मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा सप्तदश सत्र
जून, 2018 सत्र
सोमवार, दिनांक 25 जून, 2018
(4 आषाढ़, शक संवत् 1940)
[खण्ड- 17 ] [अंक- 1 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 25 जून, 2018
(4 आषाढ़, शक संवत् 1940)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
11.01 बजे राष्ट्रगीत
राष्ट्रगीत "वन्देमातरम्" का समूह गान
अध्यक्ष महोदय -- अब, राष्ट्रगीत "वन्देमातरम्" होगा. सदस्यों से अनुरोध है कि वे कृपया अपने स्थान पर खडे़ हो जाएं.
(सदन में राष्ट्रगीत "वन्देमातरम्" का समूहगान किया गया.)
11.03 बजे निधन का उल्लेख
(1) श्रीमती उर्मिला सिंह, भूतपूर्व राज्यपाल हिमाचल प्रदेश
(2) श्री बालकवि बैरागी, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा
(3) श्री दशरथ जैन, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा
(4) श्री महाराज सिंह, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा
(5) श्री राजेन्द्र सिंह, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा
(6) श्री हेमचंद यादव, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा
(7) डॉ. निर्मल हीरावत, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा
(8) श्री एल.पी.शाही, भूतपूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री, तथा
(9) श्री सिद्धप्पा न्यामागौड़ा, भूतपूर्व केन्द्रीय उपमंत्री
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रदेश की वरिष्ठ राजनेता, एक कुशल प्रशासक और सफल संगठक, जिनको हम सब बहुत श्रद्धा और आदर के भाव से देखते थे, अब श्रीमती उर्मिला सिंह जी, हमारे बीच में नहीं हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने उस दौर में, जब महिलाएँ मुश्किल से राजनीति के क्षेत्र में काम करने निकलती थीं, राजनीतिक और सामाजिक जीवन में काम करना प्रारंभ किया था और अपने परिश्रम से, जनता की सेवा से, अपनी कर्त्तव्यनिष्ठा से, सामाजिक जीवन में और प्रदेश के राजनीतिक जीवन में एक अद्भुत और अभूतपूर्व स्थान बनाया था. वे गरीबों, वंचितों और शोषितों के लिए, जीवन भर लड़ती रहीं, उनके लिए काम करती रहीं, उनकी सेवा करती रहीं और महिला सशक्तिकरण की वे मूर्तिमंत प्रतीक थीं, जो जवाबदारी उन्हें सौंपी गईं, उसका निर्वाह, उन्होंने बहुत कुशलता पूर्वक किया इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, यह उनकी लोकप्रियता थी कि जिसके कारण आठवीं, दसवीं, ग्यारहवीं, विधान सभा की वे सदस्य निर्वाचित हुईं. वे इस प्रदेश के अनेक विभागों की मंत्री रहीं और अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमता के कारण उन्होंने मंत्री के पद को सुशोभित करते हुए अपनी अमिट छाप छोड़ी. जो काम दिया जाता था उसको करने का उनका अपना ढंग था. वे सरल थीं, सहज थीं, सौम्य थीं और कुशल संगठनात्मक क्षमता की धनी थीं. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश के अध्यक्ष के नाते भी उन्होंने लगातार संगठनात्मक कार्य किया. यह उनकी क्षमता ही थी जिसके कारण उनको हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया. राज्यपाल के नाते हिमाचल प्रदेश की जनता की भी उन्होंने बहुत कर्मठता से सेवा की. वे बहुत सहज, सरल, सौम्य मिलनसार थीं. ऐसी नेता को हमने खोया है जो सर्वप्रिय थीं. राजनीति की सीमाओं से भी ऊपर थीं. मैं उनके चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूँ. उनके निधन से एक अपूरणीय क्षति मध्यप्रदेश के समाज और राजनीतिक जीवन में हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बालकवि बैरागी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. कवि, राजनेता, साहित्यकार, संगठक, समाजसेवी, उनमें एक नहीं अनेकों गुण थे. अगर मैं यह कहूं कि कवि, राजनेता और समाजसेवी का त्रिवेणी संगम अगर हमें कहीं देखने को मिलता था तो वह स्वर्गीय बालकवि बैरागी के व्यक्तित्व में देखने को मिलता था. सरस्वती उनकी जिह्वा पर विराजती थीं, कीर्ति और प्रतिष्ठा उनकी आरती उतारती थी. वे जहां खड़े होते थे उस सम्पूर्ण वातावरण को सम्मोहित करने की क्षमता उनके अन्दर थी. राजनीतिक सौम्यता ऐसी कि प्रतिपक्षी नेताओं से मैंने उन्हें कई बार मिलते देखा है वे जब माननीय पटवा जी से मिलते थे तो कितना आदर और सम्मान वे देते थे. कवि के नाते उनकी ख्याति पूरे देश में थी. वे सफल राजनेता भी थे. राजनेता भी ऐसे कि ठकुर सुहाती नहीं कहते थे जो सच होता था, दिल में होता था वह जुबान पर आता था. इसके कारण उन्होंने राजनीतिक घाटा भी उठाया परन्तु जो सच था वह कहते थे. वे प्रदेश की ऐसी प्रतिभा थे जिस पर हम सब को गर्व था. मेरे व्यक्तिगत संबंध भी उनसे थे, वे सबसे संबंध बनाते थे. एक बार ट्रेन में मिल गए उस समय मैंने उनसे पूछा कि मुझे मेरे बेटे का नाम रखना है आप सुझाइए तो उन्होंने एक दर्जन नाम गिनाए. सरस्वती तो सदैव उनमें विराजमान रहती थीं. उनके सुझाए नामों में से ही एक नाम मैंने मेरे बेटे का रखा था. सब के साथ सहज, सरल, सब को स्नेह देने वाले, प्यार देने वाले, आदर करने वाले एक ऐसे अद्भुत राजनेता, समाजसेवी और कवि को हमने खोया है कि जिनकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री दशरथ जैन जी. अब वह पीढ़ी जिसने स्वतंत्रता संग्राम लड़ा था धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है. स्वर्गीय दशरथ जैन जी का जन्म छतरपुर में हुआ. लेकिन अपने विद्यार्थी जीवन से ही वे भारतमाता की चरणों की सेवा में लग गए. विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने छतरपुर राज्य प्रजा मण्डल के आंदोलन में देश की स्वतंत्रता के लिए भाग लिया. बाद में सन् 1954 में उप चुनाव लड़कर विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और पुनर्गठन के बाद भी मध्यप्रदेश की पहली विधान सभा के सदस्य थे. इसके बाद दूसरी और पांचवीं विधान सभा में भी लगातार चुने गए. वे विंध्य प्रदेश की सरकार में गृह मंत्री हुआ करते थे और पुनर्गठित मध्यप्रदेश में भी उन्होंने उप मंत्री, श्रम, चम्बल तथा पुनर्वास विभाग, लोक निर्माण विभाग इत्यादि विभागों को संभालते हुए कुशल प्रशासनिक क्षमता का प्रदर्शन किया था और प्रदेश की सेवा की थी. उनके निधन से हमने एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और प्रदेश के वरिष्ठ राजनेता को खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री महाराज सिंह जी राजनीति में आने के पूर्व शासकीय सेवक रहे और बाद में अपने परिश्रम और अपनी सेवा से जनता के मन में उन्होंने अपना स्थान बनाया. पांचवीं और सातवीं विधान सभा में उन्होंने मुरैना क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. उनके निधन से भी हमने एक कर्मठ जनसेवी को खोया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री राजेन्द्र सिंह जी, उनका पार्षद से लेकर मंत्री तक का जो सफर था वह कर्मठता और जनसेवा से भरा हुआ था. वे कांग्रेस समाजवादी फोरम के संस्थापक सदस्य थे. कांग्रेस के सदस्य होने के नाते उन्होंने कांग्रेस के संगठन को खड़ा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. पहले पार्षद और पांचवीं विधान सभा में कांग्रेस की ओर से मुरार विधान सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था और लोक निर्माण विभाग में मंत्री के पद को उन्होंने संभाला था. बाद में जब पूर्व विधायकों का मण्डल बना तो वे उसके संस्थापक थे. हम जानते हैं कि कई बार पूर्व शब्द लगने के बाद कई तरह की दिक्कत और परेशानियों का सामना सदन में बैठने वालों को भी करना पड़ता है. उन्होंने जो मण्डल बनाया वे उसके संस्थापक सदस्य थे और जीवनपर्यन्त वह इसके अध्यक्ष रहे. उनके निधन से प्रदेश के सार्वजनिक जीवन में कभी न भरने वाली क्षति हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री हेमचंद यादव मेरे निकट के मित्र थे. जब मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ एक हुआ करता था तब भारतीय जनता युवा मोर्चे में उन्होंने हम में से कई मित्रों के साथ यहां काम किया था. वे बड़े तेजस्वी नौजवान एवं कुशल संगठनात्मक क्षमता के धनी थे. वे ग्यारहवीं यहां विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे और जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तो पहली विधान सभा के वह सदस्य बने. वर्ष 2003 और वर्ष 2008 में भी विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. अलग-अलग विभागों के मंत्री पद को उन्होंने बहुत कुशलता के साथ संभालते हुए छत्तीसगढ़ की जनता की असीम सेवा की उनके निधन से प्रदेश के विशेषकर छत्तीसगढ़ के सार्वजनिक जीवन में अपूरणीय क्षति हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय डॉ. निर्मल हीरावत जी आखिरी विधान सभा में कटंगी क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और उनकी प्रशासनिक क्षमता के कारण उनको वाणिज्य और उद्योग विभाग का उप मंत्री बनाया. उन्होंने भी अपने दायित्व को पूरी कर्मठता के साथ निभाया. उनके निधन से भी हमने एक समाजसेवी और वरिष्ठ राजनेता को खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री एल.पी. शाही जी, महात्मा गांधी जी ने जब भारत छोड़ो आंदोलन का मंत्र संपूर्ण देश को दिया था, करो या मरो के नारों से जब पूरे देश का वातावरण गुंजायमान हो रहा था. तब उन्होंने सन् 1942 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और वे जेल गए. सन् 1952 से 1984 तक वे 6 बार बिहार विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए. अनेक विभागों के मंत्री रहे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से आठवीं लोकसभा में सांसद चुने जाने के बाद केंद्र सरकार में राज्यमंत्री, शिक्षा एवं संस्कृति रहकर उन्होंने संपूर्ण देश की सेवा की. उनके निधन से हमने एक वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और नेता को खोया है.
श्री सिद्धप्पा न्यामागौड़ा का जन्म जमखंडी जिला बीजापुर (कर्नाटक) राज्य में हुआ था. वे दसवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे. वे केंद्र सरकार में कोयला विभाग के उपमंत्री रहे. वे पूर्व एवं वर्तमान पन्द्रहवीं कर्नाटक विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे. उनके निधन से हमने एक वरिष्ठ राजनेता और कुशल प्रशासक खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इन सभी सम्मानित नेताओं के चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं और परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि वह दिवंगत आत्मा को शांति दे. उनके परिवार और अनुयायियों को यह गहन दु:ख सहन करने की क्षमता दे. ओम शांति.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने सभी दिवंगत नेताओं के विषय में यहां चर्चा की और शोक व्यक्त किया.
श्रीमती उर्मिला सिंह जी एक सरल व्यक्तित्व की धनी थी और कई बार विधान सभा की सदस्य रहीं, मंत्री रहीं और प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष भी रहीं. इसके अतिरिक्त उन्होंने राज्यपाल के पद को भी सुशोभित किया. विधान सभा के अंदर या विधान सभा के बाहर जो कोई भी श्रीमती उर्मिला सिंह जी से परिचित रहा हो, वह जानता है कि वे हरदम मुस्कुराती हुई महिला थीं. उन्होंने समाज में सबसे निचले स्तर के लोगों को प्राथमिकता से आगे बढ़ाने का कार्य किया. खासतौर से अनुसूचित जनजाति के लोगों के बीच में उन्होंने अपनी एक अलग पैठ बनाई थी. वे केवल अपनी विधान सभा तक सीमित नहीं थीं. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष होने के नाते पूरे मध्यप्रदेश का उन्होंने कम से कम दो बार दौरा किया. वे ऐसे व्यक्तित्व की धनी थीं कि जब भी हम जैसा कोई युवा विधायक, शुरू में जब हम आये थे सन् 1985 में, चाहे मुकेश नायक जी हों, चाहे मैं हूं यदि हमें कोई समस्या हो तो श्रीमती उर्मिला सिंह जी का दरवाजा हमारे लिए हमेशा खुला रहता था. श्रीमती उर्मिला सिंह जी कांग्रेस की एक वरिष्ठ राजनेता थी और मध्यप्रदेश की एक वरिष्ठतम राजनेता के रूप में उनके निधन से हम सभी को बहुत दु:ख हुआ है. मैं उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं.
आदणीय श्री बालकवि बैरागी जी का जन्म रामपुरा जिला-नीमच में हुआ था. चौथीं और सातवीं विधान सभा के वे सदस्य निर्वाचित हुए थे, परंतु जैसा कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा वे त्रिवेणी के रूप में थे. राजनेता, समाजसेवी और अन्य सभी तरह के गुण उनमें थे. वे एक हरदम मुस्कुराते हुए व्यक्ति थे. हम सभी को कई बार ऐसा मौका मिला है कि जब वे किसी मंच पर होते थे तो किसी दूसरे की बात सुनने का मन नहीं होता था. श्री बालकवि बैरागी जी जब तक न बोलें तब तक हलचल मची रहती थी कि बैरागी जी कब बोलेंगे ? क्योंकि उनके बोलने की शैली अद्भुत थी. वे राज्यसभा के सदस्य भी निर्वाचित हुए और राज्यमंत्री बनने के साथ-साथ उन्होंने प्रदेश के लिए अमूल्य कार्य किए. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उनका हुनर देखते हुए उन्हें संयुक्त सचिव नियुक्त किया एवं अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी वे रहे. श्री बालकवि बैरागी जी के निधन से सिर्फ मालवा ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश में एक अनोखे व्यक्तित्व का धनी व्यक्ति हमने खोया है. उनके निधन से भी हम सबको दु:ख है.
श्री दशरथ जैन जी, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा छतरपुर में जन्मे और तत्कालीन विन्ध्य प्रदेश के गृह मंत्री के रूप में दतिया से लेकर सीधी तक, जो उस समय विन्ध्य प्रदेश था. वहां पर उनका नाम बहुत आदर से लिया जाता था, वह बहुत ही सरल व्यक्ति थे. यदि कोई उनको देखे, यह मैंने सुना है कि जब वह मंत्री थे तो पता ही नहीं चलता था कि यह गृह मंत्री हैं. वह इतने सरल स्वभाव के थे और पूरे विन्ध्य प्रदेश में उनका एक नाम था. वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, उन्होंने आजादी की लड़ाई भी लड़ी, वह प्रजा मण्डल के सदस्य भी थे. आज सिर्फ एक राजनेता नहीं एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी हमारे बीच में नहीं है, उनके निधन से पूरे प्रदेश को एक कर्मठ समाज सेवी तथा एक वरिष्ठ नेता के निधन से शोक है.
श्री महाराज सिंह, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा राजनीति में आने से पूर्व शासकीय सेवा में रहे और पांचवीं और सातवीं विधान सभा में पहले जनसंघ और फिर कांग्रेस पार्टी से मुरैना से विधायक थे. यह भी उनकी अद्भुत छवि थी कि वह दोनों पार्टियों की और से विधान सभा के विधायक बने. उनमें कुछ न कुछ हुनर रहा होगा कि वे दोनों पाटिर्यों से तरफ से विधायक चुनकर आये, उन्होंने जनता की सेवा की होगी, जनता के बीच में उनकी अच्छी पैठ रही होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय राजेन्द्र सिंह जी को शायद वर्तमान विधायक लोग नहीं जानते होंगे, लेकिन ग्वालियर और चंबल संभाग में उनका एक अलग स्थान था और वह पार्टी लाईन पर नहीं, वह सभी विधायकों के गॉड-फादर के रूप में सिर्फ ग्वालियर और चंबल संभाग के नहीं पूरे मध्यप्रदेश के, यदि पूर्व विधायक किसी भी जिले में, किसी भी दिक्कत में हो तो सबसे पहला व्यक्ति आदरणीय राजेन्द्र सिंह जी, उनकी सेवा में रहते थे और उनका बहुत ही सरल स्वभाव था. यदि उनसे कोई मिले तो पता ही नहीं चलता था कि वह विधायक, मंत्री और इतने बड़े नेता रह चुके हैं. जब में उनके यहां पर शोक में बैठने गया था तो मेरे ख्याल से दोनों पार्टी के लोगों को तो छोड़ दीजिये, वहां पर गांव-गांव से लोग आये थे और वह सभी एक ही बात कह रहे थे कि आज हमारा एक नेता, हमारा एक बुजुर्ग, हमारा एक पिता हमारे बीच में नहीं है. श्री राजेन्द्र सिंह जी कि यह पैठ पूरे मध्यप्रदेश में थी और उनके निधन से पूरे मध्यप्रदेश को एक बहुत बड़ी छति हुई है.
