मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

         _______________________________________________________________

 

पंचदश विधान सभा                                                                                 अष्टम सत्र

 

 

फरवरी-मार्च, 2021 सत्र

 

सोमवार, दिनांक 1 मार्च, 2021

 

(10 फाल्गुन, शक संवत्‌ 1942 )

 

 

[खण्ड- 8 ]                                                                                                                    [अंक- 6]

 

    ___________________________________________________________                    

 

 

 

 

 

 

 

 

मध्यप्रदेश विधान सभा

सोमवार, दिनांक 1 मार्च, 2021

(10 फाल्गुन, शक संवत्‌ 1942 )

विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.

{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

हास-परिहास

 

                   अध्यक्ष महोदय -- अच्छा  हुआ कि  दोनों को एक साथ प्रणाम  करना पड़ रहा है.

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय,दरअसल में वह मेरे बड़े भाई हैं. दिक्कत सिर्फ इतनी सी है कि  वह मुझे छोटा नहीं मानते हैं, मैं उनको बड़ा मानता हूं.  (हंसी)..

                   डॉ.  गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं मिश्र जी को बराबरी का मानता हूं.  न छोटे न बड़े, राजनीति में सब समान.

                   अध्यक्ष महोदय -- पर इनको भी स्वीकार करना  पड़ेगा   कि आप इनको मानते हो कि नहीं मानते हो.   यह तो उनके ऊपर है.  प्रश्न संख्या 1, श्री लक्ष्मण सिंह.

 

11.02 बजे                                  प्रश्नकाल में मौखिक उल्लख

                   गोडसे की विचार धारा से जुड़े हुए व्यक्ति को कांग्रेस में शामिल किया जाना.

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय,  एक बड़ा  जन भावनाओं का विषय  आपके ध्यान एवं संज्ञान में लाना चाहता हूं.  यह हम सब जानते हैं कि  महात्मा गांधी जी..

                   अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल के बाद उठा लें.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, एक  मिनट लगेगा.  आम आदमी की भावनाओं से  जुड़े हुए व्यक्ति हैं, जो राष्ट्रपिता  कहलाते हैं.  कुछ लोगों के द्वारा  जो गोडसे के भक्त, पुजारी  थे, उनको  एक पार्टी में ले लिया गया.  सदन के सम्मानित सदस्य, श्री लक्ष्मण सिंह  जी सदन के बाहर ट्वीट  करते हैं,  इससे इस तरह का भाव पैदा हो रहा है कि गांधी जी को  कोई गंगा जल से धो रहा है, कोई  फूल  मालाएं  पहना रहा है. एक प्रदेश के अन्दर इस तरह का वातावरण  बन गया है, जब  जनहित के मुद्दों की चर्चा  होनी चाहिये,  तब हत्यारों की पूजा  होने लग जाये,  तो  इससे   ज्यादा चिंता और निन्दा  की कोई बात प्रदेश के अन्दर  हो नहीं सकती है.  मैं यह कहना चाहता हूं कि यदि इस मुद्दे पर चर्चा करना है,   एक कांग्रेस  के प्रदेश अध्यक्ष  उनको  पार्टी में शामिल करते  हैं, तो कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष  विरोध कर देते हैं उसके लिये. कोई यात्राएं निकाल रहा है.  अध्यक्ष महोदय, इससे वातावरण दूषित होता है.

                   अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल चलने दीजिये.  प्रश्न संख्या 1, श्री लक्ष्मण सिंह जी.

                   श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि  ये भी गोडसे की विचार धारा को छोड़कर,  गोडसे की विचारधारा, नफरत को छोड़कर  इधर आ जायें.

..(व्यवधान)..

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, ये गांधी जी  का उपयोग   सिर्फ   वोट प्राप्त करने के लिये करते हैं.  

..(व्यवधान)..

                   श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, नरोत्तम जी ने मेरा नाम लिया है,  मैं उसी का जवाब दे रहा हूं अभी.

                   अध्यक्ष महोदय -- अभी आप प्रश्न पूछ लीजिये.  प्रश्न संख्या 1, श्री लक्ष्मण सिंह जी.

                   श्री लक्ष्मण सिंह --  नरोत्तम जी, चूंकि आपने मेरा नाम लिया है.  मैं इसका उत्तर   ग्वालियर में जाकर दूंगा.  ट्वीट तो किया ही है,  मैं इसका उत्तर ग्वालियर में जाकर  दूंगा, इसको  यहीं  समाप्त करते हैं.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र --  आपने ट्वीट किया था, गांधी जी के लिये.

                   अध्यक्ष महोदय -- आप  अपना प्रश्न पूछिये.

 

11.04 बजे                         तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.

वन क्षेत्रों के लिये पी.पी.पी. अनुबंध

[वन]

1. ( *क्र. 1702 ) श्री लक्ष्‍मण सिंह : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या मध्‍यप्रदेश सरकार ने वन्‍य क्षेत्र का कुछ प्रतिशत पी.पी.पी. मॉडल पर निजी क्षेत्र को सौंपने का निर्णय लिया है? (ख) अगर हाँ, तो मध्‍यप्रदेश के किन जिलों में कितना वन क्षेत्र निजी हाथों में सौंपा जा रहा है? (ग) निजी क्षेत्र में वन्‍य क्षेत्र जाने के बाद उनमें क्‍या-क्‍या गतिविधियां होंगी? वन्‍य विकास से संबंधित जानकारी दें।

वन मंत्री ( श्री कुंवर विजय शाह ) : (क) जी नहीं। (ख) एवं (ग) उत्‍तरांश (क) के अनुक्रम में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

                श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय,धन्यवाद.  अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने मेरे उत्तर में बताया है कि (क)  जी नहीं. (ख) एवं (ग)  उत्तरांश (क) के अनुक्रम में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है.  मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि यह  मध्यप्रदेश  के चैनल जी न्यूज  की  खबर, समाचार है,  मुख्यमंत्री जी की तस्वीर भी है  और इसमें उन्होंने  ठीक  आपके उत्तर के विपरीत  कहा है. उन्होंने  कहा है कि मध्यप्रदेश में सरकार  राज्य के 40  फीसदी जंगलों को निजी हाथों  में देने की तैयारी कर रही है.  इसके लिये वन विभाग  की तरफ से  जमीनों  की जानकारी मांगी गई है.  मैं मानता हूं कि सदन में  जो  उत्तर दिया जाये, वही  माना जायेगा.  लेकिन इसका अर्थ  यह हुआ, क्योंकि जी न्यूज   एक बड़ा    विश्वसनीय चैनल है.  इसका अर्थ यह हुआ  कि या   तो मंत्री जी असत्य बोल रहे हैं  या मुख्यमंत्री जी  चैनल  में असत्य बोल रहे हैं  और इन दोनों में विरोधाभास है.  इसमें सच क्या है.  ये कुछ कह रहे हैं और वह कुछ कह रहे हैं.

                   जल संसाधन मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट)-- अध्यक्ष महोदय, सदन में पेपर्स और चैनल्स पर चर्चा नहीं होती है. तथ्यों  के आधार पर चर्चा होती है.  आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं.

                   श्री लक्ष्मण सिंह --तुलसी जी, मैं जानता हूं.  आप बैठ जाइये.

                   श्री तुलसीराम सिलावट -- मैं भी आपको अच्छे से जानता हूं.

          श्री लक्ष्मण सिंह --  जी, कृपया बैठ जायें. अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सीधा है कि मध्यप्रदेश में कुल 94679 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र में से लगभग 37420 वर्ग कि.मी. बिगड़े वन क्षेत्र है, अगर आप निजी क्षेत्र में इसको नहीं दे रहे हैं तो इसका अर्थ यह है कि आप स्वयं बिगड़े वन क्षेत्र को सुधारेंगे. अच्छी बात है कि आप निजी क्षेत्र में नहीं दे रहे हैं और कम से कम जंगल नहीं बेच रहे हैं क्योंकि सब कुछ तो बिक रहा है, सारी सरकारी जमीनें बिक रही हैं, संस्थाएं बिक रही हैं. मेरा आपसे केवल यही कहना है क्योंकि जंगल क्षेत्र कम हो रहा है, अंधाधुंध कटाई हो रही है और अभी ब्यावरा में तेंदूआ एक कालोनी में घुस गया, वन्य प्राणियों को रहने की जगह नहीं है, शेर हमारे शहरों के आसपास घूम रहे हैं, कल उमरिया में एक चीतल कुएं में गिर गया क्योंकि पानी नहीं है. पानी की व्यवस्था तक नहीं है. मेरा आपसे यह प्रश्न है कि वन क्षेत्र को सुधारने के लिए बढ़ाने के लिए आपकी क्या योजना है?

श्री कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को सबसे पहले तो यह जानकारी देना चाहता हूं कि देश की आजादी के बाद वर्ष 2004 से लेकर 2019 तक मध्यप्रदेश का घना वन क्षेत्र बढ़ा है. भारत सरकार की रिपोर्ट में यह स्पष्ट है. मध्यप्रदेश का जंगल बढ़ा है, आप चाहेंगे तो मेरे पास में रिपोर्ट है, वह रिपोर्ट मैं सदन को पेश कर दूंगा. जो आपने बात कही है  कोई निजी क्षेत्र को किसी न्यूज चैनल का या अखबार का हवाला देते हुए..

श्री लक्ष्मण सिंह - जी न्यूज अति विश्वसनीय चैनल जो आपको ही दिखाता है हमें नहीं दिखाता है.

श्री कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, कोई अखबार या कोई जी न्यूज क्या दिखा रहा है, यह उसके अपने स्रोत होते हैं उसकी विश्वसनीयता पर मैं प्रश्न-चिह्न नहीं लगा रहा हूं लेकिन उसने क्यों छापा, कैसे छापा, मुझे उस पर कुछ भी नहीं कहना है. आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि मध्यप्रदेश के बारे में जो आपने बताया है 37420 वर्ग कि.मी., जो 0.4 प्रतिशत कम है. बिगड़े वनों के लिए सुधार के लिए 5000 वन समितियों के माध्यम से हम लोग सुधार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और  जिसकी हमेशा बात होती है कि आदिवासियों का जो पेसा एक्ट उस पेसा एक्ट की भी इच्छा यही है कि वन समितियों का अधिकार, जंगल का अधिकार, जंगल की वन समितियों को होना चाहिए, इन वन समितियों के माध्यम से हम बिगड़े वनों का सुधार भी कर रहे हैं. 5000 समितियों को अध्यक्ष महोदय, हम आने वाले समय में पैसा दे रहे हैं और लगभग एक-एक लाख रुपया प्रत्येक समिति को हम दे रहे हैं उससे जो वन सुधरेगा, बांस बल्ली जो निकलेगी, बांस बल्ली का सारा अधिकार वन समिति को हम देने जा रहा है. वह समिति ही उसकी मालिक होगी. इस तरीके से हम कह सकते हैं कि जंगल बचाने के लिए जो जनता है जो हमारे वनवासी बंधु हैं और जंगल की साफ सफाई से जो लाभ मिलेगा, उसका पूरा मालिक और पूरा हकदार हम उसको बनाएंगे. प्रायवेट सेक्टर में अभी वहां जाने की हमारी कोई योजना नहीं है.

श्री लक्ष्मण सिंह - अध्यक्ष महोदय, एक अनुपूरक प्रश्न और है. देश में जैव विविधता के संरक्षण हेतु कानून बना हुआ है और यूपीए सरकार के समय में इस जैव विविधता को बढ़ाने के लिए वन्य प्राणियों की रक्षा के लिए, वनोपज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक योजना बनी थी, जो हर राज्य में  कंजर्वेशन रिजर्व बनाने की थी और पूर्व कांग्रेस सरकार ने कुछ कंजर्वेशन रिजर्व बनाने के प्रस्ताव बनाकर अगर हम लोग 5 साल रहते तो हम बना भी देते, राघौगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व सबसे पहली योजना बनी हुई लंबित पड़ी  है,  उसके साथ और भी कंजर्वेशन रिजर्व बनाने की योजना है क्योंकि कंजर्वेशन रिजर्व बनेंगे तो ही आपकी जैव विविधता बचेगी तो ही वन्य प्राणी बचेंगे तो ही जंगल बचेगा. इन प्रस्तावों को क्या आप गंभीरता से लेकर और इन्हें लागू करने जा रहे हैं और करेंगे तो कब तक करेंगे, विशेषकर राघौगढ़ के बारे में बता दीजिएगा.

श्री कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, वैसे तो इस प्रश्न से यह उद्भूत नहीं होता है.

श्री लक्ष्मण सिंह - बिल्कुल उद्भूत होता है. वन्य क्षेत्र का मामला है, जैव विविधता को बढ़ाने का मामला है और वन्य प्राणियों की रक्षा का मामला है.

          कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय फिर भी माननीय सदस्य ने चिंता व्यक्त की है. वनों के लिए बिगड़े हुए वनो के लिए और जैव विविधता के लिए.

          डॉ नरोत्तम मिश्र -- दोनों राजा हैं. जैव संरक्षण कितना किया है यह पूरा प्रदेश जानता है.

          श्री लक्ष्मण सिंह - मैं राजा नहीं हूं किसान आदमी हूं. छोटा  भाई हूं.

          कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य की वैसे ही चिंता रहती है वन प्राणी बचें जंगल बचे और हमेशा से सदस्य सदन में हों या सदन के बाहर हों चिंतित रहते ही हैं. उन्होंने कहा है कि नये अभ्यारण्य बनाना या जैव विविधता के लिए कोई और क्षेत्र विकसित करना तो हमारी सरकार लगातार चिंता कर रही है जो आपने राघोगढ़ का प्रस्ताव भेजा है अभी प्रक्रियाधीन है उ स पर भी हम जल्दी निर्णय लेंगे.

          श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष म होदय विदिशा जिले में उदयपुर में 4 हजार एकड़ की एक खदान चल रही है जिसमें से अवैध रूप से रोज 50 लाख रूपये का पत्थर निकल रहा है. क्या मंत्री जी बतायेंगे कि उस अवैध उत्खनन को कब तक बंद करायेंगे.

प्रश्न संख्या 2 श्री अनिल जैन ( अनुपस्थित )

विदिशा जिला चिकित्सालय हेतु सिटी स्केन मशीन उपलब्ध करायी जाना

[चिकित्सा शिक्षा]

3. ( *क्र. 1796 ) श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या विदिशा में स्थित जिला चिकित्सालय एवं अटल बिहारी बाजपेयी मेडीकल कॉलेज में मरीजों की सुविधा हेतु सीटी स्केन मशीन उपलब्ध कराये जाने की स्वीकृति प्रदान की गई? (ख) यदि हाँ, तो अभी तक सीटी स्केन मशीन चिकित्सा संस्थान में उपलब्ध क्यों नहीं कराई गई? क्या प्रश्नकर्ता द्वारा जिले के नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधा के क्रम में सीटी स्केन मशीन हेतु दिनांक 11.08.2020 को कलेक्टर विदिशा एवं अधिष्ठाता शासकीय अटल बिहारी बाजपेयी चिकित्सा महाविद्यालय विदिशा को पत्र क्रमांक 4749 के तहत कार्यवाही की मांग की थी? (ग) प्रश्नांश (ख) यदि हाँ, तो पत्र के क्रम में कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो क्या नहीं तो क्यों? क्या शासन जिले की जनता की स्वास्थ्य सुविधा को ध्यान में रखते हुये शीघ्र सीटी स्केन मशीन उपलब्ध करायेगा? यदि हाँ, तो कब तक नहीं तो क्यों?

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी नहीं। (ख) उत्‍तरांश (क) के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। जी हाँ। (ग) मध्‍यप्रदेश पब्लिक हेल्‍थ सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल द्वारा शासकीय चिकित्‍सा महाविद्यालय, विदिशा सहित अन्‍य स्‍थानों पर सी.टी./एम.आर.आई मशीन स्‍थापित करने हेतु दिनांक 30.12.2020 को निविदा जारी कर दी गयी है एवं दिनांक 11 जनवरी 2021 को प्री-बिड मीटिंग रखी गयी थी। दिनांक 22 जनवरी 2021 से Bid Submission चालू है। बिड खोलने की दिनांक 19 फरवरी 2021 निर्धारित थी। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

          श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने  क में बताया है कि जी नहीं  उत्तरांश के परिप्रेक्ष्य में कोई प्रश्न उपस्थित नहीं होता. मैंने मंत्री जी से यह पूछा था कि विदिशा जिले के अस्पताल या अटलबिहारी बाजपेयी मेडीकल कालेज में सीटी स्केन की व्यवस्था कब तक करवा दी जायेगी. आपने लिख दिया है कि प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता. इसका मतलब प्रश्न पूछने का कोई मतलब ही नहीं है. मैंने पत्र लिखा है प्रमुख सचिव और कलेक्टर महोदय को उसका जवाब तो आता नहीं है आपकी सरकार से, आठवे माह में मैंने पत्र लिखा है उसका आज यह जवाब दे रहे हैं कि हमने टेण्डर लगाये हैं जबकि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में आपने कहा था कि हमने उत्कृष्ट मेडीकल कालेज खोले हैं उत्ककृष्ट मेडीकल कालेज क्या सीटी स्केन से वंचित है. उस अस्पताल के उद्घाटन के माननीय मंत्री जी को इतनी जल्दी थी कि मेडीकल कालेज का अस्पताल चालू नहीं हुआ उ सके पहले ही उसका उद्घायन कर दिया आज तक  450 बिस्तर का अस्पताल वहां पर चालू नहीं हो पाया है. सीटी स्केन की कोविड में अनिवार्यता थी. सीटी स्केन मशीन के अभाव में कई मरीजों ने अपनी जान से हाथ धोया है. अस्पताल से बाहर कराने के लिए हमने अपने पास से मरीजों को 4 - 5 हजार रूपये दिये उनकी जान बचाने के लिए, क्या मंत्री जी यह बताने का कष्ट करेंगे कि सीटी स्केन मशीन विदिशा में कब तक स्थापित हो जायेगी.

          श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से विधायक जी को कहना चाहता हूं कि शायद  आपने उत्तर ठीक से पढ़ा नहीं है जी नहीं जो लिखा है वह इस परिप्रेक्ष्य में लिखा है कि जिला चिकित्सालय में क्या इस तरह की कोई योजना स्वीकृत की गई है और उसका जवाब जी नहीं है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से विधायक जी को बताना चाहता हूं कि मेडीकल कालेज की जो क्षमता थी तो हमें एनएमसी के नार्म्स के हिसाब से सीटी स्केन की मशीन लगाना बहुत जरूरी नहीं था. लेकिन उसके बाद में  भी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सहृदयता है कि उन्होंने सभी मेडीकल कालेज में सीटी स्केन मशीन लगाने का निर्देश दिया मुझे सदन में बताते हुए प्रसन्नता है कि हमने पीपीपी माडल पर टेण्डर निकाल लिया है. एक माह के अंदर हम विदिशा ही नहीं मध्यप्रदेश के सभी मेडीकल कालेज में सीटी स्केन मशीन लग जायेगी.

          श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि यह जो नया जिला अस्पताल है उसमें भी आज आर्थो की टेबल नहीं है उसकी स्वीकृति भी तुरंत प्रदान करें, जहां तक आपने मेडीकल कालेज के बारे में आपने जो अभिभाषण में लिखा है उसके बारे में आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि डॉ मनमोहन सिंह जी की सरकार को भी धन्यवाद दें. यह उनके जमाने में चालू हुआ था.

           श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं विधायक जी को यहां पर यह बात नहीं कहना चाहता था लेकिन विधायक जी सीधे सीधे राजनीतिक बात कर रहे हैं तो मैं बताना चाहता हूं कि 1947 के बाद और 2009 तक कांग्रेस की सरकार 2003 से 2008 तक रही लेकिन एक भी मेडीकल कालेज मध्यप्रदेश में नहीं खुला है. 10 साल तक लगातार सरकार रही है. सागर में 2009 में हमने सबसे पहले एक मेडीकल कालेज शुरू किया उसके बाद में रतलाम, सागर में शुरू कियाऔर उसके बाद रतलाम, खंडवा, दतिया, छिंदवाड़ा, शिवपुरी, शहडोल, विदिशा, आपके विदिशा में भी माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने मेडिकल कॉलेज खुलवाया है आप खड़े होकर उनको धन्‍यवाद दीजिये. उसके बाद सतना, नीमच, मंदसौर, राजगढ़, श्‍योपुर, सिंगरौली, मण्‍डला में माननीय मुख्‍यमंत्री जी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार मेडिकल कॉलेज खोल रही है. उसके बाद छतरपुर, सिवनी और दमोह में भी हम स्‍टेट बजट से मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं.

          कुँवर विक्रम सिंह नातीराजा -- अध्‍यक्ष महोदय, परंतु आज तक वहां पर मेडिकल कॉलेज नहीं खुला है. ..(व्‍यवधान)..

          डॉ. गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, सवाल इस बात का है कि पूरा भाषण देने लगते हैं. आप पुराना 20 साल का क्‍यों रो रहे हैं ? आप कांग्रेस पर ही रोते रहेंगे.

          श्री विश्‍वास सारंग -- अध्‍यक्ष महोदय, जहां तक विधायक जी कोविड की बात कर रहे हैं.

          डॉ. गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, आपसे प्रश्‍न पूछा गया है आप प्‍वाइंटेड जवाब दीजिये.

          श्री विश्‍वास सारंग -- अध्‍यक्ष महोदय, क्‍यों नहीं बोलें, जो उन्‍होंने प्रश्‍न में पूछा है,  कोविड को लेकर विदिशा मेडिकल कॉलेज में जो हमारा अस्‍पताल बनकर तैयार हुआ था उसको हमने कोविड सेंटर के रूप में स्‍थापित किया और मैं वहां के डॉक्‍टर्स को बधाई दूंगा कि अभी तक वहां पर ओपीडी में 11,586 मरीजों का इलाज हुआ है और आईपीडी में लगभग 2,343 कोरोना के मरीज ठीक होकर गये. किसी भी बयानी से डॉक्‍टर्स को हतोत्‍साहित नहीं करें.

          कुँवर विक्रम सिंह नातीराजा -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारे छतरपुर में माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा मेडिकल कॉलेज का भूमिपूजन किया गया था उसका आज तक अता-पता नहीं है.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि अपनी भूल सुधार कर लें, वर्ष 2014 तक केन्‍द्र में कांग्रेस की सरकार रही है. 

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री नारायण सिंह पट्टा बाहर से जुड़ रहे हैं उनको देख लीजिये. प्रश्‍न क्रमांक 4, श्री नारायण सिंह पट्टा.

स्थानांतरण आदेश का परिपालन न करने पर कार्यवाही

[जनजातीय कार्य]

4. ( *क्र. 1792 ) श्री नारायण सिंह पट्टा : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा इलेक्ट्रॉनिक के कितने पद किन-किन विद्यालयों में स्वीकृत हैं? मण्डला जिला अंतर्गत एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय सिझौरा में श्री अजय शर्मा व्याख्याता (व्यावसायिक शिक्षा) को किस नियम के तहत पदस्थ किया गया था? क्या एकलव्य विद्यालय सिझौरा में इनकी पदस्थापना में नियमों की अवहेलना की गई? यदि हाँ, तो दोषियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? (ख) क्या कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास द्वारा आदेश क्रमांक 7457, दिनांक 08.08.2019 के माध्यम से श्री अजय शर्मा व्याख्याता का स्थानांतरण एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय सिझौरा जिला मण्डला से हाईस्कूल झिरिया जिला मण्डला किया गया था? (ग) यदि हाँ, तो क्या उनके द्वारा आदेश के परिपालन में संबंधित स्कूल में अपनी उपस्थिति दी गई? यदि नहीं, तो इनके विरुद्ध विभाग द्वारा अब तक क्या कार्यवाही की गई? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गई है तो शासकीय आदेश के परिपालन न करने को लेकर इनके विरुद्ध क्या कार्यवाही आगामी कितने दिनों में की जाएगी?

        जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे ) : (क) निरंक। पूर्व में उक्‍त विद्यालय मॉडल स्‍कूल के रूप में संचालित था एवं व्‍यावसायिक व्‍याख्‍याता का पद स्‍वीकृत था, जिसमें श्री अजय शर्मा निरंतर कार्यरत थे। तत्‍पश्‍चात् उक्‍त विद्यालय मॉडल स्‍कूल से परिवर्तित कर एकलव्‍य आदर्श आवासीय विद्यालय कर दिया गया परिवर्तन के पश्‍चात भी श्री शर्मा निरंतर कार्यरत रहे थे।                                (ख) जी हाँ। (ग) जी नहीं। श्री अजय शर्मा के संबंध में आयुक्‍त, जबलपुर संभाग जबलपुर को अनुशासनात्‍मक कार्यवाही करने हेतु जिला स्‍तर से प्रस्‍ताव प्रेषित किया जा रहा है। कार्यवाही प्रचलन में होने से समय-सीमा बताना संभव नही है।

          अध्‍यक्ष महोदय -- नारायण सिंह जी, अपना प्रश्‍न करिये.

          श्री नारायण सिंह पट्टा (वर्चुअल) -- अध्‍यक्ष महोदय, व्‍यावसायिक पाठ्यक्रम एवं मॉडल स्‍कूल बंद होने के बाद भी श्री शर्मा को प्रभारी प्राचार्य एकलव्‍य किसने बनाया ? क्‍या उस अधिकारी पर कार्यवाही की जाएगी ? नंबर दो, जिस अधिकारी ने शर्मा को यहां बतौर प्रभारी प्राचार्य पदस्‍थ किया वह कौन थे और उसके विरुद्ध क्‍या कार्यवाही की जाएगी ? यदि इस तरह से मनमाने आदेश होने लगे तो शासन के नियम और प्रक्रिया का क्‍या औचित्‍य रह जाएगा ? इसलिये अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री महोदया से पूछना चाहता हूं कि श्री शर्मा को प्रभारी प्राचार्य बनाने वाले के विरुद्ध क्‍या कार्यवाही होगी ?

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍य को बताना चाह रही हूं कि जिन श्री शर्मा का जिक्र कर रहे हैं इस समय वह माननीय हाईकोर्ट के आदेश अनुसार स्‍थगन (स्‍टे) लिये हुये हैं और हमारे शासन की तरफ से जवाबदावा प्रस्‍तुत किया जाएगा और स्‍टे वैकेट भी कराया जाएगा और उसके बाद अनुशासनात्‍मक कार्यवाही की जाएगी.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री महोदया से यह जानना चाहता हूं कि यह काफी लंबे समय से वहां पर पदस्‍थ हैं, जब वहां पर व्‍यावसायिक पाठ्यक्रम का विषय ही नहीं है, तो सबसे पहले उसको प्रभारी प्राचार्य बनाने वाले वह अधिकारी कौन हैं ? क्‍या उनके खिलाफ माननीय मंत्री महोदया कार्यवाही करेंगी और उस अधिकारी का नाम बताएंगी ?

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- अध्‍यक्ष महोदय, अगर गलत तरीके से प्रभारी प्राचार्य उनको बनाया गया होगा, तो निश्चित रूप से जिस व्‍यक्ति ने उनको बनाया होगा उनके खिलाफ कार्यवाही होगी.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, एक नई और अच्‍छी परम्‍परा की शुरुआत है,  आपके द्वारा पहली बार ऐसा हुआ है कि प्रश्‍न वहां से वर्चुअल पूछा गया है, परंतु यह विशेष परिस्थितियों के लिये ही रखें जिससे इसकी गहमा-गहमी बनी रहे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नारायण सिंह जी अनुमति लेकर वर्चुअल उपस्थित हुये हैं.

          श्री तरुण भनोत -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदया ने अपने जवाब में यह स्‍वीकार किया है कि स्‍थगन आदेश निरस्‍त कराने के बाद उनके ऊपर अनुशासनात्‍मक कार्यवाही की जाएगी. मतलब गलत ढंग से नियुक्ति हुई है, तो जिस अधिकारी ने नियुक्ति की है उसके ऊपर कार्यवाही करने में क्‍या परेशानी है ? आपने तो खुद अपने जवाब में कहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कह तो रही हैं कि जांच कराकर के करेंगे.

          श्री तरूण भनोत -- आपने तो खुद अपने जवाब में कहा है.

            सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- माननीय भनोत जी, वह ऑन्‍सर में भी हमने दिया है.

          श्री तरूण भनोत -- आप अध्‍यक्ष जी से बात करें. अध्‍यक्ष महोदय, आपने स्‍वीकार किया.

          अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया, हो गया, बैठ जाइये.

          श्री तरूण भनोत -- अध्‍यक्ष महोदय, आपने स्‍वीकार किया कि गलत किया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न क्रमांक 5, श्री पांचीलाल मेड़ा.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा जरा सा प्रश्‍न है, उसका जवाब माननीय मंत्री महोदया से आने दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बड़ी मुश्‍किल से जुड़े हैं, पूछ लीजिए. माननीय मंत्री जी, सुनिए उनको.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा उद्देश्‍य यह नहीं है कि शर्मा के खिलाफ अनुशासनात्‍मक कार्यवाही करें. जब वहां पर व्‍यावसायिक पाठ्यक्रम का विषय ही नहीं है, तो इतने लंबे समय से उन्‍हें प्रभारी प्राचार्य बनाए रखना नियम प्रक्रिया के खिलाफ है, मंत्री जी ने स्‍वीकार भी किया है. क्‍या उसको वहां से हटवाएंगे ? जब-जब इनका स्‍थानांतरण हुआ है, तब-तब इन्‍होंने स्‍थगन लिया है या अन्‍य कारण बताकर वे बचने की कोशिश कर रहे हैं. क्‍या मंत्री महोदया, ऐसे अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करेंगे, जिस अधिकारी ने उन्‍हें प्रभारी प्राचार्य बनाया ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- हालांकि उनका जवाब आ गया है कि हाईकोर्ट का स्‍टे है, उसको वेकेट कराने का प्रयास करेंगी, ऐसा उनका जवाब आया है. फिर भी माननीय मंत्री जी, जवाब दे दीजिए.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- उस अधिकारी का नाम बता दीजिए जिसने उनको प्रभारी प्राचार्य बनाया है, क्‍या मंत्री महोदया उस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करेंगी ?

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- अध्‍यक्ष महोदय, जो भी अधिकारी उस समय मण्‍डला में रहे होंगे, चूँकि नाम अभी मुझे ध्‍यान नहीं आ पा रहा है, पर आपके निर्देशानुसार, अगर उन्‍होंने गलती की होगी तो अध्‍यक्ष जी, कार्यवाही तो होगी.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदया यह बता दें कि कब तक कार्यवाही हो जाएगी ?

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- अध्‍यक्ष महोदय, शीघ्र.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय मंत्री महोदया, धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय -- पूरा सदन कम से कम श्री नारायण सिंह को धन्‍यवाद करे कि पहली मर्तबा उन्‍होंने वर्चुअल का यह प्रयोग किया है.

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) -- अध्‍यक्ष महोदय, आपने नई टेक्‍नॉलॉजी इस सदन में जोड़कर पहला कदम, एक सार्थक कदम उठाया. एक प्रार्थना भी है कि यह विशेष परिस्‍थिति में ही रखें, सदन की गरीमा और गंभीरता भी बनी रहे.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- आदरणीय मिश्र जी, कल मैं उपस्‍थित हो जाऊंगा.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रोटेम स्‍पीकर का भी धन्‍यवाद करना चाहूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- संसदीय कार्य मंत्री जी, आपके विचार से क्‍या डॉ. गोविन्‍द सिंह सहमत हुए ?

            डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, अभी तक तो सहमत नहीं हुए.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, सदन की मर्यादा सदन में ही होनी चाहिए. प्रश्‍नोत्‍तर सदन में ही होना चाहिए.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कल मैं उपस्‍थित हो जाऊंगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- विशेष परिस्‍थिति में ही रखें.          

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- विशेष परिस्‍थिति कह रहे हैं, अभी थी नहीं विशेष परिस्‍थिति..

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- विशेष परिस्‍थिति में कोई है, अस्‍पताल में है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- आपने परमिशन दी, वह सिर माथे, लेकिन निवेदन है कि भविष्‍य में न हो तो अच्‍छा है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- ठीक है, सहमत हूँ कि भविष्‍य में न हो.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है, प्रश्‍न क्रमांक 5 श्री पांचीलाल मेड़ा.

छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता

[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]

5. ( *क्र. 2096 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के अध्‍ययनरत् छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति राज्‍य शासन द्वारा निर्धारित दरों पर प्रदान की जाती है? (ख) यदि हाँ, तो वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 (31 जनवरी 2021) तक कितने-कितने अध्‍ययनरत् छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान की गई? (ग) वर्ष 2020-21 में छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत इंदौर एवं उज्‍जैन संभाग के किस-किस अशासकीय कॉलेजों में अध्‍ययनरत् छात्र/छात्राओं की छात्रवृत्ति स्‍वीकृत की गई? यदि नहीं, की गई तो इसके लिये उत्‍तरदायी कौन है और कब तक छात्रव‍ृत्ति स्‍वीकृत कर दी जावेगी? (घ) उपरोक्‍त प्रश्‍नांश के परिप्रेक्ष्‍य में क्‍या छात्रवृत्ति योजना एवं विदेश में अध्‍ययन हेतु छात्रवृत्ति योजना में छात्रवृत्ति स्‍वीकृत करने के लिये विभागीय अधिकारियों को रिश्‍वत देना पड़ती है तभी छात्रवृत्ति स्‍वीकृत की जाती है? क्‍या विभाग के सहायक संचालक श्री एच.बी. सिंह को दिनांक 28.01.2021 को विदेश में पढ़ाई हेतु छात्रवृत्ति स्‍वीकृत कराने के एवज में रिश्‍वत लेने पर लोकायुक्‍त पुलिस द्वारा रंगे हाथ पकड़ा गया है? यदि हाँ, तो क्‍या छात्रवृत्ति स्‍वीकृति की उच्‍च स्‍तरीय जाँच कराई जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों? (ड.) जनवरी 2020 से दिसम्‍बर 2020 तक की अवधि में बच्‍चों को छात्रवृत्ति न मिलने की कितनी शिकायतें सी.एम. हेल्‍प लाईन पर प्राप्‍त हुईं?

राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्री रामखेलावन पटेल ) : (क) जी हाँ। (ख) वर्ष 2019-2020 में कुल 5,83,725/- विद्यार्थियों को राशि रूपये 8,35,81,68,004/- राशि स्‍वीकृत की गई। वर्ष 2020-21 ( 31 जनवरी, 2021) में छात्रवृत्ति पोर्टल पर छात्रवृत्ति स्‍वीकृति पेपरलेस किये जाने संबंधी प्रक्रिया प्रचलन में है। (ग) जी नहीं। कोई उत्‍तरदायी नहीं है। वर्ष 2020-21 में छात्रवृति योजना अंतर्गत छात्रवृत्ति पोर्टल पर छात्रवृत्ति स्‍वीकृति पेपरलेस किये जाने संबंधी प्रक्रिया प्रचलन में होने के कारण छात्रवृत्ति स्‍वीकृति प्रक्रियाधीन है। (घ) जी नहीं। जी हाँ। जी नहीं। क्‍योंकि प्रकरण पर लोकायुक्‍त द्वारा विवेचना की जा रही है। (ड.) जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 तक अवधि में बच्‍चों को छात्रवृत्ति न मिलने की 14,455 शिकायतें प्राप्‍त हुईं हैं।

          श्री पांचीलाल मेड़ा -- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं आसंदी को प्रणाम करते हुए आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में उन्‍होंने यह स्‍वीकार किया है कि सीएम हेल्‍प लाइन में 14,455 शिकायतें प्राप्‍त हुई हैं. इससे यह प्रमाणित हो रहा है कि पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्‍ति नहीं मिल रही है.       

          श्री रामखेलावन पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सम्‍मानित सदस्‍य को बताना चाहता हूँ कि सीएम हेल्‍प लाइन में जो शिकायतें होती हैं, उनका तत्‍काल निराकरण किया जाता है और छात्रों को छात्रवृत्‍ति बांटने का काम सतत् चल रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब आप एक प्रश्‍न पूछ लें.

          श्री पांचीलाल मेड़ा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऐेसे कई मामले हैं जो पेंडिंग हैं और मैं यह पूछना चाहता हूँ कि पिछड़े वर्ग और अल्‍पसंख्‍यक के छात्र-छात्राओं को, जिनको विदेश में अध्‍ययन के लिए पहुँचाया जाता है, उसमें एक अधिकारी को, एक सहायक आयुक्‍त, जिनके खिलाफ एफआईआर हुई है, शासन ने माना भी है कि इन्‍होंने रिश्‍वत ली है तो आगे भी क्‍या इस प्रकार से इन छात्र-छात्राओं के ऐसे अधिकार, अगर छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्‍ति खाने वाले या छात्राओं के साथ में ऐसा बर्ताव जो अधिकारी कर रहे हैं, इनके खिलाफ क्‍या आप उचित कार्यवाही करेंगे ?

            श्री रामखेलावन पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, श्री एच.बी.सिंह जो वहां अधिकारी थे, उनको लोकायुक्‍त ने पकड़ा है और उनके खिलाफ हमने उनको विभाग में वापस कर दिया. विभाग ने उनके सस्‍पेंशन की कार्यवाही कर दी है और अब उसमें लोकायुक्‍त जांच कर रहा है. लोकायुक्‍त जांच के बाद जो आवश्‍यक कार्यवाही होगी, वह कार्यवाही लोकायुक्‍त करेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अगले प्रश्‍नकर्ता क्रमांक 6 माननीय सदस्‍य, फिर से ऑनलाईन हैं. डॉ.अशोक मर्सकोले जी, अपना प्रश्‍न करें.

          बस्‍ती विकास योजना के तहत जिलों को राशि का आवंटन

[जनजातीय कार्य]

6. ( *क्र. 1884 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजना के तहत जिलों को राशि आवंटन के क्‍या नियम हैं? उपरोक्‍त योजना के तहत वर्ष 2020-21 में मण्‍डला जिले में कब-कब कुल कितनी राशि का आवंटन प्रदाय किया गया एवं इससे कौन-कौन से कार्य स्‍वीकृत किये गये? स्‍वीकृत कार्यों के प्रस्‍ताव किन-किन के द्वारा दिये गये थे? प्रत्‍येक कार्य के प्रस्‍ताव की जानकारी देवें। (ख) उपरोक्‍त योजना के तहत कार्यों की स्‍वीकृति के लिये जिला स्‍तर पर समिति गठन के लिये शासन के क्‍या नियम हैं? क्‍या मण्‍डला जिले में इस नियम के तहत वर्ष 2020-21 में प्रदाय आवंटन का खर्च किया गया? यदि नहीं, तो ऐसे कौन-कौन से कार्य हैं, जिनमें समिति के अनुमोदन के बिना स्‍वीकृति देकर राशि जारी की गई? इसमें दोषी कौन-कौन हैं एवं उनके विरूद्ध क्‍या कार्यवाही की जायेगी? (ग) उपरोक्‍त योजना के तहत मण्‍डला जिले में वर्तमान में कितनी राशि उपलब्‍ध है? इस राशि से कार्यों की स्‍वीकृति के प्रस्‍ताव किन-किन से कब-कब लिये गये हैं एवं इन प्रस्‍तावों को अनुमोदन हेतु कब एवं कहां भेजा गया है? क्‍या उपलब्‍ध लगभग 80 लाख रूपये की राशि के विरूद्ध 27 करोड़ रूपये से भी ज्‍यादा के प्रस्‍ताव मान. मंत्री जी को भेजे गये हैं? यदि हाँ, तो इसमें क्‍या कार्यवाही की जा रही है? क्‍या मान. मंत्री द्वारा विभिन्‍न जनप्रतिनिधियों द्वारा कार्यों की मांग वाले उनके पत्र में ही यह लिख दिया जाता है कि जिला कलेक्‍टर राशि जारी करें, जबकि उपरोक्‍त योजना से कार्यों की स्‍वीकृति की प्रक्रिया शासन द्वारा अलग से निर्धारित है? यदि हाँ, तो क्‍या मान. मंत्री जी द्वारा जनप्रतिनिधियों के मांग पत्रों पर की गई अनुशंसा को शून्‍य किया जायेगा? यदि नहीं, तो क्‍यों? (घ) प्रश्‍नांश (ग) में उल्‍लेखित राशि एवं मण्‍डला जिले से भेजे गये प्रस्‍तावों को लेकर जिला स्‍तरीय समिति से अनुमोदन लिया जायेगा या नहीं? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों?

जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे ) : (क) जिले एवं प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्‍या के अनुपात में जिले को राशि आवंटित की जाती है। योजनान्‍तर्गत जिले को वर्ष                                 2020-2021 में प्राप्‍त आवंटन का विवरण पुस्‍त‍कालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। प्राप्‍त आवंटन से कोई भी कार्य स्‍वीकृत नहीं किया गया है। योजनान्‍तर्गत प्राप्‍त प्रस्‍ताव की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ख) म.प्र. अनुसूचित जनजाति बस्‍ती विकास एवं विद्युतीकरण योजना नियम 2018 अनुसार कार्यों के अनुमोदन के लिये समिति गठित है। जी नहीं। योजनान्‍तर्गत समिति के अनुमोदन के बिना कोई भी कार्य स्‍वीकृत नहीं किया गया, न ही राशि जारी की गई है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) योजनान्‍तर्गत मंडला जिले में राशि रू. 79.72 लाख उपलब्‍ध है। जी हाँ, स्‍वीकृति की कार्यवाही प्रचलन में है। जी नहीं। योजनान्‍तर्गत आवंटन की सीमा में कार्य स्‍वीकृत किये जाते हैं। (घ) जी नहीं। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शासन के आदेश क्रमांक एफ 23-15/2015/25-3/54, दिनांक 04.02.2021 अनुसार कार्यों की स्‍वीकृति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

 

          डॉ.अशोक मर्सकोले (वर्चुअल)-- धन्‍यवाद अध्‍यक्ष महोदय. मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है, उससे मैं संतुष्‍ट नहीं हॅूं क्‍योंकि आवंटन जनसंख्‍या के अनुपात में होता है लेकिन जो वर्तमान जनप्रतिनिधि होते हैं, उनके प्रस्‍ताव तो उसमें होने चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, आप प्रश्‍न करिए.

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यही प्रश्‍न है कि किसी भी प्रस्‍ताव में जो आवंटन होता है तो जो वर्तमान जनप्रतिनिधि होते हैं उनके प्रस्‍तावों की स्‍वीकृति भी होना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- लेकिन आपका प्रश्‍न क्‍या है ?

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- प्रश्‍न यही है, लेकिन उसमें नहीं किया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप क्‍या प्रश्‍न पूछना चाहते हैं कि होगा या नहीं होगा ?

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हॅूं कि नियमावली में जो वर्तमान जनप्रतिनिधि हैं उनके प्रस्‍तावों की स्‍वीकृति की जायेगी या नहीं की जायेगी.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ने जो जानकारी चाही है कि जो बस्‍ती विकास की राशि है वह वर्तमान जनप्रतिनिधियों के माध्‍यम से खर्च की जायेगी या नहीं की जायेगी. वह राशि तो बस्‍ती विकास योजना का भारत सरकार से निर्धारित है. जो हमारे विधायक, सांसद हैं उसमें सभी का इस समिति में प्रस्‍ताव लिया जाता है. तो जो माननीय विधायक जी का प्रस्‍ताव होगा, विधायक के नाते से सभी का प्रस्‍ताव लिया जायेगा पर यह राशि बहुत कम है और जो भी 5-5, 6-6 लाख रुपए राशि आएगी, वह सभी को दिया जाएगा. यह नियम में है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, आपका और कोई एक प्रश्‍न है ?

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पर हमारे प्रस्‍ताव भी जाते हैं उनमें इसके पहले भी ऐसा हुआ है लेकिन वह आवंटन उस प्रकार से नहीं हुआ है. उसमें किसी भी प्रकार से पार्शियालिटी की जाती है. बस्‍ती विकास या परियोजना में वर्तमान विधायक हम लोग हैं. हम लोग तो सदस्‍य बने हैं जबकि अध्‍यक्ष तो वर्तमान विधायकों को होना चाहिए था. कलेक्‍टर के माध्‍यम से ही यह पूरा काम हो रहा है और उन पर किसी न किसी प्रकार से ऐसा दबाव बनाकर, ऐसा हो सकता है कि हमारे कामों को रोका जा रहा है.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं माननीय विधायक जी से कहना चाहती हॅूं कि अगर इस तरह का कोई मामला माननीय विधायक जी के संज्ञान में है, तो कृपया आपके माध्‍यम से मुझे उपलब्‍ध करा दें, उसकी मैं जॉंच करा लूंगी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, आप माननीय मंत्री जी को दे दीजिए.

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- माननीय मंत्री जी, आप आश्‍वस्‍त करें कि हमारे प्रस्‍ताव जाएंगे तो बिना पार्शियालिटी के उस पर काम हो सकें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य, माननीय मंत्री जी कह रही हैं कि जो मामले हों, वह आप दे दीजिए, वह कार्यवाही करेंगी, माननीय मंत्री जी ऐसा आश्‍वासन दे रही हैं.

          डॉ.अशोक मर्सकोले -- जी धन्‍यवाद, माननीय अध्‍यक्ष महोदय.

        अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न क्रमांक-7 श्री संजय सत्‍येन्‍द्र पाठक.

 

 

 

 

वन भूमि पर अवैध निर्माण पर कार्यवाही

[वन]

7. ( *क्र. 1438 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                        (क) क्या कटनी जिले के जनपद पंचायत बड़वारा के राजस्व ग्राम बम्हौरी में ग्राम पंचायत बम्हौरी के वर्तमान सरपंच और सचिव द्वारा वन विभाग की आरक्षित वन भूमि (बफर जोन जिला उमरिया) पर नाली नर्सरी का निर्माण कराया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो प्रश्नाधीन ग्राम पंचायत के सरपंच/सचिव द्वारा क्या बफर जोन के अधिकारियों से नाली नर्सरी निर्माण कराये जाने हेतु अनुमति ली गई? यदि हाँ, तो अनुमति की छायाप्रति दें? नहीं तो उक्त निर्माण शासन के किन नियमों के अन्तर्गत कराया गया? नियमों की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) क्या उक्त संबंध में बफर जोन के रेन्जर द्वारा स्थल निरीक्षण कर एफ.आई.आर. कराए जाने हेतु ग्रामीणों से चर्चा की गई थी? यदि हाँ, तो क्या वन विभाग द्वारा एफ.आई.आर. कराई गई? नहीं तो क्यों? कौन-कौन दोषी है? नाम एवं पदनाम का उल्लेख करें।

वन मंत्री ( श्री कुंवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में ग्राम पंचायत के सरपंच/सचिव द्वारा कोई अनुमति नहीं ली गई है एवं अवैधानिक रूप से कार्य कराया गया है।                     (ग) जी नहीं। उत्तरांश (ख) अनुसार अवैधानिक कृत्य के लिये श्रीमती बबिता बाई पति धनेश जायसवाल, सरपंच ग्राम पंचायत बम्हौरी एवं रोजगार सहायक व प्रभारी सचिव श्री देवेश द्विवेदी के विरूद्ध वन अपराध प्रकरण क्रमांक/353/11, दिनांक 30.11.2020 पंजीबद्ध किया गया है।

          श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में माननीय मंत्री जी ने स्‍वीकार किया है कि वन विभाग की जमीन पर ग्राम पंचायत बम्‍हौरी, जनपद पंचायत बड़वारा के सरपंच और सचिव ने नाली नर्सरी का निर्माण किया है लेकिन माननीय मंत्री जी ने जो कार्यवाही बताई है, वह बहुत साधारण-सी धारा 353/11 की कार्यवाही की है जबकि माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वन सीमा चिन्‍हों को बदलने के लिये वन अधिनियम की धारा 63 इसमें लगानी चाहिए थी, जो नहीं लगाई गई है. जैव विविधता कानून के तहत वनस्‍पतियों को नष्‍ट करना, जंगल काटना और उसका विक्रय करना इसकी धारा भी नहीं लगाई गई है. वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा (2) वन भूमि में बिना अनुमति के निर्माण करना, यह तीन प्रमुख धाराएं हैं, जो नहीं लगाई गई हैं. साधारण धारा 353/11 लगाकर खानापूर्ति कर दी गई है. मैं आपके माध्‍यम से आदरणीय वन मंत्री जी से आग्रहपूर्वक पूछना चाहता हॅूं कि यह तीनों धाराएं बढ़ाएंगे या नहीं ?

            श्री कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्‍यक्ष जी, संजय भैया हमारे पुराने मंत्री रहे हैं, विधायक भी हैं और जो उन्‍होंने धारा 353/11 कहा है तो माननीय विधायक जी, आप थोड़ा अध्‍ययन कर लें. यह अपराध प्रकरण है इसमें धाराओं का कोई उल्‍लेख नहीं है. यह धारा नहीं है. अभी धारा लगाई नहीं क्योंकि वह फरार है. अभी हमने प्रकरण दर्ज किया है. जाँच उपरान्त, जिस प्रकार का उसका प्रकरण होगा, जिस प्रकार का उसने अपराध किया होगा, उसके बाद धाराओं का निर्धारण होगा. हमने जिला कलेक्टर को, जिला पंचायत सीईओ को,.....

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  आपको धाराओं की जानकारी थी, इनको कम थी..

          कुँवर विजय शाह--  उसको पकड़ने की पूरी कोशिश की जाएगी और जिस तरीके से जो बात आपने रखी है कि मुनारे तोड़ करके या दूसरे वन अपराध, जिसमें, जिस धारा के अन्तर्गत, जो बनता है, वह पंजीयन होगा और मामला दर्ज होगा ही. इसमें कुछ छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता.

          श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--  सही बोल रहे हों आप, मैंने प्रकरण क्रमांक पढ़ लिया था, तो मैं यह पूछ रहा हूँ कि ये तीनों धारा आप लगाएँगे या नहीं लगाएँगे, इतना बता दो, हाँ लगाएँगे या नहीं लगाएँगे, जो बोलना हो बोल दो आप.

          कुँवर विजय शाह--  माननीय अध्यक्ष जी, स्पॉट पर अपराध क्या हुआ है, इससे तो उद्धृत नहीं होता. हम जाँच करवाएँगे और जाँच के अन्तर्गत, जो आपने कहा है कि मुनारे तोड़ी गईं, अभी सिर्फ हमारे पास जानकारी आई है कि कहीं लकड़ी नहीं तोड़ी गई, लकड़ी नहीं काटी गई, केवल नाली बनाई गई और नाली बनाने में अगर मुनारे तोड़ना सिद्ध हुआ तो निश्चित रूप से उन धाराओं में प्रकरण दर्ज होगा.

          अध्यक्ष महोदय--  ठीक है.

          श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--  माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी पूरी जाँच हो चुकी है वन विभाग के पास पूरी रिपोर्ट है. सब हो चुका है. इनके पास तक शायद वह पूरी जाँच की रिपोर्ट नहीं भेजी गई होगी, यह बात अलग है. मेरे को निचले स्तर से यह बताया गया कि उसकी एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है और आप तक यह जानकारी नहीं पहुँचाई आपके विभाग के अधिकारियों ने, तो जो धारा लगाई गई है वह सामान्य धारा लगाई गई है. वही मैं बार बार बोल रहा हूँ कि इसके ऊपर धारा बढ़ाकर, क्या गिरफ्तार करेंगे ऐसे लोगों को? गिरफ्तारी करके जाँच कराएँगे क्या?

            कुँवर विजय शाह--  अध्यक्ष जी, निश्चित रूप से गिरफ्तारी होगी और जो अपराध है वह धारा बढ़ाई जाएगी.

 

सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत व्‍याख्‍याताओं की प्रतिनियुक्ति

[स्कूल शिक्षा]

8. ( *क्र. 2046 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्‍य शिक्षा केन्‍द्र के पत्र क्रमांक 1304, दिनांक 26.03.2003 के द्वारा समस्‍त कलेक्‍टर को पत्र जारी किया गया था, जिसमें सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत विकासखण्‍ड स्‍तर पर विकासखण्‍ड स्रोत केन्‍द्र समन्‍वयक के रूप में व्‍याख्‍याता की प्रतिनि‍युक्ति करने के निर्देश दिए गए थे? (ख) यदि हाँ, तो इसके साथ परिशिष्‍ट (अ), (ब), (स) एवं (द) संलग्‍नक किए गए थे, इसमें से परिशिष्‍ट '' में विकासखण्‍ड समन्‍वयक व्‍याख्‍याता के रूप में विकासखण्‍ड में नियुक्ति हेतु पदों की संख्‍या प्रदर्शित की गई थी। इन संख्‍याओं में संविदा आधार पर बी.आर.सी. जिन जिलों में पदस्‍थ थे, वहां उनको छोड़कर नियुक्ति हेतु पद दर्शाए गए थे, जैसे सतना में एक राजगढ़ मंदसौर नीमच रतलाम में शून्‍य। (ग) यदि हाँ, तो व्‍याख्‍याता वेतनमान पर पदस्‍थ संविदा बी.आर.सी.सी. को उनके पद से पृथक क्‍यों किया गया, जबकि पद रिक्‍त न थे, स्‍पष्‍ट करें। (घ) क्‍या इनमें से राजगढ़ सतना व अन्‍य जिले के संविदा बी.आर.सी.सी. को वर्ष 2011 में ही माननीय हाईकोर्ट में पुन: मूल पद बी.आर.सी.सी. पर नियुक्‍त करने का आदेश पारित किया था? (ड.) यदि हाँ, तो फिर भी अभी तक इन्‍हें इनके मूल पद पर नियु‍क्‍त क्‍यों नहीं किया गया है? इसके पीछे कारण क्‍या है और कब तक इन्‍हें न्‍याय स्‍वरूप सभी अधिकारों के साथ बी.आर.सी.सी. पद पर नियुक्‍त किया जायेगा?

राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्‍दर सिंह परमार ) :

 

          श्री नारायण त्रिपाठी--  माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्व शिक्षा अभियान की भर्ती का मामला है कि कर्मचारी भर्ती में प्रदेश में रिक्त पद हैं 214-215 के करीब और संविदा कर्मचारी मात्र 88 हैं. ये तमाम अदालत के चक्कर लगाते-लगाते, कई साल गुजर गए और आगे भी जाएँगे, यदि हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट वगैरह तो रिटायर हो जाएँगे पर इनको न्याय नहीं मिल पाएगा, तो मेरा सिर्फ आप से निवेदन यह है कि ये सभी स्नातकोत्तर हैं, इनको जो वेतनमान भी मिल रहा है वह व्याख्याता का मिल रहा है. इनको बीएसी में भर्ती किया गया है, इनको बीआरसी में होना चाहिए, तो इनको न्याय मिल जाए, जिससे प्रदेश के तमाम जो 88 लोग हैं, जो सम्मानित पद है उन्हें मिलना चाहिए, उस पद पर उनकी नियुक्ति हो जाए, तो अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि मंत्री जी इसको कब तक कर देंगे? ये भटकते न रह जाएँ, अदालत के चक्कर न काटते रह जाएँ, इन्हें न्याय कब तक दे देंगे?

            श्री इन्दर सिंह परमार--  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है वह 1995 में संविदा नियुक्ति की गई थी और उनकी जो योग्यता थी, वह स्नातक उपाधि थी अथवा शासकीय शाला में कार्यरत व्याख्याता,  शिक्षक व सहायक शिक्षक थे. उसके आधार पर की गई थी. लेकिन माननीय सदस्य ने 2003 के जिस पत्र का उल्लेख किया गया है, 26.3.2003 का, उसके बाद 4.4.2003 का, ऐसे दो पत्रों के माध्यम से उसमें सुधार किया गया था और सुधार इस बात का किया गया था कि जो व्याख्याता की पात्रता रखते हैं उन लोगों को तो बीआरसीसी के पद पर नियुक्त किया जाएगा, उनको नियुक्त कर दिया गया, संपूर्व का जो ढाँचा था उसमें समायोजित कर लिए गए. लेकिन चूँकि बहुत सारे लोग पात्रता को पूरा नहीं कर रहे थे उन लोगों को बीएसी बना दिया गया है. लेकिन 2013 में हमने एक नया सेटअप दिया है जिसमें एईओ के पद सृजित किए हैं उस सेटअप के मान से उनको उसमें समायोजित करने की प्रक्रिया चल रही है. यह बात सही है कि न्यायालय से कुछ प्रकरणों का निराकरण हुआ है, कुछ अभी पैंडिंग हैं क्योंकि यह पॉलिसी मैटर है इसलिए विभाग की ओर से उच्चतम न्यायालय में दो पिटीशन अपील दायर कर रखी है. जिनका तीन प्रकरणों का निराकरण होना है क्योंकि यह पॉलिसी मैटर है इसलिए इसमें हम प्रक्रिया का पालन करते हुए ही इन सबका निराकरण करने का पूरा प्रयास करेंगे.

            श्री नारायण त्रिपाठी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में जो 88 संविदा कर्मचारी हैं उसमें से मेरे ख्याल से 84 लोग स्नातकोत्तर हैं. सन् का हवाला न देकर मानवीय आधार पर उनके साथ हम न्याय कर दें. बीआरसीसी में उनको पदस्थ कर दें. मेरा निवेदन है कि हम कब तक नियम का हवाला देते रहेंगे, सहानुभूतिपूर्वक उनके ऊपर विचार करें ताकि उनको भी सम्मान मिल जाए. अभी जो नियुक्तियां हुई हैं उनके नीचे इन लोगों को काम करना पड़ता है. बीएसी के स्थान पर उन्हें बीआरसीसी बना दिया जाए. 214 पद रिक्त हैं और यह कुल 88 लोग हैं. जो स्नातकोत्तर हैं व्याख्याता का वेतन प्राप्त कर रहे हैं उन्हें बीआरसीसी बनाने में क्या परेशानी है. आप ही को नियम कानून बनाना है बनाकर उन पर कृपा करें.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, जिस समय उनकी भर्ती की गई थी यह बात सही है कि उनकी भर्ती बीआरसीसी के लिए की गई थी. लेकिन तब वे पात्रता में नहीं आए थे. वर्ष 2013 में हमने जो नया सेट-अप दिया है उसमें जिस प्रकार से बीआरसीसी को अधिकार है उसी प्रकार एईओ को अधिकार देकर हम एक सम्मानजनक स्थिति में इनका समायोजन करेंगे, संविलियन करेंगे, यह हम पूरा करने वाले हैं.

          श्री नारायण त्रिपाठी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी स्नातकोत्तर हैं, सभी बीआरसीसी के पद के लायक हैं. पूर्व में कब भर्ती हुई, क्या हुआ उसके बजाए हम आज की स्थिति पर बात करें अन्यथा इन लोगों का रिटायरमेंट का दौर आ जाएगा और यह लोग उसी पद पर रिटायर हो जाएंगे.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, रिटायरमेंट का दौर नहीं आएगा हम जल्दी ही निराकरण कर देंगे.

          श्री नारायण त्रिपाठी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को धन्यवाद.

 

 

          महिदपुर विधान सभा क्षेत्र के स्‍कूल की मान्‍यता निरस्‍त की जाना

[स्कूल शिक्षा]

9. ( *क्र. 1864 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जय माँ वैष्‍णों कान्‍वेंट स्‍कूल झारड़ा एवं भारतीय माध्‍यमिक विद्यालय बनबना, जो महिदपुर विधानसभा के अंतर्गत आते हैं, के संबंध में हुई जाँच का प्रतिवेदन देवें? (ख) इस प्रतिवेदन पर अब तक की गई कार्यवाही की अद्यतन स्थिति देवें? (ग) कब तक प्रश्नांश (क) अनुसार स्‍कूलों की मान्‍यता निरस्‍त कर दी जाएगी? यदि नहीं, तो क्‍यों?

राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्‍दर सिंह परमार ) : (क) जाँच प्रतिवेदन पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ख) जाँच प्रतिवेदन के आधार पर संबंधित अशासकीय शालाओं को जारी कारण बताओ सूचना पत्र की प्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ग) शिक्षा का अधिकार नियम 2011 के नियम 11 (7) के अन्‍तर्गत संबंधित स्‍कूलों की मान्‍यता निरस्‍त करने की कार्यवाही प्रचलनशील है।

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा छात्र-छात्राओं से जुड़ा हुआ बहुत महत्वूपर्ण प्रश्न है. जय माँ वैष्णों कान्वेंट स्कूल, झारड़ा एवं भारतीय माध्यमिक विद्यालय, बनबना. माननीय मंत्री जी ने मुझे जो उत्तर दिया है और परिशिष्ट-अ मुझे भेजा है उसमें कहा गया है कि इन दोनों स्कूलों की मान्यता समाप्त करने की कार्यवाही के लिए नोटिस दिया गया है और कार्यवाही प्रचलन में है. इस कार्यवाही के बाद मैंने मंत्री जी से दिनांक 15 फरवरी, 2021 को मिलकर बताया था कि जय माँ वैष्णों कान्वेंट स्कूल, झारड़ा के मालिक ने कोरोना काल की स्कूल फीस के लिए एक गरीब को बुलाकर मारा और उसको बंद कर दिया था. उस समय मैं भोपाल में था. अधिकारियों को फोन करने के बाद पुलिस उसे स्कूल से छुड़ाकर लाई और गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज हुआ.

          अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से सीधा प्रश्न है कि क्या इन दोनों स्कूलों की मान्यता समाप्ति की घोषणा आज ही करेंगे ?

            श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का प्रश्न महत्वपूर्ण है दोनों ही विद्यालयों की अनियमितताओं की जाँच की गई है. बहुत सारी कमियाँ दोनों स्कूलों में पाई गई हैं. माननीय सदस्य को उत्तर में हमने इसकी जानकारी भेजी है. उन स्कूलों की मान्यता के बारे में जो प्रक्रिया है उसका पालन करते हुए हम उन पर कार्यवाही करने जा रहे हैं.  एक पुलिस केस की जानकारी मुझे अभी दी गई है, मैंने विभाग को बताया है. क्योंकि यह गंभीर मामला है किसी भी पालक के साथ इस प्रकार से फीस के लिए दबाव बनाकर मारपीट करना, फीस न दे पाए तो विवाद की स्थिति पैदा करना गंभीर है. इसलिए हम उन पर कार्यवाही करने जा रहे हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी सीधा सा उत्तर दें कि मान्यता समाप्त की जाएगी.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, समाप्त कर रहे हैं, उसको नोटिस देकर समाप्त कर रहे हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- नोटिस तो दे दीजिए आप.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, समाप्त कर रहे हैं.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को धन्यवाद. कोरोना काल में स्कूल बंद थे फीस के लिए उस व्यक्ति ने यह अपराध किया है.

          अध्यक्ष महोदय -- वह तो हो गया.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि माननीय मंत्री जी इन दोनों स्कूलों की मान्यता समाप्त कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय -- वह भी कर दिया.

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय,  क्या इन दोनों स्कूलों की जो फीस बकाया है उसकी वसूली पर माननीय मंत्री जी पाबंदी लगाएंगे क्योंकि यह स्कूल तो बंद होने वाले हैं.

          श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, परीक्षण करके हम पूरी जानकारी आपको देंगे.                                                                                     

          श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह तय हो चुका है कि उनकी जो मान्‍यता है वह माननीय मंत्री जी समाप्‍त कर रहे हैं तो अब फीस किस बात की?

          अध्‍यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने आपके सारे प्रश्‍नों का सकारात्‍मक जवाब दिया है.

          श्री बहादुर सिंह चौहान-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसके बाद यह और बताना चाहता हूं कि मां वैष्‍णों कॉनवेन्‍ट स्‍कूल की दीवार से मात्र नौ फीट की दूरी पर पेट्रोल पम्‍प संचालित है. जब कभी पेट्रोल पम्‍प पर आग लग जाए या विस्‍फोट हो जाए तो उन बच्‍चों का क्‍या होगा? अगर वहां पेट्रोल पम्‍प नहीं है तो मंत्री जी कह दें कि वहां पेट्रोल पम्‍प नहीं है.          

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं वर्ष 2018 से लड़ रहा हूं लेकिन इस मामले को बार-बार दबाया गया है. मां वैष्‍णों कॉन्‍वेंट स्‍कूल वाला व्‍यक्ति बहुत शक्तिशाली है. उसने मुझे इतने प्रभावशील फोन करवाए कि आपको बाद में राजनैतिक हानि उठानी पड़ेगी. मेरा माननीय मंत्री जी से सीधा-सीधा कहना है और मेरी मंत्री जी से चर्चा भी हुई है लेकिन मैं बताना नहीं चाहता हूं इसलिए उनको फीस वसूल करने का कोई अधिकार नहीं है. जांच प्रतिवेदन में पूर्णत: दोषी पाए जा रहे हैं इनके विभाग ने लिख दिया है. इसमें मेरा एक प्रश्‍न और है पहला तो यह कि फीस पर पाबंदी लगाई जाए की फीस की वसूली नहीं होगी साथ में दूसरा प्रश्‍न यह है कि शिक्षा विभाग के जिन अधिकारियों ने स्‍थल निरीक्षण किया कि पेट्रोल पम्‍प से स्‍कूल भवन की दूरी नौ फीट है क्‍या उन स्‍थल निरीक्षण करने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर माननीय मंत्री जी आज ही कार्यवाही करेंगे?

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, तरुण भनोत जी, भी इस विषय से संबंधित प्रश्‍न पूछना चाहते हैं आप दोनों प्रश्‍नों के जवाब साथ-साथ दीजिएगा.

          श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा सवाल बहुत ही महत्‍वपूर्ण है और इसे मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी के संज्ञान में भी लाया था कि कोविड के बाद पूरे मध्‍यप्रदेश में स्‍कूल बंद रहे जब स्‍कूल वापस चालू हुए हैं तो यह संपूर्ण मध्‍यप्रदेश में हो रहा है कि प्राइवेट स्‍कूल वाले अभिभावकों का गला दबा रहे हैं कि स्‍कूल फीस जमा कीजिए नहीं तो आपके बच्‍चों को परीक्षा में बैठने नहीं देंगे या फेल कराएंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि सदन यह व्‍यवस्‍था करे कि समस्‍त कलेक्‍टरों को यह सूचना दी जाए कि जिस भी स्‍कूल में अगर ऐसी कार्यवाही कर रहे हैं और बच्‍चों की फीस जमा कराए जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है तो उन स्‍कूलों की मान्‍यता समाप्‍त की जाए और उनके ऊपर जो भी दण्‍डात्‍मक कार्यवाही हो सकती है आप वह करें. पूरे मध्‍यप्रदेश में संपूर्ण लोग आज इस बात से परेशान हैं. अध्‍यक्ष महोदय, यह मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन है कि आज सदन से यह संदेश जाना चाहिए कि सरकार इसके प्रति गंभीर है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, जब मैं कहूं तब आप उत्‍तर दीजिएगा. पी.सी. शर्मा जी कुछ पूछना चाहते हैं. शर्मा जी आप इसी विषय से जुड़ा हुआ प्रश्‍न पूछिएगा.

          श्री पी.सी. शर्मा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसी से जुड़ा हुआ प्रश्‍न पूछना चाहता हूं. बहादुर सिहं जी ने बहुत ही बहादुर सवाल उठाया है. अध्‍यक्ष महोदय, जहां भी इस तरह की घटना होगी वहां पर यही एक्‍शन होगा जो आज बहादुर सिंह जी के विषय पर हो रहा है और वही एक्‍शन पूरे मध्‍यप्रदेश में होना चाहिए. यहां जितने भी अधिकारी बैठे हुए हैं उनमें यह सीधा मैसेज जाए कि वहां सीधी कार्यवाही हो.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी आप सभी प्रश्‍नों का जवाब एक साथ दे दीजिए.

          श्री संजय शाह-- अध्‍यक्ष महोदय, जो बड़े-बड़े प्राइवेट स्‍कूल हैं चाहे डी.पी.एस बोल लें, चाहे देहली कॉलेज बोल लें चाहे सिंधिया स्‍कूल बोल लें‍ जो बड़े-बड़े घरानों के स्‍कूल हैं, कॉर्पोरेट टाइप के लोग वह पूरी फीस ले रहे हैं उन पर भी नकेल कसी जाए. उनसे भी यह निर्देश फॉलो करवाए जांए क्‍योंकि यह उन पर नहीं हो पाता है.

          श्री इंदर सिंह परमार-- अध्‍यक्ष महोदय, बहादुर सिंह जी ने जो प्रश्‍न किए थे उस संदर्भ में मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि जिन की मान्‍यता हम बीच में भी समाप्‍त करेंगे उन विद्याथिर्यों के हितों का संरक्षण भी हमको करना होगा जहां तक फीस का विषय है तो हम फीस की वसूली पर रोक लगा रहे हैं. हम उसका किस स्‍कूल में समायोजन करेंगे कम से कम हम उतना परीक्षण तो कर लें क्‍योंकि जिन बच्‍चों ने उस स्‍कूल में पढ़ाई की है उनके हितों का ध्‍यान भी हमको रखना होगा क्‍योंकि निश्चित रूप से उन दोनों स्‍कूलों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है और मान्‍यता समाप्‍त होने की कार्यवाही की जा रही है. मैं आपको आश्‍वासन देना चाहता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- बहादुर सिहं जी, मैं आसंदी पर खड़ा हुआ हूं कृपया कर आप बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी, आप भी बैठ जाइए. मैं यह कहना चाहता हूं कि सभी सदस्‍यों की जो भावना है और यह परेशानी पूरे प्रदेश में दिखाई पड़ती है तो केवल एक उत्‍तर तक सीमित न रखें आप सभी के प्रश्‍नों के उत्‍तर दें.

            श्री रामेश्‍वर शर्मा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कम से कम चौहान जी के प्रश्‍न का उत्‍तर तो स्‍पष्‍ट आ जाये. आखिर कोई भी अधिकारी, यदि जांच करता है तो उसकी जांच रिपोर्ट स्‍पष्‍ट होनी चाहिए. यदि अधिकारियों ने गलती की है तो उन पर कार्यवाही क्‍यों नहीं होगी ?

            श्री बहादुर सिंह चौहान-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा केवल इतना कहना है कि अधिकारियों ने स्‍थल निरीक्षण करके रिपोर्ट दी, उसके बाद ही स्‍कूल को मान्‍यता मिली, मेरा प्रश्‍न यह है कि क्‍या उन अधिकारियों को आज ही मंत्री जी निलंबित करेंगे ?

          श्री इन्‍दर सिंह परमारमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिन अधिकारियों ने यदि गलत स्‍थल निरीक्षण की रिपोर्ट दी कि पेट्रोल पंप और स्‍कूल पास-पास हैं या पास-पास नहीं हैं. माननीय सदस्‍य, का कहना है कि अधिकारियों ने रिपोर्ट दी है कि पेट्रोल पंप और स्‍कूल पास-पास नहीं हैं, मैं बताना चाहूंगा कि ऐसी रिपोर्ट नहीं दी गई है और अधिकारियों द्वारा वास्‍तविक रिपोर्ट दी गई है. दोनों के बीच में केवल एक दीवार खड़ी है और एक तरफ स्‍कूल और दूसरी ओर पेट्रोल पंप है. वहां के वीडियो आये हैं, स्‍कूल के खेल के मैदान में भी त्रुटि पाई गई है. इसके बाद भी हम वहां फिर से एक टीम भेजेंगे और यदि अधिकारियों द्वारा इसमें गलत जानकारी दी गई है तो उनके खिलाफ हम कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे क्‍योंकि पेट्रोल पंप भी आज का नहीं है और न ही स्‍कूल आज का है. ये दोनों बहुत पहले से चल रहे हैं और हमारे नियमों में यह एकदम स्‍पष्‍ट नहीं है कि पेट्रोल पंप से कितनी दूरी पर हम स्‍कूल खोल सकते हैं या नहीं खोल सकते हैं. लेकिन सुरक्षा की दृष्टि और मानवीय दृष्टिकोण को देखते हुए हम इसकी फिर से जांच करवाकर, निश्चित रूप से ऐसे लोगों को चिह्नित करेंगे और उसके खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा प्रश्‍न जो आपने संपूर्ण मध्‍यप्रदेश के परिपेक्ष्‍य में कहा है, शासन के इस संबंध में स्‍पष्‍ट निर्देश हैं, हमारे मुख्‍यमंत्री जी के इस संबंध में निर्देश हैं कि कोरोना काल में जिन विद्यालयों ने यदि ऑनलाईन पढ़ाई कराई है तो वे केवल ट्यूशन फीस ले सकेंगे. इसके अलावा किसी प्रकार की फीस नहीं ली जायेगी, ऐसे स्‍पष्‍ट निर्देश हैं. सभी कलेक्‍टरों को इस बाबत् विभाग का सूचना-पत्र प्रेषित किया गया है. जिन अभिभावकों के साथ फीस वसूली की यदि कोई कार्यवाही हुई है, तो हमने बार-बार कहा है कि लोग कलेक्‍टर के पास शिकायत करें. कलेक्‍टर को ऐसे विद्यालयों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए अधिकृत किया गया है. फिर चाहे वे स्‍कूल सी.बी.एस.ई. बोर्ड के हों अथवा माध्‍यमिक शिक्षा मण्‍डल के हों. हम आज ही फिर से सभी कलेक्‍टरों एवं डी.ई.ओ. (District Education Officer) को पुन: पत्र प्रेषित कर रहे हैं, यदि विद्यालय जबर्दस्‍ती फीस की वसूली करते हैं तो उनके विरूद्ध कार्यवाही होगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम यह भी कह रहे हैं कि जिन बच्‍चों के अभिभावकों द्वारा किसी कारणवश फीस नहीं जमा की जा सकी है, उनको भी विद्यालय द्वारा परीक्षा से वंचित नहीं किया जा सकेगा, ऐसे भी निर्देश हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण के उत्‍तर में दिए जा चुके हैं, हम इस पर कार्यवाही करने जा रहे हैं. मैं समूचे सदन को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि किसी भी प्रकार से दबाव बनाकर बच्‍चों को परीक्षा या रिज़ल्‍ट से कोई विद्यालय वंचित नहीं करेगा.

          श्री बहादुर सिंह चौहान-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में जो जय मां वैष्‍णों कान्‍वेंट स्‍कूल, झारड़ा है, मैं वहां का निवासी हूं. वहां से रोज मेरी गाड़ी निकलती है. मैं पूछना चाहता हूं कि मैं मंत्री जी के दल का विधायक हूं और यदि मंत्री जी पेट्रोल पंप और स्‍कूल की दूरी यदि बता दें और आज सदन में यह तय हो जाये कि मैं, जो कह रहा हूं, वह रिपोर्ट सही है या जो अधिकारी रिपोर्ट दे रहे हैं वह सही है ? मेरा निवेदन है कि स्‍कूलों पर तो कार्यवाही हो गई लेकिन जिन अधिकारियों ने स्‍थल निरीक्षण करके स्‍कूल को गलत मान्‍यता दिलवाई है, वहां पेट्रोल पंप पहले से संचालित था, स्‍कूल बाद में स्‍थापित हुआ है इसलिए स्‍कूल के लोग दोषी हैं, वे अधिकारी दोषी हैं, जिन्‍होंने स्‍थल निरीक्षण की गलत रिपोर्ट दी, उनको आज ही निलंबित किया जाना चाहिए, ऐसा मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है. 

          श्री कुणाल चौधरी-  आपकी सरकार में अधिकारी राज ही चल रहा है, यही तो तकलीफ़ है. विधायकों की चल नहीं रही है.

          श्री इन्‍दर सिंह परमारमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि प्रकरण लंबे समय से चल रहा है, हम एकदम किसी को भी यहां डायरेक्‍ट नहीं कर पायेंगे इसलिए मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि हम प्रक्रिया का पालन करते हुए, जो आप चाहेंगे, वह होगा लेकिन मुझे प्रक्रिया का पालन करने दीजिये.

         

         


 

धार जिलांतर्गत शा.उ.मा.वि. बड़दा के भवन का निर्माण

[जनजातीय कार्य]

10. ( *क्र. 2100 ) श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्‍या धार जिले के डही विकासखण्‍ड के ग्राम बड़दा में शासकीय उच्‍चतर माध्‍यमिक विद्यालय के भवन हेतु भूमि चयन के उपरांत भवन निर्माण का भूमि पूजन दिनांक 26.02.2020 को तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री माननीय श्री कमलनाथ ने किया था? 26.02.2020 के पूर्व जो जमीन भवन निर्माण हेतु आवंटित की गई थी, उसके आदेश की प्रमाणित प्रति उपलब्‍ध करावें। (ख) क्‍या उक्‍त चयनित भूमि पर 26.02.2020 को हुए भूमि पूजन का शिलालेख लगा दिया गया है, यदि हाँ, तो कब यदि नहीं, तो क्‍यों नहीं? (ग) चयनित भूमि पर कार्य प्रारंभ किए जाने में विलंब क्‍यों हो रहा है, उसके लिए कौन अधिकारी जिम्‍मेदार है? शासन उन पर कब कार्यवाही करेगा(घ) यह कार्य कब तक प्रारंभ होकर पूर्ण होगा?

जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे ) : (क) जी हाँ। भवन निर्माण के आवंटित भूमि के आवंटन आदेश की प्रति की जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है(ख) जी नहीं। निर्माण कार्य की भूमि का परिवर्तन होने से शिलालेख नहीं लगाया गया है। (ग) निर्माण कार्य की भूमि परिवर्तन होने से कार्य प्रारंभ होने में विलंब हो रहा है, इसके लिये कोई अधिकारी जिम्‍मेदार नहीं है।                                               (घ) कार्य शीघ्र प्रारंभ किया जाकर पूर्ण कराया जावेगा, समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

परिशिष्‍ट - ''दो''

           

            श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा के डही विकासखण्‍ड के ग्राम बड़दा में शासकीय उच्‍चतर माध्‍यमिक विद्यालय का आदेश क्रमांक- 3452, दिनांक 27.11.19 का भूमिपूजन प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री श्रद्धेय कमल नाथ जी ने किया था. अध्‍यक्ष महोदय, भूमि का अलाटमेंट हो गया, वर्क ऑर्डर हो गया उसके बावजूद भी भवन का निर्माण कार्य चालू नहीं हुआ है. मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं डही एक शत-प्रतिशत आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्र है और जिस जगह का चयन किया गया, वह विशेष इस बात को ध्‍यान में रखकर किया गया कि जो 5- 8 और 10 किलोमीटर दूर से छात्र-छात्राएं आती हैं, वहां पर उस भवन का निर्माण होने से आदिवासी बच्‍चों का दूर से आना-जाना नहीं पड़ेगा. इसलिये मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है कि जिस जगह का चयन किया गया है उसका भूमिपूजन हो चुका है, वर्क ऑर्डर हो चुका है सब कुछ हो गया है तो वहां पर आप जल्‍दी से जल्‍दी काम चालू करवाने की कृपा करें.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिस जगह का माननीय सदस्‍य ने जिक्र किया है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍य को बताना चाहती हूं कि जिस जगह पर भवन निर्माण होना सुनिश्चित हुआ था, वह शायद गांव बहुत दूर करीब 2-3 किलोमीटर दूर है और ग्राम बड़दा के जो ग्राम प्रधान हैं, उन्‍होंने कलेक्‍टर को लिखित में दिया था कि चूंकि बड़दा जो हायर से‍केण्‍डरी स्‍कूल है उसमें 60 प्रतिशत हमारी बेटियां पढ़ती हैं और बाकी के बच्‍चे हैं और वहां तक जाने के लिये रोड भी नहीं है. इसलिये अभी पुरानी जगह में जिस बिल्डिंग में स्‍कूल संचालित है वह बिल्डिंग जर्जर हालत में है तो उसी बिल्डिंग को गिरा कर अभी वहां पर नयी बिल्डिंग बनाने की बात चल रही है. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहती हूं कि ग्राम प्रधान ने कलेक्‍टर धार को पत्र को लिखा था इसीलिये यहां पर भूमि स्‍थल चेंज करने की बात आयी है.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल:- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैंने स्‍पष्‍ट रूप से कहा और तारीख बतायी कि कौन सी तारीख को कलेक्‍टर ने आदेश किया और आदेश क्रमांक भी बताया उस आदेश में कलेक्‍टर ने स्‍पष्‍ट रूप से लिखा है कि उक्‍त नवीन भूमि   गांव की मेन रोड पर स्थित है, आने-जाने में विद्यार्थियों को किसी प्रकार से कोई असुविधा नहीं होगी, साथ ही आसपास के ग्रामों से विद्यालय में आने-जाने में छात्र-छात्राओं के आवागमन में भी कोई दिक्‍कत नहीं होगी. इसीलिये ही कलेक्‍टर ने स्‍वयं ने जमीन का चयन किया, विभाग के लोग गये उसके बाद में जमीन का आदेश हुआ, उसके बाद वर्क ऑर्डर इश्‍यू हुआ, उसके बाद में पूर्व मुख्‍यमंत्री जी ने उसका भूमिपूजन किया उसके बाद में जगह को इसलिये चेंज कर देना कि प्रधान ने कह दिया, तो मैंने भी तो लिखा था, उस जगह को अधिकारियों ने भी देखा था, कलेक्‍टर ने स्‍वयं ने उस जगह को देखा था. अब ऐसे तो जितने भी जनप्रतिनिधि लोग हैं और मंत्री लोग हैं वे उद्घाटन करके आयेंगे और सत्‍ता का परिवर्तन होगा, सरकार दूसरी आयेगी, विधायक दूसरे बनेंगे जगह बदल देंगे तो यह तो मेरे ख्‍याल से उचित नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप प्रश्‍न करें.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल:- मैं चाहता हूं स्‍कूल का भवन उसी जगह पर बने जिसका कलेक्‍टर ने आदेश किया है, जिसका वर्क ऑर्डर हुआ है और जिसका भूमिपूजन हो चुका है.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे:- माननीय अध्‍यक्ष जी, जगह चेंज करने का अधिकार सिर्फ पंचायत को होता है और पंचायत ने तय किया है कि विद्यालय 3 किलोमीटर दूर नहीं बनेगा, जहां पुराना विद्यालय संचालित है वह वहीं पर बनेगा और मैं, सरपंच महोदय का पत्र भी आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍य को अवगत कराना चाह रही हूं.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल:- माननीय अध्‍यक्ष जी, यह सरपंच महोदय ने सरकार जाने के बाद पत्र दिया जब कांग्रेस की सरकार थी तब पत्र देते कि साहब हमको यहां पर विद्यालय नहीं बनाना है. एक तो मैंने विद्यालय का भवन स्‍वीकृत करवाया.

          श्री विजयपाल सिंह:- आपने दवाब डलवाया होगा.

          अध्‍यक्ष महोदय:- विजयपाल जी बैठ जाइये.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह हनी बघेल:- नहीं भईया, मैं कभी दबाव नहीं डालता, मैं कभी दबाव की राजनीति नहीं करता. हम भी जन-प्रतिनिधि हैं, हमने भी जगह का चयन‍ किया, हमने भी प्रस्‍ताव किया कलेक्‍टर के आदेश में स्‍पष्‍ट रूप से है पत्र नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के मंत्री ने पत्र भेजा है उसके बाद में जमीन का चयन हुआ अब 3-4 महीने के बाद प्रधान की बात हो जाये, जब उद्घाटन हो जाये उसका वर्क आर्डर हो जाये यह उचित नहीं है. अध्यक्ष महोदय आपका संरक्षण चाहूंगा कि मंत्री जी वहीं पर बनायें.

          अध्यक्ष महोदय--आपका उद्देश्य यह है कि बिल्डिंग बने.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, जिस जगह का मंत्री जी उल्लेख कर रही हैं उनकी जानकारी में ही नहीं है, क्योंकि कुक्षी से कुछ लोग आये होंगे उनको यह जानकारी दे गये होंगे, वह सरकारी भूमि है नहीं.

          अध्यक्ष महोदय--पुरानी बिल्डिंग बनी है, ऐसा उन्होंने कहा है.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर धार को मैंने स्पष्ट रूप से फोटो भेजे उनसे भी जानकारी ली कि भवन कैसा है तो उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा बना हुआ है. जब भवन अच्छा बना हुआ है तो उसको तोड़कर बनाने का क्या औचित्य है.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- (भवन का फोटो दिखाते हुए) अध्यक्ष महोदय आपकी अनुमति तो दिखाना चाहती हूं कि भवन बहुत ही जर्जर हालत में है और इसी भवन को फिर से बनाने की बात कही है.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, भवन के फोटो मेरे पास में भी हैं. जो इनको पहुंचाये गये हैं जो लेकर के आया है वह जानकारी मेरे पास में भी है उनको उस भवन का फोटो उनको नहीं भेजा गया है अन्य जगह का फोटो इनको दिखा दिया गया है ताकि बता सकें कि भवन अच्छी हालत में है. पर मेरा विषय यह है कि जिसका भूमि पूजन तथा वर्क आर्डर हो चुका है, उसके बावजूद उसकी जगह को एक प्रधान के कहने से बदलेंगे ? जब सर्वे हुआ सर्वे में वह स्वयं भी गये पूरा विभाग गया कलेक्टर ने उसमें आदेश किया तब यह आपत्ति करते अब सब कुछ होने के बाद तीन चार महीने बाद जगह चयन करने की बात करेंगे तो, यह उचित नहीं है.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय यह चाहते हैं कि हमारे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की छात्र-छात्राएं 9-10 बजे आयें तो वह पैदल चलकर के आयें, तो यह ठीक है. वह स्वयं भी ट्राइबल विभाग से आती हैं.

          श्री गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि पंचायत के किस नियम में लिखा है कि सरपंच तय करेगा. शासन की पंचायत की निधि से सब काम होते हैं वह पंचायत अपने गांव में ही तय करती है. शासन की निधि से शासन के द्वारा स्वीकृत कोई भी कार्य पर स्थल चयन करने का अधिकार पंचायतों को नहीं है. कृपया करके इसमें सुधार कर लें. दूसरा अगर विवाद है. मान लीजिये कि एक विधायक तथा एक सरपंच भी जनप्रतिनिधि है तो उसमें विवाद है तो कलेक्टर को आप अधिकृत कर दें कि वहां जहां उचित समझे निष्पक्ष भाव से आप दबाव मत डालना वह कड़े निर्णय लें. यह जब पहले से ही तय हो चुका है तो हमारा यह निवेदन है कि कम से कम विधायक का सम्मान भी बना रहे यह हम सबका दायित्व है.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, उसमें मैं कुछ जोड़ना चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यही है कि बिल्डिंग बने माननीय गोविन्द सिंह जी ने ज्यादा क्लियर कर दिया है.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय ग्राम पंचायत को ही परिसम्पतियों का अधिकार होता है और वह भी तो निर्वाचित व्यक्ति हैं जैसे हम लोग निर्वाचित होकर के आये हैं. पंचायत के अंदर जो भी सम्पत्ति होती है वह पंचायत सरपंच के अधिकार क्षेत्र में होता है.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, बहुत सारी हैं. पूरे प्रदेश की कार्य योजना बनती है और यह शासन की ओर से जाती है. बहुत सारे प्रकरणों में सरपंच का कोई लेना देना नहीं होता है. संरपंच अपने स्वयं निर्णय लेता है बहुत सारे काम करने के लिये अब शासन ने तथा कलेक्टर ने जो निर्णय लिया है, अब निर्णय को बदलना यह उचित नहीं है. जो जगह का चयन हुआ है वहां पर आदिवासी छात्र-छात्राओं को सेन्टर पाईंट पड़ेगा बहुत दूर से बच्चों को आना पड़ेगा इसलिये उसका चयन किया गया है. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि माननीय मंत्री जी भी उसी समुदाय से आती हैं उस पर क्यों नहीं निर्णय लेना चाह रही हूं. या तो फिर बता दें कि वह आदिवासियों के हित में नहीं करना चाहती हैं तो ठीक है उसको हम स्वीकार करेंगे और वहां पर जाकर बोलेंगे कि हमने प्रश्न उठाया था आदिवासी समाज के छात्र छात्राओं के बारे में उसी समुदाय की मंत्री जी ने करने से मना कर दिया है, ठीक है.

          अध्यक्ष महोदय--आप इसको दिखवा लें.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को कहना चाहती हूं कि ग्रामसभा को विशेष अधिकार हैं और ग्राम सभा में ही प्रस्ताव पारित हुआ है कि पुरानी जगह पर बनाया जाये. बच्चियों की सुरक्षा का मामला है तीन किलोमीटर हमारी बच्चियां चलकर के विद्यालय तक कैसे जायेंगी.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, इसलिये उनका चयन वहां पर किया गया है मंत्री जी.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्य जी आप बैठ जाईये.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय, सरपंच ने ग्राम सभा का प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव के तहत ही उस जगह का परिवर्तन किया गया है.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी अभी माननीय गोविन्द सिंह जी ने कहा है कि कलेक्टर से उसको दिखवा लीजिये तो वह कलेक्टर के ऊपर विश्वास कर रहे हैं तो आप इस तरह का डायरेक्शन दे दीजिये कि कलेक्टर जाकर के वहां पर देख लें और जो उचित हो वह निर्णय लें.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय आसंदी के आदेश का पालन किया जायेगा.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल--अध्यक्ष महोदय, यह स्पष्ट है.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय गोविन्द सिंह जी की सलाह पर ही यह किया गया है.

          श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- अध्यक्ष महोदय, (XXX)

          अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त

                                                (प्रश्नकाल समाप्त)


 

12:00 बजे                     औचित्‍य का प्रश्‍न एवं अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

माननीय सदस्‍यों को कोरोना वैक्‍सीन लगाए जाने विषयक.

          संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्‍तम मिश्र) -  माननीय अध्‍यक्ष जी, मेरा पाइंट आफ इन्‍फर्मेशन है. माननीय प्रधानमंत्री जी ने आज कोरोना वैक्‍सीन का टीका लगवाकर देश के लोगों के कमजोर हो रहे मन को मजबूत  किया है, उन लोगों के मुंह पर ताला लगाया है, जो इस बारे में भ्रम फैला रहे थे.(...मेजों की थपथपाहट)

          श्री कुणाल चौधरी - सभी को फ्री में वैक्‍सीन दी जाए. पूरे प्रदेश में फ्री में दिया जाए तो ज्‍यादा अच्‍छा होगा, जो चुनाव में वादा किया था, एक भी व्‍यक्ति से पैसे नहीं लिए जाए, कोरोना वैक्‍सीन का, कृपा कर माननीय अध्‍यक्ष महोदय से आग्रह है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप बोलने तो दीजिए.

          श्री पी.सी. शर्मा - 10 लाख लोगों ने एक बार टीका लगवा लिया, दूसरी बार नहीं लगवाया. (...व्‍यवधान)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री प्रभुराम चौधरी जी ने भी कोरोना का टीका लगवा लिया है. मैं आसंदी के माध्‍यम से सम्‍माननीय सदस्‍यों से प्रार्थना  करना चाहता हूं कि जितने भी  सम्‍माननीय सदस्‍य 60 साल से ऊपर के हों, उन सभी से मेरी प्रार्थना हैं कि वे सभी इस टीके को लगवा लें जिससे उनके स्‍वास्‍थ्‍य की चिन्‍ता आसंदी करें. मैं चाहूंगा अध्‍यक्ष जी, इस बारे में आपकी कोई व्‍यवस्‍था आ जाए.

          श्री कुणाल चौधरी - आपकी उम्र तो बता दो साहब, आपकी उम्र 60 से ज्‍यादा  या कम.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष जी, जैसे आपने साधौ जी का माइक छोटा करवा दिया, इसका लंबा करवा दो, जिराफ की तरह पैर पसारना पड़ते हैं, इनको, जैसे जिराफ बोलने से पहले पैर आगे करता है, वैसा लगता है, कुणाल का माइक लंबा करवा दो(...हंसी) और एक व्‍यवस्‍था आपकी आए जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय - जैसा कि संसदीय कार्यमंत्री जी ने तो वैसे गोविन्‍द सिंह जी अपनी उम्र तो नहीं बताएंगे. आप ही जांच कराना.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष जी, गोविन्‍द सिंह जी ने न मास्‍क लगाया हैं, न टीका लगवाएंगे, गोविन्‍द सिंह जी आप दल की ओर से घोषणा कीजिए कि आप टीका लगवाएंगे, जिससे पूरे प्रदेश के अंदर लोगों में संदेश जाएगा.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - अध्‍यक्ष जी, वर्तमान में मंत्री है हमारे क्षेत्र के. मैं मिश्रा जी के पद चिन्‍हों पर चल रहा हूं. (...हंसी)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - आप पहले घोषणा कीजिए कि आप टीक लगवाएंगे, स्‍पेसिफिक प्रश्‍न है, (...हंसी) मैं कह रहा हूं मैं लगवाउंगा, आप बोलो क्‍या आप टीका लगवाओगे, मैं आपके साथ चलकर लगवाउंगा, आप बोलो, मास्‍क लगाओगे, हां या न बोलो(...हंसी)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - आप पहले लगवा लो फिर मैं लगवा लूंगा, अच्‍छा दोनों साथ साथ चलेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - वे कह रहे साथ साथ करेंगे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - नहीं नहीं अध्‍यक्ष जी, मना कर रहे हैं.न मास्‍क लगाएंगे, न टीका लगाएंगे. अध्‍यक्ष जी इनको  बैंच पर खड़ा कीजिए(...हंसी)

          अध्‍यक्ष महोदय - आपसे केवल उम्र के बारे में असहमत है, बाकी सभी में सहमत है.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - अध्‍यक्ष महोदय, माननीय नरोत्‍तम जी ने जो पाइंट और इन्‍फर्मेशन दी है, शासकीय प्राथमिकताएं जिनको इंजेक्‍शन लगाने की तय की गई है, उसमें माननीय विधायकों की सूची में अभी तय नहीं है कि किस क्रम में लिया जाएगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - 60 साल से ऊपर कहा तो.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - इन्‍फर्मेशन देना अच्‍छी बात है. मैं यह चाहता था, इस इन्‍फर्मेशन के साथ माननीय मंत्री जी यह भी बोलते कि माननीय सदस्‍यों को इस आधार पर हम तत्‍काल वैक्‍सीन लगवाने की व्‍यवस्‍था कर रहे हैं. दूसरी बात जिनकी उम्र का स्‍टे16 साल में ले लिया गया हो.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष जी, ये रात को लेट हो जाते हैं तो रोज सवेरे लेट आते हैं, इनको भी बैंच पर खड़ा करना चाहिए. ये रोज लेट आते हैं, ये 16 साल का स्‍टे क्‍या होता है अध्‍यक्ष जी. कितना गंभीर विषय था, उसको विषयांतरित कर रहे.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - अध्‍यक्ष जी, उम्र के बारे में बात चल रही थी, आप उम्र पर क्‍यों आ गए थे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - मैं नहीं आया हूं, पूरा देश आया है और विधायकों को कैटेगरी में मत बांटो, एन.पी. भाई पूरे देश के अंदर जो 60 साल से ऊपर है, उनको टीका लगवाना चाहिए, यह मैंने प्रार्थना की है. आप मानते हों कि आप 60 से ऊपर नहीं है आप नाबालिग हो तो मैं क्‍या कर सकता हूं.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - आप एक और राजनीतिक श्रेय ले रहे हों, राजनीतिक व्‍यक्ति के बारे में बोलकर(...व्‍यवधान).

          अध्‍यक्ष महोदय - आपका ही विषय आना है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष जी, बहुत गंभीर विषय है, इसको गंभीरता में रहकर आपकी व्‍यवस्‍था आ जाए मेरा पाइंट और इन्‍फरर्मेशन पर सम्‍मानित सदस्‍य के विधायक हैं, गोविन्‍द सिंह जी को भी शामिल करते हुए आएं.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी का सुझाव उपयुक्‍त है. माननीय सदस्‍य सुविधानुसार वैक्‍सीन का टीका लगवाने का कष्‍ट करें. (मेजों की थपथपाहट).

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.05 बजे                                    स्‍थगन प्रस्‍ताव

सीधी से सतना जा रही निजी बस के बाणसागर डेम की नहर में दुर्घटनाग्रस्‍त होने से उत्‍पन्‍न स्थिति

 

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) - अध्‍यक्ष जी, ग्राह्यता पर चर्चा न हो, ग्राह्य करने को शासन तैयार है. ग्राहृय करके चर्चा हो, यह आसन्‍दी से प्रार्थना थी.

          अध्‍यक्ष महोदय - चूँकि शासन पक्ष भी स्‍थगन प्रस्‍ताव पर चर्चा हेतु सहमत है. अत: स्‍थगन प्रस्‍ताव की सूचना को ग्राह्य किया जाता है. अत: सहमति अनुसार चर्चा अभी प्रारंभ की जाती है. श्री कमलेश्‍वर पटेल जी.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल (सिहावल) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बहुत ही हृदय विदारक घटना दिनांक 16 फरवरी को सीधी जिले में घटी और उसमें 54 लोगों की जानें गई हैं, वे ऐसे परिवार के लोग थे, जो बहुत ही गरीब थे और उन्‍होंने बड़ी मुश्किल में अपने बच्‍चों को पढ़ा-लिखाकर इस लायक तैयार किया था कि वे आगे चलकर उनका सहारा बनें, पर कहीं न कहीं सरकार की लापरवाही और अदूरदर्शिता की वजह से, इस तरह की घटना घटी. यह स्‍टाफ नर्स की परीक्षा व्‍यापम द्वारा आयोजित की गई थी,. अगर पूरे संभाग का सेंटर सतना में नहीं होता तो शायद इतने सारे लोग एक बस पर सवार होकर नहीं जाते और दूसरा, जो हमारा छुईया घाटी है, जो शहडोल और रीवा को जोड़ने वाला मार्ग है, सीधी से रीवा को जोड़ने वाला, सतना को जोड़ने वाला मार्ग है. वहां 6 दिन तक लगातार जाम लगा रहा और जिला प्रशासन द्वारा उसमें किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई और जैसे ही घटना घटी, उसी दिन वह राष्‍ट्रीय राजमार्ग भी खुल गया और वहां पर मरम्‍मत का भी काम भी शुरू हो गया और यहां तक की रोटेशन में पुलिस अधिकारियों की ड्यूटी भी लग गई कि भविष्‍य में इस तरह का जाम न लगे.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा क्षेत्र के लोग भी उसमें थे और उस बस में 13 लोग सिंगरौली जिले के थे और बाकि सारे सीधी जिले के थे. और हम लगभग सबको जानते हैं और हम तो मौके पर पहुंच गये थे और आखिरी तक थे, जिस तरह की यह घटना घटी है, यह हम कह सकते हैं कि कहीं न कहीं पूरी तरह से इसके लिये सरकार जिम्‍मेदार है, क्‍योंकि हमने देखा और हम तो परिजनों से मिले हैं. एक ही परिवार से दो-दो, चार-चार लोगों की जिंदगी खत्‍म हो गई, उनका परिवार खत्‍म हो गया.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र की एक श्रीमती सुशीला प्रजापति जो जनपद सदस्‍य भी थी और पढ़ी-लिखी महिला थी, वह नौकरी करना चाह रही थी और उसका पति भी साथ में उसको एग्‍जाम दिलाने के लिये लेकर गया था और दोनों की मृत्‍यु हो गई. उनकी पूज्‍य माता जो विधवा थी, जिसने अपने बच्‍चों को बड़ी मुश्किल से पढ़ाया-लिखाया और सहारा बनाया, उनका सहारा छिन गया है. अब उनके दो छोटे-छोटे बच्‍चे हैं.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक ऐसे ही तिवारी परिवार है, तिवारी जी के बेटा और पोती दोनों की उस बस दुर्घटना में मृत्‍यु हो गई थी. इसी प्रकार से ऐसे ही एक प्रजापति परिवार है और ऐसे ही एक विश्‍वकर्मा परिवार है, आदिवासी परिवार है, यादव परिवार है, एक खुश्‍मी का परिवार है, चार लोगों की एक ही घर से लाश उठी है. ये इतनी हृदय विदारक घटना थी और उसके बाद हमारी सरकार के माननीय मंत्री लोग गये और उन्‍होंने हम यह नहीं कहेंगे कि उसमें राजनीति की या क्‍या किया, यह उनका अपना वो है, पर जो सरकार की तरफ से प्रावधान किया गया है, वह बहुत कम था.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पांच लाख रूपये, चार लाख रूपये तो पानी में डूबने का सामान्‍य मृत्‍यु में पटवारी और तहसीलदार ही सेंग्‍शन कर देते हैं. सिर्फ पांच लाख रूपये राज्‍य सरकार की तरफ से और दो लाख रूपये पी.एम. रिलीफ फंड से देने प्रावधान किया गया है और जो उनके परिजन हैं, वह इतने उत्‍तेजित थे यहां तक कि उन्‍होंने चेक भी कई जगह पर फेंक दिया है, इसमें भी कहीं सांसद ने जाकर तो कहीं विधायक तो कहीं माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने भी जाकर चेक देने की कोशिश की है. मेरा तो कहना है इस तरह की घटना में हमारे पटवारी, सेक्रेटरी कोई भी कर्मचारी जाकर उनकी तात्‍कालिक व्‍यवस्‍था कर सकते थे. एक आध दिन आगे पीछे भी कर सकते थे, यहां तक कि कई परिजनों को जिनके यहां घटना घटी थी, शाम को माननीय मुख्‍यमंत्री जी के समक्ष बुलाया गया, हमारे तहसीलदार, पटवारी, आर.आई. उनको लेकर सर्किट हाउस में आये. जिसके यहां इतनी हृदय विदारक घटना घटी हो और उसको फिर आप आर्थिक सहायता देने के लिये मुख्‍यालय में बुलायें, उनको परेशान करें, हम कह सकते हैं कि यह कितनी गलत बात है, सरकार की तरफ से कितनी गैर जिम्‍मेदारी है यह हम कह सकते हैं और असंवेदनशीलता है. यह जो घटना घटी है....

वन मंत्री (कुंवर विजय शाह) -- आपके जमाने में तो मिलता नहीं था, हमारे मुख्‍यमंत्री और हमारी सरकार ने तत्‍काल मंत्री भेजे और तत्‍काल ही सहायता राशि दी है.(मेजों की थपथपाहट)  आपके जमाने में तो मिलता नहीं था, आपके जमाने में कोई पूछने वाला नहीं था. (व्‍यवधान..)अरे हमने तो 48 घंटे में राहत राशि दी है.                   

श्री कमलेश्‍वर पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहेंगे क्‍योंकि यह घटना कोई सामान्‍य घटना नहीं है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लोगों की जान गई है और सरकार की लापरवाही की वजह से जान गई है. अगर परीक्षा सेंटर सतना में नहीं होता तो क्‍योंकि 12 तारीख से 17 तारीख तक परीक्षा वहां पर चलती रही, लोग गाडि़या बुक करके गये हैं, जिस प्रजापति परिवार का हमने उल्‍लेख किया है, एक दिन पहले उनकी बहू और उनका छोटा भाई भी वहीं एग्‍जाम दिलाकर लाया था. पांच दिन तक लोग वहां जाते रहे, कितनी बेरोजगारी है और किस तरह से मां बाप बच्‍चों को बड़ा करते हैं, पढ़ाते लिखाते हैं, उसके बाद सरकार की तरफ से ऐसी व्‍यवस्‍था, इस तरह की व्‍यवस्‍था. जब ऑनलाइन एग्‍जाम है तो आप जिला मुख्‍यालय में भी एग्‍जाम कर सकते थे. देखिये माननीय अध्‍यक्ष महोदय..

ऊर्जा मंत्री(श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर) -- अगर इतने ही संवेदनशील ही थे तो नेता प्रतिपक्ष या पार्टी का कोई वरिष्‍ठ नेता पूरे टाईम कहां पर थे.(व्‍यवधान..) आप सिर्फ राजनीति कर रहे हैं, आप संवेदनशील नहीं हैं.

                                                            (व्‍यवधान..)

श्री कमलेश्‍वर पटेल -- मैं पूरे टाईम था, मैं कांग्रेस पार्टी का वरिष्‍ठ नेता हूं. (व्‍यवधान..)

श्री सोहनलाल बा‍ल्‍मीक -- (व्‍यवधान..) (जोर-जोर से चिल्‍लाकर) बात रखी जा रही है और आप उसका मजाक उड़ा रहे हैं. xxx (व्‍यवधान..)

                                                (व्‍यवधान..)

अध्‍यक्ष महोदय -- (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों के अपने अपने आसन से कुछ कहने पर) इसको विलोपित करें. आप सभी बैठ जायें, कमलेश्‍वर पटेल जी को अपनी बात कहने दीजिये. (व्‍यवधान..)

            श्री कमलेश्‍वर पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप सुन लीजिये जो संबंधित थाने के टी.आई. हैं, चौकी प्रभारी है, इतने दिनों तक जाम लगा, अभी भी वह लोग वहीं पर हैं जिनकी घटना घटने के बाद 18 तारीख की दिनांक में रोटेशन में ड्यूटी लगी थी, फिर एस.पी. की तरफ से एक आदेश जारी हुआ, एक तरफ यह कहते रहे कि कोई जाम नहीं लगा, मुख्‍यमंत्री जी को भी यही जानकारी दी और सरकार को भी गलत जानकारी दी है और दूसरी तरफ फिर रोटेशन में अधिकारियों की ड्यूटी लगाते हैं, यह कितनी बड़ी लापरवाही है. वह लोग अभी भी वहीं पर मौजूद हैं और आर.टी.ओ. सतना से परमीशन हुई इसके बाद जल्‍दबाजी में हटाया किसको सीधी आर.टी.ओ. को हटाया, उनके खिलाफ कार्यवाही की, माननीय अध्‍यक्ष महोदय यह क्‍या हो रहा है ? एक तो सबसे पहले व्‍यापम परीक्षा के लिये जो भी जिम्‍मेदार हो, जो सेंटर इतनी दूर बनाया था उनके ऊपर हत्‍या का मामला दर्ज होना चाहिये क्‍योंकि यह बहुत ही गैर जिम्‍मेदाराना काम किया है, कहीं न कहीं सरकार को बदनाम करने का काम किया है. बिना सरकार की जानकारी में कैसे इतना बड़ा डिसीजन ले लेते हैं और नैतिकता की क्‍या बात करें 54 लोगों की जान चली गई, न परिवहन मंत्री जी, वह तो यहां भोजन कर रहे थे, मस्‍ती चल रही थी, आप लोगों ने भी देखा होगा, फिर उन्‍होंने माफी भी मांगी और कह दिया कि सालभर अब कहीं खाना ही नहीं खायेंगे. यह क्‍या हो रहा है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी गये, हम तो कहते हैं कि मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री को भी इस्‍तीफा देना चाहिये. मुख्‍यमंत्री जी सर्किट हाउस गये, मच्‍छर काट दिया, मच्‍छर काटने पर उपयंत्री सुबह ही तत्‍काल निलंबित हो जाता है, पीडब्‍ल्‍यूडी के डीई के खिलाफ इंक्रीमेंट रोकने की कार्यवाही हो जाती है, परंतु प्रदेश की जनता की जान चली जाये, नौजवान मर जायें, उनके लिये सरकार गैर जिम्‍मेदार है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन है कि नौकरी का प्रावधान होना चाहिये, उनके परिवार का सहारा छिना है.

          श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी--  आप यह तो मानते हैं न कि मदद करने गये थे, चेक देने गये. जब पिछली बार संबल योजनाओं का लाभ पिछली डेढ़ साल से कमलनाथ सरकार में नहीं मिलता था तब आप कहां थे.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल--  अरे मनोज जी आप बैठ जाइये, आपको बड़ा चेक मिल गया है, आप बैठ जाइये,  अभी हम सरकार से बात कर रहे हैं, आपको बड़ा चेक मिल गया है, आप समझिये, लोगों की जिंदगियां छिन गई हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लोगों का घर बर्बाद हो गया, उनका सहारा छिन गया है और सरकार को इसमें उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी का प्रावधान करना चाहिये और जो राहत राशि का प्रवधान किया है, उसमें भी बढ़ोत्‍तरी करके कम से कम एक करोड़ करना चाहिये.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा सालभर से कोई ओवरलोडिंग की चेकिंग नहीं हुई है, जो जानकारी दी होगी, माननीय गृहमंत्री महोदय एवं परिवहन मंत्री जी से भी यह जानना चाहेंगे कि पिछले एक वर्षों से कोई ओवरलोडिंग की चेकिंग नहीं हुई है और यह आदेश किया है रोटेशन में राष्‍ट्रीय राजमार्ग खुलवाने के लिये, घटना के बाद किया है अगर प्रशासन पहले चेत जाता तो इस तरह की घटनायें नहीं होतीं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से यही निवेदन है कि भविष्‍य में कोई भी परीक्षा हो, एक तो बेरोजगार वैसे ही हैं, बड़ी मुश्किल में मां-बाप पढ़ाते हैं और आप इतनी कम संख्‍या में नौकरी निकालते हैं और लाखों लोग उसमें पार्टीसिपेट करते हैं, एक तरफ सरकार उनसे बहुत सारा पैसा एग्‍जामिनेशन के नाम से कलेक्‍ट करती है और दूसरी तरफ बेचारे कितनी मुश्किल में गाड़ी बुक करके कैसे पहुंचते हैं, कितनी परेशानियों का सामना करते हैं तो भविष्‍य में जो भी परीक्षायें हों, जिला मुख्‍यालय में होनी चाहिये. पहले एम.पी. पीएससी परीक्षा भी वर्ष 2003 के पहले तक जिला मुख्‍यालय में होती थी, जहां तक मुझे जानकारी है. एक तरफ हम वर्चुअल मीटिंग ग्राम पंचायत स्‍तर पर कर रहे हैं, ऑन लाइन हम डेली मीटिंग करते हैं तो यह बेरोजगारों के लिये जिला मुख्‍यालय तक क्‍यों नहीं हो सकता. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय गृह मंत्री यहां पर विराजमान हैं और बल्कि अभी हम तो चाह रहे थे एक नंबर पर बैठेंगे, लेकिन रह गये, आने वाले समय में हम लोग उम्‍मीद करते हैं. ...(व्‍यवधान)... नहीं-नहीं चांस है, उनमें काफी काबलियत है, ...(व्‍यवधान)...  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक तो मेरा आपके माध्‍यम से यह, दूसरा शासकीय नौकरी का प्रावधान हो, तीसरा जो भी लोग इसमें दोषी हैं, चाहे वह व्‍यापम वाले हों, या संबंधित जो भी अधिकारी हैं. छोटे-मोटे अधिकारियों को टपका के काम नहीं चलेगा क्‍योंकि इस तरह की गलतियां होती रहेंगी और जितना आपने इसमें समय दिया, सरकार ने भी चर्चा के लिये समय दिया, अगर यह और पहले हो जाती तो शायद जो हमारे पीडि़त परिवार के लोग हैं जिनको बहुत उम्‍मीद है, वह लगातार संपर्क में हैं, उनको अच्‍छी व्‍यवस्‍था करना चाहिये, मुझे पूरी उम्‍मीद है कि सरकार इसमें पहल करेगी और जो भी लापरवाही करने वाले अधिकारी, कर्मचारी हैं उनके खिलाफ सरकार कार्यवाही करेगी. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से तो हम चाहेंगे कि थोड़ी बहुत भी नैतिकता है क्‍योंकि 54 लोगों की जान गई है, सरकार के जिम्‍मेदार लोग अगर इस्‍तीफा दे देते तो शायद कहीं न कहीं लोगों को थोड़ा सा यह होता कि नहीं मध्‍य प्रदेश में जो भारतीय जनता पार्टी की सरकार है इसमें बैठे हुये जो मंत्री लोग हैं, मुख्‍यमंत्री हैं अपने प्रदेश की जनता के प्रति बहुत जिम्‍मेदार हैं और कुछ भी ऐसी घटना घटती है तो यह जिम्‍मेदारी लेते हैं और नैतिकता दिखाने का काम करते हैं, पर मुझे उम्‍मीद कम है नैतिकता तो बची नहीं है, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र)-- अध्‍यक्ष जी, सम्‍मानित सदस्‍य ने मेरा दो बार नाम लिया कह रहे थे कि इस्‍तीफा दे देते, मुख्‍यमंत्री से इस्‍तीफा मांग रहे थे. वल्‍लभ भवन की पांचवीं फ्लोर पर बैठे रहे, भोपाल में 11 बच्‍चे मर गये उतरकर देखने नहीं गये इनके मुख्‍यमंत्री, उसमें हमारे मुख्‍यमंत्री से एक दुर्घटना पर इस्‍तीफा मांग रहे हैं. भोपाल गैस त्रासदी में हजारों मर गये, तब इस्‍तीफा नहीं मांगा अर्जुन सिंह से किसी ने, हमसे इस्‍तीफा मांग रहे हैं, आप देखो तो सही हमसे कह रहे हैं कि नौकरियां निकाल देते, 15 महीने में जिन्‍होंने एक नौकरी नहीं निकाली, एक बेरोजगारी भत्‍ता नहीं दिया वह हमसे किस तरह की बात कर रहे हैं. आप विषय पर बात करें और किसी बात को रिपीट न करें और हमारी गलती का कोई सारगर्भित तथ्‍य आपके पास हो तो आप पटल पर रखो, हमारे सम्‍मानित परिवहन मंत्री जी हैं, एक-एक बात का जवाब देंगे. आप चर्चा का राजनीतिकरण न करते हुये विषय पर रखे.

          श्री कमलेश्वर पटेल - विषय से बाहर कोई बात नहीं कही है.

            डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय गृह मंत्री जी ने  जो कहा है वह पूरी तरह असत्य है. कमलनाथ जी, मैं प्रभारी मंत्री था. कमलनाथ जी, मेरे साथ जहां दुर्घटना हुई वहां भी गये हमीदिया अस्पताल में भी गये. उनके परिवार के लोगों से मिले. उनके दाह संस्कार की पूरी व्यवस्था की.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - दुर्घटना कहां हुई थी बता दें तो मान जाएं.

          डॉ.गोविन्द सिंह - मछली घर के सामने जो तालाब है उसमें हुई थी.

          अध्यक्ष महोदय - श्री एन.पी. प्रजापति जी.

          श्री पी.सी. शर्मा(दक्षिण-पश्चिम) - कमलनाथ जी गये थे और लोगों के घरों में जाकर सहायता की.

          अध्यक्ष महोदय - श्री एन.पी. प्रजापति जी.

          श्री आरिफ मसूद(भोपाल मध्य) - कमलनाथ जी ने 11 लाख रुपये दिये थे.

          श्री रामेश्वर शर्मा - हमारे क्षेत्र में ऐसी घटनाएं नहीं होतीं.

          अध्यक्ष महोदय - श्री एन.पी. प्रजापति जी अब आप शुरू करें.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - प्रजापति जी, ये सब भोपाली हैं.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - अपन इसीलिये पीछे हाथ रखकर चलते हैं,

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - जो क्षेत्र सूखा है उसको भी उपजाऊ बना देंगे.

          अध्यक्ष महोदय - गंभीर विषय है बोलने दीजिये. प्रजापति जी.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) (गोटेगांव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब राज्य में कोई ऐसी गंभीर विपदा होती है जिसे पक्ष और विपक्ष दोनों मानते हैं कि गंभीर विषय है तब कहीं जाकर शासन उसकी ग्राह्यता पर नहीं उसको ग्राह्य करके चर्चा करता है और वैसा माननीय गृह मंत्री जी ने किया. निश्चित रूप से यह विषय बहुत गंभीर है इस पर निर्णय लेने की आवश्यकता है क्योंकि बहुत सारे प्रश्न उठे. अभी उठाए जा रहे हैं लेकिन उसका समाधान शासन स्तर पर होना चाहिये न कि प्रशासनिक स्तर पर. मतलब, शासन को अपना नजरिया प्रदर्शित करना है. मैं उस ओर इंगित कर रहा था. निर्णय अब शासन को लेना है. निर्णय मुख्यमंत्री को लेना है. निर्णय केबिनेट के सदस्यों को लेना है जो-जो इस विषय में दखल रखते हैं उनको लेना है. उदाहरण के तौर पर घटना हुई. क्या यह गैर इरादतन 304 की घटना नहीं है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - परिवहन मंत्री जी बैठे हैं.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -  दोनों का दायित्व है. आप ऐसे  बिल्कुल मत बहकाईये. आप इधर की गेंद उधर की गेंद न करें.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री ( श्री रामखेलावन पटेल ) - 304 लगी है.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -  आप गृह मंत्री नहीं हो.  आप अपना ज्ञान अपने पास रखें.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -  मैं बहकता नहीं हूं. मुझे मालूम है दिन में आप भी नहीं बहकते हो.

          श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति - बहुत दिन से आपने मुझ पर कोई कृपा नहीं की इसीलिये बहक नहीं पा रहा हूं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - इसलिये सुधार करूंगा.

          श्री  नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) --  गैर इरादतन अगर लगी है, तो अच्छी बात  है, नहीं, तो  शासन को यह निर्णय लेना चाहिये  कि  अगर परिवहन की कोई भी  ऐसी बस,  जिसमें नियत  सवारियों  से ज्यादा  सवारियां भर दी जाती हैं और ऐसी  दुर्घटना होती है, तो गैर इरादतन  धारा  के साथ-साथ  उन अधिकारियों पर भी लगना चाहिये.  6 दिन से 10 फीट चौड़ी सड़क पर अगर वाहन चल रहे थे, यह  आपका हाइवे क्रमांक 39 है. यहां नियमानुसार  क्रेन मशीन से लेकर सब चीजें होना चाहिये.  अगर 6 दिन से कोई 10-20 चके का ट्राला फंसा हुआ  था,  तो वहां के अधिकारी क्या कर रहे थे.  उन्होंने उस रास्ते को खुलवाने के लिये  क्यों तत्काल वहां पर क्रेन मशीन  नहीं ले गये.  वह रास्ता खुलवा देना था, ताकि 10 फीट चौड़ी  10 किलोमीटर  लम्बी नहर पर  कम से कम यह वाहन तो न चलते.  वह अधिकारी क्या कर रहे थे.  क्या  वे महीने की तनख्वाह इसलिये लेते हैं कि  जब घटना हो जाये,  उसके बाद उस स्पॉट पर जायें  और जो चीज हो गई है,  उसको  छुपाने, लीपापोती करने के लिये  नई-नई कहानियां मढ़कर  हमारे  माननीयों को बतायें, जिससे मूल विषय भटक जाता है  और जो घटना होती है,भविषय में शासन क्या लगाम  लगाना चाहता है,  वह बिन्दु क्वेश्चन मार्क  में  रह जाता है और  नई नई बातें आ जाती हैं.  वह राजनीति की   परिधि में घिर कर  इतिश्री  प्राप्त कर  लेते हैं. नहीं,  इसमें ऐसा मत करियेगा, ऐसी मेरी दोनों मंत्रियों से प्रार्थना है.  अगर  बस में ज्यादा  सवारी थीं, नम्बर एक  तो उस बस के  परमिट जितने भी हैं, सिर्फ इसी रुट का नहीं,  अगर  दंडित करना है, जितनी  भी बसों के रुट हैं,  उनके सब रुट के परमिट  कैंसिल  हो जाने चाहिये. लो कड़ा निर्णय लो, ताकि प्रदेश के दूसरे  बस परमिट वाले भी समझें कि  हम  बच्चों को लेकर जाते हैं, तो ऐसी  अगर घटना होती है, तो  यह उन बच्चों के साथ  नहीं  प्रदेश के नौनिहालों के  साथ घटना होती है.  इसलिये नियम बनाना जरुरी है.  जैसे  माननीय सदस्य बोल रहे थे कि  वहां टीआई फलाना, ढिकाना.  क्या यह  टीआई  इनको नहीं मालूम था कि 6 दिन से  जाम लगा हुआ है. क्या ये भी उतने ही  उत्तरदायी नहीं हैं, इस घटना को घटित होने के लिये.  ऐसे तो आप और हम कई बड़े-बड़े मार्गों से गुजरते हैं, देखते हैं  कि पुलिस चैकिंग के नाम पर 10  किलोमीटर पर वसूली जारी हो जाती है,  किसी भी क्षण किसी भी समय जारी हो जाती है. लेकिन  जब ये 20 ट्राला चकों के जितने भी रहे हों,  जब रास्ता जाम हुआ, तो वहां का टीआई  क्या कर रहा था.  उसने  हटाने की कोशिश क्यों नहीं करवाई और वे अभी भी जमे हुए हैं, ताकि  लीपापोती कर दें पूरी घटना पर. नहीं, इससे  प्रशासन बदनाम नहीं होता है, इससे शासन  बदनाम होता है और  शासन का मतलब जो  आप केबिनेट  स्तर के  पूरे यहां सदस्य मौजूद हैं,  एक बात मैं हमेशा कहते आया हूं कि  हम विपक्ष हैं,  आप पक्ष हैं.  हम दोनों के बीच में प्रशासन है. कभी-कभी शासन को अपना   निर्णय खुद लेना चाहिये.  आपके भी बहुत व्यक्तिगत  सूत्र हैं, जो  आपको सही घटना बताते हैं.  कभी कभी उनका भी तो उपयोग करें.  ताकि वास्तविक रुप में जो  कल्प्रिट्स हैं,   चाहे जो पीडब्ल्यूडी के हों, चाहे  पुलिस विभाग के हों, चाहे   नहर में सिंचाई विभाग के हों इन सबको, नरोत्तम जी और परिवहन मंत्री जी,  आपसे मेरा कहना है  कि आपका जवाब आये, तो हम वह चाहेंगे  कि एक संदेश जाये  इस प्रदेश की जनता  में कि  अगर ऐसी घटनाएं  होंगी,तो  आपकी सरकार बहुत चुस्त  दुरुस्त और तत्काल  ऐसे कड़े निर्णय लेगी,  ताकि भविष्य में  लगाम लगे ऐसे  बस वालों को  कि वह  ऐसी हरकत करने की कोशिश  न करें.  हरकत  से यहां अभिप्राय  यह है कि  जितने का परमिट मिला है,  उतनी  ही सवारियां बिठालिये.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर पर शासन स्तर पर इस पर चर्चा करवाना इस प्रदेश के उन नौनिहालों के प्रति संवेदनाएं बताता है और जब भी ऐसी कोई घटना हो मंत्री जी, परिवहन विभाग कोई 304 की धारा नहीं लगा सकता है, लगाना होगा गृह विभाग को ही लेकिन वही टी.आई. जब वहां बैठा है तो क्यों लगाएगा, घटना हुए कितने दिन हो गये?

डॉ. नरोत्तम मिश्र - धारा लगी है, आप पढ़ तो लिया करो, बिना पढ़े आ जाते हो.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - मैं बोल क्या रहा हूं, जरा पूरा अभिप्राय समझने का कष्ट करें. लगाया तब जब आपका भी प्रशेर गया, मुख्यमंत्री का भी प्रेशर गया और विपक्ष का भी गया. जबकि होना यह चाहिए था.

डॉ. नरोत्तम मिश्र - विपक्ष का नहीं था, आज तक नहीं गया, वहां विपक्ष का काहे का प्रेशर गया? पूर्व संसदीय कार्यमंत्री नहीं गया आज तक वहां पर, चीफ व्हिप नहीं गये वहां पर, अध्यक्ष जी, एक पंक्ति का एक भी आदमी नहीं गया. वह तो लोकल के विधायक हैं जिसको आप कह रहे हैं. वहां पर आप खुद नहीं गये

 श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - अरे भैया, आप गये? आप गृह मंत्री हैं क्या आप गये?

डॉ. नरोत्तम मिश्र - मेरा मुख्यमंत्री गया, आज तक कोई मुख्यमंत्री नहीं गया. मेरा मुख्यमंत्री गया, मुझे गर्व है इस बात पर .

श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी गये तो दलित के घर में भी थोड़ा-सा हो आए होते.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -यह स्वयं तो गये नहीं, अब अपनी गलती छुपाने के लिए गृह मंत्री जी दूसरों पर दोषारोपण करें, माफ करिएगा, इतना नूरानी चेहरा बार-बार मत बताओ भई मुझे, अरे गये. लेकिन गृहमंत्री? घटना क्या है?

डॉ. नरोत्तम मिश्र - घटना परिवहन की है, गृहमंत्री नहीं, दो-दो मंत्री जिन्हें जिम्मेदारी दी थी.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - धारा लगाने वाले विभाग कौन-सा है

डॉ. नरोत्तम मिश्र - जल संसाधन विभाग का मामला था. जल संसाधन मंत्री गये थे, स्थानीय मंत्री दोनों गये और चीफ मिनिस्टर खुद गया. आप बताओ, नेता प्रतिपक्ष गया? चीफ व्हिप गया? आगे की पंक्ति का कोई गया? आपको तो ये आगे की पंक्ति का मानते नहीं तो लूप लाइन में कर दिया, तब भी कर दिया, अब भी कर दिया.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - मुझे दुविधा यह है जिस मंत्री को जाना था ताकि तत्काल सब चीजें हो जाती, वह तत्काल नहीं गये, उसके बाद मुख्यमंत्री जी गये.

मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) - अध्यक्ष महोदय, माननीय बहुत विद्वान सदस्य हैं और विधान सभा के अध्यक्ष रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, घटना के समय से ही मैं लगातार वहां संपर्क में था. राहत और बचाव के काम तेजी से चले इसके लिए मैं कंट्रोल रूम बनाकर ही बैठा था. हमारे दोनों मंत्री मैंने बुलाए, बाकी मंत्रियों के साथ आपात बैठक की, जिनमें आप में से अनेकों सदस्य उपस्थित थे. तब हमने रणनीति बनाई  कि दो मंत्री जाएंगे, मुख्यमंत्री अगर तत्काल जाते तो राहत और बचाव में कई बार ऐसे समय थोड़ा व्यवधान पैदा होता है, प्रशासन का ध्यान बंटता है और इसलिए सोच-समझकर मैंने अपने आपको रोका. मैं उस दिन नहीं गया और दूसरे दिन सवेरे ही मैं फिर घटना स्थल पर भी और प्रभावित परिवारों में भी निकला. हम जानते हैं कि मुख्यमंत्री अगर तत्काल जाते तो राहत और बचाव कार्य प्रभावित हो सकते थे, पूरी कैबिनेट ने बैठक की. आपात बैठक की.  इतनी तेजी से कभी बैठक नहीं हुई होगी.  हमने तय किया कि घटना स्थल पर दो मंत्री जाएंगे और वे सारे राहत के कामों को देखेंगे और तत्काल जो किया जा सकता था, अध्यक्ष महोदय, मैं अभी कोई जवाब नहीं दे रहा हूं, मंत्री जवाब देंगे लेकिन चाहे एसडीआरएफ हो, एनडीआरएफ हो, जहां तक जरूरत पड़ी तो आर्मी कॉल की. हमने जो चीजें हो सकती थीं, हाइड्रा  क्रेन से लेकर तत्काल व्यवस्था की और  लगातार देर रात तक उसकी मॉनिटरिंग  करते रहे.

श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - अध्यक्ष महोदय, इन सबके लिए मैं व्यक्तिगत कोई बात कर ही नहीं रहा हूं, यह तो वहां से गेंद आ गई कि यह गये, वह गये, मैं उस पर बात नहीं कर रहा हूं. मैं तो बात कर रहा हूं कि शासन इस पर क्या कार्यवाही कर रहा है. मेरा विषय बिल्कुल दूसरा है, न इसमें राजनीति हो, न प्रशासनिक अधिकारी हों, यहां विधान सभा के अंदर शासन जवाब दे रहा है और शासन क्या निर्धारित करेगा, यह हम जानने के लिए बैठे हैं और वही बात हमारे प्रदेश की जनता जानने के लिए बैठी है. अच्छा हो कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. ऐसा कोई नीति निर्धारण आपकी तरफ से विभागों के समग्र रूप से निचौड़ करके निकालिएगा. अलग-अलग बात न करें, अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.

                                                                            

 


 

          श्री शरदेंदु तिवारी ( चुरहट ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय  होनी को कौन टाल सकता है. मृत्यु सत्य है और शरीर नश्वर है  यह जानते हुए भी अपनों के जाने का दुख होता है. 16 फरवरी, 2021 को  मेरी विधान सभा चुरहट के सरदापटना ग्राम में बाण सागर की नहर में एक बस जिसका जिक्र आया है, जिसके नम्बर का जिक्र आया है, वह गिर गई. मैं रेवांचल से रीवा उतरा था मुझे खबर मिली और मैं 9.30 बजे के आसपास घटना स्थल पर पहुंच गया था. इस दौरान मेरी माननीय मुख्यमंत्री जी से फोन पर लगातार चर्चा होती रही. मन बड़ा व्यथित था और उस हृदय विदारक दृश्य को देख कर सहज मन कह रहा था कि रहने दो सदा दहर में आता नहीं कोई, तुम जैसे गये ऐसे जाता भी नहीं कोई. वहां पर सभी परिजनों के भाव लगभग ऐसे ही थे.

          अध्यक्ष महोदय माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर  प्रशासन की पूरी टीम, पुलिस की टीम, एनडीआरएफ और एसचडीआरएफ की टीम सभी बचाव कार्य में लगे हुए थे. वहां पर सब स्थानीय लोग भी साथ दे रहे थे. माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर बाण सागर की नहर का पानी रोका गया. यह मुख्य नहर है इसमें लगभक 30 फीट पानी होता है. बस उसमें इतना नीचे चली गई थी कि वह दिख नहीं रही थी. 7 लोगों को तुरंत कुछ लोकल सहयोग से और बगल की पुलिस चौकी के और प्रशासन के लोग भी 5 मिनट में पहुंच गये और सबने मिलकर 7 लोगों को रेस्क्यू किया था. वहां पर राहत और बचाव कार्य बहुत तेजी से चला. मैं सदन को वहां की परिस्थिति से भी अवगत कराना चाह रहाहूं. लगभग एक डेढं बचे तक हम 47 शव निकालने में सफल हो गये थे और कुछ नहर के बहाव के कारण आगे चले गये थे, करीब 7 शव में से 4 शव रात तक निकाल लिये गये थे और एक करीब 3.5 किलोमीटर की लंबी टनल पड़ती है जो सीधी की छुइया घाटी को क्रास करके रीवा तक पानी जाता है और वहां से उत्तरप्रदेश तक पानी जाता है. उस टनल में करीब 3 शव रह गये थे जिसमें से अंतिम शव 20 तारीख को निकाला गया था.

          अध्यक्ष महोदय यह बहुत ही तकलीफ देय घटना थी. माननीय मुख्यमंत्री जी, मुझ से जब बात हो रही थी तब दुखी थे, व्यथित और चिंतित भी थे. चिंता इस बात की थी कि कैसे कुछ लोगों को बचाया जा सकता है और भगवान की मर्जी के आगे कुछ नहीं चलता है. चूंकि नहर में अंदर तक बस चली गई थी इसलिए 7 से ज्यादा लोगों को बचाना संभव नहीं था. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी की संवेदनशीलता कहूंगा उन्होंने गृह प्रवेशम जैसे कार्यक्रम को तुरंत रोक दिया, दो मंत्री माननीय तुलसी सिलावट जी और राम खिलावन पटेल जी 2.30 बजे तक सरदापटना के उस घटना स्थल पर थे. वहां से मरच्यूरी में सभी परिवार के सदस्यों को जाकर ढांढस बंधाया कि सरकार उनके साथ खड़ी है. शासकीय वाहन से उनके शव उनके घर तक भेजने के निर्देश दिये. 10 हजार रूपये तत्काल अंत्येष्टि के लिए दिए. यद्यपि धन से गये हुए को वापस नहीं लाया जा सकता है. लेकिन जो घर के लोग हैं उनकी आगे की जिंदगी कुछ आसान बने. इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने 5 लाख रूपये की और माननीय प्रधानमंत्री जी ने 2 लाख रूपये की घोषणा की थी. उस दिन शाम तक माननीय तुलसी सिलावट  जी वहां पर रहे. उसके बाद में माननीय राम खिलावन जी के साथ में मेरा दो तीन अंत्येष्टि में भी जाना हुआ. हम सब दुखी परिवारों के साथ पूरी संवेदना के साथ थे मुख्यमंत्री जी को चैन नहीं था इसलिए अगले दिन उनका आना हुआ. जैसा कि उन्होंने अभी बताया है मुझसे भी फोन पर यह बात कही कि आज आना मेरा ठीक नहीं रहेगा. प्रोटोकाल के कारण राहत काम में कहीं पर बाधा न आये. उनका कहना था कि जैसे ही राहत कार्य हो जायेंगे मैं आता हूं और  अगले ही दिन उनका आना हुआ. अध्यक्ष महोदय देश के इतिहास की शायद यह पहली घटना होगी जिसमें मुख्यमंत्री जी अगले दिन 14 परिवारों के घर गये, उनके दुख में शामिल हुए, उनकी तकलीफ में शामिल हुए.

 

12.40 बजे               {सभापति महोदया (श्रीमती नीना विक्रम वर्मा) पीठासीन हुईं.}

 

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी-- (जारी)..

          और आश्‍वासन दिया कि आर्थिक सहायता के साथ-साथ सभी हितग्राही मूलक योजनाओं के लाभ और जो जिस लायक है, यदि कहीं उनको रोजगार में मदद की जा सकती है, स्‍वरोजगार के साधन उपलब्‍ध कराये जा सकते हैं, ऐसे निर्देश वहां प्रशासन को दिये. 10.00 बजे कलेक्‍टोरेट में बैठक की. दोषी लोगों पर कार्यवाही हुई. निश्‍चित रूप से ऐसी घटनाओं में राजनीति नहीं होनी चाहिये. यहां सदन में सभी संवेदनशील सदस्‍य बैठे हुये हैं, परंतु मेरे वरिष्‍ठ मित्रों ने उस तरफ से कुछ बातें कही इसलिये मुझे वह कहना होगा. मुझे वह घटना याद आती है, सन् 1988 में विंध्‍य क्षेत्र का वह बहुचर्चित लिलज़ी बांध घटनाक्रम हुआ था जिसमें पूरी की पूरी एक बस लिलजी़ बांध में समा गई थी. उस समय सरकार का कोई नुमाइंदा और किसी तरह की राहत उन लोगों को नहीं मिली थी. आज भी वह परिवार बिलख रहे हैं. दूर यदि न जाऊं तो सीधी जिले में ही, सीधी से सतना जाने वाली बस सन् 2000 में बनास नदी में डूब गई. 43 लोग असमय काल के गाल में चले गये थे. वह बस भी ओव्‍हरलोड थी. माननीय कमलेश्‍वर जी को याद होगा उस समय शासन के दो मंत्री उसी जिले से हुआ करते थे, मंत्री तो क्‍या शासन के किसी नुमाइंदे ने उन पीडि़त परिवारों के घर जाने की कोशिश नहीं की. 12 लोग आज तक लापता हैं. यह घटना होने के बाद उनके परिजन अभी मुझसे मिले थे और सरकार की संवेदनशीलता के प्रति अपना सम्‍मान प्रकट कर रहे थे, माननीय मुख्‍यमंत्री जी के प्रति अपना सम्‍मान प्रकट कर रहे थे. वह आज भी लालायित हैं कि हम अंतिम दर्शन अपने परिवार के लोगों के कर लें.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- सभापति महोदया, माननीय सदस्‍य जिस घटना का उल्‍लेख कर रहे हैं उस समय हमारे पिता जी जीवित थे, वह स्‍वयं गये थे, अजय सिंह ''राहुल भैया'' गये थे. यह कहना बिलकुल ठीक नहीं है कि कोई गया ही नहीं. हमारे पूज्‍यनीय पिताजी समाजसेवी थे, कई बार विधायक थे, मंत्री थे, यह कहना कि कोई गया ही नहीं इस तरह का आरोप-प्रत्‍यारोप लगाना ठीक नहीं है. अतिशंयोक्ति वाली बात नहीं करें. इसमें कोई राजनीति नहीं हो रही है. हमारा तो यही निवेदन है कि भविष्‍य में कोई घटना नहीं घटे, इसलिये दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिये. आप टू दि प्‍वाइंट बात करें.

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी -- सभापति महोदया, मैं बता रहा हूं, मेरा भी यही प्रयास है. माननीय सदस्‍य जी ने चूंकि प्रश्‍न उठा दिया, मैं गवाह पेश कर सकता हूं.

          डॉ. गोविंद सिंह -- माननीय सभापति जी, प्रश्‍न इस बात का है कि इस विषय पर चर्चा आप करिये, आप 30 साल पुरानी घटना पर बोल रहे हैं. सीधी बस दुर्घटना पर आप बोलिये. आप पूरा इतिहास चालू कर रहे हैं. यह आरोप-प्रत्‍यारोप का समय नहीं है. क्‍या सुधार हो सकता है और क्‍या हो सकता है, उसके बारे में बोलिये. 

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी -- मैं वह संवेदनशीलता बता रहा हूं. माननीय आपको सादर प्रणाम हैं. आप वरिष्‍ठ हैं.

          डॉ. गोविंद सिंह -- सभापति जी, हमारा निवेदन है कि पुराना छोडि़ये, इसके बारे में बतायें कि हमें आगे क्‍या करना चाहिये.

           श्री शरदेन्‍दु तिवारी -- जो आदेश. मैं तो केवल इतना ही कह रहा हूं कि सरकार की संवेदनशीलता कैसी होनी चाहिये इसका उदाहरण इस घटनाक्रम से सीधी के लोगों ने देखा है. पुरानी घटनाएं भी लोगों को याद हैं. उनके घर के परिजन भी वहां हैं और भी बहुत सारी घटनाएं मध्‍यप्रदेश में हुई हैं. चूंकि सीधी और उसके आसपास की एक-दो घटनाएं थीं वह मैं आपके सामने जिक्र कर रहा था और मैं पहले भी निवेदन कर चुका हूं कि निश्चित रूप से इनमें सुधार होना चाहिये, सुझाव आने चाहिये. एक प्रश्‍न बार-बार आ रहा है कि छुहिया घाटी की सड़क में जाम था. वर्ष 2017 तक छुहिया घाटी की सड़क ठीक-ठाक थी, लेकिन उस मार्ग से शहडोल का पूरा ट्रैफिक और सिंगरौली का पूरा ट्रैफिक जाता है. यदि उसका प्रॉपर मेंटीनेंस नहीं हुआ तो जो शॉर्प टर्निंग्‍स हैं उनमें गड्ढे हो जाते हैं और कई बार यदि बल्‍कर या बड़े मल्‍टी एक्‍सल वाहन वहां से निकलते हैं तो वह पलट जाते हैं और ट्रैफिक स्‍लो हो जाता है, प्रशासन के लोग वहां जाकर उसको किनारे कराकर ट्रैफिक चलाते हैं, तो एक तरफ का ट्रैफिक हो जाता है. इस दौरान जब यह घटनाक्रम हुआ है, लगातार ट्रैफिक धीमी गति से चल रहा था, कई ट्रांसपोर्टर्स की गाडि़यां वहां से निकली हैं, अल्‍ट्राटेक की गाडि़यां निकली हैं, सिंगरौली के कई ट्रांसपोर्टर्स की गाडि़यां निकली हैं, वन नाका वहीं पर लगा हुआ है, उसकी भी गाडि़यां निकली हैं. पर यह दुर्भाग्‍यजनक था कि जल्‍दी पहुँचने के चक्‍कर में...(व्‍यवधान)...

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- सभापति महोदया, ये असत्‍य बोल रहे हैं. जिला प्रशासन ने जानकारी दी है. घटना दिनांक के बाद 18 तारीख को आदेश जारी किया और रोटेशन में ड्यूटी लगाई है और उनके आदेश में उल्‍लेख है कि वहां पर 4-5 दिनों से जाम लगा होने की वजह से यह घटना घटी है. उन्‍होंने खुद स्‍वीकार किया है और एक तरफ सरकार को गलत जानकारी दे रहे हैं. हमारे माननीय विधायक जी भी गलत जानकारी दे रहे हैं.

          सभापति महोदया -- आप अपना विषय रख चुके हैं, उनको अपनी बात रखने दीजिए. बार-बार क्‍यों इंटरप्रिटेशन कर रहे हैं.

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी -- माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्‍यम से यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि ये जो पेट्रोलिंग की व्‍यवस्‍था की गई है, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने तुरंत सड़क को बनाए जाने के लिए जो निर्देश दिए हैं, उसमें एक तरफ से ट्रैफिक रोककर, एक तरफ से गाड़ियों को निकालने के लिए, ताकि वह सड़क बनती रहे और धीरे-धीरे ट्रैफिक भी चलता रहे, इसलिए यह व्‍यवस्‍था की गई है. उसके पहले भी लगातार पुलिस वहां पर पेट्रोलिंग करती रही है. पुलिस लगातार ट्रैफिक को निकालने का काम करती रही है. मैं यह विनम्र निवेदन माननीय सभापति महोदया के माध्‍यम से करना चाहता हूँ.

          सभापति महोदया, सदन को भ्रम में नहीं रहना चाहिए. सदन के सभी सम्‍माननीय सदस्‍य और संवेदनशील सदस्‍य यहां बैठे हुए हैं. सच्‍चाई आनी चाहिए. मेरे पास सूची है कि किस ट्रांसपोर्टर की कितनी गाड़ियां निकली हैं. इसके अलावा भी बहुत सारे लोग निकले हैं. हां, यह जरूर सही है कि ट्रैफिक धीमा होता था और शायद इसीलिए बस का जो ड्राइवर था, उसने बस को नहर के किनारे से मोड़ दिया, ताकि जल्‍दी सतना पहुँचा जा सके. छात्र उसमें सवार थे, परीक्षा का समय था. ड्राइवर ने उधर मोड़ दिया. मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूँ कि एक वैकल्‍पिक मार्ग भैंसराहा से होकर जिगना जाकर सतना पहुँचने का था, जिसमें नहर के किनारे जाने की आवश्‍यकता नहीं थी. लेकिन ड्राइवर ने उस समय तात्‍कालिक निर्णय लिया, जिसको मैं गलती कहूँगा, अपराध कहूँगा, उस अपराध को कारित करते हुए नहर के किनारे प्रधानमंत्री सड़क से बस को ले जाने का कार्य किया. जिससे यह दु:खद और बड़ी तकलीफदेह घटना हमारे सामने आई है. किसी को दोष देना मेरा उद्देश्‍य, मेरा लक्ष्‍य नहीं है. इस पर राजनीति करना भी मेरा उद्देश्‍य नहीं है. मुझे रामचरित मानस की वह चौपाई याद आती है -

                   ''सुनहुं भरत भावी प्रबल बिलखि कहेउ मुनिनाथ,

                    हानि लाभु जीवनु मरनु जसु अपजसु बिधि हाथ,

                    अथ विचार कहीं देउ दोषु, व्‍यर्थ काही पर किजौ रोषु'' 

           सभापति महोदया, कुछ बातें और आईं, परमिट नहीं था, बीमा नहीं था, फिटनेस नहीं थी, मैं आपके माध्‍यम से यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि नियम पहले के बने हुए थे और उन नियमों के तहत परमिट भी था, ड्राइविंग लाइसेंस भी था, उसके नंबर मेरे पास हैं, यदि माननीय सभापति महोदया का आदेश होगा तो मैं उसको पटल पर रख दूंगा. रूट भी तय था, उसको व्‍याहा छुइयाघाटी, गोविंदगढ़ होकर बस को सतना लेकर जाना था, अचानक बस ड्राइवर ने गाड़ी नहर के किनारे मोड़ दी और दूसरे मार्ग को ले लिया. गलती थी, उस पर कार्यवाही हुई है. अपराध पंजीबद्ध हुआ है. मालिक पर भी अपराध पंजीबद्ध हुआ है और माननीय सदस्‍य जो पहले बोल रहे थे, उनका यह कहना था कि धारा 304 लगनी चाहिए, धारा 304 भी लगी है..(व्‍यवधान)..

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- माननीय सभापति महोदया, स्‍थगन प्रस्‍ताव में जो सदस्‍य लिखकर देते हैं, उन्‍हीं को बोलने का अधिकार रहता है और सरकार की तरफ से जवाब आता है, जहां तक मुझे जानकारी है. इसमें जरूर हम आपकी व्‍यवस्‍था चाहेंगे.

          चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्‍वास सारंग ) -- सभापति महोदया, वे विधायक जो घटना के बाद सबसे पहले संवेदनशीलता दिखाते हुए वहां पहुँचे, वे सदन में बोलेंगे नहीं, इस पर इनको क्‍या आपत्‍ति है. जब दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ रहा है तो इनको आपत्‍ति हो रही है. वे विधायक बहुत अच्‍छा बोल रहे हैं और उन्‍हें बोलना चाहिए. .. (व्‍यवधान)..

          श्री विनय सक्‍सेना -- सभापति महोदया, अगर क्षेत्रीय विधायक जी को इतनी चिंता थी तो स्‍थगन प्रस्‍ताव पर दस्‍तखत करने चाहिए थे. ध्‍यानाकर्षण लगाना था उनको .. (व्‍यवधान)..

          सभापति महोदया -- नहीं, नहीं, ऐसा नहीं होता, ग्राह्य होने के बाद.. .. (व्‍यवधान)..

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय सभापति महोदया, जिन्‍होंने स्‍थगन लगाया, वे कहां थे, वे घटना के कितनी देर बाद घटनास्‍थल पर पहुँचे, ये तो बताएं, सबसे पहले तिवारी जी पहुँचे थे. .. (व्‍यवधान)..

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) -- आपसे पहले वे पहुँच गए थे. वह उस विधायक का विधान सभा क्षेत्र है.. .. (व्‍यवधान).. मैं आपकी जानकारी में दे रहा हूँ.. .. (व्‍यवधान)..

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- सभापति महोदया, हम पूरे टाइम वहां पर थे. हमारा घर दूर था और हमने सबसे पहले जिला प्रशासन को सूचना दी. वे लोग रास्‍ते में थे, निकल रहे थे, हमारा घर डेढ़ सौ किलोमीटर दूर था, लेकिन हम पहुँच गए थे और रात में सबसे आखिरी तक थे और ये माननीय लोग आकर चले भी गए थे. .. (व्‍यवधान)..

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय सभापति महोदया, जो स्‍थगन लगाकर राजनीति करते हैं, वे सबसे लेट पहुँचे हैं. .. (व्‍यवधान)..

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- सभापति महोदया, हम पूरे टाइम वहां पर थे और जब तक सब लाशें रवाना नहीं हो गई, तब तक हम वहां से नहीं गए .. (व्‍यवधान)..इसमें राजनीति करने की आवश्‍यकता नहीं है. .. (व्‍यवधान)..

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) -- सभापति महोदया, सम्‍मानित सदस्‍य अभी नए हैं, मैं सामान्‍य ज्ञान के लिए उन्‍हें बता दूँ, जब ग्राह्यता पर चर्चा होती है, तब सामने वाले सदस्‍य अपने विचार रखते हैं और सरकार जवाब देती है. जब प्रस्‍ताव ग्राह्य हो जाता है तो दोनों तरफ के सदस्‍य समान रूप से एक-एक करके चर्चा में भाग लेते हैं. आज आसंदी ने व्‍यवस्‍था दी हुई है कि दो लोग आपके बोलेंगे और एक हमारे बोलेंगे. यह ग्राहृयता पर चर्चा नहीं हो रही है, सरकार ने इसे ग्राहृय किया है ग्राहृय पर चर्चा हो रही है.

          सभापति महोदया -- सही है.

          श्री शरदेन्‍दु तिवारी -- धन्‍यवाद माननीय सभापति महोदया. मैं केवल सदन की जानकारी में सत्‍यता लाना चाह रहा हूँ. कार्यवाही की बात भी हो रही थी. पुलिस की एफआईआर भी हुई है उसके अलावा सड़क जो बन जानी चाहिए थी, नहीं बनी उसके लिए जो दोषी थे जिसके कारण ट्रैफिक स्‍लो था, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने उसके लिए तीन अधिकारियों को तुरंत सस्‍पेंड किया और भी कड़ी कार्यवाही हुई. मजिस्ट्रियल जांच के भी आदेश हुए हैं.

          माननीय सभापति महोदया, कुछ और प्रश्‍न आए हैं. यह सही है कि बहुत सारी व्‍यवस्‍थाओं की वजह से सतना में सेंटर था. हो सकता है कि हर जिले में करना उतना संभव नहीं हो पाया हो लेकिन यह होना चाहिए. प्रयास यह होना चाहिए कि सेंटर हर जिले में हों. एक और बात मैं सदन की जानकारी में लाना चाहता हॅूं कि यह जो मुख्‍य नहर है यह मुख्‍य नहर सन् 1985 से 2000 के बीच बनी है और इस नहर के किनारे रेलिंग या जो दीवार होनी चाहिए, उसके लिए शायद डीपीआर में व्‍यवस्‍था नहीं थी, वह नहीं हो पाया था. मेरा अनुरोध है कि भविष्‍य में इस तरह की घटनाएं रुकें इसके लिए जो मुख्‍य नहरें हुआ करती हैं जिसमें तेज रफ्तार से पानी जाता है उससे भी हमें भविष्‍य के लिए सबक लेना चाहिए और उनमें वह रेलिंग बनाई जानी चाहिए.

          माननीय सभापति महोदया, घटना दुखद है. मेरा अधिकांश परिवारों के बीच जाना भी हुआ है और अपनी-अपनी विधानसभा में लगभग सभी विधायक जो सीधी, रीवा, सतना, चुरहट, धौनी और सिंहावल से है वह सभी विधायक पहुंचे हैं. हमारे यहां सांसद जी का भी लगभग सभी जगह जाना हुआ है और दुख की घड़ी में सरकार के साथ-साथ हम सब इनके साथ खडे़ हैं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने उन तीन लोगों को भी सम्‍मानित करने का फैसला किया है जो स्‍थानीय लोग थे और शिवरानी लुनिया, लवकुश लुनिया और सत्‍येन्‍द्र शर्मा, जिन्‍होंने इस बचाव कार्य में पहले तो पानी में कूदकर प्रशासन के साथ लोगों को बचाने में अहम भूमिका निभाई है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी को मैं धन्‍यवाद देना चाहूंगा कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने उन लोगों का भी प्रोत्‍साहन किया है, उनकी बहादुरी को प्रणाम किया है और 5-5 लाख रुपए के इनाम की घोषणा की है. मुख्‍य-मुख्‍य बातें लगभग आ गई हैं पर मेरा मन बार-बार कह रहा है कि "वक्‍त के साथ जख्‍म तो भर जाएंगे, मगर जो बिछड़े सफ़र जिंदगी में, फिर न कभी लौटकर आएंगे". हम सभी उन दुखी परिवारों के साथ हैं. सरकार उनके साथ है और जिस संवेदनशीलता से माननीय मुख्‍यमंत्री जी और मध्‍यप्रदेश की सरकार ने काम किया है, मैं उसके लिए सीधी के लोगों की तरफ से, चुरहट के लोगों की तरफ से साधुवाद देता हॅूं,  धन्‍यवाद भी देता हॅूं. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह (लहार) -- माननीय सभापति जी, जिस प्रकार से शासन ने, सरकार ने बडे़ विचार से बड़ा दिल दिखाते हुए कहा था, स्‍वीकार किया. मैं अनुरोध करता हूँ कि वैसा बड़ा हृदय दिखाते हुए यह घटनाएं न घटें, इसके लिए नीति बनाएं और ऐसी कोई योजनाएं बनाएं ताकि भविष्‍य में दुर्घटनाएं न घटें. दुर्घटनाएं तो आकस्मिक हैं. संपूर्णत: इन्‍हें रोका भी नहीं जा सकता. कहीं न कहीं, किसी न किसी की लापरवाही से, किसी की अज्ञानता से और किसी की चालाकी से या किसी की ज्‍यादती से दुर्घटनाएं होती हैं, घटनाएं घटी हैं. इसमें विस्‍तार से हमारे पूर्व के साथियों ने बता ही दिया है लेकिन इस घटना के उसी दिन या दूसरे दिन एक घटना शहडोल में उत्तर प्रदेश से, शहडोल के पास जयसिंह नगर में भी एक घटना घटी वहाँ नाले में गाड़ी गिरी, जो छत्तीसगढ़ जा रही थी और छत्तीसगढ़ के धनेश साहू नाम का व्यक्ति उसमें डूब गया और 25 लोग घायल हो गए. सभापति महोदया, मैं इस घटना के लिए, परिवहन विभाग तो दोषी है, लेकिन मैं सबसे ज्यादा दोषी अगर किसी को मानता हूँ तो वह है गृह विभाग. अगर पुलिस चाहे तो ऐसी घटनाएँ बहुत कुछ रोकी जा सकती हैं. लेकिन पुलिस का ध्यान, पुलिस आजकल खदानें चलाने में, लोगों के मकान खाली कराने में और शराबों के अड्डे चलवाने में व्यस्त रहती है इसलिए उसका ध्यान इस तरफ नहीं है. लगातार चार दिन से जब ट्रैफिक जाम था.....

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)---  माननीय सभापति महोदया, माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही कर रहे हैं.

          डॉ गोविन्द सिंह--  अगर 4 दिन से था तो वहाँ के, ऐसा नहीं हो सकता, ये बसें जो चलती हैं वह ओव्हर लोड चलती हैं, अवैध चलती हैं, हर थाने में थाना प्रभारी के लिए माहवारी बंधी रहती है. चाहे रेत खदानें हों, चाहे अवैध उत्खनन हो.....

          ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)--  आदरणीय डॉक्टर साहब, एक निवेदन कर लूँ?

            डॉ गोविन्द सिंह--  हाँ कर लो.

          श्री  प्रद्युम्न सिंह तोमर--  यह शायद आप भूल गए जब अपन इधर बैठे थे ना उस समय की याद तो नहीं कर रहे हैं कहीं अपन? शायद, बस इतना ही जानना चाहता हूँ? (हँसी)

            डॉ गोविन्द सिंह--  हँसना नहीं. ऐसा नहीं. हमने उस समय भी विरोध किया था और हमारे से कई हमारे साथियों ने कहा कि सरकार में रहते हुए आप इस तरह करते हों तो मैंने कहा मैं सच्चाई कहूँगा अगर मंत्री पद से हटाना हो तो एक सेकण्ड में इस्तीफा भी ले लेना. यह मैंने तत्काल कह दिया. आप जैसे नहीं कि मंत्रिमंडल में बैठकर हाँ में हाँ मिलाते थे. आप गवाह हैं कि अगर कोई गलत बात हुई तो मैंने मंत्रिमंडल में कहा है, आप नहीं, तत्काल हाथ उठाकर सब पास, सब पास. यह मैंने कभी किया नहीं और न करूँगा. माननीय मुख्यमंत्री जी, मेरा आप से एक निवेदन है, कम से कम, विधायक तो ठीक है, अभी नये आए हैं, लेकिन आज हम 2-3 दिन से देख रहे हैं कि प्रतिदिन मंत्रियों का हर काम में ज्यादा हस्तक्षेप होता है तो इनको कहीं ट्रेनिंग सेंटर चलवा दो, 2-4 दिन की ट्रेनिंग दे दो तो कुछ उनको बुद्धि आ जाए. (मेजों की थपथपाहट)

          मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)--  माननीय सभापति महोदया, अभी प्रद्युम्न जी ने उस समय की जो बात याद दिलाई, मैं एक तो आपको यह आश्वस्त करता हूँ कि गड़बड़ करने वाले जितने भी हैं उनके खिलाफ चौतरफा मध्यप्रदेश में कार्यवाही हो रही है और हम किसी को भी नहीं छोड़ेंगे. (मेजों की थपथपाहट) आप बिल्कुल आश्वस्त रहिए, कहीं गड़बड़ करने वाले की खबर मिलेगी तो उसको भी नहीं छोड़ेंगे. अब कुछ ट्रेनिंग, जब इधर थे आप, 19 महीने, उस समय की दे रखी है, इनको नहीं, जिनकी आप बात कर रहे हैं. लेकिन माननीय सभापति महोदया, हम लोग प्रदेश की स्थिति पर हर मंगलवार को पूरे मंत्रिमंडल के सदस्य गंभीरता से विचार करते हैं, जहाँ जरुरत पड़ती है एक्शन लेते हैं और पूरी टीम भावना से काम कर रहे हैं और ट्रेनिंग आपको बताकर थोड़े ही देंगे. ट्रेनिंग तो हमारी अभी अभी हुई है. आपने पढ़ा होगा मंत्रियों की भी ट्रेनिंग हमारी लगातार चलती रहती है क्योंकि हम मानते हैं कि जो कर रहे हैं उससे और बेहतर करने की गुंजाईश हो तो वह भी करेंगे. मध्यप्रदेश को आत्म निर्भर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. (मेजों की थपथपाहट) लगातार हम लोग प्रयत्नरत हैं, काम करते रहते हैं, लेकिन आप वरिष्ठ सदस्य हैं, आपने सलाह दी उसके लिए आपको और धन्यवाद.

          डॉ गोविन्द सिंह--  लेकिन अभी ट्रेनिंग में जो पास नहीं हो पाए हैं. माननीय सभापति महोदया, वास्तव में मुख्यमंत्री जी ने कहा तो अभी भी मैं आप से एक जिक्र कर रहा हूँ कि भिण्ड जिले में अभी भी रेत का, अगर रायल्टी चुका कर परिवहन हो तो हमें स्वीकार्य है. बिना रायल्टी के भी चोरी से कई लोग, जिनका आप चाहो तो अकेले में पदनाम बता देंगे, हो रहा है. उस पर हमारा निवेदन है.....

 

12.59 बजे

{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम)पीठासीन हुए}

            चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय गोविन्द सिंह जी ने ही कहा था कि जो स्थगन का विषय है उसी पर सदन में चर्चा होनी चाहिए. मुझे समझ में नहीं आया रेत कहाँ से आ गई? आप खुद बोल रहे थे कि मैं गलत बात ही नहीं करता फिर यहाँ रेत कहाँ से आ गई? यह सीधी की घटना का स्थगन है. यहाँ रेत कहाँ से आ गई?

            डॉ गोविन्द सिंह--  मैं केवल यह कह रहा हूँ कि इस घटना को रोकने के लिए किसका ज्यादा दायित्व है. वह मैंने कहा कि सबसे बड़ा दायित्व पुलिस का है और पुलिस अगर चाहेगी तो घटनाओं में बहुत कमी आएगी, जो हमारा व्यक्तिगत अनुभव है उस अनुभव के आधार पर......

          श्री शिवराज सिंह चौहान--  डॉक्टर साहब, घटनाओं में बहुत कमी आई है और निर्मूल कर दी जाएँगी, आप चिन्ता मत कीजिए.

          डॉ गोविन्द सिंह--  आपको धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, सच्चाई यह है कि परिवहन विभाग की गलती है लेकिन मैं बताना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश का परिवहन विभाग खजाना भरने के लिए बहुत बड़ा विभाग है. परिवहन विभाग के तहत जिले में परिवहन विभाग के 8-10 अधिकारी कर्मचारी रहते हैं, जिला बहुत विस्तृत होता है. इसलिए प्रतिदिन हर जगह जाकर चेकिंग कर पाना संभव नहीं हो पाता है. जो छोटे कर्मचारी हैं उन्हें इसका अधिकार नहीं रहता है. आरटीओ को यह अधिकार रहता है परन्तु उनके पास दफ्तर में बहुत काम रहता है जिसे निपटाकर वे दफ्तर से निकल ही नहीं पाते हैं. मुख्यमंत्री महोदय से कहना चाहूँगा कि मेरा इसमें एक सुझाव है कि ब्लाक स्तर पर भी आप एक परिवहन का कार्यालय खुलवा दें. इसमें आपकी काफी मेहरबानी होगी. इसके अभाव में वसूली नहीं हो पाती है, चोरी से बसें चलती हैं, इससे टैक्स की चोरी पर भी रोक लग सकती है. परिवहन विभाग में अमला बढ़ाना ज्यादा जरुरी है.

          अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2015 में आपने निर्णय लिया था जिसका गजट प्रकाशन दिनांक 28.2.2015 को हुआ था. इसमें मोटरयान अधिनियम 77 नियम 116 में संशोधन किया गया था. उसमें स्पष्ट प्रावधान है कि जो यात्री बस 50 सीट से कम वाली हैं उन्हें लम्बी दूरी के परमिट देने पर प्रतिबंध लगाया गया था. लेकिन उस 32 सीटर बस को परमिट कैसे मिला. जिस बस को परमिट दिया गया उसने यह परमिट ट्रांसफर कराया है. परमिट को रिप्लेस कराया गया है, जबकि नियम कानून में ऐसा प्रावधान ही नहीं है कि एक बस का परमिट रिप्लेस करके नया परमिट दिया जाए. इसके परमिट का प्रतिवर्ष नवीनीकरण हो रहा है. मेरा आपसे अनुरोध है कि इस बस को परमिट देने वाले व परमिट के नवीनीकरण के दोषी अधिकारियों की भी बहुत जिम्मेदारी है उन पर भी कार्यवाही होना चाहिए. नियमों में जो प्रावधान है उसका पालन कराना चाहिए. जिले में छोटी बसें लंबी दूरी की चलाते हैं. लम्बी दूरी की बसें 50 सीटर से अधिक होना चाहिए. यह लंबी दूरी की बस थी यह 130 किलोमीटर जाती थी. इस तरह की कार्यवाही पर रोक लगाएं.

          अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि मुख्यमंत्री जी आपने सहायता दी है लेकिन जितनी सहायता दी जानी चाहिए उतनी नहीं दी गई है. आजकल की महंगाई के जमाने में आपने और केन्द्र सरकार ने 7 लाख रुपए दिए हैं यह कम है. आपने स्वयं अपने वक्तव्य में कहा है और अभी भी कहा है कि रोजगार की व्यवस्था करेंगे. जो पढ़े लिखे छात्र हैं जो परीक्षा देने गए थे उनके घर में कोई पढ़ा लिखा हो तो उसे रोजगार दें. आज कोई ऐसा विभाग नहीं है जहां पद खाली न हों. 30 से लेकर 50 प्रतिशत तक हर विभाग में पद खाली पड़े हैं. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है. जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है उनके लिए नीति बनाएं जिसके तहत शासकीय विभाग में या अशासकीय उपक्रम में आप उन्हें रोजगार प्रदान करें जिससे जो परिवार बेसहारा हो गए हैं उनको सहायता मिल सके. अच्छे काम का कोई विरोध नहीं करेगा. घटना तो कोई रोक नहीं सकता है, न मैं रोक सकता हूँ न आप रोक सकते हैं घटना होना है तो होगी. घटनाओं में कमी हो उसके लिए हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए. आपने कहा राजनीति की बात नहीं होना चाहिए, हम लोग तो राजनीति में पैदा हुए हैं राजनीति तो करेंगे. परिवहन विभाग में जिले में बैठने के लिए कार्यालय नहीं हैं. मैं भूपेन्द्र सिंह जी को धन्यवाद देना चाहूँगा. लहार में एक क्लर्क बैठता था. आलमपुर से भिण्ड 110 किलोमीटर है. वहां पर परिवहन विभाग से 1-1 कर्मचारी देने पर राहत मिली थी. इसी प्रकार आप और जगह पर भी कर दें. बसों की लगातार निगरानी होती रहे. हर जिले में वर्षों से 15-20 बसें बिना परमिट के चल रही हैं, इस पर भी आप थोड़ा सुधार करें. धन्यवाद.                                                           

          श्री सतीश सिकरवार (अनुपस्थित)

          पिछड़ा वर्ग एवं अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्री (श्री रामखेलावन पटेल)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सीधी के नाहर में जो घटना हुई है वह निश्चित रूप से हृदय विदारक और दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी को जैसे ही उस घटना के बारे में पता चला तो उन्‍होंने हमें और हमारे केबिनेट मंत्री माननीय तुलसीराम सिलावट जी को निवास पर बुलाकर सीधे हम लोगों को बारह बजे सीधी के लिए रवाना किया. हम लोग ढाई बजे रीवा उतरकर जहां दुर्घटना घटित हुई थी वहां पहुंच गए तब तक वहां 37 लाशों की रिकवरी हो चुकी थी और रेस्‍क्‍यू कार्य जारी था. वहां सभी संभाग स्‍तर के अधिकारी मौजूद थे. यह जो आरोप लगाया गया है कि उस गाड़ी का परमिट नहीं था.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि उस गाड़ी का परमिट भी था और वह वर्ष 2014 मॉडल की गाड़ी थी. दिनांक 3 मई 2019 को उस बस का वैधता प्रमाण पत्र जारी किया गया था जिसकी वैधता दिनांक 2 मई 2021 तक है. वाहन का परमिट सतना से सीधी के लिए दिनांक 13 मई 2020 को जारी किया गया जिसकी वैधता दिनांक 12 मई 2025 तक है. बस को जारी किया गया परमिट पूरी तरह वैध था. वाहन का बीमा भी दिनांक 28 सितम्‍बर 2021 तक वैध था. जिसका बीमा न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी से कराया गया था. परिवहन विभाग द्वारा बिना परमिट बीमा के वाहनों के विरुद्ध लगातार कार्यवाही की जा रही है. विभाग द्वारा लगातार ऐसे वाहनों को जिनके विरुद्ध पुराना टैक्‍स लंबित है वसूल करने के लिए सरल समाधान योजना प्रारंभ की गई है. जिससे भविष्‍य में इस तरह की दुर्घटनाएं न हों. यह योजना एक तरफ उन वाहन मालिकों को राहत प्रदान करेगी जो किसी कारणवश अपने वाहन से संबंधित टैक्‍स समय पर जमा नहीं कर पाएं हैं उस पर पेनल्‍टी भी इकट्ठी हो रही है दूसरी ओर ऐसी घटना न घटे शासन द्वारा ऐसी उनको चेतावनी भी दी जा रही है. परिवाहन विभाग वाहनों का पंजीयन टैक्‍स जमा करने, लाइसेंस प्राप्‍त करने अधिसुगम बनाने प्रत्‍येक आरटीओ कार्यालय में हेल्‍प डेस्‍क स्‍थापित की गई है जिससे आवेदकों को लाइसेंस और रजिस्‍ट्रेशन आदि लेने से अधिक आसानी होगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम वहां ढाई बजे पहुंचे थे और दो दिन वहां जो संतृप्‍त और दुखी परिवार थे जिन घरों से उनके बेटे, बेटियों की मृत्‍यु हुई थी कोई भाई अपनी बहन को लेकर जा रहा था, कोई मां अपनी बेटी को लेकर जा रही थी, कोई चाचा अपनी भतीजी को लेकर जा रहा था. पहले दिन हम लगभग दस परिवारों से मिले हैं. कई जगह उनके दाह संस्‍कार में भी हिस्‍सा लिया है. सीधी में जो दुर्घटनाग्रस्‍त परिवारों के यहां दुघर्टना हुई थी मध्‍यप्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री जी के संवेदनशीलता के कारण तुरं‍त निर्णय लेकर निश्चित रूप से सभी परिवारों को राहत देने का काम किया. मुख्‍यमंत्री जी हमसे हर एक घण्‍टे में घटना की जानकारी ले रहे थे और मैं यह कह सकता हूं कि ऐसी घटनाएं भविष्‍य में घटित नहीं होना चाहिए. इसके लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कलेक्‍टर कार्यालय में बैठक की और सभी अधिकारियों को चेतावनी दी और वहां हुई पत्रकारवार्ता में भी निश्चित रूप से यह कहा कि भविष्‍य के लिए हमारी यह चिंता है कि अब ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरा‍वृत्ति नहीं होगी. निश्चित रूप से हमारा पूरा प्रदेश, चाहे पक्ष हो या विपक्ष, हम सभी चाहते हैं कि भविष्‍य में ऐसी दुर्घटनायें न हों. हमारे शरदेन्‍दु तिवारी जी ने बहुत सी बातें इस संबंध में सदन में रखी हैं, उनकी पुनरावृत्ति करना जरूरी नहीं है परंतु हम सभी की यह जिम्‍मेदारी है कि हम सभी सावधान रहें. सभी बस मालिकों को चेतावनी दें कि इस तरह ओवरलोड करके कहीं-कहीं बसें चलाते हैं, शासन उस पर चिंतित हैं, प्रदेश में कहीं भी, ओवरलोड करके बसों को नहीं चलने दिया जायेगा. धन्‍यवाद.

          श्री कमलेश्‍वर  पटेल-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या यह सरकार की ओर से जवाब था ?

          अध्‍यक्ष महोदय-  नहीं, जवाब नहीं था.

          श्री जितु पटवारी-  अनुपस्थित.

          श्री पी.सी.शर्मा (भोपाल-दक्षिण-पश्चिम)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं, इस दुर्घटना में जिन 54 लोगों की जान चली गई है, उन्‍हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं. हम लोग मृतकों की आत्‍मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन भी रखते हैं, जो कि पहले दिन इस सदन में रखा गया था लेकिन मैं समझता हूं कि उनकी आत्‍मा की शांति, तब तक नहीं हो पायेगी, जब तक उनके परिवारों को न्‍याय नहीं मिल जाता. जिस तरह से यह दुर्घटना हुई है कि छुहिया घाटी, जहां यह दुर्घटना हुई है, उस छुहिया घाटी का एन.एच.- 39 जाम था और अभी चुरहट विधायक, तिवारी जी का कहना था और वे इस बात को जस्टिफाइड कर रहे थे कि वहां कोई जाम नहीं था.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे पास कार्यालय पुलिस अधीक्षक, जिला सीधी का एक आदेश है कि-  ''दिनांक 16.2.2021 को थाना रामपुर नैकिन अंतर्गत एक बस के नहर में गिरने से हुई दुर्घटना में अनेक लोगों की जान गई. घटना के संबंध में विभिन्‍न माध्‍यमों से प्राप्‍त सूचनाओं के आधार पर रीवा-शहडोल स्‍टेट हाईवे, छुहिया घाटी पर विगत 4-5 दिनों से लगातार ट्रैफिक जाम था.'' यह जिला पुलिस का एक आदेश है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि यह दुर्घटना इसलिए हुई कि ड्राइवर ने रूट बदल दिया. परमिट एक रूट का दिया जाता है और उस बस में कुल 30 लोगों का परमिट था और उसमें 61 लोग बैठकर गए. वहां लगातार ट्रैफिक जाम होने की वजह से रूट डाइवर्ट था लेकिन वहां चैकिंग के लिए न तो कोई पुलिस थी, न कोई आर.टी.ओ. से था, न ही कोई जिला प्रशासन का अधिकारी चैक करने वाला था. अगर वहां सही समय पर चैकिंग हो जाती या सही समय पर जो जाम 4-5 दिनों से लगा था, वह यदि पहले सही करवा दिया जाता, तो मैं समझता हूं कि यह दुर्घटना नहीं होती और इन 54 लोगों की जान बच जाती.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी तरह जान इस तरह बच सकती थी कि व्‍यापम घोटला जिसने पहले भी बहुत लोगों की जान ली, मैं समझता हूं कि उसी प्रकार यह है. अगर सतना के बजाय सीधी में ही ए.एन.एम. की परीक्षा हो जाती तो मैं समझता हूं कि 54 लोगों की जान नहीं जाती. युवा खिलाड़ी और उनके परिवार परीक्षा देने जा रहे थे. मुख्‍यमंत्री जी ने राज्‍यपाल महोदया के अभिभाषण पर अपनी बात रखी थी तो उन्‍होंने सबसे बड़ी बात तो रोजगार और आत्‍मनिर्भरता की कही थी और ये वे लोग थे, जिनकी इस दुर्घटना में मृत्‍यु हुई, ये युवा थे और रोजगार की तलाश में परीक्षा देने जा रहे थे, अगर यह परीक्षा सीधी मुख्‍यालय पर हो जाती तो इनकी जान बच सकती थी और ये इतनी बड़ी दुर्घटना नहीं होती. जिसकी बस थी, उसका परमिट निरस्‍त कर दिया गया मेरा तो यह कहना है कि यदि उसकी और भी बसें हैं तो उन सभी के परमिट निरस्‍त किये जाने चाहिए.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि यह बस जिसमें 61 लोग थे, जिसकी कोई चैकिंग नहीं हुई, इस दुर्घटना के बाद मुख्‍यमंत्री जी वहां गए, अन्‍य मंत्री भी वहां गए लेकिन इसकी न्‍यायिक जांच होनी चाहिए थी. आखिर इस दुर्घटना के लिए दोषी कौन है ? मुख्‍यमंत्री जी ने कहा भी था कि इसकी न्‍यायिक जांच होगी.           मुख्‍यमंत्री(श्री शिवराज सिंह चौहान):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पी.सी.शर्मा जी कुछ भी बोलें मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मुझे कोड करके कोई गलत बात तो न बोलें, मजिस्ट्रियल जांच की घोषणा हो गयी है.

          श्री पी.सी.शर्मा:- तो न्‍यायिक जांच होना चाहिये. इतनी बड़ी दुर्घटना हो गयी, 54 लोगों की जान चली गयी.

          ऊर्जा मंत्री(श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे एक पीड़ा हो रही है कि सदन में हम उन मृतक परिवारों के प्रति दु:ख व्‍यक्‍त कर रहे हैं कि उस पर राजनीति कर रहे हैं.

          श्री पी.सी.शर्मा:- दु:ख है. सबसे पहले श्रद्धांजलि दी है.

श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर :- यदि आप कर रहे हैं तो जरा मुझे भी सुन लें. आप सिर्फ राजनीति का मोहरा मत बनाओ. उन परिवारों के लिये हमारे मुख्‍यमंत्री जी संवेदनशील थे, जब वह दूसरे दिन गये थे तो नेता प्रतिपक्ष उनके साथ उसमें जा सकते थे और वहां पर संवेदना व्‍यक्‍त कर सकते थे पर नेता प्रतिपक्ष वहां तक नहीं गया.

          श्री पी.सी.शर्मा:- आप नेता प्रतिपक्ष के लिये शब्‍द ठीक बोलो -'' नेता प्रतिपक्ष नहीं गया.'' (व्‍यवधान)

          श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- आप सिर्फ राजनीति करने के लिये और पेपर में छपने के लिये कर रहे हैं ..( व्‍यवधान) माननीय यह तरीका गलत है.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल:- अध्‍यक्ष महोदय, संवेदनशील विषय पर चर्चा हो रही है, सरकार की व्‍यवस्‍था चाहते हैं कि भविष्‍य में इस तरह की घटना नहीं हो इसलिये यह चर्चा हो रही है, यह क्‍यों इस तरह का व्‍यवधान पैदा कर रहे हैं.

          श्री पी.सी.शर्मा:- (xxx)

          श्री विश्‍वास सारंग:- (xxx)    

          श्री दिलीप सिंह परिहार:- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मुख्‍यमंत्री जी बहुत संवेदनशील हैं, वहां गये.

          श्री संजय यादव:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी माननीय मंत्री जी के इन शब्‍दों पर आपत्ति है. (xxx) इन्‍होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष नहीं गया. यह अपने शब्‍द वापस लें. मान मर्यादा से बात रखो, (xxx) आप मान मर्यादा का सम्‍मान नहीं रखते हैं.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल:- अध्‍यक्ष महोदय, इन शब्‍दों को विलोपित किया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय:- इनको रिकार्ड से हटा दिया है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- शर्मा जी, आप केवल विषय पर ही अपनी बात रखें. अभी बहुत लोग बोलने वाले हैं. यह संवेदनशील विषय है इसमें अभी हमारे कई माननीय सदस्‍य बोलने वाले हैं, कृपया अपने को विषय पर ही सीमित रखें.

          श्री पी.सी.शर्मा:- जी. अध्‍यक्ष महोदय, कुल मिलाकर हम तो यह चाहते हैं कि आइन्‍दा से यह हो कि व्‍यापम जो पहले से ही बहुत बदनाम है उसकी परीक्षाएं हों तो जिला सेंटर पर हों और परीक्षाएं आन लाईन हो रही हैं, दूसरी जगह सेंटर रखने की जरूरत ही नहीं थी. वहां बात कर रहे थे कोविड-19 का मामला था, वहां पर कोई सोशल डिस्‍टेसिंग नहीं थी, यहां पर मंत्री जी बैठे हुए हैं. हमारी तो यह मांग है कि जितने भी पीडि़त परिवार हैं, जो एक रोजगार के लिये जा रहे थे उनके जो लोग बचे हैं उनको एक-एक करोड़ रूपये दिये जाये और उनके परिवारों को रोजगार दिया और मैं चाहता हूं कि भविष्‍य में इस तरह की घटना न हो. प्रजापति जी ने जो एक मामला उठाया था कि धारा 304 इसका अधिकार आरटीओ को भी हो कि वह यह धारा लगा सके, गृह मंत्रालय के साथ-साथ. मंत्री जी पटेल साहब ने भी बहुत सी चीजें बतायी कि वर्ष 2019 में परमीशन मिली थी तब भी परिवहन मंत्री राजपूत जी थे. परिवहन मंत्रालय का एक ही काम नहीं है कि वह नाके ही बांटता रहे. उसके अलावा दूसरी चीजों पर भी ध्‍यान देना चाहिये कि इस तरह की दुर्घटना भविष्‍य में न हो, आपने समय दिया उसके लिये धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय:- माननीय सदस्‍यों से निवेदन है कि तमाम जो विषय आ रहे हैं उन विषयों की पुनरावृत्ति न करें.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया( मंदसौर):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक गंभीर विषय फिर चाहे प्रतिपक्ष ने अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए इसको यदि सदन में रखा और आपने उसको स्‍वीकारोत्ति प्रदान करी, आपका मैं हृदय से धन्‍यवाद ज्ञापित करता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय, घटना हृदय विदारक है और इस हृदय विदारक घटना में जो हुआ वह अकल्‍पनीय है. आदरणीय गोविन्‍द सिंह जी ने भी इस बात का उल्‍लेख किया है कि दुर्घटना आकस्मिक हो जाती है, किसी भी सरकारों के कारण नहीं होती है. कहीं पर कमियां हैं या खामियां है या कहीं पर अव्यवस्थाएं हैं उसका दोष उस तात्कालिक घटना के ऊपर जा सकता है. मैं अपने वक्तव्य के माध्यम से जो काल कवलित हुए हैं उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं और परिजनों के ऊपर जो वज्रपात हुआ है उसमें ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनको इस दुःख को झेलने की परमात्मा शक्ति प्रदान करें. बाण सागर की मुख्य नहर में वे यात्री जो अपना भविष्य खोजने के लिये प्रशिक्षण चयन परीक्षा में ए.एन.एम.के लिये जा रहे थे उसमें सारे के सारे परीक्षार्थी थे. 54 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है उसमें 28 पुरूष 23 महिलाएं एवं 3 बच्चे सम्मिलित थे. मैं सदन के माध्यम से स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स एस.डी.आर.एफ और एन.डी.आर.एफ की टीम को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि जिन्होंने तत्काल परिस्थिति को मौके पर जाकर जो काल कवलित हुए हैं उन मृत व्यक्तियों को खोज निकाला और स्थानीय लोगों की मदद से, उनको भी कभी भूल नहीं सकते हैं. उनकी मदद के कारण से 7 लोगों का रेस्क्यू हुआ इसलिये समाजसेवी संगठन जो वहां पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे उनको भी मैं विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं. घटना के बाद माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर माननीय गृहमंत्री जी, परिवहन मंत्री जी ने जो कदम उठा सकते थे और उठाये जाने चाहिये थे, उन्होंने उठाये उनकी मैं भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं. वाहन चालक की गिरफ्तारी 16 तारीख को हो जाना, वाहन चालक का लायसेंस उसी दिन तत्काल प्रभाव से निलंबित कर देना, फिटनेस प्रमाण पत्र तत्काल प्रभाव से निलंबित कर देना, 19.2.21 को बस की अनुज्ञप्ति को निरस्त कर देना, राजमार्ग 57 के मेंटेनेंस को लेकर के एम.पी.आर.डी.सी के संभागीय प्रबंधक ए.एन.के.जैन, सहायक महाप्रबंधक अनिल नार्गेश, प्रबंधक बी.पी.तिवारी को 17.2.21 को ही निलंबित कर दिया गया. सीधी के जिला परिवहन अधिकारी श्री शांति प्रकाश दुबे को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया. यह मैं इसलिये कह रहा हूं कि घटना के तत्काल बाद सरकार ने जो संज्ञान में लिया और जांच आदेश भी संभागायुक्त रीवा के द्वारा 17.2.21 को मजिस्ट्रेड जांच की अपर कलेक्टर एवं अपर जिला दण्डाधिकारी श्री हर्ष पंचोली को निर्देशित करते हुए किया गया, जिनके बिन्दु तय कर दिये गये हैं. यह कहना बिल्कुल गलत है कि और यह आरोप भी निराधार है कि उस मार्ग पर परिवहन विभाग ने कोताही बरती कभी कुछ किया नहीं है. पूर्व वक्ताओं ने उसके बारे में विस्तार से बताया है मैं उसको नहीं दोहराऊंगा. पर इतना जरूर कहूंगा कि वगैर परमिट, ओव्हर लोड, अनफिट एवं तेज गति से चलने वाले गाड़ियां बसें आदि को लेकर 12397 और 3399 तथा 1066 वाहनों के ऊपर भी कार्यवाही की गई थी. मैं इतना जरूर कहूंगा कि तत्काल माननीय श्री तुलसी सिलावट, तथा रामखेलावन मंत्री जी वहां पर गये. माननीय नरोत्तम मिश्रा जी ने गोविन्द सिंह जी से प्रश्न पूछा था कि गोविन्द सिंह जी प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाये थे. घटना गणेश विसर्जन 13 सितम्बर 2019 की थी भोपाल मुख्यालय पर 18 लोग गणेश जी के वसर्जन को लेकर के भोपाल में जिनका नाम आपने जानना चाहा था माननीय मंत्री श्री गोविन्द सिंह जी से खटलापुरा घाट छोटा तालाब वहां पर नाव पलट गई थी. सरकार ने जो काल कवलित हुए थे उनके परिवारजनों को नौकरियां नहीं दीं आज यही लोग नौकरी की बात कर रहे हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं थोड़ा सा पीछे ले जाउंगा, सेंधवा के बेरियर पर दो बस संचालकों का आपस में विवाद हुआ आगे-पीछे चलने के चक्‍कर में. भूपेन्‍द्र सिंह जी यहां विराजित थे, तब परिवहन मंत्री थे, माननीय मुख्‍यमंत्री जी की संवेदना, एक बस में दूसरे बस ऑपरेटर के ड्रायवर और कण्‍डक्‍टर ने, खल्‍लासी ने, क्‍लीनर ने आग लगा थी. कई लोग काल-कवलित हुए, तब माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने जांच के आदेश न्‍यायालयीन प्रक्रिया में शासन का पक्ष और वाहन के चालक-परिचालक को आजीवन कारावास और उसके बाद जो 2x2 की जो लग्‍जरी बसें हैं, उनको लेकर के नीति में परिवर्तन करने का काम भी किया था. मुझे सेंधवा की घटना आज भी याद है, जब दो बसों के संचालकों में विवाद के कारणों से पेट्रोल डालकर के बस में आग लगा दी गई थी. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, परिजनों को हितग्राही मूलक योजना से जोड़ा जाएगा, जो काल-कवलित हुए हैं और साथ में उन्‍हें स्‍थायी रोजगार मिले, उसको लेकर के भी शासन गंभीर है. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता. माननीय अध्‍यक्ष महोदय मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी अभी विराजित थे, लेकिन अभी माननीय मंत्री जी अपना वक्‍तव्‍य देंगे. मैं अपनी एक मांग रखना चाहता हूं, एक सुझाव देना चाहता हूं. सुझाव या मांग मेरी यह है कि जिस बस का इंश्‍योरेंस था, फिटनेस था, परमिट थी, ड्रायवर का लायसेंस था, कोई एक्‍सपायरी डेटे्ड नहीं था. आगे तक चलेंगे तो काफी लंबा हो जाएगा, लेकिन न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस की पॉलिसी भी 2025 तक की वेलेटिडिटी में थी.

          श्री पी.सी. शर्मा - बस ओवरलोड थी. चैकिंग हुई थी उसके एक साल से?

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह था कि न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी को क्षतिपूर्ति देना ही पड़ेगा, जो काल कवलित परिवार हैं, उनकी आर्थिक स्थिति, उनके ऊपर जो वज्रपात हुआ है, सबको देखकर के एक नजीर बनना चाहिए. आपका संरक्षण इसलिए चाहूंगा कि उन पक्षकारों का पक्ष रखने के लिए राज्‍य शासन की ओर से माननीय मंत्री जी हम वकील करें, फीस की अदायगी करें, क्‍योंकि जब क्‍लैम प्रस्‍तुत होगा, तो उस क्‍लैम के प्रस्‍तुत करने में उस परिवार को राशि भरना पड़ेगी. अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा यह भी है कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने पिछले समय, मैंने उस विधेयक पर अपना वक्‍तव्‍य दिया था, बाद में क्‍लैम का मामला जब ऊपर कोर्ट पर जाता है तो कंपनियां बचने की कोशिश करती है, तब उसको कोर्ट फीस देनी पड़ती है, उसको नरोत्‍तम मिश्रा जी ने इन्‍ट्रोड्यस किया था, मुझे अच्‍छी तरह से याद है और उस विधेयक पर मैंने अपना वक्‍तव्‍य दिया था. 10 प्रतिशत को 5 प्रतिशत किया था और एक दिन ब्रेक करके उसको 2 प्रतिशत किया था. अध्‍यक्ष जी मैं चाहता हूं कि यह जो घटना हुई है, इस घटना में बीमा कंपनी न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस से अच्‍छा पैसा मिले, परिवार के सदस्‍यों को, उसकी पूरी कानूनन लड़ाई ताकत के साथ राज्‍य शासन एक वकील करें, दो वकील करें, दस वकील करें और सभी को उन पक्षकारों की ओर से अपना पक्ष रखने के लिए सारी व्‍यवस्‍था उस परिवार के लिए राज्‍य सरकार के माध्‍यम से हों. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा. आपने अवसर दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          श्री संजय यादव(बरगी) - माननीय अध्‍यक्ष जी, सीधी की घटना जो घटी, निश्चित रूप से मृतकों के लिए सरकार ने जो भी व्‍यवस्‍थाएं कीं, लेकिन सबसे बड़ी दिक्‍कत कहां होती है कि  मृतक के साथ साथ जो दुर्घटना में लाचार हो जाते हैं, जो बेबस हो जाते हैं और जिसके परिवार के सदस्‍य की यदि घटना में कमर टूट गई हों या विकलांग हो गया हो, उसकी ओर शासन का कभी ध्‍यान नहीं जाता. उसका मैं उदाहरण बता रहा हूं. मेरे क्षेत्र में जैसे तिवारी जी 1981 की बात बता रहे थे, मैं ज्‍यादा पुरानी बात पर नहीं जाता चाहता हूं, घटना के क्‍या कारण है. 2018 में लोडिंग वाहन से 15 मजदूर खत्‍म हो गए थे, सरकार का कोई भी नुमाइंदा देखने नहीं गया था. 2017 में 5 लोग खत्‍म हो गए थे सरकार का कोई भी नुमाइंदा देखने नहीं गया था.

          अध्‍यक्ष महोदय - स्‍थगन प्रस्‍ताव पर चर्चा जारी रहेगी. सदन की कार्यवाही अपराह्न 3:00 तक के लिए स्‍थगित की जाती है.

 

 

 

 

 

 

(1.30 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

3.03 बजे                            विधान सभा पुन: समवेत हुई

{अध्‍यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

          अध्‍यक्ष महोदय - श्री संजय यादव, अपना भाषण पूरा करें.

          श्री संजय यादव - अध्‍यक्ष महोदय, निश्चित रूप से जो घटना सीधी में घटित हुई थी, उससे तो हम सबक लेते ही हैं. यह बहुत दु:खद घटना है, गंभीर घटना है. सबसे बड़ा दर्द तब होता है, जब किसी के परिवार में कोई विकलांग हो जाये, पीडि़त हो जाये, तो उसकी सुध लेने वाला बाद में कोई नहीं रहता है. मुझे बड़ी विडम्‍बना के साथ कहना पड़ रहा है और मैं माननीय सम्‍माननीय सदस्‍यों में श्री सिसौदिया जी को धन्‍यवाद दूँगा कि आप सकारात्‍मक उत्‍तरों के साथ बात रखते हैं, सुझावों के साथ बात रखते हैं कि इस तरह की घटनाओं में किस तरह से सुधार होना चाहिए. लेकिन मुझे दु:ख इस बात का होता है कि जब सम्‍माननीय सदस्‍य अपने नेताओं को खुश करने के लिए व्‍यक्तिगत रूप से तारीफों के पुल बांधे जाते हैं बल्कि सरकार का यह नैतिक कर्तव्‍य और दायित्‍व बनता है कि सरकार अगर घटना घटी है तो उसमें दोषियों के ऊपर तो कार्यवाही करती ही है, आगे घटना न हो, उसके लिए सरकार का क्‍या प्रयास रहता है. वह प्रयास हम लोग अपने सुझावों के माध्‍यम से, आपके माध्‍यम से सरकार को देना चाहते हैं.

        आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे यहां मैंने स्‍वयं उन लाशों को अपने हाथों से उठाया है, 25 लोग 2017-2018 में इन दुर्घटनाओं में खत्‍म हुए थे. घटना कैसे हुई ? हमें उसके पीछे के भी कारण जानना चाहिए.  आज गांवों में बसों की व्‍यवस्‍था न होने के कारण जो गरीब मजदूर, आदिवासी मजदूरों को चाहे वह किसान हो, चाहे ठेकेदार हो, कोई भी काम करवाने ले जाता है. वह लोडिंग वाहन से जो माल वाहक होते हैं, उसमें मजदूरों को भरकर ले जाता है. ऐसे ही मैं समझता हूं कि मध्‍यप्रदेश में प्रत्‍येक जिलों में जहां किसानों को मजदूरों की आवश्‍यकता होती है, जहां व्‍यापारी को मजदूरों की आवश्‍यकता होती है, तो वह अपनी राशि बचाने के लिये जिस माल वाहक में दस लोग जा सकते हों, उस माल वाहक में 50-50 लोगों को बैठाकर लाया जाता है.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सरकार उसी तरह का कृत्‍य करती है, जैसे इंदौर में एक बुजुर्ग को किस तरह से गाड़ी में फेंका था, यह सरकार की नियत, नीति और परंपरा बन चुकी है कि किस तरह से बुजुर्गों का अपमान करना है और किस तरह मजदूर गरीबों की अनदेखी करना है.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे यहां भी  नहर है. मेरी विधानसभा में नहर है. हमेशा नहर के किनारे घटनाएं घटती हैं और उसके पीछे हम दोषी हैं क्‍योंकि सिर्फ रैलिंग लगाने से हमारा काम नहीं बनेगा. हम नहीं नहर के किनारे जो सड़कें रहती हैं, वहां पर बड़े वाहनों क्‍यों नहीं प्रतिबंधित करते हैं ? नहर के किनारे अगर बस जायेगी, हाईवे जायेगा तो नहर भी क्षतिग्रस्‍त होगी और दुर्घटना का अंदेशा भी बना रहता है. मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन है कि सबसे पहले तो उन वाहनों पर रोक लगाना चाहिये कि लोडिंग वाहन में सवारी न बैठे, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये क्‍योंकि इसमें पुलिस भी कमाई करती है, आर.टी.ओ. भी कमाई करता है.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी शादी का सीजन आ रहा है. शादी के सीजन में बहुत घटनाएं घटती हैं. क्‍योंकि गरीब आदमी को, मजदूर को बारात ले जाने के लिये चूंकि वह बस का खर्चा वहन नहीं कर पाता है तो वह ट्रेक्‍टर से बारात ले जाता है, या सवारी वाहन से बारात लेकर जाता है, इसमें जब घटनाएं घटित हो जाती हैं, तब सरकार अपने मुआवजा के नाम से अपना कर्तत्‍व पूरा कर लेती है.

                माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से भी निवेदन करूंगा कि मेरे यहां उस समय जब घटना घटित हुई थी तब आप मंत्री नहीं थे, लेकिन मेरे यहां जो घटना घटित हुई थी, उसमें 15 लोग खत्‍म हो गये थे. आज भी दस लोग ऐसे हैं जो मजदूर थे, जिनकी कमर टूटी है, जिनके किसी के पैर टूटे हैं,उनका परिवार का पालन पोषण नहीं हो पा रहा है. सरकार की सिर्फ विकलांग पेंशन से उसका घर नहीं चलने वाला है. हम उसकी ओर ध्‍यान नहीं देते हैं, इन घटनाओं में अगर हम राजनीति करते हैं और अगर किसी का नुकसान होता है तो वह पीडि़त परिवार का ही नुकसान होता है. इसलिये मेरा आपसे निवेदन है कि गांव में जिस तरह की घटनाएं घटती हैं और आज जो सबसे बड़ी विडम्‍बना है कि लाईसेंस की प्रक्रिया जटिल होती है. गांव में अगर तीन लोग मोटरसाइकिल से जा रहे हैं तो स्‍वाभाविक रूप से गांव वाले लड़के की गाड़ी का इंश्‍योरेंस नहीं होता है और न ही उसके पास लाईसेंस होता है क्‍योंकि लाईसेंस प्रक्रिया जटिल होने के कारण गांव का मजदूर शहर में आकर लाईसेंस नहीं बनवा सकता है, इस कारण जब दुर्घटना होती है, तब अगर उसके पास लाईसेंस नहीं होता है तो इंश्‍योरेंस कंपनी का लाभ उस व्‍यक्ति को नहीं मिल पाता है. हमें कुछ नियम सख्‍त बनाना चाहिये कि तीन-चार सवारी में गांव के पास व्‍यवस्‍था नहीं है तो हमें व्‍यवस्‍था सुनिश्चित करना चाहिये. जिस तरह से पूर्व में बसे चलती थीं, मिनी बस जो चलती थीं, कम से कम मिनी बसों को बढ़ाया जाना चाहिये. चाहे सरकारी तौर पर या प्रायवेट बसों को प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिये. अगर बड़ी बस चलती है तो आकस्मिक द्वार रहता है क्‍या इस बस में आकस्मिक द्वार था ? उसके नियम क्‍या है ? क्‍या 32 सीटों के बाद, 30 सीटों के बाद जो आकस्मिक द्वार अगर नहीं था और उसको  अगर परमीशन दी गई है तो इसका दोषी कौन है ? दोषी सिर्फ एक व्‍यक्ति को नहीं ठहराया जा सकता है. सरकार तो अपना पल्‍ला, मुआवजा देकर और कुछ लोगों को सजा देकर अपनी इतिश्री कर लेती है लेकिन आगे दुर्घटनाओं को कैसे रोकने का प्रयास किया जाये, उसकी ओर हम कदम क्‍यों नहीं बढ़ाते हैं. आज गांव में अगर लाईसेंस की प्रक्रिया बना दी जाये और जो गाड़ी हम खरीदते हैं, छोटी गाड़ी कोई भी खरीदता है, हम पचास हजार रूपये की गाड़ी खरीदते हैं लेकिन हम एक साल का इंश्‍योरेंस कराते हैं और उसके बाद हम इंश्‍योरेंस कराना भूल जाते हैं. अगर वह गाड़ी चोरी हो जाये और उससे दुर्घटना घट जाये तो उसको लाभ नहीं मिलता है और जिस गाड़ी से एक्‍सीडेंट हो और अगर उसका इंश्‍योरेंस नहीं हुआ तो गाड़ी वाले के ऊपर प्रकरण चलता है, वह प्रकरण सालों चलता है, उस दौरान उसका घर द्वार भी बिक जाता है, लेकिन वह पूरी उसकी क्षतिपूर्ति नहीं कर पाता है. इसलिये मेरा आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि कुछ ऐसे सख्‍त नियम बनाये जाने चाहिये और ऐसी सख्‍ती करनी चाहिये कि लोगों को सहूलियत औ