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(भूतपूर्व राज्‍यपाल, मध्‍यप्रदेश)  
श्रीमती सरला ग्रेवाल
(दिनांक 31.03.1989 से 06.02.1990 तक)

 
     सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन का संक्षिप्त विकास क्रम :
                        श्रीमती सरला ग्रेवाल का जन्‍म 4 अक्‍टूबर 1927 को हुआ था। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्‍होंने आनर्स में स्‍नातम उपाधि ली। बाद में दर्शनशास्‍त्र में उन्‍होंने स्‍नातकोत्‍तर उपाधि में पंजाब विश्‍वविद्यालय में सर्वोच्‍च स्‍थान प्राप्‍त किया। 1952 में उन्‍होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रवेश किया और उस समय इस सेवा में आने वाली वे भारत की दूसरी महिला अधिकारी थी। उन्‍होंने पंजाब प्रदेश के अंतर्गत अनेक महत्‍वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। 1956 में वे शिमला की डिप्‍टी कमिश्‍नर बनाई गई और देश में इस पद का दायित्‍व निभाने वाली वे पहली महिला अधिकारी थीं।
                    आप 1962 में शिक्षा संचालक बनने वाली पहली आई.ए.एस. अधिकारी थी। इस हैसियत में उन्‍होंने प्राथमिक से लेकर हाईस्‍कूल और विश्‍वविद्यालय स्‍तर तक शिक्षा प्रशासन के विभिन्‍न दायित्‍वों का निर्वहन किया। इसी दौरान राज्‍य में युवक कार्यक्रमों और प्रोढ़ शिक्षा कार्यक्रमों को उन्‍होंने कुशलतापूर्वक संचालित किया। उन्‍होंने शिक्षा प्रणाली को माध्‍यमिक स्‍तर पर व्‍यवसाय से जोड़ने की पहल की। आप बाद में रूस में माध्‍यमिक शिक्षा प्रणाली का अध्‍ययन करने गयी। ब्रिटिश कौंसिल की छात्रवृत्ति पर दस माह तक लंदन स्‍कूल ऑफ इकनॉमिक्‍स में विकासशील देशों में सामाजिक सेवाओं के स्‍वरूप का भी उन्‍होंने गहन अध्‍ययन किया। इस शिक्षा पाठ्यक्रम में स्‍वास्‍थ्‍य शिक्षा और समाज कल्‍याण सेवाओं की महत्‍ता पर बहुत जोर दिया गया था।
                    1963 में वे पंजाब सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की सचिव बनीं। इस कार्यकाल में पंजाब प्रदेश को राष्‍ट्रीय परिवार कल्‍याण कार्यक्रम के अंतर्गत श्रेष्‍ठ उपलब्धियों के लिये चार सर्वोच्‍च राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार प्राप्‍त हुए। राज्‍य ने इस दौरान परिवार नियोजन कार्यक्रम के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय प्रगति और सफलतायें हासिल की। इस काल में राज्‍य में मातृ और शिशु-स्‍वास्‍थ्‍य-कल्‍याण सेवाओं के लिए एक दृढ़ आधारभूत संरचना निर्मित की गई, जिससे परिवार-नियोजन कार्यक्रम के स्‍थायी रूप से अपनाने में महत्‍वपूर्ण सहायता मिली। इसके अतिरिक्‍त उन्‍होंने राज्‍य में समाज कल्‍याण और महिला-कल्‍याण कार्यक्रम एवं स्‍थानीय प्रशासन विभाग के दायित्‍वों का भी कुशलतापूर्वक निर्वाह किया। आप सचिव, उद्योग, खाद्य और नागरिक आपूर्ति तथा आयुक्‍त, गृह भी रहीं जिससे अंतर्गत पुलिस और परिवहन प्रशासन था।
                    श्रीमती ग्रेवाल ने पंजाब के विकास आयुक्‍त के रूप में 1971 से 1974 तीन वर्षों तक इस पद की जिम्‍मेदारी का निर्वाह किया। इसके अंतर्गत कृषि और उससे संबंधित विभागों का दायित्‍व भी शामिल था। इस दौरान पंजाब प्रदेश में खाद्यान्‍न उत्‍पादन का कीर्तिमान निर्मित हुआ और पंजाब ने पहली बार देश में चावल उत्‍पादन में महत्‍वपूर्ण सफलता प्राप्‍त की। इसी कार्यक्रम में पंजाब में पशुपालन सेवा के क्षेत्र में विदेशी नस्‍ल के उत्‍तम पशु तैयार करने की दिशा में सराहनीय कार्य किया गया। इससे छोटे किसानों के सहकारी दुग्‍ध-उत्‍पादन केन्‍द्रों के संगठन का निर्माण हुआ। आपने तीन दुग्‍ध संयंत्रों की स्‍थापना की दिशा में भी बुनियादी भूमिका निभाई।
                    आप मार्च, 1974 से संयुक्‍त सचिव और आयुक्‍त, परिवार कल्‍याण रहीं। उन्‍होंने 11 नबम्‍बर 1976 से भारत सरकार के परिवार कल्‍याण मंत्रालय में अतिरिक्‍त सचिव और आयुक्‍त का दायित्‍व निभाया। इस दौरान परिवार कल्‍याण कार्यक्रम को नया आयाम और नयी गति मिली। आपके कार्यकाल में समूचे देश में परिवार-कल्‍याण गतिविधियों में महत्‍वपूर्ण वृद्धि हुई, जिसके अंतर्गत सभी पक्षों, परिवार नियोजन, मातृ कल्‍याण और शिशु स्‍वास्‍थ्‍य की दिशा में सराहनीय कार्य किया गया। बड़े पैमाने पर विस्‍तार सेवाओं का जाल बिछाया गया और जन संचार के विभिन्‍न माध्‍यमों से शिक्षाप्रद कार्यक्रमों की सहायता से अशिक्षित जन समाज के बीच छोटे परिवार के आदर्श को प्रभावी ढंग से अपनाने की दिशा में उल्‍लेखनीय कार्य हुआ। इस दौरान परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के साथ प्रभावी ढंग से जोड़ा गया। स्‍कूल तथा विश्‍वविद्यालयीन शिक्षा प्रणाली में जन-शिक्षा योजना के पाठ्यक्रम शामिल किये गये।
                    श्रीमती ग्रेवाल ने अनेक महत्‍वपूर्ण मंचों के अध्‍यक्ष पद को सुशोभित किया, जिसमें विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन, भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद् और अन्‍य संगठन शामिल हैं। उन्‍होंने जन्‍म दर नियंत्रण की दिशा में हो रहे नये अनुसंधान और शोध कार्यों से संबंधित विभिन्‍न सेमीनारों और सभाओं की भी अध्‍यक्षता की।
                    उन्‍होंने रॉयल कॉलेज ऑफ ऑब्‍स्‍टेट्रिशियन और गायनोकालाजिस्‍ट्स लंदन में 1979 में अतिथि वक्‍ता के रूप में महत्‍वपूर्ण भाषण दिया। 1980 में भारत में परिवार कल्‍याण कार्यक्रम के संदर्भ में दिल्‍ली में आयोजित अंतर्राष्‍ट्रीय सेमीनार में मातृ कल्‍याण और जन्‍मपूर्व मृत्‍युदर, गर्भ समापन, जन्‍म निरोध आदि तकनीकी विषयों पर आपने शोधपरक भाषण दिया था।
                    श्रीमती ग्रेवाल ने विभिन्‍न राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलनों में भारत का कुशल प्रतिनिधित्‍व किया। उन्‍होंने 1977, 1979 और जनवरी 1981 में न्‍यूयार्क में आयोजित संयुक्‍त राष्‍ट्र जनसंख्‍या आयोग के क्रमश: 19वें, 20वें, और 21वें, सत्र में भारतीय प्रतिनिधि की हैसियत से अपने दायित्‍व का कुशल निर्वाह किया। 10 अगस्‍त, 1981 को आप समाज कल्‍याण मंत्रालय की सचिव बनीं। अपने इस कार्यकाल में उन्‍होंने समाज कल्‍याण की विभिन्‍न नीतियों और योजनाओं को नयी दिशा दी। और उनमें बेहतर समन्‍वय स्‍थापित किया। इसमें महिला-कल्‍याण, बाल-कल्‍याण और विकलांगों के कल्‍याण कार्यक्रम शामिल थे। इस दौरान मंत्रालय के महत्‍वपूर्ण कार्यक्रमों में एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम, गर्भवती माताओं के लिए पोषण आहार कार्यक्रम तथा दूध पिलाने वाली माताओं और बालकों के लिए पोषण आहार कार्यक्रमों की शुरूआत, स्‍वैच्छिक संगठनों की स्‍थापना और विकास, विकलांगों के लिए राष्‍ट्रीय संस्‍थान की स्‍थापना और सामाजिक कानून की दिशा में सराहनीय कार्य किया। श्रीमती ग्रेवाल ने अक्‍टूबर 1981 में न्‍यूयार्क में आयोजित यूनीसेफ एक्‍जीक्‍यूटिव बोर्ड के विशेष सत्र में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया। आप 1982-1983 सत्र में यूनीसेफ एक्‍जीक्‍यूटिव बोर्ड की कार्यक्रम समिति की सर्वानुमति से अध्‍यक्ष चुनी गयी। आपके निर्देशन में महिलाओं के आर्थिक विकास की दिशा में विशेष कार्यक्रम संचालित किये गये।
                    श्रीमती ग्रेवाल नवम्‍बर 1982 में सचिव, शिक्षा और संस्‍कृति बनी। इस दौरान प्राथमिक शिक्षा से लेकर विश्‍वविद्यालयीन शिक्षा तक तथा तकनीकी शिक्षा पर विशेष महत्‍व दिया गया। महिला साक्षरता एवं प्रौढ़ शिक्षा पर भी विशेष जोर दिया गया। उनके निर्देशन में संस्‍कृति के क्षेत्र में पुरातत्‍व विभाग, संग्रहालयों थियेटरों और ललित कलाओं की विभिन्‍न अकादमियों में उल्‍लेखनीय कार्य हुआ। इन सभी क्षेत्रों में विकास संबंधी विभिन्‍न योजनाएं क्रियान्वित की गयीं तथा अनेक उपयोगी कार्यक्रम संचालित किये गये और उन्‍हें भरपूर प्रोत्‍साहन मिला।
                    श्रीमती ग्रेवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण परिवर्तन का सूत्रपात किया। आप विशेष रूप से महिला साक्षरता कार्यक्रम में आपकी भूमिका सराहनीय रही और नयी शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने में महत्‍वपूर्ण कार्य किया। आप यूनेस्‍कों की शिक्षा सलाहकार समिति में व्‍यक्तिगत हैसियत से प्रतिनिधि चुनी गयीं। उन्‍होंने दो वर्ष तक यूनेस्‍को के तत्‍वावधान में आयोजित अनेक क्षेत्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर की सभाओं में कुशल प्रतिनिधित्‍व किया। जिनेवा में इंटरनेशनल ब्‍यूरो ऑफ एजूकेशन द्वारा आयोजित सम्‍मेलन में वे भारतीय प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुई। 14 फरवरी 1985 में स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय की सचिव बनीं।
                    श्रीमती ग्रेवाल 25 सितम्‍बर 1985 को प्रधानमंत्री की सचिव नियुक्‍त हुई। इस पद का दायित्‍व आपने कुशलतापूर्वक निर्वाह किया।
                    मध्‍यप्रदेश का राज्‍यपाल मनोनीत होने तक आप इसी पद पर कार्यरत रहीं। श्रीमती ग्रेवाल ने मध्‍यप्रदेश के राज्‍यपाल पद का कार्यभार 1 मार्च 1989 से 05.02.1990 तक सुशोभित किया था।
                    आपका दिनॉंक 30.01.2002 को देहावसान हो गया.