अध्यक्ष महोदय, श्री हेमचंद यादव जी, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा, वर्ष 1958 दुर्ग में जन्मे थे, वह प्रदेश की 11 वीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और प्रदेश के पुनर्गठन के बाद भी वह छत्तीसगढ़ में 2003 और 2008 में विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन में अनेक उदाहरणीय कार्य किये, उनके न रहने पर हम सबको दु:ख है.
डॉ. निर्मल हीरावत जी, भूतपूर्व विधान सभा सदस्य का कटंगी, जिला बालाघाट में जन्म हुआ. वह आठवीं विधान सभा में राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से कटंगी से विधायक बने, मंत्री भी बने और डॉ. निर्मल हीरावत जी चार महीने पहले अभी भोपाल भी आये थे और उनके जितने भी परिचित रहे हों, उन्होंने कहा कि भाई मैं सबके पास जा रहा हूं, पता नहीं कि कितने दिन तक रहूं. डॉ. हीरावत जी, एक बहुत ही नेक इंसान, समाजसेवी और अंतिम छोर के व्यक्ति को अपनी और से जो भी व्यवस्था हो सकती थी, वह चाहे डॉक्टरी की हो या अन्य तरह से हो सकती थी, वह उन्होंने करने की कोशिश की. उनके निधन से भी प्रदेश के सार्वजनिक जीवन में एक अपूरणीय क्षति हुई है.
अध्यक्ष महोदय, श्री एल.पी.शाही जी, भूतपूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री, बिहार के बहुत बड़े कद्दावर नेता थे. निरंतर 6 बार विधायक बिहार जैसे राज्य में कोई व्यक्ति रहा हो, यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है. उनका दूसरा नाम टाईगर एल.पी.शाही जी था, वह किसी के सामने कभी नहीं झुके और नेहरू जी से लेकर इंदिरा जी सभी बिहार के मामले में उनसे चर्चा करते थे, क्योंकि निष्पक्ष रूप से वह अपनी बात रखते थे. वह आठवीं लोक सभा के सदस्य भी निर्वाचित हुए, राज्य मंत्री शिक्षा और संस्कृति भी रहे. सिर्फ बिहार ही नहीं पूरे देश को उनके निधन से क्षति हुई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सिद्धप्पा न्यामागौड़ा का बीजापुर कर्नाटक में जन्म हुआ. वह दसवीं लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा केन्द्र सरकार में कोयला विभाग के उपमंत्री रहे और उससे पहले विधान सभा कर्नाटक के सदस्य भी रहे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इन सभी दिवंगत आत्माओं के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनके परिवार और परिजन लोगों को दुख सहन करने की शक्ति दें.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार(अम्बाहा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके द्वारा, माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा, हमारे नेता प्रतिपक्ष जी द्वारा निधन के संबंध में विस्तार से उल्लेख किया जा चुका है. इसी श्रृंखला में हिमाचल प्रदेश की पूर्व राज्यपाल श्रीमती उर्मिला सिंह जी का दिनांक 29 मई तथा मध्यप्रदेश विधान सभा के भूतपूर्व सदस्यगण श्री बालकवि बैरागी जी का दिनांक 13 मई, श्री दशरथ जैन का दिनांक 22 जून, श्री महाराज सिंह जी का दिनांक 1 मई, श्री राजेन्द्र सिंह जी का दिनांक 16 अप्रैल, श्री हेमंत यादव जी का दिनांक 11 अप्रैल, डा. निर्मल हीरावत का दिनांक 9 मई, तथा पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री एल.पी. शाही का दिनांक 9 जून एवं श्री सिद्धप्पा न्यामागौड़ा जी का दिनांक 28 मई को निधन हो गया.
माननीय अध्यक्ष, जिन महान विभूतियों का निधन हुआ है, उनको मैं अपनी तरफ से, अपनी पार्टी की तरफ से शोक श्रद्धांजलि देता हूं. निश्चित तौर पर जो महान विभूतियां रही हैं उनका सामाजिक क्षेत्र में, राजनैतिक क्षेत्र में और समाज सेवा में अनुकरणीय योगदान रहा है, उनके चले जाने से निश्चित तौर पर हम सभी को क्षति हुई है और उनके परिवारजनों को गहरा दु:ख पहुंचा हैं. मैं यह कहूं कि कुछ महान विभूतियां ऐसी होती हैं कि कुछ लोग महान होते हैं, कुछ लोग महानता प्राप्त कर लेते हैं, और कुछों के ऊपर महानता थोप दी जाती है. ऐसी विलक्षण शक्तियां जो साधारण से परिवार में पैदा होकर बहुत ऊंचाईयों तक पहुंची और सामाजिक, राजनैतिक क्षेत्र में अपना पूरा योगदान दिया, जो आज हमारे बीच में नहीं है, उन सभी को मैं हृदय की गहराईयों से शोक संवेदना व्यक्त करता हूं, शोक श्रंद्धाजलि देता हूं और ईश्वर से कामना करता हूं कि उनके परिवारजनों को जो गहरा दु:ख पहुंचा है उन्हें दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें, ओम शांति.
उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जिन महानुभावों, राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं के निधन का उल्लेख किया है. अपनी श्रद्धांजलि दी है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी बड़े विस्तार से उनका उल्लेख किया. उनके व्यक्तित्व के बारे में, चरित्र के बारे में, समाज के प्रति किए गए कार्यों के बारे में, राजनैतिक क्षेत्रों में किए गए कार्यों के बारे में उल्लेख किया और श्रद्धांजलि दी. माननीय नेता प्रतिपक्ष ने भी बड़े विस्तार से इन सभी दिवंगत आत्माओं को अपने श्रद्धा सुमन सौंपे. माननीय सखवार जी ने भी अपनी श्रद्धांजलि दी है. मैं आप सब की भावनाओं से, अपनी भावना को जोड़ते हुए इन सब महान् एवं दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि देता हूँ और यह कामना करता हूँ कि उनके परिवारों को ईश्वर शक्ति दे, उनके कार्यकर्ताओं, उनके सहयोगियों को शक्ति दे ताकि यह गहरा दु:ख एवं सदमा वे बर्दाश्त कर सकें. कबीरदास जी ने कहा था ''जो आए हैं, सो जाएंगे. राजा, रंक, फकीर, एक सिंहासन छोड़ चलियो, एक बंधे जंजीर.'' ये जितनी आत्माएं हैं, जितने दिवंगत व्यक्ति हैं, मेरी समझ से उनमें से प्रत्येक आत्मा ईश्वर के श्री चरणों में सिंहासन पर ही बैठकर गई होंगी. जहां तक श्रीमती उर्मिला सिंह जी का सवाल है तो मैं उन्हें बहुत नजदीक से जानता था, मैं उनके साथ मंत्री था. वे बड़ी सरल एवं सहज थीं तथा आदिवासियों के बीच और समाज के अंतिम छोर में खड़े व्यक्ति के उत्थान में उनकी गहरी रुचि थी. उनका विवाह छत्तीसगढ़ में सरायपाली में हुआ था लेकिन उनके पति के देहावसान हो जाने के बाद, उन्होंने यह चुनौती अपने हाथों में ली कि हमें समाज सेवा करना है और जो पति के आदर्श थे, अधूरा काम था, उसको पूरा करना है. उर्मिला सिंह जी अपनी योग्यता के कारण, अपने कार्यों के कारण काफी ऊँचाइयों तक पहुँचीं. वे न सिर्फ मंत्री रहीं बल्कि वे कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च संस्था की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य भी रही थीं. जैसा सबको मालूम है कि वे हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल थीं और अंतिम क्षणों में, जैसा अभी साल-डेढ़ साल पहले मेरी उनसे मुलाकात हुई थी तो ऐसा कुछ भी महसूस नहीं होता था कि उर्मिला जी हमारे बीच में नहीं रहेंगी. लेकिन ईश्वर की मंशा वही जानता है कि उसने हम सबके लिए कितनी सांसें निर्धारित की हैं, यह कोई दूसरा नहीं जानता है. जितनी सांसें हमें यहां लेना हैं, हम उतनी ही सांसें लेंगे और एक भी सांस हम ज्यादा नहीं ले पाते हैं. वे आज हमारे बीच में नहीं हैं तो मुझे बड़ा शोक हो रहा है चूँकि उनसे मेरा व्यक्तिगत जुड़ाव था. प्रदेश कांग्रेस कमेटी में अध्यक्ष के रूप में और साथ ही वह मंत्री भी थीं, उन्होंने बहुत अच्छा काम किया. वह बड़ी सक्रिय अध्यक्ष रहीं.
अध्यक्ष महोदय, आदरणीय बालकवि बैरागी जी, हमारे ताऊजी के सहयोगी हुआ करते थे एवं हम लोगों का निजी तौर पर उन्हें आशीर्वाद, स्नेह तथा प्यार मिलता था. वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. जैसा मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वे थ्री इन वन थे. वे कवि भी थे, समाजसेवी भी थे और राजनेता भी थे. वे कवि तो ऐसे थे कि जब वे बोला करते थे तो वास्तव में सरस्वती माता उनकी जिह्वा में विराजती थीं, पूरा हॉल, पिन ड्रॉप साइलेंस जिसे कहते हैं कि सुई भी गिर जाए तो उसकी आवाज आती थी. चाहे गीत के माध्यम से हो, चाहे गद्य हो या पद्य हो, दोनों में उनका समान उनका अधिकार था, इतना मधुर गीत उनके कंठों से निकलता था कि लोग स्तब्ध रह जाते थे. वे समाजसेवी थे, बहुत सरल थे और हमेशा उनकी कोशिश रहती थी कि जो राजनीति के क्षेत्र में नये लोग सेवा करने के लिए, काम करने के लिए आए हैं, उन्हें उचित मार्गदर्शन मिलता रहे और हम लोग उनके पास उनका सानिध्य प्राप्त करने के लिए जाते भी थे, उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जाते थे. आज वे हमारे बीच नहीं है, यह गहरी वेदना है और हमने ऐसा व्यक्ति खोया है, जिसकी अब समाज में पूर्ति नहीं हो सकती है, उन्हें मैं ह्दय से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, दशरथ जैन जी जैसा की मुख्यमंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष जी ने बताया है. विन्ध्य प्रदेश जब होता था तब वह वहां मंत्री हुआ करते थे, कैबिनेट मंत्री होते थे और आजादी के आन्दोलन में भी उन्होंने भाग लिया, प्रजामण्डल राजशाही के खिलाफ एक आन्दोलन हुआ था, उसमें उन्होंने भाग लिया.एक तरह से वे स्वतंत्रता संग्राम सैनानी थे. मुझे याद है कि उनका व्यक्तित्व नारियल जैसा था. अंदर से बड़े मुलायम और ऊपर से कठोर. जब वे विंध्य प्रदेश के गृह मंत्री हुआ करते थे यह बात मुझे इसलिये मुझे मालूम है कि मेरे पिताजी ने भी तभी विंध्य प्रदेश में सेवायें ज्वाईंन की थी, वे विंध्य प्रदेश में एस.पी. हुआ करते थे. वह बताया करते थे कि ऊपर से बड़े कड़े थे, साधारण रूप से उनको अधिकारी और कर्मचारी नहीं ले पाते थे लेकिन अंदर से कार्यकर्ताओं के लिये, गरीबों के लिये और उस व्यक्ति के लिये जो सच बोल रहा है, सरल है, जरूरतमंद है उसके लिये अंदर से जैसे नारियल मुलायम होता है वैसे दशरथ जैन जी मुलायम हुआ करते थे. मध्यप्रदेश बनने पर भी वे उप मंत्री रहे हैं. इनके निधन से हमने एक ऐसे समाजसेवी को खोया है जिसने न सिर्फ सत्ता में भागीदारी की बल्कि भारतवर्ष की आजादी के आंदोलन में भी में नजदीकी से जुड़े रहे. उनके निधन से प्रदेश की अपूरणीय क्षति हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री महाराज सिंह जी दोनों दलों का प्रतिनिधित्व करते थे. वे भी एक समर्पित समाजसेवी थे वे आज हमारे बीच में नहीं हैं . उन्हें भी मैं श्रृद्धांजलि देता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राजेन्द्र सिंह जी, भूतपूर्व विधायक मंडल के संस्थापक अध्यक्ष थे और इस नाते चूंकि विधानसभा ने मुझे बहुत सी जिम्मेदारियां ऐसी सौंपी थी कि भूतपूर्व विधायकों और विधायक मंडल के अध्यक्ष से हमारा संवाद होता रहता था, वेतनभत्ते आदि के संबंध में तो वह बड़ी ताकत से आंकड़ों के साथ में अपनी बात को रखते थे. स्मरण रहे कि 1972 में वे श्यामाचरण जी शुक्ल की कैबिनेट में मंत्री थे उसके बाद दुबारा वे विधायक नहीं बने लेकिन पूर्व विधायकों की सेवा के लिये उनकी जो समस्यायें थी उनको उठाने के लिये वे इतने तत्पर रहते थे इतनी उनकी प्रतिबद्धिता थी कि इतने लंबे अंतराल के बाद जबकि वह विधायक भी नहीं बने , तब वे सक्रिय रहा करते थे. वे समाज सेवी थे. नगर निगम में पार्षद से उन्होंने शुरूवात की थी और हर वर्ग के लोगों को, खासकर के जो पिछड़े वर्ग के लोग हैं, दलित और वंचित लोग हैं उनकी लड़ाई उन्होंने हमेशा लड़ी. वे आज हमारे बीच में नहीं है, उनको मैं श्रृद्धांजलि देता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ.निर्मल हीरावत जी,भूतपूर्व सदस्य विधानसभा वे भी एक समर्पित समाजसेवी थे वे आज हमारे बीच में नहीं हैं . उन्हें भी मैं श्रृद्धांजलि देता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री एल.पी.शाही जी को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता था वे एक बड़े दबंग राजनेता के रूप में जाने जाते थे. निरंतर वे मंत्री रहे. बिहार में जब तक कांग्रेस पार्टी की सरकार रही उसके बाद संसद सदस्य रहे और राज्य मंत्री, केन्द्रीय सरकार में रहे. शाही साहब एक समर्पित राजनेता थे और जनसेवक थे वे आज हमारे बीच में नहीं हैं उनको भी मैं श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सिद्धप्पा न्यामागौड़ा भी आज हमारे बीच में नहीं हैं. वे केन्द्र में मंत्री रहे हैं , समाज सेवी रहे उनके निधन से जो रिक्तिता हुआ है उसकी पूर्ति नहीं की जा सकती . मैं इन सभी दिवंगत आत्मा को अपने हृदय की गहराई से श्रृद्धा-सुमन अर्पित करता हूं. ऊं.शांति, शांति, शांति.
श्री कैलाश चावला (मनासा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज सदन अपने बिछड़े हुये सदस्यों के प्रति शौक प्रकट करते हुये श्रृद्धांजलि अर्पित कर रहा है. जिन महानुभाव के निधन का आपने उल्लेख किया है उन सबके प्रति मैं श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, विशेषकर मनासा विधानसभा क्षेत्र से चुनकर के आये बालकवि जी बैरागी जो दो बार मनासा विधानसभा क्षेत्र से जीतकर के आये और इस सदन में उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, उनके बारे में, मैं सदन में कुछ उल्लेख करना चाहूंगा. हममे से बहुत से मित्रों को शायद इस बात की जानकारी भी नहीं होगी कि बालकवि बैरागी जी का असली नाम नंदराम दास बैरागी था.
