मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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          चतुर्दश विधान सभा                                                                                              दशम् सत्र

 

 

फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र

 

मंगलवार, दिनांक 01 मार्च, 2016

 

(11 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1937 )

 

 

            [खण्ड-  10 ]                                                                                                       [अंक- 6 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

मंगलवार, दिनांक 01 मार्च, 2016

 

(11 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1937 )

 

विधान सभा पूर्वाह्न 10.32 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}

 

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रश्‍न क्रमांक-1.

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - मेरे द्वारा एक स्‍थगन प्रस्‍ताव दिया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय - कुछ नहीं लिखा जायेगा. प्रश्‍नकाल होने के बाद बात करेंगे.

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) - यह गलत परम्‍परा हो जायेगी. (व्‍यवधान)

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - अध्‍यक्ष महोदय, पूर्व मुख्‍यमंत्री और पूर्व विधानसभा अध्‍यक्ष और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरूद्ध, यह कहना है कि हमने स्‍थगन प्रस्‍ताव दिया है. शून्‍यकाल में कोई निर्णय हुआ है कि नहीं.

          अध्‍यक्ष महोदय - तिवारी जी, यहां बात नहीं होती है. आप वरिष्‍ठ सदस्‍य हैं, आपको मालूम है. आपकी बात आ गई है. कृपा करके बैठ जाइये. आप बैठेंगे कि नहीं, सदन चलने देंगे कि नहीं. (व्‍यवधान)

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - अध्‍यक्ष महोदय, बैठेंगे भी और अपनी बात भी कहेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं, बिल्‍कुल नहीं. आप दूसरे सदस्‍यों के अधिकारों का हनन नहीं कर सकते हैं. प्‍लीज. यहां प्रश्‍नकाल से खिलवाड़ नहीं होगा. आप जो भी बात है 11.30 बजे कीजिये. तिवारी जी का कुछ नहीं लिखा जायेगा. (व्‍यवधान)

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - (XXX)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - यह आप कैसे कह रहे हैं कि आरोप लगाये जा रहे हैं. क्‍या आप न्‍यायाधीश हैं ? कि सच और असत्‍य का फैसला कर रहे हैं. (व्‍यवधान)

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - तो क्‍या आप न्‍यायाधीश है ?

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - मैं नहीं हूँ. न्‍यायालय है. न्‍यायालय करेगा, जो भी करेगा. (व्‍यवधान)

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - आपने असत्‍य प्रकरण पेश किये हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - आपके पास क्‍या आधार है कि आरोप असत्‍य है. (व्‍यवधान)

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - अधिकार आपका है क्‍या ?

          अध्‍यक्ष महोदय - कुछ रिकॉर्ड में नहीं आ रहा है.

          पशुपालन मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले) - ये तनाशाही मचा रहे हैं, प्रश्‍नकाल नहीं चलने दे रहे हैं. (व्‍यवधान)

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - अध्‍यक्ष महोदय, चर्चा होनी चाहिए. हमारा स्‍थगन स्‍वीकार करना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं.

          उच्‍च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्‍ता) - अगर मुकदमें लगे हैं, जांच हो रही है तो क्‍यों घबरा रहे हो ?

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - घबरा नहीं रहे हैं.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता - तो क्‍यों परेशान हो रहे हो. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्रीगण बैठ जाएं.

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - असत्‍य मामले लगा रहे हैं.

          पंचायत मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - जिसने जैसे करम किये होंगे, वैसा भुगतेगा. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये.

          अध्‍यक्ष महोदय - बाला बच्‍चन जी बोल रहे हैं, उनको बोलने दें.

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी - मैं मिन्‍नत नहीं कर रहा हूँ.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्‍चन) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय तिवारी जी ने जो बता उठाई है. उन्‍होंने जो स्‍थगन दिया है. पूर्व मुख्‍यमंत्री जी से रिलिवेन्‍ट है. आप क्‍या इस पर व्‍यवस्‍था देंगे ? आप क्‍या चर्चा करायेंगे ? इस पर हाउस में चर्चा करानी चाहिए ताकि साफ बात हो सके.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - नेता प्रतिपक्ष जी, कोई अभी कायमी हो गयी उसकी. अभी महीने, दो महीने में कायमी हो गई क्‍या. (व्‍यवधान)

          श्री बाला बच्‍चन - आप इसकी10 साल बाद कायमी कराइयेगा ?

          अध्‍यक्ष महोदय -  आप बैठ जाइये.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - 10 महीने पहले की कायमी पर,  आज स्‍थगन मांग रहे हो.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है. (व्‍यवधान)

          श्री बाला बच्‍चन - अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक मिनिट लेना चाहता हूँ. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने बोला है.

          अध्‍यक्ष महोदय - यहां कोई सीधी बात नहीं होगी, आपने जो बात बोली है. आप कक्ष में आकर बात कर लीजिये.  प्रश्न संख्या 1.

                   पंचायत मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) --  अध्यक्ष महोदय,  इस प्रकरण में  जमानत  हो चुकी है, मामला सब ज्युडिस है, अब उस पर  क्या चर्चा होगी.

                   अध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठ जायें.  विषय समाप्त हो गया.

                   श्री सुन्दरलाल  तिवारी -- (xxx)

                        अध्यक्ष महोदय --  तिवारी जी, विषय समाप्त हो गया.  उनसे भी बोल दिया है मैंने.  उनका उत्तर देना आपका जरुरी नहीं है.  उत्तर वह देंगे कि आप देंगे. आप बैठ जाइये.  (श्री गोपाल भार्गव से) जब नम्बर आयेगा, तब उत्तर देना. कृपया बैठ जायें.

                   श्री सुन्दरलाल  तिवारी -- (xxx)

                   अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें.

                   श्री गोपाल भार्गव --   प्रकरण सब ज्युडिस है, चालान पेश हो चुका है.  चार्जशीट  दाखिल हो चुकी है.

                   श्री सुन्दरलाल  तिवारी -- (xxx)

                   राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन ((श्री लाल सिंह आर्य)--  तिवारी जी ने गलत  करने का ठेका ले लिया है क्या.  गलत करोगे, तो कार्यवाही होगी.

                   श्री सुन्दरलाल  तिवारी -- (xxx)

                   श्री लाल सिंह आर्य --   आपको छोड़ दिया जायेगा क्या.  घोटाले, भ्रष्टाचार आपने किये हैं.

                   श्री सुन्दरलाल  तिवारी -- (xxx)

                   अध्यक्ष महोदय -- (श्री लाल सिंह आर्य को)  आप उत्तर नहीं दें, वे बोलकर  चुप हो जायेंगे. कृपा करके आप उत्तर नहीं दें.  वह अपने आप चुप हो जायेंगे.  कृपया बैठ जायें. (व्यवधान) कृपा करके तिवारी जी का उत्तर कोई न दे.  वही तरीका है उनको शांत करने का.  उनको जो कुछ बोलना है, उनको बोलने दें, रिकार्ड में  उनका कुछ नहीं  आयेगा. कृपा करके आप लोग बैठ जायें. शर्मा जी, बैठ जायें.

                   श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय,  कृपया आप इसमें व्यवस्था दीजिये.  हर बार तिवारी जी गड़बड़ करते रहेंगे,  हमारे सदन का  समय खाते रहेंगे.  ऐसे कैसे हो सकता है.

                   अध्यक्ष महोदय -- आप उनकी  बात का उत्तर देंगे, तो  उनका आप महत्व बढ़ा रहे हैं.  उनको बोलने दीजिये, जो बोल रहे हैं.

                   श्री अरुण भीमावद -- अध्यक्ष महोदय,  हमारे  प्रश्न से ज्यादा  महत्वपूर्ण इनकी बीमारी  को ठीक  करना जरुरी है.

                   अध्यक्ष महोदय -- आप तो अपना प्रश्न करिये.

10.37 बजे                              तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर

अनुसूचित जाति क्षेत्र की बस्तियों का विकास

1. ( *क्र. 2308 ) श्री अरूण भीमावद : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुसूचित जाति बाहुल्‍य क्षेत्रों की बस्तियों, टोले एवं मजरों में सी.सी. रोड़, नाली निर्माण एवं सामुदायिक भवनों के निर्माण हेतु शासन के प्रावधान क्‍या हैं? (ख) जिला शाजापुर में बस्‍ती विकास में सत्र 2013-14 एवं 2014-15 में कितना आवंटन दिया गया? प्रश्‍नांश (क) के अनुसार आवंटन की राशि कौन-कौन ग्राम पंचायतों को जारी की गई? (ग) जारी की गई ग्राम पंचायतों में अनुसूचित जाति का कितना प्रतिशत है? (घ) शासन द्वारा बस्‍ती विकास मद से राशि जारी करने हेतु ग्राम पंचायत स्‍तर पर अनुसूचित जाति का प्रतिशत कितना होना अनिवार्य है?

आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) प्रावधानों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ’ अनुसार है। (ख) वर्ष 2013-14 में रूपये 106.71 लाख एवं वर्ष 2014-15 में रूपये 100.64 लाख का आवंटन दिया गया। पंचायतों को वितरित राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ’ अनुसार है। (ग) विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अनुसार है। (घ) अनुसूचित जाति की जनसंख्‍या 40 प्रतिशत अथवा अनुसूचित जाति के 20 परिवार निवासरत होना आवश्‍यक है।

                   श्री अरुण भीमावद -- अध्यक्ष महोदय,  मैं सबसे पहले  मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि  उन्होंने मेरे प्रश्न का उत्तर  प्रावधान के अनुसार दिया है.  लेकिन मैं इसमें  पूरक प्रश्न  में  जानना चाहूंगा कि  क्या मेरी विधान सभा  क्षेत्र की  ग्राम  पंचायत तुहेड़िया, पलसावदसोन, खामखेड़ा, कांजा खेड़ा, सतगांव, नारायणगढ़, पचोला बनहल, पचोला हरनाथ, बमोरी  के   अनुसूचित जाति बस्ती  बाहुल्य क्षेत्र में  क्या राशि स्वीकृत करेंगे.

                   श्री ज्ञान सिंह -- अध्यक्ष महोदय,  माननीय सदस्य ने  अपने प्रश्न के माध्यम से   यहां पर  जिन गांवों के विकास के बारे में बात कही है.  मैं अवश्य माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहूंगा कि  जिन गांवों के  बारे में उन्होंने अपने  उद्बोधन में बात कही है,  उन गांवों   का हम परीक्षण कराकर के  अवश्य  निर्माण कार्य की  स्वीकृति देंगे.

                   श्री अरुण भीमावद --  मंत्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद.

                   नीति के विरूद्ध किये गये स्‍थानांतरण

2. ( *क्र. 1242 ) श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दमोह जिला अंतर्गत स्‍थानांतरण नीति वर्ष 2015 अनुसार कितने शिक्षकों के स्‍थानांतरण किस स्‍थान से किस स्‍थान पर किये गये हैं?         (ख) स्‍थानांतरण नीति 2015 किस दिनांक से किस दिनांक तक के लिए लागू की गई थी? नीति की एक सत्‍य प्रति उपलब्‍ध करावें। (ग) स्‍थानांतरण नीति तिथि के उपरांत स्‍थानांतरण कराये जाना हैं, तो क्‍या प्रक्रिया है? यदि स्‍थानांतरण नीति के विरूद्ध जिला शिक्षा अधिकारी दमोह द्वारा स्‍थानांतरण किये गये हैं, तो प्रश्‍नकर्ता द्वारा शिकायत वरिष्‍ठ अधिकारियों को सौंपे जाने के उपरांत भी कार्यवाही आज दिनांक तक क्‍यों नहीं की गई? कब तक कार्यवाही की जाएगी?

स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र एक अनुसार है। (ख) दिनांक 16.05.2015 से 10.06.2015 तक। प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र दो अनुसार (ग) पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट दो की कंडिका 10.1 एवं 10.2 अनुसार। संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सागर संभाग को जाँच हेतु संचालनालय के पत्र क्रमांक 869 दिनांक 28.12.2015 द्वारा लिखा गया है। जाँच प्रतिवेदन प्राप्ति के उपरांत नियमानुसार कार्यवाही संभव हो सकेगी।

                   श्रीमती उमादेवी खटीक -- अध्यक्ष महोदय,   मैंने प्रश्न के माध्यम से  शासन की स्थानान्तरण  नीति के विरुद्ध   किये गये स्थानान्तरणों के बारे में  जानना चाहा था.  मैं प्राप्त जानकारी से संतुष्ट हूं  और मैं मंत्री जी को  धन्यवाद देती हूं.  ( सत्ता पक्ष की ओर  से मेजों की थपथपाहट)  मेरा मंत्री जी से  निवेदन है कि जिला शिक्षा  कार्यालय में  15-15 वर्षों से  जो लिपिक कर्मचारी  पदस्थ हैं, ये अधिकारियों को गुमराह करके  अवैध कार्यों को अंजाम देते हैं. दमोह जिले के जिला शिक्षा  कार्यालय  में पदस्थ  लिपिक  वर्ग के  कर्मचारियों का  हटाया जाना संभव है.  मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि  कि वह कब तक हटा देंगे.

                   राज्यमंत्री,  स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी) -- अध्यक्ष महोदय,  जैसे कि माननीय सदस्या की  भावना है.  हमने पहले भी  विभाग के माध्यम से  जो कर्मचारी तीन साल से  अधिक एक स्थान पर हैं,  उनको हटाने की प्रक्रिया  प्रारंभ की है  और अगर इनके जिले में कोई  विशेष इस प्रकार की  बात होगी,  तो  हम उसको  परीक्षण करके  तत्काल हटा देंगे.

                   श्रीमती उमादेवी खटीक -- अध्यक्ष महोदय, उनमें एक संजू  तिवारी हैं, एक कैलाश  बिदोलिया हैं, वह 15-15 वर्षों से पदस्थ हैं,  उनको तत्काल हटाये जाने की कार्यवाही की जाये.

                   अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने परीक्षण कराने का बोल दिया है.

 

सरदारपुर विधान सभा क्षेत्र के निर्माण कार्य

3. ( *क्र. 33 ) श्री वेलसिंह भूरिया : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या आदिम जाति कल्‍याण विभाग के अंतर्गत आदिवासी एवं अनुसूचित जाति बस्तियों में खरंजा निर्माण एवं विद्युतीकरण के लिये राशि प्राप्‍त होती है? इसके लिए क्‍या मापदण्‍ड निर्धारित हैं? (ख) प्रश्‍नांश (क) में उल्‍लेखित कार्यों हेतु धार जिले को वर्ष 2012-13 से वर्ष 2014-15 में कितनी राशि दी गई तथा किसकी अनुशंसा पर कितनी राशि आवंटित की गई? मदवार जानकारी दें। (ग) सरदारपुर विधान सभा क्षेत्र में उक्‍त वर्षों में किन-किन ग्रामों/मजरों में खरंजा निर्माण एवं विद्युतीकरण के कार्य स्‍वीकृत हुए हैं? कार्यवार लागत एवं कार्य एजेंसी सहित जानकारी दें। क्‍या इन कार्यों की गुणवत्‍ता की जाँच करायेंगे? (घ) उक्‍त स्‍वीकृत कार्यों में बस्‍ती विकास योजना में विधान सभा क्षेत्र सरदारपुर में कितने कार्य स्‍वीकृत हुए हैं एवं कितने लंबित हैं? शेष कार्य कब तक पूर्ण किये जायेंगे?

आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) प्रश्‍नांश अंतर्गत बस्‍ती विकास योजना में खरंजा निर्माण का प्रावधान नहीं है। अनुसूचित जाति अंतर्गत सी.सी. रोड हेतु राशि दी जाती है एवं राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना से वंचित 100 से कम आबादी वाली अनुसूचित जाति बस्तियों को विद्युतीकरण करने हेतु राशि आवंटित की जाती है, जबकि जनजाति मद से जिलों के प्रस्‍ताव एवं उपलब्‍ध बजट के आधार पर राशि पुनर्वंटित की जाती है। (ख) अनुसूचित जाति बस्‍ती विकास योजनांतर्गत वर्ष 2012-13 में रू. 76.24 लाख तथा वर्ष 2013-14 में रू. 79.48 लाख तथा वर्ष 2014-15 में रू. 20.69 लाख की राशि दी गई। शेष  जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है।      (ग) अनुसूचित जाति बस्‍ती विकास योजनांतर्गत स्‍वीकृत कार्यों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र  'एक' अनुसार है, जबकि जनजाति विद्युतीकरण योजनांतर्गत स्‍वीकृत कार्यों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। कार्यों की गुणवत्‍ता के संबंध में कोई विपरीत तथ्‍य प्रकाश में नहीं आये हैं। अत: शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (घ) अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजना में दो कार्य अपूर्ण हैं। कार्य पूर्ण होने की समय-सीमा बताना संभव नहीं है।

परिशिष्ट - ''एक''

            श्री वेलसिंह भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी के द्वारा जो उत्तर दिया गया है उससे मैं बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत आदिवासी एवं अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजना में सीसी रोड निर्माण, खरंजा निर्माण एवं विद्युतीकरण के लिये जो राशि प्राप्त होती है, इसके क्या मापदण्ड निर्धारित हैं ?

            अध्यक्ष महोदय-- वह तो उत्तर में ही दिया हुआ है.

          श्री ज्ञान सिंह -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर में स्पष्ट लिखा है.

          श्री वेलसिंह भूरिया -- अध्यक्ष महोदय, मुझे जवाब घुमा-फिराकर के दिया गया है. इसलिये मैं उत्तर से संतुष्ट नहीं हूं और मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि अनुसूचित जाति, जनजाति बस्ती विकास योजना में जो 80 प्रतिशत की राशि शासन के द्वारा जिले को दी जाती है, वह किस आधार पर वितरित की जाती है. जिले में जो सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास होता है क्या यह राशि उसके माध्यम से दी जाती है या कलेक्टर की अध्यक्षता में कोई कमेटी बनाकर उसके माध्यम से दी जाती है, यह राशि देने के कोई नियम हैं, कोई मापदण्ड इसके बारे में हों तो वह  मंत्री जी बता दें.

          अध्यक्ष महोदय-- वैसे तो परिशिष्ट में उल्लेख है. पर मंत्री जी आप बताना चाहें तो बता दें.

          श्री ज्ञान सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 80 प्रतिशत की राशि जिले को स्थानांतरित होती है, परियोजना सलाहकार मंडल की बैठक में इस राशि को जनसंख्या का अनुपात में वहां के निर्माण कार्यों की आवश्यकता को देखते हुये ही राशि स्वीकृत की जाती है.

          श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां 7 विधानसभा में से 5 विधानसभा आदिवासी हैं जिसमें 70 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या वाला सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में जो राशि जनसंख्या के आधार पर परियोजना में अथवा बस्ती विकास योजना में दी जाना चाहिये, वह राशि मापदण्ड पर रहते हुये भी क्यों नहीं दी जा रही है. मैं स्थानीय अधिकारियों से जब इस बारे में बात करता हूं तो उनका कहना रहता है कि आप माननीय मंत्री जी से बात करे. अध्यक्ष जी मैं माननीय मंत्री जी से क्यों बात करूं. जिले की बात जिले में हम करेंगे, विधानसभा की बात हम विधानसभा में करेंगे. अध्यक्ष महोदय, मामला यह है कि हमारे प्रस्ताव को सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास द्वारा शामिल क्यों नहीं किया जाता है.

          अध्यक्ष महोदय-- (मंत्री जी से) आप उनके प्रस्ताव दिखला लें, यदि कोई हों तो.

          श्री ज्ञान सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी प्रस्ताव देंगे, पत्र देंगे उन पर विचार किया जायेगा. मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को जानकारी देना चाहूंगा सरदारपुर जो माननीय विधायक जी का विधानसभा क्षेत्र है उसमें वर्ष 2012-13 में 76.24 लाख, वर्ष 2013-14 में 79.48 तथा 2014-15 में 20.59 लाख की राशि स्वीकृत की गई है. इसमें से एसटी के 57 कार्य पूर्ण हो गये हैं, एससी के 11 कार्य स्वीकृत हुये थे जिसमें से 9 कार्य पूर्ण हो चुके हैं तथा 2 कार्य अधूरे हैं.

          श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि यह सारे काम तो कागज पर हैं, कोई काम हुआ नहीं है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि मंत्री जी एक समिति गठित करके क्या इन कार्यों की जांच करवायेंगे.

          अध्यक्ष महोदय-- आप मंत्री जी को लिखकर के दे दीजिये.

          श्री वेलसिंह भूरिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो अन्याय है. मैं मंत्री जी से यह चाहूंगा कि क्या इन सभी कार्यों की जांच मंत्री जी करवायेंगे.

          अध्यक्ष महोदय-- यदि कोई स्पेसिफिक हो तो वह आप मंत्री जी को बता दें तो उसकी जांच करा लें.

          श्री वेलसिंह भूरिया--अध्यक्ष महोदय, मैं ऐसा नहीं बताना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के बंगले पर मिलने के लिये जाता हूं तो मंत्री जी मिलते भी नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 4. भूरिया जी आप बैठ जाईये.

          श्री वेलसिंह भूरिया--नहीं, अध्यक्ष महोदय, आप मेरे साथ में न्याय करिये.

          अध्यक्ष महोदय-- कर दिया न्याय.

          श्री वेलसिंह भूरिया--अध्यक्ष महोदय, आज मुझे आपका संरक्षण चाहिये.

          अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, इस तरह से नहीं होना चाहिये. प्लीज..

          श्री वेलसिंह भूरिया--अध्यक्ष महोदय, क्या मंत्री जी इन सभी कार्यों की जांच करायेंगे हां या नहीं में उत्तर दे दें. सीधी सी बात है.

          अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया सहयोग करें.

          श्री वेलसिंह भूरिया--अध्यक्ष महोदय, मैं तो इतना कहना चाहता हूं कि जो कार्य विभाग के द्वारा स्वीकृत हुये हैं उनकी मंत्री जी जांच करायेंगे हां या ना में जवाब दे दें.

          अध्यक्ष महोदय-- अब कुछ नहीं लिखा जायेगा.

          श्री वेलसिंह भूरिया--xx            x       xxx     xxx

         

 

ग्‍वालियर जिलांतर्गत स्‍वीकृत/संचालित छात्रावास

4. ( *क्र. 2270 ) श्रीमती इमरती देवी : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि () क्‍या ग्‍वालियर जिले में वर्ष 2015-16 में अनुसूचित जाति के बालक कन्‍या छात्रावास स्‍वीकृत किये गये थे? यदि हाँ, तो कितने? किस शहर ग्रामीण में कहाँ-कहाँ पर स्‍वीकृत किये गये थे और क्‍या वे स्‍वीकृत होने के बाद पूर्व स्‍वीकृत स्‍थान पर चालू कर दिये गये हैं? यदि नहीं, तो कब तक चालू कर दिये जावेंगे? () प्रश्‍नांश () ग्‍वालियर जिले में अनुसूचित जाति छात्रावासों की डबरा शहर ग्रामीण, बिलौआ, पिछोर में जनसंख्‍या अनुसार खोले जाने की अति आवश्‍यकता थी, क्‍या इन शहर ग्रामीण में कोई छात्रावास स्‍वीकृत किया गया है? यदि नहीं, तो कब तक स्‍वीकृत किया जावेगा?

आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : () जी हाँ। 20 छात्रावास स्‍वीकृत किये गये हैं। सभी छात्रावास ग्‍वालियर जिला मुख्‍यालय पर स्‍वीकृत किये गये हैं। 01 कन्‍या पोस्‍ट मैट्रिक छात्रावास ग्‍वालियर मुख्‍यालय पर संचालित कर दिया गया है। शेष 19 प्री मैट्रिक छात्रावासों का जिले में स्‍थल संशोधन का प्रस्‍ताव विचाराधीन है। () जी नहीं। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।

 

            श्रीमती इमरती देवी--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं जो मैंने प्रश्‍न लगाया है, ग्‍वालियर जिले में कितने छात्रावास स्‍वीकृत हुये हैं, अगर हुये हैं तो किस-किस जगह  हुये हैं.

          श्री ज्ञानसिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, इस वित्‍तीय वर्ष में ग्‍वालियर जिले में 20 छात्रावास स्‍वीकृत हुये. पोस्‍ट मैट्रिक छात्रावास संचालित हैं, 19 छात्रावास संचालित न हो पाने के कारण, आवास की उपब्‍धता न होने पर प्रयास विभाग की ओर से लगातार जारी रहा,  जिला प्रशासन का भी.  इस कारण से वे 19 प्री-मैट्रिक छात्रावास अभी संचालित नहीं हो पाये हैं.

          श्रीमती इमरती देवी--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक कन्‍या पोस्‍ट मैट्रिक इन्‍होंने ग्‍वालियर शहर में चालू किया है, 19 संशोधन के लिये रखे गये हैं. संशोधन शहर से ग्रामीण को कर रहे हैं या ग्रामीण से शहर के लिये कर रहे हैं. हम उनसे यह पूछना चाहते हैं कि यह शहर में ही क्‍यों पूरे के पूरे बनाना चाहते हैं. डबरा के लिये 5 छात्रावास इनके अधिकारियों ने हमें बताया है, स्‍वीकृत हुये हैं, 2 बिलौआ को, 1 पिछौर और 2 डबरा में, 5 ऐसे इन्‍होंने स्‍वीकृत किये थे और अब संशोधन करके यह शहर में क्‍यों ले जाना चाहते हैं. आप मंत्री जी यह बतायें कि जनसंख्‍या एस.सी. की शहर में ज्‍यादा रहती है कि ग्रामीण में ज्‍यादा रहती है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप एक प्रश्‍न कोई भी पूछ लें.

          श्रीमती इमरती देवी--  हां तो हम यही पूछना चाहते हैं कि छात्रावास ग्रामीण में खोले जायें, ग्रामीण में ज्‍यादा जनसंख्‍या एस.सी. की रहती है.

          श्री ज्ञान सिंह--   माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, माननीय सदस्‍य महोदय का बहुत अच्‍छा यह प्रश्‍न है, सारे क्षेत्र में संस्‍था खोले जाने के लिये शासन एवं विभाग की किसी दूसरी मंशा थी, उसका यह था कि ग्रामीण अंचल के हमारे भाई, बहिन शहरों में जाकर के पढ़ें और कुछ शहरी वातावरण का उन पर असर हो, जो 19 छात्रावास हमारे संचालित हैं, विदिशा में विभाग की ओर से प्रयासरत हैं, जहां तक आदरणीय हमारी सदस्‍य महोदया जी डबरा की बात कर रही हैं, आने वाले शिक्षा सत्र से आपके माध्‍यम से मैं आश्‍वस्‍त कराना चाहूंगा, वहां छात्रावास खो‍ल दिये जायेंगे.

          श्रीमती इमरती देवी--  आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी ने कहा है शहर में पढ़े, शहर में तो जब पढ़ें ग्रामीण के, एस.सी. के लोगों पर इतना पैसा नहीं है कि वह किराये से मकान लें, 5-5, 10-10 हजार रूपये महीना और फिर अपने बच्‍चों को रहकर, यह जरूर है कि बच्‍चों को सुविधा यह देते हैं, लेकिन ऐसे माता-पिता नहीं हैं कि अपनी बेटियों को और बच्‍चों को बिलकुल फ्री छोड़ दें ग्‍वालियर में. बच्‍चों को रहकर पढ़ाया जाता है, माता-पिता रहकर पढ़ाते हैं तो यह पूरे ग्रामीण में क्‍यों नहीं खोल रहे हैं और खोलेंगे तो कब तक खोलेंगे यह बता दें.

          श्री ज्ञान सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, शहरों में रहकर के हमारी छात्र-छात्रायें शिक्षा ग्रहण करेंगी, छात्रावास बिल्डिंग नहीं बनेंगे तब तक छात्रावास जो आवासीय किराया देने की सरकार की जो व्‍यवस्‍था है, पहले तो 5 छात्रों के बीच में 2000 रूपये किराया देने का था, संभागीय मुख्‍यालय में 2 हजार, जिला मुख्‍यालय में 1500 रूपये, ब्‍लॉक मुख्‍यालय में 1200 रूपये. किराये की व्‍यवस्‍था हमारी सरकार ने छात्र-छात्राओं के लिये कर ली है, उसकी चिंता करने की कोई बात नहीं है, जहां तक आदरणीया जो कह रही हैं कि कब तक खोल दिये जायेंगे, मैं आश्‍वस्‍त कराना चाहूंगा माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी आपके माध्‍यम से कि जहां वह 2-3 जगह बताई हैं, जुलाई के अगले सत्र में छात्रावास खोल दिये जायेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय--  ठीक है, हो गया काम उनका, वह जहां कहेंगी वहां खोलने के लिये तैयार हैं.

          श्री लाखन सिंह यादव--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय....

          अध्‍यक्ष महोदय--  अब कोई विषय नहीं है, प्‍लीज-प्‍लीज, सहयोग करें आप.

          श्री लाखन सिंह यादव--  मेरे जिले से संबंधित प्रश्‍न है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  उनकी बात आ गई वह जहां कहेंगी, खोलने के लिये तैयार हैं और उनसे सहमत भी हैं.

            श्री लाखन सिंह यादव--  मैं पिछले 7 साल से लड़ रहा हूं. मेरे जिले से रिलेटेड प्रश्‍न है.

           अध्यक्ष महोदय-- चलिये पूछ लीजिए.

          श्री लाखन सिंह यादव--अध्यक्ष महोदय, पिछली पंचवर्षीय योजना के पांच साल और दो साल इस कार्यकाल कुल 7 साल से लगातार मैं अनुसूचित जाति के छात्रावासों की लड़ाई लड़ रहा हूं. आपने अभी 20 छात्रावास स्वीकृत किये और बीसों के लिए आपने कह दिया कि शहर में होंगे.

          अध्यक्ष महोदय-- वह बात तो समाप्त हो गई है.

          श्री लाखन सिंह यादव-- पिछली पंचवर्षीय के 5 साल और 2 साल इस अवधि के लगातार 7 साल से मैं अपने खुद के गाव में जहां जिले के सबसे ज्यादा SC के लोग रहते हैं. आप मेरी बात तो सुन लें.

          अध्यक्ष महोदय-- नहीं, प्रश्नकाल बात सुनने के लिए नहीं होता.

          श्री लाखन सिंह यादव-- वहां जगह भी स्वीकृत है, सब कुछ है 7 साल के बाद भी क्या आप मेरी ग्राम पंचायत कार में यह छात्रावास स्वीकृत करेंगे?

          अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न उद्भूत नहीं होता. मंत्रीजी उत्तर देने की कोई जरुरत नहीं है.बैठिये.

          श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, मेरी बात तो सुनना ही नहीं चाह रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात सुन ली. 

          श्री लाखन सिंह यादव-- मैंने प्रश्न भी लगाया था.

          अध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई. दूसरे सदस्य का प्रश्न है.

 

 

 

 चंबल नदी का शुद्धीकरण

5. ( *क्र. 423 ) श्री दिलीप सिंह शेखावत : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नागदा नगर स्थित चंबल नदी के शुद्धीकरण हेतु जल शुद्धीकरण योजना लागू की गई थी? इसकी कुल लागत कितनी थी? यह किस वर्ष में स्‍वीकृत की जाकर कार्य कब प्रारंभ किया गया? (ख) इसमें अभी तक कुल कितना व्‍यय किया जा चुका है? क्‍या वर्तमान में धरातल पर नग‍ण्‍य कार्य हुआ है? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन-कौन दोषी हैं? दोषियों पर क्‍या कार्यवाही की जा रही है?

पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जी हाँ। मूल योजना की कुल लागत रूपये 254.324 लाख थी। योजना वर्ष 1997-98 में स्वीकृत हुई एवं कार्य वर्ष 1999 में प्रारंभ किया गया। (कालांतर में वर्ष 2005 में पुनरीक्षित योजना लागत रूपये 295.509 लाख स्वीकृत।) (ख) योजना पर कुल व्यय रूपये 295.509 लाख हुआ है। जी नहीं, योजना में प्रस्तावित समस्त कार्य पूर्ण किये गये हैं, अतः कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

 

          श्री दिलीप सिंह शेखावत-- अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी ने जो उत्तर दिया है, उससे संतुष्ट नहीं हूं. मेरे यहां चम्बल शुद्धिकरण योजना के तहत वर्ष 1997-98 में 2.54 करोड़ रुपये और 41.276करोड़ की राशि स्वीकृत हुई. यह योजना पूर्ण होने के बाद नागदा नगर पालिका को स्थानांतर की प्रक्रिया प्रारंभ हुई. लेकिन नागदा नगर पालिका ने 28.12.2001 को प्रथम बैठक में चूंकि उसमें 30 कर्मचारी लगना थे और कुछ आर्थिक व्यय भी होना था. इन सब के लिए लगभग 33 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा. उसके बाद फिर नगर पालिका ने 15.09.2013 को बैठक बुलाई.

          अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्या है? जानकारी मत दीजिए.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत-- उसी से संबंधित है. 2013 में फिर इन्होंने इस योजना को लेने से मना कर दिया. मेरा प्रश्न यह है कि जब भोपाल में प्रमुख सचिव,नगरीय प्रशासन की अध्यक्षता में एक बैठक हुई और उस बैठक के बाद नगर पालिका ने उस योजना को नहीं लिया तो उसके लिए जिम्मेदार कौन है और दूसरा यह कि जब नगर पालिका ने लिया ही नहीं और विभाग ने उसको एक तरफा स्थानांतरित कर दिया और उस योजना को राम भरोसे छोड़ दिया. मेरे उत्तर में यह भी आया कि उसमें कुछ सामान चोरी भी हो गया और वह योजना बिलकुल भी लागू नहीं हुई है.

          अध्यक्ष महोदय-- यह कहां आया है?

          श्री दिलीप सिंह शेखावत-- मंत्रीजी से यह निवेदन करना चाहूंगा कि क्या उस योजना को आप वापस विभाग में लेकर जो योजना लागू नहीं हुई है, उसको लागू करेंगे. अभी उसकी संपूर्ण जांच के लिए क्या कोई कमेटी बनायेंगे? जब वह योजना पूरी नहीं हुई और स्थानांतरित नहीं हुई थी तो उसके देखभाल की जिम्मेदारी किसकी थी.

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले--अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से निवेदन करना चाहती हूं कि यह योजना 01.09.2003 को नगर पालिका, नागदा को स्थानांतरित कर चुके हैं. हमने एक साल चलाने के बाद यह योजना नगर पालिका परिषद, नागदा को दी है. यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम उसको सुधारें.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत-- अध्यक्ष महोदय, जैसा नगर पालिका से भी लिखित में मंगाया है, यदि अध्यक्ष महोदय अनुमति देंगे तो पटल पर रख दूंगा.

          अध्यक्ष महोदय-- नहीं. आप सीधा प्रश्न पूछिये.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत-- मेरा तो स्पष्ट आपसे निवेदन है कि वह इतनी महत्वपूर्ण योजना है कि आपके अधिकारियों ने मुझे कई बार लिख कर दिया है कि उस उद्योग के प्रदुषित पानी से भगतपुरी में 72 बच्चे दिव्यांग हो चुके हैं और 22 गांवों में पेयजल का गंभीर संकट है. यह बहुत अति महत्वपूर्ण योजना थी. मेरा आपसे स्पष्ट निवेदन है कि इस योजना को आप वापस लेकर, बजट प्रावधान करके, एक उच्च स्तरीय बैठक भोपाल में बुलाकर, उसको नगर पालिका को स्थानांतरित करने की कार्रवाई करेंगे?

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले--अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहती हूं कि योजना को पुनः चालू करने के लिए हमें लगभग 1 करोड़ रुपये की आवश्यकता है और उसके संधारण के लिए 6 लाख रुपये प्रतिमाह चाहिए. नगर पालिका यदि यह व्यवस्था करती है तो हम लेने के लिए तैयार हैं.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत-- अध्यक्ष महोदय, मैं, आपका संरक्षण चाहूंगा कि यह मेरा काम नहीं है कि उसमें 1 करोड़ रुपये खर्च होगा और प्रतिमाह यह खर्चा होगा और उसको नगर पालिका लेगी या नहीं यह तो शासन को निर्णय लेना है. इतनी गंभीर समस्या है.

          अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न यह है कि नगर पालिका से उसका संधारण शासन करने लगे. शासन कह रहा है कि हम नहीं करेंगे. अब यह डेड लॉक कैसे टूटेगा.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत--अगर नहीं करेंगे तो....मंत्रीजी, 1 करोड़ रुपया आपके लिये बड़ी बात नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें.

सुश्री कुसुम सिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहती हूं कि हम इसका संधारण करने के लिए तैयार हैं. बशर्ते कि नगरपालिका नागदा हमें 1 करोड़ रुपया दे और 6 लाख रुपया प्रतिमाह उसके संधारण के लिए दे तो हम इसे चालू करने के लिए एवं चलाने के लिए आपकी अनुमति से तैयार हैं.

श्री दिलीप सिंह शेखावत - अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा कि यह मेरी जवाबदारी नहीं है..

अध्यक्ष महोदय - यह आपकी बात आ गई है.

श्री दिलीप सिंह शेखावत - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी से बात करें, मुख्यमंत्री जी उसमें हस्तक्षेप करें और नगरीय प्रशासन मंत्री जी को वह बोलें.

अध्यक्ष महोदय - यह आपकी बात आ गई और शासन का उत्तर आ गया, आपका सुझाव भी आ गया.

सुश्री कुसुम सिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, मैं जो भी कह रही हूं, शासन की तरफ से कह रही हूं. शासन को यह बात जा रही है. माननीय सदस्य की यह जिम्मेदारी नहीं है, यह शासन की जिम्मेदारी है. जब यह बात यहां पर आई है तो शासन इस पर विचार करेगा. हमें 1 करोड़ रुपया और 6 लाख रुपए प्रतिमाह संधारण के लिए चाहिए.

विधान सभा क्षेत्र करैरा में शालाओं का उन्‍नयन

6. ( *क्र. 3371 ) श्रीमती शकुन्‍तला खटीक : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्राथमिक विद्यालय, माध्‍यमिक विद्यालय एवं हाईस्‍कूल को उन्‍नयन हेतु शासन के क्‍या नीति नियम आदि निर्धारित हैं? नियमों की प्रति उपलब्‍ध करावें। (ख) क्‍या विधान सभा क्षेत्र 23 करैरा जो नदी, नाले बीहड़ों से लगा हुआ है? यहां के छात्र/छात्राएं असुरक्षा व आर्थिक स्थिति दयनीय होने से व शालाओं के दूरदराज होने से आगे की पढ़ाई से वंचित हैं? (ग) क्‍या विभाग की नीति एवं माननीय मुख्‍यमंत्री जी की घोषणाओं के तहत विधान सभा क्षेत्र 23 करैरा जिला शिवपुरी के प्रश्‍नांश (क) में वर्णित शालाओं को उन्‍नयन कर छात्र-छात्राओं के आगे की शिक्षा प्राप्‍ति‍ हेतु कार्यवाही कब तक संभव है?

स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। जी नहीं, छात्र-छात्राएं निकटस्थ शालाओं में अध्ययनरत हैं। (ग) नवीन प्राथमिक/माध्यमिक विद्यालय खोलने हेतु कोई भी प्रस्ताव लंबित नहीं है। वर्ष 2015-16 के बजट प्रावधान अनुसार हाईस्कूल/हायर सेकेण्डरी शालाओं के उन्नयन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। 

श्रीमती शकुन्तला खटीक - अध्यक्ष महोदय, विधानसभा क्षेत्र करैरा में माध्यमिक शालाओं से हाईस्कूल में उन्नयन किये जाने बाबत् जो सूची शिक्षा विभाग करैरा से प्राप्त हुई है, उसके अनुसार 8 कि.मी. और उससे अधिक की दूरी पर 15 हाईस्कूल हैं. अधिक दूरी पर हाईस्कूल होने से हमारी बच्चियों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. वे आगे की पढ़ाई बंद कर घर बैठ जाती हैं. माननीय मंत्री महोदय से अनुरोध है कि इन शालाओं का उन्नयन कर शासन नीति के अनुसार हाईस्कूल स्वीकृत कराएंगे क्या?

राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक कैलाश जोशी) - अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्या की भावना है, हमने राज्य बजट से विगत 2 वर्षों में 100-100 हाईस्कूल संचालित करने का बजट में प्रावधान किया था. लेकिन वर्ष 2015-16 के वर्ष में आरएमएसए के माध्यम से 484 हाईस्कूल हमें मिलने जा रहे हैं. उसमें 17 शिवपुरी जिले में है, उसमें से माननीय सदस्या के विधान सभा क्षेत्र में 2 हाईस्कूल स्वीकृत होने जा रहे हैं. साथ ही अगले सत्र के लिए भी हमें केन्द्र सरकार ने जो आश्वासन दिया है, उसके तहत करीब 47 हाईस्कूल शिवपुरी जिले में उन्नयन होने जा रहे हैं. उसमें करैरा विधान सभा में 11 हाईस्कूल उन्नयन होने जा रहे हैं. ऐसे में माननीय सदस्या के क्षेत्र में लगभग 13 हाईस्कूल उन्नयन होने जा रहे हैं, यह मैं विश्वास दिलाता हूं.

श्रीमती शकुन्तला खटीक - माननीय मंत्री महोदय को बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं.

 

प्रतिनियुक्ति से पदों की पूर्ति

7. ( *क्र. 3079 ) श्री रामलाल रौतेल : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या म.प्र. शासन ने प्रतिनियुक्ति पूर्णत: बन्‍द की है? यदि हाँ, तो निर्देश उपलब्‍ध करावें? क्‍या सहायक आयुक्‍त आदिवासी विकास, सीधी परियोजना प्रशासक सोहागपुर, जैसिंहनगर, विकासखण्‍ड अधिकारी जनपद पंचायत अनूपपुर के पदों को प्रतिनियुक्ति से भरा गया है? यदि नहीं, तो संबंधित अधिकारियों के मूल पद क्‍या हैं, मूल पदस्‍थापना कहाँ है, पदस्‍थ करने का क्‍या कारण हैं? (ख) क्‍या मुख्‍यमंत्री कार्यालय के पत्र क्रमांक 1342/सी.एम.एस./एम.एल.ए./087/2015, भोपाल दिनांक 07.7.2015 द्वारा विभाग को किसी प्रकार के कोई निर्देश प्राप्‍त हुए हैं? यदि हाँ, तो पत्र उपलब्ध करावें? क्‍या विभाग ने परिपत्र के परिपालन में कोई कार्यवाही की है? यदि हाँ, तो क्‍या? (ग) प्रश्‍नांश (क) के परिपालन में पदस्‍थ अधिकारियों को मूल विभाग कब वापस करेंगे? यदि नहीं करेंगे, तो क्‍यों?

आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जी नहीं। सहायक आयुक्‍त आदिवासी विकास सीधी के पद पर श्री कमलेश कुमार पाण्‍डे, पशु चिकित्‍सा सहायक शल्‍यज्ञ एवं श्री राजेन्‍द्र सिंह पशु चिकित्‍सक की सेवाएं पशुपालन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर ली जाकर क्रमश: सहायक आयुक्‍त आदिवासी विकास सीधी एवं परियोजना प्रशासक एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना जयसिंहनगर के पद पर प्रतिनियुक्ति से भरे गये हैं। विभाग में अधिकारियों की कमी होने पर संबधितों की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर ली जाकर पदस्‍थ किया गया है। (ख) जी हाँ। कार्यवाही प्रचलन में है। (ग) कार्यवाही प्रचलित है। शेष का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

श्री रामलाल रौतेल - अध्यक्ष महोदय, हिन्दुस्तान में मध्यप्रदेश में सर्वाधिक जनजाति वर्ग के लोग निवास करते हैं और जो 2 ऐसे पद हैं, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास और दूसरा परियोजना प्रशासक, ये ऐसे महत्वपूर्ण पद हैं, जो हमारे आदिवासियों की परिस्थिति और तमाम चीजों को अनुभव करते हुए इनकी पदस्थापना की जाती है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि क्या आवश्यकता थी कि पशुपालन विभाग के दो अधिकारियों को आपने परियोजना प्रशासक और सहायक आयुक्त का दायित्व दिया है, यह मैं जानना चाहता हूं?

श्री ज्ञान सिंह - अध्यक्ष महोदय, विभाग के द्वारा समय-समय पर हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ और अन्य जिम्मेदारियों का निर्वहन हो सके, इसके लिए विभाग में एसी, डीसी, परियोजना प्रशासकों के पदों की पूर्ति कई वर्षों से न होने पाने के कारण से और जैसा कि प्रतिनियुक्ति में लेकर उनकी सेवाएं लेने का प्रचलन है, दोनों विभागों की सहमति के आधार पर उनकी प्रतिनियुक्ति हुई है.

          श्री रामलाल रौतेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक प्रधानाध्यापक को माननीय मंत्री जी ने बीडीओ बनाया है, एवं एक अन्य को सहायक परियोजना प्रशासक शहडोल बनाया है जो अपर क्लास वन स्तर का अधिकारी होता है उस पद का दायित्व मंत्री जी ने व्याख्याता को दिया है. सरकार मानती है सरकार का दृष्टिकोण है और सरकार की सोच है कि जो लोग शैक्षणिक काम में लगे हैं उनको ऐसे दायित्व न दिये जायें. मैं माननीय मंत्री जी और सरकार की मंशा जानना चाहता हूं कि क्या विभाग आदिवासियों का हितैषी नहीं है. ऐसे व्यक्ति जो कि पूर्व मंत्री के सचिव रहे हैं, ऐसे व्यक्ति को बीडीओ और सीईओ बनाने का संकल्प किया है तो मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या यह जो शिक्षक है उनको पद से पृथक करेंगे .

          श्री ज्ञान सिंह --  माननीय अध्यक्ष महोदय यह दोनों विभाग के अधीन कर्मचारी हैं. मैं आपको अवगत कराना चाहूंगा जैसा कि माननीय सदस्य की भावना है यह दोनों अधिकारी आज से ही स्थानांतरित माने जायेंगे.

          श्री रामलाल रौतेल -- धन्यवाद्.

प्रश्न संख्या -8 ( अनुपस्थित )

 

अनु.जाति बस्‍ती विकास योजनांतर्गत कार्यों की स्‍वीकृति

9. ( *क्र. 3326 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि () क्‍या कलेक्‍टर जिला राजगढ़ द्वारा .प्र. अनुसूचित बस्‍ती विकास योजना नियम 2014 के अंतर्गत अनुसूचित जाति बाहुल्‍य ग्रामों में विकास कार्य किये जाने हेतु ग्रामों के चयन के संबंध में आयुक्‍त, अनुसूचित जाति विकास, मध्‍यप्रदेश भोपाल को पत्र क्रमांक 07 दिनांक 02.01.2016 से योजनांतर्गत विकास कार्यों की स्‍वीकृति हेतु ग्रामों के चयन बाबत् जिले की विकासखण्‍डवार सूची तैयार कर कार्यालयीन पत्र क्रमांक 4257/आजाक/अनु.जा..वि./15-16 राजगढ़ दिनांक 02.11.2015 से अनुमोदन हेतु प्रेषित की गई है? यदि हाँ, तो उक्‍त संबंध में प्रश्‍न दिनांक तक क्‍या कार्यवाही की गई? () प्रश्‍नांश () के परिप्रेक्ष्‍य में क्‍या वर्तमान में जारी नियमों के अनुरूप जिले के समस्‍त विकासखण्‍डों के अनुसूचित जाति बाहुल्‍य ग्रामों में विकास कार्य कराये जाने में विकासखण्‍डवार लाभ प्राप्‍त होकर पहले एक विकासखण्‍ड फिर दूसरा विकासखण्‍ड का क्रम आवेगा? यदि हाँ, तो क्‍या शासन राजगढ़ जिले में कलेक्‍टर राजगढ़ द्वारा प्रेषित की गई ग्रामों की सूची अनुसार प्रस्‍ताव का अनुमोदन करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों?

आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : () जी हाँ। कलेक्‍टर, राजगढ को आयुक्‍त, अनुसूचित जाति विकास के पत्र क्रमांक आर्थिक विकास/2015-16/9145 दिनांक 15.2.2016 द्वारा अनुमोदित सूची अनुसार कार्य कराने के निर्देश प्रदान किये गये हैं। () जी नहीं। वर्ष 2011 की जनगणना अनुसार जिले के अनुसूचित जाति बाहुल्‍य ग्रामों में सर्वाधिक अनुसूचित जाति की जनसंख्‍या के प्रतिशत वाले ग्रामों (अनुसूचित जाति की आबादी के प्रतिशत घटते अनुक्रम) में विकास कार्य कराये जाने का नियमों में प्रावधान है। शेष का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्री नारायण सिंह पंवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैंने जो प्रश्न लगाया था कि आदिवासी बस्ती विकास योजना में जो विभाग की राशि प्राप्त होती है वह जिले की अनुसूचित जाति जनजाति को घटते प्रतिशत में उसके विकास कार्य कराये जाते हैं. लेकिन मंत्री जी ने उत्तर दिया है कि जिले में जो घटते क्रम में आदिवासी या अनुसूचित जाति के गांव होंगे उसके हिसाब से काम कराये जायेंगे. मेरी प्रश्न में यह भावना थी कि विधान सभावार इसकी प्राथमिकता बनायी जाय. क्योंकि अनेक गांव मेरे ही क्षेत्र में ऐसे हैं कि जो कि 85 प्रतिशत से शुरू होते हैं. लेकिन जिले के दूसरे गांव में राशि आवंटित होने के कारण मेरी विधानसभा का तो मौका आयेगा ही नहीं. मैं जानना चाहता हूं कि इसको विधान सभा वार प्राथमिकता देने पर विचार करेंगे.

          श्री ज्ञान सिंह -- अध्यक्ष महोदय अभी तक की विभाग में इ स तरह की व्यवस्था नहीं है जहां तक माननीय सदस्य ने अपनी भावना को यहां पर व्यक्त किया है. मैं उऩको आश्वस्त कराना चाहता हूं कि यह तो हमारे एससीएसटी के टोले, मजरों के विकास का काम निरंतर जारी रहेगा. आप जहां पर आवश्यकता महसूस करते हैं. मैं आपके माध्यम से उनको आश्वस्त करना चाहता हूं कि जहां पर गांव संख्या की दृष्टि में बहुल हैं वहां पर भी विकास किया जायेगा लेकिन अभी तक इस तरह की व्यवस्था नहीं है.

          श्री नारायण सिंह पंवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा कहना है कि इसको पालिसी क्यों नहीं बनायी जाय क्योंकि यह समस्या तो सभी विधान सभाओं में आ रही है. विधान सभा वार पालिसी बनाने के लिए यदि विभाग आदेश करेगा तो इस समस्या का समाधान हो जायेगा. जैसे जैसे क्रम घटता जायेगा वैसे वैसे काम होते जायेंगे नहीं तो जिलों में बहुत सी जगह ऐसी रह जायेंगी जिसका नंबर 10 साल तक नहीं आयेगा. इसलिए इसे विधान सभा वार करने का कष्ट करेंगे तो अच्छा होगा. मैं माननीय मंत्री जी का आश्वासन चाहूंगा.

          श्री ज्ञान सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी जैसा कि मैंने अपने उत्तर में कहा है कि इस तरह की व्यवस्था नहीं है. हमारे विभाग की एक ही योजना है कि जहां पर हमारे अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग रहते हैं उनका विकास विभाग की ओर से कैसे कर सकें हमारी यह सोच है हमारी यह योजना है.

          श्री नारायण सिंह पंवार -- आपकी बात से मैं सहमत हूं लेकिन अगर एक एक विधान सभा में करेंगे तो अच्छा होगा नहीं तो किसी एक विधान सभा का नंबर 10 वर्ष तक नहीं आयेगा.

          अध्यक्ष महोदय -- वह कह रहे हैं कि आप उनसे चर्चा कर लें वह उसके अनुसार काम करेंगे.

          श्री नारायण सिंह पंवार -- अध्यक्ष महोदय वह कैसे करेंगे जिले में तो कोई पालिसी बनायी नहीं है मुझे जो उत्तर मिला है कि 16 - 2 को जो योजना जिले में भेजी है मुझे उसकी भी जानकारी चाहिए कि क्या योजना भेजी है जिले के किसी अधिकारी को उसके बारे में जानकारी नहीं है. हमारी विधान सभा के सभी गांव इस बात की अपेक्षा रखे हुए हैं कि कब 85 प्रतिशत की आबादी के गांव को लाभ मिलेगा.

          अध्यक्ष महोदय -- उनको जानकारी उपलब्ध करा दें जो योजना यहां से भेजी है.

                                                                                             

 

            सामग्री के क्रय में अनियमितता

10. ( *क्र. 2093 ) श्री बलवीर सिंह डण्‍डौतिया : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्‍नकर्ता के परि. अता. प्रश्‍न संख्‍या 139 (क्र. 2909), दि. 31.07.2015 के उत्‍तर (क) व (ग) के पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अ, व (क) से (घ) के उत्‍तर में नियम प्रक्रिया व सामग्री से क्रय संबंधी उत्‍तर दिया है, तो शासन द्वारा प्रति नग खरीदी दर, जो खरीदे गये सामान की है, से अच्‍छी गुणवत्‍ता में वर्णित दर से बाजार में 50 प्रतिशत से कम दर में उपलब्ध होने पर भी लघु उद्योग निगम से दुगुनी दर से खरीदने का क्‍या कारण है? (ख) क्‍या शासन इस प्रकरण की प्रश्‍नकर्ता के समक्ष जाँच करायेगा? यदि हाँ, तो कब तक?

आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) म.प्र. भंडार क्रय नियम अनुसार जिले द्वारा म.प्र. लघु उद्योग निगम से नियमानुसार निर्धारित दर पर सामग्री क्रय की गयी है। (ख) प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

 

            श्री बलवीर सिंह डण्‍डौतिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूँ कि जो मंत्री जी ने जवाब दिया है वह बहुत गलत दिया है. मैं मंत्री जी पूछना चाहता हूँ कि परि. अता. प्रश्‍न संख्‍या 139 (क्र. 2909), दिनांक 31.07.2015 के उत्‍तर (क) व (ग) के पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र अ, ब व (क) से (घ) के उत्‍तर में नियम प्रक्रिया व सामग्री से क्रय संबंधी उत्‍तर दिया है, तो शासन द्वारा प्रति नगर खरीदी दर, जो खरीदे गए सामान की है, से अच्‍छी गुणवत्‍ता में वर्णित दर से बाजार में 50 प्रतिशत से कम दर में उपलब्‍ध होने पर भी लघु उद्योग निगम से दुगुनी दर से खरीदने का क्‍या कारण है ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- यह सब तो प्रश्‍न में लिखा है, आप अपना प्रश्‍न करिए.

          श्री बलवीर सिंह डण्‍डौतिया -- तो मैं मंत्री जी यह पूछना चाहता हूँ कि (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही में से निकालिए.

          श्री बलवीर सिंह डण्‍डौतिया -- (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही से निकाल दीजिए.

          श्री रामनिवास रावत -- अध्‍यक्ष महोदय, 100 रुपये की चीज 200 रुपये में खरीदवा रहे हैं तो भ्रष्‍टाचार तो है ही उसमें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं, उनके प्रश्‍न का उत्‍तर आ जाने दें. लघु उद्योग निगम से चीजें महंगी मिल रही हैं और बाजार में अच्‍छी गुणवत्‍ता की चीजें सस्‍ती मिल रही हैं, क्‍या इस बारे में कोई नियम परिवर्तित करेंगे ?

          श्री ज्ञान सिंह --  माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, मैं आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍य और माननीय सदन को अवगत कराना चाहूंगा कि वास्‍तव में यह जो व्‍यवस्‍था लघु उद्योग निगम से क्रय करने की रही है, हमने इसकी पूरी समीक्षा कर ली है, बिल्‍कुल इस तरह की खरीद-फरोख्‍त चौगुने भाव में, तिगुने भाव में क्रय करने की जो व्‍यवस्‍था रही है, इसके बारे में हमने एक बैठक की है और प्रारंभिक तौर पर विगत वर्ष 2013-14 में हमने इस परिवर्तन की शुरूआत भी की है कि सीधे छात्रवृत्‍ति की राशि छात्रों के खातों में भेजी है. इस समिति में अभिभावक, छात्रावास के अधीक्षक मेंबर, उस विद्यालय का प्रिंसीपल मेंबर और हमारे विभाग का एसी-डीसी जो भी हो और एडिशनल कलेक्‍टर होते हैं. यह व्‍यवस्‍था हमने अभी शुरू की है और इसके अच्‍छे परिणाम आए हैं, बेशक इसमें परिवर्तन करने की बहुत आवश्‍यकता है क्‍योंकि बहुत पुरानी व्‍यवस्‍था रही है. मैं आपके माध्‍यम से आश्‍वस्‍त कराना चाहूंगा कि इसमें अवश्‍य विचार किया जाएगा.

          श्री बलवीर सिंह डण्‍डौतिया -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन कर रहा हूँ कि क्‍या ये पुराने मामलों की जांच कराएंगे ? क्‍या समिति में लेंगे ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- पुरानी खरीदी की जांच कराएंगे क्‍या ?

          श्री ज्ञान सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जांच कराने की आवश्‍यकता नहीं है क्‍योंकि व्‍यवस्‍था ही ऐसी थी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है.

          श्री बलवीर सिंह डण्‍डौतिया -- अध्‍यक्ष महोदय, जवाब तो दिलवा दो जांच कराएंगे क्‍या. क्‍या मुझे संग लेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जवाब आ तो गया कि जांच नहीं कराएंगे.

          श्री बलवीर सिंह डण्‍डौतिया -- क्‍यों नहीं कराएंगे जांच ? (XXX)

            अध्‍यक्ष महोदय - यह कुछ नहीं लिखना है.

          प्रश्‍न क्र. 11 (अनुपस्‍थित)

          प्रश्‍न क्र. 12 (अनुपस्‍थित)

बैरसिया विधानसभा क्षेत्रांतर्गत संचालित पशु स्‍वास्‍थ्‍य/उपस्‍वास्‍थ्‍य केंद्र

13. ( *क्र. 3305 ) श्री विष्‍णु खत्री : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) बैरसिया विधानसभा क्षेत्रांतर्गत कहाँ-कहाँ पर पशु स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र एवं उपस्‍वास्‍थ्‍य केंद्र संचालित हो रहे हैं? (ख) प्रश्‍नांश (क) में दर्शित ऐसे केंद्र जो विभाग के भवनों में संचालित नहीं हो रहे हैं अथवा भवन विहीन हैं, के संबंध में क्‍या विभाग नवीन भवन तैयार कराने हेतु कोई विचार रखता है? (ग) ग्राम जमूसरकलां में संचालित पशु उपस्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में भवन निर्मित किये जाने हेतु प्रश्‍नकर्ता के पत्र दिनांक 15.01.2016 पर विभाग क्‍या कार्यवाही कर रहा है एवं भवन निर्माण कब से प्रारंभ हो जावेगा? (घ) बैरसिया विधानसभा क्षेत्रांतर्गत संचालित केंद्रों में स्‍टाफ की कमी है, तो रिक्‍त पदों की पूर्ति विभाग कब तक कर देगा?

पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जानकारी संलग्‍न परिशिष्ट अनुसार(ख) विभागीय अधोसंरचना विकास योजना अंतर्गत उपलब्ध वित्तीय प्रावधानों के तहत निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। (ग) भवन निर्माण के लिए प्राक्कलन हेतु उपसंचालक पशुचिकित्सा सेवाएं द्वारा कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवाएं को पत्र प्रेषित किया गया है। आगामी वित्तीय वर्ष में वित्तीय प्रावधान प्राप्त होने पर निर्माण कार्य हेतु विचार किया जावेगा। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (घ) संचालित केन्द्रों हेतु स्टॅाफ की नवनियुक्ति या स्थानांतरण होने पर रिक्त पदों की पूर्ति पर विचार किया जावेगा। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।

परिशिष्ट - ''चार''

          श्री विष्‍णु खत्री -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र बैरसिया में निराश्रित पशु बहुतायत में सड़कों पर और अन्‍यत्र स्‍थानों पर विचरण करते हैं इसके कारण यातायात भी बाधित होता है. इसके संबंध में मैंने माननीय मंत्री जी और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को पत्र लिखा है कि इसमें एक गौशाला या गौ-अभ्‍यारण्‍य जो कि पशु पालन विभाग की 27 हेक्‍टेयर भूमि जमूसर में है वहां पर बना दिया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- इसमें यह प्रश्‍न कहां है ?

          श्री विष्‍णु खत्री -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह प्रश्‍न से जुड़ा हुआ है. इसी संबंध में मैंने प्रश्‍न के भाग (ग) में प्रश्‍न किया था कि ग्राम जमूसरकलां में संचालित पशु उप स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र भवन विहीन है तो इसमें माननीय मंत्री जी ने लिखा है कि इस पर कार्यवाही की जा रही है, इसमें मैं माननीय मंत्री से आश्‍वासन चाहता हूँ कि जो पशुपालन विभाग की 27 हेक्‍टेयर भूमि है वहां पर क्‍या माननीय मंत्री गौशाला का निर्माण कराएंगे और जो पशुपालन विभाग का उप स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र जमूसर में नहीं है तो क्‍या वहां पर उप स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र का भी निर्माण कराएंगे ?

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्वाइंटेड प्रश्न करेंगे तो जवाब देंगे.

          अध्यक्ष महोदय-- (ग) में उन्होंने प्वाइंटेड ही प्रश्न किया है, स्वास्थ्य केन्द्र मांगा है और साथ में यह भी जोड़ दिया कि क्या गौशाला भी वहां बना देंगे क्योंकि जमीन है.

          सुश्री कुसुमसिंह महदेले-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहती हूँ कि  यदि कोई संस्था या ग्रामीणवासी कोई गौशाला बनाना चाहते हैं तो हम शासन के द्वारा उसकी मदद करेंगे. सरकार स्वयं गौशाला का निर्माण नहीं करती है यदि कोई संस्था या कोई दानवीर निर्माण करना चाहते हैं तो उसमें हम सहायता करेंगे और रही औषधालयों की बात, आप जहां औषधालय कहेंगे हम वहां बनवा देंगे.

          श्री विष्णु खत्री-- धन्यवाद माननीय मंत्री जी.

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत नि:शुल्‍क प्रवेश

14. ( *क्र. 1916 ) श्री नीलेश अवस्‍थी : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि () शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 क्‍या है? अधिनियम की छायाप्रति देवें। इस अधिनियम के तहत गरीब/निर्धन छात्र-छात्राओं को नि:शुल्‍क प्रवेश प्रक्रिया के तहत अशासकीय शालाओं में प्रवेश के क्‍या नियम हैं? () जबलपुर जिले के अंतर्गत कितनी अशासकीय शालाएं संचालित हैं एवं इन संचालित शालाओं द्वारा प्रश्‍नांश () में उल्‍लेखित अधिनियम के तहत वित्‍त वर्ष 2012-13 से प्रश्‍न दिनांक तक कितने गरीब/निर्धन छात्र/छात्राओं को नि:शुल्‍क प्रवेश दिया गया? () प्रश्‍नकर्ता द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर को दिनांक 25.08.2015 को लिखे पत्र क्रमांक/एम/163/15/173 में चाही गई जानकारी का उत्‍तर प्रश्‍न दिनांक तक प्रश्‍नकर्ता को प्रदाय करने से क्‍या सामान्‍य प्रशासन विभाग के पत्र क्रमांक/एफ            19-76/2007/1/4/ भोपाल दिनांक 27.11.2015 के द्वारा दिये गये निर्देशों का उल्‍लंघन किया गया है? यदि हाँ, तो नियम का उल्‍लंघन करने वाले अधिकारियों पर शासन द्वारा कब तक क्‍या अनुशासनात्‍मक कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं तो क्‍यों नहीं?

स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : () जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। () 782 अशासकीय शालाएं। कुल 26867 बच्चों को प्रवेश दिया गया।   () जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर के पत्र क्र. मान्यता 83/2015/11810 दिनांक 18 सितंबर 2015 को प्रश्नकर्ता को जानकारी प्रदाय की गई है। जी नहीं, अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। 

 

          श्री नीलेश अवस्थी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि  शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अधिकार नियम में  मैंने जानकारी मांगी थी, वह जानकारी मुझे पूरी नहीं मिली है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि मैंने जो जानकारी मांगी थी,प्रत्येक स्कूलवार, छात्रवार और वर्षवार वह जानकारी मेरे को उपलब्ध नहीं हुई है कि अधिनियम के तहत् उन बच्चों को अधिकार नहीं मिल रहा है उन स्कूलों में जो शासन द्वारा दिया जा रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि जो अशासकीय मान्यता प्राप्त जो स्कूल हैं उनके नोटिस बोर्ड में, हर नोटिस बोर्ड में उनके चस्पा होना चाहिए कि किन-किन बच्चों को उसका लाभ मिल रहा है और हर विधायक के क्षेत्र में उनको जानकारी होनी चाहिए क्योंकि ऐसे कई स्कूल हैं जो सिर्फ पेपर में ही खानापूर्ति कर रहे हैं. माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि क्या यह करेंगे?

          राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा(श्री दीपक जोशी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने प्रश्न में पूछा था वह जानकारी हमने पूर्ण रुप से उपलब्ध करा दी लेकिन स्कूल और बच्चों सहित इन्होंने जानकारी मांगी है, वह हम इनको उपलब्ध करा देंगे. दूसरी बात इऩ्होंने जिला शिक्षा अधिकारी के विषय में भी इन्होंने पूछी थी, उन्हीं से शायद इनको असहजता महसूस हो रही है. इस हेतु हमने जिला शिक्षा अधिकारी से जब पूछा तो उन्होंने बताया कि 6 बिन्दुओं पर इन्होंने जानकारी मांगी थी. 5 बिन्दुओं पर इनको जानकारी उपलब्ध करा दी गयी. एक जानकारी डीपीसी के द्वारा देनी थी वह जानकारी इनको उपलब्ध नहीं हो पायी, वह भी हम इनको शीघ्र उपलब्ध करा देंगे.

          श्री नीलेश अवस्थी-- माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि जिन स्कूलों में यह अधिनियम लागू है उनका कम से कम नोटिस बोर्ड में उन बच्चों की सूची रहे,जिसमें लोगों को जानकारी रहे और पारदर्शिता बनी रहे.

          अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.

          श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि सारे सम्मानीय विधायकों को कम से कम उनके जिलों में जो स्कूल हैं उसमें किस स्कूल में कितने छात्रों की राइट टू एज्यूकेशन के तहत् भर्ती होना है वह छात्र संख्या उपलब्ध करा दी जाए क्योंकि हो यह रहा है कि मान लीजिए किसी शाला में अगर 50 बच्चों की भर्ती होना है तो मात्र 15 बच्चों की भर्ती करते हैं, बाकी नहीं करते हैं जिससे कि गरीब परिवार शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं. मैं मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूँ कि कम से कम किस स्कूल में कितने बच्चों की एडमीशन होना है और कितने नहीं हो पाये हैं वह जरूर सदस्यों को उपलब्ध कराया जाए.

          श्री दीपक जोशी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक को आपके माध्यम से आश्वस्त करता हूँ कि यह हम जानकारी उपलब्ध करा देंगे.

 

आमला में वाणिज्‍य संकाय के व्‍याख्‍याता की पूर्ति

15. ( *क्र. 3612 ) श्री चैतराम मानेकर : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि () क्‍या शा. उत्‍कृष्‍ट .मा. विद्यालय आमला में वाणिज्‍य संकाय की कक्षाएं संचालित हैं? () यदि हाँ, तो वाणिज्‍य संकाय के कितने व्‍याख्‍याता कार्यरत हैं? () यदि नहीं, तो वाणिज्‍य संकाय के रिक्‍त पदों की पूर्ति कब तक कर दी जायेगी?

स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : () जी हाँ। () संस्था में वाणिज्य संकाय के व्याख्याता पदस्थ नहीं है परन्तु 01 अध्यापक की शैक्षणिक योग्यता एम.काम. होने से उनके द्वारा एवं 2 अतिथि शिक्षकों से अध्यापन कार्य कराया जा रहा है. () रिक्‍त पदों की पूर्ति सीधी भर्ती/पदोन्‍नति से करने की सतत् प्रक्रिया है, समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

 

 

          श्री चैतराम मानेकर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,आमला विकासखण्ड का एक अच्छा विद्यालय है. इस विद्यालय में वाणिज्य संकाय की कक्षाएँ विगत 4-5 वर्षों से संचालित हैं और वहां अतिथि शिक्षकों के भरोसे वाणिज्य संकाय की कक्षाएँ संचालित की जा रही हैं.मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि विद्यालय में क्या नियमित व्याख्याताओं के रिक्त पदों की  पूर्ति की जाएगी?

          राज्य मंत्री,स्कूल शिक्षा(श्री दीपक जोशी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विभाग की निरंतर प्रक्रिया है. इसके माध्यम से हम लगातार यह प्रयास तो करते हैं लेकिन वर्तमान में भी इनके इस विद्यालय में वाणिज्य संकाय के  एक अध्यापक पदस्थ हैं जिसकी शैक्षणिक योग्यता एम.काम है. साथ में जो अतिथि शिक्षक है वह भी पूर्ण शैक्षणिक योग्यता के साथ है. आने वाले समय में हम यह पद पूर्ति करने का विश्वास दिलाते हैं.

          श्री चैतराम मानेकर-- धन्यवाद मंत्री जी.

 

वनाधिकार के लंबित आवेदन

16. ( *क्र. 3851 ) श्री वीरसिंह पंवार : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि () रायसेन जिले के विकासखण्‍ड सिलवानी, बेगमगंज में फरवरी, 2016 की स्थिति में कितने वनाधिकार (वन भूमि के पट्टे) के आवेदन पत्र कब से किस स्‍तर पर क्‍यों लंबित हैं? () उक्‍त विकासखण्‍डों में किन-किन आदिवासियों के वनाधिकार पत्र के आवेदन पत्र ग्राम सभा उपखण्‍ड स्‍तरीय समिति द्वारा क्‍यों अस्‍वीकृत किये गये? () उक्‍त विकासखण्‍डों में सामुदायिक वन संसाधनों/दावों से संबंधित ग्राम सभा द्वारा पारित किन-किन दावों को क्‍यों किसने अस्‍वीकृत किया? प्रकरणवार कारण बतायें। इस संबंध में अस्‍वीकृत करने वाले अधिकारी को उक्‍त अधिनियम की किस धारा में अधिकार है? प्रति दें। () उक्‍त प्रकरणों के संबंध में 1 जनवरी, 2015 से प्रश्‍न दिनांक तक मान. मंत्रीजी तथा विभाग के अधिकारियों को किन-किन विधायकों के पत्र कब-कब प्राप्‍त हुए तथा उन पर क्‍या-क्‍या कार्यवाही की गई?

आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : () जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। () जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के   प्रपत्र-दो अनुसार है। () जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है। () जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-चार अनुसार है।

 

 

          श्री वीरसिंह पंवार--  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा जो जवाब आया है उससे मैं पूर्णत: संतुष्ट हूँ. माननीय मंत्री जी का  धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ. माननीय मंत्री जी से एक जानकारी और चाह रहा हूँ कि जो वन भूमि के पट्टे की भूमि है उस पर पट्टाधारी क्या कुआं निर्माण या तार फैंसिंग वगैरह कर सकता है या नहीं ?

 

          श्री ज्ञानसिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता लेकिन आपके माध्यम से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहूंगा कि वनाधिकार से संबंधित जितने भी हितग्राहियों को पट्टे प्राप्त हो गये हैं वहाँ पर सरकार की , विभाग की पूरी चिंता है. वहाँ तक सड़क बनाने का, बिजली की व्यवस्था करने का,कपिल धारा कुंओं के माध्यम से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराये जाने के प्रावधान हैं.

 

शैक्षणिक सत्र के दौरान किये गये स्‍थानांतरण

17. ( *क्र. 390 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या शासन की स्‍थानांतरण नीति के अनुसार शैक्षणिक सत्र के समय स्‍थानांतरणों पर रोक के दौरान स्‍थानांतरण न किये जाने का प्रावधान है?       (ख) क्‍या शैक्षणिक सत्र 2015-16 में विधानसभा क्षेत्र पनागर में स्‍थानांतरणों पर रोक के बावजूद भी शैक्षणिक सत्र के समय स्‍थानांतरण किये गये हैं? (ग) यदि शैक्षणिक सत्र के दौरान स्‍थानांतरण किये जाते हैं तो क्‍या शैक्षणिक कार्य प्रभावित नहीं होगा एवं ऐेसे स्‍थानांतरण करने के लिए दोषी अधिकारी पर कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?

स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) प्रावधान पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट की कंडिका 10 में निहित प्रावधानों के अनुसार स्‍थानांतरण किये गये हैं। (ग) जी नहीं। प्रश्‍नांश '''' के उत्‍तर के प्रकाश में शेषांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

श्री सुशील कुमार तिवारी---  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि स्थानांतरण नीति के विरुद्ध जबलपुर जिले में शिक्षा विभाग कार्य कर रहा है . मंत्री जी द्वारा जो उत्तर दिया गया है उससे हटकर मैं एक बात बताना चाहता हूं कि मैं दो लोगों के आदेश का प्रमाण लेकर आया हूं  श्रीमती इला शर्मा, श्रीमती सविता उपाध्याय, इनका नीति विरुद्ध स्थानांतरण किया गया . क्या इस पर कोई कार्यवाही होगी और जब मैंने विधानसभा प्रश्न लगाया तो उसके बाद इनका स्थानांतरण रद्द कर दिया गया.इस प्रकार से जबलपुर में शिक्षा विभाग में जो उद्योग चल रहा है , इस पर रोक लगेगी.

          राज्यमंत्री,स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी)--- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय विधायक जी ने प्रश्नांकित शिक्षकों के बारे में बताया है, उसकी हम जांच करके उसमें कोई दोषी होगा तो कार्यवाही कर देंगे.

          श्री सुशील कुमार तिवारी--- मंत्री जी से निवेदन है कि इस प्रकार जो मेरे पास प्रमाण है इस पर आप जांच करेंगे और समयसीमा बताएंगे.

          श्री दीपक जोशी--- अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही कहा है कि हम जांच करा लेंगे,परीक्षण करवा लेंगे यदि उसमें कोई दोषी पाया जाएगा तो कार्यवाही करेंगे.

 

 

कन्‍या हायर सेकेण्‍डरी के लिये पृथक भवन व्‍यवस्‍था

18. ( *क्र. 2528 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्‍यानसिंह सोलंकी : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या कस्‍बा बैडिया की आबादी लगभग 10,000 से अधिक एवं आसपास ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण बेडिया में वर्तमान में हायर सेकेण्‍डरी का संचालन छात्र एवं छात्राओं के लिये एक ही भवन में हो रहा है? यदि हाँ, तो क्‍या कस्‍बा बैडिया में कन्‍याओं के लिये पृथक से भवन की स्‍वीकृति के संबंध में प्रश्‍नकर्ता द्वारा विभागीय स्‍तर पर कार्यवाही की गई थी? (ख) प्रश्‍नांश (क) के अनुसार यदि हाँ, तो कस्‍बा बैडिया में कन्‍या हायर सेकेण्‍डरी भवन के लिये पृथक से क्‍या व्‍यवस्‍था की गई है? यदि नहीं की गई तो क्‍यों क्‍या कारण रहें है? नवीन पृथक भवन कब तक स्‍वीकृत हो जावेगा?

स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) जी हाँ प्रश्नाधीन शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैडिया में सह-शिक्षा होने से छात्र-छात्राएं साथ-साथ अध्ययन करते हैं। विभाग द्वारा इस विद्यालय में कन्याओं के लिए पृथक से भवन निर्माण की कोई योजना विचाराधीन नहीं है। (ख) उत्‍तरांश के प्रकाश में प्रश्नांश उद्भूत नहीं होता।

          श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी--  माननीय अध्यक्ष महोदय, कन्याओं के लिए  हमारी सरकार, माननीय मुख्यमंत्री जी और शिक्षामंत्री जी बड़े संवेदनशील हैं.मैं  चाहता हूं कि लड़के और लड़कियां अलग अलग पढ़े और वहाँ दो भवन हैं, भवन बनाने की आवश्यकता नहीं है. कन्याओं के लिए पृथक से बैठने की व्यवस्था भवन हो जाएगी क्या, हायर सेकेंडरी उसमें लगने लग जाएगी क्या.

          राज्यमंत्री,स्कूल शिक्षा(श्री दीपक जोशी)--- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो वर्तमान में शासन की नीति है उसके तहत अलग से कन्या विद्यालय खोलने का अभी प्रावधान नहीं है. माननीय विधायक ने एक अलग भवन में छात्राओं को बैठाने की व्यवस्था के लिए कहा है, वह हम कर देंगे.

 

 

 

          प्रश्न संख्या 19 (अनुपस्थित)

 

 

 

पिछड़ा वर्ग के छात्रावासों की स्‍वीकृति

20. ( *क्र. 2887 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महिदपुर वि.स. क्षेत्र में कितने श्रम विद्यालय संचालित हैं? यदि नहीं हैं तो कब तक प्रारंभ किये जाएंगे? (ख) महिदपुर वि.स. क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग छात्रावास कब तक स्‍वीकृत कर दिया जाएगा? (ग) उज्‍जैन जिले में कितने श्रम विद्यालय एवं पिछड़ा वर्ग छात्रावास संचालित हो रहे हैं? विधानसभा क्षेत्रवार बतावें।

श्रम मंत्री ( श्री अंतरसिंह आर्य ) : (क) महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना अंतर्गत वर्तमान में कोई विद्यालय संचालित नहीं है। उज्जैन जिले में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना का प्रस्ताव भारत शासन को भेजा गया है। भारत शासन से स्वीकृति प्राप्त होने तथा सर्वेक्षण में बाल श्रमिक पाये जाने पर आगामी कार्यवाही की जावेगी। (ख) शासन स्तर से कार्यवाही अपेक्षित। (ग) श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उज्जैन जिले के लिए संचालित राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना अंतर्गत उज्जैन उत्तर/दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में 32 तथा नागदा विधानसभा क्षेत्र में 6 बाल श्रमिक विद्यालय संचालित थे। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार जून, 2014 में सभी बच्चों को मुख्य धारा के विद्यालयों में प्रवेशित कराया जा चुका है। अतः वर्तमान में बाल श्रमिक विद्यालय संचालित नहीं हो रहे हैं। उज्जैन जिले के उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा दो छात्रावास संचालित हैं। अन्य किसी भी विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग छात्रावास संचालित नहीं हैं।

          श्री बहादुर सिंह चौहान--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा बीसवां प्रश्न चर्चा में आ गया उसके लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. मंत्री जी के उत्तर से मैं संतुष्ट हूं. माननीय अध्य़क्ष महोदय, पिछड़ा वर्ग के जो हास्टल हैं पूरे मध्यप्रदेश में जिला स्तर पर ही खोले जाते हैं , यह एक पालिसी मैटर है. मंत्री जी ने जो प्रश्नांश (ख) में उत्तर दिया है कि यह शासन स्तर पर अपेक्षित है तो इसमें मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र कस्बा झालड़ा में क्या माननीय मंत्री जी पिछड़े वर्ग का हॉस्टल खोलेंगे.

          श्री अंतरसिंह आर्य---  माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में सभी जिलों के अंदर पिछड़ा वर्ग विभाग द्वारा 100 सीटर बालक छात्रावास, 50  सीटर कन्या पोस्ट मैट्रिक छात्रावास संचालित हैं और आने वाले समय में शासन इस ओर विचार कर रहा है कि ब्लाक स्तर पर भी इस प्रकार के छात्रावास खोले जाएं. यदि इस प्रकार का अगर आने वाले समय में निर्णय होगा तो माननीय सदस्य के विधानसभा क्षेत्र की जो छात्रावास की मांग है , उसको हम सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--- धन्यवाद.

 

आरक्षित वर्ग के हितग्राहियों को विद्युत कनेक्‍शन

21. ( *क्र. 209 ) श्री कैलाश चावला : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014-15 में जिला संयोजक, आदिम जाति कल्‍याण विभाग जिला नीमच को अनुसूचित जन जाति व अनुसूचित जाति के कितने हितग्राहियों द्वारा विद्युत पम्‍प ऊर्जीकरण हेतु प्रार्थना पत्र प्राप्‍त हुए? (ख) उक्‍त प्रस्‍ताव में से दिनांक 31.12.2015 तक कितने प्रस्‍ताव जिला संयोजक आदिम जाति कल्‍याण विभाग द्वारा आयुक्‍त के माध्‍यम से प्रेषित किए गए? (ग) प्रश्‍न दिनांक तक कितने आवेदन को स्‍वीकृत कर राशि का आवंटन कर दिया गया है एवं हितग्राहियों को विद्युत कनेक्‍शन प्राप्‍त हो चुके हैं?

आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) :

          श्री कैलाश चावला--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में यह बताया गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के 254 कनेक्शनधारियों के आवेदन पर 184 स्वीकृत किए गए पर 70 अभी तक स्वीकृत नहीं हो पाए हैं. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि जो 70 कनेक्शनधारी हैं, क्या इनका आवंटन मार्च महीने में कर दिया जाएगा?

            श्री ज्ञान सिंह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सम्माननीय को अवगत कराना चाहूँगा कि मार्च के पहले जो लंबित हैं, उनके लिए राशि जारी हो जाएगी.

          श्री कैलाश चावला--  अध्यक्ष महोदय, जो पहले राशि जारी की गई है वह किस दिनाँक को की गई है, क्या इसकी जानकारी दे सकेंगे?

            श्री ज्ञान सिंह--  अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2012-13 में राशि 9 लाख 72 हजार, वर्ष 2013-14 में रुपये 55026 लाख, वर्ष 2014-15 में रुपये 55250 लाख आवंटन हुआ.

          श्री कैलाश चावला--  अध्यक्ष महोदय, सवाल इतना है कि वर्ष 2014-15 में जो राशि आपने स्वीकृत की है, उसकी तारीखें क्या हैं?

          अध्यक्ष महोदय--  सिर्फ 2014-15 की बता दीजिए.

          श्री ज्ञान सिंह--  अध्यक्ष महोदय, अभी तो उपलब्ध नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय--  बाद में उपलब्ध करा देंगे.

प्रश्न संख्या--  22 (अनुपस्थित)

ग्‍वालियर जिलांतर्गत स्‍कूलों का उन्‍नयन

23. ( *क्र. 24 ) श्री भारत सिंह कुशवाह : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2014 एवं 2015 में जिला ग्‍वालियर के कौन-कौन से शासकीय प्राथमिक विद्यालय/माध्‍यमिक विद्यालय/शासकीय हाईस्‍कूल/शासकीय हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूल में उन्‍नयन किये गये? (ख) शासन स्‍तर पर विधानसभा क्षेत्र ग्‍वालियर ग्रामीण के कितने विद्यालयों के प्रस्‍ताव उन्‍नयन हेतु शासन स्‍तर पर लंबित हैं? सूची उपलब्‍ध कराई जाये। (ग) विधानसभा क्षेत्र के लंबित प्रस्‍तावों में से कितने प्रस्‍ताव उन्‍नयन की श्रेणी में आते हैं तथा कितने प्रस्‍ताव उन्‍नयन की श्रेणी में नहीं आते हैं? कारण सहित सूची उपलब्‍ध कराई जाये। (घ) शासन स्‍तर पर लंबित उन्‍नयन के प्रस्‍तावों को कब तक स्‍वीकृत किया जाकर अमल में लाया जावेगा? समय-सीमा बतायें।

स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) प्राथमिक विद्यालय से माध्यमिक विद्यालय में उन्नयन की जानकारी निरंक है। शासकीय माध्यमिक शाला मोतीझील, सेवन्त बटालियन को हाईस्कूल तथा शासकीय हाईस्कूल सुकलहारी को हायर सेकेण्डरी में उन्नयन किया गया है। (ख) वर्ष 2015-16 हेतु उन्नयन हेतु कोई शाला निर्धारित मापदण्ड अनुसार पात्र नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) एवं (घ) उत्तरांश के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। 

          श्री भारत सिंह कुशवाह--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने यह प्रश्न किया था कि ग्वालियर जिले में इस बार कितने स्कूलों का उन्नयन किया गया है? इसके जवाब से मैं संतुष्ट हूँ. प्रश्नांश ख में मेरा माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध है कि ग्वालियर जिले में तो आपने उन्नयन किए हैं. मेरी विधान सभा क्रमांक 14 ग्वालियर ग्रामीण में एक भी स्कूल का उन्नयन नहीं किया गया है, तो अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहूँगा कि मेरे विधान सभा क्षेत्र क्रमांक 14 ग्वालियर ग्रामीण, पूरा ग्रामीण क्षेत्र है और वहाँ के कई स्कूल ऐसे हैं कि उनका उन्नयन होना बहुत आवश्यक है. कई बच्चों को बहुत दूर दूर तक जाना पड़ता है तो मैंने कुछ प्रस्ताव दिए हैं, जो मेरे क्षेत्र के हैं, वह 10 स्कूलों के उन्नयन के लिए दिए हैं. मैं माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध करना चाहूँगा कि मेरी विधान सभा के जो स्कूल उन्नयन हेतु प्रस्तावित किए हैं, वे कब तक किए जाएँगे?

          राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी)--   माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य के विधान सभा क्षेत्र 14 ग्वालियर ग्रामीण में आर एम एस ए के तहत ग्वालियर जिले में कुल 6 माध्यमिक शालाओं का हाई स्कूल में उन्नयन किया जाना है. उनमें से 3 माननीय विधायक जी के क्षेत्र में हैं.

          श्री भारत सिंह कुशवाह--  माननीय मंत्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद.

 

जैन इरिगेशन जलगांव द्वारा अमानक पॉलीहाउस का निर्माण

24. ( *क्र. 3319 ) श्री बाला बच्‍चन : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्‍या रतलाम में महिला कृषक श्रीमती रामकन्‍याबाई शर्मा ने अपने खेत पर निर्मित 2016 वर्ग मीटर के पॉलीहाउस में फरवरी, 2015 में पहली फसल रंगीन शिमला मिर्च (कलर केपीकम) लगाई थी? (ख) क्‍या जैन इरिगेशन जलगांव द्वारा गलत फाउन्‍डेशन पर घटिया सामग्री का पॉलीहाउस बनाने से निर्माण के छ: माह बाद मामूली बरसात में 19 जून, 2015 को फिल्‍म फट गई, जिससे पॉलीहाउस में दो-दो फीट पानी भर गया तथा रंगीन शिमला मिर्च की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई एवं यदि फसल बर्बाद नहीं होती तो 25 से 30 टन उत्‍पादन होता तथा औसत 100 रूपये प्रति किलो के मान से 25 से 30 लाख रूपये प्राप्‍त होते? (ग) क्‍या महिला कृषक की शिकायत पर जाँच समिति ने अपने प्रतिवेदन दिनांक 18.08.15 में बताया कि कंपनी की खराब कार्य कुशलता फिल्‍म को उचित रूप से फिट न करना, गटर की 2 शीट जोड़कर बनाना, फिल्‍म को स्प्रिंग से फिट न करना, आदि के कारण पॉलीहाउस में पानी का रिसाव हुआ है?    (घ) यदि (क) से (ग) हाँ तो क्‍या शासन महिला कृषक को हुये नुकसान का मुआवजा दिलायेगा, सही फाउन्‍डेशन का नया पॉलीहाउस का निर्माण करावायेगा तथा जैन इरीगेशन पर कानूनी कार्यवाही करेगा?

 

पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) पॉलीहाऊस में कृषकों द्वारा उगाई गई फसलों की जानकारी का संधारण विभाग द्वारा नहीं किया जाता है।           (ख) पॉलीहाऊस का निर्माण कृषक द्वारा स्वयं कंपनी का चयन कर हस्ताक्षरित अनुबंध अनुसार कराया गया है। शेष के संन्दर्भ में विभाग जानकारी संधारित नहीं करता है। (ग) जी हाँ। कंपनी द्वारा अपने व्यय पर समस्त सुधार कार्य किया गया है, जिसकी पुष्टि विभागीय अधिकारी से कराई गई है। (घ) कंपनी द्वारा सुधार उपरांत पॉली हाऊस मापदण्ड अनुसार है। फसल नुकसान यदि कोई हुआ हो, तो कृषक सक्षम न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकता है।

          श्री बाला बच्चन--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न इसलिए पूछा है कि जैन इरीगेशन ने श्रीमती रामकन्या शर्मा जी के यहाँ जो काम किया है वह ठीक क्वालिटी का नहीं है और न ही ठीक ढंग से हुआ है. उससे उनका जो नुकसान हुआ है. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि जो नुकसान जिस कंपनी के द्वारा हुआ है, उस कंपनी पर कब तक कार्यवाही कर ली जाएगी और उस कंपनी ने श्रीमती रामकन्या शर्मा जी का जो नुकसान किया है, उन्हें सरकार उस कंपनी से मुआवजा कब तक उपलब्ध कराएगी?

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले--  माननीय अध्यक्ष महोदय, पॉली हाउस के निर्माण का जो कार्य होता है, वह पूरी तरह से कृषक के ऊपर होता है कि वह किस कंपनी का चुनाव करे और श्रीमती सुकन्या बाई जी ने अपनी मर्जी से जैन इरीगेशन का चुनाव किया था. तब उन्होंने पॉली हाउस बनाया इसलिए विभाग की और सरकार की यह कोई जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम उन्हें नुकसानी दें. नुकसानी के लिए आप चाहें तो न्यायालय में जा सकते हैं या एफ आई आर दर्ज करवा सकते हैं.

            श्री बाला बच्चन--सरकार की यदि कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है तो सरकार के दायरे में क्या आता है जो आता है वही व्यवस्था कर दें. आपके प्रति और सरकार के प्रति प्रदेश की जनता का विश्वास कैसे बना रहेगा ?

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले--आप कृपा करके बैठ जायेंगे तब तो मैं जवाब दूंगी.

          श्री बाला बच्चन-- मुझे मेरा प्रश्न कर लेने दीजिये तब तो मैं बैठूंगा. जिस पाइंट ऑफ व्यू से प्रश्न लगाया गया है. सरकार के मापदण्डों के अन्तर्गत वह कंपनी आती है या नहीं आती है. मंत्रीजी एक लाइन के जवाब से बचना चाह रही हैं, सरकार को कंपनी से बिलकुल अलग कर देना चाहती हैं, सरकार कुछ तो उसको मुआवजा दे, सरकार की मॉनिटरिंग, सरकार की जिम्मेदारी क्या बच जाती है.

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले--सरकार की और विभाग की जिम्मेदारी यह होती है कि किसान को अनुदान दे और हमने अनुदान दिया है और कृषक की जिम्मेदारी यह  है कि जो रजिस्टर्ड कंपनियां होती हैं उनका वह चुनाव करे और पॉली हाउस बनवाये. यदि कोई शिकायत होती है तो हम उसकी जांच करवाते हैं और जांच करवाने के बाद जैन इरिगेशन ने पॉली हाउस में सुधार करवा दिया अब कृषक की जिम्मेदारी बनती है कि यदि कोई नुकसान हुआ है तो वह एफआईआर करा सकते हैं न्यायालय में जा सकते हैं. सरकार की जिम्मेदारी थी अनुदान देना और जांच करवाना वह हमने करवा दी है.

          श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी ने बताया है कि पॉली हाउस में सुधार करवा दिया गया है जबकि सुधार नहीं किया गया है. मैं चाहता हूँ कि क्या पॉली हाउस में सुधार करके रामकन्या जी को राहत दी जायेगी.

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले--यदि रामकन्या जी दोबारा हमसे शिकायत करेंगी कि पॉली हाउस नहीं सुधरा है तो हम जांच करवाकर जैन इरिगेशन कंपनी को कहेंगे कि वह सुधार करवाये और वह सुधार करवायेंगे.

          वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों तरफ से बराबर प्रश्न उत्तर हो रहे हैं लेकिन किसी एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए विधान सभा में प्रश्न रखे जायेंगे ? क्या नाम से प्रश्न रखे जायेंगे ? प्रश्न उठाने के लिए क्या नियम हैं इन सबकी भी कभी हम चिन्ता करें तो बहुत अच्छा लगेगा.

          श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, मुझे समय देंगे तो माननीय मंत्रीजी ने जो मुझे कोट किया है इस पर भी मैं माननीय मंत्रीजी को जवाब दे सकता हूँ. अगर कोई हितग्राही प्रभावित हुआ है तो उसके बारे में हाउस में बात क्यों नहीं उठायी जा सकती है.

          सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से सही जवाब दिया है.

          इंदौर जिले के महाविद्यालयों में छात्रवृत्ति वितरण

25. ( *क्र. 805 ) चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर जिले में निजी इंजीनियरिंग/नर्सिंग/एम.बी.ए./ सभी विषयों के ग्रेजुएट एवं पोस्‍ट ग्रेजुएट कॉलेजों के द्वारा 01.04.2013 से प्रश्‍न तिथि तक किस-किस नाम/पते वाले छात्रों एवं छात्राओं को कितनी-कितनी छात्रवृत्ति      किस-किस प्रकार की कब-कब दी? (ख) क्‍या छात्रों को छात्रवृत्ति की राशि उनके बैंकों के एकाउन्‍ट में शासन द्वारा दी? क्‍या कॉलेजों के एकाउन्‍ट में छात्रवृत्ति की राशि शासन द्वारा दी गयी? (ग) छात्रवृत्ति देने के राज्‍य शासन के क्‍या नियम हैं? नियमों की एक प्रति उपलब्‍ध कराते हुये बतायें कि क्‍या छात्रवृत्ति शासन कॉलेजों के एकाउण्‍ट में नियमानुसार दे सकता है? अगर नहीं तो किस नाम/पदनाम के विरूद्ध क्‍या कार्यवाही की जायेगी? (घ) कितनी-कितनी राशि शासन द्वारा वित्‍तीय वर्ष 13-14, 14-15, 15-30 जनवरी 2016 तक में प्रश्‍नांश (क) में उल्‍लेखित कॉलेजों के छात्रों को दी गयी? राशिवार/ छात्रसंख्‍यावार/कालेजवार/वर्षवार/माहवार जानकारी दें।

आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) इंदौर जिले में प्रश्नांश में दर्शाये पाठ्यक्रमों में कालेजों के द्वारा दिनांक 01/04/2013 से प्रश्न तिथि तक अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्र/छात्राओं को छात्रवृत्ति राशि वितरित की गई।

 

क्र.

वर्ष

छात्र संख्‍या

राशि लाख में

1.

2013-14

4423

1203.12

2.

2014-15

3783

1084.20

3.

2015-16

591

193.08


 

वर्ष 2015-16 का वितरण प्रक्रियाधीन है। विद्यार्थीवार राशि की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अनुसार है। (ख) शासन आदेशानुसार वर्ष 2013-14 में दिनांक 09/12/2013 के पूर्व विद्यार्थियों के खाते में जीवन निर्वाह भत्ता एवं संस्था के शिक्षण शुल्क का भुगतान किया गया। वर्ष 2013-14 में 09/12/2013 के पश्चात संपूर्ण स्वीकृत राशि (निर्वाह भत्ता एवं शिक्षण शुल्क सहित) का भुगतान विद्यार्थियों के बैंक खातों में किया गया। (ग) आदिम जाति कल्याण विभाग का पत्र क्रमांक एफ-12-2/99/25-2/935 दिनांक 07/07/2014 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अनुसार है। छात्रवृत्ति का भुगतान शासन नियमानुसार किया गया है। अतः किसी नाम /पदनाम के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र अनुसार है।

          चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में विभाग ने जो जानकारी दी है उसमें परिशिष्ट-स में लिखा है कि "उस आदेशानुसार कार्यवाही की गई है." मैं मंत्रीजी से पूछना चाहता हूँ कि माननीय उच्च न्यायालय के बाद विभाग ने आदेश किया और उसके उपरान्त जो गणना विभाग ने दी है उसमें 2013-14 में 4423 छात्र, 2014-15 में 3783 छात्र और 2015-16 में मात्र 591 छात्र. मेरा प्रश्न है कि कहीं न कहीं जो लोग छात्रवृत्ति में गड़बड़ कर रहे थे. उच्च न्यायालय के निर्णय के उपरांत शासन का जो आदेश हुआ तब जाकर छात्रों की संख्या कम हुई है इसका मतलब कोई न कोई गलती कर रहा था. क्या माननीय मंत्री महोदय उसकी जांच करायेंगे और संबंधितों को सजा दिलवायेंगे.

          श्री ज्ञान सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदयजी इस तरह की अधिकांश घटनायें निजी विद्यालयों के संचालकों के द्वारा प्रदेश के छात्र-छात्राओं के साथ अनियमितताएं की गई हैं. विभाग को जैसे ही जानकारी मिली प्रथम दृष्टया जांच के आदेश दिये गये जांच में सारी बातें सामने आईं. न्यायालयीन प्रक्रिया चल ही रही है. मैं आपको बताना चाहूंगा कि ऐसे फर्जी संस्थान जिनका कागज पर रिकार्ड था जो कागज पर रिकार्ड था और संस्‍था का संचालन हुआ ही नहीं और फर्जी नाम छात्रों के दर्शाकर लाखों करोड़ों रूपये की जो गड़बडि़या हुई थी ऐसी संस्‍थाओं के खिलाफ विभाग के द्वारा कड़ाई से कार्यवाही की जाकर के इसमें मैं संस्‍था का नाम नहीं बताना चाहूंगा. उस संस्‍था के नौ कर्मचारी और संस्‍था संचालक के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध हुए और उनके खिलाफ कार्यवाही हुई और यहां तक कि उस भ्रष्‍टाचार में हमारे विभाग का भी एक कर्मचारी लिप्‍त था उसके खिलाफ भी अपराध पंजीबद्ध हुए हैं. यह मैं आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍य को यह बात बताना चाहूंगा. 

          श्री मुकेश सिंह चतुर्वेदी :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध यह है कि 2009 से लेकर 2014 तक की जांच किसी पांच सदस्‍यीय समिति से करायी जाए. ऐसा आश्‍वासन माननीय मंत्री महोदय दें.  क्‍योंकि अपने जवाब में माननीय मंत्री जी ने यह कहा है कि किसी को उसमें जिम्‍मेदार नहीं माना है.अध्‍यक्ष महोदय, आपकी तरफ से कुछ तो संरक्षण मिले.

          अध्‍यक्ष महोदय :- प्रश्‍न काल समाप्‍त.

 

 

 

 

 

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

 

 

 

 

 

 

                   श्री रामनिवास रावत:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदन का सम्‍माननीय विधायक श्री हरदीप सिंह डंग बाहर उसकी बात नहीं सुनी गयी उसके क्षेत्र में सूखा पड़ा हुआ है. प्रशासनिक अधिकारियों ने शासन को प्रस्‍ताव भी भेजा है उसे स्‍वीकृत नहीं किया गया है उसको लेकर सदन के बाहर गांधी जी की मूर्ति के सामने धरना देकर धरना देकर बैठा हुआ है. यह चिन्‍तनीय है शासन की तरफ से उसकी सुनवाई हो और माननीय मंत्री जी आश्‍वासन दे दें. उन्‍हें वहां से उठा ले तो बड़ी कृपा होगी, सदन चल रहा है. यह काफी चिन्‍ता का विषय है. आपका संरक्षण सदन के सदस्‍यों को चाहिये. हम उम्‍मीद करते है कि आपका पूरा संरक्षण मिलेगा और इस पर निर्देशित करेंगे.

          (संसदीय कार्य मंत्री) डॉ नरोत्‍तम मिश्र:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सम्‍माननीय सदस्‍य की अगर कोई बात है और पीड़ा है, महामहिम के अभिभाषण पर चर्चा चल रही है, बजट पर चर्चा चल रही है. उनको विषय यहां पर रखना चाहिये. सदन के चलते मुझे धरने औचित्‍य का समझ में नहीं आता है. फिर भी माननीय सदस्‍य कहेंगे तो हम जायेंगे, उनसे निवेदन करेंगे और उन्‍हें सदन में लायेंगे. अगर उनकी कोई बात है तो उनसे बात कर लेंगे.

          श्री रामनिवास रावत:- आप चले जायें और बात कर लें, यही चर्चा स्‍वीकार कर लें. आप उनको आश्‍वासन दे दें कि इस पर चर्चा करा लेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- चर्चा स्‍वीकार करने की बात अभी नहीं है. परन्‍तु आप उनसे बात कर लें कि वह क्‍या चाहते हैं.

          डॉ नरोत्‍तम मिश्र :- अध्‍यक्ष महोदय, जरूर.

          डॉ. गौरीशंकर शेजवार :- अध्‍यक्ष महोदय यह तो आपकी तरफ से स्‍थायी आदेश हो गये की जिस विधायक की कोई समस्‍या है तो वह गांधी जी के यहां पर बैठ जाये और आप संसदीय कार्य मंत्री जी से कहें कि आप जाकर उठायें. अध्‍यक्ष महोदय, यह बात कुछ बन नहीं रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय  :- यह तात्‍कालिक है, परिस्थिति के अनुसार.

 

 

 

 

 

 

 

 

नियम 267 -क के अधीन विषय

          अध्‍यक्ष महोदय:- निम्‍न माननीय सदस्‍यों की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी.

          1.       श्री जालम सिंह पटेल

          2.       श्री सुदर्शन गुप्‍ता (आर्य)

          3.       श्री यशपाल सिंह सिसोदिया    

          4.       डॉ. गोविन्‍द सिंह

          5.       श्री नीटू सत्‍यपाल सिंह सिकरवार

          6.       श्री दिलीप सिंह शेखावत

          7.       श्री आर.डी. प्रजापति  

          8.       श्री आशीष शर्मा

          9.       श्री रामनिवास रावत

          10.     श्री शैलेन्‍द्र पटेल

पत्रों का पटल पर रखा जाना

मध्‍यप्रदेश राजकोषीय उत्‍तर दायित्‍व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम , 2005 यथा अपेक्षित विवरण वर्ष 2016-2017

 

 

 

 

 

 

 

 

 मध्‍यप्रदेश पाठ्य पुस्‍तक निगम का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2014-2015

 

 

 


                  

 

 

 

 

 

मध्‍यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लि., भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2014-2015

 

 

 

 

 

 

मध्‍यप्रदेश राज्‍य पर्यटन विकास निगम मर्यादित का 35वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2012-2013

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(समय-11.35 बजे)                 ध्यान आकर्षण

 

(1)   श्योपुर एवं मुरैना जिले में अनुबंध के अनुसार सिंचाई हेतु पानी न मिलने से

उत्पन्न स्थिति

 

          सर्वश्री रामनिवास रावत(विजयपुर),दु्र्गालाल विजय,मेहरबान सिंह रावत - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है:-

 

 

 

 

 

जल संसाधन मंत्री(श्री जयंत मलैया) - माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

                                                                                           

 

 

 

          श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार सदैव अधिकारियों एवं कर्मचारियों का बचाव करती है उसमें कोई गलत बात नहीं है. अगर आप पूरी स्थिति की तरफ जाएंगे आपके प्रश्न की तरफ जाऊंगा कि श्योपुर को कितना पानी मिला, श्योपुर को कितने पानी की आवश्यकता है, श्योपुर का डिजाईन कितने क्यूसिक का है, उसमें आपने कितना दिया तो मैं समझता हूं कि यह प्रश्न बहुत लंबा हो जाएगा. मैं केवल एक प्रश्न करना चाहता हूं कि किसानों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किये, ठीक है आपने कर दिये हैं, आपने उसको स्वीकार किया है. आपने कहा कि नहरों को क्षति पहुंचाने की बात कही. एक मैंने कहा था 24-25,26,27,28 एल, तथा 29 एल, जिन गांवों का मैंने उल्लेख किया है जहां पर पानी नहीं पहुंचा है, वहां की फसल सूख रही है, वहां पर माननीय मंत्री जी चलें अथवा अपना कोई दल भेज दें, या अपने अधिकारियों को भेज दें. वहां पर अगर फसल नहीं सूख रही होगी अथवा फसल हरी-भरी होगी, फसल को पानी की आवश्यकता नहीं होगी तो मैं विधान सभा से इस्तीफा देकर के घर पर बैठ जाऊंगा या आप जो कहेंगे वह करने को तैयार हो जाऊंगा. कम से कम विपक्ष का विधायक कोई मुद्दा उठाता है तो आप अपने अधिकारियों को कहें कि यह दिखवा लें इन इन गांवों में क्या स्थिति है. आपके पास सरकार का जवाब आया आपने उसी तरह से बोल दिया और दूसरी बात किसानों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की बात की है. किसानों ने एक नई पाई की क्षति नहरो को पहुंचाई हो तो रामनिवास रावत आज के बाद विधान सभा में नहीं आयेगा, आपने उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर दिये कि नहरों को क्षति पहुंचाने के नाम पर आप इन दो प्रश्नों का उत्तर दे दें.

          श्री जयंत मलैया--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे कि मैंने अपने उत्तर में बताया कि 26 एवं 28 फरवरी, 2016 को हमने अपने अधीक्षण यंत्री को भेजा था वह 24 एल से लेकर के 28 एल तक सब नहरों तथा वितरकाओं को देखकर के आये हैं नहरों का लगातार पानी बह रहा है, फसलें ठीक हैं. जहां तक आपराधिक प्रकरण के मामले दर्ज किये गये हैं वह उन लोगों के खिलाफ दर्ज किये गये हैं जिन्होंने छेड़छाड़ की है.

          श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज भी अभी मैंने पांच मिनट पहले ही फोन किया है वहां की स्थिति यह है कि 24 एवं 25, 28 तथा 29 एल बंद है, 26- 27 एल आज ही खोली है.

          माननीय मंत्री महोदय, प्रशासनिक अधिकारियों और प्रशासन के प्रति मेरा रोष नहीं है और न ही सरकार के प्रति कोई रोष है । मैं सिर्फ यह चाहता हूँ कि मैंने जो गांव बताए हैं, वहां पर अधिकारियों को भेजकर पानी दिलवा दें, किसानों के खेतों में पानी दिलवा दें मुझे और कोई शिकायत नहीं है । इन नहरों को खुलवाएं अपर हेड पोर्सन पर लोग पानी ले लेते हैं, अपने अधिकारियों को खड़ा करें, बंद करें वहां 5-5 पानी लग गए और नीचे एक पानी लगा है । आप इस तरह की व्‍यवस्‍था बनाकर नीचे तक पानी पहुंचवा दें मुझे कोई आपत्ति नहीं है,कोई शिकायत नहीं है ।

          वित्‍तमंत्री(श्री जयंत मलैया)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने पूर्व में भी निवेदन किया है कि 28 फरवरी को हमारे अधीक्षण यंत्री देखकर आए हैं, जैसा आपने कहा है एक बार पुन: अधिकारियों को भेजकर दिखवा लूँगा ।

          श्री रामनिवास रावत-  इन गांवों में दिखवा लें ।  आप अपनी नाकामी छुपाने के लिए राजस्‍थान से पानी नहीं ले पा रहे हैं । अपनी अकर्मण्‍ता छुपाने के लिए किसानों को  परेशान कर रहे हैं, यह आपत्ति जनक है ।

          श्री जयंत मलैया-  मैं आपको बताना नहीं चाहता, आपकी सरकार जब थी तब आप राजस्‍थान से कितना पानी लेते थे और हम कितना ले रहे हैं । 

          श्री रामनिवास रावत- 3400-3500 तक पानी लिया था, आप अन्‍याय कर रहे हैं । (व्‍यवधान)

          श्री जयंत मलैया-  जहां तक राजस्‍थान का सवाल है, इंदिरा सागर सेट प्रोजेक्‍ट है । गांधी सागर से पानी राघव सागर जाता है और राघव सागर से जवाहर सागर में जाता है और वहां से होते हुए चम्‍बल में जाता है । तीन तालाब हैं और तीनों तालाबों से होते हुए जाता है । जब पानी ज‍मा रहता है तो खर- पतवार साफ नहीं की जा सकती, वहां से 120 किलोमीटर राजस्‍थान है और वहां से हम चालू होते हैं, उनको भी 30-35 प्रतिशत नुकसान हो रहा है और हमको भी हो रहा है ।  जब पानी बंद होगा तो राजस्‍थान की सरकार का विभाग और हमारी सरकार का विभाग खर-पतवार की सफाई करेगा ।

          श्री रामनिवास रावत-  आपके अधिकारी महसूस कर रहे हैं आप महसूस नहीं कर रहे हैं  । मेरा निवेदन है कि जिन गांवों में पानी नहीं है, उन गांवों की खेती सूख रही है, आप अधिकारी भिजवा दें, मेरा इतना सा प्रश्‍न है ।

          श्री जयंत मलैया-  ठीक है, हम दिखवा लेते हैं ।

          श्री दुर्गालाल विजय(श्‍योपुर)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र श्‍योपुर में नहर का पानी एक महीने बाद दिया । बताया गया था कि एक महीना पानी भिण्‍ड में चलेगा, श्‍योपुर के लोगों ने स्‍वीकार भी कर लिया, लेकिन जब 14.11 से नहर प्रारंभ हुई है, तब से श्‍योपुर विधानसभा क्षेत्र को जहां 1100 क्‍यूसिक पानी मिलना चाहिए था, वहां पर 600 और 700 क्‍यूसिक पानी उपलब्‍ध हो रहा है । माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसके कारण से टेल पोर्सन पर पानी नहीं पहुंच पा रहा है बहुत सारे ऐसे गांव हैं जिन्‍होंने गेहूं की फसल की है लेकिन पहला पानी नही लगा और जिनको पहला पानी लगा उनको दूसरा पानी नहीं लग पा रहा है। आज भी     1 एल. से लेकर के 11 एल. तक की पूरी डिस्‍ट्रीब्‍यूटरी बंद है और 12, 16, 18 एल. चालू है बाकी 1 एल. से लेकर के 22 एल तक की पूरी डिस्‍ट्रीब्‍यूटरी बंद हैं । इसके कारण से गेहूं की फसल सूख रही है ।

          अध्‍यक्ष महोदय-  सीधा प्रश्‍न करें ।

          श्री दुर्गालाल विजय-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रश्‍न कर रहा हूँ एक बात और कहना चाहता हूँ पहले ओले पड़े फिर सूखा पड़ा ।

अध्‍यक्ष महोदय-  आप सीधा प्रश्‍न कर दें जो होना था, वह हो गया ।

श्री दुर्गालाल विजय-  जी, अध्‍यक्ष महोदय, उसके बाद जो हमारे हाथ में था वह भी नहीं हुआ और एक बीघा में सरसों की बोनी चंबल नहर से नहीं हो पाई । माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  अब मैं प्रश्‍न यह पूछ रहा हूँ कि अभी क्‍या श्‍योपुर क्षेत्र की सभी डिस्‍ट्रीब्‍यूटरी 1 एल से लेकर 22 एल तक, क्‍या आज चालू कर दी जायेंगी ? और किसानों को जिनके गेहूँ सूख रहे हैं, उनको पानी मिल जायेगा और खासकर के टेल पोर्शन पर. टेल पोर्शन पर अभी भी किसान परेशान है.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी.

          श्री जयन्‍त मलैया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज से 2 दिन पहले माननीय विधायक जी ने, माननीय मुख्‍यमंत्री जी जब वहां पर प्रवास पर थे, तो उनसे इस बारे में चर्चा की थी. उसके बाद जब जानकारी हमारे पास आई तो तत्‍काल ही, हमने अधिकारी वहां पर भेजा और श्‍योपुर जिले की जिस वितरिकाओं की बात माननीय विधायक जी ने की है. वहां जाकर वे देखकर आ रहे हैं और वहां पर जल प्रवाहित हो रहा है. उसमें कोई ऐसी फसल सूखने की बात नहीं परन्‍तु फिर भी माननीय विधायक जी ने कहा है. मैं अधिकारियों को भेजकर दिखवा लूँगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - श्री मेहरबान सिंह रावत. बस एक-एक प्रश्‍न. (व्‍यवधान)  श्री मेहरबान सिंह रावत जी का ही लिखा जायेगा.

          श्री बलबीर सिंह डण्‍डौतिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नहरें बन्‍द कर दी गई हैं. पानी नहीं आ रहा है. दो-दो पानी लग गए हैं, अभी दो पानी और लगना हैं. यदि पानी नहीं दिया गया तो सारी फसलें सूख जायेंगी. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - श्री मेहरबान सिंह रावत जी का ही लिखा जायेगा.

          श्री मेहरबान सिंह रावत (सबलगढ़) - मेरे विधानसभा क्षेत्र की भी यही स्थिति है कि एल पोरशन पर पानी मिल रहा है और मेरे यहां 33 एल सबसे बड़ी शाखा है. जिसमें 5 - 6,000 हैक्‍टेयर जमीन आती है. चार दिन के लिये चलाई जाती है, 15 दिन के लिए बन्‍द रखी जाती है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्‍न पूछ लें.

          श्री मेहरबान सिंह रावत - मैं यह चाह रहा हूँ कि एल पोरशन पर पानी और 32 एवं 33 एल पर पानी कब तक छोड़ा जायेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, रावत जी आपका बता दिया है कि वहां अधिकारी भेजेंगे.

          श्री जयन्‍त मलैया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने निवेदन किया है कि एक बार में एक विधायक महोदय बोलेंगे तो मुझे उत्‍तर देने में आसानी होगी.

          श्रीमती इमरती देवी -  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दतिया जिले में पूरी नहर सूख गई है एवं बन्‍द है.

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी का उत्‍तर आने दीजिये. कृपया बैठ जाइये.

          श्री जयन्‍त मलैया - अध्‍यक्ष महोदय, जैसे मैंने अपने उत्‍तर में ही बताया था. बारहबंदी से रोस्‍टर के अनुसार, नहर चलाने की हम कार्यवाही कर रहे हैं. और टैल में भी निरीक्षण किया गया है परन्‍तु जैसे माननीय तीनों विधायकों ने यहां पर जिक्र किया है. मैं फिर से अधिकारियों को भिजवाकर दिखवा लूँगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - अधिकारी भेज रहे हैं न. श्री जितु पटवारी अपने ध्‍यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.

 

11.53                                        बहिर्गमन

श्री रामनिवास रावत, इ.ने.कां. के सदस्‍य द्वारा शासन के उत्‍तर से असंतुष्‍ट

होकर सदन से बहिर्गमन किया जाना

          श्री राम निवास रावत - अध्‍यक्ष महोदय, मैं शासन के उत्‍तर से असंतुष्‍ट होकर, मैं बहिर्गमन करता हूँ.

(श्री राम निवास रावत, इ.ने.कां. के सदस्‍य द्वारा शासन के उत्‍तर से असंतुष्‍ट होकर, सदन से बहिर्गमन किया गया)

 

 

11.54                                  ध्‍यानाकर्षण (क्रमश:)

 

(2)पीथमपुर में ऑटो टेस्टिंग ट्रेक हेतु अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा कृषकों

को न दिया जाना.

                   श्री जितु पटवारी (राऊ) [डॉ. गोविन्‍द सिंह, श्री रामनिवास रावत] अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यान आकर्षण की सूचना विषय इस प्रकार है:-

          धार जिले के पीथमपुर में ऑटो टेस्टिंग ट्रेक के लिए राज्‍य सरकार द्वारा वर्ष २००७ में हजारों किसानों की लगभग 1080 एकड़ सिंचित भूमि अधिग्रहित की थी. 8 वर्ष व्‍यतीत हो जाने के बावजूद भी किसानों की उनकी अधिग्रहित जमीन की मुआवजे की राशि रू. 1800 करोड़ का भुगतान नहीं किया गया है जबकि माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा सितम्‍बर, 2015 में राज्‍य सरकार को आदेश दिए थे कि किसानों को 4 माह के भीतर मुआवजे की राशि का भुगतान किया जाना सुनिश्चित करें किन्‍तु माननीय न्‍यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया है. एक ओर विगत 4 वर्षों से प्रदेश को कृषि कर्मण अवार्ड मिल रहा है वहीं दूसरी ओर किसान अपनी जमीन के मुआवजे के लिए 8 वर्ष से लगातार संघर्ष कर रहे हैं अभी हाल ही में 22 फरवरी, 2016 को सागौर औरी के आसपास के 10 ग्राम के हजारों किसानों ने पीथमपुर में प्रदर्शन भी किया, लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस ने लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोले दाग कर दबाने की कोशिश की, जिससे उनमें सरकार के प्रति रोष व्‍याप्‍त है. 

                   श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, वाणिज्य, उद्योग और रोजगार  मंत्री -- अध्यक्ष महोदय,  

 

 

 


 

          मैं, माननीय मुख्यमंत्री और माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं कि विधानसभा मे प्रस्तुत 2016-17 के बजट में आटो टेस्टिंग से संबंधित मुआवजा राशि के भुगतान हेतु राशि रूपये 800.00 करोड़ के प्रावधान का प्रस्ताव उन्होंने किया. यह राशि अगले वित्तीय वर्ष  में प्राप्त होगी तथा प्रभावितों को वितरित की जायेगी. कलेक्टर धार द्वारा किये जा रहे आंकलन अनुसार लगभग राशि रूपये 400.00 करोड़ की अतिरिक्त आवश्यकता होगी. विभाग ने यह राशि चतुर्थ अनुपूरक में उपलब्ध कराने के लिये वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा है. विभाग का प्रयास है कि चतुर्थ अनुपूरक 2015-16 एवं वर्ष 2016-17 के बजट आवंटन के माध्यम से प्रभावित कृषकों को संपूर्ण मुआवजा राशि का भुगतान कर दिया जावे.

          श्री जितू पटवारी --माननीय अध्यक्ष महोदय, सारी बातें सभी सदस्यों के साथ में आपको भी समझ में आ गई होगी कि आज से 8 वर्ष पहले जो जमीन हमने ली उसका आज तक भुगतान नहीं हुआ है. मंत्री जी ने अपने वक्तव्य में स्वयं स्वीकार किया है कि उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिये हैं कि 4 माह के अंदर यह राशि कलेक्ट करके उनको दी जाये,राशि भी निर्धारित कर दी गई है. यह काम सरकार ने पहले क्यों नहीं किया जो कलेक्टर अब कर रहा है, जैसा कि मंत्री जी ने कहा है कि गणना हो रही है और हिसाब-किताब करके दिया जायेगा, 4 माह क्यों नहीं हुआ. उसके बाद मंत्री जी ने यह भी स्वीकार किया कि 2016-17 में 800 करोड़ का प्रावधान किया गया है. फिर 1 वर्ष हम लेट होंगे . अध्यक्ष महोदय, मेरी वेदना है, हो सकता है कि सदन के सदस्यों की भी वेदना हो, उद्योग मंत्री जी ने अपने वक्तव्य में कहा है कि इन्वेस्टर मीट के लिये हम जहां भी जाते हैं आंध्रप्रदेश और 2-3 राज्यों के नाम बताये परंतु मध्यप्रदेश में उनकी दृष्टि नहीं गई.

          अध्यक्ष महोदय -- आप स्पेसिफिक प्रश्न करें.

          श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय इस तरह का वातावरण बनेगा प्रदेश में कि किसान मुआवजे को लेकर के आंदोलित होगे, लाठीचार्ज होंगे, गोलियां चलेंगी..

          अध्यक्ष महोदय-- भाषण नहीं..

          श्री जितू पटवारी -- अरे.............

          अध्यक्ष महोदय-- अरे क्या,  जो नियम है तो है.

          श्री जितू पटवारी --अध्यक्ष महोदय, तो कैसे वातावरण बनेगा इस प्रदेश का और इन्वेस्टरों का.

          अध्यक्ष महोदय-- आप सीधे प्रश्न करिये.आपने जो ध्यानाकर्षण उठाया है उस पर प्रश्न करिये आप. अन्य चीजें आप विभाग की मांग के समय बोल दें.

          श्री जितू पटवारी --हां, प्रश्न ही कर रहा हूं. अध्यक्ष जी, मेरा आपसे भी अनुरोध है कि सकारात्मक बातें हैं इसलिये कहने देना चाहिये.

          अध्यक्ष महोदय-- नहीं, भाषण की व्यवस्था नहीं है.

          श्री जितू पटवारी -- मैं भाषण नहीं दूंगा. मेरा अनुरोध है कि इन्वेस्टर मीट हम करते हैं  तो इस तरह के आंदोलन से प्रदेश का वातावरण बिगड़ता है. तो क्या राज्य सरकार इस ओर ध्यान देगी कि इसी वर्ष उनका पूरा भुगतान हो जाये. दूसरा जिन किसानों पर लाठीचार्ज हुआ, जिन पर मुकदमे लगे, 42 लोग अस्पताल में भर्ती हुये, क्या उनसे मुकदमे वापस लिये जायेंगे . और पूरे प्रकरण में अगर यह दोनों कानून सम्मत हुये? पुलिस की कार्यवाही बर्बरतापूर्वक थी . क्या पुलिस पर प्रकरण दर्ज किया जायेगा. और अगर नहीं किया तो क्या विधायकों की एक समिति बनाकर के इस पूरे प्रकरण की जांच की जायेगी?

          श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं नकारात्मक जवाब नहीं देना चाहती हूं वह आंदोलन के बारे में कि कौन उनके साथ में उनके साथ था. पर विधायक जी भी संवेदनशील हैं 2 साल से जब से मैं आई हूं तब से ही यह नैट्रिप(ऑटो नेशनल ऑटोमोटिव टेस्टिंग एंड आरएनडी इन्फ्रॉस्ट्रक्चर प्रोजेक्ट (नैट्रिप))  पूरी योजना पटरी पर आ रही है. पर क्योंकि यह बहुत बड़ी योजना है और हमने कम से कम 7-8 बार भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय से लगातार संपर्क करके उनके साथ चर्चा करके इस बहुत ही एम्बेसिस प्रोजेक्ट को वापस ट्रेक पर लाया है. इस प्रोजेक्ट के बारे में हम यह सोचते हैं कि पहला फेस 2016 में ही कंपलीट हो जायेगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बहुत ही एम्‍बीसियस प्रोजेक्‍ट को वापस ट्रेक पर लाया है, इस प्रोजेक्‍ट को आज हम सोच रहे हैं कि पहला फेज 2016 में ही कम्‍प्‍लीट हो जायेगा, दूसरा फेज 2018 तक कम्‍प्‍लीट हो जायेगा. तीसरा ट्रेक इंदौर के पास होगा..... (तालियां)... अब हम चाह रहे हैं कि जहां सरकार इतनी बड़ी रकम नहीं दे पा रही है, हम जुटा पा रहे हैं, हमने कोशिश की और आप सही कह रहे हैं हम अपने वक्‍तव्‍य में स्‍वीकार कर रहे हैं कि न्‍यायालय के जो 4 महीने पहले उन्‍होंने कहा था, इसके संबंध में कलेक्‍टर से बार-बार लगातार संपर्क करके यह चिन्हित कर रहे हैं, क्‍योंकि अलग-अलग मुआवजे लग रहे हैं तो उसमें कितने मुआवजे और कितना इंट्रेस्‍ट इसमें किया जाये, वह सब चीजें एकत्रित होती जा रही हैं, 10 गांव का मामला है और हमारी पूरी पारदर्शिता है कि हम जितनी जल्‍दी इसका करें, हमारे ही इंट्रेस्‍ट में है नहीं तो हमारे लिये लगतार इंट्रेस्‍ट के उपर इंट्रेस पे करना पड़ेगा. तो इसीलिये थोड़ा धैर्य रखें हमारे विधायक जी जो इतने संवेदनशील हैं इस बारे में क्‍योंकि उन्‍हीं के पास यह ऑटो ट्रेक आ रह है तो मैं आपको इस सदन के माध्‍यम से कहती हूं कि अगर नेट्रिप आ जाये तो यह आपकी इकोनामिक गेम चेंजर होगा आपके यहां.

          अध्‍यक्ष महोदय--  डॉ. गोविंद सिंह.

          श्री जितू पटवारी--  हो गया मेरा.

          अध्‍यक्ष महोदय--  हो गया न, 3 प्रश्‍न तो पहले ही पूछ लिये.... (व्‍यवधान).... किसी को अलाऊ नहीं, जिनके नाम होंगे उन्‍हें ही अलाऊ करेंगे.

          श्री मुकेश नायक--  अगर आप अनुमति देंगे तो एक प्रश्‍न पूछ लूं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  नहीं, नहीं, प्‍लीज-प्‍लीज. पहले डॉ. गोविंद सिंह. विभाग की मांगे आयेंगी जब तब बोलिये आप.

          श्री जितू पटवारी--  कोई अंतिम तारीख कि इस तक सारा मुआवजा दिया जायेगा. और दूसरा.... (व्‍यवधान)... मेरा यह कहना है अध्‍यक्ष जी कि कोई अंतिम तारीख देगी सरकार कि हम जब तक मुआवजा दे देंगे और अगर नहीं दे पायेगी तो कितना वित्‍तीय कुप्रबंधन है आपका और तीसरा यह है कि कलेक्‍टर से मैंने लिखित में सूचना के अधिकार में मांग लिया है.

          श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया--  आप कितने प्रश्‍न पूछ रहे हैं.

          श्री जितू पटवारी--  मंत्री जी, आप कुछ बयान दे देंगी तो गलत हो जायेगा, मैंने सूचना के अधिकार में ले लिया है कि कलेक्‍टर ने राशि का पूरा मूल्‍यांकन करके सरकार को मांग पत्र भेज दिया है, अगर यह कहना कि कलेक्‍टर ....

          श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया--  इसीलिये तो पेपर नहीं दे रहे थे आप पिछले हफ्ते. आपने कहा था कि आप पेपर देने वाले हैं पर आपने पेपर दिया नहीं.

          श्री जितू पटवारी--  यह अलग बात है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आपके प्रश्‍न का उत्‍तर ले लीजिये आप.

          श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया--  आपने कहा था कि सूचना के अधिकार में आप पेपर दोगे.

          श्री जितू पटवारी--  सरकार का यह वक्‍तव्‍य गलत है कि हमारे पास कलेक्‍टर का मांग पत्र नहीं आया, क्‍योंकि मैंने सूचना के अधिकार में मांग पत्र का लेटर ले लिया है और दूसरा अंतिम तारीख कोई सरकार देगी क्‍या, मेरे दो प्रश्‍न हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  डॉ. गोविंद सिंह.

          श्री जितू पटवारी--  अध्‍यक्ष जी यह गलत है. यह कौन सा तरीका हुआ, आप कहो तो मैं पटल पर रख दूं जो कलेक्‍टर ने मांग पत्र दिया है इनको.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आपकी बात आ गई.

          श्री जितू पटवारी--  नहीं, नहीं अध्‍यक्ष जी यह तो अन्‍याय हो गया. यह भेदभाव पूर्ण रवैया है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  यह भेदभावपूर्ण नहीं है आपको स्‍पष्‍ट प्रश्‍न पूछना था.

          श्री जितू पटवारी--  अगर कन्‍फ्यूज है सरकार तो यह कहे कि हम कार्यवाही करके कल बतायेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आपने यह कहां पूछा कि कलेक्‍टर का आ गया कि नहीं आ गया आपके पास.

          श्री जितू पटवारी--  पूछा, कलेक्‍टर का मांग पत्र आया या नहीं आया यह अब नया पूछ रहा हूं, चलो बताओ. ..... (हंसी).... यह कौन सी बात हुई और इसको अंतिम तारीख देना पड़ेगी अध्‍यक्ष जी.

          अध्‍यक्ष महोदय--  अंतिम तारीख पूछ रहे थे आप हम उत्‍तर दिलवा रहे थे. पर आप उसके बाद फिर भाषण देने लगे.

          श्री जितू पटवारी--  दिलवाओ. 2 प्रश्‍न के उत्‍तर दिलवाओ.

          अध्‍यक्ष महोदय--  नहीं, नहीं एक प्रश्‍न का. माननीय मंत्री जी कोई तारीख दे सकते हैं क्‍या.

          श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया--  अंतरिम रिपोर्ट आई है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  समय-सीमा पूछ रहे हैं वह.

          श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया--  समय-सीमा कैसे दें.

          श्री जितू पटवारी--  समय-सीमा नहीं दें यह कौन सा तरीका है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा 4 महीने .....(व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय--  कुछ नहीं लिखा जायेगा. आप बैठ जायें कृपया.

            डॉ गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी ने कहा कि विभाग का प्रयास है अनुपूरक 2015-16, 2016-17 में आवंटन में होगा. 2016-17 में समय है. मंत्रीजी से हमारा अनरोध है कि बजट प्रावधान 2015-16 जो अभी है. सप्लीमेंट्री बजट आ रहा है. कृपया करके 2015-16 में प्रावधान कर देंगी. दूसरा, जिन किसानों पर लाठीचार्ज हुआ है. लाठी चार्ज की अनुमति किसने  दी और किसकी अनुमति से लाठीचार्ज हुआ. और जिन पर मुकदमे लगे, उनके मुकदमें वापस लेने का सरकार वचन देगी?

          श्रीमती यशोधराराजे सिंधिया-- अध्यक्ष महोदय, पारदर्शिता रखते हुए मैं अपना जवाब दे रही हूं. मैंने सदन को कहा है कि यह बहुत महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था जो 16 साल से लंबित था. हम इतने संवेदनशील है कि हम उसको इंदौर के लिए ट्रेक पर ला रहे हैं. अब अगर माननीय ऐसे मुझे एक तरह से परेशान करेंगे..प्लीज..एक मिनट मुझे कहने दें.  अध्यक्षजी, हम  फायनेंस मिनिस्टर नहीं हैं.  फायनेंस हम नहीं चला रहे हैं. हम सिर्फ फायनेंस मिनिस्ट्री से पूछ सकते हैं कि कृपया हम जल्दी से जल्दी आप हमारा पैसा दे दें. आज हम समझ रहे हैं कि हम कोर्ट के कंटेम्प्ट में जा रहे हैं. वह भी हम समझ रहे हैं. लेकिन उस चीज में, उन हालातों में हमारी कोशिश है कि हम जल्दी से किसानों की मदद करें. मैं भी दो तीन बार वहां गई हूं. मैं भी वहां किसानों से मिली हूं. मैंने भी किसानों से कहने की कोशिश की कि हां, हम आपको, आपकी मुआवजा राशि देने वाले हैं. हमारी कोशिश होती है कि जो भी ब्याज हमें देना है, वह भी हमें देना ही पड़ेगा. वह बात नहीं है कि हम कल दे सकते हैं कि परसों दे सकते हैं. हमारी कोशिश है कि हमें देना है, पर कब देना है, वह तारीख मैं आपको कैसे दे सकती हूं.

          श्री मुकेश नायक--वित्तमंत्रीजी सामने बैठे हैं, कान में पूछ लीजिए, कब देंगे?

          डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूछा था कि किसानों पर जो मुकदमे लगे हैं, क्या उन्हें मानवीय आधार पर परीक्षण कराकर, वापस लेने का सरकार वचन देगी?

          श्रीमती यशोधराराजे सिंधिया-- काहे का वचन मांग रहे हैं आप.

          अध्यक्ष महोदय-- जो मुकदमें किसानों पर हैं, उनके बारे में है. आप परीक्षण करा लीजिए.

          श्रीमती यशोधराराजे सिंधिया-- मैं वचन देती हूं, हम इसका परीक्षण करा लेंगे.

          श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न करने की अनुमति दीजिए.

          अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब नहीं.

          श्री मुकेश नायक--सबको अवसर दे रहे हैं, मुझे नहीं दे रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- उनका नाम है. नहीं, अनुमति नहीं देंगे. हम ध्यानाकर्षण में यह परम्परा चालू नहीं करेंगे.

          श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्षजी, इंदौर में ऑटो टेस्टिंग ट्रेक के स्थान के लिए 2009 में किसानों की , बहुत से गांवों की भूमि अधिग्रहित की थी. 2009 से वहां के किसान, उस जमीन पर खेती-किसानी नहीं कर पा रहे हैं. वह जमीन पूरी तरह से अधिग्रहण करने के बाद 2009 से लेकर आज 2016 आ गया और पिछले 7 सालों से वे किसान दर दर भटक रहे हैं, उनकी जीविका का कोई साधन नहीं है. मंत्री महोदया ने जो 2014 से यह विभाग संभाला है, उनको धन्यवाद देंगे कि उन्होंने इस मामले को ट्रेक पर लाया तो यही मानेंगे कि 2014 से पहले जो भी लोग थे उनकी इस पूरे ऑटो टेस्टिंग ट्रेक के निर्माण के प्रति उदासीनता थी.

          अध्यक्ष महोदय-- अभी क्या है वह पूछिये. ध्यानाकर्षण है ना.

          श्री रामनिवास रावत-- दोनों ही बातें आ जाती हैं. माननीय मंत्रीजी यह भी कह देती हैं कि शिवराज सिंह जी प्रतिबद्ध हैं. यदि प्रतिबद्ध थे तो 2014 से पहले क्यों नहीं थे.

          अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करिये. भाषण देने का समय अभी आयेगा. सीधा प्रश्न करें.

          श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, आपकी प्रतिबद्धता पर हमें विश्वास है. मेरा एक तो यह निवेदन है कि इस तरह की व्यवस्था बनाई जाय, उन्हें मुआवजे की बात तो आ ही गई, जो नया भूमि अधिग्रहण कानून आया था, जिसमें एक तो यह व्यवस्था थी कि 80 प्रतिशत किसानों की सहमति होने के बावजूद ही भूमि अधिगृहीत की जाएगी, क्या इसमें 80 प्रतिशत किसानों की सहमति प्राप्त की गई? भूमि का मुआवजा माननीय उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया है, उसके आधार पर कब तक मुआवजा प्रदान कर दिया जाएगा? तारीख, समय-सीमा मैं जानना चाहता हूं. यह बात सही है कि समय-सीमा आप नहीं बताएंगी, वित्तमंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी यहां पर हैं, मैं तो यह चाहता हूं कि आप जल्दी से, हमारी तो यह शुभकामनाएं हैं कि आप उधर से  इधर  एक नम्बर सीट पर आ जाएं तो समस्या बहुत जल्दी हल हो सकती है.

श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया - अध्यक्ष महोदय, इस पर अब कोई जवाब ही नहीं देना है. मैं क्या जवाब दूं? आप इधर से उधर कह रहे हैं, इस पर मैं क्या जवाब दूं?

अध्यक्ष महोदय - समय-सीमा बताना संभव नहीं है, यह बात पहले आ चुकी है.

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, कौन-सी समय सीमा?

अध्यक्ष महोदय - यह पहले आ चुका है, समय-सीमा बताना संभव नहीं है.

श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया -माननीय मुख्यमंत्री जी आए हैं, इसीलिए आप यह सब अब कह रहे हो, आप सीधे टॉपिक पर रहें, माननीय आप एक अनुभवी सदस्य हैं, क्या आप यह डबल-डबल कह रहे हैं, जितू भाई भी वही कह रहे हैं, आप भी वही कह रहे हैं. मैंने कहा कि आज मैं वित्तमंत्री नहीं हूं, वित्तमंत्री जी से मुझे परमिशन लेनी होगी, माननीय मुख्यमंत्री जी से परमिशन लेनी होगी. हमने अभी से ही आपको बता दिया है कि कितना हमें आज इस बजट से पैसा मिल रहा है, अगले बजट से हमारी चाहत है कि हमें मिल जाय. अब हम कहां समय-सीमा, कौन-सी तारीख बताएं?

अध्यक्ष महोदय - सब बात आ गई है.

श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया - अध्यक्ष महोदय, ऐसे तो आधे घंटे और चलते जाएंगे.

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी है. माननीय मुख्यमंत्री जी भी बैठे हैं, माननीय वित्तमंत्री जी भी बैठे हैं.  (व्यवधान)..

श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया - मुख्यमंत्री जी की जवाबदारी नहीं है, मेरी जवाबदारी है.

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, एक ही सवाल है कि मुआवजा कब तक दे दिया जाएगा (व्यवधान)..माननीय मुख्यमंत्री जी, आप ही इसका जवाब दे दें. (व्यवधान)..अध्यक्ष महोदय, सरकार के मंत्री संवेदनशील नहीं हैं. सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी है. (व्यवधान)..

श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, मंत्री सरकार की तरफ से जवाब देता है. (व्यवधान)..आप यह बता नहीं पा रहे हो कि किसानों को मुआवजा कब तक देंगे, जो जमीनें आपने किसानों की 10 साल पहले छीन ली हैं. यह गलत तरीका है. जवाब अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है?

उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)- अध्यक्ष महोदय, हम मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं. अध्यक्ष महोदय, आप प्रतिपक्ष के विधायकों को सुनना नहीं चाहते हैं. अध्यक्ष महोदय, हम माननीय मंत्री महोदया के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं. (व्यवधान)..हम सदन से बहिर्गमन करते हैं. (व्यवधान)..

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, हम सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं है, सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी है.

(व्यवधान)..

श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, इस पूरी घटना पर मुख्यमंत्री वक्तव्य दें. अगर इनसे नहीं होगा तो मुख्यमंत्री इस पूरी घटना पर वक्तव्य दें. किसानों को मुआवजा नहीं मिल रहा है. आप कहते हैं कृषि कर्मण अवॉर्ड ले लिया, किसान मेरा भगवान है तो यह किस तरह का भगवान है? यह गलत तरीका है. सरकार किसानों के साथ बहुत अन्याय कर रही है. (व्यवधान)...

 

 

12.19 बजे                                       बहिर्गमन

इंडियन नेशनल कांग्रेस के माननीय सदस्यों का शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन

(उप नेता प्रतिपक्ष श्री बाला बच्चन के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के माननीय सदस्यों द्वारा शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)

                  

समय 12.20 बजे       

         

 

 

 

 

 

 

                                  

 

 

 

            संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय मैं प्रस्ताव करता हूं कि अभी अध्यक्ष महोदय ने वर्ष 2015-16 के चतुर्थ अनुपूरक अनुमान एवं वर्ष 2016-17 के आय व्ययक में सम्मिलित मंत्रियों की विभिन्न मांग समूहों पर चर्चा के लिए समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़कर सुनाई उन्हें सदन स्वीकृति देता है.

          अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.

          प्रश्न यह है कि जिन कार्यों पर चर्चा के लिए समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़कर सुनाई उन्हें सदन स्वीकृति देता है.

          प्रस्ताव स्वीकृत.

 

याचिकाओं की प्रस्तुति.

 

 

          अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में उल्लेखित याचिकाएं प्रस्तुत की गई मानी जायेंगी.

 

 

राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा.

 

          श्री रामनिवास रावत -- मैं यहां पर निवेदन करना चाहता हूं कि 23 तारीख को अभिभाषण आया था. आपने चर्चा के लिए 25 और 29 दो दिन निर्धारित किये थे. सामान्यतया 3 दिन होते थे, आपकी कृपा रही, कल समय रहने के बावजूद भी आज के लिए अभिभाषण पर चर्चा जारी रखी गई. मैं यहां पर केवल यह जानना चाहता हूं कि ऐसा क्या कारण था कि जिसकी वजह से जहां एक तरफ आप भोजनावकाश को भी निलंबित कर रहे हैं. ऐसा क्या कारण था कि जिसकी वजह से आपने कल चर्चा समाप्त न करके आज भी ली है.

          अध्यक्ष महोदय --  आप समय बढ़ाने नहीं देते हैं. आधे घंटे में दोनों विषय आ नहीं सकते थे. फिर हम क्या करते इसलिए उसको आज लिया गया है, उसमें भी आपको आपत्ति है, आप समय पर भी आपत्ति उठाते हैं और जब समय की सीमा में भी करते हैं तब भी आपत्ति करते हैं तो आप ही बता दें कि क्या करना है.

          डॉ नरोत्तम मिश्र -- यह समय पर रहते नहीं है. अगर आपको आपत्ति उठाना थी तो कल उठाना थी, कल आपत्ति नहीं उठाई और उसके बाद में कार्य मंत्रणा समिति में भी बात करना थी तो वहां पर आप आये नहीं है, अध्यक्ष जी बहुत अरूचि है आपस की अंदर की इनमें गुटबाजी है.

          श्री रामनिवास रावत -- कोई गुटबाजी नहीं है. मेरी समझ में जो आया अध्यक्ष महोदय वह यह है कि एक ही कारण है कि कल अगर मुख्यमंत्री जी बोलते तो आज पेपरों में नहीं छपता क्योंकि कल केन्द्र सरकार का बजट भाषण था. आज जब यह बोलेंगे तो पेपरों में छपेगा.. केवल पेपरों में छपने के लिए आज उस चर्चा को लाये हैं...(व्यवधान)..

          डॉ गौरी शंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय क्या अध्यक्ष के निर्णय पर यहां पर चर्चा होगी..(व्यवधान).. माननीय अध्यक्ष महोदय के निर्णय पर आपत्ति उठाई जायेगी और उस पर यहां चर्चा होगी ..(व्यवधान)..यह कौन सी परंपरा हो रही है सदन में...

          श्री उमाशंकर गुप्ता -- यह तो आपस की गुटबाजी है..(व्यवधान)..

          डॉ गौरी शंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय हम कहां जा रहे हैं...(व्यवधान).. जरा सोचें तो आप..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय -- श्री बाला बच्चन जी खड़े हैं कृपया सभी बैठ जायें...(व्यवधान)..

          श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय मैं महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण पर जो कृतज्ञता प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ है मैं उसका विरोध करता हूं.

          डॉ गौरीशंकर शेजवार --(XXX)

          श्री आरिफ अकील -- मेजें आप थपथपायें हम सब आपसे रिक्वेस्ट करते हैं...(व्यवधान)..

          डॉ गौरीशंकर शेजवार --(XXX)

          अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी उनको बोलने दें. यह सब कार्यवाही से निकाल दें.

          श्री गोपाल भार्गव --(XXX)

          श्री बाला बच्‍चन, उप नेता प्रतिपक्ष -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप मुझे सरंक्षण दें, ये जितने मंत्रिगण अभी खड़े हुए थे इनके कारनामे सब मैं उजागर करूंगा. माननीय राज्‍यपाल जी के अभिभाषण पर चर्चा चल रही है, माननीय राज्‍यपाल जी के अभिभाषण पर जो कृतज्ञता प्रस्‍ताव आया है उसका मैं विरोध करता हूँ. मैं विरोध इसलिए करता हूँ कि 154 कंडिकाओं वाले अभिभाषण को पढ़ने से यह समझ में आया कि सरकार ने अपने हाथों अपनी पीठ थपथपाई है और अपने मुँह मियां मिट्ठू बनने की कहावत को पूरी तरह से चरितार्थ किया गया है. पूरा अभिभाषण सरकार के अहंकार से भरा हुआ है, अभी सामने जो मंत्रिगण खड़े हुए थे, तो उनका अहंकार दिख रहा था. सरकार ने अभिभाषण में यह दिखाने का प्रयास किया है कि सरकार की वित्‍तीय स्‍थिति बहुत अच्‍छी है लेकिन सरकार कितनी गंभीर वित्‍तीय स्‍थिति से गुजर रही है इसको मैं समझता हूँ कि सदन ही नहीं पूरा मध्‍यप्रदेश बहुत अच्‍छे से समझ रहा है और जान रहा है. सरकार की वित्‍तीय स्‍थिति बहुत खराब है और सरकार दिवालियापन की कगार पर खड़ी है. चाहे अभिभाषण हो, चाहे बजट हो, माननीय मुख्‍यमंत्री जी आंकड़ों से और परियोजनाओं के नाम से भाषण बहुत अच्‍छे से बनाते हैं, पुराने अनुभवी वित्‍त मंत्री हैं इस कारण से बना लेते हैं लेकिन वित्‍तीय स्‍थिति सरकार की बिल्‍कुल ठीक नहीं है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मैं यह बताना चाहता हूँ कि अभिभाषण की कंडिका 11 से लेकर कंडिका 41 के बीच में किसानों के लिए सुविधाएं उपलब्‍ध कराने का आपने उल्‍लेख किया है जबकि किसानों को मुआवजा बांटने में आपने मनमानी की है. कई तरह की अनियमितताएं की गई हैं, किसानों को अभी भी मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. सूखे के कारण, अल्‍पवर्षा के कारण, अतिवृष्‍टि के कारण, ओलावृष्‍टि के कारण मध्‍यप्रदेश के जो किसान प्रभावित हुए हैं उनको जितना मुआवजा मिलना था वह मुआवजा माननीय मुख्‍यमंत्री जी नहीं मिला है. इसके कारण किसान आज भी आत्‍महत्‍या के लिए विवश हैं और अभी भी मध्‍यप्रदेश के किसानों की आत्‍महत्‍याएं रूकी नहीं हैं. अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मुख्‍यमंत्री जी यहां बैठे हुए हैं, मैं आपके माध्‍यम से यह आग्रह करना चाहता हूँ माननीय मुख्‍यमंत्री जी से कि आपको इस पर विचार करना पड़ेगा और व्‍यवस्‍था देना पड़ेगा जिससे कि किसानों की आत्‍महत्‍याएं रूक सकें. आपने कंडिका 79 से 91 के बीच में शिक्षा का उल्‍लेख किया है कि स्कूलों से संबंधित शिक्षा बहुत अच्‍छी दे रहे हैं, महाविद्यालयों में शिक्षा अच्‍छी दे रहे हैं, मैं यह कहना चाहता हूँ कि ग्रामीण अंचल के स्‍कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं. केमिस्‍ट्री, फिजिक्‍स, मेथेमेटिक्‍स, बॉयोलॉजी, बॉटनी, इंगलिश के शिक्षक नहीं हैं. जब गांवों में शिक्षक ही नहीं हैं तो क्‍या क्‍वालिटी ऑफ एजुकेशन मिल रहा होगा, सरकार, आप और हम सब इस बात का अनुमान लगा सकते हैं. महाविद्यालयों में प्राध्‍यापक और सहायक प्राध्‍यापक नहीं हैं. मुझे याद है कि एक समय था जिसको कि दुनिया का सुप्रीमो कहा जाता है अमेरिका के राष्‍ट्रपति अमेरिका में वहां के विद्यार्थियों को यह कहते हैं कि जागो, पढ़ो नहीं तो भारतीय छात्र आ जाएंगे और आप सबकी जगह ले लेंगे. अमेरिका की सिलिकान वेली जिससे पूरी दुनिया चलती है आज फेसबुक का टाइम है, ट्विटर का टाइम है, नेट का टाइम है, मोबाइल का टाइम है, उसमें लगभग 35 से 40 प्रतिशत हमारे भारतीय व्‍यक्‍ति हैं जिन्‍होंने अपने टेलेंट के माध्‍यम से वहां पर जगह बनाई है. फर्स्‍ट अटेम्‍प्‍ट में अंतरिक्ष में यान पहुँचना, यह हमारे टेलेंट की देन थी, पूरी दुनिया को लोहा मनवाया है और आप शिक्षक नहीं दे रहे हैं तो क्‍वालिटी ऑफ एजुकेशन की क्‍या स्‍थिति होगी, माननीय मुख्‍यमंत्री जी, आप इसका अनुमान लगा सकते हैं. मुझे याद है कि अभी-अभी माध्‍यमिक शिक्षा मंडल ने उन 1600 स्‍कूलों को क्‍यों मान्‍यता दी, दिसंबर में ही यह मान्‍यता क्‍यों नहीं दी जा सकी, विलंब के कारण 1600 स्‍कूल के 10वीं और 12वीं के दो लाख विद्यार्थियों को रेगुलर से निजी होना पड़ा है. इतने विद्यार्थियों के साथ में माननीय मुख्‍यमंत्री जी, आपकी सरकार ने और शिक्षा विभाग ने धोखा किया है, यह मेरा आरोप है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सहकारिता विभाग पर मैं आ रहा हूँ, माननीय भार्गव जी, किसानों से जुड़ा सहकारिता आंदोलन भ्रष्‍टाचार का शिकार हो गया है. सहकारिता को डंस लिया है भ्रष्‍टाचार के नागों ने, और घर को लगा दी आग घर के चिरागों ने, यह स्‍थिति बन गई है.   उसको मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ, चाहे वह जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक,खरगौन की बात हो जिसमें 42 नियुक्तियां कर दी गयीं और उसके बाद उनको नियमित भी कर दिया. क्या वहां के अधिकारियों को उसके बाद संचालक मंडल को उसका अधिकार था . चाहे वह जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक,खरगौन में नियुक्ति की अनियमितता का मामला हो, चाहे रीवा बैंक की डभौरा का जो लोन 16 करोड़ 17 लाख रुपये का वितरण किया गया है वह लोन की राशि किसानों की थी. उसके बाद आपने अगर जांच का आदेश दिया.उसमें पुलिस शामिल हुई. पुलिस ने भी पैसे ले लिया. टीआई और एसडीओपी भी उसमें सस्पेंड हुए हैं.चाहे रीवा के डभौरा बैंक के लोन का मामला हो, चाहे सीधी का 1100 ट्रेक्टर फायनेंस करने का भ्रष्टाचार हो. माननीय मुख्यमंत्री जी, आप हमारे प्रश्नों को, उत्तरों को और विधानसभा की कार्यवाही जो चलती है, मुझे नहीं लगता कि आप देखते हैं. मेरे प्रश्न के जवाब पर 1100 ट्रेक्टर एक साल में फायनेंस करना बताया. जब मैंने दूसरा प्रश्न लगाया आरटीओ विभाग में तो आरटीओ विभाग से जवाब आया  कि यह 1100 ट्रेक्टरों की नम्बर नहीं, यह मोटर साइकिलों के नम्बर हैं( शेम शेम की आवाजें) चाहे उसका मामला हो. चाहे होशंगाबाद में अऩ्य बैंकों में जो अनियमितताएँ हुई हैं उसका मामला हो. मैं आपकी जानकारी में सब लाना चाहता हूँ फिर आपने इसकी प्राथमिक और विस्तृत जो जांच करवाई है. किनसे आपने जांच करवाई है?  अपेक्स बैंक के 345 करोड़ रुपये की जमीन घोटाले में जो अधिकारी है उनसे आपने जांच कराई. जिनके खुद के ऊपर 345 करोड़ रुपये का आरोप है, 345 करोड़ रुपये के घोटाले में अपेक्स बैंक के अधिकारी फंसे हुए हैं उनसे आपने इनकी प्रारंभिक और विस्तृत जांच करवायी है. मुख्यमंत्री जी, सदन के बहुत सारे सदस्यों ने बढ़कर अभिभाषण पर चर्चा में हिस्सा लिया है. हमारे प्रतिपक्ष के साथियों ने भी हिस्सा लिया है. इधर के सत्तापक्ष के विधायकों ने भी हिस्सा लिया है. अपनी बात को कहने के अलावा भी मैं आपसे यह आग्रह करना चाहता हूँ  कि जो आरोप मैं आप और आपकी सरकार के ऊपर लगा रहा हूँ, मेरे विधायक साथियों ने जो आरोप लगाये हैं, कृपा करके अपनी बात न कहते हुए आप उनका जवाब दें. आप हमेशा अपनी बात कहते हैं, यह जो मैं मय तथ्य के मय फैक्ट के बोल रहा हूँ, जितनी चीजें हैं अगर मैं कहीं गलत हूँ तो मेरे पर आप जो कार्यवाही करना चाहें, वह कर लेना लेकिन सदन के सदस्यों का मान और सम्मान बना रहे, उनकी भी बात सदन के बाहर भी बनी रहे और सदन एक सर्वोच्च संस्था है बात उठाने के लिए, इसका भी सम्मान बना रहे. बहुत अच्छी बात है कि आज सदन में काफी अच्छी उपस्थिति है और माननीय मुख्यमंत्री जी भी हैं.

12.33 बजे          उपाध्यक्ष महोदय( डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ) पीठासीन हुए

          यहां पर मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूँ कि भूमि विकास बैंक को  क्यों बंद कर दिया है.राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक को क्यों बंद कर दिया है और बंद करने के पीछे मैं आपको बता रहा हूँ, आपकी जानकीर में लाना चाहता हूँ कि अभी भी ग्रामीण विकास बैंक के 5500 जो खाताधारक हैं उनकी  55 करोड़ रुपये की राशि,जो एफडी थी वह मेच्योर्ड हो चुकी है लेकिन सरकार ने उनको देने की कहीं व्यवस्था नहीं की है. क्या कुसूर है कि जबलपुर के एक केंसर के पेशेंट हैं सुखदेव तिवारी जी, उनकी एफडी मेच्योर्ड हो गयी है,वे केंसर से सफर कर रहे हैं,उन्हें उनकी राशि नहीं दी जा रही है. भोपाल के एक पेशेंट हैं शांता  पीके, हार्ट पेशेंट हैं, उनकी भी एफडी मेच्योर्ड हो चुकी है, लेकिन नहीं दी जा रही है तो कृपा करके माननीय मुख्यमंत्री जी से आग्रह है कि चाहे इनको मेरे सुझाव कह लीजिए, मेरे आरोप कह लीजिए, इनके आप जवाब दीजिएगा जब आप बोलेंगे तब. अब मैं स्वास्थ्य विभाग पर आता हूँ.

          सहकारिता मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.

          श्री बाला बच्चन-- मैं आपकी बात पर आ रहा हूँ.

          श्री मुकेश नायक--   सत्ता और प्रतिपक्ष के नेता जब बोलते हैं तो इन्टरप्शन नहीं होता है.उनको अपनी बात कहने दीजिए.

          उपाध्यक्ष महोदय-- मैं अलाऊ नहीं कर रहा हूँ.आप बैठ जाएं.

          श्री गोपाल भार्गव-- मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.

          श्री बाला बच्चन--  फिर माननीय मुख्यमंत्री जी आप बोलेंगे तो फिर हमारी तरफ से भी इन्टरप्शन होगा.

          श्री गोपाल भार्गव- आप सुन तो लें. आप सुन लें.कृपा करके बैठ जाएँ.

          उपाध्यक्ष महोदय--  मंत्री जी, वे ईल्ड नहीं कर रहे हैं, कृपा करके हस्तक्षेप नहीं करें. अगर वह ईल्ड करते हैं तो कोई बात नहीं है.यह व्यवस्था है.

 

                                                                            

          श्री गोपाल भार्गवउपाध्यक्ष महोदय, औचित्य का प्रश्न है, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है उसको आप सुन लें, मेरी बात तो सुन लें.

          उपाध्यक्ष महोदय--  आप कम से कम आसंदी की व्यवस्था को तो मानिये.

          श्री गोपाल भार्गवउपाध्यक्ष महोदय, हर सदस्य को बीच में बोलने का अधिकार है. ..(व्यवधान)..य़दि किसी व्यक्ति से या किसी विभाग से संबंधित कोई विषय आता है औऱ उससे संबंधित मंत्री यदि कुछ कहना चाहे तो कह सकता है.

          उपाध्यक्ष महोदय---  यह गलत बात है ...(व्यवधान)..देखिये मंत्री जी, वह ईल्ड नहीं कर रहे हैं यह गलत परंपरा मत डालिये. अभी माननीय मुख्यमंत्री जी को भी बोलना है.

          श्री बाला बच्चन---  यह आसंदी को मान रहे हैं ?

          श्री मुकेश नायक---  आप जो भी स्पष्टीकरण देना है बाद में दीजिये आपको अधिकार है.

          श्री गोपाल भार्गव--  इसके बाद कब अवसर मिलेगा आप तो कुछ भी बोलकर चले जाएंगे, ऐसा नहीं चलेगा.

          श्री बाला बच्चन--  मैं उसको प्रूव करुंगा. आपको इसके बाद समय मिलेगा तब सिद्ध करना मैंने पहले अपनी बात कही है कि जो सजा देना चाहे सरकार या आसंदी उसके लिए मैं तैयार हूं.

          श्री गोपाल भार्गव--  मुख्यमंत्री जी तो कहेंगे ही .

          उपाध्यक्ष महोदय---  बच्चन जी, आप कृपा करके आसंदी के माध्यम से संबोधित करें. हम खड़े हुए हैं कृपया करके मंत्री जी आप बैठ जाएं.

          श्री गोपाल भार्गव--- उपाध्यक्ष महोदय, यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है मैं ट्रेजरी बेंच पर हूं तो इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं बोल नहीं सकता .

          श्री आरिफ अकील---  व्यवस्था आसंदी की चलेगी या मंत्री की चलेगी.

          उपाध्यक्ष महोदय--  मैं खड़ा हुआ हूं आप सभी को बैठ जाना चाहिए. मेरा यह अनुरोध है कि जो माननीय सदस्य बोल रहे हैं यदि वह ईल्ड नहीं करते हैं तो उनको हस्तक्षेप न करें. अगर वह ईल्ड कर जाते हैं तो आपका हस्तक्षेप स्वागत योग्य है , आप बैठ जाइए.

          श्री गोपाल भार्गव---  उपाध्यक्ष महोदय, मैंने औचित्य का प्रश्न उठाया , यह मेरा अधिकार है और मुझे कुछ कहने का भी अधिकार है यदि मेरे विभाग के बारे में कुछ कहा गया तो मैं कहूंगा .

          श्री मुकेश नायक--- आपका अधिकार है लेकिन वह संसदीय नियम संचालन और प्रक्रिया के तहत है. जब चाहे मंत्री होने के नाते सदन में खड़े होकर आप नहीं बोल सकते हैं.

          श्री गोपाल भार्गव---  उसी के तहत मैं बोल रहा हूं.

          उपाध्यक्ष महोदय--- मंत्री जी, आप इस सदन के वरिष्ठतम सदस्यों में से एक हैं और आप जब इसका पालन नहीं करेंगे तो कैसे चलेगा. आपके ऊपर व्यक्तिगत आरोप नहीं लगा है यदि वह व्यक्तिगत आरोप लगाते हैं तो पूर्व में सूचना देनी पड़ेगी यह परंपरा है.

          श्री मुकेश नायक---  वह कह रहे हैं कि यह भूमि विकास क्यों बंद हो गया और कह रहे हैं कि लोगों की एफडी क्यों नहीं वापस हुई यह थोड़े कह रहे हैं कि एफडी आपने रख ली. उन्हें बोलने दीजिये.

          श्री गोपाल भार्गव--  मैं बता रहा हूं.

          उपाध्यक्ष महोदय---  आप लोग बैठ जाएं...(व्यवधान)...मंत्री जी बैठ जाएं कृपा करके .

          श्री आरिफ अकील---  हम तो बैठ जाएंगे उनको बैठने को कहे.

          श्री गोपाल भार्गव--- एक- एक बात का उत्तर एक-एक आरोप का उत्तर मैं दूंगा.

          उपाध्यक्ष महोदय---  मंत्री जी आप बैठ जाएं यह गलत बात है, आप गलत परंपरायें न डालें.

          श्री गोपाल भार्गव---   उपाध्यक्ष महोदय, यह ज्यादती है. यह मेरी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार है.

          श्री आरिफ अकील--  उपाध्यक्ष महोदय, इन्हें बाहर करिये.

          उपाध्यक्ष महोदय--  इसमें औचित्य का प्रश्न नहीं आता है. आपके ऊपर कोई प्रभारी नेता प्रतिपक्ष ने कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाया है.

          श्री गोपाल भार्गव---  उन्होंने आरोप नहीं लगाया है लेकिन मुख्यमंत्री जी हर विषय की जानकारी नहीं दे सकते हैं.

          श्री कमलेश्वर पटेल---  प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं वह जानकारी क्यों नहीं दे सकते हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय---  मंत्री जी, गंभीरता को समझें आप वरिष्ठतम लोगों में एक हैं. सभी लोग बैठ जाइए कृपा करके.

          श्री गोपाल भार्गव---  यह बीस विभागों के बारे में चर्चा करेंगे तो क्या मुख्यमंत्री जी बीस विभागों के उत्तर देंगे. मैं आपके एक एक आऱोप का उत्तर देने के लिए चुनौती देता हूं.

          उपाध्यक्ष महोदय--  मैं, सदन के नेता से अनुरोध करता हूं कि कृपा करके मंत्री जी को बैठायें. बच्चन जी अपना भाषण जारी रखें.

          श्री गोपाल भार्गवबच्चन जी आपने ही तो कहा था कि मंत्री जी, आपने सबसे बेहतर कार्यवाही की है.

          श्री बाला बच्चन--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मै उस पर आ रहा हूं , आप बैठ जाइए. ...(व्यवधान)...

          उपाध्यक्ष महोदयजो भी माननीय सदस्य बिना अनुमति लिये बोल रहे हैं यह कार्यवाही में नहीं लिखा जाएगा.

          श्री आरिफ अकील--  (xxx)

          श्री रणजीत सिंह गुणवान—(xxx)

          श्री शंकरलाल तिवारी--  (xxx)

            उपाध्यक्ष महोदय---  किसी का नहीं लिखा जा रहा है बाला बच्चन जी अपनी बात रखे.

          श्री बाला बच्चन--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे पास पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित अभी  और भी मैटर है .माननीय मंत्री जी अभी जो उत्तेजित हुए थे मैं उनको बताना चाहता हूं कि मेरे पास उनके विभाग संबंधी और भी मेटर है जो वर्ष 2008 से 2013 तक मैंने विधान सभा में जो उठाए थे, उस समय इन्होंने  जो कार्यवाही की है उसका भी मैं उल्लेख करुँगा उन्होंने जो अभी कार्यवाही की शायद उस कारण से यह थोड़े उत्तेजित हो रहे हैं तो माननीय उपाध्यक्ष महोदय...

          उपाध्यक्ष महोदय--  लेकिन आप व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाएँगे.

          श्री बाला बच्चन--  जी, जो घटित हुआ है वह मैं बता रहा हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदन की जानकारी में मैं यह लाना चाहता हूँ कि यह 31 मार्च 2014 की सी ए जी की रिपोर्ट की कंडिका 3.1.1 में यह उल्लेख है, मैं जो बोलूँगा तथ्यों के साथ बोलूँगा. विधान सभा के प्रश्नों और उनके तर्कों के साथ बोलूँगा और जो सी ए जी या इनकी जो रिपोर्ट है उसी पर मैं बोलूँगा. 31 मार्च 2014 की जो सी ए जी की रिपोर्ट है उसकी कंडिका 3.1.1 में 66 लाख रुपये की दवाइयाँ, जो मानक स्तर की नहीं थीं, अमानक बाँट दी गईं और वे दवाइयाँ जब तक लेब से टेस्ट होकर आई नहीं, आने के पहले वितरित कर दी गईं, (शेम शेम की आवाज)  तो  सी ए जी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि सरकार ने अमानक स्तर की, अमानक दवाई और गोलियाँ जो बाँट दी गई हैं, तो उपाध्यक्ष महोदय, यह जो सरकार दवाइयाँ वितरित पहले करती है और लेब में टेस्टिंग के लिए बाद में भेजती है,  इससे यह स्पष्ट होता है. स्वास्थ्य विभाग का पूरा तंत्र मेडिसिन सप्लाई और सामग्री सप्लाई में लगा हुआ है. सी ए जी की रिपोर्ट में आगे यह भी कहा है कि जो फर्म सरकार को मेडिसिन सप्लाई करती है, वह अगर समय पर नहीं करती है और मेडिसिन एक्सपायरी डेट में चली जाती है तो स्वास्थ्य विभाग के अमले को उन फर्मों पर कार्यवाही करना चाहिए, यह भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है और बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि पूरे स्वास्थ्य विभाग के अमले ने और न जिलों में बैठे हुए सी एम एच ओ ने कोई कार्यवाही की है, जबकि उसमें सजा का प्रावधान है, नहीं किया गया है और माननीय मुख्यमंत्री जी, अभी आप बिना विधान सभा की जानकारी में, बिना केबिनेट की जानकारी में लाए, आपने मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को 27 जिलों में निजी हाथों में सौंपने का काम किया है और इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले झाबुआ से कर रहे हैं. एक कोई गुजरात का दीपक फाउंडेशन है, एन जी ओ है दीपक फाउंडेशन. उनको 27 जिलों की स्वास्थ्य सेवाएँ, जिसमें कि डॉक्टर्स की पोस्टिंग, पैरा मेडिकल स्टाफ की पोस्टिंग और मेडिसिंस यह सब दीपक फाउंडेशन के हाथों में सरकार सौंपने वाली है तो माननीय मुख्यमंत्री जी, क्या आपको अपनी केबिनेट के साथियों के ऊपर भरोसा नहीं है और इस सदन में आपने इस पर चर्चा कराना उचित नहीं समझा. ऐसा आपने क्यों किया है, मैं जानना चाहूँगा क्या आप अलीराजपुर जिले के गरीब मरीजों के ऊपर ड्रग ट्रायल करना चाहते हों. उपाध्यक्ष महोदय, जब आप बोलें तो इसका जवाब आप हमें दें. माननीय मंत्री जी, अस्पतालों में डॉक्टर्स नहीं हैं, पैरा मेडिकल स्टाफ नहीं है, मानक स्तर की दवाई और गोलियाँ नहीं दे पाते हों. क्या देखते हों? अभी अभी 3-4 दिन पहले ही जानकारी में आया है कि दतिया के बी एम ओ को वहाँ के डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन पढ़ते नहीं आया. कितने दुख की बात है. आप जिस तरह से हाउस को मैनेज करते हों ऐसे अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को भी मैनेज करो, जिससे कि प्रदेश की जनता का स्वास्थ्य ठीक हो. (मेजों की थपथपाहट)...(व्यवधान)..

          उपाध्यक्ष महोदय--  वे अच्छी व्यवस्था की बात कर रहे हैं.

          श्री बाला बच्चन--  आपने बड़वानी के मरीजों की आँख फुड़वाई..(व्यवधान)..

          उपाध्यक्ष महोदय--  नकारात्मक रूप से न लें, वह सकारात्मक है.

          श्री बाला बच्चन--  आपने श्योपुर के मरीजों की आँख फुड़वाई. उसके बाद यह जो 66 लाख रुपये की अमानक दवाई जो बँटी. इसमें कितने मरीजों के बॉडी ऑर्गेंस खराब हुए हैं. आप इस पर विचार करें और इसकी पुनरावृत्ति न हो, माननीय मंत्री जी, इसका आपको ध्यान रखना है.

          उपाध्यक्ष महोदय--  (वन मंत्री, डॉ.गौरीशंकर शेजवार जी के खड़े होने पर) डॉक्टर साहब अब आप यह न शुरू करें. भार्गव जी नाराज हो जाएँगे. डॉक्टर साहब, आप कृपया शुरू न करें.

            पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--उपाध्यक्ष महोदय, यह जो अभी कहा गया कि आप ऐसा मैनेज करते हैं तो मैं कहना चाहता हूँ कि हम लोग तो पार्टी के सदस्य हैं आप ही लोग मैनेज होते होंगे आप बतायें क्यों मैनेज होते हैं और किस तरीके से मैनेज होते हैं यह बता दें.

          श्री मुकेश नायक--सदन चलने दीजिये आपको पता चल जायेगा कि कौन कितना मैनेज हुआ है अभी इतनी लंबी-लंबी पोलें खुलेंगी कि आपके पैर के नीचे से जमीन खिसक जाएगी.

          श्री गोपाल भार्गव--मुकेश भाई चुनौती है, चैलेंज है.

          उपाध्यक्ष महोदय--यह प्रश्नकाल नहीं है कार्यवाही को चलने दीजिये. बाला बच्चनजी जारी रखें.

          श्री बाला बच्चन--उपाध्यक्ष महोदय, मैं वन मंत्रीजी से कहना चाहता हूं कि वे एक प्रश्न के दो-दो जवाब देकर सदन को गुमराह करते हैं. मेरा प्रश्न क्रमांक 2642 दिनांक 17.12.2015 था जिसमें पूछा गया था कि  क्या जबलपुर की वन भूमि आपने लीज पर दी है. जवाब दिया गया कि "जी नहीं."  (क) से (घ) तक जवाब दिया है कि प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है. यह मेरे प्रश्न का जवाब दे दिया माननीय जितू पटवारीजी का भी इसी से संबंधित प्रश्न था. प्रश्न संख्या 3185 दिनांक 30.7.2015 है. माननीय मुख्यमंत्रीजी को बताना चाहूंगा कि वन मंत्री ने इस प्रश्न का जवाब 300 पेज का दिया है और कई फर्मों और कई कम्पनियों को आपने वन भूमि लीज पर दी है. (शेम-शेम की आवाजें) एक प्रश्न की दो व्यवस्था, एक प्रश्न के दो जवाब दिये हैं और वह भी ऐसे माननीय मंत्रीजी के द्वारा जो इस सदन के बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं. जब मुख्यमंत्रीजी बोलें तो इसको स्पष्ट करें.

          उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूँ कि 150 करोड़ रुपये का बालाघाट में लकड़ी घोटाला किया गया. मैं वन मंत्रीजी से जानना चाहता हूँ कि क्या वन विभाग के अधिकारियों को पेड़ों को कटवाने की अनुमति जारी करने का अधिकार है ? और यदि यह अधिकार है भी तो एक साल में 2 लाख रुपये तक के पेड़ काटे जा सकते हैं और कलेक्टर व हितग्राही के संयुक्त खाते में उस नीलामी की राशि जमा की जाती है यह नियम है. माननीय मुख्यमंत्रीजी आपके अधिकारियों ने बालाघाट में 5 हजार पेड़ कटवा दिये और 150 करोड़ रुपये का घोटाला किया है और सिर्फ कलेक्टर को हटाया गया है. मैं जानना चाहता हूँ कि डिप्टी कलेक्टर, पूर्व डिप्टी कलेक्टर और जिन कलेक्टर ने पेड़ काटने की अनुमति दी है इसमें आप केवल कलेक्टर को हटाकर इतने बड़े घोटाले की इतिश्री करना चाहते हैं. जहां तक मेरी जानकारी है कलेक्टर यह पेड़ कटवाकर आन्ध्र प्रदेश में अपना मकान बनवा रहे थे वहां यह लकड़ी पहुंचा रहे थे. जब तक यह जेल में नहीं जायेंगे जेल के बाहर रहेंगे तो यह साक्ष्यों को मिटाने का काम करेंगे. क्या माननीय मुख्यमंत्रीजी और माननीय वन मंत्रीजी आप इस तरह की कार्यवाही करेंगे जिससे इस तरह की पुनरावृत्ति न हो.

          वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--करेंगे. (बैठे-बैठे बिना माइक के कहा गया)

          श्री बाला बच्चन--धन्यवाद. उपाध्यक्ष महोदय, मैं नवनीकरण ऊर्जा के बारे में कहना चाहता हूँ कि किसानों की बिना अनुमति के उनके खेतों में  सोलर पोल और पवन पोल लगाये जा रहे हैं उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है. हजारों किसानों को नुकसान हो रहा है. सरकार इसमें जवाब दे रही है कि भारतीय तार अधिनियम 1885 के तहत हम यह प्रावधान नहीं कर सकते हैं हम किसानों को मुआवजा नहीं दे सकते हैं. आज तो तार की सेवायें ही नहीं बची हैं तो सरकार इस अधिनियम का उल्लेख क्यों कर रही है. माननीय मुख्यमंत्रीजी जब उत्तर दें तो इस बात का भी उल्लेख करें यह मेरा आपसे आग्रह है.

           माननीय वित्‍त मंत्री जी सिंचाई मंत्री भी हैं, 31 मार्च, 2014 की सीएजी की रिपार्ट पर फिर मैं आ रहा हूं  जो चार विभागों पर सीएजी ने टिप्‍पणी की है, वह विभाग हैं ऊर्जा, एनवीडीए, जल संसाधन और लोक निर्माण विभाग, इन चार विभागों की 50 परियोजनाओं पर बारह हजार, सात सौ एक करोड़ रूपये की लागत में वृद्धि हुई है. यह 31 मार्च, 2014 की रिपार्ट है, मैं समझता हूं कि बजट वर्ष 2012-13, 2013-14 में यह परियोजनाएं आयी होंगी, आपने उनको समय पर शुरू नहीं किया इसलिये 53 परियोजनाओं में बारह हजार, सात सौ एक करोड़ रूपये अधिक लग रहे हैं. यह प्रदेश का और सरकारी खजाने का नुकसान है. आप बहुत मेच्‍योर्ड और एक्‍सपीरियन्‍स मंत्री हैं, मैं आपसे यह आग्रह कर रहा हूं कि सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाओं में इस अवधि तक दो हजार सात सौ में से आपने 41 परियोजनाओं को पूर्ण कर लिया, 113 पर काम चल रहा है और 53 परियोजनाएं अभी भी सात हजार दौ सौ इक्‍कतहर करोड़ रूपये की हैं, जिनको सरकार ने अभी तक टच भी नहीं किया है. 31 मार्च, 2014 को सीएजी की रिपोर्ट है. आप क्‍या देखते हैं, क्‍या बजट में प्रावीजन करते हैं, इसलिये मैंने अपने स्‍टार्टिंग के अभिभाषण को पढ़ा और उसमें कहा है कि आंकड़ों और योजनाओं के नाम बहुत अच्‍छे से आपने बुक में संजोये हैं, मैं बजट पर भी बोलूंगा, इसमें बहुत सारी चीजें बजट से रेलीवेंट हैं और उसको बजट में ही बोलूंगा. लेकिन सात हजार दौ सौ इक्‍कहतर करोड़ रूपये की 53 सिंचाई परियोजनाएं जो 31 मार्च, 2014 की कंडिका, जो मैं आपको बताता हूं कंडिका 1.8.2 में इसका उल्‍लेख है, आपने क्‍यों परियोजना शुरू की. यह मेरा आरोप है आपके ऊपर. उनका मैं यहां पर उल्‍लेख करना चाहता हूं. 2006-07,2007-08 और 2009-10 में अभी आपने जो जवाब दिया था कि अभी उदयपुर रायसेन में जो बैराज बनाये हैं, मेरे प्रश्‍न मैं आप उस बात को मान नहीं रहे थे और आपने यह नहीं पूछा है और बाद में आपको विधान सभा में उत्‍तर का संशोधन प्रस्‍तुत करना पड़ा.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, हजारों करोड़ रूपये के बैराज मध्‍यप्रदेश में बने और पहली ही फ्लड में वह बह गये और वह हजारों करोड़ रूपये की राशि आप सिर्फ एक सब इंजीनियर और एक एसडीओ को सस्‍पेंड करके इतने बड़े भ्रष्‍टाचार की इतिश्री करना चाहते हो . मेरा यह दावा है कि उस समय जो इस विभाग के प्रमुख सचिव थे उनके घरों तक यह राशि पहुंची है. मेरा यह आरोप भी और दावा भी है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी आपके क्षेत्र का मैंने इस पर प्रश्‍न भी लगाया था, जब आप बोलें तो लेकिन माननीय सिंचाई मंत्री जी ने बहुत ही चतुराई से इसका जवाब दे दिया था. मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैंने आसंदी से आधे घंटे की चर्चा भी मांगी है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- बाला बच्‍चन जी आप और कितना समय लेंगे. आपको बोलते हुए 32 मिनिट हो गये हैं.

          श्री बाला बच्‍चन :- मेरे पास अभी तो बहुत मेटर है, अभी तो यह शुरूआत है. मैं आपसे यह आग्रह करना चाहता हूं कि मेरी जो टर्म 2008 से 2013 तक की थी, उसमें मैंने सैंकड़ो प्रश्‍न लगाये हैं उस पर भी मैं आ रहा हूं. अभी तो काफी समय लगेगा. माननीय मुख्‍यमंत्री जी आप सिंगापुर की यात्रा पर गये, जिन उद्योगपतियों को आप लेकर गये थे और वापस आने के बाद उन उद्योगपतियों के यहां पर आयकर विभाग ने छापे मारे, आयकर विभाग की प्रतिभा सिंटेक्‍स वाले के यहां 100 करोड़ रूपये की इंनकमटैक्‍स की चोरी पकड़ी गयी (शेम-शेम के नारे लगाये) शक्ति पम्‍प वाले के यहां 50 करोड़ की इनकमटैक्‍स की चोरी पकड़ी गयी.

 

(12.55 बजे)             { अध्यक्ष महोदय{ डॉ.सीतासरन शर्मा} पीठासीन हुए }

           

          (पूर्व से जारी) श्री बाला बच्चन -  माननीय मुख्यमंत्री जी जब इनकम टैक्स की इतनी चोरी हुई है तो निश्चित ही सेल्स टैक्स की भी चोरी उन्होंने की होगी और जो हमारे प्रदेश और देश में अलग-अलग टैक्स लगते हैं, उनकी भी चोरी उन्होंने की होगी. मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि सिन्टेक्स कंपनी पर साफ्टवेयर चोरी का आरोप लग चुका है. आरोपी है वह कंपनी आरोपी है. अमेरिका में भी उसके ऊपर फाईन लग चुका है. मैं यह कहना चाहता हूं कि ऐसे उद्योगपतियों और व्यापारियों को अपने साथ रखेंगे, संरक्षण देंगे  तो विभागों में और तंत्र में उन पर कार्यवाही करने की इच्छाशक्ति नहीं बचेगी. जब आप बोलें तो जवाब दें. अध्यक्ष महोदय, बात यहीं समाप्त नहीं होती है. अभिभाषण की कंडिका 53 में यह बताया गया है कि विश्व बैंक ने श्रम सुधारों की सराहना की है. यहां सरकार की नाक के नीचे गैमन इंडिया भोपाल की अठारहवीं मंजिल से एक श्रमिक गिरता है उसकी मौत हो जाती है और उसको अभी तक पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया जाता है उसका परिवार दर-दर भटकता है. सरकार की नाक के नीचे  तीन महिने से गैमन इंडिया भोपाल में जो लोग काम कर रहे हैं उनको मजदूरी नहीं मिली है. मजदूरी की बात आई तो मैं उस जिले से आता हूं  अभी जो आगे की बैंच वाले आदरणीय मंत्रिगणों ने इस बात का उल्लेख किया था कि मैं जिस वर्ग से और जिस जिले से आता हूं बिल्कुल मुझे गर्व है कि  मैं आदिवासी हूं और आदिवासी जिले से आता हूं. आदिवासी जिलों की योजनाओं का आपने हाल क्या कर डाला है अभी तक बीआरजीएफवाय, मनरेगा के जो काम हुए हैं  उनमें से कई जगह मजदूरों का पेमेंट नहीं हुआ है फिर माननीय मुख्यमंत्री जी, बीआरजीएफवाय,सर्वशिक्षा अभियान,माडल स्कूल का फंड बंद कर दिया गया है. मेरी जानकारी है कि केवल एक जिले में जिस जिले से मैं आता हूं. मेरे बड़वानी जिले में केवल एक जिले में जिस जिले से मैं आता हूं.  अठारह हजार काम पिछले पांच-छह साल के अपूर्ण है. वह कब पूरे कराएगी सरकार ? अभी मैंने माननीय मंत्री जो को बोला था कि मैं उस विभाग पर आ रहा हूं. मैंने जिस तरीके से अभी बोला सर्वशिक्षा अभियान,बीआरजीएफवाय,माडल स्कूल की राशि बंद कर दी गई है तो यह अठारह हजार काम कैसे पूर्ण होंगे. इसका आप जवाब दें. मैं अभी पंचायत विभाग पर आता हूं. मेरे पास करप्शन की जो मैं बात कर रहा हूं कि आपकी ही पार्टी  के विधायक नरेन्द्र कुशवाह जी हैं. वहां की जो प्रभारी मंत्री श्रीमती माया सिंह जी हैं उनसे बार-बार यह आग्रह किया है कि इरीगेशन के जो पाईप खरीदे उसमें 49 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. उसकी वे बार-बार जांच की मांग करते रहे.  मुख्यमंत्री जी आपने अभी जांच तक कराई नहीं है.

          श्री नरेन्द्र कुशवाह - गलत जानकारी दे रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय - उनको बोलने दीजिये आप. कृपया बैठ जाएं.

          श्री नरेन्द्र कुशवाह - कुछ भी बोलते चले जा रहे हैं. गलत आरोप क्यों लगा रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय -  आप कृपया बैठ जाएं. आपकी बात रिकार्ड में आ गई.

          श्री नरेन्द्र कुशवाह - इन्होंने भ्रष्टाचार की बात कही. भ्रष्टाचार 50 सालों में कांग्रेस के लोगों ने किया है.

          अध्यक्ष महोदय--कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.

                                                                   सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.

          गोविन्द सिेंह--नरेन्द्र सिंह जी यह कह रहे हैं कि आपने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है.

          (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--नरेन्द्र सिंह, डॉ.गोविन्द सिंह कृपया आप बैठें, यह बहस का विषय नहीं है, ठीक है आपने बोल दिया आपकी बात आ गई है.

          (जारी) श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका फिर से संरक्षण चाहते हुए आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी आप बहुत सारे विभागों के मंत्री हैं हमारे साथी विधायक गण भी हैं उनकी जानकारी में सारी चीजें आना चाहिये. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को बताना चाहता हूं कि मैंने वर्ष 2008 एवं 2013 के बीच में सैकड़ों प्रश्न मैंने लगाये थे जिसमें अपने प्रदेश को कवर करते हुए मैंने बड़वानी जिले की योजनाओं को भी कवर किया था उसमें आपको बताना चाहता हूं कि मेरे यहां पर घाट कटे नहीं, तालाब बने नहीं, सड़कें बने नहीं, पुल बने नहीं, भवन बने नहीं, कागज पर राशियां निकाल ली जाती थीं, जब मैं आग्रह करता था मैं खुद भी प्राक्कलन समिति का सदस्य था केदारनाथ जी शुक्ला इस समिति के सभापति थे उनके साथ में समिति के सभी पार्टी के विधायकगण थे सब गये थे एवं गिरते पानी में छाता लगाकर के मैंने जो प्रश्न लगाये थे मेरा जो आरोप था उनको समझ लीजिये विधान सभा में जो मुद्दे उठाये थे विभागों के मंत्रियों की जानकारी में मैं जो इश्यू लाया था उसका मैंने अभी उल्लेख किया है. मैं धन्यवाद करता हूं माननीय केदारनाथ जी शुक्ला का जिन्होंने अपनी पूरी टीम लेकर के गये और मेरी विधान सभा का जहां का मैं विधायक था जो महाराष्ट्र का मध्यप्रदेश की पंक्ति के अंतिम गांव तक वह पहुंचे वहां पर बारिश हो रही थी, छाते लगाकर उन्होंने पुल, सड़कें तथा घाट, भवन, तालाब भी देखे जो कि कागज पर बन गये थे, लेकिन देखने के बाद उन्होंने अपनी प्राक्कलन समिति की रिपोर्ट भी सदन के पटल पर रख दी है और यह सत्य पाया है कि जो विधायक ने आरोप लगाये थे वह काम नहीं हुए हैं, वह सच हैं और 19 अगस्त 2011 की यह बात है माननीय मुख्यमंत्री जी मेरी यह पीड़ा है मैं उस जिले का विधायक तथा निवासी भी हूं. मैं आदरणीय सब मंत्रियों ने आदिवासी के हित की बात कही थी, मैं भी आदिवासी हूं. मैं आज आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि क्यों आपके संज्ञान में यह काम नहीं आये हैं आप बोखराटा में रात को रूके थे.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, जो पहाड़ों पर रहने वाली आदिवासी महिलाएं जो गर्भवती होती हैं बाढ़ के समय में जब यह पुल नहीं बने होते हैं उस समय वहां पर महिलाएं रूकी रहती हैं उनकी मृत्यु हो जाती है माननीय मुख्यमंत्री जी बैठे हैं और मैंने जिनका नाम कोड किया है प्राक्कलन समिति के सभापति जी थे अगर यह बातें गलत हों तो बता दें और इसको सिद्ध करने के लिये क्या प्रमाण चाहिये, सदन का सदस्य होने के नाते हम अपनी बात को इस समय उठा ही सकते हैं और हम लोगों को क्या करना चाहिये. अब मैं यह चाहूंगा कि राखी पुल डेढ़ करोड़ रूपये का है.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय नेता जी आप कितना समय लेंगे आपको बोलते हुए 45 मिनट हो गये हैं. आपसे पूछ तो सकते हैं कि कितना समय लेंगे.

          श्री बाला बच्चन--मैं आसंदी का पालन करने वाला हूं आप जैसा भी बोलेंगे मैं उस आदेश का पालन भी करूंगा, लेकिन मैं मंत्री जी से आग्रह कर लूं मुझे भी पहली बार इतना चांस मिला है नहीं तो पांच छः मिनट ही मिलते थे हम अपनी बात को पूरी तरह से कह नहीं पाते थे. मैं इस वास्तविकता को स्वीकार कर रहा हूं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी,राखी पुल डेढ़ करोड़ रूपए का और आपके इंजीनियरों से आपके तंत्र से तकनीकी परीक्षण करा लीजिए क्‍या आर.ई.एस. 400 मीटर लंबा पुल बना सकती है, यह भी मेरा आरोप है, 400 मीटर लंबा पुल आर.ई.एस. ने बनाया, 3 किश्‍तों में 50 -50 लाख रूपए निकाले, पुल बना नहीं, काम अधूरा पड़ा है,मलफा,मलगांव,आम्‍दा,50-50 लाख रूपए के, उसके बाद  कोईडा गांव है 50 लाख रूपए का, रेल्‍वा गांव है,  75 लाख रूपए का और उसके  बाद हरण गांव है 50 लाख रूपए का, यह तो पुलों की बात है, उसके बाद ऐसे कई घाट हैं,कई जी.एस.बी.मार्ग हैं इसके अलावा, तालाब हैं, भवन हैं, जो नहीं बने हैं । मैं अभी बड़वानी कोड कर रहा था परन्‍तु जहां तक मेरी जानकारी में है पास के जिलों में और विशेषकर ऐसे रिमोट एरिया वाले  जिले हैं, विशेषकर आदिवासी समुदाय के लोग जिन जिलों में हैं, वहां पर सरकार ने बेहाल कर रखा है ।  माननीय मुख्‍यमंत्री जी, मैंने जितना भी उल्‍लेख किया है,क्‍या आप कार्यवाही करेंगे, हमको इससे मतलब नहीं कि तंत्र पर आप कार्यवाही करें और उनसे वसूली करें वह तो करना ही है, वह तो आपको करना ही चाहिए लेकिन उसके पहले हमारी प्राथमिकता यह रहेगी कि 7 साल पहले राशियां निकली जा चुकी हैं उन कामों को आप पूर्ण कराएं, यह मेरा आग्रह है,उन जिले वालों की तरफ से और जहां जहां मध्‍यप्रदेश के जिलों में इस तरह से हुआ है वहां के लिए भी मेरी मांग है । माननीय भार्गव जी, आप कई बार मेरे प्रश्‍नों के जवाब देते रहे, इससे संबंधित सब आपकी जानकारी में है । आपने मेरे प्रश्‍न पर खरगौन जिला सहाकारी  केन्‍द्रीय बैंक में जो अनियमितताएं हुई हैं, आपने कार्यवाही की है, दोनों एम.डी. को, आवंती सूत मिल सनावत का संचालक मण्‍डल,खरगौन को यह अधिकार ही नहीं था 62 करोड़ रूपए दे दिए, वहां  जो नियुक्तियां अनियमित हुई उनको निरस्‍त करने का जो  तंत्र इसमें शामिल थे, उन पर आपने जो कार्यवाही की है, उसके लिए मैं आपका शुक्रिया और धन्‍यवाद अदा करता हूँ लेकिन इतनी मशक्‍कत करने के बाद वर्ष 13 तक और उसके बाद 2 साल यह 7 साल प्रयास करते रहने के बाद क्‍योंकि पिछले सत्र में ही मेरा प्रश्‍न था, माननीय मुख्‍यमंत्री जी दो महीने पहले जो दिसम्‍बर में सत्र आया था उसमें माननीय मंत्री जी ने यह कहा है कि समय सीमा बताना संभव नहीं है, अब मैं कार्यवाही करूंगा,आपने जो कार्यवाही की है, मैं यह चाहता हूँ, दूसरे मंत्रीगण भी आपसे इस तरह की शिक्षा लें और दूसरे जो काम हैं जिन कामों में अनियमितताएं हुई हैं उन कामों में भी आप जांच करवाएं और दूसरे जो मंत्रीगण हैं, जिनके ऊपर हमने आरोप लगाए हैं, माननीय मुख्‍यमंत्री,उनपर भी आप कार्यवाही कराएं। गांव में रहने वाले अभी सूखे की चपेट में हैं और मनरेगा की निरंतरता ही, मैं समझता हूँ कि उन लोगों के लिए अच्‍छे जीवन के लिए सार्थक साबित हो सकती है और आज ही मैंने पढ़ा है कि यू.पी.ए. की सरकार ने मनरेगा का जो गठन किया था और हजारों,लाखों,  करोड़ों रूपए जो देती थी, उसी मनरेगा को आगे बढ़ाने का काम देश के प्रधानमंत्री जी ने और उनकी सरकार ने भी किया है तो मैं समझता हूँ कि मनरेगा की उपयोगिता है, बीच में बंद करने वाली बात आई थी लेकिन उन्‍हीं नीतियों को आगे बढ़ाया है तो यह केन्‍द्र सरकार का अच्‍छा कदम है । इसके अतिरिक्‍त माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से फिर सी.ए.जी. का उल्‍लेख करना चाहता हूँ वहीं सी.ए.जी. की रिपोर्ट 31 अगस्‍त 2014 की जिसकी कण्डिका 3.5 है इसमें 34 गांव की 709 विदेशी मदिरा की दुकानों की जो बेसिक लायसेंस फीस जो थी,  39 करोड़ 43 लाख रूपए कम वसूली गई यह क्‍यों और 31  मार्च 2014 की सी.ए.जी. की रिपोर्ट है अभी तक सरकार का ध्‍यान नहीं गया है ।

 माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जहां तक मैंने समझा है शायद यह इसलिए हो सकता है कि इस विभाग को माननीय वित्‍तमंत्री जी देख रहे हैं 39 करोड़ 43 लाख रूपए की जो बेसिक लायसेंस फीस कम वसूली गई है, क्‍यों और सरकार किन कारणों से घर-घर शराब का लायसेस देने का फैसला कर चुकी थी और वापस क्‍यों हटी है ।

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इससे यह पता चलता है कि शराब माफियों का सरकारी तन्‍त्र में कितनी घुसपैठ है ? जब माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय जी बोलें तो इस बात का उल्‍लेख करें.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय नेता जी, आप कितना समय और लेंगे ? आपको 50 मिनिट्स हो गए हैं. 

          श्री गौरीशंकर शेजवार - अभी तो प्रश्‍नों पर जो आधे घण्‍टे की चर्चा होती थी, वह हो रही है और सी.ए.जी. की रिपोर्ट पर थोड़ी बहुत बातें हुईं. फिर आगे तो ये और भाषण करेंगे, जो इनका असली भाषण होगा. 

          श्री बाला बच्‍चन - फिर किस पर करूँ ? मैं सरकार की वास्‍तविकता को तो रखूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय - कृपया समाप्‍त करें.

          श्री बाला बच्‍चन - इसी सी.ए.जी. की रिपोर्ट में यह उल्‍लेख किया गया है. मैं उसी का उल्‍लेख कर रहा हूँ. दि. 31 मार्च, 2014 की, सी.ए.जी. रिपोर्ट की कण्डिका 6.2.17  में आदिवासी व्‍यक्तियों की भूमि, जो गैर आदिवासी व्‍यक्तियों को जो बेची जाती थी और जो उनको इसके बदले में राशि बराबर मिलना चाहिए थी. उसमें माननीय मुख्‍यमंत्री जी, यह जो अभी आदिवासियों की बात कर रहे थे, अनुसूचित जनजाती वर्गों की जो बात कर रहे थे. अनुसूचित जनजाति वर्गों की जो जमीनें अन्‍य वर्गों को जो बेची जाती थीं और उससे 7 करोड़ 59 लाख रूपये की उनकी हानि हुई है. जो उनको जमीन का मूल्‍य मिलना चाहिए था, वह 7 करोड़ 64 लाख रूपये की हानि हुई है. दूसरा इस पर केवल उन किसानों की ही हानि नहीं हुई है. इस पर मुद्रांक शुल्‍क एवं पंजीयन शुल्‍क वह भी 21 लाख 49 हजार रूपये का नुकसान हुआ है.

          मैं आपके माध्‍यम से माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय जी से कहना चाहता हूँ कि जब कभी भी कोई बात, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के वर्गों के हितों के संरक्षण की आती है. यह छोटे-छोटे नमूने, इससे यह पता चलता है कि गांव में शिक्षक नहीं देना, उसके बाद यह जो जमीन बेचने वाला मामला, उस पर बराबर उनको कीमत नहीं मिलती. सरकार उनको गाईड क्‍यों नहीं करती है ? मेरा यह आरोप है कि ऐसा क्‍यों हुआ ? जब आप जो बोलें, तो उसका आप उल्‍लेख करें.

          इसके अलावा अध्‍यक्ष महोदय, माननीय वित्‍त मंत्री जी सी.एस.टी. का कितना फण्‍ड दिल्‍ली में कब से रूका पड़ा है ? आज ही मैंने पढ़ा है कि मध्‍यप्रदेश को केन्‍द्रीय अनुदानों से 3,000 करोड़ रूपये कम कर दिये गये हैं. सरकार क्‍या देखती    है ? सी.एस.टी. का फण्‍ड कब से रूका हुआ है ? 24 विभागों के फाईलों के प्रपोज़ल कब से रूके पड़े हुए हैं, किसानों को जो राशि मिलना चाहिए थी, वह नहीं मिल पा रही है. अभी-अभी यह महामहिम के अभिभाषण की कण्डिका में कि 41,000/- रू. किसानों को अनुदान वितरित किया जा रहा है अभी भी. आपने विशेष सत्र कब बुलवाया था. सी.एस.टी. का पैसा जो दिल्‍ली में अटका पड़ा था, उसको सरकार क्‍यों नही ला रहा है ? 24 विभागों के प्रपोजल कब से पेण्डिंग हैं, सिंहस्‍थ के लिए 2,000 करोड़ रूपये मिलना चाहिए था, मात्र 100 करोड़ रूपये दिये, वे भी इस साल. मध्‍यप्रदेश का 3,000 करोड़ रूपये केन्‍द्रीय अनुदानों में क्‍यों कम किया गया है ? इस वर्ष तो हमारे यहां सिंहस्‍थ आ रहा है तो सिंहस्‍थ के कारण और उसके बाद जो ओलावृष्टि, अतिवृष्टि, सूखा पड़ा है. इन कारणों को ध्‍यान में रखते हुए देश की सरकार ने हमें और ज्‍यादा राशि देनी चाहिए थी. लेकिन जो भी कटौती हुई है,

          मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्‍या अब आप साइकिल से विधानसभा तक आयेंगे ? और क्‍या अब आप धरने-प्रदर्शन पर बैठेंगे ? आप केन्‍द्र सरकार के खिलाफ आप विरोध करेंगे. मेरी समझ में आया है कि 3,000 करोड़ रूपये की कटौती और कमी क्‍यों कर दी गई ? और करें प्रधानमंत्री जी का स्‍वागत.

          अध्‍यक्ष महोदय -  कृपया समाप्‍त करें.

          श्री बाला बच्‍चन - जी, मुझे जो समझ में आया है. आपने और आपकी पार्टी ने खूब सज-धजकर उनका जो स्‍वागत किया है. खूब बड़ी संख्‍या में लोग इकट्ठे किये हैं और करोड़ों रूपये जो खर्च किये हैं. इस कारण से दन से 3,000 करोड़ रूपये कम कर दिये हैं. अब हाउस के बाद क्‍या प्रयास करोगे कि हम और हमारे सभी साथी यह चाहते हैं कि जब भी आप ऐसी पहल करोगे हम आपके साथ, धरने में, प्रदर्शन में और अगर आप साइकिल से निकलते हैं तो हम अपने-अपने क्षेत्रों से साइकिल से विधानसभा में आएंगे. (मेजों की थपथपाहट के साथ)

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, केन्‍द्र परिवर्तित योजना में अभी तक 90:10 का रेशो था, अब यह 60:40 का हो गया है. सरकार पर बहुत बड़ा  वित्तीय संकट है. 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये  की कर्ज वाली  यह सरकार   क्या 40 प्रतिशत  केन्द्र प्रवर्तित  योजनाओं में  राशि लगा पायेगी.  इससे  हमारे प्रदेश की योजनाएं, काम  प्रभावित होंगे.  मुख्यमंत्री जी, जब आप  बोलें, तो मैंने   जितनी बातें  रखी हैं,  आप उनका उल्लेख करें.  अध्यक्ष महोदय, मैं आपका धन्यवाद  देता हूं कि आप  मुझे बोलने के लिये संरक्षण दे रहें है.

                   अध्यक्ष महोदय --  संरक्षण दे रहे थे, हैं नहीं.  (हंसी) कृपा करके अब समाप्त करें.  बहुत समय हो गया है.  कृपया अब 5 मिनट में समाप्त करें.

                   श्री बाला बच्चन --  अध्यक्ष महोदय,  मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री  जी एवं सरकार से  यह आग्रह करना चाहता हूं कि  प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में  अभी तक 4 लाख 23 हजार  बेरोजगारों  के आवेदन पड़े हैं.  आप पिछले वर्ष सिर्फ  334  लोगों को ही  नौकरियां दे पाये हैं.   ऐसे में क्या होगा.  4  लाख 23 हजार आवेदन  पेंडिंग  पड़े हैं.  मुख्यमंत्री जी, जब आप बोलें, तो आप इन चीजों  का भी उल्लेख करें. 

                   अध्यक्ष महोदय,  मैं पर्यटन विभाग के संबंध में  बताना चाहता हूं कि  पिछले वर्ष  जितनी कमाई पर्यटन विभाग  की हुई थी,  उससे  इस वर्ष 12 करोड़ कम हुई है.  आप इस पर भी ध्यान दें.  मंत्री जी यहां पर बैठे हैं,  मेरी बात को सुन रहे हैं.  आपने अभिभाषण की कंडिका  75 में  इस बात का उल्लेख किया है कि  भोपाल और इन्दौर  में बीआरटीएस  के आपने काम करवाये, उस समय भी मेरा प्रश्न था. प्रश्न के जवाब में यह आया था कि  400 करोड़ रुपये  भोपाल के बीआरटीएस पर  और 600 करोड़ रुपये  इन्दौर के बीआरटीएस पर खर्च  करना बताया गया था  और उस समय डीपीआर पर 100 करोड़ रुपये  खर्च किये गये थे.  अब आप  मेट्रो के लिये जो बात कर रहे हैं,  भोपाल और इन्दौर  के लिये जायका  कम्पनी को जो आपने काम  सौंपा है,  150 करोड़ रुपये   उसके डीपीआर में देने के लिये बात  कही  गई है   और इस बात  का प्रदेश सरकार ने  जनवरी में दावा किया था. मैं यह बात बताना चाहता हूं कि  सरकार ने इसकी कोई तैयारी नहीं की है और केन्द्र सरकार को  इसका कोई प्रस्ताव नहीं गया है.  प्रस्ताव जाने के बाद  अंतरिम आदेश  मिलने में भी लगभग  एक साल लगेगा.  तो मैं मुख्यमंत्री जी से यह जानना  चाहता हूं कि  उस समय जो मैंने प्रश्न किया था,  यह आग्रह था  कि  एक हजार, डेढ़ हजार करोड़  रुपये का भोपाल और इन्दौर  के लिये  आपने इनवेस्टमेंट  बीआरटीएस के रुप में किया है,  यह कितने दिनों तक के लिये रहेगा.  शायद अब उसको सरकार एंड करने  जा रही है.  तो मुख्यमंत्री जी,  जब आप बोलें, तो  इसका उल्लेख करें कि आखिर  आप सरकारी खजाने को  कितना चूना लगाओगे.  आप इसका जवाब दें.

                   अध्यक्ष महोदय,  प्रदेश के लॉ एंड आर्डर के बारे में कहना चाहूंगा. भारत सरकार के गृह मंत्रालय  के यह आंकड़े हैं कि  साम्प्रदायिक हिंसा में  जो वृद्धि पूरे देश में हुई है, वह एक प्रतिशत हुई है और  मध्यप्रदेश में 53 प्रतिशत हो गई है.  भारत सरकार के गृह मंत्रालय के आंकड़े हैं.   भारत सरकार के गृह मंत्री, प्रधान मंत्री कौन हैं.  53 प्रतिशत वृद्धि हुई है. ऐसी स्थिति क्यों बनने दी. मैं आपको बताना चाहता हूं.  मेरे जिले में  जगह जगह,  कल जमानत हुई  है, दोनों तरफ से शायद 9-9 लोग, ठीकरी में, राजपुर विधान सभा क्षेत्र से जहां से मैं चुनकर आता हूं  ठीकरी में हमेशा  दंगे, फसाद हो जायें,  कम्युनल राइट्स हो जायें, साम्प्रदायिक हिंसा हो जाये, इसके लिये पूरा पूरा वातावरण, माहौल बनाया जा रहा है.  15 दिन पहले वे लड़ाई, झगड़े दंगों में अरेस्ट हुए थे, कल उन 9 लोगों की जमान हुई है. तो चाहे ठीकरी हो या  बड़वानी जिले का खेतिहा हो या मध्यप्रदेश के  अन्य ऐसे स्थान हो, जहां पर साम्प्रदायिक  हिंसा का माहौल  बनाये जाने का  षडयंत्र लोग रचते हैं.  मुख्यमंत्री जी एवं  गृह मंत्री जी,  साम्प्रदायिक  हिंसा में जो वृद्धि हुई है,  उसमें आपने इतना परसेंटेज क्यों बढ़ने दिया है.  पूरा मध्यप्रदेश बारुद के ढेर पर बैठा है.  मुख्यमंत्री जी एवं गृह मंत्री जी, आपको इस पाइंट ऑफ व्यू  को लेकर  हमेशा चौकन्ना रहना पड़ेगा और  अगर  आपको जहां  कहीं  से भी  फीडबैक हमारे जन प्रतिनिधियों के रुप में या सरकारी  तंत्र के रुप में  आपको मिलता है,  तो उस पर आप कार्यवाही करें.  सरकारी तंत्र का नियंत्रण क्या बच गया है.  अफसरशाही पूरी तरह से निरंकुश हो गई है.

                   अध्यक्ष महोदय --   अब आप कृपया समाप्त कर दें. आप निरन्तर बोल रहे हैं. आप मेरे अनुरोध पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.  आप कितना समय और लेंगे.

           

          श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मैं 2 मिनट में अपनी बात समाप्त करूंगा. अध्यक्ष जी, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के सबसे ज्यादा प्रकरण मध्यप्रदेश सरकार के विरूद्ध पूरे देश में मध्यप्रदेश में पेंडिंग हैं क्यों ? मुख्यमंत्री जी इस पर ध्यान दें.

          अध्यक्ष महोदय, एक बात और मैं सरकार की जानकारी में लाना चाहता हूं कि जो मिट्टी, जलवायु केले की फसल के लिये उपयुक्त ही नहीं है, वहां यह सरकार बुंदेलखंड में केला लगाने के लिये अनुदान दे रही है. बुंदेलखंड पैकेज का बड़ा घोटाला हुआ है हम उसकी जांच की मांग करते हैं, लकड़ी घोटाले की जांच की हम मांग करते हैं, व्यापम घोटाले की जांच की हम मांग करते हैं, डी-मेट घोटाले की जांच की हम मांग करते हैं, जो फर्जी सी-फार्म घोटाला हुआ है, यह 1100 करोड़ रूपये का है, पहले प्रदेश के व्यापारी बाहर के लिये सी-फार्म का उपयोग करते थे, लेकिन मेरी जानकारी में है कि राज्य के अंदर छूट दे दी गई है अभी तक 1100 करोड़ का जो फर्जी सी-फार्म घोटाला है उसकी हम जांच की मांग करते हैं. होशंगाबाद में रेशम घोटाला हुआ उसकी हम जांच की मांग करते हैं.

          अध्यक्ष महोदय, पिछले सत्र में मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि किसानों की फसलों का जो नुकसान हुआ है उन पीड़िता किसानों के बिजली के बिल माफ कर दिये जायेंगे, बैंकों का कर्ज स्थगित किया जायेगा, कर्ज पर ब्याज की माफी हमारी सरकार ने की थी, यह सरकार भी माफ करे.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, और भी कई बातें कहना थी लेकिन मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि चाहे मेरे रूप में, कांग्रेस विधायकों ने, या अन्य सदस्यों ने जो मुद्दे उठाये हैं , सुझाव दिये हैं, सरकार पर आरोप लगाये हैं, दस्तावेज के आधार पर आरोप लगाये हैं, सरकार इन सब पर कार्यवाही करे तब मैं समझता हूं कि आपकी सरकार चलाने की सार्थकता होगी और तब जाकर के मध्यप्रदेश आगे बढ़ पायेगा, प्रगति कर पायेगा. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.

(विपक्ष के सदस्यों द्वारा मेजों की थपथपाहट)

          मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं अपने सभी माननीय सदस्यों का चाहे वह सत्ता पक्ष के हों, प्रतिपक्ष के हों, इस महत्वपूर्ण चर्चा में भाग लेने के लिये आभार प्रकट करता हूं. अध्यक्ष महोदय, श्री शंकरलाल तिवारी ने अभिभाषण पर चर्चा प्रारंभ की थी, यशपाल सिंह सिसोदिया जी, बहादुर सिंह चौहान जी, पुष्पेन्द्र नाथ पाठक जी, दुर्गालाल विजय जी, सुदर्शन गुप्ता जी, गोपाल परमार जी, राजेन्द्र मेश्राम जी, दिलीप सिंह शेखावत जी, गोविंद सिंह पटेल जी, वेलसिंह भूरिया जी, दिलीप सिंह परिहार जी और उनके साथ साथ सामने की बेंच से आदरणीय महेन्द्र सिंह कालूखेडा जी, जयवर्धन जी, शैलेन्द्र जी, हरदीप जी, बहन शीला त्यागी जी, दिनेश राय जी, रामकिशोर दोगने जी, के.पी.सिंह जी, रामनिवास रावत जी, कु.सौरभ सिंह, श्रीमती उषा चौधरी जी, फुन्देलाल सिंह मार्कोजी, कमलेश्वर जी, रामपाल सिंह जी, सुश्री हिना लिखीराम कावरे जी, बलवीर सिंह जी, जितू पटवारी जी, सभी माननीय सदस्यों ने इस चर्चा में भाग लिया मैं उनको धन्यवाद देता हूं, आभार प्रकट करता हूं लेकिन सामने की बेंच से महेन्द्र सिंह जी ने इस चर्चा को प्रारंभ किया था . मैं सोच रहा था कि आज जवाब सुनने के लिये वे यहां पर मौजूद रहेंगे लेकिन मैंने देखा है कि सामने की बैंच के मित्रों की अक्सर आदत रही है आरोप लगा दें और उसके बाद में चले जायें. आज वो सदन में विराजमान नहीं है, दिखाई नहीं दे रहे हैं. लेकिन प्रभारी नेता प्रतिपक्ष जी, विद्वान प्रभारी नेता प्रतिपक्ष जी ने आज यहां पर जो चर्चा की है, कई बार तो मैं यह सोच रहा था कि राज्यपाल जी के अभिभाषण पर अब आते हैं- तब आते हैं. लेकिन वह पूरा समय प्रश्नों का विश्लेषण कर रहे थे. कब किस मंत्री ने क्या उत्तर दिया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे एक बात समझ में नहीं आती कि हमारे सामने वाले मित्र माननीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी से इतना घबराते क्‍यों हैं, परेशान क्‍यों‍ होते हैं....(हंसी)... जो देखो उन्‍हीं की चर्चा करता रहता है. महेन्‍द्र सिंह जी भी कह रहे थे चर्चा शुरू करते हुये कि बताओं प्रधानमंत्री का स्‍वागत क्‍यों किया. अरे भारत के प्रधानमंत्री हैं इसलिये स्‍वागत किया. जब मनमोहन सिंह जी आते थे तब भी हम स्‍वागत करते थे और इस बार प्रधानमंत्री जी आये थे, मध्‍यप्रदेश को चुना यह गर्व का विषय है. एक नई फसल बीमा योजना माननीय अध्‍यक्ष महोदय जब कांग्रेस की सरकार थी देश में तो किसान की फसल का बीमा नहीं होता था, बैंक के लोन का बीमा इनकी सरकार करती थी माननीय अध्‍यक्ष महोदय किसान को कुछ नहीं मिलता था, डिफेक्टिव बीमा योजना तब किसान को राहत मिलती थी, लेकिन प्रधानमंत्री अगर आये मध्‍य प्रदेश की धरती पर और मुझे कहते हुये गर्व है कि नई फसल बीमा योजना को लागू करने के लिये उसकी गाइड लाइन जारी करने के लिये अगर प्रधानमंत्री जी ने कोई प्रदेश चुना तो वह प्रदेश था हमारा मध्‍य प्रदेश.....(सत्‍ता पक्ष की ओर से मेजों की थपथपाहट)..

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अब प्रधानमंत्री जी आ रहे थे, एक बड़ी सौगात लेकर आ रहे थे, किसानों के लिये सौगात लेकर आ रहे थे, तो हम उनका स्‍वागत नहीं करते. कितना खर्चा कर दिया, अरे किया तो किया, किसानों के लिये किया. किसान आयेंगे तो गाडि़यों में लायेंगे, किसान आयेंगे तो टेंट लगायेंगे, किसान आयेंगे तो भोजन करायेंगे और अन्‍नदाता है सारे हिंदुस्‍तान को भोजन कराता है, उनको अगर हमने भोजन करा दिया तो क्‍या गुनाह किया माननीय अध्‍यक्ष महोदय.....(सत्‍ता पक्ष की ओर से मेजों की थपथपाहट)... लेकिन मोदी जी आंखों में चुभते रहते है. एक परिवार का एकाधिकार उन्‍होंने तोड़ा, भारी बहुत से सरकार उन्‍होंने बनाई, अब यह प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी पॉलिसी पेरालिसिस खत्‍म हो गया, फैसले फटाफट लिये जा रहे हैं, देश की प्रतिष्‍ठा पूरी दुनिया में बढ़ाने का काम किया है. आज भारत को दुनिया का कोई देश अनदेखा नहीं कर सकता और प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी केवल भारत के प्रधानमंत्री नहीं विश्‍व के नेता के रूप में उभरे हैं. अभी-अभी कह रहे थे प्रभारी नेता प्रतिपक्ष जी कितना पैसा कट गया, कितना पैसा कट गया. अरे कटता था मेरे मित्र जब आपकी सरकारें होती थीं, अभी कटा नहीं है अभी बढ़ा है.

 

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2003-04 में केन्‍द्र से राशि कितनी मिलती थी मालूम है, कुल मिलाकर 6 हजार करोड़ और मोदी जी प्रधानमंत्री हैं उनके बाद इस साल मिली है 41698 करोड़.....(सत्‍ता पक्ष की ओर से मेजों की थपथपाहट).. एक साल में 41698 करोड़. वर्ष 2015-16 के बजट में मिला है 53457 करोड़, आपने कभी नहीं दी. कह रहे थे कटौती हो गई, कटौती तो तब थी जब आपकी सरकारें हुआ करती थीं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कई तरह की चर्चायें कर रहे थे, इसमें काट दिया, उसमें काट दिया. यह केन्‍द्र सरकार है, प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी जिसका नेतृत्‍व कर रहे हैं. जब आपकी सरकार थी Devolution की राशि केन्‍द्रीय करों में राज्‍य का हिस्‍सा था केवल 32 प्रतिशत, यह नरेन्‍द्र मोदी जी की सरकार है जिसने बढ़ाकर कर दिया 42 प्रतिशत. .....(सत्‍ता पक्ष की ओर से मेजों की थपथपाहट)..

 

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से इस सदन को और पूरे प्रदेश को बताना चा‍हता हूं इस केन्‍द्र सरकार ने मध्‍यप्रदेश की राशि बढ़ाई है, अनटाइड फंड बढ़ाया है. पहले तो केन्‍द्र प्रवर्तित योजनाओं में ज्‍यादा पैसा मिलता था, आपको बांध दिया जाता था, इसी चीज में खर्च कर सकते हो. इतना जो राज्‍य का हिस्‍सा है वह मिलाना पड़ेगा. लेकिन मोदी जी ने कहा अनटाइड फंड देंगे, जैसा चाहो राज्‍य की आवश्‍यकता के हिसाब से उपयोग करो. हर एक राज्‍य की आवश्‍यकतायें एक जैसी नहीं होतीं, एक योजना में बांध दिया जाये. माननीय अध्‍यक्ष महोदय मैं विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कोई राशि कम नहीं हुई, लेकिन कई बार मुझे लगता है, एक व्‍यक्ति जिसने एक पार्टी का एकाधिकार तोड़ा है, वह कांटे की तरु चुभता है, जैसे बैल को लाल कपड़ा दिखा दो तो भड़कता है, वैसे ही प्रधानमंत्री का नाम आये और कांग्रेस के मित्र भड़कते हैं, रात में सपने में भी मोदी, मोदी, मोदी .... चलता रहता है, इससे कोई अंतर नहीं पड़ने वाला.

          अध्यक्ष महोदय, आज मैं कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश 2002-03 में कहा था. कह रहे थे प्रथम मध्यप्रदेश. मैं आज बताना चाहता हूं कि किस किस में मध्यप्रदेश प्रथम है. विकास दर के मामले में मैंने जब पहली बार कहा था कि मध्यप्रदेश को हिंदुस्तान का नंबर एक का राज्य  बनायेंगे. हमारे प्रतिपक्ष के मित्र मजाक उड़ाया करते थे नंबर एक बनेगा,नंबर एक बनेगा. आज मैं सदन में गर्व के साथ खड़े होकर कह रहा हूं. बड़े राज्यों में विकास दर के मामले में नंबर एक का कोई राज्य है तो वह राज्य अपना मध्यप्रदेश है. जब आपकी सरकारें होती थीं. 2002,2003 में ग्रोथ रेट माइनस में थी. आज लगातार 8 साल से 10 प्रतिशत के आसपास डबल डिजीट की ग्रोथ रेट हासिल की है तो मध्यप्रदेश में इस सरकार ने हासिल की है.

          अध्यक्ष महोदय, हम विकास दर के मामले में नंबर एक हैं. कृषि विकास दर के मामले में, मेरे विद्वान मित्र जानते होंगे. आमतौर पर यह माना जाता था कि 3 प्रतिशत, 4 प्रतिशत की विकास दर यदि किसी राज्य या देश ने हासिल की है तो वह कृषि विकास दर बहुत महत्वपूर्ण, बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी. लेकिन एक साल से नहीं, दो साल से नहीं, तीन साल से नहीं लगातार चार साल से मध्यप्रदेश 20 प्रतिशत के आसपास की कृषि विकास दर हासिल कर रहा है. यह संभवतःदुनिया में सबसे ज्यादा कृषि विकास दर वाला अगर राज्य कोई है तो वह राज्य अपना मध्यप्रदेश है.

          अध्यक्ष महोदय, अगर कोई राज्य प्रगति करता है तो इस पर तो आपको भी गर्व होना चाहिए. किसानों का परिश्रम भी है. उन्होंने पसीना लगाया. सबने मिलकर मेहनत की है. अगर कोई राज्य कृषि विकास की सबसे अच्छी दर हासिल करता है तो प्रसन्नता आपको भी होनी चाहिए लेकिन उसमें सवाल ढूंढे जा रहे हैं. मेरे विद्वान मित्र रावत जी बैठे हैं, जितू जी बैठे हैं, महेन्द्र सिंह जी चले गये. ये विद्वान मित्र यह कहते थे कि यह बता दो कृषि कर्मण अवार्ड जीत कैसे रहे हो. पहले कृषि विकास दर 24 थी. इस साल 20 रह गई. फिर तुम कैसे जीत रहे हो. यह तो घट गई. मेरे विद्वान मित्रों यह घटी नहीं है. इसको जरा ढंग से समझो ! अगर पिछले साल 24 प्रतिशत थी और इस साल हमने 20 प्रतिशत हासिल की तो कुल मिलाकर 44 प्रतिशत हो जाती है. जरा जोड़ कर देखो. लेकिन साधारण सा गणित समझ में नहीं आया. कहने लगे पिछली बार 24 थी, इस बार 20 कैसे रह गई. अरे 24 के ऊपर 20 हुई है मेरे भाई ! और यह 20 के ऊपर 20, 20 के ऊपर 20 जोड़ों तो 4 साल में 80 प्रतिशत बढ़ी है. (विपक्ष के सदस्यों द्वारा हाथ हिलाने पर) ऐसे हाथ हिलाने से कुछ नहीं होता. जब आपकी सरकार थी.(व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय-- नायक जी, कृपया बैठ जायें.

          श्री मुकेश नायक--अध्यक्ष महोदय, अनुमति दी है. मैं माननीय मुख्यमंत्रीजी से..(व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय-- मुख्यमंत्रीजी बैठ गये हैं, अब बोलने दीजिए. (व्यवधान)

          श्री मुकेश नायक-- मैं मुख्यमंत्रीजी से यह अनुरोध करना चाहता हूं कि राज्य सरकार का भारत सरकार के सामने कृषि के संबंध में जो पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन  हुआ है. जो प्रेजेन्टेशन आपने किया है, मेरे पास उसके कागज हैं. आप चाहें तो माननीय अध्यक्ष महोदय के कक्ष में वह कागज आपको दिखा सकता हूं. सदन के पटल पर रख सकता हूं. कहानी वह नहीं जो आप बता रहे हैं, आप विधानसभा को गलत जानकारी दे रहे हैं.

          श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, ये अपनी यूपीए की तत्कालीन सरकार को कठघरे में खड़ा करने का काम कर रहे हैं. कृषि कर्मण अवार्ड अगर दो बार नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने दिया है तो दो बार मनमोहन सिंह जी की सरकार ने भी दिया है. उनकी सरकार ने भी दिया है. इनको अपनी सरकार पर भरोसा नहीं है. अब नहीं...बार बार नहीं. रामनिवास रावत जी, जब माननीय मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्रीजी होते थे, जब शरद पवार जी कृषि मंत्री होते थे और तब तत्कालीन राष्ट्रपति जी ने हमको कृषि कर्मण अवार्ड दिया. अब भी मिल रहा है. कम से कम अपनों की नीयत पर संदेह तो मत करो मेरे भाईयों !

          श्री रामनिवास रावत-- उस पर आपत्ति किसने की है.

          श्री शिवराज सिंह चौहान-- आपके लोगों ने की है कि झूठा ले रहे हैं, झूठा.

          अध्यक्ष महोदय-- रावत जी, बैठ जायें.

          श्री रामनिवास रावत-- हमने आपत्ति नहीं की है.                  

          श्री शिवराज सिंह चौहान--कृषि कर्मण अवॉर्ड अगर मिला है तो मध्यप्रदेश के किसानों के परिश्रम से मिला है. (मेजों की थपथपाहट)...यह कह रहे थे कि काहे में प्रथम मध्यप्रदेश, आज सुनो, विकास दर में प्रथम, कृषि विकास दर में प्रथम, जैविक क्षेत्र के मामले में हम प्रथम हैं. कुल दलहन के उत्पादन में हम प्रथम हैं, सोयाबीन के उत्पादन में हम प्रथम हैं. कुल तिलहन के उत्पादन में हम प्रथम हैं. प्रमाणिक बीज उत्पादन में हम प्रथम हैं. चना उत्पादन में हम प्रथम हैं. (मेजों की थपथपाहट)...औषधि और सुंगधित फूलों के उत्पादन में हम प्रथम हैं. लहसुन के उत्पादन में हम प्रथम हैं. अमरूद के उप्तादन में प्रथम हैं. मटर के उत्पादन में प्रथम हैं. पीपीपी (Public-private partnership) मॉडल के तहत स्टील स्टाइलो स्थापित करने में हम प्रथम हैं. इलेक्ट्रॉनिक उपार्जन व्यवस्था लागू करने में हम प्रथम हैं. ई-उपार्जन मॉडल को पूरे देश में लागू किया है. एकमात्र मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां कृषि उपभोक्ताओं को प्रतिदिन 10 घंटे बिजली हम देते हैं. इसमें भी हम प्रथम हैं. स्मार्ट सिटी में पूरे हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा शहर अगर कहीं के शामिल हुए तो 3 मेरे मध्यप्रदेश के हुए हैं. इसमें हम प्रथम हैं और 2 लाईन में लगे हैं. 21वें और 22वें नम्बर पर उज्जैन और ग्वालियर हैं. आने वाले समय में सातों शहर स्मार्ट सिटी में सम्मिलित हो जाएंगे. (मेजों की थपथपाहट)...पीपीपी मॉडल में सड़कों के निर्माण में मध्यप्रदेश प्रथम है. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत सड़कें बनाने में गोपाल जी मध्यप्रदेश प्रथम है. (मेजों की थपथपाहट)...देश का पहला राज्य जहां दस्तावेजों का पूरा ऑन-लाईन रजिस्ट्रेशन और ई-स्टेम्पिंग का काम प्रारंभ किया गया है, हम प्रथम हैं.

          अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री कन्यादान और निकाह योजना में हम प्रथम हैं. लाड़ली लक्ष्मी बनाने वाला मध्यप्रदेश प्रथम राज्य है, जिसको पूरे देश ने लागू किया है. लोक सेवा गारंटी बनाने में मध्यप्रदेश नम्बर एक है, जिसके पीछे देश के बाकी राज्य चले हैं. अध्यक्ष महोदय, स्थानीय निकायों में अपनी बहनों को 50 प्रतिशत आरक्षण देने में मध्यप्रदेश नम्बर एक है.

            अध्यक्ष महोदय, मैं तुलना करना चाहता हूं मिलाकर देख लें, तब क्या था और अब क्या है, शांति से जरा सुनना. अध्यक्ष महोदय, जब इनकी सरकार थी, तब सिंचित रकबा था 7.50 लाख हैक्टेयर, अभी बात कर रहे थे, फंलानी सिंचाई की योजनाएं इतनी लंबित है, इतनी पड़ी है. अरे, आपकी जब सरकार होती थी तो शिलान्यास करने के बाद 30-30 साल काम पूरे नहीं होते थे मेरे भाई. यह मेरी सरकार है, इधर बैठी हुई है, भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. सिंचित रकबा 7.50 लाख हैक्टेयर, और वह भी अकेले कांग्रेस का नहीं था, राजा, नवाब, अंग्रेज, सब ने मिलाकर किया 7.50 लाख हैक्टेयर, और आज सिंचित रकबा है 40 लाख हैक्टेयर इन 10 सालों में! एक तरफ उनका काम देख लीजिए 50-60 साल का, 7.50 हैक्टयर से ज्यादा जमीन में सिंचाई नहीं कर पाए, किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंचा पाए. अभी टेल एरिया में पानी की बात हो रही थी. अरे, हम टेल में भी पहुंचाएंगे और रिटेल में भी पहुंचाएंगे. उसकी चिंता आप मत करो. आपने 60 साल में  क्या किया? एक नहीं कितनी सिंचाई की योजनाएं, अब यह तो जयंत मलैया बैठे हैं, लघु सिंचाई का माइनप इरिगेशन प्रोजेक्ट एक साल में शुरू करते हैं और दूसरे साल पूरा करके जनता के खेतों में पानी पहुंचाने का काम करते हैं. (उप नेता प्रतिपक्ष श्री बाला बच्चन के बोलने के लिए खड़े होने पर) अब सुन लो बाला जी, अभी तो यह अंगड़ाई है. अब पूरा सुन तो लें.

            श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, टेल तक पानी पहुंचाने की बात तो समझ में आई, यह रिटेल में खेतों में कैसे पहुंचाओगे?

          सहकारिता मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - जैसे कपिल धारा के कुएं हैं.

          श्री शिवराज सिंह चौहान - वह समझता हूं. हर किसान के खेत में नहर नहीं पहुंच सकती तो कुंआ खोद देंगे, खेत तालाब बना देंगे तो रिटेल में भी पानी पहुंच जाएगा.

          श्री गोपाल भार्गव - उसमें भी अव्वल हैं.

श्री बाला बच्चन - रिटेल खैरची होता है. आप पानी को खैरची कैसे बाटेंगे? रिटेल का मतलब खैरची.

          श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, 'जाकी रही भावना जेसी, प्रभु मूरत देखी तिन तेसी.' अब यह खैरची का ही काम करते रहे तो वैसे ही सब दिखाई देगा और क्या दिखाई देगा. बिजली का उत्पादन भी सुन लीजिए. आपके समय उत्पादन था 5173 मेगावॉट, आज अध्यक्ष महोदय, हमारी उपलब्धता है 16116 मेगावॉट. (मेजों की थपथपाहट)...अभी बिजली की बात कर रहे थे. भोपाल जैसे शहरों में, मध्यप्रदेश की राजधानी में, रात में गर्मी के दिनों में लोग केवल गर्मी के कारण चड्ढियों में सड़कों पर निकलने के लिए मजबूर हो जाते थे. (शेम-शेम की आवाज).यह नजारे हम सभी ने देखे हैं, बनियान भी उतार देते थे पसीने पसीने हो जाते थे आप कब बिजली देते थे और आज बिजली की बात कर रहे हैं. मैं गर्व के साथ कहता हूं कि यह भाजपा की सरकार है.

          श्री कमलेश्वर पटेल -- जब इतनी उपलब्धता है तो रेट क्यों बढ़ा रहे हैं सस्ती करायें बिजली किसानों के लिए.

          श्री गोपाल भार्गव -- इन्द्रजीत पटेल जी भी चड्डी पहनकर घूमते हुए पाये गये थे.

          श्री शिवराज सिंह चौहान --माननीय अध्यक्ष महोदय मैं फसल उत्पादकता के बारे में जानकारी देना चाहता हूं. आपके समय में प्रति हेक्टेयर उत्पादन था 11 क्विंटल 70 किलो अब यह बढ़कर हो गया है 19 क्विंटल 81 किलोग्राम, अध्यक्ष महोदय मुझे गर्व है कि हम 12-13 वर्ष से यह सरकार चला रहे हैं और उस सरकार के कामों का परिणाम है कि गेहूं का उत्पादन आपके समय में होता था 73 लाख 65 हजार मीट्रिक टन अब पिछले वर्ष गेहूं का उत्पादन था 184 लाख 80 हजार मीट्रिक टन, धान का उत्पादन आपके समय होता था 17 लाख 50 हजार मीट्रिक टन और पिछले साल हुआ है 54 लाख 38 हजार मीट्रिक टन सूखे के बाद में भी, समग्र फसलों का उत्पादन 220 लाख मीट्रिक टन जब आपकी सरकार थी तब था और अब समग्र फसलों का उत्पादन है 456 लाख 48 मीट्रिक टन, जब आप थे तो बीजों का वितरण होता था प्रमाणित बीज 6 लाख 91 हजार मीट्रिक टन और आज होता है 34 लाख 69 हजार क्विंटल, सहकारी संस्थाएं आपके समय जो फसलों पर ऋण देती थीं 1202 करोड़ और हम देते हैं 11627 करोड़ पिछले साल हमने दिया है, अगले साल 18000 करोड़ देंगे वह भी जीरो प्रतिशत पर देंगे, आप देते थे 14 से लेकर 16 प्रतिशत पर अब हम केवल जीरो प्रतिशत पर ही नहीं, अब तो खाद बीज पर माइनस 10 प्रतिशत एक लाख ले जाओ और 90 हजार दे जाओ यह भाजपा की सरकार है जो कि किसानों के लिए काम कर रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय प्राथमिक शालाएं 56326 थी आज 83890 हैं , माध्यमिक शालाएं आपके समय में 18801 आज है 30341, शासकीय अस्पतालों में बिस्तर आपके समय में 21000 वह भी खाली पड़े रहते थे जाते ही नहीं थे लोग अब  35 889 आऊटडोर पेशेंट और इनडोर पेशेंट हैं जाकर देख लें मैं गर्व के साथ कहता हूं कि आम आदमी का सरकारी अस्पतालों में विश्वास बढ़ा है कहीं पर भी जाकर आप अस्पताल में देख लें अस्पताल भरे रहते हैं. नि:शुल्क दवा के वितरण के कारण यह हुआ  है. मैं यहां बहुत विस्तार में नहीं जाऊंगा क्योंकि जब अपने अपने विभागों की चर्चा होगी तो  सभी मंत्री अपना अपना विवरण देंगे. नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई एक भी नहीं थी लेकिन अब 54 हैं संस्थागत प्रसव आपके समय में 26 प्रतिशत होता था लोग अस्पताल नहीं जाते थे  अब है 80 प्रतिशत, बड़ी बात की आपने आईएमआर की एमएमआर की मध्यप्रदेश यहां पर है मध्यप्रदेश वहां पर है अरे आप थे तो तब कहां था. मैं आपको आइना दिखाना चाहता हूं मातृ मृत्यु दर थी आपके समय 379 प्रति लाख जो कि अब हो गई है 221 मैं प्रसन्न नहीं हूं हम और सुधार करना चाहते हैं लेकिन तब क्या था और अब क्या है यह जानकारी मैं जरूर देना चाहता हूं शिशू मृत्यु दर 86 प्रति हजार जो कि अब घटकर रह गई है 51 प्रति हजार, सकल घरेलू उत्पाद आपके समय था एक लाख दो हजार आठ सौ उन्चालीस करोड़  और अब है पाँच लाख आठ हजार छह करोड़ रूपये यह सकल घरेलू उत्पादन इस सरकार के राज्य में है. नगरीय निकाय का बजट आप जब थे तब 860 करोड़ और अब है 10829 करोड़ रूपये.

           माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विद्युत कनेक्‍शन आपके समय 64 लाख 40 हजार थे जबकि आज 1 करोड़ 23 लाख 82 हजार हैं. ट्रांसफार्मरों की संख्‍या आपके समय में 1 लाख 68 हजार थी जबकि आज 4 लाख 98 हजार है. आंगनवाड़ियों की संख्‍या आपके समय में 49784 थी आज 80160 है. नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा का उत्‍पादन आपके समय में 50 मेगावाट था जबकि आज 2062 मेगावाट है. दूध का उत्‍पादन आपके समय में 5 लाख 34 हजार मिलियन टन था जबकि आज 10 लाख 78 हजार मिलियन टन है. शासकीय हाईस्‍कूल आपके समय 1704 थे जबकि आज 2874 हैं. हायर सेकण्‍डरी स्‍कूल उस समय 1517 थे जबकि आज 2843 हैं. इस साल भी दूंगा विधायक साथियों, अपने अपने क्षेत्र में, चिंता मत करना, उसमें भी कसर नहीं छोड़ेंगे. मछली पालन 50 हजार मेट्रिक टन से बढ़कर 1 लाख मेट्रिक टन हो गया है. उद्यानिकी क्षेत्र, फलों का, सब्‍जियों का 3 लाख 48 हजार हेक्‍टेयर था आज बढ़कर 15 लाख 49 हजार हेक्‍टेयर हो गया है. उद्यानिकी उत्‍पादन 33 लाख मेट्रिक टन था अब बढ़कर 247 लाख मेट्रिक टन हो गया है. अनुसूचित जाति विकास का बजट 323 करोड़ इस साल है पिछले साल था 1584 करोड़. अनुसूचित जाति छात्रवृत्‍ति 13 लाख विद्यार्थियों को आप देते थे हम 25 लाख को देते हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अगर मैं और भी विस्‍तार में जाऊँ तो दोनों सरकारों के काम अंतर देखोगे तो जमीन और आसमान का अंतर है और इस अंतर को तो स्‍वीकार करना होगा. मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि वर्ष 2002-03 तक उस समय सड़कों की क्‍या हालत थी, भूल गए क्‍या ? क्‍या कोई इंदौर से मंदसौर जा सकता था ? भोपाल से सागर जा सकता था क्‍या ? गाड़ी खाए हिचकोले, अड्डा पसरा सारे डोले, याद आ गए शंकर भोले, गाड़ी के साथ-साथ आदमी भी टूट जाता था, यह हालत हो जाती थी. जो सच्‍चाई है उसको तो स्‍वीकार करो. गड्ढों में सड़क थी कि सड़क में गड्ढा था कि गड्ढमगड्ढा था यही पता नहीं चलता था. वर्ष 2003 में मुझे पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए राघौगढ़ भेजा, तो हम तो समझे कि वहां पर शानदार सड़कें बनी होंगी. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वहां सड़कें क्‍या, मुझे गिट्टी रोड नहीं मिली, मिट्टी रोडों से निकलने में दिक्‍कत होती थी. वह जमाना याद करो जब फसल कटती थी तो लोग पीडब्‍ल्‍यूडी की सड़कों से नहीं जाते थे, गाड़ियां खेतों में कूदा-कूदा के, खेतों में से निकला करते थे. उस मध्‍यप्रदेश में इस सरकार ने 1 लाख किलोमीटर से ज्‍यादा शानदार सड़कें बना कर दे दी है, यह सरकार ने किया है. नेशनल हाईवेज की हालत खराब थी क्‍योंकि पिछली सरकारों ने ध्‍यान नहीं दिया था, कई जगह नेशनल हाईवेज की हालत यह हो गई थी कि लोगों ने वहां धान बोने की कोशिश की कि गड्ढे में बरसात का पानी भरा है तो धान बो लो.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, सिंगरौली में आज वही स्‍थिति है. सीधी से सिंगरौली राष्‍ट्रीय राजमार्ग आज उसी हालात में है आप भूमिपूजन करके आए थे. खजुराहो, पन्‍ना भी यही हालत है, सीधी जिला मुख्‍यालय में यह हालत है आप खुद देखकर आए हैं धान बोई जा सकती है.

          श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तेजी से इस सरकार ने सड़कें बनाई हैं और आज भी मैं इस सदन से, जनता से और अपने विधायक साथियों से, चाहे वे इधर के हों या उधर के हों, हम सब यहां बैठे हैं तो जनता के लिए बैठे हैं, पक्ष और विपक्ष हो सकता है लेकिन कुल मिलाकर हम जनता के हित के लिए हैं, मैं आप सभी से कहना चाहता हूँ कि तीन साल में कोई गांव ऐसा नहीं छोड़ा जाएगा कि जो शानदार पक्‍की सड़क से न जुड़ा हो, सभी विधायकगण सूची बना लें, योजनाबद्ध ढंग से और पूरे तरीके से हम लोग कोशिश करेंगे कि सारे गांवों को हम बारहमासी सड़क से जोड़ दें. उसमें यह सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी. इसके बाद टोले-मजरे का नंबर आएगा, उनको भी देखेंगे. हमने तो खेत संपर्क योजना भी बनाई है इसलिए सड़कों के निर्माण में तेजी से मध्‍यप्रदेश आगे बढ़े, बिजली के उत्‍पादन के बारे में मैं बहुत विस्‍तार में नहीं जाऊँगा, लेकिन प्राइवेट सेक्‍टर में भी हमने बिजली का उत्‍पादन किया है. अभी-अभी हम हनुवंतिया महोत्‍सव के लिए खण्‍डवा गए थे तो आपने देखा होगा कि खंडवा, सिंगरौली के बाद एक अलग बिजली उत्‍पादन के हब के रुप में उभर रहा है. हम थर्मल पॉवर प्लांट भी लगा रहे हैं. हम पानी से बिजली भी बना रहे हैं. हम सोलर से बिजली भी बना रहे हैं. हम हवा से भी बिजली बना रहे हैं. हां, आपने जो किसानों का सवाल  उठाया है, उसमें किसानों के साथ अन्याय किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जायेगा. उसको पूरी गंभीरता के साथ हम देखेंगे कि किसानों को पूरा न्याय मिले.आने वाले 3 सालों में बिजली की उपलब्धता हमारे पास 18 हजार मेगावाट हो जाएगी. आज मध्यप्रदेश बिजली मांगने वाला नहीं, आज मध्यप्रदेश बिजली की मांग नहीं करता,आज मध्यप्रदेश दूसरे राज्यों को बिजली देने वाला राज्य बन गया है. यह प्रतिष्ठा हमने अर्जित की है. अब कभी दिल्ली को भी बिजली की जरुरत पड़ती है तो मध्यप्रदेश वहां भी बिजली सप्लाई करने का काम करता है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंचाई की बात हो रही थी. मैं सिंचाई के मामले में निवेदन करना चाहता हूँ. मैं सारे मित्रों से चाहे पक्ष के हो या विपक्ष के हों,कहना चाहता हूँ कि अगर मध्यप्रदेश ने कृषि उत्पादन इतना बढ़ाने में सफलता हासिल की है तो  इसलिए हासिल की है कि इसमें सबसे बड़ा योगदान अगर किसी का है तो वह है सिंचाई का. मैं विनम्रता के साथ अपने सभी मित्रों से कहना चाहता हूँ, हमारा लक्ष्य है, प्रधानमंत्री जी को भी मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ कि सिंचाई पर काफी पैसा बढ़ाया है. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना बनायी गयी है.हमारी कोशिश यह होगी कि किसी न किसी माध्यम से चाहे वह कुएँ हो, खेत तालाब हो, स्टाप डेम हों, चेक डेम हों, बोरी बंधान हो, बड़े बांध, हों, छोटे बांध हों, मध्यम बांध हों, हम पानी हर खेत तक पहुंचाना चाहते हैं. अभी नर्मदा जी के पानी का  सवाल हमारे मित्र ने उठाया था. उन्होंने कहा कि कितना उपयोग कर लेंगे, 2022 तक एक एक बूंद पानी का मध्यप्रदेश के हिस्से का उपयोग कर लिया जाएगा. हमने नर्मदा जी के पानी को  जहां तक संभव हो,पहुंचाने का प्रयास किया है. नर्मदा जी के पानी को उठा के क्षिप्रा जी में डाला. अब क्षिप्रा के बाद गंभीर का काम हमने प्रारम्भ कर दिया है. फिर कालीसिंध में डालेंगे. फिर पार्वती में डालेंगे.कल कई मेरे मित्रों ने अलग अलग नदियों की बात कही. माही की बात भी आयी, चम्बल की बात भी आयी. मैं कोई घोषणा नहीं कर रहा लेकिन मैं आश्वस्त करना चाहता हूँ  कि नर्मदा जी के पानी को, क्योंकि अब हमने तरीका नया निकाला है  "पर ड्रॉप मोर क्रॉप". पानी कम है. पानी का बेहतर उपयोग हम ज्यादा से ज्यादा कैसे करें और इसलिए केनाल इरीगेशन नहीं, नर्मदा जी के पानी को हम पाइप लाइन से लिफ्ट करते हैं , लिफ्ट करके फिर उसमें बाकी पाइप डालेंगे अलग, पाइप का नेटवर्क बनायेंगे और एक आउटलेट देंगे, किसानों के खेत में 10-12 हेक्टेयर तक के चक तक हम पहुंचायेंगे. जहां किसान अपना सिस्टम लगायेगा और फिर ड्रिप और स्प्रिंकलर से अपने खेत में सिंचाई करने की व्यवस्था करेगा. कम पानी में ज्यादा सिंचाई और उसमें अगर आप देखेंगे तो मालवा और निमाड़ हम पूरा नर्मदा जी से कवर करने की कोशिश करेंगे. पूरे का मतलब मैं एक एक खेत की बात नहीं करता, जितना संभव है, हम प्रयास करेंगे और इसलिए जब मैं अलीराजपुर गया था तो वहां हमारे साथियों ने अलीराजपुर में पानी की मांग की. हमने कहां नर्मदा जी को लिफ्ट करके लायेंगे. झाबुआ की बात आयी, अभी मैं बदनावर गया था, शायद शेखावत जी यहां बैठे हैं, उन्होंने जब वहां मांग की तो मैंने वहां बात की. जहां तक संभव है उन नदियों नें नहीं पहुंचाये तो उस कैचमेंट इलाके में यथासंभव हम प्रयास करेंगे कि हम पानी को पहुंचा दें. चाहे वह मालवा हो, चाहे निमाड़ हो, निमाड़ के हमारे मित्र जानते हैं, इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर से  लेकर के जितनी भी,अभी छैगांवमाखन की लिफ्ट इरीगेशन का अपने बजटीय भाषण  में वित्त मंत्री जी ने जिक्र किया. जहां जहां संभव है नर्मदा जी का पानी पहुंचाया जाएगा. कुण्डलिया मोहनपुर परियोजना पर काम चल रहा है. तवा बारना का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है. बुन्देलखण्ड, उस बुन्देलखण्ड का उत्तरप्रदेश में उसकी मैं गारंटी नहीं लेता लेकिन मैं अपने बुन्देलखण्ड की गारंटी लेता हूँ, बानसुजारा वृहद परियोजना, पंचम नगर वृहद परियोजना, बीना काम्पलेक्स पर भी हम काम शुरु करेंगे. सागर, पन्ना में मुकेश जी जानते हैं, 4 मध्यम परियोजनाएँ सिंचाई की उन पर वहां काम शुरु होने वाला है. ग्वालियर में हरसी नहर में चल रहा है, जबलपुर में पेंच अपर नर्मदा, हालोन,चिंकी,डिण्डौरी,खारमेर, हारमुन, चिताखुरबी, हिरन पे. रीवा में  बहोती, त्योंथर, रामनगर, रामनगर लिफ्ट, बरगी डायवर्शन, बाणसागर, कितनी योजनाओं को मैं गिनाऊं. इस सरकार का संकल्प है कि हम हर किसान के खेत में किसी न किसी माध्यम से पानी की व्यवस्था करेंगे( मेजों की थपथपाहट) किसान को और कुछ मत दीजिए, बस पानी दे दीजिए, बाकी काम किसान अपने आप कर लेगा और हमारे जल संसाधन मंत्री पूरी दक्षता के साथ उस दिशा में काम कर रहे हैं. सिंचाई के क्षेत्र में काम होगा तो खेती फायदे का धंधा बनेगी, लाभ का धंधा बनेगी.

          माननीय अध्यक्ष महोदय,मुझे गर्व है कि कृषि का उत्पादन अगर बढ़ा है, एक बड़ा रोल प्रमाणित बीजों का भी  है. 30 परसेंट सीड रिप्लेसमेंट की दर हमने पहुंचाई है, जीरो परसेंट ब्याज पर हमने कर्जा देने का का काम किया है. एक नहीं अनेकों तरह के उपाय इस सरकार ने किये हैं. हां यह बात जरुर आयी थी कि किसानों को कितनी राहत आपने बांटी. इसमें इतना लिखा है, उसमें उतना कहा है. अब आप ध्यान से तो पढ़ते नहीं हो. आपने दिमाग में विरोध इतना भरा रहता है. अरे, भाई राज्यपाल के अभिभाषण में हमने लिखा है कि 4600 करोड़ रुपये बांटे जा रहे हैं. बांट दिये गये हैं, यह हमने नहीं कहा और यह इसलिए लिखना पड़ा कि जब हमने दिन का विधानसभा का सत्र बुलाया था तब हमारा अंदाज था कि 3700 करोड़ रुपये की राशि का वितरण हमको किसानों को राहत की राशि के रूप में करना पड़ेगा लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, बाद में वह राशि और बढ़ती गई जब अलग अलग जगहों से यह पता चला कि सोयाबीन में वहाँ भी नुकसान हुआ है, यहाँ भी नुकसान हुआ है तो 3700 करोड़ के बजाय वह राशि बढ़कर 4600 करोड़ रुपये हो गई. उस समय चूंकि बजट में उतना प्रावधान था वह पैसा किसानों के खाते में पहुंचा दिया गया है और इस बजट के पारित होते ही बाकी पैसा हम किसानों के खाते में पहुंचा देंगे. चूंकि अनुमान हमारा थोड़ा-सा गड़बड़ हो गया इसलिए बजट में उतना ही प्रावधान था लेकिन हमारे एक विद्वान मित्र उधर से कह रहे थे कि वह तो बीच में अधिकारी धर लेते हैं. अरे, भैया वह जमाने चले गये अब अधिकारी के पास थोड़े पैसा जाता है, अब तो ऑनलाइन किसान के खाते में ट्रांसफर होता है वहाँ कोई अधिकारी हाथ नहीं लगा पाएगा हम पूरी व्यवस्था को ठीक करने का काम कर रहे हैं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सरकार ने फैसला किया है कि चाहे सिंचाई हो, चाहे बिजली का बेहतर प्रबंध हो, चाहे बाकी इंतजाम हो किसान के लिए बेहतर करने का काम करेंगे और खेती के मामले में  जैसा माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि किसान की आय को दुगुना करना है  और उसका रोडमेप हमने बनाया है .

          श्री रामनिवास रावत--  पांच गुना बोला है.

          श्री शिवराज सिंह चौहान--- पांच साल में दुगुना की बात कही है . रावत जी , जरा ढंग से पढ़ लिया करो आप जल्दी व्यग्र हो जाते हैं, एक एक शब्द पढ़ते नहीं हैं. पांच साल में दुगुना करना है और दुगुने का रोडमेप हम बना रहे हैं. उसमें हम केवल परंपरागत फसलों के उत्पादन को बढ़ाकर हम दुगुना नहीं कर पाएंगे हमको फलों की खेती , फूलों की खेती, सब्जियों की खेती , औषधीय खेती, दूध का उत्पादन , मछली पालन बाकी जितने खेती से संबंधित उपाय हैं, रेशम पालन , शहद पालन इन सब कामों में हमको उतरना पड़ेगा और इसलिए एग्रीकल्चर और एलाइट सैक्टर को एक साथ रखकर हम ऐसी रणनीति बना रहे हैं. मैं खुद मुख्यमंत्री के पहले एक किसान  हूं और मैं बड़ी गंभीरता से खेती करता हूं. मुझे यह बताने में संकोच नहीं है कि हर हफ्ते मैं छह घन्टे अपनी खेती को देता हूं मुख्यमंत्री होने के बाद भी. मैं यह इसलिए करना चाहता हूं कि (श्री जितू पटवारी के बैठे बैठे कहने पर )अब जीतू आप तो बिल्डर हो आपका खेती किसानी से कोई संबंध नहीं है.

          श्री जितू पटवारी--  मैं आप जैसा ही हूं कुछ भी अंतर नहीं है . मैं भी गरीब का लड़का हूं, आप भी थे. हाँ यह बात अलग है कि मेरे यहाँ खेती होती है वह लाख रुपये से अंदर की होती है और आपके यहाँ फूल की खेती सात लाख रुपये की होती है, मैंने कहीं अखबार में पढ़ा था.

          श्री शिवराज सिंह चौहानमाननीय अध्यक्ष महोदय, अगर जितू गरीब है तो अमीर कौन है मुझे यह समझ में नहीं आता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा था कि फलों की खेती, फूलों की खेती, सब्जी की खेती , औषधीय खेती भी करना होगा . दूध के उत्पादन के मामले में मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश पहले कभी किसी नंबर पर नहीं था लेकिन इस साल अब मध्यप्रदेश  तीसरे नंबर पर आ गया है . किसान को केवल खेती नहीं , उसके साथ अगर रोज उत्पादन देने वाला या हफ्ते भर में, महीने भर में उत्पादन देने वाला कोई सहायक काम और मिल जाए तो मुझे पूरा विश्वास है कि किसान की खेती भी फायदे का धंधा बनेगी उस दिशा में पूरी गंभीरता के साथ काम करेंगे लेकिन मैं यह भी जानता हूं , मेरी पूरी टीम भी यह जानती है कि अकेली खेती जनसंख्या के इतने बड़े बोझ को सहन नहीं कर पाएगी इसलिए खेती के साथ-साथ हमको उद्योगों की तरफ ध्यान देना पड़ेगा. अभी जीआईएस की बात हो रही थी, कहाँ-कहाँ चले गये, कितना-कितना ले आए, क्या कर लिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि पिछली जो हमारी जीआईएस इन्दौर में हुई उसमें 4 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश के प्रस्ताव हमको मिले थे. उनमें से 1 लाख 96 हजार करोड़ के जमीन पर उतर गये हैं. उनमें जो निवेशक थे, निवेश करने के लिए आगे बढ़े . माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर आप कोई जीआईएस करते हैं, या कहीं आप विदेश चले गये तो ऐसा नहीं है कि आप गये और आपके पीछे उद्योगपति चले आएंगे . आप अगर जाते हैं तो आप मार्केटिंग करते हैं, ब्रांडिंग करते हैं, बताते हैं कि मध्यप्रदेश में हम क्या -क्या सुविधायें देंगे. लेकिन वर्तमान परिदृश्य में जब पूरी दुनिया में रीसेशन का दौर है तब यह मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है कि लगातार निवेशक आ रहे हैं, निवेशकों का विश्वास बढ़ रहा है और इसलिए तो टीसीएस मध्यप्रदेश में आ रही है, इंफोसिस मध्यप्रदेश में आ रही हैं. अलग-अलग छोटी-छोटी आईटी कंपनीज ने मध्यप्रदेश में रुचि दिखाई है. अगर आप शैक्षणिक संस्थान देखें तो सिंबायसिस, नरसीमुंजी मध्यप्रदेश में आ रहे हैं अलग-अलग सेक्टर में उद्योगपति चले आ रहे हैं. अभी हमारे एक मित्र कह रहे थे कि जायका कंपनी. शायद हमारे बालाभाई कह रहे थे. जायका कंपनी नहीं है मेरे भाई जायका तो लोन देने का काम करती है. जायका कंपनी थोड़े ही है, जायका कंपनी को हमने नहीं दिया, उनसे तो लोन टाय-अप करने की हमने बात की है. लेकिन मध्यप्रदेश में देशी और विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ा है. यह हम सबके लिए प्रसन्नता की बात है. प्रदेश हम सबका है, सरकार किसी की हो और सरकारें तो आती जाती रहती हैं. लेकिन विकास में निरंतरता रहनी चाहिए और उसका गंभीर प्रयास हम कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं केवल यह प्रयास नहीं कर रहा कि केवल बड़ी कंपनियाँ आएँ, बड़े उद्योग आएँ, यह बात सही है कि बड़े आएँ तो स्वागत है, रिलायंस जैसे डिफेंस के सेक्टर में मध्यप्रदेश में आने को उतावले हैं. अलग-अलग बड़े उद्योगपति भी आ रहे हैं हम उनका भी स्वागत करते हैं. लेकिन, "रहिमन देख बड़ेन को लघु न  दीजिए डार" हम लघु और कुटीर उद्योगों को भी उतना ही महत्व देना चाहते हैं. बल्कि उससे ज्यादा महत्व देना चाहते हैं क्योंकि ज्यादा रोजगार के अवसर अगर सृजित होते हैं तो लघु और कुटीर उद्योगों में होते हैं इसलिए जो हमारे छोटे उद्योग हैं उनके लिए एक अलग मंत्रालय बनाने का भी हमने फैसला किया है क्योंकि बड़े उद्योगों के कारण कई बार उतना ध्यान,  फोकस,  मंत्रालय वहाँ नहीं कर पाता. यह फैसला भी हमने किया है (मेजों की थपथपाहट) और मैं बहुत महत्वाकांक्षी हूँ. मैंने पहले भी कहा कि हम बड़े सपने देखते हैं. मेरी इच्छा है कि मध्यप्रदेश के नौजवान उद्यमी बनें, उद्योगपति बनें और जब यह सवाल आया तो लोगों ने कहा कि बनेंगे कैसे? बच्चों से जब मैंने यह कहा कि आओ अपना उद्योग लगाओ तो उन्होंने कहा कि लगाएँ किसमें? अध्यक्ष महोदय, तीन चीजें चाहिए, एक टेक्नालॉजी चाहिए, सरकार उनकी मदद करेगी. दूसरे जो प्रोडक्ट बनाएँ उसकी मार्केटिंग, ब्रांडिंग चाहिए, उसमें हम सहयोग करेंगे. तीसरी, पूँजी चाहिए, तो बच्चों ने मुझसे पूछा मामा पूँजी कहाँ से आएगी? तब हमने फैसला किया. हमने युवा उद्यमी योजना बनाई और उसमें यह तय किया कि 10 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का लोन उन बच्चों को बैंक देगा. लेकिन बैंक,  गारंटी मांगता था. गारंटी कौन देगा? तो हमने बैंकर्स से कहा कि तुम चिंता मत करो, तुम तो बच्चों को, युवाओं को, लोन दो. लोन को वापस करने की गारंटी मध्यप्रदेश की सरकार लेगी. (मेजों की थपथपाहट) यह हमने फैसला किया. युवा उद्यमी योजना के अंतर्गत एक हजार बच्चों को पिछले साल ऋण उपलब्ध....

          श्री कमलेश्वर पटेल-- कहीं भी नहीं मिल रहा है...

          श्री शिवराज सिंह- चौहान--  10 लाख से लेकर 1 करोड़ (श्रीमती ऊषा चौधरी, माननीय सदस्या के खड़े होने पर ) माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी लाड़ली बहना को बताना चाहता हूँ कि मांगने वालों की संख्या बहुत बड़ी होती है. पिछले साल भी 50 हजार बच्चों को युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत लोन दिया गया और इस साल 1 लाख बच्चों को युवा स्वरोजगार, युवा उद्यमी योजना, का लोन उपलब्ध कराया जाएगा. जिसको वापस करने की गारंटी, मध्यप्रदेश की सरकार लेगी. उसका बजट में भी गारंटी के लिए वित्त मंत्री जी ने पर्याप्त प्रावधान किया है. हाँ यह जरूर है 1 लाख के बजाय मांगने वाले तो 10 लाख होंगे. लेकिन 1 साल में (श्रीमती ऊषा चौधरी, माननीय सदस्या द्वारा खड़े होने पर) बहन जी, जो-जो लक्ष्य हमने तय किए हैं (एक अन्य माननीय सदस्य के खड़े होने पर) अरे भाई, बहन भाई के बीच में कोई बीच में नहीं आएगा. हाँ पूछो बहन.

          श्रीमती ऊषा चौधरी--  किस तरह से बैंक मैनेजर बोलते हैं, युवाओं और विधायकों से भी बात करते हैं. हम आपको सुना देंगे.

          श्री शिवराज सिंह चौहान--  उनको भी सुधार देंगे, आप चिन्ता मत करिए. उनको भी ठीक करेंगे.

          श्रीमती ऊषा चौधरी--  बिल्कुल, धन्यवाद.

          श्री शिवराज सिंह चौहान--  लेकिन एक बात यह रहती है कि बैंकों के पास भी एक लक्ष्य निश्चित होता है, उससे ज्यादा देने में उनको भी दिक्कत होती है. हमने बैंकर्स के साथ कई बार बैठक की है. फिर हम बैठक करेंगे. लेकिन जो लक्ष्य हमने दिए, वह लक्ष्य पूरे हुए हैं. आगे उस दिशा में और प्रयास करेंगे. अध्यक्ष महोदय, मेरी इच्छा तो यह है कि हम अपने प्रदेश की धरती से,  हमारे बच्चों में क्षमता है, प्रतिभा है, योग्यता है, कमी कुछ नहीं है, अगर सुविधाएँ मुहैया करा दें तो मध्यप्रदेश के बच्चे भी चमत्कार कर सकते हैं और टाटा, बिड़ला और अंबानी जैसे उद्योगपति हम मध्यप्रदेश की धरती से भी तैयार कर सकते हैं. हम उस दिशा में कोशिश कर रहे हैं कि हमारे बच्चों में उद्यमिता का गुण आए अक्सर.....

          श्री रामनिवास रावत--  आपने बना तो दिया दिलीप बिल्डकॉन को.

          श्री शिवराज सिंह चौहान--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जहाँ की बात कर रहा हूँ और रावत जी जिस स्तर की बात कर रहे हैं उस पर जवाब देना और उस तरह के प्रश्न करना उन्हीं को शोभा दे सकता है. वह वास्तविकताएँ जानते हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--  वे यही बोलेंगे. उनके पास कुछ बचा ही नहीं है.

          श्री शिवराज सिंह चौहान--  जब खीझ हो जाती है तो फिर खंभा खींचने की बातें होती हैं इससे चिन्ता करने की जरुरत नहीं है.

          श्री गोपाल भार्गव--  वह बीहड़ की भावना अभी तक नहीं छूट पाई.

          श्री शिवराज सिंह चौहान--  अध्यक्ष महोदय, केवल उद्योग नहीं, हमने यह फैसला किया मध्यप्रदेश की धरती पर. मैं आनंद और प्रसन्नता के साथ कह रहा हूँ कि कल जो बजट भारत के वित्त मंत्री श्रीमान् अरूण जेटली जी ने प्रस्तुत किया है. माननीय नरेन्द्र मोदी जी के सपनों को धरातल पर उतारने का काम किया है. वह बजट गाँव का बजट है, गरीबों का बजट है, किसानों का बजट है. (मेजों की थपथपाहट) हम उसका स्वागत करते हैं गरीबों के कल्याण के लिए चाहे केन्द्र की सरकार हो और चाहे मध्यप्रदेश की सरकार हो हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. इसमें भी तुलना करना हो तो मैं बता सकता हूँ. हमने तय किया है कि मध्यप्रदेश में हम अपने गरीबों को एक रुपये किलो गेहूं देंगे, एक रुपया किलो चावल देंगे, एक रुपया किलो नमक देंगे मध्यप्रदेश की धरती पर किसी गरीब को भूखा नहीं सोने देंगे. इसमें हमने बीपीएल परिवार के अलावा बाकी कई श्रेणियां थीं जिनको हमने इसमें सम्मिलित करने का काम किया है. जितने भी मजदूर हैं चाहे भवन निर्माण कर्मकार मंडल के मजदूर हों, मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना के मजदूर हों उनको भी हमने सम्मलित किया है. समस्त ऐसे व्यक्ति जो सामाजिक सुरक्षा पेंशन के पंजीकृत हितग्राही हैं उनको सम्मिलित किया है, साइकिल रिक्शा वाले, हाथ ठेला चलाने वाले, अनाथ आश्रम, निराश्रित, विकलांग छात्रावासों में निवासरत् बच्चे घरेलू कामकाजी महिलाएं, फेरी वाले, वनाधिकार पट्टेधारी, रेलवे में पंजीकृत कुली, मंडियों में अनज्ञप्तिधारी हम्माल, तुलावटी, बंद पड़ी मिलों में पूर्व नियोजित श्रमिक, बीड़ी श्रमिक कल्याण निधि, 1972 के अन्तर्गत परिचय पत्रधारी बीड़ी श्रमिक, कुटीर और ग्रामोद्योग अन्तर्गत पंजीकृत बुनकर और शिल्पी, समस्त भूमिहीन कोटवार, नगरीय निकायों में पंजीकृत केश शिल्पी, ग्रामीण क्षेत्र के केश शिल्पी, पंजीकृत बहु विकलांग और मंद बुद्धि व्यक्ति, एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति एक ऐतिहासिक फैसला मध्यप्रदेश ने किया है इसमें भी मध्यप्रदेश प्रथम है. समस्त अनुसूचित जाति और जनजाति के जितने भाई-बहन हैं इन्कम टैक्स देने वालों को छोड़कर सब को एक रुपया किलो गेहूं,चावल और नमक की सूची में सम्मिलित करने का काम किया है तो मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. इसके साथ-साथ सहकारी समिति के पंजीकृत सदस्य, अगर किसी किसान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई हो और वह कहता है तो उसको भी हमने इसमें सम्मिलित करने का काम किया है. मध्यप्रदेश में एक सूत्र हमने तय किया है कि एक दिन की मजदूरी में महीने भर का राशन आये इसलिये सस्ता राशन देने का काम किया है. गरीबों को क्या चाहिये रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ा- लिखाई, दवाई का इंतजाम. सस्ता राशन रोटी की व्यवस्था हो गई. कई लोगों ने कहा कि एक दिन की मजदूरी में 30 दिन का राशन 29 दिन क्या करेंगे. हमसे कहा 29 दिन की मजदूरी का क्या करेंगे, हमने कहा कपड़े खरीद लेंगे, बर्तन खरीद लेंगे, साइकिल खरीद लेंगे, रेडियो खरीद लेंगे और पैसा बच गया तो टीवी भी खरीद लेंगे गरीबों के बच्चों को भी सीरियल देख लेने दो इसलिये हमने यह किया है. दूसरी बात मैं सदन में कहना चाहता हूँ यह सरकार का संकल्प है मध्यप्रदेश में कई गरीब भाई और बहन ऐसे थे कि वर्षों से वे जिस जमीन पर रह रहे थे उनके पट्टे उनके पास नहीं थे. पट्टे नहीं होने के कारण कई बार उनको धमकाया जाता था, डराया जाता था चाहे वह दबंग हो या सरकारी अमला हो उनके द्वारा कहा जाता था कि यह अतिक्रमण है हटा देंगे, तोड़ देंगे, मिटा देंगे. अब इस सरकार ने फैसला कर लिया है कि कोई भी भूमिहीन भाई और बहन जो वर्षों से सरकारी जमीन या दूसरी जमीन पर अपनी कुटिया या झोपड़ी बनाकर रह रहा है तो पट्टा देकर उसे मालिक बनाया जायेगा.

          कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा--ऐसे कई व्यक्तियों को हटाया जा रहा है.

          श्री शिवराज सिंह चौहान--वाह राजा साहब. देख लेंगे उनको भी आप चिन्ता मत करो.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, हम लोगों ने फैसला किया है उनको पट्टा देकर मालिक बनायेंगे और वनाधिकार पट्टे की आप बात करते हैं तो मैं कहना चाहता हूँ कि 2 लाख 7 हजार आदिवासी भाइयों और बहनों को अब तक वनाधिकार के पट्टे दिये जा चुके हैं और इसके बाद भी फिर से लोगों ने दावा किया है जिनके दावे निरस्त हो गये हैं मैंने निर्देश दिया है कि एक-एक दावे का फिर से परीक्षण करेंगे और दिसंबर 2006 के पहले के अगर उनके कब्जे हैं तो हर एक  को वनाधिकार का पट्टा देकर मालिक बनाने का काम यह सरकार करेगी गरीबों के साथ किसी भी हालत में अन्याय नहीं होने देगी और केवल पट्टा नहीं, प्रधानमंत्रीजी ने भी कहा है हाउस फार ऑल, सबको मकान और सबको मकान के लिए उनकी योजनायें भी हैं हमारी अपनी योजनाएं भी हैं हमने तय किया है या तो हम मकान बनायेंगे या फिर उनके पास जहां जमीनें हैं ग्रामीण क्षेत्र में एक लाख और शहरी झुग्गी झोपड़ियों में ढाई लाख रुपये देकर उनका छोटा सा मकान बनवाने का काम यह सरकार करेगी ताकि सब के आवास का सपना धीरे-धीरे साकार हो सके. बड़ा भवन,भव्य भवन भले न हो छोटा सा मकान तो उनके बच्चों को रहने के लिए मिल सके इस दिशा में हम लोग काम कर रहे हैं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी शिक्षा की बात हमारे प्रभारी नेता प्रतिपक्ष कर रहे थे.

अध्‍यापकों की कमी का जिक्र कर रहे थे, लेकिन जिक्र करते समय यह भूल गये कि जब उनकी सरकार थी तो 500 रूपये, 700 रूपये गुरूजी, शिक्षा कर्मी और कर्मी कल्‍चर था. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उस समय मैं सांसद हुआ करता था, मैं एक स्‍कूल में चला गया और मैंने बच्‍चों से पूछा कि गंगा जी कहां से निकली है तो जवाब दिया कि विन्‍ध्‍याचल से, मैंने मास्‍टर साहब को बुलाया कि क्‍या गजब करते हो यार, गंगा जी को विन्‍ध्‍याचल से निकाल रहे हो तो मास्‍टर साहब बोले 500 रूपये में तो गंगा विन्‍ध्‍याचल में से निकलेगी, हिमालय से मैं कहां से निकालूं. यह उस समय होता था पूरी शिक्षा व्‍यवस्‍था ऐसी चौपट करी थी कि आज तक हमको उसको ठीक करने में पसीना आ रहा है. यह शिक्षा व्‍यवस्‍था की हालत कर दी थी. पूरी शिक्षा व्‍यवस्‍था को और बच्‍चों का भविष्‍य चौपट करने का अभिशाप कांग्रेस ने 2003 में भुगता है. पूरी व्‍यवस्‍था को सड़ाकर ऐसी कर दी की हमको उसको खड़ी करने में दिक्‍कत आ रही है. लेकिन हमने उन्‍हीं गुरूजियों को, शिक्षा कर्मियों को अध्‍यापक बनाया और इस साल तो छटवां वेतनमान भी देने का काम किया है, वह भी सम्‍मान के साथ वह ढंग से बच्‍चों को पढ़ाये. यह हमारी सरकार है जिसने तय किया कि पहली से लेकर बारहवीं क्‍लास तक किताबें निशुल्‍क होगी. आठवीं क्‍लास तक यूनिफार्म, दूसरे गांव जाये तो सायकिल, पहले बेटी को देते थे, फिर बेटों ने शिकायत की कि भेदभाव हो रहा है तो फिर बेटों को भी सायकल देना शुरू कर दी और मैं आज कह रहा हूं कि एससी और एसटी के बेटा-बेटी को स्‍कालरशिप , ओबीसी के बेटा-बेटी को स्‍कालरशिप,अल्‍पसंख्‍यक के बेटा-बेटी को स्‍कालरशिप और अब हमने फैसला किया है कि सामान्‍य वर्ग के बेटा बेटी को भी स्‍कालरशिप दी जायेगी. उससे कोई भी वंचित नहीं रखा जायेगा. बेटियों की शिक्षा को और प्रोत्‍साहित करने के लिये गांव की बेटी योजना और अगर गांव में वह 60 प्रतिशत लेकर आये तो वह पांच हजार रूपये कालेज की पढ़ाई के लिये वह और पायेगी, यह हमने तय किया है. अनुसूचित जाति, जनजाति के बेटा-बेटियों के लिये इंजीनियरिंग कालेज, मेडिकल कालेज में एडमीशन हो जाये, आईआईटी या आई आई एम में एडमीशन हो जाये, उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों में हो जाये या प्रायवेट कालेज में एडमीशन हो जाये तो कहां से पैसे लायेंगे तो वह कहां से पैसे लायेंगे उनके पास पैसे नहीं होते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय मैं आपको बताना चाहता हूं आदिवासी क्षेत्रों में बच्‍चे कालेज में बहुत कम पढ़ते थे तो मैंने कहा कि क्‍या बात है बच्‍चे कालेज में क्‍यों नहीं पढ़ते हैं तो पता चला कि होस्‍टल में जगह नहीं मिलती है तो शहर में पहुंच जाते हैं तो किराये का मकान लेकर के रहना पड़ता है और किराये का मकान लेकर पैसा देने के लिये मां बाप के पास पैसे नहीं होते हैं. इसलिये हम पढ़ाई छोड़ देते हैं तो हमने फैसला लिया कि अगर कोई भी एससी, एसटी का कोई भी बेटा बेटी कालेज में पढ़ेगा और शहर में किराये का कमरा लेकर रहेगा तो कमरे का किराया उनके माता पिता नहीं चुकायेंगे, प्रदेश की सरकार किराया चुकाने का काम करेगी. मुख्‍यमंत्री छात्र योजना बनायी जिसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के चालीस हजार से ज्‍यादा बच्‍चे  अभी रह रहे हैं, हम उसमें पैसे की कमी नहीं आने देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, प्रायवेट मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेज पहले इसमें एससी, एसटी के बेटों की जितनी सरकारी फीस होती थी उतने की प्रतिपूर्ति होती थी. आज मैं गर्व के साथ कहता हूं कि यह हमारी सरकार है, हमने यह फैसला किया है कि ऐसे बच्‍चे अगर प्रायवेट इंजीनियरिंग या मेडिकल कालेज में पढ़ेंगे तो उनकी फीस भी हम भरवायेंगे. हम सुविधाओं के कारण बच्‍चों को पढ़ाई के लिये उच्‍च शिक्षा से वंचित नहीं  रहने देंगे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शिक्षा की कई योजनाएं हैं उनके विस्‍तार में मैं नहीं जा रहा हूं लेकिन आज इस सम्‍माननीय सदन में, मैं अपना संकल्‍प व्‍यक्‍त कर रहा हूं कि किसी समाज किसी भी जाति के हो, बच्‍चों में क्‍या भेदभाव करना अगर टेलेन्‍ट है, अगर क्षमता है, अगर प्रतिभा है अगर वह मेरिट में उनका नंबर आता है, मैं अल्‍पसंख्‍यक बेटा बेटियों के लिये भी कहना चाहता हूं कि मैंने 60 हजार से ज्‍यादा बच्‍चों को हर साल स्‍कालरशिप देने का फैसला किया है. हमारे लिये सब बच्‍चे एक समान है. हमारे अपने बच्‍चे ढंग से पढ़ें, आगे बढ़ने का काम करें, बच्‍चों में क्‍या भेद करना इसलिये मेरिट के आधार पर हम बहुत जल्‍दी ही एक ऐसी योजना बनाने वाले हैं कि जिसमें बच्‍चों के माता पिता पैसे देने में सक्षम नहीं होंगे और अगर वह योग्‍य हैं टेलेंट है तो सरकार उनकी फीस का भुगतान करेगी. मध्‍यप्रदेश की धरती पर बिना फीस के कोई भी बच्‍चा पढ़ाई से वंचित नहीं रहेगा, पैसा लगेगा तो लगेगा. हम केवल सड़क, बिजली,  पुलिया और मकान बनाने वाले नहीं हैं. बच्‍चों के भविष्‍य को बनाने की भी जिम्‍मेदारी हमारी है. उनके भविष्‍य को हम बर्बाद नहीं होने देंगे. शिक्षा के क्षेत्र में जितने और भी आवश्‍यक कदम हैं उनको उठायेंगे जब बजट पर चर्चा होगी. जब अनुदान की मांगों पर चर्चा होगी तब हमारे मंत्री साथी बनायेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में चर्चा हो रही थी. स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने कितने कदम उठायें हैं, आलोचना आसानी से कर सकते हैं. अध्‍यक्ष महोदय, कैंसर के पेशेन्‍ट, डायलिसिस के मरीज अभी तो माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी कल बजट भाषण में वित्‍त मंत्री को भी लिखाया वह कहां पर जायेंगे. अगर केंसर हो लाये तो जिंदगी बोझ हो जायेगी. अगर किडनी खराब हो जाये तो डायलिसिस कहां जाकर करायेंगे. हम लोगों ने फैसला किया है कि हर जिला मुख्यालय पर डायलिसिस की मशीन होगी. उसकी स्थापना कर दी गई है. इलाज वहां प्रारंभ हो गया है.

          कुंवर विक्रम सिंह -  हमारे यहां डायलिसिस मशीन आ गई है. वह चालू नहीं हुई है.

          श्री शिवराज सिंह चौहान - राजा साहब,मशीन आ गई है अब आपरेट करने वाला आ जायेगा.

          कुंवर विक्रम सिंह - माननीय मुख्यमंत्री जी इसे सुनिश्चित कराएं.

          श्री शिवराज सिंह चौहान - नाती राजा यह कह रहे हैं कि मशीन आ तो गई है.

          श्री गोपाल भार्गव - (XXX)

          कुंवर विक्रम सिंह - (XXX)

          अध्यक्ष महोदय -  इसे कार्यवाही से निकाल दें.

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(XXX ) :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

 

 

 

          श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, चार लाख लोगों को रोज नि:शुल्क  दवा का वितरण हो रहा है. नि:शुल्क जांच,नि:शुल्क भोजन,नि:शुल्क परिवहन,केंसर की कीमोथेरेपी की व्यवस्था भी हम नि:शुल्क कर रहे हैं. गरीबों का डायलिसिस भी नि:शुल्क किया जायेगा और डायबिटीज का भी इसी साल से नि:शुल्क उपचार प्रारंभ किया जायेगा क्योंकि डायबिटीज के पेशेंट भी काफी बढ़ रहे हैं. कभी ऐसी आवश्यक्ता पड़ती है कि सरकारी अस्पताल में सुविधा नहीं मिलती और किसी पेशेंट को प्रायवेट अस्पताल में जाना पड़ता है. मेरे साथी इस बात के गवाह हैं कि हमने राज्य बीमारी सहायता कोष से भी राशि देने का काम किया है और मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से भी राशि देकर उनका इलाज करवाने की  व्यवस्था की है ताकि पैसे के अभाव में कोई गरीब ईलाज से वंचित न रहे. स्वास्थ्य की सुविधाओं को और बेहतर से बेहतर बनाने के हमारे प्रयास जारी रहेंगे. माताएं,बहनों के कल्याण की दिशा में मध्यप्रदेश की सरकार ने जो कदम उठाए मुझे कहते हुए गर्व होता है कि देश की आधी आबादी के लिये सबसे पहले फिफ्टी परसेंट रिजर्वेशन स्थानीय निकायों के चुनावों में दिया वह मध्यप्रदेश में अपनी बहनों को दिया और मुझे कहते हुए खुशी है इस बार हमने आंकड़े बुलाए तो मुझे बताया कि  सीटें 50 परसेंट बहनों के लिये आरक्षित थीं. वहां दूसरा खड़ा नहीं हो सकता था. 50 परसेंट के अलावा जो अनारक्षित थीं उन पर भी जाकर डंट गईं और वहां से भी जीतकर आ गईं. आज मध्यप्रदेश में 56 परसेंट बहनें स्थानीय निकायों के चुनावों में चुनकर आई हैं. जिला पंचायत में 70 परसेंट बहनें जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं, तो  महिला सशक्तीकरण का काम सही अर्थों में हो रहा है. उनकी शिक्षा की व्यवस्था,बड़ी हो जाएं तो शादी की चिंता करने की जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना,मुख्यमंत्री निकाय योजना,शिक्षक जैसी नौकरियों में 50 परसेंट आरक्षण बेटियों को और इस साल हमने एक क्रांतिकारी और ऐतिहासिक फैसला किया है केवल फारेस्ट डिपार्टमेंट की नौकरियों को छोड़कर सभी नौकरियों में  33 परसेंट आरक्षण बेटियों को देंगे. पुलिस में भी केवल यह नहीं कि कांस्टेबल में दे दिया ऊपर से लेकर नीचे तक पुलिस  अफसर से लेकर कांस्टेबल तक 33 परसेंट भर्ती बेटियों की होगी. बेटियों के  हाथ में डंडे देंगे तो गुण्डों की अकल भी ठिकाने लगाकर मध्यप्रदेश में वे दिखाएंगी. सही अर्थों में महिला सशक्तीकरण का काम इस मध्यप्रदेश की धरा पर हम करने का काम कर रहे हैं. एक और बात जिसको मैं आंदोलन का रूप देना चाहता हूं और वह है महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप. अभी कुछ दिन पहले मैं सुकतवा गया था. 10-11 हजार बहनें इकट्ठी हुई थीं. मुझे कहते हुए गर्व होता है आनन्द और प्रसन्नता होती है  कि  पोल्ट्रीफार्मों का जो टर्नओवर है 500 करोड़ का उसमें से सवा करोड़ का काम केवल सुकतवा,केसला और उस ईलाके की बहनें कर रही हैं अपने पोल्ट्रीफार्म खोलकर. बहनों को अगर थोड़ी सुविधा देंगे तो वे चमत्कार करके दिखा सकती हैं. हम बहनों  की क्षमता का पूरा उपयोग करना चाहते हैं उनके सशक्तीकरण में और इसलिये जो महिला स्वसहायता समूह है उसको हम आंदोलन का रूप देकर खड़े करेंगे. बैंक लिंकेज देंगे और बहनों  की आय बढ़ाने का सुनियोजित प्रयास करेंगे. हमने यह फैसला किया है कि कोई महिला उद्यमी अगर अपना उद्योग लगाती है तो बाकी उद्यमियों के अलावा उसको हम और भी ब्याज में छूट देने का काम करेंगे ताकि वह ठीक से अपना काम-धंधा,रोजगार और उद्योग ढंग से चलाने का काम कर सकें. महिला सशक्तीकरण की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे प्रसन्नता इस बात की भी है कि कल के बजट में जो घोषणा हुई है वह सचमुच में भारत के इतिहास में पहली बार हुई है हमारे गांव है अपना हिन्दुस्तान कहां हैं वह बसा है हमारे गांवों में. आज भी 70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी और अगर नगर-पंचायतों को भी एक गांव मान लें, क्योंकि वह भी उतने व्यवस्थित शहर नहीं हैं तो आज 80 प्रतिशत से ऊपर की आबादी आज भी हमारे गांवों में रहती है गांवों के विकास के बिना हिन्दुस्तान का विकास हो नहीं सकता इसलिये ग्रामीण विकास का जो हमारा बजट है उस जमाने में क्या होता था आज तो 11-12 हजार करोड़ रूपये से कम नहीं है, हम केवल स्मार्ट सिटी की अवधारणा में विश्वास नहीं रखते हैं हम अपने गांवों को भी स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित करेंगे उसके लिये कुछ मापदण्ड हम लोगों ने तय किये हैं, ग्रामीण विकास पर जब चर्चा होगी तब विस्तार से मंत्री जी आपको बताएंगे. एक कनेक्टिविटी मैंने अपने विधायक मित्रों को यह विश्वास दिलाया है कि हर गांव को सड़क से जोड़ेंगे. दूसरा 24 घन्टे बिजली पूर्ण गुणवत्ता वाली मिले इस बात की पूरी कोशिश कर रहे हैं, 24 घंटे बिजली मिल भी रही है, कहीं पर थोड़ी कमियां हैं उसको हम दूर करेंगे, तीसरी चीज पीने का पानी मेरे कई सदस्य मित्रों ने चाहे इधर के हों या उधर के हों उन्होंने पीने के पानी के बारे में चिन्ता जाहिर की है, मैं भी चिन्तित हूं, यह बात सही है. यह सूखे का साल है, सूखे के संकट के कारण भू-जल स्तर काफी नीचे चला गया है. अभी कुछ मित्र कह रहे थे कि बिजली की कमी है मैं सच कहता हूं कि मेरे पास में ऐसे लोग गांव के आये जिन्होंने कहा कि बिजली कम कर दो मैंने कहा क्यों तो उन्होंने कहा कि बिजली होने के कारण पूरा पानी खींच रहे हैं इसके कारण पानी बहुत नीचे चला गया है इसलिये थोड़ी कम कर देंगे तो जमीन में पानी बचेगा. यह सूखे के संकट के कारण ऐसा हुआ है मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस साल संकट है, लेकिन उस संकट से निपटने की हमारी पूरी तैयारी भी है, जब जरूरत होगी नये हैंडपम्प खोलेंगे, गहराई तक जाएंगे उसमें राईजर पाईप डालकर के बढ़ानी हो वह भी हम करेंगे इसमें हर संभव उपाय करेंगे अगर जरूरत पड़ी तो परिवहन के माध्यम से भी पानी हम देंगे का काम करेंगे, यह तो हुई अस्थायी व्यवस्था, लेकिन गांवों में भी शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना चाहते हैं और उसके लिये नल जल योजनाओं पर हम तेजी के साथ काम कर रहे हैं, समूह पेयजल योजना की एक अवधारणा सामने आयी है, क्योंकि जमीन का पानी नहीं, जो सतही पानी बहकर के नदियों का जाता है उस पानी को रोकें इनटेक बेल बनायें एक जगह पर इनटेक बेल हो फिर हम फिल्टर प्लांट को बनायें वहां से पानी को खींचकर एक साथ कई गांवों में पानी को ले जाएं. कुछ समूह पेयजल की योजनाओं पर काम शुरू हो गया है, लेकिन उसको हम व्यापक पैमाने पर करना चाहते हैं ताकि शुद्ध पानी जिसमें हम फिल्टर बनाएंगे उससे शुद्ध हुआ पानी हम घरों में पहुंचाएं और हमारी कल्पना है कि हम जल्दी वह दिन भी लाएंगे यह कार्य बड़े गांव से शुरू कर छोटे गांव तक जाएंगे नल जल योजना के माध्यम से घरों में हम नल कनेक्शन देंगे मेरी बहिनों विशेषकर बेटियों को हैंडपम्प पर पानी भरने न जाना पड़े, क्योंकि मैं जानता हूं कि माताओं को पानी भरने के लिये भेजना हो तो वह अपने बेटे को नहीं भेजती बेटी को बोलती हैं कि जाकर के पानी भर के ले आया हैंडपम्प से पानी भरना बहुत मुश्किल काम है हम वह दिन लाना चाहते हैं घर में नल कनेक्शन के माध्यम से वह टोंटी को खोले और पानी मिल जाए इसमें देर लगेगी, इस बात को मैं जानता हूं, लेकिन उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, शुद्ध पेयजल सबको मिल जाए, इस बात इंतजाम करेंगे. शिक्षा के मामले में उच्च शिक्षा की बात कही मुझे कहते हुए खुशी है कि पहले जहां हमारे यहां 6-7-8 प्रतिशत कुल आबादी का एडमिशन केवल बच्चे लेते थे अब हम उसमें बढ़कर 20 प्रतिशत हो गये हैं हमारे मार्को जी जैसे कई सदस्यों ने इधर के भी कई सदस्यों ने कहा कि हमारे यहां कॉलेज में विज्ञान संकाय अथवा बाकी चीजें नहीं हैं मैं सभी माननीय सदस्यों को आश्वस्ता करता हूं कि जहां होगी वहां पर व्यवस्था करूंगा उच्च शिक्षा में कोई कटौती नहीं करेंगे. कॉलेज हमारे अच्छे रहें, ठीक रहें एवं परिपूर्ण रहें. उस बात का हम इंतजाम करेंगे.व्यवस्था हम बनाने की कोशिश कर रहे हैं और केवल शिक्षा नहीं शिक्षा के साथ-साथ हमको स्किल्ड मेन पावर तैयार करनी पड़ेगी. मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है कि जिसकी जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अब दो ही तरीके हैं एक जनसंख्या वृद्धि रोकें उसके अलग-अलग कारण होते हैं उसकी ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकते लेकिन हम एक काम जरूर कर सकते हैं कि अपनी जनसंख्या को कमजोरी न रहने दें और जनसंख्या को अपनी ताकत बना दें और जनसंख्या ताकत कैसे बन सकती है. सही में दुनियां के कई देशों में जनसंख्या कम हो रही है. उनमें  काम करने वाले हाथों की आवश्यक्ता है. मध्यप्रदेश जैसे राज्य में अगर हमने अपने नौजवानों के हाथ में हुनर दे दिया कुशलता दे दी कौशल दे दिया तो यह नौजवान मध्यप्रदेश में भी काम करेंगे और मध्यप्रदेश के बाहर भी जाकर रोजगार प्राप्त करेंगे इसीलिये स्किल्ड डेव्लहपमेंट मिशन को हमने एक अभियान के रूप में लिया है. आई.टी.आई. हम व्यापक पैमाने पर खोल रहे हैं. कांग्रेस के जमाने में नाम मात्र आई.टी.आई. थीं. आज हम सरकारी आई.टी.आई. भी खोल रहे हैं. हम प्रायवेट सेक्टर में भी आई.टी.आई. खोल रहे हैं. स्किल्ड डेव्लहपमेंट सेंटर खोल रहे हैं और हमारी कोशिश यह होगी कि बारहवीं के बाद जो बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त न करना चाहें आज उच्च शिक्षा कई लोग क्यों प्राप्त करते हैं इसलिये नहीं करते कि उनको उच्च शिक्षा की जरूरत है. कई बार इसलिए करते हैं कि कोई काम नहीं है तो बी.ए. कर लो, बी.ए. के बाद क्‍या करोगे एम.ए. कर लो, एम.ए. के बाद क्‍या करोगे एल.एल.बी. कर लूँगा एल.एल.बी. करने के बाद क्‍या करोगे कुछ पता ही नहीं है तो सबको क्‍यों उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त करवाएं ।  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,बारहवीं  के बाद अगर आई.टी.आई. का नेटवर्क हमारे पास है और उनको कौशल उन्‍नयन का काम हम ढंग से कर देते हैं तो 12 वीं के बाद कौशल प्राप्‍त करके सच में अच्‍छा रोजगार पा सकते हैं, बल्कि अपना कोई रोजगार भी शुरू कर सकते हैं, नौकरी मांगने वाले नहीं नौकरी देने वाले बन सकते हैं ,इसको युद्व स्‍तर पर करने का हम प्रयास कर रहे हैं । मुझे खुशी है कि वोकेशनल यूनिवर्सिटी इंदौर में प्रारम्‍भ हो रही है एक और अन्‍य उच्‍च शिक्षण सस्‍थान है जिसमें दूसरी वोकेशनल यूनिवर्सिटी खोलने का फैसला किया है, हम अपने बच्‍चों के हाथ में कौशल देंगे ताकि उनको रोजगार ठीक ढंग से मिल सके  और वह अपने प्रदेश की समृद्वि और विकास में योगदान दे सके, इसलिए स्किल डेवलपमेंट हमने मिशन बनाने का फैसला किया है ।

 माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं ग्रामीण विकास की बात कर रहा था, हर घर में शौचालय बनाना एक अभियान के रूप में हमने लिया है और मुझे कहते हुए खुशी है कि इंदौर जिला हमारा सबसे पहला इंदौर ग्रामीण है जो खुले में शौच से मुक्‍त हुआ है, बुधनी ब्‍लाक भी हुआ है । हम सभी सदस्‍यों का यह कर्त्‍तव्‍य है कि जनता को प्रेरित करने का काम करें ताकि स्‍वच्‍छ भारत मिशन का जो अभियान है, इस अभियान को हम लोग सफल कर पाएं । माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शहर किसी भी प्रदेश के आइने होते हैं, चेहरे होते हैं, शहर ठीक हो, विकसित हो,सुन्‍दर हों,शहर बुनियादी सुविधाओं से परिपूर्ण हो और इसलिए मुझे कहते हुए गर्व है कि आने वाले 5 वर्ष में 75 हजार करोड़ रूपया शहरी विकास पर खर्च किया जाएगा, यह कल्‍पना भी कभी नहीं कर सकते थे, हमने तो वो जमाने देखें हैं ग्रामीण विकास के, शहरी विकास के माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं सांसद हुआ करता था, आप लोगों में से बहुत से पुराने हैं, जो नए सदस्‍य हैं उनको हम बताना चाहते हैं । एक जमाना वह था, जब गांव में जाते थे और गांव के लोग कहते थे, भैया गढ्ढा तो भरवा दो तो हम लोगों को बगले झांकनी पड़ती थीं, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कुछ होता ही नहीं था, जब सांसद निधि आई तो जैसे चमत्‍कार हो गया अगर सांसद जी 50 हजार रूपया कहीं मुरम के लिए दे दें तो साफा बांधा जाता था, साल श्रीफल उढ़ाया जाता था, दाल बाफलों की पार्टियां होती थीं, कि 50 हजार रूपए दे दिए  और आज तो यह हालत है कि आने वाले समय में कोई गांव ऐसा नहीं होगा जहां 15 लाख रूपए से कम का काम होगा । माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शहरी विकास के लिए उस जमाने में अगर कहीं के नगर पालिका अध्‍यक्ष 25-50 लाख ले गए तो इतनी बड़ी उपलब्धि होती थी कि बखान करते  थे लेकिन 75 हजार करोड़ रूपया 5 साल में खर्च करके अपने शहरों की सूरत बदलने का काम यह सरकार करेगी, सुन्‍दर शहर,स्‍वच्‍छ शहर,हरियाली से भरे शहर, पीने के पानी की व्‍यवस्‍था,ड्रेनेज का सिस्‍टम,सीवेज का सिस्‍टम पूरी योजना हमने बनाई है, मैं उसके विस्‍तार में नहीं जाना चाहता हूँ लेकिन सीवेज के सिस्‍टम पीने के पानी,पार्क,उद्यान जो शहर की जरूरत की, घर घर से कचरा उठाने का प्रबंध और कचरे से बिजली बनाने का प्रबंध उस दिशा में भी हमने तेजी से कदम उठाए हैं । उस दिशा में भी हम प्रयास कर रहे हैं ।

 माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नर्मदा जी हमारी जीवन रेखा है और इसलिए हम लोगों ने फैसला  किया है नर्मदा मैया हमको पानी दे रही है नर्मदा मैया हमको बिजली दे रही है नर्मदा जी हमको जीवन दे रही है और इसलिए नर्मदा शुद्विकरण का अभियान व्‍यापक पैमाने पर मध्‍यप्रदेश की धरती पर किया जाएगा लगभग 1500 करोड़ रूपया खर्च होंगे लेकिन हमारा संकल्‍प है कि आने वाले वर्षों में किसी भी कीमत पर मलजल नर्मदा मैया में  न जा पाए उसका हम इंतजाम करेंगे । माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नर्मदा जी शुद्व और पवित्र होगी तो मध्‍यप्रदेश के विकास में हमको और सहारा मिलेगा लेकिन माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यहां कई तरह की बातें आईं । एक सवाल और आया कानून व्‍यवस्‍था की स्थिति का लेकिन इसके पहले मैं पर्यटन पर जरूर कहना चाहूंगा ।   मैं माननीय सभी सदस्‍यों से कहना चाहता हूँ पर्यटन की अपार संभावनाओं से भरा हुआ प्रदेश है । मुझे लगता है कि मध्‍यप्रदेश की पर्यटन की जितनी क्षमता है उसका हमने दोहन नहीं किया । माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी एक ही उदाहरण मैं देना चाहता हूँ मैं सिंगापुर गया तो सिंगापुर में उन्‍होंने एक सेंटोसा बनाया है । सेंटोसा देखने गया तो मैंने सोचा कि इसमें  क्‍या है । रेत के टीलों में एक ऐसी चीज खड़ी कर दी कि पागलों की तरह लोग घूमने चले आ रहे हैं,मेरे दिमांग में आया कि हमारे यहां इंदिरा सागर में तो इतने आयरलेंड, टापू उभरे,  तवा देख लो, बरगी देख लो, गांधी सागर देख लो, वाण सागर देख लो, इतनी बड़ी-बड़ी वॉटर बॉडी  अपने पास हैं अगर इनको हम सजा दें, इनको सवांर दें, तो यहां टूरिस्‍ट आ सकते हैं प्रयोग के तौर पर माननीय अध्‍यक्ष महोदय हनुव‍ंतिया को हमने चुना था और वहां थोड़ा सा ही विकसित किया है ज्‍यादा नहीं किया है ,इसी साल किया है, मैंने केबिनेट भी वहां जाकर की,पर्यटकों की भीड़ लग गई और हनुवंतिया टापू के पास की जो जमीन है, कभी 3-4 लाख रूपया एकड़ हुआ करती थी, आज 50 लाख से लेकर 1 करोड़ रूपया के आस-पास प्रति एकड़ उनकी कीमत हो गई है । निवेशक आने लगे हैं कहते हैं कि बताओ हनुवंतिया टापू पर हम क्‍या कर सकते हैं,गांधी सागर इतनी अच्‍छी वॉटर बॉडी हैं हम इनको विकसित करने का काम करेंगे । 3-3 वर्ल्‍ड हेरीटेज हैं, उनको सजाने-सँवारने का काम करेंगे. अमरकंटक से लेकर भेड़ाघाट तक, महेश्‍वर से लेकर ओंकारेश्‍वर तक, पन्‍ना से लेकर खजुराहो तक हैं, कितनी प्राकृतिक सौन्‍दर्य से भरी हुई हमारे पास सम्‍पदा है. हमारे वनों में, जो हमारे टाईगर रिजर्व हैं, वे ऐसे हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अफ्रीका चले जायें कहीं, तो वहां झाड़ी-झंझाड़ के अलावा कुछ नहीं है. हमारा सचमुच में इतना अच्‍छा प्रदेश है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं कहता हूँ कि पर्यटन की दृष्टि से अगर टूरिज्‍म पर ध्‍यान देंगे तो मध्‍यप्रदेश पर्यटन में भी अव्‍वल बन जायेगा. इसलिए हमने इस वर्ष को पर्यटन वर्ष बनाने का फैसला लिया है. हम कोशिश कर रहे हैं कि पर्यटन की जितनी संभावनाएं हैं, उन सबका दोहन करें. इसलिए कि टूरिस्‍ट यहां आएं और आने के बाद रूकें और घूमें और यह स्‍वार्थ हमारा इसलिए है कि यहां आने के बाद वह पैसा खर्च करें तो मेरे बच्‍चों को रोजगार मिले. टूरिज्‍म रोजगार का सबसे बड़ा जरिया, आज पूरी दुनिया में है. दुनिया के कई देशों की इकोनॉमी ही टूरिज्‍म पर चल रही है. इसलिए टूरिज्‍म पर हम विशेष रूप से ध्‍यान दे रहे हैं और मुझे लगता है कि आने वाले वर्षों में मध्‍यप्रदेश टूरिज्‍म की बहुत अच्‍छी डेस्‍टीनेशन होगा.

          जहां तक कानून और व्‍यवस्‍था का सवाल है, मैं बड़ी विनम्रता के साथ कहना चाहता हूँ कि यह मध्‍यप्रदेश एक जमाने में डकैतों के आतंक से ग्रसित था. चम्‍बल और पूरे ग्‍वालियर अंचल में शाम को 5 बजे के बाद, लोग निकल नहीं पाते थे, यह स्थितियां थी. आज मैं यह गर्व के साथ कह सकता हूँ कि कोई बड़े डकैतों का सूचीबद्ध गिरोह मध्‍यप्रदेश की धरती पर नहीं बचा है. छुट-पुट घटनायें होती हैं, सरकार कार्यवाही भी करती है. अध्‍यक्ष महोदय, नक्‍सली आतंक तो हम जानते हैं. बालाघाट में, जैसे दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना हुई थी. कई बार, आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं  लेकिन बालाघाट जिले की सीमा पर हमने नक्‍सलवाद को थामने में सफलता प्राप्‍त की है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं गर्व के साथ कह सकता हूँ कि कभी हमने मध्‍यप्रदेश की धरती पर साम्‍प्रदायिक दंगा नहीं होने दिया. यह मेरे सख्‍त निर्देश हैं. छुट-पुट चीजें होती हैं, तनाव के क्षण आते हैं. उन तनाव के क्षणों में भी हमने कोशिश है कि मध्‍यप्रदेश का साम्‍प्रदायिक सद्भाव किसी भी कीमत पर न बिगड़े. पिछले दिनों ही परीक्षा की घड़ी आई थी. धार में पूजा भी करवानी थी और नमाज़ भी करानी है. लेकिन मुझे संतोष है कि हम दोनों को सद्भाव के साथ कराने में सफल हुए हैं. कानून और व्‍यवस्‍था की स्थिति से किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जायेगा. घटनायें होती हैं लेकिन उसके बाद कार्यवाही भी होती है. हम पुलिस को बेहतर संसाधन देने का कार्य कर रहे हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, डायल 100 योजना के अन्‍तर्गत आप फोन करिये, जल्‍दी पुलिस की सहायता आपके पास पहुँचेगी. महिला हेल्‍पलाईन हमने कोशिश की है, कुछ दुर्भाग्‍यपूर्ण घटनायें हुई हैं. जिसकी तकलीफ मुझे हैं. हम कोशिश करेंगे कि वैसी दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना आगे से न हो. हमारे प्रयास लगातार जारी रहेंगे. पुलिस के बल को भी हम बढ़ा रहे हैं. हमने सी.सी.टी.वी. कैमरे लगा कर देखा एवं व्‍यवस्‍था को और चुस्‍त करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन मध्‍यप्रदेश शांति का टापू बना रहे. इसके लिये हमने प्रयास किये हैं और आगे भी लगातार प्रयास करते रहेंगे. जहां तक करप्‍शन का सवाला है. भ्रष्‍टाचार अगर मिटाना है तो 3 तरह की चीजें आपको सिस्‍टम ऐसा करना पड़ेगा कि जिसमें संभावना ही न हो कि कोई पैसा खा सके. हमने 3 कदम इसके लिये उठाये हैं.

          हमने तय किया कि हम मध्‍यप्रदेश में लोक सेवा गारन्‍टी अधिनियम लेकर आएंगे. पब्लिक सर्विसेस डिलीवरी गारंटी एक्‍ट लाने वाला मध्‍यप्रदेश देश का पहला राज्‍य है और उसमें हमने कई सेवाओं को अधिसूचित किया है. अभी हमारे मित्र श्री कमलेश्‍वर कह रहे थे कि आपने गरीबी रेखा में नाम जोड़ने वाला फैसला यह कर दिया. आपने नोटिफिकेशन जारी कर दिया. हमने केवल यह नो‍टिफिकशन जारी किया है कि अभी जो लोक सेवा केन्‍द्र थे, उनमें 30 रू. जमा करके लोग गरीबी रेखा के लिये जाते थे. मुझे लगा कि यह बार-बार 30 रूपये जमा करना, गरीबों के साथ न्‍याय नहीं है. इसलिए, उसमें से उसको निकालकर साधारण तौर पर जाएं तब बनेगा. यह फैसला हमने किया ताकि उसमें 30 रू. न देना पड़े. लेकिन पब्लिक सर्विस डिलीवरी गारन्‍टी एक्‍ट हमने बनाया और उसमें चिन्हित सेवाओं को देने का काम हम कर रहे हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं कहना चाहूँगा जिसकी चर्चा ज्‍यादा नहीं हुई. मैं गर्व के साथ कहना चाहूँगा. ई-टेण्‍डरिंग, ई-पेमेन्‍ट और ई-मेजरमेन्‍ट हमने अपने वर्क्‍स डिपार्टमेन्‍ट में लागू किया है. यहां बैठे हुए सदस्‍य, उधर के मित्र स्‍वीकार करें, न स्‍वीकार करें. लेकिन मैं यह बता सकता हूँ कि इरीगेशन में पहले जैसे टेण्‍डर आते थे गिरोह कॉकस बन जाते थे. अपने-अपने हिसाब से, तुम ये ले लो, तुम ये ले लो. लेकिन ऑन-लाईन टेण्‍डर की प्रक्रिया के कारण ऐसे सारे कॉकस और गिरोह समाप्‍त कर दिये गये हैं और प्रतिस्‍पर्धी रेट जो बेस रेट थे, उससे काफी कम में आ रहे हैं. सड़कों में हमने अभी सख्‍त कार्यवाही की है, नहीं तो पता नहीं कैसे-कैसे टेण्‍डर हो जाते थे ?  दो लाख तक के जो काम है,  वह टेंडर के माध्यम से होंगे.  कहीं कहीं से विरोध हुआ, लेकिन व्यवस्था को अगर ठीक करना है, तो  तरीका यही है कि   कोई गड़बड़  न कर पायें.  हम सख्ती से उस पर भी काम कर रहे हैं,  कार्यवाही कर रहे हैं.  जो ऐसे ठेकेदार थे,  समय पर काम नहीं करते थे,  उनको ब्लैक लिस्ट करने का काम  किया है.  ई टेंडरिंग, ई पेमेंट और  ई मेजरमेंट  के कारण  वर्क्स डिपार्टमेंट का काम  सुधारने में  बड़ी मदद मिली है और काफी परिवर्तन आया है.  अब कम पैसे में ज्यादा काम हो रहे हैं.  इसी मध्यप्रदेश की धरती पर  हम लोगों ने तय किया, अब यह जाति प्रमाण पत्र है.  मूल निवासी प्रमाण पत्र है.  मेरे एससी,एसटी  के बेटों को  एक करोड़ से ज्यादा  जाति  प्रमाण पत्र लेमिनेशन करके  उनके हाथ में हमने दे दिये.  जिंदगी भर काम आयेंगे,  नहीं तो हर साल  जाति प्रमाण पत्र, फलाना प्रमाण पत्र  चक्कर ही लगाते रहो, परेशान होते रहो.  हमने स्वप्रमाणन का फैसला किया. अब आप बताइये, मूल निवासी प्रमाण पत्र  में एफिडेविट की क्या जरुरत है.  मैं कसम खाकर कहता हूं कि  मैं भोपाल में रहता हूं, इसकी जरुरत क्या है. अरे जनता पर भरोसा करो.  अगर उन्होंने कह दिया कि हम यहां रहते हैं,  लिखकर दस्तखत  करके दे दिया,  तो मान लो.  हमने मध्यप्रदेश  की धरती पर यह फैसला  किया, ताकि लोगों को परेशान न होना पड़े.  हम लोगों ने स्पेशल कोर्ट बनाये और यह तय किया कि  आय से अधिक सम्पत्ति है,  उसकी सूचना मिलेगी,  तो छापा पड़ेगा.  छापा पड़ेगा और सम्पत्ति निकलेगी,  तो सम्पत्ति राजसात होगी, सरकार के खजाने में आयेगी.  जो आय से अधिक सम्पत्ति रखने वाला व्यक्ति है, लोक  सेवक है, उसके खिलाफ मुकदमा चलेगा.  एक साल के अन्दर उसका फैसला हो जाये,  इस बात को हमने सुनिश्चित किया.  भले  वह उसकी अपील करे   बाकी कोर्ट में, हाईकोर्ट और दूसरी जगह जाये.  वह एक अलग प्रश्न है, लेकिन  हमने एक सख्त व्यवस्था बनाई,  ताकि हम करप्शन की  गर्दन मरोड़ सकें.  उसके समाप्ति की  दिशा में  कदम  उठा सकें.  आगे भी हमारे सिस्टम को ठीक करने के प्रयास  लगातार रहेंगे. कुछ मामले बला बच्चन जी ने कहे.  मैं एक एक का जवाब दे सकता हूं.  छुट पुट घटनायें कहीं हुई हैं, तो कार्यवाही   भी सख्त हुई है.  हमने किसी को छोड़ने का काम नहीं किया है.  किसी को बख्शने का काम नहीं किया है.  इस सदन को और इस सदन के माध्यम से  मध्यप्रदेश की जनता को  मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि  भ्रष्टाचार करने वाले व्यक्ति को यह  सरकार किसी भी कीमत पर  नहीं छोड़ेगी.  दोनों काम करेंगे.  एक सिस्टम को हम ठीक करेंगे, ताकि भ्रष्टाचार करने की उसकी हैसियत ही  न बचे.  ऑन लाइन चीजें होती जायेंगी, अभी छात्रवृत्ति का मामला आया.  मैं मानता हूं कि  हमारी उपलब्धि यह है कि  हमने छात्रवृत्ति  ऑन लाइन देना शुरु कर दी.  तो  हमको यह पता चला, आज से नहीं, पता नहीं कितने सालों से  कि एक नाम पर दो दो जगह पर ली जा रही है. पकड़े गये लोग.  पकड़े गये तो कार्यवाही हमने कर दी.  अब जैसे जैसे सिस्टम सुधारेंगे,  तो पुरानी गड़बड़ियां ठीक होंगी और गड़बड़ी ठीक होगी तो  पता भी चलेगा.  अब कोई पता चले तो  कहा जाय कि घोटाला हो गया,  मैं यह कहता हूं कि  हम व्यवस्था को ही ऐसा बना रहे हैं  कि  जिससे ऐसी चीजें हो ही ना और हों तो तत्काल पकड़ में आ जायें.  मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि  इस वर्ष हमारे लिये सिंहस्थ सम्पन्न होने वाला है.  मध्यप्रदेश की धरती पर  महाकाल की नगरी   उज्जैन में, हमने उज्जैन को  सिंहस्थ के अनुकूल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.  हमने उज्जैन को सजाया, संवारा है.  वहां बुनियादी सुविधायें देने की कोशिश की है  और इसलिये यह सिंहस्थ बहुत अच्छा होगा.  इस सिंहस्थ में हमने  वैचारिक  महाकुम्भ  करने का भी फैसला किया है.  अलग अलग चार विषयों पर  मूल्य आधारित जीवन,  पर्यावरण जैसे विषय हैं.  ग्लोबल वार्मिंग जैसे विषय हैं,    आध्यात्म और विज्ञान  जैसे जो विषय हैं,  इन सब विषयों पर  मानव  कल्याण  के लिये धर्म, क्योंकि  धर्म कोई भेदभाव नहीं सिखाता. यह वह धरती है,  भारत की धरती,  जिसमें कहा गया है कि मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना.  यह वह धरती हैजहां कहा गया है कि  एकम सत, विप्रहा। बहुधा वदंती. यह वह धरती है कि यह आज नहीं, हजारों साल पहले हमने कहा कि  अहं निज: परावेति गणना लघु चेतशाम् उदार चरितानाम् तु वसुधैव कुटुम्बकम्. यह मेरा है, यह तेरा है, यह सोच छोटे दिल वालों का होता हैजो विशाल हृदय के होते हैंवह तो कहते हैं कि सारी  दुनिया  ही एक परिवार है.  यह वह धरती है, जहां  हमने  कहा है कि धर्म की जय हो  अधर्म का नाश होप्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो.  विश्व  के कल्याण का  संदेश देने वाला भारत.  यह वह धरती हैजो हमने कहा कि

                                              सर्वे   भवन्तु   सुखिनः   सर्वे   सन्तु  निरामया

                                               सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।

सब सुखी हों, सब निरोग होंसब का मंगल हो, सबका कल्याण हो  और इसी के अनुरुप  हम इस सिंहस्थ को, महाकुम्भ को करने वाले हैं.  दुनिया भर के विद्वान आयें और वह विचार करें कि दुनिया  के सामने   आज जो खतरे हैंउनसे कैसे निपटा जायें और भारत से पूरी दुनिया को  एक संदेश जाये.  इसलिये वैचारिक महाकुम्भ भी  हमने करने का फैसला किया है.  पूरी मेहनत, ईमानदारी और  परिश्रम से  हमारा प्रयास यही है कि  हम मध्यप्रदेश की जनता की  जिंदगी में खुशियां  ला पायें, उनके जीवन  स्तर  को ऊपर उठा पायें.  विकास ढंग  से हम कर पायें.  लोगों की आंखों में  आंसू न  हो. उनके चेहरे पर मुस्कराहट आये और एक ऐसा मध्यप्रदेश बनाकर दे जायें  कि आने वाली पीढ़ियों को दर दर की ठोकरें न खाना पड़े.  एक समृद्ध और सशक्त मध्यप्रदेश  का निर्माण होयह हमारी सरकार का लक्ष्य है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे तो जीवन का मिशन ही यही है अपनी जनता को जनार्दन मानकर उसी को भगवान मानकर उसी की सेवा को भगवान की सेवा हम मानते हैं.उस दिशा में लगातार यह सरकार काम कर रही है. मैं सभी माननीय सदस्यों से यह अपील करना चाहता हूं कि मतभेद हो सकते हैं, वैचारिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन जहां तक विकास के कामों का सवाल है, जहां तक जनता के कामों का सवाल है, जहां तक जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करने का सवाल है मेरे मित्रों उसमें कोई भी भेदभाव मत मानो, आओ हम मिलकर के काम करने का संकल्प लें, चुनाव के साल देखेंगे चुनाव, लेकिन अभी तो हम साथ में मिलकर के काम करने का संकल्प ले सकते हैं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे मेरे प्रतिपक्ष के एक मित्र ने चिट्ठी लिखी कि वन-टू-वन में हमें क्यों नहीं बुला रहे हैं. मैं हृदय से आपका स्वागत करता हूं. आप जब कहेंगे मैं जरूर समय दूंगा . हम मिलें, हम बैठें, हम बातचीत करें, भाई आपके क्षेत्र में भी तो जनता ही निवास करती है, कोई भेदभाव नहीं करेंगे, मैं आपसे यह कहना चाहता हूं. लेकिन अगर दूरियां आप ऐसी बना लें, खाईयां आप ऐसी खोद लें कि पास ही न आ पायें तो उसका तो उपाय मेरे पास नहीं है इसलिये आईये मैं सभी माननीय सदन के सदस्यों से यह आह्वान और अपील करना चाहता हूं हम सब विकास के लिये, हम सब लोगों के कल्याण के लिये मिल जुल कर काम करें ,साथ में काम करें.

          श्रीमती ऊषा चौधरी -- मुख्यमंत्री जी मैं एक बात कहना चाहती हूं कि भेदभाव तो हो रहा है . हमारे महापुरूषों को साथ में यह भेदभाव भी करते हैं और छुआछूत भी करते हैं.

          अध्यक्ष महोदय- बैठ जायें, प्रश्नकाल नहीं है.(श्री जितू पटवारी के खडे होने पर )

          श्री शिवराज सिंह चौहान --अरे जितू फिर कह लेना यार, हर कभी तो मिल लेते हो, हाथ मिलाते हो बाहर और यहां चिल्लाते हो आप.

          श्री जितू पटवारी-- जरूरी है. चिल्लाना भी जरूरी है. अभी तो आप प्यार और मोहब्बत की बात कर रहे हो फिर नफरत के बीच बो रहे हो. आप ही मुख्यमंत्री जी ऐसा करेंगे तो हम तो सामान्य सदस्य हैं.

          श्री शिवराज सिंह चौहान - हम तो नफरत करने वालों के सीने में प्यार भर दें, हम तो यह सोचकर के आगे बढ़ते हैं भाई. (हंसी)  अध्यक्ष महोदय, आज मैं फिर आव्हान करना चाहता हूं कि हम सब विकास के लिये एक हो जायें, मिलकर के काम करें, और समृद्ध और विकसित मध्यप्रदेश के सपने को हम लोग मिलकर के साकार करें. मैं जानता हूं कई विधायक साथी हमारे अपने अपने क्षेत्रों में विकास के काम करते हैं तो बड़े बड़े विकास के कार्यों के साथ साथ उनको छोटे छोटे कई काम भी करने पड़ते हैं और उन छोटे छोटे काम के लिये कई बार उनको सरकार और मंत्रियों के पास ही आना पड़ता है. और इसलिये मुझे शिद्दत से यह लगता है कि छोटे-मोटे काम के लिये विधायक निधि बढ़ानी जरूरी है इसलिये मैं वित्त मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि उसको भी  बढ़ाकर के 2 करोड़ रूपये कर दी जाये माननीय वित्त मंत्री जी. (सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा मेजें थपथपाकर के विधायक निधि बढाये जाने का स्वागत किया गया)       अब तो आप (विपक्ष से) भी मेजे थपथपा दो. अध्यक्ष महोदय, आर्थिक संकट के इस दौर में विधायक निधि भी बढ़ाकर के इस वर्ष 2 करोड़ रूपये कर दी जायेगी और उसके बाद भी जरूरत पड़े तो चिंता मत करना मिलकर के काम करेंगे आपके क्षेत्र और प्रदेश के विकास के लिये और जनता के कल्याण के लिये धन की कमी नहीं आने दी जायेगी, बहुत बहुत धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय-- मैं समझता हूं कि  राज्यपाल के अभिभाषण के उत्तर में प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव में जितने संशोधन प्रस्तुत हुये हैं उन पर एक साथ ही मत ले लिया जाये.

          समस्त संशोधन अस्वीकृत हुए.

          प्रश्न यह है कि राज्यपाल ने जो अभिभाषण दिया उसके लिये मध्यप्रदेश की विधानसभा के इस सत्र में  समवेत सदस्यगण अत्यंत कृतज्ञ हैं .

प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

          सदन की कार्यवाही अपराह्न 4.15 बजे तक के लिये स्थगित.

 

 

 

(2.44 बजे से 4.15 बजे तक अंतराल )

 

 

4.22 बजे      { उपाध्‍यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुये }

वर्ष 2016-2017 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा

 

          श्री मुकेश नायक (पवई)--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आज वैसे भी माननीय मुख्‍यमंत्री जी का बड़ा विस्‍तृत भाषण हुआ है, प्रतिपक्ष के नेता जी का भी बड़ा विस्‍तृत भाषण हुआ है और लगभग लोगों का मन भर गया है, अब रजिस्‍ट्रेशन की केपेसिटी बची नहीं है और सदन के नियमित कार्य संपादन में लगभग आधा घंटा शेष रह गया है. इसलिये मैं आपसे विनम्र अपील करूंगा कि अगर जो समय आज है आधे घंटे का इस समय का विस्‍तार कल अगर आप कर दें, कल आधा घंटा सदन को ज्‍यादा चला लें और आज की आप हम लोगों को छुट्टी दे दें तो आपकी कृपा होगी ताकि सदस्‍य रहें. बजट की सबसे गंभीर चर्चा होती है और इस बजट की सबसे गंभीर चर्चा में अगर सदन के सम्‍मानित सदस्‍य ज्‍यादा से ज्‍यादा संख्‍या में हों, माननीय मुख्‍यमंत्री हों, मंत्रिमंडल के सदस्‍य हों तो मुझे लगता है कि ज्‍यादा अच्‍छा रहेगा. आपसे विनती है, कल तक के लिये सदन की कार्यवाही को स्‍थगित करने की कृपा करें.

          श्री विश्‍वास सारंग (नरेला)--  माननीय उपाध्‍यक्ष जी, मैं मुकेश नायक जी की बात का समर्थन करता हूं, क्‍योंकि बहुत महत्‍वपूर्ण चर्चा है माननीय उपाध्‍यक्ष जी, मुकेश भाई को वहां से ओपन करना है और सत्‍ता पक्ष की ओर से मुझे ओपन करना है और हम लोग तैयारी करके आये हैं. तो हम यह चाहते हैं कि सदन में समय ऐसा रहे जिसमें सभी लोग रहेंगे तो मुझे लगता है उपाध्‍य महोदय आपकी अनुकंपा इस पर रहेगी तो एक ठीक तरह से यहां पर डिस्‍कशन हो सकता है. मेरा आपसे निवेदन है कि कल ही इसको चर्चा कराने की यहां से व्‍यवस्‍था दें.

          श्री बाला बच्‍चन (राजपुर)--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, हमारे एक जो साथी बाहर बैठे हैं गांधी जी के स्‍टेचू के पास उसके लिये हम लोगों ने आग्रह भी किया था माननीय अध्‍यक्ष महोदय से, उस पर भी कोई सरकार की तरफ से प्रतिनिधि के रूप में अगर चले जाते हैं और उनको आश्‍वस्‍त कर दें.

          श्री मुकेश नायक--  मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी से विनम्र प्रार्थना करूंगा कि सम्‍मानित सदस्‍य अपने सदन के अभिन्‍न हिस्‍सा हैं, हम सब लोगों जैसे ही है, उनके जिले को सूखाग्रस्‍त नहीं होने से उनके ऊपर जनता का दवाब है, अगर वह जाकर उनसे 2 मिनट बात कर लेंगे तो इस समस्‍या का सम्‍मानजनक निदान निकल आयेगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदय--  संभवत: माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी उनसे मिले थे, लेकिन डंग साहब रा‍जी नहीं हो रहे हैं, उसमें क्‍या किया जा सकता है.

            श्री बाला बच्चन-- उपाध्यक्षजी, उनका यह आग्रह है कि कोई छोटा-मोटा कमिटमेंट आ जाये कि ठीक है तहसीलदारों ने जो रिपोर्ट दी है कि सूखा पड़ा है, कुछ मेरी भी बात बन जाये, मेरे भी लोगों का भला हो जाये. दुबारा जांच करा लेंगे और जांच कराने के बाद, व्यवस्था करा देंगे, ऐसी कोई बात आ जाये तो मैं समझता हूं कि ऐसा कोई रास्ता निकल जायेगा.

          उपाध्यक्ष महोदय-- मैं संसदीय कार्यमंत्रीजी और राजस्व मंत्रीजी से आग्रह करुंगा. बजट पर सामान्य चर्चा के लिए कल का दिन अंतिम होगा. कल आप अतिरिक्त समय बैठ कर चर्चा का समापन करायें, ऐसा मेरा आग्रह है. क्या नेता प्रतिपक्ष जी इससे सहमत हैं?

          श्री रामनिवास रावत-- उपाध्यक्ष महोदय, पहले भी आसंदी से घोषणा की गई थी कि दो दिन बजट भाषण पर चर्चा होगी. आज का दिन महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा में चला गया. हमारा निवेदन है कि इसे दो दिन ही रखा जाये. इसमें कटौती न की जाये.

          डॉ गोविन्द सिंह-- बजट तो महत्वपूर्ण है. डेढ़ लाख करोड़ रुपये का बजट है. वित्त मंत्री जी सदन में तिलक लगाकर आये हैं.

          श्री मुकेश नायक-- उपाध्यक्ष जी, जो समय आज और कल मिलाकर आप दे रहे थे, उतने ही 2 घंटे समय की मैं मांग करता हूं.

          उपाध्यक्ष महोदय-- मांगों पर भी चर्चा होगी. सामान्य चर्चा कल हो जाये, उसके बाद मांगों पर चर्चा कर लें.

          श्री मुकेश नायक-- कल आप ज्यादा समय तक सदन चला लें.

          डॉ गोविन्द सिंह-- वह तो चल ही रहा है.

          उपाध्यक्ष महोदय-- ज्यादा समय तक चलेगा, इस पर सहमति बन गई है. माननीय प्रभारी नेता प्रतिपक्ष और संसदीय कार्य मंत्री जी, माननीय अध्यक्षजी से चेम्बर में मिले थे, उस पर सहमति बन गई है.

          श्री बाला बच्चन-- उपाध्यक्षजी, आपने मुझसे जानना चाहा तो मेरा कहना है कि आधा घंटे का समय बचा है. दोनों प्रारंभिक वक्ताओं की भी सहमति बन गई है तो कल के लिए इसको रखते हैं तो ज्यादा अच्छा है. लेकिन आपको दो दिन का समय जो बजट के लिए निर्धारित हुआ था, वह दो दिन अलाऊ करना चाहिए.

          राज्यमंत्री, संसदीय कार्य(श्री शरद जैन)-- उपाध्यक्ष जी, जो कार्यमंत्रणा समिति में तय हुआ है. हमारा कहना है उसमें कोई संशोधन नहीं होना चाहिए. समिति की बैठक में जो तय हुआ है, हमको उसका पालन करना चाहिए.

          श्री रामनिवास रावत-- मना कौन कर रहा है. पालन करना चाहिए.

          श्री शरद जैन-- अरे तो प्यार से तो बोलो. डांट कर क्यों बोल रहे हैं.

          डॉ गोविन्द सिंह-- आपको कुछ पता है.

          श्री रामनिवास रावत--  कौन डांट रहा है.

          श्री शरद जैन-- तो अच्छे से बोलो ना. ऐसा लग रहा है जैसे डांट रहे हो.

          डॉ गोविन्द सिंह-- आपको जानकारी है नहीं. डॉ नरोत्तम मिश्र जी आपकी सुनते नहीं, काहे को खड़े हो जाते हैं. आप दो साल में एकाध भृत्य का भी तबादला कर पाये हो तो बताईये(हंसी)

          श्री शरद जैन--  डॉ साहब ये अंदर की बात है, आपको नहीं बता सकते. वैसे भी आपको हमसे नहीं पूछना चाहिए. क्योंकि ऐसी सूची हम निकालेंगे तो हो सकता कि सबसे ऊपर आपकी ही सिफारिश हो.

          उपाध्यक्ष महोदय-- कार्यमंत्रणा में आज और कल के लिए समय निर्धारित किया गया था. यह जानकारी मुझे दी गई. मैं तो कार्यमंत्रणा में था नहीं.

          श्री रामनिवास रावत--उपाध्यक्षजी, आज का समय तो बचा ही नहीं है.

          श्री मुकेश नायक--उपाध्यक्षजी,आपको याद होगा कल निर्धारित समय से पहले विधानसभा की कार्यवाही स्थगित हो गई थी. आप स्वयं आसंदी पर विराजमान थे. आज वह समय बढ़ाने के लिए हमने कहा. लेकिन अभी केवल आधा घंटा बचा है.

          उपाध्यक्ष महोदय-- आप आज समय नहीं बढ़वाना चाहते?

          श्री मुकेश नायक-- हम चर्चा कल कराना चाहते हैं. जो आज एक्स्ट्रा समय दे रहे हैं, वह समय कल अपराह्न/शाम में दे दें. विधानसभा कल शुरु करायें.

          उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय संसदीय कार्य मंत्रीजी कुछ कहना चाहेंगे.

          संसदीय कार्यमंत्री (ड़ॉ नरोत्तम मिश्र)-- उपाध्यक्ष महोदय, आज आधा घंटा शेष है तो डेढ़ घंटा ले लें, दो घंटा ले लें. आज क्या दिक्कत है.

          श्री रामनिवास रावत--अभिभाषण पर चर्चा के लिए...

          डॉ नरोत्तम मिश्र-- बजट और अभिभाषण में अंतर है. बजट की चर्चा में रात को 12-12 बजे तक बैठते रहे हैं. आपको भी पता है कि तारीखे बदल जाती थी और सदन की कार्यवाही चलाते थे.

          श्री रामनिवास रावत-- बजट महत्वपूर्ण नहीं है, अभिभाषण महत्वपूर्ण था.

श्री मुकेश नायक - माननीय मंत्री जी, हम और श्री विश्वास सारंग जी, इस विषय पर माननीय अध्यक्ष महोदय से बात करके आए और संसदीय राज्यमंत्री जी वहां पर उपस्थित थे. वहां इस बात को लेकर हमारी सहमति बनी कि कल विधान सभा की कार्यवाही में बजट पर चर्चा शुरू कराई जाए. आज वैसे भी इतने भाषण हो चुके हैं कि अब भाषण सुनने की क्षमता बची किसमें है?

संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - उपाध्यक्ष महोदय, माननीय अध्यक्ष जी से पूछ लें.

श्री मुकेश नायक - अध्यक्ष जी से बात हो चुकी है, वह सहमत हैं.

उपाध्यक्ष महोदय - ठीक है, कल सामान्य चर्चा पर सदन अतिरिक्त समय बैठकर चर्चा हेतु सहमत है, अतः...

श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, हम सहमत नहीं हैं. 2 दिन चर्चा होना चाहिए. बजट पर 2 दिन का  तय हुआ था तो 2 दिन ही उस पर चर्चा होनी चाहिए.

उपाध्यक्ष महोदय - सदन की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 2 मार्च, 2016 को प्रातः.10.30 बजे तक के लिए स्थगित.

अपराह्न 4.31 बजे विधानसभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 2 मार्च, 2016     (12 फाल्गुन, शक संवत् 1937 ) के पूर्वाह्न 10.30 बजे तक के लिये स्‍थगित की गई.

 

                                                                                       भगवानदेव ईसरानी

 भोपाल  :                                                                                  प्रमुख सचिव

 दिनांक   : 1 मार्च, 2016                                                        मध्‍यप्रदेश विधान सभा