साढ़े तेरह वर्ष की उम्र में मैट्रिक होकर 1907 में एम.ए., एल.एल.बी.
की परीक्षाएं उत्तीर्ण की. 1913 में एल.एल.एम. की डिग्री प्राप्त की. 1919 में इलाहाबाद
विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉ की डिग्री से विभूषित. व्यवसाय-वकालत. सात वर्ष
तक कानपुर में वकालत करने पर 1914 में इलाहाबाद म्युनिसिपल कौंसिल के चेयरमैन. 1937
में वकालत छोड़कर उत्तरप्रदेश मंत्रिमंडल में न्याय, उद्योग एवं विकास मंत्री. 1946
तक उत्तरप्रदेशीय प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी की कौंसिल तथा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी
के सदस्य. नवम्बर, 1940 में सत्याग्रह आन्दोलन में 18 माह का कारावास. अगस्त 1942
से अप्रैल 1943 तक नैनी जेल में नजरबन्द. अप्रैल 1946 से अगस्त 1947 तक पुन: न्याय
एवं विकास मंत्री. 1947 से जून 1948 तक उड़ीसा के गवर्नर. जून 1948 से 1951 तक पश्चिम
बंगाल के गवर्नर. 1951-52 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में गृह एवं विधि मंत्री. मई 1952
से जनवरी, 1955
तक राज्य एवं गृह मंत्री व जनवरी 1957 तक रक्षा मंत्री. 31 जनवरी 1957 से मध्यप्रदेश
के मुख्यमंत्री. प्रख्यात वकील, अच्छे लेखक, सम्पादग, वक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता,
प्रशासक आदि विभिन्न क्षेत्रों में दीर्घ काल तक कार्य. इलाहाबाद लॉ जर्नल के सम्पादक
रहे. 'माइ पेरेण्ट्स' और 'रेमिनिसेंसेज एण्ड एक्सपेरीमेण्ट्स इन एडवोकेसी- नामक
दो पुस्तकों के लेखक. अन्य प्रकाशन-लॉ रिलेटिंग टु क्रिमिनल एण्ड एक्शनेबल कांस्पिरेसीज
पर प्रबन्ध तथा डी.एस.सी.दास के साथ कोड ऑफ सिविल एण्ड क्रिमिनल प्रोसीजर पर टीका.
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