सन् 1919 से 1922 तक खण्डवा नगरपालिका के सदस्य, सन् 1922 से
उसके उप-सभापति तथा उसकी लगातार तीन कार्यावधि तक सभापति. सन् 1943 में नागपुर जेल
में बन्दी रहते हुए
तीसरी बार सभापति निर्वाचित हुए. खण्डवा सार्वजनिक पुस्तकालय
के अध्यक्ष और सचिव रहे. एक महिला अस्पताल और बाल-सेवा सदन के संचालन में योग तथा
10 वर्ष तक सदन के अध्यक्ष. निमाड़ शिक्षण संस्था तथा सन् 1951 में चालू किये गये
जनता हाईस्कूल के प्रवर्तन सदस्य. सन् 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में जेल यात्रा.
सन् 1942 के आंदोलन में पुन: जेलयात्रा. सन् 1939 से 1945 तक अखिल भारतीय कांग्रेस
कमेटी तथा महाकौशल कांग्रेस कमेटी के सदस्य. सन् 1939 के त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन
की प्रदर्शनी समिति के प्रमुख सदस्य. सन् 1935 के उप निर्वाचन से विधान परिषद् के
सदस्य. सन् 1937 से विधान सभा सदस्य. संविधान सभा एवं संसद सदस्य रहे. मध्यप्रदेश
कांग्रेस विधान सभा दल के मुख्य सचेतक भी रहे. सन् 1951-52 के प्रथम मंत्रिमंडल में
राजस्व मंत्री. तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल के निधन के बाद से अंतरिम
व्यवस्था के रूप में 31 जनवरी, 1957 को डॉ. काटजू के पदभार ग्रहण करने तक राज्य
के मुख्यमंत्री. सन् 1957 के आम चुनाव में पुन: निर्वाचित होने पर राजस्व मंत्री.
सन् 1962 के तृतीय आम चुनाव में पुन: निर्वाचित होने पर 30 सितम्बर, 1963 तक राज्य
के मुख्यमंत्री. |