मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2024 सत्र
सोमवार, दिनांक 1 जुलाई, 2024
(10 आषाढ़, शक संवत् 1946)
[खण्ड- 3] [अंक- 1]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 1 जुलाई, 2024
(10 आषाढ़, शक संवत् 1946 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.00 बजे समवेत् हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
राष्ट्रगीत
राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' का समूहगान.
अध्यक्ष महोदय -- अब, राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' होगा. सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया अपने स्थान पर खड़े हो जाएं.
(सदन में राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' का समूहगान किया गया.)
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - अध्यक्ष महोदय, अकेले माननीय कमलनाथ जी कितने अच्छे लग रहे हैं, विपक्ष की सारी सीटों में अकेले आप काफी हैं. जय हो आपकी.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, देश में भी कमल छाया है, यहां पर भी कमल छा रहे हैं. मध्यप्रदेश में 29 की 29 सीटें आई हैं और माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपको बधाई देता हूँ. आपके नेतृत्व में 29 की 29 सीटें जीती हैं. मैं जब से राजनीति कर रहा हूँ, पहली बार मध्यप्रदेश में 29 सीटें जीती हैं और इसलिए मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ.
जनजातीय कार्य मंत्री (कुंवर विजय शाह) -- एक कमल छिंदवाड़ा से भी आया है.
11.02 बजे निधन का उल्लेख
(1) श्री हर्ष सिंह, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(2) श्री चन्द्रप्रभाष शेखर, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(3) श्री विजय दुबे, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(4) श्री मकसूदनलाल चन्द्राकर, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(5) श्री शान्तिलाल बिलवाल, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(6) श्री बेनी परते, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(7) श्री जसवंतसिंह राठौर, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(8) श्री मदनलाल त्यागी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(9) श्री विट्ठलराव महाले, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य,
(10) डॉ. अजीज कुरैशी, उत्तरप्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल,
(11) डॉ. मनोहर जोशी, भूतपूर्व लोकसभा अध्यक्ष,
(12) आचार्यश्री विद्यासागर महाराज, सुप्रसिद्ध जैन संत,
(13) आतंकी हमलों एवं ड्यूटी पर शहीद जवान तथा
(14) दिनांक 28 फरवरी, 2024 की रात्रि में डिण्डोरी जिले के शहपुरा के बड़झर घाट के पास वाहन दुर्घटना में मृत व्यक्ति.
अध्यक्ष महोदय--
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे अत्यंत दु:ख है कि मध्यप्रदेश विधान सभा के भूतपूर्व सदस्यगण श्री हर्ष सिंह जी, चन्द्रप्रभाष शेखर जी, श्री विजय दुबे जी, मकसूदनलाल चन्द्राकर जी, शांतिलाल बिलवाल जी, बेनी परते जी, जसवंत सिंह जी इत्यादि नाम जो आपने उल्लेखित किये हैं उनमें हर्ष सिंह जी से मेरा परिचय व्यक्तिगत भी था. वह पूर्व विधायक ध्रुवनारायण सिंह जी के भाई, वर्तमान विधायक विक्रम सिंह जी के पिताश्री एवं एक जाने माने प्रतिष्ठित व्यक्तित्व के धनी थे. इनका जन्म 24 जून 1954 में हुआ था. रामपुर बघेलान से लेकर पूरे रीवांचल तक वह व्यक्तित्व के धनी थे. वह सातवीं, आठवीं बार भी चौदहवीं विधान सभा के माननीय सदस्य रहे. मंत्री का दायित्व भी आपने बहुत ही कुशलता से निभाया और आप कई नवाचारों के लिए जाने जाते थे. खासकर नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा और जल संसाधन में आपने जो काम किया यह प्रदेश सदैव उनके उस कुशल व्यक्तित्व का और उनकी उस समय की सेवा का स्मरण करेगा. आपके निधन से हमने एक वरिष्ठ नेता को खोया है.
अध्यक्ष महोदय, श्री चन्द्रप्रभाष शेखर जी का जन्म 18 जनवरी 1941 को इंदौर में हुआ था. ये सन् 1965 में नगर निगम के पार्षद चुने गए. नगर निगम में कांग्रेस दल के उपनेता, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष, संगठन प्रभारी, मध्यप्रदेश गृह निर्माण मण्डल के अध्यक्ष श्री शेखर प्रदेश की पांचवीं, सातवीं, आठवीं, विधान सभा के सदस्य तथा समय-समय पर अलग- अलग दायित्वों का निर्वहन किया. उप मंत्री, राज्य मंत्री, मंत्री तथा विक्रम विश्वविद्यालय के नाते से मेरा उनसे व्यक्तिगत संबंध था. वे अपने दल के लोगों को प्रोत्साहित करते रहते थे लेकिन उनमें उदार मन से सबको साथ लेकर चलने की भावना थी. हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से उनके द्वारा किए गए अलग-अलग प्रोजेक्ट का मैंने व्यक्तिगत रुप से अध्ययन किया था. आज मैं उनके निधन पर परमात्मा से कामना करता हूँ कि वे उन्हें मोक्ष प्रदान करें. हमने एक कुशल प्रशासक खोया है.
श्री विजय दुबे जी का जन्म 18 अक्टूबर, 1953 को इटारसी में हुआ. आप युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के महामंत्री रहे. इटारसी नगर पालिका के अध्यक्ष रहे. श्री दुबे ने सातवीं, आठवीं विधान सभा में इटारसी का प्रतिनिधित्व किया. आठवीं विधान सभा में आप राज्यमंत्री रहे. सामान्य प्रशासन, गृह एवं जनसम्पर्क विभाग आपके पास रहे. आप एक लोकप्रिय नेता और कुशल प्रशासक रहे हैं. हमने एक समाजसेवी को खोया है.
श्री मकसूदनलाल चन्द्राकर, आपका जन्म 15 जुलाई 1941 को ग्राम लकराखुर्द, जिला महासमुंद में हुआ था. आप ग्राम पंचायत लकराखुर्द के पंच, जिला कांग्रेस कमेटी, जनपद पंचायत, मंडी कमेटी एवं मार्केटिंग सोसायटी के सदस्य रहे. सातवीं, आठवीं विधान सभा में आपने महासमुंद का प्रतिनिधित्व किया. आप वर्ष 1980-85 संसदीय सचिव (सहकारिता एवं आदिम जाति कल्याण विभाग) रहे. शोक की घड़ी में यह प्रदेश आपके परिवार के साथ है. यह अपूर्णीय क्षति है.
श्री शांतिलाल बिलवाल का जन्म 2 जून, 1981 को ग्राम पिपलीपाड़ा, जिला झाबुआ में हुआ था. प्रदेश की चौदहवीं विधान सभा में भारतीय जनता पार्टी की ओर से आपने झाबुआ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. बिलवाल जी आदिवासी अंचल में एक बड़े व्यक्तित्व के नाम से जाने जाते थे. विश्वविद्यालय चुनाव के दौरान झाबुआ जाने पर मुझे उनसे व्यक्तिगत परिचय करने का भी मौका मिला है. छोटे-छोटे मामलों में उनकी संवेदनशीलता सदैव हमारा मार्ग प्रशस्त करती रही है. ऐसे व्यक्तित्व का हमारे बीच से जाना हम सभी के लिए अपूर्णीय क्षति है.
श्री बेनी परते जी, आपका जन्म 1 अक्टूबर, 1968 को ग्राम सिल्पनी, जिला सिवनी में हुआ था. आप वर्ष 1993 से 1998 तक जनपद पंचायत, लखनादौन के अध्यक्ष रहे. वर्ष 1999 से 2000 तक जिला पंचायत सिवनी के सदस्य रहे. आप वर्ष 2000 के उप चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से ग्यारहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. आपके निधन से प्रदेश के सार्वजनिक जीवन में अपूर्णीय क्षति हुई है.
श्री जसवंत सिंह राठौर का जन्म 22 जनवरी, 1940 को ग्राम बनी, जिला धार में हुआ था. बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सेवक के रुप में आपकी पहचान रही है. गरीबों की सेवा करना, सबको साथ लेकर चलना. खासतौर पर समाज सेवा के क्षेत्र में आपका बहुत बड़ा नाम है. सामाजिक क्षेत्र में आप जिला राजपूत समाज धार के अध्यक्ष रहे हैं. श्री राठौर ने प्रदेश की बारहवीं विधान सभा में भारतीय जनता पार्टी की ओर से धार का नेतृत्व किया था. आपके निधन से प्रदेश के सार्वजनिक जीवन में अपूर्णीय क्षति हुई है.
श्री मदनलाल त्यागी का जन्म 18 अप्रैल, 1947 को हुआ था. वर्ष 1984 में आप भाजपा के मंत्री एवं वर्ष 1990 में भाजपा, सीहोर के अध्यक्ष रहे. श्री त्यागी ने प्रदेश की नौंवी विधान सभा में भारतीय जनता पार्टी की ओर से सीहोर का प्रतिनिधित्व किया था. छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं को लेकर आप चलते थे. भोपाल, विदिशा, सीहोर पूरे अंचल में आपकी एक अलग पहचान थी. छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर जनता के साथ खड़े रहना. लगातार जनता के मुद्दों को उठाना यह आपकी पहचान रही है. आपके निधन से सार्वजनिक जीवन में जो अपूर्णीय क्षति हुई है उसके लिए शोकग्रस्त हूँ. छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर आपने बड़ी लड़ाइयां लड़ीं हैं, आपका नाम हम सदैव स्मरण करेंगे.
श्री विट्ठलराव महाले जी का जन्म 16 सितम्बर, 1948 को ग्राम रंगारी, जिला छिंदवाड़ा में हुआ था. आप जिला कांग्रेस के महामंत्री, कृषि उपज मंडी के सदस्य तथा सरपंच रहे. श्री महाले ने प्रदेश की दसवीं विधान सभा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से सौंसर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. आपके निधन से सार्वजनिक जीवन की अपूर्णीय क्षति हुई है.
डॉ अजीज कुरैशी का जन्म 24 अप्रैल, 1940 को भोपाल में हुआ था. डॉ. कुरैशी भारतीय युवा कांग्रेस के संस्थापक सदस्य, पहले महासचिव रहे, मध्यप्रदेश राज्य मत्स्य विकास निगम और मध्यप्रदेश ऊर्दू अकादमी के अध्यक्ष रहे. आप पांचवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. राज्य सरकार में मंत्री रहे. डॉ. कुरैशी वर्ष 1988 में आठवीं लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. आपने उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, मिजोरम इत्यादि अनेक राज्यों का प्रतिनिनिधत्व महामहिम राज्यपाल के नाते बहुत कुशलता से किया है. आपके निधन से एक वरिष्ठ राजनेता एवं कुशल प्रशासक हमने खोया है. डॉ. मनोहर जोशी मूलत: शिवसेना के बहुत बड़े नेता थे जिन्होंने अलग-अलग प्रकार से अपनी भूमिका अदा की है. उनका जन्म 02 सितम्बर, 1937 को नंदाबी जिला रायगढ़ महाराष्ट्र में हुआ. आप महाराष्ट्र विधान परिषद् के 1972 से लेकर 1989 तक लगातार अर्थात् लंबे समय तक सदस्य रहे. सन् 1990 से 1991 और 1995 से 1999 तक आप महाराष्ट्र विधान सभा के माननीय सदस्य रहे. आप वर्ष 1990-91 में नेता प्रतिपक्ष महाराष्ट्र विधान सभा तथा 1995 से 1999 तक महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री रहे. स्व. बालासाहब ठाकरे जी के आप अत्यंत निकट व्यक्ति जाने जाते थे और एक कुशल व्यक्तित्व के नाते आपने महाराष्ट्र को कुशलतापूर्वक सरकार के संचालन का हम सबको लाभ दिया है. आपके 1993 के तेरहवीं लोकसभा के सदस्य के नाते से माननीय स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के बहुत योग्य मंत्री के नाते से भी आपकी पहचान पूरे देश में रही है. आप केन्द्रीय मंत्री के नाते से भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम में रहे हैं. 10 मई 2002 से 2004 तक लोकसभा के माननीय अध्यक्ष के नाते भी आपने काम किया है. आप 2006 में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुये तथा अनेक संसदीय एवं विभागीय परामर्शदात्री समितियों में भी माननीय सदस्य रहे हैं. एक वरिष्ठ राजनेता, संसदविद्, एक कर्मठ समाजसेवी को हमने खोया है.
अध्यक्ष महोदय, जैन मुनि आचार्यश्री विद्यासागर जी का नाम ही अपने आप में एक अलग श्रद्धा से भर देता है. मैं उनसे स्वयं मिला हूं और मेरे जैसे कई सारे लोग उनसे मिले होंगे. स्वनाम धन्य, लगता ही नहीं कि वह हमारे प्रदेश के नहीं हैं. मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले थे, लेकिन ऐसे अलौकिक व्यक्तित्व के धनी जिनके जीते जी ऐसा लगता था कि देवत्व उन्होंने धारण किया हुआ था. श्रद्धा से उनको नमन करते हुये, स्मरण करता हूं. कदम-कदम पर उन्होंने आध्यात्म की तो ऊँचाइयॉं पाई हैं, लेकिन आध्यात्म की जितनी ऊँचाइयॉं पाई हैं उतनी ही नीचे की छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते हुये उनका पूरा जीवन एक आदर्श जीवन के नाते से रहा है. एक बड़ा मूल समूह उनके साथ चलता था, लेकिन कोई ऐसा कैसा दीक्षार्थी हो सकता है कि जो स्वयं तो दीक्षा लेगा ही लेगा लेकिन अपने साथ अपने भाई को, अपनी बहन को, माता-पिता, पूरे परिवार को दीक्षा दिला दे, यह कोई विलक्षण व्यक्तित्व ही हो सकता है जो आचार्य विद्यासागर जी के नाम से हम उनको जानते हैं. वाकई वह विशाल व्यक्तित्व के भी धनी थे और बडे़ से बड़ा, छोटे से छोटा सबको साथ लेकर चलते थे. हम स्मरण कर रहे हैं कि हमारे सदन में भी उनका पदार्पण हुआ था. उन्होंने हम सबको आशीष दिया था, हमको संबोधित किया था. अधिकतर चतुर्मास उनके कहीं हुये तो वह मध्यप्रदेश में हुये. 52 पंचकल्याणक, 37 चतुर्मास मध्यप्रदेश में किये. कई भाषाओं के जानकार, कई विषयों के और साथ-साथ जहां उनका निर्वाण हुआ मैं उस स्थान पर भी गया था, ऐसे-ऐसे छोटे-छोटे स्थान में मंदिरों के साथ लेकिन मंदिर केवल आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र ही नहीं बने, वहां से रोजगार भी मिले, शिक्षा भी मिले, संस्कार भी मिले, समूचे जीवन में उत्कर्ष व्यक्तित्व धारण करने का एक अवसर मिले वैसा उनका विराट व्यक्तित्व था. ऐसे सुप्रसिद्ध जैन संत को, आध्यात्मिक गुरू को, चिंतक को, विचारक को हमने खोया है.
अध्यक्ष महोदय, साथ ही साथ जम्मू कश्मीर के पुंछ में वायुसेना के काफिले पर हुये आतंकी हमले में वायुसेना के कार्पोरल विक्की पहाड़े जो मूलत: छिंदवाड़ा के रहने वाले थे, मैं स्वयं उनके घर भी गया था और मैं ऐसे विक्की पहाड़े जिन्होंने अपने इस मध्यप्रदेश की धरती से जन्म लेकर राष्ट्र रक्षा में अपने जीवन का सर्वस्व अर्पित किया है उनको स्मरण करता हूं और जैसी हमारी परम्परा है विक्की पहाड़े और कबीरदास उइके यह दोनों ही छिंदवाड़ा के हमारे वीर योद्धा रहे हैं जिन्होंने मातृभूमि की सेवा में अपने प्राणों का उत्सर्ग किया है. 12 जून 2024 को जम्मू कश्मीर के कठुआ के गांव सुखवाल में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में सीआरपीएफ के कॉंस्टेबल के नाते से कबीरदास जी ने मुठभेड़ में अपनी शहादत दी और श्री उइके छिंदवाड़ा के विकासखंड बिछुआ के ग्राम पुलपुलडोह के निवासी थे. मैं सदन को बताना चाहूंगा कि जैसे ही मुझे सूचना मिली और हमने जो परम्परा स्थापित की है, उसी दिन हमने उनकी दोनों पत्नियों को अपनी सेवाओं का भी लाभ दिया और एक नई परम्परा भी स्थापित की है कि आमतौर पर जो उनको अनुग्रह राशि मिलती है, अनुग्रह राशि अभी तक उस परिवार की विधवा को ही मिलती थी, तो हमने समान रूप से माता पिता को भी जोड़ने की बात कही है. क्योंकि माता पिता के साथ में पूरा परिवार रहता है और कम आयु में शांत होने से कई बार कष्ट आता है. लेकिन मैं ऐसे बहादुरों को स्मरण करता हूं और उम्मीद करता हूं कि आपके साथ साथ, लेह लद्दाख की ड्यूटी में भारतीय सेना के सूबेदार पद पर रहे श्री अनिल वर्मा का भी स्मरण करना चाहूंगा. श्री वर्मा सीहोर जिले के ग्राम लसूडिया परिहार के निवासी थे. मैं आज के इस अवसर पर हमारे साथ डिंडोरी, शहपुरा के बडझर घाट के पास एक पिकअप वाहन के पलटने के कारण अनेक यात्रियों की हुई हृदय विदारक घटना में भी सभी शोकग्रस्त परिवारों के साथ अपनी संवेदना प्रगट करता हूं और ऐसे सभी माननीय सदस्यों के प्रति अपनी सरकार की ओर से मध्यप्रदेश की जनता की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के अंदर कई विद्वान, कई समाज सेवी, शूरवीर जिन्होंने जन्म लिया, देश और प्रदेश की सेवा की, निश्चित तौर से किसी परिवार में कोई सदस्य जाता है तो उस परिवार, खानदान और समाज के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान होता है. मैं मानता हू कि इस नुकसान को पूरा करना मुश्किल है. बहुत कम लोग होते हैं जो ऐसे बड़े ओहदों पर पहुंचते हैं, अपने मुकाम पर पहुंचते हैं, चाहे नौकरी में हो या सामाजिक क्षेत्र में हों, चाहे वह राजनीतिक क्षेत्र में हों, निश्चित रूप से उनमें कोई न कोई विलक्षण प्रतिभा होती है जो यह दर्शाती है कि समाज को उन्होंने एक नई दिशा देने का प्रयास किया है.
मैं उन सभी का जिनका निधन हुआ है, सर्वश्री हर्ष सिंहजी, चन्द्रप्रभाष शेखर विजय मकसूदनलाल चन्द्राकर जी, शांतिलाल बिलवाल जी, बेनी परते जी, जसवंतसिंह राठौर जी, मदनलाल त्यागी जी, विट्ठलराव महाले जी, अजीज कुरैशी जी, मनोहर जोशी जी, आचार्य विद्यासागर जी महाराज, हमारे स्वर्गीय शहीद जवान उइके जी, स्वर्गीय अनिल सिंह वर्मा जी जो की ड्यूटी पर शहीद हुए हैं. इन सभी के शोकाकुल परिवारजनों को भगवान यह दुख सहन करने की शक्ति दें और मृत आत्मा को शांति प्रदान करें. मैं इन सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
मैं यह विश्वास करता हूं कि जिस प्रकार से आप भी छिंदवाड़ा गये थे, शहीद के यहां पर तो इस प्रकार के परिवारों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाय, क्योंकि उन्हें हमें यह महसूस नहीं कराना है कि उनके ऊपर सरकार का, देश का या जिनके लिए सेवा की है उनका हाथ नही है. यही मेरा निवेदन है धन्यवाद्
संसदीय कार्य मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. मैं इंदौर से हूं और चन्द्रप्रभाष शेखर जी का इंदौर की राजनीति में बहुत लंबा अनुभव था. उन्होंने बहुत काम किया और मुझ पर, मेरे परिवार पर एक व्यक्तिगत एहसान भी था. वह एक ऐसे कांग्रेस के नेता थे जो कि सबको साथ लेने की कोशिश करते थे मुझे याद आता है कि जब आपातकाल लगा. उस समय मैं विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता था. हम सभी लोग फरार हो गये, हम लोग फरारी काट रहे थे मेरे पिताजी कांग्रेस में थे और कांग्रेस में भी वह रामसिंह भाई वर्मा इंटक ग्रुप में थे और चन्द्रप्रभाष शेखर जी अपोजिट ग्रुप में थे उसके बाद में भी उन्होंने मेरे पिताजी को घर बुलवाया और कहा कि मैं बात कर लेता हूं कि आपके बेटे को भागने की जरूरत नहीं है. उसके एक माह के बाद मुझे संदेश आया कि आपका नाम कट गया है और अब आप यहां पर रह सकते हैं. यह मेरे परिवार पर उनका एहसान था इस प्रकार की राजनीतिक सौजन्यता थी उस समय, आप विरोधी दल में भी हैं तो भी अपने लोगों की मदद करना . मैं उस समय विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता था. अध्यक्ष महोदय मेरे साथ विद्यार्थी परिषद की जो टीम थी] सब के नाम उन्होंने कटवा दिए. इस राजनीतिक सौजन्यता के लिए मैं उनको यहीं से प्रणाम भी करता हूं. अध्यक्ष महोदय आचार्य विद्यासागर जी महाराज से मेरा व्यक्तिगत परिचय था मैंने उनके साथ काफी पदयात्रा भी कीं एक बार खण्डवा से आ रहे थे मैंने भी उस समय उनके साथ पदयात्रा की वह बड़वाह में एक पेट्रोल पंप पर बैठे, और जब मैंने उनके पैरो की तरफ देखा तो अध्यक्ष महोदय उनके पैरों में इतने बड़े-बड़े आठ-दस छाले थे वह छाले फूट गए थे पर उनके चेहरे की मुस्कुराहट कभी खत्म नहीं हुई हमेशा मुस्कुराते रहते थे शरीर के कष्ट को सहन करके मुस्कुराहट से लोगों को आशीर्वाद देना] ये मैंने दुनिया में एक बिरला संत देखा वो आचार्य विद्यासागर जी महाराज थे] उनका अद्भुत तप था और विशेषकर हस्तशिल्प के लिए उनका बड़ा शौक था- जब हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री जी ने स्किल डेव्लपमेंट की योजना प्रारंभ की उन्होंने उस योजना के माध्यम से जेलों में प्रशिक्षण दिया. सागर की जेल का कपड़ा शैलेन्द्र जैन जी यहां बैठे हैं यहां पर इतना उम्दा खादी है अध्यक्ष महोदय उनको प्रशिक्षण देने का काम विद्यासागर जी महाराज की टीम ने किया था. सागर] जबलपुर इस पूरे क्षेत्र के अंदर बहुत सारे हस्तकरघा से जोड़कर लोगों को उन्होंने रोजगार देने की कोशिश की. अध्यक्ष महोदय बहुत अद्भुत संत थे] उनका सारा जीवन अधिकांश मध्यप्रदेश में रहा और हमने एक बहुत ही आध्यात्मिक संत को खोया है] मैं उनके चरणों में अपनी विनम्र श्रद्वांजलि अपिٴत करता हूं .
श्री विजय रेवनाथ चौरे (सौंसर) - श्री विठ्ठल राव जी महाले जिनका हाल ही में 5 मई 2024 को देहांत हुआ. वह मेरे विधानसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करते थे 77 वर्ष की आयु में उनका देहांत हुआ और 1993 से 1998 तक उन्होंने सौंसर का प्रतिनिधित्व किया. श्री बिठ्ठलराव जी महाले बिठ्ठल के भक्त थे जब तक वह स्वस्थ रहे हर साल अषाढ़ी एकादशी में यात्रा में जाते थे. धार्मिक थे. सामाजिक थे एक अच्छे कुशल प्रशासक थे. आदरणीय कमलनाथ जी और मेरे स्वर्गीय पिٴता श्री रेवनाथ चौरे जी पूर्व मंत्री उनके सहयोगी रहे हैं. उन्होंने हमेशा क्षेत्र के लोगों की सेवाएं की. वह ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर रहे].रंगारी में सरपंच के पद पर रहे.मैं आज इस अवसर पर उन्हें विनम्र श्रद्वांजलि अर्पित करता हूं प्रभु श्री से प्रार्थना करता हूं कि अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोकाकुल परिवार पर जो गहन दुख आया है ईश्वर उन्हें सहन करने की शक्ति प्रदान करे विनम्र श्रद्वांजलि.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन मृत व्यक्तियों की आत्मा की शांति के लिए आपने उदगार व्यक्त किए हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष ने और कैलाश जी ने किए हैं मैं अपने आपको उन भावनाओं से जोड़ता हूं. अध्यक्ष महोदय, इस सदन के वरिष्ठ सदस्य और पूर्व मंत्री रहे हर्ष सिंह जी और हम एक ही सतना जिले से आते हैं] हमारे बड़े निकट संबंध रहे यूं कहूं तो उनके पितामह मित्र रहे उनके पिٴता जी और हमारे पिता जी मित्र रहे हर्ष सिंह जी और हमारे मित्रवत संबंध रहे और आगे उनके जो लख्ते जिगर और चिराग बैठे हैं इस सदन में विक्रम सिंह जी और हमारे सुपुत्र विक्रमादित्य उनके भी संबंध अच्छे हैं इतनी नजदीकी से इस परिवार से हम जुड़े रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, विन्ध्य का एक बहुत ही प्रतिष्ठित परिवार सम्मानीय परिवार रहा है और विन्ध्य के विकास के लिए इनका बड़ा योगदान था हर्ष सिंह जी के पितामह कप्तान अवधेश प्रताप सिंह जी आजादी के बाद जब विन्ध्य प्रदेश बना स्टेट बने तब मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री कहलाते थे तो अवधेश प्रताप सिंह जी विन्ध्य प्रदेश के प्रधानमंत्री थे और जैसा मैंने कहा उनका बड़ा योगदान था. हर्ष सिंह जी अपने तरीके की राजनीति करते थे और उनका अंदाज भी बड़ा बिंदास रहता था. सही को सही कहना, गलत को गलत कहना, उनकी यह विशेषता थी. लेकिन यह भी उनमें कूट कूट कर भरा था कि गरीबों की सेवा, गरीबों के दर्द को समझना, उनका काम करना और यही उनकी राजनैतिक ताकत रही है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे पूर्व मंत्री, बहुत वरिष्ठ नेता आदरणीय चन्द्रप्रभाष शेखर जी अनेकों पद पर कांग्रेस पार्टी में रहे, संगठन में रहे, मंत्री रहे. पूर्व मुख्यमंत्री, स्वर्गीय प्रकाश चंद्र सेठी जी की केबिनेट में वे उप मंत्री हुआ करते थे. लेकिन मुझे याद है हम लोग उस जमाने में कालेज में थे. क्या उनका रुतबा हुआ करता था. अंदाज लगाना आज के माननीय सदस्यों को बड़ा कठिन है. यह उनका रुतबा था. लेकिन बहुत ही सज्जन, सरल और बहुत ही नेक दिल और ईमानदार राजनेता थे. यह चन्द्रप्रभाष शेखर जी की विशेषता थी और जो भी कार्य उनको दिया जाता था, बड़े कुशलता पूर्वक और परिणाम मूलक उनका कार्य रहता था. तो उन्हें हमने खोया है. उनकी आत्मा की शांति के लिये मैं प्रार्थना करता हूं.
श्री विजय दुबे जी, हमारे साथ ही वे भी 1980 में पहली बार यहां विधायक बनें, जैसे हर्ष सिंह जी पहली बार हम लोग सदन में आये 1980 में. विजय दुबे जी को लोग विजय दुबे के नाम से कम जानते थे, उनको सब काकू भाई कहा करते थे. बुजुर्ग हों, नौजवान हों, बच्चे हों और वे बड़े लोकप्रिय नेता थे. उनके पिता श्री कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हुआ करते थे और श्री विजय दुबे काकू भाई हमारे कांग्रेस पार्टी के नेता थे. वे अनेकों पद पर रहे, सार्वजनिक जीवन में उन्होंने बहुत अच्छे मुकाम हासिल किये. वे आज हमारे बीच में नहीं हैं. उनकी आत्मा की शांति के लिये मैं प्रार्थना करता हूं.
डॉ. अजीज कुरैशी साहब एक बहुत ही सरल और जमीनी नेता थे. सीहोर से विधायक हुआ करते थे और ये भी मुझे स्मरण है कि सेठी जी की केबिनेट में मंत्री हुआ करते थे. 1984 की बात है, जब लोकसभा के चुनाव होने थे. तो हमारे वरिष्ठ नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री जी, हम सबके मार्गदर्शक रहे स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी ने उनको बुलाया और उनसे कहा कि अजीज भाई आपको सतना से लोकसभा का चुनाव लड़ना है. गजब का आत्म विश्वास उस व्यक्ति में था. उन्होंने तत्काल बिना सोचे, एक क्षण में हां कर दी और इतिहास गवाह है कि वे सांसद बनकर यहां पर आये. उनकी सेवायें अद्वितीय हैं.
आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के संबंध में बड़े अच्छे उद्गार मुख्यमंत्री जी ने व्यक्त किये. कैलाश जी ने व्यक्त किये. मैं कहूं अगर कि उनको राष्ट्र संत कहा जाये, तो यह अतिशयोक्ति नहीं है. वे दया, करुणा के सागर थे. बहुत बड़े विद्वान थे, मूर्धन्य विद्वान जिसे कहते हैं और हम लोगों का बड़ा सौभाग्य था कि यहीं पर विधान सभा में वे आये थे, उनका प्रवचन हुआ. प्रवचन के पश्चात् उन्होंने इच्छा जाहिर की कि हमें विधान सभा देखना है और माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह जी और हमारे तत्कालीन स्पीकर साहब, वे आज नहीं है यहां, डॉ. सीतासरन शर्मा जी, उनकी इच्छा थी कि लायब्रेरी देखें. क्या पढ़ते हैं विधायक,क्या देखते हैं. इतना कौतूहल था उनमें. इस विषय को भी जानने के लिये, चूंकि सर्वथा यह अछूते रहते हैं संत लोग राजनीति से और जो हम लोगों की कार्य प्रणाली होती है. वे पूरी विधान सभा घूमें. दोपहर, लंच के के बाद सदन की कार्यवाही शुरु हो गई थी और संयोग था कि मैं पीठासीन था, सदन की आंसदी पर बैठा था. कार्यवाही चल रही थी और एकाएक वह दरवाजे खुले. वह वाले और वहां देखा कि संत आचार्यश्री विद्यासागर महाराज जी वहां पर खड़े हुए हैं देखने के लिये. एक कदम आगे नहीं आये, उन्होंने मर्यादा का पालन किया, लेकिन उस दरवाजे पर कितना अद्भुत दृश्य था, सभी माननीय सदस्य खड़े हो गये, करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया. मैंने उनका आसंदी से सम्मान किया. वह अब नहीं हैं, राष्ट्र निर्माण में आचार्य विद्यासागर जी का बहुत बड़ा योगदान है. उनको सदियों-सदियों तक स्मरण किया जायेगा. वह हमारे बीच नहीं हैं, एक बहुत बड़ी रिक्तता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अन्य जो माननीय सदस्य दिवंगत हुए ह, डॉ. मनोहर जी, श्री मकसूदनलाल चन्द्राकर जी, श्री शांतिलाल बिलवाल जी और अन्य हैं मैं, आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करता हूं और हमारे जो वीर सैनिक शहीद होते हैं, हमारी सरहदों को सुरक्षित करते हैं उनके काम को कभी कम नहीं आंका जा सकता है, उनकी वजह से हम चैन से सोते हैं, उनमें से हमारे शहीद वीर जवान छिंदवाड़ा जिले के, मुख्यमंत्री जी ने उल्लेख किया है. वहां पर यह गये भी थे और हमारे नेता प्रतिपक्ष भी उनके घर में गये थे. मैं उनको नमन करता हूं. मैं अपनी ओर से उन सभी आत्मा की शांति के लिये ईश्वर से प्रार्थना करता हूं.
उप मुख्य मंत्री(श्री राजेन्द्र शुक्ल):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय श्री हर्ष सिंह जी सहित जितनी भी विभूतियां हैं, वे हम सबको छोड़कर स्वर्ग लोक में चली गयी हैं उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
श्री हर्ष सिंह जी हमारे विन्ध्य क्षेत्र के बहुत ही खाटी नेता थे और जमीन से जुड़े हुए ऐसे नेता थे कि उनको देखकर यह एहसास नहीं होता था कि इनके दादाजी प्रधानमंत्री रहे, मुख्यमंत्री रहे. इनके पिताजी मुख्यमंत्री रहे और न सिर्फ प्रधान मंत्री और मुख्य मंत्री रहे, उनके दादाजी ने शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह से एक कैप्टन अवधेश प्रताप सिंह जी विश्वविद्यालय जिसको हम जानते हैं यह उन्हीं की सोच का परिणाम था कि शिक्षा की एक बड़ी उपलब्धि दी गयी थी, जिसका हम सारे लोग इसका लाभ उठा रहे हैं. बाणसागर योजना जो आज विन्ध्य क्षेत्र की तरक्की और समद्धि का प्रतीक बन गयी है. स्व. यमुना प्रसाद शास्त्री जी ने प्रधान मंत्री मोरार जी के द्वारा भूमिपूजन करा कर उसकी शुरूआत की थी. लेकिन डिम्बा प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट के नाम से इस योजना को कॉन्सेप्ट प्लान बनाने का काम यदि किसी ने किया था तो स्व. गोविन्द नारायण सिंह ने किया था, जो फिर बाणसागर के रूप में आगे बढ़ी.
मैं इसका उल्लेख इसलिये कर रहा हूं कि श्री हर्ष सिंह जी इतनी समृद्व राजनैतिक विरासत रही है, वह उनके आचरण में, उनके व्यवहार में, कभी परिलक्षित नहीं होती थी. यहां आम तौर पर किसी के दादा प्रधान मंत्री, मुख्य मंत्री हों, फिर पिताजी मुख्य मंत्री हों तो फिर उनके हाव भाव में एक अलग तरह का भाव आमतौर पर दिखता है. लेकिन वह खाटी नेता थे, जब उनके साथ मैं कभी उनके क्षेत्र में दौरा करता था तो वह सभी का नाम लेकर बुलाते थे. इससे यह लगता था कि बिल्कुल जमीन से जुड़े हुए नेता हों. हमारे साथ विधायक भी रहे, मंत्री भी रहे. जैसा आदरणीय डॉ. राजेन्द्र सिंह जी ने कहा कि वह अपनी बात को, किसी को अच्छा लगे या बुरा लगे वह केबिनेट की बैठक में भी बोल देते थे, विधान सभा में भी बोल देते थे आम तौर पर बातचीत में भी बोल देते थे. लेकिन लोग बुरा इसलिये नहीं मानते थे कि इनके दिल के अंदर कोई इस प्रकार की कटुता नहीं है. जनहित के मामले में यदि कोई बात रखनी होती थी तो वह रखते थे. आज वह हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन यह परिवार एक ऐसा है जिसकी चौथी पीढ़ी राजनीति में है. श्री विक्रम सिंह जी चौथी पीढ़ी के हैं. मुझे लगता है कि विन्ध्य क्षेत्र में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा, तीसरी पीढ़ी के रूप में दिव्यराज सिंह जी हैं, लेकिन चौथी पीढ़ी के रूप में श्री विक्रम सिंह जी हैं. तो एक लम्बा राजनैतिक इतिहास आजादी के पहले का भी और आजादी के बाद भी एक महत्वपूर्ण भूमिका विन्ध्य क्षेत्र में इस परिवार की रही है. इसलिये जब उनका निधन हुआ तो पूरे विन्ध्य क्षेत्र में शोक की लहर रही. आज वह हमारे बीच में नहीं हैं. बीमारी के कारण वह अशक्त हुए थे और फिर उसके बाद वह हमको छोड़ कर गये हैं. मैं उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और इसके साथ ही सभी विभूतियों को और खासतौर से आचार्य विद्यासागर जी, जब मैं उनसे मिलता था तो मुझे लगता था कि ईश्वर के स्वरूप में वह दिखाई देते थे और उनसे जब भी मुलाकात हो तो वह गौरक्षा और कुटीर उद्योग, इसकी बातें करते थे और न सिर्फ उनके समाधान बताते थे कि किस तरीके से इन चीजों को आगे बढ़ाना चाहिये. अब ये संत महात्मा हैं, चलते-फिरते संत हैं और जो बातें यह करते हैं और यदि किसी ने उसको अंगीकार कर लिया तो सुधार की दिशा में समाज आगे बढ़ सकता है. इस भाव से वह अपनी बातें रखते थे तो मैं उनके चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और सभी विभूतियों को श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी) - अध्यक्ष महोदय, कार्यसूची में उल्लेखित सभी दिवंगतों के प्रति मैं सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करे और उनके परिवारों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करे.
अध्यक्ष महोदय, आचार्य विद्यासागर महाराज जी का लगाव डिण्डोरी से बहुत रहा है. डिण्डोरी में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां पर उनके चरण न पड़े हों. मैं उन्हें आज इसलिए भी बहुत याद करता हूं कि जब विधायक बनकर मैंने उनसे मुलाकात की तो विकास कार्य की बात आई. मैंने कहा महाराज जी, सरकारी प्रक्रिया में तो हम विकास कार्य की बात करते हैं, कुछ आपकी कृपा हो जाय तो आपके माध्यम से सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि उन्होंने लगभग 500 करोड़ रुपयों की हरकरघा की एक कार्ययोजना हमारे यहां कारोपानी में उनकी कृपा से दी, जिसमें आज लगभग 500 महिलाएं हरकरघा में काम कर रही हैं, जिनको रोजगार मिल रहा है तो इस तरह से उनका जो आशीर्वाद हमें मिला, हम उन्हें सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, 28 फरवरी को जो डिण्डोरी में शहपुरा में हृदयविदारक घटना हुई, जिसमें खासकर आदिवासी परिवार बहुत दुखित हुआ. कई ऐसे परिवार हैं, जिनके घर में बैठकर मैंने एक-एक घंटा उन्हें समझाने का प्रयास किया, परन्तु शब्द नहीं है कि उन्हें कैसे समझाएं, मैं उनके परिवार के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और आपके माध्यम से सरकार से चाहता हूं कि सभी आदिवासी परिवार के हमारे लोग हैं, दुखित हैं, संकटप्रद स्थिति में हैं, आदिवासियों के प्रति सरकार की गहरी संवेदना के साथ मैं चाहता हूं कि उनके परिवार के प्रति माननीय मुख्यमंत्री जी आप विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए उन्हें मदद करने की कृपा करें. ऐसी मैं प्रार्थना करते हुए सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं, सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवगंतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजिल अर्पित की गई. )
दिवंगतों के सम्मान में 5 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित.
(सदन की कार्यवाही प्रातः 11.48 बजे 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.55 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए }
बधाई दिये जाने संबंधी उल्लेख
श्री उपेन्द्र द्विवेदी, थलसेना प्रमुख एवं श्री दिनेश कुमार त्रिपाठी, नौसेना अध्यक्ष बनने पर सदन द्वारा बधाई दिये जाने संबंधी उल्लेख
श्री गिरीश गौतम -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश ने पूरे मध्यप्रदेश की 8 करोड़ जनता को गौरवान्वित होने का अवसर दिया है. हमारे थलसेना प्रमुख श्री उपेन्द्र द्विवेदी और नौसेना के अध्यक्ष श्री दिनेश कुमार त्रिपाठी जी रीवा, सतना के हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि इन्हें विधानसभा में सबकी ओर से बधाई दी जाए, स्वागत किया जाए. यह मध्यप्रदेश की बहुत बड़ी उपलब्धि है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल प्रारम्भ हो रहा है. सभी लोग खडे़ हुए हैं. प्रश्न क्रमांक-1 श्री देवेन्द्र कुमार जैन. समय कम है थोड़ा जल्दी सप्लीमेंट्री करो. नहीं तो मंत्री जी का उत्तर आ ही नहीं पाएगा. देवेन्द्र जी, आपका माईक चालू नहीं है. दूसरे की सीट से आकर आप बोल लीजिए.
11.56 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक शिवपुरी में हुए घोटाले की राशि वसूली
[सहकारिता]
1. ( *क्र. 87 ) श्री देवेन्द्र कुमार जैन : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक शिवपुरी में हुए घोटाले में कौन-कौन अधिकारी एवं कर्मचारी दोषी पाए गए हैं? उनके नाम एवं पद सहित जानकारी दें। बैंक में कुल कितनी राशि का घोटाला हुआ है? घोटाले में किन-किन अधिकारियों एवं कर्मचारियों से कितनी-कितनी राशि की वसूली की जाना है? जिसमें अब तक कितनी राशि की वसूली की जा चुकी है तथा कितनी राशि की वसूली किया जाना शेष है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार क्या घोटाले की राशि की वसूली हेतु दोषियों की संपत्तियों को चिन्हित किया गया है? यदि हाँ, तो चिन्हित की गई सम्पत्तियों एवं निर्धारित किए गए उनके मूल्य की जानकारी मय सूची उपलब्ध करावें। दोषियों की किन-किन संपत्तियों की नीलामी से अब तक कुल कितनी-कितनी राशि की वसूली की जा चुकी है? नीलामी में देरी के क्या-क्या कारण हैं? वसूली हेतु वर्तमान में क्या कार्यवाही प्रचलन में है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) अनुसार वर्तमान में बैंक के पास कुल कितने खाताधारकों की कितनी राशि जमा है? घोटाले के बाद से अब तक खाताधारकों की मांग पर कुल कितनी राशि का भुगतान किया जा चुका है तथा शासन द्वारा कितनी राशि का आवंटन बैंक को प्राप्त हुआ है? वर्तमान में बैंक को कुल कितनी राशि की आवश्यकता है? क्या राज्य सरकार द्वारा आवंटन उपलब्ध कराया जा सकता है, जिसे वसूली होने पर समायोजित किया जा सके? यदि हाँ, तो कब तक बैंक को आवश्यकता अनुसार राशि आवंटित की जावेगी?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्री विश्वास कैलाश सारंग ) : (क) जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक शिवपुरी में हुए घोटाले में दोषी पाये गये अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है। राशि रू. 84.43 करोड़। घोटाले में दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से वसूली की जाने वाली राशि, अभी तक वसूल की गई राशि एवं वसूली हेतु शेष राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 3 अनुसार है। माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में दायर याचिकाओं में दिये गये आदेश के पालन में मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अधिकरण, भोपाल में विचाराधीन अपील प्रकरण में अंतिम निर्णय होने तक दोषियों की चिन्हित संपत्तियों की नीलामी की कार्यवाही स्थगित है। मध्यप्रदेश राज्य सहकारी अधिकरण में प्रकरण की आगामी तिथि दिनांक 10.07.2024 नियत है। (ग) जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या., शिवपुरी में वर्तमान में 99,837 खाताधारकों की राशि रू. 291.66 करोड़ जमा है। घोटाले के पश्चात अब तक 13,468 खाताधारकों को राशि रू. 32.69 करोड़ का भुगतान किया गया है। शासन द्वारा खातेदारों को भुगतान हेतु कोई आवंटन नहीं दिया जाता है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
श्री देवेन्द्र कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा है कि आरोपियों की प्रॉपर्टी बेचने पर स्टे है. स्टे तो दसों साल चलेगा. (इस दौरान माईक बंद हो गया) मैंने दूसरी बात कही कि जब तक स्टे नहीं है तो मध्यप्रदेश सरकार कुछ शिवपुरी सीसीबी बैंक को अनुदान दे, जिससे उन गरीबों का, उन गरीबों की बेटियों की शादी, बीमारी का इलाज करोड़ों रूपए उनके जमा हैं उन खातेधारकों का क्या अपराध है ? हमारी सरकार गरीबों की, किसानों की, मजदूरों की है और उसमें पैसा एक भी आयकरधारी का जमा नहीं है. पूरा पैसा मजदूरों का, किसानों का, निम्न आय वर्ग के लोगों का है. मेरा आपसे आग्रह है कि आप मंत्री जी को निर्देश दें कि मध्यप्रदेश शासन शिवपुरी, सीसीबी बैंक को कुछ अनुदान देकर कम से कम उनका आधा पैसा जो जमा है, वह तो खाताधारकों को मिले.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने शिवपुरी बैंक के बारे में जो जानकारी मांगी है, उसमें हमने पूरी विस्तृत जानकारी दी है. क्योंकि यह बात सही है कि गबन हुआ था और उस पर कार्यवाही हुई. लगभग 84 करोड़ रूपए का गबन था, जिसमें से लगभग 2 करोड़ रूपए की वसूली हुई. उसके बाद ग्वालियर न्यायालय के माध्यम से उस वसूली को लेकर स्टे आया और हमारा जो ट्रिब्यूनल है, उसमें केस चल रहा है. 10 तारीख को उसकी सुनवाई है तो 10 तारीख की सुनवाई के बाद जो भी निर्णय आएगा, सरकार उस पर कार्यवाही करेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी को यह अवगत कराना चाहता हॅूं कि चाहे शिवपुरी बैंक हो या और बाकी बैंक हों, उनके रिवाइवर के लिए हमारी सरकार कटिबद्ध है और उस पर समय-समय पर कार्यवाही कर रही है. हमने लगभग 13 हजार किसानों को जो उनकी डिमांड थी, उस हिसाब से पैसा वापिस भी किया है.
श्री देवेन्द्र कुमार जैन—माननीय अध्यक्ष महोदय,गरीब किसान की बच्ची की शादी की व्यवस्था शासन नहीं कर पा रहा है, बीमारी का इलाज नहीं करवा पा रहा है ?
अध्यक्ष महोदय—देवेन्द्र जी प्रश्न क्या है, यह बतायें ?
श्री देवेन्द्र कुमार जैन—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सिर्फ इतना है कि मेरी जो भावनाएं हैं कि खाताधारकों का पैसा कब तक बांट दिया जायेगा ?
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने कहा कि ट्रब्यूनल में 10 तारीख को पेशी है. उसका जो भी निर्णय आयेगा उसके बाद ही वसूली की जायेगी. उसमें केवल गबन की ही वसूली नहीं बाकी भी किसानों से संबंधित जो भी वसूली है उस पर भी काम कर रहे हैं. यथा संभव इस पूरे मामले को पूरी तरह से ठीक करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय—गरीब किसानों का मामला है मंत्री जी इसको आप गंभीरता से देखेंगे.
श्री देवेन्द्र कुमार जैन—माननीय अध्यक्ष महोदय, ट्रिब्यूनल का फैसला 10 साल तक नहीं आया तब तक बैठे रहेंगे क्या ?
अध्यक्ष महोदय—प्रश्नकाल समाप्त हो गया है, उसका समय समाप्त हो गया है.
(प्रश्नकाल समाप्त)
(सदन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिकांश सदस्य सफेद रंग की एप्रिन
पहने नजर आए)
12.02 बधाई उल्लेख
सर्व श्री जगदीश देवड़ा, श्री गोविन्द सिंह राजपूत, श्री दिलीप अहिरवार, श्री गोपाल भार्गव जी,श्रीमती रीती पाठक, श्री जगन्नाथ सिंह रघुवंशी जी, के जन्म दिन पर बधाई उल्लेख
अध्यक्ष महोदय-- माननीय श्री जगदीश देवड़ा जी, उप मुख्यमंत्री, श्री गोविन्द सिंह राजपूत,जी मंत्री, श्री दिलीप अहिरवार जी, राज्यमंत्री, श्री गोपाल भार्गव जी, वरिष्ठ सदस्य श्रीमती रीती पाठक जी, श्री जगन्नाथ सिंह रघुवंशी जी, इन सब के आज जन्म दिन हैं मैं उन सबको बहुत बहुत बधाई देता हूं.
श्री उमंग सिंघार--अध्यक्ष महोदय जी.
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, उपाध्यक्ष महोदय द्वारा आयकर स्वयं द्वारा भरे जाने के संबंध में.
अध्यक्ष महोदय—एक मिनट आप रूकिये. एक विषय आप सबके ध्यान में लाना चाहता हूं कि पिछले दिनों माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक फैसला किया कि सभी मंत्रियों का जो आयकर है, वह सरकार के द्वारा भरा जाता था. अब मंत्रिगण अपना-अपना आयकर स्वयं भरेंगे. मैं समझता हूं कि यह निर्णय बहुत ही स्वागत योग्य है. साथ ही विधान सभा के अध्यक्ष के नाते मैं भी अपना आयकर स्वयं भरूंगा. विधान सभा पर उसका बोझ नहीं आयेगा
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अंदर माननीय उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, वह भी स्वयं ही आयकर भरेंगे, यह भी व्यवस्था इसमें स्पष्ट है.
अध्यक्ष महोदय—नेता प्रतिपक्ष जी एवं माननीय उपाध्यक्ष जी भी मेरे साथ अपने को सम्बद्ध कर रहे हैं. यह जानकारी भी सदन को रहे.
12.03 अध्यादेशों का पटल पर रखा जाना.
(क) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2024 (क्रमांक 2 सन् 2024
(ख) मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश, 2024 (क्रमांक 3 सन् 2024)
राज्यमंत्री तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार (श्री गौतम टेटवाल)---अध्यक्ष महोदय, मैं, भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 की अपेक्षानुसार निम्नलिखित अध्यादेश—
(क) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश, 2024 (क्रमांक 2 सन् 2024 एवं
(ख) मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश, 2024 (क्रमांक 3 सन् 2024) पटल पर रखता हूं.
12.04 औचित्य का प्रश्न एवं व्यवस्था
चिकित्सा शिक्षा विभाग पर दिये गये स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराये जाने के संबंध में
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)— माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे 30-40 सदस्यों ने चिकित्सा शिक्षा विभाग पर स्थगन प्रस्ताव दिया है. मेरा आपसे अनुरोध है कि इस पर चर्चा होना चाहिये. स्थगन प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण विषय है. प्रदेश के इतने सारे युवा हैं, जो परीक्षाओं के कारण, संचार घोटाले के कारण परेशान हो रहे हैं. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि स्थगन पर चर्चा कराने के लिये आप निर्देशित करें.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय, मेरा पांइट ऑफ आर्डर है उसको आप सुन लीजियेगा. यह मध्यप्रदेश विधान सभा प्रक्रिया एवं कार्य संचालन संबंधी पुस्तिका के पेज क्रमांक 60 में न्यायाधिकरण आयोग आदि के विचाराधीन विषयों की चर्चा उठाने के लिये प्रस्ताव. इसमें बहुत स्पष्ट है कि साधारणतः ऐसे प्रस्ताव को प्रस्तुत करने की अनुज्ञा नहीं है. जो किसी ऐसे विषय पर चर्चा उठाने के लिये हो, जो किसी न्यायिक या अर्ध न्यायिक कृत्य करने वाली किसी संबंधी न्यायाधिकरण या संबंधित प्राधिकारी या किसी विषय की जांच या अनुसंधान करने के लिये नियुक्त किसी आयोग या जांच न्यायालय के सामने लंबित हो. इसमें मेरा निवेदन यह है कि इसमें जांच एजेंसी भी जांच कर रही है. यह प्रकरण उच्च न्यायालय में भी चल रहा है. माननीय उच्च न्यायालय ने एक जज की एक कमेटी भी बना ली है. इस स्तर पर अगर कार्यवाही हो रही हो तो मुझे लगता है कि विधान सभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन संबंधी नियम के अनुसार इस सदन में इस विषय पर चर्चा उठाना उचित नहीं होगा.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष जी, कैलाश जी जो नियम की बात कर रहे हैं कि प्रकरण न्यायालय में चल रहा है. ठीक है, मैं आपकी बात मानता हूं. लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि कोर्ट ने जो आदेश दिए हैं, स्कूल और कॉलेज को सूटेबल, अनसूटेबल के उसकी तो हम बात ही नहीं कर रहे है. हम बात कर रहे हैं कि सरकार ने जो नियम बनाए, यहां पर सरकार की जो कौंसिल बनी उसके बारे में बात करना चाह रहे हैं, अध्यक्ष जी ये विषय ही अलग है, ये आपके कोर्ट से संबंधित ही नहीं है, सीबीआई जांच कर रही कॉलेजों की, हम यहां पर आपसे नर्सिंग कौंसिल की बात करना चाह रहे, किसने अनुमति दी यहां पर नियम की उसकी बात करना चाह रहे हैं, आप देखिए स्थगन.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैंने स्थगन भी पढ़ा है और जो नियम प्रक्रिया है जो मैंने आपको बताई है, स्थगन में वही विषय है, जिन विषयों पर न्यायालय में चर्चा विचाराधीन है और सीबीआई भी इन्हीं तथ्यों पर जांच कर रही है, इसमें जांच एजेंसी की भी बात की गई है और कोर्ट की बात भी कही गई है.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, कोर्ट के बहाने इतने महत्वपूर्ण मुद्दे को नहीं छोड़ सकते, कोर्ट ने कहीं नहीं कहा नर्सिंग कौंसिल की जांच को लेकर उसके बारे में कोई टिप्पणी भी नहीं की है, उस पर आप बात क्यों नहीं करना चाह रहे. हम नर्सिंग कौंसिल को लेकर बात करना चाह रहे, इनके नियम किसने बनाए उसकी बात करना चाह रहे हैं, राजपत्र किसने बनाया उसको लेकर बात करना चाह रहे, राजपत्र को लेकर कौन से कोर्ट ने आदेश दिए, कौन सी टिप्पणी की, इस पर बात होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - माननीय उमंग जी, अभी हमारे पास बहुत सारे अवसर रहेंगे, जिनमें हम स्थगन के बाद भी हम अपनी बात को रख रखते हैं. (...व्यवधान)
श्री पंकज उपाध्याय - (...व्यवधान) (एक साथ कांग्रेस पार्टी के सदस्यगण द्वारा बोला गया) अध्यक्ष महोदय, सब कुछ जल जाएगा तब उस पर बात होगी? इससे ज्यादा महत्वपूर्ण विषय कोई हो नहीं सकता. (...व्यवधान) ये युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ा किया गया है, ये युवाओं के भविष्य का सवाल है, (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - मैं समझता हूं, आज ही स्थगन प्रस्ताव की सूचनाएं मिली है, शासन से जानकारी भी मांगी गई है, इस मामले में हम लोग विचार करेंगे. (...व्यवधान)
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल - अध्यक्ष जी, ऐसे तो चर्चाएं ही नहीं हो पाएगी.
अध्यक्ष महोदय - सामान्य तौर पर ये प्रक्रिया रही है कि बजट का सेशन हो या न्यायालय में कोई भी विचाराधीन विषय हो तो उन पर हाउस में चर्चा नहीं होती, क्योंकि हाउस में इधर उधर किसी प्रकार के आक्षेप भी चले जाते हैं.
(...व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे अनुरोध किया कि कोर्ट और इस .... (...व्यवधान)
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल - माननीय अध्यक्ष जी, हम तो उस व्यवस्था की बात कर रहे कि उसमें किसने उनको अनुमति दी, दोनों विषय अलग है . ऐसे तो न्यायालय के नाम पर चर्चा ही नहीं होगी, ऐसे हम सदन में कब अपनी बात रख पाएंगे.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष जी, हमारे सदस्य कह रहे हैं कि इसमें युवाओं की बात है, इस प्रकार से बार बार गड़बडि़यां हो रही हैं. नियम कायदों की बात हो रही है, पूरे प्रदेश के युवाओं की बात है, नियम की बात हो रही है. यहां पर सरकार में बैठे किन लोगों ने किया उसकी बात हो रही है. कौन से कोर्ट ने इस पर जांच का बोला है, नहीं बोला.
अध्यक्ष महोदय - किसी भी विषय पर चर्चा करने के लिए अनेक नियम हैं और हम लोग निश्चित रूप से उस पर विचार करेंगे कि किस नियम के अंतर्गत है.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष जी, आप स्थगन में देखिए उसमें कोई कोर्ट या सीबीआई की बात नहीं है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष जी, मुझे यह कहते हुए गर्व है कि हमारे संवेदनशील मुख्यमंत्री जी ने उन सारे विद्याथियों को जो इससे कहीं न कहीं प्रभावित थे, उन्हें परीक्षा देने की अनुमति प्रदान कर दी है.
श्री उमंग सिंघार - मंत्री जी जांच क्यों नहीं करवा रहे हो. युवा क्यों भटक रहा है, क्यों बचाना चाह रहे हो(...व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, कौंसिल के अधिकार थे, सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों ने टेकओवर किए थे, उनको अधिकार नहीं थे, इस पर चर्चा चाहते हैं, भविष्य में युवाओं के साथ खिलवाड़ न हो, इस पर चर्चा चाहते हैं. कोर्ट को लेकर बहाना नहीं होगा. इस पर चर्चा होना चाहिए, यह पूरे प्रदेश के युवाओं की बात है, इस पर चर्चा होना चाहिये, ग्राह्यता पर चर्चा होना चाहिए. आप ग्राह्य करें या नहीं करें लेकिन ग्राह्यता पर चर्चा तो करायें.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय कैलाश जी कह रहे हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने उन सभी छात्रों को जो इसके अंदर प्रभावित हुए थे, फिर से परीक्षा देने का अवसर दिया है, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद लेकिन आप यह बताईये कि एक छात्र कितनी बार परीक्षा देगा? बार-बार घोटाले होंगे बार बार परीक्षा देगा? (मेजों की थपथपाहट) नीट के अंदर पूरे 30 लाख नौजवान देश के भुगत रहे हैं. (व्यवधान)...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, यह विषयांतर है, यह विषय ही नहीं है. यह सदन का विषय भी नहीं है. अध्यक्ष महोदय, इसको रिकार्ड से निकाला जाये. अध्यक्ष महोदय यह इस सदन का विषय नहीं है. यह सदन को गुमराह कर रहे हैं. (व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, यह कोर्ट का विषय नहीं है. यह नर्सिंग काउंसिल का विषय है. स्थगन पर ग्राह्यता पर चर्चा हो सकती है, आप कल चर्चा करा लो. (व्यवधान)..[ XX ]
............................................................
XX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
उच्च शिक्षा मंत्री( श्री इंदर सिंह परमार)-- अध्यक्ष महोदय, न्यायालय में प्रकरण चल रहा है, न्यायालय के निर्देश पर कार्यवाही हो रही है और उसमें जो भी होगा, वह छन छनकर सबके आने वाला है, इसलिये माननीय अध्यक्ष महोदय, यह लोग व्यवधान पैदा करना चाहते हैं और महत्वपूर्ण समय को बर्बाद करना चाहते हैं.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष जी मेरा आपसे अनुरोध है . (व्यवधान)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर यह है कि जो नेता प्रतिपक्ष जी ने व्यक्तिगत आरोप लगाये हैं, यह रिकार्ड से विलोपित होने चाहिए. यह व्यक्तिगत आरोप लगाने का समय नहीं है. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, इसे रिकार्ड में नहीं लिया जायेगा (व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, आपका प्वाइंट ऑफ आर्डर कोर्ट का है और कोर्ट की बात ही नहीं हो रही है. अध्यक्ष महोदय कोर्ट की बात नहीं हो रही है. (व्यवधान)..
श्री इंदर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, यह गलत आरोप लगा रहे हैं. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 1 बजे तक के लिये स्थगित की जाती है.
सदन की कार्यवाही 1.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(12.13 बजे से 1.00 बजे तक स्थगित)
1.01 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
नेता प्रतिपक्ष (उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के इस महत्वपूर्ण विषय पर हम सभी सदस्यों ने आपसे आग्रह किया है कि स्थगन पर चर्चा होना चाहिये. क्योंकि कोर्ट के अलावा भी कई विषय हैं जो सीधे-सीधे सरकार से जुड़े हैं, सरकार के अधिकारियों से, सरकार के मंत्रियों से, तो मेरा आपसे निवेदन है कि इस पर विचार करें, क्योकि यह पूरा एक लोक महत्व का मामला है, प्रदेश के युवाओं का मामला है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय मैं बहुत विनम्रता से निवेदन करना चाहता हूं कि यह डॉ. मोहन यादव की सरकार है, चर्चा से भागती नहीं है, हम चर्चा करने के लिये तैयार हैं पर सवाल यह है कि नियम और प्रक्रिया से होना चाहिये, यह स्थगन आप देख लीजिये, तत्काल यदि कोई घटना होती है, उसके ऊपर स्थगन आता है दो सत्र के बीच में कोई तत्काल घटना हुई है तो स्थगन आता है यह बहुत पुराना है.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- अध्यक्ष महोदय...
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- आप हमारी बात पूरी हो जाने दीजिये माननीय फिर आप बोलियेगा, यह अच्छी परंपरा नहीं है, आप बहुत वरिष्ठ हैं. अध्यक्ष महोदय, जब भी ऐसी घटना होती है, कोई भी तात्कालिक घटना होती है, उसके ऊपर स्थगन आता है और हम चर्चा करते हैं. हम भी उधर थे तब भी हमने चर्चा की है पर 3, 4, 5 सत्र हो गये हैं उसके बाद यह स्थगन आ ही नहीं सकता, हम किसी भी चर्चा के लिये तैयार हैं, आप जिस पर चर्चा कराने के लिये तैयार हों, डॉ. मोहन यादव जी की सरकार चर्चा कराने के लिये तैयार है.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 3 साल, 4 साल से सत्र तो कितने ही हो गये लेकिन घोटाले तो लगातार चले आ रहे हैं, घोटाले थोड़ी रूक गये. बच्चे परेशान हैं.
अध्यक्ष महोदय-- मैं समझता हूं दोनों पक्षों की बात आ गई है.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह किसी एक का विषय न माना जाये. इसमें प्रदेश के वह सब बच्चे शामिल हैं जो दोनों पार्टी के अंदर हैं, उनका भविष्य खराब हो रहा है, वह सड़कों पर भटक रहे हैं, वह बीजेपी कांग्रेस के नहीं हैं. आज जो चर्चा हम मांग रहे हैं वह आपके खिलाफ या किसी मंत्री के खिलाफ नहीं मांग रहे, हम मांग रहे हैं यह चर्चा उन बच्चों के लिये जिनका भविष्य कितने सालों से खराब हो रहा है, हमने भुगता है.
अध्यक्ष महोदय-- भंवर सिंह जी, सरकार ने कह दिया है कि चर्चा के लिये हम तैयार हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- अध्यक्ष महोदय, फिर चर्चा कराइये न.
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार सभी विषयों में गंभीर है, किसी भी विषय से हम पीछे हटने वाले नहीं हैं, लगातार जनहितैषी मुद्दों को लेकर के हर विषय को फेस करने के लिये हम तैयार हैं. अभी जैसा माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने कहा, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी जो मांग कर रहे हैं मैं भी निवेदन इतना ही करना चाहूंगा कि जो माननीय सदन की परंपरा है, स्थगन के मामले में और ध्यानाकर्षण के मामले में बहुत फर्क होता है, तो बेहतर यह होगा कि हम इसको ध्यानाकर्षण के मामले से अगली बार ग्राह्य कर लें हमको कोई परेशानी नहीं है, हम तैयार हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- आप चर्चा से नहीं घबराते यह बहुत अच्छी बात है, आप बहादुर हैं, आपको इसका प्रमाण पत्र दिया जायेगा. ... (व्यवधान)...
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- हमें आपके प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है. ... (व्यवधान)
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - कृपया सभी बैठें.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इन्दर सिंह परमार) - माननीय सदस्य जो सर्टिफिकेट देना चाहते हैं. वह सर्टिफिकेट अपने पास ही रख लें.हमें सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. हम पारदर्शितापूर्ण सरकार चलाते हैं. सभी मुद्दों पर कार्यवाही हो रही है और हम चर्चा के लिए तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठें.
श्री भंवर सिंह शेखावत - आज विचार किसी विचारधारा का नहीं. आज सबसे बड़ा मुद्दा है. देश के नौजवान भटक रहे हैं. चर्चा करने में क्या दिक्कत है. आप बचाना किसको चाहते हैं. जिन लोगों ने यह भ्रष्टाचार किया है. एक बार नहीं दो बार नहीं अनेकों बार किया है.
श्री इन्दर सिंह परमार - भारतीय जनता पार्टी की यह सरकार किसी को बचाना नहीं चाहती है. यह भाषण देने के बजाय सत्य पर बात करें. भाषण देने के लिये यह सदन नहीं है. (..व्यवधान..) हम चर्चा करना चाहते हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत - तो करिये चर्चा.
अध्यक्ष महोदय - भंवर सिंह जी, आप वरिष्ठ सदस्य हैं.
(..व्यवधान..)
मुख्यमंत्री(डॉ.मोहन यादव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा शुरू से हमने सदन का स्वर रखा है. स्वर यही है कि किसी भी मसले पर हमारी सरकार कभी भी डरने वाली नहीं है न पीछे हटने वाली है. आपके स्वर किसी भी स्थिति तक जा सकते हैं लेकिन हम संयम के साथ अपनी स्पष्टता के साथ विषय को रखना चाहते हैं और उत्तेजना से कोई बात करेगा यह सुनने की आदत हमारी भी नहीं है. इस बात को माननीय सदस्यगण सुन लें. अपनी बात को संयम तरीके से रखें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि विवाद के बजाय चर्चा हो, यह हमारा उद्देश्य है. आप चर्चा किस रूप में कराना चाहते हैं कैसे कराना चाहते हैं. इसलिये मैं आपसे अऩुरोध करूंगा कि आप इस पर व्यवस्था दें.
लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - देखिए, दरअसल कोई ग्राह्यता पर चर्चा नहीं हो रही है जो सब लोग बोलें. मेरा कृपा करके अनुरोध है कि नेता प्रतिपक्ष की बात भी सामने आ गई. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने भी अपनी बात रखी और माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी रखी है. हम सब इस बात को भली-भांति जानते हैं कि यह सदन चर्चा के लिए है और चर्चा से न सत्ता पक्ष को भागने की जरूरत है न विपक्ष को भागने की जरूरत है. सब विषय के प्रति चिंतित हैं तो निश्चित रूप से दोनों पक्षों को मैंने सुना है लेकिन सदन नियम,प्रक्रियाओं और परंपराओं से चलता है. पुरानी भी बहुत सारी परंपराएं हैं. स्थगन के पीछे भी जो आपात स्थिति होती है और वह जो भावना होती है तो स्थगन की चीज को,जो भावना है उसको भी कमजोर नहीं करना चाहिए और मैंने दोनों पक्षों की बात को सुना है. अलग से भी बात की है. सदन में भी बात सुनी है और मैं प्रतिपक्ष को कहना चाहता हूं कि इसको आप दोनों लोगों ने मुझ पर छोड़ने के लिए कहा है. मैं कल उचित नियम के तहत् इस पर चर्चा कराऊंगा.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है कि कल समय का ध्यान रखें क्योंकि कई सदस्य बोलने वाले हैं तो विस्तृत चर्चा हो.
अध्यक्ष महोदय - सामान्य तौर पर प्रश्नकाल के बाद चर्चा कराएंगे.
1.06 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1.07बजे फरवरी,2024 सत्र की स्थगित बैठकों की प्रश्नोत्तर सूची तथा प्रश्नों के अपूर्ण
उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-1 पटल पर रखा जाना
अध्यक्ष महोदय - फरवरी,2024 सत्र की स्थगित बैठकें यथा- दिनांक 15, 16 एवं 19 फरवरी,2024 की प्रश्नोत्तर सूचियां तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-1 पटल पर रखा गया.
1.08बजे नियम 267-क के अधीन फरवरी,2024 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना
अध्यक्ष महोदय - नियम 267-क के अधीन फरवरी,2024 सत्र में सदन में पढ़ी गई सूचनाओं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा गया.
1.09 बजे राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
1.10 बजे
ध्यानाकर्षण
(1) श्री आशीष गोविंद शर्मा- (अनुपस्थित)
(2) मुरैना शहर के आवासीय क्षेत्र में मकानों के ऊपर विद्युत हाईटेंशन लाईन डाला जाना
श्री दिनेश गुर्जर (मुरैना)- अध्यक्ष महोदय,
1.12 बजे
{ सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)- सभापति महोदय,
श्री दिनेश गुर्जर-- माननीय सभापति महोदय, मैं आपकी बात से इसलिए सहमत नहीं हूं कि कोई भी सरकार बनती है तो मानव जीवन की सुरक्षा के लिए होती है और अगर जनता के हित में नियमों में सुधार भी करना पड़े तो यह सरकार का दायित्व और धर्म बनता है. जिस तरह से मुरैना शहर के अंदर हाईटेंशन लाइनों का एक जाल बिछा हुआ है. आम जनता उसके नीचे अपने आपको असहाय महसूस कर रही है, असुरक्षित महसूस कर रही है. आपने जैसा कहा कि वह संस्था करे या व्यक्तिगत जो गरीब लोग हैं जिनके मकानों से शहरी क्षेत्रों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में हाईटेंशन लाईन निकली है वह शिफ्टिंग का पैसा कहां से लाएंगे. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि वह इसमें सरकार की तरफ से ऐसी योजना लागू करे कि हमारे जो भी गरीब लोग हैं, किसान हैं उनकी जो भी हाईटेंशन लाईनें हैं उसको हटाने के लिए सरकार अपनी तरफ से व्यय करे और मुरैना के अंदर जो हर दिन बड़ी-बड़ी घटनाएं हो रही हैं जैसे आपने कहा कि कोई घटना ही नहीं हुई. हाल ही में रामनगर क्षेत्र में नौजवान की हाईटेंशन लाईन से मृत्यु हो गई. हमारी छ: भैंसें बैड़ा गांव में खत्म हो गई. एक भैंस परावली में खत्म हो गई. एक गौ माता को बाजार के अंदर वार्ड नंबर 36 में करेंट लग गया. यह सभी नियम जो विद्युत विभाग द्वारा बनाए गए हैं इन नियमों में सुधार करके आम जनता को सुरक्षा प्रदान करें हम आपसे ऐसी उम्मीद और विश्वास करते हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सम्मानित सदस्य को बताना चाहता हूं कि पहले तो उन्होंने जो प्रश्न पूछा है वह उन्होंने जो ध्यानाकर्षण उठाया है उससे अतिरिक्त पूछा है. मैंने उसका जवाब दिया है. जिन कॉलोनियों का आपने प्रश्न उठाया है कि उनमें कोई कोई घटना घटी है. मैंने पूरे मुरैना जिले की बात तो नहीं की है. आपने यदि पूरे मुरैना जिले की बात की होती तो उन घटनाओं का उल्लेख होता.
श्री दिनेश गुर्जर-- माननीय सभापति महोदय, मैंने पूरे मुरैना शहर की बात की है. माननीय मंत्री जी आप मुद्दे से न भटकें. मैं अपने विधान सभा क्षेत्र की बात कर रहा हूं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- दिनेश जी मैंने आपकी बात को ध्यान से सुना है तो अब आप मेरी बात को भी ध्यान से सुन लें.
सभापति महोदय-- दिनेश जी आप मंत्री जी का पूरा जवाब सुन लें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- सभापति महोदय, पहली बात तो हमारी सरकार गरीबों के प्रति कोई भी दुर्घटना हो उसके प्रति सजग है. आपने दूसरी बात कही कि गरीबों का ध्यान रखा जाए. सम्मानित सदस्य यह बताएं कि जो कॉलोनियाँ बसी हैं उसमें कोई गरीब है क्या. वहां के प्लाटों की बाजार वेल्यू क्या है, उन पर जो भवन बने हुए हैं.
श्री दिनेश गुर्जर -- मंत्री जी क्या आपको कष्ट है कि गरीब का बेटा पैसे वाला बन जाए. गरीब आदमी मकान बना ले तो आपको कष्ट है. आप यह स्पष्ट करें. क्या गरीब भवन नहीं बना सकता है. आप इसको स्पष्ट करें कि गरीब को मकान बनाने का अधिकार नहीं है क्या. अगर मान लीजिए किसी से कर्ज लेकर, पत्नी या बहु बेटी के जेवर बेचकर कोई भवन बना लेता है तो क्या यह पाप है.
सभापति महोदय -- माननीय मंत्री जी, आप संक्षिप्त में जवाब दे दीजिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- सभापति महोदय, मैं संक्षिप्त जवाब ही दे रहा हूँ. दोनों बातें अलग-अलग हैं. हमारी सरकार सम्मानित सदस्य की बात सुनने को पूरी तरह से तैयार है. विभाग का मंत्री होने के नाते मैं सुनने को तैयार हूँ. परन्तु सदन में जो चर्चा हो, जिन चीजों पर इन्होंने मुद्दा उठाया है उस पर हो. मेरा कहना है कि गरीब भी मकान बना सकता है. हमारे प्रधानमंत्री जी गरीबों को मकान बनाकर दे रहे हैं. यह बात भी मैं कह रहा हूँ पर आप गरीबों के सहारे, किन कॉलोनियों की बात कर रहे हो. मेरा कहना है कि आप पूरी बात को कहो.
सभापति महोदय -- आप अब विषय से भटक रहे हैं. माननीय सदस्य ने अपनी बात कह दी है, आप जवाब दे दें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- सभापति महोदय, मेरा जवाब स्पष्ट है. पहले तो यह देखा जाए कि मकान पहले बने या लाइन पहले खींची गई. नियम के तहत यह बात है कि अगर किसी को उस लाइन से आपत्ति है तो उसके लिए हमारी कम्पनी इस्टीमेट बनाकर देगी, उसका 5 प्रतिशत सुपरवीजन चार्ज देकर ए क्लास के ठेकेदार से स्वयं हटवा लें, या उस क्षेत्र की नगर पालिका, निगम, अगर किसी रास्ते में कोई अवरोध है तो वह पैसा जमा कर दे तो हम लाइन हटा सकते हैं. इसके अलावा हमारा कोई नियम नहीं है.
श्री दिनेश गुर्जर -- सभापति महोदय, मैं यह चाहता हूँ कि जो पिछड़े क्षेत्र हैं जहां पैसे की व्यवस्था नहीं हो सकती है. क्या विद्युत विभाग वहां गरीबों की हाई टेंशन लाइन हटाने के लिए पैसा जमा कर सकता है.
सभापति महोदय -- मंत्री जी का जवाब आ गया है.
श्री दिनेश गुर्जर -- सभापति महोदय, जवाब नहीं आया है. कब तक हटेगी, यह तो हमको भी पता है कि बिजली विभाग के नियम हैं. हम यह चाहते हैं कि बिजली विभाग के नियमों में सुधार हो. पुराने नियम चले आ रहे हैं. जनता परेशान है. हमारा उद्देश्य सिर्फ यह नहीं है कि हमको बताना है. हमारा उद्देश्य है कि उन मकानों से हाइटेंशन लाइन कब तक हटेगी. शासन द्वारा इसमें क्या सहयोग राशि दी जाएगी और कैसे हटेगी. मंत्री जी यह स्पष्ट करें.
सभापति महोदय -- दिनेश जी, मंत्री जी यह कह रहे हैं घर बने और फिर लाइन ऊपर से चली गई तब तो यह गलत है. विभाग की जिम्मेदारी है. लाइन गई हुई है उसके बाद लोग नीचे घर बना लेते हैं तो विद्युत अधिनियम इसका समाधान करता है. सुन लीजिए. जिसको हटवानी है, सुन लीजिए.
श्री दिनेश गुर्जर -- सभापति महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में और भारतवर्ष में मकान बाद में ही बनते हैं लाइनें कई वर्षों से हैं.
सभापति महोदय -- दिनेश जी आप मेरी बात नहीं सुनना चाहते हैं.
श्री दिनेश गुर्जर -- अगर किसी ने मकान बना लिया है तो उसकी सुरक्षा करने की और उसको सुरक्षा देने की और व्यवस्था देने के सरकार के नियम होते हैं.
सभापति महोदय -- दिनेश जी मैं विषय को स्पष्ट करना चाहता हूँ फिर आप अपनी बात कहिएगा. नियम में यही प्रावधान है कि जो इस्टीमेट है उसका पैसा देना पड़ता है, विभाग को राशि जमा करना पड़ती है. आप विधायक निधि से दे दीजिए.
श्री दिनेश गुर्जर -- सभापति महोदय, नियम बदले जा सकते हैं. अगर नियम यही रहेंगे तो इसका मतलब जिन लोगों की आए दिन मृत्यु हो रही है हाईटेंशन लाइनों से जो घरों के ऊपर से जा रही हैं तो वे मरते रहें. मंत्री जी या तो यह बोल दें या फिर उसकी व्यवस्था कराएं और हाईटेंशन लाइन हटाएं, या तो मंत्री जी यह तय कर दें कि हाईटेंशन लाइनें नियमानुसार नहीं हटेंगी जिनको मरना है मरें.
सभापति महोदय -- दिनेश जी अब नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं, आप तो किसी की नहीं सुन रहे हैं. फिर कैसे होगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- सभापति महोदय, सभी सदस्यों की इसमें क्योरी है. तोमर जी हमारे पुराने साथी हैं यह अलग बात है कि अभी उनके मन बदल गए हैं. मेरा कहना है कि यह पॉलिसी मैटर है. कहीं कोई गरीब परिवार है, झुग्गी झोपड़ी है या सक्षम लोग नहीं हैं तो क्या वहां पर सरकार नियम में परिवर्तन नहीं कर सकती है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- हमारे नेता प्रतिपक्ष जी जो बात कह रहे हैं. मैं यह कहा रहा हूँ कि बिजली, पानी और हवा हमारी आवश्यकता है. जैसे-जैसे बस्तियां, बसाहटें बसती गईं उनके अनुरुप बिजली की लाइनें उनके अनुरूप बिजली की लाइनें खिचती गईं और पूरे प्रदेश में इतनी लाइनें जो खिच चुकी हैं पहले यह निश्चित किया जायेगा कि लाइनें जिन घरों पर से क्योंकि लोग यह तो चाहते हैं कि लाईट उसे चाहिये..
सभापति महोदय -- देखिये उनका संक्षिप्त में प्रश्न है कि क्या नियमों में आप संशोधन करेंगे या नहीं करेंगे, इतना बता दीजिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- सभापति महोदय, मैं संक्षिप्त में जवाब दे रहा हूं कृपया थोड़ी मेरी बात आ जाये. यह नियमों में नहीं आता है. मैं पहले ही स्पष्ट कर चुका हूं कि नियमों में आने के लिये जो प्रक्रिया मैं सदन में बता चुका हूं. नियम और कायदे से बात करनी है तो वह मैं पूरी बात बता चुका हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- सभापति महोदय, मेरा स्पेसिफिक सवाल है कि अगर पहले से कोई नियम चले आ रहे हैं तो क्या उन नियमों पर परिवर्तन नहीं हो सकता है ?
सभापति महोदय -- हां, इस पर आप अपनी बात कह दें. देखिये नियम तो बने हुये हैं. उसमें आप संशोधन करेंगे कि नहीं, ताकि यह जो बात कह रहे हैं उसमें शामिल हो सके.
श्री उमंग सिंघार -- सभापति महोदय, गरीब बस्तियां हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- सभापति महोदय, सम्माननीय नेता प्रतिपक्ष ने जो चिंता जाहिर की है यह उपनियम वगैरह बने थे जब केन्द्र में आपकी ही सरकार थी.
श्री उमंग सिंघार -- अरे यह आलोचना में कहां आ गये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- आप बात तो सुन लीजिये. अब आप ऐसी बात करके सिर्फ भावनाओं की मत कहो, आपकी ही सरकार थी तो नियमों का पालन करते थे.
श्री उमंग सिंघार -- सभापति महोदय, इसीलिये करोड़ों रुपये जाते हैं. इसीलिये सदन की कार्यवाही में करोड़ों रुपये बर्बाद होते हैं. मंत्री जी जवाब ही नहीं दे पाते हैं.
श्री सुरेश राजे -- 10 साल से वहां बैठो हो. नहीं--नहीं 20 साल से बैठे हो हुजूर और 10 साल से वहां बैठे हो. अब तो पीछा छोड़ो कि नियम बने थे.
श्री उमंग सिंघार -- आपको ध्यान नहीं है कि सदन चलने में करोड़ों रुपये बर्बाद हो रहे हैं...(व्यवधान)...
श्री सुरेश राजे -- कोई अलग विषय उठाओ. अब तो हुजूर आप बैठे हो. अब आप बदलो नियमों को कि पुरानी सरकार आयेगी निमय बदलने ? यह तो बता दो. सभापति महोदय, अब पुरानी सरकार आयेगी नियम बदलने.
श्री अभय मिश्रा -- सभापति महोदय, यह नियम में है.
सभापति महोदय -- यह तो केन्द्रीय अधिनियम है.
श्री लखन घनघोरिया -- सभापति महोदय, यह मामला अकेला मुरैना का नहीं है, पूरे प्रदेश का है.
श्री अभय मिश्रा -- सभापति महोदय, एक नई बात बता रहे हैं. मेरा एक निवेदन सुन लीजिये, केवल एक मिनट लगेगा. यह गलत दिशा में हम भटक रहे हैं. नियम में संशोधन की कोई जरूरत नहीं है. यह पहले से नियम है. आज अगर एक नई रोड एनएचएआई की जाती है, एमपीआरडीसी की जाती है, तो उसमें यूटिलिटी शिफ्टिंग के नाम पर तुरंत फंड दे दिया जाता है और वह काम हो जाता है. केवल फंड की बात कीजिये और कोई बात नहीं, केवल फंड से संबंधित यह मामला है नियम की कोई जरूरत नहीं है.
सभापति महोदय -- बड़ी स्पष्ट बात है, फंड यह नहीं खर्च कर सकते, कोई दूसरी एजेंसी दे तो उसको यह कर सकते हैं. विधायक निधि से दे दिया जाय, सांसद निधि से दे दिया जाय.
श्री अभय मिश्रा -- क्यों नहीं कर सकते इनके पास स्वयं का फंड है. इनके पास हर काम में फंड रहता है.
श्री उमंग सिंघार -- सभापति महोदय, सीधा-सीधा यह है कि कहीं गरीब बस्ती है या आर्थिक रूप से सक्षम लोग नहीं हैं, बस्तियां बन रहीं हैं, घनत्व बढ़ता जा रहा है, बिल्डिंगें बन रही हैं लेकिन अगर वहां पर ऐसी स्थिति है, तो क्या सरकार उन नियमों में बदलाव नहीं कर सकती है ?
सभापति महोदय -- यह केन्द्रीय अधिनियम है बता दिया है. बस आप इतना स्पष्ट कर दीजिये कि कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं. पटाक्षेप करें, बहुत चर्चा हो चुकी है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- सभापति महोदय, मैंने कहा कि सम्मानित की बहुत चिंता है. यह तो नियमों में है. नियमों में बदलाव होगा तो अतिक्रमण में बढ़ोत्तरी होगी. नियम कायदे से ही काम चल रहा है मेरी बात आप समझ लें. दूसरी बात कर रहा हूं गरीब की इनको चिंता है तो विधायक निधि का उपयोग करें.
श्री उमंग सिंघार -- सभापति महोदय, यह कह रहे हैं अतिक्रमण होगा. बिजली के खंभे लग रहे हैं अतिक्रमण में, नगर निगम से, भोपाल में चले जाओ आप यहां से दो किलोमीटर में सबको आपने बिजली दी है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- आपको चिंता है तो संबंधित क्षेत्र में विधायक निधि का उपयोग करो ना.
श्री उमंग सिंघार -- अतिक्रमण की बात कर रहे हैं, नये कनेक्शन दे रहे हो.
...(व्यवधान) ..
सभापति महोदय -- मंत्री जी, आप लंबा न खीचें. आप जबरदश्ती आफत मोल ले रहे हैं. आप बता दीजिये कि नियम में कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं. बस संक्षिप्त बता दीजिये तो बात खत्म हो. देखिये अब बहुत चर्चा हो चुकी है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- सभापति महोदय, मैं आपकी भावनाओं के अनुरूप पहले ही बता चुका हूं कि यह नहीं कर सकते हैं.
श्री उमंग सिंघार -- सरकार क्या गरीबों का ध्यान नहीं रखना चाहती है ? जो लोग सक्षम नहीं हैं ऐसी अवैध कालोनियों के अंदर बिजली विभाग से लाइनें बिछ रही हैं और अगर वहां पर लोग सक्षम नहीं हैं तो क्या शिफ्ट नहीं कर सकते हैं इसमें क्या नियमों में प्रावधान नहीं हो सकता है ?
श्री लखन घनघोरिया -- सभापति महोदय, यह पूरे प्रदेश का मामला है, इसको गंभीरता से लीजिये.
सभापति महोदय -- देखिये सरकार का जवाब आ चुका है.
श्री लखन घनघोरिया -- मेरा एक आग्रह है कि 33 के.व्ही. और 11 के.व्ही. की जो हाइटेंशन लाइन जाती है, पहले जब आबादी कम थी तब की खिंची हुई लाइनें हैं, अब सभी जगह आबादी बस गई.
सभापति महोदय -- लखन जी, मेरा सुझाव है. देखिये, मेरी बात सुन लीजिये बजट आने वाला है, बजट पर विभागवार व्यापक चर्चा होगी उस समय यह सारी बातें रखियेगा, अभी तो मुद्दा समाप्त होना चाहिये.
समय 1.30 अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि
सभापति महोदय – आज की कार्य सूची में उल्लेखित कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
समय 1.31
अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 127-परासिया (अ.जा.) से निर्वाचित सदस्य, श्री सोहनलाल बाल्मीक को विधान सभा के जुलाई, 2024 सत्र में दिनांक 1 जुलाई से 10 जुलाई, 2024 तक की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा.
सभापति महोदय – निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 127 परासिया (अ.जा.) से निर्वाचित सदस्य, श्री सोहनलाल बाल्मीक की ओर से मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 277 (1) के अधीन आवेदन पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें उन्होंने जुलाई, 2024 सत्र में सभा की कुछ बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा चाही है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक, सदस्य की ओर से प्राप्त निवेदन इस प्रकार है –
“ विधान सभा के दिनांक 01 जुलाई, 2024 से प्रारम्भ हो रहे सत्र में मैं, दिनांक 10 जुलाई 2024 तक उपस्थित नहीं हो पाऊंगा. चूंकि हमारे छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा विधान सभा क्षेत्र में उप चुनाव होने जा रहा है और पार्टी के निर्देशानुसार मुझे अमरवाड़ा क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है, जिसके कारण मैं, दिनांक 01 जुलाई, 2024 से 10 जुलाई, 2024 तक सभा की बैठकों में उपस्थित होने में असमर्थ हूं. ”
क्या सदन सहमत है कि निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 127 परासिया (अ.जा.) के सदस्य श्री सोहनलाल बाल्मीक को इस सत्र की उक्त बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा प्रदान की जाये ?
अनुज्ञा प्रदान की गई.
समय 1.32 विधान सभा की सदस्यता से त्यागपत्र
मध्यप्रदेश विधान सभा के निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 123-अमरवाड़ा (अ.ज.जा.) से निर्वाचित सदस्य, श्री कमलेश प्रताप शाह एवं निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 156-बुधनी से निर्वाचित सदस्य, श्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा विधान सभा में अपने स्थानों का त्याग करने की सूचना.
सभापति महोदय – निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 123 अमराड़ा (अ.ज.जा.) से निर्वाचित सदस्य, श्री कमलेश प्रताप शाह एवं निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 156 बुधनी से निर्वाचित सदस्य श्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा विधान सभा के अपने स्थानों से त्याग पत्र दे दिया गया है, जिसे मेरे द्वारा क्रमश: दिनांक 29 मार्च एवं 18 जून 2024 से स्वीकृत किया गया है.
समय 1.34 सदस्यों का निर्वाचन
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के प्रबंध मण्डल हेतु
तीन सदस्यों का निर्वाचन
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री( श्री एदल सिंह कंसाना)—सभापति महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि –
‘’ यह सभा उस रीति से जैसी अध्यक्ष महोदय निर्दिष्ट करें, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम 1963 ( क्रमांक 12 सन् 1963 ) की धारा 25 की उपधारा (1) के पद (नौ) की अपेक्षानुसार जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के प्रवंध मण्डल के लिए राज्य विधान सभा के सदस्यों में से तीन सदस्यों के निर्वाचन के लिए अग्रसर हों. ’’
सभापति महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि –
‘’ यह सभा उस रीति से जैसी अध्यक्ष महोदय निर्दिष्ट करें, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 1963 (क्रमांक 12 सन 1963) की धारा 25 की उपधारा (1) के पद (नौ) की अपेक्षानुसार जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के प्रबंध मंडल के लिए राज्य विधान सभा के सदस्यों में से तीन सदस्यों के निर्वाचन के लिए अग्रसर हों. ’’
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ,
इस संबंध में निर्वाचन का कार्यक्रम निम्नानुसार निर्धारित किया जाता है—
1. नाम निर्देशन प्रपत्र विधान सभा सचिवालय में मंगलवार, दिनांक 2 जुलाई, 2024 को अपराह्न 4.00 बजे तक दिये जा सकते हैं.
2. नाम निर्देशन प्रपत्रों की जांच बुधवार, दिनांक 3 जुलाई, 2024 को अपराह्न 3.00 बजे से विधान सभा भवन स्थित समिति कक्ष क्रमांक 6 में होगी.
3. उम्मीदवारी से नाम वापस लेने की सूचना गुरूवार, दिनांक 4 जुलाई, 2024 को सायं 5.00 बजे तक इस सचिवालय में दी जा सकती है.
4. निर्वाचन, यदि आवश्यक हुआ तो मतदान शुक्रवार, दिनांक 5 जुलाई, 2024 को पूर्वाह्न 11.00 बजे से अपराह्न 3.00 बजे तक होगा.
5. निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाएगा.
उपर्युक्त निर्वाचन हेतु अभ्यर्थियों के नाम प्रस्तावित करने के प्रपत्र
एवंउम्मीदवारी से नाम वापस लेने की सूचना देने के प्रपत्र विधान सभा सचिवालय स्थित सूचना कार्यालय से प्राप्त किये जा सकते हैं.
विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 2 जुलाई, 2024 को प्रात: 11 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 01.35 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 2 जुलाई, 2024 ( आषाढ़ 11 शक संवत् 1946 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
अवधेश प्रताप सिंह
भोपाल: प्रमुख सचिव
दिनांक 1 जुलाई, 2024 मध्यप्रदेश विधान सभा