मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा पंचदश
नवम्बर-दिसम्बर, 2017 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 1 दिसम्बर, 2017
(10 अग्रहायण, शक संवत् 1939 )
[खण्ड- 15 ] [अंक- 5 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 1 दिसम्बर, 2017
(10 अग्रहायण, शक संवत् 1939 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
खाद्य, पेय एवं अन्य सामग्रियों की जाँच
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
1. ( *क्र. 2200 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महिदपुर विधान सभा क्षेत्र में दिनांक 01.01.2015 से 20.10.2017 तक कितने स्थानों पर खाद्य पदार्थों, पेय पदार्थों, मिनरल वाटर एवं अन्य सामग्री के नमूने लिए गए? नाम, स्थान, सामग्री नाम सहित जानकारी देवें। (ख) उपरोक्त की निरीक्षण टीप भी अधिकारी का नाम, पदनाम सहित देवें। उपरोक्त नमूनों की भोपाल स्थित लैब से जाँच कराने पर मानक, अमानक, मिथ्याछाप स्थिति भी देवें? अमानक, मिथ्याछाप एवं अन्य गलतियों पर की गई कार्यवाही की जानकारी भी देवें? (ग) महिदपुर में दिनांक 24.10.2017 को घटित फूड पायजनिंग प्रकरण में विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की पूर्ण जानकारी देवें। संबंधित दुकान का लाइसेंस कब तक निरस्त कर दिया जायेगा? (घ) यदि नहीं, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) महिदपुर में दिनांक 24.10.2017 को घटित फूड पायजनिंग के मामले में खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा फर्म श्री जैन नाश्ता पाइंट, पुराना बस स्टेण्ड (नगर पालिका के पास) सें मावा बर्फी एवं जैन नाश्ता पाइंट, चौक बाजार महिदपुर सें मावा पेड़ा, बर्फी का नमूना जाँच हेतु लिया जाकर खाद्य विश्लेषक राज्य खाद्य जाँच प्रयोगशाला भोपाल भेजा गया है। उक्त नमूने खाद्य प्रयोगशाला में विश्लेषणाधीन हैं। परिणाम पर अधिनियम अनुसार कार्यवाही की जाती है। (घ) खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 एवं विनियम, 2011 के अनुसार किसी भी लायसेंस धारक खाद्य कारोबारकर्ता को अवमानक, मिथ्याछाप, असुरक्षित एवं अधिनियम के नियमों की अवहेलना के दोषसिद्धी होने एवं सुधार सूचना पत्र जारी करने पर दिये गये निर्देशों की अवहेलना की निरंतरता करने पर ही उसका लायसेंस निलंबित या निरस्त किये जाने का प्रावधान है।
श्री बहादुर सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न फूड पाइजनिंग से जुड़ा हुआ है. 24.10.17 को 39 बच्चे जैन नाश्ता पाईंट्स की मावा बर्फी खाने से बीमार हुए और उनको महिदपुर अस्पताल से जिला अस्पताल उज्जैन रेफर किया गया. मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने पूरी कार्यवाही कर दी है उसमें माननीय मंत्री जी प्रयोगशाला की रिपोर्ट जल्द से जल्द बुलवा लेंगे. इसमें खाद्य विभाग ने तथा पुलिस विभाग ने संयुक्त रूप से कार्यवाही की है. उसमें पुलिस विभाग तथा खाद्य विभाग के अधिकारियों को, जो उल्टी हुई उसका नमूना लेना था और उसको जांच के लिये भेजना था. अध्यक्ष महोदय, इसमें सरासर दोषियों को बचाया गया है. आपके माध्यम से, मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि इसमें पुलिस प्रकरण दर्ज हो गया और चारों लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन उस उल्टी का नमूना लेने की जिम्मेदारी पुलिस विभाग की है या खाद्य विभाग की. उल्टी का नमूना लेकर उसको जांच के लिये नहीं भेजने के लिये जो भी अधिकारी जिम्मेदार हैं, क्या आप उनके ऊपर कार्यवाही करेंगे ?
श्री रूस्तम सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो जानकारी चाही है, हमारे विभाग ने, खाद्य विभाग जो एक हिस्सा है उसने इसके नमूने लिये थे और जांच के लिये भेजे हैं. अन्य चीजों में क्या-क्या कार्यवाही की जा सकती थी, वह हमारे विभाग ने काफी प्रभावी कार्यवाही की है.
दूसरा माननीय सदस्य ने उल्टी के बारे में बताया है. अध्यक्ष महोदय, इसके संबंध में इनके प्रश्न में कहीं भी इसका जिक्र नहीं है. इसलिये इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करायी जा सकी थी. मुझे यह ज्ञात नहीं था कि वहां पर कोई उल्टी का प्रकरण भी था, इतना जरूर है कि उसमें पुलिस का प्रकरण बना है और एफआईआर हुई है और विधायक जी खुद ही बता रहे हैं कि उसमें गिरफ्तारी भी हुई है. लेकिन उल्टी वाले मामले की हम जानकारी ले लेंगे और इन्हें कलेक्ट करनी थी और एमएलसी के लिये भेजना था, वह नहीं भेजा और इसमें जिसकी भी त्रुटि होगी, उनके ऊपर समुचित कार्यवाही भी करेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि पुलिस प्रकरण बना है और 39 बच्चों का मामला है, वहां की शांति व्यवस्था गड़बड़ हो गयी, पूरा महिदपुर नगर बंद हो गया और वहां से 39 बच्चों को इलाज के लिये जिला अस्पताल भेजा गया था. पुलिस और खाद्य विभाग की मिली-भगत से केस बनना चाहिये. परंतु सामान्य धाराओं में केस बनाकर दोषी को फायदा दिया गया.मैं आपके माध्यम से यह चाहता हूं कि जो उल्टी हुई और उसका नमूना लेने का प्रावधान है, यह काम विभाग के अधिकारियों का था, इसमें अधिकारियों का बचाव वहीं हुआ है. इस केस में जो बड़ी धाराएं लगना थीं...
अध्यक्ष महोदय:- आपका प्रश्न क्या है.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा प्रश्न यह है कि खाद्य या पुलिस विभाग जो भी इसमें दोषी है, क्या उनके खिलाफ माननीय मंत्री जी 15 दिवस के अंदर जांच करके कार्यवाही कर देंगे ?
श्री रूस्तम सिंह :- अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय विधायक बहुत ही सजग हैं, उन्होंने अगर इसमें उल्टी वाली जानकारी मांगी गयी होती तो इसमें हम विस्तृत जानकारी मंगाते. पुलिस विभाग से संबंधित होती या हमारे यहां से संबंधित होती तो मंगाते, लेकिन प्रश्न में ऐसा जिक्र ही नहीं किया है. अभी माननीय सदस्य ने बताया है, उसमें जो भी समुचित कार्यवाही संभव है, वह जरूर की जायेगी ?
श्री बहादुर सिंह चौहान:- मंत्री जी,धन्यवाद.
प्रश्न संख्या-2:- अनुपस्थित.
मुख्यमंत्री की घोषणाओं का क्रियान्वयन
[संस्कृति]
3. ( *क्र. 825 ) श्री केदारनाथ शुक्ल : क्या राज्यमंत्री, संस्कृति महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री जी द्वारा सीधी जिला मुख्यालय में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान क्या-क्या घोषणाएं की गई हैं? (ख) किन-किन घोषणाओं की पूर्ति घोषणानुसार कर दी गई हैं? शेष की पूर्ति कब तक कर दी जावेगी?
राज्यमंत्री, संस्कृति ( श्री सुरेन्द्र पटवा ) : (क) मुख्यमंत्री जी द्वारा सीधी जिला मुख्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान 19 घोषणाएं की गई हैं। (ख) 19 घोषणाओं में से 11 की पूर्ति की जा चुकी है। उक्त 8 घोषणाओं पर कार्यवाही प्रचलित है। विस्तृत विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री केदारनाथ शुक्ल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, 29 जनवरी, 2016 को माननीय मुख्यमंत्री जी सीधी पधारे थे. उन्होंने वहां पर कुछ घोषणाएं की थी. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि उन्होंने प्रेक्षागृह, ऑडिटोरियम के निर्माण का आश्वासन दिया था और प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी के बाद 3 दिवसीय लोकरंग महोत्सव मनाने का आश्वासन मिला था. इस दिशा में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि यह कार्यवाही कब तक पूर्ण कर दी जायेगी.
श्री सुरेन्द्र पटवा :- माननीय अध्यक्ष महोदय, 19 घोषणाओं में से 11 घोषणाएं पूरी हो चुकी है और जहां तक 3 दिवसीय कार्यक्रम की बात है, वह हम लोग अगले साल 26 जनवरी के दिन से वहां तीन दिन का कार्यक्रम कर रहे हैं. जिसमें गंभीर कोलदहका और नन्हें सिंह धापी, इन कलाकारों को सूचित कर दिया गया है और माननीय विधायक जी ने ऑडिटोरियम के बारे में जानकारी चाही है, उसके लिये भूमि हस्तांतरण हो रही है और डीपीआर भी बन रही है.
श्री केदारनाथ शुक्ल :- माननीय अध्यक्ष जी, लोकरंग मंच के निर्माण के लिये 115 कलाग्रामों में 10-10 लाख रूपये के मान से कला भवन बनवाने के लिये आश्वासन माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा दिया गया था और यह आश्वासन भी था कि सीधी जिले के कलाकारों को भोपाल में कार्यक्रम हेतु नियमित रूप से बुलाया जायेगा. अभी तक सीधी जिले के किसी भी कलाकार को नहीं बुलाया गया है और लोकरंग मंच निर्माण की दिशा में भी अभी कोई प्रगति दिखाई नहीं पड़ रही है, इन आश्वासनों को कब तक पूरा कर दिया जायेगा ?
श्री सुरेन्द्र पटवा- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी का पहला प्रश्न पंचायत विभाग से संबंधित है और जैसा कि उन्होंने पूछा है कि सीधी जिले के कलाकारों को अभी तक नहीं बुलाया गया है. पिछली बार विभाग की ओर से 10 लाख रूपये स्वीकृत किए गए थे और जैसा कि मैंने पहले भी बताया कि जिले से दो कलाकारों को आने वाले 26 जनवरी के कार्यक्रम में हम बुला रहे हैं जिससे कि वे लोकरंग में कला से संबंधित कार्यक्रम में सम्मिलित हो सकें.
श्री केदारनाथ शुक्ल- अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि सीधी जिले में ही बहुत कलाकार हैं और सीधी जिले के कलाकारों को ही प्रोत्साहित किया जाए. माननीय मुख्यमंत्री जी के सम्मुख सीधी जिले के कलाकारों द्वारा तीन घंटे का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया था. उससे मुख्यमंत्री जी अभिभूत थे और इसी वजह से मुख्यमंत्री जी ने 115 ग्रामों में 10 लाख रूपये प्रति ग्राम के मान से कलामंच बनवाने की घोषणा की थी. क्योंकि मुख्यमंत्री जी द्वारा घोषणा की गई थी इसलिए यह बात आगे बढ़नी चाहिए. कलामंच पंचायत विभाग के माध्यम से, आर.ई.एस., पी.डब्लू.डी. या किसी अन्य माध्यम से बनवाये जायें इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि वहां की ''इंद्रवती नाट्य समिति'' जिसके द्वारा मुख्यमंत्री जी के सम्मुख प्रस्तुत कार्यक्रम को आयोजित किया था, क्या उस समिति के प्रमुख लोगों की राय कलामंच के नक्शे एवं अन्य मामलों में ली जायेगी ? या फिर कला से संबंधित ट्रस्टों को पैसा दे दिया जायेगा जिससे कि वे ही कलामंच बनवा सकें ?
श्री सुरेन्द्र पटवा- मैंने पूर्व में ही बताया है कि यह पंचायत विभाग से संबंधित है और हमने विभाग से पूरी जानकारी मंगवाई है. मैं विधायक जी को पूरी जानकारी से अवगत करवा दूंगा. जहां तक कलाकारों का प्रश्न है तो मैं बताना चाहूंगा कि अगले साल के लोकरंग कार्यक्रम में सीधी जिले से ही कलाकारों को बुलाया जा रहा है.
श्री केदारनाथ शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला चिकित्सालय में आई.सी.यू. वार्ड बनाने की बात आई थी. मुख्यमंत्री जी ने इसमें दिनांक 29.01.2016 को घोषणा की थी और विभाग ने जवाब दिया है कि उसे मार्च 2014 में पूरा कर लिया गया है. घोषणा वर्ष 2016 में हुई और वर्ष 2014 में ही कार्य पूरा कर दिया गया.
अध्यक्ष महोदय- इससे आपका प्रश्न कहां उद्भूत हो रहा है ?
श्री केदारनाथ शुक्ल- अध्यक्ष महोदय, मैं भी यही कहना चाहता हूं कि कृपया इस मामले को भी दिखवा लें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, केदारनाथ जी, की चिंता बहुत सही है. जब से शिवराज सिंह जी ने सीधी जिले को गोद लिया है, तब से इसी तरह की घोषणायें हो रही हैं और उसी तरह से उनका क्रियान्वयन हो रहा है. विधायक जी स्वयं कह रहे हैं कि बहुत कलाकार हैं. विधायक जी आप चिंता न करें, जब मुख्यमंत्री जी नहीं रहेंगे, सीधी जिला उनका गोद लिया हुआ नहीं रहेगा, तब ही वहां कुछ काम हो सकेगा.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)- जब आप लगातार 40-50 सालों तक थे, तब तो वहां बहुत काम हो गया ?
श्री केदारनाथ शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्त एक सर्वसुविधायुक्त क्रिकेट मैदान का आश्वासन मुख्यमंत्री जी द्वारा दिया गया था.
अध्यक्ष महोदय- ये प्रश्न यहां उद्भूत ही नहीं होता है.
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, केदारनाथ जी को बहुत अधिक संसदीय ज्ञान है, फिर वे ऐसा प्रश्न क्यों कर रहे हैं ?
श्री केदारनाथ शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा केवल एक प्रश्न एलाऊ कर दीजिये.
अध्यक्ष महोदय- शुक्ल जी, आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, आपको संसदीय ज्ञान है. आप कृपया क्षमा करें. आप ही बतायें मैं इसे कैसे एलाऊ करूंगा ? यदि आपका प्रश्न संस्कृति विभाग से संबंधित होगा तो मैं उसे एलाऊ करने को तैयार हूं.
श्री केदारनाथ शुक्ल- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मुख्यमंत्री जी के आश्वासन से संबंधित है और संस्कृति मंत्री जी जवाब दे रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने भरी सभा में आश्वासन दिया था. तत्कालीन जिलाधीश ने दस हजार से ज्यादा पात्र गरीबों के नाम गरीबी रेखा से, खाद्यान्न कूपन से केवल ईर्ष्यावश कटवा दिये थे. और तो और मुख्यमंत्री जी के इस आश्वासन को तत्कालीन जिलाधीश ने आश्वासनों की सूची में भी शामिल नहीं किया. क्या उन सभी पात्र लोगों के नाम गरीबी रेखा की सूची एवं खाद्यान्न कूपन की लिस्ट में जोड़े जायेंगे ?
क्या दोषी जिलाधीश के खिलाफ जांच करवायी जायेगी ?
अध्यक्ष महोदय- इसका उत्तर कौन देगा ? ये प्रश्न एलाऊ नहीं किया जायेगा.
श्री लाखन सिंह यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब शुक्ल जी के आश्वासन ही पूरे नहीं हो पा रहे हैं तो हमारा क्या होगा ? सत्तापक्ष के विधायकों के आश्वासन पूरे नहीं हो रहे हैं तो विपक्ष वालों को क्या होगा, क्या आपने इसकी कल्पना की है ? आपकी सरकार है और आप लोग ही दुखी हैं.
श्री केदारनाथ शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मुख्यमंत्री जी के आश्वासन से संबंधित है.
श्री सचिन यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, बिना जानकारी के हजारों गरीबी रेखा के लोगों के नाम सूची से हटा दिए गए हैं.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के कई माननीय सदस्यगण अपने-अपने स्थानों पर खड़े होकर अपनी-अपनी बात कहने लगे.)
अध्यक्ष महोदय- शुक्ल जी, यदि आप असंतुष्ट हैं तो आधे घंटे की चर्चा मांग लें.
श्री केदारनाथ शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न आ जाने दीजिये, जवाब चाहे जो भी आ जाये.
अध्यक्ष महोदय- जी नहीं, मैंने इसे डिसएलाऊ कर दिया है.
श्री केदारनाथ शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने जनसभा में आश्वासन दिया था कि गरीबी रेखा से पात्र लोगों के नाम नहीं कटेंगे.
अध्यक्ष महोदय- आपकी बात आ गई है. मैंने आपको बहुत समय दिया है. यदि आप संतुष्ट नहीं हैं तो इसे अन्य नियमों के अधीन मांग लें. आप तो संसदीय नियमों के ज्ञाता है. अब श्री लाखन सिंह यादव प्रश्न करेंगे.
शिक्षकों की चेक पोस्ट पर उपस्थिति
[स्कूल शिक्षा]
4. ( *क्र. 1932 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत ग्वालियर के द्वारा आदेश क्र. 2630, 2713 एवं 2715, दिनांक 4.10.2017 एवं 23.10.2017 द्वारा विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयन घाटीगाँव, डबरा एवं भितरवार जिला ग्वालियर को विषय शा.प्रा. एवं मा. विद्यालय में शिक्षकों की उपस्थिति शत-प्रतिशत किये जाने हेतु व्यवस्था के नाम से प्रत्येक शिक्षक को चेक पोस्ट पर उपस्थिति लगाने वाले आदेशों की प्रतियां उपलब्ध करावें? (ख) क्या विभाग इन आदेशों को उचित मानता है? यदि हाँ, तो कैसे? क्या जो शिक्षक विद्यालय के मुख्यालय पर उपस्थित रहते हैं या चेक पोस्ट के एवं विद्यालय के विपरीत 15-20 कि.मी. पर निवास कर रहे हैं, तो क्या उनको उल्टा चेक पोस्ट पर हस्ताक्षर हेतु आना-जाना अन्याय नहीं है? यदि नहीं, तो कैसे नहीं है? यदि है, तो ऐसे आदेश को जारी करने वाले अधिकारी के प्रति क्या कोई कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या शा.प्रा. एवं मा. विद्यालयों के विकासखण्ड घाटीगाँव, भितरवार, डबरा एवं मुरार के शिक्षकों को प्रताड़ित करने हेतु यह आदेश जारी किया गया है? यदि नहीं, तो क्या उक्त आदेश को तुरन्त निरस्त कर दिया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'एक' अनुसार है। (ख) शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 9 में स्थानीय प्राधिकारियों को दायित्व सौंपे गये हैं। इन दायित्वों में विद्यालयों में शिक्षकों की उपलब्धता के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी समाहित है। संदर्भित प्रावधान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'दो' अनुसार है। उपरोक्त प्रावधान के तहत मॉनिटरिंग व्यवस्था की गई है। जी नहीं। इस मॉनिटरिंग व्यवस्था में विद्यालय के विपरीत दिशा में चेक पोस्ट तक जाकर उपस्थिति देने की स्थिति नहीं है, क्योंकि चेक-पोस्ट का निर्धारण प्रत्येक विद्यालय की स्थिति के अनुसार विद्यालय पहुंच मार्ग पर ही किया गया है। यह व्यवस्था जनशिक्षकों के लिए मॉनिटरिंग टूल के रूप में की गई है। इस व्यवस्था के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है। जी नहीं। उपरोक्त स्थिति के प्रकाश में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। प्रश्नांश (ख) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है और यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ग्वालियर जिले के ग्रामीण क्षेत्र के हजारों शिक्षक, शिक्षिकाओं के मान सम्मान से जुड़ा हुआ है. मंत्री जी तो सदन में उपस्थित हैं नहीं तो प्रश्न का उत्तर आप किससे दिलवाएंगे ?
अध्यक्ष महोदय-- राज्य मंत्री जी उपस्थित हैं वह प्रश्न का उत्तर देंगे.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से एक प्रश्न करना चाहता हूं. अभी एक प्रश्न कर रहा हूं बाकी तीन-चार प्रश्न बाद में करूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप ज्यादा से ज्यादा तीन प्रश्न कर लीजिए.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक प्रश्न करना चाह रहा हूं या तो मेरे एक ही प्रश्न में आपका जवाब ठीक-ठीक आ जाएगा और यदि ठीक-ठीक उत्तर नहीं आया तो तीन चार प्रश्न करूंगा मुझे आपका संरक्षण चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- वह ठीक उत्तर देते हैं आप अपना प्रश्न पूछिए.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि ग्वालियर जिले में आपने शिक्षकों की मॉनिटरिंग के लिए यह चेक पोस्ट क्यों लगा दिए हैं? यह चेक पोस्ट क्या है ? इस चेक पोस्ट को आप इस सदन में डिफाइन करें और मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या यह मध्यप्रदेश में सभी विधानसभाओं में लागू है या सिर्फ ग्वालियर जिले में ही लागू है ? यह मेरा पहला प्रश्न है बाकी के प्रश्न मुझे और करना है.
अध्यक्ष महोदय-- आप दो प्रश्न और कर सकते हैं परंतु हो सकता है कि आपके प्रश्नों का समाधान इसी उत्तर में हो जाए.
राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक कैलाश जोशी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि आर.टी.ई. के नियम के तहत धारा (24) के तहत यह अधिकार है कि हम शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करें. हमारी पहली जवाबदेही छात्रों के प्रति होती है इसलिए छात्रों की जवाबदेही के कारण शिक्षकों की उपस्थिति तय करना हमारी जिम्मेदारी होती है. इसके तहत यह व्यवस्था प्रारंभिक रूप से की गई है लेकिन अभी वर्तमान में हमारे यहां मॉनिटरिंग के लिए एक शिक्षाविद् एप का निर्माण हमने किया है जो इंदौर जिले में प्रारंभिक रूप से सफल हुआ है. उसके बाद इंदौर संभाग में हमने उसको चलाया. अब पूरे मध्यप्रदेश में उसे लागू करने के लिए साफ्टवेयर तैयार हो रहा है. जब यह सॉफ्टवेयर तैयार हो जाएगा तो पूरे प्रदेश में यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो आपसे चेक पोस्ट की बात की उसका उत्तर इन्होंने नहीं दिया. इन्होंने रटा रटाया जवाब, जो शाम को ब्रीफिंग में मिल गया होगा, वह दे दिया. मैंने आपसे कहा कि शिक्षकों की मॉनिटरिंग करने के लिए आपने यह चेक पोस्ट बनाई है इस तरह की आपकी सोच है, प्लानिंग है. आपने इंदौर का उदाहरण दिया. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि शिक्षकों की उपस्थिति चेक करने के लिए वर्षों पूर्व से हमारी ऐसी एजेंसियां नियुक्त हैं जैसे डी.ई.ओ. यह समय-समय पर स्कूलों में जाकर शिक्षकों की मॉनिटरिंग करते हैं कि क्या वह उपस्थित हैं या अनुपस्थित हैं. इसके अलावा डी.पी.सी., बी.ई.ओ., बी.आर.सी., सी.ए.सी. व्ही.ए.सी. एवं अन्य ऐसे वरिष्ठ कार्यालय हैं जो समय-समय पर स्कूलों की मॉनिटरिंग करते हैं. (XXX) जो मुझे समझ में नहीं आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- इसका अर्थ क्या होता है.
लाखन सिंह यादव-- आप समझ लें. इन्होंने ग्वालियर में क्या किया है इन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है.
श्री प्रदीप अग्रवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लाखन सिंह जी शिक्षकों की बात कर रहे हैं और जहां बच्चों के लिए शिक्षक इतने महत्वपूर्ण हैं वहां यह खुद अपना पी.ए. शिक्षक रखे हुए हैं. पहले तो इनसे यह कहें कि अपने पी.ए. शिक्षक को हटाएं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रदीप जी, आप बैठ जाए.
श्री लाखन सिंह यादव-- इसीलिए तो ग्वालियर जिले के सभी शिक्षक अपमानित महसूस कर रहे हैं. इन्होंने ग्वालियर जिले के ग्रामीण क्षेत्र के सभी शिक्षकों को कामचोर सिद्ध कर दिया है, कामचोर की संज्ञा दी है.
अध्यक्ष महोदय--आप सीधे अपना प्रश्न कर लें.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्न यह है कि यह जो चेक पोस्ट आपने ग्वालियर में लागू की है आज आप सदन में घोषणा करें कि इस चेक पोस्ट को आप आज से ही तत्काल खत्म करेंगे इसीलिए मैं यह निवेदन कर रहा हूं कि मॉनिटरिंग करने के लिए पूर्व से ही शिक्षा विभाग ने तमाम सारी एजेंसी नियुक्त कर रखी हैं. आपको क्या जरूरत पड़ी. मैं आपको बता देना चाहता हूं कि ग्वालियर में जो डी.पी.सी हैं यह इससे पूर्व भिण्ड में रहे थे. यह हाई स्कूल के प्रिंसिपल हैं और इनको आपने डी.पी.सी. नियुक्त कर दिया. जबकि वह इनके विरूद्ध है.
अध्यक्ष महोदय- आप अपने प्रश्न से बाहर जा रहे हैं. आप आपका समाधान तो करिए. उन्हें कारण मत बताइए.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह उन्हीं की करतूतों का परिणाम है, यह उन्हीं का तुगलकी फरमान है. मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि इन्होंने यह फरमान जारी किया चेक पोस्ट का जिससे हमारे पूरे ग्वालियर जिले के शिक्षकों का अपमान हो रहा है. उनको कामचोर सिद्ध किया जा रहा है. मैं चाहता हूं कि आप उस चेक पोस्ट को सदन में अपने माध्यम से खत्म करवाएं.
श्री दीपक कैलाश जोशी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूँ कि इससे पूर्व जो सी.एम. हेल्पलाइन में शिकायतें आ रही थीं उसमें सबसे ज्यादा इन्हीं क्षेत्रों की आ रहीं थीं. जब हमने यह व्यवस्था लागू कर दी तो आज की तारीख में कोई शिकायत नहीं आई है. लगभग 434 शिकायतों का हमने निराकरण भी किया है. हमारी पहली जिम्मेदारी शिक्षा की गुणवत्ता का सुधार है और गुणवत्ता सुधार में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराना हमारी जिम्मेदारी है उस जिम्मेदारी के तहत हमने यह निर्णय लिया है. भविष्य में जैसे ही हमारा शिक्षा-मित्र एप आएगा हम इस व्यवस्था को हटा लेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के उत्तर से कतई संतुष्ट नहीं हूँ. यदि आप शिक्षा में सुधार लाना चाहते हैं तो क्या आपको इसके लिए ग्वालियर जिला ही मिला और उसमें भी आधा जिला मिला आधा जिला आपने क्यों छोड़ दिया ? जितनी चेक पोस्ट इन्होंने लगाई हैं उस पर एक बीआरसी को चौराहे पर खड़ा कर दिया है और निर्देश दिए हैं कि देखो यहां से कितने शिक्षक निकले. अब कोई शिक्षक बस से जा रहा है बस रुकवाकर वह उतरेगा फिर वह रजिस्टर पर साइन करेगा. जिस शिक्षक से उस बीआरसी का सेटलमेंट है उससे वह साइन करा लेता है जिससे सेटलमेंट नहीं है तो वह चाय पीने किसी दुकान पर चला जाता है शिक्षक ढूंढता रहता है कि बीआरसी कहां चला गया. जिससे 1500 रुपए महीने बंध गए हैं उसको दस्तखत करने की जरुरत नहीं है. वह शिक्षक शाम को या दो दिन बाद भी दस्तखत कर रहा है. मंत्री जी को यह जानकारी नहीं है, मंत्री जी को ब्रीफिंग में जो बता दिया वह उन्होंने बोल दिया.
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई है अब आप भाषण मत दीजिए.
श्री दीपक कैलाश जोशी--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को जैसे मैंने बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिए हमने यह कदम उठाया है. माननीय सदस्य ने कहा कि क्या ग्वालियर जिला ही मिला हमको, मैं बताना चाहूंगा कि शिक्षकों की अनुपस्थिति की सबसे ज्यादा शिकायतें हमें यहीं से प्राप्त हुईं थीं. इस दृष्टिकोण से हमने यह कठोर कदम उठाया, हमने किसी शिक्षक पर दण्डात्मक कार्रवाई भी नहीं की है. हमने सिर्फ व्यवस्था के तौर पर इसको लागू किया. हम आरटीई से इसको जोड़ रहे हैं. जब हम शिक्षा मित्र एप के माध्यम से इस व्यवस्था को करेंगे और तब इस व्यवस्था को हटा लेंगे. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, कितना बड़ा हास्यास्पद आदेश है. एक चेक पोस्ट लगा दी, चेक पोस्ट से 20 किलोमीटर आगे स्कूल है.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न क्रमांक 5. मैंने इस प्रश्न पर बहुत समय दे दिया है. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, आप सुन तो लें. आप अनुमति तो दें. चेक पोस्ट पर साइन करने के बाद यदि शिक्षक स्कूल नहीं जाता है तो यह क्या कर लेंगे. (व्यवधान)
श्री लाखन सिंह यादव--अध्यक्ष महोदय, जब यह आदेश हो रहा था तब इसका विरोध भी किया था. यह ग्वालियर जिले के शिक्षकों का अपमान है उन्हें कामचोर सिद्ध किया जा रहा है. यह सदन समस्या के निराकरण के लिए है. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--मंत्री जी आप तो समझदार हैं आप बातों में न आएं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--रावत जी आप क्या पूछ रहे हैं. सभी लोग बैठ जाइए. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह--इस समस्या का निराकरण यह है कि यह व्यवस्था इनके क्षेत्र से हटाकर मेरे विधान सभा क्षेत्र लहार में चेक पोस्ट लगा दो. (व्यवधान)
श्री सचिव यादव--शिक्षक क्या अपराधी हैं जो कि चेकपोस्ट लगा रहे हैं(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--रावत जी अभी आप जो कह रहे थे वह एक बार कह दीजिए फिर इस विषय को समाप्त करें. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूँ कि माननीय मंत्री जी ने आरटीई की धारा (24) की बात की है उसमें शिक्षकों की विद्यालय में उपस्थिति में नियमितता और समय पालन की बात होना चाहिए. हम भी चाहते हैं कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधरे और स्कूल भी सुधरें और स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति नियमित हो. लेकिन कितनी बड़ी हास्यास्पद बात है कि चेक पोस्ट जहां लगाया है वहां से स्कूल 25 किलोमीटर दूर है वहां से साइन करके शिक्षक यदि स्कूल नहीं जाएगा तो यह क्या कर लेंगे ? आपने कोई आदेश जारी नहीं किया है. किसी अधिकारी के बारे में मैं नहीं कहना चाहता हूँ. नये-नये अच्छे-अच्छे प्रयोग करते हैं. वह यदि आदेश दे देता है तो उसके आदेश को संरक्षण मंत्री जी दे रहे हैं जो कि गलत आदेश है. आप यह सुनिश्चित क्यों नहीं करते हैं कि जितने भी अधिकारी इस काम के लिए लगाए गए हैं वे जाकर स्कूल चेक करें और शिक्षक उपस्थित नहीं पाया जाता है तो उस शिक्षक के खिलाफ कार्यवाही करें. लेकिन इस वजह से आप यह नहीं कर सकते हैं कि आप चेक पोस्ट पर आओ स्कूल में जाओ या नहीं जाओ. यह वैधानिक आदेश नहीं है. यह शिक्षकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. यह कौन-सा तरीका है. इस बंद करें.
श्री तरुण भनोत-- जुआ-सट्टा चेक नहीं करते शिक्षकों को 20 किलोमीटर दूर चेक करते हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग बैठ जाएं, नेता प्रतिपक्ष कुछ बोल रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत--हर शिक्षक से 1500 रुपए लेने के बाद क्या गारंटी है कि वह स्कूल जाएगा या नहीं जाएगा. (व्यवधान)
श्री तरुण भनोत--क्या यह आदेश मंत्री जी ने किया है (व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो विषय चल रहा है शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार के लिए इस पर रावत जी ने बात कही कि चेक पोस्ट यहां है, स्कूल कितनी दूर है. गुणवत्ता तो बहुत सारे जिलों में नहीं है. आपके जिले में भी गुणवत्ता नहीं है. इसका गुणवत्ता से क्या संबंध है. हमने सुना था ट्रांसपोर्ट का चेक पोस्ट होता है, एक्साइज का चेक पोस्ट होता है. यह नया प्रयोग किया जा रहा है कि मास्टरों के लिए चेक पोस्ट लगाया जा रहा है. यह सिर्फ आपकी सरकार में और इस अंचल में ही हो सकता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता की क्या हालत है यह आप भी जानते हैं. आपके जिले में क्या हालत है वह भी आप जानते हैं लेकिन व्यवस्था के लिए संकुल प्रभारी होता है. क्या संकुल प्रभारी के माध्यम से सुनिश्चित नहीं किया जा सकता कि मास्टर स्कूल में रहें उनकी अटेंडेंस वहाँ हो.जैसा रावत जी ने कहा चैकपोस्ट पर साईन किया, हिसाब-किताब ठीक-ठाक है तो शिक्षक घर चला गया और शिक्षा की गुणवत्ता हो गई पूरी. क्या यही चाहते हैं आप? माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है कि माननीय मंत्री महोदय इस सदन में आज ही तत्काल यह चैकपोस्ट परंपरा की समाप्ति की घोषणा करें.
दीपक कैलाश जोशी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे मैंने बताया कि सबसे ज्यादा शिक्षकों के अनुपस्थित रहने की शिकायतें हमें यहाँ से प्राप्त हुई थीं उसकी प्रतिपूर्ति के लिए हमने यह निर्णय किया था चूंकि हमारा शिक्षा मित्र एप तैयार हो रहा है. शिक्षा मित्र एप तैयार होने के बाद हम पूरे प्रदेश में शिक्षकों की आईटी के माध्यम से उपस्थिति तय कर लेंगे तो जैसे ही हमारा शिक्षा मित्र एप बनेगा हम इस व्यवस्था को निकाल लेंगे.
श्री अजय सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह शिक्षा मित्र एप में इनको छह महीने लग सकते हैं, आठ महीने लग सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, जल्दी कर लेंगे.
श्री अजय सिंह-- पहले इन्दौर में हुआ फिर इन्दौर संभाग में हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- श्री संदीप जायसवाल अपना प्रश्न करें.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट मैं अपनी बात कह लूँ.
अध्यक्ष महोदय-- प्रतिपक्ष के नेता जी कृपया सहयोग करें वह बहुत देर से खड़े हैं.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह विषय बहुत गंभीर है.
अध्यक्ष महोदय-- विषय आ गया है, मंत्री जी ने भी कुछ आश्वासन दे दिया है.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री महोदय आज ही चैकपोस्ट समाप्ति की घोषणा करें...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 5, श्री संदीप जायसवाल अपना प्रश्न करें.
11.27 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, शिक्षकों का अपमान हो रहा है...(व्यवधान)...आपके मंत्री महोदय के जवाब से असंतुष्ट होकर हम लोग सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(श्री अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल काँग्रेस के सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से अंसतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया)
राजस्व मंत्री( श्री उमाशंकर गुप्ता)-- अध्यक्ष महोदय, यह अकारण विषय को भटका रहे हैं. मंत्री जी ने साफ किया है कि चैकपोस्ट दूर नहीं रहेगा रास्ते में विद्यालय के पास रहेगा, यह लिखित जवाब में स्पष्ट है लेकिन हमारे विपक्ष के साथी एक तरफ कहते हैं कि शिक्षा की गुणवत्ता ठीक नहीं है और कहीं से कोई प्रयास शुरु हो तो उसका विरोध करते हैं. यह जो काँग्रेस का दोहरा चरित्र है इसी के कारण जनता ने इनको नकार दिया है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, यह तो चैकपोस्ट की बात थी. मुझे स्मरण है कि एक समय शिक्षकों से शराब की दुकानें भी चलवाई गई इस मध्यप्रदेश में, काँग्रेस की सरकार में शराब की दुकानें भी शिक्षकों से चलवाई गई हैं.
11.28 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमशः)
उपस्वास्थ्य केन्द्रों के भवन का निर्माण
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
5. ( *क्र. 2278 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुड़वारा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम हरदुआ में उपस्वास्थ्य केन्द्र के उन्नयन एवं ग्राम बडेरा एवं कन्हवारा में पी.एच.सी. भवन तथा ग्राम कैलवाराकला एवं गुलवारा में एस.एच.सी. भवन के निर्माण के कार्यादेश कब-कब प्रदान किये गये? भवनवार बतायें। (ख) प्रश्नांश (क) के तहत भवनों के निर्माण की क्या समय-सीमा नियत थी एवं क्या निर्माण कार्य अब तक पूर्ण हो गये हैं? यदि हाँ, तो विवरण देवें? यदि नहीं, तो क्यों? भवनवार कारण बतायें। (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत भवनों का निर्धारित समय-सीमा में निर्माण ना होने पर विभाग द्वारा अब तक क्या-क्या कार्यवाही की गई और भवनों का निर्माण कब तक पूर्ण होगा? भवनवार बतायें। (घ) प्रश्नांश (क) से (ग) के परिप्रेक्ष्य में क्या भवनों के निर्माण में अत्यधिक देरी होने एवं निर्माण कार्यों की बाधाओं को दूर न कर पाने की कार्यशैली का संज्ञान लेते हुये कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो क्या एवं कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) उपस्वास्थ्य केन्द्र ग्राम हरदुआ व ग्राम कैलवाराकला एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कन्हवारा के भवन निर्माण/उन्नयन का कार्यादेश दिनांक 22.12.2014 को दिया गया। शेष उपस्वास्थ्य केन्द्र ग्राम गुलवारा एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बडेरा के भवन निर्माण/उन्नयन का कार्य स्वीकृत नहीं है। (ख) जी हाँ। जी नहीं। ठेकेदार की प्रगति धीमी होने के कारण। समय-सीमा में कार्य न करने के कारण अनुबंध में निहित प्रावधान के अंतर्गत ठेकेदार के हर्जे-खर्चे पर दिनांक 27.07.2017 को अनुबंध निरस्त किया गया। (ग) भवन निर्माण/उन्नयन कार्य समय-सीमा में पूर्ण न होने के कारण ठेकेदार से राशि रूपये 1,00,000/- की क्षतिपूर्ति रोकी गई है। उत्तरांश (ख) अनुसार ठेकेदार के विरूद्ध कार्यवाही की गई है। शेष अपूर्ण कार्य को पूर्ण करने हेतु निविदा दिनांक 17.11.2017 को आमंत्रित कर ली गई है। निविदा के अनुमोदन पश्चात् उक्त भवनों का निर्माण कराने हेतु कार्यादेश दिया जावेगा। निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री से यह जानना चाहूँगा कि मुझे जो जवाब दिया है कि ठेकेदार की कार्य प्रगति धीमी होने के कारण उसका अनुबंध निरस्त किया गया है. पिछले दो सालों से मैं लगातार इन कामों के लिए पत्र व्यवहार कर रहा हूँ. मुझे विभाग द्वारा जो लिखित में जानकारी दी गई है,दोनों पत्र मेरे पास है. उसमें लिखा है कि जगह उपलब्ध नहीं होने के कारण और हरदुआ में जगह पर विवाद होने के कारण काम नहीं हो पा रहा है और कनवारा एवं कैलवाराकलां दोनों जगह अभी जमीन देने की प्रक्रिया चल रही है तो क्या सच है ? क्या विभाग ने माननीय मंत्री महोदय को गलत जानकारी दी है या मुझे वहाँ के जवाबदार अधिकारियों द्वारा गलत जानकारी दी गई है अगर ठेकेदार की कार्य प्रगति धीमी है तो आपका कदम सही है लेकिन अगर अभी जगह ही उपलब्ध नहीं है और हम यह कर रहे हैं तो फिर से नया ठेकेदार काम नहीं कर पाएगा.
श्री रुस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुड़वारा विधान सभा के ग्राम हरदुआ व ग्राम बडेरा में उप स्वास्थ्य केंद्र का उन्नयन की जानकारी चाही है तो हरदुआ तो उन्नयन की केटेगिरी में है लेकिन बडेरा उस केटेगिरी में नहीं है. दूसरा जो कनवारा पीएचसी भवन तथा ग्राम कैलवाराकला एवं गुलवारा में एसएचसी भवन के निर्माण की बात है तो गुलवारा भी स्वीकृति केटेगिरी में नहीं है. जहाँ तक हरदुआ में जमीन विवाद की बात माननीय सदस्य कह रहे हैं, हरदुआ वाला ही है ना विवाद वाला?
