सन् 1939 में उज्जैन के माधव महाविद्यालय के स्नेह सम्मेलन
के एवं माधव क्लब के सचिव रहे. सन् 1942 में स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय रूप
से भाग लेने के लिये महाविद्यालयीन शिक्षा का बहिष्कार किया. सन् 1942 में तथा सन्
1949 से 1952 तक मध्यभारत इंटक के उपाध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला. सन् 1951 से
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य, सन् 1948-49 में इंटक से संबंधित टेक्सटाईल
वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे. मध्यभारत कर्मचारी संघ के अध्यक्ष के रूप में
कार्यरत रहे. सन् 1951, 1954 तथा 1957 में उज्जैन जिला कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
सन् 1953 से 1957 तक मध्य भारत, प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य रहे. मध्यभारत
कला परिषद् के सदस्य रहे. सन् 1954-1955 में मध्य भारत कांग्रेस के कोषाध्यक्ष.
सन् 1956 से 1959 तक मध्य भारत ग्राम तथा खादी मंडल तथा प्रादेशिक परिवहन समिति के
सदस्य रहे. सन् 1957 से 1959 तक उज्जैन जिला सहकारी बैंक के संचालक. सन् 1953 बिहार
में, सन् 1954 पेप्सू में तथा सन् 1959 केरल में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की ओर
से चुनाव प्रचारक रहे. अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के द्वारा सन् 1955-1956 में कर्नाटक,
महाराष्ट्र, बम्बई और गुजरात के लिये क्षेत्रीय प्रतिनिधि नियुक्त हुए. सन् 1958
में अफगानिस्तान, सन् 1960 में अमेरिका, कनाड़ा, इंग्लैण्ड, नार्वे, स्वीडन,
डेनमार्क, जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलेंड, मिस्त्र देश और सन् 1962 में चेकोस्लोवाकिया तथा ऑस्ट्रिया की यात्राऐं कीं. फरवरी,
1961 तथा अप्रैल, 1964 में राज्यसभा के लिये सदस्य निर्वाचित हुए. दिसम्बर 1966
में बिहार में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के पर्यवेक्षक रहे. फरवरी, 1967 में लोक
सभा के लिये निर्वाचित. 9 जून, 1962 से मार्च, 1967 तक केन्द्रीय उप मंत्री. 13 मार्च,
1967 से राज्यमंत्री, 26 अप्रैल, 1968 से 23 फरवरी, 1969 तक इस्पात, खान और धातु
मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभारी मंत्री रहे तथा 14 फरवरी, 1969 को वित्त मंत्रालय में
राजस्व तथा व्यय मंत्री रहे.
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