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(भूतपूर्व राज्‍यपाल, मध्‍यप्रदेश)    


लेफ्टिनेंट जनरल कृष्‍ण मोहन सेठ
परम विशिष्‍ट सेवा मेडल, अति विशिष्‍ट सेवा मेडल प्राप्‍त
(दिनांक 02.05.2004 से 29.06.2004 तक)

जन्‍मतिथि

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19. दिसम्‍बर, 1939

जन्‍म स्‍थान

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इलाहाबाद

परिवार

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पत्‍नी श्रीमती वीना सेठ,
दो पुत्र:-
(1)
लेफ्टिनेंट कर्नल धीरज सेठ
(2)
लेफ्टिनेंट रवनीश सेठ

गृह प्रदेश

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उत्‍तर प्रदेश

पिता का नाम

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स्‍वर्गीय श्री त्रिलोकदास सेठ

मातृ भाषा

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हिन्‍दी

अन्‍य भाषा ज्ञान

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अंग्रेजी

शैक्षणिक योग्‍यता

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एम.बी.ए. (एस.आई.एम.एस.पूना), एम.एस.सी. (मद्रास विश्‍वविद्यालय), एम.एस.सी. (जे.एन.यू. दिल्‍ली), स्‍नातक (फन्‍जी अकादमी मास्‍को), स्‍नातक (स्‍टाफ कॉलेज कैम्‍बरले यू.के.)


कार्यक्षेत्र                :-

1-  सेना अधिकारी के रूप में उत्‍कृष्‍ट सेवा के लिए पी.वी.एस.एम. एवं ए.वी.एस.एम.मेडल प्रदत्‍त, 31 दिसम्‍बर 1997 को सेवानिवृत्‍त हुए।

 

2-  आपने जिला उखरूल मणिपुर में शांति स्‍थापित करने के लिए ब्रिगेड कमान्‍डर के रूप में 1983 से 1986 तक अहम भूमिका निभाई।

 

3-  आपने 1994-1995 में नागालैण्‍ड में हिंसक गतिविधियों पर नियंत्रण करते हुए नागालैंड में शांति व्‍यवस्‍था बहाल करने में अहम भुमिका निभाई। सेना कमान्‍डर के रूप में एन.एस.सी.एन. (आई.एम.) के साथ शांति वार्ता कराने में भूमिका निभाई। आपने मणिपुर, साऊथ असम, त्रिपुरा और मिजोरम विद्रोह के नियंत्रण अभियान में उल्‍लेखनीय जिम्‍मेदारी का निर्वाह किया।

 

4-  सेवा निवृत्‍त होने के पूर्व सेना में एडजुटेण्‍ट जनरल के रूप में कार्य किया।

उल्‍लेखनीय सेवाएं :-

अ-सैनिक सामूहिक बीमा योजना के अध्‍यक्ष के रूप में सेना में रहते हुए प्रबंधकीय व्‍यवस्‍था का संचालन किया एवं 3500 करोड़ की निधि संग्रहित करने में सफलता पाई।

 

ब-आपने आर्मी वेलफेयर हाउसिंग आर्गेनाइजेशन के अध्‍यक्ष के रूप में मुम्‍बई, चैन्‍नई, दिल्‍ली, बंगलौर, कोलकाता एवं सिकंदराबाद सहित 23 बड़े शहरों में एकीकृत गृह परियोजना की प्‍लानिंग की और दिशा निर्देश दिये।

 

स-सेना में भ्रष्‍टाचार पर निगरानी एवं अनुशासन बनाए रखने में अहम भूमिका का निर्वाह किया।

 

द- तीन लाख सेना के नागरिक कर्मचारियों के मध्‍य परस्‍पर मधुर एवं आत्‍मीय संबंध स्‍थापित करने में योगदान दिया।

 

इ-देश में 104 सैनिक पब्लिक स्‍कूलों तथा वोकेशनल ट्रेनिंग संस्‍थानों के माध्‍यम से मानव संसाधान के विकास में योगदान दिया।

 

फ-आपने 22 जून 2000 को त्रिपुरा राज्‍य के राज्‍यपाल का कार्यभार संभाला तथा इस पद से एक जून 2003 को मुक्‍त हुए।

 

ग-राज्‍यपाल रहते हुए त्रिपुरा में मुख्‍य विद्रोही संगठन एन.एल.एफ.टी. के साथ शांति वार्ता प्रारंभ करने में आपकी व्‍यावहारिक कार्यप्रणाली कारगर रही।

 

ह-आपने दिनांक 02 जून, 2003 को छत्‍तीसगढ़ के राज्‍यपाल के पद की शपथ ग्रहण की।

 

ई-छत्‍तीसगढ़ के राज्‍यपाल के साथ ही आपने 2 मई 2004 से 29 जून, 2004 तक मध्‍यप्रदेश के राज्‍यपाल का अतिरिक्‍त प्रभार संभाला।

आदर एवं सम्‍मान
का विस्‍तृत ब्‍यौरा
 :- 

सेना में सभी क्षेत्रों में सर्वोत्‍तम योगदान देने और नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा में आतंकवादी गतिविधियों को कुचलने के लिए आपको वर्ष 1996 में परम विशिष्‍ट सेवा मेडल (पी.वी.एस.एम.) से सम्‍मानित किया गया। मणिपुर के उखरूल जिले में आतंकवादी गतिविधियों को कुचलने पर 1985 में आपको व्‍यक्तिगत योगदान के लिए अति सेवा मेडल से सम्‍मानित किया गया।  

प्रकाशन                  :-

सेना से संबंधित अनेक लेख लिखे.

रूचियॉं                    :-

पढ़ना, लिखना और पैराट्रूपिंग.

अन्‍य जानकारी       :-

पैराट्रूपर के रूप में मणिपुर में इंफ्रंट्री ब्रिगेड का नैतृत्‍व किया। इसके बाद नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा में कोर कमाण्‍डर के रूप में नेतृत्‍व किया।

                             

आप पूर्वोत्‍तर के विद्रोह उन्‍मूलन के विशेषज्ञ हैं।