मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा दशम् सत्र
फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 1 अप्रैल, 2016
(12 चैत्र, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 22 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 1 अप्रैल, 2016
(12 चैत्र, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रश्न संख्या 1 श्रीमती रेखा यादव (अनुपस्थित)
प्रश्नकर्ता के पत्र पर कार्यवाही
2. ( *क्र. 6602 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता ने मुख्य सचिव को गत वर्ष अशोकनगर के कम्युनिस्ट पार्टी के श्री बाबूलाल यादव, एडवोकेट का पत्र अग्रेषित कर लिखित में जाँच का आग्रह किया था। इस पर मुख्य सचिव ने क्या कार्यवाही की? (ख) अशोकनगर जिले में विभिन्न समस्याओं के बारे में प्रश्नकर्ता ने मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन को गत 02 वर्ष में जो पत्र लिखे हैं, आज तक उस संबंध में क्या कार्यवाही हुई है?
मुख्यमंत्री (श्री शिवराजसिंह चौहान)
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में, हम मुख्य सचिव को तभी पत्र लिखते हैं जब विभाग में कोई कार्यवाही नहीं होती है इसमें कम से कम पत्रों की पावती किसी क्लर्क के माध्यम से तो देना चाहिये. मुख्यमंत्री जी भी उनको चिट्ठी लिखते हैं तो किसी क्लिर्क की चिट्ठी आ जाती है हमारे पास आती है कि फलां आदमी को यह भेजा गया है. माननीय उमाशंकर जी जब सीनियर विधायक भी थे तथा मंत्री भी थे तब इन्होंने सदन में कहा था कि कलेक्टर ने 100 चिट्ठियां लिखीं, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया. जब मुख्य सचिव पत्रों का उत्तर नहीं देंगे, पावती नहीं दिलवाएंगे, मेरी चिट्ठी को 9 महीने हो गये हैं उसके बाद उन्होंने क्या कार्यवाही की है कम से कम प्रांरभिक उत्तर ही दे देंगे कि इसमें यह-यह कार्यवाही चल रही है. इस तरह से आपका प्रशासन बिल्कुल ही ध्वस्त हो गया है इसी कारण से जहां किसी को लोकायुक्त पकड़ते हैं तो उनके पास में 1 करोड़ अथवा दो करोड़ रूपये मिल जाते हैं. मध्यप्रदेश में प्रशासन नाम की चीज इसीलिये नहीं रही है कि मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी अगर विधायकों के पत्रों की पावती नहीं देंगे और उसमें 9 महीने बाद क्या कार्यवाही हुई है, यह भी नहीं बताएंगे, यह तो बहुत ही एतराज वाली बात है. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप डॉयरेक्टिव दें कि सभी अधिकारी एवं मंत्री विधायकों के पत्रों की पावतियां भेजें और उसका उत्तर भी दें और फिर उसमें समयावधि भी दें. अब 9 महीने में आपने क्या कार्यवाही हुई, हमने तो भेज दिया है.
अध्यक्ष महोदय--आप तो सीधे पूछ लीजिये मंत्री जी भी यहां पर बैठे हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से पूछ रहा हूं आपके माध्यम से इसमें 9 महीने हो गये हैं कम से कम प्रारंभिक उत्तर तो आ जाए कि उसमें क्या हुआ है. क्या आप अधिकारियों को निर्देश जारी करेंगे कि वह पावती भी दें, आप किसी क्लर्क के माध्यम से करवा दें ताकि हम लोगों को विश्वास हो जाए कि हमारी चिट्टी मिली और उसके बाद क्या कार्यवाही हुई है उसकी खबर भी मिलना चाहिये.
श्री लालसिंह आर्य, राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय वरिष्ठ सदस्य हैं उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखे हैं, मुख्य सचिव ने भी उन पत्रों पर कार्यवाही हो इसके लिये लिखा है. आपने सात पत्र लिखे हैं 4 नगरीय प्रशासन से संबंधित हैं, 2 राजस्व विभाग से संबंधित है, तथा एक खाद्य विभाग का है. मेरे पास में इनके आवक-जावक नंबर भी हैं किस तारीख को, किस विभाग में गये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, 21.9.2015 को एक जांच कमेटी बनी है, संभागीय उपसंचालक, नगरीय प्रशासन विभाग उज्जैन एवं कार्यपालन यंत्री को रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है । मैंने अभी जानकारी ली है, 8 दिन के अंदर यह रिपोर्ट आ जाएगी और रिपोर्ट आने के बाद क्या संभव है, उस पर हम कार्यवाही करेंगे ।
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा- क्या आप निर्देश देंगे कि एक्नॉलेज कर दें, भले ही क्लर्क से करवा दें कि उनको चिट्ठी मिली, एक ही मामले के बारे में आपने बताया है बाकी चिट्ठियों के बारे में नहीं बताया है, बहुत महत्वपूर्ण मामले होते हैं, तब ही हम पत्र लिखते हैं, ऐसे नहीं लिखते हैं, उनकी जानकारी मिल जाए, मुख्य सचिव को सिग्नेचर करने का टाइम नहीं है तो कोई अधिकारी साइन करके हमारे पास भेज दें ।
श्री लाल सिंह आर्य- अध्यक्ष महोदय, जरूर कर देंगे ।
डॉं गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देता हूं पिछले सत्र में आपने निर्देशित किया था और सर्कुलर भी जारी हुआ था, 8 सर्कुलर जारी हो चुके हैं कि सांसदों और विधायकों के पत्रों का जवाब अधिकारी देंगे, यह बात सच है कि मुख्य सचिव के यहां से पत्र गया और उन्होंने भेज दिया । मैं आपसे अनुरोध, प्रार्थना करना चाहता हूं, मध्यप्रदेश में आपके आदेशों का, शासन के निर्देशों का पालन हो, एक भी अधिकारी ने, सचिव, प्रमुख सचिव यहां तक जिले के कलेक्टर, एसडीएम भी पत्र का जवाब नहीं देते, जानकारी नहीं देते, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं, आपके सर्कुलर का पालन हो, आदरणीय महेन्द्र सिंह जी के पत्रों को देख लेंगे, लेकिन बाकी के पत्रों की आप समीक्षा कराएं या अधिकारी नियुक्त करें, जिन्होंने सरकारी आदेशों का उल्लघंन किया है, उसकी जांच कर, उनके विरूद्व कार्यवाही करेंगे या कोई कमेटी बनाएंगे, जिससे भविष्य में पत्रों पर काम हो या लिख दें कि यह संभव नहीं है । अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि यह निर्देश जारी करें ।
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब भी कोई बात आती है मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग, समय समय पर ऐसे पत्र जारी करता रहता है, मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशानुसार सभी विधायकों को अधिकार दिए हैं कि वह अपनी विधानसभा में सभी विभाग के अधिकारियों की बैठक ले सकते हैं, समीक्षा कर सकते हैं, वहां पर पूरी जानकारी ले सकते हैं । हमारे सदस्य काफी वरिष्ठ सदस्य हैं । मैं पुन: संबंधित अधिकारियों को पत्र जारी करूंगा, कोई अथेंटिक जानकारी है, तो मुझे दे दें ।
अध्यक्ष महोदय- यह जनरल बात है कि जो सर्कुलर जारी किए हैं, वह सुनिश्चित हों ।
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा- जो भी अधिकारी हैं, वह समय सीमा भी दें कि इतने समय में हम करेंगे ।
शासकीय भूमि पर डेयरी का अवैध संचालन
3. ( *क्र. 7188 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अर्जुन नगर झुग्गी बस्ती पुराना सुभाष नगर, भोपाल में अभिरूचि परिसर के समीप कतिपय व्यक्ति द्वारा शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर दूध डेयरी (भैंसों का तबेला) संचालित है? (ख) क्या दूध डेयरी हटाने के लिए स्थानीय रहवासियों द्वारा नगर निगम भोपाल में शिकायतें की गई हैं? यदि हाँ, तो प्राप्त शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो क्यों तथा क्या शहर के बीच में वह भी शासकीय भूमि पर भैंस का तबेला संचालित किया जाना नियमानुकूल है? यदि नहीं, तो इसे क्यों नहीं हटाया गया तथा इस अवैध डेयरी संचालन को न हटाने के लिए कौन जिम्मेदार हैं? (ग) उक्त भैंस के तबेले को हटाने के लिए नगर निगम भोपाल कब तक कार्यवाही करेगा, इसे हटाने में हुए विलंब के लिए निगम दोषियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। नगर निगम भोपाल में प्राप्त शिकायतों के आधार पर जिसमें पीजी क्रमांक 93726629373467 के संबंध में श्री मुजाहिद खान/कदीर खान की डेयरी से समय-समय पर पशु अन्ना नगर कांजी हाउस में बंद किये गये तथा जुर्माना अधिरोपित किया गया। इसके अतिरिक्त गंदगी फैलाने वालों के विरूद्ध चालानी कार्यवाही की गई है। नगर निगम भोपाल द्वारा शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाये जाने हेतु निगम द्वारा पत्र क्रमांक 140-142 दिनांक 13.07.2015 को नजूल अधिकारी गोविन्दपुरा वृत्त भोपाल को पत्र भेजा गया है। निगम द्वारा अवैध डेयरी संचालन के संबंध में समय-समय पर पशु निरूद्ध किये जाकर चालानी कार्यवाही की गई है। इस कारण किसी के जिम्मेदार होने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता। (ग) नगर निगम भोपाल द्वारा भैंस के तबेले को हटाने के संबंध में समय-समय पर कार्यवाही की जाती रही है, जो निगम की एक नियमित प्रक्रिया है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। इस कारण किसी के दोषी होने एवं किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता ।
श्री महेन्द्र हार्डिया- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में माननीय मंत्री जी ने क और ख में स्वीकार किया है कि वहां पर अतिक्रमण है मैं मंत्री जी से जाननाचाहता हूं कि आपने अतिक्रमण स्वीकार किया है तो तो उसको कब हटाएंगे क्या इसकी समय सीमा बता सकते हैं ।
राजयमंत्री,सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)- माननीय अध्यक्ष महोदय, नगरीय प्रशासन के अमले ने 17.6.2015 और 29.3.2016 को दो बार अतिक्रमण हटाया है और पशुओं को निरूद्व करने की कार्यवाही भी की है, जुर्माना भी लगाया है, एनजीटी की रिपोर्ट आने वाली है और शासन यह तय कर रहा है कि जितने भी भोपाल शहर में इस प्रकार के तबेले हैं, उनको एक साथ भोपाल से बाहर हटाने की कार्यवाही करेंगे ।
श्री महेन्द्र हार्डिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद ।
ओंकारेश्वर परियोजना से डूब प्रभावित क्षेत्र
4. ( *क्र. 7895 ) श्री चम्पालाल देवड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ओंकारेश्वर परियोजना में डूब में आने के कारण देवास जिले के बागली विकासखण्ड अंतर्गत धाराजी धार्मिक क्षेत्र नर्मदा के बैक वाटर से जलमग्न हो गया है? (ख) यदि हाँ, तो क्या प्रश्नांकित धाराजी क्षेत्र में पूर्व में वर्ष में दो बार धार्मिक मेला लगता था, जिससे उक्त स्थान पर उज्जैन एवं इंदौर संभाग के लाखों यात्री आते थे? उक्त क्षेत्र आदिवासी क्षेत्र होने के कारण रहवासियों को दुकान व व्यवसाय से रोजगार उपलब्ध होता था तथा वार्षिक आमदानी होती है? यदि हाँ, तो उपर्युक्त स्थिति में विभाग सीता मंदिर (पीपरी) क्षेत्र तक नर्मदा का पावन जल पाईप लाईन से उद्वहन कर स्थायी घाट निर्माण कर पुन: मेला विकसित कर आयोजन करने हेतु विचार करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। ओंकारेश्वर परियोजना के निर्माण से देवास जिले के बागली विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम धारड़ी डूब से प्रभावित है। नर्मदा घाटी विकास विभाग/एन.एच.डी.सी. में सीता मंदिर (पीपरी) क्षेत्र तक नर्मदा के जल को पाईप लाईन से उद्वहन करने एवं घाट निर्माण किये जाने की कोई योजना नहीं है।
श्री चम्पालाल देवड़ा- माननीय अध्यक्ष महोदय, धाराजी में वर्ष में दो बार मेला लगता था, ओंकारेश्वर परियोजना में डूब में आने के कारण, जल भराव के कारण वह मेले अब बंद हो गए हैं, दोनों मेलों के कारण वहां के गरीब लोगों की आय बढ़ती थी और वहां पर इंदौर, उज्जैन और भोपाल के लोग मां नर्मदा जी के दर्शन करने जाते थे, धाराजी प्राचीन स्थान है, वार्णासुर की तपस्पी स्थल कहा जाता है वहां पर अपने आप शिवलिंग का निर्माण होता था । तो अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि जब आपने मेरे विधानसभा क्षेत्र में बहुत सारे घाट डूब में आने के बाद, घाटों का निर्माण कराया गया है तो धाराजी एक ऐसा प्राचीन स्थान था, जो छूट गया है. वहां पर कोई वैकल्पिक व्यवस्था घाट निर्माण की हो जाये, जिससे की वहां पर पुन: मेला लगना चालू हो जाये और उस क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलने लगे.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने अपने पूरक प्रश्न के माध्यम से बताया है कि वह स्थान डूब में आ चुका है. जबसे वह डूब में आया है तब से मेला लगना बन्द हो गया है. आपने इसमें घाट के मामले में कोई प्रश्न नहीं पूछा है. इसलिए जो चीज वहां अस्तित्व में ही नहीं है तो मुझे लगता है कि वहां किसी चीज का निर्माण करना उचित नहीं है.
श्री चम्पालाल देवड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि धाराजी के पास सीता मन्दिर है. जो प्राचीन मन्दिर है. वहां पर काफी जमीन उपलब्ध है और वहां घाट निर्माण का कार्य हो सकता है, आप अधिकारियों को भिजवाकर उसका परीक्षण करवा लें और अगर साध्य होगा तो क्या माननीय मंत्री जी, वहां घाट निर्माण कराने की कृपा करेंगे ?
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, पानी को लिफ्ट करके ले जाना, उसमें विद्युत भी लगेगी. वह जगह 12-13 किलोमीटर दूर है. कोई पास में होती तो समझ में आता. इसलिए फिर भी माननीय विधायक जी ने कहा है तो हम इसका परीक्षण करवा लेंगे.
श्री चम्पालाल देवड़ा - माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय मंत्री जी को एक स्थान और बताना चाहूँगा कि जहां पर हमने पुनर्वास स्थल की व्यवस्था की है, तो वहां पर वह पास में पड़ेगा, वहां जगह भी उपलब्ध है, वह 5-6 किलोमीटर दूर में पड़ेगा. अगर संभव हो तो वहां हो जाये.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी कह रहे हैं कि परीक्षण करवा लेंगे.
श्री चम्पालाल देवड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आश्वासन मिल जाये.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी आश्वासन फिर से दे दें. आपने जो परीक्षण कराने का कहा है, वह फिर से बोल दें.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से, पहले ही कहा है कि मैं उसका परीक्षण करवा लूँगा.
विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बिजली बिल की वसूली
5. ( *क्र. 6620 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में विद्युत वितरण कंपनी द्वारा घरेलू/व्यवसायिक विद्युत कनेक्शन हेतु किस प्रकार की कितनी श्रेणियां हैं तथा उनसे किस-किस प्रकार के शुल्क सहित कितना बिल वसूला जा सकता है? श्रेणीवार सूची देवें। (ख) टू-पार्ट टैरिफ क्या है? प्रश्नांश (क) में उल्लेखित उपभोक्ताओं से कितना फिक्स चार्ज और कितना ऊर्जा प्रभार लिया जा रहा है? श्रेणीवार सूची देवें एवं क्या बिजली अधिनियम 2003 के अनुसार बिल में उपभोक्ता से फिक्स प्रभार लेना अनिवार्य है, जबकि ऊर्जा प्रभार मीटर रीडिंग या वास्तविक खपत के अनुसार लगता है। (ग) प्रश्नांश (ख) यदि हाँ, तो प्रदेश में कनेक्शन धारी का निवास या प्रतिष्ठान बंद मिलने पर या मीटर रीडिंग शून्य खपत दर्शाने पर वर्तमान समय में कितना फिक्स चार्ज एवं कितना ऊर्जा प्रभार उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है? (घ) बिजली अधिनियम की धारा 45 (1), 3 क्या है? क्या इस अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता का घर/कार्य स्थल बंद मिलने पर या बिजली खपत शून्य होने पर क्या उपभोक्ता से न्यूनतम ऊर्जा प्रभार वसूला जाना सही है? यदि हाँ, तो किस प्रकार से यदि नहीं, तो क्या शासन विद्युत कंपनियों द्वारा गलत तरीके से वसूले जा रहे ऊर्जा प्रभार को रोककर उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत दर आदेश दिनांक 17.04.2015 के अनुसार घरेलू एवं गैर-घरेलू कनेक्शनों की विभिन्न उपश्रेणियों के प्रकार तथा इनके लिए प्रयोज्य विद्युत दरों एवं म.प्र. शासन द्वारा अधिसूचित विद्युत शुल्क का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश के अनुसार प्रयोज्य दरों एवं म.प्र. शासन द्वारा अधिसूचित प्रयोज्य विद्युत शुल्क के आधार पर ही विद्युत खपत के अनुसार वितरण कंपनियों द्वारा बिल वसूला जा सकता है। (ख) टू-पार्ट टैरिफ मांग आधारित टैरिफ है। इसमें उपभोक्ता अपने स्वीकृत/संबद्ध भार के साथ-साथ अपनी संविदा माँग हेतु आवेदन कर सकता है। प्रश्नांश (क) में उल्लेखित उपभोक्ताओं से लिये जा रहे फिक्स चार्ज (नियत प्रभार) और ऊर्जा प्रभारों का घरेलू एवं गैर घरेलू उपभोक्ता श्रेणीवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' में दर्शाया गया है। विद्युत की दरों के निर्धारण में म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत अधिनियम 2003 में उल्लेखित प्रावधानों को ध्यान में रखा जाता है। (ग) उपभोक्ता का निवास या प्रतिष्ठान बंद मिलने पर नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत दर आदेश के अनुसार नियत प्रभार एवं पूर्व वित्तीय वर्ष की औसत मासिक विद्युत खपत के आधार पर औसत बिल दिया जा रहा है तथा मीटर रीडिंग शून्य खपत दर्शाने पर म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी वर्तमान दर आदेश में निहित प्रावधानों के अनुसार नियत प्रभार एवं न्यूनतम प्रभार वसूला जा रहा है, जिसका प्रश्नाधीन श्रेणी-घरेलू एवं गैर-घरेलू उपभोक्ताओं हेतु विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता को विद्युत प्रदाय करने हेतु विद्युत अधोसंरचना निर्मित करने तथा विद्युत अधोसंरचना के रख-रखाव हेतु वितरण कंपनी को निरंतर राशि व्यय करनी होती है, जिसकी आंशिक प्रतिपूर्ति हेतु दर आदेश में फिक्स चार्ज के रूप में वितरण कंपनी के नियत खर्चों हेतु प्रावधान किया जाता है। (घ) विद्युत अधिनियम में प्रश्नाधीन उल्लेखित धारा 45 (1) 3 न होकर धारा 45 (3) है, जिसके प्रावधान निम्नानुसार है :- ''45 (3) किसी वितरण अनुज्ञप्तिधारी द्वारा प्रदाय की गई विद्युत के प्रभारों में निम्नलिखित सम्मिलित हो सकेंगे :- (क) वास्तविक रूप से प्रदाय की गई विद्युत के लिये प्रभार के अतिरिक्त कोई नियत प्रभार (ख) विद्युत अनुज्ञप्तिधारी द्वारा उपलब्ध कराये गये किसी विद्युत मीटर या विद्युत संयंत्र बावत कोई किराया या अन्य प्रभार।'' इस अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता का घर/कार्य स्थल बंद मिलने पर या बिजली खपत शून्य होने पर भी उपभोक्ता से दर आदेश में निहित प्रावधानों के अनुसार प्रभारों की वसूली किया जाना सही है। अत: प्रश्न नहीं उठता।
श्री नीलेश अवस्थी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि बिजली अधिनियम, 2003 में फिक्स प्रभार लेने की अनिवार्यता है जबकि ऊर्जा प्रभार, मीटर रीडिंग क्या वास्तविक प्रभार के अनुसार लगेगा. किसी माह जैसे उपभोक्ता का घर बन्द है, मीटर रीडिंग शून्य है, विद्युत वितरण कम्पनी उपभोक्ता को फिक्स चार्ज के अलावा न्यूनतम चार्ज भी वसूला जा रहा है. उपभोक्ता से दोहरा चार्ज- फिक्स चार्ज के अलावा ऊर्जा प्रभार चार्ज भी वसूला जा रहा है. इसके भविष्य में बढ़ाने की भी संभावना है. मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि क्या यह बढ़ाने की संभावना है कि यह मध्यप्रदेश में लिया जा रहा है, पूरे देश में नहीं लिया जा रहा है. देश में सिर्फ खपत के अनुसार लिया जा रहा है, यहां पर न्यूनतम लिया जा रहा है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, विद्युत नियामक आयोग द्वारा जो टैरिफ निर्धारण किया जाता है, उसमें ऊर्जा प्रभार प्लस फिक्स चार्जेस नियत प्रभार को मिलाकर ही टैरिफ की टोटल वैल्यू सामने आती है तो इसलिए देश में कहीं कोई ऐसा राज्य जैसा आपने बताया है, यह स्थिति नहीं है. आपकी जानकारी सही नहीं है.
श्री नीलेश अवस्थी - माननीय मंत्री जी, मैं आपसे यह पूछना चाह रहा हूँ कि जो फिक्स चार्जे होता है, वह तो ठीक है. उपभोक्ता का जो ऊर्जा प्रभार है, वह मीटर रीडिंग की खपत के अनुसार लगना चाहिए लेकिन यहां पर, जो उपभोक्ता है, उसका मीटर बन्द है, न्यूनतम उससे ही वसूला जा रहा है. उन पर दो-दो चार्ज लग रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मीटर बन्द है तो फिर न्यूनतम प्रभार 60/- रू. प्रति कनेक्शन और टेम्परेरी कनेक्शन वाले उपभोक्ता का 1,000/- रू. प्रति कनेक्शन इसलिए रखा जाता है कि क्योंकि मीटर नहीं चल रहा है, इसलिए न्यूनतम और यहां तक कि यदि मीटर रीडिंग में 60/- रू. से कम की रीडिंग आती है तो फिर Which ever is higher जो ज्यादा होगा, यदि 60/- रू. फिर उसमें एनर्जी चार्जेस के रूप में लगाया जायेगा और फिक्स चार्जे जो है क्योंकि मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि जो फीस चार्जेस हैं, जो बिजली की अधोसंरचना बनाई जाती है, सब-स्टेशन, लाईनें एवं ट्रांसफॉर्मरर्स में जो खर्च होता है और उसके मेन्टीनेन्स में जो खर्च होता है, डेप्रीसियेशन से लेकर तमाम तरह के जो खर्चे हैं- वे फिक्स चार्जेस के रूप में विद्युत नियामक आयोग टैरिफ में निर्धारण करता है और एनर्जी चार्जेस तो यह है कि जो मीटर की रीडिंग में बिल आया, मीटर में जो रीडिंग आई है, उसके आधार पर जो बिल आया, उन दोनों को मिलाकर ही टैरिफ होता है और देश में ऐसा कोई राज्य नहीं है, जहां ऐसा नहीं हो रहा है.
श्री नीलेश अवस्थी -- मंत्री जी, आप बिलकुल सही कह रहे हैं. लेकिन जो ऊर्जा प्रभार है, वह खपत के अनुसार लिया जा रहा है. लेकिन इसमें बिना मीटर चले हुए भी उपभोक्ता से वसूला जा रहा है.
सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्रांतर्गत स्वीकृत कार्य
6. ( *क्र. 6977 ) श्री मेहरबान सिंह रावत : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सबलगढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जल संसाधन संभाग सबलगढ़ अंतर्गत वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में क्या-क्या कार्य स्वीकृत किए गए? कार्य ऐजेंसी का नाम, स्वीकृत राशि, कार्य पूर्ण करने की अवधि एवं व्यय की जानकारी वर्षवार बतावें। (ख) क्या उक्त कार्य निर्धारित अवधि में पूर्ण हुए एवं कौन-कौन से कार्य अवधि पूर्ण होने पर भी पूर्ण नहीं हुए हैं? अपूर्ण कार्य कब तक पूर्ण करा दिए जाएंगे। (ग) क्या उक्त अवधि में केनाल व डिस्ट्रीब्यूटरियों सहित पावती एक्बेडेक्ट पर कराए गए पक्कीकरण कार्य प्राक्कलन को अनदेखा कर घटिया निर्माण सामग्री से गुणवत्ताहीन कराये गये हैं? यदि हाँ, तो गुणवत्ता की जाँच कराकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) एवं (ख) प्रश्नाधीन अवधि में कोई नवीन कार्य स्वीकृत नहीं किया गया है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं। (ग) जी नहीं। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
श्री मेहरबान सिंह रावत -- अध्यक्ष महोदय, मैंने मंत्री जी से यह प्रश्न किया था कि वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में क्या कामों की कोई स्वीकृति जारी की गई. तो उन्होंने कहा कि जी नहीं. प्रश्नाधीन अवधि में कोई नवीन कार्य स्वीकृत नहीं किया गया है. मेरा आशय यह था कि क्वारी नदी पर स्टापडेम बनाये जायें, क्योंकि उधर न तो नहरें हैं, न कोई तालाब है. घाटी के नीचे 17 पंचायतें पड़ती हैं. वहां करीब 34-35 गांव पड़ते हैं. तो वहां कोई सर्वे करवाकर स्टाप डेम बनवाये जायेंगे क्या.
श्री जयंत मलैया -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी लिख करके दे दें, मैं परीक्षण करा लूंगा.
श्री मेहरबान सिंह रावत -- अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि अभी चंबल नहर का सीमेंटीकरण हुआ था, श्योपुर से लेकर मुरैना तक. आज उस कार्य को बंद हुए एक साल हुआ है और आज ही वह नहर टूटने लगी है. पुरानी नहर मिट्टी की 60 साल चलती रही..
अध्यक्ष महोदय -- इसमें है नहीं यह प्रश्न.
श्री मेहरबान सिंह रावत -- अध्यक्ष महोदय, है. आप देखें. पारवती एक्वाडक्ट है. उसमें गुणवत्ता की बिलकुल कमी है. कच्ची नहर हमारी 60 साल चल गई और पक्की नहर एक साल में टूटने लगी. मंत्री जी, इसकी क्या जांच करायेंगे और इसमें जो ठेकेदार और अधिकारी दोषी हैं, जांच कराकर उनके विरुद्ध कार्यवाही करेंगे.
श्री जयंत मलैया -- अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि पार्वती एक्वाडक्ट में सीमेंट कांक्रीट की सड़क, ड्राय स्टोन पिचिंग, सीपेज ड्रेन का कार्य कराया गया है. लगभग 1 करोड़ रुपये से ऊपर की लागत में कराया गया है और जो पार्वती एक्वाडक्ट की स्थिति है, वह स्थिति अच्छी है. पूर्ण क्षमता से और सरलता से जल का प्रवाह हो रहा है. मैं यहां निवेदन करना चाहूंगा कि इस बार इसी पार्वती एक्वाडक्ट से 3.57 लाख हेक्टेयर पानी प्रवाहित किया गया है.
श्री मेहरबान सिंह रावत -- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी चंबल नहर की कह रहा हूं. अकेले पार्वती एक्वाडक्ट की नहीं कह रहा हूं. पूरी चंबल नहर आज ही टूटने लगी है, एक साल पहले उसका काम बंद हुआ है. उसकी गुणवत्ता की आप जांच करायेंगे क्या.
श्री जयंत मलैया -- अध्यक्ष महोदय, मैं इसको प्रथम दृष्टया देख लेता हूं और उसके बाद लगा कि जांच कराना उचित है, तो जांच कराई जायेगी.
श्री मेहरबान सिंह रावत -- मंत्री जी, धन्यवाद.
ग्वालियर संगीत महाविद्यालय में पदस्थ अमला
7. ( *क्र. 6763 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर राजा मानसिंह संगीत विश्वविद्यालय से संबद्धता वाले कितने शासकीय, अशासकीय महाविद्यालय कहाँ संचालित हैं? उनके स्थान सहित वर्तमान समय की जानकारी दी जावे? (ख) ग्वालियर संगीत महाविद्यालय में कितने नियमित, तदर्थ व अतिथि विद्वान वर्तमान में पदस्थ हैं? उनकी संख्या, विषय सहित पूर्ण जानकारी दी जावे। (ग) क्या 20 फरवरी, 2016 तक अतिथि विद्वानों को चार माह से भी अधिक समय से वेतन नहीं दिया गया है, क्यों? कारण सहित पूर्ण जानकारी दी जावे। (घ) क्या विश्वविद्यालय द्वारा जिन विषय में पद रिक्त हैं, वहां अतिथि शिक्षकों से अध्यापन कार्य कराया जा रहा है? उनके स्थाई पदों पर कब तक शिक्षकों की पदस्थापना कराई जावेगी। 20 फरवरी, 2016 तक क्या प्रक्रिया अपनाई गई है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) ग्वालियर राजा मानसिंह तोमर संगीत विश्वविद्यालय से संबद्धता वाले 13 शासकीय एवं 69 अशासकीय कुल 82 महाविद्यालयों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’अ’’ अनुसार. (ख) ग्वालियर संगीत महाविद्यालय में पदस्थ एवं वर्तमान में कार्यरत नियमित तदर्थ व अतिथि विद्वान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’ब’’ अनुसार. (ग) दिनांक 20 फरवरी, 2016 तक अतिथि विद्वान को प्रतिमाह नियमित वेतन दिया जा रहा है। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता. (घ) जी हाँ. स्थायी पदों पर भर्ती करने हेतु प्रक्रियाधीन. कार्यवाही जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’स’’ अनुसार.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार -- अध्यक्ष महोदय, मुझे जो जवाब मिला है, उससे मैं पूर्णतः संतुष्ट हूं. लेकिन एक बात मैं पूरक प्रश्न में मंत्री जी से और करना चाहता हूं कि अभी आपने जवाब में स्वीकार किया है कि अतिथि शिक्षकों से अध्यापन का कार्य कराया जा रहा है. मेरा इसमें यही कहना है कि कब तक अतिथि शिक्षकों से अध्यापन का कार्य कराया जायेगा. जो स्थाई पद हैं, उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया कब तक पूर्ण कर ली जायेगी.