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल-- हरदुआ, कनवारा और कैलवाराकला की बात है, हरदुआ में लोग काम नहीं करने दे रहे हैं वह व्यक्तिगत जमीन बता रहे हैं और कैलवाराकला व कनवारा में अभी तक आपकी जमीन देने की प्रक्रिया राजस्व विभाग में विचाराधीन है, चल रही है और यहाँ जवाब आ रहा है कि ठेकेदार की कार्य प्रगति धीमी होने के कारण उसका टेंडर निरस्त करके री-टेंडर कर रहे हैं.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो हरदुआ में है यह जमीन जहां पहले से उप-स्वास्थ्य केन्द्र बना हुआ था, यह जमीन दान में दी गई थी और दानदाता खतम हो गए. उनके जो वारिस हैं इसका जीर्णोद्धार होना है, इसका पुनर्निर्माण होना है उसमें वे लोग आपत्ति करते हैं लेकिन उनकी आपत्ति जायज़ नहीं है, वे लोग नहीं कर सकते. हमारे रिकॉर्ड में उन्होंने दान किया हुआ है तो वहां पर हो जाएगी. शायद आप वहां से हटकर कोई दूसरी जगह बता रहे हैं कि यहां पर भी बनायी जा सकती है. उसके लिए 15 लाख रुपए स्वीकृत हैं यदि उसमें विवाद उनका जायज़ पाया जाता है तो हम नई जगह पर भी इनका निर्माण करा देंगे.
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यहीं कहना चाहता था कि जो जवाब दिया गया है कि ठेकेदार द्वारा समय पर कार्य न करने के कारण टेण्डर निरस्त किया जाकर रि-टेण्डर हो चुका है और वहां जगह पर काम नहीं करने दिया जा रहा है और मेरे प्रश्न का जो दूसरा भाग है कि कन्हवारा और कैलवाराकला में अभी तक जगह ही एलॉट नहीं हुई है वह आपने भी स्वीकार किया कि तीन जगह के काम ठेकेदार को मिले थे. मैं केवल इतना कहना चाहता हॅूं कि काम जल्दी हो. मेरा उद्देश्य यह है और अगर आपके पास गलत जानकारी है या मेरे पास गलत पत्र है तो गलत जवाब देने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही की जावे.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो सभी उन्नयन के हैं. उन्नयन तो उसी का होगा जो ऑलरेडी बने हुए होंगे, तो इस जमीन का विवाद दूसरी जगह जो माननीय सदस्य बता रहे हैं कि जमीन ही नहीं मिली, तो ऐसी कोई बात ही हमारे रिकॉर्ड में नहीं है.
शासकीय अस्पताल मुलताई का उन्नयन
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
6. ( *क्र. 2289 ) श्री चन्द्रशेखर देशमुख : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासकीय अस्पताल मुलताई का उन्नयन 100 बिस्तर वाले अस्पताल में किया जा सकता है? यदि हाँ, तो किस अस्पताल में? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार क्या अस्पताल का उन्नयन शासन द्वारा प्रस्तावित है? यदि नहीं, तो कब तक प्रस्तावित कर उन्नयन किया जायेगा? दिनांक स्पष्ट करें। साथ ही अस्पताल के उन्नयन के लिये विभाग द्वारा किये गये समस्त पत्राचार की छायाप्रतियां देवें।
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी नहीं। वर्तमान बीमॉक संस्था का सीमॉक में उन्नयन हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बैतूल से अभिमत प्रस्ताव मांगा गया है। (ख) जी नहीं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बैतूल से प्रस्ताव अभिमत प्राप्त होने पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी। निश्चित समयावधि बताना संभव नहीं। उन्नयन सम्बन्धी पत्राचार की छायाप्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री चन्द्रशेखर देशमुख -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुलताई अस्पताल के उन्नयन के संबंध में मैंने जानकारी चाही थी. इसके पूर्व मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हॅूं कि मुलताई अस्पताल को कैसे बेहतर बनाया जाए और वहां डॉक्टर की व्यवस्था कैसे की जाएगी ? वहां के बहुत सारे लोग महाराष्ट्र राज्य में इलाज कराने जाते हैं यदि मुलताई का अस्पताल अच्छा हो जाए तो इसके संबंध में मुझे जानकारी प्रदान करें.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का मुलताई हॉस्पिटल को 100 बेड बनाने की स्वीकृति का आग्रह है. लेकिन विभाग द्वारा इसका परीक्षण कराया गया है वह उतने पेशेंट्स का, उतने लोगों का टर्नऑउट नहीं है. वह 100 बेड के लायक नहीं है लेकिन अभी वह सीएचसी है. माननीय विधायक महोदय चाहते हैं कि उसको उससे बेहतर कर दिया जाए, सर्जरी की व्यवस्था हो जाए तो उसको एफआरयू बनाने की कार्यवाही की शुरुआत हम करा देंगे.
श्री चन्द्रशेखर देशमुख -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हॅूं कि वहां डॉक्टरों की जो कमी है क्या वह पूरी कर दी जावेगी ?
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी उस हॉस्पिटल में दो डॉक्टर्स हैं हमने पुन: पीएससी से मांग की है और जैसे ही उपलब्धता होती है आपको उसकी पूर्ति करा दी जावेगी.
प्रश्न संख्या -- 7 (अनुपस्थित)
अध्यापकों की वेतन भिन्नता
[स्कूल शिक्षा]
8. ( *क्र. 2099 ) श्री कल्याण सिंह ठाकुर : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विदिशा जिला अंतर्गत एक ही समय में नियुक्त अध्यापकों का वेतन एक समान नहीं है? यदि हाँ, तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) के क्रम में क्या वर्ष 2016 में अध्यापकों को 6 वें वेतनमान की गणना सही नहीं की गई, जिस कारण वर्ष 2017 में 18 माह बाद वेतन से 2 से 5 हजार की कटौत्री की जा रही है? यदि हाँ, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्यवाही सुनिश्चित की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के क्रम में क्या वेतन की गण्ाना जिला स्तर पर समान कराने की कार्यवाही की गई? क्या वर्तमान में देय वेतन की गणना करने वाले अधिकारियों, जिनके द्वारा पूर्व में गणना सही नहीं करने से वेतन अधिक दिया जा रहा था तथा जिसे 18 माह बाद 2 से 5 हजार कम करना पड़ रहा है, पर कार्यवाही सुनिश्चित की गई?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आदेश दिनांक 07.07.2017 एवं 22.08.2017 के द्वारा अध्यापक संवर्ग के छठवें वेतनमान का वेतन निर्धारण के स्पष्ट निर्देश जारी किये गये हैं। यदि उल्लेखित आदेश के अन्तर्गत कोई वेतन विसंगति का प्रकरण प्राप्त होता है तो परीक्षण उपरान्त नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।(ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) के अनुसार प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री कल्याण सिंह ठाकुर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न एक ही वर्ष में नियुक्त अध्यापकों का वेतन भिन्न-भिन्न होने के संबंध में है. क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या यह सही है कि विदिशा जिला अंतर्गत एक ही समय में नियुक्त अध्यापकों का वेतन एक समान नहीं है. यदि हॉं, तो क्यों ? (ख) प्रश्नांश (क) के क्रम में क्या वर्ष 2016 में अध्यापकों को 6 वें वेतनमान की गणना सही नहीं की गई, जिस कारण वर्ष 2017 में 18 माह बाद वेतन से 2 से 5 हजार की कटौती की जा रही है ? यदि हॉं, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्यवाही सुनिश्चित की गई ? यदि नहीं, तो क्यों ? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के क्रम में क्या वेतन की गणना जिला स्तर पर समान कराने की कार्यवाही की गई ?
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है इसमें आपका प्रश्न लिखा ही है. माननीय मंत्री जी इसका उत्तर दें.
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आदेश दिनांक 07.07.2017 एवं 22.08.2017 के द्वारा अध्यापक संवर्ग के छठवें वेतनमान का वेतन निर्धारण के स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं. इन आदेशों से वेतन निर्धारण की विसंगतियां दूर की गई हैं. यदि उल्लेखित आदेश के अन्तर्गत कोई वेतन विसंगति का प्रकरण प्राप्त होता है तो उसका परीक्षण करके नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी.
श्री कल्याण सिंह ठाकुर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में संकुल केन्द्र, गुलाबगंज एवं संकुल केन्द्र, नोला में वेतन कम दिया जा रहा है और हैदरगढ़ में ज्यादा वेतन दिया जा रहा है, इसका परीक्षण करवा लें.
श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा केवल एक प्रश्न है और इतना आग्रह है कि अगर वेतन निर्धारण की नियुक्तिवार टेबल जारी हो जाती है तो विसंगति स्वत: समाप्त हो जाएगी.
श्री दीपक जोशी -- माननीय अध्यक्ष जी, कुछ अध्यापकों को विशेष वेतन वृद्धि दी गई थी और कुछ शास्तियां थीं, इनके जुड़ने के कारण यह त्रुटियां आ रही हैं, इनको ठीक किया जा रहा है.
श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री को धन्यवाद.
दुर्घटनाग्रस्त/घायल मरीजों का प्राथमिक उपचार
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
9. ( *क्र. 247 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय अनुसार क्या दुर्घटनाग्रस्त/घायल अज्ञात मरीजों को निःशुल्क प्राथमिक उपचार निजी चिकित्सालय नर्सिंग होम को भी दिये जाने के निर्देश हैं? (ख) प्राथमिक उपचार के बाद यदि दुर्घटनाग्रस्त/घायल अज्ञात मरीज को किसी अन्य शासकीय अस्पताल या मेडिकल हॉस्पिटल कॉलेज में रेफर करना हो तो स्थानीय पुलिस की उस मरीज को अन्यत्र ले जाने की जवाबदारी रहेगी अथवा नहीं? उक्त संबंध में शासन के क्या दिशा निर्देश हैं?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी नहीं। माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय अनुसार दुर्घटनाग्रस्त/घायल अज्ञात मरीजों को निजी चिकित्सालय नर्सिंग होम को त्वरित उपचार उपलब्ध कराने के निर्देश हैं। (ख) जी नहीं। पुलिस की जिम्मेदारी घायल व्यक्ति को चिकित्सालय में पहुंचाने व उसकी मेडिको लीगल जाँच कराने की है। प्राथमिक उपचार के बाद यदि दुर्घटनाग्रस्त/घायल अज्ञात मरीज को किसी अन्य शासकीय अस्पताल या मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में रेफर करना हो तो उसे चिकित्सालय द्वारा एम्बुलेंस द्वारा अन्य चिकित्सालय में जहां मरीज के उपचार की सुविधा उपलब्ध है, रेफर किया जाता है।
श्री कालुसिंह ठाकुर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि जो भी एक्सीडेंट होते हैं और जो लावारिस एक्सीडेंट होते हैं उनमें पुलिस घायल अज्ञात मरीजों को हॉस्पिटल तक पहुँचाती है. हॉस्पिटल में जब एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं होती है तो मरीज अपनी सुविधा के लिए मार्केट में भटकते रहते हैं, इसके अभाव में कई बार मरीजों की मृत्यु हो जाती है. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा उत्तर में बताया गया है कि एम्बुलेंस उपलब्ध कराई जाती है. मेरे क्षेत्र धामनोद में सोमली बाई की मृत्यु इसी वजह से हुई थी कि उसको एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हुई, उसका पति बालू गंभीर रूप से घायल हुआ, उसे दूसरे दिन इंदौर रेफर किया गया और निजी गाड़ी का उपयोग किया गया.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है उससे दो प्रश्न उद्भूत होते हैं, एक तो यह कि एक्सीडेंट में यदि कोई घायल होगा तो क्या उसका इलाज मुफ्त में ही कराया जाएगा ? तो मैं आपके माध्यम से उनको बताना चाहता हूँ कि जो सरकारी अस्पताल हैं, उनमें तो मुफ्त इलाज होता ही है, लेकिन प्राइवेट अस्पताल में तत्काल उपचार करने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं, प्राइवेट अस्पताल मुफ्त में इलाज करेंगे, ऐसा नहीं है. दूसरा इनका प्रश्न यह था कि एक्सीडेंट केस में अगर घायल को पुलिस ने अस्पताल में पहुँचा दिया, और अगर दूसरी जगह रेफर होना है तो क्या उसे पुलिस ही भेजेगी ? तो मैं आपके जरिए उनको यह बताना चाहता हूँ कि वह काम फिर पुलिस का नहीं है, पुलिस तो मेडिको लीगल केस होने के नाते एक बार अस्पताल ले जाती है, अगर दूसरे हॉस्पिटल में जाना है तो फिर प्राइवेट हॉस्पिटल है तो वह रेफर करेगा, सरकारी हॉस्पिटल है तो सरकारी एम्बुलेंस से भिजवाएगा. माननीय सदस्य किसी मृत्यु का हवाला दे रहे हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, एक्सीडेंट केस में पुलिस का वाहन डायल 100 त्वरित जाता है, हैल्थ डिपार्टमेंट से डायल 108 वाहन भी जाता है, जैसा उन्होंने उल्लेख किया है, यह क्यों नहीं हो पाया है ? यह जरूर विचारणीय प्रश्न है, इस केस के बारे में इन्होंने अपने प्रश्न में जिक्र नहीं किया, अन्यथा मैं उसकी जानकारी भी लेकर आपके माध्यम से जरूर इनको बताता.
श्री कालुसिंह ठाकुर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से मेरा यही अनुरोध था, मैंने व्यक्तिगत नाम नहीं बताया, बहुत सी घटनाएं होती हैं, लेकिन ऐसी परिस्थिति आ जाती है जब हॉस्पिटल में एम्बुलेंस के लिए प्रयास किया जाता है और नहीं मिलती है इसलिए मरीज की मृत्यु हो जाती है.
अध्यक्ष महोदय -- वे उसको दिखवा रहे हैं.
श्री कालुसिंह ठाकुर -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
राष्ट्रीय पर्वों पर मिठाई वितरण हेतु बजट प्रावधान
[स्कूल शिक्षा]
10. ( *क्र. 1494 ) श्री राजकुमार मेव : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में राष्ट्रीय पर्वों 26 जनवरी एवं 15 अगस्त पर शासकीय स्कूलों में बच्चों को मिठाई/प्रसादी के वितरण हेतु क्या कोई बजट का प्रावधान है? (ख) यदि बजट प्रावधान है तो प्रत्येक संस्था को कितनी-कितनी राशि उपलब्ध कराई जाती है? यदि नहीं, तो कारण बतावें। क्या शालाओं, ग्राम पंचायतों, नगरीय निकायों के पास राशि के अभाव में प्रसादी/मिठाई का वितरण बच्चों को नहीं होता एवं संस्थाओं को चंदा लेना होता है? यदि हाँ, तो क्या इसके लिये कोई प्रक्रिया नियम आदि बनाये जावेंगे? (ग) प्रदेश में राष्ट्रीय पर्वों 26 जनवरी एवं 15 अगस्त पर शासकीय स्कूलों में बच्चों को मिठाई/प्रसादी वितरण हेतु बजट प्रावधान किये जाने के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा 01 मार्च, 2016 में अतारांकित प्रश्न क्रमांक 3685 के माध्यम से बात रखी गई थी तथा मान. मंत्री महोदय द्वारा इस पर विचार किये जाने की बात कही गई थी? क्या तद्संबंध में शासन द्वारा कोई विचार किया गया? (घ) यदि बजट प्रावधान नहीं है तो क्या इस संबंध में शासन स्तर पर बजट में कोई प्रावधान किये जाने पर विचार किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक बतावें? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) शाला आकस्मिक निधि से शालाओं में 26 जनवरी एवं 15 अगस्त के आयोजन हेतु व्यय करने तथा मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम परिषद के द्वारा विशेष भोज का प्रावधान है। हाई स्कूल एवं हायर सेकेन्डरी शालाओं में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत उपलब्ध कराये गये अनुदान से उक्त पर्वों पर व्यय करना अनुमत्य है। (ख) उत्तरांश (क) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) अतारांकित प्रश्न 3685, दिनांक 01 मार्च, 2016 में विभाग द्वारा प्रस्तुत उत्तर संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मामला राष्ट्रीय पर्वों से जुड़ा हुआ है. 15 अगस्त और 26 जनवरी को जब राष्ट्रीय त्यौहार आते हैं तो बच्चे उत्साह के साथ विद्यालयों में जाते हैं कि उनको मिठाई या फल कुछ मिल जाएंगे, परंतु कई बार ऐसा देखा गया है कि बजट में कोई प्रावधान नहीं होता, विद्यालयों में फंड नहीं होता, इसके कारण वहां मिठाइयां और फल नहीं बांटे जाते. पंचायतों में तो वास्तव में नहीं बांटे जाते हैं, माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में कहा भी है कि हम इस पर विचार कर रहे हैं कोई फंड के लिए, तो यह विचार कब तक अमल में आ जाएगा, और कब तक फंड का प्रावधान कर दिया जाएगा, ताकि विद्यालयों में बच्चों को कुछ मिठाइयां या फल बांटे जा सके. राष्ट्रीय त्यौहार आते हैं तो बच्चे बड़े उत्साह के साथ नए कपड़े पहनकर विद्यालय जाते हैं और उन्हें मिठाई और फल नहीं मिलते हैं तो बड़ी दिक्कत होती है.
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 15 अगस्त और 26 जनवरी को मिठाई वितरण के लिये हमारे द्वारा प्रायमरी स्कूलों में 5,000 रुपये और कक्षा 6 से 8 तक के स्कूलों में 7,000 रुपये की आकस्मिकता निधि रखी गई है. उसमें इसका प्रावधान किया गया है और वह समुचित रूप से होता है.
श्री हितेन्द्र ध्यान सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूं कि आप खरगोन जिले में 15 अगस्त और 26 जनवरी के दूसरे दिन कभी यह चेक करवा लेंगे कि आपने जो फण्ड भेजा है उसके द्वारा वास्तव में मिठाई, फल का वितरण हो रहा है अथवा नहीं. इसकी जांच आप केवल खरगोन जिले में करवा लेंगे तो आपको पूरे प्रदेश की स्थिति पता चल जाएगी. कभी भी इस तरह का प्रावधान होता ही नही है, इसलिये मैं यहां पर आपके माध्यम से यह बात कह रहा हूं.
श्री दीपक जोशी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कहीं से शिकायत आएगी तो हम जांच करवा लेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग से पूरे प्रदेश के लिये आदेश जारी हो जाए कि आवश्यक रूप से 26 जनवरी और 15 अगस्त को स्कूलों में बच्चों के लिये मिठाई बांटें. इस बारे में शासन स्थाई आदेश जारी कर दे तो कोई दिक्कत नहीं होगी.
श्री दीपक जोशी -- अध्यक्ष महोदय, हम पूरी कोशिश करेंगे कि आदेश जारी कर दें.
विद्यालयों का उन्नयन
[स्कूल शिक्षा]
11. ( *क्र. 1207 ) श्री मोती कश्यप : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला शिक्षा अधिकारी कटनी ने पत्र दिनांक 30.9.2017 द्वारा आयुक्त व लोक शिक्षण को किन्हीं पत्रों और दिनांक 11.9.2016 के मा. मुख्यमंत्री जी के अन्त्योदय मेला व जनदर्शन कार्यक्रम में की गई घोषणाओं को संदर्भित कर किन्हीं मिडिल एवं हाईस्कूलों को हाई व हायर सेकेण्डरी स्कूलों के रूप में उन्नयन करने हेतु लेख किया है? (ख) क्या प्रश्नकर्ता ने अपने पत्र दिनांक 19.9.2017 द्वारा मा. मुख्यमंत्री जी, विभागीय मंत्री एवं आयुक्त लोक शिक्षण को प्रश्नांश (क) जनदर्शन कार्यक्रम में की गई घोषणाओं और आई.डी. कोड के संबंध में लेख कर मिडिल से हाई एवं हाई से हायर सेकेण्डरी स्कूल के रूप में उन्नयन करने की मांग की है? (ग) क्या विभाग द्वारा प्रश्नांश (क), (ख) विद्यालयों के उन्नयन की प्रशासकीय स्वीकृति अतिशीघ्र जारी कर आगामी शैक्षणिक सत्र में विद्यालय प्रारंभ कर दिये जायेंगे?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी नहीं। (ख) जी हाँ। (ग) विद्यालयों के उन्नयन मापदण्डों की पूर्ति वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री मोती कश्यप -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न किया था उसके एक पत्र के विषय में कहा गया है कि जी नहीं, मतलब प्राप्त नहीं हुआ. दूसरे में मेरे पत्र की प्राप्ति मानी गई है. उसमें मैंने यह कहा था कि माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा कुछ घोषाणायें की गई थीं, जिसमें कुछ हाई स्कूलों को हायर सेकेण्डरी स्कूलों में, कुछ मिडिल स्कूलों को हाईस्कूल और प्रायमरी से मिडिल स्कूल में उन्नयन करने की घोषणा की गई थी. मेरा यह कहना है कि हमारे यहां पर बहुत सारी घोषणाएं हुईं, सड़क बन गईं, तीन कॉलेज खुल गये, बहुत से विद्यालय खुल गये. मेरा यह कहना है कि ग्राम बिछुआ, कटंगी कला, बिजौरी, भोंड़सा, कटरिया में हाई स्कूल से हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन की घोषणा माननीय मंत्री जी कर दें तो बजट में प्रावधान हो जाये. मैंने यह कहा है कि आप प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान कर दें तो आने वाले शैक्षणिक सत्र में वह प्रारंभ हो जाएंगे. इसी तरीके से मिडिल स्कूल से हाई स्कूल में उन्नयन की व्यवस्था ग्राम लोहरवारा, पोनिया और खम्हरिया में माननीय मंत्री जी कर दें और प्रायमरी स्कूल से मिडिल स्कूल की ग्राम घुघरी, घुघरा, मुडि़या पुरवा, बम्हनी, करही, नेगवां, भैंसवाही, सारंगपुर में उन्नयन करने की घोषणा माननीय मंत्री जी कर दें कि हम प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान कर रहे हैं और आने वाले शैक्षणिक सत्र में इनको प्रारंभ कर देंगे.
श्री दीपक जोशी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा ग्राम खम्हरिया, बम्हनी, कटरिया और भोंड़सा के लिये कार्ययोजना में ली गई है और शेष घोषणाओं के संबंध में हमारे यहां पर जो नवीन हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूलों का उन्नयन होने जा रहा है, उसमें हम प्रस्तावित कर लेंगे. साथ ही माननीय सदस्य ने कुछ माध्यमिक शालाओं के उन्नयन की बात की है, जिसमें डीपीसी के माध्यम से प्रस्ताव भेज दें तो राज्य शिक्षा केन्द्र के द्वारा उनको पूरा करने का प्रयत्न किया जाएगा.
उप स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
12. ( *क्र. 2233 ) श्री विष्णु खत्री : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधान सभा क्षेत्र बैरसिया अंतर्गत ग्राम ईंटखेड़ी स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयित किये जाने हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा माह अप्रैल 2016 से अक्टूबर 2017 के मध्य पत्र के माध्यम से अनुरोध किया गया था? (ख) यदि हाँ, तो विभाग द्वारा इस पर क्या कार्यवाही की गयी है? (ग) ग्राम परवलिया सड़क में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का संचालन हो रहा है अथवा नहीं? यदि नहीं, तो विभाग द्वारा प्रश्नकर्ता के पत्र पर क्या कार्यवाही की गयी है? (घ) ग्राम ईंटखेड़ी एवं परवलिया सड़क में थाना संचालित होने के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग होने से आये दिन सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्ति को तत्काल चिकित्सकीय सहायता मिल सके, इस दिशा में विभाग द्वारा 108 एंबूलेंस की व्यवस्था कब तक कर दी जावेगी?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हां. (ख) प्रकरण परीक्षणाधीन है (ग) जी नहीं. प्रकरण परीक्षणाधीन है. (घ) भोपाल जिले में कुल 17 दीनदयाल 108 एम्बुलेंस वाहन संचालित हैं. इनमें से बैरसिया विधानसभा अंतर्गत ग्राम ईंटखेड़ी से लगभग 8 कि.मी. की दूरी पर स्थित निशादपुरा लोकेशन से संचालित 108 एम्बुलेंस वाहन द्वारा तथा परवलिया सड़क से लगभग 8 कि. मी. की दूरी पर स्थित गांधीनगर लोकेशन से संचालित 108 एम्बुलेंस वाहन द्वारा उक्त क्षेत्रांतर्गत हितग्राहियों को नि:शुल्क परिवहन सेवायें प्रदाय की जा रही हैं. वर्तमान में ग्राम ईटखेड़ी एवं परवलिया सड़क पृथक से एम्बुलेंस उपलब्ध कराना संभव नहीं है.
श्री विष्णु खत्री -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न के माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह किया है कि हमारा जो ईंटखेड़ी में उप स्वास्थ्य केन्द्र है उसका उन्नयन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में करने की कृपा करें. साथ ही परवलिया सड़क 25-30 गांवों का एक केन्द्र है, वहां पर अभी तक उप स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है. मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि ईंटखेड़ी के उप स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में किया जावे और ग्राम परवलिया सड़क में उप स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण कराया जावे. अध्यक्ष महोदय, साथ ही परवलिया सड़क में थाना है और अभी तक वहां पर 108 एम्बुलेंस नहीं है. यह एनएच 12 में स्थित है. आये दिन वहां दुर्घटनायें होती हैं और वहां पर गांधी नगर से एम्बुलेंस पहुंचती है. कई बार समय पर एम्बुलेंस नहीं पहुंचने के कारण मरीजों को समय पर चिकित्सा सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता है. साथ ही ईंटखेड़ी नया थाना बना है, यहां पर 108 एम्बुलेंस नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि वहां पर एम्बुलेंस की व्यवस्था कराने की कृपा करें.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो चाहते हैं,तो ईटखेड़ी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का अभी तक परीक्षण हुआ भी है, लेकिन जो मापदण्ड बनाये गये हैं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिये जनसंख्या का मापदण्ड और दूसरे कई हैं, उस केटेगिरी में वह आ नहीं पाया है. हमने उसमें पुनः लिखा है कि अब और भी जनसंख्या बढ़ गई होगी और भी बस्ती बढ़ गई होगी, तो उसका पुनः परीक्षण करें, वह परीक्षणाधीन है. दूसरा, जो इनका परवलिया सड़क के संबंध में प्रश्न है. तो ये परवलिया सड़क में उप स्वास्थ्य केंद्र चाहते हैं. तो मैं आपके माध्यम से उनको आश्वस्त करना चाहता हूं कि उप स्वास्थ्य केंद्र की स्वीकृति दे दी जायेगी. माननीय सदस्य का ऐसा कुछ भाव है कि हर थाने पर 108 एंबूलेंस होनी चाहिये. ऐसी व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग के द्वारा नहीं की गई है. वह इस लोकेशन पर रहती है कि दूरी 8-10 किलोमीटर से ज्यादा न हो. दोनों ही स्थान पर ये चाहते हैं, तो एक निशातपुरा पर और दूसरी जो है गांधी नगर पर 108 एम्बूलेंस लोकेटेड रहती है और वहां से इन दोनों की दूरियां 8-10 किलोमीटर है, तो आराम से उसको कवर करती हैं. अध्यक्ष महोदय, इसलिये मैं आपके माध्यम से आग्रह करना चाहता हूं कि अभी कुल 17 108 एम्बुलेंस गाड़ियों की सुविधा पूरे भोपाल जिले को है और लोकेशन इसी तरह से उनको लोकेटेड किया गया है, इनके दोनों स्थानों का हम परीक्षण करा रहे हैं और उप स्वास्थ्य केंद्र पर जरुर हम आने वाले विधान सभा बजट के टाइम पर इस पर विचार करेंगे.
श्री विष्णु खत्री -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को उप स्वास्थ्य केंद्र के लिये धन्यवाद देना चाहता हूं, लेकिन साथ ही परवलिया सड़क, ईंटखेड़ी में नहीं भी करें, लेकिन परवलिया सड़क में 108 एम्बूलेंस की इसलिये आवश्यकता है, क्योंकि वह नेशनल हाइवे है और वहां एनएच 12, यह जो गांधी नगर का मंत्री जी उल्लेख कर रहे हैं, लगभग 9 किलोमीटर की दूरी है और वहां पर आये दिन दुर्घटनाओं के बाद कई बार एम्बूलेंस के पहुंचने में देरी होती है. तो मंत्री जी, परविलया सड़क में 108 एम्बूलेंस की व्यवस्था करने का कष्ट करें.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हम इसका और परीक्षण करा लेंगे कि वहां कैसे कितने केसेस हुए, कितनी देर कहां हो गई, इसका परीक्षण कराकर विचार कर लेंगे.
प्रश्न संख्या -13 (अनुपस्थित)
स्वास्थ्यकर्मियों को समयमान वेतनमान का लाभ
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
14. ( *क्र. 1038 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) स्वास्थ्य विभाग अन्तर्गत भोपाल संभाग में कितने कर्मचारी तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के हैं, जिन्होनें प्रश्नांश दिनांक तक क्रमश: 10 वर्ष, 20 वर्ष एवं 30 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है? (ख) क्या वित्त विभाग के आदेश के अनुसार प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कर्मचारियों को क्रमशः 10 वर्ष, 20 वर्ष एवं 30 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतनमान स्वीकृत किये जाने के निर्देश हैं? यदि हाँ, तो शासन आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) का उत्तर हाँ तो प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कितने कर्मचारी प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतनमान पाने से शेष हैं? इन शेष कर्मचारियों को कब तक समयमान वेतनमान स्वीकृत किया जा रहा है? अभी तक लाभ नहीं दिये जाने के लिये कौन जिम्मेदार हैं?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) भोपाल संभाग के जिलों में तृतीय श्रेणी के 2361 एवं चतुर्थ श्रेणी के 673 कर्मचारी पदस्थ हैं, जिन्होनें प्रश्नांश दिनांक तक क्रमशः 10 वर्ष, 20 वर्ष, 30 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है। (ख) जी हाँ। आदेश की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) तृतीय श्रेणी के 279 एवं चतुर्थ श्रेणी के 193 कर्मचारी समयमान वेतनमान पाने से शेष हैं। शेष कर्मचारियों को निलंबन अवकाश अवधि एवं कोष-लेखा भोपाल द्वारा लगाई आपत्तियों के निराकरण उपरांत समयमान वेतनमान का लाभ प्रदाय किया जायेगा। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) स्वास्थ्य विभाग अन्तर्गत भोपाल संभाग में कितने कर्मचारी तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के हैं, जिन्होनें प्रश्नांश दिनांक तक क्रमश: 10 वर्ष, 20 वर्ष एवं 30 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है? (ख) क्या वित्त विभाग के आदेश के अनुसार प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कर्मचारियों को क्रमशः 10 वर्ष, 20 वर्ष एवं 30 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतनमान स्वीकृत किये जाने के निर्देश हैं? यदि हाँ, तो शासन आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) का उत्तर हाँ तो प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कितने कर्मचारी प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतनमान पाने से शेष हैं? इन शेष कर्मचारियों को कब तक समयमान वेतनमान स्वीकृत किया जा रहा है? अभी तक लाभ नहीं दिये जाने के लिये कौन जिम्मेदार हैं?
अध्यक्ष महोदय -- यह तो आपने प्रश्न पढ़ दिया. इसका तो उत्तर लिखा ही है. आपने वही का वही प्रश्न पढ़ दिया.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, मैंने इसलिये पढ़ दिया कि इन्हें सुविधा हो जाये, फिर मेरा पूरा प्रश्न जल्दी हो जायेगा. नहीं तो आप टाइम नहीं देते.
अध्यक्ष महोदय -- आप पूरक प्रश्न पूछिये. वह तो लिखा ही है प्रश्नोंत्तरी में. वैसे आप निरंतर प्रश्न पूछते रहे हैं. आज यह आपने क्या किया.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, आज थोड़ी सी स्टाइल चेंज की है, क्योंकि पूरे प्रदेश में विदिशा जिला एक नम्बर पर है और विदिशा जिला मुख्यमंत्री जी का गृह जिला है. देश की विदेश मंत्री जी का गृह जिला है और भारत सरकार की एनआरएचएम रिपोर्ट कहती है कि यह डेंजर जोन में शामिल है. ...
अध्यक्ष महोदय -- इसमें प्रश्न क्या है. आप जो कह रहे हैं, इसमें प्रश्न क्या है. कृपया आप प्रश्न करें. नहीं तो आगे बढ़ेंगे. नहीं भाषण नहीं चलेगा. प्रश्न संख्या 15. श्रीमती शीला त्यागी.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, ..
अध्यक्ष महोदय -- हम आगे बढ़ गये. आप बैठ जाइये.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, कृपया बैठ जाइये. इससे दूसरे सदस्यों का टाइम खराब होता है. प्रश्न संख्या- 15. यह हंसी मजाक का समय नहीं होता है.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, जवाब तो दिलवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- इस तरह से प्रश्नकाल का मजाक बनायेंगे तो कैसे चलेगा यह अच्छी बात नहीं है. दूसरे सदस्यों के प्रश्न की कोई कीमत नहीं है क्या. हमारे भाषण की कीमत है केवल.
श्री गोपाल भार्गव -- विधायक जी ऐसे बोल रहे हैं जैसे सामान्य ज्ञान की परीक्षा हो रही है.
श्री निशंक कुमार जैन - (X X X)
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 15, नहीं, नाट एलाऊ. इस तरह से प्रश्नकाल का मजाक नहीं बनाया जा सकता.( माननीय सदस्य श्री निशंक कुमार जैन लगातार जोर जोर से बोलते रहे )
अध्यक्ष महोदय -- एक प्रश्न पूछ लीजिए.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- तिवारी जी की चेयर इनको आवंटित हो गयी है इसमें इनका दोष नहीं है.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय मेरा मंत्री जी से कहना है कि जिन कर्मचारियों को समयमान वेतन मान नहीं मिला है और अगर वह पात्र थे तो उनके लिए कौन जिम्मेदार है और क्या जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ में कार्यवाही करेंगे.
श्री रूस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने एक पिन प्वाइंट प्रश्न किया है मैं एक ही बात कहना चाहता हूं कि इनको धन्यवाद देना चाहता हूं यद्यपि उन्होंने सवाल करने में वक्त जाया कर दिया है, लेकिन इनको मैं इसलिए धन्यवाद देना चाहता हूं कि इनके प्रश्न आने के बाद से हमने एक दो स्तर पर इसका निपटारा कराया है और जो आपको पहले लिखकर दिया है कि कितने शेष बच गये हैं 279 तृतीय श्रेणी में और 193 चतुर्थ श्रेणी में, अब यह घटकर केवल 32 तृतीय श्रेणी में और 23 चतुर्थ श्रेणी में रह गये हैं, बाकी सभी का समय मान वेतन मान का निकाल कर दिया गया है. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि जो कर्मचारी बच गये हैं यह भी किन्हीं ऐसे कारणों से बच गये हैं जिसमें समय लगना ही है,किसी के खिलाफ में जांच चल रही हैं किसी के साथ में कुछ गड़बड़ी है, इनके दूसरे सवाल की जहां तक बात है कि अभी तक इसके लिए कौन दोषी था तो अभी हम लोगों ने इसको युद्ध स्तर पर कार्यवाही करके निपटाया है, अब हम यह निर्देश भी देंगे कि अभी तक इसको क्यों नहीं किया गया था और इसमें जो दोषी होंगे उनके खिलाफ में कार्यवाही भी करेंगे.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, गंजबासौदा के अस्पतालों में कब तक रिक्त पदों की पूर्ति कर देंगे पिन प्वाइंट प्रश्न है. गंजबासौदा 3 लाख की जनसंख्या का क्षेत्र है वहां पर रिक्त पदों की पूर्ति कब तक कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, इससे उद्भुत नहीं हो रहा है.
श्री निशंक कुमार जैन -- रिक्त पदों की पूर्ति कब तक कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- इनका कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री निशंक कुमार जैन -- ( x x x )...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- समय हो रहा है, माननीय सदस्या को पूछने दें. इससे उद्भुत नहीं होता है. आप दूसरे सदस्यों का सम्मान करेंगे या नहीं करेंगे. नहीं, बिल्कुल एलाऊ नहीं है. कृपया आप बैठ जायें यह तरीका ठीक नहीं है.
सामान्य भविष्य निधि से राशि की वसूली
[स्कूल शिक्षा]
15. ( *क्र. 1027 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महालेखाकार के पत्र पृ.प.अ./निधि/10-04/रीवा/336, दिनांक 14.06.2016 जे.डी. रीवा संभाग रीवा का पत्र क्र./लेखा/वित्त/206166 रीवा दिनांक 24.06.2016 तथा जिला शिक्षा अधिकारी रीवा के पत्र क्र./जी.पी.एफ./ऑडिट/2017/09 दिनांक 18.01.2017 से राज नारायण तिवारी सहायक शिक्षक शा. मा.शाला पटेहरा, संकुल पटेहरा, जिला-रीवा के जी.पी.एफ. खाता क्र. 250345 से 16 लाख रूपये ऋणात्मक जी.पी.एफ. की वसूली हेतु आदेश किया गया है। (ख) प्रश्नांश (क) हाँ तो (क) के आदेशों का पालन हुआ की नहीं? यदि नहीं, तो कारण बतायें? यदि हाँ, तो आदेश दिनांक से प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि की कटौती की जा चुकी है? कटौती पत्रक के साथ जानकारी दें। (ग) प्रश्नांश (क), (ख) के संबंध में यदि कटौती प्रारम्भ नहीं हुई तो कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं, दोषियों पर कब क्या दण्डात्मक कार्यवाही करेंगे। (घ) क्या प्रश्नांश (क) के सहायक शिक्षक तिवारी की सेवा निवृत्ति समीप है? यदि हाँ, तो सेवा निवृत्ति उपरांत मिलने वाले स्वत्वों से जी.पी.एफ. कटौती की राशि की वसूली ब्याज राशि के साथ करेंगे? यदि हाँ, तो कुल कितनी मूल एवं ब्याज राशि की वसूली संबंधित से करेंगे?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) महालेखाकार ग्वालियर के संदर्भित आदेशानुसार संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण रीवा संभाग रीवा के पत्र दिनांक 24.06.2016 तथा जिला शिक्षा अधिकारी रीवा के पत्र दिनांक 18.01.2017 द्वारा श्री राजनारायण तिवारी सहायक शिक्षक के सामान्य भविष्य निधि खाता क्रमांक 250345 से ऋणात्मक राशि रू. 15,30,672/- की वसूली हेतु आदेश किया गया है। महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) द्वितीय ग्वालियर के पत्र क्रमांक/निधि/50/195 दिनांक निल द्वारा 10,08,959/- रूपये वसूली हेतु आदेश पुनः किया गया है, जिसके अनुसार कार्यवाही की जा रही है। (ख) प्रश्नांश (क) के आदेश्ा का पालन किया जा रहा है। संबंधित के वेतन से 10,000/- रूपये प्रतिमाह कटौती की जा रही है, जिसमें रूपये 5000/- नियमित एवं 5000/- ऋणात्मक राशि की वसूली शामिल है। आदेश दिनांक 18.01.2017 से 75,000/- रूपये की कटौती की जा चुकी है, जिसमें 40,000/- नियमित कटौती एवं 35,000/- ऋणात्मक राशि की वसूली शामिल है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संबंध में कटौती की जा रही है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) श्री राज नारायण तिवारी सहायक शिक्षक की सेवानिवृत्ति दिनांक 31.12.2018 है। संचालनालय के आदेश दिनांक 21.11.2017 के द्वारा श्री तिवारी के कुल परिलब्धियों में से 50 प्रतिशत राशि की प्रतिमाह कटौती की जाकर तथा शेष राशि की ग्रेच्युटी से वसूली की जावेगी। महालेखाकार म.प्र. ग्वालियर के पत्रों में भिन्न-भिन्न राशियां वसूली हेतु जारी किये जाने के उपरांत संचालनालय के पत्र दिनांक 21.11.2017 द्वारा वास्तविक वसूली की जानकारी प्राप्त करने हेतु पत्र प्रेषित किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। उक्त जानकारी प्राप्त होने पर अग्रिम कार्यवाही की जावेगी।
श्रीमती शीला त्यागी -- अध्यक्ष महोदय मेरा प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील है और शिक्षा जगत से संबंधित है. शिक्षा हमें संस्कारवान बनाती है और शिक्षक नई पीढ़ी को संस्कृति प्रदान करते हैं लेकिन हमारे शिक्षा विभाग में कुछ शिक्षक अपराधी किस्म के हैं नटवरलाल हैं. माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है मैं उससे कम संतुष्ट हूं. मेरा कहना है कि अपराधी किस्म के शिक्षक के द्वारा गलत तरीके से निकाली गई राशि की वसूली करना पर्याप्त दण्ड नहीं है. मैं चाहती हूं कि जिस कर्मचारी के द्वारा जीपीएफ पास बुक में हेराफेरी करके कूटरचित तरीके से लगभग 15 लाख 30 हजार 672 एवं 10 लाख 8 हजार 959 रूपये का आहरण किया है. डीईओ रीवा के द्वारा पास बुक मांगने पर वह उपलब्ध न करने पर पंचानामा बनाया गया. अत: ऐसे अपराधी शिक्षक को निलंबित करके पुलिस में एफआईआर दर्ज करायेंगे क्या .
