मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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पंचदश विधान सभा                                                                                 अष्टम सत्र

 

 

फरवरी-मार्च, 2021 सत्र

 

सोमवार, दिनांक 1 मार्च, 2021

 

(10 फाल्गुन, शक संवत्‌ 1942 )

 

 

[खण्ड- 8 ]                                                                                                                    [अंक- 6]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

सोमवार, दिनांक 1 मार्च, 2021

(10 फाल्गुन, शक संवत्‌ 1942 )

विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.

{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

हास-परिहास

 

                   अध्यक्ष महोदय -- अच्छा  हुआ कि  दोनों को एक साथ प्रणाम  करना पड़ रहा है.

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय,दरअसल में वह मेरे बड़े भाई हैं. दिक्कत सिर्फ इतनी सी है कि  वह मुझे छोटा नहीं मानते हैं, मैं उनको बड़ा मानता हूं.  (हंसी)..

                   डॉ.  गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं मिश्र जी को बराबरी का मानता हूं.  न छोटे न बड़े, राजनीति में सब समान.

                   अध्यक्ष महोदय -- पर इनको भी स्वीकार करना  पड़ेगा   कि आप इनको मानते हो कि नहीं मानते हो.   यह तो उनके ऊपर है.  प्रश्न संख्या 1, श्री लक्ष्मण सिंह.

 

11.02 बजे                                  प्रश्नकाल में मौखिक उल्लख

                   गोडसे की विचार धारा से जुड़े हुए व्यक्ति को कांग्रेस में शामिल किया जाना.

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय,  एक बड़ा  जन भावनाओं का विषय  आपके ध्यान एवं संज्ञान में लाना चाहता हूं.  यह हम सब जानते हैं कि  महात्मा गांधी जी..

                   अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल के बाद उठा लें.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, एक  मिनट लगेगा.  आम आदमी की भावनाओं से  जुड़े हुए व्यक्ति हैं, जो राष्ट्रपिता  कहलाते हैं.  कुछ लोगों के द्वारा  जो गोडसे के भक्त, पुजारी  थे, उनको  एक पार्टी में ले लिया गया.  सदन के सम्मानित सदस्य, श्री लक्ष्मण सिंह  जी सदन के बाहर ट्वीट  करते हैं,  इससे इस तरह का भाव पैदा हो रहा है कि गांधी जी को  कोई गंगा जल से धो रहा है, कोई  फूल  मालाएं  पहना रहा है. एक प्रदेश के अन्दर इस तरह का वातावरण  बन गया है, जब  जनहित के मुद्दों की चर्चा  होनी चाहिये,  तब हत्यारों की पूजा  होने लग जाये,  तो  इससे   ज्यादा चिंता और निन्दा  की कोई बात प्रदेश के अन्दर  हो नहीं सकती है.  मैं यह कहना चाहता हूं कि यदि इस मुद्दे पर चर्चा करना है,   एक कांग्रेस  के प्रदेश अध्यक्ष  उनको  पार्टी में शामिल करते  हैं, तो कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष  विरोध कर देते हैं उसके लिये. कोई यात्राएं निकाल रहा है.  अध्यक्ष महोदय, इससे वातावरण दूषित होता है.

                   अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल चलने दीजिये.  प्रश्न संख्या 1, श्री लक्ष्मण सिंह जी.

                   श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि  ये भी गोडसे की विचार धारा को छोड़कर,  गोडसे की विचारधारा, नफरत को छोड़कर  इधर आ जायें.

..(व्यवधान)..

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, ये गांधी जी  का उपयोग   सिर्फ   वोट प्राप्त करने के लिये करते हैं.  

..(व्यवधान)..

                   श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, नरोत्तम जी ने मेरा नाम लिया है,  मैं उसी का जवाब दे रहा हूं अभी.

                   अध्यक्ष महोदय -- अभी आप प्रश्न पूछ लीजिये.  प्रश्न संख्या 1, श्री लक्ष्मण सिंह जी.

                   श्री लक्ष्मण सिंह --  नरोत्तम जी, चूंकि आपने मेरा नाम लिया है.  मैं इसका उत्तर   ग्वालियर में जाकर दूंगा.  ट्वीट तो किया ही है,  मैं इसका उत्तर ग्वालियर में जाकर  दूंगा, इसको  यहीं  समाप्त करते हैं.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र --  आपने ट्वीट किया था, गांधी जी के लिये.

                   अध्यक्ष महोदय -- आप  अपना प्रश्न पूछिये.

 

11.04 बजे                         तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.

वन क्षेत्रों के लिये पी.पी.पी. अनुबंध

[वन]

1. ( *क्र. 1702 ) श्री लक्ष्‍मण सिंह : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या मध्‍यप्रदेश सरकार ने वन्‍य क्षेत्र का कुछ प्रतिशत पी.पी.पी. मॉडल पर निजी क्षेत्र को सौंपने का निर्णय लिया है? (ख) अगर हाँ, तो मध्‍यप्रदेश के किन जिलों में कितना वन क्षेत्र निजी हाथों में सौंपा जा रहा है? (ग) निजी क्षेत्र में वन्‍य क्षेत्र जाने के बाद उनमें क्‍या-क्‍या गतिविधियां होंगी? वन्‍य विकास से संबंधित जानकारी दें।

वन मंत्री ( श्री कुंवर विजय शाह ) : (क) जी नहीं। (ख) एवं (ग) उत्‍तरांश (क) के अनुक्रम में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

                श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय,धन्यवाद.  अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने मेरे उत्तर में बताया है कि (क)  जी नहीं. (ख) एवं (ग)  उत्तरांश (क) के अनुक्रम में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है.  मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि यह  मध्यप्रदेश  के चैनल जी न्यूज  की  खबर, समाचार है,  मुख्यमंत्री जी की तस्वीर भी है  और इसमें उन्होंने  ठीक  आपके उत्तर के विपरीत  कहा है. उन्होंने  कहा है कि मध्यप्रदेश में सरकार  राज्य के 40  फीसदी जंगलों को निजी हाथों  में देने की तैयारी कर रही है.  इसके लिये वन विभाग  की तरफ से  जमीनों  की जानकारी मांगी गई है.  मैं मानता हूं कि सदन में  जो  उत्तर दिया जाये, वही  माना जायेगा.  लेकिन इसका अर्थ  यह हुआ, क्योंकि जी न्यूज   एक बड़ा    विश्वसनीय चैनल है.  इसका अर्थ यह हुआ  कि या   तो मंत्री जी असत्य बोल रहे हैं  या मुख्यमंत्री जी  चैनल  में असत्य बोल रहे हैं  और इन दोनों में विरोधाभास है.  इसमें सच क्या है.  ये कुछ कह रहे हैं और वह कुछ कह रहे हैं.

                   जल संसाधन मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट)-- अध्यक्ष महोदय, सदन में पेपर्स और चैनल्स पर चर्चा नहीं होती है. तथ्यों  के आधार पर चर्चा होती है.  आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं.

                   श्री लक्ष्मण सिंह --तुलसी जी, मैं जानता हूं.  आप बैठ जाइये.

                   श्री तुलसीराम सिलावट -- मैं भी आपको अच्छे से जानता हूं.

          श्री लक्ष्मण सिंह --  जी, कृपया बैठ जायें. अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सीधा है कि मध्यप्रदेश में कुल 94679 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र में से लगभग 37420 वर्ग कि.मी. बिगड़े वन क्षेत्र है, अगर आप निजी क्षेत्र में इसको नहीं दे रहे हैं तो इसका अर्थ यह है कि आप स्वयं बिगड़े वन क्षेत्र को सुधारेंगे. अच्छी बात है कि आप निजी क्षेत्र में नहीं दे रहे हैं और कम से कम जंगल नहीं बेच रहे हैं क्योंकि सब कुछ तो बिक रहा है, सारी सरकारी जमीनें बिक रही हैं, संस्थाएं बिक रही हैं. मेरा आपसे केवल यही कहना है क्योंकि जंगल क्षेत्र कम हो रहा है, अंधाधुंध कटाई हो रही है और अभी ब्यावरा में तेंदूआ एक कालोनी में घुस गया, वन्य प्राणियों को रहने की जगह नहीं है, शेर हमारे शहरों के आसपास घूम रहे हैं, कल उमरिया में एक चीतल कुएं में गिर गया क्योंकि पानी नहीं है. पानी की व्यवस्था तक नहीं है. मेरा आपसे यह प्रश्न है कि वन क्षेत्र को सुधारने के लिए बढ़ाने के लिए आपकी क्या योजना है?

श्री कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को सबसे पहले तो यह जानकारी देना चाहता हूं कि देश की आजादी के बाद वर्ष 2004 से लेकर 2019 तक मध्यप्रदेश का घना वन क्षेत्र बढ़ा है. भारत सरकार की रिपोर्ट में यह स्पष्ट है. मध्यप्रदेश का जंगल बढ़ा है, आप चाहेंगे तो मेरे पास में रिपोर्ट है, वह रिपोर्ट मैं सदन को पेश कर दूंगा. जो आपने बात कही है  कोई निजी क्षेत्र को किसी न्यूज चैनल का या अखबार का हवाला देते हुए..

श्री लक्ष्मण सिंह - जी न्यूज अति विश्वसनीय चैनल जो आपको ही दिखाता है हमें नहीं दिखाता है.

श्री कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, कोई अखबार या कोई जी न्यूज क्या दिखा रहा है, यह उसके अपने स्रोत होते हैं उसकी विश्वसनीयता पर मैं प्रश्न-चिह्न नहीं लगा रहा हूं लेकिन उसने क्यों छापा, कैसे छापा, मुझे उस पर कुछ भी नहीं कहना है. आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि मध्यप्रदेश के बारे में जो आपने बताया है 37420 वर्ग कि.मी., जो 0.4 प्रतिशत कम है. बिगड़े वनों के लिए सुधार के लिए 5000 वन समितियों के माध्यम से हम लोग सुधार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और  जिसकी हमेशा बात होती है कि आदिवासियों का जो पेसा एक्ट उस पेसा एक्ट की भी इच्छा यही है कि वन समितियों का अधिकार, जंगल का अधिकार, जंगल की वन समितियों को होना चाहिए, इन वन समितियों के माध्यम से हम बिगड़े वनों का सुधार भी कर रहे हैं. 5000 समितियों को अध्यक्ष महोदय, हम आने वाले समय में पैसा दे रहे हैं और लगभग एक-एक लाख रुपया प्रत्येक समिति को हम दे रहे हैं उससे जो वन सुधरेगा, बांस बल्ली जो निकलेगी, बांस बल्ली का सारा अधिकार वन समिति को हम देने जा रहा है. वह समिति ही उसकी मालिक होगी. इस तरीके से हम कह सकते हैं कि जंगल बचाने के लिए जो जनता है जो हमारे वनवासी बंधु हैं और जंगल की साफ सफाई से जो लाभ मिलेगा, उसका पूरा मालिक और पूरा हकदार हम उसको बनाएंगे. प्रायवेट सेक्टर में अभी वहां जाने की हमारी कोई योजना नहीं है.

श्री लक्ष्मण सिंह - अध्यक्ष महोदय, एक अनुपूरक प्रश्न और है. देश में जैव विविधता के संरक्षण हेतु कानून बना हुआ है और यूपीए सरकार के समय में इस जैव विविधता को बढ़ाने के लिए वन्य प्राणियों की रक्षा के लिए, वनोपज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक योजना बनी थी, जो हर राज्य में  कंजर्वेशन रिजर्व बनाने की थी और पूर्व कांग्रेस सरकार ने कुछ कंजर्वेशन रिजर्व बनाने के प्रस्ताव बनाकर अगर हम लोग 5 साल रहते तो हम बना भी देते, राघौगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व सबसे पहली योजना बनी हुई लंबित पड़ी  है,  उसके साथ और भी कंजर्वेशन रिजर्व बनाने की योजना है क्योंकि कंजर्वेशन रिजर्व बनेंगे तो ही आपकी जैव विविधता बचेगी तो ही वन्य प्राणी बचेंगे तो ही जंगल बचेगा. इन प्रस्तावों को क्या आप गंभीरता से लेकर और इन्हें लागू करने जा रहे हैं और करेंगे तो कब तक करेंगे, विशेषकर राघौगढ़ के बारे में बता दीजिएगा.

श्री कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, वैसे तो इस प्रश्न से यह उद्भूत नहीं होता है.

श्री लक्ष्मण सिंह - बिल्कुल उद्भूत होता है. वन्य क्षेत्र का मामला है, जैव विविधता को बढ़ाने का मामला है और वन्य प्राणियों की रक्षा का मामला है.

          कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय फिर भी माननीय सदस्य ने चिंता व्यक्त की है. वनों के लिए बिगड़े हुए वनो के लिए और जैव विविधता के लिए.

          डॉ नरोत्तम मिश्र -- दोनों राजा हैं. जैव संरक्षण कितना किया है यह पूरा प्रदेश जानता है.

          श्री लक्ष्मण सिंह - मैं राजा नहीं हूं किसान आदमी हूं. छोटा  भाई हूं.

          कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य की वैसे ही चिंता रहती है वन प्राणी बचें जंगल बचे और हमेशा से सदस्य सदन में हों या सदन के बाहर हों चिंतित रहते ही हैं. उन्होंने कहा है कि नये अभ्यारण्य बनाना या जैव विविधता के लिए कोई और क्षेत्र विकसित करना तो हमारी सरकार लगातार चिंता कर रही है जो आपने राघोगढ़ का प्रस्ताव भेजा है अभी प्रक्रियाधीन है उ स पर भी हम जल्दी निर्णय लेंगे.

          श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष म होदय विदिशा जिले में उदयपुर में 4 हजार एकड़ की एक खदान चल रही है जिसमें से अवैध रूप से रोज 50 लाख रूपये का पत्थर निकल रहा है. क्या मंत्री जी बतायेंगे कि उस अवैध उत्खनन को कब तक बंद करायेंगे.

प्रश्न संख्या 2 श्री अनिल जैन ( अनुपस्थित )

विदिशा जिला चिकित्सालय हेतु सिटी स्केन मशीन उपलब्ध करायी जाना

[चिकित्सा शिक्षा]

3. ( *क्र. 1796 ) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या विदिशा में स्थित जिला चिकित्सालय एवं अटल बिहारी बाजपेयी मेडीकल कॉलेज में मरीजों की सुविधा हेतु सीटी स्केन मशीन उपलब्ध कराये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई? (ख) यदि हाँ, तो अभी तक सीटी स्केन मशीन चिकित्सा संस्थान में उपलब्ध क्यों नहीं कराई गई? क्या प्रश्नकर्ता द्वारा जिले के नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधा के क्रम में सीटी स्केन मशीन हेतु दिनांक 11.08.2020 को कलेक्टर विदिशा एवं अधिष्ठाता शासकीय अटल बिहारी बाजपेयी चिकित्सा महाविद्यालय विदिशा को पत्र क्रमांक 4749 के तहत कार्यवाही की मांग की थी? (ग) प्रश्नांश (ख) यदि हाँ, तो पत्र के क्रम में कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो क्या नहीं तो क्यों? क्या शासन जिले की जनता की स्वास्थ्य सुविधा को ध्यान में रखते हुये शीघ्र सीटी स्केन मशीन उपलब्ध करायेगा? यदि हाँ, तो कब तक नहीं तो क्यों?

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी नहीं। (ख) उत्‍तरांश (क) के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। जी हाँ। (ग) मध्‍यप्रदेश पब्लिक हेल्‍थ सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल द्वारा शासकीय चिकित्‍सा महाविद्यालय, विदिशा सहित अन्‍य स्‍थानों पर सी.टी./एम.आर.आई मशीन स्‍थापित करने हेतु दिनांक 30.12.2020 को निविदा जारी कर दी गयी है एवं दिनांक 11 जनवरी 2021 को प्री-बिड मीटिंग रखी गयी थी। दिनांक 22 जनवरी 2021 से Bid Submission चालू है। बिड खोलने की दिनांक 19 फरवरी 2021 निर्धारित थी। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

          श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने  क में बताया है कि जी नहीं  उत्तरांश के परिप्रेक्ष्य में कोई प्रश्न उपस्थित नहीं होता. मैंने मंत्री जी से यह पूछा था कि विदिशा जिले के अस्पताल या अटलबिहारी बाजपेयी मेडीकल कालेज में सीटी स्केन की व्यवस्था कब तक करवा दी जायेगी. आपने लिख दिया है कि प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता. इसका मतलब प्रश्न पूछने का कोई मतलब ही नहीं है. मैंने पत्र लिखा है प्रमुख सचिव और कलेक्टर महोदय को उसका जवाब तो आता नहीं है आपकी सरकार से, आठवे माह में मैंने पत्र लिखा है उसका आज यह जवाब दे रहे हैं कि हमने टेण्डर लगाये हैं जबकि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में आपने कहा था कि हमने उत्कृष्ट मेडीकल कालेज खोले हैं उत्ककृष्ट मेडीकल कालेज क्या सीटी स्केन से वंचित है. उस अस्पताल के उद्घाटन के माननीय मंत्री जी को इतनी जल्दी थी कि मेडीकल कालेज का अस्पताल चालू नहीं हुआ उ सके पहले ही उसका उद्घायन कर दिया आज तक  450 बिस्तर का अस्पताल वहां पर चालू नहीं हो पाया है. सीटी स्केन की कोविड में अनिवार्यता थी. सीटी स्केन मशीन के अभाव में कई मरीजों ने अपनी जान से हाथ धोया है. अस्पताल से बाहर कराने के लिए हमने अपने पास से मरीजों को 4 - 5 हजार रूपये दिये उनकी जान बचाने के लिए, क्या मंत्री जी यह बताने का कष्ट करेंगे कि सीटी स्केन मशीन विदिशा में कब तक स्थापित हो जायेगी.

          श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से विधायक जी को कहना चाहता हूं कि शायद  आपने उत्तर ठीक से पढ़ा नहीं है जी नहीं जो लिखा है वह इस परिप्रेक्ष्य में लिखा है कि जिला चिकित्सालय में क्या इस तरह की कोई योजना स्वीकृत की गई है और उसका जवाब जी नहीं है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से विधायक जी को बताना चाहता हूं कि मेडीकल कालेज की जो क्षमता थी तो हमें एनएमसी के नार्म्स के हिसाब से सीटी स्केन की मशीन लगाना बहुत जरूरी नहीं था. लेकिन उसके बाद में  भी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सहृदयता है कि उन्होंने सभी मेडीकल कालेज में सीटी स्केन मशीन लगाने का निर्देश दिया मुझे सदन में बताते हुए प्रसन्नता है कि हमने पीपीपी माडल पर टेण्डर निकाल लिया है. एक माह के अंदर हम विदिशा ही नहीं मध्यप्रदेश के सभी मेडीकल कालेज में सीटी स्केन मशीन लग जायेगी.

          श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि यह जो नया जिला अस्पताल है उसमें भी आज आर्थो की टेबल नहीं है उसकी स्वीकृति भी तुरंत प्रदान करें, जहां तक आपने मेडीकल कालेज के बारे में आपने जो अभिभाषण में लिखा है उसके बारे में आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि डॉ मनमोहन सिंह जी की सरकार को भी धन्यवाद दें. यह उनके जमाने में चालू हुआ था.

           श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं विधायक जी को यहां पर यह बात नहीं कहना चाहता था लेकिन विधायक जी सीधे सीधे राजनीतिक बात कर रहे हैं तो मैं बताना चाहता हूं कि 1947 के बाद और 2009 तक कांग्रेस की सरकार 2003 से 2008 तक रही लेकिन एक भी मेडीकल कालेज मध्यप्रदेश में नहीं खुला है. 10 साल तक लगातार सरकार रही है. सागर में 2009 में हमने सबसे पहले एक मेडीकल कालेज शुरू किया उसके बाद में रतलाम, सागर में शुरू कियाऔर उसके बाद रतलाम, खंडवा, दतिया, छिंदवाड़ा, शिवपुरी, शहडोल, विदिशा, आपके विदिशा में भी माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने मेडिकल कॉलेज खुलवाया है आप खड़े होकर उनको धन्‍यवाद दीजिये. उसके बाद सतना, नीमच, मंदसौर, राजगढ़, श्‍योपुर, सिंगरौली, मण्‍डला में माननीय मुख्‍यमंत्री जी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार मेडिकल कॉलेज खोल रही है. उसके बाद छतरपुर, सिवनी और दमोह में भी हम स्‍टेट बजट से मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं.

          कुँवर विक्रम सिंह नातीराजा -- अध्‍यक्ष महोदय, परंतु आज तक वहां पर मेडिकल कॉलेज नहीं खुला है. ..(व्‍यवधान)..

          डॉ. गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, सवाल इस बात का है कि पूरा भाषण देने लगते हैं. आप पुराना 20 साल का क्‍यों रो रहे हैं ? आप कांग्रेस पर ही रोते रहेंगे.

          श्री विश्‍वास सारंग -- अध्‍यक्ष महोदय, जहां तक विधायक जी कोविड की बात कर रहे हैं.

          डॉ. गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, आपसे प्रश्‍न पूछा गया है आप प्‍वाइंटेड जवाब दीजिये.

          श्री विश्‍वास सारंग -- अध्‍यक्ष महोदय, क्‍यों नहीं बोलें, जो उन्‍होंने प्रश्‍न में पूछा है,  कोविड को लेकर विदिशा मेडिकल कॉलेज में जो हमारा अस्‍पताल बनकर तैयार हुआ था उसको हमने कोविड सेंटर के रूप में स्‍थापित किया और मैं वहां के डॉक्‍टर्स को बधाई दूंगा कि अभी तक वहां पर ओपीडी में 11,586 मरीजों का इलाज हुआ है और आईपीडी में लगभग 2,343 कोरोना के मरीज ठीक होकर गये. किसी भी बयानी से डॉक्‍टर्स को हतोत्‍साहित नहीं करें.

          कुँवर विक्रम सिंह नातीराजा -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारे छतरपुर में माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा मेडिकल कॉलेज का भूमिपूजन किया गया था उसका आज तक अता-पता नहीं है.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि अपनी भूल सुधार कर लें, वर्ष 2014 तक केन्‍द्र में कांग्रेस की सरकार रही है. 

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री नारायण सिंह पट्टा बाहर से जुड़ रहे हैं उनको देख लीजिये. प्रश्‍न क्रमांक 4, श्री नारायण सिंह पट्टा.

स्थानांतरण आदेश का परिपालन न करने पर कार्यवाही

[जनजातीय कार्य]

4. ( *क्र. 1792 ) श्री नारायण सिंह पट्टा : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा इलेक्ट्रॉनिक के कितने पद किन-किन विद्यालयों में स्वीकृत हैं? मण्डला जिला अंतर्गत एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय सिझौरा में श्री अजय शर्मा व्याख्याता (व्यावसायिक शिक्षा) को किस नियम के तहत पदस्थ किया गया था? क्या एकलव्य विद्यालय सिझौरा में इनकी पदस्थापना में नियमों की अवहेलना की गई? यदि हाँ, तो दोषियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? (ख) क्या कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास द्वारा आदेश क्रमांक 7457, दिनांक 08.08.2019 के माध्यम से श्री अजय शर्मा व्याख्याता का स्थानांतरण एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय सिझौरा जिला मण्डला से हाईस्कूल झिरिया जिला मण्डला किया गया था? (ग) यदि हाँ, तो क्या उनके द्वारा आदेश के परिपालन में संबंधित स्कूल में अपनी उपस्थिति दी गई? यदि नहीं, तो इनके विरुद्ध विभाग द्वारा अब तक क्या कार्यवाही की गई? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गई है तो शासकीय आदेश के परिपालन न करने को लेकर इनके विरुद्ध क्या कार्यवाही आगामी कितने दिनों में की जाएगी?

        जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे ) : (क) निरंक। पूर्व में उक्‍त विद्यालय मॉडल स्‍कूल के रूप में संचालित था एवं व्‍यावसायिक व्‍याख्‍याता का पद स्‍वीकृत था, जिसमें श्री अजय शर्मा निरंतर कार्यरत थे। तत्‍पश्‍चात् उक्‍त विद्यालय मॉडल स्‍कूल से परिवर्तित कर एकलव्‍य आदर्श आवासीय विद्यालय कर दिया गया परिवर्तन के पश्‍चात भी श्री शर्मा निरंतर कार्यरत रहे थे।                                (ख) जी हाँ। (ग) जी नहीं। श्री अजय शर्मा के संबंध में आयुक्‍त, जबलपुर संभाग जबलपुर को अनुशासनात्‍मक कार्यवाही करने हेतु जिला स्‍तर से प्रस्‍ताव प्रेषित किया जा रहा है। कार्यवाही प्रचलन में होने से समय-सीमा बताना संभव नही है।

          अध्‍यक्ष महोदय -- नारायण सिंह जी, अपना प्रश्‍न करिये.

          श्री नारायण सिंह पट्टा (वर्चुअल) -- अध्‍यक्ष महोदय, व्‍यावसायिक पाठ्यक्रम एवं मॉडल स्‍कूल बंद होने के बाद भी श्री शर्मा को प्रभारी प्राचार्य एकलव्‍य किसने बनाया ? क्‍या उस अधिकारी पर कार्यवाही की जाएगी ? नंबर दो, जिस अधिकारी ने शर्मा को यहां बतौर प्रभारी प्राचार्य पदस्‍थ किया वह कौन थे और उसके विरुद्ध क्‍या कार्यवाही की जाएगी ? यदि इस तरह से मनमाने आदेश होने लगे तो शासन के नियम और प्रक्रिया का क्‍या औचित्‍य रह जाएगा ? इसलिये अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री महोदया से पूछना चाहता हूं कि श्री शर्मा को प्रभारी प्राचार्य बनाने वाले के विरुद्ध क्‍या कार्यवाही होगी ?

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍य को बताना चाह रही हूं कि जिन श्री शर्मा का जिक्र कर रहे हैं इस समय वह माननीय हाईकोर्ट के आदेश अनुसार स्‍थगन (स्‍टे) लिये हुये हैं और हमारे शासन की तरफ से जवाबदावा प्रस्‍तुत किया जाएगा और स्‍टे वैकेट भी कराया जाएगा और उसके बाद अनुशासनात्‍मक कार्यवाही की जाएगी.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री महोदया से यह जानना चाहता हूं कि यह काफी लंबे समय से वहां पर पदस्‍थ हैं, जब वहां पर व्‍यावसायिक पाठ्यक्रम का विषय ही नहीं है, तो सबसे पहले उसको प्रभारी प्राचार्य बनाने वाले वह अधिकारी कौन हैं ? क्‍या उनके खिलाफ माननीय मंत्री महोदया कार्यवाही करेंगी और उस अधिकारी का नाम बताएंगी ?

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- अध्‍यक्ष महोदय, अगर गलत तरीके से प्रभारी प्राचार्य उनको बनाया गया होगा, तो निश्चित रूप से जिस व्‍यक्ति ने उनको बनाया होगा उनके खिलाफ कार्यवाही होगी.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, एक नई और अच्‍छी परम्‍परा की शुरुआत है,  आपके द्वारा पहली बार ऐसा हुआ है कि प्रश्‍न वहां से वर्चुअल पूछा गया है, परंतु यह विशेष परिस्थितियों के लिये ही रखें जिससे इसकी गहमा-गहमी बनी रहे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नारायण सिंह जी अनुमति लेकर वर्चुअल उपस्थित हुये हैं.

          श्री तरुण भनोत -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदया ने अपने जवाब में यह स्‍वीकार किया है कि स्‍थगन आदेश निरस्‍त कराने के बाद उनके ऊपर अनुशासनात्‍मक कार्यवाही की जाएगी. मतलब गलत ढंग से नियुक्ति हुई है, तो जिस अधिकारी ने नियुक्ति की है उसके ऊपर कार्यवाही करने में क्‍या परेशानी है ? आपने तो खुद अपने जवाब में कहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कह तो रही हैं कि जांच कराकर के करेंगे.

          श्री तरूण भनोत -- आपने तो खुद अपने जवाब में कहा है.

            सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- माननीय भनोत जी, वह ऑन्‍सर में भी हमने दिया है.

          श्री तरूण भनोत -- आप अध्‍यक्ष जी से बात करें. अध्‍यक्ष महोदय, आपने स्‍वीकार किया.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया, हो गया, बैठ जाइये.

          श्री तरूण भनोत -- अध्‍यक्ष महोदय, आपने स्‍वीकार किया कि गलत किया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न क्रमांक 5, श्री पांचीलाल मेड़ा.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा जरा सा प्रश्‍न है, उसका जवाब माननीय मंत्री महोदया से आने दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बड़ी मुश्‍किल से जुड़े हैं, पूछ लीजिए. माननीय मंत्री जी, सुनिए उनको.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा उद्देश्‍य यह नहीं है कि शर्मा के खिलाफ अनुशासनात्‍मक कार्यवाही करें. जब वहां पर व्‍यावसायिक पाठ्यक्रम का विषय ही नहीं है, तो इतने लंबे समय से उन्‍हें प्रभारी प्राचार्य बनाए रखना नियम प्रक्रिया के खिलाफ है, मंत्री जी ने स्‍वीकार भी किया है. क्‍या उसको वहां से हटवाएंगे ? जब-जब इनका स्‍थानांतरण हुआ है, तब-तब इन्‍होंने स्‍थगन लिया है या अन्‍य कारण बताकर वे बचने की कोशिश कर रहे हैं. क्‍या मंत्री महोदया, ऐसे अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करेंगे, जिस अधिकारी ने उन्‍हें प्रभारी प्राचार्य बनाया ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- हालांकि उनका जवाब आ गया है कि हाईकोर्ट का स्‍टे है, उसको वेकेट कराने का प्रयास करेंगी, ऐसा उनका जवाब आया है. फिर भी माननीय मंत्री जी, जवाब दे दीजिए.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- उस अधिकारी का नाम बता दीजिए जिसने उनको प्रभारी प्राचार्य बनाया है, क्‍या मंत्री महोदया उस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करेंगी ?

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- अध्‍यक्ष महोदय, जो भी अधिकारी उस समय मण्‍डला में रहे होंगे, चूँकि नाम अभी मुझे ध्‍यान नहीं आ पा रहा है, पर आपके निर्देशानुसार, अगर उन्‍होंने गलती की होगी तो अध्‍यक्ष जी, कार्यवाही तो होगी.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदया यह बता दें कि कब तक कार्यवाही हो जाएगी ?

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- अध्‍यक्ष महोदय, शीघ्र.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय मंत्री महोदया, धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय -- पूरा सदन कम से कम श्री नारायण सिंह को धन्‍यवाद करे कि पहली मर्तबा उन्‍होंने वर्चुअल का यह प्रयोग किया है.

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) -- अध्‍यक्ष महोदय, आपने नई टेक्‍नॉलॉजी इस सदन में जोड़कर पहला कदम, एक सार्थक कदम उठाया. एक प्रार्थना भी है कि यह विशेष परिस्‍थिति में ही रखें, सदन की गरीमा और गंभीरता भी बनी रहे.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- आदरणीय मिश्र जी, कल मैं उपस्‍थित हो जाऊंगा.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रोटेम स्‍पीकर का भी धन्‍यवाद करना चाहूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- संसदीय कार्य मंत्री जी, आपके विचार से क्‍या डॉ. गोविन्‍द सिंह सहमत हुए ?

            डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, अभी तक तो सहमत नहीं हुए.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, सदन की मर्यादा सदन में ही होनी चाहिए. प्रश्‍नोत्‍तर सदन में ही होना चाहिए.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कल मैं उपस्‍थित हो जाऊंगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- विशेष परिस्‍थिति में ही रखें.          

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- विशेष परिस्‍थिति कह रहे हैं, अभी थी नहीं विशेष परिस्‍थिति..

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- विशेष परिस्‍थिति में कोई है, अस्‍पताल में है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- आपने परमिशन दी, वह सिर माथे, लेकिन निवेदन है कि भविष्‍य में न हो तो अच्‍छा है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- ठीक है, सहमत हूँ कि भविष्‍य में न हो.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है, प्रश्‍न क्रमांक 5 श्री पांचीलाल मेड़ा.

छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता

[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]

5. ( *क्र. 2096 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के अध्‍ययनरत् छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति राज्‍य शासन द्वारा निर्धारित दरों पर प्रदान की जाती है? (ख) यदि हाँ, तो वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 (31 जनवरी 2021) तक कितने-कितने अध्‍ययनरत् छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान की गई? (ग) वर्ष 2020-21 में छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत इंदौर एवं उज्‍जैन संभाग के किस-किस अशासकीय कॉलेजों में अध्‍ययनरत् छात्र/छात्राओं की छात्रवृत्ति स्‍वीकृत की गई? यदि नहीं, की गई तो इसके लिये उत्‍तरदायी कौन है और कब तक छात्रव‍ृत्ति स्‍वीकृत कर दी जावेगी? (घ) उपरोक्‍त प्रश्‍नांश के परिप्रेक्ष्‍य में क्‍या छात्रवृत्ति योजना एवं विदेश में अध्‍ययन हेतु छात्रवृत्ति योजना में छात्रवृत्ति स्‍वीकृत करने के लिये विभागीय अधिकारियों को रिश्‍वत देना पड़ती है तभी छात्रवृत्ति स्‍वीकृत की जाती है? क्‍या विभाग के सहायक संचालक श्री एच.बी. सिंह को दिनांक 28.01.2021 को विदेश में पढ़ाई हेतु छात्रवृत्ति स्‍वीकृत कराने के एवज में रिश्‍वत लेने पर लोकायुक्‍त पुलिस द्वारा रंगे हाथ पकड़ा गया है? यदि हाँ, तो क्‍या छात्रवृत्ति स्‍वीकृति की उच्‍च स्‍तरीय जाँच कराई जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों? (ड.) जनवरी 2020 से दिसम्‍बर 2020 तक की अवधि में बच्‍चों को छात्रवृत्ति न मिलने की कितनी शिकायतें सी.एम. हेल्‍प लाईन पर प्राप्‍त हुईं?

राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्री रामखेलावन पटेल ) : (क) जी हाँ। (ख) वर्ष 2019-2020 में कुल 5,83,725/- विद्यार्थियों को राशि रूपये 8,35,81,68,004/- राशि स्‍वीकृत की गई। वर्ष 2020-21 ( 31 जनवरी, 2021) में छात्रवृत्ति पोर्टल पर छात्रवृत्ति स्‍वीकृति पेपरलेस किये जाने संबंधी प्रक्रिया प्रचलन में है। (ग) जी नहीं। कोई उत्‍तरदायी नहीं है। वर्ष 2020-21 में छात्रवृति योजना अंतर्गत छात्रवृत्ति पोर्टल पर छात्रवृत्ति स्‍वीकृति पेपरलेस किये जाने संबंधी प्रक्रिया प्रचलन में होने के कारण छात्रवृत्ति स्‍वीकृति प्रक्रियाधीन है। (घ) जी नहीं। जी हाँ। जी नहीं। क्‍योंकि प्रकरण पर लोकायुक्‍त द्वारा विवेचना की जा रही है। (ड.) जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 तक अवधि में बच्‍चों को छात्रवृत्ति न मिलने की 14,455 शिकायतें प्राप्‍त हुईं हैं।

          श्री पांचीलाल मेड़ा -- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं आसंदी को प्रणाम करते हुए आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में उन्‍होंने यह स्‍वीकार किया है कि सीएम हेल्‍प लाइन में 14,455 शिकायतें प्राप्‍त हुई हैं. इससे यह प्रमाणित हो रहा है कि पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्‍ति नहीं मिल रही है.       

          श्री रामखेलावन पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सम्‍मानित सदस्‍य को बताना चाहता हूँ कि सीएम हेल्‍प लाइन में जो शिकायतें होती हैं, उनका तत्‍काल निराकरण किया जाता है और छात्रों को छात्रवृत्‍ति बांटने का काम सतत् चल रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब आप एक प्रश्‍न पूछ लें.

          श्री पांचीलाल मेड़ा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऐेसे कई मामले हैं जो पेंडिंग हैं और मैं यह पूछना चाहता हूँ कि पिछड़े वर्ग और अल्‍पसंख्‍यक के छात्र-छात्राओं को, जिनको विदेश में अध्‍ययन के लिए पहुँचाया जाता है, उसमें एक अधिकारी को, एक सहायक आयुक्‍त, जिनके खिलाफ एफआईआर हुई है, शासन ने माना भी है कि इन्‍होंने रिश्‍वत ली है तो आगे भी क्‍या इस प्रकार से इन छात्र-छात्राओं के ऐसे अधिकार, अगर छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्‍ति खाने वाले या छात्राओं के साथ में ऐसा बर्ताव जो अधिकारी कर रहे हैं, इनके खिलाफ क्‍या आप उचित कार्यवाही करेंगे ?

            श्री रामखेलावन पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, श्री एच.बी.सिंह जो वहां अधिकारी थे, उनको लोकायुक्‍त ने पकड़ा है और उनके खिलाफ हमने उनको विभाग में वापस कर दिया. विभाग ने उनके सस्‍पेंशन की कार्यवाही कर दी है और अब उसमें लोकायुक्‍त जांच कर रहा है. लोकायुक्‍त जांच के बाद जो आवश्‍यक कार्यवाही होगी, वह कार्यवाही लोकायुक्‍त करेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अगले प्रश्‍नकर्ता क्रमांक 6 माननीय सदस्‍य, फिर से ऑनलाईन हैं. डॉ.अशोक मर्सकोले जी, अपना प्रश्‍न करें.

          बस्‍ती विकास योजना के तहत जिलों को राशि का आवंटन

[जनजातीय कार्य]

6. ( *क्र. 1884 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजना के तहत जिलों को राशि आवंटन के क्‍या नियम हैं? उपरोक्‍त योजना के तहत वर्ष 2020-21 में मण्‍डला जिले में कब-कब कुल कितनी राशि का आवंटन प्रदाय किया गया एवं इससे कौन-कौन से कार्य स्‍वीकृत किये गये? स्‍वीकृत कार्यों के प्रस्‍ताव किन-किन के द्वारा दिये गये थे? प्रत्‍येक कार्य के प्रस्‍ताव की जानकारी देवें। (ख) उपरोक्‍त योजना के तहत कार्यों की स्‍वीकृति के लिये जिला स्‍तर पर समिति गठन के लिये शासन के क्‍या नियम हैं? क्‍या मण्‍डला जिले में इस नियम के तहत वर्ष 2020-21 में प्रदाय आवंटन का खर्च किया गया? यदि नहीं, तो ऐसे कौन-कौन से कार्य हैं, जिनमें समिति के अनुमोदन के बिना स्‍वीकृति देकर राशि जारी की गई? इसमें दोषी कौन-कौन हैं एवं उनके विरूद्ध क्‍या कार्यवाही की जायेगी? (ग) उपरोक्‍त योजना के तहत मण्‍डला जिले में वर्तमान में कितनी राशि उपलब्‍ध है? इस राशि से कार्यों की स्‍वीकृति के प्रस्‍ताव किन-किन से कब-कब लिये गये हैं एवं इन प्रस्‍तावों को अनुमोदन हेतु कब एवं कहां भेजा गया है? क्‍या उपलब्‍ध लगभग 80 लाख रूपये की राशि के विरूद्ध 27 करोड़ रूपये से भी ज्‍यादा के प्रस्‍ताव मान. मंत्री जी को भेजे गये हैं? यदि हाँ, तो इसमें क्‍या कार्यवाही की जा रही है? क्‍या मान. मंत्री द्वारा विभिन्‍न जनप्रतिनिधियों द्वारा कार्यों की मांग वाले उनके पत्र में ही यह लिख दिया जाता है कि जिला कलेक्‍टर राशि जारी करें, जबकि उपरोक्‍त योजना से कार्यों की स्‍वीकृति की प्रक्रिया शासन द्वारा अलग से निर्धारित है? यदि हाँ, तो क्‍या मान. मंत्री जी द्वारा जनप्रतिनिधियों के मांग पत्रों पर की गई अनुशंसा को शून्‍य किया जायेगा? यदि नहीं, तो क्‍यों? (घ) प्रश्‍नांश (ग) में उल्‍लेखित राशि एवं मण्‍डला जिले से भेजे गये प्रस्‍तावों को लेकर जिला स्‍तरीय समिति से अनुमोदन लिया जायेगा या नहीं? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों?

जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे ) : (क) जिले एवं प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्‍या के अनुपात में जिले को राशि आवंटित की जाती है। योजनान्‍तर्गत जिले को वर्ष                                 2020-2021 में प्राप्‍त आवंटन का विवरण पुस्‍त‍कालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। प्राप्‍त आवंटन से कोई भी कार्य स्‍वीकृत नहीं किया गया है। योजनान्‍तर्गत प्राप्‍त प्रस्‍ताव की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ख) म.प्र. अनुसूचित जनजाति बस्‍ती विकास एवं विद्युतीकरण योजना नियम 2018 अनुसार कार्यों के अनुमोदन के लिये समिति गठित है। जी नहीं। योजनान्‍तर्गत समिति के अनुमोदन के बिना कोई भी कार्य स्‍वीकृत नहीं किया गया, न ही राशि जारी की गई है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) योजनान्‍तर्गत मंडला जिले में राशि रू. 79.72 लाख उपलब्‍ध है। जी हाँ, स्‍वीकृति की कार्यवाही प्रचलन में है। जी नहीं। योजनान्‍तर्गत आवंटन की सीमा में कार्य स्‍वीकृत किये जाते हैं। (घ) जी नहीं। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शासन के आदेश क्रमांक एफ 23-15/2015/25-3/54, दिनांक 04.02.2021 अनुसार कार्यों की स्‍वीकृति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

 

          डॉ.अशोक मर्सकोले (वर्चुअल)-- धन्‍यवाद अध्‍यक्ष महोदय. मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है, उससे मैं संतुष्‍ट नहीं हॅूं क्‍योंकि आवंटन जनसंख्‍या के अनुपात में होता है लेकिन जो वर्तमान जनप्रतिनिधि होते हैं, उनके प्रस्‍ताव तो उसमें होने चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, आप प्रश्‍न करिए.

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यही प्रश्‍न है कि किसी भी प्रस्‍ताव में जो आवंटन होता है तो जो वर्तमान जनप्रतिनिधि होते हैं उनके प्रस्‍तावों की स्‍वीकृति भी होना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- लेकिन आपका प्रश्‍न क्‍या है ?

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- प्रश्‍न यही है, लेकिन उसमें नहीं किया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप क्‍या प्रश्‍न पूछना चाहते हैं कि होगा या नहीं होगा ?

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हॅूं कि नियमावली में जो वर्तमान जनप्रतिनिधि हैं उनके प्रस्‍तावों की स्‍वीकृति की जायेगी या नहीं की जायेगी.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ने जो जानकारी चाही है कि जो बस्‍ती विकास की राशि है वह वर्तमान जनप्रतिनिधियों के माध्‍यम से खर्च की जायेगी या नहीं की जायेगी. वह राशि तो बस्‍ती विकास योजना का भारत सरकार से निर्धारित है. जो हमारे विधायक, सांसद हैं उसमें सभी का इस समिति में प्रस्‍ताव लिया जाता है. तो जो माननीय विधायक जी का प्रस्‍ताव होगा, विधायक के नाते से सभी का प्रस्‍ताव लिया जायेगा पर यह राशि बहुत कम है और जो भी 5-5, 6-6 लाख रुपए राशि आएगी, वह सभी को दिया जाएगा. यह नियम में है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, आपका और कोई एक प्रश्‍न है ?

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पर हमारे प्रस्‍ताव भी जाते हैं उनमें इसके पहले भी ऐसा हुआ है लेकिन वह आवंटन उस प्रकार से नहीं हुआ है. उसमें किसी भी प्रकार से पार्शियालिटी की जाती है. बस्‍ती विकास या परियोजना में वर्तमान विधायक हम लोग हैं. हम लोग तो सदस्‍य बने हैं जबकि अध्‍यक्ष तो वर्तमान विधायकों को होना चाहिए था. कलेक्‍टर के माध्‍यम से ही यह पूरा काम हो रहा है और उन पर किसी न किसी प्रकार से ऐसा दबाव बनाकर, ऐसा हो सकता है कि हमारे कामों को रोका जा रहा है.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं माननीय विधायक जी से कहना चाहती हॅूं कि अगर इस तरह का कोई मामला माननीय विधायक जी के संज्ञान में है, तो कृपया आपके माध्‍यम से मुझे उपलब्‍ध करा दें, उसकी मैं जॉंच करा लूंगी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, आप माननीय मंत्री जी को दे दीजिए.

