्मान को , अनुसूचित जाति के लोगों को उनके तीर्थदर्शन का एक स्थान उपलब्ध कराने का काम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी व पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी जी ने किया . अनुसूचित जाति के बेटे के लिए किराये के मकान के पैसे की व्यवस्था की गई, मेरे सहित बहुत से अनुसूचित जाति के मिडिल क्लास फैमिली के बच्चे यहाँ पर आते हैं , आप कल्पना कीजिये कि मेरी अच्छी पढ़ाई नहीं होती तो क्या आज मैं यहाँ भाषण कर पाता या इस हाउस में आ पाता ? प्रतिभायें किसी चीज की मोहताज नहीं है, टैलेंट सब में है लेकिन उसको गढ़ने की आवश्यकता होती है, यह उसी प्रकार का काम है कि कुम्हार के पास तो कच्ची मिट्टी आती है आकार देने का काम उसका होता है. अनुसूचित जाति के बच्चों को गढ़ने का काम यदि किसी ने किया तो वह शिवराज जी ने किया है. मैं ह्रदय से उनका धन्यवाद करना चाहता हूं. उन्होंने अनुसूचित जाति के झोपड़ी में रहनेवाले बच्चे की और बिटिया की चिंता शिवराज जी ने की है.

          उपाध्यक्ष महोदय--- अब आप समाप्त करें,आपने बहुत महत्वपूर्ण बातें कह ली हैं.

          श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा---उपाध्यक्ष महोदय, मैं  दो मिनट में समाप्त कर दूंगा , दो-तीन बातें और कहना है. हर मां-बाप चाहे अनुसूचित जाति वर्ग के हों उनका भी  सपना होता है कि मेरा बेटा डॉक्टर , इंजीनियर बने उस अनुसूचित जाति के परिवार के सपने को साकार करने का काम शिवराज सरकार ने किया है . प्राइवेट मेडीकल कालेज की फीस की बात हो उस दिशा में  भी  सरकार ने कार्य किया है, मैं उसके लिए भी उनका ह्रदय से धन्यवाद करना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, 17 अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों को सरकार  उच्च शिक्षा के लिए विदेश में भेज रही हैं, यह छोटी बात नहीं है. इस वर्ग के लोगों के लिए यह बहुत गर्व की बात है अनुसूचित जाति वर्ग का नौजवान विदेश में जाएगा औऱ पढ़ाई करके जब वह वापस भारत आएगा तो यह हमारे लिए गर्व की बात होगी, मध्यप्रदेश सरकार के लिए भी छाती चौड़ी करने की बात होगी कि विदेश से पढ़कर आने वाला नौजवान मध्यप्रदेश की धरती का है. उपाध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति वर्ग के 90 बच्चों को आईएएस की कोचिंग के लिए दिल्ली में व्यवस्था शिवराज सिंह चौहान जी ने की है. मैं फिर उसी बात पर आता हूं कि मुख्यमंत्री पहले भी होते थे ,सरकारें तब भी होती थी लेकिन उनकी न नीयत ठीक थी न नीति ठीक थी , न नेता ठीक थे. इसलिए मेरा बार-बार यह कहना रहता है कि जो काम करे उसकी पीठ थपथपाना चाहिए. मेरा प्रतिपक्ष के मित्रों से आग्रह है कि यह हाउस स्वस्थ् आलोचना के लिए है. आलोचना होना चाहिए लेकिन जहाँ सकारात्मक और रचनात्मक बात हो तो उसमें हमें सहयोग भी करना चाहिए. मैं अंत मैं अपनी बात इन लाइन के बाद समाप्त करना चाहता हूं कि

                                    हो   ख्याल   तो   मेरे   साथ   चलो,

                                    बुला रहा हो सवेरा तो मेरे साथ चलो.

                                    मैं जा रहा हूं उजालों की तमन्ना लेकर,

                                    सता रहा हो अंधेरा तो मेरे साथ चलो.

           बहुत-बहुत धन्यवाद आपने बोलने का अवसर दिया.

          श्री कमलेश्वर पटेल(सिंहावल)माननीय उपाध्यक्ष महोदय,  माननीय वित्तमंत्री जी द्वारा जो बजट रखा गया है , मैं समझता हूं कि यह एक सामान्य प्रक्रिया के तहत रखा गया है, इसमें नया कुछ भी नहीं है , एक औपचारिकता निभाई गई है. बजट पिछले वर्ष भी आया था . माननीय वित्त मंत्री महोदय तो भूल गये होंगे कि पिछले वर्ष बजट में क्या-क्या प्रावधान किया था और उनकी वर्तमान में क्या स्थिति है. कितना क्रियान्वयन हुआ, कितना नहीं हुआ. अगर आप देखने जाएँगे, उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री महोदय के संज्ञान में लाना चाहूँगा कि पिछले बजट में कहा गया था कि सिंगरौली जिले को दो लाइन से जोड़ दिया जाएगा. अभी तक काम पूरा नहीं हुआ. कहा गया था कि 2500 किलोमीटर सड़कें बनेंगी, 50 पुल बनेंगे. इसके लिए 33,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, यह भी कहा गया था. उपाध्यक्ष महोदय, पिछले बजट में ही आपने बताया था कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2014 में 194 प्रस्तावों के लिए करोड़ों के प्रस्ताव मिले, इससे प्रदेश का कायाकल्प हो जाएगा. अब फिर 2016 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट करने जा रहे. इधर खेती का रकबा बढ़ा नहीं है. दूसरी तरफ, उद्योगों को जमीन भी दे रहे. खेती का रकबा भी बढ़ा नहीं है, उद्योगों के लिए जमीन भी बाँटे जा रहे हैं तो दोनों काम एक साथ कैसे हो सकते हैं और एक तरफ राज्य सरकार कहती है कि और जमीन लेकर आएँगे तो कहाँ से जमीन लेकर आएगी और दूसरी तरफ कृषि कर्मण अवार्ड भी ले रहे हैं. रकबा क्या मध्यप्रदेश सरकार कहीं बाहर से लेकर आ रही है? बड़ा आश्चर्यजनक विषय है. उपाध्यक्ष महोदय, पिछले बजट में 1000 करोड़ रुपये की पेयजल योजनाओं को चालू करने का वादा किया गया था. यह कहा गया था कि 2015-16 में भी सब पूरी हो जाएँगी. आज क्या स्थिति है, कहाँ गए बजट के पैसे? लोग पानी के लिए परेशान हैं. कल भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल में भी इस बात का विरोध हुआ था और हमने भी आज समाचार-पत्रों के माध्यम से इस बात को पढ़ा है कि किस तरह से पेयजल की समस्या को लेकर लोग परेशान हैं. उपाध्यक्ष महोदय, पिछले बजट में यह भी कहा गया था कि नलजल परियोजनाओं को सोलर पंप से जोड़ दिया जाएगा. आज क्या स्थिति है. कोई बता नहीं रहा. सरकार जवाब नहीं दे पा रही है.

          उपाध्यक्ष महोदय, राजीव आवास योजना में 15,340 आवासों को स्वीकृति दी गई थी. क्या यह सब आवास बन गए? किनको मिले, कोई पता नहीं है. वही बातें फिर रिपीट की जा रही हैं. उपाध्यक्ष महोदय, यह भी दावा किया गया था कि इंजीनियरिंग कॉलेजेस और 10 संभाग के आई टी आई को सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जाएगा. क्या यह काम हो गया है? ऐसे वादों पर कौन भरोसा करेगा? उपाध्यक्ष महोदय, यह पिछले बजट में जो माननीय मंत्री जी ने यहाँ प्रस्तुत किया था वह बातें हैं. उपाध्यक्ष महोदय, यह भी कहा गया था कि 2015-16 तक 300 गाँवों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट व्यवस्था लागू कर दी जाएगी. क्या हुआ, हो गया? कहाँ हुआ? कहीं  पता नहीं है. कुछ बातें तो दुबारा कह दी गई हैं. जैसे पिछले बजट में कहा गया था कि अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना की राशि 50,000 से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी जाएगी. इस बजट में भी बिल्कुल यही वाक्य दोहराया गया है. सदन में गलत बयानी की गई है. यह चिन्ता का विषय है. उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह सरकार ने वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के क्षेत्र में निजी पूँजी निवेश के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव दिया था. उसका क्या हुआ, कुछ पता नहीं. पिछले बजट में घोषणा की गई थी कि चालक, परिचालक, कल्याण बोर्ड का गठन होगा. कौन इसका अध्यक्ष है, या क्या कर रहा है, कहाँ है, इसका ऑफिस कहाँ है, कुछ पता नहीं है. माननीय वित्त मंत्री जी या सरकार कम से कम सत्ता पक्ष के सदस्यों को तो बता दें. इसी तरह शासकीय सेवा में महिलाओं को 730 दिन का शिशु-पालन अवकाश देने की बात पिछले बजट में की गई थी. आज पूरे प्रदेश में भ्रम की स्थिति है. जिन बहनों ने आवेदन दिए. उनके आवेदन निरस्त हो गए, यह हालत है. इसी तरह 300 करोड़ की सर्व सेवा परियोजना बनाने की चर्चा पिछली बार की गई थी. क्या वह लागू हो गई? शायद सत्ता पक्ष के सदस्यों को मालूम होगा.

          उपाध्यक्ष महोदय, सरकार बार-बार 2003 से अब के विकास की तुलना करती है. इससे जाहिर है कि सत्ता पक्ष को 2003 की स्थिति का अँदाजा नहीं है. यह आश्चर्य है क्योंकि 2003 में सब ने वह दौर देखा है 45 जिलों में से 33 में अति कम वर्षा के कारण सूखे की स्थिति बनी थी. उस समय भाजपा की सरकार केन्द्र में थी. मध्यप्रदेश के लाख चाहने के बावजूद कोई राहत राशि नहीं मिली थी. यह 2003 की स्थिति थी. इसी तरह इसके ठीक उल्टे माननीय मनमोहन सिंह जी की जब सरकार थी उस समय मध्यप्रदेश को भरपूर मदद भाजपा सरकार को मिली है. चाहे वह प्रधानमंत्री सड़क योजना का हो, बिना किसी भेदभाव के, चाहे यहाँ पर राहत राशि का हो, हर राशि में बराबर पैसा मिला है.

 

04.25 बजे      {सभापति महोदय (डॉ. गोविन्द सिंह) पीठासीन हुए.}

 

            श्री कमलेश्वर पटेल--सभापति महोदय, सत्तापक्ष के साथी बात करते हैं कि कांग्रेस सरकार ने कुछ किया ही नहीं.

          श्री रणजीत सिंह गुणवान--केन्द्र में जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय दो साल तक मनरेगा का पैसा नहीं दिया था. आप सही तो बोलो.

          श्री कमलेश्वर पटेल--आप बैठ जाइये आप बुजुर्ग हैं आपका हम सम्मान करते हैं. क्या सही बोलें. केन्द्रीय मदों में प्रदेश को जो हिस्सा मिलता था उसमें 30 प्रतिशत कटौती हो गई है आप थोड़ा सा अध्ययन कर लीजिए. प्रदेश सरकार को पहले योजनाओं में 10, 20 प्रतिशत राशि मिलाना पड़ती थी अब 40 प्रतिशत मिलाना होगी. मोदीजी की सरकार आते ही बीआरजीएफ योजना बंद हो गई. हम लोग बहुत देर से गुणगान सुन रहे हैं सत्तापक्ष के लोग वही बात बार-बार कह रहे हैं जैसे पता नहीं धरती पर क्या उतर आया है, पता नहीं कितने लोग मंत्री बनने की लाइन में लगे हैं असत्य गुणगान करने में लगे रहते हैं सच्चाई तो जब आप बाहर मिलते हैं तब समझ में आती है. अगर सारी चीजें ठीक चल रही हैं तो आप लोग क्यों प्रश्न लगाते हैं. शिक्षा विभाग के बारे में सदन के अन्दर ही मैंने कल सुना है एक साथी ने यहीं पर चर्चा की थी जबलपुर में शिक्षा उद्योग स्थापित हो गया है. क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है. बजट में हर वर्ष राशि दी जाती है उसमें से ज्यादातर राशि तो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है.

          सभापति महोदय, आपके माध्यम से मैं वित्त मंत्रीजी से जानना चाहता हूँ कि मुख्यमंत्रीजी ने अभी तक प्रदेश में कितनी घोषणाएं की हैं. मेरे जिले में मुख्यमंत्रीजी ने हजारों घोषणाएं की हैं मेरे विधानसभा क्षेत्र में भी घोषणाएं की हैं परन्तु चार वर्ष हो गए हैं अभी तक कोई क्रियान्वयन नहीं हुआ है. वह चाहे पुल निर्माण हो, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हो. हमारे यहां राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य चल रहा है सीधी से सिंगरौली जिला मुख्यालय की सड़क देखने लायक बनती है मुख्यमंत्रीजी खुद गये थे धूल के गुब्बारे में होकर आये थे. वहां आये दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं उसकी सरकार को कोई चिन्ता नहीं है. अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं, कहते हैं और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोल देंगे, जिला चिकित्सालयों को अपग्रेड कर देंगे. बिना संसाधन के आप सिर्फ भवन बना देंगे उसमें क्या कोई मशीन रख देंगे क्या उससे संचालन हो जायेगा.

          सभापति महोदय--अब आप बैठ जाइये आपके समय से 3 मिनट ज्यादा हो गये हैं.

          श्री कमलेश्वर पटेल--मुझे आपका संरक्षण चाहिये. मेरी बात को गंभीरता से लें वर्तमान में जो स्थिति है.

          सभापति महोदय--आपका समय हो गया है अब आप बैठ जाइये. श्री लखन पटेल जी अपना भाषण प्रारंभ करें. अब सिर्फ श्री लखन पटेल का ही भाषण लिखा जाएगा.

          श्री कमलेश्वर पटेल--(xxx)

          सभापति महोदय--अब आप बैठ जायें लिखा भी नहीं जा रहा है.

          श्री कमलेश्वर पटेल--(xxx)

          सभापति महोदय--अब आप बैठ जायें.आपका लिखा नहीं जा रहा है.

          श्री कमलेश्वर पटेल--(xxx)

          श्री लखन पटेल(पथरिया):- सभापति महोदय, मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी द्वारा प्रस्‍तुत बजट का समर्थन करता हूं, मेरे भाजपा के विधायकों ने जिस बात को कहा है उसका मैं समर्थन करता हूं और अपनी बात प्रारंभ करता हूं. माननीय सभापति महोदय, यह बजट गांव, गरीब और मजदूर का बजट है. खास तौर पर इस बजट में कृषि और किसानों के लिये सुविधा दी गयी है, उनके लिये मैं बात करना चाहता हूं. वैसे तो किसानों के पिछले दो-तीन वर्ष मौसम के कारण बड़े खराब रहे हैं. परन्‍तु इस बार ओर ही विचित्र स्थिति बनी,कहीं पर बहुत अधिक बारिश हुई, कहीं पर बिल्‍कुल बारिश नहीं हुई इसलिये खरीफ की फसलें सारी खराब हुई. हमारे संवेदनशील मुख्‍यमंत्री जी ने एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर 4600 करोड़ रूपये की राहत किसानों के खातों में पहुंचायी है. यह काम इतना सरल नहीं है जितना लोग कह रहे हैं. इसको पहुंचाने के लिये शासकीय बैंको और जिला सरकारी केन्‍द्रों का बहुत योगदान है. दूसरी तरफ जो राष्‍ट्रीय कृषि फसल बीमा योजना चल रही थी उसकी मानीटरिंग करके उसके दावे भी स्‍वीकृत किये गये हैं, जिसके कारण लगभग 4300 करोड़ रूपये की राशि किसानों के खाते में शीघ्र जायेगी. इस‍के लिये मैं वित्‍त मंत्री से अनुरोध करना चाहता हूं कि अगर यह राशि मार्च के अंत तक उनके खाते में पहुंच जायेगी तो किसान डिफाल्‍टर होने से बच जायेंगे. दूसरी तरफ जहां सरकार ने स्‍वाईल हैल्‍थ कार्ड का भी प्रस्‍ताव किया है, यह बहुत ही सराहनीय हैं चूंकि किसान इस बात को जान सके की उसकी जमीन का स्‍वास्‍थ्‍य कैसा है, किसान अभी बहुत ज्‍यादा इस बारे में नहीं जानते. नाईट्राजन, फास्‍फोरस और पोटाश (एन पी के) के बारे में जरूर चर्चा करते हैं, लेकिन जो माईक्रो न्‍यूट्रीशियन्‍स है उनके बारे में उनको जानकारी नहीं होती है. यह स्‍वाईल हैल्‍थ कार्ड बनने से लोगों की जमीन में कितनी सल्‍फर की आवश्‍यकता है, कितनी पोटेशियम की आवश्‍यकता है यह उससे जानकारी लगेगी. जिससे किसान अपनी अधिक से अधिक पैदावार ले सकेंगे.

          सभापति महोदय, दूसरी तरफ जैविक खेती को प्रोत्‍साहित करने के लिये परम्‍परागत कृषि विकास योजना लागू की गयी है और मुझे कहते हुए प्रसन्‍नता है कि हमारा प्रदेश जैविक खेती में नंबर वन है और जैविक खेती पर सरकार का बड़ा फोकस है. वहीं दूसरी तरफ कृषि यंत्रीकरण के लिये बढ़ावा दिया जा रहा है, प्रति हैक्‍टेयर प्रति किलोवाट जो पहले .083 प्रतिशत हुआ करता था, अभी वह बढ़कर 1.73 किलोवाट प्रति हैक्‍टेयर हो गया है. इसी को और बढ़ावा देने के लिये सरकार ने कस्‍टम हायर यूनीट्स की स्‍थापना की है और कस्‍टम हायर यूनीट्स की स्‍थापना होने से जो छोटे किसान हैं उनका कम दरों पर खेती का कार्य कम दरों में हो जाता है. उनको उसका लाभ भी मिल रहा है. जहां तक किसानों के उपज के मूल्‍य का सवाल है, वहां पर सरकार ने इस बजट में वित्‍त मंत्री जी ने मंडियों को कम्‍प्‍यूटर से जोड़ने की व्‍यवस्‍था की है. इस योजना के तहत प्रारंभ में 50 कृषि उपज मंडियों को कम्‍प्‍यूटर से जोड़ने का काम किया है. जिससे  किसान अपने घर बैठकर, जहां पर अधिक मूल्‍य होगा वहां पर अपनी उपज बेच सकेगा. जहां शिक्षा और कृषि अनुसंधान के लिये सरकार ने पिछले 10 वर्षों में दो कृषि महाविद्यालय खोले हैं और इस वर्ष भी एक कृषि महाविद्यालय खोलने की बात कही है. मैं इसका स्‍वागत करता हूं.

          सभापति महोदय:- अब समाप्‍त करिये, आपके समय से एक मिनिट ज्‍यादा हो गया है. अध्‍यक्ष जी का निर्देश है कि पांच मिनिट में आपको बात समाप्‍त करनी है. वित्‍त मंत्री जी वैसे ही सब व्‍यवस्‍था कर देंगे.

          श्री लाखन पटेल :- सभापति महोदय,वित्‍त मंत्री जी की कि कृपा तो है, हमको बात करने का मौका तो मिलना चाहिये. मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी से मांग भी करना चाहता हूं कि अगर हमारे क्षेत्र में भी अगर एक कृषि महाविद्यालय अगर खोलेंगे तो उनकी बड़ी कृपा होगी. अभी डेयरी की बात चल रही थी. कई सदस्य दूध उत्पादन की बात कर रहे थे कि हमारा प्रदेश दुग्ध उत्पादन में चौथे नंबर पर है. एक सुझाव के साथ मैं अपनी बात कहना चाहता हूं कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों में एन.सी.एल. बनाया जाता है. उस एन.सी.एल. का 50 परसेंट उसके घर खर्च के लिये और 35 परसेंट क्राप लोन या शार्ट टर्म कर्जे के लिये  होता है और 15 परसेंट जो टर्म लोन रीपेमेंट के लिये होता है उससे उन किसानों को एक-एक गाय अगर हम देंगे क्योंकि प्रदेश में 46 लाख किसानों को कापरेटिव्ह के माध्यम से  किसान क्रेडिट कार्ड दिये गये हैं और उन किसानों को अगर हम एक-एक गाय दे दें तो जो 15 परसेंट एन.सी.एल. का प्रावधान होता है तो प्रतिदिन लगभग 1 लाख 80 हजार लीटर दूध इस प्रदेश में बढ़ जायेगा. इसके लिये माननीय वित्त मंत्री जी सहकारिता विभाग को निर्देशित करें कि इसके आदेश जारी करें. धन्यवाद.

          श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) - माननीय सभापति महोदय, बजट के बारे में जो चर्चा की जा रही है उसमें किसानों और कृषि के लिये जो बातें कही गई हैं और 4600 करोड़ का प्रावधान राहत राशि के रूप में किया है. अभी मेरे एक अतारांकित प्रश्न के  माध्यम से जो मंदसौर जिले के बारे में मेरे द्वारा पूछा गया था कल की जो घटना थी उसमें आश्वासन मिला था कि किसानों को मुआवजा दिया जायेगा किन्तु आज जो जानकारी दी गई है उसमें किसान जो प्रभावित हो रहे हैं 3 लाख 7 हजार 512 किसान जो प्रभावित हुए हैं और उनका जो खेती से नुकसान हुआ है उसमें तहसीलदार द्वारा मन्दसौर जिले की आठों तहसील में जब  एक मांग रखी गई और उसमें  9200 करोड़ रुपये मांगे गये तो मैं मानता हूं कि बजट में उसका प्रावधान क्यों नहीं किया गया और आज जब प्रश्न का उत्तर आता है. पृ.क्र.45 पर क्र.946 पर कि इन्दौर,धार,मन्दसौर में राशि वितरित नहीं की गई है और 25 परसेंट से कम नुकसान हुआ है और मैं मानता हूं कि राशि बचाने के लिये यह काम किया गया है जबकि आठों तहसीलदारों द्वारा वहां पर  33 परसेंट से अधिक नुकसान बताया गया है. वहां पर 9200 करोड़ का नुकसान बताया गया है. वित्त मंत्री जी यहां पर बैठे हैं इसकी जांच कराई जाये. 3 लाख 7 हजार 512 किसानों के भविष्य का सवाल है. अगर हम किसान की सरकार बोलते हैं तो उन किसानों का ध्यान रखा जाये. और यह जो प्रूफ मेरे पास हैं जो तहसीलदार ने मांग की है. एक-एक परचा मेरे पास है. उन्होंने यहां पर मांग की है उनके साईन हैं. तारीख है कि किस तारीख को उन्होंने कलेक्टर को लेटर भेजा है. मेरा पहला यही निवेदन है कि अगर किसानों की बात करें तो 3 लाख 7 हजार 512 किसानों के भविष्य का सवाल है. इसलिये मन्दसौर जिले में जिन किसानों को राहतराशि नहीं मिली है उसका प्रावधान करें और उसकी जांच कराएं. वहां पर जो सौर ऊर्जा के लिये जो बड़ बड़ी बातें इस बजट में की गई हैं. आज जहां पर भी सौर ऊर्जा एवं विंड का काम हो रहा है वहां पर गरीबों से जो जमीन छीनी जा रही है अथवा दबाव बनाकर लिया जा रहा है उससे गरीब लोगों को जो रूपया मिलना चाहिये, वह भी उस विभाग के द्वारा नहीं दिया जा रहा है, जो किसानों गाय-भैंस चराते थे उनको ऊर्जा विभाग के द्वारा अनुमति दी गई थी उसमें गरीब किसानों की कई भैंसे तथा कई जानवर मर चुके हैं. वहां की जो तालाबों की जमीनें हैं वह उस विभाग के द्वारा नष्ट कर दी गई है. गौचर की जमीन जो कि 2 प्रतिशत बचनी चाहिये थी वहां पर 1 इंच भी जमीन नहीं बची है. एक तरफ हम लोग गऊ माता, किसानों, तालाब एवं सिंचाई को बढ़ाने की बात करते हैं, जो पुराने तालाब बने हुए हैं उनको ऊर्जा विभाग की कम्पनियों के द्वारा पूरा पूरा नष्ट कर दिया गया है. एक भी तालाब सुवासरा में सौर ऊर्जा वालों ने नहीं बचाया है, इसको भी आप देखें तथा वहां पर तालाबों की रक्षा करें. जो अभी राजा साहब ने बोला था कि पुराने तालाब जो कि अविकसित हैं उसमें थोड़ा सा रूपया लगाएंगे तो पानी की बड़ी ही सुविधा होगी. तीसरी बात के लिये मेरा एक और निवेदन है बीपीएल के कूपन के बारे में बहुत सारी बातें हुई हैं उसमें एक छोटा सा बजट आप तैयार करें जिन करोड़ पति लोगों के बीपीएल के कार्ड हैं, जिनके पास में ट्रेक्टर तथा बड़ी बड़ी जमीने हैं उनके घर के पास के बाहर लिख दिया जाए यह गरीब व्यक्ति हैं इसको भी बजट में लिया जाए. आपने समय दिया धन्यवाद.

          श्रीमती ममता मीणा (चाचौड़ा)--माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री, वित्तमंत्री जी को जो बजट 2016-17 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ी हुई हूं. मैं माननीय मुख्यमंत्री एवं वित्तमंत्री जी को बहुत बहुत बधाई देती हूं कि जिन्होंने इस बजट में चाहे महिलाएं हों, चाहे किसान हों, चाहे बालिकाएं हों, चाहे युवा हों, हर वर्ग के लिये बजट में प्रावधान किया है. मैं बजट के संबंध में दो लाईनें कहना चाहता हूं परिन्दों में परखा परस्ति नहीं होती, कभी मंदिर पर जा बैठे तो कभी मस्जिद पर जा बैठे इसी तरह से माननीय वित्तमंत्री जी ने यह बजट बनाया है. खेती को फायदे का धन्धा बनायें इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री जी तथा मंत्रि-मंडल के सदस्य दिन-रात चिन्ता करते हैं. खेती अंतिम छोर तक तथा अंतिम व्यक्ति तक खेती लाभ का धन्धा बने उसके लिये चाहे कृषि यंत्र हों उसमें वेट टेक्स घटाने वाली बात हो. एक समय था जब पंजाब एवं हरियाणा को गेहूं उत्पादन के मामले में बड़ा राज्य कहा जाता था जिस दिन हमारे यहां पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार में माननीय शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री बने तो मध्यप्रदेश को चार-चार कृषि कर्मण पुरूस्कार केन्द्र सरकार के द्वारा पुरूस्कृत किया जाता है इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री एवं केन्द्र सरकार के उस समय के प्रधानमंत्री तथा माननीय नरेन्द्र मोदी जी को भी बधाई देती हूं कि उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री जो को सम्मानित करके हमारे किसानों का सम्मान किया है. इसी तरह से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना इस देश के अंदर लाकर हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने बता दिया कि जो कांग्रेस की सरकार असत्य वायदे करती चली आ रही थी हम किसानों के लिये यह करेंगे, वह करेंगे, लेकिन प्रधानमंत्री जी ने फसल बीमा योजना लाकर उसकी शुरूआत मध्यप्रदेश की धरती से करकर प्रधानमंत्री जी ने साबित कर दिया है कि सीहोर जिले से शेरपुर के गांव में उस शहर में आकर हमारी गांव की गरीब जनता की सबसे बड़ी बात देखी है. जब प्रधानमंत्री जी का उद्बोधन हुआ, गरीब कल्‍याण वर्ष हमारी भारतीय जनता पार्टी मना रही है, उन्‍होंने सिद्व भी कर दिया है,चारों तरफ से किसान अभिवादन करने के लिए गांव-गांव,गली-गली, मोहल्‍ला-मोहल्‍ला से पहुंचे थे, जाम लगे हुए थे और 1 लाख के करीब जनता कार्यक्रम स्‍थल तक पहुंच नहीं पाई थी, जब प्रधानमंत्री जी ने कहा कि रोड पर खड़े हुए किसान भाईयों को मैं इस मंच से उनके चरणों में प्रणाम करता हूँ और जब पंडाल के बाहर खड़े थे,तो प्रधानमंत्री जी ने कहा कि बाहर खड़े किसानों को मैं प्रणाम करता हूँ, उसके बाद उन्‍होंने कहा कि पंडाल के अंदर बैठे किसानों को मैं प्रणाम करता हूँ, ऐसे हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने फसल बीमा योजना हमारे मध्‍यप्रदेश से शुरूआत करके सिद्व कर दिया कि प्रधानमंत्री हो तो किसान हितैषी हो ।

          श्री कमलेश्‍वर पटेल-  विभाग के मंत्री को भी नहीं मालूम कि फसल बीमा योजना का क्‍या प्रावधान है, कब लागू होगा ।

          श्रीमती ममता मीना-  ऐसा नहीं है, आप भी पहली बार के विधायक हैं और मैं भी पहली बार की विधायक हूँ, आप चिन्‍ता न करें, पूरे आंकड़े आपको बता रहे हैं । इसी तरह से हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने एक ऐसे समय में किसानों को मुआवजा दिया जिस समय किसानों के पास पैसे नहीं थे,उनकी फसल खेतों में सड़ गई थी । वर्ष 2000 में भी किसानों की फसल सड़ी थी, गांव के बगल से जब निकलते थे तो बदबू आती थी, क्‍योंकि खेतों की फसल खेतों में सड़ गई कुछ किसान लोग खलियान तक फसल ले आए थे, घर तक किसी की फसल नहीं आ पाई थी, लेकिन उस समय किसानों को ऊंट के मुंह में जीरा जैसा मुआवजा मिला । आज माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने किसानों को जो राहत राशि मुआवजा के तौर पर दी, इस सदन में, मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहती हूँ कि मध्‍यप्रदेश के अंदर हमारा गुना जिला उन्‍होंने दूसरे नम्‍बर पर लिया है । अभी बात आ रही थी, फसल मुआवजे की, फसल मुआवजा पूरे किसानों के खाते तक पहुंच चुका है ।  आप बाजार की रौनक से समझ सकते हैं, बाजार में रौनक लौट आई, किसान बाजार में खरीददारी करने के लिए आने लगे ।

          सभापति महोदय- कृपया समाप्‍त करें ।

          श्रीमती ममता मीना-  सभापति महोदय, अभी तो मैंने शुरूआत की है, ठीक है, आप एक मिनट दे दीजिए ।  इसी तरह से बारहमासी सड़कों का जाल, क्‍योंकि अटल बिहारी वाजपेयी जी जब प्रधान मंत्री थे, उस समय उन्‍होंने प्रधानमंत्री सड़क योजना चलाई और वह योजना गांव गांव तक पहुंची है और जो कुछ गांव, छोटे मजरे, टोले बचे थे, उनमें मुख्‍यमंत्री बारहमासी सड़कें योजना चलाकर माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने हमारे किसानों को शहर से जोड़ दिया, गांव को शहर से जोड़    दिया ।  सबसे बड़ा फायदा हमारे आम गरीब और किसान को हुआ है जो सड़कें मुख्‍यमंत्री सड़क योजना में बन गई थीं,  माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने उसमें डामर कराने का भी इस बजट में प्रावधान रखा है । 

          सभापति महोदय, मैं ज्‍यादा समय नहीं ले रही हूँ, बोलना तो बहुत कुछ था उसी के साथ- साथ मैं एक चीज और कहना चाहती हूँ, आदरणीय मुकेश नायक जी ने शुरूआत की थी, जब वह एक थैला लेकर आए थे तो मुझे ऐसा लगा कि कहीं सदन में रात में रूकने के विचार से तो नहीं आए, झोले में कपड़े रखकर लाए ।

          सभापति महोदय-  कृपया समाप्‍त करें ।

          श्रीमती ममता मीना-  सभापति महोदय, मैं अपनी बात को समाप्‍त करने की भूमिका बना रही हूँ, दो लाईनें बोलना चाहती हूँ, जैसे कहावत है, वह कहावत यहां लागू होती है । एक समय में मध्‍यप्रदेश बीमारू राज्‍य कहा जाता था, तो वही वाली बात हो गई कि बुरा जो देखन को चला,बुरा न मिलया कोय और जो देखे 10 वर्ष हमारे, हमसे बुरा न कोय, जय हिन्‍द, जय भारत ।

          श्री दिनेश राय(सिवनी) -  माननीय सभापति महोदय, स्‍पष्‍ट कर दें कि मेरा टाइम कितना है ।

          सभापति महोदय -  5 मिनट ।

          श्री दिनेश राय -  क्‍यों ।

          सभापति महोदय -  अध्‍यक्ष जी से पूछो ।

          श्री दिनेश राय -  मैं, क्‍यों पूछू । 

          सभापति महोदय-  आप यह पूछने के अधिकारी नहीं है ।

          श्री दिनेश राय -  क्‍यों नहीं हैं, हम निर्दलीय हैं, हमें पूछने का अधिकार है, इस विधान सभा में गिफ्ट में नहीं आए हैं ।

          सभापति महोदय -  हां तो आप बोलिए 5 मिनट का समय है ।

          श्री दिनेश राय-  विपक्ष के लोग पूरा समय ले लेंगे हमको बोलने नहीं देंगे तो सदन में रहने से क्‍या मतलब है ।

          सभापति महोदय -  इसमें लिखा है निर्दलीय का केवल 2 मिनट ही बनता है । 

          श्री दिनेश राय -  क्‍यों बनता है,6 घण्‍टे में तो टाइम विभाजित करेंगे, 3 निर्दलीय विधायक हैं ।

          सभापति महोदय - अब आप समय खराब मत करें, बोलें.

          श्री दिनेश राय - माननीय सभापति महोदय, माननीय वित्‍त मंत्री जी ने जो बजट दिया है. उसके लिये माननीय वित्‍त मंत्री जी को धन्‍यवाद एवं बधाई देता हूँ. हमारे यहां 4 सीटें हैं, एक ही है, 3 बाहर हैं. कोई बीच में बोलेगा तो डिस्‍टर्ब तो होंगे.

          सभापति महोदय - आप तो धुँआधार वाले हैं. जल्‍दी कीजिये.

          श्री दिनेश राय - आज, आपने कृषि विकास दर बढ़ाई है. मैन्‍यूफैक्‍चरिंग में हमारा प्रदेश नीचे गया है, सेवा क्षेत्र में भी हमारा घटा है. राज्‍य की जी.डी.पी. 2.06 से कम हुई है, ग्रामीण विकास में कम राशि खर्च की है. मेरा आपसे कहना है कि सरकार ने जो पैसा खर्च किया है, उसमें सरकार का नियंत्रण नहीं है. आप अभी पी.पी.पी. मोड से स्‍कूल का जो प्रपोजल रखा है, उसमें मेरा निवेदन है कि उसको हटा दीजियेगा क्‍योंकि जिस तरह से जनता बिजली के बिलों से परेशान है, उसी तरह से हमारे स्‍कूल के बच्‍चे, गार्जियन और हमारे शिक्षकों के ऊपर बड़ी विपत्ति आने वाली है.

          सभापति महोदय, आज हमारा राजकोषीय घाटा 3.49 है, पिछला 2.99 है तो कहीं न कहीं हमारी सरकार की वित्‍तीय आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है. अब, मैं अपने क्षेत्र की कुछ बात करना चाहूँगा.

            सभापति महोदय - कृपया जल्‍दी समाप्‍त करें.

            श्री दिनेश राय - माननीय सभापति महोदय, डिस्‍टर्ब हो गये हों तो वह टाईम घटा दीजियेगा. मैं कहना चाहता हूँ कि तकनीकी शिक्षा में माननीय वित्‍त मंत्री जी से कुछ फण्‍ड अलग से दें, 9 वीं से 12 वीं तक के बच्‍चों को अगर आप तकनीकी शिक्षा देंगे, वास्‍तव में उधर से टेक्‍नीकल सीखने के बाद अपने स्‍वयं के रोजगार के लिये आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे.

          माननीय सभापति महोदय, संविदा स्‍वास्‍थ्‍य कर्मचारी अभी हड़ताल में क्‍यों है ? कहीं न कहीं कोई समस्‍या तो है, हमारे कोटवार बैठे हैं. हमारे संविदा के शिक्षा सचिव एवं सहायक सचिव बैठे हैं. कहीं न कहीं आर्थिक स्थिति खराब हैं. आप उनकी कहीं न कहीं कमियों पर ध्‍यान नहीं दे रहे हैं. डॉक्‍टरों की कमी है, हमारे यहां तो आंख का डॉक्‍टर नहीं है. जिले में डॉक्‍टर नहीं है. सबसे बड़ी बात, पुलिस में कर्मचारी नहीं हैं. मैंने तो पिछले बार भी कहा था, आप 8 से 10 घण्‍टे ऊपर ओवर टाईम कैसे ले रहे हैं ? उनसे काम कैसे ले रहे हैं ? आप अधिक काम लेंगे तो हमारे यहां भ्रष्‍टाचार बढ़ेगा, अत्‍याचार बढ़ेगा. कहीं न कहीं सरकार पहले हमारे कर्मचारियों की भर्ती करे फिर बाद में विकास की बात करे. आप खैरात बांटते हैं. कहते हैं कि मुआवजा राशि दे रहे हैं, मुआवजा क्‍या दे रहे हैं वह तो खैरात है. मुआवजा दीजिये, जो मरेगा आदमी, नहीं तो मरा आदमी दें. फसल जिसकी जितनी मिटी है, उतना मुआवजा दें तब तो वह मुआवजा कहलायेगा. आप तो सिर्फ राहत राशि दे रहे हैं. यह कहने की बात है कि हम दे रहे हैं और आज भी हमारे यहां ओलावृष्टि हुई है, एक व्‍यक्ति की मृत्‍यु हुई है, आठ-दस बकरा-बकरी खत्‍म हो गए हैं. आप उसकी पूरी राशि दीजिये. आप सबसे बड़ी बात है, हमारे यहां पहले सिवनी को संभाग बनाने का कहा गया था.

          माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहता हूँ कि हमारे क्षेत्र को संभाग बनाया जाये. मेडीकल कॉलेज बनना है, सब फॉरमेलिटी हो गई है. उसका बजट में कहीं कोई नामो-निशान नहीं है. हमारे यहां कृषि मंत्री, प्रभारी मंत्री हैं. उन्‍होंने दूसरे जिलों में ले जाकर महाविद्यालय दे दिये हैं. हमारे जिले में नहीं दिया है, जहां सब कुछ व्‍यवस्‍था है. हमारे यहां पॉलिटेक्निक कॉलेज की काफी बड़ी जगह है. कहते हैं कि हम अलग फेकल्‍टी खोलेंगे. मैं कहता हूँ कि आप वहां इंजीनियरिंग कॉलेज खोलें. इसकी जिले में आवश्‍यकता है.

माननीय महोदय, हमारे यहां तहसीलदार, पटवारी सबकी कमी है. अभी गरीबों को राशन-कार्ड के लिये लम्‍बी-लम्‍बी लाईनें लगती हैं. दसों बार लोग आते हैं और उनको खारिज कर दिया गया है. मेरा आपसे निवेदन है कि आप उस पर विशेष ध्‍यान दें कि गरीबों को बार-बार चक्‍कर न कटायें. बेरोजगार को रोजगार मिले, युवाओं को रोजगार मिले एवं कर्मचारियों की हड़ताल पर भी आप नियंत्रण रखें. अभी बात आई थी तनख्‍वाह वाली बात. मैं कहता हूँ कि जब गांधी जी थे. जिन्‍होंने देश आजाद कराया था तब भी क्‍या यह वेतन का सिस्‍टम था ? ...

 

04.55 बजे      {सभापति महोदय (श्री केदारनाथ शुक्ल) पीठासीन हुए.}

 

          श्री दिनेश राय - ...हमारे जन प्रतिनिधियों को बाहर देखिये,  एक ही ताना  मिलता है कि  वेतन बढ़ाने के लिये सब एक हो जाते हैं.  आप कुछ ऐसी व्यवस्था  करिये  कि हमारे सभी सदस्य  ईमानदारी  से काम करें.  तनख्वाह पर ध्यान न दें.   सभापति महोदय, एक बहुत बड़ी बात है. ..

                   सभापति महोदय -- श्री गिरीश भण्डारी. दिनेश जी, अब आप बैठ जायें.

                   श्री दिनेश राय --  .. मुख्यमंत्री जी जितनी ईमानदारी से काम करते हैं,  उतनी ईमानदारी से  अगर मंत्रीगण भी काम करें. कुछ मंत्रियों को नमस्ते करो तो पेट  का पानी  तक नहीं हिलता.

                   सभापति महोदय --  मतलब की बात करिये,   इस तरह की  बातें करने का कोई औचित्य नहीं है.  अब आप बैठ जाइये.  गिरीश भण्डारी जी,  आप बोलिये.

                   श्री दिनेश राय --   सभापति महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि  आप निर्दलीय  सदस्यों  को संरक्षण प्रदान करें.  निर्दलीय सदस्यों को संरक्षण प्रदान नहीं करेंगे,  तो मैं तो चाहता हूं कि फिर  हमारा यहां आने का  कोई मतलब नहीं है.  हम कोई सिम्बोल से थोड़ी जीते हैं.  अपनी क्षमता से  जीते हैं. सरकार कोई अहसान कर रही है,  हमारा मुआवजा देकर या राशि देकर. जनता के ही पैसे से सरकार चलती है. कोई पार्टी के फण्ड से नहीं चलती. धन्यवाद. 

                   श्री गिरीश भण्डारी (नरसिंहगढ़) -- सभापति महोदय,  वित्त मंत्री जी द्वारा जो बजट पेश किया  गया है,  वह बोलने और सुनने में जरुर  बहुत अच्छा लगता है, लेकिन  यथार्थ बहुत अलग है.  आज हम सब  यहां   विधान सभा में बैठे हैं, बहुत अच्छा माहौल है.  यहां पर न गर्मी लग रही है,  लेकिन जब यहां से उठकर ग्रामीण क्षेत्र में, जहां का हम प्रतिनिधित्व करते हैं.  जब हम वहां पर जाते हैं  और वहां की स्थिति, वहां के किसान अपनी व्यथा बताते हैं,  वह मैं सदन के सामने रखना चाहता हूं. आज जब कृषि की बात आती है, मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि हम कृषि को लाभ का धंधा बनायेंगे.  प्रधानमंत्री जी बोलते हैं कि  हम  5 वर्षों में कृषि आय दोगुनी कर देंगे.  लेकिन इसके लिये क्या हमने कोई ठोस नीति बनाई है कि हम कृषि को कैसे  लाभ का धंधा बनायेंगे.  कैसे हम 5 वर्षों में  किसानों की आय को दोगुनी कर देंगे.  मैं इस मामले में वित्त मंत्री जी को एक सुझाव देना चाहता हूं कि  आज हमारा यह प्रदेश  जब किसानी, खेती  पर आधारित है.  70 प्रतिशत हमारी आबादी  गांवों में रहती है.  वहां का जो युवा  10वी,12वीं की पढ़ाई के बाद  जब वह काम्पटीशन एग्जाम में जाता है,  इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर लेता है,  लेकिन उसको नौकरी नहीं मिल पाती है.   क्यों न हम  उनको कृषि आधारित कॉलेज, महाविद्यालय खोलकर   उस दिशा की ओर अग्रसर करें.  जब वह गांव का किसान का बेटा  कृषि एवं उद्यानिकी की पढ़ाई करेगा, तो उसको अगर नौकरी नहीं मिलेगी,  तो वह अपनी खेती को कहीं न कहीं अच्छे से सुधार कर लेगा.  आज हमने बजट में देखा कि शहरों में पेयजल के लिये करोड़ों रुपये की व्यवस्था की गई.  भोपाल जैसे शहर में कहीं नर्मदा का पानी लाया जा रहा है, कहीं केरवां डेम का पानी लाया जा रहा है.   कहीं कोलार डेम का पानी लाया जा रहा है  और यहां पर नागरिकों के लिये पानी की व्यवस्था की जा रही है.  बहुत अच्छी बात है, करना चाहिये.  लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लिये  कहीं कोई योजना नहीं बनाई गई.  आज जो नल जल योजनाएं बनी हुई हैं,  20 प्रतिशत नल जल योजनायें  चालू हैं. बाकी नल जल योजनाएं  कहीं बिजली बिल के अभाव में,  कहीं संधारण के अभाव में बद पड़ी हुई हैं. हैंडपम्पों की स्थिति यह हो गई है कि  वाटर लेविल 400 से 500  फिट नीचे चला गया है.  हैण्डपम्प सारे बंद पड़े हुए हैं.  हमारी जो पुरानी संरचनायें थीं,  हमारे जो स्टॉप डेम, पुराने तालाब थे,  वह सुधार के अभाव में  टूटे पड़े हुए हैं.  उनमें पानी नहीं आ पा रहा है.   इसके लिये पुरानी जो संरचनायें हैं,  पुराने तालाब  हैं, उनको सुधारने के लिये  इस बजट में कहीं कोई प्रावधान नहीं किया गया है. .

4.53 बजे                                    सदन के समय में वृद्धि

                   सभापति महोदय --  आज की कार्य सूची  के पद क्रमांक 7 तक  कार्य पूर्ण  होने तक  सदन के समय में वृद्धि की जाय.  मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.

(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

4.54 बजे                 वर्ष 2016-17 के आय व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमशः)

                   श्री गिरीश भण्डारी --   सभापति महोदय, मैं वित्त मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि  जो पुरानी संरचनायें हैं,  स्टॉप डेम, पुराने तालाब हैं,  उनके सुधार के लिये भी  बजट में प्रावधान किया जाये, क्योंकि न उसमें विधायक निधि से खर्च किया जा सकता है, न कोई रोजगार गारंटी से खर्च किया जा सकता है. तो उन संरचनाओं को कैसे सुधारा जाये.  उनके लिये कहीं न कहीं बजट में प्रावधान किया जाय, जो हमारी पुरानी संरचनाएं हैं, उनको वापस  इस स्थिति में  लाया जाये कि  वह हमारे किसानों के लिये, हमारे पेयजल के लिये  स्रोत  चालू हो सकें.

 

          सभापति महोदय- कृपया समाप्त करें. 1 मिनट में अपनी बात को समाप्त करें.

 

          श्री गिरीश भण्डारी --सभापति महोदय जैसा आपका आदेश. वैसे मुझे अभी 2 मिनट ही हुये हैं. सभापति महोदय, यह सरकार किसानों की बात करती है, मुख्यमंत्री किसान पुत्र हैं मंत्रिगण भी किसानों के हितेषी होने की बात करते हैं, किसानों के लिये बहुत कुछ करना चाहते हैं लेकिन मैं वित्त मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि ऊर्जा के क्षेत्र में फीडर सेपरेशन का काम जो पिछले 4-5 वर्षो से चल रहे हैं वह काम ग्रामीण क्षेत्रों में आज तक पूरे नहीं हो पाये हैं.             सभापति महोदय में आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री को एक सुझाव देना चाहता हूं कि आज गांव में 20 से 25 % लोग गांव छोड़कर के खेतों में मकान बनाकर के रहने लगे हैं और फीडर सेपरेशन का कार्य अधूरा रहने के कारण जो सरकार का दावा है कि हम किसानों को 24 घंटे बिजली दे रहे हैं, वह असत्य साबित हो रहा है क्योंकि वह 25% किसान जिन्होंने खेतों में, कुंए के पास में अपने घर बना लिये हैं उनके लिये सरकार के द्वारा 24 घंटे बिजली की आपूर्ति के लिये कोई व्यवस्था नहीं की है . कृपया वित्त मंत्री जी उनके लिये बिजली की व्यवस्था करने का कष्ट करें. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.

 

          श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) -- माननीय सभापति महोदय, वित्त मंत्री जी के द्वारा जो बजट प्रस्तुत किया गया है वह बहुत विकासशील, जनोन्मुखी और संतुलित बजट है. इस बजट को प्रस्तुत करने के लिये मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं, मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं.

          यह सरकार लगातार 12 वर्षों से जनकल्याणकारी बजट प्रस्तुत कर रही है. गरीबों के हित में, मजदूर, किसान और विभिन्न वर्गों के कल्याण की दृष्टि से कार्य करने के लिये सरकार के द्वारा बजट प्रस्तुत किया जाता रहा है. मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस बजट में उन्होंने श्योपुर जिले के लिये जिला विक्रयकर कार्यालय प्रारंभ करने का, उसको स्थापित करने का फैसला किया है. मैं इसलिये भी वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि श्योपुर जिले के लिये उन्होंने मॉडल कालेज स्थापित करने का फैसला किया है और उसके लिये 10 करोड़ से अधिक की राशि का प्रावधान बजट में किया है.

          सभापति महोदय,  मैं वित्त मंत्री जी से दो तीन बातें और निवेदन करना चाहता हूं क्योंकि वह सिंचाई मंत्री भी हैं और सिंचाई के अंदर उनके प्रयासों से मध्यप्रदेश में सिंचाई क्रांति आई है, उन्होंने अपने निर्णयों से बहुत से क्रांतिकारी परिवर्तन किये हैं. इसके कारण से पूरे प्रदेश का विकास बहुत तेज गति के साथ में हुआ है, किसानों की माली हालत सुधरी है, गांव में रहने वाले लोगों को खुशहाली महसूस हुई हैं. श्योपुर जिले में भी सिंचाई की एक योजना काफी समय से लंबित थी और श्योपुर के वासियों को विशेषकर वनवासी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को इस बात की उम्मीद थी कि इस बजट में मुजरी डेम की योजना शामिल होगी. वित्त मंत्री जी से आग्रह है कि या तो इसी बजट में इस योजना को शामिल करने की घोषणा करें, नहीं तो अगले बजट में इस योजना को प्रारंभ करने के लिये राशि का प्रावधान करें. मुजरी डेम के निर्माण से 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के अंदर सिंचाई होगी और खासकर के उस क्षेत्र में रहने वाले वनवासी जो छोटी छोटी जमीन रखते हैं उनको इसका लाभ प्राप्त होगा.

          सभापति महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी से एक ओर मेरा निवेदन है कि श्योपुर क्षेत्र के अंदर ग्राम तुलसेव, लूंड, भसूंदर, काटोदी ऐसे  35 गांव को सिंचाई का प्रबंध करने के लिये एक लिफ्ट एरीगेशन योजना जो पार्वती लिफ्ट एरीगेशन योजना के नाम से पहले से ही शासन स्तर पर विचाराधीन है, उस योजना का सर्वे भी हुआ है उसको बजट में स्थान मिलेगा तो इसमें भी लगभग 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई हो सकेगी. एक और निवेदन वित्त मंत्री जी से है कि श्योपुर क्षेत्र के अंदर सीप नदी पर 3 स्टाप डेम प्रस्तावित हैं, आने वाले समय में उनकी भी मंजूर मिलकर बजट में शामिल करेंगे तो बहुत बड़ा लाभ श्योपुर क्षेत्र के लोगों को होगा.   

          वर्षों से श्‍योपुर के लोग जबसे जिला बना है 1998 से अलग से एक कोऑपरेटिव बैंक की स्‍थापना की मांग कर रहे हैं बहुत प्रयत्‍न भी कर रहे हैं, 250 किलोमीटर दूर मुरैना है, बहुत कठिनाई का सामना कर रहे हैं, उसको भी पृथक करने के लिये प्रावधान करने की आवश्‍यकता है और मानपुर के क्षेत्र में एक प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र के लिये हमने निवेदन किया था वह भी छूट गया है तो उसके लिये प्रावधान करने के लिये मैं निवेदन करता हूं.

          माननीय सभापति महोदय, मैं निवेदन करना चा‍हता हूं कि मध्‍यप्रदेश में सिंचाई में, बिजली में, सड़क में और स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से हमारे प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी ने, माननीय वित्‍त मंत्री जी ने जो कार्य किये हैं उनका उल्‍लेख बहुत विस्‍तार से तो हमारे सदन के अंदर हमारे साथियों ने किया है, लेकिन 2-3 बातें मैं निवेदन करना चाहता हूं और वह आवश्‍यक भी है, चूंकि मैं बजट के बारे में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. हमारे प्रदेश के अंदर सिंचाई का रकवा जो बढ़कर के लगभग 33 लाख हेक्‍टेयर के आसपास पहुंचा है इसके कारण से पूरे प्रदेश के किसानों को बहुत सारा लाभ को प्राप्‍त हुआ है. बिजली के क्षेत्र में अगर कहा जाये तो जितनी बात कहें वह कम पड़ जाती है, प्रदेश को कृषि के क्षेत्र में उत्‍तम दर्जा दिलाने में सिंचाई और बिजली ने बहुत बड़ा महत्‍वपूर्ण कार्य किया है और यह हमारे प्रदेश में आसपास के पड़ौसी राज्‍यों को देखें तो स्थिति इतनी खराब है, बदतर है लेकिन प्रदेश ने तमाम सारी कठिनाइयों का सामना करते हुये चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो, अतिवृष्टि हो, ओलावृष्टि हो, किसानों को राहत देने की बात हो, 4600 करोड़ रूपये की राशि उन्‍होंने भले ही दी हो, इसके साथ-साथ उन्‍होंने अन्‍य अनेक और काम भी किसानों के हक में किये हैं. बिना ब्‍याज का ऋण देने का काम भी सरकार ने किया और इसके अलावा भी किसानों को राहत देने का काम किया लेकिन इसके साथ-साथ बिजली के क्षेत्र में और सिंचाई के क्षेत्र में जो कार्य किये हैं, वास्‍तव में वह बहुत प्रशंसनीय हैं. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से पुन वित्‍त मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देना चाहता हूं, हमारा प्रदेश कृषि के क्षेत्र में अव्‍वल दर्जे पर आया है और विभिन्‍न सारी योजनाओं में आगे आया है, लेकिन हमें विश्‍वास है, भरोसा है यदि इसी प्रकार की गति हमारी अर्थव्‍यवस्‍था की चलती रही और आर्थिक प्रबंधन कुशलता के साथ होता रहा जो अभी तक हुआ है 12 वर्षों में तो आगे आने वाले समय में हिन्‍दुस्‍तान में मध्‍यप्रदेश पहले नंबर का राज्‍य होगा. धन्‍यवाद, आपने मुझे समय दिया.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा (खण्‍डवा)--  माननीय सभापति महोदय, माननीय वित्‍तमंत्री जी द्वारा जो बजट प्रस्‍तुत किया गया है मैं उसके समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. माननीय सभापति महोदय निश्चित ही अगर हम बात करें बजट की तो यह बजट मध्‍यप्रदेश के विकास का एक संकल्‍प है, विकास का एक आईना है और निश्चित ही आने वाले समय में जैसा कि मेरे पूर्व वक्‍ताओं ने जिस प्रकार बात रखी कि सारी दुनिया में विकासशील देशों में एक मंदी का दौर है, ऐसे समय में मध्‍यप्रदेश ने विकास के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कार्य, एक कुशल प्रबंधन और साथ ही साथ एक अच्‍छे प्रशासन और प्रबंधन के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं में गुणात्‍मक विकास किया है. माननीय सभापति महोदय, और जब हम इस पर बात करते हैं तो जो प्रमुख विषय है, जो सदस्‍यों द्वारा कहा गया है कि मध्‍यप्रदेश ने पिछले 4 वर्षों में कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्‍त किया है. माननीय सभापति महोदय, अगर कृषि की बात करते हैं तो निश्‍चय ही अधिकतम सदस्‍यों की एक ही मांग होती है कि मेरे क्षेत्र में चाहे उद्वहन सिंचाई के माध्‍यम से हो, चाहे नदी लिंक जोड़ने के माध्‍यम से हो, मेरे क्षेत्र में नर्मदा जल आना चाहिये, अर्थात नर्मदा के माध्‍यम से सिंचाई होना चाहिये. माननीय सभापति महोदय,  मैं उस क्षेत्र से आता हूं जिस क्षेत्र में इंदिरा सागर हो, चाहे ओंकारेश्‍वर परियोजना हो, ऐसी परियोजनायें आज मूर्त रूप में हैं अर्थात जिसके माध्‍यम से एक अपार जल राशि मध्‍यप्रदेश में संग्रहित है, लेकिन अगर उसकी हम गहराई में जायें, पुराने काल में जायें तो ध्‍यान में आता है कि हमारे इंदिरा सागर हो या ओंकारेश्‍वर इसमें खंडवा जिले के लगभग 300 गांव डूबे थे, 300 गांवों के लोगों ने विस्‍थापन का दर्द झेला था.

            निश्चित ही उस समय एक ऐसी स्थिति थी जिस समय हमारे जिले में ही नहीं, पूरे प्रदेश में अंधकार का समय था. यह परियोजना भले ही 1984 में स्वीकृत हुई थी लेकिन यह धीमा चाल और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई थी. लेकिन जब हमारी सरकार आयी और हमारे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान आये उन्होंने रिकार्ड समय में इन योजनाओं को पूर्ण कराया. आज वह पूरे प्रदेश के विकास के, सिंचाई के और कृषि के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रही है.

          सभापति महोदय, जब हम यह बात करते हैं तो कहीं न कहीं हमारे जिले के किसान भाईयों की एक मंशा होती थी कि इतनी बड़ी बड़ी परियोजना हमारे जिले में हैं. हमारे क्षेत्र से नहर निकल कर जा रही है लेकिन उसके बावजूद हमारा क्षेत्र सूखा है. मैं बताना चाहता हूं कि इस बजट में माननीय मुख्यमंत्रीजी ने अगर सबसे बड़ी कोई योजना किसी क्षेत्र की ली है तो हमारे खंडवा जिले के साढ़े सात सौ करोड़ रुपये की छैगांव माखन उद्नहन सिंचाई योजना और सिहाडा उद्वहन सिंचाई परियोजना है. अगर हम दोनों योजनाओं की बात करें तो लगभग 40 हजार हेक्टर जमीन हमारे जिले की सिंचित होगी.

          सभापति महोदय-- कृपया एक मिनट में समाप्त करें.,

          श्री देवेन्द्र वर्मा-- सभापति महोदय, निश्चित रुप से मैं माननीय मुख्यमंत्रीजी को इन योजनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं और आभार प्रकट करता हूं.

          सभापति महोदय, हम इस बजट की बात करें तो मैं बताना चाहता हूं कि हमारे बहुत से सदस्य यह बात रख रहे हैं कि हमारे यहां कृषि महाविद्यालय होना चाहिए, मेडिकल कॉलेज होना चाहिए. मैं इस सदन के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्रीजी को, माननीय वित्त मंत्रीजी को बहुत बहुत बधाई देता हूं कि खंडवा जिला एक छोटा जिला है और उस छोटे से जिले में माननीय मुख्यमंत्रीजी ने हमको एक मेडिकल कॉलेज की सौगात दी है. निश्चित ही इस मेडिकल कॉलेज के माध्यम से हमारे निमाड़ जिले में आने वाले समय स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में सुधार होगा और इस योजना के माध्यम से हमारा क्षेत्र, हमारा निमाड़ विकास के रास्ते पर आगे बढ़ेगा.

          सभापति महोदय, यदि इसी तरह के विकास की बात करें तो हमारे जिले में एक  थर्मल पावर है, दूसरा इंदिरा सागर परियोजना है. माननीय मुख्यमंत्रीजी ने हमारे खंडवा-निमाड़ को पर्यटन के क्षेत्र में अतंराष्ट्रीय मानचित्र पर लाने का प्रयास किया है. हमारे यहां हनुवंतिया में जल महोत्सव मनाया गया. मैं निवेदन करुंगा कि हमारे खंडवा-निमाड़ जिले को एक बायपास की सौगात देंगे. इसकी मांग एक लंबे समय से चली आ रही है. अगर एक बायपास की सौगात देंगे तो निश्चित रुप से खंडवा जिले के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी.धन्यवाद.

          श्रीमती चन्दा सुरेन्द्रसिंह गौर(खरगापुर)--सभापति महोदय, इस बजट सत्र के आने के बाद पूरे प्रदेश में किसानों के हित में किसी भी प्रकार ऐसी कोई लाभ की योजना नहीं दी गई है जो एक नई सोच किसानों के हित में हो, जिससे किसानों को लाभ मिल सके.

          सभापति महोदय, सरकार दावा करती है. कई माननीय जनप्रतिनिधि भी कहते हैं कि एक दिन का विशेष विधानसभा का सत्र चलाकर इतिहास रच दिया. इतिहास ऐसे नहीं रचा जाता. इतिहास तो ऐसे रचता है कि बुरा जो देखन मैं चला,बुरा न मिलया कोय,

                                           जो दिल खोजो आपना,मुझसे बुरा न कोय.

            जब संभावना होगी तभी इतिहास रचा जा सकता है.

          सभापति महोदय, खरगापुर विधानसभा के साथ साथ टीकमगढ़ जिले में किसान समस्याओं से जूझ रहे हैं. खरगापुर विधानसभा के किसानों को सूखा राहत बांटने वाले अधिकारी कर्मचारी, किसानों के नाम सूखा राहत की सूची में लिखे जाने के बदले में कुछ पाने की चेष्टा करने के लिए सुरसा की तरह मुंह खोले बैठे हैं. किसान काम की तलाश में पलायन कर रहा है. शहरों में दर दर भटक रहा है. भूखमरी की कगार पर है. सभापति महोदय,सरकार का बजट इन पंक्तियों को सच करता है कि बड़ा हुआ सो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर,

                  पंथी को छाया नहीं,फल लागे अति दूर.

          सभापति महोदय, सूखे की भयानक स्थिति में कलेक्टरों ने आदेश जारी कर दिया कि कोई भी व्यक्ति निजी बोर खनन नहीं करा सकते हैं. शासन की ओर से नवीन बोर खनन तो बंद ही हो गया है. कहा जाता है कि भू जल स्तर नहीं बचा है. आखिरकार आम जनता के पशुओं के पीने के पानी की सरकार द्वारा क्या योजना बनायी गई है. पेयजल उपलब्धता के लिए एक प्रश्नचिह्न बजट पर लगता है.

एक प्रश्न चिह्न सरकार के बजट पर लगता है. सभापति महोदय, खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में पेयजल का भारी संकट है और बजट में ऐसी कोई योजना नहीं दर्शाई गई, जिससे लोग अपनी प्यास पानी को पीकर बुझा सकें. शिक्षा और स्वास्थ्य की सारी व्यवस्थाएं खरगापुर विधान सभा में चरमरा गई हैं. टीकमगढ़ जिले में अभी हाल ही में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर हुई, जिसमें एक गर्भवती महिला को इलाज के अभाव में दम तोड़ना पड़ा. जिले के सिविल सर्जन ने कह दिया कि परिजनों की लापरवाही से मौत हुई है. डॉक्टरों का काम जीवन देना है, जीवन लेना नहीं होता है. इसी तरह से 80 प्रतिशत विकलांग शिक्षकों के स्थानांतरण किये जा रहे हैं. जिन मछुआरों ने मछली पालन किया था, आज उनके तालाब सूख गये हैं. उन मछुआरों को मुआवजा देने जाने का बजट में कोई प्रावधान नहीं है. सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

श्री गोपाल परमार (आगर) -सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और हमारे वित्तमंत्री जी द्वारा यह जो बजट लाया गया है, उसके समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूं. बहुत देर से मैं एक बात सुन रहा था, कांग्रेस के हमारे भाई कर्ज के मामले में इस प्रकार से बयानबाजी कर रहे थे कि इतना कर्ज ले लिया. मैं इनको बताना चाहता हूं कि कर्ज किसको मिलता है? जो कर्ज चुका सकता है, जिसमें क्षमता होती है और जिसमें करने की कुछ तमन्ना होती है. अब इनकी क्षमता तो समाप्त हो गई. यह तो कुछ कर नहीं पाए. इनमें कुछ भी करने की क्षमता समाप्त हो गई है. (मेजों की थपथपाहट)...सभापति महोदय, ये केवल सुबह से एक ही राग अलाप रहे हैं. मैं सुबह से सुन रहा हूं. इन्होंने कहा कि ऐसा कर दिया, वैसा कर दिया, इतने समय से 13 साल से जो सत्ता से दूर हो गये, इनको यह घाव बर्दाश्त नहीं हो रहा है. हमारे मुख्यमंत्री जी की यह सरकार अब इस प्रकार से जो काम कर रही है, पूरे प्रदेश में जिस प्रकार से काम कर रही है वह वाकई में सराहनीय है. तभी तो वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं. क्यों भई? अब यह घाव तो बर्दाश्त करना पड़ेगा. यह वास्तविकता है. मैं इनको बताना चाहता हूं कि इन्होंने पहले क्या काम किया? आप भी अगर अच्छा काम करते तो आपको इधर से उधर नहीं बैठना पड़ता. यह वास्तविकता है, यह यथार्थ है. इस यथार्थ को आपको स्वीकार करना पड़ेगा. रोने-गाने से काम चलने वाला नहीं है. इसलिए आप भी यह प्रयास करें कि हमारे इस बजट के समर्थन में हां से हां मिलाइए तो हो सकता है कि आपका उद्धार हो जाय. नहीं तो कभी उद्धार होने वाला नहीं है.

कुंवर विक्रम सिंह - यह तो समय का फेर है, समय हमारा भी एक दिन आएगा, ऐसी बात नहीं है.

श्री गोपाल परमार- यह राजा-महाराजाओं का समय भी नहीं रहा है. पहले इन्द्रा जी थीं, उस समय राजा-महाराजाओं को निपटा दिया गया, उसके बाद आप ही उनके समर्थन में बैठ गये. सभापति महोदय, अब तो राजा-महाराजाओं की चलती नहीं है. थोड़ी देर पहले यही कह रहे थे कि हमारे वह कॉलेज चालू करवा दीजिए, ऐसा करवा दीजिए, वैसा करवा दीजिए. आप स्वयं भी तो कर सकते थे. लेकिन आपने क्यों नहीं किया? आपके अंदर काम करने की क्षमता समाप्त हो गई है...

 कुंवर विक्रम सिंह -उस समय तो मेरा जन्म भी नहीं हुआ था और जब हमारे पूर्वजों ने जो कुछ छतरपुर के लिए करके दिया है, वह आप जाकर देख लीजिए.

श्री गोपाल परमार-सभापति महोदय, यह तो प्रभु की कृपा है. अब आप लोगों को राज-पाट नहीं रहा है.

श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर - अब उधर वाले इधर आना चालू हो गये हैं. तीन साल में इधर 2-4 ही रह जाएंगे.

श्री गोपाल परमार - सभापति महोदय, पहले तो राजा पेट में से पैदा होते थे. अब पेटी में से होते हैं. यह तो इन सबको जनता ने जिताया है. हमारे मुख्यमंत्री जी के लिए एक तरफा अगर किसी ने मतदान किया है तो हमारे किसान भाइयों ने, व्यापारियों ने किया है, तब हमारी सरकार बनी है. आप दूर हो गये हो. हमारे क्षेत्र आगर को मुख्यमंत्री जी ने जिला बनाया. इसके लिए मैं उनको बधाई देना चाहता हूं. हर क्षेत्र में इतना पैसा आ रहा है, इतना काम हो रहा है. आप देखिए कि कलेक्टर कार्यालय बन गया, जिला पंचायत बन गई. सारे क्वॉटर्स बन गये, सारे रोड बन गये. सारा काम इतनी तेजी से चल रहा है कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. हमारे वित्तमंत्री जी यहां पर बैठे हैं. मैं उनसे थोड़ा -सा निवेदन करना चाहता हूं कि सिंचाई का जो रकबा बढ़ रहा है, और आपको इसलिए धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने जो सिंचाई का रकबा बढ़ाने का काम किया. हमारे यहां भी बहुत बांध बंधवा दिये. कुछ बांध छूट गये हैं.

          मैं जब विधायक नहीं था उस समय कुछ बांध छूट गये हैं, आप उसमें शामिल कर लें इसमें दिक्कत क्या है. आपकी सरकार ने तो कुछ भी काम नहीं किया है, हम लोग उस समय चिल्लाते रहते थे एक एक पुलिया के लिए मैं तरसा हूं 1993 में उस समय मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी हुआ करते थे, एक भी पुलिया उन्होंने हमारे क्षेत्र में नहीं बनायी है. आपके लिए तो हमारे मुख्यमंत्री जी ने 2 - 2 करोड़ रूपये ऐसे ही कर दिये हैं.

          श्री कमलेश्वर पटेल -- सभापति महोदय इनको बतायें कि आजादी दिलाने से लेकर के आज जो भी नजर आ रहा है सुई बनाने से लेकर के  जो भी उद्योग हैं सब बनाये गये हैं.  वह सब हमारी सरकार के समय में बने हैं.

          श्री गोपाल परमार -- पटेल साहब वह जमाना गया है अब आपको दिन में भी तारे दिख रहे हैं, क्यों दिख रहे हैं क्योंकि आप सत्ता से दूर हो गये हैं. सभापति महोदय हमारे क्षेत्र में प्रधानमंत्री सड़क की सारी सड़कें मंजूर कर दी गई है, हमारे क्षेत्र में 49 सड़कें मंजूर कर दी गई है इसलिए मैं मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं, सभी के टेण्डर हो चुके हैं. हमारे अटल जी ने जो योजना चालू की थी आपने वह बंद कर दी है. आप जरा कर्जा लेने तो जायें कर्जा उसको ही मिलता है जो कर्जा देने की ताकत रखता है, जिसमें विकास करने की तमन्ना हो, वह ही व्यक्ति काम करता है इसलिए सभापति महोदय यह लोग दूर के ख्वाब छोड़ें आपने समय दिया इसके लिए धन्यवाद्.

          श्री वेलसिंह भूरिया ( सरदारपुर ) -- माननीय सभापति महोदय, हिन्दुस्तान के अंदर आजादी के बाद में एक ऐसी शख्सियत पैदा हुई है, मध्यप्रदेश के अंदर जो कि दीन दुखी गरीबों के मसीहा हैं, मैं तो यह भी कहना चाहूंगा कि यह तो वास्तव में गरीबों का दाता है. हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  जी और यह भाजपा की सरकार गरीबों किसानों दीन दुखी दरिद्रों के प्रति अति संवेदनशील है. मैं फिर बता देना चाहता हूं मेरे कांग्रेसी मित्रों को कांग्रेस का जहाज डूब रहाहै और कांग्रेस के चूहे जहाज में से कूद कूद कर समुद्र में जा रहे हैं और हम भाजपा के लोग उनको भी अबेरने में भी लगे हुए हैं.

          माननीय सभापति महोदय माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के इन 10 - 12 वर्ष में मध्यप्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदल गई है, माननीय मुख्यमंत्री शिवराज जी ने मध्यप्रदेश की दशा और दिशा बदल दी है. सभापति महोदय बदहाल सड़क और घोर अंधेरे से निकलकर पूरा प्रदेश 24 घंटे बिजली से रोशन हो गया है. माननीय शिवराज जी की सरकार में ही सबसे  ज्यादा जीडीपी दर्ज की गई है. यह ही नहीं पिछले तीन वर्ष से लगातार कृषि कर्मण अवार्ड भी प्रदेश की झोली में आ रहा है, वास्तव में शिवराज जी ने प्रदेश की दशा और दिशा विगत 10 वर्षों में बदल दी है.

          माननीय सभापति महोदय देश को आजाद हुए 59 साल हो गये हैं. 59 साल में से 50 साल तक इस देश में  कांग्रेस ने राज किया है, इस प्रदेश के ऊपर राज किया है. अभी नातीराजा जी बोल रहे थे कि हमें नीलगाय परेशान कर रही है हम आपको बता देना चाहते हैं कि राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत होकर, देश को सामने रखकर, समाज की सेवा करने के लिए भाजपा की सरकार बनी है. सभापति महोदय गाय हमारी माता है, गाय को पूरा हिन्दुस्तान पूजता है, (XXX)

          कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर) -- सभापति महोदय, कौन से अध्‍यक्ष की बात हो रही है. ये सब विलोपित करवाइये.

          सभापति महोदय -- यह कार्यवाही में से निकाल दीजिए. भूरिया जी कृपया समाप्‍त करें.

          श्री वैलसिंह भूरिया -- कांग्रेस पार्टी में संवेदनशीलता और धर्म खत्‍म हो गया है.(XXX)  सभापति महोदय -- भूरिया जी, समाप्‍त करें. श्री कैलाश जाटव.

          श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय सभापति महोदय, मैं एक बात और बता देना चाहता हूँ कि हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने वास्‍तव में आखरी और अंतिम पंक्‍ति में बैठे हुए व्‍यक्‍ति का विकास किया है.

          श्री बाला बच्‍चन -- सभापति जी, (XXX) शब्‍द निकलवाइये, मेरा व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है, ये गलत बयानबाजी कर रहे हैं इनको रूकवाइये.

          श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय मुख्‍यमंत्री जी का जो विकास का रथ चल रहा है उसमें आप भी बहती हुई गंगा में हाथ धो लो.

          सभापति महोदय -- संख्‍या का बैलेंस बन जाने दीजिए. भूरिया जी बंद करिए आप. श्री कैलाश जाटव. श्रीमती नीना वर्मा जी.

 

 

XXX   :     आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

 

 

 

          श्री वैलसिंह भूरिया -- सभापति जी, आज हमारे शिवराज सिंह जी के राज में एक फोन लगाओ, गाड़ी आती है, माता-बहनों को ले जाती है, सुरक्षित डिलेवरी करवाती है और घर पर छोड़ कर जाती है. 1400 रुपये मोतीचूर के लड्डू खाने के लिए देती है. ऐसी हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार गरीबों के प्रति काफी संवेदनशील है.

          सभापति महोदय -- भूरिया जी, समाप्‍त करिए आप.    

           श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय सभापति महोदय, ये तो हमारी बात हो गई, अब मैं अपने क्षेत्र की कुछ समस्‍याएं बताना चाहता हूँ. ये समस्‍याएं नहीं हैं, कुछ रूटीन काम हैं.

          सभापति महोदय -- अब श्रीमती नीना वर्मा जी का ही लिखा जाए.

          श्रीमती नीना विक्रम वर्मा (धार) -- माननीय सभापति महोदय, मैं बजट के समर्थन में बोलने के लिए खड़ी हुई हूँ. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देती हूँ कि उन्‍होंने प्रदेश को अभावों के चक्रव्‍यूह से निकालकर समृद्ध प्रदेशों की बराबरी पर लाकर खड़ा किया है. लगातार चौथी बार कृषि कर्मण पुरस्‍कार और विकास की निरंतर बढ़ती हुई दर इस बात का जीता जागता प्रमाण है.

          माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी, माननीय वित्‍त मंत्री जी का धार क्षेत्र की जनता की तरफ से, अपनी तरफ से बहुत-बहुत आभार देना चाहूंगी कि उन्‍होंने धार में बढ़ते हुए औद्योगिक क्षेत्र को देखते हुए और रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए इंजीनियरिंग कालेज की सौगात हमारे क्षेत्र को दी है ताकि युवाओं को रोजगार मिल सके. वहां पर रोजगार की संभावनाएं बहुत अधिक हैं और जब रोजगार आएंगे, उद्योग आएंगे तो टेक्‍निकल हैंड्स की बहुत ज्‍यादा आवश्‍यकता होगी तो धार में आईटीआई कालेज, इंजीनियरिंग कालेज और हाल ही में बदनावर में की गई घोषणा के अनुसार एक आईटीआई और होने वाला है, इन सबके लिए मैं बहुत-बहुत धन्‍यवाद देना चाहती हूँ. लेकिन इसके साथ एक छोटी सी समस्‍या यह है कि कालेज के लिए जैतपुरा के पास की फोर लेन की पहले जो जमीन स्‍वीकृत की थी वह आरक्षित हुई थी लेकिन उसके बाद उसको संशोधित करके जैतपुरा के पास में ही एक तालाब की जमीन स्‍वीकृत कर दी गई है चिह्नित कर दी गई है जो छोटी है और उसके पास कनेक्‍टिव रोड भी नहीं है तो माननीय सभापति महोदय, मेरा निवेदन है कि पूर्व में जो जमीन चयनित की गई थी उसी को वापस स्‍वीकृत करते हुए वहीं पर कालेज बनाया जाए, यह मेरा आपसे आग्रह है. इसके साथ ही मेरा एक और निवेदन है कि ...

5.30 बजे            उपाध्यक्ष महोदय ( डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ) पीठासीन हुए 

            श्रीमती नीना  विक्रम वर्मा-- ...ऐसा कहना पड़ता है कि सब जगह मेडिकल कालेज नहीं हो सकते, इस बात से मैं सहमत हूँ लेकिन आदिवासी क्षेत्र के अन्दर  डाक्टरों का बहुत ज्यादा अभाव है. चाहते हुए भी वहां डाक्टर नहीं जाते हैं और बहुत प्रयास करने के बाद भी वहां पर डाक्टर उपलब्ध नहीं हैं तो मेरा आपसे निवेदन है  कि यदि वहां के आदिवासी  बच्चे डाक्टर्स बनेंगे तो उनके अपने क्षेत्र से अपने लोगों से  बहुत ज्यादा लगाव होगा तो इन सब को ध्यान में रखते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी से, माननीय वित्त मंत्री जी से  मेरा निवेदन है कि क्षेत्र के अऩ्दर  अगर एक मेडीकल कालेज स्वीकृत कर दें तो क्षेत्र के सभी विद्यार्थी, सभी आदिवासी और सभी ग्रामीण आपके बहुत बहुत आभारी होंगे क्योंकि उज्जैन और इऩ्दौर में बहुत सारे मेडीकर कालेज हैं जो उनकी पहुंच से बहुत ज्यादा दूर हैं तो मेरा निवेदन है कि इसकी स्वीकृति माननीय मंत्री जी दिलाने की कृपा करें. इसके साथ ही माननीय मुख्यमंत्री जी जब धार आये थे तो उऩ्होंने पीथमपुर कालेज के अऩ्दर कामर्स की सौगात दी थी जो अभी तक चालू नहीं हो पाया है तो मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि जो कालेज है उसके अन्दर कामर्स सब्जेक्ट की अगर जल्दी शुरुआत  करवा दी जाए तो उसके लिए वहां के पढ़ने वाले विद्यार्थी आपके और मुख्यमंत्री जी, सभी के आभारी होंगे. इसके साथ ही माननीय मुख्यमंत्री जी बालिका शिक्षा की तरफ बहुत ध्यान देते हैं और अभी  हाल में 10 जनवरी को धार आए थे तो उन्होंने धार के अन्दर  जो जिले का एकमात्र गर्ल्स कालेज है उसको हम सभी की मांग के हिसाब से उसको अपग्रेड किया था और जो अपग्रेड कालेज हो गया है उसमें कामर्स और साइंस की क्लासेस लगाने के लिए जो अभी तक प्रोसीजर चल रहा है उसको और ज्यादा गति देते हुए आने वाले सत्र में उसकी शुरुआत कर दी जाए तो बच्चियों  को कालेज के अन्दर इन सब की शिक्षा मिलेगी और माताएँ टेंशन फ्री हो जाएंगी, उनके बच्चियों  को वहीं पर अच्छी शिक्षा उपबल्ध हो, उन माताओं और उन बच्चियों की तरफ से आपके माध्यम से  मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ और आभार प्रकट करती हूँ. इसके साथ ही पीथमपुर के अन्दर अभी हाल ही में नर्मदा का जल उपयोग करने के लिए  300 करोड़ की सौगात दी गयी है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो 300 करोड़ रुपये दिये हैं उसके लिए मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देती हूँ लेकिन  मैं इसके साथ अपनी एक और मांग रखती हूँ कि 300 करोड़ की जो पेयजल योजना है  उसको आने में थोड़ा समय लगेगा और उसके कारण जो पानी आयेगा, वह जो नागरिक क्षेत्र में आने वाला है वह बहुत महंगा मिलेगा तो इसके अन्दर अभी एक योजना जो केन्द्र द्वारा हमारी स्वीकृत की गयी थी अमृत योजना, उसके अऩ्दर 100 करोड़ की  डीपीआर तैयार करवायी गयी है लेकिन स्वीकृति के अभाव में अभी वहां पर नहीं पहुंच पायी है. मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि उस डीपीआर की स्वीकृति हमें जल्दी से जल्दी दिला दी जाए और मात्र 60 और 40 रेशियो से यह अमृत योजना जो केन्द्र सरकार के सहयोग से हमें मिलने वाली है, पीथमपुर चिन्हित हो गया है  लेकिन अभी उसकी स्वीकृति की हमें आवश्यकता है.अगरआप हमें वह स्वीकृति दिला दें तो 300 करोड़ की योजना की तुलना में  वह जल्दी बन जाएगी और उससे मिलने वाला जो पानी है वह हमें सस्ता भी मिलेगा और अधिक मात्रा में मिलेगा. पीथमपुर से जो नर्मदा जल है मात्र 65 किलोमीटर की दूरी पर है. अगर इसकी स्वीकृति हमें जल्दी मिल जाती है, माननीय वित्त जी आपको थोड़ा सा पैसा देना होगा लेकिन पीथमपुर की जनता और मजदूर जो गरीब वहां पर रहते हैं वह आपको तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद और आभार मानेंगे. इसके साथ आटो टेस्टिंग ट्रेक  के लिए जो जमीन ली गयी थी, यह केन्द्र शासित प्रोजेक्ट था  और इसके अन्दर अधिग्रहण की गयी जमीन का 111 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा वितरण किया गया था लेकिन किसानों द्वारा न्यायालय और उच्च न्यायालय जो अपील दायर की गयी थी उसके हिसाब से  इसका मुआवजा बढ़ा दिया गया था. 35 और 40 लाख रुपये के हिसाब से जो मुआवजा बढ़ाया गया था  वह सितम्बर माह में बढ़ाया गया था. अगर सरकार इस पर कार्यवाही नहीं करती तो कंटेम्प्ट आफ कोर्ट हमारी सरकार पर लगता था. माननीय मुख्यमंत्री जी ने पहल करते हुए करीब 100 करोड़ की राशि तो वहां वितरित कर दी गयी और  अभी हाल ही के अन्दर कलेक्टर के माध्यम से  494 करोड़ की राशि और वितरित करने का प्रावधान और उसके आ गया है और उसके साथ ही 800 करोड़ की राशि वहाँ पर और वितरित की जाएगी इसके लिए मैं क्षेत्र के किसानों की तरफ से माननीय वित्तमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार प्रस्तुत करती हूं. मैं एक और निवेदन करना चाहूंगी कि माननीय मुख्यमंत्री जी के सहयोग से पीथमपुर के अंदर 3 करोड़ रुपये प्रतिमाह के हिसाब से जो राशि हमें दी जाती है, वह  इंड्स्ट्रीज के जो टैक्स वसूले जाते हैं उसके एवज में डेवलपमेंट के लिए नगरपालिका को दी जाती है लेकिन जगह का अभाव होने के कारण इस राशि का उपयोग नहीं हो पाता है. इस कारण सुनिश्चित और सुव्यवस्थित विकास के लिए पीथमपुर के अंदर एक विकास प्राधिकरण की महती आवश्यकता है. मुख्यमंत्री जी अभी धार आए थे और इसकी घोषणा भी की थी.  उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं चाहती हूं कि इसको जल्दी से जल्दी स्वरूप में लाया जाए . चूंकि पीथमपुर को राशि की आवश्यकता नहीं है बल्कि एक ऐसी संस्था की आवश्यकता है जो क्षेत्र का व्यवस्थित विकास कर सके. इसके साथ ही पीथमपुर के अंदर जो जमीन की हमें आवश्यकता होती है, हमारे पास पैसा है लेकिन डेवलपमेंट के लिए, हाट बाजार के लिए, कॉलेज के लिए या किसी गार्डन के लिए किसी भी चीज की हमारे पास जमीन नहीं है और इसकी उपलब्धता के लिए मैं मुख्यमंत्री जी से निवेदन करूंगी कि यदि प्राधिकरण बन जाएगा तो शायद कोर्डीनेशन करके एकेवीएन के माध्यम से हम सब जो वहाँ पर डेवलपमेंट करना चाहते हैं, वह हम कर सकेंगे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरी अपील है कि जल्दी से जल्दी प्राधिकरण का हम गठन करवायें तो  इसके लिए मैं क्षेत्र की जनता की तरफ से आपका बहुत बहुत धन्यवाद दूंगी. आपने बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.

          श्री जतन उइके --- (अनुपस्थित)

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को(पुष्पराजगढ़)---  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह विभिन्न विभागों और मदों में वर्ष 2016-17 की राशि का जो प्रावधान किया गया है, जब इस प्रावधानित राशि को मैं देखता हूं और अपने क्षेत्र की ओर दृष्टि डालता हूं तो मुझे ऐसा लगता है कि पता नहीं वहाँ के विकास का क्या होगा और ऐसा न हो कि आगे आओ, लाभ उठाओ, उसमें मैं वंचित रह जाऊँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज सबसे बड़ी समस्या पूरे मध्यप्रदेश में सूखे की स्थिति से है और यह जो स्थिति निर्मित हुई उससे किसानों की उम्मीदों पर पानी फिरा है, बहुत सारी उनकी उम्मीद थीं,योजनायें थी उस पर प्रभाव पड़ा है, नुकसान हुआ है. इस सूखे के कारण पेयजल का संकट भी उत्पन्न हुआ है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में करीब दो साल पूर्व किरगी जलप्रदाय योजना में 92 ग्रामों का प्रोजेक्ट बनाया गया, उसके साथ ही दमेहड़ी जलप्रदाय योजना 32 गांवों की बनाई गई, जो कि स्वीकृति के अभाव में जलप्रदाय निगम, भोपाल के कार्यालय में लंबित है . चूंकि सूखे की स्थिति है इसलिए पेयजल की बहुत सी समस्या उत्पन्न होंगी  और जंगल पहाड़ के इलाकों में वाटर लेवल तेजी से डाउन हो रहा है और पानी की समस्या है, सैकड़ों गांव ऐसे हैं जहाँ हैडंपंप खनन की अति आवश्यकता है . कुछ ऐसे दस बीस गांव हैं , जहाँ पर परिवहन करके पीने का पानी इस वर्ष पहुंचाया जाएगा. ऐसी स्थिति में मेरा निवेदन था कि इस बजट में मेरे उन 52 और 32 गांवों की जो कार्ययोजना है , जल प्रदाय निगम में जो लंबित है उसको कर दिया जाता तो वहाँ लोगों को काफी राहत मिलती परन्तु इस बजट में कहीं मुझे दिखाई नहीं दे रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जीवन में शिक्षा का सबसे ज्यादा महत्व है और शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं है. शिक्षा के क्षेत्र में, प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल और हायर सेकंडरी में जो बजट के प्रावधान किए गए हैं और विद्यालयों के उन्नयन का, माननीय आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय मेरे क्षेत्र से लगे हुए हैं, सांसद भी रह चुके हैं और वे हमारे विधान सभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को अच्छी तरह जानते हैं और वास्तव में जो वहाँ की बच्चियाँ हैं, बालक हैं, हाई स्कूल और हायर सेकंडरी की शिक्षा के लिए 10-12 किलोमीटर दूर जंगल, पहाड़, नदी, नाले, से होकर के अध्ययन करने जाते हैं. उनके प्रस्ताव के लिए भी हमने निवेदन किया है कि वर्तमान में जिस तरीके से घटनाएँ घट रही हैं और 10 वीं 12 वीं की बच्चियाँ दूर-दूर शिक्षा अध्ययन करने जाती हैं, यदि वहाँ 5-7 किलोमीटर में हाई स्कूल का उन्नयन कर दिया जाए तो उनको शिक्षा प्राप्त करने में सरलता होगी. इसके कारण जो बच्चियाँ शिक्षा से वंचित होती हैं वे शिक्षा प्राप्त कर सकेंगी.

          उपाध्यक्ष महोदय, बहुत सारी बात होती है वास्तव में पुष्पराजगढ़ विधान सभा में चूँकि वहाँ जंगल व पहाड़ी क्षेत्र है, वर्षा के दिनों में भू-कटाव बहुत तेजी से होता है. भू-कटाव तेजी से होने के कारण  हम जो रोड निर्माण करते हैं, ग्रेवल पैक अन्य मार्ग यदि बना देते हैं, बरसात के दिनों में पुनः उसकी एक नाली बन जाती है. हम जो रोड निर्माण करते हैं, उससे ज्यादा हमको पुल-पुलियाओं का निर्माण करना पड़ता है और जो मुख्य मार्ग हैं, मुख्यालय से लेकर के क्षेत्र तक, चाहे वह नोनघटी-दम्हेड़ी मार्ग हो, लीलाटोला से दम्हेड़ी मार्ग हो, पटना से करपा मार्ग हो, करपा से बीजापुरी मार्ग हो, करपा से सरई अल्हवार अहिरगँवा मार्ग हो, अहिरगँवा से केलमनिया मार्ग हो, बम्हनी से केशवानी मार्ग हो, लखौरा से बोदा मार्ग हो, करौंदी से लपटी मार्ग, करंगरा से पोड़की मार्ग, जो अंतर्राज्यीय मार्ग है और लमसरई से संचरा मार्ग....

          उपाध्यक्ष महोदय--  मार्को जी, दो मिनट में समाप्त करें.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--  जी. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके आदेश का अक्षरशः पालन करूँगा.

          उपाध्यक्ष महोदय--  लोक निर्माण विभाग की मांगों पर बोल लीजिएगा.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--  उसमें भी बोलूँगा. चूँकि बहुत सारी सड़कें बनेंगी तो मैं सोचता हूँ कि 400 किलोमीटर मेरे ही पुष्पराजगढ़ में बन जाएँगी.....

          उपाध्यक्ष महोदय--  क्या विभाग की मांगों पर नहीं बोलेंगे?

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--  उसमें भी बोलूँगा. जहाँ-जहाँ मौका मिलेगा मैं सोचता हूँ कि चूकूँ नहीं. उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा मेरा कहना यह है कि हमारे पास गौ है, गाँव में है, मेरा ऐसा मानना था, इसमें प्रावधान नहीं किया गया है, कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक गौशाला बनाई जाए और उस गौशाला में जो आवारा पशु हैं उनको वहाँ रखा जाए और उन आवारा पशुओं से जो गोबर मिलेगा और गौमूत्र वहाँ से इकट्ठा करके, उनका औषधि और खाद के रूप में, यदि वहाँ उपयोग किया जाए तो मैं ऐसा मानता हूँ कि आवारा पशुओं की जो सबसे बड़ी समस्या है उससे भी निजात मिलेगी और गौमूत्र का हम औषधि के रूप में यदि उसका उपयोग करेंगे और लोगों को उस कार्य में लगाएँगे तो रोजगार भी मिलेगा और समस्या का समाधान भी होगा.

          उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा, वन विभाग से संबंधित है. आज पूरे जंगल में जो हमारा पर्यावरण, जो निश्चित वन होना आवश्यक है, औसत वन की जितनी हमें आवश्यकता होनी चाहिए, मेरे मत से वह गिरता जा रहा है और पर्यावरण संतुलन के लिए वनों की आवश्यकता है. हमारी कृषि, वर्षा में भी वनों की आवश्यकता है. मैं यह मानता हूँ कि आज बड़े बड़े जंगलों में और पहाड़ों में लेनटाना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और लेनटाना के लिए कोई यहाँ प्रोजेक्ट नहीं बनाया गया. चूँकि लेनटाना एक काँटेदार.....

          उपाध्यक्ष महोदय--  मार्को जी, अब कृपया समाप्त करें.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--  काँटेदार वृक्ष होने के कारण उसके नीचे कोई दूसरा पौधा नहीं उग पाता है, तो मैं चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र में सबसे ज्यादा लेन्टाना का प्रकोप है वहां शाल एक ऐसी प्रजाति है उसका प्रतिरोपण नहीं किया जा सकता है वह मात्र वहीं ऊगता है वहीं बढ़ता है वहां यदि इसका प्रोजेक्ट बनाकर लेन्टाना उन्मूलन किया जाय तो हमारे वनों का विकास होगा, संरक्षण होगा. आपने बोलने का मौका दिया मैं आपके प्रति आभार व्यक्त करता हूं.

          श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर)-- उपाध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्रीजी द्वारा प्रस्तुत आय-व्ययक के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.

          उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्रीजी और माननीय वित्त मंत्रीजी को धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ कि उन्होंने गांव, गरीब, किसान, बिजली, सड़क,पानी और अन्य प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, नगरीय अधोसंरचना, प्रधानमंत्री आवास योजना, अटल आश्रय योजना, प्रधानमंत्री शहरी अधोसंरचना के अलावा कानून-व्यवस्था उद्योग, पशुपालन सारे क्षेत्र में काम करने के लिए बजट में प्रावधान किया है. मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है. देश और प्रदेश में युवाओं की संख्या लगभग 60-65 प्रतिशत है उनके रोजगार के लिए प्रदेश की सरकार ने कौशल विकास केन्द्र, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के माध्यम से प्रयास किया है. इसके अलावा भी युवाओं के रोजगार के लिए वर्ष 2016-17 में मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना द्वारा 50 हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया जायेगा इसमें 25 हजार महिलायें प्रतिवर्ष प्रशिक्षण ले सकती हैं. 2015-16 से 135 कौशल विकास केन्द्र संचालित हैं, प्रत्येक जिले में 2016-17 से दो नये कौशल विकास केन्द्र खोले जायेंगे जिनमें लगभग 20 हजार युवा प्रतिवर्ष प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे. इस योजना में 2015-16 में लगभग 68500 हितग्राहियों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है. वर्ष 2016-17 में लगभग 1 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. इस प्रकार से प्रदेश में युवाओं की संख्या को देखते हुए जो गरीब युवा हैं, पिछड़े वर्ग के हैं अनुसूचित जाति, जनजाति के हैं उनको रोजगार के सुअवसर प्रदान करने का काम प्रदेश सरकार ने किया है. पूर्व में केन्द्र और राज्य में भी कांग्रेस की सरकारें रही हैं उस समय जब युवाओं को रोजगार देने की बात कही जाती थी उस समय अपात्र और कृपा पात्र लोगों को रोजगार दिया जाता था और यह कहा जाता था कि ऐश करने के लिये यह पैसा दिया गया है. परन्तु आज केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा जो युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किये जा रहे हैं उसमें पहले उनको प्रशिक्षण दिया जाता है.

          उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से कृषि के क्षेत्र में भी प्रदेश में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है. कृषि के क्षेत्र में विगत वर्षों से लगातार आपदायें आ रही हैं हर आपदा के समय प्रदेश की सरकार प्रदेश के मुखिया किसानों के साथ हमेशा खड़े रहे हैं. वर्ष 2007-08 में नरसिंहपुर जिले में भयंकर तुषार की समस्या आई थी. हमारे जिले में राहर (अरहर) की जो फसल होती है वह बहुत अधिक होती है और..

 

5.50 बजे                          अध्यक्षीय घोषणा

                                     स्वल्पाहार के संबंध में.

          उपाध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्यों के लिए स्वल्पाहार की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार स्वल्पाहार ग्रहण करने का कष्ट करें.                                                                             

          श्री जालम सिंह पटेल :- उपाध्‍यक्ष महोदय, अरहर की फसल जब तुषार से चौपट होगी तो लगभग एक मुश्‍त 63 करोड़ की राशि पहली बार हमारे उन किसानों को दी गयी थी. इसी प्रकार से पूरे प्रदेश में अभी खरीफ की फसलों में लगभग 46 हजार करोड़ की राहत राशि प्रदेश की सरकार ने दी है और जो बीमा की राशि दी जानी है लगभग 43 करोड़ की बीमा की राशि जो आने वाला समय है उसमें दी जानी है. इस प्रकार से परम्‍परागत खेती विकास के लिये भी योजना लागू की गयी है. राष्‍ट्रीय कृषि मंडी परिकल्‍पना योजना चालू की जा रही है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की जा रही है. शीतगृह पिछले वर्ष थे उसमें लगभग 9 लाख टन की क्षमता के थे और 2016-17 में जो है वह 15 लाख टन करने की योजना है. इस प्रकार से युवा और कृषि इस क्षेत्र में लगातार इस क्षेत्र में काम कर रही है. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हमारे जिले और प्रदेश में जो नर्मदा नदी है वह हमारे जिले और प्रदेश की जीवनदायिनी है. हमारे जिले में जो सिंचाई की व्‍यवस्‍था है रानी अवंतिबाई लोधी नहर परियोजना के माध्‍यम से सिंचाई वहां पर होती है. इसके पूर्व से भी वहां पर बंधान प्रणाली व्‍यवस्‍था थी, वहां पानी रोकने के लिये राजा परमार के समय से बहुत अच्‍छी बंधान प्रणाली हुआ करती थी, लेकिन सोयाबीन की खेती होने वे लगभग समाप्ति की ओर है. वर्तमान में वहां पर गन्‍ने की खेती की जाती है. हमारे यहां पर जो गन्‍ने की खेती है वह पूरे प्रदेश की लगभग 60 प्रतिशत गन्‍ना वहां पर बोया जाता है. गन्‍ने के माध्‍यम से ओर गन्‍ने के माध्‍यम से भी हमारी रानी अवंतिबाई लोधी नहर के माध्‍यम से सिंचाई होती है और वहां का जो ग्राउंड वाटर है वह भी बहुत ऊपर है, लेकिन वह ग्राउंड वाटर लगातार नीचे जा रहा है. उसके लिये भी जो हमारे देश के आदरणीय प्रधान मंत्री हैं उसमें उन्‍होंने हमारे जिले को लिया है. पूरे जिले में सिंचाई हो इसलिये हमारी प्रदेश की सरकार ने हमारे जिले को उसमें लिया है. एक और निवेदन है कि जब आदरणीय प्रधानमंत्री जी जब सिहोर में आये थे तो उन्‍होंने एक घोषणा की थी कि गन्‍ने की जो फसल है उससे शक्‍कर बनायी जाती है उसके अलावा जो एथेनॉल राब बनती है या शक्‍कर के अलावा उसमें एथेनाल बनाने की व्‍यवस्‍था दी गयी है तो हमारे जिले में उसके उद्योग की भी अधिक संभावना है. माननीयवित्‍त मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि हमारे जिले में लगभग 6 शुगर मिल हैं और 25 खानसारी है और 8643 कुल्‍होरे हैं उसके माध्‍यम से भी गन्‍ने की उपज है उससे वहां पर गुड़ और शक्‍कर बनायी जाती है और वहां पर एथेनॉल प्‍लांट के अलावा वहां पर ऊर्जा संयंत्र भी लगाये जा सकते हैं. माननीय वित्‍त मंत्री जी से अनुरोध है कि उस पर अवश्‍य ध्‍यान दें. उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया धन्‍यवाद.

          श्री जयवर्द्धन सिंह (राघौगढ़) :- परम आदरणीय उपाध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2016-17 का बजट जो माननीय वित्‍त मंत्री ने प्रस्‍तुत किया है उसमें साफ स्‍पष्‍ट होता है कि इस साल मध्‍यप्रदेश सरकार की वित्‍तीय स्थिति काफी चिन्‍ताजनक है. सबसे पहले माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका ध्‍यान आकर्षित करना चाहता हूं कि फिजिकल डेफिशिट पर, जिसमें इस साल 24 हजार करोड़ से अधिक हमारा राजकोषीय घाटा हो चुका है. पिछले साल के भाषण्‍ं में माननीय वित्‍त मंत्री जी ने कहा था कि यह जो फिजिकल रिस्‍पान्सिबीलिटी एण्‍ड मेनेजमेंट एक्‍ट 2005 के अंतर्गत नियम यही थे की 3 प्रतिशत से अधिक फिजिकल डेफिशिट नहीं होनी चाहिये, पिछले साल जब बजट पेश हुआ था उस समय राजकोषीय घाटा 2.99 प्रतिशत था. मगर जब पिछले वर्ष 2015-16 की रिवाईज इस्टीमेट देखते हैं उसमें जो फिजिकल डेफिसिट है वह 3 परसेंट से अधिक हो चुका था इसका मतलब है कि हमने जो अपने ऊपर एक अनुशासन लगाया था कि हमको यह सीमा  पार नहीं करनी है. वही सीमा प्रदेश सरकार ने पार की . इससे साफ दिखता है कि एक तरीके से फिजिकल डेफिसिट जो धीरे-धीरे बढ़ रहा है उसमें आम जनता यह जानना चाहती है कि उससे स्टेट को क्या नुकसान हो रहा है, उससे प्रदेश सरकार पर और क्या दायित्व बढ़ रहे हैं  ? जिससे भविष्य में प्रदेश में क्या दिक्कत आ सकती है ? सबसे पहले प्रदेश के जो दायित्व हैं जो लायबिलिटीज हैं  वह और बढ़ चुकी हैं और विशेषकर जो इंट्रेस्ट है. हमारा पूरा कर्ज सब जानते हैं कि डेढ़ लाख करोड़ से ज्यादा हो चुका है मगर प्रति वर्ष प्रदेश सरकार को जो ब्याज देना पड़ रहा है वह  दस हजार करोड़ से अधिक हो चुका है और यह बहुत अधिक चिंताजनक बात है. इसके साथ-साथ और भी जो समस्याएं आती हैं जैसे हम बात करें टैक्स के बारे में आज पूरे विश्व में आईल प्राईसेस गिर चुके हैं. अमेरिका में तो इतना सस्ता पेट्रोल,डीजल बिक रहा है मगर हम मध्यप्रदेश को देखें और भारत को भी देखें तो जो लाभ उपभोक्ता को मिलना चाहिये था वह हमें नहीं मिल पाया है इसके साथ-साथ हर प्रदेश में जो वेट पेट्रोल,डीजल पर लगता है वह डीरेगुलेटेड था और साथ में फ्लोटिंग उस पर टैक्स  लगता था लेकिन कुछ दिन पहले अखबार में खबर आई कि अब वेट अमेंडमेंड बिल के द्वारा फिक्स्ड रेट वेट टैक्स लगेगा. पेट्रोल पर 18 रुपये और डीजल पर 13 रुपये.  31 परसेंट तक यह रेट हैं. मैं मानता हूं कि जो उपभोक्ता है उसको बिल्कुल लाभ नहीं मिल पा रहा है. उपाध्यक्ष महोदय,पिछले साल अगर हम देखें तो 2015-16 में 74 योजनाएं ऐसी थीं जिसमें 19 डिपार्टमेंट शामिल थे. उनमें जो बजट आवंटन था वह था 23 हजार करोड़ परंतु उसमें से सरकार द्वारा खर्च हो पाए  12 हजार करोड़. इसके साथ-साथ अगर हम शिक्षा का विभाग देखें. यूनिफाईड डिस्ट्रिक्ट इंफार्मेशन सिस्टम एजुकेशन है. यूडीआईएससी,जो केन्द्र सरकार का एक विभाग है जिसके माध्यम से शिक्षा में जो-जो आंकड़े हैं वह प्रदेश को सेंट्रल को प्रस्तुत करने पड़ते हैं.  इसमें यह उल्लेख है कि 4400 स्कूल ऐसे हैं जहां पर पूरे प्रदेश में टीचर हैं ही नहीं. उसके साथ-साथ 17 हजार ऐसे स्कूल हैं जहां पर सिर्फ एक शिक्षक है. यह भी बहुत ही चिंताजनक  स्थिति है. उसके साथ-साथ जो एजुकेशन डेव्लहपमेंट इंडेक्स है ई.डी.आई.,इसमें हमारा राज्य 31 वें नंबर पर है यह दुखद घटना है. उसके साथ-साथ माननीय वित्त मंत्री जी ने उनके भाषण में यह उल्लेख किया था कि इस साल ऊर्जा विभाग में जो बजट आवंटित किया गया है वह 19 हजार करोड़ है मगर उन्होंने यह नहीं कहा कि उसमें से जो 7 हजार करोड़ ऐसी राशि है जो पहले का बकाया है जिसको सरकार इक्विटी में कनवर्ट कर रही है जिससे कोई नई पूंजी नहीं बनने वाली है साथ ही केन्द्र सरकार की जो स्कीम आई है उदय,उसके माध्यम से हर प्रदेश के लिये प्रावधान है कि जो पुराना एमपीईबी का वह इक्विटी में कनवर्ट कर सकते हैं. मगर उससे कोई नयी पूंजी नहीं बन रही है.  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आखिरी में यही कहना चाहूंगा कि पिछले साल हमारे मध्यप्रदेश से कैलाश सत्यार्थी जी को नोबेल पुरस्कार मिला था चाईल्ड बांडेड लेबर में और शायद हमको ऐसा लगा कि इस साल उनके कारण जो महिला बाल विकास में जो राशि आवंटित हुई है वह और अधिक होने वाली थी मगर वहां भी 12 परसेंट कटौती हुई है.  उसके साथ-साथ मुझे यह भी सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ कि बाल आयोग में सभी पद रिक्त पड़े हैं. जो चेयर पर्सन हैं वह भी नहीं हैं और जो 6 पद आवंटित हुए हैं उसमें सभी पद रिक्त पड़े हैं. यह भी बहुत ही आश्चर्य की बात है इस पर माननीय मुख्यमंत्री जी को भी ध्यान देना चाहिये क्योंकि मुझे पता चला है कि डेढ़ साल से माननीय मंत्री महोदया ने इस बात को उठाया था  मगर इस पर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया है. मैं आपका और समय नहीं लूंगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत(नागदा खाचरोद)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्तमंत्री जी के द्वारा जो बजट प्रस्तुत किया गया है उसके समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. निश्चित रूप से मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि यह जो बजट प्रस्तुत हुआ है विकासोन्मुखी है, गरीब किसान, मजदूर एवं युवाओं के लिये है. जब इस बजट प्रस्तुत किया गया तो स्पष्ट दिशा थी, मध्यप्रदेश का स्पष्ट रोड़ मेप था. मुझे यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि जहां पिछले 10 वर्षों में हमने 1 लाख किलोमीटर की सड़क बनायी है, 36 लाख हैक्टेयर भूमि में सिंचाई का रकबा बढ़ाया है. बिजली का उत्पादन हमने लगभग 16 हजार मेगावाट तक किया है. मुझे यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि आज से 12 साल पहले जहां नान कन्वेन्शन में 50 मेगावाट बिजली बनती थी आज 2 हजार मेगावाट बिजली बनाने के लिये अग्रसर हैं. हर क्षेत्र के अंदर हमने इस मध्यप्रदेश में कहीं न कहीं पूरे देश के अंदर अपना स्थान सुनिश्चित किया है. कृषि के क्षेत्र में मैं कहूं तो कृषि की ग्रोथ रेट हमने जहां 20 प्रतिशत की है, विकास दर भी 8 सालों तक हमने 10 प्रतिशत को मेन्टेन करके रखा है. यह सब सारी चीजें जहां से यह लगता है कि मध्यप्रदेश की 12 साल पहले तुलना होती थी बीमारू राज्य से आज मध्यप्रदेश आज बीमारू राज्य से निकलकर विकसित प्रदेश की तरफ अग्रसर हो रहा है. मुझे यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि शिक्षा के क्षेत्र में हमने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है मैं यह कहना चाहता हूं कि हम सबका सौभाग्य है कि इस वर्ष सिंहस्थ 2016 उज्जैन में मनाने के लिये हम सब आतुर हैं. मुझे याद है कि पूर्व के सिंहस्थों में जहां केवल ढाई सौ करोड़ से ज्यादा का बजट नहीं होता था इस बार हमने लगभग 3 हजार करोड़ के विकास के कार्यों को अंजाम दिया है और इस साल भी हमने 298 करोड़ के विकास के कार्यों के लिये और प्रावधान इस बजट के अंदर किया है. मैं माननीय वित्तमंत्री जी से इतना निवेदन जरूर करूंगा कि इस बजट में सबको कुछ न कुछ दिया है आने वाले समय में अगर जो प्रायवेट इंडस्ट्रीज में काम करने वाले श्रमिक हैं उनके प्रोफेशनल टैक्स के बारे में विचार करेंगे तो लगभग 11-12 लाख कर्मचारियों को सीधा-सीधा लाभ मिलेगा, यह बिनती मैं आपसे जरूर करना चाहूंगा. मैंने पूर्व में भी निवेदन किया था कि मऊ से लेकर मंदसौर नीमच तक जो नर्मदा जी का पानी चंबल के उद्गम स्थान पर मिलाते हैं तो कल माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा था कि मैं घोषणा तो नहीं करता हूं, लेकिन भविष्य में इस पर गंभीरता से विचार करेंगे, क्योंकि मैं जिस क्षेत्र से आता हूं ग्रेसिम एवं फाईबर के क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा उत्पादन क्षेत्र है और अगर नर्मदा जी चंबल के उद्गम स्थान पर मिलती है तो निश्चित रूप से जो उद्योग डेढ़-दो महीने से बंद होता है उससे लाखों करोड़ों रूपये रेवेन्यू का लॉस होता है वह निश्चित रूप से बचेगा और इसलिये आपसे बिनती करूंगा कि जिस प्रकार से आपने नर्मदा जी को क्षिप्रा जी एवं नर्मदा जी को गंभीर परियोजना उसके बाद पार्वती एवं काली सिंध की जी योजना बनायी है उसमें अगर चंबल को बनाएंगे तो निश्चित रूप से फायदा होगा. मैं एक और निवेदन करना चाहता हूं कि श्रमिकों के बच्चों को पढ़ने के लिये रवासी विद्यालय की कल्पना आपने संजोयी है उसको छोटे रूप में प्रारंभ किया है अगर उस योजना का बजट में प्रावधान करेंगे तो निश्चित रूप से जहां श्रमिक बाहुल्य इंड्रस्ट्रियल एरिया है उसमें श्रमिकों के बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा. मैं आपको इस बात के लिये भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि पर्यटन के क्षेत्र में जो अभूतपूर्व क्रांति इस मध्यप्रदेश में आयी है. मेरा जन्म राजस्थान में हुआ है पर्यटन का क्षेत्र वहां पर जिस प्रकार से विकसित हुआ वहां पर्यटन एक उद्योग के हब रे रूप में विकसित हुआ है अब आपके मार्गदर्शन में निश्चित रूप से पर्यटन के क्षेत्र में भारत के मानचित्र पर होंगे. मैं आपको धन्यवाद देते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूं.

श्रीमती पारूल साहू केशरी (सुरखी)-  Hon’ble Chair, and Respected members of this august house. It gives me immense pleasure to speak on budget today. I would like to congratulate our Finance Minister  Sh. Jayant Malaiya Ji, who has proved what he said last year and I would like to quote his words today.

 

मेरी कोशिश यह नहीं कि, मैं किसी से प्रतिस्‍पर्द्धा के लिये बेहतर करूँ,

पर यह है कि किसी के लिये बेहतर करूँ.

 

Hats off to you Sir, That your budget covers all aspects of people’s aspiration and …..

उपाध्‍यक्ष महोदय-  पारूल जी, हिन्‍दी और अंग्रेजी का मिश्रण करके बोलें, बीच-बीच में हिन्‍दी भी बोलें ।

Wisdom, Values and Vision of our living legend Chief Minister Shri Shivraj Singh Ji Chouhan.

डॉं गोविन्‍द सिंह-  उपाध्‍यक्ष महोदय, करोड़ों रूपए बर्वाद हो गए, उदाहरण आपके सामने आ गया ।

Hon’ble Chair, I would also like to thank our Finance Minister who has paid special emphasis on School Education, Health & Irrigation.

Today, the whole world is on the verge of a great economic slowdown. It may occur due to bubble burst of China or may be a war due to Syria or North Korea crisis or even Euro can fall very soon. All these situations will greatly affect India’s economic scene. During this situation, we need to strengthen our rural economy, the most specially our most important factor of production i.e. labour.

Hon’ble Chair, J.M. Keynes, famous economist suggested : The logic to fight economic slowdown by his “Multiplier Effect”. It laid emphasis on public works and if public work is not available then government should ask people to “dig well and fill well”. We can simplify it into Kapil Dhara and Khet Sadak Yojana. This Multiplier effect increases purchasing power of the labour and economy revives due to increase in effective demand.

A little more emphasis on Panchayat Raj Institutions and Rural development is required. Hon’ble Chair, By doing so, our Finance Minister will make the soul of a great economist happier than ever and will prepare our economy to overcome the effects of expected slowdown.

उपाध्‍यक्ष महोदय- पारूल जी,मेरी बात सुन लें, विधानसभा में अंग्रेजी के रिपोर्टर्स नहीं हैं,आप जो अंग्रेजी में  बोल रही हैं, वह रिपोर्टर्स द्वारा लिखा जाना संभव नहीं है , माननीय सदस्‍य तो सुन रहे हैं, रिकार्ड नहीं हो रहा है । आखिर में आप एक मिनट हिन्‍दी में बोल दें ।

श्रीमती पारूल साहू- Hon’ble Chair, I would also like to put one demand to our Finance Minister for Women Community - “To make movie ‘Neerja’, which is based on extraordinary courage of a young woman, tax free in the  Madhya Pradesh.

 मैं डिमाण्‍ड करना चाहूँगी हमारे वित्‍त मंत्री जी से कि महिलाओं के लिए बहुत अच्‍छी फिल्‍म है नीरजा, हमारा महिला दिवस भी आ रहा है, वित्‍त मंत्री जी से अनुरोध है कि उसको टैक्‍स फ्री किया जाए ।

Hon’ble Chair, I can proudly say that this budget is “Budget for the people”. Thank You,     

           

                      श्रीमती झूमा सोलंकी - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, 2016 के वार्षिक बजट का मैं विरोध करती हूँ । बड़ी उम्‍मीद थी कि सरकार आम जनता को  राहत और बड़ा पैकेज लेकर देती, किन्‍तु इस उम्‍मीद पर खरे नहीं उतर पाए । आज किसान आत्‍महत्‍या कर रहे हैं । सरकार ने राजनीतिक इच्‍छा शक्ति नहीं दिखाई कि आपदा से किसानों को राहत मिलती ।  भीषण सूखा पड़ने के उपरान्‍त पश्चिम निमाड़ को सूखाग्रस्‍त घोषित नहीं किया गया और सही मुआवजा नहीं मिला,कई किसान छूट गए हैं, मेरे ही क्षेत्र में 4 किसानों ने आत्‍म हत्‍याएं की हैं और उनका परिवार बेघर हो गया है ।  शासन के  के द्वारा उन परिवारों को कोई राहत नहीं दी गई है ।

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, चूंकि मंत्री जी उपस्थित है, अपने क्षेत्र की जो समस्‍या है, उसको बजट में लिया जाए ऐसी मैं आशा करती हूँ । झिरमा टेंक जहां से उद्वहन नहर का पानी कसरावद क्षेत्र और वहां से लगाकर खरगौन विधानसभा क्षेत्र की ओर जाता है,महेश्‍वर में सभी दूर पानी मिला है, किन्‍तु भीकनगांव क्षेत्र को छोड़ दिया गया है,  मंत्री जी अच्‍छी तरह से जानते हैं और बहुत ज्‍यादा दूरी नहीं है, 7 किलोमीटर के भीतर उसका पानी किसानों को मिल रहा है, उम्‍मीद करती हूँ कि इसमें उसको जोड़ा जाए,साथ ही खण्‍डवा जिले के छैगांव माखन का दूसरा टेंक निर्मित होगा जिसके लिए भी राशि मंजूर की और वहीं से मेरा क्षेत्र लगता है दूसरे छोर की ओर वहां भी यदि 20 से 25 गांव को जोड़ लिया जाए तो पूरे क्षेत्र मे पानी से सिंचाई होगी और किसानों को भारी राहत मिलेगी ।

          उपाध्‍यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्र जहां सूखे से किसान आहत हैं, बिजली के भारी बिल उनके ऊपर आ रहे हैं, इस वर्ष सूखे को देखते हुए उनके बिल  माफ कर दिए जाएं तो किसानों को बड़ी राहत मिलेगी ऐसी आशा करती हूँ । उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र  के अंतर्गत दोनों जनपदों में एक सी.ई.ओ. दोनों जनपदों  को चला रहा है,एक टी.आई.2 थानों को चला रहा है । इसी तरह से जितने भी विभागों के प्रमुख अधिकारी हैं वह एक भी मौजूद नहीं हैं । उनकी व्‍यवस्‍था हो ऐसी मैं आशा करती हूँ । उपाध्‍यक्ष महोदय, विद्युत मण्‍डल के द्वारा जो बिजली के बिल उसके अलावा दूसरी जो बड़ी समस्‍या है कि वह जो कनेक्‍शन लेते हैं, अस्‍थाई कनेक्‍शन के रूप में बड़ी भारी राशि उनको चुकाना पड़ रही है, इस वर्ष उनको राहत जरूर दें, ऐसा वित्‍त मंत्री जी से निवेदन है । पेयजल की स्थिति हेंडपंप सारे सूख चुके हैं और पूरे गांव में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है । बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया कि गांव वालों के लिए कोई व्‍यवस्‍था हो, पानी की व्‍यवस्‍था शासन किसी भी तरह से करें, उसका इसमें प्रावधान होना चाहिए ।        उपाध्‍यक्ष महोदय, सबसे बड़ी जो समस्‍या है वह है बेरोजगार की मनरेगा जैसी बड़ी योजना का काम पूरी तरह से ठप्‍प पड़ा हुआ है कयोंकि सचिव, सहायक सचिव और मनरेगा के अन्‍य कर्मचारियों के द्वारा हड़ताल पर जाने की वजह से यह काम नहीं हो रहा है और बेरोजगारी की वजह से पूरा क्षेत्र पलायन कर रहा है पूरे झिरन्‍या ब्‍लाक के ज्‍यादातर गांव खाली हो चुके हैं राजस्‍थान,महाराष्‍ट्र और गुजरात की ओर पलायन करके अपने रोजगार की तलाश में अन्‍य ग्रामीण वहां पर चले गए हैं उनके रोजगार के लिए सड़कों का निर्माण तालाबों का निर्माण और अन्‍य ऐसे काम शुरू किए जाएं सरकार की ओर से ताकि उनको रोजगार मिले । उपाध्‍यक्ष महोदय, स्‍कूलों की बात करें तो ज्‍यादातर स्‍कूलों में शिक्षकों का अभाव है शिक्षकों के बिना बच्‍चों को बैठाने की व्‍यवस्‍था है न कि उन्‍हें पढ़ाने की ऐसी व्‍यवस्‍था को सुचारू रूप से चलाने के लिए बेहद जरूरी है कि आने वाले भविष्‍य को देखते हुए यदि बच्‍चे शिक्षित नहीं होंगे तो क्‍या भविष्‍य होगा यह हम सब जान सकते हैं । उपाध्‍यक्ष महोदय, एक और बात कहकर मैं अपनी बात समाप्‍त करूंगी , कृषि से जुड़ी बात है ।

             किसी भी  योजना में किसान पंजीयन करवाता है और अशिक्षित होने की वजह से  उन योजनाओं का वह फायदा नहीं ले पाते हैं.  उनके लिये अलग से व्यवस्था हो, ताकि उन योजनाओं का वे  फायदा ले सकें.  जो सामग्री किसानों को दी गई है,  नियम यही है कि  उस सामग्री का पैसा  सीधे उनके खातों में डालना चाहिये. यह व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं हो रही है.  सीधा विभाग खरीद रहा है और उनके माध्यम से उन्हें दिया जा रहा है, जिसमें भ्रष्टाचार काफी हो रहा है.  इन्हीं शब्दों के साथ आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया,  बहुत बहुत धन्यवाद.

                   श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- उपाध्यक्ष महोदय,   माननीय वित्त मंत्री, श्री जयंत मलैया जी ने जो बजट पेश किया है,  मैं उसका समर्थन करने के लिये यहां खड़ा हुआ हूं.  किसान की आय को दोगुना करने के लिये और  बिजली, पानी एवं सड़क  तथा मध्यप्रदेश का सर्वांगीण विकास करने के लिये  यह बजट  मध्यप्रदेश के विकास में  मील का पत्थर  साबित होगा.  आज हम देख रहे हैं कि सड़कों का जाल चारों दिशाओं में फैला हुआ है.  पानीदार हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और   नर्मदा के पानी के   बंटवारे का जो लक्ष्य    हमें प्राप्त हो रहा है,   उसको किसान के खेत  में पहुंचाने की उनकी  जो योजना है, उस योजना का निश्चित ही  किसान को लाभ मिलने वाला है.  जहां से  मैं आता हूं,  मेरे संसदीय क्षेत्र  में गांधी सागर है. उस गांधी सागर से भी  नीमच और मंदसौर जिले में  पेयजल और सिंचाई के लिये योजना बनाई गई है, उसके लिये भी मैं वित्त मंत्री जी को  धन्यवाद देता हूं. आज हम देखते हैं कि पानी का संचय  मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है.  उसकी वजह से ही,  पानी की वजह से  खेती और खेती की  इनकम की वजह से  सड़कें बनी हैं और  सड़कों की जाल की वजह से  आज मध्यप्रदेश कहीं न कहीं  गति से बढ़ रहा है.  स्वास्थ्य के संबंध में भी  मध्यप्रदेश की सरकार ने जगह जगह जिला स्तर पर ट्रामा सेंटर  दिये हैं.  मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि  नीमच जिले में भी जो आपने ट्रामा सेंटर दिया है,  उसका काम भी पूरा करा दें.  वहां पर जो एम्बुलेंस  की आवश्यकता है,  वह भी पूरी कराने का काम करें.  हम देखते हैं कि कहीं न कहीं इस देश में पशुधन का बहुत महत्व था.  यदि किसी के घर में  पशु हुआ करते थे,  तो लोग उसको बहुत  पैसे वाला मानते थे.  कहीं न कहीं कांग्रेस की सरकार ने  उस समय जो चारागाह हुआ करता था,  पशुओं को चरने के लिये जो जमीन हुआ करती थी, उनके बैठने के लिये जमीन होती थी,   पट्टे बांटकर  वह जमीन समाप्त  की.  उसकी वजह से पशुधन कम हुआ.  उसकी वजह  से दूध का उत्पादन भी कम हुआ था.  मगर अभी 12 साल में  मध्यप्रदेश   की सरकार और सरकार के मुखिया  शिवराज सिंह जी चौहान ने  दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिये  प्रयत्न किया और  आज मध्यप्रदेश देश में  चौथे स्थान पर आया है. प्रदेश धीरे धीरे इसमें एक स्थान पर आये,  इसके लिये हमारे वित्त मंत्री जी ने  छोटे किसानों को  5 पशुधन देने का  काम किया है  और उसकी वजह से डेरी का विकास होगा और डेरी यदि  विकसित होगी,  तो  निश्चित ही पशुओं को, हमारे जानवरों को लाभ मिलने वाला है.  मुख्यमंत्री जी ने  गौ अभ्यारण्य का काम किया है और गौ अभ्यारण्य की वजह से  आज   हम देखते हैं कि प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 383 ग्राम  हमें दूध मिल रहा है.  पशुओं को  सुविधा  उपलब्ध कराने के लिये  109  एम्बुलेंस  की व्यवस्था की गई है.  तो हम यह चाहते हैं कि  जो हमारे यहां पशुधन है,  उसको बढ़ाने के लिये भी  इसमें प्रोत्साहन दिया गया है.  क्योंकि पशु सब को दूध पिलाता है.  हिन्दु, मुसलमान, गरीब और अमीर हो.  यदि हमारे यहां दूध मिलेगा, तो  लोग स्वस्थ रहेंगे.  चिकित्सा के संबंध में भी   लगातार हमारे यहां व्यवस्था हुई है.  उन व्यवस्थाओं के...

 6.18 बजे                अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.

 

            श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- .....लिये ही  मध्यप्रदेश की सरकार ने  2 हजार  बालकों के हृदय  रोग  का उपचार किया है.  उसके लिये  भी मैं सरकार को धन्यवाद दूंगा.  आज चाहे दीनदयाल उपचार योजना हो  या मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान योजना हो,  उनके माध्यम से भी  आज सबका इलाज हो रहा है. तो हम यह चाहते हैं कि  नीमच जिले में भी  जो हमारे यहां गांधी सागर डेम  एक पर्यटन स्थल है, वह विकसित होगा, तो उसका भी लाभ हमें मिलने वाला है.   मंत्री जी ने हमारे यहां डेम बहुत बनाये हैं, फिर  भी   एक हमेरिया डेम के साथ साथ ही  एक हरवार का  डेम है, उसके लिये भी  बजट में प्रावधान रख करके  उसको भी बनाने का काम करने की कृपा करें.  पानी के बिना कुछ  भी नहीं हो सकता है. इसलिये आज पानी संचय के लिये  बहुत सारे काम चल रहे हैं.  वहीं मध्यप्रदेश की मेहनत,परिश्रम की वजह से  चार बार कृषि कर्मण पुरस्कार  मिला है. आज खेती और  इनकम  में लगातार  10 प्रतिशत की वृद्धि  हमारे मध्यप्रदेश की हो रही है. तो कुछ न कुछ  अच्छा हो रहा है  और  अच्छे को हमारे बन्धु  स्वीकार नहीं करते हैं.  तो मैं यही कहूंगा कि  जो भी काम हैं, उसमें डेम के हैं या हमारे जिला चिकित्सालय में ट्रामा सेन्टर का है, यह बजट में लिया जायेगा तो बहुत अच्छा रहेगा. समय की कमी की वजह से बिजली के ग्रिड जो हमारे यहां लगने वाले हैं वह भी बजट में आये हैं मैं इसके लिये वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय-- रामपाल सिंह जी, कृपया संक्षेप में 2 मिनट में अपनी बात को समाप्त करेंगे.

          श्री रामपाल सिंह(ब्यौहारी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय एकाध मिनट बढा दीजियेगा. आपका संरक्षण मुझ पर हमेशा से रहा है, आशा करता हूं कि आज भी मुझे आपका संरक्षण प्राप्त होगा.

          अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, 1 मिनट बढ़ा देंगे.

          श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत बजट के संबंध में अपनी बात कहने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं ज्यादा कुछ न कहते हुये अपने क्षेत्र की समस्या तक ही सीमित रहूंगा और वित्त मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि मेरे द्वारा उठाई गई क्षेत्र की समस्या का निराकरण करेंगे. अध्यक्ष महोदय, जिस क्षेत्र से मैं चुनकर के आता हूं वह क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से काफी लंबा क्षेत्र है. ब्यौहारी क्षेत्र के पूर्वी क्षेत्र में एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां पर कि शत प्रतिशत आदिवासी निवास करते हैं लेकिन वह क्षेत्र उच्च शिक्षा से आज भी वंचित है. अगर हम दूरी के हिसाब से देखें तो जयसिंह नगर , ब्यौहारी और शहडोल इनके बीच में 60 से 100 किलोमीटर का अंतर पड़ता है. आदिवासी क्षेत्र होने के कारण वहां के अध्ययनरत छात्र छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, इसलिये मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से अनुरोध करुंगा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र के बनसुकली में एक महाविद्यालय की स्थापना की व्यवस्था बजट में कर देंगे तो उस क्षेत्र की जनता आपकी आभारी रहेगी.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में बाणसागर परियोजना स्थापित है, उसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा जल का संकट है. आज की स्थिति में 600 फीट नीचे पानी चला गया है, लोगों को पीने के लिये पानी उपलब्ध नहीं है. उस गांव के लोग पीने के पानी की समस्या हल न होने के कारण काफी उद्वेलित हैं, अनशन भी कर चुके हैं. मैं आपके माध्यम से आदरणीय वित्त मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि बाणसागर से कोई ऐसा संयंत्र लगाकर पानी का फिल्टरेशन करके वहां के निवासियों को शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, तीसरी बात मैं कहना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में जो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित हैं, उसमें 2-2 वर्षो से डॉक्टरों के पद रिक्त पड़े हैं, डॉक्टरों के पदस्थ न होने के कारण क्षेत्र की जनता को भयानक समस्या का सामना करना पड़ता है, वहां पर जिस तरह कस्बों से गांव की दूरी है , कॉलेजों से गांव की दूरी है, ठीक वैसी ही समस्या डॉक्टरों के न मिलने की है. मैं चाहता हूं कि वित्त मंत्री जी ग्रामीण अंचलों के स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टरों की पद स्थापना अतिशीघ्र की जानी चाहिये.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, अंतिम बात कहते हुये मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा. हाई स्कूल और हायर सेकेन्डरी की स्कूल हैं उसमें कुछ विषय जोड़ते हुये उन्हें सुचारू रूप से चालू किये जाने की आवश्यकता है. जैसे एग्रीकल्चर विषय, कामर्स विषय यह ऐसे विषय हैं जो कई जगहों पर पढ़ाये ही नहीं जाते हैं, मेरी वित्त मंत्री जी से प्रार्थना है कि इन विषयों को वहां पर संचालित करने की अनुमति आप बजट में दे देंगे तो वहां के रहने वाले हजारों छात्र छात्राओं को इसका लाभ मिलेगा, आईटीआई मेरे क्षेत्र में नहीं है, एक आईटीआई की व्यवस्था अगर आप इस बजट में कर देंगे तो वहां के छात्र छात्राओं का कौशल विकास बहुत बेहतर होगा. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे संरक्षण दिया, उसके लिये आभारी हूं. बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री आशीष शर्मा ( खातेगांव ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्री द्वारा जो आय व्ययक 2016 प्रस्तुत किया गया है उसके समर्थम में मैं अपनी बात करने के लिये खड़ा हुआ हूं. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में विकास के कार्यो की जो शुरूवात हमारी सरकार ने की थी उसको अनवरत जारी रखने के लिये मैं वित्त मंत्री जी की वचनबद्धता इस बजट से परिलक्षित होती है. यह बजट विकास एवं जनकल्याणकारी योजनाओं को बरकरार रखने का काम कर रहा है. जिस सरकार को बार बार जनता का आशीर्वाद मिलता है वह इस बात का प्रमाण होता है कि जनता सरकार के कार्यों को सराह रही है. इस बजट में कुशल आर्थिक प्रबंधन और समाज के हर वर्ग के लिये कल्याणकारी योजनायें परिपूर्णता से मौजूद हैं. अध्यक्ष महोदय, चूंकि बजट पर हमारे बहुत सारे मित्र बोल चुके हैं मैं सिर्फ यही कहना चाहताहूं कि कृषि को प्राथमिकता देना इस बजट की प्रमुख बात है. आज मध्यप्रदेश में किसान खुशहाल है, और किसान को इस बात का भरोसा है इस बात की हिम्मत यह बजट देता है कि उसके लिये खेती को लाभ का धंधा बनाने का काम यह सरकार बखूबी कर रही है. आज उद्यानिकी के क्षेत्र में बहुत अच्‍छा काम मध्‍यप्रदेश में देखने को मिल रहा है, जहां कभी मध्‍यप्रदेश में फल उत्‍पादित नहीं होते थे, फूल का उत्‍पादन नहीं होता था, सब्जियां बड़ी मात्रा में पैदा नहीं होती थीं, आज पॉली हाउस में और उद्यानिकी के माध्‍यम से फलों के उत्‍पादन के मामले में मध्‍यप्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है, डेयरी उद्योग के मामले में, दूध उत्‍पादन के क्षेत्र में मध्‍यप्रदेश में काम न के बराबर था, लेकिन आज दूध उत्‍पादन के माध्‍यम से भी डेयरी उद्योग के माध्‍यम से चमका है. पर्यटन में असीम संभावनायें इस बजट में तलाशी गईं हैं, मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी से कहना चाहता हूं, प्रत्‍येक जिले में आप एक पर्यटन का खाका तैयार करें और प्रत्‍येक जिले में पर्यटन की संभावनायें मौजूद हैं, पर्यटन से असीम रोजगार की भी संभावना है और सरकार को बहुत सारे राजस्‍व की भी प्राप्ति होती है इसलिये पर्यटन के क्षेत्र में प्रत्‍येक जिले में और काम होने की आवश्‍यकता है. बिजली के क्षेत्र में सरकार ने जो 24 घंटे बिजली देने का काम सतत मध्‍यप्रदेश में शुरू किया उसको और ज्‍यादा मजबूती के साथ इस बजट में भी शामिल किया गया है. जहां मध्‍यप्रदेश में बिजली के लिये चक्‍काजाम हुआ करते थे, बिजली के लिये आंदोलन हुआ करते थे, बिजली नहीं मिलने के कारण कई विद्यार्थियों ने आत्‍महत्‍यायें कीं, किसानों की फसलें बर्बाद हो गई थीं, आज उस मध्‍यप्रदेश में किसानों को पर्याप्‍त बिजली मिल रही है, घरेलू उपभोक्‍ताओं को पर्याप्‍त बिजली मिल रही है, इसके लिये मैं सरकार की सराहना करता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  कृपया समाप्‍त करें.

          श्री आशीष शर्मा--  कुल मिलाकर यह बजट बहुत आशाओं भरा है, इस बजट में सभी वर्गों का ध्‍यान रखा गया है. नगरीय क्षेत्रों में गरीबों को मकान बनाकर देने की प्रतिबद्धता भी इस बजट के माध्‍यम से की गई है. इंदौर और भोपाल में मेट्रो रेल आने का सपना भी इस बजट के माध्‍यम से साकार होते हुये हमको दिख रहा है और गरीब बच्‍चों के लिये, हमारे एस.सी., एस.टी. के बच्‍चों के लिये निशुल्‍क शिक्षा का अधिकार भी बरकरार रखा गया है. गरीब का बच्‍चा भी एक अमीर के बच्‍चे के साथ बैठकर जब किसी निजी स्‍कूल में पढ़ता है तो उसे वास्‍तव में लगता है मध्‍यप्रदेश में उसे बराबरी का दर्जा हासिल है. साथ ही स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को अनवरत जारी रखने के लिये 108 जननी एक्‍सप्रेस इन सबको प्रारंभ रखने के लिये इस बजट में पुन प्रावधान किये गये हैं. लाडली लक्ष्‍मी योजना के लिये भी प्रावधान किया गया है. पशुओं की चिकित्‍सा के लिये 109 एम्‍बूलेंस जल्‍दी से प्रारंभ हो इसकी हम आशा व्‍यक्‍त करते हैं. 181 से शिकायतें दूर हुई हैं और शिकायतों में कमी आई है. निश्चित तौर पर मध्‍यप्रदेश एक अच्‍छी सरकार की दिशा में बढ़ रहा है और मैं आशा व्‍यक्‍त करता हूं कि इस बजट से आने वाले वर्ष में मध्‍यप्रदेश में विकास में और तेजी आयेगी और इस विकास में तेजी के साथ सभी वर्गों में इस सरकार के प्रति संतोष होगा. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को, माननीय वित्‍त मंत्री जी को अपनी ओर से इस बजट पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं. धन्‍यवाद.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह बघेल (कुक्षी)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से बजट पर अपनी बात रखना चाहता हूं और क्षेत्र की कुछ मांगे भी करना चाहता हूं. बजट का भाषण मैंने पढ़ा.

          अध्‍यक्ष महोदय--  कृपया संक्षेप में, आप लंबा भाषण न दें.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह बघेल--  धरातल पर वास्‍तविक स्थिति जो सरकार दिखा रही है जो विकास बता रही है, वैसा नहीं है. स्‍वास्‍थ्‍य की बात करें तो 2000 नये प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र सरकार प्रदेश में बनाने जा रही है और वास्‍तविक स्थिति में 51.4 प्रतिशत स्‍टॉफ की कमी पूरे प्रदेश में है, एक तरफ चिकित्‍सकों की भरती करनी चाहिये, स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र उसके बाद में उसका निर्णय लेना चाहिये. मेरी विधानसभा क्षेत्र में कुक्षी बायपास बनना है, स्‍वीकृति हो गई है, काम अधूरा पड़ा है, राशि के अभाव में काम रूका हुआ है तो माननीय मंत्री जी से मैं निवेदन करना चाहूंगा कि राशि की उपलब्‍धता करायें ताकि वह बायपास जल्‍दी चालू हो सके. फीडर सेपरेशन का काम भी मेरी विधानसभा में अधूरा पड़ा है, किसानों को जो बिजली मिलना चाहिये उससे नगरीय एवं पंचायत को भी जोड़ दिया गया है अधूरे काम होने के कारण लोगों को पर्याप्‍त बिजली नहीं मिल पा रही है और बड़ी भारी कटौती उसमें हो रही है तो फीडर सेपरेशन का काम भी व्‍यवस्थित करना चाहिये. दहीं ब्‍लॉक जो आदिवासी क्षेत्र है पूरा वहां महाविद्यालय की मांग आपके माध्‍यम से मैं वित्‍त मंत्री जी से करना चाहता हूं. दहीं से जुड़ी हुई नर्मदा माता का तट है वह क्षेत्र भी सिंचाई का बड़ा बहाव है वहां पर तो अगर वहां पर नहर का विस्‍तार किया जाये, या नहर बनाई जाये तो सिंचाई की सुविधा भी उस क्षेत्र में हो जायेगी.

          अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा में 70 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या है. वहां पर जो छात्रावास बने हैं, उनकी हालत बड़ी जीर्ण-शीर्ण है. मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि बजट में विशेष प्रावधान करके, उनका नवीनीकरण किया जाये.

          अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि जोबट परियोजना नहर का विस्तार किया जाये. ग्राम निसरपुर के अजगांव गांव में जो दही से लगा हुआ है, उसका विस्तार भी होना है, उसका पानी नवादपुरा तक जायेगा. मेरा निवेदन है कि उसके विस्तार के लिए भी शासन राशि उपलब्ध कराये.

          अध्यक्ष महोदय, जोबट परियोजना से लिफ्ट इरीगेशन के माध्यम से पानी तलावड़ी और उससे जुड़े पांच गांवों में जाना है, जिसका टेंडर हो चुका है. राशि के अभाव में उसका काम नहीं हो पा रहा है. मैं, आपके माध्यम से निवेदन करना चाहूंगा कि उसकी राशि शासन जल्दी से जल्दी उपलब्ध करावे.

          अध्यक्ष महोदय--कृपया समाप्त करें.

          श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- अध्यक्ष महोदय, मैंने बजट में पढ़ा कि कृषि को लाभ का धंधा बनायेंगे. संसाधन उपलब्ध करायेंगे. लेकिन जो राशि दी गई  है, मैं नहीं समझता कि उतनी राशि में कृषि लाभ का धंधा बन पायेगी. बजट में यह चीज भी नहीं दिखाई दी कि ग्रामीण क्षेत्र और विशेषकर जो आदिवासी क्षेत्र हैं, उनको विशेष पैकेज दिया जायेगा. मैं आपके माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष रुप से आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि वहां पर ऐसी योजनाएं दी जायें जिससे आदिवासी, किसानों को लाभ हो सके. धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्रीजी...

          श्री जयंत मलैया-- अध्यक्ष महोदय....

          श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, श्री यादवेन्द्र सिंह जी को दो मिनट का समय दे दें. उसके बाद हम मंत्रीजी का भाषण सुनेंगे.

          अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब किसी को अलाऊ नहीं करेंगे. यह तो अनन्त है. आप कृपया सहयोग करिये.

          श्री रामनिवास रावत-- सहयोग ही कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि असहयोग कर रहे हैं.

          श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, कितने नाम हैं. दो मिनट का समय दे दें.

          अध्यक्ष महोदय-- दो नाम हैं.

          श्री रामनिवास रावत-- मैं माननीय मंत्रीजी से भी अनुरोध करुंगा.

          अध्यक्ष महोदय-- 2 मिनट यानि 2 मिनट. घड़ी देख लीजिए. 6.35 बजे समाप्त कर दीजिएगा. श्री यादवेन्द्र सिंह.

          श्री बाला बच्चन-- जी. 2 मिनट यानि 2 मिनट

          श्री यादवेन्द्र सिंह(नागौद)--अध्यक्ष महोदय, मेरा विधानसभा क्षेत्र आपके पहाड़ी क्षेत्र से लगी हुई है. उसमें से 16-17 पंचायतें पहाड़ में आती हैं. पेयजल का जहां तक सवाल है तो हमारे सतना जिले में एक महीने से एक भी राइजर पाईप उपलब्ध नहीं कराया गया. जबकि राइजर पाईप के साथ साथ सबमर्सिबल मोटर की आवश्यकता है. उसके साथ परिवहन की आवश्यकता है. नगर पंचायत नागौद हो या उचहरा हो, वहां पेयजल का बड़ा संकट है. मेरा यही निवेदन है कि परिवहन की व्यवस्था की जाये.

          अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि जो नर्मदा घाटी बांध की दांयी तटवर्ती नहर है, उसमें 3-4 साल पहले 131 करोड़ रुपया नहर खुदाई के लिए दिया था. अभी वह काम पूरा नहीं हुआ. आगे जो नहर है, उसके लिए भी बजट का प्रावधान माननीय वित्तमंत्रीजी रखें. यह दांयी तट मुख्य नहर सतना जिले की बहुत बड़ी योजना है.

          अध्यक्ष महोदय, तीसरी बात सेमरी से कटंग मार्ग लोक निर्माण विभाग की रोड़ है. वह इतना खराब रास्ता है कि वह चलने योग्य नहीं है, उसके लिए भी बजट में प्रस्ताव रखा जाये. अध्यक्ष महोदय, चौथी बात नागौद से परसमनिया व्हाया मैहर रोड़ है. उसका पूरा डामर उखड़ गया है. वह चलने योग्य नहीं है. उसके डामरीकरण के लिए भी बजट में प्रावधान किया जाये.

          अध्यक्ष महोदय, मेरे नागौद क्षेत्र में 8वीं से 10वीं हाईस्कूल का जहां तक सवाल है उसमें चाहे अम्कुई हो, उमरिया हो, झिंगोदर हो. इसके अलाबा पहाड़ पर पिथौराबाद है,परवरतियाखुर्द है, कुरवारा है, पिपराकला है, वहां पर स्कूल खोलने के लिए बजट में प्रावधान किया जाये.

          अध्यक्ष महोदय-- समाप्त करें.

          श्री यादवेन्द्र सिंह-- दो मिनट कहां हुए हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- 5 सेकंड बचे हैं. समाप्त करिये.

          श्री यादवेन्द्र सिंह-- आपने बोलने का समय दिया. धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, अभी तो 7 बजे हैं, रात 12 बजे तक चलने दीजिए. हम बैठे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--कल से चलायेंगे.

डॉ. योगेन्द्र निर्मल (वारासिवनी) - अध्यक्ष महोदय, 'वसुधैव कुटुम्बकम्,' ऐसा यह बजट है और बजट के लिए मैं ऐसा बोलना चाहता हूं कि बजट हम यह मानते हैं कि चलने के लिए रोड हो, नदी क्रॉस करने के लिए, नाला क्रॉस करने के लिए पुलिया हो, खाने के लिए दाना हो, पढ़ने के लिए स्कूल और किताब हो और नरोत्तम जी अच्छी दवा देते ही हैं, कोई दिक्कत नहीं है. नरोत्तम जी जब आप बजट पेश करेंगे, तब हम इन  विपक्ष को जोरदार जवाब देंगे. ठीक है कि नहीं?

 

डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं निर्मल बाबा की जय बोल रहा था. (हंसी)..

 

डॉ. योगेन्द्र निर्मल - जोरदार जवाब देंगे. मैं माननीय मलैया जी को बोलता हूं कि वित्तमंत्री जी डरना नहीं, चौके-छक्के, अट्ठे मारो, अच्छी  योजना दो, और मैं आपको बताता हूं, मैं ज्योतिषी नहीं हूं. लेकिन आपके हाथ में लक्ष्मी बसी है. भैया, मिट्टी को हाथ लगाओगे तो सोना हो जाएगी. अब पूछोगे कि कैसे सोना हो जाएगी? इतनी नहरें दे दीं, मेरे यहां पर 16 लाख मीट्रिक टन धान होता था, अब वह 54 लाख मीट्रिक टन हो रहा है, यह सोना नहीं बरस रहा है तो क्या होता है भारत माता की जय, वन्देमातरम्.

            वित्तमंत्री (श्री जयंत मलैया)- (मेजों की थपथपाहट)...आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रतिपक्ष के माननीय सदस्य श्रीमान् मुकेश नायक जी, डॉ. गोविन्द सिंह जी, कुवंर विक्रम सिंह जी, श्री शैलेन्द्र पटेल जी, श्री कमलेश्वर पटेल जी, श्री हरदीप चले गये, श्री कमलेश्वर जी भी चले गये. श्री दिनेश राय जी भी चले गये, श्री गिरीश भण्डारी जी, श्रीमती चन्द्र गौर जी हैं, श्री मार्को जी, श्री जयवर्द्धन सिंह जी भी चले गये, उनसे उम्मीद नहीं थी कि वे जाएंगे, श्रीमती झूमा सोलंकी जी, श्री रामपाल सिंह, श्री सुरेन्द्र सिंह जी, श्री यादवेन्द्र सिंह जी और हमारे सत्तारूढ़ दल से जिन्होंने शुरुआत की थी, श्री विश्वास सारंग जी, जो अभी सदन में नहीं हैं, श्री शैलेन्द्र जी जैन, श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी, श्री राजेन्द्र वर्मा जी, श्री लखन पटेल जी, श्रीमती ममता मीणा जी, श्री दुर्गालाल विजय जी, श्री देवेन्द्र वर्मा जी, श्री गोपाल परमार जी, श्री वैल सिंह भूरिया जी वे भी गये. श्रीमती नीना विक्रम वर्मा जी, श्री जालम सिंह पटेल जी, श्री दिलीप सिंह शेखावत जी, श्रीमती पारूल साहू जी, श्री दिलीप सिंह परिहार जी, श्री आशीष शर्मा जी और अंतिम वक्ता डॉ. योगेन्द्र निर्मल जी, मैं आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं और सभी हमारे माननीय सदस्यों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं, मुझे इस बारे में पूर्ण विश्वास है कि जो हमारा वर्ष 2016-17 का बजट है, यह प्रदेश के विकास का नया दौर खुलेगा. मैं इसी अनुक्रम में सदन का ध्यान जो अधोसंरचना के विकास के लिए हमने कुछ प्रमुख विभागों में राशि का प्रावधान किया है, वह इस प्रकार है - नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग, जिसका वर्ष 2015-16 में 6550 करोड़ रुपए का बजट था, इस वर्ष बढ़ाकर 10669 करोड़ रुपए किया गया है.

          जिसमें प्रतिशत की वृद्धि 62.88 है. लोक निर्माण विभाग 5911 करोड़  था 7124 करोड़ हुआ है इसमें 20 प्रतिशत की वृद्धि है, जल संसाधन 5417 था अब यह 6775 करोड़ हुआ है  इसमें 25 प्रतिशत से ऊपर की वृद्धि है, पीएचई 2242 करोड़ का था इसे 2599करोड़ किया गया है इसमें लगभग 15.92 प्रतिशत की वृद्धि है. अध्यक्ष महोदय मैं सदस्यों की इस चिंता से अवगत हूं कि ज्यादातर लोगों ने यह चिंता व्यक्त की है कि हमारे प्रदेश के ऊपर कर्ज बढ़ता जा रहा है, हम ऋण लेते जा रहे हैं और कई माननीय सदस्यों ने इसका सदन में उल्लेख भी किया है. मैं यहां पर निवेदन करना चाहता हूं कि वर्ष 2005-06 से वर्ष 2014-15 तक 10 वर्षों के दौरान हमारी सरकार ने कुल 49779.36 करोड़ का ऋण लिया है. परंतु इसी अवधि में अधोसंरचना विकास के लिए रूपये 63488.18 करोड़ का पूंजीगत व्यय किया है, जहां पर राज्य सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में पूंजीगत परिव्यय 2003-04 मात्र 2.80 प्रतिशत था वह 2016-17 में डेढ गुना बढ़कर 5.06 प्रतिशत हो गया है बेहतरीन वित्तीय प्रबंधन से हम पूंजीगत परिव्यय को बढ़ाने में सफल हुए हैं. इस व्यय के परिणाम स्वरूप हमारे राज्य का सकल घरेलू उत्पाद जो 2003-04 से बढ़कर अब 2005-06 में 124276 करोड़ से बढ़कर 508006 करोड़ रूपये हो गया है. वर्तमान में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद एवं लिये गये ऋण का अनुपात 18.70 प्रतिशत है. इ स तरह राज्य के द्वारा लिये गये ऋण का सही उपयोग के कारण राज्य की अर्थ व्यवस्था पर ऋण भार वर्ष 2003-04 की तुलना में  लगभग आधा हो गया है. ये उस समय जो ऋणभार था यह 36 प्रतिशत से ऊपर था जो कि अब घटकर  आधा हो गया है. मैं यहां परसदन को अवगत कराना चाहता हूं कि राजस्व प्राप्तियों की तुलना में ब्याज देने का प्रतिशत था वह आपके समय में लगभग 21 से 22 प्रतिशतथा वह  अब घटकर 8.11 प्रतिशत रहा है. प्रदेश की उन्नतिशील अर्थव्यवस्था के कारण प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 2005 के प्रचलित भावों पर रूपये16631 थी अब यह  बढ़कर 2014-15 अग्रिम अनुमान के अनुसार59770 रूपये हो गई है जो कि अभी राष्ट्रीय औसत से भी कम है इ समें कोई दो राय नहीं है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय पहले सिंचाई के बारे में पहले काफी चर्चा हो चुकी है. जब मांगों पर चर्चा होगी उस समय विस्तार से बात करेंगे इसलिए मैं यहां पर इसका उल्लेख नहीं कर रहा हूं. मुझे यह बताते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है कि कृषि विकास के अतिरिक्त प्रदेश में औद्योगिक विकास भी त्वरित गति से हो रहा है. औद्योगिक इकाईयों की स्थापना हेतु 25 नवीन औद्योगिक क्षेत्रों पर रूपये 507 करोड़ के कार्य विभिन्न चरणों में प्रगति पर हैं. ग्लोबल इंवेस्टर समिट 2014 में प्राप्त निवेश प्रस्तावों के विरूद्ध विभिन्न उद्योगों हेतु रूपये 1.96 लाख करोड़ का निवेश हुआ है जिसमें से रूपये 18 हजार करोड़ की 307 परियोजनाओं में उत्पादन प्रारम्भ हो चुका है. वर्ष 2016-17 में उद्योगों की स्थापना एवं अधोसंरचना विकास तथा प्रोत्साहन सहायता हेतु आयोजना मद में से रूपये 2462 करोड़ का प्रावधान रखा गया है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय स्मार्ट सिटी की और नगरीय विकास के बारे में विस्तार से चर्चा हो गई है तो इ सके बारे में यहां पर विस्तार से उल्लेख नहीं करूंगा. पशु पालन के क्षेत्र में गौसंवर्धन तथा ग्रामों में निवास करने वाले परिवारों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से नवीन आचार्य विद्यासागर योजना का शुभारम्भ किया गया है. पशुपालकों को चारा बीज उत्‍पादन हेतु नवीन चारा उत्‍पादन कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है. पशुपालन विभाग के लिए वर्ष 2016-17 के बजट में 938.50 करोड़ रुपये का प्रावधान है. मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूँ कि कर वापसी की प्रक्रिया को सरल करने के लिए हमने व्‍यापारियों के बैंक खातों में कर वापसी की राशि ई-रिफण्‍ड के द्वारा सीधे जमा करने की व्‍यवस्‍था प्रारंभ की है. मेनुअल पंजीयन प्राप्‍त करने के लिए जो 1000 रु. का शुल्‍क लगता था अब इसको समाप्‍त किया जा रहा है और इसके साथ-साथ पूरी ई-पंजीयन व्‍यवस्‍था हम यहां पर लागू करने जा रहे हैं. कर विवादों को समाप्‍त करने के उद्देश्‍य से लंबित कर बकाया राशि के समाधान हेतु कर समाधान योजना लाना प्रस्‍तावित है. इससे व्‍यवसाइयों के सालों के लंबित कर विवादों का जहां निराकरण होगा वहीं शासन को बकाया कर राजस्‍व की प्राप्‍ति एकमुश्‍त होने की संभावना रहेगी. प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से जैविक कीटनाशकों को करमुक्‍त किया गया है तथा पर्यावरण संरक्षण की दृष्‍टि से बैटरी चलित कार, रिक्‍शा, वाहनों आदि पर देय 5 प्रतिशत वेट को समाप्‍त किया गया है.

          श्री रामनिवास रावत -- बैटरी चलित वाहन प्रदेश में कितने हैं ?

     श्री जयंत मलैया -- बहुत कम हैं, परंतु पर्यावरण की सुरक्षा के लिए इस तरह की व्‍यवस्‍था हमने की है और इसके साथ-साथ यह भी जिक्र किया गया है कि हमने अपने फौजी भाइयों के लिए और बीएसएफ वालों के लिए कार पर बढ़ी दरों पर जो वैट लगता था अब वह उतना न लगकर घटी दरों पर लगेगा. यह भी हमने उनके लिए घोषणा की है.

          श्री रामनिवास रावत -- इसके लिए हम आपको धन्‍यवाद दे देते हैं, हमें कोई आपत्‍ति नहीं है, लेकिन पर्यावरण के नाम पर जो प्‍लास्‍टिक पर टैक्‍स बढ़ाया है, पूरे प्‍लास्‍टिक को ही प्रतिबंधित करिए, जब अन्‍य प्रदेशों में प्रतिबंधित हो गया है तो आपको प्रतिबंधित करने में क्‍या दिक्‍कत है. जिसको सबसे ज्‍यादा आबादी उपयोग करती है, पर्यावरण के नाम पर उसी पर आपने सबसे ज्‍यादा 5 प्रतिशत से सीधे 14 प्रतिशत टैक्‍स बढ़ा दिया.

          श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि अभी तमाम दुनिया में जो आर्थिक मंदी है इसके बारे में हमारे सारे मित्रों ने चर्चा की है, इसमें मैं पुन: नहीं जाऊंगा परंतु निश्‍चित तौर पर इसका हमारे देश और प्रदेश के ऊपर प्रभाव पड़ा है लेकिन  इस सबके बावजूद भी इस स्‍थिति में अधोसंरचना विकास की परिकल्‍पना को साकार करने के लिए कृषि कल्‍याण के साथ किसान भाइयों के विकास के लिए तथा प्रदेश में शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य एवं औद्योगिक विकास को तेज गति प्रदान करने के उद्देश्‍य से हमने यह बजट तैयार किया है.

          अध्‍यक्ष महोदय, हमारा प्रदेश उत्‍तरोत्‍तर विकास के पथ पर अग्रसर हो तथा यह प्रदेश देश का नंबर एक प्रदेश बने, यही भावना बजट की है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे और सभी माननीय सदस्‍यों से निवेदन करता हूँ कि इसे सर्वसम्‍मति से पारित करें.

          श्री रामनिवास रावत -- अध्‍यक्ष महोदय, अभी पारित नहीं हो रहा है.

          श्री जयंत मलैया -- एक बार पुन: सबके लिए मैं धन्‍यवाद देना चाहता हूँ.

अध्‍यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनांक 3 मार्च, 2016 को प्रातः.10.30 बजे तक के लिए स्थगित.

सायं 6.49 बजे विधानसभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनांक 3 मार्च, 2016    (13 फाल्गुन, शक संवत् 1937 ) के पूर्वाह्न 10.30 बजे तक के लिये स्‍थगित की गई.

 

 

                                                                                    भगवानदेव ईसरानी

 भोपाल  :                                                                               प्रमुख सचिव

 दिनांक   : 2 मार्च, 2016                                                     मध्‍यप्रदेश विधान सभा