राज्यमंत्री, संस्कृति (श्री सुरेन्द्र पटवा) -- अध्यक्ष महोदय, विश्वविद्यालय हेतु 28 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 14 पदों पर नियुक्ति की जा चुकी है. इसमें दो बार विज्ञापन दिये जा चुके हैं और अभी 2 पद और प्रक्रिया में हैं, उसकी समीक्षा की जा रही है और बाकी भी पद बहुत जल्दी ही भर दिये जायेंगे.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार -- मंत्री जी, धन्यवाद.
गौण खनिज एवं रेत उत्खनन की स्वीकृति
8. ( *क्र. 1029 ) श्री रामपाल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शहडोल जिले में खनिज विभाग द्वारा वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में गौण खनिज एवं रेत उत्खनन की स्वीकृति प्रदान की गई है? यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ और किस-किस को उत्खनन की स्वीकृति प्रदान की गई है और प्रत्येक खदान की स्वीकृति नियम व शर्तें क्या हैं? (ख) क्या प्रश्नांश (क) के अनुसार यदि उत्खनन की स्वीकृति प्रदान की गई है तो प्रश्न दिनांक तक प्रत्येक खदान से कितनी राशि प्राप्त हुई है? (ग) क्या शहडोल जिले में गौण खनिज एवं रेत उत्खनन के अन्य खदानों की स्वीकृति प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो प्रस्तावित खदानों की स्वीकृति की प्रक्रिया किस स्तर तक की जा चुकी है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन जिले में वर्ष 2014-2015 में गौण खनिज एवं रेत के उत्खनन हेतु स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है। वर्ष 2015-2016 में गौण खनिज पत्थर एवं रेत की नीलाम खदानें तथा क्रशर द्वारा गिट्टी निर्माण हेतु पत्थर खनिज का उत्खनिपट्टा स्वीकृत किया गया है। प्रश्नांश की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ एवं ‘ब’ में क्रमश: दर्शित है। उपरोक्त खदानें मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 में दर्शित शर्तों के आधार पर स्वीकृत की गईं हैं। यह नियम अधिसूचित है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ एवं ‘ब’ में दर्शित है। (ग) प्रश्नाधीन जिले में क्रशर द्वारा गिट्टी निर्माण हेतु पत्थर खनिज के उत्खनिपट्टा हेतु 16 आवेदन पत्र विचाराधीन हैं। यह आवेदन वर्तमान में जाँच की प्रक्रिया के अधीन हैं। रेत उत्खनन हेतु 5 खदानों में पर्यावरण अनापत्ति प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रचलन में है।
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी द्वारा प्रदाय की गई जानकारी अनुसार वर्ष 2015-16 में रेत खदान खामडाड़ के लिये खसरा क्र. 197,203,187,771 एवं 180 का अंश भाग एवं रकबा 12.177 हेक्टेयर स्वीकृत है, किन्तु मेरा यह कहना है कि इससे ज्यादा रकबे से रेत की निकासी हो रही है. मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि खदानों की आवंटित भूमि का चिह्नांकन पूर्ण पारदर्शिता से किया जाये. उक्त भूमियों की जानकारी क्षेत्र एवं खदानों से लगे भूमि स्वामियों को स्पष्ट रुप से प्रदान की जाये. मैं यह भी अनुरोध करता हूं कि खामडाड़ खदान का सीमांकन, चिह्नांकन मेरी उपस्थिति में मंत्री जी करवायेंगे क्या.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- कोई आपत्ति नहीं है.
श्री रामपाल सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और प्रश्न है. क्या उक्त ठेकेदारों के द्वारा जो स्वीकृत और आवंटित रेत खदानें हैं उसके अतिरिक्त अन्य स्थानों से अवैध रेत का उत्खनन भी हो रहा है ? क्योंकि मेरे ब्यौहारी क्षेत्र में कई ऐसी नदियां हैं जैसे सूखा टांघर, खुटेहरा, महू, समधिन, छरफ इत्यादि नदियों पर अवैध तरीके से रेत का उत्खनन करके ठेकेदार द्वारा स्टॉक यार्ड जो बनाये गये हैं वहां पर रेत एकत्रित करके इस रेत को वैध कर लेने का काम किया जा रहा हैं. वे पहले रेत को स्टॉक कर लेते हैं. क्या मंत्री जी इस अवैध उत्खनन और अवैध परिवहन की उच्च स्तरीय जांच करायेंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, संचालनालय से किसी बड़े अधिकारी को भेजकर के इसकी जांच करा लेंगे.
श्री रामपाल सिंह-- मंत्री जी इसके लिये धन्यवाद.
कम तेजी की मदिरा की जाँच
9. ( *क्र. 6404 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आबकारी विभाग की कम तेजी मदिरा जाँच के लिये प्रयोगशाला को फूड एवं सेफ्टी मापदण्ड के अनुरूप नहीं लिये जाने के क्या कारण हैं? क्या प्रक्रिया प्रचलन में है? (ख) वर्तमान में विभाग द्वारा कम तेजी के नमूनों की जांच के लिये प्रायवेट प्रयोगशाला को 1 जनवरी, 2013 से कितनी जाँच के लिये कितना भुगतान किया गया? क्या यह प्रयोगशाला फूड एवं सेफ्टी (sefty) मापदण्ड के अनुरूप है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) आबकारी विभाग में भारतीय मानक ब्यूरो के स्टैंडर्ड के अनुरूप प्रयोगशाला स्थापित है तथा इस विभागीय प्रयोगशाला में मोलासिस में उपस्थित शक्कर की मात्रा का निर्धारण, आसवनियों में विनिर्मित प्रासव का रसायनिक परीक्षण, विदेशी मदिरा विनिर्माणी इकाईयों में निर्मित विदेशी मदिरा, देशी मदिरा विनिर्माणी इकाईयों में निर्मित देशी मदिरा की गुणवत्ता हेतु प्राप्त नमूनों की जाँच भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित प्रक्रियात्मक मानकों अनुसार की जाती है। (ख) प्रदेश के संभागीय उपायुक्त आबकारी कार्यालयों द्वारा प्रभाराधीन जिलों से संकलित एवं प्राप्त जानकारी अनुसार प्रदेश में 01 जनवरी, 2013 से प्रश्न दिनांक तक कम तेजी के एक भी नमूने की जाँच प्रायवेट प्रयोगशाला में नहीं कराई गई है, जाँच नहीं होने के कारण राशि भुगतान का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। प्रश्नांश (क) एवं (ख) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न का शेष अंश विभाग से संबंधित नहीं है।
श्री यशपालसिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में कम तेजी की मदिरा की जांच प्रयोगशाला से संबंधित मेरा यह प्रश्न है. यह प्रश्न मेरा पहली बार नहीं आया है दिसम्बर 2015 को यह प्रश्न तारांकित प्रश्न 4 के रूप में आया था. विभाग ने उसमें स्वीकार किया है कि ग्वालियर की प्रयोगशाला फूड एवं सेफ्टी (sefty) मापदण्ड के अनुरूप अधिकृत नहीं है . प्रश्न के (क) भाग में मुझे यह उत्तर भी प्राप्त हुआ है कि 2014-15 में 45 तथा 2015-16 में 65 नमूने की जॉंच श्री जी.के.बोरेल ,केमिस्ट के द्वारा की गई है. यह घटनाक्रम और प्रश्न दिसम्बर,2015 का हो गया. अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न जब आज पुन: तारांकित प्रश्न के रूप में सदन में आया तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि आपके विभाग के अधिकारियों ने इसको सिरे से खारिज कर दिया. शायद दिसम्बर 2015 का जो जवाब आया था उसको भी देखने की उन्होंने कोशिश नहीं की, मेरे प्रश्न को भी देखने की कोशिश नहीं की और विभागीय अधिकारियों ने जो जवाब उस समय दिया था उसको भी देखने का कोशिश नहीं की.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पत्रकारिता के क्षेत्र में रहा हूं. मैं भूतकालीन घटनाओं को हमेशा ध्यान में रखता हूं और वर्तमान में क्या हो रहा है और भविष्य में क्या हो सकता है, इस चीज को लेकर के हम जब पत्रकार हुआ करते थे तो देखते थे....
अध्यक्ष महोदय-- कृपया प्रश्न करें.
श्री यशपालसिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 1 जनवरी, 2013 से प्रश्न दिनांक तक कम तेजी के एक भी नमूने की जांच प्रायवेट प्रयोगशाला से नहीं कराई गई. यह मुझे दिसम्बर, 2015 में उत्तर प्राप्त हुआ था. अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि क्या मंत्री जी इस विरोधाभाषी उत्तर जो अधिकारियों के द्वारा दिया गया है, शायद मंत्री जी की जानकारी में भी नहीं लाया गया होगा. स्वयं इसकी समीक्षा करेंगे और दूध का दूध और पानी का पानी करेंगे ? और जिन अधिकारियों ने गलत जानकारी दी है, दो बार , कल क्या था और आज क्या दे रहे हैं, क्या ऐसे दोषी अधिकारियों के खिलाफ आप कार्यवाही करेंगे ?
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे यशपालजी के प्रश्न पर घौर आपत्ति है. मैं इनको 25 सालों से जानता हूं और जहां तक मुझे याद आता है यह मदिरा त्यागी हैं. मदिरा तेज है या मद्दी है इनका इससे क्या लेना देना है. (हंसी
श्री यशपालसिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं क्षत्रिय हूं, मेरे यहां रिश्तेदार आते हैं, मेरे मित्र आते हैं ...
अध्यक्ष महोदय-- अरे तो आप उनकी भी छुड़वाईये न. (हंसी)
श्री यशपालसिंह सिसौदिया-- जो व्यक्ति शादीशुदा नहीं होता वह भी बारात में जाता है, नाचता है, मस्ती का आनंद लेता है भले ही वह कुंवारा है (हंसी) शादीशुदा नहीं है लेकिन बारातें तो बहुत अटेंड की हैं. (हंसी)
वन मंत्री, (डॉ.गौरीशंकर शेजवार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा लगता है कि सिसौदिया जी ने सबके बारे में सर्वे करवाया है कि कौन की क्या रिपोर्ट है. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर साहब कम से कम आज तो रिपोर्ट की बात नहीं करें. मुख्यमंत्री जी ने आज हैप्पीनेस मंत्रालय बनाने की घोषणा की है. कम से कम सभी लोग खुश रहें तो ज्यादा अच्छा है, आप ही लोग खुश नहीं रहेंगे तो कैसे चलेगा.
श्री यशपालसिंह सिसौदिया-- रावत जी यह उसी की झलक है. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत-- अच्छा उसी की झलक है (हंसी)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- अध्यक्ष महोदय, रावत जी को सर्वे के नाम पर क्यों तकलीफ हो रही है. (हंसी) मलैया जी ने सर्वे कराया है तो हो जाने दो न.
श्री रामनिवास रावत-- मुझे तकलीफ नहीं है. एक दूसरे को जो तकलीफ हो रही है उसमें मैंने खुश रहने की बात कही है. (हंसी)
श्री जयंत मलैया-- अध्यक्ष महोदय, सामान्य तौर से जो इन्होंने प्रश्न पूछा था फूड एण्ड सेफ्टी के मापदण्ड के हिसाब से क्या यहां पर इसकी जांच होती है, तो मैंने अपने उत्तर में इनको बताया कि भारतीय मानक ब्यूरो के मापदण्ड के हिसाब से हमारे यहां मदिरा की जांच होती है और इसके अलावा अन्य प्रदेश है जैसे उत्तर प्रदेश है, राजस्थान है, महाराष्ट्र है वहां भी होती है और फूड एण्ड सेफ्टी के माध्यम से सिर्फ इसमें जो प्रिजरवेटिव्स डाले जाते हैं मदिरा को सुगंधित बनाने के लिये, सुरक्षित रखने के लिये तो वह इस्तेमाल फूड एण्ड सेफ्टी से आता है. जहां तक माननीय निवेदन यह था, इन्होंने कहा है कि इसमें कहीं बाहर से जांच नहीं कराई, क्या पैसा दिया, यह बात सही है कभी कोई ऐसी दिक्कतें आती हैं, कहीं कोई कम्पलेंट आती है तो जो लघु उद्योग निगम की प्रयोगशाला है और जो फोरेंसिक लेब सागर में है वहां से हम इसकी जांच करा लेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि विरोधाभाषी उत्तर आया है, उसकी आप जांच करा लें नंबर 1, नंबर 2 मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि आपकी प्रयोगशाला के माध्यम से जांच होकर के जो शराब जाती है, वह तो जाती है, कोई दिक्कत वाली बात नहीं है, इसको स्वीकार कर लूंगा, लेकिन जहरीली शराब, मिलावटी शराब, यह सब जब पकड़ी जाती हैं तो इसकी कोई जांच नहीं होती उस कारण से अपराधी छूट जाते हैं, उसके लिये आप क्या करेंगे.
श्री जयंत मलैया-- अध्यक्ष महोदय, हम सिर्फ वैध शराबों का प्रयोगशाला में एनालिसिस करते हैं, स्पूरियस कौन बनाता है, कहां से आता है, उसमें हम कोई कार्यवाही नहीं करते.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय मंत्री जी जिन अधिकारियों ने 2015 दिसम्बर को जो जवाब दिया था और आज भिन्न जवाब दे रहे हैं कम से कम उसकी तो जांच पड़ताल करवा लें.
अध्यक्ष महोदय-- आ गया उत्तर आपका अब बैठ जाइये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय मंत्री जी कुछ बोलना चाह रहे हैं.
श्री जयंत मलैया-- मैं इसको दिखवा लेता हूं.
विधायक स्वेच्छानुदान योजना को ई-भुगतान प्रणाली से मुक्त किया जाना
10. ( *क्र. 3533 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश के सभी शासकीय विभागों/निगम/मण्डलों में ई-भुगतान की प्रणाली प्रचलित है? यदि नहीं, तो किन-किन विभागों में नहीं है? (ख) किन-किन विभागों में ई-भुगतान प्रणाली का कार्य नहीं किया जाता है? क्या प्रदेश के निगम एवं मण्डलों में भी ई-भुगतान प्रणाली को लागू किया जायेगा? (ग) क्या विधायक स्वेच्छानुदान मद में भी ई-भुगतान प्रणाली को मान्य किया गया है? यदि हाँ, तो क्यों? (घ) क्या विधायक स्वेच्छानुदान राशि का उद्देश्य जरूरतमंदों को तत्काल आर्थिक सहायता देना है? यदि हाँ, तो ऐसे में क्या विधायक स्वेच्छानुदान योजना को ई-भुगतान प्रणाली से मुक्त किया जाएगा? यदि हाँ, तो कब तक?
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)--
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के 'क' में जिस प्रकार मैंने पूछा था कि क्या सभी शासकीय विभागों, निगम मंडलों में ई-भुगतान की प्रणाली प्रचलित है, उसके उत्तर में आया है जी हां. माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार से हमारी सरकार की मंशा है कि पारदर्शिता से भुगतान हो, लेकिन आज भी नगर निगम, नगर पालिकाओं में ई-भुगतान की प्रणाली प्रचलित में नहीं है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि ऐसे विभाग जो आज भी भुगतान नहीं कर रहे हैं, वहां पर ई-भुगतान की व्यवस्था करवायेंगे क्या और 'घ' में हमारे सभी सदस्यों ने जिस प्रकार मांग की थी कि हमारी विधायक स्वेच्छानुदान की राशि को ई-भुगतान से पृथक रखा जाये, तो उसकी समय सीमा बताएगें क्या.
श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि इन्होंने अपने प्रश्न में ही पूछा है उसमें मैंने अपने उत्तर में बताया है कि लगभग जो हमारे पास है, ज्यादातर मंडल और निगमों में शतप्रतिशत ई-पेमेंट की स्थिति है, कुछ जगह शतप्रतिशत नहीं है, 80 प्रतिशत है और शेष प्रक्रिया में है, इस तरह से सारी जगहों पर जहां भी नहीं हुई है, जैसा इन्होंने बताया कि संभवत: नगर पालिका, नगर निगम में नहीं है, इन संस्थाओं के बारे में पूछा होता तो मैं उसका भी उत्तर दे देता, परंतु मैं समझता हूं कि यह समय की मांग है वहां पर भी ई-पेमेंट की स्थिति अति शीघ्र बनेगी. दूसरा प्रश्न जो माननीय देवेन्द्र वर्मा जी ने पूछा है वह है कि जो हमारे माननीय विधायक जो स्वेच्छानुदान की राशि देते हैं वह राशि जिसको भी दी जाती है, उसके आरटीएस में चली जाती है, अब आप यह चाहते हैं कि वह चेक के माध्यम से जाये, क्या सभी यह चाहते हैं- (सदन के सभी माननीय सदस्यों ने एक स्वर में हां कहा) ठीक है तो यह आज की तारीख से ही हो जायेगा, इसी वित्तीय वर्ष में.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले की भी समय सीमा बता दें, नगर निगम, नगर पालिकाओं में आज भी भुगतान नहीं हो रहा है, उसकी समय सीमा भी बता दें.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने शीघ्र अति शीघ्र बोल दिया.
कटनी जिलांतर्गत मदिरा दुकानों का निरीक्षण
11. ( *क्र. 7123 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मदिरा दुकानों के निरीक्षण में विवरण दर्ज किये जाने के शासनादेश हैं? यदि हाँ, तो कटनी जिले की मदिरा दुकानों का अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन शासकीय सेवकों द्वारा कब-कब निरीक्षण किया गया? (ख) क्या कटनी जिले में विभागीय उड़नदस्ता गठित है? यदि हाँ, तो इसके क्या कार्य हैं एवं कौन-कौन शासकीय सेवक इसमें शामिल हैं? उड़नदस्ते द्वारा अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन दुकानों, स्थानों का निरीक्षण, दौरा एवं जाँच, कब-कब की गई, क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या स्वीकृत स्थल मानचित्र के अतिरिक्त अन्य स्थल पर दुकान संचालन के चलते देशी मदिरा दुकान नई बस्ती कटनी के लायसेंसी पर कार्यवाही की गई थी? यदि हाँ, तो यह दुकान कब से अनियमित तौर पर संचालित रही, प्रश्न दिनांक को किस स्थान से संचालित है? क्या कारण है कि जिला मुख्यालय में ही नियम विपरीत दुकान संचालन के जिम्मेदार शासकीय सेवकों को सूचना प्राप्त नहीं हुई? इस लापरवाही का कौन-कौन जिम्मेदार है? (घ) कटनी जिले में शासनादेशों के विपरीत संचालित मदिरा दुकानों के संबंध में जनवरी, 2015 से क्या शिकायतें प्राप्त हुई? क्या कार्यवाही की गई? क्या विभागीय संरक्षण से अनियमितताओं की जाँच एवं कार्यवाही के आदेश दिये जायेंगे?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। यह सही है कि दुकानों में निरीक्षण के विवरण दर्ज किये जाने का प्रावधान है। कटनी जिले में संचालित 43 देशी मदिरा दुकानें एवं 20 विदेशी मदिरा दुकानों के अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक निम्नांकित शासकीय सेवकों द्वारा निरीक्षण किये गये हैं :- (1) राज्य स्तरीय उड़नदस्ता, भोपाल। (2) संभागीय उड़नदस्ता, जबलपुर। (3) जिला आबकारी अधिकारी कटनी। (4) समस्त सहायक जिला आबकारी अधिकारी, कटनी। (5) समस्त आबकारी उप निरीक्षक कटनी। उक्त शासकीय सेवकों द्वारा किये गये निरीक्षणों का दिनांकवार पत्रक पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र एक अनुसार है। (ख) जी हाँ। कटनी जिले में विभागीय उड़नदस्ता गठित है, जिसके द्वारा मादक द्रव्यों के अवैध धारण, संग्रहण एवं परिवहन की रोकथाम के लिए जिला कटनी में भ्रमण व कार्यवाही की जाती है, उड़नदस्ता में श्री लोकेश सिंह ठाकुर, सहायक जिला आबकारी अधिकारी एवं आबकारी आरक्षक श्री शिवमूरत नामदेव, श्री मनोज कुमार पाठक पदस्थ हैं। उड़नदस्ता द्वारा अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक की गई कार्यवाही में अवैध मदिरा के पंजीबद्ध किये गये प्रकरणों का पत्रक पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र दो अनुसार है। (ग) देशी मदिरा दुकान नई बस्ती, उसको स्वीकृत स्थान से लगभग 6 मीटर की दूरी स्थित पृथक भूमि स्वामी की खाली भूमि पर स्थापित कर संचालित करने का प्रकरण दिनांक 17.09.2015 को प्रकाश में आने पर आबकारी उप निरीक्षक वृत्त कटनी क्रमांक-2 द्वारा जाँच कर प्रकरण क्रमांक 308, दिनांक 17.09.2015 कायम किया गया, जिसमें कलेक्टर जिला कटनी द्वारा रूपये 10,000/- शास्ति आरोपित कर लायसेंसी को दण्डित किया गया। वृत्त के प्रभारी सहायक जिला आबकारी अधिकारी/आबकारी उप निरीक्षक द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन अनुसार उक्त स्थल आपत्तिरहित एवं आबकारी अधिनियम के अंतर्गत बने सामान्य प्रयुक्त के नियमों के नियम 1 के अनुरूप होने से लायसेंसी द्वारा आवेदन करने पर कलेक्टर जिला कटनी द्वारा इसी स्थान (वर्तमान स्थल) पर संचालन की अनुमति दी गई। प्रश्न दिनांक को मदिरा दुकान उसी खाली भूमि में अस्थाई निर्माण कर संचालित है। उक्तानुसार जिम्मेदार शासकीय सेवकों के संज्ञान में मदिरा दुकान नई बस्ती नियमानुकूल संचालित है। किसी की लापरवाही नहीं पाई गई है। अत: कोई भी जिम्मेदार नहीं है। (घ) कटनी जिले में शासनादेशों के विपरीत कोई भी मदिरा दुकान संचालित नहीं है। जनवरी, 2015 से 09 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनकी जाँच विभागीय अधिकारियों द्वारा कराने पर शिकायतें प्रमाणित नहीं पाई गईं। शिकायतवार प्रतिवेदन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र तीन अनुसार है। विभागीय संरक्षण से कोई अनियमितता नहीं हो रही है। अत: कोई जाँच एवं कार्यवाही आदेशित नहीं की गई है।
श्री संदीप जायसवाल - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में विभाग द्वारा यह माना गया है कि स्वीकृत स्थल से 6 मीटर की दूरी पर बिना अनुमति के शराब की दुकान खोली गई थी, लेकिन उसको जांच में आपत्तिरहित माना गया था. वहीं दूसरी ओर परिशिष्ट 3 में यह भी माना गया है कि आपत्ति आई थी. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहूंगा कि क्या आपत्ति होने के कारण जो पूर्व में स्वीकृत स्थल था, विभाग के अनुसार जो कि मात्र 6 मीटर पहले है, वहीं पर वापस देशी शराब की दुकान लगाई जाएगी?
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय श्री संदीप जायसवाल जी चाहते हैं कि वह दुकान जो 6 मीटर आगे आ गई है, वह 6 मीटर चली जाय, मैंने डीईओ को निर्देशित कर दिया है कि 1 अप्रैल 2016 से उसको कर दिया जाएगा.
श्री संदीप जायसवाल - धन्यवाद.
मास्टर प्लान के क्षेत्र के बाहर होटल/रिसोर्ट निर्माण की अनुमति
12. ( *क्र. 7790 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के मास्टर प्लान (विकास योजना) की परिधि के क्षेत्र के बाहर ग्रामों में होटल/रिसोर्ट निर्माण करने हेतु नगर तथा ग्राम निवेश विभाग का विकास अनुज्ञा/अभिन्यास योजना ले-आउट प्लान लेना अनिवार्य है? यदि हाँ, तो नियमों की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) क्या माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा मई, 2013 में मढ़ई (वनवासी सम्मेलन और अंत्योदय मेले, कामती) भ्रमण के दौरान मढ़ई विकास योजना (प्रारूप) 2021 को स्थानीय लोगों के अनुरूप नयी विकास योजना बनाये जाने की घोषणा की गई थी। यदि हाँ, तो क्या वर्तमान में मढ़ई विकास योजना लागू नहीं है? यदि लागू है तो निवेश क्षेत्रों में अभिमत प्राप्त करने का क्या नीति निर्देश है? (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत यदि विकास योजना लागू है तो ग्राम रैनीपानी एवं श्रीरंगपुर में कितनी भूमि (एकड़) में होटल/रिसोर्ट निर्माण हेतु अनुमति देने का प्रावधान है? आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मढ़ई अंतर्गत ग्राम घोघरी/टेकापार/बीजाखारी/कामठी, श्रीरंगपुर, रैनीपानी, सांरगपुर में आदिवासियों को छोटे रकबे पर होमस्टे/होटल बनाये जाने की छूट की व्यवस्था है? यदि नहीं, तो क्या इसके लिए शासन की ओर से कोई योजना है? (घ) मढ़ई के देनवा नदी किनारे ग्राम सारंगपुर, बिजाखारी, टेकापार में होटल/रिसोर्ट, कॉलोनी बनाने की नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा विगत् 5 वर्षों से प्रश्न दिनांक तक किन-किन होटल/रिसोर्ट/कॉलोनाईजर को अनुमति दी गई?
श्री संजय शाह - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट हूं. इसके लिए धन्यवाद देना चाहता हूं.
प्रश्न संख्या 13 - (अनुपस्थित)
इंदिरा सागर परियोजना की नहरों की स्वीकृति
14. ( *क्र. 2754 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खण्डवा, खरगोन, बड़वानी जिले में इंदिरा सागर परियोजना की नहरों की स्वीकृति हुई है? यदि हाँ, तो इसकी निविदा कब जारी हुई, निविदा में कार्य पूर्ण करने के लिये कितनी अवधि निर्धारित की गई थी। निविदा जारी होने की दिनांक, राशि एवं कार्यावधि सहित जानकारी दी जावे। (ख) कार्यादेश जारी होने के दिनांक तक क्या ठेकेदार द्वारा समय-सीमा में कार्य पूर्ण कर लिया गया है। यदि नहीं, तो कार्यावधि पूर्ण करने के लिये ठेकेदार को कितनी बार समयवृद्धि की गई। समय पर कार्य न होने के क्या कारण रहे हैं। क्या विभाग की गलती रही है? यदि हाँ, तो विभागीय अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई। यदि ठेकेदार की त्रुटि रही है तो ठेकेदार के विरूद्ध समय-समय पर कितनी बार दण्डात्मक कार्यवाही की गई। (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुसार जो कार्य शेष रहे हैं, वह कब तक पूर्ण कर लिये जावेंगे? समय-सीमा बतावें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। वांछित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कॉलम 08 एवं 09 अनुसार है। नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा कार्य में बाधा, भू-अर्जन प्रक्रिया में विलंब, न्यायालयीन प्रकरणों एवं नहरों में पानी चलाने के कारण कार्य समय-सीमा में पूर्ण नहीं हो सके। इस हेतु कोई विभागीय अधिकारी जिम्मेदार नहीं होने से उनके विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। शेषांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के सरल क्रमांक 12 एवं 14 के कॉलम 11 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के कॉलम 10 अनुसार है।
श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि जब से भारतीय जनता पार्टी की वर्ष 2003-04 से सरकार बनी है तब से नहरों का काम तेजी से चल रहा है और किसानों को पानी मिल रहा है. परन्तु आज भी जो उस समय से काम चल रहे हैं उसमें कई जगह मैंने देखा है कि नहरें अधूरी पड़ी है, जिसके कारण से सीपेज होता है और इसके कारण किसानों की फसलों को नुकसान होता है. माननीय मंत्री जी से मैं यही पूछना चाहता हूं कि जो नहरों का काम कई जगह बीच-बीच में अधूरा पड़ा है, मैं अभी पीपलीखेड़ा गया था, यह अम्बाह के पास एक गांव है तो वहां पर मैंने देखा कि नहर के कारण किसान की फसल खराब हो रही थी. एक वन विभाग का कार्यक्रम था, उसमें में वहां पर गया था. नहर के कारण वहां पर फसल खराब हो रही थी. फिर क्या होता है कि किसान मुआवजा मांगता है तो हम यह चाहते हैं कि नहरें जहां से प्रारंभ हुई हैं और जहां तक पूरी होना है, या जो 10-20 कि.मी. के छोटे-छोटे टुकड़े बचे हुए हैं वह कब तक पूरे हो जाएंगे? इसमें कई बार ठेकेदार पानी छोड़ने की बात करता है, आन्दोलन की बात करता है. लेकिन आन्दोलन तो कहीं पर चल ही नहीं रहे हैं, आन्दोलन वाली कोई बात कोर्ट में चल ही नहीं रही है. मैं यह चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी एक बार आ जाएं, अधिकारियों को लेकर सर्वे कर लें और अतिशीघ्र उसका निर्माण कार्य पूरा करवा दें, कब तक इसे पूरा करा देंगे?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास (श्री लाल सिंह आर्य )- अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य की भावना है. मैं आपके माध्यम से उन्हें बताना चाहता हूं कि वास्तव में यह 243 कि.मी. की जो इंदिरा सागर नहर है, यह बहुत चुनौतीपूर्ण काम था. हमने उसमें 8 टनल और 6 मेजर एक्विडक्ट बनाये हैं. बीच बीच में हमें पानी भी छोड़ना पड़ता है. लेकिन माननीय सदस्य की भावना के अनुरुप कहीं अगर कोई नहर टूटती है तो स्वाभाविक है कि हमारा अमला और हम भी समाचार पत्रों की कटिंग के आधार पर भी कभी-कभी निर्देश जारी करते हैं और ऐसा कोई स्पेसिफिक स्थान हो तो आप बता दें, उसके संबंध में अधिकारियों को निर्देश जारी करेंगे कि जनहित में किसानों को कोई नुकसान न हो. दूसरा, बीच में मैं भी निरीक्षण करने के लिए वहां पर आऊंगा और मैं कहूंगा कि आप भी हमारे साथ रहें.
श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, बाल्या के पास में नहर जमीन से करीब करीब 20-30 फीट ऊंची है, वहां पर क्या होता है कि पानी का भराव बहुत है और वहां पर नहर पूरी नहीं हुई है. यदि वहां पर नहर को पूरा नहीं किया, उसकी लाइनिंग नहीं की तो यह होगा कि कभी भी मिट्टी बह जाएगी और मिट्टी बहने के कारण कोई भी गांव वहां पर बह जाएंगे तो मैं यह चाहूंगा कि मंत्री जी कब तक आएंगे यह बता दें और बाल्या के पास में जो अपूर्ण नहर है वह कब तक पूर्ण हो जाएगी?
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय,मैंने पूरा चार्ट आपको दिया है, वर्ष 2016 दिसम्बर में कोई पूरा हो रहा है, कोई काम नवम्बर, 2016 में काम पूरा हो रहा है, कोई अगस्त, 2016 में काम पूरा हो रहा है. वर्ष 2017 जून तक हम पूरा काम करा लेंगे. अध्यक्ष महोदय, जो भी कठिनाई होगी, उसको हम दूर कर लेंगे, आप चिंता नहीं करें.
श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी - आप कब तक आएंगे, यह तो बता दें? अधिकारियों को लेकर एक बार सर्वे कर लें.
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, एकाध महीने के भीतर आ जाएंगे.
श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी - धन्यवाद.
महेश्वर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत नहर निर्माण
15. ( *क्र. 6881 ) श्री राजकुमार मेव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महेश्वर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत जनपद पंचायत महेश्वर एवं बड़वाह के ग्रामों में निर्मित तालाबों के रख-रखाव एवं नहर निर्माण हेतु आर.आर.आर. एवं एस.आर. योजना के अंतर्गत कितने प्रस्ताव विभाग द्वारा कब-कब एवं कितनी लागत के प्राक्कलन तैयार किये गये? (ख) क्या हाथीदग्गड़ तालाब, मण्डलेश्वर तालाब, गवला तालाब, जामन्या तालाब, रूपलाझिरी तालाब, अपर बलवाड़ा तालाब, अपर ससल्या, रठमान एवं दौलतपुरा तालाब के प्राक्कलन आर.आर.आर. योजना एवं एस.आर. योजना में तैयार किये जाकर स्वीकृति हेतु लंबित हैं? यदि हाँ, तो कब से एवं किन कारणों से? क्या वर्ष 2016-17 के बजट में स्वीकृति का प्रावधान किया गया है? यदि हाँ, तो कौन-कौन से तालाबों का एवं नहीं तो कारण बतावें? (ग) महेश्वर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बड़कीचौकी में अब्दुल खोदरा स्थल पर तालाब निर्माण, ग्राम देवगढ़ में तालाब निर्माण, ग्राम हिण्डोला गुवाडी में गाडा पानी/मेलखेडी गढ़ी में देवझिरी स्थल पर तालाब निर्माण किये जाने के प्रस्ताव विभाग द्वारा कब तैयार किये गये एवं उक्त प्रस्ताव में कब तक स्वीकृति प्रदान की जायेगी? (घ) क्या प्रश्नांश (ख) एवं (ग) के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक लगातार विभाग को स्वीकृति हेतु अवगत कराया जा रहा है? क्या क्षेत्र की एवं किसानों की उपेक्षा की जा रही है? यदि नहीं, तो कब तक किसानों के हित में उक्त प्रस्तावों में स्वीकृतियां दी जावेंगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) आर.आर.आर. योजना में स्वीकृत परियोजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। एस.आर. नाम की कोई योजना नहीं है। (ख) एवं (ग) जी नहीं। प्रश्नाधीन कार्यों की डी.पी.आर. अन्तिम नहीं होने से स्वीकृति की स्थिति नहीं आने के कारण। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं। (घ) मा. प्रश्नकर्ता विधायक के विधान सभा क्षेत्र में स्वीकृत परियोजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शित है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।
श्री राजकुमार मेव - अध्यक्ष महोदय, महेश्वर विधान सभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के किसान निवास करते हैं. 9 तालाब विधान सभा क्षेत्र में ऐसे हैं जिनकी नहरे अभी तक कच्ची हैं. मैं मंत्री जी से पिछले 3 वर्षों से आग्रह कर रहा हूं कि इन नहरों को पक्की करवा दिया जाए और जनजाति के क्षेत्रों में 5 तालाबों का निर्माण करवा दिया जाय, जो अभी तक 3 वर्षों से यह जवाब आ रहा है कि डीपीआर प्रस्तावित है तो यह डीपीआर कब तक बनवा दी जाएगी और कितने समय में यह कार्य हो जाएगा?
श्री जयंत मलैया -- अध्यक्ष महोदय महेश्वर विधान सभा क्षेत्र में 21 परियोजनाओं में से 9 परियोजनाओं की लाइनिंग की स्वीकृति आरआरआर योजना में दी जा चुकी है. मैं यहां पर कहना चाहूंगा कि एकदम से एक बार में पूरी की पूरी 31 योजनाओं की लाइनिंग की स्वीकृति दी जाना संभव नहीं है. आगे जब भी मौका आयेगा हम इसकी स्वीकृति देते जायेंगे. दूसरा आपने एक और प्रश्न पूछा है कि हमने 9 तालाबों के बारे में लिखा था तो इसमें यह कहना चाहता हूं कि बड़कीचौकी में अब्दुल खोदरा स्थल पर तालाब की बात की है इस परियोजना में 36.80 हेक्टेयर सघन वन भूमि प्रभावित होती है, और इसकी लागत अधिक है. इसी प्रकार से देवगढ़ में तालाब निर्माण के लिए स्थल की जो ऊंचाई है वह तकनीकी दृष्टि से काफी अधिक है. इसलिए वह योजना साध्य नहीं है. ग्राम हिण्डोला में गृह पानी तालाब निर्माण के लिए डेम लाइन एवं डूब क्षेत्र पूर्णत: रिजर्व फारेस्ट में आता है. उपयुक्त कमाण्ड क्षेत्र यहां पर उपलब्ध नहीं है. इसी तरीके से मेलखेड़ी गढ़ी में देवझिरी स्थल पर भी तालाब निर्माण मैं डेल लाइन एवं डूब क्षेत्र पूर्णत: रिजर्व फारेस्ट में आता है कमाण्ड इसमें उपलब्ध नही है जहां पर भी इसतरह का मिलेगा कि जो योजना फिजिबल होगी वहां पर हम काम करेंगे जहां तक आपने बताया है कितीन पत्र हैं तीन पत्र में से दो पत्र हमें आये हैं. तीसरा रमठान तालाब परियोजना के बारे में बताया है. वह पत्र आपने हमें शासन को न लिखते हुए एक्जिक्यूटिव इंजीनियर को लिखा है उन्होंने अपने नीचे या ऊपर जिन भी अधिकारी को भेजना होगा, उसकी जानकारी हम संधारित नहीं करते हैं. लेकिन आपका पत्र आया था इसलिए यह उनको बोला है कि जलाशय के बेसिन का स्ट्रेटा पोरस होने के कारण बांध में पानी सीपेज होकर बांध माह नवंबर में रिक्त हो जाता है. सीपेज रोकने के लिए विशेषज्ञों से अध्ययन कराने और विशेष मरम्मत के प्राक्कलन के लिए निर्देश दे दिये गये हैं.
श्री राजकुमार मेव -- अध्यक्ष महोदय मंत्री जी ने जो तालाबों का बताया है वहां पर पूर्णत: वनवासी किसान ही रहते हैं. जिनके पास में छोटी छोटी 2 - 2 , 3-3 एकड़ की भूमि है जो कि असिंचित रह जाती है, किसी भी प्रकार से वहां पर जल व्यवस्था होना चाहिए तालाब के द्वारा या नहरों के द्वारा.
श्री जयंत मलैया-- अध्यक्ष महोदय अनुसूचित जनजाति के क्षेत्रों की हम काफी चिंता करते हैं और वह हमारी प्राथमिकता पर रहते हैं. लेकिन वहां पर योजना फिजिबल नहीं होगी तो कैसे करायेंगे.
श्री राजकुमार मेव -- माननीय मंत्री जी धन्यवाद्.
मध्यप्रदेश भवन (दिल्ली) में विधायकों को ठहरने की सुविधा
16. ( *क्र. 7631 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्यों के लिए दिल्ली स्थित मध्यप्रदेश भवन में ठहरने की सुविधा उपलब्ध है या नहीं? यदि हाँ, तो उपलब्ध सुविधा के बदले कितना किराया लिया जा रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो विधानसभा सदस्यों के लिये नि:शुल्क ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु शासन विचार करेगा या नहीं? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो कारण देवें। (ग) मध्यप्रदेश विधानसभा सदस्यों के लिये अन्य राज्यों में कहाँ-कहाँ ठहरने की सुविधा उपलब्ध है? यदि नहीं, तो सुविधा उपलब्ध कराने पर शासन विचार करेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) मध्यप्रदेश भवन तथा मध्यांचल अधिवास नियम 2015 (यथा संशोधित दिनांक 02.01.2016) के परिशिष्ट-2 के स.क्र. 3 एवं 4 में प्रावधानानुसार माननीय विधायकगणों को प्रवास पर निम्नानुसार पात्रता है :- 1. कर्तव्य पर प्रवास नि:शुल्क। 2. निजी प्रवास एक कैलेंडर वर्ष में 30 दिवस (3 दिवस प्रतिमाह की शर्त पर) नि:शुल्क। अतिरिक्त अवधि के लिए अधिवास नियम के परिशिष्ट-3 के अनुसार शुल्क देय है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं।
श्री निशंक कुमार जैन --माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट हूं लेकिन आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- पहली बार हुआ है ऐसा.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय मैंने सोचा कि इनसे कुछ लेना है तो कुछ तो कहना पड़ेगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- यह तो 1 अप्रैल जैसी बात हो गई.
श्री निशंक कुमार जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय यह मैं नहीं मैं समझता हूं कि यहां पर बैठे सभी विधायकों की भावना है कि हमारे क्षेत्र से जो लोग इलाज के लिए दिल्ली जाते हैं. एम्स या और किसी बड़े अस्पताल में और वह किडनी जैसी या और किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हों तो कम से कम उनको 3 - 5 दिन दिल्ली में जांच के लिए लगना स्वाभाविक है तो मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जो सुविधा आपने वहां पर विधायकों को दी है, ऐसी सुविधा अगर विधायकों के पत्र पर यदि जगह रिक्त हो तो किसी बीमार के लिए भी देने की कृपा करेंगे, यह सभी विधायकों के लिए.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग ( श्री लाल सिंह आर्य ) -- अध्यक्ष महोदय यह संभव नहीं है.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय अब बात वह ही आयेगी कि पहली बार ठीक हुआ क्यों संभव नहीं है जब मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री वहां पर किसी इलाज वाले को एक एक हफ्ते रूकवा सकते हैं तो क्या विधायक नहीं रूकवा सकते हैं.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय एक चीज मैं जरूर बताना चाहता हूं यह लगातार भ्रम पैदा हो रहा है कुछ सम्माननीय सदस्यों ने मुझसे कहा भी था कि अभी भी वहां पर हम लोगों से शुल्क लिया जा रहा है. 2 जनवरी 2016 को जो संशोधित आदेश जारी हुए हैं उसका राजपत्र भी जारी हो चुका है अब कोई भी शुल्क किसी भी विधायक से तीन दिवस प्रतिमाह और तीस दिन एक वर्ष में रहने के अंदर नहीं लग रहा है. वह वापस हमने ले लिया हैऔर 18 सितम्बर 2015 से इसको हमने लागू किया है. किसी विधायक की उसमें राशि लगी होगी तो वह भी हम वापस दिलवा रहे हैं.
श्री निशंक कुमार जैन -- माननीय मंत्री जी आपकी बड़ी कृपा होगी अगर बीमार लोगों को रूकने के लिए अगर आप सुविधा दे देंगे जो कि दिल्ली जैसी जगह पर इलाज के लिए जाते हैं जिनके पास में कोई सुविधा नहीं होती है. तीन दिन उनको दे दें.
प्रश्न संख्या - 17 (अनुपस्थित)
अन्य राज्यों की महिलाओं के प्रदेश में जाति प्रमाण पत्र बनाये जाना
18. ( *क्र. 6943 ) श्री नाना भाऊ मोहोड़ : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अन्य राज्यों से मध्यप्रदेश में ब्याह कर आने वाली अनुसूचित जन जाति, अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने के संबंध में शासन के क्या नियम निर्देश हैं? (ख) क्या छिंदवाड़ा जिले के तहसील पांढुर्ना एवं सौसर में महाराष्ट्र राज्य से ब्याह कर आयी महिलाओं को उनकी जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है? हाँ, तो क्यों? (ग) क्या महाराष्ट्र राज्य से मध्यप्रदेश के नागरिकों से ब्याह कर आई महिलाओं को उनकी जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किये जाने से मध्यप्रदेश में उन्हें जातिगत आधार पर प्राप्त होने वाली योजनाओं का लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है? (घ) प्रश्नांश (ग) के प्रकाश में क्या शासन उक्त तथ्य को संज्ञान में लेकर अन्य राज्यों से मध्यप्रदेश के नागरिकों के साथ ब्याह कर मध्यप्रदेश में आने वाली महिलाओं को उनके पति के समान आरक्षण अथवा योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके इस हेतु कोई नियम निर्देश अथवा कोई नीति बनायेगा? यदि हाँ, तो कब तक और यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा कुमारी माधुरी पाटिल बनाम एडिशनल कमिश्नर ट्रायबल डेवलपमेंट तथा एक अन्य याचिका डायरेक्टर ट्रायबल डेवलपमेंट बनाम लावेतीगिरी प्रकरणों में पारित निर्णयों तथा भारत सरकार द्वारा जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने के निर्देश दिनांक 2 मई, 1975, दिनांक 18 नवम्बर, 1982 भारत सरकार गृह मंत्रालय के आदेश दिनांक 6, अगस्त, 1984 के निर्देशानुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्गों के व्यक्तियों को जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने संबंधी निर्देश, विभागीय परिपत्र दिनांक 11.7.2005 एवं 13.01.2014 द्वारा जारी किये गये हैं। जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने के संबंध में भारत सरकार द्वारा जारी निर्देर्शों के पालन में ही राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में निर्देश जारी किये जाते हैं। जारी निर्देशों के अनुसार जाति प्रमाण पत्र पर आरक्षण की सुविधा उसी राज्य से प्राप्त होगी, जिस राज्य से आवेदक का मूल रूप से संबंध है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) आरक्षण का विषय संवैधानिक है, इसलिये भारत सरकार द्वारा जारी नियम/निर्देशों तथा किए गए प्रावधानों के अनुसार ही राज्य सरकार अपनी नीति निर्धारित करती है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री नाना भाऊ मोहोड़ -- माननीय अध्यक्ष जी, अन्य राज्यों से मध्यप्रदेश में ब्याहकर आने वाली अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के जाति प्रमाण-पत्र जारी करने के संबंध में शासन के क्या निर्देश हैं, माननीय मंत्री जी बताने का कष्ट करें.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति या जनजाति के परिवार में यदि अनुसूचित जाति या जनजाति परिवार की ही कोई महिला ब्याह कर आती है उसका जाति प्रमाण-पत्र बनाने की कोई मनाही नहीं है. इस संबंध में शासन के आदेश स्पष्ट हैं. संविधान की व्यवस्था भी है कि जो मूल जाति में पैदा होता है उसको उसका अधिकार मिलता है और शासन यह देने का काम कर रही है.
श्री नाना भाऊ मोहोड़ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में अधिकतर मराठीभाषी लोग हैं और अधिकतर शादियां महाराष्ट्र से होती हैं. आज तक हमारे क्षेत्र में जितनी भी महिलाएं शादी करके आई होंगी उनके जाति प्रमाण-पत्र हमारे तहसील कार्यालय में नहीं बनाए गए हैं और कई बार वे जब नौकरी के लिए आवेदन करती हैं तो चाहे वह एमएमसी, बीएड रहे या बीएससी, बीएड या डीएड रहे उनका फार्म सर्वर एक्सेप्ट नहीं करता है, इस कारण उनको नौकरी नहीं लग सकती. ऐसा होगा तो हमारे क्षेत्र में कोई लड़की शादी नहीं करेंगी और शादियां नहीं होंगी. सर्वर ने उनको एक्सेप्ट करना चाहिए सर्वर एक्सेप्ट करता ही नहीं.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हर राज्य की एक अनुसूची है और केन्द्र की भी अनुसूची है. राज्य की और केन्द्र की अनुसूची में जिस जाति का नाम है हम उसी को जाति प्रमाण-पत्र दे सकते हैं, अनुसूची में संशोधन करने का अधिकार हमें नहीं है. इसलिए अनुसूचित जाति या जनजाति की वे महिलाएं या वे पुरुष जो मध्यप्रदेश राज्य की अनुसूची में और केन्द्र की अनुसूची में हैं तो हम उनका जाति प्रमाण-पत्र बनाएंगे. यदि उनका मूल निवासी का कोई मामला है तो वह वहीं से बनता है जहां के वे मूल रूप से रहने वाले हैं और जहां उनका जन्म हुआ है. आने वाले समय में यदि कोई भी आदेश होगा और केन्द्र सरकार अगर कोई निर्णय लेगी तो हम उसका पालन करेंगे.
श्री नाना भाऊ मोहोड़ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार से तो प्रमाण-पत्र बन जाता है लेकिन मध्यप्रदेश सरकार का जो सर्वर है वह नौकरी के लिए प्रमाण-पत्र लगाने पर उसको एक्सेप्ट क्यों नहीं करता है. सर्वर ने उसको एक्सेप्ट करना चाहिए.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे कोई ऑथेन्टिक जानकारी दे दें, अगर हमारे नियमों में आ रही होगी तो हम आदेश जारी करा देंगे.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो प्रश्न उठाया गया है इसमें बहुत बड़ी विसंगति है कि देश के एक प्रदेश में तो महिलाएं अनुसूचित जाति या जनजाति में आती हैं और दूसरे प्रदेश में वह नहीं आती. लेकिन ब्याह कर वह जिस जाति में जाती है उसका प्रमाण-पत्र कहीं नहीं बन पाता और उसका अपने यहां का प्रमाण-पत्र मान्य नहीं किया जाता. शादी के बाद वह महिला न तो एसटी में रह जाती है न एससी में रह जाती है और न ही ओबीसी में रह जाती है बल्कि उसे सामान्य की तरह ट्रीट किया जाता है. यह बड़ी विसंगति है इसकी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए कि कम से कम जहां ब्याह कर वह पहुँचे वहां तो उसे लाभ मिले. एक तरफ हम उसे संपत्ति में समान अधिकार दे रहे हैं और सब कुछ कर रहे हैं तो क्यों न वह प्रदेश की नागरिक बन सकती और क्यों न प्रदेश का जाति प्रमाण-पत्र उसका नहीं बन सकता. कम से कम इसके लिए स्पष्ट व्यवस्था होनी चाहिए.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति में किसी अनुसूचित जाति की महिला यदि ब्याह कर आती है उसका प्रमाण-पत्र बनने का प्रावधान मध्यप्रदेश में है. स्थाई निवासी प्रमाण-पत्र जहां वह पैदा होती है उसी प्रदेश का बनता है.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक उदाहरण दूंगा, जैसे उत्तर प्रदेश में धोबी जाति अनुसूचित जाति में आती है लेकिन हमारे यहां नहीं आती और जब यहां पर वह धोबी जाति में ब्याह कर आती है तो उसका किसी भी वर्ग में जाति प्रमाण-पत्र नहीं रहता. कहीं का प्रमाण-पत्र मान्य नहीं किया जाता.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय रावत जी, मध्यप्रदेश में भी चार जिलों में है.
श्री रामनिवास रावत -- अन्य जिले भी तो हैं भैया.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात ठीक है, माननीय मंत्री जी उसका परीक्षण कर लेंगे, परंतु जो नियम है वह उन्होंने बतला दिया.
श्री रामनिवास रावत -- जी धन्यवाद.
प्रश्न संख्या -- 19 (अनुपस्थित)
जबलपुर मालगोदाम चौक की दुकानों का व्यवस्थापन
20. ( *क्र. 7044 ) श्री तरूण भनोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबलपुर स्थित मालगोदाम चौक रेल्वे स्टेशन के समीप नगर निगम जबलपुर द्वारा व्यापारियों को दि. 27.5.1992 से वैध तरीके से दुकानें आवंटित की गईं थीं? यदि हाँ, तो उक्त दुकानों को अतिक्रमण के नाम पर क्यों तोड़ा गया? (ख) क्या इसी संदर्भ में तत्कालीन विधानसभा सदस्य स्व. औंकार प्रसाद तिवारी जी ने ध्यानाकर्षण सूचना क्रं. 60 दि. 12.2.1988 के द्वारा विधानसभा को अवगत कराया था, जिसके फलस्वरूप 11 सर्वदलीय विधायकों की कमेटी गठित की गई, जिसने अपनी रिपोर्ट में किसी तरह की कार्यवाही न करने का लेख करते हुए उक्त दुकानों को वैध कहा था? (ग) वर्णित (क) के संबंध में नगर निगम जबलपुर द्वारा पत्र क्र./बा./अधी./ 73/92 दि. 27.5.1992 को अध्यक्ष मालगोदाम व्यापारी संघ को निर्माण कार्य का वर्क आर्डर दिया गया था? फिर नगर निगम द्वारा दि. 17.11.15 को यातायात बाधक मानकर क्यों दुकानें तोड़ी गईं, जबकि स्टेशन पहुंच मार्ग हेतु वर्तमान में कुल तीन सड़क हैं? (घ) क्या उक्त व्यापारियों के साथ जो अन्याय हुआ है, उसकी प्रतिपूर्ति हेतु शासन मुआवजे के साथ उसी स्थान पर पुन: व्यापार करने की अनुमति प्रदान करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ, मालगोदाम चौक स्टेशन के समीप रेल्वे स्टेशन का मुहाना है, वर्तमान में वाहनों की संख्या में वृद्धि एवं यात्रियों का भारी दबाव रहता है, जिस कारण शहर विकास एवं जनहित आवागमन सुव्यवस्था की दृष्टि से उक्त दुकानों की किरायेदारी एवं आवंटन निरस्त करते हुये तोड़ा गया। दुकानदारों द्वारा दुकान तोड़े जाने के पश्चात व्यापारी संघ द्वारा मान. न्यायालय में याचिका दायर की गई, जिसे मान. न्यायालय द्वारा खारिज किया गया। (ख) जी हाँ, अपितु मान. उच्च न्यायालय में याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी./1829/15 एवं डब्ल्यू.पी./19823/15 गोरग पाल एवं अन्य के विरूद्ध म.प्र. शासन द्वारा याचिका दायर की गई, जिसे मान. उच्च न्यायालय द्वारा खारिज करते हुये कार्यवाही को वैध बताया है। (ग) जी हाँ, स्टेशन पहुँच मार्ग में कुल 03 सड़क हैं, किन्तु मालगोदाम से जिस सड़क में निर्मित दुकानें हटाई गई हैं, वह मार्ग अन्य 02 मार्गों से जनहित में अत्यंत व्यस्ततम है तथा 50 वर्ष पुराना है। (घ) जी नहीं, 30 वर्षों में बढ़े हुये यातायात को दृष्टिगत रखते हुये दुकानें हटाने का निर्णय व्यापक जनहित में लिया गया है, जिसे अन्याय नहीं कहा जा सकता।
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरे प्रश्न के उत्तर में जो जानकारी सदन को दी गयी है वह पूर्णत: असत्य एवं गलत है. मैंने प्रश्न के माध्यम से यह पूछा था, क्या माननीय मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि जबलपुर स्थित मालगौदाम चौक रेलवे स्टेशन के समीप नगर निगम जबलपुर द्वारा व्यापारियों को दि. 27.5.1992 से वैध तरीके से दुकानें आवंटित की गयी थीं. इसके उत्तर में इन्होंने कहा है कि हां, की गयी थीं. फिर मैं प्रश्न(ख) में पूछा था कि क्या इसी संदर्भ में तत्कालीन विधानसभा सदस्य स्व. औंकार प्रसाद तिवारी जी ने ध्यानाकर्षण सूचना दि. 12.2.1988 के द्वदारा विधानसभा को अवगत कराया गया था.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न करिये.
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि इस मामले में पूरी तरह से नगर निगम जबलपुर के अधिकारियों द्वारा बर्बरतापूर्वक कार्यवाही की गयी. विधानसभा की अवमानना की गयी जबकि विधानसभा की एक 11 सदस्यीय कमेटी तत्कालीन अध्यक्ष महोदय ने जबलपुर में बना के भेजी थी और उनके आदेशानुसार यह आवंटन हुआ था उसके बाद भी उसको तोड़ दिया गया और उत्तर में यह दिया गया कि चूंकि पिटीशन कोर्ट में हार गये इसलिए तोड़ दिया. जब तोड़ा गया उसके बाद उन्होंने याचिका लगायी थी. याचिका पहले नहीं लगी थी और टूटने के बाद नगर निगम जबलपुर के अधिकारियों द्वारा हाईकोर्ट को भी गुमराह किया गया कि यह गलत तरीके से बनायी गयी थीं. इससे इस सदन की अवमानना हुई है. मैं आपसे यह मांग करता हूँ कि जिनकी दुकानें गलत तरीके से तोड़ी गयी हैं उनको वापस वहां पर विस्थापित किया जाए. वहां अगर कोई अड़चन आ रही है तो कोई और उचित स्थान दिया जाय और ऐसे अधिकारी, जिन्होंने विधानसभा की अवमानना की, गलत जानकारी विधानसभा को दी और सारे नियम-कायदों को तोड़ा, उनके ऊपर सख्त से सख्त कार्यवाही सदन को करना चाहिए.
राज्यमंत्री,सामान्य प्रशासन(श्री लालसिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन की अवमानना करने का सवाल ही नहीं उठता है. जिन दुकानों की माननीय सदस्य बात कर रहे हैं, वह 20 दुकानें 1992 में एक साल की लीज के लिए दी गयी थीं उसके बाद दुबारा कभी रिन्यूअल उस लीज का नहीं हुआ.दूसरी बात आपने जो प्रश्न में कहा है कि तीन सड़कें, एक तरफ हम स्मार्ट सिटी की कल्पना करते हैं, एक तरफ हम रोड चौड़ीकरण की कल्पना करते हैं, एक तरफ हम विकास की कल्पना करते हैं और एक तरफ जहां निकलने के लिए रास्ता ही नहीं है, हमने किसी भी ऐसे आदमी का मकान नहीं तोड़ा है, ऐसे किसी आदमी की दुकान को नहीं हटाया है जो उसकी सम्पत्ति है. हमने जो शासन ने लीज दी थी, उस लीज पर निर्देशों के उपरांत, ऐसा नहीं हमने नोटिस भी दिया, उसके बाद हमने हटाने की कार्यवाही की. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह भी कहना चाहता हूँ कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी सदन में स्पष्ट किया है कि मध्यप्रदेश का कोई भी आदमी जिसके पास जमीन नहीं है, मकान नहीं है, दुकान नहीं है, वह काम करता है और उसको हटाने की कार्यवाही भी की जाती है तो हम उसका व्यवस्थापन करने का काम करेंगे. अब यह अतिक्रमण है. अतिक्रमण में व्यवस्थापन की कार्यवाही भी नहीं होती लेकिन हमने जो कार्यवाही की है उसमें माननीय न्यायालय के निर्देश भी जारी हुए हैं इसलिए कोई भी ऐसी कार्यवाही अवैधानिक नहीं हुई है जिसमें आपत्ति हो.
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी भी सदन में गलत जानकारी मंत्री जी दे रहे हैं. मैंने स्पष्ट कहा है और जवाब में आपने स्वीकार भी किया है कि ध्यानाकर्षण के माध्यम से तत्कालीन सदस्य महोदय ने इस मामले को उठाया था. उसके बाद 11 सदस्यीय विधानसभा का दल जबलपुर गया और यह दुकानें अवैध नहीं थीं, न इनको एक साल के लिए लीज पर दिया गया था, इसमें उनसे पैसा लिया गया, सिर्फ जगह नगर निगम की थी, उन्होंने निर्माण के लिए अपना पैसा दिया और उसकी लीज 30 साल की थी. यह गलत जानकारी सदन को अभी भी दी जा रही है. उसके बाद भी उनको तोड़ा गया.दूसरी बात सदन में यह कही जा रही है कि न्यायालय के आदेश पर तोड़ा गया. न्यायालय में तो वह व्यापारी दुकानें टूटने के बाद गये हैं. न्यायालय में तो जब वह टूट गया उसके बाद याचिकाकर्ता गये.
श्री लाल सिंह आर्य-- कोर्ट ने अपील को अस्वीकार किया है. अगर वह वैधानिक होतीं तो स्वीकृत नहीं हो जाती.
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि इस पूरे मामले में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा जो कमेटी बनायी गयी थी, उनके निर्देशों का पालन किया गया कि नहीं किया गया, क्या यह कार्यवाही सही रुप से की गयी, इसके लिए मै आपसे उन लोगों के लिए जो पाकिस्तान से भारत में आकर विस्थापित हुए थे, जिनको वह दुकानें दी गयी थीं, उनके ऊपर इस प्रकार की कार्यवाही की गयी. मैं इस सदन के माध्यम से आपसे मांग करता हूँ कि एक कमेटी आप बनायें और आप कम से कम समय निर्धारित कर उस कमेटी को यह दायित्व सौंपे कि वह जाये और इस पूरे मामले की जांच कर के आये कि क्या विधानसभा की अवमानना हुई कि नहीं हुई. मैं मंत्री जी से यह कहना चाहता हूँ कि अगर आप पाक-साफ हैं, आपके विभाग ने सही कार्यवाही की है तो आप सदन में इस चुनौती को स्वीकार कीजिए और एक नयी कमेटी बनाइये और वह कमेटी जबलपुर जाये जिसमें सत्तापक्ष के और विपक्ष के सदस्य रहें और पुन: पूरे मामले की जांच करे.
श्री लालसिंह आर्य--- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भी हमने कार्यवाही की है, जो हमारा रेल्वे स्टेशन है, उसका मुहाना है उस पर आने के लिए लोगों के लिए जगह नहीं थी और हमने अतिक्रमण हटाया है , हमने कोई गलत नहीं किया है. आप कह रहे हैं कि जगह नगर निगम की ही थी.
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे उत्तर में आपने साफ साफ आपने माना है कि तीन रास्ते हैं,वह नगर निगम की जगह नहीं थी वह नजूल की जमीन थी, पैसा उन्होंने दिया था. अध्यक्ष महोदय, इसमें पूरी तरह से हाईकोर्ट को धोखे में रखा गया विधानसभा की अवमानना की गई. इसमें कमेटी बनाई जानी चाहिए.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें एक प्रश्न पूछना चाहूंगा कि इस प्रकरण के लिए, यहाँ से विधानसभा के फ्लोर से घोषणा हुई और विधानसभा की समिति जबलपुर गई और जबलपुर के जाने के बाद विधानसभा की समिति रिपोर्ट दी और मंत्री जी ने प्रश्न के उत्तर में स्वीकार भी किया है कि विधानसभा की समिति ने दुकानों को वैध बताया है. अब माननीय सदस्य का कहना है कि दुकानों को वैध बताने के बाद तोड़ने की कार्यवाही की गई, उसके बाद कोर्ट से निरस्त हुआ है. इस चीज का तो परीक्षण करवा दें कि विधानसभा के सदस्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद कोर्ट में गये हैं या उसके पहले ही कोर्ट से निरस्त हुआ है, यह बता दें स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास इस प्रकार की कोई रिपोर्ट नहीं है और आपके पास यदि कोई जानकारी है तो मुझे दे दें.
श्री रामनिवास रावत-- आपने प्रश्न के उत्तर में खुद स्वीकार किया है कि हाँ, विधानसभा के सदस्यों की समिति ने रिपोर्ट में कहा था कि कब्जा वैध था. आप प्रश्न पढ़ लें, उत्तर पढ़ लें.
श्री तरुण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, इसमें आप हस्तक्षेप करते हुए समिति बनायें.यह विधानसभा की सरासर अवमानना है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, इसका परीक्षण करा लें.
श्री रामनिवास रावत – अध्यक्ष महोदय, मैं पढ़कर सुना देता हूं. प्रश्नांश (ख)में है कि क्या इसी संदर्भ में तत्कालीन विधानसभा सदस्य स्व. ओंकारप्रसाद तिवारी जी ने ध्यानाकर्षण सूचना के द्वारा विधानसभा को अवगत कराया था, जिसके फलस्वरूप 11 सर्वदलीय विधायकों की कमेटी गठित की गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट में किसी तरह की कार्यवाही न करने का लेख करते हुए उक्त दुकानों को वैध कहा था. आपने उत्तर दिया है जी हाँ.
श्री लालसिंह आर्य—यह तो आप प्रश्न कर रहे हैं, यह उत्तर नहीं है.
श्री तरुण भनोत—माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या इसी प्रकार से अधिकारी विधानसभा की लगातार अवमानना करेंगे.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, जब निर्णय लिया है तो उस निर्णय का पालन इनसे कराइए. यदि आज आप कोई निर्णय लेंगे तो उसका भी पालन नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ तो जाइए.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि आपको लगता है तो हम इसका दुबारा परीक्षण करा लेंगे अगर वह वैध होंगी तो उनके पक्ष में कार्यवाही करेंगे.
श्री रामनिवास रावत--- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन और करना चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने परीक्षण कराने के लिए बोल दिया है.
श्री तरुण भनोत--- अध्यक्ष महोदय, परीक्षण कौन करेगा.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, परीक्षण कराने के लिए बोल तो दिया है लेकिन वहाँ यह दे नहीं पाएंगे यह हम भी जानते हैं, सदस्य भी जानते हैं, सब लोग जानते है. कम से कम उन लोगों को, अगर उस समय वह वहाँ के लिए वैध थे तो दूसरी जगह दे दें इतना तो कर ही दें.
अध्यक्ष महोदय—परीक्षण उपरांत कर देंगे.
श्री लाल सिंह आर्य--- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि वह वैध होंगी तो हम दूसरी जगह व्यवस्थापन की कार्यवाही करेंगे.
क्रेशर संचालकों से विद्युत बिल की वसूली
21. ( *क्र. 7547 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीधी जिले के बहरी में श्री विनोद सिंह मेसर्स डढिया मयापुर क्रेशर एवं मे. घनश्याम सिंह क्रेशर के नाम से संचालित है? यदि हाँ, तो इन दोनों क्रेशरों में विगत् तीन वर्षों में कितनी-कितनी विद्युत खपत हुई एवं कब-कब, कितना-कितना विद्युत देयक जारी किया गया? कब-कब निरीक्षण किसके द्वारा किया गया? विवरण सहित पृथक-पृथक बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में संबंधित सहायक यंत्री वि.वि.कं.लि. द्वारा श्री विनोद सिंह क्रेशर में जबरन एवं मनमानीपूर्वक विद्युत देयक क्यों जारी किया जाता है एवं बलपूर्वक ट्रांसफार्मर भी निकाल लिया गया है, जबकि वहीं पर मे. घनश्याम सिंह क्रेशर के ऊपर किसी भी प्रकार की कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में क्या विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा विद्युत उपभोक्ता श्री विनोद सिंह क्रेशर संचालक के ऊपर एक पक्षीय कार्यवाही करने के दोषी/आरोपी एवं वहीं पर मे. घनश्याम सिंह क्रेशर पर पक्षपातपूर्ण कार्यवाही करने के आरोपी अधिकारी के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? समय-सीमा बतावें एवं यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट बतावें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, प्रश्नाधीन क्षेत्र में श्री विनोद सिंह ग्राम डढिया तथा श्री घनश्याम सिंह, ग्राम मयापुर के नाम से क्रेशर संचालित है। विगत 3 वर्षों में उक्त दोनों क्रेशर कनेक्शनों द्वारा क्रमश: 6171 यूनिट तथा 19740 यूनिट की खपत की गई एवं उन्हें विगत 3 वर्षों में जारी किये गये माहवार बिलों का देयक राशि सहित दिनांकवार/माहवार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। प्रत्येक माह एम.आर.आई. सिस्टम से मीटर की जाँच की गई है तथा मीटर रीडिंग के समय निरीक्षण किया गया है। (ख) जी नहीं, विद्युत देयक की राशि नियमानुसार जमा नहीं होने पर ही विद्युत प्रदाय बन्द करने/ट्रांसफार्मर निकालने की कार्यवाही की गई है। देयक की राशि पूर्ण अथवा आंशिक जमा करने पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। (ग) श्री विनोद सिंह ग्राम डढिया द्वारा देयकों का भुगतान नहीं किए जाने के कारण नियमानुसार कार्यवाही की गई है। श्री घनश्याम सिंह ग्राम मयापुर द्वारा देयकों का पूर्ण/आंशिक भुगतान समय-समय पर किया गया है तथापि नियमानुसार प्रत्येक माह भुगतान नहीं किया गया है। नियमानुसार भुगतान नहीं करने पर उपभोक्ता के विरूद्ध कार्यवाही न करने के लिए संबंधित वितरण केन्द्र प्रभारी को दिनांक 22.03.2016 को चेतावनी पत्र जारी किया गया है।
श्री सुखेन्द्र सिंह--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्नों का उत्तर आया है लेकिन हमारा कहना यह है कि डढिया में घनश्याम सिंह और विनोद सिंह दोनों के क्रेशर एक साथ, एक जगह लगे हुए हैं और दोनों के बिजली के बिल में एक जैसी कमियाँ थी . स्वाभाविक है कि विनोद सिंह में ज्यादा कमी थी, ज्यादा पैसा बकाया था और घनश्याम सिंह में कम बकाया था. लेकिन कार्यवाही विनोद सिंह के ऊपर हुई उनका ट्रांसफार्मर निकाल लिया गया,सब कुछ हुआ और घनश्याम सिंह के साथ कुछ नहीं हुआ तो मेरा कहना यह है कि जो अधिकारियों ने एकपक्षीय कार्यवाही की थी उनके खिलाफ क्या कार्यवाही हुई.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--- माननीय अध्यक्ष महोदय, विनोद सिंह जी के ऊपर एरियर्स बहुत ज्यादा था लगभग पांच लाख रुपये का और घनश्याम सिंह के ऊपर चालीस-पचास हजार रुपये का ही था क्योंकि वह लगातार कुछ न कुछ पार्ट पेमेन्ट करते रहे हैं. इसलिए उनके ट्रांसफार्मर नहीं निकाले गये क्योंकि वह पैसा जमा कर रहे थे और यह बिल्कुल ही जमा नहीं कर पा रहे थे इसलिए इनका ट्रांसफार्मर निकाला गया लेकिन जब उन्होंने ढाई लाख रुपया जमा किया तो ट्रांसफार्मर लगा के कनेक्शन शुरु कर दिया है.
श्री सुखेन्द्र सिंह--- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब उनका क्रेशर ही नहीं चल रहा था.
अध्यक्ष महोदय--- उनका काम हो गया है.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, उसमें नियम क्या है. मतलब कोई पचास हजार का चोर है, कोई पांच लाख का चोर है. दोनों में अलग-अलग नियम है क्या मंत्री जी. नियम तो एक होते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात का उत्तर आ गया है.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- मैं यह कहता हूँ कि चोर, चोर होता है. लेकिन दण्ड एक को मिला और अधिकारियों ने दिया.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्वाईंटेड प्रश्न करिए.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निर्धारित कर दिया जाए मुझे कोई दिक्कत नहीं है. आप वैसे भी हमारा ख्याल रखते हैं कोई दिक्कत नहीं. बशर्ते की मंत्री जी न्याय कर दें. यह कौनसा कानून है?
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी न्याय करेंगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- दोनों के खिलाफ.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न तो पूछिए.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि एक के साथ अन्याय हुआ है उसका ट्रांसफार्मर...
अध्यक्ष महोदय-- उसका उत्तर उन्होंने दे दिया है. माननीय मंत्री जी, एक बार और दे दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विनोद सिंह के साथ न्याय तो कर दिया. 5 लाख रुपये में ढाई लाख रुपये जमा किए ट्रांसफार्मर लगाकर कनेक्शन शुरू कर दिया.
रिन्यू पावर लिमिटेड द्वारा C.S.R. के तहत संपादित कार्य
22. ( *क्र. 3125 ) श्री रामनिवास रावत : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) श्योपुर जिले की तहसील विजयपुर के ग्राम हुल्लपुर-लाड़पुरा में रिन्यु पॉवर लिमिटेड द्वारा स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र में कंपनी प्रबंधन द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी (सी.एस.आर.) के तहत प्रतिवर्ष कितनी राशि व्यय की जाना है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कंपनी द्वारा प्लांट की स्थापना से अभी तक कितनी-कितनी राशि सी.एस.आर. के तहत व्यय कर क्या-क्या कार्य कराए गए हैं? कार्य का नाम, स्थान, राशि सहित जानकारी दें। (ग) रिन्यु पॉवर लिमिटेड द्वारा प्लांट स्थापित किए जाने के दिनांक से अनुबंधित कंपनी महिन्द्रा द्वारा कितने लोगों को कार्य पर सुरक्षा श्रमिक, आई.टी.आई. इलेक्ट्रीशियन, तकनीकी स्टाफ (बी.ई.) लिपिकीय स्टाफ आदि पदों पर रखा गया? कर्मचारियों के नाम, पता, योग्यता, पदस्थापना दिनांक सहित जानकारी दें व इन्हें कार्य पर रखने हेतु क्या प्रक्रिया अपनाई गई व तत्पश्चात कितने कर्मचारियों को बिना सूचना व बिना कारण के नौकरी या काम से निकाला गया?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) कंपनी अधिनियम-2013 की धारा-135 की उपधारा (1) के प्रावधानानुसार ऐसी कंपनी, जिसका नेट वर्थ रूपये 500 करोड़ या अधिक, अथवा टर्न-ओवर रूपये 1000 करोड़ या अधिक, अथवा शुद्ध लाभ रूपये 5 करोड़ या अधिक हो, उसे अपने औसत लाभ का 2 प्रतिशत "कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व" में व्यय करना होता है। विकासक रिन्यू सोलर एनर्जी (टी.एन.) प्राईवेट लिमिटेड से प्राप्त जानकारी के अनुसार वह उक्त परिधि में नहीं आती है और इस कारण "कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व" पर व्यय करने हेतु बाध्य नहीं है। (ख) उक्त विकासक कंपनी, कंपनी अधिनियम-2013 के प्रावधानों के अन्तर्गत सी.एस.आर. के कार्य कराने हेतु बाध्य नहीं है, तदापि उनके द्वारा सी.एस.आर. कार्य कराये गए हैं, जिनकी कुल लागत रूपये 10 लाख है, किये गये कार्यों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) परियोजना निजी निवेश के अन्तर्गत स्थापित है। कंपनी को श्रम नियमों के प्रावधान का पालन करना होता है। जानकारी विभाग स्तर पर संगठित करना प्रावधानित नहीं है।
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से जो प्रायवेट कंपनियों द्वारा, आप जो जगह देते हैं और सुविधाएँ प्रदान करते हैं. इसके एवज में "कार्पोरेट सोशल रेस्पांसबिलिटी" (सी एस आर) के तहत विकास कार्यों के संबंध में प्रश्न किया था, माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है. मैंने पूछा था एक रिन्यू पावर सोलर एनर्जी प्लांट मेरे क्षेत्र में लगा है जिसको तीन-चार सौ हैक्टेयर जमीन आपने दो गाँवों के बीच की निस्तारी भूमि, जो दी नहीं जा सकती, वह आपने दे दी और गाँव में वह काम नहीं कर रहे इसके लिए मैंने सी एस आर की राशि के संबंध में पूछा था, तो आपने उत्तर भी दिया है कि कंपनी अधिनियम की धाराओं का हवाला देते हुए कि धारा 135 के प्रावधान के अनुसार नेट वर्थ जिसका 500 करोड़ रुपये से अधिक हो, टर्न-ओवर रुपये 1000 करोड़ से अधिक हो, शुद्ध लाभ 5 करोड़ रुपये से अधिक हो. तब उसका 2 प्रतिशत सी एस आर के तहत वह पैसा व्यय करेंगे. अध्यक्ष महोदय, अब इन्होंने यह कहा है कि इस आधार पर, कंपनी से प्राप्त जानकारी के आधार पर, यह कंपनी इसके अंतर्गत नहीं आती. अब कंपनी से ही प्राप्त जानकारी के आधार पर ही यह निश्चित करेंगे, यह कंपनी विद्युत का उत्पादन करती है और....
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न कर दें.
श्री रामनिवास रावत-- सीधा ही पूछ रहा हूँ. बिजली आप खरीदते हों, भुगतान भी आप करते हों, तो कम से कम यही देख कर बता दें कि आपकी कंपनी ने कितना इस कंपनी को भुगतान किया? इससे इसके शुद्ध लाभ का पता लग जाएगा. क्या यह भी जेहमत नहीं उठाएँगे? टर्न ओवर का पता लग जाएगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- यह जेहमत उठा लेंगे. (हँसी)
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करें.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा महत्वपूर्ण प्रश्न यह था कि इस कंपनी में आप, हम और सदन के सभी लोग सोचते हैं कि जितनी भी कंपनियाँ हैं, मध्यप्रदेश के लोगों को, मध्यप्रदेश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिले. मैंने अंतिम प्रश्न में यह पूछा था कि इसमें रिन्यू पावर लिमिटेड द्वारा प्लांट स्थापित किए जाने के दिनाँक से अनुबंधित कंपनी महिन्द्रा द्वारा कितने लोगों को कार्य पर सुरक्षा श्रमिक, के पद पर, कितने लोगों को आई टी आई इलेक्ट्रीशियन, तकनीकी स्टाफ के पद पर, कितने लिपिकीय स्टाफ के पद पर और कितने बी ई इंजीनियर्स के पदों पर रखे गए? तो आपने बता दिया कि यह हमारा काम नहीं है, यह श्रम कानूनों के अंतर्गत, नियमों के प्रावधान का पालन करना होता है. जानकारी विभाग स्तर पर संगठित करना प्रावधानित नहीं है. आपकी सामूहिक जिम्मेदारी है कम से कम मध्यप्रदेश के बेरोजगार युवाओं के लिए, जब आप जमीन दे रहे हों, आप कंपनियाँ ला रहे हों, उसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है, अच्छी बात है, कंपनियाँ लाना चाहिए. लेकिन आप कम से कम यह तो देखो कि ये लोग बाहर के लोगों को लाकर काम करा रहे हैं. मध्यप्रदेश के बेरोजगार युवाओं को ही लाभ मिले. आपने तो श्रम विभाग पर छोड़ दिया. कम से कम इस तरह की एक व्यवस्था बनाओगे, श्रम विभाग की या जिस विभाग के अंतर्गत....
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधे प्रश्न कर लें.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार भी यह सोचती है कि इस तरह की कंपनियों में, आने वाली कंपनियों में, 50 प्रतिशत से अधिक लोग मध्यप्रदेश के हों. क्या यह व्यवस्था सुनिश्चित कराएँगे?
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, इस सुझाव पर जरूर ध्यान देंगे क्योंकि अभी हमारे सामने सोलर एनर्जी के प्रमोशन की चुनौती थी क्योंकि जो आर पी ओ मीट करने की बाध्यता है. एंडोड् परचेज़ ऑब्लिगेशन, यदि वह पावर प्लांट नहीं लगते, उनसे हम बिजली नहीं लेते तो बिना बिजली के हमको पेनाल्टी देनी पड़ती तो इसलिए अब ये सारे प्लांट हमारे यहाँ लगने शुरू हो गए, सभी के लिए बड़ी खुशी की बात है. अब यह जो आपने सुझाव दिया है, इस पर हम जरूर विचार करेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय मंत्री जी से मैं यह भी जानना चाहूँगा कि सुप्रीम कोर्ट की एक याचिका क्रमांक 19869, 2010 दिनाँक 28.1.2011 में उच्चतम न्यायालय ने ये निर्देश दिए हैं कि आप कंपनियां लायें लेकिन आप एक लैंड बैंक बनायें और जो भूमि गांव के निस्तार की भूमि है, खाल खद्दर भूमि है, चरनोई की भूमि है ऐसी भूमियां जो सार्वजनिक उपयोग की हैं उनको इन कंपनियों को न दें और अगर दे भी दी तो सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक उपयोग की भूमियों के आवंटन को रद्द करके ग्राम सभा को सौंपने का आदेश दिनांक 28 जनवरी 2011 को दिया है क्या यह सही है और यदि सही है तो क्या आप इसका पालन करा रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--अध्यक्ष महोदय, यह तो इस प्रश्न से उद्भूत नहीं होता है.
श्री रामनिवास रावत--जमीन आप कोई सी भी दे दो.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--आपके सवाल में आपने जो (क) (ख) (ग) पूछा है उसमें यह नहीं है.
श्री रामनिवास रावत--कंपनी जमीन पर लगती है या नहीं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--आपने जमीन की बात ही नहीं की है.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.02 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
12.03 बजे शून्यकाल में उल्लेख
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि मध्यप्रदेश के सराफा व्यापारी एक महीने से हड़ताल पर हैं केन्द्र सरकार ने उनके व्यापार पर एक प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगाई है और 2 लाख से ऊपर पेन कार्ड की अनिवार्यता की है इसके खिलाफ पूरे मध्यप्रदेश के सराफा व्यापारी...
अध्यक्ष महोदय--कल भी यह बात माननीय रामनिवास रावत जी ने उठाई थी.
श्री रामनिवास रावत--यह बात कल आ गई थी यह बात सही है लेकिन पिछले एक महीने से अधिक समय हो गया है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है..(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--हमारा भी व्यवस्था का प्रश्न है..(व्यवधान) शून्यकाल में किस बात की व्यवस्था (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, शादी ब्याह का समय है आम लोगों को दिक्कतें हो रही हैं (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार से अनुशंसा करे (व्यवधान) केवल अनुशंसा कर दो (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र--मेरा पाइंट ऑफ ऑर्डर है (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--केन्द्र सरकार अपना काला कानून वापिस ले (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--चर्चा तो कर सकते हैं (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--कल यह बात आ गई थी..(व्यवधान)माननीय मंत्रीजी इस विषय में कुछ कह रहे हैं पाइंट ऑफ ऑर्डर तो सुन लो पहले ..(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--क्या आपका प्रदेश के सराफा व्यापारियों के प्रति लगाव नहीं है (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--श्री रावत जी बैठ जायें (व्यवधान) माननीय बाला बच्चन जी, जितू पटवारी जी बैठ जायें. माननीय मंत्रीजी आप क्या कह रहे हैं.
श्री बाला बच्चन--जी माननीय मंत्रीजी बतायें इस बारे में.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन नियम प्रक्रिया से या परम्परा से चलेगा. न तो ऐसी कोई मान्य परम्परा है कि केन्द्र सरकार द्वारा अधिरोपित किसी भी कर के ऊपर इस सदन में कभी चर्चा की गई हो.
श्री रामनिवास रावत--कर के ऊपर चर्चा नहीं हो रही है एक माह से सराफा व्यापार बंद है हम तो एक बात जानना चाहते हैं क्या आपका सराफा व्यापारियों के प्रति लगाव है या नहीं है बस एक बात बता दो.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जायें उन्हें बोलने तो दें. यह प्रश्नकाल नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--गोविन्द सिंह जी कभी भी इस तरह की अनुशंसा की नहीं गई है. एक तो बैठे बैठे बोलते हैं पता नहीं कब ज्ञान प्राप्त होगा इनको वरिष्ठ सदस्य हैं (श्री आरिफ अकील के बैठे-बैठे बोलने पर)
श्री आरिफ अकील--बैठे-बैठे नहीं खड़े रहते हैं तो भी आप देखते नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय--उन्हें बैठे ही रहने दें तो ठीक होगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--आप तो बैठे बैठे भी खड़े हुए दिखाई देते हैं.
श्री आरिफ अकील--अनुशंसा कर देंगे तो इनका क्या चला जायेगा.
श्री रामनिवास रावत--अनुशंसा नहीं कर सकते लेकिन प्रदेश में उत्पन्न स्थिति की ओर ध्यानाकर्षित तो कर सकते हैं प्रदेश की जो स्थिति बिगड़ती जा रही है. यह तो हम भी जानते हैं जो व्यवस्था उठा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--बैठ जायें रावत जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि इनके दल के लोग लोकसभा और राज्यसभा में इस विषय को नहीं उठा पा रहे हैं तो यह अलग विषय है.
श्री रामनिवास रावत--आप लोकसभा, राज्यसभा में बैठे थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--जिस विषय को जहां उठना चाहिेये वहां न उठाते हुए विषय को यहां पर उठा रहे हैं मैं नियम प्रक्रिया का उल्लेख करना चाहता हूं. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--नियम प्रक्रिया मालूम है. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र--नियम प्रक्रिया मालूम है तो आप अवैधानिक काम कराना चाहते हो क्या आप अवैधानिक काम कराना चाहते हो. (व्यवधान) क्या किसी नियम में ऐसा लिखा है किस नियम में लिखा है आप पढ़कर बताओ कि किस नियम में है.
श्री रामनिवास रावत :- प्रदेश की जनता का संरक्षण करना प्रदेश की सरकार का दायित्व है.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- आप पढ़कर बताओ की यह किस नियम में है.
श्री रामनिवास रावत :-क्या आपका प्रदेश की जनता से लगाव नहीं है. (व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र :- अध्यक्ष महोदय, यह असत्य वाचन कर रहे हैं. (व्यवधान)
(व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र :- नेता प्रतिपक्ष जी जब जब आपने विषय उठाया, अगर नियम प्रक्रिया में था तो ऐसा कौन सा विषय है कि उस पर चर्चा नहीं करायी. आप राजनीतिक रोटियां तो नहीं सेकनें देंगे. जितने नेता दिल्ली राज्य सभा में बैठे हुए हैं वह यह बात क्यों नहीं उठा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- आप सभी लोग बैठ जाईये.श्री हरदीप सिंह डंग जी कुछ बोलना चाहते हैं. मैंने उनको अनुमति दी है अब और किसी को अनुमति नहीं है. उसके बाद आगे बढ़ेंगे. श्री ड़ग जी आप बोलिये.मैंने आपकी पार्टी के सदस्य हैं, उनको बोलने का समय दिया है.
(व्यवधान)
श्री हरदीप सिंह डंग :- (व्यवधान के कारण कुछ बोल नहीं पाये.)
गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर):- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय नरोत्तम मिश्र जी ने कहा कि केन्द्र के विषय पर विधान सभा में चर्चा नहीं हो सकती और जो केन्द्र सरकार ने कर लगाये हैं, वह केन्द्र सरकार के द्वारा लगाये गये हैं. इस पर चर्चा का आधार यहां पर नहीं हो सकता है. केन्द्रीय विषयों के अन्दर जो तीन सूची होती है उसमें एक केन्द्र की होती है, एक प्रदेश की होती है और एक ट्रांसमिशन की होती है.
श्री बाला बच्चन :- हम कर के बारे में चर्चा नहीं करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय :- उनका पाईंट ऑफ आर्डर सही है उससे मैं सहमत हूं और इसलिये अब इस विषय को यहां पर उठाने का औचित्य नहीं है. (व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र :- यह विषय यहां पर चर्चा का नहीं है आप अपने नेताओं से कहो कि वह केन्द्र में इस विषय को उठायें. आपके लोग वहां पर यह विषय क्यों नहीं उठा रहे हैं.
(व्यवधान)
श्री जितू पटवारी :- सर्राफा व्यापारी हड़ताल पर है. जिसके कारण व्यापार प्रभावित हो रहा है. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत :- माननीय अध्यक्ष महोदय, शादियों का समय है, बहनों को मंगलसूत्र नहीं मिल पाया है. (व्यवधान)
पत्रों का पटल पर रखा जाना
(क) मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 एवं मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन नियम, 2006 के अंतर्गत अनुपालन एवं पुनर्विलोकन रिपोर्ट दिसम्बर, 2016.
(ख) वित्तीय वर्ष 2014-2015 की द्वितीय छ:माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ:माही समीक्षा.
(ग) वित्तीय वर्ष 2015-2016 की प्रथम छ:माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रव्तियों की छ:माही समीक्षा.
ध्यान आकर्षण
ध्यान-आकर्षण
(1) सतना जिले के मुकुन्दपुर स्थित चिड़ियाघर एवं प्राणी सहउपचार केन्द्र के निर्माण में अनियमितता किये जाना
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़)---माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री गौरीशंकर शेजवार (वनमंत्री)--माननीय अध्यक्ष महोदय
श्री सुंदरलाल तिवारी (गुढ़)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार ने बड़ी लज्जा और शर्माते हुए भ्रष्टाचार स्वीकार किया है, माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है ।
श्री बाबूलाल गौर- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ा सुधार हो गया है । (हंसी)
श्री सुंदरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, दद्दा को तो हम कुछ नहीं कह सकते हैं, कोई जवाब नहीं दे सकते हैं ।
अध्यक्ष महोदय- आज काव्य भाषा में बोल रहे हैं । (हंसी)
श्री सुंदरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, यह बड़ा अनोखा प्रकरण है ।
अध्यक्ष महोदय- आप भाषण न दें, सीधा प्रश्न करें ।
श्री सुदरलाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस व्यापक भ्रष्टाचार पर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं और आपका संरक्षण भी चाहूंगा ।
अध्यक्ष महोदय- संरक्षण पूरा है पर शासन को ध्यान दिलाएं ।
श्री सुंदरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय,आपके माध्यम से ध्यान दिलवा रहे हैं ।
श्री कमलेश्वर पटेल- अध्यक्ष महोदय, जिस अधिकारी पर आरोप लगा है, वही अधिकारी जांच करने गए थे ।
श्री सुंदरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, जब यह काम प्रारंभ हुआ, गिट्टी पत्थर आए, 20 हजार बोरी सीमेंट सीमेंट खरीदी गई और करीब - करीब 55 लाख रूपया अकेले सीमेंट का अदा किया गया । सैकड़ों ट्रक गिट्टी, बालू खरीद कर दिया गया और तत्कालीन सीसीएफ ने जब डीएफओ को पेमेंट के लिए दवाब डाला कि आप इनका तत्काल पेमेंट करिए, तब सतना डीएफओ ने एक पत्र लिखा उस पत्र का थोड़ा अंश आपके सामने रखना चाहता हूं ।
अध्यक्ष महोदय- आप पढि़ए नहीं, उसका जिस्ट बता दीजिए ।
श्री सुंदरलाल तिवारी- अध्ययक्ष महोदय, जिस्ट यह है कि डीएफओ ने आपत्ति की कि मुझसे दवाब देकर पेमेंट कराया जा रहा है, यह पेमेंट और निर्माण की आदर्श परिस्थितियां नहीं है और ठेकेदार या जिस किसी से सप्लाई ली जा रही है, उनको मेरे द्वारा या किसी सक्षम अधिकारी के द्वारा कोई आदेश नहीं दिया गया है । इन परिस्थितियों में भुगतान करना संभव था. लेकिन तत्कालीन सी.सी.एफ. श्री सिंह थे, उनके दबाव में हमने यह पेमेन्ट किया है. अब यह है सन् 2012-13 में उन्होंने एक पत्र लिखा, इसके बावजूद भी सरकार सोती रही.
अध्यक्ष महोदय - बहुत लम्बा हो गया है, आप सीधे प्रश्न करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि यह मैं नहीं कह रहा हूँ कि भ्रष्टाचार हो रहा है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ कि ये सारे भ्रष्टाचार की पोल डी.एफ.ओ. ने खोली है और उन्होंने यह पत्र लिखा है कि इस तरह का भ्रष्टाचार हो रहा है लेकिन इसके बावजूद भी वर्षों तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्न करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - निरन्तर इसमें भुगतान होता चला गया. प्रश्न यह है कि जब सरकार इस बात को स्वीकार कर रही है कि वहां अनियमितताएं हुई हैं, वहां भ्रष्टाचार हुआ है और बिना अधिकारी के आदेश के वहां सारे काम हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप इस प्रश्न को कम्पलीट कर दीजिये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि दो वर्ष बाद, जो वहां जनता के 13 करोड़ रूपये लुट गये, लूट लिये गये, भ्रष्टाचार में चले गये. सरकार इन रूपयों को वापिस लाने के लिए क्या कार्यवाही कर रही है ?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने तो भाषण दिया है लेकिन मैं वस्तुस्थिति से माननीय सदस्य एवं सदन को अवगत कराना चाहता हूँ. दि. 15.6.14 को श्री अमित कुमार, अधिवक्ता, नई दिल्ली द्वारा वन मंत्री को शिकायत की गई थी. शासन द्वारा शिकायत की जांच के निर्देश दि. 24.7.14 को दिये गये. दि. 2.8.14 पी.सी.सी.एफ. द्वारा श्री अरूण कुमार, सी.सी.एफ. को जांच के लिए निर्देशित किया गया. श्री अरूण कुमार द्वारा जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया, जांच प्रतिवेदन शासन को प्रेषित किया गया. दि. 16.6.15 को शासन द्वारा श्री पी.के.सिंह, सी.सी.एफ., रीवा के विरूद्ध आरोप-पत्र बनाने के निर्देश दिये गये. दि. 20.7.15 आरोप-पत्र शासन को प्रेषित किया गया. दि. 26.2.16 को शासन द्वारा आरोप-पत्र जारी किया गया. दि. 26.3.16 को श्री पी.के.सिंह द्वारा बचाव का उत्तर प्रस्तुत किया गया है. वर्तमान स्थिति में प्रकरण शासन स्तर पर है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यह है कि सरकार यह कह रही है कि आरोप-पत्र सरकार ने दिया है. सरकार यह भी स्वीकार कर रही है कि नियमों का पालन नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्न कर दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न किया है कि जिस राशि का गबन हुआ है, जिस राशि की गड़बड़ी हुई है. क्या उसके आंकड़े सरकार के पास हैं ? और उस राशि को वापिस करने के लिए, आप क्या कर रहे हैं ? साथ में, इसमें प्रायवेट लोग और ठेकेदार भी इन्वॉल्व हैं. क्या उसके खिलाफ आप आरोप-पत्र देंगे ? उससे पैसे कैसे वसूल किये जायेंगे ? यह मेरा प्रश्न है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 13 करोड़ रूपये का जो आरोप लगा रहे हैं तो वहां काम भी तो हुआ है और काम की गुणवत्ता है. इसके बदले में 24 करोड़ 65 लाख 45 हजार रूपये का इसमें भुगतान हुआ है. काम की क्वालिटी है लेकिन अनियमितताओं के लिए और जो काम को शीघ्र करवाने की दृष्टि से, वहां के अधिकारियों ने वित्तीय और प्रशासनिक नियमों का पालन नहीं किया, उसके विरूद्ध उनको आरोप-पत्र दिया जा चुका है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं प्लीज. अब और भी सदस्यों के प्रश्न हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, ये 13 करोड़ रूपये सरकार के कैसे आयेंगे ? माननीय मंत्री जी, मैं आपसे कह रहा हूँ कि ये जो 13 करोड़ रूपये जनता के खा लिये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, तिवारी जी, आप बैठ जाएं. किसी को बोलने की अनुमति नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, तो क्या लुट जाने दें ?
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न पटवारी जी पूछ लेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, यह 13 करोड़ रूपये जो लुट गए हैं. उसके लिए सरकार क्या कर रही है ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - गौर साहब, बड़े दुखी हो रहे हैं कि मैंने गलत तारीफ कर दी है.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी नहीं मानेंगे, वे कभी रूकते ही नहीं हैं. वे बिना ब्रेक की गाड़ी हैं, जो रूकती नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, 13 करोड़ रुपये नहीं आयेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आप उनको पूछने दीजिये. आप बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं. तो मैं आगे बढ़ जाऊंगा. और सदस्यों के भी ध्यान आकर्षण हैं. श्री पटवारी जी पूछिये. तिवारी जी का कुछ नहीं लिखा जायेगा. श्री जितू पटवारी जी जो पूछेंगे, वही लिखा जायेगा. मंत्री जी उसी का उत्तर देंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (xx)
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष जी, यह तो मेरे साथ अन्याय हो जायेगा, फिर आप ऐसा करोगे तो.
अध्यक्ष महोदय -- श्री जितू पटवारी.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, सुन्दरलाल तिवारी जी ने जो पूछा है, उसका जवाब आ जाये. मंत्री जी से जवाब दिलवायें.
अध्यक्ष महोदय -- किस बात का जवाब.
श्री रामनिवास रावत -- मंत्री जी आप सक्षम हो, भ्रष्टाचार मिटाने का आपने संकल्प लिया है. आप पर कोई आरोप नहीं लगा सकता. हमको विश्वास है कि आप आरोपियों को नहीं बचायेंगे. अध्यक्ष महोदय, सुन्दरलाल तिवारी जी के प्रश्न का जवाब आ जाये.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, तिवारी जी का जो प्रश्न है, उसका जवाब आ जाये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (xx)
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, एक बार और बता दीजिये. लेकिन ये बैठ तो जायें.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, हमें पूरा भरोसा है कि मंत्री जी ने भ्रष्टाचार को मिटाने का संकल्प लिया है. निश्चित रुप से कार्यवाही करेंगे, ऐसा विश्वास है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, विपक्ष के सदस्यों के द्वारा जो अपेक्षा की गई है, उनकी अपेक्षा से पहले ही पूरा जो नियमानुसार था और जितना करना चाहिये अधिकतम और सख्त से सख्त कार्यवाही शासन द्वारा इसमें की गई है. इस कार्यवाही में आरोपी जो हैं, उनको आरोप पत्र भेजा गया है. उनका जवाब अभी आया है. जवाब आने के बाद आरोप पत्र और उनके जवाब में जो कमियां होंगी, उसके हिसाब से जो भी कार्यवाही बनेगी, पूरी सख्ती के साथ कार्यवाही की जायेगी. उसमें यदि वसूली की कार्यवाही आती है, तो वह भी की जायेगी. यह निराधार बातें हैं कि आपने इतने का कर दिया और यह गबन है और यह है सब. मेरा ऐसा कहना है कि आज तक उदाहरण प्रस्तुत किया है हमारे विभाग ने, मैंने और मुख्यमंत्री जी ने कि सख्त से सख्त कार्यवाही की है. इसमें सीनियर ऑफिसर से जांच करवाई है. ..
श्री सुन्दरलाल तिवारी --(xx)
अध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठ जाइये. श्री जितू पटवारी. श्री सुन्दरलाल तिवारी का नहीं लिखा जायेगा.श्री जितू पटवारी के प्रश्न का उत्तर मंत्री जी देंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (xx)
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, इस तरह से आप जिद नहीं कर सकते. आप कृपया बैठ जाइये. आपको इजाजत दी थी, आपके 3-4 प्रश्न हो गये. श्री जितू पटवारी. कृपया ध्यान आकर्षण की मर्यादा रखें. दूसरे सदस्यों के भी ध्यान आकर्षण हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (xx)
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी आपका कुछ नहीं लिखा जायेगा. मंत्री जी पटवारी जी के प्रश्नों का उत्तर देंगे. पटवारी जी, आप प्रश्न पूछिये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (xx)
अध्यक्ष महोदय -- पटवारी जी, आप उनके लिये मत रुकिये. उनका ऐसे ही चलेगा. आज आखिरी दिन है. आप बोलिये.
श्री जितू पटवारी -- (राऊ) अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि इतनी तड़फ और इतनी जिज्ञासा, भ्रष्टाचार के खिलाफ इतना जुनून किसी दूसरे सदस्य में देखा है आपने. नहीं देखा. आपने कहा कि सख्त से सख्त कार्यवाही की जायेगी और कानून सम्मत जितना भी हो सकेगा, अभी भी किया है और आगे भी करेंगे. क्या इस पूरे पीरियेड में उनको छुट्टी पर बिठा देते या ट्रांसफर कर देते या लाइन अटैच कर देते. क्या यह दायित्व आपका नहीं था, अगर भ्रष्टाचार मिटाना था तो. अध्यक्ष महोदय, दूसरा, मैं आपको बताना चाहता हूं कि एक तो यह अखबारों में पढ़ी हुई घटना है. इन श्रीमान ने, जिनकी भी, यह सच है, कृपया इसको थोड़ा सुनो आप. मेरा अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय -- विषय से संबंधित होना चाहिये.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय पी.के. सिंह जी ने 5 विधायक, एक नहीं भारतीय जनता पार्टी के आदरणीय मंत्री जी भी वहां उपस्थित थे, राजेंद्र भैया. इन्होंने इनके सामने कहा कि तुमसे जितना ताकत हो कर लेना कोई व्यक्ति मुझे हटा नहीं सकता है. सुखेंद्र सिंह जी से उसके झगड़े हुए. ..
अध्यक्ष महोदय -- यह इसमें नहीं है. आप कृपया प्रश्न करें.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, यह संदर्भ मैं बताना चाहता हूं, गलत हो तो राजेंद्र भैया बता दें.
ऊर्जा मंत्री (श्री राजेंद्र शुक्ल)-- मैं नहीं था. आप हमेशा जो भी बात सदन में करते हैं, वह वास्तविकता से परे होती है.
श्री जितू पटवारी -- नहीं थे, फिर कोई बात नहीं है. डिब्बे के अंदर होंगे आप. आपको घटना पता ही नहीं चली है.
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपया प्रश्न करें.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा अंतिम प्रश्न यह है कि क्या इनकी लोकायुक्त में जांच करवाई जायेगी और तब तक इनको लाइन अटैच या छुट्टी पर भेजा जायेगा, जब तक कि इस पूरी प्रक्रिया की व्यवस्था नहीं हो जाती.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री अरूण कुमार पीसीसीएफ को जांच के निर्देश दिये गये थे, और श्री अरूण कुमार पीसीसीएफ ने जांच प्रतिवेदन जैसे ही प्रस्तुत किया उसके ठीक तत्काल बाद उन्हें रीवा से स्थानांतरित करके भोपाल के मुख्यालय में पदस्थ कर दिया गया है और आज वो रीवा में पदस्थ नहीं है.
श्री जितू पटवारी-- चलो मंत्री जी इसके लिये आपको धन्यवाद इसमें जितनी आपकी तारीफ करनी चाहिये उतनी कर दी है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय,13 करोड़ का क्या होगा.
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जायें. श्री सुखेन्द्र सिंह का प्रश्न लिखा जायेगा और माननीय वन मंत्री जी उन्हीं के प्रश्न का उत्तर देंगे. (श्री सुखेन्द्र सिंह जी से) आप अपना प्रश्न कीजिये (श्री सुन्दरलाल तिवारी की ओर संकेत करते हुये) वह नहीं बैठेंगे. आपके क्षेत्र के आसपास के हैं . आप तो प्रश्न पूछिये. श्री सुखेन्द्र सिंह जी आप अपना प्रश्न पूछें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- xx xx xx
अध्यक्ष महोदय-- सुखेन्द्र जी आप प्रश्न नहीं पूछेंगे तो आपका रिकार्ड में आयेगा कि आपने बार बार पुकारे जाने पर भी प्रश्न नहीं पूछा. इसलिये प्रश्न पूछें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- xx xx xx
वित्त मंत्री(श्री जयंत मलैया)-- यह आपत्तिजनक है. इसको रिकार्ड से बाहर किया जाये. इस तरह से आरोप नहीं लगाया जा सकता है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी तिवारी जी ने जो कहा है वह लिखा नहीं जा रहा है. वह तो वैसे ही बोल रहे हैं, उनका बोला हुआ नहीं लिखा जा रहा है. न माननीय मंत्री जी उनके प्रश्न का उत्तर देंगे. सुखेन्द्र सिंह बना का उत्तर देंगे.(श्री के.के. श्रीवास्तव सदस्य के खडे होकर के बिना माईक के जोर जोर से बोलने पर ) सुखेन्द्र जी आप पूछिये. आप प्रभावित मत होईये. सब लोग बैठ जायें.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो प्रकरण चल रहा है. उसका भाई जितू पटवारी जी ने जिक्र किया है. उस अधिकारी को हम जानते तक नहीं थे ,रेलवे स्टेशन पर पी के सिंह ने मुझसे खुले आम कहा कि 229 विधायक मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते तो आप भी ध्यानाकर्षण लगा देना सुन्दर लाल तिवारी ने फला किया, शीला त्यागी ने फला किया पैसे का आरोप लगाया और बहुत सारी बातें हुई. इसके बाद थोड़ा वाद विवाद हुआ..
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधे प्रश्न करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा प्रश्न यह है कि जब ऐसा अधिकारी जो 229 विधायकों को चैलेंज करता है..
अध्यक्ष महोदय-- इसको कार्यवाही से विलोपित करें.
श्री जितू पटवारी -- घटना का उल्लेख कर रहे हैं उसका वर्णन कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- उस घटना के वर्णन की यहां पर जरूरत नहीं है. आप सीधा प्रश्न करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह --माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यही है कि इस अधिकारी के खिलाफ क्या कार्यवाही सरकार कर रही है, ठेकेदारों के खिलाफ सरकार क्या कार्यवाही कर रही है और कब तक कार्यवाही होगी और क्या मंत्री जी प्रकरण को लोकायुक्त में कब तक देंगे और पैसा वसूलने की कार्यवाही कब तक होगी.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय 229 विधायकों वाली बात है..
अध्यक्ष महोदय-- वह कार्यवाही से निकाल दी है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--ठीक है तो मैंने जो यह बोला है इसको भी निकाल दिया जाये. रहा सवाल इस बात का कि कब तक कार्यवाही होगी तो उसके बारे में कहना चाहूंगा कि उनको आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया , आरोप पत्र का जबाव आया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- xx xx xx
अध्यक्ष महोदय-- अरे उत्तर तो आ जाने दें. आप भी तो वही वही बात बार बार बोल रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- xx xx xx
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी (श्री सुन्दरलाल तिवारी जी की ओर संकेत करते हुये) इनकी बात आप मत सुनिये वह अप्रासंगिक हैं. रिकार्ड में भी इनका नहीं आ रहा है. आप तो सुखेन्द्र जी के प्रश्न का उत्तर दे दें. इनका उत्तर देने की जरूरत नहीं है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- जी. अध्यक्ष महोदय..
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- xx xx xx
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अरे यह गलत बात है, बेकार की बातें मत करो. देखो डकारने वालों की सूची में तुम्हारे परिवार के लोग नंबर वन पर हैं. डकारने वालों की सूची में आपके परिवार के लोग नंबर वन पर हैं और हम जीरो हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है.
अध्यक्ष महोदय-- यह भी कार्यवाही से निकाल दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- xx xx xx
श्री बाला बच्चन -- माननीय मंत्री जी का इस तरह से बोलना उचित नहीं है.जो उत्तर उनसे पूछा गया है उसका जवाब तो वे दे नहीं रहे हैं और फालतू की बातें कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- श्री रामनिवास रावत अपना प्रश्न करें.
श्री रामनिवास रावत-- श्री सुखेन्द्र सिंह जी का उत्तर तो आ जाये.
अध्यक्ष महोदय-- वह उत्तर सुनना ही नहीं चाह रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूछा था कि लोकायुक्त को जांच सौंपेंगे,, ठेकेदार पर अपराधिक प्रकरण दर्ज करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है आ गया आपका प्रश्न. मंत्री जी.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, पहले विभागीय कार्यवाही की जायेगी और उसके बाद में आवश्यकता जिस जिस जांच की पड़ेगी वो सब करवाई जायेगी.
श्री जितू पटवारी-- लोकायुक्त को यह प्रकरण सुपुर्द किया जायेगा क्या. .... (व्यवधान)....
श्री बाबूलाल गौर-- एक ध्यानाकर्षण में 2 सप्लीमेंट्री से ज्यादा प्रश्न नहीं पूछे जाते अध्यक्ष महोदय-- नहीं उनको एलाऊ ही नहीं किया. श्री रामनिवास रावत कृपया प्रश्न करें, तिवारी जी शांत नहीं होंगे, वह नहीं बैठेंगे, उनकी आदत नहीं है, आप पूछिये प्रश्न. .... (व्यवधान)... बैठ जाइये, उत्तर दे दिया उन्होंने.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- आपसे कुछ बात नहीं कर रहा मैं, आप बैठ जाइये, कोई नहीं कर रहा आपसे बात. प्लीज सिटडाउन. श्री रामनिवास रावत बोलें.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कम से कम यह तो तय हो जाये कि हेप्पीनेस विभाग संभालेगा कौन और हमारे तिवारी जी को हंसाने का काम कौन करेगा.
श्री जितू पटवारी-- (श्री गौरीशंकर शेजवार जी की तरफ इशारा करते हुये) यह मंत्रालय तो आप ही को मिलना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाओ भाई, बगल का असर हो गया क्या. ....(हंसी)....बैठिये, बोलिये रावत जी.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने आदरणीय तिवारी जी के प्रश्न के उत्तर में और सभी के उत्तर में यह बात स्वीकार की है कि हमने समय समय पर कार्यवाही की है, लेकिन यह नहीं बताया कि आपके द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई है और अरूण कुमार जो पीसीसीएफ हैं जिन्होंने जांच की और जांच के बाद निश्चित रूप से प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया, उस जांच की रिपोर्ट उपलब्ध करा दें और आपने जो आरोप पत्र दिये हैं, उनका जवाब कब तक प्राप्त करके, कब तक कार्यवाही करके, कब तक हमें अवगत करा देंगे.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आरोप पत्र का जवाब आ गया है, सीएफ सतना का भी जवाब आ गया है, अभी कुछ दिन पहले आया है, कुछ दिन नहीं मतलब एक-दो दिन, और सीसीएफ का भी आ गया है. अब परीक्षण करेंगे कि आरोप पत्र में और जवाब में क्या विसंगतियां हैं और उसके हिसाब से निर्णय लेगें और सख्त से सख्त कार्यवाही की जायेगी.
श्री रामनिवास रावत-- पीसीसीएफ की रिपोर्ट में तो प्रथम दृष्टया दोषी है.
अध्यक्ष महोदय-- श्री अंचल सोनकर कृपया अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री रामनिवास रावत-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह रिकार्ड में नहीं आयेगा. श्री अंचल सोनकर कृपया अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री रामनिवास रावत-- मैं अपने शब्द वापस लेता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- श्री अंचल सोनकर कृपया अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
बहिर्गमन
श्री रामनिवास रावत-- भ्रष्टाचार के विरोध में हम सब सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा भ्रष्टाचार के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया.)
श्री अंचल सोनकर (जबलपुर पूर्व)-- अध्यक्ष महोदय,
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी एक ध्यानाकर्षण है, आप कांग्रेस को ही समय देते हैं, हम लोगों के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं, बीएसपी को भी 2 मिनट का समय मिलना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप अन्याय करते हैं, भेदभाव करते हैं, मेरा भी 2 मिनट का ध्यानाकर्षण सुनना चाहिये, भू-माफिया से जुड़ा हुआ मामला है. ...(व्यवधान).. माननीय अध्यक्ष महोदय मुझे भी मौका मिलना चाहिये, एक मिनट का समय दें.
अध्यक्ष महोदय-- अब हम आगे बढ़ गये हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरे दल के पचासों ध्यानाकर्षण लेने के बाद हमारे दल का एक भी ध्यानाकर्षण नहीं लिया गया, लेकिन आज पहली बार लिया उसके लिये मैं आपको धन्यवाद दूंगी, लेकिन उसे पढ़ने का आप समय नहीं दे रहे हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भेदभाव की धारणा खत्म करें. बहुजन समाज पार्टी के विधायकों के साथ अन्याय किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब हम आगे बढ़ गये हैं.
गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर) - अध्यक्ष महोदय,
श्री अंचल सोनकर - अध्यक्ष महोदय, यह तो जो अधिकारी लिखकर देते हैं वही गृह मंत्री जी पढ़ लेते हैं. हमारे क्षेत्र का मामला है. वहां पर आक्रोश है, जवाब में कहा गया कि जनता तो ऐसा है कि शांत है, पुलिस के प्रति कोई आक्रोश नहीं है. जबकि वहां पर महिलाएं, वहां के पुरुष एक दीपक लेकर अगरबत्ती लेकर उस टीआई की आरती उतार रही हैं. वहां पर आक्रोश बिल्कुल नहीं है? वहां पर यह टीआई जब से आया है, 1 साल हो गया है, 3-4 मर्डर वहां पर हो चुके हैं, लूट, धारा 307 के प्रकरण, स्मैक, दारू, वहां पर अवैध काम बहुत ज्यादा हो रहे हैं. यहां पर जो अपराधी हैं, अभी एक पूर्व कांग्रेसी विधायक का वहां पर जन्म दिन था और थाने के कुछ दूरी पर ही पुलिस लगी हुई थी, पूरे अपराधी उस मंच पर थे. उनको उस समय क्यों अरेस्ट नहीं किया गया, क्या कारण था? जब कोई इन बदमाशों के खिलाफ रिपोर्ट करना जाता है तो उनको वह टीआई फौरन खबर करता है कि तुम्हारे खिलाफ यहां पर रिपोर्ट आई है, जबकि जो रिपोर्ट करने जाते हैं उनको पकड़ लेता है. अपराधी तो वहीं पर घूम रहे हैं और आप कह रहे हैं कि शांतिपूर्ण वातावरण बना है? वहां पर अभी भी दहशत का वातावरण है. ये अपराधी पकड़े क्यों नहीं जा रहे हैं, वहीं पर घूम रहे हैं. पुलिस द्वारा फरार बताए जा रहे हैं जबकि वे फरार नहीं हैं? जब वहां पर एक पूर्व विधायक का जन्म दिन मनाया जा रहा था पूरे अपराधी मंच पर थे. वे अपराधी वहीं थाने के आसपास घूम रहे हैं. अपने घर पर रह रहे हैं. पुलिस से उनकी सांठगांठ है, इसलिए वे पकड़े नहीं जा रहे हैं?
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को सूचित करना चाहता हूं कि दोनों ही पार्टियां आपराधिक तत्व हैं और उसका रिकॉर्ड हमारे पास है. एक पक्ष एक अपराधी का समर्थन कर रहा है और दूसरा पक्ष दूसरे अपराधी का समर्थन कर रहा है. लेकिन वहां लॉ एंड आर्डर की स्थिति ठीक है. अब अपराधियों का झगड़ा आपस में है तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और जल्दी अपराधी पकड़े जाएंगे. अगर माननीय सदस्य चाहें तो मैं दोनों पक्षों का रिकॉर्ड पेश कर सकता हूं.
श्री अंचल सोनकर - अध्यक्ष महोदय, जब वे थाने के आसपास घूम रहे हैं, पुलिस से उनकी सांठगांठ है. वहां पर अपराधियों को अरेस्ट क्यों नहीं कर रहे हैं? इसका क्या कारण है, कब तक वे गिरफ्तार हो जाएंगे?
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, 10-15 दिन में गिरफ्तार हो जाएंगे.
मुरैना जिले के ग्राम सेमई में शासकीय भूमि के पट्टों में अनियमितता की जाना.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा ( जौरा ) --
संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ नरोत्तम मिश्र ) --
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय जैसा कि माननीय मंत्री जी बता रहे हैं कि मैंने प्रश्न पूछा था उस प्रश्न में जवाब आया ता कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. वहां पर कम से कम 100 अनुसूचित जाति के लोगों के मकान हैं. उन बेचारों पर जुर्माना लगता है. जो लोग बाहर से आकर के चरनोई की जमीन की नौइयत बदलवाकर उसका पट्टा करवा लिया है, मैं वहां के दुस्साहसी पटवारी की ओर ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि उसने चरनोई भूमि की नौइयत किस प्रकार से बदल दी है और भू माफियाओं के नाम पर पट्टे कर दिये हैं. वहां पर चरनोई भूमि से पट्टा भू माफियाओं के नाम पर किया गया है तो क्या ऐसे दुस्साहसी कर्मचारी और अधिकारियों के खिलाफ में कार्यवाही की जायेगी और उस पट्टे को तत्काल निरस्त करने की कार्यवाही की जायेगी.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय निरस्त करने की कार्यवाही कर दी है प्रकरण राजस्व मण्डल में विचाराधीन है.
डॉ गोविन्द सिंह ( लहार ) -- एक तो इसमें सवाल पूछा गया है इसका उत्तर मंत्री जी ने नहीं दिया है ध्यानाकर्षण में उल्लेख है 2003 शासन के आदेश दिनांक 31-1-2003 में यह आदेश हुआ था कि पट्टे एससी एसटी के अतिरिक्त किसी को नहीं दिये जायेंगे. आदेश का उल्लंघन करने वाले तहसीलदार पटवारी का नाम बतायें, किस को पट्टा हुआ है यह बतायें और उस समय आदेश हुआ था तो कह रहे हैं कि निरस्त की कार्यवाही की जा रही है, आपके द्वारा कार्यवाही करने से तो राजस्व मण्डल में अटक गया है. अध्यक्ष महोदय राजस्व मण्डल में तो 30 - 40 वर्ष से प्रकरण लंबित हैं, कभी वहां पर सुनवाई नहीं होती है. वहां बोर्ड में पूरे सदस्य नहीं हैं. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि पहले जो मैंने पूछा था कि उनके नाम बतायें कि किसको मिली कौन अधिकारी पटवारी थे, क्यों निरस्ती नहीं की है, क्या राजस्व मण्डल ने स्थगन दिया है. सुन लीजिए आप, उधर गप्प मत करिए और दूसरी बात कि कौन से आपने प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त किए हैं. विधि का काम कौन वकील देख रहा है, उनके जरा नाम बता दें. एक प्रश्न और पूछेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- अभी ही पूछ लीजिए आप.
डॉ. गोविन्द सिंह -- वे भूल जाएंगे, गप्पों में लगे हुए हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये अपने जैसा सबको समझते हैं. मैंने कहा इनको, एक तो ये सुनते ही नहीं हैं, इनका ध्यान कहीं और रहता है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मेरा पूरा ध्यान रहता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है पट्टे नहीं दिए, वे निरस्त हो गए, बाकी अपील करने के लिए वे राजस्व मंडल में गए हैं तो गए होंगे, आपका काम तो हो गया ना.
डॉ. गोंविद सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पटवारी और तहसीलदार का नाम पूछा है, पट्टे लेने वाला कौन व्यक्ति है. अच्छा तहसीलदार का नाम बतो दो कि कौन था और उसके खिलाफ क्या कार्यवाही हुई. उन्होंने भी तो गलती की, नियम के विपरीत काम किया, उन पर भी कार्यवाही होनी चाहिए. दूसरी बात आपका कौन प्राधिकृत व्यक्ति न्यायालय में काम देख रहा है क्योंकि किसी केस के लिए सरकार का एक प्रतिनिधि होता है तो वह कौन है और कौन सा वकील आपकी पैरवी कर रहा है. उस पर स्थगन है कि नहीं, जब स्थगन नहीं है तो क्या कार्यवाही हुई है और क्या दस्तावेजों में इंद्राज किया गया है तो उसके दस्तावेज दे दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, स्थगन नहीं है, प्रकरण के गंभीर जांच के आदेश दे दिए हैं. जांच में जो भी अधिकारी, कर्मचारी दोषी होंगे, सब पर कार्यवाही करेंगे. जहां तक इन्होंने नाम पूछा है वह मेरे पास अभी नहीं है मैं भिजवा दूंगा.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष जी, प्राधिकृत अधिकारी कौन है, कोई जा भी रहा है या नहीं, अभी तक कोई जा ही नहीं रहा है. अध्यक्ष जी, प्रकरण तो भेज दिया है. पीड़ित पक्ष ने अपनी अपील भिजवा दी है दस्तावेज भिजवा दिए हैं लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्राधिकृत अधिकारी वहां नहीं पहुँचा है.
अध्यक्ष महोदय -- आपको वे जानकारी भेज देंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष जी, फिर तो यह अन्याय है. मैंने आपसे पहले ही कहा था जवाब आना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, डॉ. गोविन्द सिंह जी का उत्तर दीजिए. डॉ. गोविन्द सिंह जी, आपका प्वाइंटेड प्रश्न क्या है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष जी, प्रश्न यह है कि अभी तक कोई भी अधिकारी वहां पैरवी नहीं कर रहा है, किसको आपने प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त किया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, प्राधिकृत अधिकारी शुक्ला जी हैं, वे इसकी पैरवी कर रहे हैं वे जा चुके हैं.
4. दतिया जिले के ग्राम रूहेरा स्थित सिंध नदी से रेत का अवैध उत्खनन किया जाना
श्री प्रदीप अग्रवाल (सेवढ़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
खनिज साधन मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
12.55 बजे उपाध्यक्ष महोदय(डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह)पीठासीन हुए.
श्री प्रदीप अग्रवाल-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि पट्टा अवैध है. मेरे कहने का आशय यह है कि जिस जगह पट्टा है वहां से रेत का उत्खनन नहीं किया जा रहा है. मेरा प्रश्न है कि जिस जगह खदान स्वीकृत है उस जगह का सीमांकन कराकर मुटिया गाड़ी जाएंगी, जिससे अन्य जगह से रेत का अवैध उत्खनन न हो.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 30 मार्च को ही मतलब परसों भिण्ड एवं दतिया जिले के खनिज दल द्वारा निरीक्षण किया गया, जिसके अनुसार ठेकेदार द्वारा स्वीकृत क्षेत्र में ही कार्य किया जाना पाया गया, फिर भी माननीय सदस्य को यदि शंका है कि स्वीकृत क्षेत्र के बाहर उत्खनन हो रहा है तो एक बार फिर से जांच करा लेंगे.
श्री प्रदीप अग्रवाल-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,मेरे समक्ष करायें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- कोई आपत्ति नहीं है.
श्री प्रदीप अग्रवाल-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक बार मेरे समक्ष सीमांकन करा दें, मेरे सामने आ जाएगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- बिलकुल.
श्री प्रदीप अग्रवाल-- धन्यवाद.
डॉ. गोविन्द सिंह-- उपाध्यक्ष जी, चूंकि माननीय मंत्री जी ने लहार के अवैध उत्खनन का उल्लेख किया है. वास्तव में सच्चाई यह है कि जो रुहेरा खदान है वहां पर रेत है नहीं और आपने जो सीमांकन किया है तो मेरी आपसे प्रार्थना है कि जिस जगह आपने पट्टा स्वीकृत किया है उसका आप सीमांकन करा देंगे और मटियावली और लहार क्षेत्र में जो रेत वास्तव में चोरी जा रही है, मिला हुआ क्षेत्र है, यह सच्चाई है कि अवैध उत्खनन तो हो रहा है लेकिन रुहेरा में रेत ही नहीं है तो इसलिए मंत्री सीमांकन कराने का काम करा दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- उपाध्यक्ष महोदय, सीमांकन करा दिया जायेगा.
डॉ. रामकिशोर दोगने(हरदा)-- उपाध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण नं.6 पर चर्चा होनी चाहिएआजाद नगर टीआई द्वारा एक आदमी को इतना मारा गया,उसके अंडकोश फोड़ दिये गये, उसको नपुंसक बना दिया गया. उसके ऊपर कार्यवाही होना चाहिए.अभी तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है.पुलिस अधिकारी निलंबित नहीं हो रहा है, पुलिस के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है. छठवें नम्बर पर ध्यानाकर्षण है उस पर चर्चा होनी चाहिए
उपाध्यक्ष महोदय-- आपको अनुमति नहीं मिली. आप बैठ जाइये. छठवें नम्बर ध्यानाकर्षण की चर्चा नहीं आनी है. जितनी चर्चा आनी थी, उस पर माननीय अध्यक्ष जी ने सदन की सहमति से ही व्यवस्था थी.
डॉ. रामकिशोर दोगने-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मानवीय वेदन का प्रश्न है. उसमें पुलिस पर कार्यवाही हो. हम तो कार्यवाही की मांग कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--इस तरह से जब मन आये, तब खड़े हो जाएं, यह उचित नहीं है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी(मेहगांव)--उपाध्यक्ष महोदय मैंने जो ध्यानाकर्षण लगाया है, बहुत गंभीर समस्या है.इल्ली से लगभग सम्पूर्ण क्षेत्र की मटर और चने की फसल नष्ट हो गय मैं चाहता था कि सदन में मंत्री जी की ओर से कुछ आश्वासन आ जाता. किसानों से संबंधित बहुत गंभीर समस्या है.
उपाध्यक्ष महोदय-- कार्यवाही आगे बढ़ गयी है. बहुत सारी ध्यानाकर्षण सूचनाएँ हैं, सभी माननीय सदस्यों की महत्वपूर्ण हैं.आज केवल चार ध्यानाकर्षण लेने थे.आप बैठ जाइये.
12.59 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
उपाध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची में सम्मलित याचिकाएँ प्रस्तुत की गई मानी जाएंगी. .
समय- 1.00 बजे
प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की अवधि में वृद्धि का प्रस्ताव
समय- 1.01 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
1.मध्यप्रदेश विनियोग अधिनियम(निरसन) विधेयक, 2016(क्रमांक 11 सन् 2016) का पुरःस्थापन
विधि और विधायी कार्य मंत्री(सुश्री कुसुम सिंह महदेले)-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विनियोग अधिनियम(निरसन) विधेयक, 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहती हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग अधिनियम(निरसन) विधेयक, 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले—उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विनियोग अधिनियम(निरसन) विधेयक, 2016 का पुरःस्थापन करती हूं.
2 मध्यप्रदेश निरसन विधेयक, 2016(क्रमांक 12 सन् 2016) का पुरःस्थापन
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री(सुश्री कुसम सिंह महदेले)-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश निरसन विधेयक, 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहती हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निरसन विधेयक, 2016 के पुरःस्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश निरसन विधेयक, 2016 का पुरःस्थापन करती हूं.
3. मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि(संशोधन) विधेयक, 2016 (क्रमांक 7 सन् 2016)
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन( श्री लाल सिंह आर्य)-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि(संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि(संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
डॉ.गोविन्द सिंह(लहार)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज जो मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2016 प्रस्तुत हुआ है, मैं उसका विरोध कर रहा हूँ, विरोध इसलिए कर रहा हूँ कि अभी तक लगातार पिछले 10-12 वर्षों में जो स्टांप शुल्क है, पंजीयन शुल्क, लगातार वृद्धि होती जा रही है. कई स्थानों पर कृषि भूमि और शहरी जो प्लाट हैं, शहरी नजूल भूमि के बाद डायवर्सन की फीस के बाद, जो प्लाट की बिक्री हो रही है, पिछले 8-10 वर्षों में 300 प्रतिशत से अधिक कहीं कहीं स्टांप शुल्क की वृद्धि की गई है और पूरे प्रदेश की आम जनता को, गरीब आदमी को, छोटे छोटे मकान बनाने वाले व्यक्तियों को, हजार, पाँच सौ वर्गफुट पर अगर कोई मकान बनाता है तो उसको भी खरीदने के लिए कम से कम डेढ़ से दो लाख रुपये पंजीयन शुल्क शहरों में लग रहा है, नगर परिषदों में, नगर पालिका और नगर निगमों में तो बहुत अधिक है. लेकिन नगर परिषदों में जहाँ आबादी 15-20 हजार से लेकर 25-30 हजार तक जिन कस्बों की है, उन कस्बों में भी भारी पैमाने पर वृद्धि हो चुकी है. अभी माननीय मंत्री जी ने जो प्रावधान किया है उसमें अभी तक एक प्रतिशत जो स्टांप शुल्क लगता था, वह नगर परिषदों को मिलता था, विकास कार्यों के लिए, वह भी कभी कभी 2-2, 4-4 वर्ष मिलता नहीं था और अगर मिला भी है, जिनका हिस्सा पड़ता था उनका भी अधिकांश यहीं से ऋण के रूप में किसी अन्य काम के लिए, सरकार अपने कहीं सूखे, पाले, ओले में उसकी कटौती करके, समाप्त कर देती थी, वहाँ भेजती ही नहीं थी. आज नगर परिषदें जहाँ छोटी हैं वहाँ कर्मचारियों की स्थिति पहले से ही खराब है और जितनी हैं, वहाँ भी वेतन बाँटने की समस्या खड़ी हो रही है. विकास कार्य तो संभव हो नहीं पा रहे. अब इसके बाद आप वहाँ की जनता पर और टैक्स लगा कर, यह पैसा जो एक परसेंट बढ़ा कर दो परसेंट कर देंगे. अगर कोई व्यक्ति एक लाख की रजिस्ट्री कराता है तो दो हजार उस पर एक्सट्रा, अब एक की जगह, दो हजार पर पहुँच जाएगा. यह बिल्कुल अनुचित है. अभी लगातार पिछले 1-2 वर्षों से, जब से केन्द्र में और मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है, देश और प्रदेश की जनता को करों के माध्यम से लूटने का प्रयास किया जा रहा है. वैसे ही मध्यप्रदेश में 60 प्रतिशत से ज्यादा गरीबी के कार्ड बने हुए है. अब इसके माध्यम से, जिसके घर में थोड़ा बहुत गाढ़ी कमाई से कुछ कमाता भी है उससे भी आप वसूली करके, उसकी जेब खाली करके, उसको भी भिखारी बनाने की स्थिति में पहुँचा रहे हैं. जो आज मध्यम वर्ग का व्यक्ति है उसको भी आप स्टाम्प और तमाम टैक्स लगाकर, कहीं सेस, रेल्वे पर, कहीं विकास पर, आप समाचार पत्रों को उठाकर पढ़ो, कहीं केन्द्र का, कहीं मध्यप्रदेश का, एक परसेंट, दो परसेंट, सेस, कहीं सर्विस टैक्स, कहीं निगम का टैक्स, कहीं परिषद् का टैक्स, कहीं खनिज का टैक्स, तमाम टैक्स लगाकर, जनता को लूटने का काम भारत सरकार के साथ साथ प्रदेश की सरकार कर रही है. अतः हमारा अनुरोध है कि इसकी कोई जरुरत नहीं है, आप विकास कर नहीं पा रहे. नालियाँ बन नहीं पा रही हैं. सफाई के लिए कर्मचारी नहीं हैं, कर्मचारियों को वेतन बाँटने के लिए नगर परिषदों में पैसा नहीं, तो आप इन पैसों को और वसूल करके जनता को लूटने का काम मत करिए. जनता से वसूली मत करिए. यह बहुत अधिक है, यह अन्याय है. लगातार आपने कईं टैक्स बढ़ा दिए. डीजल, पेट्रोल पर लगातार लगा रहे हैं. पूरे विश्व में पेट्रोल, डीजल के भाव गिरे हैं. लेकिन आपने कम नहीं किए. अभी एक परसेंट और दो महीने पहले लगा दिया. इस प्रकार से हमारा सरकार से अनुरोध है कि आप अमृत सिटी, स्मार्ट सिटी, मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना, मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजनाएँ, आप मुख्यमंत्री के नाम से कर रहे हों तो मुख्यमंत्री जी लाएँ, पैसे की व्यवस्था करें. जनता से क्यों ले रहे हों फिर जनता खुद ही अपने नाम से योजना बना लेगी और अपनी योजना बनाकर चलाएगी. हमें अगर विकास करना है तो हम अपने नाम से चलाएँगे. मुख्यमंत्री का ठप्पा लग रहा है और जनता को लूटा जा रहा है इसलिए इसकी कोई जरुरत नहीं है. जिसको करना है, पेयजल योजना जो है तो चल रही है, अब व्यवस्था है नहीं, हैण्डपंप हैं नहीं, पेयजल योजनाएँ ठप्प पड़ी हैं. उपाध्यक्ष महोदय, लहार में 1 करोड़ 72 लाख की योजना बनी थी, जब हमारे स्वर्गीय आदरणीय पी एच ई मिनिस्टर थे हरवंश सिंह जी उन्होंने घोषणा की थी, जब तक कार्यवाही हुई, बनने को चालू हुई, तब तक श्रीमान् जी की सरकार आ गई, उस योजना में लाइनें बिछ गईं, पूरे पैसे का दुरुपयोग हो गया, पहले तो पाइप लाईनें घटिया थीं. जहाँ भी निकलते थे, बाजार में फव्वारे चलते थे.उसके बाद उसको ठीक कराया, जनता ने आंदोलन किया फिर दबाव में पाइप लाइनों में सुधार हुआ अब टंकी में जैसे पानी भरता है तो ऊपर से पूरा पानी निकल जाता है एक घंटे के अंदर इसके लिये जनता ने लगातार नगर परिषदों में कहा, हाई कोर्ट में पहुंचे लेकिन सरकार की नींद नहीं खुल रही है. नगरीय प्रशासन मदमस्त होकर सो रहा है उनको जनता की कोई परवाह नहीं है टैक्स लगाने की परवाह है. जनता को गरीब बनाकर क्यों (XXX) का काम कर रहे हो. हमारा आपसे अनुरोध है कि आपने जो उद्देश्य लिया है यह उद्देश्य आपका उचित नहीं है आप जनता, गरीब और मध्यम वर्ग के हित में इस टैक्स को जो बढ़ा रहे हैं एक प्रतिशत से दो प्रतिशत कर रहे हैं उसको वापिस करें और अगर संभव हो तो मैं तो यह कह रहा हूँ कि एक प्रतिशत भी समाप्त करें जीरो प्रतिशत करें.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य)-- उपाध्यक्ष महोदय, लूटने वाला शब्द निकलवा दें.
डॉ. गोविन्द सिंह--क्या, क्या निकलवा दें.
श्री लालसिंह आर्य--आपको नहीं लूट शब्द को निकलवा दें आप तो यहीं रहो (हंसी)
डॉ. गोविन्द सिंह--(XXX) तो हो ही रही है यह (XXX) नहीं है खुलेआम. गरीब बना रहे हैं मध्यम वर्ग को. सबको कटोरा लेकर भीख मांगने लायक क्यों बना रहे हो.
उपाध्यक्ष महोदय--लूट और डकैती शब्द विलोपित कर दें.
……………………………………………….
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
……………………………………………….
डॉ. गोविन्द सिंह--मैं इसका घोर विरोध करता हूँ और आपसे मांग करता हूँ कि यहां बैठे सदस्यों से कहना चाहता हूँ कि विकास नहीं होने वाला है यह वोटरों को लूटने वाला है आप लोग बोलेंगे नहीं सरकार की हां में हां मिलायेंगे तो अगली बार जनता भी आप सब को सबक सिखायेगी इसलिये आप इसको वापिस करें. अगर नहीं आता है तो वोटिंग के माध्यम से इस विधेयक को निरस्त कराने में हमारा साथ दें. आप सबको धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विधान सभा प्रारंभ हुई उससे पूर्व में कर, बजट कर प्रस्तुत हुआ तब कर और बजट के बाद जिन चीजों का उल्लेख में नहीं हो पाया था विधान सभा के पूर्व नहीं कर सके उनमें अब विधेयकों के माध्यम से कर लगा रहे हैं. इन करों का कोई उल्लेख नहीं था. उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी द्वारा मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2016 जो प्रस्तुत किया है. इसमें कर को बढ़ाने का जो संशोधन प्रस्तुत किया है उसका मैं पुरजोर विरोध करता हूँ . इस सरकार ने पहले डीजल पर एक प्रतिशत टैक्स बढ़ाया एक प्रतिशत फिक्स टैक्स बढ़ाया, पेट्रोल पर बढ़ाया, होटलों पर बढ़ गया. प्रदेश में सराफा व्यापारियों के प्रतिष्ठान पिछले एक माह से अधिक समय से बंद है वह भी सिर्फ टैक्स के कारण और यह टैक्स लगातार बढ़ाते जा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में रजिस्ट्रियों में उपकर बढ़ा दिया है इधर स्टाम्प ड्यूटी पर स्टाम्प कर बढ़ा रहे हैं. जिस तरह से सराफा व्यापारियों पर कर बढ़ाकर सराफे के प्रतिष्ठान बढ़ा दिये हैं आप रजिस्ट्रियां भी बंद कराने वाले हो लोगों की ज़द में ही नहीं रहेगा मकान खरीद पाना, भूमि या प्लाट खरीद पाना. जैसा की डॉक्टर साहब ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में कितने रेट बढ़े हैं कितना इनफ्लेशन हुआ है. इस तरह से यह कर बढ़ाना, कोई देखने वाला नहीं है कि प्रदेश की क्या स्थिति है. उद्देश्य और कारणों में आप कह रहे हैं स्वच्छ भारत मिशन आप सेल्स टैक्स पहले भी 0.6 प्रतिशत भारत सरकार लगा चुकी है स्वच्छ भारत मिशन के नाम से फिर आप इसका कारण क्यों दे रहे हो. क्या भारत सरकार से आपको पैसा नहीं मिल रहा है पैसा तो सबकी जेब से जा रहा है यह भी स्पष्ट करना चाहिये. नगरपालिका निगम अधिनियम 1956 और नगर पालिका अधिनियम 1961 यह दोनों ही अलग-अलग अधिनियम हैं अलग-अलग प्रस्तुत होना चाहिये चूंकि विभाग एक ही है उन्होंने प्रस्तुत किये इसको भी देखा जाना चाहिये और दूसरा मैं यह निवेदन करता हूँ कि स्टाम्प कर 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत किया है इसके बारे में मैं कहना चाहूंगा स्टाम्प कर बढ़ाया तो आपने है इसको वसूल कौन करता है वसूल करने के बाद उसका हिसाब कौन रखता है फिर नगर पालिका, नगरीय प्रशासन विभाग को भेजा जाता है इसमें स्टाम्प कर आप बढ़ा रहे हैं आपको सीधे वसूल करने का ही अधिकार नहीं है जिस विभाग को अधिकार नहीं है, वह स्टाम्प कर कैसे बढ़ा रहा है यह मेरी समझ में नहीं आ रहा है. जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में रजिस्ट्रियों पर, लिखतो पर और दान पर उपकर बढ़ाया; उपकर को वसूल करने का काम वाणिज्यिक विभाग करता है, इसी तरह से स्टाम्प कर को भी वसूल करने का काम वाणिज्यिक कर विभाग करता है और वाणिज्यिक कर विभाग ही इसको बढ़ा सकता है. आपने अपनी विधि में संशोधन कर लिया. मैं समझता हूं कि यह यहां से हटकर वाणिज्यिक कर विभाग में पहुंचना चाहिये. यही सबसे बड़ी विसंगति है. आप इतना कर बढ़ाते जा रहे है, आप पानी की सुविधा मुहैया नहीं करा रहे हो. प्रदेश में पानी की स्थिति नगरीय निकायों में, नगर निगमों में जबरदस्त रूप से खराब है. कई जगह सात सात दिन में, तीन तीन दिन में पानी नहीं मिल पा रहा है, लोगों को एक बार पानी मिल रहा है. आप अधोसंरचना विकास और अमृत स्मार्ट सिटी, मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास, पेयजल योजनाएं, आप जो पेयजल योजना का जो पैसा ले रहे हो तो पेयजल योजना चल रही है या नहीं चल रही है. पेयजल योजना की क्या स्थिति है, यह तो आप दिखवा लें और जो आप नगरीय सीमाओं में, नगर परिषद, नगर पंचायत , नगर पालिकाओं में और नगर निगम सीमाओं क भीतर लगातार टैक्स बढ़ाकर, जैसा कि डाक्टर साहब ने कहा मैं उसका समर्थन करते हुए, लूटने का काम जो इस सरकार ने पिछले 10 वर्षों में टैक्स बढ़ाकर जनता पर इतना बोझ ला दिया है, टैक्स के भार से. आज मैं पेपर पढ़ रहा था, कल भारतीय जनता पार्टी की मिटिंग हुई होगी और उस मीटिंग में शायद मुख्यमंत्री जी का यह कथन है कि प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता है इसमें से पांच करोड़ जनता बी पी एल के अंतर्गत कैसे है. जब मध्यप्रदेश विकास कर रहा है, आप टैक्स बढ़ा रहे हो तो यह पांच करोड़ कैसे हो गयी और उनका स्टेटमेंट भी है कि इनको कम किया जायेगा. क्या इनका जीवन स्तर उठाकर के कम किया जायेगा या फर्जी हैं इसलिये कम किया जायेगा. यह बहुत दुर्भाग्य है कि आप कर लगा रहे हो और टैक्स लगा रहे हो और आप स्वर्णिम टैक्स की बात कर रहे हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह जो टैक्स बढ़ाया है, मैं इसका पुरजोर विरोध करता हूं और इस बात की तरफ भी ध्यान दिलाना चाहता हूं कि आप यह भी स्पष्ट करें कि आप टैक्स बढ़ा रहे हो और उसको आप नहीं वसूलते हो. वसूल करने वाला दूसरा विभाग है. जो विभाग टैक्स वसूल करता है उसी को टैक्स बढ़ाना चाहिये. यह विसंगतिपूर्ण है इसको आप वापस लें. मैं समझता हूं कि इसको आप वाणिज्यिक कर विभाग को सौंपे और इस टैक्स की जैसी स्थिति है वैसे ही बना रहने दें. मैं इसका पुरजोर विरोध करता हूं और प्रदेश की जनता के हित में इसे वापस लेंगे तो उचित होगा. आपने मुझे समय दिया उसके लिये धन्यवाद्.
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश विधि नगरपालिक विधि संशोधन विधेयक का विरोध करता हूं. जिस तरह से हमारे पूर्व वक्ताओं ने बताया है. माननीय मंत्री जी मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि शासन ने स्टाम्प शुल्क प्रभार एक प्रतिशत से बढ़ाकर दो प्रतिशत कर दिया है और वित्त मंत्री इससे संशोधित संशोधन लाये थे और यह हो चुका है. इससे जो राशि मिलेगी वह नगर निकाय के कार्यों में खर्च होना है, कहीं अधोसंरचना के कार्यों में और कहीं अधोसंरचना के कार्यों में खर्च होना है, कहीं पेयजल के संकट के लिये खर्च होना है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से इस बात का अनुरोध करता हूं कि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये तो केन्द्र सरकार से भी बड़ी राशि मिलती है. उसमें स्वच्छ भारत मिशन के लिये और स्मार्ट सिटी के लिये राशि केन्द्र सरकार से मिलती है. मुख्यमंत्री जी भी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये भी राशि उपलब्ध करवाते हैं. कल ही पी एच ई विभाग से संबंधित कल पेयजल से संबंधित चर्चा हुई है, ऐसे शहरों में भी पीने के पानी की बड़ी समस्या है. अगर यह राशि आपको कर के रूप में मिलती है तो मैं समझता हूं कि पीने के पानी की समस्या और उसके समाधान के लिये अगर आप यह राशि खर्च करोगे तो मैं समझता हूं तो यह ज्यादा उपयोगी होगी. अगर आप इस राशि से प्रापर्टी खरीदने में या फिर सीमेंट,कांक्रीट के काम कराने में, नाली निर्माण के काम कराने में या अधोसंरचना के काम में खर्च करोगे तो मैं समझता हूं कि यह उतनी उपयोगी नहीं होगी. इसलिये यह जो राशि आ रही है तो कम से कम आप जून जुलाई के महिने तक आप यह सुनिश्चित करें और इस राशि का आप मानिटरिंग भी करें जिससे की इसका कहीं पर भी मिसयुस न हो. पीने के पानी की जो समस्या है उस पर आप खर्च करें तो मैं समझता हूं कि ज्यादा उपयोगी होगी.
मैं इस संशोधन विधेयक के माध्यम से इस बात का भी निवेदन करना चाहता हूं कि शहरों में रहने वाले लोगों की भी एक तो डेली पानी मिले. जितना पानी का टारगेट आपने 55 लीटर प्रति व्यक्ति जो रखा गया है उसको आप सुनिश्चित करें लोगों को साफ एवं स्वच्छ पीने का पानी मिले. आये दिन यह देखने को मिलता है कि तथा लोगों के द्वारा यह बात भी आती है कि हम शहरों के दौरे करते हैं तो पता चलता है कि पानी की टंकी इतने महीनों, इतने सालों से साफ नहीं हुई है या उसमें पानी को शुद्ध करने के लिये जो पाऊडर डाला जाता है, वह नहीं डाला जा रहा है इन तमाम बातों पर अगर ध्यान रखें तो मैं समझता हूं कि यह जो संशोधन विधेयक जिस मकसद एवं उद्देश्य को लेकर लाये हैं तो ही इसकी सार्थकता होगी यही मेरा निवेदन है. मैंने जितनी भी बातों का ध्यान आकर्षित कराया है शहरों में रहने वाले व्यक्तियों के लिये उनको शुद्ध एवं साफ प्रतिदिन पेयजल मिले, पानी की टंकिया भी साफ-सुथरी हों और उसके बाद सुचारू रूप से पानी की व्यवस्था पर जून-जुलाई तक इस शुल्क के रूप में आने वाली राशि है, उसको खर्च करते हैं तो मैं समझता हूं कि ज्यादा सार्थकता होगी एवं ज्यादा उपयोगी भी होगी मैं इस संशोधन विधेयक के माध्यम से माननीय मंत्री जी एवं माननीय सरकार से आग्रह करता हूं. धन्यवाद.
श्री लालसिंह आर्य--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य आदरणीय गोविन्द सिंह जी, आदरणीय रामनिवास रावत जी तथा आदरणीय बाला बच्चन जी तीनों वरिष्ठ सदस्यों ने इस विधेयक पर अपने विचार व्यक्त किये हैं, कुछ ने शंकाएं व्यक्त की हैं. मैं बाला बच्चन जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि नेता प्रतिपक्ष ने रचनात्मक भूमिका में एक अच्छी बात कही है मैं उनके कथन का अभिनन्दन करता हूं. स्वाभाविक रूप से वे जानते हैं तथा वे मंत्री भी रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--क्या मतलब है आपका आपने बाला बच्चन के बारे में तो कह दिया कि रचनात्मक उल्लेख किया लेकिन गोविन्द सिंह जी के बारे में कुछ नहीं कहा.
डॉ.गोविन्द सिंह--हां मंत्री जी बोल दो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--उपाध्यक्ष महोदय, दहशत देखिये गोविन्द सिंह जी का मामला है.(हंसी)
श्री लालसिंह आर्य--उपाध्यक्ष महोदय, गोविन्द के कई नाम हैं. (हंसी)
डॉ.नरोत्तम मिश्र--उपाध्यक्ष महोदय, गोविन्द सिंह जी के बारे में मंत्री जी बोल नहीं पा रहे हैं. (हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय--वैसे मंत्री जी देख नहीं पा रहे हैं गोविन्द सिंह जी जब बैठते हैं (हंसी)
श्री लालसिंह आर्य--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह जो स्टॉम्प ड्यूटी के माध्यम से हम विधेयक लाये हैं 1 प्रतिशत से 2 प्रतिशत करने के लिये उपाध्यक्ष महोदय, शासन की मंशा लोगों को परेशान करने की नहीं है, शासन की मंशा है कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा विकास के कार्यों को किया जाए. जैसा कि बाला बच्चन जी ने कहा है कि जो पेयजल योजनाएं हैं, सीवेज की योजनाएं हैं, हाऊसिंग पेरोल के मकान देने के मामले हैं उसमें भी पैसा आ रहा हैं और हम भी उसमें राशि दे रहे हैं कुल-मिलाकर 378 नगर-पालिकाएं एवं नगर-निगम हमारे पास में हैं और कहीं न कहीं सम्मानित सदस्य व्यक्तिगत रूप से भी बताते हैं कि यह पेयजल की योजना है, यह ठीक हो जाए. प्रश्नों एवं ध्यानाकर्षणों के माध्यम से भी बहुत सारी बातें आती हैं. नगरीय विकास की अधोसंरचनाएं हैं, विकास की और भी तमाम प्रकार की योजनाएं हैं उस संबंध में अभी तक हमारे पास 260 करोड़ रूपये प्राप्त हुए हैं. 75 हजार करोड़ रूपये की योजनाएं आने वाले पांच सालों के लिये 378 नगर-पालिकाएं तथा नगर-निगमों के लिये हमें करना है. अभी माननीय सदस्य जी ने कहा कि स्टाम्प शुल्क कैसे वसूलेंगे यह वाणिज्यिक विभाग वसूल करके हमको देंगे पांच प्रतिशत में से 1 प्रतिशत जनपद को जाएगा, 1 प्रतिशत नगर पालिका को आयेगा और कुल-मिलाकर के नगरीय निकायों में जहां तक अभी बात आयी है पेयजल की मैं गोरव के साथ यह कहना चाहता हूं कि 378 नगर-पालिका एवं नगर पंचायतों में कुछ स्थानों को छोड़ दें जहां समस्या आयी होगी, लेकिन हमने देवास को भी रेल के टेंकरों से नहीं बल्कि नर्मदा का जल पहुंचाकर पेयजल सप्लाई का कार्य कर रहे हैं उसमें नगर-पालिका कहीं न कहीं पैसे का भुगतान भी करती है. यह जो आपने शंका व्यक्त की है तथा बातचीत की है कि नगरीय क्षेत्रों में भी पानी का संकट पैदा नहीं हुआ है इसीलिये तो हमने अमृत योजना के तहत भी पेयजल योजनाएं ली हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना के अंतर्गत हमने कुछ लिया है, राज्य शासन, प्रति व्यक्ति को 135 लीटर पानी मुहैया कराए, इस दृष्टि से 29 शहरों में हमारी पेयजल योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, 153 योजनाएं प्रचलित हैं, यह नगरीय क्षेत्र नहीं हैं, शेष जो 222 शहरों में पेयजल योजनाओं का मामला है, हम एडीबी और विश्व बैंक से ऋण ले रहे हैं । जब हमारी अनुदान मांग आई थीं, उस समय भी हमने बात चीत की थीं, हम जर्मनी कंपनी से भी पैसा ले रहे हैं, कुल मिलाकर पैसा लेने के पीछे हमारा भाव आम जनता को सुविधा देने का है, इसलिए इस पर और ज्यादा कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है । अध्यक्ष महोदय, यह जो पैसा स्टाम्प के रूप में आएगा, यह पैसा सरकार अपने पास रखने वाली नहीं है, यह उन्हीं नगर पालिका, नगर पंचायत, नगर निगमों को देने का काम होगा, उन्होंने जो ऋण लिया है, उस ऋण को चुकाने का काम भी होगा । माननीय गोविन्द सिंह जी ने गरीबों की बात की है, मैं यह कह सकता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने बहुत स्पष्ट किया है और हाऊसिंग फॉर ऑल में 3 लाख के मकान में 2 लाख केन्द्र सरकार और 1 लाख की भूमि नि:शुल्क प्रदेश सरकार दे रही है । साढे़ छे: लाख का ऋण होगा, जो ब्याज होगा, उस पर भी अनुदान देने का काम हम करेंगे, इतनी बड़ी संरचनाएं, इतनी बड़ी व्यवस्थाएं, करने के लिए पैसे की आवश्यकता है और इसलिए यह विधेयक हम लेकर आए हैं ।
उपाध्यक्ष महोदय, मैं सभी सदस्यों से आग्रह करता हूं कि यह प्रस्ताव सर्वसम्मिति से स्वीकृत करके नगरीय क्षेत्रों में विकास का रास्ता खोलने में तीव्र गति से कार्य करें ।
श्री बाला बच्चन- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,आपने इस राशि से ऋण चुकाने की बात की है । हमारा आग्रह है कि यह कार्य जुलाई के बाद करें, तब तक पानी पिलाने के लिए यह राशि खर्च करेंगे तो ज्यादा बेहतर है ।
उपाध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि (संशोधन) विधेयक,2016 पर विचार किया जाए । प्रस्ताव स्वीकृत हुआ ।
उपाध्यक्ष महोदय- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा । प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने ।
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने ।
उपाध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने ।
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने ।
उपाध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने ।
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने ।
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश नगर पालिका विधि (संशोधन) विधेयक 2016 पारित किया जाए ।
उपाध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि (संशोधन) विधेयक 2016 पारित किया जाए ।
उपाध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगर पालिक विधि(संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए ।
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ ।
विधेयक पारित हुआ ।
अध्यक्षीय व्यवस्था
01:30 बजे सदन के समय में वृद्वि विषयक
उपाध्यक्ष महोदय- आज भोजन अवकाश नहीं होगा । आज की कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्वि की जाए मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है ।
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई ।
मध्यप्रदेश विधानसभा सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेंशन
(संशोधन) विधेयक, 2016
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेन्शन (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाये.
1.30 बजे अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेन्शन (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेन्शन (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 11 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 11 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेन्शन (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेन्शन (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा सदस्य वेतन, भत्ता तथा पेन्शन (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष वेतन
तथा भत्ता विधि (संशोधन) विधेयक, 2016
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष वेतन तथा भत्ता विधि (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष वेतन तथा भत्ता विधि (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष वेतन तथा भत्ता विधि (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2, 3, 4 एवं 5 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2, 3, 4 एवं 5 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष वेतन तथा भत्ता विधि (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष वेतन तथा भत्ता विधि (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष वेतन तथा भत्ता विधि (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ
विधेयक पारित हुआ.
मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2016
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(7) मध्यप्रदेश निरसन विधेयक,2016( क्रमांक12 सन् 2016) पर विचार.
विधि और विधायी कार्य मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश निरसन विधेयक,2016 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निरसन विधेयक,2016 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निरसन विधेयक,2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश निरसन विधेयक,2016 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निरसन विधेयक,2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निरसन विधेयक,2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(9) मध्यप्रदेश विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक,2016 (क्रमांक 11 सन् 2016) पर विचार.
विधि और विधायी कार्य मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक,2016 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक,2016 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक,2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक,2016 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय --प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक,2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग अधिनियम (निरसन) विधेयक,2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
1.38 बजे समितियों के लिये निर्वाचन की घोषणा
समय 1.42 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
अशासकीय संकल्प विषयक
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों के अनुरोध पर आज की कार्यसूची में उल्लेखित अशासकीय संकल्प बाद में लिया जायेगा. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
1.43 बजे
नियम 52 के अधीन आधे घंटे की चर्चा
दिनांक 18 मार्च 2016 को ऊर्जा मंत्री से पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 92(क्रमांक 5914) के उत्तर से उद्भूत विषय पर चर्चा
श्री रमेश मैन्दोला(इंदौर-2)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने मुझे नियम 52 के अंतर्गत चर्चा करने का अवसर प्रदान किया. अध्यक्ष महोदय दिनांक 18 मार्च 2016 की प्रश्नोत्तर सूची के पृष्ठ 27 पर मुद्रित सरल क्रमांक 92 पर प्रश्न क्रमांक 5914 जो कि नियम 46(2) के अंतर्गत परिवर्तित होकर तारांकित प्रश्न है, उक्त प्रश्न के संदर्भ में माननीय ऊर्जा मंत्री जी द्वारा जो उत्तर दिया गया है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं. अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न के संदर्भ में कहना चाहता हूं कि उपभोक्ता श्री महेश सिंह के स्कूल परिसर में विद्युत कंपनी के अधिकारियों द्वारा दिनांक 11.7.2014 को पंचनामा बनाया गया था.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य से अनुरोध करना चाहता हू कि यह तो लिखा हुआ आप दोनों के पास में है. आप क्या चाहते हैं वह बता दें.
श्री रमेश मैन्दोला -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से चाहता हूं कि जो गलत पंचनामा बनाया गया, गलत बिल की रीडिंग की गई है, और जिन अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन किया है क्या उनके खिलाफ मुकदमा कायम करेंगे और जो गलत विद्युत के बिल दिये गये हैं उनको क्या ठीक करेंगे. यह मेरा प्रश्न है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सीएमडी से हम इसकी जांच करायेंगे गलत जिन्होंने किया होगा उनके खिलाफ मुकदमा कायम करेंगे और अगर गलत बिल होगा तो उसे भी ठीक करेंगे.
श्री रमेश मैन्दोला-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि एमडी साहब खुद इस मामले में इन्वाल्व हैं, उन्हीं ने अपने अधिकारियों का बचाव किया है. इसलिये मैं चाहता हूं कि जबलपुर से किसी उच्च अधिकारी को भेजकर के इसकी जांच करा लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- जबलपुर से भिजवा देंगे.
श्री रमेश मैन्दोला-- माननीय अध्यक्ष महोदय, और जिन अधिकारियों ने नियम का, कानून का उल्लंघन किया है उनके खिलाफ आप मुकदमा कायम करेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, जिन्होंने उल्लंघन किया है उन पर कार्यवाही करेंगे.
श्री रमेश मैन्दोला-- ठीक है. मंत्री जी बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- इसको बोलते हैं instant answer .
श्री घनश्याम पुरोनिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, भवगान सब मंत्रियों की जुबान माननीय नरोत्तम मिश्र जी जैसी कर दे.(हंसी)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं आपको और माननीय नेता प्रतिपक्ष को इस बात के लिये बधाई देता हूं, धन्यवाद देता हूं कि बहुत दिनों बाद शेड्यूल तारीख तक सदन चला है. इसके लिये आपका हृदय से धन्यवाद करता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी आपको भी धन्यवाद.
सत्र का समापन
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यगण,
श्री रामनिवास रावत-- शासन के उत्तरों की बात आते ही माननीय अध्यक्ष महोदय के चेहरे पर हंसी आ जाती है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- तब का याद आ जाता है माननीय अध्यक्ष महोदय को.
अध्यक्ष महोदय-- एक बात और कि सदन की कार्यवाही देखने वाले दर्शकों की संख्या भी इस बार उल्लेखनीय रूप से बढ़ी. स्कूल कॉलेज के छात्र बड़ी संख्या में आये. इस बार लगभग साढ़े 6 हजार दर्शकों ने कार्यवाही का अवलोकन किया और कई समूहों ने मुझसे एवं माननीय मंत्री गणों से ....
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के बाहर से भी छात्र आये.
अध्यक्ष महोदय-- प्रदेश के बाहर से भी छात्र आये राजस्थान से और विधायकों से भी सीधी चर्चा की. सदन की कार्यवाही प्रतिपक्ष और सत्तापक्ष के सहयोग के बिना संचालित नहीं की जा सकती. इस सत्र में जहां सत्ता पक्ष के सदस्यों तथा माननीय मंत्रियों ने अपने दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया, वहीं विपक्ष के माननीय सदस्यों ने भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी सजकता, समर्थता और आक्रामकता के साथ किया. लोकतंत्र में सहमति असहमति, पारस्परिक सम्मान एवं संवाद के गुण निहित होते हैं. विभिन्न अवसरों पर ये गुण भी चरितार्थ हुये हैं.
कुछ नई परंपरायें भी आईं, आप सबकी सहमति से एक तो 10.30 की जगह 11.00 बजे हमने सदन प्रारंभ किया और दूसरा जिस दिन महिला बाल विकास विभाग की चर्चा थी उसमें सभी हमारी माननीय महिला सदस्यों ने भाग लिया. आसंदी पर भी सभापति के रूप में हमारी महिला सदस्य भी बैठीं, ये भी एक नई परंपरा महिला वर्ष में प्रारंभ हुई. इस अवसर पर सबसे अधिक सहयोग इस सदन के संचालन में जिनका मुझे मिला है ऐसे हमारे सम्मानीय माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं उनका अत्यंत आभारी हूं कि उन्होंने बड़ी सक्षमता से और मैं तो ऐसा मानता हूं कि मेरे से ज्यादा कुशलता से उन्होंने सदन का संचालन किया.
सभापति तालिका के सभी माननीय सदस्यों का भी आभार व्यक्त करता हूं जिनके सहयोग के बिना इस सदन के संचालन में कठिनाई हमें होती. मेरा यह मानना है कि सदन के नेता मुख्यमंत्री जी के बिना सहयोग के इस सदन को ठीक से संचालन करना शायद संभव नहीं होता. सदन के नेता जी ने भी न केवल इस संबंध में बहुत सकारात्मक भूमिका का निर्वाह किया, बल्कि अनेक महत्वपूर्ण अवसरों पर अपने हस्तक्षेप के द्वारा उन्होंने कई निर्णय भी कराए. मैं उनका भी बहुत-बहुत आभार मानता हूं.
माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी, जिन्होंने बड़ी सजगता से और बड़ी तैयारी के साथ शासन के सामने जनता की और प्रतिपक्ष की बात रखी और साथ में सहयोग भी किया, उनका भी मैं अत्यंत आभार मानता हूं.
माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी, पिछले बार माननीय मुख्यमंत्री जी ने उनको सचिन तेंदुलकर की उपाधि दी थी, किन्तु इस बार उन्होंने उसको प्रामाणित बखूबी किया, न केवल फ्लोर्स मैनेजमेंट में, उन्होंने इस बार सारे विभागों के उत्तर दे दिये. आज भी दो विभागों के उत्तर दे दिये और एक माननीय विधायक ने उनको कॉम्प्लीमेंट भी दिया.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष जी, पहले भी उनको पूर्व अध्यक्ष महोदय स्वर्गीय श्री ईश्वरदास रोहाणी जी ने सदन की ऐश्वर्या राय की उपाधि दी थी.
अध्यक्ष महोदय - अभी वर्तमान के विराट कोहली, पूर्व के सचिन तेंदुलकर. हमारे प्रतिपक्ष के माननीय सदस्य और मुख्य सचेतक श्री रामनिवास रावत जी ने भी, उनकी जो शैली है उसी आक्रामकता से और उतने ही बुद्धिमत्ता से जनता के सवालों को और प्रतिपक्ष की बात को रखा, उनके दल की बातों को रखा, मैं संसदीय कार्यमंत्री जी का और श्री रामनिवास रावत जी, मुख्य सचेतक का भी आभार मानता हूं. (माननीय सदस्य श्री अनिल फिरोजिया द्वारा माननीय सदस्य श्री सुन्दरलाल तिवारी जी का नाम लिये जाने पर) उनके कारण मुझे अनेक अनुभव प्राप्त हुए हैं.
मैं सभी माननीय मंत्रिगण का भी बहुत आभारी हूं, जिन्होंने पूरी गंभीरता से बिना किसी उत्तेजना के विभाग की बातें रखीं, चाहे वह बजट का समय हो, चाहे प्रश्नकाल का समय हो, चाहे ध्यानाकर्षण का समय हो और बड़ी सजगता के साथ माननीय सदस्यों के प्रश्नों के उत्तर दिये और उनकी आकांक्षाओं के अनुरुप अनेक बार कार्य भी किये.
मैं सभी माननीय सदस्यगण का बहुत-बहुत आभार मानता हूं, जिन्होंने इस सदन की कार्यवाही में न केवल भाग लिया, बल्कि समय-समय पर सहयोग देकर इस सदन के संचालन में अपनी महती भूमिका का निर्वाह किया. मैं आप सभी माननीय सदस्यों का भी आभार मानता हूं.
एक बात और मैं माननीय सदस्यों से कहना चाहता हूं कि हमारे सदन की सम्मान की रक्षा और स्वयं के सम्मान की रक्षा का पूरा दायित्व आप पर ही है. (मेजों की थपथपाहट)..अनेक लोग आपसे यह कहेंगे, मैंने पूरे सत्र में यह सुना कि बड़ा नीरस सत्र चल रहा है. यह हमें समाज को बताना पड़ेगा कि यहां मनोरंजन के लिए नहीं आते हैं. यहां जनता के काम करने के लिए आते हैं, इसलिए नीरसता का और मनोरंजन का प्रश्न नहीं है. ऐसी बातें इसलिए आती हैं कि कुछ उत्तेजित कर दिया जाय. मेरा आपसे अनुरोध है कि जिस सम्मान और शालीनता से जनता की भावनाएं यहां पर आईं, इसी शीलनता और सम्मान की अपेक्षा जनता को आप सबसे है और मैं सोचता हूं कि यह परम्परा आगे भी चलेगी. किसी के समझाए हमें समझना नहीं है, स्वयं के विवेक से ही काम लेना ठीक होगा.
मैं सदन के सुचारु संचालन हेतु पुनः सभी माननीय मंत्रिगण, सभी माननीय सदस्यगण के साथ-साथ विधान सभा सचिवालय के अधिकारियों, कर्मचारियों और विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों का भी आभार मानता हूं. सुरक्षा स्टॉफ, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोगों का भी मैं आभार मानता हूं, उन्होंने सदन की कार्यवाही को जनता के बीच सही ढंग से रखा है. हम सभी पावस सत्र में पुनः सम्मिलित होंगे, मैं अपनी ओर से आप सभी को और प्रदेश वासियों को चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा और चैती-चांद की शुभकामनाएं देता हूं और सबकी खुशहाली की कामना करता हूं. धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)...
संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ नरोत्तम मिश्र ) --माननीय अध्यक्ष महोदय आपने अभी जो कहा है आपकी भावनाओं में अपनी भावनाओं को तिरोहित करते हुए. मैं आपका आभार व्यक्त करना चाहता हूं. जिस कुशलता से आपने सदन का संचालन किया है, वास्तव में आप न इस पक्ष के थे और न उस पक्ष के थे आपने पूरे निष्पक्ष तरीके से सदन का संचालन किया है, पूरी कोशिश भी की, कई बार विपक्ष के साथी कभी इस पक्ष के साथी और कई बार वातावरण इस तरह का हो जाता था कि कभी एक हिलोर इधर से आती थी कभी एक हिलोर उधर से आती थी, लेकिन उन विपरित परिस्थितियों में भी आपने धैर्यता के साथ में सदन का संचालन किया है. वह पथ और वह पथिक ही क्या, जिस पथ बिखरे सूल न हों, नाविक की धैर्य परीक्षा क्या, जब धाराएं प्रतिकूल न हों. आपने उन प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आपने सदन में सामंजस्य बैठाने की कोशिश की है.
अभी आपने कहा भी है कि इस लोकतंत्र के मंदिर की गरिमा हम सबको बनाकर रखनी है. वास्तव में यह सीमेंट, ईंट और गारे का बना हुआ स्थान नहीं है. यह लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है. यह विधान सभा इसके माध्यम से भी हम सदस्यों को ताकत मिलती है, चाहे वह विपक्ष के साथी हों या वह सत्तापक्ष के साथी हों. इस घर को मंदिर को इसकी गरिमा को बचाने की जिम्मेदारी हम सब सदस्यों की है.
मैं यहां पर यह बात किसी पर व्यंग्य या कटाक्ष करने के लिए नहीं कह रहा हूं. लेकिन यह वास्तविकता भी है कि हम सबको इस बात की चिंता करना चाहिए. हमारी विधान सभा का एक इतिहास है. आज हिन्दुस्तान के अंदर हमारी विधान सभा की परंपराओं की मर्यादाओं के उद्वरण दिये जाते हैं. मेरा तो यह मानना है कि एशिया में अगर उद्वरणों में कोई विधान सभा आयेगी तो वह मध्यप्रदेश की विधान सभा होगी. इसलिए हम सबको इस बात की चिंता करना चाहिए कि हमारे आचरण के कारण से कहीं इसमें ठेस तो नहीं लग रही है. हम सबने अगर इसकी चिंता नहीं की तो वास्तव में लोकतंत्र कमजोर होगा. इस घर के निर्माण की , इस मंदिर के निर्माण की चिंता हम सबको करना होगी, क्योंकि कहा भी गया है कि दीवारों से न दरवाजों से, घर बनता है घरवालों से, अगर प्रेम का ईंट और गारा हो, हर नींव में भाई चारा हो, कंधों का छतों को सहारा हो, दिल खिड़की में उजियारा हो, लोकतंत्र हिले नहीं भूचालों से, दीवारों से न दरवाजों से, घर बनता है घरवालों से.(मेजों की थपथपाहट ) हम सबको ये भाव सदैव अपने मन में रखना चाहिेए. माननीय अध्यक्ष महोदय आपकी जो मधुर मुस्कान है, कभी कभी तो आप इतने क्रोध में दिखाते हैं कि डायबिटीज होने का डर लगता है, इतनी मिठास आ जाती है, आधी समस्याओं का समाधान तो आपकी मुस्कान करती है, आपकी विनम्रता, मैं सच में कह रहा हूं, किसी और कारण से नहीं कह रहा हूं. हमारे प्रिय नेता माननीय मुख्यमंत्री जी भी आपकी इ स बात की विनम्रता की चर्चा करते हैं चूंकि आज परिवार में कार्यक्रम था इसलिए वे यहां परउपस्थित नहीं है. लेकिन सदैव उन्होंने इस बात की चर्चा की है.
अध्यक्ष महोदय नेता प्रतिपक्ष जी ने, वास्तव में इस बार जिस तरह से जिस गंभीरता से विषयों को उठाया प्रारम्भ के दिन से, पक्ष और विपक्ष के सामंजस्य की चिंता केवल हमने नहीं की है, दोनों तरफ से सदस्यों ने की है. राम निवास रावत जी बगल में बैठे हैं मैं तो कह रहा हूं कि जोड़ी सलामत रहे वहीं पर 10 - 15 साल और रहें आप, अपने अपने प्रिय नेताओं को दिल्ली में बतायें कि आपका अनुसरण दिल्ली वाले भी करें, वहां पर भी सदन ऐसा ही चलेगा, और वास्तव में रामनिवास जी ने भी और नेता प्रतिपक्ष जी ने भी जितनी बातें कही हैं सारगर्भित कहीं हैं. लेकिन पहले दिन राज्यपाल जी के अभिभाषण पर आपका जो भाषण था बच्चन जी उसकी जितनी तारीफ की जाय उतनी कम है. बहुत शुभकामनाएं देता हूं .
श्री बाला बच्चन -- धन्यवाद्.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं नेता जी को मक्खन नहीं लगा रहा हूँ परंतु उन्होंने जिस बेबाक तरीके से अपनी बातें सदन में रखी और कभी-कभी तो वह जब घूमकर आते थे और यस कहते थे तो मुझे वह गाना याद आता था -- क्या अदा, क्या जलवे तेरे. मैं किसी का नाम नहीं ले रहा हूँ, मैं तो नेता जी का ही नाम ले रहा हूँ. बच्चन जी ने वास्तव में बहुत अच्छा सारगर्भित भाषण उस समय भी दिया, बीच में भी दिया और आज भी जब माननीय लाल सिंह आर्य जी अपना भाषण कर रहे थे तो उन्होंने भी इस बात का उल्लेख किया कि आपके सुझाव सारगर्भित हैं और लोकतंत्र भी मजबूत इसी से होता है. सिर्फ आलोचना करने से विपक्ष मजबूत नहीं होता, आलोचना अगर गुण-दोष के आधार पर की जाए, तब लोकतंत्र मजबूत होता है. हम भी विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हमने पूरी कोशिश की कि आदरणीय बच्चन जी ने, आदरणीय रामनिवास जी ने जितनी बातें कीं हम अधिकांश बातें मानने की कोशिश करें चाहे वह सदन चलाने की बात हो, चाहे सदन में संख्या बढ़ाने और घटाने की बात हो और यही सामन्जस्य इस लोकतंत्र को मजबूत करता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा उपाध्यक्ष जी ने भी उल्लेख किया कि वास्तव में आपसे अधिक समय तक रहे और उपाध्यक्ष जी जब आसंदी पर बैठकर आप व्यवस्था देते थे तो वास्तव में आप लाजवाब लगते थे. एक बार तालियां तो उपाध्यक्ष जी के लिए बनती हैं (मेजों की थपथपाहट) अध्यक्ष जी और उपाध्यक्ष जी, दोनों का मैं अपने मन से आभार व्यक्त करता हूँ माननीय मुख्यमंत्री जी की ओर से आभार व्यक्त करता हूँ. मैं तो यह दुआ करूंगा कि दोनों वर्षोंवर्ष इसी तरह से बैठे रहें, आप अध्यक्ष बने रहें, आप उपाध्यक्ष बने रहें. हम यहां बने रहें, विपक्ष अपनी जगह बना रहे. मैं तो दुआ ही कर सकता हूँ, ब्राह्मण आदमी हूँ.
श्री कमलेश्वर पटेल -- आप नहीं चाहते कि माननीय अध्यक्ष महोदय 1 नंबर की सीट पर आएं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे गोविन्द सिंह जी वास्तव में नेपोलियन हैं, कद के छोटे पर हैं पर नेपोलियन हैं. डॉ. साहब हंस रहे हैं, आपका मुस्कुराना गजब ढा गया, डॉ. साहब जब हंस दें तो वैसे ही गजब हो जाता है. मैं डॉ. साहब का भी आभार व्यक्त करता हूँ. अभी हमारे संत शिरोमणी, मर्मज्ञ, आदरणीय श्री मुकेश नायक जी नहीं हैं. अध्यक्ष जी, आपने कहा कि आपने माननीय श्री सुंदरलाल तिवारी जी से बहुत सीखा, मैंने इनके पिताजी से बहुत सीखा, पर पता नहीं उनसे कहां त्रुटि रह गई, मैं कह नहीं सकता. (हंसी)
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी कहा कि मुझे आप भी सिखाएं, मैं आपसे सीखना चाहता हूँ और जब मैं सीखना चाहता हूँ तो आप सिखाते नहीं चुप हो जाते हैं. आपका लंबा अनुभव है आप सिखाएं हम ग्रहण करने की कोशिश करेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- हे व्यवधान पुरुष, आप स्थापित तो हों, मैं तो कह रहा हूँ कि मैंने आपके पिताजी से बहुत सीखा. पर पता नहीं उनसे कहां त्रुटि रह गई, मैंने इतनी बातें कहीं, मैंने तो आपका नाम ही नहीं लिया और किसके प्रति त्रुटि रही, यह भी मैंने नहीं कहा, आप कार्यवाही निकलवा के देख लें. मैंने किसी का कोई उल्लेख नहीं किया पर माननीय अध्यक्ष महोदय, विपक्ष के सभी सम्माननीय साथियों ने जिस संजीदगी के साथ, जिस आक्रमकता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया, मैं सभी सम्मानीय सदस्यों को तहेदिल से साधूवाद देता हूँ और आभार करता हूँ. मैं बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों का भी आभार व्यक्त करता हूँ, दल के नेता सखवार जी बैठे हैं मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूँ. दोनों बहनें मेरी अभी यहां पर नहीं हैं मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूँ. साथ ही साथ मैं निर्दलीय सदस्यों का भी आभार व्यक्त करता हूँ कि सदन की कार्यवाही में आज समापन के समय हमने इतिहास बना दिया है कि 16 साल बाद इस तरह से कार्यवाही चली और इतने सारे घंटे कार्यवाही चली. मैं इस सचिवालय का आभार व्यक्त करता हूँ जो आदरणीय भगवानदेव ईसरानी जी के नेतृत्व में इस कुएं में बैठा हुआ है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सम्माननीय सदस्य कभी-कभी कुएं में आते हैं, ये तो परमानेंट कुएं के अंदर बैठे हुए हैं और इस कुएं के माध्यम से विपक्ष की बात, हमारी बात इस प्रदेश की जनता के सामने सकारात्मक रूप से जाती है, सकारात्मक पहलुओं के साथ में जाती है और इससे हमारी जनता अवगत भी होती है और यही कारण है कि आपने भी उल्लेख किया कि इतनी बड़ी संख्या में इस बार दर्शक इस विधानसभा को देखने आये. हमारी विधानसभा की तरफ रुझान भी बढ़ने के पीछे कारण है कि चर्चा इस बार पूरे प्रदेश में यह भाव गया कि सारगर्भित चर्चा हो रही है, यहीं से यह भाव निकल के जाता है, हमारी चर्चाओं के माध्यम से जाता है और मैं आप सबका भी आभार व्यक्त करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे मार्शल जो ड्यूटी पर लगे हुए हैं. हमारी सुरक्षा में बाहर के भी जो अधिकारी कर्मचारी आये,उनका आभार व्यक्त करता हूँ और खासकर आभार मैं प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया का भी करता हूँ कि जिन्होंने इस सदन की बात को सकारात्मक रुप से, भावनात्मक रुप से, जनता तक पहुंचाने में इस प्रजातंत्र को मजबूत करने में जो हमारे सम्मानित पत्रकार बंधुओं ने, प्रिंट और मीडिया ने जो भूमिका निभायी है, मैं तहेदिल से उनका बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूँ और इस कार्यवाही में जो हमारा यहां पर डिसीजन के पहले डिस्कशन हुआ, उस डिस्कशन को भी उन्होंने जनता के बीच में पहुंचाने में जो भूमिका अदा की, हम उनका भी आभार व्यक्त करते हैं. सुरक्षा स्टाफ का मैं जिक्र कर ही चुका हूँ, सचिवालय का, इन सभी का मैं मन से आभार व्यक्त करता हूँ. सभी सम्मानित विधायकों का, सत्ता पक्ष के और विपक्ष के, उन सबका भी मैं आभार व्यक्त करता हूँ. हमारे दल के नेता माननीय मुख्यमंत्री जी की ओर से आभार व्यक्त करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात मैं जरुर कहूंगा कि हमारे साथी इस बार हमारे बीच में नहीं रहे थे, यह एक ऐसा प्रसंग था कि चलते हुए सत्र में और हमारे कुछ रिश्तेदार नेता जी के भी इस बीच में नहीं रहे, यह बीच में दो बार ऐसे दु:खद प्रसंग आये थे. उसके बावजूद भी हम सबने उस विपरीत परिस्थिति में भी अपने आप को एकीकार करके इस लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए, इस लोकतंत्र के मंदिर को मजबूत करने के लिए लगातार कोशिश करते रहे. मैं नेता जी, एक बार पुन: आपका आभार व्यक्त करता हूँ. माननीय विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष जी का आभार व्यक्त करता हूँ कि इसी तरह से हमारा यह सत्र लगातार और गरिमामय तरीके से चलता रहे और इस मध्यप्रदेश की विधानसभा का इतिहास, इस मध्यप्रदेश की विधानसभा का गौरव हिन्दुस्तान में सर्वोच्च शिखर पर हो. बहुत बहुत आभार और धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय-- एक बात रह गयी, संसदीय कार्य मंत्री जी बारहवीं, तेरहवीं और चौदहवीं विधानसभाओं को यदि मिला लिया जाए तो 10 वर्षों से अधिक समय से संसदीय कार्य मंत्री हैं, जो अपने आप में एक रिकार्ड है. मैं उनको इस बात की भी बधाई देता हूँ. (मेजों की थपथपाहट)
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट सत्र का आज समापन है और समापन अवसर पर मुझे भी बोलने का अवसर मिल रहा है. मैं सर्वप्रथम पूरे सत्र में जो घटित हुआ है, जो देखा है, जो अनुभव किया है, उसका मैं उल्लेख करना चाहता हूँ और उसके बाद फिर मैं सभी को धन्यवाद दूंगा. मैं अभी माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी को सुना, आप सभी ने सुना. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तो यह बिलकुल आपने ठीक कहा, सही कहा है कि आज वह संशय समाप्त हुआ. 29 तारीख को जब आये, तब वेकेशन के समय में भी यह संशय बना हुआ था, यह अंदेशा बना हुआ था और बार बार सभी के द्वारा यही बात पूछी जाती थी, कही जाती थी कि क्या सत्र पूरे समय तक चलेगा. कभी कभी आप, हमारे बीच में भी, माननीय अध्यक्ष महोदय के बीच में भी, माननीय उपाध्यक्ष महोदय के बीच में भी, मंत्रिगणों और विधायक साथियों के बीच में भी आपस में भी यह चीज होती थी और एकदूसरे से डिस्कशन करते थे, आज वह संशय समाप्त हुआ और यह बिलकुल आपने ठीक कहा कि कई वर्षों बाद पहली बार विधानसभा के जितने दिन निर्धारित हुए थे, उतने दिनों तक विधानसभा चली. उसका इस सदन में जिन जिन भी साथियों ने, जिस जिस भी रुप में पार्टिसिपेशन किया है, उस सब को धन्यवाद जाता है कि विधायक साथियों को, जैसा मुझे कुछ विधायक गणों का ध्यान है कि कहीं कहीं विधायकों को कुछ कुछ मामलों में अगर समय के लिए कहीं कुछ विधायक साथियों के द्वारा यह बात आई थी कि हमको विधायक होने के बाद समय के लिए गिड़गिड़ाना पड़ता है, तो मैं समझता हूँ कि आगे भी इस बात का ध्यान रखा जाएगा तो ज्यादा बेटर होगा. जहाँ कुछ एकाध सत्तापक्ष के जो पूर्व मंत्रीगण रहे हैं, जैसा आदरणीय कैलाश चावला जी या जगदीश देवड़ा जी, उनका जो ध्यानाकर्षण था और उसके बाद फिर वे कैलाश चावला जी तो लगभग ग्यारह, साढ़े ग्यारह बजे तक तो यहीं पर थे. ये सारी चीजें, इन सभी का, माननीय मंत्री जी, मैंने आईने की बात इसलिए की थी कि आईना रूपी ही यह सदन है. इसमें न केवल हम हमारी तस्वीर केवल आईने में हम खुद नहीं इस तस्वीर में देखते हैं, मैं समझता हूँ कि हमको हमारी तस्वीर दिखाने के लिए भी यहाँ सभी तरह के व्यक्ति, लोग, मौजूद रहते हैं, सबकी नजर और सबका ध्यान हमारी तरफ होता है तो आप इन चीजों को भी, अगर कहीं ऐसी परिस्थिति या स्थिति क्यों बनी है, इन सभी चीजों का हमारा भी, आपका हमारी ओर, हमारा आपकी ओर, ध्यानाकर्षित होता ही है. एकाध मामला मुझे, जैसा ओमप्रकाश सखलेचा जी की भी बात मैं उस दिन सुन रहा था. आपने शायद इस बात को बोला था और एक मामला देवेन्द्र वर्मा जी का आया था जिसमें माननीय मंत्री जी, 15-20 विधायकों को खड़ा होना पड़ा था. आप आने वाले सत्रों में, अगर इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो मैं समझता हूँ कि हम और गरिमामय की ओर जो ले जाना चाहते हैं हाउस को, जरूर गरिमामय की तरफ हाउस जाएगा. दूसरी चीज, जो डिस्कशन होगा, डिबेट होगी, तो जरूर उसका असर तंत्र पर भी बनेगा. अभी यह जो सत्र चला है. पूरे सत्र के दौरान यह बातें निकल कर आई हैं और जो जो विधायकगण क्षेत्र में गए हैं उनको यह लगा है, मतलब सरकार के ऊपर भी एक कसावट आई है. तंत्र के ऊपर एक अंकुश लगा है. मैं समझता हूँ कि हाउस चलने के बाद और हाउस के ही कारण यह सब हुआ है.
अध्यक्ष महोदय, जहाँ तक बात धन्यवाद देने की आती है तो मैं बताना चाहता हूँ, इसके बाद एकाध बात विधायकों का कहीं कहीं अगर ऐसा लगा है, कहीं विधायकों को अगर लगा है कि कोई अवमानना हुई है या हमने जो मुद्दे उठाए हैं उसमें बराबर या प्रॉपर कोई जवाब नहीं मिले हैं तो मैं समझता हूँ कि इसमें एक बात जो मैंने मार्क की, वह मैं बताना चाहता हूँ कि कुछ मंत्रियों का तो अच्छा परफार्मेंस रहा है, उस परफार्मेंस से, जवाबों से यह लगा है कि उनकी रुचि है, उनकी पकड़ है और कुछ मंत्रीगणों का ऐसा लगा है कि कम रुचि है या विभागों पर कम पकड़ है, वह भी कहीं कहीं ऐसा लगा है तो माननीय मंत्री जी, आप इस बात का भी आगे जो हाउस चले तो ध्यान रखिए जिससे कि प्रॉपर हमारे विधायकों की और रुचि बढ़ सके. अध्यक्ष महोदय, मैं इसके लिए.....
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र)-- नेता जी, आपने दो सम्मानित विधायकों का उल्लेख किया, सखलेचा जी और वर्मा साहब का, उनका हम पूरा ध्यान रखेंगे, गरिमा के लिए, लेकिन आप भी ध्यान रखें यह अर्धनग्न या डंडा या कमंडल लेकर इस तरह से लोग न आएँ. सभी मंत्रियों ने अच्छा परफार्म किया है.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आ ही रहा था, हमारे जो दो विधायकगणों को, जो गाँधी जी के आँदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ा. वह कहीं न कहीं सरकार का ध्यानाकर्षित कराने के लिए था. कहीं ऐसी नौबत न आए इन बातों का भी ध्यान रखें क्योंकि अभी सत्र समापन की ओर है....
डॉ नरोत्तम मिश्र-- ध्यानाकर्षित करने के लिए यह स्थान है, बाहुबल के लिए नहीं है, बुद्धिबल के लिए है. यहाँ बाहुबल का नहीं, बुद्धिबल का प्रयोग हो, तरकश के साथ आएँ.
श्री बाला बच्चन-- ठीक है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपका, मैं तहेदिल से आपकी तारीफ करता हूँ. मैं आपको धन्यवाद देता हूँ और उतना ही धन्यवाद मैं माननीय उपाध्यक्ष महोदय को भी देता हूँ. कहीं पर भी आपने जो शंकाएँ थीं, वे बिल्कुल समाप्त हुईं और मैंने शुरुआत में यह बात कही थी कि आज यह सत्र जो समापन की ओर है. आपने इस बात का बराबर ध्यान रखा कि जहाँ जो तय होता था, चाहे वह हमारी कार्य मंत्रणा की बात और जो एजेण्डा हाउस का तय होना और उसको किस तरह से अमल कराना, विधायकों को किस तरह से परफार्म करने के लिए किसको कितना, किस पार्टी को जो टाइम अलाटमेंट के अनुसार जो देना, बराबर आपने उसका ध्यान रखा माननीय अध्यक्ष महोदय और यह जो पिछले कुछ सत्रों से यह सोच जो बन गई थी हाउस चलता नहीं और और उसके बाद फिर हम क्यों तैयारी करें, विधायकगण भी हमारे निराश होते थे और वे भी उतनी तैयारी से नहीं आ पाते थे. अब मुझे यह जरूर लगता है कि आने वाले सत्र में इससे बेटर तैयारी करके सदन के हमारे सभी साथीगण तैयारी करके आएँगे. सभी साथीगण तैयारी करके आयेंगे, इस लायक आपने और उपाध्यक्ष जी ने बनाया है आपने समय दिया है मोटीवेट किया है हमें जहां-जहां सहयोग की आवश्यकता थी आपने किया है उसके लिये मैं मेरी तरफ से तथा मेरे दल के सभी साथियों की तरफ से विधायकगणों की तरफ से आपका और माननीय उपाध्यक्ष जी का बहुत बहुत धन्यवाद करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्रीजी ने हमारी बातों को सुना, व्यवस्थायें भी दी हैं मैं माननीय मुख्यमंत्रीजी का मैं मेरी तरफ से तथा मेरे दल के सभी साथियों की तरफ से विधायकगणों की तरफ से धन्यवाद अदा करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब बात आती है माननीय संसदीय कार्य मंत्री महोदय की. जब हाउस चलेगा तब ही तो संसदीय कार्य मंत्रीजी के कार्य का पता चलेगा हाउस चला बराबर और माननीय संसदीय कार्य मंत्रीजी मैं मेरी तरफ से तथा मेरे दल के सभी साथियों की तरफ से विधायकगणों की तरफ से धन्यवाद करते हैं. आप कहीं भी समय में या चर्चा में कोताही करते हुए नहीं लगे कहीं ऐसा नहीं लगा कि आप बचना चाहते भागना चाहते हैं बराबर आपने सहयोग दिया है उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे मुख्य सचेतक श्री रामनिवास रावत जी, डॉ. गोविन्द सिंह जी ने उनके बाद जो वरिष्ठ विधायकगण हैं उन सबका भी मैं धन्यवाद देता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्रीगणों ने भी प्रयास किया है कोशिश की है जहां कहीं आवश्यकता पड़ी है और ऐसा लगा है कि हमें भ्रमित किया जा रहा है. पिछले सत्र और उसके पहले वाले सत्र में कोई बात आई थी वह प्रश्नों के माध्यम से रिपीट हुई तो मंत्रियों ने एक्शन लिया जहां पनिशमेंट देना था वह दिया, मैसेज दिया इससे कसावट आई है इसके लिये संबंधित विभाग के मंत्रियों का धन्यवाद करता हूँ. मैं मेरी तरफ से तथा मेरे दल के सभी साथियों की तरफ से विधायकगणों की तरफ से धन्यवाद करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, विधान सभा के प्रमुख सचिव साहब और सचिव साहब दोनों का, सभापति तालिका के जो प्रतिवेदकगण हैं उन सबका मैं धन्यवाद देता हूँ. पार्टी के सभी विधायक साथियों का तो मैं धन्यवाद कर ही चुका हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो प्रहरी की तरह हम सब पर नजर रखते हैं हमको आईना दिखाने वाले इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया के साथी जो गैलरी में बैठे हैं हर बात का उन्होंने बराबर ध्यान रखा है.
श्री सत्यप्रकाश सखवार (अम्बाह) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज विधान सभा समापन की ओर है और मैं अपनी ओर से और अपने दल की ओर से धन्यवाद् देता हूं. सर्वप्रथम सम्माननीय अध्यक्ष जी जिन्होंने एक सफल विधान सभा के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभायी है. उन्हें मैं बहुत बहुत धन्यवाद् करता हूं. दूसरा हमारे सम्माननीय उपाध्यक्ष जी जो काफी वरिष्ठ सदस्य हैं, उनको काफी लम्बा अनुभव है. मैं उनका भी बहुत बहुत धन्यवाद् करता हूं. हमारे संसदीय कार्य मंत्री सम्माननीय मिश्र जी, जिन्होंने हर चीज का उत्तर बहुत प्रसन्न होकर सभी लोगों को अपनी योग्यता से दिया है. उन्हें भी मैं धन्यवाद् करता हूं. हमारे नेता प्रतिपक्ष जी, उनका तर्क, उनकी योग्यता और इनका सरकार के ऊपर किस प्रकार से आक्रमण करने का जो जजबा देखा है. उन्हें मैं अपनी ओर से और अपने दल की ओर से उन्हें धन्यवाद् करता हूं.
हमारे सम्माननीय ईसरानी जी बहुत ही योग्य, मिलनसार और कर्मठ प्रमुख सचिव हैं. उन्होंने अपनी टीम के साथ में बहुत ही अच्छी भूमिका निभायी है. बहुत ही मेहनत के साथ निभायी है, उनका मैं बहुत बहुत धन्यवाद् देता हूं.
विधान सभा के सुरक्षा अधिकारी उन्होंने भी अपनी योग्यता के साथ और पूरी मेहनत के साथ अपनी भूमिका अदा की है, उनका भी मैं धन्यवाद करता हूं. सभी विधान सभा के सभी मंत्रिगण जिन्होंने बखूबी प्रश्न के उत्तर दिये हैं, जनता की जो बात विधायकों के द्वारा उठायी गयी, उन सभी मत्रिगणों का धन्यवाद् अदा करता हूं.
अंत में जो हमारे मिडिया के साथी हैं, जिन्होंने एक तपस्या के रूप में सुबह से शाम तक बैठे रहकर उन्होंने विधान सभा से संबंधित जो भी बात है, उनको जनजन तक पहुंचाने का काम किया है. उन्हें मैं अपनी और अपने दल की ओर से और हमारे सभी साथियों की और से उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद् देता हूं. यह लोकतंत्र है, यह सत्ता का मंदिर है, यह सब हमारे सोच पर निर्भर करता है. हम अच्छी सोच के साथ इसका संचालन करेंगे. पूरे देश की जनता को और यह जनता का मंदिर है, सत्ता का मंदिर है उसका फायदा होता है.
बाबा साहब अम्बेडकर जी ने कहा था कि लोकसभा और विधान सभा यह सत्ता के मंदिर हैं. जनता के सारे भाग्य यहां से लिखे जाते हैं. आज विधान सभा का समापन है. इसमें आप सभी लोगों ने इसमें अपनी महति भूमिका निभायी है. मैं अपनी ओर अपने दल की ओर से और सभी सदस्यों की ओर से मैं बहुत बहुत धन्यवाद् करता हूं.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह (उपाध्यक्ष महोदय)--माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं आपका अत्यन्त आभारी हूं कि आपके कुशल नेतृत्व में विधान सभा का सत्र चला और उसमें एक रिकार्ड बनाया और जिस तरह से यहां पर चर्चाएं हुईं लोगों ने ज्वलंत मुद्दे उठाये जो कि जनता से संबंधित हैं वह अपने आप में एक मिसाल बना है. आपमें शीलनता‑विद्वता और सभी दोनों तरफ बैठे लोगों की भावनाओं तथा उनके उद्देश्यों को समझकर जो आप निर्णय लेते हैं, वह अपने आप में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह 39 दिन का जो सत्र चला इसमें आपका योगदान तो है ही, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री आज सदन में नहीं हैं उनके परिवार में एक कार्यक्रम है अथवा वे ऐसे मौके चूकते नहीं हैं. बिना उनकी मंशा के यह सदन 39 दिन नहीं चल सकता था चूंकि हम सभी जानते हैं कि सत्र कितने दिन चले, यह विधान सभा तय नहीं करती, यह सरकार तय करती है. माननीय मुख्यमंत्री जी की प्रतिबद्धता और उन्होंने जो कार्य-मंत्रणा समिति में आश्वासन दिया था कि सत्र पूरे 39 दिन चलेगा, यह सत्र 39 दिन चला. आज उनके समापन भाषण की कमी कुछ महसूस हो रही है चूंकि वह एक प्रखर वक्ता हैं और ऐसे वक्ता जो जमीन की छोटी से छोटी हकीकत और बड़ी बड़ी राजनीति को कैसे पिरो दें, यह क्षमता उनमें है, यह अध्ययन है, यह पकड़ है उनमें, वह कमी तो महसूस हुई उनका मैं आभारी हूं उन्होंने यह सदन चलवाने में महत्ती भूमिका एवं समय समय पर आये और महत्वपूर्ण मुद्दों पर उन्होंने चर्चा की अनुमति दी तथा खुद ने भी भाग लिया, लेकिन अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहूंगा कि माननीय संसदीय मंत्री जी ने उस कमी को कुछ हद तक पूरा किया, यह भी बहुत कुशल वक्ता हैं और धारा को किस तरफ मोड़ देना उनको बखूबी आता है निसंदेह उनसे भी सीखने लायक है. विधान सभा एवं सरकार के राम सेतु के रूप में काम उन्होंने किया है उनकी हमेशा उपस्थिति सदन में देखी गई यदा-कदा ही मौके आये होंगे जब उनका हस्ता हुआ चेहरा तथा तिलक लगा लल्लाट जिसे कहते हैं, हम लोगों ने न देखा हो, ऐसा नहीं है. उनका जो सहयोग रहा है, वह फतह ही कर रहे हैं वह पीछे नहीं हट रहे हैं.
यशपाल सिंह सिसोदिया--नर में उत्तम हैं इसलिये नरोत्तम जी हैं.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, बाला बच्चन जी जो कि प्रभारी नेता प्रतिपक्ष हैं उनका भी बड़ा प्रभावी प्रदर्शन रहा है और मैं कहूं तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिये कि एक नयी खोज निकली है चूंकि बालाजी 1993 से जानता हूं जब वह पहली बार विधायक चुनकर के आये थे मैं उधर बैठा करता था, जब मंत्री था तब से आज मैं बहुत पानी नर्मदा के सेतु से बह गया है और वह बड़े ही कुशल वक्ता के रूप में और चीजों को बारीकी से पकड़ने की उनकी जो क्षमता है, उनको विकसित किया है.
उपाध्यक्ष महोदय- यह प्रशंसनीय है, हमारे मुख्य सचेतक जी, रामनिवास रावत जी, अकेले ही सरकार को घेरने में सक्षम हो जाते हैं, उनकी कुशलता का क्या कहना, बड़ा अध्ययन है, कानून का भी अध्ययन है, मैंने कुछ ही लोगों को देखा है जो सभी विधेयकों पर चर्चा करते हैं, विधानसभा के बहुत सारे काम हैं, लेकिन सबसे कठिन काम होता है, जो सबसे महत्वपूर्ण काम होता है, विधानसभा का अहम काम होता है, कानून बनाना, विधेयक बनाना, लेकिन हर विधेयक पर मैंने उनको चर्चा में भाग लेते हुए देखा है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, 39 दिन का यह रिकार्ड बना है और इस क्षण के हम साक्षी हैं । जैसा कि बताया गया, उल्लेख किया गया, 15 वर्षों बाद ऐसा अवसर आया है, हजारों प्रश्न लगे, ध्यानकर्षण की सूचनाएं आई, कई तरह की चर्चाएं, परिचर्चाएं आईं, महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई, सूखे पर चर्चा हुई, ओले पर चर्चा हुई, पेयजल समस्या पर चर्चा हुई, विपक्ष ने जो भी चर्चा मांगी, बड़ी सह्रदयता से मुख्यमंत्री जी ने, संसदीय कार्य मंत्री जी ने और आपने उसको स्वीकार किया और यहां पर चर्चा हुई ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन चर्चा और परिचर्चा के लिए ही है, मैं मानता हूं कि प्रदर्शन के लिए नहीं है, जैसा संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा, मैं उनसे सहमत हूं, वाद विवाद के लिए है, डिबेट और डिस्कसन के लिए है और जब यहां डिबेट डिस्कसन, वाद विवाद होते हैं तो बहुत सारी ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जैसे समुद्र मंथन में अमृत निकला, ऐसी चीजें भी सामने निकलर आती हैं, जो कभी कभी हम उम्मीद नहीं करते, यह परम्परा हमेशा कायम रहनी चाहिए, उत्तेजना के क्षण आते हैं, आरोप प्रत्यारोप लगते हैं, लेकिन सभी माननीय सदस्यों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए, कि हम किस उद्देश्य के लिए यहां पर आए हैं, हम यहां पर इसलिए आए हैं कि कानून बनाएं, जनता के हित के लिए कानून बनें विकास की चर्चा हो प्रशासनिक कसावट आए और समाज में अंतिम पंक्ति पर जो व्यक्ति है, उस तक हर तरह का न्याय पहुंचे, उसको सुविधाएं मिलें, उसका सम्मान बढ़े, इसलिए हम सब लोग यहां मिलकर चर्चा करते हैं, हम लोगों की सोच अलग अलग हो सकती है, हम सब इंसान हैं, कोई रोबोट नहीं हैं, कोई मशीन नहीं हैं, अगर हम रोबोट होते तो संभवत: आप आसंदी से बटन दबा देते और सभी उसी भाषा में बोलते, कोई फर्क नहीं आता, एक अक्षर का भी फर्क नहीं आता, चूंकि ईश्वर ने सबको बुद्वि दी है और लोगों में ज्ञान भी है । माननीय सदस्य लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, बहुत सारे अनुभवी लोग हैं, यहां पर अपने अपने नजरिए पेश किए जाते हैं, जैसा कि लोकतंत्र का तकाजा है कि जो बहुमत है, अंततोगत्वा उसका सम्मान किया जाता है, यह हमेशा होते रहना चाहिए, संसदीय प्रजातंत्र एक ऐसी प्रणाली है, शायद दूसरी ऐसी कोई प्रणाली नहीं जो इसकी बराबरी कर सके । राजनीति शास्त्र में हम लोगों ने अध्ययन किया है, मैं भी इंजीनियर होने के साथ साथ राजनीति शास्त्र का विद्यार्थी रहा हूं और मुझे याद है ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधान मंत्री विंस्टल चर्चिल जो भारत के प्रति बहुत सद्भावना नहीं रखते थे, उनका एक स्टेटमेंट पढ़ा था कि Parliamentary democracy is the worst form of government but there is no other form known better then this कि संसदीय प्रजातंत्र सबसे खराब व्यवस्था है, लेकिन दूसरा ऐसा कोई तंत्र नहीं जो इससे बेहतर हो ।
यह विंस्टल चर्चिल ने कहा था. वे हिन्दुस्तान के हिमायती नहीं थे लेकिन विद्वान थे, अनुभवी थे. उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे. जब जर्मनी आक्रमण कर रहा था और ऐसा लगता था कि ब्रिटेन टूट जायेगा, गुलाम हो जायेगा लेकिन कुशल नेतृत्व में विंस्टल चर्चिल ने, ये चीजें कही थीं. इसलिए हमें संसदीय प्रजातंत्र को अक्षुण्ण रखना है, इसे कायम रखना है, इसको मजबूत बनाना है.
अध्यक्ष महोदय, समय के साथ हर चीज बदलती है, परिवर्तन आता है. समय गतिमान होता है. हम किसी चीज को रोक नहीं सकते हैं. आवश्यकता किसी आम आदमी की, गरीब आदमी की- उसके अनुसार हम यहां चर्चा करें, नियम बनायें, कानून बनायें, उसके विकास की बातें करें. मैं समझता हूँ कि तभी इस सदन की प्रासंगिकता होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश विधानसभा ने पूरे भारत में जो मानदण्ड स्थापित किये हैं, यहां की जो गरिमा है. हमारे संसदीय कार्यमंत्री एशिया की बात कर रहे थे. मैं तो कहता हूँ कि विश्व में एक उदाहरण बने. यह सौभाग्य मुझे मिला है. मैंने यू.एस. कांग्रेस सदन के अन्दर जाकर नहीं देखी है, सीनेट नहीं देखी है मगर मैं, हाउस ऑफ कामन्स गया था. वहां का तो नजारा ही दूसरा होता है. वहां एक माईक लगा होता है और कभी-कभी तो बहुत हंगामा खड़ा हो जाता है. लेकिन जब बात देश हित, समाज हित एवं आम आदमी के हित की होती है तो पूरी तरह से सन्नाटा खिंच जाता है, जिसको 'पिन ड्रॉप साइलेन्स' कहते हैं कि अगर सुई भी गिर जाये तो उसकी भी आवाज आ जाये, वह मैंने देखा है. लेकिन मध्यप्रदेश की विधानसभा को अगर हम देखेंगे और दोनों को तोलेंगे तो मैं अपनी विधानसभा को 19 नहीं मानता हूँ, 21 मानता हूँ. (मेजों की थपथपाहट) इसकी गरिमा और बढ़े.
अध्यक्ष महोदय, आपने न्याय आसन्दी पर बैठकर एवं व्यवस्थायें देकर इस आसन्दी का कद बढ़ाया है और निस्संदेह सभी माननीय सदस्यों का दायित्व और कर्तव्य है कि इस आसन्दी के सम्मान की रक्षा करें क्योंकि आसन्दी ही गार्जियन है और आसन्दी का सम्मान रहेगा तो सबका सम्मान बना रहेगा. यह एक कटु सत्य है. यहां पर जो चर्चायें हुईं, बड़ी सारगर्भित चर्चाएं थीं. मैं सभी माननीय मंत्रियों का आभार व्यक्त करता हूँ कि सबने कुशलतापूर्वक उत्तर दिये हैं, वे पूरी तैयारी से आये हैं. यह बात भी सही है कि उनके साथ जो अधिकारी एवं कर्मचारी हैं, उनको भी देर रात तक बैठना पड़ता है, ब्रीफिंग करते हैं, जानकारियां मंगाई जाती हैं और मैं यह कहूँ कि हम सबको यह मान लेना चाहिए कि माननीय मंत्रिगण जो कार्य सामान्य दिवसों में करते हैं और जब विधानसभा चलती है तो जो काम होता है, तो उनको बेहतर जानकारी मिलती है कि उनके विभाग में क्या हो रहा है ? कहां कमी है ? कहां और सुधार की गुंजाइश है ? कैसे कसावट लाना है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विधानसभा के चलने में माननीय मंत्रिगणों को भी इससे फायदा मिलता है, नुकसान नहीं होता है. इस दृष्टि से हमें देखना चाहिए कि हमें रात को बैठना पड़ेगा, ब्रीफिंग होगी. समय जाया होगा. माननीय मंत्रिगणों ने सकारात्मक तरीके से इसको लिया है, खिलाड़ी भावना से लिया है. मैं सबका आभार व्यक्त करता हूँ. मैं प्रभारी नेता प्रतिपक्ष एवं रावत जी का कर ही चुका हूँ. सभी माननीय सदस्यगणों का आभार व्यक्त करता हूँ. सभी माननीय सदस्यों ने कितनी उत्सुकता से चर्चा में भाग लिया है. उनमें कितनी ललक थी कि 2 मिनिट में हमारा भी नाम जुड़ जाये. हमें भी 2 मिनिट मिल जाये, भले वे 5 मिनिट लेते थे लेकिन कहते तो 2 मिनिट ही थे. लेकिन वह 2 मिनिट का जुमला है. मैं इससे सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि कितनी ललक थी सब में, कितना ये लोग भावनाओं से जुड़े हुए थे कि जनता की समस्याओं को यहां उठायें, क्षेत्र के विकास की गति को हम आगे बढ़ायें. तो मैं सभी माननीय सदस्यों का आभारी हूं. हमारे विधान सभा के प्रमुख सचिव जी, भगवानदेव जी ईसरानी और हमारे सचिव महोदय, ए.पी. सिंह जी और सभी जितने हमारे सचिवालय के कर्मचारी हैं, इनके साथ अधिकारी हैं. सब माननीय लोग नहीं जानते होंगे, यह आप जानते हैं, हम जानते हैं, संसदीय कार्य मंत्री जी भी जानते होंगे कि जब विधान सभा चलती है तो ये लोग 2.00 बजे रात तक, 3.00 बजे सुबह तक बैठकर यहां तैयारी करते हैं और विधान सभा अगले दिन शुरु होने के पहले बहुत सारे कागज तैयार करके पिजन होल्स में डालते हैं. तो इनकी जो भूमिका है, इनकी जो लगन है, इनका जो परिश्रम है, वह हमें याद रखना चाहिये. इनका भी मैं बहुत आभारी हूं. मैं सुरक्षा कर्मियों का आभारी हूं, वे भी तैनात रहते हैं, हम सबकी सुरक्षा का दायित्व रहता है. बाहर से, तमाम जिलों से आते हैं, बड़ी मेहनत करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, अंत में, मैं अपने कर्तव्य का पालन पूरी तरह से नहीं कर सकूंगा, यदि मैं अपने मीडिया के भाइयों का, चूंकि मैं मीडिया की आपकी जो समिति है, उसका अध्यक्ष भी हूं, आपने बनाया हुआ है. तो हमारे जो मीडिया के साथी हैं, इलैक्ट्रॉनिक मीडिया,प्रिंट मीडिया, उनकी इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और इसलिये इनको चौथा स्तम्भ भी लोग कहते हैं, हम लोग भी कहते हैं. सरकार का जो प्रदर्शन है, यहां की जितनी भी खबर है, आम जनता तक पहुंचाना और सरकार को पंजों पर खड़ा रखना, चूंकि ये उस तरह के हैं, जैसा कि बाबा तुलसीदास जी ने कहा था कि - निन्दक नियरे राखिये, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी-साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय. संसदीय कार्य मंत्री जी, आपके तो मीडिया से बहुत अच्छे संबंध हैं, बहुत सकारात्मक भूमिका हमारी मीडिया निभाती है. मैं उनका बहुत बहुत आभारी हूं. सभी माननीय लोगों का, जिन्होंने चर्चाओं में भाग लिया है और जो भी सबंधित लोग हैं, मैं अपनी तरफ से उनका आभार व्यक्त करता हूं. धन्यवाद.
2.47 बजे राष्ट्रगान "जन गण मन" का समूह गान
अध्यक्ष महोदय – अब राष्ट्र गान होगा.
(सदन में राष्ट्रगान जन गण मन का समूह गान किया गया.)
2.48 बजे सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाना.
अध्यक्ष महोदय – विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिये स्थगित.
अपराह्न 2.49 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, भगवानदेव ईसरानी
दिनांक : 1 अप्रैल,2016 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा