मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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      चतुर्दश विधान सभा                                                                                         एकादश सत्र

 

 

जुलाई, 2016 सत्र

 

शुक्रवार, दिनांक 29 जुलाई, 2016

 

(7 श्रावण, शक संवत्‌ 1938)

 

 

      [खण्ड- 11 ]                                                                                                       [अंक- 9 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

शुक्रवार, दिनांक 29 जुलाई, 2016

 

(7 श्रावण, शक संवत्‌ 1938)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.04 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}

 

          श्री दिनेश राय -  सिवनी में मन्दिर के पुजारी और चौकीदार  की हत्या हुई है. पुलिस आज तक कुछ नहीं कर पाई है.

          अध्यक्ष महोदय - कल भी आपको शून्यकाल में  बोलने की अनुमति दी थी.

          श्री दिनेश राय - लेकिन अभी भी वहां जनआक्रोश है. नगर बंद हो रहा है. यह आठवें नंबर पर ध्यानाकर्षण में है उसे चर्चा में ले लें.

            अध्यक्ष महोदय - अभी प्रश्नकाल हो जाने दें.

         

तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

 

शासकीय भूमि पर अतिक्रमण

1. ( *क्र. 1165 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या सतना जिले की तहसील रघुराज नगर अंतर्गत मौजा इटौरा की आर.नं. 61, 59 रकबा 0.234 हेक्‍टेयर म.प्र. शासन की आराजी में अवैध रूप से कब्‍जा मेसर्स लोटर्स इन्‍फ्रा रियलिटी लिमिटेड कम्‍पनी इंदौर द्वारा अधिकृत प्रदीप शर्मा पिता श्री कृष्‍णनारायण शर्मा, निवासी पेप्‍टेक सिटी, सतना द्वारा किया गया है? यदि हाँ, तो विवरण देवें (ख) क्‍या अवैध कब्‍जा करने की शिकायत हल्‍का पटवारी द्वारा तहसीलदार रघुराजनगर के पास की गई थी, जिस पर रा.प्र.क्र. अ.68/11-12 पंजीबद्ध किया जाकर अनावेदकों को नोटिस जारी कर विधिवत जाँच के उपरांत तहसीलदार द्वारा शासकीय आराजियात पर से अवैध कब्‍जा हटाने हेतु दिनांक 20.11.2012 को आदेश दिये गये थे? (ग) यदि हाँ, तो क्‍या वर्तमान में अवैध कब्‍जा हटाया गया या नहीं कब-कब कब्‍जा हटाने की कार्यवाही राजस्‍व विभाग द्वारा की गई? (घ) क्‍या अवैध कब्‍जाधारी अभी भी शासकीय आराजियातों में काबिज हैं? यदि हाँ, तो जिला प्रशासन/पुलिस प्रशासन द्वारा कब्‍जा खाली न करा पाने के क्‍या कारण हैं, समय-सीमा बताई जाए कि अतिक्रमणकर्ताओं के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?

        राजस्व मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता) - (क) जी नहीं.(ख) जी हां (ग) अतिक्रामक द्वारा माननीय राजस्व मण्डल ग्वालियर से नायब तहसीलदार के उपरोक्त बेदखली आदेश दिनांक 20.11.2012 के विरुद्ध स्थगन आदेश प्राप्त किया जाने से अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका है.(घ) जी हां. दिनांक 30.3.2016 को राजस्व मण्डल ग्वालियर से नायब तहसीलदार का मूल प्रकरण वापस प्राप्त होने पर अनावेदक को पुन: नोटिस जारी किया गया कि स्वत: अतिक्रमण हटाया जाये अन्यथा सरकारी मशीनरी से कब्जा हटाकर खर्चा कब्जाधारी से वसूल किया जावेगा परन्तु राजस्व मण्डल ग्वालियर के न्यायालय द्वारा निगरानी प्रकरण क-1451/3/16 में आदेश दिनांक 17.5.2016 पारित कर नायब तहसीलदार रैगांव/सोहावल के बेदखली आदेश दिनांक 20.11.2012 का क्रियान्वयन पुन: आगामी तीन मान के लिये स्थगित किया जाने के कारण,अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका है. स्थगन आदेश कि अवधि समाप्त होने के उपरांत न्यायालयीन आदेशानुसार कार्यवाही की जा सकेगी.

          श्रीमती ऊषा चौधरी -  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के "" में माननीय मंत्री जी द्वारा "जी नहीं" का उत्तर दिया गया है परन्तु  प्रश्न लगता है 25 दिन पहले तो जानकारी पहले मंगा लेना चाहिये लेकिन जब भी राजस्व विभाग का प्रश्न लगता है तो  रात को 12 बजे उत्तर भेजा जाता है. मैं आपके माध्यम से पूछना चाहती हूं कि लोटस कंपनी द्वारा ग्राम इटौरा की शासकीय आराजी नंबर 61.59, रकबा0.234 हेक्टेयर, भूमि पर अवैध कब्जा किया गया था. इसी वजह से वर्षा के दौरान नाले पर अवैध कब्जा कर लेने से सोहावल और कई गांवों में बाढ़ आ जाने से की घरों में पानी घुस गया और उनके  मकान नष्ट हो गये थे. आवागमन 2 दिन तक बंद रहा लेकिन सदन में असत्य जानकारी देकर गुमराह किया जाता है एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों,कर्मचारियों द्वारा भू-माफियाओं के पक्ष में जवाब तैयार कर भिजवा दिया जाता है. इससे भू-माफिया एवं अतिक्रमणकारी बच जाते हैं.

          अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न करें.

          श्रीमती ऊषा चौधरी -  माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं प्रश्न ही तो कर रही हूं.

          अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न यह है कि अतिक्रमण कब हटेगा ? इसका उत्तर यह आया है कि स्टे है इसमें आपको कुछ पूछना हो तो पूछ लीजिये.

          श्रीमती ऊषा चौधरी -  माननीय अध्यक्ष महोदय,स्टे निरस्त कर दिया गया है. 20.11.2012 के क्रियान्वयन में राजस्व मण्डल ग्वालियर के न्यायालय के द्वारा आगामी तीन महीने के लिये रोक लगाई गई थी मैं यह जानना चाहती हूं कि बेदखली के आदेश 20.11.2012 को जारी किये गये  थे लेकिन चार वर्ष तक राजस्व विभाग के अमले द्वारा बेदखली का कार्य क्यों नहीं किया गया ?

             श्री उमाशंकर गुप्‍ता  - माननीय अध्‍यक्ष्‍ा महोदय, उत्‍तर से ही स्थिति बड़ी साफ है कि राजस्‍व न्‍यायालय ने 30.03.2016 को नायब तहसीलदार को फिर से प्रकरण भेजा है. 30.03.2016 के बाद नायब तहसीलदार ने अतिक्रमण हटाने के आर्डर कर दिये, लेकिन इसी बीच में 17.05.2016 को जो आर्डर किये थे, उस पर फिर से राजस्‍व बोर्ड ने स्‍टे कर दिया. मैंने अपने जवाब में कहा जैसे ही स्‍टे वेकेंट होगा, कार्यवाही करेंगे.

          श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, स्‍टे भी निरस्‍त हो गया है और चार साल से तहसीलदार के आदेश के बाद भी आज तक सरकार ने कार्यवाही क्‍यों नहीं की ? मैं यह कहती हूं कि जब- जब भू राजस्‍व का मामला आता है, तो यह मामला क्‍यों ठंडा पड़ जाता है. जैसे पिछले सत्र में भी मैंने ग्राम कृपालपुर...

          अध्‍यक्ष महोदय - आप इसी प्रश्‍न के संबंध में पूछे.

          श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उसमें भी आज तक कार्यवाही क्‍यों नहीं हुई. राजस्‍व का मामला जब आता है, घोटाले का जब मामला आता है....

          अध्‍यक्ष महोदय - आप सीधा प्रश्‍न पूछे कि इसके खारिज कराने के लिये आप क्‍या करेंगे ?

          श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय मंत्री जी, बतायें कि क्‍या कार्यवाही करेंगे ? क्‍या अतिक्रमण हटायेंगे ?

          श्री मानवेंद्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने ध्‍यानाकर्षण लगाया था.

          अध्‍यक्ष महोदय - क्‍या यह इस विषय से संबंधित है ?   

          श्रीमती ऊषा चौधरी -  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसी विषय से संबंधित है.

          श्री मानवेंद्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसके पश्‍चात् तहसीलदार के आदेश को मानते हुए प्रस्‍तुत अपील खारिज की गई है.

          अध्‍यक्ष महोदय -  इसी मामले में ?

          श्री मानवेंद्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसी मामले में अपील खारिज कर दी गई है, तहसीलदार का आदेश मानते हुए.

          श्रीमती ऊषा चौधरी -  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, टी.एन.सी. कैसे जारी हो जाती है. फर्जी टी.एन.सी. जारी हो जाती है. पंचायत से कोई अनुमति नहीं ली जाती है.

          अध्‍यक्ष महोदय - कृपया आप प्रश्‍न करिये.

          श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 16 कॉलोनाइजर मेरी विधानसभा के अंदर हैं. भू-माफिया लोग कॉलोनी बना चुके है.   

          अध्‍यक्ष महोदय - आप प्रश्‍न करिये.

          श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, स्‍टे हटने के बाद भी कार्यवाही नहीं होती है. न्‍यायालय के आदेश का पालन नहीं किया जाता है. क्‍या बडे़-बड़े (XXX) इसलिए कार्यवाही नहीं होती है.

          अध्‍यक्ष महोदय - इसको कार्यवाही से निकालिये, ये कोई तरीका है.

          श्री मानवेंद्र सिंह - तहसीलदार का आदेश निरस्‍त कर दिया गया है.        

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 17.05.2016 को राजस्‍व बोर्ड ने तीन माह के लिये 2012 वाले आदेश पर ही स्‍टे दे दिया है.

          श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, निरस्‍त कर दिया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -  फिर से उन्‍होंने 17.05.2016 को स्‍टे कर दिया है. 

          श्रीमती ऊषा चौधरी - क्‍या आप कॉलोनाइजर की कॉलोनी को हटाने का कष्‍ट करेंगे ?

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, फिर से उन्‍होंने 17.05.2016 को तीन महीने के लिये  स्‍टे कर दिया है. 

          श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  तीन महीने हो गये.

          अध्‍यक्ष महोदय - 17.08.2016  को तीन महीने होंगे.

          श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, चार साल से क्‍या कर रहे थे?

          अध्‍यक्ष महोदय - श्री हितेंद्र सिंह ध्‍यानसिंह सोलंकी.

          श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न का उत्‍तर नहीं मिला है. पिछले सत्र में लगाये गये प्रश्‍न का उत्‍तर भी नहीं मिल पाया. यह ठीक बात नहीं है. गलत जवाब देना ठीक बात नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपका उत्‍तर आ गया है . आप बैठ जाईये.

          प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्‍चन) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उनके प्रश्‍न का जवाब दिलवायें.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपसे एक अनुरोध है, अभी कल ही हमने चर्चा की कि प्रश्‍नकाल होने दें. उनके प्रश्‍न का बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट उत्‍तर आ गया है.

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उनके दल की तरफ से बहुत कम प्रश्‍न लगते हैं.    

          अध्‍यक्ष महोदय - क्‍या दूसरों के प्रश्‍न महत्‍वपूर्ण नहीं है ?

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप देख लीजिये, हमारा आपसे निवेदन है.           

          मुख्‍यमंत्री खेत सड़क योजनांतर्गत सड़कों का निर्माण

2. ( *क्र. 1313 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्‍यानसिंह सोलंकी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़वाह विधानसभा क्षेत्र में मुख्‍यमंत्री खेत सड़क योजना के अंतर्गत योजना स्‍वीकृति से वर्तमान तक कितनी सड़कों का निर्माण कर लिया गया है? इस योजना में कितनी सड़कें पूर्ण हो चुकी हैं एवं कितनी सड़कें अपूर्ण हैं एवं कब से हैं? ग्राम खनगावखेड़ी से टोल नाके एवं नवोदय विद्यालय से ग्राम घोसला तक मुख्‍यमंत्री सड़क योजना का कार्य कब प्रारंभ होगा एवं कब तक पूर्ण होगा? (ख) बड़वाह विधानसभा क्षेत्र में कौन-कौन सी ग्राम पंचायतों में शौचालय का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है एवं कितने शेष हैं? जिन ग्राम पंचायतों में अपूर्ण हैं अथवा अप्रारंभ हैं इसके लिये कौन दोषी है? उसके विरूद्ध क्‍या कार्यवाही की जा रही है?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) बड़वाह विधानसभा क्षेत्र में सुदूर ग्राम संपर्क व खेत सड़क उपयोजना के अंतर्गत कुल 142 कार्य स्‍वीकृत हैं, जिसमें से 08 सड़कें पूर्ण हो चुकी हैं एवं 134 सड़कें विगत 02-03 वर्ष से अपूर्ण हैं। ग्राम खनगावखेड़ी से टोल नाके तक का सड़क निर्माण कार्य मुख्‍यमंत्री सड़क योजना में स्‍वीकृत नहीं है तथा नवोदय विद्यालय (जूनापानी) से ग्राम घोसला तक सड़क निर्माण कार्य जूनापानी से घोसला मार्ग के नाम से मुख्‍यमंत्री सड़क योजना के प्रथम चरण में स्‍वीकृत होकर पूर्ण किया जा चुका है। (ख) ग्राम पंचायत ओखला, भोगवां निपानी, गवल, टोकसर, बागदा बुजुर्ग, बडगांव, अंजरूद, नादिया, पीतनगर, डाल्‍याखेडी, डालची, खंगवाडा, बमनगांव एवं भानबरड ग्राम पंचायतों में ओ.डी.एफ. पूर्ण कर लिया गया है एवं शेष 72 ग्राम पंचायतों में शौचालय निर्माण कार्य प्रगतिरत है। शौचालय का निर्माण कार्य, राशि एवं मिस्‍त्री/मजदूरों की उपलब्‍धता पर निर्भर है। अत: कार्य अपूर्ण अथवा अप्रारंभ रहने के लिये किसी को दोषी नहीं पाये जाने के कारण शेष प्रश्‍न उपस्‍थित नहीं होता।

          श्री हितेंद्र सिंह ध्‍यान सिंह सोलंकी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने 2002-03 में जो माननीय मंत्री जी को 142 कामों के लिये लिखा था, परंतु आज तक 134 काम नहीं हुए. आठ काम माननीय मंत्री जी ने खुद ने स्‍वीकार किये हैं कि आठ काम हुए हैं. मैं यह चाहता हूं कि जो आठ काम हुए हैं, उनका नाम बता दें और जो काम अभी अपूर्ण हैं यह कब तक पूर्ण हो जायेंगे ?

          अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य ने पूछा है कि जो 8 काम पूरे हो गये हैं वह कौन कौन से हैं?

          श्री हितेन्द्र सिंह ध्यान सिंह सोलंकी-- उन कामों के नाम बता दें और 134 काम 2002-03 से शेष हैं....

          श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, 142 काम स्वीकृत हुए थे उनमें से 8 काम पूर्ण कर लिए गए हैं, 134 काम अपूर्ण हैं. इन 142 कामों के लिए 16 करोड़ 39 लाख रुपये की राशि का प्रावधान किया था इसमें से 7 करोड़ 79 लाख रुपये की राशि व्यय हो चुकी है. शेष काम जो पूर्ण होना है उसमें 8 करोड़ 60 लाख रुपये और लगना है. विलंब का मुख्य कारण योजना में स्वीकृत लेबर बजट की राशि का प्रावधान नहीं होना है. हमने इस साल प्रावधान किया है. दूसरा, सूखे के कारण जल संरक्षण और संवर्द्धन के कार्यों को प्राथमिकता देना था इस कारण से उन कामों में गति नहीं आ पायी है. तीसरा, ये मांग आधारित योजनाएं हैं जो हमारी रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत चलती हैं. हमें वहां पर पर्याप्त लेबर भी उपलब्ध नहीं हो रही थी इस कारण से विलंब हुआ है लेकिन शीघ्र इन्हें पूर्ण कर लिया जायेगा.

          श्री हितेन्द्र सिंह ध्यान सिंह सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि जो 8 काम पूरे हो गए हैं उनके नाम बता दें. दूसरा, जो काम मंत्रीजी ने बताये हैं और स्वीकार भी किया है कि ग्राम घोसला में काम पूरा हो गया है. मेरा अनुरोध है कि इस काम की जिला स्तर के किसी अधिकारी से जिला पंचायत सीईओ से या किसी से भी जांच करा दें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. 134 काम 2002-03 से पेंडिंग हैं. हमारे यहां मजदूरों की कोई कमी हैं, मजदूर पर्याप्त हैं लेकिन अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं इसलिए इसकी जांच करा लें.

          श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, बड़वाह विकास खण्ड में ग्राम पंचायत डुडगांव में प्रधानमंत्री सुदूर ग्राम संपर्क सड़क योजना का एक काम पूर्ण हुआ है. दूसरा काम भी डुडगांव का है जो पूर्ण हुआ है. भोगवां-निपानी के दो काम पूर्ण हुए हैं, भोगवां-निपानी का सुदूर ग्राम संपर्क सड़क योजना का तीसरा काम भी पूर्ण हो गया है. डाल्याखेड़ी के दो काम पूर्ण हो गये हैं.

          श्री हितेन्द्र सिंह ध्यान सिंह सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, मैं मान रहा हूं कि आपने पूर्ण कामों के नाम बता दिये लेकिन इनकी जिला पंचायत के सीईओ से जांच करा लें तो स्थिति स्पष्ट हो जायेगी.

          श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, जांच करा लेंगे.

           सेवा सहकारी समिति का संचालन

3. ( *क्र. 888 ) श्री रामपाल सिंह : क्या राज्‍यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या शहडोल जिले के जनपद पंचायत जयसिंहनगर अंतर्गत ग्राम टिहकी में किसानों को खाद बीज एवं कृषि कार्य हेतु ऋण प्रदान करने हेतु आदिम जाति सेवा सहकारी समित‍ि की शाखा संचालित की गई है? (ख) यदि हाँ, तो उक्‍त संस्‍था से कितने ग्रामों को संलग्‍न किया गया है एवं संलग्‍न ग्राम की अधिकतम दूरी आवागमन की सुविधा की दृष्टि से कितनी है? (ग) क्‍या उक्‍त संस्‍था में रेंउसा, पोंडी, सेमरपाखा, रंगीटोला, घोरीघाट, धनेडा, छतैनी, पथरहटा, हिडवाह, बसही, उफरी इत्‍यादि ग्रामों को संलग्‍न किया गया है? यदि हाँ, तो क्‍या उक्‍त संस्‍था से उक्‍त ग्रामों की अधिकतम दूरी 35 कि.मी. के उपर है? यदि हाँ, तो कृषकों की सुविधा की दृष्टि से उक्‍त ग्रामों की जनसंख्‍या को दृष्टिगत रखते हुये उक्‍त संस्‍था की उप शाखा पोंडी में संचालित किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक?

राज्‍यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी हाँ। (ख) सेवा सहकारी समिति मर्यादित टिहकी के कार्यक्षेत्र में 32 गांव हैं तथा उनकी मुख्यालय टिहकी से अधिकतम दूरी 50 किलोमीटर है। (ग) जी हाँ। जी हाँ। संस्था के कार्यक्षेत्र के ग्राम उफरी में अन्नपूर्णा योजना अंतर्गत निर्मित भवन में खाद, बीज भंडारण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, जो ग्राम पोंडी से 10 कि.मी. दूर है, जिससे संस्था के सदस्यों को आसानी से खाद एवं बीज प्राप्त हो सकेगा।

            श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष महोदय,मैं, आपके माध्यम से बताना चाहूंगा कि मेरे प्रश्न के परिप्रेक्ष्य में औपचारिक कार्रवाई की गई है चूंकि यह किसानों से जुड़ा मामला है. भौगोलिक परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए ग्राम उफरी में सेवा सहकारी समिति दुकान का खोला जाना उचित होगा? मैं मंत्रीजी से यह जानना चाहूंगा कि  रेंऊसा,पोंडी,धनेड़ा, रंगीटोला से लेकर  ग्राम उफरी में पुनः सेन्टर प्वाइंट खोला जाये यह उचित है? मैं यह भी जानना चाहता हूं कि क्या वितरण एवं ऋण संबंधी कार्य हेतु कोई कर्मचारी पदस्थ किए गए हैं? और क्या वहां संचालन किया जा रहा है या महज औपचारिकता है?

            श्री विश्वास सारंग--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा विधायक जी ने बताया कि जयसिंह नगर पंचायत टिहकी समिति के अंतर्गत क्योंकि उसका कार्यक्षेत्र बहुत बड़ा है और भौगोलिक दृष्टि से इस बात की आवश्यकता महसूस की गई कि एक उपकेन्द्र और बनाया जाए तो सभी परीक्षण करने के बाद ग्राम उफरी में एक उपकेन्द्र बनाया है. प्रायमरी स्टेज में तो यह खाद-बीज और कृषि के लिए जो कार्य होना है, उसके लिए यह उपकेन्द्र बनाया है. जैसा माननीय विधायक जी ने पूछा है अभी इसके माध्यम से ऋण देने की योजना नहीं है. इसलिए वहां पर कोई भी कर्मचारी इस बाबत पदस्थ नहीं किया गया है.

श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह जानना चाहता हूं कि खाद, बीज के लिए ठीक है कि उनके लिए उप केन्द्र की व्यवस्था की गई है, क्या ऋण संबंधी भी ऐसा प्लान बनाएंगे कि वहां पर ऋण संबंधी काम भी हो, जिससे उनको टिहकी न आना पड़े, टिहकी चूंकि 50 कि.मी. दूर पड़ता है. उस क्षेत्र में आवागमन के साधन नहीं हैं.

श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूं कि इस तरह के उप केन्द्र बनाना या पेक्स या लेम्प्स का जो कार्य क्षेत्र रहता है, उसका एक मापदंड है. एक तो उस समिति का बिजनेस ठीक ढंग से हो सके और दूसरा, वहां किसानों को या वहां के मेम्बर्स को सही सुविधा मिल सके. यदि यह विधायक जी बताएंगे और इस तरह की मांग वहां पर होगी तो इस पर भी विचार किया जाएगा.

श्री रामपाल सिंह - माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.

बी.आर.जी.एफ. योजना से हटाये गए उपयंत्रियों की पदस्‍थापना

4. ( *क्र. 2767 ) श्री सुन्‍दरलाल तिवारी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 10 मार्च 2016 में मुद्रित अता. प्रश्‍न संख्‍या 110 (क्रमांक 4485) के उत्‍तर के परिप्रेक्ष्‍य में बी.आर.जी.एफ. योजना बंद होने के कारण निकाले गये उपयंत्रियों का साक्षात्‍कार 28.07.2015 को बुलाकर लिया गया, जिस पर कार्यवाही हेतु प्रकरण सशक्‍त कमेटी की बैठक दिनांक 23.02.2016 में प्रस्‍तुत किया गया, प्रकरण का परीक्षण कर समिति द्वारा आदेश जारी करने का अनुमोदन भी किया गया, लेकिन आज दिनांक तक संबंधितों के आदेश जारी नहीं किये गये? (ख) संदर्भित प्रश्‍नांश (ख) में प्रश्‍नांश (क) के उत्‍तर में कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, का उल्‍लेख किया गया था? कार्यवाही पूर्ण कर ली गई हो तो संबंधितों (उपयंत्रियों) के आदेश कब तक जारी किये जायेंगे? जबकि पंचायत ग्रामीण विकास में कार्यरत ए.पी.ओ. को डी.आर.डी.ए. में परियोजना अधिकारी के पद पर संविदा पर पदस्‍थ किया गया, जिनके साक्षात्‍कार भी नहीं लिये गये थे?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। बी.आर.जी.एफ. योजना बंद होने से जिन उपयंत्रियों की सेवायें समाप्त हुईं हैं, उनका चयन अन्य विभागीय योजनाओं/कार्यक्रमों की आवश्यकता एवं उन कार्यक्रमों हेतु संबंधित की पात्रता, सक्षमता तथा विभागीय बजट आवंटन की उपलब्धता के आधार पर किया गया है। शेष का प्रश्न नहीं उठता है। (ख) जी हाँ। बी.आर.जी.एफ. योजना बंद होने से जिन उपयंत्रियों की सेवायें समाप्त हुईं हैं, उनका चयन अन्य विभागीय योजनाओं/कार्यक्रमों की आवश्यकता एवं उन कार्यक्रमों हेतु संबंधित की पात्रता, सक्षमता तथा विभागीय बजट आवंटन की उपलब्धता के आधार पर किया गया है। शेष का प्रश्न नहीं उठता है।

श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा और ध्यान आकर्षित करके फिर प्रश्न करूंगा..

अध्यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्न पूछिए. यह ध्यानाकर्षण सूचना नहीं है. यह प्रश्नकाल है.

श्री सुन्दरलाल तिवारी - ध्यान आकर्षित इसलिए करना पड़ेगा..

अध्यक्ष महोदय - नहीं, सीधा प्रश्न करिए.

श्री सुन्दरलाल तिवारी - प्रश्न ही है. अध्यक्ष महोदय, यह बीआरजीएफ के उपयंत्री जो काम कर रहे थे, अचानक सरकार ने निर्णय लेकर बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड (बीआरजीएफ) योजना को ही बंद कर दिया. इससे ये उपयंत्री बेरोजगार हो गये. इसके बाद सरकार ने इन 34 उपयंत्रियों में से कुछ लोगों की रोजगार गारंटी योजना के तहत नियुक्ति कर ली, लेकिन लगभग 14 उपयंत्री शेष रह गये. इन लोगों ने रिप्रेजेंटेशन किया और रिप्रेजेंटेशन के बाद आपकी यहां पर जो एक सशक्त समिति है, उसने यह निर्णय लिया. उसके निर्णय लेने के बावजूद भी आज तक इन उपयंत्रियों को कोई नियुक्ति आदेश विभाग के द्वारा नहीं दिया गया है.

अध्यक्ष महोदय - इस पर आप प्रश्न कर लें, आपने भूमिका बना ली है.

श्री सुन्दरलाल तिवारी - यह प्रश्न है कि आपने एक नीति बनाई और उस नीति में आपने यह कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी मनरेगा योजना एवं बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड पदों को अन्य योजनाओं हेतु उपयोग किया जावेगा अथवा समीक्षा उपरांत पदों की संख्या में कमी अथवा वृद्धि की कार्यवाही की जावेगी. योजना में भी यह बात रही कि अगर कोई विभाग बंद होंगे तो उन कर्मचारियों को समावेश कहीं न कहीं कर देंगे और कुछ लोगों को किया भी है. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से प्रश्न है कि आपकी नीति होने और एक हाई पावर कमेटी के निर्णय लेने के बावजूद आप इन उपयंत्रियों को कब नियुक्ति आदेश दे रहे हैं?

 

 

श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड (बीआरजीएफ) योजना जो है, यह भारत सरकार के द्वारा पोषित और प्रवर्तित योजना है. राज्य इसे लागू करता है. इस योजना को पिछले वर्ष भारत सरकार ने बंद कर दिया. इसमें जो कर्मचारी काम कर रहे थे वे सारे कांट्रेक्ट पर थे. संविदा कर्मचारियों के लिए किसी भी योजना में काम करने की एक शर्त होती है कि वे इस बात का दावा नहीं कर सकते कि यदि यह योजना बंद हो जाय तो उनके लिए फिर कहीं समायोजन किया जाएगा या फिर उनका यह दावा हो कि उनको नौकरी दी जाय. लेकिन मानवीय आधार पर विचार करके इसमें लगभग जो 37 उपयंत्री पदस्थ थे, उनमें जिनका अच्छा परफार्मेंस था, एमपीआरआरडीए में उनकी परीक्षा और साक्षात्कार लेकर 21 उपयंत्रियों को समायोजित किया गया. जो शेष 16 उपयंत्री थे, वे उसके लिए योग्य नहीं थे, इस कारण से उनको नहीं लिया गया. लेकिन इसके बावजूद भी जो मनरेगा परिषद है, उसने अपनी साधारण सभा में बैठक करके कहा कि इन कर्मचारियों के लिए भी कहीं न कहीं चाहे वह मनरेगा में हो या कहीं हो, यह हमारे पंचायत विभाग का सर्क्यूलर था. लेकिन मनरेगा में मध्यप्रदेश का जो प्रशासनिक व्यय हो रहा है. मनरेगा में 10 प्रतिशत से ऊपर व्यय हो रहा है. जबकि भारत सरकार प्रशासनिक व्यय की 6 प्रतिशत की अनुमति देती है. शेष 4 प्रतिशत राज्य मद से हमें देना पड़ रहा है और इस कारण से फिलहाल यह दिक्कत आ रही है.

प्रशासनिक व्‍यय ज्‍यादा होने और कर्मचारियों की संख्‍या भी पर्याप्‍त होने के कारण से हम इनको समायोजित नहीं कर पा रहे हैं लेकिन जैसे ही हमारा व्‍यय कम होगा और काम ज्‍यादा खुलेंगे क्‍योंकि अभी बारिश का समय है काम की गति कम होती है और उसी प्रतिशत के आधार पर हम कर्मचारियों के लिये वेतन देते हैं. इस कारण से जैसे ही हमारे पास काम ज्‍यादा होगा, हम इनके लिये समायोजित कर लेंगे.

          श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, समायोजित करने की आपकी नीति है और वर्तमान में रोजगार गारन्‍टी योजना में 925 पद उपयंत्रियों के खाली हैं जो पद आपने स्‍वीकृत किए हैं उन स्‍वीकृत पदों में  मेरी जानकारी के अनुसार उपयंत्रियों के 925 पद अभी खाली हैं जब आपके पास स्‍वीकृत पद हैं और यह कहना कि बजट नहीं है. यह दो विपरीत बातें हैं. माननीय मंत्री जी मेरा निवेदन है कि आपके पास अभी 925 रिक्‍त पद हैं उसमें से केवल 16 उपयंत्रियों को रखना, इनमें से कुछ ओवरऐज भी हो गए है अब कहीं एप्‍लाई भी नहीं कर सकते, उनको कहीं दूसरी जगह किसी शासकीय विभाग में नौकरी नहीं मिल सकती. एक लंबी सेवा इन लोगों ने आपके विभाग को दी है तो 925 में खाली सीटो में इन 16 उपयंत्रियों को क्‍या जल्‍दी भर्ती करने की आप कृपा करेंगे, मेरा आपसे यही आग्रह है ?

          श्री गोपाल भार्गव --  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बात सही है कि जो मानवीय समस्‍या है और पिछले 10 वर्षों से योजना में काम कर रहे थे और बहुत बड़ी संख्‍या में दूसरी योजना में इनके लिए समायोजित भी किया है जहां तक पद रिक्‍त होने का सवाल है हमने इसमें 23 हजार रोजगार सहायकों की नियुक्ति इसी मद से की है जो हर ग्राम पंचायत में एक रोजगार सहायक जो कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर भी होता है और फीडिंग  भी करता है. इसी मद से उसके लिए हम वेतन दे रहे हैं लेकिन जैसा माननीय सदस्‍य ने कहा, मुझे भी सभी के लिए सहानुभूति है और हम पूरी सहानुभूति के साथ इनके लिए उसमें समायोजित करने के बारे में विचार कर लेंगे.

 

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़कों का मरम्‍मतीकरण

5. ( *क्र. 3569 ) श्री कुंवर सिंह टेकाम : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या सीधी एवं सिंगरौली जिले के अंतर्गत प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के द्वारा निर्मित भदौरा से कुसमी मार्ग, निगरी से कछरा मार्ग, चमराडोल से घोघी मार्ग निवास से रेलवे स्‍टेशन निवास मार्ग एवं महुआ गांव से भरसेंडी मार्ग का निर्माण किया गया था? यदि हाँ, तो जानकारी देवें। (ख) प्रश्‍नांश (क) के संदर्भ में उपरोक्‍त मार्ग जर्जर हालत में एवं सड़क गड्ढों में तब्‍दील हो चुकी है? यदि हाँ, तो जानकारी देवें (ग) प्रश्‍नांश (ख) के संदर्भ में क्‍या जर्जर एवं टूटी सड़कों की मरम्‍मत करायी जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत सीधी जिले में भदौरा से कुसमी एवं चमराडोल से घोघी, सिंगरौली जिले में निगरी से कछरा, निवास से रेल्वे स्टेशन निवास एवं महुआगांव से भरसेंडी सड़कों का निर्माण कराया गया है। (ख) जी नहीं। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) संधारण एक सतत्‌ प्रक्रिया है। आवश्यकता के अनुरूप सड़कों पर संधारण कार्य कराया जायेगा। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।

परिशिष्ट - ''एक''

 

          श्री कुंवर सिंह टेकाम माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने 5-6 सड़कों के बारे में पूछा था कि हमारी सड़कें टूटी हैं या नहीं ? माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में कहा कि सड़कें नहीं टूटी हैं. पहली बात तो यह है कि यह सड़कें टूटी हैं लेकिन गलत जानकारी यहां आई है और आपके परिशिष्‍ट में भी आपने यह स्‍वीकार किया है कि भदौरा से कुसमी मार्ग का जो संधारण का काम ठेकेदार नहीं कर रहा है इसीलिए हमने उसको निरस्‍त किया है यदि सड़कें टूटी नहीं हैं तो आप संधारण क्‍या करेंगे. पहली बात यह सड़कें टूटी हुई हैं दूसरी बात मैंने चमराडोल से घोघी मार्ग के बारे में पूछा था कि यह टूटी हैं या नहीं, तो माननीय मंत्री ने उत्‍तर में बताया कि चमराडोल से बड़काडोल मार्ग की जानकारी दे दी, निगरी से कछरा मार्ग की जानकारी दे दी कि इस मार्ग का कार्य पूरा हो गया है जबकि यह पूरा नहीं हुआ है और यह जो निवास से रेलवे स्‍टेशन निवास मार्ग एवं महुआगांव से भरसेंडी मार्ग का इन्‍होंने कहा कि काम प्रारम्‍भ हो गया है जबकि काम प्रारम्‍भ नहीं हुआ है . मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हॅूं कि इस तरह की भ्रामक जानकारी आई है तो क्‍या आप इसकी उच्‍च स्‍तरीय जांच कराएंगे और जांच कराकर दोषी अधिकारी/कर्मचारी, जो आपको गलत जानकारी दे रहे हैं उनके खिलाफ आप कार्यवाही करेंगे और  क्‍या इन टूटी हुई सड़कों का निर्माण कार्य पूरा कराएंगे ?

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सीधी और सिंगरौली जिले में जैसा कि माननीय सदस्‍य ने प्रश्‍न किया है और अवगत भी कराया है मैं उनको बताना चाहता हॅूं, उसके बाद में फिर मेरी जानकारी देने के बाद में कहेंगे तो मैं उसके लिए भी करूंगा. कुसमी से भदौरा मार्ग का निर्माण वर्ष 2012 में पूर्ण कर लिया गया था. ठेकेदार द्वारा संधारण कार्य मई 2015 तक किया गया जिसमें रूपये 11 लाख 50 हजार का भुगतान किया गया. ठेकेदार द्वारा मार्ग का संधारण कार्य न किये जाने के कारण ठेका दिनांक-08.01.2016 को निरस्‍त कर प्राक्‍कलन की तकनीकी स्‍वीकृति दिनांक-19.07.2016 को होने के पश्‍चात् नवीन निविदा आवंटित करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. इसके बारे में भी अवगत करा रहे हैं. एक दूसरा मार्ग है चमराटोला से घोघी, चमराडोल से बड़काडोल तक का मार्ग वर्तमान में मार्ग 35 क्रमांकएम.पी. 41 एमटीएन 013 के अंतर्गत 5 वर्ष पश्‍चात् संधारण अवधि में है. मार्ग की स्थिति अच्‍छी है. बड़काडोल से घोघी के बीच का रास्‍ता प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में निर्मित नहीं है जो कि संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आकर पूर्वी जोन में है. तीसरा मार्ग सिंगरौली जिले में निगरी से कछरा 11.08 किलोमीटर के इस मार्ग का अनुबंध है, ठेकेदार द्वारा मार्ग का निर्माण न किये जाने के कारण दिनांक-28.07.2016 को ठेका निरस्‍त किया गया था जिसे ठेकेदार ने धारा 24 के तहत आवेदन कर पूरे मार्ग का निर्माण कार्य वर्तमान में पूरा कर दिया गया है.

                   ऐसा बताया गया है मुख्यालय स्तर पर धारा 24 के अंतर्गत दिनांक 5-7-16 को  सुनवाई की जाकर आगामी कार्यवाही प्रक्रियाधान है. मार्ग के चिन्ह 8100 मीटर पर क्षतिग्रस्त पुलिया के निर्माण पर नवीन पुल बनाये जाने हेतु डीपीआर तैयार की जाकर स्वीकृति हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को  भेजा गया है. अगले माह तक हो जायेगा. सिंगरौली जिले में ही निवास से स्टेशन तक यह दोनों मार्ग अपग्रेडेशन के अंतर्गत हैं महुआगांव से भरसेंडी और निवास से रेल्वे स्टेशन तक यह दोनों मार्ग अपग्रेडेशन के अंतर्गत हैं जिनका कार्य आदेश दिनांक 6-4-16 को जारी होने के उपरांत दोनों मार्गों का निर्माण कार्य पूर्ण करने हेतु निर्धारित समयावधि दिनांक 5-4-17 के पूर्व पूर्ण कर लिया जायेगा.

          अध्यक्ष महोदय, यह सारा इलाका बहुत हैवी ट्रेफिक का है यहां पर माइनिंग इत्यादि का काम होता है. इस कारण से सड़कों की यह स्थिति हुई है. हम प्रयास यह कर रहे हैं कि इन सड़कों की फिर से स्टेनथिंग कर ली जाय. हमने अपने नार्मस एवं नियमों में और अपने स्टेण्डर्डस में बदलाव किया है जहां पर  ज्यादा माइनिंग का काम हो रहा है. वहां पर पीडब्ल्यूडी के सहयोग से भी हम वहां पर बेहतर से बेहतर  और ज्यादा वजन का भी ट्रेफिक वहां पर चलता है तो उसी स्टेण्डर्ड के अनुसार हम सड़कों का निर्माण करने का काम कर रहे हैं. माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी इन सड़कों को पूर्ण कर लिया जायेगा जिनका अनुरक्षण करना है वह भी एक समय सीमा में जैसा कि मैंने डिटेल में बताया है वह कर लिया जायेगा.

          श्री कुंवर सिंह टेकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि यह तो बिल्कुल चलने लायक नहीं है बरसात का मौसम है बहुत ज्यादा गड्डे हो गये हैं. क्या बरसात के मौसम में यह रास्ता चलने लायक हो जाय, गड्डों को भरवा देंगे और बरसात समाप्त होने के बाद में सड़कों की मरम्मत या निर्माण कार्य  जो भी वह आप करायेंगे क्या ?

          श्री गोपाल भार्गव -- गड्डे भरवाने का काम हम करा देंगे.

         

 

रीवा जिले में अतिक्रमित तालाबों की संख्‍या

6. ( *क्र. 2788 ) श्री सुखेन्‍द्र सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या रीवा जिले के राजस्‍व अभिलेख के मुताबिक शासन के अभिलेख में 1996 में कुल 1545 शासकीय एवं निजी तालाब दर्ज थे? यदि हाँ, तो इनमें से 1424 तालाब सरकारी थे? यदि नहीं, तो कितने थे? इन शासकीय एवं निजी तालाबों की सूची विधानसभा क्षेत्रवार देवें। (ख) प्रश्‍नांश (क) के संदर्भ में 10 वर्ष बाद 2016 की स्थिति में सिर्फ 1137 तालाब शेष बचे हैं? यदि हाँ, तो पिछले 10 सालों में 408 तालाब नष्‍ट हो गये? यदि नहीं, तो कितने तालाब शेष हैं? शेष शासकीय एवं निजी तालाबों की सूची विधानसभा क्षेत्रवार देवें (ग) प्रश्‍नांश (क), (ख) के संदर्भ में क्‍या सूखे की स्थिति एवं घटते जल स्‍तर के कारण कुएं सूख रहे हैं और हैण्‍डपंप हवा दे रहे हैं, के निदान में शासन द्वारा जल संरक्षण के लिये वाटर शेड मनरेगा योजना में जल संवर्धन के कार्यों पर जोर देकर काम करवाया जा रहा है? तो क्‍या तालाबों से अतिक्रमण एवं गुम हुए तालाबों को खोजकर 1996 के स्‍वरूप में किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक?      समय-सीमा बतावें यदि नहीं, तो क्‍यों कारण बतावें (घ) प्रश्‍नांश (क) से (ग) के संदर्भ में क्‍या तालाबों के अतिक्रमण को शासन द्वारा चिन्हित किया गया है? यदि हाँ, तो इन शासकीय तालाबों की सूची विधानसभा क्षेत्रवार देवें क्‍या इसके लिये दोषी को चिन्हित किया गया है? यदि हाँ, तो क्‍या कार्यवाही की गई? विवरण देवें। यदि नहीं, तो क्‍यों? कारण स्‍पष्‍ट करें। किया जायेगा तो कब तक?

            राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) --

          श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न रीवा जिले के जो अतिक्रमित तालाब हैं जो राजस्व अधिकारियों से मिलकर भू-माफियाओं द्वारा पट्टे करा लिये गये हैं. इस संबंध में मेरा प्रश्न है, जिसका उत्तर माननीय मंत्री जी की तरफ से जो आया है वह एकदम गलत है और गलत आने के कारण है उसका कारण यह है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ है, जिसके कारण अधिकारियों ने इसका काफी लाभ उठाया है. अध्यक्ष महोदय,  आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि तालाबों पर अतिक्रमण करना एक बहुत बड़ा गंभीर विषय है. पूरे जिले में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में जिस तरह से पेयजल का संकट हुआ है. जैसे भू माफियाओं ने अतिक्रमण कर लिया है और शासन की जो मंशा है कि नये तालाब बनाये जायें और बनाये भी जा रहे हैं लेकिन जो पुराने तालाब हैं उन पर लगातार अतिक्रमण हो रहा है जिन पर भू-माफियाओं के द्वारा कब्जा किया जा रहा है. हमारे जिलेमें लगभग 4 तहसीलें हैं जहां त्योंथर में 19 मऊगंज में में 11 और अन्य कई तहसीलों में इसी तरह से भू-माफियाओं के द्वारा तालाबों पर राजस्व विभाग से सांठ गांठ करके नामांतरण का काम किया गया है. लेकिन जो भी उत्तर आया है मैं उससे सहमत नहीं हूं. मेरा अनुरोध है कि मंत्री जी इसकी विधिवत जांच करा लें, जांच का आदेश कर देंगे तो निश्चित रूप से दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा.

          श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जिन बातों की जांच के लिए लिखेंगे, हम जांच करा देंगे.

          श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लिखने की क्या बात है, मेरा तो प्रश्न ही लगा हुआ है. जो हमारे प्रश्न हैं उस पर, आज आप कह दें कि इसमें आप जांच करायेंगे तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा. पूरी गलत जानकारी आयी है आपको भी इसका लाभ मिलेगा.

          श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय प्रश्न का जवाब आया है कि 1142 सरकारी तालाब हैं उसमें से 1140 ज्यों के त्यों हैं 2 तालाब ऐसे हैं जो कलेक्टर के आदेश से सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए दिये गये हैं. अगर इससे हटकर माननीय सदस्य  को कुछ कहना है कि जानकारी में यह गलत है यह मुझे बता दें मैं उसकी जांच करा दूंगा.

          श्री सुखेन्द्र सिंह -- कुल 1424 तालाब हैं यही तो गलत जानकारी है.

          श्री उमाशंकर गुप्ता -- आप जो सूची मुझे देंगे उसकी मैं जांच करा दूंगा.

          अध्यक्ष महोदय -- आप स्पेसिफिक सूची मंत्री जी को दे दें.

          श्री सुखेन्द्र सिंह -- धन्यवाद्.

                                                                                                           

प्रश्‍न संख्‍या - 7 -- (अनुपस्‍थित)           

 

14 वें वित्‍त आयोग अंतर्गत परफॉर्मेंस ग्राण्‍ट की राशि का आवंटन 

8. ( *क्र. 2288 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्‍जैन संभाग में वर्ष 2015-16 में 14 वें वित्‍त आयोग अंतर्गत परफॉर्मेंस ग्राण्‍ट की किन-किन जिलों को कितनी-कितनी राशि किस किस प्रयोजन हेतु उपलब्‍ध कराई गई है? जिला पंचायतवार एवं जनपद पंचायतवार बतायें। (ख) प्रश्‍नांश (क) में उपलब्‍ध कराई गई राशि में से किन-किन प्रयोजनों हेतु राशि व्‍यय की जा चुकी है?         (ग) नीमच जिले में अब तक राशि व्‍यय नहीं किये जाने के क्‍या कारण हैं? (घ) राशि कब तक निहित प्रयोजन हेतु व्‍यय की जावेगी?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) 14 वें वित्त आयोग अंतर्गत वित्तीय वर्ष      2015-16 में परफॉर्मेंस ग्राण्ट अंतर्गत राशि का प्रावधान नहीं था। अतः प्रदेश के किसी भी जिले को परफॉर्मेंस ग्राण्ट की राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) से (घ) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न में मैंने 14वें वित्‍त आयोग के अंतर्गत परफॉर्मेंस ग्रांट की राशि के संबंध में पूछा था और माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है कि वित्‍तीय वर्ष 2015-16 में प्रावधान नहीं था तो मैं पूछना चाहता हूँ कि किस वर्ष में इसका प्रावधान था, यह बताने की कृपा करें ?

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 14वां वित्‍त आयोग शुरू हो गया है और इस साल के हमारे परफॉर्मेंस के आधार पर हमें अगले वर्ष राशि प्राप्‍त होगी.

           श्री दिलीप सिंह परिवार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी सिंहस्‍थ पर्व के दौरान स्‍मॉर्ट विलेज के अंतर्गत स्‍मॉर्ट गांव की पंचायतों के लिए जिला पंचायत स्‍तर पर और संभाग स्‍तर पर नीमच जिले के लिए हमसे प्रस्‍ताव लिए गए थे कि कई यात्री जो सिंहस्‍थ के दौरान आएंगे उनके लिए यात्री प्रतिक्षालय, शौचालय और धर्मशालाओं आदि का निर्माण किया जाएगा तो हमसे जो प्रस्‍ताव लिए गए थे, उनका क्‍या औचित्‍य था ?

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक प्रस्‍ताव आया था. पहले तो उज्‍जैन जिले से आया जहां पर कि हमारा कुंभ हो रहा था, उसके लिए यह तय हुआ था कि उज्‍जैन शहर में तो काम कराया ही जाए लेकिन आसपास की जो भी पंचायतें हैं और मार्ग में पड़ने वाले जो भी गांव हैं उनमें अच्‍छे से अच्‍छा सीसी रोड हो, रास्‍ते में यात्रियों के बैठने के लिए यात्री प्रतिक्षालय हों, सामुदायिक भवन हों, सड़कों के किनारे पीने के पानी की व्‍यवस्‍था हो, इस सब के लिए राशि पंचायतों को, जैसा कि जिले ने प्रस्‍तावित किया था, इस हिसाब से उनको राशि उपलब्‍ध कराई गई थी. बाद में यह तय हुआ कि जो उज्‍जैन को जोड़ती हैं, अन्‍य तरफ की सड़कें, जैसे देवास तरफ से आती हैं, वे तो ठीक हैं लेकिन जो सड़कें इंदौर तरफ से आती हैं जो रतलाम तरफ से आती हैं जो शाजापुर की तरफ से आती हैं इन सभी सड़कों के किनारे की ग्राम पंचायतों को इसमें लिया जाए लेकिन अध्‍यक्ष महोदय, उतनी ज्‍यादा राशि उपलब्‍ध नहीं थी. माननीय सदस्‍य जो प्रश्‍न कर रहे हैं यह 13वें वित्‍त आयोग के परफॉर्मेंस की राशि थी.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तो जो हमारे प्रस्‍ताव थे हमारी पंचायतों के दुदर्शी, धंधेरिया, नीमच जिले के, क्‍या उन पर कभी विचार कर जिला पंचायत में वह राशि आवंटित की जाएगी ?

            श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, अभी तो मोक्ष को प्राप्‍त हो गए हैं आगे जाकर देखेंगे. (हंसी)

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तो हमारे जिला पंचायत में जो राशि पड़ी है उन पंचायतों में विकास के लिए कम से कम कुछ तो राशि और आवंटित करें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, कुछ पुनर्जन्‍म कर दें. (हंसी)

          श्री बाबूलाल गौर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मोक्ष पंचायत को मिलता है कि व्‍यक्‍ति को मिलता है ?

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमको नए-नए सपने दिए थे कि आपके यहां इतनी राशि आने वाली है, शौचालय बनने वाले हैं या यह काम होने वाला है.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मोक्ष में भी तर्पण किया जाता है तो तर्पण होगा कि नहीं होगा, वह भी आप बताएं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सभी बैठ जाएं, माननीय मंत्री जी कुछ कह रहे हैं.

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गौर जी पूछ रहे हैं कि मोक्ष व्‍यक्‍ति को मिलता है या पंचायत को मिलता है तो हमारी जो आदि संस्‍कृति है और हमारी जो वैचारिक स्‍थिति है उसमें जीव और निर्जीव दोनों के लिए मोक्ष प्राप्‍त करने की व्‍यवस्‍था है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गौर साहब की टोपी धौंस में उतरवा दी.

          श्री गोपाल परमार -- माननीय पंचायत मंत्री जी, कुछ कृपा कर दीजिए, हमारे बेचारे पिछड़े गांवों पर कृपा कर दीजिए. हमारी पंचायतों को कुछ राशि तो दें. 

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, वे कह रहे हैं कि कुछ राशि देंगे क्‍या ?      

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रत्‍येक जिले के लिए 2-2 करोड़ रुपये की राशि जिला पंचायत को और 1-1 करोड़ रुपये की राशि प्रत्‍येक जनपद को उपलब्‍ध कराई है और वह माननीय सदस्‍यों में समानुपातिक रूप से वितरित करने का सभी जिला पंचायतों को, जनपदों को अधिकार दिया हुआ है. हमारे माननीय विधायकगण उस राशि का उपयोग करें और इस वर्ष जैसे ही हमें आवंटन प्राप्‍त होगा तो और अधिक राशि हम उनके लिए उपलब्‍ध कराएंगे, वे उससे भी काम करवा सकेंगे.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वह राशि अभी भी जिला पंचायत में पड़ी हुई है क्‍या विधायक उसके लिए प्रस्‍ताव दे सकते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाइये, अब वह प्रश्‍न गया. अब वह बात हो गई.

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, वे अलग से बात कर लें, जो कुछ भी करना है हम कर देंगे.

                                                                                                                                                                                                                                               

राजोदा पहुँच मार्ग पर रोड एवं पुलिया का निर्माण

10. ( *क्र. 2454 ) श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या सोनकच्‍छ विधान सभा क्षेत्र के ग्राम राजोदा जो कि सोनकच्‍छ से लगभग 7 से 8 कि.मी. की दूरी पर है, वर्षाकाल में एक टापू बन जाता है, वर्षा अधिक होने से गाँव में प्रवेश नहीं किया जा सकता? यदि हाँ, तो ऐसा क्‍यों? (ख) क्‍या ग्रामीण यांत्रिकी विभाग द्वारा गाँव में प्रवेश हेतु नदी पर पुलिया स्‍वीकृत की गयी थी? यदि हाँ, तो कब किस आदेश के द्वारा? (ग) क्‍या उक्‍त पुलिया बन चुकी है? यदि नहीं, तो क्‍यों नहीं। पुलिया निर्माण कार्य आज दिनांक तक शुरू नहीं होने का कारण स्‍पष्‍ट करें?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी नहीं। ग्राम राजोदा, इन्दौर-भोपाल हाईवे मार्ग से पी.डब्ल्यू.डी. रोड द्वारा जुड़ा हुआ है। (ख) जी नहीं। ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत उक्त पुलिया की स्वीकृति जारी नहीं हुई है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

          श्री यशपाल  सिंह सिसोदियामाननीय अध्यक्ष महोदय, सोनकच्छ विधानसभा क्षेत्र के ग्राम राजोदा सोनकच्छ हाईवे से लगभग सात-आठ किलोमीटर की दूरी पर है . प्रश्नकर्ता विधायक द्वारा इस बात की चिंता की गई है वर्षाकाल में यह गांव राजोदा एक टापू बन जाता है.माननीय विधायक की और गांव के निवासियों की इच्छा है कि उसके ऊपर कोई पुल-पुलिया हो जाए. माननीय विधायक जी ने इसमें जानना चाहा था कि क्या ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने इसका कोई प्राक्कलन बनाया है या इसकी कोई स्वीकृति जारी हुई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्नांश (क),(ख) और (ग) में विभाग के द्वारा उत्तर मिला कि जी नहीं कोई स्वीकृति जारी नहीं हुई है. मैं माननीय मंत्री जी से आपका संरक्षण प्राप्त करते हुए प्रार्थना करूंगा कि रजोदा एक बड़ा गांव है और पूरे वर्षाकाल में वह टापू बन जाता है अगर विभाग द्वारा अभी तक इसका कोई परीक्षण नहीं किया गया है, फिर चाहे लोक निर्माण की उसमें जिम्मेदारी हो चाहे ग्रामीण यांत्रिकी विभाग की उसमें जिम्मेदारी हो, मैं मंत्री जी से प्रार्थना करूंगा कि आपके विभाग के द्वारा यदि मनरेगा के अंतर्गत उस पुल-पुलिया का आकार-प्रकार आपके बजट के अनुरूप हो तो कम से कम उसका परीक्षण करा लिया जाये उसका एक डीपीआर बना लिया जाये.

          श्री गोपाल भार्गव--  माननीय अध्यक्ष महोदय, एक ग्राम राजोदा है और दूसरा ग्राम जलोदिया है. राजोदा ग्राम इन्दौर-भोपाल हाईवे से आठ किलोमीटर की दूरी पर  स्थित है यह मार्ग लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाया गया है एवं डामरीकृत है. दूसरा मार्ग जलोदिया है, यह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनान्तर्गत भोपाल-इन्दौर हाईवे से बीटी मार्ग से जुड़ा हुआ है इस मार्ग की लंबाई लगभग दस किलोमीटर है. इस मार्ग से ग्राम राजोदा के लोग अपने-अपने खेतों में आना-जाना करते हैं. अध्यक्ष महोदय, जो माननीय सदस्य का प्रश्न है, वह यह है कि इन्दौर-भोपाल जो हाईवे है, इससे राजोदा भी जुड़ा हुआ है और इसके साथ में जलोदिया भी जुड़ा हुआ है दोनों की कनेक्टिविटी है. अब राजोदा से जलोदिया को जोड़ने के लिए जो बीच में नाला पड़ता है उसके लिए प्रश्न है. जबकि वहाँ कोई बसाहट नहीं है सिर्फ खेत हैं,खेती के लिए लोग जाते  हैं. मैं इस पर विचार कर लूंगा कि मनरेगा के अंतर्गत उसमें क्या हो सकता है कर लेंगे.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--  बहुत-बहुत धन्यवाद मंत्री जी.

गरीबी रेखा सूची में नाम सम्मिलित किया जाना 

11. ( *क्र. 189 ) श्री दिलीप सिंह शेखावत : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्‍नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र नागदा-खाचरौद के लोक सेवा केन्‍द्रों से नवीन आवेदन पत्र गरीबी रेखा सूची (बी.पी.एल.) में नाम जोड़ने हेतु कितने आवेदन पत्र प्राप्‍त हुए? (ख) उनमें से कितनों का निराकरण किया गया एवं कितने आवेदन लंबित हैं? (ग) लंबित आवेदनों की सूची मय नाम, ग्राम या वार्ड क्रमांक सहित नवम्‍बर 2013 से आज तक की उपलब्‍ध करावें एवं अपात्र होने का स्‍पष्‍ट कारण सहित उपलब्‍ध करावें?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) विधानसभा क्षेत्र के लोक सेवा केन्द्रों से नवीन आवेदन पत्र गरीबी रेखा सूची (बी.पी.एल.) में नाम जोड़ने हेतु कुल 5519 आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं। (ख) सभी आवेदनों का निराकरण कर दिया गया है कोई आवेदन लंबित नहीं है। (ग) नवम्बर 2013 से आज दिनांक तक कोई आवेदन लंबित नहीं है। बी.पी.एल में पात्रता हेतु 14 या 14 से कम अंक निर्धारित हैं, 14 से अधिक अंक प्राप्त आवेदन अप्रात्र किये गए हैं।

 

          श्री दिलीप सिंह शेखावत--  माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने जो 5513 आवेदन आए थे उन सबका निराकरण कर दिया लेकिन आगे जो मैंने पूछा था कि नवंबर 2013 से जो अपात्र हुए थे, उन अपात्र की मुझे कारण सहित सूची उपलब्ध कराये तो मुझे वह सूची उपलब्ध नहीं हुई जबकि एक विधायक को अपने विधानसभा क्षेत्र में जो अपात्र हुए हैं उनके सूची मांगने का अधिकार होता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुभव यह आया है कि लोक सेवा गांरटी में जो बीपीएल कार्ड बनाने के जो आवेदन आते हैं, उसमें अधिकारी लोग जांच करने प्रत्यक्ष में जाते नहीं है और अपात्र लिख देते हैं. एक व्यक्ति दस-दस बार उनको आवेदन देता है तो माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि क्या आप मुझे जो लोग अपात्र हुए हैं, उनके अपात्र होने का कारण सहित सूची उपलब्ध कराएंगे? दूसरा प्रश्न मेरा यह है कि जिनको अपात्र किया हैं यदि  मैं बताऊँगा कि यह वास्तव में सही व्यक्ति था और इसे अपात्र किया गया है तो ऐसे अधिकारियों के मेरे समक्ष जांच करा कर उन पर कार्यवाही करेंगे?

          श्री गोपाल भार्गव--  माननीय अध्यक्ष महोदय,बहुत छोटा-सा प्रश्न है. वैसे भी इसकी जानकारी जिला या तहसील ब्लॉक मुख्यालय पर माननीय सदस्य को मिल सकती थी कि कौन अपात्र हुए हैं और किस कारण से हुए हैं. इस सबके बावजूद भी यदि माननीय सदस्य चाहते हैं तो मैं इनके लिए तीन-चार दिन के भीतर वहाँ से सूची मंगाकर उपलब्ध करा दूंगा और कारण भी बता दूंगा यदि कोई बिना कारण से अपात्र बनाया गया होगा तो उसकी पात्रता भी सुनिश्चित करेंगे.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत---  माननीय मंत्री जी, एक निवेदन और करूंगा कि यदि उनको अपात्र किया है तो जिन अधिकारियों ने बिना भौतिक सत्यापन करे उनको अपात्र कर दिया तो ऐसे लोगों की जांच करा के उनको दंडित करेंगे? और एक निवेदन मैं और करूंगा कि मेरे पास में कुछ नाम हैं. इसमें एक कैलाश रामलाल है, नागदा का है, जो बेचारा खुद सब्जी बेचता है उसकी पत्नी झाड़ू-पोंछे का काम करती है और उसके बाद भी उसका बीपीएल सूची से बिना परीक्षण किये हुए नाम काट दिया गया है. ऐसे ही कमठाना से शिवनारायण हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  आप तो यह नाम उनको दे दें.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत--  तो जो इस प्रकार से बिना जांच करे हुए नाम काट दिये हैं ऐसे लोगों की भी जांच करा के उनका वापस बीपीएल कार्ड बनाएंगे और उनको शासन की मंशा अनुरूप हित लाभ दिलवाएंगे क्या?

          श्री गोपाल भार्गव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 5519 लोगों की सूची अभी मुझे प्राप्‍त हो गई है. मैं यह सूची सदस्‍य जी को दे देता हूं. वह इसमें देख लें, इस सूची में से जिन पात्र  बीपीएल कार्डधारियों के नाम गैर वाजिब ढंग से काटे गए होंगे, उनके नाम हम पुन: जुड़वा देंगे.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत-  माननीय मंत्री जी जो लोग अपात्र है, उनकी सूची तो ठीक है. परंतु जिनके बीपीएल कार्ड बने हुए थे और उनके नाम वर्तमान में सूची से काट दिये गए हैं तो क्‍या आप उनके नाम पुन: सूची में जुड़वायेंगे ?

            श्री गोपाल भार्गव-  अध्‍यक्ष महोदय, जो लोग भी बीपीएल कार्ड हेतु पात्र होंगे, उनके नाम हम जुड़वा देंगे.

स्कूल एवं कॉलेजों की बसों हेतु जारी परमिट

12. ( *क्र. 3684 ) श्री जितू पटवारी : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर एवं उज्‍जैन जिले में स्‍कूल एवं कॉलेजों की कितनी बसों के परमिट वर्तमान में जारी हैं? तहसीलवार जानकारी देवें। (ख) क्‍या स्‍कूल की बसों में महिला कंडक्‍टर सी.सी.टी.वी. कैमरे, फर्स्‍ट एड बॉक्‍स, फिटनेस सर्टिफिकेट एवं परमिट व अन्‍य सुरक्षा के उपायों का पालन करना अनिवार्य है? (ग) प्रश्‍नांश (ख) के अंतर्गत विगत एक वर्ष में ऐसी कितनी बसें हैं, जिनमें सुविधाओं की कमी के चलते जुर्माना एवं अन्‍य दण्‍ड दिया गया है? संख्‍यावार जानकारी किस कमी के कारण जुर्माना लगाया गया, की जानकारी देवें। (घ) प्रश्‍नांश (क) के अंतर्गत ओव्हर लोडिंग को लेकर आर.टी.ओ. द्वारा की गई कार्यवाही का भी ब्‍यौरा तहसीलवार उपलब्‍ध करायें।

गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) इन्दौर एवं उज्जैन जिले में स्कूल एवं कॉलेजों में शैक्षणिक संस्थाओं के वर्तमान में कुल 3664 परमिट जारी किये गये हैं। तहसीलवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार हैं। (ख) सुरक्षा साधनों का उपयोग करना अनिवार्य है। (ग) 01. इन्दौर जिले में कुल 70 बसों के विरूद्ध कार्यवाही की गई। विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' एवं ब-1 अनुसार है। 02. उज्जैन जिले में कुल 65 बसों के विरूद्ध कार्यवाही की गई। विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (घ) 01. इन्दौर जिले में शैक्षणिक संस्था की बसों में ओवर लोडिंग का कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आने से कार्यवाही नहीं की है। 02. उज्जैन में 22 स्कूल बसों में ओवलोडिंग के संबंध में परिवहन विभाग द्वारा कार्यवाही की जाकर राशि रूपये 85,400/- की वसूली की गयी। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है।

          श्री जितू पटवारी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्‍न के बिंदु क्रमांक '''' में पूछा है कि क्‍या स्‍कूल की बसों में महिला कंडक्‍टर, सीसीटीवी कैमरे, फर्स्‍ट एड बॉक्‍स, फिटनेस सर्टिफिकेट एवं परमिट व अन्‍य सुरक्षा के उपायों का पालन करना अनिवार्य है ? मुझे मंत्री जी की ओर से उत्‍तर प्राप्‍त हुआ कि हां, सुरक्षा के साधनों का उपयोग अनिवार्य है. मेरे द्वारा अपने प्रश्‍न के बिंदु ख के प्रश्‍नांश में पूछा गया है कि क्‍या उक्‍त सुरक्षा साधनों का प्रयोग न करने वाली बसों पर इंदौर, उज्‍जैन संभाग में किसी प्रकार की कोई कार्यवाही की गई है क्‍या ? इस हेतु मुझे एक सूची उपलब्‍ध कराई गई है परंतु सूची में बसों पर हुई कार्यवाही से संबंधित जिन कारणों का उल्‍लेख किया गया है, उसमें से एक भी कारण मेरे द्वारा पूछे गए कारणों से संबंधित नहीं है. केवल मोटर व्‍हीकल एक्‍ट की सामान्‍य प्रक्रिया के तहत जारी कारणों का उल्‍लेख किया गया है. मेरा प्रश्‍न यह है कि तीन माह पूर्व उज्‍जैन में एक बच्‍ची के साथ स्‍कूल बस के कंडक्‍टर ने बलात्‍कार किया था. इस प्रकरण के पश्‍चात् शासन द्वारा निर्णय लिया गया था कि स्‍कूल बस में महिला कंडक्‍टर का होना अनिवार्य है. परंतु वर्तमान में लगभग 90 प्रतिशत स्‍कूल बसों में महिला कंडक्‍टर नहीं होती हैं और आपके द्वारा इस आधार पर किसी भी स्‍कूल बस पर कार्यवाही नहीं की गई है. क्‍या आप उक्‍त आधार पर स्‍कूल बसों पर कार्यवाही करेंगे ? स्‍कूलों में कार्यरत सभी कर्मचारियों विशेषकर बसों में कार्यरत कर्मचारियों को पुलिस वेरीफिकेशन के पश्‍चात् कार्य पर रखने का नियम है क्‍या ? यदि ऐसा नियम नहीं है तो क्‍या आप इस संबंध में आवश्‍यक निर्देश जारी करेंगे ?

            श्री भूपेन्‍द्र सिंह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश में चल रही स्‍कूल बसों पर सेंट्रल मोटर व्‍हीकल एक्‍ट लागू होता है. स्‍कूल बसों के संचालन हेतु सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी गाइड लाईन जारी की गई है. सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाईन के अनुसार स्‍कूल बस के ड्रायवर को कम से कम 5 साल का ड्रायविंग अनुभव होना चाहिए. हमारे परिवहन विभाग द्वारा स्‍कूल बसों को परमिट तब ही जारी किया जाता है, जब उन बसों का स्‍कूल से अनुबंध हो. सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाईन के अनुसार बसों के अंदर फर्स्‍ट एड बॉक्‍स, फिटनेस सर्टिफिकेट एवं स्‍कूल प्रबंधन की ओर से कोई एक व्‍यक्‍ति बच्‍चों को लाने व छोड़ने के लिए होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाईन में इस बात का उल्‍लेख नहीं है कि स्‍कूल प्रबंधन से संबंधित व्‍यक्‍ति महिला हो अथवा पुरूष. इसके अतिरिक्‍त बसों में स्‍पीड गर्वनर, साइड में रेलिंग या जाली भी होनी चाहिए. अध्‍यक्ष जी, सेंट्रल मोटर व्‍हीकल एक्‍ट के तहत जब स्‍कूल, बस के साथ अनुबंध करेगा तब ही उस बस को परमिट प्रदान किया जायेगा. हमारे राज्‍य के अंदर स्‍कूल, बसों को छोड़कर जो अन्‍य वाहन बच्‍चों को लाने ले जाने हेतु प्रयोग में आते हैं, उनके साथ अनुबंध नहीं करते हैं और इसी कारण परिवहन विभाग बसों के अतिरिक्‍त उन वाहनों को परमिट जारी नहीं कर पाता है. स्‍कूल बसों पर हुई कार्यवाही के संबंध में आपका जो प्रश्‍न है, उसके संबंध में मैं बताना चाहूंगा कि 70 बसों पर उज्‍जैन में और 65 बसों पर इंदौर में कार्यवाही की गई है.

          श्री जितू पटवारी-  मंत्री जी आपके द्वारा मेरे प्रश्‍न के तारतम्‍य में जो उत्‍तर दिया गया है और उसमें बसों पर की गई कार्यवाही के जो कारण बताए गए हैं उनमें मोटे तौर पर एक ही कारण का उल्‍लेख है कि बसों में साइड में पीछे की ओर एक दरवाजा होना चाहिए, वह नहीं होने के कारण स्‍कूल बसों पर मुख्‍यत: कार्यवाही की गई है. मेरा निवेदन है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाईन का पालन न करने वाले स्‍कूल बस संचालकों पर आप अभियान चलाकर कार्यवाही करेंगे क्‍या ?

          श्री भूपेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का बहुत ही अच्छा प्रश्न है हमने 01 जुलाई से लेकर 15 जुलाई तक मध्यप्रदेश में जो स्कूल बसें अवैध रुप से चल रही हैं इनके विरुद्ध अभियान चलाया था. इस अभियान में 5614 बसों की इन 15 दिनों में जांच की गई इसमें 198 बसें ऐसी थीं जिनकी फिटनेस निरस्त की गई. इसके साथ ही जो गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहे थे ऐसी बसों की संख्या 2042 थी. इन सब से 38 लाख की राजस्व वसूली हुई है. इस प्रकार से अभियान चलाकर पूरे प्रदेश में कार्यवाही की गई.

          श्री जितू पटवारी--धन्यवाद मंत्री जी. एक और अनुरोध था कि पिछले सत्र में मुख्यमंत्री जी ने राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में कहा था कि जो 120 रुपये प्रति बच्चा टैक्स लगता है उसको घटाकर 12 रुपया कर दिया जाएगा. यह सहायता उन अभिभावकों और बच्चों तक नहीं पहुंच पाई है. इस  पर शासन ध्यान देगा तो अच्छा होगा. धन्यवाद.

          श्री भूपेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जितू पटवारी जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न आज यहां पर उठाया और यह पूरे प्रदेश की समस्या है. हमारे प्रदेश के अन्दर गरीब से गरीब बच्चा भी स्कूल जा सके इसलिए हमने परिवहन विभाग से निर्णय किया है कि मध्यप्रदेश में हम स्कूल बसों से एक पैसे का भी टैक्स नहीं लेते हैं. मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जहां पर हम स्कूल बसों से एक रुपये का भी टैक्स नहीं ले रहे हैं. इसके पीछे सरकार की मंशा यह है कि जो स्कूल बसें चल रही हैं इनमें गरीब से गरीब बच्चा स्कूल जा सके उस पर आर्थिक बोझ न आए इसके पीछे सरकार की यही मंशा थी. जिलों से से शिकायत आती है कि स्कूल बसों के द्वारा ज्यादा किराया लिया जा रहा है इसके लिए अभी तक कोई सिस्टम हमारे प्रदेश में नहीं था. हमने कलेक्टर की अध्यक्षता में  जिला स्तर पर किराया निर्धारण समिति का गठन किया है इस निर्णय को एक वर्ष हो गया है. कलेक्टर इस समिति के माध्यम से  जिले में बैठकर स्कूल बसों के किराए का निर्धारण करते हैं. इससे काफी हद तक इस पर नियंत्रण करने में हमें सफलता प्राप्त हुई है. इस तरह से हम प्रयास कर रहे हैं.

         

          प्रधानमंत्री सड़क योजना से सड़कों का निर्माण

13. ( *क्र. 2686 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत जुन्‍नारदेव विधानसभा क्षेत्र में पिछले 5 वर्षों में प्रधानमंत्री सड़क योजना से इकाई क्र. 03 में कितनी सड़कों का निर्माण कराया गया है? (ख) क्‍या प्रश्‍नांश (क) के अंतर्गत सड़कों के लिये स्‍वीकृत राशि व गुणवत्‍ता के आधार पर निर्माण कार्य कराया गया है? (ग) क्‍या प्रश्‍नांश (क) का कार्य ठेकेदार द्वारा कराया गया है? ठेकेदार द्वारा जुन्‍नारदेव के ग्राम गुर्रेखुरईमक, साजकुही से खमरा, चाखला से खैरवानी, इकलामासानी गालेआम, पातालकोट सड़क की जर्जर हालत होने एवं गुणवत्‍ता से कार्य न कराये जाने के लिये कौन दोषी है? (घ) क्‍या इसकी जाँच किसी बड़ी एजेंसी से कराकर घटिया कार्य के लिये दोषी पाये जाने वाले अधिकारी/ठेकेदार /कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही की जावेगी?

पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) छिंदवाड़ा जिले के अंतर्गत जुन्नारदेव विधानसभा क्षेत्र में विगत 5 वर्षों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत परियोजना क्रियान्वयन इकाई क्रमांक 3 द्वारा 58 सड़कों का निर्माण कार्य पूर्ण कराया गया है। (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ। ठेकेदार द्वारा चिकट बर्री से गुर्रेखुरईमक, साजकुही से खमरा, चिकटबर्री से भालेआम एवं डोगरा बी.सी.के.एच.सी. करेआम (पातलकोट) सड़क का निर्माण कार्य कराया गया है जिसकी गुणवत्ता का परीक्षण स्टेट क्वालिटी मॉनीटर द्वारा किया गया है जिसमें किसी भी सड़क की गुणवत्ता असंतोषजनक नहीं पाई गई है। वर्तमान में उक्त सड़कें गारंटी अवधि के अंतर्गत संधारण में हैं। चिकटबर्री से इकलामासानी सड़क को छोड़कर अन्य सड़कों का ठेकेदारों द्वारा संधारण कार्य कराया जा रहा है। चिकटबर्री से इकलामासानी सड़क ठेकेदार द्वारा संधारण नहीं करने के कारण ठेकेदार के विरूद्ध अनुबंधानुसार कार्यवाही कर ठेका निरस्त कर बैक गारंटी का नगदीकरण कराया जाकर नवीन निविदा जारी की गई है। चाखला से खैरवानी सड़क इस योजनांतर्गत नहीं बनाई गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत त्रिस्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली के अंतर्गत सड़कों की गुणवत्ता का सतत्‌ परीक्षण किया जाता है, अतः अन्य किसी जाँच की आवश्यकता नहीं है। उत्तरांश (ग) अनुसार संधारण कार्य नहीं कराने के लिये उत्तरदायी ठेकेदार के विरूद्ध कार्यवाही की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।

          श्री नथनशाह कवरेती--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर (ग) में आया है कि जिसकी गुणवत्ता का परीक्षण स्टेट क्वालिटी मॉनीटर द्वारा किया गया है. मेरे जुन्नारदेव विधान सभा क्षेत्र में चिकट बर्री से गुर्रेखुरईमक, साजकुही से खमरा, चिकटबर्री से भालेआम एवं डोगरा बी.सी.के.एच.सी. करेआम (पातालकोट) की जो सड़कें बनी हैं वे सड़कें पूरी टूट गई हैं. उसमें मंत्री जी का उत्तर आया है कि प्रधानमंत्री सड़क योजनांतर्गत  त्रिस्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली के अंतर्गत सड़कों की गुणवत्ता का सतत् परीक्षण किया जाता है, अत: किसी जांच की आवश्यकता नहीं है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की जो सड़के हैं जिन्हें ठेकेदार द्वारा बनाया गया है वह सड़कें आधी से ज्यादा टूटी हुई हैं. हमारे क्षेत्र में एक चिकना पत्थर होता है ठेकेदार को काला पत्थर डालना चाहिए उन्होंने चिकना पत्थर डाला है जो कि डामर को नहीं पकड़ता है. ऐसे पत्थर डालकर उन्होंने डामरीकरण किया है. मेरा निवेदन है कि इन सड़कों की जांच करके अधिकारियों को दण्ड दिया जाए.

          श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, जुन्नारदेव विधान सभा क्षेत्र में पिछले 5 वर्षों में 58 सड़कों का निर्माण किया गया है. माननीय सदस्य ने जिन सड़कों का उल्लेख किया है इन सड़कों का और अन्य सड़कों को हमारा त्रि-स्तरीय निगरानी का तंत्र और क्ववालिटी मॉनीटर्स  देखते हैं. विभागीय अधिकारी भी देखते हैं इसके बाद स्टेट क्वालिटी मॉनीटर होते हैं बाद में नेशनल क्वालिटी मॉनीटर होते हैं. मुझे यह बताते हुए खुशी है कि हिन्दुस्तान में इस योजना के अन्तर्गत जितनी भी प्रधानमंत्री सड़क बनी हैं, नेशनल क्वालिटी मॉनीटर्स जब भी आए हैं उन्होंने मध्यप्रदेश में 94-95 प्रतिशत सक्सेस आंकलित की है. यह हमारे राज्य के लिए गर्व की बात है.

            श्री रामनिवास रावत :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पाईंटेड उत्‍तर आये. आप ही  कहते हैं कि प्रश्‍न ज्‍यादा से ज्‍यादा हो. भाषण क्‍यों दे रही हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- यह काम में करूंगा कि आप करेंगे. आप वहां से गाइड नहीं कर सकते हैं.

          श्री रामनिवास रावत :- मैं निवेदन कर रहा हूं.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, खुद का प्रश्‍न होगा तो लम्‍बा चलायेंगे. दूसरे का उत्‍तर आ रहा है, प्रश्‍नकर्ता को तकलीफ  नहीं है आपको तकलीफ हो रही है.

          श्री गोपाल भार्गव :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारा जो अच्‍छा पक्ष है, वह भी हमें बताना चाहिये. 58 सड़कें बनी हैं, और इसमें यदि सदस्‍य कह रहा है कि 5 सड़कों की गुणवत्‍ता कमजोर है, तो हम यह कहना चाहते हैं कि हम यहां से अधिकारी भेज कर पूरी जांच करवा लेंगे. प्रयोगशाला से जांच करवा लेंगे कि किस क्‍वालिटी का पत्‍थर, किस क्‍वालिटी का डामर लगा है, और यदि कहीं कोई गड़बड़ी पायी जायेगी, अधिकारियों कर्मचारियों की कोई मिलीभगत पायी जायेगी, किसी प्रकार की लापरवाही होगी तो उस पर कार्यवाही भी करेंगे.

          श्री नथनशाह कवरेती:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी उसकी जांच करायें, मेरा बस यही कहना है.

          श्री गोपाल भार्गव :- अध्‍यक्ष महोदय, मै जांच का ही तो कह रहा हूं, हम विभाग के अधिकारी भेजकर जांच करवा लेंगे.

सहकारी अधिनियम के विरूद्ध कार्यरत सदस्‍यों के विरूद्ध कार्यवाही

14. ( *क्र. 3648 ) श्री आरिफ अकील : क्या राज्‍यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या पीपनन सहकारी समिति मर्या. विदिशा में श्री विस्‍सू प्रतिनिधि प्रा. मत्स्‍य सहकारी समिति मर्या. काठपुर, श्रीमती कुंती बाई प्रतिनिधि सुनीता नेहला बहुउद्देशीय सहकारी सोसायटी मर्या. विदिशा, श्री रामपाल सिंह प्रतिनिधि दुग्‍ध सहकारी संस्‍था मर्या. दीताखेड़ी संस्‍था सदस्‍य नहीं हैं? (ख) यदि हाँ, तो क्‍या दिनांक 31 मार्च 2015 तक उपरोक्‍त समिति पीपनन सहकारी समिति मर्या. विदिशा के सदस्‍य नहीं होने के बावजूद प्रश्‍नांश (क) में उल्‍लेखित लोगों को किस नियम के तहत तथा कब संचालक बनाया गया? (ग) क्‍या शासन सहकारी अधिनियम का उल्‍लंघन कर पीपनन सहकारी समिति मर्या. विदिशा की संचालक मण्‍डल की बैठक में भाग लेने वाले श्री विस्‍सू, श्रीमती कुंती बाई और श्री रामपाल सिंह को हटाकर और इनके द्वारा जो कार्यवाहियां की गई हैं, उन्‍हें निरस्‍त करते हुए वैधानिक कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक और यदि नहीं, तो क्‍यों कारण सहित बतावें।

राज्‍यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी नहीं, संस्‍था के निर्वाचन हेतु जारी अंतिम सदस्‍यता सूंची दिनांक 09.09.2014 के अनुसार प्रश्‍नांश में अंकित संस्‍थाएं विपणन सहकारी समिति मर्यादित विदिशा की सदस्‍य हैं। (ख) उत्‍तरांश (क) अनुसार, मध्‍यप्रदेश सहकारी सोसाइटी नियम 1962 के अध्‍याय 5-ए/क, सहकारी सोसाइटियों में निर्वाचन संचालन की प्रक्रिया के अंतर्गत निर्वाचित हुये हैं। (ग) कोई कार्यवाही अपेक्षित नहीं है, निर्वाचन संबंधी विवाद के लिये मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960 की धारा 64 (2) (पाँच) के अंतर्गत प्रावधान है, शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्री आरिफ अकील :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यस से सबसे पहले मंत्री जी को शुभकामनाऐं देता हूं कि आज पहली दफा उनसे प्रश्‍न पूछने का अवसर मिल रहा है कि हम एक दूसरे को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं. लेकिन उसके साथ-साथ यह पूछना चाहता हूं कि भाई साहब आपने जो जवाब दिया है. इस जवाब में मेहरबानी करके यह बताईये कि उन्‍होंने 2014 को जिन संस्‍थाओं के जिन मेंबरों का आपने उल्‍लेख किया है, उन्‍होंने मेंबर शुल्‍क किस तारीख को जमा किया है.

          श्री विश्‍वास सारंग :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आरीफ भाई ने बहुत ज्‍यादा शोले जैसा डायलाग मारा है, कि मुझे शुभकामनाएं है और मेरे जवाब में भी कुछ त्रुटि ... 

          डॉ नरोत्‍तम मिश्र :- अध्‍यक्ष जी एक शायरी थी वह अर्ज करना चाहता हूं दोनों के संवाद पर कहना चाहता हूँ कि -

          वो कहते हैं कि जीना होगा

          और जहर भी देते हैं,

          तो कहते हैं, पीना होगा,

           और जहर जब पीते हैं,

          तो कहते हैं, मरना भी नहीं हैं

          और जब मरते हैं तो कहते हैं जीना होगा.

          श्री विश्‍वास सारंग :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न विपनन संस्‍था विदिशा का है और माननीय सदस्‍य जी ने संस्‍थाओं की सदस्‍यता पर प्रश्‍न चिन्‍ह लगाया है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय विधायक जी को यह बताना चाहता हूं कि पूरे मामले में कोर्ट के निर्णय के बाद इनको सदस्‍यता दी गयी है और जो निहित तारीख थी, उसी समय पर उनके पैसे जमा कराये गये हैं,

          श्री आरिफ अकील :- अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह जानना चाहता हूं कि उन्‍होंने फीस किस तारीख को जमा की है.

          श्री विश्‍वास सारंग :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वही मैं जिक्र कर रहा हूं कि 2012 में सदस्‍यता दी गई थी और उसी समय फीस 100-100 रूपये जमा की गयी थी.

          श्री आरिफ अकील :- अध्‍यक्ष महोदय, मेरे पास वहां के संचालक और अध्‍यक्ष की एक सूची है, जिन्‍होंने डायरेक्‍रों की लिस्‍ट दी है, आप चाहो तो में आपके माध्‍यम से दे दूं. आप चाहो तो डायरेक्‍ट मंत्रीजी को दे दूं. इसमें उन लोगों का नाम नहीं है. जब इन संस्‍थाओं में उन लोगों का नाम नहीं है तो यह मेंबर कैसे हो गये, दूसरी बात यह है कि लम्‍बा, चौड़ा मामला चलेगा, यहां से लिस्‍ट चली गयी,वहां से डायरेक्‍टर बन गये. मैं आपसे एक अनुरोध करना चाहता हूं कि एक महीने के अन्‍दर मेहरबानी करके इसकी जांच करा कर इसकी व्‍यवस्‍था करेंगे कि यह लोग पात्र सदस्‍य नहीं हैं. इनकी मेंबरशीप फर्जी है.

          श्री विश्‍वास सारंग :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस विषय में जांच भी हो चुकी है और इस विषय में प्रकरण क्‍योंकि न्‍यायालय में गया था और डी.आर. कोर्ट ने इनकी सदस्‍यता को वैलिड माना है. इसलिये जांच का कोई प्रश्‍न नहीं उठता है. यह वैलिड सदस्‍य हैं, यह बात चुनाव के पहले अंतिम मतदाता सूची में इनका नाम आ गया था और अंतिम मतदात सूची में नाम आने के बाद ही इनका इलेक्‍शन हुआ है. इसलिये न जांच का विषय बनता है. दूसरी जो बात आरिफ भाई कह रहे हैं उसमें अध्‍यक्ष महोदय, इस पूरे निर्वाचन को लेकर तीन इलेक्‍शन पिटीशन पेंडिग है. हम जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है कि कोई भी निर्वाचन का जो निर्णय है,वह इलेक्‍शन पिटीशन के निर्णय के बाद ही स्‍थापित कर सकते हैं. यह हमारे प्रिव्‍यु में नहीं है, हमारे कार्यक्षेत्र में नहीं है.

          श्री आरिफ अकील :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक तरफ तो यह डायरेक्‍टर और संचालक यह लिखकर दे रहे हैं कि यह मेंबर नहीं हैं, दूसरी तरफ इनकी मेंबरशिप को लेकर ही पिटीशन लगी है. मंत्री जी बहुत बहुत चतुराई से उसको शामिल कर रहें हैं. मैं यह कहना चाहता हूं चतुराई आपकी जानते हैं, आप चतुर हो. लेकिन मेंबरशिप के बारे में पिटीशन लगा है उसका उल्‍लेख मत करिये. फिर यही होगा कि मंत्री जी को शेर पढ़ना पड़ेगा मैं यहीं कहूंगा कि

          ''हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,

           वह कत्‍ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती,

          कृपा करके न्‍याय कर दीजिये या ऐसी व्‍यवस्‍था कर दीजिये कि अगर मेंबर हैं, वैध मेंबर हैं, तो रखिये अवैध हैं तो आप न्‍यायालय में समय सीमा के लिये रिक्‍वेस्‍ट कर सकते हैं.

          श्री विश्‍वास सारंग :- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इलेक्‍शन पिटीशन का मामला है. इलेक्‍शन पिटीशन का जो भी निर्णय आयेगा, मैं आरिफ भाई को यह विश्‍वास दिलाता हूं.

            श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, यह जो इन्होंने शेर पढ़ा है कोई छोटा मोटा आदमी होता तो चल जाता आरिफ भाई का जितना बड़ा शरीर है उनकी आह भी उतनी ही बड़ी होगी बदनाम तो क्या चोपट ही हो जाएगा.

          श्री आरिफ अकील--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि आपका एक जुमला सरकार को बर्बाद कर देता है कि उस आह से बचो, गरीब की आह से बचो, गरीब की आह का मतलब ही वह बर्बाद हो जाता है, जो गरीब की आह लेता है वह कहीं का नहीं बचता है.       

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,  और यह कत्ल भी कर देते हैं तो चर्चा नहीं होती.

         

          अपेक्‍स बैंक में सलाहकार की नियुक्ति की जाँच

15. ( *क्र. 2562 ) श्रीमती शीला त्‍यागी : क्या राज्‍यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्तमान में अपेक्‍स बैंक में कितने सलाहकार कब से नियुक्‍त हैं? इनकी क्‍या विशिष्‍ट योग्‍यताएं हैं? क्‍या सलाहकार नियुक्‍त करने की स्‍वीकृति रजिस्‍ट्रार/शासन से प्राप्‍त की गई है? यदि नहीं, तो क्‍यों? (ख) सलाहकारों को कितना वेतन-भत्‍ता एवं अन्‍य सुविधाएं दी जाती हैं? वेतन-भत्‍ते एवं अन्‍य सुविधाएं प्राप्‍त करने का शासन स्‍तर पर क्‍या नियम एवं मापदण्‍ड बनाए गये हैं, की जानकारी नियम एवं आदेश की प्रति के साथ दें तथा उक्‍त सलाहकार द्वारा अपेक्‍स बैंक में क्‍या-क्‍या महत्‍वपूर्ण कार्य अपनी पदस्‍थापना अवधि में किए हैं? (ग) प्रश्‍नांश (क) अनुसार अपेक्‍स बैंक में 01 सेवा निवृत्‍त जिस अधिकारी को सलाहकार नियुक्‍त किया गया है, वह पूर्व की सेवा अवधि में कई बार निलंबित हुआ तथा कई अनुशासनात्‍मक कार्यवाही की गई। ऐसे भ्रष्‍ट, अयोग्‍य व्‍यक्ति को सलाहकार पद पर रखने का औचित्‍य क्‍या है? (घ) प्रश्‍नांश (क) से (ग) यदि हाँ, तो उक्‍त अयोग्‍य अधिकारी को सलाहकार के पद से कब तक हटाते हुए नियोक्‍ता के विरूद्ध कार्यवाही करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों?

राज्‍यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। सलाहकार नियुक्त करने की स्वीकृति रजिस्ट्रार/शासन से नहीं ली गयी। संचालक मंडल निर्णय लेने हेतु सक्षम है। (ख) वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। शासकीय विभागों में परामर्शी नियुक्त करने के संबंध में वित्त विभाग से जारी परिपत्र की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। सलाहकारों द्वारा किये गये कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है(ग) अपेक्स बैंक के सेवानिवृत्त संवर्ग अधिकारी जिन्हें सलाहकार नियुक्त किया गया है, को एक बार निलंबित किया गया था तथा विभागीय जाँच के उपरांत उन्हें दंड दिया गया था। उक्त आदेश को न्यायालय उप पंजीयक, सहकारी संस्था म.प्र. जिला भोपाल द्वारा शून्य घोषित कर निरस्त किया गया था। भ्रष्टाचार से संबंधित कोई आरोप नहीं थे। भ्रष्टाचार के आरोप नहीं होने तथा बैंक में उनके कार्य की आवश्यकता होने से बैंक प्रबंधन द्वारा उन्हें सलाहकार नियुक्त किया गया है। (घ) उत्तरांश (से () के परिप्रेक्ष्य में बैंक प्रबंधन द्वारा हटाने की आवश्यकता नहीं होने के कारण प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

 

          श्रीमती शीला त्यागी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न अपेक्स बैंक से संबंधित है. प्रदेश की सहकारी संस्थाओं एवं को-आपरेटिव बैंकों का हेड ऑफिस होता है. यदि प्रधान कार्यालय में ही इतनी अनियमितता एवं गोल-माल होता है तो लाखों संस्थाओं एवं बैंकों का क्या ऑलम होगा. मैंने माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से प्रश्न पूछा था कि वर्तमान में अपेक्स बैंक में कितने सलाहकार कब नियुक्त हुए और इनकी क्या विशिष्ट योग्यताएं होनी चाहिये. क्या सलाहकार नियुक्त करने की स्वीकृति रजिस्ट्रार तथा शासन से प्राप्त की गई है. माननीय मंत्री जी ने अपने प्रश्न के जवाब में बताया है कि मिनिमम एक दिन तथा अधिकतम

2 वर्ष का कोई भी एडवाईजर सहकारी संस्थाओं में सलाहकार रह सकता है. कंडिका क्रमांक 6 में जो प्रश्न का उत्तर माननीय मंत्री जी ने दिया है उसमें शासन के नियम तथा आदेश के कार्यावधि के कम से कम एक दिन एवं मिनिमम 2 वर्ष होना चाहिये. जैसे डॉक्टर को दिखाना है तो परामर्श फीस देकर उसमें भी एक महीने का काम खत्म हो जाता है तो हम तुरंत ही दवाई ले लेते हैं इसी प्रकार किसी व्यक्ति को बिना काम के दाम दिया जा सकता है.

          श्री विश्वास सारंग--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्या को बताना चाहता हूं कि अपेक्स बैंक में जो भी सलाहकार नियुक्त किये गये हैं, यह उनके अधिकार क्षेत्र का मामला है. पहले भी इस तरह की परम्परा रही है उनका बोर्ड सक्षम है कि अपने कार्य के निष्पादन के लिये वह जिस स्तर के चाहें, जैसा चाहें अपने सलाहकार नियुक्त कर सकते हैं इसमें जो भी हुआ है उनके संचालक-मंडल ने किया है.

          अध्यक्ष महोदय, प्रश्न संख्या 16 (अनुपस्थित)

          श्रीमती शीला त्यागी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे दो पूरक प्रश्न और बनते हैं जैसा कि माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है उसमें मेरा कहना यह है कि किसी भी कर्मचारी की दक्षता एवं क्षमता का लाभ लेने के लिये उसकी आयु 60 से 62 वर्ष होना चाहिये वह नौकरी में रह सकता है, लेकिन अनुभव का लाभ एक अथवा दो वर्ष में लिया जा सकता है जिसके तहत 2005 से लेकर 2008 तक--

 

            श्रीमती शीला त्यागी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न पूरा ही नहीं हुआ है.

          श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न 17 नंबर है पर है आप बैठिये मुझे प्रश्न करने दें.

          श्रीमती शीला त्यागी--अध्यक्ष महोदय, फिर यह लोग कहते हैं कि बीएसपी के लोग ऐसा-वैसा करते हैं यह खुद क्यों नहीं बैठ जाते हैं.

          श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, उनका सवाल तो पूरा होने दीजिये.

          श्रीमती शीला त्यागी--अध्यक्ष महोदय, सत्तापक्ष के लोग हमेशा मेरे प्रश्न में व्यवधान पैदा करते हैं.

          अध्यक्ष महोदय--श्रीमती शीला त्यागी जी आप बोलिये.

          श्रीमती शीला त्यागी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना यह है कि किसी कर्मचारी की दक्षता एवं क्षमता का लाभ लेने के लिये शासन ने 60 से 62 वर्ष तक शासन ने नौकरी आदि में रखा है लेकिन अनुभव का लाभ एक अथवा दो वर्ष के लिये रिटायरमेन्ट के बाद लिया जा सकता है.

          अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाएं. आप लिखकर के बोल रही हैं. श्री विजय सिंह सोलंकी, श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार

          श्रीमती शीला त्यागी--क्या किसी निलंबित कर्मचारी को दोबारा सेवा में लिया जा सकता है. क्या कोई अच्छी छबि का व्यक्ति सहकारी संस्थाओं में नहीं है क्या ?

          अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाएं आपका उत्तर आ गया है.

          श्रीमती शीला त्यागी--अध्यक्ष महोदय, जब उसी संस्था में कानूनी सलाहकार को मात्र 10 हजार रूपये दिये जाते हैं और एक व्यक्ति को बिना काम के 60-70 हजार रूपये दिये जाते हैं.

          श्रीमती शीला त्‍यागी- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सत्‍ता पक्ष के लोग मुझे बोलने नहीं देते हैं इनका सोचना है कि बहुजन समाज पार्टी के लोगों को नहीं बोलने देंगे मैं भी इनको डिस्‍ट्रब करूंगी ।

          अध्‍यक्ष महोदय-  आपका प्रश्‍न आ गया था और उसका उत्‍तर भी आ गया था.

 

 

 

          कैलारस तहसील में नामांतरण प्रकरण में अनियमितता

17. ( *क्र. 3357 ) श्री सत्‍यपाल सिंह सिकरवार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या मुरैना जिले की कैलारस तहसील में नामांतरण प्रकरण क्र. 45/अ.6/2014-15 दिनांक 23.10.2015 में विक्रय पत्र के साक्षी रामभरोषी एवं क्रेता हरीराम गौड़ पुत्र काशीराम के बयान पर सरमनलाल गौड़ (जीवित) को मृत बताकर नामांतरण किया गया था? यदि हाँ, तो प्रकरण की भूमि सर्वे, रकबा, दिनांक सहित पूर्ण जानकारी दें? (ख) क्‍या प्रकरण में साक्षी रामभरोषी जाति गौड़, निवासी ग्राम सुर्जमा तहसील कैलारस द्वारा अपने शपथ पत्र में साक्षी होने को असत्‍य, भ्रामक, कूटरचित दस्‍तावेज तैयार करना बताया है? पटवारी की क्‍या टीप थी, इसके लिये कौन अधिकारी, कर्मचारी व्‍यक्ति दोषी है? शासन उनके खिलाफ क्‍या कार्यवाही करेगा? क्‍या उक्‍त प्रकरण में वरिष्‍ठ अधिकारियों से शिकायत की गई थी? प्रशासन द्वारा शिकायत पर क्‍या कार्यवाही की गई। शिकायतकर्ता का नाम, पता, दिनांक सहित की गई कार्यवाही की जानकारी दी जावे।  

राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। ग्राम कैलारस की भमि सर्वे क्रमांक 977, प्‍लाट नम्‍बर 76 रकबा 800 में से 287.5 वर्ग फुट का विक्रय पत्र क्रमाक 1093 दिनांक 09/06/1971 का है। (ख) विक्रय पत्र साक्षी रामभरोषी द्वारा अपने शपथपूर्वक कथनो में अंकित कराया है कि मैं सरवनलाल व हरीराम को जानता हूँ। सरवनलाल द्वारा अपने स्‍वत्‍व की कैलारस स्थित भूमि सर्वे क्रमांक 977 प्‍लाट नम्‍बर 76 रकवा 800 वर्गफुट में से हरीराम को विक्रय की थी विक्रेता सरवनलाल की मृत्‍यु हो चुकी है। उक्‍त प्‍लाट निर्मित मकान में हरीराम ही अपने परिवार के साथ निवास कर रहा है। विक्रय पत्र पर गवाही में मेरे हस्‍ताक्षर हैं। प्रकरण में पटवारी द्वारा पटवारी अभिलेख कृषि भिन्‍न आशय की खतौनी प्रतिलिपि प्रस्‍तुत की है। जिसमें सर्वे क्रमांक 977 प्‍लाट नम्‍बर 76 रकवा 800 वर्गफुट पर सरवनलाल पुत्र रामचरण जाति बढ़ई निवासी ग्राम अंकित है। म.प्र. भू-राजस्‍व संहिता 1959 की धारा 109 में उल्‍लेख है कि जब विक्रय विलेख रजिस्‍टीकृत हो तब राजस्‍व न्‍यायालय उसकी विधिमान्‍यता की जाँच नहीं कर सकता, व्‍यथित व्‍यक्ति सिविल न्‍यायालय में जा सकता है। प्रकरण में नामांतरण मुताबिक रजिस्‍टर्ड विक्रय पत्र किया गया है ना कि फौती के आधार पर इसलिये किसी अधिकारी/कर्मचारी का कोई दोष नहीं पाया  गया ।

          श्री सत्‍यपाल सिंह सिकरवार-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्‍न है और उस प्रश्‍न का माननीय मंत्री महोदय ने जो जबाव दिया है मैं उससे बिल्‍कुल संतुष्‍ट नहीं हूं मैंने पूछा है कि नामांतरण प्रकरण दिनांक 23.10.2015 में विक्रय पत्र के साक्षी.........

          अध्‍यक्ष महोदय-  समय समाप्‍त हो गया है ।  आप एक प्रश्‍न पूछिए । 

          श्री सत्‍यपाल सिंह सिकरवार-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्‍न किया था मैं उससे बिल्‍कुल संतुष्‍ट नहीं हूं ।

          श्रीमती शीला त्‍यागी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न का उत्‍तर नहीं आया है ।

          अध्‍यक्ष महोदय- आपका उत्‍तर आ गया ।

          श्री सत्‍यपाल सिंह सिकरवार-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नामांतरण प्रकरण जिसमें राभरण जो श्रवणलाल गौड़ है जो विक्रेता है और रामभरोसी जो इसमें गवाह थे । क्‍या श्रवणलाल जीवित हैं या मृत हैं । क्‍या रामभरोसी ने जो कथन दिए हैं यह उसी के कथन है या किसी और के कथन हैं ?

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, श्रवणलाल जीवित हैं और हमारे हिसाब से जो कथन दिए गए हैं वह सही हैं ।

          श्री सत्‍यपाल सिंह सिकरवार-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उनको मृत घोषित किया गया है । मेरे पास कागज है कि तहसीलदार ने मृत घोषित किया है । एक व्‍यक्ति को मृत घोषित कर दिया गया है जो कि जीवित है । वह इसके लिए लड़ाई लड़ रहा है कि मैं जीवित हूं । (व्‍यवधान) माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे पास तहसीलदार के प्रमाण हैं ।

          अध्‍यक्ष महोदय- एक मिनट आप बैठ जाएं आप सुन लें । आप सभी बैठ जाइए. दण्‍डोतिया जी बैठ जाइए । प्रश्‍नकाल समाप्‍त होने के पहले चूंकि आपका नाम बुला लिया गया था इसलिए आपको एक अनुपूरक प्रश्‍न पूछने की अनुमति दी थी ।  आपने अनुपूरक प्रश्‍न पूछ लिया और उसका उत्‍तर भी आ गया और वह उत्‍तर इसमें लिखा भी था पर फिर भी आपने वही पूछा जबकि आप कोई अन्‍य पूरक प्रश्‍न पूछ सकते थे ।  इसलिए अब उस पर कोई बात नहीं होगी ।

          श्री सत्‍यपाल सिंह सिकरवार-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी बात सुन ली जाए कि वह व्‍यक्ति जिंदा है मेरे पास प्रमाण है वह शासन द्वारा पेंशन प्राप्‍त कर रहा है ।

          अध्‍यक्ष महोदय-  ठीक है प्रश्‍न पूछ लीजिए ।

          श्री सत्‍यपाल सिंह सिकरवार-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न में जिसको मृत बताया जा रहा है वह व्‍यक्ति जीवित है उसने कलेक्‍टर महोदय को आवेदन दिया है कि मैं जीवित हूं और रामभरोसी जिसके कथनों के आधार पर उस व्‍यक्ति का मृत घोषित किया गया है उसने भी शपथ पत्र दिया है कि उसने ऐसे कोई कथन नहीं दिए हैं ।  मेरा कहना है कि तहसीलदार ने कूटरचित दस्‍तावेज तैयार कर श्रवणलाल को मृत घोषित किया । क्‍या तहसीलदार के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी क्‍या उसको निलंबित किया जाएगा ?

          अध्‍यक्ष महोदय-  ठीक है आप बैठ जाइए ।

          श्री उमाशकर गुप्‍ता-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने अपने जवाब में कहा है कि रिकार्ड के हिसाब से वह जीवित है !  यह जो नामांतरण हुआ है, वह फौती आधार पर नहीं हुआ है । यह नामांतरण रजिस्‍टर्ड विक्रय पत्र के आधार पर हुआ है फिर भी अगर कोई अन्‍य तथ्‍य माननीय सदस्‍य देंगे तो जांच के  बाद कार्यवाही करा लेंगे ।

          श्री सत्‍यपाल सिंह सिकरवार-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उसको मृत घोषित करके 45 साल बाद नामांतरण हो रहा है ?

            अध्‍यक्ष महोदय-  प्रश्‍न काल समाप्‍त. 

                                                (प्रश्‍न काल समाप्‍त)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

नियम 267-क के अधीन विषय      

           

         

         

 

श्री रामनिवास रावत माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी हाल ही में सम्‍पन्‍न हुए कुंभ में ....(व्‍यवधान)

श्री सत्‍यपाल सिंह सिकरवार श्री रामनिवास रावत जी, मैं एक मिनट में अपनी बात खत्‍म कर रहा हूँ. अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूँ कि इस सदन में शेर नहीं आयें क्‍योंकि शेर सदन में घुस जाते हैं तो पूरे प्रश्‍न ही खा जाते हैं.

पं. रमेश दुबे माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज के समाचार-पत्रों में सदन के माननीय सदस्‍य ने आसंदी के खिलाफ घोर आपत्तिजनक टिप्‍पणी की है.

श्री आर.डी.प्रजापति माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अवैध उत्‍खनन के बारे में माननीय मंत्री जी ने कहा था कि जो सदन में बोला गया है, वह सही है. मैंने उस अधिकारी को 7 बार निलंबित करने के लिए कहा है, लेकिन आज तक निलंबित नहीं किया गया है. (व्‍यवधान)

अध्‍यक्ष महोदय कृपया बैठ जाएं. एक-एक बोलेंगे तो मैं सुन पाऊँगा. आप लोग भी बैठ जाएं. अभी मैं सभी को टाईम देता हूँ.

श्री आर.डी.प्रजापति माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस सदन में, माननीय मंत्री जी ने कहा है कि जो माननीय सदस्‍य ने कहा था, हम उसको पूरा करेंगे. लेकिन आज तक निलंबित नहीं किया गया है, आप चाहें तो कार्यवाही देख लें.

अध्‍यक्ष महोदय आप बैठ जाइये. मैंने केवल बाबूलाल गौर जी को अनुमति दी है. 

श्री बाबूलाल गौर (गोविन्‍दपुरा) माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बैतूल जिले के सारणी, पाथाखेड़ा और दो अन्‍य खदानों आदि में विद्युत केन्‍द्रों के पोलों पर आधारित कार्य शासन ने बंद कर दिये हैं, जिसके कारण लगभग 4 हजार ठेका मजदूर बेरोजगार हो गए हैं, जिससे उनके परिवारों का भरण-पोषण नहीं हो पा रहा है ।

          अध्‍यक्ष महोदय -  श्री रामनिवास रावत.        

          श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे कोई विषय नहीं उठाना हैं. मैंने, नियमों के माध्‍यम से सिंहस्‍थ में हुए बड़े भारी घोटाले के संबंध में आपके सचिवालय में स्‍थगन प्रस्‍तुत किया है. हमारे कई सदस्‍यों ने स्‍थगन प्रस्‍तुत किया है.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम चाहते हैं कि स्‍थगन पर चर्चा करा ली जाये, स्‍थगन स्‍वीकार कर लिया जाये. हमारा विनम्र निवेदन है कि प्रदेश में कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है और कर्ज लेकर घी पीने का काम सरकार कर रही है. इसमें बड़ा भारी भ्रष्‍टाचार हुआ है एवं इसमें सारी बातें भी आ जायेंगी इसलिए स्‍थगन स्‍वीकार कर लें.

अध्‍यक्ष महोदय आपका स्‍थगन अस्‍वीकार कर दिया गया है क्‍योंकि वह तात्‍कालिक विषय नहीं था.

श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वह तात्‍कालिक विषय कैसे नहीं है ? प्रदेश में भ्रष्‍टाचार होता रहे और यह तात्‍कालिक विषय नहीं है.

अध्‍यक्ष महोदय अब सिंहस्‍थ समाप्‍त ही हो गया है.

श्री रामनिवास रावत -  अध्‍यक्ष महोदय, इससे भ्रष्‍टाचार को संरक्षण मिलेगा.

श्री मुकेश नायक सिंहस्‍थ तो समाप्‍त हो गया लेकिन भ्रष्‍टाचार समाप्‍त नहीं हुआ.

श्री रामनिवास रावत सिंहस्‍थ में भ्रष्‍टाचार, पीएससी मामले में भ्रष्‍टाचार ….

अध्‍यक्ष महोदय आप स्‍थगन प्रस्‍ताव के नियम पढ़ लें. स्‍थगन प्रस्‍ताव जिन विषयों पर लिया जाता है, उस पर विनियोग वि‍धेयक पर सारी चर्चा हो गई है, आपके सदस्‍यों ने भी उस पर बहुत बढ़-चढ़कर भाग लिया है. यह स्‍पष्‍ट लिखा है कि यदि अन्‍य माध्‍यमों से चर्चा हो सकती हो तो स्‍थगन प्रस्‍ताव नहीं लिया जाता है. सदन में लगा हुआ विनियोग विधेयक था और अनुपूरक बजट था, उस पर सारी चर्चा हो गई थी इसलिए स्‍थगन प्रस्‍ताव को रिजेक्‍ट किया गया.

डॉ. गोविन्‍द सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमने ध्‍यानाकर्षण लगाया है. आज आपने 6 ध्‍यानाकर्षण लिए हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि सिंहस्‍थ के घोटाले में ध्‍यानाकर्षण स्‍वीकार कर लें. 

श्री मुकेश नायक माननीय अध्‍यक्ष महोदय .... (व्‍यवधान)

डॉ. गोविन्‍द सिंह माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सिंहस्‍थ ने सब व्‍यवस्‍था बिगाड़ी है, बहुत ही .... (व्‍यवधान)

श्री आर.डी. प्रजापति-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो आश्‍वासन दिया था सदन में ही दिया था. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय कृपया आप बैठ जाइए. (व्‍यवधान)

          श्री आर.डी. प्रजापति-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने स्‍वीकार कर लिया था कि जो आर.डी. प्रजापति विधायक ने बोला है वह मान लिया जाएगा. लेकिन आज फिर नहीं माना गया. माननीय मंत्री जी ने स्‍वीकार किया था कि इनको निलंबित किया जाए. मैंने कहीं नहीं कहा कि हटाया जाए. माननीय मंत्री जी ने जो आश्‍वासन दिया था वह सदन में ही दिया था. मैंने इस्‍तीफे के लिए सात बार कहा है. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय-- अभी मंत्री जी नहीं हैं आप बैठ जाइए.  मैंने गोपाल भार्गव जी को अनुमति प्रदान की है.

          श्री गोपाल भार्गवअध्‍यक्ष महोदय, मेरा व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है कि विधानसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी जो नियम हैं उसमें यह नहीं है. कश्‍यप जी की संसदीय प्रक्रिया की कौल एण्‍ड शकधर की किताब है उसमें इस बात को स्‍पष्‍ट रूप से इंगित किया गया है कि एक ऐसे विषय पर जिस पर पूर्व में कई बार चर्चा हो चुकी हो, जैसे अनुपूरक बजट में चर्चा हो चुकी है अनेक विषयों पर उसमें  कोई स्‍थगन या ध्‍यानाकर्षण नहीं लिया जा सकता है यह स्‍पष्‍ट रूप से उसमें व्‍याख्‍या की है फिर किस नियम के अंतर्गत माननीय सदस्‍य कह रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदयइसीलिए वह रिजेक्‍ट कर दिया है.

          श्री रामनिवास रावत--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को एक और बात की तरफ ध्‍यान दिलाना चाहूंगा आप सीनियर मंत्री हैं पहली बात तो व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न प्रश्‍नकाल और शून्‍यकाल में नहीं उठाया जा सकता.

          अध्‍यक्ष महोदय प्रश्‍नकाल में नहीं उठाया जा सकता शून्‍यकाल में उठा सकते हैं बशर्ते उसी दिन की कार्य सूची में कोई विषय आया हो जो विषय शून्‍यकाल के बाद आने वाला हो उस पर उठाया जा सकता है.

          श्री रामनिवास रावत--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी भी सिंहस्‍थ के तीन हजार करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है. अभी दो हजार करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है और मुख्‍यमंत्री जी ने कहा है कि साढ़े पांच हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं इतना बड़ा भ्रष्‍टाचार हुआ है क्‍या हम मूक दर्शक बने बैठे रहेंगे ?

          अध्‍यक्ष महोदय कृपा करके बैठ जाएं मूक बने रहने के लिए कोई नहीं कह रहा है.

          श्री मुकेश नायकसदन के उप नेता आपसे मिले थे और उन्‍होंने आपसे आग्रह किया था कि कुंभ के बारे में चर्चा विस्‍तृत रूप से नहीं हो पाई है उसके दो चार बिंदुओं पर बातचीत नहीं हो पाई है. आपने यह कहा था कि शून्‍यकाल में चार सदस्‍यों को पांच-पांच मिनट आप बोलने का अवसर देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय कक्ष की बात यहां नहीं की जाती है. अभी उस पर मैंने बात ही नहीं की है. अभी उसको न तो मना किया न हां किया है.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय श्री रामनिवास रावत जी ने विधानसभा में पूछे गये प्रश्‍न के संबंध में यह समाचार दिया था कि अध्‍यक्ष के खिलाफ और आसंदी के खिलाफ जो आपत्तियां मीडिया में दीं यह बहुत आपत्तिजनक है यह विशेषाधिकार भंग की श्रेणी में आता है. उन्‍होंने विधानसभा में यह आरोप लगाया है कि उनके सवाल को बदलकर दिया है मध्‍यप्रदेश विधानसभा अध्‍यक्ष के स्‍थायी आदेश 19-क (2) में उल्‍लेखित है कि प्रश्‍न व्‍यक्ति विशेष या प्रकरण विशेष की पैरवी के रूप में नहीं होगा. इसके बावजूद भी इन्‍होंने समाचार पत्र के माध्‍यम से जो टिप्‍पणी की है वह विशेषाधिकार का सवाल उठाता है और इसको विशेषाधिकार में लेकर इसके खिलाफ चर्चा करनी चाहिए. इसमें एक और विषय आता है कि विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 36 (9) एवं 10 में यह उल्‍लेख है कि उसमें किसी व्‍यक्ति के पदेन या सार्वजनिक हैसियत के अतिरिक्‍त उसके चरित्र या आचरण के बारे में उल्‍लेख नहीं किया जावेगा. दूसरा उसमें यह भी मेंशन है कि उसके किसी ऐसे व्‍यक्ति के चरित्र या आचरण पर अभियुक्ति नहीं की जाएगी जिससे उसके आचरण पर मूल प्रस्‍ताव द्वारा ही आपत्ति की जा सकती है. ऐसी बातें मीडिया में करना उचित नहीं है और उस पर विशेषाधिकार में इसको लेकर इस पर कार्यवाही की मैं मांग करता हूं विशेषाधिकार समिति में मेंशन करना चाहिए धन्‍यवाद.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) --  अध्यक्ष महोदय,  मैंने भी आज सुबह  समाचार पत्र पत्रिका पढ़ा.  वास्तव में सदन  के अंदर जो कार्यवाही है और   ऐसी कार्यवाही जो  किसी  सदस्य के द्वारा  मीडिया  के समक्ष या अन्य  व्यवस्थाओं के अंतर्गत यदि  प्रकाशित की जाती है, उसका समाचार पत्रों में उपयोग किया जाता है.  कुछ ऐसे बिन्दु होते हैं, रावत जी तो हमारे बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं,  मंत्री भी रहे हैं और पार्टी के सचेतक  भी हैं.  वह भाषा, परिभाषा  जो कहीं न कहीं विशेषाधिकार  हनन का मामला  बन सकता है.  कल उस मेटर पर पर्याप्त बहस हुई थी,  लेकिन  उसके बाद भी  इसमें नियम 36 (9) एवं (10) का वायलेंस  हुआ है, इसकी अवहेलना हुई है.  अध्यक्ष महोदय,  आपके माध्यम से,  आसंदी के निर्देशानुसार, चूंकि  मामला ओमप्रकाश सखलेचा जी ने उठाया, मैं भी  समाचार पत्र के बारे में और  जो कुछ बयान  माननीय रावत जी के द्वारा  दिया गया था, उसके बारे में   आपसे  अनुमति चाह रहा था.  मैं आपसे आग्रह करुंगा कि  आसंदी की तरफ से  नये और पुराने  तमाम सदस्यों को  इस बात के ऊपर  आपके माध्यम  से  उस आदर्श आचार संहिता  की  एक टिप्पणी आपकी तरफ से  हो जाये, ताकि इस तरह का  मामला, हमारी ओर से कहीं  ऐसा वक्तव्य बाहर नहीं जाना चाहिये, जो विशेषाधिकार हनन का मामला बन सकता है.  माननीय  ओमप्रकाश सखलेचा जी ने  इसको समिति  को सुपुर्द करने की बात  कही है.

                   पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय,  आसंदी का अपमान मतलब पूरे हाउस का  अपमान होता है  और आपके सम्मान  एवं स्वाभिमान  की  रक्षा करना हम  सब लोगों का कर्तव्य है.   इस कारण से मैं  आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि  आप इसको विशेषाधिकार  समिति को सुपुर्द  करिये.

                   श्री यशपाल सिंह सिसौदिया --  अध्यक्ष महोदय,   नहीं तो यह  रोज की  नई बात हो जायेगी और इस प्रकार से कहीं न कहीं  हम मर्यादा भूल जायेंगे.  आसंदी का सम्मान, व्यवस्था, नियम-प्रक्रिया का सम्मान  करना यह  हम सब का  दायित्व बनता है.  अगर आज इसके ऊपर कार्यवाही नहीं  होती है,   अगर आज इस वक्तव्य  पर कहीं  इस प्रकार  से  आप संज्ञान नहीं लेंगे,  तो  कोई नये सदस्य  भी कल  वर्जन देंगे और मीडिया में जायेंगे.  मेरा आपसे आग्रह है कि  इसको गंभीरता  के साथ  लेते हुए, जैसा कि  ओमप्रकाश सखलेचा जी ने कहा है, विशेषाधिकार समिति  विधान सभा की बनी हुई है, उसके अध्यक्ष  हैं, उसमें सम्मानित सदस्य  सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष के भी होते हैं, ऐसे मामले उसमें जाने चाहिये.  बहुत बहुत धन्यवाद.

                   डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) --  अध्यक्ष महोदय,  माननीय रावत जी ने  पहले तो प्रश्न लगाया और  उसके बाद आपको भी लिखित में दिया था कि इस प्रश्न  को बदला गया है.  पहले तो प्रश्नकर्ता ने सूचना दी कि धमकी  दी गई है कि  आपका प्रश्न  आयेगा नहीं.  जो शंका थी, उस  शंका  को पूर्व में ही  आपके कार्यालय में,  आपसे  भेंट  करके भी उक्त प्रश्न के संबंध में अवगत कराया.  परंतु इसके बाद  वह सदन में मामला आ गया.  सदन में भी रावत जी ने  इस प्रश्न को उठाया.  जब उनका प्रश्न गलत आया, बदल कर आया, तो आपके  और सदन की जानकारी  में  आया कि रावत जी ने पूरा प्रश्न  लगाया और पूरी चर्चा की  कि इस तरह से  हमारे प्रश्न में किया गया है.  अध्यक्ष महोदय, आपने भी कहा है कि  उसको दिखवायेंगे.  तो अब  इस प्रश्न में  जब आपका  निर्देश  हो चुका है,  आपका आदेश हो चुका है कि हम इसकी जांच करायेंगे,  तो उसका क्या हुआ.   जब वह मामला  सदन में   आ चुका है,  तो वह समाचार पत्रों में छपेगा.  जब सदन में चर्चा हो गई, तो समाचार पत्रों में या कहीं मीडिया  में बोलना  कहीं किसी भी तरह से  विशेषाधिकार हनन का प्रश्न  नहीं बनता है.  अध्यक्ष महोदय, अतः मैं चाहता हूं कि  इस प्रकार से विपक्ष के सदस्यों   की सच्चाई की बात  दबाने के लिये अगर सत्ता पक्ष  इस प्रकार के षडयंत्र रच कर  अगर विशेषाधिकार  की चर्चा में धौंस देना चाहता है, तो  इससे न  विपक्ष दबने वाला है और न गोविन्द सिंह. अगर इस प्रकार से  गलत आयेगा,  तो मैं भी कहूंगा, लिखूंगा, मीडिया में बोलूंगा,  जहां होगा,  वहां बोलूंगा.

                   प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- अध्यक्ष महोदय,  जिस तरीके से जो अभी सत्ता पक्ष के विधायक साथियों  द्वारा इशू  रखा गया है,  इससे सदन के विधायकों की  गरिमा को ठेस भी लगेगी और जिस तरह से जो  डॉक्टर साहब ने अभी पूरा वर्णन  किया है कि  पहले ही बता दिया गया था कि  आपका प्रश्न  हम नहीं आने देंगे या फिर हम आपके प्रश्न को  ऐसा घुमवा देंगे. उसके बाद भी माननीय सदस्य  को,  जो हमारी पार्टी के मुख्य सचेतक भी हैं, उनके ऊपर  इस तरह की बात  एवं कार्यवाही करने की बात सत्ता पक्ष के विधायक  अगर करते  हैं, तो मैं समझता हूं कि  यह ठीक नहीं है.

                   श्री  बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा) -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश विधान सभा की   जो प्रक्रिया है और आपके जो स्थाई आदेश हैं, उसके  अन्तर्गत  अगर  आपसे कोई कक्ष में  बात-चीत  हुई है या कोई लिखित प्रश्न दिया है, तो यह विधान सभा  का  विषय  नहीं है और  न ही यहां उस पर प्रश्नोंत्तर होना चाहिये.  क्योंकि वह चर्चा जो है, वह  आपके अध्यक्ष के कमरे में हुई है  और उसकी चर्चा बाहर भी नहीं होना चाहिये.  विधान सभा में अध्यक्ष का  आदेश जो है, वह सर्वोपरि है.  आपने कह दिया, हम जांच करायेंगे, तो इसकी आवश्यकता क्या थी कि आपने जाकर के पत्रकारों को यह बात कही.  इसलिये इनके खिलाफ विशेषाधिकार  हनन का मामला बनता है. इसलिये इनके खिलाफ कार्यवाही की जाये.

                   अध्यक्ष महोदय --  (कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होने पर)नहीं अब नहीं, इस पर  बहस नहीं होगी.  मैंने माननीय सदस्य श्री सखलेचा, श्री यशपाल सिंह सिसौदिया एवं श्री बाबूलाल जी गौर..

                   श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय,  मुझे अनुमति देंगे.

                   अध्यक्ष महोदय --  अभी आपको अनुमति देने की कोई आवश्यकता नहीं है, अभी आपके ऊपर, आपके खिलाफ कोई प्रिवीलेज तो आया नहीं, इसलिए आपकी अनुमति का प्रश्‍न नहीं उठता, आपके माननीय वरिष्‍ठ सदस्‍य डॉ. गोविंद सिंह जी इस बात रखी है. अभी आपसे कोई स्‍पष्‍टीकरण नहीं मांगा गया है, इसलिए कोई आवश्‍यकता नहीं है, आपको अनुमति देने की.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) यदि वह ट्विटर नहीं आया होता दिग्विजय सिंह जी का तो कोई विषय नहीं बनता.

          अध्‍यक्ष महोदय बैठ जाए कृपया, मेरा यह प्रश्‍न हो जाने दे, इसके बाद आपकी बात सुनेंगे आपका आ गया है. अभी आपसे कोई सपष्‍टीकरण नहीं मांगा गया है. माननीय सदस्‍य श्री सकलेचा जी, श्री सिसोदिया जी, वरिष्‍ठतम सदस्‍य श्री बाबूलाल जी गौर, आदरणीय मंत्री श्री गोपाल भार्गव साहब, आदरणीय सदस्‍य डा. गोविंद सिंह जी और माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी ने अपनी बात इस पर रखी है. आज के समाचार पत्र पत्रिका में प्रमुखता से समाचार छपा है, और यह दोनों प्रश्‍न छपे हैं, जो श्री रामनिवास रावत ने दिए थे. जैसा कि डा. गोविंदसिंह जी कह रहे थे कि एक बार श्री रावत जी ने प्रश्‍न को उठा दिए थे इसलिए वे प्रश्‍न सदन की प्रापर्टी बन गए थे. ऐसी बात नहीं है, 25 जुलाई को कोई प्रश्‍न यहां नहीं आया था, प्रश्‍न आया है 28 जुलाई को और परिवर्तित आया है, परिवर्तित करने का विधानसभा के सचिवालय को अधिकार है. नियमों के उल्‍लंघनो की बात हमारे माननीय सदस्‍यों ने कहीं है, क्‍योंकि विषय गंभीर है, इस तरह से सदन की बातें अखबारों के माध्‍यम से बाहर आएगी तो आगे जाकर सदन का कोई उपयोग नहीं रहेगा और न ही कोई मान-मर्यादा रहेगी, इसलिए चाहे वरिष्‍ठ सदस्‍य हो, वरिष्‍ठ सदस्‍यों को तो बिलकुल भी नहीं करना चाहिए और नए सदस्‍य  को भी नहीं करना चाहिए. कोई भी बात जो सदन की प्रापर्टी जब तक नहीं बनती वह, तब तक बाहर नहीं जाना चाहिए यही नियम है किन्‍तु इस पर अभी प्राथमिक बात हुई है, समाचार पत्र ही आया है, अब इस पर कोई विस्‍तृत जांच नहीं है और न ही कोई विवरण आया है, इन सब बातों की जांच करके इस पर निर्णय लिया जाएगा. अब इस विषय को यहीं समाप्‍त करते हैं.

          श्रीमती उषा चौधरी माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कल 30 तारीख को हमारे सतना जिले में छत्रपति साहू जी महाराज की जयंती के उपलक्ष्‍य में एक होर्डिंग लगाई गई थी, जिसमें  बाबा साहब अंबेडकर सभी महापुरूषों के छायाचित्र थे, मेरे नाम से मेरे चित्र की भी होडिंग लगवाई गई थी, जिसको नवनिर्वाचित जिलाध्‍यक्ष, नरेन्‍द्र त्रिपाठी के द्वारा, जिनको अध्‍यक्ष बनाया गया, हमारी होर्डिंग को फाड़कर भाजपा के संगठन द्वारा होर्डिंग लगाया गया, जिसने होर्डिंग लगाया उसको धमकी दी गई कि अगर तुम दोबारा होर्डिंग लगाओगे तो तुम्‍हारा पैसा नहीं देंगे, तुम्‍हारे साथ मारपीठ करेंगे, यह भी विशेषाधिकार में आता है, इस पर कार्यवाही होना चाहिए, इस तरह गुंडागर्दी सरकार की नहीं चलनी चाहिए, किसी राजनैतिक पार्टी के कार्यक्रम में, महापुरूषों की जयंती में इस तरह का व्‍यवहार नहीं होना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय ठीक है आपकी बात आ गई, एक ही विषय लिया जा सकता है, अब किसी को एलाउ नहीं करेंगे.

          श्रीमती उषा चौधरी दूसरी बात बाढ़ पीडि़त से है, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 4 मई को पांच छह गांवों में ओला पड़े थे, जिसका मुआवजा आज तक नहीं मिला.

          अध्‍यक्ष महोदय ठीक है आपकी दोनों बात आ गई है.

          संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) अध्‍यक्ष जी मेरी गुजारिश है, संभवत: आपने जैसा माननीय मुकेश जी ने अपनी चर्चा में कहा था कि आपके कक्ष में जो चर्चा का उल्‍लेख किया और आप उन्‍हें सिंहस्‍थ पर बोलने की अनुमति दे रहे हैं. मेरा यह निवेदन है कि निश्चित रूप से इस प्रदेश को बदनाम करने की कोशिश हो रही है, इसलिए आप उन्‍हें सुने वह आपका अधिकार है, आप उन्‍हें अनुमति देंगे तो वे कहेंगे, लेकिन हमको भी सुने यह गुजारिश है.       

          अध्‍यक्ष महोदय जैसा आदरणीय गौर साहब ने कहा था कि कक्ष की चर्चाएं यहां बताना नहीं चाहिए, श्री मुकेश नायक जी ने उस चर्चा का हवाला दे दिया, ये जो प्रेक्टिसेज होती जा रही है, यह बड़ी अच्‍छी नहीं है, इनसे सदन की गरिमा समाप्‍त होती है, कक्ष की चर्चाओं की गरिमा समाप्‍त होती है. इस तरह से चर्चाएं नहीं करनी चाहिए, सिंहस्‍थ पर कोई विषय उठाने की ऐसी औपचारिक अनुमति नहीं दी गई है, किन्‍तु शून्‍यकाल में जो सूचनाएं यहां ली जाती है, जिनके नाम यहां पढ़े जाते हैं. उनके अलावा भी कुछ माननीय सदस्यों को बोलने की अनुमति दे दी जाती है. उसी के तहत दी है वह वो विषय भी उठा सकते हैं कोई दूसरा विषय भी उठा सकते हैं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, मेरी उनके द्वारा विषय उठाने पर आपत्ति नहीं है,आपकी अनुमति पर आपत्ति भी नहीं है, मैं आपत्ति कर भी नहीं सकता. मेरा यह कहना है कि इसी विषय को यहां पर क्यों उठा रहे हैं आप भी जानते हैं औऱ हम भी जानते हैं ,पूरा देश और प्रदेश जानता है कि अब यह मामला क्यों उठा रहे हैं. अभी तक न तो स्थगन की, न ध्यानाकर्षण की बात हुई,पूरा सत्र निकल गया, बजट पर पूरी चर्चा हुई, लगातार इस विषय को रेज किया गया और भ्रम पैदा किया गया, प्लेटें आ गई, मटके आ गये, अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ हमारी आस्था का केन्द्र है. इस प्रदेश के और देश के सिंहस्थ में 8 करोड़ लोग आये और इस आस्था के केन्द्र का लाभ उठाया ...

          श्री रामनिवास रावत- तो आप स्थगन ग्राह्य कराने के लिये निवेदन कर लो ? स्थगन दिया हुआ है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - आखिरी दिन क्यों कर रहे हो, यह हम समझते हैं, आखिरी दिन स्थगन का निवेदन क्यों कर रहे हो. यह दिल्ली का दबाव है, वह ट्विटर का दबाव है, ट्विटर का.

...(व्यवधान)...

          श्री रामनिवास रावत-- स्थगन ग्राह्य कर लो न क्यों चर्चा से भाग रहे हैं. सुनने की हिम्मत भी रखो. 2 हजार करोड़ रूपये का भ्रष्टाचार हुआ है ?

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -आखिरी दिन ट्विटर के कारण यह मामला उठा रहे हैं.

...(व्यवधान)...

          डॉ.गोविंद सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तो यह चर्चा ही नहीं आई है कि हम क्या विषय उठाना चाहते हैं.

...(व्यवधान)...

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - इन्होंने कक्ष का उल्लेख कर दिया, मैं भी उस समय कक्ष में था.डॉ. गोविंद सिंह भी थे. एक बार भी नहीं कहा कि ध्यानाकर्षण लिया जाये.

...(व्यवधान)...

          डॉ.गोविंद सिंह --नरोत्तम मिश्र जी को यह कैसे मालूम है कि हम क्या उठा रहे हैं क्या आप जादूगर हो, आपको क्या पता है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - स्थगन लिया जाये, एक बार भी कक्ष में नहीं कहा कि सिंहस्थ पर चर्चा कराई जाये. जिस दिन सिंहस्थ पर प्रश्न आये थे उस दिन विधान सभा की छुट्टी करा दी.

          डॉ.गोविंद सिंह -- अगर आप दूध के धुले हो तो क्यों आपको तकलीफ हो रही है. हम क्या उठाने जा रहे हैं इसकी आप पहले से ही वकालत करने लगे.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -विधानसभा की छुट्टी करा दी, किसने चर्चा करने से रोका था.

...(व्यवधान)...

          श्री रामनिवास रावत-- इसीलिये कह रहा हूं कि आप स्थगन के लिये निवेदन कर लें कि ग्राह्य किया जाये आपको जितना बोलना हो उस पर बोल लेना.

          डॉ.गोविंद सिंह -- चर्चा इसलिये नहीं कराना चाहते हैं कि भारी भ्रष्टाचार हुआ है, पूरी सरकार घोटाले में घिरी हुई है. आपको किसने अधिकार दिया है अभी बोलने का.

          अध्यक्ष महोदय--चर्चा की अनुमति नहीं दी है. बोलने की अनुमति दी है.चर्चा में और बोलने में फर्क है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - (अध्यक्ष महोदय से) फिर हमारा जबाव भी सुनना पडेगा. हम हर बात का जबाव देंगे. हम मध्यप्रदेश को बदनाम नहीं होने देंगे.

          डॉ. गोविंद सिंह -- आपको किसने रोका है जबाव देने से, आप दीजिये.

          श्री रामनिवास रावत-- स्थगन ग्राह्य करने के लिये निवेदन कर लें.

          डॉ. गोविंद सिंह -- आप अगर पाक साफ हो तो चर्चा करने में क्यों दिक्कत हो रही है.

...(व्यवधान)...

 

          अध्यक्ष महोदय- मैंने गोपाल भार्गव जी को अनुमति दी है.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन पूर्वक आपसे निवेदन करना चाहता हूं. आपने शून्यकाल में प्रतिपक्ष के सदस्य को किसी भी विषय पर बोलने की अनुमति दी है जिस पर बोलना चाहे बोल लें लेकिन हम लोगों का भी यह अधिकार है कि जो कुछ हमको भी कहना हो भले ही वह उत्तर के रूप में हो या अपने भाव के रूप में हो यह हमको कहने का अधिकार है, हमारा अधिकार सुरक्षित है. और जो भी हमारे साथी इस पर बोलना चाहते होंगे उनके लिये आप कृपा करके अनुमति देने का कष्ट करेंगे.

          श्री रामनिवास रावत--क्या शून्यकाल में जबाव की व्यवस्था है ?

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - अब जबाव से डर क्यों रहे हो.

          श्री गोपाल भार्गव -- वक्तव्य की बात हो रही है.

...(व्यवधान)...

          श्री रामनिवास रावत- स्थगन के लिये निवेदन कर लो, स्थगन स्वीकार कर लो.चर्चा करा लो, पूरे मंत्री बोलें, हम बोल रहे हैं. 2000 करोड़ रूपये का भ्रष्टाचार किया है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - आप सवाल करो, हम जबाव देंगे. यह सवाल करें इनको आजादी है, हम जबाव देंगे, हमें उसकी आजादी है.

          श्री गोपाल भार्गव-- सभी सदस्यों को समान रूप से अपनी बात कहने का अधिकार है. चाहे वह मंत्री हो, चाहे वह विधायक हो. कोई भी हो. सभी सदन के सदस्य हैं सभी को समान अधिकार है.

...(व्यवधान)...

          श्री रामनिवास रावत-- तो स्वीकार करो न कि स्थगन पर चर्चा कराई जाये.

          श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, सदन को एक दिन के लिये और बढ़ा दिया जाये और उस दिन 19 तारीख के विषयों पर चर्चा करा ली जाये.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -  वह छुट्टी क्यों करवाई. क्योंकि सिंहस्थ के उस दिन प्रश्न थे. और दूध का दूध और पानी का पानी हो रहा था. तो छुट्टी करा दी आपने.

...(व्यवधान)...

          श्री रामनिवास रावत-- किसने छुट्टी कराई ?

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - नेता प्रतिपक्ष जी ने छुट्टी  कराई.

          श्री रामनिवास रावत- नहीं, गलत बात कह रहे हैं आप. अब 19 तारीख का जिक्र क्यों कर रहे हैं. हमने छुट्टी नहीं कराई .

          प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- अध्यक्ष महोदय, गतल बात मंत्री जी कर रहे है. गलत बोल रहे हैं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - नेता प्रतिपक्ष ने प्रस्ताव किया था, अब अध्यक्ष महोदय आप बताओ कि कौन ने कराई छुट्टी.

          श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, किसकी तरफ से यह छुट्टी का प्रस्ताव आया था, और मंत्री जी आप फिर से अध्यक्ष महोदय के कक्ष की बात को बाहर कर रहे हैं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -शुरूवात आपने की है. मैंने नहीं की है. मैं कोई शुरूवात नहीं करता.

          श्री बाला बच्चन-- गलत बात है.

          श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को आपत्ति है तो एक दिन के लिये विधानसभा का सत्र बढ़ाने के लिये पत्र दिया है और मैं प्रस्ताव करता हूं आपके माध्यम से कि 19 तारीख को हुई छुट्टी के एवज में विधानसभा का सत्र एक दिन के लिये और बढ़ाया जाये.

          श्री बाला बच्चन--आप यह बतायें कि चर्चा से क्यों डर रहे हो. सदन का समय बर्बाद कर रहे हैं. और छुट्टी बढ़ाने का प्रस्ताव आपकी तरफ से आया था.

          श्री सुंदरलाल तिवारी-- सदस्य चाहते हैं कि सिंहस्थ पर चर्चा हो, इसलिये एक दिन का विधानसभा का सत्र और बढ़ाया जाये.

...(व्यवधान)...

 

 

          श्री गोपाल भार्गव -- यदि प्रश्न का दिवस निकल गया था तो दूसरे दिन आप आधे घंटे की चर्चा भी ले सकते थे लेकिन वह चर्चा भी नहीं ली गई.

          श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मेरी समझ में नहीं आता है कि यह सरकार सिंहस्थ पर चर्चा क्यों नहीं कराना चाहती है, क्यों डर रही है. सरकार सिंहस्थ के नाम से घबराती क्यों है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी यह बात हुई थी, आप कार्यमंत्रणा की बैठक ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  आप सवाल करो, हमारे जवाब सुन लो बस, यह कह रहे हैं.

          श्री बाला बच्‍चन--  हम तैयार हैं. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  आप सिंहस्‍थ की चर्चा करोगे श्रेय उनको जायेगा. ...(व्‍यवधान)...

          श्री बाला बच्‍चन--  कोई बात नहीं हमको श्रेय .... ...(व्‍यवधान)...

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  यह बार-बार ट्विटर के बारे में बोला जाता है.

          श्री बाला बच्‍चन--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी संसदीय कार्यमंत्री जी ने छुट्टी की बात मेरी तरफ इशारा करके कहा है, पूरा घटनाक्रम हम बतायें, मैंने खुद ने पूछा था एक दिन बाद गुरू पूर्णिमा है तो आपने 20 तारीख से क्‍यों नहीं विधानसभा आहूत की है तो माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने बोला था कि हमसे चूक हो गई है. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप लोग कुछ बोलने देंगे कि आगे बढ़ें.

          श्री बाला बच्‍चन--  एक दिन का और सत्र बढ़ाने का मेरे विधायक दल की तरफ से पत्र दिया है, आसंदी ने उस पर विचार नहीं किया, सरकार ने ही सहमति नहीं दी. गलत बात करते हैं, सिंहस्‍थ की चर्चा से सरकार बचना क्‍यों चाहती है ? ...(व्‍यवधान)...

          श्री गोपाल भार्गव--  अध्‍यक्ष महोदय, यह कार्यमंत्रणा समिति का विषय था, कार्यमंत्रणा समिति के अंदर जो भी चर्चा होती है उसकी हाउस में चर्चा नहीं होती है.

          श्री रामनिवास रावत--  संसदीय कार्यमंत्री को सिखाओ, गोपाल जी. अपने मंत्री को सिखाओ. ...(व्‍यवधान)...

          श्री बाला बच्‍चन--  संसदीय कार्यमंत्री ने चर्चा की है, हम नहीं करना चाह रहे थे. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  पत्रों का पटल पर रखा जाना, मैं आगे बढ़ रहा हूं.

          श्री मुकेश नायक--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने की अनुमति दी है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप 2 मिनट में बोल लीजिये अपनी बात.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप 2 मिनट नहीं जितना चाहें उनको बुलवायें, हमारी गुजारिश सुन लें कि वन वे ट्रेफिक न हो, वह सवाल कुछ भी करें उनको अधिकार है, आप हमारा जवाब तो लें. प्रदेश को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, मध्‍यप्रदेश में हुये एक वैश्विक इवेंट को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है जिसकी 8 करोड़ लोगों ने तारीफ की..... ...(व्‍यवधान)...

          श्री रामनिवास रावत--  आप स्‍थगन प्रस्‍ताव ग्राह्य करने का निवेदन कर दो. हम भी निवेदन कर रहे हैं, पूरी चर्चा करा ली जाये, किस तरह धर्म के नाम पर भ्रष्‍टाचार किया है, किस तरह जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा लूटा है. आप चर्चा कराने के लिये क्‍यों भाग रहे हो. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  पत्रों का पटल पर रखा जाना, मैं आगे बढ़ जाऊंगा अब. ...(व्‍यवधान)... यहां पर चर्चा नहीं हो रही है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  चर्चा नहीं हो रही, मुकेश नायक जी ने यह कहा कि आपने अनुमति 6 लोगों को बोलने की दी है, ऐसा आपने कहा. कक्ष के अंदर की चर्चा का उन्‍होंने उल्‍लेख किया, मैं नहीं कर रहा अंदर की चर्चा का उल्‍लेख.

          श्री बाला बच्‍चन--  आप रिकार्ड निकलवा लीजिये, 6 लोगों को अनुमति दी है, ऐसा आप रिकार्ड निकलवा लीजिये. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  अरे 4 की या 6 की जो भी कहा हो ...(व्‍यवधान)...  मेरा यह कहना है आप बुलवाओ हमें आपत्ति नहीं है, हमारा कहना है कि हमारा जवाब ले लें, बस इतनी सी बात है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री मुकेश नायक--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो सम्‍मानित विधायक कह रहे हैं कि वह भी कुंभ पर बोलना चा‍हते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  1-1 मिनट 2-2 मिनट बोल लेने दें उसमें क्‍या तकलीफ है ?

          श्री मुकेश नायक--  मेरा आपसे अनुरोध है कि अब जब सारे सदन की राय है तो इनको भी कुंभ में बोलने की अनुमति प्रदान करें, सारा सदन जब एकमत है इस विषय पर चर्चा करने के लिये, कांग्रेस के विधायक, बीजेपी के विधायक सब खड़े होकर कह रहे हैं कि हम कुंभ पर चर्चा करना चाहते हैं तो मेरी आपसे विनम्र विनती है कि आपको पूरा अधिकार है इस पर चर्चा कराने का तो आप उस पर अनुमति दे दें. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  यह बात भी मिथ्‍या बोली जा रही है कि सारे लोग चर्चा चाहते हैं. ...(व्‍यवधान)... यह चर्चा की बात नहीं कर रहे हैं, यह विषय को टर्न कर रहे हैं, कोई भी सदस्‍य चर्चा नहीं चाहता, इनको जवाब देना चाहता है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री मुकेश नायक--  नरोत्‍तम जी, यह लाया हूं शासन ने जो कुंभ के ऊपर दस्‍तावेज दिया है, वही पढ़कर सदन में सुनाऊंगा और आपको इसके बाद पूरा अवसर है. इसके बाद पूरा अवसर है आप अपनी बात कह सकते हैं  लेकिन मुझे बोलने से कैसे रोक सकते हैं ?

          (..व्यवधान..)

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - हम भी लेकर आये हैं.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी - असली है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - आपका असली है हमारा फर्जी है. तुम जो कहो तो असली और हम कहें फर्जी. 44,58 रह गये हो, अगली बार दिखोगे नहीं. दहाई का अंक नहीं मिलने वाला.

          (..व्यवधान..)

          श्री बाला बच्चन -  मंत्री जो क्यों उत्तेजित हो रहे हो क्या हो गया है आपको ? यह सरकार का रूप है. इससे लगता है कि जो सिंहस्थ में गवन,घोटाले और भ्रष्टाचार हुआ यह इसकी पुष्टि हो रही है.

          (..व्यवधान..)

          श्री मुकेश नायक - मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के मूर्त रूप (XXX) बन गये हो.(XXX).

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - मुकेश जी जैसे आप हो वैसे ही आपको दुनिया दिखती है. आप बाबाओं का खा गये. साधु,संतों का खा गये और आप यहां आ कर ईमानदारी की दुहाई दे रहे हो. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय - पत्रों का पटल पर रखा जाना

          श्री मुकेश नायक - यह व्यवधान डाल रहे हैं. यह नहीं चाहते कि इन्होंने जो कुम्भ में किया है उस पर सदन में चर्चा हो. आप देखिये किस तरह से व्यवधान डाल रहे हैं.(..व्यवधान..)नरोत्तम मिश्रा जी,जब भी आपकी बात होगी कुम्भ आपने और आपके पूरे (XXX).इसलिये आप व्यवधान डाल रहे हो.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - (..व्यवधान..) मुकेश नायक के मुंह से भ्रष्टाचार की बात सुनना अपने आप में यह दिखाता है..

          श्री बाला बच्चन - मानीय अध्यक्ष महोदय,

          श्री मुकेश नायक - माननीय मंत्री जी क्यों व्यवधान डाल रहे हैं क्यों चाहते हैं कि सदन में चर्चा न हो. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने की अनुमति प्रदान की है. आपने यह कहा है कि मैंने कक्ष की बात को यहां पर कहा उस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहूंगा यह मेरी गलती है.मुझे ऐसा नहीं करना चाहिये और पूरे सदन के सामने मैं इसके लिये क्षमा मांगता हूं. अब मैं आपसे विनती करता हूं कि दोबारा इसकी पुनरावृत्ति कभी नहीं होगी. सदस्यों से गलती होती है उन्हें गलती सुधारने का अधिकार है. दूसरी बात मैं कहना चाहता हूं कुम्भ में अनादि देव,सारे जगत के पिता,सारे त्रिभुवनों..

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय...

          अध्यक्ष महोदय - एक-दो मिनट बोलेंगे. कोई बहस नहीं हो रही. उस पर.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - आप हमारा जवाब ले लें.

          अध्यक्ष महोदय - उनको शून्यकाल में अनुमति दी है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - आप अध्यक्ष जी, उनको पूरा सुनें जितना आपको सुनना है.

          श्री रामनिवास रावत - फिर संसदीय कार्य मंत्री जी प्रस्ताव कर दें स्थगन ग्राह्य कर लो पूरी चर्चा करा लो क्यों भाग रहे हो. आप प्रस्ताव करो ना.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - आज क्यों मांग रहे हो स्थगन अभी तक क्या आराम कर रहे थे ?

          श्री रामनिवास रावत - तो क्यों भाग रहे हो.(..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिये स्थगित.

          12.38 बजे               सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिये स्थगित की गई.

         

 

 

 

             1.02 बजे                          (विधानसभा पुन: समवेत हुई)

                        {अध्‍यक्ष महोदय, (डॉ. सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए.}

          अध्‍यक्ष महोदय - श्री मुकेश नायक.

          श्री मुकेश नायक - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे अवसर दिया इसके लिये मैं आपका आभारी हूं. मैं इस विषय के ऊपर चर्चा कर रहा हूं कि  साढ़े पांच हजार करोड़ रूपये  सिंहस्‍थ की व्‍यवस्‍था और सिंहस्‍थ को सुचारू रूप से चलाने के लिये  राज्‍य सरकार ने दिये, उसकी किस तरह से दुर्गति की गई उसका मैं एक उदाहरण देना चाहूंगा अभी सरकार के मंत्री जी ने और सदस्‍यों ने कहा है कि कोई बात अगर ऐसी कही जायेगी, जो अनुपयुक्‍त होगी तो भी वह उसका उत्‍तर देना चाहेंगे . मैं विनम्रतापूर्वक आपसे कहता हूं कि वह स्‍वतंत्र हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - शून्‍यकाल में कोई चर्चा नहीं होती है.

          श्री मुकेश नायक - मैं आपसे विनम्र अनुरोध करना चाहता हूं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष महोदय, सम्‍मानित सदस्‍य ने जो कहा है तो हमको भी आप जवाब देने का अवसर दें, हमारी प्रार्थना है कि आप बुलवायें.

          अध्‍यक्ष महोदय - पहले वह जो कह रहे हैं वह तो आप सुने.      

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - हम सुनेंगे. आप तो सिर्फ इतना बोले कि हमें आप अवसर देंगे ?

          श्री मुकेश नायक - हमने कंडिशनल कहा है कि कोई बात अगर अनुपयुक्‍त लगे तो वह जवाब दे सकते हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ठीक है अगर हमें कोई बात अनुपयुक्‍त लगेगी तो आप हमें जवाब देने का अवसर देंगे, बस आप इतना बोल दें और आराम से चर्चा करा लें.

          अध्‍यक्ष महोदय - यहां कोई बहस नहीं हो रही है. कोई दो-दो मिनट में अपनी बात कहना चाहे तो उनको अनुमति दी है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - यह मैं नहीं कह रहा हूं, उन्‍होंने कहा है...(व्‍यवधान)

          श्री मुकेश नायक - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले भी इन्‍होंने व्‍यवधान डाला चर्चा में, अभी भी डॉ. नरोत्‍तम मिश्र चर्चा में व्‍यवधान डाल रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          श्री रामनिवास रावत - ....यह कोई परंपरा नहीं है. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-क्‍या यह परंपरा है कि आप ऐसे बुलवायेंगे किसी विषय पर अध्‍यक्ष जी ? ...(व्‍यवधान)...

          श्री रामनिवास रावत - ..हां, यह परंपरा है ? (जोर से चिल्‍लाते हुए) ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - क्‍या ऐसी परंपरा है (जोर से चिल्‍लाते हुए) ...(व्‍यवधान)...

          श्री रामनिवास रावत - ..हां, यह परंपरा है ऐसी, आप आसंदी को चैलेंज नहीं कर सकते. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - किस नियम से है बताये ? ...(व्‍यवधान)...अध्‍यक्ष जी आप बतायें  उनको किस नियम से भाषण की अनुमति दी ? ...(व्‍यवधान)...

          श्री रामनिवास रावत - आपकी कृपा से नहीं बोल रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          श्री मुकेश नायक - श्री रामनिवास रावत जी एक मिनट, एक मिनट उन्‍हें बोलने तो दें क्‍या बोल रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप तो कार्यसूची पर चर्चा करायें. ...(व्‍यवधान)...

          श्री मुकेश नायक - उन्‍होंने कहा है, तब मैं खड़ा हुआ हॅूं. ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय - भाषण की अनुमति नहीं दी है, न कोई चर्चा करा रहे हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष जी वह भाषण दे रहे हैं, आपने जिसकी भी अनुमति दी हो, लेकिन आप तो सिर्फ इतना कह दें कि जो सम्‍मानित सदस्‍य ने कहा है अगर हमें किसी विषय पर आपत्ति होगी तो आप हमें अनुमति दे दें ऐसा सम्‍मानित श्री मुकेश नायक जी ने कहा.

          श्री रामनिवास रावत - क्‍या किसी भी सदस्‍य के कहने से कोई अनुमति दी जा सकती है ? ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय,आप क्‍या हमें अनुमति  देंगे. मेरे सवाल का जवाब दे दें, क्‍यों बहस करें, चर्चा चलने दें.

          श्री रामनिवास रावत - ...(व्‍यवधान)...आप स्‍थगन ग्राह्य कर लें और खूब बोलें किसने मना किया है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ग्राह्य करना या ना करना उनका काम है, हम सबके लिये तैयार है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री रामनिवास रावत - स्‍थगन हमने दिया हुआ है. सरकार निवेदन कर सकती है, आप निवेदन करोगे तो स्‍थगन ग्राह्य हो जायेगा. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - आप तो हमें अनुमति देंगे, इतना बता दें.

          श्री रामनिवास रावत -...(व्‍यवधान)...यह परंपरा नहीं है ?

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अनुमति दे दें, फिर आप जो चर्चा चाहें, जिस रूप चाहें उस पर हम तैयार हैं. ..(व्‍यवधान)...

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, और अन्‍य महत्‍वपूर्ण   हैं, ध्‍यानाकर्षण है. ..(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय - कृपया बैठ जायें. ..(व्‍यवधान)...

          श्री मुकेश नायक - आप सम्‍मानित सदस्‍य हैं, आप क्‍यों ऐसा कर रहे हैं.

          श्री केदारनाथ शुक्‍ल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था का विरोध नहीं करते हैं.

          श्री मुकेश नायक - माननीय अध्‍यक्ष महोदय आपने मुझे बोलने की अनुमति दी है. ..(व्‍यवधान)...                   

          श्री केदारनाथ शुक्‍ल - श्री मुकेश नायक जी ने एक अच्‍छे संसदविज्ञ होने का उदाहरण प्रस्‍तुत किया है कि  उन्‍होंने अपने कृत्‍य की क्षमा मांग ली इतना पर्याप्‍त है और अब इस बात के लिये समय नहीं दिया जाना चाहिए. ..(व्‍यवधान)...

            श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ मेले में जो कुछ हुआ मैं उस पर चर्चा करना चाहता हूं.मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं.(व्यवधान)

          श्री केदारनाथ शुक्ल--अध्यक्ष महोदय, सदन में गलत परम्परा पड़ जायेगी. मैं आपकी व्यवस्था का विरोध नहीं करता लेकिन इस पर पुनर्विचार जरुरी है. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--शुक्ल जी कुछ कह रहे हैं.

          श्री केदारनाथ शुक्ल--अध्यक्ष महोदय, उन्होंने (श्री मुकेश नायक) अंदर की बात बाहर कहा था उसके लिए माफी मांग कर बडप्पन का परिचय दे दिया उसके बाद बात खत्म हो जाती है. उन्होंने  जो 2 मिनट का समय आपसे लिया था अब उसके बाद वह क्या बोलने जा रहे हैं, यह बोलने का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए. यह सदन में गलत परम्परा पड़ जायेगी.

          श्री रामनिवास रावत--आप आसंदी को निर्देशित करेंगे?

          डॉ गोविन्द सिंह-- आप अध्यक्षजी को निर्देशित करेंगे?

            अध्यक्ष महोदय--नहीं, सलाह दे रहे हैं.

          डॉ नरोत्तम मिश्र--वह निर्देश नहीं दे रहे हैं. वह कह रहे हैं कि आप अगर नई परम्परा डाल रहे हैं किसी विषय पर बुलवाने की (व्यवधान)

          डॉ गोविन्द सिंह--आप तो ग्राह्यता पर चर्चा करा लें.(व्यवधान)

          श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, इतने मंत्री सदन में बैठे हुए हैं लेकिन कुम्भ पर मेरे भाषण देने पर अकेले नरोत्तम भाई को क्यों आपत्ति है? (व्यवधान)

          डॉ नरोत्तम मिश्र--मैं संसदीय कार्यमंत्री हूं और आपकी कृपा से नहीं हूं.(व्यवधान)

          श्री मुकेश नायक--अगर आपको आपत्ति नहीं है तो आप सुन लीजिए. पूरे मंत्रियों में से आप अकेले आपत्ति ले रहे हैं.(व्यवधान)

          डॉ नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, मैं तैयार हूं.

          श्री मुकेश नायक-- पूरा सदन चाहता है इस पर चर्चा हो.

          नगरीय प्रशासन मंत्री(श्रीमती माया सिंह)--अध्यक्षजी, सदन के इतने दिन निकल गये उस समय चर्चा क्यों नहीं करायी? अब आज आप सोते से जाग रहे हो कि आज स्थगन ले आयें !

          श्री बाला बच्चन-- शुरु से स्थगन दिया हुआ है. (व्यवधान)

          श्री मुकेश नायक--आप अकेले व्यवधान डाल रहे हो.(व्यवधान)

          श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, नई परम्परा के अनुरुप उत्तर देने का भी अवसर मिलना चाहिए. शून्य काल में प्रश्नोत्तर होते ही नहीं हैं.

          श्री मुकेश नायक-- हम कहां मना कर रहे हैं.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, स्थगन स्वीकार करके सत्र की अवधि एक दिन बढ़ायी जाये और इस भ्रष्टाचार पर खुली चर्चा हो.(व्यवधान)

          श्री शंकर लाल तिवारी-- यह गलत बात है, कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ. (व्यवधान)

          श्री सुन्दरलाल तिवारी--धर्म के नाम पर पूरे प्रदेश की जनता का पैसा लूट लिया है.

          श्री मुकेश नायक--अध्यक्ष महोदय, मुझे समझ में नहीं आता अगर सिंहस्थ पर चर्चा हो जायेगी तो नरोत्तम मिश्र को क्या आपत्ति है? मुझे समझ में नहीं आता.

          अध्यक्ष महोदय-- श्री कैलाश चावला...

          श्री शंकर लाल तिवारी-- कुम्भ को बदनाम करने की हिन्दू विरोधी साजिश है.

          श्री कैलाश चावला--अध्यक्ष महोदय, सदन में शून्य काल चल रहा है. शून्य काल में भाषण नहीं दिए जाते. शून्य काल में सदस्य सूचना पढ़कर या मौखिक देते हैं.

          डॉ नरोत्तम मिश्र-- (श्री आरिफ अकील सदस्य के बैठे बैठे बोलने पर)(XXX)

          श्री रामनिवास रावत-- राम को नहीं छोड़ा, भगवान महाकाल को तो बख्श दो.

          श्री कैलाश चावला-- शून्य काल में चर्चा नहीं करायी जाती. न तो नियम कहता है कि चर्चा हो और न सदस्य भाषण दे सकते हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- मैं आपकी बात से सहमत हूं. वह विषय उठायें, भाषण नहीं दे. जो आपको विषय उठाना है, उठाये उसकी छूट है पर भाषण नहीं दे.

          श्री आरिफ अकील--अध्यक्ष महोदय, यह भी कहो कि (XXX)

          डॉ नरोत्तम मिश्र—(XXX). (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दें.(व्यवधान)

          डॉ नरोत्तम मिश्र-- काहे को कार्यवाही से निकालना?

            अध्यक्ष महोदय--बच्चों जैसी बात है.

          डॉ नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, जो मुकेश भाई ने कहा था उस पर मेरी इतनी बात सुन लें. मेरी गुजारिश है.

          श्री मुकेश नायक--आपको क्या आपत्ति है अगर सिंहस्थ पर चर्चा होती है तो?

            डॉ नरोत्तम मिश्र--कोई आपत्ति नहीं है.

          श्री मुकेश नायक-- फिर क्यों व्यवधान डाल रहे हो. सुन लो.

          डॉ नरोत्तम मिश्र-- हम चाहते हैं कि चर्चा हो. (व्यवधान) हमको भी सुना जाये.(व्यवधान)आपने 10 दिन में क्यों नहीं किया जब आखरी दिन विधानसभा स्थगित हो रही है तब आकाओं को मैसेज़ भेजने के लिए, अपने आकाओं को प्रसन्न करने के लिए यह सब कर रहे हो.(व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--शून्य काल समाप्त हो गया. पत्रों का पटल पर रखा जाना.

          श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ के संबंध में यदि कोई सदस्य बात उठाता है.(व्यवधान)  तो शून्य काल में भी बोलने नहीं दे रहे हैं. हम इसकी भर्त्सना करते हैं, निन्दा करते हैं.(व्यवधान) यह सरकार की (XXX)  है. यह घोर निन्दनीय है.

गर्भ गृह में प्रवेश

        (इंडियन नेशनल कांग्रेस के कुछ सदस्य नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में आये और जोर जोर से अपनी बात कहने लगे.)

 

 

 

 

 

 

1.08 बजे                              पत्रों का पटल पर रखा जाना.

 

भोपाल के बाढ़ पीड़ितों को प्रदाय किये गये गेहूं में मिट्टी की मिलावट के संबंध में जांच                                                प्रतिवेदन.

         

डॉ बी आर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय,महू इंदौर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष                                   2014-2015.

 

 

सरदार सरोवर परियोजना फर्जी विक्रय पत्र एवं पुनर्वास स्थल अनियमितता जांच                             आयोग,इंदौर के जांच प्रतिवेदन.                                           

    मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम का 36वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-2014.

          अध्यक्ष महोदय-- ध्यानाकर्षण की सूचना.

          श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, आप खुद अपनी बात से मुकर रहे हैं (व्यवधान)यह गलत परम्परा पड़ेगी. यह सिंहस्थ पर चर्चा से बचना चाहते हैं.(व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.

1 बजकर 11 मिनट पर विधानसभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.

 

                                                                            

 

समय 1.25 बजे                        विधान सभा पुनः समवेत हुई.

{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}

 

            अध्यक्ष महोदय - अब आगे बढ़ गये हैं.

श्री मुकेश नायक - नहीं, आगे कैसे? आपने मुझे सिंहस्थ पर बोलने की अनुमति दी है. देखिए, (XXX) .(व्यवधान)..

संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, यह रंगा-पुता  पड़ा हुआ है पूरा आदमी, गले से नीचे तक भ्रष्टाचार के जिस पर आरोप हैं, अगर वह इस तरह से खड़े होकर आरोप लगाएगा..(व्यवधान)..

अध्यक्षीय घोषणा

सदन की लॉबी में स्वल्पाहार की व्यवस्था विषयक

अध्यक्ष महोदय - आज भोजनावकाश नहीं होगा, माननीय सदस्यों के लिए सदन की लॉबी में स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि अपनी सुविधानुसार स्वल्पाहार ग्रहण करने का कष्ट करें. (व्यवधान)..

श्री अनिल फिरोजिया- अध्यक्ष महोदय,  यह असत्य आरोप लगा रहे हैं. (व्यवधान)..

डॉ. नरोत्तम मिश्र - (व्यवधान).. एक भी आरोप हम पर नहीं लगा है.(व्यवधान).

एक माननीय सदस्य - व्यक्तिगत आरोप लगाना गलत है.

अध्यक्ष महोदय - अब विषय समाप्त हो गया है. मैंने ध्यानाकर्षण की सूचना ले ली हैं.

 

 

1.27 बजे                                    गर्भ गृह में प्रवेश

इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण का सिंहस्थ से संबंधित स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर गर्भ गृह में प्रवेश

 

(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण सिंहस्थ से जुड़े स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर गर्भ गृह में आए एवं नारेबाजी करने लगे.)

 

 

 

1.28 बजे                                                 ध्यानाकर्षण

 

 

प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ से जुड़े घोटालों की  जांच होना चाहिए,

अध्यक्ष महोदय - कार्यवाही आगे बढ़ गई है. अब वापस पीछे नहीं जा सकते हैं.

श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, या तो सिंहस्थ के घोटालों पर जो स्थगन प्रस्ताव दिया है, उस पर चर्चा होना चाहिए. यह बहुत गलत बात है (XXX).

अध्यक्ष महोदय - अब पीछे नहीं जा सकते हैं.

श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, हम 10-15 लोगों ने सिंहस्थ में जो भ्रष्टाचार हुआ है, उस पर स्थगन प्रस्ताव दिया है, उस पर चर्चा कराने में क्या दिक्कत है? सरकार को जवाब देना है, उन्हें जवाब देने दीजिए.

श्री विश्वास सांरग - कांग्रेस के सब नेता सीआर बनाने में लगे हैं, यह वॉक इन इंटरव्यू है, नेता प्रतिपक्ष बनने का वॉक इन इंटरव्यू है. (व्यवधान)..इनका मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है.

अध्यक्ष महोदय - आपसे अनुरोध है कृपया बैठ जायं. अब आगे बढ़ गये हैं, आपको और अवसर मिलेंगे और सत्र आएंगे. अब आगे बढ़ गये हैं. मैंने पहले अनुमति दी थी.(व्यवधान)..

श्री अनिल फिरोजिया - यह जो आरोप लगा रहे हैं, इस पर घोर आपत्ति है.

अध्यक्ष महोदय - श्री सुन्दरलाल तिवारी अपने ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़े.

(व्यवधान)..

श्री बाला बच्चन -(व्यवधान)..हम इसकी निंदा करते हैं, हम इसकी भर्त्सना करते हैं. यह गलत बात है.

श्री जितू पटवारी - अगर ये पाक-साफ हैं तो डरते क्यों हैं, (व्यवधान)..सिंहस्थ पर चर्चा होनी चाहिए.

अध्यक्ष महोदय - श्री जितू पटवारी अपने ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.(व्यवधान).. और विषय भी महत्वपूर्ण हैं. कृपया अपनी जगह पर जायं और विषय भी तो महत्वपूर्ण हैं.

श्री जितू पटवारी - आप चर्चा कराएं, यह भ्रष्टाचार को क्यों पोषित कर रहे हैं?

अध्यक्ष महोदय - कृपया अपनी जगह पर जायं और विषय भी तो महत्वपूर्ण हैं. (व्यवधान)..मैंने तो अनुमति दे दी थी, व्यवधान के कारण आगे बढ़ना पड़ा. नियम विरुद्ध उनको अनुमति कैसे देता, आपको तो मैंने अनुमति दी थी. कृपा करके आप उसको इस तरह से मत लें. मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपा करके ध्यानाकर्षण आने दें. (व्यवधान).. आप मेरी बात तो सुन लें.

(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भ गृह से नारेबाजी की जाती रही.)

(व्यवधान)..

(भारतीय जनता पार्टी के कई सदस्यों द्वारा भी अपने आसन से खड़े होकर नारेबाजी की जाने लगी.)

श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराएं.

श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, स्थगन प्रस्ताव स्वीकार कर लें, इस पर चर्चा कराई जाय. स्थगन प्रस्ताव स्वीकार कर लीजिए.

अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य कृपा करके ध्यानाकर्षण होने दें. श्री जितू पटवारी कृपया ध्‍यानाकर्षण की सूचना पढ़ें. आप ध्‍यानाकर्षण की सूचना पढ़े आपके कहने पर ध्‍यानाकर्षण की सूचना ली गई है ।

श्री जितू पटवारी अध्‍यक्ष महोदय जी, सिंहस्‍थ पर चर्चा करायें. इससे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण सिंहस्‍थ की चर्चा है सिंहस्‍थ में भ्रष्‍टाचार हुआ है.(व्‍यवधान)

अध्‍यक्ष महोदय क्‍या यह महत्‍वपूर्ण नहीं है ?

प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्‍चन) अध्‍यक्ष महोदय, विधानसभा में आप गलत कार्यवाही करवा रहे हैं. यह चर्चा से बचना चाहते हैं. (व्‍यवधान)

अध्‍यक्ष महोदय अब आप सुनना भी नहीं चाहते.

 

3.  सीधी जिले में पंचायत योजनाओं से संबधित कार्य के दोषियों पर कार्यवाही न की जाना

श्री केदारनाथ शुक्‍ल (सीधी)  -- अध्‍यक्ष महोदय, सीधी जिलान्‍तर्गत अधिकारियों की सांठ-गांठ के चलते शासन की योजनाओं में भ्रष्‍टाचार व अनियमितता हो रही है अधिकारी के द्वारा अपने प्रिय अधिकारियों को जिला पंचायत के अन्‍तर्गत नरेगा, पंचायत प्रकोष्‍ट, वाटर सेड योजना के प्रभार सौंपे गये हैं. सीधी जिला पंचायत में हो रहे भ्रष्‍टाचार की कलई पिछले सत्र में आवास योजना में भी खुली थी किन्‍तु अनियमितताएं निरन्‍तर जारी हैं ।  नरसिंहपुर में रंगे हाथों लोकायुक्‍त द्वारा पकडे़ गए अधिकारी को जिसे सीधी जिला पंचायत में अटैच किया गया था, को भ्रष्‍टाचार की खुली छूट मिली है जबकि इस अधिकारी के विरूद्ध अभियोजन की कार्यवाही की जानी चाहिए. इसके विरूद्ध लोकायुक्‍त के प्रकरण क्र0-316/13 सन् 2013 से दर्ज है ।  इसी दागी अधिकारी को स्‍वच्‍छ भारत मिशन का वित्‍तीय प्रभार भी दिया गया है जिला पंचायत में व्‍याप्‍त अव्‍यवस्‍था से जनता में आक्रोश है.

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) --  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिला पंचायत सीधी में अतिरिक्‍त मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी का 01 पद, परियोजना अधिकारी के 03 पद तथा सहायक परियोजना अधिकारी के 03 पद स्‍वीकृत है राज्‍य स्‍तर पर कई पद रिक्‍त होने के कारण सीधी में 01 परियोजना अधिकारी तथा 02 सहायक परियोजना अधिकारी पदस्‍थ है. इसके फलस्‍वरूप एक अधिकारी को कई शाखाओं का प्रभार दिया गया है जिससे कार्य में व्‍यवधान न आये.

परियोजना एवं सहायक परियोजना अधिकारी, कलेक्‍टर एवं मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी के सीधे नियत्रंण एवं पर्यवेक्षण के अधीन कार्य करते हैं. नरसिंहपुर से संलग्‍न अधिकारी से सभी वित्‍तीय प्रभाव हटाने के निर्देश दिये गये हैं.

इन्दिरा आवास योजना में वर्ष 2015-16 में शिकायत प्राप्‍त होने पर जांच कराई गई थी. योजना निर्देशों के अनुरूप कार्य न होने के फलस्‍वरूप तत्‍कालीन प्रभारी को हटाने के निर्देश दिये गये थे, जिस पर न्‍यायालयीन स्‍थगन है. स्‍वच्‍छ भारत मिशन का वित्‍तीय प्रभार वर्तमान में मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत के पास है. मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत एवं कलेक्‍टर द्वारा निरंतर इन कार्यों की समीक्षा की जाती है. अत: जनता में कोई आक्रोश नहीं है.

श्री जीतू पटवारी -- अध्‍यक्ष जी, सिंहस्‍थ पर चर्चा होनी चाहिए. यह भ्रष्‍टाचारी लोग....... (व्‍यवधान)

अध्‍यक्ष महोदय --  आप नियम के बाहर चले गए.

श्री बाला बच्‍चन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विधानसभा की कोई व्‍यवस्‍था होती है आसंदी की कोई व्‍यवस्‍था है तो उसका पालन करना चाहिए.(व्‍यवधान) इस पर चर्चा कराएं. सिंहस्‍थ के बारे में 18 तारीख से उठा रहे हैं आप हमें बोलने का मौका नहीं दे रहे हैं. लोकतंत्र का गला घोंटने का काम कर रहे हैं उसके बाद हम कैसे बैठ जाएं. (व्‍यवधान)  सरकार को खुली छूट है भ्रष्‍टाचार की.

श्री सुंदरलाल तिवारी माननीय अध्‍यक्ष महोदय, राम के नाम पर खा गए, प्रसाद का पैसा खा गए ।

अध्‍यक्ष महोदय आप लोग कृपया बैठ जाइए.

          श्री केदारनाथ शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय नरसिंहपुर में ट्रेप हुए थे, इसके खिलाफ लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज हुआ था विकास आयुक्त अभियोजन की मंजूरी नहीं दे रहे हैं.  विकास आयुक्त अभियोजन की मंजूरी नहीं दे रहे हैं. 2013 से विकास आयुक्त के यहां पर प्रकरण दर्ज है मेरा निवेदन है कि जिलों के अंदर इन्होंने कलेक्टर के साथ मिलकर जितना गलत किया है उसकी जांच करवायें और इनके अभियोजन की स्वीकृति दें यह नरसिंहपुर में ट्रेप आदमी है रंगे हाथ घूंस लेते हुए पकड़ा गया है. 

          श्री गोपाल भार्गव -- यदि विभागीय कार्यवाही की आवश्यकता होगी और यहां पर होगा तो जल्दी से जल्दी अभियोजन की स्वीकृति दी जायेगी.

          श्री केदारनाथ शुक्ल -- इसके किये गये कार्यों की जांच भी करवायेंगे मंत्री जी.

          श्री गोपाल भार्गव --  जांच करा लेंगे.

          श्री केदारनाथ शुक्ल -- धन्यवाद्.

            श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय प्रसाद का पैसा खा गये हैं. भगवान की फोटो एक एक हजार रूपये में, इसलिए भाग रहे हैं चर्चा नहीं कराना चाहते हैं..(व्यवधान)

          नेता प्रतिपक्ष -- पाइप लाइन डालने में घोटाला, ..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय -- यह क्या कर रहे हैं आप लोग..(व्यवधान)..

          श्री सुन्दरलाल तिवारी -- 700 रूपये का मटका,..(व्यवधान).. चांदी की थाली में भोजन..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय -- और प्रश्न भी महत्वपूर्ण है क्या केवल एक ही विषय है..(व्यवधान)..

          श्री बाला बच्चन --  अध्यक्ष महोदय यह तो आपने लोकतंत्र को पूरी तरह से नेस्तनाबूत कर दिया है... आपका संरक्षण बहुत जरूरी है..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय -- मैं तैयार हूं संरक्षण देने को..(व्यवधान),, पर मेरी बात यह माननीय सुन ही नहीं रहे हैं.

 

प्रदेश के अनेक जिलों में अमानक स्तर के खाद एवं कीटनाशक दवाओं के उपयोग से उत्पन्न स्थिति.

 

            श्री दुर्गालाल विजय ( श्योपुर ) अध्यक्ष महोदय मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है-

          श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय यह रिकार्ड है प्रसाद का पैसा खाया है,यहबात गलत नहीं है , बहुत भ्रष्टाचार हुआ है,..(व्यवधान)..

 

          राज्यमंत्री सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) -- अध्यक्ष महोदय,

 

                                                                                                           

 

 

 

(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगण गर्भगृह से नारे लगाते रहे)

          श्री दुर्गालाल विजय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ध्‍यानाकर्षण से संबंधित मेरी विधान सभा का प्रश्‍न यह है कि श्‍योपुर जिले में सहकारी सोसाइटीज़ ने 1256 रुपये में खाद का विक्रय किया है. (...व्‍यवधान...)

          श्री बाला बच्‍चन -- अध्‍यक्ष महोदय, प्रसाद का पैसा खा रहे हैं और आप.(.व्‍यवधान.)

          श्री दुर्गालाल विजय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे यह पूछना है कि जब बाजार में डीएपी खाद 1200 रुपये में और 1190 रुपये में विक्रय हो रहा था तब सहकारी समितियों ने 1256 रुपये में क्‍यों बेचा और जो 56 रुपये एक बैग पर किसानों से ज्‍यादा लिए गए हैं तो क्‍या उसको किसानों को वापस कराया जाएगा और क्‍या आगे से ऐसी व्‍यवस्‍था की जाएगी कि जो बाजार में खाद बिकेगा उसका मूल्‍य सहकारी समितियों के खाद के बराबर ही होगा ? (...व्‍यवधान...)         

            श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दिनांक 1.4.2016 को जो डीएपी की दरें लागू हुई थीं वह 1256 रुपये थीं और उसके बाद इसमें लगातार कमी आई है, जो विधायक जी ने पूछा है. (...व्‍यवधान...) इसके बाद 1 तारीख को नई दरें आई हैं या 6.7.2016 को और 12.7.2016 को नई दरें आई हैं यदि इसके बाद ज्‍यादा लिया गया होगा तो उसके पैसे वापस किए जाएंगे. (...व्‍यवधान...) 

          श्री दुर्गालाल विजय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब खाद का रेट 1200 रुपये था उस समय जो 1256 रुपये लिए हैं तो मेरा यह निवेदन है कि इस संबंध में माननीय मंत्री जी जांच करायें और यदि यह बात सही पाई जाती है तो क्‍या पूरा पैसा पुराने समय का भी वापस करेंगे ? (...व्‍यवधान...)

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने पहले कहा है कि जिस दिनांक से दर कम हुई है यदि उसके बाद भी किसानों से पैसा ज्‍यादा लिया गया है तो वापस किया जाएगा.        

          अध्‍यक्ष महोदय -- (कुंवर सौरभ सिंह से) अपने स्‍थान पर जाकर प्रश्‍न करिए. (श्री सुंदरलाल तिवारी से) आप भी नहीं कर रहे हैं, उनको भी नहीं करने दे रहे हैं. (...व्‍यवधान..)

          श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्‍यक्ष महोदय, हम सब एक हैं. (...व्‍यवधान...)

          श्री बलवीर सिंह डण्‍डौतिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से यही निवेदन है कि जांच करवाएं और अगर उन्‍होंने ज्‍यादा पैसा लिया है और किसानों को ठगा है और अगर भ्रष्‍टाचार हुआ हो तो दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करें, उनको सस्‍पेंड करें. 

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा विधायक जी ने कहा है हम जांच कराएंगे और मैंने पहले भी कहा है कि यदि पैसा ज्‍यादा लिया गया होगा तो उनको वापस किया जाएगा और जिन्‍होंने लापरवाही की है उनके खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे.                                                               (...व्‍यवधान...)

           श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या यह सदन कुछ ही लोगों के लिए है ? हम लोगों की बात नहीं सुनी जा रही है. (...व्‍यवधान...)

          श्री बाला बच्‍चन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदन एकपक्षीय कार्यवाही कर रहा है. (...व्‍यवधान...) यह बहुत गलत बात है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह सदन सबके लिए है, सबकी सुनने को तैयार हैं, अपने स्‍थान पर तो बैठें. माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी, आपकी सारी बात सुनते हैं, प्रतिपक्ष की सारी बात सुनते हैं. (...व्‍यवधान...) गलत आरोप आप लगा रहे हैं. (...व्‍यवधान...) इस तरह से कैसे चलेगा, जितना अधिकार आपका है उतना ही अधिकार उनका भी है.

 

(ध्‍यानाकर्षण सूचना क्र. 40)

(5) उज्‍जैन जिले की महिदपुर तहसील पुलिस द्वारा फरार आरोपियों को गिरफ्तार न किया जाना

        श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-

 

         

 

                 (इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण गर्भगृह में नारे लगाते रहे).

          अध्यक्ष महोदय--- आपने अपनी बात रख दी. ...(व्यवधान)...

          श्री बाला बच्चन---  अब आगे आने वाले हर सत्र में सिंहस्थ में भ्रष्टाचार का मामला उठेगा.

          अध्यक्ष महोदय--  आपने अपनी बात रख दी दूसरों की बात भी आने दीजिये...(व्यवधान)..यह आखिरी सत्र थोड़े ही है,आप मामला उठाइएगा, मना किसने किया है.

          श्री बाला बच्चन--  लेकिन आप व्यवस्था दे रहे थे, चर्चा होने की बात हो गई थी लेकिन सरकार के दबाव में कोई कार्यवाही नहीं की है...(व्यवधान)...

          अध्यक्ष महोदय--- मैं तो आपकी बात पर सहमत था ना...(व्यवधान)..कैसे नारे लगाते हैं आप लोग.नारे तो ठीक से लगाओ कम-से-कम.

श्री सुदंरलाल तिवारीअध्यक्ष महोदय, इन्होंने प्रसाद का पैसा खा लिया,इनको बोलने दे रहे हैं. पूरा सदन अव्यवस्थित है, यह कैसी चर्चा हो रही है?

          अध्यक्ष महोदय--  तिवारी जी, आपका भी नाम बुलाया था लेकिन आप बोलने के लिए तैयार नहीं थे. तो क्या किया जा सकता है. अभी भी हम आपका ध्यानाकर्षण लेने के लिए तैयार हैं.

          श्री सुंदरलाल तिवारी--  सदन इस तरह चलेगा क्या ?यह एकपक्षीय हुआ है.

अध्यक्ष महोदय--  इस तरह से नहीं चलना चाहिए. मैं भी मानता हूं इस बात को इसलिए कृपा कर के शांति रखें...(व्यवधान).. एकपक्षीय नहीं है, हम सबकी सुनते हैं. नेता प्रतिपक्ष जी की भी बात हमने मानी है.

          श्री सुंदरलाल तिवारी---  अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यह जो भ्रष्टाचार...

          अध्यक्ष महोदय--   आप सभी अपने स्थान पर बैठे, सदन चलने दें. महत्वपूर्ण विषय हैं आगे भी. ...(व्यवधान)..

          श्री बाला बच्चन--  हम प्रदेश की जनता के द्वारा चुनकर आए हैं...(व्यवधान)..हमारी बात को आप नहीं मान रहे हैं.सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार हुआ है, उसको आप हमको नहीं उठाने दे रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय---  आप लोग क्या नारे लगा रहे हैं, क्या बोल रहे हैं, कुछ तो मर्यादा रखिये आप.

 

 

          गृह मंत्री( श्री भूपेन्द्र सिंह)--- माननीय अध्यक्ष महोदय,

         

श्री बहादुर सिंह चौहान---       माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि 3 जून को सैकड़ों की संख्या में इकट्ठे होकर दुकानों में तोड़फोड़,आगजनी, लूट इस प्रकार के पांच अपराध पंजीबद्ध किये गये, मंत्री जी ने बताया है. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जो नामजद अपराधी उन प्रकरणों में हैं और जो अज्ञात हैं, इनकी गिरफ्तारी आप तत्काल करवा लेंगे.जो एफआईआर में नामजद अपराधी हैं और जो अज्ञात अपराधी हैं, उनको तत्काल गिरफ्तार करवा लेंगे.

          श्री भूपेन्द्र सिंह--- जो भी आरोपी अज्ञात या नामजद हैं उनकी सबकी गिरफ्तारी हम करवा लेंगे.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--  मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय--  आप लोग अपने-अपने स्थान पर बैठे.

          श्री सुंदरलाल तिवारीअध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि ...(व्यवधान)..जो सिंहस्थ पर स्थगन दिया गया है, एक छुट्टी बीच में आ गई इसलिए सदन एक दिन बढ़ा दें और चर्चा हो जाये और यह  सदन चले.

          अध्यक्ष महोदय---  आपसे यह सब बात हो गई थी.आप लोग यह क्या नारे लगा रहे हैं. श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह अपनी ध्यानाकर्षण सूचना पढ़ें....(व्यवधान)....

 

ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक 501

ग्वालियर के थाटीपुर में प्रदर्शनकारियों द्वारा महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया जाना

          श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह (भिण्ड)--  माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

 

(इंडियन नेशनल कांग्रेस के माननीय सदस्‍यों द्वारा गर्भगृह से नारे लगाये जाते रहे)

            गृहमंत्री(श्री भूपेन्‍द्र सिंह)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

         

          श्री सुंदरलाल तिवारी-  अध्‍यक्ष महोदय, ये सदन कैसे चल रहा है ?

          श्री बाला बच्‍चन-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये (XXX) चल रही है. (व्‍यवधान)........

          श्री नरेन्‍द्र सिंह कुशवाह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 21.07.2016 को ग्‍वालियर ठाठीपुर के फूलबाग में संजीव सिंह कुशवाह और उनके साथियों ने प्रदर्शन करते हुए आम जनता, महिलाओं और छात्राओं के साथ अश्‍लील हरकतें की. कांग्रेस के लोगों को (XXX) लज्जा आनी चाहिए. यहां महिलाओं के सम्‍मान की बात हो रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आप कृपया अपना प्रश्‍न पूछिये.

          श्री नरेन्‍द्र सिंह कुशवाहा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लड़कियों के दुपट्टे खींचे गए. क्‍या संजीव सिंह कुशवाह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कार्यवाही होगी ? मैं ये भी जानना चाहता हूं कि जिन लोगों ने नाबालिग लड़कियों के साथ अभद्रता की, उनके खिलाफ पास्‍को अधिनियम के तहत कार्यवाही होगी कि नहीं ?

          श्रीमती शीला त्‍यागी-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये गलत जानकारी दे रहे हैं.

श्री बाला बच्‍चन-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप सिंहस्‍थ पर चर्चा नहीं करा रहे हैं (व्‍यवधान)............ (इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण गर्भगृह से नारे लगाते रहे)

            श्री भूपेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने कुछ तथ्य हमारे ध्यान में लाए हैं इन सब को भी हम जांच में जोड़ लेंगे और इसमें जो भी आरोपी हैं हम उनकी गिरफ्तारी करेंगे. इसको जांच में जोड़ लेंगे. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी ने कह दिया है कि वे जांच में जोड़ लेंगे. अब आप बैठ जाइए. अब आपकी बात समाप्त हो गई, आपकी बात उन्होंने स्वीकार कर ली है(व्यवधान)

          श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन पुलिस अधिकारियों ने अभी तक कार्यवाही नहीं की है.संजू का नाम कब जोड़ा गया.आठ दिन तक पुलिस क्या करती रही (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--वे तैयार है करवाने के लिए. (व्यवधान)

          श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, प्रकरण की पूर्ण जांच करा लेंगे. यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी दोषी होंगे उन पर भी कार्यवाही होगी. विधायक जी ने जो तथ्य रखे हैं उन सब को हम जांच में जोड़ेंगे. (व्यवधान)

          श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--धन्यवाद मंत्री जी.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी--सिंहस्थ के भ्रष्टाचार की भी जांच करा लें.(व्यवधान)

XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

1.56 बजे

स्वागत उल्लेख

श्री अरुण यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री का स्वागत

          अध्यक्ष महोदय--आज सदन की दीर्घा में पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरुण यादव उपस्थित हैं सदन की ओर से उनका स्वागत है.

 

 

ध्यानाकर्षण (क्रमश:)

         

 (व्यवधान)

1.57 बजे                           याचिकाओं की प्रस्तुति

          अध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.

          श्री सुन्दरलाल तिवारी--इस सरकार ने प्रसाद का पैसा खाया  है और इनके मंत्रियों ने खाया है. यह जांच करने वाले नहीं है, सी.बी.आई. से जांच करा लें.(व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--सब करेंगे आप बैठ तो जाइए..(व्यवधान)

 

 

1.58 बजे          विशेषाधिकार समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की अवधि में वृद्धि का प्रस्ताव

 

 

 

 

 

 

 

1.59 बजे

नियम 239 के अंतर्गत सदन को सूचना

 

विशेषाधिकार भंग की सूचनाएं

         

 

2.00 बजे

शासकीय विधि विषयक कार्य

मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2016

          राज्य मंत्री सहकारिता (श्री विश्वास सारंग)--अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.

          अध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.

                                                                                      प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

 

                                                                                               

         

 

 

 

 

 

                                                                                     

अध्‍यक्ष महोदय:- अब विधेयक के खण्‍डों पर विचार होगा.

        

          अध्‍यक्ष महोदय :- आज की कार्यसूची के पद 6 के उप पद (2) में उल्लिखित विधेयक पर 15 मिनट तथा उप पद (3) में उल्लिखित विधेयक पर 30 मिनट का समय चर्चा हेतु आवंटित किया जाता है.

                                                          मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.

                                                              सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.

 

 

          अध्‍यक्ष महोदय :- मेरा माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि यह महत्‍वपूर्ण विधेयक रहा है. आप इस पर चर्चा करें. यह जनता के हितकारी विधेयक है. इस पर कृपा करके आप चर्चा करिये. यह नया कानून बन रहा है.

 

 

                                                                                                                                   

 

           

           

          श्री बाला-बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे और सरकार में भ्रष्टाचार और गबन, लूट करवाएंगे. आप उनको संरक्षण दे रहे हैं, हम तो भ्रष्टाचार, गबन के मुद्दों को उठा रहे हैं, उप पर आप ध्यान नहीं दे रहे हैं. सरकार के इशारे पर आप उनको बाध्य नहीं कर रहे हैं और उसके बाद सदन की कार्यवाही एकपक्षीय कर रहे हैं. आज आपने लोकतंत्र का पूरा गला घोंट दिया है. (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--आप कृपया बैठ जाएं.(व्यवधान)

अशासकीय संकल्प

          अध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची में उल्लेखित अशासकीय संकल्प बाद में लिये जाएंगे.(व्यवधान)

राष्ट्रगान ''जन गण मन'' का समूहगान

          अध्यक्ष महोदय--अब राष्ट्रगान होगा.

(सदन में राष्ट्रगान "जन गण मण" का समूहगान किया गया)

 

सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाना

2.09 बजे       अध्यक्ष महोदय--विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल लिये स्थगित.

          अपराह्न 2.09 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की गई.

 

                                                                                                    अवधेश प्रताप सिंह,

भोपाल                                                                                             प्रमुख सचिव,                                                                           

दिनांक 29 जुलाई, 2016                                                              मध्यप्रदेश विधान सभा.