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- माननीय मंत्री जी, आप आश्‍वस्‍त करें कि हमारे प्रस्‍ताव जाएंगे तो बिना पार्शियालिटी के उस पर काम हो सकें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, माननीय मंत्री जी कह रही हैं कि जो मामले हों, वह आप दे दीजिए, वह कार्यवाही करेंगी, माननीय मंत्री जी ऐसा आश्‍वासन दे रही हैं.

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- जी धन्‍यवाद, माननीय अध्‍यक्ष महोदय.

        अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न क्रमांक-7 श्री संजय सत्‍येन्‍द्र पाठक.

 

 

 

 

वन भूमि पर अवैध निर्माण पर कार्यवाही

[वन]

7. ( *क्र. 1438 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                        (क) क्या कटनी जिले के जनपद पंचायत बड़वारा के राजस्व ग्राम बम्हौरी में ग्राम पंचायत बम्हौरी के वर्तमान सरपंच और सचिव द्वारा वन विभाग की आरक्षित वन भूमि (बफर जोन जिला उमरिया) पर नाली नर्सरी का निर्माण कराया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो प्रश्नाधीन ग्राम पंचायत के सरपंच/सचिव द्वारा क्या बफर जोन के अधिकारियों से नाली नर्सरी निर्माण कराये जाने हेतु अनुमति ली गई? यदि हाँ, तो अनुमति की छायाप्रति दें? नहीं तो उक्त निर्माण शासन के किन नियमों के अन्तर्गत कराया गया? नियमों की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) क्या उक्त संबंध में बफर जोन के रेन्जर द्वारा स्थल निरीक्षण कर एफ.आई.आर. कराए जाने हेतु ग्रामीणों से चर्चा की गई थी? यदि हाँ, तो क्या वन विभाग द्वारा एफ.आई.आर. कराई गई? नहीं तो क्यों? कौन-कौन दोषी है? नाम एवं पदनाम का उल्लेख करें।

वन मंत्री ( श्री कुंवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में ग्राम पंचायत के सरपंच/सचिव द्वारा कोई अनुमति नहीं ली गई है एवं अवैधानिक रूप से कार्य कराया गया है।                     (ग) जी नहीं। उत्तरांश (ख) अनुसार अवैधानिक कृत्य के लिये श्रीमती बबिता बाई पति धनेश जायसवाल, सरपंच ग्राम पंचायत बम्हौरी एवं रोजगार सहायक व प्रभारी सचिव श्री देवेश द्विवेदी के विरूद्ध वन अपराध प्रकरण क्रमांक/353/11, दिनांक 30.11.2020 पंजीबद्ध किया गया है।

          श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में माननीय मंत्री जी ने स्‍वीकार किया है कि वन विभाग की जमीन पर ग्राम पंचायत बम्‍हौरी, जनपद पंचायत बड़वारा के सरपंच और सचिव ने नाली नर्सरी का निर्माण किया है लेकिन माननीय मंत्री जी ने जो कार्यवाही बताई है, वह बहुत साधारण-सी धारा 353/11 की कार्यवाही की है जबकि माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वन सीमा चिन्‍हों को बदलने के लिये वन अधिनियम की धारा 63 इसमें लगानी चाहिए थी, जो नहीं लगाई गई है. जैव विविधता कानून के तहत वनस्‍पतियों को नष्‍ट करना, जंगल काटना और उसका विक्रय करना इसकी धारा भी नहीं लगाई गई है. वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा (2) वन भूमि में बिना अनुमति के निर्माण करना, यह तीन प्रमुख धाराएं हैं, जो नहीं लगाई गई हैं. साधारण धारा 353/11 लगाकर खानापूर्ति कर दी गई है. मैं आपके माध्‍यम से आदरणीय वन मंत्री जी से आग्रहपूर्वक पूछना चाहता हॅूं कि यह तीनों धाराएं बढ़ाएंगे या नहीं ?

            श्री कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्‍यक्ष जी, संजय भैया हमारे पुराने मंत्री रहे हैं, विधायक भी हैं और जो उन्‍होंने धारा 353/11 कहा है तो माननीय विधायक जी, आप थोड़ा अध्‍ययन कर लें. यह अपराध प्रकरण है इसमें धाराओं का कोई उल्‍लेख नहीं है. यह धारा नहीं है. अभी धारा लगाई नहीं क्योंकि वह फरार है. अभी हमने प्रकरण दर्ज किया है. जाँच उपरान्त, जिस प्रकार का उसका प्रकरण होगा, जिस प्रकार का उसने अपराध किया होगा, उसके बाद धाराओं का निर्धारण होगा. हमने जिला कलेक्टर को, जिला पंचायत सीईओ को,.....

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  आपको धाराओं की जानकारी थी, इनको कम थी..

          कुँवर विजय शाह--  उसको पकड़ने की पूरी कोशिश की जाएगी और जिस तरीके से जो बात आपने रखी है कि मुनारे तोड़ करके या दूसरे वन अपराध, जिसमें, जिस धारा के अन्तर्गत, जो बनता है, वह पंजीयन होगा और मामला दर्ज होगा ही. इसमें कुछ छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता.

          श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--  सही बोल रहे हों आप, मैंने प्रकरण क्रमांक पढ़ लिया था, तो मैं यह पूछ रहा हूँ कि ये तीनों धारा आप लगाएँगे या नहीं लगाएँगे, इतना बता दो, हाँ लगाएँगे या नहीं लगाएँगे, जो बोलना हो बोल दो आप.

          कुँवर विजय शाह--  माननीय अध्यक्ष जी, स्पॉट पर अपराध क्या हुआ है, इससे तो उद्धृत नहीं होता. हम जाँच करवाएँगे और जाँच के अन्तर्गत, जो आपने कहा है कि मुनारे तोड़ी गईं, अभी सिर्फ हमारे पास जानकारी आई है कि कहीं लकड़ी नहीं तोड़ी गई, लकड़ी नहीं काटी गई, केवल नाली बनाई गई और नाली बनाने में अगर मुनारे तोड़ना सिद्ध हुआ तो निश्चित रूप से उन धाराओं में प्रकरण दर्ज होगा.

          अध्यक्ष महोदय--  ठीक है.

          श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--  माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी पूरी जाँच हो चुकी है वन विभाग के पास पूरी रिपोर्ट है. सब हो चुका है. इनके पास तक शायद वह पूरी जाँच की रिपोर्ट नहीं भेजी गई होगी, यह बात अलग है. मेरे को निचले स्तर से यह बताया गया कि उसकी एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है और आप तक यह जानकारी नहीं पहुँचाई आपके विभाग के अधिकारियों ने, तो जो धारा लगाई गई है वह सामान्य धारा लगाई गई है. वही मैं बार बार बोल रहा हूँ कि इसके ऊपर धारा बढ़ाकर, क्या गिरफ्तार करेंगे ऐसे लोगों को? गिरफ्तारी करके जाँच कराएँगे क्या?

            कुँवर विजय शाह--  अध्यक्ष जी, निश्चित रूप से गिरफ्तारी होगी और जो अपराध है वह धारा बढ़ाई जाएगी.

 

सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत व्‍याख्‍याताओं की प्रतिनियुक्ति

[स्कूल शिक्षा]

8. ( *क्र. 2046 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्‍य शिक्षा केन्‍द्र के पत्र क्रमांक 1304, दिनांक 26.03.2003 के द्वारा समस्‍त कलेक्‍टर को पत्र जारी किया गया था, जिसमें सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत विकासखण्‍ड स्‍तर पर विकासखण्‍ड स्रोत केन्‍द्र समन्‍वयक के रूप में व्‍याख्‍याता की प्रतिनि‍युक्ति करने के निर्देश दिए गए थे? (ख) यदि हाँ, तो इसके साथ परिशिष्‍ट (अ), (ब), (स) एवं (द) संलग्‍नक किए गए थे, इसमें से परिशिष्‍ट '' में विकासखण्‍ड समन्‍वयक व्‍याख्‍याता के रूप में विकासखण्‍ड में नियुक्ति हेतु पदों की संख्‍या प्रदर्शित की गई थी। इन संख्‍याओं में संविदा आधार पर बी.आर.सी. जिन जिलों में पदस्‍थ थे, वहां उनको छोड़कर नियुक्ति हेतु पद दर्शाए गए थे, जैसे सतना में एक राजगढ़ मंदसौर नीमच रतलाम में शून्‍य। (ग) यदि हाँ, तो व्‍याख्‍याता वेतनमान पर पदस्‍थ संविदा बी.आर.सी.सी. को उनके पद से पृथक क्‍यों किया गया, जबकि पद रिक्‍त न थे, स्‍पष्‍ट करें। (घ) क्‍या इनमें से राजगढ़ सतना व अन्‍य जिले के संविदा बी.आर.सी.सी. को वर्ष 2011 में ही माननीय हाईकोर्ट में पुन: मूल पद बी.आर.सी.सी. पर नियुक्‍त करने का आदेश पारित किया था? (ड.) यदि हाँ, तो फिर भी अभी तक इन्‍हें इनके मूल पद पर नियु‍क्‍त क्‍यों नहीं किया गया है? इसके पीछे कारण क्‍या है और कब तक इन्‍हें न्‍याय स्‍वरूप सभी अधिकारों के साथ बी.आर.सी.सी. पद पर नियुक्‍त किया जायेगा?

राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्‍दर सिंह परमार ) :

 

          श्री नारायण त्रिपाठी--  माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्व शिक्षा अभियान की भर्ती का मामला है कि कर्मचारी भर्ती में प्रदेश में रिक्त पद हैं 214-215 के करीब और संविदा कर्मचारी मात्र 88 हैं. ये तमाम अदालत के चक्कर लगाते-लगाते, कई साल गुजर गए और आगे भी जाएँगे, यदि हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट वगैरह तो रिटायर हो जाएँगे पर इनको न्याय नहीं मिल पाएगा, तो मेरा सिर्फ आप से निवेदन यह है कि ये सभी स्नातकोत्तर हैं, इनको जो वेतनमान भी मिल रहा है वह व्याख्याता का मिल रहा है. इनको बीएसी में भर्ती किया गया है, इनको बीआरसी में होना चाहिए, तो इनको न्याय मिल जाए, जिससे प्रदेश के तमाम जो 88 लोग हैं, जो सम्मानित पद है उन्हें मिलना चाहिए, उस पद पर उनकी नियुक्ति हो जाए, तो अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि मंत्री जी इसको कब तक कर देंगे? ये भटकते न रह जाएँ, अदालत के चक्कर न काटते रह जाएँ, इन्हें न्याय कब तक दे देंगे?

            श्री इन्दर सिंह परमार--  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है वह 1995 में संविदा नियुक्ति की गई थी और उनकी जो योग्यता थी, वह स्नातक उपाधि थी अथवा शासकीय शाला में कार्यरत व्याख्याता,  शिक्षक व सहायक शिक्षक थे. उसके आधार पर की गई थी. लेकिन माननीय सदस्य ने 2003 के जिस पत्र का उल्लेख किया गया है, 26.3.2003 का, उसके बाद 4.4.2003 का, ऐसे दो पत्रों के माध्यम से उसमें सुधार किया गया था और सुधार इस बात का किया गया था कि जो व्याख्याता की पात्रता रखते हैं उन लोगों को तो बीआरसीसी के पद पर नियुक्त किया जाएगा, उनको नियुक्त कर दिया गया, संपूर्व का जो ढाँचा था उसमें समायोजित कर लिए गए. लेकिन चूँकि बहुत सारे लोग पात्रता को पूरा नहीं कर रहे थे उन लोगों को बीएसी बना दिया गया है. लेकिन 2013 में हमने एक नया सेटअप दिया है जिसमें एईओ के पद सृजित किए हैं उस सेटअप के मान से उनको उसमें समायोजित करने की प्रक्रिया चल रही है. यह बात सही है कि न्यायालय से कुछ प्रकरणों का निराकरण हुआ है, कुछ अभी पैंडिंग हैं क्योंकि यह पॉलिसी मैटर है इसलिए विभाग की ओर से उच्चतम न्यायालय में दो पिटीशन अपील दायर कर रखी है. जिनका तीन प्रकरणों का निराकरण होना है क्योंकि यह पॉलिसी मैटर है इसलिए इसमें हम प्रक्रिया का पालन करते हुए ही इन सबका निराकरण करने का पूरा प्रयास करेंगे.

            श्री नारायण त्रिपाठी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में जो 88 संविदा कर्मचारी हैं उसमें से मेरे ख्याल से 84 लोग स्नातकोत्तर हैं. सन् का हवाला न देकर मानवीय आधार पर उनके साथ हम न्याय कर दें. बीआरसीसी में उनको पदस्थ कर दें. मेरा निवेदन है कि हम कब तक नियम का हवाला देते रहेंगे, सहानुभूतिपूर्वक उनके ऊपर विचार करें ताकि उनको भी सम्मान मिल जाए. अभी जो नियुक्तियां हुई हैं उनके नीचे इन लोगों को काम करना पड़ता है. बीएसी के स्थान पर उन्हें बीआरसीसी बना दिया जाए. 214 पद रिक्त हैं और यह कुल 88 लोग हैं. जो स्नातकोत्तर हैं व्याख्याता का वेतन प्राप्त कर रहे हैं उन्हें बीआरसीसी बनाने में क्या परेशानी है. आप ही को नियम कानून बनाना है बनाकर उन पर कृपा करें.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, जिस समय उनकी भर्ती की गई थी यह बात सही है कि उनकी भर्ती बीआरसीसी के लिए की गई थी. लेकिन तब वे पात्रता में नहीं आए थे. वर्ष 2013 में हमने जो नया सेट-अप दिया है उसमें जिस प्रकार से बीआरसीसी को अधिकार है उसी प्रकार एईओ को अधिकार देकर हम एक सम्मानजनक स्थिति में इनका समायोजन करेंगे, संविलियन करेंगे, यह हम पूरा करने वाले हैं.

          श्री नारायण त्रिपाठी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी स्नातकोत्तर हैं, सभी बीआरसीसी के पद के लायक हैं. पूर्व में कब भर्ती हुई, क्या हुआ उसके बजाए हम आज की स्थिति पर बात करें अन्यथा इन लोगों का रिटायरमेंट का दौर आ जाएगा और यह लोग उसी पद पर रिटायर हो जाएंगे.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, रिटायरमेंट का दौर नहीं आएगा हम जल्दी ही निराकरण कर देंगे.

          श्री नारायण त्रिपाठी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को धन्यवाद.

 

 

          महिदपुर विधान सभा क्षेत्र के स्‍कूल की मान्‍यता निरस्‍त की जाना

[स्कूल शिक्षा]

9. ( *क्र. 1864 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जय माँ वैष्‍णों कान्‍वेंट स्‍कूल झारड़ा एवं भारतीय माध्‍यमिक विद्यालय बनबना, जो महिदपुर विधानसभा के अंतर्गत आते हैं, के संबंध में हुई जाँच का प्रतिवेदन देवें? (ख) इस प्रतिवेदन पर अब तक की गई कार्यवाही की अद्यतन स्थिति देवें? (ग) कब तक प्रश्नांश (क) अनुसार स्‍कूलों की मान्‍यता निरस्‍त कर दी जाएगी? यदि नहीं, तो क्‍यों?

राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्‍दर सिंह परमार ) : (क) जाँच प्रतिवेदन पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ख) जाँच प्रतिवेदन के आधार पर संबंधित अशासकीय शालाओं को जारी कारण बताओ सूचना पत्र की प्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ग) शिक्षा का अधिकार नियम 2011 के नियम 11 (7) के अन्‍तर्गत संबंधित स्‍कूलों की मान्‍यता निरस्‍त करने की कार्यवाही प्रचलनशील है।

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा छात्र-छात्राओं से जुड़ा हुआ बहुत महत्वूपर्ण प्रश्न है. जय माँ वैष्णों कान्वेंट स्कूल, झारड़ा एवं भारतीय माध्यमिक विद्यालय, बनबना. माननीय मंत्री जी ने मुझे जो उत्तर दिया है और परिशिष्ट-अ मुझे भेजा है उसमें कहा गया है कि इन दोनों स्कूलों की मान्यता समाप्त करने की कार्यवाही के लिए नोटिस दिया गया है और कार्यवाही प्रचलन में है. इस कार्यवाही के बाद मैंने मंत्री जी से दिनांक 15 फरवरी, 2021 को मिलकर बताया था कि जय माँ वैष्णों कान्वेंट स्कूल, झारड़ा के मालिक ने कोरोना काल की स्कूल फीस के लिए एक गरीब को बुलाकर मारा और उसको बंद कर दिया था. उस समय मैं भोपाल में था. अधिकारियों को फोन करने के बाद पुलिस उसे स्कूल से छुड़ाकर लाई और गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज हुआ.

          अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से सीधा प्रश्न है कि क्या इन दोनों स्कूलों की मान्यता समाप्ति की घोषणा आज ही करेंगे ?

            श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का प्रश्न महत्वपूर्ण है दोनों ही विद्यालयों की अनियमितताओं की जाँच की गई है. बहुत सारी कमियाँ दोनों स्कूलों में पाई गई हैं. माननीय सदस्य को उत्तर में हमने इसकी जानकारी भेजी है. उन स्कूलों की मान्यता के बारे में जो प्रक्रिया है उसका पालन करते हुए हम उन पर कार्यवाही करने जा रहे हैं.  एक पुलिस केस की जानकारी मुझे अभी दी गई है, मैंने विभाग को बताया है. क्योंकि यह गंभीर मामला है किसी भी पालक के साथ इस प्रकार से फीस के लिए दबाव बनाकर मारपीट करना, फीस न दे पाए तो विवाद की स्थिति पैदा करना गंभीर है. इसलिए हम उन पर कार्यवाही करने जा रहे हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी सीधा सा उत्तर दें कि मान्यता समाप्त की जाएगी.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, समाप्त कर रहे हैं, उसको नोटिस देकर समाप्त कर रहे हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- नोटिस तो दे दीजिए आप.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, समाप्त कर रहे हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को धन्यवाद. कोरोना काल में स्कूल बंद थे फीस के लिए उस व्यक्ति ने यह अपराध किया है.

          अध्यक्ष महोदय -- वह तो हो गया.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि माननीय मंत्री जी इन दोनों स्कूलों की मान्यता समाप्त कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- वह भी कर दिया.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय,  क्या इन दोनों स्कूलों की जो फीस बकाया है उसकी वसूली पर माननीय मंत्री जी पाबंदी लगाएंगे क्योंकि यह स्कूल तो बंद होने वाले हैं.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, परीक्षण करके हम पूरी जानकारी आपको देंगे.                                                                                     

          श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह तय हो चुका है कि उनकी जो मान्‍यता है वह माननीय मंत्री जी समाप्‍त कर रहे हैं तो अब फीस किस बात की?

          अध्‍यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने आपके सारे प्रश्‍नों का सकारात्‍मक जवाब दिया है.

          श्री बहादुर सिंह चौहान-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसके बाद यह और बताना चाहता हूं कि मां वैष्‍णों कॉनवेन्‍ट स्‍कूल की दीवार से मात्र नौ फीट की दूरी पर पेट्रोल पम्‍प संचालित है. जब कभी पेट्रोल पम्‍प पर आग लग जाए या विस्‍फोट हो जाए तो उन बच्‍चों का क्‍या होगा? अगर वहां पेट्रोल पम्‍प नहीं है तो मंत्री जी कह दें कि वहां पेट्रोल पम्‍प नहीं है.          

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं वर्ष 2018 से लड़ रहा हूं लेकिन इस मामले को बार-बार दबाया गया है. मां वैष्‍णों कॉन्‍वेंट स्‍कूल वाला व्‍यक्ति बहुत शक्तिशाली है. उसने मुझे इतने प्रभावशील फोन करवाए कि आपको बाद में राजनैतिक हानि उठानी पड़ेगी. मेरा माननीय मंत्री जी से सीधा-सीधा कहना है और मेरी मंत्री जी से चर्चा भी हुई है लेकिन मैं बताना नहीं चाहता हूं इसलिए उनको फीस वसूल करने का कोई अधिकार नहीं है. जांच प्रतिवेदन में पूर्णत: दोषी पाए जा रहे हैं इनके विभाग ने लिख दिया है. इसमें मेरा एक प्रश्‍न और है पहला तो यह कि फीस पर पाबंदी लगाई जाए की फीस की वसूली नहीं होगी साथ में दूसरा प्रश्‍न यह है कि शिक्षा विभाग के जिन अधिकारियों ने स्‍थल निरीक्षण किया कि पेट्रोल पम्‍प से स्‍कूल भवन की दूरी नौ फीट है क्‍या उन स्‍थल निरीक्षण करने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर माननीय मंत्री जी आज ही कार्यवाही करेंगे?

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, तरुण भनोत जी, भी इस विषय से संबंधित प्रश्‍न पूछना चाहते हैं आप दोनों प्रश्‍नों के जवाब साथ-साथ दीजिएगा.

          श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा सवाल बहुत ही महत्‍वपूर्ण है और इसे मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी के संज्ञान में भी लाया था कि कोविड के बाद पूरे मध्‍यप्रदेश में स्‍कूल बंद रहे जब स्‍कूल वापस चालू हुए हैं तो यह संपूर्ण मध्‍यप्रदेश में हो रहा है कि प्राइवेट स्‍कूल वाले अभिभावकों का गला दबा रहे हैं कि स्‍कूल फीस जमा कीजिए नहीं तो आपके बच्‍चों को परीक्षा में बैठने नहीं देंगे या फेल कराएंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि सदन यह व्‍यवस्‍था करे कि समस्‍त कलेक्‍टरों को यह सूचना दी जाए कि जिस भी स्‍कूल में अगर ऐसी कार्यवाही कर रहे हैं और बच्‍चों की फीस जमा कराए जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है तो उन स्‍कूलों की मान्‍यता समाप्‍त की जाए और उनके ऊपर जो भी दण्‍डात्‍मक कार्यवाही हो सकती है आप वह करें. पूरे मध्‍यप्रदेश में संपूर्ण लोग आज इस बात से परेशान हैं. अध्‍यक्ष महोदय, यह मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन है कि आज सदन से यह संदेश जाना चाहिए कि सरकार इसके प्रति गंभीर है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, जब मैं कहूं तब आप उत्‍तर दीजिएगा. पी.सी. शर्मा जी कुछ पूछना चाहते हैं. शर्मा जी आप इसी विषय से जुड़ा हुआ प्रश्‍न पूछिएगा.

          श्री पी.सी. शर्मा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसी से जुड़ा हुआ प्रश्‍न पूछना चाहता हूं. बहादुर सिहं जी ने बहुत ही बहादुर सवाल उठाया है. अध्‍यक्ष महोदय, जहां भी इस तरह की घटना होगी वहां पर यही एक्‍शन होगा जो आज बहादुर सिंह जी के विषय पर हो रहा है और वही एक्‍शन पूरे मध्‍यप्रदेश में होना चाहिए. यहां जितने भी अधिकारी बैठे हुए हैं उनमें यह सीधा मैसेज जाए कि वहां सीधी कार्यवाही हो.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी आप सभी प्रश्‍नों का जवाब एक साथ दे दीजिए.

          श्री संजय शाह-- अध्‍यक्ष महोदय, जो बड़े-बड़े प्राइवेट स्‍कूल हैं चाहे डी.पी.एस बोल लें, चाहे देहली कॉलेज बोल लें चाहे सिंधिया स्‍कूल बोल लें‍ जो बड़े-बड़े घरानों के स्‍कूल हैं, कॉर्पोरेट टाइप के लोग वह पूरी फीस ले रहे हैं उन पर भी नकेल कसी जाए. उनसे भी यह निर्देश फॉलो करवाए जांए क्‍योंकि यह उन पर नहीं हो पाता है.

          श्री इंदर सिंह परमार-- अध्‍यक्ष महोदय, बहादुर सिंह जी ने जो प्रश्‍न किए थे उस संदर्भ में मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि जिन की मान्‍यता हम बीच में भी समाप्‍त करेंगे उन विद्याथिर्यों के हितों का संरक्षण भी हमको करना होगा जहां तक फीस का विषय है तो हम फीस की वसूली पर रोक लगा रहे हैं. हम उसका किस स्‍कूल में समायोजन करेंगे कम से कम हम उतना परीक्षण तो कर लें क्‍योंकि जिन बच्‍चों ने उस स्‍कूल में पढ़ाई की है उनके हितों का ध्‍यान भी हमको रखना होगा क्‍योंकि निश्चित रूप से उन दोनों स्‍कूलों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है और मान्‍यता समाप्‍त होने की कार्यवाही की जा रही है. मैं आपको आश्‍वासन देना चाहता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- बहादुर सिहं जी, मैं आसंदी पर खड़ा हुआ हूं कृपया कर आप बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी, आप भी बैठ जाइए. मैं यह कहना चाहता हूं कि सभी सदस्‍यों की जो भावना है और यह परेशानी पूरे प्रदेश में दिखाई पड़ती है तो केवल एक उत्‍तर तक सीमित न रखें आप सभी के प्रश्‍नों के उत्‍तर दें.

            श्री रामेश्‍वर शर्मा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कम से कम चौहान जी के प्रश्‍न का उत्‍तर तो स्‍पष्‍ट आ जाये. आखिर कोई भी अधिकारी, यदि जांच करता है तो उसकी जांच रिपोर्ट स्‍पष्‍ट होनी चाहिए. यदि अधिकारियों ने गलती की है तो उन पर कार्यवाही क्‍यों नहीं होगी ?

            श्री बहादुर सिंह चौहान-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा केवल इतना कहना है कि अधिकारियों ने स्‍थल निरीक्षण करके रिपोर्ट दी, उसके बाद ही स्‍कूल को मान्‍यता मिली, मेरा प्रश्‍न यह है कि क्‍या उन अधिकारियों को आज ही मंत्री जी निलंबित करेंगे ?

          श्री इन्‍दर सिंह परमारमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिन अधिकारियों ने यदि गलत स्‍थल निरीक्षण की रिपोर्ट दी कि पेट्रोल पंप और स्‍कूल पास-पास हैं या पास-पास नहीं हैं. माननीय सदस्‍य, का कहना है कि अधिकारियों ने रिपोर्ट दी है कि पेट्रोल पंप और स्‍कूल पास-पास नहीं हैं, मैं बताना चाहूंगा कि ऐसी रिपोर्ट नहीं दी गई है और अधिकारियों द्वारा वास्‍तविक रिपोर्ट दी गई है. दोनों के बीच में केवल एक दीवार खड़ी है और एक तरफ स्‍कूल और दूसरी ओर पेट्रोल पंप है. वहां के वीडियो आये हैं, स्‍कूल के खेल के मैदान में भी त्रुटि पाई गई है. इसके बाद भी हम वहां फिर से एक टीम भेजेंगे और यदि अधिकारियों द्वारा इसमें गलत जानकारी दी गई है तो उनके खिलाफ हम कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे क्‍योंकि पेट्रोल पंप भी आज का नहीं है और न ही स्‍कूल आज का है. ये दोनों बहुत पहले से चल रहे हैं और हमारे नियमों में यह एकदम स्‍पष्‍ट नहीं है कि पेट्रोल पंप से कितनी दूरी पर हम स्‍कूल खोल सकते हैं या नहीं खोल सकते हैं. लेकिन सुरक्षा की दृष्टि और मानवीय दृष्टिकोण को देखते हुए हम इसकी फिर से जांच करवाकर, निश्चित रूप से ऐसे लोगों को चिह्नित करेंगे और उसके खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा प्रश्‍न जो आपने संपूर्ण मध्‍यप्रदेश के परिपेक्ष्‍य में कहा है, शासन के इस संबंध में स्‍पष्‍ट निर्देश हैं, हमारे मुख्‍यमंत्री जी के इस संबंध में निर्देश हैं कि कोरोना काल में जिन विद्यालयों ने यदि ऑनलाईन पढ़ाई कराई है तो वे केवल ट्यूशन फीस ले सकेंगे. इसके अलावा किसी प्रकार की फीस नहीं ली जायेगी, ऐसे स्‍पष्‍ट निर्देश हैं. सभी कलेक्‍टरों को इस बाबत् विभाग का सूचना-पत्र प्रेषित किया गया है. जिन अभिभावकों के साथ फीस वसूली की यदि कोई कार्यवाही हुई है, तो हमने बार-बार कहा है कि लोग कलेक्‍टर के पास शिकायत करें. कलेक्‍टर को ऐसे विद्यालयों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए अधिकृत किया गया है. फिर चाहे वे स्‍कूल सी.बी.एस.ई. बोर्ड के हों अथवा माध्‍यमिक शिक्षा मण्‍डल के हों. हम आज ही फिर से सभी कलेक्‍टरों एवं डी.ई.ओ. (District Education Officer) को पुन: पत्र प्रेषित कर रहे हैं, यदि विद्यालय जबर्दस्‍ती फीस की वसूली करते हैं तो उनके विरूद्ध कार्यवाही होगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम यह भी कह रहे हैं कि जिन बच्‍चों के अभिभावकों द्वारा किसी कारणवश फीस नहीं जमा की जा सकी है, उनको भी विद्यालय द्वारा परीक्षा से वंचित नहीं किया जा सकेगा, ऐसे भी निर्देश हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण के उत्‍तर में दिए जा चुके हैं, हम इस पर कार्यवाही करने जा रहे हैं. मैं समूचे सदन को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि किसी भी प्रकार से दबाव बनाकर बच्‍चों को परीक्षा या रिज़ल्‍ट से कोई विद्यालय वंचित नहीं करेगा.

          श्री बहादुर सिंह चौहान-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में जो जय मां वैष्‍णों कान्‍वेंट स्‍कूल, झारड़ा है, मैं वहां का निवासी हूं. वहां से रोज मेरी गाड़ी निकलती है. मैं पूछना चाहता हूं कि मैं मंत्री जी के दल का विधायक हूं और यदि मंत्री जी पेट्रोल पंप और स्‍कूल की दूरी यदि बता दें और आज सदन में यह तय हो जाये कि मैं, जो कह रहा हूं, वह रिपोर्ट सही है या जो अधिकारी रिपोर्ट दे रहे हैं वह सही है ? मेरा निवेदन है कि स्‍कूलों पर तो कार्यवाही हो गई लेकिन जिन अधिकारियों ने स्‍थल निरीक्षण करके स्‍कूल को गलत मान्‍यता दिलवाई है, वहां पेट्रोल पंप पहले से संचालित था, स्‍कूल बाद में स्‍थापित हुआ है इसलिए स्‍कूल के लोग दोषी हैं, वे अधिकारी दोषी हैं, जिन्‍होंने स्‍थल निरीक्षण की गलत रिपोर्ट दी, उनको आज ही निलंबित किया जाना चाहिए, ऐसा मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है. 

          श्री कुणाल चौधरी-  आपकी सरकार में अधिकारी राज ही चल रहा है, यही तो तकलीफ़ है. विधायकों की चल नहीं रही है.

          श्री इन्‍दर सिंह परमारमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि प्रकरण लंबे समय से चल रहा है, हम एकदम किसी को भी यहां डायरेक्‍ट नहीं कर पायेंगे इसलिए मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि हम प्रक्रिया का पालन करते हुए, जो आप चाहेंगे, वह होगा लेकिन मुझे प्रक्रिया का पालन करने दीजिये.

         

         


 

धार जिलांतर्गत शा.उ.मा.वि. बड़दा के भवन का निर्माण

[जनजातीय कार्य]

10. ( *क्र. 2100 ) श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्‍या धार जिले के डही विकासखण्‍ड के ग्राम बड़दा में शासकीय उच्‍चतर माध्‍यमिक विद्यालय के भवन हेतु भूमि चयन के उपरांत भवन निर्माण का भूमि पूजन दिनांक 26.02.2020 को तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री माननीय श्री कमलनाथ ने किया था? 26.02.2020 के पूर्व जो जमीन भवन निर्माण हेतु आवंटित की गई थी, उसके आदेश की प्रमाणित प्रति उपलब्‍ध करावें। (ख) क्‍या उक्‍त चयनित भूमि पर 26.02.2020 को हुए भूमि पूजन का शिलालेख लगा दिया गया है, यदि हाँ, तो कब यदि नहीं, तो क्‍यों नहीं? (ग) चयनित भूमि पर कार्य प्रारंभ किए जाने में विलंब क्‍यों हो रहा है, उसके लिए कौन अधिकारी जिम्‍मेदार है? शासन उन पर कब कार्यवाही करेगा(घ) यह कार्य कब तक प्रारंभ होकर पूर्ण होगा?

जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे ) : (क) जी हाँ। भवन निर्माण के आवंटित भूमि के आवंटन आदेश की प्रति की जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है(ख) जी नहीं। निर्माण कार्य की भूमि का परिवर्तन होने से शिलालेख नहीं लगाया गया है। (ग) निर्माण कार्य की भूमि परिवर्तन होने से कार्य प्रारंभ होने में विलंब हो रहा है, इसके लिये कोई अधिकारी जिम्‍मेदार नहीं है।                                               (घ) कार्य शीघ्र प्रारंभ किया जाकर पूर्ण कराया जावेगा, समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

परिशिष्‍ट - ''दो''

           

            श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा के डही विकासखण्‍ड के ग्राम बड़दा में शासकीय उच्‍चतर माध्‍यमिक विद्यालय का आदेश क्रमांक- 3452, दिनांक 27.11.19 का भूमिपूजन प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री श्रद्धेय कमल नाथ जी ने किया था. अध्‍यक्ष महोदय, भूमि का अलाटमेंट हो गया, वर्क ऑर्डर हो गया उसके बावजूद भी भवन का निर्माण कार्य चालू नहीं हुआ है. मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं डही एक शत-प्रतिशत आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्र है और जिस जगह का चयन किया गया, वह विशेष इस बात को ध्‍यान में रखकर किया गया कि जो 5- 8 और 10 किलोमीटर दूर से छात्र-छात्राएं आती हैं, वहां पर उस भवन का निर्माण होने से आदिवासी बच्‍चों का दूर से आना-जाना नहीं पड़ेगा. इसलिये मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है कि जिस जगह का चयन किया गया है उसका भूमिपूजन हो चुका है, वर्क ऑर्डर हो चुका है सब कुछ हो गया है तो वहां पर आप जल्‍दी से जल्‍दी काम चालू करवाने की कृपा करें.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिस जगह का माननीय सदस्‍य ने जिक्र किया है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍य को बताना चाहती हूं कि जिस जगह पर भवन निर्माण होना सुनिश्चित हुआ था, वह शायद गांव बहुत दूर करीब 2-3 किलोमीटर दूर है और ग्राम बड़दा के जो ग्राम प्रधान हैं, उन्‍होंने कलेक्‍टर को लिखित में दिया था कि चूंकि बड़दा जो हायर से‍केण्‍डरी स्‍कूल है उसमें 60 प्रतिशत हमारी बेटियां पढ़ती हैं और बाकी के बच्‍चे हैं और वहां तक जाने के लिये रोड भी नहीं है. इसलिये अभी पुरानी जगह में जिस बिल्डिंग में स्‍कूल संचालित है वह बिल्डिंग जर्जर हालत में है तो उसी बिल्डिंग को गिरा कर अभी वहां पर नयी बिल्डिंग बनाने की बात चल रही है. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहती हूं कि ग्राम प्रधान ने कलेक्‍टर धार को पत्र को लिखा था इसीलिये यहां पर भूमि स्‍थल चेंज करने की बात आयी है.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल:- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैंने स्‍पष्‍ट रूप से कहा और तारीख बतायी कि कौन सी तारीख को कलेक्‍टर ने आदेश किया और आदेश क्रमांक भी बताया उस आदेश में कलेक्‍टर ने स्‍पष्‍ट रूप से लिखा है कि उक्‍त नवीन भूमि   गांव की मेन रोड पर स्थित है, आने-जाने में विद्यार्थियों को किसी प्रकार से कोई असुविधा नहीं होगी, साथ ही आसपास के ग्रामों से विद्यालय में आने-जाने में छात्र-छात्राओं के आवागमन में भी कोई दिक्‍कत नहीं होगी. इसीलिये ही कलेक्‍टर ने स्‍वयं ने जमीन का चयन किया, विभाग के लोग गये उसके बाद में जमीन का आदेश हुआ, उसके बाद वर्क ऑर्डर इश्‍यू हुआ, उसके बाद में पूर्व मुख्‍यमंत्री जी ने उसका भूमिपूजन किया उसके बाद में जगह को इसलिये चेंज कर देना कि प्रधान ने कह दिया, तो मैंने भी तो लिखा था, उस जगह को अधिकारियों ने भी देखा था, कलेक्‍टर ने स्‍वयं ने उस जगह को देखा था. अब ऐसे तो जितने भी जनप्रतिनिधि लोग हैं और मंत्री लोग हैं वे उद्घाटन करके आयेंगे और सत्‍ता का परिवर्तन होगा, सरकार दूसरी आयेगी, विधायक दूसरे बनेंगे जगह बदल देंगे तो यह तो मेरे ख्‍याल से उचित नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप प्रश्‍न करें.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल:- मैं चाहता हूं स्‍कूल का भवन उसी जगह पर बने जिसका कलेक्‍टर ने आदेश किया है, जिसका वर्क ऑर्डर हुआ है और जिसका भूमिपूजन हो चुका है.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे:- माननीय अध्‍यक्ष जी, जगह चेंज करने का अधिकार सिर्फ पंचायत को होता है और पंचायत ने तय किया है कि विद्यालय 3 किलोमीटर दूर नहीं बनेगा, जहां पुराना विद्यालय संचालित है वह वहीं पर बनेगा और मैं, सरपंच महोदय का पत्र भी आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍य को अवगत कराना चाह रही हूं.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल:- माननीय अध्‍यक्ष जी, यह सरपंच महोदय ने सरकार जाने के बाद पत्र दिया जब कांग्रेस की सरकार थी तब पत्र देते कि साहब हमको यहां पर विद्यालय नहीं बनाना है. एक तो मैंने विद्यालय का भवन स्‍वीकृत करवाया.

          श्री विजयपाल सिंह:- आपने दवाब डलवाया होगा.

          अध्‍यक्ष महोदय:- विजयपाल जी बैठ जाइये.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल:- नहीं भईया, मैं कभी दबाव नहीं डालता, मैं कभी दबाव की राजनीति नहीं करता. हम भी जन-प्रतिनिधि हैं, हमने भी जगह का चयन‍ किया, हमने भी प्रस्‍ताव किया कलेक्‍टर के आदेश में स्‍पष्‍ट रूप से है पत्र नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के मंत्री ने पत्र भेजा है उसके बाद में जमीन का चयन हुआ अब 3-4 महीने के बाद प्रधान की बात हो जाये, जब उद्घाटन हो जाये उसका वर्क आर्डर हो जाये यह उचित नहीं है. अध्यक्ष महोदय आपका संरक्षण चाहूंगा कि मंत्री जी वहीं पर बनायें.

          अध्यक्ष महोदय--आपका उद्देश्य यह है कि बिल्डिंग बने.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, जिस जगह का मंत्री जी उल्लेख कर रही हैं उनकी जानकारी में ही नहीं है, क्योंकि कुक्षी से कुछ लोग आये होंगे उनको यह जानकारी दे गये होंगे, वह सरकारी भूमि है नहीं.

          अध्यक्ष महोदय--पुरानी बिल्डिंग बनी है, ऐसा उन्होंने कहा है.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर धार को मैंने स्पष्ट रूप से फोटो भेजे उनसे भी जानकारी ली कि भवन कैसा है तो उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा बना हुआ है. जब भवन अच्छा बना हुआ है तो उसको तोड़कर बनाने का क्या औचित्य है.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- (भवन का फोटो दिखाते हुए) अध्यक्ष महोदय आपकी अनुमति तो दिखाना चाहती हूं कि भवन बहुत ही जर्जर हालत में है और इसी भवन को फिर से बनाने की बात कही है.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, भवन के फोटो मेरे पास में भी हैं. जो इनको पहुंचाये गये हैं जो लेकर के आया है वह जानकारी मेरे पास में भी है उनको उस भवन का फोटो उनको नहीं भेजा गया है अन्य जगह का फोटो इनको दिखा दिया गया है ताकि बता सकें कि भवन अच्छी हालत में है. पर मेरा विषय यह है कि जिसका भूमि पूजन तथा वर्क आर्डर हो चुका है, उसके बावजूद उसकी जगह को एक प्रधान के कहने से बदलेंगे ? जब सर्वे हुआ सर्वे में वह स्वयं भी गये पूरा विभाग गया कलेक्टर ने उसमें आदेश किया तब यह आपत्ति करते अब सब कुछ होने के बाद तीन चार महीने बाद जगह चयन करने की बात करेंगे तो, यह उचित नहीं है.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय यह चाहते हैं कि हमारे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की छात्र-छात्राएं 9-10 बजे आयें तो वह पैदल चलकर के आयें, तो यह ठीक है. वह स्वयं भी ट्राइबल विभाग से आती हैं.

          श्री गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि पंचायत के किस नियम में लिखा है कि सरपंच तय करेगा. शासन की पंचायत की निधि से सब काम होते हैं वह पंचायत अपने गांव में ही तय करती है. शासन की निधि से शासन के द्वारा स्वीकृत कोई भी कार्य पर स्थल चयन करने का अधिकार पंचायतों को नहीं है. कृपया करके इसमें सुधार कर लें. दूसरा अगर विवाद है. मान लीजिये कि एक विधायक तथा एक सरपंच भी जनप्रतिनिधि है तो उसमें विवाद है तो कलेक्टर को आप अधिकृत कर दें कि वहां जहां उचित समझे निष्पक्ष भाव से आप दबाव मत डालना वह कड़े निर्णय लें. यह जब पहले से ही तय हो चुका है तो हमारा यह निवेदन है कि कम से कम विधायक का सम्मान भी बना रहे यह हम सबका दायित्व है.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, उसमें मैं कुछ जोड़ना चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यही है कि बिल्डिंग बने माननीय गोविन्द सिंह जी ने ज्यादा क्लियर कर दिया है.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय ग्राम पंचायत को ही परिसम्पतियों का अधिकार होता है और वह भी तो निर्वाचित व्यक्ति हैं जैसे हम लोग निर्वाचित होकर के आये हैं. पंचायत के अंदर जो भी सम्पत्ति होती है वह पंचायत सरपंच के अधिकार क्षेत्र में होता है.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, बहुत सारी हैं. पूरे प्रदेश की कार्य योजना बनती है और यह शासन की ओर से जाती है. बहुत सारे प्रकरणों में सरपंच का कोई लेना देना नहीं होता है. संरपंच अपने स्वयं निर्णय लेता है बहुत सारे काम करने के लिये अब शासन ने तथा कलेक्टर ने जो निर्णय लिया है, अब निर्णय को बदलना यह उचित नहीं है. जो जगह का चयन हुआ है वहां पर आदिवासी छात्र-छात्राओं को सेन्टर पाईंट पड़ेगा बहुत दूर से बच्चों को आना पड़ेगा इसलिये उसका चयन किया गया है. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि माननीय मंत्री जी भी उसी समुदाय से आती हैं उस पर क्यों नहीं निर्णय लेना चाह रही हूं. या तो फिर बता दें कि वह आदिवासियों के हित में नहीं करना चाहती हैं तो ठीक है उसको हम स्वीकार करेंगे और वहां पर जाकर बोलेंगे कि हमने प्रश्न उठाया था आदिवासी समाज के छात्र छात्राओं के बारे में उसी समुदाय की मंत्री जी ने करने से मना कर दिया है, ठीक है.

          अध्यक्ष महोदय--आप इसको दिखवा लें.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को कहना चाहती हूं कि ग्रामसभा को विशेष अधिकार हैं और ग्राम सभा में ही प्रस्ताव पारित हुआ है कि पुरानी जगह पर बनाया जाये. बच्चियों की सुरक्षा का मामला है तीन किलोमीटर हमारी बच्चियां चलकर के विद्यालय तक कैसे जायेंगी.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, इसलिये उनका चयन वहां पर किया गया है मंत्री जी.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्य जी आप बैठ जाईये.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय, सरपंच ने ग्राम सभा का प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव के तहत ही उस जगह का परिवर्तन किया गया है.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी अभी माननीय गोविन्द सिंह जी ने कहा है कि कलेक्टर से उसको दिखवा लीजिये तो वह कलेक्टर के ऊपर विश्वास कर रहे हैं तो आप इस तरह का डायरेक्शन दे दीजिये कि कलेक्टर जाकर के वहां पर देख लें और जो उचित हो वह निर्णय लें.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय आसंदी के आदेश का पालन किया जायेगा.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, यह स्पष्ट है.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय गोविन्द सिंह जी की सलाह पर ही यह किया गया है.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- अध्यक्ष महोदय, (XXX)

          अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त

                                                (प्रश्नकाल समाप्त)


 

12:00 बजे                     औचित्‍य का प्रश्‍न एवं अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

माननीय सदस्‍यों को कोरोना वैक्‍सीन लगाए जाने विषयक.

          संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्‍तम मिश्र) -  माननीय अध्‍यक्ष जी, मेरा पाइंट आफ इन्‍फर्मेशन है. माननीय प्रधानमंत्री जी ने आज कोरोना वैक्‍सीन का टीका लगवाकर देश के लोगों के कमजोर हो रहे मन को मजबूत  किया है, उन लोगों के मुंह पर ताला लगाया है, जो इस बारे में भ्रम फैला रहे थे.(...मेजों की थपथपाहट)

          श्री कुणाल चौधरी - सभी को फ्री में वैक्‍सीन दी जाए. पूरे प्रदेश में फ्री में दिया जाए तो ज्‍यादा अच्‍छा होगा, जो चुनाव में वादा किया था, एक भी व्‍यक्ति से पैसे नहीं लिए जाए, कोरोना वैक्‍सीन का, कृपा कर माननीय अध्‍यक्ष महोदय से आग्रह है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप बोलने तो दीजिए.

          श्री पी.सी. शर्मा - 10 लाख लोगों ने एक बार टीका लगवा लिया, दूसरी बार नहीं लगवाया. (...व्‍यवधान)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री प्रभुराम चौधरी जी ने भी कोरोना का टीका लगवा लिया है. मैं आसंदी के माध्‍यम से सम्‍माननीय सदस्‍यों से प्रार्थना  करना चाहता हूं कि जितने भी  सम्‍माननीय सदस्‍य 60 साल से ऊपर के हों, उन सभी से मेरी प्रार्थना हैं कि वे सभी इस टीके को लगवा लें जिससे उनके स्‍वास्‍थ्‍य की चिन्‍ता आसंदी करें. मैं चाहूंगा अध्‍यक्ष जी, इस बारे में आपकी कोई व्‍यवस्‍था आ जाए.

          श्री कुणाल चौधरी - आपकी उम्र तो बता दो साहब, आपकी उम्र 60 से ज्‍यादा  या कम.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष जी, जैसे आपने साधौ जी का माइक छोटा करवा दिया, इसका लंबा करवा दो, जिराफ की तरह पैर पसारना पड़ते हैं, इनको, जैसे जिराफ बोलने से पहले पैर आगे करता है, वैसा लगता है, कुणाल का माइक लंबा करवा दो(...हंसी) और एक व्‍यवस्‍था आपकी आए जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय - जैसा कि संसदीय कार्यमंत्री जी ने तो वैसे गोविन्‍द सिंह जी अपनी उम्र तो नहीं बताएंगे. आप ही जांच कराना.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष जी, गोविन्‍द सिंह जी ने न मास्‍क लगाया हैं, न टीका लगवाएंगे, गोविन्‍द सिंह जी आप दल की ओर से घोषणा कीजिए कि आप टीका लगवाएंगे, जिससे पूरे प्रदेश के अंदर लोगों में संदेश जाएगा.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - अध्‍यक्ष जी, वर्तमान में मंत्री है हमारे क्षेत्र के. मैं मिश्रा जी के पद चिन्‍हों पर चल रहा हूं. (...हंसी)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - आप पहले घोषणा कीजिए कि आप टीक लगवाएंगे, स्‍पेसिफिक प्रश्‍न है, (...हंसी) मैं कह रहा हूं मैं लगवाउंगा, आप बोलो क्‍या आप टीका लगवाओगे, मैं आपके साथ चलकर लगवाउंगा, आप बोलो, मास्‍क लगाओगे, हां या न बोलो(...हंसी)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - आप पहले लगवा लो फिर मैं लगवा लूंगा, अच्‍छा दोनों साथ साथ चलेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - वे कह रहे साथ साथ करेंगे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - नहीं नहीं अध्‍यक्ष जी, मना कर रहे हैं.न मास्‍क लगाएंगे, न टीका लगाएंगे. अध्‍यक्ष जी इनको  बैंच पर खड़ा कीजिए(...हंसी)

          अध्‍यक्ष महोदय - आपसे केवल उम्र के बारे में असहमत है, बाकी सभी में सहमत है.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - अध्‍यक्ष महोदय, माननीय नरोत्‍तम जी ने जो पाइंट और इन्‍फर्मेशन दी है, शासकीय प्राथमिकताएं जिनको इंजेक्‍शन लगाने की तय की गई है, उसमें माननीय विधायकों की सूची में अभी तय नहीं है कि किस क्रम में लिया जाएगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - 60 साल से ऊपर कहा तो.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - इन्‍फर्मेशन देना अच्‍छी बात है. मैं यह चाहता था, इस इन्‍फर्मेशन के साथ माननीय मंत्री जी यह भी बोलते कि माननीय सदस्‍यों को इस आधार पर हम तत्‍काल वैक्‍सीन लगवाने की व्‍यवस्‍था कर रहे हैं. दूसरी बात जिनकी उम्र का स्‍टे16 साल में ले लिया गया हो.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष जी, ये रात को लेट हो जाते हैं तो रोज सवेरे लेट आते हैं, इनको भी बैंच पर खड़ा करना चाहिए. ये रोज लेट आते हैं, ये 16 साल का स्‍टे क्‍या होता है अध्‍यक्ष जी. कितना गंभीर विषय था, उसको विषयांतरित कर रहे.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - अध्‍यक्ष जी, उम्र के बारे में बात चल रही थी, आप उम्र पर क्‍यों आ गए थे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - मैं नहीं आया हूं, पूरा देश आया है और विधायकों को कैटेगरी में मत बांटो, एन.पी. भाई पूरे देश के अंदर जो 60 साल से ऊपर है, उनको टीका लगवाना चाहिए, यह मैंने प्रार्थना की है. आप मानते हों कि आप 60 से ऊपर नहीं है आप नाबालिग हो तो मैं क्‍या कर सकता हूं.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - आप एक और राजनीतिक श्रेय ले रहे हों, राजनीतिक व्‍यक्ति के बारे में बोलकर(...व्‍यवधान).

          अध्‍यक्ष महोदय - आपका ही विषय आना है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष जी, बहुत गंभीर विषय है, इसको गंभीरता में रहकर आपकी व्‍यवस्‍था आ जाए मेरा पाइंट और इन्‍फरर्मेशन पर सम्‍मानित सदस्‍य के विधायक हैं, गोविन्‍द सिंह जी को भी शामिल करते हुए आएं.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी का सुझाव उपयुक्‍त है. माननीय सदस्‍य सुविधानुसार वैक्‍सीन का टीका लगवाने का कष्‍ट करें. (मेजों की थपथपाहट).

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.05 बजे                                    स्‍थगन प्रस्‍ताव

सीधी से सतना जा रही निजी बस के बाणसागर डेम की नहर में दुर्घटनाग्रस्‍त होने से उत्‍पन्‍न स्थिति

 

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) - अध्‍यक्ष जी, ग्राह्यता पर चर्चा न हो, ग्राह्य करने को शासन तैयार है. ग्राहृय करके चर्चा हो, यह आसन्‍दी से प्रार्थना थी.

          अध्‍यक्ष महोदय - चूँकि शासन पक्ष भी स्‍थगन प्रस्‍ताव पर चर्चा हेतु सहमत है. अत: स्‍थगन प्रस्‍ताव की सूचना को ग्राह्य किया जाता है. अत: सहमति अनुसार चर्चा अभी प्रारंभ की जाती है. श्री कमलेश्‍वर पटेल जी.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल (सिहावल) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बहुत ही हृदय विदारक घटना दिनांक 16 फरवरी को सीधी जिले में घटी और उसमें 54 लोगों की जानें गई हैं, वे ऐसे परिवार के लोग थे, जो बहुत ही गरीब थे और उन्‍होंने बड़ी मुश्किल में अपने बच्‍चों को पढ़ा-लिखाकर इस लायक तैयार किया था कि वे आगे चलकर उनका सहारा बनें, पर कहीं न कहीं सरकार की लापरवाही और अदूरदर्शिता की वजह से, इस तरह की घटना घटी. यह स्‍टाफ नर्स की परीक्षा व्‍यापम द्वारा आयोजित की गई थी,. अगर पूरे संभाग का सेंटर सतना में नहीं होता तो शायद इतने सारे लोग एक बस पर सवार होकर नहीं जाते और दूसरा, जो हमारा छुईया घाटी है, जो शहडोल और रीवा को जोड़ने वाला मार्ग है, सीधी से रीवा को जोड़ने वाला, सतना को जोड़ने वाला मार्ग है. वहां 6 दिन तक लगातार जाम लगा रहा और जिला प्रशासन द्वारा उसमें किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई और जैसे ही घटना घटी, उसी दिन वह राष्‍ट्रीय राजमार्ग भी खुल गया और वहां पर मरम्‍मत का भी काम भी शुरू हो गया और यहां तक की रोटेशन में पुलिस अधिकारियों की ड्यूटी भी लग गई कि भविष्‍य में इस तरह का जाम न लगे.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा क्षेत्र के लोग भी उसमें थे और उस बस में 13 लोग सिंगरौली जिले के थे और बाकि सारे सीधी जिले के थे. और हम लगभग सबको जानते हैं और हम तो मौके पर पहुंच गये थे और आखिरी तक थे, जिस तरह की यह घटना घटी है, यह हम कह सकते हैं कि कहीं न कहीं पूरी तरह से इसके लिये सरकार जिम्‍मेदार है, क्‍योंकि हमने देखा और हम तो परिजनों से मिले हैं. एक ही परिवार से दो-दो, चार-चार लोगों की जिंदगी खत्‍म हो गई, उनका परिवार खत्‍म हो गया.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र की एक श्रीमती सुशीला प्रजापति जो जनपद सदस्‍य भी थी और पढ़ी-लिखी महिला थी, वह नौकरी करना चाह रही थी और उसका पति भी साथ में उसको एग्‍जाम दिलाने के लिये लेकर गया था और दोनों की मृत्‍यु हो गई. उनकी पूज्‍य माता जो विधवा थी, जिसने अपने बच्‍चों को बड़ी मुश्किल से पढ़ाया-लिखाया और सहारा बनाया, उनका सहारा छिन गया है. अब उनके दो छोटे-छोटे बच्‍चे हैं.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक ऐसे ही तिवारी परिवार है, तिवारी जी के बेटा और पोती दोनों की उस बस दुर्घटना में मृत्‍यु हो गई थी. इसी प्रकार से ऐसे ही एक प्रजापति परिवार है और ऐसे ही एक विश्‍वकर्मा परिवार है, आदिवासी परिवार है, यादव परिवार है, एक खुश्‍मी का परिवार है, चार लोगों की एक ही घर से लाश उठी है. ये इतनी हृदय विदारक घटना थी और उसके बाद हमारी सरकार के माननीय मंत्री लोग गये और उन्‍होंने हम यह नहीं कहेंगे कि उसमें राजनीति की या क्‍या किया, यह उनका अपना वो है, पर जो सरकार की तरफ से प्रावधान किया गया है, वह बहुत कम था.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पांच लाख रूपये, चार लाख रूपये तो पानी में डूबने का सामान्‍य मृत्‍यु में पटवारी और तहसीलदार ही सेंग्‍शन कर देते हैं. सिर्फ पांच लाख रूपये राज्‍य सरकार की तरफ से और दो लाख रूपये पी.एम. रिलीफ फंड से देने प्रावधान किया गया है और जो उनके परिजन हैं, वह इतने उत्‍तेजित थे यहां तक कि उन्‍होंने चेक भी कई जगह पर फेंक दिया है, इसमें भी कहीं सांसद ने जाकर तो कहीं विधायक तो कहीं माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने भी जाकर चेक देने की कोशिश की है. मेरा तो कहना है इस तरह की घटना में हमारे पटवारी, सेक्रेटरी कोई भी कर्मचारी जाकर उनकी तात्‍कालिक व्‍यवस्‍था कर सकते थे. एक आध दिन आगे पीछे भी कर सकते थे, यहां तक कि कई परिजनों को जिनके यहां घटना घटी थी, शाम को माननीय मुख्‍यमंत्री जी के समक्ष बुलाया गया, हमारे तहसीलदार, पटवारी, आर.आई. उनको लेकर सर्किट हाउस में आये. जिसके यहां इतनी हृदय विदारक घटना घटी हो और उसको फिर आप आर्थिक सहायता देने के लिये मुख्‍यालय में बुलायें, उनको परेशान करें, हम कह सकते हैं कि यह कितनी गलत बात है, सरकार की तरफ से कितनी गैर जिम्‍मेदारी है यह हम कह सकते हैं और असंवेदनशीलता है. यह जो घटना घटी है....

वन मंत्री (कुंवर विजय शाह) -- आपके जमाने में तो मिलता नहीं था, हमारे मुख्‍यमंत्री और हमारी सरकार ने तत्‍काल मंत्री भेजे और तत्‍काल ही सहायता राशि दी है.(मेजों की थपथपाहट)  आपके जमाने में तो मिलता नहीं था, आपके जमाने में कोई पूछने वाला नहीं था. (व्‍यवधान..)अरे हमने तो 48 घंटे में राहत राशि दी है.                   

श्री कमलेश्‍वर पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहेंगे क्‍योंकि यह घटना कोई सामान्‍य घटना नहीं है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लोगों की जान गई है और सरकार की लापरवाही की वजह से जान गई है. अगर परीक्षा सेंटर सतना में नहीं होता तो क्‍योंकि 12 तारीख से 17 तारीख तक परीक्षा वहां पर चलती रही, लोग गाडि़या बुक करके गये हैं, जिस प्रजापति परिवार का हमने उल्‍लेख किया है, एक दिन पहले उनकी बहू और उनका छोटा भाई भी वहीं एग्‍जाम दिलाकर लाया था. पांच दिन तक लोग वहां जाते रहे, कितनी बेरोजगारी है और किस तरह से मां बाप बच्‍चों को बड़ा करते हैं, पढ़ाते लिखाते हैं, उसके बाद सरकार की तरफ से ऐसी व्‍यवस्‍था, इस तरह की व्‍यवस्‍था. जब ऑनलाइन एग्‍जाम है तो आप जिला मुख्‍यालय में भी एग्‍जाम कर सकते थे. देखिये माननीय अध्‍यक्ष महोदय..

ऊर्जा मंत्री(श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर) -- अगर इतने ही संवेदनशील ही थे तो नेता प्रतिपक्ष या पार्टी का कोई वरिष्‍ठ नेता पूरे टाईम कहां पर थे.(व्‍यवधान..) आप सिर्फ राजनीति कर रहे हैं, आप संवेदनशील नहीं हैं.

                                                            (व्‍यवधान..)

श्री कमलेश्‍वर पटेल -- मैं पूरे टाईम था, मैं कांग्रेस पार्टी का वरिष्‍ठ नेता हूं. (व्‍यवधान..)

श्री सोहनलाल बा‍ल्‍मीक -- (व्‍यवधान..) (जोर-जोर से चिल्‍लाकर) बात रखी जा रही है और आप उसका मजाक उड़ा रहे हैं. xxx (व्‍यवधान..)

                                                (व्‍यवधान..)

अध्‍यक्ष महोदय -- (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों के अपने अपने आसन से कुछ कहने पर) इसको विलोपित करें. आप सभी बैठ जायें, कमलेश्‍वर पटेल जी को अपनी बात कहने दीजिये. (व्‍यवधान..)

            श्री कमलेश्‍वर पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप सुन लीजिये जो संबंधित थाने के टी.आई. हैं, चौकी प्रभारी है, इतने दिनों तक जाम लगा, अभी भी वह लोग वहीं पर हैं जिनकी घटना घटने के बाद 18 तारीख की दिनांक में रोटेशन में ड्यूटी लगी थी, फिर एस.पी. की तरफ से एक आदेश जारी हुआ, एक तरफ यह कहते रहे कि कोई जाम नहीं लगा, मुख्‍यमंत्री जी को भी यही जानकारी दी और सरकार को भी गलत जानकारी दी है और दूसरी तरफ फिर रोटेशन में अधिकारियों की ड्यूटी लगाते हैं, यह कितनी बड़ी लापरवाही है. वह लोग अभी भी वहीं पर मौजूद हैं और आर.टी.ओ. सतना से परमीशन हुई इसके बाद जल्‍दबाजी में हटाया किसको सीधी आर.टी.ओ. को हटाया, उनके खिलाफ कार्यवाही की, माननीय अध्‍यक्ष महोदय यह क्‍या हो रहा है ? एक तो सबसे पहले व्‍यापम परीक्षा के लिये जो भी जिम्‍मेदार हो, जो सेंटर इतनी दूर बनाया था उनके ऊपर हत्‍या का मामला दर्ज होना चाहिये क्‍योंकि यह बहुत ही गैर जिम्‍मेदाराना काम किया है, कहीं न कहीं सरकार को बदनाम करने का काम किया है. बिना सरकार की जानकारी में कैसे इतना बड़ा डिसीजन ले लेते हैं और नैतिकता की क्‍या बात करें 54 लोगों की जान चली गई, न परिवहन मंत्री जी, वह तो यहां भोजन कर रहे थे, मस्‍ती चल रही थी, आप लोगों ने भी देखा होगा, फिर उन्‍होंने माफी भी मांगी और कह दिया कि सालभर अब कहीं खाना ही नहीं खायेंगे. यह क्‍या हो रहा है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी गये, हम तो कहते हैं कि मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री को भी इस्‍तीफा देना चाहिये. मुख्‍यमंत्री जी सर्किट हाउस गये, मच्‍छर काट दिया, मच्‍छर काटने पर उपयंत्री सुबह ही तत्‍काल निलंबित हो जाता है, पीडब्‍ल्‍यूडी के डीई के खिलाफ इंक्रीमेंट रोकने की कार्यवाही हो जाती है, परंतु प्रदेश की जनता की जान चली जाये, नौजवान मर जायें, उनके लिये सरकार गैर जिम्‍मेदार है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन है कि नौकरी का प्रावधान होना चाहिये, उनके परिवार का सहारा छिना है.

          श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी--  आप यह तो मानते हैं न कि मदद करने गये थे, चेक देने गये. जब पिछली बार संबल योजनाओं का लाभ पिछली डेढ़ साल से कमलनाथ सरकार में नहीं मिलता था तब आप कहां थे.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल--  अरे मनोज जी आप बैठ जाइये, आपको बड़ा चेक मिल गया है, आप बैठ जाइये,  अभी हम सरकार से बात कर रहे हैं, आपको बड़ा चेक मिल गया है, आप समझिये, लोगों की जिंदगियां छिन गई हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लोगों का घर बर्बाद हो गया, उनका सहारा छिन गया है और सरकार को इसमें उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी का प्रावधान करना चाहिये और जो राहत राशि का प्रवधान किया है, उसमें भी बढ़ोत्‍तरी करके कम से कम एक करोड़ करना चाहिये.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा सालभर से कोई ओवरलोडिंग की चेकिंग नहीं हुई है, जो जानकारी दी होगी, माननीय गृहमंत्री महोदय एवं परिवहन मंत्री जी से भी यह जानना चाहेंगे कि पिछले एक वर्षों से कोई ओवरलोडिंग की चेकिंग नहीं हुई है और यह आदेश किया है रोटेशन में राष्‍ट्रीय राजमार्ग खुलवाने के लिये, घटना के बाद किया है अगर प्रशासन पहले चेत जाता तो इस तरह की घटनायें नहीं होतीं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से यही निवेदन है कि भविष्‍य में कोई भी परीक्षा हो, एक तो बेरोजगार वैसे ही हैं, बड़ी मुश्किल में मां-बाप पढ़ाते हैं और आप इतनी कम संख्‍या में नौकरी निकालते हैं और लाखों लोग उसमें पार्टीसिपेट करते हैं, एक तरफ सरकार उनसे बहुत सारा पैसा एग्‍जामिनेशन के नाम से कलेक्‍ट करती है और दूसरी तरफ बेचारे कितनी मुश्किल में गाड़ी बुक करके कैसे पहुंचते हैं, कितनी परेशानियों का सामना करते हैं तो भविष्‍य में जो भी परीक्षायें हों, जिला मुख्‍यालय में होनी चाहिये. पहले एम.पी. पीएससी परीक्षा भी वर्ष 2003 के पहले तक जिला मुख्‍यालय में होती थी, जहां तक मुझे जानकारी है. एक तरफ हम वर्चुअल मीटिंग ग्राम पंचायत स्‍तर पर कर रहे हैं, ऑन लाइन हम डेली मीटिंग करते हैं तो यह बेरोजगारों के लिये जिला मुख्‍यालय तक क्‍यों नहीं हो सकता. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय गृह मंत्री यहां पर विराजमान हैं और बल्कि अभी हम तो चाह रहे थे एक नंबर पर बैठेंगे, लेकिन रह गये, आने वाले समय में हम लोग उम्‍मीद करते हैं. ...(व्‍यवधान)... नहीं-नहीं चांस है, उनमें काफी काबलियत है, ...(व्‍यवधान)...  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक तो मेरा आपके माध्‍यम से यह, दूसरा शासकीय नौकरी का प्रावधान हो, तीसरा जो भी लोग इसमें दोषी हैं, चाहे वह व्‍यापम वाले हों, या संबंधित जो भी अधिकारी हैं. छोटे-मोटे अधिकारियों को टपका के काम नहीं चलेगा क्‍योंकि इस तरह की गलतियां होती रहेंगी और जितना आपने इसमें समय दिया, सरकार ने भी चर्चा के लिये समय दिया, अगर यह और पहले हो जाती तो शायद जो हमारे पीडि़त परिवार के लोग हैं जिनको बहुत उम्‍मीद है, वह लगातार संपर्क में हैं, उनको अच्‍छी व्‍यवस्‍था करना चाहिये, मुझे पूरी उम्‍मीद है कि सरकार इसमें पहल करेगी और जो भी लापरवाही करने वाले अधिकारी, कर्मचारी हैं उनके खिलाफ सरकार कार्यवाही करेगी. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से तो हम चाहेंगे कि थोड़ी बहुत भी नैतिकता है क्‍योंकि 54 लोगों की जान गई है, सरकार के जिम्‍मेदार लोग अगर इस्‍तीफा दे देते तो शायद कहीं न कहीं लोगों को थोड़ा सा यह होता कि नहीं मध्‍य प्रदेश में जो भारतीय जनता पार्टी की सरकार है इसमें बैठे हुये जो मंत्री लोग हैं, मुख्‍यमंत्री हैं अपने प्रदेश की जनता के प्रति बहुत जिम्‍मेदार हैं और कुछ भी ऐसी घटना घटती है तो यह जिम्‍मेदारी लेते हैं और नैतिकता दिखाने का काम करते हैं, पर मुझे उम्‍मीद कम है नैतिकता तो बची नहीं है, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र)-- अध्‍यक्ष जी, सम्‍मानित सदस्‍य ने मेरा दो बार नाम लिया कह रहे थे कि इस्‍तीफा दे देते, मुख्‍यमंत्री से इस्‍तीफा मांग रहे थे. वल्‍लभ भवन की पांचवीं फ्लोर पर बैठे रहे, भोपाल में 11 बच्‍चे मर गये उतरकर देखने नहीं गये इनके मुख्‍यमंत्री, उसमें हमारे मुख्‍यमंत्री से एक दुर्घटना पर इस्‍तीफा मांग रहे हैं. भोपाल गैस त्रासदी में हजारों मर गये, तब इस्‍तीफा नहीं मांगा अर्जुन सिंह से किसी ने, हमसे इस्‍तीफा मांग रहे हैं, आप देखो तो सही हमसे कह रहे हैं कि नौकरियां निकाल देते, 15 महीने में जिन्‍होंने एक नौकरी नहीं निकाली, एक बेरोजगारी भत्‍ता नहीं दिया वह हमसे किस तरह की बात कर रहे हैं. आप विषय पर बात करें और किसी बात को रिपीट न करें और हमारी गलती का कोई सारगर्भित तथ्‍य आपके पास हो तो आप पटल पर रखो, हमारे सम्‍मानित परिवहन मंत्री जी हैं, एक-एक बात का जवाब देंगे. आप चर्चा का राजनीतिकरण न करते हुये विषय पर रखे.

          श्री कमलेश्वर पटेल - विषय से बाहर कोई बात नहीं कही है.

            डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय गृह मंत्री जी ने  जो कहा है वह पूरी तरह असत्य है. कमलनाथ जी, मैं प्रभारी मंत्री था. कमलनाथ जी, मेरे साथ जहां दुर्घटना हुई वहां भी गये हमीदिया अस्पताल में भी गये. उनके परिवार के लोगों से मिले. उनके दाह संस्कार की पूरी व्यवस्था की.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - दुर्घटना कहां हुई थी बता दें तो मान जाएं.

          डॉ.गोविन्द सिंह - मछली घर के सामने जो तालाब है उसमें हुई थी.

          अध्यक्ष महोदय - श्री एन.पी. प्रजापति जी.

          श्री पी.सी. शर्मा(दक्षिण-पश्चिम) - कमलनाथ जी गये थे और लोगों के घरों में जाकर सहायता की.

          अध्यक्ष महोदय - श्री एन.पी. प्रजापति जी.

          श्री आरिफ मसूद(भोपाल मध्य) - कमलनाथ जी ने 11 लाख रुपये दिये थे.

          श्री रामेश्वर शर्मा - हमारे क्षेत्र में ऐसी घटनाएं नहीं होतीं.

          अध्यक्ष महोदय - श्री एन.पी. प्रजापति जी अब आप शुरू करें.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - प्रजापति जी, ये सब भोपाली हैं.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - अपन इसीलिये पीछे हाथ रखकर चलते हैं,

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - जो क्षेत्र सूखा है उसको भी उपजाऊ बना देंगे.

          अध्यक्ष महोदय - गंभीर विषय है बोलने दीजिये. प्रजापति जी.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) (गोटेगांव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब राज्य में कोई ऐसी गंभीर विपदा होती है जिसे पक्ष और विपक्ष दोनों मानते हैं कि गंभीर विषय है तब कहीं जाकर शासन उसकी ग्राह्यता पर नहीं उसको ग्राह्य करके चर्चा करता है और वैसा माननीय गृह मंत्री जी ने किया. निश्चित रूप से यह विषय बहुत गंभीर है इस पर निर्णय लेने की आवश्यकता है क्योंकि बहुत सारे प्रश्न उठे. अभी उठाए जा रहे हैं लेकिन उसका समाधान शासन स्तर पर होना चाहिये न कि प्रशासनिक स्तर पर. मतलब, शासन को अपना नजरिया प्रदर्शित करना है. मैं उस ओर इंगित कर रहा था. निर्णय अब शासन को लेना है. निर्णय मुख्यमंत्री को लेना है. निर्णय केबिनेट के सदस्यों को लेना है जो-जो इस विषय में दखल रखते हैं उनको लेना है. उदाहरण के तौर पर घटना हुई. क्या यह गैर इरादतन 304 की घटना नहीं है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - परिवहन मंत्री जी बैठे हैं.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -  दोनों का दायित्व है. आप ऐसे  बिल्कुल मत बहकाईये. आप इधर की गेंद उधर की गेंद न करें.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री ( श्री रामखेलावन पटेल ) - 304 लगी है.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -  आप गृह मंत्री नहीं हो.  आप अपना ज्ञान अपने पास रखें.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -  मैं बहकता नहीं हूं. मुझे मालूम है दिन में आप भी नहीं बहकते हो.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - बहुत दिन से आपने मुझ पर कोई कृपा नहीं की इसीलिये बहक नहीं पा रहा हूं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - इसलिये सुधार करूंगा.

          श्री  नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) --  गैर इरादतन अगर लगी है, तो अच्छी बात  है, नहीं, तो  शासन को यह निर्णय लेना चाहिये  कि  अगर परिवहन की कोई भी  ऐसी बस,  जिसमें नियत  सवारियों  से ज्यादा  सवारियां भर दी जाती हैं और ऐसी  दुर्घटना होती है, तो गैर इरादतन  धारा  के साथ-साथ  उन अधिकारियों पर भी लगना चाहिये.  6 दिन से 10 फीट चौड़ी सड़क पर अगर वाहन चल रहे थे, यह  आपका हाइवे क्रमांक 39 है. यहां नियमानुसार  क्रेन मशीन से लेकर सब चीजें होना चाहिये.  अगर 6 दिन से कोई 10-20 चके का ट्राला फंसा हुआ  था,  तो वहां के अधिकारी क्या कर रहे थे.  उन्होंने उस रास्ते को खुलवाने के लिये  क्यों तत्काल वहां पर क्रेन मशीन  नहीं ले गये.  वह रास्ता खुलवा देना था, ताकि 10 फीट चौड़ी  10 किलोमीटर  लम्बी नहर पर  कम से कम यह वाहन तो न चलते.  वह अधिकारी क्या कर रहे थे.  क्या  वे महीने की तनख्वाह इसलिये लेते हैं कि  जब घटना हो जाये,  उसके बाद उस स्पॉट पर जायें  और जो चीज हो गई है,  उसको  छुपाने, लीपापोती करने के लिये  नई-नई कहानियां मढ़कर  हमारे  माननीयों को बतायें, जिससे मूल विषय भटक जाता है  और जो घटना होती है,भविषय में शासन क्या लगाम  लगाना चाहता है,  वह बिन्दु क्वेश्चन मार्क  में  रह जाता है और  नई नई बातें आ जाती हैं.  वह राजनीति की   परिधि में घिर कर  इतिश्री  प्राप्त कर  लेते हैं. नहीं,  इसमें ऐसा मत करियेगा, ऐसी मेरी दोनों मंत्रियों से प्रार्थना है.  अगर  बस में ज्यादा  सवारी थीं, नम्बर एक  तो उस बस के  परमिट जितने भी हैं, सिर्फ इसी रुट का नहीं,  अगर  दंडित करना है, जितनी  भी बसों के रुट हैं,  उनके सब रुट के परमिट  कैंसिल  हो जाने चाहिये. लो कड़ा निर्णय लो, ताकि प्रदेश के दूसरे  बस परमिट वाले भी समझें कि  हम  बच्चों को लेकर जाते हैं, तो ऐसी  अगर घटना होती है, तो  यह उन बच्चों के साथ  नहीं  प्रदेश के नौनिहालों के  साथ घटना होती है.  इसलिये नियम बनाना जरुरी है.  जैसे  माननीय सदस्य बोल रहे थे कि  वहां टीआई फलाना, ढिकाना.  क्या यह  टीआई  इनको नहीं मालूम था कि 6 दिन से  जाम लगा हुआ है. क्या ये भी उतने ही  उत्तरदायी नहीं हैं, इस घटना को घटित होने के लिये.  ऐसे तो आप और हम कई बड़े-बड़े मार्गों से गुजरते हैं, देखते हैं  कि पुलिस चैकिंग के नाम पर 10  किलोमीटर पर वसूली जारी हो जाती है,  किसी भी क्षण किसी भी समय जारी हो जाती है. लेकिन  जब ये 20 ट्राला चकों के जितने भी रहे हों,  जब रास्ता जाम हुआ, तो वहां का टीआई  क्या कर रहा था.  उसने  हटाने की कोशिश क्यों नहीं करवाई और वे अभी भी जमे हुए हैं, ताकि  लीपापोती कर दें पूरी घटना पर. नहीं, इससे  प्रशासन बदनाम नहीं होता है, इससे शासन  बदनाम होता है और  शासन का मतलब जो  आप केबिनेट  स्तर के  पूरे यहां सदस्य मौजूद हैं,  एक बात मैं हमेशा कहते आया हूं कि  हम विपक्ष हैं,  आप पक्ष हैं.  हम दोनों के बीच में प्रशासन है. कभी-कभी शासन को अपना   निर्णय खुद लेना चाहिये.  आपके भी बहुत व्यक्तिगत  सूत्र हैं, जो  आपको सही घटना बताते हैं.  कभी कभी उनका भी तो उपयोग करें.  ताकि वास्तविक रुप में जो  कल्प्रिट्स हैं,   चाहे जो पीडब्ल्यूडी के हों, चाहे  पुलिस विभाग के हों, चाहे   नहर में सिंचाई विभाग के हों इन सबको, नरोत्तम जी और परिवहन मंत्री जी,  आपसे मेरा कहना है  कि आपका जवाब आये, तो हम वह चाहेंगे  कि एक संदेश जाये  इस प्रदेश की जनता  में कि  अगर ऐसी घटनाएं  होंगी,तो  आपकी सरकार बहुत चुस्त  दुरुस्त और तत्काल  ऐसे कड़े निर्णय लेगी,  ताकि भविष्य में  लगाम लगे ऐसे  बस वालों को  कि वह  ऐसी हरकत करने की कोशिश  न करें.  हरकत  से यहां अभिप्राय  यह है कि  जितने का परमिट मिला है,  उतनी  ही सवारियां बिठालिये.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर पर शासन स्तर पर इस पर चर्चा करवाना इस प्रदेश के उन नौनिहालों के प्रति संवेदनाएं बताता है और जब भी ऐसी कोई घटना हो मंत्री जी, परिवहन विभाग कोई 304 की धारा नहीं लगा सकता है, लगाना होगा गृह विभाग को ही लेकिन वही टी.आई. जब वहां बैठा है तो क्यों लगाएगा, घटना हुए कितने दिन हो गये?

डॉ. नरोत्तम मिश्र - धारा लगी है, आप पढ़ तो लिया करो, बिना पढ़े आ जाते हो.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - मैं बोल क्या रहा हूं, जरा पूरा अभिप्राय समझने का कष्ट करें. लगाया तब जब आपका भी प्रशेर गया, मुख्यमंत्री का भी प्रेशर गया और विपक्ष का भी गया. जबकि होना यह चाहिए था.

डॉ. नरोत्तम मिश्र - विपक्ष का नहीं था, आज तक नहीं गया, वहां विपक्ष का काहे का प्रेशर गया? पूर्व संसदीय कार्यमंत्री नहीं गया आज तक वहां पर, चीफ व्हिप नहीं गये वहां पर, अध्यक्ष जी, एक पंक्ति का एक भी आदमी नहीं गया. वह तो लोकल के विधायक हैं जिसको आप कह रहे हैं. वहां पर आप खुद नहीं गये

 श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - अरे भैया, आप गये? आप गृह मंत्री हैं क्या आप गये?

डॉ. नरोत्तम मिश्र - मेरा मुख्यमंत्री गया, आज तक कोई मुख्यमंत्री नहीं गया. मेरा मुख्यमंत्री गया, मुझे गर्व है इस बात पर .

श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी गये तो दलित के घर में भी थोड़ा-सा हो आए होते.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -यह स्वयं तो गये नहीं, अब अपनी गलती छुपाने के लिए गृह मंत्री जी दूसरों पर दोषारोपण करें, माफ करिएगा, इतना नूरानी चेहरा बार-बार मत बताओ भई मुझे, अरे गये. लेकिन गृहमंत्री? घटना क्या है?

डॉ. नरोत्तम मिश्र - घटना परिवहन की है, गृहमंत्री नहीं, दो-दो मंत्री जिन्हें जिम्मेदारी दी थी.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - धारा लगाने वाले विभाग कौन-सा है

डॉ. नरोत्तम मिश्र - जल संसाधन विभाग का मामला था. जल संसाधन मंत्री गये थे, स्थानीय मंत्री दोनों गये और चीफ मिनिस्टर खुद गया. आप बताओ, नेता प्रतिपक्ष गया? चीफ व्हिप गया? आगे की पंक्ति का कोई गया? आपको तो ये आगे की पंक्ति का मानते नहीं तो लूप लाइन में कर दिया, तब भी कर दिया, अब भी कर दिया.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - मुझे दुविधा यह है जिस मंत्री को जाना था ताकि तत्काल सब चीजें हो जाती, वह तत्काल नहीं गये, उसके बाद मुख्यमंत्री जी गये.

मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) - अध्यक्ष महोदय, माननीय बहुत विद्वान सदस्य हैं और विधान सभा के अध्यक्ष रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, घटना के समय से ही मैं लगातार वहां संपर्क में था. राहत और बचाव के काम तेजी से चले इसके लिए मैं कंट्रोल रूम बनाकर ही बैठा था. हमारे दोनों मंत्री मैंने बुलाए, बाकी मंत्रियों के साथ आपात बैठक की, जिनमें आप में से अनेकों सदस्य उपस्थित थे. तब हमने रणनीति बनाई  कि दो मंत्री जाएंगे, मुख्यमंत्री अगर तत्काल जाते तो राहत और बचाव में कई बार ऐसे समय थोड़ा व्यवधान पैदा होता है, प्रशासन का ध्यान बंटता है और इसलिए सोच-समझकर मैंने अपने आपको रोका. मैं उस दिन नहीं गया और दूसरे दिन सवेरे ही मैं फिर घटना स्थल पर भी और प्रभावित परिवारों में भी निकला. हम जानते हैं कि मुख्यमंत्री अगर तत्काल जाते तो राहत और बचाव कार्य प्रभावित हो सकते थे, पूरी कैबिनेट ने बैठक की. आपात बैठक की.  इतनी तेजी से कभी बैठक नहीं हुई होगी.  हमने तय किया कि घटना स्थल पर दो मंत्री जाएंगे और वे सारे राहत के कामों को देखेंगे और तत्काल जो किया जा सकता था, अध्यक्ष महोदय, मैं अभी कोई जवाब नहीं दे रहा हूं, मंत्री जवाब देंगे लेकिन चाहे एसडीआरएफ हो, एनडीआरएफ हो, जहां तक जरूरत पड़ी तो आर्मी कॉल की. हमने जो चीजें हो सकती थीं, हाइड्रा  क्रेन से लेकर तत्काल व्यवस्था की और  लगातार देर रात तक उसकी मॉनिटरिंग  करते रहे.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - अध्यक्ष महोदय, इन सबके लिए मैं व्यक्तिगत कोई बात कर ही नहीं रहा हूं, यह तो वहां से गेंद आ गई कि यह गये, वह गये, मैं उस पर बात नहीं कर रहा हूं. मैं तो बात कर रहा हूं कि शासन इस पर क्या कार्यवाही कर रहा है. मेरा विषय बिल्कुल दूसरा है, न इसमें राजनीति हो, न प्रशासनिक अधिकारी हों, यहां विधान सभा के अंदर शासन जवाब दे रहा है और शासन क्या निर्धारित करेगा, यह हम जानने के लिए बैठे हैं और वही बात हमारे प्रदेश की जनता जानने के लिए बैठी है. अच्छा हो कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. ऐसा कोई नीति निर्धारण आपकी तरफ से विभागों के समग्र रूप से निचौड़ करके निकालिएगा. अलग-अलग बात न करें, अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.

                                                                            

 


 

          श्री शरदेंदु तिवारी ( चुरहट ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय  होनी को कौन टाल सकता है. मृत्यु सत्य है और शरीर नश्वर है  यह जानते हुए भी अपनों के जाने का दुख होता है. 16 फरवरी, 2021 को  मेरी विधान सभा चुरहट के सरदापटना ग्राम में बाण सागर की नहर में एक बस जिसका जिक्र आया है, जिसके नम्बर का जिक्र आया है, वह गिर गई. मैं रेवांचल से रीवा उतरा था मुझे खबर मिली और मैं 9.30 बजे के आसपास घटना स्थल पर पहुंच गया था. इस दौरान मेरी माननीय मुख्यमंत्री जी से फोन पर लगातार चर्चा होती रही. मन बड़ा व्यथित था और उस हृदय विदारक दृश्य को देख कर सहज मन कह रहा था कि रहने दो सदा दहर में आता नहीं कोई, तुम जैसे गये ऐसे जाता भी नहीं कोई. वहां पर सभी परिजनों के भाव लगभग ऐसे ही थे.

          अध्यक्ष महोदय माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर  प्रशासन की पूरी टीम, पुलिस की टीम, एनडीआरएफ और एसचडीआरएफ की टीम सभी बचाव कार्य में लगे हुए थे. वहां पर सब स्थानीय लोग भी साथ दे रहे थे. माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर बाण सागर की नहर का पानी रोका गया. यह मुख्य नहर है इसमें लगभक 30 फीट पानी होता है. बस उसमें इतना नीचे चली गई थी कि वह दिख नहीं रही थी. 7 लोगों को तुरंत कुछ लोकल सहयोग से और बगल की पुलिस चौकी के और प्रशासन के लोग भी 5 मिनट में पहुंच गये और सबने मिलकर 7 लोगों को रेस्क्यू किया था. वहां पर राहत और बचाव कार्य बहुत तेजी से चला. मैं सदन को वहां की परिस्थिति से भी अवगत कराना चाह रहाहूं. लगभग एक डेढं बचे तक हम 47 शव निकालने में सफल हो गये थे और कुछ नहर के बहाव के कारण आगे चले गये थे, करीब 7 शव में से 4 शव रात तक निकाल लिये गये थे और एक करीब 3.5 किलोमीटर की लंबी टनल पड़ती है जो सीधी की छुइया घाटी को क्रास करके रीवा तक पानी जाता है और वहां से उत्तरप्रदेश तक पानी जाता है. उस टनल में करीब 3 शव रह गये थे जिसमें से अंतिम शव 20 तारीख को निकाला गया था.

          अध्यक्ष महोदय यह बहुत ही तकलीफ देय घटना थी. माननीय मुख्यमंत्री जी, मुझ से जब बात हो रही थी तब दुखी थे, व्यथित और चिंतित भी थे. चिंता इस बात की थी कि कैसे कुछ लोगों को बचाया जा सकता है और भगवान की मर्जी के आगे कुछ नहीं चलता है. चूंकि नहर में अंदर तक बस चली गई थी इसलिए 7 से ज्यादा लोगों को बचाना संभव नहीं था. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी की संवेदनशीलता कहूंगा उन्होंने गृह प्रवेशम जैसे कार्यक्रम को तुरंत रोक दिया, दो मंत्री माननीय तुलसी सिलावट जी और राम खिलावन पटेल जी 2.30 बजे तक सरदापटना के उस घटना स्थल पर थे. वहां से मरच्यूरी में सभी परिवार के सदस्यों को जाकर ढांढस बंधाया कि सरकार उनके साथ खड़ी है. शासकीय वाहन से उनके शव उनके घर तक भेजने के निर्देश दिये. 10 हजार रूपये तत्काल अंत्येष्टि के लिए दिए. यद्यपि धन से गये हुए को वापस नहीं लाया जा सकता है. लेकिन जो घर के लोग हैं उनकी आगे की जिंदगी कुछ आसान बने. इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने 5 लाख रूपये की और माननीय प्रधानमंत्री जी ने 2 लाख रूपये की घोषणा की थी. उस दिन शाम तक माननीय तुलसी सिलावट  जी वहां पर रहे. उसके बाद में माननीय राम खिलावन जी के साथ में मेरा दो तीन अंत्येष्टि में भी जाना हुआ. हम सब दुखी परिवारों के साथ पूरी संवेदना के साथ थे मुख्यमंत्री जी को चैन नहीं था इसलिए अगले दिन उनका आना हुआ. जैसा कि उन्होंने अभी बताया है मुझसे भी फोन पर यह बात कही कि आज आना मेरा ठीक नहीं रहेगा. प्रोटोकाल के कारण राहत काम में कहीं पर बाधा न आये. उनका कहना था कि जैसे ही राहत कार्य हो जायेंगे मैं आता हूं और  अगले ही दिन उनका आना हुआ. अध्यक्ष महोदय देश के इतिहास की शायद यह पहली घटना होगी जिसमें मुख्यमंत्री जी अगले दिन 14 परिवारों के घर गये, उनके दुख में शामिल हुए, उनकी तकलीफ में शामिल हुए.

 

12.40 बजे               {सभापति महोदया (श्रीमती नीना विक्रम वर्मा) पीठासीन हुईं.}

 

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी-- (जारी)..