अध्यक्ष जी, बाल्यकाल से ही वे कविता लिखा करते थे और लाल किले पर अपने बाल्यकाल में जब उन्होंने कविता पढ़ी, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने उन्हें बालकवि के नाम से उपाधि दी थी, तब से ही वे बाल कवि के नाम से प्रसिद्ध हुये और इतने प्रसिद्ध हुये कि उनका मूल नाम ही लोग भूल गये और उनको आज बाल कवि बैरागी के नाम से जाना जाता है. एक बहुत ही गरीब परिवार में जन्म लेकर उन्होंने समाज में इन ऊंचाईयों को प्राप्त किया. एक कवि के रूप में उनकी ख्याति पूरे देश में थी, वे केवल मालवा का नहीं देश का गौरव थे. एक साहित्यकार के रूप में, कवि के रूप में, राजनेता के रूप में उन्होंने अपना स्थान पूरे समाज में बनाया था और मालवा क्षेत्र में तो उन्हें बाल कवि बैरागी के नाम से भी नहीं केवल एक शब्द ''दादा'' के नाम से पुकारा जाता था, इतनी उनकी लोकप्रियता थी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी जैसा माननीय मुख्यमंत्री जी उल्लेख कर रहे थे, उनके मन में जो विचार आते थे वे बेहिचक उनको प्रकट करते थे. मैं कॉलेज में पढ़ता था तो मुझे ध्यान है उन्होंने एक कविता लिखी थी ''हम लेखा-जोखा तो लेंगे अपनी सरकार से'', उस समय कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी और एक लोकतंत्र में मतदाता अपनी सरकार से किस प्रकार हिसाब ले सकता है, इस बात को प्रतिपादित करते हुये उन्होंने बहुत ताकत से एक कविता लिखी थी जिसका रिएक्शन यह हुआ, प्रतिक्रिया यह हुई कि कांग्रेस से उनको 3 साल के लिये निलंबित भी किया गया, उन्होंने उसको भी सहा और एक निष्ठावान कांग्रेसी कार्यकर्ता के रूप में वे लगातार बने रहे और उन्होंने पूरे समाज को मार्गदर्शन देने का काम किया. चूंकि वह मनासा में ही रहते थे, मेरे उनसे व्यक्तिगत संबंध बहुत अच्छे थे, समय-समय पर उनका मार्गदर्शन भी मिलता था और बड़े भाई के रूप में उनका आशीर्वाद भी मुझे प्राप्त होता रहा. मैं इस दुखद अवसर पर उनके प्रति अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं और परम पिता परमात्मा से यह प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे, उनके परिवार को इस कष्ट को सहन करने के लिये शक्ति प्रदान करे. ऊं शांति.
अध्यक्ष महोदय-- मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन 2 मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रृद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा 2 मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के सम्मान में श्रद्धांजलि अर्पित की गई)
अध्यक्ष महोदय-- दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.
(11.48 बजे विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित की गई)
11.55 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
विद्यालयों में पेयजल/शौचालय/विद्युत व्यवस्था
[स्कूल शिक्षा]
1. ( *क्र. 455 ) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अटेर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के सभी वर्ग के शासकीय प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों के शासकीय भवन बन चुके हैं? यदि नहीं, तो किन-किन स्कूलों के भवन नहीं हैं? जिन विद्यालयों के भवन नहीं हैं, उन्हें किन भवनों में लगाया जा रहा है? सूची सहित विवरण दिया जावे। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या संचालित सभी विद्यालयों के भवनों में छात्र-छात्राओं के उपयोग हेतु पेयजल, शौचालय की व्यवस्था की गई है? यदि नहीं, तो किन-किन भवनों में उक्त व्यवस्था उपलब्ध नहीं है? कब तक उपलब्ध करा दी जावेगी? सुविधाओं के अभाव में छात्रों द्वारा कैसे अध्ययन किया जा रहा है? (ग) उपरोक्त सभी प्रकार के विद्यालयों के शासकीय भवनों में क्या विद्युत कनेक्शन लिये गये हैं? यदि हाँ, तो क्या उस विद्युत कनेक्शन से संबंधित विद्यालयों में विद्युत की आपूर्ति हो रही है? ऐसे कितने सभी प्रकार के विद्यालय शेष हैं, जिनमें विधिवत विद्युत का कनेक्शन नहीं लिया गया है और कब तक लिया जावेगा? क्या इसके लिये बजट का प्रावधान अथवा स्थानीय स्तर पर कोई निधि आरक्षित की गई है? पूर्ण विवरण सहित जानकारी दी जाये।
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है तथा हाई/हाई सेकेण्डरी शालाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में समस्त 579 शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में शौचालय एवं पेयजल की व्यवस्था है, जिनमें से 33 शौचालय मरम्मत योग्य हैं, जिनकी मरम्मत शाला प्रबंध समिति द्वारा की जाती है। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नही है। सुविधाओं के अभाव में छात्रों का अध्ययन प्रभावित नही हो रहा है। संचालित सभी शासकीय हाई/हायर सेकेण्डरी शालाओं में पेयजल एवं शौचालयों की सुविधा उपलब्ध है। (ग) अटेर विधानसभा क्षेत्र के कुल 579 शासकीय प्राथमिक/माध्यमिक विद्यालयों में से 9 विद्यालयों में विद्युत कनेक्श्न की सुविधा है एवं विद्युत की आपूर्ति हो रही है। शेष 570 विद्यालयों में विद्युत कनेक्श्न नहीं है। राज्य मद से मुख्यमंत्री शाला ज्योति योजना अन्तर्गत शासकीय प्राथमिक/माध्यमिक विद्यालयों में विद्युत कनेक्शन की कार्यवाही प्रचलन में है। बजट की उपलब्धता के आधार पर शालाओं में विद्युत कनेक्शन किया जा सकेगा। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नही है। 07 शासकीय हाईस्कूलों में एवं 03 हायर सेकेण्डरी शालाओं में विद्युत व्यवस्था नही है। संचालित सभी शासकीय हाई/हायर सेकेण्डरी शालाओं में दिसम्बर 2018 तक विद्युत व्यवस्था उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मुझे जो जानकारी प्राप्त हुई है, वह पूरी तरह से भ्रमित करने वाली, गलत जानकारी है. उसके बाद जो जानकारी दी है, वह चौंकाने वाली है (XXX). 579 स्कूलों में से 570 में विद्युत की व्यवस्था नहीं है यह बात आप अपने उत्तर में मान रहे हैं. 33 शौचालय उपयोग करने योग्य नहीं है. पेयजल की व्यवस्था नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--शर्म आ जाएगी असंसदीय है इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पहला प्रश्न यही है कि जो 10 स्कूल हैं हायर सेकेंड्री वहां पर बिजली की व्यवस्था कब तक हो जायेगी पेयजल की व्यवस्था नहीं है. 10 हायर सेकेंड्री स्कूल हैं वहां पर विद्युत की व्यवस्था कब तक हो जायेगी तथा सब जगहों पर शौचालय कब तक पूरे हो जाएंगे ?
राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि जितने हाईस्कूल एवं हायर सेकेंड्री स्कूलों के बारे में बताया है उन सब स्कूलों को इस वर्ष के अंत तक विद्युत से जोड़ दिया जाएगा. 33 शौचालय मरम्मत के लायक हैं उनकी मरम्मत की राशि शीघ्र जारी कर दी जाएगी.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - माननीय मंत्री जी, अंत तक तो मतलब दिसंबर हो जायेगा. मंत्री जी ऐसा नहीं कम से कम आप कुछ समयावधि की बात तो करिये. उसके बाद तो हम खुद ही जोड़ लेंगे जब सरकार बदल जायेगी आप इसमें कुछ करें.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्र.2 श्री जितेन्द्र गहलोत..
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष जी, 3 पूरक प्रश्न पूछने का नियम है. अब मेरे साथ यहां पर भी भेदभाव होगा क्या. गलत बात है. मुझे मेरा अधिकार मिलना चाहिये. 3 पूरक प्रश्न पूछने का नियम है.
शासकीय विद्यालयों के जर्जर भवनों की मरम्मत
[स्कूल शिक्षा]
2. ( *क्र. 6 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आलोट विधानसभा क्षेत्र के ताल शासकीय माध्यमिक विद्यालय भवन की हालत जर्जर हो चुकी है। यदि हाँ, तो अब तक शासन ने उक्त संबंध में क्या कार्यवाही की? (ख) आलोट विधानसभा क्षेत्र में अन्य कितने प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय भवनों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण की आवश्यकता है एवं तत्संबंध में क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ग) प्रश्नांश (क) वर्णित भवन का कार्य क्या वर्षा पूर्व पूर्ण कर दिया जायेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न नहीं उठता। (ख) आलोट विधानसभा क्षेत्र में 27 प्राथमिक एवं माध्यमिक भवनों की मरम्मत तथा 09 प्राथमिक एवं माध्यमिक भवनों के पुनर्निर्माण के प्रस्ताव वार्षिक कार्य योजना 2018-19 में सम्मिलित किये गये हैं। स्वीकृति अप्राप्त है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश (क) के अनुक्रम में प्रश्न नहीं उठता।
श्री जितेन्द्र गेहलोत--अध्यक्ष महोदय, जिन प्राथमिक स्कूलों के बारे में जानकारी मांगी है, वह जर्जर हैं उसकी सूची तो पहुंचा दी गई है, पर जिस स्कूल की मेरे द्वारा जानकारी मांगी है वह 2007 में भवन बनकर तैयार हो गया था. आज भी जर्जर भवन के अंदर प्राथमिक शालाएं लग रही हैं, वहां पर कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि वहां स्कूल की शिफ्टिंग के लिये निर्देश दें.
राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य द्वारा जिस माध्यमिक शाला का प्रश्न पूछा है इसमें हम हाईस्कूल का संचालन कर रहे हैं इस नाते से मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि उन्होंने माध्यमिक शाला का जो भवन हैं वह पुराने भवनों में संचालित हो रहा हैं, इसको मैं स्वीकार कर रहा हूं, लेकिन कुल 15 कमरों में से 11 कमरे काम करने लायक हैं, 4 अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कर दिया गया है. अगर कुछ स्पेसीफिक बात माननीय सदस्य जी बताएंगे तो शीघ्र करवा देंगे.
किला गेट से लहार चौराहा तक मार्ग का निर्माण
[लोक निर्माण]
3. ( *क्र. 359 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) किला गेट से लहार रोड चौराहा भिण्ड में सड़क मार्ग का निर्माण कब प्रारम्भ हुआ? कब पूर्ण होना था, प्रश्न दिनांक तक कितना कार्य पूर्ण हुआ? कार्य की धीमी गति से होने के क्या कारण हैं? इसके लिये कौन दोषी है? कब तक क्या कार्यवाही की जावेगी? (ख) प्रश्नांश (क) के अन्तर्गत क्या मार्ग निर्माण में उपयंत्री, सहायक यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग भिण्ड की अरूचि के कारण कार्य प्रभावित हो रहा है? समयावधि पूर्ण होने के उपरांत कार्य पूर्ण न होने के कारण किसके विरूद्ध क्या कार्यवाही प्रस्तावित की गई? छायाप्रति सहित जानकारी दें। (ग) प्रश्नांश (क) और (ख) में किस निर्माण एजेंसी को कितनी राशि का कब भुगतान किया गया? क्या सक्षम अधिकारी की अनुमति ली गई? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) प्रश्नांश (क) में कब तक कार्य पूर्ण हो जायेगा? विलम्ब से कार्य होने के कारण किसके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) दिनांक 10.08.2016 को। दिनांक 29.06.2017 को। प्रश्नांश दिनांक तक 70 प्रतिशत। कार्य की धीमी गति होने के निम्न कारण हैं :- प्रशासन द्वारा विलंब से दिनांक 23.03.2018 को अतिक्रमण हटाया, जिसका मलबा नगर पालिका द्वारा वर्तमान तक नहीं हटाया गया। म.प्र.म.क्षे.वि.वि.क. भिण्ड द्वारा विद्युत पोल शिफ्ट नहीं किये हैं। नगर पालिका भिण्ड द्वारा सीवर लाईन का कार्य पूर्ण नहीं किया गया है एवं ठेकेदार के द्वारा धीमी गति से कार्य करने के कारण। इसके लिये कोई भी अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं है। कार्यवाही का प्रश्न ही नहीं होता है। (ख) जी नहीं। ठेकेदार के विरूद्ध अनुबंध में निहित प्रावधान के अनुसार कार्यवाही की गई जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) मे. मूलचन्द जैन को चलित देयकों के माध्यम से प्रथम देयक राशि 2526114.00, दिनांक 02.10.2016, द्वितीय चल देयक राशि 3088419.00, दिनांक 20.01.2017, तृतीय चल देयक राशि 1333101.00, दिनांक 09.04.2017 एवं चतुर्थ देयक राशि 3191762.00, दिनांक 16.05.2018 कुल राशि 10139396.00 का भुगतान किया गया है। भुगतान हेतु कार्यपालन यंत्री भिण्ड सक्षम है। अनुमति की आवश्यकता नहीं है। (घ) कार्य दिनांक 31.12.2018 तक पूर्ण होना संभावित है। विलंब से कार्य पूर्ण होने पर अनुबंध में निहित शर्त अनुसार गुण-दोष के आधार पर ठेकेदार के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी।
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--अध्यक्ष महोदय, हमारी सड़क को 12 महीने में बनना था आज उसको ढाई साल हो गये हैं इसके बारे में तीन बार प्रश्न भी लगा चुका हूं. आज तक सड़क नहीं बन रही है. जिन्होंने सड़क बनाने में विलंब किया है उन अधिकारियों को आप निलंबित करें तथा ठेकेदार के खिलाफ भी आप क्या कार्यवाही करेंगे, यह बतायें?
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी इसमें समय सीमा बता दीजिये.
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी को बताया गया है कि विद्युत पोल हटाये जाने के कारण विलंब हुआ है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी गलत जानकारी दे रहे हैं. आप अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करिये. बारह महीने में बनना था आज दो साल हो गये. आप अधिकारियों को सस्पेंड करिये. आप उनको सस्पेंड करेंगे कि नहीं. उसमें भ्रष्टाचार हुआ है. 21 करोड़ रुपये का.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्र.4
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - जिन्होंने इस निर्माण कार्य में विलंब किया है, उन अधिकारियों को आप निलंबित करिये. इसमें भ्रष्टाचार हुआ है.
अध्यक्ष महोदय--आप प्रश्न का उत्तर ही नहीं आने देना चाहते हैं. (व्यवधान)
फर्जी अनुज्ञा पत्र मामले की जाँच व कार्यवाही
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
4. ( *क्र. 503 ) श्री बाला बच्चन : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्रमांक 4817, दिनांक 20.03.2018 के (ख) उत्तर अनुसार शासन ने E.O.W. को जाँच सौंपने के बाद पत्राचार क्यों नहीं किया? लगभग तीन वर्ष होने के बाद भी प्रारंभिक जाँच स्तर पर मामला लंबित रहने पर विभाग ने E.O.W. से इसके लिए निवेदन क्यों नहीं किया? यदि किया है तो पत्राचार की छायाप्रति देवें। (ख) उपरोक्तानुसार प्रश्न (ग) के उत्तर में वर्णित फर्मों में कुछ के लाइसेंस निरस्त किए, कुछ के नहीं किए गए, कई फर्मों से राशि वसूली लंबित है, ऐसा क्यों? लंबित राशि की जानकारी फर्मवार, जिलावार देवें। (ग) इनसे वसूली कब तक होगी? यदि नहीं, तो क्यों? इसमें वर्णित आरोपी अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा? (घ) जिन फर्मों पर F.I.R. नहीं की गई, उसके कारण बतावें। यह कब तक होगी? यह जाँच कब तक पूर्ण होगी?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब', 'स' एवं 'द' अनुसार है। (ग) जिन लंबित फर्मों पर कार्यवाही की जाना है, उनके प्रकरण माननीय न्यायालय एवं भू-राजस्व की भांति वसूली हेतु प्रचलन में हैं। उक्त प्रारंभिक जाँच में प्रथमदृष्टया उत्तरदायी पाये गये अधिकारी/कर्मचारियों में से 06 अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया गया है, शेष 45 अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ई' अनुसार है। (घ) मण्डी सचिवों द्वारा संबंधित मण्डी अंतर्गत थानों में एफ.आई.आर. करने हेतु पत्र लिखा गया है, प्रकरण माननीय न्यायालय एवं भू-राजस्व की भांति वसूली हेतु संबंधित थानों में विवेचनाधीन है। साथ ही राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो (ई.ओ.डब्ल्यू.) में प्रारंभिक प्रश्नाधीन मामला विचाराधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय फर्जी कारोबार फर्मों के द्वारा किया जा रहा है.(..व्यवधान..) जो फर्जी कारोबार कर रहे हैं. फर्जी कारोबार को निरस्त करने की कार्यवाही क्यों नहीं की है.(..व्यवधान..) मंत्री जी, संबंधितों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं. मैं मंत्री जी आपसे पूछना चाहता हूं कि जो फर्जी कागजों पर आपकी फर्में है उनसे 50 लाख से लेकर 70 करोड़ तक की पैनाल्टी उनसे वसूल की जाना है.(..व्यवधान..) जो फर्जीवाड़ा मंडियों में सरकार के द्वारा अधिकारियों के द्वारा फर्मों के द्वारा उन फर्मों के लाईसेंस निरस्त करके दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करायेंगे ?
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - कुशवाह जी, आपने उत्तर नहीं सुना.बिसेन जी,बाला बच्चन जी का उत्तर दें.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, मण्डियों में जो फर्जीवाड़ा अधिकारियों के द्वारा और फर्मों के द्वारा किया जा रहा है, क्या उन फर्मों के लाइसेंस निरस्त करेंगे और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे जिससे उन पर कंट्रोल हो और मध्यप्रदेश में मंडियों में फर्जीवाड़ा रुक सके. यह मेरा प्रश्न है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - माननीय मंत्री जी जवाब नहीं देंगे.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, आप कुशवाह जी के प्रश्न पर कुछ कहना चाहेंगे.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, मुझे जवाब चाहिये. अधिकारी सस्पेंड होना चाहिये.
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक कह रहे हैं इसकी जांच करा लेंगे और बाकी समय पर काम कराएंगे.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - यह जवाब नहीं है. अधिकारियों को सस्पेंड कीजिये.
अध्यक्ष महोदय - आपका उत्तर आ गया. बिसेन जी, बाला बच्चन जी का उत्तर दें.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - कब तक जांच कराएंगे. माननीय मुख्यमंत्री जी विकास के लिये पैसे देते हैं.
(..व्यवधान..)
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - आपने ठीक से नहीं सुना. माननीय सदस्य ने माननीय मुख्यमंत्री जी, विकास के लिये पैसे देते हैं कहा है.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर तो आप दिलवा दीजिये.
(..व्यवधान..)
( 12.00 बजे) नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में उल्लिखित शून्यकाल की सभी सूचनाएं पढ़ी हुईं मानी जायेंगी. अब मैं सूचना देने वाले माननीय सदस्यों के नाम पुकारूंगा.
1. डॉ.गोविन्द सिंह
2. श्री रामनिवास रावत
3. श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार
4. श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना
5. श्री विजयपाल सिंह
6. श्री सुन्दरलाल तिवारी
7. श्री विजय सिंह सोलंकी
8. श्री सचिन यादव
9. श्री इन्दर सिंह परमार
10. श्री बहादुर सिंह चौहान
(..व्यवधान..)
सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित.
(12 02 बजे विधान सभा की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित की गई.)
12.18 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
श्री आरिफ अकील - अध्यक्ष महोदय, आप क्यों नाराज हो गये थे? सदन की कार्यवाही अभी क्यों स्थगित हो गई थी?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जवाब ही नहीं आया.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- अध्यक्ष महोदय, यह जो श्री आरिफ अकील जी का प्रश्न है, अब उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विकास के लिए पैसा दे रहे हैं, भैया बोले कि ले रहे हैं, अब देखें तो सही. (व्यवधान)..वह सदस्य क्या कह रहे हैं, वह सुन लें. वह सदस्य हैं उनसे पूछ लें कोई भ्रम हो रहा है तो, वे यहां पर हैं.(व्यवधान)..
श्री के.पी. सिंह - श्री नरेन्द्र जी, ईमानदारी से बोलो कि आपने क्या कहा था? आप सुन तो लें वे क्या कह रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप सुनें तो वह क्या कह रहे हैं.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री ने भिण्ड जिले के लिए करोड़ों रुपया दिया है. गौरी सरोवर माननीय मुख्यमंत्री जी ने बना दी है. लेकिन अधिकारियों की हठधर्मिता से काम नहीं हो रहा है. ऐसे अधिकारियों को सस्पेंड किया जाय. मुख्यमंत्री जी ने करोड़ों रुपया दिया है.
अध्यक्ष महोदय - मैं समझता हूं कि बात को जबर्दस्ती ट्विस्ट कर दिया गया है, यह उचित नहीं है. हम सभी समझदार लोग हैं और इस तरह से बात को ट्विस्ट करके यदि कुछ करेंगे तो यह बिल्कुल उचित नहीं होगा और इससे कोई अच्छी छवि भी नहीं बनेगी. कृपया इस विषय को समाप्त करें. उन्होंने जो कहा था वह स्पष्ट आ गया है.
श्री रामनिवास रावत - आप डांट तो सकते हैं, दंड आपके सामने रखा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, यह दो कार्यकारी हैं, यह दोनों कार्यकारी ही इसलिए बने हैं.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने कहा था कि विकास के लिए दिये हैं.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - विकास के लिए करोड़ों रुपए मुख्यमंत्री ने दिये हैं.
अध्यक्ष महोदय - और कृपा करके इसको ऐसा ही रहने दें, नहीं तो जो छवि और बाहर जाएगी, वह अच्छी नहीं जाएगी, बातों को ट्विस्ट मत करिए.
श्री शंकरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मैं यहां पर बगल में बैठा हूं मुख्यमंत्री शब्द का इस्तेमाल किया गया है. जानबूझकर यह मजाक बनाया गया और सदन का समय नष्ट किया गया. ..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - श्री रामपाल सिंह, विधि और विधायी कार्य मंत्री, अध्यादेशों को पटल पर रखेंगे.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर भी नहीं आया था.
श्री शंकरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के लोग गंभीरता से कोई बात कहें. मजाक में समय खराब न करें.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, मेरा नाम पूर्व में आ गया था. आपने मेरा नाम पुकारा था किंतु मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया. अत: शून्यकाल में मेरे प्रश्न का उत्तर दिया जाए.
12.22 बजे अध्यादेशों का पटल पर रखा जाना
(क) मध्यप्रदेश शासकीय सेवक (अधिवार्षिकी आयु) संशोधन अध्यादेश, 2018 (क्रमांक 4 सन् 2018),
(ख) मध्यप्रदेश धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय अध्यादेश, 2018 (क्रमांक 5 सन् 2018),
(ग) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2018 (क्रमांक 6 सन् 2018),
(घ) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश, 2018 (क्रमांक 7 सन् 2018),
(ङ) मध्यप्रदेश ग्रामों में की दखलरहित भूमि (विशेष उपबंध) संशोधन अध्यादेश, 2018 (क्रमांक 8 सन् 2018)
(च) मध्यप्रदेश कराधान (संशोधन) अध्यादेश, 2018 (क्रमांक 9 सन् 2018), तथा
(छ) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन अध्यादेश 2018 (क्रमांक 10 सन् 2018)
12.23 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
1- (क) भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक के तकनीकी मार्गदर्शन एवं पर्यवेक्षण पर आधारित 31 मार्च, 2014 को समाप्त वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन के नगरीय स्थानीय निकायों और पंचायत राज संस्थाओं पर वार्षिक तकनीकी निरीक्षण प्रतिवेदन,
(ख) त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं के संपरीक्षित लेखों पर आधारित संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा म.प्र. का समेकित वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2012-2013 एवं वर्ष 2013-2014 तथा
(ग) नगरीय निकायों के संपरीक्षित लेखों पर आधारित संचालक, स्थानीय निधि संपरीक्षा म.प्र.का समेकित वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2012-2013 तथा 2013-2014,
(घ) मध्यप्रदेश अधोसंरचना विनिधान निधि बोर्ड का 17 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, तथा
(ङ) (i) मध्यप्रदेश सरकार के वित्त लेखे वर्ष 2016-2017 के खण्ड I एवं II,
(ii) विनियोग लेखे वर्ष 2016-2017
2- (क) दिनांक 13.01.2000 को भोपाल नगर निगम परिषद के अध्यक्ष के निर्वाचन के दौरान हुई घटना की न्यायिक जांच
(ख) दिनांक 30-31 अक्टूबर, 2016 की दरम्यानी रात को सेन्ट्रल जेल, भोपाल से 08 विचाराधीन बंदियों के जेल से भागने और दिनांक 31 अक्टूबर, 2016 को पुलिस के साथ मुठभेड़ में उक्त बंदियों की मृत्यु की घटना की न्यायिक जांच
12.25 बजे
फरवरी-मार्च,2018 सत्र निर्धारित अवधि के पूर्व स्थगित हो जाने के फलस्वरुप शेष दिनांकों की प्रश्नोत्तरी तथा इसी सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तर खण्ड-13 का संकलन पटल पर रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय -- फरवरी-मार्च,2018 सत्र निर्धारित अवधि के पूर्व स्थगित हो जाने के फलस्वरुप शेष दिनांकों की प्रश्नोत्तरी तथा इसी सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तर खण्ड-13 का संकलन पटल पर रखा गया.
12.26 बजे
नियम 267 - क के अधीन फरवरी-मार्च, 2018 सत्र में सदन में पढ़ी गईं शून्यकाल सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय -- नियम 267- क के अधीन फरवरी-मार्च, 2018 सत्र में सदन में पढ़ी गईं शून्यकाल सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन सदन के पटल पर रखा गया.
12.27 बजे औचित्य का प्रश्न एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
नियम 267-क के अधीन सूचनाओं के उत्तर शासन द्वारा निश्चित समयावधि पर दिया जाना.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- अध्यक्ष महोदय, यह तो पटल पर आ गया, लेकिन अभी तक हमें उत्तरों की प्रति प्राप्त नहीं हुई है और न ही वह पटल पर प्रस्तुत की गई कॉपी हमारे खाने में पहुंची है. हर बार लगभग यही स्थिति रहती है. हमें यह संदेह होने लगा है कि हम जो शून्यकाल की सूचनाएं लगाते हैं, उनके उत्तर कभी हमें मिलेंगे कि नहीं मिलेंगे. उसकी कॉपी हमें अभी भी नहीं मिली है.
अध्यक्ष महोदय -- आपको जल्दी उपलब्ध करा देंगे.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, उपलब्ध करा देंगे, लेकिन इससे पिछली विधान सभा के, पिछले समय के हमें अभी तक उत्तर प्राप्त नहीं हुए हैं. कब उपलब्ध करा देंगे. फिर तो इस तरह से रखना ही नहीं चाहिये. इस तरह से कार्य सूची में भी नहीं रखना चाहिये. वह पूरी तरह से, एक तरह से शासन जवाब प्रस्तुत न करे और भ्रष्टाचार को बचाने के लिये यह एक सुगम तरीका है. अध्यक्ष महोदय, यह तो आपत्तिजनक है.
अध्यक्ष महोदय -- उसको जल्दी उपलब्ध करवा देंगे.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, हमें आपका संरक्षण चाहिये. हमें आपके माध्यम से सरकार से पूछने और जानने का अधिकार है. पहले यह व्यवस्था थी कि 267-क के अधीन नियम के अंतर्गत हमारी शून्यकाल की सूचना लगी और सूचना लगने के बाद तुरन्त वह सरकार के पास चली जाती थी और 15 दिन में या एक महीने के भीतर हमें उत्तर घर पर पहुंच जाता था. अब कुछ सिस्टम ही चेंज होता जा रहा है. अब शून्यकाल की सूचना जरुर लग जाती है, लेकिन उत्तर का अता-पता नहीं.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात ठीक है.
श्री रामनिवास रावत -- आप सरकार को निर्देशित तो करें.
अध्यक्ष महोदय -- मैं निर्देशित कर रहा हूं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, सरकार को निर्देशित करें और इस तरह की स्थितियां न बनें.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, मंदसौर गोली काण्ड की रिपोर्ट नहीं आई है.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, मंदसौर गोली काण्ड की रिपोर्ट सरकार के पास है. बाकी रिपोर्ट्स पटल पर रखी जा रही हैं, तो उसको पटल पर रखने में क्या प्रॉब्लम है.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) -- अध्यक्ष महोदय, विगत् 3 वर्षों के प्रश्नों के जवाब अभी तक नहीं आये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात ठीक है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, (कागज दिखाते हुए) यह मंदसौर गोली कांड की रिपोर्ट सदन के पटल पर आनी चाहिये. यह 3 महीने में जांच रिपोर्ट आनी थी और विगत् एक साल होने के बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं आई है और जो गोली काण्ड के दोषी हैं, उनको बचाने के लिये... (व्यवधान)..
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, मंदसौर गोली कांड वालों को न्याय दो.
(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आप इतना संरक्षण तो मत दो. आप इतना संरक्षण तो मत करो सरकार का. ..
अध्यक्ष महोदय -- वह तो बैठें. वह बैठ ही नहीं रहे हैं, मैं बोलूं कैसें. आप लोग बैठ तो जायें.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, हम आपसे अपेक्षा करते हैं और न्याय चाहते हैं. निश्चित रुप से हम यह मानते हैं कि बहुमत दल का व्यक्ति ही आसंदी पर विराजमान होता है और पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता होती है, पर हमारी अपेक्षा होती है कि आसंदी बिलकुल निष्पक्षतापूर्वक कार्य करे और पूरे सदन के सदस्यों के हितों का संरक्षण करे. अध्यक्ष महोदय, हम आपसे अपेक्षा नहीं करेंगे, तो किससे करेंगे. हम सरकार के भ्रष्टाचारों को उजागर करने के लिये, सरकार से जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं और वह जानकारी न आये और पटल पर रखने का, अपनी कार्य सूची में भी आ जाये और हमें प्राप्त न हों, तो यह तो बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. हम आपसे अपेक्षा करेंगे कि आप सरकार को निर्देशित करें.
अध्यक्ष महोदय -- यह गंभीर बात है कि शासन से उत्तर आने में देर होती है. संसदीय कार्य मंत्री जी, आप कृपया सभी विभागों को निर्देशित करें कि जो शून्यकाल की सूचनाएं हैं, उनके उत्तर वे निश्चित समयावधि में दें, ताकि अगले सत्र के पहले वह प्रिंट होकर के आ सकें. कृपया इसको सुनिश्चत करें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- जी, अध्यक्ष महोदय.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, फरवरी-मार्च,2018 के सत्र के प्रश्नों के उत्तर ही बाकी नहीं हैं. इसके पहले के भी, विगत् 3 साल के प्रश्नों के उत्तर बाकी हैं. यह 14वीं टर्म का आखिरी सत्र है. अब जवाब नहीं आयेंगे, तो कब आयेंगे. विगत् 3 साल के प्रश्नों के उत्तर नहीं दिये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मैं सभी के संकलन का कह रहा हूं. श्री मुकेश नायक.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, आप आसंदी से सरकार को निर्देश दें और यह गलत बात है. यह कब जवाब देगी सरकार.
श्री मुकेश नायक (पवई) -- अध्यक्ष महोदय, आपने सहृदयता पूर्वक संसदीय कार्य मंत्री जी को निर्देशित किया है. मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि मध्यप्रदेश में सीएजी की रिपोर्ट्स जो आई हैं, यह पहली बार हुआ है मध्यप्रदेश के इतिहास में.. (व्यवधान)..
(मंदसौर गोलीकाण्ड के संबंध में जांच रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने एवं निर्दोष किसानों पर चल रहे प्रकरण वापस लिये जाने के संबंध में सर्वश्री हरदीप सिंह डंग,निशंक कुमार जैन एवं इंडियन नेशनल कांग्रेस के अधिकांश सदस्यों द्वारा बेनर का प्रदर्शन किया गया.)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या ऐसे पर्चे दिखाना अलाऊड है ? क्या ये चाहे जो करेंगे ? अगर ऐसा है तो ये मुलताई भी याद कर लें ...(व्यवधान)... मुलताई में आज तक किसान के परिवार वालों से एक भी नेता मिलने नहीं गया. ...(व्यवधान)... मुलताई काण्ड को भी जरा याद कर लो. ...(व्यवधान)...
12.30 बजे राष्ट्रपति / राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, ध्यान आकर्षण रह गए ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आपकी गलती से रहे गए, हमारी गलती से कुछ नहीं रहा है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, पहुँच कहां गए हैं आप ?
श्री उमाशंकर गुप्ता -- वे राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयक पढ़ रहे हैं, आप ध्यान तो रखो.
श्री रामनिवास रावत -- आपको तो कुछ समझ में आता नहीं है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- आपको तो बहुत समझ आता है.
श्री रामनिवास रावत -- कार्यसूची देख लो.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- यह उसके पहले का ही विषय है.
12.32 बजे कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
श्री उमाशंकर गुप्ता -- रावत जी, अब बताएं, किसको समझ में नहीं आ रहा था ?
श्री रामनिवास रावत -- यह कार्य मंत्रणा समिति की रिपोर्ट थी.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, ध्यान कहीं और है.
श्री बाला बच्चन -- ध्यान हमारा ठीक जगह पर है, आप चिंता मत कीजिए.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- वह हाल-चाल बता रहे हैं.
12.34 बजे ध्यानाकर्षण
(1) प्रदेश में मछली बीज उत्पादन एवं विक्रय में अनियमितता होने से उत्पन्न स्थिति
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
पशुपालन मंत्री (श्री अंतर सिंह आर्य) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में मत्स्योद्योग विभाग द्वारा मत्स्यबीज उत्पादन एवं विक्रय का कार्य व्यावसायिक तौर पर नहीं किया जाता है अपितु मत्स्य पालकों को स्वस्थ और अच्छे बीज प्रदाय करने हेतु विभागीय तौर से 35 हैचरियों का निर्माण किया गया है. जिसका उद्देश्य क्वालिटी मत्स्य मुहैया कराना है. यह कहना कि कुप्रबंधन और अधिकारियों की लापरवाही से मत्स्यबीज उत्पादन लगातार गिरता जा रहा है, असत्य है. अल्प वर्षा और सूखे की वजह से कुछ हैचरियों के उत्पादन में कमी जरूर आती है, जो स्वाभाविक है.
मत्स्यबीज उत्पादन के आंकड़ों से स्पष्ट है कि वर्ष 2010-11 में 1391.51 लाख फ्राई का उत्पादन हो रहा था जो कि वर्ष 2017-18 में बढ़कर 2175.80 लाख फ्राई हो गया है जिससे स्पष्ट है कि उल्लेखित अवधि में 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. कोलकाता, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र से लाकर विभाग द्वारा मत्स्यबीज प्रदाय नहीं किया जाता है. जिले में हैचरियों पर तैनात अमले से मत्स्यबीज उत्पादन के अतिरिक्त विभाग की सभी योजनाओं के कार्य सम्पादित कराए जा रहे हैं. अत: यह कहना असत्य है कि बन्द पड़ी हैचरियों पर पदस्थ अमले के वेतन भत्तों पर लाखों रुपये की शासन को हानि पहुंचाई जा रही है.
मत्स्य महासंघ को 1000 हेक्टेयर जलक्षेत्र से अधिक के 23 जलाशय हस्तांतरित हैं जिनकी मत्स्य विक्रय की नीलामी ई-टेण्डरिंग द्वारा की जाती है. संचालनालय मत्स्योद्योग द्वारा वर्ष 2010-11 से 2017-18 तक मत्स्यबीज उत्पादन हेतु दिये गये आवंटन से कम खर्च के बाद बची राशि स्वमेव समर्पित हो जाती है. जिसमें विभागीय अधिकारियों की अनदेखी एवं गलती छिपाने वाली स्थिति नहीं है. ऐसे में आम जनता में असंतोष व्याप्त होने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सरदार जी को बोलिए कि अब हाथ नीचे कर लें. ( श्री हरदीप सिंह डंग द्वारा "मंदसौर गोलीकांड के शहीद किसानों के साथ न्याय करो" का पोस्टर दिखाने पर)
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- मनोज भाई, विषय गंभीर है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अरे जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक हाथ ऊपर ही रहेगा.
श्री हरदीप सिंह डंग -- इसकी रिपोर्ट पेश करना चाहिए, रिपोर्ट पेश करने में क्या है? जब आपने जांच करा ली, तो उसकी रिपोर्ट पटल पर रखने में क्या दिक्कत है ?
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- सरदार जी, एक हाथ में मुलताई का भी कागज होता, तो बहुत अच्छा रहता.
श्री हरदीप सिंह डंग -- जब रिपोर्ट आ चुकी है तो रिपोर्ट क्यों नहीं पेश कर रहे हैं ?
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- आज तक एक भी कांग्रेसी मुलताई वालों से मिलने नहीं गया.
श्री हरदीप सिंह डंग -- रिपोर्ट पेश करो. किसानों के ऊपर गोली चलाई है...(व्यवधान)...
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- यह दोहरा चरित्र है, हाथ नीचे करो...(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- कौन सी दुनिया में हैं ?...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- श्री डंग जी, बैठ जाइए. कृपा करके आप मत बोलिए. श्री रावत जी.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है. पूरे प्रदेश की मंशा इसमें लगी हुई है. इसको ध्यान दिया जाए.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, यह कब तक पेश करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- यह आचरण के खिलाफ है. अब आपने पोस्टर दिखा दिया, कृपया अब आप बैठ जाएं और हाथ नीचे कर लें.
(श्री हरदीप सिंह डंग, सदस्य, मंदसौर गोलीकाण्ड संबंधी पोस्टर हाथ में लेकर दिखाते रहे)
डॉ.मोहन यादव-- अध्यक्ष जी, ये इतने सरल लोग नहीं हैं इनसे इनके तरीके से निपटना पड़ेगा...(व्यवधान)...ये नहीं चाहते कि सदन चले...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपा करके बैठ जाएँगे तो वह भी थक करके बैठ जाएँगे. बैठ जाइये और रावत जी को प्रश्न करने दीजिए.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- रिपोर्ट को पटल पर रखने में क्या दिक्कत है.
अध्यक्ष महोदय-- अब उनकी बात आ गई.
श्री हरदीप सिंह डंग-- कब तक यह रिपोर्ट पटल पर आ जाएगी?
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- आप व्यवस्था दे दें.
डॉ.मोहन यादव-- अध्यक्ष जी,(XXX).
श्री हरदीप सिंह डंग-- वह रिपोर्ट यहाँ रखो.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये...(व्यवधान)..
डॉ.मोहन यादव-- (XXX)...(व्यवधान)..
श्री हरदीप सिंह डंग-- यह रिपोर्ट पेश करो. पटल पर रखो.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- सरकार इससे बचना क्यों चाहती है?
अध्यक्ष महोदय-- हरदीप सिंह जी, बैठिए. इसे विलोपित करें. श्री रावत जी बोलिए.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष जी, इस पर व्यवस्था दे दें, इसको कब तक प्रस्तुत कर देंगे.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं जानना चाहता हूँ कि अभी वर्तमान में कितनी हेचरियाँ हैं जो बन्द हैं जिनमें पानी नहीं है, सूखी पड़ी हैं. इस अवधि में किन किन राज्यों से कितना कितना बीज मंगाया गया? अध्यक्ष महोदय, इन्होंने कहा है कि 2010-11 से 2017-18 तक दिया गया आवंटन कम खर्च होने के बाद राशि स्वमेव समर्पित की जाती है. समर्पित तो कर दी गई. कितनी कितनी समर्पित की गई, तुम्हें मिली कितनी और कितनी समर्पित की गई. इससे स्पष्ट हो जाएगा कि विभाग बीज उत्पादन के प्रति कतई गंभीर नहीं है, प्रतिबद्ध नहीं है, यह माननीय मंत्री जी बता दें.
श्री अंतर सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय ने प्रश्न किया है कि प्रदेश में कितनी हेचरियाँ हैं....
श्री रामनिवास रावत-- कितनी बन्द पड़ी हैं?
श्री अंतर सिंह आर्य-- कुल 35 हेचरियाँ हैं जिसमें से शिवपुरी, जो कि आपका क्षेत्र है.....
श्री रामनिवास रावत-- मैं गिनती नहीं पूछ रहा, कितनी बन्द पड़ी हैं, जिनमें पानी नहीं है.
श्री अंतर सिंह आर्य-- सिर्फ एक बन्द पड़ी है. बाकी में मछली बीज का उत्पादन हो रहा है. कहीं पानी नहीं होने के कारण मछली का उत्पादन कम होता है और कलकत्ता तथा महाराष्ट्र से तो विभाग....
श्री रामनिवास रावत-- कुछ बड़े बड़े तालाब जो आपने हस्तांतरित कर दिए हैं, वह ई-टेंडरिंग के माध्यम से दिए जाते हैं इससे मछुआरों का नुकसान हो रहा है. मछुआरों के हितों पर चोट पहुँच रही है.
श्री अंतर सिंह आर्य-- नहीं, माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूँ कि यह टेण्डर से जो हमने बड़े जो मत्स्य महासंघ के जो तालाब दिए हैं उसमें मछली मारने का काम जो स्थानीय समितियाँ होती हैं उन्हीं के द्वारा मछली पकड़ने का काम किया जाता है.
श्री रामनिवास रावत-- ठेकेदार कोई नहीं कराता, ठेकेदार तो अपनी कंपनी लाता है अपने लोगों को लाता है, अपने लोगों को लगाता है. आप पूरे प्रदेश में मछुआरों के हितों पर चोट कर रहे हों. आप मछुआरों के हितों में विरोध का काम कर रहे हों.
श्री अंतर सिंह आर्य-- नहीं, आप वरिष्ठ हों.
श्री रामनिवास रावत-- इसीलिए कह रहा हूँ. आपके घोषणा पत्र में कुछ और था.
श्री अंतर सिंह आर्य-- वहाँ पर स्थानीय लोगों को पूरा रोजगार दे रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत-- नहीं दे रहे.
श्री अंतर सिंह आर्य-- दे रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत-- दे रहे हों.
श्री अंतर सिंह आर्य-- हाँ.
श्री रामनिवास रावत-- अन्य प्रदेशों से कितना कितना बीज मंगाया?
श्री अंतर सिंह आर्य-- हम दूसरे प्रदेशों से बीज नहीं लाते हैं.
श्री रामनिवास रावत-- कभी नहीं मंगाया?
श्री अंतर सिंह आर्य-- नहीं मंगाया.
श्री रामनिवास रावत-- ठीक है.
अध्यक्ष महोदय-- अगली ध्यानाकर्षण सूचना पढ़ें.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधान सभा का आखरी सत्र है और पहला ध्यानाकर्षण है वह भी मछली के बीज का, अब पिटना तो था ही.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष महोदय, ये मंदसौर रिपोर्ट कब देंगे? यह रिपोर्ट पटल पर प्रस्तुत करो, किसानों के साथ न्याय करो, इसका आश्वासन दो. ये रिपोर्ट जल्दी पेश करें....(व्यवधान)...
डॉ.मोहन यादव-- अध्यक्ष जी,(XXX)
अध्यक्ष महोदय-- आप बोलिए.
डॉ.मोहन यादव—(XXX)
श्री हरदीप सिंह डंग-- मंदसौर की रिपोर्ट पेश करो.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- मेरा बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है हो जाने दीजिए. कसम है कसम बैठ जाओ.
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं करना चाहिए. वह विलोपित कर दें.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंदसौर की रिपोर्ट के बाद.....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- विलोपित कर दिया है, बैठ जाइये सौरभ सिंह जी. यह उचित नहीं है.
श्री बाला बच्चन-- पेदलावद विस्फोटक की रिपोर्ट भी नहीं आई है और उसके बाद मंदसौर की, ऐसी दसों जाँच आयोग की....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मैंने विलोपित कर दिया है और उनको ताकीद भी दे दी कि उचित नहीं है भाई. अब आप उस बात को क्यों खींच रहे हैं? आप बैठ जाइये..(व्यवधान)..
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- हरदीप भाई, यह भी किसानों को लेकर ध्यानाकर्षण है. मेरी बात सुन लें फिर खड़े हो जाना...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- उनको बैठाइये और संसदीय आचरण सिखाइये...(व्यवधान)..
श्री हरदीप सिंह डंग-- किसानों की बात कर रहे हों तो...(व्यवधान)..
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- इसके बाद खड़े हो जाना भाई, ध्यानाकर्षण सुन लें...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत-- 12 बजे गए...(व्यवधान)..
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- इसके बाद खड़े हो जाना भैय्या.
श्री तरूण भनोत-- यह सरकार सिक्खों की विरोधी है....(व्यवधान)...
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--उस विषय को निकाल दिया है, उनको ताकीद दे दी कि इस तरह से नहीं करना चाहिए. सब उनका सम्मान करते हैं कृपा करके अब आप बोलकर उनका अपमान मत करिए. विलोपित कर दिया बैठ जाइए अब आप. बैठ जाएं, अब आप जानबूझकर उनको अपमानित कर रहे हैं. उसी विषय को बार-बार उठाकर जानबूझकर के अपमानित करना चाहते हैं. यह ठीक बात नहीं है. सोहनलाल बाल्मीक जी की अब कोई बात रिकार्ड में नहीं आएगी.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय--अब आप बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--यह हमारी प्रेम की बात है यार, यह रोज होती है, सोहनलाल.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय--बार-बार बोल रहे हैं जानबूझकर (व्यवधान)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल --इसमें जाति की बात कहां आ गई (व्यवधान)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--अरे बारह नहीं पौने एक बज गया है अब आगे की कार्यवाही चलने दो (व्यवधान)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल---अरे हमारी रोज मजाक चलती है भाई (व्यवधान)
श्री घनश्याम पिरोनियां--इन्होंने कही नहीं है बात और आप अपमान कर रहे हैं खुद ही बार-बार कह कहकर..(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार अपने ध्यान आकर्षण की सूचना पढ़ें. ...(व्यवधान) ... विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(12:46 बजे विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई)
………………………………………………………………………………………..
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
12.55 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई
{ अध्यक्ष महोदय ( डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए }
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार (सुमावली) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे यह जो जवाब दिया है उसमें बताया है कि एक तो समय सीमा निर्धारित नहीं है. समय सीमा निर्धारित न होने के कारण किसानों को बहुत लंबा समय लगता है और इसी कारण लंबे समय तक यह कार्यवाही चलती रहती है. मैं मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूं कि क्या हम समय सीमा निर्धारित करेंगे? दूसरा कलेक्टर कार्यालय की जगह क्या अनुविभागीय अधिकारी को यह अधिकार सौंपेंगे? मेरा यह मानना है कि जब हम अनुविभागीय अधिकारी से जांच रिपोर्ट मंगाते हैं, तब अनुविभागीय अधिकारी तहसीलदार से, पटवारी से, आर.आई से रिपोर्ट मंगाकर संबंधित कार्यालय से कलेक्टर कार्यालय में भेजता है उसी के आधार पर कार्यवाही होती है तो क्या यह अधिकार एस.डी.एम. कार्यालय को दिए जाएंगे? मेरा कहना यह है कि किसान बहुत लंबी दूरी तय करने के बाद जिला मुख्यालय तक पहुंचता है, फिर आवेदन करता है, आवेदन करने के पश्चात् लंबी प्रक्रिया से गुजरता है इससे उसका समय और पैसा दोनों बर्बाद होते हैं. यह प्रक्रिया लंबे समय से चली आ रही है. मैं माननीय मंत्री महोदय से यही कहना चाहता हूं कि यह प्रक्रिया बंद करके अनुविभागीय अधिकारी को यह व्यवस्था सौंप दी जाए.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो धारा 89 का कहा है उसका अधिकार तो एस.डी.एम. को पहले से ही है. वह कलेक्टर के यहां नहीं जाता है.
श्री नीटू सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं धारा 107 (5) का भी जिक्र कर रहा हूं. धारा 107 (5) में भी आप...
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो ध्यानाकर्षण में उठाया था लेकिन 107 (5) में प्रक्रिया चूंकि नक्शे में सुधार की होती है और आस-पास के किसानों को भी प्रभावित करती है. इसलिए उस स्तर पर ही निपटाना संभव नहीं है. जैसा कि मैंने अपने जवाब में बताया है अन्य किसानों के नक्शों में त्रुटि न हो जाये, उनको भी सुनना पड़ता है. उनकी भी आपत्तियों को देखना पड़ता है इसलिए ये अधिकार जिलाधीश को दिए गए हैं. ऐसे मामले वैसे भी कम ही होते हैं लेकिन उनकी सुनवाई जरूरी है और पूरा परीक्षण होने के बाद ही उनमें सुधार किया जा सकता है. इसलिए ऐसी व्यवस्था है.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मंत्री महोदय द्वारा बताया गया कि समय-सीमा तय नहीं है, मैं यह कहना चाहता हूं कि कम से कम कोई समय-सीमा तय कर दी जाये कि एक माह में, दो माह में या तीन माह में ऐसे प्रकरणों का निराकरण कर लिया जायेगा. समय-सीमा तय न होने के कारण अधिकारी किसानों को चक्कर लगवाते रहते हैं और किसान अपने सभी काम छोड़कर केवल इसी कार्य में लगा रहता है. दूसरी एक बात मैं और कहना चाहता हूं कि फौती नामांतरण में भी कहीं न कहीं दिक्कतें आ रही हैं. इसके लिए भी सरकार को कुछ पहल करनी चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुरैना जिले में एक बड़ी बीमारी है. बीमारी कहें या समस्या कहें कि किसी की जमीन है और कोई और उसे जोत रहा है. इस विषय को लेकर आए दिन किसानों में आपस में झगड़े होते हैं और कई स्थानों पर यह स्थिति है कि ऐसे प्रकरणों में हत्यायें भी हो जाती हैं. यह बहुत लंबे समय से चला आ रहा है. इसके कारण ही सूबेदार पानसिंह डकैत जैसी स्थिति बनी. मैं चाहता हूं कि इसे भी दुरूस्त कर दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय- कई विषय आ गए हैं. मंत्री जी आप पहले समय-सीमा का उत्तर दे दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज ही हम सदन में भू-राजस्व संहिता का संशोधन विधेयक पेश कर रहे हैं. हम बड़ी बारीकी से देख रहे हैं लेकिन कई काम ऐसे होते हैं जिनमें एकदम समय-सीमा निर्धारित करना अभी तय नहीं है. विधायक महोदय के कहे अनुसार हम इसे भी देख लेंगे और जो संभव होगा वह करेंगे.
अध्यक्ष महोदय- यदि वहां से कोई मार्ग निकलता है तो उसके लिए भूमि का अधिग्रहण किया जाता है. फिर अधिग्रहण किस जमीन का हो ? क्योंकि यह नक्शे सुधारने का सवाल है. नक्शे सुधरेंगे तो खसरा नंबर भी बदलेंगे. ऐसे में भूमि अधिग्रहण के कार्य में समस्यायें आती हैं. इसलिए इसकी कोई समय-सीमा तो होनी ही चाहिए.
श्री उमाशंकर गुप्ता- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कहा है, हम इस पर विचार करेंगे लेकिन एकदम उसके बारे में कुछ कहना संभव नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- दूसरी बात जो विधायक जी ने कही है वह इस विषय में नहीं है परंतु यदि आप उस बारे में कुछ कहना चाहें तो कह दीजिये.
श्री उमाशंकर गुप्ता- विधायक जी ने जो कहा है उसे देखेंगे. जितना संभव हो सकेगा उसका सरलीकरण, हम लगातार कर रहे हैं.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने विशेषकर भिण्ड-मुरैना जिले की बात कही है. भिण्ड-मुरैना जिले में किसी की जमीन है और कोई और ही उसे जोत रहा है. यदि इस बारे में भी सरकार थोड़ा ध्यान देगी तो मुझे लगता है कि भिण्ड-मुरैना जिले की समस्यायें खत्म हो जायेंगी.
1.02 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
विधान सभा के माननीय सदस्यों का समूह छायांकन
अध्यक्ष महोदय- इस विधान सभा के माननीय सदस्यों का समूह छायांकन कल मंगलवार दिनांक 26 जून, 2018 को प्रात: 10 बजे विधान सभा परिसर स्थित द्वार क्रमांक 4 के सम्मुख होगा. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया वे यथासमय छायांकन हेतु उपस्थित होने का कष्ट करें.
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि यह छायांकन कल की बजाय अंतिम दिन करवा लिया जाये तो ज्यादा अच्छा रहेगा.
श्री शंकर लाल तिवारी- अंतिम दिन का आपने ठेका नहीं लिया है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल- रावत जी, अंतिम दिन आप रहोगे ? अंतिम दिन कांग्रेस लुप्त हो जायेगी.
(....व्यवधान....)
श्री दिलीप सिंह परिहार- अंतिम दिन कांग्रेस पलायन कर जायेगी.
श्री रामनिवास रावत- कल समूह छायांकन का क्या अर्थ है ?
अध्यक्ष महोदय- रावत जी, आप बहुत सी चीजों का अनुमान लगा लेते हैं.
1.03 बजे
सभापति तालिका की घोषणा
अध्यक्ष महोदय- मध्यप्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्यसंचालन संबंधी नियमावली के नियम 9 के उपनियम (1) के अधीन, मैं निम्नलिखित सदस्यों को सभापति तालिका के लिए नाम-निर्दिष्ट करता हूं :-
1. श्री कैलाश चावला
2. श्री शंकर लाल तिवारी
3. श्रीमती नीना विक्रम वर्मा
4. श्री ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा
5. श्री रामनिवास रावत
6. श्री के.पी. सिंह
(श्री हरदीपसिंह डंग, सदस्य द्वारा सदन में मंदसौर गोलीकाण्ड संबंधी पोस्टर लेकर हाथ ऊपर करके बैठे रहने पर)
श्री गोपाल परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने सरदार जी को जो सजा दी है, उसे वापस ले लीजिये.
1.04 बजे
औचित्य का प्रश्न एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में कार्यरत् मंत्रिपरिषद के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश विधान सभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 143 के उपनियम 1 के पद (ख) के अधीन मेरे द्वारा एक अविश्वास प्रस्ताव यह सदन माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में और कार्यरत् मंत्रिपरिषद् के विरूद्ध अविश्वास प्रकट करता है. मैंने यह प्रस्तुत किया है और अनुमति मांग रहा हूं और यह आज ही आना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय- यह कार्यसूची में शामिल नहीं है.
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्यसूची में शामिल होना आवश्यक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- अनुमति के लिए जब मैं नाम पुकारूंगा, तब होगा. आप खड़े होकर यह पूछ सकते हैं कि आप इसे कब लेंगे ?
श्री रामनिवास रावत- आज प्रस्तुत हुआ है. नियम-प्रक्रिया संचालन संबंधी नियमों को देख लें और कौल एण्ड शकधर की बुक को भी देख लें.
अध्यक्ष महोदय- देख लिया.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों में स्पष्ट लिखा है कि आप नाम पुकारेंगे, तभी होगा.
श्री रामनिवास रावत- बिल्कुल लिखा है लेकिन यह भी लिखा है कि प्रस्तुत होने के बाद उसे लिंगरऑन नहीं किया जायेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये अपनी मर्जी से सदन को नहीं चलायेंगे. अध्यक्ष जी, सदन तो आप ही चलायेंगे. ये कुछ भी अपना बता रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- ऐसा नहीं लिखा है, इस मामले में नियम सायलेंट हैं.
श्री रामनिवास रावत:- नहीं सायलेंट नहीं रहना चाहिये ना, सायलेंट क्यों हैं?
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- क्या रहना चाहिये, क्या नहीं रहना चाहिये, यह तय करेंगे क्या ?
अध्यक्ष महोदय:- ऐसा नहीं लिखा कहीं, नियम सायलेंट हैं.
श्री रामनिवास रावत:- आपको नहीं लेना है तो आप निरस्त कर दें. यह आपका विवेकाधिकार है.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, विचार करने का भी तो अधिकार है कि नहीं है.
श्री रामनिवास रावत:- आप अनुमति मांगने पर ग्राह्य करने के बाद, 10 दिन के भीतर चर्चा करायेंगे. केवल पांच आपकी विधान सभा है. हमने समय से अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिया है. आप हमें अनुमति प्रदान करें, हम अनुमति मांगने के लिये खड़े हुए हैं. हम अनुमति तो मांग सकते हैं ?
अध्यक्ष महोदय:- विचार अनुमति देने के पहले ही करना पड़ेगा. अनुमति देने के बाद विचार के लिये अध्यक्ष के पास क्या रह जायेगा. फिर तो आपके पास होगा या इनके पास होगा.
श्री रामनिवास रावत:- तो आप यह विचार कब बता देंगे, यह समय-सीमा बता देंगे ?
अध्यक्ष महोदय:- मैं अभी समय-सीमा नहीं बता सकता. क्योंकि अभी उस पर विचार कर रहा हूं.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, आप स्पष्ट करें आप या तो यह कहें कि मुझे अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा नहीं करानी है.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, ऐसा मैंने न कहा न मैं कहूंगा.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, नहीं तो आप फिर चर्चा कराओगे भी नहीं और अनुमति भी नहीं दोगे. अध्यक्ष महोदय, कोई बात तो स्पष्ट होना चाहिये.
श्री दिलीप सिंह परिहार:- अध्यक्ष महोदय, इनके पास है कुछ नहीं, न सूत न कपास कुछ भी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय:- अभी मैंने संसदीय कार्य मंत्री को बोलने का समय दिया है.(व्यवधान)
श्री तरूण भनोत :- आप अभी 2018 में चुनाव तो होने दो, आप डर क्यों रहे हो, चर्चा क्यों नहीं कर रहे हो. तिवारी जी अभी तो आप मंत्री तो बने नहीं. अगली विधान सभा में आप उप सभापति रहेंगे. (व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- सही तो कहो आप, उप सभापति क्या होता है, आप अध्यक्ष बोलो.
श्री गिरीश गौतम:- अध्यक्ष बनाने के लिये विधान सभा आना जरूरी होगा ना, कैसे आओगे.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार):- माननीय अध्यक्ष, संसदीय कार्य मंत्री जी ने आपसे बोलने के लिये समय मांगा है.
अध्यक्ष महोदय:- मैंने उनको बोलने का समय दिया है पर वह बोलने नहीं दे रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत:- आप निर्णय दे दें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार:- वह कुछ अपने विषय को अपने पक्ष में रखना चाहते हैं. उनकी बात सुनी जाये, वह क्या कहना चाहते हैं उनको सुनना चाहिये. आप मेहरबानी करके उनको सुने
अध्यक्ष महोदय:- मैंने उनको समय दिया है पर वह उनको बालने नहीं दे रहे हैं. आप सब लोग बैठ जाएं, कृपया करके संसदीय कार्य मंत्री जी बोलें.
श्री शंकरलाल तिवारी:- भनोत जी, मैं आपका पड़ोसी हूं, हमारे यहां पर शिवराज जी नर्मदा नदी का पानी ला रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष महोदय,यह उल्लेख आपने भी कर दिया है और रामनिवास जी खुद भी कर रहे हैं और मैं भी कर रहा हूं- यह कौल एण्ड शकधर की पुस्तक है, इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि यह सीधा नहीं उठा सकते हैं, जब तक आप नाम नहीं पुकारेंगे.
अध्यक्ष जी, दूसरा- मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन संबंधी नियम है- इसके भी प्रस्ताव 241(ग) को भी रामनिवास जी देख लेंगे. किसी प्रस्ताव में कोई ऐसा प्रश्न नहीं उठाया जाना चाहिये जो सारत: उस प्रश्न के समान हो जिस पर सभा उसी सत्र में विनिश्चय कर चुकी हो.
अध्यक्ष महोदय, तीसरा- जो अविश्वास प्रस्ताव दिया गया है, इसमें 98 प्रतिशत जो विषय उठाये हैं, जिन पर सदन में कभी न कभी, किसी न किसी रूप में चर्चा हो चुकी है और यह पूरा अविश्वास प्रस्ताव कपोल-कल्पित है. इसको पढ़ें तो ऐसा लगेगा कि पूरे प्रदेश में हा-हाकार मच गया है और कल्पनाओं के आधार पर, संभावनाओं के आधार पर पूरा का पूरा अतिश्योक्ति अलंकार का प्रयोग इसमें है. अतिश्योक्ति मतलब- हनुमान जी की पूंछ में लगन ना पायी आग, लंका सारी जल गयी, निशाचर गये भाग. अध्यक्ष महोदय, ऐसा पूरा का पूरा अविश्वास प्रस्ताव है. इसमें एक में भी किसी के साथ में कोई प्रमाण नहीं है, इनकी ओर से जो आरोप पत्र दिया गया है, उसमें एक में भी कोई सबूत नहीं दिया गया है. जिसमें आरोप नहीं है, जिसमें सबूत नहीं है, उसमें किस आधार पर चर्चा चाहते हैं और अविश्वास किसके प्रति लेकर आये हैं. अध्यक्ष महोदय, इनको जनता के बीच जाना चाहिये, जनता से विश्वास लेना चाहिये. यह छोटा सा सत्र था, विदाई सत्र था. अध्यक्ष महोदय,बड़े आराम से हम इस सत्र में चर्चा करते, यहां पर जनहित के मुद्दे उठाते और विश्वास लेने जनता के बीच जाते. सिर्फ अविश्वास-अविश्वास, खेलने की दृष्टि से अविश्वास ले आये. इस आरोप पत्र पर खुद नेता प्रतिपक्ष ने दस्तखत नहीं किए थे, बाद में सचिवालय ने सुधरवाई गलती. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक विधायक नेता प्रतिपक्ष के साथ में नहीं आया. मुझे समझ नहीं आया नेता प्रतिपक्ष को विधायकों पर विश्वास नहीं है, या विधायकों का नेता प्रतिपक्ष पर विश्वास नहीं है. यह मैं सारी बात तथ्यात्मक कर रहा हूं और अविश्वास से संबंधित ही बातें कर रहा हूं.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) - संसदीय कार्यमंत्री जी ने एक बड़ी महत्वपूर्ण बात कही.
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी आपने ही समय दिलवाया संसदीय कार्य मंत्री जी को और आप ने ही उनको बैठा दिया. आसंदी तो कहीं बीच में ही नहीं है, आप तो आपस में ही बात कर रहे हैं, उनकी बात भी पूरी नहीं थी. हमें भी पूछना है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - उन्होंने मुझे समय दिया है.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें भी बोलना है. संसदीय कार्यमंत्री जो बोल रहे हैं, उनके बाद हमें भी बोलना है. आप तो आपस में ही तय कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - पहले डॉ शेजवार साहब बोलेंगे, फिर बाला बच्चन जी और फिर रामनिवास रावत जी बोलेंगे.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने एक बड़ा महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किया है कि जो आरोप पत्र हैं, उसमें विपक्ष के नेता ने हस्ताक्षर नहीं किए थे, बाद में कार्यालय ने उस पर सुधार करवाया तो अपने आप में अविश्वास प्रस्ताव यहीं समाप्त हो जाता है, कार्यालय ने सुधरवाया यह बाद का दूसरा अविश्वास प्रस्ताव आया है वह और मूल रूप से जो इन्होंने मूव किया था, यदि कानूनी तौर पर हम देखें तो मूल रूप से इन्होंने जो आरोप पत्र मूव किया था, उसमें विपक्ष के नेता के हस्ताक्षर नहीं थे, इसलिए यह अविश्वास प्रस्ताव जो आपने मूव किया है वह यहां पर शून्य हो जाता है.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा सरकार और संसदीय कार्यमंत्री जी से यह आग्रह है, हम यह जानना चाहते हैं कि क्या अविश्वास प्रस्ताव लाना विपक्ष का हक और अधिकार नहीं है?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - है.
श्री बाला बच्चन - है, तो आप उसमें चर्चा नहीं कराने की बात क्यों कर रहे हैं? दूसरी बात अविश्वास किसके प्रति.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह किसने कहा, चर्चा नहीं करें? कौन मना कर रहा है?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - सभा संचालन संबंधी नियम है, उनका पालन करना पड़ेगा यहां पर. कोई भी प्रस्ताव यदि नियमानुसार आएगा तब ही तो उसे ग्राह्य किया जाएगा. अध्यक्ष जी उस पर विचार करेंगे.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया है. अविश्वास किसके प्रति? तो सरकार के प्रति, दूसरा हमारा हक और अधिकार है. तीसरी बात माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे यह बात बोली थी कि पिछले तीन साल से हम विपक्ष के साथियों के प्रश्नों का जबाव सरकार नहीं दे पा रही है. इसमें हमने जो भी दिया है आप पूरी तरह से लोकतंत्र का गला घोटने का काम कर रहे हों साथियों और मैं आपको बताना चाहता हूं, 6 महीने के बाद में देखना जब आपकी सिटिंग पोजिशन बदलेगी, तब आपको पता चलेगा. हम मध्यप्रदेश के मुद्दे उठा रहे हैं(...मेजों की थपथपाहट) मध्यप्रदेश की जनता की भावनाओं को सामने रखना चाहा रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष ने हस्ताक्षर किए हैं, नहीं किए हैं यह छोटी-मोटी बात है. यह सरकार की नीयत का प्रश्न है, यह सरकार की नीयत में खोट है, इसलिए सरकार यह नहीं चाहती.
श्री शंकरलाल तिवारी - 6 महीने वाला दम होता तो यह अविश्वास नहीं खेलते, मैदान में लड़ने का दम होता 6 महीने के भीतर तो यह अविश्वास नहीं खेलते. आखिरी सत्र में संख्या बल न होने के बाद भी. अगर 6 महीने बाद लड़ने का दम होता तो यह अविश्वास नहीं खेलते, आखिरी सत्र में सुर्खियों में बनने के लिए, अखबारों में छपने के लिए.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी बैठ जाइए.
श्री बाला बच्चन - ऐसा ही खेलते हैं, विश्वास और अविश्वास खेलना हमारा हक है, हमारा अधिकार है.
(...व्यवधान....)
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अविश्वास प्रस्ताव मैंने मूव किया है. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी कह रहे थे, मेरे द्वारा भी मूव किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय मंत्री ने आपत्ति उठाई.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैंने आरोप पत्र की बात की है.
श्री रामनिवास रावत - आपने आरोप पत्र में आपत्ति उठाई कि वही विषय, वही मुद्दे पूर्व में चर्चा में आ चुके हैं, इसलिए चर्चा में नहीं लिए जा सके. माननीय अध्यक्ष महोदय, कॉल और शकधर की किताब में स्पष्ट अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने के संबंध में निर्बंधन, आप पेज 823 देखें.
अध्यक्ष महोदय - मैंने पढ़ लिया.
श्री रामनिवास रावत - आपने पढ़ लिया तो यह भी बता दें कि उनकी आपत्ति खारिज की जाती है, यह भी कह दें. लिखा है इसलिए कह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं (हंसी).
श्री रामनिवास रावत - यह लिखा है, मैं इसीलिए कह रहा हूँ. उसमें लिखा है कि नियमों में किसी भी अविश्वास प्रस्ताव की ग्राह्यता के बारे में कोई शर्त निर्धारित नहीं है सिवाय इसके कि चर्चा के बाद ऐसे किसी प्रस्ताव पर सभा द्वारा एक बार कोई निर्णय ले लिया जाता है .....
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, उसमें यह भी लिखा है कि आप जब बुलायेंगे, तब अविश्वास पर चर्चा होगी.
श्री रामनिवास रावत - आप मेरी सुन तो लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह अविश्वास पर चर्चा आपने नहीं बुलाई है.
श्री रामनिवास रावत - आप मेरी सुन तो लें. आप स्वीकार कर रहे हैं कि आप सुनना ही नहीं चाहते हैं. उसमें स्पष्ट लिखा हुआ है कि उसी सत्र में, उसी तरह के विषय से संबंधित कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सकता तथा अब ऐसे किसी प्रस्ताव को ग्राह्य करने पर कोई रोक नहीं है. भले ही सदस्यों को उसी सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण, बजट की अनुदान की मांगों आदि के बारे में चर्चा के समय सरकार की आलोचना करने के पहले ही अवसर मिल चुके हों तब भी अविश्वास प्रस्ताव उन्हीं विषयों पर लाया जा सकता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रपति का अभिभाषण और बजट दोनों अलग-अलग चीजें हैं. विषयान्तर किया जा रहा है.
श्री रामनिवास रावत - अब आप पूरी बात ही नहीं सुन रहे हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं ध्यानाकर्षण और स्थगन के माध्यम से चर्चा की बात कर रहा हूँ.
श्री रामनिवास रावत - आप मेरी पूरी बात तो सुन लें.
अध्यक्ष महोदय - आपकी पूरी बात आ गई है. श्री गोपाल भार्गव बोलेंगे.
श्री रामनिवास रावत - मेरी पूरी बात तो सुन लें, अभी और भी बातें हैं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, रामनिवास रावत जी के बाद बोलें.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा निवेदन था कि अविश्वास प्रस्ताव की सूचनाएं, प्रश्नकाल के बाद और उसी दिन की कार्यसूची में सम्मिलित सभा के मुख्य कार्य के प्रारंभ होने के पहले निर्धारित प्रक्रम पर ली जाएंगी और मेरा तीसरा निवेदन यह है कि आपने कहा कि कार्यसूची में नहीं है. जो मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष के स्थायी आदेश हैं, कार्यसूची किस तरह से, किस क्रम में कार्य लिए जाएंगे. अध्यक्ष महोदय, इसमें सभा का कार्य स्थगित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अनुमति के संबंध में भी है, यह आज तक कभी कार्यसूची में नहीं लिया गया. इसी तरह से जब हम केवल अनुमति मांग रहे हैं, अनुमति मांगने का विषय कार्यसूची में सम्मिलित नहीं होगा. अनुमति प्रदान करने के बाद जब आप चर्चा में लेंगे तब आप कार्यसूची में रखेंगे कि आपके द्वारा किस दिन चर्चा निश्चित की गई है ? इसलिए यह कार्यसूची का विषय नहीं है. अध्यक्ष महोदय, आपसे विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि आप अनुमति प्रदान करें.
अध्यक्ष महोदय - अब श्री गोपाल भार्गव जी की बात सुनने के बाद इस पर वाद-विवाद नहीं होगा. फिर मैं अपनी बात कहूँगा.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, अविश्वास प्रस्ताव का जो मजमून है, जो विषय-वस्तु हैं, जो उसका ड्राफ्ट तैयार हुआ है. जैसा कि माननीय रामनिवास जी बता रहे हैं, जैसा संसदीय कार्यमंत्री जी ने भी कहा है. वही बातें जो प्रश्नकाल में, जो ध्यानाकर्षण सूचनाओं में, स्थगन सूचनाओं में, राज्यपाल के अभिभाषण की चर्चा, बजट की चर्चा और अनुपूरक बजट की चर्चा में हैं, उन्हीं बातों का रिपीटेशन है. मेरा सुझाव यह है कि उन्हीं को संकलित करके जो उत्तर दिए गए हैं, एक बंच बनाकर सारे सदस्यों में वितरित कर दिया जाये.....(व्यवधान)
श्री तरुण भनोत - फिर विधानसभा में क्यों बुलाते हो ? हर बार वही जवाब दे दिया करो.
श्री रामनिवास रावत - माननीय भार्गव जी, कई ऐसे मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, आप अनुमति दें, स्वीकार कराएं.
श्री गोपाल भार्गव - तो उस समय क्यों नहीं लगाए ?
श्री रामनिवास रावत - हम आरोप लगाएंगे, आरोप-पत्र देंगे. तमाम सारे भ्रष्टाचार हैं.
श्री गोपाल भार्गव - प्रश्नोत्तर में तो आना थे.
श्री तरुण भनोत - विधानसभा के गेट में ताला लगवा दो.
श्री गोपाल भार्गव - कोई नई चीज लाए हो तो बताओ. अब आपके पास बोलने को कुछ भी नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - आपके मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के सीधे आरोप हैं. हम आरोप-पत्र देंगे.
श्री गोपाल भार्गव - यह बासा खाना प्रदेश को क्यों खिला रहे हो ?
श्री बाला बच्चन - यह बासा खाना सरकार का ही है.(व्यवधान)
(व्यवधान)
श्री ओमकार सिंह मरकाम - प्रदेश की जनता को आप लोगों ने परेशान किया है, जनता आपसे हिसाब मांग रही है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम के 64 पृष्ठ पर देखेंगे तो जो नियम 2 है, उसमें यह स्पष्ट लिखा है कि यदि अध्यक्ष की राय हो कि प्रस्ताव नियमानुकूल है तो वह सभा में प्रस्ताव पढ़कर सुनायेगा...(व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अभी आपने केवल प्रस्ताव पढ़ने के लिए मौका दिया है. इनकी किस नियम में भूमिका आ गई ?
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव पढ़ने का मौका नहीं दिया. आप बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, आपकी नियमों में कोई ऐसी भूमिका नहीं है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - आप मुझे सुन लें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - जब तक आप निर्णय नहीं लेते हैं.
श्री तरुण भनोत - अविश्वास दिया है तो आप चर्चा कराइये.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, इसमें बहुत स्पष्ट उल्लेख है कि अविश्वास प्रस्ताव, सचिव या प्रमुख सचिव के कक्ष में प्रस्तुत किया जायेगा. इसमें 'दो' में स्पष्ट लिखा है कि यदि अध्यक्ष की राय हो कि प्रस्ताव नियमानुकूल है तो वह सभा में प्रस्ताव पढ़कर सुनाएगा तो अध्यक्ष महोदय को सोचने, समझने का और विचार करने का उसमें अधिकार है.
श्री बाला बच्चन -- सरकार अपनी उपलब्धियों से डरती क्यों है ? सरकार को डर है कि उसकी बदनामी होगी, सरकार क्यों घबरा रही है ? चर्चा क्यों नहीं कराना चाह रही है ? अपनी गलतियों को छुपाना चाहती है ? बदनामी से डरना चाहती है ?प्रदेश के मुद्दे प्रतिपक्ष सदन में उठा रहा है उस पर चर्चा कराने मे सरकार को क्या परेशानी है.
...(व्यवधान)...
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय को प्रस्ताव पर सोचना और समझने का अधिकार है. अध्यक्ष महोदय सर्वाधिकार इसमें आपको है.और यह अध्यक्ष और आसंदी से कोई प्रश्न नहीं कर सकते हैं.यह बहुत स्पष्ट लिखा है.
श्री सुंदरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मैं नियम को पढ़कर के सुना रहा हूं.सुन लीजिये क्या लिखा है.
...(व्यवधान)...
डॉ.गौरी शंकर शेजवार- अध्यक्ष महोदय से प्रश्न नहीं कर सकते हैं आप ?
श्री सुंदरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 143 (1) के (क) में लिखा है कि प्रस्ताव करने की अनुमति. ब्रेकिट में लिखा है कि (सदस्य को अध्यक्ष द्वारा नाम पुकारे जाने पर )मांगनी होगी और..
...(व्यवधान)...
डॉ.गौरीशंकर शेजवार- इसमें सर्वाधिकार अध्यक्ष को दिया गया है, अध्यक्ष यदि उचित समझेगा तो पढ़कर के सुनायेंगे .आप प्रश्न नहीं पूछ सकते, विधानसभा में यह नहीं उठाया जा सकता है.सर्वाधिकार अध्यक्ष को है.
...(व्यवधान)...
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, नियम 143(1) के (क) में स्पष्ट है कि इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है, न ही संसदीय कार्य मंत्री की कोई भूमिका है . आप आदेशित करेंगे और प्रतिपक्ष के जिस व्यक्ति का नाम होगा वह उसको पढ़ेगा. यह कहां से रोका-टाकी कर रहे हैं, किस अधिकार के तहत यह सत्ता पक्ष के लोग टोका टाकी कर रहे हैं.यह स्पष्ट किया जाये, कोई कानून में इस तरह की जगह नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- जिस कानून में आप यहां उठे हो न उसी कानून में हम भी उठे हैं.
...(व्यवधान)...
श्री सुंदरलाल तिवारी- किसी कानून में कोई जगह नहीं है.
डॉ.गौरी शंकर शेजवार-- नियमों के विपरीत सूचना दी है इसलिये हमको यहां पर बोलना पड़ रहा है.
श्री सुंदरलाल तिवारी- श्रीमान जी हमारे पक्ष को अध्यक्ष महोदय द्वारा अनुमति दी गई है. आपके पक्ष को अनुमति नहीं दी गई है.
...(व्यवधान)...
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, यह विधानसभा में इस प्रश्न को उठा नहीं सकते, जब तक आसंदी या अध्यक्ष महोदय स्वयं इस विषय को न उठायें. सर्वाधिकार अध्यक्ष महोदय के पास में है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र --अध्यक्ष महोदय, रामनिवास जी रावत कह रहे हैं कि मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप है तो क्यों नही दिये आपने लिखकर के ? किसने रोका था इनको ?
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, आप अध्यक्ष से नहीं पूछ सकते हैं, आप केवल सचिव के कक्ष में जाकर के मूव कर सकते हैं. इसके बाद अध्यक्ष महोदय के विवेक पर यह सब कुछ निर्भर है.वे आसंदी से पढेंगे.
अध्यक्ष महोदय- डॉ.साहब नेता प्रतिपक्ष बोल रहे हैं. कृपया बैठें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, रामनिवास रावत जी ने जो बात रखी है उस पर माननीय संसदीय कार्य मंत्री महोदय ने यह कहा कि आरोप पत्र नहीं दिये हैं. अध्यक्ष महोदय, जब आप इस प्रस्ताव को ग्राह्य कर लेंगे ,चर्चा के लिये तारीख निश्चित कर देंगे उसके कितने घंटे पहले हम आरोप पत्र विधिवत जिस मंत्री के खिलाफ हमें करना होगा वह हम करेंगे लेकिन आप तो ग्राह्यता में ही इतना परेशान हो रहे हैं, यह मेरी समझ से परे है.
...(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी आप इनको यह बता दें कि यह ग्राह्यता पर चर्चा नहीं है. दूसरा अगर यह विधिवत रूप से देंगे तो इसके पहले इन्होंने अवैधानिक रूप से क्यों दिया ? आपने कहा है कि हम विधिवत देंगे. दूसरा ग्राह्यता पर चर्चा तो यहां कोई स्थगन पर चर्चा नहीं हो रही है.
श्री अजय सिंह -- हमने अध्यक्ष जी से अपनी बात कह दी है. हमने ग्राहता पर चर्चा नहीं हो रही है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- आरोप पत्र बार बार नहीं दिया जायेगा, हम पर आरोप लगेगा तो जबाव देने का समय दिया जायेगा .प्रमाण दें. चाहे जब चाहे कुछ दे देंगे और चाहे जब जबाव देने को बाध्य करेंगे तो ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है.
...(व्यवधान)...
श्री अजय सिंह -आप इतने विचलित क्यों हो रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, आप देख लीजिये.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- और क्या प्रमाण आपको चाहिेये 1,000 व्यापम मामले में जेल में हैं, हजारो लोग ठग रहे हैं. अब क्या प्रमाण इनको चाहिये, पूरा हिन्दुस्तान जानता है, विदेश में लोग व्यापम प्रदेश के नाम से जानते है फिर भी कह रहे हैं कि प्रमाण चाहिये.
श्री शंकरलाल तिवारी--यह झूठ का पुलिंदा है. खबरों में छपने के लिये है.
अध्यक्ष महोदय- शंकरलाल जी बैठ जायें.
...(व्यवधान)...
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, प्रतिपक्ष के नेता ने यह स्वीकार कर लिया है कि उन्होंने विधिवत नहीं दिया है, अविश्वास प्रस्ताव..
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष जी, मैंने इस बारे में बिल्कुल कुछ नहीं कहा है..
डॉ.गौरी शंकर शेजवार -- आपने कहा है कि विधिवत रूप से दूंगा.
श्री अजय सिंह -- मैंने कुछ नहीं कहा है.रिकार्ड देख लें. शैजवार जी इस तरह की बात मत कीजिये.ईधर उधर की बात मत करिये आप. उन्होंने (श्री रामनिवास रावत) मूव किया इसलिये उनका नाम लिया है मैंने .
श्री रामनिवास रावत-- शैजवार जी का काम ही यही है, ये नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं इसी कारण से वहां तक (मुख्यमंत्री की कुर्सी की तरफ ईशारा करते हुये) नहीं पहुंच पाये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- कार्यवाही देख लें.कहा है तो दिक्कत क्या हो रही है.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, ये चर्चा नहीं कराना चाहते हैं. एक अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस के विधायक के साथ में नरोत्तम मिश्र जी ने क्या किया, फिर से वही, अरे चर्चा से भाग क्यों रहे हो आप ?
डॉ.नरोत्म मिश्र -- अरे मैंने क्या कर दिया भाई ?
श्री अजय सिंह -- अरे आप जानते हो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- आप अपनी पार्टी के विधायक को संभाल नहीं पाते नरोत्तम मिश्र पर दोष लगाते हो. अपनी पार्टी संभालते हैं आप ? बतायें.
श्री अजय सिंह -- हमारी पार्टी पूरी तरह से संभली हुई है.
...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र --अपनी पार्टी संभालते हैं आप ? नेता प्रतिपक्ष अपने उप नेता को नहीं संभाल पाये, आप न पार्टी संभाल पाते हैं न परिवार संभाल पाते हैं कुछ भी नहीं सम्हाल सकते, आप दोनों जगह नहीं संभाल सकते.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, देखिये विषयान्तर कर रहे हैं. यही इनका काम है.
...(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र- मेरे पर आरोप लगा रहे हो. अपनी पार्टी को आप संभालते हैं? अपना परिवार आप सम्हालते हैं ?कौन रोक रहा है तुमको. हम इस तरह की बात नहीं करना चाहते.
श्री अजय सिंह -- हमारी पार्टी एकजुट है, पूरी तरह से संभाली हुई है. आप अपनी देखें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आप नरोत्तम मिश्र पर दोष लगाते हो ? अपनी पार्टी को संभालें आप. नेता प्रतिपक्ष होकर अपने उप नेता को नहीं संभाल पाये और न ही परिवार संभाल पाये. आप कुछ भी नहीं संभाल सकते हैं. आप दोनों जगहों पर नहीं संभाल पाये. मेरे ऊपर आप आरोप लगा रहे हैं पार्टी एवं परिवार नहीं संभाल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--कृपया आप लोग बैठ जाएं नहीं तो मैं आगे बढ़ जाऊंगा. (व्यवधान)
श्री शंकरलाल तिवारी--प्रमाण वाला प्रमाण रखता है, असत्य नहीं रखता.(व्यवधान)
डॉ.नरोत्तम मिश्र--ये अपनी पार्टी एवं परिवार संभाले न ये अपना परिवार संभाले न.हमारे ऊपर किसलिये आरोप लगा रहे हैं. (व्यवधान) अपनी बिगड़ी बना सके न हम और जमाने भर के घड़ीसाज हैं हम.यह स्थिति है.
श्री शंकरलाल तिवारी--झूठ का पुलन्दा है, यह चुनावी हथकंडा है. आप अपना संख्या बल जानते हैं. सिर्फ यह छपने के लिये कर रहे हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी- यह छपने के लिये नहीं है आप जबाव दीजिये.
श्री अजय सिंह--जब चर्चा ई-टेंडरिंग की होगी तो आप जवाब दीजियेगा.छपने की बात नहीं है. हम इस अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से जनता के बीच में जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय--तिवारी जी आप बैठिये. नहीं तो मैं आगे बढ़ जाऊंगा.(व्यवधान)
सब लोग बैठ जाईये, नहीं तो कार्यवाही को आगे बढ़ा दूंगा.(व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--आपने कहा कि कार्यवाही उठाकर देख लीजिये. आपने स्वयं ने यह कहा कि विधिवत हम बाद में मूव करेंगे. (व्यवधान)
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैंने नहीं कही है यह बात.शेजवार जी आप जबरदस्ती मेरे मुंह में बात मत डालिये. (व्यवधान)
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, आप तो कार्यवाही देख लो. (व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--व्यक्तिगत आरोप पहले नहीं दिये जाते. (व्यवधान)
श्री अजय सिंह-- मैंने सिर्फ इतना कहा था कि व्यक्तिगत आरोप जिसके खिलाफ लगेगा हम यह समय सीमा में उसको बताएंगे.(व्यवधान) जिस मंत्री के खिलाफ बात करनी है उसको 24 घंटे पहले नोटिस देंगे. तिवारी जी कृपया बैठें.
श्री शंकरलाल तिवारी--आप लोकायुक्त में जाईये ना.
श्री अजय सिंह--तिवारी जी आप बैठिये.
श्री शंकरलाल तिवारी--आप सिर्फ मीडिया के लिये ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--तिवारी जी आप बैठेंगे कि नहीं. दो तीन बातें आयी हैं. अभी मैंने दोनों पक्षों की बातें सुन ली हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--यह व्यक्तिगत आरोप है.
श्री अजय सिंह--शेजवार जी आप जबरदस्ती बातें कर रहे हैं. आप रिकार्ड निकाल लें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आप पहले कार्यवाही देखिये उसके बाद ही कुछ करिये.
अध्यक्ष महोदय--यह बाद में बात करेंगे.
श्री अजय सिंह--आप फालतू बात करने के आदि हो, मैंने ऐसा कुछ कहा ही नहीं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--यह बात करें तो काम की हम करें तो फालतू यह बढ़िया स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय--श्री रामनिवास रावत जी ने और संसदीय कार्य मंत्री जी ने, माननीय मंत्री शेजवार जी ने, माननीय गोपाल भार्गव जी ने और यहां के कुछ सदस्यों तथा माननीय नेता प्रतिपक्ष ने अपनी बात रखी. एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि नियम 143 (2) में भी जो माननीय शेजवार जी ने कहा था. माननीय संसदीय कार्यमंत्री ने कॉल एवं शकधर के बारे में कहा था. अध्यक्ष द्वारा बुलाये जाने पर सदस्य को प्रस्ताव पेश करने के लिये, अध्यक्ष द्वारा बुलाये जाने पर. मैंने आपको प्रस्ताव पेश करने के लिये नहीं बुलाया. आपने दूसरी बात यह बोली कि इसके पहले कभी यह कार्यसूची में नहीं आया. 2011 एवं 2013 में भी कार्य सूची में आया और उसके बाद में फिर प्रस्ताव रखा गया, उसके बाद में डेट बाद की तय की गई. अब मैं आपको कुछ और बात बताता हूं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, परंतु इन्होंने कहा है कि वह प्रस्ताव विधिवत् देंगे तो क्या वह प्रस्ताव विधिवत् नहीं था. मेरा व्यवस्था का प्रश्न है अध्यक्ष महोदय.
श्री अजय सिंह - मैंने कहा यदि किसी मंत्री के खिलाफ आरोप लगाना होगा तो 24 घंटे पहले.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - आप सिर्फ यह शब्द बताओ विधिवत् बोला या नहीं. विधिवत् हां या ना.
श्री अजय सिंह - मंत्री पर आरोप लगाने के पहले 24 घंटे पहले हमें देना है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - विधिवत् यह बोला ना आपने.
श्री अजय सिंह - किसी मंत्री पर आरोप लगाने के 24 घंटे पहले हमें देना है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - विधिवत् शब्द पूछ रहा हूं. जिसके खिलाफ लगाना है उसके खिलाफ विधिवत् या नहीं. अध्यक्ष जी, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है इन्होंने विधिवत् दिया ही नहीं है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष जी, 1 मिनट और लूंगा. विपक्ष के नेता जी ने कहा कि आरोप पत्र एक बार प्रस्तुत हो गया...
अध्यक्ष महोदय - नहीं अब हो गया. कृपया बैठिये.
1.30 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है. सिर्फ अनुपूरक का उपस्थापन एवं विधेयक हैं पुर:स्थापन के लिये.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
1.31 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1)लोक लेखा समिति का चार सौ बत्तीसवां से पांच सौ दसवां प्रतिवेदन
श्री रामनिवास रावत,सभापति - अध्यक्ष महोदय, मैं लोक लेखा समिति का चार सौ बत्तीसवें से लेकर पांच सौ दसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि समिति ने इतने प्रतिवेदन पहली बार ही प्रस्तुत किये होंगे इसके लिये मैं समिति के सदस्यों की तरफ से आभार व्यक्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - इसके लिये मैं सभापति जी को और समिति के सदस्यों को धन्यवाद देता हूं. समिति के कार्य जितनी तेजी से होंगे उतनी ही तेजी से विधान सभा के काम निबटेंगे और प्रशासन भी ठीक होगा. इसलिये आपको और आपके सदस्यों को धन्यवाद.
श्री कैलाश चावला - माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक लेखा समिति के माननीय सभापति जी ने जो प्रतिवेदन प्रस्तुत किये हैं शायद मध्यप्रदेश विधान सभा के इतिहास में 512 प्रतिवेदन किसी भी समिति ने अभी तक प्रस्तुत नहीं किये हैं. एक रिकार्ड काम इस समिति ने किया है. इसके लिये मैं आपको,हमारे विधान सभा के प्रमुख सचिव जी को, स्टॉफ को और हमारे सभापति जी को और समिति के सभी सदस्यों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं साथ ही इस अवसर पर मैं स्वर्गीय महेन्द्र सिंह जी कालूखेड़ा जी का पुण्य स्मरण करना चाहता हूं जिनका भी योगदान इस समिति में बहुत अच्छा रहा और यह समिति बहुत गतिशीलता से काम करती रही. इस रिकार्ड के लिये मैं सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा - अध्यक्ष महोदय, मैं भी समिति का सदस्य होने के नाते जो इस समिति के 510 प्रतिवेदन प्रस्तुत हुए यह विधान सभा के लिये एक इतिहास है और इसके लिये आप और सचिवालय भी बधाई का पात्र है. मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.
(2) शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का इकतालीसवां से तिरपनवां प्रतिवेदन
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय,सभापति - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के पहले आपका आभार व्यक्त कर दूं क्योंकि आश्वासन समिति आपके निर्देशन में काम कर रही है. आपका,माननीय प्रमुख सचिव महोदय का,मुख्यमंत्री जी का मैं निश्चित रूप से उल्लेख करना चाहूंगा क्योंकि सदन के बाहर भी उन्होंने मुख्य सचिव की बैठकों में विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिवों की बैठक लेकर उन आश्वासनों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. मैं समिति के समस्त सदस्यों और सचिवालय के समस्त अधिकारियों,सहयोगी कर्मचारियों का धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. यहां उल्लेखनीय है कि विगत वर्षों में आश्वासन समिति लगभग 25 वर्षों के लंबित आश्वासनों को निपटाया है. यशपाल जी मेरे से पूर्व सभापति थे समिति के सभापति तो यशपाल जी ने भी दो प्रतिवेदन प्रस्तुत किये थे और यह समिति 51 प्रतिवेदन प्रस्तुत कर रही है और लगभग 11303 से अधिक आश्वासन जो लंबित थे उनका निराकरण किया गया है और इसी के साथ क्रियान्वयन का पहला प्रतिवेदन प्रस्तुत हो रहा है. क्रियान्वयन का कोई भी प्रतिवेदन अभी तक सदन में प्रस्तुत नहीं किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं, शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का इकतालीसवां, बयालीसवां, तैंतालीसवां, चवालीसवां, पैंतालीसवां, छियालीसवां, सैंतालीसवां, अड़तालीसवां, उनचासवां, पचासवां, इक्यावनवां, बावनवां, तिरपनवां, प्रतिवेदन एवं प्रथम प्रतिवेदन (चतुर्दश विधान सभा) में निहित सिफारिशों पर शासन द्वारा की गई कार्यवाही पर प्रथम (कार्यान्वयन) प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय साहब भी समिति के सतत् सभापति हैं. निश्चित ही उनके कुशल नेतृत्व में और उसके पहले आदरणीय श्री यशपाल सिंह सिसोदिया जी के नेतृत्व में समिति ने बहुत महत्वपूर्ण काम किया है. इसके लिए आपको और आपके सभी सदस्यों को धन्यवाद.
(3) कृषि विकास समिति का पंचम, षष्ठम् एवं सप्तम् प्रतिवेदन
श्री गोविन्द सिंह पटेल, सदस्य - अध्यक्ष महोदय, मैं, कृषि विकास समिति का पंचम, षष्ठम् एवं सप्तम् प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
1.36 बजे वक्तव्य
दिनांक 27 फरवरी, 2018 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 95 (क्रमांक 872) के उत्तर भाग (क) में संशोधन करने के संबंध में राज्यमंत्री सहकारिता का वक्तव्य
अध्यक्ष महोदय - अब श्री विश्वास सारंग, राज्यमंत्री सहकारिता दिनांक 27 फरवरी, 2018 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 95 (क्रमांक 872) के उत्तर भाग (क) में संशोधन करने के संबंध में वक्तव्य देंगे.
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष महोदय, दिनांक 27 फरवरी, 2018 की प्रश्नोत्तर सूची के पृष्ठ क्रमांक 67-68 में मुद्रित परिवर्तित तारांकित प्रश्न संख्या 95 (क्रमांक 872) में, मैं निम्नानुसार संशोधन चाहता हूं -
प्रश्नोत्तरी सूची में मुद्रित उत्तर के भाग (क) में पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार, के स्थान पर कृपया निम्नानुसार संशोधित उत्तर पढ़ा जावे -
"पुस्तकालय में रखे संशोधित परिशिष्ट अनुसार."
1.37 बजे वर्ष 2018-2019 के प्रथम अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन
1.38 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय विधेयक, 2018 (क्रमांक 6 सन् 2018) का पुरःस्थापन
(2) मध्यप्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद विधेयक, 2018 (क्रमांक 7 सन् 2018) का पुरःस्थापन
(3) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2018 (क्रमांक 8 सन् 2018) का पुरःस्थापन
श्री मुकेश नायक (पवई) - अध्यक्ष महोदय, आप कल्पना करिए कि किसी भी विधान सभा में जो विधेयक होता हैं, वह सबसे गंभीर विषय होता है, यह सदन उसी के लिए बनता है, यानी मंत्रियों के लिए अपने विधेयक की प्रस्तावना करने तक का समय नहीं है. मध्यप्रदेश की सरकार का यह हाल है.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने मुझसे अनुमति ली है.
श्री मुकेश नायक - अध्यक्ष महोदय, यह अलग विषय है कि उन्होंने अनुमति ली है, लेकिन ऐसे गंभीर विषयों के लिए विधान सभा बनी है, उन्हें विधान सभा में रहना चाहिए.
(4) मध्यप्रदेश ग्रामों में की दखलरहित भूमि (विशेष उपबंध) संशोधन विधेयक, 2018 (क्रमांक 9 सन् 2018) का पुर:स्थापन
(5) मध्यप्रदेश कराधान (संशोधन) विधेयक, 2018 (क्रमांक 10 सन् 2018) का पुर:स्थापन
(6) मध्यप्रदेश विधान सभा सचिवालय सेवा (संशोधन) विधेयक, 2018 (क्रमांक 11 सन् 2018) का पुर:स्थापन
(7) मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2018 (क्रमांक 12 सन् 2018) का पुर:स्थापन
(8) मध्यप्रदेश वेट (संशोधन) विधेयक, 2018 (क्रमांक 13 सन् 2018) का पुर: स्थापन
(9) मध्यप्रदेश धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय विधेयक, 2018 (क्रमांक 14 सन् 2018) का पुर:स्थापन
(10) मध्यप्रदेश शासकीय सेवक (अधिवार्षिकी-आयु) संशोधन विधेयक, 2018 (क्रमांक 15 सन् 2018) का पुर:स्थापन
(11) मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2018 (क्रमांक 16 सन् 2018) का पुर:स्थापन
(12) मध्यप्रदेश भिक्षा वृत्ति निवारण (संशोधन) विधेयक, 2018 (क्रमांक 17 सन् 2018) का पुर:स्थापन.
(13) मध्यप्रदेश लाड़ली लक्ष्मी (बालिका प्रोत्साहन) विधेयक, 2018 (क्रमांक 18 सन् 2018) का पुर:स्थापन.
(14) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2018 (क्रमांक 19 सन् 2018) का पुर:स्थापन.
(15) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2018 (क्रमांक 20 सन् 2018) का पुर:स्थापन.
(16) मध्यप्रदेश लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक, 2018 (क्रमांक 21 सन् 2018) का पुर:स्थापन.
(17) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2018 (क्रमांक 22 सन् 2018) का पुर:स्थापन.
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 26 जून,2018 के प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 1.49 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनाँक 26 जून, 2018 (5 आषाढ़, शक संवत् 1940) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 25 जून,2018 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा.