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सार्वजनिक एवं राजनैतिक
जीवन का संक्षिप्त विकास क्रम :
जन्म -12
अक्टूबर, 1919. जन्म स्थान-सागर. शिक्षा-बी.ए. तक का अध्ययन आंशिक रूप से घर पर
तथा उसके पश्चात् वसन्त कालेज, वाराणसी व आई.टी. कालेज लखनऊ में किया. सन् 1964
में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने मेघावान व्यक्ति का सम्मान करते हुए
डी.लिट्. की उपाधि से विभूषित किया. आपका शुभ पाणिग्रहण संस्कार स्वर्गीय हिज
हाइनेस महाराजा जीवाजी राव सिंधिया के साथ 21 फरवरी, सन् 1941 को ग्वालियर में
सम्पन्न हुआ. शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों और स्तरों पर राज्य में अनेक शिक्षण
संस्थाओं की स्थापना अथवा उनके निर्माण तथा प्रगति में प्रेरणा पूर्ण योगदान
दिया. जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर की स्थापना आपकी ही अभिलाषा का प्रतीक
रहीं. सिंधिया कन्या विद्यालय, ग्वालियर तथा मोन्टेसरी पद्धति पर आधारित शिशु
मंदिर की स्थापना. अध्यक्ष, सिंधिया पब्लिक स्कूल ग्वालियर, माधव इंजीनियरिंग
कालेज ग्वालियर, सम्राट अशोक टेक्नोलॉजिकल इन्स्टीट्यूट विदिशा की संचालक परिषद
की अध्यक्ष रहीं. लक्ष्मीबाई शारीरिक प्रशिक्षण महाविद्यालय, ग्वालियर की संचालक
परिषद की सदस्या. महिलाओं के शैक्षणिक और सामाजिक उत्थान के लिये व्यापक स्तर
पर उल्लेखनीय कार्य किया. अखिल भारतीय महिला परिषद् की दो बार उपाध्यक्ष रहीं तथा
उक्त परिषद् की ग्वालियर शाखा की अध्यक्ष रहीं. मध्यप्रदेश महिला बचत योजना
अभियान तथा भारतीय बाल कल्याण परिषद् की मध्यप्रदेश शाखा की सलाहकार परिषद् की
अध्यक्ष रहीं. विजया महिला क्लब, ग्वालियर की संस्थापक व अध्यक्ष रहीं. समाज
तथा नैतिक स्वास्थ्य संस्था की मध्यप्रदेश शाखा तथा मराठा मंदिर बम्बई की
अध्यक्ष रहीं. नेहरू स्मारक कोष मध्यप्रदेश लेडी इरविन कालेज देहली, तथा तिलक
स्मारक समिति देहली की सदस्या, माधव अंधाश्रम, ग्वालियर की संरक्षक अध्यक्ष
रहीं. इंडिया इन्टरनेशनल सेन्टर बोर्ड ऑफ फिल्म सेन्सर टेलीफोन सलाहकार परिषद्,
चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट देहली, अखिल भारतीय खेल कूद परिषद दिल्ली, क्षेत्रीय
प्रत्यक्ष कर सलाहकार परिषद, नागपुर, एनीमल्स फ्रेन्ड कमेटी दिल्ली तथा
राष्ट्रीय रक्षा कोष को दान दिये जाने वाले जवाहरातों की परीक्षण एवं मूल्यांकन
समिति आदि की सदस्या तथा केन्द्ररीय सहायक एवं पुनर्वास नागरिक समिति की अध्यक्ष
रहीं. कृष्ण राम वल्देव बैंक प्राय. लिमिटेड, ग्वालियर, सिंधिया पाटरी प्राय.
लिमिटेड देहली, सिंधिया इन्वेस्टमेंट के तथा रिवेट्स मेन्यूफेक्चरिंग कम्पनी
ग्वालियर केबल्स एन्ड कंडक्टर्स लिमिटेड के अध्यक्ष रहीं. धर्म एवं संस्कृति
के प्रति विशेष अनुराग. भारतीय चतुर्धाम वेद भवन्यास लखनऊ की उपाध्यक्ष रहीं.
सन् 1957, 1962 तथा 1967 के आम चुनावों में लोक सभा के लिये निर्वाचित हुई. सन्
1967 में कांग्रेस की सदस्यता छोड़ दी व एक साथ लोक सभा तथा राज्य विधान सभा के लिये निर्वाचित हुई.
तत्पश्चात् लोक सभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर राज्य विधान सभा की सदस्यता ग्रहण की. चुनाव के बाद 6 मास के
अन्दर आपके प्रयत्नों से सत्तारूढ़ कांग्रेस का पतन हुआ तथा संविद सरकार बनी. आपने
मुख्य मंत्रित्व पद स्वीकार नहीं किया वरन् संविद की एकता और मुक्त रहकर जनसेवा
कार्य ही स्वीकार किया. अध्ययन में विशेष रूचि रही. अध्ययन के मुख्य विषय साहित्य, इतिहास, राजनीति और संस्कृति रहे. नाटकों में भी आपकी अभिरूचि रही.
दिनांक 25.01.2001
को आपका देहावसान हो गया.
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