          और आश्‍वासन दिया कि आर्थिक सहायता के साथ-साथ सभी हितग्राही मूलक योजनाओं के लाभ और जो जिस लायक है, यदि कहीं उनको रोजगार में मदद की जा सकती है, स्‍वरोजगार के साधन उपलब्‍ध कराये जा सकते हैं, ऐसे निर्देश वहां प्रशासन को दिये. 10.00 बजे कलेक्‍टोरेट में बैठक की. दोषी लोगों पर कार्यवाही हुई. निश्‍चित रूप से ऐसी घटनाओं में राजनीति नहीं होनी चाहिये. यहां सदन में सभी संवेदनशील सदस्‍य बैठे हुये हैं, परंतु मेरे वरिष्‍ठ मित्रों ने उस तरफ से कुछ बातें कही इसलिये मुझे वह कहना होगा. मुझे वह घटना याद आती है, सन् 1988 में विंध्‍य क्षेत्र का वह बहुचर्चित लिलज़ी बांध घटनाक्रम हुआ था जिसमें पूरी की पूरी एक बस लिलजी़ बांध में समा गई थी. उस समय सरकार का कोई नुमाइंदा और किसी तरह की राहत उन लोगों को नहीं मिली थी. आज भी वह परिवार बिलख रहे हैं. दूर यदि न जाऊं तो सीधी जिले में ही, सीधी से सतना जाने वाली बस सन् 2000 में बनास नदी में डूब गई. 43 लोग असमय काल के गाल में चले गये थे. वह बस भी ओव्‍हरलोड थी. माननीय कमलेश्‍वर जी को याद होगा उस समय शासन के दो मंत्री उसी जिले से हुआ करते थे, मंत्री तो क्‍या शासन के किसी नुमाइंदे ने उन पीडि़त परिवारों के घर जाने की कोशिश नहीं की. 12 लोग आज तक लापता हैं. यह घटना होने के बाद उनके परिजन अभी मुझसे मिले थे और सरकार की संवेदनशीलता के प्रति अपना सम्‍मान प्रकट कर रहे थे, माननीय मुख्‍यमंत्री जी के प्रति अपना सम्‍मान प्रकट कर रहे थे. वह आज भी लालायित हैं कि हम अंतिम दर्शन अपने परिवार के लोगों के कर लें.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- सभापति महोदया, माननीय सदस्‍य जिस घटना का उल्‍लेख कर रहे हैं उस समय हमारे पिता जी जीवित थे, वह स्‍वयं गये थे, अजय सिंह ''राहुल भैया'' गये थे. यह कहना बिलकुल ठीक नहीं है कि कोई गया ही नहीं. हमारे पूज्‍यनीय पिताजी समाजसेवी थे, कई बार विधायक थे, मंत्री थे, यह कहना कि कोई गया ही नहीं इस तरह का आरोप-प्रत्‍यारोप लगाना ठीक नहीं है. अतिशंयोक्ति वाली बात नहीं करें. इसमें कोई राजनीति नहीं हो रही है. हमारा तो यही निवेदन है कि भविष्‍य में कोई घटना नहीं घटे, इसलिये दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिये. आप टू दि प्‍वाइंट बात करें.

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी -- सभापति महोदया, मैं बता रहा हूं, मेरा भी यही प्रयास है. माननीय सदस्‍य जी ने चूंकि प्रश्‍न उठा दिया, मैं गवाह पेश कर सकता हूं.

          डॉ. गोविंद सिंह -- माननीय सभापति जी, प्रश्‍न इस बात का है कि इस विषय पर चर्चा आप करिये, आप 30 साल पुरानी घटना पर बोल रहे हैं. सीधी बस दुर्घटना पर आप बोलिये. आप पूरा इतिहास चालू कर रहे हैं. यह आरोप-प्रत्‍यारोप का समय नहीं है. क्‍या सुधार हो सकता है और क्‍या हो सकता है, उसके बारे में बोलिये. 

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी -- मैं वह संवेदनशीलता बता रहा हूं. माननीय आपको सादर प्रणाम हैं. आप वरिष्‍ठ हैं.

          डॉ. गोविंद सिंह -- सभापति जी, हमारा निवेदन है कि पुराना छोडि़ये, इसके बारे में बतायें कि हमें आगे क्‍या करना चाहिये.

           श्री शरदेन्‍दु तिवारी -- जो आदेश. मैं तो केवल इतना ही कह रहा हूं कि सरकार की संवेदनशीलता कैसी होनी चाहिये इसका उदाहरण इस घटनाक्रम से सीधी के लोगों ने देखा है. पुरानी घटनाएं भी लोगों को याद हैं. उनके घर के परिजन भी वहां हैं और भी बहुत सारी घटनाएं मध्‍यप्रदेश में हुई हैं. चूंकि सीधी और उसके आसपास की एक-दो घटनाएं थीं वह मैं आपके सामने जिक्र कर रहा था और मैं पहले भी निवेदन कर चुका हूं कि निश्चित रूप से इनमें सुधार होना चाहिये, सुझाव आने चाहिये. एक प्रश्‍न बार-बार आ रहा है कि छुहिया घाटी की सड़क में जाम था. वर्ष 2017 तक छुहिया घाटी की सड़क ठीक-ठाक थी, लेकिन उस मार्ग से शहडोल का पूरा ट्रैफिक और सिंगरौली का पूरा ट्रैफिक जाता है. यदि उसका प्रॉपर मेंटीनेंस नहीं हुआ तो जो शॉर्प टर्निंग्‍स हैं उनमें गड्ढे हो जाते हैं और कई बार यदि बल्‍कर या बड़े मल्‍टी एक्‍सल वाहन वहां से निकलते हैं तो वह पलट जाते हैं और ट्रैफिक स्‍लो हो जाता है, प्रशासन के लोग वहां जाकर उसको किनारे कराकर ट्रैफिक चलाते हैं, तो एक तरफ का ट्रैफिक हो जाता है. इस दौरान जब यह घटनाक्रम हुआ है, लगातार ट्रैफिक धीमी गति से चल रहा था, कई ट्रांसपोर्टर्स की गाडि़यां वहां से निकली हैं, अल्‍ट्राटेक की गाडि़यां निकली हैं, सिंगरौली के कई ट्रांसपोर्टर्स की गाडि़यां निकली हैं, वन नाका वहीं पर लगा हुआ है, उसकी भी गाडि़यां निकली हैं. पर यह दुर्भाग्‍यजनक था कि जल्‍दी पहुँचने के चक्‍कर में...(व्‍यवधान)...

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- सभापति महोदया, ये असत्‍य बोल रहे हैं. जिला प्रशासन ने जानकारी दी है. घटना दिनांक के बाद 18 तारीख को आदेश जारी किया और रोटेशन में ड्यूटी लगाई है और उनके आदेश में उल्‍लेख है कि वहां पर 4-5 दिनों से जाम लगा होने की वजह से यह घटना घटी है. उन्‍होंने खुद स्‍वीकार किया है और एक तरफ सरकार को गलत जानकारी दे रहे हैं. हमारे माननीय विधायक जी भी गलत जानकारी दे रहे हैं.

          सभापति महोदया -- आप अपना विषय रख चुके हैं, उनको अपनी बात रखने दीजिए. बार-बार क्‍यों इंटरप्रिटेशन कर रहे हैं.

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी -- माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्‍यम से यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि ये जो पेट्रोलिंग की व्‍यवस्‍था की गई है, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने तुरंत सड़क को बनाए जाने के लिए जो निर्देश दिए हैं, उसमें एक तरफ से ट्रैफिक रोककर, एक तरफ से गाड़ियों को निकालने के लिए, ताकि वह सड़क बनती रहे और धीरे-धीरे ट्रैफिक भी चलता रहे, इसलिए यह व्‍यवस्‍था की गई है. उसके पहले भी लगातार पुलिस वहां पर पेट्रोलिंग करती रही है. पुलिस लगातार ट्रैफिक को निकालने का काम करती रही है. मैं यह विनम्र निवेदन माननीय सभापति महोदया के माध्‍यम से करना चाहता हूँ.

          सभापति महोदया, सदन को भ्रम में नहीं रहना चाहिए. सदन के सभी सम्‍माननीय सदस्‍य और संवेदनशील सदस्‍य यहां बैठे हुए हैं. सच्‍चाई आनी चाहिए. मेरे पास सूची है कि किस ट्रांसपोर्टर की कितनी गाड़ियां निकली हैं. इसके अलावा भी बहुत सारे लोग निकले हैं. हां, यह जरूर सही है कि ट्रैफिक धीमा होता था और शायद इसीलिए बस का जो ड्राइवर था, उसने बस को नहर के किनारे से मोड़ दिया, ताकि जल्‍दी सतना पहुँचा जा सके. छात्र उसमें सवार थे, परीक्षा का समय था. ड्राइवर ने उधर मोड़ दिया. मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूँ कि एक वैकल्‍पिक मार्ग भैंसराहा से होकर जिगना जाकर सतना पहुँचने का था, जिसमें नहर के किनारे जाने की आवश्‍यकता नहीं थी. लेकिन ड्राइवर ने उस समय तात्‍कालिक निर्णय लिया, जिसको मैं गलती कहूँगा, अपराध कहूँगा, उस अपराध को कारित करते हुए नहर के किनारे प्रधानमंत्री सड़क से बस को ले जाने का कार्य किया. जिससे यह दु:खद और बड़ी तकलीफदेह घटना हमारे सामने आई है. किसी को दोष देना मेरा उद्देश्‍य, मेरा लक्ष्‍य नहीं है. इस पर राजनीति करना भी मेरा उद्देश्‍य नहीं है. मुझे रामचरित मानस की वह चौपाई याद आती है -

                   ''सुनहुं भरत भावी प्रबल बिलखि कहेउ मुनिनाथ,

                    हानि लाभु जीवनु मरनु जसु अपजसु बिधि हाथ,

                    अथ विचार कहीं देउ दोषु, व्‍यर्थ काही पर किजौ रोषु'' 

           सभापति महोदया, कुछ बातें और आईं, परमिट नहीं था, बीमा नहीं था, फिटनेस नहीं थी, मैं आपके माध्‍यम से यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि नियम पहले के बने हुए थे और उन नियमों के तहत परमिट भी था, ड्राइविंग लाइसेंस भी था, उसके नंबर मेरे पास हैं, यदि माननीय सभापति महोदया का आदेश होगा तो मैं उसको पटल पर रख दूंगा. रूट भी तय था, उसको व्‍याहा छुइयाघाटी, गोविंदगढ़ होकर बस को सतना लेकर जाना था, अचानक बस ड्राइवर ने गाड़ी नहर के किनारे मोड़ दी और दूसरे मार्ग को ले लिया. गलती थी, उस पर कार्यवाही हुई है. अपराध पंजीबद्ध हुआ है. मालिक पर भी अपराध पंजीबद्ध हुआ है और माननीय सदस्‍य जो पहले बोल रहे थे, उनका यह कहना था कि धारा 304 लगनी चाहिए, धारा 304 भी लगी है..(व्‍यवधान)..

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- माननीय सभापति महोदया, स्‍थगन प्रस्‍ताव में जो सदस्‍य लिखकर देते हैं, उन्‍हीं को बोलने का अधिकार रहता है और सरकार की तरफ से जवाब आता है, जहां तक मुझे जानकारी है. इसमें जरूर हम आपकी व्‍यवस्‍था चाहेंगे.

          चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्‍वास सारंग ) -- सभापति महोदया, वे विधायक जो घटना के बाद सबसे पहले संवेदनशीलता दिखाते हुए वहां पहुँचे, वे सदन में बोलेंगे नहीं, इस पर इनको क्‍या आपत्‍ति है. जब दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ रहा है तो इनको आपत्‍ति हो रही है. वे विधायक बहुत अच्‍छा बोल रहे हैं और उन्‍हें बोलना चाहिए. .. (व्‍यवधान)..

          श्री विनय सक्‍सेना -- सभापति महोदया, अगर क्षेत्रीय विधायक जी को इतनी चिंता थी तो स्‍थगन प्रस्‍ताव पर दस्‍तखत करने चाहिए थे. ध्‍यानाकर्षण लगाना था उनको .. (व्‍यवधान)..

          सभापति महोदया -- नहीं, नहीं, ऐसा नहीं होता, ग्राह्य होने के बाद.. .. (व्‍यवधान)..

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय सभापति महोदया, जिन्‍होंने स्‍थगन लगाया, वे कहां थे, वे घटना के कितनी देर बाद घटनास्‍थल पर पहुँचे, ये तो बताएं, सबसे पहले तिवारी जी पहुँचे थे. .. (व्‍यवधान)..

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) -- आपसे पहले वे पहुँच गए थे. वह उस विधायक का विधान सभा क्षेत्र है.. .. (व्‍यवधान).. मैं आपकी जानकारी में दे रहा हूँ.. .. (व्‍यवधान)..

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- सभापति महोदया, हम पूरे टाइम वहां पर थे. हमारा घर दूर था और हमने सबसे पहले जिला प्रशासन को सूचना दी. वे लोग रास्‍ते में थे, निकल रहे थे, हमारा घर डेढ़ सौ किलोमीटर दूर था, लेकिन हम पहुँच गए थे और रात में सबसे आखिरी तक थे और ये माननीय लोग आकर चले भी गए थे. .. (व्‍यवधान)..

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय सभापति महोदया, जो स्‍थगन लगाकर राजनीति करते हैं, वे सबसे लेट पहुँचे हैं. .. (व्‍यवधान)..

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- सभापति महोदया, हम पूरे टाइम वहां पर थे और जब तक सब लाशें रवाना नहीं हो गई, तब तक हम वहां से नहीं गए .. (व्‍यवधान)..इसमें राजनीति करने की आवश्‍यकता नहीं है. .. (व्‍यवधान)..

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) -- सभापति महोदया, सम्‍मानित सदस्‍य अभी नए हैं, मैं सामान्‍य ज्ञान के लिए उन्‍हें बता दूँ, जब ग्राह्यता पर चर्चा होती है, तब सामने वाले सदस्‍य अपने विचार रखते हैं और सरकार जवाब देती है. जब प्रस्‍ताव ग्राह्य हो जाता है तो दोनों तरफ के सदस्‍य समान रूप से एक-एक करके चर्चा में भाग लेते हैं. आज आसंदी ने व्‍यवस्‍था दी हुई है कि दो लोग आपके बोलेंगे और एक हमारे बोलेंगे. यह ग्राहृयता पर चर्चा नहीं हो रही है, सरकार ने इसे ग्राहृय किया है ग्राहृय पर चर्चा हो रही है.

          सभापति महोदया -- सही है.

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी -- धन्‍यवाद माननीय सभापति महोदया. मैं केवल सदन की जानकारी में सत्‍यता लाना चाह रहा हूँ. कार्यवाही की बात भी हो रही थी. पुलिस की एफआईआर भी हुई है उसके अलावा सड़क जो बन जानी चाहिए थी, नहीं बनी उसके लिए जो दोषी थे जिसके कारण ट्रैफिक स्‍लो था, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने उसके लिए तीन अधिकारियों को तुरंत सस्‍पेंड किया और भी कड़ी कार्यवाही हुई. मजिस्ट्रियल जांच के भी आदेश हुए हैं.

          माननीय सभापति महोदया, कुछ और प्रश्‍न आए हैं. यह सही है कि बहुत सारी व्‍यवस्‍थाओं की वजह से सतना में सेंटर था. हो सकता है कि हर जिले में करना उतना संभव नहीं हो पाया हो लेकिन यह होना चाहिए. प्रयास यह होना चाहिए कि सेंटर हर जिले में हों. एक और बात मैं सदन की जानकारी में लाना चाहता हॅूं कि यह जो मुख्‍य नहर है यह मुख्‍य नहर सन् 1985 से 2000 के बीच बनी है और इस नहर के किनारे रेलिंग या जो दीवार होनी चाहिए, उसके लिए शायद डीपीआर में व्‍यवस्‍था नहीं थी, वह नहीं हो पाया था. मेरा अनुरोध है कि भविष्‍य में इस तरह की घटनाएं रुकें इसके लिए जो मुख्‍य नहरें हुआ करती हैं जिसमें तेज रफ्तार से पानी जाता है उससे भी हमें भविष्‍य के लिए सबक लेना चाहिए और उनमें वह रेलिंग बनाई जानी चाहिए.

          माननीय सभापति महोदया, घटना दुखद है. मेरा अधिकांश परिवारों के बीच जाना भी हुआ है और अपनी-अपनी विधानसभा में लगभग सभी विधायक जो सीधी, रीवा, सतना, चुरहट, धौनी और सिंहावल से है वह सभी विधायक पहुंचे हैं. हमारे यहां सांसद जी का भी लगभग सभी जगह जाना हुआ है और दुख की घड़ी में सरकार के साथ-साथ हम सब इनके साथ खडे़ हैं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने उन तीन लोगों को भी सम्‍मानित करने का फैसला किया है जो स्‍थानीय लोग थे और शिवरानी लुनिया, लवकुश लुनिया और सत्‍येन्‍द्र शर्मा, जिन्‍होंने इस बचाव कार्य में पहले तो पानी में कूदकर प्रशासन के साथ लोगों को बचाने में अहम भूमिका निभाई है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी को मैं धन्‍यवाद देना चाहूंगा कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने उन लोगों का भी प्रोत्‍साहन किया है, उनकी बहादुरी को प्रणाम किया है और 5-5 लाख रुपए के इनाम की घोषणा की है. मुख्‍य-मुख्‍य बातें लगभग आ गई हैं पर मेरा मन बार-बार कह रहा है कि "वक्‍त के साथ जख्‍म तो भर जाएंगे, मगर जो बिछड़े सफ़र जिंदगी में, फिर न कभी लौटकर आएंगे". हम सभी उन दुखी परिवारों के साथ हैं. सरकार उनके साथ है और जिस संवेदनशीलता से माननीय मुख्‍यमंत्री जी और मध्‍यप्रदेश की सरकार ने काम किया है, मैं उसके लिए सीधी के लोगों की तरफ से, चुरहट के लोगों की तरफ से साधुवाद देता हॅूं,  धन्‍यवाद भी देता हॅूं. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह (लहार) -- माननीय सभापति जी, जिस प्रकार से शासन ने, सरकार ने बडे़ विचार से बड़ा दिल दिखाते हुए कहा था, स्‍वीकार किया. मैं अनुरोध करता हूँ कि वैसा बड़ा हृदय दिखाते हुए यह घटनाएं न घटें, इसके लिए नीति बनाएं और ऐसी कोई योजनाएं बनाएं ताकि भविष्‍य में दुर्घटनाएं न घटें. दुर्घटनाएं तो आकस्मिक हैं. संपूर्णत: इन्‍हें रोका भी नहीं जा सकता. कहीं न कहीं, किसी न किसी की लापरवाही से, किसी की अज्ञानता से और किसी की चालाकी से या किसी की ज्‍यादती से दुर्घटनाएं होती हैं, घटनाएं घटी हैं. इसमें विस्‍तार से हमारे पूर्व के साथियों ने बता ही दिया है लेकिन इस घटना के उसी दिन या दूसरे दिन एक घटना शहडोल में उत्तर प्रदेश से, शहडोल के पास जयसिंह नगर में भी एक घटना घटी वहाँ नाले में गाड़ी गिरी, जो छत्तीसगढ़ जा रही थी और छत्तीसगढ़ के धनेश साहू नाम का व्यक्ति उसमें डूब गया और 25 लोग घायल हो गए. सभापति महोदया, मैं इस घटना के लिए, परिवहन विभाग तो दोषी है, लेकिन मैं सबसे ज्यादा दोषी अगर किसी को मानता हूँ तो वह है गृह विभाग. अगर पुलिस चाहे तो ऐसी घटनाएँ बहुत कुछ रोकी जा सकती हैं. लेकिन पुलिस का ध्यान, पुलिस आजकल खदानें चलाने में, लोगों के मकान खाली कराने में और शराबों के अड्डे चलवाने में व्यस्त रहती है इसलिए उसका ध्यान इस तरफ नहीं है. लगातार चार दिन से जब ट्रैफिक जाम था.....

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)---  माननीय सभापति महोदया, माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही कर रहे हैं.

          डॉ गोविन्द सिंह--  अगर 4 दिन से था तो वहाँ के, ऐसा नहीं हो सकता, ये बसें जो चलती हैं वह ओव्हर लोड चलती हैं, अवैध चलती हैं, हर थाने में थाना प्रभारी के लिए माहवारी बंधी रहती है. चाहे रेत खदानें हों, चाहे अवैध उत्खनन हो.....

          ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)--  आदरणीय डॉक्टर साहब, एक निवेदन कर लूँ?

            डॉ गोविन्द सिंह--  हाँ कर लो.

          श्री  प्रद्युम्न सिंह तोमर--  यह शायद आप भूल गए जब अपन इधर बैठे थे ना उस समय की याद तो नहीं कर रहे हैं कहीं अपन? शायद, बस इतना ही जानना चाहता हूँ? (हँसी)

            डॉ गोविन्द सिंह--  हँसना नहीं. ऐसा नहीं. हमने उस समय भी विरोध किया था और हमारे से कई हमारे साथियों ने कहा कि सरकार में रहते हुए आप इस तरह करते हों तो मैंने कहा मैं सच्चाई कहूँगा अगर मंत्री पद से हटाना हो तो एक सेकण्ड में इस्तीफा भी ले लेना. यह मैंने तत्काल कह दिया. आप जैसे नहीं कि मंत्रिमंडल में बैठकर हाँ में हाँ मिलाते थे. आप गवाह हैं कि अगर कोई गलत बात हुई तो मैंने मंत्रिमंडल में कहा है, आप नहीं, तत्काल हाथ उठाकर सब पास, सब पास. यह मैंने कभी किया नहीं और न करूँगा. माननीय मुख्यमंत्री जी, मेरा आप से एक निवेदन है, कम से कम, विधायक तो ठीक है, अभी नये आए हैं, लेकिन आज हम 2-3 दिन से देख रहे हैं कि प्रतिदिन मंत्रियों का हर काम में ज्यादा हस्तक्षेप होता है तो इनको कहीं ट्रेनिंग सेंटर चलवा दो, 2-4 दिन की ट्रेनिंग दे दो तो कुछ उनको बुद्धि आ जाए. (मेजों की थपथपाहट)

          मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)--  माननीय सभापति महोदया, अभी प्रद्युम्न जी ने उस समय की जो बात याद दिलाई, मैं एक तो आपको यह आश्वस्त करता हूँ कि गड़बड़ करने वाले जितने भी हैं उनके खिलाफ चौतरफा मध्यप्रदेश में कार्यवाही हो रही है और हम किसी को भी नहीं छोड़ेंगे. (मेजों की थपथपाहट) आप बिल्कुल आश्वस्त रहिए, कहीं गड़बड़ करने वाले की खबर मिलेगी तो उसको भी नहीं छोड़ेंगे. अब कुछ ट्रेनिंग, जब इधर थे आप, 19 महीने, उस समय की दे रखी है, इनको नहीं, जिनकी आप बात कर रहे हैं. लेकिन माननीय सभापति महोदया, हम लोग प्रदेश की स्थिति पर हर मंगलवार को पूरे मंत्रिमंडल के सदस्य गंभीरता से विचार करते हैं, जहाँ जरुरत पड़ती है एक्शन लेते हैं और पूरी टीम भावना से काम कर रहे हैं और ट्रेनिंग आपको बताकर थोड़े ही देंगे. ट्रेनिंग तो हमारी अभी अभी हुई है. आपने पढ़ा होगा मंत्रियों की भी ट्रेनिंग हमारी लगातार चलती रहती है क्योंकि हम मानते हैं कि जो कर रहे हैं उससे और बेहतर करने की गुंजाईश हो तो वह भी करेंगे. मध्यप्रदेश को आत्म निर्भर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. (मेजों की थपथपाहट) लगातार हम लोग प्रयत्नरत हैं, काम करते रहते हैं, लेकिन आप वरिष्ठ सदस्य हैं, आपने सलाह दी उसके लिए आपको और धन्यवाद.

          डॉ गोविन्द सिंह--  लेकिन अभी ट्रेनिंग में जो पास नहीं हो पाए हैं. माननीय सभापति महोदया, वास्तव में मुख्यमंत्री जी ने कहा तो अभी भी मैं आप से एक जिक्र कर रहा हूँ कि भिण्ड जिले में अभी भी रेत का, अगर रायल्टी चुका कर परिवहन हो तो हमें स्वीकार्य है. बिना रायल्टी के भी चोरी से कई लोग, जिनका आप चाहो तो अकेले में पदनाम बता देंगे, हो रहा है. उस पर हमारा निवेदन है.....

 

12.59 बजे

{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम)पीठासीन हुए}

            चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय गोविन्द सिंह जी ने ही कहा था कि जो स्थगन का विषय है उसी पर सदन में चर्चा होनी चाहिए. मुझे समझ में नहीं आया रेत कहाँ से आ गई? आप खुद बोल रहे थे कि मैं गलत बात ही नहीं करता फिर यहाँ रेत कहाँ से आ गई? यह सीधी की घटना का स्थगन है. यहाँ रेत कहाँ से आ गई?

            डॉ गोविन्द सिंह--  मैं केवल यह कह रहा हूँ कि इस घटना को रोकने के लिए किसका ज्यादा दायित्व है. वह मैंने कहा कि सबसे बड़ा दायित्व पुलिस का है और पुलिस अगर चाहेगी तो घटनाओं में बहुत कमी आएगी, जो हमारा व्यक्तिगत अनुभव है उस अनुभव के आधार पर......

          श्री शिवराज सिंह चौहान--  डॉक्टर साहब, घटनाओं में बहुत कमी आई है और निर्मूल कर दी जाएँगी, आप चिन्ता मत कीजिए.

          डॉ गोविन्द सिंह--  आपको धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, सच्चाई यह है कि परिवहन विभाग की गलती है लेकिन मैं बताना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश का परिवहन विभाग खजाना भरने के लिए बहुत बड़ा विभाग है. परिवहन विभाग के तहत जिले में परिवहन विभाग के 8-10 अधिकारी कर्मचारी रहते हैं, जिला बहुत विस्तृत होता है. इसलिए प्रतिदिन हर जगह जाकर चेकिंग कर पाना संभव नहीं हो पाता है. जो छोटे कर्मचारी हैं उन्हें इसका अधिकार नहीं रहता है. आरटीओ को यह अधिकार रहता है परन्तु उनके पास दफ्तर में बहुत काम रहता है जिसे निपटाकर वे दफ्तर से निकल ही नहीं पाते हैं. मुख्यमंत्री महोदय से कहना चाहूँगा कि मेरा इसमें एक सुझाव है कि ब्लाक स्तर पर भी आप एक परिवहन का कार्यालय खुलवा दें. इसमें आपकी काफी मेहरबानी होगी. इसके अभाव में वसूली नहीं हो पाती है, चोरी से बसें चलती हैं, इससे टैक्स की चोरी पर भी रोक लग सकती है. परिवहन विभाग में अमला बढ़ाना ज्यादा जरुरी है.

          अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2015 में आपने निर्णय लिया था जिसका गजट प्रकाशन दिनांक 28.2.2015 को हुआ था. इसमें मोटरयान अधिनियम 77 नियम 116 में संशोधन किया गया था. उसमें स्पष्ट प्रावधान है कि जो यात्री बस 50 सीट से कम वाली हैं उन्हें लम्बी दूरी के परमिट देने पर प्रतिबंध लगाया गया था. लेकिन उस 32 सीटर बस को परमिट कैसे मिला. जिस बस को परमिट दिया गया उसने यह परमिट ट्रांसफर कराया है. परमिट को रिप्लेस कराया गया है, जबकि नियम कानून में ऐसा प्रावधान ही नहीं है कि एक बस का परमिट रिप्लेस करके नया परमिट दिया जाए. इसके परमिट का प्रतिवर्ष नवीनीकरण हो रहा है. मेरा आपसे अनुरोध है कि इस बस को परमिट देने वाले व परमिट के नवीनीकरण के दोषी अधिकारियों की भी बहुत जिम्मेदारी है उन पर भी कार्यवाही होना चाहिए. नियमों में जो प्रावधान है उसका पालन कराना चाहिए. जिले में छोटी बसें लंबी दूरी की चलाते हैं. लम्बी दूरी की बसें 50 सीटर से अधिक होना चाहिए. यह लंबी दूरी की बस थी यह 130 किलोमीटर जाती थी. इस तरह की कार्यवाही पर रोक लगाएं.

          अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि मुख्यमंत्री जी आपने सहायता दी है लेकिन जितनी सहायता दी जानी चाहिए उतनी नहीं दी गई है. आजकल की महंगाई के जमाने में आपने और केन्द्र सरकार ने 7 लाख रुपए दिए हैं यह कम है. आपने स्वयं अपने वक्तव्य में कहा है और अभी भी कहा है कि रोजगार की व्यवस्था करेंगे. जो पढ़े लिखे छात्र हैं जो परीक्षा देने गए थे उनके घर में कोई पढ़ा लिखा हो तो उसे रोजगार दें. आज कोई ऐसा विभाग नहीं है जहां पद खाली न हों. 30 से लेकर 50 प्रतिशत तक हर विभाग में पद खाली पड़े हैं. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है. जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है उनके लिए नीति बनाएं जिसके तहत शासकीय विभाग में या अशासकीय उपक्रम में आप उन्हें रोजगार प्रदान करें जिससे जो परिवार बेसहारा हो गए हैं उनको सहायता मिल सके. अच्छे काम का कोई विरोध नहीं करेगा. घटना तो कोई रोक नहीं सकता है, न मैं रोक सकता हूँ न आप रोक सकते हैं घटना होना है तो होगी. घटनाओं में कमी हो उसके लिए हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए. आपने कहा राजनीति की बात नहीं होना चाहिए, हम लोग तो राजनीति में पैदा हुए हैं राजनीति तो करेंगे. परिवहन विभाग में जिले में बैठने के लिए कार्यालय नहीं हैं. मैं भूपेन्द्र सिंह जी को धन्यवाद देना चाहूँगा. लहार में एक क्लर्क बैठता था. आलमपुर से भिण्ड 110 किलोमीटर है. वहां पर परिवहन विभाग से 1-1 कर्मचारी देने पर राहत मिली थी. इसी प्रकार आप और जगह पर भी कर दें. बसों की लगातार निगरानी होती रहे. हर जिले में वर्षों से 15-20 बसें बिना परमिट के चल रही हैं, इस पर भी आप थोड़ा सुधार करें. धन्यवाद.                                                           

          श्री सतीश सिकरवार (अनुपस्थित)

          पिछड़ा वर्ग एवं अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्री (श्री रामखेलावन पटेल)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सीधी के नाहर में जो घटना हुई है वह निश्चित रूप से हृदय विदारक और दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी को जैसे ही उस घटना के बारे में पता चला तो उन्‍होंने हमें और हमारे केबिनेट मंत्री माननीय तुलसीराम सिलावट जी को निवास पर बुलाकर सीधे हम लोगों को बारह बजे सीधी के लिए रवाना किया. हम लोग ढाई बजे रीवा उतरकर जहां दुर्घटना घटित हुई थी वहां पहुंच गए तब तक वहां 37 लाशों की रिकवरी हो चुकी थी और रेस्‍क्‍यू कार्य जारी था. वहां सभी संभाग स्‍तर के अधिकारी मौजूद थे. यह जो आरोप लगाया गया है कि उस गाड़ी का परमिट नहीं था.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि उस गाड़ी का परमिट भी था और वह वर्ष 2014 मॉडल की गाड़ी थी. दिनांक 3 मई 2019 को उस बस का वैधता प्रमाण पत्र जारी किया गया था जिसकी वैधता दिनांक 2 मई 2021 तक है. वाहन का परमिट सतना से सीधी के लिए दिनांक 13 मई 2020 को जारी किया गया जिसकी वैधता दिनांक 12 मई 2025 तक है. बस को जारी किया गया परमिट पूरी तरह वैध था. वाहन का बीमा भी दिनांक 28 सितम्‍बर 2021 तक वैध था. जिसका बीमा न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी से कराया गया था. परिवहन विभाग द्वारा बिना परमिट बीमा के वाहनों के विरुद्ध लगातार कार्यवाही की जा रही है. विभाग द्वारा लगातार ऐसे वाहनों को जिनके विरुद्ध पुराना टैक्‍स लंबित है वसूल करने के लिए सरल समाधान योजना प्रारंभ की गई है. जिससे भविष्‍य में इस तरह की दुर्घटनाएं न हों. यह योजना एक तरफ उन वाहन मालिकों को राहत प्रदान करेगी जो किसी कारणवश अपने वाहन से संबंधित टैक्‍स समय पर जमा नहीं कर पाएं हैं उस पर पेनल्‍टी भी इकट्ठी हो रही है दूसरी ओर ऐसी घटना न घटे शासन द्वारा ऐसी उनको चेतावनी भी दी जा रही है. परिवाहन विभाग वाहनों का पंजीयन टैक्‍स जमा करने, लाइसेंस प्राप्‍त करने अधिसुगम बनाने प्रत्‍येक आरटीओ कार्यालय में हेल्‍प डेस्‍क स्‍थापित की गई है जिससे आवेदकों को लाइसेंस और रजिस्‍ट्रेशन आदि लेने से अधिक आसानी होगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम वहां ढाई बजे पहुंचे थे और दो दिन वहां जो संतृप्‍त और दुखी परिवार थे जिन घरों से उनके बेटे, बेटियों की मृत्‍यु हुई थी कोई भाई अपनी बहन को लेकर जा रहा था, कोई मां अपनी बेटी को लेकर जा रही थी, कोई चाचा अपनी भतीजी को लेकर जा रहा था. पहले दिन हम लगभग दस परिवारों से मिले हैं. कई जगह उनके दाह संस्‍कार में भी हिस्‍सा लिया है. सीधी में जो दुर्घटनाग्रस्‍त परिवारों के यहां दुघर्टना हुई थी मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी के संवेदनशीलता के कारण तुरं‍त निर्णय लेकर निश्चित रूप से सभी परिवारों को राहत देने का काम किया. मुख्‍यमंत्री जी हमसे हर एक घण्‍टे में घटना की जानकारी ले रहे थे और मैं यह कह सकता हूं कि ऐसी घटनाएं भविष्‍य में घटित नहीं होना चाहिए. इसके लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कलेक्‍टर कार्यालय में बैठक की और सभी अधिकारियों को चेतावनी दी और वहां हुई पत्रकारवार्ता में भी निश्चित रूप से यह कहा कि भविष्‍य के लिए हमारी यह चिंता है कि अब ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरा‍वृत्ति नहीं होगी. निश्चित रूप से हमारा पूरा प्रदेश, चाहे पक्ष हो या विपक्ष, हम सभी चाहते हैं कि भविष्‍य में ऐसी दुर्घटनायें न हों. हमारे शरदेन्‍दु तिवारी जी ने बहुत सी बातें इस संबंध में सदन में रखी हैं, उनकी पुनरावृत्ति करना जरूरी नहीं है परंतु हम सभी की यह जिम्‍मेदारी है कि हम सभी सावधान रहें. सभी बस मालिकों को चेतावनी दें कि इस तरह ओवरलोड करके कहीं-कहीं बसें चलाते हैं, शासन उस पर चिंतित हैं, प्रदेश में कहीं भी, ओवरलोड करके बसों को नहीं चलने दिया जायेगा. धन्‍यवाद.

          श्री कमलेश्‍वर  पटेल-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या यह सरकार की ओर से जवाब था ?

          अध्‍यक्ष महोदय-  नहीं, जवाब नहीं था.

          श्री जितु पटवारी-  अनुपस्थित.

          श्री पी.सी.शर्मा (भोपाल-दक्षिण-पश्चिम)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं, इस दुर्घटना में जिन 54 लोगों की जान चली गई है, उन्‍हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं. हम लोग मृतकों की आत्‍मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन भी रखते हैं, जो कि पहले दिन इस सदन में रखा गया था लेकिन मैं समझता हूं कि उनकी आत्‍मा की शांति, तब तक नहीं हो पायेगी, जब तक उनके परिवारों को न्‍याय नहीं मिल जाता. जिस तरह से यह दुर्घटना हुई है कि छुहिया घाटी, जहां यह दुर्घटना हुई है, उस छुहिया घाटी का एन.एच.- 39 जाम था और अभी चुरहट विधायक, तिवारी जी का कहना था और वे इस बात को जस्टिफाइड कर रहे थे कि वहां कोई जाम नहीं था.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे पास कार्यालय पुलिस अधीक्षक, जिला सीधी का एक आदेश है कि-  ''दिनांक 16.2.2021 को थाना रामपुर नैकिन अंतर्गत एक बस के नहर में गिरने से हुई दुर्घटना में अनेक लोगों की जान गई. घटना के संबंध में विभिन्‍न माध्‍यमों से प्राप्‍त सूचनाओं के आधार पर रीवा-शहडोल स्‍टेट हाईवे, छुहिया घाटी पर विगत 4-5 दिनों से लगातार ट्रैफिक जाम था.'' यह जिला पुलिस का एक आदेश है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि यह दुर्घटना इसलिए हुई कि ड्राइवर ने रूट बदल दिया. परमिट एक रूट का दिया जाता है और उस बस में कुल 30 लोगों का परमिट था और उसमें 61 लोग बैठकर गए. वहां लगातार ट्रैफिक जाम होने की वजह से रूट डाइवर्ट था लेकिन वहां चैकिंग के लिए न तो कोई पुलिस थी, न कोई आर.टी.ओ. से था, न ही कोई जिला प्रशासन का अधिकारी चैक करने वाला था. अगर वहां सही समय पर चैकिंग हो जाती या सही समय पर जो जाम 4-5 दिनों से लगा था, वह यदि पहले सही करवा दिया जाता, तो मैं समझता हूं कि यह दुर्घटना नहीं होती और इन 54 लोगों की जान बच जाती.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी तरह जान इस तरह बच सकती थी कि व्‍यापम घोटला जिसने पहले भी बहुत लोगों की जान ली, मैं समझता हूं कि उसी प्रकार यह है. अगर सतना के बजाय सीधी में ही ए.एन.एम. की परीक्षा हो जाती तो मैं समझता हूं कि 54 लोगों की जान नहीं जाती. युवा खिलाड़ी और उनके परिवार परीक्षा देने जा रहे थे. मुख्‍यमंत्री जी ने राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण पर अपनी बात रखी थी तो उन्‍होंने सबसे बड़ी बात तो रोजगार और आत्‍मनिर्भरता की कही थी और ये वे लोग थे, जिनकी इस दुर्घटना में मृत्‍यु हुई, ये युवा थे और रोजगार की तलाश में परीक्षा देने जा रहे थे, अगर यह परीक्षा सीधी मुख्‍यालय पर हो जाती तो इनकी जान बच सकती थी और ये इतनी बड़ी दुर्घटना नहीं होती. जिसकी बस थी, उसका परमिट निरस्‍त कर दिया गया मेरा तो यह कहना है कि यदि उसकी और भी बसें हैं तो उन सभी के परमिट निरस्‍त किये जाने चाहिए.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि यह बस जिसमें 61 लोग थे, जिसकी कोई चैकिंग नहीं हुई, इस दुर्घटना के बाद मुख्‍यमंत्री जी वहां गए, अन्‍य मंत्री भी वहां गए लेकिन इसकी न्‍यायिक जांच होनी चाहिए थी. आखिर इस दुर्घटना के लिए दोषी कौन है ? मुख्‍यमंत्री जी ने कहा भी था कि इसकी न्‍यायिक जांच होगी.           मुख्‍यमंत्री(श्री शिवराज सिंह चौहान):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पी.सी.शर्मा जी कुछ भी बोलें मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मुझे कोड करके कोई गलत बात तो न बोलें, मजिस्ट्रियल जांच की घोषणा हो गयी है.

          श्री पी.सी.शर्मा:- तो न्‍यायिक जांच होना चाहिये. इतनी बड़ी दुर्घटना हो गयी, 54 लोगों की जान चली गयी.

          ऊर्जा मंत्री(श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे एक पीड़ा हो रही है कि सदन में हम उन मृतक परिवारों के प्रति दु:ख व्‍यक्‍त कर रहे हैं कि उस पर राजनीति कर रहे हैं.

          श्री पी.सी.शर्मा:- दु:ख है. सबसे पहले श्रद्धांजलि दी है.

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर :- यदि आप कर रहे हैं तो जरा मुझे भी सुन लें. आप सिर्फ राजनीति का मोहरा मत बनाओ. उन परिवारों के लिये हमारे मुख्‍यमंत्री जी संवेदनशील थे, जब वह दूसरे दिन गये थे तो नेता प्रतिपक्ष उनके साथ उसमें जा सकते थे और वहां पर संवेदना व्‍यक्‍त कर सकते थे पर नेता प्रतिपक्ष वहां तक नहीं गया.

          श्री पी.सी.शर्मा:- आप नेता प्रतिपक्ष के लिये शब्‍द ठीक बोलो -'' नेता प्रतिपक्ष नहीं गया.'' (व्‍यवधान)

          श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- आप सिर्फ राजनीति करने के लिये और पेपर में छपने के लिये कर रहे हैं ..( व्‍यवधान) माननीय यह तरीका गलत है.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल:- अध्‍यक्ष महोदय, संवेदनशील विषय पर चर्चा हो रही है, सरकार की व्‍यवस्‍था चाहते हैं कि भविष्‍य में इस तरह की घटना नहीं हो इसलिये यह चर्चा हो रही है, यह क्‍यों इस तरह का व्‍यवधान पैदा कर रहे हैं.

          श्री पी.सी.शर्मा:- (xxx)

          श्री विश्‍वास सारंग:- (xxx)    

          श्री दिलीप सिंह परिहार:- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मुख्‍यमंत्री जी बहुत संवेदनशील हैं, वहां गये.

          श्री संजय यादव:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी माननीय मंत्री जी के इन शब्‍दों पर आपत्ति है. (xxx) इन्‍होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष नहीं गया. यह अपने शब्‍द वापस लें. मान मर्यादा से बात रखो, (xxx) आप मान मर्यादा का सम्‍मान नहीं रखते हैं.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल:- अध्‍यक्ष महोदय, इन शब्‍दों को विलोपित किया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय:- इनको रिकार्ड से हटा दिया है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- शर्मा जी, आप केवल विषय पर ही अपनी बात रखें. अभी बहुत लोग बोलने वाले हैं. यह संवेदनशील विषय है इसमें अभी हमारे कई माननीय सदस्‍य बोलने वाले हैं, कृपया अपने को विषय पर ही सीमित रखें.

          श्री पी.सी.शर्मा:- जी. अध्‍यक्ष महोदय, कुल मिलाकर हम तो यह चाहते हैं कि आइन्‍दा से यह हो कि व्‍यापम जो पहले से ही बहुत बदनाम है उसकी परीक्षाएं हों तो जिला सेंटर पर हों और परीक्षाएं आन लाईन हो रही हैं, दूसरी जगह सेंटर रखने की जरूरत ही नहीं थी. वहां बात कर रहे थे कोविड-19 का मामला था, वहां पर कोई सोशल डिस्‍टेसिंग नहीं थी, यहां पर मंत्री जी बैठे हुए हैं. हमारी तो यह मांग है कि जितने भी पीडि़त परिवार हैं, जो एक रोजगार के लिये जा रहे थे उनके जो लोग बचे हैं उनको एक-एक करोड़ रूपये दिये जाये और उनके परिवारों को रोजगार दिया और मैं चाहता हूं कि भविष्‍य में इस तरह की घटना न हो. प्रजापति जी ने जो एक मामला उठाया था कि धारा 304 इसका अधिकार आरटीओ को भी हो कि वह यह धारा लगा सके, गृह मंत्रालय के साथ-साथ. मंत्री जी पटेल साहब ने भी बहुत सी चीजें बतायी कि वर्ष 2019 में परमीशन मिली थी तब भी परिवहन मंत्री राजपूत जी थे. परिवहन मंत्रालय का एक ही काम नहीं है कि वह नाके ही बांटता रहे. उसके अलावा दूसरी चीजों पर भी ध्‍यान देना चाहिये कि इस तरह की दुर्घटना भविष्‍य में न हो, आपने समय दिया उसके लिये धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय:- माननीय सदस्‍यों से निवेदन है कि तमाम जो विषय आ रहे हैं उन विषयों की पुनरावृत्ति न करें.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया( मंदसौर):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक गंभीर विषय फिर चाहे प्रतिपक्ष ने अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए इसको यदि सदन में रखा और आपने उसको स्‍वीकारोत्ति प्रदान करी, आपका मैं हृदय से धन्‍यवाद ज्ञापित करता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय, घटना हृदय विदारक है और इस हृदय विदारक घटना में जो हुआ वह अकल्‍पनीय है. आदरणीय गोविन्‍द सिंह जी ने भी इस बात का उल्‍लेख किया है कि दुर्घटना आकस्मिक हो जाती है, किसी भी सरकारों के कारण नहीं होती है. कहीं पर कमियां हैं या खामियां है या कहीं पर अव्यवस्थाएं हैं उसका दोष उस तात्कालिक घटना के ऊपर जा सकता है. मैं अपने वक्तव्य के माध्यम से जो काल कवलित हुए हैं उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं और परिजनों के ऊपर जो वज्रपात हुआ है उसमें ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनको इस दुःख को झेलने की परमात्मा शक्ति प्रदान करें. बाण सागर की मुख्य नहर में वे यात्री जो अपना भविष्य खोजने के लिये प्रशिक्षण चयन परीक्षा में ए.एन.एम.के लिये जा रहे थे उसमें सारे के सारे परीक्षार्थी थे. 54 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है उसमें 28 पुरूष 23 महिलाएं एवं 3 बच्चे सम्मिलित थे. मैं सदन के माध्यम से स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स एस.डी.आर.एफ और एन.डी.आर.एफ की टीम को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि जिन्होंने तत्काल परिस्थिति को मौके पर जाकर जो काल कवलित हुए हैं उन मृत व्यक्तियों को खोज निकाला और स्थानीय लोगों की मदद से, उनको भी कभी भूल नहीं सकते हैं. उनकी मदद के कारण से 7 लोगों का रेस्क्यू हुआ इसलिये समाजसेवी संगठन जो वहां पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे उनको भी मैं विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं. घटना के बाद माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर माननीय गृहमंत्री जी, परिवहन मंत्री जी ने जो कदम उठा सकते थे और उठाये जाने चाहिये थे, उन्होंने उठाये उनकी मैं भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं. वाहन चालक की गिरफ्तारी 16 तारीख को हो जाना, वाहन चालक का लायसेंस उसी दिन तत्काल प्रभाव से निलंबित कर देना, फिटनेस प्रमाण पत्र तत्काल प्रभाव से निलंबित कर देना, 19.2.21 को बस की अनुज्ञप्ति को निरस्त कर देना, राजमार्ग 57 के मेंटेनेंस को लेकर के एम.पी.आर.डी.सी के संभागीय प्रबंधक ए.एन.के.जैन, सहायक महाप्रबंधक अनिल नार्गेश, प्रबंधक बी.पी.तिवारी को 17.2.21 को ही निलंबित कर दिया गया. सीधी के जिला परिवहन अधिकारी श्री शांति प्रकाश दुबे को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया. यह मैं इसलिये कह रहा हूं कि घटना के तत्काल बाद सरकार ने जो संज्ञान में लिया और जांच आदेश भी संभागायुक्त रीवा के द्वारा 17.2.21 को मजिस्ट्रेड जांच की अपर कलेक्टर एवं अपर जिला दण्डाधिकारी श्री हर्ष पंचोली को निर्देशित करते हुए किया गया, जिनके बिन्दु तय कर दिये गये हैं. यह कहना बिल्कुल गलत है कि और यह आरोप भी निराधार है कि उस मार्ग पर परिवहन विभाग ने कोताही बरती कभी कुछ किया नहीं है. पूर्व वक्ताओं ने उसके बारे में विस्तार से बताया है मैं उसको नहीं दोहराऊंगा. पर इतना जरूर कहूंगा कि वगैर परमिट, ओव्हर लोड, अनफिट एवं तेज गति से चलने वाले गाड़ियां बसें आदि को लेकर 12397 और 3399 तथा 1066 वाहनों के ऊपर भी कार्यवाही की गई थी. मैं इतना जरूर कहूंगा कि तत्काल माननीय श्री तुलसी सिलावट, तथा रामखेलावन मंत्री जी वहां पर गये. माननीय नरोत्तम मिश्रा जी ने गोविन्द सिंह जी से प्रश्न पूछा था कि गोविन्द सिंह जी प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाये थे. घटना गणेश विसर्जन 13 सितम्बर 2019 की थी भोपाल मुख्यालय पर 18 लोग गणेश जी के वसर्जन को लेकर के भोपाल में जिनका नाम आपने जानना चाहा था माननीय मंत्री श्री गोविन्द सिंह जी से खटलापुरा घाट छोटा तालाब वहां पर नाव पलट गई थी. सरकार ने जो काल कवलित हुए थे उनके परिवारजनों को नौकरियां नहीं दीं आज यही लोग नौकरी की बात कर रहे हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं थोड़ा सा पीछे ले जाउंगा, सेंधवा के बेरियर पर दो बस संचालकों का आपस में विवाद हुआ आगे-पीछे चलने के चक्‍कर में. भूपेन्‍द्र सिंह जी यहां विराजित थे, तब परिवहन मंत्री थे, माननीय मुख्‍यमंत्री जी की संवेदना, एक बस में दूसरे बस ऑपरेटर के ड्रायवर और कण्‍डक्‍टर ने, खल्‍लासी ने, क्‍लीनर ने आग लगा थी. कई लोग काल-कवलित हुए, तब माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने जांच के आदेश न्‍यायालयीन प्रक्रिया में शासन का पक्ष और वाहन के चालक-परिचालक को आजीवन कारावास और उसके बाद जो 2x2 की जो लग्‍जरी बसें हैं, उनको लेकर के नीति में परिवर्तन करने का काम भी किया था. मुझे सेंधवा की घटना आज भी याद है, जब दो बसों के संचालकों में विवाद के कारणों से पेट्रोल डालकर के बस में आग लगा दी गई थी. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, परिजनों को हितग्राही मूलक योजना से जोड़ा जाएगा, जो काल-कवलित हुए हैं और साथ में उन्‍हें स्‍थायी रोजगार मिले, उसको लेकर के भी शासन गंभीर है. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता. माननीय अध्‍यक्ष महोदय मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी अभी विराजित थे, लेकिन अभी माननीय मंत्री जी अपना वक्‍तव्‍य देंगे. मैं अपनी एक मांग रखना चाहता हूं, एक सुझाव देना चाहता हूं. सुझाव या मांग मेरी यह है कि जिस बस का इंश्‍योरेंस था, फिटनेस था, परमिट थी, ड्रायवर का लायसेंस था, कोई एक्‍सपायरी डेटे्ड नहीं था. आगे तक चलेंगे तो काफी लंबा हो जाएगा, लेकिन न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस की पॉलिसी भी 2025 तक की वेलेटिडिटी में थी.

          श्री पी.सी. शर्मा - बस ओवरलोड थी. चैकिंग हुई थी उसके एक साल से?

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह था कि न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी को क्षतिपूर्ति देना ही पड़ेगा, जो काल कवलित परिवार हैं, उनकी आर्थिक स्थिति, उनके ऊपर जो वज्रपात हुआ है, सबको देखकर के एक नजीर बनना चाहिए. आपका संरक्षण इसलिए चाहूंगा कि उन पक्षकारों का पक्ष रखने के लिए राज्‍य शासन की ओर से माननीय मंत्री जी हम वकील करें, फीस की अदायगी करें, क्‍योंकि जब क्‍लैम प्रस्‍तुत होगा, तो उस क्‍लैम के प्रस्‍तुत करने में उस परिवार को राशि भरना पड़ेगी. अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा यह भी है कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने पिछले समय, मैंने उस विधेयक पर अपना वक्‍तव्‍य दिया था, बाद में क्‍लैम का मामला जब ऊपर कोर्ट पर जाता है तो कंपनियां बचने की कोशिश करती है, तब उसको कोर्ट फीस देनी पड़ती है, उसको नरोत्‍तम मिश्रा जी ने इन्‍ट्रोड्यस किया था, मुझे अच्‍छी तरह से याद है और उस विधेयक पर मैंने अपना वक्‍तव्‍य दिया था. 10 प्रतिशत को 5 प्रतिशत किया था और एक दिन ब्रेक करके उसको 2 प्रतिशत किया था. अध्‍यक्ष जी मैं चाहता हूं कि यह जो घटना हुई है, इस घटना में बीमा कंपनी न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस से अच्‍छा पैसा मिले, परिवार के सदस्‍यों को, उसकी पूरी कानूनन लड़ाई ताकत के साथ राज्‍य शासन एक वकील करें, दो वकील करें, दस वकील करें और सभी को उन पक्षकारों की ओर से अपना पक्ष रखने के लिए सारी व्‍यवस्‍था उस परिवार के लिए राज्‍य सरकार के माध्‍यम से हों. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा. आपने अवसर दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          श्री संजय यादव(बरगी) - माननीय अध्‍यक्ष जी, सीधी की घटना जो घटी, निश्चित रूप से मृतकों के लिए सरकार ने जो भी व्‍यवस्‍थाएं कीं, लेकिन सबसे बड़ी दिक्‍कत कहां होती है कि  मृतक के साथ साथ जो दुर्घटना में लाचार हो जाते हैं, जो बेबस हो जाते हैं और जिसके परिवार के सदस्‍य की यदि घटना में कमर टूट गई हों या विकलांग हो गया हो, उसकी ओर शासन का कभी ध्‍यान नहीं जाता. उसका मैं उदाहरण बता रहा हूं. मेरे क्षेत्र में जैसे तिवारी जी 1981 की बात बता रहे थे, मैं ज्‍यादा पुरानी बात पर नहीं जाता चाहता हूं, घटना के क्‍या कारण है. 2018 में लोडिंग वाहन से 15 मजदूर खत्‍म हो गए थे, सरकार का कोई भी नुमाइंदा देखने नहीं गया था. 2017 में 5 लोग खत्‍म हो गए थे सरकार का कोई भी नुमाइंदा देखने नहीं गया था.

          अध्‍यक्ष महोदय - स्‍थगन प्रस्‍ताव पर चर्चा जारी रहेगी. सदन की कार्यवाही अपराह्न 3:00 तक के लिए स्‍थगित की जाती है.

 

 

 

 

 

 

(1.30 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

3.03 बजे                            विधान सभा पुन: समवेत हुई

{अध्‍यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

          अध्‍यक्ष महोदय - श्री संजय यादव, अपना भाषण पूरा करें.

          श्री संजय यादव - अध्‍यक्ष महोदय, निश्चित रूप से जो घटना सीधी में घटित हुई थी, उससे तो हम सबक लेते ही हैं. यह बहुत दु:खद घटना है, गंभीर घटना है. सबसे बड़ा दर्द तब होता है, जब किसी के परिवार में कोई विकलांग हो जाये, पीडि़त हो जाये, तो उसकी सुध लेने वाला बाद में कोई नहीं रहता है. मुझे बड़ी विडम्‍बना के साथ कहना पड़ रहा है और मैं माननीय सम्‍माननीय सदस्‍यों में श्री सिसौदिया जी को धन्‍यवाद दूँगा कि आप सकारात्‍मक उत्‍तरों के साथ बात रखते हैं, सुझावों के साथ बात रखते हैं कि इस तरह की घटनाओं में किस तरह से सुधार होना चाहिए. लेकिन मुझे दु:ख इस बात का होता है कि जब सम्‍माननीय सदस्‍य अपने नेताओं को खुश करने के लिए व्‍यक्तिगत रूप से तारीफों के पुल बांधे जाते हैं बल्कि सरकार का यह नैतिक कर्तव्‍य और दायित्‍व बनता है कि सरकार अगर घटना घटी है तो उसमें दोषियों के ऊपर तो कार्यवाही करती ही है, आगे घटना न हो, उसके लिए सरकार का क्‍या प्रयास रहता है. वह प्रयास हम लोग अपने सुझावों के माध्‍यम से, आपके माध्‍यम से सरकार को देना चाहते हैं.

        आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे यहां मैंने स्‍वयं उन लाशों को अपने हाथों से उठाया है, 25 लोग 2017-2018 में इन दुर्घटनाओं में खत्‍म हुए थे. घटना कैसे हुई ? हमें उसके पीछे के भी कारण जानना चाहिए.  आज गांवों में बसों की व्‍यवस्‍था न होने के कारण जो गरीब मजदूर, आदिवासी मजदूरों को चाहे वह किसान हो, चाहे ठेकेदार हो, कोई भी काम करवाने ले जाता है. वह लोडिंग वाहन से जो माल वाहक होते हैं, उसमें मजदूरों को भरकर ले जाता है. ऐसे ही मैं समझता हूं कि मध्‍यप्रदेश में प्रत्‍येक जिलों में जहां किसानों को मजदूरों की आवश्‍यकता होती है, जहां व्‍यापारी को मजदूरों की आवश्‍यकता होती है, तो वह अपनी राशि बचाने के लिये जिस माल वाहक में दस लोग जा सकते हों, उस माल वाहक में 50-50 लोगों को बैठाकर लाया जाता है.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सरकार उसी तरह का कृत्‍य करती है, जैसे इंदौर में एक बुजुर्ग को किस तरह से गाड़ी में फेंका था, यह सरकार की नियत, नीति और परंपरा बन चुकी है कि किस तरह से बुजुर्गों का अपमान करना है और किस तरह मजदूर गरीबों की अनदेखी करना है.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे यहां भी  नहर है. मेरी विधानसभा में नहर है. हमेशा नहर के किनारे घटनाएं घटती हैं और उसके पीछे हम दोषी हैं क्‍योंकि सिर्फ रैलिंग लगाने से हमारा काम नहीं बनेगा. हम नहीं नहर के किनारे जो सड़कें रहती हैं, वहां पर बड़े वाहनों क्‍यों नहीं प्रतिबंधित करते हैं ? नहर के किनारे अगर बस जायेगी, हाईवे जायेगा तो नहर भी क्षतिग्रस्‍त होगी और दुर्घटना का अंदेशा भी बना रहता है. मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन है कि सबसे पहले तो उन वाहनों पर रोक लगाना चाहिये कि लोडिंग वाहन में सवारी न बैठे, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये क्‍योंकि इसमें पुलिस भी कमाई करती है, आर.टी.ओ. भी कमाई करता है.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी शादी का सीजन आ रहा है. शादी के सीजन में बहुत घटनाएं घटती हैं. क्‍योंकि गरीब आदमी को, मजदूर को बारात ले जाने के लिये चूंकि वह बस का खर्चा वहन नहीं कर पाता है तो वह ट्रेक्‍टर से बारात ले जाता है, या सवारी वाहन से बारात लेकर जाता है, इसमें जब घटनाएं घटित हो जाती हैं, तब सरकार अपने मुआवजा के नाम से अपना कर्तत्‍व पूरा कर लेती है.

                माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से भी निवेदन करूंगा कि मेरे यहां उस समय जब घटना घटित हुई थी तब आप मंत्री नहीं थे, लेकिन मेरे यहां जो घटना घटित हुई थी, उसमें 15 लोग खत्‍म हो गये थे. आज भी दस लोग ऐसे हैं जो मजदूर थे, जिनकी कमर टूटी है, जिनके किसी के पैर टूटे हैं,उनका परिवार का पालन पोषण नहीं हो पा रहा है. सरकार की सिर्फ विकलांग पेंशन से उसका घर नहीं चलने वाला है. हम उसकी ओर ध्‍यान नहीं देते हैं, इन घटनाओं में अगर हम राजनीति करते हैं और अगर किसी का नुकसान होता है तो वह पीडि़त परिवार का ही नुकसान होता है. इसलिये मेरा आपसे निवेदन है कि गांव में जिस तरह की घटनाएं घटती हैं और आज जो सबसे बड़ी विडम्‍बना है कि लाईसेंस की प्रक्रिया जटिल होती है. गांव में अगर तीन लोग मोटरसाइकिल से जा रहे हैं तो स्‍वाभाविक रूप से गांव वाले लड़के की गाड़ी का इंश्‍योरेंस नहीं होता है और न ही उसके पास लाईसेंस होता है क्‍योंकि लाईसेंस प्रक्रिया जटिल होने के कारण गांव का मजदूर शहर में आकर लाईसेंस नहीं बनवा सकता है, इस कारण जब दुर्घटना होती है, तब अगर उसके पास लाईसेंस नहीं होता है तो इंश्‍योरेंस कंपनी का लाभ उस व्‍यक्ति को नहीं मिल पाता है. हमें कुछ नियम सख्‍त बनाना चाहिये कि तीन-चार सवारी में गांव के पास व्‍यवस्‍था नहीं है तो हमें व्‍यवस्‍था सुनिश्चित करना चाहिये. जिस तरह से पूर्व में बसे चलती थीं, मिनी बस जो चलती थीं, कम से कम मिनी बसों को बढ़ाया जाना चाहिये. चाहे सरकारी तौर पर या प्रायवेट बसों को प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिये. अगर बड़ी बस चलती है तो आकस्मिक द्वार रहता है क्‍या इस बस में आकस्मिक द्वार था ? उसके नियम क्‍या है ? क्‍या 32 सीटों के बाद, 30 सीटों के बाद जो आकस्मिक द्वार अगर नहीं था और उसको  अगर परमीशन दी गई है तो इसका दोषी कौन है ? दोषी सिर्फ एक व्‍यक्ति को नहीं ठहराया जा सकता है. सरकार तो अपना पल्‍ला, मुआवजा देकर और कुछ लोगों को सजा देकर अपनी इतिश्री कर लेती है लेकिन आगे दुर्घटनाओं को कैसे रोकने का प्रयास किया जाये, उसकी ओर हम कदम क्‍यों नहीं बढ़ाते हैं. आज गांव में अगर लाईसेंस की प्रक्रिया बना दी जाये और जो गाड़ी हम खरीदते हैं, छोटी गाड़ी कोई भी खरीदता है, हम पचास हजार रूपये की गाड़ी खरीदते हैं लेकिन हम एक साल का इंश्‍योरेंस कराते हैं और उसके बाद हम इंश्‍योरेंस कराना भूल जाते हैं. अगर वह गाड़ी चोरी हो जाये और उससे दुर्घटना घट जाये तो उसको लाभ नहीं मिलता है और जिस गाड़ी से एक्‍सीडेंट हो और अगर उसका इंश्‍योरेंस नहीं हुआ तो गाड़ी वाले के ऊपर प्रकरण चलता है, वह प्रकरण सालों चलता है, उस दौरान उसका घर द्वार भी बिक जाता है, लेकिन वह पूरी उसकी क्षतिपूर्ति नहीं कर पाता है. इसलिये मेरा आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि कुछ ऐसे सख्‍त नियम बनाये जाने चाहिये और ऐसी सख्‍ती करनी चाहिये कि लोगों को सहूलियत और सुविधाएं हों और कम से कम हम घटनाओं को रोक सके. ऐसे प्रयास हमें मिलकर करना चाहिये, जो गंभीर घटनाएं घटती हैं, मेरे यहां तो लगातार हर साल मैं समझता हूं कि 5-10 घटनाएं होती ही हैं. क्‍योंकि मजदूर वर्ग है, मटर तोड़ने जाता है, अभी कटाई का सीजन आयेगा, मजदूरों को किसान बड़े-बड़े वाहन से लायेगा, जब वह पलटता है, अनियंत्रित हो जाता है और इसमें गलती भी रहती है, खटारा वाहनों को हम फिटनेस दे देते हैं, उसको आरटीओ बुलाकर चेक क्‍यों नहीं किया जाता है, जबकि सरकार के नियम में है कि जब आपको फिटनेस मिलेगी तभी आप चला पायेंगे और जो सवारी वाहन हैं, जो कामर्शियल व्‍हीकल होता है उसकी शायद मुझे मालूम है कि हर 3 महीने में फिटनिस होती है या दो साल में होती है. अगर कामर्शियल वाहन की फिटनिस गांव में जो बसे चलती है, अधि‍कांश बसों में फिटनिस नहीं होती, अधिकांश बसों में इंश्‍योरेंस नहीं होता, कोई घटना दुर्घटना घट जाती है तो उसका दोषी वह कहलाता है, सरकार तो 2-4 लाख रूपये देकर किनारे हो जाती है. इसलिये मेरा आपसे निवेदन है कि कुछ ऐसे नियम बनाये जाना चाहिये ताकि हम घटना को रोकने का प्रयास कर लें. धन्‍यवाद.

 

3.11 बजे                औचित्‍य का प्रश्‍न एवं अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

  माननीय सदस्‍यों को बोलने या न बोलने के लिये बाध्‍य नहीं किया जा सकता

 

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र)--  अध्‍यक्ष जी, एक व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न था इस पर आपका ध्‍यान आकर्षित करना चाह रहा था. दरअसल यह एक गंभीर विषय था, आज के स्‍थगन पर पूरे प्रदेश का भी ध्‍यान था और सदन का भी ध्‍यान था. मैं आपका ध्‍यान आकर्षित करूं, सरकार ने, आपने ग्राह्ता की बात की, हमने इसको ग्राह्य किया, पर मैं देख रहा हूं कि कांग्रेस के आधा दर्जन से ज्‍यादा सदस्‍य अनुपस्थित हैं, जैसे- सतीश सिकरवार, जैसे जितु पटवारी, जैसे सज्‍जन सिंह वर्मा, जैसे जयवर्द्धन सिंह, जैसे प्रवीण पाठक, जैसे लखन घनघोरिया यह मैंने एग्‍जाम्‍पल के लिये दिया, आपका ध्‍यान आकर्षित किया. ऐसे गंभीर विषयों पर भी अगर विपक्ष गंभीर नहीं रहेगा तो अध्‍यक्ष जी, यह चिंता की बात है. मेरी आपसे प्रार्थना है कि कोई ऐसी व्‍यवस्‍था हो कि जो सम्‍मानीय सदस्‍य स्‍थगन जैसे प्रस्‍तावों पर स्‍थगन दे वह तो कम से कम उपस्थित रहे. यह मेरी प्रार्थना है.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-- अध्‍यक्ष जी, विपक्ष का कोई एक व्‍यक्ति बोले या 11 या 15 व्‍यक्ति बोलें, हाउस में संदर्भ आना चाहिये, वह संदर्भ आ रहा है, विपक्ष के काफी लोग बोल चुके हैं और कुछ बोलने वाले हैं तो संदर्भ अगर हाउस में आ गया है तो मैं समझती हूं कि इस पर प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता और आसंदी से कोई आदेश देने का मेरी समझ से कोई औचित्‍य नहीं होता.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- जैसा बहन कह रही हैं वैसी व्‍यवस्‍था भी दे देंगे विपक्ष के लोगों के नाम न लिया करें, एक ही व्‍यक्ति संदर्भ रख दिया करेगा. आप ऐसी व्‍यवस्‍था कर दें.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-- मैं यह रूलिंग की बात नहीं कर रही हूं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  मैं बहन की बात से सहमत हूं.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-- अध्‍यक्ष महोदय, संसदीय कार्यमंत्री जी ने जो यहां रूलिंग की बात की है मैं रूलिंग की बात नहीं कर रही हूं. तत्‍कालीन विषय पर जो संदर्भ आया है उसके औचित्‍य पर मैंने प्रश्‍न रखा और उसके बारे में बात कर रही हूं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  मैं बहन के औचित्‍य के प्रश्‍न पर ही सहमत हूं.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी बात हो जाये. आप सदस्‍य के अधिकार से उसको वंचित कैसे कर सकते हैं.                 

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  अधिकारों का प्रयोग करें, यह कह रहा हूं. 

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-- फिर आप आसंदी को दवाब में लेकर रूलिंग कैसे दिलवा सकते हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- अध्‍यक्ष जी, आसंदी को दवाब में, यह आरोप भी लग रहा है.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ--  मैं आरोप नहीं लगा रही हूं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय गृह मंत्री जी समय-समय पर चमकाते रहते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आपको भी बोलना है विजय लक्ष्‍मी जी, इसमें आपका भी नाम है.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ--  मुझे पता है मेरा नाम है और मैं इसीलिये आई हूं, मैं बोलूंगी.

          अध्‍यक्ष महोदय--  इसमें कोई व्‍यवस्‍था नहीं दी जा रही है, यह सदस्‍यों के अधिकारों का सवाल है कि वह बोलना चाहते हैं या नहीं बोलना चाहते हैं, इसमें किसी को बाध्‍य नहीं किया जा सकता. अब बाध्‍य नहीं किया जा सकता तो यह जनता जाने कि बाध्‍य होना चाहिये कि नहीं होना चाहिये, हमको उस पर छोड़ देना चाहिये.

 

3.14 बजे                         स्‍थगन प्रस्‍ताव (क्रमश:)

     सीधी से सतना जा रही निजी बस के बाणसागर डेम की नहर में दुर्घटनाग्रस्‍त

                                          होने से उत्‍पन्‍न स्थिति

          श्री शैलेन्‍द्र जैन (सागर)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सीधी जिले में ग्राम पटना में बाणसागर की जो बड़ी नहर है उस नहर में 16 फरवरी को जो हृदय विदारक घटना हुई है जिसमें 54 व्‍यक्तियों की असमय मौत हो गई है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं सर्वप्रथम स्‍थगन प्रस्‍ताव जो विपक्ष के द्वारा लाया गया उसके उद्देश्‍य को तो मैं नहीं समझ पाया, लेकिन माननीय संसदीय मंत्री जी ने जिस स्‍वस्‍थ प्रजातांत्रिक परंपराओं का पालन किया, उसको ग्राह्य किया मैं उन्‍हें बधाई देना चाहता हूं.    

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आशा थी कि जिस तरह से यह घटना हुई है, उस घटना के संबंध में क्या कमियां थीं, क्या खामियां थीं, उन खामियों को हम कैसे दूर कर सकते हैं. उस पर चर्चा होती और उसके आधार पर विचार-विमर्श से जो निष्कर्ष निकलकर आता, उस निष्कर्ष पर अमल करके इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, ऐसा कुछ उपाय सत्ता पक्ष के द्वारा, माननीय मंत्री महोदय के द्वारा किया जाता. कमलेश्वर जी ने शुरुआत की और शुरुआत में अनेक  बातों का उन्होंने उल्लेख किया. मैं उसके संबंध में कहना चाहता हूं कि विषय यह नहीं है कि उनके चालक के पास लाइसेंस था कि नहीं था, बस की फिटनेस थी कि नहीं, इन्श्योरेंस था या नहीं, लेकिन उन विषयों को लेकर असत्य तरीके से बात रखी जायेगी तो यह अच्छी परंपरा नहीं है. यह सारा विषय सदन के सदस्यों के सामने, आपके समक्ष आ चुका है कि बस के जो चालक थे, उनके पास लाइसेंस भी था. गाड़ी में फिटनेस भी थी. गाड़ी में परमिट भी था. गाड़ी में इन्श्योरेंस भी था. मैं यशपाल जी की बात में अपनी बात को समाहित करना चाहूंगा कि माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा जो मृतकों के परिजनों को 7-7 लाख रुपये देने की बात कही गयी है, क्योंकि इन्श्योरेंस कंपनी के लॉ में इस बात का उल्लेख होता है कि वाहन की क्षति होने पर उसका मुआवजा तो दिया ही जाता है, साथ-साथ वाहन में सवार सवारियों का भी इन्श्योरेंस होता है, अगर यह व्यवस्था मंत्री महोदय के द्वारा हो जायेगी  तो एक कानूनी रूप से मृतकों की जो लड़ाई है, उनके परिजनों की लड़ाई जो है. एक सक्षम प्लेटफार्म पर लड़कर पीड़ित परिवारों को अधिक से अधिक मुआवजा अगर हम दिला पाएंगे तो मैं समझता हूं कि यह मृतकों के प्रति सच्चे अर्थों में सच्ची श्रद्धांजलि होगी. इस बात का भी उल्लेख किया गया कि उस मार्ग पर 13,14,15 तारीख, 6 दिनों से वहां जाम लगा हुआ था लेकिन यह बात भी असत्य है उसके प्रमाण मेरे सामने हैं सत्यापित प्रतिलिपि मेरे सामने है. उसी मार्ग को 13 तारीख को, 14 तारीख को, 15 तारीख को, 13 तारीख को 720 वाहनों का आवागमन हुआ.

          श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन को गुमराह कर रहे हैं.

          श्री शैलेन्द्र जैन - मेरे पास सर्टिफाईड कॉपी है. अल्ट्राट्रेक प्रबंधन ने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर उनके वाहनों की सूची दी है उसकी सूची मेरे पास है.

          श्री कमलेश्वर पटेल - पुलिस अधीक्षक ने जो आदेश जारी किया है उसकी कापी है.  उन्होंने स्वीकार किया है कि वहां पर जाम था. इसीलिये व्यवस्था बनाई. गलत जानकारी सदन में नहीं देना है.

          श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, पुलिस अधीक्षक का पत्र पढ़ा भी है. उसमें उन्होंने कहा है कि 5-6 दिन से वहां जाम था.

          श्री शैलेन्द्र जैन - 6 दिन के जाम की बात इन्होंने चर्चा में बात रखी.  13,14,15 तारीख को वहां से जो वाहन गुजरे हैं और जिन संस्थाओं की, जिन कंपनियों के वाहन गुजरे हैं उनकी सूची मेरे पास है.

          श्री कमलेश्वर पटेल - कंपनी के लिये तो सरकार काम कर रही है. इसलिये वे तो सूची देंगे ही. अल्ट्राट्रेक में  कोई प्राबलम हो जाये. पूरा प्रशासन लग जाता है पर शासन त्राहिमाम हो जाये जनता के लिये नहीं है. यही तो आपत्ति है.

          श्री शैलेन्द्र जैन - इस सारे मामले में सरकार के द्वारा जो कार्यवाही की जानी चाहिये थी वह त्वरित कार्यवाही की गई. जिस तरह से सरकार के दो-दो मंत्री 16 तारीख को घटना के दिन घटना स्थल पर पहुंचे. सम्माननीय संवेदनशील मुख्यमंत्री महोदय, अगले ही दिन 17 तारीख को घटना स्थल पर पहुंचे.  सारे घटनाक्रम की उन्होंने जानकारी ली. अधिकारियों को निर्देश दिये.  पूरा दिन रहने के बाद भी  घटना की गंभीरता को  देखते हुए  मुख्यमंत्री जी ने रात्रि विश्राम वहीं किया.   इस सारे विषय को  हमारी सरकार ने बहुत  गंभीरता से लिया है,  लेकिन हमारे परिवहन मंत्री जी के  व्यक्तिगत जीवन पर  और व्यक्तिगत कार्यक्रमों  पर कटाक्ष करना वह बसंत पंचमी का   दिन था, जब  मंत्री जी हमारे  उनके केबिनेट के दूसरे सहयोगी  श्री अरविन्द  भदौरिया जी के यहां प्रसादी  लेने गये थे.  सरस्वती मां के  प्राकट दिवस होता है बसंत पंचमी का दिवस और वहां पर  धार्मिक अनुष्ठान, आयोजन था.  उसकी प्रसादी लेने पर  जिस तरह से कटाक्ष किये गये  इस तरह  की राजनीति नहीं होना चाहिये. एक बात मैं और कहना चाहता हूं कि  सत्तापक्ष  के   लोग जिस तरह से दो-दो  मंत्री.  मुख्यमंत्री जी स्वयं घटना स्थल पर पहुंचे  और  इस सारे घटनाक्रम में नेता  प्रतिपक्ष की भूमिका संदेह के  घेरे में है. जिस तरह से  गैर जिम्मेदाराना तरीके से उन्होंने  अपने कर्तव्य का  निर्वहन किया है,  जो मुझे जानकारी मिली है. ..

                   श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, यहां पर बिलकुल नेता प्रतिपक्ष का  विषय  नहीं है. क्यों ये ऐसी बातें कर रहे हैं.  हम थे पूरे समय अकेले ही काफी थे.  आपकी सरकार व्यवस्था बनाये, कभी इस तरह की घटना न घटे.  इस तरह की बातें नहीं करना चाहिये.

                   श्री बहादुर सिंह चौहान --   आप पूरे समय थे, तो  क्या आप  नेता प्रतिपक्ष हैं क्या.

                   श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस पार्टी के जिम्मेदार नेता है,  विधायक हैं इस सदन के.

                   श्री बहादुर सिंह चौहान --  और आप नेता प्रतिपक्ष नहीं हैं.

                   अध्यक्ष महोदय - बहादुर सिंह जी, बैठ जायें. शैलेन्द्र जैन  जी, पुनरावृत्ति से बचें.

                   श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, जो मुझे जानकारी लगी है. नेता प्रतिपक्ष जी, वे  वहां अभी दो दिन पहले रीवा में  एक राजनैतिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिये गये.  वहां पर राजनैतिक गतिविधियां हुईं.  वहां कार्यकर्ताओं का सम्मेलन हुआ.  आप देखियेगा. ..

                   श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, वहां पर  शोक सभा  की है.

                   श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, रीवा के इतने नजदीक  होने के बाद भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया  और घटना स्थल पर  जाकर अगर वे मृतक परिजनों का  सांत्वना देने जाते, तो मैं समझता था कि वह एक बेहतर  उदाहरण होता.  लेकिन नेता  प्रतिपक्ष  जी वहां राजनीति कर रहे हैं और उन्हीं के दल के लोग यहां  पर  सदन के अन्दर (xxx)  उनका उद्देश्य जो है..

                   श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय,  नेता प्रतिपक्ष जी ने  इस मुद्दे को उठाया था, तभी तो चर्चा में आया.  आप इस तरह की बात कर रहे हैं कि नेता प्रतिपक्ष जी संवेदनशील नहीं हैं.  अगर वे संवेदनशील नहीं होते  और राजनीति करते  तो हाउस में यह  चर्चा नहीं होती.  उन्होंने  तो बड़ी राशि की मांग भी की है और मृतक परिवारों को न्याय मिलने की भी बात की है.

                   श्री पी.सी.शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, यह बिलकुल गलत  है. यह विलोपित किया जाये.

                   अध्यक्ष महोदय -- इसको विलोपित करें.

..(व्यवधान)..

                   श्री शैलेन्द्र जैन --  बाला बच्चन जी, आप तो यह बतायें कि नेता प्रतिपक्ष   जी रीवा  गये कि नहीं गये.  सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सेदारी की कि नहीं की.

                   श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष  जी रीवा भी गये थे पर यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम घर घर  फेरी लगायें. महत्वपूर्ण यह है कि जो पीड़ित परिवार हैं,  उनको सही मदद मिले और  इस तरह की भविष्य में घटना नहीं घटे और सरकार ने जहां  गलती की है, वह अपनी गलती मानें.

                   डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय,  यह गलत बोल रहे हैं.  शोक संतप्त परिवार में जाना फेरी लगाना है क्या.  यह गलत बात है, ऐसे  शब्द  का उपयोग नहीं करना चाहिये.

                   श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, इससे इनकी संवेदनशीलता झलक रही है.

                   अध्यक्ष महोदय -- मेरा दोनों पक्षों से आग्रह है कि  वाकई में यह बहुत  वीभत्स घटना और दर्दनाक हादसा  हुआ है.  इसमें ऐसा कुछ  प्रयास करिये कि  एक ऐसा  कोई परिणाम निकले,  जिससे  भविष्य में   उन दुर्घटनाओं को रोका जा सके.  मेरा आग्रह यही है. शैलेन्द्र जी,  आप पूरा करें.

                   श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.  निश्चित रुप से   सदन की मंशा भी है और हम लोगों की मंशा भी है कि इस तरह की  दुर्घटनाएं फिर न हों.  मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर संभागीय  आयुक्त, रीवा  उन्होंने मजिस्ट्रियल  जांच  के आदेश  दे दिये हैं और मजिस्ट्रियल जांच  में  सारे बिन्दु निकल कर आयेंगे.  इस दिशा में हमारी  सरकार के  प्रयत्न हमेशा से रहे हैं. कुछ वर्ष पूर्व  जिस तरह से आप  जानते हैं,   मैं सदन को बताना चाहता हूं कि भोपाल से इन्दौर  में  लगभग दिन भर में 500  टैक्सीज जो हैं,  वह अनियमत्रित तरीके से, तेज गति से चलती थीं और वहां पर  बसों का  आवागमन बहुत कम था.  मैं बधाई देना चाहता हूं   तत्कालीन परिवहन मंत्री, भूपेन्द्र सिंह   जी को  उन्होंने जो डीलक्स बसें हैं,  जो हमारी  2x2   की बसें हैं, उन बसों के जो  परिमिट के टेक्सेस हैं, उनका युक्तियुक्तकरण करके  उसको कम करने का काम किया. आज भोपाल, इंदौर के बीच एक नहीं, 30-30, 35-35 बसें चल रही हैं. इससे निश्चित रूप से यातायात सुगम हुआ है और यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलना शुरू हुई हैं. जिस तरह से उन्होंने लाइसेंस शुल्क में कमी की, जिस तरह से उन्होंने मातृ शक्ति के लिए लाइसेंस शुल्क माफ किया, जो स्कूल की बसें हैं उनका भी टैक्स शून्य करके जिस तरह के काम किये हैं, मुझे उम्मीद है कि हमारी सरकार के मंत्री महोदय इस घटना क्रम को ध्यान में रखते हुए निश्चित रूप से जो कुछ भी सुधारवादी कदम होंगे उनको जरूर उठाएंगे. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात कहने का अवसर दिया. बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल) - अध्यक्ष महोदय,  एक बड़ी ही हृदय विदारक घटना अब जिसे घटना कहें, दुर्घटना कहें, या सीधे की गई हत्या कहें?
और काफी देर से मैं सुन रहा था सत्ता पक्ष जिस प्रकार से इस बात को बार-बार बताने में लगे हुए थे कि उसमें फिटनेस था, उसका लाइसेंस था, उसके कागज बने हुए थे, उसके परमिट बने हुए थे. 

          मेरा एक सवाल जरूर है क्या यह होते या न होते, कागज होते या न होते, परन्तु इसके बावजूद भी बस अगर नहर में गिरती तो क्या यह दुर्घटना नहीं होती? अगर फिटनेस के कागज नहीं होते तो भी बस गिरती है तो भी मौतें होती हैं और फिटनेस के कागज होते तो भी गिरती है तो यह दुर्घटना और मौतें होती हैं. 54 मौतें जिसमें से 41 लोग वहां पर अपने परिवार के भविष्य को संवारने के सपने संजोए एक परीक्षा को देने जाते हैं, 31 वह लोग जो अपने परिवार के इकलौते चिराग के रूप में जाने जाते हैं, वहां पर वापस जब यह बात आती है तो व्यापम की परीक्षा देने जाते हैं व्यापम क्या यह वही व्यापम तो नहीं है जो हमेशा योग्यताओं का बेरहम कत्ल  और पढ़ने वालों का सामूहिक नरसंहार करता है?

 आज देश जब उन्नति और तरक्की पर है. गांव गांव में हम चुनाव के लिए बूथ बना सकते हैं. देश के अंदर आईआईटी की परीक्षा होती है, इतने टेक्नालॉजी के दौर में इतने सेंटर बन सकते हैं, परन्तु व्यापम वहां पर सीधी के पास सिंगरौली जिला होता है, सिंगरौली, सीधी, रीवा 3-3 जिले छोड़कर चौथे जिले में अगर उसकी परीक्षा का आयोजन करवाता है तो एक बड़ा गंभीर विषय इसके ऊपर है कि कैसे हम इसके ऊपर छोड़ दें कि यह मौतों के कारण में व्यापम नहीं आता है? और बात बड़ी अच्छी कही जो अभी मेरे पूर्व वक्ता ने कही कि सीमेंट कंपनी ने बड़ा अच्छा वह दिया कि यहां पर इतनी गाड़ियां निकलीं. सही बात है कि उस सीमेंट कंपनी की सांठगांठ के लिए, सीमेंट कंपनी की लोडिंग और अनलोडिंग के लिए 6-6 दिन के जाम चलते रहे और वहां पर जिस चुहियाघाटी की बात होती है जिसके नीचे एक सीमेंट प्लांट है वहां पर उस सीमेंट प्लांट के लिए कि लोडिंग अनलोडिंग होती रहे और 500, 1000 वाहन उनके खड़े रहे. कई बार लगातार जाम की स्थिति उत्पन्न होती रहती है. उसकी तो छोड़िए साथ में एक बड़ा जिस प्रकार से वहां पर अवैध खनन का कारोबार चलता है और जिसके माध्यम से जिन रोड़ों की स्थिति है.

3.27 बजे             {सभापति महोदय (श्री केदारनाथ शुक्ल) पीठासीन हुए.}

            सभापति महोदय, मुझे लगता है कि यह गंभीर विषय है कि कैसे इन चीजों के ऊपर एक सांठगांठ है, एक नेक्सस बना हुआ है और जिस कारण इस प्रकार की घटना होती है. इंडियन रोड कांग्रेस (आईआरसी) के नियम हैं कि कोई भी नहर के पास, इतने पास में कोई भी रोड नहीं हो सकती है. अगर यह रोड बनी है या तो यह भी एक जांच का विषय है कि यह नहर पहले बनी है कि वह रोड पहले बनी है?  अगर जिस रोड के बगल से ये लोग निकले, यह बस निकली है अगर उस रोड को बनाने का काम किसी ने किया है तो कहीं न कहीं इसकी भी जवाबदेही तय होना चाहिए कि आईआरसी के नियम के विरुद्ध जाकर नहर के इतनी पास रोड बनाने का काम कैसे हुआ? सवाल यह भी है कि इतनी मौतों के ऊपर जवाबदार कौन है? तो सिर्फ वहां पर सत्तापक्ष  उठकर हमने यह कर दिया, हमारे मुख्यमंत्री चले गये, अरे संवेदनशीलता सभी में है. जाने आने की बात नहीं है, संवेदनशीलता बहुत जरूरी है और पूरे प्रदेश में लगातार घटनाएं बढ़ती जा रही है और यहां पर बैठकर कांक्रीट साल्यूशन की जगह पर  सिर्फ  कैसे वाह वाही करें, कैसे (XXX) करने का काम करें इतनी बड़ी घटना के ऊपर कहीं न कहीं कई लोग बैठकर जो स्तूतिगान करने का काम कर रहे हैं.

          सभापति महोदय -- यह  शब्द विलोपित किया जाय.

          श्री कुणाल  चौधरी -- विपक्ष ने यह नहीं किया है जवाबदेही सत्ता की है कि विपक्ष की है, सत्ता पक्ष में बैठकर भी विपक्ष से सवाल पूछे जाते हैं कि आपने वहां पर क्या किया, आपने वहां पर लॉ एण्ड आर्डर कण्ट्रोल क्यों नहीं किया, वहां पर जो रोड ट्रेफिक जाम था वह कण्ट्रोल क्यों नहीं हुआ तो यह सवाल विपक्ष से उठाने का काम करते हैं. मैं इस पर ज्यादा कुछ न बोलते हुए एक सवाल करना चाहता हूं . मेरा सरकार से आग्रह है कि सीमेंट कंपनी पर भी केस किया जाय, जवाबदार व्यक्ति जिनके कारण कहीं न कहीं यह 6 - 6 दिन का जाम लगा जो कि बड़ी सांठ गांठ सीमेंट कंपनी और सरकार की है, जिस जाम के कारण यह 54 मौतें होने का काम हुआ है. इसकी जवाबदेही तय करने का काम करें. 5 लाख के मुआवजे की जो बात की है तो इस प्रदेश में मुआवजे के नियम बने हुए हैं. मुख्यमंत्री जी ने ही बनाये थे कि 4 लाख रूपये हर दुर्घटना  मृत्यु पर मिलते हैं. मेरा आग्रह है यह वह लोग थे जो कि अपने परिवार के भविष्य को संवारने का सपना लेकर निकले थे. यह वह लोग हैं जिनकी हत्या की कोशिश की गई है, जिस प्रकार से मंदसौर की घटना के अंदर 6 किसानों की हत्या की गई थी. सरकार के द्वारा उनको एक एक करोड़ रूपये दिये गये थे. उनको नौकरी देने का प्रावधान किया गया है.

          इन पढ़े लिखे परिवार के बच्चों के लिए  भी हमें वह ही व्यवस्था करना चाहिए. एक - एक करोड़ का मुआवजा देना चाहिेए और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देना चाहिए. सीमेंट कंपनी की भी जांच होकर एफआईआर होना चाहिए. इसमें जवाबदेही तय करके उन जवाबदारों पर सख्त से सख्त कार्यवाही करना चाहिए. सवाल बे फिटनेस  या फिटनेस का नहीं है बस फिटनेस वाली होती या बे फिटनेस वाली होती,  अगर बस नहर के अंदर जाती तो मृत्यु निश्चित थी और यह जानबूझकर की गई हत्याओं के कारणों में से एक दिखता है. आपने मुझे बोलने का मौका दिया मुझे लगता है कि गंभीर विषय है सरकार इस पर संवेदना के साथ में विचार करेगी.

          श्री रामेश्वर शर्मा -- ( अनुपस्थित )

          श्री बहादुर सिंह चौहान( महिदपुर ) -- सभापति महोदय यह सीधी बस दुर्घटना को लेकर विपक्ष द्वारा स्थगन प्रस्ताव यहां पर रखा गया है, जिस पर चर्चा चल रही है. बाण सागर की मुख्य नहर पर यह घटना हुई है और सीधी से सतना यह बस जा रही थी. इस बस की क्षमता 32 प्लस 2  की थी लेकिन उसमें ओवरलोड होकर 62 यात्री सवार थे. इ समें से 28 पुरूषों की मृत्यु हुई है 23 महिलाओं की मृत्यु हुई है 3 बच्चों की मृत्यु हुई है इस प्रकार से 62 में से 54 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है.

          सभापति महोदय बहुत गंभीर विषय पर लंबे समय से चर्चा चल रही है. बस का परमिट था  बस का इंश्योरेंस था ड्राइविंग लायसेंस था. यह सब चर्चा के बिंदू  आ चुके हैं. इसका सारांश कुल मिलाकर है कि मध्यप्रदेश सरकार के माननीय  जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट जी माननीय पिछड़ वर्ग मंत्री राम खेलावन जी और वहां के स्थानीय विधायक जो कि भाजपा के महामंत्री भी हैं श्री शरदेंदु जी यह दोनों घटना के लगभग दो घंटे के बाद में पहुंच गये थे. मैंने टी वी पर इनको देखा था. एक दिन के बाद में माननीय मुख्यमंत्री जी पहुंचे 12 परिवारों तक पहुंचे, अंत्येष्टि के लिए 10 - 10 हजार रूपये की व्यवस्था की गई. उनको 7 लाख रूपये की सहायता राशि दी गई यह सब चर्चा इसमें आ गई है. इसकी मजिस्ट्रियल जांच भी हो गई है, अब विपक्ष कह रहा है कि इसकी ज्यूडिशियल जांच करायें.इस घटना का ऐसा कौन सा छिपा हुआ विषय है जो कि आया नहीं है.इस घटना का ऐसा कौन सा छिपा हुआ विषय है जो आया नहीं है. सब कुछ विषय आ चुका है, फिर भी सरकार के द्वारा, माननीय मुख्‍यमंत्री जी के द्वारा इसकी मजिस्‍ट्रियल जांच के आदेश हो गये हैं. उस जांच में जो भी बिन्‍दु आएंगे उन पर कार्यवाही होगी. मोटर व्‍हीकल एक्‍ट 1988 के तहत बस मालिक के खिलाफ भी धारा 133, 112, 304(ए) का पुलिस प्रकरण दर्ज हो गया है. सरकार ने आकस्मिक कैबिनेट की बैठक बुलाई, उस पर चर्चा की. इतनी त्‍वरित गति से किसी घटना पर जो कार्यवाही नहीं हो सकती उतनी त्‍वरित गति से मध्‍यप्रदेश की शिवराज सिंह जी की सरकार ने कार्यवाही की है.

          सभापति महोदय, इस चर्चा का सारांश यह आता है कि उन मृतक परिवारों के लिये हम और क्‍या कर सकते हैं. उनको हम और क्‍या सहयोग पहुंचा सकते हैं. जो दोषी हैं उन पर तो सब कुछ कार्यवाही हो गई हैं, इसमें एक ही विषय आया है वह यह है कि न्‍यू इंडिया एश्‍योरेंस कंपनी, जो भी वाहन होता है उसका एश्‍योरेंस तो होता ही है, लेकिन उसमें बैठने वाले यात्रियों का भी एश्‍योरेंस होता है. इसलिये चूंकि एश्‍योरेंस कंपनियों से क्‍लेम ले लेना बड़ा कठिन विषय है, इसके सारांश के साथ मैं हृदय की गहराइयों से कहना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश की सरकार के द्वारा इनके लिये अच्‍छे से अच्‍छे एडवोकेट करवाये जावें और इस केस को पूरा ..   

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) -- सभापति महोदय, माननीय बहादुर सिंह जी कई बार कह चुके हैं कि विषय आ चुका है मैं पुनरावृत्ति नहीं करना चाहता, विपक्ष के कई लोग भी कह चुके हैं कि विषय आ चुके हैं हम पुनरावृत्ति नहीं करना चाहते, अब कार्यकारी नेता प्रतिपक्ष भी आ गये हैं, डॉ. गोविंद सिंह जी..(हंसी).. नहीं, आपके यहां परम्‍परा रही है, बाला बच्‍चन जी बरसों तक कार्यकारी नेता प्रतिपक्ष रहे हैं. कैसी बात कर रहे हैं, आपकी परम्‍परा रही है, मैं वैसे ही नहीं कह रहा, तो सभापति महोदय, मंत्री जी का जवाब आ जाय, इनको कुछ पूछना होगा तो इंटरप्‍ट कर लेंगे.

          सभापति महोदय -- अभी डॉक्‍टर साहब बकाया हैं.

          श्री एन.पी. प्रजापति -- सभापति महोदय, यह कार्यकारी मुख्‍यमंत्री जी बोल रहे हैं.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह -- सभापति महोदय, डॉ. साहब आपकी अनुमति हो तो मुझे थोड़ा इंटरप्‍ट करना है.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ -- नरोत्‍तम भाई, यह आपका दर्द बोल रहा है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- नहीं, मेरा दर्द और प्रसन्‍नता दोनों हैं. अखण्‍ड ज्‍योति जलाएं हैं भैया. अखण्‍ड ज्‍योति जल रही है. रिकार्ड बनाया है, अकेला मुख्‍यमंत्री.

          श्री पी.सी. शर्मा -- नरोत्‍तम जी, थोड़ा ही तो खिसकना है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- आपकी पीड़ा मैं समझ सकता हूं पीसी भाई, आपके संग जो अन्‍याय हुआ न विधि और विधायी देकर, मैं आज तक उस पीड़ा को भोग रहा हूं.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह -- सभापति जी, मैं विषय पर एक मिनट बोलना चाहता हूं.

          सभापति महोदय -- बहादुर सिंह जी, आप पूरा करें.

          श्री पी.सी. शर्मा -- बहादुर सिंह जी, सुबह तो आपने बच्‍चों की बड़ी अच्‍छी बात कही थी, यह भी बेरोजगार युवक थे, इनकी बात भी उसी दमदारी से बोलिये कि उनको रोजगार मिले और उनको एक करोड़ रुपये मिले.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदय, मैं उसी पर आ रहा हूं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने शासन की जितनी भी योजनाएं हैं, उनके लिये उनमें क्‍या-क्‍या किया जा सकता है, उन सबके निर्देश माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने वहां पर दे दिये हैं और मुझे उम्‍मीद है कि सरकार ने निर्देश दिये हैं उसमें यथासंभव कार्यवाही होगी. इसमें मेरा एक और सुझाव है कि जहां भी जल संसाधन विभाग द्वारा यह जो बड़े बांध बनाकर नहरें निकाली जाती हैं, तो जहां जंगल में निकलती हैं वहां कोई ट्रैफिक नहीं है इसलिये वहां कोई आवश्‍यकता नहीं है,  लेकिन जहां से ट्रैफिक होकर गुजरता है, वहां पर एक की-वॉल जरूर बननी चाहिये. यदि 2 फुट की भी की-वॉल उसके सहारे होती तो मेरा अपना यह मानना है, कॉमन सेंस से कह रहा हूं, वह बस उस नहर के अंदर नहीं गिरती. जल संसाधन विभाग को भी इस पर गंभीरता बरतते हुये कार्यवाही करनी चाहिये.

          सभापति महोदय, अभी एमपीआरडीसी का मामला आया, तो उसके बड़े से बड़े अधिकारी थे उनको निलंबित कर दिया गया, किसी भी क्षेत्र में सरकार ने कार्यवाही करने से कोई कोताही नहीं बरती है. बहुत अच्‍छी कार्यवाही सरकार ने, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने और भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जो कुछ हो सकता था वह सब कुछ किया है. अंत में मेरा इतना ही कहना है, एक बार पुन: इसका रिपिटेशन कर रहा हूं कि बीमा क्‍लेम इन 54 व्‍यक्तियों को कैसे दिलवाया जाए इस पर जरूर हमारा प्रयास होना चाहिये. सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

            श्री लक्ष्‍मण सिंह (चाचौड़ा) -- सभापति महोदय, मैं एक मिनट लेना चाहूँगा, विषय से संबंधित बात उठाना चाहता हूँ. सभापति महोदय, अभी प्रदेश शासन ने एक निर्णय लिया है. बहुत सारे बस स्‍टैंड्स की जमीन बेच दी है, बस स्‍टैंड्स बेच दिए हैं. गुना का हमारा बस स्‍टैंड बिक गया है. मेरी अपनी विधान सभा चाचौड़ा का बस स्‍टैंड बिक गया है और भी बहुत सारे बस स्‍टैंड्स बिक गए हैं. अब बसों को खड़ी करने के लिए कहीं जगह नहीं है. ड्राइवर की इच्‍छा जहां होती है, वहां बस खड़ी कर लेता है. भविष्‍य में ऐसी कोई दुर्घटना न हो, भगवान न करे, बस हर कहीं खड़ी है, कोई सुरक्षित स्‍थान नहीं है. उसमें कहीं कोई छेड़छाड़ कर दे तो फिर कहीं दुर्घटना न हो जाए. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूँ कि बसें यात्रिओं को रात में कहीं भी उतार देती हैं, बस स्‍टैंड ही नहीं है, कहां बस खड़ी करेंगे. यात्रिगण रात में 12-12, 1-1 बजे, महिलाएं, बच्‍चे पैदल चलते हुए अपने घर जाते हैं. उनकी सुरक्षा का कौन ध्‍यान रखेगा. इसलिए सभापति महोदय, आप शासन को आदेशित करें कि जहां-जहां भी आपने बस स्‍टैंड्स बेचे हैं, और पता नहीं क्‍या-क्‍या बेचा है और क्‍या-क्‍या बेचने वाले हैं, ये आप जानें, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे, पर बस स्‍टैंड की व्‍यवस्‍था आप जल्‍दी कीजिए. कलेक्‍टर्स को आदेश दीजिए, जहां-जहां बस स्‍टैंड बिक गए हैं, वहां नवीन बस स्‍टैंड बनाएं, अच्‍छे बस स्‍टैंड बनाएं, जिससे कि लोग सुरक्षित रहें. साथ ही बस स्‍टैंड्स में सीसीटीवी कैमरे लगाएं, इससे पेसेंजर्स की सुरक्षा रहेगी और बसों से कोई छेड़छाड़ न करें, यही मुझे कहना है. धन्‍यवाद.

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) -- सभापति जी, इसमें वह नहर में बस गिरी थी, वह विषय क्‍या था, ये कह रहे थे कि विषय से संबंधित है ? .. (व्‍यवधान)..

            श्री लक्ष्‍मण सिंह -- सभापति महोदय, बस के मैनेजमेंट से संबंधित है. .. (व्‍यवधान)..

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- सभापति जी, ये बड़ी दिक्‍कत है, जब इन्‍होंने बोला, मैंने इनकी बात मानी. लक्ष्‍मण सिंह जी के साथ क्‍या दिक्‍कत आई हमेशा कि जब ये सरकार में आए, तब उनने नहीं समझी इनकी बात, ये विपक्ष में आ गए तो इधर नहीं समझ रहे हैं इनकी बात. ये गंभीर विषय नहीं है बस स्‍टैंड का बेचना, नहीं बेचना, ये विषयांतर कहलाता है और इस गंभीर मुद्दे का विषयांतर न करें. .. (व्‍यवधान)..

          श्री लक्ष्‍मण सिंह -- सभापति जी, बस इसलिए गिरी कि बस का मेन्‍टेनेन्‍स नहीं था.  मेन्‍टेनेन्‍स को लेकर ही मैंने सवाल उठाया है. .. (व्‍यवधान)..

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर -- सभापति जी, अगर बस स्‍टैंड होता तो आपकी पुलिस देखती कि कितनी सवारियां हैं, अगर 64 सवारियां भर कर चलेंगे तो एक बस स्‍टैंड की जरूरत क्‍यों नहीं है ? .. (व्‍यवधान)..

          सभापति महोदय -- स्‍थगन पर विचार कई माननीय सदस्‍यों द्वारा रख दिए गए हैं तथा शेष सदस्‍य कृपया संक्षेप में अपनी बात रखें.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ (महेश्‍वर) -- माननीय सभापति महोदय, मेरा नाम आता है, तभी संक्षेप में हो जाता है.

          सभापति महोदय -- आप बोलें.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अभी मैं बोलने के लिए खड़ी ही हुई हूँ और आपने बोल दिया है कि संक्षेप में बोलें. मैं संक्षेप में ही बोलूंगी, प्‍वॉइंट्स ही रखूंगी.

          सभापति महोदय, आरोप-प्रत्‍यारोप, हास-परिहास, विषय गंभीर था, संवेदनशील था, लेकिन एज यूजवल, नरोत्‍तम भाई, अपने हास-परिहास से वातावरण को जो बना देते हैं, मेहरबानी करके विषय की संवेदनशीलता को भी हम देखें. अर्थों में अनर्थ न हो जाए, जो चीज सदन में होती रहती है. सदन की गरीमा बनाए रखना हम सबका कर्तव्‍य है. देश में मध्‍यप्रदेश का सदन बहुत महत्‍वपूर्ण है, लेकिन तार-तार नहीं होने दें, 20 मार्च की घटना में जो तार-तार किया गया था.

          आदरणीय सभापति महोदय, सारे वक्‍ताओं ने सारी चीजें यहां बोल दी, मैं इतना ही कहना चाहती हूँ कि घटनाएं घटित होती रहती हैं, पिछली सरकार ने क्‍या किया, पिछली घटनाएं क्‍या घटित हुईं, कितने व्‍यक्‍ति उसमें काल के गाल में समा गए. आज जिन्‍होंने अपनों को खोया, उनकी अगर हम कल्‍पना करें तो मैं समझती हूँ कि यहां बैठा हुआ हर सदस्‍य उसको गंभीरता से लेते हुए इस बात की ओर हम ध्‍यान दें कि इस स्‍थगन प्रस्‍ताव पर सिर्फ सदन के माननीय सदस्‍य ही भाग लेकर सिर्फ हम ही नहीं देख रहे हैं या चर्चा में भाग लेकर इसमें समाहित नहीं हो रहे हैं, ये पूरा प्रदेश देख रहा है और खासकर जिन्‍होंने अपनों को खोया है, उनके परिवार वाले देख रहे हैं कि इस स्‍थगन से क्‍या निचोड़ निकलेगा और हम तक क्‍या चीजें आएंगी, जो हम परिवार को चला सकें. आप उस बूढ़ी अम्‍मा को देखें, जो दादी है, उसकी पीड़ा को देखें, जो कमलेश्‍वर भाई ने कहा, जिसके कंधों पर उसको जाना था, वह उस दादी के कंधों पर गया. उसकी बहू जो जनपद सदस्‍य थी, उसका बेटा, दोनों की मृत्‍यु हो गई, वे दो छोटे-छोटे बच्‍चे छोड़ गए, अब उस दादी ने उनको कैसे पालना, प्रदेश की सरकार, देश की सरकार चार लाख रुपये दे देगी, दो लाख रुपये दे देगी, इससे क्‍या होगा. जो कर्णधार थे, जो भविष्‍य में अपना घर-बार चलाते, जो मुखिया थे, जिनके ऊपर सारे घर का भार था. जो परीक्षा देने बहुत दूर गए थे. होना यह चाहिए था कि उसी जिले के अंदर सेंटर कायम होने थे और व्‍यापम-व्‍यापम की बात हुई कि व्‍यापम की परीक्षा देने गए थे. व्‍यापम शब्‍द को बदलिए, माननीय नरोत्‍तम मिश्र जी. व्‍यापम घोटाले ने 70 लोगों की जानें इसी प्रदेश में ली हैं और इसी व्‍यापम ने सीधी में 50 से अधिक जानें ले लीं और नाम बदलने में तो आप लोग बहुत माहिर हैं तो व्‍यापम का नाम बदलकर दूसरा कर दीजिए क्‍योंकि व्‍यापम से तो लोगों की मौतें ही मौतें हो रही हैं, मेरा आपसे इतना ही निवेदन है.

          माननीय सभापति महोदय, आप धारा 304 लगाएं, धारा 304 ए लगाएं. आप जो पैसे दे रहे हैं, राज्‍य सरकार 4 लाख रुपए दे रही है केन्‍द्र सरकार ने दिया, इससे क्‍या होगा ? आप लोग यह सोचें कि उसके परिवार को चलाने के लिए जो उनका मुखिया मरा है, जो बेचारा नौकरी के लिए गया था उसकी क्‍या बेहतर व्‍यवस्‍थाएं हम लोग कर सकें और यह घटना फिर न हो, क्‍योंकि वर्ष 2011 में भी बड़वानी जिले में एक घटना हुई थी जिसमें एक बस के अंदर 15 यात्री जलकर मर गए थे. मुझे बताया गया चूंकि मैं उस वक्‍त सदन की सदस्‍य नहीं थी, लेकिन मुझे बताया गया कि आपने उस वक्‍त एक कमेटी बनाई थी, आपकी सरकार थी. उस कमेटी में क्‍या निष्‍कर्ष निकला, उस कमेटी ने क्‍या निर्णय लिए क्‍योंकि हम चर्चा दो दिन कर लेंगे, चार दिन तक याद रहेगी, फिर भूल जाएंगे फिर अगली दुर्घटना होगी, फिर बैठेंगे फिर सदन बैठेगा, फिर चर्चाएं होंगी फिर वही की वही परम्‍परा चलती रहेगी तो हम लोग कम से कम जो तार्किक बातें आयी हैं, पक्ष और विपक्ष के लोगों ने जो मुद्दे उठाये हैं जो चीजें निकलकर आयी हैं इसका कन्‍क्‍लूजन करते हुए इसका जो निचोड़ हो, उसको संज्ञान में लेते हुए मेरा निवेदन है, मेरी प्रार्थना है कि सब गरीब परिवार के लोग थे आप बस मालिक पर कार्यवाही करेंगे, ड्राइवर पर कार्यवाही करेंगे वहां पर जो छोटे-छोटे कर्मचारी उपस्थित थे, उन पर कार्यवाही करेंगे लेकिन जिनके अपने गए हैं उनको इससे क्‍या मिलेगा उनके बारे में भी सोचें, कुछ नीतिगत निर्णय लें. कुछ ऐसे नियम बनते हैं चाहे आप सरकार में हों, आप बनाते हैं चाहे हम सरकार में होंगे, तो हम बनाएंगे या बनाएं होंगे. कई वर्षों से चला आ रहा है, संविधान बना है लेकिन क्‍या उसका क्रियान्‍वयन इम्‍प्‍लीमेंटेशन प्रॉपर ग्राउंड पर होता है या नहीं होता है ? उसको देखने की जवाबदारी किसकी है, उसको देखने की जवाबदारी सरकार में बैठे हुए नुमांइदों की है. पक्ष का कौन गया, विपक्ष का कौन गया, इसमें हम न जाते हुए, हमको उन लोगों के लिए क्‍या करना है और भविष्‍य में इतना खौफ़ पैदा हो जाए कि दुर्घटनाएं घटित ही न हों, इसके ऊपर हम लोगों को ज्‍यादा से ज्‍यादा ध्‍यान देने की गंभीरता से आवश्‍यकता है.

          माननीय सरकार से हाथ जोड़कर मेरी प्रार्थना है कि गरीब परिवार के लोगों की उसमें मौतें हुईं हैं उनके भविष्‍य को देखते हुए, उनके परिवार को देखते हुए कोई ऐसा निर्णय लिया जाए, ताकि उनका भविष्‍य सुधर सके. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री लखन घनघोरिया -- अनुपस्थित.

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) -- माननीय सभापति महोदय, 16 तारीख मध्‍यप्रदेश के इतिहास में एक दुखद घटना जब मध्‍यप्रदेश के सम्‍मानीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के संज्ञान में सुबह-सुबह आयी तो इस घटना की गंभीरता को देखते हुए उन्‍होंने अपने सारे कार्यक्रम निरस्‍त किए. तत्‍काल केबिनेट की बैठक बुलवाई. उसमें मुझे और पटेल साहब को निर्देशित किया. रीवा से होते हुए सीधी गए. बाकी यह घटना शब्‍दों में व्‍यक्‍त नहीं की जा सकती. दिल और दिमाग को झकझोर करने वाली घटना थी कि उस बाणसागर की नहर में एक बस का गिर जाना और उसमें 54 व्‍यक्तियों की मौतें और 6 लोग उसमें बचे हैं. जब हम उस स्‍थान पर गए. हमारे साथ सम्‍मानीय मंत्री पटेल जी, विधायक जी, सांसद जी और आप भी थे. घटना की विस्‍तृत जानकारी हर अधिकारियों के साथ मुख्‍यमंत्री के निर्देश पर कमिश्‍नर से लेकर, कलेक्‍टर से लेकर, एसपी से लेकर, आईजी से लेकर हर व्‍यक्ति उस राहत के कार्य में लगा था. उसके बाद जहां पर एक मॉं, एक बहन उस लाश के पास बैठी थी. वह दृश्य आज भी हम और आप सबको सोचने पर मजबूर करता है. जिस प्रकार से एक माँ अपने बेटे को खोती है, एक पिता अपने बेटे को खोता है, एक बहन अपने भाई को खोती है, यह घटना वाकई में बहुत गंभीर थी. निरन्तर इस घटना की विस्तृत जानकारी सम्माननीय मुख्यमंत्री, दोनों मंत्री द्वय से, कमिश्नर से और आला अफसर से, निरन्तर संपर्क में थे और जब तक हम लोग वहाँ थे 34 शव मिल चुके थे और बाद में 53 मिलने के बाद एक दिन बाद एक, 53 मिले 1 मिले और वाकई में मुख्यमंत्री जी ने जो तुरन्त एक राहत उस परिवार को दे सकते थे पाँच लाख रुपये, उसकी घोषणा की. देश के प्रधानमंत्री सम्माननीय मोदी जी की तरफ से दो लाख रुपये और जहाँ पर घटना घटी थी तुरन्त उनको वर्तमान में क्या क्या सेवाएं हम मुहैया करा सकते थे, संज्ञान में सब आ चुका है कि उस परिवार को, जो घटना घटी है उसके घर पर उस शव को कैसे भेजा जाए, इसकी भी व्यवस्था सरकार कर रही थी. मैंने इस घटना के बाद सम्माननीय मुख्यमंत्री जी को पूरी घटना की विस्तृत जानकारी दी. वाकई में यह सरकार कितनी गंभीर है, कौन गया, कौन नहीं गया, यह महत्वपूर्ण नहीं है, पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री......

          श्री कमलेश्वर पटेल(सिंहावल)--  माननीय सभापति महोदय, घटना घटी क्यों उस पर बात नहीं कर रहे हैं. ये तो सारी चीजें सबको मालूम है.

          श्री तुलसीराम सिलावट--  पटेल जी, सुनिए.

          श्री कमलेश्वर पटेल--  आप गए, मुख्यमंत्री जी गए......

          श्री तुलसीराम सिलावट--  पटेल जी, जब आप बोल रहे थे मैंने नहीं बोला.

          श्री कमलेश्वर पटेल--  पर आप चूँकि जिम्मेदार हैं, आप मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री हैं....

          श्री तुलसीराम सिलावट--  जब आप बोल रहे थे मैंने एक शब्द नहीं बोला.

          श्री कमलेश्वर पटेल--  आप जिम्मेदार हैं, आप सरकार की तरफ से वक्तव्य दे रहे हैं तो यह बताइये कि जो व्यापम ने परीक्षा केन्द्र बनाया था इसके लिए कौन दोषी है, अगर परीक्षा केन्द्र सतना में नहीं होता तो शायद इतने लोग वहाँ नहीं जाते और फिर जो जाम लगा उसके लिए कौन दोषी है? इस पर क्या कार्यवाही करेंगे, इन सब चीजों पर बात करें बाकी तो सारी चीजें सबको मालूम है.

          श्री तुलसीराम सिलावट--  पटेल जी, सुनिए आप भी सरकार में रहे हों, मैं भी सरकार में रहा हूँ, मैं भी सरकार में हूँ. सभापति महोदय, जो यह पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं तो हमारे बेटे और बेटियों को परीक्षा देने के लिए जाना था तो एक मापदण्ड बना है मध्यप्रदेश का कि किस मुख्यालय पर हम परीक्षा लेंगे, पर जो पीड़ा या दर्द आपको है वह मुझे भी है कि सेंटर कहाँ बने कहाँ नहीं बने, यह बाद का विषय है. विषय यह है कि मुख्यमंत्री जी ने कितनी गंभीरता से इस मामले को लिया, जो घटना घटी....

          श्री कमलेश्वर पटेल--  माननीय सभापति महोदय, क्या सरकार की यह त्रुटि नहीं है कि परीक्षा केन्द्र इतनी दूर क्यों बनाया गया? ऑन लाइन मीटिंग, वर्चुअल मीटिंग, सब हम जिला मुख्यालय, ब्लाक मुख्यालय में करते हैं.....

          सभापति महोदय--  माननीय कमलेश्वर पटेल जी, आपका स्थगन है, आपने सारी बातें कह दी हैं, बीच में (XXX) बोलना कोई नियम थोड़े ही है.

          श्री तुलसीराम सिलावट--  मंत्री रहे हों भाई.

          श्री कमलेश्वर पटेल--  माननीय सभापति महोदय, (XXX) बोलना एक अन्दर की पीड़ा है, आप भी वहीं से हैं, आपके क्षेत्र के भी कई लोगों की जान गई हैं, यह अन्दर की पीड़ा है.

 

 

          सभापति महोदय--  वह जो बात कह रहे हैं उसमें मैं स्वयं शामिल था मुख्यमंत्री जी के साथ मैं भी गया हूँ घर-घर, जन-जन तक, पहुँचे हैं.

          डॉ गोविन्द सिंह--  सभापति जी, आपका वचन, सब कुछ सही है लेकिन (XXX).....

          सभापति महोदय--  भाई उठ कर बोलना, वही बात है.

          डॉ गोविन्द सिंह--  यह अपने नियमों में नहीं है.

          सभापति महोदय--  ठीक है, निकाल दीजिए.

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र)--  हाइट कम है तो थोड़े  वे ऐसे एकदम उठते हैं तो (XXX) लगता है.

          सभापति महोदय--  वही लगता है.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--  माननीय सभापति महोदय, सिंगरौली, सीधी, रीवा, रीवा के बाद सतना है. तीन जिलों के बाद सतना है. सिंगरौली से, सीधी से और रीवा के बाद सतना लाकर वह आपने केन्द्र बना दिया, इस पर आप बात नहीं कर रहे हैं. आपने इतनी दूर क्यों बना दिया, तीन तीन जिले क्रॉस करके? इस पर आप बात नहीं कर रहे हैं और घड़ियाली आँसू बहा रहे हैं. बच्चे मर गए उसमें...(व्यवधान)..

            सभापति महोदय -- यह प्रश्नकाल नहीं है, कृपया बैठ जाएं.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- सदन है, सदन को गुमराह भी नहीं करना चाहिए. आप क्यों नहीं बता रहे हैं कि तीन जिले क्रास करके आप सेन्टर बना रहे हैं.

          सभापति महोदय -- यह प्रश्नकाल नहीं है, कृपया पधारें.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- रीवा में सेन्टर नहीं है, पुराना संभाग रीवा है, जिला सीधी है, सिंगरौली है उसके बाद जरुरी है कि सतना बनाएं. आज इतने बच्चे खत्म हो गए और आप घड़ियाली आँसू बहा रहे हैं.

          श्री तुलसीराम सिलावट -- सभापति महोदय, लौटकर आने के बाद विस्तृत जानकारी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को दी, उनकी गंभीरता को देखिए. वे सुबह खुद सीधी गए 24 परिवार थे वे एक-एक के घर गए. सभापति महोदय आप भी साथ थे, हमारे विधायक जी भी साथ थे, सांसद जी भी थे. शासन जो कर सकता था वह कर रहा है और जो कर सकता है वह करने की कोशिश भी करेगा. ऐसा भी नहीं कि कोई औपचारिकता के लिए गए, रात को वहीं रुके और संबंधित अधिकारियों को बैठकर निर्देश दिए. रात को 10 बजे सारे आला अफसरों की सम्माननीय मुख्यमंत्री जी ने बैठक ली और समीक्षा की कि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति मध्यप्रदेश के किसी भी कोने में न हो, क्योंकि घटना न उधर की है न इधर की है. हम सभी के दिल और दिमाग को हिला देने वाली है. मैं सम्माननीय विधायक जी को यह भी याद दिलाऊंगा, दो पिछली घटनाओं का उल्लेख मैंने नहीं किया है. आपको मेरे से बेहतर पता है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और मध्यप्रदेश की सरकार मृतकों के परिवारों के प्रति वचनबद्ध है, कटिबद्ध है और उनके हर दुख सुख में उनके साथ खड़ी है.

          सभापति महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.

          परिवहन मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- माननीय सभापति महोदय, प्रजातंत्र के इस मंदिर में प्रदेश की 7 करोड़ जनता हम सारे पक्ष और विपक्ष के माननीय जनप्रतिनिधियों को इसलिए भेजती है, 230 पक्ष और विपक्ष के विधायक हम यहां पर बैठे हैं. प्रदेश की 7 करोड़ जनता को यह अपेक्षा और उम्मीद रहती है भगवान न करे कि कभी इस प्रकार की घटना घटे और उस पर चर्चा हो, परन्तु अप्रिय घटना पर हम उनके हितों की गंभीरतापूर्वक एक परिवार की तरह रक्षा करें. कोई कितनी भी आलोचना करे परन्तु सीधी के बस हादसे का आया हुआ यह स्थगन इस बात का प्रमाण है कि पक्ष और विपक्ष दोनों ने इसकी न केवल संवेदनशीलता को समझा बल्कि विपक्ष ने और हमारे साथी कमलेश्वर पटेल और उनके अन्य साथियों ने जब इस मुद्दे को रखा तो गंभीरतापूर्वक सरकार ने हमारे संसदीय कार्य मंत्री ने इसे स्वीकार भी किया.

 

 

3.54 बजे         {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

          अध्यक्ष महोदय, हमारी जागरुकता के बावजूद भी घटनाएं घटती हैं. मैं डॉ. गोविन्द सिंह जी को धन्यवाद देना चाहूँगा कि जिन्हें सच बोलने के मामले में मध्यप्रदेश में आज नहीं पहले भी जाना जाता था. मैंने कांग्रेस सरकार में देखा है.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र -- गोविन्द सिंह जी यह तो तारीफ के काबिल बात है. मैं आपको मक्खन नहीं लगा रहा हूँ, यह सच बात है कि आप बेबाक बोलते हो और सटीक बोलते हो, तारीफ कर रहा हूँ, वे भी कर रहे हैं.                   

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर-- श्रीमान आपको किसने रोका है आप भी सच बोल दिया करो.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- मुझे दिक्‍कत यह आती है कि मेरे सामने आप जैसे पड़ जाते हैं.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर-- तो क्‍या हुआ?

            डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- जब आप जैसे पड़ जाते हैं तो आपकी भाषा बोलता हूं. गोविन्‍द सिंह जी के सामने गोविन्‍द सिंह जी जैसी भाषा बोलता हूं.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर-- पड़ोस का भी ध्‍यान रखा करो उनके सामने ही सच बोल लिया करो.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बात मैंने इस लहजे में कही कि गोविन्‍द सिंह जी हमारे बड़े भाई हैं पिछली केबिनेट में भी जब कोई बात आती थी तो सिर्फ गोविन्‍द सिंह जी ही वह व्‍यक्ति थे जो सच बोलने की हिम्‍मत रखते थे. हम इनके पीछे-पीछे होते थे आप सब हमारे पीछे होते थे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- अध्‍यक्ष महोदय, यह दोनों गोविन्‍द हैं और पिछली केबिनेट में खुद ने तो [XXX] रखे और भैया को सहकारिता दिलवा दिया और कह रहे हैं कि हम इनके पीछे-पीछे थे.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्‍यक्ष महोदय, यह शब्‍द कार्यवाही से हटा दीजिए.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल-- अध्‍यक्ष महोदय, यह मलाई क्‍या होता है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- आपको समझ में नहीं आया था वह ग्रामीण विकास था.

          अध्‍यक्ष महोदय-- यह शब्‍द कार्यवाही से विलोपित कर दें.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गंभीर विषय पर चर्चा हो रही है मैं चाहूंगा कि इस प्रकार की चर्चा आपकी इजाज़त के बिना न हो. अध्‍यक्ष महोदय, मैंने यह बात इसलिए कही कि डॉ. गोविन्‍द सिंह जी ने इस बात को स्‍वीकार किया कि घटनाएं होती हैं, घटनाओं को कोई रोक नहीं सकता है. घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, घटनाएं न घटें इस बात का प्रयास सरकार को करना चाहिए, विपक्ष को करना चाहिए, हम सभी को जागरुक रहकर करना चाहिए. यह बात सत्‍य है आज हम देखते हैं कि कभी-कभी परिवार का मुखिया जो स्‍वयं गाड़ी चलाता है उसके बच्‍चे, उसकी बहन और उसके परिवार के लोग गाड़ी में बैठे रहते हैं तो क्‍या परिवार का मुखिया चाहेगा कि उसकी गाड़ी से दुर्घटना हो जाए, लेकिन जाने अनजाने में दुर्घटनाएं होती हैं. अभी हमने देखा कि देवास से छ: दोस्‍त एक साथ कहीं से पार्टी करके आ रहे थे. छ: दोस्‍तों की स्‍पॉट पर ही मृत्‍यु हो गई और सारे के सारे लोग खत्‍म हो गए. कभी हम देखते हैं कि बाढ़ आती है बस पानी में बह जाती है, कभी मोटरसाइकल बह जाती है, कभी हम देखते हैं कि बड़े ही होनहार बच्‍चे डॉक्‍टर, इंजीनियर रोड पर बिना हेलमेट लगाए मोटरसाइकल चलाते हैं और एक्‍सीडेंट का शिकार हो जाते हैं तो यह बात मैं मानता हूं कि घटनाएं घटती हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, कौन व्‍यक्ति इन घटनाओं पर दुखी नहीं होता है हर व्‍यक्ति इन घटनाओं पर दुखी होता है क्‍योंकि हर व्‍यक्ति का परिवार है और जब परिवारों के साथ तुलना करो तब वह घटना की याद आती है कि घटना कितनी दुखदायी होती है. यह घटना ऐसी ही घटना थी. मैं पिछली घटनाओं पर नहीं जाना चाहता हूं. चूंकि इस पक्ष का उल्‍लेख कई बार किया है इसलिए मैं इसका उल्‍लेख करना चाहूंगा. मेरे मित्र अरविंद जी के यहां बसंत पंचमी पर सरस्‍वती जी का पूजन था और मैं उस दिन उनके यहां पूजन में प्रसाद ग्रहण कर रहा था उसको ही इतना मुद्दा बना दिया मैं समझता हूं कि इस प्रकार के मुद्दे, इस प्रकार की बेवजह खबरे नहीं बनना चाहिए. चाहे हमारी हों या आपकी हो. सत्‍य तो यह है कि दुख होता है और उस दुख के साथ- साथ आज हम क्‍या करें यह करने की आवश्‍यकता हम सभी के लिए है. अध्‍यक्ष महोदय, बहुत सारी बातें आ चुकी हैं लेकिन चूंकि मैं इस विभाग का मंत्री हूं मैं यह बताना अपना कर्तव्‍य समझता हूं. बहुत लोगों ने कहा और मैंने अखबारों में भी पढ़ा की गाड़ी बहुत पुरानी थी, खटारा थी. गाड़ी पुरानी और खटारा नहीं थी. गाड़ी सात वर्ष पुरानी थी. दिनांक एक जनवरी 2014 का मॉडल था दस साल पुरानी गाड़ी ही पुरानी होती थी. हम लोगों की पांच छ: साल पुरानी गाड़ी बहुत अच्‍छी चलती है. मुख्‍य जो परिवहन विभाग का कर्तव्‍य है कि कहीं भी घटना घटती है तो हम देखते हैं कि परमिट है कि नहीं, उसकी फिटनेस है कि नहीं यही बातें आएंगी क्‍योंकि यह बातें कई बार आ चुकी है लेकिन मुझे यह बताना आवश्‍यक है कि गाड़ी का परमिट दिनांक 13 मई 2020 से 12 मई 2025 तक वैध था. यदि हम फिटनेस की बात करें तो फिटनेस दिनांक 3 मई 2019 से 2 मई 2021 तक वैध था. बस का बीमा दिनांक  28 सितम्‍बर 2021 तक वैध था और चालक विश्‍वकर्मा का लाइसेंस 3.8.2019 से 2022 तक वैध था. हमारे साथी कमलेश्‍वर  पटेल जी ने ओवरलोडिंग की बात कही. ओवरलोडिंग की जांच हमेशा होती है. मैं यहां विगत दो वर्षों के आंकड़े रखना चाहूंगा. विगत दो वर्षों में 24.2.2021 तक 16 हजार 862 वाहनों के चालान किए गए. 9 हजार 498 ओवरलोड के, 5 हजार 112 बिना परमिट के, 3 हजार 252 बिना फिटनेस के, और इस तरह 3 करोड़ 80 लाख रुपये का जुर्माना किया गया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह केवल अभी नहीं अपितु यह जांच भविष्‍य में भी जारी रहेगी. मैंने पूरे प्रदेश में आर.टी.ओ. और अपने कमिश्‍नर के लिए निर्देश जारी किए हैं कि यदि कोई भी बस ओवरलोड हो, फिटनेस न हो, परमिट न हो, बीमा न हो, उसके आपातकालीन गेट न खुलते हों, सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाईन के अनुरूप यदि बस न हो तो उस पर तत्‍काल कार्यवाही की जाये. चाहे बस किसी भी व्‍यक्ति की हो, किसी भी बड़े व्‍यक्ति को बक्‍शने की आवश्‍यकता नहीं है, य‍ह कार्यवाही आज भी लगातार जारी है और आगे भी यह कार्यवाही जारी रहेगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कमलेश्‍वर  पटेल जी ने एक बात और कही और कई अन्‍य लोगों ने भी इस बात को उठाया कि प्रतियोगिता परीक्षा का सेंटर दूर था. ये सेंटर आज नहीं बने थे, ये सेंटर आज स्‍वीकृत नहीं हुए हैं, ये पहले के हैं. मैं यह बात स्‍वीकार करता हूं कि भोपाल में 9, दमोह में 1, ग्‍वालियर में 2, इंदौर में 10 जबलपुर में 18, सागर में 4, सतना में 6, उज्‍जैन में 3 परीक्षा सेंटर थे. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी के सम्‍मुख यह बात गंभीरता के साथ रखूंगा कि भविष्‍य में ऐसी कोशिश हो कि हमारे जिलों में ही प्रतियोगिता परीक्षाओं के सेंटर बनाये जायें ताकि बच्‍चों को परीक्षा के लिए दूर न जाना पड़े. हम आपकी यह बात स्‍वीकार करते हैं और आपकी बात का सम्‍मान करते हैं. 

          श्री कमलेश्‍वर  पटेल-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सरकार की तरफ से जवाब आ रहा है क्‍योंकि अब मुख्‍यमंत्री जी, संसदीय कार्य मंत्री अथवा गृह मंत्री जी का जवाब तो आयेगा नहीं. यह अंतिम जवाब आ रहा है. मेरा आपके माध्‍यम से यह निवेदन है कि यह घोषणा हो जाये कि भविष्‍य में युवा बेरोजगारों के लिए कोई भी परीक्षा आयोजित होगी तो वह जिला मुख्‍यालय में ही होगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि आप जो पिछले एक वर्ष का आंकड़ा ओवरलोडिंग और चैकिंग का गिना रहे हैं तो मैं बता देना चाहता हूं कि सीधी जिले में विगत एक वर्ष में ओवरलोडिंग की कोई भी चैकिंग वहां हुई ही नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आपकी बात आ गई, आप बैठ जायें.

          श्री गोविंद सिंह राजपूत-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यदि माननीय सदस्‍य की गाड़ी या आस-पास के किसी मित्र की गाड़ी पकड़ी गई होगी या पकड़ी जायेगी तो फिर फोन नहीं करना. मैं पुन: कह रहा हूं कि मैं गंभीरतापूर्वक अपनी बात मुख्‍यमंत्री जी के समक्ष रखूंगा कि प्रतियोगी परिक्षायें जिला स्‍तर पर ही हों. 

          श्री कमलेश्‍वर  पटेल-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी कोई गाड़ी नहीं है और जितनी चैकिंग करवाना हो करवायें, हमने कभी फोन नहीं किया है. यह सरकार का पूरा अधिकार है. हम न गलत काम करते हैं और न गलत काम करने वालों का साथ देते हैं.

          ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर)- अभी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली नहीं है. अभी रूक जाओ, नंबर आ जायेगा तब बोलोगे.

          श्री गोविंद सिंह राजपूत-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, डॉ. गोविंद सिंह जी ने जिला शहडोल के थाना जयसिंह नगर की बात रखी थी. मैं बताना चाहूंगा कि दिनांक 16.2.21 को बस क्रमांक एम.पी.15 18पी. 1024 प्रात: 5.45 बजे अनियंत्रित होकर पलट गई, जिसमें धनुष साहू की मौत हो गई और 18 यात्री घायल हो गए. आरोपी बस चालक दयाशंकर शुक्‍ला के विरूद्ध थाना जयसिंह नगर में अपराध धारा 279, 337, 304 (ए) आई.पी.सी. के तहत दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है. डॉ. गोविन्‍द साहब ने 32 सीटर बस की बात रखी थी. अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश शासन परिवहन विभाग द्वारा मध्‍यप्रदेश मोटरयान अधिनियम, 1994 के नियम-77 में दिनांक 28 दिसम्‍बर, 2015 को अधिसूचना जारी कर संशोधन प्रावधान लागू किया गया कि 50 + 2 से कम बैठक क्षमता के साधारण यात्री बसों को 75 मिलोमीटर से अधिक लम्‍बी दूरी का परमिट नहीं दिया जायेगा, यह सही है. परन्‍तु 77-1(ख) के प्रावधानों के अनुसार ऐसी मंजिला गाडि़यों पर लागू नहीं होगा जिनका पंजीयन उक्‍त अधिसूचना अर्थात् 28 दिसम्‍बर, 2015 के पूर्व हो चुका है और यह मामला ग्‍वालियर कोर्ट में भी लंबित है, वीरेन्‍द्र तिवारी विरूद्ध स्‍टेट ऑफ मध्‍यप्रदेश अन्‍य प्रकरण में यही व्‍याख्‍या की गयी है. इसलिये नये परमिट लम्‍बी दूरी के जो आपने कहा 32 सीटर, अब जारी नहीं हो रहे हैं.

           अध्‍यक्ष महोदय, जहां तक घटना की तुरंत जांच और बचाव कार्य की बात है, घटनाएं भी बहुत घटी हैं , राजनीति में 25 साल से तो मैं भी देख रहा हूं, पर जितना तुरंत गति से निर्णय ना केवल निर्णय, बल्कि घटना घटने के बाद क्‍या वहां व्‍यवस्‍थाएं करना, यह सब चीजें देखता हो तो मैं समझता हूं कि माननीय शिवराज सिंह जी से सीखना चाहिये. जैसे ही उन्‍हें घटना की जानकारी लगी, मुझे घटना की जानकारी लगी तो मैंने मुख्‍यमंत्री जी को फोन लगाया, मुख्‍यमंत्री जी ने कहा कि आप वल्‍लभ भवन आ जाओ और आप यहां पर कंट्रोल रूम में बैठकर सारी व्‍यवस्‍थाएं देखो. मैंने तुलसी सिलावट जी औ रामखेलावन जी को वहां पर भिजवा दिया है, चूंकि आप परिवहन मंत्री और राजस्‍व मंत्री हो इसलिये आपको आपदा और राहत के काम भी देखना है इसलिये आप यहां से फोन लगाकर सारी व्‍यवस्‍थाएं करिये. मैं लगातार इन व्‍यवस्‍थाओं में रहा, लेकिन मैंने देखा तुरन्‍त उन्‍होंने एक मीटिंग जो हमारी पुरानी विधान सभा में थी जहां पर हजारों लोग बैठे थे, केबिनेट की बैठक उन्‍होंने निरस्‍त कर दी यहां तक की दमोह में एक बहुत बड़ा कार्यक्रम था, वह कार्यक्रम भी उन्‍होंने निरस्‍त कर दिया. इसके बाद बहुत सारे नेता जाते हैं एकाध घर में बैठते हैं और वापस आ जाते हैं, पर यह शिवराज सिंह जी हैं जो लोगों का दु:ख और दर्द समझते हैं, वह न केवल गये बल्कि वहां अधिकांश घरों में बैठे और जब वह संतुष्‍ट नहीं हुए तो वह वहां रूके और रूकने के बाद रात में समीक्षा की और सुबह फिर लोगों से मिलकर वापस आये. मैं समझता हूं कि यह एक बहुत बड़ी संवेदनशीलता हमारे मुख्‍यमंत्री जी में है, जो और जगह देखने को नहीं मिलती. मैं आरोप- प्रत्‍यारोप की बात नहीं कर रहा हूं. अध्‍यक्ष महोदय, जो भी तुरंत व्‍यवस्‍था हो सकती थी, वह उन्‍होंने वहां परिवारों के लिये की. एसडीआरएफ,एनडीआरएफ की टीम तुरंत काम पर लग गयी, सेना को मुख्‍यमंत्री जी ने फोन किया, सेना के अधिकारी वहां बचाव में लग गये और बहुत मेहनत के बाद 7 लोगों को स्‍थानीय लोगों के सहयोग से जीवित बचा लिया गया, जो दोषी थे उनके विरूद्ध कार्यवाही हुई. परिवहन विभाग का अलमा मैंने वहां भिजवा दिया था. मैंने देखा कि मुख्‍यमंत्री जी ने 5-5 लाख रूपये सहायता देने की तुरन्‍त घोषणा की, 2-2 लाख रूपये की घोषणा केन्‍द्र सरकार के प्रधान मंत्री राहत कोष से की गयी, 10-10 हजार रूपये तुरंत दिये गये, अंत्‍येष्टि की शासकीय  व्‍यवस्‍था की गयी, किसी के शव को ले जाने में परेशानी न हो, अभी तक 47 मृतकों के परिजनों को सहायता राशि दी जा चुकी है, केवल 7 व्‍यक्ति शेष हैं जिनको सहायता राशि नहीं मिली है, क्‍योंकि अभी तक उनका उत्‍तराधिकारी वारिस निश्चित नहीं हो पाया है इस कारण से परेशानी है, लेकिन उनको भी जल्‍दी पैसे मिल जायेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, हमारे पूर्व अध्‍यक्ष, विधान सभा प्रजापति जी ने भी कहा कि ब्‍लैक स्‍पॉट पर कार्यवाही, तो मध्यप्रदेश के सभी मार्गों पर जो दुर्घटना संभावित एक्सीडेंट जोन हैं उन्हें चिन्हित कर वहां पर सड़कों का सुधार कार्य किया जा रहा है. इसमें सड़क सुरक्षा समिति के माध्यम से कई विभाग लिये गये हैं. इसमें पी.डब्ल्यू.डी भी है, आर.ई.एस.भी है, ट्रांसपोर्ट एवं हेल्थ भी है उसमें हाईवे के अधिकारी शामिल हैं. यह व्यवस्थाएं भी जारी हैं. माननीय प्रजापति जी ने कहा था कि उसमें धाराएं कौन सी लगायी हैं. आपकी जिज्ञासा के लिये एफ.आई.आर.ड्राईवर पर भी हुई है और ड्राईवर के बस के मालिक पर भी हुई है. थाने में अपराध क्रमांक 0145/201 धारा 279, 337, 204 ए, भारतीय दण्ड विधान का अपराध दर्ज किया गया है. बाद में धारा 304 भारतीय दण्ड विधान बढ़ाई गई. धारा 279 में लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाना, धारा 337 भारतीय दण्ड विधान उतावलेपन या लापरवाहीपूर्वक कार्य करते हुए चोट पहुंचाना, धारा 30 ए भारतीय दण्ड विधान लापरवाही एवं उतावलापन करते हुए मृत्यु जैसा कार्य करना. आपने जिक्र किया कि धारा 304 भारतीय दण्ड विधान गैर इरादतन हत्या यह सारे अपराध दर्ज कर दिये गये हैं. जांच के आदेश माननीय मुख्यमंत्री जी ने दे दिये गये हैं. रीवा कमिश्नर के द्वारा मजिस्ट्रेड जांच अपर कलेक्टर जिला दण्डाधिकारी श्री हर्ष पंचोली को सौंपी गई है. तीन मुद्दों पर जांच होना है. घटना किन परिस्थितियों में घटित हुई, घटना के लिये कौन उत्तरदायी है और भविष्य में इस घटना की पुनरावृत्ति न हो उसके लिये क्या उपाय एवं सुझाव हैं. तुरंत माननीय मुख्यमंत्री जी ने संबंधितों को निलंबित किया इससे हमारे साथियों ने बताया ए.एन.के.जैन संभागीय प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया. उप महाप्रबंधक अनिल नार्गेश और प्रबंधक श्री बी.तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया. आर.टी.ओ.शांति प्रकाश दुबे को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया. यह कार्यवाहियां हो चुकी हैं. लेकिन मामला चूंकि जांच में है उसमें बहुत सारी बातें जांच के बाद आयेंगी उसमें निश्चित रूप से उस पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जायेगी. हमारे माननीय यशपाल सिंह सिसौदिया एवं संजय यादव एक बात बहुत अच्छी रखी. मैं भी इस बात के पक्ष में हूं कि जो लोग बच गये हैं वह घायल हैं उनकी स्थिति क्या है ? उनका क्या उपचार हो रहा है. उनको आगे सरकार की तरफ से किस प्रकार की सहायता दे सकते हैं उन पर भी विचार किया जायेगा. दूसरी बात माननीय सिसौदिया जी ने कही कि मृतक परिवार जो होते हैं, वह बहुत गरीब होते हैं. अब वह इस स्थिति में नहीं रहते हैं कि हमारे इंश्योरेंस वाले कहां वकील खड़ा करें, कहां पर उनकी व्यवस्थाएं करें. मैं भी इस बात के लिये आश्वस्त करता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी के समक्ष इस बात को रखूंगा कि सरकार अपनी तरफ से संवेदनशीलता दिखाते हुए उन परिवारों के केस खुद लड़े और उनके लिये वकील खड़ा करे ताकि उनको मुआवजे की राशि अधिक से अधिक राशि मिल सके यह हमारी सबकी भावनाएं होनी चाहिये.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी इसके लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत ­­-- अध्यक्ष महोदय, हम सबकी एक ही चिन्ता है कि घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. मैं सारे पक्ष एवं विपक्ष के सारे माननीय सदस्यों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि सबने बहुत ही गंभीरतापूर्वक इस विषय को रखा और उसके मंथन के बाद उसका निष्कर्ष निकलेगा उस पर सरकार अमल करेगी ही. लेकिन मैं आश्वस्त करता हूं कि जांच के बाद जो वस्तुस्थिति आयेगी उस पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जायेगी ताकि इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो. आपने बोलने का मौका दिया धन्यवाद.

          श्री पी.सी.शर्मा--सात परिवारों को कोई सहायता नहीं दे पाये हैं, यह तो बहुत ही दुखद बात है, उनका क्या होगा.

 

                                                         

4.18 बजे                           नियम 267 (क) के अधीन विषय

          अध्यक्ष महोदय--शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी.

 

 

 

 

 

4.19 बजे                                                बहिर्गमन

इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिरगमन

            श्री गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, न सहायता के बारे में न ही रोजगार के बारे में कुछ कहा है जो प्रमुख मांग थी. जो लोग चले गये उनके परिवार के लिये कोई नीति नहीं बनायी इसलिये कांग्रेस पक्ष के सभी सदस्य सदन से बहिर्गमन करते हैं.

          (श्री गोविन्द सिंह सदस्य के नेतृत्व में शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया)

                                                                                               


 

04.21 बजे                         पत्रों का पटल पर रखा जाना

 (1)     (क) मध्‍यप्रदेश वित्‍त निगम के 31 मार्च, 2018 एवं 31 मार्च, 2019 को समाप्‍त हुए वर्ष के लेखों पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का पृथक् लेखा परीक्षा प्रतिवेदन, तथा

(ख) मध्‍यप्रदेश वित्‍त निगम का 64 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019,

 

 

 

 

(2)     जिला खनिज प्रतिष्‍ठान, सिंगरौली, झाबुआ एवं बालाघाट का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020.

 

(3)  मध्‍यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्‍पनी लिमिटेड, इन्‍दौर (म.प्र.) का सत्रहवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 .

 

 

4)       मध्‍यप्रदेश राज्‍य पर्यटन विकास निगम मर्यादित का 39 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017.

 

 

 

 

 

(5)     मध्‍यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020 पटल पर रखेंगे.

 

         

04.25 बजे                                 ध्‍यान आकर्षण

(1) पन्‍ना नेशनल पार्क के विस्‍तार हेतु विस्‍थापित किसानों को भू अधिकार पुस्तिका न दिए जाने से उत्‍पन्‍न स्थिति

 

          कुंवर विक्रम सिंह(राजनगर) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 


 

          वन मंत्री (कुंवर विजय शाह) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

          कुंवर विक्रम सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बड़ा गंभीर विषय है. सन् 2003 से लेकर सन् 2008 तक मैं इस सदन का सदस्‍य रहा हूँ और माननीय मंत्री जी उस समय सरकार में थे, परन्‍तु वन मंत्री नहीं थे. मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि सन् 2009 में जब नोटिफिकेशन भारत सरकार ने कर दिया.

          कुंवर विजय शाह - सन् 2019 में.

          कुंवर विक्रम सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सन् 2009 से सीधा सन् 2019 में यह आदेश प्राप्‍त हुआ, तो 2019 से लेकर आज सन् 2021 हो गया है. जो केयरटेकर हैं, उनके द्वारा हेट करके यह वन भूमि  से परिवर्तित करके वह आरक्षित भूमि, जिनके नाम पर दर्ज हैं, जिनको इनके पट्टे नहीं दिये गये हैं. उन-उन लोगों को भूमि विस्‍थापित की जानी चाहिए थी. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सन् 2005-2006  से लेकर अभी तक उन किसानों को जो बहुतायत में आदिवासी हैं, आदिवासियों के साथ पिछड़े वर्ग के लोग भी हैं. वहां पर कोई सम्‍पन्‍न परिवार के लोग नहीं हैं. उन लोगों को जो अपने किसान क्रेडिट कार्ड होते हैं, जिनसे बीज एवं खाद मुहैया होता है, वह नहीं मिल पा रहा है. अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या मंत्री जी उस पर प्रकाश डालेंगे? यहां पर राजस्‍व मंत्री जी भी उपस्थित हैं और हमारे किसान कल्‍याण एवं कृषि विकास मंत्री भी यहां बैठे हुए हैं. आप त्‍वरित आज ही निर्देशित करें जिला कलेक्‍टर एवं पन्‍ना नेशनल पार्क के फील्‍ड डायरेक्‍टर को, ताकि यह पुनरावृत्ति इस सदन में न आये क्‍योंकि 2003 से लेकर इस पन्‍द्रहवीं विधान सभा तक, त्रयोदश विधान सभा, चतुर्दश विधान सभा और पंचदश विधान सभा में मेरे द्वारा कितनी बार यह क्‍वेश्‍चन लगाए गए हैं, कितनी बार इसका ध्‍यानाकर्षण लगाया गया है ? माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बताने का कष्‍ट करें.

कुंवर विजय शाह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, चूँकि सर्वोच्‍च न्‍यायालय की रोक ही सन् 2019 तक थी. दिनांक 20 मई, 2019 को अनुमति दी गई. सन् 2019 कके बाद श्रीमान् 15 महीने तो आपकी सरकार थी.  लेकिन अगर फिर भी छ: महीने हुए हैं तो मैं श्री नातीराजा की भावना से सहमत होते हुए, इस सदन को बतलाना चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश की यह सरकार छ: महीने के अंदर-अंदर आपके सारे काम निपट देगी.

कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक प्रश्‍न और करना चाहूंगा चूंकि आज मेरा प्रश्‍नकाल में प्रश्‍न नहीं आ पाया है.

अध्‍यक्ष महोदय -- मैं एक प्रश्‍न की अनुमति आपको देता हूं.

कुंवर विक्रम सिंह -- मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि वाय.एस.परमार एस.डी.ओ. फारेस्‍ट, छतरपुर, उनको बार-बार छतरपुर में क्‍यों पदस्‍थ किया जाता है ? और कितने साल तक वह वहां रह चुके हैं ? इसका जवाब आपके उत्‍तर में आया है, वह 9 वर्ष 8 महीने रह चुके हैं और अब 8 महीने उनको रिटायरमेंट के बचे हुए हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इनके ऊपर इतने गंभीर आरोप है क्‍या मंत्री जी उनको पढ़कर सदन में सुनायेंगे ?  ताकि उन पर जो आरोप हैं, उन आरोपों की जांच, उनका निलंबन वहां से अन्‍यत्र करके की जा सके, जिससे वह जांचों में अपनी दखलनदांजी न करें क्‍या मंत्री यह बताने का कष्‍ट करेंगे ?

कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह प्रश्‍न इससे कहीं उद्भूत ही नहीं होता है लेकिन जो आपकी भावना है, चूंकि विगत दस वर्षों से वह वहां पर पदस्‍थ है और उनकी बहुत सारी शिकायतें भी है और यह सरकार शिकायत जिस भी अधिकारी की होगी उसे कार्य स्‍थल पर नहीं रखेगी, यह हमारा दृढ़निश्‍चय ही है. आपकी शिकायतों की जांच हम लोग करा रहे हैं, उस अधिकारी को जिले से हटाकर जांच करवाने के आदेश दे दिये गये हैं.

कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद, माननीय मंत्री जी बहुत-बहुत धन्‍यवाद.


 

4.31 बजे         2. छतरपुर में मेडीकल कॉलेज का निर्माण कार्य प्रारंभ न होना.

 

श्री आलोक चतुर्वेदी ( छतरपुर) --माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 

                   

          संसदीय कार्यमंत्री(डॉ.नरोत्‍तम मिश्र) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,       

                                                                                      


 

          श्री आलोक चतुर्वेदी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि जो बजट उसके लिये आवंटित हो चुका है, प्रशासकीय स्‍वीकृति जिसकी दी जा चुकी है 206 करोड़ रूपये की तकनीकी स्‍वीकृति दी जा चुकी है, एक बार निविदा आमंत्रित की जा चुकी है, वित्‍तीय दर न आने के कारण वह निविदा लंबित है. मैं मंत्री जी से यह चाहूंगा कि पुन: निविदा स्‍वीकृत इसी माह तक पूर्ण करा ली जायेगी और स्‍वीकृत कर बजट का आवंटन कर दिया जायेगा क्‍या ? मेरा माननीय मंत्री महोदय से पूछना है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  वह वाली निविदा तो नहीं, नई निविदा की बात हो सकती है, उसका समय खत्‍म हो गया. अब पुन: निविदा आमंत्रित करेंगे.

          श्री आलोक चतुर्वेदी--  माननीय मंत्री जी, इसी माह.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  अगले माह.

          श्री आलोक चतुर्वेदी--  बजट आवंटन कर दिया जायेगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  निविदा तो तभी होगी जब बजट आवंटन हो जायेगा.

          श्री आलोक चतुर्वेदी--  माननीय मंत्री जी, जब आप प्रभारी मंत्री छतरपुर के रहे हैं, थोड़े से आक्षेप भी आप पर लग गये थे कि छतरपुर का मेडिकल कॉलेज दतिया चला गया, तो मेरा आपसे अनुरोध है कि अब छतरपुर के लिये इस बजट में शुरूआत हो जाये तो बड़ी कृपा होगी.

          अध्‍यक्ष महोदय--  अगले महीने कह रहे हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  सत्‍य वचन महाराज.

          श्री आलोक चतुर्वेदी--  बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

 

 

 

4.36 बजे                             याचिकाओं की प्रस्‍तुति

 

          अध्‍यक्ष महोदय--  आज की कार्यसूची में उल्‍लेखित सभी याचिकायें प्रस्‍तुत की हुई मानी जायेंगी.

 

 

 

4.36 बजे                        शासकीय विधि विषयक कार्य                    

        (1) मध्‍यप्रदेश धार्मिक स्‍वतंत्रता विधेयक, 2021 (क्रमांक 1 सन् 2021)

          गृह मंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र)--

 

 

4.37 बजे          2. सिविल प्रक्रिया संहिता (मध्‍यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2020

                                        (क्रमांक 10 सन् 2020)

 

          विधि और विधायी कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र)-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हूं कि सिविल प्रक्रिया संहिता (मध्‍यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2020 पर विचार किया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय--  प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ सिविल प्रक्रिया संहिता (मध्‍यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2020 पर विचार किया जाये. डॉ. गोविन्‍द सिंह.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी जगह विनय सक्‍सेना जी को दे दिया है.

          श्री विनय सक्‍सेना (जबलपुर, उत्‍तर)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो विधेयक 2020 (क्रमांक 10 सन् 2020) पर विचार के लिये लाया गया है वह सिविल प्रक्रिया संहिता के संबंध में है, लेकिन चूंकि वह आवश्‍यक है इसलिये उसका प्रस्‍ताव तो किया जाना चाहिये, लेकिन उसमें जो पहले से कमियां थीं किस कारण से उसको लाया गया है उसके बारे में माननीय मंत्री जी बताने का कष्‍ट करें कि इसको लाने की आवश्‍यकता क्‍यों पड़ी.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  माननीय अध्‍यक्ष जी, बहुत स्‍पष्‍ट है. दरअसल अभी तक परंपरा जो थी, जो गवाह होता था वह न्‍यायालय में आता था और जो वकील थे वह पहले लिखित में उसका साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करते थे. कभी कभी जो बड़ी आदालतें होती थीं वहां पर लिखित में जो साक्ष्‍य आता था हस्‍ताक्षर या अंगूठा जो पढ़े लिखे नहीं होते थे तो उसके कारण से उस व्‍यक्ति को भ्रम की स्थिति रहती थी. उस भ्रम की स्थिति रहने के कारण से अब इसमें हम संशोधन लाये हैं कि वह व्‍यक्ति अब वहां पर मौखिक साक्ष्‍य देगा और मौखिक साक्ष्‍य होने के बाद में जो बहस होगी जिसको परस्‍पर कहते हैं वाद प्रतिवाद वह भी मौखिक रूप से होंगे, लिखित में देना चाहें तो दें, लेकिन मौखिक भी होंगे. उसके निर्णय के आधार पर न्‍यायाधीश महोदय निर्णय करेंगे, इसके अंदर एक तो यह है. दूसरा माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अब हम ई-न्‍यायालय प्रारंभ करने वाले हैं. जैसे आज विधान सभा में परम्परा प्रारम्भ हुई और कोविड में हमारे सम्मानित सदस्य ने अस्पताल से अथवा घर से, वे कार्यवाही में शामिल हुए और यह प्रक्रिया गवाहों की भी न्यायालयों में प्रारम्भ होने वाली है और जब गवाहों की इस तरीके की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जायेगी तो डिजिटल हस्ताक्षर लगेंगे. तो ये दो विषय इसमें संशोधन के लिये लाये थे. डिजिटल हस्ताक्षर के लिये और इन गवाहों के लिये. मैं समझता हूं कि सक्सेना साहब शायद मेरी बात से सहमत होंगे कि इस बात की आवश्यकता है.

          श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात पूरी कर लूं. अभी भी जो ई व्यवस्था लागू की गई थी हाईकोर्ट और न्यायालयों में, उसके बारे में वकीलों ने बड़ी आपत्ति ली. उनका कहना था कि कई बार उसका मोबाईल काम नहीं कर रहा. कई बार सिग्नल नहीं मिल रहे. कई शिकायतें आई थीं. अभी मध्यप्रदेश सरकार ने सभी आफिसों के लिये  भी घोषणा की है  और अभी तक मध्यप्रदेश में यह नहीं हो पाया है. मैंने जब तारांकित प्रश्न किया, तो उसके जवाब में उत्तर आया कि जानकारी संकलित की जा रही है. बहुत बड़ी जानकारी मांग रहे हैं. तो मेरा कहना है कि हम जो भी व्यवस्थाएं कर रहे हैं भविष्य के लिये तो ठीक है लेकिन मौखिक के साथ-साथ पहले भी जिसको हम अपराधी मानते हैं वह कोर्ट में बयान देता था लिखित के साथ-साथ और बयान के बाद उस पर वाद-प्रतिवाद दोनों वकीलों के साथ होता था. मुझे लगता है वह व्यवस्था पहले से भी लागू है लेकिन उसमें ऐसी क्या गलती या कमी थी. संसदीय मंत्री जी के बारे में सब जानते हैं कि कुछ बोलेंगे तो वे तर्क के साथ बहुत सारे कुतर्क लगा देते हैं. मैं पहली बार का विधायक हूं तो कुछ बोलना मैं समझता हूं उचित नहीं होगा तो मैं चाहता हूं कि वह यह स्पष्ट कर दें कि पहले मौखिक बयान तो पहले भी होते थे अपराधी के और अपराधी के साथ-साथ दोनों एडवोकेट्स भी क्रास करते थे लेकिन उसमें आपने क्या छोटा सा सुधार कर दिया वह बात

वाकई समझ से परे है. बस इतना आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि उसे हंसी मजाक में नहीं ले जायेंगे और हंसी मजाक से बचाएंगे.

          श्री पी.सी.शर्मा ( भोपाल दक्षिण-पश्चिम ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि यह ठीक है जब हम लोगों की सरकार थी तब इसको आना था सरकार चली गयी इसीलिये यह नहीं आ पाया.  इसमें यह होता था कि अंग्रेजी में लिखा हुई है गवाही और अंगूठा उसमें होता था. इस तरह की चीजें होती थीं. दूसरी जो इलेक्ट्रानिक की बात आई. जब हमारी सरकार थी तो वीडियो कांफ्रेंसिंग से अगर आदमी लंदन में भी है तो गवाही दे सकता है और इसी विधान सभा में वह पारित हुआ था लेकिन इलेक्ट्रानिक सिग्नेचर जज अदालत में किस तरीके से करेंगे इसके डिटेल मंत्री जी बताएंगे तो बेहतर होगा वैसे यह ठीक है इसमें कोई दिक्कत नहीं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, लगभग सभी बातें आ गई हैं. मैं प्रार्थना करूंगा कि इसे पारित किया जाय.

          अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि सिविल प्रक्रिया संहिता(मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक,2020 पर विचार किया जाए.

प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.

खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

          प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -  अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि सिविल प्रक्रिया संहिता(मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक,2020  पारित किया जाए.

         

 

          अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि सिविल प्रक्रिया संहिता(मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक,2020 पारित किया जाय.

          प्रश्न यह है कि सिविल प्रक्रिया संहिता(मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक,2020 पारित किया जाए.

प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

विधेयक पारित हुआ.

 

 

4.45 बजे        (3) मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक,2021 (क्रमांक 14 सन् 2020) पर विचार.

 

                विधि और विधायी कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक,2021 पर विचार किया जाये.

                   अध्यक्ष महोदय --  प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक,2021 पर विचार किया जाये.

                   डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) -- अध्यक्ष महोदय,    इस संशोधन विधेयक के उद्देश्यों और कारणों  का कथन  में  सेट्टी वेतन आयोग (प्रथम राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग)  इसमें माननीय जजों  के  वेतन भत्ते, सुविधाओं के  के लिये सर्वोच्च न्यायालय का  निर्देश है, ऐसा इसमें लिखा हुआ है,  उनका पालन  आपको करना है.  लेकिन   मैं विधि मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि क्या सर्वोच्च न्यायालय को कानून बनाने का   अधिकार है.  सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी टीप लिख दी,  टिप्पणी दे दी, एक सलाह दे दी, लेकिन जरुरी नहीं है कि   हम उस सर्वोच्च  न्यायालय के  आदेशों का पालन करें.  विधान सभा उनके अनुरुप, नियम, कायदे, उनकी सुख सुविधाओं के लिये कानून बनाये.  प्रजातंत्र में सब  समान हैं. राजा रंक सब बराबर हैं. अभी तक जितने जजों से संबंधित कानून आये, हर जगह   ऐसे सवाल उठते हैं,  जितने न्यायाधीश  बन गये सुप्रीम कोर्ट तक के,  उनके परिवार के लोग  ही  अधिकांश  प्रदेश के  न्यायालयों में,  उच्च न्यायालयों में पदाधिकारी  बन रहे हैं, न्यायाधीश बन रहे हैं  और वही  जाकर फिर  सुप्रीम  कोर्ट में  पहुंच रहे हैं.  तो इस परम्परा में, कानून में संशोधन हो,  ऐसा सुझाव  भारत सरकार को  विधि मंत्रालय को भेजें,    ताकि  इस तरह का  न्याय की  कुर्सी पर बैठा हुआ व्यक्ति स्वयं अपने लिये फैसला  कर लेते हैं,  यह उचित नहीं है.  जजों ने  फैसला कर लिया  कि हमारा इतना  वेतन हो,  रिटायरमेंट के बाद  हमें  क्लर्क की सुविधा हो, भृत्य की सुविधा हो, जीवन पर्यन्त तक पेट्रोल की सुविधा हो. यह क्यों हो.  जब  उनको पेंशन मिलती है, जो उन्होंने शासकीय   जब तक सेवा की है, न्यायालय में आपने न्याय दिये हैं, फिर  न्याय की कुर्सी पर बैठकर इस प्रकार  की सुख सुविधाओं के लिये  वह भी लालायित रहते हैं.  अब  मान लो इसमें  कौन  सा बड़ा भारी परिवर्तन था,  जिला न्यायधीश, अब प्रधान न्यायाधीश.  प्रधान न्यायधीश  बनने   के लिये केवल  शब्द के परिवर्तन के लिये रखा गया है यह.  मैं इसके पक्ष में इसलिये नहीं हूं कि  केवल न्याधीशों के लिये  उन्होंने  लिख  दिया, उसको शत प्रतिशत सम्मान करें.  न्यायधीश   अपने, आज हम देखते हैं कि  जो  फैसले लेने के अधिकार राज्य शासन को हैं या कार्यपालिका को करना चाहिये,   विधायिका को करना चाहिये, वह निर्देश, आदेश  सीधे  दे देते हैं.  डायरेक्ट   ऐसा निर्देश, आदेश दे दिया, उसका आप पालन करने लगते हैं.  अध्यक्ष महोदय, एक मामला  ग्वालियर का हमारी जानकारी में है कि  विश्वविद्यालय ग्वालियर,  चूंकि  न्यायालय, उच्च न्यायालय के समीप है.  वहां पर सुबह जज लोग  घूमने के लिये  आते थे.  वहां 2-3 घटनायें घट गईं.  तो वहां के कुल सचिव ने  प्रतिबंध लगा दिया कि  यहां पर  बाहरी लोगों की इसमें  सुबह की यात्रा करने  पर रोक लगा दी कि  नहीं घूम पायेंगे.  माननीय  न्यायाधीश लोगों ने रिट  लगवा दी, वकील से कह कर कि रिट लगाओ.  रिट लगवा दी और   फिर उन्होंने खुद  ही  फैसला  दे दिया कि  नहीं सब के लिये छूट  दी जाये. तो यह इस तरह के  न्यायपालिका में हूबहू  जो वह चाहें उस तरह का  सरकार में बैठे  हुए विधायिका  के लोगों  को नहीं करना चाहिये.  अब  सरकार में कई लोग  लगातार अपने कहीं न कहीं  चर्चा में, गुप्तगू  में, ऐसे कार्य में फंसे रहते हैं, वह डर के मारे करते जाते हैं.  अगर आप साफ सुथरे, स्पष्ट हो तो मैं तो कहता हूं कि इसका विरोध  होना चाहिये  और इसको किसी कीमत पर पास नहीं करना चाहिये.  अब बताइये प्रधान  न्यायाधीश,  अब जिला न्यायाधीश में प्रधान जिला न्यायाधीश   लग गया,  प्रधान लग गया, अब एक एक शब्द बढ़ाने के लिये  प्रक्रिया चले, नीचे से ऊपर बोर्ड बदले जायें, इससे तमाम खर्चा बढ़ेगा. जब सरकार की आर्थिक स्थिति संकट में है. अब जिले जिले में तहसील स्तर पर ऊपर तक बोर्ड लगेंगे इसलिए यह जो विधेयक में संशोधन आप लाए हो, अगर आपको देना है तो वैसे अपने शासकीय नियमों में अस्थायी आदेश जारी कर दो, आप नहीं फंसोगे, आप डरो मत. हम सहयोग करेंगे. इसलिए मैं इसका विरोध करता हूं, सरकार को इसको वापस लेना चाहिए.

          श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) - अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि डॉ. गोविन्द सिंह जी ने बात कह दी है. लेकिन दूसरी चीज मुझे कहना है कि अब तो जजों के लिए दूसरा रेड्डी कमीशन आ गया है, उसकी बात आपको लेकर आना था, यह तो पुराना सेट्टी कमीशन लेकर आ गये. अगर जजों की मदद करना है तो रिटायर्ड जज जो होते हैं उनकी मदद आप करें. रिटायर्ड जजों को मेडिकल हेल्प मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पाती है. कई रिटायर्ड जजों से मेरी बात हुई है कि उनको कोई कार्ड की सुविधा हो, कुछ हो, जिससे मेडिकल हेल्प उनको मिल सके.

दूसरा यह है कि पदनाम बदलना ही है तो शासकीय कर्मचारी जो मध्यप्रदेश के हैं, सालोंसाल से वह बात कर रहे हैं तो उनके पदनाम बदल दें, जिस पर कोई खर्चा नहीं आना है वह तो हम बदल नहीं पा रहे हैं. यहां आप नाम बदलने की बात कर रहे हैं. दूसरा, एडव्होकेट प्रोटेक्शन एक्ट विधि मंत्री जी, यह पूरा तैयार है. जब कमलनाथ जी की सरकार थी, वह पास हो चुका है तो वकीलों को प्रोटेक्शन मिले इसकी बहुत जमाने से मांग आ रही है और इसी तरह से पत्रकार प्रोटेक्शन एक्ट यह भी सब तैयार है, पत्रकार और वकीलों को इनको प्रोटेक्शन एक्ट में ले आए तो मैं समझता हूं कि हम उनकी ज्यादा मदद कर पाएंगे, धन्यवाद.

डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, दरअसल क्या है कि गोविन्द सिंह जी ने एलएलबी की नहीं है, की तो मैंने भी नहीं है तो यह  विषय के मर्म पर जाते ही नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय - परन्तु मैंने करके रखी है.

          डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप तो अध्यक्ष जी, ऐसे स्थान पर भी विराजमान हैं जहां कानून बनता है. उनकी बातें व्यावहारिक रूप से सारी की सारी आंशिक रूप से सत्य हैं किन्तु विषय के अनुकूल नहीं हैं. उन्होंने जो पीढ़ा बताई मैं उनकी पीढ़ा से अपने आपको आंशिक शामिल करता हूं. पी.सी. शर्मा जी की बात भी शामिल करता हूं लेकिन आज जो विषय आया है मूल रूप से वह विषय एकरूपता का है. आज देश के अंदर हमारे यहां पर जिला न्यायाधीश कहा जाता है, महाराष्ट्र में डीजे वन, डीजे टू, डीजे थ्री, इस तरह से कहा जाता है. जब देश में एकरूपता लाने के लिए वन नेशन, वन एजूकेशन, वन नेशन वन राशन, हम इस दिशा में जब आगे बढ़ रहे हैं. यह जो सेट्टी आयोग ने लागू किया है, मैं उन बातों की तरफ नहीं जा रहा हूं जो गोविन्द सिंह जी ने उठाई थी, वह बातें अपनी जगह ठीक हो सकती हैं लेकिन यह एकरूपता के लिए आवश्यक है कि पूरे देश में एक पदनाम हो. यह पूरे देश का मामला है. मध्यप्रदेश के लिए नहीं है, इसलिए पूरे देश की एकरूपता के लिए मैं माननीय गोविन्द सिंह जी जो हमारे चीफ व्हिप हैं कांग्रेस विधायक दल से, पी.सी. भाई विधि एवं विधायी कार्य मंत्री रहे उनसे प्रार्थना करूंगा कि अभी और विषय आएंगे तब उन विषयों को हम लेंगे, चर्चा कर सकते हैं. अभी बजट पर भी हम विधि विभाग की चर्चा में उस विषय को सारगर्भित रूप से और विस्तार से रख सकते हैं. पास भी कर सकते हैं, फेल भी कर सकते हैं. लेकिन यह विषय शाब्दिक एकता से जुड़ा हुआ है इसलिए मेरी प्रार्थना पर इसको पास कर दें. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2021 पर विचार किया जाय.

                                                                             प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

          अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.

         

          प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 4 इस विधेयक का अंग बने.

खण्ड 2 से 4 इस विधेयक के अंग बने.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

          प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

 

          डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय(संशोधन), विधेयक 2021 पारित किया जाय.

          अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय(संशोधन), विधेयक 2021 पारित किया जाय.

          प्रश्य यह है कि मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय(संशोधन), विधेयक 2021 पारित किया जाय.

                                                                             प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

                                                          विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ.

 

04.56 बजे  मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, 2021

          उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ मोहन यादव ) -- अध्यक्ष महोदय मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रेदश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, 2021 पर विचार किया जाय.

          अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रेदश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, 2021 पर विचार किया जाय.

          श्री विनय सक्सेना ( जबलपुर उत्तर ) -- अध्यक्ष महोदय जो भोज मुक्त विश्वविद्यालय का संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि वर्तमान में जो कुल पति हैं उनके पास में ऐसे कौन से अधिकार है, उनको भी जिम्मेदार मानकर ही कुलाधिपति जी ने बनाया था, फिर उसमे प्रति कुलपति बनाने की क्या आवश्यकता है. मध्यप्रदेश में जो अन्य विश्वविद्यालय हैं जहां पर पहले से प्रावधान वहां पर क्या प्रति कुलपति पहले से बनाये गये हैं. यानि की रेक्टर बनाये गये हैं. दूसरा मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश में विश्वविद्यालयों की हालत बुरी है प्रोफेसर 70 प्रतिशत नहीं हैं. पढ़ाने के लिए वहां पर शिक्षक नहीं हैं उसके  बारे में माननीय सरकार चिंता नहीं कर रही है. मेरा यह भी कहना है कि जो निजी कालेज चल रहे हैं उनमें जो कोर्ट 28 के तहत जो वेतन मिलना चाहिए यूजीसी के माध्यम से उसके बारे में सरकार को बिल्कुल चिंता नहीं है. कुछ अपने लोगों को रेवड़ी बांटने के लिए क्या इस तरह के पदों को सृजित करने की आवश्यकता पड़ रही है.

          अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि प्रोफेसरों  के बारे में सरकार को चिंता नहीं ह, बच्चों की पढ़ाई की चिंता नहीं है तो क्या जो कुलपति वर्तमान में बना दिये गये हैं जिनके पास में पहले से रेक्टर होना चाहिए वह तो रेक्टर नियुक्त नहीं कर रहे हैं, फिर यह प्रावधान लाने की क्या आवश्यकता हो रही है.

          श्री बाला बच्चन ( राजपुर ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय यह भोज मुक्त विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2021 मात्र इसलिए लाया गया है कि इसमें प्रति कुलपति पद के सृजन का उल्लेख किया गया है. यह क्यों सृजन किया जाना चाहिए इसके बारे में यह बताया गया है कि यह जो विश्वविद्यालय है इसके बाद के और भी जो दो विश्वविद्यालय हैं इनकी शैक्षणिक और प्रशासनिक व्यवस्था को नियंत्रित करने के  लिए प्रति कुलपति के पद का सृजन किया जाना अनिवार्य है. माननीय मंत्री जी मैं आपसे जानना चाहता हूं कि अभी वर्तमान का जो सेटअप है जिसमें कुलपति है, निदेशक है, कुल सचिव है, वित्त अधिकारी है और अन्य जो अधिकारी हैं यह क्या सब फेल हो चुके हैं. केवल एक पद के सृजन के लिए यह संशोधन विधेयक यहां पर लाया गया है. उसमें भी मेरा यह कहना है कि इसके लिए अध्यादेश लाने की क्या आवश्यकता थी जब कोविड के कारण सारे विश्वविद्यालय बंद पड़े थे. इसको पढ़ने के बाद में जो समझ में आया कि विधान स भा का सत्र बंद था विधान सभा चल नहीं रही थी. इस कारण से आनन फानन में आध्यादेश लाये और अध्यादेश इसलिए लाये कि एक पद का सृजन करना है.

          अध्यक्ष महोदय ठीक है आप जो लाये हैं. मैं यहां पर विनय सक्सेना जी की बात से सहमत हूं कि एक तो प्राध्यापक को प्रति कुलपति बनाना है और कुलपति जो है वह प्रति कुलपति प्राध्यापक को बनायेंगे. एक तो यह होगा माननीय मंत्री जी की  पहले ही प्रोफेसर की कमी है उसके बाद में वह विद्वान हो, इंटलेक्चुअल भी हो. दूसरी बात यह कि आप इस बात के लिए सदन को आश्वस्त करें कि अभी यह जो सांची विश्वविद्यालय में जो प्रोफेसर की नियुक्ति हुई है वह अहमदाबाद के हैं, क्रिस्प में अभी जो चेयरमेन बनाया है, वह मध्यप्रदेश के बाहर के हैं तो यहां पर भी क्या आप अपने व्यक्तियों को विशेष तौर पर ओब्लाइज करने के लिए आनन फानन में अध्यादेश के माध्यम से यह संशोधन विधेयक लाये हैं. और उस पर चर्चा की आवश्‍यकता पड़ी है. मैं यह जानना चाहता हूं और सदन को आप आश्‍वास्‍त करें कि एक तो वह मध्‍यप्रदेश के ही प्राध्‍यापक हों, दूसरी बात, कॉलेज और विश्‍वविद्यालयों में इनके पढ़ाने की पहले से ही कमी है, आप पहले उसकी पूर्ति करें. इसके अलावा मेरा यह भी सुझाव है कि आप अपने जिन खास व्‍यक्तियों को नियुक्‍त करना चाहते हैं, मैं आपके माध्‍यम से केवल इतना आश्‍वासन चाहता हूं कि इस संशोधन विधेयक की चर्चा तब सार्थक होगी जब वह डिजर्व करने वाला विद्वान प्रोफेसर हो. दूसरी बात, वह मध्‍यप्रदेश का हो आउटसाइडर न हो इस बात के लिये आप आश्‍वस्‍त करें और इसके बाद के भी जो दो और संशोधन हैं इससे संबंधित ही हैं, इसमें छोटे-छोटे उल्‍लेख किये हैं, एक तो धारा 2 का संशोधन है, धारा 2 के संशोधन में (ड.) के बाद (क) को जोड़ा गया है और (क) को इसलिये जोड़ा गया है कि वह प्रतिकुलपति से अभिप्रेत है. फिर धारा 7 का स्‍थापन है. धारा 7 के स्‍थापन के बाद इन्‍होंने संशोधन विधेयक में यह लिखा है कि विश्‍वविद्यालय के निम्‍नलिखित अधिकारी होंगे- कुलाधिपति, कुलपति और उसके बाद प्रतिकुलपति जोड़ा है. बाकी निदेशक, कुल सचिव, वित्‍त अधिकारी और ऐसे अन्‍य अधिकारी जिन्‍हें परिनियमों द्वारा विश्‍व-  विद्यालय का अधिकारी घोषित किया जाए, यह पहले से है. धारा 9(क) का अंत: स्‍थापन किया है. पहले 9 तक था, उसमें (क) जोड़ा गया है और (क) इसलिये जोड़ा गया है कि कुलपति किसी एक प्राध्‍यापक को प्रतिकुलपति के रूप में नाम निर्दिष्‍ट करेगा. मात्र इसके लिये संशोधन विधेयक आया है और इसके बाद में दो और संशोधन विधेयक इससे संबंधित ही हैं, अध्‍यक्ष महोदय, अगर आपकी इजाज़त हो तो मैं उनमें अभी ही अपनी राय रख देना चाहता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हां, रख दीजिये.

          श्री बाला बच्‍चन -- अध्‍यक्ष महोदय, उच्‍च शिक्षा विभाग से से संबंधित दूसरा संशोधन विधेयक है- डॉ. बी.आर. अम्‍बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021, यह भी लगभग प्रतिकुलपति पद के सृजन के लिये ही लाया गया है. तीसरा संशोधन विधेयक है- पंडित एस.एन. शुक्‍ला विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021. यह तीनों इससे संबंधित हैं और छोटी-छोटी धाराओं का इसमें संशोधन, जोड़ने और अंत: स्‍थापन का उल्‍लेख किया गया है. माननीय मंत्री जी से मैं यह जानना चाहता हूं कि इन विश्‍वविद्यालयों और कॉलेजेस में इनका राजनीतिकरण न हो, अच्‍छे से पढ़ाई-लिखाई हो, जो डिज़र्व करते हैं, जो विद्वान हैं, उन्‍हीं को उसमें रखा जाए. जब माननीय मंत्री जी जवाब दें तब हमको आश्‍वस्‍त करें.

          श्री केदारनाथ शुक्‍ल -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है कि जिन विधेयकों की चर्चा नहीं हो रही है उन पर राय आ रही है. यह कैसे संभव है ? जिन विधेयकों की चर्चा प्रस्‍तावित नहीं हुई उन पर राय आ रही है क्‍या यह संभव है ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है. बहादुर सिंह जी.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय मंत्री जी ने अभी पढ़ा ही नहीं और आपने तीनों के बारे में बता दिया.

          श्री बाला बच्‍चन -- मैंने माननीय अध्‍यक्ष महोदय से इजाज़त चाही थी. अगर इजाज़त नहीं देते तो कोई बात नहीं थी, उसके बाद उन दोनों पर भी बोल देंगे, लेकिन लगभग रिलिवेंट हैं, सेम है, प्रतिकुलपति पद के सृजन का ही मामला है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हां, उसी विषय पर बोल रहे थे. बहादुर सिंह जी आप बोलिये. 

          श्री बहादुरसिंह चौहान (महिदपुर) -- अध्‍यक्ष महोदय, तीनों का एक जैसा ही है, आप सही कह रहे हैं. मध्‍यप्रदेश भोज (मुक्‍त) विश्‍वविद्यालय संशोधन विधेयक, 2021, इस विधेयक के प्रावधान के माध्‍यम से विश्‍वविद्यालय में शैक्षणिकता के साथ-साथ प्रशासनिक नियंत्रण भी होगा. अभी इसके दायरे में मध्‍यप्रदेश के 8 विश्‍वविद्यालय आ रहे हैं. इस संशोधन के माध्‍यम से हमारे 14 विश्‍वविद्यालय ही इसमें आ जाएंगे. साथ ही इस संशोधन विधेयक से विश्‍वविद्यालय में गुणात्‍मक शिक्षा प्रदान करने में भी मदद मिलेगी. मैं माननीय मंत्री जी को इस विधेयक को लाने के लिये धन्‍यवाद देता हूं.

          डॉ. मोहन यादव -- अध्‍यक्ष महोदय, बात थोड़ी सी समझने वाली है, अगर नहीं समझे तो मैं उसमें कुछ नहीं कह सकता हूं. इसको समझकर माननीय बाला बच्‍चन जी और माननीय विनय जी बोलते तो ज्‍यादा अच्‍छा रहता. हमारे पास कुल मिलाकर 8 शासकीय विश्‍वविद्यालय जो उच्‍च शिक्षा से सीधे-सीधे नियंत्रित हैं और 6 विशेष विश्‍वविद्यालय अर्थात कुल 14 विश्‍वविद्यालय हैं. अब इन विश्‍वविद्यालयों में हमारा अपना एक्‍ट है, जिस एक्‍ट के अंतर्गत यह काम करते हैं. इन विश्‍वविद्यालयों में इतना ही है कि इन तीन विश्‍वविद्यालयों को, जिनका उल्‍लेख इसमें है, जिसमें एक भोज विश्‍वविद्यालय है, जिसको कि हमें अभी पारित करना है. इसमें जैसे विधान सभा के माननीय अध्‍यक्ष जी हैं, उनके उपाध्‍यक्ष जी हैं, उपाध्‍यक्ष भी इस सदन में से बनते हैं, अध्‍यक्ष भी सदन में से ही बनते हैं, इस प्रकार से कुलपति बने. उन प्राध्‍यापक में से ही किसी को उपकुलपति अपना रेक्‍टर का पद देंगे. इसमें गलत क्‍या है. काम के विभाजन की दृष्‍टि से बगैर वित्‍तीय भार ला करके, सरलता के लिए, काम की सुगमता के लिए, आपने जितने प्रश्‍न उठाए, उनके उत्‍तर देने के लिए ही, आमतौर पर होता उल्‍टा है. इसके अभाव में कुलपति अपने प्रति कुलपति नहीं बनाते हैं. हम ये कह रहे हैं, हमारा आग्रह, उच्‍च शिक्षा विभाग का आग्रह लगातार है, माननीय महामहिम का भी आग्रह है कि आप अपने रेक्‍टर बनाएं ताकि कार्य के संचालन में व्‍यवस्‍था का विभाजन हो जाए, काम सरलता से हो जाए और सभी प्रकार की जो अपेक्षा विश्‍वविद्यालय से की जा रही है, उसी को पूरा करने के लिए तो है. हां, विरोध करने के लिए विरोध करें, मैं उससे ना नहीं कर सकता हूँ, लेकिन तथ्‍यात्‍मक विरोध करें तो ज्‍यादा अच्‍छा रहेगा. मुझे लगता है कि ज्‍यादा कुछ विरोध वाली बात इसमें है नहीं. आपको भी मालूम है कि अगर विक्रम विश्‍वविद्यालय, बरकतउल्‍लाह विश्‍वविद्यालय, जीवाजी विश्‍वविद्यालय, जिस विश्‍वविद्यालय में भी आप पढ़े हैं, देवी अहिल्‍या विश्‍वविद्यालय, सभी विश्‍वविद्यालयों में प्रति कुलपति बनाने का प्रावधान है. तीन में बन जाएंगे या भोज विश्‍वविद्यालय में बन जाएगा तो गलत क्‍या होगा. वैसे भी भोज विश्‍वविद्यालय की दृष्‍टि से, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूँ, चूँकि यह विषय निकल गया है, आज की स्‍थिति में सकल पंजीयन का अनुपात हमारे पूरे देश में अगर उच्‍च शिक्षा का लिया जाए तो 26.5 के आसपास आता है और हमारे अपने मध्‍यप्रदेश में अभी 21.5 है अर्थात् अभी हमको इस पर पक्ष, विपक्ष के बजाय बहुत काम करने की आवश्‍यकता है.

          अध्‍यक्ष महोदय, एक और जानकारी के लिए मैं बता दूँ कि आज भी हममें से कई सारे, हमारे नजदीक के लोग भी हैं, जिनको इन दूरस्‍थ शिक्षा केन्‍द्रों का लाभ लेना चाहिए, जिसमें भोज विश्‍वविद्यालय काम कर रहा है. भोज विश्‍वविद्यालय सामान्‍य वर्ग की डिग्री के अलावा 28 प्रकार के डिप्‍लोमा चला रहा है, जिसके माध्‍यम से पढ़ाई आगे की जा सकती है. कई लोगों के मन में गिल्‍टी रहती है कि किसी कारण से मेरी पढ़ाई छूट गई, मैं पढ़ नहीं पाया, मुझे इस बात का अफसोस है, तो न तो उम्र का बंधन है, न रेगुलर क्‍लास का बंधन है, न जाति का, न धर्म का, कोई कभी भी ज्‍वॉइन करे, बल्‍कि इन डिप्‍लोमा में डिग्री के बराबर उसकी गुंजाइश दी हुई है. बेहतर होगा कि इन दूरस्‍थ शिक्षा केन्‍द्रों को उच्‍च शिक्षा ने एक कदम आगे बढ़ाकर, लगभग 411 कॉलेजों में हमने इनके सेंटर खोले हैं. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से पूरे सदन का आह्वान करता हूँ कि आप अपने-अपने कॉलेजों में जाकर दूरस्‍थ शिक्षा केन्‍द्र, भोज के माध्‍यम से भी बात करके देखें और एक अभियान चलाएं कि हमारे यहां सकल पंजीयन की जो दर है, इसमें सुधार करने के लिए, डिग्री लेने में बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे तो ज्‍यादा अच्‍छा होगा. मैं आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍य का भी आह्वान करता हूँ कि वे इस बात को समझेंगे और मुझे लगता है कि इसकी अनुमति आपके माध्‍यम से मिलेगी, ताकि यह विधेयक पारित हो सके.

          श्री विनय सक्‍सेना -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक मिनट चाहता हूँ. अभी माननीय मंत्री जी ने जो प्रमुख बातें कीं, उनमें तो कहीं उन्‍होंने ध्‍यान आकर्षित किया नहीं. मैंने आग्रह किया था, मैं हाथ जोड़कर कह रहा हूँ, माननीय मंत्री जी सुन लें, मैं कुछ बात आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ. मैंने आग्रह यह किया था कि माननीय कुलाधिपति, उन्‍होंने भी नाराजगी व्‍यक्‍त की है कि रेक्‍टर नियुक्‍त न किए जाएं, क्‍या यह बात सही है, यह मेरा पहला प्रश्‍न है. दूसरी बात मैं पूछना चाहता हूँ कि 14 में से 8 में पहले से ही उपबंध हैं, तो क्‍या उन 8 में अभी तक रेक्‍टर नियुक्‍त हो गए. वे पद क्‍यों खाली पड़े हैं. मेरे प्रश्‍न हैं, चूँकि ये आपसे ही संबंधित हैं, तीसरी बात मैं यह पूछना चाहता हूँ कि 14 में से 8 में उपबंध हैं और 6 बाकी रह गए, तो फिर 3 ही के लिए ही क्‍यों लाए...(व्‍यवधान)...

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मोहन भाई बहुत विद्वान हैं..(व्‍यवधान)..

          श्री विनय सक्‍सेना -- बहादुर सिंह जी, पहले मेरी बात पूरी हो जाए. आपका तो नाम ही बहादुर सिंह जी है. मैं तो आपसे छोटा हूँ उम्र में, कुछ सुन लें, थोड़ी सी बात.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने एक प्रश्‍न यह भी किया कि ये बात सही है कि मध्‍यप्रदेश में विश्‍वविद्यालयों में 70 प्रतिशत प्रोफेसरों के पद खाली पड़े हैं. उस तरफ भी ध्‍यान दिया जाना चाहिए. दूसरा, इसमें एक बड़ी विशेष बात है कि प्रसादपर्यन्‍त तक ही वह रहेगा. मतलब कुल मिलाकर कुलपति के अंडर में काम करना, वे जैसा चाहेंगे, अंध भक्‍त टाइप उनका काम करेगा तो इसमें रेवड़ी नहीं बांटी जाएगी ? वैसे ही हमारे मध्‍यप्रदेश में 33 लाख बेरोजगार लाइन में लगे हैं. प्रोफेसर जो हैं, वे मजदूरों का काम कर रहे हैं, तो क्‍या इसमें प्रसादपर्यन्‍त की जगह उनकी योग्‍यता के अनुसार उस पद को सृजित नहीं किया जा सकता है. यह एक बहुत महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न है कि उसका पद जो है, किसी को क्‍यों प्रसाद दिया जाए. उसमें बड़ा स्‍पष्‍ट है, आप देखिए, पढ़िए, लिखा है प्रासादपर्यन्‍त दिया जाए. इसके अलावा धारा 28 कोड जो कहता है, निजी विश्‍वविद्यालयों में यूजीसी का जो मापदण्‍ड और वेतनमान है, मेरा प्रश्‍न भी लगा था विधान सभा में, उसक जवाब नहीं दे रहे हैं, कह रहे हैं कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी से हाथ जोड़कर निवेदन करना चाहता हूँ कि सरकार को ये कहें. आजकल विधायकों के हर प्रश्‍न पर जानकारी एकत्रित की जा रही है, ऐसा उत्‍तर दिया जा रहा है, इस तरह के उत्‍तर आना विधायकों का विशेषाधिकार हनन है. हर प्रश्‍न में यही जवाब आ रहा है तो कृपा करके विधान सभा में विधायकों की रक्षा करने का काम भी संसदीय कार्य मंत्री जी करें. मैंने जो तीन प्रश्‍न माननीय मंत्री जी से किए हैं, उनका जवाब माननीय मंत्री जी देने का कष्‍ट करें.

          डॉ. मोहन यादव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विनय सक्‍सेना की तरफ से मुझे बड़ा दु:ख हो रहा है. मुझे लगता है कि विद्वान विधायक हैं, जो बोलेंगे, सदन में सही बोलेंगे. लेकिन दुर्भाग्‍य की बात है कि जिस दृष्टि से मैं देख रहा हूँ उसमें थोड़ा कमजोर जा रहे हैं. थोड़ा पढ़ लें, तो अच्‍छा रहेगा. अभी मात्र 3 विश्‍वविद्यालयों की बात है बाकी सब दूर विश्‍वविद्यालयों में प्रति कुलपति का पद है. आप कह रहे हैं 6 में नहीं है. मात्र 3 विश्‍वविद्यालय, जिसमें प्रति कुलपति लाने की बात कह रहे हैं दूसरा आपने कह दिया परवारे कुलपतियों ने मना कर दिया. अरे कुलपति कौन हैं मना करने वाले. कुलपति तो अपने प्रति कुलपति अपने प्रतिनिधि नियुक्‍त करने का अधिकार उनको दे रहा है जो ऑलरेडी एक्‍ट में है. जहां नहीं हैं उसी को संशोधन कर रहे हैं तो किसी ने मना नहीं किया और उनकी मर्जी के बिना कोई दूसरा बना भी नहीं सकेगा, तो वह क्‍यों विरोध करने लगे. उनके काम के बंटवारे की दृष्टि से ही तो इसमें है. तीसरी बात आपने कही है कि हमारे पास में, जैसा कि माननीय बाला बच्‍चन जी ने कहा, सांची विश्‍वविद्यालय का उदाहरण दिया. यह तो उच्‍च शिक्षा से संबंधित ही नहीं है. यह विश्‍वविद्यालय संस्‍कृति मंत्रालय चला रहा है. हमारा विश्‍वविद्यालय अलग है तो इसलिए मेरा निवेदन है कि बेहतर होगा कि हम अच्‍छी बहस करें, स्‍वस्‍थ बहस करें और ऐसे बिन्‍दु की तरफ लाएं, जिससे बाकी चीजों में भी लाभ मिल पाए. शासन का भी ध्‍यान अच्‍छे से जाए. दुर्भाग्‍य की बात है कि आप वैसी बात कर रहे हैं जिससे सदन का  समय व्‍यर्थ बिगड़ रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- (श्री विनय सक्‍सेना के अपने आसन पर खडे़ होकर बोलने पर) हो गया.

          श्री विनय सक्‍सेना -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक मिनट मेरी बात पूरी हो जाने दीजिए. उन्‍होंने मेरा नाम लेकर कहा है. एक तो हर चीज को विद्वता की ओर ले जाते हैं. माननीय, आप तो उच्‍च शिक्षा मंत्री हैं. आप तो विद्वान हैं ही, मैं हाथ जोड़कर कह रहा हॅूं.

          डॉ.‍मोहन यादव -- मैं क्‍या बोलूं, आप तय कर दीजिए. मैं आपको विद्वान कहकर गाली तो नहीं दे रहा हॅूं...(व्‍यवधान)..

          श्री विनय सक्‍सेना -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी बात सुन लीजिए. जब मंत्री जी कह रहे थे, तब मुझको बिठा दिया. मैं आपसे हाथ जोड़कर कह रहा हॅूं कि आपको उच्‍च शिक्षा मंत्री बनाया गया है इसका मतलब है कि इस पूरे सदन में सबसे ज्‍यादा विद्वान तो आप ही होंगे, तब ही तो आप दूसरों पर आरोप लगा देते हैं. मेरा कहना है कि खुद विद्वान रहें लेकिन दूसरे को कम विद्वान आंकने का प्रयास न करें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह विषय से हटकर है.

          श्री विनय सक्‍सेना -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह था जो आपके 8 विश्‍वविद्यालयों में उपबंध हैं पहले से ही हैं. क्‍या वहां सब जगह रेक्‍टर की नियुक्ति हो गई है. एक छोटे से प्रश्‍न का जवाब देने के लिए आप विद्वता की ओर चले गए. इसमें विद्वता की जरुरत नहीं है और दूसरी बात मैंने कही कि जो आज प्रोफेसरों की कमी है उसके बारे में सरकार को चिन्‍ता नहीं है. कोरोना काल में आपको जिनको रेवड़ी बांटना है आपको एक साल से उनकी चिन्‍ता है लेकिन प्रोफेसरों की भर्ती करना है, उनकी चिन्‍ता नहीं है. उनका यूजीसी का जो वेतनमान है, निजी विश्‍वविद्यालयों की चिन्‍ता नहीं है. माननीय मंत्री जी, थोड़ा उसमें भी विद्वता दिखाएं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया.

          श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय मंत्री जी, मान तो लो.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश भोज (मुक्‍त) विश्‍वविद्यालय संशोधन  विधेयक, 2021 पर विचार किया जाए.

 

           प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

 

          अब विधेयक के खंडों पर विचार होगा.

           

 

 

                        

 

 

 

 

 

 

 

 

5.14 बजे            

   (5) डॉ.बी.आर.अम्‍बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक,

2021 पर विचारण एवं पारण

 

               उच्‍च शिक्षा मंत्री, (डॉ.मोहन यादव) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हॅूं कि डॉ.बी.आर.अम्‍बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 पर विचार किया जाय.

              अध्‍यक्ष महोदय -- प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि डॉ.बी.आर.अम्‍बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 पर विचार किया जाय.

          श्री विनय सक्‍सेना (जबलपुर-उत्‍तर) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विषय तो वही है. अब डॉ.साहब फिर नाराजगी व्‍यक्‍त करेंगे. विद्वता की बात करने लगेंगे. मैं आपसे यह आग्रह करना चाह रहा हॅूं कि आपके पहले भी जो सेटअप बना हुआ है उसमें कुलसचिव जो हैं वह कुलपति के अंडर में काम करते हैं. कुलसचिव का काम यही है कि विश्‍वविद्यालय में कुलपति के काम को बांट दे. जैसे अध्‍यक्ष जी के पास सभापति जी आकर बैठ जाते हैं तो कुलसचिव भी तो वही काम करता है. सिर्फ अपने लोगों को फायदा पहुंचाना है, अपने लोगों को रेवड़ी बांटना है इसके लिये विधेयक लाया गया है मैं आपके माध्‍यम से यह कहना चाहता हॅूं. दूसरा मैंने पिछली बार जो दो प्रश्‍न किए थे कि प्रोफेसरों की कमी है उसके बारे में सरकार की नींद कब खुलेगी. आदरणीय डॉ.साहब की नींद खुलेगी या नहीं, यह भी थोड़ा संज्ञान में ले लें और तीसरी बात यह है कि हमारे जो निजी महाविद्यालय हैं उसमें यूजीसी का जो वेतनमान है, प्रोफेसर और लेक्चरर पाँच हजार रुपये में पढ़ा रहे हैं, उनके बारे में यूजीसी का पालन नहीं हो रहा है, तो क्या माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी कभी कृपा करेंगे अपने उन भाई-बहनों के लिए जो पूरे मध्यप्रदेश में यूजीसी के वेतनमान के लिए रो रहे हैं.

          श्री बाला बच्चन(राजपुर)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने शुरुआत में इसलिए यह कहा था कि ये तीनों जो संशोधन विधेयक हैं, विश्वविद्यालय से संबंधित हैं, तीनों एक दूसरे से रिलेवेंट हैं और प्रति कुलपति के पद के सृजन के लिए है. आपने जो अभी उल्लेख किया है कि जो उपबंध है 14 विश्वविद्यालय हैं, जो 8 का जो उपबंध है, वह रेक्टर के लिए है, 3 के जो उपबंध है जो हैं प्रति कुलपति के लिए है. लेकिन यह जो 3 पर चर्चा हो रही है, जिसमें कि यह डॉ.बी.आर.अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 और बाद में पंडित एस.एन.शुक्ला जी वाला विश्वविद्यालय भी, ये जो तीन जो विश्वविद्यालय ये ऐसे इसमें न रेक्टर के लिए उपबंध है न प्रति कुलपति के लिए उपबंध है. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह भी जानना चाहता हूँ कि क्या ये जो प्राध्यापक जो प्रति कुलपति जो बनेंगे, ये नियमित होंगे या अतिथि विद्वानों को भी बनाया जा सकता है? दूसरा मैंने बोला कि मध्यप्रदेश के आउट साइडर न हों, इस पर आपने बिल्कुल भी इस बात का जवाब नहीं दिया है तो आप सदन को इस बात के लिए आश्वस्त करें माननीय मंत्री जी यह हम चाहते हैं.

          श्री शैलेन्द्र जैन(सागर)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं डॉ.बी.आर.अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021का समर्थन करता हूँ और अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हम सब जानते हैं डॉ.बी.आर.अम्बेडकर साहब ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए और जो समाज में शोषित और पिछड़े हुए लोग हैं उनको शिक्षित करने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया था. उनके नाम से यह विश्वविद्यालय है और इस विश्वविद्यालय में कुलपति को अपना प्रति कुलपति नियुक्त करने का अधिकार देने संबंधी  यह विधेयक है. मैं समझता हूँ कि इससे निश्चित रूप से शैक्षणिक और जो व्यवस्था संबंधी कार्य हैं उन कार्यों को सुचारु रूप से संचालित और संपादित करने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी इसलिए इस संशोधन विधेयक को पारित किया जाए और मैं माननीय मंत्री महोदय को इस विधेयक को लाने के लिए बहुत बहुत बधाई देता हूँ. धन्यवाद.

          उच्च शिक्षा मंत्री(डॉ.मोहन यादव)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने पूर्व में भी बताया था अम्बेडकर विश्वविद्यालय के संबंध में बताना चाहूँगा. विश्वविद्यालय में प्रति कुलपति जैसे मैंने पहले भी कहा कि कुलपति अपनी सुविधा से बना सकेंगे. उसमें कोई बंधन नहीं है. दूसरा, माननीय बाला बच्चन जी ने अतिथि विद्वान का पूछा था तो यह स्पष्ट है कि कोई भी अतिथि विद्वान इस श्रेणी में नहीं आएगा. जो रेग्युलर स्टाफ है उसी में से वह अपने वरिष्ठता के आधार पर अपने प्रति कुलपति बनाने का प्रावधान है. तीसरा, बात निकल गई तो बता रहा हूँ कि अब उच्च शिक्षा विभाग में हमारे लगभग दस हजार प्राध्यापकों के पद हैं, उनमें से आज की स्थिति में साढ़े छःहजार प्राध्यापकों के रेग्युलर पद भरे हुए हैं. मात्र साढ़े तीन हजार खाली हैं, उनके लिए भी हर साल पीएससी निकाल करके, हम उनको भरने की तरफ जा रहे हैं और तब तक अतिथि विद्वानों के माध्यम से भी हम उनमें काम चला रहे हैं. अब यह केवल बोलने के लिए बोल दें, मुझे बड़ा अटपटा लगा, लेकिन अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मांग करता हूँ कि यह पारित किया जाए.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न यह है कि डॉ.बी.आर.अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 पर विचार किया जाए.

                                                                                      प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

          अध्यक्ष महोदय--  अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 5 इस  विधेयक का अंग बने.

                                                                   खण्ड 2 से 5 इस  विधेयक के अंग बने.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

                                                                   खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

                                                पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

          डॉ.मोहन यादव--  अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि डॉ.बी.आर.अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया जाए.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि डॉ.बी.आर.अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया जाए.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न यह है कि डॉ.बी.आर.अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया जाए.

                                                                                         प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

                                                                                            विधेयक पारित हुआ.

 

 

         

         

5.20 बजे

(6) पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय (संशोधन)  विधेयक,  2021 (क्रमांक 10 सन् 2021)

 

          उच्च शिक्षा मंत्री (डॉ. मोहन यादव) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय (संशोधन)  विधेयक,  2021 पर विचार किया जाय.

          अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय (संशोधन)  विधेयक,  2021 पर विचार किया जाय.

          श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से प्रश्न तो यथावत हैं जिसका माननीय मंत्री जी जवाब ही नहीं दे रहे हैं. एक जवाब उन्होंने जरुर दिया है कि 10,000 में से 6500 पद भरे हुए हैं. यही तो मैं आपसे आग्रह कर रहा हूँ कि जब यही प्रश्न विधायक लगाते हैं तो विधान सभा में उसका जवाब यह क्यों दिया जाता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. अध्यक्ष महोदय, आपने भी पहले दिन कहा था कि यदि हमारे मंत्री जिम्मेदारी से जवाब दें तो पक्ष विपक्ष की जिम्मेदारी से चर्चा भी होगी और अनावश्यक समय खराब नहीं होगा. हमारे यहां एक सिस्टम बन गया है कि विधायकों के हर प्रश्न का जवाब यह दिया जा रहा है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. अध्यक्ष महोदय, कृपा करके आपके इस बारे में कुछ निर्देश हों और जिन जिन प्रश्नों पर यह जवाब आया है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है उसके लिए आप एक समिति बनाकर जाँच कराएं कि इन प्रश्नों के उत्तर देने में अधिकारियों को क्या कष्ट है. अगर ऐसी जाँच शुरु हो जाएगी तो अनावश्यक रुप से इस तरह के जो जवाब आते हैं कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, इस परम्परा पर रोक लगेगी और विधायकों को समय पर जवाब मिलेगा.

          अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से एक आग्रह और किया था कि जो पहले के 8 विश्वविद्यालय हैं जिनमें पहले से ही उपबंध था. इन तीन को तो आप नया ले आए हैं उन 8 में से कितनों में रेक्टर नियुक्त हो गए हैं. वहां के कुलपति तो अपने अधिकार ट्रांसफर ही नहीं करना चाहते हैं. उसका जवाब माननीय मंत्री जी ने नहीं दिया है. अब अगर मैं फिर कुछ पूछूंगा तो कहेंगे कि विद्वान हैं. डॉक्टर तो आपके नाम के आगे लगा है डॉक्टर के हिसाब से और उच्च शिक्षा मंत्री के हिसाब से हम आपको विद्वान मान ही रहे हैं. कम से कम हम जैसे कम विद्वान लोग जिनके पास विद्वता कम है इनके ऊपर कृपा कर दीजिए. जवाब सही सही दे दीजिए जवाब मिल जाएगा तो हम संतुष्ट हो जाएंगे. अध्यक्ष महोदय ने आपको जो आदेशित किया है कि सही जवाब दें तर्क को कुतर्क में न बदलें, मंत्री जी आपसे यह आग्रह है.

          श्री बाला बच्चन (राजपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का भी जवाब अभी तक नहीं आया है. केवल यह कहा गया कि अतिथि विद्वान को लेंगे या नियमित प्रोफेसरों को लेंगे उसमें से केवल एक जवाब आया है. मैंने पूछा है कि साँची विश्वविद्यालय में अहमदाबाद से लाकर आपने कुलपति को बैठाया है. जहां तक मेरी जानकारी है क्रिस्प संस्था है उसमें चेयरमैन आपने महाराष्ट्र से लाकर बनाया है. आप सदन को यह आश्वस्त करें कि मध्यप्रदेश के प्रोफेसरों को ही आप प्रति कुलपति बनाएंगे, इस प्रश्न का जवाब माननीय मंत्री जी ने अभी तक नहीं दिया है.

          अध्यक्ष महोदय, तीसरा यह जो संशोधन विधेयक आया है पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 इसमें भी थोड़ा-थोड़ा संशोधन है. धारा 2 का संशोधन है जिसमें "" के बाद "" को जोड़ा गया है. उसके बाद धारा "9" था उसमें "9 क" जोड़ा गया है और धारा 10 का स्थापन किया गया है. प्रति कुलपति के पद सृजन  के लिए ही तीनों विधेयक लाए गए हैं, यही मैंने प्रारंभ में भी कहा था. लेकिन क्या माननीय मंत्री जी मध्यप्रदेश के विद्वान प्रोफेसरों को प्रति कुलपति की जिम्मेदारी देंगे इसके बारे में वे बोल नहीं पा रहे हैं तो आप फिर शैक्षणिक और प्रशासनिक व्यवस्थाओं में कसावट कैसे कर पाएंगे, अगर इसमें राजनीति करेंगे तो, माननीय मंत्री जी घुमा रहे हैं उसका जवाब नहीं दे रहे हैं.

          श्री राजेन्द्र शुक्ल (रीवा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो विधेयक माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी ने संशोधन के रुप में प्रस्तुत किया है वास्तव में यह सराहनीय है. 14 विश्वविद्यालयों में से 8 विश्वविद्यालयों में रेक्टर पहले से हैं, तीन में प्रति कुलपति पहले से हैं. सिर्फ तीन ही विश्वविद्यालय बचे थे जिनमें  प्रति कुलपति का प्रावधान नहीं था. उस प्रावधान के लिए उन्होंने संशोधन प्रस्तुत किया है. यह यूजीसी की गाइड लाइन के परिपालन में प्रस्तुत किया है. वास्तव में इसका स्वागत होना चाहिए कि यदि तीन विश्वविद्यालय रह गए थे तो देरी से लाया गया यह सही कदम है. इसमें इतनी नुक्ताचीनी करना और बहस करने की और विषय से हटकर प्रोफेसर कितने हैं और कितने पद खाली हैं, की आवश्यकता नहीं है. हालांकि उच्च शिक्षा मंत्री जी कल रीवा गये थे उन्होंने पदों की भर्ती के लिए गंभीरता से वहां पर बात रखी है. आने वाले समय में इसमें सुधार होगा. मैं इसका स्वागत करता हूँ इससे प्रशासनिक और क्षैक्षणिक गुणवत्ता में कसावट आएगी, एक हेल्पिंग हेंड मिलेगा. बाहर से पद सृजित करके यह काम नहीं हो रहा है. जो एचओडी हैं उन्हीं में से जो कुलपति के अनुकूल होगा वह प्रति कुलपति की नियुक्ति करेगा.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, आप भी विन्ध्य से हैं और यह जो नामकरण पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय जो शहडोल में है. यह पंडित शंभुनाथ शुक्‍ला जी के नाम से है. वह विंध्‍य प्रदेश के पहले मुख्‍यमंत्री थे और रीवा विश्‍वविद्यालय के पहले कुलपति थे. वर्ष 2016 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने शहडोल में विश्‍वविद्यालय बनाया जिसका लोगों ने बहुत स्‍वागत किया था और लोगों की भावनाओं का आदर करके पंडित शंभुनाथ शुक्‍ला जी के नाम से यह नामकरण की जो योजना थी मुझे लगता है कि उसमें थोड़ी चूक हो गई और वह पंडित एस.एन. शुक्‍ला हो गया. पंडित एस.एन. शुक्‍ला शंभुनाथ जी से उसे कोई लिंक नहीं कर पाता है. मैं वहां प्रभारी मंत्री रहा हूं उनके परिवार के सदस्‍यों की, समर्थकों की, पूरे शहडोल अंचल की और विंध्‍य अंचल की भावनाएं थीं कि जब पंडित शंभुनाथ शुक्‍ला जी के नाम से विश्‍वविद्यालय करना ही था तो फिर पंडित एस.एन. शुक्‍ला क्‍यों किया? उसे पंडित शंभुनाथ शुक्‍ला करना था जिसको कि सब जानते हैं इसीलिए अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से उच्‍च शिक्षा मंत्री जी से यह निवेदन करता हूं कि इस संशोधन के साथ जो बहुत आवश्‍यक है, अपरिहार्य है उसके साथ-साथ यह छोटा संशोधन धारा (1) का भी जिसमें संक्षिप्‍त नाम धारा (1) का जो है  यदि आप इसमें भी संशोधन करने की कृपा करेंगे तो बहुत अच्‍छा होगा. धन्‍यवाद.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह (लहार)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आधे मिनट बोलने की अनुमति चाहता हूं. माननीय राजेन्‍द्र शुक्‍ला जी ने जो प्रस्‍ताव दिया है मैं भी इस प्रस्‍ताव का समर्थन करता हूं. एस.एन. शुक्‍ला शंभुनाथ जी शुक्‍ला एक बहुत ही वरिष्‍ठ विद्वान थे, वह अध्‍यक्ष भी रहे हैं और मंत्री भी रहे हैं इसलिए उनके नाम में एस.एन है. मुझे भी यह पहली बार पता चला मैं भी नहीं समझ पा रहा था कि यह एस.एन. शुक्‍ला कौन व्‍यक्ति है. मेरा निवेदन है कि इसमें संशोधन कर दें. दूसरी बात यह है कि शुक्‍ला जी के यहां आप गए.

           अध्‍यक्ष महोदय-- डॉ. साहब आप क्‍यों नहीं समझ पा रहे हैं कि यह तो केवल संसदीय कार्य मंत्री से पूछा जा सकता है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं तो केवल इतना कहना चाहता हूं कि आप शुक्‍ला जी के यहां कल गए और घोषणा कर आए कि पालन होगा. हमारे लहार विधान सभा क्षेत्र में तीन गर्वमेंट कॉलेज हैं. एक में सत्रह प्रोफेसर हैं और लहार में एक ही है. एक भी कॉलेज में प्रिंसिपल नहीं हैं और आलमपुर में केवल 13 में से दो प्रोफेसर हैं यदि यही हालत रही तो पढ़ाई कैसे होगी? यही हालत बालाजी कॉलेज की है. अध्‍यक्ष महोदय, कृपा करके आधे-आधे पद भर दें.

          अध्‍यक्ष महोदय-- गोविन्‍द सिंह जी यह आप बजट में करिएगा.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, बजट में बहुत लोग बोलेंगे. आप इसे ध्‍यान रख लेना. मैं यह मानता हूं कि यह विषय से हटकर है यह विषय में शामिल नहीं है लेकिन आप इसे अलग से नोट कर लीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय--  गोविन्‍द सिंह जी आप बहुत ही वरिष्‍ठ हैं.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, पत्र लिखने का तो कोई असर ही नहीं होता है. इसलिए आपके सामने कह रहा हूं.

          डॉ. मोहन यादव--अध्‍यक्ष महोदय, मैं पहले भी अपनी  बात रख चुका हूं उसी बात को दोहरा रहा हूं कि अगर कुलपति बनते हैं तो विश्‍वविद्यालय के कार्य संचालन में सुविधा होती है और उनके दायरे भी मैंने बताने का प्रयास किया है. माननीय विनय जी ने बात उठाई है अब मैं आपके लिए विद्वान बोलने में डर रहा हूं आपने कहा कि विद्वान मत बोलिए तो माननीय अध्‍यक्ष महोदय मैं आपके माध्‍यम से बात करना चाहूंगा. 

          श्री पी.सी. शर्मा--  अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी आपने यह कहा था कि मैं तो समझता था कि आप विद्वान हैं. आप उनको विद्वान मानिए.

          डॉ. मोहन यादव-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं तो बार-बार बोल रहा हूं. वह कह रहे हैं कि मुझे क्‍यों बोल रहे हैं इसके लिए मैं क्‍या करूं?

 

 

5:28 बजे                             अध्‍यक्षीय घोषणा

सदन के समय में वृद्धि की जाना

          अध्‍यक्ष महोदय--  आज का शासकीय विधि विषयक कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.

(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)

5:28 बजे                     शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)

          डॉ. मोहन यादव-- रिएक्‍टर की बात कही है तो हमारे विश्‍वविद्यालय में रिएक्‍टर है जैसे जीवाजी विश्‍वविद्यालय में है. माननीय सदस्‍य और जानकारी निकालें तो और मालूम पड़ जाएगा जहां-जहां कुलपतियों ने बनाए हैं. दूसरी बात बाला भैया आपने क्रिप्‍स की उठाई है क्रिप्‍स उच्‍च शिक्षा में नहीं आता है जब तकनीकि शिक्षा की बात आएगी त‍ब आप इस पर बात कर लीजिएगा. इसी प्रकार से आपने बौद्ध की बात कही है लेकिन मैं जानकारी के लिए बता दूं विश्‍वविद्यालय में कुलपति पूरे देश से कहीं भी बनते हैं. विश्‍वविद्यालय के मामले में, कुलपति में उसको प्रदेश के दायरे में नहीं ला सकते हैं लेकिन आपने बात कही है इसीलिए मैं कह रहा हूं. अध्‍यक्ष महोदय, मैं दोबारा आपसे फिर निवेदन करना चाहूंगा कि यह बहुत ही उपयुक्‍त संशोधन है. मैं राजेन्‍द्र शुक्‍ला जी की बात से भी सहमत हूं और माननीय गोविन्‍द सिंह जी ने भी कहा है. मैं इसके अलावा भी कह रहा हूं कि कुछ और विश्‍वविद्यालय हैं जैसे विक्रम विश्‍वविद्यालय यह सम्राट विक्रमादित्‍य के नाम पर है लेकिन वह प्रतिध्‍वनित नहीं होता है तो हम इस दिशा में काम कर रहे हैं कि जिनके नाम पर विश्‍वविद्यालय है उनके पूरे नाम आएं ताकि उनसे समाज में संदेश भी जाएं और जिसके कारण से वह रखे गए हैं. उसकी उपयोगिता सिद्ध हो सके. धन्‍यवाद.

 

 

 

 

5.32 बजे

(7) मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय (स्‍थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2021

          श्री केदारनाथ शुक्‍ल (सीधी)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय (स्‍थापन एवं संचालन) संशोधन विधेयक का समर्थन करता हूं. हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने इन्‍वेस्‍टमेंट फ्रेंडली नीति अपनाई, उसका एक अच्‍छा असर पड़ रहा है, सकारात्‍मक असर पड़ रहा है. हमारे मध्‍यप्रदेश में युवाओं के लिए गुणात्‍मक शिक्षा, रोजगारपरक शिक्षा, प्रशिक्षण वाली शिक्षा इन सभी में पूंजी निवेश की आवश्‍यकता थी. आज इन सभी में पूंजी निवेश किया जा रहा है, इसमें प्रगति आई है. पूरे देश का उच्‍च शिक्षा का सकल पंजीयन 26.3 प्रतिशत है और हमारे मध्‍यप्रदेश का 21.5 प्रतिशत है. ऐसी स्थिति में हमारे प्रदेश में यह आवश्‍यक है कि शिक्षा के विस्‍तार के लिए निजीकरण को कुछ बढ़ावा दिया जाये. इसके लिए वर्ष 2007 में एक अधिनियम आया था और उसके सहयोग एवं नियंत्रण के लिए विनियामक आयोग का गठन किया गया था. इसी तारतम्‍य में यहां एकलव्‍य निजी विश्‍वविद्यालय, दमोह की स्‍थापना, ओजस्विनी समदर्शिनी न्‍यास, भोपाल, श्री अरविंदो विश्‍वविद्यालय, इंदौर की स्‍थापना, श्री अरविंदो इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस सोसायटी, इंदौर, एवं महाकौशल विश्‍वविद्यालय, जबलपुर की स्‍थापना, श्री आर्यस् एजुकेशनल सोसायटी, जबलपुर द्वारा की जा रही है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इन सभी संस्‍थानों में प्रबंधन, शिक्षा, नर्सिंग आदि पाठ्यक्रम शामिल हैं. इन व्‍यावसायिक पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए, इन विश्‍वविद्यालयों की स्‍थापना के लिए मैं, उच्‍च शिक्षा मंत्री को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि उन्‍होंने इस दिशा में सोचा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस‍के अतिरिक्‍त एक बात मैं अपनी राय के रूप में जरूर कहना चाहूंगा कि माननीय उच्‍च शिक्षा मंत्री जी विश्‍वविद्यालय मध्‍यप्रदेश में बहुत हैं. अभी 8 विश्‍वविद्यालयों के कोर्ट के इलेक्‍शन के लिए भी विधान सभा का नोटिफिकेशन हुआ है लेकिन विधायकों का जो हस्‍तक्षेप एवं विधायकों का प्रतिनिधित्‍व विश्‍वविद्यालयों में होना चाहिए, ऐसा नहीं है. केवल एग्रीकल्‍चर यूनिवर्सिटीस् के प्रबंध मण्‍डल में विधायकों का प्रतिनिधित्‍व है. मेरा आपसे आग्रह है कि विश्‍वविद्यालयों का, जो प्रबंध संचालक मण्‍डल है, उसमें हर जगह विधान सभा के अनुपात में कांग्रेस के लोग और हमारे लोग हों. विधान सभा का वहां प्रतिनिधित्‍व होने से लाभ यह होता है कि विश्‍वविद्यालय में विधान सभा की बात आ जाती है और विश्‍वविद्यालय की जो समस्‍यायें हैं, वे विधान सभा तक आ जाती हैं. विधान सभा मध्‍यप्रदेश की जनता का चुना हुआ सबसे बड़ा निकाय है और ऐसी स्थिति में आप विश्‍वविद्यालयों को इतनी स्‍वायत्‍तता तो न दे, दें कि उसमें हमारा हस्‍तक्षेप बिलकुल न हो. आप मंत्री के नाते कहीं पहुंच गये, लेकिन कल आप विधायक के नाते वहां नहीं जा सकते हैं, वह बुलाते ही नहीं हैं, वह अपने कार्यक्रमों में स्‍थानीय विधायकों को नहीं बुलाते हैं, यह जो परिस्थिति है इस परिस्थिति के लिये आपको एक संशोधन लाना पड़ेगा कि सारे विश्‍वविद्यालयों में यह लागू होगा, जो जबलपुर कृषि विश्‍वविद्यालय और ग्‍वालियर जीवाजी कृषि विश्‍वविद्यालय में लागू है. उसमें यहां से चुनाव होता है, उसमें आप तीन सदस्‍य चुनकर भेजते हैं, उसमें सामान्‍यत: सत्‍ताधारीदल के दो और विपक्ष का एक सदस्‍य चुनकर चला जाता है. आप बाकी विश्‍वविद्यालयों में भी यह प्रबंध कर दें तो एक बहुत अच्‍छी बात होगी और आज एक बड़ी बात विन्‍ध्‍य प्रदेश की आ गयी. श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल जी ने पंडित शम्‍भू नाथ जी शुक्‍ला का पूरा नाम लिखने की जो बात की उसके लिये मैं साधुवाद ज्ञापित करता हूं. पंडित शम्‍भू नाथ जी शुक्‍ला एक बड़े स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, विन्‍ध्‍य में स्‍वतंत्रता संग्राम का उन्‍होंने संचालन किया था, कप्‍तान अवधेश प्रताप सिंह और पंडित शम्‍भू नाथ शुक्‍ला ये दोनों वहां बड़े नेता थे और उनके नाम पर यह विश्‍वविद्यालय बना. वह जो पुराना विन्‍ध्‍य प्रदेश था वह उसके मुख्‍यमंत्री थे, अविभाजित मध्‍यप्रदेश में भी वह मंत्री रहे और बाद में वह रीवा विश्‍वविद्यालय के कुलपति भी रहे, वह पार्लियामेंट मेंबर भी रहे इसलिये उनका पूरा नाम लिखा जाना चाहिये. डॉ. गोविन्‍द सिंह नहीं समझ पा रहे थे, जब पंडित शम्‍भू नाथ जी शुक्‍ला का नाम आया तो वह एकाएक मुखर हुए, क्‍योंकि जो पुराने लोगों को जानते हैं..

          डॉ. गोविन्‍द सिंह:- (xxx)      

          अध्‍यक्ष महोदय:- इसको रिकार्ड में नहीं लिया जाये.

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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.

          श्री केदारनाथ शुक्‍ल:- मैं अपनी बात नहीं बोल रहा हूं, सही बात बोल रहा हूं. मैं अपनी बात बोलने के लिये जहां उचित फोरम होगा वहां मैं बोलूंगा.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल:- वह आपकी तारीफ कर रहे हैं और उन पर व्‍यंग कर रहे हैं.

          श्री केदारनाथ शुक्‍ल:- मैं सही फोरम पर सही बात कहूंगा. यह फोरम जो बात मैं कह रहा हूं उसके लिये उपयुक्‍त है और इसलिये मैं इस फोरम पर इस बात को कह रहा हूं. मैं सारे विधायकों के लिये बात कह रहा हूं कि सारे विधायकों का प्रतिनिधित्‍व विश्‍वविद्यालयों में हो, इस बात का ध्‍यान रखा जाये और निजी विश्‍वविद्यालयों में विशेष रूप से हो और तब जाकर इस विधान सभा का नियंत्रण विश्‍वविद्यालयों पर कायम हो सकेगा, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री शरदेन्‍तु तिवारी (चुरहट) :- अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय संशोधन विधेयक, 2021 के तहत दमोह में एकलव्‍य निजी विश्‍वविद्यालय, दमोह, इंदौर में श्री अरबिन्‍दो विश्‍विद्यालय, इंदौर एवं जबलपुर में महाकौशल विश्‍वविद्यालय, जबलपुर की स्‍थापना हो रही है.

          मुझे ज्ञात हुआ है कि इन विश्‍वविद्यालयों को स्‍थापित करने वाली संस्‍था संपूर्ण मध्‍य भारत में शोध एवं शिक्षा के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट कार्य कर रही है. निश्चित रूप से मध्‍यप्रदेश के विद्यार्थी भी शोध संबंधी कार्यों में अगुवा बनेंगे. इस विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना से जो कमी सकल पंजीयन अनुपात में है, जिसका जिक्र अभी मेरे पूर्व वक्‍ता माननीय केदारनाथ शुक्‍ल जी ने किया है उसकी भी भरपाई करने में हमें मदद मिलेगी. मध्‍यप्रदेश एक एजुकेशनल हब बने इसके लिये उच्‍च शिक्षा में ज्‍यादा से ज्‍यादा छात्र मध्‍यप्रदेश में ही अध्‍ययन करें, इसकी व्‍यवस्‍था इस विश्‍वविद्यालय के माध्‍यम से होगी. बहुत सारे छात्र बाहर पढ़ने चले जाते हैं, खर्चा होता है, आर्थिक बोझ उनके परिवारों पर पड़ता है, यहां यदि शोध होगा, यहां यदि कौशल विकास के कार्य होंगे तो निश्चित रूप से मध्‍यप्रदेश के विद्यार्थियों को उसका लाभ मिलेगा और हमारे प्रदेश में भी शोध के नये-नये अवसर उपलब्‍ध होंगे. श्रेष्‍ठ शैक्षणिक सुविधाएं मध्‍यप्रदेश में हों इसका प्रयास इस विश्‍वविद्यालय के माध्‍यम से है. मैं एक आग्रह भी उच्‍च शिक्षा मंत्री जी से करूंगा कि भविष्‍य में कुछ विश्‍वविद्यालय जैसी व्‍यवस्‍था सीधी जैसे छोटे जिले में भी लाने के बारे में सोचें. मैं, चूंकि शिक्षा समाज की नींव है, उच्‍च शिक्षा के इस प्रगतिशील कदम के लिये मैं माननीय मंत्री जी को साधुवाद देता हूं और इस विधेयक का समर्थन करता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          उच्‍च शिक्षा मंत्री(डॉ. मोहन यादव):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि इस विधेयक के संबंध में हमारे माननीय वरिष्‍ठ विधायक केदाननाथ शुक्‍ल जी और माननीय शरदेन्‍तु जी ने अपने विचार व्‍यक्‍त किये. यह बात सही है कि हमारे अपने उच्‍च शिक्षा के वर्तमान परिदृश्‍य में शासकीय विश्‍वविद्यालय के अलावा निजी विश्‍वविद्यालयों का भी बड़ा रोल है और हम अगर पूरे देश के परिप्रेक्ष्‍य में देखें तो साऊथ के कई राज्‍य निजी विश्‍वविद्यालय के भरोसे से ही बहुत आगे चले गये, हमारे यहां 2007 के बाद से निजी विश्‍वविद्यालय की जो अनुमति दी गयी है, इसके आधार पर लगभग आज तक जब ये तीन गठित हो जायेंगे, इनको मिलाकर 40 विश्‍वविद्यालय बनेंगे. मैं आपके माध्‍यम से पूरे सदन से आव्हान करता हूं कि उच्च शिक्षा के मामले में हम अपने अपने क्षेत्र के अंदर भी अगर आप उपयुक्त विश्वविद्यालय के प्रस्ताव लाते हैं, महाविद्यालय प्रायवेट खोलने के भी प्रस्ताव लाते हैं तो विभाग आपकी मदद करने के लिये तैयार रहेगा, क्योंकि कुल मिलाकर के हम और आप सब मिलकर के उच्च शिक्षा के इस वर्तमान दौर में मध्यप्रदेश की एव विशेष पहचान पूरे देश में बने इसमें काम करने की आवश्यकता है. मैं आज के इस अवसर पर आपसे आव्हन करता हूं कि चूंकि यह तीनों विश्वविद्यालय अपनी पूरी निर्धारित न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति करने के साथ साथ जो शासन का निर्देश परिपत्र है उसका पालन कर रहे हैं तो इनके गठन की इजाजत दी जाये.

          अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2021 पर विचार किया जाय.

                                                                             प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

          अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.

         

         

            अध्यक्ष महोदयः- विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार दिनांक 2 मार्च, 2021 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.

          अपराह्न 5.42 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार,  दिनांक 2 मार्च, 2021 (फाल्गुन 11, शक संवत् 1942) के प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.

 

 

भोपाल.

दिनांक 1 मार्च, 2021                                                                       ए.पी.सिंह,

                                                                                                प्रमुख सचिव

                                                                                           मध्यप्रदेश विधान सभा