मध्यप्रदेश विधान सभा
प्रश्नोत्तर-सूची
दिसम्बर, 2019 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2019
भाग-1
तारांकित
प्रश्नोत्तर
बालाघाट
जिले में
सौभाग्य
योजना का
क्रियान्वयन
[ऊर्जा]
1. ( *क्र. 177 ) श्री रामकिशोर कावरे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा महाप्रबंधक म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.क. जबलपुर को जानकारी हेतु पत्र क्रमांक/811/2019, दिनांक 11.11.2019 को लेख किया? यदि हाँ, तो क्या जानकारी दी गई? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) प्रश्नकर्ता द्वारा विगत एक वर्ष में कितने पत्र प्रमुख सचिव/सचिव ऊर्जा विभाग म.प्र. को जाँच एवं अन्य कार्य के लिए लेख किये गये, उन पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) बालाघाट जिले में कब से सौभाग्य योजना प्रारंभ हुई? कितना बजट आया? कितना खर्च आज तक हुआ? (घ) बालाघाट जिले में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना कब से प्रारंभ हुई? कितना बजट आया? कितना खर्च अब तक किया? क्या दोनों योजनाओं में एक ही कार्य एक ही स्थान पर बताया गया? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही करेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ। माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय को उनके पत्र क्रमांक 811, दिनांक 11.11.2019 के माध्यम से चाही गई जानकारी मुख्य महाप्रबंधक (ग्रा.यो.), म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के पत्र क्रमांक 2139, दिनांक 06.12.2019 के माध्यम से प्रेषित की गई है। (ख) माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा विगत 1 वर्ष (दिनांक 01.12.2018 से प्रश्न दिनांक तक) में विभाग को प्रेषित पत्रों एवं विभाग द्वारा उक्त पत्रों पर की गई कार्यवाही की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) बालाघाट जिले में सौभाग्य योजना दिनांक 11.10.2017 से प्रारंभ हुई। उक्त योजनान्तर्गत बालाघाट जिले हेतु राशि रू. 42.89 करोड़ का प्रावधान विस्तारित कार्य-योजना (डी.पी.आर.) में किया गया है। योजनान्तर्गत प्रश्न दिनांक तक कुल अनुमानित राशि रू. 36.06 करोड़ का व्यय हुआ है। (घ) बालाघाट जिले में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के कार्य हेतु दिनांक 30.06.2017 को मेसर्स कोर एनर्जी सिस्टम प्रा.लिमि. को कार्यादेश जारी किया गया। योजना अंतर्गत बालाघाट जिले हेतु राशि रू. 44.45 करोड़ की स्वीकृति आर.ई.सी. लिमिटेड से प्राप्त हुई। योजनान्तर्गत प्रश्न दिनांक तक कुल राशि रू. 25.80 करोड़ का व्यय किया जा चुका है। जी नहीं, अत: प्रश्न नहीं उठता। तथापि उल्लेखनीय है कि बालाघाट जिले में सौभाग्य योजना के क्रियान्वयन में कथित रूप से हुई अनियमितताओं की जाँच की जा रही है तथा जाँच निष्कर्ष के आधार पर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
सीधी व सिंगरौली जिले में संपूर्ण विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
2. ( *क्र. 1517 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी-सिंगरौली जिले के अन्तर्गत किन-किन योजनाओं के माध्यम से विद्युतीकरण किया जाना है? क्या अभी तक सीधी व सिंगरौली जिले के समस्त घरों में विद्युतीकरण किया जा चुका है? यदि हाँ, तो जानकारी उपलब्ध करायें, यदि नहीं, तो कब तक शेष घरों में विद्युतीकरण किया जा सकेगा? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या पूर्व में किये गये विद्युतीकरण के कार्य आधे-अधूरे/शेष हैं, क्या उसको भी पूर्ण किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा? क्या जले हुए ट्रांसफार्मरों को समय-सीमा के अन्दर नहीं बदला जाता? क्या कारण है? समय-सीमा में बदलने हेतु क्या निर्देश हैं। (ग) क्या सीधी-सिंगरौली जिले के अन्तर्गत घोरबंधा, डिघरा एवं बेंदों में विद्युत केबिल के द्वारा विद्युत प्रदाय किया जाता था, विगत चार वर्षों से विद्युत सप्लाई केबिल क्षतिग्रस्त होने के कारण बंद पड़ी हुई है? विद्युत सप्लाई शुरू करने के लिये विभाग के द्वारा आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं की गई तो क्या कारण है? विद्युत सप्लाई नहीं होने के कारण दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो क्यों? (घ) क्या सीधी-सिंगरौली जिले के उपभोक्ताओं को 24 घंटे एवं किसानों को 10 घंटे विद्युत आपूर्ति नहीं की जाती है? इसका क्या कारण है? अघोषित बिजली कटौती कब तक जारी रहेगी? कितने उपभोक्ताओं को 100 रूपये प्रतिमाह में राज्य सरकार की नीति के तहत विद्युत प्रदाय की जाती है? विद्युत वितरण केन्द्रवार उपभोक्ताओं की संख्या की जानकारी उपलब्ध करायें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जिला सीधी में वर्तमान में ग्रामीण विद्युतीकरण की कोई योजना संचालित नहीं है, पूर्व में संचालित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना एवं सौभाग्य योजना के अंतर्गत योजना के प्रावधानों के अनुसार समस्त कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं। जिला सिंगरौली में संचालित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना अंतर्गत योजना के प्रावधानों के अनुसार समस्त कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं तथा सौभाग्य योजना में कार्य शेष रहने के संबंध में जाँच की जा रही है, जिन्हें भविष्य में वित्तीय उपलब्धता अनुसार किया जा सकेगा। सौभाग्य योजना के प्रावधान अनुसार जिला सीधी में 58744 एवं सिंगरौली में प्रश्न दिनांक तक 48929 अविद्युतीकृत घरों का विद्युतीकरण किया जा चुका है। (ख) जी नहीं, पूर्व में जिला सीधी एवं सिंगरौली में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत किया गया कोई भी कार्य अपूर्ण/अधूरा नहीं है। किये गये सभी कार्य पूर्ण हैं। जिला सिंगरौली में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के समस्त कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं, किन्तु सौभाग्य योजना में उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार कार्यों के शेष रहने की जाँच कराई जा रही है। जले/खराब हुए वितरण ट्रांसफार्मरों को निर्धारित समय-सीमा में बदला जाता है। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित समय-सीमा अनुसार संभागीय मुख्यालय में 12 घंटे, शहरी क्षेत्र (संभागीय मुख्यालय के अलावा) में 24 घंटे एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून सीजन के अलावा 3 दिवस तथा मानसून सीजन (जुलाई से सितम्बर) में 7 दिवस की अवधि में जला/खराब ट्रांसफार्मर बदले जाने के निर्देश हैं। (ग) जिला सीधी के ग्राम घोरबंधा, डिगरा एवं बेंदों वन क्षेत्र में स्थित होने के कारण इन्हें विद्युत प्रदाय करने हेतु ग्राम भुईमाड़ से घोरबंधा तक 11 के.व्ही. लाईन का निर्माण उच्चदाब ए.बी. केबिल पर किया गया था। जी नहीं, विगत 4 वर्ष से नहीं अपितु दिनांक 05.01.2019 से अज्ञात लोगों द्वारा पोल क्षतिग्रस्त कर उच्चदाब केबिल चोरी कर लेने के कारण ग्राम घोरबंधा, डिगरा एवं बेंदों का विद्युत प्रदाय बंद है। क्षतिग्रस्त पोल बदलकर एवं पुनः केबिल लगाकर विद्युत प्रदाय चालू करने हेतु निर्माण संभाग को कार्यादेश जारी किया गया है। उक्त सभी ग्राम सघन वन क्षेत्र में होने के कारण इन्हें विद्युत प्रदाय करने वाले केबिल के क्षतिग्रस्त होने/चोरी होने की संभावना बनी रहती है। उक्त चोरी की घटना के पूर्व विद्युत लाईनों का समय-समय पर रख-रखाव कर विद्युत प्रदाय सुचारू रूप से किया जा रहा था। अतः वर्तमान में विद्युत प्रदाय बाधित होने के लिये कोई अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं है, अतः किसी के विरुद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) जिला सीधी एवं सिंगरौली के अंतर्गत तकनीकी कारणों/प्राकृतिक आपदा से आए आकस्मिक विद्युत व्यवधानों तथा संधारण कार्य हेतु अत्यावश्यक होने जैसी अपरिहार्य स्थिति को छोड़कर समस्त घरेलू फीडरों से संबद्ध उपभोक्ताओं को 24 घंटे एवं कृषि फीडर से संबद्ध उपभोक्ताओं को 10 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। किसी भी प्रकार की विद्युत कटौती नहीं की जा रही है। जिला सीधी एवं सिंगरौली में राज्य शासन की इंदिरा गृह ज्योति योजना के अंतर्गत 100 यूनिट तक की खपत होने पर जारी 100 रूपये के बिलों के उपभोक्ताओं की विद्युत वितरण केन्द्रवार संख्यात्मक जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
शासकीय भवनों का अनुरक्षण एवं संधारण
[लोक निर्माण]
3. ( *क्र. 896 ) श्री जयसिंह मरावी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शहडोल जिले में पशुपालन विभाग की किन-किन संस्थाओं के कौन-कौन से भवन लोक निर्माण विभाग (भ/स) संभाग की पंजी में अंकित हैं तथा ऐसे भवनों के अनुरक्षण पर वित्तीय वर्ष 2015-16 एवं 2018-19 की अवधि में कितनी-कितनी राशि व्यय की गई है? (ख) क्या प्रश्नाधीन भवनों के अनुरक्षण हेतु वित्तीय वर्ष 2019-20 में कोई प्रावधान प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो किन-किन भवनों का है और यदि नहीं है, तो क्यों नहीं है? (ग) पशु चिकित्सालय बुडवा एवं रेउसापोड़ी के भवन निर्माण कराने हेतु उपलब्ध करवाई गई धनराशि का उपयोग नहीं हो पाने का क्या कारण है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) शासकीय जमीन उपलब्ध नहीं होने से राशि का उपयोग नहीं हो सका।
पंधाना विधानसभा क्षेत्रांतर्गत वितरिका की स्वीकृति
[जल संसाधन]
4. ( *क्र. 1718 ) श्री राम दांगोरे : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पंधाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत पंधाना बलखड़ वितरिका या बलखड़ माइनर का काम पिछले 30 वर्षों से अधूरा पड़ा है, गैस गोडाउन के पास आकर क्यों समाप्त हो गया? क्या यह वितरिका स्वीकृत नहीं है? यदि हाँ, तो क्यों वहां लगभग 250 किसान सिंचाई के पानी से वंचित हैं? (ख) यदि स्वीकृत है तो आज तक वह किन कारणों से रुकी पड़ी है? इसके रुकने में दोषी कौन हैं? क्या विभाग उस पर कोई कार्यवाही करेगा? (ग) इस वितरिका का कार्य कब तक प्रारंभ किया जायेगा व इन 250 किसानों को सिंचाई के लिए कब तक पानी मिल सकेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) जी नहीं, परियोजना प्रतिवेदन में पंधाना वितरिका का निर्माण गैस गोडाउन तक ही प्रस्तावित होकर कार्य पूर्ण किया जाना प्रतिवेदित है। बलखड़ वितरिका या बलखड़ माइनर के नाम से कोई प्रस्ताव परियोजना में शामिल नहीं होने से स्वीकृति का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। प्रश्नांश में उल्लेखित किसान परियोजना के मूल प्रस्तावित कमाण्ड क्षेत्र के बाहर के हैं। किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। (ग) वितरिका स्वीकृत करने का कोई प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित नहीं है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
लेबड़-जावरा फोरलेन का मरम्मतीकरण
[लोक निर्माण]
5. ( *क्र. 1687 ) श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता द्वारा वर्ष 2019 में जिलाधीश धार को लेबड़-जावरा फोरलेन की दयनीय दुर्दशा और सरकार से किये गए अनुबंध का उल्लंघन करने की वजह से टोल टैक्स वसूली बंद की जाकर टोल कम्पनी के विरुद्ध कार्यवाही करने हेतु पत्र लिखा गया था, उस पर क्या कार्यवाही की गयी है? पत्र की प्रतिलिपि सहित की गयी कार्यवाही की समस्त जानकारी देवें? (ख) वर्ष 2010 से 31 नवम्बर, 2019 तक लेबड़-जावरा फोरलेन में कितना राजस्व एकत्रित हुआ और संधारण में कितना व्यय किया गया? प्रमुख चौराहे पर बिजली क्यों बंद है और वृक्षारोपण अधूरा क्यों है? कई गांव में ड्रेनेज लाइन और सर्विस रोड भी अधूरे क्यों पड़े हैं और अब तक इस मार्ग पर कितने लोगों की, इस ठेका होने के बाद, मृत्यु हो चुकी है? (ग) पूर्व में विधानसभा की समिति द्वारा फोरलेन का अवलोकन कर क्या-क्या सुझाव दिए गए थे? विधायकों की समिति की सिफारिशों पर अब तक क्या कार्यवाही की गई? (घ) अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बदनावर द्वारा जनशिकायत उपरांत किन बिन्दुओं पर लेबड़-जावरा मार्ग के ठेकेदार के विरुद्ध आदेश पारित किया गया था, आदेश की प्रतिलिपि सहित की गयी कार्यवाही की संपूर्ण जानकारी प्रदान करें? क्या विधायकों की समिति गठित कर संपूर्ण मार्ग की वर्तमान स्थिति की जाँच रिपोर्ट बनाकर कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ, पत्र पर की गई कार्यवाही एवं पत्र की प्रतिलिपि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। (ख) लेबड़-जावरा फोरलेन पर टोल प्रारंभ दिनांक से 30 नवम्बर, 2019 तक 12,02,08,20,936/- टोल राशि प्राप्त हुई संधारण पर हुए व्यय की जानकारी संधारित नहीं की जाती है। अनुबंध में मरम्मत के व्यय की जानकारी रखे जाने का कोई प्रावधान नहीं है। प्रमुख चौराहे पर बिजली चालू है, बिजली बिल जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ख'' अनुसार एवं वृक्षारोपण अनुबन्धानुसार तथा प्राप्त स्वीकृति अनुसार किया गया है, साथ ही पर्यावरण के दृष्टिकोण से कन्सेशनायर द्वारा प्रतिवर्ष अतिरिक्त वृक्षारोपण किया जाता है। वृक्षारोपण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ग'' अनुसार स्वीकृति अनुसार सर्विस रोड एवं ड्रेन उपलब्ध भूमि में मार्ग निर्माण के दौरान बना दी गई थी। पुलिस अधीक्षक, जिला धार/रतलाम जिले से प्राप्त जानकारी अनुसार टोल प्रारम्भ से अब तक इस मार्ग पर कुल 982 मृत्यु हो चुकी है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''घ'' अनुसार है। (ग) विधायकों की समिति द्वारा दिये गये सुझाव एवं की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (घ) अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बदनावर द्वारा जनशिकायत उपरांत लेबड़-जावरा मार्ग पर ठेकेदार के विरूद्ध पारित किये गये आदेश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ड.'' अनुसार है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
बी.ओ.टी. मार्गों पर टोल वसूली
[लोक निर्माण]
6. ( *क्र. 109 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इन्दौर संभाग में मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास निगम लिमिटेड द्वारा बी.ओ.टी. योजना अन्तर्गत कौन-कौन से मार्गों का निर्माण करवाया गया है तथा उनमें से कौन-कौन से मार्गों पर किस-किस कंपनी द्वारा टोल वसूली की जाती है? (ख) इन मार्गों पर टोल वसूली उपरांत कौन-कौन से मार्ग घाटे में चल रहे हैं तथा कौन-कौन से मार्ग लाभ में चल रहें है? पिछले तीन वर्षों के वार्षिक टोल वसूली के आंकड़े देवें। (ग) एम.पी.आर.डी.सी. अंतर्गत बी.ओ.टी. निर्मित सड़कों पर संबंधित कंपनियों से प्रीमियम वसूली के संबंध में क्या प्रावधान हैं? क्या घाटे वाली सड़कों पर शासन द्वारा क्षतिपूर्ति का भी प्रावधान है? (घ) एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा पिछले दस वर्षों में उक्त मार्गों पर टोल वसूली कर रही कंपनियों से कंपनीवार वर्षवार कितना प्रीमियम आरोपित किया गया, उसमें से कितनी धनराशि प्राप्त की व कितनी धनराशि लेना शेष है? साथ ही क्षतिपूर्ति के रूप में पिछले तीन वर्षों में कंपनीवार वर्षवार कितनी धनराशि दी गई? (ड.) क्या कारण है कि एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा प्रीमियम वसूली में शिथिलता बरतते हुए क्षतिपूर्ति का तत्काल भुगतान किया गया? क्या इससे शासन को राजस्व की हानि हुई? यदि हाँ, तो क्या जिम्मेदारी का निर्धारण किया जाकर दोषियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास निगम लिमिटेड नहीं अपितु म.प्र. सड़क विकास निगम लिमिटेड अंतर्गत बी.ओ.टी. योजना अंतर्गत निर्माण कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) बी.ओ.टी. मार्गों पर टोल वसूली उपरांत लाभ या घाटे का आंकलन एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा नहीं किया जाता है। विगत 3 वर्षों की वार्षिक टोल वसूली की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) बी.ओ.टी. योजना अंतर्गत निर्मित सड़कों पर प्रीमियम का निर्धारण एवं वसूली निविदा आमंत्रित की जाकर तदनुसार अनुबंध में प्रावधान किया जाता है। जी नहीं। (घ) म.प्र. सड़क विकास निगम संभाग अंतर्गत बी.ओ.टी. योजना में निर्मित मार्गों के प्रीमियम की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। क्षतिपूर्ति के रूप में म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा कोई भी राशि किसी भी कंपनी को नहीं दी गई। अत: शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा प्रीमियम वसूली में कोई शिथिलता नहीं बरती गई। जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
इंदौर-इच्छापुर सड़क मार्ग का मरम्मतीकरण
[लोक निर्माण]
7. ( *क्र. 1229 ) ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इंदौर-इच्छापुर सड़क मार्ग पर बारिश के पश्चात् काफी गड्ढे हो चुके हैं, इसका पेच वर्क कब तक पूर्ण कर दिया जावेगा तथा साथ ही बुरहानपुर जिले के समस्त सड़क मार्ग का पेचवर्क कब तक पूर्ण किया जायेगा? (ख) इंदौर-इच्छापुर रोड के फोरलेन निर्माण संबंधी प्रक्रिया की क्या स्थिति है? क्या बुरहानपुर से बायपास रोड इसमें सम्मिलित किया गया है? यदि हाँ, तो शहर के मध्य से जाने वाले इंदौर-इच्छापुर रोड के लिये क्या योजना बनाई गई है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) इन्दौर इच्छापुर मार्ग पर बारिश के पश्चात हुए गड्ढे का पेचवर्क कार्य लगभग पूर्ण कर लिया गया है। मार्ग पर भारी यातायात का अत्यधिक दबाव होने से गड्ढे बन रहे हैं, जिन्हें निरंतर भरा जा रहा है। बुरहानपुर जिले के अंतर्गत सभी मरम्मत योग्य सड़कों का पेचवर्क पूर्ण कर लिया गया है। (ख) इन्दौर इच्छापुर मार्ग के फोरलेन के निर्माण की कार्यवाही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा की जा रही है। एन.एच.ए.आई. परियोजना क्रियान्वयन इकाई उज्जैन से प्राप्त जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
पंचमनगर व साजली बांध/नहर का निर्माण
[जल संसाधन]
8. ( *क्र. 1817 ) श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पंचमनगर व साजली बांध एवं नहर निर्माण की संपूर्ण डी.पी.आर. व अंतिम समय-सीमा क्या है? (ख) शासन द्वारा तय समय-सीमा में बांध एवं नहर का कितना कार्य किन-किन स्थान पर पूर्ण कर इसका भुगतान संबंधित ठेकेदार को किया गया है? (ग) पंचमनगर बांध से खडेरी की ओर अनुपयोगी नहर बनाकर राशि का भुगतान क्यों किया गया एवं इसे वापिस समतल करने की क्या योजना है? (घ) शासन द्वारा प्रस्तावित बांध एवं नहर का संपूर्ण कार्य कब तक पूर्ण करके कितने ग्रामों में पाईप लाईन के माध्यम से सिंचाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) पंचमनगर सिंचाई परियोजना अंतर्गत पगरा बांध एवं पंचमनगर बैराज का निर्माण कार्य पूर्ण है। पंचमनगर प्रेशराइज्ड पाईप पद्धति से नहर निर्माण का कार्य प्रगतिरत। जून 2021 तक पूर्ण किया जाना लक्षित। साजली बांध एवं प्रेशराइज्ड पाईप पद्धति से नहर निर्माण का कार्य प्रगतिरत। जून 2021 तक पूर्ण किया जाना लक्षित। (ख) पंचमनगर परियोजना अंतर्गत पगरा बांध एवं पंचमनगर बैराज का कार्य क्रमश: दिनांक 14.05.2018 तथा 31.12.2015 को पूर्ण किया गया एवं संपादित कार्य का भुगतान किया जाना प्रतिवेदित है। एजेंसी द्वारा पगरा बांध से 8 कि.मी. खुली नहर का निर्माण कार्य किया गया एवं जिसका भुगतान किया जाना प्रतिवेदित है। प्रेशराइज्ड पाईप पद्धति से नहर निर्माण का कार्य प्रगति पर है तथा एजेंसी को तदनुसार किए गए कार्यों का चलित देयकों से भुगतान किया जा रहा है। साजली बांध एवं साजली प्रेशराइज्ड पाईप पद्धति से नहर निर्माण कार्य प्रगति पर है तथा एजेंसी को तदानुसार किए गए कार्यों का चलित देयकों से भुगतान किया जाना प्रतिवेदित है। (ग) पंचमनगर बांध से खड़ेरी की ओर 8 कि.मी. तक खुली नहर का निर्माण किया गया एवं अनुबंध अनुसार भुगतान किया गया। निर्मित नहर से कृषकों की मांग अनुसार सिंचाई हेतु जल प्रदाय किया जा रहा है। अत: निर्मित नहर को समतल किए जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) जून 2021 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। परियोजना के पूर्ण होने पर 137 ग्रामों के 40000 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
रतलाम-बाजना-कुशलगढ़ मार्ग का निर्माण
[लोक निर्माण]
9. ( *क्र. 1625 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रतलाम-बाजना-कुशलगढ़ मार्ग का निर्माण अनुबंध के अनुसार किस दिनांक तक किया जाना था? अनुबंध अनुसार विलम्ब पर प्रतिदिन किस मान से पेनाल्टी वसूल की जाना है? अनुबंध की प्रति देवें तथा बतावें कि विलम्ब हेतु पेनाल्टी का उल्लेख किस पृष्ठ पर किया गया है? (ख) रतलाम-बाजना-कुशलगढ़ मार्ग का प्रारम्भ से किस-किस किलोमीटर का कितना-कितना हिस्सा उत्तर दिनांक तक अपूर्ण है तथा किस किलोमीटर पर कौन-कौन सा कार्य अनुबंध के अनुसार पूर्ण नहीं हुआ है? विलंब पर उत्तर दिनांक तक कितनी पेनाल्टी नगद राशि के रूप में वसूल की गई है? अनुबंध के अनुसार अक्टूबर 2019 तक कितनी पेनाल्टी बनती है। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित पेनाल्टी की वसूली हेतु की गई कार्यवाही से अवगत करावें तथा लिखे गये पत्र तथा प्राप्त उत्तर की प्रति देवें। (घ) बाजना बस स्टैण्ड से वरोठ माता मंदिर तक बनने वाली फोरलेन का कार्य उत्तर दिनांक तक क्यों नहीं पूर्ण हुआ, रेल्वे पुलिया के निर्माण में क्या प्रगति हुई वन विभाग की पुलिया कब बनाई जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) अनुबंध के अनुसार दिनांक 09.08.2018 तक। अनुबंध की कंण्डिका-15 के अनुक्रम में कांट्रेक्ट डाटा शीट के अनुलग्नक पी अनुसार 0.05 प्रतिशत एवं अनुबंधित लागत का अधिकतम 10 प्रतिशत शास्ति का प्रावधान है। अनुबंध की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '1' अनुसार है। पृष्ठ क्रमांक 65 पर उल्लेख है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार वर्तमान में कार्य प्रगतिरत है। कार्य पूर्ण होने पर विलंब हेतु पेनाल्टी का निर्धारण किया जायेगा। पेनाल्टी बाबत् रू. 10.50 लाख की राशि ठेकेदार के देयकों से रोकी गई है। (ग) वर्तमान में कार्य प्रगति पर है। कार्य पूर्ण होने पर विलंब हेतु पेनाल्टी का निर्धारण किया जायेगा, इसलिये ठेकेदार से कोई पत्राचार नहीं किया गया है। (घ) इलेक्ट्रिक पोल शिफ्टिंग एवं पेड़ों की कटाई/छटाई न होने के कारण कार्य अपूर्ण हैं। रेल्वे विभाग से आर.ओ.बी. ड्राईंग का अनुमोदन अपेक्षित है। वन विभाग की पुलिया के डाउन स्ट्रीम में एक डी.पी. स्थित है, उक्त डी.पी. के विस्थापन के उपरांत पुलिया का निर्माण कार्य संभव होगा। निश्चित तिथि बताना संभव नहीं है।
केरवा डेम की आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण
[जल संसाधन]
10. ( *क्र. 1615 ) श्री रामेश्वर शर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) केरवा डेम की आरक्षित भूमि एवं केरवा के कैचमेंट में कुल कितने और किसके कब्जे हैं? सूची उपलब्ध कराएं। केरवा नहर की आरक्षित भूमि पर कोलार क्षेत्र में कुल कितने कब्जे हैं, इन्हें कब कब नोटिस दिया गया? सूची उपलब्ध कराएं। (ख) केरवा नहर की आरक्षित भूमि से कब्जा कब तक हटवाया जाएगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। कैचमेंट एरिया में किए गये कब्जे की जानकारी शासन संधारित नहीं करता है। केरवा नहर की आरक्षित भूमि में 14 अतिक्रमण को हटाए जाने की कार्यवाही तहसीलदार कोलार द्वारा की जाना प्रतिवेदित है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
वि.स. क्षेत्र परासिया अंतर्गत प्रस्तावित/स्वीकृत सिंचाई योजनाएं
[जल संसाधन]
11. ( *क्र. 1581 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र परासिया के अंतर्गत कौन-कौन सी विभिन्न सिंचाई योजनाओं के निर्माण कार्यों के प्रस्ताव विभाग द्वारा शासन स्तर पर स्वीकृति हेतु भेजे गये हैं? उन सभी सिंचाई योजनाओं की जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार विभाग द्वारा भेजे गये प्रस्तावों में से शासन द्वारा अभी तक कितनी प्रस्तावित सिंचाई योजनाओं के निर्माण कार्यों की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है और कितनी सिंचाई योजनाओं के निर्माण कार्यों की स्वीकृति प्रदान किया जाना अभी बाकी है? ऐसी सभी सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति कब तक प्रदान कर दी जायेगी? जिन सिंचाई योजनाओं के टेंडर लगाये जा चुके हैं, उन योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध करायें। (ग) परासिया विधान सभा क्षेत्र के लिए शासन द्वारा जिन सिंचाई योजनाओं के प्रस्तावों की स्वीकृति अभी तक प्रदान नहीं की गई है, वे सिंचाई योजनाएं कौन-कौन सी हैं और उन योजनाओं की स्वीकृति प्रदान नहीं किए जाने का क्या कारण है? कारण सहित जानकारी उपलब्ध करायें। (घ) परासिया विधान सभा क्षेत्रांतर्गत ऐसी कौन-कौन सी सिंचाई योजनाओं के निर्माण कार्य प्रस्तावित हैं, जिनकी शासन द्वारा साध्यता स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है परन्तु उन सिंचाई योजनाओं के टेंडर अभी तक नहीं किये गये हैं? ऐसी सभी योजनाओं के टेंडर कब तक विभाग द्वारा कर दिये जायेंगे और जिन योजनाओं के टेंडर कर दिये गये हैं, ऐसी योजनाओं का कार्य कब तक प्रारंभ कर दिया जायेगा? पृथक-पृथक जानकारी उपलब्ध करायें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) से (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। वर्तमान में कोई प्रस्ताव शासन स्तर पर विचाराधीन नहीं है।
श्योपुर जिले में स्थापित कुटीर उद्योग
[कुटीर एवं ग्रामोद्योग]
12. ( *क्र. 1554 ) श्री सीताराम : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि विगत 5 वर्षों में श्योपुर जिले में किन-किन स्थानों पर अनु.जनजाति, अना.जाति एवं पिछड़ा वर्ग परिवारों के उत्थान के लिये कितने कुटीर एवं उद्योग खोले गये हैं तथा उक्त उद्योग एवं उनसे कितना लाभ उपलब्ध कराया गया?
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : विगत 5 वर्षों में श्योपुर जिले में अनु.जन.जाति, अना. जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अन्य परिवारों के उत्थान के लिये 556 कुटीर एवं ग्रामोद्योग स्थापित करने हेतु बैंकों से ऋण स्वीकृत कराया जाकर मार्जिन मनी सहायता उपलब्ध कराई गई। स्थान, उद्योग एवं उपलब्ध लाभ की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', 'ब' एवं 'स' अनुसार है।
विधान सभा क्षेत्र गुना अंतर्गत सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
13. ( *क्र. 1791 ) श्री गोपीलाल जाटव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र गुना में निम्नानुसार सड़कों का निर्माण कब तक प्रारंभ कर दिया जायेगा? (1) मावन अशोकनगर रोड से पिपरिया सड़क निर्माण। (2) पगारा से नवीन कॉलोनी से कोठिया तक। (3) बूढ़ाडोंगर मेन रोड से ग्राम तक सड़क निर्माण। (ख) निम्न सड़कों के लिए कब तक आवंटन दिया जायेगा :- (1) ग्राम बजरंगगढ़ की मेन रोड निर्माण। (2) सिलावटी से रमगढ़ा तक सड़क निर्माण। (3) माहोर रोड से खिरिया तथा माहोर रोड से रमपुरा तक सड़क निर्माण। (4) भादौर रोड से खूजा तक सड़क निर्माण। (5) बजरंगढ़ महर्षि आश्रम से हिलगना तथा हिलगना से सोंठी रोड तक सड़क निर्माण। (6) A.B. रोड जैन समाज की गौ-शाला से हिलगना तक सड़क निर्माण। (7) बजरंगगढ़ नवीन कॉलोनी से बाँस खडेसरी मंदिर A.B. रोड तक सड़क निर्माण। (8) गुना शहर की रिंग रोड निर्माण। (9) A.B. रोड से बिलोनिया चक तक सड़क। (10) इकोदिया मार्ग से देवरी तक सड़क। (ग) कार्य प्रारंभ करने की दिनांक भी बतावें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) प्रश्नांकित मार्गों की प्रशासकीय स्वीकृति सीमित वित्तीय संसाधन होने से विभाग की किसी भी योजना में प्रस्तावित न होने से जारी नहीं की जा सकी है। अत: कार्य प्रारंभ करने का प्रश्न नहीं उठता। (ख) प्रश्नाधीन कोई भी मार्ग स्वीकृत नहीं होने से आवंटन उपलब्ध कराने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
म.प्र. ट्रान्समिशन पावर ग्रिड के द्वारा टावर स्थापना से हुई फसल नुकसानी का मुआवजा
[ऊर्जा]
14. ( *क्र. 1215 ) श्री राम लल्लू वैश्य : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सिंगरौली विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत म.प्र. ट्रान्समिशन पावर ग्रिड के द्वारा टावर लाईन तह. सिंगरौली के ग्राम जैतपुर, पिपरालाल, बनौली, खम्हरिया, परसदेही आदि कई गांवों में बड़े-बड़े टावर भूमि पर खड़े किये गये थे, किन्तु किसानों को फसल नुकसानी आज तक नहीं दी गई, जबकि उक्त गांवों की फसल राशि 1989-90 से ट्रेजरी में जमा है? यदि हाँ, तो कब तक गांवों के किसानों को फसल नुकसानी दी जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या तह. सिंगरौली के ग्राम खम्हरिया, परसदेही आदि कई गांवों में टावर के नीचे बने मकान का मुआवजा नहीं दिया गया है एवं टावर के नीचे मकान में बरसात के समय पूरे मकान में करेन्ट आता है और टी.व्ही., बल्ब आदि जल जाते हैं। कब तक मुआवजा प्रदान कर करन्ट की समस्या को दूर किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) सिंगरौली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम जैतपुर, पिपरालाल, बनौली, परसदेही आदि ग्रामों से मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड की 132 के.व्ही. विन्ध्याचल-बैढ़न लाईन गुजर रही है। इस लाइन का निर्माण वर्ष 1984 में ही पूर्ण हो चुका था। वर्ष 1989-90 के दौरान उपरोक्त ग्रामों से मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड की लाईन से संबंधित फसल नुकसानी मुआवजा का कोई भी प्रकरण मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड में लंबित नहीं है। अत: शेष प्रश्नांश लागू नहीं है। (ख) तहसील सिंगरौली के ग्राम खम्हरिया में मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड की कोई भी अति उच्चदाब लाईन नहीं है। ग्राम परसदेही से मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड की 132 के.व्ही. विन्ध्याचल बैढ़न लाईन गुजर रही है, परन्तु इस लाइन से संबंधित मुआवजे का कोई भी प्रकरण मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड में लंबित नहीं है। उक्त लाइन से ग्राम खमरिया, परसदेही आदि गांवों से टावर के नीचे बने मकान में बरसात के समय करेंट आने एवं टी.व्ही., बल्ब आदि जल जाने की जानकारी/शिकायत विभाग अन्तर्गत संबंधित वितरण एवं ट्रांसमिशन कंपनी में प्राप्त नहीं हुई है। अत: शेष प्रश्नांश लागू नहीं होता है।
आमला विधानसभा क्षेत्र के लंबित निर्माण कार्यों की स्वीकृति
[लोक निर्माण]
15. ( *क्र. 458 ) डॉ. योगेश पंडाग्रे : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में लोक निर्माण विभाग द्वारा जिले में कितनी सड़कों के निर्माण हेतु प्रस्ताव सरकार को भेजे गये? (ख) इन प्रस्तावों में से सरकार द्वारा बैतूल जिले के अंतर्गत कितने सड़क निर्माण कार्यों को स्वीकृति प्रदान की गई? विधानसभा एवं विकासखण्डवार जानकारी देवें। (ग) क्या सरकार मानती है कि आमला विधानसभा क्षेत्र में नवीन सड़क निर्माण की कोई आवश्यकता ही नहीं है? यदि नहीं, तो विधानसभा क्षेत्र आमला में सरकार द्वारा एक भी सड़क निर्माण बजट में नहीं लिये जाने का क्या कारण रहा है? (घ) आमला विधानसभा क्षेत्र में सड़क निर्माण हेतु पिछले तीन वर्षों में किन-किन जनप्रतिनिधियों द्वारा कितने निर्माण कार्यों के प्रस्ताव विभाग को दिये गये, इन प्रस्तावों पर विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई एवं प्रस्तावित कार्य किस स्तर पर लंबित हैं? कार्यवार जानकारी देवें। (ड.) क्या सरकार वित्तीय वर्ष 2019-20 की पूरक मांगों में आमला विधानसभा के लंबित कार्यों को स्वीकृत करेगी? यदि हाँ, तो कौन से एवं यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जी नहीं। उपलब्ध वित्तीय संसाधन एवं प्राथमिकता में नहीं होने के कारण नहीं लिया जा सका। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (ड.) वर्तमान में बताया जाना संभव नहीं है। उत्तरांश (ग) में उल्लेखानुसार।
नर्मदा नदी के पुल का संरक्षण
[लोक निर्माण]
16. ( *क्र. 160 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खण्डवा (मोरटक्का) एवं खरगोन (खेडीघाट) जिले को जोड़ने वाले नर्मदा नदी के पुल का निर्माण किस सन् में किया गया था? (ख) विभागीय गाईड लाईन अऩुसार इस पुल को किस दिनांक तक उपयोग के योग्य माना गया है? उक्त अवधि के पश्चात् विभाग द्वारा नये पुल के निर्माण के लिये क्या कार्ययोजना बनाई गई है? (ग) क्या राज्य मार्ग के इस पुल पर विगत 1-2 वर्षों से ए.बी. रोड के भारी मालवाहनों का ट्रैफिक डायवर्ट हो गया है? क्या इंदौर-इच्छापुर मार्ग पर ऐसे भारी मालवाहकों को प्रतिबंधित किया जायेगा? (घ) क्या विभाग द्वारा परिवहन विभाग को नर्मदा पुल पर भारी वाहनों के अप्रत्याशित आवागमन से आई दरार एवं क्षतिग्रस्त होने की संभावना से अवगत कराया है? यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) नर्मदा पुल के अचानक क्षतिग्रस्त होकर मार्ग अवरूद्ध हो जाने की दशा में कौन जिम्मेदार होगा? यात्रियों के लिये वैकल्पिक मार्ग की क्या व्यवस्था होगी? क्या लोक निर्माण विभाग व्यापक जनहित में इस मार्ग पर नर्मदा नदी के नये पुल निर्माण का कार्य आरंभ करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) पुल का निर्माण वर्ष 1958 में पूर्ण किया गया था। (ख) मेशनरी स्टोन आर्च ब्रिज लगभग 80 से 100 वर्ष तक के लिए उपयोगी है। उक्त पुल की उपयोगिता अवधि समाप्त नहीं हुई है, उक्त ब्रिज इन्दौर-इच्छापुर मार्ग पर स्थित होकर दिनांक 03.04.2018 को राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 347-बीजी घोषित किया गया है एवं भारत सरकार के अधीन एन.एच.ए.आई. द्वारा मार्ग पर यातायात के भारी दबाव को ध्यान में रखते हुये फोरलेन में चौड़ीकरण एवं ब्रिज निर्माण हेतु डी.पी.आर. तैयार की जा रही है। (ग) ए.बी. रोड के भारी माल वाहकों के ट्रैफिक डायवर्ट होने की जानकारी संज्ञान में नहीं है। वर्तमान स्थिति तक भारी वाहनों से पुल को कोई क्षति नहीं हुई है एवं अच्छी स्थिति में है। भारी माल वाहकों को प्रतिबंधित किये जाने का कोई प्रस्ताव विभाग द्वारा नहीं दिया गया है। (घ) नर्मदा नदी मोरटक्का ब्रिज पर भारी यातायात से कोई क्षति नहीं हुई है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) वर्तमान में नर्मदा नदी पर बना मोरटक्का ब्रिज अच्छी स्थिति में है, मार्ग अवरूद्ध होने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता, जिसके लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं है। यदि भविष्य में ब्रिज अचानक क्षतिग्रस्त होता है, तो यात्रियों के लिये वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था नर्मदा नदी पर बना खलघाट ब्रिज एवं मण्डलेश्वर में बना ब्रिज स्थित है, शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
फर्जी हस्ताक्षर से की गई खरीदी की जाँच
[खेल और युवा कल्याण]
17. ( *क्र. 1613 ) श्री प्रवीण पाठक : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खेल और युवा कल्याण विभाग की खरीददारी से संबंधित फाइलों में हुए फर्जी हस्ताक्षर से संबंधित प्रकरण आर्थिक अपराध अनुसंधान में प्राप्त हुआ है? यदि हाँ, तो क्या इसकी प्राथमिक जाँच करवाई गई है? यदि हाँ, तो उस पर क्या कार्यवाही की गई? (ख) प्रश्नांश (क) के अतिरिक्त क्या टी.टी. नगर स्टेडियम, भोपाल में लगाये गये नवीन एथलेटिक ट्रेक की शिकायत आर्थिक अपराध अनुसंधान में की गई है? यदि हाँ, तो इस पर क्या कार्यवाही की गई है? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) में एथलेटिक ट्रेक के टेण्डर में सब-बेस के निर्माण की राशि भी शामिल की गई थी? यदि हाँ, तो कितनी, जबकि सब-बेस का पृथक से नवीन निर्माण नहीं हुआ है और न ही उसकी आवश्यकता थी। (घ) वित्त विभाग द्वारा एथलेटिक ट्रेक के निर्माण में बिना वित्त विभाग की सहमति के 5 करोड़ से अधिक का कार्य करवाने पर क्या गंभीर वित्तीय अनियमितता बताई है? यदि हाँ, तो क्या गंभीर वित्तीय अनियमितता के लिये दोषी अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक और यदि नहीं, तो क्यों?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। शिकायत से संबंधित मूल दस्तावेज कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने से प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं की गई। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी हाँ। आर्थिक अपराध ब्यूरो को चाही गई जानकारी व दस्तावेज उपलब्ध करवा दिये गये हैं। (ग) जी नहीं। एथलेटिक सिंथेटिक ट्रेक के बेस वर्क के टॉप लेयर के बिटूमिन आदि कार्य करवाने की राशि रू. 33.90 लाख सम्मिलित की गई थी, जिसके विरूद्ध राशि रू. 32.91 लाख का भुगतान किया जा चुका है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) जी हाँ। वित्त विभाग ने परिपत्र क्रमांक 81आर-1703-चार-ब-12012, दिनांक 18.01.2012 द्वारा आयोजना (Plan) मद की योजना के प्रशासकीय अनुमोदन के लिए स्थाई वित्त समिति (SFC) से अनुमोदन प्राप्त करने के निर्देश दिये गये हैं, टी.टी. नगर स्टेडियम स्थित एथलेटिक सिंथेटिक ट्रेक की पुनर्स्थापना के कार्य हेतु भारत सरकार ने पत्र क्रमांक 100-21/MYAS/MDSD/2017 (1)/4017, दिनांक 27.09.2017 द्वारा खेलों इंडिया योजनान्तर्गत सैद्धांतिक रूप से राशि रू. 4.49 करोड़ की केन्द्रीय सहायता स्वीकृत की गई थी, इस स्वीकृति के विरूद्ध नियमानुसार खुली निविदा आमंत्रित कर सिंथेटिक ट्रेक की पुनर्स्थापना के कार्य पर राशि रू. 4.26 करोड़ का व्यय किया गया है। भारत सरकार द्वारा सैद्धांतिक रूप से स्वीकृत केन्द्रीय सहायता राशि रू. 4.49 करोड़ के विरूद्ध राशि रू. 2.00 करोड़ भारत सरकार से IFMS के माध्यम से म.प्र. खेल प्राधिकरण के खाते में प्राप्त हुई न कि राज्य शासन के आयोजना (Plan) मद में यह राशि प्राप्त हुई है। वित्त विभाग के परिपत्र दिनांक 18.01.2012 में बजट के बाहर प्राप्त केन्द्रीय सहायता के संदर्भ में स्थाई वित्त समिति (SFC) से अनुमोदन का कोई प्रावधान नहीं होने से स्थाई वित्त समिति (SFC) से अनुमोदन की कार्यवाही नहीं की गई है। अतः शेष उपस्थित नहीं होता है।
लेबर सप्लाई में कंपनी द्वारा की गई अनियमितता की जाँच
[ऊर्जा]
18. ( *क्र. 1763 ) श्री अनिरुध्द मारू : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अन्तर्गत लेबर सप्लाई (ग्रिड ऑपरेटर) का ठेका वर्ल्ड क्लास कम्पनी द्वारा लिया गया था तथा वर्ल्ड क्लास कम्पनी द्वारा वर्ष 2014-15 के बीच लेबर सप्लाई का कार्य किया गया था? वितरण कंपनी नीमच वृत्त द्वारा वर्ल्ड क्लास कंपनी को गलत भुगतान किए जाने की शिकायत पर कंपनी स्तर पर जाँच की गई थी? जाँच में क्या निष्कर्ष सामने आये? क्या ठेकेदार कंपनी द्वारा आर्थिक गबन पाया गया? यदि हाँ, तो उसमें कितनी राशि का गबन हुआ और दोषियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की गयी या प्रचलित है? इस संबंध में दोषी अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी? (ख) वर्ल्ड क्लास कम्पनी के द्वारा नीमच जिले में अनियमितता पाये जाने के पश्चात् इस कंपनी के खिलाफ प्रदेश स्तर पर जाँच की गयी या नहीं? अगर नहीं तो कारण स्पष्ट करें। (ग) म.प्र.प.क्षे.वि. वितरण कंपनी अन्तर्गत लेबर सप्लाई का ठेका वर्ल्ड क्लास कंपनी को किन शर्तों के आधार पर दिया गया और क्या कंपनी द्वारा उन शर्तों का पालन किया गया या नहीं।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के उज्जैन क्षेत्र में मेसर्स वर्ल्ड क्लास सर्विसेस इंदौर को वर्ष 2014-15 में संचालन-संधारण वृत्त नीमच एवं मंदसौर में तथा इन्दौर क्षेत्र में संचालन-संधारण वृत्त खरगोन में ग्रिड ऑपरेटर हेतु कुशल श्रमिक प्रदाय करने हेतु ठेका दिया गया था। जी हाँ, नीमच वृत्त द्वारा मेसर्स वर्ल्ड क्लास सर्विसेस इंदौर को गलत भुगतान किये जाने की शिकायत प्राप्त होने पर जाँच की गयी थी। जाँच में यह निष्कर्ष सामने आया की मेसर्स वर्ल्ड क्लास सर्विसेस इंदौर द्वारा श्रमिकों के उपस्थिति पत्रक में अतिरिक्त श्रमिक जोड़ कर भुगतान प्राप्त किया। उक्त गबन राशि रूपये 4,01,806/- की वसूली उक्त फर्म से कर ली गयी है। मेसर्स वर्ल्ड क्लास सर्विसेस इंदौर द्वारा कूट रचनाकर अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया गया था। इस प्रयास में संबंधित रहे कर्मचारी श्री करहे को कार्य में गंभीर लापरवाही बरतने पर निलंबित कर दिया गया था। दिनांक 27.07.2017 को श्री करहे का निधन हो गया था। अतः श्री करहे के विरूद्ध जाँच तत्काल प्रभाव से समाप्त की गई। (ख) मेसर्स वर्ल्ड क्लास सर्विसेस इंदौर द्वारा कार्यादेश अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं करने से क्षेत्रीय कार्यालय उज्जैन के आदेश क्रमांक 2077, दिनांक 12.06.2017 से आगामी तीन वर्षों के लिए उक्त ठेकेदार एजेन्सी को आगामी बिजनेस हेतु डिबार किया गया एवं तत्संबंध में प्रदेश की सभी विद्युत वितरण कंपनियों को सूचित किया गया। उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में एवं उक्त डिबार आदेश के पश्चात् उक्त ठेकेदार कंपनी के खिलाफ कोई और कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है। (ग) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इंदौर के उज्जैन क्षेत्रान्तर्गत मेसर्स वर्ल्ड क्लास सर्विसेस इंदौर को ग्रिड ऑपरेटर उपलब्ध कराये जाने हेतु नीमच वृत्त में आदेश क्रमांक सी.ई./यू.आर./क्रय/14-15/9697, दिनांक 30.07.2014 एवं मंदसौर वृत्त में आदेश क्रमांक सी.ई./ यू.आर./क्रय/14-15/7013, दिनांक 09.06.2014 तथा इंदौर क्षेत्रान्तर्गत संचालन-संधारण वृत्त खरगोन में कार्यादेश क्रमांक 5859, दिनांक 09.06.2014 में समाहित नियम एवं शर्तों के आधार पर ठेके जारी किये गये थे, जिनके कार्यादेश की छायाप्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', 'ब' एवं 'स' अनुसार है। उक्त कंपनी द्वारा मंदसौर एवं खरगोन वृत्त में उक्त कार्यादेशों की शर्तों का पालन किया गया, किन्तु नीमच वृत्त में कार्यादेश की शर्तों का पालन नहीं किया गया।
रीवा जिले में रजहा-अकौरी-मौहरिया मार्ग का निर्माण
[लोक निर्माण]
19. ( *क्र. 23 ) श्री गिरीश गौतम : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा जिले में रजहा-अकौरी-मौहरिया मार्ग लंबाई 4 कि.मी. का कार्य योजना मद अंतर्गत मांग संख्या 24-5054 में स्वीकृत है, जिसका कार्य प्रारंभ नहीं होने के कारण कलेक्टर रीवा को शिकायत की गयी? अधीक्षण यंत्री, लोक निर्माण विभाग मण्डल रीवा को जाँच का आदेश दिया गया, जिसकी जाँच की जाकर निरीक्षण टीप पृष्ठ क्र. 894/कार्य./2017 रीवा, दिनांक 12.6.2017 प्रमुख अभियंता, मुख्य अभियंता, कलेक्टर रीवा, कार्यपालन यंत्री, अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण विभाग को प्रेषित की गयी? निरीक्षण टीप की प्रति उपलब्ध करायें। (ख) निरीक्षण टीप में अधीक्षण यंत्री द्वारा प्रतिवेदन किया गया कि ABCD का रेखण श्मशान भूमि, देव स्थान एवं जल भराव के कारण ABCD के अंतिम छोर में 300 मीटर परिवर्तन कर अंतिम छोर के रेखण को पूर्व की छोर PQR Alignment पर शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया, जिसके आधार पर कलेक्टर रीवा द्वारा पत्र क्रमांक 495/भू-अर्जन/2017 रीवा, दिनांक 30.8.2017 द्वारा धारा 11 (संशोधित) पुनर्वास और पुन: व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का आधार अधिनियम 2013 के तहत प्रकाशन किया गया? तत्पश्चात दिनांक 22.1.2018 को उक्त अधिनियम की धारा 19 के तहत भी प्रकाशन कर दिया गया और जमीनों का अधिगृहण कर लिया गया? प्रकाशन की प्रति उपलब्ध करायें। (ग) क्या कार्यपालन यंत्री रीवा द्वारा 02.07.2018 को Letter of Acceptance (LOA) Ms. Krishna Construction Company को जारी किया गया? यदि हाँ, तो उसकी प्रतिलिपि उपलब्ध करायें तथा संशोधित आधार पर सड़क का कार्य क्यों शुरू नहीं किया गया तथा कब तक शुरू कर दिया जायेगा तथा जिन अधिकारियों द्वारा उक्त मार्ग के निर्माण को अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर रोकने का प्रयास किया गया, उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी? समय-सीमा बतायें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। जी हाँ। निरीक्षण टीप की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जी हाँ। जी हाँ। अनुमोदित एलानमेन्ट ABC PQR भू-अर्जन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। दिनांक 30.08.2017 प्रकाशन की प्रतियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 एवं 4 अनुसार है। (ग) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। जी नहीं, संविदाकार द्वारा सड़क निर्माण कार्य अविवादित भूमि पर वर्तमान में कार्य प्रारंभ किया गया है। संविदाकार मेसर्स कृष्णा कंस्ट्रक्शन कम्पनी द्वारा अनुबंधानुसार कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा 08 माह वर्षाऋतु सहित अर्थात दिनांक 16.05.2020 तक निर्धारित है। शेष प्रश्नांश का प्रश्न नहीं उठता।
सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में क्षतिग्रस्त सड़कों/ पुलियों का निर्माण
[लोक निर्माण]
20. ( *क्र. 1729 ) श्री हरदीपसिंह डंग : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2019-20 में मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ एवं अतिवृष्टि से लोक निर्माण विभाग के कितने पुल, पुलिया, सड़कें पूर्णरूप से नष्ट या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं? पुलिया, सड़कों के नाम एवं स्थान सहित जानकारी देवें। (ख) प्रश्न दिनांक तक अस्थाई हल के अलावा उपरोक्त क्षतिग्रस्त हुई पुल, पुलियाओं, सड़कों के निर्माण हेतु विभाग द्वारा स्थाई समाधान हेतु क्या कार्यवाही की गई? (ग) विभाग द्वारा सुवासरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत बाढ़ के बाद प्रश्न दिनांक तक उपरोक्त पुलिया, सड़कों, पुल में से कितने आवागमन हेतु प्रारम्भ कर दिये गये हैं? (घ) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में उपरोक्त प्रश्नांश (क) में दर्शाये गये पुल, पुलिया, सड़क निर्माण हेतु प्रस्तावित हैं तथा उपरोक्त कार्य स्वीकृत होकर कार्य प्रारम्भ होंगे?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) विस्तृत जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सड़क एवं पुल-पुलियों में स्थायी मरम्मत हेतु प्राक्कलन परीक्षणाधीन है एवं नवीन वृहद पुल हेतु विस्तृत सर्वेक्षण किया जाकर डी.पी.आर. की कार्यवाही की जा रही है। (ग) समस्त सड़क एवं पुल-पुलियों में स्थाई मरम्मत कराई जाकर आवागमन सुचारू रूप से प्रारंभ किया जा चुका है एवं वृहद पुल निर्माण हेतु कार्यवाही की जा रही है, आवागमन हेतु वैकल्पिक व्यवस्था है। (घ) जी हाँ स्वीकृति के अभाव में कार्य प्रारंभ की निश्चित तिथि बताना संभव नहीं है।
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर के भवन का निर्माण
[उच्च शिक्षा]
21. ( *क्र. 1441 ) श्री आलोक चतुर्वेदी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महाराजा छत्रसाल बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर की स्थापना कब की गई थी? प्रश्न दिनांक तक कितने महाविद्यालय इससे सम्बद्धता प्राप्त हैं, कितने विद्यार्थी अध्ययनरत हैं? (ख) विभाग ने महाराजा छत्रसाल बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर के निर्माण हेतु कितना व्यय अनुमानित किया है? प्रश्न दिनांक तक कितना बजट प्रदाय किया गया। (ग) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में विश्वविद्यालय में कितने पद स्वीकृत हैं, कितने कार्यरत हैं? वर्तमान में विश्वविद्यालय कितने कक्षों से संचालित हो रहा है। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के अनुक्रम में क्या विश्वविद्यालय की प्रशासनिक, अकादमिक गतिविधियाँ उपलब्ध संसाधनों से सुव्यवस्थित, सुचारू रूप से बिना किसी कठिनाई के संचालित हो रही हैं? यदि नहीं, तो संसाधन और बजट कब तक प्रदाय कर दिया जावेगा?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) महाराजा छत्रसाल बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर की स्थापना 09.07.2014 को की गई थी, प्रश्न दिनांक तक विश्वविद्यालय से 171 महाविद्यालय सम्बद्धता प्राप्त हैं तथा 58860 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। (ख) विश्वविद्यालय के निर्माण हेतु राशि का निर्णय नहीं हुआ है। प्रश्न दिनांक तक कोई बजट प्रदाय नहीं किया गया है। (ग) विश्वविद्यालय में 236 पद स्वीकृत हैं, 31 कार्यरत हैं, वर्तमान में विश्वविद्यालय 10 कक्षों में संचालित हो रहा है। (घ) विश्वविद्यालय को सीमित संसाधनों में संचालित किया जा रहा है। बजट उपलब्ध कराए जाने की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
मुंगावली विधानसभा क्षेत्रांतर्गत सड़क निर्माण
[लोक निर्माण]
22. ( *क्र. 334 ) श्री बृजेन्द्र सिंह यादव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अशोकनगर जिले की मुंगावली विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन सड़क, पुल एवं भवन निर्माण कार्य स्वीकृत किये गये हैं? कौन-कौन से निर्माण कार्य किस-किस दिनांक को प्रारंभ हुये, किस दिनांक को पूर्ण किये गये हैं? कौन-कौन से निर्माण कार्य वर्तमान में निर्माणाधीन हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कौन-कौन से निर्माण कार्य की समयावधि में वृद्धि की गई है? क्या समयावधि बढ़ाने से निर्माण कार्य में अतिरिक्त राशि स्वीकृत करने से शासन को आर्थिक हानि हुई है? यदि हुई है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी पर क्या कार्यवाही की गई है? (ग) अशोकनगर से मतावली (खूटिया बामोरी रोड) का निर्माण कार्य कितने प्रतिशत पूर्ण कर लिया गया है एवं इसके निर्माण कार्य की अवधि कब से कब तक है? उक्त कार्य के लिए कितनी राशि संबंधित निर्माण एजेन्सी को भुगतान की गई है? क्या निर्माण कार्य में कोई अनियमितता की गई है? (घ) अशोकनगर से मतावली (खूटिया बामोरी रोड) के निर्माण कार्य में प्रयुक्त होने वाली सामग्री का परीक्षण कराने हेतु विभाग द्वारा कब-कब, क्या-क्या कार्यवाही की गई? प्रयुक्त सामग्री को परीक्षण शाला में भेजने वाले पत्र का जावक क्रमांक दिनांक एवं परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने वाली दिनांक से अवगत करावें, परीक्षण रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध करावें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। समयावधि बढ़ाने से शासन को कोई हानि नहीं हुई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) कार्य 49 प्रतिशत पूर्ण। समय अवधि दिनांक 31.12.2019 तक है। रू. 3921.24 लाख का भुगतान किया गया है। जी नहीं। (घ) विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। परीक्षण रिपोर्ट की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है।
उज्जैन संभाग अंतर्गत लंबित सड़क निर्माण के प्रस्तावों की स्वीकृति
[लोक निर्माण]
23. ( *क्र. 286 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2015-16 से 2018-19 तक की अवधि में उज्जैन संभाग के किन-किन जिलों से शहरी क्षेत्र में मार्ग चौड़ीकरण (फोरलेन)-डिवाइडर एवं बायपास मार्ग के निर्माण हेतु प्रस्ताव शासन को प्राप्त हुए हैं? जिलेवार जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) में प्राप्त प्रस्तावों में नीमच विधानसभा क्षेत्र के शहरी क्षेत्र में मार्ग चौड़ीकरण (फोरलेन)-डिवाइडर और हिंगोरिया, जयसिंगपुरा से बघाना छोटी सादड़ी बायपास मार्ग के निर्माण हेतु प्रस्ताव शासन को प्राप्त हुए हैं? यदि हाँ, तो इस संबंध में अद्यतन स्थिति से अवगत करायें। (ग) प्रश्नांश (ख) में दर्शाये गये इन मार्गों की शासन स्वीकृति कब तक प्रदान की जा सकेगी।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जी हाँ। इसके अतिरिक्त नीमच शहर में भाटखेड़ा से व्हाया नीमच से डुंगलावदा एक प्रस्ताव नीमच विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नीमच शहर अंतर्गत भाटखेडा से व्हाया नीमच से डुगलावदा मार्ग का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। प्रस्ताव विचाराधीन है। (ग) निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
रीवा जिलांतर्गत सड़कों की मरम्मत
[लोक निर्माण]
24. ( *क्र. 591 ) श्री राजेन्द्र शुक्ल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले की कितनी जर्जर सड़कों का वर्षांत उपरांत मरम्मत का प्रावधान है? स्थलवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में इन सड़कों के मरम्मत एवं निर्माण की समयावधि क्या है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है।
सब-स्टेशनों (ग्रिड) पर ऑपरेटरों का कार्य
[ऊर्जा]
25. ( *क्र. 1714 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड शाजापुर अंतर्गत सब-स्टेशनों (ग्रिड) पर ऑपरेटर का कार्य कराने हेतु किस एजेंसी से अनुबंध हुआ है? ऑपरेटरों की क्या शैक्षणिक एवं तकनीकी योग्यता निर्धारित की गई है? ऑपरेटरों की शैक्षणिक एवं तकनीकी योग्यता की जानकारी सब-स्टेशनवार देवें। ऑपरेटरों से क्या-क्या कार्य किये जाने का अनुबंध है? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित ऑपरेटरों से कितने घंटे कार्य करने का अनुबंध है? विद्युत वितरण केन्द्र गुलाना, सलसलाई, अकोदिया, पोलायकलां, शुजालपुर ग्रामीण के सब-स्टेशनों के ऑपरेटरों को वसूली पर क्यों लगाया जा रहा है? उनसे 12-12 घंटे कार्य क्यों लिया जा रहा है? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित ऑपरेटरों का क्या पुलिस वेरीफीकेशन करवाया गया है अथवा नहीं? यदि नहीं, तो क्यों नहीं करवाया गया? यदि हाँ, तो ऑपरेटरवार पुलिस वेरीफीकेशन की प्रति देवें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर के अंतर्गत शाजापुर संचालन-संधारण वृत में सब-स्टेशनों पर ऑपरेटर का कार्य करने हेतु मेसर्स बी.व्ही.जी. इंडिया लिमिटेड पुणे को आउटसोर्स के माध्यम से ऑपरेटर उपलब्ध कराने का अनुबंध किया गया है। इस हेतु ऑपरेटरों की शैक्षणिक योग्यता कक्षा 10वीं पास के साथ-साथ तकनीकी योग्यता आई.टी.आई. प्रमाणपत्र (इलेक्ट्रिकल ट्रेड) अथवा आई.टी.आई. प्रमाण-पत्र (वायरमेन) अथवा ओव्हर हेड प्रमाण पत्र, इन तीनों में से कोई एक, निर्धारित की गई है। ऑपरेटरों की शैक्षणिक एवं तकनीकी योग्यता सब-स्टेशनवार निर्धारित नहीं होती है, अपितु यह सेवा प्रदाता कंपनी से किये गये अनुबंध अनुसार संपूर्ण कार्य क्षेत्र के लिए एक ही होती है। इन ऑपरेटरों से अनुबंध अनुसार प्रति घंटे पेनल मीटर की रीडिंग लेना, लॉगबुक में इन्द्राज करना, अन्य निर्देशित रीडिंग (यथा वोल्टेज, एम्पीयर में भार अंकित करना, पावर ट्रांसफार्मर पर तापमान, टेप पोजीशन, बैटरी एवं बैटरी चार्जर रीडिंग) करना एवं अधिकारियों द्वारा समय-समय पर निर्देशित डाटा की प्रविष्टि करना, प्रतिदिन किए जाने वाले ऑपरेशन की समय-समय पर लॉग बुक में इन्द्राज करना, ट्रांसफार्मर के भार के एम्पीयर की इन्द्राज करना एवं फीडर/ट्रांसफार्मर पर होने वाली ट्रिपिंग की प्रविष्टि करने के कार्य कराये जाने हैं। इसके अतिरिक्त अनुबंध में ऑपरेटर को टेलीफोन कॉल अटेन्ड करना, समय-समय पर मैसेज देना एवं प्राप्त करना तथा संबंधित अधिकारियों को अवगत कराना एवं निर्धारित प्रपत्र में दैनिक रिपोर्ट बनाकर संबंधित अधिकारी को प्रस्तुत करने का कार्य शामिल है। शाजापुर वृत्त अंतर्गत 95 सब-स्टेशनों पर कार्यरत ऑपरेटरों की शैक्षणिक एवं तकनीकी योग्यता की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित ऑपरेटरों से शिफ्टवार कार्य करवाने का अनुबंध है। ऑपरेटरों से 8 घंटे प्रति शिफ्ट प्रतिदिन कार्य लिया जाता है। विद्युत वितरण केन्द्र गुलाना, सलसलाई, अकोदिया, पोलायकलां, शुजालपुर ग्रामीण के सब-स्टेशनों के ऑपरेटरों को वसूली पर नहीं लगाया जा रहा है। शिफ्ट ऑपरेटरों से प्रति शिफ्ट 8 घंटे ही कार्य लिया जा रहा है, 12 घंटे नहीं। (ग) उत्तरांश (क) में उल्लेखित 285 ऑपरेटरों में से 221 ऑपरेटरों का पुलिस वेरीफीकेशन करवाया गया है। ऑपरेटरवार पुलिस वेरीफीकेशन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। शेष 64 ऑपरेटरों के पुलिस वेरीफीकेशन का कार्य करवाने की कार्यवाही प्रकियाधीन है। 221 ऑपरेटरों के पुलिस वेरीफीकेशन की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
भाग-2
नियम
46 (2) के
अंतर्गत
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
के रुप में
परिवर्तित
तारांकित
प्रश्नोत्तर
परियट
नदी के रपटा
पर पुल
निर्माण
[लोक निर्माण]
1. ( क्र. 18 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पनागर बेलखाडू की 26 करोड़ लागत की टू-लेन सड़क का 80 प्रतिशत निर्माण हो चुका है? (ख) क्या सड़क के साथ पुल भी स्वीकृत किया गया है? (ग) यदि हां, तो पुल का निर्माण क्यों नहीं किया गया है? (घ) क्या बिना पुल के सड़क पर आवागमन होगा? यदि नहीं, तो पुल न बनाने के लिये कौन जवाबदार है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। (ख) जी हाँ। (ग) कंसल्टेंट की अनुशंसा पर सक्षम अधिकारी द्वारा यह कार्य अनुबंध से विलोपित किया गया है। (घ) वर्तमान में उक्त स्थान पर एक जलमग्नीय पुल स्थित है, जिस पर यातायात सुचारू रूप से चल रहा है। कोई नहीं।
रिछई में बांध निर्माण
[जल संसाधन]
2. ( क्र. 29 ) श्री विष्णु खत्री : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा मान. मंत्री म.प्र. शासन, जल संसाधन विभाग को संबोधित पत्र क्रमांक 336, दिनांक 15.10.2019 दिया गया था? (ख) यदि हां, तो इस पर क्या कार्यवाही की गयी? पत्राचार/निर्देशों की प्रति उपलब्ध करावें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। साध्यता स्वीकृति का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं होने से शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
मजरे/टोलों का विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
3. ( क्र. 30 ) श्री विष्णु खत्री : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत सौभाग्य योजना/अन्य विद्युत प्रदाय योजनाओं के अंतर्गत कितने मजरे/टोले अभी प्रश्न दिनांक तक नहीं जुड़े हैं? सूची उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में कितने मजरे/टोले पात्रता रखते हैं? सूची उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के तारतम्य में शेष बचे मजरे/टोले कब तक योजना से जुड़ जायेंगे? इससे संबंधित कार्ययोजना की जानकारी उपलब्ध करावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संचालन एवं संधारण संभाग, भोपाल के कार्यक्षेत्र में ''सामाजिक, आर्थिक एवं जातिगत जनगणना 2011'' के अनुसार माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय के विधानसभा क्षेत्र बैरसिया में कुल 534 मजरे/टोले विद्यमान थे, जिनमें से 482 मजरे/टोले आबाद थे तथा 52 मजरे/टोले वीरान थे, जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। उक्त सभी 482 आबाद मजरों/टोलों के शतप्रतिशत विद्युतीकरण का कार्य दिनांक 31.05.2018 तक पूर्ण किया जा चुका है। तदुपरांत बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में सर्वे के दौरान 09 अविद्युतीकृत नवीन बसाहटों की जानकारी प्राप्त हुई जिसका उल्लेख सामाजिक, आर्थिक एवं जातिगत जनगणना-2011 में नहीं था तथा उक्त बसाहटें वर्तमान में अविद्युतीकृत हैं। उक्त अविद्युतीकृत बसाहटों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार तत्समय विभिन्न प्रचलित योजनाओं में पात्रता रखने वाले समस्त 432 मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है, जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के तारतम्य में प्रश्नाधीन क्षेत्र में सर्वें के दौरान पाई गई 9 नवीन अविद्युतीकृत बसाहटों के विद्युतीकरण हेतु वर्तमान में कोई योजना प्रचलित नहीं है। भविष्य में विद्युतीकरण की योजना/वित्तीय उपलब्धता अनुसार इन नवीन बसाहटों के विद्युतीकरण का कार्य किया जाना संभव हो सकेगा, अत: वर्तमान में इनके विद्युतीकरण की कार्य योजना/विद्युतीकरण की निश्चित तिथि संबंधी जानकारी दिया जाना संभव नहीं है।
अपूर्ण सड़कें तथा पुल कार्य
[लोक निर्माण]
4. ( क्र. 66 ) श्री रामपाल सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष नवंबर 2019 की स्थिति में रायसेन जिले में स्वीकृत किन-किन सड़कों, पुल, भवन के कार्य अप्रारंभ है तथा क्यों कार्यवार कारण बताये। उक्त कार्यों निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण करवाने हेतु विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ख) प्रश्नांश (क) के किन-किन कार्यों में एजेंसी का निर्धारण नहीं हुआ तथा क्यों? कार्यवार कारण बतायें, कब तक एजेंसी का निर्धारण होगा? (ग) 1 जनवरी 19 से प्रश्न दिनांक तक माननीय मंत्री जी को प्रश्नकर्ता विधायक के पत्र कब-कब प्राप्त हुए तथा उन पर माननीय मंत्री जी ने किन-किन अधिकारियों को क्या-क्या कार्यवाही के निर्देश दिये। पत्रवार जानकारी दें। (घ) प्रश्नांश (ग) के निर्देशों के पालन में संबंधित अधिकारियों द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई प्रश्नकर्ता विधायक को पत्रों के जवाब क्यों नहीं दिये? पत्रों में उल्लेखित किन-किन समस्याओं का निराकरण हुआ, किन-किन समस्याओं का निराकरण क्यों नहीं हुआ?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
जले तथा खराब ट्रांसफार्मर
[ऊर्जा]
5. ( क्र. 67 ) श्री रामपाल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बरेली तथा रायसेन संभाग में 1 जनवरी 19 से प्रश्न दिनांक तक कहां-कहां के ट्रांसफार्मर कब-कब जले/खराब हुए उनको कब-कब बदला गया? किन-किन को नहीं बदला गया तथा क्यों? कब तक बदलेंगे? (ख) प्रश्नांश (क) के संभाग तथा अवधि में किन-किन के विद्युत कनेक्शन कब-कब क्यों काटे गये? इनमें से किन-किन के कनेक्शन कब जोड़े गये? (ग) 1 जनवरी 19 से प्रश्न दिनांक तक माननीय मंत्री जी को प्रश्नकर्ता विधायक के पत्र कब-कब प्राप्त हुए तथा उन पर माननीय मंत्री जी ने किन-किन अधिकारियों को क्या-क्या कार्यवाही के निर्देश दिये? पत्रवार जानकारी दें। (घ) प्रश्नांश (ग) के निर्देशों के पालन में संबंधित अधिकारियों द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? प्रश्नकर्ता विधायक को पत्रों के जवाब क्यों नहीं दिये? पत्रों में उल्लेखित किन-किन समस्याओं का निराकरण हुआ? किन-किन समस्याओं का निराकरण क्यों नहीं हुआ?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत कंपनी लिमिटेड के संचालन एवं संधारण संभाग बरेली तथा रायसेन के अंतर्गत 1 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक 27.11.2019 तक विभिन्न ग्रामों के 2290 वितरण ट्रांसफार्मर विभिन्न दिनांकों में जले/खराब हुए हैं। उक्त सभी 2290 जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को संबध्द उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा करने पर पात्र होने के उपरान्त बदला जा चुका है। ट्रांसफार्मरों के फेल होने एवं उनकों बदलने की दिनांक का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) रायसेन एवं बरेली संचालन एवं संधारण संभागों में प्रश्नाधीन अवधि के दौरान 1389 कनेक्शन बकाया राशि होने के कारण काटे गये थे, जिनमें से प्रश्न दिनांक तक 1089 कनेक्शन बकाया राशि जमा होने के उपरांत जोड़ दिये गये हैं तथा शेष 300 कनेक्शन बकाया राशि जमा नहीं होने के कारण नहीं जोड़े गये हैं। बकाया राशि पर काटे गये कनेक्शनों एवं बकाया राशि जमा होने पर जोड़े गये कनेक्शनों का उपभोक्तावार एवं दिनांकवार विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (ग) 1 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा प्रेषित 11 पत्र प्राप्त हुये हैं। पत्र प्राप्ति की दिनांक एवं उन पर की गयी कार्यवाही का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार है। (घ) प्रश्नांश (ग) के निर्देशों के पालन में की गयी कार्यवाही का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार है। माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय से प्राप्त 06 शिकायतों के संबंध में की गई कार्यवाही से उप महाप्रबंधक (संचा/संधा.) संभाग रायसेन के पत्र क्रमांक उ.म.प्र./सं.सं./शिका./19-20/5784 दिनांक 23.11.2019 द्वारा अवगत कराया गया है।
गांधी सागर डेम के गेट खोले जाने में हुई लापरवाही
[जल संसाधन]
6. ( क्र. 88 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 1 जुलाई 19 से प्रश्न-दिनांक तक अत्यधिक बारिश के कारण कितनी बार गांधी सागर डेम मंदसौर के 19 ही गेट कितने समय के लिये खोले गये? गेट खोले जाने के समय कितने पानी की आवक कितने लाख क्यूबिक घन मीटर थी तथा कितनी मात्रा में पानी की निकासी बांध में से की गई? (ख) गांधी सागर बांध के 19 ही गेट किन परिस्थितियो में खोले जाने के निर्देश हैं,नियमों की प्रतिलिपि उपलब्ध करावें। (ग) क्या गत वर्षा ऋतु में लगातार हाई अलर्ट मानसून की जानकारी के बावजूद भी इनके गेट को पानी की आवक की स्थिति को भापते हुये गेट समय पर नहीं खोले गये जिससे संपूर्ण मंदसौर जिले में बाढ़ की स्थिति बन गई? इसके लिये कौन जिम्मेदार है? क्या 19 ही गेट एक साथ खोलने के कारण कोटा सहित ग्वालियर संभाग में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी? आगामी वर्ष में पुन: बाढ़ की स्थिति डेम के कारण न बने इस हेतु विभाग द्वारा गेट खोले जाने के संबंध में उच्च अधिकारियों ने कोई दिशा निर्देश दिए हैं? (घ) क्या उक्त अवधि में पानी छोड़े जाने में हुई लापरवाही के कारण डेम का पॉवर स्टेशन पूर्णत: फैल हो गया? यदि हां तो क्या पॉवर स्टेशन से विद्युत उत्पादन होगा? यदि हां, तो क्या वर्तमान में डेम का पॉवर स्टेशन कार्य कर रहा है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) प्रश्नांश में उल्लेखित अवधि में एक बार गांधी सागर बांध के 19 गेट 72 घण्टे के लिए खोले गए। गेट खोले जाने के समय बांध में पानी की आवक 15,072 घनमीटर प्रति सेकेण्ड थी। बांध के 19 गेट खुले रहने तक 72 घण्टों के दौरान 4343.46 लाख घनमीटर पानी की निकासी की जाना प्रतिवेदित है। (ख) बांध के जल स्तर की स्थिति, जलग्रहण क्षेत्र में हुई वर्षा की मात्रा, आगामी वर्षा के अनुमान, बांध में पानी की अनुमानित आवक, बांध से पानी के निकासी की मात्रा के आधार पर अलग-अलग परिस्थिति में क्रमश: गेट खोले जाने की व्यवस्था है जो बांध के सभी 19 गेट खोलने तक जारी रहता है। बांध के 19 ही गेट किन परिस्थितियों में खोले जाए, इस संबंध में कोई नियम नहीं होना प्रतिवेदित है। बांध के गेट आपरेशन मेन्यूअल के अनुसार संपादित कराया गया, जिसकी प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। वर्षाकाल में मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट, जलग्रहण क्षेत्र में स्थापित वर्षा मापी केन्द्र से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पानी की अनुमानित आवक का आंकलन कर आवश्यकता अनुसार गेट खोले जाना प्रतिवेदित है। दिनांक 13, 14 एवं 15 सितम्बर को बांध के जलग्रहण क्षेत्र में हुई लगातार अतिवृष्टि के कारण पानी की अत्यधिक आवक होने से मंदसौर एवं नीमच जिले के क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति निर्मित हुई। यह प्राकृतिक आपदा है। अत: इसके लिए किसी को जिम्मेदार ठहराया जाना उचित नहीं होगा। कोटा सहित ग्वालियर संभाग में बांध से जल निकासी के अलावा बांध के नीचे अन्य नदियां जैसे पार्वती, बड़ी कालीसिंध, बनास आदि में एक साथ पानी की भारी आवक के कारण बाढ़ जैसी स्थिति निर्मित हुई। भविष्य में पुन: ऐसी स्थिति निर्मित न हो इसके लिए विभाग द्वारा केन्द्रीय जल आयोग से संपर्क किया गया और उनके द्वारा दिए गए तकनीकी मार्गदर्शन के अनुसार आवश्यक उपायों पर विचार कर इस संबंध में उचित निर्णय लिया जाना संभव होगा। (घ) ऊर्जा विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार दिनांक 14.09.2019 को विद्युतग्रह में जल भराव के कारण पावर स्टेशन को बंद किया गया। जल भराव के बाद से अब तक पावर स्टेशन से विद्युत उत्पादन बंद है। विद्युतग्रह में पानी प्रवेश से विभिन्न उपकरण के डूब जाने से उपकरणों का इन्श्यूलेशन प्रभावित होता है। अत: इन इकाइयों को पुन: संचालन में लाने के लिए आर.एल.ए. स्टडी हेतु वेबकॉस्ट लिमिटेड, जो कि भारत-सरकार का उपक्रम है, की सेवाएं ली जा रही हैं। एजेंसी द्वारा आर.एल.ए. स्टडी की जाना है, जिसके उपरांत निर्णय लिया जाएगा कि इकाइयों आधुनिकीकरण/नवीनीकरण की आवश्यकता है अथवा संधारण कार्य कर संचालन प्रारंभ किया जाना संभव होगा।
लेबड़-नयागाँव फोरलेन में अनियमितता
[लोक निर्माण]
7. ( क्र. 90 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लेबड-नयागाँव फोरलेन में निर्माणकर्ता कम्पनी द्वारा प्रश्न दिनाँक तक कितनी पुलियाओं का चौड़ीकरण किया गया, कितनी पुरानी पुलियाओं का प्रश्न दिनाँक तक उपयोग अनुबंध के विपरीत किया जा रहा है? (ख) निर्माणकर्ता कम्पनी द्वारा सड़क निर्माण के उपरांत कुल कितनी राशि की टोल के रूप में वसूली की गयी तथा सड़क रख-रखाव में कुल कितना व्यय किया गया वर्षवार जानकारी देवें। प्रश्नकर्ता के तारांकित प्रश्न क्रमांक 2596 दिनाकं 18/07/2019 को प्रश्न के उत्तर में जो आंकड़े दिए हैं उसमें निर्माणकर्ता कम्पनी द्वारा जितनी राशि में सड़क का निर्माण किया गया था वह राशि मय ब्याज सहित टोल के रूप में वसूली की जा चुकी है यदि नहीं, तो कब तक मय ब्याज के पूर्ण राशि वसूल कर ली जायेगी? यदि हाँ, तो कम्पनी से अनुबंध करते समय टोल वसूलने के लिए 21 साल का अनुबंध विभाग द्वारा क्यों किया गया? (ग) उक्त सड़क कम्पनी द्वारा अनुबंध अनुसार कितने कार्य प्रश्न दिनाँक तक पूर्ण नहीं किये? उनकी सूची उपलब्ध करायें। क्या अनुबंध में कार्य पूर्ण नहीं करने पर कम्पनी के खिलाफ कोई पेनल्टी राशि निर्धारित की गयी थी? यदि हाँ, तो कितनी? यदि नहीं, तो क्यों? प्रश्न दिनाँक तक किस-किस कार्य की लापरवाही के लिए कितनी-कितनी पेनल्टी वसूली गयी? सूची उपलब्ध कराये?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) लेबड-जावरा-नयागांव मार्ग जावरा-नयागांव मार्ग पर प्रश्न दिनांक तक 66 नग पुलिया का चौड़ीकरण किया गया है। लेबड जावरा मार्ग पर 12 पुल/पुलिया का चौड़ीकरण/री-कन्सट्रक्शन नहीं किया गया। उक्त पुल/पुलियाओं को अनुबंध के प्रावधान अनुसार नेगेटिव वेरियेशन के अंतर्गत अनुमोदित किया गया है। (ख) वर्षवार टोल के रूप में वसूली की राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार एवं संधारण व्यय जानकारी अनुबंधानुसार संधारित नहीं की जाती है। कंसेशनायर को संधारण कार्य स्वयं के व्यय पर करना होता है। जी नहीं। निवेशकर्ता कंपनी को सड़क का रख-रखाव एक निश्चित समय सीमा अनुसार करना होता है। प्रीमियम राशि लोन भुगतान संधारण व्यय आपरेशन एण्ड मेन्टेनेन्स व्यय मार्ग निर्माण लागत के अतिरिक्त होता है। पूर्ण राशि वसूलने की निश्चित समयावधि बताया जाना संभव नहीं है। निविदा आमंत्रित करते समय अनुबंध की समयावधि 25 वर्ष रखी गई थी, जिसके अनुसार ही निविदाकर्ता द्वारा प्रतिस्पर्धा निविदा द्वारा निविदा भरी जाती है जो शासन द्वारा स्वीकृत की जाती है। (ग) निवेशकर्ता कंपनी द्वारा अनुबंधानुसार समस्त कार्य पूर्ण कर लिये गये है। लेबड-जावरा मार्ग पर 12 पुल पुलियाओं का चौड़ीकरण पुन: निर्माण नहीं किया गया है। उक्त पुल पुलियाओं को अनुबंध के प्रावधानुसार नेगेटिव वेरियेशन के अंतर्गत अनुमोदित किया गया था, परन्तु इस आदेश को पुनरीक्षित करते हुये मार्ग के कंसेशनायर को 12 नग पुल पुलियाओं के निर्माण हेतु लेख किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। जी हाँ प्रश्न दिनांक 26.06.2015 को विद्युत संयोजन हेतु रू.4,55,66,502 एवं दिनांक 25.09.2019 को मेन्टेनेन्स कार्य धीमी गति से करने पर राशि रू. 63,77,281/- निर्धारित की गई। इस प्रकार कुल रू. 5,19,43,783/- की राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 एवं 2 अनुसार है।
बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र
[ऊर्जा]
8. ( क्र. 110 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश में बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए समीक्षा के दौरान वर्तमान मुख्यमंत्री जी द्वारा श्वेत पत्र जारी करने के निर्देश दिये थे? (ख) क्या उक्त श्वेत-पत्र समय सीमा में जारी किया जा चुका है? यदि नहीं, तो लापरवाही के क्या कारण रहे? (ग) मध्यप्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों का वित्तीय वर्ष 2018-19 में मार्च-2019 की स्थिति में कुल कितनी धनराशि का घाटा है व कुल कितना कर्ज है? पृथक-पृथक बतावें तथा कंपनियों को घाटा पहुँचाने वाले प्रमुख घटक क्या हैं एवं उनसे निपटने के लिये कंपनियों ने क्या कार्य योजना बनाई है? (घ) मध्यप्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में माह अक्टूबर-2019 की स्थिति में विद्युत बिलों के विरूद्ध कितनी राशि बकाया है? इनमें से पाँच लाख से अधिक पचास हजार से कम बकाया राशि वाले कितने बकायादारों से कितनी राशि वसूल किया जाना है? (ड.) क्या पचास हजार से पाँच लाख तक की राशि वाले बकायादारों में बड़ी संख्या में कंपनी द्वारा दिये गये एवरेज बिल व अस्थाई कनेक्शन वाले बकायादार है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) श्वेत पत्र की तैयारी प्रक्रियाधीन है। इसमें समावेश की जाने वाली जानकारी के विस्तृत स्वरूप के कारण उसके संकलन एवं आवश्यक सत्यापन संबंधी प्रक्रिया के उपरांत श्वेत पत्र को शीघ्र ही जारी किया जाना संभावित है। अत: इसमें लापरवाही का कोई प्रश्न नहीं है। (ग) वित्तीय वर्ष 2018-19 के अंकेक्षित लेखों के अनुसार 31.03.2019 तक प्रदेश में स्थित तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की कुल संकलित हानि रु. 51060.97 करोड़ एवं कुल कर्ज की राशि रु. 39085.79 करोड़ है, जिसकी विद्युत वितरण कंपनीवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। कंपनी के घाटे के मुख्य कारण निम्नानुसार है:- (अ) तकनीकी व वाणिज्यिक हानियों में अत्यधिक वृद्धि। (ब) विद्युत क्रय की लागत अधिक होना एवं कुल व्यय के अनुरूप आय न होना। (स) विद्युत कंपनियों के ऋणों के अधिक होने के कारण इनके पुनर्भुगतान और ब्याज पर व्यय अधिक होना। (द) उपभोक्ता मिश्रण में सुधार नहीं होने से उद्योगों व उच्चदाब उपभोक्ताओं की तुलना में निम्नदाब उपभोक्ता खपत अधिक होना, जिनकों विद्युत प्रदाय करने की लागत अधिक आती है, किन्तु उनसे प्राप्त होने वाला राजस्व कम होता है। (इ) भारतीय रेल जैसे बड़े उपभोक्ता तथा अन्य उच्चदाब उपभोक्ताओं द्वारा ओपन एक्सेस के माध्यम से विद्युत क्रय करना। (फ) विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं से बकाया राशि की वसूली नहीं होना। कंपनियों को घाटे से उबारने के लिये तैयार की गई योजना निम्नानुसार है:- (अ) स्मार्ट मीटरों की स्थापना सहित मीटरीकरण करना, जिससे कि उपभोक्ताओं को आंकलित बिल की जगह वास्तविक खपत के अनुसार बिल मिल सके और वितरण कंपनी द्वारा विक्रय की जा रही बिजली का पूरा मूल्य भी प्राप्त हो सके। (ब) उपभोक्ताओं को जागरूक करते हुये बिलों की वसूली में वृद्धि करते हुये राजस्व को बढ़ाना। (स) ऐसे उपाय अपनाना, जिससे उच्चदाब खपत में वृद्धि हो सके और आधिक्य में उपलब्ध विद्युत का उपयोग हो सके। (द) विद्युत कंपनियों के अधिक ब्याज वाले ऋणों को कम ब्याज वाले ऋणों से बदलने की कार्य योजना तैयार करना। (इ) मीटरिंग, बिलिंग व वसूली में तकनीक का उपयोग करते हुये दक्षता को बढ़ावा देना। (फ) विद्युत क्रय-विक्रय के प्रबंधन में दक्षता लाना। (घ) प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में माह अक्टूबर-2019 की स्थिति में जारी किये गये विद्युत बिलों के विरुद्ध रु. 9004.29 करोड़ की राशि बकाया है। इनमें से पाँच लाख से अधिक बकाया राशि वाले 9365 उपभोक्ताओं के विद्युत रु. 1718.49 करोड़ की राशि बकाया है। पचास हजार से कम विद्युत बकाया राशि वाले उपभोक्ताओं की संख्या 9987307 है, जिनके विद्युत राशि रु. 4244.27 करोड़ है। उक्त बकाया राशि की विद्युत वितरण कंपनीवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र -'ब' अनुसार है। (ड.) जी नहीं।
पूर्ण एवं अपूर्ण कार्यों की जानकारी
[लोक निर्माण]
9. ( क्र. 129 ) श्री बिसाहूलाल सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला अनूपपुर में वर्ष 2015 से प्रश्न दिनांक तक पी.आई.यू./लो.नि.विभाग द्वारा किस कार्य हेतु कितनी-कितनी राशि कब-कब प्राप्त हुई? उक्त राशि से क्या-क्या कार्य कहां-कहां, कितनी राशि के स्वीकृत किये गये? कौन-कौन से कार्य अपूर्ण एवं अप्रारंभ हैं एवं क्यों? कार्यवार कारण की जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में कितने स्वीकृत कार्य कब तक पूर्ण कर लिये जायेंगे? ऐसे कितने कार्य हैं जो अभी प्रारंभ नहीं किये जा सके हैं? निर्माणाधीन कार्य कब तक पूर्ण कर लिये जायेंगे? पूर्ण होने की समयावधि बतावें। (ग) लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग अनूपपुर जिले में 200 बिस्तर के अस्पताल बनाये जाने हेतु पी.आई.यू. को कितनी राशि स्वीकृत की गई? उक्त कार्य पूर्ण न कराये जाने पर कौन-कौन दोषी हैं? क्या दोषियों के खिलाफ विभाग कार्यवाही करेगा? यदि हां, तो कब तक? (घ) अनूपपुर जिले में पी.आई.यू्. के कार्यपालन यंत्री एवं अनुविभागीय अधिकारी के पद कब से किस कारण से रिक्त हैं तथा इन पदों की पूर्ति कब तक कर दी जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र 'अ', 'अ-1' एवं 'अ-2' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ग) प्रशासकीय स्वीकृति राशि रू. 1720.24 लाख। कार्य का कान्सेप्ट प्लान अनुमोदन हेतु प्रक्रियाधीन है। विलंब हेतु कोई दोषी नहीं। विलंब के कारण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। अत: कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (घ) कार्यपालन यंत्री, (संभागीय परियोजना यंत्री का पद दिनांक 07.02.18 से एवं अनुविभागीय अधिकारी का पद रिक्त नहीं है। शासन के आदेश दिनांक 12.07.2019 द्वारा कार्यपालन यंत्री (संभागीय परियोजना यंत्री) की पदस्थापना की गई है, जिसके माननीय न्यायालय से स्थगन प्राप्त है माननीय न्यायालय के अंतिम निर्णय अनुसार समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
सौभाग्य योजनान्तर्गत नियम विद्युत विद्युतीकरण कार्य
[ऊर्जा]
10. ( क्र. 161 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खण्डवा जिले में सौभाग्य योजना लागू होने से 31 अक्टूबर, 2019 तक कुल कितनी राशि का विद्युतीकरण का कार्य किस-किस संचालन-संधारण संभाग के अंतर्गत किये गये? सौभाग्य योजना लागू होने से 31 अक्टूबर, 2019 तक संचालन-संधारण संभागवार जानकारी बतावें? (ख) क्या सौभाग्य योजनान्तर्गत अवैध कालोनियों में विद्युतीकरण कार्य का प्रावधान है? (ग) यदि नहीं तो खण्डवा नगर की किन अवैध कालोनियों में कराये गये विद्युतीकरण कार्य के लिये कौन अधिकारी एवं कर्मचारी जिम्मेदार है? नियम विरूद्ध योजना का लाभ देने वाले अधिकारियों से इसकी राशि वसूल की जाएगी? (घ) खण्डवा जिले में सौभाग्य योजनान्तर्गत विभाग द्वारा बरती गई इस गंभीर लापरवाही के लिये कौन-कौन अधिकारी एवं कर्मचारी जिम्मेदार है? क्या योजनान्तर्गत किये गये कार्यों की उच्च स्तरीय जाँच कराई जाएगी? यदि हाँ, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) खण्डवा जिले में सौभाग्य योजना लागू होने से 31 अक्टूबर 2019 तक कुल राशि रु. 12.67 करोड के विद्युतीकरण के कार्य किये गये, जिसमें से खण्डवा (संचा./संधा.) संभाग-प्रथम मुख्यालय पुनासा में राशि रू.4.63 करोड के, खण्डवा (संचा./संधा.) संभाग द्वितीय में राशि रू.6.08 करोड के एवं पंधाना (संचा./संधा.) संभाग में राशि रू.1.96 करोड के कार्य किये गये। (ख) जी नहीं। (ग) सौभाग्य योजनातंर्गत खंडवा नगर में विद्युतीकरण का कोई भी कार्य नहीं कराया गया है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) सौभाग्य योजनांतर्गत खंडवा जिले में किये गये विद्युतीकरण के कार्यों में किसी प्रकार की लापरवाही बरता जाना नहीं पाया गया, अत: किसी अधिकारी/कर्मचारी के दोषी होने अथवा किसी प्रकार की जाँच कराए जाने का प्रश्न नहीं उठता।
प्रदूषण की रोकथाम हेतु वर्तमान कानून में संशोधन
[पर्यावरण]
11. ( क्र. 191 ) श्री दिलीप सिंह गुर्जर : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता द्वारा मध्यप्रदेश में एसिड एवं अन्य घातक हजारडस्ट केमिकल पदार्थ नदी, नालों एवं भूमि पर डालकर प्रदूषण फैलाने से संबंधित अपराधों को रोकने हेतु कानून के प्रभावी संशोधन करने व उपरोक्त कार्य करने वालों के विरूद्ध रासुका की कार्यवाही किये जाने संबंधी पुलिस को आदेश देने के संबंध में प्रेषित पत्र पर मुख्यमंत्री महोदय के पत्र क्र. 387/सीएमएस/एसएमएस/2019- (ए) दिनांक 26/09/2019 के परिपालन में प्रमुख सचिव पर्यावरण विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा मांग की गयी कि वर्तमान कानून में संशोधन कर एसिड व हजारडस्ट केमिकल पदार्थ नदी, नालों एवं भूमि पर डालने वालों के विरूद्ध गैर जमानती सत्र न्यायालय द्वारा विचाराधीन धारा का प्रावधान किया जावें। यदि हाँ, तो इस पर क्या कार्यवाही की गयी? (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा एसिड परिवहन में संलग्न वाहन को राजसात करने संबंधी प्रावधान करने व उपरोक्त अपराध में लगे ट्रांसपोटरों, टेंकर मालिकों एवं संबंधित उद्योगों के अधिकारियों के विरूद्ध रासुका की कार्यवाही किये जाने संबंधी अध्यादेश जारी कर पुलिस को अधिकार दिए जाने का प्रावधान किए जाने व कर्नाटक व गुजरात की तरह प्रभावकारी कानून बनाये जाने की मांग की गई है? यदि हाँ, तो इस पर क्या कार्यवाही की गई है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) मध्यप्रदेश शासन, पर्यावरण विभाग द्वारा प्रस्ताव विधि विभाग को परीक्षण हेतु भेजा गया है। (ख) एवं (ग) प्रस्ताव का परीक्षण विधि विभाग द्वारा किया जा रहा है।
मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के संबंध में
[जल संसाधन]
12. ( क्र. 199 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) देवास जिले की कन्नौद और खातेगांव तहसील में कितनी सिंचाई परियोजनाओं की डी.पी.आर. तैयार की गई है? क्या विभाग के पास इन क्षेत्रों में नवीन मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण के कोई प्रस्ताव विचाराधीन है? (ख) यदि हां, तो क्या विभाग देवसिराल्या (कासरनी नदी), पटरानी एवं किशनपुर मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण की किसी योजना को आगामी बजट में शामिल करेगा? (ग) क्या इन परियोजनाओं के निर्मित हो जाने से हजारों हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होने के साथ-साथ पेयजल संकट का समाधान एवं पर्यावरण संरक्षण का भी कार्य हो सकेगा? (घ) क्या वर्ष 2024 तक नर्मदा नदी की सहायक नदियों पर सिंचाई परियोजनाएं बनाना राज्य सरकार के लिये आवश्यक है, उसके पश्चात नई परियोजनाएं बनाना संभव नहीं होगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी हाँ। नर्मदाघाटी विकास प्राधिकरण द्वारा तीन मध्यम परियोजनाएं क्रमश: कासरानी, पटरानी एवं किसनपुर परियोजना के डी.पी.आर. तैयार कर जल संसाधन विभाग को हस्तांतरित किया जाना प्रतिवेदित है। उक्त प्रस्तावों का परीक्षण विभाग के संबंधित मैदानी कार्यालयों द्वारा किया जा रहा है। (ख) एवं (ग) प्रश्नांश (क) में दिए उत्तर अनुसार वर्तमान में प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (घ) जी हाँ। परियोजनाओं का निर्माण कराना एक सतत् प्रक्रिया है।
प्रदूषण की रोकथाम
[पर्यावरण]
13. ( क्र. 244 ) श्री भारत सिंह कुशवाह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर जिला भिण्ड में पारस फैक्ट्री (दूध की केमिकल फैक्ट्री) से आसपास के क्षेत्रों में भारी प्रदूषण फैल रहा है? यदि हां, तो इसके लिए शासन/प्रशासन द्वारा प्रदूषण रोकने हेतु कंपनी पर क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या इस फैक्ट्री के भीतर बोर में से पानी का उपयोग कर फैक्ट्री से निकलने वाले दूषित पानी को फैक्ट्री के अंदर ही खोदे गये बडे गड्डों में डाला जा रहा है जिससे आसपास के क्षेत्र में बोर कराने पर पानी प्रदूषित व बदबूदार निकलता है? यदि हां, तो इसके लिए कौन दोषी है? (ग) क्या शासन/प्रशासन प्रदूषित जल के रोकथाम हेतु फैक्ट्री पर कार्यवाही कर दूषित जल की रोकथाम करेगा? यदि हां तो समय-सीमा बतावें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी नहीं, उद्योग द्वारा दूषित जल को उपचारित कर परिसर में बनाये गये एक पक्के टैंक में एकत्रित कर सिंचाई व अन्य कार्यों हेतु उपयोग किया जाता है। समीपस्थ क्षेत्र में बोरवेलों के एकत्रित जल नमूनों के विश्लेषण करने पर जल गुणवत्ता सामान्य पाई गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिपेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
ग्वालियर जिले अंतर्गत लाईट शिफ्टिंग के प्राक्कलन
[ऊर्जा]
14. ( क्र. 245 ) श्री भारत सिंह कुशवाह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर जिले के अंतर्गत विगत 3 वर्ष में लाईन शिफ्टिंग के कितने प्राक्कलन स्वीकृत किये गये है? स्वीकृत प्राक्कलनों के अनुसार कितने कार्य पूर्ण हो चुके हैं एवं कितने प्रगतिरत है प्राक्कलनवार जानकारी दें? (ख) स्वीकृत प्राक्कलनों में प्राक्कलनवार कितना पुराना मटेरियल वापिस होना था एवं कितना वापिस किया गया है प्राक्कलनों के अनुसार कितने कार्य समय-सीमा में पूर्ण हो चुके हैं तथा कितने कार्य अपूर्ण है? अपूर्ण कार्यों के विरूद्ध विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) जिन प्राक्कलनों का अभी तक कार्य पूर्ण नहीं हुआ है उनसे निकाली गई पुरानी सामग्री को स्टोर में वापिस की गई है अथवा नहीं? यदि नहीं, तो वह सामग्री कहाँ है।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अंतर्गत ग्वालियर जिले में विगत 03 वर्षों में लाईन शिफ्टिंग के स्वीकृत प्राक्कलनों एवं इन प्राक्कलनों के विरूद्ध पूर्ण किये गए कार्यों और प्रगतिरत/अप्रारंभ कार्यों की संख्यात्मक जानकारी निम्नानुसार है:-
वर्ष |
स्वीकृत प्राक्कलनों/कार्यों की संख्या |
पूर्ण कार्यों की संख्या |
प्रगतिरत/अप्रारंभ कार्यों की संख्या |
2017-18 |
43 |
28 |
15 |
2018-19 |
109 |
75 |
34 |
2019-20 (अद्यतन स्थिति में) |
42 |
14 |
28 |
कुल |
194 |
117 |
77 |
प्रश्नाधीन चाही गई प्राक्कलनवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार ग्वालियर जिले में स्वीकृत कुल 194 प्राक्कलनों में कण्डक्टर स्क्रेप 16210.89 कि.ग्रा. एवं स्टील आयरन स्क्रेप 140850.91 कि.ग्रा. क्षेत्रीय भण्डार में वापिस किये जाने का प्रावधान था। उक्त स्वीकृत प्राक्कलनों के विरूद्ध कुल 117 कार्यों को पूर्ण किया जा चुका है एवं उक्त कार्यों के विरूद्ध कण्डक्टर स्क्रेप 6412.60 कि.ग्रा. एवं स्टील आयरन स्क्रेप 54983.43 कि.ग्रा. क्षेत्रीय भण्डार को वापिस किया गया है। शेष 77 प्राक्कलनों के विरूद्ध कार्य अप्रारंभ/प्रगति पर हैं। उल्लेखनीय है कि उक्त शेष लाईन शिफ्टिंग के समस्त कार्य आवेदक के स्वयं के व्यय पर उनके द्वारा चयनित पंजीकृत 'अ' श्रेणी के विद्युत ठेकेदार के माध्यम से स्वीकृत प्राक्कलनों के विरूद्ध नियमानुसार 5 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज की राशि जमा कर पूर्ण कराये जाने हैं, जिसमें विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कार्यों का मात्र पर्यवेक्षण/निरीक्षण किया जाता है इसलिये कार्यों के विलम्ब हेतु म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के अनुसार ग्वालियर जिले में कुल 77 कार्य अप्रारंभ/प्रगति पर है, जिनमें कार्य पूर्ण होने के उपरांत प्रावधान/वास्तविक रूप से निकाली गई सामग्री नियमानुसार मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के क्षेत्रीय भण्डार में वापिस कर दी जावेगी। उपरोक्त 77 कार्यों में से 12 कार्य अप्रारंभ है तथा शेष कार्यों में डिसमेंटल की जाने वाली कोई भी सामग्री अभी तक संबंधित आवेदक/ठेकेदार द्वारा म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को हस्तान्तरित नहीं की गई है। कार्य पूर्ण होने पर टेक ओवर किये जाने के पूर्व संपूर्ण वापसी योग्य सामग्री को नियमानुसार क्षेत्रीय भंडार में वापिस कराया जाना सुनिश्चित किया जायेगा।
नियम विरूद्ध पदस्थापना
[लोक निर्माण]
15. ( क्र. 257 ) श्री प्रदीप पटेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले में प्रश्नतिथि तक पदस्थ कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग (बी.एण्ड.आर) के विरूद्ध किस-किस प्रकार की, किस-किस स्थान पर किस पद पर पदस्थापना के दौरान, किन-किन शिकायतों के आधार पर लोक निर्माण विभाग के किस-किस सक्षम कार्यालय द्वारा जाँच के आदेश जारी किये गये? जारी सभी जाँच आदेशों की एक-एक प्रति उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अधिकारी को अधीक्षण यंत्री से डिमोशन कर कार्यपालन यंत्री बनाया गया है? अगर हां, तो किस प्रकरण में? प्रकरण का विवरण/जांच रिपोर्ट की एक प्रति निष्कर्षों सहित दें। डिमोशन के आदेशों की एक प्रति दें। (ग) क्या उक्त अधिकारी जिसके विरूद्ध विभिन्न आर्थिक अनियमितताओं की जांचें लंबित है तो और उसका डिमोशन (पदावनत) हुआ है तो सतना लोक निर्माण विभाग में बी एण्ड आर का कार्यपालन यंत्री बना दिया गया? किसकी अनुशंसा पर पदस्थापना हुई? अनुशंसा पत्र की एक छायाप्रति दें। (घ) कब तक उक्त अधिकारी को सतना से हटाया जाकर भोपाल अटेच किया जायेगा? अगर नहीं किया जायेगा तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र -''क'' अनुसार। (ख) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। विभाग में अधिकारियों की कमी को दृष्टिगत रखते हुए कार्य संपादन करने हेतु प्रशासनिक व्यवस्था के तहत। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
प्रदेश में अन्त्येष्टी की राशि का लाभ नहीं मिलना
[श्रम]
16. ( क्र. 278 ) श्री शिवराज सिंह चौहान : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री जन कल्याण (नया सवेरा) 2019 संबल योजना के अंतर्गत 1 जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि अन्त्येष्टी हेतु वितरित की गई? कितने प्रकरण प्राप्त हुए? कितनों में राशि दी गई? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में उक्त अवधि में प्राप्त आवेदनों-प्रकरणों में कितनों की स्वीकृति नहीं हो पाई? इसका क्या कारण है? (ग) कब तक प्राप्त उक्त प्रकरणों में स्वीकृति दी जाकर राशि आवंटित कर दी जायेगी?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल) योजना के अंतर्गत 01 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक 28.11.2019 तक कुल 56977 प्रकरण में रूपये 28.48 करोड़ अंत्येष्टि सहायता राशि वितरित की गई है। अंत्येष्टि सहायता के कुल 56977 प्रकरण प्राप्त हुए, प्राप्त सभी अंत्येष्टि के प्रकरणों में सहायता दी गई। (ख) अंत्येष्टि सहायता हेतु पात्रतानुसार सभी प्रकरणों को स्वीकृत किया गया है। (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में उपस्थित नहीं होता।
स्वीकृत डामरीकृत सड़कें पूर्ण करने हेतु
[लोक निर्माण]
17. ( क्र. 287 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में उज्जैन संभाग अंतर्गत कितनी डामरीकृत सड़कों के निर्माण की शासन स्वीकृति प्राप्त हुई है? स्वीकृत राशि सहित ब्यौरा दें। (ख) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत सड़कों में से नीमच विधानसभा क्षेत्र के किन-किन मार्गों पर डामरीकृत सड़कों के निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है तथा किन-किन मार्गों का डामरीकृत कार्य प्रश्न दिनांक तक अपूर्ण है? कारण सहित ब्यौरा दें। (ग) हर्कियाखाल सांदे से जीरन तथा अरनिया बोरना से ग्वालतालाब मार्ग पर डामरीकृत कार्य पूर्ण करने की अवधि सहित आमंत्रित निविदा, ठेकेदार से किये गए अनुबंध आदि की छायाप्रति उपलब्ध करायें तथा इन मार्गों की अद्यतन स्थिति स्पष्ट करें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 एवं 2 अनुसार, मार्ग की अद्यतन स्थिति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
खेल परिसर में विद्युत खम्भे लगाने के संबंध में
[ऊर्जा]
18. ( क्र. 303 ) श्री राकेश गिरि : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी/स्टार डेल्टा कम्पनी द्वारा टीकमगढ़ नगर में विद्युत खम्भे लगाने तथा उन पर तार/केबिल डालने का काम किया गया है? यदि हां, तो क्या उक्त कार्य में प्रयुक्त होने वाली सामग्री जैसे खम्भा, तार आदि मानक गुणवत्तापूर्ण है? उपयोग की गई सामग्री का भौतिक निरीक्षण उपरांत, गुणवत्ता सत्यापन प्रतिवेदन की प्रति उपलब्ध करायें। (ख) क्या टीकमगढ़ नगर के ढोगा खेल परिसर के अंदर/बाहर विद्युत वितरण कंपनी/स्टार डेल्टा कंपनी द्वारा बिजली के खम्भे लगाने का काम किया गया है? (ग) प्रश्नांश (ख) यदि हां, है तो विद्युत वितरण कम्पनी/स्टार डेल्टा कम्पनी द्वारा नगर पालिका से अनापत्ति ली गई है? यदि हां, तो अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रति उपलब्ध करायें। खेल परिसर में प्राचीन ताड़ वृक्षों के नीचे लगाये गये खम्भों/विद्युत लाइन से आवारा पशुओं/जन-हानि रोकने के क्या प्रबंध किये गये है? (घ) प्रश्नांश (ग) यदि नहीं, है तो बिना नगरपालिका की अनापत्ति के लगाये गये खम्भों/विद्युत लाईन के लिये कौन दोषी है और दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी तथा खम्भों को कब तक हटाया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर द्वारा आई.पी.डी.एस. योजनान्तर्गत टर्न-की आधार पर मेसर्स स्टार डेल्टा ट्रांसफार्मर लिमिटेड, भोपाल को जारी किये गये एल.ओ.ए. नं. CGM/IPDS/EZ/55 Jabalpur, Dated 25.04.2017 के अनुसार टीकमगढ़ वृत्त के अंतर्गत आने वाले शहरी क्षेत्र में विद्युत खम्भे लगाने तथा उन पर तार/ केबिल डालने का कार्य कराया गया है। उक्त कार्य में प्रयुक्त होने वाली सामग्री जैसे खम्भा, तार आदि की गुणवत्ता निर्धारित मानकों के अनुरूप है। विद्युत अद्योसंरचना निर्माण कार्य में उपयोग में लाई गई सामग्री की गुणवत्ता की जाँच थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेंसी के साथ-साथ वितरण कंपनी द्वारा विभागीय तौर पर भी कराई गयी है। उक्त कार्यों में उपयोग की गई सामग्री के भौतिक निरीक्षण उपरांत, गुणवत्ता सत्यापन प्रतिवेदन की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में टीकमगढ़ नगर के ढोगा खेल परिसर के बाहर टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी मेसर्स स्टार डेल्टा ट्रांसफार्मर लिमिटेड, भोपाल द्वारा विद्युत खम्भे लगाने का कार्य किया गया है। (ग) योजनान्तर्गत स्वीकृत प्राक्कलन एवं नक्शें के अनुसार टर्न-की ठेकदार एजेन्सी द्वारा कार्य किया गया है। यदि नगर पालिका क्षेत्र में लाईन निर्माण में आर.ओ.डब्ल्यू की समस्या आती है तो, नगर पालिका की सहायता लेकर लाईन के खम्भों की लोकेशन चिन्हित करवा ली जाती है, सामान्यत: नगरपालिका से लिखित में अनुमति नहीं ली जाती है। अत: प्रश्नाधीन प्रकरण में भी नगर पालिका से कोई अनापत्ति प्रमाण-पत्र नहीं लिया गया। टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी द्वारा तकनीकी साध्यता अनुसार लाईन विस्तार का कार्य करते हुये ढोगा खेल परिसर के बाहर खम्भे लगाये गये हैं तथा खेल परिसर में प्राचीन ताड़ वृक्षों के नीचे खम्भे नहीं लगाये गये हैं। खेल परिसर के बाहर लगाये गये विद्युत खम्भों/विद्युत लाईन से आवारा पशुओं/जनहानि रोकने हेतु खम्भों में नियमानुसार बार्बेड वायर, डेंजर बोर्ड, अर्थिंग आदि के सुरक्षा प्रबंध किये गये हैं। समय-समय पर आवश्यकतानुसार लाईनों के रख-रखाव के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से विद्युत लाईनों को व्यवस्थित करने सहित मेन्टेनेन्स का कार्य किया जाता है। (घ) प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में किसी भी अधिकारी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने तथा प्रश्नाधीन लगाए गए खम्बों को अन्यत्र शिफ्ट करने का प्रश्न नहीं उठता।
पुल-पुलियाओं के निर्माण कार्य में अनियमितता
[लोक निर्माण]
19. ( क्र. 311 ) श्री बनवारीलाल शर्मा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना से सबलगढ़ एम.एस. रोड का कार्य एस्टीमेट के अनुसार न किया जाकर घटिया निर्माण कार्य कराया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार उक्त निर्माण कार्य का विटूमिन कार्य एवं थिकनेस चेक किया गया? यदि हां, तो चेक करने वाले अधिकारी का नाम, पद सहित गुणवत्ता की प्रमाणित प्रति उपलब्ध करायें। (ग) क्या पुल एवं पुलिया निर्माण हेतु ग्राम पंचायत नैपरी से कितनी मिट्टी उठाव हेतु परमीशन लिया गया एवं कितनी मिट्टी अवैध तरीके से डाली गई? अवैध मिट्टी उठाव करने वाले ठेकेदार के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी एवं कब तक? (घ) क्या घटिया पुल एवं पुलिया निर्माण की जाँच कराकर संबंधित अधिकारी एवं ठेकेदार के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए वसूली की कार्यवाही की जावेगी? यदि हां, तो कब तक? नहीं, तो क्यों नहीं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। गुणवत्ता परीक्षण परिणामों की सत्यापित छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ग) जी हाँ। पुल एवं पुलिया निर्माण हेतु ग्राम पंचायत नेपरी से मिट्टी उपयोग हेतु कार्यालय कलेक्टर, खनिज शाखा, जिला मुरैना द्वारा अनुमोदित मात्रा अनुसार ही किया गया है। अवैध तरीके से मिट्टी की मात्रा का उपयोग नहीं किया गया है। अत: ठेकेदार के विरूद्ध मार्ग निर्माण कार्य में अवैध मिट्टी उपयोग करने एवं कार्यवाही किये जाने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (घ) जी नहीं। पुल एवं पुलिया निर्माण कार्य मानकों अनुसार गुणवत्तापूर्ण किया गया है। अत: सम्बंधित अधिकारी एवं ठेकेदार के विरूद्ध कार्यवाही एवं वसूली का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
निर्मित सड़कों का मरम्मत कार्य
[लोक निर्माण]
20. ( क्र. 318 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला राजगढ़ अंतर्गत लोक निर्माण विभाग द्वारा कौन-कौन से कार्य निर्माणाधीन हैं? विकासखण्ड़वार निर्माणाधीन कार्यों का नाम लागत, कार्य प्रारम्भ का दिनांक, कार्य पूर्ण करने की दिनांक, कार्य की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति से अवगत करावें। (ख) राजगढ़ जिला अंतर्गत वर्ष 2019 में अतिवृष्टि से विभाग की कौन-कौन सी सड़कें क्षतिग्रस्त हुई है? विकासखण्ड़वार नाम बतायें। उनकी मरम्मत करनें हेतु क्या कार्य योजना है? विकासखण्ड़वार अवगत करावें? (ग) प्रश्नांश (ख) में दर्शित मरम्मत योग्य सड़कों की क्या निविदाएं आमंत्रित कर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है? विकासखण्ड़वार सड़कों की अद्यतन स्थिति से अवगत करावें? मरम्मत योग्य सड़कों का नाम ठेकेदार का नाम, अनुबंधित कार्य की राशि एवं कार्य प्रारम्भ की दिनांक तथा कार्य की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति से अवगत करावें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) मार्गों एवं पुल कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-1' एवं 'ब' अनुसार है। (ग) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-1' एवं 'स' अनुसार है।
स्वीकृत महाविद्यालय के भवन एवं उनमें स्वीकृत रिक्त पदों की पूर्ति
[उच्च शिक्षा]
21. ( क्र. 335 ) श्री बृजेन्द्र सिंह यादव : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में कौन-कौन महाविद्यालय स्वीकृत हुये हैं एवं वे कब से? कहां पर संचालित है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार स्वीकृत महाविद्यालय में कितने-कितने एवं कौन-कौन से पद स्वीकृत है? कितने पद रिक्त हैं? क्या महाविद्यालय स्वयं के भवन में संचालित है? यदि नहीं, तो महाविद्यालय के भवन का निर्माण कब तक किया जावेगा? (ग) महाविद्यालय में प्रवेशित छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुये रिक्त पदों की पूर्ति कब तक की जावेगी?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1, 2 एवं 3 अनुसार है। पिपरई एवं सेहराई स्थित शासकीय महाविद्यालयों हेतु अभी तक भूमि का आवंटन प्राप्त न होने के कारण भवन निर्माण अभी किया जाना संभव नहीं है। (ग) शैक्षणिक/अशैक्षणिक संवर्ग में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों की अत्यंत कमी के कारण वर्तमान में पद पूर्ति संभव नहीं है। शैक्षणिक कार्य अतिथि विद्वानों के माध्यम से सुचारू रूप से संचालित है।
स्वीकृत रोडों की प्रशासकीय/वित्तीय स्वीकृति
[लोक निर्माण]
22. ( क्र. 354 ) श्री दिलीप सिंह गुर्जर : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभागीय बजट वर्ष 2019-20 में (1) रामातालाई से (खाचरौद रतलाम मार्ग), धाकड धर्मशाला खाचरौद मार्ग, (2) बनवाडा से राजगढ़ मार्ग, (3) सोमचिडी से सण्डावदा मार्ग, (4) कमठाना से बरथून मार्ग, (5) निनावटखेडा से किलोडिया कुल 16.5 कि.मी. की स्वीकृति प्रदान की गयी थी? यदि हाँ, तो उक्त मार्गों की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति कब प्रदान कर दी गयी है? पृथक-पृथक विवरण दें। (ख) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा माननीय मुख्यमंत्री से राज्य सड़क सम्पर्कता योजना अन्तर्गत 53 कि.मी. के करीब 12 रोडों की स्वीकृति की मांग पर मुख्यमंत्री के पत्र क्र. 3686/सीएमएस/एमएलए/212/2019 भोपाल, दिनांक 01/10/2019 के परिपालन में अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव लोक निर्माण विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गयी है? प्रत्येक रोड का पृथक-पृथक विवरण देते हुए उनमें से कितनी रोड स्वीकृत कर दी गयी है? विवरण दें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
संबल योजना अंतर्गत कार्ड मुद्रण पर नियम विरूद्ध भुगतान
[श्रम]
23. ( क्र. 358 ) श्री
दिनेश राय
मुनमुन : क्या
श्रम मंत्री
महोदय यह
बताने की कृपा
करेंगे कि (क)
क्या मुख्य
कार्यपालन
अधिकारी जिला
पंचायत सिवनी
के प्रतिवेदन
के अनुसार
जिला पंचायत
सिवनी में संबल
योजना के
कार्ड मुद्रण
में ई-टेंडरिंग
नहीं की गई और
न ही टेंडरिंग
हेतु कोई
विज्ञापन प्रकाशित
किया गया तथा
भण्डार क्रय
नियमों के
पालन किये
बिना 17 लाख 17 हजार 254 रू का
भुगतान कर
दिया गया? यदि हाँ, तो प्रश्न
दिनांक तक
दोषी
अधिकारी/कर्मचारी
के विरूद्ध क्या
कार्यवाही की
गई है? यदि
नहीं, तो
कारण स्पष्ट
करें। (ख) प्रश्नांश
(क) जाँच
प्रतिवेदन
में कौन-कौन
अधिकारी/कर्मचारी
दोषी हैं और
वर्तमान में
वे किस पद पर
किस स्थान पर
कार्यरत हैं?
श्रम
मंत्री ( श्री
महेन्द्र
सिंह
सिसौदिया ) : (क) जी हाँ।
प्रथम दृष्टया
ई-टेंडरिंग
होना नहीं
पाया गया।
विस्तृत
जाँच उपरांत
दोषियों के
विरूद्ध
नियमानुसार
कार्यवाही की
जा सकेगी। (ख) जाँच उपरांत
दोषी पाए जाने
पर
कर्मचारियों/अधिकारियों
की जानकारी दी
जा सकेगी।
लोक निर्माण विभाग द्वारा किये गये कार्यों की जानकारी
[लोक निर्माण]
24. ( क्र. 364 ) श्री रामकिशोर कावरे : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में परियोजना क्रियान्वयन ईकाई बालाघाट लोक निर्माण विभाग द्वारा परसवाड़ा में कन्या परिसर का निर्माण कार्य कब स्वीकृत हुआ वर्तमान में क्या स्थिति हैं? (ख) क्या निर्माण में निर्धारित समय अवधि से अधिक समय लगेगा यदि हाँ, तो विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है, यदि नहीं, की गई तो क्यों? इस हेतु दोषी कौन है? (ग) क्या गोगलई जिला बालाघाट में भी कन्या परिसर का निर्माण कार्य किया गया है यदि हाँ, तो उसमें पूर्ण बाउण्ड्रीवाल का प्रावधान है यदि नहीं, तो क्यों? छात्राओं की सुरक्षा कैसे होगी एवं जल भराव की निकासी की क्या व्यवस्था की गई है? (घ) क्या बरसात में गोंगलई कन्या परिसर में बाढ़ का पानी भर गया था, यदि हाँ, तो भविष्य में जल निकासी की क्या व्यवस्था की जायेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) दिनांक 16.09.2016 को स्वीकृत हुआ। निर्माण कार्य प्रगति पर। (ख) जी हाँ। विभाग द्वारा कार्य की प्रगति बढ़ाने हेतु ठेकेदार को अनुबंधानुसार नोटिस दिया जाकर कार्यवाही की गई है। (ग) जी हाँ, गोंगलई जिला बालाघाट में भी कन्या शिक्षा परिसर का निर्माण कार्य किया जा रहा है। स्वीकृत प्राक्कलन में 500 मीटर बाउण्ड्रीवॉल का प्रावधान किया गया था, किन्तु छात्राओं की सुरक्षा एवं आवंटित भूमि का क्षेत्रफल अनुसार कुल 1180 मीटर लम्बाई में बाउण्ड्रीवॉल का निर्माण कार्य किया गया। जल भराव की निकासी हेतु नाली का निर्माण किया गया है। (घ) जी हाँ। जल निकासी हेतु समुचित व्यवस्था की गई है।
मध्यप्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों की भर्ती
[उच्च शिक्षा]
25. ( क्र. 365 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश के महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2017 में विज्ञप्ति प्रकाशित की गई थी? क्या लोक सेवा आयोग द्वारा चयन सूची जारी कर दी गई है एवं चयनित युवाओं/युवतियों द्वारा विभाग में च्वाईस फिलिंग भी कर दी गई है? (ख) यदि हाँ, तो उन्हें नियुक्ति अभी तक क्यों नहीं दी गई है? इनकी नियुक्ति कब तक की जावेगी?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। जी हाँ। (ख) दिनांक 06.12.2019 की स्थिति में चयनित 442 सहायक प्राध्यापकों के नियुक्ति आदेश जारी कर दिये गये हैं। शेष हेतु समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
औद्योगिक क्षेत्रों का निरीक्षण के संबंध में
[पर्यावरण]
26. ( क्र. 372 ) श्री विक्रम सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 01 जनवरी 2017 से प्रश्न दिनांक तक सतना जिले के किन-किन उद्योगों का मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों द्वारा कब-कब निरीक्षण किया गया तथा निरीक्षण के दौरान किन-किन उद्योगों के विरूद्ध क्या-क्या अनियमिततायें एवं कमियां पाई गई तथा प्रश्न दिनांक तक उनमें क्या कार्यवाही की गई है? प्रकरणवार/निरीक्षणवार सूची दें? (ख) क्या प्रिज्म जॉनसन सीमेंट लिमिटेड मनकहरी द्वारा प्रवाहित केमिकल युक्त गंदा पानी समीपस्थ टमस नदी और आस-पास के कृषकों की कृषि भूमि एवं कुओं में मिल जाने से ग्रामीण जन गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं तथा उनके पेयजल स्रोत विषैले होकर निरंतर फसलें बर्बाद हो रही हैं, इस संबंध में ग्रामीणजनों द्वारा बोर्ड के अधिकारियों, स्थानीय व जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को अनेकों बार आवेदन किये जाने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई? यदि हां तो क्या शासन उक्त उद्योगों के विरूद्ध कोई ठोस कार्यवाही करेगा? यदि हां तो क्या और कब तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ‘‘ एवं ‘‘ब‘‘ अनुसार है। (ख) जी नहीं। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
मार्गों के अपूर्ण निर्माण कार्य
[लोक निर्माण]
27. ( क्र. 389 ) श्री ठाकुर दास नागवंशी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र पिपरिया जिला होशंगाबाद अन्तर्गत शोभापुर-खैरी-तरौनकलां मार्ग एवं सांडिया-बनखेड़ी-उमरधा मार्ग स्वीकृत कर कार्य प्रारंभ किया गया था यदि हां, तो कार्य किस दिनांक को प्रांरभ हुआ व किस ठेकेदार द्वारा कार्य किया जा रहा हैं? (ख) क्या स्वीकृत कार्य वर्तमान में अपूर्ण हैं यदि हां, तो लम्बी समयावधि व्यतीत हो जाने के बाद भी कार्य अपूर्ण होने का क्या कारण हैं इसके लिये कौन उत्तरदायी हैं क्या कार्य के अपूर्ण होने पर विभाग द्वारा संबंधित ठेकेदार के विरूद्ध कोई वैधानिक कार्यवाही की गयी हैं यदि हाँ, तो कार्यवाही सहित विवरण देवें, नहीं तो क्यो? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार दोनों मार्गों का अपूर्ण/शेष कार्य कब तक पूर्ण कर दिया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
ट्रांसफार्मरों की क्षमता में वृद्धि
[ऊर्जा]
28. ( क्र. 392 ) श्री ठाकुर दास नागवंशी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) होशंगाबाद जिले अन्तर्गत विधानसभा क्षेत्र पिपरिया में वर्ष 2019-20 में कितने ट्रांसफार्मरों की क्षमताओं में वृद्धि कर अपग्रेड किया गया हैं? (ख) अपग्रेड किये गये ट्रांसफार्मरों की जानकारी स्थान सहित ग्रामवार सूची प्रदान की जावें। (ग) वर्तमान में विधानसभा क्षेत्र पिपरिया अन्तर्गत कहाँ-कहाँ ट्रांसफार्मरों की क्षमता में वृद्धि कर अपग्रेड कर स्थापित किया जाना प्रस्तावित हैं? इन्हें अपग्रेड कर कब तक स्थापित कर दिया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) होशंगाबाद जिले में विधान सभा क्षेत्र पिपरिया के अंतर्गत वर्ष 2019-20 में दिनांक 29.11.2019 तक 02 वितरण ट्रांसफार्मरों एवं एक पॉवर ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि कर अपग्रेड किया गया है। (ख) प्रश्नाधीन क्षमता वृद्धि कर अपग्रेड किये गये ट्रांसफार्मरों का प्रश्नाधीन चाहा गया विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) वर्तमान में विधान सभा क्षेत्र पिपरिया के अंतर्गत 52 वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता में वृद्धि कर अपग्रेड किया जाना प्रस्तावित है, जिनका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता अनुसार ऐसे ही अन्य कार्यों की प्राथमिकता के क्रम में उक्त ट्रांसफार्मरों को अपग्रेड करने की कार्यवाही की जावेगी। अत: वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में पॉवर ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि कर अपग्रेड करने का कोई भी प्रकरण वर्तमान में प्रस्तावित नहीं है।
जलाशयों की नहरों की मरम्मत करना
[जल संसाधन]
29. ( क्र. 411 ) श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला दमोह में विभाग द्वारा कितने जलाशय निर्मित है स्थलवार जानकारी प्रदाय करें साथ ही किसानों की कितनी हेक्टेयर भूमि जिला दमोह में जलाशयों के द्वारा सिंचित की जा रही है। (ख) पिपरिया जलाशय, गुदरी जलाशय कुम्हारी वर्धा में पवैया जलाशय, विनती जलाशय, की नहरें क्षतिग्रस्त होने के कारण कृषि भूमि पर सिंचाई नहीं हो पा रही है नहरों की मरम्मत कराया जाना अति आवश्यक है जिससे किसानों की हजारों एकड़ भूमि सिंचित हो सकें उक्त जलाशयों का सुधार एवं नहरों का विस्तार कब तक करा दिया जावेगा। (ग) हटा नगर के चण्डी जी वार्ड में वर्ष 2007 में 7 करोड़ 12 लाख से स्वीकृति प्राप्त जलाशय का कार्य प्रारंभ क्यों नहीं हो रहा हैं कार्य प्रारंभ कराये जाने की समुचित कार्यवाही कब तक की जावेगी।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रश्नाधीन जलाशयों की नहरें आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने पर उनका सुधार कार्य संथाओं के माध्यम से कराकर सिंचाई हेतु कृषकों को पानी उपलब्ध कराया जाता है। विगत 3 वर्षों में की गई सिंचाई की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। पवैया एवं गुदरी जलाशय के सुधार कार्यों के प्राक्कलन मैदानी कार्यालयों में परीक्षणाधीन होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) शक्तिसागर जलाशय का कार्य कृषकों के विरोध तथा मान. उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर होने के कारण अप्रारंभ। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
लोक निर्माण विभाग की इटारसी/होशंगाबाद में भूमि
[लोक निर्माण]
30. ( क्र. 439 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक निर्माण विभाग होशंगाबाद की इटारसी एवं होशंगाबाद में विभाग की कितनी भूमि कहाँ- कहाँ पर है? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित भूमि में से कितनों पर किन-किन लोगों के अतिक्रमण है? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कितनी भूमि पर लोक निर्माण विभाग के अलावा शासकीय कार्यालय/निर्माण निर्मित है? इनकी अनुमतियां कब-कब कितने वर्गफुट हेतु दी गयी? (घ) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा सितम्बर 2019 में कार्यपालन यंत्री, लोक निर्माण विभाग को एवं अक्टूबर 2019 में अनुविभागीय अधिकारी, लोक निर्माण विभाग से पत्र द्वारा जानकारी मांगी गयी थी? जानकारी कब तक दी जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) लोक निर्माण विभाग, कार्यालय परिसर, होशंगाबाद एवं अन्य आवास गृह- 16.60 एकड़ अनुविभागीय अधिकारी एवं अन्य आवास गृह, नर्मदा महाविद्यालय के सामने-0.88 एकड़ विश्राम भवन परिसर, होशंगाबाद-8.72 एकड़ विश्राम गृह परिसर, होशंगाबाद-3.61 एकड़ विश्राम गृह परिसर, इटारसी-4.56 एकड़। (ख) विश्राम गृह परिसर, इटारसी की भूमि पर 46 लोगों द्वारा गुमठियां रखकर अतिक्रमण किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार। (ग) लोक निर्माण विभाग के अलावा किसी भी शासकीय विभाग द्वारा निर्माण कार्य नहीं किया गया है। अतः अनुमति का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (घ) सितम्बर 2019 में कार्यपालन यंत्री, लोक निर्माण विभाग, होशंगाबाद कार्यालय को प्रश्नकर्ता का कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। अनुविभागीय अधिकारी, लोक निर्माण विभाग, उपसंभाग, होशंगाबाद द्वारा अक्टूबर 2019 के पत्र का जवाब उनके पत्र क्रमांक-1205, दिनांक 24.10.2019 द्वारा दिया जा चुका है।
तवाबांध में जमी सिल्ट को हटाने के संबंध में
[जल संसाधन]
31. ( क्र. 440 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) होशंगाबाद के तवाबांध में जम रही सिल्ट को हटाने के संबंध में शासन द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? (ख) होशंगाबाद के तवाबांध सहित बड़े बांधों की समुचित सुरक्षा के लिए क्या शासन द्वारा आधुनिक उपकरण लगाये जावेंगे? (ग) यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) बांधों में जम रही सिल्ट को हटाने के लिए ''राज्य के जलाशयों के जल भण्डारण क्षमता की पुनर्स्थापन नीति'' का अनुमोदन मंत्रि-परिषद द्वारा दिनांक 06.08.2019 को किया गया, जिसके अंतर्गत होशंगाबाद जिले की तवा बांध में जम रही सिल्ट को हटाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ख) एवं (ग) जी हाँ। होशंगाबाद के तवा बांध सहित 08 बड़े बांधों की समुचित सुरक्षा के लिये शासन द्वारा बांध पुनर्वास एवं उन्नयन कार्यक्रम (DRIP) अंतर्गत आधुनिक उपकरण लगाए जाने की कार्यवाही की जा रही है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
केन्द्रीय सड़क निधि निर्मित सड़क
[लोक निर्माण]
32. ( क्र. 459 ) डॉ. योगेश पंडाग्रे : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) केन्द्रीय सड़क निधि से निर्मित बैतूल से आमला, बोरदेही होते हुए छिंदवाड़ा जिले की सीमा तक सड़क निर्माण हेतु कितनी राशि स्वीकृत की गई थी, इस राशि से कितने किलोमीटर सड़क निर्माण किया जाना था? (ख) स्वीकृत सड़क की लंबाई एवं लागत के विरूद्ध एजेंसी द्वारा प्रावधानित लंबाई में से कितनी लंबाई का सड़क निर्माण किया गया एवं उसे कुल स्वीकृत राशि में से कितनी राशि का भुगतान किया गया। (ग) लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्मित सड़क में किन-किन हिस्सों पर किन कारणों से सड़क निर्माण नहीं कराया गया। अनिर्मित पेच के किलोमीटर क्रमांकवार जानकारी देवें। (घ) सरकार द्वारा स्वीकृत सड़क का पूर्ण निर्माण न कर जनता को उक्त सड़क का पूर्ण लाभ नहीं दिलाते हुए एजेंसी को कार्यपूर्णता प्रमाणपत्र जारी किये जाने में कौन दोषी है? (ड.) क्या स्वीकृत सड़क के अनिर्मित हिस्सों पर सड़क निर्माण हेतु सरकार कोई कार्यवाही कर रही है, यदि हाँ, तो अनिर्मित हिस्सों पर सड़क निर्माण कब तक करा दिया जावेगा।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) रू. 129.60 करोड़। 73.00 कि.मी.। (ख) स्वीकृत लम्बाई 73.00 कि.मी. (वास्तविक लम्बाई 72.50 कि.मी.) के विरूद्ध 72.125 कि.मी. का निर्माण किया जा चुका है कार्य पर अभी तक रू. 127.35 करोड़ का व्यय किया जा चुका है। (ग) प्रश्नाधीन मार्ग पर ग्राम बरसाली के पास पूर्णत: स्पष्ट सीमाकंन न होने तथा किसानों द्वारा कार्य न करने दिये जाने के कारण मार्ग के चैनेज 17920 से चैनेज 18010, कुल 90 मी. चैनेज 18440 से चैनेज 18725 कुल 285 मी. इस प्रकार (कुल 375 मीटर लम्बाई) में निर्माण नहीं कराया जा सका है। (घ) निर्माण एजेन्सी को पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है इसलिये कोई दोषी नहीं है। (ड.) स्पष्ट सीमाकंन कराने की कार्यवाही कराने हेतु राजस्व विभाग के अधिकारियों से समन्वय किया जा रहा है। स्पष्ट सीमाकंन होने के उपरांत ही शेष 375 मी. लम्बाई में निर्माण कार्य कराया जाना संभव होगा वर्तमान में समयावधि बताया जाना संभव नहीं है।
नोड़ल कार्यालयों को प्रदाय राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र
[श्रम]
33. ( क्र. 486 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला राजगढ़ अंतर्गत म.प्र. भवन तथा संनिर्माण कर्मकार मण्डल एवं गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार के पंजीयन किये गये हैं? ग्रामीण क्षेत्र में पंचायतवार तथा शहरी क्षेत्र में वार्डवार पंजीयन की जानकारी से अवगत करावे तथा पंजीकृत श्रमिकों को क्या-क्या सुविधाएं दी जा रही हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार योजनान्तर्गत वर्ष 2017-18 से प्रश्न दिनांक तक नोडल कार्यालयों को कितनी-कितनी राशि प्रदाय की गई वर्षवार योजनावार प्रदाय राशि की जानकारी देवें? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार नोडल कार्यालयों द्वारा पंजीकृत हितग्राहियों को किस-किस योजना का लाभ दिया जाकर राशि प्रदाय की गई? योजनावार ग्रामवार तथा शहरी क्षेत्र में वार्डवार हितग्राही को प्रदाय की गई राशि की जानकारी से अवगत करावे? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार क्या नोडल कार्यालयों को विभाग द्वारा प्रदाय की गई राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रदाय किया गया है? यदि हाँ, तो उपयोगिता प्रमाण पत्र की छायाप्रति उपलब्ध करावें? यदि नहीं, तो क्या नोडल विभाग द्वारा उक्त राशि को अन्य कार्य हेतु उपयोग में ली गई?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। जिला राजगढ़ में म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अंतर्गत 24877 निर्माण श्रमिकों का पंजीयन किया गया है। पंजीकृत निर्माण श्रमिकों की पंचायतवार तथा वार्डवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-01 अनुसार है। पंजीकृत निर्माण श्रमिकों हेतु मंडल द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-02 अनुसार है। (ख) जिला श्रम पदाधिकारी, राजगढ़ से प्राप्त जानकारी अनुसार वर्ष 2017-18 में जिला राजगढ़ में श्रम कार्यालय, राजगढ़ द्वारा नोडल कार्यालयों को रूपये 3,43,00,000/- राशि आवंटित की गई है। वर्ष 2018-19 से मंडल द्वारा योजनाओं के भुगतान हेतु नोडल कार्यालयों को पृथक से राशि आवंटित नहीं की जाती है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) निर्माण श्रमिकों को मंडल द्वारा लागू योजनाओं में योजनावार भुगतान की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 03 अनुसार है। लाभांवित हितग्राहियों की ग्राम पंचायतवार/वार्डवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 04 अनुसार है। (घ) जी हाँ, जिला राजगढ़ में नोडल अधिकारियों को वर्ष 2017-18 में आवंटित राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 05 अनुसार है। वर्ष 2018-19 से मंडल द्वारा लागू योजनाओं में हितग्राहियों को श्रम विभाग के पोर्टल के माध्यम से ई.पी.ओ. द्वारा डी.बी.टी. पद्धति से भुगतान प्राप्त होता है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
प्राचार्य द्वारा शासकीय आदेशों की अवहेलना
[उच्च शिक्षा]
34. ( क्र. 490 ) श्री राहुल सिंह लोधी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आयुक्त कार्यालय उच्च शिक्षा संचालनालय भोपाल के पत्र क्र. 183/01/न्या./ आ.उ.शि./शाखा-3/18 दिनांक 27.01.2018 द्वारा श्री वंशी लाल अहिरवार पर शीघ्र कार्यवाही करने हेतु प्राचार्य शास.पी.जी. महाविद्यालय, टीकमगढ़ को आदेशित किया गया था? (ख) क्या उक्त (क) कंडिका के परिपालन में प्राचार्य शास.पी.जी. महाविद्यालय, टीकमगढ़ द्वारा आज दिनांक तक कोई कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो क्या? (ग) यदि प्राचार्य द्वारा शासन के उक्त ओदश की अवहेलना कर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है तो शासन द्वारा सम्बन्धित प्राचार्य पर क्या कोई कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। (ख) प्राचार्य शासकीय पी.जी. महाविद्यालय, टीकमगढ़ द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई क्योंकि न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश टीकमगढ़ द्वारा अपील फौजदारी क्रमांक 500169/2016 प्रस्थापित दिनांक 16.08.2016 में पारित निर्णय दिनांक 16.12.2017 में पूर्व में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी टीकमगढ़ द्वारा पारित निर्णय में 03 माह का सश्रम कारावास एवं 1000/- रूपये का अर्थदण्ड में संशोधन करते हुए 03 माह का सश्रम कारावास को समाप्त कर इसके स्थान पर 1000/- रूपये का और अर्थदण्ड दिया गया। माननीय अपर सत्र न्यायालय टीकमगढ़ के द्वारा पारित उक्त निर्णय के विरूद्ध श्री वंशीलाल द्वारा माननीय उक्त न्यायालय में याचिका (CRR 135/2018) दायर की गई है। (ग) प्रकरण माननीय न्यायालय में प्रचलित होने के कारण प्राचार्य द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
इन्दौर विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित अंतर्राष्ट्रीय स्वीमिंग पूल का कार्य
[खेल और युवा कल्याण]
35. ( क्र. 499 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इन्दौर विकास प्राधिकरण द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्वीमिंग पूल का निर्माण किया जा रहा था, जिसे अपूर्ण स्थिति में खेल एवं युवक कल्याण विभाग को हस्तांतरित किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो अपूर्ण स्वीमिंग पूल को पूर्ण करने की विभाग की क्या योजना है? स्वीमिंग पूल का निर्माण कब तक पूर्ण किया जावेगा?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। पर प्रक्रिया जारी है। (ख) उत्तरांश (क) के प्रकाश में अभी प्रश्न उद्भुत नहीं होता है। अतः समय सीमा बतायी जाना संभव नहीं है।
रेलवे क्रासिंग पर ओव्हर ब्रिज बनाने की योजना
[लोक निर्माण]
36. ( क्र. 504 ) डॉ. मोहन यादव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रेलवे क्रासिंग पर ओव्हर ब्रिज बनाने की मध्य प्रदेश में क्या योजना है? मध्यप्रदेश में कितने रेलवे ओव्हर ब्रिज बनाये जाने वाले हैं? 1 जनवरी 2010 से उज्जैन संभाग में कितने ओव्हर ब्रिज स्वीकृत हुये हैं? प्रश्न दिनांक तक स्वीकृत ओव्हर ब्रिज में से कितने ओव्हर ब्रिज का निर्माण हो चुका है? कितने ओव्हर ब्रिज का निर्माण शेष है? शेष रहे ओव्हर ब्रिज का निर्माण कब तक पूर्ण होगा? (ख) उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के लालपूल रेलवे क्रासिंग पर रेलवे ओव्हर ब्रिज कब तक बनाया जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थित रेल्वे क्रासिंग हेतु सेतु भारतम योजना अंतर्गत और प्रदेश में 1 लाख व उससे अधिक टी.व्ही.यू. वाले रेल्वे क्रासिंग पर ओवर ब्रिज निर्माण की योजना है। 68 रेल्वे ओव्हर ब्रिज। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', 'अ-1', 'ब', 'स' एवं 'द' अनुसार है। निश्चित समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) प्रस्तावित रेल्वे ओवर ब्रिज स्वीकृत नहीं है। निश्चित समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
मार्गों के निर्माण
[लोक निर्माण]
37. ( क्र. 516 ) श्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तेंदूखेड़ा अभाना मार्ग विगत एक वर्ष से क्षतिग्रस्त है जिसका निर्माण कार्य चार माह पूर्व प्रारंभ किया गया है एवं निर्माण एजेन्सी द्वारा मार्ग पर मिटटी एवं मुरूम का कार्य किया जा रहा जिससे वाहनों के आवागमन से मुख्य मार्ग पर बसे ग्रामों के लोग एवं यात्री धूल व मिट्टी से परेशान व बीमार हो रहे साथ ही आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है यदि हाँ, तो शासन या निर्माण एजेन्सी द्वारा क्या वैकल्पिक व्यवस्था की गई है निर्माण कार्य पूर्ण करनें की समयावधि क्या है एवं निर्माण कार्य कब तक पूर्ण किया जावेगा। (ख) क्या दमोह कंटगी जबलपुर मार्ग विगत एक वर्ष से क्षतिग्रस्त है मार्ग में बड़े-बड़े गड्ढे हो गये है यदि निर्माण एजेन्सी द्वारा मार्ग के रख-रखाव की समयावधि पूर्ण हो गई है तो मार्ग पर टोल प्लाजा द्वारा वाहनों से राशि क्यों वसूली जा रही है यदि रख-रखाव की समयावधि पूर्ण नहीं हुई है तो निर्माण एजेन्सी द्वारा मार्ग का सुधार कार्य क्यों नहीं किया जा रहा है मार्ग का सुधार कार्य कब तक किया जावेगा समयावधि एवं शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई है।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ, आंशिक क्षतिग्रस्त है। उक्त मार्ग पर मिट्टी का कार्य किया जा रहा है। मिट्टी के कार्य के दौरान धूल उड़ रही है, जिसे रोकने के लिये समय-समय पर पानी का छिड़काव किया जाता है। मार्ग के निर्माण के कारण सड़क दुर्घटनाएं नहीं हो रही है। अनुबंधानुसार कार्य पूर्ण करने की समयावधि 15 माह है। निर्माण कार्य पूर्ण होने की निश्चित तिथि बताना संभव नहीं है। (ख) जी नहीं, यह मार्ग करीब 5 माह से क्षतिग्रस्त है। जी नहीं। निर्माणाधीन एजेन्सी द्वारा मार्ग का सुधार कार्य नहीं किये जाने के कारण उसके ''रिस्क एण्ड कॉस्ट'' (ठेकेदार से वसूलनीय व्यय पर) पेंच मरम्मत कार्य हेतु निविदा आमंत्रित कर, निविदा स्वीकृति पत्र जारी कर दिया गया है, अनुबंध होने के पश्चात ही कार्य पूर्ण होने की तिथि बताना संभव होगा। मार्ग पर सुधार न किये जाने के कारण निवेशकर्ता से वसूलनीय व्यय पर मरम्मत कार्य हेतु निविदा प्रचलन में है।
प्रदूषित भोपाल में पर्यावरण सुधार के लिए किये गये उपाय
[पर्यावरण]
38. ( क्र. 533 ) श्री विश्वास सारंग : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भोपाल शहर देश का 11वां सबसे प्रदूषित शहर है? यदि हां, तो प्रश्न दिनांक को भोपाल का एम्बिएंट एयर क्वालिटी इंडेक्स कितना है? जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) के तहत भोपाल शहर के हमीदिया रोड, गांधी मेडिकल कॉलेज के सामने, बैरागढ़, रोशनपुरा चौराहा, मुख्य रेल्वे स्टेशन, बोर्ड ऑफिस चौराहा तथा गोविन्दपुरा औद्योगिक क्षेत्र में 1 नवम्बर 2019 से प्रश्न दिनांक तक प्रात: दोपहर और शाम को वायु प्रदूषण कितना-कितना था? स्थानवार जानकारी दें। (ग) प्रश्नांश (क) व (ख) के तहत भोपाल शहर में वायु प्रदूषण के क्या-क्या कारण हैं? प्रश्न दिनांक तक रोकथाम के क्या-क्या उपाय किये गये हैं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) यह सत्य है कि भोपाल शहर परिवेशीय वायु गुणवत्ता के परिप्रेक्ष्य में देश के प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल है। प्रश्न दिनांक 28.11.2019 को भोपाल शहर का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 221.20 रहा है। (ख) बोर्ड द्वारा प्रश्नांश में उल्लेखित भोपाल शहर के 07 स्थलों में से सिर्फ 03 स्थलों क्रमश: हमीदिया रोड, बैरागढ़, गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में परिवेशीय वायु गुणवत्ता का मापन राष्ट्रीय परिवेशीय वायु गुणवत्ता मापन के तहत् मेन्यूअल किया जाता है। शेष 04 स्थलों क्रमश: गांधी मेडिकल कॉलेज के सामने, रोशनपुरा चैराहा, मुख्य रेल्वे स्टेशन एवं बोर्ड आफिस चैराहा में बोर्ड द्वारा परिवेशीय वायु गुणवत्ता का मापन नहीं किया जाता है। दिनांक 01.11.2019 से प्रश्न दिनांक (28.11.2019) तक बोर्ड द्वारा भोपाल शहर के उपरोक्त 03 स्थानों पर किये गये वायु गुणवत्ता मापन के परिणामों से उद्भूत एयरक्वालिटी इंडेक्स की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ग) भोपाल में वायु प्रदूषण के मुख्य कारक सड़कों का खराब होना, वाहनों से उत्सर्जन, 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों का संचालन होना, ट्राफिक जाम की स्थिति, पार्किंग की अपर्याप्त व्यवस्था, शहर के आसपास स्थित कृषि क्षेत्र में पराली जलाना, शहरी कचरे/प्लास्टिक/बागवानी कचरा/बायोमास को खुले में जलाया जाना, रोड इत्यादि की सफाई झाडू द्वारा मानव श्रम से किया जाना, मल्टीस्टोरी भवन निर्माण कार्यों में ग्रीन नेट का उपयोग न करना, शहर में सड़कों के निर्माण में धूल को रोकने हेतु अपर्याप्त जल छिड़काव करना एवं बेरीकेटिंग वाल की व्यवस्था न होना, निर्माण सामग्री का अव्यवस्थित रूप से सड़कों के किनारे एकत्रित करना, वृक्षों की कटाई इत्यादि हैं। भोपाल शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा भोपाल शहर कंसशेनल क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल कर एक एक्शन प्लान बनाया गया है, जिस पर कार्यवाही प्रगति पर है। एक्शन प्लान की मानिटरिंग संभागायुक्त भोपाल की अध्यक्षता में गठित मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा की जा रही है। अद्यतन प्रोग्रेस रिपोर्ट पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में संभागायुक्त भोपाल द्वारा दिनांक 18.11.2019 बैठक कर सर्वसंबंधित विभागों को दिशा निर्देश जारी किये हैं। बैठक का कार्यवाही विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। बोर्ड द्वारा दिनांक 26.11.2019 को नगर निगम भोपाल को वायु प्रदूषण की रोकथाम हेतु जारी दिशा-निर्देश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है।
विभाग द्वारा कराये गये कार्यों की जानकारी
[लोक निर्माण]
39. ( क्र. 534 ) श्री विश्वास सारंग : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 1 जनरवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक भोपाल राजस्व संभाग स्थित लोक निर्माण के सभी संभागों में थर्मोप्लास्टिक रोड मार्किंग, पेंट से पट्टे डालने का काम, सोलर पावर रोड स्टर्ड, स्पीड ब्रेकर प्लास्टिक व रोड साईन बोर्ड के कार्य किन-किन दरों पर किस-किस एजेंसियों से कराये जा रहे हैं? एजेंसियों के नाम, पते सहित कार्यवार, दरवार, एजेंसीवार, किये गये भुगतानवार, जिलावार जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) के तहत वर्णित कार्यों के लिए क्या खुली निविदा आमंत्रित की गयी थी? यदि हां, तो क्या निविदा का प्रकाशन समाचार पत्रों में किया गया था? यदि हां, तो प्रकाशित विज्ञापन की छायाप्रति दें। निविदा में भाग लेने वाली एजेंसियों के नाम, पते सहित जानकारी दें। प्राप्त दरों के तुलनात्मक चार्ट दें। जानकारी जिलावार दें। (ग) प्रश्नांश (क) में वर्णित कार्यों का कितना-कितना भुगतान प्रश्न दिनांक तक किया गया? कार्यवार, एजेंसीवार, किये गये भुगतानवार, जिलावार जानकारी दें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है।
सदन को गुमराह करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही
[खेल और युवा कल्याण]
40. ( क्र. 545 ) श्री आरिफ मसूद : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा प्रश्न क्र. 145 दिनांक 11 जुलाई 2019 को पूछे गए प्रश्न में अधिकारियों द्वारा फर्जी हस्ताक्षर पर सर्वप्रथम सदन को गलत जानकारी दी गई थी? (ख) यदि हाँ, तो किन-किन बिन्दुओं पर गलत जानकारी दी गई? (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में गलत जानकारी देने सदन को गुमराह करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी नहीं। (ख) एवं (ग) शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
जिम्मेदारों की पहचान कर कार्यवाही बाबत्
[श्रम]
41. ( क्र. 564 ) श्री सुभाष राम चरित्र : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग कार्य आवंटन नियम 2013 के तहत श्रम विभाग द्वारा प्रशासनिक अधिनियम और नियम तैयार किये गये है जिसके तहत न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, कारखाना अधिनियम 1948, मजदूरी भुगतान अधिनियम 1936 कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 एवं सामान्य पारिश्रमिक अधिनियम 1971 के अलावा खान अधिनियम तथा कोयला खानों से संबंधित अधिनियम को पालन संबंधित फैक्ट्रियों/कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। यदि हां तो रीवा संभाग में संचालित फैक्ट्रियों एवं कंपनियों द्वारा लाभान्वित श्रमिकों को अधिनियम के तहत दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी देवें? (ख) यदि प्रश्नांश (क) के संदर्भ में अधिनियमों का पालन नहीं कराया जा रहा कंपनियां श्रमिकों का कम मजदूरी देकर शोषण कर रही है बीमा, अधिनियम के तहत बीमा की राशि नहीं दे रहे है, कोयला खान अधिनियम तथा कोयला खदानों में कार्य करने वाले श्रमिकों को अधिनियम के तहत सुविधाएं एवं अन्य शर्तों अनुसार शर्तों का पालन पारिश्रमिक नहीं दिया जा रहा है तो इसके लिये कौन-कौन जिम्मेदार है? (ग) कम्पनियों एवं फैक्ट्रियों द्वारा अधिनियम का पालन हो रहा है अथवा नहीं इसका सत्यापन किन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कब-कब किया गया वर्ष 2009 से प्रश्नांश दिनांक तक का विवरण देवें? हिण्डालाकों महान ऐल्युमिनियम स्मेल्टर एवं कैप्टिव पावर प्लांट बरगवां द्वारा ठेके में श्रमिकों को रख कर शोषण कर पुनर्वास नीति 2002 व 2007 का पालन न कर विस्तापितों को दिये जाने वाले लाभ से वंचित किया गया है क्यों? इसके लिये जिम्मेदारों पर क्या कार्यवाही करेगें? (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अधिनियमों अनुसार श्रमिकों को कार्य के दौरान मृत्यु होने पर उनके आश्रितों एवं परिजनों को कितनी-कितनी राशि व नौकरी दी गई वर्ष 2014 से प्रश्न दिनांक तक का विवरण देवें? (ड.) प्रश्नांश (क) (ख) (ग) (घ) अनुसार कार्यवाही न करने के लिये कौन-कौन जिम्मेदार है उन पर क्या कार्यवाही करेंगे? अगर नहीं तो क्यों?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। रीवा संभाग के जिलों क्रमश: रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली में संचालित कंपनी/फैक्ट्रीयों में कार्यरत श्रमिकों के नाम एवं अधिनियम के तहत दी जाने वाली सुविधाओं संबंधी रीवा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है, सीधी की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है, सतना की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है, सिंगरौली की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) में दिये गए उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) कारखानों में कार्य के दौरान दुर्घटना घटित होने से मृत्यु होने पर उनके आश्रितों एवं परिजनों को नियमानुसार क्षतिपूर्ति राशि दिलाई जाती है। आलोच्य अवधि वर्ष 2014 से प्रश्न दिनांक तक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-5 अनुसार है। (ड.) उपर्युक्त प्रश्नांश (क) से (घ) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
दोषियों से वसूली के साथ आपराधिक प्रकरण दर्ज करना
[लोक निर्माण]
42. ( क्र. 565 ) श्री सुभाष राम चरित्र : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला सिंगरौली, रीवा एवं सतना में राष्ट्रीय राज्यमार्ग, राज्यमार्ग जिला मार्ग एवं कितने आंतरिक पहुंच मार्ग लोक निर्माण विभाग के है वर्तमान में इनकी हालत क्या है, इनमें से किन-किन का निर्माण प्रारंभ है, किन-किन का निर्माण किन वर्षों में पूर्ण हो चुका है किन-किन सड़कों में कितनी-कितनी राशि कब-कब व्यय हुई वर्ष 2016 से प्रश्न दिनांक तक का विवरण देवें? (ख) प्रश्नांश (क) की सड़कों को निर्माण किन-किन संविदाकारों को किन शर्तों पर कितनी अवधि में कार्य पूर्ण किये जाने बाबत् कार्यादेश जारी किये गये? क्या कार्यादेश में उल्लेखित शर्तों अनुसार कार्य समय पर पूर्ण कराये गये? अगर नहीं तो इस पर संबंधितों को दोषी मानकार किन किन के ऊपर कब-कब, कौन-कौन सी कार्यवाही प्रस्तावित की गई? (ग) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में सिंगरौली जिले के झुरही से सरई, माड़ा से रामगढ़ कोयलखूथ, माड़ा से मकरोहर मार्ग, बरका से नटवाडोल, धुम्माडोल से जल्फाडोल, करही खाडी रोड, घोघरा से नौढिया पहुंच मार्ग, बरगवां से झुरही राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण एवं मौके की स्थित की जाँच किन-किन वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कब-कब की गई जाँच के दौरान क्या कार्यवाही प्रस्तावित की गई जबकि मौके पर रोड की हालत दयनीय एवं गुणवत्ता विहीन है? अगर कार्यवाही नहीं की गई तो इसके लिये कौन-कौन जिम्मेदार है? इन पर क्या कार्यवाही करेंगे? अगर नहीं तो क्यों? (घ) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में आयुक्त राजस्व रीवा संभाग रीवा द्वारा पत्र क्रमांक 361 दिनांक 20/01/2016 एवं पत्र क्रमांक 3548 दिनांक 13/08/2019 के माध्यम से कलेक्टर रीवा को गुढ़ क्षेत्र की रोडों की जाँच बाबत निर्देश दिये गये जाँच की प्रति व की गई कार्यवाही देते हुए बतावें अगर जाँच नहीं की गई तो क्यों? इसके लिये जिम्मेदारों पर क्या कार्यवाही करेगें? (ड.) प्रश्नांश (क) के सड़कों का निर्माण नहीं कराया गया फर्जी बिल वाउचर तैयार कर राशि का गबन किया गया प्रश्नांश (ग) अनुसार जिम्मेदारों द्वारा अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन नहीं किया गया कार्य गुणवत्तापूर्ण नहीं हुये प्रश्नांश (ग) के रोडों का निर्माण घटिया गुणवत्ता विहीन कराया गया। संविदाकार एवं जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा राशि को खुर्दबुर्द कर शासन को क्षति पहुंचाने एवं प्रश्नांश (घ) अनुसार समय पर जाँच न कर दोषियों को बचाने वाले संबंधित दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही करेंगे? अगर नहीं तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-1' एवं 'ब' अनुसार है। (ग) प्रश्नांश में अंकित मार्गों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' एवं '1' अनुसार है। (घ) जी हाँ। प्रश्नांश में अंकित पत्रानुसार जाँच अधिकारी अधीक्षण यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा को सौंपी गई है। जाँच प्रतिवेदन अपेक्षित है। शेष प्रश्नांश का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ड.) जाँच के तथ्य प्राप्त होने पर ही आगामी कार्यवाही संभव है, शेष प्रश्नांश का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
सड़क निर्माण कार्य कराना
[लोक निर्माण]
43. ( क्र. 592 ) श्री राजेन्द्र शुक्ल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा शहर के मास्टर प्लान की महत्वपूर्ण सड़क स्टेडियम तिराहे से सैनिक स्कूल होते हुये मण्डी पहुँच मार्ग व रीवा विधान सभा क्षेत्र की उन सड़कों का जिनका बजट प्रावधान किया गया था, उन सड़कों का निर्माण कार्य अभी तक प्रारंभ क्यों नहीं हुआ? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में मास्टर प्लान की मुख्य सड़क स्टेडियम तिराहे से सैनिक स्कूल होते हुए मण्डी तक 2.25 किमी. का कार्य बजट में शामिल होने के बावजूद क्यों निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ? जबकि सैनिक स्कूल की जमीन सड़क निर्माण के लिए देने हेतु रक्षा मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली से स्वीकृति प्राप्त है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। इसके अतिरिक्त एक मार्ग रीवा लिंक रोड, लम्बाई 2.15 कि.मी. के निर्माण हेतु भू-अर्जन की कार्यवाही पूर्ण कर, अवार्ड की प्रक्रिया प्रचलन में है। (ख) स्वीकृत लम्बाई 2.25 कि.मी. में से 0.70 कि.मी. का कार्य पूर्ण है शेष लम्बाई में भूमि हस्तांतरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने के कारण एवं संविदाकार की मृत्यु हो जाने के कारण कार्य अपूर्ण है।
ट्रांसफार्मर की स्वीकृति के सन्दर्भ में
[ऊर्जा]
44. ( क्र. 602 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र महिदपुर के अंतर्गत दिनांक 01.01.2015 से 20.11.2019 तक 16 के.व्हीए., 25 के.व्ही.ए., 63 के.व्ही.ए. एवं 100 के.व्ही.ए. के कितने-कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर किन-किन योजनाओं में स्वीकृत किये गये? स्वीकृत किये गये विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या की जानकारी जिलेवार/वृत्तवार उपलब्ध करावें। (ख) विधान सभा क्षेत्र महिदपुर के अंतर्गत भिन्न-भिन्न योजनाओं में स्वीकृत कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर दिनांक 20.11.2019 तक स्थापित कर दिये गए हैं कि संख्यावार जानकारी वितरण केन्द्रवार उपलब्ध करवाये? अभी तक भिन्न-भिन्न योजनाओं में शेष विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित नहीं करने के लिए दोषी अधिकारियों पर विद्युत कंपनी द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) ट्रांसफार्मर स्थापित करने में विलम्ब के लिए ठेकेदारों के विरूद्ध कितनी पेनाल्टी की कार्यवाही की गयी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) उज्जैन जिले के विधानसभा क्षेत्र महिदपुर के अंतर्गत दिनांक 01.01.2015 से दिनांक 20.11.2019 तक विभिन्न योजनाओं में 16 के.व्ही.ए. के निरंक, 25 के.व्ही.ए. के 1774, 63 के.व्ही.ए. के 27 एवं 100 के.व्ही.ए. के 196 इस प्रकार कुल 1997 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर स्वीकृत किए गए। उज्जैन जिले के महिदपुर विधानसभा क्षेत्र हेतु स्वीकृत किए गए इन विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की योजनावार एवं क्षमतावार संख्या की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में अनुसार है। (ख) विधानसभा क्षेत्र महिदपुर के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं में स्वीकृत 1997 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों में से दिनांक 20.11.2019 तक कुल 1955 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित कर दिए गए हैं जिनकी वितरण केन्द्रवार संख्या की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में समाहित है। शेष 42 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना के कार्यों में से 04 कार्य मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना के हैं जिनके कार्यस्थल पर अत्यधिक वर्षा के कारण पानी भरा होने एवं खेतों में फसल बुवाई हो जाने से, राईट ऑफ वे की समस्या के कारण निर्धारित समय में कार्य सम्पादित नहीं हो सके हैं। शेष 38 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों का कार्य यथाशीघ्र पूर्ण किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर सम्पादित किये जा रहे कार्यों में विलंब करने के कारण वितरण कंपनी के अधिकारियों-श्री संदीप कालरा, कार्यपालन अभियंता, श्री ज्ञानेन्द्र गौड़, सहायक अभियंता एवं श्री सुदर्शन जटाले, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की जा रही है। (ग) टर्न-की आधार पर विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना के कार्य में विलंब के लिए विभिन्न योजनाओं में संबंधित ठेकेदारों से निविदा अनुबंध की शर्तों के अनुसार लिक्विडेटेड डैमेज के रूप में पेनाल्टी स्वरूप कुल राशि रू. 6,86,81,177/- काटी गई है।
मार्ग के निर्माण में अनियमितता एवं भ्रष्टाचार
[लोक निर्माण]
45. ( क्र. 603 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 129 (क्र. 3003) की जानकारी अनुसार निर्माणधीन पैकेज क्र. 01 का दिनांक 20.11.2019 तक ठेकेदार को विभाग द्वारा कितना भुगतान किया गया है? (ख) पैकेज क्र. 01 अनुसार ठेकेदार द्वारा ठेके की शर्तों के अनुसार कुल कितना प्रतिशत कार्य किया गया है? कार्य में विलंब के लिये उत्तरदायी अधिकारियों पर शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) पैकेज क्र. 01 के अनुसार दोनों सडकों का कार्य प्राक्कलन अनुसार नहीं किया जा रहा है तथा जो कार्य अभी तक किया गया है, उसकी गुणवत्ता की जाँच क्या प्रश्नकर्ता द्वारा प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग, म.प्र. भोपाल को दिये गये पत्र अनुसार कर ली गई है? यदि हाँ, तो जाँच प्रतिवेदन उपलब्ध करावें? नहीं तो क्यों? कारण बतावें। (घ) प्रमुख सचिव, लो.नि.वि. म.प्र. शासन भोपाल के पत्र पर भोपाल स्तर की समिति बनाकर जाँच करने का आग्रह किया गया था? क्या पत्र अनुसार जाँच करा ली गई है? जाँच नहीं कराने के लिये दोषी अधिकारियों पर शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) ठेकेदार को राशि रू. 192728912/- का भुगतान किया गया है। (ख) 12.71 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इस वर्ष में अक्टूबर माह तक वर्षा होने के कारण कार्य की गति धीमी थी, कोई अधिकारी दोषी नहीं है अत: कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं, जाँच की कार्यवाही प्रचलन में होने से शेष प्रश्नांश का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (घ) जी हाँ। प्रश्नांश (ग) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
जिला रीवा अंतर्गत लालगांव से जवा वाया सरई जनकहाई पनियारी घाट निर्माण
[लोक निर्माण]
46. ( क्र. 624 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला रीवा अंतर्गत बहुप्रतिक्षित लालगांव से जवा वाया सरई जनकहाई पनियारी घाट के निर्माण हेतु स्वीकृति एवं राशि जारी की जा चुकी है? यदि हाँ, तो स्वीकृति आदेश एवं राशि का विवरण दें। (ख) लगभग 02 वर्ष व्यतीत हो जाने के उपरांत भी अभी तक उक्त उल्लेखित घाट का निर्माण कार्य प्रारंभ क्यों नहीं किया जा सका? क्या उक्त मार्ग के निर्माण हेतु कोई समय-सीमा निर्धारित की गई है? (ग) क्या उक्त बहुप्रतीक्षित मार्ग का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग एवं वन विभाग के परस्पर सामंजस्य के अभाव में अटका हुआ है? यदि हाँ, तो कब तक यह गतिरोध दूर किया जा सकेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) से (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
स्वीकृत मार्गों का निर्माण कार्य
[लोक निर्माण]
47. ( क्र. 628 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिरमौर विकासखण्ड अंतर्गत सत्र 2018-19 एवं 2019-20 में आपके विभाग के द्वारा कुल कितने मार्गों का निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया है? क्या ऐसे सभी मार्गों के निर्माण हेतु टेण्डर प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है? स्वीकृत एवं निर्माणाधीन मार्गों का विवरण उपलब्ध करावें। (ख) जनपद पंचायत सिरमौर अंतर्गत ग्राम पंचायत डोल पहुंच मार्ग के निर्माण हेतु किस निविदाकार का चयन किया गया था? क्या कारण है कि लगभग 05 वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी मार्ग निर्माण कार्य पूर्ण नहीं कराया जा सका? निर्माण कार्य को पूर्ण कराने हेतु विभाग के द्वारा क्या कार्यवाही कब-कब की गई? तिथिवार विवरण उपलब्ध करावें। निर्माण कार्य पूर्ण करने हेतु क्या समय-सीमा निर्धारित की गई है? (ग) क्या जवा विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत गाढ़ा 138 में मुख्य टोला पहुंच मार्ग की मरम्मत एवं डामरीकरण का कार्य विभाग के द्वारा स्वीकृत किया जा चुका है? यदि हाँ, तो क्या निर्माण कार्य हेतु निविदाकार का चयन एवं अनुबंध विभाग के द्वारा किया जा चुका है? यदि हाँ, तो विभाग के द्वारा उक्त निर्माण हेतु क्या समय-सीमा निर्धारित की गई है।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) सत्र 2018-19 एवं 2019-20 में कोई कार्य स्वीकृत नहीं। शेष प्रश्नांश का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) विस्तृत विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
लोक निर्माण विभाग की सड़कों के संबंध में
[लोक निर्माण]
48. ( क्र. 635 ) श्री अनिल जैन : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) निवाड़ी एवं टीकमगढ़ जिले में लोक निर्माण विभाग द्वारा किन-किन मार्गों का प्राक्कलन बनाकर बजट में शामिल करने हेतु दिया गया था, विधानसभावार बतावें? (ख) क्या निवाड़ी जिले में लोक निर्माण विभाग द्वारा सिर्फ पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र के मार्गों को बजट में शामिल किया गया है यदि हां, तो विधानसभा क्षेत्र निवाड़ी के मार्गों को बजट में शामिल क्यों नहीं किया गया है, साथ ही ये भी बतावें कि निवाड़ी विधानसभा के साथ इस भेदभाव के लिए कौन जिम्मेदार है, अधिकारी का नाम एवं पदनाम सहित बतावें? (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा विधानसभा क्षेत्र निवाड़ी में विभिन्न मार्गों का निर्माण करने हेतु पत्र क्रमांक 37/विधा.निवाड़ी/2019, दिनांक 30/05/2019 द्वारा प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग भोपाल को लेख किया गया था यदि हां तो उक्त मार्गों का निर्माण करने हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही हुई है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। विभाग में उपलब्ध वित्तीय संसाधनों के अनुक्रम में प्राथमिकता के आधार पर प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जाती है। अत: कोई अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेदार नहीं है। (ग) उत्तरांश (ख) अनुसार।
निर्माणाधन सड़क निर्माण का मानक रूप में न होना
[लोक निर्माण]
49. ( क्र. 679 ) श्री कमलेश जाटव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना से पोरसा पैकेज-1 एवं पोरसा से प्रतापपुरा होते हुए भिण्ड तक निर्माणाधीन सड़क का कार्य मानक के अनुरूप न होते हुए घटिया किस्म का कार्य कराया जा रहा है। यदि हाँ, तो इसके लिये जिम्मेदार कौन है? जिम्मेदार के प्रति क्या कार्यवाही की जावेगी? (ख) यदि नहीं, तो क्या शासन जन हित, शासन हित में विधानसभा की उच्च स्तरीय समिति बनाकर तथा उसमें प्रश्नकर्ता सदस्य को भी शामिल करते हुए जाँच करायेगा? (ग) क्या लैब से मिट्टी की जांच, जी.एस.बी., डब्ल्यू.एम.एम., डी.वी.एम., बी.सी. एवं सभी आवश्यक जांचें कराने का आदेश जारी करेगा, यदि हाँ, तो कब, नहीं तो क्यों नहीं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्नांश का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है। (ख) उत्तरांश (क) के संदर्भ में आवश्यकता नहीं है। (ग) ठेकेदार द्वारा मार्ग पर स्थापित की गई लैब में निर्धारित आवृति में मिट्टी, जी.एस.बी., डब्ल्यू.बी.एम., डी.बी.एम., बी.सी. एवं अन्य सभी आवश्यक जांचों को किया गया है, जो मापदण्डानुसार पाये गये है। इसके अतिरिक्त थर्ड पार्टी टेस्ट भी लोक निर्माण विभाग की जोनल लैब से एवं अन्य एन.ए.बी.एल. लैब से करवाये गये है, जो कि मापदण्डानुसार पाये गये है। शेष प्रश्नांश हेतु (क) के संदर्भ में आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है।
नया सवेरा योजना अंतर्गत बिजली बिल का लाभ
[ऊर्जा]
50. ( क्र. 690 ) श्री अशोक रोहाणी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या केंट विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत शासन के द्वारा नया सवेरा योजनांतर्गत 150 यूनिट तक के बिलों पर 150 बिजली बिल की योजना लागू की गई है? यदि हाँ, तो क्या 150 रूपये बिजली बिल योजना लागू करने के उपरांत भी केन्ट विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत गरीब वर्ग के लोगों के बिजली बिलों में अनापशनाप राशि जोड़कर बिल दिये जा रहे है? यदि हाँ, तो क्यों? क्या गरीब वर्ग के लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) अंतर्गत केन्ट विधान सभा क्षेत्र में ऐसे कितने परिवारों को 150 रूपये बिजली बिल योजना का लाभ दिया जा रहा है? कितने गरीब वर्ग के लोग इस योजना का लाभ पाने से वंचित हो रहे है? (ग) गरीब वर्ग के लोगों को इस योजना का लाभ अधिक से अधिक प्राप्त हो सके इस दिशा में शासन प्रशासन स्तर पर क्या प्रयास किये जा रहे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) राज्य शासन द्वारा नया सवेरा योजनांतर्गत नहीं अपितु दिनांक 07.09.2019 को जारी आदेशानुसार प्रदेश में लागू इन्दिरा गृह ज्योति योजना को संबल योजना से असम्बद्ध करते हुए इन्दिरा गृह ज्योति योजना के लाभ का विस्तार प्रश्नाधीन क्षेत्र सहित प्रदेश के ऐसे सभी घरेलू उपभोक्ताओं हेतु किया गया है, जिनकी मासिक खपत 150 यूनिट तक है। ऐसे सभी पात्र उपभोक्ताओं को 150 यूनिट पर 150 रूपये नहीं अपितु प्रथम 100 यूनिट तक की खपत पर अधिकतम राशि रु. 100/- का बिल दिया जाने एवं 100 यूनिट खपत हेतु मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दर से गणना किए गए बिल तथा राशि रु. 100/- के अन्तर की राशि राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों को सब्सिडी के रुप में दिये जाने का प्रावधान किया गया है। 100 यूनिट से अधिक एवं पात्रता यूनिट की सीमा तक शेष यूनिटों के लिए म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश में निर्धारित दर के अनुसार बिल देय होगा। किन्तु किसी माह में पात्रता यूनिट से अधिक खपत होने पर उपभोक्ता को उस माह में योजना का लाभ नहीं मिलेगा एवं उसकी पूरी खपत पर म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश में निर्धारित दर के अनुसार बिल देय होगा। उल्लेखनीय है कि माह अक्टूबर 2019 की स्थिति में प्रदेश के 1.17 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं में से लगभग 1.01 करोड़ उपभोक्ताओं को उक्त योजना का लाभ मिला है, जिसमें सभी गरीब उपभोक्ताओं के साथ-साथ मध्यम वर्ग के उपभोक्ता भी लाभान्वित हो रहे हैं। चूंकि गरीब उपभोक्ताओं की विद्युत खपत 150 यूनिट से अधिक नहीं हो सकती, अतः यह कहना सही नहीं होगा की प्रश्नाधीन क्षेत्र में गरीबों को अत्यधिक राशि के बिल प्राप्त हो रहे हैं एवं उक्त योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। (ख) माह अक्टूबर-2019 में जबलपुर शहर के केन्ट विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कुल 50642 घरेलू उपभोक्ताओं में से 37460 उपभोक्ता इंदिरा गृह ज्योति योजनान्तर्गत लाभान्वित हुये हैं। उक्त योजना विद्युत खपत पर आधारित है, अत: उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार गरीब वर्ग के लोगों का इस योजना के लाभ से वंचित होने का प्रश्न ही नहीं उठता। (ग) राज्य शासन द्वारा प्रारंभ की गई इंदिरा गृह ज्योति योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों को प्राप्त हो, इस हेतु प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया, पंपलेट्स इत्यादि माध्यमों से योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। योजना में शामिल उपभोक्ताओं को हल्के पीले रंग के बिल प्रेषित किये जा रहे हैं एवं बिलों में योजना के लाभ संबंधी मैसेज अंकित किया जा रहा है।
तीरंदाजी एकेडमी विकासखण्ड झिरन्या में खोलना
[खेल और युवा कल्याण]
51. ( क्र. 722 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सम्पूर्ण मध्यप्रदेश्ज्ञ में तीरंदाजी एकेडमी कौन-कौन से स्थानों पर वर्तमान में संचालित हैं तथा नवीन तीरंदाजी एकेडमी खोलने हेतु क्या-क्या अहर्ताएं होना आवश्यक है? (ख) क्या खरगोन जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र विकासखण्ड झिरन्या में तीरंदाजी एकेडमी खोली जा सकती है? हाँ तो कब तक नहीं तो क्यों?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) प्रदेश में जबलपुर में तीरंदाजी अकादमी संचालित है। तीरंदाजी अथवा अन्य खेल की अकादमी खोलने हेुत क्षेत्र में प्रचलित खेल की प्रतिभा व उसकी पृष्ठ भूमि होने पर प्रशासकीय विभाग संभावित उपलब्धियों का आकंलन कर वित्त विभाग को प्रस्ताव प्रेषित करता है। वित्त विभाग द्वारा उसका परीक्षण कर वित्तीय संसाधन की उपलब्धता अनुसार नवीन खेल अकादमी स्थापित करने पर निर्णय लेता है। (ख) जी नहीं, क्योंकि विभाग का विकासखंड स्तर पर नियमित अमला स्वीकृत नहीं है। विकासखण्ड मुख्यालय पर कोई अमला स्वीकृत नहीं होने से जिले के किसी भी विकासखंड मुख्यालय पर खेल अकादमी खोली जाना संभव नहीं है।
स्वीकृत मृत्यु अंत्येष्टि सहायता की राशि उपलब्ध कराना
[श्रम]
52. ( क्र. 771 ) श्री के.पी. त्रिपाठी : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले के विकासखण्ड रीवा, सिरमौर एवं रायपुर कर्चु. में मृत्यु अन्त्येष्टि सहायता के प्रकरण विकासखण्ड रीवा में करीब 50.00 लाख रूपये के, विकासखण्ड सिरमौर में करीब 3.00 करोड़ रूपये के एवं विकासखण्ड रायपुर कर्चु.0 में 2.00 करोड़ रूपये के प्रकरण स्वीकृत होकर राशि की प्रत्याशा में लंबित है। क्या सरकार इन स्वीकृत प्रकरणों में सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुये राशि उपलब्ध कराकर प्रभावित परिवारों को मृत्यु, अन्त्येष्टि सहायता राशि का भुगतान करायेगी? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में यदि उत्तर जी हाँ, तो कब तक इन समस्त हितग्राहियों को मृत्यु अन्त्येष्टि सहायता राशि का भुगतान कर दिया जावेगा?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विद्युत समस्याओं का निराकरण
[ऊर्जा]
53. ( क्र. 777 ) श्री के.पी. त्रिपाठी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा जिले के विधान सभा क्षेत्र सेमरिया अंतर्गत विद्युत पोलों के केबिल न होने से विद्युत आपूर्ति नहीं हो पा रही है? क्या इस संदर्भ में प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा अधीक्षण अभियंता (संचा.-संधा.), रीवा से समय-समय पर दूरभाष से एवं अपने कार्यालयीन पत्राचार द्वारा भी विभाग को अवगत कराया गया है? क्या सरकार इस मसले में गंभीर होकर पूरे सेमरिया विधान सभा क्षेत्र में जहां कि केबिल नहीं लगी है वहां पर केबिलीकरण का एकमुश्त कार्य कराएगी? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या केन्द्र सरकार की सौभाग्य योजना अनुसार जिले में प्रत्येक घर में विद्युत पोल लगाकर कनेक्शन प्रदाय करने का प्रावधान था? यदि हाँ, तो इस योजना अनुसार सेमरिया विधान सभा अंतर्गत कितने गांवों के विद्ययमान, घरों में विद्युत कनेक्शन प्रदाय किया गया संख्या बतायें? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार जिन ग्रामों के घरों, में विद्युत कनेक्शन अभी तक प्रदाय नहीं किया गया है, उनमें कब तक कनेक्शन प्रदाय किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) रीवा जिले के विधानसभा क्षेत्र सेमरिया अंतर्गत विद्युत पोलों में केबिल नहीं होने से विद्युत आपूर्ति बाधित नहीं है, अपितु विद्यमान लाईनों में लगे निर्धारित क्षमता के तारों से सुचारू रूप से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है तथा जहाँ केबिल लगे हैं वहाँ कतिपय अवसरों पर आए फाल्ट के कारण केबिल जलने पर तत्काल सुधार कार्य कर विद्युत प्रदाय सुचारू कर दिया जाता है। माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा विधानसभा क्षेत्र सेमरिया अंतर्गत विद्युत पोलों में केबिल लगाने बावत अधीक्षण अभियंता (संचा./संधा.) रीवा वृत्त को पत्र नहीं अपितु दूरभाष के माध्यम से अवगत कराया गया था। उल्लेखनीय है कि वितरण कंपनी क्षेत्रान्तर्गत वर्षा ऋतु के पूर्व एवं बाद में विद्युत अधोसंरचना का रख-रखाव एवं आवश्यकता अनुसार समय-समय पर सुधार कार्य किया जाता है जिसके अंतर्गत विद्युत लाईनों के तार/केबिल के सुधारने एवं उन्हें व्यवस्थित करने का कार्य भी सम्मिलित है। वर्तमान में केबलीकरण की कोई योजना विचाराधीन नहीं है तथापि भविष्य में वित्तीय उपलब्धता अनुरूप ऐसे ही अन्य कार्यों की प्राथमिकता/आवश्यकता के क्रम में आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। (ख) जी हाँ, सौभाग्य योजना अंतर्गत आवश्यक लाईन विस्तार कार्य कर प्रत्येक घर में विद्युत कनेक्शन प्रदाय करने का प्रावधान था। उक्त योजना के अंतर्गत सेमरिया विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत 270 ग्रामों में 2988 अविद्युतीकृत घरों में विद्युत कनेक्शन प्रदान किये गये हैं। (ग) उत्तरांश (ख) में दर्शाए अनुसार प्रश्नाधीन क्षेत्र में सौभाग्य योजना के प्रावधानों के अनुसार सभी पात्र आवेदकों को घरेलू विद्युत कनेक्शन प्रदान कर दिये गये हैं, अत: प्रश्न नहीं उठता।
पुराने कार्यों का निविदा के माध्यम से भुगतान
[लोक निर्माण]
54. ( क्र. 817 ) श्री सुरेश धाकड़ : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शिवपुरी जिले में 2017-18 एवं 2018-19 में कार्यपालन यंत्री द्वारा सड़क तथा भवन मरम्मत, रंगाई-पुताई, हार्डवेयर रिपेयर, सेनेट्री रिपेयर, पुलिया रिपेयर, पेच रिपेयर तथा गिट्टी कलेक्शन की निविदा आमंत्रित की गई थी? यदि हां, तो कौन-कौन सी निविदाएं किस-किस के द्वारा निर्धारित दर से कितनी-कितनी कम दर पर डाली गई? (ख) उक्त में से किस निविदावार की कौन-कौन सी निविदाएं कितनी कम दर की स्वीकृत की गई? निविदाओं का तुलनात्मक पत्रक निविदाएं स्वीकृति आदेश एवं कार्य आदेश की प्रति संलग्न कर जानकारी दें। (ग) उक्त स्वीकृत निविदाओं में से किस-किस को किस-किस कार्य हेतु कितना-कितना भुगतान कब-कब किया गया? भुगतान किये गये बिल वाउचर के विवरण सहित जानकारी दें कि उक्त बिलवार कार्यों का भौतिक सत्यापन किस-किस अधिकारियों के द्वारा किया गया? (घ) क्या उक्त निविदाएं 22 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत तक कम दर पर डाली गई थी जो वास्तविक कार्य करने के लिये उपयुक्त नहीं थी, इसलिये पुराने कार्य माप पुस्तिकाओं में दर्ज कराकर भुगतान करा दिया गया था? यदि नहीं, तो 22-40 प्रतिशत कम दर पर गुणवत्तापूर्ण कार्य कैसे सम्पन्न कराये गये?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। स्वीकृति आदेश एवं कार्यादेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) जी नहीं, अन्य दरों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। जी नहीं। उपयंत्री/अनुविभागीय अधिकारी के द्वारा भौतिक सत्यापन करने के उपरांत कार्यपालन यंत्री द्वारा भुगतान किया गया है, इसलिये पुराने कार्य को माप पुस्तिका में इन्द्राज कर भुगतान करने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। निविदा की दर ठेकेदार द्वारा उसके पास उपलब्ध संसाधन कार्य के स्वरूप एवं उसके कार्य करने की पद्धति पर निर्भर करता है। भौतिक सत्यापन करने वाले अधिकारियों द्वारा गुणवत्तापूर्ण कार्य कराने के उपरांत ही सत्यापन किया जाता है।
गुणवत्ताविहीन सड़कों की जाँच एवं कार्यवाही
[लोक निर्माण]
55. ( क्र. 818 ) श्री सुरेश धाकड़ : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शिवपुरी जिले में वर्तमान में एम.पी.आर.डी.सी. के द्वारा कौन-कौन सी सड़कें कहाँ से कहाँ तक कितनी लागत से किस एजेंसी के द्वारा किन-किन अधिकारियों की निगरानी में कब से बनाई जा रही हैं? (ख) उक्त निर्माणाधीन सड़कों को कितनी अवधि में कब तक बनाया जाना था? निश्चित अवधि में सड़क निर्माण कार्य पूर्ण न होने के लिये संबंधित एजेंसी एवं अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही कब की गई? की गई कार्यवाही की जानकारी दें। (ग) क्या पोहरी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत सिंहनिवास-खुरई मार्ग एवं मोहना पोहरी रोड से ए.बी. रोड धोलागढ़ तक सड़क निर्माण का कार्य प्रचलित है यदि हां तो इन मार्गों का निर्माण किस एजेंसी द्वारा कब से किया जा रहा है तथा कब पूर्ण कर लिया जायेगा उक्त मार्गों के घटिया निर्माण की कौन-कौन सी शिकायतें प्राप्त हुई तथा उन पर क्या कार्यवाही की गई? (घ) पोहरी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत कौन-कौन से मार्गों का निर्माण कार्य प्रस्तावित है? उक्त कार्य कितनी लागत राशि से कब तक प्रारंभ किये जायेंगे? निश्चित समयावधि बतायें तथा लोक निर्माण विभाग द्वारा कौन-कौन से मार्ग एम.पी.आर.डी.सी. को हस्तांतरित किये गये है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। ठेकेदार को अनुबंधानुसार नोटिस जारी किए गए है। (ग) जी हाँ, सिंहनिवास-खुरई मार्ग का निर्माण कार्य प्रचलित है, जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है, सिंहनिवास-खुरई मार्ग पर घटिया निर्माण के सम्बंध में माननीय श्री सुरेश धाकड विधायक पोहरी विधानसभा क्षेत्र द्वारा शिकायत की गई थी। उक्त शिकायत के परिप्रेक्ष्य में मार्ग निर्माण में उपयोग की गई गिट्टी के परीक्षण परिणाम निर्धारित मापदण्ड के अनुरूप नहीं पाये गये। गिट्टी को अस्वीकृत किया गया है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
प्रदेश में नयी सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
56. ( क्र. 858 ) श्री अजय विश्नोई : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिसम्बर 2018 से नवम्बर 2019 तक जबलपुर संभाग में लोक निर्माण विभाग ने कौन-कौन सी नयी सड़कों को स्वीकृत कर निर्माण प्रारंभ किया है? इन निर्माण कार्यों में कुल कितनी राशि खर्च की गयी है और कितनी राशि का भुगतान किया गया है? (ख) वर्ष 2019-20 के बजट में कुल कितनी राशि के निर्माण कार्य नयी सड़कों हेतु स्वीकृत किये गये थे, उसमें से कितनी राशि खर्च की जा चुकी है और कितनी राशि का भुगतान किया जा चुका है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) बजट वर्ष 2019-20 में कुल राशि रूपये 1661.91 करोड़ के कार्यों को शामिल कराया गया। इस राशि में से कुल राशि 1057.47 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 25.11.2019 को जारी की गई है। जारी प्रशासकीय स्वीकृति के कार्य निविदा स्तर पर है। इस कारण इन कार्यों पर कोई व्यय नहीं हुआ है।
पवन एवं सौर ऊर्जा की परियोजना
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
57. ( क्र. 859 ) श्री अजय विश्नोई : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग ने मध्यप्रदेश में पवन ऊर्जा की कितनी परियोजनाएं पंजीकृत की गयी हैं जिन्हें शासकीय भूमि आवंटित की है? उपरोक्त योजनाओं में से कितनी योजनाएं PPA के अभाव में प्रारंभ नहीं हो पायी है? (ख) विगत 03 वर्षों में मध्यप्रदेश शासन ने कितनी-कितनी पवन ऊर्जा और कितनी-कितनी सोलर ऊर्जा विद्युत खरीदी है अथवा खरीदने के अनुबंध किये हैं? (ग) क्या शासन उक्त लेंडेड कास्ट पर म.प्र. में पवन ऊर्जा परियोजना एवं सोलर ऊर्जा परियोजना लगाने वालों से खरीदने तैयार है? (घ) उक्त खरीदी गयी पवन/सौर ऊर्जा की लेंडेड कास्ट 33 के.व्ही. के उपभोक्ता को पारेषण हानि एवं पारेषण चार्ज मिला कर किस दर पर पड़ेगी?
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) पिछले 3 वर्षों में क्रय की गयी सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। पिछले 3 वर्षों में राज्य की संस्था एम.पी.पी.एम.सी.एल. द्वारा पवन/सौर ऊर्जा क्रय हेतु किए अनुबंधों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (ग) वर्तमान में पवन/सौर ऊर्जा क्रय अनुबंध निविदा पद्धति के आधार पर प्राप्त न्यूनतम दरों पर किया जाता है। अत: लेंडेड कॉस्ट पर मध्यप्रदेश में पवन/सौर ऊर्जा परियोजनाओं से विद्युत क्रय किया जाना संभव नहीं है। (घ) खरीदी गई पवन/सौर ऊर्जा की लेंडेड कॉस्ट, 33 के.व्ही. विद्युत उपभोक्ताओं को प्रदाय की जाने वाली विद्युत की पारेषण हानि व पारेषण चार्ज के बाद बताना संभव नहीं होगा।
विद्युतविहीन ग्रामों में विद्युत प्रदाय
[ऊर्जा]
58. ( क्र. 880 ) श्री गिर्राज डण्डौतिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र 07 दिमनी जिला मुरैना में प्रश्नकर्ता द्वारा कई बार जिला योजना समिति, विधान सभा समिति क्षेत्रों एवं उच्च अधिकारियों से चर्चा उपरांत भी विधान सभा क्षेत्र के 180 गांव/मजरे/टोले पूर्ण रूप से विद्युतविहीन हैं, जबकि मध्यप्रदेश शासन व केन्द्र शासन द्वारा विद्युत प्रदाय हेतु कई योजनायें चल रही हैं? (ख) क्या शासन प्रशासन उपरोक्त विद्युतविहीन ग्राम/मजरे/टोलों में अतिशीघ्र सर्वे कराई जाकर संबंधित ग्रामों को शामिल कर उन्हें विद्युत सप्लाई की जावेगी व यदि हाँ, तो कब तक।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, विधानसभा क्षेत्र दिमनी जिला मुरैना के अंतर्गत विद्युतीकरण कार्यों की स्थिति के संबंध में माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा जिला योजना समिति एवं विधानसभा समिति के समक्ष साक्ष्य के दौरान अगवत कराया गया है। वस्तुस्थिति यह है कि वर्ष 2011 की जनगणना में सम्मिलित दिमनी विधानसभा क्षेत्र के समस्त राजस्व ग्रामों एवं उनके मजरों/टोलों में सघन विद्युतीकरण का कार्य सम्पादित कराया जा चुका है। केवल ऐसी बसाहटें जो ग्राम के बाहर एवं खेतों में निर्मित की गई है अथवा उक्तानुसार किये गये सघन विद्युतीकरण कार्यों के पश्चात् निर्मित हुई हैं, में सघन विद्युतीकरण का कार्य किया जाना शेष है। माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा इंगित किये गये कार्यों को सम्मिलित करते हुए दिमनी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ऐसे कार्यों की संख्या 168 है, जिनका विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। मुरैना जिले में सौभाग्य योजनान्तर्गत विद्युतीकरण के कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं। वर्तमान में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में कार्य चल रहे हैं तथा यह योजना भी पूर्णता की ओर है। अत: उक्त प्रचलित योजना के प्रावधानों के अंतर्गत अन्य कोई नवीन कार्य सम्मिलित किया जाना संभव नहीं है। (ख) उत्तरांश (क) में वर्णित दिमनी विधानसभा क्षेत्र की 168 बसाहटों के सघन विद्युतीकरण हेतु कार्य योजना तैयार की जा चुकी है। भविष्य में इन बसाहटों के विद्युतीकरण हेतु कोई योजना उपलब्ध होने पर वित्तीय एवं तकनीकी साध्यता के अनुसार इनके विद्युतीकरण का कार्य किया जा सकेगा, जिस हेतु वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
मुरैना-अम्बाह मार्ग में निर्माणधीन कार्य की जाँच
[लोक निर्माण]
59. ( क्र. 881 ) श्री गिर्राज डण्डौतिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना-अम्बाह मार्ग जो नेशनल हाईवे (एन.एच.) द्वारा निर्माणाधीन होकर कार्य प्रारंभ है, पर निर्माण कार्य में जो सामग्री जैसे-रेत, सीमेंट आदि प्राक्कलन अनुसार न होकर घटिया स्तर की है व निर्माण कार्य में अनुपात के अनुसार सामग्री का उपयोग नहीं होने से उक्त मार्ग अतिशीघ्र चलने योग्य नहीं रहेगी। (ख) क्या निर्माण कार्य के दौरान निर्माण सामग्री को यथास्थान में न रखते हुए इधर-उधर फैलाकर रखा है, जिसमें आवागमन में व्यवधान होकर दुर्घटनायें भी हो रही है। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) की जाँच क्या प्रश्नकर्ता के समक्ष उच्च अधिकारियों द्वारा जाँच के निर्देश दिये जाकर जाँच कराई जावेगी व कब तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ, परन्तु निर्माण कार्य में उपयोग की जा रही सामग्री जैसे-मिट्टी, गिट्टी, रेत, सीमेंट, डामर प्राक्कलन अनुसार होकर गुणवत्ता पूर्वक है एवं निर्माण कार्य में निर्धारित अनुपात में सामग्री का उपयोग किया गया है, जिनके लेब से परीक्षण करवाये गये है। शेष प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। (ख) जी नहीं, आवागमन में कोई व्यवधान नहीं है एवं निर्माणाधीन मार्ग में उपयोग की जा रही सामग्री के एकत्रीकरण के कारण कोई दुर्घटना नहीं हुई है। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है।
महाविद्यालयों में जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति
[उच्च शिक्षा]
60. ( क्र. 929 ) श्री आकाश कैलाश विजयवर्गीय : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इन्दौर जिले में शासकीय किन-किन महाविद्यालयों में जनभागीदारी समितियों का गठन किया गया है और किन में नहीं एवं जिनमे नहीं की गई है उनमें कब तक कर ली जावेगी? (ख) क्या इन शासकीय महाविद्यालयों में शासन की अनुशंसा पर जन भागीदारी अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की जाती हैं? यदि हाँ, तो इन्दौर जिले के किन-किन शा. महाविद्यालयों में जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति की गई है, किसमें नहीं? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार जनभागीदारी समिति में कौन-कौन अध्यक्ष नियुक्त हो सकते हैं, शासन के दिशा निर्देश उपलब्ध करावें?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) इन्दौर जिले के सभी शासकीय महाविद्यालयों में जनभागीदारी समितियों का गठन किया गया है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी हाँ। इन्दौर जिले के 11 शासकीय महाविद्यालयों में से किसी में भी जनभागीदारी समिति के लिए अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य शासन के द्वारा नहीं की गई है। (ग) जानकारी मध्यप्रदेश के राजपत्र (असाधारण) दिनांक 30 सितंबर 1996, दिनांक 20 फरवरी 2015 एवं दिनांक 03 जनवरी 2018 में वर्णित जनभागीदारी नियमों की कंडिका (ग) अनुसार है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1,2,3 अनुसार है।
रीवा जिले में रजहा-अकौरी-मौहरिया मार्ग का निर्माण
[लोक निर्माण]
61. ( क्र. 941 ) श्री गिरीश गौतम : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा जिले में रजहा-अकौरी-मौहरिया मार्ग का कार्य स्वीकृत है जिसका कार्य प्रारम्भ नहीं होने के कारण कलेक्टर रीवा को शिकायत की गयी एवं अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण विभाग मण्डल रीवा को जाँच का आदेश दिया गया, जिसकी जाँच की जाकर निरीक्षण टीप पृष्ठ क्रमांक 894 दिनांक 12.06.2017 द्वारा प्रमुख अभियंता, मुख्य अभियंता, कलेक्टर रीवा, कार्यपालन यंत्री, अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण रीवा को प्रेषित की गयी? (ख) क्या निरीक्षण टीप में अधीक्षण यंत्री रीवा द्वारा प्रतिवेदित किया गया कि ABCD का रेखण श्मशान भूमि, देव स्थान एवं जल भराव होने के कारण ABCD के अन्तिम छोर में PQR Alignment पर शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया तथा कलेक्टर रीवा द्वारा पत्र क्रमांक 495 दिनांक 30.08.17 द्वारा धारा 11 (संशोधित) अधिनियम 2013 के तहत प्रकाशन किया गया, तत्पश्चात 22.01.2018 को उक्त अधिनियम की धारा 19 के तहत भी प्रकाशन कर दिया गया और जमीनों का अधिग्रहण कर लिया गया। (ग) क्या कार्यपालन यत्री रीवा द्वारा 02.07.18 को Latter of acceptance (LOA) Ms.Krihna contruction cmpany को जारी किया गया, यदि हां तो संशोधित आधार पर सड़क का कार्य क्यों शुरू नहीं किया गया जिन, अधिकारियों द्वारा उक्त मार्ग के निर्माण को रोकने का प्रयास किया गया, उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) जी हाँ। जी हाँ। अनुमोदित एलायमेन्ट ABC PQR पर भू-अर्जन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ग) जी हाँ। जी नहीं, संविदाकार द्वारा सड़क निर्माण कार्य अविवादित भूमि पर प्रारंभ कर दिया गया है। अत: शेष प्रश्नांश का प्रश्न नहीं उठता।
चौराघाट निर्माण की स्वीकृति
[लोक निर्माण]
62. ( क्र. 958 ) श्री श्याम लाल द्विवेदी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला रीवा, उपखण्ड त्योंथर में चौराघाट निर्माण की स्वीकृति म.प्र. शासन द्वारा की गई है? (ख) यदि हाँ, तो प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति का क्रमांक एवं दिनांक तथा स्वीकृति राशि की जानकारी प्रदान की जाये। (ग) क्या उक्त स्वीकृत कार्य की निविदा हो चुकी है यदि हाँ, तो निविदा में कार्य पूर्ण करने की अवधि क्या है? यदि नहीं, तो निविदा की कार्यवाही कब तक पूर्ण की जायेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
त्योंथर उद्वहन सिंचाई परियोजना की स्वीकृती
[जल संसाधन]
63. ( क्र. 959 ) श्री श्याम लाल द्विवेदी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला रीवा के त्योंथर तहसील अन्तर्गत स्वीकृत एवं संचालित त्योंथर उद्वहन सिंचाई परियोजना के कमाण्ड क्षेत्र में कौन-कौन से ग्राम सम्मिलित हैं? (ख) कमाण्ड एरिया के ग्रामों में कौन-कौन से ग्राम में सिंचाई का पानी पहुँचता है और किन-किन ग्रामों में सिंचाई हेतु पानी अब तक उपलब्ध नहीं है? (ग) कमाण्ड एरिया के जिन ग्रामों में अब तक सिंचाई हेतु पानी नहीं पहुँच रहा है उन ग्रामों में, नहरों का निर्माण कर, कब पानी पहुँचाने की योजना है? (घ) परियोजना का उद्गम स्थल (राजापुर) क्या कमाण्ड एरिया में सम्मिलित है? यदि नहीं, तो क्यों? ग्राम राजापुर को कमाण्ड एरिया में सम्मिलित करना क्या समीचीन होगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) कमाण्ड एरिया में सिंचाई हेतु पानी पहुँचने वाले ग्रामों की सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार एवं पानी नहीं पहुँचने वाले ग्रामों की सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (ग) निविदा की प्रक्रिया पूर्ण कर अनुबंध किया जा चुका है। फसल कटने के उपरांत निर्माण कार्य प्रारंभ कर जुलाई 2020 में पानी पहुंचाने की योजना है। (घ) जी हाँ। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
सतना जिले में स्थित सीमेंट फैक्ट्रियां
[पर्यावरण]
64. ( क्र. 985 ) श्री नीलांशु चतुर्वेदी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सतना जिले स्थित सीमेंट फैक्ट्री द्वारा एन.जी.टी. के निर्देशों की अवहेलना कर ट्रकों में होने वाले लोडिंग/अनलोडिंग स्थल का कांक्रीटीकरण नहीं कराया गया, जिससे वहां वृहद पैमाने पर प्रदूषण हो रहा है आस-पास के गांवों में भी इसके दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। क्या इस संदर्भ में प्रशासन द्वारा सीमेंट फैक्ट्री के विरूद्ध कोई कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो विगत 5 वर्षों में कब-कब, क्या-क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों नहीं। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में पर्यावरण एवं लोगों के स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के विरूद्ध क्या शासन समुचित कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं, माननीय एन.जी.टी. द्वारा प्रकरण क्रमांक 59/2017 में दिनांक 22/09/2017 को पारित आदेश में सीमेंट उद्योग मेसर्स बिरला कॉर्पोरेशन लिमिटेड, सतना को लोडिंग/अनलोडिंग स्थल की कांक्रीटीकरण करने के निर्देश नहीं है तथापि उक्त उद्योग द्वारा लोडिंग/अनलोडिंग स्थल का कांक्रीटीकरण किया गया है, अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
निजी संस्थानों में वेतन विसंगति
[श्रम]
65. ( क्र. 986 ) श्री नीलांशु चतुर्वेदी : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में स्थित गैर सरकारी संगठनों में कार्यरत कर्मचारियों के वेतनमान निर्धारण से संबंधित क्या कोई दिग्दर्शिका शासन द्वारा निर्धारित है यदि हाँ, तो इससे संबंधित विसंगति को दूर करने के लिए निर्धारित समय सीमा बतायें। (ख) सतना जिले के चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र में कितने गैर शासकीय संस्थान कार्य कर रहे है? नामवार कर्मचारीवार श्रेणीवार पृथक-पृथक विवरण दे तथा इस संगठनों/संस्थाओं में किस आधार पर वेतन निर्धारण होता है। (ग) प्रश्नांश (क) (ख) के परिप्रेक्ष्य में नियत वेतनमान/मानदेय/मजदूरी क्या शासन द्वारा निर्धारित मानदण्डों के अनुरूप है यदि नहीं, तो इन पर क्या कार्यवाही? कब तक की जावेगी। (घ) निजी संस्थानों/संगठनों गैर शासकीय संगठनों में कार्यरत कर्मचारियों एवं कर्मचारी संगठनों द्वारा 01 जुलाई 2014 से प्रश्न दिनांक तक कितनी शिकायतें प्राप्त हुई, इन पर शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई कितने मामले लंबित है लंबित मामलों पर कब तक कार्यवाही की जावेगी।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी नहीं। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) गैर सरकारी संगठन के पंजीयन का श्रम कानून में प्रावधान नहीं होने से संस्थान एवं कर्मचारीवार जानकारी संधारित नहीं की जाती है। (ग) प्रश्नांश (क), (ख) परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं हाता है। (घ) चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के निजी संस्थानों के कर्मचारियों एवं श्रम संगठनों से प्रश्नांकित अवधि में 12 शिकायतें प्राप्त हुई जिनका निराकरण हो चुका है। वर्तमान में कोई मामला लंबित नहीं है। की गई कार्यवाही की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
नवीन विद्युत सब स्टेशन की स्वीकृति
[ऊर्जा]
66. ( क्र. 1002 ) श्री जजपाल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र अशोकनगर अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कितने नवीन विद्युत सबस्टेशन किन-किन गांवों में प्रस्तावित हैं? (ख) इनकी स्वीकृति कब तक होगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) अशोकनगर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कोई भी 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र अतिभारित नहीं हैं। भविष्य में संभावित भार वृद्धि के आंकलन के पश्चात् वर्ष 2020-21 की प्रणाली सुदृढ़ीकरण योजना (एस.एस.टी.डी. योजना) के अन्तर्गत अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र के दो ग्रामों यथा-मसीदपुर एवं रातीखेड़ा में नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना के कार्य प्रस्तावित किए गए हैं। (ख) प्रश्नाधीन क्षेत्र में उत्तरांश (क) में उल्लेखानुसार वर्ष 2020-21 की कार्य योजना में प्रस्तावित 33/11 के.व्ही. के 2 विद्युत उपकेन्द्रों के कार्य वित्तीय उपलब्धतानुसार स्वीकृत कर पूर्ण किये जाने संभव हो सकेंगे। अत: वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
प्रदूषण बोर्ड की शर्तों का पालन
[पर्यावरण]
67. ( क्र. 1004 ) श्री जजपाल सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत वर्तमान स्थिति में किस-किस स्थान पर किस-किस नाम के व्यक्गित/फार्मों/अन्य प्रकार का क्रेशर खुलने की एन.ओ.सी. अनुमति पर्यावरण विभाग के द्वारा किस दिनाँक से क्या शर्तें पूरी करने पर किस नाम/पदनाम के अधिकारी द्वारा कब-कब जारी की गई। (ख) क्या स्ट्रोन क्रेशन की अनुमति के पूर्व प्रदूषण बोर्ड की अनुमति लेना आवश्यक है यदि हाँ, तो किन शर्तों के तहत? क्या स्थल पर क्रेशर द्वारा बाउंड्रीवॉल बनवाई गई है, क्या बांउड्री के अन्दर एवं बाहर नियमानुसार (प्लाण्टेशन) वृक्षारोपण कराया गया है, यदि नहीं, तो क्या उनकी अनुमति निरस्त की जावेगी? (ग) अशोकनगर जिले में प्रश्नांश (क) के कितने क्रेशर मालिकों द्वारा प्रदूषण बोर्ड की शर्तों का पालन किया जा रहा है यदि नहीं, तो उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई यदि नहीं, तो क्यों। (घ) प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित क्रेशरों के इलाके में पर्यावरण विभाग द्वारा जनवरी 15 से आज दिनांक तक के मध्य एस.पी.एम. (सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) एवं आर.एस.पी.एम. की क्या-क्या मात्रा महावार/वर्षवार पायी गई, ऑफिशियल रिपोर्ट प्रति माहवार/वर्षवार स्थानवार/किस समय ली गई एवं किसके द्वारा ली गई नियम विरूद्ध एन.ओ.सी. जारी करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के विरूद्ध राज्य शासन कब तक एवं क्या कार्यवाही करेगा।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उत्तरांश (क) संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार क्रेशर मालिकों द्वारा सम्मति पत्रों में उल्लेखित शर्तों का पालन किया जा रहा है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) मध्यप्रदेश शासन की मंशा के अनुरूप म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आदेश क्रमांक 867 दिनांक 29/04/2015 द्वारा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पद्धति अपनाई गई है, जिसमें उद्योगों के रूटीन इन्सपेक्शन एवं रूटीन मॉनिटरिंग की आवश्यकता समाप्त की गई है। इस कारण स्टोन क्रेशर में एस.पी.एम. (सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) एवं आर.एस.पी.एम. (रेसपाईरेबिल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) की मॉनिटरिंग नहीं की जाती है। शिकायत प्राप्त होने पर संबंधित स्टोन क्रेशर का निरीक्षण कराया जाता है। दिनांक 15/01/2019 से प्रश्नांश दिनांक तक अशोक नगर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत संचालित किसी भी स्टोन क्रेशर की शिकायत बोर्ड में प्राप्त नहीं हुई है। बोर्ड द्वारा प्रतिमाह जिला स्तर पर परिवेशीय वायु में आर.एस.पी.एम. (पीएम-10 तथा पीएम-2.5) की मॉनिटरिंग कराई गई है, जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। बोर्ड द्वारा अशोक नगर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत स्टोन क्रेशरों को नियमानुसार सम्मति जारी की गई है। अतः शेष प्रश्न लागू नहीं।
रिंग रोड निर्माण की स्वीकृत
[लोक निर्माण]
68. ( क्र. 1073 ) श्री महेश राय : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र बीना के बीना शहर के यातायात को कम करने हेतु रिंग रोड का निर्माण करना प्रस्तावित है। (ख) यदि हाँ, तो कब तक स्वीकृत हो जावेगा। (ग) यदि नहीं, तो क्यों बीना शहर के आस-पास संचालित उद्योगों के यातायात से बीना में दुर्घटनायें हो रही है यदि हाँ, तो क्या यातायात को कम करने हेतु रिंग रोड स्वीकृत करने का प्रावधान है। (घ) यदि हाँ, तो कब तक स्वीकृत हो जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ग) यातायात के अत्याधिक घनत्व से नहीं अपितु वाहन चालकों की लापरवाही से हुई है, पुलिस थाना बीना से प्राप्त रिपोर्ट संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
विद्युत गृह में पानी घुसने के कारण नुकसान का आंकलन
[ऊर्जा]
69. ( क्र. 1115 ) श्री देवीलाल धाकड़ (एडवोकेट) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत वर्षा काल में गांधीसागर बांध के विद्युत गृह में पानी घुसने का क्या कारण था? पानी घुसने से पॉवर हाउस में कितना नुकसान हुआ है? (ख) नुकसानी का आंकलन क्या विभाग को है क्या पानी घुसने के कारण को लेकर विभाग द्वारा जाँच की गई है, यदि नहीं, तो क्या कारण है? यदि हाँ, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ग) विभाग द्वारा हुई नुकसानी को लेकर क्या कार्यवाही की जा रही है, नुकसानी का आंकलन राशि सहित संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें? (घ) क्या पावर हाउस में अभी विद्युत उत्पादन बंद है, हां तो कब तक पावर हाउस को सुचारू रूप से प्रारंभ किया जाएगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) अतिवर्षा के कारण गांधीसागर जलाशय से छोड़े जा रहे जल की मात्रा के अनुपात में अधिग्रहण क्षेत्र से आ रहे जल की मात्रा अत्यधिक थी, जिसके फलस्वरूप गांधीसागर जलाशय का जल स्तर लगातार बढ़ता गया एवं निर्धारित एफ.आर.एल., जो कि 1312 फीट है से 5 फुट से भी ऊपर लगभग 1317 फीट पहुंचने के कारण जल विद्युत गृह के पेन स्टाक गेलरी मार्ग से पानी विद्युत गृह में प्रवेश कर गया एवं विद्युत गृह में भर गया। गांधीसागर जल विद्युत गृह की इकाइयां लगभग 58 वर्ष पुरानी है। सामान्यत: जल विद्युत इकाइयों का सेवाकाल 35 वर्ष होता है। विद्युत गृह में पानी प्रवेश के उपरांत विभिन्न उपकरणों के डूब जाने से उपकरणों का इन्सुलेशन प्रभावित होता है, अत: इन इकाइयों को पुन: संचालन में लाने के लिये आर.एल.ए. स्टडी हेतु वेबकॉस लिमिटेड, जो कि भारत सरकार का उपक्रम है, की सेवाएं ली जा रही हैं। एजेंसी द्वारा 2 इकाइयों की आर.एल.ए. स्टडी की जाना है, जिसके उपरांत निर्णय लिया जायेगा कि इकाइयों के आधुनिकीकरण एवं नवीनीकरण की आवश्यकता है अथवा संधारण कार्य कर संचालन प्रारंभ किया जाना संभव होगा। सलाहकार द्वारा प्रस्तुत आर.एल.ए. स्टडी रिपोर्ट के आधार पर ही पावर हाऊस में हुये नुकसान का आंकलन संभव होगा। (ख) उपरोक्तानुसार नुकसान के आंकलन हेतु कार्यवाही की जा रही है। गांधी सागर जल विद्युत गृह में पानी घुसने के कारण को लेकर विभागीय स्तर पर जाँच कराई गई है जिसमें कोई भी अधिकारी या कर्मचारी दोषी नहीं पाया गया है, अत: कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है। (ग) उत्तरांश (क) में उल्लेखानुसार आर.एल.ए. स्टडी के पश्चात निर्णय लिया जायेगा कि इकाइयों के आधुनिकीकरण एवं नवीनीकरण की आवश्यकता है अथवा संधारण कार्य कर संचालन प्रारंभ किया जाना संभव होगा। सलाहकार द्वारा आर.एल.ए. स्टडी रिपोर्ट के आधार पर ही इकाइयों में हुये नुकसान का आंकलन किया जाना संभव होगा। (घ) जी हाँ। उपरोक्त सलाहकार एजेंसी द्वारा आंकलन रिपोर्ट (आर.एल.ए.) प्राप्त होने पर तदनुसार, आवश्यकता अनुरूप संधारण कार्य उपरांत अथवा नवीनीकरण, अपग्रेडेशन के कार्य के पश्चात् ही इकाइयों का संचालन प्रारंभ किया जाना संभव होगा।
नहरों का सीमेन्टीकरण
[जल संसाधन]
70. ( क्र. 1194 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हरदा जिले में कितनी नहरों को सीमेन्टीकरण (पक्का) किये जाने का प्रावधान था? सीमेन्टीकरण (पक्का) हेतु जिले को कितनी राशि प्राप्त हुई? (ख) नहरों को पक्के किये जाने (कार्य पूर्ण) हेतु कब से कब तक समय सीमा निर्धारित की गई थी? (ग) प्रश्नांश (ख) के संबंध में क्या नहरों को निर्धारित समय-सीमा में सीमेन्टीकरण (पक्का) किया गया? यदि नहीं, तो क्या निर्माण एजेन्सी पर किसी प्रकार की कार्यवाही की गई हो अवगत कराएं। (घ) निर्माण एजेन्सी को कितनी राशि का भुगतान अब तक किया गया?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) से (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
शासकीय महाविद्यालय खोलने हेतु मापदण्ड
[उच्च शिक्षा]
71. ( क्र. 1203 ) श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में उच्च शिक्षा के अध्ययन हेतु शासकीय महाविद्यालय खोलने हेतु कोई मापदण्ड निर्धारित हैं? यदि हां तो क्या? (ख) प्रश्नांश (क) के मापदण्ड में सिवनी मालवा विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम शिवपुर, डोलरिया व केसला में शासकीय महाविद्यालय खोले जाने हेतु विचार किया जावेगा? (ग) प्रश्नांश (ख) यदि नहीं, तो क्यों और खोला जावेगा तो कब तक?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। शासकीय महाविद्यालय खोला जाना एक नीतिगत निर्णय है तथापि प्राथमिक परीक्षण के लिए चिन्हित स्थान के समीप के स्कूलों की बारहवीं कक्षा में अध्ययनरत 500 विद्यार्थियों की उपलब्धता एवं 20/30 कि.मी. की परिधि में अन्य शासकीय महाविद्यालयों की उपलब्धता देखी जाती है। (ख) वर्तमान में प्रश्नांकित स्थानों पर शासकीय महाविद्यालय खोले जाने की कोई योजना नहीं है। (ग) उत्तरांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
भूमि आवंटित को परिवर्तन न करने के संबंध में
[उच्च शिक्षा]
72. ( क्र. 1216 ) श्री राम लल्लू वैश्य : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सन् 2018 में ग्राम कुसवई में कलेक्टर महोदय के द्वारा 13-14 एकड़ भूमि का आवंटन किया गया था। (ख) क्या ग्राम कुसवई में आदर्श महाविद्यालय कॉलेज बनाने हेतु विधिवत टेण्डर हो चुका था, जिसको पी.आई.यू. एवं कॉलेज प्राचार्य के द्वारा जिला मुख्यालय से 25-30 कि.मी. की दूरी किया जा रहा है? क्या भूमि परिवर्तन करना उचित है? यदि नहीं, तो आदर्श महाविद्यालय का काम कब तक चालू होगा?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। तदनुसार ग्राम रम्पा में निरीक्षक मंडल अमिलिया तहसील माडा में महाविद्यालय हेतु भूमि आवंटित कर दी गयी है एवं आदर्श महाविद्यालय का कार्य दिनाँक 17.11.2019 से प्रारंभ हो चुका है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अभिदाय राशि के संबंध में
[श्रम]
73. ( क्र. 1230 ) ठाकुर सुरेन्द्र नवल सिंह : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश श्रम कल्याण निधि अधिनियम 1982 के अंतर्गत अभिदाय की राशि म.प्र. श्रम कल्याण मण्डल द्वारा अशासकीय शिक्षण संस्थाओं (स्कूल) से भी ली जा रही है। (ख) यदि हां, तो क्या वहां कार्यरत शिक्षक एवं कर्मचारियों को श्रमिक माना गया है और पिछले 05 वर्षों में म.प्र. के किस-किस शासकीय/अशासकीय शिक्षण संस्थाओं (स्कूल) से कितनी राशि, किस आधार पर ली गई।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ (ख) जी हाँ, मध्य प्रदेश श्रम कल्याण मण्डल को विगत 05 वर्षों में अशासकीय शिक्षण संस्थाओं से प्राप्त अभिदाय राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
ऊर्जा विभाग में कार्यरत संविदा कर्मचारी
[ऊर्जा]
74. ( क्र. 1234 ) श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना नगरीय क्षेत्र में कितने अधिकारी कर्मचारी एवं संविदा कर्मचारी कितने वर्षों से पदस्थ है पद एवं कार्यवार सूची दें। (ख) सतना नगर में क्या गलत तरीके से बिजली के पोल एवं ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं? जिससे शहर में व्यापरी एवं पारिवरिक लोग व गरीब मजदूर अपनी ही जमीन पर लाईन एवं पोल के कारण मकान निर्माण कार्य नहीं करा पाते। क्या बिजली पोलों एवं ट्रांसफार्मरों हेतु निर्धारित व्यवस्थित स्थान का चयन किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) सतना जिले में बिजली विभाग द्वारा सामान्य मकानों में ज्यादा बिलिंग की वजह से कुछ गरीब परिवार उक्त बिल निर्धारित समय पर भुगतान न करने की वजह से उनकी विद्युत लाईन काट दी जाती है। ऐसे गरीब एवं सामान्य उपभोक्ताओं के संबंध में शासन द्वारा उनके निराकरण के लिये क्या व्यवस्था कर रही है? (घ) सतना शहर क्षेत्रांतर्गत वर्तमान में कितने घरेलू टी.सी. कनेक्शन लगातार चल रहे हैं, जिससे टी.सी. कनेक्शनधारी को बिजली विभाग द्वारा शासन की योजनाओं का क्या लाभ दिया जा रहा है? अगर नहीं दिया जा रहा है तो शासन द्वारा उक्त टी.सी. कनेक्शनधारियों को पोल लगाकर समुचित व्यवस्था विभाग द्वारा कब तक की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सतना नगरीय क्षेत्र में पदस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों एवं संविदा कार्मिकों की पदवार, कार्यवार, पदस्थापना की दिनांक सहित प्रश्नाधीन चाही गई जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं, सतना नगरीय क्षेत्र में सड़कों के किनारे विद्युत सुरक्षा मानकों के अनुसार, तकनीकी दृष्टि से साध्य पाये जाने पर ही पोल एवं वितरण ट्रांसफार्मर लगाये गये हैं। उल्लेखनीय है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 177 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा से संबंधित उपाय के लिये विनियम दिनांक 20.09.2010 को अधिसूचित एवं तत्पश्चात संशोधित किये गये है, जिनके अनुसार विद्युत लाईनों के नीचे एवं लाईनों से असुरक्षित दूरी पर निर्माण करना अवैधानिक है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में उक्तानुसार अवैधानिक निर्माण के लिये संबधितों को समय-समय पर विद्युत लाईनों से सुरक्षित दूरी रखने हेतु सूचित किया गया है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा से संबंधित उपाय विनियम के अनुसार विद्युत लाईनों के समीप निर्माण के पूर्व निर्माणकर्ताओं को इसकी जानकारी विद्युत आपूर्तिकर्ता को देना आवश्यक है। लाईन में फेरबदल की आवश्यकता होने तथा तकनीकी रूप से विस्थापन साध्य पाए जाने एवं मार्ग के अधिकार (आर.ओ.डब्ल्यू) की आवश्यकता पूरी होने की स्थिति में फेरबदल की आपूर्तिकर्ता द्वारा आंकी गई लागत की राशि आवेदक द्वारा जमा करने पर इन विद्युत लाईनों के विस्थापन हेतु कार्यवाही की जा सकती है। (ग) म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के अनुसार ही उपभोक्ताओं को बिल जारी किये जाते हैं। तथापि बिल संबंधी शिकायत प्राप्त होने पर उसका तत्काल निराकरण किया जाता है। उल्लेखनीय है कि विद्युत बिल संबंधी शिकायतों के निराकरण हेतु वितरण केन्द्र/जोनवार समिति का गठन किया गया है जिसमें अशासकीय सदस्य भी शामिल हैं। उक्त समिति द्वारा प्राप्त शिकायतों का त्वरित निराकरण किया जाता है। इसके अतिरिक्त बिल की राशि बकाया होने पर ही उपभोक्ताओं की बिजली आपूर्ति बंद की जाती है। समय-समय पर सप्ताह में एक दिन स्थानीय स्तर पर शिविर लगाकर भी बिलों से संबंधित समस्याओं का निराकरण किया जाता है। उल्लेखनीय है कि गरीब उपभोक्ताओं को राज्य शासन इंदिरा गृह ज्योति योजना के अंतर्गत 100 यूनिट तक के उपयोग पर 100 रुपये का बिल दिया जा रहा है तथा यह सुविधा 150 यूनिट तक विद्युत का उपयोग करने वाले सभी उपभोक्ताओं को प्रदान की गई है तथापि 100 यूनिट से अधिक उपयोग की गई 50 यूनिटों की बिलिंग म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के अनुसार की जाती है। (घ) दिनांक 03.12.2019 की स्थिति में सतना शहर के क्षेत्रातंर्गत 417 (भवन/भवन निर्माण हेतु) घरेलू अस्थाई कनेक्शन विद्यमान है इन कनेक्शनधारी उपभोक्ताओं को म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित विद्युत दरों के अनुसार ही बिलिंग की जा रही है तथा वर्तमान में घरेलू अस्थाई कनेक्शन धारी उपभोक्ता को पोल लगाकर स्थाई कनेक्शन प्रदान करने की कोई योजना संचालित/उपलब्ध नहीं है अपितु संबंधित उपभोक्ता द्वारा उक्त कार्य हेतु व्यय होने वाली शत प्रतिशत राशि संबंधित कार्यालय में जमा करने के पश्चात कार्य करवाकर स्थाई कनेक्शन प्राप्त कर सकता है या प्राक्कलन राशि का 5 प्रतिशत सुपरवीजन चार्ज संबंधित कार्यालय में जमा करने के उपरांत संबंधित उपभोक्ता स्वयं 'ए' श्रेणी के विद्युत ठेकेदार से लाईन विस्तार का कार्य करवाकर स्थाई कनेक्शन प्राप्त कर सकता है।
सड़क निर्माण की जानकारी
[लोक निर्माण]
75. ( क्र. 1260 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) तारांकित प्रश्न क्रमांक 240 दिनांक 11 जुलाई, 2019 में मुद्रित प्रश्न के उत्तर (क) में उन्नयन कार्य रूपये 49.00 करोड़ एशियन विकास बैंक जी हाँ एवं (ख) में विस्तृत विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है? स्वीकृत आदेश की छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है दिया गया था तो प्रश्न दिनांक तक स्वीकृत कार्यों में से कितने कार्य पूर्ण करा लिए गए गये एवं कितने कार्य अभी भी अपूर्ण होने के कारण यह रोड आवागमन को बाधित कर रही है? जिससे रोडों में आये दिन दुर्घटना हो रही है? संबंधित रोड कब तक पूर्ण करा ली जावेगी? (ख) संबंधित रोडों के कार्य में लापरवाही बरतने वाले कौन-कौन अधिकारी दोषीं है? दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही होगी? यदि हां तो कब तक? नहीं तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। तारांकित प्रश्न क्रमांक 240 दिनांक 11.07.2019 में उत्तरांश (क) पर अंकित मार्ग का निर्माण पूर्ण नहीं, निर्माण कार्य पूर्ण होने की निश्चित समय अवधि बताना संभव नहीं। प्रश्नांश (ख) हेतु दिये गये उत्तर में प्रगतिरत कार्य की विस्तृत जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शित है। आवागमन सुचारू रूप से संचालित है, कोई दुर्घटनायें नहीं हो रही है। (ख) उक्त कार्य में किसी अधिकारी द्वारा लापरवाही नहीं की गई। कोई दोषी नहीं है अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
मुआवजा राशि का भुगतान करना
[जल संसाधन]
76. ( क्र. 1261 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कटनी जिले के इटौरा एवं गैरतलाई में आयुक्त रीवा-संभाग, रीवा के निर्देशानुसार ग्राम-गैरतलाई में दिनांक 09.09.2018 एवं ग्राम-इटौरा में दिनांक 17.07.2018 को विवादित प्रकरणों के निराकरण कर मुआवजा राशि भुगतान हेतु शिविर का आयोजन किया गया था? (ख) ग्राम-इटौरा के शिविर में डिप्टी कमिश्नर तथा कार्यपालन यंत्री, बाणसागर,रीवा-संभाग,रीवा द्वारा शिविर का संचालन किया गया। इसी तरह संभागीय युक्त रीवा संभाग रीवा 09.09.2018 को गैरतलाई में संभागीय युक्त के मार्गदर्शन में शिविर का आयोजन हुआ। ग्राम इटौरा के शिविर में लगभग 98 एवं ग्राम गैरतलाई में 169 आवेदन प्राप्त हुये। संभागायुक्त द्वारा शिविर में प्राप्त आवेदनों को निराकरण हेतु संपूर्ण अधिकार सहित अनुविभागीय अधिकारी विजय राघवगढ़ को निराकरण हेतु अधिकृत किया गया था? तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी द्वारा समस्त आवेदनों को निराकरण कर अपनी अनुशंसा सहित कलेक्टर कटनी को अग्रिम कार्यवाही हेतु भेजा गया? (ग) अनुविभागीय अधिकारी द्वारा आवेदनों के निराकरण के प्रस्ताव यथावत कलेक्टर कटनी के पास लंबित है? मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता एवं भू-अर्जन एक्ट की धारा 11 के प्रस्तावों का निराकरण राज्य शासन से किया जाना है, किन्तु कलेक्टर द्वारा समस्त प्रकरण लंबित रखें गये हैं? (घ) प्रश्नांश (क) (ख) (ग) की कार्यवाही में क्या शासन हस्तक्षेप कर भू-अर्जन की कार्यवाही करते हुये प्रकरणों को मुआवजा राशि वर्तमान दर पर भुगतान करने हेतु कार्यवाही करेंगी? यदि हां, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) से (ग) जी हाँ। (घ) बाणसागर परियोजना के डूब क्षेत्र की अतिशेष भूमियों के पात्र भूमिस्वामियों को परियोजना के अंतर्गत प्रचलित नियमानुसार प्रक्रिया पूर्ण होने पर मुआवजा भुगतान किया जाना संभव होगा। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
ट्रांसफार्मर स्थापित किया जाना
[ऊर्जा]
77. ( क्र. 1266 ) श्री ओमप्रकाश सखलेचा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नीमच जिले की जावद विधानसभा क्षेत्रांतर्गत पिछले भाजपा शासन में स्वीकृत ट्रांसफार्मर (डीपियां) स्थापित कर दी गयी है। यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ पर। (ख) क्या विभाग में तय समय-सीमा में ट्रांसफार्मर स्थापित करने का प्रावधान है यदि हां तो क्या? क्या तय समय-सीमा में ट्रांसफार्मर स्थापित न करने वाले दोषी अधिकारियों/ठेकेदारों पर कार्यवाही की जावेगी यदि हां तो कब तक।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ। प्रश्नाधीन क्षेत्र में स्थापित किये गये पूर्व स्वीकृत 204 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थानवार/लोकेशनवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ, ऊर्जा विभाग के अंतर्गत विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित करने हेतु जारी किये गये कार्यादेशों में ट्रांसफार्मर स्थापित करने की निर्धारित समय-सीमा का प्रावधान होता है। प्रश्नाधीन कार्यादेश में यह समय-सीमा 18 माह निर्धारित थी। म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्पोरेट कार्यालय द्वारा उज्जैन राजस्व संभाग क्षेत्र के 7 जिलों के लिए ट्रांसफार्मर स्थापित करने सहित विद्युत अधोसंरचना के कार्यों हेतु एक संयुक्त कार्यादेश मेसर्स श्रीराम स्वीच गियर्स प्रा.लि. रतलाम को जारी किया गया,जिसमें नीमच जिले की जावद विधानसभा क्षेत्र में भी विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित करने का कार्य सम्मिलित है। उक्त ठेकेदार एजेन्सी द्वारा 8 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर निर्धारित समय-सीमा से अधिक अवधि में स्थापित किये गये है। उक्त ट्रांसफार्मर स्थापना सहित कार्य में विलम्ब के लिए उक्त ठेकेदार एजेन्सी को निविदा अनुबंध की शर्तों के अनुसार सम्पूर्ण उज्जैन राजस्व संभाग के कार्यादेश के तहत कुल राशि रु. 1,45,94,618/- की पेनाल्टी लगाई गई है। ट्रांसफार्मर स्थापना के कार्य के विलंब हेतु कोई भी अधिकारी दोषी नहीं है, अतः किसी अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
प्रभावितों सदस्यों को नौकरी का प्रावधान
[ऊर्जा]
78. ( क्र. 1275 ) श्री नारायण पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) एम.पी.पी.जी.सी.एल. दोगालिया में परियोजना से प्रभावित कृषकों के परिवार से एक सदस्य को नौकरी का प्रावधान है, यदि है तो उसकी पात्रता क्या है? (ख) क्या परियोजना से अनुदान प्राप्त प्रभावित परिवार के पात्र सदस्यों को नौकरी दी गई थी, अगर दी गई तो उनकी संख्या सूची देवें तथा परियोजना से प्रभावित परिवारों को जमीन अधिग्रहण करते समय क्या ऐसा कहा गया था कि जिन परिवार के सदस्यों को अनुदान दिया जा रहा है वे नौकरी हेतु पात्र नहीं होंगे और यदि ऐसा कहा गया तो उस आदेश की प्रति उपलब्ध करावे। (ग) क्या वर्तमान में परियोजना प्रभावित पात्र सदस्यों को नौकरी नहीं दी जा रही अगर नहीं तो ऐसे अनुदान प्राप्त सदस्यों की संख्या कितनी है और पूर्व में ऐसे अनुदान प्राप्त सदस्यों को नौकरी दी गई है? (घ) क्या फेस-II में क्या एम.पी.पी.जी.सी.एल. पॉवर प्लांट दोंगलिया में मेंटेनेंस कार्य कर रही मेल्को कम्पनी के कारण एम.पी.जी.सी.एल. कम्पनी का आर्थिक नुकसान हुआ है और यदि हाँ, तो कितना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एम.पी.पी.जी.सी.एल. पर कितनी पेनाल्टी तय की गई तथा इस पेनाल्टी का जवाबदार कौन था? क्या जवाबदार अधिकारी एवं कम्पनी पर कोई कार्यवाही की गई? इसके अतिरिक्त एम.पी.पी.जी.सी.एल. पावर प्लांट दोंगलिया में अभी तक कार्य करते हुये कार्यस्थल पर कितने श्रमिकों की मृत्यु हुई और उनके परिवार को कितना मुआवजा दिया गया तथा उन श्रमिकों की मृत्यु के लिये कौन अधिकारी/कम्पनी जिम्मेदार थी और उन पर किस प्रकार की कार्यवाही की गई।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी नहीं, अपितु एम.पी.पी.जी.सी.एल. की पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना नीति में प्रत्येक प्रभावित परिवार के किसी भी एक सदस्य को कंपनी में रोजगार हेतु प्राथमिकता पर अवसर प्रदान करने, बशर्तें कि रिक्तियां उपलब्ध हों तथा वे रोजगार के लिये आवश्यक अर्हता एवं पात्रता रखते हों, के प्रावधान है। इसके अलावा इस नीति में निर्माण अवधि में प्रभावित परिवारों के सदस्यों को निर्माण कार्यों में रोजगार हेतु भी प्राथमिकता दिए जाने के प्रावधान है। (ख) जी हाँ, परियोजना से अनुदान प्राप्त प्रभावित परिवार के 15 पात्र सदस्यों को नियुक्ति प्रदान की गई, जिसकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। कंपनी की पुनर्वास नीति की कंडिका क्र. 4 में स्पष्ट प्रावधान है कि कंपनी द्वारा अधिग्रहित भूमि के बदले प्रत्येक प्रभावित परिवार, जिसका भूमि अर्जन किया जाना है, को कृषि भूमि या रोजगार मुहैया न कराने के एवज में राष्ट्रीय पुनर्वास नीति 2007 के अध्याय 7 की कंडिका 7.14 के अनुसार 750 दिनों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर पुनर्वास अनुदान दिया जायेगा। अत: जब भूमि प्रभावित परिवारों के वयस्क पुत्रों एवं अविवाहित वयस्क पुत्रियों द्वारा पुनर्वास अनुदान की मांग की गई, तो उससे स्वत: परिलक्षित हुआ कि उन्हें यह जानकारी है कि उक्त पुनर्वास अनुदान रोजगार के एवज में किया जा रहा है। तथापि भू-राजस्व अधिकारी, खण्डवा द्वारा पृथक से इस हेतु आदेश जारी किए गए। सुलभ संदर्भ हेतु छ: आदेश पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (ग) वर्तमान में परियोजना प्रभावित परिवारों के ऐसे पात्र सदस्यों, जो कि विज्ञापन में प्रकाशित पदों के विरूद्ध आवश्यक अर्हता एवं पात्रता रखते हैं, को योग्यतानुसार नियुक्ति प्रदान की जा रही है। अभी तक प्रभावित परिवारों के 58 पात्र सदस्यों को नियुक्ति प्रदान की गयी है। इसमें अनुदान प्राप्त करने वाले कुल 2280 परिवारों के नियुक्ति प्राप्त करने वाले 15 सदस्य भी शामिल है। (घ) श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना, म.प्र.पावर जनरेटिंग कं.लि. डोंगलिया में मेंटेनेंस कार्य कर रही मेलको इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कारण म.प्र.पावर जनरेटिंग कं.लि. को कोई नुकसान नहीं हुआ है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पेनाल्टी लगाये जाने से संबंधित कोई भी पत्र या सूचना प्राप्त नहीं हुई है, अत: किसी कार्यवाही का प्रश्न नहीं उठता है। श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना, म.प्र.पावर जनरेटिंग कं.लि. डोंगलिया में अभी तक कार्यस्थल पर कार्य करने के दौरान 15 ठेका श्रमिकों की दुघर्टना में मृत्यु हुई है। इन दुघर्टनाओं के संबंध में प्रकरण कारखाना निरीक्षक की जाँच अथवा माननीय न्यायालय के समक्ष सुनवाई प्रक्रियाधीन है। इन प्रकरणों में अभी तक कोई भी अधिकारी/कंपनी दोषी नहीं पाये गये हैं। उक्त ठेका श्रमिकों के परिवार को प्रदान किये गये मुआवजे का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
नहरों के लाईनिंग का गुणवत्ताहीन कार्य
[जल संसाधन]
79. ( क्र. 1277 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सोहागपुर के अंतर्गत कितनी, कौन-कौन सी वृहद/मध्यम/लघु सिंचाई (दांई तट/बांई तट) परियोजनायें संचालित हैं? (ख) क्या इन परियोजनाओं में जो लाईनिंग एवं पक्कीकरण का कार्य हुआ है यह अत्यन्त ही गुणवत्ताहीन है? यदि हाँ, तो इस पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा नहरों का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होने एवं गुणवत्ताहीन कार्य होने के संबंध में विभाग को कब-कब पत्र प्रेषित किये गये थे तथा प्रश्नकर्ता के पत्र पर विभाग द्वारा प्रश्न दिनाँक की स्थिति में कब-कब और क्या-क्या कार्यवाही की गई? (घ) बांई तट नहरों का निर्माण कार्यपूर्ण नहीं होने तथा गुणवत्ताहीन कार्य होने के लिए कौन-कौन अधिकारी एवं एजेन्सी जिम्मेदार हैं? अधिकारी एवं ठेकेदार का नाम बताते हुये क्या विभाग द्वारा उनके विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) विधानसभा क्षेत्र सोहागपुर के अंतर्गत तवा वृहद परियोजना की दांयी तट नहर 0 से 07.10 कि.मी., पिपरिया शाखा नहर 0 से 28.29 कि.मी., बागरा शाखा नहर की 0 से 23.59 कि.मी. एवं बांयी तट नहर की 0 से 23.47 कि.मी. तथा गुड्डीखेड़ा लघु सिंचाई परियोजना संचालित है। (ख) नहर लाईनिंग एवं पक्कीकरण का कार्य गुणवत्तापूर्वक कराया जाना प्रतिवेदित है। जिस स्थान पर गुणवत्ताहीन कार्य हुआ वहां लाईनिंग के कार्य को तोड़कर ठेकेदार के व्यय पर पुन: लाईनिंग कार्य कराया गया। (ग) अभिलेखों में मान. सदस्य का कोई पत्र प्राप्त होना नहीं पाया गया। अत: जानकारी दी जाना संभव नहीं है। (घ) बांयी तट नहर का कार्य पूर्ण होना प्रतिवेदित है। बांयी तट नहर की आर.डी. 6523 मीटर से 23470 मीटर तक लाईनिंग कार्य में कुछ स्थानों पर गुणवत्ता अनुसार कार्य नहीं पाए जाने पर उक्त स्थानों की लाईनिंग को तोड़कर संबंधित ठेकेदार मेसर्स सोरठिया बेलजी रत्नम एण्ड कम्पनी के व्यय पर गुणवत्ता पूर्वक कार्य संपादित कराया जाना प्रतिवेदित है। कार्य में लापरवाही बरतने वाले निम्नलिखित अधिकारियों पर प्रमुख अभियंता के आदेश क्रमांक 3328500/23/17 दिनांक 08.02.2018 द्वारा एक-एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकी गई है :- 1. श्री अरविन्द कुमार यादव, सहायक यंत्री 2. श्री एम.एल.चन्द्रोल, उपयंत्री 3. श्री बी.के. उपाध्याय, उपयंत्री 4. श्री एन.के. सुर्यवंशी, उपयंत्री। ठेकेदार द्वारा स्वयं के व्यय पर पुन: कार्य करने से उनके विरूद्ध कार्यवाही किए जाने की स्थिति नहीं है।
अधूरे पड़े विद्युत विस्तार कार्य
[ऊर्जा]
80. ( क्र. 1337 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्राम पंचायत सिंगारपुर (सलैया) विकासखण्ड मण्डला जिला-मण्डला के वार्ड क्रमांक 01 (खुर्रीटोला) एवं ग्राम सलैया में विगत एक वर्ष पूर्व सौभाग्य योजना एवं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनान्तर्गत विद्युत विस्तार के अन्तर्गत विद्युत पोल (खम्बे) केबल (तार) एवं ट्रांसफार्मर लगाये गये हैं किन्तु चालू नहीं किये गये हैं? (ख) मण्डला जिलें में ऐसे कितने विद्युत विस्तार कार्य कहां-कहां अधूरे पड़े हैं और कार्य पूर्ण नहीं होने का कारण क्या है? यदि संबंधित ठेकेदार द्वारा कार्य पूर्ण नहीं किया गया है तो ठेकेदार के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है? कॉपी उपलब्ध करावें। (ग) क्या प्रश्न दिनांक तक न तो कनेक्शन पाइंट लगाये गये है न ही कनेक्शन किया गया है और न हीं विद्युत सप्लाई चालू किया गया है? यदि हां तो कब तक कनेक्शन एवं विद्युत सप्लाई चालू किया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) ग्राम पंचायत सिंगापुर विकासखंड मंडला के वार्ड क्रमांक 01 (खुर्री टोला) एवं ग्राम सलैया में सौभाग्य योजना के अंतर्गत स्वीकृत लाईन विस्तार के कार्य म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के निर्माण संभाग (एस.टी.सी.) द्वारा पूर्ण कर दिनांक 02.12.2019 को विद्युत प्रदाय चालू कर दिया गया है। वर्तमान में प्रश्नाधीन क्षेत्र में सुचारू रूप से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ख) एवं (ग) जिला मंडला में सौभाग्य योजनान्तर्गत टर्न-की आधार पर किये जा रहे 518 कार्य एवं म.प्र.पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर किये जा रहे 401 कार्य, इस प्रकार कुल 919 विद्युत लाईन विस्तार के कार्य अधूरे हैं, जिनकी स्थानवार एवं कार्यवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से प्राप्त जानकारी अनुसार वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण उक्त कार्य पूर्ण नहीं किये जा सके हैं, अत: ठेकेदार के विरूद्ध उपरोक्त कारण से कोई कार्यवाही नहीं की गई है। वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार मंडला जिले में सौभाग्य योजनान्तर्गत 34174 विद्युत कनेक्शन दिये गये है तथा विद्युत प्रदाय सुचारू रूप से किया जा रहा है। शेष कार्यों को वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार पूर्ण किया जा सकेगा जिस हेतु वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि जिला मंडला में सौभाग्य योजनांतर्गत किए गए विद्युतीकरण के कार्यों की पूर्णता/कार्यों में अनियमितताओं की शिकायत प्राप्त हुई है। अनियमितताओं की जाँच हेतु मुख्य महा प्रबंधक (मा.स.एवं प्र.) के आदेश क्रमांक प्रसं/पू.क्षे./मु.म.प्र. (मा.स.एवं प्र.)/शिकायत/5381 दिनांक 11.07.19 के माध्यम से जाँच समिति का गठन किया गया था। समिति द्वारा पत्र क्रमांक 1911 दिनांक 30.09.2019 से मंडला संभाग के अंतर्गत (अंजनिया वि.के.) आंशिक जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था। मंडला जिला के शेष वितरण केन्द्रों के अंतर्गत अनियमितताओं की जाँच हेतु मुख्य महाप्रबंधक (मा.सं. एवं प्र.) के आदेश क्रमांक प्रसं./पू.क्षे./मु.म.प्र. (मा.सं. एवं प्र.) जांच/1216-17 दिनांक 15.10.2019 द्वारा दो जाँच दल बनाए गए हैं तथा वर्तमान में जाँच प्रक्रियाधीन है।
पूंजी निवेश
[उच्च शिक्षा]
81. ( क्र. 1368 ) श्री लक्ष्मण सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने हेतु वर्ष 2019 में इंदौर में आयोजित समिट में कोई करार किये गये हैं? (ख) यदि हां तो उसका सम्पूर्ण विवरण प्रदान करें। (ग) यदि न तो ऐसा निवेश करवाने हेतु क्या कार्य योजना है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) से (ग) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
विद्युत ट्रांसफार्मर योजना
[ऊर्जा]
82. ( क्र. 1371 ) श्री लक्ष्मण सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के अन्नदाता के लिए चलाई जा रही KAY की योजना जिसमें लगभग मुफ्त में ट्रांसफार्मर लगाए जा रहे थे, उसे बन्द क्यों किया गया? (ख) क्या इस प्रकार की कोई नवीन योजना विभाग प्रस्तुत करने वाला है? यदि हाँ, तो जानकारी प्रदान करें। (ग) प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र चांचौड़ा में वर्ष 2013 से 2018 तक विभिन्न योजना मद में कितने ट्रांसफार्मर लगाए गए एवं वर्तमान में कितने लगाए गए जो स्थलों पर कार्यरत हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णय दिनांक 06.09.2016 के अनुसार KAY योजना (कृषक अनुदान योजना) को मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना में समाहित कर वर्ष 2016-17 से वर्ष 2018-19 तक के लिये ही लागू किया गया। उक्त योजना बन्द नहीं की गई है अपितु योजना की अवधि 31.03.2019 तक ही निर्धारित थी। (ख) कृषकों को कृषि पंप कनेक्शन प्रदान करने हेतु नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अंतर्गत सोलर पम्प योजना राज्य शासन के विचाराधीन है। (ग) विधानसभा क्षेत्र चांचौड़ा में वर्ष 2013-14 से 2018-19 तक विभिन्न योजना मद में 2455 वितरण ट्रांसफार्मर लगाए गए जिनका विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। संलग्न परिशिष्ट अनुसार स्वयं का ट्रांसफार्मर योजनांतर्गत विधानसभा क्षेत्र चांचौड़ा में वर्ष-2013-2014 से वर्ष 2018-2019 तक स्थापित कुल 966 वितरण ट्रांसफार्मरों का रख-रखाव/ देख-रेख योजना के प्रावधानों के अनुसार स्वयं कृषक के द्वारा किया जाता है। प्रश्नाधीन शेष 1489 वितरण ट्रांसफार्मरों का रख-रखाव म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा किया जाता है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा लगाये गये उक्त सभी वितरण ट्रांसफार्मर वर्तमान में कार्यरत है।
खुरई विधानसभा की सिंचाई योजनाएं
[जल संसाधन]
83. ( क्र. 1373 ) श्री भूपेन्द्र सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खुरई विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत विभाग द्वारा वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक स्वीकृत लघु एवं वृहद सिंचाई योजनाओं को ब्यौरा क्या है? अभी तक योजनावार कितना-कितना आवंटन, किस-किस मद में प्रदाय किया गया और योजनाओं की भौतिक प्रगति क्या है? (ख) खुरई एवं बीना विधानसभा क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से बीना नदी उद्वहन सिंचाई योजना की स्वीकृति उपरांत प्रश्न दिनांक तक भौतिक प्रगति का ब्यौरा क्या है? उक्त परियोजना कब तक पूर्ण करा ली जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है।
मकरोनिया रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण
[लोक निर्माण]
84. ( क्र. 1374 ) श्री भूपेन्द्र सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले के मकरोनिया रेलवे क्रॉसिंग पर ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य कब स्वीकृत हुआ? निविदा शर्तों अनुसार ठेकेदार को ओवर ब्रिज के साथ क्या-क्या कार्य कराने थे? कार्य कब तक पूर्ण किया जाना है? ब्यौरा दें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार अभी तक कौन-कौन से कार्य पूर्ण किये गये? कार्य की भौतिक प्रगति क्या है? क्या समय-सीमा निकल जाने के बाद ठेकेदार को एक्सटेंशन दिया गया है? (ग) क्या एक्सटेंशन के बाद भी कार्य की गति अत्याधिक धीमी होने के कारण जिले के सबसे अधिक व्यस्ततम मार्ग पर आवागमन अत्याधिक प्रभावित हो रहा है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं, कार्य की प्रगति संतोषजनक है एवं वर्तमान में वाहनों का आवागमन विचलन मार्ग से चल रहा है।
टोल रोड पर गड्ढों की मरम्मत की स्थिति
[लोक निर्माण]
85. ( क्र. 1393 ) श्री कमल पटेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) देवास भोपाल फोर लेन की किन-किन सड़कों पर टोल टैक्स लिया जा रहा है? (ख) क्या जिन सड़कों पर टोल टैक्स की वसूली की जाती है उन सड़कों का मरम्मत कार्य सड़क निर्माण एजेन्सी द्वारा किया जाता है? यदि हां, तो देवास भोपाल फोर-लेन की जिन सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए है तथा जिनकी मरम्मत प्रश्न दिनांक तक नहीं की गई है? उनके निर्माण एजेन्सी के खिलाफ शासन लोक निर्माण विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? नहीं की गई तो क्यों? कारण बतावें। (ग) उपरोक्त सड़कों की मरम्मत कब तक की जाएगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' के कॉलम 3 अनुसार। (ख) जी हाँ। संबंधित मार्गों पर बड़े-बड़े गड्ढों जैसी स्थिति नहीं है एवं मार्गों के मरम्मत का कार्य प्रगतिरत है जो एक निरंतर प्रक्रिया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'', ''क'' एवं ''ख'' अनुसार। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
सड़कों का रख-रखाव
[लोक निर्माण]
86. ( क्र. 1499 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर नगर से जुड़ी लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गई सड़कें काफी जर्जर होने के बाद भी इनका रख-रखाव/पुनर्निर्माण नहीं हो रहा है, इसका क्या कारण है? (ख) क्या उक्त सड़कों को विभाग द्वारा स्थानीय प्रशासन को हस्तांतरित कर दिया गया है? यदि हाँ, तो क्या शासन इनके रख-रखाव/पुनर्निर्माण हेतु काई अतिरिक्त बजट उपलब्ध करायेगा और कब तक? (ग) यदि नहीं, तो शासन/लोक निर्माण विभाग इन सड़कों का रख-रखाव/पुनर्निर्माण कब तक करायेगा? समय-सीमा सुनिश्चित करें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। मार्गों पर संधारण कार्य नियमित रूप से किया जा रहा है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) लोक निर्माण विभाग के अधीन 14 सड़कों एवं म.प्र. सड़क विकास निगम की 01 सड़क का रख-रखाव कार्य कर दिया गया है एवं यह प्रक्रिया निरंतर जारी है।
सिंचाई बाधों एवं नहरों की मरम्मत
[जल संसाधन]
87. ( क्र. 1518 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी-सिंगरौली जिले के अन्तर्गत गौण सिंचाई परियोजना की स्वीकृति कब और कितनी राशि की प्रदाय की गई थी? गौण सिंचाई परियोजना का निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ कर दिया जावेगा? (ख) सीधी-सिंगरौली जिले के अन्तर्गत समस्त सिंचाई बांधों के नहरों का मरम्मत का कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं किया गया है, कब तक मरम्मत का कार्य कराकर किसानों को सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध करा दिया जावेगा? (ग) क्या सीधी जिले के अन्तर्गत लुरघुटी, हैकी, पौड़ी, कुसमी एवं कोड़ार बांध के सिंचाई नहरों के मरम्मत हेतु मनरेगा योजना से दो करोड़ रूपये की स्वीकृति वर्ष 2017-18 में प्रदान की गई थी? यदि हां तो आज दिनांक तक नहरों के मरम्मत का कार्य नहीं प्रारंभ किया गया? क्या कारण है? कब तक नहरों की मरम्मत का कार्य पूर्ण करा लिया जावेगा? (घ) सीधी जिले के अमौहरा सिंचाई बांध का निर्माण कब तक पूर्ण करा लिया जावेगा? सिंचाई बांध को समय सीमा में पूर्ण नहीं होने के क्या कारण है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) गोंड सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 20.09.2017 को रू. 1097.67 करोड़ की 34,500 हेक्टर के लिए प्रदान की गई। परियोजना का निर्माण कार्य मार्च 2019 से निविदाकार द्वारा प्रारंभ किया गया है। (ख) सीधी-सिंगरौली जिले के समस्त जलाशयों की नहरों की सफाई एवं मरम्मत का कार्य जल उपभोक्ता संथाओं के माध्यम से पूर्ण करा लिया जाना प्रतिवेदित है। कृषकों की मांग के अनुसार परियोजनाओं से सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराया जा रहा है। (ग) जी हाँ। कुसमी जलाशय को छोड़कर। आवंटन प्राप्त न होने के कारण मरम्मत कार्य प्रारंभ नहीं किया जाना प्रतिवेदित है। (घ) अमोहराडोल परियोजना का निर्माण कार्य जून 2020 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। लक्षित समय-सीमा समाप्त नहीं होने से शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
सडकों की मरम्मत कार्य
[लोक निर्माण]
88. ( क्र. 1523 ) श्री जुगुल किशोर बागरी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले के रैगाँव विधानसभा क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग की कौन-कौन सी रोड परफारमेन्स गारंटी के तहत निर्मित है और गारंटी अवधि कब तक है रोडवार विवरण देवें? (ख) प्रश्नांश (क) की जो रोड खराब हो गई है जगह जगह गड्ढे हो गये हैं बी टी रिन्यूवल किया जाता है उन सड़कों में उक्त कार्य अभी तक क्यों नहीं कराये गये कब तक कराये जायेंगे? (ग) प्रश्नांश (क) की सड़कों में साइड पटरी क्यों नहीं कराई गई, जबकि साइड पटरी की कास्ट स्टीमेट में शामिल है और ठेकेदारों को साइड पटरी की लागत का भुगतान किया गया है क्या शासन साइड पटरी नहीं बनाये जाने की जांच करायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो कारण बतायें? (घ) सतना जिले में विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी दें कि विभाग की कौन-कौन सी रोड का निर्माण वर्तमान में चल रहा है कितनी लागत है और कब तक पूर्ण होना था और अब तक क्यों पूर्ण नहीं की गई?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। इसके अतिरिक्त म.प्र. सड़क विकास निगम अंतर्गत एक मार्ग सुन्दरा सिंहपुर-सेमरिया मार्ग का अंश भाग रैगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिसकी परफारमेंस अवधि अप्रैल 2018 में समाप्त हो गई है। (ख) परफारमेंस गारंटी के जो मार्ग खराब हो जाते है, उनमें परफारमेंस गारंटी अवधि तक, कार्य के मूल स्वरूप अनुसार मरम्मत कार्य कराये गये है। मार्गों की स्थिति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। मरम्मत कार्य एक सतत् प्रक्रिया है अत: समय सीमा बताई जाना संभव नहीं है। (ग) उत्तरांश (क) में सड़कों में साईड पटरी का कार्य कराया गया है। यह सही है की मार्ग की साईड पटरी (शोल्डर) का कार्य प्राक्कलन में शामिल है, परन्तु संविदाकारों को स्थल पर उपलब्ध वास्तविक चौड़ाई में किये गये कार्य का ही भुगतान किया गया है। शेष प्रश्नांश का प्रश्न ही नहीं उठता। साईड पटरी का कार्य कराया गया है, अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र 'अ-1' 'ब' एवं 'ब-1' अनुसार है।
निर्दोष लोक सेवक के खिलाफ की गई कार्यवाही
[ऊर्जा]
89. ( क्र. 1527 ) श्री जुगुल किशोर बागरी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2014 में एस.टी.एम. संभाग रीवा में सेन्सर एम डी एम का बिना बिल प्रस्तुत किये एयरटेल कम्पनी द्वारा भुगतान न होने पर संभाग के सभी कनेक्शन विच्छेद कर दिये गये थे अगर हाँ तो पूर्ण विवरण दें? (ख) क्या इनके बिल भुगतान हेतु वरिष्ठ क्षेत्रीय लेखाधिकारी रीवा या मुख्य अभियंता रीवा की जबावदारी नियमानुसार होती थी तथा क्या बिल भुगतान न होने पर भी कनेक्शन नहीं काटने का अनुबंध था, अगर हाँ तो एयरटेल कम्पनी द्वारा कनेक्शन क्यों बंद किये गये तथा डीई एसटीएम रीवा को दोषी किस आधार पर बनाया गया तथा अब तक निर्दोष अधिकारी को निंदा दण्ड से मुक्त क्यों नहीं किया गया? (ग) क्या तत्कालीन कार्यपालन यंत्री एसटीएम से कनिष्ठ कार्यपालन यंत्रियों की पदोन्नति की गई थी तथा इनको सेन्सर क्यों किया गया था।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ वर्ष 2014 में एस.टी.एम. संभाग रीवा को भारती एयरटेल द्वारा बिल प्रस्तुत नहीं किया गया था एवं एस.टी.एम. संभाग, रीवा से संबंधित सभी कनेक्शन विच्छेदित कर दिये गये थे। कार्यपालन अभियंता शहर रीवा के पत्र क्रमांक 675 दिनांक 28.5.14 के माध्यम से अप्रैल 2013 से मार्च 2014 तक के बिल एस.टी.एम. संभाग, रीवा को प्राप्त हुए एवं कार्यपालन अभियंता, शहर रीवा के पत्र क्रमांक 4592 दिनांक 18.11.14 के माध्यम से अप्रैल 14 से मार्च 15 तक के बिल एस.टी.एम. संभाग, रीवा को प्राप्त हुए। कार्यपालन अभियंता, एस.टी.एम. संभाग रीवा को देयक प्राप्त होने पर देयक अवधि सितम्बर 2012 से फरवरी 2014 तक का बिल रु. 87344 पारित किया गया जो कि एस.टी.एम. संभाग के पत्र क्रमांक 333, दिनांक 28.08.2014 के माध्यम से क्षेत्रीय लेखाधिकारी, रीवा को प्रेषित किया गया एवं क्षेत्रीय लेखाधिकारी रीवा द्वारा जारी चेक क्रमांक 015299 दिनांक 03.09.14 द्वारा एयरटेल को भुगतान किया गया। इसी प्रकार कार्यपालन अभियंता, एस.टी.एम. संभाग रीवा को देयक प्राप्त होने पर देयक अवधि सितम्बर 14 से मार्च 15 तक का बिल रु. 35965 पारित किया गया जिसे क्षेत्रीय लेखाधिकारी, रीवा को पत्र क्रमांक 540 दिनांक 7.1.15 के माध्यम से प्रेषित किया गया था एवं क्षेत्रीय लेखाधिकारी, रीवा द्वारा जारी चेक क्रमांक 169142 दिनांक 14.01.15 द्वारा एयरटेल को भुगतान किया गया। सिम बंद होने की अवधि का देयक पारित नहीं किया गया है। (ख) एस.टी.एम. संभाग, रीवा द्वारा देयकों को पारित कर वरिष्ठ क्षेत्रीय लेखाधिकारी, रीवा को प्रेषित किये जाने के पश्चात् भुगतान की जवाबदारी वरिष्ठ क्षेत्रीय लेखाधिकारी की है। जी हाँ, भारती एयरटेल को दिये गये आदेश के अनुसार भुगतान में विलम्ब होने पर कनेक्शन नहीं काटा जाना था। इसके बावजूद एयरटेल कंपनी द्वारा भुगतान नहीं होने की स्थिति में कनेक्शन काट दिये गये। कार्यपालन अभियंता (एस.टी.एम.), देयकों का भुगतान समय पर कराने एवं सिम बन्द होने पर एयरटेल कंपनी से समन्वय स्थापित कर उन्हें तत्परता पूर्वक चालू कराने का प्रयास नहीं किये जाने के लिये दोषी पाये गये जिससे परिनिन्दा की लघु शास्ति अधिरोपित की गई। (ग) जी हाँ, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता एस.टी.एम., रीवा श्री जी.के.द्विवेदी से कनिष्ठ कार्यपालन अभियंताओं की पदोन्नति की गई है। एयरटेल कंपनी के सिम से संबंधित बिलों का भुगतान समय पर नहीं कराने तथा एयरटेल कंपनी से समन्वय कर बंद सिम को तत्परतापूर्वक चालू कराने का प्रयास नहीं करने के कारण श्री जी.के.द्विवेदी, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता (एस.टी.एम.), रीवा को सेन्सर किया गया था।
अतिवर्षा से खराब हुई सड़कों की मरम्मत
[लोक निर्माण]
90. ( क्र. 1571 ) डॉ. नरोत्तम मिश्र : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में अतिवर्षा के कारण प्रदेश की लोक निर्माण विभाग अन्तर्गत सड़कों की स्थिति खराब हो चुकी है? यदि हां,तो प्रश्न दिनांक तक उक्त सड़कों की मरम्मत हेतु शासन/प्रशासन स्तर पर क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ख) शासन/प्रशासन के सर्वे अनुसार प्रदेश की विभाग अन्तर्गत सम्पूर्ण सड़कों की मरम्मत हेतु कितनी राशि व्यय होगी? (ग) माह जुलाई 2019 से प्रश्न दिनांक तक प्रदेश की सड़कों की मरम्मत हेतु शासन/प्रशासन द्वारा कुल कितनी राशि आवंटित की गई? दतिया जिले में आवंटित राशि के विरूद्ध कितनी राशि, किन-किन सड़कों की मरम्मत में व्यय की गई? (घ) दतिया जिले में कितनी सड़कों की मरम्मत होना शेष है? सड़कों की मरम्मत का कार्य कब तक पूर्ण हो जायेगा? दतिया जिलों की सड़कों की मरम्मत हेतु किन-किन जनप्रतिनिधियों द्वारा कितने पत्र प्राप्त हुए हैं? उन पत्रों पर सरकार द्वारा क्या कार्यवाही की गई?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ, आंशिक रूप से। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। म.प्र. सड़क विकास निगम के अंतर्गत क्षतिग्रस्त सड़कों का सर्वे करवाया जाकर धनराशि आवंटन हेतु केन्द्र सरकार को अवगत कराया गया है। (ख) कुल 1188.40 करोड़ व्यय अनुमानित है। (ग) म.प्र. शासन द्वारा माह वार आवंटन नहीं किया जाता है, वित्तीय वर्ष 2019-20 में सड़कों की मरम्मत हेतु लोक निर्माण विभाग को रू. 214 करोड़ तथा म.प्र. सड़क विकास निगम को रू. 31.42 करोड़ का आवंटन प्राप्त हुआ है। वर्तमान में किये गये मरम्मत कार्यों का भुगतान नहीं किया गया है। अत: मार्गवार व्यय बताया जाना संभव नहीं है। म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा दतिया जिले में व्यय की गई राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र 'अ' अनुसार है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (घ) मात्र 1.50 कि.मी. का भाग नगर पालिका दतिया के पानी/सीवर लाईन डालने के कारण क्षतिग्रस्त कार्य की मरम्मत नगर पालिका दतिया द्वारा किया जाना है। शेष मरम्मत कार्य पूर्ण/संधारण/मरम्मत के सम्बंध में कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। अत: कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
आई.टी.आई. विद्यालय की स्वीकृति
[श्रम]
91. ( क्र. 1582 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या परासिया विधान सभा क्षेत्र के गरीब व श्रमिक वर्ग के छात्र/छात्राओं को तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास के क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके, इसलिये शासन द्वारा श्रमोदय विद्यालय संचालन समिति भोपाल द्वारा श्रमिक आई.टी.आई. विद्यालय को परासिया (चांदामेटा) में प्रारंभ किये जाने हेतु प्रस्तावित कर स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है? अगर हां, तो उपरोक्त संबंध में अभी तक विद्यालय को प्रारंभ किए जाने हेतु विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गयी है? (ख) श्रमिक आई.टी.आई. विद्यालय को प्रारंभ किये जाने हेतु लगभग 5 एकड़ शासकीय भूमि नगर चांदामेटा में उपलब्ध करा दी गयी है, जिसका प्रस्ताव राजस्व विभाग द्वारा शासन स्तर पर प्रेषित भी किया जा चुका है परन्तु फिर भी विभाग द्वारा श्रमिक आई.टी.आई. विद्यालय को परासिया (चांदामेटा) में प्रारंभ किये जाने में काफी विलंब किया जा रहा है, जिसका क्या कारण है? कारण सहित जानकारी उपलब्ध करायें। (ग) श्रमिक आई.टी.आई. विद्यालय को परासिया (चांदामेटा) में प्रारंभ किये जाने हेतु संबंधित विभागीय एवं अन्य सभी औपचारिकताओं को कब तक पूर्ण कर श्रमिक आई.टी.आई. विद्यालय को प्रारंभ कर दिया जायेगा? श्रमिक आई.टी.आई. विद्यालय को प्रारंभ किये जाने हेतु क्या दिशा-निर्देश नियमावली है? नियमावली उपलब्ध करायें।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। श्रम पदाधिकारी जिला छिंदवाड़ा से प्राप्त जानकारी अनुसार आई.टी.आई. हेतु ग्राम बुटरिया, तहसील परासिया जिला छिंदवाड़ा में कलेक्टर छिंदवाड़ा के आदेश दिनाँक 13/09/2019 द्वारा 02 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है, किन्तु श्रम एवं रोजगार मंत्रलाय भारत सरकार द्वारा आदेश दिनाँक 11 जुलाई 2017, जिसमें भवन संनिर्माण मंडल द्वारा किए जाने वाले निर्माण कार्यों में आई.टी.आई. निर्माण अनुमत्य नहीं होने के कारण शासन स्तर से स्वीकृति की कार्यवाही नहीं की गयी है। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विद्युत ट्रांसफार्मर बदलने की प्रक्रिया
[ऊर्जा]
92. ( क्र. 1592 ) श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जले हुए विद्युत ट्रांसफार्मर बदलने की क्या प्रक्रिया है? इस हेतु निर्धारित राशि क्या है? अपेक्षित राशि जमा न करने पर ट्रांसफार्मर नहीं बदले जाते हैं क्या? निर्धारित शुल्क जमा करने के कितने दिन में विद्युत ट्रांसफार्मर बदले जाने का नियम है? (ख) प्रश्नांश (क) के क्रम में यदि अपेक्षित राशि से कम राशि जमा है और ट्रांसफार्मर नहीं बदला जा रहा हो तो ऐसी स्थिति में जिन किसानों/उपभोक्ताओं की राशि जमा है और उनकों बिजली नहीं मिल रही है तो उनको बिजली उपलब्ध कराने की शासन की क्या योजना है? (ग) क्या जले एवं खराब ट्रांसफार्मर के आयल/तेल कम हो जाने पर उपभोक्ताओं से इसकी राशि क्यों जमा कराई जाती है? क्या शासन के द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं? यदि हाँ, तो निर्देश की प्रति उपलब्ध करावें? जले एवं खराब ट्रांसफार्मर ग्रामीणों के ट्रेक्टर ट्राली से परिवहन कराये जाते हैं विभाग की गाड़ियों से क्यों नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) वितरण ट्रांसफार्मर के जलने/खराब होने की सूचना मिलने/संज्ञान में आने के उपरांत संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा करने पर जला/खराब वितरण ट्रांसफार्मर म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित समयावधि में बदल दिया जाता है। जले/खराब हुए वितरण ट्रांसफार्मर से जुड़े 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा विद्युत बिल की राशि का भुगतान करने पर अथवा कुल बकाया राशि का 10 प्रतिशत जमा होने के उपरांत जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर को बदला जाता है। उक्तानुसार अपेक्षित राशि जमा नहीं होने तक जला/खराब वितरण ट्रांसफार्मर नहीं बदला जाता। उक्तानुसार अपेक्षित राशि जमा होने पर शहरी क्षेत्र में 24 घंटे के अंदर तथा ग्रामीण क्षेत्र में सूखे मौसम में तीन दिवस तथा वर्षा काल (जुलाई से सितम्बर) में 7 दिवस के अंदर पहुंच मार्ग उपलब्ध होने पर जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर को बदले जाने का नियम है। (ख) अपेक्षित राशि से कम राशि जमा होने पर ट्रांसफार्मर नहीं बदला जाता। जिन किसानों/उपभोक्ताओं की राशि जमा होती है उन्हें निकटतम अवस्थित वितरण ट्रांसफार्मर से वैकल्पिक व्यवस्था कर विद्युत प्रदाय करने के प्रयास किये जाते हैं। (ग) वितरण ट्रांसफार्मरों का ऑयल कम हो जाने पर उपभोक्ताओं से राशि जमा कराने का कोई नियम नहीं है। अत: प्रश्न नहीं उठता। जले/खराब हुए वितरण ट्रांसफार्मरों का परिवहन सामान्यत: विद्युत वितरण कंपनी की गाड़ियों द्वारा किया जाता है। विशेष परिस्थिति में उपभोक्ता के वाहन से परिवहन किये जाने पर उपभोक्ता को एम.पी.पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के परिपत्र क्रमांक 158 दिनांक 05.03.2018 के अनुसार निर्धारित दर से परिवहन व्यय का भुगतान किये जाने का प्रावधान है, जिसके अनुसार इस कार्य हेतु परिवहन व्यय परिवहन दूरी के हिसाब से 0 से 25 किलोमीटर दूरी तक राशि रु. 400/-, 26 से 50 किलोमीटर दूरी तक राशि रु. 800/- एवं 50 किलोमीटर से ऊपर राशि रु. 800/- एवं प्रत्येक अतिरिक्त किलोमीटर के लिए राशि रु. 8/- निर्धारित की गई है। उपरोक्त के अतिरिक्त अनुषांगिक व्यय के लिए राशि रु. 200/- प्रति वितरण ट्रांसफार्मर अतिरिक्त देय है।
लंबित मुआवजे का वितरण
[जल संसाधन]
93. ( क्र. 1597 ) श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पन्ना विधानसभा क्षेत्र के रूंज एवं मझगांय बांध परियोजना अन्तर्गत अभी तक सभी विस्थापितों को मुआवजा दिया जा चुका है? यदि नहीं, तो क्यों? क्या शासन विस्थापितों के लंबित मुआवजा प्रकरण शिविर लगाकर शीध्र निपटाए जाने की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित दोनों परियोजनाओं में मुआवजा वितरण में एक रूपता नहीं है? यदि हाँ तो क्यों? क्या दोनों परियोजनाओं के विस्थापितों को समान रूप से मुआवजा वितरण किया जावेगा? यदि हाँ तो कब तक? (ग) पन्ना विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत वर्तमान में कितने तालाब/बांध निर्माण की योजनाएं चल रही हैं? उक्त योजना अन्तर्गत कितने का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है एवं कितने निर्माणधीन हैं? ग्राम पंचायतवार जानकारी देवें। (घ) क्या पन्ना विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत जमुनिहा सेहा तालाब, गहरा नाला तालाब, बड़खेरा तालाब, खोरा तालाब आदि योजनाएं निर्माण हेतु प्रस्तावित है? यदि हाँ तो इनकी कार्यवाही कब तक पूर्ण की जावेगी? यदि नहीं, तो कब तक प्रस्तावित की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी नहीं। रूंज एवं मझगांय परियोजना अंतर्गत विस्थापितों के मकानों के मुआवजा हेतु मूल्यांकन की कार्यवाही लोक निर्माण विभाग पन्ना द्वारा की जाना प्रतिवेदित है। वर्तमान में लंबित मुआवजा का वितरण करने की स्थिति नहीं है। मुआवजा वितरण की कार्यवाही जून 2020 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। जी हाँ। दोनों परियोजनाओं में विस्थापितों को मुआवजा वितरण की कार्यवाही भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यव्स्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 के तहत जून 2020 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। (ग) 06 परियोजनाएं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) प्रश्नाधीन परियोजनाओं का कोई प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित नहीं होने से शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
स्टेडियम निर्माण की जानकारी
[खेल और युवा कल्याण]
94. ( क्र. 1599 ) श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना स्टेडियम निर्माण हेतु कितनी राशि कब स्वीकृत की गई थी? क्या टेण्डर होने के बाद भी प्रश्न दिनांक तक स्टेडियम का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है? यदि हाँ तो निर्माण कार्य कब तक चालू किया जावेगा? (ख) क्या पन्ना विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत तहसील अजयगढ में स्थित खाली पड़े हुए मैदान को बच्चों के खेल कूद की गतिविधियों हेतु स्टेडियम निर्माण किये जाने हेतु कोई योजना बनाई जावेगी? यदि हाँ तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) पन्ना में नजरबाग स्टेडियम निर्माण कार्य हेतु नगरीय प्रशासन एवं विकास म.प्र. भोपाल के पत्र दिनांक 15.11.2017 से राशि रू. 309.75 लाख की स्वीकृति प्राप्त हुई। जी हाँ। समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है। (ख) ऐसी किसी योजना का प्रस्ताव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
कान्ह डायवर्सन प्रोजेक्ट की जांच
[जल संसाधन]
95. ( क्र. 1600 ) श्री महेश परमार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सिंहस्थ 2016 की 19 किमी लंबी कान्ह डायवर्सन पाइप-लाइन की योजना असफल हो गयी है? क्या कान्ह का गंदा पानी राघौपिपलिया स्टॉप डेम से ओवर-फ्लो होकर, प्रदूषित कालापानी त्रिवेणी घाट से नरसिंघ घाट, रामघाट, मंगलनाथ घाट व भैरवगड़ पुल से आगे तक नदी में फेल गया है? क्या क्षिप्रा नदी का पानी काला-प्रदूषित हो गया है? यदि हाँ, तो इसके लिए दोषी कौन है और इस प्रोजेक्ट की असफलता का कारण क्या है? (ख) क्या राघौपिपलिया स्टॉप डेम के 2 फीट ऊपर से त्रिवेणी की तरफ बढ़ते हुए गंदे पानी को रोकना संभव नहीं है? क्या पाइप-लाइन की क्षमता कम होने एवं लीकेज होने से गंदा पानी कान्ह डायवर्सन लाइन से डायवर्ड नहीं किया जा सकता? क्या त्रिवेणी पर देवास की तरफ से कुछ पानी क्षिप्रा की तरफ बढ़ रहा है और क्षिप्रा का पानी प्रदूषित होकर आगे बहने लगा है? यदि हाँ, तो शासन के द्वारा क्या एक्शन इस पर लिया गया है? (ग) कान्ह डायवर्सन का कार्य किन अफसरों के कार्यकाल में हुआ है? उनकी ज़िम्मेदारी में यह लापरवाही सामने आने पर उन पर क्या कायवाही की गयी? इस प्रोजेक्ट में बारिश और आपातकाल की स्थिति में काम नहीं आने वाली योजना क्यों तैयार की गयी? इसमें शासन का कितना पैसा व्यर्थ गया?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी नहीं। तत्समय परियोजना के निर्माण से उद्देश्य की पूर्ति हुई। जी हाँ, इस वर्ष 15 नवम्बर से पाइप-लाइन से जल निकासी कम होने से मरम्मत कार्य हेतु खान नदी डायवर्सन को अस्थाई रूप से बंद किया गया। जी हाँ। पानी दूषित होना प्रतिवेदित है। मरम्मत कार्य पश्चात खान नदी का पानी सफलतापूर्वक पूर्व की भॉती डायवर्ट किया जाएगा। प्रोजेक्ट असफल नहीं है, कुछ तकनीकी कारणों से व्यवधान उत्पन्न हुआ जिसका निदान किया जा रहा है। अत: किसी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। (ख) जी हाँ। जी हाँ। भूमिगत पाइप-लाइन की रूपांकित क्षमता 5 घन मीटर प्रति सेकेण्ड है, जो सिंहस्थ के दौरान माह अप्रैल-मई में खान नदी की अनुमानित आवक के आधार पर रूपांकित है। जबकि खान नदी में वर्षाकाल के दौरान अधिकतम 5500 घनमीटर प्रति सेकेण्ड जल की आवक होती है। जी हाँ। जी हाँ। नर्मदा क्षिप्रा लिंक परियोजना तथा स्टॉप डेम से पानी छोड़ा जाकर क्षिप्रा नदी के पानी के प्रदूषण में कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है। (ग) अधिकारियों के कार्यकाल की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। खान डायवर्सन परियोजना, बारिस के पानी को डायवर्ट करने के लिए रूपांकित व निर्मित नहीं की गई। परियोजना का मुख्य उद्देश्य सिंहस्थ के दौरान खान नदी का पानी सुचारू रूप से डायवर्ट किया जाना है, जिसकी पूर्ति तत्समय हुई। निर्मित संरचना से उद्देश्य की पूर्ति होने से पैसे व्यर्थ जाने जैसी स्थिति नहीं है। यह अवश्य है कि कुछ तकनीकी कारणों से व्यवधान उत्पन्न हुआ। इसके लिए किसी अधिकारी को दोषी ठहराया जाना उचित नहीं होगा।
जलाशय के सुधार एवं निर्माण की जानकारी
[जल संसाधन]
96. ( क्र. 1603 ) श्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबेरा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत लालपानी जलाशय का निर्माण किया गया था जिसमें रिसाव होने के कारण आज तक जल भराव नहीं हुआ है जिसका सुधार कार्य का प्राक्कलन प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग, भोपाल के पास विगत कई महीनों से लंबित है? यदि हाँ, तो इसकी प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान कर कब तब सुधार कार्य कराया जावेगा? समयावधि बतायें। (ख) पारना जलाशय निर्माण के लिए प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग भोपाल के पास निविदा प्रक्रिया हेतु विगत एक वर्ष से कार्यवाही के लिए लंबित है जिसकी निविदा जारी कर निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ किया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी हाँ। लालपानी जलाशय से रिसाव होने से जल भराव कम होना प्रतिवेदित है। जी नहीं। प्रमुख अभियंता द्वारा आवश्यक सुधार हेतु प्राक्कलन दिनांक 15.11.2019 द्वारा वापिस किया गया। प्राक्कलन मैदानी कार्यालयों में परीक्षणाधीन होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) पारना जलाशय के निर्माण हेतु द्वितीय निविदा का आमंत्रण दिनांक 06.06.2019 को किया जाकर अनुवर्ती कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
बिजली सब्सिडी में अनियमितता
[श्रम]
97. ( क्र. 1606 ) श्री महेश परमार : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में संबल योजना में 2 करोड़ 18 लाख श्रमिकों का पंजीयन हुआ है? यदि हाँ, तो क्या भौतिक सत्यापन के दौरान 71 लाख श्रमिक परिवार फर्जी पाये गए हैं? क्या उसमें से भी 35 हज़ार आयकरदाता पाये गए हैं? (ख) क्या 71 लाख अपात्र परिवारों में से लाभ लेने वाले 56 लाख परिवार भाजपा कार्यकर्ताओं के निकले? यदि हाँ, तो झूठे शपथ पत्रों के आधार पर सब्सिडी प्राप्त करना अपराध नहीं है? यदि है तो उन परिवारों पर शासकीय धन वसूली हेतु क्या कार्यवाही की जाएगी? (ग) सत्यापन के दौरान 71 लाख अपात्र परिवारों द्वारा कितना वित्तीय नुकसान शासन को किया है? इस संबंध में कार्यपालक समिति द्वारा पूर्व में भौतिक सत्यापन क्यों नहीं किया गया एवं उस समय यह जवाबदेही किस विभागीय अधिकारी के पास थी? क्या उन अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की गयी? (घ) क्या इस षड्यंत्र में पन्ना जिले के भाजपा प्रभारी भी दोषी पाये गए है? भाजपा के 56 लाख परिवारों को पार्टी से जुड़े होने के कारण अवैधानिक तरीके से लाभ पंहुचाने के लिए कौन उत्तरदायी था? सभी तथ्यों का दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ विस्तृत जानकारी देवें।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। भौतिक सत्यापन के दौरान दिनांक 9/12/2019 तक कुल 7706606 अपात्र चिन्हांकित हैं, जिनमें 31, 371 आयकरदाता पाये गये हैं। (ख) जी नहीं। (ग) पंजीकृत किये गये श्रमिकों को तत्समय पात्रता अनुसार योजना में लाभान्वित किया गया है, अत: वित्तीय नुकसान का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। असंगठित श्रमिकों के पंजीयन के समय यह स्पष्ट निर्देश दिये गये थे कि यदि व्यक्ति झूठे शपथ पत्र देकर पंजीयन कराता है, तो वह स्वयं ही जबावदार होगा। अत: किसी एक अधिकारी को जबावदेह नहीं ठहराया जा सकता है। (घ) जी नहीं। प्रश्नांश के संबंध में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
अपराध-शमन शुल्क की राशि
[ऊर्जा]
98. ( क्र. 1668 ) श्री राकेश गिरि : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ एवं निवाड़ी जिला के विद्युत वितरण केन्द्रों में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 152 के तहत राजीनामा प्रकरणों में वित्तीय वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक जमा कराई गई अपराध-शमन की राशि का पूर्ण विवरण देते हुए म.प्र. शासन के किस मद में किस दिनांक को कितनी राशि जमा कराई गई है? ब्यौरा दें। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित राशि यदि अभी तक म.प्र. शासन के खाते में जमा नहीं की गई है, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध म.प्र. शासन/पूर्व क्षेत्र वि.वि. कंपनी द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्यों? दोषी अधिकारियों को कब तक दण्डित किया जायेगा? (ग) क्या विद्युत ऊर्जा की शमन राशि, एम.पी.टी.सी. के माध्यम से जमा करवाई जा रही है? यदि नहीं, तो क्यों? इसके लिये कौन-कौन अधिकारी जवाबदेह व दोषी है? उन पर कब तक और क्या कार्यवाही की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 152 के तहत राजीनामा प्रकरणों में वित्तीय वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक अपराध-शमन शुल्क की राशि टीकमगढ़ जिले में रू. 6602500/- एवं वर्ष 2018-19 में सृजित निवाड़ी जिले में रू. 154500/- जमा कराई गई है। वर्ष 2014-15 से माह अक्टूबर 2019 तक वर्षवार जमा कराई गई उक्त राशि का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। उक्त राशि राज्य शासन को अद्यतन स्थिति में जमा नहीं कराई गई है। (ख) उत्तरांश (क) में वर्णित राशि को म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा राज्य शासन से प्राप्ति योग्य राशि के विरूद्ध समायोजित करने का प्रस्ताव विचाराधीन है। अत: किसी अधिकारी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कोई कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) जी नहीं। उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में किसी अधिकारी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता।
बी.ओ.टी. मॉडल पर बनी सड़कों में अनियमितता
[लोक निर्माण]
99. ( क्र. 1673 ) श्री विनय सक्सेना : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विगत वर्षों में लोक निर्माण विभाग की बी.ओ.टी. मॉडल पर बनी 6 हजार किलोमीटर की 104 सडकों में 15 हजार करोड़ रूपये से अधिक की अनियमितता हुई है? (ख) बी.ओ.टी. मॉडल पर सड़क तैयार करने का निर्णय एवं अनुबंध शासन की ओर से किसके द्वारा किया गया था? उक्त निर्णय व अनुबंध की प्रति देवें। (ग) बी.ओ.टी. मॉडल पर सड़क तैयार करने हेतु बैंकों से किन-किन कम्पनियों को, कितना-कितना ऋण, राज्य सरकार की गारंटी पर दिलवाया गया? सूची देवें तथा वर्तमान में कितना कर्ज बैंकों को चुकाया जाना शेष है? (घ) क्या कम्पनियों द्वारा सरकार को प्रीमियम जमा किया गया? (ड.) यदि कंपनियों का ठेका निरस्त किया जाता है तो सरकार को कर्ज चुकाना होगा? यदि हाँ, तो इससे सरकार पर कितना वितीय बोझ पड़ेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) म.प्र. सड़क विकास निगम अंतर्गत विगत वर्षों में बी.ओ.टी. मॉडल पर बनी सड़कों में किसी प्रकार की कोई राशि की अनियमितता ज्ञात नहीं है। (ख) बी.ओ.टी. मॉडल पर सड़क तैयार करने का निर्णय मध्यप्रदेश शासन द्वारा एवं शासन की ओर से अनुबंध एम.पी.आर.डी.सी. के प्रबंध संचालक/मुख्य अभियंता द्वारा किया किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' एवं ''2'' अनुसार है। (ग) बैंकों से प्राप्त ऋण राज्य शासन की ग्यारंटी पर नहीं दिलवाया गया है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) जी हाँ। (ड.) जी हाँ। अनुबंधानुसार कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी राज्य शासन की है। वर्तमान में वित्तीय भार बताया जाना संभव नहीं है।
टर्न-ओवर के आधार पर स्वीकृत ठेकों की जानकारी
[ऊर्जा]
100. ( क्र. 1680 ) श्री रामेश्वर शर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र.पा.ज.कं.लि के लेबर ठेके की निविदाओं में समान दर आने पर सबसे अधिक टर्न-ओवर वाले ठेकेदार को ठेका स्वीकृत करने का नियम लागू है? यदि हाँ, तो पिछले एक वर्ष में इस नियम के तहत कितने ठेके स्वीकृत हुए हैं? (ख) टर्न-ओवर के आधार पर स्वीकृत सभी ठेकों की जानकारी पावर हाउसवार, कार्य का नाम, निविदा क्रमांक, निविदा डालने वाले ठेकेदारों के नाम, प्राप्त दरें और जिसे ठेका स्वीकृत किया गया, उसके नाम के उल्लेख सहित बिंदुवार प्रदान करें। (ग) क्या उक्त नियम से ठेकों में प्रतिस्पर्धा समाप्त हो गई है और सबसे अधिक टर्न-ओवर वाले कुछ ही ठेकेदारों को लाभ मिल रहा है? क्या इसके अतिरिक्त अन्य किसी पद्धति से ठेका स्वीकृति पर विचार नहीं हो सकता?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, अन्य नियमों के साथ प्रश्न में उल्लेखित नियम भी लागू है। म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी में प्रश्नांश में वर्णित नियम के तहत पिछले एक वर्ष में कुल 65 ठेके स्वीकृत किये गये हैं। (ख) टर्न ओवर के आधार पर पिछले एक वर्ष में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी, संजयगांधी ताप विद्युत गृह, बिरसिंहपुर, अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई एवं श्रीसिंगाजी ताप विद्युत गृह, खण्डवा में स्वीकृत सभी ठेकों की विद्युत गृहवार, कार्य के नाम, निविदा क्रमांक, निविदा डालने वाले ठेकेदारों के नाम, प्राप्त दरें और जिसे ठेका स्वीकृत किया गया उसके नाम सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- 'अ-1' से 'अ-4' अनुसार है। (ग) चूँकि ठेकों हेतु पर्याप्त निविदाएँ निरंतर प्राप्त हो रही हैं, अत: यह मानना सही नहीं है कि कंपनी में उक्त नियम (समान दर प्राप्त होने पर अधिक टर्न-ओवर को प्राथमिकता के प्रावधान) से ठेकों में प्रतिस्पर्धा समाप्त हो गई है। तथापि कंपनी द्वारा निविदा प्रक्रिया को और अधिक युक्तिसंगत बनाने के लिये सफल निविदाकार के चयन हेतु जारी दिशा-निर्देशों के साथ ही अन्य प्रावधानों पर भी समीक्षा विचाराधीन है।
मुख्यमंत्री संबल योजना के नाम परिवर्तन की जानकारी
[श्रम]
101. ( क्र. 1681 ) श्री रामेश्वर शर्मा : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुख्यमंत्री संबल योजना का नाम "नया सवेरा योजना" के नाम से परिवर्तित किया गया है? यदि हाँ, तो आदेश अथवा राजपत्र की प्रति उपलब्ध कराएं। यदि नहीं, तो योजना का नाम किस आधार पर परिवर्तित किया गया है? (ख) क्या राजपत्र में प्रकाशन किये बिना योजना का नाम परिवर्तन किया जा सकता है? योजना के नाम परिवर्तन संबंधी नियम कि प्रति उपलब्ध करायें।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्नांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अस्थायी सिंचाई कनेक्शन
[ऊर्जा]
102. ( क्र. 1688 ) श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिन किसानों के पास सिर्फ एक से दो माह ही सिंचाई व्यवस्था है, उनको 4 माह का अस्थायी कनेक्शन लेने के लिए क्यों बाध्य किया जा रहा है? (ख) क्या दो माह का अस्थायी सिंचाई कनेक्शन दिया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र.विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2019-20 के लिये जारी टैरिफ आदेशानुसार कृषि उपभोक्ताओं को न्यूनतम एक माह अथवा आवश्यकतानुसार अधिक अवधि हेतु, न्यूनतम 3 माह की खपत के देयक के समतुल्य अग्रिम राशि का भुगतान करने पर, सिंचाई हेतु अस्थाई विद्युत कनेक्शन देने का प्रावधान है। वर्तमान में उक्त प्रावधानों के अनुसार ही कृषि कार्य हेतु अस्थाई विद्युत कनेक्शन दिये जा रहे हैं। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार कृषि कार्य हेतु अस्थाई विद्युत कनेक्शन दिये जा रहे हैं, जिनमें यदि कनेक्शन अवधि 3 माह से कम होती है तो उपभोक्ता को शेष अवधि (एक अथवा दो माह) हेतु जमा राशि का पुनर्भुगतान करने का प्रावधान है, जिसका पालन कराया जाना सुनिश्चित किया जाएगा।
अंत्येष्टि सहायता राशि का प्रदाय
[श्रम]
103. ( क्र. 1698 ) श्री रमेश मेन्दोला : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी 2019 के पहले पूरे मध्यप्रदेश में एवं प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र इंदौर-2 के कितने असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के परिवार को मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना के अंतर्गत मृत्यु होने पर 5 हजार रु. की अंत्येष्टि सहायता राशि दी गई? (ख) क्या जनवरी 201 9 के पहले पूरे मध्यप्रदेश एवं प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र इंदौर-2 के जिन असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के परिवार को मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना के अंतर्गत मृत्यु होने पर 5 हजार रु. की अंत्येष्टि सहायता राशि दी गई थी, उन्हें उसके बाद योजना अंतर्गत अनुग्रह सहायता (सामान्य मृत्यु)/अनुग्रह सहायता (दुर्घटना में मृत्यु)/अनुग्रह सहायता (आंशिक स्थाई अपंगता) राशि जारी की गई? यदि हाँ, तो उसकी सूची नाम व राशि सहित प्रदान करें। यदि नहीं, दी गई तो कारण स्पष्ट करें।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जनवरी 2019 के पहले पूरे प्रदेश में असंगठित क्षेत्र में कार्यरत 16730 श्रमिकों के परिवार को मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना के अंतर्गत 8.36 करोड की अंत्येष्टि सहायता राशि दी गई। विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-2 में 128 श्रमिकों के परिवार को प्रत्येक को रूपये 5000 अंत्येष्टि सहायता राशि प्रदाय की गई। (ख) जी हाँ। विधानसभा क्षेत्र इन्दौर-2 में अंत्येष्टि सहायता पश्चात दी गई अनुग्रह राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम
[पर्यावरण]
104. ( क्र. 1700 ) श्री रमेश मेन्दोला : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर और देवास समेत छह शहर टॉप प्रदूषित शहरों में शुमार हो गये हैं? क्या राज्य के शहरों में एम्बिएंट एयर क्वालिटी इंडेक्स 241 पर पहुँच गया है? क्या सांस लेने योग्य शुद्ध हवा का इंडेक्स 50 से कम होना चाहिए? क्या केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जारी रिपोर्ट के अनुसार देश के ग्रीन और क्लीन शहरों में टॉप पर रहने वाले मध्यप्रदेश के शहरों में अब प्रदूषण का लेवल खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है? (ख) यदि यह सही है तो बतायें कि बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए शासन ने अब तक क्या दिशा-निर्देश जारी किए हैं? क्या शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देश पर अब तक कोई कार्यवाही हुई है? यदि हाँ, तो उसकी विस्तृत जानकारी प्रदान करें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं, अपितु प्रदेश के 06 शहरों (भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, देवास तथा सागर) को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2011 से 2015 में परिवेशीय वायु गुणवत्ता प्रचालक पी.एम.10 की मात्रा वार्षिक औसत 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक होने के कारण नॉन अटेनमेन्ट सिटी में शामिल किया गया है। इन शहरों में कुछ स्थानों पर एम्बिएंट एयर क्वालिटी इंडेक्स 241 से अधिक होना पाया गया है। सांस लेने योग्य निर्धारित शुद्ध हवा के मापदण्ड निर्धारित नहीं है। अपितु केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित सूचकांक 0 से 50 को अच्छा, 50 से 100 को संतोषजनक, 101 से 200 मध्यम, 201 से 300 खराब, 301 से 400 अधिक खराब तथा 400 से अधिक सूचकांक को गंभीर श्रेणी में निर्धारित किया गया है। उपरोक्त वर्णित शहरों की माह-नवम्बर, 2019 के वायु गुणवत्ता सूचकांक अधिकतर मध्यम श्रेणी का पाया गया है तथा कुछ समय खराब श्रेणी का रहा। परन्तु अत्यधिक खराब या गंभीर स्तर का नहीं रहा है। (ख) नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के अंतर्गत शामिल शहरों की परिवेशीय वायु गुणवत्ता के सुधार हेतु पी.एम.-10 प्रचालक में 20 से 30 प्रतिषत की कमी दिसम्बर, 2024 तक किया जाना प्रस्तावित है। परिवेशीय वायु गुणवत्ता में सुधार हेतु सभी संबंधित शहरों के संभागीय आयुक्तों की अध्यक्षता में समिति गठित की जाकर संबंधित विभागों के समन्वय के साथ कार्य योजना तैयार की गई है, जिसका क्रियान्वयन किया जा रहा है। कार्य योजना के क्रियान्वयन व प्रगति की समीक्षा संबंधित शहरों के संभागीय आयुक्तों द्वारा की जा रही है। जन-सामान्य से भी सहयोग करने यथा अपने वाहनों को फिट रखने, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के उपयोग, वाहन साझा करने तथा कचरा न जलाने आदि की अपील की गई है।
सड़क मार्गों का मरम्मत कार्य
[लोक निर्माण]
105. ( क्र. 1706 ) श्री दिनेश राय मुनमुन : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सड़क मार्ग राहीवाडा से दिघौरी, छिन्दवाड़ा मार्ग (एन.एच.) से कातलबोडी-मोहागांव, छिन्दवाड़ा मार्ग (एन.एच.) से जैतपूरकला-दिघौरी, बंडोल से बखारी, लखनवाडा से जाम, मुंगवानी से मारबोडी-मनौरी, राहीवाडा से सिहोरा-खमरिया-छीतापार, छपारा से जुवान-गोरखपुर, सोनाडोगरी से खामखरेली, श्रीवनी (बंडोल) से कलारबांकी, पी.सी. कॉलेज सिवनी से मुंगवानी तथा ग्राम जाम से रामगढ़-(अमरवाड़ा मार्ग) का निमार्ण किन एजेन्सियों द्वारा किस वर्ष में किया गया था? इनकी निर्माण लागतें क्या थीं एवं इनके रख-रखाव की शर्तें क्या थी? सड़क मार्गवार पृथक-पृथक जानकारी देवें। (ख) वर्तमान में इन मार्गों पर बड़े-बड़े गड्ढे होने से यात्री वाहनों एवं दो पहिया वाहनों के क्षतिग्रस्त/दुर्घटनाग्रस्त होने वाली जनहानि के लिये कौन जिम्मेदार है? क्या इन मार्गों की मरम्मत संबधित निर्माण एजेन्सियां/विभाग द्वारा नहीं की जा रही है? यदि हाँ, तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) मार्गों के रख-रखाव की जिम्मेदारी किन विभागों की है? क्या उनके द्वारा अपने विभागीय कर्तव्यों का पालन किया जा रहा है? यदि नहीं, क्यों? (घ) निर्माण एजेन्सी द्वारा सड़क निर्माण की शर्तों का उल्लघंन करने पर उनके विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों? इन मार्गों का रिन्यूवल कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) प्रश्नांश में उल्लेखित मार्गों में से तीन मार्ग लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत है, जिनकी विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। शेष मार्ग म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण परियोजना क्रियान्वयन इकाई-1 सिवनी से सम्बंधित होने से उनसे प्राप्त जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) कोई नहीं। जी नहीं। प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं '1' अनुसार है। जी हाँ। प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे प्रपत्र 'अ' एवं '1' अनुसार है।
नहर निर्माण कार्य एवं मुआवजा राशि की जानकारी
[जल संसाधन]
106. ( क्र. 1708 ) श्री दिनेश राय मुनमुन : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र सिवनी अंतर्गत कुल कितने स्थान पर नहर निर्माण कार्य संचालित है? कुल कितने स्थानों पर नहर निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है? (ख) जिन स्थानों पर नहर निर्माण किया जाना प्रस्तावित है, उनमें से किन ग्रामों का सर्वे पूर्ण हो चुका है? क्या अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा समस्त प्रभावित कृषकों को प्राप्त हो चुका है? ऐसे कितने कृषक हैं जिनकी अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा लंबित है? कब तक ऐसे प्रभावित कृषकों को मुआवजा राशि उपलब्ध कराई जा सकेगी? (ग) विधान सभा क्षेत्र सिवनी अंतर्गत किन-किन ग्रामों को नहर से जोड़े जाने का प्रस्ताव है? नहर निर्माण कार्य पूर्ण किये जाने हेतु विभाग द्वारा क्या समय-सीमा निर्धारित की गई गई है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) विधान सभा क्षेत्र सिवनी अंतर्गत वर्तमान में 124 ग्रामों में नहर निर्माण कार्य संचालित है। उक्त ग्रामों में से 31 ग्रामों में नहर निर्माण कार्य पूर्ण है। (ख) कुल 204 ग्रामों में नहर निर्माण प्रस्तावित है। उक्त में से 165 ग्रामों में सर्वे कार्य पूर्ण। 26 ग्रामों में सर्वे कार्य प्रगतिरत। 13 ग्रामों में सर्वे कार्य अप्रारंभ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'', ''ब'' एवं ''स'' अनुसार है। जी हाँ। अधिग्रहित भूमि का मुआवजा समस्त कृषकों को प्राप्त हो चुका है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। किसी भी कृषक की अधिग्रहित भूमि का मुआवजा लंबित नहीं होना प्रतिवेदित है। अत: कृषकों को मुआवजा उपलब्ध कराने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ग) विधान सभा क्षेत्र सिवनी के अंतर्गत पेंच परियोजना से 130 तथा लघु सिंचाई परियोजनाओं से 16 कुल 146 ग्रामों को नहर से जोड़ने का प्रस्ताव है। सिंचाई से लाभान्वित होने वाले ग्रामों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार। अनुसार तथा विभिन्न योजनाओं के पूर्णता का लक्ष्य जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''इ'' अनुसार है।
मुआवजा हेतु विशेष पैकेज की स्वीकृति
[जल संसाधन]
107. ( क्र. 1710 ) श्री राज्यवर्धन सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले के जल संसाधन संभाग नरसिंहगढ़ अंतर्गत प्रगतिरत पार्वती परियोजना के डूब क्षेत्र में कौन-कौन से ग्रामों के कितने किसानों की कितनी-कितनी हेक्टेयर भूमि आ रही हैं? प्रश्न दिनांक तक किसानों को प्रति हेक्टेयर कितना मुआवजा दिया जाना तय किया गया है? (ख) क्या जिले के अंतर्गत पूर्व में निर्मित मोहनपुरा एवं कुंडलिया बांध से प्रभावित किसानों को राशि रूपये 10.00 लाख प्रति हेक्टेयर मुआवजा पैकेज का लाभ दिए जाने का प्रावधान रखा गया था? क्या उक्तानुसार पार्वती परियोजना अंतर्गत मुआवजा हेतु कोई स्पेशल पैकेज दिए जाने का प्रावधान प्रश्न दिनांक तक किया गया हैं? यदि हाँ तो क्या? (ग) उपरोक्तानुसार क्या प्रश्नकर्ता द्वारा जिले अंतर्गत मोहनपुरा एवं कुंडलिया बांध के डूब क्षेत्र की भूमि की तुलना में पार्वती परियोजना डूब क्षेत्र की भूमि अधिक उपजाऊ व सिंचित होने से राशि रूपये 20.00 लाख प्रति हेक्टेयर मुआवजा हेतु विशेष पैकेज स्वीकृत किए जाने हेतु माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय जल संसाधन मंत्री जी एवं प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग मध्यप्रदेश को माह नवंबर 2019 में पत्र प्रेषित कर अनुरोध किया था? यदि हाँ तो क्या शासन प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर राशि रूपये 20.00 लाख मुआवजा हेतु विशेष पैकेज की स्वीकृति प्रदान करेगा? यदि हाँ तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। भू-अर्जन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने से प्रति हेक्टर दर की जानकारी दिया जाना संभव नहीं है। (ख) जी नहीं। परियोजना प्रतिवेदन में पैकेज का लाभ दिए जाने का प्रावधान नहीं था। मोहनपुरा एवं कुण्डलिया परियोजना के लिए मंत्रि-परिषद् से विशेष पुनर्वास पैकेज की स्वीकृति क्रमश: दिनांक 13.06.2016 एवं 19.01.2018 को प्राप्त की गई। जी नहीं। पार्वती परियोजना के लिए वर्तमान में कोई स्पेशल पैकेज दिए जाने का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। (ग) जी हाँ। जी नहीं। विशेष पैकेज का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं होने से प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
जल एवं वायु प्रदूषण अधिनियम अंतर्गत उद्योगों पर कार्यवाही
[पर्यावरण]
108. ( क्र. 1711 ) श्री राज्यवर्धन सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले के औद्योगिक क्षेत्र पीलूखेड़ी स्थित उद्योग मेसर्स विंध्याचल डिस्टीलरी प्रा.लिमि. एवं मेसर्स हिस्दुस्तान कोका कोला बेवरीज प्रा.लिमि. द्वारा अपने उत्पादन हेतु प्रतिदिन कितने लीटर एवं किस गुणवत्ता के पानी का उपयोग किया जा रहा है? क्या उपयोग किए जाने वाला पानी जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 एवं उत्पादन नियम अनुसार निर्धारित मानकों के अनुरूप है? (ख) क्या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निरीक्षण दल को पूर्व में निरीक्षण के दौरान उक्त उद्योगों के विरूद्ध निर्धारित मानक अनुरूप पानी का उपयोग न करने एवं सरफेस क्लीनिंग यूटिलिटीज दूषित जल को खुली नालियों में एकत्रित करना, डाइजेस्टर टैंक में दूषित जल भरा होना, खुले में कोयला भण्डारण एवं परिसर की कच्ची एवं धूल युक्त सड़कें होना आदि कमियां पाई जा चुकी हैं एवं उक्त उद्योगों द्वारा निरंतर रसायनिक कचरा एवं केमिकल युक्त व अशुद्ध जल रात्रि के समय समीपस्थ पार्वती नदी एवं किसानों के खेतों में छोड़ा जाता हैं, जिससें निरंतर पार्वती नदी में जल प्रदूषण के स्तर में वृद्धि हो रही हैं, साथ ही कैंसर एवं स्थाई अपंगता जैसी भयानक बीमारियों की चपेट स्थानीय लोग आ रहे हैं? (ग) यदि हाँ, तो प्रदूषण बोर्ड द्वारा उक्त उद्योगों का सूक्ष्मत: से निरीक्षण कर जल एवं वायु प्रदूषण अधिनियम के तहत कोई निषेधात्मक व दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) मेसर्स विंध्याचल डिस्टीलरी प्रा.लि. द्वारा लगभग 515 कि.ली/दिन एवं मेसर्स हिन्दुस्तान कोका कोला ब्रेवरीज प्रा.लिमि. द्वारा लगभग 800 कि.ली./दिन पानी उपयोग किया जाता है। जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम), 1974 में उद्योगों में उपयोग में लिए जाने वाले पानी हेतु गुणवत्ता मानक निर्धारित करने के प्रावधान नहीं होने से बोर्ड द्वारा उद्योगों में उपयोग किये जाने वाले जल की गुणवत्ता का मापन नहीं किया जाता है। (ख) उक्त उद्योगों में से मेसर्स विंध्याचल डिस्टीलरी प्रा.लि. के निरीक्षण में प्रश्नांश में उल्लेखित स्थिति पाई गई थी। वर्तमान में इन उद्योगों द्वारा दूषित जल का उपचार उपरांत परिसर में उपयोग किया जाता है। अतः शेष पर प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) निरीक्षण दिनांक 18/11/2015 में पाई गई स्थिति में सुधार हेतु उद्योग को दिनांक 30/11/2015 को कारण बताओ नोटिस दिया गया तथा उद्योग द्वारा दिनांक 29/04/2016 को कार्य पूर्ण कर सूचित किया गया जिसका सत्यापन दिनांक 16/05/2016 को किया गया। वर्तमान में कार्यवाही अपेक्षित नहीं है।
बिजली बिलों की वसूली
[ऊर्जा]
109. ( क्र. 1715 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर के अंतर्गत जिला शाजापुर में ग्राम मुडलाय, अलीसर खेड़ा, मुकाती खेडा, धनाना, नरोला हिरापुर, टप्का बसंतपुर, निवालिया, शालिया, सकराई, खरदोन खुर्द, मंडलखां, चायनी के सभी श्रेणी के निम्न दाब उपभोक्ताओं पर दिनांक 31 अक्टूबर, 2019 की स्थिति में कितना-कितना विद्युत देयक बकाया है, की वितरण केन्द्रवार, कुल श्रेणीवार बकाया राशि की जानकारी बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित गांव में विद्युत बकायादारों से बकाया वसूली के लिए विगत 3 वर्षों में किस-किस पद स्तर के अधिकारियों ने भ्रमण किया? सूची देवें। (ग) वित्तीय वर्ष 2019-20 में 1 अप्रैल, 2019 से 31 अक्टूबर, 2019 तक प्रश्नांश (क) में उल्लेखित ग्रामों में राशि रू. दस हजार से अधिक की विद्युत बकाया राशि वाले उपभोक्ताओं के विरूद्ध विद्युत कनेक्शन विच्छेदन कर बिजली चोरी के कितने प्रकरण बनाये गये हैं? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के उज्जैन क्षेत्रान्तर्गत जिला शाजापुर में ग्राम मुडलाय, अलीसर खेड़ा, मुकाती खेडा, धनाना, नरोला हिरापुर, टप्का बसंतपुर, निवालिया, शालिया, सकराई, खरदोन खुर्द, मंडलखां एवं चायनी के सभी श्रेणी के निम्नदाब विद्युत उपभोक्ताओं पर दिनांक 31 अक्टूबर-2019 की स्थिति में कुल बकाया राशि रु. 168.59 लाख है। वितरण केन्द्रवार एवं श्रेणीवार बकाया राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में उल्लेखित ग्रामों में विद्युत बकायादारों से बकाया राशि की वसूली के लिए विगत 03 वर्षों में कनिष्ठ यंत्री एवं सहायक यंत्री पद स्तर के अधिकारियों ने भ्रमण किया। भ्रमण करने वाले अधिकारियों की वितरण केन्द्रवार, ग्रामवार, अधिकारी के नाम, पदनाम एवं भ्रमण करने की अवधि सहित जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (ग) वित्तीय वर्ष 2019-20 में 01 अप्रैल-2019 से 31 अक्टूबर-2019 तक उत्तरांश (क) में उल्लेखित ग्रामों में रू. दस हजार से अधिक की विद्युत बिल की बकाया राशि वाले उपभोक्ताओं के विरूद्ध विद्युत कनेक्शन विच्छेदन करने की कार्यवाही की गई किन्तु कनेक्शन विच्छेदन के उपरांत चोरी से बिजली के उपयोग का कोई भी प्रकरण नहीं पाया गया।
एग्रीमेंट को निरस्त करने के संबंध में
[जल संसाधन]
110. ( क्र. 1721 ) श्री राम दांगोरे : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जब खण्डवा नगर निगम में नर्मदा जल का पानी पहुंच चुका है तो पंधाना विधानसभा क्षेत्र में स्थित भगवंत सागर जलाशय (सुकता डैम) से पानी क्यों दिया जा रहा है व खण्डवा नगर निगम का एग्रीमेंट क्यों निरस्त नहीं किया जा रहा है जबकि पंधाना विधानसभा क्षेत्र के किसानों को ही भगवंत सागर जलाशय (सुकता डैम) का पानी पर्याप्त नहीं मिल पा रहा है? (ख) क्या खण्डवा नगर निगम का भगवंत सागर जलाशय (सुकता डैम) से पानी लेने के एग्रीमेंट को निरस्त करने की कोई कार्यवाही की जा रही है या नहीं? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ तो कब तक निरस्त किया जाएगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) खण्डवा नगर निगम क्षेत्र में नर्मदा से निर्बाध जल प्रदाय सुनिश्चित नहीं होने के कारण प्रतिवर्ष भगवंत सागर जलाशय से पेयजल हेतु पानी आरक्षित किया जाता है। इस वर्ष भी कलेक्टर जिला खण्डवा की अध्यक्षता में जिला जल उपभोक्ता समिति की बैठक दिनांक 16.10.2019 को लिए गए निर्णय अनुसार पेयजल हेतु 10 एम.सी.एम. जल आरक्षित रखा जाना प्रतिवेदित है। अत: एग्रीमेंट निरस्त किए जाने की स्थिति नहीं है। पंधाना विधानसभा क्षेत्र में सुक्ता बांध से रूपांकित सिंचाई क्षमता 6, 200 हेक्टर के विरूद्ध प्रतिवर्ष 13, 000 हेक्टर से अधिक क्षेत्र में कृषकों को रबी सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जाना प्रतिवेदित है। अत: पर्याप्त पानी नहीं मिलने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
लेबोरेटरीज में कार्यरत कर्मचारियों की सुरक्षा
[श्रम]
111. ( क्र. 1722 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इप्का लेबोरेटरीज प्रा.लि. कम्पनी इंदौर–पीथमपुर एवं सेजावता (रतलाम) में स्थापित होकर भिन्न-भिन्न दवाईयों का उत्पादन करती है, जिसमें अनेक प्रकार के रासायनिक पदार्थों का उपयोग होकर इन फैक्ट्रियों में सैकड़ों अधिकारी-कर्मचारी, श्रमिक भी कार्य करते हैं? (ख) यदि हाँ, तो कंपनी के उक्त स्थलों पर कार्यरत उक्ताशय के अधिकारी, कर्मचारी, श्रमिकों के साथ ही आसपास के वातावरण हेतु सुरक्षात्मक दृष्टि से क्या किया जाता है तथा उक्त स्थलों पर उक्ताशय के कितने व्यक्ति कार्यरत हैं? अधिकारी, कर्मचारी, कुशल, अकुशल, स्थाई, अस्थाई एवं ठेकेदार के माध्यम से श्रमिक सहित समस्त की संख्यात्मक स्थिति से अवगत कराएं। (ग) बताएं कि प्रश्नांश (क) अन्तर्गत उक्त दोनों स्थानों की फैक्ट्रियों में निर्धारित नियमानुसार कुल कितने विभिन्न स्थाई पद श्रमिकों सहित होना चाहिए? उसकी प्रत्याशा में कितने स्थाई रूप से कार्यरत हैं तथा ठेकेदारों के माध्यम से कितने होना चाहिए किन्तु कितने कार्यरत हैं? वर्ष 2015-16 से लेकर प्रश्न दिनांक तक दोनों स्थानों पर कार्य करते हुए कितनी दुर्घटनाएं हुईं? कितनी मृत्यु व कितने घायल हुए?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) श्रम अधिनियमों के अंतर्गत फैक्ट्रियों में स्थाई पद एवं ठेकेदारों के माध्यमों से कितने श्रमिक नियोजित होना चाहिए के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है। एक घटना घटित हुई थी जिसमें चार श्रमिक कार्य के दौरान आग से झुलस कर घायल हुए। मृत्यु की जानकारी निरंक है।
प्रस्तावित योजनाओं की जानकारी
[जल संसाधन]
112. ( क्र. 1723 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जावरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत पिपलोदा तहसील में जल स्तर काफी नीचे जाने से पिपलोदा विकासखंड को जल अतिदोहित डार्क जोन एरिया में चिन्हित किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो विगत कई वर्षों से मचून डेम, इन्द्रपुरी डेम एवं खोडाना तालाब कार्य योजना के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा एवं क्षेत्रीय जन द्वारा लगातार इनके स्वीकृति की मांग की जा रही है? (ग) क्या खोडाना तालाब कार्य योजना मुख्य अभियंता नर्मदा–ताप्ती कछार इंदौर द्वारा बनाई जाकर पूर्व में अनुदान संख्या -45 लेखा शीर्ष 4702, लघु सिंचाई पर पूँजी परिव्यय आयोजनों में गैर आदिवासी मद में स्वीकृति प्रदान की गयी एवं मचून डेम तथा इन्द्रपुरी डेम की कार्य योजना की साध्यता स्वीकृत की गई? (घ) यदि हाँ, तो विभाग के पत्र क्र.आर-1508/लघु/3332278/वीआईपी/सीएम एल 08 भोपाल दिनाक 22 जुलाई 2008 को स्वीकृति दी तथा विभागीय आदेश दिनांक 02/03/2019 द्वारा इन्द्रपुरी बेराज की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई एवं मचून डेम की डी.पी.आर. बनना अवगत कराया तो प्रश्नागत उल्लेखित तीनों कार्य योजना कब प्रारम्भ की जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ। खोडाना तालाब की प्रशासकीय स्वीकृति शासन के आदेश दिनांक 16.06.2011 द्वारा निरस्त की गई। मचून बांध के स्थान पर मचून बांध क्रमांक 2 के नाम से साध्यता स्वीकृति दिनांक 03.06.2017 को प्रदान की गई। इन्द्रपुरी बांध के स्थान पर इन्द्रपुरी बैराज की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 02.03.2019 को रू. 259.18 लाख की 216 हेक्टर के लिए प्रदान की गई। (घ) खोडाना तालाब की प्रति हेक्टर लागत निर्धारित मापदण्ड से अधिक होने के कारण प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 16.06.2011 द्वारा निरस्त किए जाने से कार्य प्रारंभ कराए जाने जैसी स्थिति नहीं है। इन्द्रपुरी बैराज के कार्य की निविदा आमंत्रण की कार्यवाही प्रकियाधीन है। मचून बांध क्र. 2 की डी.पी.आर. प्रमुख अभियंता कार्यालय में परीक्षणाधीन होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
खेल विभाग को प्राप्त राशि एवं सामग्री की जानकारी
[खेल और युवा कल्याण]
113. ( क्र. 1730 ) श्री हरदीपसिंह डंग : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंदसौर जिले में वर्तमान के खेल जिला अधिकारी का नाम एवं नियुक्ति की दिनांक की जानकारी देवें। (ख) विगत दो वर्षों में मंदसौर जिले में खेल विभाग को कितनी राशि एवं खेल सामग्री प्राप्त हुई है? प्राप्त राशि एवं खेल सामग्री का कहाँ-कहाँ उपयोग किया गया तथा खर्च की गई राशि एवं सामग्री को उपयोग की स्थान एवं राशि सहित जानकारी देवें। (ग) मंदसौर जिले में विगत 11 माह में विभाग द्वारा कहाँ-कहाँ पर प्रतियोगिता आयोजित कराई है तथा व्यय की गई राशि की स्थान सहित जानकारी देवें। कौन सी स्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था एवं प्रतियोगिता हेतु स्थान का चयन किस आधार पर किया गया था? (घ) मंदसौर जिले में प्रतियोगिताओं के आयोजन (शुभारम्भ, समापन) में किन-किन जनप्रतिनिधियों को बुलाया गया था?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) मंदसौर जिले में वर्तमान में जिला खेल अधिकारी का नाम विजेंद्र देवडा है एवं नियुक्ति की दिनांक 08/01/2018 है। (ख) विगत 2 वर्षों में मंदसौर जिले को वर्ष 2017-18 में राशि रू. 24, 12, 971/- एवं वर्ष 2018-19 में राशि रू. 30, 59, 066/- प्राप्त हुई। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्टि के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्टि के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। मैदान/स्थल की उपलब्धता के आधार पर प्रतियोगिता हेतु स्थान का चयन किया गया। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्टि के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
गुणवत्ताहीन मार्ग निर्माण की जानकारी
[लोक निर्माण]
114. ( क्र. 1733 ) श्री रामखेलावन पटेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अमरपाटन विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम जिगना से गोरसरी पहुँच मार्ग का निर्माण किस एजेंसी से कराने का अनुबंध किया गया है तथा निर्माण कब तक पूर्ण होना है? अनुबंध की सत्य प्रतिलिपि उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) में वर्णित कार्य की लंबाई-चौड़ाई तथा ऊँचाई क्या निर्धारित की गई है? निर्माण कार्य किस अधिकारी की निगरानी में किया जा रहा है? निर्माण कार्य में किस अधिकारी के द्वारा कब निरीक्षण किया गया? क्या निर्माण, स्वीकृत प्राक्कलन के अनुसार किया जा रहा है? प्राक्कलन की सत्य प्रतिलिपि उपलब्ध करायें। (ग) क्या निर्माण कार्य में गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य किया जा रहा है? क्या घटिया स्तर की सामग्री का निर्माण में प्रयोग किया जा रहा है? किस प्रयोगशाला में सामग्री का परीक्षण किया गया है? रिपोर्ट की सत्य प्रतिलिपि उपलब्ध करावें। (घ) क्या उक्त मार्ग के निर्माण हेतु सड़क किनारे लगे पेड़ एवं पौधों को काटा जा रहा है? यदि हाँ तो क्या शासन के नियम-निर्देशों के तहत सड़क निर्माण करते समय सड़क किनारे लगे पेड़ एवं पौधों को काटा जा सकता है? यदि हाँ तो शासन के नियम-निर्देशों की सत्य प्रतिलिपि उपलब्ध करावें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें। (ड.) क्या उक्त मार्ग को निर्माण कार्य का प्रारंभ पूर्व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों द्वारा कराया गया है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) ठेकेदार मेसर्स पी.डी. अग्रवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. इन्दौर से। दिनांक 24.12.2020 तक। अनुबंध की सत्य प्रतिलिपि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जी हाँ। निर्माण कार्य मार्ग में नियुक्त स्वतंत्र सलाहकार मे. इंटर कान्टीनेन्टल कन्सलटेन्ट्स एवं टेक्नोक्रेट्स प्रा.लि. इन एसोसियेशन विथ रोडिक कन्सलटेन्ट्स प्रा.लि. के टीम लीडर, रेजिडेन्ट इंजीनियर तथा उनके अधीनस्थ अधिकारियों की देख-रेख में किया जा रहा है। साथ ही समय-समय पर म.प्र. सड़क विकास निगम लि. संभाग क्रमांक 1 रीवा के संभागीय प्रबंधक एवं प्रबंधक द्वारा निगरानी की जाती है। निर्माण कार्य में अधिकारियों द्वारा किये गये निरीक्षण का ब्यौरा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। जी हाँ। अनुबंध में प्राक्कलन की सत्य प्रतिलिपि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) जी नहीं। जी नहीं। अनुबंध के प्रावधानों के अनुसार ठेकेदार द्वारा स्वयं के व्यय पर सामग्री का परीक्षण किये जाने हेतु प्रयोगशाला स्थापित की गई है साथ ही एन.ए.बी.एल. से मान्यता प्राप्त इंडेक्स लैब से भी सामग्री का परीक्षण कराया गया है। परीक्षण की सत्य प्रतिलिपि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। (घ) वर्तमान में कोई भी पेड़/पौधे नहीं काटे गये हैं, परन्तु मार्ग निर्माण हेतु आवश्यकतानुसार पेड़ एवं पौधे काटे जाने की अनुमति हेतु प्रस्ताव कलेक्टर जिला सतना को संभागीय कार्यालय के पत्र क्रमांक 933 रीवा दिनांक 24.07.2019 के द्वारा लेख किया गया है। शासन के नियम निर्देशों की सत्य प्रतिलिपि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है। (ड.) जी नहीं।
प्रिज्म सीमेंट कंपनी में कार्यरत श्रमिकों की जानकारी
[श्रम]
115. ( क्र. 1735 ) श्री रामखेलावन पटेल : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले की रामपुर बाघेलान तहसील के ग्राम मनकहरी में स्थापित प्रिज्म सीमेंट कंपनी में कुल कितने स्थायी कर्मचारी हैं? स्थायी कर्मचारियों के नाम/पद देते हुये बतायें की वे कब से इस कंपनी में कार्य कर रहे हैं? स्थायी कर्मचारियों में कुल कितने कुशल/अर्धकुशल/अकुशल है? उनका नाम/क्या कार्य करतें है? उसकी जानकारी पी.एफ. क्रमांकों सहित दें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कंपनी में दिनांक 01.04.2016 से प्रश्नतिथि तक किस-किस नाम के श्रम ठेकेदार किस श्रम लायसेंस क्रमांकों से कितने-कितने श्रमिकों को ठेके पर रखते हुये कंपनी में क्या कार्य किस वेतनमान पर करवा रहे हैं? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कंपनी में ठेकेदारों द्वारा प्रदत्त कितनी संख्या में कुशल/अर्धकुशल/अकुशल श्रमिक किस वेतनमान में कब से हैं? क्या इनको वेतन भुगतान बैंकों के माध्यम से होता है या नगद? सभी ठेकेदारों (श्रमिक) को किस प्रकार का श्रम कंपनी में करने पर कितना-कितना मासिक भुगतान कंपनी प्रतिमाह करती है? उसकी ठेकेदारवार/भुगतानवार/श्रमिकों की संख्यावार उनकी कैटेगिरीवार जानकारी दें। (घ) क्या श्रम विभाग एवं औद्योगिक सुरक्षा विभाग ने कंपनी से सांठ-गांठ कर रखा है? अगर नहीं तो कम वेतनमान पर श्रमिक क्यों कार्य कर रहे हैं और दुर्घटना में श्रमिकों को सुरक्षा उपकरण न देने पर जांच की जा रही है? पाँच वर्षों में दुर्घटनाओं से मौतों की जानकारी दें।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) सतना जिले की रामपुर बाघेलान तहसील के ग्राम मनकहरि में स्थापित प्रिज्म सीमेंट कंपनी में कुल 937 स्थायी कर्मचारी कार्यरत है, जिसमें से कुशल-371, अर्धकुशल- 249 एवं अकुशल-317 है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) ठेकेदारों द्वारा न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के अंतर्गत निर्धारित न्यूनतम वेतन के अनुसार संबंधित श्रमिकों को श्रेणी अनुसार बैंक एकाउंट के माध्यम से उनकी नियुक्ति दिनांक से भुगतान किया जा रहा है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''स'' अनुसार है। (घ) जी नहीं। संस्थान के द्वारा श्रमिकों को नियमानुसार वेतन दिया जा रहा है। विगत पाँच वर्षों में सुरक्षा उपकर नहीं देने के फलस्वरूप कोई दुर्घटना नहीं हुई है तथा पाँच वर्षों में किसी भी श्रमिक की दुर्घटना के कारण मृत्यु नहीं हुई है।
किसानों को सिंचाई हेतु विद्युत का प्रदाय
[ऊर्जा]
116. ( क्र. 1736 ) श्री तरबर सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान में प्रदेश के किसानों को सिंचाई हेतु 10 घण्टे बिजली मिलने का जो नियम है, क्या वह सही है और नियम के अनुसार क्या पूरे 10 घण्टे बिजली सभी किसानों को सुरक्षित मिल रही है या नहीं? (ख) क्या पहले जब 24 घण्टे बिजली प्राप्त होती थी, तब किसानों की समय से सिंचाई नहीं हो पाती थी और अब 10 घण्टे बिजली प्रदान की जा रही है उसमें भी कटौती के बाद मुश्किल से किसान तक 7 या 8 घण्टे बिजली पहुंचती है? यदि हाँ, तो क्या यह पर्याप्त है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, कृषि कार्यों हेतु सिंचाई की आवश्यकता के दृष्टिगत प्रदेश में कृषकों को औसतन प्रतिदिन 10 घंटे विद्युत प्रदाय करने का नियम सही है। कतिपय अवसरों पर तकनीकी कारणों एवं प्राकृतिक आपदा यथा-अत्यधिक वर्षा, आँधी-तूफान आदि के कारण आकस्मिक रूप से आए विद्युत व्यवधानों एवं मेन्टेनेंस कार्य हेतु अतिआवश्यक होने जैसी अपरिहार्य स्थितियों को छोड़कर कृषकों को सामान्यत: औसतन 10 घंटे प्रतिदिन विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। विगत 3 माहों में कृषि कार्य हेतु किये गये माहवार औसतन विद्युत प्रदाय की वितरण कंपनीवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) कृषि कार्य हेतु कभी भी 24 घंटे बिजली प्रदाय करना संभव नहीं था तथापि फीडर विभक्तिकरण के कार्य के पूर्व जब मिश्रित फीडरों से विद्युत प्रदाय किया जाता था, तब कृषि कार्य हेतु सिंगल फेसिंग कर लगभग 8 घंटे ही बिजली उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था थी। किन्तु वर्तमान में संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए अनुसार कृषि कार्य हेतु पृथक कृषि फीडरों के माध्यम से लगभग 10 घंटे प्रतिदिन विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराया जा रहा है जो कि कृषि कार्य हेतु पर्याप्त है। तथापि भौगोलिक स्थिति एवं स्थानीय फसल चक्र की आवश्यकता के दृष्टिगत प्रत्येक जिले में 10 घंटे विद्युत प्रदाय किस तरह से किया जाना है, इसकी निरंतर समीक्षा जिला स्तर पर माननीय प्रभारी मंत्रियों द्वारा की जा रही है तथा 10 घंटे की समयावधि को तद्नुरूप विद्युत प्रणाली की उपलब्धता के दृष्टिगत समय-समय पर परिवर्तित किया जा रहा है।
मुआवजे हेतु सिंचित/असिंचित भूमि का निर्धारण
[जल संसाधन]
117. ( क्र. 1737 ) श्री तरबर सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र बण्डा अंर्तगत जो बण्डा ‘‘वृहद‘‘ सिंचाई परियोजना (धसान नदी पर) बनाई जा रही है, उसमें डूब क्षेत्र में आने वाले किसानों की खेती की मुआवजा राशि प्रति हेक्टेयर सिंचित और असिंचित के लिए कितनी राशि निर्धारित की गई है? (ख) डूब क्षेत्र में आने वाली किसानों की भूमि जिसकी सिंचाई नदी, नाले या बांध की नहर से होती है, क्या इनको सिंचित माना जावेगा या नहीं? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) डूब क्षेत्र में जिस गांव की आबादी आधी या आधे से कम आ रही है और जो बचा हुआ आबादी का भाग है क्या उसे भी आप डूब क्षेत्र में लेंगे या नहीं? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) डूब क्षेत्र में आये ग्रामों की आबादी के विस्थापन में उन परिवारों को क्या-क्या सुविधायें उपलब्ध कराई जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) भू-अर्जन की कार्यवाही प्रचलन में होने के कारण वर्तमान में प्रति हेक्टर सिंचित/असिंचित के लिए राशि निर्धारित करने की स्थिति नहीं है। (ख) सिंचित/असिंचित भूमि का निर्धारण राजस्व विभाग भू-राजस्व अभिलेख के अनुसार किया जाता है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं। (ग) जी नहीं। डूब क्षेत्र में अधिकतम जल भराव स्तर (एम.डब्ल्यू.एल) तक परिसंपत्तियों को अधिग्रहण करने की व्यवस्था है। (घ) प्रश्नाधीन परियोजना में सर्वेक्षण एवं अनुसंधान का कार्य प्रचलित होने के कारण वर्तमान में जानकारी दी जाना संभव नहीं है।
माईक्रो इरीगेशन परियोजना की जानकारी
[जल संसाधन]
118. ( क्र. 1743 ) श्री राकेश पाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिंदवाड़ा जिले के चौरई विकासखंड में निर्मित/निर्माणाधीन माचागोरा बांध/जलाशय में जल उपलब्धता के आधार पर सिवनी जिले के कितने ग्रामों को कृषि कार्य हेतु कितनी मात्रा में पानी दिया जाना सुनिश्चित किया गया है। (ख) क्या छिंदवाड़ा जिले में विभाग/शासन द्वारा वृहद स्तर पर वर्तमान समय में माईक्रो इरीगेशन परियोजना स्वीकृत कर प्रारंभ कर दी गई है? यदि हाँ, तो उनकी स्थान एवं लागतवार जानकारी उपलब्ध करावें। क्या इस तरह की माईक्रो इरीगेशन परियोजना सिवनी जिले में भी प्रारंभ करने हेतु शासन/विभाग स्तर पर कोई प्रस्ताव है? यदि हाँ, तो उसकी अद्यतन स्थिति से अवगत करावें। (ग) क्या वर्तमान वर्ष 2019 में छिंदवाड़ा जिले में वृहद स्तर पर निर्मित/निर्माणाधीन माईक्रो इरीगेशन परियोजना के कारण चौरई विकासखंड में निर्मित/निर्माणाधीन माचागोरा बांध/जलाशय से सिवनी जिले के कृषकों को अपनी कृषि कार्य एवं अन्य कार्य हेतु जलाशय में पानी की उपब्धता के अनुसार मिलने वाले पानी में भविष्य में कोई कटौती की जावेगी। यदि नहीं, क्या इस बात का आश्वासन शासन/विभाग द्वारा दिया जायेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) सिवनी जिले के 152 ग्रामों में सिंचाई के लिए 205.56 मि.घ.मी. जल का प्रावधान है। (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। वर्तमान में सिवनी जिले में कोई सूक्ष्म सिंचाई परियोजना विचाराधीन नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। परियोजना प्रतिवेदन अनुसार सिवनी जिले के 152 ग्रामों के कृषकों को कृषि कार्य के लिए प्रावधान अनुसार जल दिया जाना सुनिश्चित किया गया है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
सिंचाई परियोजनाओं की जानकारी
[जल संसाधन]
119. ( क्र. 1744 ) श्री उमाकांत शर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिरोंज विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कौन-कौन सी वृहद्, मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाएं स्वीकृत हैं व कौन-कौन सी परियोजनाओं की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित, अधूरी हैं? (ख) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा पत्र क्र.103/बी.पी.एल./2019, दिनांक 25.07.2019 को जल संसाधन विभाग मध्यप्रदेश को प्रेषित किया गया था? विभाग द्वारा प्रस्तावों पर प्रश्नांकित दिनांक तक सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति हेतु कितने प्रस्ताव शासन को भेजे गए है? कितनी योजनाओं का सर्वेक्षण किया जा चुका है? उनकी साध्यता क्या है? कितने सर्वेक्षण शेष हैं? पत्र में उल्लेखित सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति कब तक प्रदान कर दी जावेगी एवं पत्र पर क्या कार्यवाही की गई? छायाप्रति उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या विकासखंड लटेरी की सेमरखेड़ी (अलीगढ़ कोटरा) तालाब का कार्य अधूरा है? कार्य कब से बंद है व कार्य कब से प्रारंभ कर दिया जावेगा? क्या सिरोंज विकासखंड की सेमलखेडी तीर्थ सिचांई परियोजना का कार्य गुणवत्ता विहीन किया जा रहा है? यदि हाँ, तो ठेकेदार पर क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) प्रश्नकर्ता को पत्र क्र. 103/बी.पी.एल./2019 दिनांक 25.07.2019 पर क्या कार्यवाही की गई? छायाप्रति उपलब्ध करावें। टेम सिंचाई परियोजना के अंतर्गत विकासखंड लटेरी के डूब प्रभावित किसानों को कितना-कितना मुआवजा प्रदान किया गया है? यदि मुआवजा का भुगतान नहीं किया है? तो कब तक व कितना मुआवजा स्वीकृत कर दिया गया है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। शासन स्तर पर स्वीकृति हेतु कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है। (ख) जी हाँ। पत्र में सिंचाई परियोजनाओं की प्रशासकीय स्वीकृति, सर्वेक्षण कार्य, साध्यता स्वीकृति के संबंध में कोई उल्लेख नहीं है। सर्वेक्षित, सर्वेक्षणाधीन, साध्यता प्राप्त परियोजना की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'', ''स'' एवं ''द'' अनुसार है। (ग) जी हाँ। सेमरखेड़ी (अलीगढ़ कोटरा) का कार्य जून 2006 से बंद। वन प्रकरण की स्वीकृति उपरांत कार्य प्रारंभ किया जाना संभव होगा। जी नहीं। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है। (घ) टेम मध्यम परियोजना के अंतर्गत अभी तक डूब प्रभावितों को कोई मुआवजा प्रदान नहीं किया जाना प्रतिवेदित है। मुआवजा प्रकरण भू-अर्जन अधिकारी लटेरी के कार्यालय में अवार्ड हेतु लंबित है। अवार्ड पारित होने के उपरांत डूब प्रभावितों को भुगतान किया जाना संभव होगा। प्रश्नांश में उल्लेखित पत्र अनुसार कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने के कारण जानकारी दी जाना संभव नहीं है।
सिंचाई हेतु कार्य योजना
[जल संसाधन]
120. ( क्र. 1747 ) श्री अर्जुन सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि माचागोरा जलाशय जिला छिन्दवाड़ा का पानी जिला सिवनी के विधानसभा क्षेत्र बरघाट में सिंचाई हेतु पानी दिये जाने के संबंध में वर्तमान सरकार की क्या कार्य योजना व रूपरेखा है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : परियोजना में उपलब्ध जल का समुचित उपयोग कर लिए जाने से प्रश्नाधीन क्षेत्र में सिंचाई हेतु पानी दिए जाने का कोई प्रस्ताव शासन स्तर पर विचाराधीन नहीं है।
लोक निमार्ण विभाग द्वारा किये गए निमार्ण कार्यों की जानकारी
[लोक निर्माण]
121. ( क्र. 1748 ) श्री अर्जुन सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले में विगत 3 वर्षों में लोक निमार्ण विभाग द्वारा कितने निमार्ण कार्य कराये गये? कार्य एजेंसीवार, लागत, कार्य की वर्तमान स्थिति सहित जानकारी देवें। (ख) उपरोक्त प्रश्नांश (क) के संदर्भ में यदि कार्य समाप्ति के उपरांत पूर्ण भुगतान कार्य एजेंसी को कर दिया गया है तो किस आधार पर किया गया है? (ग) उपरोक्त प्रश्नांश (क) के संदर्भ में जो परफॉरमेन्स व सेक्युरिटी राशि के भुगतान के क्या नियम है? नियमावली की प्रति देवें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', 'अ-1' एवं 'अ-2' अनुसार है। (ख) कार्य समाप्ति के उपरांत, मूल्याकंन के आधार पर एजेन्सी को भुगतान किया गया। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-2' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '1', '2' एवं 'अ-1' अनुसार है।
विधि महाविद्यालयों हेतु पृथक भवन का निर्माण
[उच्च शिक्षा]
122. ( क्र. 1755 ) श्री बीरेन्द्र रघुवंशी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बार काउंसिल ऑफ इण्डिया के नियमों के अनुसार प्रदेश के शासकीय विधि महाविद्यालयों का संचालन पृथक महाविद्यालयों के रूप में होना चाहिए? यदि हाँ तो मध्यप्रदेश में प्रश्न दिनाँक की स्थिति में ऐसे कितने एवं कौन-कौन से विधि महाविद्यालय हैं, जो पृथक महाविद्यालय के रूप में संचालित हो रहे हैं तथा कितने एवं कौन-कौन से महाविद्यालय हैं, जिनका अभी भी पृथक्करण नहीं हुआ है और उनका संचालन एक संकाय के रूप में हो रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार ऐसे महाविद्यालय जिनका अभी सेपरेशन नहीं हुआ है उनका बार काउंसिल ऑफ इण्डिया के नियमानुसार सेपरेशन करने एवं उन महाविद्यालयों में पृथक से प्राचार्यों का पदांकन करने की दिशा में सरकार क्या कार्यवाही करने जा रही है? (ग) क्या बार काउंसिल ऑफ इण्डिया के नियमों के अनुसार शासकीय विधि महाविद्यालयों को पृथक भूखण्ड का आवंटन होकर पृथक भवन होना चाहिए? यदि हाँ तो प्रदेश में कौन-कौन से विधि महाविद्यालयों हेतु पृथक भवन का निर्माण हो चुका है या निर्माणाधीन हैं? इस हेतु विधि महाविद्यालयवार कितनी-कितनी राशि जारी की गई है तथा कौन-कौन से विधि महाविद्यालयों को प्रश्न दिनाँक तक भवन निर्माण हेतु भूखण्ड का आवंटन ही नहीं हुआ है? महाविद्यालयवार जानकारी दें। (घ) शासकीय विधि महाविद्यालयों को बी.सी.आई. के नियमानुसार चलाने के लिए विधिक शिक्षा के हित में राज्य सरकार विधि महाविद्यालयों के पृथक भवन-निर्माण की दिशा में क्या गंभीर प्रयास करने जा रही है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। मध्यप्रदेश में प्रश्न दिनांक की स्थिति में 11 शासकीय विधि महाविद्यालय पृथक विधि महाविद्यालय के रूप में संचालित हो रहे हैं, इसके अतिरिक्त 22 शासकीय महाविद्यालय ऐसे हैं जिनका अभी भी पृथक्करण नहीं हुआ है और उनका संचालन एक संकाय के रूप में हो रहा है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) बार काउंसिल ऑफ इंडिया के मापदण्ड के अनुसार विभाग द्वारा विधि महाविद्यालयों हेतु पृथक सैटअप स्वीकृत किया गया है। (ग) जी हाँ। प्रदेश में 02 विधि महाविद्यालयों के भवन का निर्माण हो चुका है तथा 09 विधि महाविद्यालयों के भवन निर्माणाधीन हैं। निर्माणाधीन भवनों हेतु कुल राशि रूपये 5725.00 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई है। 07 शासकीय विधि महाविद्यालयों को भवन निर्माण हेतु भूखण्ड आवंटित किये जा चुके हैं तथा 15 विधि महाविद्यालयों को भूमि आवंटित नहीं हुई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-'ब' अनुसार है। (घ) जी हाँ।
भू-अर्जन की कार्यवाही
[जल संसाधन]
123. ( क्र. 1759 ) श्री राहुल सिंह लोधी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम सुजानपुरा, तहसील बल्देवगढ़, जिला-टीकमगढ़ में एक नवीन तालाब के निर्माण की योजना स्वीकृत की गई है? (ख) क्या उक्त योजना हेतु भू-अर्जन में किसानों से आपसी सहमति की शर्त अधिकारियों द्वारा डाली गई है, जिस कारण भू-अर्जन का कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहा है? (ग) क्या उक्त योजना के शीघ्र क्रियान्वयन हेतु आपसी सहमति की शर्त को विलोपित किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी हाँ। सुजानपुरा (नहर विहीन) तालाब की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 02.03.2019 को रू. 1682.13 लाख की 920 हेक्टर रबी सिंचाई हेतु प्रदान की गई। (ख) जी नहीं। प्रशासकीय स्वीकृति आदेश में इसका लेख है। स्थानीय कृषकों द्वारा आपसी सहमति से भूमि विक्रय करने हेतु असहमति दिया जाना प्रतिवेदित है। (ग) भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यव्स्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013 के तहत भू-अर्जन की कार्यवाही कराने हेतु मुख्य अभियंता, धसान केन कछार, सागर को निर्देश दिए गए हैं।
स्वीकृत प्रकरणों में राशि का भुगतान
[श्रम]
124. ( क्र. 1760 ) श्री प्रेमसिंह पटेल : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री जन कल्याण योजना, संबल (नया सवेरा) के तहत पंजीकृत हितग्राही की प्राकृतिक/ आकस्मिक मृत्यु हो जाने पर कितनी राशि, कितने समय में भुगतान किये जाने के नियम हैं? नियमों की प्रति उपलब्ध करावेंl (ख) बड़वानी विधानसभा क्षेत्र में योजना प्रारंभ से अक्टूबर 2019 तक प्राप्त प्रकरण, निराकृत प्रकरण एवं शेष प्रकरण दिनांकवार व शेष रहने के कारण सहित विकासखण्डवार सूची उपलब्ध करावें l (ग) क्या कुछ प्रकरणों में कई माह से स्वीकृति के उपरान्त भी हितग्राहियों के खातों में राशि जमा नहीं की गई है? यदि हाँ, तो ऐसे हितग्राहियों की सूची व क्या अनावश्यक विलम्ब के लिए दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जावेगी तथा कब तक हितग्राहियों के खातो में राशि जमा करा दी जावेगी?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) मुख्यामंत्री जन कल्याण संबल (नया सवेरा) के तहत पंजीकृत हितग्राही की सामान्य मृत्यु पर रूपये 2.00 लाख तथा दुर्घटना में मृत्यु पर रूपये 4.00 लाख की सहायता राशि प्रदाय की जाती है। योजना के नियम की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) बड़वानी विधानसभा क्षेत्र में योजना प्रारंभ से अक्टूबर 2019 तक 357 प्रकरण प्राप्त हुए जिसमें से 227 प्रकरणों का निराकरण किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। 130 प्रकरणों की जाँच प्रचलित होकर प्रकरणों की स्वीकृति एवं भुगतान एक सतत प्रक्रिया है। (ग) 02 अक्टूबर 2019 तक स्वीकृत समस्त प्रकरणों में राशि आवंटित की जा चुकी है, प्रकरण की स्वीकृति एवं भुगतान एक सतत प्रक्रिया है
नवीन रोडों की स्वीकृति
[लोक निर्माण]
125. ( क्र. 1761 ) श्री प्रेमसिंह पटेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या लोक निर्माण विभाग के द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 हेतु नवीन रोडों की स्वीकृति जारी की जाकर बजट में शामिल किया गया है? यदि हाँ, तो बड़वानी जिले में स्वीकृत किये गए नवीन कार्यों की सूची उपलब्ध करावें l (ख) क्या प्रश्नकर्ता सदस्य के द्वारा विधानसभा क्षेत्र बड़वानी में नवीन रोडों के प्रस्ताव भेजे गए है? यदि हाँ, तो भेजे गए प्रस्तावों की सूची उपलब्ध करावें। (ग) प्रस्ताव भेजे जाने के उपरांत भी विधानसभा क्षेत्र बड़वानी को शामिल नहीं किये जाने के क्या कारण है? ब्यौरा देवें तथा क्या इसके लिए दोषी अधिकारी/कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
खराब विद्युत ट्रांसफार्मरों को बदला जाना
[ऊर्जा]
126. ( क्र. 1764 ) श्री अनिरुध्द मारू : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विद्युत ट्रांसफार्मर ख़राब होने की दशा में उसको स्थापित स्थान से ले जाना और नवीन ट्रांसफार्मर के लाने ले जाने की जवाबदारी किसकी है और क्या इसके लिये विभाग की अलग से कोई व्यवस्था है? भुगतान कौन करता है? इसके लिये कितनी राशि प्रति ट्रांसफार्मर तय है? अगर लाने ले जाने का कार्य उपभोक्ता करता है तो क्या वह राशि उस उपभोक्ता को देने का प्रावधान है या नहीं? क्या इस बाबत् आज तक राशि के उपयोग की कोई जाँच की गयी हो तो उल्लेख करें। क्या उक्त राशि का दुरूपयोग तो नहीं किया जा रहा है? (ख) ट्रांसफार्मर ख़राब होने की दशा में उस ट्रांसफार्मर के उपभोक्ताओं के बकाया बिलों के सम्बन्ध में क्या नीति है? उस दशा में जो उपभोक्ता नियमित बिल जमा करते हैं, उनको अन्य बकायादारों की वजह से परेशान किया जाता है, बजाय इसके क्या बकायादारों से वसूली अलग से नहीं की जाना चाहये और नहीं होने की दशा में उनके कनेक्शन विच्छेद कर नियमित उपभोक्ताओं को परेशान नहीं किया जाये? इस संबंध में शासन की क्या नीति है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) वितरण ट्रांसफार्मर खराब होने की दशा में उसको स्थापित स्थान से ले जाना और नवीन वितरण ट्रांसफार्मर के लाने की जवाबदारी विद्युत वितरण कंपनियों की है। विद्युत वितरण कंपनियों में इस कार्य हेतु वाहन उपलब्ध रहता है, जिसके माध्यम से उक्त कार्य सम्पादित कराया जाता है। विशेष परिस्थितियों में जब विद्युत कंपनी का वाहन उपलब्ध नहीं होता है, ऐसी दशा में फेल ट्रांसफार्मर के परिवहन हेतु संबंधित उपभोक्ता/ग्रामवासी द्वारा वाहन उपलब्ध कराने पर, उसे परिवहन कार्य हेतु परिवहन व्यय का भुगतान एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के परिपत्र क्रमांक 158 दिनांक 05.03.2018, जिसकी छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है, के प्रावधानों के अनुसार किया जाता है। उक्त परिवहन व्यय की प्रतिपूर्ति का भुगतान विद्युत वितरण कंपनी के संभागीय कार्यालय द्वारा किया जाता है। इस कार्य हेतु परिवहन व्यय परिवहन दूरी के हिसाब से 0 से 25 किलोमीटर दूरी तक राशि रु. 400/-, 26 से 50 किलोमीटर दूरी तक राशि रु. 800/- एवं 50 किलोमीटर से ऊपर राशि रु. 800/- एवं प्रत्येक अतिरिक्त किलोमीटर के लिए राशि रु. 8/- निर्धारित की गई है। उपरोक्त के अतिरिक्त अनुषांगिक व्यय के लिए राशि रु. 200/- प्रति वितरण ट्रांसफार्मर अतिरिक्त देय है। आज दिनांक तक उक्त राशि के दुरूपयोग का कोई भी प्रकरण संज्ञान में नहीं आया है, अत: तत्संबंध में कोई जाँच नहीं की गई है। (ख) विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर जला/खराब होने की दशा में उस ट्रांसफार्मर से संबद्ध 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान करने पर अथवा कुल बकाया राशि का 10 प्रतिशत जमा होने के उपरान्त इन जले एवं खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को बदला जाता है। इन दोनों शर्तों में से किसी भी शर्त की पूर्ति होने पर उक्त जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर को तत्काल बदला जाता है। जो उपभोक्ता नियमित विद्युत बिल जमा करते हैं उन्हें ऐसी दशा में यथासंभव पास की विद्यमान विद्युत अधोसंरचना से तकनीकी रुप से सुरक्षात्मक स्थिति संभव होने पर वैकल्पिक व्यवस्था कर विद्युत उपलब्ध करवाई जाती है तथा जो उपभोक्ता बिजली के बिलों का भुगतान नहीं करते है उनका विद्युत कनेक्शन विच्छेदित कर दिया जाता है।
मुख्यमंत्री जन कल्याण (सम्बल) योजना
[ऊर्जा]
127. ( क्र. 1769 ) श्री राजेश कुमार प्रजापति : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में शासन द्वारा मुख्यमंत्री जन कल्याण (सम्बल) योजना के अंतर्गत असंगठित श्रमिकों को सम्बल योजना के अंतर्गत विद्युत प्रकरणों का निराकरण किया जाना था? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार यदि हाँ, तो हितग्राहियों के लिए किन-किन मापदण्डों का प्रावधान प्रावधानित था? उल्लेख करें। यदि नहीं, तो विद्युत अधिनियम के किन-किन प्रकरणों का निराकरण लोक अदालत में संबंल योजना लागू होने से प्रश्न दिनांक तक म.प्र.पू.क्षे.वि.वि. कम्पनी छतरपुर में किन-किन हितग्राहियों के प्रकरणों का निराकरण किया गया है? उल्लेख करें। (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुसार क्या उक्त निराकृत प्रकरणों में हितग्राहियों का चयन शासन के नियम व निर्देशों के तहत किया गया था? उक्त प्रकरणों का निराकरण किन दस्तावेजों के आधार पर कर हितग्राहियों को लाभ दिया गया था? उक्त संपूर्ण दस्तावेजों का विवरण उपलब्ध करायें। (घ) प्रश्नांश (ग) के अनुसार यदि नहीं, तो क्या शासन विधिसम्मत एवं समय-सीमा पर कार्यवाही न करने वाले अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही करने के आदेश जारी करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल) योजना में पंजीकृत श्रमिकों एवं अन्य संनिर्माण कार्मिकों पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126, 135 एवं 138 में दर्ज समस्त प्री-लिटिगेशन मामलों के निराकरण हेतु निर्धारित मापदंड निम्नानुसार प्रावधानित थे- 1. संबल योजना में पंजीकृत श्रमिक होना चाहिए, 2. प्रकरण घरेलू श्रेणी का होना चाहिए, 3. माह जून-2018 तक दर्ज मुकदमों से संबंधित अभियोजन होना चाहिए, 4. श्रम विभाग के पंजीयन कार्ड की प्रति उपलब्ध होना चाहिए। उक्त प्रावधानों के अंतर्गत आने वाले 3594 हितग्राहियों के प्रकरणों का निराकरण किया गया जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ, प्रकरणों का निराकरण निम्नलिखित दस्तावेजों के आधार पर किया गया था- 1. संबल योजना में पंजीकृत श्रमिक होना, 2. श्रम विभाग के पंजीयन कार्ड की प्रति उपलब्ध कराना। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती
[उच्च शिक्षा]
128. ( क्र. 1770 ) श्री राजेश कुमार प्रजापति : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला छतरपुर में शासकीय नवीन महाविद्यालय बकस्वाहा, चंदला, नौगांव एवं राजनगर में स्वीकृत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी में आउटसोर्स के पदों पर भर्ती प्रक्रिया में रोस्टर का ध्यान शासन के नियम एवं निर्देशों के अनुसार किया गया है? यदि हाँ, तो चयनित सूची उपलब्ध करायी जाये। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार यदि हाँ, तो शासन के नियम एवं निर्देशों के अनुसार उक्त पदों के विज्ञापन के उपरांत ही चयनित किया गया था? यदि हाँ, तो संपूर्ण दस्तावेजों की सूची उपलब्ध करायें। (ग) प्रश्नांश (क) के अनुसार उक्त भर्ती में शासन के नियम एवं निर्देशों के अनुसार आरक्षण का ध्यान दिया गया था? यदि नहीं, तो क्यों? कारण स्पष्ट करें। (घ) प्रश्नांश (क) एवं (ग) के अनुसार यदि नहीं, तो क्या शासन विधिसम्मत एवं समय-सीमा पर कार्यवाही न करने वाले अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही करने के आदेश जारी करेगा? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतायें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जिला छतरपुर में शासकीय नवीन महाविद्यालय बकस्वाहा, चंदला, नौगांव एवं राजनगर में स्वीकृत तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी में आउटसोर्स के पदों पर भर्ती नहीं की गई है। (ख) से (घ) प्रश्नांश (क) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
महाविद्यालय में लिपिकीय पदों की पूर्ति
[उच्च शिक्षा]
129. ( क्र. 1774 ) श्री शिवनारायण सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बांधवगढ़ विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत शासकीय आर.व्ही.पी.एस. महाविद्यालय, उमरिया के लिपिकीय वर्ग के कितने पद स्वीकृत हैं तथा कितने पद भरे हैं तथा कितने पद रिक्त हैं एवं कब से रिक्त हैं? वर्गवार पदों की विस्तृत जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत उक्त महाविद्यालय में लिपिकीय पदों की पूर्ति कब तक तथा किस प्रक्रिया से की जावेगी?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) प्रश्नांश की विस्तृत जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) रिक्त पदों की पूर्ति पदोन्नति/सीधी भर्ती एवं अन्य महाविद्यालयों से स्थानान्तरण द्वारा की जाती है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
एन.बी.डी. योजनान्तर्गत प्रदेश में मार्ग निर्माण
[लोक निर्माण]
130. ( क्र. 1777 ) श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) एन.बी.डी. योजनान्तर्गत जिलों के मार्गों का उन्नयन/निर्माण लोक निर्माण विभाग की एस.ओ.आर. दर कितने प्रतिशत कम/ज्यादा की गई है? वर्तमान में प्रचलित दरें क्या है? क्या इन योजनाओं की डी.पी.आर. बनाने हेतु निविदायें आमंत्रित की गई थीं? यदि हाँ, तो डी.पी.आर. बनाने हेतु जिलेवार कटनी जिले को कितना भुगतान किया गया? योजना प्रारंभ से प्रश्न दिनांक तक बतलावें। सूची देवें। (ख) क्या एन.बी.डी. योजनान्तर्गत निर्माण कार्यों की निविदायें आयटम रेट पर स्वीकृत की गई हैं? यदि हाँ, तो इससे प्रचलित दर की तुलना में शासन को कितनी क्षति पहुंची? क्या इस योजना अन्तर्गत निर्मित मार्गों में ग्राम बसाहट के अन्तर्गत क्या सीमेंट कांक्रीट मार्ग एवं नाली निर्माण का प्रावधान है? यदि हाँ, तो प्रावधान बतलावें। यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ग) क्या एन.बी.डी. योजनान्तर्गत निर्मित हो रही सड़कों का कार्यपालन यंत्री, अधीक्षण यंत्री मुख्य अभिंयता एवं तकनीकी परीक्षक (सर्तकता) द्वारा समय-सीमा पर निरीक्षण किया जाता है? यदि हाँ, तो कटनी जिला अन्तर्गत निर्मित हो रहे मार्गों का कब-कब किसके द्वारा निरीक्षण किया गया तथा निर्माण कार्य में क्या-क्या कमियां पाई गई? मार्गवार निरीक्षण प्रतिवेदन की छायाप्रति सहित सूची देवें। (घ) क्या योजना अन्तर्गत हो रहे निर्माण कार्यों के देयकों का ऑडिट जिला मुख्यालय में कराया जाता है? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? देयकों का ऑडिट प्रदेश मुख्यालय से कराने का औचित्य क्या है? क्या प्रोजेक्ट इंचार्ज द्वारा स्थल परीक्षण किया जाता है? यदि हाँ, तो कटनी जिला अन्तर्गत मार्गवार प्रतिवेदन की छायाप्रति देवें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं, एन.डी.बी. योजनान्तर्गत जिलों के मार्गों का उन्नयन/निर्माण कार्य की निविदा एस.ओ.आर. से कम/ज्यादा पर नहीं अपितु आयटम रेट पर आमंत्रित की गई थी। परिक्षेत्रवार एवं खनिज मात्रा की उपलब्धता के दृष्टिगत दर निर्धारित की जाती है। वर्तमान में प्रचलित दर दी जाना संभव नहीं। जी हाँ, जिलेवार भुगतान नहीं किया गया। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। कोई क्षति नहीं हुई है। सीमेंट कांक्रीट मार्ग का नहीं अपितु सीमेंट कांक्रीट पेवर ब्लाक एवं नाली निर्माण का प्रावधान है। आबादी क्षेत्र में जनसमुदाय की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए सीमेंट कांक्रीट पेवर ब्लॉक का प्रावधान किया गया। प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। निरीक्षण किये गये विवरण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार एवं निरीक्षण प्रतिवेदन में पाई गई कमियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (घ) जी नहीं। शासन के आदेश दिनांक 07.09.19 अनुसार पालन किया जाता है जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। जी हाँ, उत्तरांश (ग) के उत्तर में उल्लेखित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है।
विद्युत विभाग की विभिन्न कंपनियों में कार्यरत संविदा कर्मी
[ऊर्जा]
131. ( क्र. 1778 ) श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में विद्युत विभाग की विभिन्न कंपनियों में कितने-कितने संविदा कर्मी कार्यरत हैं? कंपनीवार संख्या देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित ऊर्जा विभाग की विभिन्न कंपनियों में सीधी भर्ती के कितने-कितने नियमित पद रिक्त हैं। कम्पनीवार, श्रेणीवार (I/II/III/IV) रिक्त पदों की संख्या देवें। क्या शासन इन रिक्त पदों पर प्रश्नांश (क) में उल्लेखित संविदा कर्मियों की नियुक्ति काँग्रेस पार्टी के सकंल्प पत्र के बिन्दु क्रमांक 47.16 के अनुसार करेगा? यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित संविदा कर्मियों को क्या पूर्व में जारी आदेशों के तहत नियमित कर्मचारियों के वेतन का 90% वेतन प्रदान किया जा रहा है? यदि नहीं, दिया जा रहा है तो इसके क्या कारण हैं? इन्हें किस प्रकार से कब तक इसका लाभ मिलेगा? (ग) वित्त वर्ष 2017-18 से प्रश्न दिनांक तक प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कितने संविदा कर्मियों के साथ विद्युत दुर्घटना घटित हुई एवं इससे कितने संविदा कर्मियों की जान गई तथा इन्हें बिजली कम्पनियों द्वारा क्या-क्या चिकित्सा एवं अन्य सुविधायें प्रदान की गई? कम्पनीवार संख्या बतायें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) ऊर्जा विभाग के अंतर्गत विद्यत कंपनियों में कार्यरत संविदा कार्मिकों की कंपनीवार चाही गई प्रश्नाधीन जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) विद्युत कंपनियों में सीधी भर्ती के रिक्त नियमित पदों की कंपनीवार, श्रेणीवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। वचन पत्र के बिन्दु क्रमांक-47.16 पर कार्यवाही सामान्य प्रशासन विभाग के अन्तर्गत विचाराधीन है। अत: निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। तथापि म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर को छोड़कर एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, जबलपुर, म.प्र.पूर्व/मध्य/पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में लागू संविदा सेवा (अनुबंध तथा सेवा की शर्तें) संशोधित नियम, 2018 में प्रतियोगी परीक्षा में सीधी भर्ती के विज्ञापित पदों में संविदा कार्मिकों हेतु लाईन हैल्पर/लाईन अटेडेन्ट/परीक्षण सहायक के लिए 40 प्रतिशत एवं सहायक अभियंता (मैनेजर) एवं कनिष्ठ अभियंता (सहायक मैनेजर), कार्यालय सहायक श्रेणी-3 एवं अन्य के लिए 25 प्रतिशत (कुल विज्ञापित पदों के प्रतिशत में) पद तथा म.प्र. पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, जबलपुर में प्रतियोगी परीक्षा में सीधी भर्ती के विज्ञापित पदों में संविदा कार्मिकों हेतु परीक्षण परिचारक, लाईन परिचारक, सिविल परिचारक एवं भृत्य के लिये 40 प्रतिशत तथा सहायक अभियंता, विधि अधिकारी, एच.आर. मैनेजर, प्रोग्रामर, कनिष्ठ अभियंता, सर्वेयर सहायक, कनिष्ठ शीघ्रलेखक, कार्यालय सहायक श्रेणी-तीन, वाहन चालक एवं अन्य के लिये 25 प्रतिशत (कुल विज्ञापित पदों के प्रतिशत में) पद आरक्षित रखे जाने का प्रावधान है। (ग) जी हाँ, उत्तरांश (क) में उल्लेखित संविदा कार्मिकों को विद्युत कंपनियों (म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी को छोड़कर) में लागू ''संविदा सेवा (अनुबंध तथा सेवा की शर्तें) संशोधित नियम, 2018'' के तहत नियमित कार्मिकों के वेतन का 90 प्रतिशत वेतन प्रदान किया जा रहा है। (घ) एम.पी. पावर मैनेजमेन्ट कंपनी लिमिटेड जबलपुर, म.प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड जबलपुर एवं म.प्र. पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, जबलपुर में उत्तरांश (क) में उल्लेखित संविदा कार्मिकों के साथ घटित दुघर्टनाओं की जानकारी निरंक है। तथापि वर्ष 2017-18 से प्रश्न दिनांक तक म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर में 12 संविदा कार्मिकों की विद्युत दुर्घटना हुई हैं, जिनमें से 1 घातक एवं 11 अघातक दुर्घटनाएं हैं, म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में 7 संविदा कार्मिकों की विद्युत दुर्घटना हुई हैं, जिनमें से 1 घातक तथा 6 अघातक दुर्घटनाएं हैं एवं म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्यत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर में 30 संविदा कार्मिकों की विद्युत दुर्घटना हुई हैं, जिनमें से 5 घातक एवं 25 अघातक दुर्घटना हैं। विद्युत दुर्घटनाग्रस्त संविदा कार्मिकों को कंपनी के नियमानुसार चिकित्सा एवं अन्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं जिनकी कंपनीवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स', 'द', 'ई-1', 'ई-2' एवं 'ई-3' अनुसार है।
ए.बी. रोड की सड़क का निर्माण
[लोक निर्माण]
132. ( क्र. 1783 ) श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 18 जुलाई 2019 के विधानसभा सत्र के प्रश्न क्र. 2989 क उत्तर में अवगत कराया गया है कि शिवपुरी विधानसभा के अंतर्गत आने वाली पिछोर से ए.बी. रोड पडोरा बाया खोड़ गौराटीला सड़क का निर्माण दिनांक 17.05.2019 तक पूर्ण होना था जो समय पर पूर्ण नहीं हो सका जिसकी समयावधि बढ़ाते हुये दिनांक 31.03.2020 तक कार्य पूर्ण होना संभव है। क्या उक्त समयावधि तक कार्य पूर्ण हो जायेगा? (ख) उक्त सड़क निर्माण में अभी तक कितना कार्य पूर्ण हो गया है? कितने पुल पुलिया का कार्य हो गया एवं जिसके एवज में कितनी राशि का भुगतान विभाग द्वारा किया गया है? (ग) उक्त सड़क के निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जाँच किसके द्वारा की जा रही है? सड़क अच्छी गुणवत्ता की बने इसके लिए किन तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा जाँच की जा रही है? नाम एवं पद सहित जानकारी दें। यदि नहीं, की जा रही तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। जी नहीं, जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
हाईटेंशन लाईन का विस्थापन
[ऊर्जा]
133. ( क्र. 1784 ) श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र के शिवपुरी नगर में कितनी घनी आबाद वाली बस्तियों के ऊपर से 11 के.व्ही.ए. हाईटेंशन लाईन निकली हुई है? (ख) क्या मकानों के ऊपर से गुजरने वाली हाईटेंशन लाईन को शिफ्ट किया जायेगा। (ग) यदि किया जायेगा तो कब तक? विगत 5 वर्षों में शिवपुरी नगर में हाईटेंशन लाईन के तार टूटने से कितनी जनहानि हुई है? (घ) हाइटेंशन लाईन से भविष्य में जनहानि न हो इसके लिए क्या प्रबंध किये गये है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) शिवपुरी विधानसभा क्षेत्रांतर्गत शिवपुरी नगरीय क्षेत्र में माधव नगर, जवाहर कॉलोनी, मोहनी सागर कॉलोनी एवं बछोरा बस्ती में 11 के.व्ही. उच्चदाब विद्युत लाईन विद्यमान है। उल्लेखनीय है कि उक्त उच्चदाब 11 के.व्ही. विद्युत लाईन का निर्माण 25-30 वर्ष पूर्व किया गया था तथा तत्समय उक्त क्षेत्र रहवासी क्षेत्र न होकर, खुले मैदान थे तथा कालांतर में उक्त बस्तियों के रहवासियों द्वारा अवैध रूप से पूर्व से विद्यमान 11 के.व्ही. उच्चदाब विद्युत लाईन के नीचे/निकट घर बना लिये गये हैं। (ख) विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 177 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा से संबंधित उपाय के लिये विनियम दिनांक 20.09.2010 को अधिसूचित एवं तत्पश्चात संशोधित किये गये है, जिनके अनुसार विद्युत लाईनों के नीचे एवं लाईनों से असुरक्षित दूरी पर निर्माण करना अवैधानिक है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में उक्तानुसार अवैधानिक निर्माण के लिये संबधितों को समय-समय पर विद्युत लाईनों से सुरक्षित दूरी रखने हेतु सूचित किया गया है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा से संबंधित उपाय विनियम के अनुसार विद्युत लाईनों के समीप निर्माण के पूर्व निर्माणकर्ताओं को इसकी जानकारी विद्युत आपूर्तिकर्ता को देना आवश्यक है। लाईन में फेरबदल की आवश्यकता होने तथा तकनीकी रूप से विस्थापन साध्य पाए जाने एवं मार्ग के अधिकार (आर.ओ.डब्ल्यू) की आवश्यकता पूरी होने की स्थिति में फेरबदल की आपूर्तिकर्ता द्वारा आंकी गई लागत की राशि आवेदक द्वारा जमा करने पर इन विद्युत लाईनों के विस्थापन हेतु कार्यवाही की जा सकती है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में तकनीकी साध्यता एवं लाईन शिफ्ट करने हेतु उपयुक्त स्थान उपलब्ध होने तथा संबंधितों द्वारा म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड को लाईन शिफ्टिंग हेतु लागत राशि उपलब्ध कराने पर इन लाईनों को शिफ्ट कराया जाना संभव हो सकेगा। अत: वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। विगत 5 वर्षों में शिवपुरी नगर में उच्चदाब विद्युत लाईनों के तार टूटने से कोई भी जन-हानि नहीं हुई है। (घ) उक्त उच्चदाब विद्युत लाईनों से विद्युत दुर्घटना की संभावना कम करने हेतु आवश्यकतानुसार लाईनों की ऊँचाई बढ़ाई गई है एवं इसके अतिरिक्त उक्त क्षेत्रों में रहवासियों को समय-समय पर विद्युत लाईनों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने हेतु समझाईश दी जाती है।
ग्रामों की सड़कों को मुख्य मार्ग से जोड़ा जाना
[लोक निर्माण]
134. ( क्र. 1792 ) श्री गोपीलाल जाटव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र 029 गुना में विगत दो वर्षों में लोक निर्माण विभाग द्वारा कितने ग्रामों की सड़कों को मेन मार्ग से जोड़ा गया है तथा कितने ग्रामों की सड़कों को अभी तक नहीं जोड़ा गया है? (ख) अभी तक उक्त ग्रामों की सड़कों को मेन मार्ग से क्यों नहीं जोड़ा गया है? (ग) उक्त के लिए कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी दोषी हैं? उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही प्रस्तावित है? (घ) उक्त सड़कों को मेन मार्ग से कब तक जोड़ दिया जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग कार्यक्षेत्र अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र 029 में 03 मार्ग कार्य स्वीकृत है, जिनमें से विगत दो वर्षों में 10 ग्रामों को मेन मार्ग से जोड़ा जा चुका है। 3 ग्रामों को जोड़ने का कार्य प्रगति पर है। विस्तृत जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) वर्तमान में कार्य प्रगति पर होने से। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। (घ) उक्त 3 मार्गों को मेन मार्ग से इसी वित्तीय वर्ष में जोड़ दिये जाने की कार्यवाही प्रचलन में है।
राजमार्ग पर घटित सड़क दुर्घटनाएं
[लोक निर्माण]
135. ( क्र. 1800 ) श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में होशंगाबाद से टिमरनी तक राजमार्ग पर सड़क में गड्ढों, सड़क खराब होने, सड़कों के रख-रखाव के अभाव के कारण कहाँ-कहाँ कितनी सड़क दुर्घटनाएं हुई? (ख) उक्त दुर्घटनाओं में कितनी मृत्यु दुर्घटना स्थल, अस्पताल में इलाज के दौरान हुई? क्या विभाग द्वारा सड़कों की मरम्मत गड्ढे भरने का कार्य किया जावेगा? यदि हाँ तो कब तक? नहीं तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) प्रश्नांश में उल्लेखित अवधि में गड्ढों, सड़क खराब होने, सड़कों के रख-रखाव के अभाव में कोई दुर्घटना नहीं हुई है, अपितु दुर्घटनाओं का कारण वाहन चालक द्वारा लापरवाही से वाहन चलाना है। थाना प्रभारी द्वारा प्राप्त रिपोर्ट की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-01 से 09 अनुसार है। (ख) दुर्घटनाओं में मृत्यु की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 से 9 अनुसार है। मार्ग की मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। मरम्मत कार्य एक सतत् प्रक्रिया है। अत: समय-सीमा बताया जाना सम्भव नहीं है।
प्राध्यापकों की वरिष्ठता का निर्धारण
[उच्च शिक्षा]
136. ( क्र. 1801 ) श्री संजय यादव : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभागीय प्रशासनिक प्रतिवेदन 2018-19 में दर्शाये गए अनुसार उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत सीधी भर्ती के प्राध्यापक अपने संवर्ग के 704 पदों पर कार्यरत हैं तथा पदोन्नत/पदनामधारी प्राध्यापक सहायक प्राध्यापक के संवर्ग के पद पर कार्यरत हैं? (ख) क्या सीधी भर्ती प्राध्यापकों की उपलब्धता के बावजूद महाविद्यालयों में पदोन्नत/पदनामधारी प्राध्यापकों को वरिष्ठ मानकर प्रभारी प्राचार्य घोषित किया जा रहा है? यदि हाँ तो ऐसे महाविद्यालयों की सूची उपलब्ध कराएं। (ग) क्या WP 11324/2003 में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने यह व्यवस्था दी है कि सीधी भर्ती के प्राध्यापक सर्वदा पदोन्नत प्राध्यापक से वरिष्ठ होंगे तथा याचिका RP 267/2010 में उक्त दिये गए निर्णय की व्याख्या इस सीमा तक की गई है कि पदोन्नत प्राध्यापकों तथा सीधी भर्ती प्राध्यापक के मध्य वरिष्ठता तभी निर्धारित हो सकती है, जब पदोन्नति से पद भरते हों? यदि हाँ तो ऐसी स्थिति में इस प्रकार की पदोन्नति से प्राध्यापक संवर्गीय पद नहीं भरने के बावजूद पदोन्नत प्राध्यापकों को किस आधार पर वरिष्ठ माना जा रहा है? (घ) ऐसे प्राध्यापकों के बीच वरिष्ठता निर्धारण के लिए वर्तमान में प्रचलित नियम की प्रति उपलब्ध कराएं।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
सिंचाई परियोजनाओं की प्रशासकीय स्वीकृति
[जल संसाधन]
137. ( क्र. 1802 ) श्री संजय यादव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बरगी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत प्रस्तावित लघु सिंचाई परियोजना पटी चरगंवा एवं टेमर को प्रशासकीय स्वीकृति कब प्रदान की गई? उक्त दोनों सिंचाई परियोजनाओं की निविदा जारी कर निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ किया जायेगा? (ख) लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत शहपुरा विकासखण्ड के बिजौरा बांध की लम्बित प्रशासकीय स्वीकृति अभी तक जारी नहीं हो सकी है। प्रशासकीय स्वीकृति कब तक जारी की जायेगी, जबकि जल संग्रहण हेतु छोटे-छोटे बांधों को प्राथमिकता देने बाबत् शासन द्वारा नीति बनाई गई है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) पटी चरगंवा जलाशय एवं टेमर स्टॉप डेम कम रपटा की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 02.03.2019 को प्रदान की गई है। निविदा आमंत्रण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) बिजौरा बांध की प्रति हेक्टर लागत निर्धारित मापदण्ड से अधिक होने के कारण प्रमुख अभियंता ने उनके पत्र दिनांक 24.12.2018 द्वारा तकनीकी एवं वित्तीय आधार पर पुन: परीक्षण हेतु डी.पी.आर. मैदानी कार्यालयों को वापिस किया जाना प्रतिवेदित है। प्राक्कलन परीक्षणाधीन होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा जारी निविदायें
[ऊर्जा]
138. ( क्र. 1809 ) श्रीमती कृष्णा गौर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ऊर्जा विभाग के अंतर्गत विद्युत वितरण कंपनियों में अधोसंरचना विकास अथवा अन्य मरम्मत के कार्य हेतु निविदा जारी करने हेतु नीति निर्धारित है? यदि हाँ तो इसका विवरण प्रस्तुत करें। (ख) म.प्र.म.क्षे.वि.वि.कं.लि. भोपाल के बैतूल वृत्त के अंतर्गत दीनदयाल ग्राम ज्योति योजनांतर्गत कार्यादेश किसको दिये गये थे? क्या उक्त कार्य नीति के अनुरूप किया गया है? यदि नहीं, तो किस आधार पर उक्त कार्य विभाजित कर कराया गया है? (ग) संबंधित ठेकेदार द्वारा कार्य पूर्ण न करने पर उक्त कार्य का विभाजन किया गया है? क्या उक्त कार्य म.प्र.म.क्षे.वि.वि.कं.लि. भोपाल द्वारा स्वयं किया गया है? उक्त स्थिति में संबंधित ठेकेदार द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? (घ) उपरोक्त कार्य विभाजन की अनुमति/अनुमोदन किसके द्वारा किया गया है? क्या उक्त अधिकारी इसके लिये अधिकृत है? क्या कार्य विभाजन नीति अनुसार किया गया है? यदि नहीं, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध शासन क्या कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, ऊर्जा विभाग के अंतर्गत विद्युत वितरण कंपनियों में अधोसंरचना विकास अथवा अन्य मरम्मत के कार्य हेतु निविदा नीति निर्धारित है। म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में लागू डेलीगेशन ऑफ पावर के भाग बी के सेक्शन-1 की कंडिका 3.3 के अनुसार राशि रू. तीस लाख तक उप महाप्रबंधक, राशि रू. एक करोड़ तक महाप्रबंधक तथा राशि रू. एक करोड़ से अधिक मुख्य महाप्रबंधक को निविदा जारी करने की शक्तियां प्रदत्त है। (ख) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, भोपाल के क्षेत्रांतर्गत बैतूल वृत्त में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनान्तर्गत राशि रू. 144.02 करोड के विद्युतीकरण कार्य दो भागों में विभक्त करते हुये निविदा जारी की गई थी। बैतूल उत्तर संभाग हेतु मेसर्स फेडर्स इलेक्ट्रिक एण्ड इंजीनियरिंग लिमिटेड नई दिल्ली को राशि रू. 71.18 करोड़ का कार्यादेश दिनांक 28.12.2016 तथा बैतूल दक्षिण एवं मुलताई संभागों हेतु मेसर्स अग्रवाल पावर लिमिटेड भोपाल को राशि रू. 72.83 करोड़ का कार्यादेश दिनांक 18.05.2017 को जारी किया गया था। उक्त कार्य, योजना के दिशा-निर्देशों एवं निर्धारित नीति के अनुरूप ही किये गये है। (ग) उत्तरांश (ख) के संबध में मेसर्स अग्रवाल पावर लिमिटेड भोपाल के द्वारा नियत समयावधि में दिनांक 31.03.2019 तक सभी कार्य पूर्ण कर लिये गये थे, किन्तु मेसर्स फेडर्स इलेक्ट्रिक एण्ड इंजीनियरिंग नई दिल्ली को जारी कार्यादेश से संबधित कार्य उक्त टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी द्वारा नियत समय-सीमा में पूर्ण नहीं किये जाने के कारण कार्यादेश निरस्त कर राशि रू. 7.12 करोड़ की बैंक गारंटी राजसात कर ली गई थी। शेष कार्यों को म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की बिजनेस कमेटी के अनुमोदन उपरांत म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर संपादित करने हेतु निर्देश जारी किये गये। उक्त स्थिति में टर्न-की ठेकेदार एजेन्सी द्वारा टर्मिनेशन आदेश के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है। (घ) बैतूल जिले में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनांतर्गत स्वीकृत कार्यों को दो भागों में विभक्त करते हुये निविदा प्रबंध संचालक के अनुमोदन उपरांत जारी कर उत्तरांश (ख) में दर्शाये अनुसार दो टर्न-की ठेकेदार एजेन्सियों को कार्यादेश जारी किये गये थे। जी हाँ, वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक उक्तानुसार की गई कार्यवाही के लिये अधिकृत हैं। उक्त कार्य, योजना के दिशा-निर्देशों एवं निर्धारित नीति के अनुसार किये गये हैं, अतः किसी अधिकारी के दोषी होने अथवा किसी के विरुद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
भोपाल संभाग के महाविद्यालयों की नैक ग्रेडिंग
[उच्च शिक्षा]
139. ( क्र. 1810 ) श्रीमती कृष्णा गौर : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल राजस्व संभाग के जिलों में कुल कितने शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालय वर्तमान में कार्यरत हैं? उनके नाम एवं पते सहित पृथक-पृथक बताया जाये। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित महाविद्यालयों की नैक (नेशनल असेसमेंट एण्ड एक्रीडिटेशन कौंसिल) ग्रेडिंग वर्तमान में क्या है? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित महाविद्यालयों को वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) से कितना कितना ग्रांट मिलता है? महाविद्यालयवार जानकारी देवें।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) भोपाल राजस्व संभाग के 05 जिलों में कुल 56 शासकीय और 130 अशासकीय महाविद्यालय वर्तमान में संचालित हैं, शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
वृहद सिंचाई परियोजनाओं हेतु वित्त पोषण की योजना
[जल संसाधन]
140. ( क्र. 1813 ) श्री लक्ष्मण सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वृहद सिंचाई परियोजनाओं हेतु वित्त पोषण की क्या योजना है? क्या विदेशी सहायता या ऋण लेने की कोई योजना है? (ख) कुम्भराज परियोजना तहसील कुम्भराज जिला गुना के वित्त पोषण एवं परियोजना की वर्तमान स्थिति क्या है? (ग) ग्वालियर संभाग में क्षतिग्रस्त बांधों की जिलेवार संख्या, समय पूर्व क्षतिग्रस्त हुए बांधों के निर्माण एजेंसियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जा रही है? (घ) छोटे बांध निर्माण हेतु क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) वृहद सिंचाई परियोजनाओं को राज्य शासन के बजट, केन्द्रीय सहायता एवं नाबार्ड से ऋण लेकर कार्य कराए जाने की व्यवस्था है। वर्तमान में विदेशी सहायता या ऋण लेने की कोई योजना नहीं है। कुण्डलिया वृहद परियोजना पूर्व से एशियन डव्हलपमेंट बैंक (ADB) द्वारा वित्त पोषित होकर निर्माणाधीन है। (ख) कुम्भराज वृहद परियोजना की डी.पी.आर. तैयार करने की कार्यवाही प्रचलन में है। (ग) ग्वालियर संभाग के अंतर्गत ग्वालियर जिले में 30 बांध क्षतिग्रस्त होना प्रतिवेदित है। उक्त सभी बांध पुराने अथवा रियासत काल के निर्मित हैं। कोई बांध समय पूर्व क्षतिग्रस्त नहीं होने से निर्माण एजेंसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। शिवपुरी, गुना, अशोकनगर एवं दतिया जिले में कोई बांध क्षतिग्रस्त नहीं होना प्रतिवेदित है। (घ) छोटे बांधों के रूप में तालाब/स्टॉप डेम/बैराज बनाए जा रहे हैं। प्रश्नाधीन संभाग के अंतर्गत निर्माणाधीन/साध्यता प्राप्त परियोजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
सुनार एवं कोपरा नदी पर पुल निर्माण
[लोक निर्माण]
141. ( क्र. 1818 ) श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दमोह, पथरिया, गढ़ाकोटा मार्ग में सुनार एवं कोपरा नदी पर अभी तक पुल निर्माण क्यों नहीं किया गया एवं कब तक पूर्ण किया जावेगा? (ख) यह मार्ग 365 दिन में से लगभग 60 दिन बंद रहता है फिर भी इस लापरवाही के लिए अधिकारियों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई? (ग) क्या इन दोनों पुलों को शीघ्र पूर्ण करने की कोई ठोस प्रक्रिया करते हुये इनके शीघ्र निर्माण की कार्यवाही की है? (घ) यदि हाँ, तो इनका टेंडर करते हुए दोनों पुलों का निर्माण कब तक पूर्ण हो सकेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) उक्त मार्ग में सुनार एवं कोपरा नदी पर पुल कंसेशनायर द्वारा पुलों की लम्बाई बढ़ने के कारण पूर्ण नहीं किया गया था। वर्तमान में कंसेशनायर द्वारा उक्त पुलों का निर्माण बन्द किये जाने के कारण पूर्णता की अवधि बताया जाना संभव नहीं है। (ख) वर्षाकाल में उक्त दोनों स्थानों पर स्थित वेटेंड कॉजवे के ऊपर पानी निकलने के कारण यातायात कुछ समय के लिये बन्द रहता है। उक्त स्थिति के लिये अधिकारियों पर कोई कार्यवाही आवश्यक नहीं है। (ग) जी हाँ, कंसेशनायर द्वारा उक्त पुलों का कार्य नहीं किये जाने के कारण कार्य पूर्ण करने हेतु प्राक्कलन तैयार कर पृथक से एजेन्सी नियत की जाकर कार्य पूर्ण कराया जावेगा। (घ) जी हाँ, निश्चित अवधि बताया जाना संभव नहीं है।
सड़कों का गलत मूल्यांकन
[लोक निर्माण]
142. ( क्र. 1820 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सन् 2016 से अब तक भोपाल व शाजापुर जिले में लोक निर्माण विभाग द्वारा कुल कितनी नई सड़कों का निर्माण कहाँ-कहाँ किया गया था? सड़कों की अनुमानित लागत राशि तथा ठेकेदारों द्वारा कार्य की गई लागत राशि बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार स्वीकृत सड़कों को किस ठेकेदार ने बनाया था? ठेकेदार का नाम तथा ठेकेदार के द्वारा दी गारंटी की जानकारी बतावें तथा किस ठेकेदार ने कितने प्रतिशत अनुमानित लागत से 5 प्रतिशत से कम राशि पर किस प्रकार से कार्य किया? (ग) प्रश्नांश (क) के अनुसार क्या सड़कें गुणवत्तापूर्वक नहीं बनाई गयी थी? यदि हाँ, तो उन सड़कों का मूल्यांकन किस आधार पर इंजीनियरों ने किया व किस आधार पर संबंधित अधिकारियों ने भुगतान किया और यदि नहीं, तो फिर सड़कें गारंटी अवधि से कम समय में खराब कैसे हुई? (घ) वर्तमान में लोक निर्माण विभाग के द्वारा कितने ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड किया गया? उनकी सूची देवें तथा सड़कों का गलत मूल्यांकन करने वाले इंजीनियरों व भुगतान करने वाले अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो किस अधिकारी पर क्या कार्यवाही की गई और नहीं तो क्यों नहीं की गई?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ग) जी नहीं सड़क गुणवत्तापूर्वक बनाई गई है, गुणवत्तापूर्वक कार्य का मूल्याकंन कर भुगतान किया गया है। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ
[पर्यावरण]
143. ( क्र. 1821 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन संभाग में कौन-कौन से उद्योग से निकलने वाला जल, वायु तथा ठोस अपशिष्ट कचरा प्रदूषण की श्रेणी में माना गया है? उद्योगों की सूची प्रदान करें। (ख) जिन उद्योगों को प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग की श्रेणी में माना जाता है, उनके यहां सारे मानकों की जाँच करने का कैलेण्डर क्या होता है? किस-किस विधि से जल, वायु तथा कचरे का परीक्षण किया जाता है? उनके आस-पास की कितनी किलोमीटर दूर तक की भूमि की उर्वरता की जाँच की जाती है? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित उद्योगों की प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित मानकों के आधार पर वर्ष 2018 तथा 2019 में की गई जाँच/परीक्षण की रिपोर्ट की प्रति देवें तथा बतावें कि किस-किस उद्योग में किस प्रकार का प्रदूषण पाया गया है? (घ) क्या नदियों में केचमेंट सेट में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग, गिट्टी खदानें, ट्रेचिंग ग्राउण्ड लगाये जा सकते हैं? यदि नहीं, तो बतायें कि प्रदेश की प्रमुख 85 नदियों में से किस नदी के केचमेंट क्षेत्र में कौन-कौन से उद्योग गिट्टी खदान तथा ट्रेचिंग ग्राउण्ड हैं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) उज्जैन संभाग में जल, वायु तथा ठोस अपषिष्ट प्रदूषण की श्रेणी में माने गये उद्योगों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘अ‘‘ अनुसार है। (ख) प्रदूषणकारी प्रकृति के उद्योगों के लिए निर्धारित मानकों की जांच हेतु ईज आंफ डूइंग बिजनेस अन्तर्गत केलेण्डर निर्धारित नहीं है। जल, वायु एवं ठोस अपषिष्ट के परीक्षण का कार्य केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्टेण्डर्ड ऑपरेंटिग प्रोसिजर/भारतीय मानक विधियों के अनुसार किया जाता है तथा उद्योगों के आसपास की भूमि की उवर्रता की जांच का प्रावधान पर्यावरणीय अधिनियमों के अंतर्गत नहीं है। (ग) उत्तरांश (क) व (ख) में उल्लेखित उद्योगों की वर्ष 2018 तथा 2019 में की गई जांच/परीक्षण रिपोर्ट पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘ब‘‘ अनुसार है व उद्योगवार पाया गया प्रदूषण विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘स‘‘ अनुसार है (घ) जी, हाँ। नदी केचमेंट क्षेत्र में उद्योग, गिट्टी खदानें, ट्रेचिंग ग्राउण्ड शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों, गाइड-लाइन, माननीय न्यायालय के आदेशों के परिप्रेक्ष्य में उल्लेखित दूरी अनुसार स्थापित किये जा सकते हैं। अतः शेष जानकारी का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
गढ़पहरा-धामोनी एवं भापेल-जैसी सड़क मार्ग का निर्माण
[लोक निर्माण]
144. ( क्र. 1824 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गढ़पहरा-धामोनी एवं भापेल-जैसीनगर सड़क मार्ग की स्वीकृति विभाग द्वारा प्रदान कर दी गई थी? स्वीकृत राशि, अनुबंधित लागत, कार्य पूर्ण करने की तिथि सहित सम्पूर्ण जानकारी देवें। (ख) गढ़पहरा-धामोनी सड़क मार्ग में घाटी पर कार्य किये जाने के बाद घाटी से पत्थर उत्खनन/पत्थर गिरने को रोकने के लिए विभाग द्वारा कोई उपाय किये जायेंगे? (ग) भापेल-जैसीनगर मार्ग में वर्तमान में ही जर्जर एवं जगह-जगह पर गड्ढे हो जाने पर विभाग द्वारा कार्य एजेंसी के विरूद्ध क्या कोई कार्यवाही की है? यदि हाँ, तो की गई कार्यवाही की छायाप्रति उपलब्ध करायें। (घ) यदि विभाग द्वारा प्रश्नांश (ख) एवं (ग) में कोई कार्यवाही नहीं की है तो विभाग कब तक कार्यवाही करेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (घ) कार्यवाही की गई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सीमेंट क्रांकीट मार्ग निर्माण
[लोक निर्माण]
145. ( क्र. 1825 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ओल्ड एन.एच. 26 सीमेंट क्रांकीट मार्ग के अनुबंध एवं कार्य पूर्ण होने की क्या तिथि थी एवं वर्तमान में कार्य एजेंसी द्वारा कितना निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया है एवं कितना शेष है एवं कितना भुगतान किया गया? अनुबंध अनुसार कितना कार्य किया गया है? अनुबंध में कार्य समय पर नहीं होने पर दंड का क्या प्रावधान है? (ख) क्या कार्य एजेंसी द्वारा विगत चार माह पूर्व मकरोनिया चौराहे से रजाखेड़ी चौराहे तक एवं पदमाकर थाने से मकरोनिया चौराहे तक डी.एल.सी. कार्य किया था एवं उसी पर चार माह बाद पी.क्यू.सी. कार्य किया है? (ग) रजाखेड़ी बजरिया से रेल्वे गेट नं. 28 की ओर डी.एल.सी. कार्य किया गया जिस पर आवागमन जारी रहा, उसी पर पी.क्यू.सी. कार्य कराने से सड़क की गुणवत्ता में अंतर आया होगा तथा सड़क के अनेक स्थानों पर डी.एल.सी. एवं पी.क्यू.सी. के कार्य में 02-04 माह का समय अंतर रहा है। विभाग द्वारा कब-कब डी.एल.सी. एवं पी.क्यू.सी. का मेजरमेंट/माप किया गया? (घ) सड़क निर्माण के चलते कार्य एजेंसी द्वारा पानी का छिड़काव न करने के कारण निरंतर धूल उड़ती रही, इसके लिये कौन जिम्मेदार है एवं शेष कार्य एजेंसी द्वारा कार्य पूर्ण होने की तिथि तक पूर्ण करेगी? यदि नहीं, तो इसके लिये कौन जिम्मेदार है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। दण्ड की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जी हाँ, जी नहीं। मकरोनिया चौराहे से रजाखेड़ी चौराहे तक के कुछ भाग में डी.एल.सी. का कार्य किया गया था, उस भाग में चार माह बाद डी.एल.सी को सुधार कर परीक्षण उपरांत पी.क्यू.सी. का कार्य किया गया, जो गुणवत्तापूर्ण है तथा पदमाकर थाने से मकरोनिया चौराहे तक के कुछ भाग में डी.एल.सी. का कार्य नवम्बर 2019 में किया गया है। कार्य गुणवत्तापूर्ण है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्नांश की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' के कालम नं. 14 में दर्शित है। (घ) जी नहीं। निर्माण कार्य के दौरान यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। धूल उड़ने से रोकने के लिये एजेन्सी द्वारा निरंतर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। कोई जिम्मेदार नहीं है। वर्तमान में एजेन्सी द्वारा किये जा रहे कार्य की प्रगति को देखते हुये यह कार्य दिनांक 31.03.2020 तक पूर्ण होने की संभावना है। पूर्णता की निश्चित तिथि बताना संभव नहीं है। कोई जिम्मेदार नहीं है।
मार्ग निर्माण हेतु राशि की स्वीकृति
[लोक निर्माण]
146. ( क्र. 1834 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला अनूपपुर के पुष्पराजगढ़ विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत पटना-करपा-सरई पहुँच मार्ग का कार्य किस वित्तीय वर्ष में प्रारंभ किया गया? इस मार्ग के निर्माण हेतु कितनी राशि स्वीकृत की गई थी एवं विभाग द्वारा क्या समय-सीमा निर्धारित की गई थी? मार्ग के बनने से प्रश्न दिनांक तक किस एजेंसी के द्वारा उक्त मार्ग में कब-कब, कितनी-कितनी राशि किस कार्य में खर्च की गई? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित मार्ग के संबंध में प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा मार्ग के सुधार हेतु पूर्व में भी विभाग से प्रश्न, ध्यानाकर्षण, शून्यकाल सूचना आदि के माध्यम से लगाकर मांग की जा चुकी है। यदि हाँ, तो क्या विभाग द्वारा उक्त मार्ग पर सड़क निर्माण हेतु कोई ठोस कार्यवाही की गई है? क्या विभाग उक्त सड़क के जीर्णोद्धार हेतु सड़क निर्माण की स्वीकृति प्रदान करेगा? यदि हाँ तो कब तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जिला अनूपपुर के पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के प्रश्नांश मार्ग, म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण परियोजना क्रियान्वयन इकाई अनूपपुर से सम्बंधित है। अत: लोक निमार्ण विभाग की जानकारी निरंक है। महाप्रबंधक म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण अनूपपुर से प्राप्त उत्तर संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। प्रश्नांश मार्ग निर्माण हेतु दिनांक 04.05.2018 को ए.डी.बी. 6 योजनांतर्गत जिला अनूपपुर के लांघाटोला-पटना-करपा-सरई-अहिरगंज-केलमनिया मार्ग कुल लम्बाई 52.60 कि.मी. राशि रूपये 92.05 करोड की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है। मार्ग निर्माण कार्य हेतु निविदा का आमंत्रण किया गया था। उच्च निविदा दर प्राप्त होने के कारण निविदा को निरस्त किया गया है। निविदा का पुन: आमंत्रण करने की कार्यवाही प्रचलित है। वर्तमान में मार्ग निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं है। पटना-करपा-सरई मार्ग के यातायात को सुलभ कराने हेतु क्षतिग्रस्त भाग लम्बाई 39.40 कि.मी. में विभागीय वार्षिक संधारण मद से वित्तीय वर्ष 2019-20 के अंतर्गत तत्काल मार्ग को मोटरेबल बनाने हेतु मरम्मत कार्य दिनांक 30.11.2019 को संपन्न कराया गया है।
जलाशय के खरपतवार/साफ-सफाई का कार्य
[ऊर्जा]
147. ( क्र. 1835 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. विद्युत मंडल द्वारा विगत तीन वर्षों में सतपुड़ा थर्मल पावर प्लांट, बैतूल में स्थित जलाशय के खरपतवार/साफ-सफाई का कार्य कराये जाने हेतु किन-किन एजेंसियों की सेवायें ली गई? इसके एवज में उन एजेंसियों को कितनी-कितनी राशि का भुगतान किया गया? एजेंसी के मालिक/निदेशक का नाम, पता सहित विवरण दें। (ख) क्या उक्त कार्य संबंधित एजेंसी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज की जाँच उपरांत दिया गया? यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) में उल्लेखित एजेंसी द्वारा P.Q.R. (प्रारंभिक अहर्ता) ठेकेदार ने पंजीकरण करते समय विभाग द्वारा दस्तावेज का सत्यापन किया जाता है? यदि हाँ, तो अनुभव प्रमाण-पत्र की जाँच किसके द्वारा की गई? क्या निविदाकार द्वारा फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र संलग्न कर कार्य प्राप्त किया गया? यदि हाँ, तो दोषियों के विरूद्ध विभाग कब तक कार्यवाही करेगा? एजेंसी द्वारा संलग्न किये दस्तावेजों एवं अनुभव प्रमाण-पत्र का विवरण उपलब्ध करावें। (ग) तकनीकी तौर पर जलाशय के खरपतवार/साफ-सफाई के निरीक्षण एवं सलाह का कार्य कृषि वैज्ञानिकों से कराया गया किन्तु उक्त कार्य विभाग के इंजीनियरों से क्यों कराया गया? क्या उक्त कार्य पूर्ण रूप से असफल रहा तथा पूर्व की खरपतवार/साफ-सफाई 60% से बढ़कर 90% में और अधिक फैल गई? यदि हाँ, तो संबंधित एजेंसी द्वारा किये गये कार्य की जाँच कराई जाकर संबंधित दोषी लोगों के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही की जाकर संबंधित एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड किया जायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती कंपनी मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा विगत तीन वर्षों में सतपुडा थर्मल पावर प्लांट, सारनी, जिला-बैतूल में स्थित जलाशय के खरपतवार/साफ-सफाई का कार्य कराये जाने हेतु जिन-जिन एजेंसियों की सेवायें ली गई, इसके एवज में उन एजेंसियों को किये गये अद्यतन भुगतान की राशि एवं एजेंसी के मालिक/निदेशक का नाम, पता सहित विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। प्रश्नांश (क) में उल्लेखित एजेन्सियों का पी.क्यू.आर. (प्रारम्भिक अर्हता) में पंजीकरण/चयन करने के पूर्व उनके दस्तावेजों का सत्यापन किया गया। पी.क्यू.आर. की शर्तानुसार संबंधित एजेंसियों को कार्य, इस कार्य के पूर्व अनुभव प्रमाण-पत्र के आधार पर नहीं अपितु विभाग/पी.डब्ल्यू.डी. में उपयुक्त श्रेणी में पंजीकरण के आधार पर दिया गया। चूंकि अनुभव प्रमाण-पत्र के आधार पर एजेंसियों को कार्य आवंटित नहीं किया गया है, अत: इनके सत्यापन का प्रश्न नहीं उठता है। एजेंसियों द्वारा दिये गये प्रारंभिक अर्हता से संबंधित दस्तावेजों का विवरण निम्नानुसार है - 1. श्री मोहम्मद शकील – विभाग में पंजीकरण प्रमाण-पत्र, जी.एस.टी. पंजीकरण एवं ई.पी.एफ. पंजीकरण। 2. मेसर्स एन.बी. कन्स्ट्रक्शन–एम.पी. पी.डब्ल्यू.डी. में पंजीकरण प्रमाण-पत्र, टर्न ओव्हर प्रमाण-पत्र, जी.एस.टी. पंजीकरण एवं ई.पी.एफ. पंजीकरण। 3. मेसर्स जे.एम.डी. एंड संस-एम.पी. पी.डब्ल्यू.डी. में पंजीकरण प्रमाण-पत्र, जी.एस.टी. पंजीकरण एवं ई.पी.एफ. पंजीकरण। 4. मेसर्स अन्नपूर्णा ट्रेडर्स-एम.पी. पी.डब्ल्यू.डी. में पंजीकरण प्रमाण-पत्र, जी.एस.टी. पंजीकरण एवं ई.पी.एफ. पंजीकरण। (ग) तकनीकी तौर पर जलाशय के खरपतवार/साफ–सफाई के निरीक्षण एवं सलाह का कार्य, भारत सरकार के विभाग, डी.डब्ल्यू.आर. (डायरेक्टोरेट ऑफ वीड रिसर्च, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, जबलपुर) की सलाह के आधार पर कराया गया है एवं कार्य का निरीक्षण भी समय-समय पर उनके द्वारा किया गया। भुगतान जलाशय के उस क्षेत्र की नाप-जोख करते हुऐ किया जाना है, अत: सलाहकार द्वारा दी गई सलाह के आधार पर एवं समय-समय पर उनके निरीक्षण में यह कार्य इसी क्षेत्र के प्रभारी सिविल इंजीनियरों की देख-रेख में कराया गया। कार्य पूर्ण रूप से सफल रहा। जी नहीं, संपूर्ण जलाशय के 90% क्षेत्र में खरपतवार नहीं फैली है, अपितु लगभग 60% क्षेत्र में नदी के कैचमेंट से आई खरपतवार में से विद्युत उत्पादन के लिये आवश्यक लगभग 10% क्षेत्र से खरपतवार निकालने का ठेका दिया गया है, जिसका निष्पादन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। अत: संबंधित एजेन्सी की जाँच कराने, दोषी लोगों के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही किये जाने एवं एजेन्सी को ब्लैक लिस्टेड किये जाने का प्रश्न नहीं उठता है।
जिलेवार वार्षिक बजट का प्रावधान
[जल संसाधन]
148. ( क्र. 1837 ) श्री बिसाहूलाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश शासन द्वारा विगत पाँच वर्षों में अनूपपुर जिला अंतर्गत वार्षिक बजट में सिंचाई हेतु कितनी राशि का प्रावधान किया गया था तथा प्राप्त राशि में से जिला अनूपपुर को कितनी राशि दी गई? विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) में प्राप्त राशि में से विधानसभा क्षेत्र अनूपपुर में राशि से क्या-क्या कार्य कराये गये? स्वीकृत प्रक्रियाधीन एवं प्रस्तावित कार्य की जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) में स्वीकृत कौन-कौन से निर्माण कार्य, किन-किन ग्रामों में कितनी-कितनी राशि से किये जा रहे हैं? इसकी जानकारी मांग संख्या, लेखा शीर्ष, स्वीकृत दिनांक, कार्य प्रारंभ एवं पूर्ण दिनांक क्रियान्वयन एजेंसी सहित बतावें। स्वीकृत कार्यों के अतिरिक्त कितने कार्य प्रक्रियाधीन एवं प्रस्तावित है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) विभाग द्वारा जिलेवार वार्षिक बजट का प्रावधान नहीं किया जाता है। अनूपपुर जिले को विगत 5 वर्षों में विधान सभा क्षेत्रवार प्राप्त आवंटन एवं व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' एवं ''द'' अनुसार है।
ट्रांसफार्मर बदलने के लिये विद्युत विभाग के नियम
[ऊर्जा]
149. ( क्र. 1840 ) श्री जालम सिंह पटैल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले में कितने कृषि पम्प चलने वाले ट्रांसफार्मर खराब हैं या जले हुये हैं? गोटेगांव, करकवेल, श्रीनगर, मानेगावं सिंहपुर, नरसिंहपुर ग्रामीण, डागीढाना, करेली ग्रामीण, आमगांव बरमान, करपगांव, चावरपाठा, चीचली, साईखेड़ा, तेंदूखेड़ा, सालीचौका क्षेत्र के किस ग्राम में कितने दिनों से कितने के.वी.एच. के ट्रांसफार्मर खराब हैं? ग्रामवार जानकारी प्रदान करें। खराब ट्रांसफार्मर कब तक बदल दिये जावेंगे? (ख) ट्रांसफार्मर बदलने के लिये विद्युत विभाग ने क्या नियम बनाये हैं? नियम की जानकारी दें एवं खराब ट्रांसफार्मर बदलने के लिये किसानों को बिजली बिलों की कितने प्रतिशत बकाया राशि जमा करने के बाद ट्रांसफार्मर बदले जाते हैं एवं ट्रांसफार्मर जलने के बाद बदलने की समय-सीमा क्या है? वित्तीय वर्ष 2019-20 में माह अक्टूबर 2019 तक जिले में कितने खराब ट्रांसफार्मर समय-सीमा में बदले गये हैं? (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा अधीक्षण यंत्री को दिनांक 26/08/19 को सौभाग्य योजना के दुरूपयोग के संबंध में पत्र दिया गया है? यदि हाँ, तो उस पर क्या कार्यवाही की गई? (घ) क्या उक्त ट्रांसफार्मर से टोलावासियों को 24 घंटे बिजली देने के उद्देश्य से लगाया था? क्या उक्त ट्रांसफार्मर से 24 घंटे बिजली, सिंचाई एवं गन्ना क्रेशर में किया जा रहा है? उक्त ट्रांसफार्मर से कितने हितग्राहियों को 24 घंटे बिजली प्रदान की जा रही है? क्या पत्र के अनुसार प्रत्येक पात्र हितग्राहियों को 24 घंटे बिजली प्रदान की जावेगी? क्या ट्रांसफार्मर को नियम विरूद्ध रखा गया है? यदि हाँ, तो दोषियों पर क्या कार्यवाही की गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) दिनांक 30.11.19 की स्थिति में नरसिंहपुर जिले में 9 ऐसे जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर बदलने हेतु शेष हैं, जिनसे कृषि पंप संबद्ध है। उक्त जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों से सम्बद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि का भुगतान नहीं करने के कारण उक्त ट्रांसफार्मर नहीं बदले जा सके हैं। उक्त परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में उक्त 9 जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को बदलने की निश्चित समय-सीमा बता पाना संभव नहीं है। प्रश्नांश में उल्लेखित ग्रामों/वितरण केन्द्रों में वर्तमान में बदलने हेतु शेष 9 जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों सहित प्रश्नाधीन चाही गई जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा फेल/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को बदलने हेतु निर्धारित की गई समय-सीमा निम्नानुसार है:-
क्र. |
विवरण |
म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा तय की गई समय-सीमा |
1 |
कमिश्नरी मुख्यालय (संभागीय मुख्यालय ) |
12 घंटे |
2 |
शहरी क्षेत्र (कमिश्नरी मुख्यालय के अतिरिक्त) |
24 घंटे |
3 |
ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून सीजन के दौरान (जुलाई से सितम्बर) पहुंच मार्ग उपलब्ध होने पर |
7 दिवस |
4 |
ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून सीजन के अतिरिक्त |
3 दिवस |
वर्तमान में लागू नियमानुसार फेल/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों से सम्बद्ध 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा बकाया राशि का भुगतान करने पर अथवा कुल बकाया राशि का 10 प्रतिशत जमा होने के उपरांत इन जले एवं खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को बदला जाता है। नरसिंहपुर जिले में वित्तीय वर्ष 2019-20 में माह अक्टूबर-2019 तक 2001 फेल/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को निर्धारित समय-सीमा में बदला गया है। (ग) जी हाँ। इस संबंध में कार्यपालन अभियंता, संचालन एवं संधारण, नरसिंहपुर को जाँच हेतु निर्देश दिये गये थे। जांचकर्ता अधिकारी ने जाँच के दौरान पाया कि शिकायत में उल्लेखित ट्रांसफार्मर सौभाग्य योजना के अंतर्गत नहीं अपितु दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत ग्राम घूरपुर के सापन टोला में स्थापित किया गया था, जिससे सापन टोला के 10 घरों में कनेक्शन प्रदान किये गये हैं तथा इस ट्रांसफार्मर से कोई भी कनेक्शन कृषि कार्य हेतु नहीं दिया गया है। (घ) उक्त ट्रांसफार्मर ग्राम घूरपुर के सापन टोला में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत टोलावासियों को 24 घंटे विद्युत प्रदाय करने हेतु स्थापित किया गया है। उक्त ट्रांसफार्मर से कोई भी सिंचाई पंप या गन्ना क्रेशर का कनेक्शन नहीं है। सापन टोले में 10 मकान हैं तथा उक्त ट्रांसफार्मर से इन 10 हितग्राहियों को 24 घंटे बिजली प्रदान की जा रही है तथा शेष हितग्राही, जो ग्राम घूरपुर के सापन टोला के बाहर खेतों में निवास करते हैं उन्हें 10 घंटे विद्युत प्रदाय वाले कृषि फीडर से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। उक्त ट्रांसफार्मर को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत तकनीकी दृष्टि से साध्य पाये गये स्थान पर रखा गया है अतः किसी के दोषी होने अथवा किसी के विरुद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता।
पुल निर्माण की जानकारी
[लोक निर्माण]
150. ( क्र. 1841 ) श्री जालम सिंह पटैल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा कलेक्टर नरसिंहपुर को पत्र क्र. JSP/NSP/3456 दिनांक 20/03/19 लिखा गया था? यदि हाँ, तो उस पर क्या कार्यवाही की गई? (ख) नगरपालिका क्षेत्र नरसिंहपुर में धमनी नदी का पुल (जेल के पास मुख्य सड़क का पुल) एवं सिंगपुर चौराहा एवं मटन मार्केट के बीच मुख्य सड़क के पुल का निर्माण कितने वर्ष पुराना है? (ग) क्या उक्त पुल क्षतिग्रस्त है? यदि हाँ तो बताएं एवं उक्त पुलों से भारी वाहनों का आवागमन होता है? यदि हाँ, तो पुन: निर्माण की कोई योजना बनाई गई है? (घ) मोटेगांव, नरसिंहपुर, करेली के रेल्वे क्रांसिग पुलों का निर्माण कब तक पूर्ण होगा? समय-सीमा बतायें एवं उक्त समय-सीमा में न होने के कारणों की जानकारी प्रदान करें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) प्रश्नांश में उल्लेखित पुल लगभग 100 वर्ष पुराने हैं। (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार उक्त पुल विभाग के कार्यक्षेत्र अंतर्गत नहीं है, अपितु नगरपालिका नरसिंहपुर से सम्बंधित है। उनसे प्राप्त उत्तर की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (घ) विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है।
घरेलू बिजली बिल अधिक आने की शिकायतें
[ऊर्जा]
151. ( क्र. 1844 ) श्री कमल पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 01.04.2019 से 31 अक्टूबर, 2019 तक म.प्र. के हरदा जिले में घरेलू बिजली बिल अधिक आने की कितनी शिकायतें प्राप्त हुई? संख्यात्मक जानकारी दें। (ख) हरदा जिले में घरेलू बिजली बिल अधिक आने के क्या कारण हैं? (ग) हरदा जिले में प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अवधि में कितने लोगों के घरों का बिजली बिल 10000 से 100000 रूपये तक आया? जानकारी दें। (घ) अधिक बिल के समाधान के लिये कम्पनी द्वारा क्या योजना बनाई है? विवरण देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में होशंगाबाद वृत्त के अंतर्गत हरदा जिले में माह-अप्रैल 2019 से अक्टूबर-2019 तक 871 घरेलू कंपनी के उपभोक्ताओं से बिजली के बिल अधिक आने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिसका माहवार विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-‘अ’ अनुसार है। (ख) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के होशंगाबाद वृत्त के अंतर्गत हरदा जिले में म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित टैरिफ अनुसार, उपभोक्ता की मासिक विद्युत खपत के आधार पर ही देयक जारी किये गए है। प्रश्नाधीन अवधि में अधिक बिल की प्राप्त शिकायतों में से सही पाई गई शिकायतों का कारण गलत मीटर रीडिंग लिया जाना अथवा मीटर रीडिंग नहीं होने अथवा अन्य किसी कारण से इकट्ठी खपत आना रहा है। (ग) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के होशंगाबाद वृत्त के अंतर्गत हरदा जिले में 01 अप्रैल-2019 से 31 अक्टूबर-2019 तक 193 घरेलू श्रेणी के विद्युत उपभोक्ताओं को रु. 10000 से रु. 100000 तक के विद्युत देयक उनकी मासिक खपत के आधार पर जारी किये गये हैं, जिनका माहवार विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-‘ब’ अनुसार है। (घ) विद्युत बिल से संबंधित शिकायतों का निराकरण करने हेतु राज्य शासन के आदेश दिनांक 05.01.2019 के परिपालन में जिला कलेक्टरों द्वारा प्रत्येक वितरण केन्द्र/जोनवार विद्युत बिल सुधार हेतु समिति का गठन किया गया है। प्रत्येक माह के द्वितीय मंगलवार को उक्त समिति की बैठक कर समिति के अनुमोदन के आधार पर बिल संबंधी शिकायतों का निराकरण किया जाता है।
मार्ग का मरम्मतीकरण
[लोक निर्माण]
152. ( क्र. 1847 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आमजन की लगातार शिकायत के बावजूद नयागांव से लेबड़ मार्ग का मरम्मतीकरण कार्य क्यों नहीं हो रहा है? बी.ओ.टी. के तहत निर्मित यह मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त है, जिससे आये दिन दुर्घटनायें हो रही हैं और जनहानि हो रही है फिर भी मरम्मत का कार्य नहीं हो रहा हैं? इस मार्ग पर टोल टैक्स वसूली भी जारी है, क्या मार्ग की मरम्मत होने तक टोल टैक्स वसूली रोकी जायेगी? (ख) इस मार्ग का आखिरी निरीक्षण कब हुआ? निरीक्षण में क्या-क्या बिंदु सामने आये? उन पर क्या कार्यवाही की गई वर्तमान में क्या कोई जाँच बैठाई गई है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं, मरम्मत कार्य प्रगति पर है। जी नहीं। जी नहीं। मार्ग की मरम्मत का कार्य प्रगति पर है। जी हाँ। जी नहीं। (ख) आखिरी निरीक्षण प्रतिवेदन दिनांक 09.09.2019 को संभागीय प्रबंधक उज्जैन द्वारा किया गया है। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
रिंग रोड का निर्माण
[लोक निर्माण]
153. ( क्र. 1848 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टेंडर होने के बावजूद अब तक रतलाम रिंग रोड का निर्माण क्यों नहीं प्रारंभ हुआ? रोड बनना कब शुरू होगा और कब तक बन जायेगा? (ख) भू-अधिग्रहण की क्या स्थिति है? भू-स्वामियों को मुआवजा कब तक वितरित किया जायेगा और भू-अधिग्रहण की कार्यवाही कब पूरी कर ली जायेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) निजी भूमि का भू-अर्जन न होने के कारण। निश्चित समय अभी बताना संभव नहीं है। (ख) भू-अधिग्रहण की कार्यवाही राजस्व विभाग में प्रक्रियाधीन है। भू-स्वामियों को मुआवजा भुगतान भू-अर्जन प्रकरण स्वीकृत होने के पश्चात किया जावेगा। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
भिण्ड शहर में विद्युत मीटरों की संख्या
[ऊर्जा]
154. ( क्र. 1852 ) श्री संजीव सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भिण्ड शहर में सभी घरों में मीटर (विद्युत) लगे हैं? अगर लगे हुए हैं, तो संख्या बताएं। (ख) क्या उपभोक्ताओं को आंकलित बिल दिए जा रहे हैं? यदि हाँ तो राशि बताएं? (ग) फीडर सेपरेश्न का कार्य भिण्ड विधान सभा क्षेत्र में कितना पूर्ण हो चुका हैं? कितना भुगतान कार्य करने वाली कंपनी को आज दिनांक तक किया जा चुका है? (घ) क्या कंपनी द्वारा लगाए गए सामान जैसे विद्युत तार, ट्रांसफार्मर की जाँच किसी अधिकृत कंपनी से की गई है? यदि हाँ, तो बिन्दुवार बताएं।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, भिण्ड शहर में सभी घरों में विद्युत मीटर लगे हैं। माह अक्टूबर 2019 के राजस्व पत्रक आर-15 के अनुसार भिण्ड शहर में लगे हुए मीटरों की संख्या 33108 है। (ख) भिण्ड शहर के अन्तर्गत म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता, 2013 की कंडिका-8.35 के प्रावधानों के अंतर्गत केवल ऐसे उपभोक्ताओं को आंकलित खपत के बिल दिए जा रहे हैं, जिन उपभोक्ताओं के परिसर पर स्थापित मीटर बन्द/खराब हैं। भिण्ड शहर में माह अक्टूबर, 2019 में उक्तानुसार रू. 25.08 लाख राशि के आंकलित खपत के बिल जारी किये गये हैं। (ग) भिण्ड विधानसभा क्षेत्र में फीडर विभक्तिकरण योजना के अंतर्गत 11 के.व्ही. के 12 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य स्वीकृत था, जिनमें से 9 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण हो चुका है जिसके विरूद्ध संबंधित ठेकेदार एजेन्सी को राशि रू. 661.26 लाख का भुगतान किया जा चुका है। (घ) जी हाँ, प्रश्नाधीन कार्य में लगाई गई विद्युत सामग्री की जाँच अधिकृत कंपनी से कराई गई है, जिसकी बिन्दुवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
ऊमरी से प्रतापपुरा मार्ग की जानकारी
[लोक निर्माण]
155. ( क्र. 1853 ) श्री संजीव सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ऊमरी से प्रतापपुरा मार्ग किस योजना के तहत बनाया गया है? (ख) क्या शासन द्वारा कोई राशि प्रदान की गई है? उक्त मार्ग पर जो पुल बना है वह ठीक स्थिति में है या नहीं? (ग) इस मार्ग का मेंटीनेंस कब-कब किया गया? वर्षवार बताएं। (घ) क्या इस मार्ग पर टोल वसूला जा रहा है? यदि हाँ, तो कब से किस दिनांक तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) बी.ओ.टी. (टोल+एन्युटी) योजनांतर्गत। (ख) जी हाँ। चैनेज 9+600 पर स्थित पुल को छोड़कर शेष समस्त पुल ठीक स्थिति में है। (ग) उक्त मार्ग पर निवेशकर्ता (कंसेशनेयर) द्वारा अनुबंध एवं आवश्यकतानुसार मरम्मत कार्य वर्ष 2015-16, 2016-17, 2017-18, 2018-19 एवं 2019-20 तक की अवधि में किया गया है। (घ) जी नहीं। प्रश्न दिनांक तक टोल वसूला नहीं जा रहा है। मार्ग पर टोल शीघ्र प्रारंभ किया जाना है एवं टोल वसूली की अवधि 19.06.2027 तक है।
ट्रांसफार्मर जलने/खराब होने की शिकायतें
[ऊर्जा]
156. ( क्र. 1856 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) होशंगाबाद जिले के विधानसभा क्षेत्र सोहागपुर में जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक कितने जले हुये ट्रांसफार्मर की शिकायतें प्राप्त हुई है? ग्रामवार जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) क्या ग्रामों में स्थापित ट्रांसफार्मरों को 4 माह से अधिक समय हो चुका है, उसके बाद भी अभी तक ट्रांसफार्मर नहीं बदले गये है? किस कारण से नहीं बदले जा रहे हैं? इसके लिये कौन जिम्मेदार है? उस पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जायेगी? (ग) जले हुये ट्रांसफार्मर को बदलने के संबंध में शासन के क्या निर्देश हैं? निर्देशों की प्रति उपलब्ध करावें। (घ) ग्रामों में जले हुये ट्रांसफार्मरों को कब तक बदल दिया जायेगा? समयावधि बतायें और 4 माह से अधिक बिजली के बिलों को माफ करने के संबंध में कब तक निर्देश जारी किये जायेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) होशंगाबाद जिले के विधानसभा क्षेत्र सोहागपुर में प्रश्नाधीन अवधि के दौरान कुल 417 वितरण ट्रांसफार्मर जलने/खराब होने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनकी ग्रामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-1' एवं 'अ-2' अनुसार है। (ख) विधानसभा क्षेत्र सोहागपुर में 4 माह से अधिक अवधि वाला कोई भी जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर बदलने हेतु शेष नहीं है। उल्लेखनीय है कि प्रश्नाधीन फेल हुए सभी 417 जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर बदले जा चुके हैं। अत: प्रश्न नहीं उठता (ग) फेल ट्रासंफार्मर पर बकाया राशि होने पर 50 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा विद्युत बिल जमा करने या बकाया राशि का 10 प्रतिशत जमा होने पर जला/खराब वितरण ट्रासंफार्मर बदला जाता है। उक्तानुसार बदलने हेतु पात्र वितरण ट्रांसफार्मर को ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून सीजन (जुलाई से सितम्बर) के दौरान 07 दिवस में तथा मानसून सीजन के अतिरिक्त (अक्टूबर से जून) के दौरान 03 दिवस में बदले जाने का प्रावधान है। निर्देशों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स-1' एवं 'स-2' अनुसार है। (घ) प्रश्नाधीन जले/खराब हुए सभी 417 वितरण ट्रांसफार्मर बदले जा चुके हैं, अत: प्रश्न नहीं उठता। 4 माह से अधिक अवधि सहित कोई भी वितरण ट्रांसफार्मर बदले जाने हेतु शेष नहीं है तथापि उल्लेखनीय है कि उपभोक्ताओं को बिजली के बिल उनके द्वारा की गई वास्तविक खपत के आधार पर एवं नियमानुसार दिये जाते हैं, अत: विद्युत प्रदाय बन्द रहने की अवधि में बिलों को माफ करने का प्रश्न नहीं उठता।
असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति
[उच्च शिक्षा]
157. ( क्र. 1861 ) श्री गोपाल भार्गव : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पी.एस.सी. से असिस्टेंट प्रोफेसर हेतु उम्मीदवारों का चयन लगभग एक वर्ष पूर्व कर लिया है, नाम सहित जानकारी दी जावे तथा इनका चयन कब किया गया है? दिनांक सहित बतायें। (ख) इतनी अवधि पश्चात् भी इन्हें नियुक्ति नहीं दिए जाने से क्या इन अभ्यर्थियों के साथ अन्याय नहीं हो रहा है, जिसके कारण वे आंदोलन को बाध्य हैं? (ग) उपरोक्तानुसार समस्त चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों को कब तक नियुक्ति प्रदान कर दी जावेगी?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी नहीं। माननीय न्यायालय में आरक्षण से संबंधित प्रकरण पर दिये गये निर्णय अनुसार पुनरीक्षित चयन सूची जारी की गई थी। नाम एवं दिनांकवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। जी नहीं। (ग) दिनांक 06.12.2019 की स्थिति में चयनित 442 सहायक प्राध्यापकों के नियुक्ति आदेश जारी कर दिये गये हैं। शेष हेतु समय-सीमा दी जाना संभव नहीं है।
सिंचाई योजनाओं की प्रशासकीय स्वीकृति
[जल संसाधन]
158. ( क्र. 1862 ) श्री गोपाल भार्गव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिले के विधान सभा क्षेत्र रहली की कितनी सिंचाई योजनाएं प्रश्न दिनांक तक जिले से प्रशासकीय स्वीकृति हेतु शासन को प्रेषित की गई हैं? सिंचाई योजनाओं का नाम का उल्लेख करते हुए जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) उक्त योजनाओं में से कितनी योजनाएं स्वीकृत हुई? कितनी योजनाओं की निविदाएं आमंत्रित की गई एवं कितनी योजनाओं पर कार्य प्रारंभ हो गया है? (ग) उपरोक्त प्रश्नानुसार उपलब्ध जानकारी के आधार पर ऐसी कौन कौन सी योजनाएं हैं जिनको आपत्ति लगाकर जिले को वापिस की गईं? क्या जिला स्तर पर आपत्ति का निराकरण कर पुन: योजनाएं शासन को स्वीकृति हेतु प्रेषित की जाएंगी? यदि हाँ तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) से (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। शासन स्तर पर कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
मार्ग का सुधार कार्य
[लोक निर्माण]
159. ( क्र. 1864 ) श्री शरदेन्दु तिवारी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा से शहडोल मार्ग की हालत बहुत खराब है, इसके सुधार का कार्य शासन कब तक करेगा? इस मार्ग में बन रहे रेल्वे ब्रिज के पास बायपास मार्ग भी मापदण्डों के अनुसार नहीं है इस संबंध में क्या कार्यवाही हुई है? क्या इसे बी.ओ.टी. में देने की कोई योजना है? (ख) चुरहट विधान सभा में रामपुर गड्डी-रीवा मार्ग का कार्य कब शुरू हुआ? इसे कब तक पूरा हो जाना था? कितनी बार इसकी समयावधि में वृद्धि हुई है एवं यह कब तक पूर्ण हो जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं, आंशिक खराब है। सुधार का कार्य 15 जनवरी 2020 तक पूर्ण किया जाना सम्भावित है। संधारण का कार्य सतत प्रक्रिया है। अत: समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है। आर.ओ.बी. के पास बायपास नहीं, अपितु सर्विस रोड बनाया गया है, जो मापदण्डों के अनुसार है। अत: शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। मार्ग को ओ.एम.टी. योजना अंतर्गत संधारण हेतु दिये जाने की कार्यवाही प्रचलन में है। (ख) दिनांक 18.01.2017 से। दिनांक 15.01.2019 तक। दो बार। दिनांक 30.06.2020 तक कार्य पूर्ण कराने का लक्ष्य है।
गुलाब सागर एवं बाण सागर परियोजना
[जल संसाधन]
160. ( क्र. 1865 ) श्री शरदेन्दु तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बाणसागर की सिंहावल नहर में चुरहट विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत कितने क्षेत्र में लाईनिंग का कार्य हो गया है एवं सीवेज अब नहीं है? ग्रामवार जानकारी दें। (ख) गुलाब सागर बांध के तहत महान परियोजना में चुरहट विधान सभा क्षेत्र के दक्षिणी क्षेत्र में खड्डी एवं हनुमानगढ़ दोनों इलाकों में निम्न स्तरीय कार्य हुआ है, परिणाम स्वरूप जगह-जगह लीकेज की समस्या है। क्या शासन द्वारा इसकी जाँच की गई है? यदि हाँ, तो कब एवं क्या रिपोर्ट सौंपी गयी है? यदि नहीं, तो कब तक इसकी जाँच हो जायेगी? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) की परियोजनाओं में कितनी भूमि सिंचित हुई है? ग्रामवार, रकवावार जानकारी दें। बहुत सी असिंचित भूमि को क्या शासन द्वारा सिंचित दिखाया गया है? यदि नहीं, तो इस संबंध में क्या कोई जाँच हुई है? जाँच रिपोर्ट देवें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) चुरहट विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत सिंहावल मुख्य नहर एवं उसकी 04 वितरिका नहर एवं 06 माइनर नहरों में लाईनिंग कार्य पूर्ण करा लिया जाना प्रतिवेदित है। जी नहीं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) गुलाब सागर बांध के अंतर्गत प्रश्नाधीन क्षेत्र में जमीनी सतह ऊंची नीची होने से मिट्टी भराव किए जाने से लीकेज की समस्या थी। जिसके निदान हेतु लाईनिंग का कार्य प्रारंभ करा दिया जाना प्रतिवेदित है। जहां लाईनिंग कार्य पूर्ण हो गया है वहां अब लीकेज की समस्या नहीं है। जी नहीं। उच्च अधिकारियों द्वारा नहरों का समय-समय पर निरीक्षण किया गया है एवं स्थल पर दिए गए निर्देशों के आधार पर कार्य कराया गया। अत: जाँच कराने की आवश्यकता नहीं है। (ग) विधान सभा क्षेत्र चुरहट अंतर्गत सिंहावल नहर प्रणाली से 18, 606 हेक्टर भूमि सिंचित होती है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। महान परियोजना से वर्ष 2018-19 में 13500 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई की जाना तथा वर्ष 2019-20 में 16150 हेक्टर भूमि सिंचित करने का लक्ष्य प्रतिवेदित है। जी नहीं। जाँच कराने की आवश्यकता नहीं है। सिंचित हो रहे ग्रामों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
मनेरी एवं उदयपुर में संचालित फैक्ट्रियों की जानकारी
[श्रम]
161. ( क्र. 1868 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला मण्डला स्थित औद्योगिक क्षेत्र मनेरी/उदयपुर में संचालित अधिकांश फैक्ट्रियों में प्रदेश के बाहर के कर्मचारियों को रखा जाता है, मजदूरी भुगतान भी 12-14 घण्टे क एवज में 120 से 180 रूपये तक दिया जाता है? अधिकांश फैक्ट्रियों में बिना रजिस्ट्रेशन वाले ठेकेदार कार्य करा रहे हैं जो किसी दुर्घटना पर मजदूर को मुआवजा भुगतान तक नहीं किया जाता है तथा प्रकरणों को दबाया जाता है, पिछले दिनों मनेरी मण्डला स्थित भूमिजा इस्पात कंपनी एवं बालाजी ब्रिक्स कंपनी में मजदूरों की मृत्यु हुई जिस पर प्रकरणों को दबाकर कोई मुआवजा स्पष्ट नहीं दिया। ए.के.वी.एन. द्वारा किसी दुर्घटना पर फायर बिग्रेड या एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराता न ही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराता। (ख) क्या यदि हाँ तो, इस क्षेत्र में श्रम कानून नियमों को पालन कराने के साथ मृत मजदूरों के परिवार को न्याय एवं सुविधाएं दिलायेंगे?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी नहीं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध विभागीय जाँच
[जल संसाधन]
162. ( क्र. 1873 ) श्री उमाकांत शर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले के अंतर्गत विदिशा एवं गंजबासौदा संभाग जल संसाधन विभाग के अंतर्गत किन-किन अधिकारी, कर्मचारियों के विरूद्ध जांच/विभागीय जांच/प्राप्त शिकायतों की जाँच चल रही है? किस-किस के विरूद्ध कौन-कौन सी जांचे चल रही हैं और जाँच अधिकारी कौन-कौन हैं? जाँच की अद्यतन स्थिति और दोषियों पर की गई कार्यवाही सहित संपूर्ण जानकारी नाम, पद एवं जांचकर्ता अधिकारी, जाँच के निष्कर्ष सहित व्यक्तिश: दें। (ख) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत जल संसाधन विभाग के अंतर्गत क्रमांक एफ 16-52/2014/पी-2/31 के अंतर्गत सम्राट अशोक सागर संभाग-2 में पीपलखेड़ा भूमिगत नहर आर.डी. 6450 मीटर से 6660 मीटर के नहर के निरीक्षण में पाईप की गुणवत्ता मानक के अनुरूप न होने सहित अनेक अनियमितताओं के लिये अपचारियों श्री ए.के. जैन, तत्कालीन ई.ई. विकास बाबू श्रीवास्तव तत्कालीन एस.डी.ओ., संतोष कुमार खरे, तत्कालीन सहायक अनुसंधान अधिकारी एवं आर.के. श्रीवास्तव तत्कालीन उपयंत्री के विरूद्ध विभागीय जाँच संस्थापित की गई? यदि हाँ, तो जाँच अधिकारी कौन-कौन थे? जाँच के क्या निष्कर्ष थे एवं दोषियों के विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में श्री विकास बाबू श्रीवास्तव तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी एवं वर्तमान में प्रभारी कार्यपालन अधिकारी जल संसाधन संभाग गंजबासौदा में पदस्थ के विरूद्ध विभागीय जाँच में दोष सिद्ध पाए गए? यदि हाँ, तो इनके विरूद्ध क्या-क्या आर्थिक एवं विभागीय कार्यवाही की गई? किस-किस प्रकार से दंडित किया? श्री विकास बाबू श्रीवास्तव तत्कालीन एस.डी.ओ. के संबंध में दिनांक 01.10.2018 को आदेश जारी किया गया? आदेश की छायाप्रति उपलब्ध कराएं, साथ ही बतावें कि विभाग ने श्री श्रीवास्तव पर क्या-क्या कार्यवाही की और शासकीय धन की वसूली की गई या नहीं? (घ) प्रश्नांश (ख) एवं (ग) के संदर्भ में यह भी बताएं कि गंभीर अनियमितताओं के दोषी अधिकारी को किस संरक्षण के कारण कार्यपालन यंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर पदस्थ किया गया है और अनियमितताओं के दोषी होने के बाद भी विभाग कठोर कार्यवाही नहीं कर रहा है? क्या इन्हें तत्काल कार्यमुक्त कर दण्डित किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (ड.) क्या संपूर्ण प्रकरण की जाँच प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी से कराई जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) वर्तमान में प्रश्नांतर्गत किसी भी अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध विभागीय जाँच प्रचलन में नहीं है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी हाँ। सचिव, जल संसाधन विभाग। जाँच निष्कर्ष में दोषी पाये गये श्री एस.के.जैन, (से.नि.) कार्यपालन यंत्री को 1/3 (एक तिहाई) पेंशन राशि 05 वर्ष के लिए वापस लिये जाने, श्री विकास बाबू श्रीवास्तव, तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी एवं श्री आर.के. श्रीवास्तव, तत्कालीन उपयंत्री को तीन-तीन वार्षिक वेतन वृद्धियां रोकी जाने के दण्ड से दण्डित किया गया। श्री संतोष कुमार खरे, तत्कालीन सहायक अनुसंधान अधिकारी के विरूद्ध आरोप सिद्ध नहीं होने के कारण दोष मुक्त किया गया। (ग) जी हाँ। प्रश्नांश ''ख'' में उल्लेखानुसार। जी हाँ। आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जी हाँ वसूली क्रियाशील है। (घ) एवं (ड.) की गई अनियमितता के लिए दण्डित किया जा चुका है। अन्य कोई अनुशासनिक कार्यवाही प्रचलन में नहीं है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर नियुक्ति
[कुटीर एवं ग्रामोद्योग]
163. ( क्र. 1874 ) श्री प्रवीण पाठक : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. माटीकला बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर नियुक्ति हेतु कोई मापदण्ड निर्धारित थे? (ख) क्या म.प्र. माटीकला बोर्ड में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर तृतीय श्रेणी कर्मचारी पदस्थ थे तथा उनके अधीन विकास अधिकारी के पद पर द्वितीय श्रेणी अधिकारी को पदस्थ किया गया था? (ग) क्या मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर प्रतिनियुक्ति के चयन हेतु गठित कमेटी द्वारा असहमति की रिपोर्ट देने पर भी उसी अधिकारी को प्रतिनियुक्ति पर लिया गया? (घ) प्रश्नांश (ख) एवं (ग) सही है तो शासन द्वारा दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो कब तक की जावेगी?
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। श्री चन्द्रमोहन शर्मा, भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय के संगठन भारतीय पर्यटन व यात्रा प्रबंध संस्थान के कार्यक्रम सहायक (वेतनमान रूपये 9300-34800+ 4600 ग्रेड पे) ''बी'' ग्रेड के अधिकारी थे। विकास अधिकारी के पद पर सहायक संचालक हाथकरघा संचालनालय एवं तिलहन संघ के सहायक प्रबंधक पद के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ थे। (ग) मुख्य कार्यपालन अधिकारी माटीकला बोर्ड के पद पर प्रतिनियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी कर आवेदन आमंत्रित किये गये। आवेदन को छानबीन हेतु समिति गठित की गयी। उक्त पद हेतु कुल 9 आवेदन प्राप्त हुए थे। समिति द्वारा 8 आवेदन वांछित संबंधित विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र एवं 5 वर्षों के गोपनीय प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होने से उन पर विचार नहीं किया गया। एकमात्र श्री चन्द्रमोहन शर्मा के संबंध में भारतीय पर्यटन प्रबंध संस्थान ग्वालियर को आवेदन उचित माध्यम से अनापत्ति प्रमाण पत्र तथा 5 वर्ष के गोपनीय प्रतिवेदन के साथ प्राप्त हुआ था। समिति द्वारा विज्ञप्ति अनुरूप वेतनमान में कार्यरत नहीं होने से श्री शर्मा को योग्य नहीं पाया। बोर्ड में पूर्णकालिक मुख्य कार्यपालन अधिकारी की पदस्थापना की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए सक्षम निर्णय उपरांत श्री शर्मा की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर ली गई थी। (घ) उत्तरांश (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
विद्युत सप्लाई केन्द्र (सब-स्टेशन) का निर्माण
[ऊर्जा]
164. ( क्र. 1881 ) श्री विजयराघवेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वि.स. क्षेत्र बड़वारा, जिला कटनी के ब्लॉक ढीमरखेड़ा में स्वीकृत विद्युत सप्लाई केन्द्र (सब-स्टेशन) का निर्माण कार्य कब से प्रारंभ किया जाना है एवं किन कारणों से प्रारंभ नहीं किया जा सका? (ख) ग्रामीणजनों के लिये उपयुक्त इतनी बड़ी कार्य योजना को जिससे अनेक ग्रामवासी लाभान्वित होंगे, क्यों पूर्ण नहीं कराई जा सकी? इस कार्य में जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा क्या कार्यवाही की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) विधानसभा क्षेत्र बड़वारा जिला कटनी के ढीमरखेड़ा विकासखण्ड के अंतर्गत 132 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र के निर्माण हेतु कलेक्टर कटनी द्वारा शासकीय भूमि का आवंटन दिनांक 25.05.2015 को किया गया था, जिसका आधिपत्य म.प्र. पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड को दिनांक 06.06.2018 को उपलब्ध कराया गया। आवंटित भूमि पर म.प्र. पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड द्वारा विद्युत उपकेन्द्र निर्माण का कार्य दिनांक 13.01.2019 को प्रारंभ कर दिया गया था परन्तु वन विभाग द्वारा उक्त आवंटित भूमि को नारंगी वन क्षेत्र की बताते हुए निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है, जिससे उपकेन्द्र का निर्माण कार्य दिनांक 15.01.2019 से बंद है। उक्त आवंटित भूमि के संबंध में स्थिति स्पष्ट होने पर म.प्र.पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड द्वारा उक्त प्रस्तावित विद्युत उपकेन्द्र का कार्य पुन: आरंभ किया जा सकेगा। (ख) उत्तरांश 'क' अनुसार 132 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण कार्य म.प्र. पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड द्वारा दिनांक 13.01.2019 को प्रारंभ कर दिया गया था परन्तु वन विभाग द्वारा रोक लगाये जाने से अभी भी अपूर्ण है। कलेक्टर कटनी के द्वारा वन विभाग को भूमि के स्वरूप के संबंध में स्थिति स्पष्ट करने हेतु प्रयास किये जा रहे हैं। भूमि के संबंध में वन विभाग से स्थिति स्पष्ट होने के पश्चात् ही म.प्र.पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड द्वारा उक्त प्रस्तावित 132 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण कार्य आरंभ कराया जा सकेगा। म.प्र.पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के संबंधित अधिकारियों द्वारा उक्त प्रस्तावित 132 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र हेतु आवंटित की गई भूमि के संबंध में स्थिति स्पष्ट कराने हेतु कलेक्टर सिवनी एवं वन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों से समन्वय कर उक्त गतिरोध को दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
मजदूरों के हित में बनाई गई यूनियन
[श्रम]
165. ( क्र. 1882 ) श्री विजयराघवेन्द्र सिंह : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम झरेला, विधान सभा क्षेत्र बड़वारा जिला कटनी में स्थित बिड़ला व्हाईट सीमेंट फैक्ट्री में मजदूरों के हितों में बनाई गई यूनियन को क्या वर्तमान में भंग/निरस्त कर दिया गया है? (ख) उक्त यूनियन को भंग करने के क्या कारण हैं? नियम सहित पूर्ण विवरण देवें। क्या प्रश्नकर्ता द्वारा मा. मंत्री जी को अवगत कराने के उपरांत जिले के श्रम अधिकारी को दिये गये निर्देश के उपरांत अधिकारी द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या फैक्ट्री में कार्य कर रहे मजदूरों को उनके कार्य के अनुरूप वेतन एवं अन्य सुविधायें दी जा रही है? पूर्ण विवरण देवें। प्रत्येक माह कितना वेतन मजदूरों को दिया जा रहा है? राशि सहित विवरण देवें। (घ) क्या फैक्ट्री द्वारा श्रमिकों की सुरक्षा हेतु सुरक्षा मापदण्डों के अनुरूप क्या-क्या सुरक्षा मुहैया कराई जा रही हैं? दुर्घटना की स्थिति में क्या क्या सुविधा प्रदान की जाती है? पूर्ण विवरण देवें।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी, हाँ। (ख) यूनियन द्वारा तथ्यों को छिपाकर असत्य जानकारी दी जाकर कपट पूर्ण तरीके से पंजीयन प्राप्त किये जाने के कारण ट्रेड यूनियन एक्ट, 1926 की धारा 10 (बी) के तहत पंजीयन निरस्त करने की कार्यवाही की गयी। (ग) जी हाँ, फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा केंटीन व्यवस्था, स्वच्छ आर.ओ. पानी, आने-जाने की व्यवस्था, निशुल्क ड्रेस, सुरक्षा उपकरण, नियमित स्वास्थ्य परीक्षण, आराम गृह की सुविधा प्रदान की जाती है। फैक्ट्री प्रबंधन में ठेकेदारों के माध्यम से नियोजित श्रमिकों को दिया जा रहा वेतन विवरण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) जी हाँ, कारखानें में कार्यरत श्रमिकों को कारखाना अधिनियम 1948 एवं सहपठित नियमों में दिये गये सुरक्षा संबंधी प्रावधानों के अंतर्गत उनके कार्यों के अनुरूप सुरक्षा उपकर जैसे - सुरक्षा हेल्मेट, सेफ्टी शूज, डस्क मार्क्स, सुरक्षा गॉगल्स दिये जा रहे है। श्रमिकों को सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण भी दिया जाता है। दुर्घटना की स्थिति में उचित उपचार हेतु कारखाने में ऑक्यूपेशनल हेल्थ सेंटर की व्यवस्था है। प्राथमिक उपचार बॉक्स लगाये गये है जिसमें 32 प्रकार के उपकरण शामिल है एवं डिस्पेंसरी/एम्बुलेंस रूम भी है। ऐसे घात/चोट जिसके लिए प्राथमिक उपचार अपर्याप्त है उस स्थिति के लिये कंपनी में 02 एम्बुलेंस 24 घंटे उपलब्ध रहती है।
तालाब निर्माण की अद्यतन स्थिति
[जल संसाधन]
166. ( क्र. 1886 ) श्री के.पी. त्रिपाठी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पन्ना जिले में जल संसाधन विभाग अंतर्गत बिलखुरा जलाशय योजना, सिरस्वाहा जलाशय योजना एवं भितरी मुटमुरू तालाब योजना का कार्य कराया गया है? कराये गये कार्य की अद्यतन स्थिति से अवगत करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के कार्यों का टेण्डर कब हुआ? किस-किस संविदाकार को कार्य मिला? योजना का कार्य कब प्रारंभ हुआ एवं तीनों जलाशय योजना के बांध एवं नहरों का भू-अर्जन कब हुआ? समस्त भू-अर्जन की सत्यापित प्रति उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के प्रकाश में उपरोक्त बांध बनने के बाद कब फूटे एवं इन्हें किस संविदाकार ने कितनी लागत से कब बनाया? किस तरह से तीनों फूटे हुए बांध बनाये गये? विवरण सहित पृथक-पृथक स्पष्ट करें। बांध फूटने के बाद किस-किस संविदाकार को कालातीत किया गया एवं किस-किस को कब-कब बहाल किया गया? कारण सहित स्पष्ट करें। बांध फूटने का क्या कारण था? जाँच रिपोर्ट की सत्यापित प्रति उपलबध करावें। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के प्रकाश में किस-किस संविदाकार के विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही हुई? की गई कार्यवाही की सत्यापित प्रति देवें। इन संविदाकारों का अंतिम भुगतान हुआ या नहीं? यदि नहीं, हुआ तो क्यों नहीं हुआ? यदि हुआ तो कितना-कितना भुगतान कब-कब हुआ? बांध फूटने के बाद तत्कालीन किन-किन अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई? की गई कार्यवाही की सत्यापित प्रति पृथक-पृथक अवगत करावें। (ड.) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में उक्त कार्यों की वर्तमान भौतिक स्थिति क्या है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी हाँ। बिलखुरा एवं सिरस्वाहा जलाशय के शीर्ष कार्य पूर्ण एवं नहर कार्य प्रगति पर। भितरी मुटमुरू जलाशय के शीर्ष एवं नहर कार्य अपूर्ण। (ख) संविदाकार की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के ''अ'' तथा भू-अर्जन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के ''ब'' तथा जाँच रिपोर्ट की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। (घ) संविदाकारों के विरूद्ध की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''3'' एवं भुगतान संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के ''स'' अनुसार है। दोषी अधिकारियों के विरूद्ध की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''4'' अनुसार है। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' में दर्शित है।
संबल योजना का क्रियान्वयन
[श्रम]
167. ( क्र. 1892 ) श्री मनोहर ऊंटवाल : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पूर्व सरकार द्वारा असंगठित शहरी एवं ग्रामीण श्रमिकों एवं कर्मचारी के लिये शुरू की गई संबल योजना का संचालन वर्तमान सरकार द्वारा किया जा रहा है अथवा नहीं? (ख) यदि हाँ, तो दिसम्बर 2018 से प्रश्न दिनांक तक अंत्येष्टि सहायता, अनुगृह सहायता (सामान्य मृत्यु एवं दुर्घटना मृत्यु) प्रसव पूर्व जाँच प्रोत्साहन योजना, प्रशव उपरांत सहायता योजना, महाविद्यालय शिक्षा प्रोत्साहन योजना (शिक्षा के क्षेत्र में) के तहत जिला आगर-मालवा में कितने-कितने हितग्राहियों को सहायता दी गई? ग्राम पंचायतवार एवं नगरीय क्षेत्रवार संख्यात्मक जानकारी देवें।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ। योजना का संचालन किया जा रहा है। (ख) संख्यात्मक जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है।
जिला आगर-मालवा में स्वीकृत कार्य
[लोक निर्माण]
168. ( क्र. 1893 ) श्री मनोहर ऊंटवाल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिसम्बर 2018 से प्रश्न दिनांक तक जिला आगर-मालवा में लोक निर्माण विभाग के बजट, अनुपूरक बजट तथा योजनाओं में कहाँ-कहाँ सड़क, पुल, भवन स्वीकृत किये गये? उनमें से किन-किन कार्यों की निविदाएं आमंत्रित की गई हैं? (ख) उक्त अवधि एवं उक्त जिले में स्वीकृत कार्यों में से कौन-कौन से कार्य पूर्ण हो गए हैं? कौन-कौन से कार्य अपूर्ण तथा अप्रारंभ हैं? अनुबंध के अनुसार उक्त कार्य कब तक पूर्ण होंगे? (ग) आगर विधान सभा क्षेत्र में वर्षा ऋतु के बाद कितनी सड़कों की मरम्मत होना प्रस्तावित है तथा कितनी सड़कों की मरम्मत कर दी गई है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) वित्तीय वर्ष 2019-20 के मुख्य बजट में एक सड़क कार्य श्यामपुरा से कालवा बालाजी मार्ग लम्बाई 5.50 कि.मी. स्वीकृत हुआ है। उक्त कार्य की निविदा आमंत्रण प्रक्रियाधीन है। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार। (ग) 9 सड़कों की मरम्मत होना प्रस्तावित है, इनमें से 6 सड़कों की मरम्मत कर दी गई है।
मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम द्वारा कराये जा रहे कार्य
[लोक निर्माण]
169. ( क्र. 1905 ) श्री अरविंद सिंह भदौरिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले की अटेर विधान सभा क्षेत्र में मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (M.P.R.D.C) द्वारा किन-किन मार्गों का निर्माण किया गया है/किया जा रहा है? मार्ग का नाम, लंबाई, प्रशासकीय स्वीकृति की राशि व दिनांक, अनुबंधानुसार कार्य पूर्ण करने की अवधि, व्यय, ठेकेदार की गारण्टी अवधि, कार्य की वर्तमान स्थिति, कार्य पूर्ण करने की तिथि सहित विस्तृत जानकारी दें। (ख) क्या M.P.R.D.C. द्वारा उमरी-फूप-प्रतापपुरा मार्ग पर टोल लेना प्रारंभ किया जा रहा है? यदि हाँ, तो किस-किस स्थान पर? क्या इस मार्ग एवं पुल का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है? यदि हाँ, तो कब? टोल प्रारंभ करने से पूर्व किस-किस अधिकारी द्वारा कब-कब मार्ग का निरीक्षण कर टोल प्रारंभ करने का प्रतिवेदन दिया था? अधिकारी का नाम, पदनाम सहित निरीक्षण प्रतिवेदन की प्रति दें। वास्तविकता यह है कि संपूर्ण मार्ग पर दर्जनों गहरे गड्ढे हैं, जिससे वाहनों एवं राहगीरों को परेशानी हो रही है? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में क्या टोल प्रारंभ करने के पूर्व शासन/विभागाध्यक्ष ने गजट नोटिफिकेशन या आदेश प्रसारित किया था? यदि हाँ, तो प्रति उपलब्ध करावें। यदि नहीं, तो क्या यह आवश्यक नहीं था? कंपनी के पास यात्रियों/राहगीरों की सुविधा के लिये कौन-कौन सी मशीनरी/उपकरण/सुविधाएं आवश्यक होना चाहिये? सूची दें। क्या कंपनी के पास यह सभी सुविधाएं है? यदि हाँ, तो सूची उपलब्ध करायें। आवश्यक मशीनरी/उपकरण/सुविधाओं का भौतिक सत्यापन किस अधिकारी द्वारा किया गया? नाम, पदनाम सहित जानकारी दें। (घ) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम द्वारा उमरी-फूफ-प्रतापपुरा मार्ग पर जो निर्माण किया गया है/किया जा रहा है उस पर कितने-कितने वृक्ष थे? ठेकेदार / फर्म के द्वारा कितने वृक्ष काटे गये एवं कितने वृक्ष किस-किस स्थान (कि.मी.) पर लगाये गये वर्तमान में कितने वृक्ष जीवित हैं? मार्गवार जानकारी दें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। चैनेज 25+300 पर। निवेशकर्ता के अनुबंध में सम्मिलित मार्ग एवं पुल पुलियों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। कि.मी. 12/10 पर पुल का कार्य निर्माणाधीन हैं। संभावित तिथि 30.06.2020 निर्धारित है, उक्त पुल को छोड़कर निवेशकर्ता के स्कोप ऑफ वर्क में सम्मिलित कार्य दिनांक 02.10.2015 को पूर्ण हो चुका है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। निवेशकर्ता द्वारा मार्ग पर गड्ढे भरने का कार्य समय-समय पर आवश्यकतानुसार किया जाता है तथा वर्तमान में मार्ग के मरम्मत संबंधित कार्य प्रगतिरत है एवं उक्त कार्य पूर्ण होने की अवधि तक टोल वसूली का कार्य बंद करा दिया गया है। वर्तमान में यातायात सुचारू रूप से चल रहा है। अत: किसी को कोई परेशानी नहीं हो रही है। (ग) जी हाँ। गजट नोटिफिकेशन की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। अत: शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है। श्री आर.सी. मिश्रा, संभागीय प्रबंधक म.प्र. सड़क विकास निगम चंबल संभाग ग्वालियर (घ) निवेशकर्ता द्वारा मार्ग निर्माण के दौरान कोई भी वृक्ष नहीं काटे गये है जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। निवेशकर्ता द्वारा लगाये गये वृक्षों की एवं जीवित वृक्षों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है।
गुणवत्ताहीन विद्युत ट्रांसफार्मरों का क्रय
[ऊर्जा]
170. ( क्र. 1906 ) श्री अरविंद सिंह भदौरिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले की अटेर विधान सभा क्षेत्र में वर्ष 01.01.2016 से प्रश्न दिनांक तक मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमि. भिण्ड के द्वारा किस-किस योजना के तहत किस क्षमता के कितने विद्युत ट्रांसफार्मर स्थापित किये? योजनावार, क्षमतावार विद्युत ट्रांसफार्मरों की संख्यात्मक जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या स्थापित किये गये विद्युत ट्रांसफार्मर क्रय करने पूर्व एन.ए.बी.ए. से अधिकृत प्रयोगशाला से परीक्षण उपरांत क्रय किये गये थे? यदि हाँ, तो परीक्षण रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति दें। यदि नहीं, तो किस प्रयोगशाला से परीक्षण कराया है, उसकी प्रमाणित प्रति दें। क्या गारंटी अवधि में खराब हुए विद्युत ट्रांसफार्मरों को विक्रेता कम्पनी द्वारा बदला गया है? यदि हाँ, तो कितने? नहीं तो क्यों? इसके लिये कौन-कौन विभागीय अधिकारी दोषी है? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में क्या इतनी अधिक मात्रा में विद्युत ट्रांसफार्मरों के खराब होने का कारण गुणवत्ता में कमी है या अधिक विद्युत भार? यदि गुणवत्ता में कमी है तो गुणवत्ताहीन विद्युत ट्रांसफार्मर को क्रय करने वाले विभाग के कौन-कौन अधिकारी उत्तरदायी हैं? विभाग इन अधिकारियों के विरूद्ध कब तक क्या कार्यवाही करेगा? यदि अधिक विद्युत भार के कारण विद्युत ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं तो अधिक विद्युत भार (क्षमता) के स्थान पर कम विद्युत भार (क्षमता) का ट्रांसफार्मर लगाने के कारण हुए नुकसान एवं ग्रामीणों को हुई असुविधा के लिये कौन-कौन अधिकारी उत्तरदायी हैं? विभाग इन अधिकारियों के विरूद्ध कब तक क्या कार्यवाही करेगा? (घ) प्रश्नांश (क) में दर्शाई गई अवधि में अटेर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के विद्युत ट्रांसफार्मरों को पोल से चोरी कर निजी उपयोग करने की कितनी शिकायतें विभाग को प्राप्त हुई? क्या विभाग ने उन व्यक्ति के विरूद्ध पुलिस थाने में एफ.आई.आर. कराई? यदि हाँ, तो एफ.आई.आर. की प्रमाणित प्रति दें। यदि नहीं, तो एफ.आई.आर. क्यों नहीं कराई? उसके लिये कौन-कौन अधिकारी उत्तरदायी हैं? विभाग इन अधिकारियों के विरूद्ध कब तक क्या कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) भिण्ड जिले के अटेर विधान सभा क्षेत्र में प्रश्नाधीन अवधि में म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर से दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजनान्तर्गत 145 ग्रामों में 236, सौभाग्य योजनान्तर्गत 59 ग्रामों में 100, फीडर सेपरेशन योजनान्तर्गत 03 ग्रामों में 07 ठेकेदार एजेंसी के माध्यम से फीडर सेपरेशन योजनान्तर्गत 111 ग्रामों में 274 तथा राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनान्तर्गत 1 ग्राम में 3 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये। प्रश्नाधीन अवधि में योजनावार स्थापित किये गये वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) जी हाँ। उत्तरांश (क) में उल्लेखित ठेकेदार एजेंसी के माध्यम से स्थापित किये गये वितरण ट्रांसफार्मरों के सेंपलों का परीक्षण नियमानुसार एन.ए.बी.एल. द्वारा अधिकृत प्रयोगशाला से कराया गया है। उपरोक्त स्थापित किये गये ट्रांसफार्मरों में से ठेकेदार एजेंसी द्वारा स्थापित किये गये ट्रांसफार्मरों के सेंपलों के परीक्षण संबंधी रिपोर्ट पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर स्थापित ट्रांसफार्मरों के सेंपल भी नियमानुसार लिये जाकर एन.ए.बी.एल. द्वारा अधिकृत लेब से उनका परीक्षण कराया गया है, जिनके सेंपलों के परीक्षण संबंधी रिपोर्ट पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार है। प्रश्नाधीन गारंटी अवधि में फेल हुए सभी 35 वितरण ट्रांसफार्मरों को संबंधित प्रदायकर्ता कंपनी द्वारा बदला गया है, अत: किसी के दोषी होने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न योजनान्तर्गत स्थापित कुल 620 वितरण ट्रांसफार्मरों में से कुल 35 वितरण ट्रांसफार्मर आंतरिक तकनीकी कारणों से फेल हुए हैं, जिसके लिए मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का कोई भी अधिकारी उत्तरदायी नहीं है। अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) दिनांक 01.01.2016 से प्रश्न दिनांक तक की अवधि में प्रश्नाधीन उल्लेखित कोई शिकायत म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में प्राप्त नहीं हुई है। अत: तत्संबंध में कोई कार्यवाही किये जाने तथा किसी अधिकारी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
विद्युत उपभोक्ताओं से अवैध वसूली
[ऊर्जा]
171. ( क्र. 1909 ) श्री रघुराज सिंह कंषाना : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के मुरैना विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत क्या विगत 1 वर्ष से म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा विद्युत बिलों में गलत रीडिंग आंकलित खपत दर्शाकर उपभोक्ताओं को परेशान किया जा रहा है तथा बिल सुधार के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। यदि हाँ, तो क्या शासन जाँच कराकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करेगा और कब तक? (ख) क्या उपभोक्ताओं को लोड चैक करने तथा बिलों में सुधार के नाम पर डरा धमका कर अवैध वसूली कनिष्ठ यंत्रियों की देख-रेख में की जा रही है? यदि हाँ, तो शासन सुधार हेतु क्या ठोस कदम उठाने जा रहे हैं? (ग) क्या शासन गलत विद्युत देयक बनाने वाले अधिकारी/कर्मचारियों को दोषी मानते हुये दण्डात्मक कार्यवाही करेगा? यदि हाँ तो कब तक? (घ) क्या शासन द्वारा डिजीटल मीटर रीडिंग के बिल उपभोक्ता को भेजने का निर्णय लिया है? यदि हाँ तो कब तक अमल में लायेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी नहीं। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) जी नहीं। विद्युत बिलों में सुधार हेतु प्रत्येक वितरण केन्द्र/जोन स्तर पर गलत देयकों के निराकरण हेतु समिति का गठन किया गया है, जिसमें एक अशासकीय सदस्य भी सम्मिलित है। समिति की अनुशंसा पर नियमानुसार विद्युत बिलों में सुधार किया जाता है। इसके अतिरिक्त जनसुनवाई/सी.एम. हेल्पलाइन, कॉल सेंटर एवं अन्य माध्यमों से प्राप्त शिकायतों पर नियमानुसार कार्यवाही कर आवश्यक होने पर विद्युत बिलों में सुधार किया जाता है। (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है। (घ) प्रदेश में तीनों विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा समस्त उच्चदाब उपभोक्ताओं की प्रति माह डिजीटल मीटर रीडिंग ली जाकर विद्युत बिल प्रदाय किये जा रहे हैं एवं बड़े निम्नदाब उपभोक्ताओं में से ए.एम.आर./एम.आर.आई. सुविधायुक्त उपभोक्ताओं की ए.एम.आर./एम.आर.आई. के माध्यम से डिजीटल रीडिंग प्रत्येक माह ली जा रही है एवं तद्नुसार बिल प्रेषित किये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त घरेलू उपभोक्ताओं हेतु भी स्मार्ट मीटर लगाने की एक योजना म.प्र.पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा क्रियान्वित करते हुए योजनान्तर्गत कुल 1, 20, 000 मीटरों में से 1, 02, 000 मीटर स्थापित कर दिये गये हैं, जिनके बिल उपभोक्ताओं को दिये जा रहे हैं। अन्य वितरण कंपनियों द्वारा इस संबंध में योजना तैयार की जा रही है। उक्त योजना का क्रियान्वयन वित्तीय उपलब्धता अनुसार किया जायेगा, अत: इसकी पूर्णता की कोई निश्चित तिथि बताना अभी संभव नहीं है।
घटिया रोड निर्माण की जांच
[लोक निर्माण]
172. ( क्र. 1911 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या धरमपुरी जिला धार में माण्डव से धरमपुरी तक जो अमानक स्तर का रोड निर्माण किया उसकी गुणवत्ता की जाँच की जाएगी? इस घटिया रोड निर्माण करने वाली कंपनी पर क्या कार्यवाही की जाएगी? (ख) गुजरी से धार तक जो रोड बनाया उसमें रोड के नक्शे में बदलाव कर निर्माण कार्य जो वास्तविकता में होना था वो नहीं किया जिससे रोजाना एक्सिडेंट हो रहे है। गुजरी रोड सुधार हेतु क्या किया गया जानकारी देवें और जिन्होंने वास्तविक डिजाईन को बदलकर रोड बनाया उन पर क्या कार्यवाही की जाएगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। अत: शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी नहीं। दुर्घटना का कारण यातायात नियमों की अवहेलना है। गुजरी मार्ग के मोड़ों एवं घाटों को उपलब्ध भूमि एवं वन क्षेत्र की सीमाओं में रहकर आवश्यक कार्य किया गया है। अत: शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
सड़क निर्माण हेतु डामर की गुणवत्ता एवं मापदंड
[लोक निर्माण]
173. ( क्र. 1920 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक निर्माण विभाग में विभिन्न योजनाओं के तहत सड़क निर्माण हेतु उपयोग किये जाने वाले डामर की गुणवत्ता, मापदंड एवं सड़क निर्माण के विभिन्न स्तर में उपयोग किये जाने वाले डामर की मात्रा एवं गुणवत्ता की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करावें। सड़क निर्माण कार्यों में डामर को उपयोग किये जाने में विभाग द्वारा बनाये गये सभी नियमों की जानकारी तथा ठेकेदार को डामर कहाँ से क्रय करना है? इसकी भी विस्तृत जानकारी दें। (ख) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में डामरीकृत सड़क के किस-किस परत (लेयर) में कौन-कौन से ग्रेड का डामर उपयोग किया जाना चाहिए? (ग) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में डामरीकृत सड़क में डामर के उपयोग में कितना प्रतिशत तेल अथवा जला हुआ तेल मिलाये जाने हेतु विभाग द्वारा छूट दी गई है और अगर ऐसी कोई छूट नहीं दी गई है तो तेल अथवा जले हुये तेल का मिश्रण डामर में क्यों हो रहा है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1, 2, 3, 4, 5, 6 एवं 7 अनुसार है। विभाग में प्रचलित दर अनुसूची दिनांक 29.08.2017 से प्रभावशील है, में दिये गये सामान्य टीप अनुसार। (ख) सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार (पाँचवा पुनरीक्षण) के पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-5 अनुसार, एस.ओ.आर. एवं अनुबंध के प्रावधानानुसार डामर (बिटुमन) के ग्रेड का उपयोग किया जाता है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
हरपुरा नहर विस्तार योजना
[जल संसाधन]
174. ( क्र. 1924 ) श्री
हरिशंकर खटीक
: क्या
जल संसाधन
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) क्या
हरपुरा
सिंचाई नदी
तालाब योजना
से वराना खास
तालाब में
पानी भेजने
हेतु प्रश्नकर्ता
द्वारा
तारांकित
प्रश्न क्र. 562 दिनांक 21/02/2019 एवं
तारांकित
प्रश्न क्र. 3082 दिनांक 18/07/2019 को किया
गया था? (ख) प्रश्नांश
(क) के आधार पर
बताएं कि
प्रश्न
दिनांक तक क्या-क्या
कार्यवाही
हुई एवं विभाग
तथा शासन
द्वारा कब तक
नवीन
प्रशासकीय स्वीकृति
जारी कर पुन:
टेंडर लगा
दिया जावेगा? (ग) प्रश्नांश
(क) एवं (ख) के
आधार पर बताएं
कि यह योजना
पहले बानसुजारा
बांध डिवीजन
के अंतर्गत थी
और पुराने
प्राक्कलन
तकनीकी स्वीकृति
के आधार पर
टेंडर लगाए गए
थे तो वह कब और
कितनी-कितनी
राशि के थे? (घ) प्रश्नांश
(क), (ख) एवं (ग) के आधार
पर बताएं कि
अब बानसुजारा
बांध डिवीजन
से हटाकर जल
संसाधन संभाग
टीकमगढ़ के
अंतर्गत हो
गया है? अब
जल संसाधन
विभाग संभाग
टीकमगढ़
द्वारा नयी
दरें लगाकर
विभाग ने मुख्य
अभियंता जल
संसाधन संभाग
सागर के समक्ष
पुनरीक्षित
तकनीकी स्वीकृति
हेतु कब और
कितनी लागत
सहित भेजा है? प्रश्न
दिनांक तक क्या-क्या
कार्यवाही
हुई है? निश्चित
समय-सीमा सहित
बताएं कि कब
तक तकनीकी स्वीकृति
देकर
प्रशासकीय स्वीकृति
नवीन कब तक कर
दी जावेगी?
जल
संसाधन
मंत्री ( श्री
हुकुम सिंह
कराड़ा ) : (क) जी हाँ। (ख) जामनी नदी
पर हरपुरा
वियर के अपस्ट्रीम
में उत्तरप्रदेश
द्वारा भैराट
बांध का
निर्माण हो जाने
एवं हरपुरा
नहर के द्वारा
10 तालाबों
के भरे जाने
के उपरांत
आवश्यक जल की
उपलब्धता न
होने के कारण
हरपुरा नहर
विस्तार
योजना असाध्य
पाई गई है। अत:
नवीन
प्रशासकीय स्वीकृति
दिए जाने की
स्थिति नहीं
है। शेष
प्रश्नांश
उपस्थित नहीं
होता है। (ग) निविदा
दिनांक 10.02.2013। रूपये
2711 लाख। (घ)
जी हाँ। शेष
उत्तरांश (ख) अनुसार।
उद्योगों के प्रदूषित अपशिष्ट की जाँच
[पर्यावरण]
175. ( क्र. 1930 ) श्री प्रताप ग्रेवाल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मल्टी स्टोरी भवन, कॉलोनी, बड़े अस्पताल, बड़े वाणिज्य मार्केट को पर्यावरण विभाग की अनुमति किस-किस कार्य के लिये लेना आवश्यक हैं तथा पिछले 5 वर्ष में उक्त निर्माण के लिये उज्जैन संभाग में जारी की गई अनुमति की सूची दें साथ ही बतावें कि उक्त सूची अनुसार किस-किस में कार्य अपूर्ण हैं तथा उसमें क्या कार्यवाही की गई है? (ख) धार जिले में ऐसे कौन-कौन से उद्योग हैं जिनका जलवायु ठोस अपशिष्ट प्रदूषण की जाँच के दायरे में आते हैं? इनकी सूची देवें तथा बतावें कि पिछले 5 वर्ष में उन उद्योगों के जलवायु तथा ठोस अपशिष्ट की जाँच कब-कब की गई? जाँच रिपोर्ट की प्रतिलिपि भी देवें। (ग) मालवा क्षेत्र में भूमिगत जल की अध्ययन स्थिति से अवगत करायें तथा बतावें कि लगातार बड़ी तेजी से भूमिगत जल स्तर के नीचे जाने के क्या कारण हैं तथा उसे रोकने के लिये क्या ठोस कार्यवाही की गई हैं? (घ) रतलाम में रखा लगभग 25000 टन परिसंकटमय अवशिष्ट किस वर्ष से रखा हुआ हैं? उसका निष्पादन अभी तक न होने के कारण क्या हैं? इसके लिये कौन-कौन से उद्योग जिम्मेदार हैं तथा उनके मालिकों पर दर्ज प्रकरण के बाद भी उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? क्या इस कचरे के निष्पादन तथा भूमिगत जल को ठीक करने में लगने वाली राशि जिम्मेदार उद्योगों के मालिकों से वसूली जाएगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) पर्यावरण विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मल्टी स्टोरी भवन, कॉलोनी, बड़े अस्पताल, बड़े वाणिज्य मार्केट को निर्माण एवं प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था स्थापित करने हेतु जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत स्थापना एवं संचालन हेतु सम्मति तथा परिसंकटमय एवं अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन एवं सीमापार संचलन) नियम, 2016 के तहत प्राधिकार प्राप्त करना आवश्यक है। साथ ही ऐसे बिल्डिंग प्रोजेक्ट जिनका बिल्टअप एरिया 20, 000 वर्गमीटर से अधिक एवं एरिया डेवलपमेंट सेक्टर जिनका कुल क्षेत्रफल 50 हेक्टेयर से अधिक हो उन्हें भारत सरकार के ई.आई.ए. नोटिफिकेशन 2006 के तहत पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य है। उज्जैन संभाग में विगत पांच वर्षों में म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा विभिन्न संस्थानों को जारी सम्मति की सूची, संस्थानों के निर्माण की स्थिति तथा प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था की स्थापना संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) धार जिले के अंतर्गत म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों क्रमशः पीथमपुर, धार एवं एसईजेड पीथमपुर के उद्योगों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’, ‘स’ एवं ‘द’ अनुसार है। (ग) वरिष्ठ भू-जलविद्, संभागीय भू-जल सर्वेक्षण इकाई, उज्जैन के पत्र दिनांक 05/12/2019 के द्वारा मालवा क्षेत्र के जिले उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, नीमच, आगर में भू-जल पुर्न अवलोकन प्रतिवेदन वर्ष 2017 पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘इ’ अनुसार है। भूमिगत जल स्तर लगातार बड़ी तेजी से नीचे जाने का कारण भूमिगत जल का सकल रिचार्ज की तुलना में अत्यधिक दोहन होना है। मालवा क्षेत्र के इन्दौर नगर निगम सीमा में भू-जल स्तर गिरने से रोकने के लिये ट्यूबवेल की स्थापना के पूर्व कलेक्टर इन्दौर से अनुमति प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है।
फोरलेन पर दुर्घटनाओं की जाँच
[लोक निर्माण]
176. ( क्र. 1931 ) श्री प्रताप ग्रेवाल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लेबड-जावरा तथा जावरा नयागांव फोरलेन प्रारम्भ होने से अक्टूबर 2019 तक दुर्घटनाओं के कारण कितनी सम्पत्ति का नुकसान हुआ। (ख) प्रश्नांश (क) में फोरलेन पर ऐसे कौन-कौन से पाइंट हैं जहां एक से अधिक बार दुर्घटना हुई? सर्वाधिक दुर्घटना वाले 10 पाइंट की सूची देवें। (ग) क्या अनुबंध की शर्तों के अनुसार कन्सेशनायर को सड़क दुर्घटना पर सड़क मेन्टेन करना तथा प्रतिवर्ष सेफ्टी ऑडिट करवाना हैं? यदि हाँ, तो रजिस्टर की प्रति देवें तथा प्रति वर्ष की रिपोर्ट की प्रति देवें। (घ) दुर्घटनाओं पर विभाग द्वारा कब-कब अपने स्तर पर जाँच की गई तथा कन्सेशनायर को क्या-क्या निर्देश/चेतावनी दी गई? इस संबंध में सम्पूर्ण पत्र व्यवहार की प्रति देवें तथा बतावें कि दुर्घटना को रोकने के लिये प्रारम्भ से अभी तक क्या कदम उठाये गये हैं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) मार्ग के संधारण एवं पुनर्व्यवस्थापन कन्सेशनायर द्वारा अनुबंधानुसार स्वयं के व्यय पर किया जाता है। अनुबंधानुसार दुर्घटनाओं में सम्पत्ति के नुकसान की जानकारी का संधारण म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा नहीं किया जाता है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जी हाँ। लेबड-जावरा-नयागांव मार्ग को उपलब्ध रोड सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। मार्ग पर हो रही दुर्घटनाओं की जानकारी के आधार पर दुर्घटनाजन्य क्षेत्रों को माननीय सुप्रीम कोर्ट की कमेटी द्वारा ब्लैक स्पॉट घोषित किया जाता है। उक्त ब्लैक स्पॉट का निरीक्षण एम.पी.आर.डी.सी. एवं कन्सेशनायर द्वारा किया जाकर अतिरिक्त उपाय किये जाते हैं। दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु माननीय सुप्रीम कोर्ट की कमेटी द्वारा लेबड-जावरा एवं जावरा-नयागांव मार्ग पर वर्ष 2016-17-18 की सूची अनुसार कुल 26 ब्लैक स्पॉट चयनित किये गये थे। निवेशकर्ता द्वारा किये गये ब्लैक स्पॉट के परिशोधन कार्य की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
रोड की डी.पी.आर. में अनियमितता
[लोक निर्माण]
177. ( क्र. 1938 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 965 दिनांक 11 जुलाई 2019 के संदर्भ में बतावें कि क्या विभाग के संज्ञान में यह नहीं है कि किमी 2/2 (वन विभाग के सामने) से प्रस्तावित पुलिया का निर्माण प्रारम्भ हुआ था तथा ठेकेदार की लापरवाही से अप्रैल 2019 को एक नौजवान की मृत्यु हो गई थी जिस पर दीनदयाल रतलाम पुलिस थाने में प्रकरण दर्ज हुआ था? क्या ठेकेदार ने बिना विभाग के सुपरविजन के कार्य प्रारम्भ किया था? यदि हाँ, तो ठेकेदार पर क्या कार्यवाही की गई तथा पुलिया का काम कब प्रारम्भ किया जावेगा? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रश्न के संदर्भ में बतावें कि चेनेज 1120 से 2210 मीटर में इलेक्ट्रिक पोल शिफ्टिंग न होने के लिये कौन जिम्मेदार हैं तथा 3.5 मीटर चौड़ाई में निर्माण कार्य क्यों नहीं किया गया? (ग) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 965 दिनांक 11 जुलाई 2019 के संदर्भ में बतावें की डी.पी.आर. में रेल्वे ओव्हर ब्रिज का उल्लेख न करना, शासन को अधूरी जानकारी देकर प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त करना उचित हैं? यदि नहीं, तो किसकी जिम्मेदारी है? (घ) रतलाम बाजना-कुशलगढ़ मार्ग के निर्माण हेतु कितनी राशि का भुगतान ठेकेदार को अभी तक किया हैं तथा अभी तक किये गये निर्माण अनुसार कितना भुगतान किया जाना शेष हैं तथा कुल लागत क्या हैं क्या अनुबंध की कार्यपूर्ण दिनांक 09.08.2018 से दिनांक 20 अक्टूबर 2019 तक 437 दिन के विलम्ब पर कुल कितनी पेनल्टी होगी तथा कब तक ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड कर दूसरे से कार्य करवाया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) रतलाम बाजना मार्ग के किमी 2/2 (वन विभाग के सामने) में प्रस्तावित पुलिया का निर्माण कार्य ठेकेदार द्वारा प्रारंभ नहीं किया गया था। अपितु पुलिया निर्माण हेतु डायवर्सन बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया था। जी हाँ। जी हाँ। जी नहीं। पुलिस द्वारा ठेकेदार पर प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश कर दिया गया है। अत: विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं की गई। पुलिया का निर्माण कार्य 31 जनवरी 2020 के पूर्व प्रारंभ करने का संभावित लक्ष्य है। (ख) ठेकेदार जिम्मेदार है। ठेकेदार द्वारा समय पर विद्युत पोल हटाने एवं वृक्ष नहीं काटने के कारण मार्ग के 3.5 मीटर चौड़ाई में कार्य नहीं कराया जा सका। (ग) आर.ओ.बी. का निर्माण सेतु परिक्षेत्र के अंतर्गत किया जाना था। अत: रतलाम संभाग (भ/प) के द्वारा तैयार की गई, डी.पी.आर. में उसका उल्लेख नहीं किया गया। जी नहीं। अत: जिम्मेदारी का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (घ) राशि रूपये 7376.08 लाख का भुगतान किया गया। राशि रू. 58.59 लाख लंबित देयक का भुगतान किया जाना शेष है। कार्य की अनुबंधित लागत 8294.20 लाख है। अनुबंध की कंडिका 15 के अनुक्रम में कॉन्ट्रेक्ट डाटा शीट के अनुलग्नक पी अनुसार 0.05 प्रतिशत प्रतिदिन एवं अधिकतम अनुबंधित राशि का 10 प्रतिशत शास्ति का प्रावधान है। अनुबंधानुसार विलंब हेतु रू. 829.42 लाख पेनल्टी हो सकती है। यद्यपि इसका अंतिम निर्णय सक्षम अधिकारी द्वारा कार्य पूर्ण होने के पश्चात गुण-दोष के आधार पर विवेचना पर लिया जावेगा, जो ठेकेदार के लिए बन्धनकारी रहेगा। वर्तमान में कार्य प्रगति पर है। अत: वर्तमान में ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती।
तृतीय श्रेणी संवर्ग के कर्मचारियों को समयमान वेतनमान
[उच्च शिक्षा]
178. ( क्र. 1944 ) श्री केदारनाथ शुक्ल : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत तृतीय श्रेणी संवर्ग के किन-किन पदों में कार्यरत पात्र कर्मचारियों को प्रथम समयमान वेतनमान एवं क्रमोन्नत वेतनमान के आदेश नियमानुसार जारी कर दिए गए हैं? यदि नहीं, तो जनहित में कब तक जारी कर दिए जाएंगे? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में प्रश्नांकित कर्मचारियों का स्थायीकरण आदेश नियमित रूप से पात्रता आने पर जारी किये जा रहे हैं? यदि हाँ तो विगत आदेश कब जारी किये गए तथा अभी कितने पात्र कर्मचारियों का स्थायीकरण किया जाना शेष है? इनके आदेश कब तक जारी कर दिए जाएंगे? (ग) क्या विषयांकित महाविद्यालयों में सहायक ग्रेड-1, 2, 3 के कार्यरत रहते हुए भी प्रयोगशालाओं का कार्य प्रभावित करते हुए, प्रयोगशाला तकनीशियनों से लेखापाल का कार्य लिया जा रहा है? इन्हें कब तक लेखापाल के कार्य से मुक्त कर दिया जावेगा?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत तृतीय श्रेणी में प्रयोगशाला तकनीशियन एवं सहायक वर्ग-3 के पद पर कार्यरत पात्र कर्मचारियों को प्रथम समयमान वेतनमान एवं क्रमोन्नत वेतनमान के आदेश नियमानुसार जारी कर दिये गये हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) पात्र कर्मचारियों के स्थायीकरण के आदेश समय-समय पर पात्रतानुसार एवं पद उपलब्धता अनुसार जारी किये गये हैं। विगत स्थायीकरण के आदेश दिनांक 12.04.2010 एवं 2011 में जारी किये गये हैं। प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत तृतीय श्रेणी के कुल 1114 कर्मचारियों का स्थायीकरण शेष है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी नहीं। प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में से कुछ महाविद्यालयों में प्रयोगशाला तकनीशियनों से लेखापाल के कार्य में सहयोग लिया जा रहा है, परन्तु इससे उनका प्रायोगिक कार्य प्रभावित नहीं हो रहा है।
लोकायुक्त संगठन में पंजीबद्ध प्रकरण में जाँच की अद्यतन स्थिति
[ऊर्जा]
179. ( क्र. 1946 ) श्री नीरज विनोद दीक्षित : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोकायुक्त संगठन में श्री अजय कुमार शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक, मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के विरूद्ध पंजीबद्ध प्रकरण क्र. 550/17 की जाँच में उल्लेखित अनियमितताओं का क्या भौतिक सत्यापन किया गया है? शिकायत में उल्लेखित फर्जी भुगतान की जाँच अभिलेखों से की गई है अथवा नहीं? (ख) क्या लोकायुक्त में दर्ज जाँच प्रकरण क्रमांक 550/17 की जाँच हेतु पूर्व में किसी जाँच दल का गठन किया गया था एवं जाँच दल के द्वारा शिकायत में उल्लेखित बिन्दुओं का भौतिक सत्यापन तथा भुगतान का अभिलेखों से प्रमाणीकरण कर कार्य को पूर्णतया सही होना तथा कोई अनियमितता नहीं होने की रिपोर्ट दे दी गई थी? यदि हाँ, तो जाँच दल के गलत प्रतिवेदन पर जाँच दल के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या जाँच प्रकरण 550/17 की वर्तमान स्थिति क्या है तथा क्या भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी श्री अजय शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक, मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड एवं इसकी गलत जाँच कर गलत तथ्य देने वाले जाँच दल पर कोई कार्यवाही की जायेगी? निश्चित अवधि बताएं।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) लोकायुक्त संगठन में श्री अजय कुमार शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक, म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के विरूद्ध पंजीबद्ध प्रकरण क्रमांक 550/17 में की गई शिकायत की जाँच करने एवं तत्संबंध में श्री अजय कुमार शर्मा से प्राप्त प्रत्युत्तर का परीक्षण करने हेतु पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा दो सदस्यीय समिति का गठन आदेश क्रमांक 499 दिनांक 20.01.2018 द्वारा किया गया था। उक्त समिति के जाँच प्रतिवेदन में कथित अनियमितताओं का भौतिक सत्यापन किये जाने का उल्लेख नहीं है। शिकायत में उल्लेखित फर्जी भुगतान की शिकायत की जाँच अभिलेखों से की गई है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर में दर्शाए अनुसार ही पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा आदेश दिनांक 20.01.2018 द्वारा जाँच समिति का गठन किया गया था। जाँच समिति द्वारा जाँच प्रतिवेदन दिनांक 26.03.2018 को प्रस्तुत किया गया, जिसमें शिकायत में उल्लेखित बिन्दुओं को असत्य पाया गया। उपरोक्त के दृष्टिगत किसी प्रकार की कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (ग) विधि सलाहकार-द्वितीय, लोकायुक्त कार्यालय, म.प्र. भोपाल के पत्र क्रमांक 4742/जां.प्र./550/17 दिनांक 05.08.2019 के अनुसार माननीय लोकायुक्त के आदेश दिनांक 31.07.2019 से प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया है। अत: प्रकरण में अन्य कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
भाग-3
अतारांकित
प्रश्नोत्तर
नहरों के किनारे वृक्षारोपण
[जल संसाधन]
1. ( क्र. 19 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नहरों के किनारे की शासकीय भूमि में वृक्षारोपण का प्रावधान है? (ख) यदि हाँ, तो जबलपुर जिलांतर्गत विगत 5 वर्षां में किये गये वृक्षारोपण की नहरवार जानकारी देवें? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या नहरों की सुरक्षा हेतु हटमेन्ट बनाये गये हैं? (घ) यदि हाँ, तो कहाँ-कहाँ पर बनाये गये हैं? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) जबलपुर जिले में जल संसाधन विभाग अंतर्गत वर्तमान में नहरों के किनारे शासकीय भूमि में वृक्षारोपण का प्रावधान नहीं होना प्रतिवेदित है। (ग) एवं (घ) जल संसाधन विभाग में नहरों की सुरक्षा हेतु हटमेंट नहीं बनाए गये हैं। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
सड़क के बीच में आये खम्भों का व्यवस्थापन
[लोक निर्माण]
2. ( क्र. 20 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बरेला के मुख्य बाजार की 2 कि.मी. की सड़क का चौड़ीकरण किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो क्या सड़क चौड़ीकरण से पहले बिजली के खंभे एवं ट्रांसफार्मर नहीं हटाये गये? (ग) क्या रोड बनने के एक वर्ष बाद भी बिजली के खंभे एवं ट्रांसफार्मर न हटाये जाने के कारण गंभीर घटना हो सकती है? (घ) यदि हाँ, तो क्या खंभे एवं ट्रांसफार्मर हटाने की कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो घटना के लिये कौन जवाबदार होगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) पूर्व से निर्मित दो लेन मार्ग का 4 लेन मार्ग में उन्नयन किया गया है। इस प्रकार पूर्व से ही 2 लेन बाधा रहित मार्ग यातायात हेतु उपलब्ध था। मार्ग की चौड़ाई बढ़ाने के कारण पूर्व से लगे बिजली के खम्भे एवं ट्रांसफार्मर इस बढ़ी हुई चौड़ाई के यातायात हेतु बाधक थे लेकिन दो लेन बाधा मुक्त थी एवं यातायात सुचारू रूप से चल रहा है। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए इन बाधक खम्भों पर 4 फीट की ऊँचाई तक आवश्यक सफेद पेन्ट कर रिफ्लेक्टिव स्ट्रिप लगाई गई थी जिससे यातायात सावधानी पूर्वक चल सके। (घ) जी हाँ। बरेला के मुख्य बाजार की सड़क के खम्भे एवं ट्रांसफार्मर हटाने हेतु प्राक्कलन की स्वीकृति दिनांक 14.08.2019 को भारत सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय से प्राप्त की गई एवं दिनांक 30.09.2019 को कार्यादेश जारी किया गया है एवं वर्तमान में एल.टी. लाइन का कार्य पूर्ण हो गया है एवं एच.टी.लाइन का कार्य प्रगति पर है। अनुबंधानुसार निर्धारित समय सीमा दिनांक 29.12.2019 तक बरेला मुख्य बाजार के खम्भे एवं ट्रांसफार्मर अलग कर दिये जाने का लक्ष्य रखा गया है।
नवीन विद्युत सब-स्टेशन की स्थापना
[ऊर्जा]
3. ( क्र. 44 ) श्री गोपालसिंह चौहान : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्राम पंचायत कदवाया विकासखण्ड ईसागढ़, जिला अशोकनगर जिसकी जनसंख्या लगभग 7000 है एवं आसपास के लगभग 45 से 50 ग्रामों से घिरा हुआ है, क्या यहां नवीन विद्युत सब-स्टेशन स्वीकृत करने हेतु शासन की कोई योजना है? (ख) यदि हां तो कब तक स्वीकृत कर दी जावेगी और यदि ऐसी कोई शासन की योजना नहीं है तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) ग्राम कदवाया विकासखण्ड ईसागढ़, ग्राम पंचायत मुख्यालय है। इस ग्राम एवं आसपास के क्षेत्र को 4 किलोमीटर दूर स्थित 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र मन्हेटी से निर्गमित मन्हेटी आबादी फीडर से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। ग्राम कदवाया सहित प्रश्नाधीन क्षेत्र में सुचारू रूप से गुणवत्तापूर्ण विद्युत प्रदाय किया जा रहा है, अत: वर्तमान में ग्राम/ ग्राम पंचायत कदवाया में नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना की आवश्यकता नहीं है। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार वर्तमान में प्रश्नाधीन क्षेत्र में नए 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य तकनीकी रूप से आवश्यक नहीं होने के कारण, स्वीकृति संबंधी कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
कदवाया ईसागढ़ मुख्य मार्ग का चौड़ीकरण
[लोक निर्माण]
4. ( क्र. 48 ) श्री गोपालसिंह चौहान : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्य मार्ग ईसागढ़ से ग्राम कदवाया की दूरी 15 किमी है यह मार्ग झांसी, ग्वालियर, शिवपुरी, पिछारे को जोड़ता है यह मार्ग अत्यंत संकरा है एवं हैवी वाहनों के आवागमन से यहां बड़े-बड़े गड्ढे हो जाते है इस कारण दिन प्रतिदिन यहां दुर्घटनायें होती रहती है इस स्थिति को दृष्टिगत रखते हुये क्या मुख्यमार्ग ईसागढ़ से कदवाया दूरी 15 कि.मी. के चौड़ीकरण की शासन की कोई नीति है? (ख) यदि हां तो यह मार्ग का चौड़ीकरण कब तक करवा दिया जावेगा और यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) वर्तमान में इस मार्ग के चौड़ीकरण की कोई नीति नहीं है। (ख) प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
रायसेन जिले में स्वीकृत सिंचाई योजना के कार्य
[जल संसाधन]
5. ( क्र. 76 ) श्री रामपाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नवंबर 2019 की स्थिति में रायसेन जिले में स्वीकृत किन-किन सिंचाई योजनाओं का कार्य क्यों अप्रारंभ है? किन-किन सिंचाई योजनाओं की निविदा आमंत्रित नहीं की गई है तथा क्यों? योजनावार कारण बतायें। (ख) रायसेन जिले में कौन-कौन सी सर्वेक्षित सिंचाई योजनाएं स्वीकृति हेतु कब से किस स्तर पर क्यों लंबित हैं? उनको कब तक स्वीकृत किया जायेगा? (ग) 1 जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक माननीय मंत्री जी को प्रश्नकर्ता के पत्र कब-कब प्राप्त हुए तथा उन पर माननीय मंत्री जी ने किन-किन अधिकारियों को क्या-क्या कार्यवाही के निर्दश दिये? पत्रवार जानकारी दें। (घ) प्रश्नांश (ग) के निर्देशों के पालन में संबंधित अधिकारियों द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? प्रश्नकर्ता को पत्रों के जवाब क्यों नहीं दिये गए? पत्रों में उल्लेखित किन-किन समस्यों का निराकरण हुआ, किन-किन समस्याओं का निराकरण क्यों नहीं हुआ?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''1'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''2'' अनुसार है। परियोजनाओं की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव शासन स्तर पर प्राप्त होने पर गुण-दोष के आधार पर परीक्षणोंपरांत स्वीकृति प्रदान की जावेगी। परियोजनाओं की स्वीकृति बजट की उपलब्धता से आबद्ध होने के कारण निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) एवं (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''3'' अनुसार है।
संबल योजना के हितग्राहियों का भौतिक सत्यापन
[श्रम]
6. ( क्र. 77 ) श्री रामपाल सिंह : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना में पंजीकृत सभी हितग्राहियों का भौतिक सत्यापन समिति गठन करने के निर्देश हैं? यदि हाँ, तो रायसेन जिले में नगरीय तथा ग्रामीण क्षेत्र में उक्त समिति में कौन-कौन सदस्य हैं। (ख) उक्त गठित समिति द्वारा भौतिक सत्यापन किन-किन मापदण्डों पर किया गया? सत्यापन के दौरान अपात्रता के बिंदु क्या-क्या थे? अपात्रता के संबंध में शासन के क्या-क्या निर्देश हैं? उसकी प्रति दें। रायसेन जिले में कितने व्यक्ति अपात्र किये गये? नगरीय निकाय/ग्रामपंचायतवार संख्या बतायें। (ग) रायसेन जिले की जनपद पंचायत सिलवानी में परिवार के मुखिया पुरूष को पात्र मानकर संयुक्त परिवार में उसकी पत्नि तथा वयस्क बच्चों को अपात्र कर उनके नाम क्यों काटे गये? संयुक्त परिवार में पति पात्र तथा पत्नि कैसे अपात्र हो गई? (घ) 01 जनवरी 19 से प्रश्न दिनांक तक माननीय मंत्री जी को प्रश्नकर्ता के पत्र कब-कब प्राप्त हुए तथा उन पर माननीय मंत्री जी ने किन-किन अधिकारियों को क्या-क्या कार्यवाही के निर्देश दिये? संबंधित अधिकारियों द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ख) अपात्रता की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। रायसेन जिले में 98018 श्रमिक अपात्र चिन्हाकित किये गये हैं। नगरीय निकाय/ग्राम पंचायतवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) जी नहीं। योजना के मापदंड अनुसार ही भौतिक सत्यापन किया गया है। (घ) प्रश्नकर्ता से प्राप्त पत्रों के जवाब समय-समय पर किया गया है।
बाढ़ से हुआ नुकसान
[ऊर्जा]
7. ( क्र. 89 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 01 जुलाई 2019 से 31 अक्टूबर-2019 तक मंदसौर जिले में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर की विद्युत अधोसंरचना का कितनी राशि का नुकसान बाढ़ के कारण हुआ? कितने घरों के विद्युत मीटर पूर्णत: नष्ट हो गये? संख्यात्मक जानकारी देवें। (ख) क्या जिन उपभोक्ताओं के बाढ़ के कारण विद्युत मीटर नष्ट हुये हैं उनसे विभाग ने पुन: नये मीटर एवं विद्युत संयोजन के लिये राशि ली? यदि हाँ, तो ऐसे उपभोक्ताओं के पते एवं व्यक्ति के नाम सहित जानकारी देवें। (ग) 01 जुलाई 2019 से 31 अक्टूबर 2019 तक संचालन-संधारण संभाग मंदसौर के अंतर्गत अत्यधिक बिल राशि को लेकर कितने उपभोक्ताओं ने विद्युत कंपनी में शिकायत दर्ज कराई तथा उनमें से कितने उपभोक्ताओं का बिल संशोधित किया गया उपभोक्ता की संख्या एवं संशोधित बिल की राशि की संख्यात्मक जानकारी देवें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) 01 जुलाई 2019 से 31 अक्टूबर 2019 तक मंदसौर जिले में म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड की राशि रू. 324.17 लाख की विद्युत अधोसंरचना का बाढ़ के कारण नुकसान हुआ। प्रश्नाधीन अवधि में मंदसौर जिले में बाढ़ के कारण 110 घरों के विद्युत मीटर पूर्णत: नष्ट हो गये थे। (ख) जी नहीं, जिन उपभोक्ताओं के बाढ़ के कारण विद्युत मीटर नष्ट हुये है, उनसे म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा पुन: नये मीटर लगाने एवं विद्युत संयोजन के लिये कोई राशि नहीं ली गई है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ग) 01 जुलाई 2019 से 31 अक्टूबर 2019 तक संचालन-संधारण संभाग मंदसौर के अंतर्गत अत्यधिक बिल राशि को लेकर 2722 उपभोक्ताओं ने पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में शिकायत दर्ज कराई तथा इनमें से 1060 उपभोक्ताओं का बिल संशोधित किया गया। उक्त 1060 उपभोक्ताओं को पूर्व में रूपये 66.66 लाख की राशि के बिल जारी किये गये थे जिन्हें सुधार कर उपभोक्ताओं को रू. 25.68 लाख राशि के संशोधित बिल जारी किये गये।
क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलियाओं का निर्माण
[लोक निर्माण]
8. ( क्र. 91 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 1 जुलाई 2019 के बाद मंदसौर जिले की कौन-कौन सी पुल पुलिया पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गयी? क्या विभाग द्वारा बाढ़ से मंदसौर में हुए नुकसान का आँकलन कर लिया गया है? यदि हाँ, तो मंदसौर जिले में कुल कितनी राशि का नुकसान हुआ है? (ख) मंदसौर जिले की क्षतिग्रस्त सड़क पुलियाओं के निर्माण के लिये विभाग द्वारा कितनी राशि प्रश्न दिनांक तक स्वीकृत की गई है तथा कितने कार्यों के लिये वर्कऑर्डर जारी कर दिये हैं? (ग) मंदसौर में हुये सड़क पुलियाओं के भारी नुकसान के लिये विभाग (भोपाल) द्वारा क्या निर्देश जारी किये गये है? मंदसौर जिले में क्षतिग्रस्त सड़क पुलियाओं को कब तक दुरूस्त कर दिया जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। जी हाँ पुल/पुलिया की क्षति राशि रू. 837.65 लाख। (ख) क्षतिग्रस्त वृहद पुल एवं क्षतिग्रस्त सड़क की कोई स्वीकृति जारी नहीं। 5 पुलियाओं की मरम्मत हेतु राशि रू. 24.85 लाख की स्वीकृति जारी की गई। जिनकी निविदा आमंत्रण प्रक्रियाधीन। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-1' अनुसार है। (ग) सड़क एवं पुलियाओं को शीघ्र अस्थाई मरम्मत कर यातायात चालू किया जावे तथा स्थाई मरम्मत हेतु प्राक्कलन तैयार कर प्रशासकीय स्वीकृति हेतु प्रेषित किया जावे। प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त होने के पश्चात दुरूस्त कर दिया जावे। परफारमेंस गारन्टी वाली सड़कों पर मरम्मत कार्य संबंधित ठेकेदार से कराने के निर्देश दिये गये है।
जिला चिकित्सालय में ट्रामा सेंटर भवन का हस्तांतरण
[लोक निर्माण]
9. ( क्र. 108 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला भोज चिकित्सालय में ट्रामा सेंटर वाला भवन लोक निर्माण विभाग की पी.आई.यू. यूनिट, धार द्वारा बनाया गया था? (ख) यदि हां तो यह भवन विभाग द्वारा कब हस्तांतरित किया तथा क्या सिविल सर्जन, जिला भोज चिकित्सालय धार द्वारा पी.आई.यू. धार को पत्र लिखकर ट्रामा सेंटर स्थित गायनिक ओपरेशन थियेटर में पानी टपकने की समस्या से अवगत करवाया था? (ग) वर्षाकाल में अत्यधिक जल रिसाव के कारण गायनिक आपरेशन थियेटर में फंगस पनप जाने से लगभग डेढ़ माह तक आपरेशन थियेटर बंद होने व लगभग 180 मरीजों को अन्यत्र रेफर करने जैसे महत्वपूर्ण विषय पर विभाग द्वारा अपने स्तर पर इस जल रिसाव को रोकने हेतु कोई कार्रवाई की गई? (घ) यदि हाँ, तो क्या उपाय किये गये तथा उससे जल रिसाव को रोकने में कितनी सफलता मिली एवं आगामी वर्षाकालों में फिर से जल रिसाव नहीं होगा, की संतुष्टि कर ली गई है? (ड.) यदि नहीं, तो इस प्रश्न के माध्यम से जानकारी प्राप्त होने पर इस संवेदनशील मुद्दे पर विभाग जिम्मेदारी निर्धारित करने हेतु जाँच संस्थित कर दोषियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा व जल रिसाव को रोकने हेतु उपाय करेगा।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। (ख) दिनांक 26.03.2015 को, जी हाँ। (ग) धार चिकित्सालय द्वारा विषयांतर्गत भवन को लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित नहीं किये जाने के कारण, कोई कार्यवाही नहीं की गई है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) उत्तरांश (घ) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
मुआवजे का वितरण
[जल संसाधन]
10. ( क्र. 138 ) श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हथना जलाशय ग्राम बांसा, तह. पथरिया, जिला दमोह के अंतर्गत कितनी जमीन डूब क्षेत्र में है तथा डूब क्षेत्र में कृषि कार्य कर रहे भूमि स्वामी/पट्टेधारियों में से कितने स्थानीय जनों का व्यवस्थापन शासन द्वारा किया गया? (ख) शासन द्वारा जलाशय निर्माण उपरांत डूब क्षेत्र में आ रहे ऐसे कृषक/पट्टेधारी जिन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया है उनके कल्याण हेतु शासन की क्या योजना है? (ग) हथना जलाशय निर्माण के भू-अर्जन का पुन: निरीक्षण शासन द्वारा कब तक पूर्ण किया जावेगा? (घ) ऐसे कृषक जिनकी जमीन डूब क्षेत्र में आ रही है लेकिन उन्हें मुआवजा शासन द्वारा नहीं दिया गया है उन्हें कब तक इसका भुगतान कर दिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) 27.79 हेक्टर। 36 स्थानीय जनों का व्यवस्थापन किया गया। (ख) से (घ) समस्त 36 कृषकों का मुआवजा भुगतान किया जा चुका है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
ताप्ती-चिल्लूर सिंचाई परियोजना
[जल संसाधन]
11. ( क्र. 162 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश के किसानों की भूमि को सिंचित करने के लिये ताप्ती नदी पर ताप्ती-चिल्लूर मेजर प्रोजेक्ट स्वीकृति हेतु शासन स्तर पर लंबित है? परियोजना की अनुमानित लागत क्या है? (ख) इस परियोजना अंतर्गत कुल कितने हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होने का अनुमान है एवं कितने हेक्टेयर भूमि डूब प्रभावित होगी? (ग) परियोजना से कितने गाँव एवं कितनी जनसंख्या प्रभावित अथवा विस्थापित होगी? क्या प्रभावित गाँव/जनसंख्या की अपेक्षा लाभान्वित गाँव एवं किसानों की संख्या अधिक है? (घ) क्या परियोजना में लगभग 85 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी? जिसके विरुध्द मात्र 2785 हेक्टेयर भूमि ही डूब प्रभावित होगी? यदि हाँ, तो क्या यह प्रदेश के किसानों के हित में है? यदि हाँ, तो फिर विलंब क्यों? (ड.) क्या ताप्ती नदी के जल बंटवारे नियमों का पालन करने एवं प्रदेश में असिंचित भूमि के बड़े रकबे को सिंचित करने एवं किसानों के जीवन स्तर को उठाने के लिये इस परियोजना को स्वीकृति दी जाना चाहिए? यदि हाँ, तो प्रदेश सरकार इस परियोजना को कब तक स्वीकृति प्रदान करेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी नहीं। रू.2627.95 करोड़। (ख) अनुमानित सिंचित भूमि 81,600 हेक्टर एवं डूब प्रभावित भूमि 2785 हेक्टर। (ग) 16 ग्रामों के 1950 परिवार। जी हाँ। (घ) जी नहीं। परियोजना से 81,600 हेक्टर भूमि सिंचित होगी। जिसके विरूद्ध 2785 हेक्टर भूमि डूब प्रभावित होगी। जी हाँ। यह परियोजना किसानों के हित में है। डूब क्षेत्र के कृषकों एवं जन-प्रतिनिधियों के विरोध के कारण परियोजना के कार्य में विलंब हो रहा है। (ड.) जी हाँ। प्रदेश सरकार द्वारा परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 04.10.2018 को प्रदान की जा चुकी है।
गरीबो को बिजली बिल देने का प्रावधान
[ऊर्जा]
12. ( क्र. 163 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में वर्तमान में गरीबों को घरेलू बिजली उपयोग करने पर न्यूनतम एवं अधिकतम कितनी राशि के मासिक बिल दिये जाने का प्रावधान है? (ख) क्या संबल योजना (नया सवेरा) अंतर्गत पिछली सरकार द्वारा गरीबों से अधिकतम 100 रु. प्रतिमाह लिये जाने का प्रावधान था? (ग) क्या वर्तमान में ऊर्जा मंत्री द्वारा उक्त नियम को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है? जिसके कारण प्रदेश के गरीबों को हजारों रुपये प्रतिमाह के बिल प्राप्त हो रहे है? यदि हाँ, तो क्यों? (घ) क्या संबल योजना (नया सवेरा) कार्डधारी अधिकतम 100-150 रु. प्रतिमाह घरेलू बिजली बिल दिये जाने के पूर्व सरकार के निर्णय को यथावत रखा जायेगा? (ड.) क्या सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के गरीब, ग्रामीण एवं किसानों में रोष व्याप्त है? य़दि हाँ तो इसके लिये विभाग के कौन अधिकारी जिम्मेदार है? क्या विभाग अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) प्रदेश में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं में से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के घरेलू उपभोक्ताओं को 30 यूनिट तक की मासिक खपत हेतु मात्र राशि रु. 25/- का बिल दिया जा रहा है तथा म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के अनुसार बिल की शेष राशि विद्युत वितरण कंपनियों को सब्सिडी के रूप में उपलब्ध कराई जा रही है। अन्य घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2019-20 हेतु जारी टैरिफ आदेश में वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत उनकी खपत के अनुसार गणना कर विद्युत देयक प्रदान किए जा रहे हैं, जिसके तहत विद्युत दर श्रेणी एल.वी. 1.1 के अनुसार न्यूनतम राशि रु. 45/- एवं एलवी 1.2 के अनुसार न्यूनतम राशि रु. 70/- का बिल लिये जाने का प्रावधान है। अधिकतम राशि का निर्धारण उपभोक्ता की विद्युत खपत के अनुसार होता है। (ख) जी नहीं। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता। तथापि उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा दिनांक 07.09.2019 को जारी आदेशानुसार प्रदेश में लागू इन्दिरा गृह ज्योति योजना को संबल योजना से असम्बध्द करते हुए इन्दिरा गृह ज्योति योजना के लाभ का विस्तार प्रदेश के ऐसे सभी घरेलू उपभोक्ताओं हेतु किया गया है, जिनकी मासिक खपत 150 यूनिट तक है। ऐसे सभी पात्र उपभोक्ताओं को प्रथम 100 यूनिट तक की खपत पर अधिकतम राशि रु. 100/- का बिल दिया जाने एवं 100 यूनिट खपत हेतु मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दर से गणना किए गए बिल तथा राशि रु. 100/- के अन्तर की राशि राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों को सब्सिडी के रुप में दिये जाने का प्रावधान किया गया है। 100 यूनिट से अधिक एवं पात्रता यूनिट की सीमा तक शेष यूनिटों के लिए म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश में निर्धारित दर के अनुसार बिल देय होगा। किन्तु किसी माह में पात्रता यूनिट से अधिक खपत होने पर उपभोक्ता को उस माह में योजना का लाभ नहीं मिलेगा एवं उसकी पूरी खपत पर म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश में निर्धारित दर के अनुसार बिल देय होगा। उल्लेखनीय है कि माह अक्टूबर 2019 की स्थिति में प्रदेश के 1.17 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं में से लगभग 1.01 करोड़ उपभोक्ताओं को उक्त योजना का लाभ मिला है, जिसमें सभी गरीब उपभोक्ताओं के साथ-साथ मध्यम वर्ग के उपभोक्ता भी लाभान्वित हुए हैं। चूंकि गरीब उपभोक्ताओं की विद्युत खपत 150 यूनिट से अधिक नहीं रहती, अतः यह कहना सही नहीं होगा कि गरीबों को हजारों रुपये के बिल प्राप्त हो रहे हैं। (घ) जी नहीं। (ड.) जी नहीं। अत: किसी अधिकारी के जिम्मेदार होने अथवा राज्य शासन द्वारा प्रदेश में लागू इंदिरा गृह ज्योति योजना लागू किये जाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का प्रश्न नहीं उठता।
कोर एनर्जी ग्रुप के द्वारा किये गये कार्यों की जाँच
[ऊर्जा]
13. ( क्र. 178 ) श्री रामकिशोर कावरे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग म.प्र. को पत्र क्रमांक/813/2019 को जाँच हेतु लेख किया गया यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा पी.सी.सी. पोल की जाँच हेतु पत्र विभाग को लेख किया गया था, बालाघाट जिले में किस-किस स्थान पर जाँच की गई। (ग) क्या बालाघाट जिले में सौभाग्य योजना में लगाये गये पी.सी.सी. पोल घटिया किस्म के है यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही करेंगे? (घ) जिला बालाघाट में सौभाग्य योजना और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनांतर्गत पूर्ण किये गये कार्यों की अधीक्षण अभियंता (संचा.संधा.) बालाघाट कार्यालय में प्राप्त शिकायतों की जाँच किस-किस अधिकारी ने कब-कब की वर्ष 2017 से प्रश्न दिनांक तक जानकारी देवें?
ऊर्जा
मंत्री ( श्री
प्रियव्रत
सिंह ) : (क) जी
हाँ, माननीय
प्रश्नकर्ता
विधायक महोदय
ने पत्र क्र. 813/2019 दिनांक 11/11/2019 द्वारा
सौभाग्य
योजनान्तर्गत
बालाघाट
संचालन एवं
संधारण संभाग
में किये गए
कार्यों की
जाँच कराए
जाने का
अनुरोध किया
है। उक्त
पत्र में उल्लेखित
तथ्यों/ बिन्दुओं
के परीक्षण
हेतु एम.पी.
पॉवर
मैनेजमेंट कंपनी
लिमिटेड को
निर्देश दिए
गए है। (ख) जी
हाँ, माननीय
प्रश्नकर्ता
विधायक महोदय
द्वारा पत्र क्र.
383 दिनांक 10.06.2019 के माध्यम
से विभाग को
जबलपुर
ग्रामीण
क्षेत्र अंतर्गत
किये जा रहे
विद्युत लाईन
विस्तार के
कार्यों में
उपयोग में लिए
जा रहे पी.सी.सी.
पोल की जाँच हेतु
लेख किया गया
था। उक्त
परिप्रेक्ष्य
में एम.पी.
पॉवर
मैनेजमेंट
कंपनी
लिमिटेड, भोपाल
द्वारा जाँच की
गई तथा जाँच प्रतिवेदन
में लाईन विस्तार
के कार्य एवं
उपयोग की गई
सामग्री की
गुणवत्ता
मानक स्तर की
पायी गई। उक्त
पत्र में
बालाघाट जिले
का उल्लेख नहीं
होने के
परिप्रेक्ष्य
में जिला
बालाघाट में
किसी स्थान
पर जाँच नहीं
की गई। उक्त
जाँच प्रतिवेदन
की प्रति
एम.पी. पॉवर
मैनेजमेंट
कंपनी द्वारा
माननीय प्रश्नकर्ता
विधायक महोदय
को भी पत्र
दिनांक 22.10.2019
द्वारा पृष्ठांकित
की गई। (ग) सौभाग्य
योजनांतर्गत
जिला बालाघाट
में प्रयुक्त
पी.सी.सी.
पोलों का
योजनांतर्गत
उपयोग करने से
पूर्व
पी.सी.सी.
पोलों की
गुणवत्ता
सुनिश्चित
करने हेतु
निर्माणकर्ता
के परिसर में
उपरोक्त
सामग्री की
जाँच म.प्र.
पूर्व
क्षेत्र
विद्युत
वितरण कंपनी
द्वारा
विभागीय स्तर
पर की गई है। अतः
इस संबंध में
कोई
कार्यवाही
किया जाना अपेक्षित
नहीं है। (घ) जिला
बालाघाट में
वर्ष 2017 से
प्रश्न
दिनांक तक सौभाग्य
और दीनदयाल
उपाध्याय
ग्राम ज्योति योजना
के अंतर्गत
किए गए
कार्यों से
संबंधित प्राप्त
शिकायतों एवं
जांचकर्ता
अधिकारी के
विवरण सहित
प्रश्नाधीन
चाही गई जानकारी
संलग्न
परिशिष्ट अनुसार है।
परिशिष्ट
- "अड़तालीस"
जे.सी.मिल कन्या महाविद्यालय ग्वालियर की शासनाधीन कार्यवाही
[उच्च शिक्षा]
14. ( क्र. 182 ) श्री बीरेन्द्र रघुवंशी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर स्थित जे.सी. मिल्स कन्या महाविद्यालय की संचालन समिति को माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के द्वारा भंग करने के उपरांत विभाग द्वारा विद्यार्थियों के हित को दृष्टिगत रखते हुए क्या कार्यवाही की जा रही है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या उक्त अशासकीय महाविद्यालय को पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जी द्वारा शासकीय घोषित किए जाने संबधी की गई पहल की दिशा में वर्तमान में कोई कार्यवाही प्रचलन में है? अथवा इस संबंध में क्या विचार किया जा रहा है? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार यदि उक्त महाविद्यालय को शासकीय महाविद्यालय घोषित किए जाने हेतु विभाग द्वारा कार्यवाही अथवा विचार किया जा रहा है तो कितने समय में उक्त प्रक्रिया पूर्ण कर उक्त महाविद्यालय को शासकीय महाविद्यालय घोषित कर दिया जावेगा?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जे.सी. मिल्स कन्या महाविद्यालय की संचालन समिति भंग होने के बाद उस महाविद्यालय का प्रबंधन प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखकर विभाग द्वारा 06 शिक्षकों एवं 03 कर्मचारियों के वेतन हेतु अनुदान महाविद्यालय के संचालन के लिए दिया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में राशि रू 86,84,000/- (रू छियासी लाख चौरासी हजार मात्र) का अनुदान महाविद्यालय को दिया गया है। (ख) वर्तमान में अशासकीय महाविद्यालयों को शासकीय घोषित किए जाने की कोई योजना नहीं है। (ग) उत्तरांश 'ख' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सड़क निर्माण के लिये प्राक्कलन तैयार
[लोक निर्माण]
15. ( क्र. 201 ) श्री
आशीष गोविंद
शर्मा : क्या
लोक निर्माण
मंत्री महोदय
यह बताने की कृपा
करेंगे कि (क) खातेगांव
विधान सभा
क्षेत्र के
अंतर्गत वर्ष 2017-18
एवं 2018-19 में
सड़क निर्माण
के कितने
प्राक्कलन
किन-किन
ग्रामों की
सड़क निर्माण
के लिये दिये
गये हैं?
(ख)
अगर
सड़क निर्माण
के प्राक्कलन
तैयार कर
विभाग के पास
भेजे गये है
तो खातेगांव
विधान सभा
क्षेत्र के
सड़क विहीन
ग्रामों में
सड़क निर्माण
का कार्य कब
से शुरू किया
जावेगा?
(ग)
प्रश्नांश
(क) के अनुसार
विधान सभा
क्षेत्र
खातेगांव की
ग्राम पंचायत
पानीगांव की
नर्सरी से
रामटेक बनीकराड़, मसनपुरा
होते हुए
ग्राम पंचायत
बावडीखेड़ा तक
की सड़क
निर्माण हेतु
प्राक्कलन
विभाग को किस
वर्ष में
प्राप्त हुए
है?
लोक
निर्माण
मंत्री ( श्री
सज्जन सिंह
वर्मा ) : (क)
जानकारी पुस्तकालय
में रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) सड़क
विहीन
ग्रामों की
जानकारी मध्यप्रदेश
ग्रामीण सड़क
विकास
प्राधिकरण से
सम्बंधित है।
महाप्रबंधक
म.प्र.
ग्रामीण सड़क
विकास प्राधिकरण
देवास से
प्राप्त उत्तर
पुस्तकालय में
रखे परिशिष्ट
के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ग) प्राक्कलन
अप्राप्त।
24 घंटे बिजली देने की योजना
[ऊर्जा]
16. ( क्र. 202 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा मजरा टोला के लिए 24 घंटे विद्युत प्रदाय की जाने की क्या योजना है? (ख) देवास जिले की खातेगांव विधान सभा क्षेत्र में एस.सी/एस.टी. बाहुल्य मजरे टोले में 24 घंटे वाली विद्युत प्रदाय क्यों नहीं की जा रही है? (ग) जिन मजरे टोलों में 24 घंटे वाली बिजली नहीं दी जा रही है तो क्या विभाग ने ऐसे मजरे टोलों को चिन्हित कर प्राक्कलन बनाया गया है? (घ) खातेगांव विधान सभा क्षेत्र के ग्राम मवासिया, नबलगांव, खेरी, मुहादा, विक्रमपुर, औंकारा इत्यादि क्षेत्रों की मजरे टोले को चिन्हित कर प्राक्कलन बनवाया गया है अथवा नहीं बतावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) 11वीं एवं 12वीं पंचवर्षीय योजना में केन्द्र शासन द्वारा स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना एवं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनान्तर्गत अविद्युतीकृत ग्रामों/मजरों/टोलों के विद्युतीकरण एवं विद्युतीकृत ग्रामों/मजरों/टोलों के सघन विद्युतीकरण के कार्य किये गये। केन्द्र शासन की सौभाग्य योजनान्तर्गत उक्त योजनाओं में निर्मित विद्युत अद्योसंरचना तथा लास्ट माईल कनेक्टिविटी/प्रणाली सुदृढ़ीकरण का कार्य करते हुए योजना के प्रावधानों के अनुसार शत-प्रतिशत घरों को विद्युतीकृत किया गया। उक्तानुसार विद्युतीकृत क्षेत्रों में कृषि फीडरों के माध्यम से 10 घंटे प्रतिदिन तथा गैर-कृषि फीडरों के माध्यम से 24 घंटे प्रतिदिन विद्युत प्रदाय का प्रावधान किया गया। वर्तमान में भी उक्तानुसार विद्युतीकृत क्षेत्रों में विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराया जा रहा है। (ख) देवास जिले के खातेगांव विधान सभा क्षेत्र में एस.सी/एस.टी. बाहुल्य मजरे/टोले जो कि राजस्व ग्रामों के समीप स्थित हैं एवं जिनमें 24 घंटे विद्यत प्रदाय करने हेतु विद्युत अद्योसंरचना उपलब्ध है, ऐसे मजरे/टोलों को अपरिहार्य कारणों से हुए आकस्मिक अवरोधों को छोड़कर औसतन 24 घंटे प्रतिदिन विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। तथापि ऐसे मजरे/टोले जो कि राजस्व ग्रामों से दूरस्थ स्थित हैं एवं जिनमें 24 घंटे विद्युत प्रदाय करने हेतु विद्युत अद्योसंरचना उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें समीपस्थ उपलब्ध विद्युत अद्योसंरचना (सिंचाई श्रेणी के फीडर) से संयोजित कर आकस्मिक अवरोधों को छोड़कर औसतन 10 घंटे प्रतिदिन विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ग) ऐसे मजरे/टोले जिनमें 24 घंटे विद्युत प्रदाय उपलब्ध नहीं, उन्हें चिन्हित कर सर्वे एवं प्राक्कलन तैयार करने का कार्य प्रक्रियाधीन है। (घ) खातेगांव विधान सभा क्षेत्र के प्रश्नाधीन उल्लेखित ग्रामों यथा-मवासी (मवासिया नहीं), नबलगांव, खेडी (खेरी नहीं), मुहाडा (मुहादा नहीं), विक्रमपुर एवं औंकारा के ऐसे मजरे/टोले जिनको वर्तमान में कृषि फीडर से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है, को चिन्हित कर 24 घंटे विद्युत प्रदाय करने हेतु सर्वे एवं प्राक्कलन बनाये जाने का कार्य प्रक्रियाधीन है। उल्लेखनीय है कि ग्राम विक्रमपुर एवं औंकारा के आसपास कोई बसाहट नहीं है एवं जो उपभोक्ता इन ग्रामों से लगे खेतों पर मकान बनाकर रहते हैं, उन्हें नियमानुसार 10 घंटे बिजली दी जा रही है।
विभिन्न खेलों के लिये सामग्री प्रदाय
[खेल और युवा कल्याण]
17. ( क्र. 203 ) श्री आशीष गोविंद शर्मा : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. सरकार द्वारा विभिन्न खेलों में खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिये प्रत्येक जिले में वर्ष 2019 में कितने बजट का आवंटन किया गया प्रत्येक जिले को आवंटित राशि एवं क्या-क्या सामग्री प्रदान की गई? (ख) खेल विभाग द्वारा देवास जिले को कौन-कौन से खेलों के लिये वर्ष 2019 से प्रश्नांश दिनांक तक सामग्री प्रदान की गई जैसे कबड्डी, फुटबाल, व्हालिबॉल, क्रिकेट किट में क्या-क्या सामान दिया गया। (ग) क्या विभाग द्वारा तहसील स्तर पर अच्छा खेलने वाली टीमों को सामग्री प्रदान की जा सकती है यदि हां, तो क्या प्रक्रिया है। (घ) क्या देवास जिले की कन्नौद-खातेगांव तहसील में कबड्डी, कुश्ती, मलखम्ब एवं तीरदांजी हेतु खिलाडि़यों को आवश्यक सामग्री प्रदान कर सकेंगे।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र (अ) एवं (ब) अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) विभाग के खेल प्रशिक्षण केन्द्रों को खेल सामग्री प्रदान करने की योजना के तहत तहसील स्तर पर भी खेल सामग्री प्रदान की जाती है। इस हेतु जिला खेल और युवा कल्याण अधिकारी को बजट आवंटित किया जाता है। (घ) ऐसा कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं है।
मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना
[श्रम]
18. ( क्र. 250 ) श्री भारत सिंह कुशवाह : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल योजना के अंतर्गत वर्ष 2018 में जिला ग्वालियर में कुल कितने हितग्राहियों का पंजीयन किया गया व कितने हितग्राहियों को संबल कार्ड वितरित किये गये। विधान सभा क्षेत्रवार जानकारी दें। (ख) वर्ष 2019 में सरकार के नये सर्वे अनुसार जिला ग्वालियर में विधानसभा क्षेत्रवार कितने पात्र व अपात्र पाये गये हैं? विधान सभा क्षेत्रवार संख्या बतावें। (ग) वर्ष 2019 में शासन/प्रशासन द्वारा किस एजेंसी के माध्यम से हितग्राहियों का सर्वे कराया गया व 2018 में किस एजेंसी के माध्यम से जनकल्याण संबल योजना का सर्वे कराया गया था? एजेंसी अथवा विभाग का नाम बतावें। (घ) क्या सर्वे हेतु विभागवार कर्मचारियों/अधिकारियों को लगया गया था? यदि हां, तो उनके पदनाम सहित जानकारी देवें।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) ग्वालियर जिले में 435824 श्रमिकों का पंजीयन किया गया तथा 337123 हितग्राहियों को संबल कार्ड वितरित किये गये। विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) ग्रामीण क्षेत्रों में सचिव ग्राम पंचायत एवं नगरीय निकायों में वार्ड प्रभारी के माध्यम से भौतिक सत्यापन कराया गया। वर्ष 2018 में भी इन्हीं के माध्यम से सर्वे की कार्यवाही की गई है। (घ) जी नहीं।
टेबिल टेंडरों से व्यय राशि एवं कार्य
[जल संसाधन]
19. ( क्र. 267 ) श्री प्रदीप पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जल संसाधन विभाग के रीवा संभाग में 01.04.2017 से प्रश्नतिथि तक बिना निविदा निकाले 2 लाख रूपयों से कम राशि के वर्क ऑर्डर या ए.आर. वर्क किस-किस नाम की फर्म/व्यक्ति/अन्य को जारी किये गये? जारी सभी कार्यादेशों की एक-एक प्रति उपलब्ध करायें। माहवार/वर्षवार/कार्यादेशवार/ कार्यवार, राशिवार जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कार्यादेशों पर किस-किस स्थान पर कब व क्या-क्या कार्य कितनी-कितनी राशि के किस-किस नाम के द्वारा किये गये? सूची कार्यवार/ माहवार/वर्षवार/स्थानवार/राशिवार दें। उक्त कार्यों का गुणवत्ता एवं उपयोगिता प्रमाण-पत्र किस नाम/पदनाम के द्वारा किये गये? प्रत्येक कार्यवार उपयोगिता एवं गुणवत्ता प्रमाण-पत्रों की एक प्रति उपलब्ध करायें। (ग) प्रश्नांश (क) में वर्णित समयानुसार किस-किस नाम/फर्म/संस्था/अन्य को कुल कितना-कितना भुगतान कब-कब किस माध्यम से किया गया? राशिवार/कार्यवार भुगतान प्राप्तकर्तावार जानकारी दें। (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित समयानुसार कुल कितनी राशि मेंटेनेन्स के मद में 01.04.2017 से प्रश्नतिथि तक आई? उस राशि से किस-किस स्थान पर, कब व क्या कार्य किसके द्वारा (नाम दें) कर, कितना भुगतान कब-किस माध्यम से किया, किस-किस को दिया गया? सूची दें। उक्त कार्य का उपयोगिता एवं गुणवत्ता प्रमाण-पत्र किस नाम एवं पदनाम के द्वारा जारी किया गया? सभी के कार्यों के उपयोगिता एवं गुणवत्ता प्रमाण-पत्रों की एक प्रति दें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) प्रश्नाधीन अवधि में बिना निविदा निकाले रू.02.00 लाख से कम राशि के वर्क ऑर्डर संबंधी विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''1'' अनुसार है। जारी कार्यादेशों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''एक'' (पृ.-1से 8) अनुसार है। (ख) रू.02.00 से कम राशि के वर्कऑर्डर के कार्यों के लिए गुणवत्ता एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है अपितु कार्य की उपयोगिता एवं गुणवत्ता संतोषजनक पाए जाने के पश्चात ही संबंधित अधिकारी द्वारा भुगतान किया जाना प्रतिवेदित है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''1'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''1'' अनुसार है। (घ) मेंटेनेंस मद में प्रश्नाधीन अवधि में कुल राशि रू.1,37,93,929/- प्राप्त हुई। जो कि संभागांतर्गत जल उपभोक्ता संथाओं को रखरखाव कार्यों हेतु प्रदान की गई। मेंटेनेंस मद में प्रश्नाधीन अवधि में कराए गए कार्य, एजेंसी का नाम भुगतान की राशि संबंधी प्रश्नांश में वांछित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''2 (ए1, ए2, ए3)'' अनुसार है। रखरखाव मद में जल उपभोक्ता संथाओं द्वारा कराए गये कार्यों के लिए गुणवत्ता एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है अपितु कार्य की उपयोगिता एवं गुणवत्ता संतोषजनक पाए जाने के पश्चात ही संथा द्वारा भुगतान किया जाना प्रतिवेदित है।
मेंटेनेन्स वर्कों में व्यय हुई राशि
[लोक निर्माण]
20. ( क्र. 268 ) श्री प्रदीप पटेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक निर्माण विभाग के रीवा एवं सतना के बी. एण्ड आर. संभागों में 01.04.2017 से प्रश्नतिथि तक बिना निविदा निकाले 2 लाख रूपयों से कम राशि के वर्क ऑर्डर या ए.आर. वर्क किस-किस नाम की फर्म/व्यक्ति/अन्य को जारी किये गये? जारी सभी कार्यादेशों की एक-एक प्रति उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कार्यादेशों पर किस-किस स्थान पर क्या-क्या कार्य कितनी-कितनी राशि के किनके द्वारा किये गये? उक्त कार्यों का गुणवत्ता एवं उपयोगिता प्रमाण-पत्र किस नाम/पदनाम के द्वारा किये गये? (ग) प्रश्नांश (क) में वर्णित समयानुसार किस-किस नाम/फर्म/ संस्था/अन्य को कुल कितना-कितना भुगतान किया गया? राशिवार भुगतान प्राप्तकर्तावार जानकारी दें। (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित समयानुसार कुल कितनी राशि मेंटेनेन्स के मद में 01.04.2017 से प्रश्नतिथि तक आई? उस राशि से किस-किस स्थान पर क्या कार्य किसके द्वारा (नाम दें) कर, कितना भुगतान किया, सूची दें। उक्त कार्य का उपयोगिता एवं गुणवत्ता प्रमाण-पत्र किस नाम एवं पदनाम के द्वारा जारी किया गया?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) लोक निर्माण विभाग (भ/स) संभाग रीवा एवं सतना के बी.एण्ड आर. संभागों में दिनांक 01.04.2017 से प्रश्न तिथि तक बिना निविदा निकाले रूपये 2 लाख से कम राशि के वर्क आर्डर किसी ने जारी नहीं किये है। अत: शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) से (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
जनभागीदारी मद से कराये गये कार्यों में अनियमितता
[उच्च शिक्षा]
21. ( क्र. 295 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2018-19 में उज्जैन संभाग के किन-किन महाविद्यालयों में खेल गतिविधियों को प्रोत्साहन देने हेतु जनभागीदारी मद से टेनिस ग्राउण्ड/बास्केटबॉल कोर्ट आदि का निर्माण कराया गया है? जिलेवार जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) में कराये गये कार्य (टेनिस ग्राउण्ड/बास्केटबॉल कोर्ट) क्या प्रश्नाधीन अवधि से पूर्व में ही अस्तित्व में थे? यदि हाँ, तो शासकीय अग्रणीय महाविद्यालय, नीमच में टेनिस ग्राउण्ड के ऊपर बास्केटबॉल कोर्ट बनाये जाने का क्या औचित्य है? बतायें। क्या कराये गये कार्य से टेनिस और बास्केटबॉल खिलाड़ियों को इसका एक साथ लाभ मिल सकेगा? (ग) प्रश्नांश (ख) में कराये गये कार्य के संबंध में समिति के अनुमोदन, प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति, समय-समय पर किये गये भुगतान के पूर्व शासकीय एजेंसी से कराये गये मूल्याकंन की प्रति उपलब्ध कराई जावे। (घ) क्या इस संबंध में कोई शिकायत शासन को प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो जॉंच निष्कर्षों से अवगत करायें।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) उज्जैन संभाग के स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नीमच एवं शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम में जनभागीदारी मद से बास्केटबॉल कोर्ट का निर्माण करवाया गया। (ख) जी हाँ। टेनिस ग्राउण्ड अनुमानित तौर पर वर्ष 1966-67 का बना हुआ था, मरम्मत योग्य एवं वर्ष 1991-92 से अनुपयोगी था। अत: आवश्यकतानुसार जनभागीदारी समिति मद से बास्केटबॉल कोर्ट का निर्माण करवाया गया। (ग) जनभागीदारी नियमों के अंतर्गत बास्केटबॉल कोर्ट के निर्माण पर स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नीमच द्वारा राशि रूपये 3,98,233.00 एवं शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम द्वारा राशि रूपये 16,24,799.00 व्यय की गई। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (घ) स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नीमच से संबंधित शिकायत श्री परमजीत फौजी द्वारा की गई है, जाँच जारी होने से शेष प्रश्न उपस्थिति नहीं होता।
ग्रामीण क्षेत्र में विद्युतीकरण कार्य
[ऊर्जा]
22. ( क्र. 344 ) श्री बृजेन्द्र सिंह यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अशोकनगर जिले की मुंगावली विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत 01 जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक कितने ग्रामों/मजरों एवं टोलों का विद्युतीकरण कार्य किया गया है? किस-किस योजनांतर्गत कौन-कौन से ग्रामों में एवं कौन-कौन सी एजेंसी द्वारा विद्युतीकरण का कार्य किया गया है? (ख) प्रश्न (क) अनुसार कौन-कौन से ग्रामों में खराब विद्युत ट्रांसफार्मर बदले गये एवं किस-किस ग्राम में किस-किस योजना के तहत नवीन विद्युत ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये? ग्रामवार, स्थानवार जानकारी देवें। (ग) मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा वर्तमान में वित्तीय वर्ष में कितने राशि के कार्य मुंगावली विधान सभा क्षेत्र में किये गये वर्तमान में कितने ग्राम, मजरा एवं टोला विद्युतविहीन है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) अशोकनगर जिले के मुंगावली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 1 जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक 11 मजरों/बस्तियों में विद्युत अधोसंरचना विस्तार का कार्य किया गया है, इन समस्त 11 मजरों/बस्तियों में सघन विद्युतीकरण का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनांतर्गत टर्न-की ठेकेदार मेसर्स पंकज फुलवानी, स्पार्क इलेक्ट्रिकल तथा मेसर्स आर.एस. चौहान द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। उल्लेखनीय है कि इन ठेकेदारों द्वारा 11 के.व्ही. मल्हारगढ़ फीडर से संबद्ध समस्त राजस्व ग्रामों/मजरों/टोलों/बसाहटों के विद्युतीकरण के कार्य किये गये हैं, जिनमें मुंगावली विधानसभा क्षेत्र के उक्त 11 मजरे/बसाहटें भी सम्मिलित हैं। मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में इन 11 मजरों/बसाहटों में व्यय हुई राशि की पृथक-पृथक जानकारी संधारित नहीं की जाती तथापि सम्पूर्ण 11 के.व्ही. मल्हारगढ़ फीडर से संबद्ध समस्त कार्यों पर कुल रुपये 123.76 लाख की राशि व्यय हुई है। उक्त 11 मजरों/बसाहटों की ग्रामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘अ’ अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार स्थापित नवीन विद्युत ट्रांसफार्मर फेल नहीं हुए हैं, अतः प्रश्न नहीं उठता। मुंगावली विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत सौभाग्य योजना में 123 तथा मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना में 166 वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए हैं, जिनकी ग्रामवार/स्थानवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ब-1 एवं ब-2 अनुसार है। (ग) वित्तीय वर्ष 2019-20 में मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में प्रणाली सुदृढ़ीकरण योजनांतर्गत 11 के.व्ही. सिंघाडा फीडर एवं बहादुरपुर फीडर के इंटरकनेक्शन तथा बंगला चौराहा स्थित 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र पर अतिरिक्त 3.15 एम.व्ही.ए. क्षमता के पावर ट्रांसफार्मर की स्थापना एवं संबद्ध 11 के.व्ही. लाईन विस्तार के कार्य हेतु रू. 93.35 लाख की राशि आवंटित है, जिसमें से 30 नवम्बर 2019 तक राशि रू. 58.12 लाख व्यय हो चुकी है। इसके अतिरिक्त अशोकनगर जिले हेतु अप्रैल 2017 में स्वीकृत दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनांतर्गत मुंगावली विधानसभा क्षेत्र के 11 के.व्ही.मल्हारगढ फीडर का कार्य वित्तीय वर्ष 2019-20 में पूर्ण हुआ है जिसमें मुंगावली विधानसभा क्षेत्र के 7 राजस्व ग्रामों के 11 मजरों/बस्तियों में विद्युत अधोसंरचना का कार्य पूर्ण किया गया है तथा उक्त फीडर पर किये गये कार्य की लागत रुपये 123.76 लाख है। मुंगावली विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में कोई भी राजस्व ग्राम एवं चिन्हित मजरा/टोला विद्युत विहीन नहीं है। तथापि मुख्य ग्रामों से दूर खेतों में बना लिये गये आवासों की 166 बसाहटें मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में विद्युत विहीन है।
निर्माण कार्य की जानकारी
[जल संसाधन]
23. ( क्र. 345 ) श्री बृजेन्द्र सिंह यादव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अशोकनगर जिले की मुंगावली विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन से निर्माण कार्य स्वीकृत किये गये है? कौन-कौन से निर्माण कार्य किस-किस दिनांक को प्रारंभ हुये किस दिनांक को पूर्ण किये गये हैं? कौन-कौन सी एजेंसी को कितनी राशि का भुगतान किया गया है? कौन-कौन से निर्माण कार्य वर्तमान में निर्माणाधीन हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कौन-कौन से निर्माण कार्य की समयावधि में वृद्धि की गई है? क्या समयावधि बढ़ाने से निर्माण कार्य में अतिरिक्त राशि स्वीकृत करने से शासन को आर्थिक हानि हुई है? यदि हुई है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी पर क्या कार्यवाही की गई है? (ग) मुंगावली विधान सभा क्षेत्रांतर्गत स्वीकृत निर्माण कार्य की जानकारी ग्रामवार, राशिवार देवें। वर्तमान में कौन-कौन से निर्माण कार्य प्रस्तावित है? निर्माण कार्य से लाभान्वित होने वाले ग्रामों की जानकारी देवें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ग) स्वीकृत निर्माण कार्य की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''1'' अनुसार है। प्रस्तावित निर्माण कार्य की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''2'' अनुसार है। (ख) गरेठी वियर कम-काजवे में समयावधि में वृद्धि की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। जी नहीं, गरेठी वियर कम-काजवे के निर्माण कार्य हेतु टर्न-की पद्धति पर आमंत्रित निविदा में मूल्यवृद्धि का प्रावधान नहीं है अत: समयवृद्धि दिए जाने के उपरांत भी निर्माण कार्य के लिए अतिरिक्त राशि के भुगतान का प्रावधान न होने के कारण शासन को आर्थित हानि नहीं होगी। अत: शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
पायरोलेसिस यूनिट द्वारा फैलाया जा रहा जल, वायु प्रदूषण
[पर्यावरण]
24. ( क्र. 355 ) श्री दिलीप सिंह गुर्जर : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या टायर एवं रबर स्क्रेप पायरोलेसिस यूनिट भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के नोटिफिकेशन अनुसार अत्याधिक खतरनाक श्रेणी के उद्योग की श्रेणी में दर्ज है? यदि हाँ, तो विगत 5 वर्षों में म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा उज्जैन जिले में स्थित राकड्यूड क्लीनटेक प्रा.लि. ग्राम हताई, बालाजी इण्डस्ट्रीज ग्राम बेडावन्या तथा श्री जी बायोफ्यूल इण्ड. प्रा.लि. ग्राम सिपाहेडा का कब-कब निरीक्षण किया एवं निरीक्षण में प्राप्त अनियमितताओं एवं उद्योगों द्वारा फैलाये जा रहे जल, वायु, भूमि प्रदूषण के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गयी? सम्पूर्ण विवरण पृथक-पृथक दें। (ख) नागदा तहसील के ग्राम हताई स्थित राकड्यूड क्लीनटेक के विरूद्ध म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से अनियमितताओं एवं प्रदूषण फैलाने की रिपोर्ट के बावजूद मंडल द्वारा कार्यवाही नहीं करने का क्या कारण है? (ग) गुजरात एवं राजस्थान सरकार द्वारा इस प्रकार के उद्योगों को उनके राज्यों में स्थापित करने पर प्रतिबंधित करने से उद्योगपति ये अत्याधिक खतरनाक उद्योगों जिसमें कार्बन के कणों का उत्सर्जन होता है व जो कैंसर का कारण है को म.प्र. में धड़ल्ले से स्थापित कर म.प्र. के नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर रहे है? यदि हाँ, तो शासन उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही कर रहा हैं?
लोक
निर्माण
मंत्री ( श्री
सज्जन सिंह
वर्मा ) : (क)
जी
नहीं। अतः शेष
प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता है। (ख) मेसर्स
रॉकड्यूड
ग्राम हताई
तहसील नागदा
जिला उज्जैन के
विरूद्ध की गई
कार्यवाही की जानकारी
संलग्न परिशिष्ट
अनुसार है। (ग) जी नहीं। अतः
शेष प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता है।
परिशिष्ट
- "पचास"
ताप विद्युत संयंत्रों द्वारा उत्सर्जन के मानकों का पालन न किया जाना
[पर्यावरण]
25. ( क्र. 356 ) श्री दिलीप सिंह गुर्जर : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भारत सरकार के पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन क्र. 2620 दिनांक 7 दिसंबर 2015 जो कि ताप विद्युत संयंत्र की चिमनी से निकलने वाले उत्सर्जन के मानक से संबंधित है के परिपालन में मध्यप्रदेश शासन व म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गयी है? (ख) प्रदेश में स्थित ताप विद्युत संयंत्र में से कितने ताप विद्युत संयंत्र द्वारा उत्सर्जन के मानकों का पालन किया जा रहा है? कितनों के द्वारा नहीं किया जा रहा है? नाम, स्थान सहित पृथक-पृथक सम्पूर्ण विवरण दें। (ग) मानकों के पालन न करने की स्थिति में म.प्र. प्रदूषण मण्डल द्वारा किन-किन उद्योगों के विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की गई? नाम सहित विवरण दें और भविष्य में इन नियमों के पालन हेतु म.प्र. प्रदूषण मण्डल की क्या योजना है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन क्र. 2620 {का.आ. 3305 (अ) } दिनांक 07/12/2015 में ताप विद्युत संयंत्रों की चिमनी से निकलने वाले उत्सर्जन मानकों के परिपालन की समय सीमा अधिसूचना से दो वर्ष निर्धारित की गयी थी, जिस बाबत् संबंधित ताप विद्युत संयंत्रों की सम्मति की शर्तों में समावेश किया गया। कालांतर में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण (सरंक्षण) अधिनियम की धारा-5 के अंतर्गत ताप विद्युत संयंत्रों को निर्देश जारी किये गये तथा पार्टीकुलेट मैटर (पी.एम.), सल्फर डाइ आक्साइड तथा आक्साइड ऑफ नाइट्रोजन के उत्सर्जन मानकों के पालन की समय सीमा को संशोधित किया गया है, ताप विद्युत संयंत्रवार संशोधित समय सीमा की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। दिनांक 01/01/2017 के पश्चात् स्थापित ताप विद्युत संयंत्रों के उत्सर्जनों की मानक सीमा के परिपालन की समय-सीमा के संबंध में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मार्गदर्शन चाहा गया है। (ख) मेसर्स श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह, डोंगलिया, जिला खण्डवा तथा मेसर्स सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारणी द्वारा पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जन का पालन होना नहीं पाया गया। (ग) मेसर्स श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह डोंगलिया, जिला खण्डवा के विरूद्ध परिवेशीय वायु गुणवत्ता के मानकों का पालन ना पाये जाने पर सी.जे.एम. न्यायालय, खण्डवा में दिनांक 16/07/2016 को वाद दायर किया गया है। केन्द्र शासन द्वारा नोटिफिकेशन दिनांक 07/12/2015 में उल्लेखित उत्सर्जनों के मानकों का ताप विद्युत गृह संशोधित समय-सीमा में पालन करें, इस हेतु मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रयासरत है।
प्रयोगशाला तकनीशियन के पद पर प्रायोगिक विषय की अनिवार्यता
[उच्च शिक्षा]
26. ( क्र. 363 ) श्री बीरेन्द्र रघुवंशी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासकीय महाविद्यालयों में प्रायोगिक कार्य हेतु शिक्षक संवर्ग अंतर्गत प्रयोगशाला तकनीशियन नाम से पद निर्मित किए गए हैं, जिनमें नियुक्ति हेतु अभ्यर्थी को प्रायोगिक विषय में स्नातक उपाधी उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता है? यदि हां तो प्रायोगिक विषय अनुसार कुल स्वीकृत, रिक्त व भरे पदों की जानकारी उपलब्ध करावें? (ख) क्या महाविद्यालयों में पदस्थापना या स्थानांतरण के दौरान प्रयोगशाला तकनीशियन को विभाग अथवा शासन द्वारा जारी किए जाने वाले आदेशों में पद के साथ प्रायोगिक विषय का उल्लेख किया जाता है? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में यदि नहीं, तो नियुक्ति के दौरान प्रायोगिक विषय का क्या औचित्य है, क्या बिना प्रायोगिक विषय उत्तीर्ण किसी अभ्यर्थी को उक्त पद की भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है? (घ) क्या शासन द्वारा प्रयोगशाला तकनीशियन की नियुक्ति के दौरान संबंधित भर्ती नियमों में स्नातक स्तर पर प्रायोगिक विषय की अनिवार्यता को समाप्त किया जा रहा है? यदि हां तो कब तक?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ, प्रयोगशाला तकनीशियन के कुल स्वीकृत पद 1231, रिक्त पद 451 तथा भरे पद 780 है। (ख) जी नहीं। वर्ष 2016 में प्रयोगशाला तकनीशियनों की नियुक्ति पर पदस्थापना करते समय विषय का उल्लेख किया गया है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) उत्तरांश 'ख' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है, जी नहीं। (घ) ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
नया सवेरा योजना में हुये सर्वे कार्य
[श्रम]
27. ( क्र. 367 ) डॉ. मोहन यादव : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन जिले व उज्जैन दक्षिण विधानसभा में जुलाई 2019 माह नया सवेरा योजना में हुये सर्वे कार्य में कितने हितग्राही पात्र/कितने हितग्राही अपात्र पाये गये गये? वार्डवार व ग्रामवार जानकारी प्रदान करें तथा नया सवेरा योजना की संपूर्ण जानकारी की प्रतिलिपि उपलब्ध करावें? (ख) नया सवेरा योजना में पात्र/अपात्र करने की क्या प्रक्रिया है दोनों की अलग-अलग जानकारी प्रदान करें? (ग) सर्वेकर्ता द्वारा सर्वे किये बिना ही अधिकतर पात्र हितग्राहियों को अपात्र कर दिया गया है क्या भविष्य में इन हितग्राहियों को संबंधित योजना का लाभ दिया जायेगा? (घ) क्या नया सवेरा योजना का सर्वे सर्वेकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर किया गया है यदि हाँ, तो एक बी.पी.एल. परिवार में पंजीकृत 3 सदस्य में दो को पात्र और एक को अपात्र किया गया है इस त्रृटि के लिए कौन दोषी है? क्या इस त्रृटि के दोषियों के प्रति कोई कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) उज्जैन जिले में सर्वे के पश्चात 381073 श्रमिक पात्र एवं 159187 श्रमिक अपात्र चिन्हित हुए हैं। इसी प्रकार उज्जैन दक्षिण विधानसभा में 31569 श्रमिक पात्र एवं 19901 श्रमिक अपात्र चिन्हांकित हुए हैं। वार्डवार ग्रामवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 से 14 अनुसार है। संबंल के अन्तर्गत श्रम विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) संबंल के अन्तर्गत पात्रता/ अपात्रता के कारण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी नहीं।
कार्यालयों में ऑडिट आपत्तियों का निराकरण
[लोक निर्माण]
28. ( क्र. 381 ) डॉ. मोहन यादव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 1 जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक लोक निर्माण विभाग के उज्जैन जिले के सम्भागीय कार्यालय, जिला कार्यालय एवं समस्त अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय में किए गए समस्त ऑडिट में ऑडिटर द्वारा ली गई आपत्ति की प्रति उपलब्ध करावे? कितनी ऑडिट आपत्तियों का निराकरण किया गया है? कितनी ऑडिट आपत्तियों का निराकरण होना शेष है? (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी अनुसार जिन आपत्तियों का निराकरण नहीं किया गया है इसके लिए कौन अधिकारी दोषी हैं? दोषीयों के विरूद्ध क्या कार्रवाई की गई?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) लंबित आपत्तियों के निराकरण हेतु सतत प्रयास किये जा रहे है। लंबित आपत्तियों हेतु किसी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से दोषी नहीं ठहराया गया है। अत: कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
मेंटीनेंस व रख-रखाब की राशि का उपयोग
[ऊर्जा]
29. ( क्र. 391 ) श्री ठाकुर दास नागवंशी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या होशंगाबाद जिले के विधानसभा क्षेत्र पिपरिया अन्तर्गत वर्ष 2019-20 में शासन द्वारा 11 के.व्ही.ए. 33 एल.टी. लाईन तथा सव स्टेशन मेंटीनेंस एवं बिल्डिंग मरम्मत हेतु राशि प्रदान की गयी हैं? (ख) यदि हाँ, तो शासन द्वारा 11 के.व्ही.ए. 33 एल.टी. लाईन तथा सवस्टेशन मेंटीनेंस एवं बिल्डिंग मरम्मत हेतु कितनी-कितनी राशि प्राप्त हुयी हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार प्राप्त राशि से कौन-कौन से कार्यों का मेंटीनेंस कहाँ-कहाँ किया गया है एवं कौन-कौन से कार्यों का मेंटीनेंस किया जाना शेष है। प्राप्त राशि के विरूद्ध कार्यों पर किये गये व्यय के विवरण के साथ कार्य की भौतिक स्थिति आदि की सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की जावे।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा वर्ष 2019-20 में होशंगाबाद जिले के विधानसभा क्षेत्र पिपरिया के अंतर्गत 33 के.व्ही., 11 के.व्ही. एवं एल.टी. लाईनों तथा ट्रांसफार्मर मेन्टेनेंस हेतु राशि स्वीकृत की गई है किन्तु बिल्डिंग मरम्मत हेतु प्रश्नाधीन अवधि में कोई राशि स्वीकृत नहीं की गई है। (ख) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा वर्ष 2019-20 में एल.टी. लाईनों तथा ट्रांसफार्मर मेन्टेनेंस हेतु रूपये 10 लाख तथा 33 के.व्ही. लाईनों, 11 के.व्ही. लाईनों एवं अन्य संधारण कार्यों हेतु रूपये 4 लाख की राशि स्वीकृत की गई है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में उपलब्ध कराई गई राशि से विभिन्न ग्रामों के भिन्न-भिन्न लोकेशनों पर वितरण ट्रांसफार्मरों, एल.टी., 11 के.व्ही. एवं 33 के.व्ही. लाईनों तथा विद्युत उपकेन्द्रों के मेन्टेनेंस सहित अन्य विद्युत अद्योसंरचना के संधारण के कार्य किये गये हैं। उक्त राशि के विरूद्ध पूर्ण किये गये एवं प्रगतिरत कार्यों की सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है।
बिना मीटर रीडिंग के एवरेज बिल प्रदाय
[ऊर्जा]
30. ( क्र. 417 ) श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश में घरेलू एवं किसानों को कितने-कितने घण्टे बिजली प्रदाय किये जाने का प्रावधान है? शासन के आदेश की छायाप्रति उपलब्ध करायें? (ख) मध्यप्रदेश में घरेलू बिजली के बिलों को प्रदाय करने एवं वसूली हेतु किस प्राइवेट एजेंसी को अधिकृत किया गया है, क्या जिला दमोह में कार्यरत एजेंसी द्वारा बिना मीटर रीडिंग के एवरेज बिल प्रदाय किये जा रहे है, जिससे उपभोक्ता परेशान है। क्या इसकी जाँच करायी जाकर संबंधित एजेंसी पर कार्यवाही की जावेगी।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) वर्तमान में प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे एवं किसानों को औसतन प्रतिदिन 10 घंटे विद्युत प्रदाय किये जाने का प्रावधान है। तत्संबंध में दिनांक 4 दिसम्बर 2014 को दिये गये निर्देशों की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, भोपाल के अंतर्गत घरेलू बिजली के बिलों को प्रदाय करने का कार्य भोपाल शहर वृत्त में मेसर्स एनालॉजिक्स टेक इंडिया लिमिटेड हैदराबाद द्वारा तथा भोपाल (संचा./संधा.), रायसेन (संचा./संधा.) एवं ग्वालियर (शहर) वृत्तों में मेसर्स फीडबैक इन्फॉ. प्राइवेट लिमिटेड गुड़गांव के द्वारा किया जा रहा है। अन्य जगहों पर बाह्य एजेंसी के माध्यम से रीडिंग करवाकर बिल प्रदाय किया जा रहा है। विद्युत बिलों की वसूली हेतु किसी भी प्राइवेट एजेंसी को अधिकृत नहीं किया गया है। म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर के अंतर्गत वर्तमान में इन्दौर क्षेत्र के बुरहानपुर वृत्त एवं उज्जैन क्षेत्र के शाजापुर वृत्त में घरेलू मीटर रीडिंग, बिल प्रिंटिंग और बिल वितरण का कार्य मेसर्स फीडबैक इन्फॉ. प्राइवेट लिमिटेड गुड़गांव द्वारा सम्पादित किया जा रहा है। विद्युत बिलों की वसूली हेतु किसी भी प्राइवेट एजेंसी को अधिकृत नहीं किया गया है। म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के अंतर्गत जबलपुर शहर एवं दमोह (संचा/संधा) वृत्तों में मीटर रीडिंग एवं स्पॉट बिलिंग के साथ ही बिल वितरण का कार्य करने हेतु मेसर्स फीडबैक इन्फ्राटेल लिमिटेड गुड़गांव को अधिकृत किया गया है। विद्युत बिलों की वसूली का कार्य विभागीय कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है इस हेतु किसी भी प्राइवेट एजेन्सी को अधिकृत नहीं किया गया है। म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अंतर्गत दमोह जिले में मीटर युक्त कनेक्शनों में फोटो मीटर रीडिंग की जाकर मीटर में दर्ज खपत के अनुसार बिल दिये जा रहे हैं। जिन उपभोक्ताओं के परिसर में मीटर नहीं लगे हैं, उन्हें मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी दर आदेश में निहित प्रावधानों के अनुसार बिल दिये जा रहे हैं। मीटरीकृत उपभोक्ताओं के संदर्भ में मीटर बंद/खराब होने की स्थिति में मध्य प्रदेश विद्युत प्रदाय संहिता 2013 की कंडिका 8.35 (ब) के प्रावधान अनुसार औसत बिलिंग की जाती है। उपभोक्ताओं की बिलिंग संबंधी शिकायत प्राप्त होने पर संबंधित अधिकारियों द्वारा तत्काल निराकरण किया जा रहा है। साथ ही गलत बिजली बिलों के निराकरण हेतु वितरण केन्द्र स्तर पर समिति का गठन किया गया है जिसमें अशासकीय सदस्य भी शामिल हैं। इस समिति द्वारा बिजली के बिलों संबंधी शिकायतों का निराकरण किया जा रहा है। उक्त परिप्रेक्ष्य में प्रकरण में किसी भी जाँच एवं अन्य किसी कार्यवाही की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती।
ठेके पर रखे गये फील्ड इंजीनियरों की जानकारी
[लोक निर्माण]
31. ( क्र. 436 ) श्री मनोज चावला : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला अनूपपुर में लोक निर्माण विभाग द्वारा पी.आई.यू. के अंतर्गत कन्सलटेंसी इस्कान इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी को टेण्डर/ठेका पर कार्य कराने हेतु कंपनी के माध्यम से फील्ड इंजीनियरों की भर्ती की गयी है। (ख) प्रश्नांश (क) यदि हां, तो कितने फील्ड इंजीनियरों को रखा गया है, नाम पते सहित जानकारी देवें तथा उनको कितना मासिक वेतन दिया जा रहा है, निर्धारित वेतन भुगतान के आदेश की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) क्या इन फील्ड इंजीनियरों को नियमित इंजीनियरों की भांति वेतन जारी किया जावेगा। यदि हां तो कब तक नहीं तो क्यों कारण बतावें। (घ) क्या शासन द्वारा फील्ड इंजीनियरों को निर्धारित वेतन से कम वेतन दिया जा रहा है यदि हां तो वेतन जारी करने वाले कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ विभाग क्या कार्यवाही करेगा यदि हां, तो कब तक नहीं तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। (ख) तीन फील्ड इंजीनियर को रखा गया है जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 1 अनुसार है। (ग) अनुबंधित एस.क्यू.सी. एजेन्सी द्वारा उनके नियमित इंजीनियर की भांति वेतन दिया जाता है। (घ) जी नहीं। प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
मेहराघाट में नहर सुविधा
[जल संसाधन]
32. ( क्र. 453 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या होशंगाबाद विधानसभा क्षेत्र के ग्राम मेहराघाट में नहर होते हुए भी नहरों से सिंचाई की सुविधा नहीं है। (ख) यदि हां तो मेहराघाट में सिंचाई उपलब्ध कराने हेतु क्या कार्यवाही की जावेगी।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) जी नहीं। तवा परियोजना की माइनर पांजरा क्रमांक-1 से ग्राम मेहराघाट के 241.92 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय का निर्माण
[लोक निर्माण]
33. ( क्र. 454 ) डॉ.
सीतासरन
शर्मा : क्या
लोक निर्माण
मंत्री महोदय
यह बताने की कृपा
करेंगे कि (क) इटारसी
नगर में स्थित-निर्मित
अनुविभागीय
कार्यालय
जिसमें वर्तमान
अनुविभागीय
अधिकारी (राजस्व)
श्री हरेन्द्र
नारायण बैठते
हैं, की
अनुमति किस
दिनांक को
शासन के किस
आदेश द्वारा
दी गई थी?
(ख)
प्रश्नांश
(क) में
वर्णित
कार्यालय
कितनी भूमि पर
बना है? उक्त
कार्यालय
कितनी राशि से
किस दिनांक को
स्वीकृत
किया गया? निर्माण
एजेंसी एवं
ठेकेदार की
नाम सहित
जानकारी
बतावें।
लोक
निर्माण
मंत्री ( श्री
सज्जन सिंह
वर्मा ) : (क)
अनुविभागीय
अधिकारी (राजस्व)
इटारसी,
कार्यालय
भवन का
निर्माण लोक
निर्माण
विभाग द्वारा
नहीं कराया
गया है। (ख)
उत्तरांश
'क' के
परिप्रेक्ष्य
में प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता।
पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड को प्रशासकीय स्वीकृति
[ऊर्जा]
34. ( क्र. 461 ) डॉ. योगेश पंडाग्रे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी एवं अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई में प्रस्तावित 1x660 मेगावाट इकाई निर्माण में माह अप्रैल 2019 से प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन सी वैधानिक एवं गैरवैधानिक स्वीकृतियां प्राप्त की गयी अथवा ऊर्जा विभाग द्वारा केन्द्र सरकार के संबंधित विभागों में आवेदन किन-किन तिथियों में दिये गये। इन आवेदनों का विवरण उपलब्ध करावें। (ख) क्या राज्य सरकार द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति न देने के कारण केन्द्र से स्वीकृतियां प्राप्त करने में अधिकारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार द्वारा इन इकाइयों की प्रशासकीय स्वीकृति कब तक दी जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी एवं अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई में प्रस्तावित 1X660 मेगावाट की उत्पादन इकाई के निर्माण हेतु माह अप्रैल, 2019 से प्रश्न दिनांक तक कोई वैधानिक एवं गैर वैधानिक स्वीकृतियां प्राप्त नहीं हुई हैं, अपितु म.प्र.पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा केन्द्र सरकार के संबंधित विभागों से आवश्यक वैधानिक एवं गैर वैधानिक स्वीकृतियां प्राप्त करने की कार्यवाही की जा रही है। इस संबंध में दिये गये आवेदनों का विवरण एवं अद्यतन स्थिति संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए अनुसार है। (ख) जी नहीं। प्रकरण विचाराधीन होने से निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग को पाठ्य सामग्री में दी जाने वाली सहायता
[उच्च शिक्षा]
35. ( क्र. 465 ) डॉ. योगेश पंडाग्रे : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को स्टेशनरी एवं किताबों के लिये क्या कोई अनुदान अथवा सहायता सरकार द्वारा दी जाती है, यदि हाँ, तो किस मद में कितनी? (ख) क्या अनूसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को पुस्तकों हेतु दी जाने वाली सहायता अंतर्गत केवल हिन्दी ग्रंथ अकादमी के माध्यम से पुस्तकें क्रय किये जाने के कोई निर्देश हैं, यदि हाँ, तो निर्देशों की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) क्या अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रदाय की जाने वाली पाठ्य पुस्तकें ही क्रय किये जाने की बाध्यता के चलते उन्हें प्रसिद्ध लेखकों की स्तरीय पाठ्य सामग्री से वंचित होना पड़ रहा है? (घ) यदि हाँ, तो अनूसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के हित में उन्हे हिन्दी ग्रंथ अकादमी की पाठ्य सामग्री की बाध्यता समाप्त कर खुले बाजार से पाठ्य सामग्री क्रय किये जाने के संबंध में सरकार निर्णय लेगी? यदि हाँ, तो कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। रू. 1500/- की पुस्तकें तथा रू 500/- की स्टेशनरी प्रति विद्यार्थी प्रदाय की जाती है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जी हाँ। आदेश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) जी नहीं, आदेश क्रमांक 708/88/अनु./आउशि/योजना/2019 दिनांक 08/08/2019 के साथ संलग्न बैठक दिनांक 23.07.2019 के कार्यवाही के बिन्दु क्रमांक 02 के अनुसार हिन्दी ग्रंथ अकादमी जिन पुस्तकों का प्रकाशन नहीं करती है, ऐसी पुस्तकों को क्रय करने हेतु निविदा आमंत्रित कर कार्यवाही की जाती है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (घ) प्रश्नांश 'ग' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
शारीरिक शिक्षा के निर्देशक पद की पूर्ति
[उच्च शिक्षा]
36. ( क्र. 472 ) श्री मुरली मोरवाल : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में शारीरिक शिक्षा निर्देशक का पद कब से क्यों रिक्त है व इसको कब तक भरा जायेगा। (ख) शारीरिक शिक्षा विभाग में प्रश्न दिनांक से 05 वर्ष पूर्व तक प्रत्येक वर्ष कितनी फीस जमा हुई है। उसका कहाँ और कैसे उपयोग किया है। (ग) क्या शारीरिक शिक्षा विभाग का मद विश्वविद्यालय के किसी अन्य मद में खर्च किया जाता है। यदि हाँ, तो किन नियमों के तहत किया जाता है। (घ) छात्रों से ली जाने वाली फीस के संबंध में छात्रों को क्या सुविधा मुहैया कराता है। पिछले 05 वर्षों में छात्रों पर खर्च की गई राशि की सम्पूर्ण जानकारी देवें।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में दिनांक 31.08.1995 से निदेशक, शारीरिक शिक्षा का पद रिक्त है। उक्त पद को दिनांक 02.11.2017 को विज्ञापित किया गया है, चयन प्रक्रिया संपन्न नहीं होने के कारण नहीं भरा गया। समय सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा से संबंधित शुल्क सम्मिलित खाते में जमा होता है, पृथक से फीस जमा नहीं की जाती है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) छात्रों को ब्लेजर/श्रेष्ठ खेल प्रशिक्षण/विक्रम खेल महोत्सव/अंतर्विश्वविद्यालयीन प्रतियोगिता/अन्य खेल प्रतियोगिताएं/पुरस्कार/प्रोत्साहन राशि/ अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाडि़यों को विशेष प्रोत्साहन से खेल उपकरण क्रय कर छात्रों को सुविधा मुहैया कराई जाती है। पिछले 05 वर्षों में कुल राशि रूपये 123.57 लाख व्यय किया गया है।
विक्रमविश्वविद्यालय परिसर उज्जैन के आवास आवंटन
[उच्च शिक्षा]
37. ( क्र. 473 ) श्री मुरली मोरवाल : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विक्रम विश्वविद्यालय में कितने आवास किन-किन श्रेणी के लिए उपलब्ध है। श्रेणीवार जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में विष्वविद्यालय के आवास किन-किन को किन नियमों एवं शर्तों के साथ आवंटित है क्या नियम विरूद्ध आवंटन किये गये है। यदि हाँ, तो दोषी पर क्या कार्यवाही की गई। (ग) विश्वविद्यालय में वर्तमान में कितने आवास किस-किस श्रेणी के रिक्त है।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में कुल 184 आवास उपलब्ध हैं। श्रेणीवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ‘‘ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘ब‘‘ अनुसार है। विश्वविद्यालय द्वारा सक्षम स्वीकृति उपरांत ही आवास आवंटित किये गये हैं। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) विश्वविद्यालय में कुल 21 आवास रिक्त हैं। श्रेणीवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘स‘‘ अनुसार है।
कलेक्टर कार्यालय का निर्माण कार्य
[लोक निर्माण]
38. ( क्र. 474 ) श्री मुरली मोरवाल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन जिले में निर्माणाधीन कलेक्टर कार्यालय का निर्माण कार्य धीमी गति से चलने का क्या कारण है। यह कार्य अनुबंध की शर्तें अनुसार किस दिनांक तक पूर्ण होना था। (ख) कार्य की धीमी गति के लिये संभागीय परियोजना अधिकारी द्वारा कौन-कौन सी कार्यवाही कब-कब की गई। (ग) संभागीय परियोजना अधिकारी द्वारा कार्य की गुणवत्ता हेतु मैन्युअल अनुसार क्या-क्या परीक्षण कब-कब किये गये। कार्यों के मापों के सत्यापन हेतु किस अधिकारी का कितना दायित्व है। (घ) संभागीय परियोजना अधिकारी द्वारा कब-कब माप का सत्यापन नियमानुसार किया गया है। दिनांकवार सूची उपलब्ध करावें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र प्रपत्र 'अ' अनुसार है। दिनांक 30.11.18 तक। (ख) संभागीय परियोजना यंत्री उज्जैन ने कार्य की धीमी गति हेतु कार्यालयीन पत्र क्रं 1450 दिनांक 20.09.18 एवं क्रमांक 1452 दिनांक 22.09.18 द्वारा ठेकेदार को नोटिस दिया। (ग) कार्य की गुणवत्ता हेतु वर्क मेन्युअल अनुसार एस.क्यू.सी. एवं एन.ए.बी.एल. प्रमाणित प्रयोगशाला से संपूर्ण परीक्षण किये गये है। समय-समय पर संभागीय परियोजना यंत्री द्वारा निरीक्षण के दौरान परीक्षण किये गये है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। परियोजना क्रियान्वयन इकाई में सहायक परियोजना यंत्री 20 प्रतिशत, परियोजना यंत्री 10 प्रतिशत एवं संभागीय परियोजना यंत्री द्वारा 5 प्रतिशत परीक्षण किये जाने का दायित्व है। (घ) संभागीय परियोजना अधिकारी (यंत्री) द्वारा समय-समय नियमानुसार माप का सत्यापन किया गया है जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
बड़नगर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत स्वीकृत कार्य
[लोक निर्माण]
39. ( क्र. 475 ) श्री मुरली मोरवाल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक निर्माण विभाग की पी.यु.आई. के अंतर्गत बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में कितने कार्य स्वीकृत है, कितने कार्य निर्माणाधीन है, कितने कार्य पूर्ण हो चुके हैं। निर्माणाधीन कार्यों पर 01 अप्रैल 2019 से प्रश्न दिनांक कितना व्यय किया गया है। कार्यवार जानकारी देवें। इसमें से कितने कार्य समय अवधि से चल रहे है। कार्यवार बतावें। जिन कार्यों की धीमी गति है उन पर क्या कार्यवाही की गई है। यदि नहीं, तो दोषी अधिकारी के विरूद्ध शासन क्या कार्यवाही करेगा। (ख) क्या निर्माण कार्य की कार्य योजना संबंधित अधिकारी द्वारा स्वीकृत की गई है यदि नहीं, तो संबंधित पर क्या कार्यवाही की जावेगी। (ग) निर्माणाधीन कार्यों की सामग्री गुणवत्ता हेतु निर्धारित मापदण्ड के अनुसार जिला अधिकारी द्वारा क्या-क्या परीक्षण किये गये। कार्यवार जानकारी देवें। (घ) इन कार्यों की गुणवत्ता एवं मापदण्ड अनुसार संभागीय परियोजना यंत्री द्वारा कार्य पर कब-कब निरीक्षण किया गया। निरीक्षण प्रतिवेदन की प्रतिलिपि उपलब्ध करावें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) लोक निर्माण विभाग की पी.आई.यू. के बड़नगर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 9 कार्य स्वीकृत है, जिसमें से 7 कार्य निर्माणाधीन है वित्तीय वर्ष में पूर्ण कार्य शून्य है। निर्माणाधीन कार्यों पर दिनांक 01.04.2019 से 30.11.2019 तक कुल व्यय रू. 95.24 लाख है। जिन कार्यों की धीमी गति है उन पर की गई कार्यवाही का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। कोई भी विभागीय अधिकारी दोषी नहीं है अत: उनके विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ख) हॉं, निर्माण कार्य की कार्य योजना संबंधित अधिकारी द्वारा स्वीकृत की गई है, अत: कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) निर्माणाधीन कार्यों की सामग्री गुणवत्ता हेतु निर्धारित मापदण्ड के अनुसार एस.क्यू.सी. द्वारा मेन्यूअल एवं फ्रिक्वेंसी अनुसार सामग्री का परीक्षण किया गया है तथा जिला अधिकारी द्वारा निरीक्षण के दौरान समय-समय पर सामग्री परीक्षण किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) कार्यों की गुणवत्ता एवं मापदण्ड अनुसार संभागीय परियोजना यंत्री द्वारा निरीक्षण किया गया जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है।
तलाबों एवं स्टॉपडेम (बैराज) का मरम्मत कार्य
[जल संसाधन]
40. ( क्र. 485 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सारंगपुर अंतर्गत विभाग द्वारा कहॉं-कहॉं तालाब एवं स्टॉप डेम निर्मित है? तालाब एवं स्टॉप डेम निर्माण का वर्ष एवं लागत की जानकारी से अवगत करावें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार निर्मित स्टॉप डेम तालाब की वर्तमान स्थिति क्या है? उक्त स्टॉप डेम/तालाब के मरम्म्त हेतु विगत तीन वर्षों में क्या क्या, कितनी-कितनी राशि कब-कब स्वीकृत कर जीर्णोंद्धार का कार्य कराया गया वर्षवार, तालाबवार/स्टॉपडेमवार जानकारी से अवगत करावें तथा वर्तमान में क्या कार्य कराये जाने की आवश्यकता है? (ग) वर्तमान में जिला राजगढ़ में अत्यधिक वर्षा होने के कारण मुण्ड़लालोधा तालाब, गुलावता तालाब तथा पाड़ली बैराज पुरी तरह से जीर्णशीर्ण स्थिति में होने से कब तक मरम्म्त कार्य कराया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) स्टॉप डेम एवं तालाब वर्तमान में सुदृढ़ हैं। विगत 03 वर्षों में जीर्णोंद्धार हेतु मरम्मत कार्य नहीं कराया गया है अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। वर्तमान में बॉंध में प्रोफाइल दुरूस्त करने का कार्य, बोल्डर-टो एवं पिचिंग सुधार कार्य आदि साधारण मरम्मत कार्य तथा स्टॉप डेम में गेट में सुधार, फ्रेम/रबर में सुधार एवं एप्रन में साधारण मरम्मत कार्य कराये जाने की आवश्यकता है। (ग) अत्याधिक वर्षा से प्रश्नाधीन तालाब/बैराज को विशेष क्षति नहीं हुई। जलाशय एवं बैराज पूर्ण स्तर तक भरे थे एवं वर्तमान में इनसे सिंचाई की जा रही है। तालाब/बैराज खाली होने पर साधारण क्षति का मरम्मत कार्य किया जाएगा।
इन्दौर शहर के मूसाखेड़ी क्षेत्र में दूषित जल प्रवाह
[पर्यावरण]
41. ( क्र. 497 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इन्दौर शहर के मूसाखेड़ी क्षेत्र में उद्योग नगर, शाहीन नगर, खाती मोहल्ला, आजाद नगर के मध्य एक नाला बहता है? (ख) यदि हाँ, तो क्या इस नाले में उद्योग नगर में स्थापित विभिन्न उद्योगों द्वारा बिना उपचारित दूषित जल प्रवाहित किया जा रहा है? इससे क्षेत्र के हजारों परिवारों को स्वास्थ्य की परेशानी हो रही है? विभाग द्वारा उक्त नाले एवं आसपास प्रदूषण न हो इसके लिए क्या प्रयास किए जा रहे है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। (ख) उद्योग नगर में स्थापित उद्योगों द्वारा बिना उपचारित दूषित जल को प्रवाहित नहीं किया जाता है, अपितु नाले में घरेलू दूषित जल प्रवाहित होता है। क्षेत्र के परिवारों को स्वास्थ्य की परेशानी संबंधी जानकारी निरंक है। आजाद नगर नाला एवं खान नदी में प्रदूषण रोकने हेतु माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा प्र.क्र. 673/2018 में दिये गये आदेशानुसार ‘‘खान नदी शुद्धिकरण कार्ययोजना'' बनाई गई है। इस योजना के तहत नगर निगम इन्दौर द्वारा निम्नानुसार कार्य किये जा रहे है:- 1. आजाद नगर नाले के आसपास के क्षेत्र में सीवर लाईन बिछाने तथा सीवरेज आउटफाल अवरूद्ध (टेप) करने का कार्य। 2. चिड़ियाघर के पास 35 एम.एल.डी. क्षमता के एस.टी.पी. निर्माणाधीन है। 3. म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सभी जल प्रदूषणकारी उद्योगों में दूषित जल के उपचार हेतु आवश्यकतानुसार ई.टी.पी. स्थापित कराये गये है। समय-समय पर दोषी पाये गये उद्योगों के विरूद्ध जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1974 के प्रावधानों के तहत् कार्यवाही की जाती है।
इन्दौर शहर के पूर्वी क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या
[पर्यावरण]
42. ( क्र. 498 ) श्री महेन्द्र हार्डिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इन्दौर शहर के पूर्वी क्षेत्र (तिलक नगर, बंगाली कॉलोनी, साकेत, श्रीनगर, ब्रजेश्वरी, मूसाखेड़ी, संचार नगर आदि) में विगत कई दिनों से नागरिकों को सिरदर्द, सर्दी-खॉसी, घबराहट आदि की बीमारी तेजी से हो रही है? क्या यह भी सही है कि क्षेत्र के नागरिकों ने क्षेत्र में एक अजीब दुर्गंध आने की शिकायत की है? (ख) यदि हाँ, तो पर्यावरण विभाग/म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उक्त समस्या के निराकरण के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) क्षेत्र के नागरिकों को सिरदर्द, खांसी, घबराहट आदि की बीमारी के संबंध में जानकारी निरंक है। जी हाँ। शहर के पूर्वी क्षेत्र के नागरिकों द्वारा क्षेत्र में दुर्गन्ध आने की शिकायत की गई थी। बोर्ड के अधिकारियों द्वारा समय पर की गई जांच में उल्लेखित अजीब दुर्गन्ध की स्थिति महसूस नहीं की गई। (ख) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों एवं प्राप्त शिकायतों के आधार पर समय-समय पर क्षेत्र का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान दुर्गन्ध महसूस नहीं हुई तथापि क्षेत्रीय कार्यालय, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, इंदौर द्वारा नगर निगम इंदौर को टेंचिंग ग्राउण्ड की खाद का उपयोग शहर के पार्को में ठंड के मौसम में प्रतिबंधित करने का सुझाव दिया गया है, साथ ही समीपस्थ नालों में जल-मल की निकासी रोकने हेतु सीवर लाईन पूर्ण रूप से संधारित व संचालित करने का भी सुझाव दिया गया है।
बढ़े हुए बिजली के बिल और शिकायतों का समधान
[ऊर्जा]
43. ( क्र. 541 ) श्री विश्वास सारंग : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या संबल कार्डधारियों के बिजली के बिल 11 दिसम्बर 2018 के पहले 200 रूपये प्रति माह आते थे? (ख) क्या 1 जनवरी 2019 संबल कार्डधारियों सहित प्रदेश के लोगों के घरों के बढ़े हुए बिजली के बिल आ रहे है? यदि हां, तो इसका कारण क्या है? (ग) बढ़े हुए बिजली बिलों को लेकर लोग अपनी शिकायत लेकर जब बिजली विभाग के अफसरों के सामने जाते हैं, तो उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है? यदि हाँ, तो क्यों नहीं होती? क्या ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही होगी? (घ) प्रश्नांश (क) से (ग) के तहत बढ़े हुए बिजली के बिलों का समायोजन किया जायेगा और संबल कार्डधारियों के बढ़े हुए बिजली के बिल माफ किये जायेंगे? यदि नहीं, तो क्यों? कारण दें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल) योजना, 2018 के अन्तर्गत 1000 वाट तक के संयोजित भार वाले पंजीकृत श्रमिकों एवं संनिर्माण कर्मकारों को 01 जुलाई, 2018 से ''सरल बिजली बिल स्कीम'' के अन्तर्गत राशि रूपये 200/- प्रतिमाह का देयक दिये जाने का प्रावधान था। (ख) जी नहीं। दिनांक 07 फरवरी, 2019 को राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णय अनुसार ''इंदिरा गृह ज्योति योजना'' दिनांक 25 फरवरी, 2019 से लागू की गई। इस योजना में मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल) योजना, 2018 के अन्तर्गत 1000 वॉट तक संयोजित भार वाले पंजीकृत श्रमिक एवं संनिर्माण कर्मकार सम्मिलित थे, जिन्हें घरेलू उपयोग के लिए 100 यूनिट तक खपत पर अधिकतम रू. 100/- का देयक दिये जाने एवं 100 यूनिट से अधिक खपत होने पर प्रथम 100 यूनिट के लिए रू. 100/- एवं शेष विद्युत खपत के लिए लागू टैरिफ अनुसार विद्युत देयक की राशि उपभोक्ता द्वारा दिये जाने का प्रावधान रखा गया। तदोपरांत राज्य शासन द्वारा दिनांक 07.09.2019 को जारी आदेशानुसार प्रदेश में लागू इन्दिरा गृह ज्योति योजना को संबल योजना से असम्बध्द करते हुए इन्दिरा गृह ज्योति योजना के लाभ का विस्तार प्रदेश के ऐसे सभी घरेलू उपभोक्ताओं हेतु किया गया है, जिनकी मासिक खपत 150 यूनिट तक है तथा इस निर्णय से गरीब वर्ग के साथ-साथ मध्यम वर्ग के उपभोक्ता भी लाभान्वित हुए हैं। ऐसे सभी पात्र उपभोक्ताओं को प्रथम 100 यूनिट तक की खपत पर अधिकतम राशि रु. 100/- का बिल दिया जाने एवं 100 यूनिट खपत हेतु मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दर से गणना किए गए बिल तथा राशि रु. 100/- के अन्तर की राशि राज्य शासन द्वारा वितरण कंपनियों को सब्सिडी के रुप में दिये जाने का प्रावधान किया गया है। 100 यूनिट से अधिक एवं पात्रता यूनिट की सीमा तक शेष यूनिटों के लिए म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश में निर्धारित दर के अनुसार बिल देय होगा। किन्तु किसी माह में पात्रता यूनिट से अधिक खपत होने पर उपभोक्ता को उस माह में योजना का लाभ नहीं मिलेगा एवं उसकी पूरी खपत पर म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश में निर्धारित दर के अनुसार बिल देय होगा। उल्लेखनीय है कि माह अक्टूबर 2019 की स्थिति में प्रदेश के 1.17 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं में से लगभग 1.01 करोड़ उपभोक्ताओं को उक्त योजना का लाभ मिला है। अत: यह कहना सही नहीं होगा कि संबल योजना के हितग्राहियों सहित प्रदेश के आमजनों को बिजली के अधिक राशि के बिल दिये जा रहे है। (ग) अधिक राशि का विद्युत बिल मिलने की शिकायत प्राप्त होने पर उसका नियमानुसार निराकरण किया जाता है। विद्युत बिलों में सुधार हेतु प्रत्येक वितरण केन्द्र/जोन स्थल पर विद्युत बिलों की शिकायतों के निराकरण हेतु समिति का गठन किया गया है, जिसमें अशासकीय सदस्य भी शामिल हैं। समिति की अनुशंसा पर नियमानुसार विद्युत बिलों में सुधार किया जाता है। अन्य माध्यमों से भी विद्युत उपभोक्ताओं की शिकायत प्राप्त होने पर नियमानुसार शिकायत का निराकरण कर दिया जाता है। अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) उत्तरांश (क) से (ग) के परिप्रेक्ष्य में नियमानुसार बिजली के बिल जारी किये जा रहे हैं तथा बिलों के संबंध में शिकायतों का त्वरित रूप से निराकरण किया जा रहा है, अत: बिल समायोजित/माफ किये जाने संबंधी कोई कार्यवाही किया जाना अपेक्षित नहीं है।
चयनित सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति
[उच्च शिक्षा]
44. ( क्र. 542 ) श्री
विश्वास
सारंग : क्या
खेल और युवा
कल्याण
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे कि
(क) पी.एस.सी. के
माध्यम से
सहायक प्राध्यापक
के पद के लिए
वर्ष 2018-2019 में
कितने अभ्यर्थियों
का चयन हुआ था? (ख) क्या 17 अक्टूबर 2019 को माननीय
उच्च न्यायालय
ने 91
महिलाओं को
पुन: च्वाइस
फिलिंग का
मौका देते हुए
कहा था कि
बाकी के अभ्यर्थियों
को नियुक्ति
देने के लिए
विभाग स्वतंत्र
है? यदि
हां, तो
फिर अभ्यर्थियों
को नियुक्ति
क्यों नहीं
की जा रही है? कारण दें। (ग) प्रश्नांश
(क) व (ख) के तहत
उक्त अभ्यर्थियों
की नियुक्ति
कब तक कर दी
जायेगी?
खेल
और युवा कल्याण
मंत्री ( श्री
जितू पटवारी ) : (क) 2716
अभ्यार्थियों
का चयन किया
गया। (ख) जी
हाँ। दिनांक 06.12.2019 तक 442
चयनित सहायक
प्राध्यापकों
को नियुक्ति
आदेश जारी
किये जा चुके
हैं। शेष
प्रश्नांश
उपस्थित नहीं
होता है। (ग) समय-सीमा
बताई जाना
संभव नहीं है।
अपराधिक प्रकरण दर्ज कराये जाना
[ऊर्जा]
45. ( क्र. 575 ) श्री सुभाष राम चरित्र : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा संभाग के सिंगरौली जिले में ऊर्जा विभाग द्वारा वर्ष 2017 से प्रश्न दिनांक तक किन योजनाओं में किन-किन संविदाकारों से कितने ग्रामों में विद्युतीकरण के कार्य कराए गए, इन कार्यों हेतु किन संविदाकारों को कार्यादेश किन शर्तों एवं कितने निर्धारित समय में पूर्ण करने बावत् दिए गए इनमें से कितने कार्य पूर्ण एवं शेष है जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में देवसर विधानसभा क्षेत्र में कितने विद्युतीकरण के कार्य ऊर्जा विभाग द्वारा कराए गए वर्तमान में कार्यों की स्थिति क्या है किन संविदाकारों द्वारा कार्य कराए गए उनके भुगतान की स्थिति भी बतावें। कार्य मौके पर नहीं कराए गए फर्जी बिल वाउचर तैयार कर संविदाकारों को लाभांवित किया गया इसके लिए कौन-कौन जवाबदार है बतावें। इन पर क्या कार्यवाही प्रस्तावित करेंगे। साथ ही क्या कार्यों का सत्यापन समिति बनाकर करावेंगे। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में जिन गांवों में विद्युतीकरण के कार्य कराए गए उनमें कितने ट्रांसफार्मर जले एवं बदले गये वर्तमान में कितने ट्रांसफार्मर जले हुए एवं उनके बदलने की कार्यवाही नहीं की गई, अवधि सहित जानकारी देवें। विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर भी जबरन बिजली के बिल वसूले गए एवं अभी भी वसूले जा रहे हैं इसका क्या कारण है तथा इस पर क्या कार्यवाही करेंगे? (घ) क्या ऊर्जा विभाग द्वारा फीडर विभक्तिकरण के कार्य कराए गए इनमें से रीवा संभाग के सिंगरौली जिले के अंतर्गत फीडर विभक्तिकरण के कितने कार्य पूर्ण हो चुके हैं एवं कितने शेष है इस बावत् कितनी राशि व्यय की गई वर्ष 2017 से प्रश्न दिनांक तक की जानकारी देवें। कार्यादेश किन संविदाकारों को दिये गये? क्या कार्य संबंधितों द्वारा पूर्ण कराए गए एवं भुगतान की स्थिति क्या है। (ड.) प्रश्नांश (क), (ख), (ग) एवं (घ) अनुसार कार्य मौके पर नहीं कराए गए संबंधित अधिकारी एवं संविदाकारों द्वारा आपस में सांठ-गांठ कर फर्जी बिल वाउचर तैयार कर राशि आहरित कर ली गई क्या इन कार्यों का मौके से सत्यापन कराकर संबंधितों के विरूद्ध गबन के प्रकरण पंजीबद्ध करावेंगे यदि हां तो कब तक साथ ही इन से राशि की वसूली भी प्रस्तावित करेंगे। अगर नहीं तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) रीवा संभाग में जिला सिंगरौली में वर्ष 2017 से प्रश्न दिनांक तक दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना अंतर्गत टर्न-की आधार पर मेसर्स मैक्स इन्फ्रा प्रा.लि., हैदराबाद को जारी कार्यादेशानुसार योजना में सम्मिलित अन्य विद्युतीकरण कार्यों सहित 183 ग्रामों के मजरों/टोलों के विद्युतीकरण के कार्य हेतु एवं सौभाग्य योजनांतर्गत 595 ग्रामों में अविद्युतीकृत घरों के विद्युतीकरण के कार्य हेतु कार्यादेश दिये गये। सौभाग्य योजनांतर्गत जारी कार्यादेशों की संविदाकार-वार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘अ‘‘ में दर्शाये अनुसार है। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत जारी कार्यादेशानुसार योजना में सम्मिलित समस्त कार्यों कों 24 माह में पूर्ण किये जाने का प्रावधान है। सौभाग्य योजनांतर्गत जारी कार्यादेशानुसार कार्यादेश दिनांक से 30 दिवस में कार्य पूर्ण करने का प्रावधान है। उक्त कार्यादेश विद्युतीकरण योजनाओं के प्रावधानों एवं इनके दिशा-निर्देशों में निहित शर्तों के आधार पर जारी किये गये। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना अंतर्गत 183 ग्रामों के मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया गया है तथा सौभाग्य योजना अंतर्गत 595 ग्रामों में अविद्युतीकृत घरों के विद्युतीकरण में से 515 ग्रामों में अविद्युतीकृत घरों का विद्युतीकरण कार्य पूर्ण किया गया है। प्राप्त जानकारी अनुसार 80 ग्रामों में कुछ कार्य अपूर्ण है, जिस हेतु जाँच की जा रही है। (ख) जिला सिंगरौली में विधानसभा क्षेत्र देवसर में सौभाग्य योजना के तहत 162 ग्रामों में अविद्युतीकृत घरों के विद्युतीकरण का कार्य पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर से पूर्ण करने हेतु कार्यादेश निर्माण संभाग (एस.टी.सी.), सिंगरौली को जारी किये गये थे। उक्त सभी कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत टर्न-की आधार पर मेसर्स मैक्स इन्फ्रा प्रा.लि., हैदराबाद द्वारा 64 ग्रामो के अविद्युतीकृत मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य किया जाना था, जिसे पूर्ण किया जा चुका है। सौभाग्य योजना के अन्तर्गत स्वीकृत 170 कार्यादेशों के विरूद्ध 120 कार्यादेशों के देयकों का भुगतान विभिन्न संविदाकारों द्वारा प्रस्तुत देयकों के आधार पर कर दिया गया है। भुगतान हेतु प्रस्तुत 13 कार्यादेशों के देयकों का भुगतान प्रश्न दिनांक तक लंबित है एवं 37 कार्यादेशों के देयक संबंधित संविदाकारों द्वारा प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। उक्त योजनांतर्गत कार्यों का सत्यापन करने बावत् जाँच समिति बनाकर जाँच करवाई जा रही है। जांचोपरांत प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर जवाबदारी निर्धारित की जावेगी। (ग) जिला सिंगरौली में उक्त योजनाओं के अंतर्गत स्थापित 25 के.व्ही.ए. क्षमता के कुल 53 ट्रान्सफार्मर जले/ खराब हुए है, जिनमें से 36 ट्रांसफार्मरों को बदल दिया गया है। प्रश्न दिनांक तक 17 ट्रांसफार्मर संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण बदलने हेतु शेष है, जिनका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-‘ब‘ अनुसार है। उपभोक्ताओं को मीटर में दर्ज खपत के आधार पर एवं नियमानुसार विद्युत देयक दिये जा रहे है, अतः उक्तानुसार बदलने हेतु शेष ट्रान्सफार्मरों से संबद्ध उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर भी जबरन बिजली के बिल प्रदान किये जाने एवं देयक राशि वसूले जाने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) जिला सिंगरौली में फीडर विभक्तिकरण योजनांतर्गत वर्ष 2017 से प्रश्न दिनांक तक 9 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य पूर्ण कराया गया एवं कोई भी कार्य शेष नहीं है। उक्त कार्य हेतु वर्ष 2017 से प्रश्न दिनांक तक रूपये 6.95 करोड़ राशि का व्यय हुआ है। फीडर विभक्तिकरण का कार्य ठेकेदार एजेंसी मेसर्स रामकी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड हैदराबाद से कराया गया है। उक्त ठेकेदार एजेंसी द्वारा ही कार्य पूर्ण किया गया है। वर्तमान में उक्त कार्य के कार्यालय में सत्यापन हेतु कोई बिल लंबित नहीं है तथापि 10 फीडरों के ऑपरेशन एक्सेपटेंस के बिल ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। (ड.) सिंगरौली जिले के अंतर्गत सौभाग्य योजना में किये गये कार्यों की जाँच हेतु जाँच समिति का गठन किया गया है। जांचोपंरात प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर कार्यवाही की जावेगी।
गुणवत्ता की जाँच कराकर दोषियों पर कार्यवाही
[जल संसाधन]
46. ( क्र. 576 ) श्री सुभाष राम चरित्र : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला सिंगरौली में जल संसाधन विभाग द्वारा नहरों का निर्माण कराया गया वर्ष 2014 से प्रश्नांश दिनांक तक में किन-किन नहरों एवं सब-माईनर नहरों एवं वितरिकाओं का निर्माण किया गया, किन-किन कार्य में कितनी-कितनी राशि व्यय की गई? साथ ही किन संविदाकारों द्वारा कार्य किस शर्त पर कराने बाबत् कार्यादेश जारी किये गये? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार निर्मित नहरों, माईनर नहरों एवं वितरिकाओं के निर्माण समय पर गुणवत्तापूर्ण नहीं कराये गये तो इसके लिये जिम्मेदारों पर कब-कब कौन सी कार्यवाही किन-किन के द्वारा प्रस्तावित की गई? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के निर्मित नहरों, सब-माईनर नहरों एवं वितरिकाओं के गुणवत्तापूर्ण निर्माण की जाँच किन अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा कब-कब की गई? जाँच का विवरण देवें। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के तारतम्य में अगर नहरों/सब-माईनर नहरों एवं वितरिकाओं का निर्माण अनुबंध की शर्तों अनुसार गुणवत्तापूर्ण नहीं कराया गया जो समय-समय पर क्षतिग्रस्त हुई, इसके लिये जवाबदारों पर क्या कार्यवाही प्रस्तावित करेंगे? गुणवत्ता की जाँच एवं अनुबंध अनुसार कार्य न किये जाने पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा समय-समय पर जाँच कर कार्यवाही न किये जाने पर इन पर क्या कार्यवाही की जावेगी? बतावें। यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी हाँ। प्रश्नाधीन अवधि में निर्मित नहरों संबंधी विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) से (घ) नहरों का निर्माण कार्य समय पर एवं गुणवत्ता पूर्वक कराये जाने के कारण किसी के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। निर्मित नहरों की गुणवत्ता जाँच संबंधी विस्तृत विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट (पृ.-1से18) अनुसार है। नहर निर्माण कार्य अनुबंधानुसार एवं गुणवत्तापूर्ण होने के कारण शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति योजना में आवंटित बजट
[लोक निर्माण]
47. ( क्र. 587 ) श्री संजय उइके : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति योजनाएं (सब स्कीम) के प्रावधान के तहत विभागों को बजट आवंटन होता है? (ख) यदि हां, तो वित्तीय वर्ष 2016-17 से प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी राशि प्राप्त हुई? किन-किन जिलों में कितनी-कितनी राशि जारी की गई? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रावधान के तहत जारी राशि के व्यय संबंधी नियम निर्देश की प्रति उपलब्ध करावें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है।
शासकीय महाविद्यालय झारड़ा के लिए भूमि आवंटन
[उच्च शिक्षा]
48. ( क्र. 611 ) श्री
बहादुर सिंह
चौहान : क्या
खेल और युवा
कल्याण
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) अतरांकित
प्रश्न क्र. 3006 दिनांक 18.07.2019 के उत्तर
अनुसार भूमि
आवंटन की
प्रक्रिया
पूर्ण नहीं की
गई है बताया
गया था। (ख)
प्रश्नांश
(क) अनुसार
तहसील झारड़ा
के अंतर्गत
शास.
महाविद्यालय
झारड़ा के भवन
निर्माण हेतु
भूमि आवंटन के
लिये कौन
अधिकारी उत्तरदायी
हैं? नाम, पदनाम
बतावें। भूमि
आवंटन में
विलम्ब के
लिये दोषी उत्तरदायी
अधिकारी पर
शासन द्वारा
क्या
कार्यवाही की
की गई है?
यदि
नहीं, तो
क्यों?
कारण
बतावें। (ग) शास.
महाविद्यालय
झारड़ा में
भूमि आंवटन कर
कब तक भवन
निर्माण की
राशि स्वीकृत
कर दी जावेगी?
खेल
और युवा
कल्याण
मंत्री ( श्री
जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। (ख) अपर
कलेक्टर, न्यायालय
उज्जैन ने
पत्र क्रं.
टीएल/1071/रीडर/अपर
कलेक्टर/19, दिनांक 01.11.2019 द्वारा एस.डी.एम.
महिदपुर एवं
प्राचार्य, शासकीय
महाविद्यालय, झारड़ा को
महाविद्यालय
के लिए भूमि
आवंटन की प्रक्रिया
तत्काल करने
हेतु पत्र
लिखकर कार्यवाही
की है। अत: शेष
प्रश्नांश
उपस्थित नहीं
होता। (ग) समय-सीमा
बतायी जाना
संभव नहीं है।
नागदा स्थित उद्योगों में प्रदूषण
[पर्यावरण]
49. ( क्र. 612 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्र. 3005 (तारांकित) दिनांक 18.07.2019 के उत्तर अनुसार ग्रेसिम इण्डस्ट्रीज लिमिटेड (एस.एफ.डी.) मेसर्स ग्रेसिम इण्डस्ट्रीज लिमिटेड (केमिकल डिवीजन) नागदा व मेसर्स लेंग्सेस (इण्डिया) प्रा.लि. नागदा द्वारा वायु अधिनियम व जल अधिनियम की शर्तों के उल्लंघन के कारण न्यायालय में चल रहे समस्त प्रकरणों की सुनवाई तिथियों की जानकारी दिनांक 01.01.2014 से 20.11.2019 तक उपलब्ध करावें। (ख) इन ससस्त प्रकरणों में शासन की ओर से अनुपस्थित रहने वाले उत्तरदायी अधिकारियों के नाम, पदनाम व अनुपस्थिति के कारण की जानकारी उपलब्ध करावें? (ग) अनुपस्थित रहने वाले उत्तरदायी अधिकारियों पर शासन द्वारा अब तक क्या कार्यवाही की गई है?
लोक
निर्माण मंत्री
( श्री सज्जन
सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी
संलग्न
परिशिष्ट अनुसार
है। (ख) इन
समस्त
प्रकरणों में
बोर्ड की ओर
से अधिकृत अधिवक्ता
माननीय न्यायालय
में उपस्थित
होते है एवं
माननीय न्यायालय
की सूचना पर आवश्यकतानुसार
बोर्ड के
अधिकारी/कर्मचारी
उपस्थित रहते
है, अतः प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता है। (ग) प्रश्नांश
”ख“ के
उत्तर के परिप्रेक्ष्य
में प्रश्न
उपस्थित नहीं
होता।
परिशिष्ट
- "छप्पन"
हाईटेंशन विद्युत लाइन को हटाया जाना
[ऊर्जा]
50. ( क्र. 617 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा विभाग को दिनांक 28.09.2018 एवं 14.06.2019 को जनपद पंचायत सिरमौर की ग्राम पंचायत पल्हान के तेलियान टोला की आवासीय बस्ती के ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन विद्युत लाइन को हटाये जाने संबंधी पत्र लिखा गया किन्तु कोई यथोचित कार्यवाही नहीं की गई? यदि हाँ, तो क्यों? (ख) जनपद पंचायत सिरमौर अंतर्गत कुल कितने ऐसे स्थल चिन्हित हैं जहाँ पर आवासीय बस्ती के ऊपर या समीप से हाईटेंशन विद्युत लाइन प्रवाहित है? ऐसे स्थलों की ग्रामवार सूची उपलब्ध करावे। (ग) विभागीय उदासीनता के कारण उक्त स्थल में यदि कोई अप्रिय घटना घटित होती है तो कौन जिम्मेदार होगा? क्या उक्त स्थल का मौका मुआयना कर आवासीय बस्ती से गुजर रही हाईटेंशन विद्युत लाइन को हटाया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय का पत्र दिनांक 14.06.2019 जिसके द्वारा जनपद पंचायत सिरमौर की ग्राम पंचायत पल्हान के तेलियान टोला में श्री मोतीलाल कुशवाह पिता श्री पंचम लाल कुशवाह के घर के ऊपर से गुजर रही 11 के.व्ही. उच्चदाब लाईन को शिफ्ट करने हेतु लेख किया गया है, कार्यपालन अभियंता, पश्चिम संभाग रीवा, म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड को प्राप्त हुआ है। तथापि प्रश्नांश ''क'' में उल्लेखित पत्र दिनांक 28.9.2018 म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के संबंधित कार्यालयों में प्राप्त नहीं हुआ है। उक्त प्राप्त पत्र दिनांक 14.06.2019 अनुसार स्थल की जाँच करने पर पाया गया कि श्री मोतीलाल कुशवाह द्वारा पूर्व से विद्यमान 11 के.व्ही. उच्चदाब विद्युत लाईन के नीचे मकान का निर्माण कराया गया है। विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 177 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा से संबंधित उपाय के लिये विनियम दिनांक 20.09.2010 को अधिसूचित एवं तत्पश्चात संशोधित किये गये हैं, जिनके अनुसार विद्युत लाईनों के नीचे एवं लाईनों से असुरक्षित दूरी पर निर्माण करना अवैधानिक है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा से संबंधित उपाय विनियम के अनुसार विद्युत लाईनों के समीप निर्माण के पूर्व निर्माणकर्ताओं को इसकी जानकारी विद्युत आपूर्तिकर्ता को देना आवश्यक है। लाईन में फेरबदल की आवश्यकता होने तथा तकनीकी रूप से विस्थापन साध्य पाए जाने एवं मार्ग के अधिकार (आर.ओ.डब्ल्यू.) की आवश्यकता पूरी होने की स्थिति में फेरबदल की आपूर्तिकर्ता द्वारा आंकी गई लागत की राशि आवेदक द्वारा जमा करने पर इन विद्युत लाईनों के विस्थापन हेतु कार्यवाही की जा सकती है। इस हेतु आवेदक से किसी भी प्रकार का आवेदन संबंधित कार्यालय में प्राप्त नहीं होने के कारण कोई कार्यवाही नहीं की जा सकी है। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित क्षेत्र के अतिरिक्त जनपद पंचायत सिरमौर अंतर्गत ऐसे कोई भी स्थल चिन्हित नहीं हैं जहां पर आवासीय बस्ती के ऊपर/निकट से उच्चदाब लाईन गुजर रही हो और न ही इससे संबंधित कोई आवेदन पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संबंधित कार्यालय में प्राप्त हुआ है। (ग) रहवासियों द्वारा पूर्व से विद्यमान 11 के.व्ही. लाईन के नीचे वितरण कंपनी को बिना सूचना दिये अवैधानिक रूप से भवन निर्माण किया गया है, जिस हेतु निर्माणकर्ता स्वयं जिम्मेदार हैं। उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में तकनीकी साध्यता एवं लाईन शिफ्ट करने हेतु उपयुक्त स्थान उपलब्ध होने तथा संबंधितों द्वारा म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के संबंधित कार्यालय में लाईन शिफ्टिंग हेतु आवश्यक लागत राशि उपलब्ध कराने पर इन लाईनों को शिफ्ट कराया जाना संभव हो सकेगा। अत: वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
घटिया सड़क निर्माण की जाँच
[लोक निर्माण]
51. ( क्र.
622 ) श्री
दिव्यराज
सिंह : क्या लोक
निर्माण
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) जिला
रीवा अंतर्गत
ग्राम हरदुआ
से चिल्ला-चाकघाट
तक मार्ग
निर्माण हेतु
किस कंपनी को
निविदा
प्रदाय की गई
थी? उक्त
मार्ग की दूरी
एवं स्वीकृत
राशि का विवरण
उपलब्ध
करावें। (ख) क्या प्रश्नांश
(क) में
उल्लेखित
मार्ग का
निर्माण
अत्यंत घटिया
किस्म का है, जिस कारण
अल्प समय में
ही पूरा मार्ग
क्षतिग्रस्त
हो गया है। क्या
उक्त मार्ग के
निर्माण
कार्य की जाँच
कराई जावेगी? क्या
निर्माण
कार्य में संलग्न
कंपनी के
विरुद्ध
कार्यवाही
संस्थित की
जावेगी?
(ग)
क्या
प्रश्नांश (क) में
उल्लेखित
मार्ग का
पुनर्निर्माण
या मरम्मत की
जावेगी?
यदि
हाँ, तो
समय-सीमा
बतावें।
लोक
निर्माण
मंत्री ( श्री
सज्जन सिंह
वर्मा ) : (क)
मे.
गंगोत्री इन्टरप्राइजेज
लि. लखनऊ से
अनुबंध किया
गया था। उक्त
मार्ग की लम्बाई
92.256 कि.मी.
है एवं
प्रशासकीय स्वीकृति
की राशि रू. 196.73 करोड़ है। (ख) जी नहीं। मार्ग
का निर्माण
कार्य गुणवत्तापूर्वक
स्वतंत्र
सलाहकार मे.
आई.सी.टी.
प्रा.लि. की
देखरेख में
किया गया है। उक्त
मार्ग के
गुणवत्ता की
जाँच समय-समय
पर की गई है। कार्य
प्रारंभ की
तिथि 01.09.2015 है
एवं कार्य
पूर्ण करने की
तिथि 15.05.2018 है। वर्तमान
में उक्त
मार्ग का लगभग
4.37 कि.मी.
हिस्सा
विभिन्न स्थानों
पर
क्षतिग्रस्त
हुआ है। वर्तमान
में उक्त
मार्ग ठेकेदार
के दोष-दायित्व
अवधि में है, जिसका
संधारण भी स्वयं
ठेकेदार
द्वारा किया
जाना है। यदि
ठेकेदार
द्वारा
अनुबंध की शर्तों
के अनुरूप
समय-सीमा पर
संधारण कार्य
नहीं किया
जाता है तो
विभाग द्वारा
उसके विरूद्ध
अनुबंधानुसार
कार्यवाही की
जावेगी। (ग) जी हाँ। उक्त
मार्ग जिन स्थानों
पर
क्षतिग्रस्त
हुआ है उन स्थानों
पर आवश्यकतानुसार
पुनर्निर्माण/मरम्मत
कार्य
ठेकेदार
द्वारा स्वयं
किया जा रहा
है। यदि
ठेकेदार
द्वारा शीघ्र
ही संधारण
कार्य पूर्ण
नहीं किया
जाता है तो
उसके विरूद्ध
अनुबंधानुसार
दण्डात्मक
कार्यवाही कर
विभाग द्वारा
शीघ्र ही मरम्मत
कार्य करा
दिया जावेगा। समय-सीमा
बताया जाना
संभव नहीं है।
ओरछा-पृथ्वीपुर मार्ग पर जामनी व बेतवा नदी पर पुल निर्माण
[लोक निर्माण]
52. ( क्र. 636 ) श्री अनिल जैन : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या यह विधानसभा क्षेत्र निवाड़ी अंतर्गत ओरछा-पृथ्वीपुर मार्ग पर जामनी व बेतवा नदी पर प्रस्तावित पुल निर्माण की वित्तीय स्वीकृति शासन के द्वारा प्राप्त हो जाने के बाद भी निर्माण कार्य प्रारंभ शुरू नहीं किया गया है, यदि हां तो शासन द्वारा उक्त पुलों पर पुल निर्माण की प्रक्रिया कब से प्रारंभ की जावेगी? (ख) प्रश्नांश (क) में प्रश्नगत स्थान पर पुल निर्माण हेतु शासन द्वारा तकनीकी स्वीकृति आदेश एवं लागत राशि पुलवार बतावें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ, राज्य शासन द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई थी, परन्तु यह मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 12ए विस्तार घोषित होकर मध्यप्रदेश राज्य को इन्ट्रस्टेड हो जाने के कारण सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार के राष्ट्रीय राजमार्गों के मापदण्डानुसार प्राक्कलन बनाकर जामनी एवं बेतवा नदी पुल के निर्माण की स्वीकृति हेतु क्रमश: राशि रू. 42.67 करोड़ एवं 24.89 करोड़ के प्रेषित किये गये है, स्वीकृति उपरांत कार्य प्रारंभ किया जावेगा। (ख) मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग सेतु परिक्षेत्र भोपाल द्वारा कि.मी. 74/6 में जामनी नदी पर पुल तकनीकी स्वीकृति रूपये 2939.61 लाख की दि. 03.10.2018 द्वारा जारी की गयी एवं कि.मी. 81/2 पर बेतवा नदी पर पुल हेतु तकनीकी स्वीकृति रूपये 1803.60 लाख की दिनांक 09.10.2018 को जारी की गयी, किन्तु मार्ग की श्रेणी राष्ट्रीय राजमार्ग होने से शेष कार्यवाही प्रश्नांश 'क' के उत्तर अनुसार है।
बनखेड़ी लिंक रोड के गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य
[लोक निर्माण]
53. ( क्र. 660 ) श्री
ठाकुर दास
नागवंशी : क्या लोक
निर्माण
मंत्री महोदय
यह बताने की कृपा
करेंगे कि (क) क्या
विधानसभा
क्षेत्र
पिपरिया के
नगर परिषद
बनखेड़ी में (स्टेट
हाईवे 22) बनखेड़ी
बायपास
तिराहे से शहर
की ओर मस्जिद
चौराहे तक
लिंक रोड का
निर्माण
कराया गया हैं
यदि हां तो
कार्य प्रारंभ
का दिनांक, ठेकेदार
का नाम व
टेंडर की राशि
की जानकारी प्रदान
करें। (ख) क्या
लिंक रोड का
निर्माण होने
के उपरांत एक
माह के अंदर
ही मार्ग
जीर्णशीर्ण
होकर नष्ट हो
चुका हैं, जिसे
छिपाने के
लिये
विभाग/ठेकेदार
द्वारा मार्ग
पर बने गड्ढो को
मिट्टी से भर
दिया गया हैं यदि
नहीं, तो
क्या उक्त
मार्ग की जाँच
प्रश्नकर्ता
को शामिल करते
हुये कमेटी
बनायी जाकर
करायी जावेगी
यदि हां तो कब
तक नहीं तो
क्यों कारण
बताये? (ग) प्रश्नांश
(ख) का उत्तर
यदि हां तो क्या
ठेकेदार
द्वारा किये
गये गुणवत्ताहीन
निर्माण
कार्य के लिये
ठेकेदार के विरूद्ध
कोई वैधानिक
कार्यवाही की
गयी हैं यदि
हां तो
कार्यवाही का
विवरण सहित
जानकारी
प्रदान करें यदि
नहीं, तो
क्यों?
लोक
निर्माण
मंत्री ( श्री
सज्जन सिंह
वर्मा ) : (क)
जी
हाँ। ठेकेदार
मेसर्स संजय
पालिया है शेष
जानकारी
संलग्न
परिशिष्ट के
प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी नहीं, संलग्न
परिशिष्ट के
प्रपत्र 'अ', में उल्लेखित
कारणों को
दृष्टिगत
रखते हुए जाँच
का प्रश्न ही
उपस्थित नहीं
होता। (ग) जानकारी
संलग्न परिशिष्ट
के प्रपत्र 'अ' एवं 1 अनुसार है।
जानकारी उपलब्ध न कराने पर कार्यवाही
[जल संसाधन]
54. ( क्र. 684 ) श्री कमलेश जाटव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधायक अम्बाह द्वारा कार्यालयीन पत्र क्रमांक/जा.प्र./2019/क्यू 80, दिनांक 07-11-19 द्वारा एस.ई. जल संसाधन विभाग मुरैना से जनहित/शासनाहित से संबंधित आवश्यक जानकारियां चाही गई थी? यदि हां, तो क्या उपरोक्त जानकारी प्रदाय करा दी गई है। यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ख) क्या शासन विधायकों के पत्रों का समय-सीमा में जवाब न देने वाले अधिकारी के विरूद्ध कोई कार्यवाही करेगा? यदि हां, तो क्या एवं कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं तथा जानकारी कब तक उपलब्ध करा दी जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी हाँ। जी हाँ, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन संभाग, अंबाह के पत्र दिनांक 20.11.2019 द्वारा जानकारी उपलब्ध करा दी गई है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) प्रश्नांश ''क'' के परिप्रेक्ष्य में किसी अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही किए जाने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
मुख्यमंत्री स्थाई कृषक पंप कनेक्शन योजना
[ऊर्जा]
55. ( क्र. 701 ) श्री जुगुल किशोर बागरी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. के कृषकों पूर्ववर्ती सरकार ने मुख्यमंत्री स्थाई कृषक पंप कनेक्शन योजना प्रारंभ कर अस्थाई पंप कनेक्शन मुक्त बनाने के लिये योजना लागू की थी? जिसे वर्तमान सरकार ने आदेश क्रमांक 2257 दि. 20/3/19 द्वारा बंद कर दिया है तथा जिनके आवेदन लंबित थे उनका भी कार्य न कराते हुये उनके द्वारा जमा की गई राशि वापस करने हेतु निर्देशित किया गया है? विवरण देवें। (ख) उक्त योजना पुनः कब तक प्रारंभ की जावेगी? अगर नहीं तो क्या इससे कृषकों का कृषि क्षेत्र में नुकसान नहीं हो रहा है एवं भविष्य में नहीं होगा? (ग) उक्त योजना हेतु विगत पंचवर्षीय योजना में कितने मद की कितनी राशि आवंटित की गई थी तथा कितनी राशि व्यय की गई? शेष राशि किसके अनुमोदन से किस कार्य में व्यय की गई/जा रही है एवं क्यों? विवरण देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, स्थाई विद्युत पम्प कनेक्शन प्रदान करने के साथ-साथ अस्थाई विद्युत पम्प कनेक्शनों को स्थाई विद्युत पम्प कनेक्शनों में परिवर्तित करने की मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना को सितम्बर 2016 में दी गई स्वीकृति अनुसार यह योजना मार्च-2019 तक लागू थी। अत: उक्त योजना बन्द नहीं की गई है अपितु योजना की अवधि समाप्त हो जाने के कारण योजना अंतर्गत नये आवेदन स्वीकृत नहीं किये जा रहे हैं। जी नहीं, राज्य शासन के आदेश क्रमांक 2257 दिनांक 20.03.2019 द्वारा उक्त योजना को बंद करने के नहीं अपितु मार्च 2019 के पश्चात भी आगामी निर्देशों तक इच्छुक कृषकों के आवेदन स्वीकार करने के निर्देश दिये गये थे तथा राज्य शासन के पत्र क्रमांक 6385 दिनांक 26.07.2019 के माध्यम से यह निर्देशित किया गया था कि मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना की अवधि माह मार्च-2019 तक कृषक अंश जमा किये गये सभी प्रकरणों के कार्य मूल योजना के प्रावधान अनुसार ही किये जाने है। प्रचलित योजना की अवधि का विस्तार नहीं होने के परिप्रेक्ष्य में यह भी निर्देशित किया गया था कि ऐसे आवेदक जिन्होंने योजना अवधि समाप्ति उपरान्त आवेदन के साथ राशि जमा कर दी है, उनकी राशि तत्काल वापिस करने की व्यवस्था की जावे। (ख) प्रदेश के कृषकों को अधिक लाभ प्राप्त हो सके इस उद्देश्य से वर्तमान में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अंतर्गत मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना राज्य शासन के विचाराधीन है। अत: वर्तमान में योजना लागू करने की निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) उक्त योजना की प्रभावशील अवधि (वर्ष 2016-17 से वर्ष 2018-19 तक) में राज्य शासन द्वारा तीनों विद्युत वितरण कंपनियों को आवंटित की गई राशि एवं योजनान्तर्गत व्यय की गई राशि का विवरण निम्नानुसार है :-
वितरण कंपनी |
राज्य शासन द्वारा आवंटित राशि (रु. करोड़ में) |
योजना अंतर्गत व्यय राशि (रु. करोड़ में) |
रिमार्क |
मध्यक्षेत्र |
492.00 |
501.11 |
शेष 9.11 करोड़ रूपये की राशि की मांग हेतु वितरण कंपनी द्वारा राज्य शासन को लेख किया गया है। |
पश्चिम क्षेत्र |
774.9 |
750.64 |
राशि 774.9 करोड़ रु. में से राशि 712.9 करोड़ रु. कंपनी के खाते में जमा की गयी एवं इसके अतिरिक्त राशि 62.00 करोड़ रु. कंपनी को नकद रुप में नहीं प्रदाय कर समायोजन के रूप में आवंटित की गयी। |
पूर्व क्षेत्र |
615.74 |
615.74 |
|
अत: योजनान्तर्गत कोई राशि वितरण कंपनियों के पास शेष नहीं होने से प्रश्नाधीन शेष जानकारी दिया जाना अपेक्षित नहीं है।
खान नदी की कार्य योजना
[पर्यावरण]
56. ( क्र. 705 ) श्री आकाश कैलाश विजयवर्गीय : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इन्दौर शहर से गुजरने वाली खान नदी में फैक्ट्रियों व शहर का गन्दा पानी छोड़ा जाता है, जिससे जहरीला गन्दा पानी रिसकर भूजल में मिल कर नदी के दोनों तरफ के बोरिंगों के जल को प्रदूषित कर रहा है? (ख) यदि हाँ, तो जिला प्रशासन द्वारा इसे रोकने हेतु क्या कार्य योजना बनाई गई है? स्पष्ट करें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) खान नदी में फैक्ट्रियों द्वारा गंदा पानी नहीं छोड़ा जाता है, अपितु नदी में घरेलू दूषित जल प्रवाहित होता है, जिससे नदी के आसपास के कुल 60 ट्यूबवेल/हैंडपंप आदि में 59 स्थानों के जल नमूनों में टोटल कोलीफार्म पैरामीटर के आधार पर सीधे पीने योग्य नहीं पाया गया। कुछ जल नमूनों में टीडीएस, हार्डनेस, क्लोराइड एवं सल्फेट की मात्रा निर्धारित मानकों से अधिक पाई गई है। शेष प्रचालकों की गुणवत्ता सामान्य पाई गई है। (ख) खान नदी में प्रदूषण रोकने हेतु माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा प्रकरण क्रमांक 673/2018 में दिये गये आदेशानुसार ‘‘खान नदी शुद्धिकरण कार्ययोजना'' बनाई गई है। इस योजना के क्रियान्वयन पश्चात् भू-जल गुणवत्ता में सुधार होने की संभावना है।
उदयपुरा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत सड़क निर्माण
[लोक निर्माण]
57. ( क्र. 721 ) श्री देवेन्द्र सिंह पटेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उदयपुरा विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत विगत 05 वर्षों में लोक निर्माण विभाग की कौन-कौन सी सड़कों का निर्माण कार्य कब-कब हुआ था? वित्तीय एवं भौतिक स्थिति से अवगत करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार निर्मित कौन-कौन सी सड़कों का समय-सीमा के पहले ही खराब होकर रिनोवेशन कराया गया है? शेष सड़कों का रिनोवेशन कब तक कर दिया जायेगा? समय-सीमा से पहले ही खराब होने वाली सड़कों के लिए क्या कार्यवाही होगी तथा दोषी अधिकारी/ठेकेदार के विरूद्ध कोई कार्यवाही की जावेगी? (ग) प्रश्नांश (क) के अनुसार उदयपुरा विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत निर्माणाधीन नई सड़कों के कार्य कब तक पूर्ण कर दिये जावेंगे?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) कोई नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
मंजरो/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य
[ऊर्जा]
58. ( क्र. 727 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत स्वीकृत फाल्यों का विद्युतीकरण कार्य अन्तर्गत वित्तीय वर्ष में कितने मंजरे/टोलों का विद्युतीकरण कार्य किया गया है? सूची उपलब्ध करावें तथा वर्तमान में कुल कितने मजरो/टोलों का विद्युतीकरण कार्य शेष है? सूची उपलब्ध करावें? शेष मजरे/ टोले का विद्युतीकरण कार्य कब तक पूर्ण होगा? (ख) मजरों/टोलों का विदयुतीकरण अत्यंत धीमीगति से चलने का क्या कारण है? क्या इस लक्ष्य को शीघ्र पूर्ण करने हेतु विभाग द्वारा कोई योजना तैयार की गई है? यदि हाँ, तो विवरण दें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) उल्लेखनीय है कि सौभाग्य योजनान्तर्गत सभी पात्र हितग्राहियों को घरेलू विद्युत कनेक्शन प्रदान करने के उपरांत भी प्रचलित योजनाओं में ग्रामों/ मजरों/टोलों के सघन विद्युतीकरण का कार्य किया जा रहा है। भीकनगाँव विधानसभा क्षेत्रांतर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में 265 मजरों/टोलों के सघन विद्युतीकरण का कार्य दिनांक 30.11.2019 तक पूर्ण किया गया है, जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। वर्तमान में दीनदयालय उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनान्तर्गत 39 मजरों/टोलों जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है, में प्रणाली सुदृढ़ीकरण यथा 11 के.व्ही. लाईन, वितरण ट्रांसफार्मर एवं निम्नदाब लाईन का कार्य प्रगति पर है जिसे मार्च 2020 तक पूर्ण कर लिया जावेगा, इसके अतिरिक्त पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार 53 मजरे/टोले ऐसे है जो कि वन क्षेत्रान्तर्गत स्थित है तथा इनमें वन विभाग द्वारा गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोतों (सोलर पैनल) सहित किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की वजह से इनके विद्युतीकरण का कार्य नहीं किया जा सका है। इन 53 मजरों/टोलों के विद्युतीकरण के लिए वन विभाग की अनुमति प्राप्त करने हेतु पुन: प्रयास किये जा रहे है। वन विभाग की अनुमति प्राप्त होने की स्थिति में ही इनके विद्युतीकरण का कार्य भविष्य में वित्तीय उपलब्धता अनुसार किया जाना संभव हो सकेगा। (ख) वित्तीय वर्ष 2019-20 में दुर्गम पहाडि़यों में कार्य किये जाने तथा अत्यधिक वर्षा होने की वजह से मजरों/टोलों के सघन विद्युतीकरण का कार्य चुनौतीपूर्ण था किन्तु इन परिस्थितियों में भी 265 मजरों/टोलों के सघन विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया गया। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत 39 मजरों/टोलों के सघन विद्युतीकरण सहित शेष बचे कार्यों में विलंब हेतु टर्न-की ठेकेदार को कारण बताओं सूचना पत्र जारी किये गये है एवं उनके द्वारा तय समय-सीमा में कार्य नहीं करने पर नियमानुसार उनके बिलों से लिक्विडेटेड डैमेज के रूप में पेनाल्टी स्वरूप 5 प्रतिशत राशि काटी गई है। यह उल्लेखनीय है कि पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्र में घुमक्कड़/वन विभाग के अधिपत्य/अतिक्रमण आबादी क्षेत्र की अनियमित/अविकसित बस्तियों को छोड़कर सभी मजरों/टोलों/बसाहटों के विद्युतीकरण का कार्य किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त प्रचलित योजनाओं में कार्य पूर्णता उपरांत अन्य किसी मजरे/टोले/बस्ती/बसाहट/घर का निर्माण होने पर वित्तीय उपलब्धता अनुसार एक सतत् प्रक्रिया के अंतर्गत विद्युतीकरण के कार्य संपन्न किये जायेंगे।
नहर से पानी की निकासी गांव के बाहर नदी में किया जाना
[जल संसाधन]
59. ( क्र. 782 ) श्री के.पी. त्रिपाठी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा जिले के सेमरिया विधान सभा क्षेत्रांतर्गत पटना में तेली वाला बांध से बीहर नदी तक पानी की निकासी न बनाए जाने के कारण किसानों की करीब 100 एकड़ की फसल बर्बाद हो रही है। क्या प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा अपने पत्र क्रमांक 219 दिनांक 31/10/2019 एवं पत्र क्रमांक 16 दिनांक 30/12/2018 द्वारा विभागीय समक्ष अधिकारियों को समय-समय पर अवगत कराया गया परंतु विभागीय अधिकारियों द्वारा अभी तक किसी प्रकार की ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। क्या इस नहर का टेल गांव के ऊंचे हिस्से में करके छोड़ दिया गया है जब कि नहर का टेल नदी में ले जाकर गिराना चाहिये क्या इसकी वजह से ही पटना निवासी वंशपति शाहू की फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाने से बैंक का कर्ज नहीं चुका पाने एवं कर्ज का नोटिस मिलते ही उन्होने आत्महत्या कर ली थी? (ख) यदि हाँ, तो क्या सरकार इस घटना में गंभीर होकर जल निकासी हेतु नहर के टेल को ले जाकर नदी में गिराने हेतु त्वरित कार्यवाही कर कृत कार्यवाही से प्रश्नकर्ता सदस्य को अवगत कब तक कराएगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी नहीं, लगभग 20 एकड़ में आंशिक नुकसान हुआ था। जी हाँ, प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा अवगत कराये जाने पर विभाग द्वारा जल उपभोक्ता संथा पटना के माध्यम से जेसीबी मशीन से नाली बनवाकर नदी से जोड़ने का कार्य प्रारंभ किया गया किंतु 90 मीटर तक नाली बनाने के पश्चात किसानों के विरोध के कारण कार्य रोक दिया गया अत: तेली वाला बॉध से बीहर नदी तक नाली निर्माण हेतु अनिवार्य भू-अर्जन प्रकरण तैयार किया जा रहा है। जी हाँ। इस नहर का टेल बीहर नदी तक नहीं जोड़ते हुए बीच में ही छोड़ दिया गया था। जिसे पूर्ण करने के लिए भू-अर्जन की कार्यवाही प्रगतिरत है। उक्त प्रभावित भूमि में पटना निवासी वंशपति साहू की भूमि नहीं है अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी नहीं। भू-अर्जन पश्चात नहर के टेल को बीहर नदी से मिलाने का कार्य पूर्ण कर प्रश्नकर्ता सदस्य को अवगत कराया जावेगा। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
अन्त्येष्टि सहायता राशि के स्वीकृत प्रकरण
[श्रम]
60. ( क्र. 783 ) श्री के.पी. त्रिपाठी : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले के विकासखण्ड रीवा, सिरमौर एवं रायपुर कर्चु. में मृत्यु अन्त्येष्टि सहायता के प्रकरण स्वीकृत पड़े हैं। विकासखण्ड रीवा में करीब 50.00 लाख के विकासखण्ड सिरमौर में करीब 3.00 करोड़ के एवं विकासखण्ड रायपुर कर्चु. 0 में 2.00 करोड़ के प्रकरण स्वीकृत होकर राशि की प्रत्याशा में लंबित हैं। सरकार से राशि न मिलने की वजह से प्रभावित व्यक्तियों को मृत्यु अन्त्येष्टि सहायता राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है। क्या सरकार इन स्वीकृत प्रकरणों में सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुये राशि उपलब्ध कराकर प्रभावित परिवारों को मृत्यु अन्त्येष्टि सहायता राशि का भुगतान करायेगी? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में यदि उत्तर जी हाँ, तो कब तक इन समस्त हितग्राहियों को मृत्यु अन्त्येष्टि सहायता राशि का भुगतान कर दिया जायेगा?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी नहीं। अंत्येष्टि सहायता के कोई भी स्वीकृत प्रकरण राशि नहीं मिलने के कारण भुगतान हेतु लंबित नहीं है। (ख) प्रश्नांश ‘‘क‘‘ के परिप्रेक्ष्य में उपस्थित नहीं होता।
निर्माणाधीन सोलर पॉवर प्लांट की जानकारी
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
61. ( क्र. 823 ) श्री सुरेश धाकड़ : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शिवपुरी जिले में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन करने के लिये सोलर पॉवर प्लांट स्थापित करने की स्वीकृति जारी की गई है? जिसके तहत वर्तमान में सोलर पॉवर प्लांट निर्माणाधीन है यदि हाँ, तो कहां पर कितनी-कितनी क्षमता के पॉवर प्लांट किसके द्वारा स्थापित किये जा रहे हैं? (ख) क्या उक्त सोलर पॉवर प्लांट स्थापित करने हेतु किसानों एवं शासन की भूमि अधिगृहित की गई है? यदि हाँ, तो किस-किस किसान की कितनी-कितनी भूमि किस दर पर कितनी-कितनी राशि की अधिगृहित की गई है? क्या उक्त पॉवर प्लांट हेतु फॉरेस्ट से एन.ओ.सी. ली गई है? यदि हाँ, तो एन.ओ.सी. की छायाप्रति संलग्न कर जानकारी दें? (ग) क्या ग्राम विनेगा में अधिगृहित निजी भूमि जिस व्यक्ति से अधिगृहित की गई है वह पूर्व में आदिवासियों की थी? यदि हाँ, तो कितनी भूमि थी? (घ) क्या उक्त पॉवर प्लांट निर्माता कम्पनियों से एम.ओ.यू. एवं पी.पी.ए. पर हस्ताक्षर किये हैं, यदि हाँ, तो एम.ओ.यू. एवं शासन/विभाग उक्त कम्पनियों से किस दर पर कितनी अवधि के लिये बिजली क्रय करेगा?
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : (क) जी हाँ। स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जी नहीं, परियोजना विकासकों द्वारा निजी भूमि क्रय की गई है। अतएव संदर्भित प्रश्नांश लागू नहीं। जी हाँ, कंपनी द्वारा परियोजना स्थापना के पहले वन विभाग से एन.ओ.सी. (अनापत्ति प्रमाण पत्र) प्राप्त की जाती है, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) उक्त पॉवर प्लांट निर्माता कंपनियों का पी.पी.ए. मध्य प्रदेश की किसी शासकीय कंपनी से नहीं है।
कुटीर एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना हेतु ऋण राशि
[कुटीर एवं ग्रामोद्योग]
62. ( क्र. 824 ) श्री सुरेश धाकड़ : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में कुटीर एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना हेतु सहयोग एवं ऋण व अनुदान स्वीकृत करने की कोई योजना संचालित है, यदि हां तो कौन-कौन सी योजनाएं संचालित हैं? योजनाओं की प्रति संलगन कर जानकारी दें? (ख) किन किन कुटीर एवं ग्रामोद्योग को न्यूनतम एवं अधिकतम कितना ऋण एवं कितना अनुदान स्वीकृत किया जाता है? इसके आवेदन के लिये क्या-क्या प्रक्रिया किस प्रकार अपनायी जाती है? प्रक्रिया के विवरण सहित जानकारी दें? (ग) क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग से हितग्राहियों के स्वीकृत प्रकरणों को बैंक द्वारा बगैर जमानत एवं गारंटी के ऋण राशि स्वीकृत नहीं की जाती है, यदि हां तो ऋण राशि स्वीकृत कराने हेतु शासन की क्या व्यवस्था है?
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। योजना अंतर्गत बैंक द्वारा हितग्राही से गारंटी लिये बिना ऋण स्वीकृत किये जाते है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
वरियता क्रम अनुसार पदस्थापना
[जल संसाधन]
63. ( क्र. 847 ) श्री राकेश पाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले में जल संसाधन विभाग में कार्यरत वरियता क्रमानुसार नियमित कार्यपालन यंत्रियों (वर्तमान पदस्थापना सहित, सहायक यंत्रियों (वर्तमान पदस्थापना सहित), सूची तथा सिवनी जिले के जल संसाधन संभागों में पदस्थ प्रभारी कार्यपालन यंत्रियों एवं उपसंभागों में पदस्थ प्रभारी सहायक यंत्रियों (एस.डी.ओ.) की सूची दें उनकी वरियताक्रम को दर्शाते हुए प्रदान करें। (ख) सिवनी जिले के जल संसाधन विभाग के संभागों एवं उप संभागों में पदस्थ प्रभारी अधिकारियों को उनकी वरियताक्रम को दरकिनार करते हुए निम्न वरियता क्रम के अधिकारी को वरियता प्रदान करते हुए संभाग/उप संभाग का प्रभारी अधिकारी बनाया गया है यदि हां तो क्या यह शासन/विभाग के नियम के अनुकूल है यदि नहीं, तो ऐसा करने वाले अधिकारी के विरूद्ध शासन/विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जावेगी और कब तक? (ग) सिवनी जिले के जल संसाधन संभाग क्रमांक-1 में पदस्थ प्रभारी कार्यपालन यंत्री श्री पी.एन. नाग जो कि मूलत: नियमित सहायक यंत्री है। इसी संभाग के उगली उप संभाग में पदस्थ सहायक यंत्री श्री चौधरी जो श्री नाग से वरिष्ठता क्रम में ऊपर होने के बाबजूद भी वरिष्ठता क्रम में नीचे होने वाले अधिकारी को उक्त संभाग का प्रभारी बनाया गया है? क्या यह शासन/विभाग के नियम के अनुकूल है यदि नहीं, तो ऐसा करने वाले अधिकारी के विरूद्ध शासन द्वारा क्या कार्यवाही की जावेगी और कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब''अनुसार है। (ख) जी हाँ। जल संसाधन विभाग अंतर्गत चल रहे विकास कार्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रशासकीय हित में वैकल्पिक व्यवस्था के अंतर्गत कार्यभार सौंपा गया है। अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने तथा समय-सीमा बताए जाने का प्रश्न ही नहीं उठता है। (ग) जी हाँ। उत्तरांश ''ख'' के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सिंचाई योजनाओं की विस्तार एवं प्रशासकीय स्वीकृति
[जल संसाधन]
64. ( क्र. 849 ) श्री राकेश पाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले के विकासखण्ड छपारा के अंतर्गत बिजना पिकअप वियर योजना की प्रशासकीय/ तकनीकी स्वीकृति हेतु विभाग द्वारा आज दिनांक क्या-क्या प्रयास किये गये हैं? उक्त योजना की प्रशासकीय/तकनीकी स्वीकृति अभी तक नहीं दिये जाने के क्या कारण हैं? इसमें आ रही बाधाओं का निराकरण कर शासन/विभाग कब तक इसकी प्रशासकीय/तकनीकी स्वीकृति प्रदान कर निविदा आमंत्रित करेगा? (ख) जिला छिन्दवाड़ा के विकासखण्ड चौरई में निर्मित/निर्माणाधीन माचागोरा बांध एवं इससे संबंधित सभी संरचनायें का निर्माण करने वाले निर्माण एजेंसी (ठेकेदार) का नाम, इनको दिया गया कार्यादेश की जानकारी दें। (ग) सिवनी जिले के विधान सभा क्षेत्र केवलारी के अंर्तगत विभिन्न ग्रामों की कृषि भूमि के लिये पेंच व्यपवर्तन परियोजना की मुख्य नहर का विस्तार कार्य की स्वीकृति शासन/विभाग से कराने हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा मुख्य अभियंता वैनगंगा कछार जल संसाधन विभाग सिवनी को पत्र मार्च-2019 में लिखा गया था, तत्संबंध में क्या कार्यवाही की गई एवं नहर विस्तार कार्य की कब तक स्वीकृति प्रदान की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) बिजना पिकअप वियर योजना की प्रशासकीय स्वीकृति के प्रकरण में मुख्य अभियंता बोधी के पत्र दिनांक 07.09.2019 द्वारा उठाई गयी आपत्तियों का निराकरण मैदानी स्तर पर प्रक्रियाधीन है। परियोजनाओं की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव शासन स्तर पर प्राप्त होने पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाना संभव होगा। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नकर्ता द्वारा मुख्य अभियंता, बैनगंगा कछार, सिवनी को मार्च-2013 में प्रेषित पत्र के परिप्रेक्ष्य में पेंच बाँध में अतिरिक्त पानी की अनुपलब्धता के कारण अतिरिक्त रकबे में सिंचाई हेतु अथवा अन्य जलाशयों में पेंच बॉंध का पानी पहुंचाया जाना संभव नहीं होने के तथ्य से कार्यपालन यंत्री, पेंच व्यपवर्तन परियोजना नहर संभाग, सिंगना, तह. चौरई जिला छिंदवाड़ा के पृ.दिनांक 27.04.2019 द्वारा प्रश्नकर्ता को अवगत कराया गया है अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का स्थायीकरण
[उच्च शिक्षा]
65. ( क्र. 868 ) श्री अजय विश्नोई : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर नगर में संचालित शासकीय मानकुंवर बाई कला एवं वाणिज्य महिला महाविद्यालय में कुल कितने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी/श्रमिक कार्यरत हैं? कर्मचारियों के नाम, संकाय, नियुक्ति दिनांक सहित सूची उपलब्ध करायें? (ख) क्या विभाग लम्बे समय से कार्यरत इन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी/श्रमिक को नियमित, स्थायीकरण करने पर विचार कर रहा है? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (ग) क्या उक्त महाविद्यालय के कुछ स्थायी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का बजट आवंटन विगत तीन वर्षों से लंबित है? उक्त बजट का आवंटन कब तक प्रदान किया जायेगा? (घ) क्या विभाग पूर्व में नियमित किये गये दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों जैसे शेष बचे हुये कर्मचारियों को भी 7 अक्टूबर 2016 की उक्त सेवा योजना का लाभ प्रदान करेगा? हॉ तो कब तक? नहीं तो क्यों नहीं?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जबलपुर नगर में संचालित शासकीय मानकुंवर बाई कला एवं वाणिज्य महिला महाविद्यालय में कुल श्रमिक कार्यरत की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार है। (ख) शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितिकरण प्रकरणों में सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्रों में दिये गये निर्देशों के अनुरूप समग्र रूप से सभी प्रकरणों में परीक्षणोपरांत उच्च स्तर पर समिति द्वारा पूर्व में निर्णय लिया जा चुका है। इस निर्णय के पश्चात् किसी भी प्रकरण में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण करने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' अनुसार है। (ग) जी नहीं। वर्ष 2017-18, 2018-19 एवं 2019-2020 में जारी आवंटन की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''स'' अनुसार है। (घ) जी नहीं। मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र क्रमांक एफ 5-1/2013/1/13, भोपाल दिनांक 07.10.2016 की कंडिका क्रमांक-1.8 की शर्तों के अनुसार छानबीन समिति की बैठक दिनांक 01.12.2017 एवं 04.12.2017 द्वारा शेष दैनिक श्रमिक उक्त आदेश के अनुसार पात्र नहीं पाये जाने के कारण सेवा योजना का लाभ देने में कठिनाई है।
सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता
[जल संसाधन]
66. ( क्र. 890 ) श्री गिर्राज डण्डौतिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के ता. प्रश्न क्रमांक (545) दिनांक 17.07.2019 के पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार शाखाओं एवं उपशाखाओं के 304 गांवों में पानी सिंचाई हेतु प्रतिवेदित है एवं (ग) में जी नहीं अंतिम छोर में नहर से पानी की उपलब्धता पर निर्भर है। कोटा बैराज से कभी-कभी पर्याप्त पानी नहीं मिलने से अंतिम छोर पर कमी आती है, उत्तर दिया है तो उपरोक्त उल्लेखित 304 गांवों में विगत 03 वर्षों में कितने क्षेत्र में पानी उपलब्ध कराकर किन-किन गांवों में कितने हैक्टेयर सिंचाई की गई? (ख) संदर्भित प्रश्नांश के उत्तरांश (ख) में कोटा बैराज से पानी की उपलब्धता का उल्लेख किया है तो इस हेतु शासन प्रशासन खण्ड मुरैना द्वारा अम्बाह में पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सके इस हेतु किए गए पत्र व्यवहार पर क्या-क्या कार्यवाहियाँ हुई प्रति उपलब्ध करावे। यदि नहीं, क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार है। (ख) शासन प्रशासन खण्ड मुरैना द्वारा अंबाह क्षेत्र में पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने हेतु पत्राचार या निर्देशन किए जाने पर कृषकों के हित में सकारात्मक कार्यवाही की गई जिससे वर्ष 2019-20 में कोटा बैराज, राजस्थान से मध्यप्रदेश की मांग अनुसार पानी मिल रहा है। पानी की मात्रा में कमी होने पर मध्यप्रदेश शासन स्तर से प्रभावी कार्यवाही की जाकर मॉंग अनुसार पानी उपलब्ध कराया जाता है। इस संबंध में किए गये पत्र व्यवहार की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''1'' अनुसार है।
हरिगावां शिकारपुर चौकी मार्ग वाया नगर जिनावली की जाँच
[लोक निर्माण]
67. ( क्र. 891 ) श्री गिर्राज डण्डौतिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हरिगवां शिकारपुर चौकी मार्ग वाया नगरा जिनावली मार्ग की प्रशासकीय स्वीकृति कब की गई व इस मार्ग के ठेकेदार का नाम, पता, प्राक्कलन की प्रति, कुल प्राप्त ठेकेदार द्वारा टेण्डर एवं स्वीकृत कार्य SOR/CSR से Below & Above होकर रेट क्या है? स्वीकृतकर्ता का नाम व पद बतावें। (ख) ठेकेदार द्वारा अनुबंध के समय कार्य प्रारंभ व पूर्ण दिनांक क्या था व प्रक्कलन में कच्चा माल जैसे- रेत, गिट्टी, सीमेन्ट हेतु किस कंपनी किस खदान आदि का उपयोग होने का उल्लेख है? (ग) क्या उपरोक्त मार्ग में प्रयोग किया जा रहा कच्चा माल प्राक्कलन के अनुसार न होकर अन्य जगह से लाकर प्रयोग किया जा रहा है जो प्राक्कलन में मात्रा (अनुपात) दी गयी है उसके कम मात्रा में उपयोग किया जाकर कार्य अत्याधिक घटिया किस्म का है। (घ) क्या उपरोक्त रोड निर्माण की जाँच स्पेशल गठित शासकीय एजेन्सी चम्बल/ग्वालियर संभाग के अधिकारियों से हटकर अन्य किसी जगह के अधिकारियों से प्रश्नकर्ता के समक्ष की जायेगी, यदि हां तो कब तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) प्रश्नांश लोक निर्माण विभाग से सम्बंधित नहीं है अपितु म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण से सम्बंधित है। महाप्रबंधक, म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण परियोजना क्रियान्वयन इकाई मुरैना से प्राप्त जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) से (घ) उत्तरांश 'क' अनुसार।
कुटीर एवं ग्राम उद्योगों को बढ़ावा
[कुटीर एवं ग्रामोद्योग]
68. ( क्र. 905 ) श्री जयसिंह मरावी : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शहडोल जिले में वर्ष 2017-18 से 2019-20 में कितने कुटीर एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना हेतु कितनी किस प्रकार की सहायता दी गई? (ख) प्रश्नांश (क) अन्तर्गत कुटीर एवं ग्रामोद्योगों से वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 एवं 2019-20 में कितने-कितने लोगों को रोजगार उपलब्ध हुआ है तथा उनकी आर्थिक स्थिति में कितने प्रतिशत वृद्धि हुयी है? (ग) क्या संचालित कुटीर एवं ग्रामोद्योग जिले के बेरोजगारों की संख्या के आधार पर पर्याप्त है? यदि नहीं, तो कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की क्या-क्या योजना है?
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : (क) जानकारी वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक कुटीर एवं ग्रामोद्योग स्थापना हेतु दी गई सहायता की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) कुटीर एवं ग्रामोद्योगों के अंतर्गत उक्त अवधि में उपलब्ध रोजगार की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। उनकी आर्थिक स्थिति में वद्धि का कोई मूल्यांकन उपलब्ध नहीं है। (ग) विभाग को उपलब्ध बजट के आधार पर ही जिलेवार भौतिक लक्ष्यों का निर्धारण किया जाता है। संचालित योजनाओं के माध्यम से ही कुटीर उद्योगों को बढावा दिया जावेगा।
खुजनेर नगर में नवीन कॉलेज की स्वीकृति
[उच्च शिक्षा]
69. ( क्र. 908 ) श्री
बापूसिंह
तंवर : क्या
खेल और युवा
कल्याण
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) क्या
प्रश्नकर्ता
विधायक ने
राजगढ़ विधान सभा
क्षेत्र
अंतर्गत
खुजनेर नगर
में नवीन महाविद्यालय
स्वीकृत
करने संबंधी
पत्र क्रमांक 1376 दिनांक 15.07.2019 द्वारा
माननीय
मंत्री महोदय
से अनुरोध
किया था?
यदि
हाँ, तो
प्रश्न
दिनांक तक उक्त
पत्र पर शासन
ने क्या-क्या
कार्यवाही की? (ख) प्रश्नकर्ता
विधायक के
पत्र के
परिप्रेक्ष्य
में जनहित तथा
छात्रों को
समुचित उच्च
शिक्षा सहज
सुलभ हो इस
बाबत विचार कर
क्या खुजनेर
नगर में नवीन
महाविद्यालय
प्रारंभ कर
देगा?
खेल
और युवा
कल्याण
मंत्री ( श्री
जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। परीक्षणोपरांत
पाया गया कि
खुजनेर नगर से
शासकीय
महाविद्यालय
पचोर की दूरी 15 कि.मी. है
एवं शासकीय
महाविद्यालय
राजगढ़ की दूरी
30 कि.मी. है, जहाँ पर
विद्यार्थी
अध्ययन कर
सकते हैं। चूँकि
सीमित संसाधन
के कारण नवीन
महाविद्यालय
खोलने में
कठिनाई है, इस संबंध
में अभी कोई
कार्यवाही
नहीं की गई है।
(ख) वर्तमान
में सीमित
संसाधनों के
कारण खुजनेर
में नवीन
महाविद्यालय
खोले जाने में
कठिनाई है।
खेल एवं युवा कल्याण सिवनी की जानकारी
[खेल और युवा कल्याण]
70. ( क्र. 950 ) श्री रामकिशोर कावरे : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) डॉ. पूर्णिमा जोशी जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी सिवनी नियुक्ति दिनांक से जिला मुख्यालय से कब-कब किस स्वीकृति/आदेश के आधार पर बाहर रहीं, उनके मुख्यालय से बाहर रहने के दौरान कार्यालय से जारी समस्त पत्रों की सत्यापित छायाप्रति सहित जानकारी देवें। (ख) डॉ. पूर्णिमा जोशी जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी सिवनी द्वारा नियुक्ति दिनांक से प्रश्न दिनांक तक जारी क्रय आदेश एवं सभी प्रकार की क्रय सामग्री की सत्यापित जानकारी देवें? (ग) क्या संचानालय के पत्र क्रमांक/15/खेयुक/2017/स्था/भोपाल दिनांक 13-04-2017 के साथ जारी निर्देश एवं अनुबंध पत्र के प्रारूप अनुसार संविदा ग्रामीण युवा समन्वयक जीवनयापन हेतु अन्य कोई कार्य कर सकते है, यदि हाँ, तो किस आधार पर, यदि नहीं, तो जिला सिवनी में श्री निकेश पदमाकर, संविदा ग्रामीण युवा समन्वयक विकासखण्ड कुरई किस आधार पर प्राईवेट अकादमी संचालित करने के साथ ही अन्य प्राईवेट शिक्षण संस्थान में सेवारत है? (घ) जिला सिवनी, बालाघाट, मण्डला में समर कैंप 2018 से अब तक का आवंटन नियमानुसार किया गया है। यदि हाँ, तो समस्त क्रय आदेश भुगतान किये गये नये देयक की जानकारी के साथ वितरित सामग्री किस-किस को किस आधार पर वितरित की गयी? (ड.) संचालनालय द्वारा सिवनी, बालाघाट, मण्डला जिले में 2017 से अब तक प्रदाय समस्त ओपन जिम एवं अन्य स्थाई प्रकार की खेल सामग्री जिसका भुगतान संचालनालय द्वारा किया जा चुका है, की जानकारी दें।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) से (ड.) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
ग्रामोदय विश्वविद्यालय में पेंशन का प्रावधान
[उच्च शिक्षा]
71. ( क्र. 990 ) श्री नीलांशु चतुर्वेदी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि सतना जिले में स्थित महात्मा गॉधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों एवं कर्मचारियों को शासन द्वारा पेंशन प्रदान करने के संबंध में प्रश्न क्रमांक 620 दिनांक 28.06.2018 के प्रश्नांश (ख) के उत्तर में बताया गया था कि पेंशन का प्रावधान रखा गया है तो क्या शासन द्वारा अब पेंशन दी जा सकती है यदि हाँ, तो कब तक पेंशन शुरू की जावेगी यदि नहीं, तो क्यों?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) प्रश्न क्रमांक 620 दिनांक 28/06/2018 के उत्तर में शासन द्वारा पेंशन प्रदान करने का उल्लेख नहीं किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
सिंचाई हेतु पानी छोड़ने के मापदण्ड
[जल संसाधन]
72. ( क्र. 991 ) श्री नीलांशु चतुर्वेदी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बाणसागर बहुउद्देश्य सिंचाई परियोजना से बाणसागर का पानी सतना जिले के किसानों के लिए छोड़े जाने के क्या मापदण्ड है? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या पानी छोड़े जाने के निर्धारित मापदण्डों के पालन में अधिकारियों द्वारा मनमानी की जाती है, यदि हाँ, तो इसे रोकने के लिए विगत 3 वर्षों में क्या-क्या कार्यवाही कब-कब की गई बतायें। (ग) क्या सिंचाई हेतु बाणसागर का पानी छोड़ने में मनमानी के कारण इस वर्ष रबी की बोवाई में विलंब हुआ, ऐसे में दोषियों पर क्या कार्यवाही की जायेगी? यदि हां तो कब तक यदि नहीं, तो क्यों नहीं।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) से (ग) किसानों की मॉंग के अनुसार। जी नहीं। जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
जलाशयों की भण्डारण क्षमता की जानकारी
[जल संसाधन]
73. ( क्र. 1006 ) श्री जजपाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अशोकनगर जिले के अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कहॉ-कहॉ कितनी भंडारण क्षमता के कौन-कौन से जलाशय कब निर्मित किये गये एवं निर्माण काल के समय उन जलाशयों द्वारा कितने जल का भंडारण कर कहॉ की कितने क्षेत्रफल की भूमि सिंचित करना प्रस्तावित थी तथा निर्माण काल के समय इन जलाशयों की कितनी लंबाई की नहर निर्मित थी एवं क्या नहर के अंतिम छोर तक सिंचाई हो रही थी। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित जलाशयों में से किन-किन जलाशयों की भंडारण क्षमता वर्तमान समय में कम हो गई है। एवं किन-किन जलाशयों का पानी नहर के अंतिम बिंदु तक नहीं पहुंच रहा है। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित जलाशयों की भंडारण क्षमता कम होने एवं नहर के अंतिम छोर तक सिंचाई का पानी न पहुचनें के क्या कारण हैं उल्लेखित जलाशयों की शत् प्रतिशत करने एवं नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने हेतु विभाग द्वारा क्या कार्य योजना प्रस्तावित है, प्रस्तावित कार्ययोजना अनुसार उल्लेखित निर्माण कार्य कितनी लागत से किस प्रकार कब तक निर्मित किये जावेंगे। (घ) अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कहॉ-कहॉ पर नवीन जलाशयों का निर्माण प्रस्तावित है यह प्रस्ताव किस स्थिति में किस स्तर पर लंबित है। तथा अशोकनगर के प्राचीन जलाशयों की क्षतिग्रस्त नहरों का पुनर्निर्माण कर नहरों में सी.सी. निर्माण कार्य क्या कराया जावेगा। यदि हाँ, तो किस प्रकार कब तक यदि नहीं, तो क्यों नहीं।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''1'' अनुसार है। (ख) किसी जलाशय की भण्डारण क्षमता कम नहीं हुई है। अमाही, जमाखेड़ी एवं मढ़ी कानूनगो तालाब। विकासखण्डवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''2'' अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''3'' अनुसार है। प्रस्तावित कार्य योजना का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''3'' अनुसार है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) किसी नवीन जलाशय का निर्माण प्रस्तावित नहीं है, अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। जी हाँ। प्रस्ताव तैयार किया जाना प्रतिवेदित है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
सड़क मार्ग की जानकारी
[लोक निर्माण]
74. ( क्र. 1007 ) श्री जजपाल सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सड़क मार्ग अशोकनगर से आरोन तक, को लोक निर्माण विभाग से एम.पी.आर.डी.सी. को हस्तांतरण हुये कितना समय हुआ है? (ख) एम.पी.आर.डी.सी. ने मार्ग के संधारण पर कितनी राशि व्यय की है? (ग) क्या वर्तमान में मार्ग की स्थिति आवागमन लायक है अथवा नहीं? (घ) एम.पी.आर.डी.सी. की उक्त मार्ग के संधारण हेतु कोई प्रस्तावित योजना है अथवा नहीं उक्त मार्ग निर्माण हेतु निविदा प्रक्रिया में विलंब क्यों हो रहा है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) अशोक नगर से आरोन मार्ग म.प्र. शासन के गजट नोटिफिकेशन दिनांक 15.09.2017 को नवीन राज्य राजमार्ग क्रमांक-09 घोषित हुआ था। म.प्र. शासन के आदेशानुसार प्रदेश के अंतर्गत समस्त राज्य राजमार्गों का रख-रखाव म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा किया जाना है, जिसके तहत यह मार्ग दिनांक 15.09.2017 से म.प्र. सड़क विकास निगम के आधिपत्य में है। (ख) प्रश्न दिनांक तक एम.पी.आर.डी.सी. ने संधारण पर कोई राशि व्यय नहीं की है। (ग) जी हाँ। वर्तमान में मार्ग मोटेरिबल होकर, आवागमन प्रचलन में है। अशोक नगर-आरोन मार्ग की कुल लम्बाई 41.69 कि.मी. है इसमें से 11.69 कि.मी. गुना जिले के अंतर्गत है। गुना जिले के अंतर्गत इस सड़क भाग का निर्माण एन.डी.बी. योजना में पूर्ण होकर उत्तम स्थिति में है। शेष 30 कि.मी. सड़क भाग जो कि अशोक नगर जिले में है वह कहीं-कहीं क्षतिग्रस्त है, किन्तु आवागमन प्रचलन में है। (घ) जी हाँ। म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा अशोक नगर जिले के अंतर्गत नगर-आरोन मार्ग (लम्बाई 30 कि.मी.) को पेच मरम्मत हेतु रू. 20.33 लाख राशि का कार्य दिनांक 23.11.2019 को स्वीकृत किया गया है। इस कार्य का कार्यादेश जोनल ठेकेदार को प्रदाय किया गया है। शीघ्र ही मार्ग की पेच रिपेयर का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। उक्त मार्ग का निर्माण कार्य पी.पी.पी.पी.एम.पी.आर.एस.पी. (एडीबी-6) के अंतर्गत प्रथम आमंत्रण में उच्च दर प्राप्त होने से निविदा निरस्त। पुन: निविदा दिनांक 27.11.2019 को आमंत्रित की गई है। निविदा जमा करने का अंतिम दिनांक 04.01.2020 है।
बीना नदी परियोजना एवं हनौता सिंचाई परियोजना
[जल संसाधन]
75. ( क्र. 1077 ) श्री महेश राय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बीना नदी परियोजना एवं हनौता सिंचाई परियोजना की वर्तमान स्थिति क्या है? (ख) परियोजना का कार्य किस वर्ष तक पूर्ण होना है? (ग) वर्तमान में कार्य किस स्तर तक पर लंबित है? (घ) प्रश्नांश (क) के अनुसार समय-सीमा बतावें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (घ) बीना संयुक्त सिंचाई एवं बहुउद्देशीय परियोजना का कार्य वर्ष 2025 एवं हनौता परियोजना का कार्य वर्ष 2023 तक पूर्ण करना लक्षित है। (ग) कार्य किसी भी स्तर पर लंबित नहीं है।
सड़क निर्माण हेतु किसानों की जमीन का मुआवजा का भुगतान
[लोक निर्माण]
76. ( क्र. 1090 ) श्रीमती लीना संजय जैन : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला विदिशा में रसूलपुर से पठारी तक लगभग 15 कि.मी. की सी.सी. सड़क का निर्माण विभाग द्वारा करवाया गया? यदि हाँ, तो क्या इस सड़क में जिन-जिन किसानों की जमीन ली गई है उन्हें मुआवजा राशि का भुगतान हुआ है? यदि नहीं, हुआ है तो क्यों तथा इन किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान कब तक कर दिया जावेगा? (ख) क्या प्रश्नकर्ता ने लोक निर्माण विभाग विदिशा को अपने पत्र क्र.36/22.01.19, 317/17.08.19, 342/10.09.19 एवं 530/16.11.19 को अपने निर्वाचन क्षेत्र की विभिन्न सड़कों के निर्माण का आग्रह किया है? यदि हां तो क्या कार्यवाही की गई? (ग) यदि कार्यवाही नहीं की गई तो कारण स्पष्ट करें? उक्त सड़कों का निर्माण कब तक कराया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। यह मुख्य जिला मार्ग 50 वर्ष से अधिक पुराना निर्मित मार्ग है। इस मार्ग का उन्नतिकरण पूर्व निर्मित आर.ओ.डब्ल्यू. में ही किया गया है। अत: भू-अर्जन का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। शेष प्रश्न का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ख) जी हाँ। विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
एक ही भवन में अतिरिक्त विद्युत कनेक्शन लेने का प्रावधान
[ऊर्जा]
77. ( क्र. 1133 ) श्री रमेश मेन्दोला : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या पूर्व में विद्युत कंपनियों द्वारा एक ही भवन में भवन स्वामी की सहमति के आधार पर एक से अधिक विद्युत कनेक्शन देने का प्रावधान था और इसी आधार पर एक ही मकान में अतिरिक्त कनेक्शन लेकर उपभोक्ता लाभान्वित होते रहे यदि प्रावधान था? (ख) क्या वर्तमान सरकार/शासन द्वारा कोई आदेश/निर्देश जारी कर इस व्यवस्था को बंद किया गया है यदि हाँ, तो उसकी जानकारी दे और यदि नहीं, तो फिर सितम्बर 2019 से एक ही स्वामित्व के भवन में भवन स्वामी की सहमति के बाद भी अतिरिक्त कनेक्शन देने पर विद्युत कंपनी द्वारा क्यों मना किया जा रहा है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) मध्यप्रदेश विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के विनियम 5.2 के अनुसार भिन्न-भिन्न परिसरों में भिन्न-भिन्न विद्युत संयोजन प्रदान किये जाने का प्रावधान है, जिसकी छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। मध्यप्रदेश विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के विनियम 4.13, जिसकी छायाप्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है, के अंतर्गत किसी भी परिसर को पृथक (भिन्न) परिसर तभी माना जाएगा तथा प्रत्येक परिसर को पृथक विद्युत प्रदाय बिन्दु तभी प्रदान किया जाएगा यदिः- (अ) वे सुस्पष्ट स्थापना तथा अमला धारित करते हों, अथवा (ब) वे भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के स्वामित्व या पट्टे पर धारित किये जा रहे हो, अथवा (स) जो ऐसी किसी विधि के अंतर्गत अलग-अलग अनुज्ञप्तियों या पंजीकरणों के अंतर्गत आते हो, जहां यह प्रक्रिया लागू हो अथवा स्थानीय प्राधिकारियों से सुसंबध्द अभिलेख धारित करते हो, जो उन्हें पृथक से सुस्पष्ट परिसर (घरेलू श्रेणी परिवारों हेतु) के रुप में चिन्हांकित करते हों। उपरोक्त प्रावधानों के अंतर्गत एक भवन में निवासरत अलग-अलग किरायेदारों के अलग-अलग परिसरों को भवन स्वामी की सहमति से, समस्त आवश्यक औपचारिकताएँ पूर्ण करने पर पृथक-पृथक विद्युत संयोजन दिये जाने का प्रावधान पूर्वानुसार वर्तमान में भी लागू है। (ख) जी नहीं। उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार मध्यप्रदेश विद्युत प्रदाय संहिता, 2013 के अंतर्गत पूर्वानुसार विनियम 4.13 की शर्तें पूरी करने पर वर्तमान में भी विद्युत कनेक्शन दिये जा रहे है, अत: प्रश्न नहीं उठता।
हाई टेंशन लाइन से हो रही दुर्घटनाएं
[ऊर्जा]
78. ( क्र. 1208 ) श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) होशंगाबाद जिले के श्हरीय क्षेत्रों में संकरी गलियों एवं पेड़ों के नजदीक से गुजर रही हाई टेंशन लाईन से वर्ष 2017-18,18-19 में मृत्यु होने एवं लोगों के झुलसने की घटनाएं घटित हुई है? (ख) यदि हां, तो क्या प्रश्नांश (क) की समस्या के निराकरण हेतु हाईटेंशन लाइन के स्थान पर इन्सुलेटेड कवर कंडक्टर बिछानें की योजना विचाराधीन है? (ग) यदि हाँ, तो होशंगाबाद जिले के शहरी क्षेत्रों में कब की जावेगी? क्या होशंगाबाद जिले के शहरी क्षेत्रों में इस हेतु सर्वे करवाया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों ?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अंतर्गत होशंगाबाद जिले में शहरी क्षेत्रों में पूर्व से विद्यमान विद्युत लाईनों के नीचे/निकट अवैधानिक रूप से भवन निर्माण किये जाने के कारण सकरी गलियों एवं पेड़ों के नजदीक से गुजर रही हाई टेंशन लाईनों से प्रश्नाधीन अवधि में सिर्फ वर्ष 2017-18 में एक घातक दुर्घटना घटित हुई। (ख) जी नहीं। तथापि उल्लेखनीय है कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 177 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा से संबंधित उपाय के लिये विनियम दिनांक 20.09.2010 को अधिसूचित एवं तत्पश्चात संशोधित किये गये है, जिनके अनुसार विद्युत लाईनों के नीचे एवं लाईनों से असुरक्षित दूरी पर निर्माण करना अवैधानिक है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में उक्तानुसार अवैधानिक निर्माण के लिये संबंधितों को समय-समय पर विद्युत लाईनों से सुरक्षित दूरी रखने हेतु सूचित किया गया है। केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा से संबंधित उपाय विनियम के अनुसार विद्युत लाईनों के समीप निर्माण के पूर्व निर्माणकर्ताओं को इसकी जानकारी विद्युत आपूर्तिकर्ता को देना आवश्यक है। लाईन में फेरबदल की आवश्यकता होने तथा तकनीकी रूप से विस्थापन साध्य पाए जाने एवं मार्ग के अधिकार (आर.ओ.डब्ल्यू.) की आवश्यकता पूरी होने की स्थिति में फेरबदल की आपूर्तिकर्ता द्वारा आंकी गई लागत की राशि आवेदक द्वारा जमा करने पर इन विद्युत लाईनों के विस्थापन हेतु कार्यवाही की जा सकती है। वितरण कंपनियों के अंतर्गत वर्ष में दो बार वर्षाकाल के पूर्व एवं वर्षाकाल पश्चात् विद्यमान विद्युत अद्योसंरचना के मेन्टेनेंस का कार्य किया जाता है जिनमें विद्युत लाईनों के समीप स्थित पेड़ों की डालियों की कटाई-छंटाई का भी काम किया जाता है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
नियम विरूद्ध अन्य कार्य लिया जाना
[उच्च शिक्षा]
79. ( क्र. 1249 ) श्री कुँवर विक्रम सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के महाविद्यालय में व्याख्याता, सहायक प्राध्यापक, प्राध्यापकों के किस-किस विषय में कुल कितने पद रिक्त हैं? (ख) रिक्त पदों की पदों की पूर्ति शासन द्वारा कब तक कर दी जावेगी? (ग) क्या म.प्र. के महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य हेतु भर्ती किये गये व्याख्याता, सहायक प्राध्यापक, प्राध्यापक उच्च शिक्षा विभाग के अलावा विभिन्न संस्थाओं में गैर शैक्षणिक कार्य कर रहे हैं उनका नाम, पद, विषयवार विवरण देवें। (घ) क्या उन्हें गैर शैक्षणिक कार्य से पृथक कर महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य हेतु शीघ्र पदस्थ किया जावेगा? यदि हां, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? नियम, विवरण सहित जानकारी देवें।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
ओलम्पिक संघ के चुनाव प्रक्रिया संबंधी
[खेल और युवा कल्याण]
80. ( क्र. 1294 ) श्री रघुराज सिंह कंषाना : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र.ओलम्पिक संघ का गठन कब हुआ था वर्तमान में इसमें कौन-कौन पदाधिकारी हैं और उनका चुनाव कब हुआ था? (ख) क्या म.प्र. ओलम्पिक संघ के वर्ष 2017 के चुनाव उनके संविधान के अनुसार निर्धारित प्रक्रिया के तहत हुए थे? यदि हां तो चुनाव की सूचना संबंधितों को किस प्रक्रिया से दी गई? यदि प्रक्रिया नियमानुसार नहीं थी तो क्या चुनाव वैद्य माने जाएंगे? (ग) म.प्र.ओलम्पिक संघ के ऐसे कौन-कौन से राज्य स्तरीय खेल संघ हैं जिन्हें राष्ट्रीय खेल महासंघ से मान्यता प्राप्त नहीं है, उन्हें गलत तरह से उनके बगैर आवेदन, बगैर निर्धारित प्रक्रिया किये म.प्र.ओलम्पिक संघ द्वारा मान्यता दी गई है? (घ) क्या म.प्र. ओलम्पिक संघ के सचिव द्वारा केरल में आयोजित राष्ट्रीय खेल का यात्रा भत्ता केरल आयोजन समिति और म.प्र. के खेल विभाग दोनों से लिया गया था तथा जाँच में खेल विभाग ने उन्हें दोषी माना था? यदि हां तो क्या उनके विरूद्ध कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों? क्या उनके विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी, यदि हां तो कब तक?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
सड़क निर्माण के लिये अनुमति का प्रदान
[पर्यावरण]
81. ( क्र. 1320 ) श्री आरिफ मसूद : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल एवं इंदौर ने गत तीन वर्षों में किस-किस सड़क के निर्माण से संबंधित किस कंपनी को हार्ड मिक्स प्लांट, बेंचिंग प्लांट एवं क्रेशर से संबंधित जल एवं वायु प्रदूषण को लेकर किस दिनांक को कितनी अवधि के लिए अनुमति या सम्मति प्रदान की है? (ख) इनमें से किस सड़क निर्माण की डी.पी.आर. डिजाइन एवं स्टीमेट में थर्मल पावर हाउस की कितनी राख के उपयोग किए जाने की जानकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के किस क्षेत्रीय कार्यालय के पास उपलब्ध है? (ग) किस सड़क निर्माण में प्रश्नांकित दिनांक तक किस पावर हाउस की कितनी राख का उपयोग किया गया? राख का उपयोग नहीं करने पर बोर्ड ने किस दिनांक को सड़क निर्माण करने वालों के विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के भोपाल एवं इन्दौर क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा विगत तीन वर्षों में सड़क निर्माण से संबंधित हाटमिक्स, रेडिमिक्स बैचिंग प्लांट एवं स्टोन क्रेशर उद्योग लगाने वाले उद्यमियों/प्रतिष्ठानों को जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 25/26 तथा वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 21 के तहत् जारी सम्मति का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सड़क निर्माण की डी.पी.आर., डिजाईन एवं इस्टीमेट का अनुमोदन बोर्ड द्वारा नहीं किया जाता है। अतः इन सड़कों में थर्मल पॉवर हाउस की राख के उपयोग से संबंधित जानकारी बोर्ड में उपलब्ध नहीं है। (ग) प्रोजेक्ट डायरेक्टर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भोपाल से प्राप्त जानकारी अनुसार वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में राष्ट्रीय राजमार्ग-69 के ओबेदुल्लागंज खंड की फोर लेनिंग में 10911 घनमीटर एवं राष्ट्रीय राजमार्ग-12 की लालघाटी से मुबारकपुर तक फोर लेनिंग में 1252 घनमीटर सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी की फ्लाई ऐश का उपयोग किया गया। फ्लाई ऐश अधिसूचना 1999 के अनुसार सड़क एवं एम्बेकमेंट में फ्लाई ऐश के उपयोग का उत्तरदायित्व संबंधित निर्माण कार्य विभागों का है। फ्लाई ऐश नोटिफिकेशन का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु राज्य स्तरीय मानिटरिंग कमेटी गठित है एवं समय पर इसकी समीक्षा की जाती है। अतः सड़क निर्माण के ठेके में फ्लाई ऐश उपयोग की शर्त होने की स्थिति में फ्लाई ऐश का उपयोग न करने पर सड़क निर्माण करने वाले पर कार्यवाही करना निर्माण कार्य विभागों से संबंधित है, जिन्हें फ्लाई ऐश अधिसूचना के प्रावधानों का पालन कर निर्माण कार्य कराना है। बोर्ड द्वारा समय-समय पर संबंधित निर्माण कार्य विभागों को पत्रों, बैठकों, सेमीनार एवं वर्कशॉप के माध्यम से फ्लाई ऐश का उपयोग निर्माण कार्यों में सुनिश्चित करने बावत् अवगत कराया गया है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्राप्त अधिकार
[पर्यावरण]
82. ( क्र. 1321 ) श्री आरिफ मसूद : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पावर हाउस की राख का सड़क निर्माण में उपयोग किये जाने के संबंध में भारत सरकार ने किस दिनांक को प्रकाशित अधिसूचना में क्या प्रावधान किए हैं, इन प्रावधान का उल्लंघन रोके जाने के संबंध में म.प्र. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को क्या-क्या अधिकार प्राप्त हैं। (ख) म.प्र. के किस जिले के किन-किन स्थानों पर वर्तमान में किस कम्पनी के द्वारा थर्मल पॉवर हाउस का संचालन किया जा रहा है संचालन के दौरान प्रतिदिन राख की अनुमानित क्या मात्रा प्रबंधन द्वारा प्रतिवेदित की जा रही है। (ग) राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास किस पावर हाउस में मार्च 2019 में कितनी राख के डम्प होने की जानकारी उपलब्ध है इनमें से कितनी राख के उपयोग की जानकारी प्रश्नांकित दिनांक तक बोर्ड को प्राप्त हुई है।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) भारत सरकार द्वारा दिनांक 14.9.1999 को प्रकाशित अधिसूचना एवं उसमें दिनांक 27.8.2003, 3.11.2009 एवं 25.1.2016 को किए गये संशोधन पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। अधिसूचना के उल्लंघन की दशा में बोर्ड द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा ’5’ के अंतर्गत निर्देश प्रसारित करने तथा धारा ’15’ के अंतर्गत वैधानिक कार्यवाही के प्रावधान है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है।
तालाबों की जानकारी
[जल संसाधन]
83. ( क्र. 1329 ) श्री गोपालसिंह चौहान : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अशोकनगर जिले के कदवाया फीडर के अंतर्गत आने वाले कुल तालाबों की संख्या कितनी है एवं इन तालाबों की वर्तमान में क्या स्थिति है? (ख) यदि तालाब गंदे हैं तो क्या विभाग द्वारा तालाबों, नहरों, पुलियाओं, तालाब के गेट एवं गहरीकरण व साफ-सफाई करवाने का कोई विचार है? यदि हां, तो यह कब तक करा दिया जावेगा और यदि नहीं, तो इस प्रकार की कोई नीति शासन बनायेगा? यदि बनायेगा तो कब तक बनायेगा? जिससे किसान आसानी से तालाबों के पानी का उपयोग कर सकें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) 01, कदवाया तालाब। संतोषजनक। (ख) तालाब गंदे नहीं हैं तथापि तालाबों, नहरों, पुलियाओं एवं गेटों की साफ-सफाई एवं मरम्मत का कार्य जल उपभोक्ता संथाओं के माध्यम से कराया जा रहा है। कार्य दिनांक 14.12.2019 तक पूर्ण करा लिया जावेगा। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
मीटर वाचकों व श्रमिकों की सेवाशर्तें
[ऊर्जा]
84. ( क्र. 1359 ) श्री नीरज विनोद दीक्षित : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की मीटर वाचक योजनांतर्गत छतरपुर जिले के कितने मीटर वाचक प्रश्न दिनांक तक कार्यरत हैं? क्या इन्हें अनुभव व आयु के आधार पर स्थाईकर्मी घोषित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है? (ख) छतरपुर जिले में आउट सोर्सिंग के माध्यम से कुल कितने मीटर वाचक प्रश्न दिनांक तक कार्यरत हैं? उनकी सेवा शर्तें क्या हैं? क्या उनका PF काटे जाने का प्रावधान है यदि हां तो कुल कितने आउट सोर्स मीटर वाचकों का PF खाते संबंधित आउट सोर्स कंपनी के द्वारा संचालित कर राशि जमा की जा रही है? सूची उपलब्ध करावें। क्या कोई अन्य अनियमितता पाई गयी क्या? (ग) महाराजपुर विधानसभा अंतर्गत विद्युत वितरण केन्द्रवार कुल कितने कुशल/अर्धकुशल/अकुशल श्रमिकों के पद स्वीकृत भरे व रिक्त पद हैं सूची केन्द्रवार उपलब्ध करायें। बढ़ते विद्युत उपभोक्ताओं के अनुपात में क्या इनकी संख्या कम है? यदि नहीं, तो रोज बढ़ रही शिकायतों के त्वरित निराकरण हेतु इनकी भर्ती है। शासन स्तर पर कोई कार्ययोजना प्रस्तावित है क्या? यदि हाँ, तो क्रियान्वयन कब तक प्रारंभ होगा।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत छतरपुर जिले में मीटर वाचक योजना के तहत ठेके के कुल 110 मीटर वाचक अनुबंध पर कार्यरत हैं। मीटरवाचकों को अनुभव एवं आयु के आधार पर स्थायीकर्मी घोषित करने की कोई योजना नहीं है। (ख) म.प्र.पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत छतरपुर जिले में आऊटसोर्सिंग के माध्यम से कोई भी मीटर वाचक कार्यरत नहीं है। अत: प्रश्न नहीं उठता। उल्लेखनीय है कि छतरपुर जिले में मीटर रीडिंग एवं बिल वितरण का कार्य जाब कांट्रेक्ट दरों के आधार पर दो फर्मों को दिया गया है जो ठेके पर कार्य कर रही हैं। (ग) महाराजपुर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत विद्युत वितरण केन्द्रवार कार्यरत कुशल/अर्द्ध कुशल/अकुशल श्रमिकों के स्वीकृत एवं भरे पदों का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में स्वीकृति अनुसार कुशल/अर्द्ध कुशल/अकुशल श्रमिक कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के नियमित एवं संविदा कार्मिकों द्वारा प्रश्नाधीन क्षेत्र में कार्य संपन्न किया जा रहा है। उपलब्ध मानव बल का सुनियोजित उपयोग कर उपभोक्ताओं की शिकायतों का त्वरित निराकरण किया जा रहा है। उपभोक्ताओं की संख्या के अनुपात में कुशल/अर्द्ध कुशल/अकुशल श्रमिकों की संख्या में आवश्यकतानुसार समय-समय पर वृद्धि की जाती है। उक्त परिप्रेक्ष्य में अन्य कोई कार्य योजना प्रस्तावित/विचाराधीन नहीं है।
महाविद्यालय के संचालन एवं भवन के संबंध में
[उच्च शिक्षा]
85. ( क्र. 1372 ) श्री भूपेन्द्र सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खुरई विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत शासकीय महाविद्यालय मालथौन एवं बांदरी में शैक्षणिक सत्र 2018-19 एवं 2019-20 में प्रवेशित विद्यार्थियों की संख्या अलग-अलग बताएं वर्तमान में दोनों महाविद्यालयों में क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं? (ख) प्रश्नांश (क) की अवधि में दोनों महाविद्यालयों के संचालन एवं मालथौन महाविद्यालय के निर्माण हेतु अभी तक उपलब्ध कराये गये बजट का ब्यौरा मदवार बताएं? (ग) उपरोक्तानुसार बांदरी महाविद्यालय के भवन निर्माण हेतु क्या योजना है? कब तक भवन निर्माण करा लिया जायेगा?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) सत्र 2018-19 में प्रवेशित विद्यार्थियों की संख्या शासकीय महाविद्यालय मालथौन में 1427 तथा शासकीय महाविद्यालय बांदरी में 348 है। सत्र 2019-20 में प्रवेशित विद्यार्थियों की संख्या शासकीय महाविद्यालय मालथौन में 1508 तथा शासकीय महाविद्यालय बांदरी में 555 है। दोनों ही महाविद्यालयों में कक्षाएं संचालित हैं, स्वीकृत शैक्षणिक पदों पर अतिथि विद्वानों द्वारा कार्य किया जा रहा है तथा विद्यार्थियों को पात्रता अनुसार शासन की समस्त योजना/छात्रवृत्तियों का लाभ दिया जा रहा है। (ख) शासकीय महाविद्यालय मालथौन को म.प्र. उच्च शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन परियोजना (विश्व बैंक पोषित) के तहत भवन निर्माण हेतु रू 6.50 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति में से रू. 610.14 लाख का आवंटन कार्यकारी एजेंसी पी.आई.यू. को दिया जा चुका है। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) शासकीय महाविद्यालय बांदरी के स्वयं के भवन निर्माण हेतु प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, भवन स्वीकृति हेतु समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
अस्थाई विद्युत कनेक्शन एवं वसूली राशि की जानकारी
[ऊर्जा]
86. ( क्र. 1375 ) श्री भूपेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर संभाग में आयोजित मेला, प्रदर्शनी के लिए किन-किन व्यक्ति, संस्थाओं को अस्थाई विद्युत कनेक्शन दिये गए हैं? एक जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक की जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) अवधि में मेला, प्रदर्शनी हेतु दिए गए अस्थाई विद्युत कनेक्शन में कितनी अवधि के लिए कितनी-कितनी अग्रिम राशि जमा कराई गई? (ग) उक्त अवधि में मेला, प्रदर्शनी हेतु दिए गए अस्थाई विद्युत कनेक्शन में किन-किन व्यक्ति, संस्थाओं पर वर्तमान में कितनी बिजली बिल की राशि बकाया है? राशि वसूलने हेतु की गई कार्यवाही का ब्यौरा क्या है? समस्त जानकारी जिला एवं वितरण कार्यालयवार दें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) सागर संभाग में आयोजित मेला/प्रदर्शनी के लिये 01 जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक कुल 266 अस्थाई विद्युत कनेक्शन दिये गये है, जिनकी व्यक्ति/संस्था के नाम सहित उपभोक्तावार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) 1 जनवरी 2015 से प्रश्न दिनांक तक मेला/प्रदर्शनी हेतु सागर संभाग में दिए गए अस्थाई विद्युत कनेक्शनों की अवधि एवं उपभोक्ताओं से जमा कराई गई अग्रिम राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन अवधि में सागर संभाग में मेला/प्रदर्शनी हेतु दिए गए अस्थाई विद्युत कनेक्शनों में से वर्तमान में 35 उपभोक्ताओं पर रू. 5.39 लाख की राशि बकाया है, जिनकी व्यक्ति/संस्था/ वितरण केन्द्र कार्यालय/जिले के नाम सहित उपभोक्तावार बकाया राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। उक्तानुसार लंबित बकाया राशि की वसूली के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है, जिनके द्वारा बकाया राशि की वसूली हेतु कार्यवाही की जा रही है।
तहसील भानपुरा जिला मंदसौर के गांधीसागर बांध के डूब क्षेत्र
[जल संसाधन]
87. ( क्र. 1385 ) श्री देवीलाल धाकड़ (एडवोकेट) : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गरोठ-भानपुरा विधानसभा क्षेत्र में स्थित गांधीसागर बांध के अंतर्गत डूब क्षेत्र के कितने गांव विगत बारिश में जल मग्न हुए हैं? कितने ग्रामीण क्षेत्रों को खाली करवाना पड़ा, कितने मकान क्षतिग्रस्त हुए एवं उनमें रखा सामान का नुकसान कितना हुआ है इनका शासन द्वारा क्या आँकलन किया गया? (ख) गरोठ विधानसभा क्षेत्र में स्थित गांधीसागर बांध की क्षमता कितनी फीट की है? क्या कारण है कि वर्षा काल में गांधीसागर बांध में से पानी Over full हो गया?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) राजस्व विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार गरोठ-भानुपरा विधानसभा क्षेत्र में स्थित गांधी सागर बांध के अंतर्गत तहसील गरोठ के 11 एवं तहसील भानपुरा के 03 गांव कुल 14 गांव विगत बारिश में प्रभावित हुए। इन 14 गांवों के लगभग आधे क्षेत्र को खाली कराना पड़ा एवं 3949 मकान क्षतिग्रस्त हुए तथा उनमें रखे सामान को नुकसान हुआ। आरबीसी 6-4 के अंतर्गत नुकसान का आंकलन कर प्रभावितों को 50-50 किलो अनाज एवं प्रत्येक परिवार के लिए रू. 5000/- की राशि स्वीकृत की गई। (ख) गांधी सागर बांध का पूर्ण जल भराव स्तर 1312 फीट पर क्षमता 253028.175 मि.घन फीट हैं। वर्ष 2019 के वर्षाकाल में माह सितम्बर के दिनांक 13, 14 एवं 15 को बांध के जल ग्रहण क्षेत्र में हुई अतिवृष्टि के कारण सभी नदी नाले उफान पर होने से गांधी सागर बांध में से पानी Over Flow हुआ।
उत्कृष्ट खिलाड़ियों की नियुक्ति का निराकरण
[खेल और युवा कल्याण]
88. ( क्र. 1411 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या उत्कृष्ट खिलाड़ियों की नियुक्ति के संबंध में सा. (शा.कर्मचारी कल्याण संगठन) के पत्र क्र.एफ-2-33/94/क./क/1-25 दिनांक 13 जुलाई 1994 और समसंख्यक पत्र दिनांक 13 नवंबर 1995 द्वारा समस्या निराकरण हेतु दी जा चुकी व्यवस्था अनुसार समस्या का निराकरण कब तक होगा? नहीं तो क्यों? (ख) समस्या निराकरण हेतु सा.प्र.वि. (शा.क.कल्याण संगठन) के उक्त पत्र क्रमांक एफ-2-33/94/क.क./1-25 दिनांक 13 जुलाई, 1994 और समसंख्यक पत्र दिनांक 13 नवंबर, 1995 संबंधित विभाग के प्रशासनिक मुखिया प्रमुख सचिव, आदिम जाति के संज्ञान में कब लाये गए? यदि नहीं, तो क्यों?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) एवं (ख) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
नगर परिषद् भानपुरा के बायपास का निर्माण
[लोक निर्माण]
89. ( क्र. 1421 ) श्री देवीलाल धाकड़ (एडवोकेट) : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक निर्माण विभाग द्वारा भानपुरा बायपास जिला मंदसौर का कार्य क्यो बंद है? कितने दिन में कार्य शुरू किया जायेगा? (ख) भानपुरा नगर अंतर्गत निर्मित MPRDC द्वारा निर्मित सड़क की लम्बाई टेंडर अनुसार कितनी थी? कितनी लंबी बनाई गई? शेष सड़क का निर्माण शीघ्र कब तक किया जाएगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) निर्माण कार्य हेतु आवश्यक सम्पूर्ण भूमि अधिग्रहण नहीं होने के कारण बन्द है। भूमि अधिग्रहण होने के पश्चात कार्य प्रारंभ किया जा सकेगा। (ख) भानपुरा नगर अंतर्गत एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा निर्मित सड़कों की लम्बाई टेण्डर अनुसार कि.मी. 126+950 से128+860 तक 1.91 कि.मी. थी। 1.691 कि.मी. लम्बाई में फोरलेन कार्य किया गया है। शेष लम्बाई 0.219 कि.मी. सड़क पूर्व से फोरलेन निर्मित थी। अत: निर्माण नहीं किया जाना है।
विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यों की भौतिक स्थिति
[लोक निर्माण]
90. ( क्र. 1442 ) श्री आलोक चतुर्वेदी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिला अंतर्गत शासन के विभिन्न विभागों की कौन सी परियोजना, निर्माण कार्य विभाग (PIU) द्वारा किये जा रहे हैं? कितने प्रस्तावित हैं? प्रश्न दिनांक को सभी की भौतिक स्थिति क्या है? (ख) छतरपुर जिला अंतर्गत PIU द्वारा विगत 05 वर्षों में किन विभागों की कौन-कौन सी परियोजनाओं, निर्माण कार्यों की डी.पी.आर. तैयार की गई? सभी की भौतिक स्थिति क्या है? (ग) छतरपुर जिला अंतर्गत शासन के विभिन्न विभागों के ऐसे कौन-कौन से कार्य है जो प्रश्न दिनाँक तक प्रारंभ नहीं हुए, लंबित है, जिनका निर्माण PIU के द्वारा किया जाना है? उक्त स्थिति किन कारणों से निर्मित हुई? स्थिति के निराकरण के लिए विभाग द्वारा क्या प्रयास किये गए?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
मुआवजा राशि का भुगतान
[जल संसाधन]
91. ( क्र. 1445 ) श्री रामखेलावन पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या श्रीमती शांती देवी पुत्री रामराधो ब्रा0 निवासी ग्राम किरहाई पोस्ट इटमा कोठार तहसील अमरपाटन जिला सतना म.प्र. की आराजी क्रमांक 526/1 का रकबा 2.764 हे0 में से 4.50 एकड़ रकबा किरहाई बांध में जल भराव होने से डूब जाता है? यदि हाँ तो उक्त आराजी के मुआवजा राशि के भुगतान के संबंध में क्या कार्यवाही हुई उसकी प्रति उपलब्ध कराई जाय। यदि नहीं, तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग सतना जिला सतना द्वारा उक्त आराजी का मुआवजा राशि भुगतान हेतु पत्र क्रमांक/2254 सतना दिनांक 21/08/2019 को अधीक्षण यंत्री, बाणसागर नहर मण्डल रीवा म.प्र. को प्रेषित किया गया था? यदि हाँ तो उक्त के संदर्भ में क्या कार्यवाही हुई उसकी प्रति उपलब्ध कराई जाय। यदि नहीं, तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में क्या पीड़ित भू-स्वामी को मुआवजा राशि का भुगतान कर दिया गया है? यदि हाँ तो कब और कितना तथा आज दिनांक तक भुगतान न होने का कारण बताएं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी हाँ। किरहाई बांध का मुआवजा भुगतान वर्ष 1965 में किया गया था। किंतु प्रार्थी द्वारा वर्ष 2017 में मुआवजा भुगतान की माँग की गई। मुआवजा भुगतान हेतु प्रार्थी द्वारा वर्ष 1965 में आंशिक भुगतान के समय आपत्ति नहीं लिए जाने एवं वर्ष 2017 तक मुआवजा भुगतान की मांग न करने के कारणों की जाँच की कार्यवाही किए जाने के कारण मुआवजा भुगतान नहीं किया जा सका। तहसीलदार अमरपाटन द्वारा आराजी क्रमांक-526/1, रकबा 450 एकड़ का सीमाकंन कर दिनांक 16.02.2019 को उक्त आराजी को डूब प्रभावित बताया गया। तद्नुसार कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन संभाग, सतना द्वारा दिनांक 21.03.2019 द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों से भू-अर्जन की अनुमति एवं राशि की माँग की गई। (ख) जी हाँ। उक्त संदर्भ में मुख्य अभियंता, रीवा के पत्र दिनांक 21.10.2019 के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नांश (क) में उल्लेखित बिंदुओं की जाँच की जा रही है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। डूब क्षेत्र की वास्तविक स्थिति स्पष्ट न होने एवं वैधानिक कार्यवाही प्रचलन में होने के कारण।
अधिग्रहण की गई भूमि का मुआवजा भुगतान
[जल संसाधन]
92. ( क्र. 1446 ) श्री रामखेलावन पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रशासक एवं पदेन उप सचिव भू-अर्जन एवं पुनर्वास बाणसागर परियोजना रीवा द्वारा म.प्र. राजपत्र में प्रकाशित दिनांक 09 दिसम्बर, 2011 को सार्वजनिक प्रयोजन के लिये भूमि स्वामी श्री रामबहोरी पटेल पिता मोलई प्रसाद पटेल साकिम गजांस की ग्राम कल्ला कला की भूमि न0 117/1 का अर्जन (अधिग्रहण) किया गया था? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या उक्त भूमि के मुआवजा राशि का भुगतान भूमि स्वामी को कर दिया गया है? यदि हाँ तो कब और कितना? यदि नहीं, तो भुगतान कब तक कर दिया जायेगा? आज दिनांक तक भुगतान न होने का कारण स्पष्ट करें। (ग) क्या प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में पीड़ित भू-स्वामी को मुआवजा राशि के भुगतान की फाइल भू-अर्जन अधिकारी यूनिट क्रमांक 06 बाणसागर परियोजना रीवा के यहाँ दबा कर रख दिया गया है? यदि हाँ तो क्यों? यदि नहीं, तो फाइल वर्तमान समय में किसके पास है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी नहीं। वस्तुत: प्रश्नाधीन भूमि स्वामी की आराजी नं.-117/1, रकबा 0.048 हे. के अर्जन हेतु धारा-4 के अंतर्गत दिनांक 18.11.2011 एवं धारा-6 के अंतर्गत दिनांक 09.12.2011 को अधिसूचनाओं का म.प्र. राजपत्र में प्रकाशन कराया जाना प्रतिवेदित है। (ख) जी नहीं। आयुक्त भू-अर्जन एवं पुनर्वास, बाणसागर परियोजना, रीवा के पत्र दिनांक 10.07.2013 द्वारा दिए गये निर्देश के परिप्रेक्ष्य में भू-अर्जन अधिकारी यूनिट क्रमांक-06, बाणसागर परियोजना, रीवा के पत्र दिनांक 15.07.2013 द्वारा भू-अर्जन हेतु समस्त अभिलेख अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), तहसील अमरपाटन, जिला सतना को हस्तांतरित किए गये किंतु अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), अमरपाटन द्वारा धारा-4 के प्रकाशन दिनांक 18.11.2011 से 02 वर्ष की अवधि में भू-अर्जन का अवार्ड पारित नहीं किया जा सकने के कारण अधिसूचना स्वयमेव कालातीत होना प्रतिवेदित है। अत: मुआवजा राशि के भुगतान का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
हितग्राहियों को योजनाओं के लाभ से वंचित रखना
[ऊर्जा]
93. ( क्र. 1473 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला राजगढ़ अन्तर्गत मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल 2018 योजना के तहत कितने उपभोक्ताओं को बिजली बिल की कितनी राशि माफ की जाकर शासन से विभाग को प्राप्त की गई? (ख) क्या विधान सभा क्षेत्र सारंगपुर अन्तर्गत इंदिरा गृह ज्योति योजना का लाभ दिया जा रहा है यदि हाँ, तो विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत दिये गये लाभ की संख्यात्मक जानकारी देवें। (ग) क्या विधान सभा क्षेत्र सारंगपुर अन्तर्गत समस्त ग्रामों के घरों में मीटर लगाने का कार्य शत-प्रतिशत पूर्ण कर लिया गया है? यदि नहीं, तो कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा? क्या अमीटरीकृत उपभोक्ताओं को 155 यूनिट से अधिक यूनिट के देयक देकर उपभोक्ताओं को योजना के लाभ से वंचित किया गया है? यदि हाँ, तो उपभोक्ताओ की संख्या से अवगत करावें। (घ) प्रश्नांश (ख) के अनुसार इन्दिरा किसान ज्योति योजनान्तर्गत 5 हार्सपावर तक के कृषि पम्प हेतु अनु.जा./ जनजाति वर्ग के कितने उपभोक्ताओं को लाभान्वित किया जा रहा है? (ड.) प्रश्नांश (घ) में लाभान्वित हितग्राहियों का सत्यापन किन-किन विभागीय अधिकारियों के द्वारा किया गया? अधिकारी का नाम दिनांक से अवगत करावें? सत्यापन के दौरान कितने फर्जी उपभोक्ता पाये गये? क्या अनु.जा./जनजाति के फर्जी उपभोक्ताओं के नाम से कनेक्शन प्रदाय कर शासन से सब्सिडी प्रदाय की जा रही है? यदि हाँ, तो दोषियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जिला राजगढ़ के अंतर्गत ‘‘मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी स्कीम 2018‘‘ योजना के तहत 202865 उपभोक्ताओं के बिजली के बिल की बकाया मूल राशि रू. 175.20 करोड़ तथा सरचार्ज की राशि रु. 76.09 करोड़, इस प्रकार कुल राशि रू. 251.29 करोड़ माफ की गई थी। उपरोक्त मूल राशि की 50 प्रतिशत राशि रू. 87.60 करोड़ का दावा म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा शासन को प्रस्तुत किया गया। (ख) जी हाँ। राजगढ़ जिले के सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 25214 पात्र उपभोक्ताओं को इंदिरा गृह ज्योति योजना के तहत लाभ दिया जा रहा है, जिसमें शहरी क्षेत्र में 4326 तथा ग्रामीण क्षेत्र में 20888 उपभोक्ता सम्मिलित हैं। (ग) विधानसभा क्षेत्र सारंगपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 74891 उपभोक्ताओं में से 74749 उपभोक्ताओं के परिसर में मीटर लगाने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है तथा शेष 142 उपभोक्ताओं के कनेक्शनों पर मीटर लगाने का कार्य 31 दिसम्बर 2019 तक पूर्ण कर लिया जावेगा। प्रश्नाधीन क्षेत्र के किसी भी अमीटरीकृत विद्युत उपभोक्ता को 155 यूनिट से अधिक यूनिट का देयक देकर योजना के लाभ से वंचित नहीं किया गया है, अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) राजगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र सारंगपुर के अंतर्गत इन्दिरा किसान ज्योति योजना के तहत 5 हॉर्स पॉवर तक के अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के 2538 उपभोक्ताओं को लाभान्वित किया जा रहा है। (ड.) विधानसभा क्षेत्र सारंगपुर के अंतर्गत उत्तरांश (घ) के परिप्रेक्ष्य में योजना के हितग्राहियों के दस्तावेजों की जाँच का कार्य संलग्न परिशिष्ट में दर्शाए गए अधिकारियों द्वारा उनके दैनंदिन कार्यों के दौरान आवेदन प्राप्ति उपरांत समय-समय पर किया गया, जिस हेतु पृथक से रिकार्ड संधारित नहीं किया जाता। अनुसूचित जाति/जनजाति के फर्जी उपभोक्ताओं के नाम से कनेक्शन प्रदाय किए जाने बाबत् कोई प्रकरण संज्ञान में नहीं आया है, अतः इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
सागर नगर में बायपास मार्ग निर्माण
[लोक निर्माण]
94. ( क्र. 1503 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सागर नगर के नये बायपास रिंग रोड़ निर्माण का कोई प्रस्ताव शासन के समक्ष विचाराधीन है? यदि हाँ, तो वर्तमान तक क्या कार्यवाही प्रचलन में है? (ख) यदि नहीं, तो क्या शासन सागर नगर में भारी वाहनों के बढ़ते दबाव एवं यातायात व्यवस्था सुगम बनाये जाने हेतु भोपाल रोड से नरसिंहपुर रोड को जोड़ने वाले नये बायपास मार्ग निर्माण/रिंग रोड निर्माण कराये जाने पर विचार करेगा तथा कब तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) प्रश्नांकित मार्ग लोक निर्माण विभाग के कार्यक्षेत्र अंतर्गत नहीं है, अपितु भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधीन है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से प्राप्त जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार।
घटिया पुल निर्माण की जांच
[लोक निर्माण]
95. ( क्र. 1507 ) श्री कमलेश जाटव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विगत सत्र जुलाई 2019 में प्रश्नकर्ता द्वारा घटिया पुल निर्माण कार्य की जाँच कराने हेतु सदन में पूछे गये प्रश्न पर क्या उपरोक्तानुसार जाँच करा ली गई है? यदि हाँ तो जाँच का निष्कर्ष क्या निकला? यदि नहीं, कराई गई है तो विलम्ब के लिए दोषी कौन है दोषी के प्रति क्या कार्यवाही की जावेगी? (ख) क्या वर्तमान में चम्बल ब्रिज पर निर्माण कार्य बन्द है? यदि हाँ तो बन्द होने का कारण क्या है? (ग) क्या उपरोक्त ब्रिज को बनाने वाली कम्पनी घटिया निर्माण की शिकायत हो जाने से काम को बीच में ही बन्द करके कार्य से अधिक धनराशि लेकर चली गयी है यदि हाँ, तो संबंधित कम्पनी और भुगतानकर्ता अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी एवं कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? पुल के निर्माण कार्य को कब तक पुन: टेंडर निकालकर चालू करा दिया जावेगा।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी हाँ। कार्य की धीमी गति के सम्बंध में ठेकेदार को कारण बताओं सूचना पत्र जारी किया गया है। (ग) जी नहीं। ठेकेदार द्वारा किसी शिकायत के कारण कार्य बन्द नहीं किया गया है और न ही ठेकेदार को किसी भी प्रकार का अधिक भुगतान किया गया है। अत: अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न ही नहीं है। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
प्राध्यापकों को वरिष्ठता का प्रदान
[उच्च शिक्षा]
96. ( क्र. 1519 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. उच्च शिक्षा विभाग में प्राध्यापक संवर्ग के स्वीकृत 704 पदों को तथाकथित पदोन्नत पदनामधारी प्राध्यापक धारित करते हैं? यदि हाँ, तो जानकारी दें? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या डब्लू.पी. 11324/2003 में माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर डिवीजन बेंच द्वारा पारित निर्णय में ऐसी व्यवस्था दी गई है कि संवर्गीय पदों पर कार्यरत सीधी भर्ती के प्राध्यापक गैर संवर्गीय पदोन्नत/पदनामधारी प्राध्यापकों से हमेशा वरिष्ठ रहेंगे? यदि हाँ, तो जानकारी दें। (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या डब्लू.पी. 1704/2009 एवं आर.पी. 267/2010 माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में पारित निर्णय से यह स्पष्ट नहीं है कि सीधी भर्ती के प्राध्यापकों/पदोन्नत एवं पदनामधारी प्राध्यापकों के मध्य वरिष्ठता तब ही हो सकती है जबकि पदोन्नत/पदनामधारी प्राध्यापकों द्वारा प्राध्यापक के संवर्गीय पद भरे जायें? यदि हाँ, तो जानकारी दें। (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में यदि पदोन्नत/पदनामधारी प्राध्यापकों द्वारा प्राध्यापक के संवर्गीय पद भरे नहीं जा रहे हैं तो फिर किस नियमों के तहत गैर संवर्गीय पदोन्नत/पदनामधारी प्राध्यापकों को संवर्गीय पदों पर कार्यरत सीधी भर्ती के प्राध्यापकों के ऊपर वरिष्ठता प्रदान की जा रही है? पूर्ण विवरण सहित जानकारी दें।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) से (घ) जानकारी एकत्रित की जा रही है।
सड़कों के पुनर्निर्माण की स्वीकृति
[लोक निर्माण]
97. ( क्र. 1520 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी जिले के अंतर्गत विकासखण्ड मझौली एवं कुसमी में कितने लोक निर्माण विभाग की सड़कें घोषित हैं? सूची उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में खाम्ह-गिजवार-टिकरी पथरौला मार्ग एवं मझौली बायपास मार्ग क्या वर्तमान में ध्वस्त मार्ग है? यदि हाँ, तो जानकारी दें। इन दोनों मार्गों के पुनर्निर्माण हेतु क्या प्राक्कलन शासन स्तर पर स्वीकृति हेतु लम्बित है? यदि हाँ, तो कब तक स्वीकृति प्रदान कर दी जावेगी? (ग) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में धुपखड़-दुआरी मार्ग एवं कुन्दौर तिराहा से ताल मार्ग क्या बरसात के कारण पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है? यदि हाँ, तो इन मार्गों का मरम्मत कार्य/पुनर्निर्माण कार्य कब तक करवाया जायेगा? (घ) सीधी सिंगरौली जिले के अन्तर्गत कुसमी बंजारी मार्ग में गोपद नदी पर पुल का निर्माण कार्य कब तक पूर्ण करवा लिया जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जी नहीं। प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। जी नहीं, शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ, आंशिक रूप से। प्रश्नांकित मार्गों की मरम्मत एवं डामरीकरण किये जाने हेतु निविदा की कार्यवाही दिनांक 25.11.2019 को पूर्ण कर कार्य शीघ्र प्रारंभ कराये जा रहे है। (घ) पुल कार्य पूर्ण एवं पहुँच मार्ग का कार्य अनुबंधानुसार मार्च 2020 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य है।
पदावनत के बाद भी पदस्थापना किया जाना
[लोक निर्माण]
98. ( क्र. 1525 ) श्री जुगुल किशोर बागरी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले में पदस्थ कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग (बी एण्ड आर) के विरूद्ध प्रश्नतिथि तक किस-किस प्रकार की किस-किस स्थान पर किस-किस पद पर पदस्थापना के दौरान, किन-किन शिकायतों के आधार पर लोक निर्माण विभाग के किस-किस सक्षम कार्यालय द्वारा जांच के आदेश जारी किये गये, जारी सभी जांच आदेशों की प्रति उपलब्ध करायें? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अधिकारी को अधीक्षण यंत्री से डिमोशन कर कार्यपालन यंत्री बनाया गया है अगर हाँ तो किस प्रकरण में, प्रकरण का विवरण/जांच रिपोर्ट की 1 प्रति निष्कर्षों सहित दें, डिमोशन आदेश की प्रति देवें? (ग) क्या उक्त अधिकारी जिसके विरूद्ध विभिन्न आर्थिक अनियमितताओं की जांचे लंबित हैं और उसको पदावनत किया, उसको सतना में बी एण्ड आर का कार्यपालन यंत्री क्यों बना दिया गया, किसकी अनुशंसा पर पदस्थापना हुई? (घ) कब तक उक्त अधिकारी को सतना से हटाया जाकर भोपाल अटैच किया जावेगा, लंबित जांचे कब तक कराई जावेंगी, अगर नहीं तो क्यों कारण बतावें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- अ अनुसार है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-क अनुसार। (ख) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। विभाग में अधिकारियों की कमी को दृष्टिगत रखते हुये कार्य संपादन करने हेतु प्रशासनिक व्यवस्था के तहत। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
अनुकम्पा नियुक्ति में समानता
[ऊर्जा]
99. ( क्र. 1526 ) श्री जुगुल किशोर बागरी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ऊर्जा विभाग द्वारा पत्र क्रमांक 45 दिनांक 1/9/2000 द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति बंद की गई थी एवं अनुकम्पा नियुक्ति की नीति 2013 के द्वारा सशर्त अनुकम्पा नियुक्ति प्रारंभ की गई है ऐसा क्यों? (ख) क्या विद्युत वितरण कम्पनियां म.प्र. शासन के उपक्रम में आती हैं तथा शासन के प्रायः सभी नियम इनमें लागू होते हैं फिर अनुकम्पा नियुक्ति में शासन और कम्पनी के बीच विषमता हटाकर शासन के नियमानुसार तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी पदों पर शासन की योग्यतानुसार पदस्थापना क्यों नहीं की जाती है? (ग) क्या वर्तमान में लिपिक एवं लाइनमैन के पदों पर ही अनुकम्पा नियुक्ति की जा रही है तथा इन्हें कितने समय में नियमित किया जायेगा भृत्य के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही है तथा क्या म.प्र. शासन के अनुकम्पा नियुक्ति आदेश के समान ही वि.वि.क. में भी आदेश लागू किया जावेगा अगर हाँ तो कब तक नहीं तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. विद्युत मंडल के परिपत्र क्रमांक 01-07/छ:/45, जबलपुर दिनांक 01.09.2000 से कठिन वित्तीय स्थिति के कारण आगामी आदेश तक अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करना बंद किया गया था। राज्य शासन से प्राप्त प्रशासनिक अनुमोदन उपरांत सभी उत्तरवर्ती विद्युत कंपनियों में अनुकंपा नियुक्ति नीति 2013, सशर्त, जारी की गई, जिसके अंतर्गत दिनांक 10.04.2012 के उपरांत कंपनियों में अंतिम रूप से अंतरित एवं आमेलित म.प्र. राज्य विद्युत मण्डल के कार्मिक एवं कंपनियों द्वारा नियुक्त कार्मिक की कंपनी सेवाकाल में मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान किया जाना प्रारंभ किया गया। (ख) जी हाँ। सभी विद्युत कंपनियाँ मध्यप्रदेश शासन का एक उपक्रम हैं, जोकि विभाग के अंतर्गत आती हैं। राज्य शासन के नियम विद्युत कंपनियों द्वारा ग्राह्य किये जाने के उपरांत इन कंपनियों में लागू होते हैं। राज्य शासन के अनुमोदन उपरांत वितरण कंपनियों के संचालक मंडल द्वारा लिये गये निर्णयानुसार वर्तमान में सभी विद्युत वितरण कंपनियों में अनुकंपा नियुक्ति नीति, 2018 लागू की गई एवं तदानुसार अनुकंपा नियुक्तियां प्रदान की जा रही हैं। सभी वितरण कंपनियों की अनुकंपा नियुक्ति नीति में शैक्षणिक योग्यता एवं अन्य अहर्ताएँ राज्य शासन द्वारा समकक्ष पदों के लिये निर्धारित शैक्षणिक योग्यता एवं अन्य अहर्ताओं के अनुरूप हैं। तदानुसार अनुकंपा नियुक्ति के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी हेतु चिन्हित पदों पर अनुकंपा नियुक्ति दी जा रही है। तथापि विद्युत कंपनियों की आवश्यकता के अनुरूप अनुकंपा नियुक्ति हेतु तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों एवं अर्हता का निर्धारण किया गया है। (ग) जी हाँ। विद्युत कंपनियों में लिपिक एवं लाईन परिचारक के पद सहित चिन्हित पदों के रिक्त होने पर अनुकंपा नियुक्ति दी जा रही है। नियमित पद पर अनुकंपा नियुक्ति के पश्चात् प्रशिक्षण उपरान्त निर्धारित प्रक्रिया अनुसार नियमित करने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त चिन्हित नियमित पद रिक्त नहीं होने पर संविदा पद पर आवेदक द्वारा विकल्प के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति दिये जाने का प्रावधान है। संविदा कार्मिकों को नियमित नियुक्ति हेतु ''संविदा सेवा (अनुबंध तथा सेवा शर्तें) संशोधन नियम 2018'' के प्रावधानों के अंतर्गत सीधी भर्ती के नियमित पदों पर आरक्षण दिया गया है। उक्त परिप्रेक्ष्य में नियमित किये जाने हेतु निश्चित समयावधि बताया जाना संभव नहीं है। विद्युत कंपनियों की संगठनात्मक संरचना एवं अनुकंपा नियुक्ति हेतु चिन्हित रिक्त पदों की उपलब्धतानुसार भृत्य के पद पर भी अनुकंपा नियुक्ति दिये जाने का प्रावधान है। राज्य शासन के अनुमोदन उपरांत विद्युत कंपनियों में वर्तमान में लागू अनुकंपा नियुक्ति 2018 के प्राभावशील होने के परिप्रेक्ष्य में अन्य कोई कार्यवाही किया जाना विचाराधीन नहीं है।
चेती खेड़ा डेम का निर्माण कार्य कराया जाना
[जल संसाधन]
100. ( क्र. 1558 ) श्री सीताराम : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2018 में चेती खेड़ा सिंचाई लघु डेम एवं नहर के लिये 400 करोड़ 28 लाख रूपये की स्वीकृति विधान सभा सत्र दौरान की गई किन्तु अभी तक कोई काम शुरू नहीं हुआ कब तक इसका निर्माण करवाया जावेगा। (ख) क्या श्योपुर जिले में चम्बल दाहिनी नहर की आयनर शाखाओं में बिना सफाई के पानी छोड़ा गया है जिससे किसानों को सिंचाई करने में परेशानी हो रही है क्या नहरों की सफाई कराई जावेगी। (ग) श्योपुर जिले में जल संसाधन विभाग के विश्राम ग्रहों की हालत दयनिय है क्या विश्राम गृहों के सुधार की व्यवस्था करेंगे यदि हाँ, तो कब तक?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी नहीं। चेंटीखेड़ा सिंचाई परियोजना के लिए रू. 400.28 करोड़ की स्वीकृति विधान सभा सत्र के दौरान नहीं दी गई थी। चेंटीखेड़ा मध्यम परियोजना (सूक्ष्म सिंचाई योजना) की प्रशासकीय स्वीकृति हेतु प्रस्ताव वर्तमान में परीक्षणाधीन है। अत: निर्माण प्रारंभ कराए जाने की तिथि बतलाया जाना संभव नहीं है। (ख) जी नहीं। चंबल दाहिनी मुख्य नहर, वितरिका एवं सभी माइनर नहरों की साफ-सफाई का कार्य निविदा एवं जल उपभोक्ता संथाओं के माध्यम से कराने के उपरांत ही सिंचाई हेतु पानी छोड़ा जाकर सभी नहरों के अंतिम छोर तक पंहुचाया गया है। (ग) जी हाँ। श्योपुर स्थित चंबल रेस्ट हाउस का सुधार कार्य प्रगतिरत है।
क्रास सब्सिडी एवं अतिरिक्त सरचार्ज
[ऊर्जा]
101. ( क्र. 1575 ) श्री अजय विश्नोई : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश ने रेल्वे सहित अन्य उद्योगों को प्रदेश के बाहर ओपन एक्सेस के तहत विद्युत क्रय की अनुमति दी है एवं ऐसे उपभोक्ताओं पर म.प्र. विद्युत नियामक आयोग ने क्रास सब्सिडी एवं अतिरिक्त सरचार्ज की दर निर्धारित की है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 एवं अक्टूबर 2019 तक कितने उपभोक्ताओं पर कितनी राशि के बिल जारी किये गये हैं और उनमें से कितनी राशि वसूल की गई है एवं कितनी राशि बकाया है? जानकारी प्रदान करें। (ग) क्या विभाग द्वारा उपरोक्त श्रेणी के उपभोक्ताओं से उनके द्वारा ओपन एक्सेस के तहत खरीदी गयी विद्युत पर इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी भी वसूली जाना है? इस राशि के बिलों तथा वसूली की जानकारी भी देवें। (घ) क्या विभाग की लापरवाही और मिलीभगत से उपरोक्त मद में अरबों रूपयों की राशि की वसूली नहीं की जा रही है, जिसका नुकसान म.प्र. के आम विद्युत उपभोक्ता को महंगी बिजली के रूप में भुगतना पड़ रहा है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, मध्यप्रदेश में रेल्वे सहित अन्य उद्योगों को विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के अनुसार प्रदेश के बाहर ओपन एक्सेस के तहत विद्युत क्रय की अनुमति दी गई है एवं ऐसे उपभोक्ताओं पर म.प्र. विद्युत नियामक आयोग ने क्रॉस सब्सिडी एवं अतिरिक्त सरचार्ज की दर निर्धारित की है। (ख) वित्तीय वर्ष 2017-18 में कुल 20 उपभोक्ताओं को रू. 686.54 करोड़ की राशि के बिल जारी किये गये जिसमें से कुल रू. 614.57 करोड़ की राशि वसूल की गयी। वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुल 6 उपभोक्ताओं को रू. 461.51 करोड़ की राशि के बिल जारी किये गये जिनमें से कुल रू. 402.72 करोड़ की राशि वसूल की गयी। वित्तीय वर्ष 2019-20 में माह अक्टूबर 2019 तक कुल 9 उपभोक्ताओं को रू. 435.44 करोड़ की राशि के बिल जारी किये गये जिसमें से कुल रू. 365.58 करोड़ की राशि वसूल की जा चुकी है। अद्यतन स्थिति में कुल 8 उपभोक्ताओं पर रू. 188.14 करोड़ की राशि बकाया है। इसके अतिरिक्त भारतीय रेल्वे को वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 एवं 2019-20 (अगस्त‘19 तक) क्रमश: 121.41 करोड़ रूपये, 330.21 करोड़ रूपये एवं 152.98 करोड़ रूपये के मांग पत्र जारी किये गये है। भारतीय रेल्वे से इस मद में वसूल की गयी राशि निरंक है। अद्यतन स्थिति में भारतीय रेल्वे पर वर्ष 2015-16 (जनवरी 2016 ओपन एक्सेस के माध्यम से विद्युत प्राप्त करने के माह से) से अगस्त’ 2019 तक कुल रू. 882.03 करोड़ की राशि बकाया है। (ग) जी हाँ। वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 एवं 2019-20 (अक्टूबर 2019 तक) में प्रश्नाधीन उपभोक्ताओं को क्रमश: 23.34 करोड़ रूपये, 22.65 करोड़ रूपये एवं 17.33 करोड़ रूपये के विद्युत शुल्क के बिल जारी किये गये। उक्त मद में इन उपभोक्ताओं द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 एवं 2019-20 (अक्टूबर 2019 तक) में क्रमश: 22.87 करोड़ रूपये, 22.65 करोड़ रूपये एवं 17.33 करोड़ रूपये के विद्युत शुल्क की राशि जमा की गयी है। अद्यतन स्थिति में 28.54 करोड़ रूपये की राशि बकाया है। भारतीय रेल्वे को स्वयं के उपयोग के लिए उपभुक्त या प्रदाय की गयी विद्युत के संबंध में म.प्र. विद्युत शुल्क अधिनियम’ 2012 की धारा 4 (दो) के अनुसार विद्युत शुल्क से छूट का प्रावधान है। (घ) जी नहीं, माननीय न्यायालयों में प्रकरणों के विचाराधीन होने के कारण बकाया राशि की वसूली लंबित है।
विभिन्न मार्गों के निर्माण कार्यों की स्वीकृति
[लोक निर्माण]
102. ( क्र. 1586 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र परासिया के अंतर्गत वर्ष 2017-18 से 2019-20 की अवधि में लोक निर्माण विभाग के कौन-कौन से मार्गों के निर्माण कार्यों के प्रस्ताव विभाग द्वारा शासन स्तर पर स्वीकृति हेतु भेजे गये हैं? उन सभी मार्ग निर्माण कार्यों की जानकारी पृथक-पृथक उपलब्ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार विभाग द्वारा भेजे गये प्रस्तावों में से शासन द्वारा अभी तक कितने मार्गों के निर्माण कार्यों की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है और कितने मार्गों के निर्माण कार्य की स्वीकृति प्रदान किया जाना अभी बाकी है? ऐसे मार्गों के निर्माण कार्यों की स्वीकृति शासन/विभाग द्वारा कब तक प्रदान कर दी जावेगी? जिन मार्ग निर्माण कार्यां के टेन्डर लगाये जा चुके है? उन मार्ग निर्माण कार्यों की जानकारी भी उपलब्ध करायें। (ग) शासन द्वारा परासिया विधान सभा क्षेत्र के लिए जिन मार्गों के निर्माण कार्यों के प्रस्तावों की स्वीकृति नहीं दी गई है वह मार्ग कौन-कौन से हैं और उनकी स्वीकृति प्रदान नहीं किए जाने का क्या कारण है? कारण सहित जानकारी उपलब्ध करायें। (घ) परासिया विधान सभा क्षेत्रांतर्गत विभिन्न मार्गों के निर्माण कार्यों की स्वीकृति प्रदान किये जाने के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा आदरणीय मुख्यमंत्री महोदय एवं माननीय विभागीय मंत्री महोदय को कई पत्र/प्रस्ताव प्रेषित किये गये है, उन पत्रों पर विभाग द्वारा अभी तक क्या-क्या कार्यवाही की गई है? पृथक पृथक जानकारी उपलब्ध करायें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (घ) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
सड़क का निर्माण
[लोक निर्माण]
103. ( क्र. 1596 ) श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना मड़ला मुख्य मार्ग हरसा गेट से झिन्ना रोड तक निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति कब प्राप्त हुई? आज दिनांक तक उक्त रोड का निर्माण क्यों रूका हुआ है? (ख) इसे कब तक पूर्ण किया जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) दिनांक 29.08.2006 को। पन्ना टाईगर रिजर्व द्वारा 3.00 मीटर चौड़ाई में साधारण कार्य केवल मिट्टी मुरूम से कराये जाने की अनुमति दी गई थी जो 2008 में किया जा चुका है। पुल पुलियों एवं डब्ल्यू.बी.एम. डामरीकरण कार्य कराने की स्वीकृति न मिलने के कारण कार्य नहीं कराया जा सका। (ख) उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व एवं कार्यपालन यंत्री, लो.नि.वि. पन्ना संभाग द्वारा दिनांक 24.11.2019 को मार्ग का संयुक्त रूप से निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान मार्ग की चौड़ाई 7.50 मीटर पाई गई एवं 7.50 मीटर चौड़ाई में कोई वृक्ष काटने की आवश्यकता नहीं है। तदानुसार दिनांक 03.12.19 द्वारा उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व से 7.50 मीटर चौड़ाई में कार्य करने की अनुमति चाही गई है। पन्ना टाईगर रिजर्व से अनुमति मिलने एवं वित्तीय संसाधनों की उपलब्धतानुसार निर्माण कराया जाना संभव हो सकेगा। वर्तमान में समय बताया जाना संभव नहीं।
एस.ई. सर्किल कार्यालय खोले जाने व विद्युत व्यवस्था
[ऊर्जा]
104. ( क्र. 1598 ) श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रबंधक (मा.स.सा.),म.प्र. पू.क्षे.वि.वि.क.लि., जबलपुर के आदेश क्र. 8716 दिनांक 15.12.18 के द्वारा पन्ना जिले में एस.ई. सर्किल कार्यालय खोले जाने की स्वीकृति प्रदाय की गई थी? यदि हाँ तो आज दिनांक तक पन्ना जिले में कार्यालय क्यों नहीं खोला गया? कब तक खोला जावेगा? (ख) पन्ना जिले के अजयगढ़ क्षेत्र हेतु स्वीकृत 132 के.व्ही. पावर स्टेशन लगाये जाने हेतु विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है एवं यह पावर स्टेशन कब तक चालू किया जावेगा? (ग) क्या पन्ना विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत तहसील अजयगढ़ की पंचायतों जैसे लोढापुरवा, जिगनी, चंदौरा, बरौली एवं रामनई की पावर सप्लाई छतरपुर जिले से केन नदी पार से लाई गई है? यदि हाँ तो इनको पन्ना जिले से कब तक जोड़ा जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ। म.प्र.पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के आदेश क्रमांक 1234 दिनांक 12.02.2019 द्वारा श्री वाई.के. सिंघई, अधीक्षण अभियंता की पदस्थापना संचालन एवं संधारण वृत्त, पन्ना में की गई थी तथापि उनके द्वारा कतिपय कारणों से कार्यभार ग्रहण नहीं किया जा सका। म.प्र.पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के आदेश क्रमांक 13733 दिनांक 04.12.2019 द्वारा श्री एस.के. चढार, कार्यपालन अभियंता को अधीक्षण अभियंता, संचालन एवं संधारण वृत्त, पन्ना के चालू प्रभार में पदस्थ किया गया है। श्री एस.के. चढार द्वारा कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत पन्ना वृत्त कार्यालय प्रारंभ हो जावेगा। (ख) पन्ना जिले के अंतर्गत अजयगढ़ में तकनीकी साध्यता अनुसार 132/33 के.व्ही. अति उच्चदाब विद्युत उपकेन्द्र के निर्माण का प्रस्ताव विचाराधीन है। उक्त विद्युत उपकेन्द्र का कार्य भविष्य में वित्तीय उपलब्धता के अनुरूप इसी प्रकार के अन्य कार्यों की प्राथमिकता के क्रम में किया जाना संभव हो सकेगा, जिस हेतु वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ, पन्ना विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत तहसील अजयगढ़ की ग्राम पंचायतों यथा-लोढापुरवा, जिगनी, चंदौरा, बरौली एवं रामनई को छतरपुर जिले के 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र चंदला से निर्गमित 11 के.व्ही. बरौली फीडर से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है, जिसके मार्ग में केन नदी आती है। प्रश्नाधीन ग्रामों/ग्राम पंचायतों का विद्युत प्रदाय पन्ना जिले में अवस्थित अजयगढ़ 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र से किये जाने हेतु उक्त विद्युत उपकेन्द्र से निर्गमित 11 के.व्ही. पैराहा फीडर को 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र चंदला से निर्गमित 11 के.व्ही. भरौली फीडर से जोड़ने के लिए 7.5 कि.मी. नई 11 के.व्ही. लाईन तथा 2 कि.मी. 11 के.व्ही. लाईन के कण्डक्टर की क्षमता वृद्धि का कार्य किया जाना आवश्यक होगा। उक्त कार्य वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार किया जा सकेगा, जिस हेतु वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
घातक रसायन एवं एसिड डालने के संबंध में दंडात्मक कार्यवाही
[पर्यावरण]
105. ( क्र. 1601 ) श्री महेश परमार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या उद्योगों द्वारा एसिड एवं घातक रसायन नदी नालों तथा अन्य जल स्त्रोतों में मिलाया जा रहा है? यदि हाँ, तो पर्यावरण विभाग द्वारा परिसंकटमय एवं अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन एवं सीमा पार संचालन) नियम 2016 के अंतर्गत विगत 5 वर्षों में कितने उद्योगों एवं घातक रसायनो के परिवहनों पर कार्यवाही की है? उद्योग, नदी अथवा जल स्त्रोतों सहित विस्तृत जानकारी सदन में रखें। (ख) भूमि एवं जल प्रदूषण के साथ आम नागरिकों में घातक एसिड एवं रसायनिक प्रभाव से जो बीमारियाँ हुई है, उस संबंध में प्रदूषण निवारण मण्डल की अनुशंसाओं पर विगत 5 वर्षों में राज्य शासन द्वारा कौन-कौन से कठोर कानून बनाए गए तथा उन क़ानूनों के पालन में कार्यवाहियाँ की गयी? (ग) क्या नागदा में घातक रसायनों को चंबल नदी में डालने का काम लंबे समय से किया जा रहा है? यदि हाँ, तो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत प्रदूषण से मुक्ति के लिए विगत 5 वर्षों में तात्कालीन सरकार द्वारा क्या कार्यवाहियाँ की गयी? (घ) क्या एसिड और घातक रसायनों के परिवहनों पर मेनिफेस्ट व परिवहन विधि तथा सभी टेंकरों में जी.पी.एस. लगा है? यदि नहीं, तो सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाने जा रही है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। सामान्य तौर पर उद्योगों व्दारा एसिड एवं घातक रसायन नदी नालों तथा जल स्त्रोतों में नहीं मिलाया जा रहा है। उत्पाद एसिड एवं रसायन, परिसंकटमय अपशिष्ट नहीं होने से परिसंकटमय एवं अन्य अपशिष्ट (प्रबंध एवं सीमापार संचलन) नियम, 2016 के अंतर्गत उद्योगों के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। एसिड एवं घातक रसायनों का परिवहन परिसंकटमय एवं अन्य अपशिष्ट (प्रबंध एवं सीमापार संचलन) नियम, 2016 के दायरे में नहीं आता है। (ख) घातक एसिड एवं रासायनों के फेंके जाने से आम नागरिकों में बीमारियां उत्पन्न होने संबंधी कोई शिकायत बोर्ड में अप्राप्त है। पर्यावरण संरक्षण हेतु विद्यमान् कानूनों में पर्याप्त प्रावधान है। (ग) जी नहीं तथापि नागदा स्थित उद्योगों मेसर्स ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लि0 (केमिकल डिवीजन), मेसर्स ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लि0 (स्टेपल फाईबर डिवीजन), मेसर्स लैन्सेक्स इंडिया प्रा.लि. उद्योगों व्दारा दूषित जल का निस्सारण उद्योग परिसर से बाहर पाये जाने एवं सम्मति शर्तों का उल्लंघन करने के कारण न्यायालयीन वाद दायर किए गए है, जिनकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। मेसर्स ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लि0 (स्टेपल फाईबर डिवीजन) द्वारा शून्य निस्सारण की स्थिति लाने हेतु समयबद्ध कार्य योजना प्रस्तुत की गई है, जिसका कार्य चल रहा है एवं कार्य योजना अनुसार जनवरी, 2021 तक शून्य निस्सारण की स्थिति प्राप्त कर ली जावेगी। (घ) पर्यावरणीय नियमों में उत्पाद एसिड तथा घातक रसायनों के परिवहन के लिए मेनीफेस्ट व्यवस्था का प्रावधान नहीं है। परिसंकटमय एवं अन्य अपशिष्ट (प्रबंध एवं सीमापार संचलन) नियम, 2016 के अंतर्गत परिसंकटमय अपशिष्टों परिवहन करने वाले वाहनो में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार जी.पी.एस. स्थापित है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
जलवायु एवं रसायनिक प्रदूषण संबंधित समुचित कार्यवाही
[पर्यावरण]
106. ( क्र. 1602 ) श्री महेश परमार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नागदा जंक्शन, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण एवं उज्जैन संभाग के समस्त उद्योगों का निरीक्षण बोर्ड द्वारा दी गयी सम्मति एवं अनुमति की शर्तों के अधीन किया जा रहा है? यदि हाँ, तो प्रदूषण संबंधी शिकायतों के निराकरण की स्थिति क्या है? दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ अवगत कराएं। (ख) क्या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी सम्मति अनुमति का नवीनीकरण निरंतर हो रहा है? यदि हाँ, तो विगत 15 वर्षों में उज्जैन संभाग के कितने उद्योगों के प्रदूषण के मामले में प्रकरण दर्ज़ हुए एवं प्रदूषण के मामले में सर्वाधिक जनजीवन का खतरा किन-किन उद्योगों से है? (ग) क्या "Zero Effluent Discharge System" संभाग के सभी उद्योगों में लागू है? क्या विभिन्न अधिनियमों के अंतर्गत सम्मति शर्तों के उल्लंघन के कारण न्यायालय में किन-किन उद्योगों के प्रकरण पंजीबद्ध होकर विचाराधीन हैं? सर्वाधिक सम्मति की शर्तों के उल्लंघन का रिकॉर्ड किन उद्योगो के नाम है एवं उन उद्योगों के लाइसेन्स क्यों नहीं निरस्त किए गए? (घ) उज्जैन संभाग में ऐसे कितने उद्योग हैं जिनकी जाँच रिपोर्ट में डिजाल्व्ड सौलिड उद्योग स्थापना के समय से ही अधिक पाये जा रहे है? इस कारण जनजीवन एवं जलस्त्रोतों पर गंभीर खतरा बना हुआ है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। उद्योगों के सम्मति शर्तों के उल्लंघन संबंधी प्राप्त शिकायतों के निराकरण की अवधि प्रश्न में उल्लेखित नहीं है तथापि विगत् एक वर्ष में निराकृत प्रकरणों में दस्तावेजी साक्ष्य का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जी हाँ। विगत् 15 वर्षों अर्थात दिनांक 01.11.2004 से 31.10.2019 की अवधि में प्रश्नांश (क) में उल्लेखित क्षेत्र के 72 उद्योगों के विरूद्ध विभिन्न पर्यावरणीय अधिनियमों के प्रावधान अन्तर्गत संबंधित न्यायालयों में वाद दायर किये गये है। जल एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्थाऐं स्थापित एवं संचालित होने से किसी भी उद्योग से सर्वाधिक जन जीवन को खतरे की संभावना नहीं है। (ग) जी हाँ। “ Zero Effluent Discharge System “ लागू है। विगत् 15 वर्षों में जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 के अन्तर्गत बोर्ड द्वारा प्रदत्त सम्मति शर्तों के उल्लंघन के कारण न्यायालय में पंजीबद्ध एवं विचाराधीन प्रकरणों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। सम्मति शर्तों के उल्लंघन के कारण उद्योगों के विरूद्ध जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 के प्रावधान अंतर्गत कार्यवाही की जाती है एवं न्यायालयीन वाद दायर किए गए हैं। अतः लायसेंस निरस्त करने की कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) मे0 ग्रेसिम इडस्ट्रीज लि0 ( स्टेपल फाईबर डिवीजन ) नागदा के उपचारित दूषित जल में डिजाल्व्ड सॉलिड उद्योग के स्थापना के समय से ही अधिक पाये जा रहे थे। बोर्ड के प्रयासों से उद्योग द्वारा दूषित जल उपचार एवं पुर्नउपयोग व्यवस्था में सुधार एवं उन्नयन किया जाने से दूषित जल में डिजाल्व्ड सॉलिड की मात्रा में सुधार होकर वर्तमान में निर्धारित मानक के अनुरूप है तथा शून्य निस्सव् का कार्य प्रगति पर है जिसके जनवरी 2021 तक पूर्ण होने की संभावना है। अतः शेष जानकारी का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
विद्युत व्यवस्था कराया जाना
[ऊर्जा]
107. ( क्र. 1605 ) श्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा प्रदेश में किसानों को सिंचाई हेतु 10 घंटे एवं गांव के लिए 24 घंटे विद्युत प्रदाय करने का प्रावधान है। जबकि गांव में 8 से 10 घंटे एवं किसानों को सिंचाई हेतु 2 से 5 घंटे विद्युत प्रदाय की जा रही है? (ख) क्या अधिकांश ट्रांसफार्मर खराब है तथा ट्रांसफार्मर बदलने के लिए ग्रामीण व किसान विद्युत कार्यालय के चक्कर काट रहे है। यदि हाँ, तो विद्युत व्यवस्था सुधारने के लिए क्या कार्यवाही की जा रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, प्रदेश में कृषकों को कृषि फीडरों के माध्यम से सिंचाई हेतु औसतन प्रतिदिन 10 घंटे एवं अन्य उपभोक्ताओं को गैर-कृषि फीडरों के माध्यम से औसतन प्रतिदिन 24 घंटे विद्युत प्रदाय किये जाने का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में विगत तीन माहों यथा-सितम्बर, 2019, अक्टूबर, 2019 एवं नवम्बर, 2019 में कृषि फीडरों पर औसतन प्रतिदिन क्रमश: 9:51 घंटे, 9:53 घंटे एवं 9:56 घंटे तथा गैर-कृषि फीडरों पर औसतन प्रतिदिन क्रमश: 23:27 घंटे, 23:35 घंटे एवं 23:47 घंटे विद्युत प्रदाय किया गया है। कतिपय अवसरों पर तकनीकी कारणों एवं प्राकृतिक आपदा यथा-अत्याधिक वर्षा, आँधी-तूफान आदि के कारण आकस्मिक रूप से आए विद्युत व्यवधानों एवं मेन्टेनेंस कार्य हेतु अतिआवश्यक होने जैसी अपरिहार्य स्थितियों को छोड़कर सामान्यत: प्रदेश में उक्त प्रावधानों के अनुसार विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ख) जी नहीं। प्रदेश में तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के अन्तर्गत अद्यतन स्थिति में लगभग 8 लाख वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित हैं, जिनमें से दिनांक 01.12.2019 की स्थिति में मात्र 1439 जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मर बदलने हेतु शेष थे उक्त में से नियमानुसार 273 ट्रांसफार्मर बदलने हेतु पात्र थे जिन्हें निर्धारित समय-सीमा में बदलने की कार्यवाही की गई एवं 1166 ट्रांसफार्मर संबद्ध उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार विद्युत बिल की बकाया राशि जमा नहीं करने के कारण अपात्र थे। वर्तमान में वितरण ट्रांसफार्मरों की पर्याप्त उपलब्धता है तथा यथासंभव निर्धारित सयम-सीमा में पात्र जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को बदला जा रहा है। उक्त परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में उक्त संबंध में अन्य कोई कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता नहीं है।
हजारों टन जहरीला कचरा न उठाया जाना और मालिकों पर प्रकरण दर्ज न होना
[पर्यावरण]
108. ( क्र. 1631 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 3028 दिनांक 18 जुलाई, 2019 के संदर्भ में बतावें कि क्या परिसंक्रमय अपशिष्ट मानव स्वास्थ्य, जमीन तथा पर्यावरण के लिये हानिकारक नहीं है? जहरीले कचरे तथा परिसंक्रमय अपशिष्ट के वर्गीकरण के मापदण्ड बतावें तथा संदर्भित साहित्य उपलब्ध करावें। (ख) 20 वर्ष से भी अधिक समय से पड़े परिसंक्रमय अपशिष्ट से जल, कृषि, मानव स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव का आज तक अध्ययन क्यों नहीं किया गया? क्या यह गंभीर लापरवाही नहीं है, क्या सिर्फ केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी हैं? राज्य सरकार का कोई दायित्व नहीं है? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित परिसंक्रमय अपशिष्ट कब तक उठा लिया जायगा तथा बतावें कि इस अपशिष्ट के कारण कितने क्षेत्र में तथा कितने गांव में भूजल प्रदूषित हुआ है तथा इस प्रदूषित भूजल से कुल कितनी आबादी प्रभावित हो रही है? (घ) क्या बोरिदिया केमिकल्स का कचरा परिसंक्रमय अपशिष्ट था या जहरीला कचरा? उसका कचरा कहाँ गया वह किसके द्वारा कब उठाया गया? क्या उसके मालिक पर प्रकरण दर्ज किया गया था? यदि हाँ तो प्रश्न क्रमांक 3028 दिनांक 18 जुलाई 2019 में इसका जिक्र क्यों नहीं है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। परिसंकटमय अपशिष्ट का सुरक्षित तरीके से भंडारण, परिवहन, उपचार व व्ययन नहीं होने से यह अपशिष्ट मानव स्वास्थ्य, जमीन एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। परिसंकटमय अपशिष्ट का वर्गीकरण परिसंकटमय एवं अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन एवं सीमापार संचलन) नियम, 2016 के अनुसूची 1,2,3,4,5 व 6 अनुसार किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘क‘‘ अनुसार है तथा जहर संबंधी पॉइजन एक्ट, 1919 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘ख'' अनुसार है। (ख) परिसंकटमय अपशिष्टों के सुरक्षित निपटान हेतु मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित केन्द्र शासन द्वारा किये गये कार्यों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘ग’ अनुसार है। अतः राज्य शासन द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन किया जाता रहा है। (ग) केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा नियुक्त कंसलटेंट द्वारा अध्ययन कर डी.पी.आर. तैयार करने का कार्य प्रगति पर है। रिपोर्ट प्राप्ति उपरांत अग्र कार्यवाही की जानी है, अतः अपशिष्ट के पूर्ण निपटान का समय-सीमा बताना संभव नहीं है। रतलाम शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के 07 गांवों की कुल 3004 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में से 1442 हेक्टेयर क्षेत्र में हल्का लाल पानी की समस्या से प्रभावित होने का अनुमान है। उक्त 07 गांवों की वर्ष 2011 की जनगणना अनुसार जनसंख्या 7213 है। (घ) मेसर्स बोर्डिया केमिकल्स लि. ग्राम बिबरोद जिला रतलाम का अपशिष्ट परिसंकटमय अपशिष्ट की श्रेणी के अंतर्गत था। उद्योग द्वारा भंडारित परिसंकटमय अपशिष्ट को वर्ष 2002-03 से वर्ष 2005-06 के मध्य मेसर्स आर.आर.क्लास्ड, मेसर्स डायमंड सीमेंट, मेसर्स प्रोग्रेसिव मार्केटिंग एंड सर्विसिंग, मेसर्स सी.जे. ट्रेडर्स, मेसर्स एम.आर. ट्रेडर्स, मेसर्स सर्वेष्वर रोड केरियर्स, मेसर्स एकता कार्पोरेषन, मेसर्स मेवाड मिनरल्स, मेसर्स श्रीराम केमिकल्स इंड्रस्ट्रीज, मेसर्स नागोरी सोडियम एंड केमिकल्स प्रा. लि., मेसर्स मोहता सीमेंट प्रा. लि., मेसर्स त्रिपुरा सीमेंट, मेसर्स लक्ष्मी इंडस्ट्रीज, मेसर्स जोषी डाइस एंड मिनरल्स, मेसर्स एन.एस. सेल्स, मेसर्स कपिल कंस्ट्रक्षन, मेसर्स खान ट्रेडर्स, मेसर्स श्रीसदगुरू सीमेंट, मेसर्स राहुल फेरोकेम इंडस्ट्रीज, मेसर्स मृतिका इत्यादि को प्रदान किया गया एवं उद्योग प्रबंधन के विरूद्ध माननीय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, रतलाम के न्यायालय में परिवाद दायर किया गया था। प्रश्न क्रमांक-3028 दिनांक 18/07/2019 रतलाम में विद्यमान कचरे से संबंधित होने के कारण तथा प्रश्न दिनांक को मेसर्स बोर्डिया केमिकल के कचरे के अस्तित्व में न होने से उत्तर में इसका उल्लेख आवश्यक नहीं पाया गया।
पी.आई.यू. द्वारा किए गए समस्त निर्माण कार्यों की विस्तृत जानकारी
[लोक निर्माण]
109. ( क्र. 1666 ) श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन और बड़वानी जिले में सन 2015 से प्रश्न दिनांक तक लोक निर्माण विभाग के पी.आई.यू. द्वारा किए गए समस्त निर्माण कार्यों की विस्तृत जानकारी टेंडर दिनांक, निर्माण कार्य पूर्ण करने की समय अवधि, पूर्णता दिनांक, निर्माण कार्य में लगी किसी भी प्रकार की पेनल्टी (दंड) की सूची कार्यवार देवें। (ख) उक्त निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाली फ्लाई सीट की लेबोरेटरी टेस्ट की रिपोर्ट की छायाप्रति देवें। यदि कोई लेबोरेटरी टेस्ट फेल होता है तो उस पर क्या कार्यवाही की जा सकती है? विभागीय नीति निर्देश की प्रति देवें। क्या विगत 5 वर्षों में फ्लाई का कोई लेबोरेटरी टेस्ट फेल हुआ है। यदि हाँ तो कंपनी का नाम, निर्माण स्थान और लेबोरेटरी रिपोर्ट की छायाप्रति देवें? (ग) उक्त निर्माण कार्यों की अनुबंध, नियम शर्त की छायाप्रति देवे। (घ) उक्त निर्माण कार्यों में कॉन्ट्रैक्टर (अनुबंधकर्ता) द्वारा रखे गए इंजीनियरों के नाम, पता, वेतन राशि, जिस खाते से वेतन डलती है की जानकारी देवें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जिला खरगौन के निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाली फ्लाई एस ईट इसका लेबोरेटरी टेस्ट की रिपोर्ट की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। यदि कोई लेबोरेटरी टेस्ट फेल होता है तो मटेरियल अमान्य किया जाता है। सफल परीक्षण उपरांत ही निर्माण में फ्लाई एस ईटो का उपयोग किया जाता है। विभागीय नीति निर्देश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। विगत 05 वर्षों में फ्लाई एस ईट का कोई लेबोरेटरी टेस्ट फेल नहीं हुआ। शेष प्रश्न नहीं उठता। (ग) खरगौन एवं बड़वानी में उक्त निर्माण कार्यों की स्ट्रक्चरल डिजाईन, नियम, शर्त नक्शा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। अनुबंध की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है। (घ) इंजीनियर के नाम पते की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। बैंक खाते की जानकारी विभाग द्वारा नहीं संधारित की जाती है।
निस्तारी तालाबों से अवैध जल निकासी रोकने वावत
[जल संसाधन]
110. ( क्र. 1667 ) श्री राकेश गिरि : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ जिले में सिंचाई के लिए कितने बाँध व तालाब हैं तथा कितने निस्तारी तालाब हैं? सूची दें। (ख) क्या वर्ष 2019-20 में जिले के बाँधो एवं सिंचाई तालाबों की नहरों की मरम्मत/सफाई कराई गई है? यदि हाँ, तो नहरों के नाम सहित मरम्मत व सफाई पर मदवार व्यय का ब्यौरा दें। (ग) फसलों की सिंचाई हेतु क्या निस्तारी तालाबों से अवैध रूप से पानी की निकासी हो रही है? यदि हाँ, तो अवैध जल निकासी रोकने तथा निस्तारी तालाबो में ग्रीष्म ऋतु में पशुओं को पीने के लिए और आम जन मानस के निस्तार हेतु जल संचयन की विभाग द्वारा क्या व्यवस्था की जा रही है बताये? अवैध जल निकासी करने वालो के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी बताये?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) प्रश्नाधीन जिले में सिंचाई के लिए कुल 89 बांध एवं तालाब हैं। सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''एक'' अनुसार है। निस्तारी तालाब की जानकारी विभाग द्वारा संधारित नहीं की जाती है। (ख) जी हाँ। नहरों की मरम्मत/सफाई अनुरक्षण मद में कराया जाना प्रतिवेदित है, नहरों के नाम तथा मदवार व्यय का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'दो' अनुसार है। (ग) निस्तारी तालाब की जानकारी विभाग द्वारा संधारित नहीं किए जाने के कारण प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता
[उच्च शिक्षा]
111. ( क्र. 1674 ) श्री विनय सक्सेना : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में वर्ष 2014-15 में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की हुई सीधी भर्ती प्रक्रिया से संबंधित नस्ती से कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हुए हैं? यदि हाँ, तो इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति पर क्या-क्या कार्यवाही की गयी? (ख) उक्त सीधी भर्ती प्रक्रिया से संबंधित सम्पूर्ण नस्ती, परीक्षा प्रक्रिया के समस्त दस्तावेज इत्यादि प्रदान करें। (ग) उक्त सीधी भर्ती हेतु आयोजित परीक्षा में विश्वविद्यालय के किन-किन कर्मचारियों द्वारा ड्यूटी की गयी अथवा परीक्षा संबंधी कार्य किया गया? सूची देवें। (घ) उक्त सीधी भर्ती परीक्षा में विश्वविद्यालय के किन-किन कर्मचारियों के सगे-संबंधी रिश्तेदार उम्मीदवार, प्रावीण्य सूची के प्रथम 10 स्थानों पर आये हैं? सूची देवें।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) विश्वविद्यालय के किसी भी कर्मचारी की ड्यूटी नहीं लगाई गई थी। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) कोई भी प्रावीण्य सूची जारी नहीं की गई है।
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में समस्त कर्मचारियों को श्रमसाध्य भत्ता
[उच्च शिक्षा]
112. ( क्र. 1675 ) श्री विनय सक्सेना : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में समस्त कर्मचारियों को किस नियम के तहत श्रमसाध्य भत्ता प्रदान किया जा रहा है? क्या वि.वि. के अध्यादेश/परिनियम/विनियम में श्रमसाध्य भत्ते का उल्लेख है? श्रम साध्य भत्ते की क्या परिभाषा है? (ख) क्या वि.वि. कार्य परिषद उक्ताशय के भत्ते स्वीकृत करने हेतु सर्वसक्षम निकाय है? (ग) क्या उक्त भत्ते के प्रदाय हेतु वि.वि. को मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग, वित्त विभाग व समन्वय समीति द्वारा स्वीकृति दी गयी है? यदि नहीं, तो भत्ते का भुगतान क्यों किया गया? बिना अनुमति ऐसी आर्थिक अनियमितता करने वाले दोषियों पर क्या कार्यवाही की जाएगी? (घ) क्या वि.वि. में पदस्थ वित्त नियंत्रक तथा अंकेक्षक द्वारा शासन की अनुमति के बिना यह भुगतान अनुमोदित किया जाना वैधानिक है? यदि नहीं, तो उन पर क्या कार्यवाही की जावेगी?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 87वीं बैठक दिनांक 10.09.2012 में विश्वविद्यालयों में पूर्व से देय श्रमसाध्य भत्ता विश्वविद्यालय अपनी आर्थिक स्थिति अनुसार देने हेतु मान्य होने पर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर की कार्यपरिषद की बैठक दिनांक 08.07.2019 के निर्णयानुसार दिया जा रहा है। जी नहीं। अवकाश दिवसों में कर्मचारियों द्वारा लिये गये कार्य के एवज में दिये गये पारिश्रमिक भुगतान को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा ''श्रमसाध्य भत्ता'' कहा गया है। (ख) से (घ) उत्तरांश (क) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
संत हिरदाराम नगर फाटक रोड पर ओवर ब्रिज का निर्माण
[लोक निर्माण]
113. ( क्र. 1682 ) श्री रामेश्वर शर्मा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि भोपाल के संत हिरदाराम नगर फाटक रोड पर रेल्वे ओवर ब्रिज का निर्माण कब तक कराया जाएगा? ओवर ब्रिज निर्माण की क्या कार्य योजना है? विगत वर्षों में उक्त ओवर ब्रिज निर्माण संबंधी पत्राचार अथवा प्राक्कलन की प्रति उपलब्ध कराएं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : विभाग के अंतर्गत वर्तमान में किसी योजना में स्वीकृत नहीं है। अत: निश्चित तिथि बताना संभव नहीं है। विभाग की आगामी पंचवर्षीय योजना में प्रस्तावित है। विगत वर्षों में किये गए पत्राचार की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
आदमपुर छावनी में कचरा खंती से भोपाल में प्रदूषण होना
[पर्यावरण]
114. ( क्र. 1683 ) श्री रामेश्वर शर्मा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल में वायु प्रदूषण के मुख्य कारक क्या हैं? क्या भोपाल के आदमपुर छावनी में कचरा खंती में कचरा जलाने से भोपाल में वायु प्रदूषण एवं कचरे से निकलने वाले गंदे पानी से जल प्रदूषण हो रहा है? क्या आदमपुर छावनी की कचरा खंती में पर्यावरण संबंधी सभी नियमों का पालन किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्या इस संबंध में विभाग द्वारा संज्ञान लेकर संबंधित एजेंसी अथवा नगर निगम भोपाल को नोटिस दिया गया है? यदि नोटिस दिया गया तो नोटिस की प्रति उपलब्ध कराएं। (ख) माननीय राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में भोपाल के बगरोदा, गोविंदपुरा एवं रायसेन जिले के मंडीदीप स्थित किन-किन उद्योगों से होने वाले वायु प्रदूषण एवं जल प्रदूषण संबंधी प्रकरण लंबित हैं? (ग) विभाग द्वारा इन लंबित प्रकरणों में संबंधितों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की गयी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) भोपाल में वायु प्रदूषण के मुख्य कारक सड़कों का खराब होना, वाहनों से उत्सर्जन, 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों का संचालन होना, ट्राफिक जाम की स्थिति, पार्किंग की अपर्याप्त व्यवस्था, शहर के आस-पास स्थित कृषि क्षेत्र में पराली जलाना, शहरी कचरे-प्लास्टिक-बागवानी कचरा-बॉयोमास को खुले में जलाया जाना, रोड इत्यादि की सफाई झाडू द्वारा मानव श्रम से किया जाना, मल्टीस्टोरी भवन निर्माण कार्यों में ग्रीन नेट का उपयोग न करना, शहर में सड़कों के निर्माण में धूल को रोकने हेतु अपर्याप्त जल छिड़काव करना एवं बेरीकेटिंग वाल की व्यवस्था न होना, निर्माण सामग्री का अव्यवस्थित रूप से सड़कों के किनारे एकत्रित करना, वृक्षों की कटाई इत्यादि है। यह सही नहीं है कि आदमपुर छावनी की कचरा खंती में कचरा जलाने से भोपाल में वायु प्रदूषण एवं कचरे से निकलने वाले गंदे पानी से जल प्रदूषण हो रहा है। आदमपुर छावनी की कचरा खंती में मुख्य रूप से नगरीय ठोस अपशिष्ट का डिस्पोजल किया जा रहा है अतः नगर निगम भोपाल को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करने हेतु बोर्ड द्वारा जारी नोटिस की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण में भोपाल के बगरोदा, गोविन्दपुरा एवं रायसेन जिले के मण्डीदीप स्थित किसी भी उद्योग से होने वाले वायु प्रदूषण एवं जल प्रदूषण संबंधी प्रकरण लम्बित नहीं है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिपेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
वेतनभोगी कर्मचारियों का विनियमितीकरण
[ऊर्जा]
115. ( क्र. 1689 ) श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियो में 30 वर्षों से कार्य कर रहे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को विनियमितीकरण योजना अंतर्गत म.प्र.प.क्षेत्र.वि.म. में स्थायीकर्मी नियुक्त किये गए है, उक्त स्थाईकर्मियों को कार्यानुभव एवं पात्रता अनुसार विभाग में चतुर्थ श्रेणी के नियमित रिक्त पदों में समायोजित किया जाना प्रस्तावित है? क्या इस हेतु शासन ने कोई चयन समिति गठित की है? (ख) स्थाईकर्मियों को चतुर्थ श्रेणी के नियमित रिक्त पदों में समायोजित करने हेतु क्या समय सीमा निर्धारित की गई है? (ग) क्या ऐसे स्थाईकर्मियों को भविष्य में सातवें वेतनमान एवं पेंशन, अनुकम्पा नियुक्ति सुविधाओं का लाभ मिलेगा? (घ) विभाग द्वारा सभी चतुर्थ श्रेणी के नियमित रिक्त पदों की भर्ती आन लाइन की जा रही है, ऐसे में उक्त स्थाईकर्मियों को आरक्षण किस प्रकार दिया जायेगा, आयु, शिक्षा, जातिगत आरक्षण में छूट के क्या प्रावधान सुनिश्चित किये गए हैं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड क्षेत्रान्तर्गत ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को विनियमितीकरण योजना अनुसार स्थाई कर्मी नियुक्त किया गया है। उक्त स्थाई कर्मियों को निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत कंपनी में चतुर्थ श्रेणी के नियमित रिक्त पदों की पूर्ति हेतु प्रावधान है। इस हेतु मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इंदौर में एक चयन समिति गठित की गई है। (ख) जी नहीं। (ग) वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। (घ) चतुर्थ श्रेणी के नियमित रिक्त पदों पर म.प्र.पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के नियमानुसार निर्धारित योग्यता होने पर ही नियुक्ति दी जायेगी।
लंबित प्रस्ताव का निराकरण
[उच्च शिक्षा]
116. ( क्र. 1690 ) श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि शासकीय कालेज बदनावर के कौन-कौन से प्रस्ताव शासन के पास लंबित हैं और उनकी स्वीकृति कब तक होने की संभावना है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : विश्व बैंक से पोषित म.प्र. उच्च शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन परियोजना के तहत शासकीय महाविद्यालय बदनावर से प्राप्त संस्थागत विकास योजना प्रस्ताव के अंतर्गत रेमेडियल क्लासेस के संचालन के लिए राशि रू 3.00 लाख एवं पुनर्निर्माण (रेनोवेशन) हेतु राशि रू. 2.00 लाख, कुल राशि रू. 5.00 लाख का आवंटन महाविद्यालय को दिया जा चुका है। अनुमानित लागत राशि रू 397.97 लाख के निर्माण कार्यों हेतु म.प्र. हाउसिंग एन्ड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड को कार्यकारी एजेंसी के रूप में नियुक्त कर दिया गया है। शेष प्रस्ताव की स्वीकृति हेतु समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
किये गये कार्यों की जानकारी
[लोक निर्माण]
117. ( क्र. 1693 ) श्री नागेन्द्र सिंह (गुढ) : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अतांराकित प्रश्न क्रमांक 884, दिनांक 11-7-2019 द्वारा जो जानकारी प्रश्नकर्ता को दी गई है जानकारी अनुसार समस्त कार्यों की प्रश्न दिनाँक तक ठेकेदारों को किये गये भुगतान एवं माप पुस्तिका की प्रति दें। जो कार्य समय-सीमा निर्धारित अनुसार कार्य पूर्ण नहीं हुये उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो क्यों? कारण बताऐं। (ख) रीवा सब डिवीजन क्रंमाक 1 अंतर्गत कौन-कौन से कार्य क्षेत्र आते हैं? संबंधित कार्य क्षेत्रों में वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक रोड मरम्म्त भवन, पुताई के कब-कब, किस-किस कार्यादेश से कितनी राशि खर्च की गई? कार्य का नाम, स्वीकृति दिनाँक, स्वीकृत राशि, जिस ठेकेदारों को राशि भुगतान की गई, उनका विवरण उपलब्ध कराई जाये। (ग) ए.के. जैन संभागीय परियोजना यंत्री PIU-PWD रीवा में कब से पदस्थ है? क्या जब से इनकी पदस्थापना रीवा में हुई हैं रीवा मुख्यालय में न रह कर जिले से बाहर निवास करते हैं? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो रीवा में कहाँ पर किस मकान में निवास करते हैं? मकान मालिक का नाम सहित जानकारी दी जाये। इनके द्वारा उपयोग किये जा रहे वाहन की विगत छ: माह की लॉग बुक की प्रति दें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) प्रश्नांश के पूर्ववर्ती प्रश्न क्रमांक 884 दिनांक 11.07.2019 के उत्तरांश में वांछित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। लोक निर्माण विभाग संभाग रीवा की सम्बंधित माप पुस्तिकाओं की छायाप्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। शेष प्रश्नांश की वांछित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) प्रश्नगत वांछित सम्पूर्ण विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (ग) श्री ए.के. जैन के नाम से कोई भी संभागीय परियोजना यंत्री पी.आई.यू. रीवा में पदस्थ नहीं है। शेष प्रश्नांश का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
योजनांतर्गत विद्युत का प्रदाय
[ऊर्जा]
118. ( क्र. 1694 ) श्री नागेन्द्र सिंह (गुढ) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला रीवा के गुढ़ विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत किन-किन ग्रामों में योजना प्रारंभ/प्रभावशील दिनाँक से प्रश्न दिनाँक तक दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, एकीकृत ऊर्जा विकास योजना के अंतर्गत 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र का निर्माण, पावर ट्रान्सफार्मर क्षमता वृद्धि, अतिरिक्त पावर ट्रान्सफार्मर का कार्य किया गया? किए गए कार्यों की सूची उपलब्ध कराई जावे। (ख) रीवा जिले में किन-किन टाउनों में आई.पी.डी.एस. योजना में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र, अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफार्मर एवं पॉवर ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि के कार्य स्वीकृत हैं व कितने कार्य पूर्ण हो चुके हैं एवं कितने अभी पूर्ण किया जाना है? जानकारी उपलब्ध कराई जावे। (ग) क्या सौभाग्य योजना के तहत हर घर बिजली देने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो रीवा जिले की गुढ़ विधानसभा अन्तर्गत कितने उपभोक्ताओं के यहाँ बिजली कनेक्शन दिया गया? ग्रामवार उपभोक्ताओं की संख्या उपलब्ध कराई जावे।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जिला रीवा के गुढ़ विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना एवं एकीकृत ऊर्जा विकास योजना के अंतर्गत 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्रों के निर्माण, पावर ट्रान्सफार्मरों की क्षमता वृद्धि एवं अतिरिक्त पावर ट्रान्सफार्मर स्थापना का कोई भी कार्य स्वीकृत नहीं था। (ख) रीवा जिले में आई.पी.डी.एस. योजनांतर्गत 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र, अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफार्मरों की स्थापना एवं पॉवर ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि के स्वीकृत कार्यों एवं पूर्ण किये गये कार्यों की टाऊनवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। उक्त सभी कार्य पूर्ण हो चुके हैं। (ग) जी हाँ, सौभाग्य योजना के अंतर्गत योजना के प्रावधानों के अनुसार हर घर में विद्युत संयोजन प्रदाय करने का प्रावधान था। रीवा जिले की गुढ़ विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत कुल 15,500 उपभोक्ताओं को योजनांतर्गत घरेलू विद्युत कनेक्शन प्रदाय किये गये है, जिनकी ग्रामवार संख्या पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है।
सहायता राशि की जानकारी
[श्रम]
119. ( क्र. 1695 ) श्री नागेन्द्र सिंह (गुढ) : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा जिला अन्तर्गत वर्ष 2018-19 में 2107 महिलाओं को कुल रूपये 155.20 लाख धन राशि प्रसूति सहायता राशि प्रदान की गई? यदि हाँ, तो प्रसूति सहायता राशि प्राप्तकर्ता महिलाओं के नाम/पता सहित सूची विकासखण्डवार उपलब्ध कराई जाये। (ख) रीवा जिला अन्तर्गत कितनी महिलाओं को वर्ष 2018-19 में विवाह सहायता के रूप में कितनी-कितनी राशि प्रदान की गई? उनके नाम/पता सहित सूची उपलब्ध कराई जाये। (ग) रीवा जिलान्तर्गत वर्ष 2017-18 में कुल कितने हितग्राहियों को कौशल प्रशिक्षण योजनान्तर्गत प्रशिक्षण दिया गया? विकासखण्डवार जानकारी दी जाये। कौशल प्रशिक्षण प्रदाता संस्था का नाम, पता व उसे भुगतान की गई प्रशिक्षण राशि की जानकारी विकासखण्डवार दी जावे। कौशल प्रशिक्षण प्राप्तककर्ता श्रमिक हितग्राही के पंजीयन की प्रति उपलब्ध कराई जावे।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी नहीं। (ख) जिला रीवा में म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के अंतर्गत वर्ष 2018-19 में विवाह सहायता योजना अंतर्गत 689 हितग्राहियों को राशि रूपये 19243000/- राशि प्रदान की गई। हितग्राहियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ग) म.प्र. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल अंतर्गत वर्ष 2017-18 में कुल 550 हितग्राहियों को कौशल प्रशिक्षण योजनांतर्गत प्रशिक्षण दिया गया है। कौशल प्रशिक्षण प्रदाता संस्था, भुगतान इत्यादि एवं प्रशिक्षण प्राप्तकर्ता की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 एवं 3 अनुसार है।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की जानकारी
[जल संसाधन]
120. ( क्र. 1696 ) श्री नागेन्द्र सिंह (गुढ) : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जल संसाधन विभाग में पदस्थ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को प्रतिवर्ष दो जोडी वर्दी कपडा एवं प्रति तीन वर्ष में गर्म वर्दी प्रदाय किये जाने का शासनादेश है? यदि हाँ, तो शासन आदेश की प्रति उपलब्ध कराई जाये। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार यदि वर्दी प्रदाय का नियम है तो कौन-कौन सी संस्थाएं/दुकान वर्दी कपडा या रेडीमेड वर्दी प्रदाय हेतु अधिकृत हैं? उनकी सूची उपलब्ध कराई जाये। (ग) रीवा गंगा कछार जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय सहित अधीनस्थ समस्त संभागीय/मण्डल कार्यालयों द्वारा वर्ष 2013-14 से अक्टूबर 2019 तक किन-किन संस्थाओं/दुकानों से वर्दी क्रय की गई? प्रतिवर्षवार कितना-कितना भुगतान किया गया? सम्पूर्ण की अभिलेखीय जानकारी दी जावें। (घ) बाणसागर क्योंटी नहर संभाग रीवा कार्यालय द्वारा वर्ष 2012-13 एवं 2013-14 में संविदाकार/सामग्री प्रदायकर्ता एजेन्सी को किन-किन निर्माण कार्यों/ सामग्री आपूर्ति हेतु रूपये 47.95 लाख का भुगतान किया गया? समस्त निविदा/कोटेशन/भुगतानशुदा व्हाउचर आदि की अभिलेखीय जानकारी उपलब्ध कराई जाये। (ड.) मुख्य अभियंता गंगा कछार जल संसाधन विभाग रीवा के पत्र क्र. एल.सी.सी./3-30 का 2016/1201/रीवा दिनाँक 13.02.19 में की गई समस्त कार्यवाही की जानकारी उपलब्ध कराई जावे।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''एक'' अनुसार है। (ख) मध्यप्रदेश शासन ग्रामद्योग विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ 3-5/07/52-2 दिनांक 24 अप्रैल, 2007 की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''दो'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''तीन'' अनुसार है। (घ) प्रश्नांश भाग (घ) में उल्लेखित राशि का भुगतान नहीं किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ड.) प्रश्नांश में उल्लेखित पत्र दिनांक 13.02.2019 मुख्य अभियंता, गंगा कछार, रीवा द्वारा लेख किया जाना प्रतिवेदित नहीं होने से की गई कार्यवाही के अभिलेखों की जानकारी दिये जाने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
नई सड़क और पुरानी सड़क की मरम्मत
[लोक निर्माण]
121. ( क्र. 1699 ) श्री रमेश मेन्दोला : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी 2019 से नवंबर 2019 तक मध्यप्रदेश में इन्दौर संभाग अन्तर्गत लोक निर्माण विभाग की कुल कितनी नई सड़कें बनाई गई तथा इस पर कितनी राशि खर्च हुई? सूची प्रदान करें। (ख) इस दौरान ऐसी कितनी सड़कें खराब हुई जो ठेकेदार की ग्यारंटी पीरियड में थी? इनकी सूची प्रदान करें। (ग) इनमें से कितने ठेकेदारों को मरम्मत का नोटिस जारी किया गया तथा इनमें से कितने ठेकेदारों द्वारा कांट्रेक्ट शर्तों के अनुरुप पेंचवर्क करवाया गया, इसकी जानकारी प्रदान करें। (घ) जिन ठेकेदारों द्वारा गारंटी पीरियड के बावजूद पेंचवर्क नहीं किया गया है उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गई है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) प्रश्नाधीन अवधि में निर्मित इन्दौर संभाग अंतर्गत कोई सड़क खराब नहीं हुई है। ठेकेदार की गारंटी पहरियड में सड़कों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (घ) गारंटी पीरियड की सड़कों का पेचवर्क कार्य पूर्ण करा लिया गया है कोई कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
विभिन्न योजनान्तर्गत कराये गये कार्यों की जानकारी
[लोक निर्माण]
122. ( क्र. 1702 ) श्री बाबू जन्डेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) श्योपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत 01 अप्रैल, 2018 से प्रश्नांश तक लोक निर्माण विभाग द्वारा विभागीय बजट, अनुपूरक बजट एवं अन्य योजनाओं में कहाँ-कहाँ सड़क मार्ग भवन, पुल-पुलिया स्वीकृत किये गये है? उनमें से किन-किन निर्माण कार्यों की निविदाएं आमंत्रित की जाकर कार्य प्रारंभ किये जा चुके हैं? शेष कार्यों की निविदाएं कब तक आमंत्रित की जावेगी? स्थानवार, कार्यवार, एजेंसीवार, लागतवार एवं भौतिक स्थिति एवं प्रति कार्य पर व्यय राशि की जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) श्योपुर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत लो.नि. विभाग द्वारा निर्माण कार्य स्वीकृत कराये जाने हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा प्रस्तावित किन-किन कार्यों की स्वीकृति अभी तक प्रदान की जा चुकी है तथा स्वीकृति हेतु शेष कार्यों पर कार्यवाही किस स्तर पर लंबित है? लंबित रहने का क्या कारण है? कार्यवार सूची उपल्ब्ध करायें। (ग) क्या श्योपुर जिले में अत्यधिक वर्षा होने के कारण लोक निर्माण विभाग अधिकांश मार्ग एवं पुलिया क्षतिग्रस्त हुई है? यदि हाँ तो उक्त सड़क मार्गों की मरम्मत करा दी गयी है? यदि नहीं, तो कब तक करा दी जावेगी? उक्त क्षतिग्रस्त मार्गों की अब तक मरम्मत नहीं करायी जाने में कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार/दोषी है? दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गयी है? यदि नहीं, तो अब कब तक क्या कार्यवाही की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। (ग) जी हाँ, आंशिक रूप से। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार है।
लोक निर्माण विभाग द्वारा कराये जा रहे कार्यों
[लोक निर्माण]
123. ( क्र. 1703 ) श्री बाबू जन्डेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा विगत वर्षों में बनाये गये एन.एच. 552 सबलगढ़ से अटार रोड पर ग्राम मांगरोल में ग्राम के बीचो बीच बेहर नाले पर (पटवा के मकान के सामने नाले पर) जहाँ पर लगभग 80 से 100 वर्ष पूर्व से लोक निर्माण विभाग की पक्की पुलिया बनी थी जिसमें से संपूर्ण ग्राम मांगरोल का पानी निकलता था, उसको कुछ लोगों को व्यक्तिगत लाभ देने के लिए ग्रामवासियों की पुर जोर मांग एवं मुलभूत आवश्यकता होते हुए भी जानबूझकर निगम के अधिकारियों द्वारा पुलिया का निर्माण उक्त स्थान पर नहीं कराया गया है? क्या उक्त स्थान पर पुलिया निर्माण की आवश्यकता एवं मांग लंबित है? (ख) उक्त पुलिया का निर्माण नहीं होने से ग्राम मांगरोल का व बारिश का पानी ग्रामवासियों के घरों में एवं गलियों में भरा रहता है जिसके कारण ग्रामवासी नारकीय जीवन जीने के साथ-साथ ग्रामवासियों के मकान क्षतिग्रस्त होकर ग्राम में मच्छरों के प्रकोप से मलेरिया, डेंगू व वायरल जैसी बीमारी फैल रही है? पुलिया निर्माण नहीं करायें जाने के लिए निगम व विभाग का कौन अधिकारी जिम्मेदार है? कृपया बतावें। (ग) प्रश्नांश (क) में वर्णित स्थल पर ग्रामवासियों की आवश्यकता व मांग व व्यापक जनहित को देखते हुए पुलिया निर्माण कब तक करा दिया जावेंगा? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। जी नहीं। (ख) जी नहीं। उक्त पुलिया निर्माण संबंधित तात्कालीन विधायक महोदय द्वारा लेख किया गया था कि इस पुलिया के बनने से वर्षा में जल भराव की स्थिति निर्मित होगी क्योंकि मार्ग के दोनों तरफ मकान बने हुये है एवं पानी की निकासी हेतु आगे नाली नहीं है। अत: उनके द्वारा जनहित में उक्त पुलिया निर्माण को निरस्त करने का पत्र भेजा गया था। अब चूंकि वर्तमान में विधायक महोदय ने पुलिया निर्माण की इस विधानसभा प्रश्न के माध्यम से मांग रखी है एवं ग्रामवासियों के मकान क्षतिग्रस्त होने व बीमारियों के फैलने की चिंता जाहिर की है। इसलिये उक्त स्थल पर पुलिया निर्माण कार्य हेतु पुन: पृथक से कार्यवाही की जावेगी। उक्त पुलिया का निर्माण कार्य नहीं कराये जाने के लिये विभाग के कोई अधिकारी जिम्मेदार नहीं है क्योंकि तात्कालीन विधायक महोदय के पत्र के परिपालन में निर्माण कार्य नहीं हो सका। (ग) तकनीकी परीक्षण कर पुलिया के प्रस्ताव पर विचार किया जायेगा।
लघु सूक्ष्म चम्बल सिंचाई परियोजना की नहर का निर्माण
[जल संसाधन]
124. ( क्र. 1704 ) श्री बाबू जन्डेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र श्योपुर में स्वीकृत लघु सूक्ष्म चंबल सिचाई परियोजना (35 गांव की नहर) का कार्य प्रारंभ होने में विलंब का क्या कारण है? कार्य के विलंब में कौन दोषी है? क्या दोषियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ तो कब तक? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार उक्त सिचाई परियोजना का कार्य कब तक पूर्ण करा लिया जावेगा? (ग) श्योपुर जिले में प्रस्तावित मूंझरी बांध स्वीकृत किये जाने हेतु शासन स्तर पर क्या कार्यवाही प्रचलित है? यदि हाँ तो शासन द्वारा उक्त बांध की स्वीकृति कब तक कर दी जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) कार्य प्रारंभ होकर 30 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। अत: कार्य में विलंब की स्थिति नहीं होने के कारण शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) दिनांक 09.10.2021 तक पूर्ण कराया जाना लक्षित है। (ग) विभागीय आदेश दिनांक 04.10.2018 द्वारा राशि रू.414.79 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।
विद्युत पावर सब-स्टेशन की स्थापना
[ऊर्जा]
125. ( क्र. 1705 ) श्री बाबू जन्डेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) श्योपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत कितने विद्युत पावर सब-स्टेशन (33/11) स्थापित हैं? इनमें से कितने विद्युत पावर सबस्टेशन ओवरलोडेड हैं? (ख) ओवरलोडेड विद्युत पावर सब-स्टेशनों/फीडरों के लोड कम करने के लिए शासन एवं विभाग की क्या रणनीति एवं कार्ययोजना है? क्या नवीन विद्युत पावर सब-स्टेशन स्थापित किये जायेंगे? यदि हाँ तो कितने और कहाँ-कहाँ स्थापित किये जायेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) वर्तमान में श्योपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 33/11 के.व्ही. के 50 विद्युत उपकेन्द्र स्थापित हैं, जिनमें से कोई भी 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र अतिभारित नहीं हैं। (ख) विद्युत उपकेन्द्रों/फीडरों के अतिभारित होने की स्थिति में तकनीकी साध्यता एवं वित्तीय उपलब्धता के अनुरूप विद्यमान विद्युत उपकेन्द्रों में पॉवर ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि, अतिरिक्त पॉवर ट्रांसफार्मरों की स्थापना सहित अतिरिक्त विद्युत अद्योसंरचना का निर्माण कर प्रणाली सुदृढ़ीकरण का कार्य करते हुए विद्युत भार का समुचित प्रबंधन किया जाता है। श्योपुर विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में कोई भी 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र अतिभारित नहीं है तथापि प्रणाली सुदृढ़ीकरण योजनान्तर्गत वर्ष 2020-21 में ग्राम मेवाड़ा एवं ग्राम बोरदादेव में 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्रों के निर्माण के कार्य प्रस्तावित हैं।
विद्युत आपूर्ति की जानकारी
[ऊर्जा]
126. ( क्र. 1707 ) श्री दिनेश राय मुनमुन : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबलपुर संभाग में जनवरी 2019 से बिजली संकट की स्थिति है? यदि हाँ, तो क्यों? विद्युत उपकरण, जैसे विद्युत केबिल, ट्रांसफार्मर, सीमेंट के खंबे की गुणवता को मापने का क्या पैमाना है? (ख) जबलपुर संभाग में पिछले 6 माह से हो रही लगातार विद्युत अवरोध के लिए कौन-कौन से उपकरण जिम्मेदार हैं, जिनकी गुणवता निर्धारित पैमाने पर उच्च स्तर की नहीं हैं? (ग) सिवनी जिले में माह जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक औसतन प्रतिदिन कृषि एवं गैर कृषि 11 के.व्ही.फीडर में कितना विद्युत प्रदाय किया गया? माहवार जानकारी देवें। क्या जानबूझ कर असामाजिक तत्वों के द्वारा विद्युत अवरोध किया गया है? यदि हाँ, तो उनके खिलाफ कोई कार्यवाही की गई है? नहीं तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी नहीं, जबलपुर संभाग सहित प्रदेश में कहीं भी बिजली संकट की स्थिति नहीं है, अपितु अपरिहार्य कारणों से हुए आकस्मिक विद्युत अवरोधों व मेन्टेनेंस कार्य हेतु आवश्यक होने जैसी स्थिति को छोड़कर गैर-कृषि फीडरों पर औसतन प्रतिदिन 24 घंटे एवं कृषि फीडरों पर औसतन प्रतिदिन 10 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि माह जनवरी-19 से माह नवम्बर-19 तक जबलपुर संभाग क्षेत्रांतर्गत कृषि फीडरों पर औसतन प्रतिदिन 9:56 घंटे तथा गैर-कृषि फीडरों पर औसतन प्रतिदिन 23.49 घंटे विद्युत प्रदाय किया गया है। विद्युत सामग्रियों का क्रय भारतीय मानक संस्थान द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार किया जाता है। प्रमुख विद्युत सामग्रियों के मानकों का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु सामग्री की निर्माणकर्ता फर्म के परिसर में ही वितरण कंपनी के अधिकारियों/थर्ड पार्टी एजेन्सी द्वारा प्री-डिलेवरी इंस्पेक्शन कराया जाता है, जिसके अंतर्गत निविदा की शर्तों के अनुसार सामग्री का परीक्षण किया जाता है। इसके अतिरिक्त सामग्री क्षेत्रीय भण्डार गृह में प्राप्त होने के उपरांत रेण्डम सैंपलिंग कर इसका परीक्षण एन.ए.बी.एल. प्रमाणित प्रयोगशाला से कराया जाता है तथा परीक्षण में भारतीय मानकों के अनुसार उचित गुणवत्ता पाए जाने पर ही सामग्री स्वीकार कर उपयोग में लाई जाती है। (ख) जबलपुर संभाग में पिछले 6 माह में लगातार विद्युत अवरोध का कोई प्रकरण संज्ञान में नहीं आया है। तथापि कतिपय अवसरों पर तकनीकी कारणों एवं प्राकृतिक आपदा जैसे- आंधी-तूफान, अधिक वर्षा आदि के कारण आकस्मिक विद्युत व्यवधान उत्पन्न हुए हैं, जिनका शीघ्रातिशीघ्र निराकरण कर विद्युत प्रदाय सुचारू रूप से चालू कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराने हेतु मैदानी स्तर पर वर्ष में दो बार वर्षा काल के पूर्व एवं वर्षाकाल के पश्चात् विद्यमान विद्युत अद्योसंरचना के रख-रखाव के कार्य संपादित कराए गए हैं, जिस हेतु लिये गये पूर्व निर्धारित शट्-डाउन की जानकारी अनिवार्य रूप से उपभोक्ताओं को समाचार पत्रों, एस.एम.एस. आदि के द्वारा दी गई है। सामान्यत: विद्युत उपकरणों की गुणवत्ता के कारण विद्युत प्रदाय प्रभावित नहीं हुआ है। (ग) सिवनी जिले में माह जनवरी, 2019 से माह नवंबर 2019 तक कृषि एवं गैर-कृषि फीडरों पर प्रतिदिन औसतन किये गये विद्युत प्रदाय का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। सिवनी जिले में जानबूझकर असामाजिक तत्वों द्वारा विद्युत प्रदाय अवरूद्ध करने से संबंधित कोई प्रकरण संज्ञान में नहीं आया है।
विभाग द्वारा निर्मित काड़ा नालियों की जानकारी
[जल संसाधन]
127. ( क्र. 1709 ) श्री दिनेश राय मुनमुन : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2017 से प्रश्न दिनांक तक जल संसाधन विभाग के अंतर्गत निर्मित/निर्माणाधीन नहरों से खेतों में सिंचाई के लिये पानी पहुँचाने हेतु किन-किन स्थानों में कितनी-कितनी काड़ा नालियां स्वीकृत हुई हैं? स्वीकृत काड़ा नालियों में कितनी नालियों का निर्माण पूर्ण हो चुका है एवं कितनी निमार्णधीन हैं? जिन स्वीकृत काड़ा नालियों का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है, उनके प्रारंभ न होने का क्या कारण है? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार स्वीकृत काड़ा नालियों की ग्रामवार संख्या, लागत राशि एवं निर्माण एजेन्सी/ठेकेदार का विवरण देवें। (ग) सिवनी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत अनेक ग्रामों में निर्मित काड़ा नालियों के घटिया गुणवत्ता से निर्मित होने के कारण टूट गयी हैं, कहीं-कहीं पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं, जिस कारण से खेतों तक पानी नहीं पहुँच पा रहा है, इसके लिये निर्माण एजेन्सी एवं दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो कब तक की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। खराब गुणवत्ता के कारण काड़ा नालियां क्षतिग्रस्त नहीं हुई हैं। कृषकों द्वारा फसल बोने से लेकर फसल निकासी तक कृषि उपकरणों एवं ट्रैक्टरों आदि के आवागमन के कारण काड़ा नालियां कहीं-कहीं क्षतिग्रस्त हुई हैं। जिनका शीघ्र सुधार कराया जाकर खेतों तक पानी पहुँचाया जा रहा है। अत: निर्माण एजेंसी एवं अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है।
जीर्ण-शीर्ण सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
128. ( क्र. 1712 ) श्री राज्यवर्धन सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 2869 दिनांक 18 जुलाई, 2019 के उत्तर की कंडिका (ख) में उल्लेख किया गया कि राजगढ़ जिले की नगर नरसिंहगढ़ अंतर्गत सिटीपोर्शन मार्ग वर्तमान में किसी भी योजना में सम्मिलित नहीं है? तो क्या लोक निर्माण संभाग राजगढ़ (ब्यावरा) द्वारा नरसिंहगढ़ सिटीपोर्शन मार्ग लम्बाई 4.40 कि.मी. लागत राशि रूपये 2006.43 लाख का प्राक्कलन तैयार कर विधिवत शासन को प्रेषित किया गया है? यदि हाँ तो उक्त मार्ग की स्वीकृति हेतु प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ख) 1 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक लोक निर्माण संभाग राजगढ़ (ब्यावरा) द्वारा विधानसभा क्षेत्र नरसिंहगढ़ अंतर्गत अत्यंत जीर्ण-शीर्ण मार्गों की मरम्मत/ नवीनीकरण तथा नवीन सड़क निर्माण हेतु किन-किन मार्गों के प्राक्कलन तैयार कर विधिवत वरिष्ठालय को प्रेषित किए गए तथा उनकी स्वीकृति हेतु प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा सिटीपोर्शन नरसिंहगढ़ एवं कन्तोड़ा बायपास मार्ग वर्तमान में अत्यंत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में होने के कारण निरंतर हो रही दुर्घटनाओं एवं बाधित आवागमन की समस्या के स्थाई हल हेतु विभाग द्वारा प्रेषित प्राक्कलन अनुसार प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति हेतु माननीय विभागीय मंत्री जी से गत विधानसभा सत्र सहित निरंतर अनुरोध किया गया हैं? यदि हाँ तो शासन क्या उक्त मार्गों के निर्माण हेतु प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृति प्रदान करेंगा? यदि हाँ तो कब तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। उपलब्ध वित्तीय संसाधनों के अनुरूप एवं प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृति की कार्यवाही की जावेगी। वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
जीर्ण-शीर्ण पुल का निर्माण
[लोक निर्माण]
129. ( क्र. 1713 ) श्री राज्यवर्धन सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ जिले के नगर पचोर अंतर्गत पुराने ए.बी. रोड स्थित नेवज नदी पर स्टेट समय से निर्मित पुल पर रेलिंग लगाने हेतु कार्य योजना तैयार करने एवं बी.टी. नवीनीकरण कार्य कराये जाने हेतु विभाग द्वारा कोई कार्यवाही की गई हैं? यदि हाँ तो उक्त दोनों कार्यों की पृथक-पृथक वर्तमान स्थिति से अवगत करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या प्रश्न दिनांक तक पुल पर रेलिंग लगाने हेतु कार्य योजना तैयार नहीं की जा सकी है तथा उक्त पुल के बी.टी. नवीनीकरण कार्य की 8 बार निविदा आमंत्रित करने उपरांत भी किसी संविदाकार द्वारा भी निविदा में भाग नहीं लिया गया है? यदि हाँ, तो बार-बार निविदा आमंत्रित करने उपरांत भी कोई संविदाकार नहीं आने के कारणों को जानने हेतु विभाग द्वारा प्रश्न दिनांक तक कोई कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो क्या? कारण सहित बतावे। (ग) उपरोक्तानुसार क्या शासन रेलिंग के अभाव में उक्त मार्ग पर घटित होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने हेतु तथा निर्बाध आवागमन प्रदान करने हेतु अन्य किसी योजना अथवा मजबूतीकरण मद से उक्त कार्यों की स्वीकृति प्रदान करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो विभाग द्वारा उक्त समस्या के निराकरण हेतु क्या कार्यवाही की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। रेलिंग लगाने हेतु प्राक्कलन तैयार किया गया जो परीक्षणाधीन है। बी.टी. नवीनीकरण कार्य हेतु पुन: दसवी बार निविदा दिनांक 20.11.2019 को आमंत्रित की गई है। (ख) जी हाँ। जी हाँ। पूर्व प्राक्कलन में मापदण्डों को सुधारा गया है। (ग) उत्तरांश (क) अनुसार कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
नगरी क्षेत्र शुजालपुर मंडी एवं शुजालपुर सिटी के विद्युत बकायादार
[ऊर्जा]
130. ( क्र. 1716 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शाजापुर जिले के संचालन-संधारण संभाग शुजालपुर के अंतर्गत शुजालपुर शहर वितरण केन्द्र कार्यालय में दिनांक 31 अक्टूबर, 2019 की स्थिति में कुल कितने उपभोक्ता हैं एवं कितने विद्युत उपभोक्ताओं पर कितनी राशि बकाया है की श्रेणीवार संख्यात्मक जानकारी देवें? (ख) शाजापुर जिले के संचालन-संधारण संभाग शुजालपुर के अंतर्गत शुजालपुर शहर वितरण केन्द्र कार्यालय में दिनांक 31 अक्टूबर, 2019 की स्थिति में राशि रू. 5000 से अधिक विद्युत देयक बकाया राशि वाले उपभोक्ताओं के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई? क्या अधिक बकाया राशि वाले विद्युत उपभोक्ताओं के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए कनेक्शन विच्छेद किए गये तथा प्रकरण दर्ज कराये गए है? यदि हाँ, तो उनकी संख्यात्मक जानकारी देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) शाजापुर जिले के संचालन एवं संधारण संभाग शुजालपुर के शुजालपुर शहर वितरण केन्द्र कार्यालय के क्षेत्रान्तर्गत दिनांक 31 अक्टूबर-2019 की स्थिति में कुल 12951 विद्युत उपभोक्ता है एवं इनमें से 781 विद्युत उपभोक्ताओं पर रू. 62.56 लाख की राशि बकाया है। उक्तानुसार श्रेणीवार विद्युत बिल की बकाया राशि वाले उपभोक्ताओं के उनके विरूद्ध बकाया राशि की जानकारी सहित संख्यात्मक आँकडे संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) शाजापुर जिले के संचालन एवं संधारण संभाग शुजालपुर के शुजालपुर शहर वितरण केन्द्र कार्यालय के अंतर्गत दिनांक 31 अक्टूबर-2019 की स्थिति में रू. 5000 से अधिक विद्युत बिल की बकाया राशि वाले 34 उपभोक्ताओं के विरुद्ध विद्युत कनेक्शन विच्छेदित करने की कार्यवाही की गयी है तथा कोई भी प्रकरण दर्ज नहीं कराया गया है।
फेल विद्युत ट्रांसफार्मर के परिवहन किराया
[ऊर्जा]
131. ( क्र. 1717 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड जिला शाजापुर के वितरण केन्द्र शुजालपुर ग्रामीण, सलसलाई, गुलाना, पोलायकालॉ, अकोदिया अंतर्गत 01/10/2019 से प्रश्न दिनांक तक कितने विद्युत ट्रांसफार्मर फेल हुए? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित फेल हुए विद्युत ट्रांसफार्मर को लाने ले जाने का कार्य किसके द्वारा किया गया? क्या ट्रांसफार्मर परिवहन का किराया भाडा किसानों को प्रदाय किया गया? यदि हाँ, तो किन-किन ट्रांसफार्मरों के परिवहन के लिए वितरण कंपनी ने किसानों को भुगतान किया गया? सूची देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के क्षेत्रान्तर्गत जिला शाजापुर के वितरण केन्द्रों यथा-शुजालपुर ग्रामीण, सलसलाई, गुलाना, पोलायकला एवं अकोदिया में दिनांक 01.10.2019 से दिनांक 30.11.2019 तक क्रमश: 55, 51, 18, 42 एवं 49 इस प्रकार कुल 215 वितरण ट्रांसफार्मर फेल हुए। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित वितरण केन्द्रों के अन्तर्गत फेल हुए वितरण ट्रांसफार्मरों को संभागीय मुख्यालय तक लाने एवं संभागीय मुख्यालय पर उपलब्ध चालू वितरण ट्रांसफार्मरों को परिवहन कर डी.पी. तक ले जाने का कार्य अधिकांशत: पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के वाहनों द्वारा किया गया। उल्लेखनीय है कि विशेष परिस्थितियों में किसी कारणवश संबंधित कृषक/ग्रामवासी द्वारा जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों का परिवहन किये जाने पर उनके परिवहन का व्यय संबंधित कृषक/ग्रामवासी को एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के परिपत्र क्रमांक-158, दिनांक 05.03.2018, जिसकी छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है, के अनुरूप करने का प्रावधान है। उत्तरांश (क) में उल्लेखित 215 वितरण ट्रांसफार्मरों में से 50 वितरण ट्रांसफार्मरों का परिवहन संबंधित कृषक/ग्रामवासी द्वारा किया गया, जिन्हें नियमानुसार परिवहन व्यय का भुगतान कर दिया गया है, जिसकी वितरण केन्द्रवार एवं हितग्राहीवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है।
सड़क एवं पुल-पुलिया का निर्माण
[लोक निर्माण]
132. ( क्र. 1724 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन/विभाग द्वारा वर्ष 2015-16 से लेकर प्रश्न दिनांक तक जावरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत अनेक स्थानों पर नवीन ब्रिज, पुल-पुलियों तथा नवीन अनेक सड़क मार्गों की क्या प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृतियाँ दी गई? यदि हाँ, तो निर्माण बजट राशि एवं निर्माण स्थल की जानकारी दें। (ख) उपरोक्त वर्षों में किन-किन स्थानों पर उपरोक्तानुसार कार्यों के किये जाने हेतु निर्माण एजेंसी किसे बनाया तथा कार्य कब प्रारम्भ हुआ, कितना पूर्ण हुआ, कितना अपूर्ण रहा अथवा अप्रारम्भ रहा वर्षवार, स्थानवार जानकारी देंl (ग) उपरोक्त वर्षों में क्षतिग्रस्त हुए विभागीय मार्गों के संधारण, मरम्मत कार्य किये जाने हेतु कितनी-कितनी बजट राशि स्वीकृत हुई? उसमें कितना व्यय हुआ? कार्यवार स्थलवार जानकारी दें l (घ) उपरोक्त वर्षों में स्वीकृत वह कार्य, जिन्हें कार्यादेश भी दिया जा चुका है? यदि अपूर्ण स्थिति में है तो कब पूर्ण होगे तथा जो कार्य दोनों प्रकार (नवीन तथा मरम्मत मूलक) विगत वर्षों में पूर्ण हुए, वे क्षतिग्रस्त हो चुके तो क्या इसकी जाँच की जाएगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' एवं 'ब-1' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ', 'ब' एवं 'ब-1' अनुसार है। विगत वर्षों में पूर्ण हुए कोई भी सड़क एवं सेतु कार्य क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। अत: जाँच का प्रश्न नहीं है।
नवीन एवं संधारण का कार्य
[ऊर्जा]
133. ( क्र. 1725 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड इंदौर के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में माह अक्टूबर-2019 तक राजस्व संभाग उज्जैन में विद्युत रख-रखाव कार्यों (संधारण कार्यों) को किये जाने हेतु कन्डक्टर, पॉवर ट्रांसफार्मर/विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, पी.सी.सी. सीमेंट पोल का क्रय किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो म.प्र.पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में माह अक्टूबर-2019 तक राजस्व संभाग उज्जैन में विद्युत रख-रखाव कार्यों (संधारण कार्यों) को किये जाने हेतु कन्डक्टर, पॉवर ट्रांसफार्मर/विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, पी.सी.सी. सीमेंट पोल किन कंपनियों, फर्मों, संस्थानों इत्यादि से किस नियम प्रक्रिया से क्रय किये गये? (ग) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में माह अक्टूबर-2019 तक राजस्व संभाग उज्जैन में विद्युत रख-रखाव कार्यों (संधारण कार्यों) को किये जाने हेतु कन्डक्टर, पॉवर ट्रांसफार्मर/विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, पी.सी.सी. सीमेंट पोल के गुणवत्ता का जाँच परीक्षण, भौतिक सत्यापन किस स्तर के अधिकारी द्वारा किया गया तथा उपरोक्त सामग्री के क्रय में किन कंपनियों, फर्मों, संस्थानों को कितना-कितना भुगतान उनकों जारी क्रय आदेशों के अनुसार किया गया की जानकारी देवें? (घ) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में माह अक्टूबर-2019 तक राजस्व संभाग उज्जैन में विद्युत रख-रखाव कार्यों (संधारण कार्यों) को किये जाने हेतु कितनी बजट राशि क्षेत्रीय कार्योंलय उज्जैन को स्वीकृत की गई एवं स्वीकृत राशि में से कितनी राशि वित्तीय वर्षवार खर्च की गई की जानकारी देवें?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इंदौर के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में माह अक्टूबर-2019 तक राजस्व संभाग उज्जैन में विद्युत रख-रखाव कार्यों (संधारण कार्यों) को किये जाने हेतु विद्युत सामग्री निविदा प्रक्रिया नियमों का पालन करते हुए वितरण कंपनी में निर्धारित क्रय प्रक्रिया के अंतर्गत ई-टेण्डरिंग के माध्यम से क्रय की गई। उक्तानुसार क्रय की गई सामग्री की विक्रेता फर्मवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इंदौर के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में माह अक्टूबर-2019 तक राजस्व संभाग उज्जैन में विद्युत अधोसंरचना के रख-रखाव कार्यों (संधारण कार्यों) को किये जाने हेतु क्रय की गई सामग्री की गुणवत्ता की जाँच/परीक्षण/भौतिक सत्यापन, सहायक यंत्री/कार्यपालन यंत्री/अधीक्षण यंत्री स्तर के अधिकारियों द्वारा किया गया हैं तथा उपरोक्त सामग्री के क्रय के विरूद्ध संबंधित विक्रेता फर्म को भुगतान उन्हें जारी क्रय आदेशों के अनुसार किया गया, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ब-1, ब-2 एवं ब-3 अनुसार है। (घ) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इंदौर के अंतर्गत राजस्व संभाग उज्जैन में विद्युत रख-रखाव कार्यों (संधारण कार्यों) को किये जाने हेतु क्षेत्रीय कार्यालय उज्जैन को वित्तीय वर्ष 2018-19 में राशि रु. 218.32 लाख स्वीकृत की गई जिसमें से रू. 132.56 लाख की राशि व्यय की गई तथा वित्तीय वर्ष 2019-20 में माह अक्टूबर-2019 तक राशि रु. 218.93 लाख स्वीकृत की गई जिसमें से रू. 75.08 लाख की राशि व्यय की गई।
क्षतिग्रस्त विद्युत लाइन की जानकारी
[ऊर्जा]
134. ( क्र. 1726 ) श्री मनोज चावला : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्न क्रमांक 2280 दिनांक 25/02/2016 एवं प्रश्न क्रमांक 2337 दिनांक 13/03/2018 एवं प्रश्न क्रमांक 57 दिनांक 26 जून, 2019 के उत्तर के संदर्भ में बताएं कि वर्ष 2010-11 में स्वीकृत विद्युत लाइन के क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा एवं आंधी तूफान आया था, इसके कारण कितने क्षेत्र की विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त हुई हैं? ग्रामीणों के आपसी विवाद का क्या कारण था? (ख) क्या शासन द्वारा स्वीकृत हाईटेंशन ग्रिडलाइन ग्राम मोया खेड़ा से खेलागांव, टोलकयाखेड़ी को पुनः जोड़ने की स्वीकृति दी जा रही है? यदि हाँ तो कब तक? (ग) प्रश्नांश (क) में दी गई भ्रामक जानकारी पर प्रशासन दोषी अधिकारी/कर्मचारी के विरुद्ध क्या कार्रवाई करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) अतारांकित विधानसभा प्रश्न क्रमांक 2280 दिनांक 25.02.2016 द्वारा माननीय विधायक डॉ. रामकिशोर दोगने, अतारांकित विधानसभा प्रश्न क्रमांक 2337 दिनांक 13.03.2018 द्वारा माननीय विधायक श्री मुरलीधर पाटीदार एवं अतारांकित विधानसभा प्रश्न क्रमांक 57 दिनांक 26.06.2018 (26 जून-2019 नहीं) द्वारा माननीय विधायक डॉ. रामकिशोर दोगने के उत्तर में उल्लेख किया गया है कि आगर क्षेत्रान्तर्गत ग्राम खेलागांव एवं टोलक्याखेड़ी, तहसील नलखेड़ा को ग्राम मोयाखेडा स्थित 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र से निर्गमित 11 के.व्ही. लाईन से संबद्ध करने हेतु कुल लागत राशि रू. 49.60 लाख के कार्य की स्वीकृति एस.टी.एन. योजना में दिनांक 04.06.2008 को प्रदान की गई थी। उपरोक्त कार्य दिनांक 27/01/2009 को पूर्ण कर उक्त 11 के.व्ही. लाईन को ऊर्जीकृत कर दिया गया था। वर्ष 2010-11 में अत्यधिक वर्षा एवं आंधी तूफान के कारण उक्त 11 के.व्ही. लाईन का लगभग 02 किलोमीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। लाईन के पुनर्निर्माण के समय 2 ग्रामों यथा-ग्राम पिलवास एवं खेलागाँव के आपसी विवाद के कारण कार्य पूर्ण नहीं किया जा सका। उक्त ग्रामों के आपसी विवाद से संबंधित कोई भी लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है किन्तु इस संबंध में स्थानीय रहवासियों से प्राप्त जानकारी अनुसार सिंचाई हेतु पानी को लेकर उपरोक्त ग्रामों के ग्रामवासियों में आपसी विवाद था, जिसके कारण क्षतिग्रस्त लाईन का पुनर्निर्माण नहीं किया जा सका था। (ख) जी नहीं। ग्राम पचलाना में 5 एम.व्ही.ए. क्षमता के नवीन 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र का निर्माण कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभागीय स्तर पर सम्पादित करवाकर उपकेन्द्र को दिनांक 16/09/2017 को ऊर्जीकृत कर दिया गया था। इस उपकेन्द्र से निर्गमित नवनिर्मित 11 के.व्ही. पिलवास घरेलू फीडर को दिनांक 06/01/2018 को ऊर्जीकृत कर इस फीडर से ग्राम खेलागांव एवं टोलक्याखेड़ी को अपरिहार्य कारणों से हुए आकस्मिक अवरोधों को छोड़कर प्रतिदिन औसतन 24 घंटे विद्युत प्रदान किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि उक्त ग्रामों को सिंचाई प्रयोजन हेतु 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र नलखेड़ा से निर्गमित 11 के.व्ही. पिलवास सिंचाई फीडर से विद्युत प्रदाय किया जा रहा था किन्तु वर्तमान में सिंचाई प्रयोजन हेतु दिनांक 24.08.2019 से 11 के.व्ही. पिलवास सिंचाई फीडर से विद्युत प्रदाय हटाकर 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र पचलाना से निर्गमित 11 के.व्ही. दमदम सिंचाई फीडर से प्रश्नाधीन क्षेत्र को अपरिहार्य कारणों से हुए आकस्मिक अवरोधों को छोड़कर औसतन 10 घंटे प्रतिदिन विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। उक्तानुसार प्रश्नाधीन क्षेत्र के गैर-कृषि एवं कृषि उपभोक्ताओं को उचित गुणवत्ता का सुचारू रूप से वि़द्युत प्रदाय किया जा रहा है। इस प्रकार 33/11 के.व्ही. पचलाना उपकेन्द्र ऊर्जीकृत होने के उपरान्त प्रश्नाधीन क्षतिग्रस्त 11 के.व्ही. लाईन के पुनर्निर्माण की आवश्यकता नहीं है। (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित सन्दर्भों से किसी भी प्रकार की कोई भ्रामक जानकारी नहीं दी गई है। अत: किसी अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध कोई कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
संचालित कुटीर एवं ग्रामोंद्योग की जानकारी
[कुटीर एवं ग्रामोद्योग]
135. ( क्र. 1727 ) श्री मनोज चावला : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कुटीर एवं ग्रामोद्योग प्रारंभ करने के क्या नियम हैं? या शासन की क्या नीति हैं? नियम सहित जानकारी उपलब्ध करावे। (ख) रतलाम जिले के अंतर्गत कितने उद्योग कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग द्वारा संचालित किए जा रहे हैं? (ग) प्रश्नांश (क) के अनुसार रतलाम जिले में कितने नवीन उद्योग प्रारंभ करने का लक्ष्य है? (घ) क्या शासन द्वारा इन उद्योगों को कोई अनुदान राशि उपलब्ध कराई जाती हैं? यदि हाँ तो उसकी जानकारी देवें।
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) विभाग द्वारा कुटीर एवं ग्रामोद्योग संचालित नहीं किये जाते है अपितु स्वरोजगार के लिये हितग्राहियों को कुटीर एवं ग्रामोद्योग स्थापित करने हेतु सहायता दी जाती है। (ग) वर्ष 2019-20 में रतलाम जिले में 179 नवीन कुटीर एवं ग्रामोद्योग स्थापित करने का लक्ष्य है। (घ) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
आलोट महिदपुर रोड ओवर ब्रिज का निर्माण
[लोक निर्माण]
136. ( क्र. 1728 ) श्री मनोज चावला : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आलोट (जिला रतलाम) विधानसभा क्षेत्र के आलोट से ताल रोड पर रेल्वे फाटक के पास तथा महिदपुर रोड के पास रेल्वें विभाग द्वारा ओवर ब्रिज का निर्माण किया गया है? (ख) यदि हाँ तो ओवर ब्रिज कब तक लोकार्पण किए जाएंगे? (ग) क्या ओवरब्रिज से लेकर सड़क मार्ग तक का निर्माण कार्य राज्य सरकार के अधीन है। यदि हाँ तो क्या इसकी प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई हैं? प्रतिलिपि उपलब्ध करावे। (घ) प्रश्नांश (ग) में राज्य सरकार द्वारा किया जाने वाला निर्माण कार्य कब तक पूरा होगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। (ख) निश्चित तिथि बताना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
विद्युत रख-रखाव की व्यवस्था
[ऊर्जा]
137. ( क्र. 1731 ) श्री हरदीपसिंह डंग : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2019-20 में अतिवृष्टि एवं बाढ़ के कारण कितने विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर जले, कितने विद्युत पोल तथा कितनी विद्युत केबल या तार टूटे या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए थे? मात्रावार जानकारी देवें। (ख) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2019-20 में दिनांक 01 अप्रैल, 2019 से 31 अक्टूबर, 2019 तक कितने नवीन विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर, कितने किलोमीटर नवीन 33 के.व्ही. लाईन, स्थापित की गई की संचालन-संधारण संभागवार मात्रा की जानकारी देवें? (ग) अनुदान योजना के बंद के होने से किसानों को डी.पी. प्रदान करने हेतु विभाग की ओर से क्या कार्यवाही कि गई? (घ) प्रश्नांश (ग) वंचितों हेतु विभाग की ओर से कोई नवीन योजना बनाई जा रही है या नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2019-20 में अतिवृष्टि एवं बाढ़ के कारण 157 विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर जले तथा 895 विद्युत पोल एवं 38.20 किलोमीटर विद्युत केबल/तार टूटे या आंशिक रुप से क्षतिग्रस्त हुए। (ख) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2019-20 में दिनांक 01 अप्रैल-2019 से 31 अक्टूबर-2019 तक 21 नवीन विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर एवं 3.35 किलोमीटर 11 के.व्ही. लाईन स्थापित की गई, जिसकी संचालन-संधारण संभागवार मात्रा की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में प्रश्नाधीन अवधि में 33 के.व्ही. लाईन स्थापना का कार्य नहीं किया गया। (ग) एवं (घ) मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना मार्च, 2019 तक लागू थी। अत: उक्त योजना बन्द नहीं की गई है अपितु योजना की अवधि समाप्त हो जाने के कारण योजना अंतर्गत नये आवेदन स्वीकृत नहीं किये जा रहे हैं। कृषकों को कृषि पंप कनेक्शन प्रदान करने हेतु नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अंतर्गत सोलर पम्प योजना राज्य शासन के विचाराधीन है। तथापि वर्तमान में किसानों को स्थाई कृषि पंप कनेक्शन प्रदान करने हेतु पूर्व से प्रचलित स्वंय का ट्रांसफार्मर योजना (ओ. व्हाय.टी. योजना) लागू है, जिसके तहत लाईन विस्तार एवं विद्युत वितरण ट्रांसफार्मर स्थापना का कार्य कर स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन प्रदान किये जा रहे हैं।
मंदसौर जिले हेतु योजनाओं की जानकारी
[जल संसाधन]
138. ( क्र. 1732 ) श्री हरदीपसिंह डंग : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2013 से 2018 तक मंदसौर जिले में कितनी योजनाओं का लाभ मिला? योजना के नाम एवं राशि सहित विधानसभावार जानकारी देवें। (ख) जनवरी 2019 से प्रश्न दिनांक तक नवीन सरकार के गठन उपरांत मंदसौर जिले में डेम स्वीकृत हुए? विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी देवें। (ग) 10 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक माननीय प्रभारी मंत्री के प्रभार क्षेत्र मंदसौर जिले में कितनी योजनाओं का लाभ मिला? विधान सभा क्षेत्रवार जानकारी देवें। (घ) वर्तमान दौर में सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में कितनी योजनाएं प्रस्तावित हैं तथा कब तक स्वीकृत होकर कार्य प्रारम्भ हो जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) 38 परियोजनाओं का लाभ मिला। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'1' अनुसार है। (ख) से (ग) शून्य। अत: जानकारी देने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) 07 परियोजनाएं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'2' अनुसार है। प्रपत्र में दर्शाए कारणों से समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
खेल विभाग की योजनाओं की जानकारी
[खेल और युवा कल्याण]
139. ( क्र. 1738 ) श्री तरबर सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खेल और युवा कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से विधानसभा क्षेत्र में छात्र एवं युवाओं को खेल से संबंधित क्या-क्या सुविधायें उपलब्ध कराई जा सकती है? (ख) वर्ष 2010 से प्रश्न दिनांक तक बण्डा विधानसभा क्षेत्र को कितनी सामग्री विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्राप्त हुई है तथा वर्तमान में सामग्री के भण्डारण की क्या स्थिति है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) खेल और युवा कल्याण विभाग द्वारा खेल अकादमी/फीडर सेंटर, खेल अधोसंरचना, खेल सामग्री, खेल प्रशिक्षण शिविर, खेल प्रतियोगिताएँ, खेल छात्रवृत्ति, खेल प्रशिक्षण केन्द्र आदि योजनाओं में छात्र एवं युवाओं के खेल से संबंधित सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। स्थायी सामग्री का भण्डारण विधानसभा बण्डा के नगर परिषद् एवं विकासखण्ड शाहगढ़ के नगर भवन में स्थापित की गई है। अस्थायी प्रकार की खेल सामग्री समय-समय पर मांग अनुसार उपलब्ध कराई जाती है, जिसका भण्डारण शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय मॉडल स्कूल बण्डा एवं जनपद पंचायत शाहगढ़ में किया जाता है।
ओरियन्ट पेपर मिल अमलाई से हो रहा प्रदूषण
[पर्यावरण]
140. ( क्र. 1740 ) श्रीमती मनीषा सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ओरियन्ट पेपर मिल अमलाई द्वारा संस्था से हो रहे प्रदूषण के रोकथाम हेतु क्या-क्या प्रबंध किये गये हैं? (ख) यदि पुख्ता प्रबंध नहीं किया गया है, तो क्या राज्य शासन द्वारा अपशिष्ट पदार्थ को बहाने हेतु अनुमति दी गई है? क्योंकि पुख्ता अपशिष्ट पदार्थ से सोन नदी प्रदूषित होती जा रही है। (ग) ओरियन्ट पेपर मिल द्वारा वृहद पैमाने पर यूके लिप्टिस (नीलगिरी) वृक्ष लगाया जा रहा है, जिससे भू-जल स्तर नीचे होता जा रहा है, गिरते भू-जल स्तर को रोकने हेतु संस्था द्वारा क्या-क्या उपाय किये जा रहे हैं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) औद्योगिक प्रक्रिया से निस्तारित दूषित जल के उपचार का प्रबंध उद्योग द्वारा एक्टीवेटेड स्लज प्रोसेस पर आधारित अत्याधुनिक दूषित जल उपचार संयंत्र के द्वारा किया जा रहा है। उद्योग द्वारा घरेलू दूषित जल के उपचार हेतु एम.बी.बी. आर. पद्धति (मूविंग बेड बायो रिएक्टर) पर आधारित सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लांट की स्थापना की गई है। उपचारित दूषित जल का उपयोग लगभग 400 एकड़ क्षेत्र में एच.आर.टी.एस. सिस्टम के तहत विकसित वृक्षारोपण की सिंचाई कार्य हेतु किया जा रहा है। वायु प्रदूषण का नियंत्रण ई.एस.पी. एवं बैग फिल्टर्स द्वारा किया जा रहा है। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार उद्योग द्वारा प्रदूषण की रोकथाम हेतु वांछित प्रबंध किये गये हैं। अतः शेष प्रश्न लागू नहीं है। (ग) माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार उद्योग द्वारा राष्ट्रीय महत्व की संस्था राष्ट्रीय पर्यावरणीय अभियांत्रिकी शोध संस्थान (नीरी), नागपुर के मार्गदर्शन में उपचारित औद्योगिक दूषित जल का उपयोग करने हेतु लगभग 400 एकड़ क्षेत्र में यूकेलिप्टस (नीलगिरी) के वृक्ष लगाए हैं। क्षेत्र में भूजल स्तर गिरने संबंधी किसी तरह की प्रमाणिक शिकायत/रिपोर्ट बोर्ड की जानकारी में नहीं है। वरिष्ठ भूजलविद संभागीय भूजल सर्वेक्षण ईकाई क्रमांक-4 रीवा द्वारा दी गई जानकारी अनुसार ओरियेंट पेपर मिल के अंतर्गत लगाये जा रही नीलगिरी वृक्षों एवं उनके द्वारा भूजल में गिरावट का अध्ययन नहीं किया गया है और न ही उनके विभाग द्वारा उक्त कार्य के निरीक्षण व परीक्षण हेतु कोई आदेश/दिशा-निर्देश दिये गये है। भूजल स्तर बढ़ाने हेतु ओरियन्ट पेपर मिल द्वारा मिल एवं आसपास के क्षेत्र में 10 रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट विकसित किये गये हैं।
जलाशय का निर्माण
[जल संसाधन]
141. ( क्र. 1741 ) श्रीमती मनीषा सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जैतपुर विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत मरखी देवी जलाशय एवं रजबांध जलाशय का निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया था? (ख) यदि हाँ तो निर्माण कार्य अभी तक प्रारंभ क्यों नहीं किया गया है? कार्य कब तक प्रारंभ कर पूर्ण करा लिया जायेगा? (ग) पूर्व में निर्मित जलाशयों से जितने रकबों की सिंचाई प्रस्तावित की गई थी, क्या उतने रकबे में सिंचाई हो पा रही है? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) से (ख) जी हाँ। योजना के डूब क्षेत्र से प्रभावित कृषकों के विरोध के कारण। कार्य प्रारंभ दिनांक से 18 माह के अंदर। (ग) जी नहीं। कृषकों में रबी फसल हेतु जागरूकता न होने के कारण।
पंजीकृत श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं की सहायता राशि
[श्रम]
142. ( क्र. 1745 ) श्री उमाकांत शर्मा : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजनान्तर्गत एवं भवन संनिर्माण योजनान्तर्गत (वर्तमान में नया सवेरा योजना) दिनांक 15 दिसंबर 2018 से प्रश्नांकित दिनांक तक सिंरोज विधान सभा क्षेत्र के पंजीकृत श्रमिकों को अनुग्रह सहायता, दुर्घटना सहायता एवं अंत्येष्टि सहायता, विवाह सहायता, प्रसूति सहायता आदि कौन-कौन सी सहायताएं स्वीकृत की गई हैं? पंजीकृत श्रमिकों की संख्या सहित बतावें तथा उनको कितनी-कितनी सहायता राशि का भुगतान किया गया है? विकासखण्डवार जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में पूर्व में स्वीकृत सहायता राशि का भुगतान कब तक कर दिया जावेगा? भुगतान न करने के लिए दोषी कौन है? उसके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो क्यों तथा उक्त योजनाओं से स्वीकृत राशि का भुगतान श्रमिकों को कब तक कर दिया जावेगा? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में सिरोंज-लटेरी जनपद पंचायतों में कितने-कितने प्रकरण भुगतान हेतु प्रश्नांकित दिनांक तक लंबित हैं? सूची उपलब्ध करावें एवं उनका भुगतान कब तक कर दिया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उक्त योजनान्तर्गत विदिशा की जिला पंचायत एवं जनपदों को कितने-कितने बजट का प्रावधान किया गया है एवं बजट कब दिया गया है?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है तथा भवन एवं संनिर्माण योजनांतर्गत भुगतान की गयी सहायता राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ख) दिनांक 2 अक्टूबर, 2019 तक स्वीकृत अनुग्रह सहायता समस्त प्रकरणों में राशि का भुगतान किया जा चुका है। स्वीकृति और भुगतान एक सतत प्रक्रिया है। (ग) मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल) योजना अंतर्गत लम्बित प्रकरणों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। भुगतान की प्रक्रिया निरंतर जारी है। मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल की योजनाओं के अंतर्गत कोई भी प्रकरण भुगतान हेतु लम्बित नहीं है। (घ) जन कल्याण पोर्टल पर ऑनलाईन स्वीकृत प्रकरणों में स्वीकृत की गई राशि के आधार पर कोषालय से राशि आहरित कर जनपद पंचायतों/नगरीय निकायों में राशि अन्तरित की जाती है। योजना अन्तर्गत जिला पंचायतवार/जनपद पंचायतवार अलग से बजट का प्रावधान नहीं होता है।
सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
143. ( क्र. 1746 ) श्री उमाकांत शर्मा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिरोंज विधानसभा क्षेत्र में विभाग, एम.पी.आर.डी.सी. आदि द्वारा कौन-कौन सी सड़कों का निर्माण किया जा रहा है? सड़कों के नाम सहित अद्यतन स्थिति की जानकारी उपलब्ध करावें तथा कितनी सड़कों का मरम्मत कार्य किया जा रहा है? (ख) प्रश्नकर्ता के द्वारा मुख्य अभियंता महोदय को प्रेषित पत्र क्र. 63क दिनांक 22.06.2019, पत्र क्र. 87/बी.पी.एल./2019 दिनांक 22.07.2019 पर क्या कार्यवाही की गई तथा निर्माण हेतु प्रस्तावित सड़कों के नाम बतावें तथा उक्त सड़कों की स्वीकृति कब तक प्रदान की जावेगी? (ग) प्रश्नांश (क) के सदंर्भ में सिरोंज विधानसभा क्षेत्र में सड़कों की वर्तमान अद्यतन स्थिति क्या है? कौन-कौन सी सड़कों की मरम्मत कार्य किये जा रहे हैं? (घ) सिरोंज विधानसभा क्षेत्र में पी.आई.यू. द्वारा कौन-कौन से भवनों का निर्माण किया जा रहा है? कार्य का नाम, स्वीकृत राशि, कार्य की अद्यतन स्थिति सहित संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) म.प्र. सड़क विकास निगम अंतर्गत सिरोंज विधानसभा क्षेत्र में कोई सड़क का निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है। सड़कों की मरम्मत कार्य की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) महामाई मंदिर पहुँच मार्ग का प्राक्कलन संभागीय कार्यालय में परीक्षणाधीन है। वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ', 'अ-1' एवं 'ब' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ-2' अनुसार है।
शासकीय भवन/आवास राशि की जानकारी
[लोक निर्माण]
144. ( क्र. 1751 ) श्री संजय शाह मकड़ाई : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हरदा जिले में लोक निर्माण विभाग के समस्त शासकीय भवन (कार्यालय सहित) एवं समस्त श्रेणीवार शासकीय आवास हेतु विगत 3 वर्षों में प्रश्न दिनांक तक रख-रखाव हेतु किस-किस मद में कितनी राशि प्राप्त हुई? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में प्राप्त राशि का व्यय करने हेतु शासन के दिशा-निर्देश क्या हैं एवं प्राप्त राशि को व्यय करने हेतु कार्य आदेश जारी करने का अधिकार एवं राशिवार व्यय करने की अधिकारिता किस श्रेणी के अधिकारी को प्राप्त है? (ग) प्रश्नांश (क) के संबंध में विगत 3 वर्षों में श्रेणीवार शासकीय आवास में कितने प्रकार के कार्य किये गये हैं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) प्राप्त राशि को व्यय करने हेतु कार्य विभाग मैन्युअल के परिशिष्ट 2.10 की कंडिका 8.1 अनुसार कार्य आदेश जारी करने एवं कार्य विभाग मैन्युअल के परिशिष्ट 4.10 की कंडिका 23 एवं 24 अनुसार व्यय करने की पूर्ण अधिकारिता कार्यपालन यंत्री को प्राप्त है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है।
नवीन महाविद्यालयों का संचालन
[उच्च शिक्षा]
145. ( क्र. 1754 ) श्री बीरेन्द्र रघुवंशी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश में विगत वर्षों में प्रारंभ किए गए नवीन शासकीय महाविद्यालयों को बंद किए जाने हेतु कोई नीति बनाई जा रही है अथवा विभाग द्वारा इस संबंध में कोई कार्यवाही करने पर विचार किया जा रहा है? यदि हाँ तो इस संबंध में क्या नीति बनाई जा रही है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार यदि उक्त महाविद्यालयों को बंद किए जाने पर विचार किया जा रहा है तो इसके क्या-क्या कारण हैं तथा विगत वर्षों में प्रारंभ किए गए कौन-कौन से महाविद्यालयों को बंद किए जाने हेतु चिन्हित किया गया है अथवा उन पर विचार किया जा रहा है? प्रदेश के ऐसे महाविद्यालयों की जिलेवार सूची उपलब्ध करावें।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
निर्माण कार्यों की शिकायतें
[लोक निर्माण]
146. ( क्र. 1756 ) श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कटनी जिला अंतर्गत लोक निर्माण विभाग के टेंडर क्र.70/D.L/16/18 के तहत कहाँ-कहाँ, कितनी-कितनी राशि से कौन-कौन से निर्माण कार्य कब किसके द्वारा प्रारंभ कराये गए तथा यह निर्माण कार्य कितनी राशि से कब पूर्ण हुए? निर्माण कार्यों की माप पुस्तिका की छायाप्रति देवें एवं यह भी बतलावें की उल्लेखित निर्माण कार्यों का पूर्णता प्रमाण-पत्र कब किसके द्वारा जारी किया गया? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कार्यों के पूर्ण हो जाने के पश्चात इन निर्माण कार्यों में किन-किन बिंदुओं पर अनियमितायें किये जाने की शिकायते विभाग को प्राप्त हुई हैं? प्राप्त शिकायतों की छायाप्रति देवें l (घ) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित शिकायतों पर कब, किसके द्वारा क्या कार्यवाही की गई? किसे दोषी पाया गया? बिन्दुवार निर्माण कार्यवार जाँच प्रतिवेदन की छायाप्रति सहित सम्पूर्ण जानकारी देवें l
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। माप पुस्तिका की छायाप्रति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) कार्य पूर्ण होने के पश्चात बी.टी. रिनुवल कार्य की शिकायत प्राप्त हुई है। शिकायत की छायाप्रति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (घ) शिकायत की जाँच अधीक्षण यंत्री मण्डल जबलपुर द्वारा की जा रही है। जाँच प्रतिवेदन अपेक्षित है। जाँच उपरांत ही बिन्दुवार जानकारी दिया जाना संभव होगा।
बहोरीबंद विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत विद्युत वितरण
[ऊर्जा]
147. ( क्र. 1757 ) श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बहोरीबंद विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत विद्यमान 33/11 के.व्ही. विद्युत सब-स्टेशनों से निर्गमित कितने 11 के.व्ही. फीडर है तथा प्रत्येक फीडर की कितनी लम्बाई है, जिनके द्वारा विद्युत प्रदाय किया जा रहा है? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित विधान सभा क्षेत्रान्तर्गत ग्रामवार कितने विद्युत घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 से प्रश्न दिनांक तक बिना कनेक्शन के विद्युत बिल प्राप्त होने, कम वोल्टेज प्राप्त होने, ट्रांसफार्मर, केबिल, खराब होने तथा अधिक राशि के बिल प्राप्त होने की शिकायतें दर्ज कराई एवं इन प्राप्त शिकायतों में कितनी शिकायतें निराकृत हो गई हैं एवं कितनी शिकायतें निराकृत होने के लिये लम्बित हैं? विद्युत वितरण केन्द्रवार, जानकारी देवें? (ग) क्या विद्युत वितरण केंद्र बहोरीबंद से सम्बद्ध ग्राम कछारगाँव, निमास, तिलहरी एवं जुजावल ग्राम के निवासी अपनी विद्युत लाइन 24 की.मी दूर बहोरीबंद के स्थान पर निकटवर्ती स्लीमनावाद विद्युत वितरण केंद्र से चाह रहे हैं? (घ) प्रश्नांश (ग) यदि हाँ, तो क्या विभाग उल्लेखित ग्रामों के कृषकों की मांग के अनुरूप विभाग वि़द्युत लाइन के सुधार कार्य की सुविधा की दृष्टि से इन उपभोगताओं के कनेक्शन निकटवर्ती विद्युत वितरण केंद्र स्लीमनाबाद से करेगा? यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) बहोरीबंद विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत विद्यमान 33/11 के.व्ही. के 12 विद्युत उपकेन्द्रों से निर्गमित 11 के.व्ही. के 59 फीडरों के द्वारा विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। उक्त 11 के.व्ही. फीडरों की लंबाई सहित प्रश्नाधीन चाही गई जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ’अ’ अनुसार है। (ख) बहोरीबंद विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत घरेलू श्रेणी के विरूद्ध उपभोक्ताओं द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 से दिनांक 30.11.19 तक बिना कनेक्शन के विद्युत बिल प्राप्त होने संबंधी 323, कम वोल्टेज प्राप्त होने संबंधी 6230, ट्रांसफार्मर/केबिल खराब होने संबंधी 630 तथा अधिक राशि के बिल प्राप्त होने की 2368, इस प्रकार कुल 9551 शिकायतें प्राप्त हुई है, जिनमें से सभी शिकायतों का निराकरण कर दिया गया है, कोई भी शिकायत निराकरण हेतु लम्बित नहीं है। उक्त शिकायतों की प्रश्नाधीन चाही गई विद्युत वितरण केन्द्रवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-’ब’ अनुसार है। (ग) जी हाँ, विद्युत वितरण केन्द्र बहोरीबन्द से सम्बद्ध ग्राम कछारगांव, निमास, तिलहरी एवं जुजावल ग्राम के निवासी विद्युत प्रदाय 24 कि.मी. दूर स्थित 33/11 के.व्ही. बहोरीबंद विद्युत उपकेन्द्र के स्थान पर निकटवर्ती स्लीमनाबाद 33/11 विद्युत उपकेन्द्र (विद्युत वितरण केन्द्र नहीं) से चाह रहे हैं। (घ) प्रश्नांश (ग) में उल्लेखित ग्रामों के निवासियों की मांग के अनुरुप म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विद्युत लाईन के सुधार कार्य की सुविधा की दृष्टि से इन उपभोक्ताओं के घरेलू कनेक्शनों को निकटवर्ती 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र स्लीमनाबाद से संबद्ध कर दिया गया है।
लोअर ओर परियोजना के अंतर्गत निर्माण होने वाला बांध
[जल संसाधन]
148. ( क्र. 1762 ) श्री गोपालसिंह चौहान : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला अशोकनगर एवं शिवपुरी की सीमा पर स्थित लोअर ओर परियोजना को पूर्व शासनकाल में स्वीकृत किया गया था, जिसमें एक पैकेज के तहत मुआवजे का वितरण किया जा रहा है जिसमें प्रभावित क्षेत्र के किसानों को कई समस्याओं जैसे- व्यस्क पुत्र/पुत्रियों को पुनर्वास राशि की व्यवस्था, पैकेज में केवल विवाहित का प्रावधान है मकानों का मुआवजा दो गुना, पैकेज में डेढ़ गुना दिया जा रहा है, पेड़ पौधों, कुआं, बगीचों का मुआवजा, पैकेज में केवल बगीचा का दे रहे हैं, का सामना करना पड़ रहा है इन समस्याओं को हल करने के संबंध में शासन स्तर से क्या कोई कार्यवाही होगी? (ख) इन समस्याओं के संबंध में अनुविभागीय अधिकारी चन्देरी को प्रश्नकर्ता द्वारा एवं क्षेत्र के किसानों द्वारा पूर्व में ज्ञापन भी दिया गया जो जिला कलेक्टर अशोकनगर द्वारा शासन को भेज दिया गया है, इस पर कब तक कार्यवाही होगी तथा इसका निराकरण कब तक शासन स्तर से कर दिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी हाँ। शासन के पत्र दिनांक 16.05.2018 द्वारा लोअर ओर वृहद सिंचाई परियोजना के डूब प्रभावितों हेतु विशेष पुनर्वास पैकेज की स्वीकृति प्रदान की गई है। प्रश्न में उल्लेखित समस्याओं का समाधान, स्वीकृति हेतु जारी पत्र में स्पष्ट है। पत्र की प्रति संलग्न परिशिष्ट में है। शासन स्तर पर किसी प्रकार की कार्यवाही प्रक्रियाधीन नहीं है। (ख) शासन स्तर पर इस प्रकार का कोई प्रकरण विचाराधीन नहीं है।
टीकमगढ़ में कार्यरत अधिकारी/कर्मचारियों की जानकारी
[लोक निर्माण]
149. ( क्र. 1765 ) श्री राकेश गिरि : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक निर्माण विभाग, संभाग टीकमगढ़ में तकनीकी और गैर तकनीकी वर्ग के प्रथम/द्वितीय/ तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कौन-कौन से व कितने पद स्वीकृत हैं? स्वीकृत पदों पर कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों के नामों की पदवार तथा रिक्त पदों की वर्गवार सूची दें। (ख) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत और भरे हुए पदों पर कार्यरत अधिकारी/कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची दें। (ग) स्वीकृत, किन्तु रिक्त पदों के विरूद्ध ऐसे पदों पर प्रभारी के रूप में कार्यरत अधिकारी/कर्मचारियों के मूल पद एवं प्रभार के पद सहित सूची दें। (घ) क्या प्रभारी के रूप में पदांकित अधिकारी/कर्मचारियों को गलत पद के प्रभार दिए गए हैं? यदि हाँ, तो अधिकारी/कर्मचारियों को गलत पद का प्रभार देने के लिए कौन दोषी है? दोषी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी तथा प्रभारी के रूप में कार्यरत अधिकारी/कर्मचारियों को कब तक मूल पदों पर वापिस किया जायेगा? समय-सीमा बतायें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- अ एवं ब अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब के स्तंभ 5 अनुसार। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार। (घ) जी नहीं। अतः प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
निर्माणाधीन कार्यों की जानकारी
[लोक निर्माण]
150. ( क्र. 1766 ) श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगोन जिले में पी.आई.यू. विभाग अंतर्गत वर्तमान में निर्माणाधीन एवं जिनका पूर्णता प्रमाण-पत्र जारी नहीं हुआ, उन कार्यों में उपयोग की जा रही 10 एवं 20 एमएम की गिट्टी ग्रेडिंग संबंधी दस्तावेज की कार्यवार प्रति देवें। (ख) उक्त कार्यों में उपयोग की जा रही बालु रेत की फाइनेंस माडुलर संबंधी दस्तावेज की प्रति देवें। (ग) उक्त कार्यों में उपयोग में लाये जा रहे सरीये की टेस्टिंग रिपोर्ट की प्रति देवें। (घ) उक्त कार्यों के एम 30 या विभागीय नीति अनुसार मिक्स डिजाईन संबंधी दस्तावेज की प्रति देवें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
पर्यावरण जल एवं जल जीवों का संरक्षण
[पर्यावरण]
151. ( क्र. 1771 ) श्री राजेश कुमार प्रजापति : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला छतपुर की चंदला विधान सभा क्षेत्र में वर्ष 2010 से प्रश्न दिनांक तक खनिज संपदा के अंतर्गत रेत खनन से पर्यावरण, जल एवं जल जीवों के संरक्षण के बचाव हेतु जाँच की गयी है? यदि हाँ तो उक्त जांचें कब-कब की गयी हैं? उक्त जाँच से संबंधित संपूर्ण दस्तावेजों की प्रति उपलब्ध करायें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें। (ख) क्या शासन के नियम एवं निर्देशों के अनुसार खेतों से रेत की खुदाई 3 मीटर खोदने के नियम व निर्देश हैं? यदि हाँ, तो क्या उक्त खेतों से 20 मीटर गड्ढा कर रेत निकाली जा रहीं है? क्या उक्त रेत खदानों की जाँच पर्यावरण विभाग द्वारा की जावेगी? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतायें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें। (ग) शासन के नियम व निर्देशों के अनुसार निर्धारित मापदण्ड के अनुसार रेत का उत्खनन न करने वाले रेत खदानों एवं रेत खदानों के मालिक के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो समय सीमा बतायें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ, जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 के संबंधित प्रावधानों के अंतर्गत की गई जाँच की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘अ’ अनुसार है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) खनिज विभाग द्वारा स्वीकृत खनन योजना के अनुसार खेतों से रेत उत्खनन की गहराई खेतों में उपलब्ध रेत के अनुसार निर्धारित की जाती है, जो 03 मीटर से अधिक हो सकती है। कार्यालय कलेक्टर (खनिज शाखा), जिला छतरपुर के पत्र दिनांक 05/12/2019 अनुसार निरीक्षण के दौरान खेतों में रेत उत्खनन की गहराई 20 मीटर नहीं पाई गई है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘ब’ अनुसार है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) शासन के नियम व निर्देशों के अनुसार निर्धारित मापदण्ड के अनुसार रेत का उत्खनन न करने पर रेत खदानों एवं रेत खदानों के मालिक के विरूद्ध कार्यवाही के प्रावधान है। कार्यालय कलेक्टर (खनिज शाखा), जिला छतरपुर के पत्र दिनांक 05/12/2019 अनुसार शासन के नियम एवं निर्देशों के अनुसार उत्खनन वर्तमान में हो रहा है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सोलर पैनल उपभोक्ताओं के सॉफ्टवेयर में जनरेट
[ऊर्जा]
152. ( क्र. 1772 ) श्री राजेश कुमार प्रजापति : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला छतरपुर में यदि सोलर पैनल उपभोक्ता हैं तो उनकी सूची उपलब्ध करायें। क्या विभाग द्वारा उक्त सोलर पैनल उपभोक्ताओं का सॉफ्टवेयर में जनरेट कर दिया गया है? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या शासन द्वारा सोलर पैनल उपभोक्ताओं को अनुदान (सबसिडी) दी जाती है, तो कब-कब, किस-किस को सोलर पैनल उपभोक्ताओं को जिला छतरपुर में कितनी-कितनी राशि का अनुदान दिया गया है? सूची उपलब्ध करायें। (ग) क्या जिला छतरपुर में सोलर पैनल लगाये जाते है? यदि हाँ, तो किसके द्वारा? सोलर पैनल लगाने की निर्धारित राशि क्या है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जिला छतरपुर में कुल 30 सोलर पैनल उपभोक्ता हैं जिसकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। जी हाँ, म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा माह अप्रैल 2019 में बिलिंग सॉफ्टवेयर बनाकर क्रियान्वित कर दिया गया है। (ख) जी हाँ। नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त 30 उपभोक्ताओं में से 4 उपभोक्ताओं को नियमानुसार अनुदान की राशि विमुक्त की गई है, जिनकी सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। शेष 26 उपभोक्ताओं से अनुदान विमुक्ति हेतु आवेदन नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के संबंधित कार्यालयों में अप्राप्त हैं। (ग) जी हाँ, जिला छतरपुर में सोलर पैनल उपभोक्ताओं के द्वारा स्वयं के व्यय पर सोलर पैनल लगाये गए हैं। वितरण कंपनी की वितरण प्रणाली से उसके सोलर पैनल को संयोजित करने हेतु मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग (ग्रिड संयोजित शुद्ध मापन) विनियम, 2015 के प्रावधानों के अनुसार पंजीकरण शुल्क राशि रू. 1000/- (अप्रत्यर्पणीय) के साथ जीएसटी कर रू. 180/- की राशि कंपनी द्वारा उपभोक्ता से ली जाती है।
अराजपत्रित पदों की पूर्ति हेतु नीति निर्देश का क्रियान्वयन
[उच्च शिक्षा]
153. ( क्र. 1776 ) श्री शिवनारायण सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आयुक्त उच्च शिक्षा भोपाल के पत्र क्र. 1420/281/आ.उ.शि./शा-3/14 भोपाल दिनांक 14-08-2015 द्वारा प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में संविदा/आउटसोर्स के स्वीकृत पदों की पूर्ति हेतु नीति निर्देशिका तैयार की गयी थी? यदि हाँ, तो नीति निर्देशिका की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करायी जावे। (ख) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत राज्य के कितने महाविद्यालयों में संविदा/आउटसोर्स के स्वीकृत अराजपत्रित पदों की पूर्ति की गयी है? (ग) क्या प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में प्रश्नांश (क) के दिये गये आदेशों का क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालकों द्वारा क्या पालन किया गया? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) अगर आदेशों की अवहेलना की गयी है तो उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जा रही है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। नीति निर्देशिका की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) अभी तक किसी भी पद की पूर्ति नहीं की गई है। (ग) जी नहीं। दिनांक 14.08.2015 को जारी नीति में संशोधन कर दिनांक 04.12.2015 को संशोधित नीति जारी की गई। दिनांक 18.12.2015 को निविदा विज्ञापन जारी किया गया, किन्तु कोई भी निविदा निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप प्राप्त न होने/एकल निविदा प्राप्त होने के कारण कार्यवाही नहीं की जा सकी। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
शिवपुरी जिले में पी.आई.यू. विभाग के कार्यों
[लोक निर्माण]
154. ( क्र. 1787 ) श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शिवपुरी जिले में पी.आई.यू. विभाग के कितने कार्य वर्तमान में चल रहे हैं? कार्य का नाम लागत एवं ठेकेदार का नाम सहित जानकारी दें। (ख) उक्त कार्य कब स्वीकृत हुये थे एवं जिन्हें कब तक पूर्ण करना था? कार्य की वर्तमान स्थिति से अवगत कराते हुये कार्य कब तक पूर्ण हो जायेगा? (ग) कार्य की गुणवत्ता की स्थिति क्या है? जिनकी जाँच किसके द्वारा कराई गई? सभी कार्यों की गुणवत्ता अच्छी रहे इसके लिए क्या कोई मानीटरिंग कमेटी बनाई गई है? यदि हाँ, तो उसमें कौन-कौन है? नाम सहित जानकारी दें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) इस संभाग में 65 कार्य चल रहे है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) कार्यों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखा जाता है। कार्यों की गुणवत्ता व निगरानी हेतु विभाग द्वारा कन्सलटेन्सी नियुक्त की जाती है। जो निम्नानुसार है। (1) मेसर्स डिजाईन एसोसियेट आई एन सी नोयडा (2) मेसर्स अलका प्रोजेक्ट मैनेजमेन्ट आडिट कन्सलटेन्ट बडौदा (3) मेसर्स कुशवाह एण्ड कुशवाह भोपाल (4) मेसर्स एल.जे. पुरानी एसोसियेट्स अहमदाबाद।
लोअर-ओर परियोजना के कार्यों की जानकारी
[जल संसाधन]
155. ( क्र. 1788 ) श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोअर-ओर परियोजना में किन-किन फर्मों को कार्य दिया गया था? क्या उसमें मा रतनगढ़ बहुउद्देशीय परियोजना को भी कार्य दिया गया था? (ख) यदि हाँ, तो उक्त फर्म द्वारा अभी तक कितना कार्य किया गया और कितना भुगतान इस फर्म को किया गया है? (ग) क्या कार्य किये बगैर ही मात्र, स्थल पर पाईप पहुँचने पर ही भुगतान किया गया? (घ) यदि हाँ, तो ऐसा करने का क्या कारण था? क्या बिना कार्य किए मात्र मटेरियल सप्लाई पर भुगतान का प्रवधान है? इतना बड़ा भुगतान किस अधिकारी की अनुमति से किया गया?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) लोअर-ओर परियोजना के बांध निर्माण का कार्य मेसर्स सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी ग्वालियर एवं नहर निर्माण का कार्य मेसर्स मन्टेना मैक्स एम.पी. जे.व्ही., हैदराबाद। जी नहीं, माँ रतनगढ़ बहुद्देशीय परियोजना की नहर का कार्य मेसर्स मन्टेना बसिष्ठा माईक्रो जे.व्ही., हैदराबाद। (ख) 11 प्रतिशत। रू.99.10 करोड़। (ग) एवं (घ) जी हाँ। कार्य स्थल पर एम.एस.प्लेट/कॉइल पाईप पहुँचने पर अनुबंधानुसार भुगतान किया गया है। जी हाँ। विभाग के अधिकारियों द्वारा अनुबंध की शर्तों के अनुसार ही फर्म को भुगतान किया गया।
बायपास एवं पुल का निर्माण
[लोक निर्माण]
156. ( क्र. 1795 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कटनी जिले में विजयराघवगढ़ से कैमोर बाईपास लोक निर्माण विभाग द्वारा स्वीकृत हुआ था? स्वीकृत आदेश की प्रति देवें। (ख) क्या विजयराघवगढ़ बरही के झपावन नदी एवं महानदी के उच्चस्तरीय पुल की भी विभाग द्वारा स्वीकृति थी? स्वीकृत आदेश की प्रति दें? (ग) प्रश्नांश (क), (ख) यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक वर्षों के बाद भी कार्य प्रारंभ न होने के क्या कारण है? कौन-कौन दोषी है? नाम एवं पदनाम का उल्लेख करें। दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी? नहीं तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) दोनों पुलों के निर्माण हेतु निविदा की कार्यवाही पाँचवी बार प्रक्रियाधीन है। कोई दोषी नहीं। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
संभागीय कार्यालय की स्थापना शहपुरा एवं बरगी में करने
[ऊर्जा]
157. ( क्र. 1805 ) श्री संजय यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बरगी विधानसभा क्षेत्र के शहपुरा, चरगवां का विद्युत विभाग का डिवीजन कार्यालय 50-55 किलोमीटर दूर पाटन में होने से एवं बरगी क्षेत्र का डिवीजन कार्यालय जबलपुर में होने से क्षेत्र के किसानों एवं उपभोक्ताओं को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है? (ख) क्या उक्त असुविधा को देखते हुए डिवीजनल इंजीनियर कार्यालय विद्युत संभाग को पृथक रूप से शहपुरा में गठन करने एवं बरगी में भी नवीन डिवीजनल कार्यालय की स्थापना कब तक की जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी नहीं। सामान्यत: विद्युत वितरण कंपनी के संभाग कार्यालय का क्षेत्र 40 से 50 कि.मी. तक फैला होता है। उपभोक्ताओं को विद्युत संबंधी समस्त सुविधाएं स्थानीय स्तर पर स्थित विद्युत वितरण केन्द्रों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती हैं व उनकी विद्युत संबंधी समस्याओं का भी निराकरण स्थानीय स्तर पर स्थित विद्युत वितरण केन्द्रों के माध्यम से किया जाता है। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार यद्यपि उपभोक्ताओं को स्थानीय विद्युत वितरण केन्द्र के माध्यम से विद्युत संबंधी समस्त सुविधाएँ प्रदान करने के साथ-साथ उनकी विद्युत संबंधी समस्याओं का निराकरण भी कर दिया जाता है, फिर भी उक्त व्यवस्था को और अधिक युक्तियुक्त करने के उद्देश्य से जबलपुर संचालन एवं संधारण संभाग के क्षेत्रान्तर्गत नये संचालन एवं संधारण संभाग के सृजन के प्रस्ताव का परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण उपरांत साध्यता के अनुसार कार्यवाही की जावेगी, जिस हेतु वर्तमान में समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
ग्रामीण क्षेत्र में खेल कूद गतिविधियों का क्रियान्वयन
[खेल और युवा कल्याण]
158. ( क्र. 1806 ) श्री संजय यादव : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जबलपुर जिले में खेल कूद गतिविधियों के संचालन हेतु विगत 3 वर्षों में कितनी-कितनी बजट, सामग्री शासन द्वारा प्रदाय की गई? उक्त बजट को मदवार कहाँ-कहाँ व्यय किया गया? आयोजनवार एवं वर्षवार जानकारी दें। (ख) जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित किये गये आयोजनों की वर्षवार जानकारी दें एवं व्यय एवं प्रदान की गई सामग्री की जानकारी वर्षवार दें। (ग) ग्रामीण क्षेत्रों में समाप्त हो रही खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने खेल सामग्री एवं राशि कब तक प्रदान की जायेगी?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्टि के प्रपत्र-'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्टि के प्रपत्र 'स' अनुसार है। (ग) जिले को खेल प्रशिक्षण केन्द्रों को खेल सामग्री का क्रय योजना अंतर्गत राशि रू. 20,00,000/-का आवंटन दिया गया है।
गोविन्दपुरा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत किये गये कार्य
[लोक निर्माण]
159. ( क्र. 1811 ) श्रीमती कृष्णा गौर : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गोविन्दपुरा विधान सभा क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2016-17, 2017-18, 2018-19 एवं 2019-2020 में लोक निर्माण विभाग द्वारा किन-किन कार्यों की निविदा आमंत्रित की गई एवं कार्य प्रारंभ किये गये? इन कार्यों की निविदा तिथि, कार्य प्रारंभ होने के दिनांक एवं वर्तमान में कार्यों की स्थिति, यदि कार्य पूर्ण हो गया है तो उनके पूर्ण होने की तिथि कार्यवार बताई जायें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित कार्यों को करने लिये नियुक्त ठेकेदारों के नाम बताये जायें साथ ही यह भी बताया जाये कि क्या यह सभी ठेकेदार उनकों दिये कार्यों को करने के लिए तकनीकी एवं अन्य दृष्टिकोण से उपयुक्त थे? यदि नहीं, तो दोषपूर्ण एजेंसियों को कार्य देने के लिये कौन दोषी है? (ग) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित सभी कार्य मूल प्राक्कलन के अनुरूप ही पूर्ण कराये गये हैं? यदि नहीं, तो क्या प्राक्कलन में परिवर्तन कि अनुमति सक्षम प्राधिकारी से ली गई? यदि नहीं, तो इसके लिये कौन दोषी है एवं उसके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जा रही है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। कोई दोषी नहीं है अत: कार्यवाही करने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सभी श्रेणियों में पदोन्नति होना
[ऊर्जा]
160. ( क्र. 1812 ) श्रीमती कृष्णा गौर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ऊर्जा विभाग में वर्तमान में सभी श्रेणीयों में पदोन्नति हो रही है अथवा नहीं? यदि हाँ, तो किस आधार पर? यदि नहीं, तो कारण बतायें। (ख) ऊर्जा विभाग से सभी श्रेणीयों के कम्पनीवार दिये जा रहे चालू प्रभार एवं लुक आफ्टर के आदेश किस नियम के तहत किये जा रहे हैं? क्या इस हेतु कोई नीति निर्धारित है? क्या यह वरीयता के आधार पर दिये जा रहे हैं? म.प्र.म.क्षे.वि.कं.लि भोपाल के श्रेणी 01 एवं श्रेणी 02 की वरीयता सूची प्रदान करें। (ग) प्रश्नांश (ख) से संबंधित दिनांक 01.04.18 से नवम्बर 19 तक किये गये आदेशों की प्रति उपलब्ध करावें। (घ) चालू प्रभार नीति के पालन न करने वाले दोषी अधिकारियों का नाम बतायें। दोषी अधिकारियों के नियम विरूद्ध आदेश जारी करने पर क्या सरकार उनके विरूद्ध कोई कार्यवाही करेंगी? यदि हाँ तो कब तक?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) ऊर्जा विभाग में, माननीय सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत एस.एल.पी. क्र. 13954/2016 में दिनांक 12.05.2016 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यथा स्थिति के निर्देश दिये जाने के कारण, पदोन्नति की प्रक्रिया बाधित है। (ख) ऊर्जा विभाग के अंतर्गत कार्यरत विद्युत कंपनियों में चालू प्रभार/लुक आफ्टर के आदेश जारी किये गये है। म.प्र.मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड में मैनेजमेंट कमेटी की 27वी बैठक दिनांक 11.02.2019 में लिये गये निर्णय के तहत चालू प्रभार दिये जा रहे हैं एवं कंपनी के अंतर्गत विद्युत प्रदाय एवं प्रबंधन के कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु उच्च पद रिक्त होने पर वैकल्पिक रूप से कनिष्ठ अधिकारी को उच्च पद का कार्य संपादित करने के लिए कंपनी की अधिकार प्रत्यायोजन पुस्तिका के पार्ट-ए, सेक्शन-III, सिलेक्शन/अपॉइंटमेंट/प्रमोशन के सरल क्र. 09 के तहत लुक आफ्टर के आदेश जारी किये गये हैं, जिसकी छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘अ’ अनुसार है। म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के अन्तर्गत चालू प्रभार दिये जाने की शक्तियॉ प्रबंध संचालक को प्रदत्त हैं। कंपनी में चालू प्रभार हेतु कोई नीति निर्धारित नहीं है। चालू प्रभार एवं लुकआफ्टर के आदेश यथा संभव वरीयता को दृष्टिगत रखते हुए कार्मिकों की उपलब्धता एवं आवश्यकतानुसार जारी किये जाते हैं। म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर के अन्तर्गत सक्षम अधिकारी द्वारा उनकी अधिकारिता के अनुसार करेंट चार्ज दिया जाता है। चालू प्रभार वरिष्ठता को दृष्टिगत रखते हुए दिये जा रहे हैं। म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के अन्तर्गत चालू प्रभार वरिष्ठता एवं कार्य कुशलता को दृष्टिगत रखते हुए तकनीकी एवं प्रशासनिक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए दिये जाते हैं। कंपनी अंतर्गत इस हेतु पृथक से कोई नीति, मापदण्ड, नियमावली जारी नहीं की गई है। म.प्र. पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के अंतर्गत विभिन्न श्रेणियों में उच्च पद के चालू प्रभार एवं लुक आफ्टर के आदेश कार्य की आवश्यकता को देखते हुए दिये जाते हैं। आदेशों को जारी करते समय सामान्यता वरिष्ठता का ध्यान रखा जाता है। एम.पी. पावर मैनेजमेन्ट कं.लि. जबलपुर के अन्तर्गत उच्च पद का चालू प्रभार कार्य की आवश्यकता एवं लुक आफ्टर के आदेश कार्य की आवश्यकता को देखते हुए तथा वरिष्ठता के दृष्टिगत दिये जाते हैं। मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड भोपाल के प्रथम श्रेणी एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों की वरिष्ठता सूची दि. 01.01.2019 की स्थिति में जारी की गई है, जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-“ब”अनुसार है। (ग) दिनांक 01.04.2018 से दिनांक 30.11.2019 तक जारी किये गये चालू प्रभार/ लुकआफ्टर के आदेशों की कंपनीवार प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-“स”-1 से“स”-6 अनुसार है। (घ) सभी कंपनियों द्वारा चालू प्रभार कंपनी अन्तर्गत किये गये प्रावधान तथा सक्षम अनुमोदन के अनुसार दिये जा रहे हैं। अतः किसी अधिकारी के दोषी होने अथवा किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
सड़क निर्माण के नवीन तरीकों की जानकारी
[लोक निर्माण]
161. ( क्र. 1814 ) श्री लक्ष्मण सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण की क्या योजना है? क्या BOT के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण किये जाने की कोई कार्य योजना है? (ख) सड़क निर्माण के खर्च को कम करने हेतु राख, प्लास्टिक और अन्य कचरे से सड़क निर्माण किये जाने की कोई योजना विभाग द्वारा बनाई जा रही है? (ग) क्या थर्मल राख का इस्तेमाल सड़क निर्माण हेतु किया जा रहा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी नहीं। जी नहीं। योजना नहीं। (ख) जी हाँ, राख और प्लास्टिक से। (ग) जी हाँ।
महाविद्यालय एवं छात्रावास की स्थापना
[उच्च शिक्षा]
162. ( क्र. 1815 ) श्री लक्ष्मण सिंह : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के सभी तहसील मुख्यालयों पर शासकीय महाविद्यालय खुले हुए हैं? यदि नहीं, तो ऐसी तहसीलों में महाविद्यालय प्रारंभ करने की क्या योजना है? (ख) क्या शासन प्राचार्य को प्राध्यापक नियुक्ति का अधिकार देने की कोई योजना बना रही है? (ग) शासकीय महाविद्यालय के साथ छात्रावास सुविधा देने का प्रावधान है या नहीं? (घ) महाविद्यालयों में विभिन्न विषयों का अध्यापन प्रारंभ करने हेतु क्या कोई निर्धारित मापदण्ड है?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी नहीं। वर्तमान में ऐसी कोई योजना नहीं है। (ख) जी नहीं। (ग) छात्रावास की सुविधा आवश्यकतानुसार दी जाती है। (घ) महाविद्यालयों में विषय प्रारंभ करना एक नीतिगत निर्णय है, परंतु विचारक्षेत्र के महाविद्यालय में नवीन स्नातक संकाय प्रारंभ करने के लिए समीप के स्कूलों की बारहवीं कक्षा में समान संकाय में 200 विद्यार्थी होना एवं स्नातकोत्तर विषय प्रारंभ करने के लिए समीप के महाविद्यालयों के स्नातक तृतीय वर्ष में उस विषय के 100 विद्यार्थी उपलब्ध होना प्राथमिक परीक्षण का मापदंड है।
संविदा कर्मचारियों को परिश्रमिक एवं अन्य सुविधाएं
[श्रम]
163. ( क्र. 1819 ) श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. शासन के विभिन्न विभागों/कार्यक्रम/निगम मण्डल/परियोजनाओं मिशन में संविदा/ आउटसोर्स के माध्यम से सेवारत कर्मियों को न्यूनतम परिश्रमिक जो म.प्र. शासन एवं भारत सरकार द्वारा तय है नहीं दिया जा रहा है, क्यों? (ख) उपरोक्त समस्त कर्मियों को शासन द्वारा निर्धारित चिकित्सा अवकाश चिकित्सा भत्ता एवं जीवन सुरक्षा बीमा का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है? (ग) म.प्र. शासन के कर्मचारियों के समान श्रम कर रहे इन संविदा/आउटसोर्स कर्मचारियों को आवश्यक सभी अवकाश क्यों नहीं दिये जा रहे थे? (घ) उपरोक्त सुविधाओं के संबंध में आज तक लापरवाही क्यों की गई एवं सभी को कब तक यह सुविधायें दिलवायेंगे?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) मध्यप्रदेश शासन के विभिन्न विभागों/कार्यक्रम/ निगम मण्डल/परियोजनाओं मिशन में संविदा/आउटसोर्स के माध्यम से सेवारत कर्मियों को सामान्यत: न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 के अंतर्गत अधिसूचित नियोजनों के लिए निर्धारित वेतन दर से पारिश्रमिक दिया जाता है। (ख) श्रम कानूनों में प्रावधान नहीं है। (ग) अवकाश का लाभ संबंधित श्रम कानूनों के अंतर्गत पात्रता अनुसार दिया जाता है। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) व (ग) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
टोल वसूल करने की अवधि
[लोक निर्माण]
164. ( क्र. 1822 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में BOT के अंतर्गत कौन-कौन सी सड़क कितने कि.मी. लंबी है? उनका निर्माण किस दिनांक को पूर्ण होकर यातायात नियमित हुआ? किस-किस सड़क की कितनी लागत है तथा टोल किस दिनांक वर्ष से किस दिनांक वर्ष तक वसूला जाएगा? (ख) BOT के अंतर्गत टोल वसूल करने की अवधि तय करने का सूत्र क्या है? क्या सारी BOT पर टोल वसूल करने की अवधि समान होती है। या लागत तथा यातायात के अनुसार तय होती है? प्रश्नांश (क) में उल्लेखित सड़कों की टोल अवधि वर्ष में बतावें। (ग) बतावें कि BOT की टूलेन तथा फोरलेन पर टोल वसूली में लागत राशि कितने वर्ष में औसतन संग्रहित हो जाती है तथा अवधि तय करने के सूत्र में गणना करते समय लागत वसूली कितने वर्ष में मानी गयी है तथा उसके बाद कितने वर्ष तक वसूली की अवधि दी जाती है? (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित सड़कों में किस-किस सड़क पर लागत राशि वसूल हो चुकी है? क्या लागत राशि वसूल होने के बाद उन सड़कों पर और कितने वर्ष तक टोल वसूला जाएगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) बी.ओ.टी. के अंतर्गत निर्माण किये जाने वाली परियोजनाओं की टोल अवधि तय करने हेतु डी.पी.आर. तैयार की जाकर परियोजना की लागत के अनुरूप मार्ग पर यातायात गणना एवं भविष्य में यातायात का अनुमान के आधार पर वित्तीय व्यवहार्यता के आंकलन पर टोल अवधि तय की जाती है। जी नहीं। जी हाँ समस्त बी.ओ.टी. मार्गों पर टोल वसूल करने की अवधि समान न होकर लागत तथा यातायात अनुसार की जाती है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) टोल वसूली में लागत राशि कितने वर्ष में संग्रहित हो जाती है बताया जाना संभव नहीं है। लागत राशि संग्रहित किये जाने की अवधि मार्ग के यातायात पर निर्भर करती है। कंसेशन अनुबंध अनुसार। कंसेशन अवधि की उपरांत कोई टोल वसूली नहीं की जाती है। (घ) लागत राशि का संधारण म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा नहीं किया जाता है अत: लागत राशि वसूल होने के सम्बंध में बताया जाना संभव नहीं है। बी.ओ.टी. मार्गों पर अनुबंध अवधि तक। टोल वसूला जावेगा।
विद्युत कंपनियों का बकाया
[ऊर्जा]
165. ( क्र. 1823 ) श्री कुणाल चौधरी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की कुल मिलाकर अक्टूबर 2019 की स्थिति में लगभग आठ हजार करोड़ बकाया राशि है, यदि हाँ, तो बतावें कि इस बकाया में शासकीय विभागों तथा निजी उपभोक्ताओ पर कितना बकाया है वर्ष 2009 एवं 2015 में दिसम्बर माह की स्थिति में कुल बकाया कितना-कितना था? (ख) वर्ष 2014 तथा वर्ष 2019 की बेलेंस शीट के अनुसार किस-किस विद्युत वितरण कंपनी का घाटा कितना-कितना है? देनदारी तथा लेनदारी कितनी-कितनी है? (ग) प्रश्नकर्ता के प्रश्नांश (क) दिनांक 11.07.2019 के संदर्भ में बतावें कि प्रदेश में विद्युत सरप्लस होने के बाद ही वर्ष 2018 में 80 हजार मि.यू. विद्युत क्यों खरीदी गई, जबकि इस अवधि में मात्र 4 हजार मि.यू. ही विक्रय की गई है? (घ) क्या वर्ष 2014-15 से 2018-19 में विद्युत खरीदी में 40% की वृद्धि हुई? इन दोनों वर्षों की विद्युत खरीदी की कुल लागत बतावें, कि इन दोनों वर्षों में उपभोक्ताओं को कुल मिलाकर कितने मिलियन यूनिट विद्युत बेची गई तथा विद्युत का मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड जबलपुर स्तर पर उत्पादन कितने हजार मिलियन यूनिट रहा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की कुल मिलाकर अक्टूबर-2019 की स्थिति में उपभोक्ताओं पर कुल बकाया राशि रु. 9004.29 करोड़ है जिसमें से शासकीय विभागों पर रु. 1109.04 करोड़ तथा निजी उपभोक्ताओं पर रु. 7859.19 करोड़ की राशि बकाया है। प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों का उपभोक्ताओं पर वर्ष 2009 में माह दिसम्बर की स्थिति में कुल बकाया रु. 4594.22 करोड़ एवं वर्ष 2015 में माह दिसम्बर की स्थिति में कुल बकाया रु. 5985.85 करोड़ था। (ख) वर्ष 2014 तथा वर्ष 2019 की बेलेंस शीट के अनुसार प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों का घाटा संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की उक्त अवधि में देनदारियों तथा लेनेदारियों की जानकारी भी संलग्न परिशिष्ट में समाहित है। (ग) इस प्रश्नांश में उल्लेखित पूर्व विधानसभा प्रश्न दिनांक 11.07.2019 के उत्तरांश (क) में वर्ष 2018 (अप्रैल-2018 से मार्च-2019) में एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा कुल 77666.21 मिलियन यूनिट विद्युत क्रय की गई। जैसा कि उक्त प्रश्न दिनांक 11.07.2019 में उत्तरांश (ख) एवं प्रपत्र-'ब' में दर्शाया गया था, एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा वर्ष 2018-19 में कुल 4362.36 मिलियन यूनिट विद्युत का विक्रय एकेवीएन, रेल्वे तथा एक्सचेंज के माध्यम से किया गया, जिसमें एक्सचेंज के माध्यम से विक्रित विद्युत 3827.22 मिलियन यूनिट थी। इस उत्तरांश में यह भी उल्लेखित था कि एम.पी.पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा तीनों विद्युत वितरण कंपनियों को बिना लाभ हानि में विद्युत उपलब्ध कराई जाती है एवं उचित दर मिलने पर ही अतिशेष विद्युत को पावर एक्सचेंज के माध्यम से विक्रित करने का प्रयास किया जाता है। अत: एम.पी.पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा कुल क्रय की गई विद्युत में से ही राज्य की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों, एकेव्हीएन एवं रेल्वे को विद्युत विक्रय/प्रदाय करने के उपरान्त उचित दर मिलने पर 3827.22 मिलियन यूनिट विद्युत का विक्रय एक्सचेंज के माध्यम से किया गया। अत: यह कथन कि सरप्लस उपरान्त 80 हजार मिलियन यूनिट खरीदी कर 4 हजार मिलियन यूनिट विक्रित की गई, सही नहीं है। (घ) वर्ष 2014-15 से 2018-19 में विद्युत यूनिट खरीदी में 33.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो विगत 05 वर्षों की अवधि के दौरान माँग वृद्धि की आपूर्ति के परिप्रेक्ष्य में उचित है। उक्त विद्युत खरीदी की लागत वर्ष 2014-15 में रु. 17945.63 करोड़ एवं वर्ष 2018-19 में रु. 26419.18 करोड़ रही। उपभोक्ताओं यथा-तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के उपभोक्ता, एकेव्हीएन तथा रेल्वे को वर्ष 2014-15 में 56786.03 मिलियन यूनिट तथा वर्ष 2018-19 में 73770.98 मिलियन यूनिट बिजली प्रदाय (विक्रित) की गई। मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के ताप विद्युत गृहों एवं जल विद्युत गृहों की वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 में विद्युत उत्पादन (मिलियन यूनिट में) की वर्षवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है।
कड़ान मध्यम सिंचाई परियोजना में अधिग्रहित भूमि
[जल संसाधन]
166. ( क्र. 1828 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरयावली विधान सभा क्षेत्र में निर्माणाधीन कड़ान मध्यम सिंचाई परियोजना में किसानों की कितनी भूमि विभाग द्वारा अधिग्रहण की गई है? (ख) अधिग्रहण भूमि में कितनी सिंचित भूमि कितनी असिंचित भूमि अधिग्रहण की गई? कितनी राशि सिंचित भूमि हेतु तथा कितनी असिंचित भूमि हेतु प्रदान की गई? (ग) अधिग्रहित भूमि में कितने किसानों की राशि प्रश्न दिनाँक तक उनको प्रदान नहीं की गई है? (घ) अधिग्रहित भूमि किसानों से अधिग्रहण कर विभाग ने अपने अधीन एवं राजस्व रिकार्ड में सुधार के बाद भी किसानों को मुआवजा प्रदान नहीं किया है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है तथा किसानों को मुआवजा राशि कब तक प्रदान की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) 308.495 हेक्टर। (ख) सिंचित 204.16 हेक्टर, राशि रू.56,86,93,519/- एवं असिंचित 104.335 हेक्टर, राशि रू.14,42,83,830/- (ग) 24 किसान। (घ) जी नहीं। बंटवारा/नामांकन विवाद, आपसी विवाद एवं न्यायालयीन प्रकरणों के लंबित होने के कारण किसानों को मुआवजा भुगतान में विलंब हेतु कोई कर्मचारी/अधिकारी जिम्मेदार नहीं है। विवाद/न्यायालयीन प्रकरणों के निराकरण उपरांत।
ग्रामीण बिजली उपभोक्ताओं को अधिक राशि का बिल प्रदाय
[ऊर्जा]
167. ( क्र. 1829 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्रामीण एवं शहरी उपभोक्ताओं को विभाग द्वारा घरेलू विद्युत कनेक्शन के बिल प्रदाय का आधार/विभाजन क्या अलग-अलग है? (ख) नरयावली विधान सभा क्षेत्र के विभिन्न ग्रामों में ऐसे कितने घरेलू विद्युत उपभोक्ता हैं जिन्हें 10 हजार से अधिक राशि के एवं 50 हजार रू. से अधिक राशि के बिल विभाग द्वारा विगत 02 माह में वितरण किये गये? (ग) यदि हाँ, तो ऐसे उपभोक्ताओं में कितने उपभोक्ताओं द्वारा बिल सुधार हेतु विभाग को आवेदन प्रस्तुत किये एवं विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (घ) ऐसे कितने उपभोक्ता है जिनके द्वारा बिल की राशि जमा की गई? जानकारी देवें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के अनुसार प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को पृथक-पृथक दरों पर विद्युत बिल जारी किये जाते हैं। (ख) नरयावली विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न ग्रामों में घरेलू उपभोक्ताओं को 10000 रू. से अधिक किन्तु 50000 रू. तक की राशि के माह अक्टूबर, 2019 में 91 एवं माह नवम्बर 2019 में 191 तथा 50000 रू. से अधिक राशि के माह अक्टूबर, 2019 में 104 एवं माह नवम्बर, 2019 में 176 विद्युत बिल प्रदान किये गये। इस तरह विगत दो माहों में प्रश्नाधीन क्षेत्र में कुल 562 उपभोक्ताओं को 10000 रू. से अधिक राशि के बिल जारी किये गये। (ग) उत्तरांश (ख) में वर्णित 562 उपभोक्ताओं में से 130 उपभोक्ताओं द्वारा गलत बिल होने की शिकायत की गई। प्राप्त सभी शिकायतों की जाँच की गई तथा 94 विद्युत बिल सुधार योग्य पाये गये, जिन्हें सुधार कर उपभोक्ताओं को पुनरीक्षित बिल प्रदान किये गये। सुधारे गए बिलों वाले 94 उपभोक्ताओं में से 51 उपभोक्ताओं द्वारा पुनरीक्षित बिल की राशि जमा कर दी गई है। 36 उपभोक्ताओं के बिल सुधार योग्य नहीं पाये गये तथा इन सभी 36 उपभोक्ताओं ने भी विद्युत बिल की राशि जमा कर दी है। (घ) उत्तर (ग) में दर्शाए अनुसार जिन 130 उपभोक्ताओं द्वारा गलत बिल की शिकायत की गई थी, उनमें से कुल 87 उपभोक्ताओं द्वारा विद्युत बिल की राशि जमा कर दी गई है।
नवीन जलाशयों/सिंचाई योजना का प्रस्ताव
[जल संसाधन]
168. ( क्र. 1836 ) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला अनूपपुर की पुष्पराजगढ़ विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत विगत पाँच वर्षों में कौन-कौन से नवीन जलाशयों/सिंचाई योजना जलाशयों के प्रस्ताव विभाग द्वारा शासन स्तर पर स्वीकृति हेतु भेजे गये? जलाशय का नाम, ग्राम का नाम सहित जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार विभाग द्वारा भेजे गये प्रस्तावों में से शासन द्वारा अभी तक कितने जलाशयों के निर्माण कार्य, कितनी लागत के स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है एवं इनसे कौन-कौन से गांव लाभान्वित होंगे? कितनी सिंचाई योजना जलाशयों के निर्माण कार्य की स्वीकृति प्रदान की जाना अभी बाकी है? शासन द्वारा स्वीकृति कब तक प्रदान कर दी जावेगी? (ग) पुष्पराजगढ़ विधान सभा क्षेत्र के लिये शासन द्वारा जिन नवीन जलाशय/सिंचाई योजना जलाशयों के प्रस्ताव की स्वीकृति अभी तक प्रदान नहीं की गई है वह कौन-कौन सी हैं? स्वीकृति प्रदान नहीं किये जाने के कारणों का स्पष्ट उल्लेख करें। (घ) उक्त क्षेत्र में वर्तमान में कितनी जल समीतियों कहाँ-कहाँ पर कार्य कर रही हैं विगत पाँच वर्ष में इन समितियों द्वारा कब-कब, किस-किस मद से कितनी राशि आई और उससे क्या-क्या कार्य कब-कब किये गये?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) समरार जलाशय, झिलमिल जलाशय, सिंहपुर डायवर्सन, बडी तुम्मी टेंक एवं नर्मदा डायवर्सन कुल पाँच। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''1'' के अनुसार। (ख) एवं (ग) पाँच जलाशयों को राशि रू. 9412.68 लाख की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''1'' में दर्शित है। किसी सिंचाई योजना जलाशय की स्वीकृति लंबित नहीं है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (घ) 11 जल समितियां (जल उपभोक्ता संथाऐं), जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-''2'' अनुसार।
सड़कों-पुलों का निर्माण कार्य
[लोक निर्माण]
169. ( क्र. 1838 ) श्री बिसाहूलाल सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा शहडोल संभाग में वर्तमान में किन-किन सड़कों-पुलों का निर्माण कार्य किन-किन एजेंसियों द्वारा किन-किन शर्तों पर करवाया जा रहा है। अनुबंध के अनुसार उक्त कार्य कब तक पूर्ण होंगे? (ख) विगत तीन वर्षों में उक्त संभाग की लोक निर्माण विभाग अंतर्गत किन-किन सड़कों के टेण्डर स्वीकृति हेतु किस स्तर पर कब से लंबित हैं? इनका निराकरण कब तक होगा? (ग) उक्त संभाग में उक्त अवधि की स्थिति में लोक निर्माण विभाग की किन-किन सड़कों के टेण्डर कब-कब आमंत्रित किये गये?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-1' अनुसार है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ-1' एवं 'ब' अनुसार है।
दैनिक वेतनभोगी मजदूरों की कुशल श्रेणी
[श्रम]
170. ( क्र. 1842 ) श्री जालम सिंह पटैल : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा कलेक्टर नरसिंहपुर को दैनिक वेतन भोगी मजदूरों की विसंगतियों को दूर करने के संबंध में पत्र क्रमांक JSP/NSP/4094, दिनांक 10/11/19 को दिया गया है? दैनिक वेतन भोगी मजदूरों के लिये शासन की क्या नीति है? (ख) क्या जिला नरसिंहपुर में शासकीय निकुंच उद्यानिकी नरसिंहपुर, बोहानी एवं भौंसापाला में श्रमिकों को 2018 तक कुशल की श्रेणी में निर्धारित राशि 368 रूपये प्रतिदिन मानदेय से दिये जावेंगे? (ग) क्या वर्ष 2019 से उक्त श्रमिक को कुशल श्रेणी से अकुशल श्रेणी का 296 रूपये प्रतिदिन मानदेय से पारिश्रमिक दिया जा रहा है एवं विसंगति पूर्ण पारिश्रमिक दिया जा रहा है? यदि हाँ, तो कारण सहित जानकारी प्रदान करें। (घ) क्या श्रमिकों का शोषण किया जाना उचित है? क्या कलेक्टर नरसिंहपुर द्वारा जाँच एवं कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो दोषियों पर कार्यवाही की गई या की जावेगी? मजदूरों को न्याय दिया जावेगा?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) जी हाँ, दैनिक वेतन भोगी मजदूरों के लिये श्रम विभाग द्वारा पृथक से कोई नीति निर्धारित नहीं है। नीति निर्धारण राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित है। (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ, उक्त विसंगति संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी भोपाल के पत्र क्रमांक 417, दिनांक 23.01.2017 के निर्देशों के कारण हुई है। निर्देश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (घ) जी नहीं, श्रमिकों का शोषण किया जाना उचित नहीं है। जी हाँ, प्रभावित श्रमिकों को कुशल श्रेणी के दर से उनके अंतर की राशि भुगतान करा दिया गया है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है।
नरसिंहपुर जिले में सड़क का निर्माण
[लोक निर्माण]
171. ( क्र. 1843 ) श्री जालम सिंह पटैल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नरसिंहपुर जिले के बहोरीपार टोलनाका से डांगीढाना से सिंहपुर, निवारी, आमगांव, करेली सड़क निर्माण का कार्य कब स्वीकृत किया गया था? (ख) उक्त सड़क निर्माण का कार्य कितने समय में पूर्ण होगा? दिनांकवार जानकारी प्रदान करें एवं समय-सीमा में पूर्ण न होने के कारणों की जानकारी प्रदान करें। (ग) उक्त सड़क का निर्माण किस ठेकेदार या कंपनी द्वारा किया जा रहा है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) नरसिंहपुर जिले के बहोरीपाल टोल नाका से डांगीढाना से सिंहपुर-निवारी-आमगांव-करेली सड़क निर्माण की स्वीकृति दिनांक 13.04.16 को शासन द्वारा जारी की गयी है। (ख) निर्माण कार्य कितने समय में पूर्ण होगा समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है, ठेकेदार द्वारा कार्य दिनांक 7.12.2019 तक समय मांगा था इस अवधि में कार्य पूर्ण नहीं है। ठेकेदार द्वारा धीमी गति से कार्य करना एवं योजना पूर्ण तरीके से कार्य न करना, कार्य पूर्ण न होने का मुख्य कारण है। (ग) उक्त सड़क निर्माण मेसर्स गैनन एंड डंकरले एंड कंपनी लि., बी- 228, ओखला इंडस्ट्रीयल ऐरिया फेस-1, नई दिल्ली-110020 द्वारा कराया जा रहा है।
सोलर पंप की जानकारी
[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]
172. ( क्र. 1845 ) श्री कमल पटेल : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) हरदा जिले में किसानों को कृषि भूमि सिंचाई हेतु सोलर पंप का वर्तमान में कितना कोटा निर्धारित है? (ख) किसानों को सोलर पंप प्रदान करने की प्रक्रिया क्या है? सोलर पंप पर म.प्र. सरकार और केन्द्र सरकार द्वारा कितनी सब्सिडी दी जा रही है? (ग) हरदा जिले में कितने किसानों ने 01 जनवरी, 2018 से प्रश्न दिनांक तक सोलर पंप हेतु आवेदन दिए? प्राप्त आवेदनों में से कितने किसानों को सोलर पंप वितरण कर दिए तथा कितने आवेदन प्रतीक्षारत हैं? प्रतीक्षारत किसानों को कब तक सोलर पंप प्रदान कर दिए जाएंगे? (घ) क्या हरदा जिले में सोलर पंप का कोटा कम है? यदि हाँ, तो क्या हरदा जिले में सोलर पंप का कोटा बढ़ाया जाएगा? यदि हां, तो कब तक कोटा बढ़ाकर किसानों को शीघ्र सोलर पंप प्रदान कर दिये जाएंगे?
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : (क) जी नहीं। प्रदेश में सोलर पम्प की स्थापना हेतु जिलेवार कोटा निर्धारित नहीं है। (ख) वर्तमान में सोलर पम्प स्थापना हेतु योजना, म.प्र. शासन के समक्ष, स्वीकृति हेतु प्रक्रियाधीन है। सोलर पम्प योजना के अन्तर्गत केन्द्र सरकार द्वारा सोलर पम्प की बैंचमार्क लागत या वास्तवित लागत का जो भी कम हो, 30 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाता है। सोलर पम्प स्थापना हेतु केन्द्र सरकार द्वारा प्राप्त राशि एवं हितग्राही अंश के पश्चात शेष राशि का अनुदान राज्य शासन द्वारा किया जाता है। (ग) हरदा जिले में 01 जनवरी, 2018 से प्रश्न दिनांक तक 375 आवेदन सोलर पम्प की स्थापना कराये जाने हेतु प्राप्त हुए। वर्ष 2017 से योजना के लागू होने के पश्चात आज दिनांक तक प्राप्त कुल 598 आवेदनों में से 223 किसानों के खेतों पर पम्पों की स्थापना की जा चुकी है, शेष 375 आवेदन प्रतीक्षारत है। योजना के संबंध में सक्षम स्वीकृति एवं आवंटन प्राप्त होने पर सोलर पम्पों की स्थापना की जायेगी। (घ) शासन द्वारा स्वीकृत योजना एवं तदनुसार निर्धारित प्रक्रिया अनुसार सोलर पम्पों की स्थापना की जायेगी।
विद्युत ट्रांसफार्मर भंडारण व्यवस्था
[ऊर्जा]
173. ( क्र. 1846 ) श्री कमल पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या हरदा जिले में विद्युत ट्रांसफार्मर भंडारण व्यवस्था नहीं है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो क्या हरदा जिले में विद्युत ट्रांसफार्मर भंडारण नहीं होने से ट्रांसफार्मर जलने पर बदलने में अधिक समय लगता है, जिससे किसानों और ग्रामीणों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है? (ग) हरदा जिले में कब तक विद्युत ट्रांसफार्मर का भंडारण शुरू कर दिया जाएगा? (घ) हरदा जिले में विद्युत ट्रांसफार्मर भंडारण नहीं होने से अभी कहाँ से ट्रांसफार्मर लाया जाता है और इस पर प्रतिमाह कितना परिवहन एवं अन्य व्यय शासन/विभाग को वहन करना पड़ता है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) हरदा जिले में विद्युत ट्रांसफार्मर भंडारण व्यवस्था उपलब्ध है, जिसके अंतर्गत क्षेत्रीय भण्डार, भोपाल से इम्प्रेस्ट पर ट्रांसफार्मर प्राप्त कर भण्डारण किया जाता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत हरदा जिले में भण्डारण के लिये 34 ट्रांसफार्मर स्वीकृत हैं। (ख) से (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
सुभाष नगर ओव्हर ब्रिज का चौड़ीकरण
[लोक निर्माण]
174. ( क्र. 1849 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सुभाष नगर रेल्वे ओव्हर ब्रिज का निर्माण कार्य की निविदा शासन स्तर पर लंबित है? इसे कब तक स्वीकृत किया जायेगा? (ख) भू-अधिग्रहण के काम में विलंब क्यों हो रहा है? चौड़ीकरण का कार्य कब से प्रारंभ होगा और कब तक पूर्ण हो जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) कलेक्टर द्वारा धारा 19 के प्रकाशन की कार्यवाही की जा रही है। प्रकाशन उपरान्त आपत्तियों के निराकरण पश्चात आवार्ड पारित कर मुआवजा भुगतान की कार्यवाही होगी। समय सीमा बताना संभव नहीं है।
सागौद रोड रेल्वे ओव्हर ब्रिज का चौड़ीकरण
[लोक निर्माण]
175. ( क्र. 1850 ) श्री चेतन्य कुमार काश्यप : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागौद रोड़ रेल्वे ओव्हर ब्रिज के रेल्वे वाले हिस्से की ड्राईंग एवं डिजाइन का प्राक्कलन कब तक प्राप्त होगा? (ख) निविदाएं कब जारी होंगी तथा चौड़ीकरण का कार्य कब तक पूर्ण हो जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) रेल्वे विभाग को ड्राईंग एवं डिजाईन शीघ्र उपलब्ध कराने हेतु विभाग द्वारा पत्र लिखा गया है, निश्चित समय बताना संभव नहीं है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में निश्चित समय बताना संभव नहीं है।
बिजली बिलों का विसंगतिपूर्ण वितरण
[ऊर्जा]
176. ( क्र. 1857 ) श्री विजयपाल सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, होशंगाबाद द्वारा विधानसभा क्षेत्र सोहागपुर में 01 अप्रैल, 2018 से 31 अक्टूबर 2019 तक कृषि पंप हेतु कितने किसानों को कितने-कितने एच.पी. के कनेक्शन प्रदान किये गये? संख्यात्मक जानकारी देवें? (ख) क्या प्रश्नांश अवधि में जिन किसानों का 2 एच.पी. का कनेक्शन है उन्हें 5 एच.पी., 5 एच.पी. कनेक्शन वालों को 9 एच.पी. कनेक्शन का विसंगतिपूर्ण बिल दिया जा रहा है? यदि हाँ, तो इसके लिये कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी जिम्मेदार हैं? कनेक्शन नियमों की प्रति देते हुये बताये कि जिम्मेदार अधिकारियो/कर्मचारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? (ग) प्रश्नांश (ख) में दिये गये विसंगतिपूर्ण बिलों को कब तक दुरूस्त कर सही बिल प्रदान किये जायेंगे एवं जिन किसानों द्वारा विसंगतिपूर्ण बिलों का भुगतान कर दिया गया है उनकी राशि को कब तक समायोजित कर दी जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) होशंगाबाद जिले के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र सोहागपुर में 1 अप्रैल 2018 से 31 अक्टूबर 2019 तक कृषि पंपों हेतु कृषकों को 10003 विद्युत कनेक्शन प्रदान किये गये हैं, जिनकी स्वीकृत भार सहित संख्या पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) प्रश्नांश अवधि में सोहागपुर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत कृषि पंपों के संबद्ध भार की राज्य शासन के आदेश दिनांक 18.08.2017, जिसकी छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है, में दिए गए निर्देशों के अनुसार की गई चैकिंग के दौरान मौके पर पंपों का संबद्ध विद्युत भार स्वीकृत भार से अधिक पाए जाने के कारण 14 कृषकों को 2 एच.पी. के स्थान पर 5 एच.पी. तथा 66 कृषकों को 5 एच.पी. के स्थान पर 9 एच.पी. संबद्ध भार हेतु विद्युत बिल जारी किये गये है। म.प्र. विद्युत प्रदाय संहिता, 2013 की कंडिका 7.26 के अनुसार उपभोक्ता को स्वीकृत तथा संयोजित भार से अधिक विद्युत की खपत करते पाए जाने पर ऐसे उपभोक्ता से टैरिफ आदेश में दर्शाई गई विस्तृत प्रक्रिया के अनुसार बिलिंग द्वारा वसूली करने का प्रावधान है। उक्त नियम की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार है। (ग) सोहागपुर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत कृषकों को विद्युत पंप कनेक्शनों के संबद्ध भार के अनुरूप नियमानुसार बिल जारी किये गये हैं, अत: जारी विद्युत बिलों में किसी प्रकार का सुधार अथवा प्रश्नाधीन भुगतान किये गये बिलों की राशि समायोजित किया जाना अपेक्षित नहीं है।
बारिश से खराब हुई सड़कों का पेंचवर्क कार्य
[लोक निर्माण]
177. ( क्र. 1863 ) श्री गोपाल भार्गव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विगत वर्षाकाल में समूचे मध्यप्रदेश में लोक निर्माण विभाग के अन्तर्गत की सड़कों एवं पुल पुलियाओं की स्थिति अत्यंत खराब हुई है? यदि हां तो इनके पेंचवर्क के कार्य की क्या स्थिति हैं? क्या पेंचवर्क कार्य पूर्ण कराया जा चुका हैं और यदि कार्य अभी तक अपूर्ण हैं तो इसे कब तक पूर्ण करा लिया जावेगा? (ख) इनमें गारण्टी अवधि में हुई सड़कों/पुल पुलियां के लिए क्या संबंधित ठेकेदार से ही पेंचवर्क कार्य करवाया जा रहा हैं? यदि हां तो विवरण दें। (ग) सागर जिले में कुल कितनी सड़कों का पेंचवर्क कार्य पूर्ण किया जा चुका है एवं कितना शेष है और कब तक पूर्ण कर लिया जाएगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ, आंशिक रूप से। पेंच वर्क का कार्य प्रगति पर है। जी हाँ, 99 प्रतिशत पूर्ण। दिनांक 31.1.2020 तक पूर्ण कर लिया जावेगा। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ग) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' एवं 'ब-1' अनुसार है।
चुरहट, रामपुर एवं खड्डी में नवीन महाविद्यालय खोलना
[उच्च शिक्षा]
178. ( क्र. 1866 ) श्री शरदेन्दु तिवारी : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) चुरहट महाविद्यालय एवं रामपुर नैकिन महाविद्यालय जिला सीधी में कौन-कौन से पाठयक्रम चल रहे हैं? कितने पाठयक्रमों में कितने छात्र हैं एवं कितने शिक्षक हैं? (ख) नए पाठ्यक्रम जैसे कॉमर्स आदि स्नातक स्तर पर खोलने की सरकार की क्या योजना है? कब तक इन महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू कर दी जायेगी? (ग) सितम्बर 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी द्वारा सीधी जिले के खड्डी में महाविद्यालय खोलने की घोषणा जनता की माँग को देखते हुए की गयी थी? शासन कब तक खड्डी में महाविद्यालय खोलेगा?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) सीधी जिले के शासकीय महाविद्यालय चुरहट में कला संकाय संचालित है जिसमें 64 छात्र अध्ययनरत हैं। सीधी जिले के शासकीय महाविद्यालय रामपुरनैकिन में कला एवं विज्ञान संकाय संचालित है, जिसमें कला संकाय में 498 तथा विज्ञान संकाय में 368 छात्र अध्ययनरत हैं। शासकीय महाविद्यालय चुरहट में 01 एवं रामपुरनैकिन महाविद्यालय जिला सीधी में 03 शिक्षक कार्यरत हैं। (ख) प्रश्नांकित महाविद्यालयों में नये पाठ्यक्रम खोले जाने की वर्तमान में कोई योजना नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
क्रेसर, उद्योग आदि को दी गई NOC
[पर्यावरण]
179. ( क्र. 1867 ) श्री शरदेन्दु तिवारी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी जिले में स्थापित क्रेसर, उद्योग एवं अन्य कितने संस्थान हैं जिन्हें पर्यावरण विभाग द्वारा NOC दी गई है? यह अनापत्ति किन-किन शर्तों पर दी गयी है? ग्रामवार, फर्मवार, कम्पनीवार जानकारी देवें। (ख) पर्यावरण विभाग द्वारा पिछले 5 वर्षों में कितनी बार यह जाँच की गयी कि अनापत्ति प्रमाण पत्र का पालन हो रहा है कि नहीं? तिथिवार, फर्मवार जानकारी दें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) एवं (ख) म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के प्रावधानों के अन्तर्गत एन.ओ.सी. नहीं दी जाती है, अपितु सम्मति प्रदान की जाती है। सम्मति प्रदत्त उद्योगों को अधिरोपित शर्तों, उद्योगों के निरीक्षण व शर्तों के पालन संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
प्रेसर सिंचाई Lift Irrigation द्वारा
[जल संसाधन]
180. ( क्र. 1869 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि मण्डला जिला पहाड़ी एवं वनांचल क्षेत्र के साथ अधिकांश भूमि असमतल है, मण्डला भारत के सबसे ज्यादा वर्षा वाला क्षेत्र जिसमें 1400 mm औसत बारिश के बाद भी जल संरक्षण न होने से पूरा पानी बह जाता है, बरगी परियोजना जिसमें अधिकांश डूब एरिया मण्डला जिले में होने पर भी सिंचाई के लिए उपलब्ध नहीं हो पाता न ही असमतल भूमि क्षेत्र होने से नहर सिंचाई अधिकांश क्षेत्र में संभव नहीं है। उक्त प्रकरण को समझते हुए एवं बरगी परियोजना को प्रेशर सिंचाई Lift Irrigation पर प्रोजेक्ट करायेंगे ताकि पलायन को रोका जा सकें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : मण्डला जिले में जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित 01 वृहद, 04 मध्यम एवं 70 लघु सिंचाई योजनाओं एवं निर्माणाधीन 06 लघु सिंचाई योजनाओं में कुल 257.03 मि.घ.मी. जल संग्रहित कर कुल रूपांकित सिंचाई क्षमता 53,045 हेक्टर में सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराया जाना प्रतिवेदित है। अत: जल संरक्षण न होने से पूरा पानी बह जाने का उल्लेख तथ्यात्मक नहीं है। बरगी परियोजना के डूब क्षेत्र से 13 मिघमी. जल का उद्वहन कर नारायणगंज एवं मण्डला विकासखण्डों के 20 ग्रामों में 3302 हेक्टर रबी सिंचाई हेतु जल संसाधन विभाग द्वारा चिन्हित चिरी सागर सूक्ष्म दाब परियोजना के लिए जल उपलब्ध कराने हेतु प्रथम चरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन होना प्रतिवेदित है।
निर्माण कार्यों की जानकारी
[लोक निर्माण]
181. ( क्र. 1870 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र क्र.106 निवास अंतर्गत लोक निर्माण विभाग द्वारा 3 वर्षों में कौन-कौन से निर्माण कार्य स्वीकृत किये गये हैं? जिसका आवंटन किन एजेंसी को किस तिथि में दिया गया है? आवंटन तिथि से हर 6 माह का कार्य प्रगति प्रतिवेदन क्या रहा है? (ख) यदि निर्माण कार्य नियत तिथि में पूर्ण नहीं कराया गया है तो विभाग द्वारा संबंधित एजेंसी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है? (ग) अधिकांश निर्माण कार्य अधूरे होने के बाद भी विभागीय अधिकारियों द्वारा समयावधि/कार्यप्रगति/गुणवत्ता पर कार्य न होने पर क्या कार्यवाही की गई है? (घ) यदि नहीं, की गई है तो मंत्री महोदय संबंधित एजेंसी एवं संबंधित अधिकारियों पर कोई कार्यवाही करेंगे?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'अ-1' अनुसार है। (ख) अनुबंध में दिये गये प्रावधानों अनुसार सम्बधित एजेन्सी के विरूद्ध कार्यवाही की गई है। (ग) कार्य गुणवत्ता पूर्वक कराये जा रहे है। समयावधी में जो कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहे है उनमें अनुबंध अनुसार ठेकेदार पर कार्यवाही की जा रही है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में कार्यवाही का प्रश्न ही नहीं उठता।
राशि स्वीकृत करने के संबंध में
[कुटीर एवं ग्रामोद्योग]
182. ( क्र. 1875 ) श्री प्रवीण पाठक : क्या कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 05 वर्षों में हथकरथा संचालनालय रेशम संचालनालय हस्तशिल्प विकास निगम एवं खादी बोर्ड द्वारा एकीकृत क्लस्टर योजना एवं उद्यमी स्वसहायता एवं अन्य विभागीय योजनाओं में ग्वालियर जिले में किन कार्यों के लिए राशि स्वीकृत की गयी? घटकवार एवं वर्षवार बतायें। (ख) उपयोगानुसार स्वीकृत की गयी राशि में से कौन-कौन सी राशि व्यय नहीं हुयी, विभिन्न बैंकों में जमा है उसका पूर्ण विवरण दें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में जमा राशियों में से किन-किन राशियों के उपयोगिता प्रमाण शासन एवं महालेखाकार कार्यालय को भेजे जा चुके हैं? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के संदर्भ में व्यय नहीं हुयी राशि और जमा राशियों के उपयोगिता प्रमाण पत्र बिना उपयोग किए भेजने के लिए कौन-कौन अधिकारी दोषी है? उनके विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की जावेगी।
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री ( श्री हर्ष यादव ) : (क) एवं (ख) विगत 5 वर्षों में हाथकरघा संचालनालय, हस्तशिल्प विकास निगम एवं खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा विभागीय योजनाओं में ग्वालियर जिले में स्वीकृत राशि, व्यय राशि एवं बैंक में जमा राशि की घटकवार वर्षवार एवं कार्यवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र- (अ), (ब) एवं (स) अनुसार है। ग्वालियर जिले में रेशम संचालनालय की योजनाएं संचालित नहीं है। (ग) बैकों में जमा राशि में से व्यय की गई राशियों के उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजे गये है। (घ) उत्तरांश (क), (ख), (ग) के संदर्भ में कोई प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
निर्वाचन आयोग को थैलियों का प्रदाय
[कुटीर एवं ग्रामोद्योग]
183. ( क्र. 1876 ) श्री
प्रवीण पाठक : क्या
कुटीर एवं
ग्रामोद्योग
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) क्या
कि म.प्र. हस्तशिल्प
विकास निगम
द्वारा
निर्वाचन
आयोग को थैलियों
का प्रदाय
किया गया था? उक्त
प्रदायित
थैलियों की कुल
संख्या एवं
कुल मूल्य
बतायें। (ख) प्रश्नांश
(क) के अनुसार
प्रदाय की गई
थैलियों की
गुणवत्ता
खराब होने के
कारण क्या
आर्थिक अपराध
ब्यूरों में
प्रकरण दर्ज
किया गया है? उक्त
प्रदाय के लिए
निगम के
कौन-कौन
अधिकारी जिम्मेवार
हैं? यदि
नहीं, तो
क्यों?
प्रमाण
सहित स्पष्ट
करें। (ग) प्रश्नांश
(क) के अनुसार
निगम द्वारा
प्रदाय की गई
थैलियों के
उत्पादन
हेतु
कितना-कितना
धागा किस-किस
इकाई को दिया
गया यदि नहीं, तो क्यों?
कुटीर
एवं
ग्रामोद्योग
मंत्री ( श्री
हर्ष यादव ) : (क) जी हाँ। राज्य
निर्वाचन
आयोग को
प्रदाय
थैलियों की
संख्या 109052 एवं मूल्य
44,65,408/- था। (ख) आर्थिक
अपराध ब्यूरों
में प्रकरण
दर्ज कराने की
जानकारी निगम
कार्यालय को
नहीं है। उक्त
थैलियों के
प्रदाय की
कार्यवाही
श्री सिद्धीक
अहमद
महाप्रबंधक
द्वारा की गई
थी। (ग) थैलियों
के उत्पादन
हेतु किसी भी
बुनकर समिति/ इकाइयों
को कोई धागा
नहीं दिया गया
क्योंकि
तैयार
थैलियों का
प्रदाय बुनकर
सहकारी समिति/
इकाईयों के
द्वारा कराया
गया था।
सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
184. ( क्र. 1878 ) श्री नीरज विनोद दीक्षित : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला सतना अंतर्गत वर्ष 2014-2017 तक लोक निर्माण विभाग द्वारा कौन-कौन सी सड़कों के निर्माण के लिए स्वीकृति प्रदान की गई थी? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या स्वीकृत सड़कों के निर्माण के लिए टेंडर बुलाये गये थे? यदि हाँ, तो किन-किन एजेंसियों को यह कार्य दिये गये? उनके नाम, पता बतावें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में क्या सड़कों का कार्य पूर्ण रूपेण किया जा रहा है? यदि नहीं, तो इसके लिए कौन एजेंसी तथा अधिकारी-कर्मचारी दोषी है? इनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जावेगी? नहीं तो क्यों? शेष बची सड़कों का निर्माण कब तक करा लिया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
लंबित प्रस्तावों की जानकारी
[जल संसाधन]
185. ( क्र. 1879 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2015 से प्रश्न दिनांक तक कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन, सतना द्वारा मैहर विधान सभा क्षेत्र से संबंधित किन-किन योजनाओं की स्वीकृति के प्रस्ताव कब-कब वरिष्ठ कार्यालयों को प्रेषित किये गये? ये प्रस्ताव कब से किस स्तर पर लंबित हैं? किन-किन में प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दी गई है? विवरण दें। (ख) लंबित प्रस्तावों को कब तक स्वीकृत किया जायेगा? यदि नहीं, तो योजनावार बाधाओं का विवरण दें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) से (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। परियोजनाओं की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव शासन स्तर पर प्राप्त होने पर गुण-दोष के आधार पर परीक्षणोंपरांत स्वीकृति प्रदान की जावेगी। परियोजनाओं की स्वीकृति बजट की उपलब्धता से आबद्ध होने के कारण निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। योजनावार बाधाओं का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
सड़कों एवं भवनों का निर्माण
[लोक निर्माण]
186. ( क्र. 1880 ) श्री नारायण त्रिपाठी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2015 से वर्ष 2019 तक कार्यपालन यंत्री, लो.नि.वि. सतना द्वारा मैहर विधान सभा क्षेत्र से संबंधित किन-किन सड़कों, भवनों के निर्माण के प्रस्ताव कब-कब वरिष्ठ कार्यालय को भेजे गये? उक्त प्रस्ताव कब से किस स्तर पर लंबित हैं? कौन-कौन से प्रस्ताव स्वीकृत कर निर्माण आरंभ किया गया है? (ख) कौन-कौन से प्रस्ताव किस कारण से किस स्तर पर लंबित हैं? कौन से प्रस्ताव असाध्य पाये गये हैं? साध्य प्रस्तावों को कब तक स्वीकृत कर दिया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', 'अ-1', 'ब', 'ब-1' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', 'अ-1' एवं 'ब', 'ब-1' अनुसार है। स्वीकृति के संबंध में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्रमिकों हेतु शासन द्वारा की गई कार्यवाही
[श्रम]
187. ( क्र. 1889 ) श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले में कितने सीमेंट उद्योग स्थापित हैं? उनमें कितने श्रमिक कार्यरत हैं? ऐसे सीमेंट प्लांटों को चिन्हित कर श्रमिकों एवं ठेकेदारों के नाम सहित सूची उपलब्ध करावें। (ख) सीमेंट प्लांटों में पिछले 10 वर्षों से कार्य कर रहे श्रमिकों को, ठेकेदारी एवं फैक्ट्री में कार्य कर रहे श्रमिकों को कब तक स्थायी करने की प्रक्रिया की जावेगी एवं प्लांटों में कार्य कर रहे श्रमिकों के लिए प्रबंधन एवं शासन द्वारा क्या-क्या सुविधाएं प्रदान की जाती है? यदि नहीं, की जा रही है तो क्यों? (ग) सतना जिले में कार्य कर रहे श्रमिकों, फैक्ट्री प्रबंधन एवं शासन क्या कार्यवाही कर रही है, जो कार्य करते समय दुर्घटनाओं से मौत एवं दिव्यांग अवस्था में पहुंच जाते हैं? इसमें कौन-कौन जिम्मेदार कर्मचारी एवं अधिकारी के ऊपर कार्यवाही की गई? नाम एवं वर्षवार जानकारी वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक की उपलब्ध करावें। (घ) सतना जिले में श्रम विभाग में कितने शासकीय एवं संविदा कर्मचारी कितने वर्षों से नियुक्त हैं? सूची उपलब्ध करावें।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) सतना में जिले कुल 09 सीमेन्ट कारखानें, कारखाना अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत है। इन कारखानों के नाम अनुज्ञप्त अधिकतम श्रमिक संख्या एवं श्रमिक एवं ठेकेदारों के नाम की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) सीमेन्ट प्लांटों में पिछले 10 वर्षों से कार्य कर रहे श्रमिकों को स्थायी करने हेतु संबंधित कारखाने द्वारा ही नियमानुसार कार्यवाही की जाना है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। ( (ग) सतना जिले में सीमेंट कारखानों में वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक घटित प्राणांतक एवं गंभीर दुर्घटनाओं की जानकारी एवं जिम्मेदार अधिकारियों पर की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 3 अनुसार है। (घ) सतना जिले में श्रम विभाग अंतर्गत कार्यालय सहायक श्रमायुक्त कार्यालय में 12 तथा उप संचालक, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, सतना (रीवा संभाग) में 06 कर्मचारी कार्यरत् है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 4 एवं 5 अनुसार है।
पर्यावरण को बचाने हेतु कार्यवाही एवं जानकारी
[पर्यावरण]
188. ( क्र. 1890 ) श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले में पर्यावरण को बचाने के लिए शासन द्वारा क्या-क्या मुहिम पूर्व सरकार द्वारा चलाई जा रही थी और कौन-कौन सी योजनाएं अभी वर्तमान में संचालित हैं? (ख) जिले में पर्यावरण विभाग द्वारा जिले में वृक्षारोपण के लिए शासन द्वारा कितना बजट दिया गया है एवं कितनी राशि किस मद में खर्च की जा चुकी है? मदवार राशि का विवरण उपलब्ध करावें। (ग) पर्यावरण को बचाने के लिए क्या जिले में जो फैक्ट्रियां संचालित हैं, उनके द्वारा प्रदूषण रोकने के लिए क्या-क्या कौन-कौन सी योजनाएं चलाई जा रही हैं? प्रदूषण का पालन न करने पर किन-किन प्रबंधन के ऊपर शासन द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? पिछले 8 वर्षों की जानकारी फैक्ट्री प्रबंधन के नाम सहित सूची प्रस्तुत करें। (घ) सतना जिले में पर्यावरण को बचाने के लिए शासन के मापदण्डों के आधार पर पालन न करने के लिए विभाग ऐसे कर्मचारी एवं अधिकारी पर क्या कार्यवाही कर रहा है? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) सतना जिले में पर्यावरण बचाने के लिये शासन द्वारा पूर्व सरकार की कोई मुहिम एवं कोई योजना वर्तमान में संचालित नहीं है। (ख) पर्यावरण विभाग द्वारा जिले में वृक्षारोपण हेतु पृथक से बजट का प्रावधान नहीं है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) पर्यावरण को बचाने के लिये जिले में संचालित फैक्ट्रियों दासयर में आवश्यक प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्थायें की गई है, पृथक से अन्य कोई योजनायें नहीं चलाई जा रही है। प्रदूषण नियमों का पालन ना करने वाले उद्योगों पर की गई न्यायालयीन कार्यवाही एवं अर्थदंड संबंधी जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ एवं ‘ब’ अनुसार है। (ख) पर्यावरण विभाग द्वारा जिले में वृक्षारोपण हेतु पृथक से बजट का प्रावधान नहीं है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) सतना जिले में पर्यावरण को बचाने के लिये विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी निर्धारित मापदंडों का पालन करवाते है। अतः कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है।
सुविधाएं एवं क्षेत्रफल की जानकारी एवं कार्यवाही
[जल संसाधन]
189. ( क्र. 1891 ) श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सतना जिले में कुल कितने बॉंध, तालाब, स्टापडेम स्थापित हैं एवं तालाब एवं बांध सूखे हैं और इन बांधों एवं स्टापडेम के माध्यम से कितने रकबे में सिंचाई की जाती है? स्टापडेम, बॉध, तालाब की जानकारी विकासखण्डवार उपलब्ध करावें। (ख) सतना जिले में कितनी परियोजनाओं के नहर कार्य पूर्ण हो चुके है? जानकारी विकासखण्डवार उपलब्ध करावें। (ग) नहर कांक्रीट एवं नालियों का कार्य विभिन्न समितियों के माध्यम से कराया जाता है तो क्या उसमें निविदा की प्रक्रिया का पालन किया जाता है, जिससे ठेकेदारों एवं अधिकारियों द्वारा कराया गया कार्य गुणवत्ताविहिन होने पर शासन द्वारा कार्यवाही की जा सके? कितने ऐसे ठेकेदार एवं अधिकार, कर्मचारी हैं जिनके ऊपर शासन, प्रशासन द्वारा क्या कार्यवाही पिछले 5 वर्षों में की गई? सम्पूर्ण जानकारी नाम वर्ष सहित उपलब्ध करावें। (घ) सतना जिले में कितने क्षेत्र में बरगी का पानी की सिंचाई के लिए उपयोग हो रहा है और कितने क्षेत्र में अभी कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। (ड.) क्या सतना जिले में उचहरा विकासखण्ड में श्यामनगर बांध स्थापित है, क्या श्यामनगर बांध में पानी का भराव नहीं हो रहा है यदि हां तो क्या कारण है? श्यामनगर बांध का कार्य पूर्ण कराकर उक्त बांध में जल भराव की कार्यवाही कब तक की जावेगी? यदि की जा रही है तो क्या? नहीं की जा रही है तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) 43 बॉंध एवं 06 स्टॉप डैम। 02 बॉध। 11027 हेक्टर। विकासखण्डवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार है। (ख) सतना जिले की 75 परियोजनाओं के नहर कार्य पूर्ण हो चुके हैं। इनके अतिरिक्त शहडोल जिले की बाणसागर परियोजना की पुरवा नहर प्रणाली एवं भीतरी नहर प्रणाली का निर्माण भी सतना जिले में पूर्ण हो चुका है। विकासखण्डवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' अनुसार है। (ग) मुख्य नहर एवं वितरक नहरों में सीमेंट कॉंक्रीट लाइनिंग कार्य के लिए निविदाएं आमंत्रित की जाकर संविदाकार के माध्यम से कार्य कराया जाता है। मुख्य नहर एवं वितरक नहरों में सीमेंट कॉंक्रीट लाइनिंग कार्य गुणवत्तापूर्ण कराया गया है। नालियों का निर्माण काड़ा के अंतर्गत जल उपभोक्ता संथाओं द्वारा कराया जाता है। गुणवत्ता नियंत्रण तथा माप का कार्य विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाता है। गुणवत्ताविहीन कार्य स्वीकार नहीं किया जाता है। पिछले पाँच वर्षों में सतना जिले की जल उपभोक्ता संथा महिदलकलां, लोवर पुरवा नहर संभाग क्रमांक-2, सतना के अध्यक्ष एवं दो अधिकारियों के विरूद्ध काड़ा के कार्यों में गुणवत्ता विहीन कार्य कराए जाने के कारण कार्यवाही किया जाना प्रतिवेदित है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''स'' अनुसार है। (घ) प्रश्नांश विभाग से संबंधित नहीं है। (ड.) जी नहीं, बरगी जलाशय की बरगी नहर के अपस्ट्रीम में सतना जिले के उचहेरा विकासखण्ड में प्रस्तावित श्यामनगर बॉंध का कमाण्ड बरगी नहर के कमाण्ड से ओव्हरलैप होने तथा बॉंध का संपूर्ण डूब क्षेत्र 103.80 हेक्टर वन क्षेत्र होने के कारण योजना मापदण्डानुसार औचित्यपूर्ण नहीं पाया जाना प्रतिवेदित है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं की जानकारी
[जल संसाधन]
190. ( क्र. 1894 ) श्री मनोहर ऊंटवाल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आगर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कितनी सिंचाई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं? उनसे कितने ग्रामों में कितने हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी? योजनावार एवं ग्रामवार बतायें। (ख) आगर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कितनी सिंचाई परियोजनाएं स्वीकृति हेतु प्रस्तावित है? कौन-कौन सी योजनाओं का सर्वे किया गया हैं एवं कौन-कौन सी योजनाओं का सर्वे अभी किया जाना है? (ग) आगर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत विभाग की कितनी योजनाएं 1 जनवरी 2004 से लेकर प्रश्न दिनांक तक पूर्ण कर ली गई? योजनावार एवं ग्रामवार जानकारी देवें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) 04 सिंचाई परियोजनाएं। 11 ग्रामों की 1360 हेक्टर भूमि। विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''अ'' अनुसार। (ख) सर्वेक्षित 03 सिंचाई परियोजनाएं रलायती बैराज, बरोठीकलां बैराज एवं आमलीखोरा तालाब स्वीकृति हेतु प्रस्तावित। आहू मध्यम तालाब, उमरपुर तालाब एवं सिरपोई टेंक का सर्वे अभी किया जाना है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''ब'' एवं ''स'' अनुसार है। (ग) 12 योजनाएं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-''द'' अनुसार है।
नहरों से अतिक्रमण हटाया जाना
[जल संसाधन]
191. ( क्र. 1907 ) श्री अरविंद सिंह भदौरिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जल संसाधन विभाग संभाग भिण्ड के द्वारा विधान सभा क्षेत्र भिण्ड एवं अटेर में कुल कितनी लम्बाई की मुख्य, माइनर एवं सब नहरें हैं? क्या यह नहरें अतिक्रमण मुक्त है, यदि नहीं, तो कौन-कौन सी नहरों पर किस-किस स्थान पर किन-किन व्यक्तियों/संस्था के द्वारा अतिक्रमण किया गया है? विधानसभा क्षेत्रवार, स्थान (ग्राम), मुख्य/माइनर/सब नहरवार अतिक्रमणकर्तावार जानकारी दें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में भिण्ड नगर पालिका सीमा में जल संसाधन विभाग की कितनी लम्बाई एवं चौड़ाई में मुख्य/माइनर/सब नहर थी, इनमें से किस-किस स्थान पर कितना-कितना अतिक्रमण है? अतिक्रमण हटाने के लिये विभाग एवं जिला प्रशासन ने कब-कब अतिक्रमणकर्ताओं को नोटिस दिये या अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की? कितने अतिक्रमणकर्ता माननीय न्यायालय से स्थगन लेकर आये? (ग) क्या नहरों पर अतिक्रमण होने के कारण नहरों में अंतिम छोर (टेल) तक पानी नहीं पहुंच रहा है? यदि हाँ, तो नहरों को कब तक अतिक्रमण मुक्त कराया जावेगा? यदि अतिक्रमण के कारण नहीं तो क्या नहरों में गुणवत्ताहीन मानक अनुसार निर्माण कार्य नहीं कराने से नहर के क्षतिग्रस्त होने से अंतिम छोर (टेल) तक पानी नहीं पहुंच रहा है? यदि हाँ, तो गुणवत्ताहीन मानक अनुसार निर्माण कार्य नहीं कराने वाले अधिकारियों एवं ठेकेदारों के विरूद्ध विभाग कब तक कार्यवाही करेगा।
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) विधान सभा क्षेत्र भिण्ड एवं अटेर में 48.70 कि.मी. लंबी मुख्य नहर, 98.50 कि.मी. लंबी वितरिका नहरें तथा 198.122 कि.मी. लंबी माइनर एवं सबमाइनर नहरें हैं। जी नहीं। नहरों पर कहीं-कहीं अतिक्रमण है। प्रश्नाधीन वांछित विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) विभाग की 3 एल/बीएमसी शाखा नहर आरडी-24.84 से 33.90 कि.मी. तक निर्मित 09.06 कि.मी. लंबी एवं 22.87 मी. चौड़ी नहर शासनादेश दिनांक 04.04.2018 द्वारा नगर पालिका भिण्ड को दिए जाने हेतु राजस्व विभाग को हस्तांतरित करने के निर्देश के परिपालन में कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन संभाग, भिण्ड द्वारा दिनांक 07.06.2018 को राजस्व विभाग को हस्तांतरित की गई। अत: प्रश्नांश में वांछित शेष जानकारी विभाग में उपलब्ध नहीं है। (ग) जी हाँ। अतिक्रमण हटाने हेतु नगरपालिका एवं राजस्व विभाग को लेख किया गया है। नहरों का कार्य मानक अनुसार किया गया है। अत: अधिकारियों एवं ठेकेदारों के विरूद्ध कार्यवाही का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है।
उप यंत्री के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही
[जल संसाधन]
192. ( क्र. 1908 ) श्री अरविंद सिंह भदौरिया : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रमुख अभियंता के आदेश क्रमांक 3313009/2188/2018/1238 भोपाल दिनांक 22 जून, 2018 के द्वारा अधीक्षण यंत्री निचला चम्बल मण्डल मुरैना को एल.पी.शर्मा उपयंत्री के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही कर आरोप पत्रादि जारी करने के आदेश दिये गये थे? यदि हाँ तो अधीक्षण यंत्री द्वारा एल.पी. शर्मा के विरूद्ध क्या अनुशासनात्मक कार्यवाही की गयी एवं कब आरोप पत्र जारी किये गये? (ख) क्या अवर सचिव जल संसाधन विभाग के पत्र क्रमांक 589 आर-466/2019/पी-2/31 भोपाल दिनांक 01/07/2019 में लेख किया गया है कि अधीक्षण यंत्री निचला चम्बल मुरैना द्वारा प्रमुख अभियन्ता के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया? यदि हाँ तो एल.पी. शर्मा उपयंत्री के विरूद्ध जून 2018 से अब तक कोई कार्यवाही नहीं करने वाले अधीक्षण यंत्री पर क्या कार्यवाही की जायेगी? (ग) क्या प्रमुख अभियन्ता से लेकर अवर सचिव के आदेशों में एल.पी. शर्मा उपयंत्री के विरूद्ध आरोप पत्र अधीक्षण यंत्री को जारी करने थे? फिर ये आरोप पत्र मुख्य अभियंता के कार्यालय से क्यों जारी किये गये? यदि किये गये हैं तो इतने विलम्ब के लिये कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार है? उन पर क्या कार्यवाही की जायेगी? एल.पी. शर्मा उपयंत्री के विरूद्ध जारी आरोप पत्रों में कब तक जांचकर्ता अधिकारी नियुक्त कर दिया जायेगा? एल.पी. शर्मा उपयंत्री पर सिटी कोतवाली थाना भिण्ड में अपराध क्रमांक 620/18 पंजीबद्ध है, भिण्ड पुलिस उसे फरार बता रही है तो जल संसाधन संभाग खनियाधाना जिला शिवपुरी में एल.पी. शर्मा शासकीय ड्यूटी पर कैसे उपस्थित हैं और उसका वेतन आहरण कैसे किया जा रहा है? (घ) क्या मुख्य अभियंता व अधीक्षण यंत्री मण्डल ग्वालियर को एल.पी. शर्मा द्वारा सिंचाई निरीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर कर वर्ष 2015-16 का भिण्ड का प्रभारी एस.डी.ओ. रहते फायनल गोसवारा अपने वरिष्ठ कार्यालय को भेजने की व फर्जी लागबुक भरने की शिकायत प्राप्त हुयी है? यदि हाँ तो उस पर क्या कार्यवाही की गयी? क्या सिंचाई निरीक्षक (तत्कालीन) रामसेवक दुबे द्वारा अपने हस्ताक्षर ना होकर कूटरचित हस्ताक्षर होने का कथन दिया गया है? यदि हां तो क्या एल.पी. शर्मा के विरूद्ध फर्जी हस्ताक्षर करने पर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने हेतु लिखा जायेगा? क्या इन प्रकरणों में भी एल.पी. शर्मा को पूर्व की भांति विभाग द्वारा जाँच के नाम पर बचाया जा रहा है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) जी हाँ। श्री एल.पी. शर्मा, उपयंत्री संवर्ग के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु अधीक्षण यंत्री, निचला चंबल मंडल, मुरैना सक्षम अधिकारी नहीं होने के कारण मुख्य अभियंता, यमुना कछार जल संसाधन विभाग, ग्वालियर द्वारा श्री एम.पी. शर्मा, उपयंत्री के विरूद्ध दिनांक 05/11/2019 को आरोप पत्रादि जारी किये गये। (ख) जी हाँ। अधीक्षण यंत्री, निचला चंबल मंडल, मुरैना द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की पृच्छा से आरोप पत्रादि तैयार करने की कार्यवाही की गई। शेष कार्यवाही मुख्य अभियंता द्वारा किया जाना प्रावधानिक था। पृच्छा पूर्ण होने के उपरांत आरोप पत्रादि जारी किये जाने से अनुपालन नहीं किये जाने की स्थिति प्रतिवेदित नहीं है। अत: अधीक्षण यंत्री के विरूद्ध किसी कार्यवाही का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। (ग) जी हाँ। मुख्य अभियंता के अधिकार क्षेत्र में होने के कारण। कोई अधिकारी विलंब के लिये जिम्मेदार नहीं है। अत: कार्यवाही का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। श्री एल.पी. शर्मा के विरूद्ध जारी किये गये आरोप पत्रादि पर उन्हें विधि सम्मत बचाव का अवसर दिया गया है। अत: उत्तर दिया जाना संभव नहीं है। जी हाँ। भिण्ड पुलिस द्वारा दिनांक 28/11/2019 को श्री एल.पी. शर्मा के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध होनेतथा उन्हें थाना सिटी कोतवाली भिण्ड में उपस्थित होने हेतु निर्देश दिये जाने हेतु कार्यपालन यंत्री से अनुरोधित किया है। श्री शर्मा दिनांक 21/11/2019 से 24/12/2019 तक अर्जित अवकाश पर है। बिना उपस्थिति के वेतन आहरण की स्थिति प्रतिवेदित नहीं है। (घ) जी हाँ। शिकायत विवेचनाधीन है। जी हाँ। जाँच विवेचनाधीन है। शिकायतों की जाँच विवेचनाधीन होने से उत्तर दिया जाना संभव नहीं है। जी नहीं।
शासकीय महाविद्यालयों के आडिट की जानकारी
[उच्च शिक्षा]
193. ( क्र. 1910 ) श्री सुनील सराफ : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैतूल, बड़वानी, अनूपपुर जिले के समस्त शासकीय महाविद्यालयों के वर्ष 2011-12, 2012-13, 2013-14, 2014-15 के द्वारा कराये गये ऑडिट के ऑडिटकर्ता फर्म का नाम देवें। (ख) उपरोक्त जिलों में उक्त अवधि में हुये समस्त क्रय, प्रयोगशाला उन्नयन, महाविद्यालयवार वर्षवार देवें। (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार यदि ऑडिट नहीं कराया तो इसके जिम्मेदारों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' एवं 'स' अनुसार है। (ग) 'क' के संदर्भ में चूंकि ऑडिट कराया गया है। अत: प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की जानकारी
[ऊर्जा]
194. ( क्र. 1912 ) श्री गोपाल भार्गव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 01 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक क्या बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की गई है? यदि हाँ, तो कितनी वृद्धि की गई है एवं इसे कब से लागू किया गया है? (ख) उक्त अवधि में प्रदेश के कितने ग्रामों में विद्युतीकरण/सघन विद्युतीकरण का कार्य किया गया है? जिलेवार संख्या देवें। (ग) उक्त अवधि में वास्तविक बिल से अधिक बिल की कितनी शिकायतें प्राप्त हुई? इनमें कितनी सही पायी गयी तथा इन सभी शिकायतों को क्या निराकृत कर दिया गया है? जिलेवार जानकारी दें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी विद्युत दर आदेश दिनांक 08 अगस्त, 2019 के अनुसार विद्युत दरों में औसतन 7 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जो दिनांक 17 अगस्त-2019 से प्रभावशील है। (ख) प्रदेश में समस्त राजस्व ग्रामों के विद्युतीकरण का कार्य पूर्व में ही किया जा चुका है तथा प्रश्नाधीन अवधि में ग्रामों के सघन विद्युतीकरण का कार्य किया गया है, जिनकी जिलेवार संख्या पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन अवधि में प्रदेश में अधिक बिल आने की कुल प्राप्त शिकायतों, सही पाई गई शिकायतों एवं निराकृत की गई शिकायतों की वितरण कंपनीवार एवं जिलेवार संख्या पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब-1', प्रपत्र-'ब-2' एवं प्रपत्र-'ब-3' अनुसार है।
श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान
[ऊर्जा]
195. ( क्र. 1923 ) श्री बैजनाथ कुशवाह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ऊर्जा विभाग की म.प्र. वॉटर जनरेटिंग कंपनी अंतर्गत अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई, जिला अनूपपुर म.प्र. में कार्य कर रहे ठेका श्रमिक संगठित या असंगठित किस श्रेणी में आते हैं? क्या ठेका श्रमिकों का मासिक मजदूरी भुगतान असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के समान किया जाता है एवं कार्य संगठित का लिया जाता है तथा नियोजक के द्वारा एम्पलॉयमेंट कार्ड, सामाजिक सुरक्षा ई.एस.आई.सी. कार्ड जारी नहीं किये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो क्यों? (ख) क्या अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई में कार्य कर रहे श्रमिकों का संगठित श्रेत्र का होने के बाद भी अनूपपुर जिला मुख्यालय में पदस्थ सहायक श्रम पदाधिकारी जो श्रम निरीक्षक से पदोन्नत हुये हैं, के द्वारा प्रबंधन एवं ठेकेदारों से सांठ-गांठ कर शोषण कर रहे हैं? ठेकेदारों के द्वारा एमप्लॉयमेंट कार्ड न देने असंगठित श्रमिक का भुगतान पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है? यदि हां, तो संयंत्र के प्रबंधन एवं, ठेकेदारों पर कब तक कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लि. के श्री संत सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना दोगालिया खण्डवा के सी.एच.पी. में कार्य कर रहे श्रमिकों को संगठित क्षेत्र का मजदूरी भुगतान किया जा रहा है? यदि हाँ, तो अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई में कब तक संगठित क्षेत्र का भुगतान कराया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) म.प्र. शासन श्रम विभाग का आदर्श स्थानांतरण नीति के अंतर्गत अनूपपुर जिले में पदस्थ सहायक श्रम पदाधिकारी लंबे समय से पदस्थ है, उन्हें कब तक हटाया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) ठेका श्रमिक सामान्यत: असंगठित क्षेत्र के श्रमिक माने जाते हैं। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों हेतु न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 में पृथक से वेतन निर्धारण का प्रावधान नहीं है, अपितु कार्य की प्रकृति के अनुसार नियोजन की श्रेणी में निर्धारित न्यूनतम वेतन की पात्रता है। ठेका श्रमिकों को तद्नुसार ही भुगतान किया जाता है। ठेका श्रमिकों को ठेकेदार द्वारा नियोजन कार्ड प्रदान किया जाता है। कर्मचारी राज्य बीमा योजना प्रश्नाधीन क्षेत्र में लागू न होने से ई.एस.आई.सी. कार्ड जारी नहीं किये जाते हैं। (ख) जी नहीं। उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न लागू नहीं होता है। (ग) प्रश्नांकित श्रमिकों को उत्तरांश (क) अनुसार मजदूरी का भुगतान किया जाता है। अत: शेष प्रश्न लागू नहीं होता है। (घ) जिला अनूपपुर में वर्तमान में सहायक श्रम पदाधिकारी दिनांक 26.08.2015 से पदस्थ हैं। वर्तमान में अनूपपुर में श्रम पदाधिकारी का पद रिक्त होने के कारण इनका स्थानान्तरण नहीं किया गया है। अत: शेष प्रश्नांश लागू नहीं होता है।
अपात्र किए गए श्रमिकों की जाँच
[श्रम]
196. ( क्र. 1926 ) श्री हरिशंकर खटीक : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर संभाग में जनकल्याण सम्बल योजना के कुल कितने पंजीकृत श्रमिक थे? नगरीय निकाय जनपद पंचायतवार बताएं। (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर बताऐं कि प्रश्न दिनाँक तक नया सवेरा योजना के माध्यम से सर्व करवाकर अब कहाँ-कहाँ, कितने-कितने पंजीकृत श्रमिकों को अपात्र कर शेष पात्र बचे हैं? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर बताऐं कि जिन पंजीकृत श्रमिकों को अपात्र घोषित कर दिया गया है, अगर वे मजदूरी करने अपने शहर एवं नगर गांव से बाहर गये हैं तो क्या वे भी पात्रता की श्रेणी में नहीं माने जावेंगे? पात्रों को अपात्र करने में सर्वे के आधार पर शासन ने क्या-क्या नियम बनाऐं हैं? ऐसे आदेशों की छायाप्रतियां प्रदाय करें। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के आधार पर बताएं कि जिन कर्मचारियों ने घर बैठकर सर्वे करके मजदूरों को श्रमिकों को अपात्र घोषित कर दिया गया है उनके विरूद्ध कार्यवाही करेंगे तो कब तक और नहीं तो क्यों? जिन श्रमिकों को अपात्र घोषित कर दिया है, उन्हें पात्रता की श्रेणी में लिया जावेगा तो कब तक? निश्चित समय-सीमा सहित बताएं।
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) सागर संभाग में जनकल्याण संबल योजना के अंतर्गत 2310262 श्रमिक पंजीकृत थे। सागर संभाग अंतर्गत सभी जिलों के नगरीय निकाय/जनपद पंचायत की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ से घ अनुसार है। (ग) मजदूरी करने शहर या गांव से बाहर गये श्रमिक, जिन्हें गैर मौजूद होने के कारण अपात्र चिन्हांकित किया गया है, ऐसे श्रमिकों के द्वारा आवेदन किये जाने की स्थिति में परीक्षण कर पात्रता की कार्यवाही की जा सकती है। अपात्रता के कारण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (घ) जी नहीं। भौतिक सत्यापन पश्चात ही श्रमिकों को पात्र/अपात्र चिन्हांकित किया गया है।
अपात्र हितग्राहियों को लाभान्वित किया जाना
[ऊर्जा]
197. ( क्र. 1928 ) श्री शरद जुगलाल कोल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शहडोल जिलों के विद्युत वितरण केन्द्र के ब्यौहारी विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत जनवरी 2016 से दिसम्बर 2018 तक सरल एवं समाधान योजना में कितने हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया? (ख) शहडोल जिले के क्षेत्रान्तर्गत ब्यौहारी विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अवधि में सरल एवं समाधान योजना में कितने हितग्राही लाभान्वित हुए एवं कितनी राशि की छूट प्रदान की गई? (ग) शहडोल जिला के विद्युत वितरण केन्द्र के ब्यौहारी विधान सभा अंतर्गत सरल एवं समाधान योजना में यदि अप्राप्त हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है तो दोषी कौन होगा? (घ) शहडोल जिला के विद्युत वितरण केन्द्र के ब्यौहारी विधान सभा अंतर्गत सरल एवं समाधान योजना में यदि अप्राप्त हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है तो दोषियों के विरूद्ध आज तक क्या कार्यवाही की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) एवं (ख) शहडोल जिले के ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ब्यौहारी एवं बाणसागर विद्युत वितरण केन्द्र आते हैं। ब्यौहारी एवं बाणसागर विद्युत वितरण केन्द्रों के अंतर्गत जनवरी 2016 से दिसम्बर 2018 तक की अवधि में अलग-अलग समयावधि में प्रभावशील रही सरल बिजली बिल योजना, मुख्य मंत्री बकाया बिजली बिल माफी स्कीम 2018 एवं बकाया राशि समाधान योजना के अंतर्गत लाभान्वित उपभोक्ताओं की संख्या एवं प्रदान की गई छूट की राशि का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्नाधीन क्षेत्र में सरल बिजली बिल योजना तथा मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी स्कीम 2018 के अंतर्गत अपात्र (अप्राप्त नहीं) हितग्राहियों को लाभान्वित करने के लिये श्री जी.के. सोनी, तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता एवं श्री संजीव सिंह, तत्कालीन कार्यालय सहायक श्रेणी-03 (संविदा) प्रथम दृष्टया दोषी पाये गये हैं। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नाधीन क्षेत्र में सरल बिजली बिल योजना तथा मुख्यमंत्री बकाया बिजली बिल माफी स्कीम 2018 के अंतर्गत अपात्र (अप्राप्त नहीं) हितग्राहियों को लाभान्वित किये जाने के प्रकरण की जाँच के उपरांत प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने पर श्री जी. के. सोनी, तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुये आरोप पत्र जारी कर विभागीय जाँच चल रही है तथा श्री संजीव सिंह, तत्कालीन कार्यालय सहायक श्रेणी-03 (संविदा) का अनुबंध दिनांक 09.08.2018 के पश्चात स्क्रीनिंग कमेटी की अनुशंसा अनुसार विस्तारित नहीं किया गया है।
बिरला कार्पोरेशन से पर्यावरण प्रदूषण
[पर्यावरण]
198. ( क्र. 1929 ) श्री शरद जुगलाल कोल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बिरला कार्पोरेशन सतना के द्वारा किये जा रहे प्रदूषण से शहरवासियों में दमा, सांस लेने में तकलीफ एवं भिन्न-भिन्न प्रकार के रोगियों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, यदि इस प्लांट को अन्य स्थान पर विस्थापित नहीं किया गया तो आने वाले समय में कैंसर के मरीज ज्यादा संख्या में बढ़ेगे क्या बिरला कार्पोरेशन सतना ने निजी स्वार्थ के लिये अस्पताल में कैंसर रिसर्च सेंटर की मान्यता ले ली है एवं उसे आयुष्मान योजना में संबंध नहीं किया है। (ख) क्या सतना शहर में पानी की कमी का कारण बिरला फैक्टरी सतना है इस प्लान्ट में लाखों लीटर पानी प्रतिदिन खपत होता है इसके लिये सतना नगर निगम की खाना पूर्ति के लिये कुछ राशि मासिक भुगतान कर दिया जाता है जबकि यदि वास्तविक रूप में यदि पानी की रिकवरी की जाये तो भुगतान की राशि करोड़ों में हो सकती है। (ग) क्या बिरला सीमेंट प्लान्ट सतना की आज दिनांक तक दी गई आडिट रिपोर्ट और खनिज विभाग द्वारा दी गई खनन की स्वीकृति को जांचा जायेगा कि आज तक जितना पत्थर प्लांट में सीमेंट प्रोडक्शन में उपयोग किया है उसका एक चौथाई भी अपनी खदान से नहीं निकाला तथा अवैध रूप से काम किया गया होगा। (घ) क्या म.प्र. सरकार से 1956 में 99 साल की लीज लेने के बाद से आज वर्तमान समय तक बिरला सीमेंट प्लांट में सी.एस.आर. फंड से किसी भी जनहित कार्य को सार्वजनिक तौर पर नहीं किया है तथा अपने ही स्वामित्व वाली समाज सेवी संस्था को इस फंड का उपयोग करने दिया जाता है हां तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) सतना शहर में दमा, सांस, कैंसर एवं भिन्न-भिन्न प्रकार के रोगियों की संख्या में प्रतिवर्ष कमी आ रही है। जी हाँ। (ख) बिरला फैक्ट्री को नगर पालिक निगम, सतना द्वारा रॉ-वाटर प्रदाय किया जाता है एवं प्रतिमाह प्रदाय किये जाने वाले रॉ वाटर की मीटर रीडिंग के अनुसार प्रविष्टि पंजी की जाती है जिसके आधार पर निर्धारित दर के अनुसार जल उपभोक्ता प्रभार वसूल किया जाता है। (ग) बिरला कारपोरेशन लि. का अधिकृत चार्टेड एकाउटेंट द्वारा ऑडिट रिपोर्ट अप्रैल, 2018 में प्रस्तुत किया गया है, जिसके अनुसार बिरला सीमेंट प्लांट को खनिज चूना पत्थर हेतु स्वीकृत खनि पट्टा में से खनन किये गये चूना पत्थर की मात्रा के आधार पर चूना पत्थर खनिज की जमा रायल्टी में से 40.99 करोड़ रूपये अतिरिक्त रायल्टी जमा होना पाया गया है तथा बिरला कार्पोरेशन लि0 द्वारा स्वीकृत खदान से ही उत्पादन किया जाकर रायल्टी जमा किये जाने से अवैध रूप से कार्य किये जाने जैसी स्थिति नहीं है। (घ) उद्योग द्वारा सी.एस.आर. मद में अपने सार्वजनिक दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है।
खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन
[खेल और युवा कल्याण]
199. ( क्र. 1935 ) श्री प्रताप ग्रेवाल : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्रमांक 1936 दिनांक 18 जुलाई, 2019 के संदर्भ में बतायें कि जिन 830 प्रतिभावान विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं उसमें वर्ग अनुसार पुरूष एवं महिलाओं की संख्या बताएं, बतावें की इनमें आदिवासियों की संख्या मात्र 4.5 प्रतिशत ही क्यों हैं तथा यह बतावें की मंडला तथा झाबुआ के प्रशिक्षण केन्द्रों में कुल कितने-कितने खिलाडियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं, उसमें आदवासी कितने हैं। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में किस-किस खेल में किस-किस प्रशिक्षण केन्द्र में कितने आदिवासी युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं? प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रश्न के खण्ड (ख) का स्पष्ट उत्तर दिया जाये, संलग्न परिशिष्ट में दी गई जानकारी अपूर्ण है। (ग) पिछले 05 वर्षों में आदिवासी उपयोजना के तहत बजट में कितनी राशि का प्रावधान किया गया था तथा उस राशि का वर्षवार खर्च का ब्यौरा देवें तथा लाभान्वित होने वाले खिलाड़ियों की संख्या बतावें। (घ) आदिवासी युवाओं को अधिक से अधिक खेल से जोड़ने के लिये आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में सर्वसम्पन्न खेल अकादमी का गठन क्यों नहीं किया गया? आदिवासी उपयोजना की बजट राशि का उपयोग करने के लिये धार, झाबुआ तथा मंडला में खेल अकादमियों का गठन तथा विभिन्न खेलों की राष्ट्र एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाये।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर व होशंगाबाद में संचालित विभिन्न खेलों की राज्य खेल अकादमियों में प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा हैं। खेल अकादमियों में खिलाड़ियों का चयन ‘‘प्रतिभा चयन कार्यक्रम'' के माध्यम से किया जाता है, जिसमें निर्धारित मापदण्ड अनुसार मात्र खिलाड़ियों को ही प्रवेश प्रदान किया जाता है, आदिवासी खिलाड़ियों की संख्या मात्र 4.5 प्रतिशत होने का मुख्य कारण इस वर्ग के खिलाड़ियों द्वारा खेल अकादमियों हेतु निर्धारित मापदण्ड का पूरा नहीं करना है। मण्डला तथा झाबुआ जिले के प्रशिक्षण केन्द्रों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे खिलाड़ियों व उसमें आदिवासी खिलाड़ियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘ब’ अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘स’ अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘द’ अनुसार है। लाभांवित होने वाले संभावित खिलाड़ियों की संख्या 1,63,233 है। (घ) आदिवासी युवाओं को अधिक से अधिक खेल से जोड़ने के लिये आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में खेल प्रशिक्षण केन्द्र एवं फीडर सेंटर का संचालन किया जा रहा है, जिनमें आदिवासी युवा भी प्रशिक्षण प्राप्त करते है। आदिवासी उपयोजना में प्राप्त बजट में से जिलों में खिलाड़ियों को राज्य स्तर पर पदक अर्जित करने पर खेलवृत्ति, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक अर्जित करने पर पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है। झाबुआ व मण्डला में तीरंदाजी फीडर सेन्टर तथा धार में बैडमिंटन प्रशिक्षण केन्द्र संचालित है। इसके अलावा धार में भारतीय खेल प्राधिकरण का फुटबॉल, बैडमिंटन, कराते, ताईक्वांडो, एथलेटिक्स व तीरंदाजी खेलों का प्रशिक्षण केन्द्र भी संचालित है। राष्ट्र एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन सम्बन्धित खेल के राष्ट्रीय एवं राज्य खेल संघ द्वारा किया जाता है। खेल संघ द्वारा ही प्रतियोगिता आयोजन हेतु स्थान चिन्हित किया जाता है, जिसमें खेल विभाग का हस्तक्षेप नहीं होता है। विभाग के अधिकार क्षेत्र में आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिताओं का आयोजन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में भी किया जाता है।
छात्रवृत्ति घोटाला एवं र्स्माट फोन क्रय प्रक्रिया की जाँच रिपोर्ट
[उच्च शिक्षा]
200. ( क्र. 1936 ) श्री प्रताप ग्रेवाल : क्या खेल और युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 3043 दिनांक 18 जुलाई, 2018 के उत्तर के संदर्भ में बतावें कि स्मार्ट फोन की क्रय प्रक्रिया में एवं गुणवत्ता की जाँच रिपोर्ट क्या प्राप्त हो गई हैं? यदि हाँ तो रिपोर्ट की प्रति देवें तथा बतावें की उसमें क्या अनियमितता पाई गई? यदि नहीं, तो जाँच कब तक पूर्ण हो जावेगी? (ख) उच्च शिक्षा विभाग से संबंधित किस-किस निजी महाविद्यालय में छात्रवृत्ति घोटाला पाया गया हैं? सूची देवें तथा बतावें की घोटाले पर किस-किस महाविद्यालय पर प्रकरण दर्ज हुआ तथा कितनों पर होना बाकी हैं, कुल मिलाकर कितनी राशि का घोटाला पाया गया है? (ग) वर्ष 2008 से लेकर 2019 तक अतिथि विद्वानों को किस अनुसार मानदेय का भुगतान किया जा रहा हैं तथा इस मद में वर्ष 2018-19 में कुल कितना मानदेय कुल कितने अतिथि विद्वानों को दिया गया? प्रति अतिथि विद्वान औसत राशि कितनी प्राप्त हुई? अक्टूबर, 2019 में प्रदेश में कुल कितने अतिथि विद्वान कार्यरत हैं उसमें पुरूष और महिलाओं की संख्या कितनी-कितनी है? (घ) वर्ष 2012-13 तथा वर्ष 2018-19 में शासकीय एवं निजी महाविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों की संख्या बतावें। (शासकीय महाविद्यालय जनभागीदारी के विद्यार्थी को छोड़कर) तथा जनभागीरत संचालित कक्षाओं में विद्यार्थियों की संख्या बतावें।
खेल और युवा कल्याण मंत्री ( श्री जितू पटवारी ) : (क) जी हाँ। जाँच रिपोर्ट परीक्षणाधीन है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (ख) उच्च शिक्षा विभाग से संबंधित रीवा संभाग में आठ निजी महाविद्यालयों में छात्रवृति में अनियमितताएं पाई गई हैं। शेष प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'अ' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' अनुसार है। चूंकि अतिथि विद्वानों की संख्या प्रति माह घटती बढ़ती रही है, उनकी उपस्थिति अन्य कारणों से अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग रही है, इस कारण औसत निकालना सांख्यिकीय दृष्टि से त्रुटिपूर्ण व भ्रामक होगा, इसलिए औसत दिया जाना संभव नहीं है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'स' अनुसार है।
जहरीले कचरे का निष्पादन
[पर्यावरण]
201. ( क्र. 1943 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा रतलाम में रखे 27877 मेट्रिक टन परिसंकट अपशिष्ट के निष्पादन हेतु मेसर्स एस.ई.एन.ई.एस. नोएडा फर्म को सलाहकार नियुक्त किया गया था? यदि हाँ तो प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 3028 दिनांक 18 जुलाई, 2019 के उत्तर में इसका उल्लेख क्यों नहीं किया गया? प्रश्नांकित कन्सलटेंट की रिपोर्ट उपलब्ध करावें तथा उस पर केन्द्र तथा राज्य स्तर की कार्यवाही से अवगत करायें। (ख) क्या प्रारंभ में सज्जन केमिकल्स पर 23472 मेट्रिक टन, बोरदिया केमिकल्स में 4375 मेट्रिक टन तथा जयन्त विटामिन्स में 30 मेट्रिक टन उपशिष्ट रखा था? यदि हाँ तो 2018 में सज्जन केमिकल्स का 789.45 मे.ट. अपशिष्ट का निष्पादन करने के बाद प्रश्न क्रमांक 3028 दिनांक 18 जुलाई, 2019 के उत्तर में दिये गये आकड़े इससे रिकन्साईल क्यों नहीं हो रहे? कौन से आकड़े गलत हैं? (ग) क्या केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल को अपशिष्ट के निष्पादन हेतु वर्ष 2008 में कोई प्रस्ताव भेजा गया था? यदि हाँ, तो उसकी प्रति देवें तथा बतावें कि इस संदर्भ में प्रस्ताव अनुसार क्या हुआ? (घ) रतलाम जिले में कौन-कौन से उद्योग प्रदूषण की जाँच की श्रेणी में आते हैं? उनमें से किस-किस उद्योग में से वर्तमान में कितनी-कितनी मात्रा में दूषित जल एवं दूषित वायु प्रतिदिन निकलती हैं तथा उनमें कौन-कौन से हानिकारक रसायन होते हैं, इन उद्योगों की पिछले 5 वर्ष में जल एवं वायु की गुणवत्ता की जाचं रिपोर्ट तथा रिपोर्ट के संदर्भ में किये गये पत्र व्यवहार तथा प्राप्त उत्तर की प्रति देवें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। प्रश्न क्र. 3028 दिनांक 18/07/2019 के उत्तर के परिशिष्ट-‘‘अ'' में एस.ई.एन.ई.एस. कंसलटेंट इंडिया प्रा.लि. नोएडा की रिपोर्ट उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट की प्रति उक्त उत्तर के पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘अ'' के संलग्नक -03 पर उपलब्ध है। उक्त रिपोर्ट पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन, मंत्रालय द्वारा मिस एद्रियाना जे. दामियानोवा, टास्क टीम लीडर एंड लीड एन्वारोन्मेंट स्पेस्लिस्ट, साउथ एशिया सस्टैनेबल डेवलपमेंट वॉशिंगटन डी.सी. यू.एस.ऐ को कॉमेन्ट्स हेतु भेजी गई जिसकी ई-मेल की प्रतिलिपि बोर्ड को प्राप्त हुई। इसके पश्चात् भारत सरकार द्वारा इस संबंध में कोई निर्देश नहीं होने से की गयी कार्यवाही की जानकारी निरंक है। (ख) जी हाँ, प्रारंभिक रिपोर्ट के आंकलन के अनुसार अपशिष्ठों की मात्रायें अनुमानित थी। मे.सज्जन केमिकल एंड इन्वेस्टमेंट प्रा.लि. के प्लाट क्र. 61-बी पर भंडारित 789.45 मी.टन अपशिष्ठ का डिस्पोजल एम.पी. वेस्ट मेनेजमेंट प्रोजेक्ट पीथमपुर में वर्ष 2018 में किया गया तथा उस साईट पर अब कोई अपशिष्ठ भंडारित नहीं होने की पुष्टि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निरीक्षण व मॉनिटरिंग की गई। अतः पूर्व में इस स्थल पर आंकलित मात्रा 1156 टन के विरूद्ध वास्तव में 789.45 मी.टन अपशिष्ट ही पाया गया था। प्रारंभिक अनुमानित मात्रा एवं भविष्य में वास्तविक डिस्पोजल होने पर पाई जाने वाली मात्रा में अंतर सम्भव है अतः आंकड़े रिकंसाइल ना होना भी स्वाभाविक है। अभी भी प्लाट क्र. 54-ई एवं कांडरवासा माईन पर अपशिष्ट भंडारित है जिसकी अनुमानित मात्रा क्रमशः 20906 मी.टन तथा 1410 मी.टन है। (ग) जी हाँ। मध्य प्रदेष प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व्दारा प्रस्ताव केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली को भेजा गया था, जिसकी प्रति प्रश्न क्र. 3028 दिनांक 18/07/2019 के पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘अ'' के संलग्न-2 अनुसार है। प्रस्ताव पर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली द्वारा की गई कार्यवाही का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘क'' अनुसार है। (घ) रतलाम जिले में कार्यरत् प्रदूषणकारी उद्योगों की सूची एवं प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले दूषित जल की मात्रा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘ख'' अनुसार है। दूषित जल में प्रदूषक तत्व/ पेरामीटर्स बी.ओ.डी., सी.ओ.डी., पी.एच., क्लोराईड, सस्पेन्डेड सॉलिड डिजाल्व सॉलिड, हेवी मेटल आदि की जाँच की जाती है, जो दूषित जल में रसायनों की उपस्थिति के द्योतक हैं। इसी प्रकार चिमनियों से उत्सर्जित होने वाले प्रदूषकों में पी.एम., एस.ओ.टू, एन.ओ.एक्स. की जांच की जाती है, जो ईंधन के दहन से उत्पन्न होते है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-‘‘ख'' अनुसार है।
विद्युत चोरी के प्रकरण में अनियमितता
[ऊर्जा]
202. ( क्र. 1947 ) श्री नीरज विनोद दीक्षित : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्य प्रदेश पूर्व वितरण कंपनी लिमिटेड, पश्चिम संभाग, जबलपुर द्वारा संजय भाटिया आत्मज श्री गुलजारी लाल भाटिया, निवासी गुलजार होटल दद्दा परिसर, थाना मदन महल, जबलपुर के विरूद्ध विद्युत चोरी का प्रकरण अक्टूबर 2017 में पंजीबद्ध किया गया था? (ख) यदि हाँ, तो उक्त प्रकरण में कितनी देय राशि का प्रकरण बनाया गया? प्रकरण में मीटर निरीक्षण/पंचनामा किन-किन अधिकारियों द्वारा मौके पर जाकर किया गया? प्रकरण किस आधार पर बनाया गया? विस्तृत विवरण दें। (ग) क्या विद्युत विभाग के अधिकारी श्री रामटेके ए.ई. के द्वारा मौके पर मीटर निरीक्षण न करके मनमाने तरीके से कार्यालय से ही मनमानी राशि का पंचनामा बनाकर परिवाद पंजीबद्ध कराया गया? (घ) यदि संबंधित अधिकारी ने मौके पर जाकर मीटर निरीक्षण एवं पंचनामा बनाया, तो कब किस दिनांक को, किन-किन व्यक्तियों के समक्ष पंचनामा बनाया गया? क्या इसमें उपभोक्ता की उपस्थिति थी? यदि हां, तो क्या संबंधित उपभोक्ता एवं अन्य व्यक्तियों के हस्ताक्षर अथवा बयान लिये गये? यदि लिये गये तो, उसकी प्रति दें। यदि नहीं, तो व्यक्तिगत द्वेषवश बनाये गये पंचनामा के विरूद्ध दोषी अधिकारी के खिलाफ शासन क्या कार्यवाही करेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ, प्रश्नांश में उल्लेखित उपभोक्ता परिसर का निरीक्षण दिनांक 27.11.2017 (अक्टूबर 17 नहीं) को किया गया तथा परिसर में पाई गई विद्युत चोरी का पंचनामा बनाकर प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। (ख) उक्त प्रकरण में रू. 1,34,149/- की दाण्डिक राशि एवं रू. 32,500/- की समझौता राशि इस प्रकार कुल राशि रू. 1,66,649/- की बिलिंग की गई, जिसका अनंतिम/अंतिम निर्धारण आदेश उपभोक्ता को प्रेषित किया गया। उक्त परिसर में निरीक्षण के दौरान श्री डी.डी. रामटेके, सहायक अभियंता, श्री दिनकर दुबे, सहायक अभियंता, श्री अर्जुन सिंह, कनिष्ठ अभियंता एवं कु. शिखा श्रीधर, कनिष्ठ अभियंता उपस्थित थे। उक्त परिसर के दिनांक 27.11.2017 को किये गये निरीक्षण में मीटर के आर फेस से सीधे विद्युत चोरी पाई गई, अत: प्रकरण में विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 135 के अंतर्गत पंचनामा क्रमांक 17657/282801 बनाया गया एवं स्थल की फोटोग्राफी भी की गई। (ग) जी नहीं, श्री डी.डी. रामटेके, सहायक अभियंता, गोरखपुर जोन व अन्य अधिकारियों द्वारा प्रकरण में वितरण कंपनी के नियमानुसार कार्यवाही की गई एवं उपभोक्ता के परिसर स्थल में ही पंचनामा बनाकर फोटो ग्राफी भी की गई। (घ) दिनांक 27.11.2017 को श्री डी.डी. रामटेके, सहायक अभियंता, श्री दिनकर प्रसाद दुबे, सहायक अभियंता, श्री अर्जुन सिंह, कनिष्ठ अभियंता एवं कु. शिखा श्रीधर, कनिष्ठ अभियंता उक्त प्रकरण में मौके पर निरीक्षण/पंचनामा बनाने की कार्यवाही में उपस्थित थे। जी हाँ उक्त निरीक्षण कार्यवाही के दौरान उपभोक्ता/उपभोक्ता के प्रतिनिधि कर्मचारी उपस्थित थे, किन्तु पंचनामा प्रति में उनके द्वारा हस्ताक्षर करने एवं बयान देने से इंकार किया गया। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों द्वारा उनके दैनंदिन कार्यों के दौरान उक्त कार्यवाही की गई है, जिसमें किसी अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत द्वेषवश कोई कार्यवाही नहीं की गई। उक्त के परिप्रेक्ष्य में किसी अधिकारी के विरूद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता।