मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा चतुर्दश सत्र
जुलाई, 2017 सत्र
सोमवार, दिनांक 24 जुलाई, 2017
(2 श्रावण, शक संवत् 1939)
[खण्ड- 14 ] [अंक-6 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 24 जुलाई, 2017
(2 श्रावण, शक संवत् 1939 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
समय-11.03 बजे निधन का उल्लेख
श्री मोहनलाल सेठिया, भूतपूर्व सदस्य, विधान सभा
अध्यक्ष महोदय-- मुझे सदन को यह सूचित करते हुए अत्यन्त दुख हो रहा है कि मध्यप्रदेश विधान सभा के भूतपूर्व सदस्य श्री मोहनलाल सेठिया का 20 जुलाई, 2017 को निधन हो गया है. श्री मोहनलाल सेठिया का जन्म 21 अप्रैल, 1932 को हुआ था. आप 1945 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य बने. आप 1954 से 1968 तक नगर पालिका गरोठ के सदस्य रहे तथा 1978 में जनपद अध्यक्ष रहे. आप काश्मीर आन्दोलन एवं आपातकाल में कई माह जेल में निरुद्ध रहे. श्री सेठिया प्रदेश की तीसरी एवं सातवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे.
आपके निधन से प्रदेश के सार्वजनिक जीवन की अपूरणीय क्षति हुई है.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)-- माननीय अध्यक्ष महोदय स्वर्गीय मोहनलाल सेठिया जी बचपन से ही राष्ट्रभक्ति के भाव से भरे थे और उन्होंने पूरा जीवन भारत माता के चरणों की सेवा करते हुए व्यतीत किया. बचपन से ही वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक बने और संघ के स्वयं सेवक के नाते समाज सेवा के अनेकों काम उन्होंने किये. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब कश्मीर में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने, जो हमारे देश के बहुत बड़े नेता थे और पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने, अपने मंत्रिमंडल में उनको सम्मिलित किया था "एक देश में दो निशान, दो विधान, दो प्रधान" नहीं चलेंगे के मंत्र का उद्घोष करके आंदोलन किया तब उस आंदोलन में भाग लेने श्री मोहनलाल सेठिया जी कश्मीर गये थे. श्री मोहनलाल सेठिया जी कश्मीर गए थे और जेल में निरुद्ध हुए थे. आपातकाल के खिलाफ भी उन्होंने प्रभावी लड़ाई लड़ी और कई महीने जेल में गुजारे. वे एक लोकप्रिय नेता थे और लोकप्रिय नेता होने के नाते गरोठ नगर पालिका के माध्यम से गरोठ नगर की सेवा का सवाल हो, चाहे जनपद अध्यक्ष के नाते अपनी जनपद के विकास और क्षेत्र की जनता के कल्याण का सवाल हो, उन्होंने पूरी निष्ठा और प्रामाणिकता के साथ अपने क्षेत्र की जनता की सेवा की. तीसरी और सातवीं विधानसभा में माननीय श्री सेठिया जी सदस्य थे. वे एक प्रभावशाली विधायक थे. विधायक के नाते उन्होंने अपने क्षेत्र के विकास के लिए भी, जनता की समस्याओं के समाधान के लिए भी हमेशा अपनी आवाज बुलन्द की. श्री सेठिया जी एक प्रामाणिक, निष्ठावान, बेदाग कार्यकर्ता थे. केवल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता थे. उनके निधन से केवल मंदसौर जिला ही नहीं, भारतीय जनता पार्टी के लिए तो यह एक बहुत बड़ी क्षति है लेकिन विशेष रूप से मंदसौर जिले के सार्वजनिक जीवन में जो अपूरणीय क्षति हुई है वह आसानी से उसकी पूर्ति नहीं की जा सकती. मैं अपनी ओर से, सदन की ओर से उनके चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हॅूं और परमपिता परमात्मा से यह प्रार्थना करता हॅूं कि वह दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिजनों को, अनुयायियों को और मित्रों को यह गहन दुख सहन करने की क्षमता दे. ओम् शांति.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय श्री मोहनलाल सेठिया जी मंदसौर जिले के गरोठ नगर पालिका अध्यक्ष, जनपद अध्यक्ष और तीसरी और सातवीं बार मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य थे. उनके निधन से प्रदेश में एक कमी महसूस होगी, खासतौर से जैसा कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने कहा कि वे भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े स्तम्भ थे. मैं उनके निधन पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से श्रद्धांजलि अर्पित करता हॅूं और उनके परिवारजनों को शांति मिले. ओम् शांति.
श्री कैलाश चावला (मनासा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री मोहनलाल सेठिया जी मंदसौर अविभाजित जिले के एक ऐसे प्रभावी नेता थे, जिन्होंने जनसंघ के निर्माण के समय से ही संगठन का कार्य प्रारम्भ किया था. वे आदरणीय श्री सुंदरलाल जी पटवा, श्री वीरेन्द्र कुमार सकलेचा के साथी थे. उन्होंने पूरे जिले में संगठन को गांव-गांव तक पहुंचाया था. एक बडे़ स्पष्ट वक्ता, समाजसेवी और प्रभावी नेता के रूप में वे उस क्षेत्र में कार्य कर रहे थे. मुझे याद है कि अस्वस्थ होने के बावजूद भी उन्होंने कार्यकर्ताओं को बुला-बुलाकर समझाइश देते थे कि सब मिलकर काम करिए और उस जिले में जो काम खड़ा हुआ है उसमें श्री मोहनलाल सेठिया जी का बहुत बड़ा योगदान था. उनके देहावसान से वास्तव में उस क्षेत्र को बहुत बड़ी हानि हुई है और हम लोगों ने भी एक मार्गदर्शक खोया है. मैं इस अवसर पर अपनी ओर से उन्हें बहुत-बहुत श्रद्धांजलि अर्पित करता हॅूं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे अपने मंदसौर जिले के श्री मोहनलाल सेठिया जी, जो जनसंघ के जमाने के कद्दावर नेता हुआ करते थे, विपरीत परिस्थितियों में वे सशक्त रूप से प्रतिपक्ष की भूमिका थे. आंदोलन के प्रदर्शन का या जनहित के मुद्दों का जब मामला आता था तो वे जनसंघ के कार्यकर्ता के रूप में, एक जनप्रतिनिधि के रूप में प्रतिपक्ष होने के नाते सत्तापक्ष को हिलाकर रख देते थे. श्री सेठिया जी राजनीतिक परिवेश से नहीं आते थे. उन्होंने स्वयं ने जमीन तैयार की. उनके घर-परिवार में कभी कोई राजनीति में नहीं था. स्थानीय निकायों से लेकर विधानसभा तक पहुंचकर और भारतीय जनसंघ की जो सेवा उन्होंने की है वह वास्तव में अतुलनीय है. वे स्वमेव मृगेन्द्रता की टिप्पणी को परिभाषित करते थे. निश्चित रूप से मंदसौर जिले को क्षति हुई है. मैं मेरी ओर से मंदसौर जिले का प्रतिनिधित्व करने के नाते स्वर्गीय श्री मोहनलाल सेठिया जी के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि ज्ञापित करता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- मैं, सदन की ओर से शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हॅूं. अब सदन दो मिनट मौन खडे़ रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खडे़ रहकर दिवगंत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई)
अध्यक्ष महोदय -- दिवंगत के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(11.10 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थ्ागित की गई)
11.18 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
औचित्य के प्रश्न पर अध्यक्षीय व्यवस्था
श्री सुंदरलाल तिवारी (गुढ़) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी प्रश्नोत्तर सूची में माननीय नरोत्तम मिश्र जी का नाम मंत्री के रूप में उल्लेख है.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्नकाल हो जाने दें. आपकी बात का उत्तर देंगे.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मंत्री नहीं हैं, उनका नाम इसमें है. सरकार यहां बैठी हुई है, मुख्यमंत्री जी बैठे हुए हैं. आपने भी इसमें जो बयान दिया है, वह बयान संविधान के विपरीत बयान था. अध्यक्ष महोदय, आपकी भी एकान्टीबिलिटी इस विधान सभा के प्रति थी.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल हो जाने दें. बाहर के बयानों पर यहां चर्चा नहीं हो सकती.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, इस बात का पहले निर्णय हो जाए कि नरोत्तम मिश्रा जी मंत्री हैं कि नहीं हैं ?
अध्यक्ष महोदय -- बाहर के बयानों पर यहां चर्चा नहीं हो सकती.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन का मामला है. पहले सरकार यह स्पष्ट करे कि माननीय नरोत्तम मिश्रा जी सरकार में मंत्री हैं या नहीं ? विधान सभा के द्वारा हमें प्रश्नोत्तरी दी गई है, इसमें उल्लेख है, इसका बिना निर्णय किए आगे की कार्यवाही में भाग लेना उचित नहीं होगा. मैं समझता हूँ कि इस विषय की गंभीरता को आप भी समझते हैं, इसलिए इस पर पहले निर्णय लें तब प्रश्नकाल आगे बढ़ेगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं. आपकी बात का उत्तर प्रश्नकाल के बाद देंगे.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, गलत नाम आ गया है, प्रश्नकाल हो जाएगा तो उसके बाद क्या करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- गलत नाम नहीं आया है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, इलेक्शन कमीशन की वोटर-लिस्ट में जिस व्यक्ति का नाम नहीं है और अध्यक्ष महोदय के ही मार्गदर्शन में विधान सभा में चुनाव हुआ है. उनका नाम मंत्री के रूप में यहां उल्लेखित है.
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, आप मेरी बात सुन लेंगे कि नहीं ?
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, बिल्कुल सुनेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आपसे अनुरोध यह है कि संविधान पढ़ लें, आर्टिकल 164 (4) पढ़ लें इसके बाद में बात करेंगे. प्रश्नकाल होने दें. अभी तब तक आप 164 पढ़ लें...(व्यवधान)..
श्री सुन्दर लाल तिवारी -- ( x x x )
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी जो बोल रहे हैं वह नहीं लिखा जायेगा...(व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- ( x x x )
अध्यक्ष महोदय -- आपको संविधान का अनुच्छेद बता दिया है..(व्यवधान) आपकी बात का उत्तर आ गया है..
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- ( x x x )
अध्यक्ष महोदय -- आर्टिकल 164 ( 4) पढ़ लीजिए कृपा करके श्री दिनेश राय मुनमुन...(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) -- अध्यक्ष महोदय मैं सदन को सूचना देना चाहता हूं कि श्री गोपीलाल जाटव जो कि हमारे अशोक नगर के विधायक हैं. उन्होंने वहां पर एक ट्रामा सेण्टर का उद्घाटन किया, कांग्रेस के वहां के सांसद ने उसे गंगा जल से धुलवाया है. यह दलितों का घोर अपमान है. पहले उस विषय पर आप चर्चा करिये.
अध्यक्ष महोदय -- यह विषय कहां से आ गया है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- क्या इस तरह से दलितों का अपमान होगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय यह विषय कहां से आ गया.
श्री रामेश्वर शर्मा -- क्या इस तरह से दलितों का अपमान होगा. यह बतायें, जब प्रश्न उत्तर हो नहीं रहे हैं, दलितों का अपमान होगा मध्यप्रदेश में.
अध्यक्ष महोदय -- डॉ शेजवार कुछ कह रहे है.
वन मंत्री (डॉ गौरीशंकर शेजवार) -- अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और जो सांसद हैं. यदि किसी अनुसूचित जाति के विधायक ने ट्रामा सेण्टर का उद्घाटन किया है उसको इसलिए गंगाजल से धुलवाना कि एक अनुसूचित जाति के विधायक ने उसका उद्घाटन किया है और इस तरह से एक सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने अनुसूचित जाति के लोगों का घोर अपमान किया है....(व्यवधान)..
डॉ गोविन्द सिंह -- डॉ शेजवार गलत बात करने के आदी हो गये हैं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- प्रतिपक्ष के नेता जी खड़े हैं कृपया सभी बैठ जायें..(व्यवधान)..
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- मैं स्वयं वहां पर था यह असत्य कथन है...(व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष ( श्री अजय सिंह ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,...(व्यवधान)
डॉ गौरीशंकर शेजवार --(XXX), मैं तो अब इन शब्दों में बोल रहा हूं, अनुसूचित जाति के व्यक्ति का अपमान बर्दाश्त नहीं होगा..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही से निकाल दीजिए...(व्यवधान)..
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- आपका इतना बड़ा नेता अनुसूचित जाति के आदमी का इतना अपमान कर रहा है कि यदि उसने उसका उद्घाटन किया है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया गंगाजल से धुलवायेंगे उसको.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी बोल रहे हैं....(व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष ( श्री अजय सिंह )-- माननीय अध्यक्ष महोदय आदरणीय तिवारी जी ने कहा कि नरोत्तम मिश्रा जी का नाम प्रश्नोत्तर सूची में लिखा है....(व्यवधान)..
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- अनुसूचित जाति के व्यक्ति का अपमान उससे बड़ा है, मेरा विषय और रामेश्वर शर्मा जी का विषय ज्यादा महत्वपूर्ण हैं और सामयिक हैं, क्योंकि एक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने अनुसूचित जाति के पूरे समाज का अपमान किया है, पत्थर को और उस स्थान को गंगाजल से धुलवाया है, यह कौन सा न्याय हो रहा है, कांग्रेस कहां जा रही है...(व्यवधान).. आप कहां ले जाना चाहते हैं समाज को..(व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय यह भारत के संविधान के साथ में मजाक है...(व्यवधान)..
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- देखिये ज्योतिरादित्य सिंधिया जी के कृत्य को दबाने के लिए तिवारी ने यह विषय उठाया है..(व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष ( श्री अजय सिंह ) -- यह गलत बात है...(व्यवधान)..अध्यक्ष महोदय घटनाक्रम आज का बताता हूं. प्रश्न सूची में दूसरे नम्बर पर नरोत्तम मिश्रा जी का नाम है इसलिए उन्होंने कहा है...(व्यवधान)..
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जो अनुसूचित जाति का अपमान किया है, उस विषय पर आप बोलिये आप..(व्यवधान)..अजय सिंह जी उस विषय पर बोलिये आप..(व्यवधान)..
श्री अजय सिंह -- आप गलत जानकारी दे रहे हैं, नहीं किया है उन्होंने, आप अम्बेडकर जी के संविधान को नहीं मान रहे हैं...(व्यवधान) .. जैसे ही नरोत्तम मिश्रा जी का नाम आया क्या बात है (XXX). बताइये आप.
अध्यक्ष महोदय -- इसको निकाल दीजिये ...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि प्रश्नकाल चलने दें...(व्यवधान श्री उमाशंकर गुप्ता -- कोई पतली गली से जाने की जरूरत नहीं है, शिवराज सिंह चौहान छाती फैलाकर जाते हैं.
श्री अजय सिंह -- छोड़ो 56 इंच का भी देखा है, इनका भी देख लेंगे. नरोत्तम मिश्रा के नाम से शिवराज सिंह जी उठकर चले गये. किस तरह की बात कर रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि प्रश्नकाल चलने दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- कृत्य किया है आपके नेता ने, अनुसूचित जाति का इतना बड़ा अपमान किया है. यह कोई तरीका था. (व्यवधान)..
श्री अजय सिंह-- अम्बेडकर जी ने संविधान लिखा है, उसका आप लोग पालन नहीं कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- (व्यवधान).. तिवारी जी आप किताब मत दिखाइए, उसको आप अच्छे से पढ़िए.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- (व्यवधान)..यह आपकी पार्टी के संस्कार हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप सभी बैठ जाइए. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से मेरा अनुरोध है. एक मिनट मेरी बात सुन लें. आदरणीय तिवारी जी को मैंने उनकी बात का उत्तर दे दिया. यद्यपि यहां प्रश्न नहीं होते, बाहर के बयानों का यहां उल्लेख नहीं होता.
वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार)- ज्योतिरादित्य सिंधिया जी के अनुसूचित जाति विरोधी कृत्य को दबाने के लिये आप सब यहां पर यह कर रहे हैं. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - आप कृपा करके एक मिनट सुन तो लें. तिवारी जी, आपका समाधान प्रश्नकाल के बाद कर देंगे. अभी मैंने आपका उत्तर दे दिया है कि 164(4) में स्पष्ट प्रावधान है. हालांकि उसकी भी आवश्यकता नहीं थी किंतु मैंने दे दिया. मेरा माननीय नेता प्रतिपक्ष से भी अनुरोध है कि आधा घण्टा सिर्फ बचा है, सदस्यों के महत्वपूर्ण प्रश्न हैं, आप सदन चलने दें आप लोगों को जो कुछ भी कहना है वह 12 बजे के बाद शून्यकाल में कहेंगे तो ठीक रहेगा.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- अजय सिंह जी मैं भी उस कुर्सी पर बैठता था इसलिए उसको गंगा जल से आप धुलवाओ. मैं उस कुर्सी पर बैठता था. उसको आप अब गंगाजल से धुलवाओ.
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाएं डॉक्टर साहब.
श्री अजय सिंह- शेजवार जी आपके कुर्सी में बैठने पर मुझे गर्व है. कोई दिक्कत नहीं है, सिंधिया जी ने कोई गंगा जल से नहीं धुलवाया.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष जी, निश्चित रूप से रामेश्वर शर्मा जी ने जो मुद्दा उठाया है, वह बहुत (व्यवधान)..
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - आप धुलवाओ अब उसे गंगाजल से. मैं उस पर बैठता था. (व्यवधान)..
श्री अजय सिंह - मैंने कहा कि मैं उस कुर्सी पर बैठा हूं, मुझे गर्व है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल चलने दें दोनों पक्षों से अनुरोध है. (व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग- बहुत शर्मनाक बात है. इनको माफी मांगनी चाहिए. कांग्रेस पार्टी ने दलितों का अपमान किया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दलितों का अपमान किया है. दलितों का अपमान मध्यप्रदेश में हो रहा है. एक व्यक्ति अनुसूचित जाति, जनजाति से आता है, विधायक बनता है उसके साथ इस तरह का कृत्य कांग्रेस का चेहरा उजागर करता है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - सदन में जो मंत्री बनने लायक नहीं हैं उसका प्रश्नोत्तरी में नाम है.. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - यह विषय यहां पर चर्चा का नहीं है. इसे आप शून्यकाल में उठाइये...(व्यवधान).. आप कानून के जानकार हैं जानबूझकर हल्ला कर रहे हैं..(व्यवधान).. आप उनको बैठा दें मैं सबको बैठा दूंगा...(व्यवधान)... मैं सबको बैठा दूंगा एक को बैठा दें आप..(व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- जो मंत्री नहीं रह सकता है उसका प्रश्नोत्तर सूची में नाम है....(व्यवधान).. मैं कैसे बैठ जाऊं अध्यक्ष महोदय..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- वह कह रहे हैं कि मैं कैसे बैठ जाऊं..(व्यवधान)..आप बैठ जाइये.. मैंने कहा है कि मैं आप सबका समाधान करूंगा कृपया प्रश्नकाल चलने दें, उसके बाद शून्यकाल में आप अपनी बात रखें. क्या आप लोग सदन स्थगित कराना चाहते हैं ?...(व्यवधान)...
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- यह सदन का अपमान है..(व्यवधान)..
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) - अध्यक्ष महोदय, विधान सभा क्षेत्र में एक विधायक का अधिकार होता है उद्घाटन करना, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया, यह लोकतंत्र के 70 साल में एक अनुसूचित जाति का अपमान करना, अम्बेडकर की भावनाओं को कुचलना, यह कहां का न्याय है?
श्री अजय सिंह - तिवारी जी बैठ गये, आप आप थोड़ा शांत रहिए.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, कृपया बैठ जायं. प्रश्न संख्या 1..(व्यवधान)..अब कुछ नहीं. श्री गोपाल भार्गव जी, आप बैठ जायं. श्री लाल सिंह आर्य जी, आप बैठ जायं. जो भी कहना है वह शून्यकाल में कहिए.
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश के 1 करोड़ अनुसूचित जाति, सवा करोड़, डेढ़ करोड़ अनुसूचित जनजाति उनका अपमान किया है. पूरे मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग आन्दोलित हैं, यह अपमान है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, कृपया बैठ जायं. जो कहना है वह शून्यकाल में कहना, आप लोग बैठ जायं, तिवारी जी भी बैठ रहे हैं. (व्यवधान)..नहीं, अब कोई नहीं बोलेगा, यह क्या तरीका है? श्री दिनेश राय मुनमुन को प्रश्न करने दें. कृपा करके बैठ जायं, आधा घंटा बचा है.
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस को माफी मांगना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल में कहना मंत्री जी, यह बात ठीक नहीं है.
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस को माफी मांगना चाहिए. मैं उस समाज से प्रतिनिधि हूं.
अध्यक्ष महोदय - आप भी बैठ जायं. देखिए, उनको बैठाल दिया है. आप कृपा करके बैठ जायं.
श्री लाल सिंह आर्य -मुझे ठेस पहुंची है अध्यक्ष महोदय, रात भर मुझे नींद नहीं आई. पूरे मध्यप्रदेश से फोन आ रहे हैं. मैं विधान सभा में चुनकर आया हूं.
अध्यक्ष महोदय - मेरा वरिष्ठ मंत्रियों से अनुरोध है कि मंत्री जी को बैठाएं.
श्री अजय सिंह - ये किस तरह से कर रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी को बैठाएं, यह क्या हो रहा है?
श्री लाल सिंह आर्य - पूरे मध्यप्रदेश से फोन आ रहे हैं. मैं विधान सभा में चुनकर आया हूं.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपा करके बैठ जायं. मंत्री जी, यह बात ठीक नहीं है. माननीय विधायकगण बैठ जायं. जिसको जो कहना है वह शून्यकाल में कहे, मैं सबको अवसर दूंगा. श्री दिनेश राय मुनमुन..(व्यवधान)..तिवारी जी, क्या है यह?
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, बड़ा खेद का विषय है, इतने सीनियर सदस्य सदन को नहीं चलने दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न पूछिए.
श्री दिनेश राय - मैं तो दो बार पूछ चुका हूं.
अध्यक्ष महोदय - (श्री लाल सिंह आर्य के बोलते रहने पर) मंत्री जी, कृपा करके बैठ जायं. यह क्या हो रहा है? (व्यवधान)..
श्री दिनेश राय - यह मिलीजुली कुश्ती है अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - मेरा वरिष्ठ मंत्रियों से अनुरोध है कि कृपा करके उनको बैठाएं. (व्यवधान)..यह क्या हो रहा है?
श्री दिनेश राय - यह मिलीजुली कुश्ती है, कोई दो दिन नहीं सो रहा है, कोई दो दिन खाना नहीं खा रहा है?
श्री रामेश्वर शर्मा - (व्यवधान)..हमें इस बात पर ध्यान देना पड़ेगा..
अध्यक्ष महोदय - कुछ नहीं लिखा जाएगा. श्री दिनेश राय मुनमुन का लिखाएगा.
श्री रामेश्वर शर्मा - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - कृपा करके कार्यवाही को चलने दे. यह बात अच्छी नहीं है. (व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव - (XXX)
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - श्री तिवारी जी बैठ जाओ, क्या है यह? आप कृपा करके बैठ जायं.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
किसान क्रेडिट कार्ड अंतर्गत किसानों की साख का निर्धारण
[सहकारिता]
1. ( *क्र. 1757 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या राज्यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र सिवनी अंतर्गत कितने किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड बने हुये हैं? सहकारी साख संस्थावार सूची उपलब्ध करावें।(ख) किसान क्रेडिट कार्ड अंतर्गत किसानों की साख निर्धारण हेतु क्या मापदण्ड एवं प्रक्रिया नियत है? क्या कृषि भूमि का सत्यापन कर साख निर्धारण किया जाता है? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित मापदण्ड एवं प्रक्रिया के अनुरूप विधानसभा क्षेत्र सिवनी अंतर्गत क्या सभी साख संस्थाओं ने साख निर्धारण किया है? यदि हाँ, तो कौन-कौन जवाबदेह अधिकारियों द्वारा मॉनीटरिंग की गई? (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित प्रावधान अनुसार साख्ा निर्धारण्ा न करने संबंधी कितनी शिकायतें विगत 03 वर्षों में अनुभाग स्तर पर या जिला स्तर पर प्राप्त हुईं हैं? प्राप्त शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई? क्या राजस्व विभाग से समन्वय स्थापित कर साख्ा निर्धारण में विसंगतियाँ न हों, इस हेतु प्रभावी कार्यवाही की जाकर दोषियों पर कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या व कब तक?
राज्यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) 27545, प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थावार विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जिला स्तरीय तकनीकी समूह द्वारा खरीफ एवं रबी फसलों के फसलवार प्रति हेक्टेयर ऋणमान निर्धारित किये जाते हैं। कृषकों द्वारा आवेदन में दी जाने वाली जानकारी के आधार पर उत्पादित की जाने वाली फसलों के रकबे एवं निर्धारित ऋणमान अनुसार कृषक की साख सीमा निर्धारित की जाती है। इस हेतु कृषि भूमि का सत्यापन नहीं किया जाता है। (ग) जी हाँ। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के शाखा प्रबंधकों द्वारा निर्धारित साख सीमा की समीक्षा की जाती है। (घ) कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, अगर मुझे डिस्टर्ब करेंगे, मैं भी बोलने नहीं दूंगा, मैं भी सदन नहीं चलने दूंगा. इतने सीनियर सदस्य होकर विरोध कर रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न पूछें.
श्री दिनेश राय - मैं तीन बार प्रश्न पूछ चुका हूं, मेरा गला फट गया है. अध्यक्ष महोदय, आपके मार्फत माननीय मंत्री जी मेरा प्रश्न था. मैंने पूछा था कि मेरी विधान सभा में सहकारी साख संस्थावार सूची उपलब्ध करवाएं, आपने जो सूची दी है और उसमें आपने कहा है कि निर्धारण में विसंगतियां नहीं हैं, समय-समय पर हम उसका सर्वे और निर्धारण कराते हैं, किन्तु जो राष्ट्रीयकृत बैंक हैं, उनमें केसीसी लिमिट के 80 प्रतिशत लोगों का सत्यापन हो रहा है. लेकिन आपकी जो संस्थाएं हैं उनमें 30 और 40 प्रतिशत हो रहा है, उसका कारण क्या है? पहले यह बता दें.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, वैसे तो इस प्रश्न से यह माननीय विधायक ने जो प्रश्न किया वह उद्भूत नहीं होता है. परन्तु जो जानकारी माननीय विधायक जी ने मांगी थी, वह सिलसिलेवार दी गई है. सिवनी जिले के बारे में माननीय विधायक जी थोड़े कनफ्यूज हो रहे हैं. उन्होंने अपनी विधान सभा से संबंधित प्रश्न पूछा था. अभी ये पूरे जिले की जानकारी की बात कर रहे हैं.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, मैंने जिला बोला ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने विधान सभा क्षेत्र सिवनी पूछा है.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, विधान सभा की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई है केसीसी जितने हैं उन पर सुचारू रूप से ऋण दिया जा रहा है. सभी शाखाओं और पूरे बैंक में पैसे की उपलब्धता है. लिक्विडिटी अच्छी है और उसके बाद भी विधायक जी यदि कहीं की बात करेंगे तो अध्यक्ष महोदय, मैं अधिकारियों से कहूंगा कि विधायक जी से बात करके जहां पर यदि दिक्कट होगी, उसका निदान करवा दिया जाएगा.
श्री दिनेश राय-- इसके लिए आपको धन्यवाद. मेरा इसमें एक आग्रह कि जो राष्ट्रीयकृत बैंक हैं उनको सरकार से भरपूर पैसा मिलता है लेकिन हमारी जो सहकारी संस्थाएं हैं, उनको आपके यहां से राशि मिलती नहीं है तो वह संस्थाएं जो ऋण देती हैं, वसूल नहीं कर पा रही हैं. मेरा आग्रह है कि आप उन संस्थाओं को भी भरपूर राशि दें. इनमें कर्मचारी भी बहुत कम हैं. एक-एक, दो-दो कर्मचारी हैं तो कैसे मैं मान लूं कि सत्यापन होगा. आपने जांच का कहा है उससे तो मैं संतुष्ट हो गया हूं लेकिन भूमि विकास बैंक के कर्मचारियों को 6 महीने से तनख्वाह नहीं मिली है, उनको आपने अटैच कर लिया है तो कैसे मैं मान लूं कि हमारे सीसी लिमिट के पूरे किसानों को ऋण मिल रहा है?
श्री विश्वास सारंग--माननीय अध्यक्ष जी, जैसा मैंने निवेदन किया कि सभी जगह पैसे की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है. अभी कहीं भी ऐसी स्थिति नहीं है जहां पैसे की दिक्कत हो, उसके बाद यदि विधायक जी किसी समिति में दिक्कत बताएंगे तो उसके ठीक कर दिया जाएगा. जहां तक कर्मचारियों की कमी की बात है. मैं सदन को बताना चाहता हूं कि हमने एक बहुत महत्वपूर्ण कदम उठाया था. हम आईबीपीएस के तहत सभी जगह कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित कर रहे हैं. अपेक्स बैंक में नियुक्तियां हो गई हैं. आईबीपीएस का एग्जाम हो चुका है, बाकी जगह भी नियुक्तियां हो जाएंगी.
श्री दिनेश राय-- मैं चाहता हूं कि मेरे विधान सभा की जो भी संस्थाएं हैं उनकी जांच करा लें और उसमें मुझे रख लें.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्षजी, मैंने कहा कि विधायक जी के पास ही अधिकारी आ जाएंगे. जहां भी दिक्कत है उसको सुचारु कर दिया जाएगा.
श्री दिनेश राय-- धन्यवाद.
चम्बलेश्वर जलाशय की क्षमता में वृद्धि
[जल संसाधन]
2. ( *क्र. 2132 ) श्री कैलाश चावला : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) चम्बलेश्वर जलाशय कजार्डा को एक फीट ऊँचा उठाने का प्रस्ताव सर्वे के पश्चात् जल संसाधन विभाग नीमच द्वारा किस दिनांक को भेजा गया? (ख) उक्त प्रस्ताव पर प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है। प्रस्ताव किस स्तर पर लंबित है? (ग) उक्त प्रस्ताव को कब तक स्वीकृत कर दिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) से (ग) चम्बलेश्वर जलाशय के वेस्ट वियर को एक फुट ऊँचा उठाकर जलाशय की क्षमता बढ़ाने के प्रस्ताव की साध्यता दिनांक 20.06.2017 द्वारा प्रदान की गई है। डी.पी.आर. बनाने की कार्यवाही मैदानी कार्यालयों में प्रचलित होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
श्री कैलाश चावला-- अध्यक्ष महोदय, मैंने मनासा विधान सभा क्षेत्र के चम्बलेश्वर जलाशय को एक फीट ऊंचा उठाने के लिए निवेदन किया था. जिसमें सर्वे होकर, योजना बनी है. मुझे खुशी है कि इसकी साध्यता की स्वीकृति 20.6.2017 को दे दी गई. इस प्रश्न में मेरा जो दूसरा भाग था कि यह कब तक पूरी हो जाएगी? तो विभाग ने जवाब दिया इसकी समय-सीमा बताना संभव नहीं है. मैं मंत्री जी से आग्रह करना चाहूंगा कि यह एक छोटी सी योजना है. उस क्षेत्र में इस योजना से 29 गांवों को पानी ले जाया गया जिससे असंतोष भी पैदा हुआ था. मेरा निवेदन है कि अगर बहुत जल्दी भी नहीं कर सकें तो कम से कम तीन महीने में डीपीआर बन जाए. यह बड़ी योजना नहीं है. यह योजना पूरी कराने के निर्देश देने की कृपा करें.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)--अध्यक्ष महोदय, माननीय चावला जी ने यह बात उठायी. मैंने अधिकारियों को परसों ही निर्देशित किया है कि इसकी डीपीआर 30 सितम्बर तक हर हालत में तैयार कर लें.
श्री कैलाश चावला-- धन्यवाद.
समय-सीमा में सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
3. ( *क्र. 2234 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्र. 4460, दिनांक 09.3.2017 के उत्तर (अ) में बतायी गयी 24 सड़कों की जो स्वीकृति प्रदान की गयी थी, में से अब तक दो ही सड़कें पूर्ण हो सकी हैं। शेष सड़कें अभी तक पूर्ण नहीं हुईं, जबकि समय-सीमा समाप्त होना बाकी है। उक्त सड़कों का निर्माण कब तक पूर्ण होगा? (ख) काटव खैरी से सुनपुरा मार्ग के निर्माण का कार्य अब तक प्रारंभ क्यों नहीं हुआ है? उक्त मार्ग का निर्माण कब तक किया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
श्रीमती प्रतिभा सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी के प्रश्नांश क के संबंध में पूछना चाहती हूं कि प्रश्न क्रमांक 4460 दिनांक 9.3.2017 के उत्तर में 24 सड़कों की स्वीकृति की जानकारी दी गई थी उनमें मेरी विधान सभा की लगभग 11 सड़कें थीं. जिनमें दो ही सड़कों का कार्य पूर्ण बताया है जबकि उनमें भी कुछ कार्य शेष है. इन सड़कों का कार्य कब तक पूर्ण होगा? मंत्री जी, समय सीमा बताएंगे? अध्यक्ष महोदय, इसके साथ जो पांच सड़कें हैं- कटंगी से लामी, भूमसौर से गिधौरा-किसरोद मार्ग, नटवारा से बमनोदा, खपरा से कनवास, धीटा से सिमरिया फेअर वेदर मार्ग स्वीकृत हुए हैं. इनके डामरीकरण का कार्य करवाएंगे अन्यथा इन सड़कों पर ढ़ाई करोड़ रुपये का जो कार्य शासन की राशि से करवाया जा रहा है वह बेकार जाएगा. इसलिए माननीय मंत्री जी आग्रह है कि इन रोड्स का डामरीकरण कार्य स्वीकृत करने का कष्ट करें.
राजस्व मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता)--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है, उनकी 24 सड़कें, जिनका उल्लेख किया है उनमें से 13 सड़कें फेअर वेदर मार्ग की हैं और इन सबका काम दिसम्बर 2017 तक पूर्ण हो जाएगा. एक सड़क कटावखेड़ी-सुनपुरा मार्ग का उल्लेख किया है वह सीएमजीएसवाय के अंतर्गत पूरी हो चुकी है और शेष 10 में से 4 सड़कों का कार्य पूरा किया जा चुका है जो इस प्रकार हैं- करैया-केवलारी से कौआखोड़ा, पोंडी-सहजपुर-तिलगवां पहुंच मार्ग और आमगांव-दरोली मार्ग. 6 सड़कों का काम प्रगतिरत् है, इनको भी दिसम्बर 2017 तक पूरा करा लिया जाएगा. कुल 24 सड़कों में से 5 सड़कें अभी तक पूरी हुई हैं बाकी 19 सड़कें दिसम्बर 2017 तक पूरी हो जाएंगी.
श्रीमती प्रतिभा सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो कि मंत्री जी बता रहे हैं 24 सड़कें, वह सड़कें मेरे विधान सभा क्षेत्र की नहीं है. मेरे विधान सभा क्षेत्र की सिर्फ 11 सड़कें हैं और 5 फेयर वेदर मार्ग के अंतर्गत हैं जिसके लिये मैंने डामरीकरण का कहा है और मेरे क्षेत्र की सिर्फ 2 ही सड़कें पूर्ण हुई हैं उसमें भी थोड़ा काम रह गया है मेरा निवेदन है कि 5 फेयर वेदर मार्गों का डामरीकरण किया जाये इसके अतिरिक्त प्रश्नांश "ख" के संदर्भ में मंत्री जी ने कटाव-सुनपुरा-खैरी मार्ग का बताया कि आर.ई.एस. के द्वारा यह निर्माण कार्य कराये जाने के कारण लोक निर्माण विभाग द्वारा यह कार्य नहीं कराया जा रहा है. यह गलत है. आर.ई.एस. द्वारा पहले ही कच्चा मार्ग बनाया जा चुका था चूंकि वहां डामरीकरण मार्ग की आवश्यक्ता थी इसलिये मैंने लोक निर्माण विभाग से डामरीकरण की मांग की थी. एक वर्ष पूर्व निविदा लोक निर्माण विभाग द्वारा जारी की गई थी. लोक निर्माण विभाग का ठेकेदार सक्षम नहीं था इसलिये उक्त रोड का कार्य नहीं किया गया. मंत्री जी से अनुरोध है कि उक्त रोड का निर्माण एवं डामरीकरण शीघ्र किया जाये. जिन ठेकेदारों ने अभी तक काम नहीं किया...
अध्यक्ष महोदय - थोड़ा संक्षेप कीजिये.
श्रीमती प्रतिभा सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं इतना ही चाहती हूं कि जो फेयर वेदर मार्ग हैं जो मंत्री जी 13 मार्ग बता रहे हैं वे मेरे क्षेत्र से नहीं हैं मेरे क्षेत्र में सिर्फ 5 हैं तो उनका डामरीकरण कर दिया जाये और प्रश्नांश "ख" के संदर्भ में सुनपुरा मार्ग बता रहे हैं वह आर.ई.एस. के द्वारा किया गया उसको लोक निर्माण विभाग द्वारा कराया जाये. वह सड़क मुख्यमंत्री सड़क योजना एवं प्रधानमंत्री सड़क योजना में भी नहीं आई है तो उसका डामरीकरण नहीं होगा, इसलिये वह आवश्यक है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले प्रश्न में 24 सड़कों का उल्लेख था. इसलिये मैंने पूरी जानकारी दी. जो फेयर वेदर मार्ग बनाते हैं उसमें डामरीकरण का प्रोवीजन नहीं होता है. माननीय विधायिका जी उसका अलग से प्रस्ताव बनवाकर भिजवाएंगी तो उस पर विचार करेंगे और जिस सड़क का माननीय विधायिका जी कह रही हैं वह सड़क सी.एम.जी.एस.वाय. के अंतर्गत पूरी की जा चुकी है और मैंने संबंधित अधिकारियों से चर्चा की है उसका डामरीकरण भी वही ऐजेंसी कर देगी.
श्रीमती प्रतिभा सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय,वह नहीं कर पाएगी क्योंकि वह प्रधानमंत्री सड़क योजना में नहीं जुड़ पाई है. मुख्यमंत्री सड़क योजना से प्रधानमंत्री सड़क योजना में जो हमारे यहां की 42 रोडें जुड़ी हैं, उसके अंतर्गत वह नहीं आ रही है, तो मेरा आग्रह है कि उसको लोक निर्माण विभाग के तहत् लिया जाये.
अध्यक्ष महोदय - आप उसको दिखवा लें वे कह रही हैं कि वहां से वह सड़क नहीं आ रही है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय,अगर वहां से नहीं होगा तो हम विचार कर लेंगे लेकिन मेरी उनके अधिकारियों से भी बात हुई है और उन्होंने कहा है कि डामरीकरण कर देंगे.
प्रश्न क्रमांक - 4 अनुपस्थित
भू-खण्ड विक्रय के दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही
[सहकारिता]
5. ( *क्र. 1979 ) श्री तरूण भनोत : क्या राज्यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 564, दिनांक 22.02.2017 के उत्तर (क) में बताया गया था कि दोषी पदाधिकारियों के विरूद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करने एवं भू-खण्ड के विक्रयपत्र शून्य करने संबंधी कार्यवाही के निर्देश दिये गये हैं एवं उत्तर (ख) एवं (ग) में बताया गया था कि दोषी प्रभारी अधिकारी के विरूद्ध सहकारी सोसायटी अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही हेतु उपायुक्त सहकारिता जबलपुर को निर्देशित किया गया है, तो तथ्यों से अवगत होने के बावजूद एक ही सदस्य को दूसरे भू-खण्ड का विक्रय करने वाले प्रभारी अधिकारी के विरूद्ध एफ.आई.आर. करने एवं अन्य कार्यवाही से उपायुक्त क्यों बच रहे हैं?नियमानुसार कार्यवाही कब तक की जावेगी? (ख) उक्त भू-खण्ड विक्रय पत्र को शून्य कराने हेतु उपायुक्त द्वारा अब तक क्या कार्यवाही की गई?
राज्यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी हाँ। जी हाँ, उप आयुक्त सहकारिता, जिला जबलपुर द्वारा पूर्व अध्यक्ष के विरूद्ध मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 की धारा 76 (2) के अन्तर्गत कार्यवाही प्रक्रियाधीन है एवं प्रशासक/प्रभारी अधिकारी के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दायर करने हेतु अधिनियम की धारा 76 (2) के अंतर्गत अंतिम आदेश जारी कर दिया गया है।(ख) भूखण्ड का विक्रय पत्र शून्य कराने हेतु न्यायालय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 जबलपुर में वाद दायर कर दिया गया है, जिसका प्रकरण क्रमांक 184 ए/2017 है।
श्री तरुण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से सीधे प्वाइंटेड प्रश्न यह पूछना चाहता हूं कि मेरे प्रश्न के जवाब में आपने यह कहा कि दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की जा रही है परन्तु इसी प्रश्न पर दिनांक22 फरवरी,2017 को इसी सदन में अतारांकित प्रश्न में जवाब दिया गया था, तब भी यही कहा था कि जो दोषी अधिकारी हैं, उनकी जांच हो चुकी है,उनके खिलाफ कार्यवाही की जा रही है और शीघ्र कार्यवाही कर दी जायेगी. आज जो तारांकित प्रश्न चर्चा में आया है उसमें भी यही जवाब है. आज से 6 माह पूर्व जब जांच हो गई, दोषी अधिकारियों की पहचान हो गई, उनके ऊपर क्यों कार्यवाही नहीं की गई,अपराध पंजीबद्ध क्यों नहीं किया गया, और ऐसे अयोग्य अधिकारी को क्यों अपने पद पर लगातार बने रहने दिया गया ?
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय,विधायक जी ने केवल पिछली बार के संदर्भ में ही यह प्रश्न नहीं पूछा उसके 6 महीने पहले भी यह प्रश्न पूछा था और हर बार हमने समुचित कार्यवाही की है. इस बार भी हमने पूरी कार्यवाही कर ली है और यह प्रकरण न्यायालय में गया है. अब जो भी निर्णय होगा न्यायालय में होगा. मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम,1960 की धारा 76(2) के तहत् प्रकरण दर्ज कर दिया गया है और उसके साथ ही कोर्ट में भी प्रस्तुत किया गया है. इसमें जो उस समय के सोसायटी के अध्यक्ष थे उनके खिलाफ भी कार्यवाही की गई है, क्योंकि अभी तक उनका नोटिस तामील नहीं हुआ है, जब नोटिस तामील होगा तो उनका प्रकरण भी कोर्ट में जायेगा. उसके साथ ही मैं विधायक जी को बताना चाहता हूं कि जिस व्यक्ति ने पूरे मामले में 2 प्लाटों की रजिस्ट्री करवाई थी उसके खिलाफ भी कार्यवाही हो रही है.
श्री तरुण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिसने 2 प्लाटों की रजिस्ट्री कराई थी, उसके खिलाफ कार्यवाही हो रही है लेकिन जिसने की थी, एक अधिकारी होने के नाते, आपने कहा कि उसके खिलाफ कार्यवाही की गई. आज भी आप वही जवाब दे रहे हैं. कार्यवाही अगर की गई तो वह अपने पद पर आज वहीं क्यों बैठा है, उसको वहां से क्यों नहीं हटाया गया. उसके खिलाफ आपराधिक मामला पंजीबद्ध क्यों नहीं किया गया, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं. यह विधान सभा की अवमानना का प्रकरण है. आप यह कह रहे हैं कि इसके पहले 6 माह पूर्व और उसके पहले 6 माह पूर्व विधान सभा में प्रश्न आया था. हर बार आप यह जवाब देते हैं, कार्यवाही आप करते नहीं हैं. यह शोध का विषय है कि क्या ऐसे किसी अधिकारी के पीछे किसी का संरक्षण प्राप्त तो नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- आप अपना प्रश्न तो करें.
श्री तरूण भनोत-- मेरा प्रश्न यह है कि लगातार आप विधान सभा में यह जानकारी दे रहे हैं कि कार्यवाही कर दी गई तो उसको निलंबित क्यों नहीं किया जा रहा. जो खरीदता है आप उसके ऊपर कार्यवाही करते हैं, जिसने फर्जी रजिस्ट्री की और माननीय अध्यक्ष महोदय, एक नियम है कि 6 माह से अधिक वह अधिकारी पदस्थ नहीं रह सकता, उक्त अधिकारी लगातार 4 वर्षों से अनियमितता करने के बाद, दोषी पाये जाने के बाद, विधान सभा में जानकारी देने के बाद भी अपने पद पर बैठा है. क्या उसके ऊपर कार्यवाही करके उक्त अधिकारी को भी निलंबित करेंगे.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी को मैं जानकारी देना चाहता हूं, उसको प्रशासक पद से हटा दिया गया है.
श्री तरूण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जानकारी इस उत्तर में नहीं थी. एक आखिरी चीज पूछना चाहता हूं, उसको प्रशासक पद से हटा दिया गया है, अगर उसने अनियमितता की थी, आप ही ने उत्तर दिया कि दोषी पाया गया, क्या उसके ऊपर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जायेगा ?
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रकरण दर्ज हो चुका है.
श्री तरूण भनोत-- यह जानकारी पहले दे देते तो प्रश्न की जरूरत ही नहीं पड़ती. माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
भोपाल संभाग में प्याज की खरीदी
[सहकारिता]
6. ( *क्र. 313 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या राज्यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा इस वर्ष भी प्याज की खरीदी की जा रही है? यदि हाँ, तो भोपाल संभाग में कितने केन्द्रों पर किस-किस दर पर खरीदी की जा रही है? (ख) क्या प्याज की खरीदी विलम्ब से की जा रही है? यदि हाँ, तो क्या कारण है? भोपाल संभाग में प्याज की फसल किस माह तक पूर्ण रूप से बाजार में आती है? (ग) भोपाल संभाग में विगत 03 वर्ष के दौरान प्याज का उत्पादन क्या रहा? जिलावार, वर्षवार ब्यौरा दें। (घ) गत वर्ष की गई प्याज खरीदी के दौरान कुल कितनी प्याज खरीदी गई और कितनी प्याज विक्रय की गई? खराब हुई प्याज का क्या निष्पादन किया गया? प्याज खरीदी, रख-रखाव, परिवहन पर खर्च की गई राशि का ब्यौरा दें।
राज्यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी हाँ, केन्द्रवार सूची संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार, राशि रू. 800 प्रति क्विंटल की दर से। (ख) जी नहीं, माह मई से जून तक। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (घ) 10,40,835.25 क्विंटल प्याज की खरीदी की गई एवं 2,78,098.23 क्विंटल प्याज का विक्रय किया गया। खराब हुई प्याज को नष्ट कर निष्पादन किया गया, प्याज खरीदी, रख-रखाव, परिवहन पर खर्च की गई राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है।
श्री शैलेन्द्र पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो सवाल है वह प्याज खरीदी में सरकार की नीति, नीयत, कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार से संबंधित है. प्याज खरीदी मार्कफेड के माध्यम से की जाती है. मार्कफेड के जो अध्यक्ष हैं वह मुख्यमंत्री की विधान सभा में उनके विधायक प्रतिनिधि हैं. इस वर्ष 8 लाख 76 हजार टन प्याज खरीदा गया और सिविल सप्लाइज को 8 लाख 49 हजार टन सप्लाई किया गया, बाकी 27 हजार टन प्याज कहां गया, अभी तक पता नहीं चला. मैं प्वाइंटेड प्रश्न यह पूछता हूं कि प्रश्नांश ''ख'' के उत्तर में आपने बताया कि भोपाल संभाग का प्याज मई और जनू में बाजार में आ जाता है और उसको मई में नहीं खरीदते हुये 10 जून को खरीदी की तारीख क्यों रखी गई, जबकि आप उत्तर देने के पहले यह भी ध्यान रख लीजियेगा कि मेन बजट में आपने इसका प्रॉवीजन नहीं किया था, अभी सप्लीमेंट्री बजट में प्रॉवीजन किया है. जब प्याज मई और जून में तैयार हो गया था तो उसकी 10 जून की खरीदी की तारीख तय क्यों की गई, उसके पहले क्यों नहीं खरीदा गया ?
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी को बताना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने 4 जून को ही निर्णय ले लिया था और जैसे ही प्याज आना शुरू हुई, 4 जून को माननीय मुख्यमंत्री जी ने निर्णय लिया और 5 जून से हमारे खरीदी केन्द्र शुरू हो गये थे. जिस खरीदी केन्द्र में जिस दिन से 5 जून के बाद जब-जब प्याज आया, हमने खरीदा.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि जब मई में प्याज तैयार हो जाता है तो आपने जून में क्यों खरीदा, खैर आप उत्तर मत दीजिये, कोई बात नहीं. मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि जब पिछले वर्ष भोपाल संभाग में जो प्याज खरीदा गया था उसमें 10 लाख 40 हजार 835 क्विंटल प्याज खरीदा, आपने उत्तर में बताया है और उसमें से जो बेचा गया है, आपके उत्तर में लिखा है वह मात्र 2 लाख 78 हजार 98 क्विंटल जो कि 25 प्रतिशत होता है, बाकी 75 प्रतिशत प्याज जो कि लगभग 7 लाख 62 हजार क्विंटल होता है, वह कहां गया.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि विधायक जी थोड़ा कम पढ़कर आये हैं. माननीय विधायक जी, यह फिगर है वह पूरे प्रदेश का है, क्योंकि आपने पहले पूछा था भोपाल संभाग का और ''ख'' में पूरे प्रदेश का पूछा था. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज इस सदन को बताना चाहता हूं, विधायक जी ने शुरूआत ही ऐसे की कि बड़ा घपला हो गया, घोटाला हो गया, लोगों को बहुत दिक्कत हो गई. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस सदन में यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने मध्यप्रदेश ही नहीं देश में ऐतिहासिक कदम उठाया जो उद्यानिकी की फसल को पहली बार समर्थन मूल्य पर खरीदने का माननीय मुख्यमंत्री जी ने निर्णय लिया. इस पर इस सदन को माननीय मुख्यमंत्री जी की तारीफ करनी चाहिये...(सत्तापक्ष की ओर से मेजों की थपथपाहट)... जहां तक आप बात कर रहे हैं पिछली बार की, निश्चित रूप से पिछली बार यह दिक्कत आई थी क्योंकि उस समय जो निर्णय लिया गया था और उसके बाद जो-जो विसंगतियां रह गईं थीं उसी से हमने सीख लेकर इस बार सुचारू रूप से प्याज का उपार्जन किया. इस बार हमने लगभग 8 साढ़े आठ लाख मैट्रिक टन प्याज का उपार्जन किया और मैं इस सदन को बताना चाहता हूं कि इस बार केवल 5 प्रतिशत प्याज ही नष्ट करने की स्थिति में है बाकी सबका हमने वितरण भी कर दिया उसका परिवहन भी कर दिया, इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री जी को हमें धन्यवाद देना चाहिये. हमने लगभग 8 लाख 51 हजार मैट्रिक टन नान के माध्यम से परिवहन कर दिया. मैं यदि फिगर बताऊं तो कुल 7 लाख 11 हजार मैटिक टन का हमने विक्रय कर दिया.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस वर्ष का पूछ रहा हूं मंत्री जी पिछले वर्ष की जानकारी दे रहे हैं. मेरा प्रश्न इसी वर्ष से संबंधित है, आप भ्रष्टाचार को छुपाने के लिये पिछले वर्ष के आंकड़े दे रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग- आपने शुरू में बोला कि बड़ा घोटाला हो गया, बहुत ग़ड़बड़ हो गई. बहुत घपला हो गया.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय, इस वर्ष के आंकड़े चाहिये पिछले वर्ष के आकड़े तो हम लोग बहुत सुन चुके हैं. मेरा मंत्री जी से सीधा प्रश्न है कि जो पिछले वर्ष आपने प्याज खरीदा था उसका 75% कहां गया क्योंकि आपने उत्तर में दिया है कि मात्र 25% प्रतिशत अर्थात 7 लाख 62 हजार क्विंटल प्याज जो 75% होती है हम उसका पूछ रहे हैं कि वह कहां गया यह तो आप बता दें.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह फिगर मैंने दे दिया है वह खराब हो गया था तो उसको नष्ट कर दिया गया है.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- अगर प्याज नष्ट हुआ तो आपने किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही की या नहीं. सरकार के गाढ़े पसीने की कमाई पानी में चली गई. इसके लिये कौने जिम्मेदार है. क्या किसी के खिलाफ आपने कार्यवाही की .मंत्री जी सिर्फ यह कहने से कि प्याज नष्ट हो गया इससे बात खतम नहीं हो जायेगी . अध्यक्ष महोदय, सरकार का पैसा बर्बाद हो गया और किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई. इसमें भारी भ्रष्टाचार हुआ है. अध्यक्ष महोदय, मुझे आपके संरक्षण की आवश्यकता है. हम सबकी गाढ़ी कमाई का पैसा क्या ऐसे ही यह सरकार बर्बाद करती रहेंगी और किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करेगी.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों का नुकसान बचाने के लिये मुख्यमंत्री जी ने पिछले वर्ष और इस वर्ष भी सहृदयता से प्याज खरीदी जो कि देशभर में कहीं भी नहीं खरीदी जाती है. किसानों का हित करने के लिये यह प्याज खरीदी और सरकार को यह मालूम था कि प्याज के स्टोरेज की व्यवस्था नहीं है और प्याज नष्ट हो सकती है. इस बात का उल्लेख मुख्यमंत्री जी ने अपने भाषण में भी किया है. लेकिन किसान को नुकसान नहीं हो, प्याज नष्ट हो तो सरकार का हो, इसलिये किसानों के हित को ध्यान में रखकर के सरकार ने निर्णय लिया और किसानों को उनकी प्याज का पैसा सरकार ने दिया तो मैं पूछना यह चाहता हूं कि ऐसी स्थिति में किसानों से प्याज खरीदना चाहिये थी या नहीं. यह तो मालूम था कि हमारे यहां प्याज के स्टोरेज की उतनी व्यवस्था नहीं है प्याज का नुकसान हो सकता है, प्याज पानी में सड़ सकती है लेकिन किसानों को नुकसान नहीं हो इसलिये इस सरकार ने यह काम किया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, राजस्व मंत्री जी ने प्रश्न पूछा है कि किसानों से प्याज खरीदा जाये या नहीं. सवाल इस बात का उठता है कि पिछले वर्ष भी आपने प्याज विलंब से खरीदी, आपको जानकारी थी कि उत्पादन ज्यादा है . प्याज खेत से घर पर अप्रैल में आ जाता है, सरकार को अप्रैल और मई में यह प्याज खरीदना चाहिये था, तब सरकार खरीदती तो ज्यादा उचित होता और प्याज का इतना नुकसान नहीं होता.आप कह रहे हैं कि सरकार कितना भी खर्चा कर ले, सरकार किसका पैसा खर्चा कर रही है, क्या शिवराज सिंह का पैसा खर्चा कर रही है, क्या उमाशंकर गुप्ता जी का पैसा खर्चा कर रही है. यह मध्यप्रदेश का पैसा है. मध्यप्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा है और यह पैसा दुरूपयोग के लिये बिल्कुल भी नहीं है. इस तरह से राजस्व मंत्री को सदन में जवाब नहीं देना चाहिये . यदि आपको प्याज खरीदनी थी तो समय पर प्याज क्यों नहीं खरीदी, यदि समय पर प्याज को किसानों से खरीदा जाता तो नुकासन से बचा जा सकता था और प्याज किसानों से खरीदिये व्यापारियों से नहीं.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, समय पर खरीदा गया है.
श्री अजय सिंह -- समय पर नहीं 10 जून के बाद खरीदी शुरू हुई है.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, मैं नेता प्रतिपक्ष जी को बताना चाहता हूं कि उद्यानिकी का जिस तरह से फसल चक्र है उसके हिसाब से मई से जून के आखिरी तक प्याज आता है 4 जून को निर्णय लिया गया 5 जून से खरीदा गया. जिस मंडी में, जिस केन्द्र पर , जितना प्याज आया उतना प्याज खरीदा. मुख्यमंत्री जी की सहृदया के लिये आपको उनको धन्यवाद देना चाहिये. बिना पढ़े बिना तथ्यों के आरोप लगाना उचित नहीं है. मुख्यमंत्री जी ने किसानों के हित में यह निर्णय लिया, किसानों के फायदे के लिये यह निर्णय लिया और जैसा कि राजस्व मंत्री उमाशंकर जी ने कहा पहले दिन से हमें मालूम था कि प्याज या तो किसान को फेंकना पड़ती या सरकार को फेंकना पड़ती परंतु सरकार ने किसानों के हित में यह निर्णय लिया और आगे भी जरूरत पड़ेगी तो सरकार किसानों के हित में ऐसा निर्णय लेती रहेगी.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्य बजट में सरकार ने प्रावधान नहीं किया. सप्लीमेन्टरी में आप प्रावधान कर रहे हैं और कह रहे हैं कि प्याज खरीदी.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, हाइपोथेटिक बजट नहीं बनता यदि मुख्य बजट में रख देते तो आप कहते कि जबर्दस्ती का प्रावधान रख रहे है.जिस दिन प्याज का ज्यादा उत्पादन हुआ उस दिन निर्णय लिया उसके बाद सप्लीमेन्टरी में रखा.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि इतनी ही चिंता किसानों की इस सरकार को है तो आप उनका कर्जा माफ क्यों नहीं कर देते. इसके लिये आपको कौन मना कर रहा है .
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस इस मामले में इतनी कन्फ्यूज है कि चित भी मेरा पट भी मेरा... आगे का मैं बोलूंगा नहीं. आप कहना चाहते है कि किसानों से प्याज खरीदें या नहीं खरीदें.
श्री अजय सिंह -- जैसे इस समय आप कन्फ्यूज हैं कि संसदीय कार्य मंत्री का चार्ज आपके पास में है या नहीं है.
श्री उमाशंकर गुप्ता- नेता प्रतिपक्ष जी किसानों से 8 रूपये किलो प्याज खरीदना चाहिये या नहीं खरीदना चाहिये.
श्री अजय सिंह - आप संसदीय कार्य मंत्री हैं या नहीं है. अभी भी चित और पट्ट हो रहा है.
श्री उमाशंकर गुप्ता- मुख्यमंत्री जी ने भी कहा है कि जिस हिसाब से परिस्थितियां होंगी निर्णय लेंगे. लेकिन आप अपना नजरिया तो स्पष्ट करिये.
अध्यक्ष महोदय- अब कोई चर्चा नहीं होगी. प्रश्न क्रमांक 7 श्री रामनिवास रावत.
प्रश्न क्रमांक-7 श्री रामनिवास रावत (अनुपस्थित)
कुक्षी विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों को लिफ्ट इरीगेशन से जोड़ा जाना
[जल संसाधन]
8. ( *क्र. 2420 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कुक्षी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम तलावड़ी, खेडली, मोगरा, कवड़ियाखेड़ा, कुडदीगपुरा, आवली, जोगदड़ी, भत्यारी, खडलाई को फाटा डेम से लिफ्ट इरीगेशन द्वारा कब तक जोड़ा जाएगा? (ख) इस संबंध में प्रश्नकर्ता के प्रमुख सचिव को प्रेषित पत्र डी.एन./170/एम.एल.ए./kushi, दिनांक 24.03.2017 पर प्रश्न दिनांक तक विभाग ने क्या कार्यवाही की है? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार कार्य की समय-सीमा देवें। (घ) यदि (ख) अनुसार कार्यवाही नहीं की है, तो कारण देवें?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) से (घ) फाटा डेम अर्थात जोबट परियोजना जल संसाधन विभाग के कार्य क्षेत्र में नहीं आती है। प्रश्नांश में उल्लेखित पत्र दिनांक 24.03.2017 अभिलेखों में प्राप्त होना नहीं पाया गया तथा ग्राम तलावड़ी, खेडली, मोगरा, कवड़ियाखेड़ा, कुडदीगपुरा, आवली, जोगदड़ी, भत्यारी, खडलाई को फाटा डेम से लिफ्ट ऐरिगेशन से जोड़ने संबंधी कोई प्रस्ताव जल संसाधन विभाग में विचारधीन नहीं है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न किसानों की सिंचाई के संबंध में है. मैंने जिन क्षेत्रों और गांवों का उल्लेख किया है, वहां पर अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के लोग रहते हैं. क्या माननीय मंत्री जी उन गांवों का जिनका उल्लेख मेरे द्वारा प्रश्न में किया गया है, वहां पर सिंचाई के साधन और सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिये सिंचाई विभाग को प्रस्ताव एवं स्वीकृति के लिये निर्देशित करेंगे?
वित्तमंत्री (श्री जयंत मलैया) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जिन गांवों का उल्लेख किया है, उसमें से एक गांव कुडदीगपुरा में 112 हेक्टेयर में जोबट बांध की नहरों से आंशिक सिंचाई हो रही है. बाकी माननीय सदस्य द्वारा जितने भी ग्रामों का प्रश्न में उल्लेख किया है वहां पर जलग्रहण क्षमता उतनी नहीं है, इसलिए वहां पर सिंचाई हो सकना संभव नहीं है.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जोबट परियोजना का डेम पास में ही है, उस योजना से इन गांवों को जोड़ा जा सकता है. क्या माननीय मंत्री जी आप उस विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के लिये और स्वीकृति के लिये निर्देश देंगे ? ऐसा करने से वहां पर रहने वाले अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लगभग बीस से तीस हजार किसानों को लाभ मिल सकता है.
श्री जयंत मलैया - माननीय अध्यक्ष महोदय, जल संसाधन विभाग द्वारा तो नहीं परंतु एन.बी.डी.ए. के द्वारा जल उद्वहन कर सिंचाई का परीक्षण का काम किया जा रहा है. हम इसके लिये सिंचाई सुविधा हेतु प्रविलिएंट तैयार करके तकनीकी रूप से अगर यह साध्य होगा तो इसको प्रारंभ करेंगे.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी कृपया समयावधि बता दें कि यह कब तक यह पूर्ण होगा.
श्री जयंत मलैया - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका जल संसाधन विभाग से मतलब नहीं है. इसका उत्तर उचित रूप से एन.बी.डी.ए. ही दे सकता है. माननीय सदस्य को एन.बी.डी.ए. से ही यह प्रश्न पूछना चाहिए था.
नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्रांतर्गत सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
9. ( *क्र. 1744 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जर्जर/खराब/नवीन सड़कों का निर्माण कराने से संबंधित कितने प्रस्ताव स्वीकृति हेतु लंबित हैं? इस संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा कितने प्रस्ताव दिये गये हैं, उन पर शासन ने कब-कब क्या कार्यवाही की है? कौन-कौन सी सड़कों का निर्माण कराने हेतु कब कितनी राशि की तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति दी गई? वर्ष 2013-14 से वर्ष 2016-17 तक की जानकारी दें। (ख) क्या नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ग्राम कुरावर से साहूखेड़ी, मेंगलादीप, कोटरीकलॉ होते हुये ग्राम ताजीपुरा तक की सड़क का प्रस्ताव शासन के पास है? यदि हाँ, तो उक्त सड़क कब तक स्वीकृत कर दी जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) तीन,पांच, जानकारी संलग्न प्रपत्र 'अ' अनुसार. इसके अतिरिक्त नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत एन.डी.बी. योजना के अंतर्गत नरसिंहगढ़ बैरसिया मार्ग एवं बैरसिया-नरसिंहगढ़ मार्ग लंबाई 17.83 कि.मी. हेतु रूपये 37.19 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति शासन के पत्र दिनांक 01.12.2016 को प्रदान की गई. (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री गिरीश भंडारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने मेरे प्रश्न''ख'' में यह पूछा था कि ग्राम कुरावर से साहूखेड़ी, मेंगलादीप, कोटरीकलॉ होते हुए ग्राम ताजीपुरा तक की सड़क का प्रस्ताव शासन के पास है तो इसके उत्तर में शासन ने यह माना है कि इस सड़क के प्रस्ताव को तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गई है लेकिन प्रशासकीय स्वीकृति अपेक्षित है. मैं माननीय मंत्री महोदय से बहुत करबद्ध निवेदन करता हूं कि यह बहुत महत्वपूर्ण सड़क है इसलिए इसकी प्रशासकीय स्वीकृति देने की कृपा करें.
राजस्व मंत्री (श्री उमांशकर गुप्ता) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने इनके क्षेत्र की सड़कों के पांच प्रस्ताव दिये थे, उनमें से दो काम पूरे हो गये हैं. इनमें एक कुरावर से काला पीपल मार्ग 07 करोड़ 78 लाख रूपये का और एक पचौर पनिया मार्ग से कुकडि़या खेड़ी मार्ग 08 करोड़ 50 लाख रूपये का है, इस प्रकार इनके दो काम पूरे हो चुके हैं. माननीय सदस्य ने जिस काम का अभी कहा है उसकी तकनीकी स्वीकृति आ गई है लेकिन हमारे संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर हम उसे प्रशासकीय स्वीकृत देंगे.
श्री गिरीश भंडारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि मेरे जो दो काम हुए हैं, उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद. लेकिन यह मार्ग बहुत महत्वपूर्ण है और पिछले तीन वर्षों से जब से विधानसभा के चुनाव हुए हैं उसके बाद से मैं लगातार विभाग को पत्र लिखकर इसको तैयार करवाने के लिये निवेदन कर रहा हूं. इसकी डी.पी.आर बनकर तैयार है और पिछले बजट में इसकी एफ.एस.सी. होना था, लेकिन किन्हीं कारणों से नहीं हो पाई है. मेरा यह निवेदन है कि अनुपूरक बजट में इसको शामिल कर लिया जाए. यह बहुत बड़ी सड़क नहीं है और न ही इसमें सरकार को बहुत राशि खर्च करना है. सिर्फ ग्राम कुरावर से साहूखेड़ी मेंगलादीप सड़क को इस अनुपूरक बजट में शामिल कर लिया जाए.
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, हम विभाग में इसको दिखवा लेंगे और अगर हमारे संसाधन की उपलब्धता होगी तो हम इसे शामिल करवा लेंगे.
किसानों की कर्ज माफी
[सहकारिता]
10. ( *क्र. 637 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या राज्यमंत्री, सहकारिता महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खरगापुर विधान सभा क्षेत्र सहित पूरे टीकमगढ़ जिले में संपूर्ण मध्यप्रदेश के किसानों पर भारी संकट है तथा को-ऑपरेटिव सोसायटियों एवं बैंकों के कर्ज से किसान परेशान है? क्या ऐसी समस्या को दृष्टिगत रखते हुये किसानों पर जो बैंकों एवं सोसायटियों का कर्ज है, क्या वह माफ किये जाने की शासन के पास कोई योजना है? यदि हाँ, तो किसानों के ऋण कब तक माफ कर देंगे? समयावधि बतायें? यदि नहीं, तो क्यों? कारण स्पष्ट करें। (ख) क्या खरगापुर विधान सभा के किसानों द्वारा कर्ज माफी के संबंध में दिनांक 14.06.2017 को मध्यप्रदेश के राज्यपाल महोदय के नाम ज्ञापन तहसीलदार पलेरा के माध्यम से दिया था? यदि हाँ, तो उस पर शासन द्वारा क्या विचार किया गया? यदि विचार किया गया तो खरगापुर विधानसभा सहित टीकमगढ़ जिले के एवं संपूर्ण मध्यप्रदेश के कृषकों के कर्ज कब तक माफ कर दिये जावेंगे? कर्ज/ऋण माफ करने की समयावधि बतायें? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें कि किसानों के कर्ज ऋण क्यों माफ नहीं किये जा सकते हैं?
राज्यमंत्री, सहकारिता ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) टीकमगढ़ जिले सहित संपूर्ण मध्यप्रदेश के किसानों पर संकट नहीं है तथा को-ऑपरेटिव सोसायटियों एवं सहकारी बैंकों के कर्ज से किसान परेशान नहीं है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी हाँ। कलेक्टर टीकमगढ़ द्वारा किसानों का ज्ञापन दिनांक 05.07.2017 को सचिव, म.प्र. शासन, सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा गया है। उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होते।
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न के भाग ''ख'' में पूछा था कि पूरे मध्यप्रदेश सहित खरगापुर विधानसभा का किसान कोऑपरेटिव बैंकों एवं सोसायटियों के कर्ज से परेशान है तथा संकट में है. लेकिन माननीय मंत्री जी द्वारा इसका जो उत्तर दिया गया है वह संतोषजनक नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि खरगापुर विधानसभा सहित पूरे मध्यप्रदेश में सोसायटियों के कर्ज किसानों पर इस प्रकार लादे गए हैं कि उनके द्वारा 20 बोरी खाद का नोटिस दिया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्न कर दें.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर - अध्यक्ष महोदय, उनसे जबरन वसूली की जा रही है. इस तरह के कर्ज नोटिस खरगापुर विधानसभा के किसानों को दिए गए हैं, क्या मंत्री जी उनकी जांच कराएंगे ? क्या जांच करवाकर कर्ज माफ करेंगे ?
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें दोनों बातें हैं. पहले विधायक जी ने कहा कि कर्ज नहीं दिया जा रहा है और फिर कहा कि जबरन वसूली हो रही है. मैंने पहले भी कहा है कि माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में, हम किसानों को कर्ज नहीं दे रहे हैं बल्कि हम किसानों को वित्तीय सहायता दे रहे हैं क्योंकि हम उस पर कोई ब्याज नहीं ले रहे हैं. यह देश में पहली बार हो रहा है. मध्यप्रदेश वित्तीय सहायता देने वाला देश का पहला राज्य है और आगे भी हम किसानों के हित में जो-जो निर्णय होंगे, लेते रहेंगे.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.02 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएं पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1. श्री लखन पटेल
2. श्रीमती झूमा सोलंकी
3. श्री देवेन्द्र वर्मा
4. श्री रामपाल सिंह
5. श्री भारत सिंह कुशवाह
6. श्री विजय सिंह सोलंकी
7. श्रीमती शीला त्यागी
8. श्री चम्पालाल देवड़ा
9. श्री प्रताप सिंह
10. श्रीमती सरस्वती सिंह
.....(व्यवधान)......
12.03 बजे शून्यकाल में उल्लेख
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोला था कि जीरो आवर में बात करेंगे. नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के लोग माफी मांगे कि जो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया है. ......(व्यवधान)
श्री कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने डॉ. नरोत्तम मिश्र के मामले में भी बोला था कि शून्यकाल में सुनेंगे
.....(व्यवधान)......
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के लोगों को माफी मांगना चाहिए.
.....(व्यवधान)......
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने प्रश्नकाल के बाद अनुमति देने की बात कहीं थी. ......(व्यवधान)
श्री लाखन सिंह यादव (दोनों हाथों में समाचार-पत्र हवा में लहराते हुए) - माननीय अध्यक्ष महोदय .....(व्यवधान)
श्री कुँवर विक्रम सिंह - मंत्री महोदय असत्य कथन कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - श्री लाखन सिंह जी अखबार नहीं हिलायें. आप वरिष्ठ सदस्य हैं. कृपया आप अखबार नीचे रख दें. समाचार-पत्र नहीं दिखाये जाते. आप कृपा करके नियमों का पालन करें. आप बैठ जाएं.
श्री कुँवर विक्रम सिंह - अध्यक्ष महोदय, पहले आप नरोत्तम मिश्र पर चर्चा करवायें, बिल्कुल असत्य बोला जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप अखबार रख दें. एक-एक माननीय सदस्य बोलेंगे तो अच्छा रहेगा.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने यह विषय पहले उठाया था. आप मुझे 2 मिनट के लिए बोलने दें. भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर जिन्होंने भारत के संविधान में व्यवस्था दी है, आज क्या अनुसूचित जाति के व्यक्ति का और इस सदन के विधायक का अपमान होगा ? हम जवाब चाहते हैं और नहीं तो अध्यक्ष महोदय, मेरी आपसे प्रार्थना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जी को यहां बुलाया जाये. उन्हें कठघरे में खड़ा करके उनसे माफी मंगवाई जाये. आखिर कब तक दलितों का अपमान होता रहेगा ?
.....(व्यवधान)......
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि अब मैं आपको समय दे रहा हूँ.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, आपने कहा था कि जीरो आवर में बात करने की अनुमति दी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय - श्री यशपाल सिंह जी बोलेंगे. उन्होंने सबसे पहले हाथ उठाया था.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट बोलूँगा, नहीं तो उपवास में बैठ जाऊंगा. यह विषय सबसे पहले मैंने उठाया है, इसलिए मुझे बोलने की अनुमति दीजिये. नहीं तो मैं आपसे उपवास की अनुमति लूँगा. क्या हम दलितों का अपमान सहेंगे ? नहीं तो हम उपवास पर बैठेंगे, नहीं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया जी माफी मांगें. हम दलितों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - मैंने सबसे पहले लाखन सिंह यादव को अनुमति दी है और उसके बाद तिवारी जी बोलेंगे.
.....(व्यवधान)......
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लाल सिंह आर्य) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बड़ा संवेदनशील विषय है.
अध्यक्ष महोदय - आप बोल लेना लेकिन पहले लाखन सिंह को बोलने दीजिये. मैं आप सबको समय दूँगा. मैं एक-एक मिनट सबको दूँगा, पहले उनको बोलने दीजिए. एक सदस्य इधर से और एक सदस्य उधर से बोलेगा. आप लोग कृपया बैठ जाएं और व्यवस्था बनाएं.
श्री लाल सिंह आर्य - (XXX) सन् 1953 में भण्डारे में .... ......(व्यवधान)
श्री के.के.श्रीवास्तव - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे देश के सामने दलितों का अपमान किया है. ये क्या बोलेंगे ? किस मुंह से बोलेंगे ? (XXX)
अध्यक्ष महोदय - मेरा माननीय मंत्री जी एवं सदस्यों से अनुरोध है कि वे कृपया बैठ जाएं. .....(व्यवधान)
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, उनके खिलाफ विधानसभा में निन्दा प्रस्ताव पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय - मैं आपको अवसर दूँगा, बैठ जाइये.
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूँ कि आपने आज तक अम्बेडकर प्रतिमा क्यों नहीं लगने दी ?
.....(व्यवधान)......
अध्यक्ष महोदय - सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की जाती है.
(12.05 बजे से सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
12.20 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, विश्वास जी, एक मिनट बस.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग कृपया करके बैठ जाए, मैं अनुमति देने को तैयार हूं, आप बिना अनुमति के न बोले, आप बैठ जाए, इस तरह से विधान सभा नहीं चल पाएगी. रामेश्वर जी बैठ जाएं, आप सभी बैठ जाएं, सबसे पहले मैंने लाखन सिंह यादव जी को अनुमति दी है, उसके बाद मैं आपको भी अनुमति दूंगा.
श्री लाखन सिंह यादव (भितरवार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर जिले के भितरवार विधानसभा क्षेत्र में पिछले लगातार 8 सालों से ...(अखबार लहराते हुए).
अध्यक्ष महोदय - लाखन सिंह जी आप अखबार रख दें, बहुत देर से आपने लहरा लिया, उसका प्रमाण देने की जरूरत नहीं हैं, यहां जो आप बोलते हैं वह प्रमाण है, अखबार प्रमाण नहीं हैं, अखबार रख दीजिए.
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक प्रार्थना पूरे सदन से करता हूं कि ज्योतिरादित्य सिन्धिया ने गोपीलाल जाटव का अपमान किया है, पूरा सदन उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करें, यह दलित का अपमान है, दलित का अपमान हिन्दुस्तान बर्दाश्त नहीं करेगा.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - दलित का अपराध नहीं चलेगा, नहीं चलेगा. (व्यवधान...)
श्री रामेश्वर शर्मा- ज्योतिरादित्य सिन्धिया के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करें. (व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय- यह टेनेबल नहीं है, बैठ जाए. आप बैठ जाइए मैं समय दे रहा हूं. (व्यवधान...)
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, गोपीलाल जाटव का जो अपमान हुआ है उसको विषय से निकाला जाए. (व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी यह उचित नहीं है, बैठ जाए. (व्यवधान...)
श्री रामेश्वर शर्मा - मैं इस सदन में निंदा प्रस्ताव रखता हूं .
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, दलितों के बारे में दोहरी मानसिकता हो रही है, यह दलितों का अपमान है, इसके लिए कांग्रेस माफी मांगे.
अध्यक्ष महोदय - बात कहीं से भी शुरू नहीं की जा सकती.पहले लाखन सिंह यादव जी बोलेंगे, आप लोग बैठ जाएं. (व्यवधान...) विधान सभा की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थिगत.
(12.24 बजे सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
12.42 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
अध्यक्ष महोदय {डॉ.सीतासरन शर्मा} पीठासीन हुए
श्री विश्वास सारंग--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे एक मिनट का समय दिया जाए. यहां पर बहुत देर से बहस चल रही है. निश्चित रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया जी ने जो कृत्य किया है, यह दलित समाज का अपमान है. इस सदन के गोपीलाल जाटव जी के साथ जो हुआ है यह विशेषाधिकार हनन का मामला है.
अध्यक्ष महोदय--आप नियमों के अनुसार प्रस्ताव दें.
श्री विश्वास सारंग--हम विशेषाधिकार हनन का मामला लेकर के आयेंगे आपका संरक्षण चाहिये. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--यहां पर बोलने की आवश्यकता नहीं है. नियमों से जो देना चाहें दें.(व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष (अजय सिंह)--सदन की कार्यवाही नियम प्रक्रियाओं के अंतर्गत चलेगी आप कुछ भी कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--उसको व्यवस्थित कर दिया है. श्री सुन्दरलाल तिवारी एक मिनट में अपनी बात कहें.
श्री विश्वास सारंग--इसमें नियम कायदों के खिलाफ क्या बात है ? (व्यवधान)
श्री अजय सिंह--आप पहले प्रस्ताव लाओ फिर बात करो.
श्री विश्वास सारंग--हम लेकर के आयेंगे.
अध्यक्ष महोदय--आप जब लायें तब बात करें.
श्री विश्वास सारंग--हमारे माननीय मंत्री लालसिंह जी आर्य लेकर के आ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी जब लायें तब बात करें. श्री तिवारी जी, फिर सिसोदिया जी फिर आप.
डॉ.गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ समाचार पत्रों में उनका बयान छपा है कि वह भारतीय जनता पार्टी का सदस्थ था.....(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--फिर आपने विषय उठा दिया जैसे तैसे शांति हुई थी.(व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह--भारतीय जनता पार्टी ने षड़यंत्र करके--- (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--ये लोग ज्योतिरादित्व जी का मामला इस सदन में लेकर के आना चाहते हैं. यह इनकी गुटबाजी प्रदर्शित कर रहा है. (व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, यह लोग चाहते हैं कि सदन में निन्दा प्रस्ताव आये. ज्योतिरादित्य सिंधिया कटघरे में खड़े हों.
श्री अजय सिंह-- विश्वास सारंग जी बोल रहे हैं, इस पर मुझे आपत्ति है कि गुटबाजी है. और हम लोग यह चाहते हैं. लेकिन कोई कतही नहीं चाहता. हमारी बात तो डॉ.नरोत्तम मिश्रा जी से शुरू हुई थी. यह तो आप विषय को इधर-उधर ले जाना चाहते हैं. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--यहां पर दलितों का अपमान हो रहा है. (व्यवधान)
मुस्कराकर नेता प्रतिपक्ष जी जवाब दे रहे हैं. क्या इस प्रदेश में दलितों का अपमान होगा.
अजय सिंह--आप लोग कह रहे हैं कि सभी कलेक्टरों को उल्टा टांग देंगे, तब उनका अपमान नहीं हुआ. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--इस मामले को ऐसे ही उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--अब किसी की कार्यवाही इसमें दर्ज नहीं की जाएगी. मैं जिनका नाम लूंगा उनका लिखा जाएगा. श्री सुंदरलाल तिवारी. अपनी बात एक मिनट में कहियेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी(गुढ़):- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज की प्रश्नोत्तरी को हमने देखा और उसमें यह पाया कि माननीय (XXX) डॉ. नरोत्तम मिश्र जी का नाम मंत्री के रूप में उल्लेखित था प्रश्न क्रमांक-2 में, जो कि जवाब देंगे. कुछ दिन पहले अखबारों में आया एक इलेक्शन कमीशन ने निर्णय लिया और उस इलेक्शन कमीशन ने यह निर्देशित किया और माननीय नरोत्तम मिश्र जी को विधान सभा के लिये तीन साल के लिये डी-बार कर दिया, जो इलेक्शन कमीशन ने आदेश दिया, उसकी दो लाईन में अध्यक्ष महोदय को पढ़ कर सुनाना चाहता हूं.
''Therefore, the Commission is of the considered view and holds that the Respondent, Dr. Narottam Mishra, should be disqualified under Section10A of the RP Act 1951. Accordingly, the Election Commission hereby declares that Shri Dr. Narottam Mishra, stands disqualified, for three years from the date of this order, under Section 10A read with Sections 77 and 78 of the Representation of People Act, 1951 for failure to lodge his account of election expenses in the manner required by the law and for having no good reason or justification for such failure.''This was the order of the Election Commission.
अब मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि तीन साल के लिये माननीय नरोत्तम मिश्र जी को डी-बार किया है, इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने. इसके बावजूद भी यहां पर प्रश्नोत्तर सूची में माननीय मंत्री जी का नाम आया. अध्यक्ष महोदय, अभी-अभी राष्ट्रपति के चुनाव हुए और राष्ट्रपति के चुनाव की जो सूची आयी विधान सभा के सदस्यों की. उसमें उनका नाम उल्लेखित नहीं था. एक महत्वपूर्ण बात मैं आपसे कहना चाहता हूं कि ...
श्री उमाशंकर गुप्ता :- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कोई नया तथ्य है क्या ? यह कोई नया तथ्य नहीं है.
अध्यक्ष महोदय :- यह कोई नया तथ्य नहीं है. यह सारे तथ्य सबको मालूम है. अब आप बैठ जायें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी :- वह तीन साल के लिये डी-बार हुए हैं. वह किन आधारों पर वर्तमान में मंत्री हैं. यह सरकार सदन को बताये, यह मैं चाहता हूं और वह जो तीन साल की अवधि है, वह आर्डर के तारीख से है. अगर यह 6 महीने मंत्री रह गये.
अध्यक्ष महोदय :- आपको एक मिनट का समय दिया था. आपको बोलते हुए पांच मिनट हो गये हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी :- अध्यक्ष महोदय, आपने सेक्शन- 164-(4) का भी जिक्र किया था. मैं उसको यहां पढ़ना चाहता हूं. उसको कोड करना चाहता हूं. बहस नहीं करना चाहता हूं.
श्री उमाशंकर गुप्ता :- अध्यक्ष महोदय, यहां पर यह सबको पता है.
अध्यक्ष महोदय :- अब, आप उसको मत पढि़ये. तिवारी जी यहां पर इस विषय पर बहस नहीं है. आप एक मिनट सुन लीजिये. यहां पर बहस नहीं है. शून्यकाल में आपको अपना विषय रखने की अनुमति दी है. आप कृपा करके आप कोई आर्टिकल नहीं पढ़ेंगे, एक बात और आपने जो कहा, उसका उत्तर आप ले लीजिये.
आपने शून्यकाल में विषय उठाया, चूंकि वह सीधा यहां से संबंधित है इसलिये उसका उत्तर आप ले लीजिये.
श्री विश्वास सारंग:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मामला कोर्ट में चल रहा है तो क्या यह मामला शून्यकाल में उठेगा ? अध्यक्ष महोदय, यह शून्यकाल वाला मामला ही नहीं है.
12.49 बजे शून्यकाल के उल्लेख में अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष महोदय :- आप सभी लोग बैठ जायें. माननीय तिवारी जी ने जो विषय उठाया है. अभी माननीय मंत्री विश्वास सारंग जी ने वह बात कह दी कि मामला अभी सब-ज्यूडिश. अभी यह मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पेंडिग भी है, सब-ज्यूडिश मामला है. इसलिये अभी उस विषय पर यहां पर चर्चा नहीं होगी न ही उस पर कोई प्रश्नोत्तर होंगे. अब इस विषय पर कोई बात कहीं नहीं होगी. कृपा करके आप सदन चलने दें या आप बता दें कि सदन चलाना है या नहीं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार:- माननीय तिवारी जी ने जो बात कही है, उसे विलोपित करना चाहिये.
श्री विश्वास सारंग :- अध्यक्ष महोदय, विलोपित तो करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय :- उनको मालूम नहीं था कि मामला सब-ज्यूडिश है, इसलिये उन्होंने वह हवाला दिया, अब उनको बता दिया है कि मामला सब-ज्यूडिश है, अब उस पर मत बोलिये.
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह):- अध्यक्ष महोदय, आपसे निवेदन है कि माननीय तिवारी जी ने पूर्व शब्द का उपयोग किया है, माननीय तिवारी जी ने पूर्व मंत्री कहा है, वह भर विलोपित कर दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय- यदि ''पूर्व'' कहा गया है तो उसे विलोपित करें. जितू जी, आप बैठ जायें. यह प्रश्न काल नहीं है और प्रश्नोत्तर नहीं हो रहे हैं. आपको सदन चलने देना है नहीं ? यह विषय बहस का नहीं है, कानून पढ़कर बात करें.
....(व्यवधान)....
श्री आरिफ अकील- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने प्रश्नोत्तरी में जानबूझकर नरोत्तम मिश्रा का नाम डलवाया जिससे यहां बहस हुई है.
अध्यक्ष महोदय- आपने जिस संविधान की शपथ ली है कृपया उस संविधान को पढ़कर आया करें.
श्री आरिफ अकील- यहां संविधान की बात नहीं है, प्रश्नावली पढ़ने की बात हो रही है. (XXX)
....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- इसे कार्यवाही से निकालें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी संघीय विचारधारा को स्वीकार करती है, अंगीकार करती है. इस सारे घटना-क्रम में कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया जी के सांसद प्रतिनिधि श्री अमित तामरे को 6 वर्षों के लिए निष्कासित किया है.
....(व्यवधान)....
कुँवर विक्रम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि जितने लोगों ने यह बात उठाई है, सभी ने असत्य कथन किया है और सदन में असत्य बातें कह रहे हैं.
....(व्यवधान)....
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा- माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां सारे फोटोग्राफर थे, ये लोग इतना बड़ा असत्य बोल रहे हैं.
....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- कालूखेड़ा जी, कृपया आप बैठ जायें. यशपाल जी के बाद मैं आपको बोलने की अनुमति दूंगा.
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सदन में सदस्य नहीं है, उसके बारे में यहां कहा जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय- यशपाल जी, जो सदन में सदस्य नहीं है, उनका नाम न लिया जाये. आप केवल घटना का जिक्र करें, नाम का जिक्र न करें.
....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये लोग सुबह से शाम तक हर किसी पर इल्ज़ाम लगाते हैं, क्या वह ठीक है ? सिंधिया जी, लोकसभा के सदस्य हैं, वह एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि हैं. संविधान का पालन करने की उन पर जिम्मेदारी है.
....(व्यवधान)....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं किसी का नाम नहीं लूंगा.
अध्यक्ष महोदय- यशपाल जी, आप बोलिये, हम किसी को एलॉउ नहीं करेंगे.
श्रीमती ऊषा चौधरी- माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX)
....(व्यवधान)....
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसी विषय पर चर्चा करना चाहता हूं. यशपाल जी, सदन के बाहर की चर्चा और दलित विरोधी बात कह रहे हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि मायावती जी ने राज्य सभा से इस्तीफा क्यों दिया ?
....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, मायावती जी क्या इस सदन की सदस्य हैं ? (XXX)
....(व्यवधान)....
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मायावती जी हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी दलित नेता हैं और उन्हें राज्य सभा में बोलने ही नहीं दिया गया.
....(व्यवधान)....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या मायावती जी इस सदन की सदस्य हैं ?
....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- आपने नाम लिया तो उन्होंने भी नाम ले लिया.
श्री लाखन सिंह यादव- मायावती का नाम लेने में क्या आपत्ति है ?
....(व्यवधान)....
श्री के.के.श्रीवास्तव- (XXX)
....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- इसे विलोपित करें. अब किसी का नाम नहीं लिया जायेगा. यशपाल जी, अब आप किसी का नाम नहीं लेंगे. केवल घटना की जानकारी दें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया- अध्यक्ष जी, मैं किसी का नाम नहीं लूंगा.
....(व्यवधान)....
श्री रामेश्वर शर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहूंगा कि क्या गोपीलाल जी द्वारा उद्घाटन किए गए भवन को गंगाजल से धोना जरूरी है. कांग्रेस इसका जवाब दे.
....(व्यवधान)....
श्री लाखन सिंह यादव- क्या मायावती जी को सदन में न बोलने देना जरूरी है ? (XXX), उनको सदन से इस्तीफा देना पड़ा और आप दलितों की बात करते हैं.
श्री लाल सिंह आर्य-- आपको मालूम है रेस्ट हाऊस में, सर्किट हाऊस में मायावती का अपमान हो रहा था तब भारतीय जनता पार्टी के द्विवेदी जी ने उनको बचाया था. (व्यवधान)
श्रीमती ऊषा चौधरी-- सदन के अंदर क्या चर्चा हुई थी. (व्यवधान)
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह कहा है कि यह दलित की प्रतिमा धोई है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्थगित. (व्यवधान)
(12.56 बजे से सदन की कार्यवाही 3.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.)
3.05 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए)}
पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) (क) दिनांक 31 मार्च, 2016 को समाप्त वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का स्थानीय निकाय, वर्ष 2017 का प्रतिवेदन संख्या-4; तथा
(ख) वाणिज्यिक कर विभाग की अधिसूचनाएं
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, (क) भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के खण्ड (2) की अपेक्षानुसार दिनांक 31 मार्च, 2016 को समाप्त वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का स्थानीय निकाय, वर्ष 2017 का प्रतिवेदन संख्या-4; तथा (ख) मध्यप्रदेश वेट अधिनियम, 2002 (क्रमांक 20 सन् 2002) की धारा 71 की उपधारा (5) की अपेक्षानुसार वाणिज्यिक कर विभाग की निम्न अधिसूचनाएं :-
(i) एफ-ए-3-52-2016-1-पांच (2), दिनांक 18 जनवरी, 2017,
(ii) एफ-ए-3-54-2016-1-पांच (3), दिनांक 20 जनवरी, 2017,
(iii) एफ-ए-3-03-2017-1-पांच (6), दिनांक 23 फरवरी, 2017,
(iv) एफ-ए-3-53-2016-1-पांच (12), दिनांक 28 मार्च, 2017,
(v) एफ-ए-3-9-2017-1-पांच (13), दिनांक 30 मार्च, 2017,
(vi) एफ-ए-3-11/2017/1/पांच (22), दिनांक 12 जून, 2017, तथा
(vii) एफ-ए-3-11-2017-1-पांच (23), दिनांक 14 जून, 2017
पटल पर रखता हूं.
(2) स्कूल शिक्षा विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ-44-23-2015-बीस-2, दिनांक 24 दिसम्बर, 2016
ऊर्जा मंत्री, (श्री पारस चन्द्र जैन)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (क्रमांक 35 सन् 2009) की धारा 38 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार स्कूल शिक्षा विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ-44-23-2015-बीस-2, दिनांक 24 दिसम्बर, 2016 पटल पर रखता हूं.
(3) एम.पी. औद्योगिक केन्द्र विकास निगम (इं) लिमिटेड, इन्दौर का 36 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
वाणिज्य, उद्योग और रोजगार मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 619-क की उपधारा (3) (ख) की अपेक्षानुसार एम.पी. औद्योगिक केन्द्र विकास निगम (इं) लिमिटेड, इन्दौर का 36 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016 पटल पर रखता हूं.
3.07 बजे ध्यानाकर्षण
(1) श्री मानवेन्द्र सिंह --(अनुपस्थित)
(2) श्रीमती झूमा सोलंकी--(अनुपस्थित)
3.08 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में शामिल सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने सदस्यों के दो ध्यानाकर्षण लिए. शायद पहली बार ऐसी अभूतपूर्व स्थिति आई है कि जिसमें दोनों माननीय सदस्य सदन में उपस्थित नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अपराह्न हो गया है. व्यवधान के कारण ऐसा हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, इसके लिए बहुत तैयारी करना पड़ती है, धनराशि भी खर्च होती है, समय भी व्यय होता है. इसमें कोई व्यवस्था आना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों को जानकारी नहीं होगी. सामान्यत: अपराह्न में कॉल अटेंशन नहीं होता है.
श्री गोपाल भार्गव-- आपने व्यवस्था दी थी कि तीन बजे से..
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य प्रात:काल सदन में थे.
श्री घनश्याम पिरौनियां-- अध्यक्ष महोदय, हमने कई ध्यानाकर्षण लगाए. हमारा तो अभी तक एक भी ध्यानाकर्षण नहीं आया.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि माननीय मंत्री जी नहीं आएं तो हड़कंप मच जाएगा. हा-हाकार मच जाएगा, परंतु सदस्य नहीं आएं तो कोई व्यवस्था तो देना चाहिए.
3.09 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश करों की पुरानी बकाया राशि का समाधान विधेयक, 2017 (क्रमांक 15 सन् 2017) का पुर:स्थापन
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयंत मलैया)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश करों की पुरानी बकाया राशि का समाधान विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश करों की पुरानी बकाया राशि का समाधान विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयंत मलैया)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश करों की पुरानी बकाया राशि का समाधान विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूं.
(2) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2017 (क्रमांक 16 सन् 2017) का पुर:स्थापन
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया) -- अध्यक्ष महोदय,मैं, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूं.
(3) मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2017 (क्रमांक 17 सन् 2017) का पुर:स्थापन
राज्य मंत्री सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई
राज्य मंत्री सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश मंत्री (वेतन तथा भत्ता) संशोधन विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूं.
(4) मध्यप्रदेश राज्य वित्त आयोग (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 19 सन् 2017) का पुर:स्थापन
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयंत मलैया)--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश राज्य वित्त आयोग (संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश राज्य वित्त आयोग (संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
श्री जयंत मलैया--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश राज्य वित्त आयोग (संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 19 सन् 2017) का पुर:स्थापन करता हूँ.
(5) भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 (क्रमांक 21 सन् 2017) का पुर:स्थापन
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जयंत मलैया)--अध्यक्ष महोदय, मैं, भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
श्री जयंत मलैया--अध्यक्ष महोदय, मैं, भारतीय स्टाम्प (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2017 का पुर:स्थापन करता हूँ.
3.12 बजे वर्ष 2017-2018 की प्रथम अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान(क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय--प्रथम अनुपूरक अनुमान पर चर्चा का पुनर्ग्रहण.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया(मंदसौर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रथम अनुपूरक बजट को लेकर के बालाघाट क्षेत्र में नवगठित 36 वीं भारत रक्षित वाहिनी बल हेतु वाहनों, गोला बारूदों, शस्त्र आदि को लेकर के इस अनुपूरक बजट में 3 करोड़ 80 लाख रुपए का जो प्रावधान किया गया है. इसकी आवश्यकता भले ही मध्यप्रदेश में नक्सल गतिविधियां लगभग शून्य के बराबर हैं लेकिन तब भी यह क्षेत्र संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है.
3.13 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ) पीठासीन हुए}
उपाध्यक्ष महोदय, इसको लेकर इस अनुपूरक बजट में जो राशि समाविष्ट की गई है जो अपेक्षा की गई है, मैं समझता हूँ इसकी आवश्यकता थी. राज्य आपदा प्रबंधन को लेकर के भी एक करोड़ आठ लाख सत्तर हजार रुपए का जो प्रावधान किया गया है.यह आपदा का जो प्रबंधन है, आपदा का अचानक जो संकट प्रदेश की धरा पर गिरता है उसको मद्देनजर रखते हुए, इसकी तैयारी को लेकर अनुपूरक बजट में इसको समाविष्ट किया जाना नितांत आवश्यक था.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वन मंत्री जी को, माननीय वित्त मंत्री जी को इस बात के लिए बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूँ. अनुपूरक बजट के मद 2 और 3 में व्हाइट और येलो टाइगर हैं उसके जू और रेस्क्यू सेंटर को मजबूती प्रदान करने को लेकर, यह रीवा क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि है. टाइगर संरक्षण को देखते हुए जिसकी संभावना अनंत है उसको लेकर जो आठ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. मैं समझता हूँ यह स्वागतयोग्य कदम है. कृषि मध्यप्रदेश की प्रमुख आवश्यकता है. मैं विशेषकर माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ. भावों के उतार-चढ़ाव को लेकर के बधाई देना चाहता हूँ किसानों के माथे पर जो संकट था और जो स्थितियां निर्मित हुईं. कृषि के क्षेत्र में बाजार का मूल्य सरकारों के हाथ में नहीं होता है. राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तय होता है लेकिन फिर भी सरकार ने इसकी आवश्यकता को महसूस किया. तात्कालिक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए चालीस करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. बाजार मूल्य बाजार मूल्य स्थिरीकरण निधि की स्थापना के साथ-साथ, जो किया गया है, मैं उसका अभिनन्दन करता हूँ, स्वागत करता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पशुपालन के क्षेत्र को बढ़ावा देने को लेकर के, न केवल गौ वंशीय बल्कि भैस वंशीय प्रजातियों के टीकाकरण को लेकर के, टिक द्रव्य को लेकर के, सिरोकिट्स को लेकर के, सेंपल आदि को लेकर के, मैं समझता हूँ छब्बीस करोड़, अढ़सठ लाख, तैंतीस हजार रुपये का जो प्रावधान किया गया है. मैं बधाई देना चाहता हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं जिस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूँ, अकेले मंदसौर जिले से एक लाख लीटर दूध प्रतिदिन दिल्ली जाता है. किसानों को सिर्फ खेती पर ही अकेले निर्भर नहीं किए जाने के साथ-साथ, यदि उनके जो सहयोगी धन्धे हो सकते हैं, जो कारोबार हो सकता है, जो व्यवस्थाएँ हो सकती हैं, उसमें पशुपालन को बढ़ावा देने को लेकर के, भैस पालन को बढ़ावा देने को लेकर के, अगर इस प्रकार की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है, तो यह एक प्रशंसनीय कदम है. उपाध्यक्ष महोदय, पशुपालन के साथ-साथ, पशु चिकित्सालयों, उसके औषधालयों को लेकर के, उसके सुदृढ़ीकरण को लेकर के, अगर अनुपूरक बजट में अस्सी लाख रुपये का प्रावधान किया गया है तो यह भी एक अनुकरणीय उदाहरण है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्याज को लेकर काफी चर्चाएँ हो चुकी हैं. प्याज खरीदो तो दिक्कत, न खरीदो तो दिक्कत. भण्डारण करो तो दिक्कत, न भण्डारण करो तो दिक्कत है. लेकिन तब भी परिस्थितियों का सामना करते हुए सरकार ने मध्यप्रदेश विपणन संघ द्वारा खरीदी प्याज प्रतिपूर्ति को लेकर के पाँच सौ अस्सी करोड़ रुपये का जो प्रावधान किया गया है, इस अनुपूरक बजट में, मैं बधाई देना चाहता हूँ. किसानों को इससे बड़ी राहत मिल रही है. 06 रुपये प्रति किलो के समर्थन मूल्य के भाव से, यदि इसकी सारी व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए किया है. अगर इस प्रकार का कोई प्रावधान अनुपूरक बजट में आता है तो मैं समझता हूँ यह सरकार की उपलब्धि है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आवास योजना, 2020 तक हिन्दुस्तान के प्रत्येक नागरिक को, अपना खुद का आशियाना, उसका खुद का मकान, उसकी छत के नीचे स्वयं रह ले, "हाउसिंग फार ऑल" इसको लेकर के यदि माननीय प्रधानमंत्री जी का जो सपना है, वह निरन्तर आगे बढ़ रहा है. केन्द्रांश राशि पाँच करोड़ उनसाठ लाख रुपये का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में यदि आता है तो हम कह सकते हैं कि अब इंदिरा आवास का नाम कहना भूल चुके हैं. अब गाँव के लोग कहने लगे हैं मुख्यमंत्री आवास चाहिए, प्रधानमंत्री आवास चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, एक जमाना था जब एक ग्राम पंचायत को मात्र 2, 3 या 4, इससे अधिक नहीं, साल में एक बार, कुल इतने ही इंदिरा आवासों का आवंटन भारत सरकार की ओर से होता था. आज इसकी निरन्तरता बढ़ती जा रही है और चूँकि "हाउसिंग फार ऑल" का यदि प्रधानमंत्री जी का सपना है तो ऐसे अनुपूरक बजटों में इसकी नितान्त आवश्यकता होती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत अंशपूँजी धनवेष्ठन में राशि सात करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. स्मार्ट सिटी की जो योजना है, जो शहर चयनित किए गए हैं, उसके विकास को लेकर के, उसकी व्यवस्था के प्रबंधन को लेकर के, अनुपूरक बजट में, इसकी मांग की गई है और यह सात करोड़ रुपये का प्रावधान निश्चित रुप से पूरे मध्यप्रदेश के लिए अनुकरणीय बनेगा, उन शहरों के लिए, जिनका चयन स्मार्ट सिटी के रूप में हुआ है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हुकुमचन्द मिल, आज भी याद आता है इन्दौर का वह बड़ा उद्योग, जिसको लेकर के हमेशा चर्चाएँ होती रहती थीं, और मुझे तो यहाँ तक याद है कि अनन्त चतुर्दशी के अवसर पर, राजेन्द्र पाण्डेय जी, बैठे हैं, अगर अनन्त चतुर्दशी पर पूरे इन्दौर और उज्जैन संभाग के लोग, यदि झाँकियों का अवलोकन करने जावें और इन्दौर में जाकर के हुकुमचन्द मिल की झाँकी न देखें तो उनको आनन्द ही नहीं आता था. देवड़ा जी भी बैठे हैं, हम भी सब छोटे छोटे थे तो हमको बड़ी इस बात की अपेक्षा होती थी, इस बात का मन बनता था कि हम इन्दौर जावें और जाकर के हुकुमचन्द मिल के द्वारा निकलने वाली उस झाँकी को देखें. उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि आज भी हुकुमचन्द मिल की उस बात को लेकर के सरकार प्रतिबद्ध है, कटिबद्ध है, ऑफिशियल लिक्विडेटेड के समक्ष जमा हेतु, ऋण तथा अग्रिम राशि का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में किया गया है, मैं समझता हूँ यह बड़ी उपलब्धि होगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट में वृहद् सिंचाई योजनाएँ, तालाब, आदि को लेकर के, जो प्रावधान किया गया है, मैं उल्लेख करना चाहूँगा वृहद् परियोजना में इस अनुपूरक बजट में, राजगढ़ का भाम, ग्वालियर का टिकटोली, कैंथ मध्यम सिंचाई योजना, कडान, मध्यम सिंचाई योजना, सतधारू मध्यम सिंचाई योजना, आंवलिया, डिंडौरी, करंजिया, हिरवर सूक्ष्म सिंचाई योजना. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही साथ इस अनुपूरक बजट में तालाब निर्माण को लेकर उमरिया के अंतरिया, शहडोल के कालमनिया, बुरहानपुर का रतनगढ़, खरगौन का रोशिया आदि क्षेत्रों में जो प्रावधान किया गया है यह स्वागत योग्य है. सड़कों के क्षेत्र में भी विकास की अवधारणा को सुनिश्चित करते हुए बजट में हमेशा प्रावधान अपेक्षित होता है. इस अनुपूरक बजट में भी छिंदवाड़ा के मुजावर से अपतरा ढाई किलोमीटर, टेमनी से चौंदाटोला(बालाघाट) साढ़े चार किलोमीटर , बुदरा से कासेला(बड़वानी) ढाई किलोमीटर, बाईपास से सर्किट हाउस (शिवपुरी) आदि सड़कों का प्रावधान इसमें किया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की विधान सभा का सचिवालय निरंतर प्रगति के पथ की ओर अग्रसर हो रहा है. मुझे यह कहते हुए अत्यन्त प्रसन्नता है कि हमारा जो सिस्टम है वह सूचना प्रौद्योगिकी के आधार निरंतर बढ़ता जा रहा है. यदि आनलाइन प्रश्न के बारे में विधायक तक सूचना आती है और हम सबने आनलाइन के माध्यम से जब से प्रश्न भेजने शुरु किये हैं तब से हमारा व्यर्थ का जो श्रम था वह बचा है पहले बार-बार हमको यहाँ पर आना पड़ता था और आनलाइन सिस्टम में रात 12 बजे के बाद तारीख बदल जाती है तब भी उसका लाभ हमको मिलना प्रारंभ हो गया है.उस सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर के विधान सभा सचिवालय ने उपकरण आदि हेतु 10 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान अपेक्षित किया था. मैं माननीय वित्तमंत्री जी का ह्रदय से धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मध्यप्रदेश की विधान सभा के सचिवालय को भी इस अनुपूरक बजट में 10 करोड़ की राशि का प्रावधानि करने की कृपा करी, मैं उनका अभिनंदन और आभार व्यक्त करता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में टूरिज्म बोर्ड का गठन किया गया है लेकिन उसके गठन को लेकर के यदि आवश्यकता प्रतिपादित होती है और तब यदि अनुपूरक बजट में इसकी आवश्यकता निरुपित होती है तो मैं समझता हूं कि इसके 100 के प्रतीक का जो अनुपूरक बजट में प्रावधान किया गया है यह अभिनंदनीय है. उपाध्यक्ष महोदय, मालवा क्षेत्र की एक कहावत है कि "मालव धरती गहन गंभीर, डग-डग रोटी, पग-पग नीर". यह बात सत्य है लेकिन आज हमारे मालवा का भूजल स्तर बहुत तेजी से गिरता जा रहा है. टयूबवेल खनन की उतनी ही माँग बढ़ती जा रही है फिर चाहे पेयजल के लिए टयूबवेल खनन किया जाये या खेती किसानी के लिए ट्यूबवेल का खनन किया जाये. कूप निर्माण को लेकर के भी हमारे पूरे मालवांचल में हर किसान चाहता है कि मेरे एक खेत पर, एक नहीं दो-दो कुँए खुद जाये परन्तु इससे वॉटर लेवल ऊपर नहीं आएगा लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी ने यदि नर्मदा को शिप्रा नदी तक लाने का उल्लेखनीय उपलब्धिपूर्ण कार्य किया है तो आगे चल कर के नर्मदा नदी को मालवा के गंभीर नदी तक लाने का भी संकल्प है.अभी माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्थगन पर चर्चा के दौरान इस प्रस्ताव को दृढ़तापूर्वक दोहराया है कि नर्मदा का पानी अब मालवा के गंभीर, चामला व अन्य नदियों तक पहुंचाया जाएगा उसके माध्यम से उद्वहन सिंचाई योजनाओं की जो दृढ़ इच्छाशक्ति उन्होंने प्रकट की है,उसकी मैं तो कल्पना कर रहा हूं कि नर्मदा से क्षिप्रा में पानी आ गया, शिप्रा से गंभीर में आ गया, गंभीर से चामला में आ गया और कालीसिंध नदी में आ गया और आगे चलकर कालीसिंध के बाद हमारा जो टेल वाटर है गाँधी सागर का वह छिपवारा नामक स्थान पर जाकर जब मिलेगा तो त्रिवेणी बन जाएगी और गाँधी सागर में पानी और अत्यधिक मात्रा में हो जाएगा वैसे गांधी सागर का पानी हमारे पास भरपूर होता है लेकिन कष्ट के दिनों में, संकट के समय में इस नर्मदा नदी के पानी का उपयोग हम गाँधी सागर तक कर पाएंगे और गाँधी सागर के जलाशय में नर्मदा का पानी चला जाएगा और इस अनुपूरक बजट में इसका जो प्रावधान किया गया है मैं समझता हूं कि यह अति प्रसन्नता का विषय है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तालाबों के निर्माण में भी इसमें नेवरीकला-सागर, अमरपुराकला-रतलाम, मांडवी-रतलाम, सतधारा-टीकमगढ़, खरोला काम्पलेक्स- सागर, घाट बिरोली- बैतूल आदि के क्षेत्र में प्रावधान किया गया है. इस अनुपूरक बजट में सिंचाई के क्षेत्र में, सड़कों के क्षेत्र, पेयजल के क्षेत्र में, हर क्षेत्र में जो प्रावधान किया गया है एवं वास्तव में वर्ष 2017-18 का प्रथम अनुपूरक बजट प्रशंसनीय है, स्वागत योग्य है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय,इस अनुपूरक बजट में 71 प्रतिशत राजस्व व्यय हैं और शेष 29 प्रतिशत पूंजीगत व्यय सन्निहित किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं विश्वास सारंग जी को भी बधाई देना चाहता हूं. सहकारिता क्षेत्र में भी इस अनुपूरक में 580 करोड़ रुपये का प्रावधान वित्तमंत्री जी ने किया है. साथ ही शहरी विकास, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम जिला स्तरीय योजनायें, लोक निर्माण कार्य, नर्मदा घाटी, चिकित्सा शिक्षा, पंचायत, ऊर्जा इन सबको लेकर के वर्ष 2017-18 के बजट में परिवर्तित करते हुए इसका जो प्रतिशत बढ़ा है वास्तव में इसकी आवश्यकता थी और शहरी विकास में चार हजार एक सौ बहत्तर करोड़ रूपए के व्यय का बजट में अनुमान था जिसको लेकर अनुपूरक बजट में 1.387 करोड़ रुपए की वृद्धि की गई जो लगभग 33 प्रतिशत है. इसमें सात सौ करोड़ रूपए का प्रावधान है. जैसा कि मैंने पहले भी उल्लेख किया है, स्मार्ट सिटी मिशन को लेकर प्रावधानित किया गया है यह अति अभिनंदनीय काम है. ऊर्जा के क्षेत्र में मैं बधाई देना चाहता हॅूं. आज ऊर्जा के क्षेत्र में नवाचार हुआ है. आज मध्यप्रदेश में हवा से, पानी से, सूर्य से हमें अतिरिक्त प्रकाश प्राप्त हो रहा है. एक समय था जब कांग्रेस के जमाने में मात्र 2900 मेगावाट विद्युत का उत्पादन सारे स्त्रोतों से होता था लेकिन आज अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि 3000 मेगावाट से अधिक अकेला उत्पादन गैर-पारंपरिक नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोत से मध्यप्रदेश की सरकार ने प्राप्त करने की कोशिश की है और इसमें राज्य बिजली बोर्ड को टैरिफ सब्सिडी देने को लेकर 805 करोड़ रूपए का जो प्रावधान अनुपूरक बजट में किया गया है, मैं इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हॅूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पंचायतों को और अधिक सशक्त बनाने को लेकर मैं माननीय मंत्री श्री गोपाल भार्गव जी को बधाई देना चाहता हॅूं कि अनुदान मांगों में 1.273 करोड़ रूपए की बढ़ोतरी का प्रस्ताव आया है. वास्तव में आज एक-एक ग्राम पंचायत अपने अधोसंरचना विकास के लिए यदि ईमानदारी से और कर्मठता से काम करे और ग्राम पंचायत के सरंपच, पंच और सचिव मिलकर काम करें तो पैसे की कोई कमी नहीं होगी. कन्वर्जन की, मनरेगा की, विधायक-सांसद निधि की यदि हम बात करें तो आज प्रत्येक गांव में कीचड़ की समस्या निरंतर समाप्त होती जा रही है. सभी प्रतिनिधि यहां बैठे हैं. आज सीमेंट, क्रांकीट की रोड को लेकर के उतने आवेदन नहीं आते जितने 5-10 वर्ष पहले आते थे और अतिरिक्त कक्षों के निर्माण को लेकर भी आते थे. मुझे याद है मैं जब डॉ. लक्ष्मी नारायण पांडे जी स्वर्गीय सांसद का प्रतिनिधि हुआ करता था तब एक-एक गांव में एक-एक अतिरिक्त कक्ष की मांग को लेकर सरपंच, शिक्षक और बच्चे आते थे कि एक कक्ष दे दीजिए. उसी प्रकार से आज ग्रामीण क्षेत्रों की अधोसंरचना विकास के लिए आधारभूत विकास को लेकर जो कार्यक्रम तय हो रहे हैं उसके अन्तर्गत इस बजट में भी जो प्रावधान मांगे गए हैं मैं उसकी प्रशंसा करते हुए माननीय वित्त मंत्री जी को एक बार पुन: बधाई देना चाहता हॅूं. कुल मिलाकर यह जो प्रथम अनुपूरक बजट आया है काफी प्रशंसनीय है क्योंकि इसमें विकास की अवधारणाएं बहुत अधिक सुनिश्चित हुई हैं. ग्रामीण सड़कों के निर्माण को लेकर भी बजट में प्रावधान किया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय श्री गोपाल भार्गव जी, जो यहां बैठे हुए हैं, मैं उनका आभार व्यक्त करना चाहता हॅूं, धन्यवाद देना चाहता हॅूं. अभी प्रत्येक विधायक को इसी विधानसभा सत्र में जो जानकारी मिली, जो सूचना केन्द्र है जिसको अभी आपने माननीय अध्यक्ष जी के कक्ष में पिजन हॉल कहकर उल्लेखित किया था, हमारे अपने विधानसभा क्षेत्र में हम भी लगातार प्रयास कर रहे थे कि पॉंच सौ से कम आबादी की जो सड़कें हैं ग्रेवल रोड के रूप में जब निर्मित की गई थी हमको विश्वास नहीं हो रहा था, माननीय देवड़ा जी भी यहां बैठे हुए हैं. आज हमारे पूरे विधानसभा क्षेत्र में वे सड़कें जो पांच-सात वर्ष पहले पॉंच सौ से कम आबादी वाली ग्रेवल रोड से जुड़ी थी हम तब प्रसन्न हो रहे थे आज हमको जब इस बात की सूचना मिली कि तमाम वे सड़कें जो ग्रेवल रोड से थीं अब वह इसी बजट में स्वीकृत होकर डामरीकृत रोडों में परिवर्तित हो गई हैं, मैं उसके लिए माननीय श्री गोपाल भार्गव जी को हृदय से आभार व्यक्त करता हॅूं और एक बार पुन: सबकी तरफ से माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हॅूं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. निश्चित रूप से हम लोगों की ऊर्जा और उत्साह में वृद्धि होती है. काम करने की क्षमता में वृद्धि होती है और हम लोग ज्यादा जोश के साथ में राज्य की सेवा करना चाहते हैं. (मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष्ा महोदय -- आसंदी की तरफ से भी आदरणीय श्री गोपाल भार्गव जी को इस कार्य के बहुत-बहुत बधाई और धन्यवाद दिया जाता है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, ऊर्जा के बारे में दो शब्द कहकर अपना वक्तव्य समाप्त करूंगा. हमको इसी सत्र में एक फोल्डर मिला है. विशेषकर मैं इसलिए प्रसन्नचित्त हॅूं कि नीमच और मंदसौर जिले के हमारे सब प्रतिनिधि यहां बैठे हैं क्योंकि सर्वाधिक कुएं हमारे क्षेत्र में हैं ट्यूबवेल भी इंदौर संभाग में सबसे ज्यादा है. अब सूर्य की किरण से हमको ऊर्जा प्राप्त होगी और लाइट की जो समस्या है, डीपी का जलना, ट्रांसफार्मर खराब होना, विद्युत के पोल लगना, ये सब दुविधाएँ अब समाप्त हो जाएंगी और इसको लेकर जो हमें अभी फोल्डर प्राप्त हुआ है, उसमें मुझे कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि ऊर्जा मंत्रालय ने सभी किसानों को सब्सिडी के साथ कि 1 हॉर्सपावर में 16 हजार रुपये की सब्सिडी मिलेगी, 2 हॉर्सपावर में 35 हजार रुपये की सब्सिडी मिलेगी, 3 हॉर्सपावर में 45 हजार रुपये की सब्सिडी मिलेगी, कुल मिलाकर एक लाख रुपये से भी कम राशि में किसानों को प्रकृति से चलने वाले, सूरज की रोशनी से चलने वाले विद्युत के पंप प्राप्त हो जाएंगे, इसके लिए भी माननीय मुख्यमंत्री जी का, माननीय वित्त मंत्री जी का और माननीय ऊर्जा मंत्री जी, इन सबका हृदय से आभार करते हुए धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुंदरलाल तिवारी (गुढ़) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी अनुपूरक अनुमान की मांगों पर माननीय सिसोदिया जी ने कई बार माननीय मंत्री जी को और सरकार को धन्यवाद दिया, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से एक बात जानना चाहता हूँ, मैं कल रात भर अनुपूरक अनुमान की पुस्तिका को पलटता रह गया, मुझे पेज नं. 61 में यूनिट तक नहीं मिली कि आखिर रुपयों की यूनिट क्या है, माननीय मंत्री जी, अभी भी बता दें, जिससे हम कम से कम अपनी बात कुछ कह सकें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तिवारी जी का ध्यान न जाने कहाँ-कहाँ रहता है, वे उसी पर अटके हुए थे जिसमें आज सुबह 1 घंटा उन्होंने खराब किया, तो अब इसमें कहाँ कुछ मिलेगा उनको, ये ध्यान अगर यहाँ लगाएँ, तो इसमें उनको कुछ मिले.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- यह आप ही का दस्तावेज है. मैं पढ़ रहा था कि क्या 181 रुपये में इतने बड़े पुल का निर्माण हो जाएगा, प्रतीक अनुपूरक अनुदान के रूप में तो आपने 100 रखा है, लेकिन यह क्या है, रुपये हैं या करोड़ हैं या लाख हैं, यह यदि हमको माननीय मंत्री जी बता दें, तो हम आगे बहस कर सकें.
श्री जयंत मलैया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, श्री सुंदरलाल तिवारी जी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि जब भी कोई नया हेड खोला जाता है, उसमें 100 रुपये की राशि टोकन के रूप में रखी जाती है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- 100 के बगल में जो 181.10 लिखा है, यह क्या है, क्या श्योपुर जिले में दांतरदा जैनी मार्ग के किमी 6/8 में बागड नाले पर जलमग्नीय पुल का निर्माण 181 रुपये में होगा ?
श्री गोपाल भार्गव -- यह मुख्यमंत्री हेल्प-लाइन है, आप उसमें पूछ लेना. (हंसी)
श्री सुंदरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं सच में रात भर पढ़ता रहा कि आखिर यह क्या है ?
उपाध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, जैसा कि मंत्री जी ने बताया वह टोकन राशि है, नया हेड बनाया गया है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह टोकन राशि नहीं है, 100 के बगल में देखिए, 181.10 लिखा हुआ है, क्या यह पुल 181.10 रुपये में बनेगा, यूनिट में रुपये भी तो लिखे होने चाहिए, लाख या करोड़, जो भी हो, लिखा होना चाहिए.
श्री जयंत मलैया -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आदरणीय तिवारी जी ने सही देखा है, इसमें ब्रेकेट में 'लाख' लिखा हुआ होना चाहिए था, वह नहीं है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अब देखिए, सिसोदिया जी तारीफ किए जा रहे हैं, पुराने जमाने में राजा-रजवाड़े कुछ लोगों को प्रशंसा करने के लिए रखते थे, उनकी ट्रेनिंग होती थी. (हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, आप अपना बजट भाषण जारी रखिए, व्यक्तिगत टिप्पणी न करें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय, तिवारी जी को रीवा स्टेट का बहुत अनुभव है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- उपाध्यक्ष महोदय, उसमें ब्राह्मणों का बहुत योगदान होता था.
उपाध्यक्ष महोदय -- दिशा बदलिए.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, सिसोदिया जी मुझे क्षमा करें, लेकिन जब वे प्रशंसा करें तो उसके कुछ आधार जरूर देख लें, जिसमें कुछ अच्छा लगे. मैं वही ताज्जुब कर रहा था, लगता है कि सिसोदिया जी ने इसको देखा नहीं है और टेप-रिकॉर्डर की तरह शुरू हो गए हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया और इसके साथ-साथ मैं यह चाहूँगा कि माननीय मंत्री जी अपने स्टॉफ को, जो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं, सेक्रेटरी हैं, वे कम से कम इतना तो ध्यान रखें कि इस तरह की गलतियाँ न हों.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि संविधान कुछ कहता है और अनुपूरक अनुमान कुछ कहता है अब हमें यहां पर शंका हो गई है कि क्या मध्यप्रदेश का संविधान देश के संविधान से कुछ अलग है. इसको देख लें उपाध्यक्ष महोदय सप्लीमेंट्री एडिश्नल और एक्सेस ग्रांट इसमें लिखा है कि -- अनुच्छेद 204 के उपबंधों के अनुसार बनायी गई किसी विधि द्वारा किसी विशिष्ट सेवा पर चालू वित्तीय वर्ष के लिए व्यय किये जाने के लिए प्राधिकृत कोई रकम उस वर्ष के प्रयोजन के लिए अपर्याप्त पायी जाती है या उस वर्ष के वार्षिक वित्तीय विवरण में अनुध्यात न की गई किसी नई सेवा पर अनुपूरक या अतिरिक्त व्यय की चालू वित्तीय वर्ष के दौरान आवश्यकता पैदा हो गई है. इंसफिशियेंट, इसका मतलब अपर्याप्त हुआ. मैंने यह पूरा पढ़ा है - आप अनुपूरक में तब ही मांग सकते हैं जब आप यह दर्शायें कि जो राशि दी गई थी, जो कि आपने एनुअल स्टेटमेंट में दर्शाया था, वह राशि जब अपर्याप्त होगी तब ही आप राशि मांग सकते हैं. यह अनुपूरक अनुमान में जितनी भी मांगों पर यह राशि मांगी गई है, एडिशनल एक्सेस, अतिरिक्त जो भी कहें, सप्लीमेंट्री कहें, इसमें कहीं भी यह नहीं लिखा हुआ है कि पूर्व में निर्धारित राशि अपर्याप्त थी इसलिए उससे अतिरिक्त राशि इतनी हमें दी जाय. इसका भी पालन नहीं किया गया है जो कि संविधान में उल्लेख किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय मुझे तो बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि यह सारी चीजें हो कैसे रही हैं. यह कौन देखता है मैं सीधे मंत्री जी को तो आरोपित इस तरह नहीं कर सकता हूं क्योंकि मंत्री जी के पास बहुत सारा काम रहता होगा, एक एक पन्ना देखना संभव नहीं होता है. लेकिन आपके मतहत जो भी अधिकारी हैं वे घोर लापरवाह हैं कि वह इस चीज को भी नहीं देखते हैं कि हमें उल्लेख क्या करना चाहिए जब हम सदन के अंदर बजट प्रस्तुत कर रहे हैं. यह कोई चने की दुकान तो है नहीं या कोई चटनी चूरन की दुकान का बजट तो है नहीं, आप विधान सभा में बजट पेश कर रहे हैं. माननीय मंत्री जी इसमें तो हमें कानून का कायदे का संविधान का सारी चीजों का ध्यान रखना चाहिए और अब इतनी बड़ी लापरवाही के बावजूद जहां संविधान का पालन नहीं हुआ है वहां पर सदस्यों से कह रहे थे कि बहस में भाग ले लें. हम क्या भाग ले लें साहब, जब आपने उसके अनुरूप कोई बजट प्रस्तुत ही नहीं किया है, तो हम क्या बात कर लें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्त मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि अगली बार सलाहकार के रूप में माननीय तिवारी जी की सेवाएं जरूर ली जाय.
श्री जयंत मलैया -- आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी माननीय सदस्य को जो बोलना है वह बोलें. मैं अपने उत्तर में उसका जवाब दूंगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह भी आरोप है कि बड़ी लापरवाही से यह बजट प्रस्तुत किया गया है. इसमें विभाग के द्वारा, माननीय मंत्री जी के द्वारा ध्यान नहीं दिया गया है. मेरा यह भी निवेदन है कि यह जो राशि मांगी गई है 5 हजार करोड़ यह राशि जो पूर्व में आपने निर्धारित राशि बतायी थी,एस्टीमेटेड कास्ट थी कि हम इतना खर्च करेंगे, वह 2017-18 में 1 लाख 59 करोड़ के लगभग राशि रखी जो कि मूल बजट प्रस्तुत किया था उसमें यह रखा था. अब सवाल इस बात का है कि सदन को आपने यह भी नहीं बताया कि इससे एक्सेस राशि जो कि आप मांग कर रहे हैं इस सदन से उ समें यह पहले से ही माइनस 451 करोड़ रूपया आपने ज्यादा मांगा था, उसमें आपने 5 हजार करोड़ रूपये यह जोड़ दिये हैं और इसके बाद में 100 रूपये आपने जो प्रतीक में रखा है उसमें जो राशि खर्च करेंगे और इन सबको जोड़ दिया जाय तो जो राशि आपने रखी थी उस राशि से करीब छ: हजार करोड़ ज्यादा आ रही है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अब हमें यह नहीं मालूम माननीय वित्तमंत्री जी ने सदन को यह भी नहीं बताया कि यह छ: हजार करोड़ रुपये कहां से लेकर आएंगे ? किन स्श्रोतों से लेकर आएंगे ? क्या इनकी प्राप्तियां बढ़ेंगी ? बढ़ेंगी तो किन सोर्सेस से बढ़ेंगी ? क्या आप ज्यादा कर लगाएंगे जिससे आप प्राप्त करेंगे ? या कोई आपके पास रास्ते हैं जिनसे आप राशियों को प्राप्त करेंगे ? जब तक इस सदन को यह नहीं बताया जाता है कि ये प्राप्तियां कहां से आएंगी तो हम इसमें क्या बात कर पाएंगे ? कोई बाध्यता नहीं है. आप फिर से फाइनल स्टेटमेंट में दे देंगे, लेकिन माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि कम से कम ये बताएं, जिससे हम लोग भी इस डिस्कशन में भाग लेकर बताएंगे कि यह राशि वहां से उपलब्ध हो पाएगी कि नहीं हो पाएगी. फिर अगर हम पिछला ट्रेंड देखें, पिछले में जाएं वर्ष 2014-15, 2016-17, वर्ष 2017-18 अगर हम देखें कि जो कुल प्राप्तियां आपकी रहीं 1 लाख 17 हजार के लगभग ये था वर्ष 2014-15 में, फिर इसकी राशि जाकर बढ़ी वर्ष 2015-16 में 1 लाख 21 हजार रुपये हो गई. यह करोड़ में है. फिर इसके बाद वर्ष 2015-16 में हो गई 1 लाख 32 हजार रुपये और वर्ष 2016-17 में हो गई 1 लाख 58 हजार रुपये अगर आप इसको देखें और प्रतिशत में अगर निकालें तो 12 प्रतिशत से अधिक यह राशि हर वर्ष नहीं बढ़ रही है. केवल 12 प्रतिशत बढ़ रही है इससे एक प्रतिशत आगे नहीं जा रही है और पता नहीं आप इतना ज्यादा बजट क्यों मांग रहे हैं ? जबकि पर्याप्त बजट आपके पास है. आपने जो मेन स्टेटमेंट दिया था उसी राशि को अगर आप सरेंडर करके दूसरी जगह उपयोग कर लें या एक मद की राशि दूसरे मद में ले जाएं, विधानसभा से परमीशन लें तो आपको ये बजट सदन के सामने लाने की आवश्यकता नहीं पड़ती.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि पूर्व के अनुभवों का, पूर्व में जो फिगर बता रहे हैं उसके संबंध में कोई भी ध्यान नहीं दिया जाता और सदन का समय खराब करने के लिये जायज उपयोग नहीं हो पाता है, नाजायज उपयोग होता है जब इस तरह के बजट सदन में लाये जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, अब मेरा एक और कहना है कि घाटे की सीमा आपने 3.5 प्रतिशत बताई है. अब सवाल इस बात का है कि यह घाटे की सीमा आपकी अगर बढ़ रही है इसको जोड़ लें तो 3.5 प्रतिशत से आप ऊपर जा रहे हैं. परंतु जिस बजट का आपने निर्धारण किया, जो बजट आज आप प्रस्तुत कर रहे हैं क्या उसको हम उचित बजट मानेंगे ? क्या 3.5 प्रतिशत से अगर जीएसडीपी से हम ऊपर जा रहे हैं तो मैं समझता हूं कि यह डिसिप्लिन बजट नहीं कहलाएगा और इस तरह से आपके वित्त विभाग का काम है इसीलिये आप देखिए शासकीय सेवक को डी.ए. आपने 7 परसेंट दिया. इसी मध्यप्रदेश में किस तरह आपका विभाग काम कर रहा है ? शासकीय सेवक को इसी वर्ष आप लोगों ने डी.ए. की राशि 4 प्रतिशत की जगह आपने 7 प्रतिशत दे दिया. अब ये किसकी गलती थी ? किसन दे दिया ? अब उन्हीं कर्मचारियों से कह रहे हैं कि 3 प्रतिशत लौटाओ यह गलती से हमने 7 प्रतिशत दे दिया. अब पूरे प्रदेश के कर्मचारी भिडे़ हैं अपना जोड़ बाकी लगाने में कि हमसे क्या हो गया कैसा हो गया. अब उन्होंने खर्च कर दिया. यह किसने किया ? मतलब मध्यप्रदेश में जो वित्तीय प्रबंधन है फायनेंस डिपार्टमेंट का वह किस स्थिति में है, यह माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि उस पर जरा ध्यान दें. क्या 3 परसेंट आपने लौटा लिया ? और ये ज्यादा देने की जिम्मेदारी किसकी है ? किसके ऊपर थी ? कौन जिम्मेदार था जो 4 प्रतिशत की जगह 7 प्रतिशत दे दिया ? यह त्रुटि नहीं है क्या? अगर वित्त विभाग इस तरह की त्रुटि करेगा तो दीगर विभाग क्या करेंगे? तो मेरा यह कहना है कि यह हो सकता है कि ये बातें आप मंत्री हैं, आप राजा हैं, जो चाहें वह करें. हम लोग कुछ नहीं कर सकते, अपनी बात कह सकते हैं. जैसे आपने कह दिया कि यूनिट नहीं लिखी है तो कोई बात नहीं, चलता है. राजा हैं, राजा के जमाने में, King is never wrong. राजा कभी गलत हो ही नहीं सकते. अब आगे चलिए, किसान की बात. किसान के मुद्दे पर सिसौदिया जी कह रहे थे, सरकार बड़ी संवेदनशील है और 40 करोड़ रुपया इन्होंने रखा है. 40 करोड़ रुपए में आप किसानों की आत्महत्या को प्रदेश में रोक रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, 40 करोड़ रुपए में यह करोड़ों करोड़ किसानों की तकलीफ दूर कर देंगे? जो इतनी भरी पीड़ा है, जिसकी वजह से किसान इतनी बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश में आत्महत्या कर रहे हैं कि इस देश में मध्यप्रदेश किसानों की आत्महत्या में अव्वल दर्जा, नम्बर एक का स्थान प्राप्त कर चुका है, उनके लिए इस बजट में आपने क्या रखा है? मुख्यमंत्री जी तो यहां पर बड़ी लंबी-लंबी बात करके यहां से चले गये. अभी भाषण में ऐसी-ऐसी बातें मुख्यमंत्री जी ने कही. उपाध्यक्ष महोदय, किसानों के बिजली के बिल की माफी के संबंध में कोई बजट नहीं रखा गया है. किसानों की कर्जे की माफी के संबंध में कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
श्री रणजीत सिंह गुणवान - माननीय तिवारी जी, जो छठवें, सातवें वेतनमान के बारे में आप कह रहे हैं. यह सरकार सब कुछ दे रही है. आपके समय में तो वेतन के भी लाले पड़ रहे थे.
उपाध्यक्ष महोदय - आज लगता है आप सवेरे से बोले नहीं हैं?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - उपाध्यक्ष महोदय, बिजली के बिल, किसानों के कर्जों की माफी के संबंध में इस अनुपूरक अनुमान में एक रुपए का भी प्रावधान नहीं किया गया है, इसलिए यह कह रहा हूं कि यह हमारे प्रदेश की मूल समस्या है और किसानों की आत्महत्या की वजह से मध्यप्रदेश की जनता का, हमारा और आपका, सबका शर्म से सिर झुक जाता है, जब यह आंकड़ें अखबारों में आते हैं, टीवी में आते हैं, रेडियो में आते हैं, हर जगह ये आते हैं. मेरा यह कहना है कि अभी समय है, इसमें थोड़ा-सा सुधार करके और किसानों के लिए भी कर्जा माफी के संबंध में, बिजली के बिल के माफ करने के संबंध में कुछ सुविधाएं डाल दें, कुछ बड़ी रकम डाल दें. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपका आभारी हूं जो आपने मुझे बोलने का समय दिया है और अंत में फिर उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कह रहा हूं कि अपने विभाग के अधिकारियों पर जरा लगाम लगाइए कि इस तरह के दस्तावेज सदन में प्रस्तुत न करें, जिससे हमारे छह-छह घंटे चले जायं और हमें पता ही नहीं लगे कि इसमें लिखा क्या है और रात भर हम इसे पढ़ते रहें. धन्यवाद.
श्री रणजीत सिंह गुणवान - आज आप कम बोले.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - परन्तु आप आज ज्यादा क्यों बोल रहे हैं? आज दीर्घा में भाभी साहब पधारे हैं ऐसा लग रहा है?
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -उपाध्यक्ष महोदय, क्या सही में भाभी जी आई हैं? दादी जी, हम लोग दादी कहें. भाभी कहां से हो जाएंगी? दादी कहें. (हंसी)...
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर)--उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा 5 हजार 52 करोड़ 53 लाख 47 हजार 2 सौ रुपये का प्रथम अनुपूरक सदन में प्रस्तुत किया है. मैं उसका समर्थन करते हुए अपनी बात रखना चाहता हूं
उपाध्यक्ष महोदय, पूर्व वक्ताओं ने इस पर काफी बातें कह दी हैं. हम मूल रुप से मालवा क्षेत्र से हैं और माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा 2087 करोड़ रुपये की नर्मदा -क्षिप्रा लिंक परियोजना के माध्यम से नर्मदा का पानी क्षिप्रा में पानी पहुंचाया था. इस योजना से हम सब लोग लाभान्वित हुए हैं. उस योजना के द्वितीय चरण प्रारंभ करने की घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी की गई. मालवा-गंभीर लिंक परियोजना में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान इस प्रथम अनुपूरक में रखा गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, मालवा धीरे-धीरे रेगिस्तान में परिवर्तित होता जा रहा है. मालवा का जलस्तर 400-500 फीट नीचे चला गया है. इतनी गहराई से पानी निकालना बड़ा मुश्किल है. मालवा के किसान मूल रुप से कृषि कार्य करते हैं या पशुपालन करते हैं. किसानों के आय के दो ही स्रोत है. मां नर्मदा का पानी क्षिप्रा में होते हुए हमारे महिदपुर में आ रहा है. उसका हमें बहुत लाभ मिल रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि पूर्व वक्ता श्री सिसोदिया जी ने बताया कि द्वितीय चरण के पूर्ण होने के बाद मालवा के जिले हैं और काली सिंध नदी तक इसका पानी जाने वाला है. इससे क्षेत्र के लोगों को बहुत लाभ होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, आज सुबह प्याज को लेकर काफी चर्चा हुई. कभी-कभी यह प्याज सरकारें गिरा देता है. अटल जी के समय पूरे हिंदुस्तान में प्याज काफी महंगा हो गया था. प्याज एक उद्यानिकी फसल है. वर्ष 2016-17 में भाजपा सरकार ने, शिवराज जी की सरकार ने 1.04 लाख मैट्रिक टन प्याज खरीदा था जिसकी कीमत उस समय 7 करोड़ 40 लाख रुपये थी. इस वित्तीय वर्ष में 8.76 लाख मैट्रिक टन प्याज भाजपा सरकार ने खरीदा है. इसका मूल्य 700 करोड़ 88 लाख रुपये है. यह पैसा सीधे किसानों के खाते में गया है. इस प्रतिपूर्ति करने के लिए मध्यप्रदेश राज्य विपणन संघ द्वारा जो प्याज खरीदा गया है और चूंकि सहकारिता विभाग को इस राशि को देना चाहिए था. माननीय वित्त मंत्री जी ने 580 करोड़ रुपये का प्रावधान इस प्रथम अनुपुरक में किया है मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं. इसे सीधे-सीधे किसानों को लाभ हुआ है.उपाध्याक्ष महोदय, यह असंभव सा काम था. प्याज खरीदना इतना आसान नहीं है यह तत्काल सड़ जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय, हम सौभाग्यशाली है कि मुख्यमंत्री जी ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदने की घोषणा कर दी है. आज वह बजट का विषय नहीं है लेकिन किसानों से जुड़ा हुआ मामला है. सोयाबीन के भाव बहुत कम है. आने वाले समय में चूंकि अब खरीफ फसल आएगी. रबी की फसल हम ले चुके हैं. चूंकि सोयाबीन खरीफ की फसल है इसको भी समर्थन मूल्य में खरीदेंगे तो अच्छा होगा.उपाध्यक्ष महोदय, मालवा में सबसे अधिक सोयाबीन की ही खेती की जाती है.
उपाध्यक्ष जी, मैं जनपद में और पंचायतों में भी रहा हूं. जब ग्राम सभा होती थी एक-दो आवास, इंदिरा आवास योजना में आते थे और आवास लेने वाले 30-35 लोग हुआ करते थे. सब लोग सरपंच के खिलाफ हो जाते थे. मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार, मोदी जी की सरकार ने प्रधान मंत्री आवास योजना की घोषणा की और माननीय वित्त मंत्री जी ने इसी बजट में प्रधान मंत्री आवास के लिए 1200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. इसके लिए मैं वित्त मंत्री जी को आपके माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूं.उपाध्यक्ष महोदय, गांव-गांव में पक्के मकान बन रहे हैं. और यह 2011 की सूची के बाद दूसरी सूची तैयार होने लगी है और मध्यप्रदेश में इसका कार्य बड़ी तेजी से चल रहा है. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हम पी.डब्लू.डी. की सड़कें बनाने जा रहे थे कि हमारा एम.डी.आर.घोषित हो जाये,रोड टू लेन बन जाये. मैं इस सदन में मैं कहना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में 37 ऐसी रोडें माननीय गोपाल भार्गव जी,पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने दी हैं कोई सड़क 1 कि.मी. की,कोई 2 कि.मी. की,कोई साढ़े तीन कि.मी. की है. सीधे-सीधे उन 37 सड़कों से 37 गांव जुड़ जायेंगे.
श्री घनश्याम पिरोनिंया - उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र भाण्डेर में भी माननीय गोपाल भार्गव जी ने 32 ऐसी सड़कें दी हैं. मैं उनको धन्यवाद देता हूं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) -उपाध्यक्ष महोदय, आज का दिन तो मेरे लिये बड़ा आनन्द देने वाला है.मैं आनन्दित हूं,गदगद हूं.
सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री(श्री लालसिंह आर्य) - उपाध्यक्ष महोदय, भार्गव जी ने 43 रोडें हमको भी दी हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान - मैं चाहता हूं कि पूरा सदन भार्गव जी को ताली बजाकर धन्यवाद दे.
उपाध्यक्ष महोदय - भार्गव जी, एक काला टीका लगवा लें. नजर न आपको लग जाये. पूरा सदन आपकी तारीफ कर रहा है.(..व्यवधान..) कृपया सभी बैठ जाएं.
श्री गोपाल भार्गव -उपाध्यक्ष महोदय, हमारे सैकड़ों जो विधायक भाई यहां बैठे हैं उनकी सद्भावनाएं जिसके साथ हों और उन सड़कों पर जो लोग गुजरेंगे उनकी सद्भावनाएं जिसके साथ हों उसको कभी नजर नहीं लग सकती.
श्रीमती शीला त्यागी - उपाध्यक्ष महोदय,मेरे क्षेत्र में भी 13 सड़कें मिली हैं.
श्री लालसिंह आर्य - (..व्यवधान..) उपाध्यक्ष महोदय, अभी शीला जी कह रही थीं कि 13 सड़कें उनको भी मिली हैं तो सबके साथ न्याय हो रहा है.
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय मंत्री जी मैंने 25 सड़कें लिखकर दी थीं 13 मिली हैं तो उसमें कटौती कर दी है.
श्री गोपाल भार्गव -उपाध्यक्ष महोदय, मेरे बाजू में श्री हर्ष यादव जी कांग्रेस के विधायक बैठे हैं. सागर जिले की 8 विधान सभा सीटों में कांग्रेस के एक ही विधायक हैं हर्ष भाई. मैं कल अखबार में देख रहा था, विज्ञप्ति दी गई थी. 92 सड़कें देवरी विधान सभा क्षेत्र की हैं. मैं इनसे कहता हूं कि कम से कम एक लाईन का धन्यवाद तो दे दें.
नेता प्रतिपक्ष(श्री अजय सिंह) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी बगल में उनको बैठाकर उनसे तो आपने कबूल करवा लिया. मैं वह भी दिन याद दिलाना चाहता हूं गोपाल भार्गव जी, जब सड़कें आप हमसे मंजूर कराते थे. आजकल हम लोगों में से किसी के ऊपर ध्यान नहीं दे रहे हो. एक सागर जिले के आदमी को दे दिया और सोच रहे हैं कि हम सब लोग संतुष्ट हो जायें. यह उचित नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव -उपाध्यक्ष महोदय, हमारे कांग्रेस के जो ग्रामीण क्षेत्र के विधायक हैं उनमें से एक भी बता दे कि उनके क्षेत्र में यदि सड़कें नहीं हुई हों तो मैं आज भी उनकी सड़कें मंजूर करने को तैयार हूं. आपके जवेरा-नोहटा विधान सभा क्षेत्र में मैंने 100 से अधिक सड़कें स्वीकृत की हैं.
श्री प्रताप सिंह - लेकिन चौथा चरण तो रह गया.
(..व्यवधान..)
श्री के.के.श्रीवास्तव - माननीय मंत्री जी,टीकमगढ़ और दमोह जिले में चौथे चरण की सड़क नहीं मिल पाई हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, के माध्यम से मैं आ पका ध्यान आकर्षित कर रहा हूं मंत्री जी कि जिन विधान सभा क्षेत्रों में सड़कें कम स्वीकृत हुई हों तो वहां संख्या बढ़ाएंगे.
(..व्यवधान..)
उपाध्यक्ष महोदय - बैठ जाईये.
राजस्व मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता) - तिवारी जी,आचरण एवं व्यवहार देखकर दी जायेंगी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - कोई त्रुटि हुई हो तो सुधार दें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - तिवारी जी,एडवांस में धन्यवाद देना पड़ेगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान - उपाध्यक्ष महोदय, सड़कों के नियम बने हुए हैं. जो सड़कें मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में सड़कें स्वीकृत हुई हैं उसके अपने नार्म्स हैं. उसको कम-ज्यादा करने की आवश्यक्ता नहीं है. जो ग्रामीण क्षेत्र की रोडें हैं उन पर डामर किया जायेगा वह कांग्रेस हो या बी.जे.पी. सबके लिये किया है.
उपाध्यक्ष महोदय - आपने मुद्दे वाली बात कही है.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- जब मेन बजट पर चर्चा हो रही थी और माननीय गोपाल भार्गव जी अपने उत्तर में खड़े हुये थे तो मैंने इस विधान सभा में प्रश्न किया था. मैंने कहा था माननीय भार्गव जी हम ग्रामीण विधायक हैं और 4-5 कस्वे ऐसे हैं जहां पर मांगलिक भवन बनाना है, उस दिन इसी सदन में 3-3 मांगलिक भवन माननीय गोपाल भार्गव जी ने स्वीकृत किये और उनके पैसे भी आ गये हैं. पहली किश्त 5-5 लाख रूपये की समस्त विधायकों के क्षेत्र में आ गई है.
श्री राजेन्द्र पाण्डेय-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसका बजट आ गया है और ग्रामीण लोग काफी खुश हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- मुझे बहुत खुशी हुई और इसलिये अब हम इससे भी ज्यादा मांगलिक भवन इस साल देंगे .... (व्यवधान)... उपाध्यक्ष महोदय, 5-5 मांगलिक भवन देंगे. .... (व्यवधान)...
श्री घनश्याम पिरोनिया-- माननीय उपाध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद दे रहा हूं कि मेरी विधान सभा में 3 मंडल हैं और तीनों मंडलों में उन्होंने मांगलिक भवन दिये हैं, अब 2 और बढ़ा दिये हैं तो उसके लिये उन्हें अग्रिम बधाईयां.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप विधान सभा की कार्यवाही निकालकर देख लें उस समय भी मैंने मांग रखी थी और आज मांग रखी तो माननीय भार्गव जी आपने 5-5 मांगलिक भवन की घोषणा की इसके लिये पूरा सदन आपका धन्यवाद करता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि हिन्दुस्तान में जितनी स्मार्ट सिटी हुई हैं, स्मार्ट सिटियों के लिये हमारे इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर आदि शहरों का चयन किया गया है और मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इन स्मार्ट सिटियों की रचना को इनके निर्माण कार्यों के लिये 700 करोड़ रूपये का प्रावधान इस अनुपूरक प्रथम बजट में किया गया है, इस हेतु मैं माननीय वित्तमंत्री जी को माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाने की जो घोषणा माननीय शिवराज जी ने की है उसमें हजार करोड़ रूपये रखने का प्रावधान किया गया था, लेकिन इस प्रथम अनुपूरक में 40 करोड़ का अभी प्रावधान किया गया है, जब हजार करोड़ की आवश्यकता होगी तो वह भी माननीय वित्त मंत्री जी करेंगे और मैं तो चाहता हूं माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि कृषि का कार्य बहुत बड़ा है, हम अधिकांश लोग कृषक हैं और 70 प्रतिशत से अधिक लोग कृषि से जुड़े हुये हैं. यह जो मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाया गया है इसमें आगे जाकर वित्तमंत्री जी और भी अधिक राशि बढ़ायें ताकि जब भी किसी फसल का मूल्य कम हो तो सरकार सीधे खरीदे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसे ही सोयाबीन खरीदी की घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी ने की तो 2200 रूपये की सोयाबीन बाजारों में 2100 रूपये में बिकने लगी. सोयाबीन की फसल 2-3 महीने बाद आ जायेगी, लेकिन घोषणा होने से ही 500, 700 रूपये का परिवर्तन पूरे मार्केट में आ गया और बड़े-बड़े व्यापारियों को अनुभव आ गया है कि समर्थन मूल्य जो 3025 रूपये है इसमें तो सरकार सोयाबीन खरीदेगी तो जो स्टाकिस्ट लोग हैं वह अभी से स्टॉक करने में लग गये हैं. इसलिये 500-600 रूपये का इस घोषणा से ही हमारे कृषक लोगों को फायदा हुआ है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऊर्जा विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है और हमारे मध्यप्रदेश में 3 कंपनियां हैं और टेरिफ के लिये 595 करोड़ रूपये का प्रावधान माननीय वित्त मंत्री जी ने इसमें बजट प्रावधान किया है इसलिये मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं. हमारे ऐसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के उपभोक्ता जिनको नि:शुल्क विद्युत वितरण किया जाता है और उसकी सबसीडी के रूप में इस प्रथम अनुपूरक मे 210 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है उसके लिये भी मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- यह नि:शुल्क कहां पर विद्युत का वितरण हो रहा है, बता दें.
श्री बहादुर सिंह चौहान--घरेलू उपभोक्ता को जाकर के आप देख लेना, उनके लिये 210 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.
श्री शैलेन्द्र जैन- एससी, एसटी, बीपीएल के लोगों को सबसीडी मिल रही है.
श्री बहादुर सिंह चौहान- विधानसभा की कार्यवाही निकालकर के देख लें मैं वही बोल रहा हूं. मैंने सामान्यजन नहीं मैंने एससी, एसटी एवं ओबीसी बोला है. आप कुछ भी नहीं बोलें.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- इतना झूठ मत बोलो.
श्री बहादुर सिंह चौहान- झूठ आप बोल रहे हो, लिखते पढ़ते कुछ नहीं हो और खड़े होकर के कुछ भी टिप्पणी कर देते हो.
उपाध्यक्ष महोदय- बहादुर सिंह जी विषय पर अपना भाषण जारी रखें.आपस में बात न करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान- उपाध्यक्ष महोदय,आप रिकार्ड देख लें मैंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिये 210 करोड़ रूपये के प्रावधान की बात कही है.
श्री के.के. श्रीवास्तव- उपाध्यक्ष महोदय, झूठ शब्द को विलोपित करायें.
उपाध्यक्ष महोदय‑ बहादुर सिंह जी 2 मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री के.के. श्रीवास्तव- उपाध्यक्ष महोदय, झूठ शब्द विलोपित करवाईये.कोई भी टिप्पणी कर देंगे क्या. इसलिये झूठ शब्द को विलोपित कराईये.
उपाध्यक्ष महोदय- हर विषय में आपका बोलना जरूरी है क्या ?
श्री के.के. श्रीवास्तव- जरूरी इसलिये है कि वह झूठ बोलते रहेंगे क्या. मैं झूठ शब्द के विलोपन की बात कह रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- बहादुर सिंह जी बोल रहे हैं न, इसलिये श्रीवास्तव जी आप बैठें.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- कुछ भी खड़े होकर के टीका टिप्पणी कर देंगे, यह उचित नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय- श्रीवास्तव जी आप बैठिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मै आपके माध्यम से अपनी बात को दो मिनट में समाप्त करूंगा. मैं वित्त मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि मां क्षिप्रा नदी मेरी महिदपुर विधानसभा में बहती है साथ मे छोटी कालीसिंघ नदी भी बहती है, उसमें उच्च स्तरीय बैराज बनाने की तैयारी करीब करीब पूरी हो गई है. वित्त मंत्री जी से आग्रह है कि आने वाले समय में वे मेरी मांग पर निश्चित रूप से विचार करेंगे .
उपाध्यक्ष महोदय, प्रथम अनुपूरक बजट जो वित्त मंत्री जी के द्वारा सदन में प्रस्तुत किया गया है उसका मैं समर्थन करता हूं और इसमें जो भी प्रावधान किये गये हैं उसके लिये वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देते हुये अपनी बात को समाप्त करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.गोविंद सिंह (लहार) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी के द्वारा जो अनुपूरक बजट सदन में प्रस्तुत किया गया है उसका मैं विरोध करता हूं . विरोध का कारण यह है कि यह जो अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया गया है यह मुख्यमंत्री जी ने अपने प्रचार प्रसार के लिये और अनुपूरक बजट का 90 से 95% तक का हिस्सा भारतीय जनता पार्टी के विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिये इस बजट में प्रावधान किया गया है और सदन से इसकी स्वीकृति ली जा रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात लोक निर्माण विभाग से प्रारंभ करना चाहता हूं. वित्त मंत्री जी ने इस विभाग के लिये पुल और सड़कों के लिये जो बजट की मांग की है उनमें शायद ही कोई सड़क ऐसी होगी जो कि विपक्ष के विधायकों को मिली हो. अधिकांश सड़कें मुख्यमंत्री के आसपास के जिलों की, लोक निर्माण मंत्री के जिले की है और हर बजट में इस प्रकार से सड़कों की स्वीकृति का काम यह सरकार कर रही है. सड़कों पर करोड़ों रूपये सरकार के द्वारा खर्च होने के बाद भी सबसे खराब हालत मध्यप्रदेश में सड़कों की और उसमें पड़े गढ्डों की ही है...
श्री सुदर्शन गुप्ता -- आज का व्यंग है साहब.(हंसी)
डॉ. गोविंद सिंह -- पूरा तो सुन लो.
राज्य मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण(एड.शरद जैन) -- डॉक्टर साहब एकदम नई खबर है.(हंसी) ब्रेकिंग न्यूज है.
डॉ.गोविंद सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, श्री नितिन गड़करी, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग के मंत्री जी ने राज्यसभा में जो विभाग की रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसमें इस बात का उल्लेख है कि मध्यप्रदेश में अधिकांश हादसे और मौंते सड़के के गढ्डों के कारण हो रही हैं जिससे प्रतिदिन 30 से 35 व्यक्तियों की दुर्घटना में मृत्यु हो रही है. मैं उसी रिपोर्ट की बात कर रहा हूं जो केन्द्रीय मंत्री जी ने प्रस्तुत की है और उसमें इस बात का उल्लेख है...
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको जानकारी देना चाहता हूं कि केन्द्रीय मंत्री जी ने रिपोर्ट पेश की है उसमें यह लिखा है कि गढ्डे से और मोबाईल से पूरे देश में घटनायें होती हैं जिससे मृत्यु होती है.
उपाध्यक्ष महोदय-- मनोज जी कृपया बैठ जायें. आपका नंबर जब आये तब आप बोल लीजिये.
डॉ.गोविंद सिंह -- उसमें उल्लेख है कि अधिकांश घटनायें गढ्डों के कारण हुई हैं यह रिपोर्ट में उल्लेख है और माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 2015 की तुलना में 2016 में सड़क दुर्घटनाएं और बढ़ गई हैं. मध्यप्रदेश में केवल 2016 में ही 3070 सड़क दुर्घटनाओं के कारण व्यक्ति मरे हैं. यह हो सकता है कि इसमें कुछ अन्य कारणों से भी लोग मरे हों, लेकिन रिपोर्ट में इस बात का जरूर उल्लेख है कि गड्ढों के कारण अधिकांश दुर्घटनाएं हुई हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि पी.डब्ल्यू.डी. में एम.आर.डी.सी. में कंसलटेंसी बनाई है. सरकार ने आउटसोर्स से कम्प्यूटर आपरेटर बहुत अधिक संख्या में भर्ती कर उन्हें कंसलटेंसी दे दी है और वही लोग बाहर के कर्मचारी और नौजवानों की नियुक्ति कर रहे हैं, जिनमें इंजीनियर, कुशल एवं अकुशल कारीगरों को रखा जाता है. वह जितना बड़ा अनुबंध सरकार से करते हैं, उस अनुबंध के मुताबिक न तो उन्हें पूरा वेतन दिया जा रहा है और न ही उनका पी.एफ. आदि का भुगतान किया जाता है. आधे से ज्यादा वेतन वह खा जाते हैं और वह पैसा मिल बांटकर ऊपर तक पहुंचाने का काम करते हैं. करोड़ों रूपये के ठेके प्रतिवर्ष एम.पी.आर.डी.सी, लोक निर्माण विभाग और अन्य विभागों द्वारा किये जा रहे हैं. मैं आपको इसका एक उदाहरण बताना चाहता हूं कि सरकार ने व्यापमं का नाम बदलकर पी.ई.बी. कर दिया है क्योंकि यह भ्रष्टाचार के कारण पूरी तरह बदनाम हो चुके थे लेकिन आज भी उसमें भ्रष्टाचार जारी है. सरकार ने पी.ई.बी. के बाद एम.पी. ऑनलाइन पोर्टल चालू कर दिया है. अब परीक्षाओं में भर्ती के लिये आवेदन ऑनलाइन मंगाये जाते हैं. ऑनलाइन में आवेदन लगभग चौदह हजार आते हैं लेकिन जगह सिर्फ सात हजार ही रहती है, इससे काफी फीस आती है और बीच में एक माध्यम ऑनलाइन भी है, जहां प्रति विद्यार्थी के हिसाब से उन बेरोजगार लोगों से पैसा वसूल करने का काम किया जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं ऑनलाइन का एक उदाहरण बताना चाहता हूं. आज ही हायर सेकेण्डरी स्कूल उत्कर्ष विद्यालयों की परीक्षाएं हैं. सरकार का पोर्टल फैल होने से कई विद्यार्थी भोपाल आ गये और उनके द्वारा इस संबंध में शिकायत करने पर उन्हें बताया गया कि ऑनलाइन वालों की गलती है. इसके बाद एक ही दिन में उन सभी पांच-छ: हजार लोगों को प्रवेश पत्र जारी कर दिये गये. इस प्रकार विभागों के माध्यम से ही नंबर घटने बढ़ने का काम चलता है. विभाग के निर्देशानुसार नंबर कम करने बढ़ाने का काम किया जा रहा है. इस प्रकार जैसा भ्रष्टाचार व्यापमं में होता था वही भ्रष्टाचार आज पी.ई.बी. के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन लेने में किया जा रहा है. पी.ई.बी. परीक्षाएं आयोजित करती है और उसके बाद कौशल परीक्षा विभाग लेता है फिर विभाग द्वारा यह कह दिया जाता है कि टायपिंग की गलती हो गई, इस प्रकार का भ्रष्टाचार पी.ई.बी. में भी जारी है. इसलिए मेरा यह कहना है कि खुली परीक्षाएं हर जिले में कराई जाएं. ऑनलाईन होने वाली परीक्षाओं में पूरे प्रदेश के नौजवान बेरोजगारों को बुलाया जाता है, वह यहां आकर होटलों में रूकते हैं, ठहरते हैं. एक-एक नौजवान बेरोजगार द्वारा पांच-पांच, सात-सात हजार रूपये अतिरिक्त रूप से खर्च किया जा रहा है. अगर सरकार जिले में परीक्षाएं आयोजित करेंगे तो इस प्रकार समस्याएं नहीं आएंगी.
उपाध्यक्ष महोदय, पहले जिले में पुलिस की भर्ती होती थी लेकिन आज गांव के लड़कों का, कमजोर गरीब तबके के लड़कों का, मजदूर और किसानों के लड़कों का रोजगार छिन गया है. पहले पुलिस के सिपाही की भर्ती के लिये केवल शारीरिक फिटनेस ही जरूरी होता था. पहले वह अगर दौड़ सकता था, अगर वह हाई जंप और लांग जंप कर लेता था तो वह भर्ती हो जाता था लेकिन अब सरकार ने उस परीक्षा को बदलकर पहले लिखित परीक्षा कर दी है. इस परीक्षा में गांव के लड़के जो मेहनत करते थे, मजदूरों के लड़के जो मेहनत करते थे वह भी पुलिस की भर्ती में जाते थे. गांव का लड़का ज्यादा से ज्यादा पांच से दस हजार रूपये साल भर में खर्च करके इंटर पास करता है लेकिन वहीं जो पैसे वाले लोग हैं वह एक-एक विषय के लिये पांच-पांच हजार रूपये की साल भर में ट्यूशन लगा लेते हैं इसीलिए स्थिति उल्टी हो गई है. अब गांव के लड़के परीक्षा में आ ही नहीं पाते हैं फिर भी सरकार परीक्षा आयोजित करवा रही है. मैं पूछना चाहता हूं कि एक सिपाही को 15 वर्ष में कलम पकड़ने का अधिकार नहीं है, वह तफ्तीश नहीं कर सकता है. जब 15 वर्ष से तफ्तीश नहीं करता तो परीक्षा पहले करवाने का क्या औचित्य है? अगर वह 15 वर्ष की अवधि में लिखना-पढ़ना सीख जाएगा, तफ्तीश करने जाएगा. आप ऐसे लोग भर्ती कर रहे हैं, जो शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हैं अगर कोई चोर-डकैत आ जाये तो उनके पेन्ट ढीले हो जाएंगे, कमजोर किस्म के लोग भर्ती हो रहे हैं. मैं पूछना चाहता हूँ कि आप उनको एस.पी. तो नहीं बना रहे हैं, आप उनको सिपाही बना रहे हैं तो पहले फिजीकल करवाइये, उसके बाद उनकी लिखित परीक्षा करवाइये ताकि गांव के किसानों और मजदूरों के बच्चे भी सिपाही, पटवारी एवं शिक्षक बन सकें.
उपाध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही, मैं कुपोषण के बारे में भी जिक्र करना चाहता हूँ कि जब श्योपुर जिले में 116 मौतें हुई थीं, उस समय माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक कमेटी गठित की थी. मैं यह पूछना चाहता हूँ कि उस कमेटी की रिपोर्ट का क्या हुआ? आज तक उस कमेटी की बैठकें नहीं हुईं. इसके अलावा सरकार ने 14 सितम्बर, 2016 को घोषणा की थी कि हम इस पर श्वेत-पत्र जारी करेंगे और आज तक श्वेत-पत्र का क्या हुआ ? वह श्वेत-पत्र कहां है ? मैं जानना चाहता हूँ कि अभी भिण्ड जिले में स्कूल के बच्चों का हीमोग्लोबिन टेस्ट हुआ, उस जांच में स्कूल के 40 प्रतिशत बच्चों में हीमोग्लोबिन कम पाया गया. कुपोषण लगातार बढ़ रहा है और करोड़ों अरबों रुपए खर्च करने के बाद भी कुपोषण की स्थिति में सुधार नहीं है. कारण यह है कि अधिकांश राशि ठेकेदार, बीच के दलाल और जो ठेके लेकर काम कर रहे हैं, वे मालामाल हो रहे हैं, उनका वजन बढ़ रहा है और महिलाओं और बच्चों का वजन कुपोषण के कारण गिर रहा है. इसी कारण तमाम मौतें हो रही हैं, महिलाओं की भी डिलीवरी के समय मौतें आज हो रही हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, इसके अलावा भी, मैं कहना चाहता हूँ कि आपने खनिज विभाग के लिए ट्रक, ट्रेक्टर और ट्रॉली खरीदने के लिये बजट मांगा है. आज खनिज विभाग में, रेत खनिज को लूटने का धंधा बन गया है. आज गृह विभाग, लॉ एण्ड ऑर्डर का काम नहीं कर रहा है, आज पुलिस रेत के अवैध उत्खनन का कार्य कर रही है. इसका नाम पुलिस डिपार्टमेन्ट की जगह रेत डिपार्टमेन्ट कर दिया जाये. अभी भिण्ड जिले में बताऊँ तो आज पानी की वजह से पूरी खदानें बन्द हैं. प्रतिदिन अवैध रूप से लगातार 500 ट्रक से लेकर 1000 ट्रक उत्तरप्रदेश जा रहे हैं, हमारे बॉर्डर पर इटावा, कानपुर, ओरैया हैं, वहां पर एक लाख रुपये और सवा लाख रुपये का ट्रक कानपुर में जा रहा है. उत्तरप्रदेश में रेत बन्द है परन्तु हमारे यहां से रेत जा रही है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको यह बता दूँ कि यह 3 दिन पहले का मामला है, भिण्ड के एक देहात टी.आई.(नगर निरीक्षक) है, वह एक पत्रकार से बात कर रहा है, उसकी आधे घण्टे की ऑडियो है. वह उस ऑडियो में कह रहा है कि प्रतिदिन ये ट्रक, इसके द्वारा निकाले जा रहे हैं. हम इतने रुपये इस पत्रकार को दे रहे हैं, वह एक दिन में डेढ़ से दो लाख रुपये ले रहा है. सब चोरी कर रहे हैं, एम.पी.आर.डी.सी. का टोल-टैक्स है, वह भी उनसे पांच हजार रुपये से दस हजार रुपये वसूल कर रहा है. उसमें यह भी उल्लेख है कि मैंने पुलिस अधीक्षक को बताया था, पुलिस अधीक्षक मेरे माई-बाप हैं, हम उनके नॉलेज में रखकर काम करते हैं और मैंने पुलिस अधीक्षक को सब बताया था तो उन्होंने कहा कि चलने दो और शान्त रहो. आप प्रत्येक थाने से पैसा पुलिस के लिए ले रहे हैं,
उपाध्यक्ष महोदय, सिसोदिया जी बता रहे थे कि आप बटालियन का गठन कर रहे हैं. अब नक्सली नहीं हैं और आप बटालियन बना रहे हैं. आपकी बटालियन रेत को लूटने के लिए लग रही है. चम्बल में घडि़याल का अभ्यारण्य है, वहां से प्रतिदिन 100 ट्रक से 500 ट्रक जा रहे हैं, यह सभी समाचार-पत्रों में छप रहा है, टी.वी. पर दिखाया जा रहा है. ऐसा शायद ही कोई दिन जाता हो और जब टी.आई. ने पुलिस अधीक्षक को भ्रष्टाचार ओपन कर दिया तो उसने यह भी कहा कि प्रत्येक थाने से पांच से दस लाख रुपये 'ऊपर' जा रहा है. अब 'ऊपर' का मतलब मैं नहीं कह सकता हूँ कि कहां जा रहा है ? लेकिन यह टी.आई. के शब्द थे. जब हमने उसको जनता के बीच पत्रकार वार्ता के माध्यम से, उससे बुलवाया तो उन्होंने टी.आई. को सस्पेंड कर दिया. टी.आई. को अकेले सस्पेंड करने से रेत का अवैध उत्खनन नहीं रूकेगा. इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि आप अभी मध्यप्रदेश में सुशासन ला रहे हैं, कहां है सुशासन ? भितरवार में जनपद पंचायत का सी.ई.ओ. और बाबू भ्रष्टाचार में पकड़ा गया. इसके साथ ही अशोकनगर में मनरेगा का अधिकारी 3 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा गया. डिप्टी रेंजर, निगम सहायक, दारोगा को लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार करते हुए पकड़ें. इस प्रकार शायद ही कोई दिन निकलता हो, जिस दिन भ्रष्टाचार की परतें नहीं खुलती हो. माननीय मुख्यमंत्री जी ने नमामि देवी नर्मदे यात्रा चालू की वह उनकी निजी यात्रा थीं, लेकिन इस यात्रा में जनता से जौ टैक्स के रूप में धन वसूला जाता है, उस धन का दुरूपयोग करने का काम किया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने मेरी विधान सभा के सवाल में अपनी इस यात्रा में 22 करोड़ से अधिक रूपए खर्च करना बताया है. मुख्यमंत्री जी ने गाडि़यों से 40 जिलों से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता को बुलाकर नर्मदा दर्शन कराने का काम किया है, महात्माओं को लाने का काम किया है, केवल 16 करोड़ 80 लाख रूपए वाहन लाने में खर्च किया गया है. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि इसका प्रचार करने की जरूरत क्या है, मुख्यमंत्री जी अपनी ब्रांडिंग कर रहे हैं, उन्होंने न्यूयार्क के एक समाचार पत्र में 10 लाख 80 हजार का एक विज्ञापन दिया है, नर्मदा नदी को न्यूयार्क में कौन जानता है, वहां कौन देखने जा रहा है, वहां प्रचार प्रसार कर रहे हैं, कोई वहां होगा पार्टी का सहयोगी प्रचारक या संघ का कार्यकर्ता वह पर्चा निकालता होगा वहां तो उसको विज्ञापन देने के लिए आप इस धन को बर्बाद कर रहे हो. व्यापम को शासकीय नीतियों के प्रचार प्रसार के लिए माध्यम बनाया गया है, लेकिन आप कर क्या रहे हों, माध्यम खरीद रहा है सिंहस्थ के घड़े, टेण्ट. माननीय प्रधानमंत्री जी आए थे किसान सम्मेलन में, उस सम्मेलन में टेण्ट की व्यवस्था एवं पूरा खर्च माध्यम कर रहा है. अगर सहकारिता का अंतराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ तो उसकी पूरी व्यवस्था भी माध्यम कर रहा है, यह काम माध्यम का नहीं है. त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था की चर्चा हुई, तमाम लोगों ने तालियां ठोंकी. ठीक है, मनरेगा के पैसे से आप सड़कें बना रहे हैं, बजट में भी ग्रामीण सड़कों के लिए प्रावधान किया है, इसके लिए तो मैं धन्यवाद देता हूं, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था जो कांग्रेस एवं श्री दिग्विजय सिंह के समय थी, क्या आपने उनके अधिकार नहीं छीने. आज जनपद पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष, जनपद सदस्य, गांव में एक कहावत है- जब एक काला बिच्छु छोड़ दिया जाता है तो बच्चे भागते हैं, फिर अगर बिच्छु का जहर वाला डंक काट दो तो फिर वही बिच्छु को लोग साथ में लेकर घूमते हैं. इसी प्रकार जनपद पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष, जनपद सदस्य, सरपंच आदि को डंक कटा बिच्छु बना दिया है, आज इनकी हालत असहाय है, इनका सरपंच जब कहीं दस्तखत करवाने जाता है तो 50 प्रतिशत सेकेट्री मांगता है, सेकेट्री की शिकायत से तीन तीन साल से तमाम अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सरपंच एवं पढ़े लिखे सरपंच भी परेशान है. काम ठप्प हैं, काम रुके हुए हैं, न तो वे ट्रांसफर कर सकते हैं न कोई एक्शन लेते हैं, यही हालत जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत के अध्यक्ष की हैं, पूरी तरह से इन्होंने पंचायती राज व्यवस्था केन्द्रीयकृत कर चौपट कर दिया है और नीचे से लेकर ऊपर तक वसूली जा रही है.
उपाध्यक्ष महोदय - धन्यवाद डाक्टर साहब.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्तमंत्री महोदय द्वारा प्रस्तुत वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिये प्रथम अनुपूरक लगभग 5 हजार 52 करोड़, 53 लाख, 47 हजार, 2 सौ रूपये की जो अनुपूरक मांगें हैं उनका मैं समर्थन करता हूं. मैं जिस विधान सभा क्षेत्र से आता हूं वह शहरी विधान सभा क्षेत्र है. मुझे यह कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि अभी जो अनुपूरक बजट माननीय वित्तमंत्री जी के द्वारा प्रस्तुत किया गया है. जो मूल बजट था उसके शहरी विकास में जो राशि थी वह लगभग 4 हजार 1 सौ 72 करोड़ रूपये थी. उसमें 33 प्रतिशत का इजाफा किया गया है. लगभग 1 हजार 3 सौ 87 करोड़ रूपये का प्रावधान शहरी विकास के लिये किया है. मैं इसके लिये माननीय वित्तमंत्री जी को इस बात के लिये धन्यवाद देता हूं, क्योंकि मध्यप्रदेश में आज जो परिवर्तन दिखाई दे रहा है. उस परिवर्तन की शुरूआत शहरी क्षेत्र से हुई है. मैं विशेष रूप से उल्लेख करना चाहता हूं प्रधानमंत्री आवास योजना का. प्रधानमंत्री आवास योजना इस देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है. उन्होंने एक तरह का सपना देखा था, वह सपना था कि इस देश में रहने वाले हरेक व्यक्ति के सिर के ऊपर छत होनी चाहिये. इस दिशा में मुझे यह कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना में बहुत अच्छा कार्य हुआ है. लगभग वर्ष 2018 तक 5 लाख आवास इकाईयां बनाने का लक्ष्य रखा गया है. वर्ष 2022 तक लगभग 10 लाख आवासीय इकाईयां बनाने का लक्ष्य है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की लगभग हमारे 379 निकाय हैं. उन सारे नगरीय निकायों में एक साथ उनको सम्मिलित किया गया है और 60 नगरों की 82 परियोजनाओं में लगभग 1 लाख आवास स्वीकृत कर दिये गये हैं, जिनमें निर्माण का कार्य चालू है. इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत क्रेडिट सबसिटी लिंक योजना के तहत 6.5 प्रतिशत ब्याज अनुदान पर 6 लाख रूपये तक की राशि पर ऋण देने का इस योजना में प्रावधान है. यह बहुत ही सुंदर योजना है मुझे सदन में बताते हुए अत्यंत गर्व होता है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में हमारा विधान सभा क्षेत्र सागर है वह मध्यप्रदेश में 1 नंबर पर है. लगभग साढ़े पांच, छः हजार हितग्राहियों को बेल्स योजना के तहत चयनित किया गया है और लगभग आवासीय मकान बनकर तैयार हो गये हैं जो शीघ्रातिशीघ्र संबंधित हितग्राहियों को सौंपे जाएंगे.
4.29 बजे सभापति महोदया {श्रीमती नीना विक्रम वर्मा} पीठासीन हुईं
माननीय सभापति महोदया, इस हेतु मध्यप्रदेश के प्रथम अनुपूरक बजट में 559 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. मैं माननीय वित्तमंत्री जी को इस बात के लिये बधाई देना चाहता हूं. स्मार्ट सिटी हमारी माननीय प्रधानमंत्री जी का दूसरा ड्रीम प्रोजेक्ट है. मुझे यह कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि जो चयनित शहर हैं ग्वालियर, भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, उज्जैन, सतना इसके अलावा मेरा विधान सभा क्षेत्र सागर को भी स्मार्ट सिटी के रूप में चयनित किया गया है. मैं इस हेतु प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी का हृदय की गहराईयों से सागर विधान सभा क्षेत्र के लोगों की ओर से धन्यवाद देना चाहता हूं. इस बजट में हरेक स्मार्ट सिटी को जो 7 शहर मध्यप्रदेश के चयनित हुए हैं उनको 100-100 करोड़ रूपये अनुपूरक बजट में केन्द्रांश के रूप में देने का प्रावधान किया है. मुझे सागर विधान सभा क्षेत्र के लिये लगभग 100 करोड़ रूपये प्राप्त होंगे. इससे न केवल हमारी विधानसभा की और उन सात शहरों की जो स्मार्ट सिटी के रूप में चयनित हुए हैं, उनकी दशा और दिशा बदल जायेगी.
माननीय सभापति महोदया, इस स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के माध्यय से तमाम शहरों के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हो गये हैं, डीपीआर तैयार हो गये हैं, उन पर काम शुरू हो गये हैं. चूंकि सागर का अंतिम चरण में चयन किया गया है, उसकी डीपीआर बनने का काम चालू है और बहुत शीघ्रता के साथ उस दिशा में भी काम चालू शुरू हो जायेगा. सभापति महोदया, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, सालिड बेस मैनेजमेंट, मैं समझता हूं कि इस मामले में स्मार्ट सिटी बनने से पहल ही सागर विधान सभा क्षेत्र में उसमें काम शुरू हो गया है. मैं इस बात के लिये भी सम्माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं.
सम्माननीय सभापति महोदया, स्मार्ट सिटी के लिये माननीय वित्त मंत्री महोदय ने अंशपूंजी एवं केपिटल एक्सपेंडिचर के हेड में 700 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है, जो स्वागत योग्य है. मैं उसका बहुत-बहुत स्वागत करता हूं. जैसा कि हमारे साथी यशपाल जी बता रहे थे कि हुकुमचंद मिल हमारे मध्यप्रदेश की एक बहुत प्रतिष्ठित मिल थी. उसमें वर्षों तक हमारे अनेक मजदूर भाईयों ने श्रमदान किया है. ऐसे तमाम लोगों को उनके वेतन और भत्तों का भुगतान करने के लिये कन्टनजेंसी फण्ड से 50 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है. उस नैमित्य से इस इस अनुपूरक बजट में 50 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, जो कि निश्चित रूप से स्वागत योग्य है.
सम्माननीय सभापति महोदया, मैं इस अवसर पर लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा जो प्रावधान किये गये हैं, उनका भी स्वागत करता हूं. मैं विशेष रूप से उल्लेख करना चाहता हूं कि जो हमारे मध्यप्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालय हैं. ऐसे चिकित्सा महाविद्यालय जो निर्माणाधीन हैं, जिसमें हमारी सागर विधान सभा क्षेत्र का जो चिकित्सा महाविद्यालय है, वह भी इसमें शामिल है. उसके निर्माण इत्यादि के लिये 40 करोड़ रूपये का प्रावधान भी इस बजट में किया गया है. इससे मैं समझता हूं कि जो हमारे अधूरे निर्माण के कार्य हैं, वह निश्चित रूप से पूर्ण हो जायेंगे. ऐसे चिकित्सा महाविद्यालयों के दवाईयों के क्रय करने के लिये, उनकी सफाई व्यवस्था के लिये, उनकी सुरक्षा के लिये लगभग 66 करोड़ रूपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है. वह भी स्वागत योग्य है.
माननीय सभापति महोदया, जबलपुर के स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के लिये 5 करोड़ रूपये का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में किया गया है, वह भी स्वागत योग्य है. मैं विशेष रूप से वित्त मंत्री महोदय को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने हमारे चिकित्सा महाविद्यालयों के रख-रखाव के लिये 30 करोड़ रूपये का प्रावधान इस अपुनूरक बजट में किया गया है. इस तरह से लगभग 142 करोड़ रूपये का प्रावधान चिकित्सा महाविद्यालयों के निर्माण के लिये, अधूरे निर्माण के कार्यों के लिये, उनके रख-रखाव के लिये और दवाईयां इत्यादि क्रय करने के लिये किया गया है. वह भी निश्चित रूप से स्वागत योग्य है.
माननीय सभापति महोदया, विधि एवं विधायी कार्यों के लिये जो हमारे एटीएम मशीन्स हैं, उनके रख-रखाव के लिये और उनके स्टोरेज के लिये लगभग 25 करोड़ रूपये का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में किया गया है. इसके साथ में मध्यप्रदेश की जो नयी कोर्ट बिल्डिंग सेंक्शन की हैं, माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने उनके निर्माण के लिये, जजों के आवास के लिये, उनकी मरम्मत के लिये और विशेष रूप से जो स्ट्रेंथ्निंग ऑफ द ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर हैं, उनके लिये भी लगभग 40 करोड़ रूपये का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में किया गया है. मैं उसका भी समर्थन करता हूं और स्वागत करता हूं.
माननीय सभापति महोदया, मैं आज आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी को इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहता हूं कि हमारे सागर जिले में कैंट- पटकुई मार्ग पर जो हमारी पुल-पुलिया थीं, चूंकि हमारी फोरलेन को जोड़ने के लिए कैंट पटकुई का मार्ग ही एक मात्र मार्ग है. रोड तो बन चुका था लेकिन पुल-पुलियों की स्थिति ठीक नहीं थी. इस हेतु भी वित्त मंत्री जी ने एक टोकन राशि प्रदान की है. इसके लिए मैं बुंदेलखंड की जनता की ओर से उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं. इसके अतिरिक्त हमारे बुंदेलखंड की एक सिंचाई परियोजना ''खटोला कॉम्पलेक्स प्रोजेक्ट'', जो कि लगभग 4 हजार 900 लाख रूपये की है और इससे करीबन 1 हजार 415 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई संभव हो सकेगी. इस स्वीकृति के लिए भी मैं माननीय वित्त मंत्री जी का धन्यवाद करता हूं.
माननीय सभापति महोदया, ऊर्जा विभाग के लिए टैरिफ सब्सिडी के रूप में वित्त मंत्री जी द्वारा लगभग 595 करोड़ रूपये का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में किया गया है. इस हेतु मैं आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं. यहां इस बात का उल्लेख करना समीचीन होगा कि लगभग 8000 करोड़ रूपये का प्रावधान टैरिफ सब्सिडी में, हमारे मुख्य बजट में किया गया था और इस 8000 करोड़ रूपये के अतिरिक्त 595 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. हमारे कुछ साथी विधायक कह रहे थे कि नि:शुल्क बिजली कहां दी जाती है ? मैं अपने उन साथियों को बताना चाहूंगा कि ऐसे तमाम अनुसूचित जाति एवं जनजाति के परिवार, जो बी.पी.एल. परिवारों की श्रेणी में हैं. ऐसे परिवारों को 25 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली देने का काम हमारी सरकार द्वारा किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त 5 एच.पी. तक के पम्प, जो कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के परिवारों द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं और इनमें लगभग एक हेक्टेयर तक के भू-स्वामी शामिल हैं, ऐसे तमाम लोगों को नि:शुल्क बिजली की सप्लाई की जाती है. इस मद में 210 करोड़ रूपये का प्रावधान वित्त मंत्री जी द्वारा किया गया है. इसके लिए मैं प्रदेश की जनता की ओर से वित्त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं.
माननीय सभापति महोदया, हमारा मुख्य बजट लगभग 1 लाख 70 हजार करोड़ का था. इस मुख्य बजट के बाद हमारा प्रथम अनुपूरक बजट लगभग 5000 करोड़ रूपये का है. यह इस बात का द्योतक है कि हमारी सरकार की दशा और दिशा बहुत ही अच्छी है. मैं अंत में माननीय वित्त मंत्री जी को अपनी इन दो पंक्तियों के साथ धन्यवाद और आगे बढ़ने की प्रेरणा एवं सहयोग देना चाहता हूं-
''चले चलिये कि चलना ही दलीले कामयाबी है,
जो थककर बैठ जाते हैं वे मंजिल पा नहीं पाते हैं''
माननीय सभापति महोदया, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इस हेतु धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)- माननीय सभापति महोदया, अभी शैलेन्द्र जैन जी, ने एक शेर के साथ अपनी बात समाप्त की और मैं चार पंक्तियों से ही अपनी बात प्रारंभ करना चाहूंगा-
'' खे रहे हो नाव को, मल्ला सावधान हो,
कप्तान की फि़तरत से आप तो अभी भी अंजान हो,
आपके ये प्रयास सभी व्यर्थ हो जायेंगे,
क्या करोगे, घोषणावीर जो अगर कप्तान हो''
माननीय सभापति महोदया, आज सदन में 5 हजार 59 करोड़ रूपये का प्रथम अनुपूरक बजट पेश हुआ है. वर्ष 2017-18 का हमारा मुख्य बजट 1 लाख 59 हजार 954 करोड़ का था और यदि अनुपूरक बजट की तुलना मुख्य बजट से की जाये तो यह राशि मुख्य बजट की मात्र तीन प्रतिशत ही है. सामान्यत: अनुपूरक बजट में उस राशि का प्रावधान किया जाता है जो अनदेखी रह जाती है, जिसकी पहले से कोई उम्मीद नहीं होती है. प्रारंभ में मैं भी यही सोचता था कि बड़ी जल्दी ही अनुपूरक बजट आ जाता है क्योंकि लगभग तीन माह पूर्व ही मुख्य बजट आता है और फिर इतनी जल्दी अनुपूरक बजट लाने की क्या आवश्यकता होती है. परंतु सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि वे गणनायें जो पूर्व में सम्मुख प्रस्तुत नहीं हो पाई हों, जब वे गणनायें सामने आती हैं तो अनुपूरक बजट के माध्यम से उस हेतु राशि का प्रावधान किया जाये. माननीय सभापति महोदया, इस अनुपूरक बजट का अध्ययन करने पर मैंने पाया कि 4-5 हिस्सों में यह बजट विभाजित है और इस अनुपूरक बजट में सबसे अधिक आवास हेतु प्रावधान किया गया है. चाहे वह प्रधानमंत्री आवास योजना का हो, चाहे वह स्मार्ट सिटीज़ के लिए हो. शहरी विकास के लिए 1387 करोड़ रुपए के प्रोविजन्स किए गए हैं जो कि पूरे बजट का 27.41 प्रतिशत है और जबकि पंचायत विभाग में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए जो प्रोविजन्स किए हैं वह 1273 करोड़ रुपए यानि 25.16 प्रतिशत के लिए है. दोनों को जोड़ने पर 52.57 प्रतिशत आवास के लिए इसमें प्रोविजन्स किए गए हैं. तीसरा जो मुख्य विभाग है जिसके लिए 15.97 प्रतिशत प्रोविजन किया है वह ऊर्जा विभाग है जिसके लिए 805 करोड़ रुपए के प्रोविजन्स किए गए हैं और चौथा सहकारिता विभाग जिसमें 580 करोड़ रुपए, 11.46 प्रतिशत की राशि के प्रोविजन्स किए हैं. इन चारों को मिला लें तो लगभग 80 प्रतिशत की राशि इन चारों विभागों को जाती है और बाकी सारे विभाग 20 प्रतिशत में आ जाते हैं. एक चीज देखने में आई है कि सरकार चाहे वह मुख्य बजट हो, चाहे अनुपूरक बजट हो उसकी अधिकतम राशि कहीं न कहीं सामाजिक दायित्वों की पूर्ति करने के लिए खर्च कर रही है और कहीं न कहीं हमारा बजट विकासोन्मुखी नहीं हो पा रहा है. इसके कारण बेरोजगारी इस प्रदेश में सबसे बड़ी समस्या होती जा रही है. निश्चित रूप से सरकार का दायित्व होता है कि सामाजिक सरोकार को कहीं न कहीं पूरा करे, उन दायित्वों को पूरा करे लेकिन अगर हम इन्हीं को पूरा करते रहेंगे और विकास की तरफ नहीं जाएंगे तो कहीं न कहीं प्रदेश का विकास रुकेगा और बेरोजगारी और गरीबी प्रदेश के अंदर बढ़ेगी. यह जो 80 प्रतिशत राशि इस बजट में पेश की गई है उसके बारे में मेरे कुछ सवाल वित्त मंत्री जी से हैं मुनासि़ब होगा तो वह अपने भाषण में इसका उत्तर देंगे कि उन्होंने अनसीन मानकर उनको किया है तो मेरा एक सवाल है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के जो नियम हैं क्या वह बजट आने के बाद आए थे? प्रधानमंत्री आवास योजना तो पहले ही बन गई थी और जब वह पहले बन गई थी तो हमारे बजट में उनका एलोकेशन होना था और शायद वह एलोकेट होते तो वह इस अनुपूरक बजट में नहीं आते और जो सूची आई थी उस सूची में भी लगभग 25 से 30 प्रतिशत नाम बाद में काटे गए हैं उसको लेकर जनता में काफी रोष है. मांग संख्या 12 के मुख्य शीर्ष 2801 में ऊर्जा विभाग को लगभग 15.97 आवंटित किया गया है अभी पूर्व वक्ताओं द्वारा एस.सी.एस.टी. समुदाय की सब्सिडी की बात कही गई है मैंने पिछले सत्र में एक प्रश्न लगाया था और उसके अंतर्गत एस.सी.एस.टी. समाज के जो लोग है उनको अनुसूचित जाति जनजाति की योजना के अंतर्गत उनके यहां बिजली के काम नहीं हो रहे थे. पिछले 2 वर्ष में भोपाल संभाग में कहीं काम नहीं हुए थे यह जवाब आया था यह सरकार की जिम्मेदारी होती है कि इन समुदाय के लोगों के यहां भी काम हो और इस तरह की अनदेखी उसमें नहीं हो. दूसरा जो विद्युतीकरण का काम चल रहा है बार बार सदन में यह बात आती है कि राजीव गांधी विद्युतीकरण का काम बहुत घटिया हो रहा है. वित्त मंत्री बराबर बजट तो देते हैं लेकिन उस काम पर उस तरीके से मॉनीटरिंग नहीं हो पा रही है अभी जो नए खंभे लगे हैं तीन महीने बाद ही वह झुक जाते हैं और तार भी सबसे घटिया क्वालिटी के लगे हैं. मद क्रमांक 1 मांग संख्या 17 के मुख्य शीर्ष 2425 में विपणन संघ द्वारा प्याज खरीदी के लिए 587 करोड़ रुपए का प्रोविजन किया है. मैंने आज प्रश्न में यह कहा था कि अगर सरकार की नीयत प्याज खरीदने की पहले से होती तो शायद मुख्य बजट में कुछ न कुछ प्रोवीजन उस तरह के करती लेकिन उस समय सरकार की नीयत नहीं थी लेकिन जब आंदोलन हुआ उसके बाद सरकार ने प्याज खरीदी का निर्णय लिया और अब कहीं जाकर इस अनुपूरक बजट के माध्यम से वह 580 करोड़ रुपए का प्रोविजन इसमें किया है और जब हम खेती की बात करते हैं तो जो खेती मैं जो हमारे बजट को हम कंपेयर करेंगे जो बड़े 16 प्रदेश हैं कि उसमें अलग अलग विभागों पर जो खर्च किया जाता है तो हम उन स्टेट से कंपेयर करेंगे तो हमारे प्रदेश का आठवां नंबर आता है जो हम कृषि विभाग के बजट पर खर्च करते हैं. कहीं न कहीं कृषि पर उतना खर्च नहीं हो रहा है लेकिन ढिंढोरा पीटा जाता है और जो कृषि उपज को हम देखें तो वर्ष 2015-2016 में मध्यप्रदेश कई फसलों में मुख्य उत्पादकों में से एक था इसमें कोई दो राय नहीं है. गेहूं और मक्का का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक हमारा प्रदेश है यह बात भी सत्य है लेकिन फिर भी गेहूं, मक्का और तिलहन जैसी फसलों के मामले में राज्य की उपज राष्ट्रीय औसत से अभी भी कम है. यह बहुत बडे़ प्रश्न की बात है कि जो नेशनल ऐवरेज है उससे भी कम ऐवरेज हम ले पा रहे हैं . उसे प्रति एकड़ लेंगे तो अभी भी कृषि क्षेत्र में बहुत गुंजाइश है अभी भी हम मेक्जिमम यील्ड की तरफ नहीं पहुंचे हैं. मैंने विधानसभा के पिछले सत्र में कुछ प्रश्न किए थे और उन प्रश्न के बाद में जो जवाब मिला था कि नर्मदा सेवा यात्रा के लिए हमें कोई खर्च नहीं करना पड़ेगा लेकिन बाद में प्रश्नों में उत्तर आया कि अलग-अलग जगह अलग-अलग खर्च किया है. इस तरफ भी सरकार देखे कि पहले तो प्रोवीजन्स करती नहीं है बाद में किसी मजबूरी से वह खर्च कर देती है और उसके प्रोवीजन्स कर देती है. हाल ही में एक प्रश्न के जवाब में आया है कि दतिया जिले में 6 करोड़ रुपए संस्कृति विभाग को दिए गए हैं. वित्त मंत्री जी बाकी दूसरे जिले भी इस प्रदेश में हैं वहां पर भी सांस्कृतिक गतिविधियां होती हैं. एक पर्टिकुलर जिले को 6 करोड़ रुपए दिए गए वह भी अलग-अलग संस्थाओं को छोटी-छोटी राशि दी गई इस राशि से क्या काम हुआ यह भी देखने की जरुरत है. सिर्फ आप अलाटमेंट करेंगे उससे काम नहीं चलेगा उसका प्रॉपर यूटेलाइजेशन हो रहा है या नहीं हो रहा है उसकी तरफ भी ध्यान देने की जरुरत है. एक काम प्रदेश में और चल रहा है कि अधिकतर काम सिर्फ मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरुप ही होते हैं. जो दूसरे काम होते हैं वह कहीं न कहीं रुक जाते हैं. उसका सबसे बड़ा उदाहरण मैं मेरे विधान सभा क्षेत्र का देता हूँ. सीहोर जिले की इछावर विधान सभा है. जबकि मुख्यमंत्री सीहोर जिले से आते हैं वहां पर अस्पताल के उन्नयन का प्रस्ताव लंबित है. पूरे जिले में आष्टा के बाद सबसे ज्यादा ओपीडी और आईपीडी उस अस्पताल में होती है, लेकिन मुझे प्रश्न का उत्तर मिला है कि बजट के अभाव में यह काम नहीं हो पा रहा है. यहां पर या तो मुख्यमंत्री जी जाकर घोषणा करें लेकिन साढ़े तीन साल से मुख्यमंत्री जी इछावर नहीं आए हैं. न जाने कौन सा उनको डर सताता है कि वे इछावर की धरती पर नहीं आते हैं. पीने के पानी की उपलब्धता, बुधनी, नसरुल्लागंज में प्रत्येक गांव में सतही जल योजना बनाकर नर्मदा जी का पानी दिया है जबकि वहां पर पानी की समस्या नहीं थी उससे लगा हुआ इछावर क्षेत्र है सीहोर और आष्टा में भी पीने के पानी का भयंकर संकट है. लेकिन वहां पर सतही जल से नर्मदा जी की कोई योजना नहीं बनी है.
4.47 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
उपाध्यक्ष महोदय, मैं, माननीय वित्त मंत्री जी से यह गुजारिश करता हूँ कि बुधनी के अलावा अन्य विधान सभा क्षेत्र इछावर, सीहोर, आष्टा भी हैं. उनके लिए भी पीने के पानी की उपलब्धता कराएं. मेरा पूरा क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र है. वहां कोई बड़ी सिंचाई योजना नहीं है और तो और पूरा पानी भोपाल आ जाता है चाहे वह बड़े तालाब में आ जाए या फिर विपू डेम से कोलार में पानी आता है यह पूरा पानी इछावर का आता है जिससे भोपाल का पेट भरता है या फिर बुधनी में सिंचाई के लिए जाता है. लेकिन इछावर अभी भी सिंचाई से वंचित है. इछावर में कॉलेज का उन्नयन भी अभी तक पेंडिंग है. लगातार मांग करने के बाद भी इछावर में अभी तक एक पार्क भी नहीं है. हायर सेकेण्ड्री स्कूल, मुस्करा, बलोडिया, जताखेड़ा का उन्नयन नहीं हो रहा है. ब्रिजिश नगर के स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है, कवेलू टूट रहे हैं, चादर उड़ गई हैं फिर भी भवन अभी तक स्वीकृत नहीं है. मोगराराम स्कूल भवन का भी यही हाल है. लोक निर्माण विभाग की चाहे भाऊखेड़ी की रोड हो, और तो और जिले में शव वाहन तक नहीं है. शव वाहन के अभाव में शव को कंधों पर लेकर जाना पड़ता है. मैं उम्मीद करता हूँ कि माननीय वित्त मंत्री जी जब भी बजट पेश करें वह विकास की तरफ भी जाए प्रदेश में रोजगार खड़े हों. एक सबसे बड़ी समस्या रोजगार को लेकर हो रही है.
उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्री जी के द्वारा प्रस्तुत अनुपूरक बजट का समर्थन करते हुए मैं माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने श्योपुर क्षेत्र में एक पुल और सड़क जिसकी बहुत दिनों से आवश्यकता थी इस अनुपूरक बजट में शामिल करके उन ग्रामवासियों की कठिनाइयों का निवारण करने का अच्छा प्रयास किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, पिछला आम बजट जो मार्च में प्रस्तुत हुआ था और अभी जो अनुपूरक बजट प्रस्तुत हुआ है. इसको देखने से यह बात निश्चित रुप से प्रकट होती है कि मध्यप्रदेश की यह सरकार किसान और गांव के लिए बहुत कुछ करने के लिए तत्पर रहकर उनके हालात को सुधारने की दृष्टि से अच्छा कार्य करने जा रही है. इस बजट में जो प्रावधान किए हैं इसमें सर्वाधिक महत्व की बात यह है कि ऊर्जा के क्षेत्र में ग्रामवासियों को जहाँ पर बिजली की बहुत बड़ी आवश्यकता लगातार बनी रहती है और बिजली की आपूर्ति के कारण से, सिंचाई के प्रबन्ध ठीक करने के कारण से, हमारे प्रदेश के अन्दर कृषि उत्पादन बढ़ा है. इस कृषि उत्पादन को और बढ़ाने की दृष्टि से अनुपूरक बजट में जो प्रावधान किया गया है, मैं इसके लिए माननीय वित्त मंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने अनुसूचित जनजाति के ग्रामीण अँचल में जिन लोगों ने अपने नलकूप का खनन करा लिया है, लेकिन उनके पास बिजली की सप्लाई ठीक से नहीं हो पाती, सरकार की ओर से कई दिनों से ऐसे अनुसूचित जाति, जनजाति, के लोगों के लिए विद्युतीकरण किए जाने की दृष्टि से इस बजट में दो सौ दस करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. उपाध्यक्ष महोदय, इसके कारण से छोटे किसान और अनुसूचित जाति, जनजाति के क्षेत्र में रहने वाले, जिनको वर्षों से, बिजली उपलब्ध नहीं हो पाती थी क्योंकि वह आर्थिक रूप से संपन्न नहीं थे और आर्थिक रूप से संपन्नता न हो पाने के कारण से, उनको बिजली की जो आवश्यकता की पूर्ति कराने की दृष्टि से मध्यप्रदेश की सरकार ने और माननीय वित्त मंत्री जी ने यह जो प्रावधान किया है, वास्तव में बहुत प्रशंसनीय है और इसके कारण लोगों को लाभान्वित होने का एक अच्छा अवसर प्राप्त होगा. उपाध्यक्ष महोदय, इसमें सब्सिडी का जो प्रावधान किया गया है, सब्सिडी का प्रावधान तो पहले भी मूल बजट के अन्दर किया गया था, लेकिन आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए जो पाँच सौ पिंच्यानबे करोड़ रुपये का प्रावधान हुआ है, निश्चित रूप से इसके कारण से गाँव में रहने वाले किसानों को और विशेषकर के कृषि क्षेत्र में जिनको बिजली की आवश्यकता रहती है और उन्हें सरकार की ओर से 1400 रुपये प्रति हॉर्स पावर के रूप में विद्युत प्रदाय किया जाता है. ऐसे लोगों को लाभान्वित करने का एक अच्छा मौका है. उपाध्यक्ष महोदय, कृषि क्षेत्र में और बढ़ावा देने की दृष्टि से बाजार मूल्य स्थिरीकरण का जो फैसला माननीय मुख्यमंत्री जी ने लिया है, यह बहुत ही सराहनीय फैसला है. उपाध्यक्ष महोदय, कृषि उत्पादन को बढ़ाने का काम तो सरकार ने बहुत तेज गति के साथ कर दिया है और सिंचाई के प्रबन्ध अच्छे हुए, नहरों से सिंचाई करने का, तालाबों से सिंचाई करने का, बिजली पर्याप्त देने के कारण से, कृषि उत्पादन तो बहुत अधिक बढ़ गया है. लेकिन उसका मूल्य ठीक तरीके से नहीं मिल पाने के कारण किसानों में कहीं न कहीं थोड़ा बहुत असंतोष व्याप्त होता है और इस बात को ध्यान में रखते हुए जो मूल्य निर्धारण की दृष्टि से यह एक कोष स्थापित करने का कार्य प्रदेश की सरकार ने और माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया है, निश्चित रूप से आगे यह कोष बहुत अच्छे परिणाम देने वाला साबित होगा. मूल्य निर्धारण स्थिरीकरण के लिए यह जो व्यवस्था की गई है यह व्यवस्था भविष्य की दृष्टि से एक बहुत बड़ा फैसला है और इसके कारण से हमारे प्रदेश के किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके, यह प्रयत्न किया गया है और इसमें चालीस करोड़ रुपये का प्रावधान जो किया गया है वह निश्चित रूप से किसानों को उन्नत करने की दृष्टि से और उनकी कृषि उपज ठीक तरीके से, सही मूल्य पर, बिक सके, मूल्य का निर्धारण ठीक से हो सके, उपाध्यक्ष महोदय, कई जीन्स का तो केन्द्र सरकार निर्धारण करती है, लेकिन जिनका समर्थन मूल्य केन्द्र सरकार के द्वारा निर्धारित नहीं होता, ऐसी बहुत सारी जीन्सें हैं, जिनको किसान उत्पादित करता है, उनका मूल्य निर्धारण किया जाना, बहुत आवश्यक है और इस मूल्य स्थिरीकरण के माध्यम से यह जो कोष स्थापित किया गया है, इसके माध्यम से निश्चित रूप से ऐसी जीन्सों का भी जिसका केन्द्र सरकार के द्वारा समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया गया है, ऐसी जीन्सों का भी ठीक भाव किसान को प्राप्त हो सकेगा. उपाध्यक्ष महोदय, मूल्य का स्थिरीकरण, बिजली ठीक देने का काम और इसके साथ साथ सिंचाई का प्रबन्ध करने का काम, लेकिन सपोर्ट में किसान को जिनकी आवश्यकता रहती है, पशुपालन ठीक तरीके से हो सके, दुग्ध का उत्पादन अच्छा हो जाए, दुग्ध उत्पादन के कारण से ठीक से उसको मूल्य प्राप्त हो जाए और इसके लिए सरकार ने निर्णय किया है कि इसमें एक नई नीति बना कर के और उस नीति के आधार पर दुग्ध के मूल्य का निर्धारण भी किया जाएगा और उसका एक मॉडल बनाए जाने का फैसला और ऐसी घोषणा सरकार के द्वारा की गई है, माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा की गई उस घोषणा के कारण से किसानों को ठीक तरह से लाभ प्राप्त होने की स्थिति बनेगी और इस अनुपूरक बजट में 26 करोड़ का प्रावधान किया गया है.माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गाँव के हक में और किसानों के हक में एक और बड़ा फैसला माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा लिया गया है कि प्रधानमंत्री आवास के अंदर ऐसे लोगों को जो छोटे किसान हैं, गांव में रहते हैं, खेती-किसानी मजदूरी करते हैं लेकिन उनके पास में सर छुपाने के लिए कोई छत नहीं है उनका कोई घर नहीं है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उसके लिए भी इस अनुपूरक बजट प्रावधान किया गया है और इस बजट में 720 करोड़ रुपये का प्रावधान ग्रामीण अंचल में और 559 करोड़ रुपये का प्रावधान शहरी क्षेत्र के अंदर किया गया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोगों को अच्छी बिजली मिल जाये, गांव में रहने के लिए आवास मिल जाये उस स्थान पर उनको सिंचाई का प्रबंध ठीक हो जाए, यह सोच हमारे मध्यप्रदेश की सरकार की और माननीय मुख्यमंत्री जी की है. जो प्रावधान मूल बजट में आने से रह गये थे या जिनकी अतिरिक्त आवश्यकता महसूस की गई थी उस अतिरिक्त आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए यह जो प्रावधान कृषि के क्षेत्र में, ग्रामीण अंचल में और इसके अंतर्गत किये गये हैं, निश्चित रूप से यह प्रशंसनीय हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन मैं वित्तमंत्री जी से करना चाहता हूं कि हमारे श्योपुर क्षेत्र में दो सिंचाई की परियोजनायें बहुत समय से लंबित हैं और हमने कई बार इसके बारे आग्रह व निवेदन किया है. एक मोजरी बाँध बनना है, जिसके कारण लगभग 7 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होने की स्थिति बनती है और इसी प्रकार से पांडोला लिफ्ट इरीगेशन योजना के अंतर्गत एक सिंचाई योजना है जिसमें 5 हजार हेक्टेयर से अधिक सिंचाई होगी और किसान कई दिनों से इसके लिए आस लगाये बैठे हैं. हम वित्तमंत्री जी से और वित्तमंत्री के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से यह निवेदन करना चाहते हैं कि यह दोनों सिंचाई परियोजनायें भी जो पूरी तरह से नीचे स्तर से ऊपर तक आ गई हैं और कुछ उसका मूल्य जो आपके मापदंड हैं, उससे अधिक हैं तो उसको ठीक करा कर के इसको स्वीकृत कराने का कष्ट करेंगे तो निश्चित रूप से हमारे क्षेत्र के लोगों को लाभान्वित होने का एक अच्छा अवसर प्राप्त होगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
कुंवर सौरभ सिंह सिसोदिया(बहोरीबंद)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट का मतलब है कि कहीं न कहीं आपकी फेलियर है. हम एक बार साल भर का प्लान बनाते हैं, विगत बजट में आपने साल भर का प्रोस्पेक्टिव प्लान बनाया और उसके बाद आपको दुबारा लाना पड़ रहा है मतलब कहीं न कहीं असफल हो रहे हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यदि सामान्य प्रशासन की बात करें तो हमारे जिले में 8 तहसीलदार के पद स्वीकृत हैं जिनमें से मात्र 5 हमारे पास हैं. नायाब तहसीलदार के 8 पद हैं, उनमें भी 5 हमारे पास हैं. हमारे पास 2 डिप्टी कलेक्टर की कमी है.यदि अनुपूरक की बात करें, नहर या डेम में मेंटनेंस आ जाये, आवश्यकता एकाएक पड़ जाये तब तो समझ में आता है कि अनुपूरक की आवश्यकता है पर यह वह खर्चे आ रहे हैं जो पहले से तय नहीं थे या पहले से तय थे लेकिन हमारे अनुमान से बाहर थे. मांग संख्या 3 में आपके पास होमगार्ड(नगर सैनिक) हैं. होमगार्ड के जवान पुलिस की तरह पूरी ट्रेनिंग लेते हैं, काम नियमित करते हैं. आप इनको स्वयंसेवी मानते हैं. इनकी इलेक्शन में, लॉ एंड ऑर्डर में, हर महत्वपूर्ण जगह पर ड्यूटी लगती है इनको छुट्टी नहीं मिलती है और इनको स्वयंसेवी मान कर रखा हुआ है . अनुपूरक में इसका कोई प्रावधान नहीं है कि इनको सुविधा दें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है जिसमें कहा गया है कि इनको वेतनमान दिया जाये. पिटीशन क्रमांक 113,2016 और सिविल अपील 2768, 2015 है, इसके तहत कहा गया है कि इनको स्वयंसेवी से हटा कर वेतनमान का लाभ दिया जाये. इसके लिए इस बजट में कोई जिक्र नहीं है. मांग संख्या 6,पेज नंबर 6 में योग लेखा शीर्ष 2075 में पेंशन के बारे में कहा गया है. पेंशनर्स तो पहले से तय हैं. कौन कब रिटायर होगा इसका पूरा प्लान रहता है. आज ही तो कोई एकाएक रिटायर हुआ नहीं है. हमको बजट में इसका प्रोविजन करना पड़ा है मतलब कहीं न कहीं आपके अधिकारियों की कमी है जो इसमें चूक रहे हैं. आपने सातवाँ वेतनमान कर्मचारियों को दिया पर पेंशनर्स को नहीं दिया. आपने 7 परसेंट का डी.ए. बाँट दिया अब हम ढाई परसेंट की रिकवरी कर रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कहीं न कहीं सिस्टम फ्लाप हो रहा है. अधिकारियों का जो काम था वे अपना काम करने में असफल हो रहे हैं और आप पेंशनर्स को इस उम्र में परेशान कर रहे हैं. जब वे अपना पूरा कार्यकाल जनता की सेवा में दे चुके हैं और इस उम्र के पायदान पर आकर उन्हें भटकना पड़ रहा है. मांग संख्या 12 ऊर्जा के संबंध में कहना चाहता हॅूं कि इतना बड़ा सब्सिडी का घोटाला हुआ है और विभाग खानापूर्ति कर रहा है. गरीबों से मनमाने बिल वसूले जा रहे हैं. मैं मान रहा हॅूं जो माननीय शैलेन्द्र जैन जी कहा कि 25 यूनिट तक बिजली का बिल फ्री है. एससी, एसटी में पांच हॉर्सपावर तक का बिल किसानों को फ्री आ रहा है पर हकीकत यह है कि मौके पर जहां ट्रांसफॉर्मर नहीं हैं वहां पर बकायदा समस्याएं बनी हुई हैं और 25 यूनिट तक का लाभ कहीं पर देखने को नहीं मिल रहा है. फीडर सेपरेशन का काम हुआ नहीं है. आधे से ज्यादा जिलों में फीडर सेपरेशन आधे-अधूरे पडे़ हुए हैं. खसरे के लिए आपने वर्ष 2012 में भोपाल ई-गर्वनेंस प्राइवेट कंपनी को काम दिया था. चार दिन पहले आप परमिशन देते हैं और चार दिन बाद टेंडर क्वालिफाई भी हो जाता है. पांच साल से कंपनी ने कुछ भी काम नहीं किया है. मद क्रमांक 1-54 जीएसटी के संबंध में है. इसमें अभी तक आप क्लियर नहीं कर पाएं हैं. इंदौर जैसे शहर में जिसे सबसे बड़ा व्यापारिक शहर माना जाता है वहां भी अगर मीडिया के माध्यम से देखें तो वहां भी ट्रक वालों से वसूली हो रही है. हमको इस बजट में अनुपूरक में अगर व्यापारियों और लोगों को ट्रेंड करें तो ज्यादा बेहतर होगा, आप उसका लाभ ले पाएंगे. सरकार ने जनता को आश्वस्त किया था कि जीएसटी लागू होने के बाद कीमतें कम होंगी, सिवाय कुछ गाडि़यों को या कुछ बड़ी चीजों को देखकर जनता को यह महसूस नहीं हो रहा है कि जीएसटी का वास्तव में जनता को लाभ मिल रहा है या नहीं. जो फर्क आया है बार-बार जो टैक्स लगता था उससे प्रोडक्ट की कमी को जनता को नहीं बता पा रहे हैं या समझा नहीं पा रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मद क्रमांक 2, 3 के संबंध में कहना चाहता हॅूं कि वन विभाग में बाघों की मौत हो रही है. हाथी, घडि़याल, मगरमच्छ ट्रेन से कट रहे हैं. माननीय मंत्री जी पास में बैठे हुए हैं. मद क्रमांक 1, 13 में समर्थन मूल्य के बारे में माननीय मुख्यमंत्री जी ने उस दिन अपने भाषण में कहा था पर समर्थन मूल्य हमारा विषय नहीं है यह केन्द्र का विषय है. हमारा विषय बोनस का है. बोनस पर हम बात नहीं कर रहे हैं. उपवास में कर्जमाफी की जो घोषणाएं हुईं जो कहा जा रहा था, उसके बारे में कोई ठोस पहल नहीं है जिस पर हम डेढ़ दिन चर्चा करें. प्रोसेसिंग यूनिट की भी कोई बात नहीं हुई. प्याज के बारे में यहां पर लगातार बात कर रहे हैं. पिछले साल आपके पास प्याज लगभग 60 करोड़ हुआ. आपने उससे सबक नहीं लिया गया. बोवनी का रकबा 2.9 ज्यादा था. तब भी आपने कोई तैयारी नहीं की. किसान को जो लाभ देना है वह लाभ व्यापारी और बिचौलिए ले रहे हैं. अभी कुछ दिनों पहले टीवी में आया था कि जनरल मैनेजर श्री सोनी स्टिंग आपरेशन में पकडे़ गए. अब जो पकडे़ जा रहे हैं वह (XXX) हैं और जो नहीं पकड़े जा रहे हैं वे सब ईमानदार हैं तो आंकड़ों के हिसाब से संभव ही नहीं हो पा रहा है कि कौन ईमानदार है और कौन (XXX) है. सरकार जो आंकडे़ बता रही है उसके हिसाब से हम नहीं पकड़ सकते क्योंकि उन आंकड़ों पर जैसे माननीय तिवारी जी बहस कर रहे थे तो यदि एक मुद्दे पर बहस की जाए तो संभव ही नहीं है कि उस मुद्दे को लंबा खींच पाएं. समय की समय-सीमा रहती है और हकीकत यह है कि कहीं न कहीं इस सिस्टम में फ्लॉ है. आप बड़वानी की प्याज को अनुपपूर भेज रहे हैं. ट्रांसपोर्टेशन में भी एक नया माफिया पैदा हो गया है. आप खाते में सीधे पैसे दे सकते थे पर यह परचेस का सिस्टम गलत हुआ है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मद क्रमांक 1-46 में कहना चाहता हॅूं कि श्रम विभाग पीएफ नहीं काट रहा है. कम से कम सरकारी विभाग या सरकारी उपक्रम में जो काम हो रहे हैं उनमें तो पीएफ कट सकता है. मद क्रमांक 1 में माय एमपी प्रकोष्ठ 10 लोक सेवा सलाहकार प्रबंधन के माध्यम बिना किसी प्रक्रिया के लाखों की सैलरी में नियुक्त हुए थे. फिर एक टेंडर के माध्यम से अर्नस्ट एंड यंग संस्था को कार्य देते हुए कुछ महीनों में इनका लंबित भुगतान किया गया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मद क्रमांक 6 के संबंध में मेरा कहना है कि प्रधानमंत्री आवास में पात्र एवं अपात्र के नाम पर जमीनी स्तर पर बहुत लंबा खेल हो रहा है. जिसका भी लॉटरी में नाम निकलता है या सर्वे में नाम है उसके खाते पर होड़ लग जाती है. जब तक वह संबंधित अधिकारी या सरपंच के पास नहीं पहुंचता, चढ़ावा नहीं चढ़ाता तब तक उसका काम नहीं होता. अब उसमें दिक्कत यह हो रही है कि जब तक वह चढ़ावा नहीं चढ़ाएगा तब तक उसका काम नहीं होगा, उसका मकान नहीं बन पाएगा. मद क्रमांक 8 के संबंध में आपने स्मार्ट सिटी के लिए सात सौ करोड़ रूपए का प्रावधान किया है. डॉक्टरों की कमी है, मूलभूत आवश्यकताओं की कमी है, टीचर्स की कमी है. इस विषय में लगातार हमारे साथी विधायक कह रहे हैं कि हमने यह काम किया, हमने वह काम किया. एक बार कबीर जी ने रहीम जी से पूछा था कि तुम दान देते समय आंख क्यों नीची कर लेते हो, तो उन्होंने कहा था कि "देनहार कोई और है, जो देता दिन रैन, लोग भरम मो पे करें, ताते नीचे नैन". यह जो पैसा है यह पैसा सरकार का नहीं है यह हमारा और आपका नहीं है यह पैसा जनता का है और यदि इसके लिए अगर हम बार-बार पीठ ठोंकें कि मुख्यमंत्री जी ने यह कर दिया, भाजपा सरकार ने यह कर दिया, जबकि यह जनता के गाढ़े पैसे की कमाई है, मेरा आपसे निवेदन है कि अगर हम इस सिस्टम को नहीं सुधार पाएंगे, तो आज नहीं तो कल जनता को और तकलीफ भोगनी पड़ेगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो अनुपूरक बजट आया है, मैं इसका समर्थन करता हूँ. यह अनुपूरक बजट मध्यप्रदेश की जनता की प्रगति एवं विकास में लगातार सहभागिता करेगा और जिस हिसाब से मध्यप्रदेश आगे बढ़ रहा है, यह और आगे बढ़ेगा. सबसे पहले तो मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने ग्रामीण इलाके की 40 सड़कें इस बजट में स्वीकृत की हैं, मैं आपका अभिनन्दन करता हूँ, क्योंकि जब हम गाँवों में जाते थे तो हमसे मांग की जाती थी, आपने मेरी विधान सभा में भी सड़कें दी हैं, उसके लिए भी मैं आपको धन्यवाद देता हूँ, नीमच से ग्वालतालाब होकर अरन्याबुराना सड़क की मांग लगातार किसान कर रहे थे, यह 8.30 किलोमीटर की सड़क आपने दी है और इस हेतु 4 करोड़ 85 लाख 36 हजार रुपये की स्वीकृति दी है, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ. इसके अतिरिक्त पलसोड़ा से पिपल्याव्यास होती हुई रातड़िया जाने वाली सड़क को भी आपने मंजूरी दी है, यह 7.80 किलोमीटर की सड़क है, जो कि लगभग 4 करोड़ 88 लाख 26 हजार रुपये की है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में सड़कों का जाल तो निश्चित रूप से फैल रहा है. माननीय भार्गव जी ने भी जिस हिसाब से मध्यप्रदेश के सभी क्षेत्रों में सड़कें दी हैं, वह काबिल-ए-तारीफ है, अभी इसके लिए सभी माननीय सदस्यों ने उनको धन्यवाद दिया है. मेरी विधान सभा में भी उन्होंने 24 सड़कें दी हैं, यह 60 किलोमीटर की सड़कें हैं, इसके कारण जनता बहुत प्रसन्न है. जहाँ-जहाँ सड़कों की समस्याएँ थीं, आपने सड़कों के लिए बजट देकर जनता पर उपकार किया है, इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, लोक निर्माण मंत्री जी और प्रमुख सचिव महोदय को भी धन्यवाद देता हूँ. प्रमुख सचिव श्री प्रमोद अग्रवाल जी से जब भी मैं मिलता था तो उन्होंने कहा था कि नीमच में हम सड़कें देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार लगातार किसानों के कल्याण के लिए कार्य कर रही है, जहाँ हम देखते हैं कि नीमच ठेठ राजस्थान की सीमा में है, राजस्थान की सीमा होने के कारण वहाँ का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा था और वहाँ पर इन्होंने अलग डैम बनाने का निर्णय लिया है, इसके अलावा नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना के लिए, इन नदियों जोड़ने के लिए जो 40 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है, यह जल कालीसिंध में जाएगा, फिर चंबल में जाएगा, और जनता को इसका लाभ मिलेगा, मैं इसके लिए भी माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कृषि विभाग के अंतर्गत बाजार मूल्य के स्थिरीकरण के लिए माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. सहकारिता के क्षेत्र में 580 करोड़ रुपये का प्रावधान जो प्याज के लिए किया गया है, इसके लिए भी उन्हें धन्यवाद. मेरे नीमच मंडी में भी बहुत लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई थीं, किसान प्याज लेकर आ रहा था और उसका प्याज 8 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से खरीदा गया है, इससे किसान बहुत प्रसन्न होकर अपने घर गया. हमने अभी देखा कि नीमच और मंदसौर में कई लोगों ने वातावरण बिगाड़ने का काम किया, मगर माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के कारण कोई फर्क नहीं पड़ा और किसान प्रसन्न है, वह समर्थन मूल्य पर प्याज, तुअर, मूंग देकर गया है, यह माननीय मुख्यमंत्री की सराहनीय पहल है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं ऊर्जा विभाग की बात करूँ तो अनुसूचित जाति और जनजाति के बंधु, जो मंदसौर और नीमच जिलों में गांवों में निवास करते हैं और कुएं बहुत खोदते हैं, उनके कुओं के लिए लाइट कनेक्शन उनको मिले, इसके लिए भी विद्युतीकरण हेतु लगभग 210 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है, मैं इसकी सराहना करता हूँ. हमारे यहां जो अस्थाई कनेक्शन मिल रहे थे, वह सब कनेक्शन अब स्थाई हो जाएंगे, तो उन पर जो लोड आता था, वह लोड भी अब नहीं आएगा, मूल्य निर्धारण कोष स्थापित करने के लिए भी 40 करोड़ रुपये का प्रावधान इसमें किया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पशुधन की बात करूँ तो हम सब लोग जानते हैं कि जो गो-धन है, पशु धन है, पुराने समय में इसका बहुत महत्व था और गौ माता हिंदू को दूध पिलाती है, मुसलमान को दूध पिलाती है, बच्चे को दूध पिलाती है, वृद्ध को दूध पिलाती है, तो दूध उत्पादन में भी हम अग्रिम श्रेणी में आए हैं, जैसे अन्न के उत्पादन में, धान उत्पादन करने में मध्यप्रदेश की सरकार को कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हो रहा है, इसी प्रकार पशु धन, दूध मूल्यांकन के लिए भी 26 करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है, इसके लिए भी मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम सब लोग जानते हैं कि गरीब को रोटी, कपड़ा और मकान चाहिए और इन सबकी सारी व्यवस्थाएं सरकार लगातार कर रही है. गांवों में और शहरों में गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से मकान देने के लिए 725 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया गया है जिसमें गांवों के लिए 720 करोड़ रुपये है और शहरों के लिए 5 करोड़ रुपये है जिससे गरीब को मकान मिलेगा, गरीब दुआ देंगे, गरीबों की दुआओं की वजह से लगातार यह सरकार आगे की ओर बढ़ रही है. हमारी संस्कृति में वसुदेव कुटुम्बकम के भाव को लेकर चलते हैं और इसमें विद्यासागर जीव दया पुरस्कार के लिए 11.50 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है. यह भी एक सराहनीय कदम है.
उपाध्यक्ष महोदय जब जब भी इस प्रकार का बजट आता है तो उस बजट के माध्यम से जो रूके हुए काम होते हैं वह होते ही हैं, निश्चित ही हम जानते हैं कि उद्यानिकी की फसलों के लिए भी इस बजट में प्रावधान किया गया है. वहीं मैं जिस नीमच जिले से आता हूं वहां अफीम की खेती होती है और अफीम की खेती में , हम देखते हैं कि डोडा चूरा तो केन्द्र सरकार के पास चला गया है. लेकिन उसका जो पोस्ता दाना निकलता है, उसके लिए मैं मान्यवर वित्तमंत्री जी से निवेदन करूंगा कि मेरे क्षेत्र के कुछ व्यापारी और किसान आये थे वह आपसे मिले हैं, और उसमें जो पोस्ता निकलता है जिसका हलुआ और ठण्डाई बनती है, उसे किसान मंडी में नहीं बेच पा रहा है. उसे व्यापारी भी नहीं खरीद पा रहे हैं, उसमें जो छन्ना लगता है उसकी अलग से एक नष्ट करने की प्रक्रिया होती है. आप बड़े दयालू हैं किसानों की दया को देखते हुए और व्यापारियों को सहयोग करते हुए यह जो पोस्ता निकलता है यह नीमच की मंडी में खरीदा जाय, क्योंकि यह चित्तौड़ और जावरा में खरीदा जा रहा है और मंदसौर में भी खरीदा जा रहा है लेकिन नीमच में इसमें कहीं न कहीं रूकावट आयी है तो मैं चाहता हूं कि माननीय वित्त मंत्री जी इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करके हमें सहयोग प्रदान करेंगे. मैं पुन: इस अंतरिम बजट का स्वागत अभिनंदन करता हूं. आपका यह बजट नींव का पत्थर साबित होगा प्रदेश की उन्नति दिन दोगुनी चल रही है और भी तीव्र गति से चलेगी, पुन: मैं आपको धन्यवाद देता हूं आपने मुझे बोलने का समय दिया.
श्री हरदीप सिंह डंग ( सुवासरा ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज सोमवार का दिन है क्षेत्र में कावड़ यात्राएं निकलने के बाद भी अगर हम सदन में बैठे हैं क्योंकि आज पूरा क्षेत्र भोलेनाथ के दर्शन कर रहा है और वहां पर आरती और पूजा करके सदन में आये हैं. इसका मतलब है कि यह जो अनुपूरक बजट है, इसका महत्व क्या है. क्षेत्र के लिए हम जो बोलना चाहते हैं उसका भी अर्थ क्या है, उद्देश्य क्या है,कि यहां पर हम कुछ बोलें और वहां हमारे क्षेत्र में कुछ काम हो जाय तो यह हमारे लिए सफलता होगी. मेरा मानना है कि कृषि विभाग में विज्ञापनों के माध्यम से जितना क्षेत्र में बोला जा रहा है कि किसानों के लिए हमने यह काम किया है या कोई और काम किया है, हमारे यहां पर 56 हजार किसान हैं, हमने कहा कि लक्ष्य कितना आया है तो मात्र 100 किसानों के लिए लक्ष्य आता है और बताते हैं कि 56 हजार किसानों को लाभ दिलाया गया है और उद्यानिकी विभाग का कृषि विभाग में लक्ष्य जोड़ दिया जा रहा है मात्र 5 - 15 और 20 किसान और विज्ञापन ऐसे दिये जा रहे हैं कि सब किसान निहाल हो गये हैं. इसलिए हमारा यहां पर कहना है कि लक्ष्य को बढ़ाया जाय जिससे किसानों को फायदा हो सके.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यहां पर यह भी कहना है कि जैसा कि अभी दिलीप सिंह जी के द्वारा गाय के बारे में बताया है कि गाय का विषय सबसे महत्वपूर्ण है कि जिस रोड़ पर जाते हैं उस रोड पर गाय मिल जाती हैं. गाय को किसान भी अपने खेत से भगाते हैं सड़कों पर कभी कोई इधर से भगाता है, कभी कोई उधर से भगाता है, अभी वर्तमान में सबसे ज्यादा गाय दुखी हैं क्योंकि खेतों में फसलें होती हैं तो किसान भी वहां से भगाते हैं, किसान भी दुखी और गाय भी दुखी. आज पशुपालन मंत्री जी यहां पर बैठे हुए हैं मेरे 5 सुझाव गायों के बारे में हैं. अगर आपको उचित लगें तो उसका पालन करें . मेरा पहला सुझाव है कि अगर किसी के पास में 5 बीघा जमीन हो तो उसे एक गाय पालना अनिवार्य किया जाय. दूसरा, किसान जो एक से ज्यादा गायें पालता है 2, 3, 4, 5 जैसे बीपीएल पर व्यक्तियों को सुविधा दी जाती है उस प्रकार से किसान को अनुदान के रूप में बीपीएल के हिसाब से उसे अनुदान के रूप में कोई राशि दी जाए. अगर 2, 3, 4, 5 गायें पालता है, अगर उस किसान को गाय पालने के लिए अनुदान मिलेगा तो वह भी उसे उत्साह से पाल सकेगा. तीसरा, प्रत्येक पंचायत में गाय पालना अनिवार्य कर दिया जाए. प्रत्येक पंचायत में गौशाला खोली जाए. पंचायत में अगर गौशाला खोल दी जाएगी तो अगर एक पंचायत में 20-20, 25-25 गायें पलती हैं तो मैं नहीं मानूंगा कि वह रोड पर खड़ी रहेगी. अनिवार्य रूप से पंचायतों में शासन की ओर से गौशाला खोली जाए. चौथा सुझाव है कि जिनकी 25 हजार रुपये तनख्वाह है चाहे शासकीय हो, विधायक हो या कोई और 25 हजार रुपये शासन का वेतन लेता है उससे 500 रुपये प्रतिमाह गौशाला में देना अनिवार्य किया जाये. अगर गौ माता का नाम लेते हैं तो 500 रुपये गौशाला में देने में कोई बुराई नहीं है. अगर यह नियम बना दें तो कोई बुरी बात नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, एक और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण प्वाइंट है कि जितने भी विधानसभा में विधायक बनकर आते हैं, वे फार्म भरते हैं कि मैं विधायक का फार्म भर रहा हूं, मैं लोकसभा में जा रहा हूं, जिला पंचायत, सरपंच, विधायक और सांसद इनका फार्म तभी मान्य किया जाए जब वह एक गाय पाले, नहीं तो उनका फार्म रिजेक्ट कर दिया जाए. क्योंकि खाली भाषण देने से गायों का पालन नहीं होगा. आज वर्तमान में सबसे ज्यादा गाय दु:खी है. हम देखते हैं कि सबसे ज्यादा गायें दु:खी हैं. अगर यह नहीं किया गया तो मैं आज कह रहा हूं कि मैं मंदसौर-सुवासरा की रोड पर सुवासरा विधानसभा में रोड पर ही कांजीहाऊस बनानी पड़ेगी. अगर चक्काजाम होता है तो शासन, प्रशासन की जवाबदारी होगी. क्योंकि गायें सबसे ज्यादा वर्तमान में दु:खी हैं, इससे ज्यादा कभी दु:खी नहीं हो सकतीं. यह मेरी बात मानेंगे तो अच्छी बात होगी. अभी आपने सौर ऊर्जा में गाय के चरने की जगह बड़े-बड़े उद्योगपतियों को दे दी है.
उपाध्यक्ष महोदय, अब मैं सड़कों की बात करना चाहूंगा. मैंने सड़कों की मांग लगातार अपने क्षेत्र में की है. 60 किलोमीटर की सड़कें हैं जो मात्र 1-1, 2-2, 3-3 किलोमीटर की हैं. जब 10 सड़कों की मैंने लिस्ट देखी तो दो सड़कें सुवासरा विधानसभा की थीं, मंदसौर की 8 सड़कें पास कर दी हैं. दो सड़क इसलिये रोक दी गई हैं कि वह कहीं-न-कहीं सुवासरा विधानसभा क्षेत्र की हैं. यह बड़े दु:ख की बात है. क्या अगर पक्षपात किया गया तो सड़क में आपने एक-एक जिले में तो 15-15, 20-20 सड़कें दे दी और आप एक विधानसभा में दो सड़कें नहीं दे सकते हैं, तो यह जो पक्षपात हो रहा है इसमें भी ध्यान दिया जाए कि सड़कें सभी विधानसभा में भी दी जाएं. दूसरे जो विधायक हैं उनका भी अधिकार है और जो सड़कों की हम मांग कर रहे हैं उनकी भी पूर्ति की जाए.
श्री कैलाश चावला- आपको चंबल से योजना दी या नहीं दी ? हमारे मनासा को नहीं दी. आपको दी कि नहीं दी फिर पक्षपात क्या ?
श्री दिलीप सिंह परिहार- आपको सड़कें भी बहुत सारी दी हैं. आपको इतनी सड़कें दी हैं वह तो स्वीकार करो.
श्री हरपाल सिंह डंग- उपाध्यक्ष महोदय, जहां तक प्रधानमंत्री आवास का सवाल है प्रधानमंत्री आवास में जो वर्ष 2011 में सर्वे हुआ है उसमें कुछ ऐसे व्यक्ति रह गये जो किराये के मकान में, दूसरे पक्के मकान में रहते थे परंतु वे किरायेदार थे. उनका नाम पक्के मकान में लिख दिया गया जबकि वे किराये से रह रहे हैं और उनके पास भी न तो कच्चा मकान है, न पक्का मकान है. उनका नाम जोड़ा जाए और जो झोपड़ी बनी हुई है उनका नाम भी रह गया है, उनका नाम उसमें रह गया है, तो उनका नाम भी जोड़ा जाए. पेंशन जिनको मिलती है उनका बीपीएल कूपन अनिवार्य है ऐसी बहुत से विधवाएं, वृद्धा और विकलांग पेंशन उनको इसलिए नहीं मिल पा रही है क्योंकि उनके पास बीपीएल कूपन नहीं है. अभी बीपीएल कूपन पर रोक लगा रखी है जिसके कारण वे पेंशन के हकदार थे उनको वह भी नहीं मिल पाए हैं. पर्यटन में जो हमारे यहां पर स्थान हैं उसमें उनको सम्मिलित किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति वर्ग की बस्तियों में अभी 40 परसेंट का नियम कर रखा है, अगर 40 परसेंट से ज्यादा होगा तो उसको भी दिया जाएगा. जिन गावों में जिन मोहल्लों में 40 परसेंट से अधिक अजाक बस्ती है उसका विकास नहीं हो पा रहा है उनका विकास कराया जाए और सिंचाई में, मैं धन्यवाद देता हूं कि हमारे यहां बहुत बड़ी योजना पास की उसके लिए धन्यवाद देता हूं. यह मैं खुद स्वीकार कर रहा हूं. 7 तालाब अभी रुके हुए हैं, इन बातों का ध्यान रखा जाए और इन मांगों को भी पूरा किया जाए धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस प्रथम अनुपूरक वर्ष 2017-18 जो माननीय वित्तमंत्री जी ने प्रस्तुत किया है, मैं उसका स्वागत करता हूं, आभार व्यक्त करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की जन- हितैषी, किसान-हितैषी, जन-कल्याणकारी योजनाएं हैं, जो नित नयी योजनाएं हमारे प्रदेश में संचालित करते हैं ऐसे यशस्वी मुख्यमंत्री जी हैं. जहां एक ओर अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं हैं, वहीं दूसरी ओर प्रायोजित कहीं न कहीं प्रदेश की शांति बिगाड़ने वाले आन्दोलन हैं. इसके साथ-साथ हमारे प्रदेश के विकास की चिंता भी हमारी सरकार कर रही है. इस हेतु जहां एक ओर पुलिस विभाग के लिए लगभग 5 करोड़ रुपए की राशि हमारे यशस्वी माननीय मंत्री जी ने इस बजट में रखी है. वहीं दूसरी ओर हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में जिस प्रकार हम देखते हैं कि कहीं न कहीं हमारे प्रदेश में उपज का उत्पादन बढ़ा है. वहीं दूसरी ओर किसानों को सही दाम मिले, इसके लिए पहली बार हमारे मुख्यमंत्री जी ने कृषि कल्याण के लिए लगभग 40 करोड़ रुपए की राशि का इस बार प्रावधान किया है. निश्चित रूप से अगर हम कहें कि किसानों के हित में किस प्रकार से ज्यादा से ज्यादा कार्य हो सके, इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी वह कर रहे हैं. इस हेतु हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के किसानों को सस्ती बिजली मिले, एक सब्सिडी वाली बिजली मिले इसके लिए भी राशि का प्रावधान किया गया है. इसके साथ-साथ मैं यह बताना चाहता हूं कि हमारे आदिवासी अनुसूचित जाति विभाग द्वारा पूर्व में जिलों में बिजली के लिए जो राशि वितरित की जाती थी, उसमें कहीं न कहीं असमानता होती थी. उपाध्यक्ष महोदय, पहली बार हमारे माननीय मंत्री जी ने, माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस प्रकार का प्रावधान किया है कि प्रत्येक जिले में आबादी के हिसाब से राशि का वितरण किया जाएगा. इसके माध्यम से पूरे प्रदेश में मेरा ऐसा मानना है कि निश्चित रूप से प्रत्येक किसान के खेत तक हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के किसान तक बिजली पहुंचेगी. आने वाले समय में वह भी एक सिंचित खेती, अच्छी खेती कर सकेगा. निश्चित रूप से इसी कड़ी में जैसे कि हमारे विधायक साथी बता रहे थे, पशुपालकों के लिए मैं बताना चाहता हूं कि हमारे मंत्री जी ने पशुपालकों के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं अभी ही नहीं, इसके पूर्व के बजट में भी लागू की थी.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे खण्डवा जैसे छोटे शहर में पशुपालकों के लिए ट्रामा सेंटर जहां पर पशुओं के लिए एक्स-रे जैसी मशीन की सुविधाएं भी पूर्व में कराई थी. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि उनके पदों की भी पूर्ति करेंगे तो निश्चित रूप से एक अच्छी पहल होगी, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा पशुपालकों को एक सुविधा मिलेगी. इसी प्रकार एक छोटा-सा निवेदन है कि खल्ली या चापड़ या इस प्रकार जो दाना है, उस पर, हमारे पशुपालकों पर टैक्स का भार अधिक पड़ा है, उसमें आप कहीं न कहीं सुधार करेंगे. साथ ही साथ इस प्रकार का सस्ता हमारे पशुपालकों को अनाज, दाना मिल सके, इसके लिए उनको सहकारी समिति के माध्यम से भी दिलाएंगे तो निश्चित रूप से एक अच्छी पहल होगी. इसी प्रकार मैं बताना चाहता हूं कि जिस प्रकार की हमारे प्रतिपक्ष के सदस्य बात उठा रहे थे कि अगर सरकार खरीदी करती है, एक मूल्य तय करती है तो केन्द्र सरकार द्वारा वह तय किया जाता है . पहली बार हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश में घोषणा की है कि हम मध्यप्रदेश में सोयाबीन की भी खरीदी करेंगे अर्थात् पहली बार मध्यप्रदेश के इतिहास में हमारे किसान भाइयों को सोयाबीन का भी एक अच्छा दाम मिलेगा. यह भी हमारी सरकार की एक अच्छी पहल है. इसके लिए हमारे सहकारिता विभाग को लगभग 5 अरब 60 करोड़ रुपए का प्रावधान पहली बार हमारी सरकार द्वारा किया गया है. इसके लिए माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, धन्यवाद देता हूं. हमारा क्षेत्र जहां सोयाबीन के उत्पादन के लिए जाना जाता है. ऐसे किसानों को एक बहुत बड़ी सहायता होगी, उनके लिए एक बहुत बड़ी हमारी सरकार ने पहल की है. इसी प्रकार सिंचाई के लिए हमारे सभी भाइयों ने बात रखी है. मैं बताना चाहता हूं कि सिंचाई के क्षेत्र में अगर हम कहें कि हमारे निमाड़ में जो नर्मदा के क्षेत्र में आता है. 2000 करोड़ रुपए की सिंचाई की परियोजना हमारे निमाड़ में माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्वीकृत की है, जिसके अंतर्गत मेरे क्षेत्र में जावड़ सियाड़ा परियोजना लगभग 500 करोड़ रुपए की, इसी प्रकार छहगांव माखन में लगभग 600 करोड़ रुपए की और लगभग 800 करोड़ रुपए की हमारी बिष्टान परियोजना, इस प्रकार 2 हजार करोड़ रुपये की सिंचाई की परियोजना स्वीकृत की है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि जल्द-से-जल्द इन योजनाओं की शुरुआत होगी तो निश्चित रुप से 1-2 वर्ष मे यह योजनाएं पूर्ण होकर धरातल पर उतरेंगी. हमारे किसान भाईयों के खेतों तक पानी पहुंचेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे दो-तीन सुझाव है. मैं निवेदन करुंगा कि मंत्री जी ने हमारे सभी क्षेत्रों में कुछ सड़कें स्वीकृत की है. मेरा क्षेत्र शहरी है इसके आसपास थोड़ा सा ग्रामीण क्षेत्र है. मेरे विधान सभा क्षेत्र का प्रत्येक राजस्व ग्राम पक्की सड़क से जुड़ा है. मैं आपके माध्यम से निवेदन करुंगा कि ऐसे मजरे-टोले जो 200-250-500 की आबादी के हैं, ऐसे प्रत्येक मजरे-टोलों को अगर राजस्व ग्राम घोषित करेंगे तो निश्चित रुप से ग्रामीण भाईयों को लाभ होगा. धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी(राऊ)-- उपाध्यक्ष जी, आदरणीय वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत अनुपूरक बजट पर चर्चा के लिए आपने मुझे अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय, इस बार मुख्य बजट के बाद एक ही बार अनुपूरक बजट आया है. अभी एक बार और अनुपूरक आएगा. सरकार का वित्तीय प्रबंधन जिस प्रकार का रहता है उसमें मुख्य बजट में आय-व्यय का सही अनुमान ये लगा ही नहीं पाते हैं. और हर बार कुछ न कुछ ऐसा करते हैं जिससे अनुपूरक बजट नौबत आती है. हम पहले के बजट और इस बार के बजट के आंकडे देखें तो उसमें भारी अंतर दिखता है.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे आज के प्रश्न में जो आज की प्रश्नोत्तरी में छपा है. उसमें पिछले तीन साल में आपने लगभग 800 करोड़ रुपया सिर्फ विज्ञापन पर खर्च किया है. आप यह कहते हैं कि सरकार की योजनाएं हैं इसलिए विज्ञापन के माध्यम से उनका प्रचार-प्रसार हो इसलिए हम विज्ञापन देते हैं. लेकिन उसका असली भाव क्या होता है, वह आप समझते हैं और देश-प्रदेश की जनता भी समझती है. परन्तु यह बात समझ में नहीं आयी कि उसी प्रश्न का दूसरा उत्तर जिसमें आपने कहा कि हम, हमारे मुख्यमंत्री जी की संपादकीय, उनके व्यवहार की संपादकीय, उनके अच्छे कामों की संपादकीय और उनके काम करने के तरीके की संपादकीय आर्थिक पैसे देकर (XXX) छपवाते हैं. यह मेरे प्रश्न के उत्तर में आपने कहा है. सवाल यह उठता है कि साल-दर-साल हम कर्जे में आते जा रहे हैं और आपका विज्ञापन का जो भाव है वह जिस प्रकार से बढ़ता जा रहा है इसमें मैं सुधार की आवश्यकता समझता हूं.
सामान्य प्रशासन, राज्य मंत्री (श्री लाल सिंह आर्य)-- उपाध्यक्ष जी,प्रश्न के उत्तर में कभी आता है कि पत्रकारों को पैसा देकर संपादकीय छपवाये जाते हैं. विज्ञापन हो सकते हैं. यह तो पत्रकार जगत का अपमान हो गया. यह तो मीडिया का अपमान हो गया. आप यह कहना चाहते हैं कि मीडिया को खरीदा जा रहा है.
श्री जितू पटवारी-- हां.
श्री लाल सिंह आर्य-- और आप फिर कह रहे हो हां. विज्ञापन छपा होगा. यह कह रहे हैं कि संपादकीय लिखवाने के पैसे दिये जाते हैं.(व्यवधान)
श्री शैलेन्द्र जैन-- जितू भाई ! विज्ञापन और संपादकीय में बहुत फर्क है.उस फर्क को समझना पड़ेगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- जितू जी, पत्रकारों की जगह अखबारों आदि में कह सकते हैं. पत्रकार शब्द निकाल दें.
श्री जितू पटवारी--ठीक है. निकाल दीजिए. मैं कोड कर रहा हूं. मैंने यह पूछा कि मुख्यमंत्री जी को लेकर जो संपादकीय छपती है क्या आप उसके लिए कोई खर्च करते हैं? उसमें 5 पत्रकारों के नाम समेत मुझे उत्तर दिया गया. आप कहें तो मैं पटल पर रख दूं. आप चाहें तो चेक करवा लें. नाम समेत जानकारी दी कि इन इन लोगों को पिछले 11 सालों में मुख्यमंत्री जी की संपादकीय हमने छपवाई और उसके लिए इतने पैसे दिए. इसमें पैसे का विवरण है. माननीय मंत्री जी, आप आज का उत्तर निकलवा लें. मैं पटल पर रखूं या कोड करुं.
5.29 बजे आसंदी से घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
उपाध्यक्ष महोदय-- श्री जितू पटवारी जी का भाषण पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाती है. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई. )
5.30 बजे
वर्ष 2017-2018 की प्रथम अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान(क्रमश:)
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष महोदय, अगर मैं गलत हूं तो मुझे सुधार करना चाहिये अगर यह गलत हैं तो इन्हें स्वीकार करना चाहिये. जो भी मैं बातें कहता हूं बिना संदर्भ और बिना तथ्य के नहीं कहता. प्याज खरीदने को लेकर सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई. आदरणीय मंत्री जी भी बैठे हैं उन्होंने कहा,मुख्यमंत्री जी ने भी कहा और हर मंत्री ने लगभग कहा कि किसानों के लिये हमारी सरकार समर्पित है और चाहे कुछ भी बजट कटौती करनी पड़े,हम प्याज खरीदेंगे. उसके लिये धन्यवाद, परंतु आपको प्याज खरीदने की अनुमति यह जनता देती है. किसानों का भला भी करना चाहिये लेकिन अव्यवस्था की अनुमति जनता आपको नहीं देती. पैसा आपका नहीं है,सरकार का नहीं है,जनता का है. उसकी कड़ी मेहनत का है. आपने पिछली बार 110 करोड़ रुपये के लगभग प्याज खरीदा, जिसमें से 60 करोड़ रुपये के लगभग आपने किसानों को दिया और 50 करोड़ रुपये, लगभग आधा,सिर्फ उस प्याज को खरीदना,भण्डारण करना,तुलवाई करना और हम्माली का दे दिया और फिर भी आपने उसको बेचा तो उसका हिसाब आपके पास है. सवाल यह है कि जो
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(XXX) : आदेशानुसार रिकार्ड से निकाला गया.
अव्यवस्था की सरकार आप चलाते हो और हर वर्ष आम जनता की सुविधाओं में कटौती करते हो. आपकी अव्यवस्था को जनता क्यों भोगे. आप जो अव्यवस्था करके अपना कर्जा बढ़ा रहे हो इसका जवाब आदरणीय मंत्री जी देंगे तो मैं आपको धन्यवाद दूंगा. कृषि मंत्री जी कहते हैं कि जिन किसानों ने उड़द बेची,मूंग बेची और 30 क्विंटल से ज्यादा बेची उनके खातों की हम जांच करेंगे. आप खातों की जांच करो उन अधिकारियों की जो उस प्रक्रिया में लगे थे, उन व्यापारियों की जांच करो जिनसे उनकी सांठगांठ थी, उन नेताओं की जांच करो जो उनकी मिलीभगत में थे. आप किसानों की जांच करने की बात करते हो, इसकी निन्दा मैं करता हूं और वित्त मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि सरकार की केबिनेट में बात करें कि किसान ही आपके टारगेट में क्यों रहता है. आज टी.वी. में चल रहा है मैं सुनकर आया हूं तो इस तरह की बात करना अहंकार का परिचायक है. मैं एक बार फिर सबको धन्यवाद देते हुए इतना जरूर कहना चाहता हूं कि प्रति व्यक्ति 15 हजार रुपये के कर्जे में प्रदेश है. वित्त मंत्री जी जब से आप वित्त मंत्री बने हो तब से हर वर्ष 2 हजार रुपये प्रति व्यक्ति का कर्जा इस प्रदेश का बढ़ जाता है. लगातार ऐसी अव्यवस्था आपकी सरकार ने की है कि साल दर साल प्रदेश में जो बच्चा पैदा होता है तो छोटा बच्चा या मरने वाला व्यक्ति, दोनों पर आप करजा बढ़ा रहे हो. उपाध्यक्ष जी, आप अगर अनुमति दें तो मैंने जो बात कही उसे मैं पटल पर रखना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय - वह तो रिकार्ड की बात है.
श्री जितू पटवारी - मेरा प्रश्न था क्रमांक 150(2337). इसमें मैंने पूछा था मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि प्रशासकीय प्रतिवेदन वर्ष 2016-17 में उल्लेख किया गया है कि 2016 में मुख्यमंत्री जी के 11 वर्ष पूर्ण होने पर प्रतिष्ठित लेखकों से लेख तथा आलेख एवं पत्रकारों से संपादकीय लिखवाया तथा प्रकाशित करवाया है. क्या यह सही है,यदि हां, तो लेखकों और पत्रकारों के नाम दिये जायेंगे ? और इनको कितना मानदेय दिया गया ? इसका उत्तर सुनें आप. आपने प्रश्न "क" का उत्तर दिया जी हां. उपाध्यक्ष महोदय,नाम लूं या नहीं लूं..
उपाध्यक्ष महोदय - नाम रहने दीजिये.
श्री जितू पटवारी - इस प्रश्न में है. महेश श्रीवास्तव,सोमदत्त शास्त्री,ओमप्रकाश मेहता,रमेश शर्मा से...
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - उपाध्यक्ष महोदय,जो शासकीय मैगजीन है मध्यप्रदेश संदेश, उसमें जो लिखते हैं उनका नाम ये ले रहे हैं और उनको जो मानदेय दिया जाता है उसकी बात यह कह रहे हैं.
श्री जितू पटवारी - यह प्रश्न-उत्तर ही है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - जितू जी, आप बात समझिये. उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश संदेश जो लिखा जाता है उसमें जो पत्रकारगणों को जो मानदेय के रूप में दिया जाता है उसकी बात कर रहे हैं. यह आम पत्रकार की बात नहीं हो रही है.
श्री जितू पटवारी-- माननीय उपाध्यक्ष जी, 11 वर्ष की उपलब्धियों को लेकर मुख्यमंत्री के भाव को, उनकी छवि को सुधारने के लिये आलेख, संपादकीय छपवाई गई, यह उसका उत्तर है और पैसे देकर छपवाई गई, उसका इसमें विवरण है. आदरणीय उपाध्यक्ष जी मैं बड़े दुख के साथ कह रहा हूं कि मुख्यमंत्री जी ने इसी सदन में एक वक्तव्य दिया और उन्होंने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा यह सरकार निकालना चाहती है और इसमें राजनीतिक भाव नहीं है, इसमें राजनैतिक कोई द्वेष भाव नहीं है. मैं विपक्ष के साथियों से, पूरे मध्यप्रदेश से, आम नागरिक से, अधिकारी, कर्मचारियों से, स्कूल के बच्चों से, अमीर हो या गरीब सबसे आव्हान करता हूं कि इस महाअभियान में मेरा साथ दें और उन्होंने उसके साथ एक शब्द और कहा जो रिकार्ड में है और मैं उसे लेकर आया हूं, उन्होंने कहा एक पैसा भी इस यात्रा में सरकार का खर्च नहीं होगा, इसका पूरा विवरण, इसका पूरा योगदान जनभावनाओं के अनुरूप, जनजागरण के साथ आमजन से लिया जायेगा और मेरे ही उत्तर में आदरणीय वित्तमंत्री जी आपने कहा है कि 33 करोड़ रूपया हमने मीडिया पर खर्च किया है, उसके प्रचार-प्रसार के लिये, आपने कहा 72 करोड़ रूपया टेंट तम्बू के लिये खर्च किया है. मैंने पूछा कि प्रधानमंत्री जी की सभा जो थी उसमें कितने अधिकारियों को आपने पैसे दिये या तय किये, कई कलेक्टरों के अखबारों में बयान आये.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करिये.
श्री जितू पटवारी-- आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत महत्वपूर्ण बात है, बजट की बात हो रही है, इसलिये मैं कह रहा हूं कि एक तरफ मुख्यमंत्री यह कहते हैं कि इस वेदना में एक भी पैसा सरकार का नहीं लगेगा और एक तरफ 6-7 सौ करोड़ रूपये आपने सरकार के फूंक दिये. फिर बजट आपका बिगड़ेगा कि नहीं बिगड़ेगा और इसका भार किस पर जायेगा, यह सवाल इस प्रदेश के सामने है कि नहीं है. माननीय वित्त मंत्री जी बात जरा कठोर है, मेरे कहने के गलत तरीके भी हो सकते हैं, पर मेरे भाव में गलती नहीं है. जिस तरह से आप अर्थव्यवस्था चलाना चाहते हैं, आने वाली पीढ़ी का, आने वाले मध्यप्रदेश के भविष्य का आपके वित्त मंत्री रहते हुये प्रदेश को आप अंधकारमय कर दोगे, इसका मैं विरोध करता हूं. ...(व्यवधान)....
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह नर्मदा सेवा यात्रा पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं. वह सबसे बड़ा सामाजिक आंदोलन था, उस पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं. ... (व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय-- विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार दिनांक 25 जुलाई 2017 को प्रात: 11.00 बजे तक स्थगित.
अपराह्न 5.37 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार दिनांक 25 जुलाई 2017 (3 श्रावण शक् संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल: अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक: 24 जुलाई 2017 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा