
मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
षोडश विधान सभा सप्तम् सत्र
दिसंबर, 2025 सत्र
सोमवार, दिनांक 01 दिसंबर, 2025
(10 अग्रहायण, शक संवत् 1947)
[खण्ड- 7 ] [अंक- 1]
________________________________ __________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 01दिसंबर, 2025
(10 अग्रहायण, शक संवत् 1947)
विधान
सभा
पूर्वाह्न 11.01
बजे समवेत
हुई.
{ अध्यक्ष
महोदय (श्री नरेन्द्र
सिंह तोमर) पीठासीन
हुए.}
राष्ट्रगीत
राष्ट्रगीत ''वन्दे
मातरम्'' का
समूहगान
अध्यक्ष
महोदय - अब, राष्ट्रगीत ''वन्दे
मातरम्'' होगा.
सदस्यों से
अनुरोध है कि
वे कृपया अपने
स्थान पर
खड़े हो जाएं.
(सदन
में राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' का समूहगान
किया गया.)
11.03 बजे
निधन का उल्लेख
(1) श्री इन्दर
सिंह गोठी, भूतपूर्व
विधान सभा
सदस्य,
(2) श्री राधेश्याम
शुक्ल, भूतपूर्व
विधान सभा
सदस्य,
(3) डॉ.
सूर्यप्रकाश
सक्सेना, भूतपूर्व
विधान सभा
सदस्य,
(4) श्रीमती
रजनी उपासने, भूतपूर्व
विधान सभा
सदस्य,
(5) श्री चन्द्र
कुमार भनोत, भूतपूर्व
विधान सभा
सदस्य,
(6) श्री
बनवारीलाल
अग्रवाल, भूतपूर्व
विधान सभा
सदस्य,
(7) श्री शंकरलाल
तिवारी, भूतपूर्व
विधान सभा
सदस्य,
(8) श्रीमती
लोरेन बी.
लोबो, भूतपूर्व
विधान सभा
सदस्य,
(9) श्री ला.
गणेशन, नागालैण्ड
के राज्यपाल
एवं भूतपूर्व राज्यसभा
सदस्य,
(10) श्री
श्रीप्रकाश
जायसवाल,
भूतपूर्व
केन्द्रीय
मंत्री,
(11) श्री सुभाष
आहूजा, भूतपूर्व लोकसभा
सदस्य,
(12) श्री
धर्मेन्द्र,
भूतपूर्व लोकसभा
सदस्य एवं
सुप्रसिद्ध
फिल्म
अभिनेता,
(13) दिनांक
10 नवम्बर,
2025 को दिल्ली के
लालकिले के
पास हुए कार विस्फोट में
मृत एवं हताहत
व्यक्ति,
(14) दिनांक 19 नवम्बर,
2025 को छत्तीसगढ़ के राजनादगांव जिले
के जंगल में
नक्सलियों से
हुई मुठभेड़
में शहीद हॉक
फोर्स के
इंस्पेक्टर श्री
आशीष शर्मा.




मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव)—माननीय अध्यक्ष जी जैसा कि आपने उल्लेखित किया है कि हमारे विधान सभा के भूतपूर्व सदस्यगण स्वर्गीय श्री इन्दर सिंह गोठी, स्वर्गीय श्री राधेश्याम शुक्ल जी, डॉ.सूर्यप्रकाश सक्सेना जी, श्रीमती रजनी उपासने जी, स्वर्गीय श्री चन्द्रकुमार भानोत जी, स्वर्गीय श्री बनवारीलाल अग्रवाल जी, श्री शंकरलाल तिवारी जी, स्वर्गीय श्रीमती लोरेन बी.लोबो जी, नागालैण्ड के राज्यपाल एवं भूतपूर्व राज्यसभा सदस्य ला गणेशन जी, मान्यवर श्री प्रकाश जायसवाल जी, श्री सुभाष आहूजा जी, हमारे सुप्रसिद्ध अभिनेता धर्मेन्द्र जी सहित कई महत्वपूर्ण हस्तियां हमारे बीच से गई हैं जैसा कि आपने उल्लेखित किया है कि स्वर्गीय श्री इन्दर सिंह गोठी 1 अप्रैल 1934 को ग्राम हुंसी से आप राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सक्रिय स्वयं सेवक रहे हैं जिनकी अपनी पहचान रही है. आप प्रारंभ सरपंच के जीवन से करते हैं बाद में आपातकाल में भी जनतंत्र की लड़ाई लड़ते हुए 19 महीने तक तत्कालीन कांग्रेस सरकार के विरोध में अपनी न केवल अपने परिवार को दांव पर लगाकर कई कठिनाइयों के बीच भी आपने अपने जनतंत्र की लड़ाई को जारी रखा और चतुर्थ विधान सभा में जनसंघ की ओर से गुलाना का आपने प्रतिनिधित्व किया. आपके निधन से भी सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति हुई है. श्री राधेश्याम शुक्ल पंचायत खेरा के अध्यक्ष, राज्य परिवहन निगम के उपाध्यक्ष, आप मध्यप्रदेश की पांचवी, छठवीं और सातवीं विधान सभा के माननीय सदस्य रहे हैं आपके निधन से भी सार्वजनिक जीवन की अपूरणीय क्षति हुई है. डॉ.सूर्यप्रकाश सक्सेना जी, नेशनल मेडिकल एसोसिएशन के महामंत्री, उपभोक्ता भंडार विदिशा के अध्यक्ष, विदिशा नगरपालिका का पार्षद, आपने प्रदेश की पांचवी विधान सभा में कांग्रेस की ओर से विदिशा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया आपके निधन से प्रदेश ने कर्मठ समाजसेवी खोया है. श्रीमती रजनी उपासने जी महिला कार्यकर्ता के नाते से जनसंघ के जमाने से हमारे बीच में बड़ा नाम रही हैं. आप 1970 से कार्यकर्ता रही हैं आपातकाल में भी भूमिगत होकर के आपने आंदोलन का संचालन किया. छठवीं विधान सभा में भी आप जनता दल की ओर से रायपुर नगर का प्रतिनिधित्व करते हुए आपने अपनी एक पहचान बनाई थी आपने निधन से एक महिला नेत्री को हम लोगों ने खोया है. श्री चन्द्रप्रकाश भानोत जी, आपका जन्म जबलपुर में हुआ आप 1973 में पार्षद बने, स्थायी कमेटी के अध्यक्ष रहे. श्री भानोत जी सातवीं, आठवीं विधान सभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से आपने जबलपुर का प्रतिनिधित्व किया. सातवीं, आठवीं विधान सभा अवधि में अनेक विभागों में राज्यमंत्री जी के रूप रहे हैं. आपके निधन से भी एक वरिष्ठ नेता तथा एक कुशल प्रशासक को हमने खो दिया है.
स्व. श्री
बनवारीलाल
अग्रवाल जी ग्राम
जपेली, जिला
कोरबा से तत्कालीन
मध्यप्रदेश
आज छत्तीसगढ़
है, आप
विशेष
क्षेत्र
प्राधिकरण
कोरबा के अध्यक्ष,
छत्तीसगढ़
भाजपा के
प्रदेश
कोषाध्यक्ष,
मध्यप्रदेश
की 10वीं,
11वीं
विधानसभा के
सदस्य
निर्वाचित
हुए. राज्य
विधानसभा के
विभाजन के पश्चात
आप छत्तीसगढ़
में भी विधायक
बने. आपवर्ष 2001 के
छत्तीसगढ़
विधानसभा के
प्रथम उपाध्यक्ष
के रूप में
निर्वाचित
हुए. इनके
जाने से न
केवल हमारी
भारतीय जनता
पार्टी के
नेतृत्व में
कमी हुई, बल्कि
इनके निधन से
एक सार्वजनिक
जीवन की भी अपूरणीय
क्षति हुई है.
स्व.श्री
शंकरलाल
तिवारी जी, भूतपूर्व
विधान सभा
सदस्य के
साथ हममे से
कई सदस्य
यहां इस सदन
में विराजमान
हैं. जिन्होंने
स्व. श्री
शंकरलाल
तिवारी जी को
इस मंच के ऊपर
अपने सदन में
अपनी बात रखते
हुए देखा.
चाहे वह पक्ष
हो या विपक्ष
हो,
श्री शंकरलाल
जी की गूंजती
आवाज हम सबको
आज भी स्मरण
कराती है. आप
मूलत: सतना
जिले के रहने
वाले हैं. वे
पत्रकार,
समाजसेवी,
विद्यार्थी
परिषद् के
कार्यकर्ता
रहे हैं. इन्होंने
कई सारी
जवाबदारियों
को लेकर के
अपनी अलग से
एक पहचान
बनायी थी. वे
दैनिक वीर
अर्जुन,
दिल्ली
दैनिक
युगधर्म,
जबलपुर के ब्यूरो
चीफ रहे हैं. वे
आपातकाल में
भी 19
महीने
तक आप लगातार
निरूद्ध रहे
हैं. 12वीं,
13वीं और
14वीं
विधानसभा में
भारतीय जनता
पार्टी की ओर
से सतना से
आपने
प्रतिनिधित्व
किया था. वे
बच्चे-बच्चे
की पहचान रहे
हैं. मैं उनके
शहर सतना भी
गया था. लेकिन ऐसे
राजनेता कम
होते हैं
जिसको पूरा शहर
एक तरह से आज
भी उस रूप में
जानता है जो
गरीब से गरीब
आदमी की आवाज
बनकर अपनी
पहचान बनाते
हैं. आपके
निधन से हमने
एक समाजसेवी,
कर्मठ नेता को
खोया है.
स्व.श्रीमती
लोरेन बी.लोबो
जी भूतपूर्व
विधान सभा
सदस्य का
निधन भी हमारे
प्रदेश के लिए
अपूरणीय क्षति
है.
मैं
आपके लिए भी
विनम्र
श्रद्धांजलि
व्यक्त
करता हॅूं.
श्री
ला.गणेशन जी भी
तमिलनाडु के
तंजावर से
भारतीय जनता
पार्टी के
प्रदेश अध्यक्ष
और राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष
रहे हैं. उन्होंने
ऐसी कई
जवाबदारियों
का निर्वहन
किया है. आप
मध्यप्रदेश
से राज्य सभा
के माननीय
सदस्य के रूप
में
निर्वाचित
हुए. आप अनेक
समितियों के
सदस्य रहे
हैं. आपने
मणिपुर, नागालैण्ड
के राज्यपाल
का पद भी
सुशोभित किया
है. आपके निधन
से देश ने एक
वरिष्ठ
राजनेता खोया
है.
स्व.श्री
प्रकाश
जायसवाल जी
कानपुर से
मेयर के रूप
में अपनी
यात्रा प्रारम्भ
करते हुए
कांग्रेस
कमेटी के सचिव,
उपाध्यक्ष,
अध्यक्ष रहे
हैं. वे 13वीं,
14वीं और
15वीं लोकसभा
के माननीय
सदस्य के रूप
में
निर्वाचित
हुए. आपने
केन्द्र
सरकार के
विभिन्न
विभागों के एक
जवाबदार राज्यमंत्री,
मंत्री के रूप
में देश में
अपनी पहचान
बनायी. आपके
निधन से हमने
एक कुशल
प्रशासक खोया
है.
स्व.
श्री सुभाष
आहूजा जी ने
अखिल भारतीय
छात्र परिषद्
की शाखा से
अपना जीवन
प्रारम्भ
किया. आपातकाल
में 19 महीने तक
आप निरूद्ध
रहे. स्व.श्री
आहूजा जी ने 6वीं
लोकसभा में
जनता दल की ओर
से बैतूल जिले
का प्रतिनिधित्व
करते हुए अपनी
एक पहचान
बनायी. आपका इस
सार्वजनिक
जीवन से जाना
हमारे लिए ही नहीं,
बल्कि
ग्रामीण अंचल
बैतूल के लिए
भी अपूरणीय
क्षति है.
स्व.श्री
धर्मेन्द्र
जी
के
कई रोल को हम
सबने देखा है.
वे अक्खड़,
सरल व्यवहार
के लिये जाने
जाते हैं. वे
एक सीधे-सादे ग्रामीण
परिवेश के
अभिनेता थे, जो जीवन-पर्यन्त
बम्बई (महाराष्ट्र)
में गांव की
मूलधारा से
जुड़े रहे.
जिनको हमने कई
सारी फिल्मों
में कई प्रकार
से देखा है. वे
शोले फिल्म
से लेकर
प्रतिज्ञा
फिल्म के रोल
में पूर्णतया
हर रोल में
फिट होते हुए
अपनी एक विशेष
पहचान बनाने
वाले एक ऐसे
राजनेता थे, जो वर्ष 2004
में लोकसभा
में भी
निर्वाचित
हुए. उन्हें
भारत सरकार के
द्वारा
पद्मभूषण से
भी सम्मानित
किया गया था.
आपको मध्यप्रदेश
सरकार ने
किशोर कुमार
सम्मान से भी
सम्मानित
किया. आपके
निधन से एक
लोकप्रिय
अभिनेता और
पूर्व सांसद
को हमने खोया
है.
दिनांक
10 नवंबर, 2025 को
दिल्ली के
लालकिले के
पास हुए कार
विस्फोट से
इस कायराना
हमले से कई
लोगों का
देवलोकगमन
हुआ है. हम इस
विस्फोट में
मृत ऐसे समस्त
लोगों को
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
व्यक्त
करते हैं.
छत्तीसगढ़
के
राजनांदगांव
जिले के जंगल
में नक्सलियों
से हुई
मुठभेड़ में
शहीद हॉक
फोर्स के हमारे
बहादुर इंस्पेक्टर
श्री आशीष
शर्मा, जिसको
पिछले वर्ष
मैंने स्वयं
जाकर के
बालाघाट जिले
में सब-इंस्पेक्टर
से इंस्पेक्टर
के रूप में
प्रमोट करते
हुए उसको
सितारे लगाकर
के सम्मानित
किया था, उन्हें 2
बार राष्ट्रपति
पुरस्कार, 1 बार
वीरता पुरस्कार
ऐसे कई सारे
पुरस्कारों
के साथ अपनी
खुद की
बहादुरी के
लिये और उन्होंने
स्वयं अपनी
पोस्टिंग
बालाघाट में
मांगा, ऐसे
बहादुर स्व.श्री
आशीष शर्मा
हमारे बीच
नहीं हैं. वे
नरसिंहपुर
जिले के गांव
गुहानी के
निवासी थे.
हममें से कई
नेता, नेता
प्रतिपक्ष और
कई मित्र वहां
उनकी अंत्येष्ठि
के कार्यक्रम
में मौजूद थे.
ऐसे बहादुर व्यक्ति
की शहादत पर
हमें गर्व भी
है और मैं
बाबा महाकाल
से कामना करता
हॅूं कि वे
सारी दिवंगत
आत्माओं को
अपने
श्रीचरणों
में स्थान
दें.
मैं एक बार फिर अपनी ओर से सभी दिवंगत आत्माओं के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि देता हॅूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सामाजिक जीवन में जो कार्य करते हैं और निश्चित तौर से जब जाते हैं तो देश और प्रदेश को एक अपूरणीय क्षति होती है.
अध्यक्ष महोदय, नेता कई बनते हैं, नेतृत्व करते हैं लेकिन मैं समझता हूं कि ऐसी कई विभूतियां होती हैं, महान लोग होते हैं जो नेतृत्व के साथ जिसकी समाजसेवा, जिसकी प्राथमिकता होती है उसको ध्यान रखते हैं. राजनीति में हर बात राजनीति से जोड़ी जाती है, लेकिन कहीं न कहीं वह व्यक्ति जो समाजसेवा के माध्यम से आगे रहता है वह हमेशा हमारे जीवन में अविस्मर्णीय होता है, उसकी क्षति अपूरणीय होती है.
अध्यक्ष महोदय, स्व. श्री इंदर सिंह गोठी जी, स्व. श्री राधश्याम शुक्ल जी, स्व. डॉ. सूर्यप्रकाश सक्सेना जी, स्व. श्रीमती रजनी सक्सेना जी, स्व. श्री चन्द्र कुमार भनोत जी, स्व. श्री बनवारीलाल अग्रवाल जी, स्व. श्री शंकरलात तिवारी जी, स्व. श्रीमती लोरेन बी. लोबो जी, स्व. श्री सुभाष आहूजा जी, स्व. श्री प्रकाश जायसवाल जी एवं स्व. श्री ला. गणेशन जी निश्वित तौर से इन महान विभूतियों का विदा होने का समाचार अत्यंत दु:ख का विषय है. जनसेवा, समाजसेवा और राष्ट्र निर्माण में सदैव इनका योगदान हमेशा अमर रहेगा, ऐसा मैं समझता हूं.
ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्माओं को अपने चरणों में स्थान प्रदान करे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, फिल्म जगत से स्वर्गीय धर्मेन्द्र जी एक कलाकार जो युग पुरूष के रूप में हमेशा जाना जायेगा. पंजाब के एक छोटे के गांव से निकले, जाट समाज से निकले उनका एक गाना बड़ा प्रसिद्ध हुआ कि ''मैं जट यमला, पगला दीवाना'' पूरे देश को उन्होंने पगला कर रखा था, दीवानगी बनाये रखी थी. आज भी इस बात को लेकर हम, आज वह नहीं हैं लेकिन उनके गाने आज हमारी स्मृति में हैं, जिसमें हम लोग नृत्य भी करते हैं. मैं समझता हूं कि ऐसी दीवानगी कुछ लोगों के लिये होती है उसमें से धर्मेन्द्र जी एक थे. मैं गहरी श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूं और उस परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दिल्ली ब्लास्ट की घटना 10 नवम्बर को हुई, आतंकी धमाके के साथ. 13 मासूमों की जान चली गयी. देश की राजधानी में इस प्रकार की घटना बड़ी दर्दनाक है. यह हमारी सुरक्षा, सामूहिक सुरक्षा पर एक गहरी चोट है. मैं समझता हूं कि हमने जिन्हें खोना था, खो दिया. लेकिन इसमें भी हमें और पूरे देश को चिंतन-मनन करने की आवश्यकता है उन परिवारों के प्रति मैं गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, 19 नवम्बर,
2025 को छत्तीसगढ़
में जंगल हॉक
फोर्स में एक
युवा जिसकी शादी
नहीं हुई थी, जिसका
रिश्ता तय हो
गया था, जो
सपने देख रहा
था अपने
परिवार के
लिये कि मैं
परिवार
बनाऊंगा, मेरी घर
गृहस्थी
बनाऊंगा. शहीद
आशीष शर्मा पक्ष-विपक्ष
माननीय मुख्यमंत्री, माननीय
मंत्री श्री
कैलाश जी माननीय
हमारे परिवहन
मंत्री जी,
सभी लोग, हम लोग
वहां पर थे. हमारे
प्रदेश
अध्यक्ष, जितु
पटवारी जी भी
थे.
उन्होंने
सांस ली, क्या
स्थिति थी,
क्या घटना थी. जब जिसका तय है और
जाना तय है. लेकिन एक युवा
ने क्या संदेश
छोड़ा. उस युवा का
एक संदेश है,
त्याग का,
बलिदान का,
समाज सेवा का
अपने देश और
प्रदेश के
लिये लड़ाई
लड़ने का. मैं
समझता हूं कि
इस युवा, इस
शहीद
इंस्पेक्टर से हमें
प्रेरणा लेना चाहिये हमारे
युवाओं को कि देश और
प्रदेश के
लिये जो त्याग
करते हैं, उन
लोगों को इसकी
प्रेरणा के
रुप में
इस बात को
हमेशा
ध्यान
में रखना
चाहिये.
प्रदेश में 3 लगातार
बड़ी
त्रासदियां
हो गयीं और यह
आश्चर्य की
बात है कि
सरकार
की
तरफ से उस पर न
निधन पर कोई
बात आई,
न संवेदना, न
उल्लेख [ XX] कफ सिरप.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय—मानवीयता है.
श्री उमंग
सिंघार--
तो फिर बोलना
था. [
XX ]
यह गंभीरता
है.
आपके इसमें
रिकार्ड में
नहीं है.
[ XX ] दीपावली
का समय था. उनके
घरों के चिराग
बुझ गये. [XX] उन मां
बाप के, माता
पिता के
उजड़ गये. उन
परिवारों
में
असहनीय दुख
की
स्थिति है. मैं
समझता हूं कि यह
असहनीय है. इस पर भी
मैं
श्रद्धांजलि व्यक्त
करता हूं. एक और
घटना घटी. [XX] एनआईसीयू यूनिट
में. उस
परिवार..
[ XX ] - आदेशानुसार
विलोपित.
सहकारिता मंत्री (श्री विश्वास सारंग)—(XX)
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय—कृपया सब लोग बैठें.
श्री भंवर
सिंह शेखावत—[XX]
अध्यक्ष महोदय— भंवर सिंह जी, कृपया बैठिये. (व्यवधान).. सोहन जी, विश्वास जी कृपया बैठिये.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में कोई घटना घटी है, उसका उल्लेख कर रहे हैं और उनको श्रद्धांजलि दे रहे हैं, [XX]
अध्यक्ष महोदय— सोहन जी, आप बैठिये.
कृपया
बैठिये. मेरा
सभी सदस्यों
से अनुरोध है और
विशेष रूप से
नेता
प्रतिपक्ष से
भी अनुरोध है,
सत्ता पक्ष के
मंत्रिगणों
से भी अनुरोध
है . सामान्य
तौर पर नियम
और प्रक्रिया
अनुसार हम समय
समय पर किसी
भी विषय को
अनुमति लेकर
के उठा सकते
हैं इसमें
कोई रोक नहीं
है. और जब भी
चर्चा होती है
तो कोशिश यह
होती है और
आग्रह यह रहता
है कि हम विषय
पर ही
केन्द्रित
रहें लेकिन
उसके बावजूद भी
हम विषय से
भटकते रहते
हैं, उसको भी
रिकार्ड किया
जाता है ,लेकिन
मैं समझता हूं
कि शोक
प्रस्ताव का
एक समय ऐसा है,
इसकी एक ऐसी
परम्परा बनी
हुई है कि
इसमें हम सीमा
से बाहर न जाये
यह मेरा
अनुरोध
है.नेता
प्रतिपक्ष
अपनी बात पूरी
करें.
संसदीय
कार्य
मंत्री(श्री
कैलाश
विजयवर्गीय)-
अध्यक्ष
महोदय, यह
विलोपित होना
चाहिये.
श्री
उमंग सिंघार—[XX]
माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
निश्चित तौर
से उस परिवार
के प्रति भी
जिनके नवजात
बच्चे दिवंगत
हो गये हैं,
उनके प्रति भी
मैं अपनी गहरी
संवेदनायें
व्यक्त करता
हूं. शोक
प्रकट करता
हूं. [XX ]
सहकारिता
मंत्री (श्री
विश्वास
सारंग)- [XX ]
जल
संसाधन
मंत्री (श्री
तुलसी सिलावट)—[XX]
[ XX ] - आदेशानुसार
विलोपित.
अध्यक्ष
महोदय-- उमंग
जी, उमंग जी.
श्री
उमंग सिंघार- [XX]
श्री
विश्वास
सारंग-- [XX]
अध्यक्ष
महोदय- प्लीज,
मेरा आप सबसे
अनुरोध है और
आप सब सदन को
पुराने सदस्य
हैं, सदन की
मर्यादा को
समझते है, शोक प्रस्ताव
का समय ऐसा
होता है कि
इसमें लेकिन,
किंतु और
परंतु नहीं
होता कुल
मिलाकर के
सीधा शोक का
विषय है, दुख
व्यक्त करना,
श्रद्धासुमन
अर्पित करना,
यही तक हमें
सीमित रहना
चाहिये.
कोई विशेष
घटना यदि छूटी
है तो उसका
उल्लेख कर
सकते हैं
लेकिन उसमें
किंतु, परंतु
में जायेंगे
तो निश्चित
रूप से
आपत्तियां
होंगी. मैं
सभी सदस्यों
से आग्रह
करूंगा आगे भी
इसका ध्यान
रखें.
श्री
उमंग सिंघार-
ठीक है,
माननीय
अध्यक्ष महोदय,
धन्यवाद. मैं
पुन: इस
बात को दोहरा
रहा हूं कि
मैने कोई
आरोप-प्रत्यारोप
नहीं किया.
मैं सिर्फ
संवेदना
व्यक्त कर रहा
हूं. अब दो
लाईन तो आती
हैं इसमें,
मैंने किसी पर
कोई आरोप तो
नहीं लगाया.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैं मेरे
दल की ओर से
दिवंगत
परिवार के
प्रति गहरी
संवेदनायें
व्यक्त करता
हूं जो घटनायें
घटी हैं चाहे
समाजसेवी हो,
चाहे राजनेता
हो जो दिवंगत
हुये हैं उनको
मैं अपनी ओर
से और अपने दल
की ओर से सभी
परिवार के
प्रति अपनी गहरी
संवेदनायें
व्यक्त करता
हूं,
ऋद्धांजलि अर्पित
करता हूं.
धन्यवाद.
अध्यक्ष
महोदय- मै, सदन
की ओर से
शोकाकुल परिवार
के प्रति
संवेदना
प्रकट करता
हूं. अब सदन कुछ
मिनिट मौन
खड़े रहकर
दिवंगतों के
सम्मान में
श्रद्धा-सुमन
अर्पित करेगा.
(सदन
द्वारा 2
मिनिट मौन
खड़े रखकर के
दिवंगतों के
प्रति
श्रद्धाजलि
अर्पित की गई)
अध्यक्ष
महोदय- ओइ्म
शांति, शांति,
शांति. दिवंगतों
के सम्मान में
सदन की
कार्यवाही 10
मिनिट के लिये
स्थगित की
जाती है.
(समय 11.35 बजे
दिवंगतों के
सम्मान में विधानसभा
की कार्यवाही
10 मिनिट के
स्थगित )
[ XX ] - आदेशानुसार
विलोपित.
11.45 बजे (विधान सभा पुन: समवेत हुई)
{अध्यक्ष
महोदय (श्री
नरेन्द्र
सिंह तोमर)
पीठासीन हुए}
जन्म दिन की
शुभकामनाएं
श्री
नारायण पटेल,
सदस्य, विधान
सभा को जन्म दिन
की
शुभकामनाएं
अध्यक्ष महोदय -- आज हमारे माननीय सदस्य श्री नारायण पटेल जी का जन्म दिन है. सदन की ओर से उन्हें बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं.
(सदन द्वारा मेजें थपथपाकर शुभकामनाएं दी गईं)
विशेष
उल्लेख
गीता
जयंती की बधाई
अध्यक्ष महोदय -- आज गीता जयंती भी है. राज्य और देश में गीता जयंती के अनेक कार्यक्रम संपन्न हो रहे होंगे. इस अवसर पर आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं.
11.46 बजे
तारांकित
प्रश्नों के
मौखिक उत्तर
प्रश्न संख्या - 1 (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या - 2
सरकारी
नौकरियों में
खिलाड़ियों
को बोनस अंक
[खेल एवं
युवा कल्याण]
2. ( *क्र.
401 ) श्री
दिलीप सिंह
परिहार : क्या खेल
एवं युवा
कल्याण
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) उज्जैन
संभाग में दिनांक
1
अप्रैल, 2020 के बाद
खिलाड़ियों
के लिये किन
आयोजनों, प्रोत्साहनों
और खेलों हेतु
कितनी राशि
स्वीकृत की गई? किस विभाग
के माध्यम से
किन कार्यों
पर कितनी राशि
व्यय की गई? स्वीकृति
आदेशों की
प्रतियों
सहित विवरण दें।
(ख) प्रदेश
के कितने
खिलाड़ियों
को किस प्रकार
से
रोज़गार/नौकरियाँ
दी गईं? कितने
आवेदन लंबित
हैं? क्या
अन्य
प्रदेशों की
तर्ज़ पर, प्रदेश
में भी आयोजित
होने वाली
विभिन्न
प्रतियोगी
परीक्षाओं
में
राष्ट्रीय
स्तर के
खिलाड़ियों
को बोनस अंक
दिये जाने की
कोई कार्य
योजना प्रचलन में
है? यदि
हाँ, तो
वर्तमान
स्थिति से
अवगत कराएँ। (ग) प्रदेश
में दिनांक 1 अप्रैल 2020 के
पश्चात्
प्रश्न
दिनांक तक
कहाँ-कहाँ पर
टीम कोच
द्वारा
बालिकाओं/महिलाओं
पर मानसिक शोषण, छेड़छाड़
या अन्य तरह
से प्रताड़ित
करने की घटनाएँ
सामने आईं? कितनों पर
पुलिस प्रकरण
दर्ज किये गये? उक्त तरह
की घटनाओं को
रोकने के लिये
विभाग द्वारा
क्या प्रयास
किये जा रहे
हैं? किस-किस
खेल के कितने
खिलाड़ियों
ने किन कारणों
से आत्महत्या
की? भविष्य
में
खिलाड़ियों
द्वारा
आत्महत्या रोकने
के लिये
सरकार/विभाग
ने किन
तिथियों को क्या
कदम उठाए? (घ) क्या
प्रश्नकर्ता
द्वारा नीमच
विधानसभा के
प्रतिभावान
खिलाड़ियों
को खेल
सामग्री
प्रदाय एवं
अन्य सुविधा
हेतु कोई पत्र
विभाग को प्रेषित
किये गये हैं? यदि हाँ, तो उन
पत्रों पर की
गई कार्यवाही
की वर्तमान स्थिति
से अवगत
कराएं।
खेल
एवं युवा
कल्याण
मंत्री ( श्री
विश्वास कैलाश
सारंग ) : (क) उज्जैन
संभाग में दिनांक
1
अप्रैल, 2020 के बाद
आयोजनों, प्रोत्साहनों
और खेलों हेतु
स्वीकृत राशि
एवं व्यय राशि
की जानकारी स्वीकृति
आदेशों की
प्रति सहित पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र 1 अनुसार है।
(ख) खेल
और युवा
कल्याण विभाग
द्वारा
सामान्य प्रशासन
विभाग द्वारा
जारी
दिशा-निर्देशों
के तहत
उत्कृष्ट
खिलाड़ियों को
तृतीय एवं
चतुर्थ
श्रेणी के
पदों पर
शासकीय सेवा
में नियुक्ति
प्रदान की
जाती है।
दिनांक 01 अप्रैल,
2020 से
खेल और युवा
कल्याण विभाग
द्वारा 37 उत्कृष्ट
खिलाड़ियों को
शासकीय सेवा
में नियुक्ति
प्रदान की गई, जिसकी जानकारी
पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है।
विक्रम
पुरस्कार
प्राप्त
उत्कृष्ट
खिलाड़ी
सुश्री वर्षा
वर्मन,
विक्रम
अवार्डी, वर्ष 2015 व सुश्री
मुस्कान
किरार,
विक्रम
अवार्डी, वर्ष 2019 के
द्वारा
विलम्ब से
आवेदन
प्रस्तुत
करने के कारण
शासकीय सेवा
में नियुक्ति
नहीं दी गई है।
इनके द्वारा
प्रस्तुत
आवेदन पत्रों
का परीक्षण किया
जा रहा है।
परीक्षण
उपरांत
इन्हें नियम व
पात्रतानुसार
शासकीय सेवा
में नियुक्ति
देने की
कार्यवाही की
जावेगी। जी
नहीं, विक्रम
पुरस्कार
प्राप्त
अभ्यर्थी को
सामान्य
प्रशासन
विभाग के
निर्देशानुसार
अधिकतम आयु
सीमा में 05 वर्ष की
छूट दिये जाने
का प्रावधान
है। (ग) प्रदेश
में दिनांक 1 अप्रैल,
2020 के
पश्चात् श्री
जी.एल. यादव, मुख्य
प्रशिक्षक, सैलिंग के
विरूद्ध गलत
इरादे से
छेड़खानी के आरोप
प्राप्त हुए
थे,
जिसकी जांच
उपरांत उनके
विरूद्ध लगे
आरोप निराधार
पाये गये हैं।
अतः शेष प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता है।
विभाग द्वारा
संचालित
म.प्र. राज्य
शूटिंग
अकादमी भोपाल
के शॉटगन
खिलाड़ी श्री
यथार्थ
रघुवंशी द्वारा
दिनांक 01 दिसम्बर,
2024 को
व्यक्तिगत
कारणों से
आत्महत्या की
गई। पुलिस
द्वारा अपराध
क्रमांक 05/25, धारा 107 बी.एन.एस.
दर्ज कर जांच
की जा रही है।
विभाग द्वारा
संचालित खेल अकादमियों
के खिलाड़ियों
के Mental Strength
Development हेतु
स्पोर्टस साइकोलॉजिस्ट
की नियुक्ति
की जाती है, अतः शेष
प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता है। (घ) जी
हाँ। माननीय
सदस्य द्वारा
नीमच
विधानसभा के
प्रतिभावान
खिलाड़ियों को
खेल सामग्री
प्रदाय एवं
अन्य सुविधा
हेतु 4
पत्र प्रेषित
किये हैं। उन
पत्रों पर की
गई कार्यवाही
एवं उनकी वर्तमान
स्थिति की जानकारी
पुस्तकालय
में रखे
परिशिष्ट के
प्रपत्र 3 अनुसार
है।
श्री दिलीप सिंह परिहार -- प्रश्न क्रमांक 401.
श्री विश्वास सारंग -- उत्तर पटल पर रखा है.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि खेल एवं युवा कल्याण विभाग के माध्यम से खेल जगत में मध्यप्रदेश का नाम बढ़ रहा है. आवश्यकता को महसूस करते हुए वर्तमान शासन द्वारा पदक विजेताओं को ही शासकीय सेवा में सुविधाएं दी जा रही हैं. मेरा निवेदन है कि कर्नाटक, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब राज्यों में राष्ट्रीय खिलाड़ियों या विश्वविद्यालय स्तर के खिलाड़ियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में 10 अंक का लाभ प्रदान किया जाता है. क्या माननीय मंत्री जी मध्यप्रदेश में भी इस तरह का कोई प्रस्ताव लाएंगे. खिलाड़ियों पर हमेशा आर्थिक भार आता है. जिसके कारण खिलाड़ियों को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न आ गया है.
श्री
विश्वास
सारंग --
माननीय
अध्यक्ष महोदय,
सर्वप्रथम
मैं माननीय
सदस्य को
धन्यवाद देता
हूँ कि
उन्होंने खेल
और
खिलाड़ियों
के उन्नयन के
लिए सदन में
प्रश्न उठाया.
मध्यप्रदेश
सरकार का खेल
विभाग लगातार
खेल के मामले
में अपना
स्थान बना रहा
है. मुझे सदन
को यह बताते हुए
हर्ष है कि
खेल के उन्नयन
में
मध्यप्रदेश लगातार
काम कर रहा है
और इसमें हमें
सफलता भी मिली
है. पहले
राष्ट्रीय
खेलों में मध्यप्रदेश
16 वें, 17 वें नंबर
पर रहता था.
पिछले दो राष्ट्रीय
खेलों में
मध्यप्रदेश
को हम तीसरे नंबर
पर लाने में
सफल हुए हैं.
चाहे
राष्ट्रीय,
अन्तर्राष्ट्रीय
स्तर की
प्रतियोगिताएं
हों उसमें भी
मध्यप्रदेश
के खिलाड़ियों
का बहुत अच्छा
योगदान है.
मुझे कहते हुए
प्रसन्नता है
कि हमारी
बेटियों ने
क्रिकेट में जो
सफलता अर्जित
की है उस
विजेता टीम
में भी हमारे
मध्यप्रदेश
की आदिवासी
वर्ग की बेटी
क्रांति गौड़
ने बहुत अच्छा
प्रदर्शन
किया है. यह हम
सभी के लिए
प्रसन्नता की
बात है. देश के
प्रधानमंत्री
श्री
नरेन्द्र
मोदी जी की मंशा
अनुसार हमारे
मुख्यमंत्री
मोहन यादव जी लगातार
खिलाड़ियों
के उन्नयन के
लिए उनके भविष्य
के सुखद
निर्धारण के
लिए काम कर
रहे हैं. हमारे
जो विक्रम
अवार्डी
खिलाड़ी हैं
उनको नियमानुसार
हम शासकीय
नौकरी देते
हैं इसमें हमारा
किसी भी तरह
का बैकलॉग
नहीं है. विगत
दिनों 38
विक्रम
अवार्डी
खिलाड़ियों
को शासकीय नौकरी
दी गई है. दो
खिलाड़ी
इसमें शेष रह
गई हैं. जिसमें
से एक खिलाड़ी
ने असहमति
व्यक्त की है
क्योंकि उनको
इंकम टैक्स
विभाग में
नौकरी मिल गई
है. दूसरी
खिलाड़ी ने
विलंब से अप्लाई
किया था इसलिए
वह
प्रक्रियाधीन
है उनको भी हम
जल्द से जल्द
शासकीय नौकरी
देंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी के माध्यम से सम्पूर्ण प्रदेश के खिलाडि़यों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारी मध्यप्रदेश की सरकार पूरी तरह से खिलाडि़यों के उज्ज्वल भविष्य के लिए कटिबद्ध है. चाहे वह खेल रहे हों या खेलने के बाद रिटायर हो गये हों, हम उसके लिए हर संभव प्रयास करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- जो खेलना चाहते हों उनके लिए. (हंसी)
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उनके लिए भी सब कुछ खुला हुआ है. आपने बहुत अच्छी बात बोली है. शायद आगे आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जिसमें हम हर विधान सभा स्तर पर कम से कम एक स्टेडियम बनाएंगे. मुख्यमंत्री युवाशक्ति योजना के अंतर्गत हम हर विधान सभा क्षेत्र में खेल का परिसर बना रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- दिलीप सिंह जी आप अपना दूसरा पूरक प्रश्न पूछिये.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी एक खिलाड़ी रहा हूं. अंतर विश्वविद्यालय में मैंने फुटबाल में रिप्रेजेंट किया है. मैं आपसे यही निवेदन कर रहा हूं कि जो नेशनल और अंतर विश्वविद्यालय रिप्रेजेंट करते हैं उनके लिए भी नौकरियों में कहीं न कहीं प्राथमिकता होना चाहिए.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिलीप जी का प्रश्न बहुत सही है. इसके कारण हमारे अच्छे खिलाड़ी दूसरे राज्य में खेलने चले जाते हैं. हमारी एकेडमी का उपयोग करते हैं, हमारे मैदान का उपयोग करते हैं और जैसे ही उनका स्तर थोड़ा सा उठ जाता है वह दूसरे राज्य में चले जाते हैं क्योंकि वहां पर नौकरी मिल जाती है. मुझे कुश्ती का मालूम है हमारे यहां के अखाड़े के पहलवान हरियाणा से खेल रहे हैं. इसके बारे में एक बार जरूर विचार करना चाहिए. माननीय मुख्यमंत्री जी से चर्चा करके मैं आपको सलाह दूंगा.
श्री बाला बच्चन- माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- बच्चन जी एक मिनट. सबको समय नहीं मिलेगा. राजेन्द्र कुमार सिंह जी ने पहले हाथ उठाया था और वह सीनियर सदस्य हैं, इसीलिए आप पूछिये.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, खेल के संबंध में अवॉर्ड, नौकरियों के संबंध में तो सारी चर्चाएं हो गईं परंतु जो खिलाड़ी राजनीति का खेल खेलते हैं उनके लिए भी क्या आपके पास कोई योजना है?
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय कैलाश जी ने कहा और माननीय विधायक दिलीप जी ने कहा मैंने उत्तर में पहले ही कहा है कि जो विक्रम अवॉर्ड खिलाड़ी हैं. कहीं न कहीं क्राईटेरिया तो बनाना ही पड़ेगा और जो मेरी जानकारी है उसमें जिन राज्यों का इन्होंने जिक्र किया है. ऐसा प्रावधान बोनस अंक देने का कहीं नहीं है. हमने एक रिलेक्सेशन जरूर दिया है जो सरकारी नौकरी की जो आयु सीमा है उसमें खिलाडि़यों को हमने पांच वर्ष ज्यादा की छूट दी है पर बोनस अंक देने का कहीं प्रावधान नहीं है और जो कैलाश जी ने बताया कि जो विक्रम अवॉर्ड खिलाड़ी हैं उनको हम शासकीय नौकरी देते ही हैं. मैं इस सदन में एक और बात कहना चाहता हूं हमारे जो अंतरराष्ट्रीय ओलंपियन हैं उनको माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुसार राजपत्रित अधिकारी बनाने की प्रक्रिया भी हम कर रहे हैं. वह विशेष प्रकरण है. एक नियम के तहत हम उसको स्वीकार नहीं कर रहे हैं पर जो हमारा नियम है उसमें हम जो उतकृष्ट खिलाडी हैं उनको सरकारी नौकरी दे रहे हैं.
युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण
[तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार (केवल कौशल विकास एवं रोजगार)]
3. ( *क्र. 584 ) डॉ. अभिलाष पाण्डेय : क्या राज्य मंत्री, कौशल विकास एवं रोजगार महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना एवं प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत अब तक कितने युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, विशेषकर जबलपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में इस योजना का क्या प्रभाव रहा है? (ख) प्रदेश में वर्तमान में संचालित कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्रों की कुल संख्या कितनी है तथा इनमें से कितने केन्द्र जबलपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में कार्यरत हैं? अब तक इन योजनाओं के अंतर्गत प्रदेश एवं जबलपुर उत्तर क्षेत्र के कितने युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है? (ग) प्रशिक्षित युवाओं में से कितनों को स्व-रोजगार अथवा नियोजित रोजगार प्राप्त हुआ है? (घ) वर्ष 2025-26 में जबलपुर सहित समूचे प्रदेश में कितने युवाओं को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है?
राज्य
मंत्री, कौशल
विकास एवं
रोजगार ( श्री
गौतम टेटवाल ) : (क) मुख्यमंत्री
कौशल विकास
योजना
विभागांतर्गत
संचालित नहीं
है। योजनाओं
की विधानसभा
जानकारी
संधारित नहीं की
जाती है।
विभाग
अंतर्गत
संचालित मुख्यमंत्री
कौशल संवर्धन
योजना
अंतर्गत मध्यप्रदेश
में अब तक कुल 47856
युवाओं को
प्रशिक्षण
प्रदान किया
गया है,
जबलपुर
जिले में कुल 1832
युवाओं को
प्रशिक्षण
प्रदान किया
गया है। विभाग
अंतर्गत
संचालित मुख्यमंत्री
युवा स्वाभिमान
योजना
अंतर्गत मध्यप्रदेश
में अब तक कुल 25478
युवाओं को
प्रशिक्षण
प्रदान किया
गया है,
जबलपुर
जिले में कुल 1941
युवाओं को
प्रशिक्षण
प्रदान किया
गया है। प्रधानमंत्री
कौशल विकास
योजना
अंतर्गत मध्यप्रदेश
में अब तक कुल 34780
युवाओं को
प्रशिक्षण
प्रदान किया
गया है,
जबलपुर
जिले में कुल 498
युवाओं को
प्रशिक्षण
प्रदान किया
गया है। (ख) वर्तमान
में संचालित
कौशल विकास
केन्द्र की
संख्या
निरंक है, शेष
का प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता है।
जानकारी उत्तरांश
'क' अनुसार है। (ग) प्रधानमंत्री
कौशल विकास
योजना में कुल
प्रशिक्षित 34780
युवाओं में से
6697 को स्व-रोजगार
अथवा नियोजित
रोजगार
प्राप्त हुआ
है। (घ) वर्ष 2025-26
में कौशल
विकास एवं
उद्यमशीलता
मंत्रालय, भारत
सरकार से
प्रधानमंत्री
कौशल विकास
योजना 4.0 अंतर्गत कुल 23380
युवाओं को
प्रशिक्षण
देने का लक्ष्य
प्राप्त हुआ है, जिसमें
जबलपुर जिले
हेतु 220 युवाओं को
प्रशिक्षण
देने का लक्ष्य
है।
डॉ.
अभिलाष पाण्डेय--
माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
मेरा प्रश्न
क्रमांक 584 है.
मेरा प्रश्न
मध्यप्रदेश
के युवाओं के
रोजगार के लिए
है. मैं आपके
माध्यम से
माननीय
मंत्री जी से
यह पूछना चाहता
हूं कि प्रदेश
के युवाओं को
आत्मनिर्भर
बनाने हेतु
मुख्यमंत्री
कौशल विकास
योजना एवं
प्रधानमंत्री
कौशल विकास
योजना के
अंतर्गत अब तक
कितने युवाओं
को प्रशिक्षण
दिया गया है.
विशेषकर जबलपुर
उत्तर मध्य
विधान सभा और
जबलपुर जिले
के संदर्भ में
मैंने यह
प्रश्न किया
है. मेरा
माननीय
मंत्री जी से
आग्रह है.
श्री गौतम टेटवाल- अध्यक्ष महोदय, "मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना" विभागांतर्गत संचालित नहीं है। योजनाओं की विधानसभा जानकारी संधारित नहीं की जाती है। विभाग अंतर्गत संचालित "मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना" अंतर्गत मध्यप्रदेश में अब तक कुल 47856 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. (मेजों की थपथपाहट)
जबलपुर
जिले में कुल 1832 युवाओं को
प्रशिक्षण
प्रदान किया
गया है.
विभाग
अंतर्गत
संचालित "मुख्यमंत्री
युवा स्वाभिमान
योजना" अंतर्गत मध्यप्रदेश
में अब तक कुल 25478 युवाओं को
प्रशिक्षण
प्रदान किया
गया है, जबलपुर
जिले में कुल 1941 युवाओं को
प्रशिक्षण
प्रदान किया
गया है. "प्रधानमंत्री
कौशल विकास
योजना" अंतर्गत मध्यप्रदेश
में अब तक कुल 34780 युवाओं को
प्रशिक्षण
प्रदान किया
गया है, जबलपुर
जिले में कुल 498 युवाओं को
प्रशिक्षण
प्रदान किया
गया है.
अध्यक्ष
महोदय- अभिलाष जी, दूसरा
पूरक प्रश्न
करें.
डॉ.
अभिलाष पाण्डेय- मंत्री
जी,
द्वारा दिया
गया उत्तर
पढ़ने के पश्चात्
मेरा मंत्री
जी से निवेदन
है कि हम मध्यप्रदेश
में औद्योगिक
विकास वर्ष
मना रहे हैं
और जिस तरह से
हमें प्रदेश
के नौजवानों
को स्वरोजगार
के साथ खड़ा
करना है, मेरा
आग्रह है कि
जबलपुर,
महाकौशल का
केंद्र है,
जिसमें आस-पास
के जिलों के
नौजवान भी आते
हैं. जिस
प्रकार का
आंकड़ा आपने
दिया है, मुझे
लगता है कि इस
कार्य में
थोड़ी और
वृद्धि करने
की आवश्यकता
है और साथ ही
रोजगार सृजन
की आपने जो
संख्या दी है, मुझे
लगता है कि उस
दृष्टि से
जबलपुर,
महाकौशल और
संपूर्ण मध्यप्रदेश
में नौजवानों
को प्रशिक्षण
देने का संकल्प
आदरणीय
प्रधानमंत्री
और मुख्यमंत्री
जी ने लिया है, उसकी
गति बढ़ाने की
आवश्यकता है, आपसे, ऐसा
मेरा विनम्र
निवेदन
प्रदेश के
नौजवानों की
ओर से है.
श्री
गौतम टेटवाल-
अध्यक्ष
महोदय, मध्यप्रदेश
उन चुनिंदा
राज्यों में
से एक है, जिसमें
"प्रधानमंत्री
कौशल विकास
योजना" के
अंतर्गत
लक्ष्य
प्राप्त हुआ
है,
जबलपुर की
शासकीय संस्थाओं
के द्वारा
इसका क्रियान्वयन
किया जायेगा.
जबलपुर का
लक्ष्य 220 का
है,
इसके अतिरिक्त
भी जबलपुर में
युवा संगम के
अंतर्गत जॉब
फेयर तैयार
किया जायेगा
और जबलपुर के
युवाओं का विशेष
ध्यान रखा
जायेगा.
डॉ. अभिलाष
पाण्डेय- धन्यवाद
मंत्री जी.
मेरा आग्रह है
कि जबलपुर
परिक्षेत्र
के अंतर्गत
जिस तरह से
कौशल विकास के
कार्य होने
चाहिए, चूंकि
मेरी जबलपुर-उत्तर
विधान सभा में
ही आपकी
आई.टी.आई. है और
शेष प्रशिक्षण
भी वहां हो
रहे हैं लेकिन
इसे और गति देने
के लिए सरकार
की ऐसी कौन-सी
योजना की ओर आप
आगे बढ़ रहे
हैं, जिससे
पूरे प्रदेश
के नौजवानों
को रोजगार के
संसाधन उपलब्ध
होंगे ?
अध्यक्ष
महोदय- मंत्री जी, सदस्य
के निवेदन के
विषय में आप
उन्हें अवगत
करवा
दीजियेगा.
श्री
गौतम टेटवाल-
जी हां.
हम जबलपुर का
विशेष ध्यान
रखेंगे.
डॉ.
अभिलाष पाण्डेय- धन्यवाद.
प्रश्न
संख्या 4 - (अनुपस्थित)
शास.
महाविद्यालय
में नवीन स्नातकोत्तर
पाठ्यक्रम प्रारंभ
किया जाना
[उच्च
शिक्षा]
5. ( *क्र.
569 ) श्री
विष्णु
खत्री : क्या
उच्च शिक्षा
मंत्री महोदय
यह बताने की कृपा
करेंगे कि (क) बैरसिया
के स्वामी
विवेकानंद
शासकीय
महाविद्यालय
में नवीन स्नातकोत्तर
पाठ्यक्रम
प्रारंभ करने
के संबंध में
माननीय
मंत्री जी को
लिखे गये पत्र
क्र. ए 337,
दिनांक 22.07.2025 पर
विभाग द्वारा
आज दिनांक तक
क्या
कार्यवाही की
गई है? (ख) बैरसिया
के स्वामी
विवेकानंद
शासकीय
महाविद्यालय
में नवीन स्नातकोत्तर
पाठ्यक्रम
प्रारंभ करने
के संबंध में
विभाग की क्या
मंशा है?
उच्च
शिक्षा
मंत्री ( श्री
इन्दर सिंह
परमार ) : (क) विभागीय
मापदण्डों
की पूर्ति एवं
वित्तीय
संसाधनों की
उपलब्धता के
आधार पर स्व-वित्तीय
पाठ्यक्रमों
को शासनाधीन
करने में कठिनाई
है। (ख) शेष
प्रश्नांश
उपस्थित नहीं
होता।
श्री
विष्णु
खत्री- अध्यक्ष
महोदय, मेरा
प्रश्न
क्रमांक 569 है.
श्री
इन्दर सिंह
परमार- अध्यक्ष
महोदय, उत्तर
सदन के पटल पर
प्रस्तुत है.
श्री
विष्णु
खत्री- अध्यक्ष
महोदय,
बैरसिया
का स्वामी
विवेकानंद
शासकीय
महाविद्यालय
40 वर्ष पुराना
महाविद्यालय
है. इसमें अभी
तक केवल स्नातक
स्तर की
कक्षायें
संचालित होती
हैं,
इसमें लगभग 3000
छात्र-छात्रायें
अध्ययनरत्
हैं. जिसमें
कला संकाय में
1200 से अधिक तथा
विज्ञान और
अन्य
संकायों में
भी बड़ी संख्या
में
छात्र-छात्रायें
अध्ययनरत्
हैं. वर्तमान
में इस
महाविद्यालय
में हम स्ववित्तीय
व्यवस्था
से स्नातकोत्तर
(पी.जी.) की
कक्षायें
संचालित कर
रहे हैं. यदि
ये कक्षायें
शासकीय हो
जायें तो
विशेष रूप से
जो नवीन
शिक्षा नीति
के तहत ऑनर्स
के छात्र, जो
शोध करना
चाहते हैं, वे
भी शोध कर
पायेंगे.
मैं,
मंत्री जी से
अनुरोध करता
हूं कि इस
महाविद्यालय
में पी.जी. की
कक्षायें संचालित
करने की
अनुमति
प्रदान करें.
श्री
इन्दर सिंह
परमार- अध्यक्ष
महोदय,
बैरसिया
के स्वामी
विवेकानंद
शासकीय
महाविद्यालय
में कला संकाय
में राजनीति
शास्त्र,
हिन्दी
साहित्य और
इतिहास, इसमें
पर्याप्त
छात्र संख्या
है जो कि निर्धारित
मापदण्डों
को पूर्ण करती
है, इसलिए
हम आगामी सत्र
से वहां
राजनीति शास्त्र,
हिन्दी
साहित्य और
इतिहास में
पी.जी. की
कक्षायें
प्रारंभ करेंगे.
शेष विषयों के
संबंध में
परीक्षण करके आगे
निर्णय लिया
जायेगा. (मेजों
की थपथपाहट)
श्री
विष्णु
खत्री- धन्यवाद
मंत्री जी.
अध्यक्ष
महोदय- प्रश्नकाल
समाप्त.
(प्रश्नकाल
समाप्त)
12.01 बजे
नियम 267-क
के अधीन विषय
अध्यक्ष
महोदय - निम्नलिखित
माननीय सदस्यों
द्वारा शून्यकाल
की सूचनाएं क्रमश: सदन
में पढ़ी हुई
मानी जायेंगी.
क्र. सदस्य
का नाम
1. श्री
अभय मिश्रा
2. श्री
राजेन्द्र
भारती
3. श्री
यादवेन्द्र
सिंह
4. इंजी.
प्रदीप
लारिया
5. श्री
प्रताप
ग्रेवाल
6. श्री
दिनेश राय 'मुनमुन'
7. श्रीमती
रीति पाठक
8. श्री
हेमन्त सत्यदेव
कटारे
9. श्री
विपीन जैन
10. डॉ.
हिरालाल
अलावा
श्री
भंवर सिंह
शेखावत (बाबुजी) (बदनावर) - अध्यक्ष
महोदय,
मैं
आपसे एक रिक्वेस्ट
करना चाह रहा
हूँ. एक बहुत
गंभीर समस्या
की तरफ आपका
ध्यान
आकर्षित करना
चाहता हूँ कि
प्रदेश में लगातार
समस्याओं का
अंबार बढ़ रहा
है और सत्र
लगातार छोटा
होता जा रहा
है. विधायकों
की भूमिका को
समाप्त करने
का षड्यंत्र
है. यह 3 दिन, 4 दिन
का सत्र
बुलाकर पूरे
प्रदेश की
समस्याएं,
छात्रों की
समस्याएं
हैं. आपको
एलओपी ने पत्र
भी दिया है कि
इस पर विचार करके
कुछ निर्णय
लीजिये. इतने
छोटे सत्र के
कारण पूरे
प्रदेश की
समस्याओं का
निराकरण कैसे
होगा ? अधिकारियों
की मनमानी बढ़
रही है.
विधायकों की
भूमिका समाप्त
हो रही है. (मेजों
की थपथपाहट)
छात्र आन्दोलन
कर रहे हैं,
किसान आन्दोलन
कर रहे हैं. सब
की चर्चा कैसे
होगी ?
अध्यक्ष
महोदय - भंवर
सिंह जी, कृपया
बैठिये. पहले
यह कर लें. (..व्यवधान..)
(..व्यवधान..)
श्री
भंवर सिंह
शेखावत (बाबुजी) - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मेरा
निवेदन है कि यह
जो सत्र
बुलाया गया है
और सत्र छोटा
करने का जो
काम
चल
रहा है. इससे समस्याओं
का निराकरण
कैसे होगा ? हम
यह समस्याएं
कहां ले
जाएंगे ?
अध्यक्ष
महोदय - आप कृपया
बैठिये.
नेता
प्रतिपक्ष
(श्री उमंग
सिंघार) - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, आपको इस
बारे में पत्र
भी लिखा है.
श्री
भंवर सिंह
शेखावत
(बाबुजी) - अध्यक्ष
महोदय, सारे
विधायक यहां
बैठे हैं.
लेकिन इनको
अपनी बात कहने
का समय नहीं
मिल रहा है.
12.02
बजे
गर्भगृह
में प्रवेश
(इंडियन
नेशनल
कांग्रेस के
सदस्यगण
द्वारा सत्र
की अवधि छोटे
होने के कारण
गर्भगृह में प्रवेश
किया गया एवं
नारेबाजी की
जाती रही.)
श्री
उमंग सिंघार - सत्र
अगर छोटा होगा
तो विधायकों
की बात कैसे आएगी,
महिलाओं की
बात कैसे
आयेगी ? माननीय
अध्यक्ष
महोदय.
श्री
भंवर सिंह
शेखावत
(बाबुजी) -
माननीय अध्यक्ष
महोदय, यह सब क्या
है ? यह
क्या तमाशा
कर दिया गया
है ? 3 दिन
का सत्र,
4 दिन का
सत्र यह क्या
है ? क्यों
सदन से भागना
चाहती है
सरकार ?
कुछ
सुनना ही नहीं
चाहती है.
विधायक अपनी
बात कहां पर
कहेंगे ? जनता की
समस्याएं
कैसे उठेंगी ?
सारे किसान,
सारे छात्र
आन्दोलन कर
रहे हैं. अगर
इस बात पर
विचार नहीं
किया गया, तो
यह सदन का
बड़ा अपमान
होगा. फिर विधान
सभा होने का
मतलब क्या है
?
अगर आप सत्र
नहीं चलाना
चाहते, बात नहीं
करना चाहते,
कुछ सुनना
नहीं चाहते हो, तो
विधान सभा का
क्या मतलब है
?
(..व्यवधान..)
श्री
उमंग सिंघार - अध्यक्ष
महोदय,
युवाओं
को नौकरी नहीं
मिल रही है.
श्री
सोहनलाल बाल्मीक
-
यह
बहुत गंभीर
विषय है.
अध्यक्ष
महोदय - आप सभी
लोग अपने स्थान
पर जाएं. मैं
समझता हूँ कि
आपकी भावना आ
गई है.
(..व्यवधान..)
श्री
उमंग सिंघार - अध्यक्ष
महोदय, यह मेरा
आपसे अनुरोध
है.
श्री
भंवर सिंह
शेखावत
(बाबुजी) -
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
यदि
विधायक अपनी
बात नहीं बोल
पाएगा, अपनी
समस्या नहीं
बोल पाएगा, तो
फिर सदन का क्या
मतलब है?
श्री
उमंग सिंघार - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, हजारों
प्रश्न आते
हैं.
श्री
भंवर सिंह
शेखावत
(बाबुजी) - माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
लोकतंत्र
के अन्दर
जनता की आवाज
को दबाया जा
रहा है.
विधायकों की
आवाज को दबाया
जा रहा है.
लेकिन सत्र को
तो आपने तमाशा
बना दिया है.
श्री
उमंग सिंघार -
माननीय अध्यक्ष
महोदय, सत्र
छोटा होता है, तो प्रश्नों
के जवाब नहीं
आ पाते हैं.
श्री
भंवर सिंह
शेखावत
(बाबुजी) -
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
इस
पर आपको विचार
करना पड़ेगा.
सत्र की अवधि
आप बढ़ना नहीं
चाहते हैं,
सदस्यों को बोलने
नहीं देना
चाहते हैं. क्या
सदस्य मुंह
पर पट्टी
बांधकर बैठा
रहे ?
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष
महोदय - मेरा आप
सबसे अनुरोध
है कि आप सब
अपने स्थान
पर बैठें. अभी
जनहित के कई
ध्यानाकर्षण
भी आने वाले
हैं,
अतिवृष्टि पर
भी चर्चा होने
वाली है.
संसदीय
कार्य मंत्री
(श्री कैलाश
विजयवर्गीय) - माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
गागर
में सागर भरना
सीखो.
श्री
भंवर सिंह
शेखावत
(बाबुजी) - आप तो
बैठ जाइये.
अध्यक्ष
महोदय - मेरा आप
सभी से अनुरोध
है कि कृपया
अपना स्थान
ग्रहण करें.
श्री
भंवर सिंह
शेखावत
(बाबुजी) - अध्यक्ष
महोदय, गागर में
सागर तीन रोज
में कैसे भरी
जा सकती है ?
(..व्यवधान..)
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय - माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
आजकल
कम्प्यूटर
का जमाना आ
गया है. गागर
में सागर भरना
चाहिए.
श्री
उमंग सिंघार - अध्यक्ष
महोदय, किसानों
को खाद नहीं
मिल रही है.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय -
माननीय अध्यक्ष
महोदय, आप चार
दिन में चालीस
दिन का काम
करो.
श्री
भंवर सिंह
शेखावत
(बाबुजी) - अध्यक्ष
महोदय, कैलाश जी
का यह कहना है
कि घर पर
बैठकर विधान सभा
चला ली जाये, तो
फिर विधान सभा
की भी जरूरत
क्या है ?
कम्प्यूटर
पर ही चलाना
है तो घर पर ही
बैठकर चलाओ.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय -
अध्यक्ष
महोदय,
आजकल
वर्क फ्रॉम
होम चल रहा है.
श्री
उमंग सिंघार -
अध्यक्ष
महोदय, क्या
कम्प्यूटर
से किसानों को
खाद मिलेगी ?
अध्यक्ष
महोदय - कृपया सभी
लोग अपने स्थान
पर बैठ जाएं.
आप आगे बढ़ने
दें.
श्री
उमंग सिंघार -
अध्यक्ष
महोदय, आप सदन को
आश्वासन तो
दीजिये कि
सत्र की अवधि
बढे़गी. यह मेरा
आपसे अनुरोध
है.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय -
अध्यक्ष
महोदय,
मेरी
एक सलाह है कि
नेता
प्रतिपक्ष, आप
और हम सब लोग
एक बार सदन
में बैठ
जाएंगे, फिर उसके
ऊपर चर्चा कर
लेंगे.
श्री भंवर सिंह शेखावत (बाबुजी) -- हम चाहते हैं कि चर्चा हो जाए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- नेता प्रतिपक्ष, आप और माननीय मुख्यमंत्री जी चर्चा कर लेंगे. आज कार्यमंत्रणा समिति की बैठक भी है. उसमें चर्चा कर लेंगे.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दे दें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- आज कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में इस बारे में चर्चा कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आज 1.00 बजे कार्यमंत्रणा समिति की बैठक है. उसमें चर्चा कर लेंगे.
श्री उमंग सिंघार -- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.
12.06 बजे अध्यादेश
का पटल पर रखा
जाना
मध्यप्रदेश
नगरपालिका
(संशोधन)
अध्यादेश, 2025
(क्रमांक 1 सन् 2025)
राज्यमंत्री,
तकनीकी
शिक्षा, कौशल
विकास एवं
रोजगार
(डॉ. मोहन यादव,
मुख्यमंत्री
द्वारा
अधिकृत) श्री
गौतम टेटवाल --

12.07 बजे पत्रों
का पटल पर रखा
जाना
(1) (क) भू-सम्पदा
विनियामक
प्राधिकरण
मध्यप्रदेश
का वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2024-2025, एवं
(ख)
मध्यप्रदेश
अर्बन
डेवलपमेंट
कंपनी
लिमिटेड का छठवां
वार्षिक
प्रतिवेदन वित्तीय
वर्ष 2020-2021 (01
अप्रैल, 2020 से 31
मार्च, 2021)
नगरीय
विकास एवं
आवास मंत्री (श्री
कैलाश
विजयवर्गीय) --

(2) मध्यप्रदेश
विद्युत
नियामक आयोग
की निम्नलिखित
अधिसूचनाएं :-
(क)
क्रमांक
1642/मप्रविनिआ/2025,
दिनांक 22.08.2025,
(ख)
क्रमांक
1643/मप्रविनिआ/2025,
दिनांक 22.08.2025, एवं
(ग)
क्रमांक
1644/मप्रविनिआ/2025,
दिनांक 22.08.2025
ऊर्जा
मंत्री (श्री
प्रद्युम्न
सिंह तोमर) --

(3)
डीएमआईसी
विक्रम
उद्योगपुरी
लिमिटेड का वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2023- 2024 (31 मार्च 2024
को समाप्त
वित्तीय
वर्ष के लिए)
सूक्ष्म, लघु
और मध्यम
उद्यम मंत्री
(डॉ. मोहन
यादव,
मुख्यमंत्री
द्वारा
अधिकृत) श्री
चेतन्य
कुमार काश्यप --

(4) (क) मध्यप्रदेश
मानव अधिकार
आयोग का
वार्षिक लेखा
प्रतिवेदन
वर्ष 2022-2023, एवं
(ख) मध्यप्रदेश
राज्य सूचना
आयोग का
वार्षिक
प्रतिवेदन
वर्ष 2024 (01 जनवरी, 2024 से 31
दिसम्बर, 2024)
राज्यमंत्री,
पिछड़ा वर्ग
एवं अल्पसंख्यक
कल्याण (डॉ.
मोहन यादव,
मुख्यमंत्री
द्वारा
अधिकृत) - श्रीमती
कृष्णा गौर

12.08
बजे जुलाई-अगस्त,
2025 सत्र
की स्थगित
बैठकों की
प्रश्नोत्तर
सूची तथा प्रश्नों के अपूर्ण
उत्तरों के
पूर्ण उत्तरों
का संकलन खण्ड-5
पटल पर रखा
जाना

नियम
267-क के
अधीन जुलाई-अगस्त,
2025 सत्र
में पढ़ी
गई सूचनाओं
तथा
उनके
संबंध में
शासन से
प्राप्त उत्तरों
का संकलन पटल
पर रखा जाना

12.09
बजे राज्यपाल/राष्ट्रपति
की अनुमति
प्राप्त
विधेयकों की
सूचना

12.10 बजे
अध्यक्षीय
व्यवस्था
अतिवृष्टि
संबंधी ध्यानाकर्षणों
को नियम, 139 के
अधीन अविलंबनीय
लोक महत्व के
विषय संबंधी
चर्चा में
समाहित किया
जाना
अध्यक्ष
महोदय -- आज
अतिवृष्टि
पर चर्चा लगी
हुई है. इस
संबंध में कई
मित्रों के ध्यानाकर्षण
भी आए हैं.
मेरा पक्ष और
विपक्ष दोनों
के सदस्यों
से अनुरोध है
कि ध्यानाकर्षणों
को मैंने इस
चर्चा में तब्दील
किया है तो
जिन्होंने
ध्यानाकर्षण
लगाए हैं. वे
प्राथमिकता
के आधार पर
दोनों पक्षों
के लोगों को
बोलने का अवसर
प्रदान करें
और उनके नाम
जरूर दें.
ध्यान आकर्षण
(1)
प्रदेश
के सीहोर जिले
में आदिवासी
मजदूरों को
उनकी मजदूरी
का भुगतान न
किये जाने
श्री अजय अर्जुन सिंह(चुरहट),डॉ.हीरालाल अलावा -

श्री दिलीप अहिरवार,राज्यमंत्री,वन - माननीय अध्यक्ष महोदय,


श्री अजय अर्जुन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से एक स्पेसिफिक प्रश्न पूछना चाहता हूं. मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना किस तारीख की है और किस तारीख को अभी श्रमिकों को भुगतान किया गया है. उसी से साफ मालुम पड़ जायेगा कि आपने ध्यान आकर्षण स्वीकारा और मंत्री महोदय ने वन विकास निगम के 4 करोड़ रुपये आदिवासी भाईयों को दिये. क्या पहले नहीं दे सकते थे. आप यह बता दीजिये कि किस तारीख को आपने दिया.
श्री दिलीप अहिरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं सारी तारीखें आपको बता सकता हूं.
श्री अजय अर्जुन सिंह - मैं आखिरी तारीख पूछ रहा हूं.
श्री
दिलीप
अहिरवार - मैं
बता रहा हूं.
हमने आपके
पहले भी 17.11.2025 को
भी 88 लाख रुपये
उनके अकाउंट
में डाले और
उसके बाद 26
तारीख को 3
करोड़ 91 लाख
रुपये डाला और
विधिवत तरीके
से महिने
महिने हम क्रमश:
जितनी भी
मांग आती है
वहां विभाग के
द्वारा मजदूरों
की तत्काल
राशि डालते
हैं उनकी कोई
भी शेष बाकी
नहीं है.
श्री अजय
अर्जुन सिंह-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, उसी के
संदर्भ में एक
प्रश्न है.
आपने कहा 17 लाख, 87 लाख और 3 करोड़
दिये, उसके पहले
कौन सी तिथि
में आपने
भुगतान किया.
उसके पहले 6
महीने, साल भर पहले
कब भुगतान
किया.
श्री दिलीप
अहिरवार-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैंने पहले
भी कहा है कि
जिस प्रकार से
मांग आती है, पहला भुगतान
दिनांक 20.06.2025 को
हमने 2 करोड़ 96
लाख किया, फिर हमने
दिनांक 23.06.2025 को 3 करोड़ 99
लाख किया, दिनांक 18.07.2025 को 80
लाख किया, दिनांक 28.07.2025 को 1
करोड़ किया, दिनांक 15.09.2025 को
हमने 1 करोड़
किया, दिनांक 23.09.2025 को 62
लाख किया, दिनांक 30.10.2025 को 1
करोड़ 28 लाख
किया, दिनांक 07.11.2025 को 1 करोड़ 6 लाख
किया और हमने
दिनांक 17.11.2025 को पहले भी
आपको पूर्व
में बता दिया
है तो विधिवत
तरीके से और
हमारे जितने
भी निगम के
विकासखंड हैं
सारे
विकासखंडों
में जो कार्य
होते हैं कोई
भी ऐसा मजदूर
नहीं है जिसकी
राशि शेष हो.
श्री अजय
अर्जुन सिंह-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, तिथि बताना
बहुत आसान है, लेकिन सबसे
अधिक राशि का
भुगतान ध्यानाकर्षण
की सूचना के
बाद ही हुआ है, यह कबूल कर
दें, बाकी और सब
चीज ठीक है और
जो समय-समय पर
भुगतान नहीं
हो रहा है, सबसे शोषित, पीडि़त वर्ग
एक मजदूर है
वह भी हमारे
अनुसूचित
जनजाति
अनुसूचित
जाति के यदि
उनका भुगतान समय
पर नहीं मिलता
है तो इसके
लिये सरकार
दोषी होती है.
कृपया करके
सुनिश्चित कर
दें कि उनका भुगतान
समय पर मिला.
श्री दिलीप
अहिरवार-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैंने पहले
भी कहा है कि
समय-समय पर
जिले से मांग
आती है और जिस
प्रकार से
मांग आती है
यहां से विभाग
के द्वारा हम
लोग पैसे डलवा
देते हैं और
आपको बता दें
जो आप कह रहे
हैं कि राशि
की बात हमने 3
करोड़ 99 लाख उसके
पहले भी डाला
था सातवें
महीने में, ऐसा नहीं है, जितनी भी
मांग आती है
हमारे द्वारा
जिले के विभाग
के द्वारा हम
लोग तत्काल
राशि डालते
हैं.
अध्यक्ष
महोदय--
ध्यानाकर्षण
का असर तो
होता ही है...
(हंसी)...
2. नर्मदापुरम
व इटारसी में
बढ़ते
अतिक्रमण के कारण
आम नागरिकों
में परेशानी
डॉ. सीतासरन
शर्मा
(होशंगाबाद)--
संसदीय
कार्यमंत्री
(श्री कैलाश
विजयवर्गीय)--
अध्यक्ष
महोदय,


अध्यक्ष
महोदय --
माननीय सदस्य
वैसे इसका उत्तर
तो बहुत विस्तार
से आ गया है.
डॉ.
सीतासरन
शर्मा -- अध्यक्ष
महोदय, यह
जो जवाब आया
है,
इसमें एक बात
तो बिल्कुल
स्पष्ट है
जैसा कि
माननीय
मंत्री जी ने 296
अतिक्रमण खुद
ने मार्क करके
बताये हैं कि 296 अतिक्रमण
हमने हटाये
हैं, इसका
मतलब अध्यक्ष
महोदय यह है
कि इतने
अतिक्रमण तो
हो ही रहे हैं और
यह खुद ही स्वीकार
कर रहे हैं कि
इन्होंने
इतने
अतिक्रमण
हटाये हैं,
पर मेरा
अनुरोध यह है
कि सौ
अतिक्रमण में
से दो या चार अतिक्रमण
हटाते हैं और
उसके बाद दो
तीन दिन बाद
वह अतिक्रमण
वहां पर वापस हो
जाते हैं.
अतिक्रमण की
यह स्थायी
समस्या है.
अब नालों पर
अतिक्रमण हो
रहे हैं,
नाले पर पूरी
दुकान बना दी
गई है, अभी
बरसात में
बाजार में
पानी भर गया
था,
तो एक दुकान
का फर्श तोड़ा
गया और उस
फर्श को तोड़कर
उस नाली का
पानी क्लीयर किया
गया था.
वहां पर पूरे
नाले पर
दुकानें बनी
हुई हैं, वह
आज भी बनी हुई
हैं, वहां पर बस
एक दुकान का
फर्श तोड़ा
गया है. अध्यक्ष
महोदय, इसी प्रकार
से अनेक टप
बंद पड़े हैं. ये कहते
हैं कि हम
चौपाटी बना
रहे हैं, तो बंद
पड़े टप में
कौन सा धंधा
होता है.
मैंने कई बार
कहा कि बंद
पड़े टप हटाओ, वे भी
नहीं हटाएं.
अध्यक्ष जी
वैसे पेपर्स
की बात नहीं
की जाती परंतु
यह वर्ष 2024 से 16.11.2025 तक
लगातार
अखबारों में आ
रहा है. मैं, एक दो ही पेपर
की बात बता
रहा हूं(न्यूज
पेपर्स को
दिखाते हुए).
अब देखिए ‘’मीनाक्षी
चौराहे के
चौड़ीकरण एवं
सौंदर्यीकरण
पर लगा
अतिक्रमण का
ग्रहण’’, ‘’सरकारी
आवासों के
सामने बन गई
चौपाटी’’. कलेक्टर
रोड पर, जेल रोड पर, जमीन
में पता नहीं
कहां से लोग आ
गए,
सड़कों पर प्याज
रखकर बेच रहे
हैं. सारा
प्रशासन देख
रहा है, जनता परेशान
है, बाहर
के लोग आकर के
अतिक्रमण कर
रहे हैं, लड़ाई
झगड़े करते
हैं, लड़कियों से
छेड़छाड़
करते हैं, गर्ल्स
स्कूल और
गर्ल्स
कॉलेज के
सामने
अतिक्रमण हो
रहा है. इस
बारे में कई
बार कहा, पर हटाए
नहीं जाते.
अध्यक्ष जी
मेरा मंत्री
जी से अनुरोध
और प्रश्न भी
है कि एक तो जो
अभी टप हैं, वे दो
के प्रकार हैं, एक तो
नालों पर
अतिक्रमण है, अभी
उनको हटाने का
समय है, उन्हें
पहचान कर के
हटाने की समय
सीमा तय कर
दें. दूसरा, अभी
जो अस्थायी
अतिक्रमण
जितने हैं
उनको हटाने की
समय सीमा तय
कर दें और एक
स्थायी दल
बना दें. मैंने
राजस्व, पुलिस और
नगर पालिका के
साथ बात की,
राजस्व और पुलिस
अपनी टीम गठित
करने को तैयार
है, नगर
पालिका
प्रशासन
चूंकि उनके
पास साधन होते
हैं और उनके
पास टीम भी है, आठ से
दस लोगों की
स्थायी टीम बना
दें और वह स्थायी
टीम उस
अतिक्रमण को
निरंतर हटाए
और उनकी जिम्मेदारी
और जवाबदारी निश्चित
की जाए. अध्यक्ष
जी मैं माननीय
मंत्री से ये
तीन विषयों पर
जानकारी
चाहता हूं.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय – माननीय
अध्यक्ष जी, माननीय
वरिष्ठ सदस्य
ने कहा कि
पेपर्स की
कटिंग नहीं
दिखाना चाहिए
पर उन्होंने
दिखा दी(..हंसी)
तो अब मुझे भी
दिखानी पड़ेगी. ‘’अतिक्रमण
हटाने सड़क पर
उतरा अमला’’(पेपर्स
की कटिंग
दिखाते हुए)
ऐसे बहुत सारे
पेपर्स हैं
मेरे पास. पर मैं
उनको नहीं
दिखा रहा हूं.
अध्यक्ष जी
हमारे माननीय
सदस्य बहुत
वरिष्ठ है,
आसंदी पर
विराजमान भी
हो चुके हैं,
इसलिए आपने जो
कहा है मैं
अपने एसीएस को
निर्देशित
करता हूं कि
वे वहां के
जिलाधीश, एसपी और
नगर निगम के
अधिकारियों
की एक टीम बना
दें, पर
कार्यवाही
एसआईआर के बाद
ही संभव है, क्योंकि
अभी पूरा अमला
इसमें लगा है. अध्यक्ष
जी आने वाले
समय में जल्दी
से जल्दी
अतिक्रमण
हटें, इस प्रकार के
निर्देश दे
देंगे.
डॉ.
सीतासरन
शर्मा – धन्यवाद
माननीय
मंत्री जी, इसके
मॉनिटरिंग की
स्थायी व्यवस्था
भी हो जाए तो
बड़ी कृपा हो
जाएगी.
अध्यक्ष
महोदय – अब धन्यवाद
के बाद तो सप्लीमेंट्री
नहीं है
न(..हंसी)
श्री शैलेन्द्र
कुमार जैन – अध्यक्ष
जी, ये
समस्या
अकेले डॉ. साहब
की नहीं है.
मध्यप्रदेश
के अधिकांश
शहरों की ये
समस्या है. इस
संबंध में
भोपाल स्तर
पर कुछ योजना
बनाकर
अतिक्रमण
नामक जो बहुत बड़ी
समस्या है, उसके
निदान के लिए
बात होनी
चाहिए और
यातायात को
सुगम बनाने की
दृष्टि से भी
क्या हो सकता
है ऐसा कुछ
एनजीओ और कुछ कंसल्टेंट्स
हैं, उनकी सहायता
लेकर के
ट्रॉफिक का
पैटर्न हर एक
शहर के पैटर्न
को देखते हुए
कुछ व्यवस्था
बनानी चाहिए. अब लोगों
का मोह शहर की
ओर से थोड़ा
कम हो रहा है, लोग
आउटर में जाना
चाहते हैं, इस
संबंध में
चिंता होनी
चाहिए.
श्री कैलाश
विजयवर्गीय – अध्यक्ष
जी, अभी
हमारे माननीय
मुख्यमंत्री
जी हमारे
विभाग की
समीक्षा करने
वाले हैं.
हमारे विभाग
का अमला
अतिक्रमण तो
हटाता है, किन्तु
पुलिस और बिना
कलेक्टर के
सहयोग के ये
संभव नहीं है, पर
अभी मुख्यमंत्री
जी के साथ
बैठेंगे और
एसआईआर खत्म
होने के बाद
पूरे प्रदेश
में यह
सुनिश्चित
करेंगे कि
अतिक्रमण नहीं
हो, इस
बारे में
माननीय मुख्यमंत्री
जी से चर्चा
करके कोई अच्छी
प्रदेश स्तर
की कार्यवाही
करवाएंगे.
अध्यक्ष महोदय – बहुत बहुत धन्यवाद मंत्री जी.
जीनियर प्रदीप लारिया—अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि बरसात के समय नालों की बड़ी बेकार स्थिति होती है. कई बार क्या होता है कि तत्काल जब नाले के आसपास की कॉलोनियों में या बस्तियों में भराव हो जाता है. तो अतिक्रमण दस्ते बाकी सब लोग एक्विव हो जाते हैं. लेकिन पूरे मध्यप्रदेश में जो बड़े नाले हैं कि मुझे लगता है कि उसका सीमांकन कराके इस पर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही होना चाहिये जिससे बार बार बरसात के समय में हमें बार बार प्रक्रिया ना करना पड़े. दूसरा मेरा निवेदन यह है कि जो चोराहे हैं या मुख्य मार्ग हैं उन पर भी बहुत अतिक्रमण हो रहे हैं मैं समझता हूं कि उन पर सबका आवागमन रहता है, तो इस दृष्टि से विचार होना चाहिये उसकी भी कोई योजना बननी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय—अच्छा सुझाव है.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बड़ा महत्वपूर्ण शब्द है इस पर आपकी मैं व्यवस्था चाहता हूं. माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में सवाल भी अच्छा था और जवाब की भी जो आवरण के साथ कोशिश की जा सकी माननीय मंत्री जी ने की. मंत्री जी ने एक शब्द का इस्तेमाल किया जिलाधीश यह जो धीश का मामला है, यह तो हम ईश्वर को कहते हैं जैसे द्वारिकाधीश यानि मालिक. अगर आप कलेक्टरों के लिये धीश कहने लगेंगे तो ब्रिटिशकाल की व्यवस्था है माननीय मंत्री जी अध्यक्ष महोदय, इस पर आपकी व्यवस्था आना चाहिये. इनको कलेक्टर ही कहना चाहिये दूसरा आप इनका पदनाम आप खोज लीजिये. कम से कम उनको ईश्वर के बराबर तो मत मानिये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय जी—अध्यक्ष महोदय, ठीक है मठाधीश जी.
अध्यक्ष
महोदय—सभी
सदस्य तैयार
रहें तो 139 की
चर्चा पहले
शुरू हो सकती
है.
श्री अजय विश्नोई—अध्यक्ष महोदय, अतिक्रमण अपने आप में एक समस्या है उसका समाधान होना चाहिये. समाधान करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिये जो गरीब आदमी है वह कहीं न कहीं सड़क के किनारे अपनी रोजी को कमाता है और अपने परिवार को पालता है. उसको रोजी कमाने का अवसर नहीं मिलेगा, तो किसी दूसरे काम में लग जायेगा. गरीब आदमी का ध्यान रखते हुए अतिक्रमण को हटाया जाये या उनकी विधिवत् दूसरी व्यवस्था भी दी जाये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, सारे सुझाव नोट कर लिये हैं. अनुकूल समय आने पर कार्यवाही प्रारंभ कर देंगे.
12.32
अनुपस्थित
की अनुज्ञा

12.33
याचिकाओं
की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय—आज की कार्यसूची में पदक्रमांक 10 के सरल क्रमांक 1 से 16 तक उल्लेखित सभी याचिकाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
1. श्री हेमंत सत्यदेव कटारे
2. श्री विजय रैवनाथ चौरे
3. श्री दिनेश राय मुनमुन
4. श्री पंकज उपाध्याय
5. श्री नितेन्द्र बृजेन्दसिंह राठौर
6. श्री राजन मण्डलोई
7. श्री सुनील उइके
8. श्री यादवेन्द्र सिंह
9. डॉ. सीतासरन शर्मा
10. श्री उमाकांत शर्मा
11. श्री केशव देसाई
12. श्री राजेश कुमार वर्मा
13. श्री कैलाश कुशवाह
14. श्री घनश्याम चन्द्रवंशी
15. श्री राजेन्द्र भारती
16. श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह
इनकी सूचनाएं हैं, यह सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
12.35
बजे
शासकीय
विधि विषयक
कार्य
मध्यप्रदेश
दुकान तथा स्थापना
(द्वितीय
संशोधन)
विधेयक,
2025 (क्रमांक
19 सन् 2025) का
पुर:स्थापन


12.
37 बजे
नियम 139
के अधीन
अविलम्बनीय
लोक महत्व के
विषय पर चर्चा

श्री
अभय मिश्रा (सेमरिया) -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय जी,
मैं एक निवेदन
करना चाहता
हॅूं. मैं केवल
2 मिनट का समय
लूंगा. मेरी
आपसे करबद्ध
प्रार्थना है
कि एक तो हमारा
सत्र बहुत
छोटा होता है
फिर यह जो 4-5 दिन
का सत्र है
इसमें ही हम
लोगों को
थोड़ा अवसर
मिल सकता है.
बिजनेस के काम
तो ठीक हैं बिजनेस
के लिए सत्र
बुलाया जाता
है लेकिन इसी के
सहारे हम
लोगों को कुछ
अपनी बात,
अपनी समस्याओं
को, रखने
का अवसर मिल
जाता, उससे भी
अगर हम लोग
वंचित हो
जाएंगे, तो हम
कैसे करेंगे ?
अध्यक्ष
महोदय -- नहीं,
नहीं. कोई
वंचित नहीं
होता. नियम के
अंतर्गत आइए.
श्री
अभय मिश्रा --
अध्यक्ष
महोदय जी,
दिख रहा है कि
समय था. हम
लोगों का एकाध
ध्यानाकर्षण
आ सकता था. कुछ
हो सकता था. फिर
ऐसे में तो हम
लोग आना ही
छोड़ दें,
फिर क्या
मतलब निकल रहा
है.
अध्यक्ष
महोदय --
माननीय सदस्य, आज दो ध्यानाकर्षण
पर चर्चा हुई
है.
प्रश्नों
पर चर्चा हुई
है.
श्री
भंवरसिंह
शेखावत
(बदनावर) -- माननीय
अध्यक्ष जी, मैं और यह
पूरा सदन आपको
धन्यवाद
देना चाहता है
कि आपने एक
बहुत ही महत्वपूर्ण
विषय पर चर्चा
करने का अवसर
इस सदन में
दिया है.
किसानों की
समस्याओं पर
चर्चा करने का
जो अवसर आपने
दिया है, उसके लिए
मैं आपका
आभारी हॅूं.
लगातार ऐसा लग
रहा है कि यह
सरकार
किसानों के
प्रति
संवेदनहीनता
की तरफ बढ़ती
जा रही है.
किसानों की
समस्याओं की
सुनवाई नहीं
हो रही है और
फिर हम किसानों
की चर्चा कहां
करें. अभी
जैसे माननीय
अभय मिश्रा जी
ने कहा कि सदन 4-5
दिन में तो आप
लोग खत्म कर
देते हैं. सदन
में आप बैठना
नहीं चाहते, किसानों
की चर्चा नहीं
करना चाहते, किसान आप
सबसे ज्यादा
परेशान हैं. यह
सिर्फ
अतिवृष्टि
का ही सवाल
नहीं है,
किसान
की जो फसलें
हैं, बिजली
की जो सप्लाई
हो रही है
उसकी फसल को
एमएसपी पर
खरीदने का जो
विषय है,
उसकी
फसलों का जो
दाम मिलना है,
अतिवृष्टि
से जो उसका
नुकसान हुआ,
उसका भुगतान
होना है.
किसान की कौन-सी
समस्या का
समाधान हो रहा
है ? पूरे
प्रदेश में आज
सबसे ज्यादा
परेशान किसान
है. वह अन्नदाता
है, जो
हमारा पेट
भरता है, प्रदेश
की आर्थिक व्यवस्था
को मजबूत करता
है. लेकिन
मुझे लगता है
कि सरकार की
सुनने की शक्ति
लगातार समाप्त
हो रही है. अभी
अतिवृष्टि
के माध्यम से
हम आप से चर्चा
कर रहे हैं
मैं पूछना
चाहता हॅूं कि
प्रदेश में
सोयाबीन का
एमएसपी देने
के लिए सरकार
ने जो वायदा
किया था, उस
सोयाबीन की
एमएसपी पर
खरीदी क्यों
नहीं हो रही
है ?
सोयाबीन का
भाव क्यों नहीं
दिया जा रहा
है ? आपने
भावांतर नाम
का एक नया
नाटक पैदा कर
दिया. यह
भावांतर
योजना क्या
है, यह
लोगों को
भ्रमित करने
वाली योजना
है.
जल
संसाधन
मंत्री (श्री
तुलसीराम
सिलावट) -- पूरे
किसानों को
लाभ मिल रहा
है.
श्री
भंवरसिंह
शेखावत --
तुलसी भैया, आप
बैठिए. आप भी
चिंतक हैं
किसानों के.
मैं आपको
बताता हॅूं कि
किसानों को क्या
लाभ मिल रहा
है. यह सब
नौटंकी कहां
से सीख गये आप ?
हमें समझ में
नहीं आया. आप
उधर गये, तो लाभ
मिलने लग गया. इंदौर
में लाभ नहीं
मिल रहा था ?
अध्यक्ष
महोदय -- इंदौर
में तो सलाह
करके आया करो
आप लोग.(हंसी)...
श्री
भंवरसिंह
शेखावत --
माननीय अध्यक्ष
जी, यह
तमाशा कर रहे
हैं. भावांतर
के लिए
रैलियां निकाली
जा रही हैं.
अरे किसान को
भावांतर की योजना
समझ में नहीं
आ रही है.
संसदीय
कार्य मंत्री
(श्री कैलाश
विजयवर्गीय) -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, भाव अंतर
और भावों का
अंतर दोनों
में अंतर है
थोड़ा-सा. यह
भावांतर पर
चर्चा चल रही
है. इधर से
भावोत्तर का
अंतर आ गया है...(हंसी)..
श्री
भंवरसिंह
शेखावत --
माननीय कैलाश
जी, यह
किसानों की
चर्चा चल रही
है, तो
भावांतर के
नाम से एक नई
दुकान शुरू कर
दी. भावांतर
नहीं मिल रहा
है. आप इसके
बदले जो मॉडल
रेट तय करते
हैं वह किसान
के समझ में
नहीं आ रहा है.
आपका शासकीय सिस्टम
काम नहीं कर
रहा है.
किसानों को
समझ नहीं आ रहा
है कि किस
तरीके से
भावांतर की
योजना का लाभ
उठायें. यहां
जितने विधायक
बैठे हैं, यह
सब दुखी हैं.
इनसे सब किसान
शिकायत करते
हैं. आप
एमएसपी के ऊपर
फसल खरीद लो, तो यह
भावांतर की
दुकान बंद हो
जाये. यह
भावांतर की
दुकान लाकर के
आपने किसानों
के साथ धोखा
किया है.
किसानों को
आपने अंधेरे
की एक गली बता
दी है कि
ढूंढते रहो.
भावांतर
मिलेगा. किस
भाव से मिलेगा, कौन
से जिले में
किस भाव से आप
भावांतर की
योजना लागू
करेंगे.
इसका आपके पास, किसी के पास इसका जवाब नहीं है. आप बातें जरूर करते हैं यहां आकर के रैलियां निकाल रहे हो तो क्या रैलियां निकालकर के किसान का दु:ख कम हो जायेगा ? किसान की फसल आप एम.एस.पी पर क्यों नहीं खरीद रहे हो. आपने कहा था हम गेहूं भी एम.एस.पी पर खरीदेंगे, नहीं खरीद रहे हैं. हम डिफरेंसे देंगे, आज तक नहीं मिला. किसान रो रहा है. आप भावान्तर की बात कर रहे हो, कितने लोगों को मिला, जरा तुलसीराम जी खड़े होकर बता दो. आप ही कि विधान सभा का बता दो. केवल रैलियां निकालने से काम नहीं चलेगा..
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)- अध्यक्ष महोदय, ...
अध्यक्ष महोदय- नहीं, ऐसे आपस में वाद-विवाद मत करो. ऐसे आप भी मत पूछो. आप वरिष्ठ सदस्य हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत- मेरा निवेदन है आप बार-बार खड़े हो जाते हैं और कहते हैं कि लाभ मिल रहा है. किसानों को लाभ कहां मिल रहा है ? आप मुझे यह बताइये कि मक्का की फसल के लिये आपने एम.एस.पी की बात की. आप मक्का की फसल खरीद रहे हो, कितने पैसे में खरीदी जा रही है. प्रदेश में सेन्टर तय हुए हैं ? किसान मक्का बेचने के लिये कहां जायेगा, किसके पास जाये ना तो आपने सेंटर तय किये ना ही खरीदने की व्यवस्था की और ना ही आपने एम.एस.पी पर खरीदने के लिये कोई सिस्टम तैयार किया. किसान मक्का की फसल के लिये रो रहा है.
अध्यक्ष महोदय, दिक्कत यह है कि उसको जब सारे सिस्टम में से सहायता नहीं मिलती है तो वह औने-पौने दाम पर व्यापारियों को अपनी फसल बेच रहा है, समझ में नहीं आ रहा. हमारा किसान परेशान है तो कम से कम उसकी चर्चा करते समय तो आप संवेदनशील रहिये. वह नुकसान आदिवासी किसानों को हो रहा है. मक्का की खेती सबसे ज्यादा आदिवासी बेल्ट में होती है और सबसे ज्यादा परेशान आदिवासी किसान हो रहा है, ना ही सरकार उसकी फसल को एम.एस.पी पर खरीद रही है, ना ही उसका जो नुकसान हो रहा है उसका भाव दे रही है
अध्यक्ष महोदय, अभी अतिवृष्टि हुई. आज हम अतिवृष्टि पर ही चर्चा करना चाहते हैं. ( संसदीय कार्य मंत्री, श्री कैलाश विजयवर्गीय जी के अपने आसन से खड़े होने पर) कैलाश जी, अब आप कहां जा रहे हों, सुनो अब. भाग रहे हों आपकी सरकार की बात है तो भाग जाते हों. वैसे वह किसान के हितैषी हैं.
अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि मक्का की फसल का खरीदी का जो सिस्टम है उसे लागू करना चाहिये. सबसे ज्यादा परेशान आपका किसान मक्का के लिये हो रहा है.
संसदीय कार्य मंत्री( श्री कैलाश विजयवर्गीय)- मैं खाली आपकी जानकारी के लिये बता रहा हूं कि जब आप इधर थे तब भावान्तर योजना आयी थी और कांग्रेस ने किसानों को पेमेंट ही नहीं किया. हमने तो किसानों को करोड़ों रूपया बांट दिया. (हंसी)
श्री भंवर सिंह शेखावत- अब इधर-उधर की बात न कर, आप यह बताओ कि यह कांरवा लूटा कैसे ? (हंसी)
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, तब आयी थी लेकिन आप उसको अभी तक निरंतर क्यों नहीं रख रहे हैं. आपने मक्का पर भावांतर खत्म कर दिया. आप उसकी समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं कर रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- वैसे भावांतर में, सरकार मैं वैसे भी भावांतर योजना सबसे ज्यादा संसदीय कार्य मंत्री, कैलाश विजयवर्गी जी पर लागू हो रही है. इनका भाव ही नहीं आ रहा है.
श्री भंवर सिंह शेखावत- यह तो इधर की और उधर की, दोनों तरफ की बात करने लग जाते हैं. अब यह उधर से इधर आने का सिलसिला आपकी वजह से ही तो हुआ.
अध्यक्ष महोदय, बिजली की बात करते हैं और सरकार कह रही है ....
श्री कैलाश विजयवर्गीय- इधर से उधर भी मेरे कारण ही होगा, आप चिंता मत करो.
अध्यक्ष महोदय- इस पर अलग से विस्तार से चर्चा कर लेंगे.
श्री भंवर सिंह शेखावत- बिजली मंत्री जी यहां हैं नहीं, पता नहीं कहां गये. आप कहते हैं कि 10 घण्टे बिजली दे रहे हैं. आप मुझे बताइये, यहां पर सारे विधायक कांग्रेस और भाजपा के बैठे हैं. 10 घण्टे बिजली मिल कहां रही है. 6-7-8 घण्टे बिजली मिल रही है. यह बिजली की स्थिति है. आप किसान को 10 घण्टे बिजली नहीं दे रहे हो. आप बिजली देने की बात करते हो, फसल खरीदना नहीं चाहते.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री(श्री गोविंद सिंह राजपूत)- भंवर सिंह जी, आज आपको दिग्विजय सिंह जी याद हैं, भूलो मत. हमें याद है, हम उसी पीढ़ी के लोग हैं. आप भी उसी पीढ़ी के हो.
श्री भंवर सिंह शेखावत- सुरखी में तो बिजली मिल रही होगी. आपका तो वहां पर इतना दबदबा है, आपके दबदबे से तो 12 घण्टे बिजली मिल रही होगी. लेकिन दिक्कत यह है आज पूरे प्रदेश का किसान परेशान है. आप जरा संवेदनशील होकर के उसकी समस्याओं पर चर्चा होने दीजिये.
12.44
बजे
{ सभापति महोदय ( डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय, अब बारिश के मौसम की आपदाओं का सवाल आया, फसल बर्बाद हो गयी. किसान की फसलें बर्बाद हो गयी ना तो उसका सर्वे हुआ, न उसका भुगतान करने की कोई व्यवस्था तय हुई, न ही उसके नुकसान का प्रॉपर आंकलन हुआ.
माननीय सभापति जी, आप भी एक किसान परिवार से आते हैं. आपकी विधान सभा में भी वही समस्या है. अभी जब अतिवृष्टि हुई तो नीमच, मंदसौर, रतलाम और बदनावर यह पूरा बेल्ट बहुत प्रभावित हुआ. यहां के किसानों का नुकसान हुआ, लेकिन आज तक उनका सर्वे ठीक होकर के उनको भुगतान की राशि क्या दी जायेगी, कब दी जायेगी, इसका कोई आंकलन नहीं किया गया है. बैमोसम की बारिश तो होती ही है, यह प्राकृतिक आपदा है. यदि प्राकृतिक आपदा किसान पर आ जाये और वह सरकार की आपदा से तो पहले से ही परेशान हैं और फिर प्राकृतिक आपदा आने के बाद तो उसकी और दुर्गति हो गयी. कैलाश जी, कहां तो आपने संकल्प लिया था कि हम दोगुनी कर देंगे आमदनी किसानों की. दोगुनी तो छोड़िये उसकी मूल लागत का मूल्य, पैसा नहीं मिल रहा उसको. उसकी आमदनी तो दोगुनी होना बहुत दूर की बात है. भूल जाओ इस बात को. लेकिन उसकी फसल की लागत मिल जाये, समय पर मिल जाये और सम्मान पूर्वक मिल जाये. धक्के, चक्कर खाना पड़ रहे हैं सोसायटियों के. कहां गये हमारे सहकारिता मंत्री जी. सोसायटियों के 15 साल से चुनाव नहीं हुए और पिछले सत्र में सदन में जब हमने कहा था कि सोसायटियों के चुनाव कराइये, खाद, बीज की व्यवस्था सब बिगड़ रही है. खाद टाइम पर मिल नहीं रहा है. बीज टाइम पर दे नहीं पा रहे हैं. सोसायटियों के पास सामान नहीं है. 12 साल से सोसायटियों के चुनाव नहीं हुए हैं और पिछली बार जब सदन में यह बिल लाया गया प्रशासक बिठाने का. तब हमने कहा था आदरणीय कैलाश जी ने खड़े होकर कहा था कि मुझे नहीं मालूम, अगर ऐसा होता, तो मैं भी आपके साथ खड़ा होता. कैलाश जी, आपके सामने ही मैंने कहा था कि यह सोसायटियों के चुनाव नहीं करा करके सहकारिता की अंत्येष्टि की जा रही है इस सदन के अंदर. आज 12-12 साल से सोसायटियों के चुनाव नहीं हुए. मंडी के चुनाव नहीं हुए. किसान जायेगा कहां. मंडियों में किसानों की हालत क्या हो रही है, जरा देखिये. मेहरबानी करके इस सारे सिस्टम को सुधारने के लिये आप लोग कुछ करिये, आप सरकार में है. आपको मौका दिया है जनता ने और यह जनता ने तो नहीं दिया, आपने जबरदस्ती ले लिया इस बार का मौका. लेकिन चलो ले लिया. तब कम से कम किसानों का फायदा तो कर दीजिये. अब फसल की लागत नहीं मिल रही है. किसानों की फसल का, अब बीमा की हालत क्या है. कैलाश जी 7 हजार करोड़ रुपया बीमा कम्पनियों ने प्रीमियम के रुम में लिया है. 7 हजार करोड़ किसानों का और दिया कितना है मालूम है आपको. तुलसी भैया, सुन लो. 700 करोड़ रुपये में पूरे किसानों को निपटाया. बीमा का पैसा कितना किसानों को मिला है, जरा जाकर देखिये तो सही किसी एक खाते में 351 रुपये, किसी के खाते में 252 रुपये. 121 रुपये. उसका अपमान कर रहे हैं आप. फसल बीमा पूरा काट लेते हो. बीमा की राशि पूरी कम्पनियां लूट रही हैं, डकैती डाल रही हैं. किसानों का पैसा सरेआम लूटा जा रहा है.क्यों नहीं आपको इसको यह करते है कि भाई किसी किसान को अपना बीमा कराना है तो करायेगा, नहीं तो नहीं करायेगा. आपने इसमें क्यों तान रखा है पूरा मामला, उसके गले के ऊपर फांसी डाल दी है आपने. बीमा कराना कम्पलसरी है. बीमे का प्रीमियम आप पहले ही काट लेते हो और बीमे का भुगतान क्या होता है 7 हजार करोड़ रुपया लेने के बाद में बीमा कम्पनियों ने 700 करोड़ का भुगतान करके पूरे प्रदेश को निपटा दिया है. कितना बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है इसका मालूम है आपको. कितना पैसा लूटा गया है किसान का. एक एक किसान के साथ आप इतना अपमान कर रहे हो. 151 रुपये, 220 रुपये, 320 रुपये. मेरे यहां बदनावर में 5 किसानों के खाते में 51-51 रुपये आये. अब 51 रुपये किसी के खाते में किसी की फसल समाप्त हो रही है, पड़ोस के खेत वाले को मिल रहे हैं 5 हजार रुपये इसी पड़ोस की बागड़ के इस साइड वाले को मिल रहे हैं 51 रुपये. यह क्या तमाशा बीमा कम्पनियों ने किया है. इसका मतलब सीधा सीधा है कि आपकी जो सर्वे टीमें हैं, वह सर्वे नहीं कर रही हैं. सर्वे बराबर नहीं हो रहे हैं. भुगतान कैसे होगा. आप दे देना भुगतान, अभी टाइम आ रहा है. आप चिंता मत करो.
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री (श्री एदल सिंह कंषाना)-- मैं आपकी सारी बातों का उत्तर दूंगा.
श्री भंवरसिंह शेखावत-- आ जायेगा, आ जायेगा. आप इतने अधीर मत हो जाओ. यह देखिये, यह किसानों का चिट्ठा है. अब जब आप विधान सभा के दौरे पर जायेंगे ना तो आपको यही करना है. विधान सभा चल नहीं रही है. दौरे आपको विधान सभाओं में करना है. किसान तो पकड़ेगा, छोड़ेगा नहीं. किसान अब सड़कों पर निकलने वाला है. आज खलघाट पर बैठा है. कल सब जगह बैठना पड़ेगा उसको. आज खलघाट पर किसान क्यों बैठने पर मजबूर हो रहा है. इसीलिये बैठ रहा है ना. कांग्रेस और बीजेपी दोनों का किसान बैठ रहा है. आपका वोटर है वह. हमारा भी वोटर हो सकता है. लेकिन आप उसको वोटर समझ रहे हैं. वह अन्नदाता है. आप समय पर बिजली नहीं दे रहे हैं. समय पर उसकी फसल का मुआवजा नहीं दे रहे हैं. उसकी मक्का खरीद नहीं रहे हैं. उसको पैसा दे नहीं रहे हैं. उसका सर्वे कर नहीं रहे हैं. बीमा कम्पनियां उसको लूट रही हैं, आप उसको आंख मूंद करके देख रहे हैं. 7 हजार करोड़ रुपये बीमा कम्पनियां लूट ले जायें और 700 करोड़ रुपये में पूरे प्रदेश का बीमा फसल का निपट जाये. किसी सरकार के समय में इतनी अंधेरगर्दी हो सकती है क्या. आंख मूंद करके बैठे हैं आप लोग. पट्टी बांध कर रखी है और हम सब मिलकर इस जनता के साथ धोखा कर रहे हैं. 2 दिन का सदन, 3 दिन का सदन. विधायक अपनी बात कब करेगा. कहां पर जायेगा. अपनी चर्चा कैसे करेगा. क्या दिक्कत है आपको इस सदन का सत्र बढ़ाने के लिये. नेता प्रतिपक्ष जी ने आपको चिट्ठी लिखी अध्यक्ष महोदय को. लेकिन अभी तक उस पर कोई विचार नहीं हुआ. सारे विधायक चाहते हैं कि सत्र बढ़ाया जाये. किसानों की चर्चा हो. छात्र रो रहे हैं. वीआईटी कालेज आपका सीहोर के अन्दर. छात्रों की स्थिति क्या हो रही है. वह आंदोलन कर रहे हैं. तो सारी की सारी जो बातें हैं, आज मैं इस सदन के माध्यम से आपसे कहना चाहता हूं कि यह किसानों के साथ लगातार धोखा हो रहा है. किसानों की फसलों को एमएसपी पर पर खरीदना, सरकार मुकर रही है. भावान्तर योजना लगातार एक आंख पर पट्टी बांधे वाला काम है किसान के. किसान भावान्तर योजना को समझ ही नहीं पा रहा है.
किसान
भावान्तर
योजना को समझ
ही नहीं पा
रहा है उसमें
अलग अलग जिलों
में कलेक्टर
ने जो रेट्स
निर्धारित
करने की समय
सीमा तय की है,
वह किसान को
बताई नहीं जा
रही है, कृषि
मंत्री जी
बतायें अगर
आपके कोई
अधिकारी और
मंत्री बैठे
हो तो बतायें
कि कितने आपने
सेमीनार किये,
कितने
किसानों को
समझाया गया कि
भावान्तर
योजना यह है,
कौन कौन से
जिले में
कितने सेमीनार
हुये, किसानों
को भावान्तर
योजना का लाभ
कैसे मिलेगा,
क्या किसानों
को बताया सभापति
जी किसी किसान
को नहीं बताया
गया . कोई सेमीनार
नहीं हुये,
किसी किसान को
नहीं मालूम कि
भावान्तर
योजना में
मुझे कितने
पैसा मिलेगा,
यह सारी बाते
हैं, आज किसान
बाजार के रो रहा
है, जाकर के
देख लो, अभी
थोड़े दिन के
बाद में स्थिति
यह बन जायेगी
कि विधायक
दौरे पर निकलेंगे,
जनता डंडा
लेकर उनके
पीछे भागेगी
और विधायक को
आगे दौड़ना
पड़ेगा. य़ह
समझ लेना वह
दिन आने वाले
हैं. मत चूको,
जनता जिस दिन
अपनी वाली पर
आ जायेगी सबको
अपना सबक सिखा
देगी.
माननीय
सभापति महोदय,
मेरा निवेदन
है कि किसानों
के साथ में
होने वाले
अन्याय को
रोका जाये,
सरकार जो वचन
दे रही है
सरकार अपने
वचन को पूरा
करे.एमएसटी पर
किसानों की
फसलें खरीदी
जायें,
आदिवासियों
की मक्का खरीदी
जाये और बीमा
कंपनी के बारे
में फिर से
निवेदन कर रहा
हूं, बीमा
कंपनियों पर
लगाम कसिये, बीमा
कंपनियां
किसानों को
सरेआम लूट रही
हैं, किसान की
जेब पर डाका
डाला जा रहा
है, 7-7 हजार करोड़
रूपये वसूलते
हैं, 700 करोड़ में
निपटा देते
हैं, जिसमें 6
से 7 हजार करोड़
रूपये का
घोटाला , लूट
ले गये, किसान
रो रहा है और
बीमा
कंपनियां फल
फूल रही हैं,
यह तमाशा बंद
करवाईये आप
लोग और किसान
को जो नुकसान
ओलावृष्टि के
अंदर हुआ है
उसकी पूर्ति
करें, उसके
नुकसान का सही
आंकलन करें,
उस गरीब के
आंसू पोंछने
का काम करिये
फिर जनता आपके
ऊपर भरोसा
करेगी और नहीं
तो भरोसा तो
आपके ऊपर से
उठ ही गया है.
भारत माता की
जय.
श्री
उमंग सिंघार--
माननीय
सभापति महोदय,
बहुत ही गंभीर
विषय पर सदन
में चर्चा चल
रही है. और हम
और आप सदन में
देख रहे हैं
अधिकारी
दीर्घा में न
राजस्व विभाग
के अधिकारी
उपस्थित हैं न
किसान कल्याण
एवं कृषि
विकास विभाग
के अधिकारी
उपस्थित हैं.
राजस्व
मंत्री जी और
कृषि मंत्री
जी से अनुरोध
है कि इतने
गंभीर विषय
पर, किसानों
के विषय पर
सदन में चर्चा
चल रही है, मुआवजा
या ओलावृष्टि
से हुये
नुकसान पर
चर्चा चल रही
है तो सरकार
की गंभीरता
इसी बात पर
दिख रही है कि
इन विभाग के
आला अधिकारी
दीर्घा में
उपस्थित नहीं
हैं.
सभापति
महोदय-
संबंधित
विभाग के
अधिकारी दीर्घा
में उपस्थित
हैं.
श्री
बाला बच्चन--
सभापति महोदय,
देखिये सरकार
किसानों के
प्रति कितनी
असंवेदनशील
है , कोई आला
अधिकारी
दीर्घा में
नहीं है. यह
मंत्रिगणों
को देखना
चाहिये, अभी
क्या स्थिति
दीर्घा की है
आप स्वयं देख
लीजिये. यह
उचित नहीं है.
सभापति
महोदय- माननीय
मंत्री भी
अनुभवी हैं.
श्री
रामेश्वर
शर्मा(हुजूर) --
माननीय
सभापति महोदय,
इस
महत्वपूर्ण
विषय पर चर्चा
के लिये आपने
मुझे समय दिया
उसके लिये
धन्यवाद.
श्री
महेश परमार--
रामेश्वर
भैया जय
महाकाल, जय
सिया राम, जय
जवान-जय
किसान, आज
किसानों को प्याज
के दाम मिलना
चाहिये.
सभापति
महोदय- परमार
जी कृपया
बैठें.
श्री
रामेश्वर
शर्मा-- जय जवान-
जय किसान- जय
विज्ञान.
माननीय
सभापति महोदय,
इस विषय पर
माननीय उमंग
सिंघार जी के
साथ में मैंने
भी अनुरोध
किया था.
किसानों के
हित में भारत
सरकार,
मध्यप्रदेश
सरकार अनेक
महत्वपूर्ण
निर्णय ले रही
है. इसमें कोई
दो राय नहीं
है कि उन निर्णय
से किसानों का
भला भी हो रहा
है.पहली बार 15 अगस्त,1947
को अगर पहले
प्रधानमंत्री जी का
भाषण भी हुआ
होगा तो उसमें
यह कहा था कि कृषि
प्रधान मेरा
भारत देश है
और किसान
हमारा अन्न
दाता है.
लेकिन तब से
लेकर यह
राजनैतिक यात्रायें
सत्ता की अदला
बदली की
यात्रायें चलती
रहीं. भारत
में एक प्रधान
मंत्री आज के
समय में ऐसे
आये
जिन्होंने कम
से कम किसान
सम्मान निधि
करके एक निधि
जारी की जो
प्रत्येक
किसान तक वह
निधि मिल रही
है. यह
हमारे लिये
बड़ी
उपलब्धता है.
मैं किसी सरकार
को गाली नहीं
दे रहा ,
किसानों की
चिंता करना हम
सबकी नैतिक
ड्यूटी है .
मैं माननीय
भंवर सिंह
शेखावत जी की
कई बातों से
सहमत हूं
क्योंकि यह
बात सही है कि
हम किसान को
भावान्तर दे
रहे हैं तो
हमारी नैतिक
ड्यूटी है कि
हम किसानों को
यह बतायें कि
किस चीज में
हम कितना
भावान्तर दे
रहे हैं, अगर
तुम्हारी
मक्का बाजार
में कोई 1200
रूपये में
खरीद रहा है
और हमने 1600
रूपये उसकी एमएसपी
तय की है तो 400
रूपये का जो
बीच का
भावान्तर है
वह तुम्हारे
खाते में
जायेगा, यह
किसान को
बताना हमारे
अधिकारियों
का भी काम है,
हम
जनप्रतिनिधियों
का भी काम है.
यह ऐसा नहीं
है कि हम पक्ष
या विपक्ष में
बैठे हैं, या
किसी को यह
बात बरगलाने
के लिये कह
रहे हैं, बल्कि
हम सबकी
ड्यूटी है.
किसान के लिये
न मैं वोटर
मान सकता न आप
वोटर मान सकते
हैं, आज मैं इस
सदन में खड़ा
हूं या यह देश
अपने पैरों पर
खड़ा है तो
मेरे किसान के
बलबूते पर
खड़ा है , इसको
आपको और हमको
सबको स्वीकार
करना पडेगा.
माननीय
सभापति महोदय, आज
हम किसान की
इन भावनाओं का
सम्मान करते
हैं और मैं
डॉक्टर मोहन
यादव जी को
हृदय से
धन्यवाद देता
हूं कि
उन्होंने इस
बात को कहा कि
अतिवर्षा
होने के कारण
कहीं पर फसल
चौपट हुई है.
अतिवर्षा होने के कारण कई जगह फसल चौपट हुई है. सरकार के अनेक जनप्रतिनिधि, अनेक मंत्रीगण मौके पर गए, विपक्ष के लोग भी गए. यह बात सही है कि जब प्राकृतिक आपदा आती है ऐसी स्थिति में हम भगवान से नहीं लड़ सकते हैं. प्रार्थना ही कर सकते हैं. यह बात भी उतनी सत्य है कि हम सभी के सिर पर अपनी अपनी बनाई हुई छत होती है केवल किसान ही ऐसा है जो परमात्मा की छत के नीचे रहता है और परमात्मा से प्रार्थना और दुआ करता रहता है. किसान को उस समय बचाना और सहयोग करना, सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. यह बात सही है कि हमें बीमा कम्पनियों को, मैं माननीय कृषि मंत्री और राजस्व मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि बीमा कम्पनियों को यह निर्देश होना चाहिए. पटवारी, आरआई, तहसीलदार, एसडीएम जाते हैं लेकिन बीमा कम्पनियों के लोगों को भी तुरंत जाना चाहिए. अगर किसान की फसल चौपट हुई है. हमने उसके बीमा का पैसा जमा किया है हर हालात में उसे मुआवजा दिलाया जाना चाहिए. मैं यह आग्रह करता हूँ. हालांकि मैं आपको बधाई भी देना चाहता हूँ कि पिछली बार हमारी सरकार ने लगातार 16-16 सौ करोड़ रुपए, 7-7 हजार करोड़ रुपए बीमा कम्पनियों से दिलाए हैं. सभापति महोदय, यह बीमा कानून आज लागू नहीं हुआ है.
श्री अभय मिश्रा -- सभापति महोदय, यह शब्दों का जलपान करा रहे हैं.
सभापति महोदय -- अभय जी कृपया व्यवधान न करें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- अभय जी, आपने भी तो कुछ दिन इधर जलपान किया है. अभी उधर पान कर लो फिर इधर जलपान करोगे. दाएं-बाएं से आ तो रहे ही हो ना. अभय जी नेता प्रतिपक्ष की बात तो मान लिया करो.
सभापति महोदय -- आपस में चर्चा न करें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- किसी दल में किसी की तो मागोगे कि उचकते ही रहोगे.
सभापति महोदय -- रामेश्वर जी अपनी बात कहें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- सभापति महोदय, यह सरकार किसी को किसानों का एक पैसा तक नहीं खाने देगी. यह वह सरकार है जो किसानों का पैसा खाएगा उससे डंडे मारकर वसूलकर किसान को दिलाएगी. यह डॉ. मोहन यादव की सरकार है. किसानों का पैसा नहीं खाने देंगे. आपको तो माननीय पता है सरकार कितनी सख्त है. आपको तो व्यक्तिगत तौर पर भी पता है कि यह सरकार बहुत सख्त है. यह सरकार नहर पर बनने वाली सड़क के बारे में भी जानती है और सड़क में मिलने वाले डामर के बारे में भी जानती है और कम मिलाने वाले का इलाज भी सरकार जानती है. यह सबको पता है.
श्री अभय मिश्रा -- आपके यहां भी पूरे इसी में लिप्त हैं. यह सच बोलने से आप नहीं रोक सकते हैं. यह गलत तरीका है, गलत परम्परा है. हम जनता से चुनकर यहां आते हैं. आप क्या डामर बता रहे हो. बेमतलब की बातें करते हो, स्तरहीन बात कर रहे हो.
सभापति महोदय -- अभय जी कृपया बैठें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- सभापति महोदय, इनका डामर से क्या संबंध है. आपका डामर से क्या संबंध है. हम आपसे माफी चाहते हैं. क्या आजकल आप डामर बना रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- सभापति महोदय, इसे विलोपित करा दें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- फिर आप क्यों बोल रहे हो डामर. डामर तो लगता है, सड़कें बनानी पड़ती हैं.
श्री उमंग सिंघार -- सभापति महोदय, किसानों पर बात हो रही है या डामर पर बात हो रही है.
सभापति महोदय -- रामेश्वर जी आप अपनी चर्चा जारी रखें.
श्री उमंग सिंघार -- सभापति महोदय, मेरा आपसे अनरोध है कि इसे विलोपित करा दें. डामर की बात विलोपित होना चाहिए. यह विषय नहीं है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- सभापति महोदय, मैं हमारे नेता प्रतिपक्ष महोदय के बारे में बहुत अच्छा जानता हूँ. नेता प्रतिपक्ष जितने अच्छे आदमी हैं, भले आदमी हैं. मध्यप्रदेश की सरकार वह सरकार है जिसने खेत सड़क बनाकर किसान के खेत तक डामर पहुंचाने का काम किया है. यह बात मैं बोलता हूँ तो अभय जी डामर में उलझ जाते हैं.
सभापति महोदय -- मेरा सभी माननीय सदस्यों से आग्रह है कि अतिवृष्टि और बाढ़ से संबंधित चर्चा है. इस पर माननीय अध्यक्ष महोदय ने अनुमति दी है. महेश जी, हिरालाल जी कृपया आप सभी बैठें.
डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय सभापति महोदय, खेत सड़क योजना पिछले दो साल से बंद है.
सभापति महोदय -- कृपया अन्य विषय सम्मिलित न करें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- सभापति महोदय, एक योजना कांग्रेस में चल रही है. हमारे भंवरसिंह शेखावत जी की बात का मैं समर्थन नहीं कर पाऊं इसलिए यह विरोध कर रहे हैं और भवंरसिंह जी को परेशान करने की योजना बना रहे हैं. मैं तो आपकी बहुत सी बातों का समर्थन करना चाहता हूँ. लेकिन आपके ही लोगों ने इतनी उछलकूद कर दी, माननीय सभापति जी.
माननीय सभापति महोदय, जहां लगता है कि यह गरीब कल्याण की बात है, यह किसान की बात है, यह मजदूर की बात है, यह बेटी की बात है, यह छात्रों की बात है. सरकार निर्णय लेने में संकोच नहीं करती है. यह डॉक्टर मोहन यादव की सरकार है. हमने हर मामले में निर्णय लिये हैं. आपने जब भी किसी भी मामले में सवाल किया है उस सवाल का जवाब दिया है, लेकिन मैं फिर आग्रह कर देना चाहता हूं कि बीमा कंपनियों को हमें सख्त निर्देश देने होंगे. बीमा कंपनियों को कंपनियों को पैसा दिया है और यदि एक की मोटरसाइकिल जलती है तो मोटरसाइकिल की कीमत तय होकर उसे उसकी कीमत मिलती है तो किसान की फसलों की कीमत भी बीमा कंपनियों को देना चाहिए. मैं आज सरकार से यह मांग करता हूं. भारत सरकार की अनेक योजनाएं हैं. बिजली के बिलों से किसान वास्तव में परेशान हो जाता है क्योंकि जब मोटर चलती है, पंप चलता है तो बिजली का बिल आता है, लेकिन मैं डॉ. मोहन यादव जी को बधाई देता हूं कि यह पहली सरकार है जिसने तीस हजार से अधिक किसानों को सौर ऊर्जा पंप सब्सिडी पर देने का तय किया है. मैं किसानों की तरफ से मुख्यमंत्री जी का हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं. एक तरफ सरकार किसानों को सहयोग कर रही है, किसानों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए सरकार लगातार प्रयत्न कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ यह बात भी सही है कि जब प्राकृतिक आपदा आती है चारों तरफ से बादल घिरते हैं चाहे हमारी सोयाबीन की फसल हो, चाहे धान की फसल हो, चाहे मक्का की फसल हो. कुछ समय पहले जो लास्ट बारिश हुई उसमें हमारे क्षेत्र में ही ऐसी स्थिति थी कि धान कमर-कमर तक थी, लेकिन थोड़ी बारिश आने के कारण धान गिर गई और धान गिरी तो उसमें थोड़ा कालापन आ गया. कालापन आ गया तो कई कंपनियां धान खरीदने में थोडी सी आनाकानी करेंगी.
सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से आग्रह करना चाहता हूं कि मंडियों को या जो प्राईवेट भी धान खसरीदना चाहते हैं उसमें हो सकता है कि उसके रंग में थोड़ा सा अंतर आया हो पर किसान की फसल हर कीमत पर खरीदी जाना चाहिए यह निर्देश डॉक्टर मोहन यादव जी के हैं पर उसे जमीन पर लागू करना है तो अधिकारी वर्ग इसको लागू करे मैं ऐसा आग्रह करना चाहता हूं. आज यह बात सत्य है कि किसानों की परेशानियों से पूरी भारत सरकार एकदम चिंतित है. माननीय प्रधानमंत्री जी से लेकर, माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय कृषि मंत्री जी सभी किसानों के हित में चिंता कर रहे हैं. इनके लोग भी किसानों के बारे में चिंता करते हैं. यह लोग भी समय-समय पर किसानों के लिए सुझाव देते हैं. आलू से सोना कैसे बने इस योजना पर भी यह लोग भी समय-समय पर अपने सुझाव देते हैं.
श्री उमंग सिंघार-- आपने प्याज से शैम्पू तो बताया ही नहीं कि कहां बना है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- यह हमारे मित्र हैं.
सभापति महोदय-- उमंग जी जब आपका समय आएगा तब आप अपनी पूरी चर्चा रख दीजियेगा. रामेश्वर जी आप अपनी बात जारी रखें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- नेता प्रतिपक्ष जी मैं खेती से भी संबंध रखता हूं और प्याज का शैम्पू कहां बन रहा है तो बगरौदा में बन रहा है. अगर आप सभी लोग चाहते हैं तो मैं कुछ लोगों को दे सकता हूं सबको तो खरीद के शैम्पू नहीं दे सकता. आप लोगों को दूसरों के ही शैम्पू लगाने की आदत हो तो बात अलग है.
श्री आरिफ मसूद-- सभापति महोदय.
श्री रामेश्वर शर्मा-- अरिफ मसूद जी आप शैम्पू में मत कूदो.
सभापति महोदय-- कृपया कर आप आपस में चर्चा न करें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- आरिफ मसूद जी आप शैम्पू के मामले में न बोलिये और इसलिए शैम्पू बन रहा है और उपलब्ध है. कल अगर माननीय सभापति महोदय अनुमति दें और माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी अनुमति देंगे तो इसी सदन में प्याज का शैम्पू लाकर उमंग सिंघार जी को कल 11.00 बजे यहां पर सदन में दूंगा. मैं अनुमति चाहता हूं. कहां जा रहे हो उधर नहीं यहां दूंगा.
सभापति महोदय-- आप संसदीय कार्यमंत्री जी से चर्चा कर लें और अपने विषय पर चर्चा जारी रखें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- सभापति महोदय, मैं एक आग्रह करना चाहता हूं कि सरकार की सक्रियता किसानों के हित में जो लगातार बढ़ रही है उसको और बढ़ाने की आवश्यकता है. प्राकृतिक आपदाओं से हम कैसे लड़ सकें उसका कौन-कौन सा वैज्ञानिक तरीका हो सकता है. यह बात सही है कि जब अति वर्षा होती है तब हम घरों को नहीं बचा पाये कई जगह तो बिल्डिंग की बिल्डिंग खत्म हो गई लेकिन इस समय किसानों को तत्काल मुआवजे की उपलब्धता हो जाए.
तत्काल
किसानों के
लिए किसी और
प्रकार के
मुआवज़े की व्यवस्था, यदि
सरकार कर सके
तो मेरा यह
आग्रह माननीय
मुख्यमंत्री
जी एवं कृषि
मंत्री जी से
है.
किसानों के
हित में हमारी
सरकार
भावांतर और अन्य
सभी योजनाओं
पर कार्य कर
रही है, उन सभी
के लिए, मैं,
सरकार को धन्यवाद
देना चाहूंगा.
भारत के
प्रधानमंत्री
जी को भी धन्यवाद
देना चाहूंगा
क्योंकि
भारत सरकार
लगातार कृषि
के क्षेत्र में
काम कर रही है.
मैं, उम्मीद
करता हूं कि
किसानों के
हित में जल्दी
से जल्दी
निर्णय लिये
जायें, तुरंत
निर्णय लिये
जायें, इसकी
बहुत आवश्यकता
है. इस दिशा
में भी सरकार
कार्य करेगी
ऐसा मेरा आग्रह
है,
धन्यवाद.
सभापति
महोदय- श्री
यादवेन्द्र
सिंह जी.
श्री
यादवेन्द्र
सिंह (टीकमगढ़)-
सभापति
महोदय, आग्रह है
कि मुझे अभी
कार्यमंत्रणा
समिति की बैठक
में उपस्थित
होना है.
सभापति
महोदय-
ठीक है. श्री
दिनेश गुर्जर
जी.
श्री
दिनेश गुर्जर (मुरैना)-
सभापति
महोदय, मुरैना
जिले में अभी
कुछ दिनों
पूर्व जो वर्षा
हुई है, उसके
कारण धान की
फसलें सौ
प्रतिशत नष्ट
हो गई हैं.
किसानों को
समय पर खाद
नहीं मिल रही
है.
सभापति
महोदय-
माननीय सदस्य
का भाषण जारी
रहेगा. सदन की
कार्यवाही
अपराह्न 3.00 बजे
तक के लिए स्थगित
की जाती है.
(1.07
बजे
से 3.00 बजे तक
अंतराल)
3.05
बजे
(अध्यक्ष
महोदय (श्री नरेन्द्र
सिंह तोमर) पीठासीन
हुए.)
श्री
दिनेश गुर्जर - माननीय
अध्यक्ष महोदय, मुरैना
विधान सभा
क्षेत्र और
मुरैना जिले
में अधिक
वर्षा के कारण
जो किसानों की
फसलें नष्ट
हुईं, धान की
फसल नष्ट हो
गई, वहां
सरसों की
बुवाई भी नष्ट
हुई और अभी कई
खेतों में
पानी भरा हुआ
है. गेहूँ की
फसल की बुवाई
भी नहीं हो पा
रही है. किसानों
को खाद समय पर
नहीं मिल पाया, किसानों
की बिजली काटी
जा रही है.
हमने इस संबंध
में जिला
प्रशासन से
बात की थी, कई पटवारियों
ने सर्वे किए, कई
पटवारियों ने
सर्वे नहीं
किए.
मुरैना जिले
का यह सौभाग्य
है कि प्रदेश
के राजस्व
मंत्री
मुरैना के
प्रभारी हैं
एवं कृषि मंत्री
भी मुरैना से
आते हैं, तो
मेरा दोनों
माननीय
मंत्रियों और
माननीय मुख्यमंत्री
जी से भी
आग्रह है कि
मुरैना जिले
और मुरैना
विधान सभा
क्षेत्र के
किसानों की
फसलों का जो
नुकसान हुआ है,
उसका शीघ्र
मुआवजा उन्हें
दिया जाये, जिससे
किसान जो इस
समय आर्थिक
तंगी से जूझ
रहे हैं और
इससे पहले जो
बारिश हुई थी,
जिसके कारण
बाजरे की फसल
नष्ट हुई थी, आज
दिनांक तक
उसका भी
मुआवजा
मुरैना जिले
के किसानों को
नहीं मिला है.
मेरी आपके
माध्यम से मध्यप्रदेश
सरकार से यह
मांग है कि
मुरैना जिले और
मुरैना विधान
सभा क्षेत्र
के किसानों की
जो फसलें नष्ट
हुई हैं, उसका
अधिक से अधिक
मुआवजा
किसानों को
दिलाया जाये.
यह मैं आपके
माध्यम से
सरकार से मांग
करता हूँ.
श्री
यादवेन्द्र
सिंह
(टीकमगढ़) - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, खरीफ
की फसल के समय
पूरे प्रदेश
में अतिवृष्टि
हुई थी, खासकर
बुन्देलखण्ड
में. अतिवृष्टि
के कारण किसान
जो अपनी फसलों
की समय पर बोवनी
नहीं कर पाये और जिन
किसानों को
मौका मिला, उन्होंने
बोवनी कर भी
दी, तो
फिर बारिश आई
और उसके कारण
फसलें नष्ट
हो गईं. एक बार
नहीं, दो-दो बार
नहीं और
कहीं-कहीं तो
तीन बार फसलें
बर्बाद हुईं
और मैंने इस
संबंध में
माननीय मुख्यमंत्री
जी को पत्र
लिखा और कलेक्टर
को तो कई बार
मैसेज किया
है. श्री
कैलाश जी,
कार्यमंत्रणा
समिति की बैठक
में थे, वहां पर
मैंने यह
प्रस्ताव
रखा है कि
बुन्देलखण्ड
में
अतिवृष्टि
हुई है. मुख्यमंत्री
जी ने आश्वासन
दिया है कि हम
बहुत जल्द सर्वे
कराएंगे.
लेकिन
टीकमगढ़ जिले
में रत्ती भर
भी सर्वे
कार्य नहीं
हुआ है, कहीं पर
भी नहीं हुआ.
उस फसल का न
कोई मुआवजा मिला, न
कोई राशि मिली
और न ही कोई कम्पनसेशन
मिला और किसान
खरीफ की फसल
से पूरी तरह
से बर्बाद हो
गया. अब
जब रबी की फसल
बोने का मौका
आया तो रबी
की फसल का आलम
यह है कि
सरकार न तो
खाद दे पाई.
हमारे
टीकमगढ़ में
केवल 5 हजार
मीट्रिक टन खाद
का स्टॉक था,
डबल लॉक में
और हमारी
डिमाण्ड ही 30 हजार
मीट्रिक टन
थी. जैसे
किसान अगर
यूपी से लाये
तो पुलिस ने
परेशान किया
और कहीं दूसरी
जगह से लाये
तो भी पुलिस वालों
ने परेशान
किया. वैसे
किसी भी हालत
में पूरी खाद
हमें समय पर
नहीं मिली, तो
यह वाली फसल
भी हमारी
पिछड़ गई.
सबसे बड़ी बात
तो यह है कि
कृषि मंत्री
जी जब
आपको
यह मालूम है
कि टीकमगढ़
जिले में
फर्टिलाइजर
की रिक्वायरमेंट
क्या है ? हर
वर्ष यह समस्या
आती क्यों
हैं ? आप
पहले से व्यवस्था
करके क्यों
नहीं रखते हैं
?
अगर आप पहले
से व्यवस्था
कर लें, डबल
लॉक में जितनी
फर्टिलाइजर
की आवश्यकता
है,
उतनी
फर्टिलाइजर
मंगवाकर रख
लें, तो
किसान परेशान
न हों और उनकी
परेशानी दूर हो
जाये. अगर
खाद मिल
जायेगी, तो उसे
खेती करने के
लिए समय मिल
जायेगा, अब जैसे
तैसे खेती हो
भी गई. अब नया
संकट है, अभी
ऊर्जा मंत्री
उपस्थित नहीं
हैं,
बिजली की समस्या
विकराल है.
मुख्यमंत्री
जी की घोषणा
है कि हम खेती-किसानी
के काम के लिए 10 घण्टे
बिजली देंगे.
माननीय अध्यक्ष
महोदय आप खुद
जांच करवा लें
कि पांच-छह
घण्टे से ज्यादा
वहां बिजली
नहीं मिल रही
है. ऐसी
स्थिति में
आपको तत्काल
व्यवस्था
करनी चाहिए कि
क्योंकि
खरीफ की फसल
का मारा हुआ
किसान है. रबी
की फसल में भी
परेशानी में
है और आप इधर
भावान्तर की
बात कर रहे
हैं. हम
भावान्तर दे
रहे हैं, तो न तो
मक्का की
खरीद हो रही
है,
धान की फसलें
भी बर्बाद हो
रही हैं. धान
की फसल की भी
कहीं पर खरीदी
नहीं हो रही
है. मेरी समझ में
आज तक यह नहीं
आ रहा है कि
बुन्देलखण्ड
में कहां पर
खरीदी हो रही
है ? बाकि हमें
यह नहीं पता
है और दूसरी
जगह क्या हो
रहा है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, अकेले उड़द की फसल खराब हो गई, तिलहन की फसल खराब हो गई, जिसका आपने सर्वे नहीं कराया. इसलिए इसका सर्वे आपको करवा लेना चाहिए. यह हमारा आपसे अनुरोध है. दूसरा, श्री शिवराज सिंह चौहान जी, जो भारत सरकार में कृषि मंत्री हैं. उन्होंने सीहोर की यात्रा के दौरान यह कहा था कि एक किसान को 0.004806 प्रतिशत क्लैम की राशि दी गई है. अध्यक्ष महोदय, यह कितनी राशि होगी. जो खुद इस प्रदेश के मुखिया रहे हों, खुद भारत सरकार के कृषि मंत्री हों, वे जब इसके ऊपर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं कि फसल बीमा की पर्याप्त राशि किसानों को नहीं दी जा रही है. मैं समझता हूँ कि इससे दुर्भाग्य की बात और कुछ हो नहीं सकती. इसके ऊपर विचार होना चाहिए और तत्काल आपको राहत राशि बांटने का काम करना चाहिए. मेरा पत्र भी है. मैंने जो मुख्यमंत्री जी को पत्र सौंपा था, उसमें हमें यही आश्वासन मिला था कि हम जल्दी से जल्दी सर्वे कराएंगे. यह मैंने फसल बीमा की जो राशि बंटी है, उसके बारे में बताया है. शिवराज सिंह जी ने खुद कोट किया है कि इतना क्लैम मिला है. वे खुद नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं. इसके बावजूद भी सरकार के कान में जूँ नहीं रेंग रही है. यह बात मेरी समझ में नहीं आ रही है. अत: हमारा निवेदन है कि यह बहुत बड़ा कष्ट है. आप एमएसपी दे नहीं पा रहे हैं. आप खरीदी कर नहीं पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय मुख्यमंत्री जी ने फिर कह दिया कि हम सरकारी रेट पर खरीदी नहीं कराएंगे. अगर किसान की फसल की आप खरीदी नहीं कराएंगे तो किसान अपनी फसल कहां बेचेगा. फिर किसान व्यापारी के पास बेचेगा. उसके ऊपर आपने कोई गारंटी दी नहीं है. जब वह किसान व्यापारी के पास बेचेगा तो व्यापारी औने-पौने भाव में खरीदेगा. व्यापारी वह रेट तो देगा नहीं जो सरकार की घोषणा है. भारत सरकार कह रही है कि पीडीएस के लिए जितने गेहूँ की आवश्यकता है, उतना आप खरीद लो. उसके अलावा हम आपका गेहूँ नहीं खरीदेंगे. किसान का गेहूँ खरीदेंगे नहीं. आप जब सत्ता में आए थे तो आपने कहा था कि हम कृषि को लाभ का धन्धा बनाएंगे. अब हम आपसे पूछ रहे हैं कि कहां पर कृषि लाभ का धन्धा बन रही है. जब सारे सिस्टम आप बंद कर देंगे तो कहां से किसान को लाभ मिलेगा. कौन खरीदेगा. आप मजबूर कर रहे हैं. सरकार मजबूर कर रही है किसानों को कि केवल आप अडानी के जो खरीदी सेन्टर हैं, उनके ऊपर बेचो, इसके अलावा आपके पास कोई उपाय नहीं बचा है. सरकार किसानों को कोई मदद नहीं करना चाहती. किसानों को अपने हाल पर आपने छोड़ दिया है तो हमारा निवेदन है कि आप जल्दी से जल्दी सर्वे कराएं. फर्टिलाइजर की पूरी व्यवस्था कराएं और बिजली की व्यवस्था भी कराएं. अगर बिजली नहीं देंगे तो इस फसल में भी किसान बर्बाद हो जाएगा. धन्यवाद.
श्रीमती रीति पाठक (सीधी) -- धन्यवाद आदरणीय अध्यक्ष महोदय. किसानों पर ही चर्चा हो रही है और मुझे लगता है कि केन्द्र के मुखिया आदरणीय यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के माध्यम से और जिस प्रदेश में हमें काम करने का अवसर मिला है और हमारा जन्म हुआ है, उस प्रदेश के मुखिया के माध्यम से किसानों के लिए जिस तरह से सोचा गया और जिस तरह से विचार किया गया और जिस तरह से कार्य योजनाएं बनाई गईं, निश्चित रूप से अविस्मरणीय है. मुझे इसके लिए खुशी हो रही है कि मुझे इस विषय पर बात करने का अवसर मिला है.
अध्यक्ष महोदय, इस सदन में बहुत सारी बातें आईं और निश्चित रूप से विपक्षी दल के हमारे जनप्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी बातों को रखा. बातें रखने के समय में सिर्फ इसलिए बातें न रखी जाएं कि वे विपक्ष से हैं और विरोध करना उनका कर्तव्य है. आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि इस देश के विकास में जिन्होंने भी अपना योगदान किंचित मात्र भी दिया है. हमेशा उन नामों को याद रखना चाहिए और उनको सम्मान देना चाहिए. मैं ऐसा मानती हूँ कि हमारे देश में 60 प्रतिशत लोग सिर्फ और सिर्फ किसानी पर निर्भर हैं. किसान हमारे अन्नदाता है और किसानों का सम्मान करना हम सबका पूर्णरूपेण कर्तव्य होता है. मैं यह नहीं कहती कि इससे पहले कभी भी सरकारों ने किसानों के लिए कुछ सोचा नहीं. सोचा, पर जिस स्तर पर सोचना चाहिए था, उस स्तर पर नहीं सोचा. जब ये अवसर हमारे दल को, हमारे नेतृत्व को मिला है तो उन्होंने किसानों के लिए विशेष रूप से कार्य योजना बनाई है. निश्चित रूप से इसका स्वागत करना चाहिए और इसका सम्मान भी करना चाहिए. मैं बात कर रही हूं अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की, यह योजना सिर्फ योजना नहीं है कि जिसके तहत् हमारे किसानों को कुछ राशि वितरित कर दी जाए और किसानों का जीवन सुगम एवं सरल हो जाये यह योजना हमारे किसान भाईयों के लिये देशवासियों की ओर से कृतज्ञता व्यक्त करने के लिये यह योजना है. हमारे किसान भाईयों का सम्मान हो यह योजना उस दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती है. उनको आर्थिक रूप से मजबूती मिले. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना उस दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती है. खेती,किसानी को एक स्थिर आधार मिले इसका आशय सिर्फ और सिर्फ यही है. उनकी आय बढ़े.खेती लाभ का धंधा बने और अन्नदाता हमारे देश में प्रदेश में स्वावलंबी बने और जब अन्नदाता स्वावलंबी होगा तब हमारा देश स्वावलंबी होगा आत्मनिर्भर होगा. 2047 का आत्मनिर्भर भारत तब अपने पद को प्रगतिशील कदमों की ओर आगे बढ़ाएगा और उसके चरण को प्राप्त करेगा. अध्यक्ष महोदय, मैं ज्यादा नहीं कहना चाहती पर कुछ समय पहले मैं जरूर जाना चाहती हूं क्योंकि सामान्य रूप से हम सब कहीं न कहीं ग्रामीण क्षेत्रों से संबंध रखते हैं. एक जनप्रतिनिधि होने के नाते जब जनता हम पर विश्वास करती है तो हमारा कर्तव्य होता है कि सबसे पहले जमीनी स्तर पर जमीनी विषयों पर हम बात करें और उस पर काम करें तो जब जमीन की बात आती है तो किसान से बड़ा जमीनी व्यक्ति हमें अपने चारों ओर दिखाई नहीं देता. कुछ सालों पहले जब किसी अन्य राजनीतिक दल की सरकार होती थी आप भी जानते हैं हम भी जानते हैं कि किसान बीज के पैसे कि लिये तरसता था अभी जो ये डिजास्टर्स की प्राकृतिक अव्यवस्था की बात हो रही है निश्चित रूप से प्रकृति पर और ईश्वर के उस निर्णय पर किसी का भी उसमें योगदान नहीं है परन्तु मैं ऐसा मानती हूं कि बहुत सारी चीजें हम माध्यम बनकर उसको ठीक कर सकते हैं. कुछ सालों पहले जब किसान खेती किया करता था प्राकृतिक अव्यवस्था के कारण उसकी खेती नष्ट हो जाया करती थी तो उसके सामने सिर्फ और सिर्फ एक चारा रह जाता था कि वह अपने आपको मृत्यु की ओर अग्रेषित करे और उसके पीछे छूटता था तो रोता बिलखता परिवार छूटता था
आज हमारी
सरकार ने
किसानों की उस
दुर्दशा को देखा,समझा
है और
संवेदनात्मक रूप
से ऐसी कार्य
योजनाएं
तैयार की हैं
जो आज जमीनी
स्तर पर परिणित हो
रही हैं.
किसान अपने आप
को खुशहाल महसूस
कर रहा है. 24
जनवरी,2019 को
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र भाई
मोदी जी ने एक
योजना की
शुरुआत की उस योजना
का नाम है
प्रधानमंत्री
किसान सम्मान
निधि
योजना,अध्यक्ष
महोदय, कहते
हुए यह भी
बहुत खुशी हो
रही है कि दुनियां
में सबसे बड़ी
अंतरण डीबीडी
के माध्यम से
जिस राशि को अंतरित
किया गया इस
योजना का नाम
उसमें बखूबी आता
है. आदरणीय
प्रधानमंत्री
जी ने 6
हजाररुपये की
राशि हमारे
किसान भाईयों
के लिये तय की
और 32198 करोड़ की राशि
को 21 किश्तों
में पूर्ण
रूपेण वितरित
किया यह हम
सबके लिये
बेहद खुशी की बात
है. इसको
अब तो मैं
सोने पर
सुहागा मानती
हूं कि
प्रधानमंत्री
किसान सम्मान
निधि से
जुड़कर
मध्यप्रदेश
सरकार ने
मुख्यमंत्री
किसान सम्मान
निधि को और
जोड़ने का
प्रयास किया
और उसमें हमारे
प्रदेश के
मुखिया ने 4
हजार रुपये की
राशि हमारे
किसान भाईयों
को आर्थिक रूप
से उनका सम्मान
बढ़ाने के
लिये
प्रस्तुत
किया और 4 हजार
और 6 हजार की
राशि को जब हम
जोड़ते हैं तो
12 हजार रुपये
की राशि
प्रतिवर्ष
हमारे किसान
भाईयों को
नियमित रूप से
दी जा रही है और माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
हमारे मध्यप्रदेश
के मुख्यमंत्री
डॉ. मोहन यादव
जी के माध्यम
से 20 हजार 878
करोड़ रूपये
की राशि 2 किश्तों
में, अगर हम 4 हजार
रूपये की बात
करें तो 2-2 हजार
रूपये के माध्यम
से उनके खाते
में डारेक्ट
जा चुकी है.
अध्यक्ष
महोदय,
दोनों
योजनाओं के
माध्यम से इस
सदन में बोलते
हुये मुझे
बेहद खुशी हो
रही है कि 53
हजार 76 करोड़
रूपये की राशि
आज हम किसानों
के खाते में
दे चुके हैं.
अध्यक्ष
महोदय, मैं अपनी
केन्द्र की
सरकार, उनके नेतृत्व
को,
यशस्वी
प्रधानमंत्री
आदरणीय नरेन्द्र
भाई मोदी जी
को हृदय से
धन्यवाद
करती हूं और
हमारी मध्यप्रदेश
की सरकार के
मुखिया डॉ.
मोहन यादव जी को
मैं हृदय से
धन्यवाद
करती हूं कि
किसानों के
सम्मान को
बढ़ाने के
लिये उन्होंने
सिर्फ योजना
नहीं बनाई है, उन्होंने
उनके सम्मान
की चिंता करने
के लिये बस
अपने कर्तव्य
का निर्वहन
किया है. धन्यवाद, अध्यक्ष
महोदय.
श्री बाबू
जण्डेल (श्योपुर)-- माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
श्योपुर
में अति वर्षा
से हमारे जिले
की धान की फसल
पूरी बर्बाद
हो चुकी थी.
उसमें हमारे
प्रशासक
कलेक्टर
महोदय ने 50
प्रतिशत से
अधिक नुकसान
माना. हमारे
सांसद श्री
शिवमंगल जी ने
भी 50 प्रतिशत
से अधिक
नुकसान माना.
वरिष्ठ
भाजपा के
नेताओं ने भी
नुकसान माना.
मेरे श्योपुर
बड़ोदा में 27
नवम्बर को
माननीय मुख्यमंत्री
जी आये थे और
किसानों को
सम्बोधित
किया और घोषणा
की कि प्रति
हेक्टेयर 16 हजार रूपया
किसान भाईयों
को सिंगल
क्लिक के माध्यम
से डालूंगा, मगर अभी तक
किसानों के
खाते में
सिंगल क्लिक के
माध्यम से
कोई पैसा नहीं
आया,
1 प्रतिशत
या 2 प्रतिशत
पैसा डला है
तो वह 16 हजार रूपया
हेक्टेयर के
हिसाब से नहीं
डले हैं, किसी के खाते
में 3 हजार डले
हैं, किसी के खाते में 7 हजार डले हैं. अध्यक्ष
महोदय, पूरी तरह से
किसान बर्बाद
होने के कारण
भी मुख्यमंत्री
हमारे प्रदेश
का सबसे बड़ा
नेता है, मध्यप्रदेश
के मुखिया हैं, वह मंच पर सम्बोधित
करके किसानों
से ताली बजवा
रहे हैं और 16 हजार
की घोषणा कर
रहे हैं तो यह
सरासर झूठ है.
माननीय अध्यक्ष
महोदय, हमारे श्योपुर
में बिजली
कंपनी है, 27 हजार
किसानों पर
झूठी एफआईआर
दर्ज की है और
जो 8 या 5 एचपी की
मोटर होती है
उसका 25 और 30 एचपी
का बिल लगाकर, चौगुना बिल
लगाकर
किसानों पर
झूठी एफआईआर
दर्ज की गई है.
हमारे बड़ोदा
के किसान हैं
श्री बाबूलाल
जी कलमुंडा
उनको परसों 29
तारीख को पुलिस
ने रात्रि के 12
बजे घर पर
घेरा देकर
उठाया, वह अभी भी जेल
में बंद है, उस पर बिजली
कंपनी का 15
हजार कर्जा
था तो उस
किसान ने 15
हजार रूपये भी
जमा कर दिये
पर 36 घंटे वह
जेल में है, यह भाजपा
सरकार किसान
विरोधी सरकार
है, 27
हजार
किसानों के
साथ में यह
अत्याचार है.
माननीय अध्यक्ष
महोदय, आज यह जो बिल
की समस्या है
किसानों पर, जो छोटे
किसान हैं
1 हेक्टेयर
का किसान है
उस पर 5 एचपी की
मोटर है या 8
एचपी की मोटर
है उस पर 35 एचपी
का बिल लाया
जा रहा है. एक
किसान
रायपुरा का था
उसके पास 3
बीघा जमीन थी, 35 एचपी का बिल 3
लाख 60
हजार रूपया
दिया है, वह किसान 3
बीघा में 3 लाख 60
हजार का बिल
कहां से देगा. वह आत्महत्या
का मन बनाकर
पेड़ के नीचे
गया था तो
मेरे मकान से
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो बीमा कंपनी है जो किसानों से खरीफ की फसल में बीमा प्रीमियम काट लेती है, मेरे जिले में 33 हजार किसान हैं, 33 हजार किसानों का अभी तक बीमा कंपनी ने एक रूपये का क्लेम नहीं दिया है और मैं सरकार से अनुरोध करना चाहता हूं कि बीमा कंपनी के मुखिया पर सरकार को कार्यवाही करना चाहिये और किसानों का जो बीमा प्रीमियम काटा जाता है उसका लाभ मिलना चाहिये.
कभी
कहीं किसान को
लाभ मिला है
तो दो सौ
रूपये मिलता
है,
किसी को पांच
सौ रूपया
मिलता है और
माननीय मेरा
एक अनुरोध है
कि जो किसान
बर्बाद है, चाहे
उनका अनाज मण्डी
तक नहीं आ रहा
है,
जो धान और
सरसों की खेती
होती है, वह मंडी
में आने के
लिये मजबूर हो
जाता है, तो
माननीय अध्यक्ष
महोदय, खेत सड़क
योजना जब से
डॉ. मोहन यादव
की सरकार बनी
है,
दो साल से
बिल्कुल खेत
सड़क योजना
ठप्प कर दी
गई है,
मनरेगा को बंद
कर दिया गया
है,
हर किसान के
पास आज ट्रेक्टर
है,
परंतु हर
किसान का
ट्रेक्टर
खेतों में
नहीं जा रहा
है,
इसलिए गेहूं
की बोवनी एक
महीना पीछे हो
चुकी है. मैं
सरकार से
अनुरोध कर रहा
हूं कि खेत
सड़क योजना
लागू की जाये
पंचायती
मंत्री श्री
प्रहलाद पटेल
जी से मेरा
अनुरोध है कि वह
एक सदन के
वरिष्ठ नेता
हैं और
पंचायती
मंत्री है तो
खेत सड़क योजना
में किसानों
को लाभ दिया
जाये,
जिनसे उनको
राहत मिल सके
और किसान खेती
कर सके. माननीय
अध्यक्ष
महोदय, आप हमारे
जिले के सांसद
भी रहे हैं और
राष्ट्र के
कृषि मंत्री
भी रहे हैं, पर जो
आपके बीच में
मुख्यमंत्री
जी ने जो 16 हजार
प्रति हेक्टेयर
की घोषणा की
है,
वह दिलाने की
कृपा करें, धन्यवाद.
श्री
गौरव सिंह
पारधी (कटंगी) ---
माननीय अध्यक्ष
महोदय, आज इस
नियम 139 के अधीन
चर्चा में भाग
लेने का मुझे
सौभाग्य मिल
रहा है और मैं
इसलिए भी भाग्यशाली
हूं कि अध्यक्ष
महोदय, एक समय
मैं इस देश के
कृषि विभाग का
दिशा
निर्धारण आपने
किया है और उसी
का लाभ आज मैं
समझता हूं कि
हमारे प्रदेश
समेत पूरे
भारत देश को
मिल रहा है. मैं अपनी
तरफ से माननीय
प्रधानमंत्री
जी और माननीय
मुख्यमंत्री
जी का धन्यवाद
और आभार करना
चाहता हूं कि
उन्होंने
समय समय पर
किसानों की
समस्या को
समझते हुए, अलग-अलग
प्रकार की
योजनाएं
बनाईं.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मैं
चर्चा करना
चाहूंगा
प्रधानमंत्री
फसल बीमा योजना
की यह इसलिए
जरूरी हो गया
है कि हमारे पहले
इस चर्चा को
शुरू करने
वाले
भंवरसिंह जी ने
बहुत सारी
बातें कहीं
थीं,
उन्हीं
बातों के
परिप्रेक्ष्य
में मैं अपनी
बात रखना
चाहूंगा, मैं
बताना
चाहूंगा प्रधानमंत्री
फसल बीमा
योजना के बारे
में कि आज
विश्व की यह
लगभग सबसे
बड़ी बीमा
योजना
किसानों की चल
रही है और
इसके लिये हम
माननीय
प्रधानमंत्री
जी और उसको
सरल रूप में
प्रदेश में
लागू करने के
लिये माननीय
मुख्यमंत्री
जी को तहेदिल
से आभार करते
हैं,
धन्यवाद
करते हैं. यह योजना
सिर्फ सरल
नहीं है, यह
किफायती भी और
व्यापक भी है, मैं इसका
अंदाजा देना
चाहूंगा कि
वर्ष 2013 में
जितनी भी फसल
बीमा योजनाएं
थीं,
लगभग साढ़े
तीन करोड़
फार्मर एप्लीकेशंस
उनमें रहती है
और वर्तमान
में साढ़े पंद्रह
करोड़ फार्मर
एप्लीकेशंस
उनमें आ रही
हैं,
तो यह इस बात
का सूचक है कि
आज किसानों की
कहीं न कहीं
इस योजना के
प्रति
क्रेडिबिल्टी
बढ़ी है और इस
कारण से किसान
जो है,
वह बड़ी तादाद
में इस योजना
का लाभ लेने
के लिये सामने
आ रहा है, मैं
दर्शाना
चाहूंगा कि
वर्तमान में
लगभग इस पूरी
योजना में अगर
देश स्तर पर
बात करें तो
साढ़े छ:
प्रतिशत काश्तकार, साढ़े
सत्रह
प्रतिशत
सीमांत किसान
और सबसे बड़ी
बात यह है कि
लगभग 52
प्रतिशत जो
गैर ऋणी किसान
है,
वह भी इस
योजना में
शामिल हो रहा
है,
यह इस बात का
सूचक है कि
आवश्यक होने
पर ही नहीं, किसान का
भरोसा है कि
इस फसल बीमा
योजना से हमें
किसी न किसी
रूप में लाभ
मिल रहा है, हर किसी
में सुधार की
गुंजाईश है, इस फसल
बीमा में भी
सुधार की
गुंजाईश रही
है.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, समय-समय
पर जब कृषि
विभाग आप
संभाल रहे थे, तब आपने
भी समय-समय पर
सुधार करते
चले गये, इसी बात
पर मैं आपको
बताना
चाहूंगा कि
कुछ ही दिन
पहले इस योजना
में कई बार
हमें सुनने
में आता रहा
है कि जंगली
जानवर खेत में
परेशानी बढ़ा
रहे हैं, तो अगले
वर्ष से अभी
सात दिन पहले, अभी
वर्तमान
हमारे
केंद्रीय
कृषि मंत्री
जी ने घोषणा
कर दी है कि
जानवरों से
होने वाले नुकसान
को भी इसी
बीमा योजना
में लिया
जायेगा, समाहित
किया जायेगा
और तो और कई
बार व्यापक
स्तर पर बाढ़
आने पर, फसल जो
पानी में डूब
जाती है, उसको भी
इसमें समाहित
किया जायेगा, तो उसके
लिये मैं
माननीय देश के
प्रधानमंत्री
जी और कृषि
मंत्री जी को
अपनी तरफ से
धन्यवाद
करना चाहूंगा, आभार
करना चाहूंगा.
एक चर्चा आई
थी कि 17 हजार
करोड़ रूपये
का प्रीमियम
ले लिया, मुझे
नहीं पता
माननीय सदस्य
ने यह 17 हजार
करोड़ रूपये
की राशि कहां
से ली. माननीय
अध्यक्ष
महोदय मैं
बताना
चाहूंगा कि इस
बार वर्ष 2025 में
करीब एक करोड़
फार्मर एप्लीकेशन
ली गई थी, किसानों
से मात्र चार
सौ करोड़ का
प्रीमियम
लिया गया. एक
चर्चा आई थी
कि 17 हजार
करोड़ का
प्रीमियम ले लिए. मुझे
नहीं पता
माननीय सदस्य
ने ये 17 हजार
करोड़ की राशि
कहां से ली. मैं
आपके ध्यान
में लाना
चाहता हूं कि
मात्र चार सौ
करोड़ रुपए का
प्रीमियम
लिया गया है
और पूर्व में
इस योजना के
तहत खरीब सीजन
वर्ष 2024-25 में 26
लाख किसानों
को सहायता दी
गई,
26 लाख किसानों
के बीच में 112
करोड़ रुपए की
राशि बांटी
गईं. इसके लिए
हमारे प्रदेश
के मुख्यमंत्री
और
प्रधानमंत्री
जी का भी धन्यवाद
करुंगा. क्योंकि
शासन के स्तर
पर जो
प्रीमियम की
राशि दी जाती
है,
उसमें आधी
राशि राज्य
सरकार और आधी
राशि केन्द्र
सरकार वहन
करती है. एक
बात और आई थी
कि किसी किसान
को 50 रूपए मिला, किसी
को 70 रुपए मिला.
अध्यक्ष जी
मैं आपके माध्यम
से सदन को
अवगत कराना
चाहूंगा कि
मध्यप्रदेश
में ऐसा हो ही
नहीं सकता. इस
सरकार ने निर्णय
लिया है कि
किसी भी किसान
को एक हजार
रुपए से कम की
राशि नहीं दी
जाएगी. अगर
ऐसी स्थिति
उत्पन्न
होती है तो
प्रदेश की
सरकार उसको
वहन करेगी और किसी
भी किसान को एक
हजार रुपए से
कम की राशि
नहीं दी
जाएगी. इसके
लिए मैं चाहता
हूं कि पूरा
सदन हमारे
प्रदेश के
मुख्यमंत्री
का धन्यवाद
और आभार व्यक्त
करें(..मेजों
की थपथपाहट)
अध्यक्ष
जी पूरे देश
में यह क्रिया
लाने वाली मध्यप्रदेश
की पहली सरकार
है, अनेक
विपक्षी राज्यों
में तमिलनाडु
सहित अनेक
राज्यों से
आए दिन हम
अखबारों में
प्रकाशित
खबरें पढ़ते
रहते हैं कि
किसी किसान को
50 रुपए मिला, किसी
को 100 रुपए मिला, मुझे
लगता है कि
माननीय सदस्य
के द्वारा ऐसी
ही कोई पढ़ ली
गई और मध्यप्रदेश
की सरकार के
लिए बोल दिया
गया. मध्यप्रदेश
में ऐसी
स्थिति कभी
नहीं आ सकती
है.
श्री
महेश परमार – अध्यक्ष
जी क्या
हमारे सदस्य
के यहां
तमिलनाडु का
पेपर आता है
क्या गजब है, गजब
है....
श्री
गौरव पारधी – महेश
भैया आप
मोबाइल एप
नहीं पढ़ते हो
न ‘’द
हिन्दू’’ पढ़ा करो, उसमें
पूरी जानकारी
रहती है.
अध्यक्ष
महोदय – गौरव जी बात
पूरी कीजिए, समय
पूरा हो रहा
है.
श्री
गौरव पारधी – अध्यक्ष
जी, मैं
आपके संज्ञान
में लाना
चाहता हूं कि
प्रदेश और केन्द्र
सरकार इस
योजना को अच्छे
से प्रभावी
बनाने के लिए, नई
तकनीक का
उपयोग कर रही
है. इस नई
तकनीक जिसमें
हम वेदर इन्फार्मेशन
नेटवर्क डाटा
सिस्टम
जिसको विन्ड्स
कहा जाता है,
इसमें यील्ड
इस्टीमेशन
सिस्टम बेस्ड्स
ऑन टेक्नॉलॉजी(यस
टेक),
क्रॉपिक
इन सारी चीजें
के माध्यम से
तहसील स्तर
पर ही नहीं,
बल्कि ग्रामीण
स्तर पर भी
पूर्ण रूप से
फसलों का सही
आंकलन, धीरे धीरे
किया जा रहा
है. आने
वाले वर्षों
में हम पाएंगे
कि हमारे किसान
भाईयों को और
अच्छे से इस
फसल बीमा योजना
का लाभ मिल
सकता है.
किसानों की
बात चली तो कई
बार चर्चाएं
आईं कि एमएसपी
पर उपार्जन
नहीं हो रहा
है. पिछले 10 सालों
में जो टोटल
परचेज क्वान्टिटी
होती है, उसमें 1.8
टाइम्स
परचेज क्वान्टिटी
बढ़ गई है और
उसके लिए जब
शासन के द्वारा
खर्चा किया जा
रहा है, खरीदने के
लिए जो
किसानों को
राशि दी जा
रही है, वह भी लगभग
तीन गुना बढ़
गई है, तो ये सारी
चीजें
दर्शाती है कि
केन्द्र
सरकार है और
हमारे प्रदेश
की सरकार
लगातार
किसानों के
हितों में
कार्य कर रही
है. मैं माननीय
प्रधानमंत्री
जी और मुख्यमंत्री
जी के लिए सदन
से चाहूंगा कि
जोरदार मेज
थपथपाकर आभार
व्यक्त
करेंगे, इतनी शानदार
योजना वे
हमारे लिए ला
रहे हैं. बहुत
बहुत धन्यवाद
(..मेजों की
थपथपाहट)
श्री जयवर्द्धन सिंह(राघौगढ़) – माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपका बहुत आभारी हूं कि इस 139 की चर्चा में आपने मुझे बोलने का मौका दिया है. वर्ष 2025 में अतिवृष्टि के कारण किसानों का जो नुकसान पूरे मध्यप्रदेश हुआ है लगभग सभी को ये जानकारी है. जैसे हमारे पूर्व वक्ताओं ने कहा है मध्यप्रदेश के लगभग 70 प्रतिशत परिवार कृषि से जुड़े हुए हैं, लेकिन प्रदेश का किसान सिर्फ प्रकृति पर ही निर्भर नहीं रहता है, कहीं न कहीं किसान के विकास के लिए सरकार की जो नीतियां हैं, उनकी भी एक बड़ी विशेषता रहती है.
और
मैं कहना
चाहूंगा कि इस
साल
अतिवृष्टि के
बाद जो उम्मीद
किसानों को थी
की वर्तमान
सरकार के
द्वारा उनको
तत्काल
मुआवजा दिया
जायेगा. तत्काल
डी.ए.पी.खाद की
व्यवस्था की
जायेगी. उसमें
भी पूर्ण रूप
से सरकार विफल
हुई है.
आंकड़े यह
कहते हैं कि लगभग
22 दिनों तक
अतिवृष्टि
हुई . मैं अन्य
जिलों में भी
गया था अनेक
जिलों में
बाढ़ की
स्थिति हुई,
अनेक जिलों
में बाढ़ के
कारण घर ढह
गये थे. उदाहरण
के लिये
शिवपुरी-गुना तथा
और बड़े बड़े
शहरों में
बाढ़ की
स्थिति बनी
लेकिन अफसोस
की बात यह है
कि उनके घर भी
बह गये उनको
मुआवजे के रूप
से मात्र 5
हजार रूपये की
राशि दी गई और
उसमें भी
अफसोस की बात
तो यह है कि जो
लगभग
मध्यप्रदेश
में 25 प्रतिशत
खरीफ की फसल
का नुकसान हुआ
है करीबन 5 से 6
लाख हैक्टेयर
में नुकसान
था, लेकिन अभी
तक इन जिलों
में कोई भी
मुआवजा राशि
सरकार के द्वारा
नहीं दी गई है,
यह सच्चाई है.
वह भी ऐसे समय
में जब एक तरफ
मुख्यमंत्री
जी मोहन यादव
जी हैं और देश
के
कृषिमंत्री
भी हमारे
प्रदेश के ही
पूर्व
मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान
जी हैं. ऐसे
समय में हम
सबको उम्मीद
थी कि ऐसी
आपातकाल की
स्थिति में
सरकार के
द्वारा पर्याप्त
सहयोग तथा कोई
भी मुआवजा
किसानों को नहीं
दिया गया.
अध्यक्ष
महोदय यह बात
चर्चा में है
कि देश के
कृषिमंत्री
तथा हमारे
मुख्यमंत्री
जी के बीच में
समन्वय ठीक
नहीं है. आप
यहां पर
विराजमान हैं
एक आप ही हैं
जो इन दोनों
में समन्वय ला
सकते हैं. मैं
आपसे आग्रह करता
हूं कि
जो आज यह
स्थिति बन रही
है कि केन्द्र
सरकार के
द्वारा
मध्यप्रदेश
को पर्याप्त
सहयोग नहीं
किया जा रहा
है. इस पर हमको
बात करनी
चाहिये मैं
प्रमाण के साथ
आज यह साबित
करूंगा कि किस
प्रकार से
केन्द्र सरकार
ने हमारा
सहयोग नहीं
किया है.
लेकिन मैं शुरूआत
में कहना
चाहता हूं
न्यूनतम
समर्थन मूल्य
सरकार के
द्वारा घोषित
एक ऐसा आंकड़ा
जिसके द्वारा
किसानों को
उनकी फसलों का
समर्थन मूल्य
यदि सही से
नहीं मिलेगा
तो वह हानि की
स्थिति में
आयेगा, किसान
घाटे की
स्थिति में आयेगा.
मैं आपका
ध्यानाकर्षित
करना चाहता
हूं कि विधान
सभा चुनाव से
पहले माननीय
शिवराज सिंह
जी अपने मन से
कहते थे कि एक
बार फिर से
भाजपा को फिर
से आने दीजिये
किसानों की
फसलों का समर्थन
मूल्य भी
मिलेगा तथा
किसानों को लाभ
भी मिलेगा.
धान के समर्थन
मूल्य 31 सौ
रूपये प्रति क्विंटल
किया जायेगा.
मैं आपसे
पूछना चाहता हूं
कि क्या
वर्तमान में
धान खरीदी 31 सौ
रूपये में की
जा रही है,
कहीं पर नहीं
की जा रही है.
मेरे से पहले
हमारे
श्योपुर के
विधायक बाबू
जण्डेल अपना
वक्तव्य रख
रहे थे. मैं
कुछ दिन पहले
ही श्योपुर
गया था एक तो
वहां पर बाढ़
आयी दूसरी
किसानों को
उम्मीद थी कि
भाजपा सरकार
के द्वारा
किसानों की
धान की खरीदी 31
सौ प्रति क्विंटल
की जायेगी
उल्टा वहां पर
आज की स्थिति
में धान की
खरीदी करीबन 2
हजार अथवा 22 सौ
रूपये तक धान
की प्रति क्विंटल
खरीदी की जा
रही है. जिससे
किसानों को
अपनी फसल का
लागत मूल्य भी
निकल पा रहा
है अध्यक्ष
महोदय. मैं
बात करना
चाहता हूं
सोयाबीन के
बारे में जैसा
कि माननीय
मुख्यमंत्री
जी ने घोषणा
की है भावांतर
योजना लेकिन
आज अगर किसी किसान
से पूछेंगे तो
किसान यह बात
कहेगा कि अगर
भावांतर
योजना से इन
किसानों को लाभ
मिला है,
यह बीच में
जो बिचौलिये
हैं उनको लाभ
मिला है.
लेकिन जो आम
किसान हैं
उनको इस योजना
का लाभ नहीं
मिल पाया है.
क्योंकि जिस
किसान के पास 5-6
बीघा जमीन
होती है वह
तत्काल में
फसल को बेचता
है. लेकिन जो
बड़े बड़े
व्यापारी जो
बड़े बड़े लोग
हैं वह भावांतर
योजना का लाभ
उठाते हैं
लेकिन जो आम
किसान है उनको
लाभ नहीं मिल
पाता है.
अध्यक्ष महादेय, मैं मक्का की फसल के बारे में बात करना चाहूंगा. इस बार अनेकों जिलों में विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में हम झाबुआ, धार, छिंदवाड़ा, डिण्डौरी, मंडला जिलों की बात करें, तो गुना, शिवपुरी में भी इस बार मक्का की काफी फसलें हुई हैं. एक तरफ वर्ष 2025-26 में मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2400 रूपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया था लेकिन आज मॉर्केट में मक्का 1000-1200 रूपए के बीच खरीदी जा रही है.
अध्यक्ष
महोदय, मैं
सदन के समक्ष
हमारे
कांग्रेस के
विधायक श्री
ऋषि अग्रवाल
जी के द्वारा
माननीय केन्द्रीय
कृषि मंत्री
श्री शिवराज
सिंह चौहान जी
को लिखे गये
पत्र का उल्लेख
करना चाहता
हॅूं. दिनांक
14 अक्टूबर 2025 को
श्री ऋषि
अग्रवाल जी ने
पत्र लिखा था,
जिसमें उन्होंने
यह मांग की थी
कि एक तरफ
सरकार ने
एमएसपी 2400 रूपए
मूल्य घोषित
की है लेकिन
बाजार में
खरीदी 1000-1200 रूपए
पर की जा रही
है. उसके बाद
श्री ऋषि
अग्रवाल जी को
भारत सरकार के
द्वारा
दिनांक-17.11.2025 को
उनके पत्र का
उत्तर दिया जाता
है, जिसमें
केन्द्र
सरकार के
द्वारा उत्तर
में लिखा गया
है कि मध्यप्रदेश
राज्य सरकार
द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए
मक्का की
खरीद के लिए
अभी तक कोई
प्रस्ताव
प्राप्त
नहीं हुआ है. आज मध्यप्रदेश
में इसलिए
समर्थन मूल्य
पर मक्का
खरीदी नहीं हो
पा रही है क्योंकि
प्रदेश सरकार
ने केन्द्र
सरकार के
समक्ष इसकी
मांग ही नहीं
रखी.
अध्यक्ष
महोदय, मैं
माननीय
मंत्री जी से
आग्रह करूंगा
कि आपको
किसानों से
ऐसी क्या
नफरत है कि
अगर आपके पास
अधिकार था,
आपके पास अगर
एक ऐसा अवसर
था कि अगर आप
यह मांग रखते,
अगर माननीय मुख्यमंत्री
जी भी केन्द्रीय
कृषि मंत्री
श्री शिवराज
सिंह चौहान जी
से यह मांग
रखते कि कम से
कम मध्यप्रदेश
में जहां लगभग
10-15 जिलों
में मक्का की
फसलें हैं अगर
आप यह मांग
रखते, अब यह
गलती किसान की
तो नहीं है कि
शायद मुख्यमंत्री
डॉ.मोहन यादव
जी और श्री
शिवराज सिंह
चौहान जी की
बातचीत नहीं
होती, लेकिन
अगर शायद
बातचीत होगी
तो हम जरूर
उम्मीद
करेंगे कि जब
माननीय कृषि
मंत्री जी
अपना वक्तव्य
देंगे, तो इसकी
बात करेंगे.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय जी,
मूल बात यह है
कि आज इस विषय
को लेकर चर्चा
हो रही है. मैं
अभी 2 दिन पहले
एक गांव में
गया था, तो वहां
पर चर्चा हुई
कि अभी मक्के
का क्या रेट
चल रहा है.
किसी ने कहा
कि 1000-1200 रूपए
के आसपास रेट
चल रहा है.
मैंने कहा
बिल्कुल
नहीं, एमएसपी
तो सरकार ने 2400
रूपए रखा है. श्री
जगदीश मीना जी, जो
पूर्व जनपद
उपाध्यक्ष
हैं. उन्होंने
कहा कि 2400 रूपए
लिख रहे हैं
मैंने कहा
कैसे. उन्होंने
कहा 1200 रूपए
पर मक्का बिक
रहा है और शेष 1200
रूपए लाड़ली
बहना का है. हो
गया 2400 रूपए, तो
यह स्थिति
है. अब
आप खुद देखकर
समझ सकते हैं.
अब किसान समझ
चुका है. एक
तरफ किसान को
आप उसकी फसल
का दाम नहीं
दे रहे हैं और
उल्टा जो
पैसा आप किसान
से 3 गुना, 4 गुना
पेट्रोल के
दाम के द्वारा, डीजल
के दाम के
द्वारा वसूल
रहे हैं आप
याद करें कि
पिछले 10 साल
में माननीय
प्रधानमंत्री
श्री मोदी जी
के राज में
खाने के तेल
के दाम 4 गुना
हो गये हैं और
वहीं फसल के
जो दाम हैं
उनमें कोई
वृद्धि नहीं
हुई है. इससे
जो उद्योगपति
हैं जो बड़े
व्यावसायिक
लोग हैं उनको
ही सीधा इससे
लाभ मिला है.
अध्यक्ष महोदय जी, मैं आपसे यह आग्रह करना चाहूंगा कि हम जब फसल बीमा योजना की बात करते हैं तो फसल बीमा योजना की क्या वास्तविकता है वह खंडवा के किसान के द्वारा हमें समझ में आ जाती है. पिछले वर्ष 2024 में 21 एकड़ में सोयाबीन की फसल खराब हो गई थी. सूखे की वजह से पिछले साल उपज का एक दाना तक नसीब नहीं हुआ. फसल बीमा योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, जिसके बारे में सत्ता पक्ष के लोग बहुत तारीफ करते हैं. इस साल में जमा किया प्रीमियम 6 हजार रूपए एकड़ उसके साथ दो अलग-अलग राज्य सरकार की राशि, केन्द्र सरकार की राशि को मिलाकर कुल प्रीमियम 30 हजार रूपए जमा हुआ. लेकिन किसान को बीमा के रूप में 1 हजार 274 रूपए मिला. यह सच्चाई फसल बीमा योजना की है जिसके द्वारा सिर्फ और सिर्फ जो निजी बीमा कंपनियां हैं उनको लाभ मिल रहा है. लेकिन किसान को एक रूपये का लाभ भी नहीं मिल रहा है. यह सच्चाई इस वर्तमान सरकार की फसल बीमा योजना की है और इसी कारण से आज किसान कहीं न कहीं परेशान है, पीडि़त हैं, जो अलग-अलग मामले आत्महत्या के आ रहे हैं, यह सिर्फ प्राकृतिक प्रकोप नहीं है, बल्कि सरकारी प्रकोप है, जिसके द्वारा यह बात सिद्ध होती है कि कहीं ना कहीं वर्तमान सरकार पूर्ण रूप से किसान की सेवा में विफल हो गयी है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि स्वयं किसान संघ जो सत्ता पक्ष का एक अंग है, वह लगातार विरोध कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय- जयवर्द्धन सिंह जी, कृपया समाप्त करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह- अध्यक्ष्ा महोदय, हम यही मांग करेंगे कि कम से कम इस चर्चा के दौरान जो विपक्ष बातें रख रहा है तो हम यह उम्मीद माननीय मंत्री जी से करते हैं कि हमारे एक-एक बिन्दु का उत्तर देंगे. ताकि कम से कम जो आक्रोश में है, कहीं ना कहीं किसान इस बात से दुखी है कि जो वादे भाजपा सरकार के थे, वह चाहे धान खरीदी के हों या मक्का खरीदी के हों वह पूरे नहीं हो पाये. हम यही आपसे मांग करते हैं. अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
संसदीय कार्य मंत्री( श्री कैलाश विजयवर्गीय)- माननीय अध्यक्ष महोदय, जयवर्द्धन जी बहुत अच्छा बोले. परंतु मैं उनके ज्ञानवर्धन के लिये थोड़े से आंकड़ें बता देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार ने देश के किसानों को खाद पर दो लाख करोड़ की सब्सिडी दी है. ( मेजों की थपथपाहट) जो यूरिया का बैग केन्द्र सरकार को 2400 में मिलता था, वह किसानों को 265 रूपये में मिला, यह सरकार की सब्सिडी है. ऐसी ही डी.ए.पी का जो कम्पनी रेट है, वह 2850 रूपये है और किसानों को सिर्फ 1350 में दिया. यह दो करोड़ रूपये की सब्सिडी भारत सरकार की है.
श्री भंवर सिंह शेखावत- अध्यक्ष महोदय, किसान लाठियां खा रहे हैं और ना ही उनको यूरिया मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय- भंवर सिंह जी, सब्सिडी की बात चल रही है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मैं भावान्तर योजना की बात बताना चाहता हूं कि भावांतर योजना कांग्रेस सरकार की थी, हमारी तो थी नहीं. आपने किसानों को आश्वासन दिया कि हम भावांतर योजना जा रहे हैं. किसानों ने व्यापरी को माल बेच दिया. इन्होंने किसानो को एक पैसा नहीं दिया और मैं आपको बता दूं कि हमने भावांतर योजना के अंतर्गत लगभग दो लाख उनहत्तर हजार किसानों को चार सौ बयासी करोड़ रूपये दिये. यह बात सही है, माननीय सदस्यों ने यह कहा कि बरसात में किसानों की फसल खराब हो गयी थी, उनका दाना खराब था पर दाना खराब होने के बाद भी जो दाना उनका पैंतीस सौ रूपये में बिका, जो दाना उनका तीन हजार रूपये से कम में बिका..
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- अध्यक्ष महोदय, संसदीय मंत्री जी बोलने लग गये. कृषि मंत्री जी बैठे हैं उनको मौका मिलेगा या नहीं. संसदीय मंत्री जी आंकड़ें बोल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- नहीं, कृषि मंत्री जी बोलेंगे. जवाब वही देंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, मैं लास्ट बात बोल देता हूं कि भावांतर, भावांतर के नाम पर और एम.एस.पी पर पिछली बार छ: लाख टन ..
अध्यक्ष महोदय- आप बोलिये जरूर, लेकिन पचने लायक बोलिये. (हंसी)
श्री कैलाश विजयवर्गीय- अध्यक्ष महोदय, वह डाईजेशन की गोली आपके पास ही है. हमारे पास तो नहीं है.( हंसी) आप ही डाईजेस्ट करा सकते हैं.
मैं खाली आपकी जानकारी के लिये बता रहा हूं कि एम.एस.पी में पिछली बार खरीदा गया, कुल खरीदा गया था छ: लाख टन. भावांतर योजना के अंतर्गत हमारे किसानों ने दस लाख टन अनाज बेचा और अभी डेढ़ महीना और बाकी है. अभी और भी खरीदी हो सकती है. आखिरी बात और बताना चाहता हूं कि फसल बीमा, फसल क्षति, आर.बी.सी -64, मैं इस सदन में आप जानते हैं कि 1990 से विधायक हूं. मुझे याद आता है, शायद यह तो भंवर सिंह जी को भी याद होगा कि जनहानि, यदि कोई किसान मर जाता था.
अध्यक्ष महोदय- भंवर सिंह जी को अब होगा कि नहीं होगा, यह सोचना पड़ेगा. (हंसी)
श्री कैलाश विजयवर्गीय- मैं इनके पुराने भाषण रिकार्ड में से लाकर बता दूंगा कि इन्होंने क्या-क्या भाषण दिये थे. (हंसी)
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, खाली दो तीन आंकड़े बताता हूं.
अध्यक्ष महोदय—चलिये, पूरा करिये. नहीं तो मेम्बर रह जायेंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, जन हानि, जब कोई व्यक्ति मर जाता था, तो 2003 के पहले 50 हजार रुपये देते थे. अब पता है कितने देते हैं. 4 लाख रुपया यह आठ गुना है. अब पशु धन हानि. पशु धन हानि में गाय, भैंस, ऊंट, बैल वगैरह यह मर जाते थे, तो 2100 रुपये मिलते थे. अब मिलते हैं 37,500 रुपये अठारह गुना. बस दो लाइन और बता देता हूं. मकान क्षति का मिलता था 10 हजार रुपया. हमारी सरकार कितना दे रही है, पता है. 1 लाख 20 हजार रुपया बारह गुना दे रही है. फसल क्षति की बात कर रहे हैं ये. 5 रुपये, 10 रुपये, 25 रुपये, 100 रुपये का चेक आता था.
अध्यक्ष महोदय— कैलाश जी, समाप्त करें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, बस लास्ट. फसल क्षति 2 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर थी. अभी 32 हजार प्रति हेक्टेयर मिल रही है सोलह गुना. एक फल बड़ा अच्छा आता है लम्बा लम्बा जिसे केला कहते हैं, वह केला..
श्री उमंग सिंघार- अध्यक्ष महोदय, 139 में जो अविलम्बनीय लोक महत्व की चर्चा है, ये आंकड़े गिना रहे हैं, जो समस्या है, किसान परेशान हो रहा है प्रदेश में. उसके संबंध में पूरे विपक्ष की आवाज तो सुनो. उसके बाद सरकार जवाब देगी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, मैं वही बता रहा हूं कि आप जो भाषण दे रहे हैं, मैं उसी का जवाब दे रहा हूं.
श्री उमंग सिंघार—मैं भाषण दे रहा हूं. आप क्या दे रहे हो. आंकड़े गिनाने से क्या होता है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—अध्यक्ष महोदय, लास्ट आंकड़ा बता देता हूं. ..(व्यवधान).. 2 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर 50 गुना ज्यादा हमारी सरकार दे रही है.
श्री बाला
बच्चन (राजपुर) --
अध्यक्ष
महोदय, मेरी
आधे मिनट की
रिक्वेस्ट
है. संसदीय
कार्य मंत्री
जी ने अभी बीच में
खड़े होकर जो बात
बोली,
इसलिये बोल
रहा हूं.
संसदीय कार्य
मंत्री जी सुन
लीजिये.
आज आपकी
सरकार ने जवाब
दिया है.
मेरा 9 नम्बर
पर तारांकित
प्रश्न संख्या
9, क्र. 506 है.
मैंने यह पूछा
था कि
भावांतर योजना कब शुरु
की गई, तो जवाब
आया
कि 2017-18
में. आप
बोल रहे हैं
कि हमारी
सरकार, इसको आप
सिद्ध करिये. आप
संसदीय कार्य
मंत्री जी
हैं.
असत्य बयान
करते हैं आप. असत्य बोलते
हैं आप.
आंकड़े अगर आप
मुझे टाइम
देंगे,
तो
इनकी सारी
बात को मैं रख
सकता हूं,
स्पष्ट कर
सकता हूं. 2017-18 में
किस की सरकार थी. आज का है
मेरा प्रश्न क्र.506, जो
चर्चा में नहीं
आया.
कृषि मंत्री
जी ने मुझसे
पूछा
भी कि बाला
भैया
आपका प्रश्न नहीं आ
पाया है,
लेकिन
प्रश्न संख्या-9,
क्र. 506
है,
उसमें 2017-18 में
भावांतर
योजना शुरु
हुई है
और जिन फसलों
को लेकर
जो
शुरु हुई थी, उनको सबको
काट दिया, आज मक्का,
सोयाबीन, कपास है.
इन सबको लेकर पूरे
किसान जो एनएच
थ्री है,
नेशनल हाइवे
खलघाट,
धार जिले में,
धरने पर बैठे
हैं.
संसदीय
कार्य मंत्री
जी आधी अधूरी जानकारी और
असत्य
जानकारी है
आपकी.
अध्यक्ष महोदय—डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय.
डॉ.
राजेन्द्र
पाण्डेय
(जावरा)--
अध्यक्ष
महोदय,
बहुत बहुत
धन्यवाद
आपको.
निश्चित रुप से
पूरे प्रदेश
भर में और प्रदेश
के अनेक जिलों
में
अतिवृष्टि
के कारण, बाढ़
के कारण,
कीट व्याधि के कारण, पीला
मोजेक के
कारण
फसलों को
क्षति हुई.
लेकिन
जैसे ही प्रदेश
के भिन्न
भिन्न
स्थानों से फसलों
की क्षति के बारे
में जानकारी
मिलने लगी, सूचना
मिली. मैं भी
रतलाम जिले से
आता हूं और अगस्त
माह में
लगातार वर्षा
होने के कारण कुछ गांवों
से चर्चा आई
कि
पानी भर गया
है,
पहली बोवनी खराब हो
गयी, दूसरी
बोवनी
की. वह भी खराब हो
गई. लगातार
पानी के कारण फसलें
खराब हो रही
हैं.
अफलन की स्थिति
है.दाना छोटा
हो गया है, औसत कम रहेगा.
लेकिन इससे
ज्यादा
चिंताजनक और रहा कि एक
पीला मोजेक करके
रोग, येलो मोजेक
कीट
वह
सोयाबीन में अधिक
लगता है.
सोयाबीन, उड़द
और मूंग में.
लेकिन हमारे
इधर सोयाबीन की फसल बहुत
अधिक होती है
और उस येलो
मोजेक के कारण जब वह लग
जाता है वायरस लग
जाता है उसमें
एक मक्खी रहती
है पेड़ पर बैठती
है लेकिन वह
संक्रमित
पूरे पौधे को
कर देती है.
पूरा पौधा,
जड़ सहित, फल
सहित एक तरह
से जर्जर हो
जाता है जिसे
हम कह सकते
हैं कि पौधे को
कोई कैंसर रोग
लग गया हो, वह
पौधा पूरा
सूखा जाता है
औसत फसल भी
नहीं आती, फसल
नष्ट हो जाती है.
जब इस तरह की
जानकारी आई तो
मैं निश्चित
रूप से पूरे
विश्वासपूर्वक
सदन में कहना
चाहूंगा .
मैंने माननीय
मुख्यमंत्री
जी को अवगत
कराया, अगस्त
माह में और
मुझे प्रसन्नता
है और मैं
धन्यवाद देना
चाहता हूं सदन
में कि माननीय
मुख्यमंत्री
जी ने उसके 15
दिन के बाद ही
क्षेत्र में
आकर के लगातार
खेत में जाकर
के भ्रमण किया
और किसानों को
पूरी तरह से
आश्वस्त किया
कि हम किसानों
को किसी भी
प्रकार से
नुकसानी में
नहीं जाने
देंगे, सरकार
उनके साथ खड़ी
रहेगी और हम
भरसक जितना कर
सकते हैं उतना
किसानों के
लिये करेंगे.
जहां तक मेरी
जानकारी में
है कि हीरा
प्रोजेक्ट के
बारे में शायद
पहले
क्षतिपूर्ति
राशि, मुआवजा
राशि नहीं दी
जाती थी. अभी
आदरणीय कैलाश
विजयवर्गीय
जी ने बहुत
सारी बातें
यहां पर उल्लेखित
कीं. मैं उसे
दोहराना नहीं
चाहता लेकिन
आप स्वयं
बताये कि विगत
गई वर्षो से
जो सरकारें
रहीं वह
आरबीसी में
किसी प्रकार
का कोई परिवर्तन
नहीं कर पाईं,
कोई संशोधन
नहीं कर पाईं,
राशि की
वृद्धि नहीं
कर पाई वह
आखिर किस तरह
से कहते हैं
कि राशि नहीं
मिल रही है. अभी
सदन में यह
बात आई थी कि
फसल बीमा की
राशि नहीं आ
रही है. मैं
थोड़ी सी
जानकारी सदन
में देना
चाहता हूं कि
फसल बीमा की
राशि भी भिन्न
भिन्न जिलों
में और जहां
जहां पर भी इस
तरह की स्थिति
रही है वहां
पर दी गई है.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, फसल
बीमा 2023-24 की रवि
और खरीफ की
जानकारी देना
चाहता हूं 54
लाख किसानों के
खाते में 1
हजार 383 करोड़
रूपये की राशि
गई और गत वर्ष 25
लाख से अधिक
किसानों को 1
हजार 100 करोड़ रूपये
की फसल बीमा
की राशि दी गई
तो फिर कैसे
मानें कि फसल
बीमा की राशि
नहीं आ रही है.
वह लगातार दी
जा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में अभी भावान्तर योजना के बारे में कहा गया. भावान्तर योजना के बारे में बताना चाहूगा कि मैं स्वयं भी भावांतर योजना के कार्यक्रम में गया, मंडी के कार्यक्रम में गया, वहां पर किसानों के साथ में मंडी में खड़ा रहा, मैंने स्वयं देखा है क्योंकि मेरे विधानसभा क्षेत्र पूरा ग्रामीण क्षेत्र है और वहां पर भी किसान इससे पूरी तरह से आश्वस्त रहे, किसानों की एक तो क्षतिपूर्ति की राशि, जितनी फसल आई, औसत कम हुआ लेकिन जितनी फसल आई जो मंडी में पहुंची उसमें भी भावांतर मूल्य मिल रहा है और क्षतिपूर्ति की राशि भी मिल रही है, पीला मोजक रोग की जो क्षतिपूर्ति की राशि है वह प्राप्त हो रही है और जो अतिवृष्टि के कारण फसलों को क्षति हुई वह क्षतिपूर्ति की राशि भी प्राप्त हो रही है. तो किसान तो किसी प्रकार से, कहीं पर भी नुकसानी में नहीं रहा क्योंकि उसे चार प्रकार से राशि अलग अलग तरह से प्राप्त होने के कारण जो उसको क्षति हो रही थी उस क्षति से बचाने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है, यह पीला मोजक और पीला मोजक के कारण हमारा पूरा क्षेत्र बहुत ज्यादा चिंतित था , लेकिन राहत राशि मिल जाने के कारण निश्चित रूप से किसानों के चेहरे में प्रसन्नता आई है और इसी के साथ साथ पीला मोजक रोग से कुछ जिले जो प्रभावित हुये थे . देवास जिले में 24 करोड़ रूपये की राशि , सीहोर जिले में 101 करोड रूपये की राशि, शाजापुर जिले में 121 करोड़ रूपये की राशि, मंदसौर जिले में 232 करोड़ रूपये की राशि, अलीराजपुर में 45 करोड़ रूपये की राशि ,रतलाम जिले में 41 करोड़ से अधिक की राशि , शहडोल जिले में 6 करोड़ रूपये से अधिक की राशि , खंडवा जिले में 7 करोड़ से अधिक की राशि और दमोह जिले में 35 हजार करोड़ रूपये की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में प्रभावित क्षेत्रों में प्रदान की गई है और निश्चित रूप से किसान भाईयों का एक संबल बनने का, एक सहारा बनने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार, डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने किया है और मैं धन्यवाद करना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी का, माननीय वित्त मंत्री जी का, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी का जिन्होने पूरे मालवा क्षेत्र में इस बात की निगरानी की क्योंकि मालवा और बुंदेलखंड क्षेत्र इससे बहुत अधिक प्रभावित हुआ था और मालवा क्षेत्र के किसान भाईयों को तत्काल राहत कैसे दी जा सके, इसके लिये मैं निश्चित रूप से माननीय मुख्यमंत्री जी का, माननीय वित्त मंत्री जी और कैलाश विजयवर्गीय जी का बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं कि उन्होंने किसान भाईयों की चिंता करते हुये एक सहारा बनकर के किसान के साथ में खड़े हुये, लेकिन मैं निवेदन करना चाहता हूं , किसान भाईयों को विभिन्न व्यवस्थाओं के माध्यम से भिन्न भिन्न प्रकार की सबसीडी दी जाती है, यह मेरा सुझाव है जिस तरह से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि प्राप्त हो रही है. जिस तरह से मुख्यमंत्री सम्मान निधि प्राप्त हो रही है. कृषक भाइयों को कृषि उत्पादन में संबल बनाने के लिए, मदद देने के लिए अगर प्रति एकड़ या प्रति बीघा इन समस्त सब्सिडियों को एकजाई करते हुए ऐसी कोई व्यवस्था कर दी जाए जिसमें प्रति एकड़ या प्रति बीघा जिसमें कोई अधिकतम या न्यूनतम सीमा निर्धारित कर दी जाए. प्रतिवर्ष वह राशि मिलने लग जाए तो यह जो विविधताएं रहती हैं, भिन्न-भिन्न परिस्थितियां निर्मित होती हैं. अलग-अलग मौसम में, अलग-अलग स्थानों पर जो स्थितियां बनती हैं. इसमें निश्चित रुप से बहुत अधिक राहत मिल सकती है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सहित रतलाम जिले में माननीय मुख्यमंत्री जी ने किसान भाइयों का सहारा बनते हुए जो राशि प्रदान की है उसके लिए मैं उनका हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ. माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा क्षतिपूर्ति की 787 करोड़ रुपए से अधिक की राशि अब तक प्रदान की जा चुकी है. जो किश्तें शेष रह गई हैं वे भी प्राप्त होने वाली हैं. 55 जिलों में जो प्राकृतिक आपदाएं विभिन्न प्रकार की रहीं. जनहानि की रही, पशु हानि की रही, मकानों के गिर जाने की रही उसमें भी माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा 208 करोड़ रुपए से अधिक की राशि प्रदान करते हुए उनका सहारा बनने का काम किया है.
अध्यक्ष
महोदय, आपने
मुझे बोलने का
समय दिया उसके
लिए बहुत-बहुत
धन्यवाद.
श्री दिनेश जैन (महिदपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब से सोयाबीन की फसल आई है पूरे मध्यप्रदेश में किसानों के द्वारा आत्महत्या की गई है. मुख्यमंत्री जी का जिला है और मेरी महिदपुर तहसील उज्जैन जिले में ही आती है. वहां पर भी 4 किसानों ने अपनी जान दी है. सोयाबीन का कम उत्पादन होना, बीमा और राहत राशि का न मिलना इसके कारण हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आरबीसी 6 (4) की खूब चर्चा हुई है. नियम, कानून और आंकड़ों की बातें हुईं. मैं सदन के माध्यम से कृषि मंत्री जी से इतना पूछना चाहता हूँ कि आरबीसी 6(4) के तहत 5 हजार रुपए प्रति हेक्टयर के हिसाब से हमें राहत राशि मिली है. यह बहुत कम है. जब आपने यह मान लिया है कि 25 से 35 प्रतिशत फसलों का नुकसान हुआ है और हमें राहत राशि दी गई तो बीमा कम्पनी से हमें बीमे की क्षतिपूर्ति राशि क्यों नहीं दिलवा रहे हैं. जब बीमे की बात आती है तो किसानों की अज्ञानता के कारण, नियम, कानून को नहीं समझने के कारण, जानकारी नहीं होने के कारण सरकार अपनी नीति से अलग हट जाती है. जब इफ्को टोकियो कम्पनी ने पूरे उज्जैन जिले में बीमा किया है. 4 साल में कम्पनी ने 13 लाख किसानों का बीमा किया है. इसमें 4 प्रतिशत राज्य सरकार ने दिया, 4 प्रतिशत केन्द्र सरकार ने दिया है और 2 प्रतिशत किसान ने दिया है. 47 हजार रुपए की प्रीमियम थी. 4700 रुपए प्रति हेक्टयर के हिसाब से बीमा कम्पनी को प्रीमियम मिला है. 4 साल में उसने 2900 करोड़ रुपए का प्रीमियम लिया और केवल 962 करोड़ रुपए बांटा है. उज्जैन जिले का 2 हजार करोड़ रुपए बीमा कम्पनी कमाकर बैठी हुई है. जब हम राहत राशि के दायरे में आ चुके हैं. 25 से 35 प्रतिशत फसल खराब हो गई है आपने यह मान लिया है. हम हर 6 महीने में प्रीमियम भरते हैं. वह बीमा कम्पनी 2 हजार करोड़ रुपए कमाकर बैठी है, उससे आप हमें बीमे की क्षतिपूर्ति राशि क्यों नहीं दिलवाते हैं. यह हमारा अधिकार है. मैंने मेरे विधान सभा क्षेत्र में कहा कि आरबीसी 6(4) का नियम है उसमें 5 हजार रुपए हेक्टेयर आपको मिलेगा. इसके लिए भी हमने 4-5 बार आंदोलन किया उसके बाद यह राशि हमें मिली है. मेरा प्रश्न यह है कि हमें बीमे की राशि क्यों नहीं मिली. जबकि किसान आत्महत्या कर रहे हैं. यह हमारा हक है. मेरा सदन से अनुरोध है, सभी विधायकों से अनुरोध है कि हम उन बीमा कम्पनियों से पैसा लें जो हर जिले में हमारा 2-2 हजार करोड़ रुपए खाकर बैठी हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं एमएसपी के बारे में बात करना चाहूंगा.
क्या एमएसपी का उद्देश्य किसानों को फसल की कीमतों में उतार चढ़ाव से होने वाले नुकसान से बचाना है. यह कैसे काम करता है. कृषि लागत और मूल्य आयोग सीएसीपी की अनुशंसा पर सरकार कुछ फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य तय करती है. अगर बाजार में फसल की कीमत तय किये गये एमएसपी से नीचे चली जाती है तो सरकारी एजेंसियों और सरकार की जवाबदारी है कि वह सरकारी एजेंसियों से वह 5328 रुपए में तुलवाए भावांतर का और मॉडल रेट का इस नीति में कोई उल्लेख नहीं है. यह अपने द्वारा बना दी गई है. किसान आत्महत्या न करे इसलिए उनको लालीपॉप दे दिया गया है. सरकार की एजेंसियां जब खरीदती हैं तो मंडी कमेटी स्वयं सरकार की एजेंसी है. 24 तारीख को जो खेल हुआ जिसमें न तो भावांतर मिला न रेट मिला डेढ़ हजार, दो हजार रुपए में ढेर बिक गये और चार हजार रुपए में ट्राली बिक गई. 24 तारीख के पहले दिन किसानों की फसलें बिना भावांतर के, बिना मॉडल रेट के बिकीं उनकी क्या गलती थी.
अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि जब महाराष्ट्र के अंदर 5328 रुपए में तुल रही है, सरकारी एजेंसियां तौल रही हैं तो यहां चार हजार के बाद ही रेट क्यों मिलेगा. भावांतर 1200 रुपए मिलेगा. जब आपकी नीति है तो पूरा रेट क्यों नहीं मिलता है. इसी तरीके नवकरणीय ऊर्जा में भी जब किसानों के नाम से कुसुम 'ए' कुसुम 'सी' चल रही है. साढ़े चार बीघा जमीन पर एक मेगावॉट बिजली किसान लगा सकता है जिसकी जमीन अनउपजाऊ है लेकिन मेरी तहसील में भी देखता हूं तो किसान के नाम से कोई कुसुम 'ए' में कोई मेगावाट नहीं लग रहे हैं केवल बड़ी-बड़ी कंपनियां आकर हमारी जमीन खरीदकर कुसुम 'ए' कुसुम 'सी' में सोलर एनर्जी के प्लांट लगा रही है. हमारा हक छीना जा रहा है. किसानों का हक छीना जा रहा है और बड़े-बड़े उद्योगपति बड़े टेंडर ले लिये जाते हैं. 100, 150 मेगावाट के जबकि 4.5 मेगावाट में एक किसान भी अपना उद्योग लगा सकता है, अपना सोलर प्लांट लगा सकता है तो यह किसानों के साथ अन्याय हो रहा है. और कहीं ऐसा न हो कि एक बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा हो अभी बालाघाट में आंदोलन चालू है. पूरा चक्काजाम हो चुका है यह विद्रोह फूटे, किसान आत्महत्या करे इस चीज से आपको सबक लेना चाहिए. इतने अहंकार में आप लोगों को नहीं रहना चाहिए और किसानों के लिए आपको ज्यादा से ज्यादा जो नियम है जो नीति है उसके हिसाब से सरकार की जवाबदारी है कि उनको एमएसपी और बीमा दिलाएं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
4.05 बजे शासकीय
विधि विषयक
कार्य (क्रमश:)
नगरपालिका
संशोधन
विधेयक 2025 (क्रमांक
20 सन् 2025) का
पुर:स्थापन
(क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय-- माननीय नगरीय विकास मंत्री जी. नगरपालिका (संशोधन) विधेयक 2025 का पुर:स्थापन करेंगे तथा अनुमति प्राप्त होने पर विधेयक पुर: स्थापित करेंगे.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय):- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 20 सन् 2025) के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2025 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति
प्रदान की गई.
नगरीय
विकास एवं
आवास मंत्री
(श्री कैलाश
विजयवर्गीय):-
अध्यक्ष
महोदय,
मैं, मध्यप्रदेश
नगरपालिका (संशोधन)
विधेयक, 2025 (क्रमांक 20
सन् 2025) पुर:स्थापित
करता हूं.
4.06
बजे कार्यमंत्रणा
समिति का
प्रतिवेदन
अध्यक्ष महोदय-- कार्यमंत्रण समिति की बैठक सोमवार दिनांक 1 दिसम्बर, 2025 को सम्पन्न हुई जिसमें निम्नलिखित शासकीय विधेयकों एवं वित्तीय कार्यों पर चर्चा के लिए उनके सम्मुख अंकित समय निर्धारित करने की सिफारिश की गई.
1. मध्यप्रदेश दुकान तथा स्थापना (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 (क्रमांक 19 सन् 2025 ) 30 मिनट
2. मध्यप्रदेश
नगरपालिका
(संशोधन)
विधेयक,
2025 (क्रमांक 20
सन् 2025) 1 घण्टा
3.
वर्ष 2025-2026 के
द्वितीय
अनुपूरक
अनुमान की
मांगों पर
मतदान एवं तत्संबंधी
विनियोग
विधेयक का
पुर:स्थापन,
विचार एवं पारण.
4 घण्टा
4.
वर्ष 2011-12 के
आधिक्य व्यय
की अनुदान की
मांगों पर
मतदान 4 घंटे
एवं
तत्संबंधी
विनियोग
विधेयक का
पुर:स्थापन,
विचार एवं
पारण.
अब, इसके
संबंध में श्री
कैलाश
विजयवर्गीय,
संसदीय कार्य
मंत्री प्रस्ताव
करेंगे.
संसदीय कार्य
मंत्री (श्री
कैलाश
विजयवर्गीय)- अध्यक्ष
महोदय, मैं,
प्रस्ताव
करता हूं कि
अभी अध्यक्ष
महोदय ने जिन
कार्यों पर
चर्चा के लिए
समय निर्धारण
करने के संबंध
में कार्य
मंत्रणा समिति
की जो
सिफारिशें
पढ़कर सुनाईं
उन्हें सदन
स्वीकृति
देता है.
अध्यक्ष
महोदय-
प्रस्ताव
प्रस्तुत
हुआ प्रश्न
यह है कि
जिन कार्यों
पर चर्चा के
लिए समय
निर्धारण करने
के संबंध में
कार्य
मंत्रणा
समिति की जो
सिफारिशें
पढ़कर सुनाई
उन्हें सदन
स्वीकृति
देता है.
प्रस्ताव
स्वीकृत हुआ.
04.11 बजे
{सभापति
महोदय (श्री
अजय विश्नोई)
पीठासीन हुए.}
नियम
139 के
अधीन
अविलंबनीय
लोक महत्व के
विषय पर चर्चा
(क्रमश:).......
श्री
अरूण भीमावद (शाजापुर) - माननीय
सभापति महोदय,
मुझे
अतिवृष्टि और
बाढ़ से
किसानों के
समक्ष आई
विपदा और शासन
द्वारा किसान
हित में उठाये
गए कदमों के
विषय में
बोलने का अवसर
मिला है, जिसके
लिए धन्यवाद.
सभापति
महोदय, हर संकट
में अन्नदाता
के साथ प्रदेश
की मोहन सरकार
है. विगत दिनों
की अतिवृष्टि,
बाढ़ से फसलों
को भारी
नुकसान हुआ
था. इसकी जानकारी
जैसे ही
प्रदेश के
संवेदनशील
मुख्यमंत्री
को हुई, उन्होंने
तत्काल एक
बैठक बुलाकर
समस्त
जिलाधीशों को
निर्देश दिए
कि फील्ड में
जाकर सर्वे
किया जाये और
उसके आधार पर
रिपोर्ट
बनाकर भोपाल
भेजी जाए. इस
बात को लेकर सभी
जिलाधीशों ने
अपनी टीम को
फील्ड में
भेजा, इसके
लिए प्रशासन
को भी धन्यवाद
है कि उन्होंने
तत्काल मौके
पर जाकर, कम समय
में रिपोर्ट
बनाकर भोपाल
भेजी और उसी
का परिणाम है
कि प्रदेश की
सरकार ने तत्काल
किसानों को
राहत देने का
काम किया.
प्रदेश में
विगत मानसून
के दौरान 1148.1
मिलीमीटर
वर्षा दर्ज की
गई थी, जो
सामान्य से 21% अधिक थी. जिला
गुना,
मण्डला, नरसिंहपुर, श्योपुर, रायसेन में
अत्यधिक
वर्षा तथा
राजगढ़, शाजापुर, मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, नीचम,
सीहोर, हरदा,
विदिशा में
अधिक वर्षा से
फसलों को
नुकसान हुआ.
सभापति
महोदय, इसकी
रिपोर्ट जब
भोपाल आई तो
तत्काल
अधिकारियों
ने मुख्यमंत्री
जी के
निर्देशानुसार
प्रदेश के प्रभावित
किसानों को
रुपये 18 सौ
करोड़ की राहत
राशि का वितरण
कर, 28 लाख 81
हजार किसानों
को राहत देने
का कार्य किया
है. साथ ही साथ
फसलों के
अतिरिक्त
पशुधन, जनहानि,
मकान क्षति
में लगभग
रुपये 208 करोड़
की राशि का वितरण
किया गया.
प्रदेश में
भारतीय जनता
पार्टी की
सरकार 3-4 चरणों
में किसानों
का ध्यान रख
रही है. एक
तरफ राहत राशि
देकर दूसरी
तरफ केंद्र
सरकार की ओर
से फसल बीमा
योजना के आधार
पर राशि दे रहे
हैं हमने वर्ष
2016 से 2024 तक रुपये 31
हजार करोड़ की
राशि फसल बीमा
में किसानों
को दी है.
सभापति
महोदय, भावांतर
योजना, जिसका
जिक्र सदन में
हो रहा था,
निश्चित रूप
से यह योजना
किसानों के
लिए मील का
पत्थर है,
इसमें थोड़ी
विसंगतियां
हो सकती हैं
लेकिन उसमें
धीरे-धीरे
सुधार की आवश्यकता
है और हम
सुधार कर भी
रहे हैं, इसके
आधार पर आज
प्रदेश में 220
कृषि उपज मंडी
और 80 उप
मंडियों
द्वारा खरीदी
की जा रही है.
अभी तक भावान्तर
योजना में 28
नवम्बर तक 4.50 लाख
किसानों
द्वारा 10 हजार
मैट्रिक टन
सोयाबीन मण्डी
में बेचा गया
है, यह
किसानों का
विश्वास है.
माननीय
सभापति महोदय, भावान्तर
योजना में जो
मार्जिन है, जो
बीच की राशि
है, वह राशि
निश्चित रूप
से समय-सीमा
में मिल रही
है. शासन ने तय
भी किया है कि
हर 10-15 दिन में
रेट बनाकर
किसानों को
उनकी राशि
तुरन्त देने
के भी आदेश
माननीय मुख्यमंत्री
ने दिए हैं. मैं इस
अवसर पर मेरे
अपने शाजापुर
जिले की भी बात
करना चाहूँगा.
शाजापुर जिले
में तीन विधान
सभा- शुजालपुर, कालापीपल
और शाजापुर
हैं. दो
विधान सभा में
अतिवर्षा हुई
थी और वहीं
शाजापुर में
अल्पवर्षा
हुई थी, जिसे
सूखा घोषित
किया गया था.
जहां
अतिवर्षा हुई
थी,
वहां के
किसानों को भी
राहत देने का
काम किया है
और जहां कम
वर्षा हुई थी,
वहां के
किसानों की फसलों का
नुकसान हुआ था,
उसमें भी मध्यप्रदेश
सरकार के यशस्वी
मुख्यमंत्री
जी ने दो
तहसील
शाजापुर
विधान सभा की मोहन
बड़ोदिया और
शाजापुर से भी
तुरन्त
रिपोर्ट
मंगवाकर वहां
पर 84 करोड़
रुपये राहत
राशि देने का
काम किया है.
संसदीय
कार्य मंत्री (श्री
कैलाश
विजयवर्गीय) - सभापति जी, श्री
अरुण को आप
देख लीजिये.
उनका पूरा
चेहरा देखिये.
सिर पर अच्छी
बारिश हुई है
और मूँछों पर
सूखा पड़ा है.
जैसा उनके
जिले में हुआ
है. (हंसी)
श्री
अरुण भीमावद -
माननीय
सभापति महोदय, दोनों
ही
परिस्थितियां
हैं.
सभापति
महोदय - आपकी
चिन्ता
सरकार ने
एकात्म
मानववाद के
हिसाब से की
है. (हंसी)
आप विषय को
कन्क्लूड
कीजिये.
श्री
अरुण भीमावद -
माननीय
सभापति महोदय,
कुल मिलाकर हर
परिस्थिति
में भारतीय
जनता पार्टी
की सरकार
किसानों के
साथ है. देवास,
देपालपुर एवं
शाजापुर में
स्वयं जाकर
राहत देने का
काम निश्चित
रूप से भारतीय
जनता पार्टी
के यशस्वी
मुख्यमंत्री
डॉ. मोहन यादव
जी ने किया है,
साथ ही मैं एक
निवेदन और
करना चाहूँगा
और मैं मध्यप्रदेश
सरकार को बधाई
भी दूँगा. सदन
में पिछले कई
वर्षों से
नीलगाय और
हिरण की चर्चा
होती आई है, नीलगाय
और हिरण के कारण
किसान की
फसलों को निश्चित
रूप से नुकसान
होता है.
हमारी मांग पर
मध्यप्रदेश
सरकार ने
दक्षिण
अफ्रीका से
कांट्रैक्ट
किया और
हेलीकॉप्टर
और बोमा तकनीक
का उपयोग करके
हिरण और नीलगाय
को पकड़ा है,
जिसमें
हेलीकॉप्टर
से झुंड को एक
बड़े बाड़े की
ओर हांका जाता
है. बाड़े के
एक सिर पर
मौजूद ट्रक
में जानवरों को
ले जाया जाता
है और उन्हें मन्दसौर
छोड़कर आने का
काम किया है.
यह हमारे शाजापुर
विधान सभा और
शाजापुर जिले
में किया गया है. यह शायद
भारत में पहला
प्रयोग था.
मैं इस अवसर पर
यशस्वी मुख्यमंत्री
जी डॉ. मोहन
यादव जी को
धन्यवाद
देना चाहूँगा
कि उन्होंने
यह प्रयोग
शाजापुर की
धरती पर किया
है और यह निश्चित
रूप से कारगर
साबित हुआ है. मैं एक
निवेदन भी
करना चाहूँगा
कि बार-बार
बीमा कम्पनियों
की बात आती है
कि वास्तव
में इन पर
सरकार का
नियंत्रण
होना आवश्यक
है और मेरा सुझाव
भी है कि जब
बीमा कम्पनी
के व्यक्ति
अगर सर्वे के
धरातल पर जाएं, तो
उस समय राजस्व
के टीम भी
उनके साथ रहे,
ऐसा मेरा
निवेदन है. निश्चित
रूप से अगर
दोनों धरातल
पर जाएं, तो दूध का
दूध और पानी
का पानी होगा
और किसानों को
बड़ा फायदा
मिलेगा.
माननीय
सभापति महोदय, जब
हम भोजन करते
हैं, तो
उस समय ईश्वर
को याद करते
हैं. मेरा इस
सदन के माध्यम
से यह निवेदन
है कि जब भोजन
की थाली सामने
आ जाये, तो हम
भोजन करते समय
ईश्वर के साथ
किसानों को भी
याद करें और
उनको भी धन्यवाद
दें. सभापति
जी,
मैं आपको धन्यवाद
दूँगा कि आपने
मुझे बोलने का
मौका दिया.
आपका
बहुत-बहुत धन्यवाद, जय
हिन्द, जय भारत.
श्री राजन मण्डलोई (बड़वानी) -माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा में भाग लेने का अवसर दिया, उसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. अभी अतिवृष्टि पर बात चल रही है, मैं निमाड़ क्षेत्र से आता हूँ, हमारे बड़वानी, खरगौन एवं धार जिले में कपास और मक्का मुख्य फसल है. अभी हमारे यहां पहले तो वर्षा कम हुई और लोगों ने डबल से बोवनी की. उसके बाद जब फसल पकने को आई तो अतिवृष्टि हुई. वहां अत्यधिक वर्षा होने के कारण कपास की जो फसल थी, उसका जो झेनुआ होता है, वह सड़ गया और अन्त में जो कपास बीननी थी, उसकी बुनाई नहीं हो पाई और साथ में जो मक्का था, उसकी फसल में भी खड़ी फसल कई जगह उग गई और मक्का की उपज जितनी आना चाहिए थी, उतनी नहीं आ पाई. आज मक्का का जो मार्केट भाव है, वैसे तो एमएसपी पर 2,400 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा जाना चाहिए था.
लेकिन मक्के का भाव कम है. किसान मार्केट में मक्का बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं. इसकी वजह से उनको 800, 900 या ज्यादा से ज्यादा 1,000 रुपये मिल रहे हैं. इससे ज्यादा में मक्के की खरीदी मार्केट में नहीं हो रही है. इसके कारण किसानों को बहुत नुकसान हो रहा है. साथ में यदि कपास की बात करें तो कपास को सीसीआई केन्द्रों के माध्यम से खरीदने की बात है. लेकिन सीसीआई केन्द्रों में कपास में नमी 12 प्रतिशत से ऊपर बताकर कपास रिजेक्ट किया जा रहा है. पहले जब हम कपास को मण्डी में ले जाते थे तो कोई पंजीयन की आवश्यकता नहीं पड़ती थी. अब शासन ने पंजीयन आवश्यक करा दिया है. पंजीयन के बाद स्लॉट बुकिंग होता है. स्लॉट बुकिंग में एक या दो दिन का समय मिलता है. एक ही दिन का समय मिलता है या ज्यादा से ज्यादा दूसरा दिन. उसमें आपको कपास सीसीआई केन्द्र पर ले जाना है. अब होता यह है कि मण्डी में ले जाने पर किसान के कपास को 12 प्रतिशत से ऊपर नमी बताकर रिजेक्ट किया जाता है. कई बार यह भी हुआ है कि मण्डी के अंदर कपास को 12 प्रतिशत सीसीआई अपनी मशीन से नापकर बता देती है कि 12 प्रतिशत से कम नमी है और उसको कहते हैं कि जो व्यापारी के गोडाऊन हैं, जहां जीन प्रोसेसिंग यूनिट है, वहां पर जाओ. वहां पर जीनिंग वाला खुद अलग से नापतौल करवाता है और वहां पर उसके कपास को रिजेक्ट कर देता है. जो मण्डी में ऑलरेडी 12 प्रतिशत से कम नमी बताकर उसको खरीद लिया है तो जब व्यापारी के यहां खाली करने जाता है तो उसको वहां रोक लिया जाता है. इसमें सीसीआई केन्द्र, मण्डी के अधिकारियों और व्यापारियों की साठ-गांठ है. क्योंकि व्यक्ति ले आया कपास तो फिर से स्लॉट बुकिंग करो, फिर से पंजीयन कराओ, उसमें बड़ी कठिनाई होती है. फिर से लाना नहीं है तो औने-पौने दाम पर किसान अपना कपास बेचने के लिए मजबूर हो जाता है. यह भी बड़ी गड़बड़ होती है.
अध्यक्ष
महोदय,
साथ ही
सोयाबीन की
बहुत बात चली.
हमारे यहां सोयाबीन
तो नहीं होता
है. लेकिन
सरकार के
बड़े-बड़े
पोस्टर
गांव-गांव,
पंचायत-पंचायत
में मुख्यमंत्री
और आदरणीय
प्रधानमंत्री
के फोटो के साथ
छप गए.
प्रचार-प्रसार
ज्यादा हो
रहा है लेकिन
किसानों को
मुआवजा और फसल
का सही दाम
नहीं मिल पा
रहा है. मुख्यमंत्री
जी ने घोषणा
की कि 10 घंटे
सतत् बिजली मिलेगी
और वह भी दिन
में मिलेगी.
लेकिन ऐसा कहीं
नहीं हो रहा
है. अधिकांश
जगह 10 घंटे
बिजली नहीं
मिल रही है.
बिजली दिन में
4 से 5 घण्टे ही
मिल पा रही है.
बिजली रात में
दी जा रही है.
अभी गेहूँ की
फसल के लिए
ठण्ड के मौसम
में किसानों
को रात में
जाना पड़ रहा
है. दूसरी बात, ऐसे समय
पर जब अभी
गेहूँ की फसल
बोई हुई है तो
बिजली विभाग
द्वारा पूरे
गांव के गांव
को ब्लैक आऊट
कर दिया जाता
है, लाइट
काट दी जाती
है. अभी जबरन
की वसूली
किसानों से चल
पड़ी है. जब तक
किसान इकट्ठे
होकर कोई पैसा
बिजली विभाग
में जमा न
करें या बिजली
विभाग के अधिकारियों
को नहीं दे तो
वहां लाइट
चालू नहीं की
जाती है.
ट्रांसफार्मर
जल जाता है तो
ट्रांसफार्मर
बदला जाना
चाहिए लेकिन 8-8, 10-10 दिन तक
ट्रांसफार्मर
बदलते नहीं
हैं. किसान
खुद आपस में
चंदा करते हैं
और जले हुए
ट्रांसफार्मर
को जब विद्युत
मंडल के ऑफिस
में लेकर आते
हैं तो वहां 2-4
दिन और इंतजार
करना पड़ता है.
उसके बाद
ट्रांसफार्मर
बदला जा रहा
है. उसमें भी
रिश्वत की
मांग के बिना
ट्रांसफार्मर
जल्दी से ठीक
करके नहीं
दिया जाता है.
ऐसे ही नकद
खाद वितरण
केन्द्र हैं.
पहले जो
सोसाइटियां
थीं,
सोसाइटियों
में किसानों
को, जो
सोसाइटी के
सदस्य नहीं
हैं, जिनने
केसीसी लोन
बैंक से किया
है या सोसाइटी
का मेंबर नहीं
है, उसको
भी सोसाइटी से
नकद 2-2, 4-4 बोरी
यूरिया या अन्य
खाद मिल जाता
था. लेकिन अब
जो सोसाइटी के
सदस्य हैं, उनको ही
वहां से खाद
मिलता है, बाकी के
किसानों को
नकद वितरण
केन्द्र
जाना है.
हमारे
बड़वानी की
बात करें तो
नकद वितरण
केन्द्र
सिर्फ दो जगह
हैं. एक जगह
में दो मशीन
है और एक जगह
एक मशीन है.
इंटरनेट की
प्रॉब्लम हो
जाती है, थम्ब
नहीं चलता है.
रात भर लोग
यूरिया के लिए
लाइन लगाते
हैं. महिलाएं
कागज या पत्थर
रखकर लाइन
लगाती हैं और
वे लोग
रात-रात भर वहां
जागते हैं.
वहां पर न कोई
पानी की
सुविधा है और
लेटबाथ की भी
कोई सुविधा
नहीं है. ठण्ड
के दिनों में
विक्रय केन्द्रों
पर लोग लाइन
लगाकर सिर्फ
यूरिया के
इंतजार में
पड़े हैं. यूरिया
उपलब्ध हो
नहीं पा रहा
है. डीएपी मिल
नहीं पा रहा
है. ये तमाम
तरीके की समस्याएं
हैं. साथ में
मैं बड़वानी
की बात करूं
तो बड़वानी
विधान सभा
क्षेत्र में
एकमात्र मण्डी
बड़वानी में
है. हमारे
यहां पाटी में
मण्डी प्रांगण
खुला हुआ है
और एक सिलावद
में भी बड़ा
गांव है और जो
पाटी ब्लॉक
है, वह एक
तहसील है, जिसके
अंदर लगभग 45
पंचायतें हैं.
वहां मण्डी
नहीं है.
सिर्फ मण्डी
का प्रांगण
है. यदि वहां
पर उसको उपमण्डी
का दर्जा दिया
जाए. साथ
में सिलावद
में भी आदरणीय
कृषि मंत्री
जी से निवेदन
है कि यदि मण्डी
खोल दी जाए.
सभापति महोदय - मण्डलोई जी कृपया समाप्त करें.
श्री राजन मण्डलोई - साथ में सिलावद में कृषि मंडी खोल दी जाए तो जो 45 पंचायतें और 26 पंचायतें उधर के लोग अपनी उपज को मंडी में बेच सकेंगे और उनको फसल का दाम सही मिल पाएगा नहीं तो पूरी 45 पंचायतें पाटी ब्लाक की और सिलावद की 26 पंचायतों में किसान व्यापारियों और बिचौलियों के हाथ लूटा जा रहा है. चुनाव के समय सरकार ने वादा किया था कि गेहूं की समर्थन मूल्य 2700 रुपये खरीदी होगी और धान का 3100 रुपये और मक्का का 2400 रुपये और कपास की 1200 रुपये प्रति क्विंटल खरीदने की बात हुई,सोयाबीन का 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल खरीदने की बात हुई थी और अभी गेहूं की फसल आने वाली है तो सरकार आश्वासन दे कि 2700 रुपये क्विंटल गेहूं खरीदा जायेगा.हमारे इस क्षेत्र में मक्का का जो भारी नुकसान हुआ और जैसे सोयाबीन में भावांतर योजना लाई गई और ऐसी मक्का में भी लाई जाए और उनको फायदा दिलाया जाए. धन्यवाद.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी(हाटपिपल्या) - माननीय अध्यक्ष महोदय,किसानों जैसे संवेदनशील मुद्दे पर मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिये धन्यवाद और वर्तमान में जो इस वर्ष अतिवृष्टि,बाढ़ की स्थिति हमारे प्रदेश में बनी किसानों के साथ कठिन परिस्थिति आई ऐसे में जो भी सरकार सही समय पर सही निर्णय ले ले वह सबसे अच्छी और सबसे सच्ची सरकार होती है. राजा वही सही होता है जो ऐसे समय पर जब चाहे बाढ़ हो अतिवृष्टि हो,लगातार वर्षा हो या अन्य कोई प्राकृतिक आपदा आए उस समय पर किसी के नुकसान की भरपाई कर दे किसानों की वही सच्चा राजा होता है ऐसे सच्चे राजा हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय मोहन यादव जी और उनकी सरकार है मैं किसानोंकी ओर से अपनी ओर से उनको बहुत-बहुत साधुवाद देता हूं. यहां लोकतंत्र की बातें हो रही हैं लेकिन किसानों के मामले में बहुत कठिन परिस्थिति विगत चार माह वर्षाकाल में तो मन धड़क रहा था कि कहीं अतिवृष्टि हो रही है कहीं बाढ़ की स्थिति बन रही उनकी फसलें खरीब हो रही थी ऐसे में जब उनको एक निराशा का सामना करना पड़ रहा था तो ऐसे समय में मुख्यमंत्री जी द्वारा तत्काल निर्णय और अधिकारियों को निर्देश दिया जाना और तत्काल मौके पर जाकर बाढ़ क्षेत्रों का मुआयना किया जाना उसके बाद निर्णय करते हुए जो कदम उठाए जहां जो लोग प्रभावित थे लोगों को मुआवजा राशि देने की बात हो तीन-तीन निर्णय बड़े लिये गये उसी समय फसल बीमा का लाभ भी किसानों को दिलाया जाना और उसके साथ-साथ भावांतर योजना को भी लागू करना सफलतापूर्वक उसका संचालन करना यह महत्वपूर्ण निर्णय किसानों की मदद के लिये रहा है.अभी मुझसे पूर्व जो वक्ता चर्चा कर रहे थे जब कैलाश विजयवर्गीय जी ने अपनी बात रखी तो कई लोग चिल्लाने लगे कि भावांतर के बारे में बात कर रहे हैं क्यों यह पेट में मरोड़ उठ रही थी यह बताना चाहता हूं कि जब किसान अपनी फसल ले जाकर मंडी में बेचकर आता भावांतर योजना सरकार लागू नहीं करती तो वह अपनी फसल उसी समय 3800,4200 में बेचकर आ जाता उसके बाद उसके खाते में कोई राशि नहीं जाती लेकिन अब क्या हो रहा है जब भावांतर की राशि हमारे देवास जिले से ही डाली गई डॉ.मोहन यादव जी और कृषि मंत्री जी को धन्यवाद करना चाहता हूं कि कई जगह बीच चौपाल में लोग बैठे हुए थे कहीं शादी,ब्याह में कहीं कार्यक्रम में और जैसे ही मेसेज आया कि आपके खाते में भावांतर की इतनी राशि डाली है हजार रुपये,बारह सौ रुपये की तो उनके चेहरे खिल गये और वहीं से चिल्लाकर मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दिया कि मुख्यमंत्री जी आपने हमारे साथ न्याय किया. हमारे मन में जो निराश थी उससे उबारा है तो जैसे ही मैसेज आए तो वहां के जितने कांग्रेस के नेता,दूसरी विचारधारा के लोगों के चेहरे मुरझा गये थे इसीलिये आज उनके नेताओं के चेहरे भी मुरझा रहे हैं. अब उस भावांतर के बारे में कई बार कहते हैं कि समझ में नहीं आता कैसे यह भावांतर लागू करें, अरे 5328 का भाव सरकार ने तय किया तो निश्चित रूप में जिस व्यक्ति की पहले दिन भावांतर में 4020 रूपये राशि मॉडल रेट तय किया गया था, अगर किसी का सोयाबीन 4500 रूपये बिका है तो खुली मंडी में बिका है, उसको 828 रूपये या फिर 4020 वाले को सीधे 1308 रूपये का फायदा हुआ. मैं इस सदन के माध्यम से सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि जिस तरह से लोग बात करते हैं, चाहे विरोधी दल कोई भी हो आपको, हमको यह समझना पड़ेगा कि हमारे किसानों को उसकी पूरी कीमत मिल रही है. अगर कम रेट में हमारे किसान भाईयों का सोयाबीन किसी मंडी में बिका है तो ज्यादा नुकसान सरकार को हुआ है, उनको ज्यादा पैसे देना पड़े हैं. अगर अच्छे दामों में किसानों की फसल बिकी है तो निश्चित रूप से सरकार को कम पैसे उन किसानों के खातों में डालना पड़े.
सभापति
महोदय--
सदस्यों से
अनुरोध है कि
अपनी बात
कृपया 5 मिनट
में रखें.
मनोज जी, कृपया जल्दी
करें.
श्री मनोज नारायण
चौधरी-- मैं
इतना कहना
चाहूंगा कि 300
मंडियों में 9
लाख 36 हजार से
अधिक किसानों
ने अपने
पंजीयन
करवाये. उनमें
से साढ़े चार
लाख किसानों
ने अपनी फसल
बेची है.
सभापति
महोदय--
यह सब आंकड़े
आ चुके हैं, दोहराने की
जरूरत नहीं है.
श्री मनोज नारायण
चौधरी--
सभापति
महोदय, मैं आंकड़े
नहीं बता रहा
हूं. एक मामला
है,
मैं विशेष
रूप से सदन के
माध्यम से आप
सबकी भी बात
रखना चाहूंगा.
फसल बीमा योजना
के माध्यम से
वर्ष 2016 से अब तक
मान लो 31 हजार
करोड़ रूपये की
राशि किसानों
को मिली है, लेकिन फिर भी
कुछ
त्रुटियां
हैं. मेरा
अनुरोध है किसान
साथियों की ओर
से,
पूरे सदन की
ओर से कि वह
त्रुटि इस
प्रकार से है
कि जब किसान
की कोई फसल
खराब होती है, जब बीमा
कंपनी राजस्व
विभाग या
हमारे सर्वे
करने वाले जो
भी लोग जाते
हैं, वह लोग न तो
पंचायत में
कभी चस्पा
करते हैं कि
कितने
प्रतिशत फसल
खराब हुई है, इसका कितना
अंश आपको
कितना लाभ या
कितनी राशि
किसानों को
भविष्य में
इस नुकसानी की
मिलेगी. मेरा
सदन के माध्यम
से अनुरोध है
कि यह निश्चित
किया जाये कि
कितने
प्रतिशत
नुकसानी हुई
है, यह
चस्पा होना
चाहिये.
जनप्रतिनिधि
और किसानों को
इसका संदेश
प्राप्त
होना चाहिये, वहां की सूची
प्राप्त
होना चाहिये
जिससे भविष्य
में अगर कम
लाभ होता है
या फिर कोई
फसल बीमा योजना
का लाभ नहीं
मिल पाता है
तो वह फसल
बीमा क्लेम
करके भी ले ले, यह अति आवश्यक
है. इसमें
हमारी सरकार
कई तरह की जनकल्याणकारी
योजनायें चला
रही है,
चाहे मोदी जी
के नेतृत्व
में हो, चाहे डॉ. मोहन
यादव जी के
नेतृत्व में, लेकिन अगर
फसल बीमा की
कंपनियां
त्रुटि करती हैं, कभी
सेटेलाइट की
बात कर देती
हैं कि
सेटेलाइट से
नुकसानी का
हमारा
पंचनामा बन
गया उसमें कमी
हुई, सेटेलाइट
में हम सिर्फ
जली हुई फसलें
या जैसे पीला
मोजेक हुआ उस
तरह की जो
नुकसानी हुई
वह दिखती है, लेकिन अफलन
जैसी स्थिति
जो होती है या
कीटों के
द्वारा जो
फलियां खत्म
हो जाती हैं
उन स्थितियों
का धरातल पर
ही पता चलेगा
तो मैं इस
माध्यम से
सरकार से
अनुरोध
करूंगा कि भविष्य
में ऐसी व्यवस्था
की जाये कि
किसानों को,
जनप्रतिनिधियों
को जहां भी
नुकसानी हो
उसका पता चले
और भविष्य
में कितनी
राशि मिलना है
यह भी पता चले.
इस सदन ने
मुझे बोलने का
मौका दिया, इसके लिये
मैं बहुत-बहुत धन्यवाद
करता हूं. जय
हिन्द.
सभापति
महोदय--
पुन: सभी सम्मानीय
सदस्यों से
आग्रह है कि
अपनी-अपनी बात
5 मिनट में रखेंगे, क्योंकि
अभी 11 और सदस्यों
को बोलना है
और माननीय
मंत्री जी को
भी उसका जवाब
देना है.
श्री मधु भाऊ भगत (परसवाड़ा)-- सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद, 139 की इस चर्चा में आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. मैं चंद बातें कहना चाहूंगा कि भारत की अर्थव्यवस्था किसानों पर निर्भर है और किसान हमारा जो 72 प्रतिशत इस देश का जो है उसके माध्यम से हम लोग सब सुरक्षित हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के अंदर हमारा जो बालाघाट एक जिला आता है जो धान के कटोरे के नाम से जाना जाता है जहां पर धान की फसल के ऊपर हमारा किसान पूरा निर्भर होता है. बहुत कम वहां ऐसा होता है कि वहां गेंहू की फसल हो या चना की फसल हो या मक्के की हो, लेकिन धान की फसल जिसका आज जो हाल है एक तो अति बारिस, अति वृष्टि ने नष्ट करके किसान को चौराहे पर खड़ा कर दिया है और किसान आज जिस प्रकार से आतंकित है, किसान जिस प्रकार से घबराया हुआ है मध्यप्रदेश के अंदर, बालाघाट जिले के अंदर, जब बालाघाट पहुंचो उन किसानों से चर्चा करो तो देखते ही बनता है. सभापति महोदय, मैं माननीय कृषि मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि जिस प्रकार से किसानों का जो नुकसान हुआ है जिस प्रकार से उनको बारिश में अति बारिश में, बारिश लगातार होती रही, एक बार तो किसान खुश होता रहा है कि बारिश बहुत अच्छी हो रही है, फसल बहुत अच्छी आयेगी, लेकिन धीरे-धीरे बारिश ने एक बड़ा रूप लिया और फिर वही फसल उनके लिये काल के रूप में बन गई और वही फसल
जिसको
सौ प्रतिशत
होना था, वह 60
प्रतिशत, 40 प्रतिशत
के ऊपर सीमित
हो गई,
उसके मुआवजे
के लिये हमने
सर्वे करवाया, कलेक्टर
साहब ने बहुत
काम किया और
निरंतर उसका
सर्वे हुआ, लेकिन
बालाघाट जिले
के अंदर 6
विधानसभाओं
में मुआवजे की
राशि के नाम
पर कुछ भी
नहीं है, इसके
पूर्व में जब
बारिश की
शुरूआत हुई थी, तो
माननीय
सभापति महोदय
इतनी ज्यादा
बाढ़ आई थी कि
किसानों की
फसल के जो बीज
होते हैं, जिसको हम
रोपाई कहते
हैं,
जिसको हम लोग
बीज कहते हैं, वह तक बह
गई थी,
उसका भी कोई
ठिकाना इस
बालाघाट जिले
के अंदर
प्रशासन के
द्वारा कोई नियुक्त
नहीं किया गया
है.
सभापति
महोदय, इसी
प्रकार मैं
कहना चाहूंगा
कि एक किसान
को दो तीन
चीजों की आवश्यकता
होती है, एक तो
उसको बिजली, पानी और
उसको उर्वरक
खाद की आवश्यकता
होती है, अगर उसको
पानी बराबर
मिलता है, उर्वरक
खाद उसको
बराबर मिलता
है,
बीज उसको सही
मिलता है, तो
निश्चित तौर
पर वह किसान
संपन्न होता
है,
या यह कहें कि
सिर्फ वह
किसान संपन्न
नहीं होता है, वह जिला
संपन्न नहीं
होता है बल्कि
हमारा
संपूर्ण भारत
संपन्न होता
है और आज हम इस
बात पर
गौरवान्वित
महसूस करते
हैं कि हम लोग
इस भारत देश
के नागरिक हैं
और आज जब हम
किसान की
पीड़ा
सुनते हैं,, तो कहीं न
कहीं यह दर्द
झलकता है कि
प्रदेश के हमारे
जो मुखिया हैं, वह अगर
किसानों के
ऊपर,
कृषि मंत्री
उन किसानों के
ऊपर,
उनके अधिकारी
उन किसानों के
ऊपर,
प्रशासन को
अगर टाईट
पोजीशन पर
रखते तो निश्चित
तौर पर आज
किसान इतना
परेशान नहीं
होता,
लगातार इसके
पहले किसान
आत्महत्या
करते रहे, आप लोगों
ने उपाय किया
तो किसानों की
आत्महत्याएं
कम हुई हैं, अन्य
जिलों के अंदर
आत्महत्या
हुईं लेकिन
बालाघाट जिले
के अंदर अभी
आत्महत्या जैसा
कोई प्रकरण
दर्ज नहीं हुआ
है.
मैं कुछ सुझाव
देना चाहता
हूं अगर हम
संतुलित
मात्रा में
उर्वरक का
उपयोग करने की
सलाह देते हैं, जबकि
सहकारी और
प्रायवेट
विक्रेताओं
के पास असंतुलित
उर्वरक उपलब्ध
होता है, समस्त
बालाघाट जिले
में खरीफ की
फसल 90 से 95
प्रतिशत एरिया
में लगती है, खरीफ की
फसलों के लिये
खासकर धान के
लिये उर्वरक
12.32.16 या 16.40.0 डीएपी
और पोटास
प्रत्येक
सहकारी संस्थाओं
को उपलब्ध
करवाये जावे
ताकि किसान को
उसको सही
उर्वरक, सही
डीएपी अगर
मिले तो वह
अपनी उपज ज्यादा
ले,
बाकी जो
उर्वरक अच्छी
पैदावार भी
नहीं देते है, ऐसी
फसलों के लिये
हानिकारक
होते हैं, यह
उर्वरक
सहकारी संस्था
में न भेजे, जिससे
किसान को उसकी
फसल में, पैदावार
में कमी आये.
माननीय
सभापति महोदय, दूसरी एक
सलाह में
माननीय कृषि
मंत्री जी और अधिकारियों
को देना चाहता
हूं कि प्रत्येक
विकासखण्ड
में मिट्टी का
परीक्षण करने
के लिये
प्रयोगशाला
प्रारंभ की गई
है,
लेकिन उनके
द्वारा जांचे
गये सैंपल की
आप क्रास
चैकिंग करें,उनकी अन्य
लैब से भी
जांच करवायी
जाये ताकि
किसान के खेत
में उपलब्ध
पौषक तत्वों
को सही मानक
मापदंड के
अनुरूप उपयोग
किया जा सके, यह आप
लोगों के लिये
आवश्यक है, कृषि
मंत्री जी और
प्रशासन के
अधिकारियों
के लिये यह
आवश्यक है.
मैं आपका बहुत
ज्यादा समय
नहीं लूंगा.
सभापति
महोदय -- धन्यवाद
आपको.
श्री
मधु भाऊ भगत-- माननीय
सभापति महोदय, मैंने
अभी बहुत समय
नहीं लिया है, इसके
पहले शेर और
शायरी में
बहुत सारा समय
निकल गया है.
सभापति
महोदय -- आपके
मन में भी कोई
शेर हो तो कह दें.
श्री
मधु भाऊ भगत --
मेरे मन में
कोई शेर नहीं
है,
मैं तो अब क्या
बोलूं, अगर
बोलूंगा तो
नया शेर हो
जायेगा अगर
मैं शेर के
ऊपर शेर
बोलूंगा.
सभापति
महोदय -- चलिय
आप स्वयं शेर
हैं(हंसी)
श्री
मधु भाऊ भगत --
सभापति महोदय, कुछ
चीजें हैं, जैसे अभी
तक किसानों को
मुआवजा नहीं
मिला है, उसके ऊपर
आप ध्यान
केंद्रित कर
दें और धान का
बोनस दस
प्रतिशत दें, कृषकों
को भी अभी तक
बोनस का लाभ
प्राप्त
नहीं है
और एक विशेष
तौर पर इस बात
पर आपका ध्यानाकर्षित
कराना चाहता
हूं कि खाद
एवं बीज के
उपलब्ध नहीं
होने से किसान
परेशान है.
सभापति महोदय, पूर्व में आदिवासी क्षेत्र में अनुदान मिलता था, जैसे सूरज धारा योजना के अंतर्गत चना, गेहूं, अलसी शासन की ओर से किसानों को दिया जाता था, पुन: यह योजना सूरज धारा आरंभ की जाये ताकि वहां के आदिवासी क्षेत्र के जो बाहुल्य लोग हैं, जो छोटे-छोटे किसान हैं, दो एकड़ के तीन एकड़ के वह अपनी उपज और अपनी पैदावार को ले सके, कृषकों को पर्याप्त मात्रा में बिजली उपलब्ध नहीं है, इसके लिये मैं अभी सिर्फ इस ओर माननीय कृषि मंत्री जी, सभापति महोदय और प्रशासन का ध्यानाकर्षित कराना चाहता हूं कि हम लोग किसान को किस तरह का बोझ देते है, एक किसान जब धान उठाता है, तो उसके कांधे पर बोझ होता है, लेकिन जब वह फसल को लेने के लिये जाता है.
जब बिजली
की आवश्यकता
होती है तो रात
के 12
बजे किसान खेत
जाता है और
सुबह 4.30 बजे तक
किसान वहां पर
पानी की
रखवाली करता
है. किसान को
हम दस घंटे
बिजली देने का
वादा करते हैं
और हम दो टाइम
जो बिजली देते
हैं, उसमें दिन
में और रात
में 12 बजे का
समय देते हैं जो
कि बिलकुल
अनुचित है.
किसान को इतना
बड़ा हम
बेवकूफ न समझे, जो
हमारा अन्नदाता है.
किसान के लिए
आप लोग ऐसी
नियम योजना
बनाए कि उसको
दिन में शाम
तक बिजली उपलब्ध
हो. किसान की
बिजली का बिल
सिंगल फेज
जिसकी बिजली
लगी है उसको
डबल और ट्रिपल
फेज के बिजली के
बिल आ रहे हैं
और उस समय आ
रहे हैं जब
किसान के पास
पैसा नहीं है,
अतिवृष्टि
हुई है, किसान इस वक्त
बहुत परेशान
है. तो
बिजली बिल के
ऊपर भी
कंट्रोल किया
जाए. अभी
मंत्री जी
बैठे थे तो
मैं कहने वाला
था कि किसान
के लिए सबसे
बड़ा जो
संसाधन है, वह जल
है और जल के
लिए जो
योजनाएं हैं, इन
योजनाओं को आप
थोड़ा गति दें, बालाघाट
की परसवाड़ा
विधान सभा के
अंदर ऐसी ऐसी
योजनाएं
संचालित है,
माइक्रो
एरिगेशन के
द्वारा जिसके
ऊपर किसी प्रकार
की सुध नहीं
ली जा रही
है.पिछले डेढ़
साल से
ऐरीगेशन का
विभाग
किसानों की
सुध नहीं ले
रहा है, इसको भी
संज्ञान में
लें.
आपने मुझे
बोलने का अवसर
दिया इसके लिए
बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री
मोहन शर्मा
(नरसिंहगढ़) – माननीय
सभापति महोदय, आप
अतिवृष्टि को
लेकर सदन में
चर्चा के लिए
आपने बोलने का
समय दिया इसके
लिए धन्यवाद.
हमारे प्रदेश
में
अतिवृष्टि और
बाढ़ के कारण
काफी नुकसान
हुआ. हमारे
मुख्यमंत्री
जी ने
अतिवृष्टि को
लेकर हमारे
क्षेत्रों में
अधिकारियों
को तत्काल
सर्वे करने का
आदेश दिया.
ग्रामीण
क्षेत्र में
कृषि भूमि में
जो नुकसान हुआ
उसका आंकलन
हुआ. बाढ़ से
जो क्षति हुई
उसका भी तत्काल
आंकलन हुआ.
कहीं जनहानि
कहीं पशुधन कई
मकान
क्षतिग्रस्त
हुए तो उनको
तत्काल
मुआवजा देने
का भी हमारे
मुख्यमंत्री
जी ने कार्य
किया है. हमें
इस बात का गर्व
है कि हमारे
किसान भाई जो
देश के अन्नदाता
है, देश
की जनता पेट
भरते हैं.
हमारे कई
मित्र किसान
को अज्ञानी और
बेवकूफ बताते
हैं पर मैं
मानता हूं कि
किसान न
अज्ञानी है न
बेवकूफ है.
किसान इस देश
की जनता का
पेट भरने वाला
माई-बाप है, क्योंकि
मैं भी एक
किसान परिवार
से आता है, गांव का
रहने वाला
हूं. हमारी
सरकार ने मेरी
विधान सभा
क्षेत्र की
बात करें तो
जैसे ही मुख्यमंत्री
जी को पता चला, सभापति
महोदय राजगढ़
जिले में सारे
अधिकारी, कर्मचारी
तत्काल
सर्वे करने के
बाद मुख्यमंत्री
जी ब्यावरा
में जाकर के
राजगढ़ जिले
को 277 करोड़ रुपए
की राशि
मुआवजा के रूप
में वितरण
किया गया.
एक मेरे ही विधान सभा क्षेत्र में घटना घटी एक दलित समाज का युवक नाले में बह गया उसको ढूंढने का प्रयास भी किया, प्रशासन के सारे अधिकारी भी लगे पर वह नहीं मिल पाया और अकाल मौत हो गई. हमने मुख्यमंत्री जी से आग्रह किया तो एक सप्ताह के भीतर चार लाख रुपए की राशि उस परिवार को सहायता के तौर पर देने का कार्य किया. ऐसे मुख्यमंत्री जी ने तत्काल किसान भाईयों को राहत देने का कार्य किया है.
भावांतर योजना चालू करके बहुत सही निर्णय किया है. हमारी सरकार ने किसान भाईयों के कल्याण के लिये तत्काल राहत देकर किसान भाईयों को संतुष्टि दी है. मैं खुद गांव गया हूं गांव में जाने के बाद गांव के किसान भाई कहने लगे कि पहली बार हमें एसडीएम कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़े तथा किसी भी अधीकारी के पास जाना नहीं पड़ा सरकार के अधिकारी खुद हमारे घर में आये सर्वे करके एक ही क्लिक के माध्यम से हमारे किसानों के बैंकों के खातों में पैसा आया है, यह भी सरायनीय कार्य हमारी सरकार ने किया है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमारे किसान भाइयों के लिये बहुत सी इस प्रकार की योजनाएं लाये हैं जिससे सीधा किसानों का लाभ मिले. अतिवृष्टि से बाढ़ के अलावा और भी बहुत सारी योजनाएं चालू करके रखी हैं. हमारे प्रदेश तथा हमारी केन्द्र की सरकार ने पहले किसान भाई की हालात क्या थी यह सदन भी जानता है क्योंकि मैं भी गांव का ही हूं. अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण जो नुकसान होता था तो किसान दर दर की ठोकरें खाता था उनको मुआवजा नहीं मिलता था. 2002 के पहले मेरे यहां पर भी ओलावृष्टि हुई थी उस समय तत्कालीन सरकार ने किसानों को कहीं पर 50 रूपये तो कहीं पर 20 अथवा 30 रूपये मुआवजे के रूप में मिले थे. ऐसी स्थिति पहले थी, लेकिन आज किसान के लिये तत्काल राहत देने वाली कोई सरकार है तो हमारे मध्यप्रदेश की मोहन यादव जी की सरकार है. मैं इस सरकार को हृदय से धन्यवाद देता हूं.
श्री
फुन्देलाल
सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)—सभापति
महोदय, आज
बहुत
महत्वपूर्ण
विषय है प्रदेश
के अन्नदाता
किसान जो
अतिवृष्टि से
हुए नुकसान के
संबंध में यह
सदन गंभीर है.
मैं मानता हूं
कि उतनी ही
गंभीर
मध्यप्रदेश
की सरकार भी
किसानों के
प्रति होगी,
ऐसा मैं सरकार
से अपेक्षा
करता हूं. जब
किसान का
नुकसान होगा,
जब अतिवृष्टि
होगी
अतिवृष्टि
में किसानों
की फसल का ही
नुकसान नहीं
होता है. उसके
उनके खेत के
स्वरूप में भी
परिवर्तन होता
है और जहां पर
पहाड़ी
क्षेत्र हैं
उन पहाड़ी
क्षेत्रों
में जो किसान
खेती करते हैं
फसल के साथ
उर्वरा और
मिट्टी भी
बहकर के चली
जाती है. किसानों
को मुआवजा तो
देते हैं, वह
भी ऊंट के मुंह
में जीरे के
समान देते
हैं. लेकिन
जितना हम कर
सकते हैं
करिये आज हम
कर्ज ले रहे
हैं आज प्रदेश
के नागरिक पर 50
से 60 हजार
रूपये प्रति
व्यक्ति कर्ज
हो गया है
प्रदेश का. आप
और कर्ज ले लीजिये
लेकिन किसान
को दरिया दिल
दिखाकर उनको
अधिक से अधिक
सहायता उनका
मुआवजा किसान
को दें. जब
हमारे किसानों
का खेतों में
नुकसान होगा
उसमें लगे
कृषक मजदूर भी
हमारे
प्रभावित
होते हैं वह
भी पलायन की
ओर भागते हैं
जितने भी
मजदूर हैं वह
किसानों के
खेतों में काम
करते हैं
पर्याप्त
उनको रोजगार न
मिलने से तथा
काम न मिलने
से एक
जिले से दूसरे
जिले में, एक
राज्य से
दूसरे राज्य
की ओर पलायन
करते हैं और
यह देखने में
भी आया है.
हमारे इस मध्यप्रदेश
में कई ऐसे
जिले हैं जहां
अतिवृष्टि
से पलायन होने
पर किसानों का
नुकसान हुआ और
कृषक मजदूर ने
जब जाना कि
हमको रोजगार
नहीं मिलेगा
तो हजारों-हजार
मजदूरों को
रेलवे स्टेशनों
में गठरी लिये
देखा गया. हम
चाहते हैं कि
आज जिस तरीके
से हमारे मध्यप्रदेश
में अनुसूचित
जाति, जनजाति
के लोग
आदिवासी समाज
के लोग जिनकी
संख्या 23 परसेंट
से ज्यादा है, वे
खेती पर आश्रित
हैं और जो
खेती पर ही
आश्रित हैं
ऐसे किसानों
को आप कितनी
सहायता देंगे, इस
पर आपको विचार
करना चाहिए.
किसान की जब
फसल नष्ट
होती है, तब उसके
भविष्य की
योजना पर भी
प्रभाव पड़ता
है. हर किसान
कहीं न कहीं
से ऋण लेकर के,
कहीं कर्ज
लेकर के किसी
न किसी प्रकार
से अपने
संसाधन इस
उद्देश्य से
इकट्ठा करता है कि इस
वर्ष मेरी फसल
लहलहाते हुए
बढ़िया उत्पादन
होगा और उसको
बेचकर वह बेटी
की शादी, बच्चों
को
पढ़ाने-लिखाने,
तमाम योजनाएं
बनाता है,
जिससे उस पर
प्रभाव पड़ता
है. आज किसान
अपने आप को
ठगा-सा महसूस
करता है और जब किसान
अपने
माता-पिता,
अपने परिवार
को देखते हैं
तो उनके बच्चों
पर भी प्रभाव
पड़ता है.
सभापति
महोदय, हमारे
मध्यप्रदेश
से जो पलायन
हो रहा है
उसको रोकने की
कोई योजना
आपके पास नहीं
है. इसलिए कि
आपने राष्ट्रीय
रोजगार
गांरटी योजना
को बंद कर
दिया है. आपने
मटेरियल
पार्ट को
भुगतान करना
बंद कर दिया.
जब रोजगार का
सृजन होगा, तो
वह होगा कहां
से. जब वे कृषक
मजदूर खेती से
फुरसत हो गए
हैं उनको काम
की जरूरत है
तो राष्ट्रीय
रोजगार
गारंटी योजना
से हम उनक
कृषकों को
रोजगार दिया
करते थे. लेकिन
आज आपने उस
योजना को बंद
करके रखा है.
आपने मटेरियल
पार्ट को बंद
करके रखा है.
जिसके कारण
रोजगार का
सृजन नहीं हो
रहा है और
आपके कृषक
मजदूर आज
रोजगार के लिए
इधर से उधर
भटक रहे हैं.
सभापति
महोदय, मैं
सरकार से
चाहता हॅूं कि
आप राष्ट्रीय
रोजगार
गारंटी योजना
को तत्काल
लागू करें. 10-25 ग्राम
पंचायतों में
काम दे देने
से हमारे सारे
मजदूरों को
रोजगार नहीं
मिलता है और
जब तक आप मटेरियल
पार्ट का
भुगतान नहीं
करेंगे, तब तक
रोजगार का
सृजन नहीं
होगा और उन
मजदूरों को
रोजगार नहीं
मिलेगा. जब
हमारी यूपीए
की सरकार थी, उस
समय 72 हजार
करोड़ रूपए एक
साथ पूरे देश
के किसानों का
कर्जा माफ
किया था. जब
आप जानते हैं
कि हमारा पूरा
प्रदेश
अतिवृष्टि
से प्रभावित
है तो आपको
इधर भी कदम
उठाना चाहिए
कि वह गरीब
किसान किसी
तरीके से अपना
संसाधन बनाए. उसने जोत
बोकर के अपना
फसल उगाया. आज
उसको निंदाई
में,
गुड़ाई में,
बोवाई में, जुताई
में जो राशि
लगी,
आपके 5 हजार
रूपए दे देने
से क्या उसकी
वह भरपाई हो
जाएगी. 2 हजार
एकड़ में कौन किसान
खेती कर लेगा. हम आप सब
बहुत सारे लोग
यहां बैठे हैं,
खेती करते
हैं. आप
बतायें. मेरा
आप सबसे यह
कहना है कि
सरकार को अधिक
से अधिक
किसानों को
मुआवजा देना
चाहिए.
सभापति महोदय, दूसरी बात मैं एमएसपी की बात करना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश में आप कौन-सी फसल पर पूरी एमएसपी दे रहे हैं जो किसान फसल पैदा करता है जो खेती करता है जो उत्पाद है क्या आप संपूर्ण उत्पाद का एमएसपी दे रहे हैं. हमने देखा है कि मेरे पुष्पराजगढ़ में इस मध्यप्रदेश में सर्वाधिक टमाटर की पैदावार होती है. जब पुष्पराजगढ़ का टमाटर निकलता है तो कई मंडियों को प्रभावित करता है. उस समय उस किसान का टमाटर 1 रूपए, 2 रूपए किलो बिकता है. चाहे वह रायगढ़ का टमाटर हो, चाहे वह नागपुर या अन्य प्रदेशों का टमाटर हो, तो मध्यप्रदेश में पुष्पराजगढ़ का ऐसा टमाटर है जो पूरी मंडियों को प्रभावित करता है और उन किसानों को समर्थन मूल्य राशि नहीं मिलती है.
हम चाहते हैं कि आप एक नीति का निर्धारण करें. अभी बहुत सारे किसानों ने दिल्ली में डेरा डाला था जिसमें 100 किसानों की जाने गयीं. जिसमें पंजाब, हरियाणा और अन्य प्रदेशों के लोगों ने वहां जाकर डेरा डाला था. लेकिन वहां मध्यप्रदेश के किसानों की उपस्थिति बहुत कम थी,इसलिये कि यहां पर बीस प्रतिशत समर्थन मूल्य यहां किसानों को मिल रहा है. अन्य राज्यों में समर्थन मूल्य अस्सी प्रतिशत प्राप्त होता है. यह वहां पर व्यवस्था है तो हमारे मध्यप्रदेश में भी और मध्यप्रदेश की सरकार को और डबल इंजन और त्रिपल इंजन की सरकार से भी चाहता हूं कि मध्यप्रदेश का किसान जो जिंस पैसा करता है, जो भी उसका उत्पाद है उस पर शत-प्रतिशत समर्थन मूल्य देना चाहिये. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि किसानों का जो भी नुकसान हुआ है उसका भरपूर मुआवजा देना चाहिये. धन्यवाद.
सभापति महोदय- श्री हेमंत सत्यदेव कटारे- अनुपस्थित.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू( मनासा)- सभापति महोदय, धन्यवाद की आपने बोलने का अवसर दिया. किसानों की फसलों, बीमा और नुकसानी पर चर्चा चल रही है.
सभापति महोदय, मैं काफी देर से आंकड़ें सुन रहा था, सब तरफ के. सबने अलग-अलग आंकड़े प्रस्तुत किये. लेकिन मुझे इतना याद है कि मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि किसान के खेत में फसल नहीं कटी थी और मुख्य मंत्री ने मुआवजे की राशि घोषित कर थी कि सभी किसानों का सर्वे करके राशि चली गयी. तब तक उनकी फसलें कटी भी नहीं थी. आप सब इस बात के साक्षी हैं, इस बात की सबसे पहले जब पीला मौजेक आया उसी समय आकर मुख्य मंत्री जी को ज्ञापन दिया और मुख्य मंत्री जी से बात करी, उसके बाद उन्होंने तत्काल आदेश जारी किये सारे कलेक्टर्स को कि तुरंत किसानों का सर्वे चालू किया जाये तो खेतों में जाकर एक-एक पटवारी, तहसीलदार और कलेक्टर स्वयं खेतों के सर्वे कर रहे थे और 15 दिन के अंदर मुआवजे की राशि भी तय हो गयी और 15 दिन में मुआवजा बंटना भी शुरू हो गया था. मैं धन्यवाद देना चाहूंगा ऐसे संवेदनशील मुख्य मंत्री को, उस समय हमारे विपक्षी हल्ला कर रहे थे कि.. (व्यवधान)
सभापति महोदय- आप लोग बैठें, जब आपका नंबर आयेगा तो बोल लीजियेगा. माननीय सदस्य कह रहे हैं कि सर्वे की शुरूआत करने कलेक्टर्स पहुंच गये.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू- यह हमारे विपक्षी दल उस समय हल्ला कर रहे थे. वह तुरंत पहुंच गये, तुरंत लिस्टें तैयार हो गयी और तुरंत जारी हो गयी. आप आंकड़ें देखियें और तारीखें उठाकर देखिये. जब किसान अपने पूरे डाक्यूमेंट सबमिट कर देता है तो उनका मुआवजे का पैसा रिजर्व हो गया. किसानों का सारा पैसा रिजर्व है, जिनको नहीं मिला है वह अपने सही डाक्यूमेंट सबमिट कर दें तो निश्चित रूप से उन किसानों को मुआवजे का पैसा मिल जायेगा. इसकी प्रक्रिया जारी है. उस समय विपक्षी हल्ला कर रहे थे जब 15 महीने इनकी सरकार थी तो इन्होंने बिना सर्वे किये राहत राशि बांटी, मुआवजा बांटा और अंधी बांटे रेवड़ी और चीन-चीन कर दे. ऐसे इन्होंने अपने अपने लोगों को रेवड़ी बांट दी, बिना सर्वे के. ऐसे किसानों को, ऐसे हितग्राहियों को जिनके यहां कोई नुकसान नहीं हुआ उन लोगों को इन्होंने पैसा दिया. अपने-अपने लोगों को छांटकर पैसा बांट दिया और अब हल्ला कर रहे थे कि अब हमने बिना सर्वे के मुआवजा बांट दिया. बिना जानकारी के आप कैसे मुआवजा बांट सकते हैं. ..(व्यवधान)..अब रही बीमे की बात. सर्वे तो करना ही पड़ेगा. आपके मुख्य मंत्री जी ने बिना सर्वे के बांट दिया तो उस समय आप लोगों ने लिस्टें दे दीं तो उनको पैसा मिल गया.
सभापति महोदय- अनिरूद्ध जी व्यक्तिगत बहस में अपना समय मत खराब कीजिये.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू - यह उस समय की बात थी. मैं समय खराब नहीं कर रहा हूं. इनको जवाब भी देना पड़ेगा. इनको बताना तो पड़ेगा कि आपके काले कारनामें भी पता है, हमको कि आपने क्या किया. यह भी तो उजागर करना पड़ेगा, तो इन्होंने यह किया. उस समय में इन्होंने अपने समय में अपने लोगों को राहत राशि बांटी, निश्वित रूप से किसानों पर अन्याय करने वाले यह लोग बिना बात के हल्ला कर रहे थे जबकि पूरे प्रदेश में किसान प्रसन्न है. किसानों के खातों में लगातार पैसा आ रहा है. भावांतर का पैसा 7 दिन के अंदर किसानों के खाते में आ चुका है. इतनी इमानदारी से किसानों का तौल चल रहा है, आप मंडियों में देखें कि वहां पर कहीं कोई विरोधाभास नहीं, कहीं किसानों में आक्रोश नहीं है. हर जगह प्रसन्नता का वातावरण है और सबसे बड़ी बात की उसको मुआवजे की राशि मिल गयी, उसको भावांतर मिल गया और बीमे की राशि उसके खाते में आयेगी तो निश्चित रुप से किसान के उत्पादन का बराबर करने का काम हमारी सरकार ने किया है. उसको कहीं नुकसान नहीं होगा. इस बात की चिंता हमारी सरकार कर रही है. मैं मुख्यमंत्री जी से एक निवेदन करना चाहता हूं कि बीमे के मामले में थोड़ी सी व्यवस्थाएं ठीक करना चाहिये कि बीमा कम्पनियां सेटेलाइट की बात करती हैं. उनके सेटेलाइट वालों का रिकार्ड लेकर और तुरन्त अनावरी कराई जाये, ताकि आंकड़े मिलाये जा सकें. अगर ये आंकड़े मिलाकर बीमे की राशि तय होगी, तो किसान को एक रुपये का नुकसान नहीं होगा और बीमा कम्पनियां जो बेईमानी करने की कोशिश करती हैं, उन पर भी लगाम लगेगी. इसलिये अनावरी के आंकड़ों से उनके आंकड़े मेच करके उसके बाद अगर बीमे का पैसा बंटेगा, तो निश्चित रुप से हमारे प्रदेश का किसान खुशहाल होगा और प्रसन्न होगा. और रहा सवाल अभी खूब हल्ला कर रहे थे कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं. किसान आत्महत्या करते तो आप लोग चुपचान नहीं बैठे रहते यहां पर. इसलिये कहीं प्रदेश में किसान आत्महत्या करने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि किसान को तो कर्ज मुक्त तभी करा दिया था माननीय पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी ने, जब किसान क्रेडिट कार्ड चालू किया और कोई भी आत्महत्या होती है, उसको ये कहते हैं कि किसान ने आत्महत्या कर ली. इन्होंने एक नया नियम बना लिया. सभापति जी, मेरा निवेदन है कि थोड़ा सा बीमा कम्पनियों पर लगाम लगाई जाना चाहिये, ताकि हमारे किसानों को बीमा पूरा मिले और अभी कुछ कम्पैरिजन चल रहे थे कि उन्होंने 8 हजार रुपये बीमे के दिये और उसको 2 हजार रुपये मुआवजे का मिला. श्रीमान जी, आप भी गाड़ी घोड़ों के बीमे करवाते हो, जितना नुकसान होता है, उतना ही नुकसानी मिलेगी कि आपके बीमे की राशि वापस कर देंगे वह. कहीं ऐसा होता है कि बीमे में. बीमे का मतलब ही यह है कि जितना नुकसान हो, उतनी ही उसकी भरपाई की जाये. इस बात की चिंता करना पड़ेगी. आप यहां आंकड़े मत बताइये कि उसको 2 हजार रुपये मिले, उसको 1 हजार मिला. बीमे का तो जितना नुकसान उसका आंकलन होगा, जितनी फसल उसने बोई होगी. ये हिसाब लगाते हैं प्रति एकड़, उसका रकबा नहीं देखते हैं कि उस रकबे में कितनी रकबे में फसल बोई उसने और कितना नुकसान हुआ है. उस आधार पर ही बीमा मिलेगा. आप लोग अगर आंकड़ों से हिसाब लगाते हो, तो यह गलत आंकड़े प्रस्तुत करते हो. या तो पूरे आंकड़े लेकर आओ कि इतना नुकसान हुआ और इतना ही पैसा मिला. खाली ये पैसा बताने से काम नहीं चलेगा. आपको पूरे आंकड़े बताना पड़ेंगे. सदन को आप असत्य जानकारी प्रेषित मत करिये, सदन में सभी समझदार लोग बैठे हैं. हम सब किसान हैं. रोज यही काम करते हैं. हम भी समझते हैं कि वास्तव में हमने कितने खेत में बोया, मेरा कितना नुकसान हुआ और कितना पैसा आया. इसलिये आज पूरे प्रदेश में किसानों में कहीं कोई आक्रोश नहीं है. किसान प्रसन्न है. मैं धन्यवाद देता हूं मुख्यमंत्री जी को कि उन्होंने इतनी संवेदनशीलता से सब चीजों में इतने जल्दी निर्णय किये और तुरन्त उन्होंने मुआवजा भी देना शुरु किया. तुरन्त भावांतर का तौल शुरु हुआ, तुरन्तर भावांतर मिलना शुरु हो गया और बीमे की राशि भी बहुत जल्दी किसानों के खातों में आयेगी. यही निवेदन मेरा मुख्यमंत्री जी से है. सभापति जी, धन्यवाद.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर (पृथ्वीपुर)-- सभापति महोदय, सदन में नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा हो रही है, उस पर आपने बोलने के लिये अवसर दिया है, उसके लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद. आज किसानों की चर्चा हो रही है और किसानों की दशा के संबंध में चंद पंक्तियों के साथ अपनी बात शुरु करना चाहूंगा. कहां रख दूं अपने हिस्से की शराफत, जहां देख वहां बेईमान ही खड़े हैं. क्या खूब बढ़ रहा है वतन देखिये, खेतों में बिल्डर और सड़क पर किसान खड़े हैं. सभापति महोदय, इस वर्ष प्रदेश के कई जिलों मैं सामान्य से कई गुना अधिक वर्षा हुई और हमारे किसान साथियों की फसल बर्बाद हो गई. मैं बुन्देलखण्ड से आता हूं और बुन्देलखण्ड बहुत ही पिछड़ा क्षेत्र है और कृषि प्रधान क्षेत्र भी है. बुन्देलखण्ड में अधिकतर जब किसान की फसल बर्बाद हो जाती है, तो मजबूरी में हमारे किसान साथी को मजदूरी करने के लिये पलायन करके बाहर दिल्ली, मुम्बई या बड़े शहरों में जाना पड़ता है और उसको बड़ी अव्यवस्था का सामना करना पड़ता है. यहां का किसान जिंदगी और मौत के बीच खड़ा रहता है. ऐसी विषम परिस्थिति जब पहले ही फसल बर्बाद होने से किसान खून के आंसू रो रहा है.
सरकार
इन किसानों को
राहत देने के
बजाए हमेशा हवाई
घोषणायें
करती रहती है. यह लोग
किसान की आय
दोगुनी करने
की बात करते हैं
लेकिन हकीकत
यह है कि
किसान की
परेशानी दोगुनी
हो रही है, आय
कहीं दोगुनी
नहीं हो रही
है. किसान को न
तो समय पर
बिजली मिल रही
है, और खाद के
संकट ने तो
उसको तोड़कर
के रख दिया है.
माननीय
सभापति महोदय,
सोसायटी में
खाद नहीं मिलती
और जब मिलती
है तो भयंकर
असुविधा का
सामना हमारे
किसान
साथियों को
करना पड़ता
है. मेरी
विधानसभा
पृथ्वीपुर,
निवाड़ी एवं
टीकमगढ़ दोनों
जिलों मे आती
है. मै कहना
चाहता हूं कि
टीकमगढ़ और
निवाड़ी जिले
में और
पृथ्वीपुर
में किसान को
खाद की अत्यंत
समस्या से
जूझना पड़ रहा
है, रोज किसान मजबूरी
में चक्काजाम
कर रहे हैं,
रोज उनको
असुविधा हो
रही है और खाद
की भारी
कालाबाजारी
हो रही है.
किसान को खाद
मिलना चाहिये
वह मिल नहीं
रही है, यदि
कहीं पर मिल
भी रही है तो
बहुत मंहगे
दाम पर खाद
मिलती है.
पिछले सत्र
में भी मैंने
अपने जिले की
बात को सदन
में रखा था. इस
समस्या से अवगत
कराया था.
निवाड़ी और
टीकमगढ़ जिले
के कलेक्टर को
पत्र लिखकर के
और मौखिक रूप
से भी अवगत
कराया था. इस
बार भी मैने
उनको पत्र भी
लिखा और मौखिक
रूप से अवगत
कराया है.
लेकिन आज दिनांक
तक वहां पर इस
समस्या का
निराकरण नहीं
हो पाया है.
कालाबाजारी
पर भी कोई
अंकुश नहीं
लगा है.
माननीय
सभापति महोदय,
मुझे तो ऐसा
प्रतीत होता
है कि सरकार
की
प्राथमिकता किसान
नहीं बल्कि
इवेंट
मैंनेजमेंट,
घोषणा पत्र और
प्रचार
प्रसार है.
मेरा मानना है
कि सरकार को
खाद के विषय
पर गंभीर होना
चाहिये. और हमारे
अन्नदाताओं
के साथ में
न्याय करना
चाहिये.
माननीय
सभापति महोदय,
मेरी दो तीन
मांग हैं जिसको
मैं सदन में
रखना चाहता
हूं. सभापति
महोदय,
अतिवृष्टि और
फसल का जो
नुकसान किसानों
का हुआ है
सरकार उसका
सही तरीके से
सर्वे करवाकर
के किसानों को
मुआवजा
दिलाये केवल हवाई
बातें नहीं की
जायें. साथ ही
प्रत्येक किसान
परिवार को
वास्तविक
नुकसान के
अनुसार उचित
और तत्काल
राहत दी जाये
और कर्ज माफी
और बीमा क्लेम
के लंबित
मामलों को
तत्काल निपटाया
जाये. इस
समस्या का
निराकरण यदि
यह सरकार करती
है तो निश्चित
रूप से हमारे
किसान और अन्नदाता
खुश होंगे और
सरकार को
दुवाएं देगा.
सभापति
जी आपने मुझे
अपनी बात रखने
का अवसर प्रदान
किया इसके
लिये आपको भी
बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति
महोदय-
धन्यवाद
नितेन्द्र जी.
सभी सदस्यों
से निवेदन है
कि अभी विपक्ष
के 14-15 सदस्यों को
बोलना है. यदि
हम 3 मिनिट के
अंदर अपनी बात
रखेंगे तो
उचित होगा.
सदस्य इस बात
का ध्यान रखें
कि अधिकांश
चीजों को
दोहराया जा
रहा है, जो चीज
सदन में आ
चुकी है,
पूर्व सदस्य
कह चुके हैं,
उनको छोड़कर
के आप नई बात
कहेंगे तो 3
मिनिट में
पूरा विषय आ
जायेगा. मैं
एक साथ मे
विपक्ष के 2-3
माननीय
सदस्यों को
बोलने का अवसर
दे रहा हूं.
श्री फूलसिंह
बरैया जी..
श्री
फूलसिंह
बरैया
(भाण्डेर) --
माननीय सभापति
महोदय,
अतिवृष्टि से
पूरे प्रदेश
के किसान
प्राकृतिक
आपदा का शिकार
हुये हैं.
दतिया एक ऐसा
जिला है जहां
पर सबसे
ज्यादा वर्षा
होती है, सबसे
ज्यादा गर्मी
पड़ती है,
सबसे ज्यादा
सर्दी पड़ती
है. पिछली
बार भी बाढ़
की चपेट में
मेरा
विधानसभा क्षेत्र
भाण्डेर आ गया
था. कई
स्कूलों में पिछली
बारिश का पानी
अभी भी भरा
हुआ है, इस बार
सबसे ज्यादा
बारिश हुई वह
पानी भी उसमें
जुड़ गया.
स्कूल पांच
पांच माह से
बंद पड़े हैं
ऐसा पिछड़ा
हुआ इलाका है.
वहां पर शहरी
इलाका बहुत कम
है न के बराबर
है. सारा कुछ
किसानों का
है.
सभापति
महोदय, अपने
विधानसभा क्षेत्र
में जब किसानो
की खराब फसल
को मैं देखने
के लिये गया
तो कम से कम एक
एक फुट पानी
में फसल डूबी
हुई थी. फैल गई
थी, बिछ गई थी.
जब मैं दौरा
कर रहा था तो
मैंने एक खेत
के किसान को,
उसके मालिक को
बुलाया तो खेत
का मालिक मेरे
पास में 3 घंटे
के बाद में आ
पाया, इतने
चक्कर काट के
आना पड़ता है
बीच में कई
नदियां हैं,
अभी तक वहां
पर रपटे भी जो
कांग्रेस के समय
में बने थे बस
वही रपटे टूट
गये हैं, कुछ
भी नहीं है,
कोई सड़क भी
नहीं है. ऐसी
किसानों की हालत
है जब वह तीन
घंटे में अपने
खेत पर पहुंच
पाया तो वहां
की स्थिति
क्या थी.
मैंने उनसे
कहा कि मै
दुबारा देखने
आऊंगा , जब
दुबारा मैं
देखने गया तो
पानी कम हो
गया जो धान की
बाल पानी में
डूबी हुई थी
वह अंकुरित होने
लगी, यह
स्थिति थी
और यही नहीं वहां पर एक बीघा में 10 क्विंटल धान होती है पर इस बार 3 क्विंटल निकली है. इसमें भी किसान सोच रहा था कि हमें मुआवजा अच्छा मिलेगा तो 3 क्विंटल में काम चल जाएगा. इसी बीच में मुख्यमंत्री महोदय ने घोषणा कर दी कि सरकार इस बार गेहूं और धान नहीं खरीदेगी. इससे किसान घबरा गया और अपनी धान को ट्राली में भरकर मण्डी ले गया. 10-10 दिन मंडियां जाम रहीं. 1500-1600 रुपए में धान को बेचा जो धान 2500-2600 के भाव में बिकता. पूरे क्षेत्र की छोटी सी मंडी होने के कारण वहां जाम की स्थिति बन गई. मंडी के लोग खरीदने को तैयार नहीं थे इसलिए भी जाम लग गया. मैं केवल सार की बात बता रहा हूं. सेठ, साहूकार धान खरीदने को तैयार नहीं थे. एक बीघा में 4500 रुपए उनको मिला जिसमें कि उन्हें 30-30 हजार रुपए मिलते थे. अगर मुख्यमंत्री जी की घोषणा नहीं होती और किसान रुके रहते और अभी बेचते को कम से कम 3-4 हजार रुपए बीघा का फायदा होता. समर्थन मूल्य की जो चर्चा है. मूंगफली और तिल्ली की फसल वहां पर होती है. तिल्ली और मूंगफली बिलकुल बर्बाद हो गई है. जब किसान की सारी फसल बर्बाद हो जाए तो सरकार को उसका भाव देना चाहिए. यह कहीं कन्फ्यूजन की बात नहीं है. मुआवजे पर असमंजस नहीं होना चाहिए. दूसरी तरफ खाद की लाइन लगी है.
सभापति महोदय -- माननीय फूल सिंह जी खाद की बात आ चुकी है.
श्री फूल सिंह बरैया -- सभापति महोदय, मैं उस पर नहीं बोल रहा हूँ. खाद पर इस बार पुलिस ने दलाली की है. खाद पर उस विभाग का अधिकारी दलाली करे तो कोई बात नहीं पुलिस ने दलाली की और डण्डे अलग मारे. लाइन में लगे-लगे लोग बीमार हो गए और मर गए. यह किसी ने नहीं कहा कि लोग मर गए. एक बोरी यूरिया 273 रुपए में जा रही है. सरकार कह रही है हमारे पास खाद की कमी नहीं है तो फिर 500 रुपए में ब्लेक में खाद क्यों मिल रही है. डीएपी का रेट 1370 रुपए है जो कि 2 हजार रुपए में मिल रही है. लोगों ने सोचा कि हम गोदाम से खरीदेंगे. वहां से खरीदो तो वहां पर एक पाउच दे रहे हैं एक नेनो की बोटल दे रहे हैं. यदि किसान 1370 रुपए की बोरी खरीद रहे हैं तो 350 रुपए का उसके साथ नेनो खरीदना पड़ रहा है. यह नहीं लोगे तो खाद नहीं दिया जाएगा. किसान खाद खरीदने आया है, नेनो खरीदने नहीं आया है. यह तो ऐसा हो गया कि हमने होटल में कुछ खाया और बिल पेमेंट करते समय होटल वाले के पास खुल्ले पैसे न होने पर वह हमें टॉफी पकड़ा देता है. किसान की तकलीफ को सरकार समझे और शासन, प्रशासन को आदेशित करे. हमें संतुष्ट मत करिए, आप किसानों को संतुष्ट कर दीजिए. किसानों के लिए हम यहां पर बोल रहे हैं, हमें अकारण यहां नहीं बोलना है. किसान के दुख को देखकर हमें यहां पर बोलना पड़ता है.
सभापति
महोदय,
किसानों को
उचित और
पर्याप्त मुआवजा
दिया जाए
जिससे किसान
के नुकसान की
भरपाई की जा
सके. धन्यवाद.
श्री भैरो
सिंह (बापू)--
सभापति महोदय, आपने
मुझे बोलने का
मौका दिया.
धन्यवाद. मैं
किसानों की
आवाज उठाने
आया हूं. मेरे
विधान सभा
क्षेत्र और
मालवा
क्षेत्र के
किसानों की यह
हालत है कि
जिस तरीके से
सोयाबीन की
फसलों में
अतिवृष्टि से
नुकसान हुआ है
उसकी लागत भी
किसानों को
नहीं मिली है. एक बात
अवश्य है कि
माननीय मुख्यमंत्री
जी ने भावांतर
दिया पर
भावांतर कब दिया
जब आम किसान
अपनी फसल को
मंडी में बेंच
चुका था उसके
बाद उसको
भावांतर मिला
तो उसका लाभ किसान
को मिला या व्यापारी
को मिला. उसके
साथ में जब
अतिवृष्टि हुई
तो आज प्याज
की पूरी फसल
नष्ट हो चुकी
है, लेकिन
अभी तक मध्यप्रदेश
सरकार से प्याज
के लिए
किसानों को
कोई संतुष्टि
नहीं मिली न
आज प्रदेश में
खाद है और आज
अभी भी मेरी
विधान सभा में
धरना चल रहा
है. 500 किसान
यूरिया खाद के
लिए खड़े हैं, लेकिन
कालाबाजारी
हो रही है.
किसानों को
खाद नहीं मिल
पा रहा है.
विद्युत की
बात करें तो
माननीय मुख्यमंत्री
जी ने बोला था
कि अभी पंद्रह
दिन पहले कि
हम दस घंटे
दिन के अंदर
लाईट देंगे.
आज किसान की
यह हालत है
कि दस घंटे तो
ठीक पर दिन के
अंदर पांच घंटे
भी बिजली नहीं
मिल पा रही है .
किसान सर्दी
में ठिठुरने पर
मजबूर हो रहा
है. माननीय
सभापति महोदय, आज किसान
की जो स्थिति
है चाहे खाद
हो, चाहे
प्याज हो
उनको उचित दाम
नहीं मिल पा
रहा है, आज
भारत सरकार के
मंत्री
आदरणीय नितिन
गडकरी जी एक
महत्वकांक्षी
योजना लाए थे.
मैं उनको धन्यवाद
देता हूं कि
उन्होंने
किसानों के बारे
में सोचकर मक्का
की ग्रेन से
इथेनॉल बनाने
की एक योजना
लाए थे. जब मक्का
का भाव 2400 रुपए
क्विंटल था तब
भारत सरकार ने
71.86 रुपए लीटर
एग्रीमेंट
इथेनॉल कंपनी
से किया था, लेकिन आज
वही मक्का दस
और बारह रुपए
किलो है. आज भी
इथेनॉल का रेट
71.86 रुपए ही है. किसान
को नुकसान
देकर यह फायदा
किसको जा रहा
है. अडानी को, अम्बानी
को.
5.18 बजे {सभापति
महोदय (डॉ.
राजेन्द्र
पाण्डेय)
पीठासीन हुए.}
सभापति
महोदय,
मैं आपके माध्यम
से मंत्री
महोदय को ध्यान
दिलाना
चाहूंगा कि जब
12 से 15 रुपए लीटर
का डिफरेंस 1500
रुपए क्विंटल
का अंतर मक्का
में आ सकता है
तो इथेनॉल से
जो फायदा मिल
रहा है क्या
उसके रेट आपने
कम किये. आज
मक्का
आधारित
इथेनॉल की
कीमत 71.86 रुपए
प्रति लीटर है.
प्रति टन मक्का
का औसतन उत्पादन
390 लीटर होती है.
आज मक्का की
कीमत के
अनुसार कम से
कम 52 से 55 रुपए
प्रति लीटर
मार्जिन मनी
सरकार को जाती
है. 16.86 रुपए
प्रति लीटर का
मुनाफा आज कंपनियों
को मिल रहा है.
किसान को आज
ढाक के तीन पात. आज
किसानों ने
मक्का बोई तो
आज मक्का में
भी किसान खून
के आंसू रो
रहा है. मैं
आपके माध्यम
से माननीय
मंत्री जी को
कहना चाहूंगा
कि सोयाबीन
में किसान मर
गया, प्याज
में किसान मर
गया और आज मक्के
के अंदर भी
किसान की
सरकार द्वारा
यह हालत कर दी
गई है कि आज वह
दर दर की
ठोकरें खा रहा
है. उसको उचित
मूल्य नहीं
मिल रहा है.
सिंचाई की व्यवस्था
देखी जाए मैं
पहले भी आवाज
उठा चुका हूं
कि मेरा
परिसीमन
क्षेत्र बडा़
गांव करजू
क्षेत्र जहां
आज पानी की व्यवस्था
भी नहीं है.
पहले भी
कुंडलिया डेम
से जोड़ने के
लिए निवेदन
किया था लेकिन
आज तक न तरे उस
क्षेत्र को
जोड़ा गया और पठपुड़ा
रोड़ जो पूरी
सिंचाई से
वंचित है न ही
उसको जोड़ा
गया आज पूरे
आगर जिले के
अंदर अड़ई, सिरपोई, और
खंदवास सियाखेड़ी
और भीमपुरा
में सरकार की
महत्वकांक्षी
योजना, मनोटी
बैराज है जो
कि अधर में
लटकी हुई है,
किसानों को
सिंचाई के लिए
पानी नहीं मिल
रहा है.
किसानों को
फसल का उचित
मूल्य नहीं
मिल रहा है तो
कम से कम उन्हें
विद्युत और खाद
तो मिले. आपसे
आग्रह है कि
आप किसानों पर
तरस खायें,
सरकार उन्हें
उचित मूल्य
नहीं दे पा
रही है, तो कम से
कम उनके लिए
व्यवस्था
तो करे. सरकार
ये जंगलराज
समाप्त करे.
सभापति
महोदय, मुख्यमंत्री
जी स्वयं कह
चुके हैं कि
दिन में 10 घंटे
बिजली मिलेगी
लेकिन उसके
बाद भी
अधिकारी
किसानों को
बिजली क्यों
नहीं दे पा
रहे हैं या तो
अधिकारियों
को ऊपर से
बिजली नहीं
मिल पा रही है.
ठंड में आये
दिन किसान
बीमार हो रहे
हैं, मेरे
क्षेत्र में
ठंड में
ठिठुरने के
कारण दो
किसानों की
मौत भी हो गई
है. मेरा
आग्रह है कि किसान
को दिन में 10
घंटे बिजली दी
जाये, जिससे
वह दिन में
खेती कर सके,
धन्यवाद.
श्री
विजय रेवनाथ चौरे
(सौंसर)- सभापति
महोदय, सरकार
कितनी भी अपनी
पीठ थपथपा ले, परंतु
जमीनी हकीकत
कुछ और ही है. यदि किसान
सुखी-संपन्न
होता तो आज
प्रदेश भर में
किसानों के जो
आंदोलन हो रहे
हैं, चक्काजाम
हो रहा है
किसान सड़कों
पर निकल रहे
हैं वह नहीं
होता. मेरे
क्षेत्र
सौंसर में 28
तारीख़ को 10
हजार किसानों
ने कपास और
मक्के के भाव
को लेकर सड़क
पर उतरकर
आंदोलन किया, पूरे
प्रदेश में
यही स्थिति
है. मेरा कहना
यह है कि जब
हमने न्यूनतम
समर्थन मूल्य
दिया है तो
इसका अर्थ क्या
है कि इससे
नीचे कोई फसल
खरीदी नहीं
जायेगी. कपास
का समर्थन
मूल्य रुपये
8100 है, बेचना
पड़ रहा है
रुपये 6500 में, करो
जोरदार
अभिनंदन. मक्का
का समर्थन
मूल्य रुपये
2500 प्रति
क्विंटल है, बेचना
पड़ रहा है
रुपये 1000 में, करो
जोरदार
अभिनंदन. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति
महोदय, मैं, स्वयं
मुख्यमंत्री
जी का अभिनंदन
करूंगा, जब हमें
ये बड़े-बड़े
बैनर-होर्डिंग
पर शिवराज जी, मोदी जी
की समर्थन
मूल्य वाली
जो फोटो लगा
रखी है, वहीं
हमें दिला
दीजिये. सच्चाई
यह है कि मोदी
जी अमेरिका से
कपास बुला रहे
हैं, स्विट्ज़रलैण्ड
से मक्का
बुला रहे हैं, जब आप सब
कुछ विदेशों
से बुलायेंगे
तो देश के किसानों
को उनकी फसलों
का दाम कैसे
मिलेगा ? एक तरफ
आप स्वदेशी
अपनाने की बात
करते हैं और
दूसरी तरफ बाहर
से सामान बुला
रहे हैं, देश के
लोगों को
गुमराह कर रहे
हैं. सरकार को
इस विषय पर
गंभीरता से विचार
होना चाहिए.
सभापति
महोदय, आज किसान
बहुत पीडि़त
और परेशान है, उसे
समर्थन मूल्य
नहीं मिल रहा
है और मंडियों
की स्थिति यह
है कि आपने
कपास खरीदने
के लिए Cotton
Corporation of India Limited (CCI)
को
अधिकृत किया
है लेकिन वह
कपास में नमी
की मात्रा का
बहाना करती है, कपास गीला है, ये है, वो है
कहती है. आप
मुझे बतायें
कि किसान अपना
कपास, मक्का
बेचेगा कहां ? आज किसान की
दुर्दशा है.
मेरा अनुरोध
है कि आज
किसान जितना
परेशान है, उतना कभी
नहीं रहा.
मेरा कहना है
कि सरकार इस
पर ध्यान दे.
सभापति
महोदय, आज बिजली
का भयानक संकट
है.
प्रदेश
के मुख्यमंत्री
जी 10 घंटे
बिजली देने की
बात करते हैं.
अभी एक वीडियो
मैंने मुख्यमंत्री
जी का देखा, जिसमें उन्होंने
कहा कि अब दिन
में 10 घंटे
बिजली मिला
करेगी,
किसान को रात
पानी खोलने
जाने की जरूरत
नहीं है. हमें
यह समझ नहीं आ
रहा कि या तो
उनकी घोषणा
असत्य है या
अधिकारी उनकी
बातों का पालन
नहीं करते
हैं. किसान को
आज 8 घंटे भी
बिजली ढंग से
नहीं मिल रही
है.
एक-एक
ट्रांसफार्मर
पर 50-50 कनेक्शन
दिये गए हैं
जबकि वहां 20-25 ही
होने चाहिए.
ऐसे में
ट्रांसफार्मर
उड़ रहे हैं, यह कोई सिस्टम
नहीं है, पूरा का पूरा
सिस्टम
बिगड़ा हुआ
है.
सभापति
महोदय, सरकार
किसानों की
हितैषी नहीं
है.
मेरा सरकार से
अनुरोध है कि
मुख्यमंत्री
जी ने कहा था
कि हम दूध पर
रुपये 5 का
बोनस देंगे, किसानों से
संबंधित विषय
है लेकिन इसकी
घोषणा अभी तक
नहीं हुई.
मेरा सरकार को
सुझाव है कि
वह रुपये 10
प्रतिकिलो
गोबर और रुपये
5 प्रतिकिलो
गोमूत्र
खरीदना शुरू
कर दे, तो
सड़कों पर
मिलने वाला
गोवंश
किसानों के घरों
में बंधने लग
जायेगा.
सभापति
महोदय सच्चाई
यह है कि
हमारे साथी कह
रहे हैं वे किसानों
को सम्मान
निधि दे रहे
हैं, यह सम्मान
निधि नहीं है वह
अपमान निधि
है. आपने पहले
किसानों को
इंजेक्शन
लगाकर खून चूस
लिया, फिर
दो-चार बूंदें
उसी की
निकालकर उस पर छिड़कर दी,
उसी को सम्मान
निधि कहते हैं, तो
यह कुल मिलाकर
सरकार गुमराह करना बन्द
करे. मेरा
आपसे अनुरोध
है कि किसान
पीडि़त हैं,
परेशान हैं और
आज जिस तादाद
में सड़कों पर
किसान उतरे
हैं, उसकी
वेदना और उसकी
पीड़ा वही
जान सकता है.
माननीय
सभापति महोदय,
माननीय मुख्यमंत्री
जी एवं कृषि
मंत्री जी से
भी मेरा अनुरोध
है कि मण्डियों
में,
बाजारों में
जो आपकी व्यवस्थाएं
चल रही हैं.
उसमें वास्तव
में बहुत
भयानक
दुर्दशा है,
पूरे किसानों
की वेदना और
पीड़ा को
समझने के लिए.
आज जो किसान
सड़कों पर उतर
रहा है, आप उसकी
भावनाओं को
समझिये और
उनकी फसल को
उचित दाम
मिले. किसान
आपसे अपने
समर्थन का हक
ही मांग रहे
हैं, वह
कोई आपसे भीख
नहीं मांग रहे
हैं कि हमको
फलां दे दो, वह
केवल उचित दाम
मांग रहे हैं.
सभापति
महोदय - विजय
जी,
आपकी सारी
बातें आ गई
हैं.
श्री
विजय रेवनाथ
चौरे - सभापति
महोदय, जिस दिन
किसान को फसल
का दाम अच्छा
मिल जायेगा, वह
सरकार के आगे
हाथ नहीं
जोड़ेंगे.
आपने मुझे
बोलने का मौका
दिया, आपका
बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति
महोदय - बहुत-बहुत
धन्यवाद.
5.26 बजे
अध्यक्षीय
घोषणा
सदन के
समय में
वृद्धि विषयक
सभापति
महोदय - नियम
139 पर
चर्चा पूर्ण
होने तक सदन
के समय में
वृद्धि की
जाये. मैं
समझता हूँ कि
सदन इससे सहमत
है. (सदन द्वारा
सहमति व्यक्त
की गई.)
श्री
महेश परमार
(तराना) - धन्यवाद,
आदरणीय
सभापति महोदय.
सभापति
महोदय - महेश
जी, सबके लिए
समयावधि 3
मिनट है.
श्री
महेश परमार - जी.
सभापति महोदय, आप
उज्जैन
संभाग से हैं.
मैं इन्दौर,
उज्जैन, रतलाम,
देवास, शाजापुर,
आगर मालवा और
धार यह ''पीला सोना'' सोयाबीन
के रूप में
हमारी पहचान
थी और
हमारी पहचान
है आज मुख्यमंत्री
उज्जैन से
हैं. लहसून, प्याज
और गेहूँ
मालवा की
पहचान थी.
लेकिन आदरणीय
सभापति महोदय,
मैं खासकर
बताना चाहता हूँ कि अतिवृष्टि
के कारण हमारे
माननीय मुख्यमंत्री
जी के जिले
उज्जैन में
महिदपुर
विधान सभा में
हमारे साथी विधायक
श्री मिथिलेश
जैन जी बैठे
हुए हैं. अतिवृष्टि
से सोयाबीन की
फसल खराब होने
के कारण
आदरणीय सभापति
महोदय 4-5 किसान
भाइयों ने एक
महीने में आत्महत्या
कीं. यह बड़े
दुर्भाग्य
और शर्म की बात
है. भारतीय
जनता पार्टी
की सरकार इसके
लिए जिम्मेदार
है.
सभापति
महोदय, आप
बातें
बड़ी-बड़ी
करते हैं,
आंकड़े
बड़े-बड़े
हैं. मैं
पूछना चाहता
हूँ कि 2,700 रुपये
प्रति
क्विंटल
सोयाबीन बिकी.
क्या आपने
उनको भावान्तर
दिया ? आप कितना
भावान्तर
देंगे. सभापति
महोदय, मैं आपके
माध्यम से,
माननीय मुख्यमंत्री
जी और कृषि
मंत्री
से पूछना चाहता
हूँ कि लहसून, प्याज,
गेहूँ. क्या 2
रुपये प्रति
किलो लहसून
बिक रही है ?
खासकर मन्दसौर,
रतलाम, उज्जैन,
इन्दौर आप
जहां जिस
विधान सभा से
आए हैं, वहां का
उन्नत किसान
लहसून लगाता
है,
उज्जैन का
तराना है. आज
लहसून के
किसान दर-दर
की ठोकरें खा
रहे हैं, उनको दाम
नहीं मिल रहा
है, प्याज
की स्थिति आप
लोगों के
सामने है. प्याज
किसानों को
फेंकनी पड़
रही है, आदरणीय
सभापति महोदय. मैं उज्जैन
की बात करना
चाहता हूँ.
भूमाफिया
जमीनों पर कब्जा
कर रहे हैं, इस
सदन में लैंड
पुलिंग काला
कानून लेकर आए, जब
किसान आन्दोलन
कर रहे थे, तो
आदरणीय मुख्यमंत्री
जी ने रात्रि
को 9 बजे उन
किसान भाइयों
को बुलाकर कहा
था कि हम लैंड
पुलिंग एक्ट
वापस लेंगे.
मैं आपके माध्यम
से माननीय
मुख्यमंत्री
जी और आदरणीय
नगरीय विकास
एवं आवास
मंत्री, श्री
कैलाश
विजयवर्गीय
जी बैठे हुए
हैं. आप यह
काला कानून
लेकर आए थे. जब
मुख्यमंत्री
जी ने कहा कि
स्थिति स्पष्ट
करें कि
सिंहस्थ
क्षेत्र से,
उज्जैन जिले
से लैंड
पुलिंग एक्ट
वापस लेंगे.
जब किसान आन्दोलन
कर रहे थे तो
एक दिन बाद आपने
रात्रि को क्यों
9 बजे बुलाया ?
आदरणीय
सभापति महोदय, मेरा
सरकार, माननीय
मुख्यमंत्री
जी तथा आदरणीय
विजयवर्गीय
जी से यह
निवेदन है कि
जिस तरह से आप
यह काला कानून
लेकर आए, जिस तरह
से आपके देश
की सरकार ने
तीन काले कानूनों
पर किसानों
ने लड़ाई लड़ी
और वापस लेने
पड़े. मध्यप्रदेश
और उज्जैन के
किसानों को
राहत देने के
लिए यह लैंड पुलिंग
एक्ट वापस
लेना चाहिए.
यह मेरी मांग
है. सोयाबीन के
दाम नहीं बढ़े,
गेहूँ के दाम
नहीं बढ़े, लहसून
एवं प्याज के
दाम नहीं बढ़े,
लेकिन कृषि
उपकरण उसमें 4 गुना
वृद्धि हुई है, कीटनाशक
की बात हो,
बीज की बात हो,
खाद की बात हो
या बिजली
उपकरण की बात
हो. उसमें 4-4, 5-5 एवं
6-6 गुना
मूल्य में
वृद्धि हुई
है. अभी मारू
साहब हमारे
विधायक जी कह
रहे थे कि जितना
बीमा उतना
मुआवजा.
आदरणीय सभापति महोदय, आपने कहा कि हमने 400 करोड़ रुपये भावान्तर दिया है. आपने 40 हजार करोड़ रुपये किसानों का नुकसान का किया है, भावान्तर के भंवर में. जिस किसान भाई की सोयाबीन 5,500 रुपये 6,000 रुपये प्रति क्विंटल बिकनी चाहिए, वह मजबूरी में 3,000 रुपये, 2,500 रुपये एवं 2,700 रुपये प्रति क्विंटल में बिक रही है. इधर भावान्तर का भंवर सरकार लेकर आई है. उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए, आज किसान भाई की सोयाबीन मजबूरी में 3,000 रुपये, 3,500 रुपये एवं 3,200 रुपये प्रति क्विंटल में बिक रही है. जिस मालवा और उज्जैन की पहचान ''पीले सोने'' के रूप में थी. आज वहां का किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर है. खाद के दो-दो बोरी के लिए क्या स्थिति है. मुख्यमंत्री जी के जिले में रोज आन्दोलन हो रहा है, किसान सड़क पर आ रहे हैं. कोई सुनने वाला नहीं है, सिर्फ वाह-वाही, आंकड़ों की बात हो रही है. आप कहते हैं कि हमने इतनी सब्सिडी दे दी, मेरे साथ चल लीजिये, मैं अपने मालवा की बात करता हूँ, तराना की बात करता हूँ, उज्जैन की बात करता हूँ, इन्दौर की बात करता हूँ, आप मण्डी में चलिये.
जब आप किसानों की बात कर रहे हैं. आपने 10 साल से मण्डी के चुनाव नहीं कराए हैं. माननीय सभापति महोदय, यह सरकार किसानों के क्या न्याय की बात करेगी. ये सहकारिता के चुनाव की बात नहीं कर रहे हैं. सिर्फ किसानों से वोट लेते हैं. अन्नदाता से असत्य बोल रहे हैं. अन्नदाता से जब वोट लेने की बात आती है तो ये बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. समर्थन मूल्य की बातें करते हैं.
आदरणीय सभापति महोदय, बिजली की यह स्थिति है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने जिस दिन कहा था कि 10 घण्टे बिजली मिलेगी और दिन में मिलेगी, उस दिन से उज्जैन और खासकर माननीय मुख्यमंत्री के जिले में और मेरे विधान सभा क्षेत्र में उस दिन से रात को बिजली आ रही है और वह भी चार घंटे, पांच घंटे, तीन घंटे. यह स्थिति है.
आदरणीय सभापति महोदय, किसान भाइयों को सम्मान नहीं मिल रहा है. एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी, राजस्व के अधिकारी उनके प्रकरण लंबित रखते हैं. चाहे बंटवारे की बात हो, नामांतरण की बात हो, चार-चार दिन, आठ-आठ दिन, पंद्रह-पंद्रह दिन, बीस-बीस दिन, दो-दो महीने उनको चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. यह मध्यप्रदेश के किसानों की स्थिति है.
सभापति महोदय -- महेश जी, अब आप समाप्त करें.
श्री महेश परमार -- आदरणीय सभापति महोदय, अभी तो शुरू ही किया है.
सभापति महोदय -- आपका समय समाप्त हो गया है. समय सभी के लिए है. कृपया सहयोग करें.
श्री महेश परमार -- आदरणीय सभापति महोदय, मेरा एक महत्वपूर्ण मामला है. जब किसान आंदोलन करता है और जब कलेक्टर या जनप्रतिनिधि वहां जाता है तो सम्माननीय तहसीलदार, एसडीएम कहता है कि जब किसान भाई अपनी लड़ाई लड़ता है तो उनके ऊपर जो मुकदमे दर्ज होते हैं तो उन मुकदमों के लिए वह कहता है कि हम मुकदमे वापस ले लेंगे. मंदसौर गोली काण्ड, आज तक हमारे किसान भाई वहां पर न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं. जिन किसान भाइयों की हत्या हुई, उनके परिवार के सदस्यों के ऊपर मुकदमे चल रहे हैं. उज्जैन की बात करूं. लैंड पुलिंग सिंहस्थ क्षेत्र की बात हो, पूरे जिले में जब-जब किसान भाई खाद के लिए, बिजली के लिए लड़ाई लड़ते हैं तो उनके ऊपर असत्य प्रकरण दर्ज कर दिए जाते हैं. उनको न्याय नहीं मिल रहा है. उनको न्याय मिले. यह मेरा निवेदन है. यह भावांतर बंद हो. मुआवजा अगर आप जोड़ेंगे, आंकड़ों में बहुत अच्छा है, किसानों को जोड़ लीजिए, सच्चाई सामने आ जाएगी. फसल बीमा की यह स्थिति है. प्रीमियम, जिस तरह से दुर्घटना में हमारी गाड़ी क्षतिग्रस्त हो जाती है, आप थोड़ा प्रीमियम और बढ़ा दीजिए. किसान के कारण ही देश की आधी आबादी को रोजगार मिलता है. किसानों की फसलों से इस देश के उद्योग-धंधे चलते हैं. इस देश की आर्थिक उन्नति होती है और जीडीपी में एक समय 40 प्रतिशत किसानी का योगदान था, लेकिन धीरे-धीरे भारतीय जनता पार्टी की सरकार के कारण देश और प्रदेश की कृषि का स्तर गिर रहा है. किसान भाइयों की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर हो रही है. अत: आदरणीय सभापति महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि माननीय मुख्यमंत्री जी और आदरणीय कैलाश विजयवर्गीय साहब यहां पर विराजमान हैं, आदरणीय मुख्यमंत्री जी, मेरा आपसे निवेदन है कि आपने किसानों से वादा किया था कि लैंड पुलिंग एक्ट वापस लेंगे तो लैंड पुलिंग एक्ट वापस लें. किसान भाइयों के बीमे में बहुत विसंगतियां हैं, वह दूर हों. उन्हें बीमा मिले. उन्हें खाद मिले, उन्हें बिजली मिले और किसान भाइयों को न्याय मिले. आदरणीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से यह मेरी मांग है. लहसुन के, प्याज के अच्छे दाम मिलें और एमएसपी, समर्थन मूल्य जो सरकार ने कहा है, जो भाषणों में आप कहते हैं, समर्थन मूल्य पर खरीदी करें. गेहूँ की, सोयाबीन की खरीदी हो.
सभापति महोदय -- महेश जी, आपकी सारी बातें आ गई हैं.
श्री महेश परमार -- सभापति महोदय, जंगल राज खत्म हो. बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री सुरेश राजे जी.
श्री महेश परमार -- सभापति महोदय, 30 सेकंड की बात रह गई है. आरडीएसएस योजना, जो किसान भाइयों को बिजली के लिए सरकार योजना लेकर आई है, लेकिन ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने के लिए हो गई है. जो वंचित किसान हैं, जिन किसान भाइयों को कृषि हेतु बिजली की जरूरत है, उन किसान भाइयों के यहां डीपी नहीं लग रही है, उन किसान भाइयों के यहां सर्वे कराकर उन किसान भाइयों को बिजली मिले. यही मेरा निवेदन है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुरेश राजे (डबरा) -- माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे इस महत्वपूर्ण चर्चा में भाग लेने का अवसर दिया. इसके लिए धन्यवाद.
सभापति महोदय -- समय की मर्यादा का ध्यान रखें.
श्री सुरेश राजे -- जी सभापति महोदय. सभापति महोदय, विशेष रूप से तो मामला वही है कि बेमौसम वर्षा के कारण जो किसानों का नुकसान हुआ, उस पर हमारे तमाम साथी बोल चुके हैं. लेकिन इसमें जो विसंगति है, वह विसंगति सर्वे की है. अब सरकार अलग-अलग क्षेत्रों में किस तरह से सर्वे कराती है, हमको पता नहीं. मैं तो इतना जानता हूँ कि मैं खुद खेत-खेत गया और किसानों की हालत देखी. कई किसान बंधुओं के तो 70 से 80 प्रतिशत नुकसान है. जहां 80 प्रतिशत नुकसान है, वहां जब आरआई, पटवारी और उनकी टीम सर्वे करने जा रही है तो उसी नुकसान को वह 20 और 25 प्रतिशत बता रही है. जबकि वर्तमान में, जब मैं सदन में खड़े होकर बोल रहा हूँ, मेरे विधान सभा क्षेत्र डबरा के अंतर्गत आज भी जो धान हमारी कम्पान से कटना चाहिए, वह कम्पान की जगह किसान हाथ से धान कटवा रहा है, क्योंकि धान की फसल में ज्यादा बारिश होने के कारण वह धान खेत में लोट गई थी.
लेकिन यह किस तरह की विसंगति है.उस पर भी किसान से कहा गया कि इसकी जांच कराएंगे इसमें कितना मोइश्चर बना है और कितनी फसल का आपको बीमा मिलेगा. उस किसान के दर्द को मैं बयां करना चाहता हूं अभी धान की फसल बर्बाद हुई पिछले वर्ष अतिवर्षा के कारण बाढ़ के हालात बने और गेहूं कि फसल बर्बाद हुई. जहां ईमली की फसल थी.ज्वार,बाजरा की फसल बर्बाद हुई न पिछले वर्ष मुआवजा एक पैसे का और इस वर्ष भी मुझे जहां तक जानकारी है एक पैसे का मुआवजा नहीं मिला है. दूसरे मैं सदन में जब से इस विषय पर चर्चा शुरू हुई है ठीक है सत्ता पक्ष के साथी हैं उनका कर्तव्य है कि अपनी सरकार की पीठ थपथपाएं उसकी नीतियों की पीठ थपथपाएं लेकिन जैसे डबल इंजन का मामला आता है तो पीठ दोनों हाथ से थपथपाई जाती है और कहा जाता है कि बीमे का इतना-इतना लाभ है मैं इतना दावे के साथ कह सकता हूं पूरे चंबल क्षेत्र में चलें विशेषकर हमारा डबरा,भितरवार और हमारा मुरार जो हमारा ग्रामीण क्षेत्र है उसमें आप दोनों तीनों बार का सर्वे उठाकर देख लें कि एक पैसे का मुआवजा कितने किसानों को बीमे का मिला है और सरकार ने क्या दिया है दोनों परिस्थितियों में हमारा अन्नदाता दुखी है दूसरा अभी बड़ी बात चल रही थी सम्माननीय मंत्री महोदय बोल रहे थे कि खाद पर सब्सिडी दे दी तो मैं जानना चाहता हूं कि जो यह सब्सिडी 2014 से खाद पर मिल रही है या 2014 के पहले भी मिलती थी अगर यह 2014 के बाद मिली है तो उनको धन्यवाद दूंगा और अगर यह 2014 से पहले मिल रही थी तो मुझे नहीं लगता कि इसका गुणगान करने की सदन में जरूरत है दूसरा किसान के साथ इतना बड़ा अन्याय है 50 किलो का पेकेट किसान को मिलता था अब वह 45 किलो की कर दी इस पर कोई चर्चा नहीं होती कि क्यों नहीं होती किसान का दर्द और इसलिये बढ़ जाता है कि दो-दो पेकेट खाद के लिये उसको दो-तीन दिन लाईन में लगना पड़ता है. अभी मान्यवर बरैया जी बोल रहे थे कि अभी एक नैनो बोतल पकड़ाई जा रही है. मैंने नैनो खाद का मुद्दा पिछले सत्र में उठाया था और इसी सदन में उसकी कार्यवाही के लिये बोला गया वह नैनो खाद बंद हो गई लेकिन उस नैनो खाद के लिये किस नियम के तहत किसान को मजबूर किया जा रहा है यह भी बहुत चिंता का विषय है. बोलने को बहुत कुछ है लेकिन मैं इतना जरूर निवेदन करूंगा कि हमारी डबरा कृषि उपज मंडी ए क्लास की मंडियों में गिनी जाती है जहां अरबों रुपये की आय सरकार को उस मंडी से होती है लेकिन बड़े दुख के साथ बड़े दुर्भाग्य की बात है कि उस मंडी में जहां 5-5 हजार ट्राली एक दिन में फसल बिकने आती है उस मंडी के लिये आज तक बीस साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है केंद्र में 11 वर्ष में सरकार है लेकिन एक बायपास डबरा कृषि उपज मंडी को यह सरकार नहीं दे पाई यह दुख की बात है और उसका खामियाजा किसान के साथ साथ व्यापारी और आम जनता डबरा में भुगतती है यह बड़े दुर्भाग्य की बात है. मंडी में पैसे की कोई कमी नहीं है. कृषि मंत्री जी विराजमान हैं एक तो बायपास रोड तुरंत बनवाने की यह घोषणा सदन में करें और जब तक बायपास रोड नहीं बनता तब तक कृषि उपज मंडी के पास खुद की भूमि है पीछे से वह एक गेट बनवा दें और अस्थायी रुप से डामर का रोड नहीं ग्रेवर रोड बनवा दें तो उससे वह ट्राली निकल जायेगी तो जाम से हमको निजात मिलेगी. जब वही खाद 275 में सोसायटी पर मिलना चाहिये किसान को नहीं मिल रहा. 1300 वाहा पेकेट किसान को सोसायटी पर मिलना चाहिये नहीं मिल रहा. मेरा सरकार से निवेदन है कि यही खाद मार्केट में 1700-1800 में कहां से पूर्ति होती है और सरकार और सरकार के अधिकारी उस समय क्या करते रहते हैं यह समझ से परे है यह किसान का दर्द है. मेरा अनुरोध है कि सरकार का ध्यान इस ओर जरूर जाना चाहिये. हमारा अन्नदाता किसान परेशान है सिर्फ धान या गेहूं का मामला नहीं है कृषि के तहत हमारी सब्जी की इतनी फसलें आती हैं हमारे क्षेत्र में एक बड़ा क्षेत्र में आलू पैदा होता है टमाटर की फसल पैदा होती हैं. मिर्ची से लेकर अन्य सब्जी की फसलें पैदा होती हैं लेकिन उसकी चर्चा सदन में नहीं हुई सरकार को करोड़ों नहीं अरबों रुपये मंडी टेक्स के रूप में इस सरकार को मिलता है कभी उन किसानों के दर्द को भी समझने का सरकार प्रयास करे. धन्यवाद.
श्री हेमन्त सत्यदेव
कटारे (अटेर)-- माननीय
सभापति महोदय, मात्रा से
अधिक बारिस
होने के कारण
जो पूरे
प्रदेश में
स्थिति निर्मित
हुई उसे हम सब
भलीभांति
जानते हैं.
निश्चित ही
किसानों का
बहुत नुकसान
हुआ और यह जो नुकसान
हुआ यह हमारे
हाथ में नहीं
है, न
सरकार के हाथ
में था, न हमारे हाथ
में था, यह तो
प्राकृतिक
आपदा है, परंतु इसके
बाद की जो व्यवस्था
लागू होनी
चाहिये थी
प्रदेश में
किसानों के
हित में वह
हमारी सरकार
के हाथ में है, लेकिन क्या
उसको सही
मायने में
लागू किया गया. प्रश्न यह
उठता है यदि
किसी भी किसान
का नुकसान होता
है तो सबसे
पहला क्रम
होता है कि
वहां पटवारी
जाये, साथ में ग्राम
सेवक जाये और
एक सर्वे करे
और उस सर्वे
में यह स्पष्ट
होना चाहिये
कि कितना
नुकसान हुआ है
और जो नुकसान
हुआ है उसके
अनुसार सरकार
को उसको
मुआवजे की
राशि दी जानी
चाहिये.
मैं अपनी
विधान सभा
अटेर क्षेत्र
का उदाहरण देकर
बताना चाहता
हूं, इस
प्रक्रिया का
पालन कहीं भी
नहीं हुआ है.
मैंने माननीय
मुख्यमंत्री
जी को पत्र
लिखा दिनांक 01.08.2025 को जिसमें कि
लगभग 2 दर्जन
से अधिक
गांवों का मैंने
उल्लेख किया. बाढ़ और
अतिवर्षा के
कारण जो
स्थिति
विकसित हुई और
जो नुकसान
वहां पर हुआ
कृषकों का, मुआवजा तो
बहुत दूर की
बात है माननीय
सभापति महोदय
वहां पर आज
दिनांक तक सर्वे
भी नहीं हुआ
है और कुछ और
जगह हैं भिण्ड
जिले में जहां
सर्वे हुआ
गोहद में, लहार में
सर्वे हुआ तो
जहां 80
प्रतिशत
नुकसान था
जैसा कि अभी
मेरे भाई सुरेश
राजे जी बता
रहे थे वहां
पर कहीं 20
प्रतिशत
दिखा दिया और
जब 20 प्रतिशत
की भी राशि
रिलीज करने की
बात आई तो वहां
पर एक लोकल व्यक्ति
गया वसूली
करने के लिये
और कहा कि
इसमें से अगर 25-30
प्रतिशत
कमीशन देगा तो
यह राशि रिलीज
होगी नहीं तो
यह राशि भी
नहीं मिलेगी. किसान की यह
वास्तविक
स्थिति पूरे
प्रदेश की है.
कृषि विभाग की
सबसे महत्वपूर्ण
कड़ी जो
कृषकों को
लाभाविंत
करता है विभाग
और सरकार के
द्वारा वह
होता है ग्राम
सेवक, मैं माननीय
कृषि मंत्री
जी का ध्यान
आपके माध्यम
से आकर्षित
करते हुये
कहना चाहूंगा
कि मध्यप्रदेश
में जो भी
ग्राम सेवक है
क्या वह अपना
दायित्व सही
से निभा रहे
हैं, क्या ग्राम
सेवक जिनको
सरकार के
निर्देश हैं
कि उनको मुख्यालय
में अपनी
ग्राम पंचायत
में ही
निवासरत रहकर
जितनी भी कृषि
से संबंधित
हितकारी
योजनायें हैं
उनको कृषकों
तक पहुंचाना
है तो क्या
वह पहुंचा रहे
हैं और यदि
मंत्री जी हां
बोल रहे हैं
तो मैं आपके
माध्यम से
उनको चुनौति
देकर कह रहा
हूं कि उनकी
मोबाइल
लोकेशन
निकलवा
लीजिये, इनको सरकारी
मोबाईल नंबर
तो दिये हुये
हैं. आप पिछले 2
वर्ष की
मोबाइल
लोकेशन
निकलवा लीजियेगा, 5 प्रतिशत भी
अगर निकल
जायेंगे तो जो
आप कहेंगे मैं
स्वीकार
करने के लिये
तैयार हूं, आपको एक भी
ग्राम सेवक
नहीं मिलेगा.
कुछ इन्होंने
अपने
बिचौलिये बना
लिये हैं उन्हीं
को लाभ
पहुंचाते हैं
उन्हीं के
माध्यम से यह
कार्य करते
हैं और अटेर
की जहां तक बात
करूं चूंकि
मेरी विधान
सभा है,
अटेर में जो
आपका
कार्यालय है
वह कार्यालय
तो खुल गया, लेकिन वहां
पर एक भी
अधिकारी कई
माह से नहीं
बैठा है. माननीय
मंत्री जी मैं
चाहता हूं
किसी दिन
आप सर्दी का
समय है कुछ
केप वगैरह
पहनकर आयें एक
औचक निरीक्षण
कर लीजिये और
मुझे बता दीजियेगा
और आप चलकर
देखियेगा
स्थिति आपको
पता चल जायेगी
और आप इतने
कागज
लेकर आईयेगा
क्योंकि
इतने सारे सस्पेंशन
लेटर आपको
वहीं के वहीं
बनाने
पड़ेंगे स्थिति
देखकर के, और मैं इसको
कहने के लिये
नहीं, मैं आपको
आमंत्रित कर
रहा हूं मेरे
क्षेत्र में. मैं अपने एक
क्षेत्र की
स्थिति बता
सकता हूं और
यही स्थिति
पूरे प्रदेश
में है. मैं 3 जिलों
का उदाहरण
देकर खाद की
स्थिति पर बात
करना चाहूंगा
सभापति महोदय
एक पहले मेरा
गृह जिला भिण्ड
वहां पर एक
बहुत बड़ा
प्रकरण हुआ, एक स्थिति
निर्मित हुई
जिसमें आपकी
भारतीय जनता
पार्टी
के स्थानीय
विधायक भिण्ड
जिले से जो
विधायक हैं उनको
कलेक्टर के
निवास पर जाकर
के किसानों का
एक कुनवा जो
धरना दे रहा
है उनके समर्थन
में जाकर के
मुक्का
दिखाना पड़ा.
मैं नहीं
समझता, मैं
इस घटना की
निंदा करता
हूं, मैं नहीं
समझता कि किसी
भी
जनप्रतिनिधि
को किसी भी
अधिकारी के
साथ ऐसा
बर्ताव करना
चाहिये, लेकिन यह
वर्ताब हुआ क्यों
कलेक्टर जो है
वह
जनप्रतिनिधि
को पहले उंगली
दिखा रहा है और
वहां खाद की
बात चल रही है
पहले तो भिण्ड
के कलेक्टर
महोदय फोन
नहीं उठा रहे
धरना चल रहा
है किसानों का
और जब उस धरने
के बाद
जनप्रतिनिधियों
का फोन नहीं
उठ रहा तो
मजबूरन उनके
घर के बाहर धरना
दिया गया, उसके बाद कलेक्टर
बाहर आकर उल्टा
जनप्रतिनिधि
के ऊपर आरोप
लगा रहे हैं
कि माइनिंग का
है और
उंगलियां
दिखा रहे हैं.
मैं समझता हूं
यह आचरण भी
ठीक नहीं है
और यह जो घटना
पूरी हुई यदि
खाद उपलब्ध
होता तो
माननीय
मंत्री जी यह
घटना होती ही
नहीं,
मूल
समस्या थी
खाद जब पिछली
बार इसी सदन
में खाद की
चर्चा हुई थी, मुझे
बड़े दुख के
साथ आपको कहना
पड़ रहा है और
यह रिकार्ड पर
भी है कि उस
समय कृषि
मंत्री जी का
भी वक्तव्य
हुआ था, सहकारिता
मंत्री जी का
भी वक्तव्य
हुआ था, वह अभी
सदन में नहीं
है,
उनका भी वक्तव्य
हुआ था और
दोनों ने सदन के
अंदर यह कहा
था कि खाद
पर्याप्त
मात्रा में और
मात्रा से
अधिक है, लेकिन
प्रदेश में
बांटने के
लिये कम पड़
रहा है तो मैं
उन्हीं के
जिले की एक
घटना से शुरू
करना चाहूंगा.
मुरैना जिले
में जो कि
आपका गृह जिला
है और माननीय
विधानसभा अध्यक्ष
महोदय का भी
गृह जिला है, यह
मुरैना जिले
की घटना है.
सभापति
महोदय -- कटारे
जी चर्चा तो
अतिवृष्टि पर
है.
श्री
हेमन्त सत्यदेव
कटारे --
सभापति महोदय, खाद पर भी
चर्चा है और
मैं समझता हूं
कि किसानों के
हित की बात पर
भी चर्चा है.
सभापति
महोदय -- बाढ़
पर भी चर्चा
है,
सारी बातें आ
चुकी है, इसलिए
आग्रह कर रहा
हूं कि आप
संक्षिप्त
कर लें.
श्री
हेमन्त सत्यदेव
कटारे -- सभापति
महोदय जी, मैं दो
तीन मिनिट का
समय लेकर
समाप्त कर
दूंगा. मैं
किसानों के
हित की बात कर
रहा हूं, मुरैना
जिले में खाद
के कारण
गोलियां चलीं, उपद्रव
हुआ,
पथराव हुआ, यह घटना
है,
पुलिस ने इसको
दर्शा दिया कि
यह आपसी रंजिश
थी,
क्या खाद के
गोदाम के बाहर
जाकर कोई आपसी
रंजिश निकालेगा? पुलिस को
भी लज्जा
नहीं है कि आप
क्या दर्शा
रहे हो आप किस
चीज को दर्शा
रहे हो, भाई आपसी
रंजिश वहां
का आदमी अपने
गांव में
सामने जाकर
निकाल लेता है, उसके
लिये खाद के
गोदाम पर नहीं
जाता है. यह
मुरैना जिले
का प्रकरण है, क्योंकि
यह आपके
माननीय
मंत्री जी का
खुद का गृह
जिला है.
केंद्रीय
कृषि मंत्री
हैं श्री शिवराज
सिंह चौहान
साहब यह उनके
गृह जिले का
प्रकरण है और
उनके गृह जिले
में नकली खाद
और बीज वितरित
हो रहा है, यह उस बात
को स्वीकार
कर रहे हैं क्योंकि
उन्होंने
उसके बाद कथन
दिया कि इन
कंपनियों के
ऊपर एफ.आई.आर. दर्ज होगी, यह
केंद्रीय
कृषि मंत्री
जी के गृह
जिले की स्थिति
है और हमारे
भिण्ड जिले
में लहार कस्बे
में 28 हजार
बोरी किसानों
के लिये
आवंटित हुई थी
और सभापति
महोदय मैं
आपके माध्यम
से बताना
चाहता हूं कि 23
हजार बोरियां
उनमें से गायब
हो गई हैं और
यह प्रकरण
सिद्ध हो चुका
है और इसमें
एक जूनियर
अधिकारी का
टर्मिनेशन भी
हुआ है, उनमें से 23
हजार बोरियां
गायब हो गई
हैं,
तो किसानों को
क्या मिला
ठेंगा.
सभापति
महोदय, इसके बाद
आप भिण्ड और
अटेर में आ
जाइये, अटेर में
तो कोई बैठता
नहीं,
भिण्ड के
माध्यम से जो
अटेर में भी
वितरण होता है, वहां पर
एक आर.ओ. के
अगेंस्ट दो-दो
बार खाद दिया
गया है, वह एक
रिलीज आर्डर
के अगेंस्ट
दिया गया है, यह ऑन
रिकार्ड है, तो कुल
मिलाकर पचास
प्रतिशत खाद
भ्रष्टाचार
की भेंट चढ़
गया है. हमारे
वहां पर अभी
नये पदस्थ
किये गये कोई
के.के.पाण्डेय
जी डी.डी.ए. हैं, वह सुनते
ही नहीं है, मीडिया
वाले जब उनसे
जाकर कहते हैं
कि यह खाद की
स्थिति ऐसी
हैं,
तो वह कहते
हैं कि खाद
बांटना मेरा
काम नहीं है
तो इनका काम
क्या है? स्पष्ट
कीजिये, मैं तो
कहता हूं कि
आपको ऐसे
अधिकारियों
के ऊपर माननीय
मंत्री जी कार्यवाही
करना चाहिए.
सभापति
महोदय, चूंकि
आपने समय की
सीमा में
बांधा हुआ है
इसलिए मैं
अपनी बात को
इतना ही कहकर
समाप्त कर
देता हूं कि जो
स्थिति है, जो कथन
सदन के अंदर
माननीय
मंत्री जी
द्वारा दिया
गया है कि खाद
पर्याप्त
मात्रा में है, उन कथनों
को वापस लेना
चाहिए, उन पर
उनको यह बात
व्यक्त
करना चाहिए कि
यह कथन गलती
से या असत्य
कथन दिये गये
हैं,
वास्तविक
स्थिति
प्रदेश की यह
है कि यह हजारों
की भीड़ खड़ी
हुई है, कहीं
पथराव हो रहा
है,
कहीं गोली चल
रही है, कहीं
किसानों के
आंसू निकल रहे
हैं,
यह सब नकली
नहीं है, यह
किसानों की
भीड़ नकली
नहीं है, वास्तविकता
यह है कि खाद
कहीं पर भी
उपलब्ध नहीं
है और जो
अतिवृष्टि के
कारण जो
नुकसान मध्यप्रदेश
के किसानों को
हुआ है, उनको
मुआवजा कहीं
पर भी नहीं
मिला है, कहीं पर
भी सही सर्वे
नहीं हुआ है, तो थोड़ी
सी
संवेदनशीलता
दिखानी चाहिए
और इन किसानों
के हित में
सही निर्णय
लेना चाहिए, बहुत
बहुत धन्यवाद.
श्री
प्रीतम लोधी
(पिछोर) --
सभापति महोदय, आपने
बोलने का समय
दिया इसके
लिये आपको
बहुत-बहुत धन्यवाद.
अभी हमने सभी
को सुना है, भाजपा के
विधायकों ने
भी बोला, कांग्रेस
वालों ने भी
बोला है, यह बात
सही है कि
मोदी जी के
राज में सब आनंद
कर रहे हैं,
कांग्रेसी
लोग भी इन
योजनाओं का
लाभ लेकर आनंद
कर रहे हैं.
मैं थोड़ी सी
बात में गागर
में सागर भरने
का काम
करूंगा. थोड़ी
सी बात कहूंगा
और ज्यादा
समय नहीं
लूंगा.
सभापति
महोदय --
प्रीतम जी
थोड़ा समय का
ध्यान रखें.
श्री
प्रीतम लोधी --
सभापति महोदय,आपने जो
समय दिया है, मैं उससे
भी आधे समय
में ही अपनी
बात कह दूंगा.
आप सभी ने
राजा
हरिशचंद्र का
नाम सुना होगा, राजा हरिशचंद्र
ने बहुत मेहनत
की थी,
ईमानदारी से
मेहनत की थी, तपस्या
की थी,
तप किया तो
भगवान प्रसन्न
हो गये और
बोले राजा
हरिशचंद्र
मांगों क्या
मांगते हो, तो उन्होंने
कहा कि मुझे
तो वरदान दो
कि मैं स्वर्ग
में जाऊं, तो भगवान
ने कहा कि जा
वरदान दिया, तो उन्होंने
कहा कि नहीं-नहीं मैं
अकेला नहीं
मेरा पूरा
गांव स्वर्ग
में जाना
चाहिए, तो भगवान
ने कहा कि
तेरा पूरा
गांव स्वर्ग
में जायेगा, तो उस
गांव के अंदर
बैल भी थे, भैंसे भी
थीं,
ऊंट भी थे, घोड़े भी
थे,
आदमी भी थे, महिलाएं
भी थे,
बच्चे भी थे लेकिन गांव
में गधे भी थे, तो
जैसे ही ऊपर
जाने लगे स्वर्ग
में, तो राजा
हरिशचन्द्र
की मां बोली
की, वाह
रे राजा, हरिशचन्द्र
तेरे राज्य
में गधे भी स्वर्ग
में जा रहे
हैं, तब इसीलिए
मैं कहना
चाहता हूं कि
हमारे मोदी जी
ने भी बड़ी तप
तपस्या से
काम किया, भगवान ने
प्रसन्न
होकर उनको
प्रधानमंत्री
बनाया और उनके
राज्य में
कांग्रेसी
लोग भी
योजनाओं का
लाभ लेकर स्वर्ग
में जा रहे
हैं और ये लोग
यहां चिल्ला
रहे हैं. आप
बताइए कि कौन
सी योजना है,
जिसका लाभ ये
कांग्रेसी
लोग नहीं ले
रहे, आप देखिए
पूरा खाद मिल
रहा है, सब चीज मिल
रही है.
श्री
ओमकार सिंह
मरकाम – सभापति
जी ये गलत बात
है (..व्यवधान)
सभापति
महोदय – मरकाम
जी आपका नाम
है, आप
अपने समय पर
बोलिएगा.
श्री
प्रीतम लोधी – मरकाम जी
बैठ जाइए(..व्यवधान)
ये मोदी जी का
राज है सभापति
जी आपने बोलने
का समय दिया
बहुत बहुत धन्यवाद.
हरिशचन्द्र
जी की मां ने
तो कहा था कि
गधे भी स्वर्ग
में जा रहे
हैं, लेकिन मैं
नहीं कहूंगा
कि कांग्रेसी
गधे भी स्वर्ग
में जा रहे
हैं, धन्यवाद.
श्री
ओमकार सिंह
मरकाम – सभापति जी ये
गलत बात है
गधा कहा जा
रहा है.
सभापति
महोदय – उन्होंने
किसी दल विशेष
का नाम नहीं
लिया है.
श्री
ओमकार सिंह
मरकाम – सभापति जी, इसको
कार्यवाही से
विलोपित किया
जाए.
सभापति
महोदय – कोई दल विशेष
का नाम नहीं
है, कोई
चर्चा नहीं है, उन्होंने
कहानी किस्सा
सुनाया है.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय – सभापति
जी, मरकाम
जी देख लेंगे
अगर ऐसा कुछ
होगा, कार्यवाही
से निकलवा
देंगे, पर आप गुस्सा
मत कीजिए.
सभापति
महोदय – मरकाम जी, माननीय
संसदीय
मंत्री जी ने
कहा है, कार्यवाही
दिखवा देंगे.
अगर ऐसा कुछ
है तो उसको
विलापित किया
जाएगा. ठीक है.
श्री पंकज उपाध्याय(जौरा) – सभापति जी, अतिवृष्टि पर चर्चा के लिए आपने समय दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. पहले तो बाजरे और तिली की हमारी फसलें बर्बाद हुई, हमने लगातार मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा. मैंने स्वयं ने 5 अगस्त और 28 अक्टूबर को मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. कहने के लिए सर्वे किए गए लेकिन आज मैं आपको बताना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र के खुमानपुरा, निरार, बिरमपुर, आंतरी, डोंगरपुर, रिझौनी, बस्तौनी, परसौटा, नरहेला, सिंगरौदा, ठडसौर का पुरा और बंगरौली में आज भी पानी भरा हुआ है कई गांवों में, लेकिन राजस्व विभाग का कोई भी कर्मचारी वहां पर जाकर सर्वे नहीं किया. मैं आपको बहुत ईमानदारी से विश्वास दिला रहा हूं कि वहां पर आज भी पानी भरा है, लेकिन कोई गया नहीं, आप आज ही वहां पर जाकर सर्वे करवा लें वहां पर पचास प्रतिशत खेतों में पानी भरा है. ऐसे ही मेरे क्षेत्र के बीलगाड़ा, होराबरा, जगुआपुरा, आमलीपुरा, बहादुरपुरा, कलुआपुरा, बैधपुरा, सरसैनी, आदि गांवों में जब भारी बाढ़ आती है तो टापू बन जाता है, वहां पर पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं होता. सौ प्रतिशत फसल वहां पर बर्बाद हो चुकी है, लेकिन एक रूपए का मुआवजा वहां पर नहीं दिया गया. सभापति जी, मैं चाहता हूं कि आप इस पर थोड़ा ध्यान दें और कार्यवाही करें. अभी फसलों की बात हुई. मेरे क्षेत्र में एक बहुत बड़ा शक्कर का कारखाना चलता था, जब गन्ने की फसलें होती थीं, तो पचास हजार हेक्टेयर में किसान गन्ना उगाता था, गन्ना ऐसी फसल है कि कम पानी पड़ेगा तो भी चल जाएगा और ज्यादा पानी पड़ा तो भी खराब नहीं होगी. तीन साल तक उसका बीज काम आता है, लेकिन आपकी नीतियों के कारण कारखाना बंद हो गया. अभी पिछले दिनों मुख्यमंत्री जी गए और घोषणा करके आए 27 नवंबर को कि
आप अगर गन्ना उगाएंगे पर्याप्त मात्रा में गन्ना उगेगा उसका समाचार मिलेगा तो हम गन्ना कारखाना चालू कर देंगे. आप तो मुख्यमंत्री जी हैं यह छोटी सी बात है. आप एक आदेश कर दीजिये हमारे कृषिमंत्री जी ने बोला है कि हमारे किसान गन्ना उगाएंगे तो कारखाना चालू हो जायेगा. हमारे अध्यक्ष जी ने भी बोला कि आप गन्ना उगाएंगे तो कारखाना चालू हो जायेगा. हमारे यहां पर गन्ना 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ना उगाते थे. 10 हजार किसान गन्ना उगाने के लिये तत्पर बैठे हुए हैं मुझे किसानों द्वारा मौखिक रूप से तथा लिखित रूप से और वहां के कई संगठनों ने यह विश्वास दिलाया है कि हम गन्ना उगाएंगे तो हमें क्या करना पड़ेगा जिससे आपको विश्वास हो. क्योंकि गन्ना ऐसी फसल है साल में एक बार निकल कर आयेगी. अगर इतनी बड़ी मात्रा में गन्ना उगाके कहां पर गन्ना रखेंगे तथा कहां पर बेचेंगे. मैं कृषि मंत्री जी से चाहता हूं कि वहां पर खरीदी केन्द्र बना दें. हम कल से गन्ना उगवाना चालू करवा देंगे हम आपको इस बात का विश्वास दिला रहे हैं. हमारे 5 हजार किसान गन्ना उगाने के लिये तैयार बैठे हुए हैं तथा अपने खेतों को खाली करके बैठे हुए हैं. लेकिन हम विश्वास करके बैठे हैं कि आप एक आदेश जारी करेंगे. लेकिन आपकी कथनी और करनी में अंतर आ रहा है. मेरा सरकार से अनुरोध है कि ऐसी योजना आप बनाइये कि गन्ना खरीदने का कोई केन्द्र बन जाये. तो हमारा जो कारखाना बंद पड़ा हुआ है. जो अतिवृष्टि तथा अल्पवृष्टि के कारण कभी कभी बीज खराब हो जाता है लेकिन तीन साल की जो फसल होगी तो हमारे किसान आपको बहुत दुआएं देंगे. मुख्यमंत्री जी अभिनन्दन कराने के बड़े आदि हो गये हैं तो हम भी आपको विश्वास दिला रहे हैं कि हम माननीय मुख्यमंत्री जी का नागरिक अभिनन्दन करेंगे. हम श्रेय की राजनीति नहीं कर रहे हैं सारा श्रेय आप लेना लेकिन आप एक बार हमारे किसानों की सुनवाई कीजिये. इतनी बड़ी मात्रा में वहां पर पानी बरसा है. हजारों किसानों के पास खाने के लिये दाना नहीं है. बहुत छोटी सी यह योजना है सौ अथवा डेढ़ सौ करोड़ की इससे कारखाना चालू हो जायेगा. आपको थोड़ा सा समय मिल जाये आप वहां के किसानों के बीच में जाईये आप बार बार घोषणा कर देते हैं इस घोषणा से काम चलने वाला नहीं है. आप धरातल पर किसानों से पूछिये कि आप गन्ना उगाएंगे तो उसके लिये आपको क्या क्या आवश्यकता लगने वाली है. हम खरीदी केन्द्र बना रहे हैं तो हम आपको विश्वास दिला रहे हैं गन्ना उगेगा. गन्ना उगेगा तो पूरे जिले में तथा पूरे क्षेत्र में समृद्धि आयेगी. जो अल्पवृष्ठि और अतिवृष्टि जो किसान बरबाद हो रहा है, कोई बरबाद नहीं होगा इसी बात को कहकर मैं अपनी बात को विराम दूंगा. खाद की समस्या हमारे यहां पर बहुत बड़ी है. हमारे किसानों को खाद लेने के लिये बहुत डंडे पड़े हैं लगातार अभी भी किसान को खाद नहीं मिल रहा है. यहां पर हमें ख्याली पुलाव यहां पर दिखा रहे हैं कि वहां पर खाद मिल रहा है. हमारे क्षेत्र में भी जैसा कि हमारे क्षेत्र में किसानों की डंडों से उनकी पीठ का लाल कर दिया गया है. कई किसान सुबह से शाम तक भूखे प्यासे बैठे रहना पड़ा लेकिन उनको खाद नहीं मिल पाया है. वहां पर कई किसान महिलाएं बेहोश हो गईं, लेकिन उनको खाद नहीं मिला, तो अनुरोध है कि वहां पर खाद की व्यवस्था की जाये.
श्री आशीष
गोविन्द
शर्मा
(खातेगांव)—सभापति
महोदय, 139 की
चर्चा पर मैं
अपनी बात रखना
चाहता हूं हर
सरकार की
प्राथमिकता
अलग अलग होती
है, लेकिन
भारतीय जनता
पार्टी की सरकार
की
प्राथमिकता
में सदैव से
किसान रहे हैं.
माननीय मोदी
जी की केन्द्र
सरकार की
किसान हितैषी
नीतियों में
तथा
मध्यप्रदेश
की भारतीय
जनता पार्टी
पूर्ववर्ती
तथा वर्तमान
सरकार के
निर्णयों में
भी परिलक्षित
होता है. हमारे
मध्यप्रदेश
की अर्थ
व्यवस्था
कृषि प्रधान
है तथा पूरे
भारत की भी
अर्थ
व्यवस्था
कृषि प्रधान
है. इसलिये
कृषि आधारित
उद्योग हों,
या कृषि
आधारित
आजीविका के
अन्य स्रोत
हों. इसमें हर
सरकार चाहती
है कि तथा
किसान सरकार से
अपेक्षा करता
है कि उसकी
खेती लाभ का
धन्धा बने.
निरंतर बहुत
सारी योजनाएं
जैसे किसान सम्मान
निधि हो,
उसमें जीरो
प्रतिशत
ब्याज पर उनको
ऋण देने का
काम हो, सोलर
ऊर्जा पैनल
उनके खेतों पर
लगाने का काम
हो, कृषि
पम्पों पर
सबसिडी देने
का काम हो,
चाहे उर्वरक
समय पर
उपलब्धता
कराने का काम
हो, फसल बीमा
योजना हो, या
फसल खराब होने
पर मुआवजा
देने का काम
हो, बहुत सारे
उपायों से
किसानों की
मदद करने का
काम सरकार ने
किया है. जब
किसानों को
अच्छी मदद मिलती
है तब उनके मन
में इस बात का
विश्वास जागता
है कि यह
सरकार
अन्नदाता के
साथ खड़ी है.
मैं ऐसा मानता
हूं कि किसान
को बिजली समय
पर मिले तो
उनकी सिंचाई
का सही
प्रबंधन हो,
चाहे नहर और
बड़े बड़े
बांधों का
विकास करके
बलराम तालाब
जैसी योजनाएं
लाकर उनको
सिंचाई के
साधन उपलब्ध
कराने का
मामला हो. जब
फसल बड़ी
मु्श्किल से
पकती है उसमें
बहुता सारी
मेहनत लगती
है. आज भी हम कह
सकते हैं कि
हमारी खेती जो
है वह पूरी
तरह से
प्रकृति पर
निर्भर है.
मौसम जरा सा
भी खराब हो
जाता है तो
लाखों-करोड़ो
की फसल पल में
बरबाद हो जाती
है और
इसलिए मैं यह
मानता हॅूं कि
भारतीय जनता
पार्टी की
सरकार जितना
प्रयास
किसानों की
खेती को लाभ
का धंधा बनाने
के लिए कर रही
है कई बार
प्राकृतिक
कारणों से उसमें
सरकार के
प्रयासों पर
भी असर पड़ता
है लेकिन अन्ततोगत्वा
डॉ.मोहन यादव
जी की सरकार
किसान हितैषी
सरकार है, इसमें
किसी को संदेह
नहीं होना
चाहिए. भावांतर
जैसी योजना
जिसके बारे
में पूरे
भारतवर्ष में
कई बार सवाल
उठे कि यह
योजना किसानों
के लिए कितनी
कारगर होगी और
कांग्रेस की
सरकार ने भी
इस योजना को
लागू करने का
असफल प्रयास
किया लेकिन
किसानों को
उसका पैसा नहीं
मिल पाया. डॉ.
मोहन यादव जी
की सरकार को
मैं इसलिए धन्यवाद
देता हॅूं कि
किसानों के
हित में इतना
बड़ा निर्णय
लेकर उसे लागू
करना और लागू
करने के बाद
उसको धरातल पर
सफल होते
देखना, यह अपने
आप में
दृढ़-निश्चयी नेतृत्व
का परिणाम है और इसलिए
मैं माननीय
मुख्यमंत्री
जी को धन्यवाद
देता हॅूं कि
जिस योजना पर
आलोचनाओं की उंगलियां
उठीं, उस
योजना को न
सिर्फ उन्होंने
लागू कराया,
बल्कि 2 किश्तों
में देपालपुर
और देवास से
किसानों के
खाते में लगभग
4 सौ करोड़
रूपए से अधिक
की राशि अंतरित
हो गई, जिससे
लाखों
किसानों को इस
योजना में लाभ
मिला है. मेरे
जिले में भी
लगभग 34 हजार से
अधिक किसानों
को इस योजना के
अंतर्गत लाभ
मिला है.
माननीय
सभापति महोदय,
मैं आपके माध्यम
से यह कहना
चाहता हॅूं कि
फसल खरीदना या
व्यापार
करना सरकार का
भाव नहीं होता,
सरकार व्यापार
करने के लिए
नहीं होती है,
सरकार जनता की
मदद करने के
लिए होती है,
विकास की
योजनाओं के
लिए होती है. इसलिए
सरकार एक व्यापारी
की अपेक्षा
पूरी कर पाये
और किसान को मदद
कर पाये, यह सरकार
के लिये संभव
नहीं होता. आप
हम सब लोग लॉ
एंड ऑर्डर की
स्थिति
देखते हैं. उपार्जन
के जब कार्य
चलते हैं,
सड़कों पर
ट्रालियां
रहती हैं,
ट्रैफिक जाम
हो जाता है. कई
बार उपज की क्वांटिटी
को लेकर कई
बार क्वॉलिटी
को लेकर
सर्वेयर और
सोसायटियों
में विवाद
होता है. कई
बार जब खुले
में फसल खरीदी
जाती थी, तब
बारिश और ओलों
के कारण फसल
खराब हो जाती
थी. वेयरहाउस
बड़ी संख्या
में प्रदेश भर
में बने हैं
और अब उनके
कैम्पस में
खरीदी हो रही
है. लेकिन
उसके बाद भी
सिर्फ व्यापार
का नजरिया
रखते हुए
खरीदी करने की
संभावना नहीं
हो सकती. क्योंकि
आप देखते हैं
कि जो फसल
होती है उसकी
एक अलग क्वालिटी
होती है, अलग दाम
होते हैं और
जब हम भी
बाजार में
मोलभाव करने
जाते हैं तो
वस्तु की कीमत
का जो आंकलन
करते हैं वह
उसकी क्वालिटी
देखकर ही करते
हैं. लेकिन यह
सरकार ही है
जो किसान का
प्याज 8 रूपए
किलो खरीदती
है. यह सरकार
ही है जो किसान
का चना खरीदती
है, तुअर
खरीदती है, मूंग
खरीदती है और
जब सरकार के
पास सामान का
लंबे समय का
स्टॉक हो
जाता है तब उस
सामान को रखने
में, उस फसल को
रखने में
सरकार का
लाखों-
करोड़ों रूपए
का खर्चा होता
है. लेकिन
सरकार किसान
को मदद देना
चाहती है
इसलिए शासकीय
तौर पर
उपार्जन का
काम कर रही है.
सभापति
महोदय, मुझे
इस बात का
फक्र है कि
मध्यप्रदेश
सरकार
किसानों की
बहुत सारी
फसलों को खरीद
रही है. माननीय
मुख्यमंत्री
जी ने मॉडल
रेट तय कराकर
सोयाबीन की फसल
के किसानों को
मदद करने का
प्रयास किया
है, उसके लिये
मैं सरकार को
धन्यवाद
देता हॅूं और
यह विश्वास
व्यक्त
करता हॅूं कि
आपके द्वारा
मध्यप्रदेश
की लगभग 220 मंडियों
में, 80 उपमंडियों
में सोयाबीन
के उपार्जन की
इस तरह की
कार्यवाही चल
रही है और 15 दिन
के अंदर किसान
को भुगतान हो
रहा है. यह
बहुत अच्छी
बात है कि जो
भावांतर की
राशि का अंतर
है वह किसान
को उसके खाते
में
निर्धारित
समय-सीमा में
मिल रहा है और
यही वास्तव
में एक विश्वास
है कि जब
किसान की फसल
मौसम की मार
के कारण,
कीट-पतंगों के
प्रकोप के
कारण कई बार
उसकी क्वालिटी
कमजोर रह जाती
है तो मंडियों
में उसको अपेक्षित
भाव नहीं मिल
पाता है और
मैं माननीय मुख्यमंत्री
जी को इसलिए
भी धन्यवाद
देना चाहता
हॅूं कि उन्होंने
व्यक्तिगत
तौर पर भी
विभिन्न
कलेक्टर्स
को,
प्रशासनिक
अमले को, कृषि
विभाग के
अधिकारियों
को निर्देशित
किया कि आप
अपने यहां पर
मंडियों में
सोयाबीन का भाव
कम न जाये,
इसकी भी चिंता
करें, इसकी भी
मॉनिटरिंग
करें. यदि
कोई भी इसमें
गड़बड़ी कर
रहा है, तो उस पर
कार्यवाही
करें और इन
सबके कारण किसानों
को सोयाबीन का
अच्छा भाव
मिला है. यह
पीला सोना है.
वास्तव में
पीला सोना है
और मौसम की
मार के कारण
फसल चक्र के
कारण कई बार
सोयाबीन की
इतनी अच्छी
क्वालिटी
नहीं आ पा रही
है लेकिन
सरकार ने
किसानों का
विश्वास
कायम किया है. इस
भावांतर
योजना की
सफलता इस बात
की कहानी कह
रही है कि
माननीय मुख्यमंत्री
जी की
दूरदर्शिता
ने,
उनके दृढ़
नेतृत्व ने
और उनके
निर्णय पर
अडिग रहने के
कारण किसान
भाईयों को मदद
मिली है. मैं
माननीय मुख्यमंत्री
जी को और
सरकार को धन्यवाद
देता हॅूं और
आशा और विश्वास
व्यक्त
करता हॅूं कि
आने वाले समय
में अन्य
फसलों में भी
खरीदी करने की
बजाय इस तरह
की भावांतर
राशि का
भुगतान करने
से सरकार का
समय भी बचेगा, धन
का अपव्यय भी
बचेगा और जो
कई बार लॉ एंड
ऑर्डर और अन्य
तरह की स्थितियां
सरकार के बारे
में विपक्ष
निर्मित करने
का प्रयास
करता है उनसे
भी निजात मिल
सकेगी. आपने
मुझे बोलने का
अवसर दिया,
धन्यवाद.
सभापति
महोदय -
बहुत-बहुत धन्यवाद. श्री
विवेक विक्की
पटेल जी.
श्री विवेक विक्की पटेल (वारासिवनी) -- माननीय सभापति महोदय जी, हमारे प्रदेश का किसान जिस खेती से अपने साल भर की आजीविका, अपने बच्चों की शिक्षा और बेटी की शादी की व्यवस्था करता है, इस बेमौसम बारिश में अतिवृष्टि ने उसके सपनों पर पानी फेर दिया. मैं वारासिवनी बालाघाट जिले से आता हॅूं. हमारे जिले में 90 से 100 परसेंट धान का उत्पादन होता है.शुरू से ही हमारे जिले का किसान परेशान था. पहले उसे समय पर फर्टिलाइजर नहीं मिला. हमने कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया फिर उसके बाद फर्टिलाइजर उपलब्ध हुआ. जैसी ही हमारी फसल आयी तो उसमें कीट पतंगे लग गये. हमारा किसान जैसे कीट पतंगे से उबरा तो अंत में अतिवृत्ति हो गयी. आज तक मेरे जिले के किसी भी किसान को मुआवजा नहीं मिला. इसके पहले कई बार, कई सालों से सोसायटी के माध्यम से किसानों का फसल बीमा कटता आया है. हमें आज तक नहीं पता की कौन सी कंपनी किसानों का बीमा करके दे रही है. चूंकि इस बार एच्छिक था तो किसानों से पूछा गया कि आप बीमा करेंगे या नहीं करेंगे. जब किसानों को बीमा का पैसा मिलता ही नहीं तो बहुत से किसानों ने बीमा नहीं कराया.
सभापति महोदय, मेरा आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध है कि हमारे जिले के किसानों की खड़ी फसल, जो कटी भर खेतों में थी उसको कल्टो बोलते हैं और जो खरई जो फसल जमाते हैं, वह खराब हो गयी और उसमें अंकुर आ गये. मैं आपके माध्यम से चाहता हूं कि सरकार सभी किसानों को, जिसका बीमा हो या जिसका बीमा ना हो, उसे मुआवजा प्रदान करे. आज ही के दिन से पूरे प्रदेश में धान की खरीदी शुरू हुई है. यह सरकार बनने के बाद यह तीसरी बार खरीदी हो रही है. सरकार ने वादा किया था कि हमें आप वोट दो और सरकार बनते ही हम धान के 3100 रूपये देंगे. सरकार ने किसानों से वोट तो ले लिया, जब इनका वादा निभाने की बारी आयी तो आज तक इन्होंने 3100 रूपये नहीं दिये. आज से धान की खरीदी शुरू हुई है, आज हमारे किसानों को 2390 रूपये मिल रहे हैं, मिलना थे 3100 रूपये. पिछली सरकारों ने जो सोसायटियां बनायीं थीं, जो किसानों के हित में काम करती थी, उसके चुनाव नहीं हो रहे हैं और कृषि उपज मंडी के चुनाव नहीं हो रहे हैं.
सभापति महोदय- विवेक जी, आप संक्षिप्त करें, आपका विष रिपीट हो रहा है. आप जो मुख्य बात है उसको रख दें.
श्री विवेक विक्की पटेल - भगवान के आर्शीवाद से इस समय में अच्छी बारिश हुई. प्रदेश में सिंचित एरिया बढ़ रहा है, बिजली सरप्लस है. हमारे जिलों में नहरों की सफाई नहीं हो रही है, नहरों की मरम्मत नहीं हो रही है, जल प्रबंधन समितियों के चुनाव नहीं हो रहे हैं. मैं यही चाहता हूं कि तीनों संस्थाएं जल प्रबंधन समिति, मण्डी और हमारी सोसायटियों के चुनाव हों. समय पर किसानों को फर्टिलाइजर मिले और उसकी उपज का किसान को 3100 रूपये धान का मिले. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री ऋषि अग्रवाल (बमोरी)- माननीय सभापति महोदय, मैं गुना जिले की बमोरी विधान सभा से आता हूं. गुना जिले में इस मानसून सीज़न में खरीफ का सीज़न था, उसमें सामान्य से लगभग पचास प्रतिशत अधिक वर्षा हुई. खेतों में अधिक नमी होने के कारण, अधिक पानी का भराव होने के कारण, फसलों में भारी मात्रा में नुकसान भी आया है. हमारे यहां धान सोयाबीन मक्के की फसल बोयी जाती है. अधिक नुकसान होने के कारण किसान भी बहुत परेशान हैं. अभी सदन में कई सम्माननीय सदस्य बात कर रहे थे कि कई जिलों में मुआवजा राशि का वितरण हुआ लेकिन मैं आपको यह जरूर कहना चाहूंगा कि गुना जिले की बमोरी विधान सभा में और गुना जिले में जो आरबीसी 6-4 के नियम के तहत मुआवजे का न तो कोई निर्धारण हुआ है और न ही कोई वितरण हुआ है. जैसे, तैसे किसानों ने अपनी नुकसान के बाद फसल सभांली, किसानों को मक्का की फसल में काफी नुकसान हुआ. जैसे, तैसे उन्होंने फसल संभाली तो केन्द्र सरकार ने घोषणा करी की मक्के का जो समर्थन मूल्य है 2400 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों की मक्का समर्थन मूल्य पर खरीदी जायेगी.
माननीय सभापति महोदय, लेकिन किसान को हताशा जब हुई जब उसके साथ बहुत बड़ा छलावा हुआ कि मध्य प्रदेश मे मक्का की फसल की खरीदी समर्थन मूल्य पर चालू ही नहीं हुई. अब मैं रबी सीजन की फसल पर आऊंगा, उन्होंने जैसे तैसे रबी फसल की तैयारी करी, जैसे-तैसे उठाधरी करके कर्ज लेकर किसान रबी सीजन की फसल के लिये मरता क्या न करता वाली स्थिति में उसने रबी सीजन की फसल की तैयारी शुरू करी. तैयारी शुरू करी, बुवाई का समय आया तो किसानों को डीएपी उपलब्ध नहीं हुआ, ना तो सोसायटी के माध्यम से हुआ और न ही मार्कफेड की मार्केटिंग की सोसायटियों से हुआ. मैं सरकार से यह जरूर पूछना चाहता हूं कि सरकार एक तरफ बोलती है कि पर्याप्त मात्रा में खाद, डीएपी उपलब्ध है. दूसरी तरफ सोसाटियों में और मार्कफेड के जो गोदाम हैं उनमें खाद उपलब्ध नहीं है. किसान लम्बी-लम्बी लाइनों में लगा हुआ है. आखिर खाद उपलब्ध होता तो लम्बी-लम्बी लाइनें क्यों लगती. किसान 1350 की जो बोरी है, वह 1800 और 2000 रूपये तक ब्लैक में खरीदने के लिये बाध्य क्यों होता है. किसान खाद के बदले गाली क्यों खाता. किसान खाद के बदले डण्डे क्यों खाता. यह बहुत बड़ा प्रश्न है. अभी मेरे यहां यूरिया का बहुत बड़ा संकट चल रहा है. किसान की बोवनी हो गयी और उसका पहला पानी चल रहा है. तो उसको पर्याप्त मात्रा में यूरिया चाहिये. हमारे यहां पहले पानी में यूरिया का छिड़काव करते हैं.
फसलों में यूरिया देते हैं. यूरिया फेंकते हैं. यूरिया ता इतना भयंकर संकट है कि रात रात भर इतनी भारी ठण्ड में खुले आसमान के नीचे किसान गोदामों के बाहर सो रहा है. उसको न तो वहां कोई सुविधा है और भूखा प्यासा किसान वहां पर सोने के लिये मजबूर है, क्योंकि सुबह से उसको 4.00 बजे से फिर से लाइनों में लगना है. एक बहुत संवेदनशील मुद्दा है. बागेरी खाद वितरण केन्द्र जो मेरी विधान सभा में आता है. 26-27 की रात दरमियान वहां पर लाइन में लगी हुई एक आदिवासी सहरिया समाज की महिला भूरी बाई जो अपने जीवन यापन के लिये अपनी खेती के लिये खाद लेने के लिये लाइन में पिछले 2-3 दिनों से खड़ी थी. उसकी तबियत बिगड़ी और उसको जब हास्पीटल ले जाया गया, तो उसको मृत घोषित कर दिया. यह बहुत बड़ा प्रश्न है कि अगर खाद की कमी नहीं है, तो उसकी मौत का जिम्मेदार कौन है. इस आदिवासी महिला की मौत का जिम्मेदार कौन है. उस महिला को आज दिनांक तक कोई भी मुआवजा राशि का भी वितरण नहीं हुआ. तो यह बहुत बड़ा मुद्दा है कि उसको आज दिनांक तक मुआवजा राशि का वितरण क्यों नहीं हुआ. मैं तो आपके माध्यम से सरकार से मांग करना चाहूंगा कि कम से कम उस महिला को 5 लाख रुपये मुआवजा राशि का वितरण होना चाहिये. सभापति महोदय, मेरी विधान सभा क्योंकि ग्रामीण है, कृषि वहां का मुख्य काम है, इसलिये मैं आपसे एक मिनट और लूंगा. मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की कि 10 घण्टे वे किसानों को बिजली उपलब्ध करवायेंगे, वह भी दिन में, लेकिन हमारे यहां किसान इतना सहनशील है कि वह रात में भी पानी देने के लिये तैयार है, परन्तु उसे 10 घण्टे तो क्या 6-7 घण्टे पर्याप्त मात्रा में बिजली नहीं मिलती है. जो वहां गुना में बरसों से जमे हुए बिजली विभाग के अधिकारी हैं, उन्होंने इतना भ्रष्टाचार मचा रखा है, उन्होंने किसानों का इतना शोषण कर रखा है कि उनके कारण से वह लोग बिजली उनको पर्याप्त नहीं मिल रही है. हमारा किसान कुछ नहीं मांगता है, सिर्फ उसे सरकार से पानी,बिजली और खाद चाहिये. इसके अलावा कुछ नहीं मांगता है. मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है कि मध्यप्रदेश में जो किसान हैं, वह मध्यप्रदेश की मजबूत रीढ़ की हड्डी है. अगर हम किसान की चिंता नहीं करेंगे, तो हमारा मध्यप्रदेश कैसे फल फूल सकता है. सभापति महोदय, आपने अवसर दिया, इसके लिये धन्यवाद.
सभापति महोदय—माननीय सदस्यों के लिये सदन की लॉबी में चाय की व्यवस्था की गई है. माननीय सदस्यों से आग्रह है कि सुविधानुसार ग्रहण करने का कष्ट करें.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- (अनुपस्थित)
श्री अभय
मिश्रा
(सेमरिया)—सभापति
महोदय,
इस सदन
के अन्दर हम
कितनी भी
बुराई कर लें
या अपनी पीठ
थप-थपा लें,
दुनियां को
इससे क्या
फर्क पड़ता
है.
हमारी एक
जिम्मेदारी है जनता के
प्रति,
इस वजह से हम
यहां पर
उस भूमिका का निर्वहन करने का
प्रयास करते
हैं, जबकि
हमको पता है
कि जब
हम डॉक्टर के
पास जाते हैं, वह बिजी
रहता है.
तो हमको वह
जांच
लिख देता है कि तब तक
यह जांच करवा
लो. तो हम अपनी
बात यहां आकर
कह रहे हैं. हम जब
दूसरों को
धोखा देते
हैं, तो उसको
तो बाद
में
देते हैं, अपने
आपको पहले
देते हैं. 20-25 साल से
भाजपा
की सरकार है. कभी
सोचिये ना कि यह
किसानों का
देश है.
अर्थ
व्यवस्था कृषि
आधारित है. गांवों
का देश है. इतना हम
कहां से कहां
पहुंच गये, हम कर्ज
में कहां से
कहां चले गये. आखिर
हमारा किसान बदला
क्यों नहीं है
और यह हमारी
इकोनॉमी जो है
कृषि बेस्ड
है. हम
नीदरलैंड नहीं बनना
चाहते हैं,
लेकिन
तब भी हमारे हालात
में
सुधार
क्यों नहीं
आये. यह
पैसा हमारा
गया कहां और
हम कर्ज में डूबते
गये. हम
मिस रुट के
शिकार हो गये. 20 वर्षों
से बिलकुल हम किसी
की बुराई नहीं
कर रहे हैं. हम कहीं
न कहीं
मिस
रुट के शिकार
हो गये.
अच्छी योजनाएं, एक बार
नये सिरे से
सोचने की जरुरत
है कि किसान किसान
जो हम
खेलते हैं.
किसानों के
नाम पर
ये
उपार्जन
नीति, यह विपणन
नीति
और तमाम तरह
की जो चलाते
हैं और
उसकी
वास्तविकता
क्या है.
आज एक नया
बच्चा आता है, समिति का
वह बन जाता है,
उपार्जन नीति
का. एक साल
के अन्दर
स्कार्पियो आ रही
है.
खरीदी में लोगों
को इतना
कुछ मिल रहा
है और किसान
जहां का तहां
है. हम
वैल्यू
एडिशन
भी नहीं कर
रहे हैं कि
उसको हम लघु
एवं मध्यम
उद्योग
के माध्यम
से कुछ
करें.
अभी भी हमें
तो लगता है कि आपकी
सत्ता, सरकार
है. नये
मुख्यमंत्री
जी हैं.
बेहतर अगर आप
प्लान कर लें,
तो
चीजें बदल
सकती हैं.
सभापति
महोदय, अब मैं
स्पेसिफिक एक
मामले को सदन
में कहना
चाहता हूं.
यहां पर बड़ी
बड़ी बाते हुई
किसानों को यह
कर रहे हैं
ऐसा लगा कि एक
गाना हम सुना
करते थे भारत
सोने की
चिड़िया है
लहलहा रहा है,
वह गाना मुझे
याद नहीं है
पर अभी तो लग
ही रहा है कि
जैसे भारत
लहलहा रहा है
और बाहर
विधानसभा के
बाहर जायेंगे
तो चारों गेटो
पर दो दो
किसान बैठे
हुये हैं. माननीय
कैलाश
विजयवर्गीय साहब
से मैं कहूंगा
कि थोड़ा
सहयोग
करेंगे.थोड़ा
मुझे सुनिये. (XX) जहां
किसानों का
गल्ला खरीदते
हैं, यह
हमारा (XX) इसमें
उनका कोई दोष
नहीं है, वहां
पर खरीदी सरकारी
लोग कर देते
हैं और उनका
दूर दूर तक
इससे कोई लेना
देना नहीं है.
इस (XX) में
किसानों ने
अपने गल्ले को
बेचा, उनकी
रसीदे भी मेरे
पास में हैं. 58
किसान हैं
जिनका 1 करोड़ 27
लाख का भुगतान
है किसी का 50
हजार का, किसी
का 60 हजार का
किसी का देढ़
लाख का भुगतान
है. यह हमारे
विधानसभा
क्षेत्र का है.
पंजीयन नीति
में केप नहीं
है, दो तरह का
पंजीयन होता
है. इसमें समिति
प्रबंधक क्या
करते हैं
उत्तरप्रदेश
से धान लाकर
के बेच लेते
हैं, विभिन्न
तरह से उनके
पैसा कमाने के
तरीके हैं तो
वह क्या करते
हैं कि पहले
से चूंकि कैप
नहीं है
इसलिये खूब सारे
पंजीयन कर
लेते हैं अपने
लोगों के, जब
अनाज बिकता है
और पैसा आता
है तो रेडी टू
ट्रांसवर के
माध्यम से
सबसे पहले
उसको पैसा डाल
देते हैं
हमारे यहां
हुआ क्या कि
जब पेमेंट का
अंत में इनका
नंबर आया तो 58
किसान ऐसे
निकल गये जिनको
कह दिया कि
आपने कुछ बेचा
ही नहीं, उनको कह
दिया ,उसके
हाथ में रसीद
है.एक (XX) अधिकारी
है उसने किसान
के पक्ष में
प्रतिवेदन
दिया कि किसान
सही है,
कलेक्टर ने
इनको निलंबित
कर दिया कि
तुमने क्यों
दिया, फिर कलेक्टर
ने एक समिति
गठित की जो
रीवा के सबसे
बेस्ट
व्यक्ति हैं,
जो रीवा में (XX) और
तीन चार लोग
हैं इन लोगों
ने इस समिति
के माध्यम से
जांच की.
(XX)
आदेशानुसार विलोपित.
संसदीय
कार्य मंत्री
(श्री कैलाश
विजयवर्गीय) --
माननीय
सभापति महोदय,
विषय हमारा है
अतिवृष्टि और
किसानों की
फसल नष्ट होने
संबंधी और व्यक्तिगत
किसी का नाम
लेकर के किसी
की चर्चा करना...
श्री
अभय मिश्रा--
आप मेरी बात
तो सुने.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय --
आप सुनें
मैंने
व्यवस्था का
प्रश्न उठाया
है. विषय सीधा
सीधा
अतिवृष्टि और
भावांतर का इस
पर चर्चा करें
अब यह कहां से
वेयरहाउस आ
गया, फिर एक एक
का नाम ले रहे
हैं सांसद जी
का उनकी गलती
नहीं है,
फलाना
अधिकारी. यह
तो रिकार्ड
में रखने के
लायक भी नहीं
है.
श्री
अभय मिश्रा -
तो रिकार्ड से
आप हटा
दीजिये. मेरा
उद्धेश्य यह
है कि.य
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय -
देखिये, इस
विधानसभा का
उपयोग
किसानों के
हित में होना
चाहिये, प्रदेश
हित में होना
चाहिये किसी
को मारने के
लिये नहीं
होना चाहिये.
विषय क्या है.
यह विषय है तो
आप ध्यानाकर्षण
लगायें. आज
अतिवृष्टि और
ओलावृष्टि पर
बात हो रही है
और आप एक
वेयरहाउस को
ले आये, वह
किसका है इस
सदन को उससे
क्या मतलब है
और यह कौन सा
विषय है. तो
इसको सभापति
महोदय पूरा
रिकार्ड से
निकालना
चाहिये.
सभापति
महोदय- मैंने
पहले भी
अनुरोध किया
था विषय पर सीमित
रहें विषय
अतिवृष्टि से
प्रभावित
फसले हैं,
भावांतर है,
अन्य विषय में
न जायें, समय
की मर्यादा
में रहे. विषय
से बाहर बात न
करें और यह जो
अन्य बातें आई
हैं वह
रिकार्ड में न
ली जायें.
श्री
सोहनलाल
बाल्मीक- जब
मिश्रा जी बोल
रहे थे तो कह
रहे थे कि
विजयवर्गीय
जी मेरी बात
को ध्यान से
सुनें तो
उन्होंने सुना
और जवाब दे
दिया.
सभापति
महोदय- मैंने
भी आग्रह किया
था कि सदन की
मर्यादा है,
थोड़ा ध्यान
रखें, अभय जी
से अनुरोध है
कि विषय पर
बोले और
संक्षिप्त
में बोलें.
श्री अभय मिश्रा -- सभापति महोदय, मेरा इंटेंशन केवल किसानों को पैसा दिलाना था. इसके बाद इन्होंने जांच की, जांच में इन्होंने किसानों को झूठा बता दिया, फिर किसानों ने आंदोलन किया, अच्छा असत्य बताने के बाद पोर्टल से डिलिट कर दिया. अब किसानों की फिर से जांच हुई, कलेक्टर रीवा ने किसानो को सही पाया किंतु उनका नाम पोर्टल से डिलिट हो चुका है इसलिये उनको पैसा नहीं मिल पा रहा है. कुल मिलाकर के हो चुका है इसलिए उनको पैसा नहीं मिल पा रहा है. कुल मिलाकर 1 करोड़ 28 लाख रुपए का पेमेंट है. 59 किसान हैं. आप जितनी भी बातें कर रहे थे वो कुछ नहीं चाहिए. खाद के लिए लाठी खाता है फिर उसके बाद उसने जो बेचा है उसका पैसा दिला दीजिए. केवल उसका सही का सही दिला दीजिए. हम मान लेंगे कि आपने जितने सपने दिखाए हैं सब हरे हैं. इनका पैसा कब देंगे क्या यह कोई अपने भाषण में बताएगा.
सभापति महोदय -- यह विषय के अन्तर्गत नहीं है.
श्री अभय मिश्रा -- जब मुख्यमंत्री महोदय हमारे यहां दौरे पर जाते हैं तो किसानों को उठाकर लॉक-अप में बंद कर दिया जाता है इस डर से बंद कर दिया जाता है कि यह लोग कहीं आन्दोलन, प्रदर्शन न कर दें. बेचारे कुछ नहीं करते हैं. उनको लॉक अप में बंद न करें. इतना अनुरोध है. धन्यवाद.
श्री कैलाश कुशवाह (अनुपस्थित)
श्री रमेश प्रसाद खटीक (करैरा) -- माननीय सभापति महोदय, अतिवृष्टि से जो नुकसान हुआ है उस पर चर्चा हो रही है. ऊपर वाले से हम लड़ नहीं सकते हैं. यदि अतिवर्षा नहीं हुई होती तो सदन का इतना समय और पैसा खर्च नहीं होता. किसानों को हमारी सरकार बहुत राहत दे रही है. भावान्तर, किसान सम्मान निधि, शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण और खाद के लिए पुराना ब्याज माफ करना इस तरह से किसानों को लाभ दिया जा रहा है. हम सभी किसान हैं. सदन में भी 80 से 90 सदस्य किसान ही हैं. आप सभी सदस्य बताएं कि आपके क्षेत्र में अभी फसल बोई गई है तो क्या वह बिना डीएपी के बोई गई है या कहीं और से कोई केमिकल लाया गया है. हमारी सरकार पर्याप्त मात्रा में खाद दे रही है लेकिन यह मान सकते हैं कि कहीं-कहीं व्यवस्था में कमी हो सकती है. अभी मेरे जिले में कुछ विपक्षी पार्टी के लोगों द्वारा खाद पर हल्ला मचाया गया था. लेकिन अब सरकार ने हमारे शिवपुरी जिले में खाद की ऑनलाइन व्यवस्था कर दी है. सरकार ने अब किसानों को घर तक खाद पहुंचाने की व्यवस्था कर दी है. जो किसान कागज देकर अपना रजिस्ट्रेशन कराएगा उसके घर पर ही खाद पहुंचा दिया जाएगा. ऐसी व्यवस्था हमारी सरकार के मुखिया डॉ. मोहन यादव जी द्वारा कर दी गई है. इस व्यवस्था में किसानों से थोड़ा बहुत शुल्क लेकर खाद उनके घर तक पहुंचा दिया जाएगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में धान एवं मूंगफली की फसल में नुकसान हुआ था उसके हित में हमारी सरकार ने सर्वे करवाकर मुआवजा दिया और जो किसान रह गये हैं उनके लिए भी कोशिश की जा रही है. मैं सदन से आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि कुछ किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया है उनको भी शीघ्र मुआवजा मिले. कृषि मंत्री जी बैठे हैं मेरे यहां मंडी मंगरोनी में जहां मैं निवासरत हूं वहां पर मैंने धूल रहित मंडी के लिए भी आवेदन किया था. वहां धूल रहित मंडी के लिए कोई व्यवस्था नहीं हुई है. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि जल्दी से जल्दी वहां धूल रहित मंडी क्योंकि अब वह मंडी छोटी पड़ने लगी है. उस मंडी से करोड़ों रुपए का टेक्स मिल रहा है. उसके लिए व्यवस्था कर आसपास की जमीन को अधिग्रहित कर उसे किसी भी तरह से मंडी में मिला दी जाए, मंडी को दे दी जाए तो कम से कम वहां किसानों के लिए कुछ अच्छा होगा. अभी वहां मंडी छोटी होने के कारण रोड़ पर लगने लगी है. सभापति महोदय, आपने बोलने के लिए समय दिया धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकार (डिण्डौरी) -- माननीय सभापति महोदय, अतिवृष्टि से जो नुकसान हुआ है उस पर सदन में चर्चा चल रही है. हमारे सभी पक्ष के सदस्य सरकार की तारीफ करके अपनी मांग रख रहे हैं. हम सभी की बातें सुन रहे हैं. अभी खटीक जी भी बोल रहे थे और अंत में उन्होंने अपनी मांग भी रखी. हमारी तरफ से भी किसानों की बात को रखकर अपनी मांग की जा रही है. अतिवृष्टि होने से जो परिस्थिति निर्मित होती है और आरबीसी 6 (4) का जो नियम कहता है आरबीसी 6 (4) के अंदर ही सरकार को इस प्रक्रिया से गुजरना है और जो उसमें निर्धारित प्रक्रिया है उसका पालन करना है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि 13 अक्टूबर में मैंने जाकर ज्ञापन दिया. फसल नुकसान हुए आज 1 माह 18 दिन गुजर गए. आरबीसी 6 (4) की प्रक्रिया क्या है. आपको कितने समय में प्रक्रिया का पालन करना है इससे स्पष्ट होता है कि हमारे जो कृषि मंत्री जी हैं वह जब हमारे पास थे तो आपने एक जीएफडी बनाया था. इसका फुल फार्म मंत्री जी को पता है और मुझे पता है. उधर जाकर आपको हो क्या गया है आप किसानों के हित में कोई निर्णय ही नहीं ले पा रहे हैं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैंने स्वयं सोयाबीन की बुआई की है. मेरी एक दिनचर्या है. मैं प्रयास करता हूं कि वह अनाज मैं खुद पैदा करूं जिसका उपयोग मुझे करना है. इस सिद्धांत के साथ मैं स्वयं कृषि में भी भाग लेता हूं उसका परिणाम है कि खेती करते समय मेरी बीच की उंगली में दिक्कत आई और यह हल्की सी कट गई थी. हमने सोयाबीन की फसल की बुआई की थी और जब हमने उसकी परिस्थिति देखी और किसानों से मिले हमने ज्ञापन दिया और इसका परिणाम यह मिला कि आज 1 माह 18 दिन हो गये मुआवजा नहीं मिला और हमारे मंत्री जी कहेंगे कि सब बढि़या है. अगर आप और हम यही करते गये तो मैं बता दूं कि राजनैतिक लोगों के ऊपर जनता का विश्वास उठ गया है. मजबूरी है कि कोई रास्ता ही नहीं है. वहीं पर एसआईआर का काम शुरु होता है और यह काम अभी 4 तारीख तक चलना है.
वह
भी एक काम है, हम
मानते हैं कि
निर्वाचन
आयोग के काम
में हमें
गंभीरता रखनी
चाहिए, परंतु
आप किसानों के
लिए क्या कर
रहे हैं. मैं
अपने जिले डिण्डौरी की बात
कहना चाहूंगा
कि वहां तो
आपके जनप्रतिनिधि
मंचों से कहते
हैं कि आपने
कांग्रेस का विधायक
चुना है, इसलिए आपके
यहां विकास
कार्य नहीं
होगा, आपको
किसी प्रकार
का लाभ नहीं
मिलेगा. हम
सभी ने यहां
शपथ ली है,
उसमें क्या
लिखा है ? उसमें लिखा
है कि हम बिना
किसी
राग-द्वेष के
कार्य करेंगे, लेकिन यदि आप
सार्वजनिक
रूप से ऐसा
कहते हैं तो
ऐसे लोगों को
तत्काल उस
शपथ के आधार
पर,
अयोग्य
घोषित कर देना
चाहिए, जो कहते हैं
कि कांग्रेस
का विधायक है, इसलिए आपको
लाभ नहीं मिलेगा.
आज यही हो रहा
है,
आप एक चश्मा
लगा लेते हैं
कि कांग्रेसी
विधायक है, पहले रुपये 15
करोड़ से शुरू
हुआ और फिर
अन्याय पर
अन्याय हो
रहा है. मेरा
अनुरोध है कि
मैं आपको एक सिद्धांत
बताना
चाहूंगा, संस्कार
वालों का और
अहंकार वालों
का.
सभापति
महोदय- कृपया
विषय पर बात
करें. अभी
यहां कोई आध्यात्मिक
सभा तो नहीं
हो रही है ?
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय- एक
दिन इनका
प्रवचन रख
दीजिये.
सभापति
महोदय-
माननीय
संसदीय
मंत्री जी का
आदेश हो जाए.
श्री
ओमकार सिंह
मरकाम- सभापति
महोदय, मेरा
कहना है कि
अहंकारी लोग
झुकाकर
प्रसन्न
होते हैं और
संस्कारी
लोग झुककर
प्रसन्न
होते हैं.
(मेजों की थपथपाहट)
आपमें
अहंकार है
इसलिए आप हमें
झुकाकर प्रसन्न
होना चाहते
हैं लेकिन हम
संस्कारी
लोग हैं, हमारा
एक-एक
कार्यकर्ता
संस्कारी है,
देश के लिए
मर-मिटा है, तब
देश आज़ाद हुआ
है. आजादी के
बाद देश में
इंदिरा गांधी
जी,
राजीव गांधी
जी शहीद हुए
हैं, आप यह न
भूलें कि यह
देश उनके खून
से सिंचा हुआ है.
सभापति
महोदय-
मरकाम जी, विषय पर
रहें, समय भी हो
गया है.
राजस्व
मंत्री (श्री
करण सिंह
वर्मा)- सभापति
महोदय, इसमें
कहां से
इंदिरा जी, राजीव जी
का विषय आ गया.
मैं बहुत कम
बोलता हूं. मरकाम
जी आप संस्कार
की बात कर रहे
हैं, कांग्रेस
केवल एक संस्था
थी.
सभापति
महोदय-
वर्मा जी, आप बैठ
जायें.
श्री
ओमकार सिंह
मरकाम- सभापति
महोदय, अगर आज
देश में मोदी
जी
प्रधानमंत्री
हैं तो वह भी
कांग्रेस की देन
है. अगर
कांग्रेस
संविधान न
देती तो गांव
से निकलकर वे
देश के
प्रधानमंत्री
नहीं बनते, हमें यह
नहीं भूलना
चाहिए.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय- सभापति
महोदय, यह
बात बिलकुल
सही है कि
कांग्रेस के
कारण ही हम
यहां हैं. यदि
कांग्रेस अच्छा
काम करती तो
हम सरकार में
क्यों आते ?
श्री
ओमकार सिंह
मरकाम- कैलाश
जी, आप
हमारी
ईमानदारी,
सज्जनता का
फायदा उठा रहे
हैं, आप हम
कांग्रेसियों
को इतना
प्रताडि़त क्यों
करते हैं, आप
हमारा एक काम
नहीं करते. आपको
एक चश्मा लग
गया है, आप ये
चश्मा उतार
दीजिये.
अहंकार ज्यादा
दिन नहीं चलता
है.
सभापति
महोदय, मेरा
कहना है कि
मेरे क्षेत्र
में फसलों का
जो नुकसान हुआ
है,
मंत्री जी
आपमें बड़ी
ऊर्जा है, आप
अपने जवाब में
रिकॉर्ड दे
दीजियेगा कि
आपने कितना
मुआवज़ा दे
दिया और जब आप
बोलें तो यह भी
बतायें कि
प्रदेश में आप
कितना
मुआवज़ा दे चुके
हैं, कितना
मुआवज़ा देने
वाले हैं, यह
बात जरूर आ
जाये. किसानों
के विषय में
मेरा आग्रह है
कि वैसे हमारे
दोनों मंत्री
यदि किसी दिन
फसल की कटाई
कर लें तो
आपको किसानों
का दर्द पता
चल जायेगा कि
बातें करना
आसान है.
06.34 बजे
{अध्यक्ष
महोदय (श्री
नरेन्द्र
सिंह तोमर) पीठासीन
हुए.}
श्री
ओमकार सिंह
मरकाम- यह अच्छा
रहा कि मैंने
थोड़ा अधिक
बोला, तब तक
अध्यक्ष जी
भी आ गए. आपको
देखकर हमें
आत्मविश्वास
आ जाता है.
अध्यक्ष
महोदय-
अधिक बोल
चुके हैं तो
अब शीघ्र
समाप्त करें.
कुछ नेता
प्रतिपक्ष जी
के लिए भी
छोड़ना चाहिए.
श्री
ओमकार सिंह
मरकाम- अध्यक्ष
जी आपमें और
प्रधानमंत्री जी
में केवल
सरनेम का ही
तो फर्क है. दिल्ली
वाले भी वही
हैं और आप भी
वही हैं, तो हम तो
बड़े
कॉम्फिडेंस
में आ जाते
हैं. मोदी जी उधर लग
जाते हैं और
इधर तोमर जी
लग जाते हैं, पर
नाम तो है. हमें
बड़ा विश्वास
है,
माननीय अध्यक्ष
महोदय जी.
आपका निर्देश
मिल जायेगा तो
मंत्री जी
हमारे जो
किसान भाइयों के लिए
खासकर मेरे
डिण्डौरी
जिले में जो
सोयाबीन की
फसल का नुकसान
हुआ है, उसके लिए
आप नियमों को
शिथिल करते
हुए,
अगर आप दे
देंगे तो मैं
दलगत नीति से
उठकर आपका
बड़ा स्वागत
कराऊँगा और
नहीं दोगे, तो
बात तो कहूँगा,
ठीक उसी तरह
जैसे ''कांच में
पारा लगाओ, तो
आईना बन जाता
है और किसी को
आईना दिखाओ, तो
पारा चढ़ जाता
है''
पारा चढ़ते
रहे,
लेकिन हम आईना
दिखाते
रहेंगे, बताते
रहेंगे. धन्यवाद.
अध्यक्ष
महोदय - बहुत
धन्यवाद.
माननीय नेता
प्रतिपक्ष जी.
नेता
प्रतिपक्ष
(श्री उमंग
सिंघार) - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, सदन
में बहुत
गंभीर चर्चा
चल रही है,
कृषि मंत्री
जी नहीं हैं
और मैं मुख्यमंत्री
जी से उम्मीद
नहीं कर सकता
हूँ कि उनको
किसानों के
हित की बात को
लेकर इस गंभीर
विषय में यहां
रहना चाहिए
था.
अध्यक्ष
महोदय - अभी
राजस्व
मंत्री जी
यहां पर हैं.
गौतम जी, आप जरा
देखें कि कृषि
मंत्री जी
कहां पर हैं ?
श्री
उमंग सिंघार - माननीय
अध्यक्ष
महोदय, आजकल सब
सरकारें
रिमोट से चल
रही हैं. जो
कभी आरोप
लगाते थे कि
कांग्रेस
रिमोट से चलती
है. अब क्या
स्थिति है ? आपको
सब पता है.
मंत्रियों की
क्या स्थिति
है, यह
मैं भी जानता
हूँ. सभी
जानते हैं और
सबसे बड़ी बात
किसानों के मामले
में हमारे
सदस्यों की
संख्या ज्यादा
है. भारतीय
जनता पार्टी
के विधायक
कितने गंभीर हैं, यह
पूरा प्रदेश
देख रहा है.
सरकार
किसानों का
खून चूस रही
है, जो
किसान अपना
पसीना मिट्टी
में मिलाता
है. जब बादल
रूठा हो, तब
दायित्व बन
जाता है, सरकार का
उनका साथ देने
का,
उनके साथ खड़े
होने का, कहीं न
कहीं सरकार
किसानों के
साथ खड़ी हुई
नहीं दिखती
है. जुमलेबाजी
होती है, भाषणबाजी
होती है. अभी
खलघाट में
धरने पर
हजारों किसान बैठे
हुए हैं. किसान
किसी भी
विचारधारा के
कांग्रेस के,
बीजेपी के हो
सकते हैं,
लेकिन वे
किसान हैं. इस
प्रदेश के वे
किसान हैं, हम
मध्यप्रदेश
को कृषि
प्रधान कहते
हैं, किसानों
की महत्वपूर्ण
भूमिका है.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, ऐसे तो
पूरे प्रदेश
के हैं. लेकिन
खलघाट में धार,
खण्डवा,
बड़वानी एवं
खरगौन क्षेत्र
के विशेष रूप
से किसान बैठे
हुए हैं. लेकिन
हर किसान की
बात है, पूरे
प्रदेश के
किसानों की
बात है. वह क्या
मांग कर रहे
हैं ? ऋण
माफ होना
चाहिए. आपके
घोषणा-पत्र
में था. हमने
जब ऋण माफ
किया, तो आपकी
सरकार आई,
शिवराज सिंह
जी आए, उन्होंने
तत्काल वापस
निर्णय ले
लिया. सरकार
किसानों का ऋण
माफ नहीं कर
सकती, लेकिन
सरकार
बड़े-बड़े
टेंट लगाकर
बड़े-बड़े कार्यक्रम
करना चाहती
है. वह किसान
के पक्ष में
बात नहीं करना
चाहती है. दूसरी
बात वह लोग
मांग कर रहे
हैं,
हमको 4 गुना
पैसा मिले, उस
पर भी सरकार
कुछ नहीं कहना
चाहती है. अभी
लैंड पुलिंग
एक्ट को लेकर
जिस प्रकार से
उज्जैन में
विवाद हुआ.
किसानों के
कारण माननीय
मुख्यमंत्री
जी आपकी सरकार
ने इसको वापस
लेने का विचार
बनाया, वह लेना
चाह रही है कि
नहीं लेना चाह
रही है. इस
प्रदेश के किसानों
को मालूम होना
चाहिए कि उनकी
जमीनें जाएंगी
कि नहीं
जाएंगी. मैं
समझता हूँ कि
इस बात को स्पष्ट
करना चाहिए,
आपकी सरकार ने
इस बात को कहा
है.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
बीमा कम्पनियां
हजारों करोड़
रुपये कमा रही
हैं. लेकिन
पारधी जी कह
रहे थे कि हम
किसान को हजार
रुपये देते
हैं. अरे, लज्जा
करो. एक
हजार रुपये उस
किसान का फसल
की लागत तक
नहीं आती और
हम उस किसान
को एक हजार
रुपये दे रहे
हैं. बीमा कम्पनियां
हजारों करोड़
रुपये ले रही
हैं. समय पर
किसान बीमा का
प्रीमियम
भरता है.
लेकिन जब समय आता है तो कलेक्टर समय पर सर्वे नहीं करते. क्यों नहीं करते. किसान पटवारी को आवेदन दे रहा है. सरकार के पास जा रहा है, लेकिन जब उसकी फसल कट जाती है, तब सर्वे के ऑर्डर होते हैं. क्यों, क्योंकि अगर समय पर सर्वे होगा तो कंपनियों को ज्यादा राशि देनी पड़ेगी. मूल बात यह है. यह मामला अभी चल रहा है. श्री मारू साहब ने, माननीय सदस्य ने बीमा कंपनियों के सेटेलाइट इमेज की बात कही कि उसको अनावरी से मिलाना चाहिए. वे आपके सदस्य हैं. आपकी सरकार के लोगों को क्यों आदेश देने में परेशानी है. तत्काल आदेश होना चाहिए. मैं मारू जी की बात का समर्थन करता हूँ. लेकिन सरकार नहीं करेगी, मारू जी, मैं आपको यह कहना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय कैलाश जी ने कई बातें कहीं. खाद में सब्सिडी. हमारे सदस्यों ने कहा कि कई सालों से सब्सिडी चल रही है. यह आपके कारण वर्ष 2014 से सब्सिडी नहीं मिल रही है. पूरे देश के अंदर कई सालों से किसानों को सब्सिडी मिलती है, यह मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ. लेकिन किसान को खाद नहीं मिल रहा है. आपने लाखों टन खाद की बात की. कहां मिली, उसके आंकड़े अभी बताता हूँ आपको. कैलाश जी ने भावांतर योजना में 6 लाख टन से 10 लाख टन की खरीदी की बात की. माननीय अध्यक्ष महोदय, बिचौलियों के माध्यम से खरीद रहे हो, यह सरकार खरीद रही है, उस किसान को नुकसान हो रहा है. बाढ़ से अलग नुकसान हो रहा है. फसल कम आ रही है. बादल उसका साथ नहीं दे रहा है. पानी साथ नहीं दे रहा है. मौसम साथ नहीं दे रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, और सरकार क्या कर रही है. बाहर से आयात कर रही है. देश में वर्ष 2024 में 9 लाख टन मक्के का आयात किया गया. ये कारण है कि जब आप बाहर से आयात करेंगे तो यहां के किसानों का मक्का कौन खरीदेगा. सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सवा 6 लाख टन सोयाबीन बाहर से आयात किया गया है. तो यहां के किसानों को भाव कहां से मिलेंगे. ये आपकी केन्द्र सरकार की योजना है. अध्यक्ष महोदय, मैं चाहूँगा कि इस बात पर आप सरकार को बोलें, केन्द्र को बोलें कि हमें हमारे देश के किसानों की सोचना है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से पूरे देश के लिए वर्ष 2001 के बाद 2025 मौसम के हिसाब से अनुकूल नहीं रहा. हम लोग सेंट्रल इंडिया में हैं. पूरे देश में 94 लाख हेक्टेयर जमीन प्रभावित हुई. कई हजार मौतें हुईं. 4,064 मौतें हुईं. बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि से किसान आंसू बहाता रहा. ये आपकी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की रिपोर्ट है. माननीय अध्यक्ष महोदय, 1800 करोड़ रुपये, मुख्यमंत्री के जनसंपर्क पोर्टल पर आया है कि हमने 1800 करोड़ रुपये प्रभावितों को मुआवजा बांट दिया. लेकिन किसान संघ कह रहा है कि पूरे प्रदेश के अंदर 5 हजार करोड़ से ज्यादा नुकसान हुआ. तो सरकार किसान संघ की बात नहीं सुनना चाहती. किसान की बात नहीं सुनना चाहती. ऊँट के मुँह में जीरे की तरह आप देना चाहते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, हजारों करोड़ रुपये का नुकसान है, लेकिन यह 1800 करोड़ रुपये से नहीं होगा. हर किसान को पूरा मुआवजा मिलना चाहिए. विशेष रूप से आपके चंबल में, जबलपुर में, नर्मदापुरम संभाग में और प्रदेश के कई जिलों में नुकसान हुआ. 1800 करोड़ रुपये में वाहवाही. क्या प्रदेश में बाकी किसान नहीं हैं. क्या उनको मुआवजा नहीं मिलना चाहिए. उनका भी अधिकार है. उनका भी ओलावृष्टि से, अतिवृष्टि से नुकसान हुआ. माननीय अध्यक्ष महोदय, हर किसान को मिलना चाहिए. अगर सरकार की नियत साफ है.
यह मैं
चाहूंगा
माननीय
मंत्री जी
सरकार की तरफ
से इस बात को
स्पष्ट करें
सिर्फ
आंकड़ेबाजी
से काम नहीं
चलगा अगर आप
चाहते हैं कि
वह आपके साथ
खड़े रहें तो
उनके घर के
चिराग भी आपको
जलाकर रखना
पड़ेंगे उनके
घर की रोजी
रोटी का भी
आपको ख्याल
रखना
पड़ेगा.धान,गेहूं
खरीदी को लेकर
केंद्र में
प्रहलाद जोशी
जी को पत्र
लिखा कि आप
खरीदिये.
सरकार कर्ज ले
रही है लेकिन
किस बात के
लिये ले रही
है सरकार केंद्र
के पाले में
गेंद फेंकना
चाहती है और
एक तरफ आपके
नेता कहते हैं
कि डबल इंजन
की सरकार तो कहां
गया केंद्र का
इंजन क्यों
नहीं मध्यप्रदेश
के इंजन के
साथ चलना
चाहता है
क्यों छोड़ दिया
बताए. यह कर्ज
मैं समझता हूं
कि सरकार कहती
कि हम किसानों
के लिये लिया
किसानों को
देंगे तो हम
भी इसका
समर्थन करते
लेकिन एक बार
भी सरकार ने
नहीं कहा और
लिया है तो
बताएं कि लिया
है किसानों के
लिये तो हम
आपका स्वागत
करेंगे.
एमएसपी को
लेकर कई बातें
चल रही हैं. 5328 के
अंदर भावांतर
केंद्र सरकार
ने सोयाबीन का
तय किया.
पूर्व
मुख्यमंत्री
केन्द्रीय
मंत्री
वर्तमान
प्रदेश के हैं
लेकिन प्रदेश
के लिये
5328 रुपये
शिवराज जी नहीं
दिला पा रहे
क्यों अब
सिंगल इंजन हो
या डबल इंजन
की बात हो रही
थी कहां गया
डबल
इंजन.एमएसपी
को लेकर कमीशन
आफ
एग्रीकल्चर
एण्ड कास्ट
एण्ड
प्राईज,सीएसीपी
ने स्पष्ट कहा
है कि किसान
को अगर बाजार से
कम भाव में
जायेगी तो यह
दायित्व है सरकार
उसको खरीदेगी.
आपने उस कमीशन
की रिपोर्ट की
धज्जी उड़ा
दी. उसकी
रिकमंडेशन की
धज्जी उड़ा
दी. प्रदेश
क्या पूरे देश
के अंदर
धज्जियां
उड़ाई जा रहीं
क्यों नहीं
सरकार
किसानों के
लिये पालिसी
बनाती. मैं
समझता हूं सही
बात है मक्का
हमारे माननीय
सदस्यों ने
कहा मैं रिपीट
नहीं करना
चाहता लेकिन
आदिवासी
क्षेत्र के
अंदर जहां
मिट्टी उपजाऊ
नहीं है
पहाड़ों पर
पत्थर के अंदर
वह अपनी रोजी
रोटी चलाते
हैं कैसे वह एक-दो
बीघा में रहते
हैं कैसे उनको
एक क्विंटल
मक्का उन
बेचारों की
बारह महिने
चलती है आज 1200
रुपये के अंदर
मजबूर है
आदिवासी.
किसान परेशान
है क्या हमें
दर्द नहीं है.
हम
आदिवासियों
के वोट लेना
चाहते हैं
लेकिन क्या आप
आदिवासी के
लिये काम नहीं
करना चाहते
क्या आप 2400-2500 रुपये जो
एमएसपी उस पर
क्यों नहीं
खरीदना चाहते
अगर आपमें दिल
है तो आज
घोषणा कीजिये
मैं आपका समर्थन
करूंगा. प्याज
की बहुत बात
चल रही थी. रामेश्वर
शर्मा जी चले
गये शेम्पू कल
लेकर आयेंगे.
पहले तो उन्होंने
बोल दिया था कि हां शेम्पू
बनेंगे. अब होते
तो मैं बोलता
फिर भी मैं
आपसे
कहना चाहता
हूं कि कई जगह
प्याज सड़कों
पर फेंके जा
रहे हैं तो
शेम्पू कहां
से बनेगा.
रामेश्वर
शर्मा जी,आपकी
सरकार इकट्ठा
करो बनाओ पूरे
प्याज का
शेम्पू हम
आपके साथ खड़े
हैं. कब बनेगा
तो माननीय
अध्यक्ष महोदय,
चाहे मंदसौर
हो,चाहे
खण्डवा हो इस
क्षेत्र में
प्याज होता है
किसानों की
क्या स्थिति है.
यह प्याज के
आंसू नहीं है
यह नहीं खरीद
रही समर्थन
मूल्य नहीं दे
रही यह उनके
आंसू हैं यह
सरकार के आंसू
हैं जो उनको
रुला रही है.माननीय अध्यक्ष
महोदय, हमारे सदस्य
ऋषि अग्रवाल
जी ने
केन्द्र
सरकार को एक
पत्र दिनांक
14.10.2025 को मक्का
को लेकर लिखा
था और केन्द्र
सरकार ने क्या
जवाब दिया, दिनांक 17.11.2025 को
माननीय कृषि
मंत्री जी को
आपके माध्यम
से कहना चाहता
हूं कि मध्यप्रदेश
सरकार के
एमएसपी 2025-26 के
लिये मक्का
की खरीदी का
कोई प्रस्ताव
अभी तक प्राप्त
नहीं हुआ है.
जब आप प्रस्ताव
नहीं भेजोगे
तो खरीदी कहां
से होगी.
आपको प्रदेश
के किसानों की
मक्का जिन्होंने
बोई उनकी
चिंता ही नहीं
है, यह
पत्र है केन्द्र
सरकार का, हमारे
माननीय
विधायक ने इस
बात को उठाया
था,
उन्होंने इस
बात को दिल्ली
लिखा था.
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
खाद नहीं मिल
रही, खाद को लेकर
परेशान कलेक्टर
कहते हैं कि
बड़ी स्थिति
खराब है, सुधरे कैसे, आपकी जो भी
मीटिंग होती
है,
माननीय
मंत्री जी को
पता है मुरैना
में कितनी
लाइन लग रही
है,
बेरीकेटिंग
लगाना
पड़ रही है.
जब
कृषि मंत्री
के यहां यह
स्थिति है तो
प्रदेश के
अंदर खाद कहां
से मिलेगा.
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
नकली खाद को
लेकर शिवराज
जी के यहां
कितने मामले
पकड़ाये, यह भी स्पष्ट
है. 1500 एकड़ में
फसल बर्बाद हो
गई नकली खाद
के कारण सीहोर
जिले की, यह हैं केन्द्रीय
मंत्री जो
अपने जिले के
अंदर ही नकली
खाद बिक रही
है उस पर ही
नजर नहीं रख
पा रहे.
माननीय अध्यक्ष
महोदय, महाकौशल
में भी
यही स्थिति है, लाइन की लाइन
लगी हुई है. मैं एक
और जानकारी
आपको देना
चाहता हूं
कैलाश जी ने
कहा कि खाद
पर्याप्त है, अभी मंत्री
जी भी कहेंगे
कि सभी को खाद
मिल रहा है और
विश्वास सारंग
जी भी खाद की
बात करते हैं, सबको खाद मिल
रहा है, आंकड़े सब
गिनाते हैं.
यह आपको
आंकड़े बता रहा
हूं केन्द्र
सरकार के
रसायन एवं
उर्वरक
मंत्रालय के
पोर्टल पर आप
चाहें तो अभी
देख सकते हैं, पूरी सरकार
देख ले. 3 सालों
में मध्यप्रदेश
में कुल 16 लाख 25
हजार मीट्रिक
टन यूरिया और 7
लाख 11 हजार
मीट्रिक टन डीएपी
बच गई.
अगर बची तो क्यों
बची, क्यों नहीं
बटी, क्यों
वितरण नहीं
हुआ. अगर समय
पर वितरण होता
तो ढाई सौ
रूपये, दो सौ रूपये
में जो खाद के
भाव हैं वह
मिलते,
500 रूपये
के अंदर किसान
को नहीं लेना
पड़ता, तो खाद कहां
जा रही है, यह केन्द्र
सरकार के आपके
मंत्रालय की
रिपोर्ट है.
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
खाद के साथ
पुलिस की
लाठियां मिल
रही हैं.
8 सितम्बर
को रीवा की
करियामंडी
में खाद को
लेकर लाइन लगी, पुलिस की
लाठियां
मिलीं. 8 सितम्बर
2025 को भिण्ड
में खाद की
लाइन लगी
किसानों पर
लाठीचार्ज
हुआ. 9 सितम्बर
2025 को रीवा के
उमरी में खाद
वितरण की लाइन
लगी, खाद नहीं
मिला,
लेकिन पुलिस
की लाठियां
मिलीं,
28 नवम्बर
गुना के बम्हौरी
में 58 वर्षीय
भूरी बाई की
लाइन में लगने
से मृत्यु हो
गई. माननीय
अध्यक्ष
महोदय,
58 साल
की एक बुजुर्ग
महिला अगर खाद
के लिये लाइन
में लगी और उसकी
मृत्यु हो
जाये तो यह
हमारे लिये
बड़े शर्म की
बात है,
इस प्रदेश के
लिये शर्म की
बात है. यह
मानवीय पहलू
नहीं हो सकता, सरकार इतनी
निरंकुश नहीं
हो सकती. मैं
समझता हूं
माननीय अध्यक्ष
महोदय सरकार
को Essential Commodities Act, 1955 के हिसाब से
अभी तक क्या
कार्यवाही की, यह बतायें. कितनी
कालाबाजारी
पकड़ी,
नहीं
बतायेंगे. माननीय अध्यक्ष
महोदय, यही स्थिति
बिजली की है
किसानों को
लेकर एक तरफ
सरकार आदेश
निकालती है कि
10 घंटे से ज्यादा
बिजली दोगे तो
हम बिजली
कर्मचारियों
पर कार्यवाही
करेंगे, अरे लेकिन 10
घंटे किसान को
बिजली कहां
मिल रही है.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, कुछ
साथियों ने
कहा कि प्रदेश
में किसानों
की आत्महत्या
नहीं हुई हैं, मैं आपको
और सदन को नाम
के साथ बताना
चाहता हूं कि
उज्जैन में
रामसिंह बामी
04 अक्टूबर
को,
उज्जैन में
दिनेश शर्मा 10
अक्टूबर को, उज्जैन
में कमल सिंह
गुर्जर 15 अक्टूबर
को,
खण्डवा में
मदन कुमरावत 07
अक्टूबर को, खण्डवा
में सदाशिव
फट्टू 30 अक्टूबर
को,
मुरैना में
मुकेश गुर्जर
31 अक्टूबर को
और शिवपुर में
कैलाश मीणा 29
अक्टूबर को, यह
प्रमाण है कि
किस प्रकार से
आत्महत्याएं
हो रही हैं और
यह मेरी
रिपोर्ट नहीं
है, यह
एन.सी.आर.बी.
की
वर्ष 2024 की
रिपोर्ट है, जो अभी
वर्ष 2025 में
प्रकाशित की
गई है,
तो क्यों
किसान मर रहे
हैं?
मोदी जी कहते
हैं कि भाव
दोगने होंगे, किसान को
मैं डबल पैसे
दूंगा, आप सरकारें
बनाते जा रहे
हैं,
परंतु किसान
वही है, वह सिंगल
इंजन में ही
घूम रहा है
उसका डबल इंजन
नहीं है, उसको डबल
भाव नहीं मिला
है.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, हमारी
अंत में कई
मांगे हैं, एक पराली
जलाने को लेकर
एक बड़ा ईश्यू
आया है, किसानों
पर मुकदमें
दर्ज हो रहे
हैं,
इस पर सरकार
की पॉलिसी
बनना चाहिए, मेरा
अनुरोध है कि
किस प्रकार से
इस पराली का मुआवजा
उसको मिले, कैसे हो
इस पर विचार
करना चाहिए?
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, अंत मैं
किसानों की ओर
से जो मांगें
हैं,
वह रखना चाहता
हूं. हमारी
कर्ज माफी को
लेकर मांग हैं, खाद को
लेकर मांग है
कि खाद समय पर
नहीं मिल पा
रही है, जो
प्राकृतिक
आपदा का
मुआवजा है, वह कम है, वह पूरा
मिले,
हर किसान को
मुआवजा मिले. मक्का, एम.एस.पी. को लेकर
सरकार घोषणा
करे. भूमि
अधिगृहण को
लेकर चार गुना
मुआवजा मिले, फिर चाहे
धान हो, चाहे
गेहूं हों, उस सबकी
की खरीदी को
लेकर माननीय
अध्यक्ष
महोदय अगर
सरकार या हम
लोग किसानों
के वोट लेना
चाहते हैं, तो वोट की
राजनीति नहीं
होनी चाहिए. मैं
समझता हूं कि
हर किसान चाहे
वह किसी भी विचारधारा
से जुड़ा हो, लेकिन वह
किसान है, हमारा
भाई है, हम
उसके लिये
इंसानियत के
नाते, ईमानदारी
से अगर हम
विपक्ष में
बैठे हुए और
हम उसकी आवाज
नहीं उठायें
और सरकार उस
आवाज को नहीं
सुनती है, अगर
सरकार गूंगी
बहरी हो जाती
है,
तो मैं समझता
हूं कि इस
प्रदेश के
किसानों का भविष्य
बड़ा
अंधकारमय हो
जायेगा, मैं
माननीय
मंत्री जी से
आपके माध्यम से यह अनुरोध
करना चाहूंगा
कि इन बातों
पर विचार करके
बताये.
राजस्व
मंत्री(श्री
करण सिंह
वर्मा) -- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, आज
अतिवृष्टि पर
चर्चा हो रही
है. जैसे ही
मध्यप्रदेश
के माननीय
मुख्यमंत्री
जी को मालूम
पड़ा कि आज
अति वर्षा हुई, बाढ़ आ गई, उसके बाद
तत्काल वह
पांच जिले का
दौरा करते हैं
और वहीं घोषणा
करते आते हैं.
अभी जो आप बोल
रहे हैं, वह
मुआवजा नहीं
होता है, नेता
प्रतिपक्ष और
कटारे जी भी
जो बोल रहे हैं, वह
मुआवजा नहीं
होता है, यह राहत
राशि होती है (श्री
हेमन्त सत्यदेव
कटारे, सदस्य
द्वारा आसन से
कहने पर) जी, यह राहत
राशि मिलती है, मैं आपके
सामने कह रहा
हूं,
इसमें गलत
नहीं है, मैं आपके
सामने भाषण
नहीं कर रहा
हूं,
अध्यक्ष्ा
महोदय -- (श्री
हेमन्त सत्यदेव
कटारे, सदस्य
द्वारा आसन से
कहने पर) अब आप
टोका टाकी
नहीं करें.
श्री
करण सिंह
वर्मा -- मैं
भाषण नहीं
करता हूं, तत्काल
माननीय मुख्यमंत्री
जी वहां पहुंचे
और वह घोषणा
करते हैं और
सारे कलेक्टर्स
और पी.एस. को
निर्देश देते
हैं कि हर
जिले में राहत
राशि दी
जायेगी, वहां
सर्वे करें, जिसमें
पटवारी, कृषि
विभाग के
अधिकारी जाते
हैं और सर्वे
करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमने 6(4) में संशोधन किये, अभी विजयवर्गीय जी बोल रहे थे पहले आप केले पर कितने देते थे, पचास हजार रूपये देते थे, अभी हम दो लाख रूपये दे रहे हैं, क्या यह बुरी बात है ?( एक माननीय सदस्य द्वारा आसन से कहने पर) आप कह रहे हैं कहां दिये, तो हमने खण्डवा में दिये, बुरहानपुर में दिये, आप देखिये, माननीय मुख्यमंत्री जी ने चर्चा की, मैं भी उस बी.सी. में था. केले का कितना नुकसान हुआ, एक एकड़ हुआ.
रेशा
बनता है, मुख्यमंत्री
जी ने कहा क्या
इसका रेशा भी
बनता है. पैसा
मिल गया, कहा हां
मिल गया, 80 हजार
रुपए के आसपास
मिला. मैं
हेक्टेयर का
बोल रहा हूं, उसके
पास 80 डिसमिल
जमीन थी, ये सदन
पवित्र मंदिर
है अभी मरकाम
साहब बोल रहे
थे, झूठ
मत बोलो, यहां न
घोड़ा है न
गाड़ी है, भोले नाथ
के यहां पैदल
ही जाना है.
आज राहत
राशि के लिए
माननीय अध्यक्ष
महोदय वर्ष 2025
और 2026 में तीन
हजार 600 करोड़
से अधिक का
हमने बजट रखा
है. माननीय
मुख्यमंत्री
जी ने जहां
जहां भी
नुकसान हुआ, वहां
वहां पर राशि
डाली. बारिश
एक दिन में
नहीं होती, बाढ़
एक दिन में
नहीं आती, चार
महीने में आती
है दिनांक 6
दिसम्बर 2025 को 11
जिलों में 17
हजार 500 किसानों
को सिंगल
क्लिक से 20
करोड़ 7 लाख
रुपए की राशि
वितरित की, गलत
है क्या(..मेजों
की थपथपाहट)
मेरे सामने
ये राशि दी है
हमारे पीएस और
कृषि मंत्री बगैरह
सभी थे. (विपक्ष
के सदस्यों
द्वारा आसंदी
पर बैठे बैठे
कुछ कहने पर) दिनांक
3 अक्टूबर 2025 को
13 जिलों के तीन
लाख 90 हजार 100.....
श्री उमंग
सिंघार – माननीय
अध्यक्ष जी, तारीख
तो सही करवाओ.
अभी 6 दिसम्बर
आया ही नहीं
हैं.
आज 1 दिसम्बर
है. वर्मा जी
को तारीख ही
नहीं पता.
अध्यक्ष
महोदय – आज तो
दिसम्बर
शुरू हुआ है
नवम्बर होगा
वह. तारीख देख
लीजिए.
श्री करण सिंह
वर्मा – जो पत्र मुझे
अधिकारियों
और विभाग से
प्राप्त हुआ
है वह पढ़ रहा
हूं.
श्री उमंग
सिंघार – वर्मा जी
को तारीख ही
नहीं पता है.
आज 1 दिसम्बर
है और मुआवजा 6
दिसम्बर को
बंट गया.
श्री करण
सिंह वर्मा – तारीख
छोड़ों पर
राशि दी तो है.
इससे आगे बढ़ो.
श्री उमंग
सिंघार – विभाग ने
जानकारी दी है
तो अधिकारी को
सस्पेंड
करो(..व्यवधान.)
है हिम्मत.
अध्यक्ष
महोदय – कृपया बैठ
जाइए. (..व्यवधान.)
श्री करण
सिंह वर्मा – ये
असावधानी है, त्रुटि
हुई है, इससे एक
महीने आगे
बढ़ा ले आप, पर
राशि दिया तो
है.
अध्यक्ष
महोदय – वर्मा
जी, आप
तारीख को
संशोधित कर
लीजिए. करण
सिंह जी आप मेरी
तरफ देखकर
बोलिए. उधर
मत पूछिए, हां या न
मत पूछिए, आप अपनी
बात कहो.
श्री करण
सिंह वर्मा – इसमें
संशोधन किया
जाता है एक
महीने आगे
बढ़ा लो, राशि दी
तो है. अब
दिनांक बोल
देता हूं
दिनांक 18 नवंबर
2025 को 4 लाख 78 हजार
किसानों को
नुकसान हुआ, तो
उनके खाते में
276 करोड़ रुपए
डाले. दिनांक 29
नवंबर 2025 को 5 लाख
88 हजार रुपए .
(..व्यवधान.)
श्री करण
सिंह वर्मा – एक बार
त्रुटि आ गई
अब मैंने बढ़ा
दिया, निवेदन कर
लिया.
अध्यक्ष
महोदय – करण सिंह जी
आप मेरी तरफ
देखकर बोलिए.
श्री करण
सिंह वर्मा – अध्यक्ष
जी एक बार
त्रुटि हुई, ठीक
कर दी, लेकिन राशि
तो डाली है, उस पर
आपत्ति करिए
आप.
अध्यक्ष
महोदय – ठीक है.
श्री करण सिंह वर्मा – अध्यक्ष जी 27 नवंबर 2025 को 5 जिलों में 2 लाख 92 हजार रुपए किसानों के खाते में सिंगल क्लिक से राशि डाली गई. कुल वितरण 27 लाख 28 हजार रुपए, 16 हजार किसानों को 2 हजार 68 करोड़ 68 लाख रुपए किसानों को पहली बार दिए. अब राशि वितरण प्रति किसानों के खाते में सिंगल क्लिक के माध्यम से वितरण किया गया है. जबकि वर्ष 2003 में कांग्रेस की सरकार थी.
मैं 1985 से हूं इस सदन में एक बार धामंधा में ओला गिर गया था वहां पर मैं भी गया था वहां पर एक भी पैसा किसानों को मुआवजे का नहीं मिला. कभी मैं असत्य नहीं बोलता हूं. एक माननीय सदस्य सदन में असत्य कथन कर रहे थे कि 2 रूपये किलो लहसुन बिक रही है, तो क्या दो रूपये किलों में लहसुन मिलती है. आप लोग कह रहे हैं कि 2700 प्रतिक्विंटल में सोयाबीन तो उसको हम खरीद लेंगे. यह सदन पवित्र मंदिर है. आप यहां पर अच्छा बोल सकते हैं, आप अच्छे वक्ता हो सकते हैं. आप अच्छे ज्ञानी भी बनों. ज्ञान होना चाहिये कि यह हम बोल रहे हैं ठीक है या नहीं. भाई साहब इतना ही नहीं माननीय मुख्यमंत्री जी ने जैसे ही राहत राशि की घोषणा की तत्काल राशि को डाला हर जिले में करीब मैं मानता हूं कि 17 जिलों में केम्प लगाये हैं उसमें कलेक्टर तथा अधिकारीगम मौजूद थे. बता दूं मेरे पास लिखा है.
एक माननीय सदस्य—मंत्री जी आपने ग्वालियर जिले में राहत राशि डाली है क्या ?
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय, दमोह में 10 केम्प छः दिन, जिला शिवपुरी में 10 केम्प तीन दिन के लिये, जिला रायसेन में 8 केम्प 6 दिन के लिये, जिला विदिशा 8 केम्प 4 दिन के लिये, जिला मुरैना में केम्प 5 दिन के लिये, अशोक नगर 7 दिन के लिये, जिला गुना तीन केम्प, नरसिंहपुर दो केम्प में भोजन तथा पानी की व्यवस्था की गई है सारा प्रशासन लगा हुआ है.
श्री दिनेश गुर्जर—मुरैना जिले में एक किसान को भी राहत राशि मिली हो बताएं. तो फिर राशि कहां गई.
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय,मुरैना जिले में 8 केम्प लगे हैं.
श्री दिनेश गुर्जर—किन किसान को राहत राशि नहीं मिली है आप नाम बता दें.
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय,यह मोहन यादव की सरकार है आपके जिले को करोड़ो रूपये से ज्यादा की राहत राशि देने की व्यवस्था है. आपके यहां पर 68 करोड़, 68 लाख की राशि दे रहे हैं.
श्री दिनेश गुर्जर—राहत राशि फिर कहां गई ?
अध्यक्ष
महोदय—आप
इधर देखकर के
बोलिये.
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय,धान की फसल का नुकसान हुआ है उसमें 25 प्रतिशत की राहत राशि हम देंगे. कांग्रेस के समय में 50 प्रतिशत नुकसान होता था तो थोड़ी बहुत राहत राशि देते थे. हमारी सरकार द्वारा राहत राशि 25 राहत राशि देंगे. 50 प्रतिशत से कम का नुकसान होगा तो भी हम राहत राशि देंगे. यह लोग बात कर रहे हैं मेरी ही बातों के मजे ले रहे हैं. आपकी सोयाबीन क्या 1700 में बिक रही है. दें मुझे आप उज्जैन के रहने वाला हो आप भगवान भोलेनाथ जी से डरिये. मेरे बेटे ने सोयाबीन स्वयं मेरी 4200 प्रतिक्विंटल बिकी है.
अध्यक्ष महोदय—मेरा सदन से इतना ही अनुरोध है कि थोड़ी सी भूल-चूक हो सकती है. लेकिन कृषि जैसे विषय पर अतिवृष्टि जैसे विषय पर हम लोग चर्चा कर रहे हैं, तो विषय की गंभीरता सदन में भी बनी रहनी चाहिये यही मेरा आप सबसे अनुरोध है.
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय,यह सब लोग हंस रहे हैं कम से कम थोड़ा बहुत असत्य बोल दो.
श्री अभय मिश्रा—मंत्री जी मन से बहुत अच्छे व्यक्ति है.
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय,किसानों को भावांतर योजना में राहत राशि मिली है किसी को 1100 अथवा किसी को 1200 रूपये मिले हैं. इतना बढ़िया काम किया है आज तक कांग्रेस ने कभी 1200 रूपये दिये थे.
25 परसेंट
राशि है अगर
मान लीजिए 50 परसेंट
से भी किसान
का नुकसान
होगा, तो
माननीय मुख्यमंत्री
जी ने उसकी भी
व्यवस्था
की है. उसका भी
नुकसान हम दे
रहे हैं. 1 हेक्टेयर
पर 10 हजार रूपए
दे रहे हैं....(व्यवधान)...
श्री
बाला बच्चन --
आपको कितना
भावांतर मिला, यह
भी बता दीजिए.
श्री
करण सिंह
वर्मा -- आप पता
कर लीजिए. आप
भले आदमी हैं.
मालूम कर
लीजिए. आप
मेरे बारे में
बहुत अच्छे
से जानते हैं.
आप मेरे बारे
में मालूम कर
लीजिए. अगर
नहीं मिला
होगा, अगर असत्य
कथन होगा, आप
मुझे पूरी तरह
से जानते हैं.
मैं यहां नेतागिरी
करने नहीं आया
हूँ. राजनीति
करता हॅूं.
..(हंसी)...
आप हंसिए,
मैं सुना
दूंगा. आप
अदरवाइस मत
लीजिए.
राजनीति एक
पतिव्रता देवी
के समान है...(हंसी)...
अध्यक्ष
महोदय -- अब आप
राजनीति की
परिभाषा
सुनिए..(हंसी)..
श्री
करण सिंह
वर्मा --
माननीय अध्यक्ष
महोदय, आगे
नहीं बोलूंगा,
अच्छा नहीं
लगेगा. यह जो
भाषण आप दे
रहे हैं यह
आपबीती बात
है. राहत
राशि जितनी
मध्यप्रदेश
के मुख्यमंत्री
डॉ.मोहन यादव
जी ने दी है
कांग्रेस की
सरकार ने 25
परसेंट कभी
नहीं दी है. (मेजों की
थपथपाहट) राहत
राशि हर चीज
पर दी है. अभी
आप बोल रहे थे, तो
आपको तकलीफ हो
रही थी. पहले
कच्चा मकान
गिर जाता था, तो
कितने मिलते
थे, 20 हजार रूपए
मिलते थे. अब 1
लाख 30 हजार
रूपए मिलते
हैं. (मेजों की
थपथपाहट) पहले
1 हेक्टेयर
में किसान का
नुकसान होता
था तो कितना
मिलता था, 50 हजार
रूपए मिलते
थे. अब 1 हेक्टेयर
पर मिलता है 2 लाख रूपए. पहले अगर
सर्पदशं हो
जाता था, तो
पहले 50 हजार
रूपए मिलते थे, अब 4
लाख रूपए
मिलते हैं.
नेता
प्रतिपक्ष
(श्री उमंग
सिंघार) -- क्या
अभी 50 रूपए
लीटर पेट्रोल
मिलता है. ...( (व्यवधान)...
श्री
करण सिंह
वर्मा --
भाईसाहब, मैं
अभी पेट्रोल
की बात नहीं
कर रहा हॅूं.
अरे,
मैं कहां कर
रहा हॅूं
पेट्रोल की
बात... (व्यवधान)...
श्री
उमंग सिंघार -- अध्यक्ष
महोदय, हर चीज
की महंगाई बढ़
गई है और
मंत्री जी 25
साल पुरानी
बातें कर रहे
हैं. 25 साल
में बच्चे की
शादी होकर पार
हो जाता है...(
(व्यवधान)...
श्री
करण सिंह
वर्मा -- अध्यक्ष
महोदय, अतिवृष्टि
पर चर्चा हो
रही है. ...( (व्यवधान)...
श्री
उमंग सिंघार --
आप 25 साल
पुरानी बातें
कर रहे हैं. आज
किसान मर रहा
है. किसान की
आज बात क्यों
नहीं हो रही
है. आज सरकार
क्या कर रही
है. यह बात
करें (व्यवधान)...
श्री
करण सिंह
वर्मा -- . (व्यवधान)...
उमंग जी, अतिवृष्टि
पर चर्चा कर
रहे हैं. सदन
में अतिवृष्टि
पर चर्चा हो
रही है... (व्यवधान)...
अध्यक्ष
महोदय -- आप, कृपया
बैठ जाइए.
माननीय
मंत्री जी, आप
जल्दी खतम
करें. ... (व्यवधान)...
श्री
करण सिंह
वर्मा -- अब वह
किसान हैं अब
ऐसे पढ़ देते
हैं कि दिल्ली
में यह हुआ,
वहां यह हुआ. पटल पर
रखिए आप. जो
आपने प्रमाण
बताएं हैं वह
आप पटल पर
रखिए...( (व्यवधान)...
श्री
उमंग सिंघार --
लीजिए, क्या
चाहिए आपको.
बोलिए. जो
चाहिए वह दे
दूंगा ....(व्यवधान)...ध्यान
रखिएगा, इस्तीफा
देना पड़ेगा.
किसानों की
बात है. मैं
प्रमाण दे
दूंगा. आपको
इस्तीफा
देना पडे़गा ...(व्यवधान)...
श्री
करण सिंह
वर्मा -- मैंने
कब कहा. आपने
जो प्रमाण
बताये, वह पटल पर
रखिए आप... (व्यवधान)...
अध्यक्ष
महोदय -- उमंग
जी, प्लीज, प्लीज ...(व्यवधान)...
श्री
उमंग सिंघार --
माननीय अध्यक्ष
महोदय, असत्य
आरोप नहीं
चलेंगे. मैं
प्रमाण के साथ
बात करता
हॅूं. ... (व्यवधान)...
श्री
करण सिंह
वर्मा --
मैं कोई आपत्ति
नहीं कर रहा
हॅूं..(व्यवधान)...
अध्यक्ष
महोदय -- करण
सिंह जी ...(व्यवधान)....
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय --
माननीय करण
सिंह जी, आप
माननीय उमंग
सिंघार जी को
इतना उत्तेजित
मत करिए. नहीं
तो वे आपसे एक
झटके में इस्तीफा
मांग
लेंगे...(हंसी)...
और आप सीधे
आदमी हो, भोले
आदमी हो. आप दे
भी देंगे. ...(हंसी)..
इसलिए
उत्तर जरा
संभल के दीजिए
और जो भी बचा
हो,
बता दीजिए...(हंसी)...आपका पूरा
हो गया.
श्री
करण सिंह
वर्मा -- हां, हो
गया.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय --
तो आप सभी
ताली बजा दीजिए.(हंसी)..(मेजों की
थपथपाहट)..
अध्यक्ष
महोदय -- कृषि
मंत्री जी, क्या
आप कुछ
बोलेंगे. कुछ
एड करेंगे.
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री (श्री एदल सिंह कंषाना) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज नियम 139 के तहत अतिवृष्टि के बारे में इस पवित्र सदन में चर्चा हो रही है. हमारे विपक्ष के मित्रों ने अपनी बात अलग-अलग तरीके से कही है. आदरणीय हमारे विपक्ष के नेता जी ने अपनी बात कही. सभी माननीय सदस्यों ने अपनी-अपनी बात कही. मैं सदन में आपके माध्यम से यह बताना चाहता हॅूं कि जिस प्रकार से आरोप लगाये कि किसानों के प्रति सरकार सजग नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, चाहे वह मध्य प्रदेश की सरकार हो या देश की सरकार हो. यह किसान हितैषी सरकार है. हमारा देश कृषि प्रधान देश है, हमारा प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है. प्रदेश में 75 प्रतिशत किसान खेती पर निर्भर है और हमारे विपक्ष के मित्र कहते हैं कि किसानों की हालत दयनीय है. मैं तो हमारे कांग्रेस के मित्रों से कहूंगा कि इस प्रकार से किसानों का अपमान करना ठीक नहीं होगा. अगर किसानों की हालत दयनीय होती तो क्या मध्यप्रदेश को सात-सात बार कृषि कर्मण्य अवार्ड मिलता ? ( मेंजों की थपथपाहट) यह कहते हैं कि किसानों के लिये सरकार ने क्या किया. आप चाहें तो मेरे पास किसानों की इतनी उपलब्धियां हैं, जो हमारी डॉ. मोहन यादव की सरकार ने किसानों के हित में दी हैं. जहां-जहां किसानों को दिक्कत आयी, अध्यक्ष महोदय, आप स्वयं गवाह हैं कि श्योपुर के हमारे किसान आये और उन्होंने मुख्य मंत्री जी को अपनी पीड़ा सुनायी तो तत्काल तीसरे दिन उसमें मुख्य मंत्री जी और आप स्वयं गवाह हैं और वहां मुझे भी जाने का मौका मिला, वह स्वयं शिवपुरी के कराहल में गये और उन्होंने करोड़ों रूपये की सौगात किसानों को दी.
अध्यक्ष महोदय, चाहे शाजापुर हो, चाहे ब्यावरा हो, चाहे इंदौर हो या शुजालपुर हो. जहां-जहां अतिवर्षा की बात आयी, जहां-जहां सोयाबीन फसल की नुकसान की बात आयी तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने उनको सुना और तत्काल मौके पर पहुंचे. मेरे पास आंकड़ा है माननीय मुख्यमंत्री जी ने करोड़ों रूपये की राहत राशि की घोषणा की. यह हमारे विपक्ष के मित्र इस प्रकार का आरोप लगाते हैं, क्योंकि हमारे नेता प्रतिपक्ष बड़े सीनियर हैं, गंभीर हैं लेकिन इनको यह असत्य जानकारी इस पवित्र मंदिर में देना ठीक नहीं है. हमारे कई मित्र खाद की बात कहते हैं कि मध्य प्रदेश में खाद नहीं मिल रहा है, किसी मित्र ने कहा कि बीमारी से हमारी महिला भूरी बाई का जो निधन हुआ है तो मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि यह सदन में आरोप लगाने से पहले उनकी मेडिकल रिपोर्ट तो पढ़ लेते कि उनकी मेडिकल रिपोर्ट में क्या है.
श्री लखन घनघोरिया- क्या वह महिला लाईन में नहीं लगी थी ?
श्री एदल सिंह कंसाना- महिला लाईन में नहीं लगी थी, वह पांच मिनट के लिये आयी और उसके सीने में पहले से ही दर्द था, वह पहले से ही बीमार थी, यह मेडिकल रिपोर्ट में आया है और उसको ठंड से सीने में दर्द हुआ और वह घर जाकर खत्म हुई. इस प्रकार की आप सदन में जानकारी दे रहे हो....
श्री बाबू जण्डेल- अध्यक्ष महोदय, श्योपुर में, सरसौद में किसान ने आत्महत्या बम्हौड़ के पेड़ पर की, आज सुबह 10 बजे किसान ने. श्योपुर के किसान ने आत्महत्या की और पोस्टमार्टम में आत्महत्या आयी और सरकार ने 15 लाख रूपये मुआवजे की घोषणा की, पर अभी तक 15 रूपये नहीं दिये. कलेक्टर ने सरसौद के किसान के लिये घोषणा की.
अध्यक्ष महोदय- बाबू भाई, आप बीच में इंटरप्ट न करें.
श्री एदल सिंह कंसाना- अध्यक्ष महोदय, बाबू जण्डेल जी, जो कह रहे हैं वहां की जानकारी मेरे पास है. वह भी उनका पारिवारिक कलह था, उनकी बेटी की शादी हुई थी और वह बेटी अपनी ससुराल नहीं जा रही थी. इसीलिये उनके पिताजी ने आत्महत्या की, कोई भूख से आत्महत्या नहीं की. इस प्रकार से इस पवित्र मंदिर में गलत जानकारी देना अच्छी बात नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा यह कि उपलब्धियों की बात अगर यह कहते हैं कि कांग्रेस के जमाने में किसानों को यह होता था और भारतीय जनता पार्टी के जमाने में यह हो रहा है. आज आप कांग्रेस के जमाने की बात कर रहे हैं. आज यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, डॉ. मोहन यादव जी की सरकार है.
आज हमारे
प्रदेश
में
किसानों को
अगर छींक भी होती
है, तो
उसको एक
घण्टे के
अंदर
हमारी सरकार
सुनती है और उसका
इलाज करती है.
प्रधानमंत्री
धन धान्य
योजना.
प्रधान
मंत्री
जी के द्वारा
मध्यप्रदेश
के 8 जिलों यथा
अनूपपुर, शहडोल, उमरिया,
सीधी,
अलीराजपुर,निवाड़ी,
टीकमगढ़ एवं डिंडौरी
को
सम्मिलित
किया गया है. प्रधानमंत्री
किसान
सम्मान
निधि
योजना
अंतर्गत माह
अप्रैल, 2025 से अभी तक 84
लाख से
अधिक कृषकों
को 2
किश्तों में राशि
रुपये 3378 करोड़
रुपये का
भुगतान
किया गया है. यह
किसानों की
उपलब्धियां
गिना रहा हूं.
जो अभी कह रहे
थे कि यह
किसान हितैषी
सरकार नहीं
है.
अध्यक्ष
महोदय,
मुख्यमंत्री किसान
कल्याण योजना
के तहत
माह अप्रैल.
2025 से अभी
तक 84 लाख
से अधिक
कृषकों
को 2
किश्तों में
राशि
रुपये 3374 करोड़ का
भुगतान किया
गया है.
भावान्तर
भुगतान
सोयाबीन
योजना
खरीब 2025
में सोयाबीन
फसल के लिये 9 लाख 36 हजार
किसानों ने
पंजीयन कराया है. दिनांक
28.11.2025 तक कुल 4 लाख
50 हजार कृषकों के
द्वारा लगभग 10 लाख टन
सोयाबीन मंडी में
बेची गई है.
मुख्यमंत्री,
डॉ. मोहन यादव
जी के द्वारा दो
चरणों में अभी
तक 2 लाख
67 हजार
किसानों को 482 करोड़
की
राशि सीधे उनके
खाते में डाली गई
है.
सरकार
द्वारा
प्रदेश के
किसानों को मूंग,
उड़द,
सोयाबीन फसलों
को
प्रदेश सरकार
द्वारा
न्यूनतम समर्थन
मूल्य
पर
क्रय किया
गया है.
प्रदेश
सरकार
द्वारा
9814
करोड़ रुपये
का भुगतान
किसानों के खाते
में
किया गया है. प्रदेश
सरकार द्वारा
प्रदेश के
अतिवृष्टि कीट
व्याधि
एवं
प्राकृतिक
आपदा
से
प्रभावित 29 जिलों के 27 लाख 28
हजार
किसानों को लगभग 1
हजार 860 करोड़
की राहत राशि वितरित
की गई है.
प्रधानमंत्री
फसल
बीमा योजना
अंतर्गत
मध्यप्रदेश
के किसानों
को 2
करोड़ 83 लाख
प्रकरणों में 21 हजार
करोड़ से अधिक दावा राशि का
भुगतान
किया गया है.
मध्यप्रदेश
सरकार
द्वारा
प्रदेश के
किसानों के खेतों से 9 लाख 8
हजार मृदा
नमूने
एकत्रित
करवाये जाकर 6 लाख 63
हजार
स्वाइल
हेल्थ कार्ड
किसानों को
निशुल्क
उपलब्ध कराये
गये हैं.
मध्यप्रदेश
सरकार द्वारा
रबी 2025-26
भारत सरकार के 23 लाख
टन यूरिया
का आवंटन
प्राप्त
किया गया. जो
विगत् वर्ष आवंटन से 3 लाख टन अधिक
है. रबी 2025-26
हेतु 19
लाख टन
डीएपी एवं
एनपीके का
आवंटन
प्राप्त किया गया है, जो
विगत् वर्ष के आवंटन
से 5 लाख
टन अधिक है. देश में
पहली बार
मध्यप्रदेश के विदिशा
जिले
से उर्वरक की होम
डिलीवरी की
शुरुआत की जा
रही है.
उपलब्धियां
गिनाऊंगा, तो मेरे
ख्याल से सुबह
हो जायेगी और मेरा
स्वास्थ्य भी
थोड़ा गड़बड़
है.
इसलिये मेरे
ख्याल
से हमारे
विपक्ष के
मित्रों ने
जो आरोप लगाये
हैं, वह
आरोप निराधार हैं. यह देश
और प्रदेश की
सरकार..
यह डॉ.मोहन
यादव जी की
सरकार है..
श्री
उमंग सिंघार --
अध्यक्ष
महोदय, मैं
आपके माध्यम से
पूछना चाहता
हूं कि सरकार
एमएसपी पर
मक्का खरीदेगी,
यह स्पष्ट
जानना चाहता
हूं और भावांतर
योजना को लेकर
के अन्य
राज्यों में
सोयाबीन जिस
भाव से सरकार
खरीदी कर रही
है उस भाव में यह
सरकार
खरीदेगी क्या
यह भी स्पष्ट करे
और जो किसान
रह गये हैं
जिनको राहत
राशि नहीं मिल
पाई है या कम
मिली है क्या
उनको राहत दिलवायेगी.
यह मेरे तीन
प्रश्न हैं
इनका मंत्री
जी जवाब दे
दें.
श्री
एदल सिंह
कंषाना --
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, जैसा
कि नेता
प्रतिपक्ष ने
कहा है आज यह
समय घोषणा का
नहीं है, आज यह
समय उत्तर का
है.
श्री
उमंग सिंघार -
मैं आपसे
घोषणा की नहीं
कह रहा हूं
मैं पूछ रहा
हूं कि एमएसपी
पर सरकार मक्का
खरीदेगी कि
नहीं खरीदेगी,
इतना बता दें.
श्री
एदल सिंह
कंषाना-
अध्यक्ष
महोदय, नेता
जी से कहना
चाहूंगा वेट
एंड वॉच. आप
देखते जाईये
यह भारतीय
जनता पार्टी
की सरकार है,
यह डॉ.मोहन
यादव की सरकार
है .
श्री
सोहनलाल
बाल्मीक-
अध्यक्ष
महोदय, स्पेसिफिक
प्रश्न नेता
प्रतिपक्ष ने
पूछे हैं मंत्री
जी उसका जवाब
दे दें.
श्री
एदल सिंह
कंषाना --
मैंने अभी
क्या कहा कि इंतजार
करो. आज वक्त
यह नहीं है.
श्री
उमंग सिंघार --
मंत्री जी
आपकी बात पूरे
प्रदेश के
किसान सुन रहे
हैं, वेट एंड
वॉच वो भी
किसान सुन रहे
हैं. तो आप
स्पष्ट कर दें
कि आप कब
खरीदेंगे यह
बता दें.
श्री
एदल सिंह
कंषाना--
माननीय
सिंघार जी को
मैं बताना
चाहता हूं कि
मैं खुद किसान
हूं. और शुद्ध
किसान हूं, हल
चलाने वाला
किसान हूं,
मैं किसान के
दर्द को समझता
हूं और आपकी
भावना....
अध्यक्ष
महोदय- मंत्री
जी आप अपना
भाषण पूरा करें.
श्री
एदल सिंह
कंषाना --
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, जैसा
कि हमारे
विपक्ष के
साथियों ने जो
आरोप लगाये
निराधार हैं,
हमारी सरकार , डॉ.मोहन
यादव की सरकार
और देश में
माननीय
नरेन्द्र मोदी
जी की सरकार
है यह किसान
हितैषी सरकार
है.
श्री
उमंग सिंघार --
अध्यक्ष
महोदय, हमने
सोयाबीन की
बात की, मक्का
की बात की, इन
सब बातों को लेकर
के सरकार की
तरफ से जवाब
नहीं आ रहा है.
यह वेट एंड
वॉच क्या होता
है. किसान वेट
एंड वॉच
करेगा. किसान
की फसलें खराब
हो गई है उसको
पैसा नहीं मिल
पा रहा है,
यहां वेट एंड
वॉच कह रहे
हैं.
श्री
एदल सिंह
कंषाना--
अध्यक्ष
महोदय, मैने किसान
के लिये वेट
एंड वॉच नहीं
कहा है.
श्री
उमंग सिंघार --
अध्यक्ष
महोदय,
बिचोलिये फसल
खा जायेंगे,
किसान को पैसे
नहीं मिलेंगे
श्री
एदल सिंह
कंषाना -
किसान हमारा
अन्नदाता है.
किसान के लिये
मैंने नहीं
कहा है.
श्री
उमंग सिघार --
अध्यक्ष
महोदय, सरकार
का जवाब आना
चाहिये.
अध्यक्ष
महोदय--
मंत्री जी आप
अपनी बात पूरी
करके समाप्त
करें.
श्री
कैलाश
विजयवर्गीय --
अध्यक्ष
महोदय, इसको
क्लीयर कर दें
कि मंत्री जी
ने जो कहा है
माननीय उमंग
जी के लिये
कहा है कि वेट
एंड वॉच.
किसान तो
हमारे
अन्नदाता हैं.
इसलिये
किसानों को कब
कहां देना यह
माननीय
मुख्यमंत्री
जी घोषणा
करेंगे यह
किसानों की सरकार
है और हम यह
वायदा करते
हैं मध्यप्रदेश
की जनता से इस
पवित्र सदन
में इस पवित्र
प्लेटफार्म
पर हम
मध्यप्रदेश
की जनता से
वायदा करते
हैं कि
मध्यप्रदेश
के किसान कभी
भी परेशान
नहीं होगे, यह
हमारी सरकार
है, भारतीय
जनता पार्टी
की सरकार है.
श्री
उमंग सिंघार -
इंदौर का
मास्टर प्लान
तो ला नहीं पा
रहे हैं.
किसानों की
बात कर रहे
हैं, सरकार जवाब
नहीं दे रही
है, बता नहीं
रही है कि
किसानों को
राहत राशि
मिलेगी कि
नहीं मिलेगी,
अध्यक्ष
महोदय सरकार
से जवाब चाहते
हैं.
अध्यक्ष
महोदय- आज
चर्चा का विषय
अतिवृष्टि था
लेकिन
किसानों की
चर्चा हुई,
अतिवृष्टि के
साथ साथ खाद
की समस्या भी
आई, बिजली की
समस्या भी आई,
और लगभग पांच
घंटा यह चर्चा
चली. मैं सभी
सदस्यों को
हार्दिक
धन्यवाद देता
हूं .
समय
7.28 बजे
गर्भ
गृह में
प्रवेश
इंडियन
नेश्नल
कांग्रेस के
सदस्यगणों
द्वारा
गर्भगृह में
प्रवेश किया
जाना.
(श्री
उमंग सिंघार, नेता
प्रतिपक्ष के नेतृत्व
में शासन के उत्तर
से असंतुष्ट होकर
इंडियन नेश्नल
कांग्रेस के सदस्यगणों
द्वारा गर्भगृह
में प्रवेश किया
गया )
अध्यक्ष
महोदय-- सदन की
कार्यवाही
मंगलवार दिनांक
2 दिसम्बर, 2025 को
प्रात: 11.00 तक के
लिये स्थगित
की जाती है.
अपराह्न
7.29 बजे
विधानसभा की
कार्यवाही
मंगलवार
दिनांक 2
दिसम्बर, 2025
(अग्रहायण 11, शक
संवत 1947 )को प्रात: 11.00 तक
के लिये
स्थगित की गई.
भोपाल
अरविन्द
शर्मा
दिनांक 1
दिसम्बर,2025 प्रमुख
सचिव
मध्यप्रदेश
विधानसभा.