श्री दीपक जोशी - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्या को आपके माध्यम से अवगत कराना चाहता हूं कि उन्होंने दो राशियों का जिक्र किया है, जबकि राशि एक ही है. पहले उनके खिलाफ 15,30,672/- रुपए की वसूली के आदेश दिये गये थे. बाद में महालेखाकार ग्वालियर द्वारा दूसरे पत्र के द्वारा 10,08,959/- रुपए की राशि की वसूली के आदेश दिये गये. विभाग ने विभागीय प्रावधान के अनुसार उनके वेतन में से कटौती प्रारंभ कर दी है. लगभग 75000/- रुपए की राशि की कटौती हमने प्राप्त कर ली है और अब हम 50 प्रतिशत राशि की कटौती करने जा रहे हैं. उनकी रिटायरमेंट की अवधि तक काफी राशि की वसूली हो जाएगी, शेष राशि को उनकी ग्रेच्यूटी के माध्यम से हम प्राप्त कर लेंगे.
श्रीमती शीला त्यागी - अध्यक्ष महोदय, मैं आपको अवगत कराना चाहती हूं कि राज नारायण तिवारी सहायक शिक्षक आपके विभाग के हैं. डीपीआई का पत्र मेरे पास में हैं. वह खुद कह रहे हैं कि राज नारायण तिवारी सहायक शिक्षक, शा. मा. शाला पटेहरा, संकुल पटेहरा जिला रीवा मध्यप्रदेश के जीपीएफ खाता क्र. 250345 में ऋणात्मक राशि है. आप एक राशि की बात कर रहे हैं, मैं ऋणात्मक और शेष राशि दोनों राशि की बात कर रही हूं. ऋणात्मक राशि 15,30,672/- रुपए एवं 10,08,959/- रुपए वसूली के निर्देश हैं.
अध्यक्ष महोदय - यह बात तो आ गई है. आप सीधा प्रश्न करें.
श्रीमती शीला त्यागी - अध्यक्ष महोदय, यह जो भिन्न-भिन्न राशि वसूली हेतु जारी की गई है. इसमें डीपीआई खुद कह रहे हैं कि यह भ्रामक है और त्रुटिपूर्ण है तो आप कैसे इसे सही कह सकते हैं? मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि एक और पत्र हमारे पास में है, महालेखाकार से जो जीपीएफ की पर्ची आती है, उसमें भी कहा गया है उनकी जो वसूली की जा रही है वह सही नहीं है, यह वेतन पर्ची माइनस में है तो मैं चाहती हूं कि माननीय मंत्री जी ऐसे शिक्षक को तत्काल बर्खास्त करें. चूंकि यह बड़ी देरी से पता चला है, पता नहीं उसने कितनी बार ऐसा किया है..
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जाएं, आप अपना उत्तर ले लें.
श्रीमती शीला त्यागी - धांधली की होगी. (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप जवाब तो ले लें. यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री दीपक जोशी - अध्यक्ष महोदय, प्रश्नांश विषय में मैं माननीय सदस्या को आपके माध्यम से अवगत करना चाहता हूं कि इस मामले में हम जांच करवा लेंगे और जांच में यदि कोई दोषी पाया जाएगा तो हम कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न संख्या 16..
श्रीमती शीला त्यागी - अध्यक्ष महोदय, जांच की ही रिपोर्ट है. माननीय मंत्री जी को उनको तत्काल बर्खास्त करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - एक ही विषय पर बहुत देर चर्चा हो गई है.
श्री दीपक जोशी - अध्यक्ष महोदय, चूंकि इसमें सीधा शिक्षक जिम्मेदार नहीं है और भी जो लोग जिम्मेदार होंगे, हम जांच करवा लेंगे, जांच के अनुसार उचित कार्यवाही करेंगे.
श्रीमती शीला त्यागी - जी हां, मैं वही कहना चाहती हूं. यह राशि जो आहरित की गई है इसमें डीडीओ अधिकारी एवं लेखापाल भी इसमें गुनाहगार हैं, उनको भी सजा मिलना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जाएं. श्री जसवंत सिंह हाड़ा, आप अपना प्रश्न करिए.
शालाओं का उन्नयन
[स्कूल शिक्षा]
16. ( *क्र. 1964 ) श्री जसवंत सिंह हाड़ा : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा ग्राम पंचायत मोहम्मदखेड़ा में हाई स्कूल प्रारंभ किये जाने हेतु कोई घोषणा की गई है? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) अंतर्गत उक्त घोषणाओं के पालन हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है तथा उक्त घोषणाओं को कब तक पूरा कर दिया जावेगा। (ग) प्रश्नकर्ता के शुजालपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ऐसे कितने विद्यालय हैं, जिनका मा.वि. का हाई स्कूल में एवं हाई स्कूल का हायर सेकेण्डरी में उन्नयन होना प्रस्तावित है? सूची प्रदान की जावे तथा उनके उन्नयन हेतु शासन द्वारा कब तक स्वीकृति प्रदान की जावेगी?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) ग्राम पंचायत मोहम्मदखेड़ा में हाईस्कूल से हायर सेकेण्डरी में उन्नयन की घोषणा की गई है। (ख) शाला उन्नयन की कार्यवाही प्रचलन में है। अत: निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) शालाओं के उन्नयन के संबंध में प्रदेश स्तर पर छात्र संख्या, जनसंख्या एवं दूरी के मान से निर्धारित मापदण्ड पूर्ण करने वाली शालाओं का परीक्षण किया जा रहा है। शालाओं के उन्नयन हेतु वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता भी विचाराधीन होती है। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री जसवंत सिंह हाड़ा - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र शुजालपुर में माननीय मुख्यमंत्री जी का दौरा हुआ था, तब उन्होंने मोहम्मदखेड़ा हाईस्कूल से हायर सेकण्डरी की घोषणा की थी. अब माननीय मंत्री जी ने यह कहा है कि हाईस्कूल से हायर सेकण्डरी करने के छात्र संख्या के मापदंड हैं और दूसरा यह जो दिया है तो यह माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा में है, चूंकि घोषणा ही इसलिए होती है कि यह मापदंड होते तो घोषणा की क्या जरूरत थी, उसे अपने आप विभाग करता तो क्या माननीय मंत्री जी यह बताएंगे कि क्या माननीय मुख्यमंत्री जी घोषणा को मापदंड में लेंगे?
श्री दीपक जोशी - अध्यक्ष महोदय, इस साल हम 540 हाईस्कूल और 220 हायर सेकण्डरी स्कूल का उन्नयन करने जा रहे हैं. उस सूची में संभवतः यह विद्यालय आ गये होंगे और नहीं आए होंगे तो मुख्यमंत्री जी की सूची की प्राथमिकता पर हम निर्धारण करेंगे.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा - अध्यक्ष महोदय, वह विद्यालय घोषणा की सूची में तो है लेकिन प्रक्रिया पूर्ण न होने के कारण बच्चे परेशान हो रहे हैं थोड़ा यह जल्दी हो जाय, इसमें समय-सीमा निश्चित हो जाय.
श्री दीपक जोशी - अध्यक्ष महोदय, यह प्रक्रियाधीन है. जैसे ही यह पूरी होगी, वैसे ही हम तैयार हैं.
प्रश्न संख्या 17 - श्री कुंवर जी कोठार (अनुपस्थित)
शिक्षकों को क्रमोन्नति का लाभ
[स्कूल शिक्षा]
18. ( *क्र. 1368 ) श्रीमती ममता मीना : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा सहायक शिक्षक/उच्च श्रेणी शिक्षकों को 12, 24 एवं 30 वर्ष की क्रमोन्नति (समयमान वेतनमान) प्रदान किया गया है? यदि हाँ, तो कब से? (ख) इन सहायक शिक्षकों/उच्च श्रेणी शिक्षकों को क्रमशः शिक्षक पद एवं व्याख्याता पदनाम प्रदान करने हेतु शासन कब तक आदेश प्रसारित करेगा?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) वर्तमान में इस संबंध में प्रावधान नहीं है।
श्रीमती ममता मीना - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से एक प्रश्न पूछना चाहती हूं कि सहायक शिक्षको व उच्च श्रेणी शिक्षकों को 12, 24 एवं 30 वर्ष की अवधि में समयमान वेतनमान प्रदान किये जाने के आदेश तो जारी किये गये हैं. परन्तु मेरे विधान सभा क्षेत्र में कुछ ऐसे प्रकरण हैं जिन्हें समयमान वेतनमान प्राप्त नहीं हो पा रहा है, उस संबंध में मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगी कि पुनः आदेश जारी करेंगे क्योंकि मेरे विधान सभा क्षेत्र में और पूरे मध्यप्रदेश में ऐसे प्रकरण छूट गये हैं, यह मेरा पहला प्रश्न है? दूसरा, जैसे सहायक शिक्षकों/उच्च श्रेणी शिक्षकों को क्रमशः शिक्षक पद एवं व्याख्याता का पद नाम मिल सके, जिससे प्रदेश में शिक्षकों को सम्मान मिल सके? ये मेरे प्रश्न हैं.
श्री दीपक जोशी - अध्यक्ष महोदय, जिस विसंगति के बारे में आपने बताया है, वह आप हमें लिखकर दे दें, वह हम उसको दूर कर लेंगे. दूसरा, जो पद नाम के बारे में है, वह वर्तमान में प्रावधान नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- अध्यक्ष महोदय, कल सदन में आपने कांग्रेस विधायक दल की तरफ से जो स्थगन आया था उस पर नियम 130 के तहत चर्चा कराने की व्यवस्था दी थी लेकिन आज की कार्यसूची में इसका कहीं जिक्र नहीं है. आपने अनुरोध है कि इस विषय पर दिए गए स्थगन पर आप चर्चा करायें.
12.01 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था.
भोपाल के एम पी नगर क्षेत्र में एक छात्रा के साथ दुष्कृत्य की घटना के संबंध में स्थगन प्रस्ताव के रुप में चर्चा विषयक.
अध्यक्ष महोदय-- भोपाल के एम पी नगर क्षेत्र में एक छात्रा के साथ दुष्कृत्य की घटना के संबंध में स्थगन प्रस्ताव की सूचनायें प्राप्त हुई हैं. इस संबंध में माननीय प्रतिपक्ष के नेताजी और सदस्यों के द्वारा अनुरोध किए जाने पर मेरे द्वारा इस घटना पर किसी न किसी रुप में चर्चा कराये जाने का आश्वासन दिया गया था. तदुपरान्त माननीय सदस्यों के कल प्रश्नकाल में अनुरोध पर इस पर नियम 130 के अंतर्गत चर्चा कराने हेतु सदन में उल्लेख किया गया था. परन्तु इस परिप्रेक्ष्य में नियमान्तर्गत प्रस्ताव नहीं था तथा विषय की अविलम्बनीयता को देखते हुए और आपकी चिन्ता को देखते हुए मेरे द्वारा इसे स्थगन प्रस्ताव के रुप में ही लिए जाने का निर्णय लिया गया है. यह स्थगन भोपाल में घटित घटना पर ही रहेगा. साथ ही आज की कार्यसूची में शासकीय एवं अशासकीय अनेक महत्वपूर्ण कार्य है. अतः माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि इस पर सटीक एवं संक्षेप में अपनी बात रखकर कार्यवाही पूर्ण करने में सहयोग प्रदान करेंगे.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, देर आयद, दुरुस्त आयद. उसके लिए धन्यवाद. यदि इसी विषय पर मंगलवार को ही चर्चा करा लेते तो शायद इतनी दिक्कत नहीं होती.
अध्यक्ष महोदय-- दुरुस्त तो बोल दिया आपने.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आपने यह कहा कि बहुत सारे कार्य हैं. विधान सभा सत्र समाप्ति में अभी पूरा एक सप्ताह शेष है. 8 दिसंबर तक विधान सभा सत्र चलने की बात है. आज की जो कार्यसूची बनायी है, क्या उसके आधार पर सभी विधेयक आज पास कर लेंगे? आज अशासकीय कार्य का दिन भी है. हर सत्र पहले समाप्त हो जाता है. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश विधान सभा की गौरवशाली परम्परा रही है, हम लोग स्थगन पर पूरी चर्चा करेंगे उसके बाद जो समय रहेगा उसमें ध्यानाकर्षण और अशासकीय संकल्प लिए जाएं. यदि आपने यह तय कर लिया है कि सदन आज ही स्थगित करना है और पूरा बिजनेस कार्यसूची में ले लिया है यह घोर आपत्तिजनक है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, ऐसा नहीं है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष जी, आपने स्थगन ग्राह्य किया. इसके लिए आपको धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--अभी ग्राह्य नहीं किया,ग्राह्यता पर चर्चा होगी.
श्री रामनिवास रावत-- ग्राह्यता पर चर्चा की आपने अनुमति दी इसके लिए आपका हृदय से आभार व्यक्त कर रहे हैं लेकिन हमने जो स्थगन दिया है वह भोपाल की एमपी नगर की घटना के साथ साथ पूरे प्रदेश की महिला सुरक्षा से संबंधित विषय भी है. उस घटना के बाद से अभी तक जितनी घटनाएं घटित हुई हैं, उन सभी घटनाओं का उल्लेख किया है. केवल एक घटना तक सीमित रखना महिला सुरक्षा पर चर्चा कराने से रोकने की कार्यवाही होगी, यह अन्याय होगा. पूरी चर्चा नहीं हो पाएगी.
अध्यक्ष महोदय-- आप ग्राह्यता के समय यह बात रख दीजिएगा.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष जी ने जो बात कही है उस संबंध में यह कहना चाहता हूं कि और करे अपराध कोई, और फल पाये कोई और. आपने कल कहा था कि नियम 130 पर चर्चा कराएंगे लेकिन नियम 130 पर विधिवत कोई प्रस्ताव ही नहीं आया !
श्री रामनिवास रावत-- माननीय मंत्री जी, जब कोई चर्चा होती है तो हमारे स्थगन को ही प्रस्ताव के रुप में मान्य कर लिया जाता. आप आसंदी के बारे में कुछ नहीं कहेंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- आसंदी ने जो व्यवस्था दी उस पर मैंने आपत्ति नहीं की है. (व्यवधान) नेता प्रतिपक्ष ने जो आरोप लगाया है उस पर मेरा यही कहना है जब माननीय अध्यक्ष जी ने नियम 130 पर चर्चा कराने की घोषणा की तो आपको उसका विधिवत् प्रस्ताव देना चाहिए था वह आपने नहीं दिया. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत-- जब माननीय अध्यक्ष जी ने स्वीकार कर लिया है अब आपके पेट में क्यों दर्द हो रहा है. (व्यवधान)
12.05 बजे स्थगन प्रस्ताव
भोपाल के एम.पी.नगर क्षेत्र में छात्रा के साथ दुष्कृत्य की घटना घटित होना
डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले माननीय मंत्री जी का वक्तव्य आ जाता.
अध्यक्ष महोदय - बाद में मंत्री जी का उत्तर लेंगे. पहले आपकी सुन लें फिर शासन की सुनेंगे फिर निर्णय करेंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय,पहले शासन का उत्तर आ जाता तो उसमें क्या-क्या कमी रह गईं, वह मैं बता देता.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले शासन का जवाब आता है.
अध्यक्ष महोदय - दोनों बातें हैं.
श्री रामनिवास रावत - बाद में वह भाषण दे दें.
डॉ.गोविन्द सिंह - कुछ कमी छूट गई होंगी तो हम सुझाव दे देंगे माननीय मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय - इस संबंध में शासन का क्या कहना है.
गृह मंत्री(श्री भूपेन्द्र सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो आसंदी का आदेश है उसका पालन करेंगे. शासन पूरी तरह से तैयार है. जो आपने स्थगन प्रस्ताव रखा है उसके बारे में जो तथ्य है,जो जानकारी है वह हम दे देंगे एवं इसके बाद जो माननीय सदस्यों की तरफ से और जो बिन्दु आएंगे उनके बारे में भी हम आपकी अनुमति से उत्तर दे देंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से सदन के सभी माननीय सदस्यों से आग्रह है कि निश्चित रूप से यह घटना बहुत कष्टकारी है और इस विषय पर सदन में सभी पक्षों के जो भी माननीय सदस्य बोलेंगे उनसे मेरा यह कहना है कि यह एक बच्ची से जुड़ा हुआ विषय है इसलिए हम अपनी बातों को तथ्यों के साथ पूरी तरह से रखें. मैं आपकी एक-एक बात का उत्तर दूंगा. परंतु माननीय अध्यक्ष जी, मेरा आग्रह यह है कि हम सब शब्दों की मर्यादा रखें जिससे कि उस बच्ची को आज की किसी बात से पीड़ा न पहुंचे, या जो भी बच्ची इस तरह से इन घटनाओं की शिकार होती है, उनको इस तरह की पीड़ा न पहुंचे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी एक ताजा उदाहरण दिल्ली का है. दिल्ली में एक 12 वी की छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ और वह आरोपी जल्दी छूटकर बाहर आ गये इसके जो भी कारण रहे हों. उसके बाद की स्थिति यह बनी कि वह आरोपी उसके घर के सामने से हर दिन निकलता था. वह आरोपी को भी देखती थी और समाज के जो भी ताने-बाने होते थे और समाज में जिस तरह की स्थिति रहती थी उसे भी देखती थी. मुझे यह भी कहने में कोई हर्ज नहीं है कि जो भी बलात्कार पीडि़ता होती है, वह हर दिन मरती है, उसकी हर दिन मृत्यु होती है. इसलिए उस बच्ची ने अंत में जाकर सुसाइड कर लिया और सुसाइड में उस बच्ची ने लिखा कि मैं रोज की इस प्रताड़ना से परेशान हो गई हूं और इसलिए अब मेरे पास आत्महत्या के अलावा कोई ओर रास्ता नहीं बचा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह घटनाएं बलात्कार की हों या गैंगरेप की जो भी हैं यह केवल अकेले मध्यप्रदेश में हो रही हों ऐसा नहीं है. इस समय पूरे देश में प्रतिदिन 93 घटनाएं बलात्कार की हो रही हैं, इसलिए यह एक सामाजिक चुनौती है. हमारे सामने कानून की कमियां भी आती हैं और हमारे सामने सामाजिक चुनौतियां भी है, इसलिए हम सबको मिलकर इसका सामना करना पड़ेगा. इसलिए बाकी बातें, मैं बाद में रखूँगा परन्तु मेरा इतना ही कहना है कि अगर हमारे माननीय नेता प्रतिपक्ष जी के द्वारा यह विषय, विपक्ष के द्वारा सदन में लाया गया और आपने इसको चर्चा के लिए स्वीकार किया और इसलिए अध्यक्ष महोदय, इस चर्चा के माध्यम से यह निष्कर्ष निकले कि हमें और क्या करना चाहिए या सरकार को और क्या करना चाहिए ? जिससे ये जो दु:खद घटनाएं हमारे समाज में हो रही हैं, वे घटनाएं न हों. इसके लिए हम सबको मिलकर क्या प्रयास करना चाहिए ? अगर यह निष्कर्ष निकलकर आएंगे, तो अच्छा होगा. आरोप-प्रत्यारोप अगर लगाने का विषय होगा तो मेरे पास पर्याप्त आंकड़े हैं और इसलिए मेरा आग्रह है कि इस चर्चा को हम सकारात्मक बनाएं और जो हम इस दिशा में काम कर सकते हैं, अगर वे करेंगे तो मैं समझता हूँ कि उस पीडि़ता के सम्मान में भी हम कुछ कर पाएंगे एवं अध्यक्ष महोदय, ऐसी घटनाओं को रोकने में सरकार को मदद मिलेगी और विपक्ष की तरफ से जो भी सुझाव आएंगे, हम निश्चित रूप से उनको स्वीकार करेंगे और जो भी हम इसमें और कर सकते हैं, वे जरूर करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - माननीय गृह मंत्री जी ने जो कहा है कि स्थिति गम्भीर है. मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि भाषा संयमित रहे और मीडिया के साथियों से भी अनुरोध है कि समाचार-पत्रों में भी इस गम्भीर घटना को उतनी ही गम्भीरता से छापें ताकि किसी प्रकार की पीड़ा, किसी के मन में न पहुँचे.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मुखिया जब ...... अध्यक्ष जी, (दीर्घा में स्कूल-कॉलेज की बच्चियों को बैठे हुए देखकर) बच्चियों को आज बैठाना उचित प्रतीत नहीं होता, जब इस घटना पर चर्चा हो रही हो. अच्छा हो कि इसके बाद बुला लें क्योंकि यह बच्चियों से संबंधित है. यह मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय - निर्देश दे दिए हैं. आप चाहें तो एक-दो मिनट बैठ जाएं.
डॉ. गोविन्द सिंह - ठीक है.
अध्यक्ष महोदय - आप कोई सामान्य बात कह सकते हैं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, मेरा विचार है कि अच्छा भाषण होगा, सुझावात्मक होगा, सकारात्मक होगा और शिक्षात्मक होगा तो मेरे विचार से अच्छा ही असर पड़ेगा. अगर भाषण आरोप-प्रत्यारोप जैसा होगा तो ...
डॉ. गोविन्द सिंह - ऐसा कुछ नहीं होगा. आप बैठ जाएं.
श्री गोपाल भार्गव - तो फिर बैठे रहने दो.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, डॉ. गोविन्द सिंह जी की बात सही है. मैंने भी अभी निर्देश दिया है, वे स्कूल की बच्चियां हैं इसलिए यह उचित नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में हमारे सम्माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने प्रदेश की बागडोर संभाली. उस समय जगह-जगह पर नारे लिखे हुए मिले, 'भय, भूख और भ्रष्टाचार' यह सरकार की प्राथमिकता होगी और कुछ दिनों बाद एक नारा और दिया गया, वह काफी प्रचारित हुआ 'हम पूरी तरह से सुशासन देंगे'. लेकिन आज समूचा मध्यप्रदेश आतंकवादियों, नक्सलवादियों, बलात्कारियों, हत्यारों, स्मैकचियों एवं खनिज माफियाओं के शिकंजे में प्रदेश की कानून-व्यवस्था जगह-जगह जकड़ चुकी है. जब समाचार-पत्र उठाकर देखते हैं, सुनते हैं तो प्रदेश में ऐसी अनेकों घटनाएं घटित हो रही हैं, जिनसे समूचे समाज को वेदना होती है और समाज के प्रतिनिधियों को भी इसकी चिन्ता होती है. अध्यक्ष महोदय, मैं सुशासन की बात इसलिए कर रहा हूँ. माननीय गृह मंत्री जी, आज कानून-व्यवस्था कैसे अच्छी रहेगी ? (XXX)
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, इसका क्या संबंध है.
श्री कैलाश चावला - अध्यक्ष महोदय, यह स्थगन का विषय है क्या?
श्री उमाशंकर गुप्ता - आप औचित्य पर बोलिए.
श्री दिलीप सिंह परिहार - सदन में चर्चा क्या हो रही है और आप चर्चा क्या कर रहे हैं. अदालत ने अभी मुलजिम करार नहीं दिया है और आपने पहले ही सजा दे दी.
डॉ गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, अभी माननीय गृह मंत्री जी ने मध्यप्रदेश के जितने विभाग है, उसमें से आधे से ज्यादा विभागों की चर्चा कर दी और मैं इसमें किसी का नाम नहीं ले रहा हूं,(XXX)
श्री अनिल फिरोजिया - अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने तो अदालत से पहले ही सजा दे दी.
श्री बाबूलाल गौर - स्थगन प्रस्ताव पर जो विषय वस्तु है केवल उसी पर चर्चा करें.
डॉ. गोविन्द सिंह - मंत्री जी का जबाव आपने सुना गौर साहब, कितने विभाग टच किए उन्होंने, हां मैं विषय पर आ रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - चावला जी माइक चालू कर लें.
डॉ. गोविन्द सिंह - कानून व्यवस्था की स्थिति पर आ रहा हूं कैसे सुधार होगा.
अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दे, माननीय वरिष्ठ सदस्य गौर साहब की और कैलाश चावला जी की जो आपत्ति है, इसमें.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, अगर आप कानून व्यवस्था सुधारना चाहते हैं तो हम सुझाव दे रहे हैं. अगर ऐसे लोग रहेंगे तो पुलिस अधीक्षक और डी.जी.पी. कैसे काम कर पाएंगे, इसलिए गृह मंत्री जी हमारा आपसे अनुरोध है कि अगर आप वास्तव में अपराध को रोकना चाहते हैं, आपकी मंशा है, आप चाहते हों कि प्रदेश में आम नागरिक भयभीत न रहे, महिलाएं, बच्चियां और आम नागरिक प्रदेश में कहीं भी निडर होकर रात को भी आ जा सके, तो यह तभी हो सकता है जब आप अपराधियों पर, खनिज माफियाओं पर, स्मैकचियो पर कंट्रोल करेंगे तभी व्यवस्था में सुधार हो सकता है. हम तो इसलिए कहना चाहते हैं कि हमारे इलाके के माननीय महानिदेशक शुक्ला जी को आपने बागडोर सौंपी है, (XXX) केवल कुर्सी के कारण सब भयभीत है. अब थानों में भी कम पेट्रोलिंग हो रही है, मैं आपसे कहना चाहता हूं.
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, औचित्य का प्रश्न है किसी भी आई.पी.एस. अधिकारी के प्रति जो दुर्भावना व्यक्त की जा रही है, उसका यहां पर वर्णन नहीं किया जा सकता है, विषय क्या है, डी.जी.पी. उच्च अधिकारी है आपके ग्वालियर के हैं तो वहां बैठने के बाद गलत हो गए क्या?
डॉ. गोविन्द सिंह - नहीं, नाम मैं नहीं ले रहा हूं, (XXX)
श्री बाबूलाल गौर - वह अलग विषय है, आप बलात्कार पर बोलिए, गैंगरेप पर बोलिए.
डॉ. गोविन्द सिंह - हां, ठीक है गौर साहब अब नहीं बोलेंगे, अब आप बैठ जाइए. शांत हो जाइए, दूसरे विषय पर आता हूं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - स्थगन का कोई मुद्दा नहीं है, केवल राजनीतिक भाषण हो रहे हैं.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप ऐसी व्यवस्था कर दीजिए कि गौर साहब को बोलने दीजिए, ये क्या चाहते हैं? हम कैसे चर्चा करें? हम लोग क्या बोले? क्या करें? यह इनसे सीखकर आएंगे तो व्यवस्था होगी, इसलिए हम गोविन्द सिंह जी को अनुरोध करके बैठा लेंगे, पहले गौर साहब को सुन लें ?
श्री दिलीप सिंह परिहार - बाबूलाल जी गौर साहब बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं आरिफ भाई इनसे आप कुछ सीख भी सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - स्थगन प्रस्ताव का जो विषय है, उसी पर बोलना चाहिए, यह स्थगन कानून व्यवस्था का नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, ठीक है अगर इनको सच्चाई बुरी लग रही है तो अब नहीं बोलेंगे. सच कहना, वैसे तो मैं शुरूआत में आंदोलन में रहा तो हम यह नारा लगाते थे कि ''सच कहना अगर बगावत है तो समझो हम भी बागी है'', यह नारा लगाते थे.
अध्यक्ष महोदय - समाजवादी तेवर आ गए हैं, फिर से. (हंसी..)
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, सच सुनने में कोई डर नहीं है, लेकिन असत्य नहीं सुनना चाहते.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष जी, अगर बात सुनने में तकलीफ हो रही है तो अब नहीं बोलेंगे.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी लहार में एक अनुसूचित जाति की महिला को अदालत से 8-9 वर्षों बाद न्याय मिला. अब सोच लें किस तरह से लोग वंचित रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय - मुकेश जी बैठ जाए .
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष जी, मैं चुनौती देता हूं कि जिस घटना का जिक्र किया जा रहा है उसकी जांच डीजीपी से सीबीआई से जिससे करवाना हो करवा लो, मैं आपकी सरकार को चुनौती देता हूं.
अध्यक्ष महोदय - डॉ. साहब आप विषय पर आइए.
डॉ. गोविन्द सिंह - लहार की घटना कह रहे हैं, इसलिए आप जांच करा लो.
श्री उमाशंकर गुप्ता - आपका नाम तो लिया ही नहीं था, लहार की सब घटना में आपका नाम है क्या (हंसी...).
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि यह बड़ा गंभीर एवं पूरे समाज के लिये चिन्ता का विषय है. जैसा कि माननीय गृहमंत्री जी ने अभी नेशनल क्राईम ब्यूरो की रिपोर्ट का जिक्र किया, परन्तु मैं कहना चाहता हूं कि नेशनल क्राईम ब्यूरो की जो कल एवं आज के समाचार पत्रों में रिपोर्ट आयी है. अपराधों के मामले में आज उत्तरप्रदेश पूरे देश में 1 नम्बर पर रहा है, लेकिन मध्यप्रदेश नम्बर 2 पर रहा है. उत्तरप्रदेश में पूरे देश में जो घटित अपराध हुए हैं उनमें 9.5 प्रतिशत हमारा हिस्सा पड़ता है. मध्यप्रदेश आज अपराधों के मामले में दूसरे नम्बर पर है. उत्तरप्रदेश आबादी के मामले में मध्यप्रदेश से 3 गुना ज्यादा है. हमारी आबादी 7 करोड़ है, लेकिन अपराधों के मामले में नंबर 2 पर आ गये हैं, जबकि महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश जो बड़े बड़े राज्य हैं उन राज्यों में भी अपराध कम हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में अपराधों के मामले में लगातार वृद्धि हो रही है. खासकर महिलाओं एवं बच्चियों के बलात्कार के मामले में पिछले तीन-चार महीनों में काफी वृद्धि हुई है. हम यह नहीं कह रहे हैं कि अपराधों के मामले में सरकार का संरक्षण रहता है, लेकिन अपराध करने वालों को नहीं रोक सकते जिसने तय किया अपराध करेगा वह जरूर करेगा, लेकिन अपराधियों पर अंकुश लगाना चाहिये उस पर तुरंत कार्यवाही होना चाहिये उस तरीके से कार्यवाही नहीं हो पा रही है, इसलिये अपराधियों के हौंसले बुलंद हो रहे हैं. पूर्व में समाचार पत्रों को देखते थे कि किसी थाने में पुलिस अधीक्षक सख्त आ गये अथवा कर्मठ थाना प्रभारी आ गया उस इलाके के अपराधी लोग थाना छोड़कर भाग जाते थे उनमें पुलिस का इतना खौफ रहता था कि वह आज खोफ इस राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण आपकी सुशासन व्यवस्था चरमरा गई है. माननीय गृहमंत्री जी अगर पुलिस एवं अपराधियों पर राजनैतिक संरक्षण नहीं बनता तो आज यह स्थिति नहीं बनती और रेप की घटनाएं घटतीं. आज मध्यप्रदेश रेप के मामलों में वर्ष 2016 में टॉप पर है. उस समय आपने तमाम तरह के पुरस्कार भी प्राप्त किये, लेकिन इसमें आपको अपना अपयश लेना होगा. आज मध्यप्रदेश में 2016 में 4882 अपराध हुए हैं. मध्यप्रदेश की तुलना में उत्तरप्रदेश की आबादी तीन गुना है. उत्तरप्रदेश में अपराधों की संख्या 4816 रेप और की घटनाएं घटना घटी थी. इसी प्रकार महाराष्ट्र की आबादी भी मध्यप्रदेश से करीब डेढ़ गुना ज्यादा है उसमें 4189 रेप के मामले हुए हैं. आज मध्यप्रदेश में रेप के अपराध सबसे ज्यादा बढ़े हैं, यह एक चिन्ता का विषय है जिस पर आपको बैठकर सभी से सलाह मशविरा करके इसमें कोई न कोई रास्ता निकालना चाहिये. अब मैं आपको कहना चाहता हूं कि भारत सरकार के जो निर्देश जारी हुए थे उसके बारे में मैं कहना चाहता हूं कि पहले जो घटना हुई है वास्तव में बड़ी दर्दनाक एवं शर्मनाक घटना घटी है. 31 अक्टूबर 17 को घटना घटी है जीआरपी थाने से कोई 100 मीटर की दूरी पर घटी है. घटना घट गई चार अपराधियों ने बच्ची के साथ बलात्कार किया उसे प्रताड़ित किया उसके साथ अन्याय किया वह चीखती-चिल्लाती रही लेकिन 100 मीटर की दूरी तक कहीं किसी को उसकी आवाज सुनाई नहीं दी. वहां पर जी.आर.पी., आर.पी.एफ रहती है और मध्यप्रदेश की पुलिस का थाना हबीबगंज भी ज्यादा दूर नहीं था, लेकिन उसके बाद भी घटना हो गई. मैं नहीं मानता हूं कि इसमें सरकार का संरक्षण है, लेकिन यह बात सच है कि जब वह पीड़ित बच्ची वहां पर बेहोश होकर के पड़ी रही और जब उसको होश आया और जब वह घर पहुंची तब वह अपनी मां के साथ पुलिस में रिपोर्ट डालने जाती है उस समय हबीबगंज पुलिस के अधिकारी कहते हैं यह हमारा कार्यक्षेत्र नहीं है, यह हमारी सीमा में नहीं है. आप जी.आर.पी. जाइये इस तरह की घटना अकेले यहां पर नहीं हुई है. माननीय गृहमंत्री जी, आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि यह परम्परा पूरे प्रदेश में चल रही है. हमारे क्षेत्र में जिले में घटनाएं घटती हैं दो तीन दिन तक थानों का चक्कर लगाना पड़ता है. हमारी आपसे प्रार्थना है कि आप ऐसे निर्देश जारी करिये कि जहां भी घटना घटित होती है, पहले वहां उस पर एफआईआर हो फिर जांच जीरो पर कायम होकर जा सकती है. लेकिन इस तरह से पीडि़ता को भटकाना, जब पीडि़ता की मॉं और बच्ची ने अपराधी को पकड़ लिया तब पुलिस कार्यवाही करती है, उसके बाद मुकदमा दायर होता है,रेप की घटना की एफआईआर दर्ज होती है. आपने कुछ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया, सीएसपी को पीएचक्यू में अटैच कर दिया और डॉक्टरों को निलंबित कर दिया. पूरे इतिहास में कहीं भी ऐसा उदाहरण मिलेगा, जहां डॉक्टर किसी दबाव के कारण, मैं नहीं कहता कि आपका दबाव है,लेकिन उनके ऊपर किसी न किसी का दबाव था, इसलिये डॉक्टरों ने लिखा कि यह रेप की घटना नहीं, यह पीडि़ता की सहमति से हुआ है. क्या इस तरह से कानून में प्रावधान है ? डॉक्टर को कैसे पता रहता है, क्या डॉक्टर वहां जाकर देख रहा था कि सहमति से हुआ है. डॉक्टर को यह कैसे जानकारी है, डॉक्टर का काम था कि वह केवल जो सच्चाई है, मौके की रिपोर्ट दे, बाकी का इन्वेस्टिगेशन करने का काम पुलिस का है. मैं आप से कहना चाहता हूं कि आपने कुछ लोगों को निलंबित किया और वरिष्ठ सीएसपी, एसपी थे, उनको भी वहां से हटा दिया. मैं आपको बताना चाहता हूं कि जब दिल्ली में निर्भया काण्ड हुआ था तो वह घटना पूरे देश में चर्चित हुई थी. उसके बाद उसी समय आईपीसी की धारा में एक संशोधन हुआ था, इसमें कानून की धारा 164-क में लिखा हुआ था कि जो लोक सेवक जो विधिकीय अवज्ञा करे, इसमें आखिरी में लिखा है. इसी में और कई धाराएं दी हैं, इसमें धारा- 354 ख,ग,घ भी है और 376 ख,ग,घ हैं. उसमें साफ लिखा हुआ है कि इन धाराओं के अधीन दण्डनीय संज्ञेय अपराध के संबंध में उसे दी गयी किसी सूचना को अभिलिखित करने में विफल होता है तो वह कारावास जिसकी अवधि एक वर्ष तक हो सकेगी या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जायेगा.
माननीय गृह मंत्री जी,मैं आपसे जानना चाहता हूं कि जो दोनों चिकित्सक इस घटना में विफल रहे या जिन पुलिस अधिकारियों की इंवेस्टिगेशन में लापरवाही पायी गयी, तो आपको धारा-166-क में अपराध दर्ज करने में क्या परेशानी है ? आप इस तरह के पुलिस अधिकारियों को इधर से उधर घुमाते हैं. अगर आप इस तरह के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपराध पंजीकृत करके, उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे एक उदाहरण पेश करेंगे तो प्रदेश में अन्य जिला स्तर पर, नीचे स्तर पर और थाने स्तर के अधिकारी इस प्रकार की हिम्मत नहीं जुटा पायेंगे, जो तमाम लोगों को इधर से उधर घुमाते हैं.
अध्यक्ष महोदय:- डॉक्टर साहब, कृपया अब आप समाप्त करें.आपको बोलते हुए 16 मिनट हो गये हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह:- हमारे पांच मिनट तो गौर साहब ने ही खराब कर दिये हैं.
अध्यक्ष महोदय:- अभी और भी सदस्यों को बोलना है. अभी और भी तथ्य आयेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह:- मैं जल्दी ही समाप्त करूंगा, वैसे तो आपने सीमित ही किया था. गृह मंत्री तो पूरा डिटेल नहीं बताना चाहते हैं. मुख्य घटना जो अभी एक महीने में घटित हुई है, वह मैं आपको बताना चाहता हूं. इसके अलावा 3 नवंबर, 2017 को भोपाल स्टेशन के समीप 12 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म हुआ. इसी माह में गुना के बासुद गांव में नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म कर, उसकी हत्या की गयी. देवास जिले के सुन्द्रेल गांव की नाबालिग बालिका से दुष्कर्म किया गया.
श्री भूपेन्द्र सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी ओर से जो स्थगन प्रस्ताव की सूचना हमारे पास आयी है,वह भोपाल की घटना के बारे में आयी है. यहां पर बाकी और घटनाओं की चर्चा होगी तो मैं उनको यहां पर जवाब नहीं दे पाऊंगा. इसलिये मेरा आग्रह है कि भोपाल में जो घटना हुई है....
अध्यक्ष महोदय:- मैं आपको बता दूं, स्पष्ट कर दूं. माननीय गृह मंत्री जी उन्होंने सारी बातें लिखी थीं, किंतु स्थगन प्रस्ताव एक ही विषय पर लिया जाता है. इसलिए उसे संशोधित कर दिया गया. आपके पास उसकी जानकारी नहीं होगी क्योंकि यह संघ सूची में नहीं था. इसलिए मंत्री जी आपका पक्ष ठीक है. डॉ. साहब केवल उल्लेख कर रहे हैं. वे जानकारी केवल भोपाल की घटना की ही मांगेंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. साहब उल्लेख में यह भी कह सकते हैं कि अन्य भी कई घटनायें हैं. वे एक-एक घटना बता रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह- हम अन्य घटनाओं का जवाब आपसे नहीं मांगेंगे.
श्री रामनिवास रावत- मंत्री जी, बात महिला सुरक्षा की हो रही है.
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या अब गृह मंत्री जी तय करेंगे कि कौन सी घटना का उल्लेख सदन में किया जाये और कौन सी घटना का नहीं किया जाये ?
अध्यक्ष महोदय- मैंने डॉ. साहब को एलाऊ किया है.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने प्रारंभ में ही स्थगन सूचना पर निर्देश दिए थे, व्यवस्था दी थी कि केवल ग्राह्यता पर चर्चा होगी. अभी तक मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि जब प्रकरण में गिरफ्तारी हो चुकी है, कार्यवाही हो चुकी है, चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, पूरी कार्यवाही हो गई है. अब ग्राह्ययता पर क्या चर्चा होनी है ? सदन में एक भी ऐसा तथ्य नहीं रखा गया है जिसमें ग्राह्ययता पर चर्चा का औचित्य समझ में आये.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, आप उन्हें अपनी बात कह लेने दें.
श्री बाला बच्चन- माननीय मंत्री जी, व्यवस्था देना आसंदी का काम है. क्या ये अब आप तय करेंगे ?
श्री कमलेश्वर पटेल- हम ये बताना चाहते हैं कि पूरे प्रदेश में कानून-व्यवस्था खराब है.
अध्यक्ष महोदय- डॉ. साहब, आप जारी रखें.
डॉ.गोविन्द सिंह- अध्यक्ष महोदय, हम अन्य घटनाओं पर जवाब नहीं चाहते. मंत्री जी, आप चिंता न करें. मैं केवल तात्कालिक घटित दो-चार घटनाओं का उल्लेख कर रहा हूं. वैसे तो हमने जो सूची दी है उसमें 30 घटनाओं का उल्लेख है.
श्री उमाशंकर गुप्ता- डॉ. साहब, सारे अपराधी गिरफ्तार हो गए हैं. कोई बाहर नहीं घूम रहा है.
डॉ.गोविन्द सिंह- क्या हम नासमझ हैं ? क्या हमें कुछ नहीं मालूम है ? आप ही एक अक्लमंद हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता- डॉ. साहब, आपने ही कहा कि अपराधी घूम रहे हैं. इसलिए मैंने बताया कि प्रकरण से संबंधित सभी अपराधी गिरफ्तार हो गए हैं.
श्री यादवेन्द्र सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपया मुझे एक मिनट का समय दें.
अध्यक्ष महोदय- नहीं, यह ऐसा विषय नहीं है कि जिसमें इस तरह से दखल दिया जाये.
डॉ.गोविन्द सिंह- मैं सदन को बताना चाहूंगा कि इस प्रकार की घटनायें इंदौर, राजगढ़, सीहोर जिले में सकलनपुर मंदिर के पास भी हुईं. औबेदुल्लागंज में 13 वर्षीय बालिका के साथ भी ऐसी घटना घटी और उसके बाद रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए वह घूमती रही. जब औबेदुल्लागंज के एस.डी.एम. ने तीन दिन के बाद प्रकरण में हस्तक्षेप किया, स्वयं थाने में पहुंचे तब जाकर रिपोर्ट दर्ज हुई. इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि यदि आप दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे तो भविष्य में पीडि़तों को रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए घूमना नहीं पड़ेगा. इसके अतिरिक्त मैं कहना चाहता हूं कि सीहोर के बासदा में 11 वर्षीय बच्ची ने आत्महत्या कर ली. इसी प्रकार ग्राम राजौदा जिला सागर की 11 वर्षीय बच्ची लगातार प्रताडि़त होती रही और उसने कूदकर आत्महत्या कर ली.
माननीय अध्यक्ष महोदय, भिंड जिले में भी अभी एक-डेढ़ माह के भीतर बलात्कार की कई घटनायें हुई हैं. हमारी जानकारी के अनुसार 8-8 दिन तक लगे रहने के बाद एफ.आई.आर. दर्ज हुई और आज तक उनमें से एक भी अपराधी गिरफ्तार नहीं हुआ. जबकि माननीय गृह मंत्री जी ने दिनांक 29.11.2017 के विधान सभा प्रश्न के उत्तर में जवाब दिया है कि महिला सुरक्षा के लिए निर्भया कांड के पश्चात् उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी गाईड लाईन के अनुसार एवं मई 2013 में पुलिस मुख्यालय से जारी निर्देश के अनुसार प्रत्येक थाने में विधिक सलाहकार की एक सूची रखी जायेगी. जिस घटना पर यहां चर्चा हो रही है, उस मामले में किसी भी थाने में सूची उपलब्ध नहीं थी और न ही किसी थाने में सूचना पटल पर वह सूची लगाई गई है. हमने आज तक वह सूची कहीं नहीं देखी है. यदि मंत्री जी इसका परीक्षण करवायेंगे तो उन्हें सच्चाई का पता लग जायेगा. इसी प्रकार हमारे जवाब में कहा गया है कि महिला उत्पीड़न के प्रकरणों के लिए 51 जिलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाये गए हैं ताकि ऐसे प्रकरणों में जल्द से जल्द निर्णय हो सके. लेकिन उनकी भी गति धीमी है. सरकार ने निर्देश जारी किए थे कि महिलाओं के साथ हुई बलात्कार की घटनाओं की सुनवाई ए.डी.जे. कोर्ट में ही हो और वहीं चालान पेश हो. बलात्कार छोड़कर अन्य जो संगीन अपराध एवं धारा 354 के अधीन अपराध महिलाओं के साथ होते हैं, उनकी सुनवाई कम से कम सी.जे.एम. कोर्ट में हो. परंतु इन निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है. इसी प्रकार आपने अपने उत्तर में कहा है कि बलात्कार के प्रकरणों में 15 दिन के अंदर चालान पेश किए जाने के निर्देश हैं. आपके डिस्ट्रिक्ट जज, एस.पी., कलेक्टर बैठकर ऐसे प्रकरणों की समीक्षा प्रतिमाह करेंगे परंतु यह समीक्षा कहीं हो नहीं रही है इसलिए यह घटनाएं घटने के बाद तुरंत कार्यवाही नहीं हो रही है. पहले रोज सुबह पुलिस की पी.टी. होती थी सभी थानों में रोज शाम को कॉल होता था अगर आप वास्तव में चाहते हैं कि सुधार हो और यह घटनाएं न घटें, क्योंकि वास्तव में यह घटनाएं बहुत शर्मनाक हैं. पिछले दो तीन माह में इनमें व्यापक बाढ़ सी आ चुकी है. इन पर आप कंट्रोल करें. अगर आप सबसे बड़ा सुझाव चाहते हैं तो मेरा सुझाव यह है कि आप अपराधियों को कंट्रोल करें. अपराधियों के सहयोगी आपके विभाग में बैठे हुए हैं. अपराधियों को संरक्षण न दें. पुलिस का दुरुपयोग न करें. आप यदि अपराधियों पर अंकुश लगाते तो अपराधकर्ता गिरफ्तार हो जाते. लेकिन इस तरह की गिरफ्तारियां नहीं हो रही हैं हमारा आपसे अनुरोध है आप इसको स्वीकार करें तो लंबी चर्चा होगी और अब तक जो बात आपने नहीं होने दी है वह भी हम रखेंगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं केवल आग्रह करना चाहता हूं कि ग्राह्यता पर आपने चर्चा शुरू करवाई है. माननीय सदस्य का स्थगन आपने पढ़ा. मेरा आग्रह है कि गृह मंत्री जी का जवाब आ गया है अब जो माननीय सदस्य कहें गृह मंत्री जी के जवाब के बाद कोई ऐसे तथ्य हों कि स्थगन को ग्राह्य करना चाहिए.
डॉ. गोविन्द सिंह-- तथ्य नहीं दिए हैं मैंने कहा है कि आपने धारा 166 (क) की कार्यवाही नहीं की है. आप पुलिस में ऐसे लोगों को रखेंगे. श्योपुर का कलेक्टर कह रहा है महिला सुरक्षा में आपने डी.एस.पी. रखा है वह मानसिक रोगी है.
अध्यक्ष महोदय-- यह वाद विवाद का विषय नहीं है. आपकी बात आ गई है गृह मंत्री जी ने नोट कर ली है.
डॉ. गोविन्द सिंह—(XXX)
श्री गोपाल भार्गव-- साढ़े चार दिन से हल्ला कर रहे थे. खोदा पहाड़ और निकली चुहिया.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप मुझे बोलने के लिए एक मिनट का समय दे दीजिए मैं आपसे आपके आदेशानुसार वैसे ही समय मांग रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- वाद विवाद का विषय नहीं है आप बैठ जाइए.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी एक ही सलाह है कि.....
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाइए. यह नहीं चलेगा. आप सहयोग करिए. डण्डौतिया जी किसी बात की गंभीरता को समझते ही नहीं हैं. रावत जी आप बोलिये.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) --माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे द्वारा जो स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है वह मध्यप्रदेश की, पूरे देश की, पूरे मानव समाज की, 50 प्रतिशत आबादी की सुरक्षा, महिला सुरक्षा को लेकर प्रस्तुत किया गया है.
अध्यक्ष महोदय-- डण्डौतिया जी, जो बोल रहे हैं वह कुछ नहीं लिखा जाएगा. रावत जी का लिखा जाएगा..
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- (XXX)
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आपने ग्राह्यता की चर्चा स्वीकार की है.....
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- रावत जी आप बोलिए. डण्डौतिया जी नहीं मानेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, हमारे वेदों में भी कहा गया है कि
''यत्र नारयस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता''
जहां नारियों की पूजा होती है वहीं देवता निवास करते हैं. देश की 50 प्रतिशत आबादी, महिला मातृ-शक्ति, अगर अपने आपको असुरक्षित महसूस करे जो हमारी प्रकृति की संवाहिका हैं और मैं समझता हूं उसकी सुरक्षा हम नहीं कर पाए तो हमारा जीवन बेकार है क्योंकि हम उसी के प्रतिरूप हैं, उसी के पैदा किए हुए रूप हैं, मानव हैं. 31 अक्टूबर को जो गैंगरेप की घटना घटी हबीवगंज थाने के पास में उसके बारे में वर्णन नहीं करना चाहूंगा आपका भी निर्देश हुआ है किस तरह से अपराधियों ने पी.एस.सी की छात्रा को पकड़कर के किस तरह से झाडि़यों में ले गए और गैंगरेप किया वह एक अलग विषय है. उसके बाद वह बेहोश पड़ी रही होश आने के बाद जब वह छात्रा थाने जाती है अपने परिवारजनों को लेकर गैंगरेप की शिकार पुलिस अफसर की बेटी थाने थाने भटकी पहले वह जी.आर.पी. थाने में गई. जीआरपी थाने में उसकी रिपोर्ट लिखी जाना चाहिए परन्तु नहीं लिखी गई. जैसा अभी डॉ. गोविन्द सिंह जी ने कहा कि कोई पुलिस अधिकारी किसी महिला की रिपोर्ट अभिलिखित करने में असफल रहता है तो उसके खिलाफ प्रकरण कायम होना चाहिए, निलंबन होने से काम नहीं चलेगा. यदि आपको पुलिस प्रशासन को संवदेनशील बनाना है तो जो नियम कानून बनाए जा रहे हैं आप नियम कानून तो अभी और ला रहे हैं. आप फांसी तक का कानून ला रहे हैं. लेकिन क्या कानून लाने से संवेदनशीलता आ जाएगी. कानूनों का पालन कराने से संवेदनशीलता आएगी, भय व्याप्त होगा और कानून की कार्यवाही पुलिस अफसर ठीक से कर सकेंगे.
अध्यक्ष महोदय, जीआरपी थाने से उसे कहा जाता है कि यह हमारे क्षेत्र की घटना नहीं है आप हबीबगंज थाने जाओ, वह वहां जाती है वहां भी उस दिन उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी जाती है. जब कहीं मीडिया में पता लगता है तो दूसरे दिन उस प्रकरण की कायमी होती है. जब वह चिल्लाती रही, आरोपियों को पुलिस खुद पकड़ सकती थी. उसके मां-बाप जाते हैं और आरोपियों को खुद पकड़कर थाने ले आते हैं तब कहीं जाकर उसकी रिपोर्ट होती है. 24 घंटे बाद यह अपराध दर्ज होता है. ऊपर से एडीजी का हस्तक्षेप होता है उसके बाद यह प्रकरण कायम होता है.
अध्यक्ष महोदय, सरकार हेल्प लाइन चला रही है. आपने दिल्ली की एक बालिका के संबंध में उल्लेख किया. इस घटना के संबंध में बालिका की बातचीत छपी है कि "इन दरिदों को तो बीच चौराहे पर फाँसी दे देना चाहिए, चार दिन हो गए हैं मैं माता-पिता के साथ भटक रही हूँ. कभी बयान के लिए थाने तो कभी जाँच के लिए अस्पताल. पहले दिन एफआईआर करने के लिए संघर्ष करती रही. दूसरे दिन पुलिस ने बयान के लिए दिन भर थाने में बैठाकर रखा गया. तीसरे दिन मेडिकल और चौथे दिन मुझे सोनोग्राफी के लिए बुलाया गया. वही सवाल मेरे सामने बार-बार आ रहे हैं कि कहां हुआ था, क्या हुआ था कितने लोग थे, कैसे दिखते थे, क्या बोल रहे थे. सवाल इतने की जवाब देते-देते गले की आवाज बंद हो जाती है लेकिन उनके सवाल कभी खत्म नहीं होते हैं. सिस्टम और पुलिस के खिलाफ अफसोस नहीं बल्कि गुस्सा है. हादसे के दिन एसआरपी अनिता मालवीय जो जीआरपी की एसपी थी. महिला होते हुए भी मजे लेती रही, मेरी कहानी सुनकर वह हंसती रही तो न्याय की उम्मीद कहां रह जाती है. पोस्ट की बात तो छोड़ो वह पुलिस की वर्दी पहनने लायक भी नहीं है. मेरी इस लड़ाई में मेरे माता-पिता हरदम मेरे साथ हैं. उन्होंने मुझे सम्हाला और आरोपियों के खिलाफ लड़ने की हिम्मत दी. उन दरिंदों के साथ रहम नहीं होना चाहिए. मैं गिड़गिड़ा रही थी वह हंस रहे थे. उन सभी को बीच चौराहे पर फांसी दे देना चाहिए. मेरी एक अपील है कि इस तरह की वारदात के बाद परिजनों को पीड़िता का साथ देते हुए आवाज उठाना चाहिए."
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूँ कि यह उस लड़की की आवाज है उसके भाव हैं. यह आवाज संवेदनशील व्यक्ति की आत्मा झकझोर देती है. आप व्यवस्था कर रहे हैं. हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया. हाई कोर्ट कह रही है कि "पुलिस ने दुष्कर्म की एफआईआर जीरो पर क्यों नहीं की. डॉक्टरों ने कहा कि सहमति से हुआ है. यह त्रुटियां नहीं यह त्रासदी है--जस्टिस हेमंत गुप्ता, चीफ जस्टिस मध्यप्रदेश हाई कोर्ट."
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिए यह ग्राह्यता का विषय है. मंत्री तो सुनेंगे नहीं उन्हें कोई मतलब नहीं है (श्री भूपेन्द्र सिंह, गृह मंत्री द्वारा श्री जयंत कुमार मलैया, वित्त मंत्री से बात करने पर).
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी डीजी साहब का भी जिक्र आया. उनसे भी किसी ने कुछ पूछा होगा तो उन्होंने कहा कि इस मामले में दिन में बात करनी चाहिए रात में 9:30 बजे के बाद बात नहीं करुंगा. लोकल आईजी और रेलवे से बात कर लो. यह डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला जी के शब्द हैं. ऐसे मामलों में प्रशासन में, आम मानव में, आम समाज में संवेदनशीलता की आवश्यकता है. माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है वह व्यापक और विस्तार से जवाब दिया है. उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, लिंगानुपात. लिंगानुपात कहां है लिंगानुपात तो नीचे जा रहा है. लड़कियों का ड्राप आउट कितना है. महिलाओं पर रेप के मामले में मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर पहुंच गया है उत्तर प्रदेश से भी ज्यादा है. आप महिलाओं को किस तरह से सुरक्षा देना चाहते हो. प्रतिदिन मध्यप्रदेश में 14 महिलाओं के साथ बलात्कर हो रहे हैं. औसत प्रतिदिन 8 अवस्यक बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं. यह जानकारी मेरे प्रश्न के जवाब में आई है. यह आंकड़े 1 जनवरी 2017 से 20 जून 2017 तक के हैं और प्रतिदिन एक सामूहिक बलात्कार की घटना पूरे प्रदेश में हो रही है.इसी तरह से सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं में 59 घटनायें अव्यस्क महिलाओं के साथ हुईं, 10 महिलाओं की हत्या की गई और 13 महिलाओं ने आत्महत्या की. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है और सबके लिए एक चिंता का विषय है. अध्यक्ष महोदय, मानव तस्करी के बारे में, गुमशुदगी के बारे में भी मेरे प्रश्न के जवाब माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है, मैं बताना चाहूंगा कि प्रतिदिन, प्रति घंटे 1 बालक की मध्यप्रदेश से गुमशुदगी हो रही है. मानव तस्करी के 52 प्रकरण हुए हैं 321 दिनों में. अपहरण के 6789 प्रकरण हुए, गुमशुदगी के 17573 प्रकरण हुए और कुल प्रकरण 24414 हैं. प्रतिदिन 76 महिलायें इन प्रकरणों में गायब हो रही हैं उनमें से गायब होने वाली अव्यस्क महिलाओं की संख्या प्रतिदिन 23 है. क्या इस विषय पर आपने कभी आपने चिंतन किया है, इस विषय पर आपने कभी मीटिंग ली है, अनुसरण किया है या चर्चा की है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा पूरा स्थगन महिला सुरक्षा को लेकर था और 31 अक्टूबर के बाद जो घटनायें हुईं उनमें से कुछ की जानकारी डॉक्टर गोविंद सिंह जी ने दी है.बैतूल में 3 नवंबर को 2 वर्ष की बच्ची को हवस का शिकार बनाया. 5 नवंबर को देवास जिले के कांटाफोड़ गाँव में 13 वर्षीय सातवीं कक्षा की छात्रा से गैंगरेप करने के बाद उसका सिर तीसरे दिन खेत में पड़ा मिला.
राजस्व मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय रामनिवास रावत जी हमेशा नियम,प्रक्रिया, संविधान की बात करते रहते हैं.
श्री रामनिवास रावत-- मैं नियमों से ही बात कर रहा हूँ पहले आप अपना जवाब नियमों से दिलवाते. अब समझ तो है नहीं, आप बीच में खड़े हो गये हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- मैं केवल इतना ही पूछ रहा हूँ कि वह क्या स्थगन की विषय वस्तु पर ही चर्चा कर रहे हैं?
श्री रामनिवास रावत-- स्थगन की विषय वस्तु पर ही जवाब आना चाहिए था माननीय मंत्री जी. आप बैठ कर जवाब बनवा लेते.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- उस समय आपत्ति करना था.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, यह इस तरह से इंटरप्ट कर रहे हैं इससे इनकी संवेदनशीलता पूरे प्रदेश में जाना चाहिए. मीडिया वाले भी देख रहे हैं कि यह कितने संवेदनशील हैं...(व्यवधान)...महिला सुरक्षा के मामले में, हमारी बालिकाओं की सुरक्षा के मामले में कितने असंवेदनशील हैं आप. (XXX)
श्री उमाशंकर गुप्ता-- हमने स्थगन के पहले सारी कार्यवाही की है,अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है, अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हुई.हमने आपके स्थगन का इंतजार नहीं किया. अरे, यह आपकी सरकार में होता था.आपकी सरकार कितनी संवेदनशील थी रावत जी,जिस सरकार में आप मंत्री थे. उस समय इस सदन में आपके मंत्री क्या जवाब देते थे...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय---(अनेक माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर) कृपया आप सभी शांति रखें, बैठ जाएं सभी...(व्यवधान)...माननीय मंत्री जी भी बैठ जाएं. माननीय सदस्यगण भी बैठ जाएं..(व्यवधान)...
श्रीमती उषा चौधरी(रैगाँव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं भी महिला हूँ मेरे ऊपर भी हमला हुआ है चूंकि मैं महिला हूँ और विधायक हूँ मध्यप्रदेश के सदन की. मेरे ऊपर 19 नवंबर को हमला हुआ है और मेरे गनमैन ने बचाव किया तो उसके ऊपर चाकू से वार किया गया. जब मध्यप्रदेश की महिला विधायक सुरक्षित नहीं है तो इस मध्यप्रदेश की बेटियाँ कैसे सुरक्षित रह सकती हैं?
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाएं कृपया और आप लिख कर दें.
श्रीमती उषा चौधरी--(XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दिया जाये. मैंने आपको एलाऊ नहीं किया आप बिना अनुमति के बोल रही हैं. मैंने आपको अनुमति नहीं दी है.
श्रीमती उषा चौधरी-- इस सरकार को इस्तीफा देना चाहिए. महिलाओं पर संवेदनशीलता की बात हो रही है, सुरक्षा की बात हो रही है और मंत्री जी बीच में बोल रहे हैं. मजाक उड़ा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइए कृपया.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने उन घटनाओं की आपसे अनुमति ली थी और आपसे निवेदन भी किया था जब आपने पढ़ा था तब कि महिला सुरक्षा से संबंधित मामलों के संबंध में पूरा स्थगन दिया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, उस भोपाल की घटना के बाद 5 नवंबर को जबलपुर के कुंडम थाना क्षेत्र में 6 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म के बाद सिर कुचल कर हत्या की गई. क्यों नहीं एहतियात बरती जा रही है. इसी तरह से सतना जिले के जैतवारा थाना क्षेत्र में ग्राम कोटरा निवासी 6 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म ऐसी कई घटनायें हुई हैं.
1.04 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय-- स्थगन की ग्राह्यता पर चर्चा भोजनावकाश में जारी रहेगी मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है. माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से देवास जिले के काटाफोड़ गांव में तेरह वर्षीय सातवीं की छात्रा से गैंगरेप के बाद उसका शव तीसरे दिन खेत में पड़ा मिला. जबलपुर के कुंडम थाना क्षेत्र में छ: वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म हुआ. अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन इसलिए भी है कि प्रशासन को जब तक आप संवेदनशील नहीं बनाएंगे, तब तक व्यवस्था कैसे सुधरेगी. यह आपके सामने है, यह आप भी जान रहे हैं. गांधी मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की छात्राएं, जो डॉक्टर बनने वाली हैं वे छात्राएं भी प्रतिदिन कह रही हैं कि हमारे साथ छेड़खानी होती है हम पर फब्तियां कसी जाती हैं. क्यों नहीं आप ऐसी जगहों को चिन्ह्ति करते ? जब प्रदेश की राजधानी भोपाल में अपराधियों को किसी भी तरह का भय नहीं है किसी भी तरह से लोग महिला अपराध करने से डरते नहीं हैं तब पूरे प्रदेश की क्या स्थिति होगी ? यह हम जान सकते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी कह रहे थे कि हम अपराध कायम करते हैं. यदि अपराध शून्य पर कायम किया जाता, तो 24 घंटे की देरी नहीं होती. पुलिस कहती है कि एफआईआर करोगे तो अदालत के चक्कर काटने पडे़गें और बदनामी होगी. यह खबर नई दुनिया में आयी थी. युवती की शिकायत दर्ज करने के बजाय पुलिस ने उसे रात तीन बजे तक थाने में बिठाया. इसमें एडीजी सुश्री अरूणा मोहन राव का भी नाम दिया है. एडीजी सुश्री अरूणा मोहन राव के पास भोपाल की एक युवती ने आवेदन दिया. युवती को पहले महिला थाने में, फिर बाद में कोलार थाने में रात तीन बजे बिठाकर रखा. थाने में एक सिपाही ने उसे छुआ भी, जब वह पहुंची तो उसको सिपाही का मैसेज भी आया. यह मामला पुलिस मुख्यालय की महिला सेल एडीजी के पास पहुंचा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस तरह की असंवेदनशीलता आखिर क्यों बढ़ती जा रही है, ऐसा क्यों हो रहा है ? महिलाएं भी अब इस तरह की शिकायतें करने से डरने लगी हैं क्योंकि जिस तरह से पुलिस के द्वारा उस महिला के साथ, उस बालिका के साथ व्यवहार किया जाता है, पूछा जाता है वह दुर्भाग्यजनक है. ऐसी स्थिति के बाद ऐसे अपराध कहीं घटित होते हैं तो ऐसे अपराधों की शिकायत करने के लिए महिलाएं आएं, इसके लिए आपको प्रमोट करना होगा. पहले भी जब निर्भया कांड हुआ था उसके बावजूद भी विवशता हुई थी. जो महिलाएं रेप की रिपोर्ट करती हैं उसे समाज में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए यदि किसी भी तरह की व्यवस्था सरकार को करनी पडे़ तो उसे करना चाहिए. ऐसी महिला, ऐसी बालिका यदि वह सक्षम है चूंकि वह पीडि़त रहती है वह जानती है कि क्या स्थिति रहती है. ऐसी महिला अगर योग्य है तो उसे पुलिस सेवा में भी स्थान देना चाहिए. पुलिस में सरकारी नौकरी की व्यवस्था करनी चाहिए. ऐसी महिलाओं को प्रतिकार की योजना भी सरकार द्वारा स्वीकृत की गई थी, लेकिन इस योजना को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि सीएसपी को हटा दिया, तीन टीआई और दो एसआई को निलंबित कर दिया. दो डॉक्टरों को निलंबित कर दिया. क्या हम यहां इस सदन में सब लोगों को बचाने के लिए बैठे हैं ? जिस लड़की के साथ ये वाकया हुआ, उस लड़की ने उस एसपी के संबंध में क्या शब्द कहे, वह किसी से छुपा नहीं है. क्या हम लोगों में इतनी हिम्मत नहीं है कि हम उस एसपी के खिलाफ कोई कार्यवाही कर सकें. क्या हमारी आत्मा मर गई है ? क्या हम उस लड़की को सुरक्षा देना नहीं चाहते हैं क्या उस लड़की के शब्दों के साथ हमारी संवेदनशीलता नहीं है ? यदि संवेदनशीलता नहीं है तो आप अपराध नहीं रोक पाएंगे. कानून बनाने से अपराध नहीं रुक जाते. आपकी व्यवस्थाएं पूरी नहीं हैं. आप तमाम सारे फंडों की व्यवस्थाएं बजट में करते हैं हमें खुशी होती, जब प्रदेश में महिला अपराध रोकने के लिए आप हर जिला मुख्यालय पर डीएनए टेस्ट की एक लैब बनाते. हर डॉक्टर को संवेदनशील बनाते, हर डॉक्टर का उत्तरदायित्व तय करते, हर पुलिस अधिकारी का उत्तरदायित्व तय करते और ऐसी महिलाओं को समाज में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए उनको प्रमोट करने का काम करते, जिससे अपराध रुक सकें और ऐसे अपराधी कितने भी बडे़ हों, त्वरित दंडित करने की कार्यवाही करने की प्रक्रिया को अपनाया जाता. ठीक है आपने फास्ट ट्रैक कोर्ट की व्यवस्था की है ठीक है आपने चालान 15 दिवस में प्रस्तुत करने की व्यवस्था की है लेकिन जो असफल रहते हैं उस पर प्रावधान भी है कि उनके खिलाफ कार्यवाही करने की व्यवस्था है. आज तक आप बता दें कि आपने कितने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की ? आज तक आप बता दें कितनी महिलाओं को संरक्षण देने के लिए महिलाओं को किसी भी तरह की मदद की. ऐसी महिलाओं को समाज में सम्मान दिलाने के लिए क्या-क्या व्यवस्थाएं कीं ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, पता नहीं माननीय मंत्री जी ने किस तरह के आंकडे़ प्रस्तुत किए. क्या कहना चाहते हैं, क्या प्रदर्शित करना चाहते हैं ? एनसीआरवी की रिपोर्ट को भी झुठला रहे हैं एक तरफ कह रहे हैं कि हम अपराधों में कम हैं दूसरी तरफ बाद में एनसीआरवी की रिपोर्ट में कह देते हैं कि हम महिला अपराधों में हम नंबर वन पर पहुंच गए हैं. रेप के मामले में नंबर एक पर, गुमशुदगी के मामले में नंबर तीन पर, बच्चों के अपराधों के मामले में नंबर तीन पर, किसान आत्महत्या के मामले में नंबर तीन पर, कुपोषण के मामले में नंबर एक पर, आखिर आप इस प्रदेश को किस तरफ ले जाना चाहते हैं?
अध्यक्ष महोदय -- कृपया अब आप समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो यह भी चाहता हूँ कि आपने जो लिंगानुपात की बात की, आप पूरे प्रदेश के हर जिले के लिंगानुपात की मॉनिटरिंग करिए, कहां क्या स्थिति है आपको पता लग जाएगा. कई जिलों में लिंगानुपात ठीक है लेकिन कई जिलों में यह जबरदस्त रूप से कम हो रहा है. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ आंदोलन से हालांकि लिंगानुपात बढ़ा है लेकिन जितना धन इसके प्रचार-प्रसार में खर्च करते हैं, जितना ब्रांडिंग में खर्च करते हैं, उतना अगर वास्तव में बेटियों के विकास में लगाते तो इस प्रदेश की बेटियां ज्यादा सुरक्षित रहतीं.
अध्यक्ष महोदय, अभी इसमें कई तथ्य हैं, मैं मानता हूँ कि आरोपी पकड़े गए, पर कई ऐसे लीगली तथ्य रह गए हैं, जैसा कि डॉक्टर साहब ने कहा कि जिन पुलिस अधिकारियों की लापरवाही रही है, उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपने धारा-166 के तहत प्रकरण कायम क्यों नहीं किए ? ऐसी महिलाओं को, पीड़िताओं को आपने सरकारी लाभ क्यों नहीं दिया ? अध्यक्ष महोदय, ऐसी कई चीजें रह गई हैं तो हमारा आपसे निवेदन है कि हमारे स्थगन प्रस्ताव को आप ग्राह्य करें और जब आप इसे ग्राह्य करेंगे तो इस पूरे प्रदेश की पुलिस व्यवस्था और सरकार का चेहरा हम इस प्रदेश के सामने ले आएंगे, इसलिए इस स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य करें. आपने समय दिया, इसके लिए धन्यवाद.
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्तमान सरकार ने जब एक नया रिश्ता लड़कियों के साथ जोड़ा कि प्रदेश के मुखिया की प्रदेश की हर लड़की भांजी है तो लड़कियों ने सोचा कि अब हमारी सुरक्षा की व्यवस्था अच्छी होगी. लेकिन मुझे यह बताते हुए भी शर्म आ रही है कि हम बलात्कार के मामले में नंबर-एक पर पहुँच गए हैं. जब मामाजी नहीं थे तब हम इससे अच्छे थे, हम शांति के टापू में रहते थे. लड़कियां घर से निकलती थीं तो उनको व्यवस्था मिलती थी, उनके घर के लोग उनकी मदद करते थे या नहीं करते थे, लेकिन उनके साथ ऐसा भेदभाव नहीं होता था. वर्तमान व्यवस्था तो ऐसी होती चली जा रही है कि आप खुलेआम कोई नया कानून बनाना चाहते हो, नया कानून बना दो, (XXX) अगर ऐसा कोई कानून बनाओगे तो निश्चित ही बलात्कार की घटनाएं मध्यप्रदेश में शून्य होकर रह जाएंगी. लेकिन आप लोगों की सोच उस तरह की नहीं है. आप उस तरह का काम नहीं करना चाहते हैं, आप चाहते हैं कि कोई जरा सी भी बात हुई, मंत्री जी को जरा सी छींक भी आई तो उसका विज्ञापन अखबार में आना चाहिए.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, संवैधानिक सदन है, यहां पर संविधान से संबंधित नियम-कायदों पर चर्चा होनी चाहिए. यह शरीयत के कानून का उदाहरण देने की क्या आवश्यकता है. यहां शरीयत के कानून से क्या आशय निकलता है. इसे कार्यवाही से निकाला जाए.
अध्यक्ष महोदय -- इसे कार्यवाही से निकाल दें.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत स्वतंत्र हो गया है, डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने संविधान बना दिया है.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, जब आप बलात्कार के मामले में सजा से संतुष्ट नहीं हैं कि 5 साल सजा हो, 10 साल सजा हो, 15 साल सजा हो, अब आप उसको फांसी में बदल रहे हैं तो (XXX) क्या मालूम क्या हो गया. मैं यह तो नहीं कह रहा हूँ कि लागू करो, मैं तो यह कह रहा हूँ कि इस किस्म के कानून बनने चाहिए जिससे आसानी हो.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, शरीयत में तो बहुत कुछ बातें कही गई हैं, वह भी तो मानो.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मुझे मालूम है कि आज जितने लोग मुझे बोलने नहीं दे रहे हैं, बीच में बोलने का काम कर रहे हैं, वे मुख्यमंत्री की नजर में अपनी वेल्यू बढ़ाना चाहते हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- अध्यक्ष महोदय, वह तो पूरा हिंसक है, हाथ काट दो, सिर काट दो, कान काट दो, वगैरह वगैरह कर दो. संविधान से तो तुलना गलत है.
अध्यक्ष महोदय -- वह विलोपित कर दिया है.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि विलोपित करने का तो आपको यह अधिकार है कि शाम को यह कह दो सारी कार्यवाही विलोपित कर दी.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, सारी विलोपित नहीं करेंगे.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, आपने इतने दिनों तक चर्चा नहीं करवाई, हमने आपका क्या कर लिया, हम तो फरियाद ही करते रहें, गिड़गिड़ाते ही रहें कि बेटियों के साथ बलात्कार हो रहा है, ग्रॉफ बढ़ रहा है, चर्चा करवा लो.
अध्यक्ष महोदय -- चर्चा करवा तो ली.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, आज ऊपर वाले ने आपको शक्ति दी कि आपने किसी रूप में इसको लिया. अगर पहले ही ले लिया होता तो बहुत अच्छी बात हो जाती. मुझे लगता है कि मेरी उस अपील ने, जो मैंने अपनी भाभियों से की थी कि भोजन बंद कर दो, उसका असर हुआ और आप लोगों को घर पर धमकियां मिलीं जिससे आपने इसको चर्चा के लिए लिया.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि वे कृपया यह बताएं कि भोपाल में बलात्कार की तकरीबन 12-15 घटनाएं हुई हैं. एक घटना यह है कि एक महिला का शरीरिक शोषण करने के आरोप में इंदौर सीआईडी के डीएसपी पवन मिश्रा और उनके साले अनुज पाण्डे के विरुद्ध शाहपुरा थाने में केस पंजीबद्ध हुआ. अब मैं भोपाल की बात कर रहा हूँ कि महिला आरक्षक का शारीरिक शोषण करने के आरोप में पुलिस मुख्यालय की क्यूडी शाखा में पदस्थ सहायक उपमहानिरीक्षक श्री राजेन्द्र वर्मा के विरुद्ध जहांगीराबाद थाने में एफआईआर दर्ज हुई. महिला एसआई से 2014 में आर्य समाज मंदिर में झूठी शादी कर टीआई काशीराम पंचोले ने 2 वर्ष तक रेप किया. दिनांक 31 अक्टूबर, 2017 को हबीबगंज रेलवे स्टेशन के पास सामूहिक बलात्कार मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है. माह नवम्बर, 2017 को जहांगीराबाद निवासी डांस टीचर से गुनगा थाना के आरक्षक निश्चय सिंह तोमर व उसके एक साथी द्वारा रात्रि 12:30 बजे छेड़-छाड़ की गई. वर्ष 2017 में माह जनवरी से माह जून की स्थिति में भोपाल की महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के 253 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये. वर्ष 2017 में छेड़छाड़ की घटना से व्यथित होकर भोपाल की कुछ महिलाओं ने आत्महत्या की जिसके प्रकरण थानों में पंजीबद्ध हुये हैं. दिनांक 31 अक्टूबर को भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर सामूहिक बलात्कार के आरोपियों के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध किया गया. दिनांक 03 नवम्बर 2017 को भोपाल स्टेशन पर महिला दुष्कर्म की शिकार हुई. स्टेट बैंक गोविंदपुरा शाखा के मुख्य महाप्रबंधक द्वारा विधवा महिला को शादी का झांसा देकर कई बार बलात्कार किया गया. पिपलानी थाना के निवासी के. के. मनोहरन द्वारा पटेल नगर, आनंद नगर की महिला के साथ दुष्कर्म किया गया. खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम के एजीएम राजेश शिवा द्वारा संविदा महिला कर्मचारी के साथ ज्यादती के आरोप में दिनांक 29 नवम्बर 2017 को थाना एमपी नगर द्वारा गिरफ्तार किया गया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, विशेष उल्लेखनीय यह है कि सत्तापक्ष महिलाओं के प्रति सजग नहीं है. संभवत: इसी कारण प्रदेश में जानबूझकर क्राइम एण्ड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एण्ड सिस्टम (सीसीटीएनएस) की स्थापना नहीं की जा रही है. इन प्रकरणों में एफआईआर कर ली और सरकारी अधकारी/कर्मचारियों के खिलाफ पंजीबद्ध किये गये प्रकरणों को दबाये रखने का क्या कारण है ? यदि आप हमारा स्थगन ग्राह्य करेंगे तो हम बताएंगे कि किस तरीके की लापरवाही हुई है और कहां-कहां ऐसी घटनाएं हुई हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरा शहर ऐसा शहर है जहां रात में भी बेटियां आराम से घूमती थीं. उनके साथ कोई छेड़छाड़ करने वाला नहीं था. आज ऐसी घटनाएं जिन पर एफआईआर दर्ज हो गई हैं और जिन पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई हैं, उनके कारण बेटियों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है. हम यहां आते हैं और चर्चा करते हैं. हम घर में जाते हैं, हमारी बेटियां अखबार पढ़ती हैं या टीवी देखती हैं, तब उनके सामने बैठने में हमें शर्म आती है कि हम जिस शहर की नुमाइंदगी करते हैं वहां पहले बेटी को, बेटी के रूप में देखा जाता था, वहां आज बलात्कारी उसको बुरी नज़र से देख रहे हैं. यहां पर कानून व्यवस्था कुछ नहीं है. हर थाने में जुएं-सट्टे, चरस, अफीम, गांजा तस्कर हैं. प्रापर्टी के मामले में योजनाबद्ध तरीके से अपराध करते हैं. बड़े-बड़े वीवीआईपी लोग प्लाटों की रजिस्ट्री कराने के नाम पर ठग रहे हैं. उन पर कोई अंकुश नहीं लग रहा है. इसीलिये अपराध बढ़ रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं है कि उनमें कुछ महिलाएं ऐसी हैं जिनको इन धंधों में शामिल करने की योजना बनाई जा रही है और वे इस योजना में शामिल नहीं हो रही हैं तो उनके खिलाफ ऐसे अपराध पंजीबद्ध किये जा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, आपकी अपनी जिम्मेदारी है, मंत्री जी की अपनी जिम्मेदारी है, बीजेपी की अपनी जिम्मेदारी है, मेरी अपनी जिम्मेदारी है और हम सब मिलकर यदि ईमानदारी से इस बढ़ते हुये अपराध को खत्म करने की कोशिश करें तो निश्चित ही सफलता मिलेगी. अगर कोई विपक्ष का विधायक शिकायत कर रहा है कि यहां पर जुआं, सट्टा हो रहा है या यहां पर शराब बिक रही है, तो उसको यह कहा जाता है कि देख लेना हो सकता है कि पब्लिसिटी के लिये शिकायत कर रहा हो.
01.19 बजे,
{ उपाध्यक्ष महोदय ( डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए }
उपाध्यक्ष महोदय, यदि इस किस्म की घटनाएं बढ़ती हैं तो हम बहुत परेशान हो जाएंगे. शांति का टापू मध्यप्रदेश और भोपाल कहलाता था, उसमें आज आग लगी हुई है. लोग बेटियों को घर से अकेले निकलने नहीं दे रहे हैं. कोई शादी ब्याह में जाता है तो पूरा परिवार बेटियों को साथ लेकर जाता है कि साथ चलो और साथ में ही आना. यह सब क्यों हुआ ? (XXX) पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर साहब बेचैन हो रहे हैं. अपनी कुर्सियों का और कितना ग्राफ बढाएंगे ? अब तो ढाल की ओर हैं, ढाल पर गाड़ी जा रही है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि इस पर सख्त कानून बनवाइये और स्थगन को ग्राह्य करके हमको मौका दीजिये कि अपराधियों के विरुद्ध लेट एफआईआर लिखने की, उनको बचाने के लिये, आप टेलीफोन की जांच करा लीजिये कि कौन-कौन से विधायक, कौन-कौन से मंत्री ने, कौन-कौन से अधिकारियों ने उनको बचाने के लिये टेलीफोन से दबाव डाला. टेलीफोन के रिकार्ड से आपको मालूम हो जाएगा कि इनका टेलीफोन कौन से अधिकारी के पास गया. अगर आप इसको करने में सफल हो गये तो हमें लगता है कि दिल से आप बेटियों को भांजी मानते हैं, दिल से आप मामा बनना चाहते हैं. भांजियों के साथ, बेटियों के साथ अगर इस किस्म के बलात्कार होते रहे तो काहे के मामा, काहे के पिता और काहे के भाई ? अगर इज्जत लुट जायेगी, तो फिर बचेगा क्या. अगर किसी महिला की एक मर्तबा इज्जत लुट जाती है, तो वह समाज में मुंह दिखाने के काबिल नहीं होती है और आज कल तो हमारी जिम्मेदारी ऐसी बढ़ गई है कि जरा सी कोई घटना हुई, उस लड़की के घर के भाई के, बाप के, सब के मतलब फोटो छाप दो. उनके बयान ले लो और उसके बाद उनको समाज में ऐसा कर दो कि वह निकल ही नहीं पायें. मंत्री जी, उसको भी रोकने के लिये आप कुछ उपाय करिये, इस किस्म की घटना को कब तक छुपा कर रखें, कितने दिन बाद बतायें और ऐसी योजना बनाइये, हर थाने में ऐसी व्यवस्था करिये कि जो इस किस्म के बलात्कार की, छेड़-छाड़ की रिपोर्ट नहीं लिख रहे हैं, उनके खिलाफ आप उनको सस्पेंड करने का कम से कम कानून तो बना दीजिये. अगर महिला ने या किसी ने जाकर फरियाद की और अगर 3 घण्टे के अंदर उसकी रिपोर्ट, एफआईआर सामने नहीं आई, तो 3 घण्टे बाद एफआईआर हो जाना चाहिये. यह नहीं देखना चाहिये कि यह कौन से थाने का मामला है. पुलिस तो मध्यप्रदेश की है. आप जीरो पर कायमी कर लो और दूसरे थाने में भेज दो. अगर आप ऐसा करेंगे तो निश्चित ही सफलता मिलेगी. उपाध्यक्ष महोदय, मुझे उम्मीद है कि इस स्थगन को आप ग्राह्य करेंगे, जिससे हम इस संबंध में और तथ्य आपके सामने रख सकेंगे. धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) -- उपाध्यक्ष महोदय, विषय है महिला सुरक्षा का और मध्यप्रदेश में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के संबंध में स्थगन को स्वीकार किया जाये या नहीं किया जाये, इस पर चर्चा है. मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन संबंधी नियम 53. लोक महत्व के विषयों पर स्थगन प्रस्ताव. नियम 53 में यह लिखा है कि- " उन नियमों के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, अविलम्बनीय लोक-महत्व के किसी निश्चित विषय की चर्चा के प्रयोजन से सभा के कार्य को स्थगित करने का प्रस्ताव अध्यक्ष की सहमति से किया जा सकेगा." सवाल इस बात का है कि क्या यह लोक महत्व का विषय है कि नहीं है, इस पर हम लोग चर्चा कर रहे हैं और इसमें स्थगन स्वीकार होना चाहिये कि नहीं. पहला हमारा बिन्दू यह है कि यह सबसे महत्वपूर्ण इसलिये भी है कि सरकार के पक्ष से मुख्यमंत्री जी या मंत्री जी, सरकार का कोई नुमाइंदा खड़ा होकर यह नहीं बोला कि हम स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं और खुले मन से महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्यचार के संबंध में इस सदन को विचार करना चाहिये, खुली चर्चा होनी चाहिये. सरकार आज तक और अभी भी मौन है, जबकि 3 दिन से निरन्तर यह चर्चा चल रही है. तो इससे बड़ा टेस्ट और कोई नहीं हो सकता है कि यह अविलम्बनीय लोक महत्व का विषय है, क्योंकि सरकार अपने आप में भयभीत है और इसको चर्चा के लिये स्वीकार करने के लिये तैयार नहीं है. दूसरा हमारा कहना है..
उपाध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, अभी आपने निर्णय कर लिया कि सरकार तैयार नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, तीन दिन से हल्ला हो रहा है. मंत्री-गण ने एक शब्द भी नहीं कहा.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप स्थगन की ग्राह्यता पर चर्चा कीजिये. तो विचार होगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, चर्चा हो ही रही है. इसके पहले भी चर्चा आई है. यह सदन इसी मामले पर स्थगित हुआ है, लेकिन सरकार के पक्ष से कोई नुमाइंदा खड़ा नहीं हुआ कि हम इसमें चर्चा चाहते हैं. पूरा दिन सदन नहीं चला. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आगे कहना यह है कि..
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा) -- उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप बतायें. आप क्या कहना चाहते हैं. कोई आपका व्यवस्था का प्रश्न है, क्या है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- उपाधय्क्ष महोदय, मेरा अगर प्रश्न ठीक नहीं हो, तो आप मना कर देना. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा चार साल का संसदीय जीवन है. ..
डॉ. गोविन्द सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, इन्हें मालूम है कि व्यवस्था का प्रश्न क्या होता है. आप बतायें कि व्यवस्था का प्रश्न क्या होता है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- गोविन्द सिंह जी, आप तो सीनियर हैं, मैं तो आपके सामने चर्चा ही नहीं कर सकता. उपाध्यक्ष महोदय के माध्यम से मैं एक बात कहना चाहता हूं कि चार साल से हमने स्थगन प्रस्तावों की चर्चा को सुना. बड़े-बड़े विद्वानों को सुना, विपक्ष को भी सुना और सरकार को भी सुना. लेकिन आज मैंने पहली बार सरकार के गृह मंत्री जी, आदरणीय भूपेन्द्र सिंह जी ने जो विपक्ष को कहा कि इस स्थगन का हम स्वागत करते हैं, हमने यह-यह किया है और जो भी आप सलाह देंगे, उसमें हम सुधार करने के लिये तैयार हैं. मैंने ऐसा सरकार का जवाब पहली बार सुना. मैं सदन से यह आग्रह करना चाहता हूं कि इसके लिये पूरे सदन को धन्यवाद करना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठिये. तिवारी जी, आप अपना भाषण जारी रखें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय हमारे देश का एक संविधान है और संविधान में सभी के बारे में विस्तृत चर्चा की गई है. देश हित में, लोगों के हित में विस्तृत रूप से चर्चा की गई है. लेकिन उपाध्यक्ष महोदय मैं यहां पर आपका और सरकार का भी ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि जहां तक महिला का प्रश्न है राज्यों को विशेष अधिकार सौंपे गये हैं, केवल इसलिए की महिलाओं की सुरक्षा का संविधान भी विशेष ध्यान रखना चाहता है, यह हमारे संविधान की मंशा है, लेकिन बड़ा दुर्भाग्य है कि हमारी सरकार भारत के संविधान पर भी लगता है विश्वास नहीं करती है. मैं यहां पर पढ़कर सुनाना चाहता हूं कि अनुच्छेद 15 (3) NOTHING IN THIS ARTICLE PREVENT STATE FROM MAKEING ANY SPECIAL PROVISION FOR WOMEN AND CHILDREN , महिलाओं और बच्चों के लिए पर्याप्त छूट है राज्य सरकार को, यह कोई भी स्पेशल प्रोविजन बना सकते हैं.
श्री कैलाश चावला -- इसी सत्र में एक विधेयक लाया जा रहा है उसमें दण्ड का प्रावधान है उसके बाद में आप इस तरह का आरोप कैसे लगा रहे हैं कि सरकार ध्यान नहीं दे रही है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- महिलाओं और बच्चों के हित के लिए राज्यों को विशेष अधिकार दिये गये हैं. मेरा यह कहना है कि अविलंबनीय विषय कब माना जायेगा. जब हमारे संविधान का निर्माण हुआ है उस समय इस विषय को महत्वपूर्ण माना गया है, इसीलिए इसमें अलग से प्रावधान महिलाओं के लिए किया गया है लेकिन संविधान तो हमारा मानता है पर हमारी मध्यप्रदेश की सरकार मानने को तैयार नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय आगे मेरा यह कहना है मैंने एक किताब देखी थी. मैंने यहां पर मांगने की बहुत कोशिश की है लेकिन वह मिली नहीं. मुख्यमंत्री जी का विजन 17 और 18 मैंने कहीं देखी है वह आज मेरे पास में उपलब्ध नहीं है. मैं सत्तापक्ष के सभी मंत्रियों और विधायकों को कहना चाहता हूं कि उसको जरा देख लें, उसमें महिलाओं की सुरक्षा के बारे में कतई कोई चर्चा नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने महिलाओं के संबंध में उनकी सुरक्षा के संबंध में मध्यप्रदेश में बच्चियों के साथ महिलाओं के साथ बलात्कार न हो इस संबंध में किसी बात का उसमें जिक्र नहीं किया गया है, इस संबंध में उसमें कोई चिंता नहीं है. आगे मैं कहना चाहता हूं कि पंजाब धान का कटोरा है. किसी राज्य को किसी विशेष बात के लिए पुकारा जाता है और कहा जाता है कि यह विशेषताएं उस राज्य की हैं और आज एनसीआर की जो रिपोर्ट है वह हमें विशेषता दे रहा है कि आज हिन्दुस्तान के सभी राज्यों के लोग कह रहे हैं कि मध्यप्रदेश बलात्कार का कटोरा है, पंजाब अगर धान का कटोरा है तो हमारा मध्यप्रदेश बलात्कार का कटोरा है, वह रिपोर्ट बता रही है कि हमारा प्रदेश बलात्कार का कटोरा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप थोड़ा विषय पर भी आ जायें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय विषय क्या है स्थगन स्वीकार किया जाय या नहीं, विषय गंभीर है या नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय --आपने पर्याप्त बात कह ली है. आपने पृष्ठ भूमि बना ली भूमिका बना ली.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- विषय तो मालूम है कि पूरे मध्यप्रदेश में बलात्कार बड़ी संख्या में हो रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग‑- माननीय उपाध्यक्ष महोदय मेरा निवेदन तिवारी जी से है कि इस तरह की कोई शब्दावली को अगर हम प्रदेश के साथ जोड़ेगे तो यह सदन को भी गंभीर रहना चाहिए, आप भी यहां के नागरिक हैं हम भी यहां के नागरिक हैं हम यहां पर केवल ऐसा राजनीतिक रूप से या कल पेपर में हम छप जायें ऐसा न हो इस शब्द को कार्यवाही से निकालें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - क्या रिपोर्ट बोल रही है?
श्री विश्वास सारंग - उपाध्यक्ष महोदय, इसको कार्यवाही से निकालना चाहिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - एनसीआर की रिपोर्ट क्या बोल रही है? आप क्या कहेंगे?
श्री विश्वास सारंग - उपाध्यक्ष महोदय, उसको कार्यवाही से निकलिए. उपाध्यक्ष महोदय, कहा गया है कि - 'लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई.' हम ऐसा कुछ न करें कि हमारे प्रदेश के साथ यह अलंकरण जुड़ जाए. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा विनम्र निवेदन है कि यह कार्यवाही से निकालना चाहिए.
श्री सचिन यादव - आप जिम्मेदारियों से क्यों भाग रहे हैं?
श्री विश्वास सारंग - उपाध्यक्ष महोदय, यह जिम्मेदारी की बात नहीं रहेगी. हम हमारे प्रदेश को अच्छे के लिए याद करें. यहां पर बहुत अच्छी बातें भी हो रही हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि इस तरह के कोई भी अलंकरण इस सदन में दिये जाते हैं, यह ठीक परंपरा नहीं रहेगी, यह मेरा आपसे निवेदन है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - उपाध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि दिल्ली में एक बलात्कार की घटना घटी, उस पर विस्तृत चर्चा हम नहीं करना चाहते हैं. उस पर जस्टिस वर्मा कमेटी बैठाई गई. उस जस्टिम वर्मा की रिपोर्ट को अगर मध्यप्रदेश की सरकार ने पढ़ने की थोड़ी भी तकलीफ उठाई होती तो संभवतः बड़ी तेजी से मध्यप्रदेश के अंदर बलात्कार की घटना कम हो गई होतीं. माननीय गृह मंत्री जी ने यहां पर कहा है. ये बातें कही हैं, लेकिन उन बातों में दम नहीं है, इसलिए दम नहीं है क्योंकि अगर वे गंभीर हैं कि मध्यप्रदेश में बलात्कार न हों तो क्या आपने जस्टिस वर्मा की रिपोर्ट को पढ़ा नहीं, जिसमें हिन्दुस्तान में बलात्कार के कानून में परिवर्तन आ गया? केन्द्र सरकार ने उस रिपोर्ट के आधार पर पॉर्लियामेंट में नया कानून बना दिया और हमारे मध्यप्रदेश की सरकार सो रही है, उस रिपोर्ट को भी आज तक पढ़ा नहीं. शॉर्ट में दो लाइन हम बता देना चाहते हैं. पुलिस रिफॉर्म के बारे में जस्टिस वर्मा की जो रिपोर्ट है, वह हम पढ़कर सुनाना चाहते हैं.
"The Committee has recommended certain steps to reform the police. These include establishment of State Security Commissions to ensure that state governments do not exercise influence on the state police. Such commissions should be headed by the Chief Minister or the Home Minister of the State. The Commission would lay down broad policy guidelines so that the police acts according to the law. A Police Establishment Board should be established to decide all transfers, postings and promotions of officers. Director General of Police and Inspector General of Police should have a minimum tenure of 2 years."
उपाध्यक्ष महोदय, यह सिफारिश हुई है. क्या इस सिफारिश को लेकर मध्यप्रदेश में कोई कमेटी बनी है? उपाध्यक्ष महोदय, माननीय गृह मंत्री जी का मैं ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. आज तक कोई कमेटी मुख्यमंत्री या गृह मंत्री की अध्यक्षता में बनी नहीं है, जिस संबंध में पुलिस रिफॉर्म के बारे में विचार किया गया हो? मेरा कहना है कि कौन-सी कमेटी बनी है? कटनी में एक ईमानदार एसपी जो भ्रष्टाचार को पकड़ रहा था, गौरव तिवारी. रातों-रात गौरव तिवारी को भ्रष्टाचार न पकड़ा जाए, इसके लिए उसका तबादला कर दिया, उसको छिंदवाड़ा पहुंचा दिया गया और एक चहेते एसपी को ले जाकर कटनी में ट्रांसफर कर दिया गया. यह पुलिस रिफॉर्म है मध्यप्रदेश में? जस्टिस वर्मा अपनी बात कह रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - अब आप कृपया समाप्त करें.
श्री कैलाश चावला - उपाध्यक्ष महोदय, चर्चा स्थगन पर हो रही है कि सामान्य बजट पर चर्चा हो रही है?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - उपाध्यक्ष महोदय, मैं स्थगन प्रस्ताव की ही बात कर रहा हूं. आप क्यों बौखला रहे हैं?
श्री कैलाश चावला - यह कौन-सी चर्चा हो रही है? यह कौन-सी चर्चा है? ऐसा लग रहा है कि सामान्य बजट पर भाषण हो रहा है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - उपाध्यक्ष महोदय, वह विषय पर नहीं आ रहे हैं.
श्री सचिन यादव - जस्टिस वर्मा की रिपोर्ट को सत्तापक्ष के लोग पढ़ लेते तो आज ये जो घटनाएं हैं वह नहीं होती.
श्री रामनिवास रावत - वह स्थगन प्रस्ताव से इसलिए संबंधित है कि आप राजनीतिक हस्तक्षेप से पुलिस का मनोबल गिरा रहे हैं और मनोबल गिराएंगे तो वह अपराधों पर अंकुश नहीं लगा पाएंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - उपाध्यक्ष महोदय, कभी अपराधों पर नियंत्रण नहीं होगा, यह मेरा कहना है. दूसरा, मेरा कहना है कि मिसिंग चिल्ड्रन्स, उन बच्चों के साथ बलात्कार हो रहा है, जिनका अता-पता आज तक सरकार नहीं जानती है. पांच साल की बच्ची, दो साल का बच्चा, छह साल का बच्चा कहां लापता है, उनको ढूंढ नहीं पा रही है, उनके साथ कितना बलात्कार हो रहा है, इस संबंध में भी क्या सरकार विचार करेगी?
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, मेरी बात का भी तो जवाब दे दीजिए. जो आप बोल रहे हैं वह आज दी गई सूचना की विषय वस्तु है? मेरी बात पूरी होने दीजिए. भूमिका बनाना भी जरुरी है. आपने पर्याप्त भूमिका बना ली है.
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- Not at all.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपने पर्याप्त भूमिका बना ली है. अब आप समाप्त करें.
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, नियम 53 पर चर्चा हो रही है. नियम 53 में यह उल्लेख है कि अविलंबनीय विषय है तो उस पर चर्चा होना चाहिए या नहीं?
उपाध्यक्ष महोदय-- उस विषय वस्तु पर बोलें.
डॉ राजेन्द्र पाण्डेय-- विषय से संदर्भित नहीं बोल रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, बैठ जायें. मैं खड़ा हूं.
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- सिर्फ दो मिनट में समाप्त कर रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- अगर दो मिनट में समाप्त कर देंगे तो मैं बैठ जाता हूं.
डॉ गोविन्द सिंह-- उपाध्यक्ष जी, निर्भया काण्ड में सुप्रीम कोर्ट से निर्देश जारी हुए हैं. और भारत सरकार और आपके पुलिस मुख्यालय ने भी निर्देश जारी किए थे.
उपाध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साब ! मेरा कहने का तात्पर्य है कि वह पर्याप्त भूमिका बांध चुके हैं और संबंधित विषयों पर चर्चा कर चुके हैं, प्रकाश डाल चुके हैं. दो मिनट में समाप्त करें.
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- उपाध्यक्ष जी, जो मिसिंग बच्चे हैं उसमें मध्यप्रदेश नंबर एक पर है. उसमें 3,4, 5 और 10 साल के बच्चे हैं, उनके साथ भी किसी बंद कमरे में बलात्कार हो रहा है. उसके लिए आज तक राज्य सरकार ने चिन्ता व्यक्त नहीं की. उनको भी इसमें जोड़ा जाये. मेरा कहना है अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष दो तरह के बलात्कार हो रहे हैं जिसमें हमारे प्रदेश की लड़कियां और लड़के हैं. उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी यहां के रोड्स की तुलना अमेरिका के रोड्स से करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब ये रोड्स इसमें कहां से आ गई !
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- रोड्स की तुलना अमेरिका से और यहां की बेटियों की क्या स्थिति है इसकी तुलना हिंदुस्तान के अन्य राज्यों से नहीं करेंगे, अमेरिका छोड़िये बहुत दूर है. क्या दूसरे राज्यों से हमें तुलना नहीं करना चाहिए. क्या यह हमारे प्रदेश की सरकार के लिए शर्म की बात नहीं है कि बलात्कार में हमारा नंबर एक का स्थान है. मध्यप्रदेश बलात्कार का कटोरा बन गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह बात आयी कि एक थाने से दूसरे थाने में पीड़िता और उसका परिवार भटकता रहा कि अपराध पंजीबद्ध किया जाये. क्या यह नियम नहीं है कि अपराधी किसी थाने में जाये तो ज़ीरो में उसकी कायमी होना चाहिए. मैं आपके माध्यम से गृह मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि ज़ीरो में कायमी क्यों नहीं हुई.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, थोड़ा अनुशासित हो जाईये. आप अपनी बात पर भी कायम नहीं रहते.
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- अंत में मेरा कहना है कि यह नितान्त अविलंबनीय लोक महत्व का विषय है. यह स्थगन स्वीकार होना चाहिए. इस पर चर्चा होना चाहिए. सरकार मध्यप्रदेश की जनता से, बेटियों से माफी मांगे. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर)-- उपाध्यक्ष महोदय, आपने स्थगन प्रस्ताव की ग्राह्यता पर चर्चा का समय दिया उसके लिए आपको धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय, हम पहली बार विधायक बने हैं. हमने इन चार साल में जो सीखा और समझा है कि स्थगन प्रस्ताव कब लाया जाता है. जब भी कोई महत्वपूर्ण विषय जो हम सबके लिए बहुत ज्यादा जरुरी है, इसकी चर्चा होना चाहिए उसको स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से विधान सभा में प्रस्तुत करें और सरकार उस पर निर्णय लेकर चर्चा करायें.
उपाध्यक्ष महोदय, पिछले चार वर्ष के अनुभव में जब भी स्थगन प्रस्ताव आयें हैं सरकार ने स्वीकार कर,चर्चा करायी है. लेकिन न जाने ऐसी कौन सी बात आ गई कि इन चार सालों में पहली बार स्थगन की ग्राह्यता पर चर्चा हो रही है. स्थगन लेने की बात तो बाद में है. ग्राह्यता की चर्चा के लिए भी पिछले तीन दिनों तक विधानसभा में गतिरोध रहा और उसके बाद आज ग्राह्यता पर चर्चा हो रही है. क्योंकि मध्यप्रदेश इस देश का हृदय स्थल है. भोपाल को हमेशा से शांति का टापू कहा जाता है और भोपाल जो कि मध्यप्रदेश की राजधानी है जहां पी.एच.क्यू. स्थित है. पुलिस के आला अधिकारी,मंत्री,मुख्यमंत्री रहते हैं. वहां गैंगरेप की घटना होती है तो निश्चित रूप से शर्म से सबकी आंखें झुक जाती हैं. अभी विश्वास भाई ने कहा जहां ऐसी घटना होती है तो ऐसी घटना से सत्ता पक्ष या विपक्ष की बात नहीं है, आम नागरिक को दुख होता है और उसको लगता है कि इस घटना से वह द्रवित हुआ है. जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सुरक्षा महत्वपूर्ण होती है. किसी की इज्जत महत्वपूर्ण होती है. जब उसकी सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लग जाता है या उसकी इज्जत के ऊपर खतरा आता है तो उससे दुखद घटना कोई नहीं हो सकती. जब घटना घटित हुई और घटना घटित होने के बाद क्यों कि एफ.आई.आर. नहीं लिखी गई. क्यों त्वरित कार्यवाही नहीं की गई. पुलिस मैन्युअल में जीरो पर कायमी की व्यवस्था है कि आप अपराध को शून्य पर कायम कर सकते हैं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) - उपाध्यक्ष जी, अब यह रिपीटीशन हो रहा है. अभी तिवारी जी ने यह कहा.
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, एक ही घटना पर सबको बात करना है उसमें नई बात क्या ले आएंगे.
श्री शैलेन्द्र पटेल - उपाध्यक्ष जी, आप जब कहेंगे मैं रुक जाऊंगा. उपाध्यक्ष जी, मैं कोशिश करूंगा कि अपनी बात में मैं कोई नई बात जोड़ने का प्रयास करूं. नीचे के अधिकारियों पर कार्यवाही हो जाती है. आई.जी. स्तर के अधिकारी पर कार्यवाही हो जाती है,डी.आई.जी. को क्यों छोड़ दिया जाता है. यह प्रश्न उठता है. भोपाल में सुरक्षा का जिम्मा डी.आई.जी. के ऊपर है. उनके ऊपर कार्यवाही नहीं हुई आई.जी. पर कार्यवाही हो जाती है नीचे के स्तर पर हो जाती है. यह भी प्रश्न उठता है. जब राजधानी ही सुरक्षित नहीं है, क्योंकि जब भोपाल में गैंगरेप की घटना हुई तो पूरे प्रदेश की हालत क्या होगी. उस घटना में सोशल मीडिया,इलेक्ट्रानिक मीडिया और अन्य मीडिया तथा जनप्रतिनिधि एक्टिव नहीं होते तो क्या वह रिपोर्ट लिखी जाती और कार्यवाही होती यह भी प्रश्न उठता है. इन सब बातों पर हम ग्राह्यता की चर्चा में दो-तीन मिनट में बात कर लेंगे. मुझे नहीं लगता है कि इस चर्चा में सारी बातें आ जायेंगी उसके लिये विस्तृत चर्चा होना बहुत जरूरी है. अपराध एक कारण से घटित नहीं होता है. अपराध एक शास्त्र है. अपराध के ऊपर इतना रिसर्च हुआ है. मानसिक,आर्थिक,सामाजिक ऐसे अन्य कई कारण हैं जिसके कारण अपराध घटित होते हैं. अपराधी ने किस मानसिकता से अपराध किया तो क्या वह सारी बातें ग्राह्यता की चर्चा में आ जायेगी. क्या पुलिस फोर्स पर्याप्त है. उसकी कमी की चर्चा अभी हो जायेगी. हम पुलिस पर उंगली तो उठा देंगे लेकिन किसी ने सोचा कि जितना पुलिस बल मध्यप्रदेश में होना चाहिये उतना पुलिस बल है. जो हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं. हमारे सत्ता पक्ष के ज्ञानी और विद्वान मंत्री और सभी लोग बैठे हुए हैं. वह कहते हैं हम कानून लेकर आ रहे हैं. क्या कोई भी अपराध दण्ड देने से रुकता है. अपराध रोकने के लिये अन्य दूसरे भी उपाय किये जाते हैं उस पर चर्चा कैसे होगी. क्या सिर्फ ग्राह्यता की चर्चा में सारी बातें आ जायेंगी. मैं ग्राह्यता पर ही बात कह रहा हूं. अगर आप विस्तृत चर्चा का मौका नहीं देंगे तो सारी बातें नहीं आ पायेंगी. विस्तृत चर्चा जब होगी तो हम जो विपक्ष के लोग हैं, हम कोई सुझाव बता सकेंगे जिससे इस प्रदेश की सुरक्षा में सहायता मिल सके. प्रदेश का हित हो सके. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा इस आसंदी से विनम्र निवेदन है कि इतने महत्वपूर्ण विषय पर आप विस्तृत चर्चा कराएं. पूर्व में जब कोई भी स्थगन प्रस्ताव आया तो सरकार ने तुरंत स्वीकार किया और तुरंत चर्चा कराई. न जाने कौन सी बात आ गई है जिसके कारण सरकार इस पर चर्चा कराने से बच रही है, शायद मुख्यमंत्री जी के बारह साल पूरे होने की बात है. यह आम चर्चा भोपाल में है कि मुख्यमंत्री जी के बारह साल पूरे हो रहे हैं इसलिये सरकार चर्चा नहीं करा रही है. यह आरोप आप अपने पर न लगने दें और उपाध्यक्ष महोदय, आप इस स्थगन को स्वीकार कर चर्चा कराएं. धन्यवाद.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज जब एनसीआरबी की रिपोर्ट में महिला उत्पीड़न, महिला अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश नंबर वन पर है, ऐसी स्थिति में यदि सदन में चर्चा नहीं होगी तो इस समस्या को, इस स्थिति को मध्यप्रदेश से कैसे उबारा जायेगा. आज कांग्रेस या बीजेपी की बात नहीं है, आज महिला उत्पीड़न, महिला बलात्कार के मामले को लेकर स्थगन की ग्राह्यता पर चर्चा हो रही है. महिला उत्पीड़न और बलात्कार के मामले में प्रदेश नंबर वन पर है, यह तो चिंता का विषय है ही, लेकिन इससे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उस स्थिति में नंबर वन पर है जब बलात्कार और अत्याचार के अधिकांश मामले दर्ज ही नहीं होते. ऐसी स्थिति में हमारा प्रदेश नंबर वन पर आया है और यदि सारे प्रकरण दर्ज होने लगें, सारी एफआईआर होने लगें तो यह आंकड़ा कहां लेकर जायेगा यह हमारे और इस प्रदेश के लिये भयावह स्थिति होगी. यह सच्चाई है कि आज जब बलात्कार का कोई मामला होता है और पीडि़ता थाने में एफआईआर कराने जाती है तो थानेदार की अपनी एक मानसिकता बनी हुई है कि यदि हमने देख लिया तो बलात्कार है और यदि नहीं देख पाये तो प्रेम संबंध है और यह बात मैं इसलिये कह रही हूं क्योंकि जब भी एफआईआर करने बलात्कार की जो पीडि़त बच्ची है या उनके माता-पिता जब भी बलात्कार की एफआईआर करने जाते हैं तो थानेदार सबसे पहले एफआईआर करने से मना करते हैं और क्या उनको बोलकर समझाते हैं कि आप एफआईआर मत करो, बदनामी होगी, समाज में आपका नाम उझलेगा, आपकी बेटी से विवाह कौन करेगा यह इस तरह की बातों से थानेदार उसको समझाने का प्रयास करता है. कई बार तो थानेदार की बात सुनकर एफआईआर लिखवाई भी नहीं जाती है और ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से इस सदन के अंदर इस विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा होनी चाहिये, स्थगन स्वीकार होना चाहिये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं जब विधान सभा में आई तो मुझे एक पत्रकार ने रोका और मेरे सामने वह माइक लेकर खड़े हो गये और उन्होंने मुझसे पूछा कि मैडम, महिलाओं को लेकर हमारे प्रदेश की सरकार एक कानून बनाने जा रही है, संशोधन करने जा रही है, केबिनेट में फैसला हो गया है तो आप इस विषय पर क्या कहना चाहती हैं ? मैंने उन पत्रकार से कहा कि कानून में जो संशोधन सरकार करना चाह रही है मुझे उस कानून का पूरा ज्ञान नहीं है इसलिये मैं इस विषय पर कुछ नहीं कहना चाहती. पत्रकार ने मुझसे कहा कि मैडम आप तो कांग्रेस की विधायक हैं, आप तो विपक्ष में हैं, आपको तो विरोध ही करना है. यह कौन सी बात होती है, पहले से ही मानसिकता हमने बनाकर रख ली है कि हम कांग्रेस के हैं और हम विरोध करेंगे और यह चीज मैं यहां पर इसलिये कह रही हूं कि जो मानसिकता पहले से तैयार रहती है उस मानसिकता को पालने का ही सबसे बड़ा उपाय आपको और हमको करना पड़ेगा, पक्ष विपक्ष की बात नहीं है, बात है महिलाओं के अधिकार की, उनके अत्याचारों में कमी लाने की. यदि आपने इतनी सारी व्यवस्थायें कर दी हैं, इतने सारे नियम बना दिये हैं, इतने सारे कानून बना दिये हैं तो फिर यह अपराध बढ़ क्यों रहे हैं. अपराधों में कमी आनी चाहिये न कि बढ़ने चाहिये. मैंने पत्रकार से केवल एक ही लाइन में कहा कि अब कानून में संशोधन करने से काम नहीं चलेगा, इस सरकार को बदलने से ही काम चलेगा, इस सरकार को बदलना ही पड़ेगा तब जाकर महिलाओं के भविष्य को लेकर आप और हम सही सोच पायेंगे. मैं इस विषय पर सदन के आप सभी सदस्यों से निवेदन करना चाहती हूं कि यह बहुत गंभीर विषय है और इस स्थगन को स्वीकार कर इस पर चर्चा निश्चित रूप से होना चाहिये. आपने मुझे बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघौगढ़)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछले 1 महीने में महिलाओं पर दुष्कर्म के जो हादसे हुये हैं यह पूरे मध्यप्रदेश में सबसे बहुचर्चित विषय बना है, लेकिन अगर हम पिछले 12 साल के क्राइम डेटा को भी देखें, इस समय महिलाओं पर दुष्कर्म के लगभग 50 हजार हादसे घटे हैं. लेकिन जो हादसा एक माह पहले 31.10.2017 को हुआ जहां पर एक 19 वर्षीय छात्रा के साथ गेंगरेप हुआ, उस हादसे के बाद पिछले एक माह में इस प्रदेश में चाहे वह पत्रकार हो, चाहे नेता हो, चाहे आम जनता हो, पूरे प्रदेश के जो छात्र-छात्रायें है वह भी सड़क पर घटना के विरोध में उतर आये थे. इस हादसे की सबसे गंभीर और बड़ी बात यह है कि यह हादसा भोपाल के बीच शहर में हुआ. वह छात्रा शायद एमपी नगर में कोचिंग अटेड करती थी और आज सदन में जो लोग बैठे हुये हैं, सदन की दीर्घाओं में जो लोग बैठे हुये हैं उनको भी यह लगता है कि शायद कल हमारे परिवार से भी अगर कोई महिला, हमारी बहन-बेटी ऐसे भोपाल में घूम रही हैं तो वह भी ऐसी घटना का शिकार हो सकती है और वह पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, बलात्कार जो घटनाक्रम था उसके बारे में डॉ. गोविंद सिंह जी काफी विस्तार से बता चुके हैं. पूरा एक दिन घटना की एफआईआर दर्ज करने में लगा, इस मामले में मेडिकल करने वाली डॉ. ने बहुत विचित्र कारण बताते हुये ऐसा लिखा कि पूरा हादसा सहमति से हुआ, इस बारे में माननीय उच्च न्यायालय ने इस पर टिप्पणी की है कि यह पूरा हादसा एक त्रुटियों की त्रासदी है. It is tragedy of errors by the Government. उसके साथ साथ मै यह भी कहना चाहता हूं कि ऐसे मामलों में अगर हम पूरी जिम्मेदारी पुलिस पर डालें कि क्या पुलिस की ही पूरी गलती है ? पिछले सत्र में जो सीएजी की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी उसमें इस बात का उल्लेख था कि अभी पुलिस फोर्स में कम से कम 16,000 पद रिक्त पड़े हैं. यह भी बहुत बड़ा कारण है कि अपराधियों में जो भय पुलिस के प्रति होना चाहिये वह आज प्रदेश में नहीं है. उपाध्यक्ष महोदय, जब मंत्री जी इस स्थगन पर जबाव देंगे तो इस पर अवश्य प्रकाश डालें कि प्रशासन ऐसे क्या कदम उठायेगा जिससे कि हर थाने में, हर चौकी में जो पुलिस फोर्स की कमी है उसको पूर्ण क्या जा सके या उनकी पूर्ति करने के लिये यह सरकार क्या क्या कदम उठा रही है.
माननीय उपध्यक्ष महोदय, कुछ दिन के बाद में जो दूसरा हादसा हुआ था 3 या 4 नवम्बर, 2017 को जहां पर एक 12 साल की नाबालिक बच्ची के साथ में गेंगरेप हुआ था, यह घटना भी बहुत गंभीर थी और स्थगन की इस चर्चा में सिर्फ गृह विभाग ही क्यों, महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री को भी उपस्थित रहना चाहिये, क्या महिला एवं बाल विकास विभाग की इसमें जिम्मेदारी नहीं है ? उपाध्यक्ष महोदय, वह नाबालिग बच्ची 6 माह से रेलवे के प्लेटफार्म पर घूम रही थी. यह बात रिकार्ड में भी है कि हर वर्ष मध्यप्रदेश की सरकार लगभग 60 से 70 करोड़ रूपये बालिका गृह पर खर्च करती है. ऐसे बेसहारा नाबालिग बच्चे जो सड़क पर घूमते हैं उनका लालन पालन करने के लिये यह पैसा सरकार देती है. लगभग 100 से 200 के बीच में बाल गृह भोपाल में हैं लेकिन पिछले 6 माह में एक बार भी उस बेसहारा बालिका को मध्यप्रदेश के संबंधित विभाग के अधिकारी ने बाल गृह तक नहीं पहुंचाया. यह भी गंभीर बात है इस पर भी नोटिस मिलना चाहिये कि आज यहां पर महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री उपस्थित क्यों नहीं हैं.
उपाध्यक्ष महोदय- जयवर्द्धन सिंह जी, मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी होती है. .
श्री जयवर्द्धन सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, सामूहिक जिम्मेदारी तो होती है लेकिन क्या इतनी गंभीर चर्चा हो रही है तो उनको सदन में उपस्थित नहीं होना चाहिये था ? उपाध्यक्ष महोदय, सरकार ने 12 साल से कम आयु की बच्ची से रेप करने पर फांसी की सजा का जो बिल सदन के पटल पर रखा है, हां हम भी मानते हैं कि इस प्रकार से जो हादसे रोज हो रहे हैं उसके लिये आवश्यक है, तीन साल से लगातार मध्यप्रदेश ने एनसीआरबी के डेटा में नंबर वन पर हैट्रिक बनाई है.क्या सजा ही सब कुछ है.
उपाध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सरकार को इस मुद्दे का निवारण भी ढूंढना चाहिए और इसके लिये सरकार को अनेक कदम ऐसे उठाने चाहिए जिससे इस प्रकार के हादसे कम हों.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अंत में मैं यही कहूंगा कि श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने कुछ दिन पहले 12 साल बेमिसाल का जश्न मनाया था, जबकि इसी महीने में ऐसे हादसे की सबसे बड़ी चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है. मैं आपके माध्यम से यही पूछना चाहता हूं कि जो मुख्यमंत्री मामा के नाम से प्रसिद्ध है क्या ऐसे समय में उनको ऐसा जश्न मनाना चाहिए था ? मुझे लगता है कि यह एक बड़ा मुद्दा है. आज सरकार शर्मिंदा है या नहीं है, यह हम नहीं कह सकते हैं लेकिन आज पूरा समाज जरूर शर्मिंदा है और हम यही आग्रह करेंगे कि जो स्थगन हमने यहां पर प्रस्तुत किया है, वह ग्राह्य किया जाए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) :- (श्री रामपाल सिंह जी द्वारा अपने आसन पर बैठे-बैठे कुछ कहने पर) श्री रामपाल सिंह जी मुझे मालूम पड़ गया है कि सब चीज आप लोग ही तय करते हो. अब आप लोग यह भी तय करोगे कि मैं बोलूं या न बोलूं. तीन दिन से सिर्फ यही तय हो रहा था कि यह स्थगन चर्चा में लिया जाये कि नहीं लिया जाये. यदि इस गौरवशाली परंपरा को मध्यप्रदेश की विधानसभा को इसी तरह से आप खण्डित करते रहेंगे तो यह प्रांत किस जगह जा रहा है, यह कलंक आपके ऊपर भी लगेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक घटना 31 अक्टूबर को हुई, घटना के बारे में जिक्र हो चुका है. माननीय मंत्री महोदय ने कहा कि उस पर ज्यादा बातचीत नहीं होना चाहिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सवाल यह नहीं है कि घटना पर चर्चा हो, सवाल यह है कि यह प्रांत किस दिशा में जा रहा है क्या हम सिर्फ एक घटना हो जाए उसके बाद दो चार दिन अखबारबाजी हो और मामला खत्म हो जाए. किसी चीज की गंभीरता लेनी है या नहीं लेनी है इस पर कौन विचार विमर्श करेगा, माननीय गृहमंत्री महोदय, चर्चा इस विषय पर है. हमने स्थगन दिया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सामान्य रूप से इतनी बड़ी घटना वह भी राजधानी में हो जाए और उसके लिये सदन में चर्चा ग्राह्यता में आने पर तीन दिन लगे, इस संबंध में माननीय सुंदरलाल तिवारी जी ने बहुत सही बात कही थी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं थोड़ा पीछे जाना चाहता हूं 16 दिसंबर 2012 दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था और 23 दिसंबर को हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय के कार्यालय से उनकी संवेदनशीलता के ऊपर एक प्रेस नोट जारी हुआ था. संवेदनशीलता भी किस विषय पर की, कुछ छात्र-छात्राएं मुख्यमंत्री निवास पर 23 दिसंबर को गये थे, तब एक उच्चस्तरीय मीटिंग हो रही थी, तो पहले उनको कह दिया गया कि मुख्यमंत्री अभी उपलब्ध नहीं है. वह लोग निर्भया मामले पर आवेदन देने के लिये गये थे. मुख्यमंत्री को जानकारी मिली कि ऐसे विषय पर कुछ छात्र छात्राएं आये हैं, तब माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उनकी संवेदनशीलता पर एक प्रेस नोट जारी हुआ कि उन्होंने सभी काम छोड़कर छात्र छात्राओं को मुख्यमंत्री निवास पर बुलाकर उनसे चर्चा की. यह प्रेस नोट 7 बजकर 22 मिनट पर हुआ और 7 बजकर 34 मिनट पर, एक दूसरी प्रेस रिलीज़ मुख्यमंत्री कार्यालय से हुई, 'दुष्कृत्य, हत्या से भी बड़ा अपराध, मृत्युदण्ड हो सजा: मुख्यमंत्री श्री चौहान ने की कानून में संशोधन की मांग' माननीय, यह दिसम्बर, 2012 की बात है. दिसम्बर, 2012 से यह मांग मुख्यमंत्री महोदय ने क्या एक बार भी यह बात तत्कालीन केन्द्र सरकार में कही थी या लिखित भेजा था, संशोधन की मांग की थी, वे प्रधानमंत्री या गृह मंत्री से मिले थे, नहीं. 2014 में नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने, 2014 से लेकर आज तक मुख्यमंत्री महोदय इतने पीडि़त हुए थे तो क्या नरेन्द्र मोदी जी से मांग की थी कि इस कानून में संशोधन होना चाहिए, नहीं. 5 वर्ष में हमारे शिवराज सिंह चौहान जी की संवेदनशीलता समाप्त हो गई. 31 अक्टूबर को घटना भोपाल में क्या हो गई कि आनन-फानन में कानून बना दो. अध्यादेश आज ही के दिन में लगा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह है संवेदनशीलता का परिचय. माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने, जो उनका प्रेस नोट, उनके कार्यालय से निकला था. उन्होंने दुष्कृत्य एवं छेड़खानी की घटनाओं के प्रभावी रोकथाम को सुनिश्चित करने के लिए आज अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक बुलाई एवं अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए बैठक में कड़े फैसले लिए गए. इन फैसलों में छेड़खानी तथा दुष्कृत्य करने वालों को शासकीय नौकरी से वंचित करने की बात कही है, प्रकरणों के शीघ्र निराकरण के लिए हर जिलों में फास्ट ट्रेक कोर्ट बनाने जैसे निर्णय शामिल हैं एवं उन्होंने कहा कि कड़ी सजा का प्रावधान करने के लिए राज्य द्वारा भी आवश्यक कानून बनाए जाएंगे. ऐसे प्रकरणों में, पुलिस विवेचना में तेजी तथा 24 घण्टे के भीतर अनिवार्य चिकित्सीय प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के नियम बनाये जाएंगे. शहरों के भीड़ भरे इलाकों तथा सार्वजनिक स्थलों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए. 24 तारीख को तत्कालीन गृह मंत्री, हमारे वर्तमान संसदीय कार्यमंत्री ने एक बैठक बुलाई और उस बैठक में गृह मंत्री ने महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए. वही बात उमाशंकर गुप्ता जी ने कही और अधिकारियों की बैठक ली कि चौराहों पर सीसीटीव्ही कैमरे लगाए जाएं, कॉल सेन्टर की स्थापना की जाये, अतिशीघ्र कार्यवाही करें. उन्होंने यह तक कहा कि महिलाओं के साथ छेड़खानी रोकने के लिए सभी जिलों में विशेष कार्य दल बनाकर कार्यवाही की जाये. यह 5 वर्ष पहले की बात है. आज के अखबार की हेडलाइन क्या है ? आज के अखबार की हेडलाइन यह है कि भोपाल में अभी भी चिन्हि्त किया जा रहा है कि कौन-सी जगह डार्क स्पॉट हैं और कौन-सी जगह हॉट स्पॉट हैं? राजधानी में यह हालत है. अभी राजधानी में यह तय नहीं हो पाया है कि सीसीटीव्ही कैमरे कहां लगाये जायें ? कहां-कहां पर पुलिस की गश्त ज्यादा अच्छी तरह से हो ? लेकिन हास्यास्पद बात यह है कि भोपाल वाली घटना के बाद, एक मंत्री महोदय ने यह कहा कि कोचिंग क्लास 7 बजे बन्द हो जाना चाहिए. सवाल यह है कि मामला गम्भीर नहीं है या गम्भीरता से लिया नहीं जाता है. हमारे मुख्यमंत्री महोदय को सिर्फ और सिर्फ अखबार में किसी घटना के बाद खबर छापना होता है. उन्होंने कह दिया कि मृत्युदण्ड हो 2012 से अभी तक क्यों सोये रहे, अभी तक क्यों संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई?
02:05 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
यदि यह घटना नहीं होती तो क्या इस तरह की बात फिर से करते, क्या यह अध्यादेश लाने का प्रयास करते, इसी में पूरे मामले में यह सरकार की नीयत पर प्रश्नचिन्ह लगता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि पिछले पांच सालों में कितने स्थानों पर भोपाल राजधानी में ही सीसीटीवी कैमरा लगे. मैं पूछना चाहता हूं उमाशंकर गुप्ता जी इसी शहर के विधायक है, तत्कालीन गृह मंत्री, आप ही का निर्देश था कि कॉल सेन्टर रहे.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अजय भैया, मैं इस पर नहीं बोल रहा हूं, आपने मना किया है कि मैं नहीं बोलूं(...हंसी)
श्री अजय सिंह - आप निश्चिंत होकर बैठे रहे. अध्यक्ष महोदय, कितनी जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगे, पिछले पांच साल में कितने ड्रायविंग लायसेंस रद्द हुए ऐसे दुष्कर्मी लोगों के? मैं बहुत लंबा चौड़ा सरकारी उत्तर माननीय गृह मंत्री जी का सुन रहा था कि हम यह करने वाले हैं, हम इस तरह से करेंगे, जो पांच साल पहले किया वह अभी तक नहीं किया तो फिर से वही रटी-पटी बातें आ गईं. बहुत बड़ी जबावदारी है शिवराज सिंह के ऊपर, पूरे प्रदेश की महिलाओं के भाई हैं वह, मेरा छोटा भाई तो है ही. ऐसे जब दुष्कर्म होते हैं और उनका आदेश होता है उस आदेश के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होती है, तो इस पर उनके ऊपर अब सवाल उठने लगा है कि सही में हमारा भाई है या क्या है? उस समय मुख्यमंत्री जी ने एक चीज और कही थी कि इस तरह की घटनाएं जो बड़े शहर है मध्यप्रदेश में उसको प्रभावी ढंग से रोकने के लिए हम पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लाएंगे, यह 2014 के बजट सत्र में उन्होंने भाषण दिया था, याद कर लीजिए 2014 में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम भोपाल और इंदौर में प्रारंभिक रूप से चालू होने वाला था. 2014 से 2017 तक पुलिस कमिश्नरी तो छोड़ दीजिए पुलिस की बात नहीं हो रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मूल जड़ क्या है? मूल जड़ है, राजनीतिक हस्तक्षेप, राजनीतिक हस्तक्षेप जब तक समाप्त नहीं होगा, इस तरह की घटनाएं बढ़ती रहेंगी और उसका एक उदाहरण देना चाहता हूं, (XXX) यह हमें और आपको और सदन को चिन्ता करना चाहिए. माननीय गृह मंत्री जी ने बड़े विनम्रता के साथ एक चीज कही कि हम लोग व्यापक चर्चा करें कि किस तरह ये यह रोका जाए, यदि इस तरह से रोका जाए तो सबसे पहले राजनैतिक हस्तक्षेप बंद हो, जो जस्टिस वर्मा कमीशन की रिपोर्ट थी, उसको लागू करों, पुलिस रिफार्म की जो बाते हैं वह सही तरीके से पालन हो. यदि हम अपने चहेतों को ही पदस्थ करते रहेंगे, उनके ऊपर वरदहस्त देते रहेंगे, तो क्या माननीय अध्यक्ष महोदय, एक पीडि़त बालिका का दुष्कर्म हुआ. उसके साथ तीन दुष्कर्म हुए. एक तो उस घटनास्थल पर, दूसरा उसकी रिपोर्ट न लिखे जाने पर, तीसरा जो मेडिकल रिपोर्ट हुई उसके आधार पर. एक महिला के साथ तीन बार दुष्कर्म हुआ. माननीय गृहमंत्री जी, कह रहे हैं कि चर्चा न करें. क्या चर्चा न करें उनके ऊपर क्या बीत रही होगी. माननीय रामनिवास रावत जी ने समाचार पत्र की कटिंग पढ़कर के बतायी कि मैं पीड़ित हूं, क्या कर लूं? मेरे पास भी बहुत सारी अखबारों की कटिंग्स हैं मैं उनके विषय पर नहीं जाना चाहता हूं. विषय यह है कि हम ऐसी घटनाओं के लिये संवेदनशील हैं कि नहीं हैं, हमारी इच्छाशक्ति है कि नहीं कि कुछ उसकी रोकथाम की जाए ? सिर्फ सदन की कार्यवाही हो गई विपक्ष ने स्थगन की सूचना दी हमने खूबी के साथ उसको अग्राह्य कर दिया और हम चले, चर्चा समाप्त. अगली कोई बड़ी घटना होगी फिर से हम चर्चा करेंगे, क्या इस विषय पर हम लोग यहां पर बैठे हैं ? इस पर ठोस कदम उठाने चाहिये. यह बात अलग है, जैसा कि तिवारी जी ने कहा कि क्राईम रिसर्च ब्यूरो की कल ही रिपोर्ट आयी कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा अपराध महिलाओं के साथ हुए हैं. देश में महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा अपराध हैं, लेकिन हम संवेदनशीलता खोते जा रहे हैं. घटनाएं हों उसको भूल जाओ. एक दिन अथवा दो दिन घटना का जिक्र अखबारों में रहेगा, काम खत्म. मध्यप्रदेश वह प्रदेश है जहां पर 20-25 साल पहले गांव में लोग बिना ताला लगाये घर से जाते थे मैं अपने जिले की बात कर रहा हूं. महीनों घरों से काम ढूंढने के लिये चले जाते थे, लेकिन किसी गरीब आदमी के यहां घर में ताला नहीं लगता था. अब हालात क्या हैं गांव-गांव में शराब बिकती है. यदि आप सुझाव ही सुनना चाहते हैं तो एक समय वह था जब पूरे देश में कहीं पर भी ऐसी हालत बनती थी जहां पर पुलिस की आवश्यकता पड़ती थी तो वहां पर मध्यप्रदेश का जवान जाता था. चाहे वह आसाम हो, डीआईजी श्री जौहर को तम्बू में जला दिया गया था अध्यक्ष महोदय, शायद आपको इसकी जानकारी हो या न हो. माननीय गृह मंत्री जी को भी मालूम हो अथवा न हो. मध्यप्रदेश के एक आई.पी.एस.अधिकारी को तम्बू में आसाम में नागा लोगों ने जलाया था. केरल में जब गड़बड़ी शुरू हुई थी तो मध्यप्रदेश के पुलिस के जवान गये थे. मध्यप्रदेश के पुलिस के जवान और अधिकारी मशहूर थे, लेकिन 14 सालों में इनका मनोबल इतना टूट गया है उनके ऊपर इतना राजनैतिक हस्तक्षेप है कि कोई शराब का धन्धा किये हुए है, कोई कुछ धन्धा किये हुए हैं उनको बचाने के चक्कर में कार्यवाही नहीं होने देते.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की पुलिस में 14 सालों से इतनी गिरावट क्यों ज्यादा आ रही है, क्योंकि उनकी भर्ती व्यापम से हो रही है. पहले पुलिस में भर्ती होती थी, उस समय पुलिस अधिकारी चिन्हित करता था कि यह लड़का दौड़-भाग में ठीक है कि नहीं अब तो एम.ए. एम.सी. में पैसा दो, भर्ती हो जाती है. सिपाही की परीक्षा में एम.ए. ,एम.एस.सी की क्या जरूरत है ? इसी से आप गंभीरता का पता लगा सकते हैं. मैं सुझाव दे रहा हूं, गृह मंत्री जी ने कहा है कि कुछ सुझाव दीजिये. अध्यक्ष महोदय, जब पोस्टिंग के लिये भी पैसे देने पड़ें, यह मैं नहीं कर रहा हूं, (XXX) यह मैं नहीं कर रहा हूं, यह पीड़ा कुछ उधर वाले लोग भी कहते हैं कि हमारे यहां का अधिकारी इसलिये नहीं सुनता है कि....
श्री अनिल फिरौजिया:- यह आरोप जबरदस्ती नहीं लगाओ.
श्री अजय सिंह:- ठीक है.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- अध्यक्ष जी, मध्यप्रदेश के गृह मंत्री के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगाया जा सकता है.
श्री अजय सिंह:- माननीय गृह मंत्री का तो कोई रोल ही नहीं है.
श्रीमती ऊषा चौधरी:- सरकार के ऊपर तो लगाया जा सकता है.
श्री अनिल फिरौजिया:- माननीय अध्यक्ष जी, सुझाव देने की बजाय यह 14 साल पहले की सरकार का गुणगान कर रहे हैं. अध्यक्ष जी, सुझाव नहीं दे रहे हैं, गुणगान कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जायें, नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे हैं.
श्री अनिल फिरौजिया:- वह सुझाव दें, गुणगान क्यों कर रहे हैं. हमारे पास भी हैं कि इन्होंने इनकी सरकार में क्या-क्या किया है.
श्री अजय सिंह :- 2018 तक रूक लो, यदि लौटकर आना तो बताना.
श्री अनिल फिरौजिया:- माननीय नेता जी, सौ प्रतिशत आ रहा हूं.
श्री अजय सिंह :- इसीलिये तो कहा कि जब आप आ जाओगे तो जब 2018 में हम ऊधर बैठेंगे तो सुझाव देना.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा:- मतलब पूरी कल्पना के साथ इधर आने के मूड में हैं.
श्रीमती ऊझा चौधरी:- अब तो सोचो मत, अब 12 साल गुजर गये हैं, वह जमाना नहीं रहा है, 14 साल नहीं बीतेंगे.
श्री गोपाल भार्गव:- शपथ के लिये बंद गले का कोट सिलवायेंगे या जाकेट में आयेंगे
श्री अजय सिंह :- मुझे सिलवाने की जरूरत नहीं है, मेरे पास पहले से है.
श्री रामनिवास रावत:- गोपाल भार्गव जी,आपसे तो यह उम्मीद नहीं की जा सकती, इस चर्चा में आप इस तरह से इंटरप्ट करेंगे, यह उम्मीद आपसे तो नहीं की जा सकती थी.
अध्यक्ष महोदय:- कृपया करके आप सभी लोग बैठ जायें.
श्री अनिल फिरौजिया:- अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष जी ने अगले बार आने की बात क्यों करी.
श्री अजय सिंह:- अध्यक्ष महोदय, दिक्कत यह है कि कुछ प्रभावशाली लोग यह भावना रख लें कि हम जो कुछ चाहें वह हो सकता है, तभी पुलिसिंग कमजोर होती है. यह पुलिसिंग कमजोर होने की वजह से ही यह घटनाएं हो रही हैं, मूल बात यह है. प्रदेश ग्राफ में बढ़ रहा है, इसका हमें भी दुख है हम भी प्रदेश के नागरिक हैं. हमें अच्छा नहीं लगता है कि कोई यह कहे कि मध्यप्रदेश में रेप की घटनाएं हो रही हैं. यह कोई तमगा नहीं मिल रहा है. लेकिन यह घटनाएं क्यों हो रही हैं, इस पर आप चिन्तन नहीं ही नहीं कर रहे हैं. यह ग्राफ क्यों बढ़ रहा है, जब आप इतनी अच्छी बात करते हैं तो उसका पालन भी करा दें, लेकिन वही बात है कि कथनी और करनी में. मुख्यमंत्री महोदय, बहुत अच्छी-अच्छी योजनाएं लाते हैं, हर तरह की बात होती है, छप जाती है आयोजन हो जाता है, भोजन-व्यंजन हो जाता है, लेकिन उसके बाद क्या होता है 60-60 लाख के तम्बू लग जायेंगे, बहुत अच्छी यात्रा हो गयी, सब हो गया. लेकिन बैसिक इश्यू ऑफ गवर्नेंस गड़बड़ा रहा है. इसलिये यह घटनाएं हो रही हैं. मैं घटना के ऊपर नहीं जा रहा हूं, लेकिन बैसिक प्राब्लम क्या है ? बेसिक प्रॉब्लम यह है कि राजनैतिक दख्लंदाजी बढ़ गई है और राजनैतिक दख्लंदाजी बढ़ने के कारण ये घटनायें हो रही हैं. क्या यह जरूरी है कि कोई महिला सी.एम.हाऊस में जाकर दस्तक दे तभी एफ.आई.आर. दर्ज हो. क्या यह जरूरी है कि कोई पीडि़त बालिका थाने-थाने भटके और ए.डी.जी. आयें तब रिपोर्ट दर्ज हो ? यह तो राजधानी की बात है. नीमच जिले में कौन सी.एम.हाऊस जायेगा, मंत्री जी के पास जायेगा या कौन ए.डी.जी. मिलेगा. सरकार का पुलिस पर नियंत्रण नहीं है. पुलिस का खौफ होना चाहिए. प्रशासन का खौफ अपराधियों में होना चाहिए लेकिन अब वह खौफ समाप्त हो गया है और इसलिए ये घटनायें हो रही हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में कुछ उदाहरण रखना चाहता हूं कि सरकार इस विषय पर कितनी गंभीर है ? अध्यक्ष महोदय, आपके होशंगाबाद जिले में एक बालिका के पिता महेंद्र शर्मा पुत्र हीरालाल शर्मा ने पुलिस को सूचित किया कि उनकी 19 वर्षीय भतीजी लापता है. अध्यक्ष महोदय, मैं यह बात आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- वह बच्ची मिल गई है. जयपुर के नारी-निकेतन में है. पुलिस ने ही उसे ढूंढा है.
श्री सुंदरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, पुलिस ने उसे कितने दिनों में ढूंढा ?
श्री अजय सिंह- अध्यक्ष महोदय, आपने कह दिया कि बालिका नारी-निकेतन में मिल गई. परंतु अध्यक्ष महोदय, वह बालिका कैसे मिली, क्या आप यह जानते हैं ? बालिका के पीडि़त परिवार ने टवेरा गाड़ी की और जयपुर तक गये. पुलिस अपने आप जयपुर तक नहीं गई. व्यवस्था पीडि़त परिवार को करनी पड़ी, उसके बाद कार्यवाही हुई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक दूसरा उदाहरण देना चाहूंगा. इंदौर की टिंवक्ल डोंगरे, 13 माह से लापता है. आज तक पुलिस उसका पता नहीं लगा पाई कि वह कहां गई. मैंने सिर्फ ये दो उदाहरण दे रहा हूं. इंदौर जो हमारी व्यावसायिक राजधानी है, वहां से एक महिला वो भी नेत्री लापता है. वह पहले बीजेपी में थीं, फिर कांग्रेस में थीं. मुझे नहीं मालूम वो बीजेपी में थीं कि कांग्रेस में थी. पिछले 13 माह से वह लापता है और अभी तक उसका पता नहीं चला है. मुझे जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार उस महिला का पता इसलिए नहीं चल रहा है क्योंकि इस प्रकरण के पीछे बड़े पावरफुल लोग हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे स्थगन की ग्राह्यता पर चर्चा हो रही है. महिला उत्पीड़न की बात है और मध्यप्रदेश की महिलाओं का भाई आज सदन से नदारद है. बच्चों का मामा, बहनों का भाई आज सदन में क्यों उपस्थित नहीं है, यह मेरी समझ से परे है. क्या उनको यह आभास था कि वर्ष 2012 की घटना हम उन्हें याद दिला देंगे. जब अखबारों में लिखा गया था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दहाड़ा कि ऐसा कानून बना देंगे. (XXX) और फिर वर्ष 2017 में एक घटना के बाद फिर से दहाड़ने लगे. अध्यक्ष महोदय, श्यामपुर जिला सीहोर से एक बालिका के पिता ने मुझे चिट्ठी दी कि मेरी पुत्री का अपहरण कर उसकी हत्या करने की आशंका है परंतु श्यामपुर पुलिस द्वारा कार्यवाही नहीं करके लीपा-पोती की गई. इस तरह के पत्र मेरे पास अनेक जिलों से आते हैं. मैं फॉरवर्ड कर देता हूं मुख्यमंत्री के यहां, डी.जी.पी. साहब के यहां. गृह मंत्री जी के यहां उत्तर तो आता नहीं है. सचिवालय से प्रिंटेड फार्म में कोई उत्तर आता है कि आपका पत्र प्राप्त हुआ. संबंधित विभाग में अधिकारी के पास भेज दिया गया है. अब हमें यह समझ नहीं आता है कि संबंधित अधिकारी के पास हम क्या पता लगाने जाएं. मंत्री महोदय ने सी.एम. हेल्पलाईन की बात कही इतने सारे प्रकरण दर्ज हुए लेकिन जो घटनाओं की सूची है 10 सितंबर 2017 से लेकर 25 नवम्बर तक 47 ऐसी सूचनाएं प्रदेश में और घटना के बाद 35 इसके ऊपर हम चर्चा किस तरह से करें.
अध्यक्ष महोदय-- नेता जी आप और कितना समय लेंगे.
श्री अजय सिंह-- अभी तो शुरू किया है.
अध्यक्ष महोदय-- आधा घण्टा हो गया है.
श्री अजय सिंह-- अभी आधा घण्टा नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने 1.56 पर बोलना प्रारंभ किया था. मैंने सिर्फ आपसे पूछा है कि आप कितना समय लेंगे.
श्री अजय सिंह-- जितना समय आप देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- जितना हो सके कम से कम समय लें.
श्री अजय सिंह-- तो मैं बैठ जाता हूं. यह जो चर्चा हम और आप इस सदन में गंभीरता से कर रहे हैं इसकी गंभीरता बनी रहे, इस पर कुछ ठोस कार्यवाही हो. मुख्यमंत्री महोदय ने एक बार कहा था कि हम विशेष सत्र बुलाएंगे. आप स्थगन ग्राह्य करें या अग्राह्य करें लेकिन आपसे एक मांग है कि 8 दिसम्बर तक विधान सभा का सत्र है इस दौरान कानून व्यवस्था पर एक दिन की चर्चा करा लें. हम भी सुझाव दे दें, भारतीय जनता पार्टी के विधायक भी सुझाव दे दें और सामूहिक निष्कर्ष निकलकर गृह मंत्री महोदय आने वाले समय में कार्यवाही करें. यदि आपको सही चिन्ता हो और यदि सिर्फ चिंता यह हो कि स्थगन आया, खत्म हो गया, चर्चा हो गई तो हम आगे नहीं बढ़ेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कक्षा 9वीं की परेशान छात्रा ने आत्महत्या की, इंदौर, सलकनपुर में छेड़छाड़ से दुखी किशोरी ने जान दी तो गैंगरेप से शर्मशार हुआ उज्जैन, सलकनपुर के जंगल में नाबालिग के साथ दुष्कर्म, सागर की एक किशोरी के साथ बलात्कार वीडियो भी बनाया गया, दुष्कर्म पीडि़त नाबालिग को दो दिन तक थाने में रखा. माननीय आज आपने अखबार पढ़ा होगा. एक एडिशनल एस.पी. महोदय जमानत पाकर बडे़ आराम से निकल आए. किससे छेड़छाड़ की ? कोई बाहर की महिला के साथ नहीं पुलिस विभाग की कर्मचारी के साथ की. उनको 24 घण्टे के अंदर जमानत मिल गई त्वरित कार्यवाही हुई.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--बेल तो अदालत देती है (सीट पर बैठे-बैठे)
श्री अजय सिंह--अरे सुन तो लीजिए. बेल अदालत देती है मैं भी जानता हूँ, लेकिन बेल रोकने के लिए सरकार ने क्या किया. सरकार की तरफ से कोई खड़ा हुआ कि इसको बेल न मिले इसके ऊपर कार्यवाही हो, इसको निलंबित किया जाए. ऐसा नहीं हुआ. यह है राजनैतिक हस्तक्षेप. सामान्य महिला के साथ रेप हो जाए तो डायरी पहुंचने में हफ्ते दस दिन लग जाते हैं लेकिन एडिश्नल एस पी की बात थी. किसी न किसी राजनैतिक पहुंच की बात रही होगी इसलिए 24 घंटे के अन्दर बेल हुई. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जड़ है. आप सुझाव चाहते हैं सुझाव यह है कि सरकार पुलिस विभाग में हस्तक्षेप कम कर दे. पुलिस विभाग का खौफ बन जाए तब घटनाएं कम होंगी. अन्यथा वर्ष 2018 में दूसरी क्राइम रिपोर्ट आएगी. अभी देश में पूरे बलात्कार का 12.6 प्रतिशत मध्यप्रदेश में होते हैं अगली बार यह 16 प्रतिशत न हो जाए यह ध्यान रखना.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि हम सही में चर्चा करना चाहते हैं, यदि सही में इस पर रोक लगाना चाहते हैं. समाज में इसको रोकने के लिए हमें उचित कार्यवाही भी करना चाहिए. सिर्फ एक घटना तक सीमित न हो जाएं. माननीय गृह मंत्री ने कहा कि स्थगन आया इस पर हमने अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया, किसी अधिकारी को लाइन अटैच कर दिया और कार्यवाही खत्म हो गई. मैं दावे के साथ कहता हूँ कि यदि आप तीन महीने बाद पता लगा लीजिए वही लोग बगल वाले थाने में पदस्थ रहेंगे. यह क्यों होता है क्योंकि राजनैतिक हस्तक्षेप है. किसी न किसी के माध्यम से होता है. राजनैतिक हस्तक्षेप बढ़ने के कारण कानून व्यवस्था के लिए जो मध्यप्रदेश मशहूर था वह धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. इसी से सबकुछ जुड़ा है. हर व्यक्ति कोई व्यापार करता है, दुकान चलाता है, नौकरी करता है, कोई पढ़ता है उसकी मूल आवश्यकता क्या है. मूल आवश्यकता में घर, बिजली के अलावा वह यह भी देखता है कि वह सुरक्षित महसूस कर रहा है कि नहीं. यदि आदमी को सुरक्षित महसूस न हो तो फिर वहां क्यों रहे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे विन्रमता के साथ आग्रह करना चाहता हूँ कि इस स्थगन को चर्चा के लिए ग्राह्य किया जाय ताकि हम लोग विस्तार से चर्चा कर सकें. मैं अभी सिर्फ 36 मिनट बोला हूँ विस्तार से चर्चा होने दीजिए फिर मैं और भी बात करुंगा. (विपक्ष द्वारा मेजों की थपथपाहट)
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी और सभी माननीय सदस्यों का मैं धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने इस स्थगन के माध्यम से अपनी बात यहां पर रखी है और कुछ अच्छे सुझाव भी आए. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने अभी कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी यहां पर नहीं हैं. मैं उनसे आग्रह करना चाहूँगा कि जैसा उन्होंने कहा कि बहनों के भाई और...
श्री अजय सिंह--साधारण तौर से जब मुख्यमंत्री जी भोपाल के बाहर रहते हैं, सदन चल रहा होता है तो मुझे पत्र मिल जाता है कि वे नहीं हैं. आज पत्र नहीं मिला इसलिए मैंने सोचा कि भोपाल में होंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार--वे विधान सभा में ही थे.
श्री अजय सिंह--तब तो उन्हें सदन में जरुर आना चाहिए था.
श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, जैसा नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा कि बहनों के भाई और भांजियों के मामा, माननीय मुख्यमंत्री जी बहनों की सुरक्षा और भांजियों की सुरक्षा को लेकर जिस तरह से लगातार प्रयास कर रहे हैं. उसी के अन्तर्गत आज इसी सदन में अभी जो रेप केस है उसमें फाँसी की सजा के प्रावधान का विधेयक यहाँ पर आ रहा है और उस विधेयक पर माननीय मुख्यमंत्री जी यहाँ पर उस सुरक्षा को लेकर अपनी बात रखेंगे और जो बातें आपने अभी कही हैं उसमें से भी जिन बातों पर उनको अपना पक्ष रखना होगा वह आपके समक्ष रखेंगे.माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी आग्रह किया था कि हम लोग आंकड़ों में ना जायें और यह घटनायें ना हो इसके लिए सरकार को क्या करना चाहिए उसके लिए हम लोग चर्चा करें परन्तु आंकड़ो की चर्चा आई है, जैसा कहा गया है कि एनसीआरवी के आंकड़ों में इस समय मध्यप्रदेश नंबर वन पर है.माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह आंकड़े वर्ष 1993 से शुरु करता हूँ और वर्ष 2016 तक के बताऊँगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 1993 में मध्यप्रदेश बलात्कार के मामले में देश में नंबर वन था. वर्ष 1994 में मध्यप्रदेश 22.7 प्रतिशत के साथ देश में नंबर वन था. वर्ष 1995 में 22.79 प्रतिशत के साथ देश में नंबर वन पर था. वर्ष 1997 में 22.9 प्रतिशत के साथ देश में नंबर वन पर था. वर्ष 1999 में 23 परसेंट के साथ देश में नंबर वन पर था. वर्ष 2000 में 22.7 प्रतिशत के साथ देश में नंबर वन पर था. वर्ष 2001 में 17.7 प्रतिशत के साथ देश में नंबर वन था.माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2002 में नंबर एक पर था.वर्ष 2003 में भी मध्यप्रदेश बलात्कार के मामले में नंबर वन पर था तो इसीलिये मैंने निवेदन किया था कि हम लोग आंकड़ो में ना जाये और अभी भी नंबर वन पर है, हम इसको स्वीकार कर रहे हैं और उसका एक बड़ा कारण यह है कि मध्यप्रदेश में आज भी हमारे प्रदेश की पुलिस संवेदनशील है और मामलों में एफआईआर होती है, कार्यवाही होती है बाकी कई राज्यों में जिस तरह से यह घटनायें होती है और उसके बाद पुलिस के द्वारा एफआईआर नहीं होती है इसीलिये हम लोग कभी आंकड़ों की चिंता नहीं करते. वर्ष 1993 से 2003 में भी मध्यप्रदेश नंबर वन था और आज भी नंबर वन है पर कुछ चीजों में फर्क आया है जो मैं माननीय सदस्यों से निवेदन करूँगा कि महिला अपराध में भी मध्यप्रदेश वर्ष1993 से 2003 तक नंबर वन पर था परन्तु आज महिला अपराध में मध्यप्रदेश आठवें नंबर पर है पूरे भारत देश में तो हमने महिला अपराधों में सुधार करने की काफी कोशिश की है और उसका ही परिणाम है कि वर्ष 2003 तक जो मध्यप्रदेश महिला अपराधों में नंबर एक पर था वह आज आठवें स्थान पर पहुँचा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने सीसीटीवी कैमरों के बारे में कहा है. वर्ष 2016 में भोपाल में 146 स्थानों पर लगभग 750 सीसीटीवी कैमरे लगाये गये. 2013-14 में भोपाल में 300 कैमरे लगे थे अभी 2016 में 750 लगे हैं. हमने हमारे प्रदेश में पुलिस के सशक्तीकरण, आधुनिकीकरण की दिशा में डायल 100 की योजना शुरु की और जैसा कि आप जानते हैं कि 3 मिनट से लेकर 30 मिनट के अंदर यह डायल 100 पहुँचती है. इस तरह की 1000 गाड़ियाँ अभी मध्यप्रदेश में चल रही है और अभी 500 गाड़ियों की बजट में फिर से अनुमति मिली है तो 500 डायल 100 गाड़ियाँ और चलेंगी जिनसे पेट्रोलिंग और बाकी चीजें बढ़ाने में हमको सुविधा होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 61 शहरों में 2000 स्थानों पर लगभग 10 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाये जा रहे हैं और 11 शहरों में यह कार्य पूर्ण हो गया है. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने पुलिस के मनोबल के बारे में यहाँ पर बात रखी है.
माननीय अध्यक्ष जी, मैं यहां निवेदन करना चाहूंगा कि आज मध्यप्रदेश में माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में हम यह दावे के साथ कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश के अंदर आज हमारी सरकार में एक भी डाकू गिरोह को मध्यप्रदेश के अंदर आज की तारीख में हमने सक्रिय नहीं रहने दिया. सारे के सारे डाकू गिरोह समाप्त करने का काम हमारी सरकार ने किया है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- साइबर क्राइम में चले गए.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- मैं उस पर भी आ रहा हॅूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह वही मध्यप्रदेश की पुलिस है जिसने पिछले वर्ष जो 2016 का सिंहस्थ हुआ, उसी सिंहस्थ, में नौ करोड़ लोगों ने उज्जैन में स्नान किया और उसमें पुलिस का जो क्राउड मैनेजमेंट था उस क्राउड मैनेजमेंट को गिनीज बुक आफ वर्ल्ड में जगह मिली. गिनीज बुक आफ वर्ल्ड में इस बात को कहा गया कि मध्यप्रदेश पुलिस ने सबसे अच्छा क्राउड मैनेज किया. यह वही मध्यप्रदेश की पुलिस है जिसके मनोबल की बात हो रही है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- यह रिकॉर्ड कहॉं है ?
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय तिवारी जी, माननीय मंत्री जी की बात सुन लीजिए, आपने तो बोल लिया. अब उनको सुन लीजिए.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- इसे टेबल कराया जाए.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- मैं टेबल कर दूंगा. आप सुन लीजिए. माननीय अध्यक्ष जी, यह वही मध्यप्रदेश की पुलिस है जब पिछले साल भोपाल जेल में जेल ब्रेक हुआ और जेल ब्रेक करके जो कुख्यात अपराधी थे, वे अपराधी जेल तोड़कर जेल से भागे.......
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, उनको अपराधी नहीं कह सकते...(व्यवधान)....
श्री भूपेन्द्र सिंह -- उनको सजा हो चुकी. मैंने आतंकवादी नहीं कहा. मैंने अपराधी कहा. उनको धारा 302 के तहत सजा हो चुकी. आप सुन लें. आप पता कर लें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- तिवारी जी, पहले आप सुन लीजिए. अपराधियों के वकील हो क्या ?
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय तिवारी जी, मैंने आतंकवादी नहीं कहा. मैंने अपराधी कहा. इसीलिए मैंने आतंकवादी नहीं कहा, क्योंकि अभी आतंकवाद के मामलों में उनको सजा नहीं हुई पर हत्या के मामले में उनको सजा हो गई थी, इसलिए मैंने अपराधी कहा. जेल ब्रेक हुआ और जेल ब्रेक होने के बाद आठ कुख्यात अपराधी, जो देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकते थे यह वही मध्यप्रदेश की पुलिस है जिसने आठ घंटे के अंदर एनकाउंटर में आठों आरोपियों को मार गिराने का काम किया.
अध्यक्ष महोदय जी, यह वही मध्यप्रदेश की पुलिस है जब शाजापुर के पास ट्रेन में मॉड्यूलर ब्लॉस्ट हुआ और उस ब्लॉस्ट के जो आरोपी थे और जिनका आतंकी नेटवर्क था जिनके आतंकी नेटवर्क को और जिन्होंने ब्लॉस्ट किया, भारत के इतिहास में पहली बार हुआ कि हम लोगों ने चार घंटे के अंदर आरोपियों को गिरफ्तार करने का काम किया (मेजों की थपथपाहट) यह देश की पहली आतंकी घटना थी, जिसमें हम लोगों ने आरोपियों को चार घंटे के अंदर गिरफ्तार किया. हमारे इनपुट के आधार पर लखनऊ में जो इनका सरगना था, वहां पर यूपी पुलिस का एनकाउंटर हुआ और वहां पर वह सरगना हमारे इनपुट के आधार पर उसी दिन मारा गया, माननीय अध्यक्ष जी, हमारी पुलिस ने यह काम किया. यह वही मध्यप्रदेश की पुलिस है जिसने हमारे देश के अंदर जो एक पूरा आतंकवादियों का पैरेलल एक्सचेंज चल रहा था राहुल जी, अब आपने मनोबल की बात की इसलिए सुनें, मैं जल्दी खतम करूंगा.
श्री रामनिवास रावत -- यह जल्दी खतम करने की बात नहीं है. हम चार घंटे बैठकर आपसे सुनने के लिए तैयार हैं लेकिन आप महिला सुरक्षा के बारे में बात करें. हमें खुशी होगी.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- मैं उस पर भी बात कर रहा हॅूं.
श्री रामनिवास रावत -- आपकी यह वही पुलिस है जिसने पीडि़ता की 24 घंटे तक रिपोर्ट नहीं लिखी गई. पीडि़ता दर-दर दोनों थानों में भटकती रही.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- इसीलिए हमने कार्यवाही की.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- यह वही पुलिस है जिसने किसानों पर गोली चलवायी.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- हमने कार्यवाही की और 15 दिन में माननीय राऊत जी ने चालान प्रस्तुत किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, एटीएस का नेटवर्क है जो पूरा एक पैरेलल एक्सचेंज चल रहा था जो आतंकवादियों के इंटरनेशनल कॉल को नेशनल कॉल में ट्रांसफर करता था उस एक्सचेंज का पर्दाफाश करने का काम यदि किसी ने किया है , तो वह हमारे मध्यप्रदेश की पुलिस ने किया है. हमारे प्रदेश के अंदर चाहे वह दिवाली का त्यौहार हो, चाहे ईद हो, चाहे जो भी त्यौहार हों, अगर शांतिपूर्वक संपन्न हो रहा है तो इसी पुलिस के परिश्रम से हो रहा है और इसलिए मैं क्षमा के साथ माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से कहूंगा कि यह कहना मैं उचित नहीं मानता कि पुलिस का मनोबल गिरा है.
माननीय अध्यक्ष जी, हम लोगों ने अनेक निर्णय लिए हैं. मैंने अपने उत्तर में काफी जानकारी दी है. जून, 2012 में हमने महिला अपराध शाखा का गठन किया. मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य है जिसमें सभी जिलों में महिला अपराध रोकने के लिए एक उप पुलिस अधीक्षक की हमने नियुक्ति की है. यह आज से नहीं है, इसे काफी दिन हो गए हैं. हम लोगों ने वर्ष 2013 में राज्य स्तरीय महिला हेल्पलाइन स्थापित की, फास्ट-ट्रैक कोर्ट का मैं बता चुका हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम लोगों के सामने अपराध साइबर क्राइम के माध्यम से जिस तरीके से बढ़ रहा है, जैसा तिवारी जी कह रहे थे, यह हम लोगों के लिए चुनौती है. बहुत सी घटनाएं आज साइबर क्राइम के माध्यम से हो रही हैं. हम लोग हमारे साइबर सेल को भी सशक्त करने का काम कर रहे हैं. हमारे माननीय सदस्य श्री जयवर्द्धन सिंह जी ने पुलिस में रिक्त पदों के बारे में बात की, तो वर्तमान में भर्ती की प्रक्रिया चल रही है जिसमें 611 सूबेदार और उपनिरीक्षक, 14088 आरक्षक, 381 सहायक उपनिरीक्षक, 127 सूबेदार शीघ्रलेखक के पद हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी निवेदन किया था कि इस विषय में माननीय सदस्य सुझाव दें और सुझाव के आधार पर सरकार आगे बढ़े. कुछ सुझाव अच्छे आए हैं, माननीय गोविंद सिंह जी ने एक-दो सुझाव अच्छे दिए हैं. माननीय तिवारी जी की तरफ से सुझाव आए हैं और माननीय नेता प्रतिपक्ष जी की तरफ से भी सुझाव आए हैं. महिला सशक्तिकरण की दिशा में, महिला अपराध रोकने की दिशा में और जो भी प्रयास हो सकते हैं वह प्रयास हमारी सरकार करेगी.
अध्यक्ष महोदय, हमारे समाज में, हमारी संस्कृति में महिलाओं का हमेशा सम्मान रहा है और भारत की संस्कृति महिला आधारित है. इसलिए भगवती चरण वर्मा जी ने कहा है कि स्त्री यह संसार तारिणी है, जगत उद्धारिणी है, जगदम्बा का अवतार है, उसके आचार-विचार ब्रह्मांड का आधार है, उसकी स्वतंत्रता से प्रलयकाल उत्पन्न होता है. नारी के सम्मान में महादेवी वर्मा जी ने कहा है कि स्त्रियों की उन्नति और अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति और अवनति निर्भर है, जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवता भी प्रसन्न होते हैं, हम इस विचार के आधार पर, हम इस संकल्प के आधार पर, पूरे सदन को यह विश्वास दिलाते हैं कि माननीय शिवराज जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए, हम गंभीरता से और आगे काम करेंगे. महिलाओं की पूरी सुरक्षा करेंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यों के विचार एवं शासन का वक्तव्य सुनने के पश्चात् मैं स्थगन प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं देता.
2.48 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है, इतनी विशेष बात है और हम लोग बहिगर्मन करते हैं.
(श्री अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल काँग्रेस के सदस्यों द्वारा स्थगन प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दिए जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया)
2.49 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय -- नियम 267-क के अधीन लंबित सूचनाओं में से 32 सूचनाएं नियम 267-क (2) को शिथिल कर आज सदन में लिए जाने की अनुज्ञा मैंने प्रदान की है. यह सूचनाएं संबंधित सदस्यों द्वारा पढ़ी हुई मानी जावेंगी. इन सभी सूचनाओं को उत्तर के लिए संबंधित विभागों को भेजा जाएगा.
मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
अब मैं सूचना देने वाले सदस्यों के नाम पुकारूंगा.
क्र. सदस्य का नाम
1. श्री आरिफ अकील
2. श्री सुन्दरलाल तिवारी
3. श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार
4. श्री मानवेन्द्र सिंह
5. श्री तरूण भनोत
6. डॉ. रामकिशोर दोगने
7. श्री विजय सिंह सोलंकी
8. श्री मधु भगत
9. श्री निशंक कुमार जैन
10. श्री सोहन लाल बाल्मीक
11. श्री प्रदीप अग्रवाल
12. श्री दिनेश राय
13. श्री रामपाल सिंह
14. श्री फुन्देलाल सिंह मार्को
15. श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर
16. श्री सुखेन्द्र सिंह
17. इं. प्रदीप लारिया
18. डॉ. योगेन्द्र निर्मल
19. श्री कैलाश चावला
20. श्री राजकुमार मेव
21. श्री के.डी. देशमुख
22. श्री कमलेश्वर पटेल
23. श्री सचिन यादव
24. श्री आशीष गोविंद शर्मा
25. श्री लाखन सिंह यादव
26. श्री नीलांशु चतुर्वेदी
27. श्री संजय शर्मा
28. श्री शैलेन्द्र पटेल
29. श्री जालम सिंह पटेल
30. श्रीमती झूमा सोलंकी
31. श्री रामप्यारे कुलस्ते
32. श्री दिलीप सिंह शेखावत
02.50 बजे, पत्रों का पटल पर रखा जाना
1. मध्यप्रदेश शासन चतुर्थ राज्य वित्त आयोग का अंतरिम प्रतिवेदन (अक्टूबर, 2015) एवं राज्य शासन का कृत कार्यवाही प्रतिवेदन तथा मध्यप्रदेश शासन चतुर्थ राज्य वित्त आयोग का अंतिम प्रतिवेदन (जनवरी, 2017)
2. महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, कटनी का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016- 2017
2.52 बजे, ध्यानाकर्षण
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
पहले क्रमांक- (1) से (4) तक की सूचनाएं ली जाएंगी.
1. चंबल संभाग में सिंचाई हेतु चंबल नहर का समुचित मात्रा में पानी न मिलने से उत्पन्न स्थिति
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर), श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार, श्री दुर्गालाल विजय -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, संबंधित मंत्री जी तो यहां नहीं हैं . मैं ज्यादा आंकड़ों में, आरोप, प्रत्यारोप में नहीं जाना चाहूंगा. सीधे सीधे जो उत्तर में तीसरा पैरा लिखा है कि- "यह सही है कि राजस्थान के कोटा बैराज से मध्यप्रदेश को पार्वती एक्वाडक्ट पर 3900 क्यूसेक पानी लेने का अंतर्राज्यीय अनुबंध है." अब उन्होंने उत्तर में ही लिख दिया कि पूर्ववर्ती सरकारें पानी नहीं ले पाती थीं. तो अब आप ले लो. यह बात अलग है कि सिंचाई का रकबा जितना डिजाइन किया था, उसके अनुसार पूरी तरह से बढ़ता जा रहा है और हम कितना भी प्रयास करें, राजस्थान से हम पानी नहीं ले सकते हैं. मंत्री जी, आप अभी की स्थिति बता दें. 1 नवम्बर,2017 से 15 नवम्बर,2017 तक राजस्थान से पार्वती एक्वाडक्ट पर हमें कितना पानी मिला, यह बता दें तो बड़ी कृपा होगी. मैं यह बात इसलिये पूछ रहा हूं कि हम कितना भी प्रयास कर लें, राजस्थान से पानी नहीं ला पायेंगे. अधिकारियों ने बहुत प्रयास किये, अधिकारियों ने अधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई, तो राजस्थान के प्रशासनिक अधिकारियों ने कह दिया कि आपको राजस्थान के किसान बंधक बना लेंगे, तो हमारी कोई गारंटी नहीं है. सब अधिकारी भाग आये. तो राज्य सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिये. जितना डिजाइन किया हुआ रकबा है, उसमें पूर्णतः सिंचाई सुनिश्चित कराने के लिये, पानी फीड करने के लिये आपको कोई न कोई एक प्रोजेक्ट तैयार करना पड़ेगा. जैसे गोहद में हुआ है. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहूंगा कि किसानों की चिंता करते हुए पूरे श्योपुर से लेकर भिण्ड, मुरैना तीनों जगहों पर किसानों को पानी देना सुनिश्चित करने के लिये आप चम्बल नदी पर या कूनों नदी पर पहले भी सर्वे हो चुका है. एक बड़ा डेम बनाकर हम राजस्थान के भरोसे नहीं रहें, पानी फीड कराने की व्यवस्था करें, जिससे कि जो डिजाइन किया हुआ सिस्टम बना हुआ है, उससे पूरी सिंचाई हो सके या फिर राजस्थान की जो 125 मील लम्बी नहर है, उसकी हम केपेसिटी बढ़ा दें, जिससे हमें 3900 क्यूसेक पानी मिल सके. इसके लिये मेरा निवेदन है कि इस पर गंभीरता से आप विचार करें. आरोप,प्रत्यारोप और आपकी वाह-वाही से कोई फर्क नहीं पड़ता. वहां किसानों को पानी नहीं मिला है, पलेवा नहीं हुआ है, बहुत सारी जमीन असिंचित पड़ी है और जहां पलेवा हो गया, बोनी हो गई, वह भी जमीन सूख गई. मेरा तो सीधा-सीधा प्रश्न है कि ऐसी कोई योजना बनाने के लिये सरकार विचार करेगी, जिससे किसानों को पानी मिलना सुनिश्चित हो. चम्बल नदी, कूनों नदी पर पहले भी सर्वे हो चुका है.
03.00 बजे.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय आदरणीय रावत जी ने जो सुझाव दिया है वह निश्चित ही अच्छा है. सरकार पूरे प्रदेश में सिंचाई की व्यवस्था अधिक से अधिक..
श्री रामनिवास रावत -- मंत्री जी भाषण मत दो आप.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- आप मेरा भाषण कहां सुनते हैं .
03.01बजे. अध्यक्षीय घोषणा
कार्यसूची में उल्लेखित कार्यों संबंधी
अध्यक्ष महोदय -- मध्यप्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली के नियम 23 के अनुसार शुक्रवार की बैठक के अंतिम ढाई घंटे गैर सरकारी सदस्यों के कार्य के लिए नियत हैं. आज की कार्य सूची में उल्लिखत पद 6 में उल्लिखित कार्य पूर्ण होने के पश्चात् गैर सरकारी सदस्यों के कार्य लिये जायेंगे. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
श्री रामनिवास रावत -- सदन इससे सहमत नहीं है. हमारी इस पर आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय -- बाद में मत ले लेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- आप बाद में मत ले लेना, आप बहुमत से सरकार चलायें कैसे भी चलायें, आपने अभी पद 6 की बात की है लेकिन उसके बाद में देखें कि पद 7 में 139 की चर्चा अल्प वर्षा से फसलों के नष्ट होने के संबंध में है. क्या 8 में जो अशासकीय विधि विषयक कार्य है क्या आप अशासकीय कार्यों को पूरी तरह से निलंबित करते हैं ? आप यहां पर अशासकीय कार्य को पूरी तरह से निलंबित कर रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- नहीं, अशासकीय तो करेंगे ही, आपने ठीक से सुना नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- अशासकीय संकल्प ले रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -- नहीं, आपने कहा है कि..
डॉ गोविन्द सिंह -- ऐसे तो रात के 11- 12 बजेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- मैं फिर से पढ़कर सुनाता हूं. आज की कार्यसूची में उल्लिखित पद 6 में उल्लिखित कार्य पूर्ण होने के पश्चात् गैर सरकारी सदस्यों के कार्य लिये जायेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- ठीक है तो फिर यह 7 नम्बर पर जो नियम 139 की चर्चा है उसका क्या होगा, उसको आप नहीं कराना चाहते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय हमारा कहना है कि आपने 8 तारीख तक विधान सभा बुलायी है. विधान सभा बुलाने का काम सरकार प्रस्तावित करती है. हमने तो कोई सुझाव नहीं दिया है कि आप 8 तारीख तक विधान सभा बुलायें. आप 8 तारीख तक विधान सभा बुला रहे हैं और फिर प्रदेश के किसानों के ऊपर चर्चा क्यों नहीं कराना चाहते हैं ?
डॉ गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय,आपने ही कहा था कि हमारा अशासकीय संकल्प बहुत महत्वपूर्ण है, आपने कहा है कि आखिरी ढाई घंटे, तो ऐसे में कितने बजे तक विधान सभा चलेगी. जब आपको 8 विधेयक पास करना है अशासकीय कार्य भी करना है तो क्या रात को 12 बजे तक विधान सभा चलेगी ?
अध्यक्ष महोदय -- काम तो करना ही पड़ेगा.
श्री रामनिवास रावत -- नहीं, जब 8 तारीख तक विधान सभा है तो सोमवार को आप ले लें, आप 8 तारीख तक विधान सभा की बात कह रहे हैं लेकिन काम आज पूरा करना चाह रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप आज ही विधान सभा समाप्त करना चाहते हैं. अध्यक्ष महोदय, यह बात आपत्तिजनक है. अगर इसी तरह से करना है तो फिर विधान सभा बुलाने की जरूरत क्या है ?
डॉ गोविन्द सिंह -- आप अपने आप ही हां ना में पास कर लें, हमारी क्या जरूरत है.
श्री रामनिवास रावत -- आप अनुपूरक भी अनुमोदन की प्रत्याशा में पास कर लें. आपको कौन मना कर रहा है, बहुमत का अर्थ यह नहीं है कि संवैधानिक व्यवस्थाओं पर चोट की जाय, संवैधानिक सिस्टम को समाप्त किया जाय.
डॉ गोविन्द सिंह -- शुक्रवार को अशासकीय सदस्यों के लिए अंतिम 2.30 घंटे आरक्षित हैं.
श्री रामनिवास रावत -- हम इससे सहमत नहीं है. विधान सभा बुलाते समय विपक्ष की सलाह तो नहीं ली जाती है, विधान सभा का समय निश्चित करते समय सरकार प्रस्ताव भेजती हैं और फिर विधान सभा की तिथियां निश्चित होती हैं, 8 तारीख तक आपकी विधान सभा है तो 8 तक चलायें किसने मना किया है,.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय यह आपत्तिजनक है.
डॉ गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय आज के अंतिम ढाई घंटे हम अशासकीय सदस्यों के लिए, अशासकीय कार्यों के लिए व्यक्तिगत रूप से रिजर्व हैं.
अध्यक्ष महोदय -- पहले भी ऐसा हुआ है.
श्री रामनिवास रावत --इसका मतलब यह है कि आज ही आप विधान सभा समाप्त करना चाहते हैं. हम लोग मेहनत करते हैं प्रश्न लगाते रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- पूर्व में...
श्री रामनिवास रावत -- नहीं पूर्व की बात न करें आपके पास में समय है.
डॉ गोविन्द सिंह -- आज ही 8 विधेयक लेने की क्या आवश्यकता है ?
श्री रामनिवास रावत -- 8 तारीख तक का समय आपके पास में है.
डॉ गोविन्द सिंह -- आज भी चल रही है तो विपक्ष की सहमति से चल रही है.
अध्यक्ष महोदय -- ध्यानाकर्षण तो हो जाने दीजिए.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आप एक तरफ प्रस्ताव पारित करवा रहे हैं. प्रस्ताव से सहमत करा रहे हैं. ध्यानाकर्षण का भी क्या मतलब है, क्या करेंगे ध्यानाकर्षण लगाकर, क्यों प्रश्न लगवाते हैं हमारे, क्यों विधान सभा का खर्चा बढ़ाते हैं हम इतने प्रश्न मेहनत करके लगाते हैं, पहले ही सरकार से पूछ लिया करें, सरकार सुनिश्चित करे कि हमें एक ही दिन की विधान सभा चाहिए.
डॉ गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आपने भी तो कहा था कि सोमवार तक चलेगी.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय अभी आपने जो प्रस्ताव पढ़ा है उससे हम सहमत नहीं है. हम उससे असहमत हैं, 3 से 4 घंटे लगेंगे नियम 139 की चर्चा में.
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
( अपराह्न 03.05 बजे से सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित )
3.34 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन था कि हमें आप स्पष्ट स्थिति कर दें कि जो आपने निर्देश दिये थे?
अध्यक्ष महोदय - स्थिति स्पष्ट कर देते हैं कि ध्यानाकर्षण के बाद में फिर से बात करेंगे. चारों ध्यानाकर्षण हो जाएं, इसके बाद में फिर उस विषय पर आएंगे. सिर्फ ध्यानाकर्षण पद क्रमांक 3. अब उन्होंने आपकी तरफ देखा, मुख्य सचेतक ने नेता जी की तरफ देखा कि अब क्या करना है.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, नहीं, नहीं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - मामला स्पष्ट है.
अध्यक्ष महोदय - अभी ध्यानाकर्षण पर चर्चा हो जाए. मैंने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, हमें इस प्रकरण में आपकी तरफ देखना है, नेता प्रतिपक्ष की तरफ नहीं, हम तो आपकी तरफ देख रहे थे.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी का जवाब चल रहा था. माननीय मंत्री जी..
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, मामला बड़ा स्पष्ट है. अशासकीय संकल्प का समय है. शुक्रवार का दिन है. ध्यानाकर्षण हों तो अगले दिन ले लें.
अध्यक्ष महोदय - पुरानी भी परंपराएं हैं कि कार्य चलता होता है, उसके बाद में लिया जाता है.
श्री अजय सिंह - ध्यानाकर्षण के बाद अशासकीय संकल्प ले लें?
अध्यक्ष महोदय - नहीं, अभी ऐसा बोला नहीं है. अभी नीचे से यह बोला गया है. मैंने यह बोला कि ध्यानाकर्षण ले लें, इसके बाद में फिर आगे बात करेंगे. एक-एक प्रश्न ही पूछेंगे. आपका उत्तर आ रहा था.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय,हमारा निवेदन है कि ध्यानाकर्षण के बाद हमारी शंकाओं का समाधान करेंगे. हम तो आपसे अपेक्षा करते हैं कि पहले ही समाधान कर दें.
अध्यक्ष महोदय - पहले ध्यानाकर्षण की शंकाओं का तो समाधान करा लीजिए. पानी का सवाल है.
श्री रामनिवास रावत - यह तो आप भी कह रहे थे कि विधान सभा चलना चाहिए, कसम खाकर कहो. आप भी कह रहे थे अभी कि विधान सभा चलवाएं क्यों खत्म करवा रहे हो?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - हमने कहा?
श्री रामनिवास रावत - हां, सब लोग कह रहे थे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - कहां गवाह, कहां सबूत?
अध्यक्ष महोदय - आप सभी कृपया बैठ जाइए.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता )- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय रावत जी ने जो बातें कही हैं वे सरकार की चिंता का विषय हैं.
श्री अजय सिंह - यह विधान सभा समाप्त होने की बात कहां से आ गई?
अध्यक्ष महोदय - नहीं, कहीं से नहीं आई है. रावत जी शक करते हैं
श्री अजय सिंह - 8 तारीख तक विधान सभा का सत्र है. इतना पैसा खर्च हुआ है. आपने हम लोगों को बुलाया है 8 तारीख तक, कौन कह रहा है कि सत्र समाप्त हो रहा है?
श्री उमाशंकर गुप्ता - यह बात कहां से आ गई? कहीं से नहीं आई. अभी ध्यानाकर्षण पर जवाब चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आपके जो चीफ बैठे हैं वे शक करते हैं.
श्री अजय सिंह - यह शंका कहां से आ गई? सत्र समाप्त होने की बात कहां से आ गई?
श्री रामनिवास रावत - आपके ऊपर विश्वास है लेकिन कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ हो जाती है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, आदरणीय रावत जी ने जो बातें ध्यान में लाई है. सरकार उससे चिंतित है और इसलिए प्रदेश में सिंचाई का रकबा अधिक से अधिक बढ़े. पानी का पूरा उपयोग हो. इसके लिए सरकार लगातार योजना बना रही है और उसी की परिणाम है कि 7 लाख से 40 लाख हैक्टेयर तक सिंचाई का रकबा पहुंचाया है.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मैं पिन-पाइंटेड पूछ रहा हूं, यह जवाब में भाषण दे रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - मैं भाषण नहीं दे रहा हूं. आपने जो सिंचाई की चिंता व्यक्त की, मैं उससे सहमति व्यक्त करता हूं.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मैं चंबल नहर की बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - वह कूनो नदी की बात कर रहे हैं, उस पर डेम की बात कर रहे हैं बाकि उस पर स्ट्रक्चर बना हुआ है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - इस साल भी जो सिंचाई का आपने कहा है तो जब अच्छी वर्षा होती थी तो भी उस क्षेत्र में..
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मैंने यह भी पूछा था कि एक नवम्बर से 15 नवम्बर तक कितना क्यूसेक पानी मिला?
श्री उमाशंकर गुप्ता - मैं वह उत्तर भी दे दूंगा, आप धीरे से बोल लें. आप गुस्सा मत करो.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाईये. धीरे से बोलिये. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत-- चलो ! मुस्करा दिया. अब बता दें. (हंसी)
श्री उमाशंकर गुप्ता-- मैं पूरा चार्ट दे दूंगा.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, सदन को यह पता लग जाये कि ये राजस्थान से पानी ला नहीं पा रहे हैं.(व्यवधान) आज पानी आ रहा है यह मैं मान रहा हूं. अधिकारी प्रयास भी कर रहे हैं मैं यह भी मान रहा हूं. (व्यवधान)
श्री उमाशंकर गुप्ता-- इनकी सरकार तो बिलकुल पानी नहीं ला पाती थी. हम उनसे लगातार पानी ले रहे हैं. मेरे पास पूरा चार्ट भी है. अक्टूबूर से अभी तक कब, कितना पानी लिया है. हम भी स्वीकार कर रहे हैं कि पूरा पानी नहीं मिलता है. हमारे अधिकारी लगातार संपर्क में है. आज जितना पानी लिया वह भी बताया है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- मंत्री जी, हमारी सरकार के रहते पानी पीकर आप मंत्री बन गए फिर भी कोसने से बाज नहीं आते.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- आप तो डिंडोरी तक ही रहें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- आप हमें सीमित न करें. आप लोग ही प्रदेश चलाने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, हम लोग भी आ सकते हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- आप आज ही सदन में आये हो, जरा शांति से सुन लें. आप उस समय कांग्रेस में नहीं थे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- हमारे बाप-दादा से हम कांग्रेस में हैं, आपके पूर्वज भी कांग्रेस में थे.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- बहुत अच्छा, आपकी उपस्थिति दर्ज हो गई. अध्यक्ष महोदय, मेरे पास पूरा चार्ट है, वह भी मैं पढ़ दूंगा. हम यह स्वीकार कर रहे हैं कि पूरा पानी नहीं मिलता उसके बाद भी लगातार ले रहे हैं लेकिन हम यह विश्वास दिला रहे हैं कि जब अच्छी बारिश होती थी तो भी उस एरिया में 3.62 लाख हेक्टर में सिंचाई होती थी. इस 15 दिसम्बर तक पूरे 3.62 लाख हेक्टर में सिंचाई की व्यवस्था हो जाएगी, पानी की व्यवस्था की है. आपने जो सुझाव दिये हैं वह तथा जो मुंझरी योजना के बारे में कहा है तो उसका भी सर्वे हो गया है. पानी और कहां कहां से आ सकता है, आप बतायेंगे तो सरकार जरुर उस पर गंभीरता से विचार करेगी. श्योपुर,भिंड,मुरैना समेत सभी जिलों में पानी की अधिकतम व्यवस्था हो यह हमारी चिन्ता का विषय है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, आखरी प्रश्न. सिंचाई मंत्री नहीं है, जवाब आपको देना पड़ रहा है. मैंने जो प्रश्न पूछा उसका उत्तर नहीं आया. मैं आरोप-प्रत्यारोप नहीं कर रहा. यह हमारी चिन्ता है कि कूनो नदी पर डेम बन जाये ऐसी कोई योजना बना लें जिससे पूरे क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधा मिले. हम सच को स्वीकार नहीं करते, यह सबसे बड़ा कष्ट है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न है कि जो 35 गांव श्योपुर जिले के हैं उनके लोग आंदोलन कर रहे हैं, कल बाजार बंद कराया. उनसे कभी सरकार ने, मुख्यमंत्री ने कह दिया कि चंबल नहर से पानी देंगे, कभी कह रहे हैं मुझरी से पानी देंगे. अध्यक्ष जी, ये न तो कभी मुझरी से पानी दे पायेंगे. चंबल से ये उसी स्थिति में पानी दे सकते हैं जब आप कूनो नदी या चंबल नदी पर इतना बड़ा डेम बनाकर पानी लिफ्ट करने की व्यवस्था कर दें. इन 35 गांवों को क्या मुझरी से पानी दे सकते हैं?
अध्यक्ष महोदय-- सीधा प्रश्न करें.
श्री रामनिवास रावत-- जो 35 गांव के लोग आंदोलित हैं, उनकी सिंचाई व्यवस्था के लिए क्या कर रहे हैं?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- इन ग्रामों में सिंचाई व्यवस्था के उद्देश्य से विचाराधीन मुझरी परियोजना को बड़ा बनाने के लिए 21 नवंबर से नई सर्वे एजेंसी ने सर्वेक्षण का कार्य प्रारंभ भी कर दिया है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, नहीं ला सकते. यह जनता को भुलावा दे रहे हैं. मैंने मूंजरी भी देखी है. मैंने 35 गांव भी देखे हैं. यह कैसी भी तकनीक ले आएं, नहीं हो सकता.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार(सुमावली) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि एबीसी कैनाल से पर्याप्त पानी नहीं मिलने के कारण पलेवा नहीं हुआ और किसानों की बोवनी नहीं हो पाई है और हजारों एकड़ जमीन बोवनी से वंचित है. रामनिवास रावत जी की बात का मैं समर्थन करता हूं.चाहे मूंजरी हो कूनो हो,अगर पानी की पर्याप्त व्यवस्था हमने नये बांध बनाकर नहीं की तो राजस्थान से हमारा जो अनुबंध है वह सफल नहीं हो पाएगा. किसानों को केवल पानी चाहिये. वह हमसे पूछते हैं कि राजस्थान से आपका क्या अनुबंध है. उनको पर्याप्त पानी मिले, उनकी यह चिंता .है मैं इस बात का समर्थन करूंगा चाहे मूंजरी हो,कूनो हो इन परियोजनाओं पर काम जल्दी से जल्दी चालू हो. मेरे खुद के गांव में जो एबीसी केनाल पर हैं. जिसकी कुल लंबाई 90 चेन है. अभी तक वहां कमाण्ड ऐरिया में पानी नहीं पहुंचा है. जब कमाण्ड ऐरिया तक पानी नहीं पहुंचा है उसके बावजूद जल संसाधन विभाग के लोग किसानों से सिंचाई कर की राशि वसूल करते हैं. जो कि न्यायोचित नहीं है. यह वसूली नहीं होनी चाहिये.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां भी ऐसा ही है जहां पानी नहीं पहुंच रहा है वहां भी किसानों से वसूली कर रहे हैं. यह पूरे प्रदेश की समस्या है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सत्यपाल जी ने पूछा है उसका जवाब तो आ जाये. जहां पानी नहीं देते वहां से भी सिंचाई कर वसूली करते हो.
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस मामले को दिखवा लेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस ध्यानाकर्षण में दो विषय हैं. एक तो राजस्थान से अनुबंध के अनुसार पानी लेने की बात है और 35 गांव जो असिंचित हैं वह श्योपुर विधान सभा क्षेत्र के गांव हैं. उनमें पिछले 15-20 वर्षों से किसान मांग कर रहे हैं कि जो उनके बीच में से चंबल केनाल निकल रही है वह मेन केनाल इनके गांवों से होकर गुजर रही है एक तरफ तो पानी लग रहा है लेकिन इन 35 गांवों में कून,कनापुर,काटोदी,रामगावड़ी,अजापुरा,चंद्रपुरा,पांडोला ऐसे 35 गांव हैं जिनमें पानी नहीं लगता. इसमें जो चंबल केनाल से एक डिस्ट्रीब्यूटरी इन 35 गांवों के लोगों के लिये निकाल दी जाये तो मैं समझता हूं कि इससे शासन का बहुत अधिक व्यय नहीं होगा और उसको निकालने से उन किसानों के खेत सिंचित हो जायेंगे जो आज आर्थिक तंगी के कारण बहुत बड़ी परेशानी से गुजर रहे हैं उनके परिवारों में समृद्धि आ जायेगी.
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका उत्तर मैंने लिखित में दिया है कि जो विभाग ने परीक्षण कराया, वह व्यवहारिक नहीं है. इससे संभव नहीं हो रहा है, लेकिन मूंजरी का सर्वे शुरू हुआ है और वहां अगर होगा तो कूनो का जो सुझाव आया है उसे हम दिखवा लेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से एक निवेदन है. हो सकता है भौगोलिक दृष्टि से वह आपको जानकारी नहीं हो. जो कूनो की बात कही जा रही है वह श्योपुर से 80 कि.मी. दूर है. उससे इन गांवों को कोई लाभ नहीं होने वाला है. बात यह है कि यह जो 35 गांव हैं इनको सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध कराने के लिये क्या योजना है और लगातार 15 वर्षों से लगातार मांग करने के बाद भी इस परियोजना को आगे क्यों नहीं बढ़ाया गया. यह उस क्षेत्र लिये बहुत महत्वपूर्ण है कि आखिरकार इन 35 गांवों के हजारों किसान कब तक सूखे में रहेंगे ? इसीलिये मेरा पूछना है कि आपने इन 35 गांवों को पानी देने के लिये क्या योजना बनाई है और यह परियोजना कब तक प्रारंभ हो जायेगी एवं कब तक पूरी होगी ?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहले ही बोल चुका हूं योजना को विस्तृत करने का सर्वेक्षण शुरू हो गया है.
डॉ. गोविंद सिंह (लहार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा ध्यानाकर्षण था, इसमें नाम रह गया है लेकिन मैंने इसी के साथ राजघाट परियोजना का पानी लहार क्षेत्र में देने के लिये अनुरोध किया था. राजघाट परियोजना का पूरा बांध भरा है, विभाग द्वारा 4 पानी देने की घोषणा की गई है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से पलेवा का पानी अभी तक नहीं पहुंचा. माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि कितने दिन तक पानी पहुंचा देंगे ?
अध्यक्ष महोदय-- आपके पास है क्या, कॉल अटेंशन में यह नहीं है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- इसमें विषय भी नहीं था, जानकारी भी नहीं है. मैं आदरणीय गोविंद सिंह जी को विभाग के अधिकारियों से चर्चा करके जानकारी दे दूंगा.
डॉ. गोविंद सिंह-- अगर घोषणा है तो पानी पहुंचायेंगे ?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अगर पानी है और घोषणा नहीं है तो भी पहुंचायेंगे.
3.47 बजे (2) रीवा संभाग में तेंदूपत्ता संग्राहकों को उचित मूल्य न दिया जाना.
श्री सुंदरलाल तिवारी (गुढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है-
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सर्व विद्यमान है कि जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी.......
अध्यक्ष महोदय - आप भाषण न दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं, मैं भाषण नहीं दे रहा हूं, मैं आपको एक्ट पढ़कर सुना रहा हूं क्योंकि शासन ने गलत जवाब दिया है. यह करोड़ों आदिवासियों और जंगल में रहने वाले गरीबों का सवाल है और उनके साथ किस तरह से छलावा हो रहा है, इसकी ओर मैं आपका ध्यानाकर्षित कराना चाहता हूं. 2006 में एक एक्ट बना The scheduled tribes and other traditional forest dwellers (recognition of forest rights) act 2006 इसमें Section 3 (c) में Right of ownership, access to collect, use, and dispose of minor forest produce which has been traditionally collected within or outside village boundaries.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब इसमें minor forest produce को परिभाषित किया गया है. "minor forest produce" includes all non-timber forest produce of plant origin including bamboo, bush wood, stumps, cane, tussar, cocoons, honey, wax, lac, tendu or kendu leaves, medicinal plants and herbs, roots, tubers and the like. यह चीजें define की गई हैं और इसमें तेंदूपत्ता भी आता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें Section 3(2) में यह Right of ownership लिखा हुआ है. उनका Right of ownership हो गया और यह 2006 में उनको दे दिया गया.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - इसमें Right of ownership कहां पर लिखा हुआ है आप पढ़कर बताएं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - उसमें लिखा है मैं आपको पढ़कर सुनाता हूं. section 3 (c) :- Right of ownership, access to collect, use, and dispose of minor forest produce which has been traditionally collected within or outside village boundaries.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - मैं आपको अध्याय 2 में पढ़कर बताता हूं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - यह किताब मैं आपको दे देता हूं. आप देख लें और पढ़ लें.
अध्यक्ष महोदय - अब आप बैठ जाएं. आप उनको किताब बाद में दे देना अभी आप डॉ. गौरीशंकर शेजवार जी को सुन लें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भारत का असाधारण राजपत्र है और मैं उसके 593 पेज की बात कर रहा हूं. इसमें अध्याय 2 वन अधिकार में लिखा है कि इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये वन में निवास करने वाले अनुसूचित जनजातियों और अन्य परंपरागत वन निवासियों के सभी वन भूमि पर निम्नलिखित वन अधिकारी होंगे. अब इसमें व्यक्तिगत या सामूहिक भूपति मतलब दोनों चीजें इसमें बहुत स्पष्ट बताई हैं ''व्यक्तिगत या सामूहिक'' तो यहां पर सामूहिक रूप से इसमें (ग) में वर्णन किया गया है कि गोण वन उत्पादों मतलब जिनका गांव की सीमा के भीतर या बाहर पारंपरिक रूप से संग्रहण किया जा रहा है, स्वामित्व संग्रहण करने के लिये पहुंच उनका उपयोग और व्ययन का अधिकार रहा है. इस प्रकार वह व्ययन भी कर रहे हैं और उपयोग भी कर रहे हैं. इस प्रकार यहां पर कहीं कोई समस्या नहीं है और न ही कोई परेशानी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत स्पष्ट मैंने अपने उत्तर में कहा है कि तेंदूपत्ते को हम दो तरह से कलेक्ट करते हैं पहला तो जो वन भूमि पर होता है या वन अधिकार की भूमि पर होता है, उसके लिये हम उनके संग्रहण के लिये मजदूरी देते हैं और उसका मूल्य निर्धारण करते हैं. इस प्रकार उनको 1250 रूपये प्रति मानक बोरा के हिसाब से बराबर मिल रहा है और संग्रहण मूल के अलावा बाद में जब इसकी नीलामी होती है और नीलामी के बाद उनको बराबर बोनस दिया जाता है. मतलब इस प्रकार मालिक वही होते हैं और हमने यहां पर मालिकाना हक भी उनको ही दिया है. हमने मालिकाना हक उनको ऐसे दिया है कि जो मालिक है उसको लाभांश मिलता है. सरकार तेंदूपत्त्ो का व्यापार 1964 में जो अधिनियम आया है उसके अंतर्गत करती है और टेंडर के बाद जो धनराशि हमको इसमें मिलती है और जो खर्च काटकर जो लाभ मिलता है, हम उसका 70 प्रतिशत नकद भुगतान तेंदूपत्ता संग्राहक और अनुसूचित जनजाति और जंगलों में रहने वाले लोगों को कर देते हैं और जो बचा हुआ 30 प्रतिशत है. हम उनके विकास के लिए, जंगलों के विकास के लिए, इसमें पूरा का पूरा व्यय करते हैं . हम मालिक उन्हीं को मान रहे हैं और जिनको हम लाभांश दे रहे हैं. लाभांश हमेशा मालिक को दिया जाता है, यहां कहीं कोई कमी नहीं है. दूसरी व्यवस्था है, जिनकी निजी जमीन है और उस निजी जमीन पर, यदि वह तेंदूपत्ते का कलेक्शन करते हैं तो उनके लिए मूल्य निर्धारण अलग से होता है.
अध्यक्ष महोदय, आपकी जानकारी के लिए, मैं बताना चाहता हूँ कि इसके लिए नियम यह है कि वह तेंदूपत्ता बेचने के लिए, डी.एफ.ओ. के कार्यालय में जाकर रजिस्ट्रेशन करवाएगा कि मेरी इतनी जमीन है, मैं इस-इस प्रकार से तेंदूपत्ता कलेक्ट करके, सरकार को या एजेन्ट को बेचना चाहता हूँ. लेकिन 2004 से आज तक कभी किसी निजी भूमि वाले ने तेंदूपत्ते के विक्रय के लिए, निजी भूमि के लिए कहीं कोई रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया एवं न तो यहां किसी का शोषण हो रहा है और न कहीं कोई आक्रोश है. यह तेंदूपत्ते का व्यापार जो है, वह केवल उन वनवासियों के लिए है एवं अनुसूचित जनजातियों के हित में हो रहा है और इसको यदि हम निजी रूप में या तिवारी जी जिस रूप में चाहते हैं, उस रूप में हम कर देंगे तो यह अव्यवस्थित हो जायेगा तथा बिचौलिये इसमें पूरा माल, कहां से कहां ले जाएंगे और उनको जो संग्रहण की मजदूरी मिलती है, उसमें भी गड़बड़ हो जाएगी और लाभांश जितना मिलना चाहिए, वह भी उनको नहीं मिल पायेगा. मेरा तिवारी जी से विनम्र अनुरोध है कि उसका कानूनी इन्टरप्रिटिशन सही-सही दें और जो उसका आशय निकलता है, वही बताएं.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, यहां कहां की रीति है कि आप मालिक को पारिश्रमिक दे रहे हैं. एक तरफ कह रहे हैं कि हम उनको मालिक मानते हैं और दूसरी तरफ, आप उनको मजदूरी दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी, भाषण नहीं दें. आप सीधा प्रश्न पूछें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - तिवारी जी, आप अधूरी बात बताते हैं. पारिश्रमिक तो इस बात के लिए है कि उनसे तेंदूपत्ता तुड़वा रहे हैं, तेंदूपत्ता कलेक्ट कर रहे हैं एवं उसके बाद टेण्डर सरकार करती है और जो लाभ होता है तो उसका लाभांश दे रहे हैं. लाभांश हमेशा मालिक को मिलता है और हम उस तेंदूपत्ता तोड़ने वाले को मालिक मान रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मालिक मैं हूँ और मेरी सम्पत्ति को सरकार बेचेगी. आप देख लें, जो एक्ट 2006 का मैंने पढ़कर सुनाया है. 2006 के एक्ट में वह मालिक है और आप उनको पारिश्रमिक दे रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - तिवारी जी, मैं आपकी बात का जवाब दे रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी, आप बैठ जाइये.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - सरकार व्यापार नहीं कर रही है. इसमें एक फेडरेशन बनाया गया है. प्रदेश स्तर पर एक संघ है, जो इसका काम कराता है. तेंदूपत्ता तोड़ने का काम सरकार नहीं करती है, संग्राहकों की अर्थात् मालिकों की एक समिति बनाई गई है एवं नीचे के स्तर पर जो समिति है, वह पत्ता तुड़वाती है और वही उनकी मजदूरी का पेमेन्ट करती है. जो संग्राहक हैं, संग्रहण में जो दरें होती हैं, उनका पेमेन्ट करती हैं. आपका कहना है कि व्यापार सरकार कर रही है तो यह सही नहीं है. सरकार तो, को-ऑपरेटिव्ह एक्ट में बना हुआ एक फेडरेशन है, उसके नीचे जिला स्तर पर एक समिति है और उसके नीचे तेंदूपत्ता संग्राहकों की ग्राम स्तर पर समिति है, वह इसका व्यापार करती है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, 2006 के एक्ट में ....
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी, बैठ जाइये, अब इनका नहीं लिखा जायेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
4.04
बजे 3) आगर
जिले में
उद्यानिकी
विभाग द्वारा
ड्रिप सामग्री
वितरण में
अनियमितता
किया जाना.
श्री मुरलीधर पाटीदार (सुसनेर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी.
राज्यमंत्री, उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण (श्री सूर्यप्रकाश मीना) - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनान्तर्गत वर्ष 2016-17 में आगर मालवा जिले के कृषकों के यहां ड्रिप संयंत्र पर अनुदान संबंधी प्रकरणों में अनियमितता की जानकारी विभाग को अगस्त, 2017 में मिली थी. इस पर तत्काल अधिकारियों का दल गठित कर जांच करवाई गई. जांच में अधिकारियों एवं संबंधित निर्माता कंपनी/डीलर द्वारा प्रथम दृष्टया अनियमितताएं पाई जाने के कारण उप संचालक, उद्यानिकी श्री आर.सी. पिपल्दे एवं उनके अधीनस्थ 03 अधिकारियों को निलंबित किया जाकर आगे कार्यवाही प्रचलित है. इसके अतिरिक्त 06 परिवीक्षाधीन अधिकारियों एवं 5 ड्रिप निर्माता कंपनियों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किए गए हैं. उपरोक्त सभी अधिकारी एवं ड्रिप निर्माता कंपनियों के विरूद्ध पुलिस थाना, आगर मालवा में 18 सितम्बर, 2017 को प्रथम सूचना रिपोर्ट क्रमांक 0516/2017 दर्ज कराई गई. उपरोक्त प्रकरणों में अभी कोई भुगतान नहीं किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय कृषि विकास योजनांतर्गत आगर मालवा के कृषक श्री बलराम पिता जगन्नाथ पाटीदार के नाम से शेडनेट हाउस निर्माण का फर्जी प्रकरण तैयार करने की शिकायत जुलाई, 2017 में प्राप्त हुई थी. शिकायत की जांच में उक्त कृषक के नाम से फर्जी प्रकरण तैयार कर रूपए 14.20 लाख का भुगतान संबंधित कंपनी को करना पाया गया. इस कारण श्री पिपल्दे को आदेश दिनांक 18.09.2017 से निलंबित कर उनके अधीनस्थ 02 अन्य अधिकारियों एवं निर्माता कंपनी के विरूद्ध दिनांक 16.09.2017 को पुलिस थाना आगर मालवा में प्रथम सूचना रिपोर्ट क्रमांक 0514/2017 दर्ज कराई गई है.
कृषकों के अनुदान प्रकरणों में प्रक्रियात्मक कमियां होने से एवं सत्यापन न हो पाने के कारण कुछ कार्यों का भुगतान नहीं किया जा सका था, जिसके फलस्वरूप वित्तीय वर्षान्त 31 मार्च 2017 में राशि समर्पित की गई. जिला प्रशासन द्वारा इकाईयों के सत्यापन के लिए दल गठित किया गया है. सत्यापन उपरांत पात्र कृषकों को भुगतान कर दिया जावेगा.
विभाग द्वारा यथोचित कार्यवाही की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय - श्री पाटीदार जी.
श्री मुरलीधर पाटीदार (सुसनेर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो बात कही वह सही है. पहले मैंने माननीय प्रमुख सचिव महोदय को शिकायत की थी, उसके बाद कार्यवाही हुई. माननीय मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि 2016-17 में जिन्होंने काम किया उनके ऊपर तो कार्यवाही कर दी, उसमें एक कंपनी को बचा लिया टैक्समू, पहले उसका नाम था, बाद में कैसे अलग हो गया यह समझ से परे है और 2015-16 में लगभग 100 करोड़ का बजट जिला आगर मालवा में खर्च हुआ जिसमें कुल तीन कंपनियों ने काम किया उसकी न तो जांच हुई न ही उनके खिलाफ कोई कार्यवाही की गई है. मंत्री जी अगर उसकी कार्यवाही करेंगे तो किसानों के कागज भी नहीं मिलेंगे और मैं जब से आपसे आग्रह कर रहा हूं, आपसे मैंने मिलकर भी आग्रह किया कि कार्यवाही की जानी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्न कर दीजिए.
श्री मुरलीधर पाटीदार - अध्यक्ष महोदय, 2015-16 में जिन कंपनियों ने और जिन अधिकारियों ने काम किया है, उनकी जांच कर उनके खिलाफ क्या एफआईआर दर्ज कराएंगे?
राज्यमंत्री उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण, वन (श्री सूर्यप्रकाश मीना)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आगर-मालवा जिले में वर्ष 2016-17 में 5293 प्रकरण ड्रिप स्प्रिंक्लर के स्वीकृत हुए. जिले को 13.18 करोड़ रूपये का आवंटन दिया गया था. 3724 प्रकरणों में अनुदान भुगतान 10.41 करोड़ रूपये हो चुका है. शेष 2.77 करोड़ आवंटन के समर्पण की राशि की बात कर रहे हैं. चूंकि प्रकरणों में उनका सत्यापन नहीं हो पाया इसलिये इन प्रकरणों की राशि 31 मार्च आने की वजह से सरेण्डर कर दी गई. वर्ष 2017-18 में 11.82 करोड़ रूपये का आवंटन जिलों को दिया गया है जिसमें 2.26 करोड़ रूपये का भुगतान कृषकों को अभी तक कर दिया गया है. शेष राशि कलेक्टर महोदय की अध्यक्षता में जितने इस तरह के प्रकरण हैं उनमें जांच जारी है उसमें कोई अनियमितता नहीं हुई है. यदि वह जांच में सही सिद्ध पाये जायेंगे तो सबका भुगतान कर दिया जाएगा.
श्री मुरलीधर पाटीदार--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर ही नहीं आया. मैंने यह प्रश्न किया कि वर्ष 2016-17 की जांच की तो वर्ष 2015-16 की जांच क्यों नहीं की?
अध्यक्ष महोदय--वर्ष 2015-16 की जांच के बारे में कह रहे हैं.
श्री सूर्यप्रकाश मीना--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो जांच का विषय था हमारे सामने जो अनियमितता की बात आयी थी वह सारी जांच हमने करवा ली है. पहली बार मध्यप्रदेश के किसी एक जिले में 10 अधिकारियों को जिला अधिकारी सहित निलंबित किया गया उनके खिलाफ थाने में एफ.आई.आर करवाई गई. यह सबसे बड़ी कार्यवाही है. जितनी हमारे सामने जांच आयी थी कर ली है. बाकी यदि कोई इसमें कमी होगी तो उसकी जांच करवा लेंगे.
4.13 बजे (4) सुवासरा क्षेत्र के सीतामऊ जल आवर्धन योजना के निर्माण में अनियमितता किये जाने
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है---
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री हरदीप सिह डंग:- माननीय अध्यक्ष महोदय, ठेकेदार को कार्य पूर्ण करने के समय-सीमा दी गयी थी, उसमें बहुत ज्यादा विलंब होने के बाद भी आज भी जो यह बताया है कि यह काम पूर्ण हो गया है. यदि अभी भी वहां पर उसकी जांच करायी जाये तो मात्र 60 प्रतिशत कार्य हुआ है और आपने जो अभी उत्तर दिया है उसमें खुद ने माना है कि 200 मीटर चट्टान आने के कारण सतह पर जो पाईप-लाईन डाल दी गयी थी, उस सतह के कारण नीचे और ऊपर जो पाईप-लाईन डली है, तो यह संभव हो सकता है कि क्या पानी सप्लाई, ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर हो सकता है. यह जो जानकारी दी गयी है, यह 100 प्रतिशत गलत जानकारी दी गयी है. कमीशनिंग अवधि में पाईप-लाईन के जोड़ों का प्रश्न और लीकेज़ की समस्या बतायी गयी है. एक तो लीकेज़ वाली बात बता रहे हैं और तीसरे पाईंट में कह रहे हैं कि हम सुचारू रूप से पानी दे रहे हैं. इसका मतलब जो उत्तर आया है, उसमें भी कहीं न कहीं नीचे से जो जानकारी आयी है, वह पूर्ण रूप से गलत आयी है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि इसकी जांच करा ली जाये और जांच में जो सही पाया जायेगा, वह तथ्य आपके सामने आ जायेंगे. क्योंकि मैं वहां पर रहता हूं, वहां पर मोटर सायकिल में चलने-फिरने में बहुत दिक्कत आ रही है. आप इसकी जांच करायें तो अच्छा होगा.
श्रीमती माया सिंह:- माननीय अध्यक्ष जी, सम्माननीय विधायक जी ने जो बात उठायी है, हम इसकी जांच करवा लेंगे और ठेकेदार के विरूद्ध त्रुटिपूर्ण कार्य करने के लिये अनुबंध की शर्तों के अनुसार पेनाल्टी लगाने की कार्यवाही की जायेगी और जो खराब काम किया है या त्रुटिपूर्ण कार्य है, उसका एक माह में सुधार करवाया जायेगा.
श्री हरदीप सिंह डंग:- धन्यवाद. मंत्री जी जो सम्पवेल बनवाया गया है, वहां पर भी पूरी तरह से दरारें पड़ चुकी हैं. मेरा अनुरोध है कि जांच में सम्पवेल, पाईप-लाईन और जो पूरा सिस्टम है, उसकी जांच करायी जाये.
श्रीमती माया सिंह:- हम दल भेजकर जांच करवा लेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग:- मंत्री जी, धन्यवाद.
4.18 बजे अध्यक्षीय घोषणा
कार्यसूची में अंकित शेष कार्य पद क्र. 6 एवं 7 आगामी कार्य दिवस को लिया जाना.
अध्यक्ष महोदय:- जैसा कि पूर्व में सूचित किया गया है कि आज अशासकीय कार्य दिवस है, इसलिये कार्यसूची के पद 4 एवं 5 का कार्य पूर्ण होने के उपरांत अशासकीय कार्य लिया जायेगा. कार्यसूची में अंकित शेष कार्य पद 6 व 7 आगामी कार्य दिवस को लिये जायेंगे. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गयी.
4.19 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) प्रत्यायुक्त विधान समिति का नवम् एवं दशम् प्रतिवेदन
श्री जय सिंह मरावी(सभापति):- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रत्यायुक्त विधान समिति का नवम् एवं दशम् प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
4.20 बजे
(2) प्रश्न एवं संदर्भ समिति का तीसवां, इकतीसवां, बत्तीसवां एवं तैंतीसवां प्रतिवेदन
इंजीनियर प्रदीप लारिया, सभापति- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न एवं संदर्भ समिति का तीसवां, इकतीसवां, बत्तीसवां एवं तैंतीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
(3) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति का द्वितीय एवं तृतीय प्रतिवेदन
श्री के.डी. देशमुख, सभापति- अध्यक्ष महोदय, मैं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति का द्वितीय एवं तृतीय प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
(4) महिलाओं एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति का तृतीय प्रतिवेदन
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर (खरगापुर)- अध्यक्ष महोदय, मैं महिलाओं एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति का तृतीय प्रतिवेदन प्रस्तुत करती हूं.
4.22 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
4.23 बजे
अशासकीय विधि विषयक कार्य
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश साहूकार (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 18 सन् 2017) के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश साहूकार (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 18 सन् 2017) के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान नहीं की गई.
श्री शैलेन्द्र पटेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात रखना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- अब आप कैसे बोल सकते हैं ?
श्री अजय सिंह- अध्यक्ष महोदय, विधायक जी अपनी पीड़ा तो सदन में रख ही सकते हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल- अध्यक्ष महोदय, मैं बिल के बारे में नहीं बोलना चाहता हूं. मैं कुछ और कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- पटेल जी, आप बैठ जायें.
4.24 बजे
अशासकीय संकल्प
(1) मध्यप्रदेश की पिछड़ा वर्ग की अनुसूची में शामिल कोहरी जाति को भारत सरकार की पिछड़ा वर्ग जाति की अनुसूची में शामिल करने की अनुशंसा विषयक
श्री के.डी. देशमुख (कटंगी)- अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि:-
सदन का यह मत है कि मध्यप्रदेश की पिछड़ा वर्ग की अनुसूची में शामिल कोहरी जाति को भारत सरकार की पिछड़ा वर्ग जाति की अनुसूची में शामिल करने की अनुशंसा राज्य शासन द्वारा की जाए.
अध्यक्ष महोदय- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री के.डी. देशमुख- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए मैं धन्यवाद देना चाहूंगा. मध्यप्रदेश के बालाघाट, सिवनी और छिंदवाड़ा जिले में कोहरी जाति पाई जाती है. वर्तमान में मध्यप्रदेश की पिछड़ा वर्ग की अनुसूची में कोहरी जाति को शामिल किया गया है. कोहरी जाति के बच्चे केंद्रीय सेवाओं में इसलिए नहीं जा पा रहे हैं क्योंकि केंद्र में पिछड़ा वर्ग की अनुसूची में कोहरी जाति का नाम शामिल नहीं है. बालाघाट, सिवनी और छिंदवाड़ा जिले में निवासरत समस्त कोहरी समाज के लोग यह मांग कर रहे हैं कि केंद्र शासन द्वारा पिछड़ा वर्ग की अनुसूची में कोहरी जाति को शामिल किया जाये जिससे कि वे भविष्य में केंद्रीय सेवाओं में नौकरी के लिए आवेदन कर सकें और कोहरी जाति को मिलने वाला लाभ उन्हें प्राप्त हो सके. मैं राज्य शासन से निवेदन करना चाहता हूं कि वह इस संबंध में समस्त औपचारिकता पूर्ण करे. वर्तमान में मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष भी नहीं है. राज्य पिछड़ा वर्ग के सदस्य भी नहीं हैं. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि करीब एक से डेढ़ साल हो गया है मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति की जाए. तब तक अनुसंधान अधिकारी को इन तीनों जिलों में सर्वे करने के लिए, अनुसंधान करने के लिए भेजा जाना बहुत जरूरी है. काफी विलंब हो गया है. बहुत वर्षों से कोहरी समाज के लोग केन्द्र की पिछड़ा वर्ग की सूची में अपनी जाती को लाना चाहते हैं अत: मैं राज्य शासन से निवेदन करना चाहता हूं कि कोहरी जाति को जो मध्यप्रदेश में पिछड़ी जाति की सूची में है उसको केन्द्र की पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करने के लिए कार्यवाही की जाए. धन्यवाद.
श्री रणजीत सिंह गुणवान (आष्टा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने कोरी समाज के बारे में जो भी कहा है मैं आपके माध्यम से उसका समर्थन करता हूं और निवेदन करता हूं कि इसमें सम्मिलित किया जाए और इसी के साथ जांगड़ा समाज का एक बयान दे रहा हूं. जांगड़ा जाति मुख्यत: निम्न जिलों में पाई जाती है. सीहोर, शाजापुर, देवास, उज्जैन, मंदसौर, खण्डवा, धार, खरगौन, रतलाम, हरदा, होशंगाबाद, बैतूल, रायसेन, भोपाल, गुना, राजगढ़, बड़वानी, जबलपुर, सागर, रीवा, सतना, मंडला और बालाघाट. जांगड़ा समाज और खासकर सीहोर जिलें में मेरे विधान सभा क्षेत्र में जांगड़ा समाज के अलावा दूसरी जाति है ही नहीं. इसमें उनका यह मानना है कि हमें जाति सूचक से बहुत ही अपमानित होना पड़ता है इसीलिए उन्होंने सरकार से एक ज्ञापन देकर निवेदन किया है. (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह विषय नहीं है. इसे रिकार्ड से, कार्यवाही से हटा दें.
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- अध्यक्ष महोदय, इसे विलुप्त न करें तो उपजाति में तो जांगड़ा समाज को शामिल किया जाए. जांगड़ा समाज को शासन की योजनाओं का जो अनुसूचित जाति में सम्मिलित हैं लाभ नहीं मिल रहा है.
राज्यमंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण (श्री सूर्यप्रकाश मीना) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग मंत्रालय भोपाल अधिसूचना दिनांक 20.04.1997 जो मध्यप्रदेश राजपत्र असाधारण प्राधिकार से दिनांक 05.04.1997 को प्रकाशित है, के द्वारा जारी मध्यप्रदेश राज्य की पिछड़ा वर्ग की सूची के सरल क्रमांक 33 पर शामिल है. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा 53 जातियों को केन्द्रीय सूची में शामिल करने के लिए दिनांक 10 एवं 11 सितम्बर 2014 को आयोग कार्यालय में जनसुनवाई आयोजित की गई थी. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा परीक्षण उपरांत प्रदेश की कुल 32 जातियों जिनमें कोहरी जाति भी शामिल है, को केन्द्रीय सूची में शामिल करने हेतु चिह्नांकित किया गया है. आयोग के निर्देशानुसार मध्यप्रदेश राज्य सरकार से केन्द्रीय पिछड़ा वर्ग की सूची में जाति समुदाय को दर्ज करने के संदर्भ में सामाजिक, शैक्षणिक, अभिप्रमाणित रिपोर्ट डाटा की मांग की गई थी. उपरोक्त चाही गई जानकारी के संदर्भ में 32 जातियों से सर्वेक्षण के आधार पर सामाजिक शैक्षणिक डाटा रिपोर्ट भेजने हेतु मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पत्र क्रमांक, अनुक्रमांक 260/2016/893 दिनांक 9.12.2016 के द्वारा समस्त कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं. पुन: स्मरण पत्र क्रमांक, अनुक्रमांक 260/2016/985,986 दिनांक 25.1.2017 एवं पत्र क्रमांक 1387 दिनांक 13.8.2017 को भेजा गया है. जिलों से आज दिनांक तक जानकारी अप्राप्त है. पुन: स्मरण पत्र क्रमांक 1609 दिनांक 6.11.2017 को अनुसूची संलग्न कर समस्त कलेक्टरों को तुरंत डाटा उपलब्ध कराने हेतु पत्र प्रेषित किया गया है. जानकारी वृहद स्वरुप की है अत: जिलों से जानकारी प्राप्त होने पर आयोग स्तर से रिपोर्ट भेजी जा सकेगी. उपरोक्तानुसार कार्यवाही प्रचलन में है. अत: उपरोक्त के परिप्रेक्ष्य में अशासकीय संकल्प क्रमांक 10 अग्राह्य किए जाने का अनुरोध है.
श्री के.डी.देशमुख--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, पिछड़ा वर्ग आयोग का जो अध्यक्ष है वर्तमान में कौन है ?
श्री सूर्यप्रकाश मीना--अभी पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष नहीं है.
श्री के.डी.देशमुख--कब से नहीं है, आयोग में कितने सदस्य होते हैं ? यह जो रिपोर्ट तैयार होगी वह रिपोर्ट अनुसंधान अधिकारी जमा करके लाएगा फिर कलेक्टर को भेजेगा. यह रिपोर्ट किसके आदेश से जाएगी.
श्री सूर्यप्रकाश मीना--अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को कहना चाहता हूँ कि वह रिपोर्ट हम जल्दी से भिजवा देंगे.
श्री के.डी. देशमुख--मंत्री जी मैं यह पूछना चाहता हूँ कि यह रिपोर्ट किसके माध्यम से भिजवाएंगे ? जब आपके आयोग का अध्यक्ष ही नहीं है, सदस्य भी नहीं हैं.
श्री सूर्यप्रकाश मीना--यह नियुक्ति शासन स्तर पर होती है.
श्री के.डी.देशमुख--तो शासन को लिखा जाए.
श्री सूर्यप्रकाश मीना--लिखा जाएगा.
श्री के.डी.देशमुख--डेढ. साल हो गया है.
श्री सूर्यप्रकाश मीना--राज्य पिछड़ा वर्ग के आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति जल्दी होगी, अध्यक्ष के लिए शासन को लिखा गया है.
श्री कमलेश्वर पटेल--(XXX)
अध्यक्ष महोदय--कमलेश्वर पटेल जी ने जो कुछ कहा वह नहीं लिखा जाएगा.
…………………………………………………………………………………….
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री सूर्यप्रकाश मीना--अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय सदस्य से आग्रह है कि जल्दी ही अध्यक्ष की नियुक्ति हो जाएगी क्योंकि बहुत सारे मामले हैं. अभी वे संकल्प को वापस ले लें.
श्री के.डी. देशमुख--अध्यक्ष महोदय, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में मध्यप्रदेश की कई पिछड़ी जातियों के मामले 2-2, 3-3 साल से लंबित पड़े हुए हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, अध्यक्ष के नहीं होने से पिछड़ा वर्ग आयोग में कोई काम नहीं रुक रहा है.
श्री सूर्यप्रकाश मीना--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य से आग्रह है कि बहुत जल्दी अध्यक्ष की नियुक्ति होगी फिर वे प्रस्ताव लाएं उसको हम स्वीकृत करके भेजेंगे.
श्री के.डी. देशमुख--धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--क्या आप यह संकल्प वापस लेने के पक्ष में हैं.
श्री के.डी.देशमुख--जी हां.
अध्यक्ष महोदय--क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति प्रदान करता है.
(सदन द्वारा अनुमति प्रदान की गई.)
संकल्प वापस हुआ.
(2) नगरीय निकायों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के करारोपण एवं विकास कार्यों की देख-रेख के लिए नियामक प्राधिकरणों का गठन किया जाना.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)--अध्यक्ष महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूँ कि "यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि नगरीय निकायों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के करारोपण एवं विकास कार्यों की देख-रेख के लिए नियामक प्राधिकरणों का गठन किया जाए".
अध्यक्ष महोदय--संकल्प प्रस्तुत हुआ.
डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, नगरीय प्रशासन विभाग में स्थानीय संस्थाएं नगर निगम, नगर परिषदें और नगर पालिकाएं हैं. पूरे प्रदेश में जितने नगर और महानगर हैं उन सभी में करारोपण का काम होता है. इनको स्थानीय शासन कहा जाता है. जहां तक देखा जा रहा है ईमानदार करदाता पानी का बिल देते हैं, प्रकाश कर देते हैं, संपत्ति कर देते हैं. जो राजस्व प्राप्त होता है उसके दुरुपयोग के भी कई उदाहरण मिलते हैं. इस संकल्प को लाने का यही उद्देश्य था कि इस पर कहीं नियंत्रण रहे. भारत के संविधान में भी अनुच्छेद 247 (क) में वित्त आयोग का उल्लेख है कई जगह बने भी हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता--मध्यप्रदेश में भी बने हुए हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार से विद्युत नियामक आयोग विद्युत प्रोडक्शन, विद्युत वितरण, ट्रांसमीशन के लिए बनाया गया है. उसी तरह से इसके लिए भी बनाया जाए क्योंकि कई तरह की गड़बड़ियां हुई हैं. भारत सरकार संविधान में वर्णित अधिकारों के तहत मध्यप्रदेश सरकार को विकास कार्यों के लिए सहायता व अनुदान देती है. इसका सही उपयोग हो. कई बार ऐसी कॉलोनियां जहां के निवासी पूरी ईमानदारी से कर देते हैं परन्तु वहाँ विकास कार्य नहीं होते हैं, कई बार विकास कार्य राजनीतिक आधार पर भी हो जाते हैं तो इस प्रकार की परेशानी जनता को या निवासियों का आए तो वह जाकर अपनी बात नियामक आयोग से कह सके. इसके अलावा मैं बताना चाहता हूं कि भोपाल में और पूरे प्रदेश कई जगह होर्डिंग लगाये गये और 10 वर्ष में होर्डिंग पर ही 200 करोड़ रुपये खर्च हो गये अब होर्डिंग लगा कर फोटो छपवाने की स्थानीय संस्थाओं के अध्यक्षों को क्या आवश्यकता थी. जो 200 करोड़ रुपये विकास कार्यों में लग सकते थे उनको आपने होर्डिंग में अपने फोटो छपवाकर, अखबार में विज्ञापन छपा कर समाप्त कर दिये. इसी प्रकार 329 करोड़ रुपये बीआरटीएस योजना में खर्च किये और बीआरटीएस योजना सफल नहीं है. कई जगह हम देखते हैं कि उसका कोई सही सदुपयोग नहीं रहा है. आवागमन में लोगों को बाधा ही उत्पन्न हो रही है. पहले जहाँ सड़क चौड़ी थी आराम से वाहन आ जा सकते थे. आपके पास परिवहन के लिए बसें नहीं हैं ना ही भारी पैमाने पर कोई व्यवस्था है. बहुत कम बसें हैं जो दिन भर बीआरटीएस से जाती हैं. करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी उनका सही सदुपयोग नहीं हो पा रहा है.
4.36 बजे {उपाध्यक्ष महोदय(डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह)पीठासीन हुए}
स्मार्ट सिटी में भी आप 3 हजार करोड़ खर्च करने वाले हैं, हम चाहते हैं कि इनका सही उपयोग हो, सही तरीके से नियंत्रण हो, वित्तीय अनुशासन हो. नगरीय प्रशासन में हालांकि चुने हुए प्रतिनिधि हैं उनको स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करने का अधिकार है जिस प्रकार हम लोग चुने जाते हैं उसी प्रकार वह भी जनता के द्वारा चुने जाते हैं लेकिन अपव्यय करने का, वित्तीय अनुशासनहीनता करने का अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता है फिर चाहे वह विधायिका हो या उससे नीचे स्तर की संस्थायें हों इसीलिये इन सब बातों को उल्लेख करते हुए इस प्रकार का नियामक आयोग बनाने के लिए शासन से हमारा अनुरोध है. चूंकि यह संवैधानिक प्रावधान के तहत है इसलिए इसको भारत सरकार को अनुमति के लिए भेजा जाये ऐसा मेरा निवेदन है.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री(श्रीमती माया सिंह)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,संविधान के 74वें अधिनियम 1992 के द्वारा नगरीय निकायों को स्वायत्ता प्रदान की गई है जिसमें एक नई अनुसूची, 12वीं अनुसूची जोड़ी गई है इसमें 18 विषयों का उल्लेख किया गया है. जिन पर नगर निगम, नगर पालिका कानून बना कर अपने नागरिकों के जीवन को सुखी बना सकती है. संविधान के अनुसार नगरीय निकाय संवैधानिक स्वशासी संस्थायें हैं. स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार मध्यप्रदेश नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की धारा 135 एवं नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 127 के अंतर्गत करारोपण किया जाता है. करारोपण करने के लिए नगरीय निकाय स्वयं सक्षम हैं. 13वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार राज्य स्तर पर संपत्ति कर बोर्ड का गठन वर्ष 2011 में किया जा चुका है. बोर्ड के गठन का उद्देश्य नगरीय निकायों को करारोपण संबंधी सुझाव एवं अनुशंसायें प्रदान किया जाना है अतः पृथक से करारोपण के लिए नियामक प्राधिकरण के गठन की आवश्यकता नहीं है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी से कहना चाहूंगी कि उनकी जो शंकायें हैं, उसमें क्या है कि वैधानिक रूप से नगरीय निकायों को संवैधानिक स्वायत्ता की शुचिता बनाये रखने के लिए अधिनियमों में तथा राज्य शासन के निर्देशों में पर्याप्त प्रावधान किये गये हैं लेकिन इसके बावजूद भी अगर कोई शंका या कोई आपके मन में शिकायत है तो नगरीय निकायों द्वारा किये जाने वाले करारोपण से व्यथित होकर कोई भी व्यक्ति करारोपण के विरुद्ध माननीय न्यायालय में अथवा शासन स्तर पर अपील कर सकता है यह भी इसमें प्रावधान है तो मैं विधायक जी से आग्रह करना चाहूंगी कि आपकी भावनाओं को और आपने जो बात रखी है उसको ध्यान में रखते हुए ऑलरेडी नगर पालिका और नगर निगम के स्तर पर इसकी व्यवस्था की गई है तो आपसे आग्रह है कि इसे वापस ले लें.
डॉ गोविंद सिंह-- मैं संकल्प वापस लेता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है.
अनुमति प्रदान की गई.
संकल्प वापस हुआ.
4.40 बजे अध्यक्षीय घोषणा
अशासकीय संकल्प एकजाई रुप में प्रस्तुत करने संबंधी
उपाध्यक्ष महोदय -- रेल संबंधी एकजाई अशासकीय संकल्प हेतु प्रक्रिया यह होगी कि तीनों माननीय सदस्य क्रमश: अपने-अपने रेल संबंधी संकल्प प्रस्तुत करेंगे. तदुपरांत तीनों संकल्पों पर माननीय मंत्री द्वारा एकजाई जवाब दिया जाएगा.
अशासकीय संकल्प (क्रमश:)
(i) ट्रेन क्रमांक-19325/19326 इन्दौर-अमृतसर एवं ट्रेन क्रमांक 19053/19054 सूरत-मुज्जफरपुर एक्सप्रेस अप/डाऊन गाड़ियों का स्टापेज शाजापुर स्टेशन पर किया जाना,
(ii) भोपाल से खजुराहो आने तथा जाने वाली महामना एक्सप्रेस ट्रेन का स्टापेज खरगापुर रेल्वे स्टेशन पर किया जाना, तथा
(iii) ट्रेन क्रमांक 51673/51674 इटारसी-सतना एक्सप्रेस को पुन: प्रारंभ किया जाना.”.
श्री अरूण भीमावद (शाजापुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हॅूं कि :-
यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि :-
(1) "ट्रेन क्रमांक- 19325/19326 इन्दौर-अमृतसर एवं ट्रेन क्रमांक 19053/19054 सूरत-मुज्जफरपुर एक्सप्रेस अप/डाऊन गाडि़यों का स्टॉपेज शाजापुर स्टेशन पर किया जाए."
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर (खरगापुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करती हॅूं कि :-
यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करती है कि :-
(2) " भोपाल से खजुराहो आने तथा जाने वाली महामना एक्सप्रेस ट्रेन का स्टॉपेज खरगापुर रेल्वे स्टेशन पर किया जाए."
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हॅूं कि :-
यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि :-
(3) "ट्रेन क्रमांक 51673/51674 इटारसी-सतना एक्सप्रेस को पुन: प्रारंभ किया जाए."
उपाध्यक्ष महोदय -- संकल्प प्रस्तुत हुए.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक (बिजावर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आदरणीय चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर जी के समर्थन में मैं भी यह कहना चाहता हॅूं कि खजुराहो से भोपाल की जो ट्रेन बड़ी प्रतीक्षा के बाद प्रारंभ हुई है और छतरपुर से लेकर टीकमगढ़ के बीच में कोई भी स्टॉपेज नहीं है. खरगापुर और ईशानगर दोनों तहसील मुख्यालय हैं इन दोनों स्थानों पर यदि स्टॉपेज होगा, तो जनता के लिए बड़ी राहत होगी, मैं इसका समर्थन करता हॅूं.
श्री रणजीतसिंह गुणवान (आष्टा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा भी यही निवेदन है कि आष्टा को भी रेल की सुविधा मिले. सिहोर से आष्टा व्हाया सोनकच्छ होते हुए देवास लगे. यह मेरा आग्रह है यदि रेल शुरु हो जाएगी तो बहुत अच्छा होगा.
राजस्व, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तीनों सदस्यों के जो अशासकीय संकल्प प्रस्तुत हुए हैं शासन उससे अपनी सहमति व्यक्त करता है.
उपाध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि :-
यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि :-
(i) ट्रेन क्रमांक-19325/19326 इन्दौर-अमृतसर एवं ट्रेन क्रमांक 19053/19054 सूरत-मुज्जफरपुर एक्सप्रेस अप/डाऊन गाड़ियों का स्टापेज शाजापुर स्टेशन पर किया जाए,
(ii) भोपाल से खजुराहो आने तथा जाने वाली महामना एक्सप्रेस ट्रेन का स्टापेज खरगापुर रेल्वे स्टेशन पर किया जाए तथा
(iii) ट्रेन क्रमांक 51673/51674 इटारसी-सतना एक्सप्रेस को पुन: प्रारंभ किया जाए.”.
सभी संकल्प स्वीकृत हुए.
4.44 बजे नियम 52 के अधीन आधे घण्टे की चर्चा
दिनांक 06 मार्च, 2017 को राजस्व मंत्री से पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 28 (क्रमांक 1687) के उत्तर से उद्भूत विषय
उपाध्यक्ष महोदय -- अब, श्री कैलाश चावला, सदस्य माननीय राजस्व मंत्री से पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 28 (क्रमांक 1687) दिनांक 06 मार्च, 2017 के उत्तर से उद्भूत विषय पर आधे घण्टे की चर्चा आरंभ करेंगे.
श्री कैलाश चावला (मनासा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सदन में नियम 52 के अधीन 06 मार्च, 2017 को मेरे द्वारा एक प्रश्न पूछा गया था. उस विषय पर चर्चा करना चाहता हॅूं. इस प्रश्न में मेरे द्वारा मनासा विधानसभा क्षेत्र के गांव में राजस्व भूमि पर जो पुराने लोगों का अतिक्रमण हैं उनको पट्टे न दिये जाने की बात की गई थी और कितने ऐसे कृषक हैं जिनके बीस वर्षों से अधिक वहां पर कब्जे चले आ रहे हैं उनको पट्टे नहीं दिए गए हैं उनकी जानकारी चाही थी. यह वर्ष 2017 का जो मेरा प्रश्न था, इसके पहले भी मैंने 09 जुलाई, 2014 को इसके बारे में एक प्रश्न पूछा था. जिसके जवाब में यह कहा गया था कि राजस्व भूमि पर अतिक्रमण करने वाले कृषकों की संख्या निरंक है अर्थात् 20 वर्षों से किसी का अतिक्रमण नहीं है. इसके पश्चात् मेरे द्वारा क्षेत्र के कृषकों से अतिक्रमण के दंड की रसीदें इकट्ठी की गईं और तत्कालीन राजस्व मंत्री जी को एक लिस्ट के साथ उन सब रसीदों को मैंने प्रस्तुत किया और उनसे आग्रह किया कि आप इसकी जांच करा लें. जांच कराने के लिए वह सूची उज्जैन संभाग के कमिश्नर के माध्यम से कलेक्टर को भेजी गई, और कलेक्टर ने उसको अनुविभागीय अधिकारी को भेजा और रामपुरा तथा मनासा के तहसीलदारों के माध्यम से उसकी जांच संपन्न हुई. उस जांच में उन्होंने यह निर्धारित कर दिया कि इनमें कोई भी कृषक ऐसा नहीं है जिसका 20 वर्ष से ज्यादा का अतिक्रमण हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूँ कि यह जो सर्वे किया गया, यह सर्वे पूर्ण रूप से कागजी था, असत्य था. मंत्री जी को और विधान सभा को गलत जानकारियां दे दी गईं. मैंने उन्हीं रसीदों में से, जो मैंने माननीय राजस्व मंत्री जी को दी थीं, 4 रसीदें ऐसी पाई हैं जिनका अतिक्रमण वर्ष 1984 से पूर्व का है. यह बात इस तथ्य को प्रमाणित करती है कि जो सर्वे किया गया है, वह असत्य है, वह व्यावहारिक सर्वे नहीं हुआ है, केवल कागजी सर्वे हुआ है. माननीय राजस्व मंत्री जी, और उसका भी कारण यह था कि एक समय ऐसा था जब अतिक्रमण को खसरे में दर्ज किया जाता था. बाद में शासन के ऐसे निर्देश हो गए, अतिक्रमण के आधार पर कोर्ट में कई बार शासन के खिलाफ आदेश होने लग गए, तो शासन ने यह निर्देश दे दिया कि खसरे में अतिक्रमण को दर्ज न किया जाए. अब हर वर्ष पटवारी की पंजी में अतिक्रमण दर्ज किया जाता है, जुर्माना लिया जाता है और यह मान लिया जाता है कि उसका अतिक्रमण हटा लिया गया है. परंतु वास्तव में वहां पर अतिक्रमण वैसे का वैसा बना रहता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिन प्रकरणों के बारे में, जिन कृषकों के बारे में मैं यहां चर्चा कर रहा हूँ, वे तीन पीढ़ियों से वहां पर रह रहे हैं. वर्ष 1956 में जब गांधीसागर बांध बना. वहां से लोग विस्थापित हुए तो विस्थापित होने के बाद उन्होंने राजस्व भूमि पर कब्जे किए, उन भूमियों को विकसित किया, वहां कुएं खोदें, उनके बिजली के कनेक्शन वहां हुए और वे दो-तीन पीढ़ियों से वहां पर खेती करते आ रहे हैं. आज दिक्कत यह आ रही है कि पट्टा न होने के कारण न तो उनकी पावती बन रही है, न उनको बैंक से लोन मिल रहा है और न ही समर्थन मूल्य और भावांतर योजना का उन्हें लाभ मिल पा रहा है और इसके ऊपर हर वर्ष उनको अतिक्रमण की कोई न कोई राशि शासन को जमा करानी पड़ती है. उन्हें यह भय भी बना रहता है कि पता नहीं कब हमारी जमीन वापस छीन ली जाएगी. यह इतना महत्वपूर्ण मसला है और कमिश्नर ने जब इसकी जांच कराई तो उसमें पाया गया कि 71 गांवों में 2868 व्यक्तियों का अतिक्रमण है. अब 2868 में कुछ व्यक्ति ऐसे हो सकते हैं जो नए हों, परंतु वर्ष 1984 के पूर्व के कब्जे वाले, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 1984 इसलिए तय किया जा रहा है क्योंकि शासन ने पहले नियम बनाए थे कि वर्ष 1984 के पहले के अतिक्रमण अगर किसी किसान के हैं तो शासन उनको पट्टे दे देगा. जैसा मैंने अभी निवेदन किया कि जो 377 का रिकार्ड मैंने प्रस्तुत किया, उनमें से कई लोग ऐसे हैं जिनके वर्ष 1984 के पूर्व के कब्जे हैं. उनको पट्टे की पात्रता आती है परंतु चूँकि सर्वे गलत हुआ, इसलिए उनको पट्टे आज भी नहीं दिए जा रहे हैं. अत: मैं माननीय राजस्व मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूँ कि इनका सर्वे पुन: कराया जाए और सर्वे कराते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि एक सार्वजनिक विज्ञप्ति वहां प्रकाशित होना चाहिए कि जिसके पास वर्ष 1984 के पूर्व के रिकार्ड हैं, वे रिकार्ड लेकर तहसील में उपस्थित हों और वे अपना रिकार्ड जमा कराएं ताकि किसानों को यह पता रहे कि उनको रसीद जमा कराना है और वह ठीक जगह पर जांच के लिए पहुँच सकें. दूसरी बात मैं यह निवेदन करना चाहूँगा कि इसका निष्कर्ष निकालने के पूर्व वर्ष 1984 के पूर्व के जो खसरे हैं, उनका इंद्राज भी पटवारी चेक करें कि उनमें अतिक्रमण का इंद्राज है कि नहीं, क्योंकि बाद में इंद्राज करना चूँकि बंद कर दिया गया. अगर हम आज से 5-10 साल पूर्व का रिकार्ड देखेंगे तो हमको खसरे में कोई रिकार्ड नहीं मिलना है. तो उनके साथ न्याय नहीं होगा. इसलिये सर्वे के साथ-साथ यह भी निर्देश दिया जाये कि 1984 के पूर्व के खसरे का इंद्राज भी देखा जाये और अतिक्रमण का एक दायरा रजिस्टर भी तहसील में रहता है, उस दायरा रजिस्टर में भी केस का रजिस्ट्रेशन होता है, तो उसे भी अगर निकालकर देखेंगे तो उस व्यक्ति के खिलाफ 1984 के पूर्व अतिक्रमण का केस रजिस्टर्ड हुआ था तो यह भी इस बात का प्रमाण होगा कि 1984 के पूर्व का उसका कब्जा है और वह पट्टे की पात्रता रखता है. इसमें दो तरह के कृषक आते हैं. एक तो 1984 के पूर्व के, जिनको पट्टा देने की आज के नियम के हिसाब से भी पात्रता है. दूसरे 1984 के पूर्व के अतिक्रमणधारियों को पट्टे दिया जाना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा निवेदन राजस्व मंत्री जी से यह है कि 1984 मतलब 33 वर्ष हो चुके हैं. हम कहते हैं कि हमारे किसानों की हितैषी सरकार है. मुख्यमंत्री जी किसानों के हित की बात भी करते हैं. हम सब मिलकर भी किसानों का हित करना चाहते हैं. अगर 33 वर्ष निकल गये हैं तो आज जब हम 12 साल बेमिसाल की बात कर रहे हैं, 14 साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, तो आप क्यों नहीं एक बात करते कि 15 वर्ष पूर्व के जिनके पट्टे हैं, वर्ष 1984 को 15 साल पहले तक लेकर आइये और जिन गरीब लोगों के अतिक्रमण हैं उनको पट्टे देने के लिये आप कोई योजना बनाइये. उस नियम में संशोधन कीजिये, ताकि उनको भी पट्टे की पात्रता मिल सके. मेरा यही अनुरोध है कि आप इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें और इसका सर्वे फिर से करायें और 1984 के बाद के 15 साल पूर्व के जिनके कब्जे हैं उनको पट्टे देने के लिये आप चाहें तो केबिनेट में ले जाएं, चाहें तो जांच कराएं, इनकी जो भी प्रक्रिया आप तय करें, उनको पट्टे मिलना चाहिये ताकि उन गरीब लोगों को शांति से जीने का अधिकार मिल सके.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय चावला जी ने जो बातें रखी हैं, उनमें से मैं कई बातों पर सहमति व्यक्त करता हूं कि यह समस्या है. लेकिन प्रश्न अभी 1984 वाला नहीं बचा है. मुझे जो जानकारी विभाग से मिली है उसके अनुसार माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन दे दिया है. किसी भी आवंटन पर और 1984 के पूर्व के जो आवंटन माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पूर्व हो गये उसके बाद किसी भी प्रकार की कृषि भूमि के आवंटन पर रोक लगी हुई है, जब तक कि प्रकरण का निराकरण नहीं हो जाये. यह भी एक समस्या आ गई है. माननीय चावला जी ने जो कहा कि सर्वे, खसरा, दायरा, यह सब दिखवा लेंगे, रिकार्ड जरूर तैयार करवा लेंगे. लेकिन इस मामले का निपटारा कैसे हो ? उन किसानों के प्रति जो वर्षों से अपना पेट पाल रहे हैं. जैसा मुझे बताया गया है कि छोटी-छोटी खेती है, एक हेक्टेयर, दो हेक्टेयर पर परिवार का पालन कर रहे हैं. यह केवल नीमच का मामला नहीं होगा, मेरे ख्याल से प्रदेश के बाकी हिस्सों में भी यह स्थिति होगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय चावला जी ने जो ध्यानाकर्षित किया है, उसमें हमने विचार किया है कि हमारा भूमि सुधार आयोग जो दाणी जी के नेतृत्व में बना है, उसको भी यह विषय दे देंगे. वह सारे विषयों पर विचार कर रहे हैं और उसके निराकरण की क्या नीति बन सकती है, कैसे बन सकती है, कैसे कानूनी रूप से हम इस काम को कर सकते हैं, यह हम जरूर करेंगे. निश्चित ही चावला जी ने जो विषय सरकार के ध्यान में लाया है उस पर हम सहानुभूतिपूर्वक विचार करके कोई न कोई निर्णय आगे लेंगे.
श्री कैलाश चावला -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर हम पट्टा नहीं भी दे पायें, तो कोई ऐसी नीति बनायें कि उसको खेती करने का अधिकार मिल जाये. हम पट्टा न दें, माननीय सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश है उसका पालन भी हो जाये और उसको खेती करने का अधिकार भी मिल जाये. हम उसको मालिकाना हक न दें, लेकिन खेती का अधिकार देकर उसको कोई ऐसी पावती दे दें जिससे उसको कर्जा मिल जाये, शासन की योजनाओं का लाभ मिल जाये. ऐसी कोई नई नीति, नया तरीका आप ढूढ़ेंगे तो निश्चित रूप से उनको लाभ मिल जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, क्या माननीय सुप्रीम कोर्ट से स्थगन है या स्थाई आदेश पारित हुआ है ?
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी स्थगन है, मामला चल रहा है. माननीय विधायक जी ने जो कहा है उसके बारे में मैंने अपने जवाब में कहा है कि क्या तरीका हो सकता है ताकि उन लोगों के हितों का संरक्षण किया जा सके.
श्री कैलाश चावला -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने तरीका ही सुझाया है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट से दो प्रतिशत रिजर्व रखने का निर्देश है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय, जैसा चावला जी ने कहा है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइन और उस स्थगन के आधार पर क्या हो सकता है, इस बारे में हम मामला उस कमेटी को रेफर करेंगे और वहां से जो सुझाव आएंगे, फिर उस पर निर्णय लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय -- विधानसभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 4 दिसम्बर, 2017 के प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 4.55 बजे विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 4 दिसम्बर, 2017 (13 अग्रहायण, शक संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक :1 दिसम्बर, 2017 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा