मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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पंचदश विधान सभा                                                                                                  द्वितीय सत्र

 

 

फरवरी, 2019 सत्र

 

गुरूवार, दिनांक 21 फरवरी, 2019

 

(2 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1940)

 

 

[खण्ड- 2 ]                                                                                                                [अंक- 3 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

गुरूवार, दिनांक 21 फरवरी, 2019

 

(2 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1940)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.06 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}

 

 

निधन का उल्‍लेख

 

श्री राधेश्‍याम मांदलिया, भूतपूर्व विधान सभा सदस्‍य

 

          अध्‍यक्ष महोदय-  मुझे सदन को यह सूचित करने हुए अत्‍यंत दुख हो रहा है कि भूतपूर्व विधान सभा सदस्‍य श्री राधेश्‍याम मांदलिया का दिनांक 09 जनवरी, 2019 को निधन हो गया है.

श्री राधेश्‍याम मांदलिया जी का जन्‍म 12 नवंबर, 1948 को हुआ था. श्री मांदलिया नगर पालिका के अध्‍यक्ष, उपाध्‍यक्ष तथा कृषि उपज मंडी भानपुरा के उपाध्‍यक्ष और भारतीय जनसंघ के मंडल मंत्री एवं कोषाध्‍यक्ष रहे. श्री मांदलिया ने नौवीं विधान सभा में भारतीय जनता पार्टी की ओर से गरोठ क्षेत्र का प्रतिनिधित्‍व किया था.    

          मुख्‍यमंत्री (श्री कमलनाथ)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं श्री राधेश्‍याम मांदलिया जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. उनका लंबा राजनैतिक जीवन रहा. वे ऐसे राजनैतिक नेता थे, जो केवल राजनैतिक नेता ही नहीं थे, अपितु एक समाज सेवक भी थे. उन्‍होंने अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत नगर पालिका के अध्‍यक्ष के पद से की थी और वे यहां तक पहुंचे. मैं अपनी, अपनी पार्टी एवं पूरे सदन की ओर से उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, श्री राधेश्‍याम मांदलिया जी सिर्फ एक विधायक ही नहीं, अपितु एक उन्‍नत कृषक भी थे. कृषि के क्षेत्र में कृषक प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए उन्‍होंने कृषि उपज मंडी समिति के माध्‍यम से एवं अन्‍य प्रकार से किसानों की सेवा की है. नगर पालिका परिषद से वे नगरीय निकायों में भी प्रतिनिधित्‍व करते रहे और कृषि के क्षेत्र से संबंधित संस्‍थाओं में भी उन्‍होंने जन भागीदारी का कार्य किया. आज वे हमारे बीच में नहीं है. यह सदन उनके लिए अपनी श्रद्धांजलि व्‍यक्‍त करता है. ईश्‍वर उनकी आत्‍मा को शांति दे. ओम शांति.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं जिस जिले के मंदसौर विधान सभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर आता हूं, उसी जिले में गरोठ विधान सभा क्षेत्र है. उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्‍व करने वाले भारतीय जनसंघ एवं भारतीय जनता पार्टी के हमारे ईमानदार, निष्‍ठावान, कर्त्‍तव्‍यनिष्‍ठ और परिश्रमी जननेता श्री राधेश्‍याम मांदलिया जी आज हमारे बीच नहीं रहे हैं. स्‍वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे जी, आदरणीय सुंदरलाल पटवा जी एवं आदरणीय प्‍यारेलाल खंडेलवाल जी, जैसे संगठक एवं राजनेताओं के संपर्क में रहने वाले आदरणीय मांदलिया जी राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के स्‍वयंसेवक भी रहे हैं. वह धार्मिक क्षेत्र में, व्‍याव‍सायिक क्षेत्र में और राजनीतिक क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के मंदसौर जिले के जिला अध्‍यक्ष होने के कारण वह एक जननेता भी थे और संगठनप्रिय नेता भी थे. उनके यूं ही चले जाने से मंदसौर जिले की राजनीति में रिक्‍तता हो गयी है, एक ऐसे व्‍यक्ति जो सहज थे, सरल थे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे बड़े दुख: के साथ कहना पड़ रहा है कि आदरणीय मांदलिया जी के दिवंगत होने के बाद उन्‍हें शोक संवेदना करने के लिये मध्‍यप्रदेश की विधान सभा के इस सचिवालय से और आपके निर्देश पर जिला प्रशासन से उनकी जानकारी मंगायी गयी, यह दुर्भाग्‍यपूर्ण है. उनके जाने के बाद कई और दिवंगत नेताओं को शोक संवेदना हमने दी, लेकिन उस बीच में उनकी समय पर जानकारी आना थी. किसी भी सदन के सदस्‍य को यह याद दिलाने की आवश्‍यकता नहीं होनी चाहिये कि हमारे जिले में एक क्षति हुई है. मुझे लगता है कि आप ऐसे कोई निर्देश जारी करेंगे, ताकि भविष्‍य में हम प्रमुख सचिव जी और आपसे निवेदन न करें. सीधे-सीधे जिला प्रशासन की ओर से इस प्रकार की जानकारी अविलम्‍ब प्राप्‍त होना चाहिये. मैं शोक संवेदना व्‍यक्‍त करता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- मैं सदन की ओर शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.

          (सदन द्वारा 2 मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई. )

          (11.12 बजे दिवंगत के सम्‍मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्‍थगित.)

 

 

                                                                                                                       


 

          11.20 बजे             विधान सभा पुनः समवेत हुई

          {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) पीठासीन हुए}

            डॉ.नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष जी आपकी अखण्ड मुस्कराहट का राज क्या है, यह मैं जानना चाहता हूं. बाकी सब ऐसे बैठे रहते हैं कि सारे जहां का दर्द इनके जिगर में है. आप अखण्ड मुस्कराते रहते हैं.

          अध्यक्ष महोदय--आपके जैसा हसीन चेहरा जैसे अलट पलट के देखता हूं तो मेरे को मुस्कराहट आ जाती है. यह सदा ऐसे मुस्कराते रहें इससे कई चीजें निपट जाएंगी.  (हंसी)

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल के समय सदन के सामने मेला लगा रहता है.

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत--यह मेला कभी आपका भी लगता था.

          श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि सदन की गरिमा बनी रहे. इन कामों के लिये बहुत वक्त मिल जाता है अन्य स्थानों पर इन कामों के लिये.

          अध्यक्ष महोदय-- माननीय संसदीय मंत्री जी, आपसे अनुरोध है कि यह बात सही है. प्रश्नकाल बहुत ही महत्वपूर्ण काल होता है इसमें सभी माननीय सदस्यों को चैतन्य अवस्था में अपनी अपनी जवाबदारियां निर्वहन करना चाहिये, ऐसा मैं सोचता हूं. जब वह अवस्था आयेगी तो एक नंबर कुर्सी के आसपास यह हरकतें नहीं हो पाएंगी. ऐसा मैं मानकर चलता हूं. एक घंटे के लिये धैर्य रखिये.

          श्री गोपाल भार्गव--एक घंटे चेतना नहीं रहती. निश्चेतना विशेषज्ञ माननीय दिग्विजय सिंह इनको चैतन्य करते रहते हैं.

          अध्यक्ष महोदय--उनकी हंसी और उनका ठहाका अपने आप ही चैतन्य कर देता था. 

          11.22 बजे                   तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर

भूमि नामांतरण के प्रकरणों का निराकरण

[राजस्व]

1. ( *क्र. 651 ) श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्‍नकर्ता के चतुर्दश विधान सभा में प्रस्‍तुत प्रश्‍न क्रमांक 3707, दिनांक 14.03.2018 के प्रश्‍नांश (ड.) के उत्‍तरानुसार किस-किस पर क्‍या-क्‍या कार्यवाही कब-कब एवं क्‍यों की गई? शासकीय सेवकवार बतायें और कृत कार्यवाही संबंधी आदेश उपलब्‍ध कराएं। (ख) तहसील कटनी अंतर्गत विगत 03 वर्षों में किन-किन आवेदकों के भूमि नामांतरण के आवेदन किन सक्षम प्राधिकारियों को कब-कब प्राप्‍त हुए? प्राप्‍त आवेदनों को मान्‍य अथवा अमान्‍य कब-कब किया गया? प्रकरणवार एवं वृत्‍तवार तथा आदेशकर्ता के नाम, पदनाम सहित बताएं। (ग) प्रश्‍नांश (ख) के तहत अमान्‍य किए गए आवेदनों को अस्‍वीकृत करने के कारण आवेदनवार बतायें और प्रकरणवार यह स्‍पष्‍ट करें कि इन्‍हीं ख्‍ासरा नम्‍बरों के आस-पास की भूमियों के नामांतरण किए गए/किए जा रहे हैं, तो इन आवेदनों को अमान्‍य/निरस्‍त करने के आदेश किस प्रकार नियमानुसार हैं? क्‍या इन अनियमितताओं का संज्ञान लेकर कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो किस प्रकार एवं कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों?

राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) तहसील कटनी से प्राप्‍त जानकारी अनुसार प्रश्‍नकर्ता के प्रश्‍न क्रमांक 3707 एवं प्रश्‍न क्रमांक 3242, दिनांक 06.12.2017 के उत्‍तर में उल्लेखित तथ्‍यों के अनुसार कोई कार्यवाही किया जाना शेष न होने से प्रश्‍नांश (ड.) के अनुसार किसी सेवक के विरूध्‍द त‍हसील कटनी में कार्यवाही नहीं की गई है, अत: कार्यवाही संबंधी आदेश निरंक है। (ख) तहसील कटनी अंतर्गत विगत तीन वर्षों में जिन आवेदकों के द्वारा न्‍यायालय मुडवारा-1, मुडवारा-2 एवं पहाड़ी वृत्‍त में नामांतरण हेतु आवेदन पत्र प्रस्‍तुत किये गए हैं, उनकी सूची, मान्‍य अथवा अमान्‍य दर्शित करते हुए पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) प्रश्‍नांश (ख) के तहत अमान्‍य किए गए प्रकरणों का विवरण पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। अमान्‍य किये गये प्रकरणों के आदेश में कारण का विवरण है, जिन प्रकरणों में नामांतरण हेतु       स्‍पष्‍ट दस्‍तावेज संलग्‍न किये गये हैं, उनके नामान्‍तरण किये गये तथा जिसमें दस्‍तावेज स्‍पष्‍ट नहीं हैं, उन्‍हें अमान्‍य किया गया है। मान्‍य किये गये प्रकरणों पर कोई अनियमितता नहीं हुई है, अत: संज्ञान में लेकर कार्यवाही का प्रश्‍न उद्भूत नहीं होता।

        श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा जो प्रश्न पूछा गया था उसका जो उत्तर आया है उसमें पुराने प्रश्न में मुझे प्रश्न क्रमांक 3707 में मुझे यहां आश्वासन मिला था कि कार्यवाही की जा रही है, किन्तु अब इस संबंध में जवाब आया है कि कार्यवाही करने का प्रश्न ही नहीं उठता. मैं चाहूंगा कि स्पष्ट स्थिति सामने आये कि पहला उत्तर गलत था या यह उत्तर गलत है.

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जी ने पहले प्रश्न लगाया था पूर्व मंत्री महोदय ने प्रश्न क्रमांक 3707 में आश्वासन दिया था. मैं माननीय सदस्य जी को बताना चाहता हूं कि उस समय कार्यवाही हुई थी. श्री भानसिंह बागरी पटवारी कटनी, गजेन्द्र सिंह पटवारी, तहसील कटनी, रविन्द्र तिवारी पटवारी, तहसील कटनी, गुलजारी लाल पटवारी, तहसील कटनी और दादूराम पटवारी, तहसील कटनी इनको निलंबित किया गया था. जो प्रश्न भिन्नता की बात है, जांच के दौरान उनके पक्ष में इस प्रकार की कोई स्थिति निर्मित नहीं हुई जिसके कारण उनको चेतावनी देकर के निलंबन से बहाल किया गया.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल--माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर चेतावनी देकर के बहाल किया गया है तो प्रकरण में उनकी कुछ न कुछ गलती थी. वर्तमान में जो प्रकरण अमान्य किये गये हैं उसमें मैं यह चाहूंगा कि इसमें आदेश में अधिकांश कारण बताये हैं, दस्तावेज एवं साक्ष्य के अभाव में प्रकरण खारिज. फील्ड में आवेदकों को कुछ और कारण बताये गये हैं. मैं मंत्री जी से चाहूंगा कि अगर चेतावनी देकर उनको छोड़ा गया है तो इन प्रकरणों पर कलेक्टर से जांच कराई जाये और जांच में मुझे भी शामिल कर लिया जाये तथा मेरे पक्ष को भी सुन लिया जाये.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदस्‍य ने जो प्रश्‍न पूछा है उस प्रश्‍न में मैंने गंभीरता से देखा कि कोई पर्टिकुलर विशेष नामांतरण की तरफ सदस्‍य ने कोई जिक्र नहीं किया है. अगर सदस्‍य को कोई विशेष प्रकरण पर नामांतरण की जानकारी चाहिए हो तो उसकी वस्‍तु स्थिति से मैं, माननीय सदस्‍य को अलग से अवगत करा दूंगा.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब फील्‍ड पर निकलते हैं तो पटवारी कैसे ऋण पुस्तिका और कैसे नामांतरण और सीमांकन में परेशान करते हैं, उसको किसी एक प्रश्‍न से बांधा नहीं जा सकता. स्थिति यह है कि अगर लोक सेवा गारंटी के माध्‍यम से अगर किसी ने आवेदन कर दिया तो उसका प्रकरण अमान्‍य होना है और अगर किसी ने मिल लिया और उनके हिसाब से काम कर दिया तो उसको मान्‍य किया जाना है. मैं इसलिए कह रहा हूं कि इतने सारे प्रकरणों में जब आप खुद कह रहे हो कि उनको चेतावनी देकर छोड़ा गया है तो कहीं न कहीं कोई गलती है. तीन साल के प्रकरणों में जो अमान्‍य किए गए प्रकरण है, उनकी कलेक्‍टर महोदय के माध्‍यम से एक निश्चित समयावधि में जांच करा लें, पुन: अनुरोध है.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदस्‍य का जो आग्रह है कि जांच करवा ली जाए. उस संबंध में आपके माध्‍यम से निवेदन है कि नामांतरण एक न्‍यायालयीन प्रक्रिया है. इसमें जांच नहीं होती, अपील होती है. आपका जो इशारा है कि जो न्‍यायालय होते हैं और न्‍यायालयों में जहां पर पटवारियों के द्वारा किए जाते हैं और लोक न्‍यायालय के द्वारा नहीं किए जाते हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि यह न्‍यायालयीन प्रकिया है, इसमें अपील होती है. यदि आपने इस संबंध में कहीं व्‍यक्तिगत अपील की हो तो उसकी जांच करवा ली जाएगी और अगर आपको ऐसा कहीं लगता है ऐसे कितने भी प्रकरण हों,  दो, चार, दस प्रकरण जहां आपको लगता है कि इन प्रकरणों में गलत हुआ है तो   उन प्रकरणों  के संबंध में आप अलग से मुझसे मिल लें. मैं उनकी वस्‍तुस्थिति से आपको अवगत करवा दूंगा और जांच करवा दूंगा.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो मेरे द्वारा प्रकरण दिए गए हैं उसमें कलेक्‍टर कटनी को यह निर्देशित कर दिया जाए कि उन प्रकरणों की वहां पर जांच की जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय - सदस्‍य जी, जब माननीय मंत्री जी कह रहे हैं, आप वह प्रकरण लाकर मंत्री जी को दे दीजिए, बात बन जाएगी.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ठीक है, धन्‍यवाद.

पुरस्‍कार निर्धारण में त्रुटि

[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]

2. ( *क्र. 708 ) श्री नीरज विनोद दीक्षित : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या वित्‍तीय वर्ष 2017-18 में लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी विभाग के उच्‍चयंत मद में विगत लगभग 16 वर्षों सें लंबित राशि के समायोजन हेतु की गयी कार्यवाही के संबंध में सुशील चंद्र वर्मा उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कार प्रदान किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो क्‍या वर्ष 2017-18 में कार्य करने वाले ऐसे अधिकारी को यह पुरस्‍कार प्रदान किया गया है, जिसने इस वित्‍तीय वर्ष में लगभग मात्र 10 दिवस विभाग में कार्य किया है? यदि हाँ, तो वर्ष 2017-18 में 11 माह 20 दिवस की अवधि तक जिस अधिकारी ने कार्य किया है, उसे किस आधार पर पुरस्‍कार से वंचित किया गया? (ग) यदि विभाग इसे त्रुटि मानता है, तो क्‍या इस त्रुटि का सुधार किया जाएगा? (घ) इस त्रुटि के लिए दोषियों पर क्‍या कार्यवाही की जावेगी?

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। प्रश्‍नांश (क) के अनुसार उच्चयंत मद में लंबित राशि के समायोजन हेतु तत्समय संबंधित शाखा के सभी अधिकारी/कर्मचारियों को सामूहिक तौर पर पुरस्कृत किया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) उत्तरांश (ग) अनुसार कार्यवाही आवश्यक नहीं।

        श्री नीरज विनोद दीक्षित - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विभाग ने मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में लिखा है कि तत्‍समय संबंधित शाखा के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को सामूहिक तौर पर पुस्‍कृत किया है. मैंने प्रश्‍न किया था कि जो अधिकारी 11 माह 23 दिन जिसने काम किया उसको उस पुरस्‍कार से वंचित किया गया और जिसने अधिकारी ने मात्र 7 दिन कार्य किया है उसको पुरस्‍कृत किया गया है.

          श्री सुखदेव पांसे - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कर्मचारियों और अधिकारियों के सम्‍मान के लिए यह पुरस्‍कार दिया जाता है और जो भी मेहनतकश, ईमानदारी और लगनशीलता के माध्‍यम से जो अधिकारी कर्मचारी मेहनत करते हैं उन्‍हें दिया जाता है. हमारे विभाग ने पहली बार बड़ी लगन, मेहनत और ईमानदारी से यह पुरस्‍कार दिया है. यह कोई व्‍यक्तिगत पुरस्‍कार नहीं है यह बजट शाखा का एक सामूहिक पुरस्‍कार होता है और पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ यह पुरस्‍कार दिया गया है. निश्चित तौर पर इसकी सराहना की जानी चाहिए और यह पुरस्‍कार उचित दिया गया है.

          श्री नीरज विनोद दीक्षित - माननीय अध्‍यक्ष जी, जिसने 11 माह 23 दिन कार्य किया हो वह इस पुरस्‍कार से वंचित रह गया और जिसने 7 दिन कार्य किया उसको यह पुरस्‍कार मिला है, तो 11 माह वाले को क्‍या पुरस्‍कर मिलेगा?

            अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, सदस्‍य का बिलकुल स्‍पष्‍ट कहना है कि जो लंबे समय तक पदस्‍थ था, कार्यरत था उसको इस पुरस्‍कार से वंचित कर दिया गया है. जिसने सिर्फ 7 दिन कार्य किया उसको पुरस्‍कार दे दिया. प्रथम दृष्‍टया यह बड़ा स्‍पष्‍ट है. इस पर आप पुनर्विचार करें. माननीय विधायक को अपने पास बुलाए और जो माननीय विधायक चाह रहे हैं, जो वास्‍तविक में होना था, प्रथम दृष्‍टया दिख रहा है 7 दिन वालों को पुरस्‍कृत कर रहे है, लंबे कार्यकाल वाले को पुरस्‍कृत नहीं कर रहे हैं. ऐसी भावना है न सदस्‍य जी आपकी?

          श्री नीरज विनोद दीक्षित - जी अध्‍यक्ष महोदय.

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी कृपया विधायक की भावना को समझिए.

          श्री सुखदेव पांसे - माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी आपका आदेश शिरोधार्य हैं.      

 

 

 

 

 

 

 

 

 

आगर जिला अंतर्गत मार्ग निर्माण

[लोक निर्माण]

        3. ( *क्र. 341 ) श्री विक्रम सिंह राणा गुड्डू भैया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आगर जिला अंतर्गत कौन-कौन से ग्राम राजमार्ग/मुख्‍य डामर मार्ग से एकल संबद्धता से छूटे हुए हैं? कौन से मार्ग मुख्‍य जिला मार्ग के रूप में प्रस्‍तावित होकर प्रस्‍ताव प्रक्रियाधीन हैं? (ख) प्रश्‍नांश (क) के प्रकाश में दोहरी सम्‍बद्धता हेतु कौन-कौन से मार्ग के निर्माण के प्रस्‍ताव प्रक्रियाधीन हैं? (ग) विधान सभा क्षेत्र सुसनेर अंतर्गत इन्‍दौर-कोटा से लोलकी, माल्‍याहेड़ी से टिकोन, बड़ागांव से देहरीपाल, श्‍यामपुरा से कालवा डुंगरी, निपानियाखिंची से बल्‍डावदा हनुमान मंदिर मार्ग के प्रस्‍ताव प्रक्रियाधीन हैं? यदि हाँ, तो प्रस्‍ताव किस स्‍तर पर संचालित हैं एवं स्‍वीकृति कब तक होगी तथा क्‍या इन्‍दौर-कोटा रोड से अमरकोट धतुरिया मार्ग के प्रस्‍ताव प्रक्रियाधीन हैं? यदि हाँ, तो प्रस्‍ताव किस स्‍तर पर प्रचलित हैं एवं स्‍वीकृति कब तक होगी? (घ) प्रश्‍नांश (ग) का उत्‍तर यदि नहीं, है तो क्‍या स्‍व-प्रेरणा से उक्‍तानुसार उल्‍लेखित मार्गों के जनहित में स्‍व-प्रेरणा से विधिवत प्रस्‍ताव तैयार करवा कर साध्‍य होने पर स्‍वीकृति पर विचार कर प्रभावी कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?

        लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) : (क) मध्‍यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण परियोजना क्रियान्‍वयन इकाई शाजापुर-2 जिला आगर से प्राप्‍त जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। विभाग अंतर्गत आगर जिले में प्रस्‍तावित नवीन मुख्‍य जिला मार्गों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ख) दोहरी सम्‍बद्धता हेतु प्रस्‍तावित मार्गों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ग) जी हाँ। विस्‍तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (घ) उपयोगिता स्‍थापित होने पर स्‍वीकृति पर विचार संभव, वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

          श्री विक्रम सिंह राणा गुड्डू भैया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले विषय से हटकर, मैं एक निवेदन करूँगा. हमेशा जब नई विधानसभा गठित होती है तो विधायकों को प्रशिक्षण दिया जाता है और निश्चित रूप से उस प्रशिक्षण से उनको सदन की कार्यवाही में भाग लेने पर लाभ मिलता है, इस बार शायद हम लोग वंचित हैं. मेरे निवेदन पर माननीय अध्‍यक्ष महोदय निश्चित रूप से गौर करेंगे. दूसरा, मुझे भ्रमण के दौरान ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने सड़क निर्माण के लिए आवेदन दिए थे, मैंने माननीय मंत्री जी से निवेदन किया है. निश्चित रूप से माननीय मंत्री जी उनका निराकरण कराएंगे. धन्‍यवाद.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य की भावनाएं पवित्र हैं और क्षेत्र में विकास उनकी प्रथम प्राथमिकता है तो निश्चित रूप से हमारी सरकार की भी प्राथमिकता, इस मध्‍यप्रदेश के नवनिर्माण की है तो माननीय सदस्‍य की भावनाओं के अनुरूप जैसा वे चाहेंगे, हम प्राथमिकता के आधार पर वे सारे काम करेंगे.

ग्‍वालियर शहर वृत्‍त में विद्युतीकरण 

[ऊर्जा]

        4. ( *क्र. 190 ) श्री मुन्नालाल गोयल (मुन्ना भैया) : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शहर वृत्‍त ग्‍वालियर में म.प्र. वि. नियामक आयोग के विनियम 2009 (जी-31) की कंडिका (घ) पद क्रमांक 4.4.1 से 4.5.2 के अंतर्गत प्रोस्‍पेटिव कन्‍जूमर्स से अप्रैल, 2014 से दिसम्‍बर, 2018 तक कुल उपभोक्‍ताओं की संख्‍या एवं उनके द्वारा जमा कराई गई राशि की वर्षवार जानकारी देवें? (ख) क्‍या शहर वृत्‍त ग्‍वालियर में अवैध कॉलोनियों में विद्युतीकरण की कोई योजना है? विगत 2 वर्षों (दिनांक 01.04.2017 से 31.01.2019 तक) में ऐसे कुल कितने प्राक्‍कलन बनाए गये? क्रियान्‍वयन हेतु धन की व्‍यवस्‍था किस योजना से ओर कब तक की जावेगी? (ग) क्‍या वर्तमान में 2.12 लाख घरेलू उपभोक्‍ताओं के यहाँ विद्युत मीटर संयोजित हैं? यदि हाँ, तो फिर भी आंकलित खपत के बिल क्‍यों दिये जा रहे हैं? (घ) क्‍या शहर वृत्‍त ग्‍वालियर का आंकलित खपत सहित वृत्‍त बनाने की कोई योजना विचाराधीन है? यदि हाँ, तो कब तक पालन हो जावेगा?

        ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) : (क) म.प्र. विद्युत नियामक आयोग के विनियम, 2009 (आर जी 31 (1) ) की कंडिका (घ) के पद क्रमांक 4.4.1 से 4.5.2 के अन्‍तर्गत शहर वृत्‍त ग्‍वालियर की अवैध कालोनियों/असंगठित बस्तियों/अधिसूचित गन्‍दी बस्‍ती क्षेत्र एवं अन्‍य अधिसूचित क्षेत्रों के विद्युतीकरण कार्य हेतु राशि जमा करने वाले उपभोक्‍ताओं की संख्‍या एवं उनके द्वारा जमा कराई गई राशि का वर्षवार विवरण संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। (ख) म.प्र. विद्युत नियामक आयोग के विनियम, 2009 (आर जी 31 (1) ) के अधिसूचित होने की दिनांक 07.09.2009 की स्थिति में विद्यमान अवैध कालोनियों/असंगठित बस्तियों/अधिसूचित गन्‍दी बस्‍ती क्षेत्र एवं अन्‍य अधिसूचित क्षेत्रों में विद्युतीकरण के कार्य उक्‍त विनियमों में निर्धारित प्रक्रिया अनुसार आवेदक द्वारा आवश्‍यक राशि जमा कराए जाने अथवा नियमानुसार वितरण कंपनी के संबंधित कार्यालय में 5 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज जमा करवाकर स्‍वयं अनुज्ञप्ति प्राप्‍त ठेकेदार से संपादित कराए जाने का प्रावधान है। उक्‍त विनियमों के अन्‍तर्गत प्रश्‍नाधीन अवधि में शहर वृत्‍त ग्‍वालियर में कोई प्राक्‍कलन स्‍वीकृत नहीं किया गया। उक्‍त के अतिरिक्‍त प्रश्‍नाधीन क्षेत्र में अन्‍य कोई योजना प्रचलित नहीं है, अत: तत्संबंध में प्रश्‍नाधीन चाही गई अन्‍य जानकारी दिये जाने का प्रश्‍न नहीं उठता। (ग) शहर वृत्‍त ग्‍वालियर में वर्तमान में कुल 212746 घरेलू उपभोक्‍ता हैं, जिनके परिसर में मीटर स्‍थापित हैं। शहर वृत्‍त ग्‍वालियर में मीटरों में दर्ज खपत के अनुसार ही विद्युत बिल जारी किये जा रहे हैं। तथापि विद्युत प्रदाय संहिता 2013 के प्रावधानों के अनुसार बन्‍द/खराब मीटर वाले उपभोक्‍ताओं को नियमानुसार आंकलित औसत खपत के बिल जारी किये जा रहे हैं। उल्‍लेखनीय है कि उपभोक्‍ता के परिसर में बिजली की चोरी पाए जाने पर नियमानुसार अतिरिक्‍त यूनिट की बिलिंग भी की जाती है। (घ) जी नहीं। शहर वृत्‍त ग्‍वालियर को आंकलित खपत रहित वृत्‍त बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है, किन्‍तु वर्तमान में इस हेतु निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

परिशिष्ट - ''एक''

          श्री मुन्‍नालाल गोयल (मुन्‍ना भैया) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से तारांकित प्रश्‍न के माध्‍यम से शहर वृत्‍त ग्‍वालियर की विद्युतीकरण के संबंध में मेरा प्रश्‍न है. यह प्रश्‍न ''  में 2009 से 2014 तक की जानकारी मेरे द्वारा मांगी गई थी कि उपभोक्‍ताओं द्वारा इसमें कितनी राशि जमा कराई गई ? लेकिन विभाग ने केवल 2014 से 2018 तक की जानकारी दी है, 2009 से 2014 तक की जानकारी उन्‍होंने छिपा ली है, इन्‍होंने पांच वर्ष की जानकारी नहीं दी है. ऐसा लगता है कि अधिकारी सदन को गुमराह करने का काम कर रहे हैं. मैंने सदन में प्रश्‍न किया था कि अवैध कॉलोनी के संबंध में, हमारे क्षेत्र के अन्‍दर करीब, जो विभाग ने जानकारी दी है, उसके अंतर्गत 1111 उपभोक्‍ताओं ने करीब 58 लाख रुपये जमा कराये थे और राशि जमा इसलिए करवाई थी कि इस क्षेत्र में विद्युतीकरण का कार्य हो जाएगा लेकिन अभी तक उस क्षेत्र के अन्‍दर पैसा जमा कराने के बाद भी विद्युतीकरण का कार्य नहीं हुआ है तो यह उपभोक्‍ताओं के साथ अमानत में खयानत है. वर्ष 2012 में ग्‍वालियर के अन्‍दर एपीडीआरपी योजना में करीब 196 करोड़ रुपये आया और यह काम वहां की स्‍थानीय कंपनी मोल्‍टे कार्लो कंपनी को दिया गया. इसका काम था कि ग्‍वालियर में जो असंगठित बस्तियां हैं, गंदी बस्तियां हैं, वहां विद्युतीकरण कार्य किया जाये. लेकिन उन क्षेत्रों में अभी तक काम नहीं हुआ है. प्रश्‍न '' में जो जानकारी दी गई है कि 2,12,746 उपभोक्‍ता हैं. जिनके घरों में मीटर स्‍थापित हैं. लेकिन आज भी ग्‍वालियर के अन्‍दर 50,159 उपभोक्‍ता ऐसे हैं, जिनके यहां आंकलित खपत के बिल भेजे जा रहे हैं. जब आपने 2,12,746 उपभोक्‍ताओं के घरों में मीटर स्‍थापित कर दिए हैं तो फिर आज भी ग्‍वालियर में 50,159 उपभोक्‍ताओं को आंकलित खपत के बिल क्‍यों भेजे जा रहे हैं.    

          श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न में माननीय विधायक जी ने जो जानकारी चाही है, वह जानकारी हमने उपलब्‍ध कराई है. 2009 के नियम का उल्‍लेख उन्‍होंने विद्युत नियामक आयोग से किया है लेकिन जानकारी उन्‍होंने 2009 से नहीं मांगी थी. अगर वे चाहेंगे तो उनको वह जानकारी उपलब्‍ध करा देंगे. जहां तक प्रश्‍न है कि ग्‍वालियर शहर वृत्‍त में करीब 2,12,746 विद्युत उपभोक्‍ता हैं, जो कॉलोनियां अवैध थीं और जिसमें विद्युतीकरण नहीं हो पाया है, उन कॉलोनियों में विद्युतीकरण की कार्यवाही के लिए विभाग के पास कोई अलग से मद नहीं है. मेरा यह अनुरोध है कि यह जो 2,12,746 में से करीबन अभी तक जो औसत आंकलन जिनका 27,000 करीब उपभोक्‍ताओं को औसत आंकलित खपत के आधार पर बिल दिए जा रहे हैं. हम मीटर लगाने का काम जुलाई, 2019 तक पूरा कर देंगे. यह मैं माननीय विधायक जी को बताना चाहता हूँ.      

            श्री मुन्‍नालाल गोयल (मुन्‍ना भैया) - माननीय मंत्री जी, जिन लोगों की आपके पास सूची है कि करीब 11 सौ 11 लोगों ने 58 लाख रूपये जमा कराया है तो इस संबंध में मैं यह जानना चाहता हूं कि इन लोगों के यहां कब तक विद्युतीकरण का कार्य हो जायेगा ?

          श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो 11 सौ 11 उपभोक्‍ता हैं इनको स्‍थायी विद्युत कनेक्‍शन तो दे दिया गया है परंतु 58 लाख रूपये जो इन लोगों ने जमा कराया है, वह 3 हजार रूपये प्रति किलो वॉट के हिसाब से जमा कराया है परंतु यह वहां पर विद्युतीकरण करने के लिये नाकाफी है. अगर हमें किसी योजना से माननीय विधायक जी, माननीय सांसद जी अपने मत से या स्‍मार्ट सिटी ग्‍वालियर आता है तो शहरी विकास मंत्रालय से अगर इसके लिये हमें कुछ पैसा मिलता है तो हम इनका विद्युतीकरण का कार्य पूरा कर देंगे.

          श्री मुन्‍नालाल गोयल (मुन्‍ना भैया) - माननीय अध्‍यक्ष जी, मेरा प्रश्‍न अभी अधूरा रह गया है. प्रश्‍न में यह जवाब दिया है कि शहर वृत्‍त ग्‍वालियर को आंकलित खपत रहित वृत्‍त बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है, लेकिन इसमें कोई समय सीमा नहीं दी गई है. मैं कहना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी के राज में भी जो ऊर्जा मंत्री थे उन्‍होंने भी ग्‍वालियर के अंदर जो 204 फीडर रहित हैं, इनको आंकलित खपत रहित बनाने का आश्‍वासन दिया था लेकिन अभी तक ग्‍वालियर में कोई फीडर आंकलित खपत रहित नहीं है. मैं यह जानना चाहता हूं कि  आपकी यह जो योजना है उसमें ग्‍वालियर के अंदर जो 204 फीडर रहित हैं ये आंकलित खपत रहित कब तक हो जायेंगे ?

          श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें आंकलित खपत इसलिये दी जा रही है कि क्‍योंकि मीटर खराब है या मीटर नहीं लग पायें. मैंने अभी कहा कि छ: माह हम यह पूरा कार्य कर देंगे.

           

नल-जल योजना का क्रियान्‍वयन

[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]

5. ( *क्र. 637 ) श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या मध्यप्रदेश की पिछली सरकार ने नल-जल योजना की शुरूआत की थी? यदि हाँ, तो आज भी लोगों को पानी के लिये दूर-दूर क्‍यों जाना पड़ता है? (ख) प्रदेश में नल-जल योजना के क्या आंकड़े हैं? (ग) दमोह जिले के कितने ग्रामों तक यह योजना पहुँची है? ग्रामवार आंकड़े देवें।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। (ख) 15555 नल-जल योजनायें। (ग) 355 ग्रामों तक। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, पूर्व में जो बीजेपी की सरकार थी उस समय नल-जल योजना की शुरूआत की गई थी. सरकार ने तो आज भी बोला था कि घर-घर पानी पहुंचेगा परंतु आज भी पूरे मध्‍यप्रदेश की स्थिति भी यही है और मैंने अपने दमोह जिले में भी देखा है. मैं अपने दमोह जिले की जो स्थिति  आपके सामने रखना चाहती हूं कि कहीं भी कोई भी नल-जल योजना पूर्ण नहीं हुई है. आज तक कोई भी नल जल योजना पूर्ण नहीं हुई है. आज भी लोग दर-दर पानी के लिये भटकते हैं और जितनी भी योजना शुरूआत की थी यह पूरी बलि चढ़ चुकी है, अरबों रूपये खप चुके हैं परंतु आज तक किसी के यहां भी पानी की एक टोंटी तक नहीं लगी है, न ही किसी के यहां यह पानी पहुंचा है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपका प्रश्‍न क्‍या है ?

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह - पूर्व में बीजेपी की सरकार ने जो नल जल योजना की शुरूआत की थी. इन्‍होंने गांव गांव में नल-जल योजना की शुरूआत की थी कि गांव-गांव में पानी पहुंचेगा और इसके मैंने आंकड़े भी गांव वार मांगे थे परंतु इसमें सीधा-सीधा आंकड़ा दिया है गांव वार, जिला वार आंकड़ा नहीं दिया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -  श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह जी आप क्‍या चाह रही हैं. आपका कोई दमोह से संबंधित या पथरिया से संबंधित कोई प्रश्‍न हो तो बतायें.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह - हां दमोह और प‍थरिया से संबंधित प्रश्‍न है. नल-जल योजना की शुरूआत पूर्व की सरकार ने की थी कि गांव-गांव में घर-घर नल-जल योजना पहुंचेगी परंतु आज भी वह योजनायें फेल हैं और कहीं पर भी किसी को पानी नहीं पहुंचा हैं न कहीं पर कोई पानी की व्‍यवस्‍था हुई है एक-एक पंचायत में करोड़ों रूपये की नल जल योजना शुरू की थी, परंतु वह सारी योजनायें फेल हो चुकी हैं तो मैं उसी की जानकारी चाहती हूं कि कहां पूरी नल जल योजना हुई, किस गांव में पूरी नल-जल योजना पूर्ण की गई है. एक भी गांव का आंकड़ा मुझे पूरा इसमें नहीं दिया गया कि फलानी जगह नल-जल योजना संपन्‍न है और फलाने गांव में पूरी योजना का पानी पूरा मिल रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपके पास यह पूरी ग्रामवार की जानकारी विभाग ने परिशिष्‍ट में उपलब्‍ध कराई है.

            श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- मैं उस जानकारी से संतुष्ट नहीं हूं क्योंकि वह असत्य जानकारी है.

          अध्यक्ष महोदय- ठीक है, अब ऐसा है कि आपका जो प्रश्न है उसके अनुसार आपकी विधानसभा से संबंधित ऐसे जो ग्राम हैं जहां आपने पाया है कि इन योजनाओं में कहीं न कहीं त्रुटि है या योजना नहीं चल रही है ऐसी योजनाओं की एक सूची बनाकर के आप माननीय मंत्री जी को दे दीजिये. मैं आपके माध्यम से उन्हें कह रहा हूं कि जो सूची माननीय सदस्या दें उस पर त्वरित और जल्दी से जल्दी कार्यवाही हो ताकि विधायक जी संतुष्ट हो. ठीक है.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह --धन्यवाद.

 

 विधानसभा क्षेत्र आमला अंतर्गत संचालित नल-जल योजनाएं

[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]

6. ( *क्र. 527 ) डॉ. योगेश पंडाग्रे : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 5 वर्षों में आमला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के तहत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कितनी नल-जल योजनाएं स्वीकृत की गई हैं? ग्रामवार जानकारी दें। (ख) इन स्वीकृत नल-जल योजनाओं में से कितनी योजनाएं वर्तमान में चालू हैं तथा कितनी योजनाएं पाईप लाईन टूटने तथा नलकूप के सूखने आदि कारणों से बंद हैं? (ग) जिले में अत्यंत कम वर्षा के चलते बंद नल-जल योजनाओं को प्रारंभ करने एवं चालू नल-जल योजनाओं के बन्द न होने के लिये शासन की क्या योजना है?

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्री सुखदेव पांसे ) : (क) 16 नल-जल योजनाएं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) 9 योजनाएं चालू हैं तथा 7 नल-जल योजनाओं के क्रियान्वयन का कार्य प्रगतिरत एवं प्रक्रियाधीन है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) हस्तांतरित नल-जल योजनाओं के संचालन-संधारण का दायित्व संबंधित ग्राम पंचायतों का है। बंद नल-जल योजनाएं यथाशीघ्र चालू की जा सकें, इस हेतु शासन द्वारा प्रत्येक जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति को रु. 20.00 लाख प्रति योजना प्रतिवर्ष तक के मरम्मत के कार्यों की स्वीकृति के अधिकार सौपें गये हैं।

परिशिष्ट - ''दो''

 

 

          डॉ. योगेश पंडाग्रे :  माननीय अध्यक्ष महोदय, मै आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि विगत पांच वर्षों में आमला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के तहत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कितनी नल जल योजनायें स्वीकृत की गई हैं और इसमें से वर्तमान में कितनी योजनायें चालू हैं और कितनी योजनायें पाईप लाईन टूटने और नलकूप सूखने के कारण बंद हैं . जानकारी उपलब्ध करा दें.

          श्री सुखदेव पांसे- माननीय अध्यक्ष महोदय, आमला विधानसभा में 10 नल जल योजनायें हैं उसमें से प्रगतिशील योजनायें 6 हैं और 4 योजनायें अधूरी हैं.

          डॉ. योगेश पंडाग्रे :  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के संज्ञान में इस बात को लाना चाहूंगा कि उत्तर में जो 10 योजनायें चालू बताई जा रही हैं यह सदन को थोड़ा गुमराह करने वाली स्थिति है क्योंकि लालावाड़ी नल जल योजना भी पानी की कमी के कारण बंद है, अम्बाड़ा नलजल योजना में सिर्फ 15 दिन में एक बार पानी आ रहा है. इन योजनाओं को व्यवस्थित रूप से चालू करने के लिये मंत्री जी से अनुरोध है कि जल्दी से जल्दी चालू करवायें. चूंकि मंत्री जी हमारे क्षेत्र से ही हैं उन्हें भी इस बात की जानकारी है कि क्षेत्र में लगातार हो रही अल्प वर्षा के कारण डेम सूखे हैं और पानी का जल स्तर निरंतर गिरता जा रहा है, हमारा विधानसभा क्षेत्र पठारी होने के कारण अधिकांश पानी बह जाता है तो पानी की कमी की पूर्ति के लिये विभाग के पास स्थायी समाधान की क्या कोई योजना है ?

          श्री सुखदेव पांसे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे माननीय सदस्य ने वस्तुस्थिति से अवगत कराया है वह मुझे लिखकर के दे दें, क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी की यह इच्छा है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हमें भारतीय जनता पार्टी को भी पानी पिलाना है, जनता जनार्दन को  पानी पिलाना है, कांग्रेस पार्टी को भी पानी पिलाना है .

          श्री रामेश्वर शर्मा -- मंत्री जी जनता को पानी पिला दें सब नल जल सूखे पडे हैं. पार्टियों को पानी मत पिलाओ, आप जनता को पानी पिलाओ.

          श्री सुखदेव पांसे- रामेश्वर भाई आपका कहना सही है कि नल जल योजनायें बंद पड़ी हैं.

          इंजीनियर प्रदीप लारिया -- मंत्री जी यह बता दें कि 2 माह में कितनी योजनायें आपने बनाई हैं ?

          अध्यक्ष महोदय- कृपया अपने अपने स्थान पर बैठें.

          श्री सुखदेव पांसे- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी केन्द्र में शहरी विकास मंत्री थे तो शहरी विकास के रूप में उन्होंने शहर की नल जल योजना के लिये यू.एस.एम.टी.आई. योजना के तहत करोड़ों-अरबों रूपये प्रदेश की सरकार को दिये थे. नर्मदा जल भोपाल में जो मिल रहा है वह उसी समय प्रदेश को राशि उपलब्ध कराई थी उसके कारण आया है. जब हमारे मुख्यमंत्री केन्द्र में भूतल परिवहन मंत्री थे तब इन्होंने पूरे देश का आधा पैसा इस प्रदेश को टू लेन और फोर लेन सड़क बनाने के लिये दिया था. मैं महसूस करता हूं कि जो नल जल योजनायें बंद पड़ी हैं, जो टंकियां दिख रही हैं, पाईप लाईन बिछी है लेकिन जल के स्त्रोत का ही पता नहीं है, 15 साल तक कुछ किया नहीं तो बंद ही पड़ी रहेगी. मैं आपके आदेश का निश्चित तौर पर संज्ञान लेता हूं और जितनी भी नल जल योजनायें बंद पड़ी हैं उसके स्रोत को जीवित किया जायेगा, स्‍थाई स्रोत उसमें शुरू किया जायेगा और उन नल जल योजनाओं को पूर्ण किया जायेगा और जो जीर्ण-शीर्ण नल जल योजनायें हैं सदस्‍य महोदय आप लिखकर दे दें, डॉ. पंडाग्रे भी लिखकर दे दें और जो आपकी दो योजनायें आमला की है, अभी तक बार-बार टेण्‍डर बुलाये गये थे, लेकिन वह टेण्‍डर निरस्‍त हो गये, हमने तत्‍काल आपके प्रश्‍न के बाद संज्ञान लिया और टेण्‍डर आ गये हैं और जल्‍दी से जल्‍दी दोनों योजनायें जो आपके दोनों गांव की हैं वह टेण्‍डर खोलकर जल्‍दी से जल्‍दी उसका कार्य शुरू किया जायेगा. मैं आपको आश्‍वस्‍त करता हूं, पेयजल के मामले में आप वस्‍तुस्थिति मुझे लिखकर दे दें, उन गांवों के पेयजल का निराकरण किया जायेगा. ..(व्‍यवधान)..

          श्री विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय के मुख्‍यमंत्री कहते थे कि जब नर्मदा जल आयेगा तो सोने से महंगा होगा, यह भाजपा की सरकार भोपाल में नर्मदा जल लेकर आई है, शिवराज जी को धन्‍यवाद है.

          डॉ. योगेश पंडाग्रे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी को भी मैं कहना चाहूंगा कि जल्‍द से जल्‍द इन योजनाओं को चालू कर दें और जनता को पानी पिला दें नहीं तो जनता आपको पानी पिलाने के लिये तैयार बैठी है. धन्‍यवाद.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा--  हम इस झगड़े में नहीं पड़ना चाहते मैं तो मंत्री जी को यह सुझाव देना चाहता हूं. .. (व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  कृपा करके प्रश्‍नकाल में मैं जिन्‍हें एलाऊ करूं वही बोलें.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा--  एक मेरा सुझाव है, मेरे यहां भी 57 पंचायतें हैं, माननीय मंत्री जी ने बहुत अच्‍छी बात कही है, मैं यह निवेदन कर देना चाहता हूं कि किसी भी पंचायत में 7-8 सौ फीट तक पानी नहीं है और इसलिये सारे गांव के जो तालाब हैं उनका गहरीकरण कराया जाये तो शायद भविष्‍य में हमारी यह योजनायें चल पायेंगी.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप भी मेरी बात सुनिये मंत्री जी, प्रश्‍न क्षेत्र विशेष से था, वहां तक सीमित रहेंगे तो सभी लोग सीमित रहेंगे. मेहरबानी करियेगा. आप लोगों से भी प्रार्थना है, आमला का है, मत आगे बढि़ये.

          कुंवर विजय शाह--  (XXX)  ...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  कृपया बैठ जायें, हर विधायक का प्रश्‍न महत्‍वपूर्ण है, कृपया आप समय जाया न करें. यह कुछ नहीं लिखा जायेगा.

           कुंवर विजय शाह--  (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय--  जो मेरे से बिना पूछे कहे, वह कुछ नहीं लिखा जायेगा.

 

एन.एच. 92 पर टोल टैक्‍स की वसूली 

[लोक निर्माण]

7. ( *क्र. 564 ) श्री अरविंद सिंह भदौरिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या राष्‍ट्रीय मार्ग (NH) क्रमांक 92 ग्‍वालियर-इटावा मार्ग पर P.N.C. कम्‍पनी द्वारा टोल टैक्‍स वसूल किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कब से? अनुबंधानुसार P.N.C. कम्‍पनी को कितने वर्षों तक सम्‍पूर्ण मार्ग का नवीनीकरण करना है? अनुबंध की प्रति देते हुये बतावें। (ख) क्‍या P.N.C. कम्‍पनी ने अनुबंधानुसार सम्‍पूर्ण मार्ग का नवीनीकरण किया है? यदि हाँ, तो कब-कब? MPRDC के किस-किस अधिकारी के द्वारा कब-कब मार्ग का निरीक्षण किया? निरीक्षण प्रतिवेदन देंवे? यदि P.N.C. कम्‍पनी द्वारा अनुबंधानुसार मार्ग का नवीनीकरण नहीं किया गया है तो उसके विरूद्ध विभाग द्वारा क्‍या कार्यवाही की गई? (ग) P.N.C. कम्‍पनी द्वारा उपरोक्‍त मार्ग निर्माण के दौरान कितने पेड़ काटे गये थे? अनुबंधानुसार कम्‍पनी को एक पेड़ काटने पर कितने पेड़ लगाने थे? क्‍या कम्‍पनी द्वारा अनुबंधानुसार पेड़ लगाये गये हैं? यदि हाँ, तो कितने पेड़ काटे एवं कितने लगाये गये? क्‍या कम्‍पनी द्वारा पेड़ लगाये ही नहीं गये? यदि पेड़ लगाये हैं तो प्रश्‍न दिनांक तक कितने पेड़ जीवित हैं? MPRDC के किस अधिकारी द्वारा पेड़ों का सत्‍यापन किया गया था? (घ) NH92 राष्‍ट्रीय मार्ग की भार क्षमता कितने टन की है एवं टोल प्‍लाजा पर कितने टन तक के भार क्षमता वाले वाहन पास किये जा रहे हैं? ओवर लोडिंग वाहनों को पास करने के क्‍या नियम हैं? क्‍या टोल प्‍लाजा पर निर्धारित भार क्षमता से अधिक भार क्षमता के वाहन पास किये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो क्‍या इसके लिए टोल प्‍लाजा के कर्मचारियों द्वारा अधिक राशि वसूली जा रही है? यदि हाँ, तो कितनी? यदि नहीं, तो क्‍यों एवं क्‍या ओवर लोडेड वाहनों से अधिक क्षमता का भार कम करके टोल प्‍लाजा के गोदाम में रखने का नियम है? यदि हाँ, तो कब-कब कितना-कितना माल रखा गया, कितनी अतिरिक्‍त राशि वसूल की गई?

लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। दिनांक 06.03.2013 से। सम्पूर्ण मार्ग का नवीनीकरण प्रारंभिक डिजाईन पीरियड (10 वर्ष) की समाप्ति पर करना है। अनुबंध की प्रति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता है जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' पर अनुबंध अनुसार नवीनीकरण आवश्यक नहीं अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है।

          श्री अरविन्‍द सिंह भदौरिया--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि विभाग द्वारा सदन को दिया गया उत्‍तर सही है या दिनांक 28.03.2018 को जीएम. एमपीआरडीसी इंस्‍पेक्‍शन नोट्स इस मार्ग में जारी किया गया है, वह सही है. प्रश्‍न के भाग 'क' व 'ग' के उत्‍तर व इंस्‍पेक्‍शन नोट के बिन्‍दू 1 व 10 विरोधाभासी हैं, मंत्री जी स्‍पष्‍ट करें कि आपका उत्‍तर सही है या इंस्‍पेक्‍शन नोट सही है, उसके बाद मैं आपसे प्रश्‍न का आग्रह करता हूं.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस विधान सभा में माननीय विधायकों के जो प्रश्‍न पूछे जाते हैं उसके उत्‍तर सही दिये जाते हैं, इसमें कहीं कोई कंट्रोवर्सी नहीं है.

          श्री अरविन्‍द सिंह भदौरिया--  माननीय मंत्री महोदय, जो आपने एमपीआरडीसी की इंस्‍पेक्‍शन रिपोर्ट दी है उसमें से 10 से 12 जो बिंदू दिये हैं और जो आपने उत्‍तर दिये हैं, दोनों का कंट्रोवर्सियल है. पहले एक बिंदू देखेंगे आपने जो रिपोर्ट दी है, यह मोटी-सी (रिपोर्ट दिखाते हुये) है, इसमें 37 बार एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने वहां के टोल के इंचार्ज को लिखा है, जो मालिक लोग थे कंपनी के, इसमें पहले प्‍वाइंट में मैं पढूंगा तो इसमें लिखा है-''Renewal of entire stretch is due in the year 2018. Most of the surface along the full stretch is having hungry surface, hence renewal is badly required. Road Surface was found damaged on km 57 to km 62.  

          अध्यक्ष महोदय - विधायक जी, आप दुरुस्त हैं.

          श्री के.पी.सिंह " कक्काजू" - कालेज जमाने में मेरी सारी कापियां नरोत्तम मिश्रा जी लिखते थे.

          अध्यक्ष महोदय - आप बिल्कुल दुरुस्त प्रश्न कर रहे हैं और मुझे प्रसन्नता है.

          श्री अरविन्द सिंह भदौरिया - आभार अध्यक्ष जी,  दसवें प्वाइंट में लिखा है कि टोटल 2365 पेड़ रोड के निर्माण में काटे गये. 10 प्रतिशत बढ़ाकर पेड़ लगाने थे तो इसमें टोटल 23800 पेड़ लगाये गये. आप इसको स्वीकार कर रहे हैं कि 23800 पेड़ अभी तक जिंदा है. बड़े-बड़े हो गये हैं. 22 से 25 फीट हो गये हैं. रोड से 5 फीट आगे लगे हुए हैं. सभी प्रकार से अच्छी व्यवस्थाएं हो गई हैं लेकिन आप दसवां प्वाइंट पढ़ेंगे उसमें क्लियर है - "  Concessionaire is utterly failed in his contractual obligation to provide avenue plantation along the road. It was reported that approximately 23000 plants were planted by Concessionaire. but it is unfortunate that hardly 10% of them survived and they are also placed on the side slopes of the embankment which is against the provision of IRC-SP-2 and higly unsafe for road users. If avenue plantation would have maintained during 5 years after COD then plants could have attained substantial growth of approximately 20-30 feets. Suitable recoveries should be proposed by Divisional Manager MPRDC Chambal for cost of plantation,maintenance expenses during 5 years and environmental losses for the missing avenue plantation. "

            श्री सज्जन सिंह वर्मा - मैं यह बोल रहा था कि अटक-अटक कर पढ़ रहे हैं इंग्लिश में इससे तो हिन्दी में ही बोल दें. काहे ऐसा कर रहे हैं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -  मैं भी यही कह रहा था.

          कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष जी तो समझ रहे हैं ना.

          श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" - अंग्रेजी की हिन्दी तो आप कर दो. जिससे मंत्री जी को समझ में आए नहीं तो मंत्री जी को समझ नहीं आएगा.

          नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव) - मंत्री जी की समझ में आ जायेगा.मंत्री जी का घर  डेली कालेज के पड़ोस में है. वहां से बच्चे निकलते हैं  तो आपके लिये इतनी अंग्रेजी तो आने लगी होगी.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा -हमारी चिंता का विषय यह नहीं है. हमारी चिंता का विषय यह है कि समय भी हो जायेगा क्योंकि अटक-अटक कर हमारे माननीय सदस्य बोल रहे हैं. समय ज्यादा लग रहा है. समय भी हो जायेगा. स्टेट फारवर्ड हिन्दी में बोल दें.

          अध्यक्ष महोदय -  एक समझदार प्रश्न कर रहा हो दूसरा समझदार सुन रहा हो. हम लोग बीच में क्यों बोल रहे हैं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र -  हिन्दी वाली बात आ गई थी तो मैंने कहा कि इससे ज्यादा हिन्दी क्या होगी आपकी.

          अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, जो नियमों में लिखा गया है तद्नुसार विभाग कार्यवाही नहीं कर रहा है. ऐसा माननीय सदस्य का प्रश्न है. क्या जो नियमावली है तद्नुसार जो प्रश्न किया गया है वैसी कार्यवाही आपके विभाग द्वारा की जायेगी.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, उसी के अनुसार की गई है.

          डॉ.गोविन्द सिंह -  अध्यक्ष महोदय, मैं अरविन्द भदौरिया से पूछना चाह रहे हैं. जो उन्होंने पढ़ा उसकी हिन्दी बता दें.

          अध्यक्ष महोदय - देखो भईया, दोई भिण्ड वालों के बीच में तो हम  पड़ नई सकैं.

श्री अरविंद सिंह भदौरिया - डॉक्टर गोविन्द सिंह जी तो बड़े विद्वान व्यक्ति हैं उनसे बड़ा विद्वान मुझे लगता है कि विधान सभा में कोई नहीं है, इसलिए मैं उनका सम्मान करता हूं. अध्यक्ष महोदय, इसका हिन्दी में मैं अनुवाद कर देता हूं. दसवें बिन्दु में बताया गया है कि 2300 पेड़ काटे गये और 23000 पेड़ लगाये गये. आपके अधिकारी ने यह रिपोर्ट दी है कि मात्र 10 परसेंट पेड़ ही जीवित हैं, जो आपने प्रपत्र दो मुझे दिया है. मात्र 10 परसेंट पेड़ ही जीवित हैं, इसलिए पहले मैंने आपसे प्रश्न किया था कि आपने जो उत्तर दिया है उस पर बात करूं कि प्रपत्र दो जो अधिकारियों ने दिया है उस पर बात करूं? माननीय मंत्री महोदय, इसमें दो विषय हैं. एक तो यह विषय है कि इसका बेसिक नियम क्या है कि रोड खराब है, रोड टूटी हुई है, भिण्ड जिले के 4-5 विधायक यहां पर बैठे हैं. माननीय मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह जी, श्री संजीव सिंह जी, श्री ओ.पी. एस भदौरिया जी, श्री रणवीर जाटव जी, आप इनसे भी सदन में पूछ लीजिए कि रोड टूटी हुई है, इसका क्या नियम है कि कितने दिन तक डेमेज होने के बाद टोल वसूलने का अधिकार कंपनी को है और कितन दिन में उसको ठीक करने का नियम है?

श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, हमने  सदन में जो रिपोर्ट वृक्षों की दी है, उस संख्या से ज्यादा वृक्ष लगे हुए हैं. यदि माननीय सदस्य चाहें तो आपका वरिष्ठ अधिकारी के साथ निरीक्षण हम करा देते हैं. दूसरी बात, यह सड़क निरंतर रिपेयर की जा रही है. जो आपका मूल प्रश्न है आपकी इच्छा है कि यह रिन्युअल हो जाय. हमारे विभाग से जो अनुबंध है, कांट्रेक्टर महोदय ने जो अनुबंध किया है, 10 साल के बाद उसका रिन्युअल होना है. वर्ष 2013 में अनुबंध हुआ है और वर्ष 2023 में उसका रिन्युअल करना है, उसके बाद भी कांट्रेक्टर ने हमारे दबाव में आकर कहा है कि एक मार्च से हम इसका रिन्युअल चालू करेंगे.

श्री अरविंद सिंह भदौरिया - माननीय मंत्री महोदय, इसका मतलब है कि जो अधिकारी ने रिपोर्ट दी है, जो टॉप अधिकारी है, वह रिपोर्ट में क्या कह रहे हैं, आप उसको थोड़ा पढ़िए वह इंग्लिश में है कि 10 परसेंट पेड़ जिंदा हैं.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - आप तारीख देखकर बता देना कि वह कब की रिपोर्ट है?

श्री अरविंद सिंह भदौरिया - मैं तारीख बता देता हूं.

श्री संजीव सिंह संजू - अध्यक्ष महोदय, यह विषय हमारे क्षेत्र का भी है, हम लोग सभी उसी क्षेत्र से आते हैं. मैं यह बताना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है वह सही नहीं है. वहां पर 10 परसेंट भी वृक्ष नहीं लगे हुए हैं. दुर्घटनाएं लगातार होती हैं. सबसे बड़ी बेसिक परेशानी यह है कि वसूली कोई और कर रहा है रोड किसी और ने बनाई है.

अध्यक्ष महोदय - अभी मूल प्रश्नकर्ता सदस्य खड़े हैं. आप विराजिए.

श्री अरविंद सिंह भदौरिया - अध्यक्ष महोदय, अभी विषय समाप्त नहीं हुआ है. आपका संरक्षण चाहता हूं. मैं तो कह रहा हूं कि डॉ. गोविन्द सिंह जी यदि यस कर दें तो मैं बैठ जाऊंगा, मैं प्रश्न नहीं करूंगा.

श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं तो पांचों विधायकों से अनुरोध कर रहा हूं कि आप पांचों और वरिष्ठ अधिकारी आपके साथ में भेज देते हैं, आप फिजिकली जाकर देख लें, जितनी हमने घोषणा की है, उससे ज्यादा वृक्ष वहां पर लगे हुए हैं.

श्री संजीव सिंह संजू - अध्यक्ष महोदय, मैं तो आपसे यही निवेदन कर रहा हूं कि जब तक रोड रिपेयर न हो, तब तक उसको आप टोल फ्री कर दें? जब तक रोड रिपेयर नहीं हो जाती है टोल वसूलने का अधिकार कंपनी को नहीं है. ऐसे कई निर्णय देश में पहले हो चुके हैं .

श्री अरविंद सिंह भदौरिया -रिन्युअल करने तक उसकी टोल वसूली बंद कर दें.

श्री सज्जन सिंह वर्मा -अध्यक्ष महोदय, आप चाहे  माननीय विधायक जी, अनुबंध की कापी आपको दे देते हैं जो शर्तें उसमें हैं,उन्हें आप पढ़ लीजिए, यदि उसके बाद आपको लगे कि गलत उत्तर है तब हम और आप बात कर लें.

श्री अरविंद सिंह भदौरिया - अध्यक्ष महोदय, उसका रिपेयर जब तक न हो जाय, उसमें टोल टैक्स लेना बंद किया जाय, वहां पर कई लोगों के एक्सीडेंट हो गये हैं. माननीय मंत्री जी इसमें प्रावधान है आप उसका अध्ययन करिए. अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है. मेरी विनम्र प्रार्थना है, यह जनहित का विषय है. चार-चार विधायक खड़े हैं, तीन कांग्रेस के विधायक खड़े हैं, एक बीजेपी के विधायक खड़े हैं. एक विषय को कह रहे हैं. एक सेकण्ड का उत्तर है कि जब तक रोड पूरी कंप्लीट न हो जाय तब तक टोल टैक्स की वसूली बंद की जाय, ऐसा हम सबका मत है और डॉ. गोविन्द सिंह जी का भी मत है.

रेत खदानों में उत्‍खनन 

[खनिज साधन]

8. ( *क्र. 656 ) श्री राहुल सिंह लोधी : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) टीकमगढ़ जिले में कुल कितनी रेत खदानें आज दिनांक तक खनन हेतु स्‍वीकृत हैं? उनमें से कितनी खदानों में उत्‍खनन चल रहा है एवं कितनी बंद हैं? स्‍वीकृत खदानों से उत्‍खनन की अनुज्ञा किन-किन कम्‍पनियों को दी गई है? (ख) क्‍या उक्‍त स्‍वीकृत खदानों का सीमांकन (Demarcation) किया गया है? यदि नहीं, तो क्‍यों? (ग) यदि हाँ, तो सीमांकन के अलावा उत्‍खनन हुआ है या नहीं? (घ) यदि हाँ, तो अवैध उत्‍खनन के विरूद्ध क्‍या कार्यवाही की गई? क्‍या कोई अर्थदण्‍ड अधिरोपित किया गया है? यदि हाँ, तो उसमें से कितनी वसूली शेष है और क्‍यों?

खनिज साधन मंत्री ( श्री प्रदीप जायसवाल ) : (क) टीकमगढ़ जिले में आज की स्थिति में मध्‍यप्रदेश राज्‍य खनिज निगम के पक्ष में 24 रेत खदानें स्‍वीकृत हैं। मध्‍यप्रदेश राज्‍य खनिज निगम से प्राप्‍त जानकारी अनुसार उनमें से केवल 02 रेत खदानों में उत्‍खनन कार्य चल रहा है। शेष 22 खदानों में से 21 खदानों का समर्पण ठेकेदारों द्वारा रेत खनन नीति, 2017 एवं मध्‍यप्रदेश रेत नियम, 2018 के तहत कर दिया गया है। 01 खदान में वैधानिक अनुमति प्राप्‍त नहीं होने से खनन कार्य बंद है। निगम की 02 संचालित खदानों में जिन कं‍पनियों द्वारा कार्य किया जा रहा है, उनका विवरण संलग्‍न परिशिष्‍ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। इसके अलावा टीकमगढ़ जिले में 09 खदानें संबंधित ग्राम पंचायतों को संलग्‍न परिशिष्‍ट के प्रपत्र-ब अनुसार हस्‍तांतरित की गईं हैं, जिनमें से 05 खदानें संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा संचालित हैं। (ख) मध्‍यप्रदेश राज्‍य खनिज निगम को उपरोक्‍त 24 खदानें पूर्व से उत्‍खनिपट्टे पर स्‍वीकृत हैं। ठेकेदारों द्वारा खनन योजना बनाते समय खदान क्षेत्रफल की सीमायें निर्धारित कराई गईं हैं, जिनके अक्षांश व देशांस का विवरण उनकी खनन योजना में है। (ग) टीकमगढ़ जिले में स्‍वीकृत खदान क्षेत्रों के बाहर अवैध उत्‍खनन होना पाया गया है, जिस पर की गई कार्यवाही का विवरण संलग्‍न परिशिष्‍ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (घ) अवैध उत्‍खनन के विरूद्ध की गई कार्यवाही की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है।

परिशिष्ट - ''तीन''

 

श्री राहुल सिंह लोधी - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि टीकमगढ़ जिले में कुल कितनी रेत खदानें आज दिनांक तक स्वीकृत हैं, उनमें से कितनी रेत खदानें बंद हैं और कितनी रेत खदानें चालू हैं?

अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.

 

(प्रश्नकाल समाप्त)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

समय 12.00

शून्यकाल में मौखिक उल्लेख

सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करने विषयक

          डॉ नरोत्तम मिश्र (दतिया) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी प्रार्थना सुन लें यह बहुत जरूरी है...(व्यवधान).. सवर्ण के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण की बात कहना चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय -- पहले शून्यकाल को पढ़ लेने दें उसके बाद आपकी बात सुन ली जायेगी...(व्यवधान)

          (नेता प्रतिपक्ष) श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय कल इसी शून्यकाल में मैंने एक स्थगन सूचना ध्यानाकर्षण सूचना और तारांकित एवं अतारांकित प्रश्नों के माध्यम से एक विषय था. वह 10 प्रतिशत आरक्षण जो कि भारत सरकार ने संविधान में संशोधन करके देश के सामान्य वर्ग के ऐसे लोग जो कि गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं,ऐसे बेरोजगार लड़के और नौजवान, किसी का भी हक छीने बिना, किसी का भी प्रतिशत कम किये बिना,10 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण की व्यवस्था की थी.

          अध्यक्ष महोदय प्रत्युत्तर में माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनकी जानकारी में हम समिति गठित कर रहे हैं. लेकिन मुझे यह बताते हुए बहुत दुख है. लगभग 10 बडे बडे राज्य जिनमें उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात सभी राज्यों ने इसके लिए बगैर किसी वाद विवाद के, बिना कोई समिति बनाये इस 10 प्रतिशत आरक्षण को लागू कर दिया है, संविधान संशोधन की जो भावना थी, जो उसका मूल था,  जो उसकी आत्मा थी, उसको समझकर उन्होंने लागू कर दिया है.

          अध्यक्ष महोदय मुझे बहुत खुशी है कि देश की संसद ने इसे सर्वसम्मति से पारित किया है. साथ ही राष्ट्रपति महोदय ने एक सप्ताह के अंदर उसको हस्ताक्षर करके कानून के रूप में परिवर्तित कर दिया है. मुझे यह कहते हुए बहुत दुख है कि मुख्यमंत्री जी, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी का जो उत्तर था, प्रश्नोत्तरी में इसे समिति बनाकर टालने की कोशिश की जा रही है जबकि अन्य किसी भी राज्य ने इस प्रकार की कोई समिति गठित नहीं की है, और न ही इसमें कोई समिति गठित करने का प्रावधान है. सीधे सीधे नियम बनाये गये हैं. इस कारण से मैं यह चाहता हूं कि बगैर किसी टालमटोल के मुख्यमंत्री जी इस बात का स्पष्टीकरण दें, इस बात का उत्तर दें. क्या वह लोक सभा चुनाव के पहले जारी करेंगे, और संविधान की मंशा के अनुसार इसको लागू करेंगे अथवा नहीं करेंगे स्पष्ट रूप से बतायें. यहां पर राजनीतिक कूटनीतिक भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाय. गरीब, बेरोजगार और नौजवानों के साथ में इस प्रकार की भाषा का प्रयोग करना, इस प्रकार का उपक्रम करना, इस प्रकार की समितियां गठित करना उऩके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, और बेरोजगारों के साथ में मजाक है. गरीब का मजाक है आज भी उनके घर के किसी सदस्य को चतुर्थ श्रेणी की एक भी नौकरी नसीब नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय -- माननीय गोपाल भार्गव जी आपकी बात आ गई है...(व्यवधान)

          डॉ मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, मेरे अपने उज्जैन बाबा महाकाल की नगरी में यह घटना हो चुकी है...(व्यवधान)..कि राहुल गांधी जी वहां पर स्वयं आये थे, हमने सबने इन आंदोलनों की घटना को भोगा है....(व्यवधान)..(सत्तापक्ष के अनेक माननीय सदस्यों द्वारा मंत्रीगणों के आसन जाकर चर्चा करने पर)

          अध्यक्ष महोदय -- जितने माननीय सदस्य अपनी सीट पर नहीं है. मैं आप लोगों के खिलाफ में कोई भी आदेश जारी कर दूंगा. बाद में यह नहीं कहना कि अध्यक्ष महोदय यह नई परिपाटी क्या चला रहे हैं. मैं किसी भी प्रकार का आदेश जारी कर दूंगा.

          श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, दिन में तीन तीन बार आपको निर्देश देना पड़ रहा है. अभी भी आप देखें कि यह यहां से जा नहीं रहे हैं. क्या हाल यहां पर कर रखा है..यहां पर किस प्रकार का नियंत्रण नहीं है, अनियंत्रित सरकार, ये लोग न तो अध्यक्ष जी की सुन रहे हैं, ना ही मुख्यमंत्री जी की सुन रहे हैंऔर ना ही संसदीय कार्य मंत्री जी की सुन रहे हैं.---(व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.

          ( 12.05 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई )

                                                                                                         

12.12 बजे                    विधान सभा पुनः समवेत हुई.

               {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}

                श्री गोपाल भार्गव --  अध्यक्ष महोदय,  यह शायद मध्यप्रदेश के  इतिहास की पहली घटना है..

                   अध्यक्ष महोदय --  आदरणीय भार्गव जी, आपकी बात आ गई. अब नरोत्तम जी.

                   श्री गोपाल भार्गव --  अध्यक्ष महोदय,   मैं उस बारे में चर्चा नहीं कर रहा हूं.  .

                   अध्यक्ष महोदय --  अब कृपया  अपन आगे बढ़ें. मेरी व्यवस्था में सहयोग करिये.

                   श्री गोपाल भार्गव --  अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद दूंगा, जो आपने सहयोग किया.  मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा..

                   अध्यक्ष महोदय --  माननीय नरोत्तम जी.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया) -- अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ यह कह रहा था कि  केंद्र सरकार के द्वारा  जब यह बिल  लोकसभा में लाया गया, तब दोनों दलों ने इसका समर्थन किया था, कांग्रेस ने  भी और भारतीय जनता पार्टी ने भी, 10 प्रतिशत गरीब संवर्ण आरक्षण को लेकर...

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) --  अध्यक्ष महोदय, तो हम कहां मना कर रहे हैं.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, अब इनका, कांग्रेस  का क्या अंतर्विरोध है  आपस में, दिल्ली में और मध्यप्रदेश में, यह मुझे  नहीं मालूम.  लेकिन वहां जो निर्णय लिया गया,  उसके विरोध में यह मध्यप्रदेश की  सरकार जा रही है.  यह गरीब  संवर्णों के खिलाफ जा रही है. (डॉ. गोविन्द सिंह  के खड़े होने पर) संसदीय कार्य मंत्री जी, आप मुझे पूरी बात को बोलने दें. . आपको बोलने का पूरा अधिकार है,  बोलिये आप, लेकिन हमारी बात तो आने दीजिये.  आप बोलने ही नहीं देते हैं, कल भी आपने बोलने नहीं दिया.  अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ..

                   लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) -- नरोत्तम जी,  आपको कौन रोक सकता है.  आपको कोई रोक सकता  है बोलने से.

                   लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- आपको गोपाल भार्गव जी ने रोका है.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, बोलने से नहीं रोका है.  गोपाल भार्गव जी हमारे दल के नेता हैं और सर्वमान्य नेता हैं. कोई विरोध नहीं है, इसलिये  कल भी मैं कह रहा था  और आज मैं इसको  रिकार्ड पर लाना चाहता हूं  कि वे सर्वमान्य नेता हैं,  पूरी पार्टी मुट्ठी की तरह  कसकर पण्डित गोपाल भार्गव  के  पीछे खड़ी हुई है.

                   श्री तुलसीराम सिलावट -- नरोत्तम जी, यह बोलने की जरुरत है क्या.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय,  आप लोग मेरे बोलते ही क्यों खड़े होते हो, मैं इस बात को आज तक नहीं समझ पाया.

                   राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- अध्यक्ष महोदय, यह जय और वीरु की जोड़ी है.  अब   जय कौन है और वीरु कौन है, ये ही तय करें.

                   श्री के.पी. सिंह --   नरोत्तम जी, इसका मतलब आप बोलकर खुद ही शंका पैदा कर रहे है,  आप यह सफाई  क्यों दे रहे हैं.  इसका औचित्य क्या है.

                    उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी) --  नरोत्तम जी,  आप तो यह बतायें कि  आपको यह कहना क्यों पड़ा कि  हम दोनों एक हैं.

                   श्री के.पी. सिंह -- आपको यह सफाई क्यों देना पड़ रही है कि  वे हमारे नेता हैं.

                   श्री विश्वास  सारंग -- अध्यक्ष महोदय, सफाई नहीं दे रहे हैं,कल यह बातें हो रही थीं, इसलिये यह कहा है.  यह सफाई नहीं है.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, अभी यह विषय जब आयेगा, तब मैं बोलूंगा, मैं सिर्फ अभी संवर्ण आरक्षण बिल  की बात करना चाहता हूं, विषयान्तर हो जायेगा.  अभी मेरा नाम जब ओला-पाला की चर्चा  पर आयेगा,  तब जितू जी, आपकी बातों पर  भी  जवाब दूंगा. अध्यक्ष महोदय,  मैं सिर्फ यह आपसे प्रार्थना करना चाहता हूं  और आसंदी से आपसे  सहयोग चाहता हूं.  आपकी ताकत  मिलती है, विपक्ष के पास तो आपके अलावा कुछ  है ही नहीं.  हम चाहते हैं कि आपकी इसमें व्यवस्था आये.  मुख्यमंत्री जी ने कल जो समिति बनाकर  इस विषय को टालने की  कोशिश की है,  हम उसके खिलाफ हैं.   इस पर मैंने कल भी   घोर आपत्ति  की थी कि  यह आपत्तिजनक है. इस तरह से  उन गरीब नौजवानों  के  हितों के साथ में खिलवाड़  यह मध्यप्रदेश   की कांग्रेस की सरकार कर रही है. यह हम होने  नहीं  देंगे किसी कीमत पर.  अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है.  ..(व्यवधान)..

                   जनजातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम) --  अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी देश में  इस तरह से अराजकता फैलाने के लिये  लोगों को भ्रमित कर रही है.

..(व्यवधान)..

                   श्री गोपाल भार्गव  -- अध्यक्ष महोदय, 10 राज्यों ने  बगैर कमेटी बनाकर इसको लागू कर दिया है. यहां पर कमेटी बनाने  की क्या जरुरत  है.

..(व्यवधान)..

          श्री ओमकार सिंह मरकाम - अध्‍यक्ष महोदय, मोदी जी ने चुनावी एजेंडे के तहत अपना जुमला फेंका है. (...व्‍यवधान...)

          अध्‍यक्ष महोदय -- इसका कोई अंत नहीं है. (डॉ. मोहन यादव के कुछ कहने पर) अरे भैया, आपके जब नेता खड़े होते हैं. मेहरबानी करिए, यादव जी बैठ जाइये. (...व्‍यवधान...)

          (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र द्वारा बैठे-बैठे ''ये दूसरे टाइप के हैं'' कहने पर)

          अध्‍यक्ष महोदय -- हां, दूसरे टाइप के हैं.

          डॉ. मोहन यादव -- दूसरे टाइप के क्‍या ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- आपके ही बोल रहे हैं, मैं नहीं बोल रहा हूँ.

          डॉ. मोहन यादव -- टाइप वन, टू, थ्री क्‍या होता है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- देखिए, मैंने शून्‍यकाल में आपको मौका दे दिया. मैंने पढ़े नहीं, उसके पहले मौका दे दिया. अन्‍यथा होता यह है कि शून्‍यकाल की सूचनाएं पढ़ी जाती हैं, यदि कोई विषय होता है तो उसके बाद उठता है.

          श्री गोपाल भार्गव -- नजरे इनायत आपकी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपको क्‍या चार प्रतियों में धन्‍यवाद दूं ?

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, मैंने कहा नजरे इनायत आपकी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बिल्‍कुल हुजूर, बनाए रखिए, हम भी और आप भी.

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, आपके ही संरक्षण में तो हम पल पुस रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जी, अब माननीय मंत्री जी अपना जवाब देना चाह रहे हैं. यही तो अच्‍छी परम्‍परा है. आपकी जिज्ञासा और उनके द्वारा समाधान.

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्‍द सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी और भाई नरोत्‍तम जी ने सामान्‍य वर्ग के आरक्षण के संबंध में जिस मुद्दे का जिक्र किया है, कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस सरकार पूरी तरह से इसके पक्ष में है. (मेजों की थपथपाहट) कांग्रेस पार्टी ने अपने वचन-पत्र में भी सामान्‍य वर्ग के गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का प्रावधान किया है. संविधान संशोधन हो गया, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा कि कई प्रांतों ने लागू कर दिया है, अभी लागू कहीं नहीं हुआ है, सिर्फ घोषणा है. हम यह चाहते हैं, मध्‍यप्रदेश की सरकार यह चाहती है कि अभी इसमें यह प्रावधान किया है कि प्रदेश सरकारें कितने आरक्षण की प्रक्रिया क्‍या करेगी. आज हमारे पास यह सूची नहीं है कि गरीबों में कैसे देना है ? 10 लाख रुपये या 8 लाख रुपये की आमदनी तक देना है ? कितने लोग इस आमदनी के दायरे में आ रहे हैं ? इस दायरे के लिए थोड़ा समय चाहिए. कांग्रेस पार्टी ने वचन-पत्र में जो वचन दिया है, उसका पालन करेगी. अब चूँकि आप कह रहे हैं कि लोकसभा के पहले लागू कर दें. क्‍या इतनी जल्‍दी परीक्षण हो सकता है साढ़े सात करोड़ जनता में ? (...व्‍यवधान...)

            डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, यह आपत्‍तिजनक बात है.(...व्‍यवधान...) यही आपत्‍तिजनक है, हमारी लड़ाई इस बात पर है.. (...व्‍यवधान...)

          श्री गोपाल भार्गव -- आप गुजरात से मंगा लें. उत्‍तर प्रदेश से ले लें. बिहार से ले लें. हरियाणा से ले लें. (...व्‍यवधान...)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- गलत क्‍या है. (...व्‍यवधान...)

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, अन्‍य राज्‍यों ने जहां-जहां इसे लागू किया गया है, वहां से आप जानकारी प्राप्‍त कर लें. उन्‍होंने कोई कमेटी नहीं बनाई. (...व्‍यवधान...)

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं बाध्‍य करूं क्‍या ? (...व्‍यवधान...)

            श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, उन्‍होंने नियुक्‍तियां तक कर दीं, नौकरियां लगा दीं, सारा का सारा काम हो गया. (...व्‍यवधान...)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- आप यह बताइये जो आपकी सरकार करेगी, वह हम करेंगे. (...व्‍यवधान...)

 

12.17 बजे                         गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र, सदस्‍य द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी

(डॉ. नरोत्‍तम मिश्र, भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍य सवर्ण आरक्षण पर अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आए एवं अध्‍यक्ष महोदय की समझाइश पर वापस गए)

 

शून्‍यकाल में मौखिक उल्‍लेख (क्रमश:)

(...व्‍यवधान...)

          डॉ. मोहन यादव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बहुत गलत बात है. इस बात को लेकर लोकसभा में कांग्रेस, बीजेपी सबने संयुक्‍त रूप से यह निर्णय किया (...व्‍यवधान...) निर्णय को लटकाने का प्रयास यह वाकई में सवर्णों के साथ मध्‍यप्रदेश में अन्‍याय है. (...व्‍यवधान...)

          श्री विश्‍वास सारंग -- अध्‍यक्ष महोदय... (...व्‍यवधान...)

          (विपक्ष एवं पक्ष के कई माननीय सदस्‍य खड़े होकर अपनी अपनी बात करते रहे)

          अध्‍यक्ष महोदय -- मैं बाध्‍य नहीं कर सकता. आप भी परम्‍पराएं जानते हैं. (...व्‍यवधान...)

          डॉ. मोहन यादव -- अध्‍यक्ष महोदय, यह मानवीय पक्ष है, हमको किसी भी हालत में 10 प्रतिशत आरक्षण इसी सत्र में पारित करना चाहिए ताकि अधिकतम लोगों को इसका लाभ मिल सके. यह बहुत दुर्भाग्‍य की बात है कि 10 प्रतिशत आरक्षण जिनको मिलना चाहिए था, कांग्रेस उस विषय को टालना चाहती है. यह चाहती ही नहीं है कि यह लाभ सवर्णों को मिले. हम सब इस बात के लिए अत्‍यन्‍त दु:खी हैं. इस सत्र में उसका लाभ मिलना चाहिए था. (...व्‍यवधान...) बहुत दुर्भाग्‍य की बात है, एक लोक महत्‍व के विषय को टाला गया.. (...व्‍यवधान...) हमारा कहना है कि किसी भी हालत में 10 प्रतिशत आरक्षण इसी सत्र में लागू होना चाहिए. (...व्‍यवधान...)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- सवर्णों के साथ भेदभाव कर रहे हैं. (...व्‍यवधान...) जानबूझकर आप सवर्णों के भविष्‍य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. (...व्‍यवधान...)

...(व्‍यवधान)...

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सारे राज्‍यों से वह जानकारी बुला लें कि किस तरह से वे लागू कर रहे हैं. कृपा करके वह जानकारी बुला लीजिए...(व्‍यवधान).. अध्‍यक्ष महोदय -- जब माननीय मंत्री जी जवाब दे रहे हैं. आप लोग सुनना ही नहीं चाहते हैं. आप लोग सुनना क्‍यों नहीं चाह रहे हैं...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- देखिए, आप जवाब ले सकते हैं लेकिन आप बाध्‍य नहीं कर सकते हैं. आप जवाब लीजिए लेकिन बाध्‍य मत करिए...(व्‍यवधान)...

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, परिणामदायक जवाब आना चाहिए. .(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह मैं नहीं बोल रहा हॅूं. इसके पहले श्री ईश्‍वरदास रोहाणी जी भी यही बोलते थे. श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी जी भी यही बोलते थे. श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ला जी भी यही बोलते थे. जवाब लीजिए लेकिन हम बाध्‍य नहीं कर सकते हैं. आप लोग कृपया विधिवत जब आप प्रश्‍न कर रहे हैं, मंत्री जी जवाब दे रहे हैं, सुनिएगा. आगे बढि़एगा. कल इस संबंध में माननीय मुख्‍यमंत्री जी भी बोल चुके...(व्‍यवधान)..

          श्री गोपाल भार्गव -- मंत्री जी का जवाब 100 परसेंट टालमटोल वाला है...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मुख्‍यमंत्री जी भी बोल चुके कि हम इस पर सैद्धांतिक रुप से सहमत हैं...(व्‍यवधान)...

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष जी, समय-सीमा तो दिलवा देंगे. समय-सीमा तो दिलवा सकते हैं..हम बहिर्गमन करेंगे...(व्‍यवधान)...

 

 

...व्‍यवधान...

 

 

 

 

 

12.22 बजे                                         बहिर्गमन

( भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन )

          नेता प्रतिपक्ष (गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम सरकार की इस टालमटोल प्रवृत्ति के खिलाफ और एक बहुत बडे़ गरीब वर्ग के साथ अन्‍याय जो हो रहा है उसके अधिकारों की उपेक्षा हो रही है स‍ंविधान ने उसे जो अधिकार दिया है और सरकार लागू नहीं कर रही है. (XXX) बात कर रही है, इसलिए बहिर्गमन करते हैं.

 (नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्‍व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया)

...(व्‍यवधान)...

12.23 बजे                   नियम 267-क के अधीन विषय

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब मैं शून्‍यकाल की सूचना पढ़ूंगा. नियम 267 क के अधीन लंबित सूचनाओं में से 30 सूचनाएं नियम 267-(क) (2) को शिथिल कर आज सदन में लिये जाने की अनुज्ञा मैंने प्रदान की है यह सूचनाएं संबंधित सदस्‍यों द्वारा पढ़ी हुई मानी जावेंगी. इन सभी सूचनाओं को उत्‍तर के लिये संबंधित विभागों को भेजा जाएगा.

          मैं समझता हॅूं सदन इससे सहमत है.

                                                          (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)

          अब मैं सूचना देने वाले सदस्‍यों के नाम पुकारुंगा.

क्र.     सदस्‍य का नाम

1.       डॉ.सीतासरन शर्मा

2.       इंजी. प्रदीप लारिया

3.       श्री गिर्राज डण्‍डोतिया

4.       श्री उमाकांत शर्मा

5.       श्री भूपेन्‍द्र सिंह

6.       श्री राहुल सिंह लोधी

7.       श्री आकाश कैलाश विजयवर्गीय

8.       श्री भारत सिंह कुशवाह

9.       श्री के.पी.त्रिपाठी

10.     श्री दिलीप सिंह गुर्जर

11.     श्री नारायण त्रिपाठी

12.     श्री विजय पाल सिंह

13.     श्री विनय सक्‍सेना

14.     श्री प्रणय प्रभात पाण्‍डेय

15.     श्री राकेश पाल सिंह

16.     श्री आशीष गोविंद शर्मा

17.     श्री यशपाल सिंह सिसोदिया

18.     श्री दिनेश राय "मुनमुन"

19.     डॉ.मोहन यादव

20.     श्री इन्दरसिंह परमार

21.     श्री बहादुर सिंह चौहान

22.     श्री सीताराम

23.     श्री शरदेन्‍दु तिवारी

24.     श्री रामपाल सिंह

25.     श्री रवि रमेश चंद्र जोशी

26.     श्री मुन्‍ना लाल गोयल

27.     श्री जालम सिंह पटेल

28.     श्री राजेन्‍द्र पाण्‍डेय

29.     श्री डब्बू सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा

30.     श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्‍द सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक मिनट अपनी बात कहना चाहता हॅूं. माननीय नेता प्रतिपक्ष जैसे वरिष्‍ठ पद पर बैठे हुए माननीय भार्गव जी ने जो शब्‍द कहे हैं, उन शब्‍दों को हटाया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- वे शब्‍द विलोपित हो चुके हैं.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा हमारा निवेदन है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से आरक्षण लागू करेगी और उसकी प्रक्रिया में आप विपक्ष के नेताओं को भी शामिल करना चाहते हैं कि प्रक्रिया किस प्रकार हो. कैसे उसमें थोड़ा समय चाहिए. संविधान में संशोधन बाद में हुआ.कांग्रेस पार्टी ने वचनपत्र में पहले..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया, अब बस करें.

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कमेटी की जरुरत क्‍या है...(व्‍यवधान)... कमेटी का औचित्‍य क्‍या है. कमेटी बनाने की क्‍या जरूरत है. यह गलत बात है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री रामलाल मालवीय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं अपनी बात रखना चाहता हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप लोग शांति से बैठ जाइए. आप किस नियम प्रक्रिया के तहत उठ गए. बैठ जाइए आप. मुझे कार्यवाही को करने दीजिए. धन्‍यवाद.

 

12.25 बजे                                            ध्‍यानाकर्षण

       

          अध्‍यक्ष महोदय-

 

 

 

 

 

 

 

1.   सिवनी क्षेत्र की बण्‍डोल समूह नल-जल योजना का कार्य

धीमी गति से होना

 

 

 

        श्री दिनेश राय ''मुनमुन'' (सिवनी) - अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यानाकर्षण की सूचना इस प्रकार है-

         

 

 

 

 

 

 

          लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) -  अध्‍यक्ष महोदय,

          श्री दिनेश राय, मुनमुन--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जो काम है उसमें 13 माह हो गए हैं और 13 माह होने के बाद मात्र बचा है 11 माह का काम. जिसमें मात्र 30 परसेंट काम किया गया, जिसमें इनको 900 किलोमीटर की जो पाइप लाइन डालना है उसमें से मात्र 69 किलोमीटर डाली गई है. माननीय मंत्री जी, इसी प्रकार इनमें क्लियर जो वॉटर है, 484 किलोमीटर में पाइप लाइन डालना है, इसमें मात्र उन्होंने 80 किलोमीटर डाली है अभी 11 माह हैं, लगभग 130 पानी की टंकियाँ बनना हैं. जिनमें एक दो टंकी का ही अभी प्लींथ लेवल का काम हुआ है. एक भी टंकी का काम चालू नहीं हुआ है. आप कैसे गारंटी दे सकते हैं कि हम 11 माह के अन्दर इतनी बड़ी नलजल योजना करा देंगे. अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात भ्रष्टाचार की है. उसमें घटिया पाइप, घटिया सीमेण्ट का काम और सबसे बड़ी बात यह है कि जो रोड हमारी प्रधानमंत्री रोड या ग्रामीण रोड्स हैं कांक्रीट रोड्स को उखाड़ दिया गया है उसमें कोई रिपेयरिंग का काम नहीं हुआ और रोड से लग कर डामर के बाजू में पाइप लाइन डाली जा रही है. माननीय मंत्री जी, आने वाले समय में जो रोड्स चौड़ी होंगी, उनके पास जगह भी है, लेकिन वह ठेकेदार मनमानी करके जहाँ तीन मीटर नीचे उस पाइप को डाला जाना है, कहीं कहीं तो एक एक मीटर और आधा मीटर के ऊपर डाल रहे हैं. आने वाले समय में यह पाइप लाइन चल नहीं सकती है. टूट-फूट होगी, इसमें घटिया काम हो रहा है, माननीय मंत्री जी, मैं चाहता हूँ कि आप उसकी जाँच करवा लें, उसमें कमेटी बना लें, मुझे भी उसमें आप रख लें, मैं सामने से उसका निरीक्षण करवा देता हूँ कि उसमें कितना  घटिया और धीमा काम चल रहा है. उस काम को आप तेजी से करवाएँ. उसके बाद मैं दूसरा प्रश्न करूँगा.

          श्री सुखदेव पांसे--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने बताया है कि धीमी रफ्तार से काम चल रहा है. पिछली सरकार के समय धीमी रफ्तार होगी, अब आप निश्चिंत रहिए, ये काम समय सीमा में पूर्ण कराया जाएगा और तेज रफ्तार से इसको मॉनिटरिंग करके समय सीमा में इस कार्य को कराया जाएगा. जहाँ तक आपने यह बोला कि पाइप घटिया हैं, एचडीपी पाइप का उपयोग इसमें किया जा रहा है और इसकी लाइफ कम से कम सौ साल की होती है और दूसरे जो डीआई पाइप, एक प्रकार का स्टील पाइप होता है, तो गुणवत्तापूर्ण पाइप उसमें डाले जा रहे हैं और इसकी जल निगम की क्वालिटी कंट्रोल की एक इकाई होती है और यह संस्था भारत सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त है. उसके द्वारा निरन्तर निगरानी की जा रही है. कहीं कोई घटिया काम नहीं हो रहा है और उसकी निगरानी की जा रही है. आप निश्चिंत रहिए तिल मात्र भर भी इसमें घटिया काम नहीं होने दिया जाएगा और यह योजना समय सीमा में पूर्ण की जाएगी तथा आपके लिए यह बड़ी बात है कि आप बड़े भाग्यशाली हैं कि आपके क्षेत्र में यह योजना है और हर घर को पानी पहुँचाया जाएगा.

          श्री दिनेश राय, मुनमुन--  अध्यक्ष महोदय, मैंने जो सवाल किया कि उसमें घटिया काम हो रहा है. आप भी समझते हैं, हम भी समझते हैं, किस तरीके से उन पाइप के प्रमाणीकरण लेकर आ सकते हैं. मैं कहता हूँ आप स्थल निरीक्षण करवा लें. वहाँ जो पाइप डले हैं, मैं आपको विथ प्रूफ बताऊँगा कि ये पाइप घटिया हैं. प्रमाण-पत्र तो वे ले आएँगे, कंपनियाँ तो प्रमाण-पत्र देती हैं साहब. सब कंपनियाँ अपने प्रमाण-पत्र आपको भारत शासन से लाकर दे देंगी. लेकिन आप वर्तमान स्थिति में स्थल निरीक्षण करेंगे तो आपको वह पाइप घटिया मिलेगा. वहाँ घटिया काम चल रहा है. मैं बोल रहा हूँ जमीन में तीन मीटर नीचे आपको पाइप लाइन डालना है, आप उसका निरीक्षण तो करवा लें. आपको कई जगह मिल जाएगा, जहाँ पाइप लाइन ऊपर डाल रहे हैं.  माननीय मंत्री जी, क्यों आप उस ठेकेदार को संरक्षण देना चाहते हैं? मैं चाहता हूँ कि आप उसकी जाँच करवा लें. आप मुझको उसमें रख लें, मैं आपको प्रूफ दूँगा, कहाँ कहाँ वह घटिया काम कर रहा है.

          श्री सुखदेव पांसे--  अध्यक्ष महोदय, एचडीपी पाइप और थर्ड पार्टी निरीक्षण,  भारत सरकार का एक उपक्रम है, सेंट्रल इंस्टिट्यूट आफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नालॉजी, (सीपेट) द्वारा इसका थर्ड पार्टी निरीक्षण किया जाता है और अध्यक्ष महोदय, जिस कंपनी को काम दिया है.

उसको 10 साल तक उसे ही मेंटेन करना है इसलिए वह थर्ड क्लास काम नहीं करेगी. 10 साल की उसकी गारंटी है. इस दौरान उसे ही संधारण और संरक्षण करना है. निश्चित तौर पर काम समय-सीमा में किया जाएगा. माननीय सदस्य की इच्छा है कि उनकी देखरेख में निरीक्षण हो जाए. मैं उन्हें आश्वस्त कराता हूँ कि बड़ी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ हम टेक्निकल अधिकारियों की एक टीम भिजवा देंगे. उन वरिष्ठ अधिकारियों से परीक्षण करवा देंगे, इसमें आपको भी आमंत्रित किया जाएगा.

          श्री दिनेश राय "मुनमुन"--धन्यवाद. मंत्री जी. इसका सही जवाब आ गया है कि परीक्षण करवा लेंगे और मुझे साथ में रखेंगे. मेरा क्षेत्र सूखाग्रस्त है. नल-जल योजना क्यों बनी क्योंकि कहीं-न-कहीं ड्राय एरिया है. वर्ष 2020 तक नल-जल योजना आना है. वर्तमान मंत्री आए थे वे प्रभारी मंत्री भी हैं. मैंने उनको बताया था कि हमें कई गांवों में पानी नहीं मिल रहा है, लेकिन अभी तक वहां पर बोर कराने की व्यवस्था नहीं की गई है. ग्राम छुआई, गरठिया, गंगई, गोरखपुरखुर्द, मारवोड़ी, रनवेली, बोरिया, बंधा, दतनी, हरहरपुर, वघराज, सिंघोड़ी, इमली पठार, देवगांव, घुनई,  बीजादेवरी, लकवार इन गांवों में पानी का बहुत अभाव है.

          अध्यक्ष महोदय--आप मंत्री जी को सूची उपलब्ध करवा दीजिएगा.

          श्री दिनेश राय "मुनमुन" --अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बोर की परमीशन दे दें, अभी इन्होंने बोर की परमीशन नहीं दी है. आपने बोला है कि योजना बनी लेकिन आज हमारे पास पानी नहीं है. मंत्री जी जिन-जिन गांव में पानी नहीं है वहां तत्काल बोरिंग की अनुमति प्रदान करवा दें. मंत्री जी आप आए थे. जिला योजना समिति की बैठक तो हुई नहीं है. उस बैठक में आपने हम लोगों को बुलाया नहीं अगर उस बैठक में आप हमको बुलाते तो हम आपको स्थिति से अवगत कराते.

          अध्यक्ष महोदय--आप मंत्री जी से अलग से चेंबर में अनुरोध करने के लिए नहीं गए क्या ? (हंसी)

          श्री दिनेश राय "मुनमुन"--मंत्री जी के पास में अलग से रेस्ट हाउस में गुलदस्ता लेकर पहुंचा था.

          श्री सुखदेव पांसे--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने बताया कि जिला योजना समिति की बैठक नहीं हुई है. बैठक हुई ही नहीं इसलिए आपको बुलाया नहीं था.

          श्री दिनेश राय "मुनमुन"--अध्यक्ष महोदय, मैं वही कह रहा हूँ कि सरकार बने दो महीने हो गए हैं और जिला योजना समिति की बैठक नहीं हुई है.

          श्री सुखदेव पांसे--उसकी बैठक लेंगे तो आपको आमंत्रित करेंगे.

          श्री दिनेश राय "मुनमुन"-- उसमें तो आऊंगा ही.

          श्री सुखदेव पांसे--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने बताया कि उनके क्षेत्र में कुछ हैण्डपम्प की आवश्यकता है, मैंने उसी समय आपको कहा था कि लिखकर दे दीजिए. हमारी सरकार तो सबकी है. पानी को प्राथमिकता दी गई है. आप लिखकर दीजिए, स्टेज पर बोला था कि आप लिखकर दे दीजिए.

          श्री दिनेश राय मुनमुन--माननीय मंत्री जी मैं लिखकर दे चुका हूँ. आपके यहां भी दे दिया है, प्रमुख सचिव के यहां भी दे दिया और कलेक्टर के यहां भी दे दिया है. माननीय मंत्री जी स्वीकृति दिलवा दीजिए.

          अध्यक्ष महोदय--मैं नेता प्रतिपक्ष को परमिट कर रहा हूँ, अन्यथा मूल प्रश्न के अलावा मैं किसी को परमिट नहीं करुंगा.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, भू-जल स्तर जो नीचे जा रहा है. इस हेतु हमें सरफेस वाटर का उपयोग करना चाहिए. हमारी सरकार ने जल निगम की स्थापना की थी. यह योजना एडीबी या वर्ल्ड बैंक के सहयोग से चालू हुई थी. जिसमें सरफेस वाटर को एक जगह एकत्रित करके उसका ट्रीटमेंट करके गांव में पाइप लाइन के माध्यम से सप्लाई शुरु की गई थी. इस प्रोजेक्ट में लगातार विलंब हो रहा है. हमारे सदस्य मुनमुन जी एक प्रश्न उठाया था उसका जवाब नहीं आया है कि कितने दिनों में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा. जो गांव भू-जल नीचे गिरने से प्रभावित हुए हैं जहां शुद्ध पेयजल का बहुत ज्यादा जलाभाव है वहां पर कितने दिनों के अन्दर यह प्रोजेक्ट शुरु हो जाएगा. आपका ठेकेदार काम करने लगेगा. गुणवत्ता के लिए आपने भारत सरकार की संस्था की बात की है वह तो ठीक है. आप समय-सीमा बता दें कि कितने समय में प्रारंभ हो जाएगी. इसके लिए ऋण ले लिया गया है इसके लिए पैसा सरकार के पास उपलब्ध है, पैसे की समस्या नहीं है. इसकी समय-सीमा सदस्य और सदन को बता दें.

          श्री सुखदेव पांसे--माननीय अध्यक्ष महोदय, इस योजना को पूर्ण करने की अवधि 24 माह की है जिसमें से अभी एक वर्ष का समय बाकी है. विपक्ष के नेता जी ने संज्ञान में लाया है हम तेज रफ्तार से इस कार्य को समय-सीमा में पूर्ण करेंगे.

                                                                  

(2) धार में पदस्‍थ आबकारी विभाग के अधिकारी द्वारा गंभीर वित्‍तीय अनियमितता किया जाना

          सर्वश्री प्रदीप पटेल (मऊगंज), सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा (डब्‍बू):-- अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है:-        

         

          श्री राजवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इनसे सहमत हूं. यह बिलकुल सही कह रहे हैं. मंत्री जी से मेरा भी निवेदन है कि इस पर आप कार्यवाही करें.

 

          वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर)-- अध्‍यक्ष महोदय,

                                                                                                       

           

            श्री प्रदीप पटेल-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें 42 करोड़ रुपये के फर्जी चालान हैं. जिस समय ये चालान भरे जा रहे थे, उस समय वहां संजीव कुमार दुबे जी पदस्‍थ थे. प्रत्‍येक माह उनको इन चालानों की कम्‍प्‍यूटराईज़ड सूची को देखना चाहिए था, परंतु उन्‍होंने कभी नहीं देखा. मैं आपको बताना चाह रहा हूं कि आप यह पूरी सूची देखिये कि इसमें किस तरह से फर्जी चालान हुए हैं.  450 रूपये का चालान हुआ तो उसके आगे 135 लिखकर के 1 लाख 35 हजार कर दिया गया. ऐसे लगभग जितनी सूची है और उसमें जो चालान भरे जाते थे, उसमें चालान फार्मों पर अंक भर लिख दिये जाते थे और शब्‍द खाली रहता था और वह चालान जमा हुए. इस तरह पूरे चालानों में देखेंगे तो कहीं पर 700 रूपये था तो उसके पीछे 93 कर दिया गया, कहीं पर 150 रूपये है तो उसके पीछे 93 कर दिया गया, ऐसे करके यह 42 करोड़ रूपये की अनियमितता है. यह उनकी देखरेख के नीचे हुआ है, यह गंभीर आरोप है, इसमें मध्‍यप्रदेश महालेखाकार कार्यालय ने भी जांच की है और इसमें मध्‍यप्रदेश में इससे बड़ी कोई जांच एजेंसी नहीं है. मैं चाहता हूं कि इसमें उनके ऊपर धारा 120 (बी) के तहत उनके खिलाफ मुकदमा भी दायर करना चाहिये और इतना बड़ा घोटाला करने वाले को उन्‍होंने अभियुक्‍त को संरक्षण दिया है. अब आप कहते हैं कि जनाक्रोश नहीं है, अखबारों में निकला है. हम यहां पर विधान सभा में वित्‍तीय बजट के लिये बैठे हैं.  आप बता रहे हैं 100-100 करोड़ रूपये की अनुपूरक बजट आदि की जरूरत है.यह तो केवल इंदौर का निकला है, इसके पहले भी उनके खिलाफ आरोप रहे है. इसलिये मैं चाहता हूं कि इसमें उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करें और जिन्‍होंने फर्जी चालान पेश किया है उन सबके खिलाफ एफ.आई.आर होना चाहिये, आप उनसे वसूली तो करें ही करें. परंतु तब तक ऐसे अधिकारी को तत्काल निलंबित करके उचित दंडात्‍मक कार्यवाही करें, यह मैं चाहता हूं और यह कार्यवाही आप कब तक करेंगे ?

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर:- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य की जो भावना है और उन्‍होंने कहा की इस तरह की गड़बडि़यां हुई हैं. यह तो मैं अपने जवाब में ही बोल चुका हूं कि वहां पर गड़बडि़यां हुई हैं, लेकिन यह कहना सत्‍य नहीं है कि किसी अधिकारी की मिलीभगत से हुई हैं. यह बात भी सत्‍य है कि उसी अधिकारी के द्वारा तत्‍कालीन कलेक्‍टर इंदौर के संज्ञान में यह बात लायी गयी थी और उसके बाद ही इस मामले पर कार्यवाही हुई थी.

          अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी बात जो आपने कही है कि कार्यवाही नहीं हुई तो जो भी संबंधित कर्मचारी और ठेकेदार थे उनके खिलाफ शासन के द्वारा कार्यवाही की गयी है और माननीय सदस्‍य मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि जब यह पूरा मामला हुआ है, तब आप ही लोग सरकार में थे, अगर वहीं जवाब ले लेते ध्‍यानाकर्षण के बजाय तो और अच्‍छा होता.

          श्री प्रदीप पटेल:- अध्‍यक्ष  महोदय, मैं अभी पहली बार विधायक बनकर आया हूं और अभी मुझे दो महीने हुए.अब आप इस तरह का जवाब देंगे तो मुझे समझ में नहीं आ रहा है. यदि मैं उस समय विधायक होता तो फिर बात होती. मैं अभी विधायक बनकर आया हूं और मेरे संज्ञान में जब विषय आया तो मैं आपके सामने रख रहा हूं. इस तरह का जवाब कि यह पिछली सरकार मामला है तो इसका मतलब क्‍या हमें दो महीने पहले का सवाल नहीं पूछना चाहिये ?  हम शासन से सवाल पूछ रहे हैं और आप उसका गोलमोल जवाब दे रहे हैं, यह अच्‍छी बात नहीं है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम आपका संरक्षण चाहते हैं, इस पर कार्यवाही होनी चाहिये और कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये. आपने जो बताया है कि केवल अधिकारी नहीं और लोग हैं तो मैं कहता हूं  आप तो जांच करवा लीजिये, उसमें और जो लोग हैं सबके खिलाफ कार्यवही कीजिये.

          श्री राजवर्द्धन सिंह:- अध्‍यक्ष जी, यदि आपकी अनुमति हो तो एक प्रश्‍न पूछ लूं, मेरे लिये का मामला है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- इनके प्रश्‍न का जवाब आ जाने दीजिये.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने पहले ही कहा कि उस वक्‍त जो भी संबंधित अधिकारी थे, जिनकी गलती थी या ठेकेदारों की गलती थी, लेकिन वास्‍तविकता यह है कि जब अचानक कोषालय में जाकर इसकी रिपोर्ट मिलायी गयी तब यह गलतियां पकड़ में आयी, उसी के बाद माननीय जो भी कलेक्‍टर वहां थे उनको सूचना दी गयी और उसके बाद यह कार्यवाही हुई. इसमें जो लोग भी शामिल हैं, बाकायदा उनके ऊपर कार्यवाही हुई है किसी को बचाने का सवाल पैदा नहीं है.

          श्री प्रदीप पटेल:- अब आप यह कह रहे हैं कि अचानक जाने पर वहां पर कार्यवाही हुई तो इसका मतलब है कि संज्ञान में बाद में आया तो सरकार के संज्ञान में भी बाद में आया. अब अगर हमारे संज्ञान में और सबके संज्ञान में आ रहा है तो आप कार्यवाही करिये, आप उनकी पोस्टिंग को निलंबित करिये और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करिये, केवल एफ.आई.आर बनती है. आप वसूली करेंगे और कार्यवाही कुछ नहीं करेंगे. 42 करोड़ रूपये छोटी बात है क्‍या ? 42 करोड़ रूपये तो ऑन द रिकार्ड संज्ञान में आया है और मध्‍यप्रदेश महालेखाकार इसको बोल रहे हैं. यदि आप इसके बाद और जांच करेंगे तो और भी चीजें सामने आयेंगी. आपके द्वारा जो जवाब आया है उसमें एक-एक चालान जिसमें यदि आप पूरा पढ़ेंगे तो 100 रूपये 200 रूपये और 500 सौ रूपये, 2 हजार, 5 हजार ऐसे चालान बने उसके पीछे तीन तीन अंक लिखे गये और उसको पांच लाख, आठ लाख रूपये बनाया गया है. यह पूरा का पूरा आपके द्वारा जवाब दिया गया है. आज संज्ञान में आया है तो आज ही आप कार्यवाही करिये. ऐसे आप गोल-मोल करेंगे तो ठीक बात नहीं है.

          श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, शासन की मंशा ऐसे ही गोल-मोल करने की नहीं है. मैंने आपसे पहले ही कहा कि जैसे ही शासन के संज्ञान में यह आया उस वक्त ही कार्यवाही हुई. पैसा चाहे एक रूपया हो अथवा करोड़ रूपये हों, जहां पर गलती होती है उस पर कार्यवाही होना ही चाहिये इसमें किसी भी तरह का कोई संदेह नहीं है. जहां तक उनको निलंबित करने का सवाल है उनको उस वक्त ही निलंबित कर दिया गया था और उस वक्त ही उनको बहाल करके देवास पदस्थ कर दिया गया था. अगर अधिकारी उस वक्त बहुत अच्छा था तो देवास से धार पदस्थ कर दिया गया है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने ध्यानाकर्षण सूचना का जो उत्तर दिया है वह अपने आप में स्पष्ट है. बड़ा मालदार एवं सम्पन्न विभाग है आपका इन्दौर में घटना घटित हुई. आपने एवं तत्कालीन सरकार ने स्थानांतरण किया देवास में, आपने उनको धार कर दिया. मैं पूछना चाहता हूं कि इन्दौर से 30-40 किलोमीटर दूर ही उनकी पदस्थापना क्यों होती रही ? इसके पीछे क्या कारण हैं? कौन करता है पोस्टिंग अभी तो आपकी पोस्टिंग है ? आप इनकी पदस्थापना सीधी, शहडोल, अनूपपुर एवं उमरिया, रीवा क्यों नहीं करते. मैं जानना चाहता हूं कि क्या आप विभाग एवं अधिकारी, सरकार इसके प्रभाव में है कि वहीं रहकर निकटवर्ती स्थान से पूरे मामले को दबाने का काम तथा मामले को समाप्त करने का काम कर रहे हैं, क्योंकि मैं इसलिये कह रहा हूं कि यह विभाग ऐसे हैं जिनके बारे में यहां पर कुछ नहीं कहना चाहता हूं. आप खुद भी जानते होंगे. आपकी वास्तव में कार्यवाही में ईमानदारी दिखाना चाहते हैं तो सबसे पहले संबंधित अधिकारी की पदस्थापना कम से कम 500 किलोमीटर दूर वहां से करें तब मालूम चलेगा. आपकी सरकार भी वहीं पर उसके इर्द-गिर्द पदस्थ कर रही है. मैं कहना चाहता हूं कि इसके लिये आप गौर करके देखें.

          श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी हमारे बहुत ही विद्वान सदस्य हैं और इनका बड़ा लंबा अनुभव है. वह लंबे समय से मंत्री भी हैं इनको पता है कि आबकारी विभाग का मतलब क्या है ? पोस्टिंग का मतलब क्या है ? मैं तो पहली बार इस विभाग को छू रहा हूं. अभी हकीकत में हमें नहीं पता कि इसका मतलब क्या है ? लेकिन मैं आपके माध्यम से इनसे यह जानना चाहता हूं कि नेता प्रतिपक्ष जी यह बता दें कि यह विभाग इतना महत्वपूर्ण था और इनकी पोस्टिंग इतनी महत्वपूर्ण थी तो कृपा करके आपके समय में इनको इन्दौर से देवास 20 किलोमीटर पास में देवास क्यों पदस्थ कर दिया था ? ऐसी आपकी क्या मजबूरी थी ?

          श्री गोपाल भार्गव--यही बात तो मैं आपसे पूछ रहा हूं.

          श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--मैं आपसे भी पूछ रहा हूं.

          श्री गोपाल भार्गव--धार भी ज्यादा दूर नहीं है.

          श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी क्या मजबूरी थी कि आपने उनको बहाल भी कर दिया, आपने उनको देवास में पदस्थ भी कर दिया और आप ही हमसे उल्टा पूछने की कोशिश कर रहे हैं कि आपने क्यों कर दिया ?

          श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने क्या किया, क्या नहीं किया, यह आज का विषय नहीं है. माननीय सदस्य जी कह रहे हैं कि मैं दो महीने पहले चुनकर आया हूं. उनकी समस्या का समाधान करना आपका कर्तव्य है, यह आपको करना चाहिये ? क्या कारण है कि वह 40 किलोमीटर की परिधि में नियुक्ति के बाद में लगातार घूम रहा है.

          अध्यक्ष महोदय--पहले मूल प्रश्नकर्ताओं के उत्तर आ जाने दीजिये.

          श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, इसमें बहुत बड़ी राशि का अपवंचन, गोल माल  हुआ है उसमें महालेखाकार जी की रिपोर्ट भी आ गयी है उसके बाद भी उस पर कार्यवाही नहीं कर रहे हैं. निश्चित रूप से इस बात को इंगित करता है कि यह कहीं न कहीं हितबद्ध है.उक्त अधिकारी के विरूद्ध कभी कार्यवाही नहीं होगी, यह आपको विश्वास दिलाता हूं.

          श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी जो सरकार के खजाने को लूटने का वचन लिये हों, ऐसे लोगों को खिलाफ अगर कड़ी कार्यवाही नहीं हुई तो दूसरे अधिकारियों को भी मौका मिलेगा. आने वाले समय में जितना जल्दी हो सके ऐसे अधिकारियों को सजा दें यही आपसे मेरा निवेदन है.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर - माननीय अध्‍यक्ष जी, मैंने पहले ही कहा कि न तो हमने उनको बाहर किया, अगर पदस्‍थ किया है तो इन्‍होंने किया है. मैं केवल सदन में पूरी जिम्‍मेदारी के साथ इस बात को कह सकता हूं कि किसी भी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्‍टाचार की जांच प्रमाणित होगी तो किसी भी हालत में उसको बख्‍शा नहीं जाएगा, चाहे कोई भी हो.

          श्री प्रदीप पटेल(मऊगंज) - अध्‍यक्ष जी, मंत्री जी कार्यवाही करने से चूक रहे हैं. अध्‍यक्ष जी, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं मंत्री महोदय का बार बार यह कहना कि पूर्व की सरकार, पूर्व की सरकार मतलब ये जवाब से बचना चाह रहे हैं, जो हम चाह रहे हैं उसका जबाव नहीं दे रहे हैं, कार्यवाही नहीं करना चाह रहे हैं और माननीय महोदय, मैं चाहता हूं कि मंत्री जी यह बता दें कि इसमें क्‍या कार्यवाही करेंगे, सामने वाला अधिकारी 42 करोड़ रूपए का गबन करके पोस्टिंग में बैठे हैं और मंत्री जी कार्यवाही करने का कुछ आश्‍वासन नहीं दे रहे हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - मैं फिर मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि महालेखाकार की रिपोर्ट के बाद नई परिस्थिति पैदा हुई है क्‍या आप इस अधिकारी को पुन: निलंबित करके जांच करवाएंगे.

          श्री राजवर्धन सिंह (दत्‍तीगांव)- अध्‍यक्ष जी, आपके माध्‍यम से मंत्री जी से निवेदन है कि दाल में हम काला देखते हैं तो उसको दाल से निकालकर बाहर फेंकते हैं, कंकड़ बाहर करते हैं, इंतजार नहीं करते कि पूरी दाल काली हो जाए और फिर उसको पीकर हम मरे. मंत्री जी ने स्‍वीकार किया है कि जांच है, दोषी पाया गया, जांच हो रही है. निलंबित किया गया था, अगर पूर्ववर्ती सरकार ने कोई गलती करके भ्रष्‍ट अधिकारी को बचाया है तो कमलनाथ जी का कहना स्‍पष्‍ट हैं कि हम भ्रष्‍टाचार बिलकुल भी टॉलरेट नहीं करेंगे. इन्‍होंने गलती की है तो क्‍या हम भी गलती करें, यह बड़ा स्‍पष्‍ट है कि वह दोषी है तो कायदे से जब तक जांच पूरी नहीं हो जाए वह अधिकारी अटैच होना चाहिए, जो गलती भाजपा सरकार ने करी है उसको सुधारेगी कांग्रेस सरकार, उसको सजा देनी चाहिए. इसमें कोई संदेह नहीं कि वह अधिकारी भ्रष्‍ट है, उस पर आरोप है, जांच चल रही है जांच प्रचलित है तो क्‍यों मलाईदार पदो पर उस अधिकारी को भेजा जा रहा है, हमारे जिले में क्‍यों उस अधिकारी को भेज रहे हैं, तमाम ईमानदार अधिकारी हैं, उन्‍हें पदस्‍थ कर दीजिए, क्‍या दिक्‍कत है. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी, माननीय सदस्‍यों की भावनाओं को ध्‍यान रखते हुए कृपयापूर्वक इस पूरे प्रकरण में पुन: विचार कर लें.

          श्री राजवर्धन सिंह - अध्‍यक्ष जी, जवाब तो आने दीजिए. मंत्री जी क्‍या उस भ्रष्‍ट अधिकारी को हमारे जिले से हटाकर निलंबित करके अटैच करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - मैंने कह दिया अपनी तरफ से अपने सुना नहीं.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह राठौर - अध्‍यक्ष जी, अभी जांच में जिन लोगों की भी कमी पाई गई थी, जिन लोगों की वजह से गड़बड़ी हुई थी और हेराफेरी हुई थी, उसमें किसी को भी बख्‍शने का सवाल नहीं है. जैसे नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा है कि वहां से कैसे बहाल हो गया, इस बारे में भी जानकारी लेंगे कि बहाली के पीछे क्‍या कारण था.

          श्री राजवर्धन सिंह - अध्‍यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह जी के सवाल है, डॉ गोविन्‍द सिंह जी ने पत्र लिखे हैं. जांच है जब तक उसको अटैच कर दीजिए. अगर वह ईमानदार है और दोषमुक्‍त है तो फिर उसको वापस पदस्‍थापना दे दीजिएगा, जब तक जांच हो रही है वह जांच को प्रभावित करेंगे, तब तक उसको अटैच कर दीजिए, ऐसा कौन सा भगवान है वह अधिकारी कि वहां पर दर्शन देने आ गया, हटाइए ऐसे अधिकारी को.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष जी, अटैच करें और अनूपपुर, उमरिया करें, सीधी, शहडोल करें. आप वहीं धार देवास नहीं करें कहीं. जलेबी सीरा पी गई क्‍या?

                  

          श्री प्रदीप पटेल - अध्‍यक्ष महोदय, यह बहुत संवेदनशील मामला है और माननीय मंत्री जी ने बहुत विचित्र प्रश्‍न यहां पर खड़ा कर दिया है कि वे अनियमितताओं की जांच न कराकर, इसकी जांच कर रहे हैं कि कैसे बहाल किया ? इसकी जांच करेंगे. यह बड़ा विचित्र प्रश्‍न है.

          अध्‍यक्ष महोदय - कृपया यह न लिखें. 

1.05 बजे      

(3) भिण्‍ड सिटी कोतवाली पुलिस द्वारा फर्जी शिकायतकर्ता के विरुद्ध

कार्यवाही न किया जाना.

                   श्री अरविंद सिंह भदौरिया (अटेर) - अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-

 

           गृह मंत्री (श्री बाला बच्‍चन) - अध्‍यक्ष महोदय,

          श्री अरविंद सिंह भदौरिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे केवल दो प्रश्‍न हैं. एक आई.पी.एस. अधिकारी के द्वारा पूरी जांच कराई गई और जिला मेडिकल बोर्ड से ही अकेले नहीं, ग्‍वालियर मेडिकल कॉलेज के बोर्ड के एच.ओ.डी. ने टॉप रेडियोलॉजिस्‍ट को लगाकर जांच कराई तो जो सब इंजीनियर और डॉक्‍टर हैं, उनके सब इंजीनियर की एक भी हड्डी-पसली को तोड़ा नहीं दिखाया गया. इसमें आई.पी.एस. ने जांच की है और जांच करने के बाद रिपोर्ट उस पत्रकार के खिलाफ जो केस है, यह उसमें लग जाए और यह कब तक लग जाएगी ? यह मेरा आग्रह है और निवेदन है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा दूसरा निवेदन है कि जो उपयंत्री और डॉक्‍टर के खिलाफ एफ.आई.आर. हुई है. यह कोई फरियादी पक्ष ने नहीं करवाई है. एक पुलिस के आई.पी.एस. अधिकारी, जो उस समय एडिशनल एस.पी., भिण्‍ड थे, उन्‍होंने टी.आई. को कहकर साक्ष्‍यों के आधार पर एफ.आई.आर. कराई है, उसमें खुद टी.आई. ने एफ.आई.आर. करवाई है तो उसमें जांच किस बात की होने वाली है ? श्री एल.पी.शर्मा, सब इंजीनियर और डॉक्‍टर जब जमानत पर गए तो टी.आई. ने लिखकर दिया है, कैफियत मांगी जाती है, कैफियत में लिखकर दिया है कि  टी.आई. ने कैफियत में यह लिखकर दिया है कि विवेचना कथन साक्षीगण, एम.एल.सी. रिपोर्ट एवं एक्‍सरे रिपोर्ट आदि से आरोपी डॉक्‍टर आर.के.सिंह के विरूद्ध अपराध सिद्ध पाये जाने से तलाश की गई, वह नहीं मिले, आरोपी की गिरफ्तारी,जमानत न लेने के कारण प्रयास किये गये.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा टी.आई. महोदय ने यह भी लिखा है कि आरोपी की जमानत देने से समाज पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. यह कि आरोपी घटना दिनांक से फरार है और चालाक प्रवृत्ति का आदमी है. मैं यह कहना चाहता हूं कि यह अकेला विषय नही है. भिंड जिले में कम से कम इस डॉक्‍टर ने ऐसे दो सौ से ढाई सौ लोगों से पैसे लेकर झूठी मेडीकल रिपोर्ट बना देते हैं, जिसमें फैक्‍चर बता दिया जाता है. मैं अंतर्आत्‍मा की आवाज से कह रहा हूं, मैं परमपिता परमात्‍मा को साक्षी मानकर माननीय मंत्री महोदय से कह रहा हूं. यह डॉक्‍टर आदतन प्रकार का अपराधी है. जब टीआई महोदय खुद कैफियत में लिख रहे हैं कि उस प्रकरण के आरोपी ने अपने पद का दुरूपयोग किया गया है अगर जमानत होती है तो आरोपी अपराध की पुनरावृत्ति करेगा, जिससे समाज पर बुरा असर पड़ेगा यह पांच फरवरी को टी.आई. मिस्‍टर करकरे ने कैफियत में सी.जे.एम. कोर्ट में  जमा किया है. मैंने आर.टी.आई. से इसे निकलवाया भी है और मैं आपको यह दे भी देता हूं. अब उस प्रकरण में किस बात की जांच करने वाले हैं ?

          अध्‍यक्ष महोदय - आपका विषय पूरा आ गया है अब प्रश्‍न कर लीजिये.

          श्री अरविंद सिंह भदौरिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे दो ही प्रश्‍न है पहला प्रश्‍न यह है कि यह रिपोर्ट कब तक लग जायेगी ? दूसरा प्रश्‍न यह है कि इन पर एफ.आई.आर. हुई है और टी.आई. ने खुद इन पर एफ.आई.आर. की है उसकी डिटेल साक्ष्‍य है, तथ्‍य है पूरे दस्‍तावेज है मैं आपको दे देता हूं. उस एफ.आई.आर.  में उसकी गिरफ्तारी हो और उसके विभाग को अभी तक जानकारी नहीं दी गई है और न ही मेडीकल विभाग को जानकारी दी गई है, न ही इंजीनियरिंग विभाग को जानकारी दी गई है कि इन पर एफ.आई.आर. दर्ज है. आराम से पुलिस कह रहे है कि हम उनको तलाश रहे हैं, वह फरार है. जब वह डेली ड्यूटी कर रहे हैं, डेली जा रहे हैं, डेली उपस्थिति दे रहे हैं तो वह कहां से फरार है. इसलिये दूसरा प्रश्‍न यह है कि इनको तुरंत गिरफ्तार किया जाये, जिससे इस प्रकार की घटनायें आगे न हो. माननीय मंत्री जी से मेरे मात्र दो ही प्रश्‍न हैं.

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो जानना चाहा है और जो साक्ष्‍य जुटायें हैं हमारे विभाग द्वारा इस प्रकरण से संबंधित  विवेचना की जा चुकी है. एफ.आई.आर.  दिनांक 14/05/2018 को हुई है. आपने दो चीजें इसमें पूछी है एक तो खात्‍मा रिपोर्ट और खारिज रिपोर्ट कब तक माननीय न्‍यायालय में लगा दी जायेगी, आप यही जानना चाह रहे हैं?

          श्री अरविंद सिंह भदौरिया - माननीय मंत्री जी वह सब तो कम्‍पलीट हो गया है. आई.पी.एस. अधिकारी ने उस पर जांच की है. वह आज ही चली जाये और कल चली भी गई थी ऐसी मुझे सूचना हो गई थी, कल वहां के एस.पी. का मेरे पास फोन भी आया कि मैं इसको भिजवा देता हूं, आप ध्‍यानाकर्षण को वापस ले लो.

          अध्‍यक्ष महोदय - मतलब आपकी समस्‍या का समाधान हो गया है.

          श्री अरविंद सिंह भदौरिया - समाधान नहीं हुआ है. फिर बाद में ध्‍यानाकर्षण लगने के बाद फिर उसको वापस बुला ली गई है. वहां का टी.आई. उस पत्रकार को हड़काता है कि अब तुमको चने चबवा दिये जायेंगे. वहां का टी.आई. उस पत्रकार को कहता है कि अब तेरे को चने चबवाते हैं, नहीं तो पहले मैं कर देता पर तू नेतागिरी पहले करा ले. मेरी विनम्र प्रार्थना है कि सब कम्‍पलीट है,  आज उसकी यह रिपोर्ट में कोर्ट में जमा हो जाये, कोर्ट मुंशी को पहुंच जाये.

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सब हो चुका है जैसा माननीय विधायक जी जानना चाहते हैं आज माननीय न्‍यायालय में रिपोर्ट लग  चुकी है.

          श्री अरविंद सिंह भदौरिया - मेरा दूसरा प्रश्‍न यह है कि उनकी गिरफ्तारी कब तक हो जायेगी जो मानसिक रूप से अपराधी हैं. वह डॉक्‍टर है, पढ़ा लिखा है, कई लोगों को झूठे केस में फंसाया गया है तो उनको तत्‍काल गिरफ्तार किया जाये और उस पर कोर्ट निर्णय करे.

          श्री बाला बच्‍चन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिस तरह से आपने बताया है वह शर्मा सब इंजीनियर नहीं एस.डी.ओ. है. वह भिंड का रेडियोलॉजिस्‍ट ए.के.सिंह जिसके बारे में आपने बताया है कि गलत रिपोर्ट बनाकर दी थी अस्थि भंग का बताया गया था, लेकिन जब दूसरी जगह से जांच कराई तो ऐसा नहीं पाया गया था और वह रिपोर्ट भी मिथ्‍या पाई गई है, जिनसे रिपोर्ट कराई थी और उसकी पुष्टि करने के लिये यह डॉक्‍टर भी शामिल हो गया है. देखिये अगर पुलिस की और हमारे विभाग की मंशा ठीक नहीं होती तो हम एफ.आई.आर. नहीं लेते. हमने एफ.आई.आर.ले ली और एफ.आई.आर. लेने के बाद प्रकरण की विवेचना भी की जा चुकी है और उनकी रिपोर्ट मिथ्‍या भी पाई गई है. अब अगली जो कार्रवाई है जो धारायें हैं, उन धाराओं का फिर से मैं उल्‍लेख नहीं करना चाहता हूं. लेकिन प्रभारी एस.डी.ओ. शर्मा के विरूद्ध , रेडियोलाजिस्ट ए.के. सिंह के विरूद्ध इस पूरे प्रकरण में जो विवेचना हो रही है साक्ष्य जुटाये जा रहे हैं, जैसे ही इससे संबंधित साक्ष्य मिलते हैं और जो साक्ष्य अभी तक जुटाये गये हैं उसके बारे में आपको बताना चाहता हूं कि जो कमेटी बनी है उसमें दो लोगों के बयान हो चुके हैं दो तीन  और बचे हैं तो अगर आप कुछ समय हमें दे दें तो बहुत ही जल्दी हम उनके भी कथन लेकर के इनके खिलाफ जो अगली कार्यवाही बनती है वह हम कर देंगे.

          श्री अरविंद भदौरिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके सब कथन हो चुके हैं, आलरेडी आईपीएस अधिकारी ने एफआईआर कराई है.

          अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी कह रहे हैं कि जल्दी करेंगे.

          श्री अरविंद भदौरिया-- मंत्री जी, समय सीमा बता दें . कब तक कर देंगे.

          श्री बाला बच्चन - बहुत जल्दी.

          श्री अरविंद भदौरिया - बहुत जल्दी मतलब एक साल, दो साल, दो दिन, एक घंटे..

          श्री बाला बच्चन- नहीं नहीं ऐसा नहीं है. अगर आरोपी है, धारायें लगी हैं, केस दर्ज हुआ है, कानून को हाथ में लेने वाले हैं उनके खिलाफ हम सख्त कार्यवाही करेंगे और हम इन दोनों के खिलाफ भी कार्यवाही करेंगे. बहुत जल्द गिरफ्तार करेंगे.

 

 

 

 

 

1.17 बजे                                          अध्यक्षीय घोषणा

भोजनावकाश न होना

          अध्यक्ष महोदय- आज भोजन अवकाश नहीं होगा. सदन की लाबी में भोजन की व्यवस्था की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

1.18 बजे

ध्यानाकर्षण(क्रमश:)

 

(3)जबलपुर नगर निगम द्वारा प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण में अनियमितता किया जाना.

 

          श्री विनय सक्सेना(जबलपुर-उत्तर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-

 

 

           

 

 

 

 

 

 

 

            मंत्री, नगरीय विकास एवं आवास (श्री जयवर्द्धन सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

            श्री विनय सक्सेना - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि जिन अधिकारियों ने जवाब बनवाया है उनमें से एक की ड्यूटी लगवाएं और दिखवाएं कि एक भी शौचालय इस लायक है तो कृपा करके उसका  सुबह उपयोग करके दिखाएं,आम जनता को जो यह सलाह दे रहे हैं तो कोई वरिष्ठ अधिकारी वहां जाए, मैं किसी का नाम नहीं लूंगा. वैसे ये स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि कई जगह पानी की टंकी नहीं है. मेरा निवेदन है कि जो शौचालय का उपयोग करता है उसको पानी की आवश्यकता उसी समय पड़ती है कि बाद में पड़ती है और बाद में पड़ती है तो दूसरा व्यक्ति उसका उपयोग कैसे करेगा. हमारे प्रधानमंत्री जी का एक विज्ञापन आता है अमिताभ बच्चन जी कहते हैं कि दरवाजा बंद करो. दरवाजा ही टूटा लगा है तो दरवाजा बंद कैसे करेंगे. आपने स्वयं बताया कि शहर में गरीबों के यहां शौचालय बना दिये गये. मैं एक पहाड़ी का जिक्र करना चाहता हूं मदन महल,पहाड़ी के ऊपर के मकानों में शौचालय बना दिये गये.सेप्टिक टैंक नहीं लगाया गया तो उसके ठीक नीचे का जो मकान है, सेप्टिक टैंक न होने से उसका पूरा सीवेज नीचे के घर पर आता है फिर उसके नीचे का जो घर है उस पर आता है. इतने बुरे हालात हैं जबलपुर शहर के. मैं तो यह भी कहना चाहता हूं कि आम के आम गुठलियों के दाम, छाछ से कैसे घी निकाला जाता है और खली से कैसे  तेल निकाला जाता है. यह देखना हो तो पिछली सरकार की कलाकारी को देखिये.

          अध्यक्ष महोदय - कृपा करके प्रश्न करें.

          श्री विनय सक्सेना - मेरा आपसे कहना है कि एक भी शौचालय ठीक नहीं है उनके दरवाजे टूटे हुए हैं. दरवाजा सही है तो अंदर सीट टूटी हुई है. अगर शौचालय की सीट ठीक है तो ऊपर पानी की टंकी नहीं है. अगर पानी की टंकी है तो पाईप लाईन जुड़ी नहीं है. अगर जुड़ी भी है तो उसको पानी नहीं मिल रहा है. आपबताएं कि शौचालय का उपयोग कैसे होगा और जो शौचालय खरीदे गये उनकी कीमत क्या है ?

          श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने वाकई में एक बहुत ही गंभीर मुद्दा उठाया है और इसमें विशेषकर  जो पब्लिक टायलेट्स जबलपुर शहर में लगाये गये उनकी गुणवत्ता पर एक प्रश्न चिह्न लगाया है. मैं आपसे अर्ज करना चाहता हूं कि वाकई में यह एक बड़ी समस्या है और इसका एक कारण है कि उनकी देखरेख वहां ठीक से नहीं हो पा रही है और टायलेट्स के साथ जो पानी की व्यवस्था होनी चाहिए और उसके आसपास सफाई रहनी चाहिये वह वहां नहीं मिली है. विधायक जी ने जो रेट्स का प्रश्न किया है, मैं कहना चाहता हूं कि 4 प्रकार के पब्लिक टायलेट्स क्रय किये गये थे. उसमें (1) प्री-कॉस्ट बायोटॉयलेट, एक की लागत थी 1 लाख 4 हजार रुपए (2) प्री-फेब बायोटॉयलेट, जिसकी लागत थी 2 लाख 98 हजार रुपए (3) प्री-फेब टॉयलेट, जिसकी लागत थी 2 लाख 85 हजार रुपए, (4) प्री-फेब टॉयलेट, जिसकी लागत थी 2 लाख 94 हजार रुपए प्रति नग, ये तीन और चार नम्बर दोनों तीन सीटर थे. इसमें जब मैंने पता किया तो इनके मार्केट में रेट की रेंज करती है 10 हजार रुपए, 30 हजार रुपए, 40-50 हजार रुपए के बीच में. इसमें बहुत भारी रेट में अंतर आ रहा है. जो नगर निगम से कीमत की जानकारी आई है और जो वास्तविक मूल्य मार्केट में दिख रहा है वह 10 से 20 प्रतिशत है. वाकई में इसमें कार्यवाही होनी चाहिए. जैसा अध्यक्ष जी चाह रहे हैं कि इसमें मैं आदेश दूंगा नगर निगम जबलपुर को कि इसमें तुरन्त कार्यवाही करके यह बताएं कि यह जो रेट दिये गये हैं इसमें क्या और भी अन्य चीजें शामिल थीं या  जो टॉयलेट रखा गया है सिर्फ उसी की लागत इसमें दिखाई गई है. यह गंभीर आरोप हैं और इसकी पूरी जांच करवाई जाएगी.

 दूसरा मुद्दा माननीय विधायक जी ने उठाया है कि जबलपुर शहर में  जो सिंगल टॉयलेट्स हैं वहां पर पहाड़ी में जो लोग बसे हुए हैं उनकी भी ठीक से व्यवस्था हो नहीं पाई है. वाकई में यह भी एक मुद्दा है क्योंकि काफी ऐसे टॉयलेट्स निर्मित हुए हैं जिसका सिर्फ स्ट्रक्चर बना है, लेकिन पानी और अन्य सुविधाएं  वहां पर नहीं हैं, जिसके कारण काफी गंदगी फैलती है और अगर हम डेटा देखें तो डेटा में यह स्पष्ट आता है कि जबलपुर शहर में लगभग 70 हजार परिवार स्लम्स में रहते हैं, जबकि अब तक जो सिंगल टॉलेट्स लगे हैं वह लगभग 41 हजार हैं, उसमें भी काफी अंतर है. इसकी भी हम जांच करेंगे कि ऐसे कौन-कौन से स्लम्स हैं जहां पर अभी तक सही निर्माण नहीं हुआ है और जैसा माननीय विधायक जी चाहेंगे वैसा कमिश्नर नगर निगम जबलपुर को आदेश करके पूरी कार्यवाही उनके अनुसार करवाएंगे.

श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, यह जो एक भारी भ्रष्टाचार का स्वरूप है मैं आज सोच रहा था कि पाप के बारे में बात नहीं करूंगा, कल आपने विलोपित कर दिया है. लेकिन सिंहस्थ के जो पुण्य हैं वह दिखने लगे हैं. मेरा एक निवेदन और सुन लें.

अध्यक्ष महोदय - मैं एक निवेदन कर लूं, यह जो पाप शब्द है. वह असंसदीय है. आप लोग भी ध्यान रखिए. शब्दकोश में बहुत सारे शब्द हैं जिनका आप उपयोग कर सकते हैं. आप भी बड़े विद्वान हैं मैं जानता हूं. कृपया ऐसे शब्द का बार-बार उपयोग न करें और मैं बार-बार आपको ऐसा (इशारा) करता रहूं.

श्री विनय सक्सेना- अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन यह कर रहा था, मैंने स्वयं कह दिया कि पाप को आपने कल विलोपित कर दिया तो आज मैं उसकी जगह पुण्य शब्द का उपयोग करूंगा. मैंने कहा है कि सिंहस्थ में जो पुण्य हुए हैं पिछली सरकार में, वह अब देखने को मिल रहे हैं गदंगी के रूप में, 10 हजार रुपए की चीज 3 लाख रुपए में खरीदी हो गई. मैं भी तो यही कह रहा हूं कि नगर निगम में कहता था तो कोई सुनता नहीं था . कम से कम इस सरकार में सुनवाई तो हो रही है. मैं आपसे एक और गंभीर बात कहना चाहता हूं. कलेक्टर कार्यालय जबलपुर के ठीक सामने एक शौचालय बना, एड के लिए उसको दिया गया. जो तत्कालीन कमिश्नर थे वेदप्रकाश जी, वह भी बड़े विद्वान थे. उनसे जब मैं सदन में प्रश्न करता था तो वहां तो वे जवाब दे नहीं पाते थे, किनारे जाकर कहते थे साहब, सरकार के ऊपर से आदेश हैं मैं क्या करूं. आज वह वेदप्रकाश जी बाद में छिंदवाड़ा पहुंच गये थे. मैं अध्यक्ष जी आपसे निवेदन यह करना चाहता हूं कि वेदप्रकाश जी के उस समय के पूरे कार्यों की जांच होनी चाहिए. एक और आग्रह करना चाहता हूं कि जबलपुर शहर का नेपियर टाऊन, राइट टाऊन, सिविल लाइन, घंटा घर और कलेक्टोरेट, जो सबसे महंगी जमीनें थीं, उनको 15-15 साल के लिए लीज़ पर शौचालय के निर्माण  के लिए, विज्ञापन के लिए  दे दिया गया, उसके आगे एड करने का भी अधिकार उनको दे दिया गया. कमिश्नर आएंगे 3 साल के लिए, ठेक दे दिया बगैर सदन के 15 साल के लिए और एक गंभीर बात सुनिए, उन शौचालयों में ताले डले हैं क्योंकि उसमें शर्त यह स्पष्ट नहीं थी कि जो शौचालय बनाएगा और विज्ञापन करके कमाएगा, वह सफाई करेगा कि नगर निगम सफाई करेगी. मेरे इस प्रश्न की भी जांच करवा ली जाय.

अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि जबलपुर शहर में हालत यह है जो गरीबों के लिए शौचालय बना रहे हैं वह तो उपयोग कर नहीं पा रहे हैं. अगर उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं तो वे खुले में शौच कर रहे होंगे तो केन्द्र सरकार से ओडीएफ में 21वां नम्बर मिल कैसे जाता है? मैं आपसे यह भी पूछना चाहता हूं. जब शौचालय टूटे पड़े हैं, सीट हैं नहीं, दरवाजे बंद हो नहीं रहे तो इसका मतलब खुले में शौच हो रहा होगा और वास्तविक रूप से आप सुबह देख सकते हैं, उसकी वीडियोग्राफी करवा सकते हैं तो फिर  केन्द्र सरकार से हर नगर निगम को जो पुरस्कार मिलते हैं वह किस लेन-देन के तहत मिलते हैं  यह भी एक प्रश्न आ गया? मैं यह पूछना चाहता हूं कि ओडीएफ में 21वां नम्बर, ओडीएफ में 25वां नम्बर हमारे शहर को कैसे मिल जाता है? मैं इसके बारे में आपसे आग्रह करना चाहता हूं और खासतौर से 15 साल के लिए जो वहां पर लीज़ के लिए दे दिये गये, उसको निरस्त करवाने का कष्ट करें?

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय विधायक जी को वास्तव में जबलपुर शहर का बहुत अच्छा अनुभव है वह पहले कई बार पार्षद भी रहे हैं और नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं. इन्होंने विशेष मुद्दे अवगत कराये हैं. शौचालय के संबंध में मैंने पहले भी आश्वासन दिया है कि उसकी पूरी जांच करवाई जायेगी उसमें उन्होंने कुछ मुद्दे और बतायें हैं नगर निगम क्योंकि वह इस विषय से संबंधित नहीं है, तो उसका आश्वासन मैं अभी नहीं दे सकता हूं, लेकिन उनके मन में और कुछ ऐसी बातें हैं तो वह अलग से मुझसे बात कर सकते हैं. लेकिन मैं सदन में आश्वासन दे रहा हूं. इसमें उत्तर में भी दिया गया है कि अगर कुछ क्रय किया गया है सिंहस्थ के माध्यम से, उसकी पूरी जांच की जायेगी और बाकी जो ऐसे पब्लिक टायलेट हैं, जिनकी गुणवत्ता सही नहीं है, जो टूटे हैं और जिनके द्वारा आम जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है उसकी पूरी जांच हमारा विभाग करायेगा.

 

 

 

समय 01.33                       याचिकाओं की प्रस्तुति

          अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची में माननीय सदस्यों की  सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की गई मानी जायेंगी.

समय 01.34                       शासकीय विधि विषयक कार्य

मध्यप्रदेश नगरपालिका(संशोधन) विधेयक, 2019

          नगरीय विकास और आवास ( श्री जयवर्द्धन सिंह ) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश नगरपालिका(संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.

          अध्यक्ष महोदय --प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश नगरपालिका(संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया( मंदसौर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1961 क्रमांक 37 के 1961 के माध्यम से मंत्री जी ने  स्थानीय निकाय के चुनाव में जो आवश्यक अहर्ताएं होती हैं, और जिनको लेकर के नामांकन दाखिला करने वाला व्यक्ति उन नियमों और प्रक्रियाओं के कारण कई बार अयोग्यता भी रखता है लेकिन उसके बावजूद भी नामांकन नहीं भर पाता फार्म नहीं भर पाता है. भारत का नागरिक है, सरकारी सेवक  है  और वेतन  या मानदेय  के रुप में पारिश्रमिक  पाता है या परिषद् के अधीन   लाभ का कोई पद धारण किया हो या किसी सक्षम न्यायालय द्वारा  विकृत  चित्त मानसिकता वाला हो, दिवालिया हो, उसी क्लॉज  में  एक कुष्ठ रोग  की बीमारी को लेकर के भी  उन अर्हता में  उसको जोड़ा गया था कि  अगर कुष्ठ रोगी है, तो  चुनाव  नहीं लड़ पायेगा.  मुख्यधारा से जोड़ने का काम  इस विधेयक के माध्यम से  लोकतंत्र, प्रजातंत्र में  किये जाने का यह प्रयास है. संक्रामक रोग होते हैं.  शरीर में कोई भी बीमारी लग सकती है, लेकिन  कुष्ठ रोग  जहां एक ओर  अब साध्य रोग हो गया है और उसके अंतर्गत  भारत सरकार ने भी,  पूर्ववर्ती सरकार हो या वर्तमान सरकार हो, कुष्ठ  रोग को जड़- मूल से समाप्त करने को लेकर के  एक अभियान  चलाया है, उसमें बड़ी सफलता प्राप्त हुई है.  फिर चाहे वह क्षय रोग हो, चाहे वह कुष्ठ रोग हो, चाहे पोलियो उन्मूलन हो.  इन तीनों चीजों में क्रांतिकारी निर्णय हुए हैं.  मैं समझता हूं कि  इन उद्देश्यों  और कारणों को कथन बिन्दू करते हुए यह जो संशोधन लाया गया है,  मैं मंत्री जी आपका धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करना चाहता हूं.  इसलिये कि कुष्ठ रोगियों में भी कोई योग्यता होती है, होगी. वह कुष्ठ रोगियों की बस्ती, जहां पर  उसके परिवार का पढ़ा लिखा बच्चा है  और कहीं छोटा मोटा रोग भी उसको ग्रसित कर गया, बाल्यकाल  से उस माहौल में रहता है. उसको यदि  चुनाव लड़ने को लोकर के  अगर कुष्ठ रोग की बाध्यता आती है, तो मैं समझता हूं कि  यह जो संशोधन विधेयक आया है,  यह आपने प्रस्तुत किया है,  मैं इसका स्वागत करते हुए अभिनन्दन करता हूं.

                   श्री घनश्याम सिंह (सेंवढ़ा) -- अध्यक्ष महोदय,  यह जो मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक,2019  लाया गया है, मैं  आपके माध्यम से सरकार  को और  मंत्री, श्री जयवर्द्धन सिंह जी को  धन्यवाद दूंगा.  बहुत अच्छा विचार है, बहुत अच्छा संशोधन विधेयक है. यह  काफी देर से आया है, लेकिन दुरुस्त  आया है. जैसा  कि अभी कहा गया, बिलकुल सही बात है कि  कुष्ठ रोग कभी असाध्य होता था और बहुत संक्रामक रोग होता था, जिसके  कारण ऐसे प्रावधान  किये गे थे कि  कुष्ठ रोगी कहीं कोई मीटिंग,  सम्मेलन है,  जहां ज्यादा लोग एकत्रित  हो रहे हैं,  वहां कुष्ठ रोगी न बैठें,  जिससे  कि कुष्ठ रोग फैलने की  सम्भावना  न हो.   मैं  तो यह  कहूंगा कि यह बाबा आदम  के जमाने का  प्रावधान था. इसको    समाप्त किया जा रहा है. यह बड़ी खुशी की बात है,  स्वागत योग्य है.  कुष्ठ रोग अब साध्य हो चुका है, उसका उपचार संभव है.  आज के जमाने में इस तरह के  प्रावधान  कहीं अगर  कानूनों में हैं,  तो  उन्हें हटाया जाना चाहिये  और आज यह संशोधन करके हटाया जा रहा है.  इसका मैं स्वागत करता हूं और  सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं एवं माननीय जयवर्द्धन सिंह जी को  बहुत  बहुत धन्यवाद.  अध्यक्ष महोदय, आपने  मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.

                   श्री देवेन्द वर्मा (खण्डवा) --  अध्यक्ष महोदय, सदन में मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक,2019 जो प्रस्तुत किया गया है,  मैं इसका समर्थन करता हूं.  निश्चित ही अगर हम  कुष्ठ रोग की बात करें,  तो लगभग 30-40 साल पूर्व  में  सरकार ने इस प्रकार के प्रावधान  बनाये थे,  जिसके अंतर्गत इस प्रकार के  प्रभावित  क्षेत्रों में अलग से बस्तियां बनाई गई थीं.  मैं बताना चाहता हूं कि इसी कड़ी में हमारे खण्डवा शहर में  भी  शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर  इसी प्रकार की कुष्ठ बस्ती बसाई गई थी और जहां पर कि इस प्रकार के रोगी  निवास करते थे.  निश्चित ही आज के  युग में अगर हम बात करें , तो आज यह रोग साध्य है.  कहीं  से भी इस प्रकार का पुराना  जो नियम है, इसको  विलोपित किया जाना आवश्यक था. मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं, साथ ही  साथ इसमें  अध्यक्ष और पार्षद के  निर्वाचन में लागू किया गया  है,  लेकिन वर्तमान में अगर हम देखें कि  आज एक पार्षद अगर  नगर निगम में निर्वाचित हुआ है, तो  जिस प्रकार के जो  सरकार के  नये नियम हैं, उसके अंतर्गत  मुश्किल से साल में एक बार  परिषद् की बैठक हो पाती है.  5 वर्ष के अपने कार्यकाल में   वह मुश्किल से  5 बैठक  अटेण्ड कर पाता है. मेरा  मंत्री जी से निवेदन है कि यह  सुनिश्चित करें कि  कम से कम  परिषद् की बैठक एक माह में  अवश्य हो.  निश्चित रुप से इस प्रकार से  पार्षदों  का एक सम्मान होगा और साथ ही साथ वे अपने क्षेत्र में ज्‍यादा से ज्‍यादा कार्य करा पाएंगे. जैसे इस प्रकार का यह विधेयक आप लेकर आए हैं, नगर निगमों में अगर हम देखें तो आज भी नगर निगम में स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी का भी रोस्‍टर चला आ रहा है, स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी हमारे मध्‍यप्रदेश में कुछ होंगे, लेकिन अगर हम उनका रोस्‍टर चालू रख सकते हैं तो उनके परिवार को उस रोस्‍टर में यदि शामिल करेंगे तो यह प्रदेश की जनता के हित में होगा. अध्‍यक्ष महोदय, इसी प्रकार मेरा आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि अवैध कालोनी एक बहुत बड़ी समस्‍या मध्‍यप्रदेश में बनी हुई है तो छोटे प्‍लॉट की जो रजिस्‍ट्री होती है, उस पर रोक लगाई जाए. अत: मेरा आपके माध्‍यम से यह निवेदन है कि शहर में जो बड़ी-बड़ी अवैध कालोनियां बस रही हैं, खण्‍डवा जैसे छोटे से शहर में आज 300 अवैध कालोनियां हैं, इससे शहर का अनियंत्रित विकास हो रहा है. यह भी छोटे शहरों की बहुत बड़ी समस्‍या है. इसी प्रकार शहरी क्षेत्र में आज भी छोटे झाड़, छोटे जंगल की जो जमीन है, उसका कोई उपयोग नहीं हो पाता और नगर निगम उसकी देखरेख नहीं कर पाती या तो उसको इस प्रकार की छोटे झाड़, छोटे जंगल की या नजूल की जो भी जमीन है या शहर में जो इस प्रकार की प्रॉपर्टी है, वह पूरी तरह नगर निगम को हैंडओवर होनी चाहिए जिससे कि उसकी सही तरीके से देखरेख हो सके और अपने उपयोग में ले सकें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- देवेन्‍द्र भाई, कौन से विषय पर जा रहे हो, विषय कुछ है और बोल कुछ रहे हो.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, विधेयक वाला विषय तो मैंने पहले बोल दिया, ये छोटी-छोटी सी बातें हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, टीएंडसीपी भ्रष्‍टाचार का एक अड्डा बना हुआ है, इससे जनता को कहीं न कहीं  परेशानी हो रही है या तो उसे नगर निगम में मर्ज करें या फिर उसका सही उपयोग हो और शहर के मास्‍टर प्‍लान के हिसाब से विकास हो. यह नगर निगम द्वारा सुनिश्‍चित करने का काम करें. अध्‍यक्ष महोदय, विषय बहुत सारे हैं, आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

          अब विधेयक के खण्‍डों पर विचार होगा.

 

          प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 2 इस विधेयक का अंग बने.

                                                                   खण्‍ड 2 इस विधेयक का अंग बना.

 

          प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

                                                                  खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

 

          प्रश्‍न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

 

                                      पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

 

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करता हूँ कि मध्‍यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस विषय पर हमारे पूर्व वक्‍ता श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी, श्री घनश्‍याम सिंह जी और श्री देवेन्‍द्र वर्मा जी ने भी उनके विचार प्रकट किए हैं. वाकई में नगरपालिका अधिनियम, 1961 की धारा 35 (च) में जो संशोधन किया गया है, यह एक महत्‍वपूर्ण संशोधन है क्‍योंकि अब तक उसमें यह उल्‍लेख था कि अध्‍यक्ष के लिए या पार्षद के लिए निर्वाचन में अगर कोई व्‍यक्‍ति नाम भरता था तो अगर वह किसी भी प्रकार के कुष्‍ठ रोग से पीड़ित था तो उसको निर्वाचन में नाम भरने की अनुमति नहीं मिलती थी. मैं सदन को इसके बारे में अवगत कराऊंगा कि माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय ने पिछले साल इस मुद्दे को लेकर एक फैसला लिया जिसमें पिटीशनर विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के द्वारा याचिका लगाई गई थी, जिसमें इस नियम को संशोधित करने की मांग की गई थी. उसी के आधार पर मिस पिंकी आनन्‍द, एडिशनल सॉलीसिटर जनरल जिन्‍होंने यूनियन ऑफ इंडिया के लिए एपियर किया था, उनके द्वारा जो इसमें इंस्‍ट्रक्‍शंस दिए गए थे, उसी के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि इस संबंध में यह विधेयक संशोधित किया जाए और क्‍योंकि थ्रू एडवांसमेंट इन टेक्‍नालॉजी आज के समय ये रोग अब कंटेजियस नहीं है, संक्रामक नहीं है तो इसीलिए यह निर्णय लिया गया है कि इसके माध्‍यम से कोई भी ऐसा व्‍यक्ति हो, जो इससे पीडि़त हो वह भी आज के समय अब इस संशोधन के बाद निर्वाचन में उसका नाम रख सकता है. साथ में जो कुछ और मुद्दे श्री देवेन्‍द्र वर्मा जी ने उल्‍लेख किए थे वह इस विषय से संबंधित नहीं हैं लेकिन कभी जब भी ये मुद्दे चर्चा में आएंगे तो उनके बारे में भी जरूर आपके जो भी प्‍वाइंट्स हैं, उसके मैं उत्‍तर दूंगा. धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ. मध्‍यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.

          प्रश्‍न है कि मध्‍यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत.

विधेयक पारित हुआ.

        अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, एक बात कहना चाहता हॅूं. विराजिए. जब मैं पहली बार चुनकर आया था, ऐसे ही कोई विधेयक पहली बार आया है. माननीय पटवा जी ने मुझसे यहां पूछा कि विधेयक आ गया है, अब इस पर अपने विचार रखिए. पहली-पहली बार जो मंत्री बनकर आए और अपने विचार विधेयक के ऊपर रखे, वह बड़ी टेढ़ी खीर-सी होती है लेकिन मैं श्री जयवर्द्धन सिंह जी को शुभकामना और शाबाशी दूंगा. पहली बार आपने विधेयक प्रस्‍तुत किया. (मेजों की थपथपाहट) विस्‍तार से, अच्‍छे से जिन माननीय सदस्‍यों ने बोला, उनके लिए भी आपने उल्‍लेखित किया. आप ऐसे ही आगे बढे़ं, हमारी ऐसी शुभकामनाएं.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्‍यक्ष जी, योग्‍य मंत्री हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- योग्‍य पिता की योग्‍य संतान.

          श्री गोपाल भार्गव -- योग्‍य पिताजी के योग्‍य बेटे हैं. अध्‍यक्ष महोदय, हालांकि मैं चाहता था लेकिन मैंने बीच में इंट्रप्‍ट नहीं किया. बच्‍चों के बीच में नहीं करना चाहिए. कुष्‍ठ रोग को कैसे ऑइडेंटिफाई करेंगे, यदि किसी ने किसी के खिलाफ असत्‍य सर्टिफिकेट लगा दिया तो वह वैसे ही डिसक्‍वॉलिफाई हो जाएगा. इसकी कोई प्रामाणिक प्रक्रिया यदि आप रखेंगे तो हो सकता है कि यह फेयर हो जाएगा. क्‍योंकि कुष्‍ठ रोग आईडेंटिफाई आसानी से नहीं होता है. गिने-चुने लोग ही होते हैं. बल्कि कई लोगों के लिए होता है लेकिन प्रमाणित नहीं हो पाता.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वह नियम खतम ही हो गया है. विधेयक इसलिए पारित किया गया है क्‍योंकि पहले यह नियम था कि कोई व्‍यक्ति जो कुष्‍ठ रोग से पीडि़त है तो उसको निर्वाचन में खडे़ होने की अनुमति नहीं मिलती थी. लेकिन अब वह नियम बदल गया है अब ऐसा कोई नियम नहीं है तो वैसे ही अब सवाल नहीं उठता.

2.          मध्‍यप्रदेश आधार (वित्‍तीय और अन्‍य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019

          विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करता हॅूं कि मध्‍यप्रदेश आधार (वित्‍तीय और अन्‍य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्‍यप्रदेश आधार (वित्‍तीय और अन्‍य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.

          श्री ओमप्रकाश सकलेचा (जावद) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश आधार (वित्‍तीय और अन्‍य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 के इस विषय में आधार, पहचान, संख्‍या नियम  बहुत अच्‍छा है और बहुत जरूरी भी था. लेकिन इसमें दो-तीन विषय पर मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हॅूं कि इन्‍होंने एक क्‍लॉज डाली कि इस पर हैल्‍थ रिकॉर्ड बिल्‍कुल नहीं चिकित्‍सा इतिहास संबंधी अभिलेख सम्मिलित नहीं हैं. आज-कल कई देशों में आधार में एक चिप लगी होती है जिसमें पूरी मेडिकल हिस्‍ट्री का रिकार्ड होता है. पूरी दुनिया में आज-कल आदमी के पास मोबाईल है. अब आधार की मूल सोच यह है कि किसी भी व्‍यक्ति का पूरा रिकार्ड वहां पर हो जाए. अगर बाहर जाकर किसी व्‍यक्ति के साथ कुछ भी घटना हुई तो उसके आधार नंबर से पूरा रिकार्ड देखकर तुरंत उसे इलाज दिया जा सके. फ्रांस इस विषय में पूरी दुनिया में नंबर एक पर है. क्‍या इस विषय में यह संशोधन लाना जरूरी था ? या इसको भी उपधारा में डालकर बाद में चिंतन करके कर देते ? क्‍योंकि मुझे अभी 15 मिनट पहले बोला गया और मैं 15 मिनट में जो देख पाया उसके हिसाब से मुझे लग रहा है कि बिना सोचे-समझे जल्‍दबाजी में यह अधिनियम बना दिया गया.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह आग्रह है कि एक अधूरा, अपरिपक्‍व बिल पास करके क्‍या उचित निर्णय होगा ? आप स्‍वयं भी समझदार व्‍यक्ति हैं. मैं यह जानता हूं. मेडिकल रिकार्ड रखने में नुकसान क्‍या है ? उसका स्‍पष्‍टीकरण होना चाहिए. दूसरा इसमें इन्‍होंने जो विषय रखा गया है कि दो साल तक आप इसमें कोई भी उप नियम बनाकर संशोधन कर सकते हैं,  तो आज पास कराने का और संशोधन का अधिकार अगर आप रखना चाहते हैं तो इस सदन में स्‍पष्‍टीकरण दिए बिना इसको पास कराने का औचित्‍य क्‍या हुआ ? आपके पास सब अधिकार हैं, तो आप वैसे ही उस अधिकार का उपयोग करिए. अगर आप अधिनियम बना रहे हैं तो उसकी उपधाराएं तो कम से कम स्‍पष्‍ट रखें. मेरा आग्रह है कि इन पर थोड़ा चिंतन करके मंत्री जी कुछ स्‍पष्‍टीकरण दे सकें तो सही होगा, क्‍योंकि मैं बहुत ज्‍यादा अध्‍ययन और कानून की धाराएं तो नहीं जानता, लेकिन स्‍पष्‍टत: मैं बता रहा हूं कि मैंने फ्रांस आदि कुछ देशों में देखा है कि वहां पर सब मेडिकल रिकार्ड उपलब्‍ध रहता है और मैं तो स्‍वयं जावद की एक लाख जनसंख्‍या का मेडिकल रिकार्ड ऑनलाइन कराने का निर्णय ले चुका हूं और एक साल में हर व्‍यक्ति का 40 वर्ष की उम्र तक टोटल मेडिकल रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्‍ध होगा. मेरा ऐसा आग्रह है कि यह आज के जमाने में होना अनिवार्य है.

          श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) - अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि अभी माननीय सदस्‍य ने कहा, बिल्‍कुल सही बात है कि अगर यह बिल पास होता है तो बहुत अच्‍छी बात है. मेरा मानना है कि आधार वह चीज है जो व्‍यक्ति को हर क्षेत्र में एक पहचान उपलब्‍ध कराती है. श्री शर्मा जी के नेतृत्‍व में जो यहां पर बिल पेश किया गया है मैं इसका समर्थन करता हूं. यह आने वाले दिनों में मध्‍यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे गांवों एवं कस्‍बों पर भी आधार बनाने की मशीनें लगाई जाएं और जो बुजुर्ग व्‍यक्ति रहते हैं, जिनके अंगूठे की छाप उसमें नहीं आ पाती है उनको परेशानी आती है, तो इसके लिए उसमें ऐसा प्रावधान किया जाए कि उम्र अधिक होने से जिस व्‍यक्ति के अंगूठे के निशान नहीं आ पाते हैं उसमें बिना अंगूठे के निशान के भी उस व्‍यक्ति का काम चल जाए. मेरे यहां सुवासरा मण्‍डी को नगर पंचायत का दर्जा प्राप्‍त है. उसमें आज भी आधार कार्ड बनाने वाली एक भी एजेंसी नहीं है. ऐसा ही नाहर गढ़ और कई जगहों पर भी है. मेरा मानना है कि अगर छोटे कस्‍बों में भी आधार बनाने की व्‍यवस्‍था रखेंगे तो सहूलियत होगी. मैं पुन: इस आधार कार्ड के लिए जो कि लोगों को मास्‍टर चाभी के रूप में उपयोग में आता है, आपको बधाई देता हूं. धन्‍यवाद.

          श्री विश्वास सारंग--  अध्यक्ष जी, डंग जी का तो आधार कार्ड भी है और अंगूठे का निशान आज भी आता है तो भी ये मंत्री क्यों नहीं बन पा रहे हैं? बहुत दुखी हैं, आज बोल रहे थे.

          अध्यक्ष महोदय--  विश्वास जी, आपने एक बात नहीं सुनी उमर चढ़ते अंगूठा भी, आपने सुना, नहीं सुना?

          नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव)--  अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने एक अच्छी बात कही है,  व्यावहारिक है. बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनके फिंगर प्रिन्ट नहीं आ रहे. कोई ऐसा मेकेनिज्म बनना चाहिए जिससे, जिनके फिंगर प्रिन्ट नहीं आते हों और पेंशन के लिए भटकते रहते हैं. मेरा विचार यह है कि मैन्युअली उसके लिए कोई सर्टिफाइड करके कि हाँ, यही व्यक्ति है और उसकी राशि का आहरण करने का उसको हक देना चाहिए. जब तक कोई नया सिस्टम नहीं आ जाए या तो फिर आँख के रेटिना से करें या फिर फिंगर प्रिन्ट से करें. अध्यक्ष महोदय, हजारों की संख्या में लोग इससे प्रभावित हैं.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा--  आँख के रेटिना को कुछ स्टेट ने लिया है कि आँख के रेटिना से उसका सेकण्ड वैरीफिकेशन हो जाए.

          श्री गोपाल भार्गव--  अध्यक्ष महोदय, रेटिना से कर लें. लेकिन इसके लिए जल्दी करें क्योंकि गरीब, बेसहारा, लाचार एवं निःशक्त लोग भटकते रहते हैं, तो यह बहुत ज्यादा आवश्यक है. अध्यक्ष महोदय, राशन का जो पीडीएस सिस्टम है उसमें भी यह समस्या आ रही है.      

अध्यक्ष महोदय--  मंत्री जी अपने जवाब में इस बात का जरूर उल्लेख करेंगे. श्री नीलांशु चतुर्वेदी अपनी बात कहें.

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी(चित्रकूट)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश आधार  विधेयक 2019. इससे मध्यप्रदेश की आम जनता को, रहवासियों को, सीधे फायदा मिलेगा तथा सरकार,  पंक्ति में पीछे खड़े हुए व्यक्ति की मदद करना चाहती है. जो हमारी सरकार का उद्देश्य है कि उनको मुख्य धारा में जोड़ने का जो काम है इसी अधिनियम के माध्यम से जो सरकार की योजनाएँ हैं, जो सरकार की मूल चीजें हैं, उससे इस अधिनियम के माध्यम से बहुत फायदा मिलने वाला है इसलिए मैं इस विधेयक का समर्थन करता हूँ तथा जो हमारे माननीय सदस्य ने बोला है कि इसमें थंब वाला जो इश्यु है, इसमें जमीनी स्तर पर बहुत जेन्यून और बेसिक प्रॉब्लम आती है, इसका जरूर निराकरण होना चाहिए क्योंकि जो आम जनमानस है, वह पेंशन लेने भी जाते हैं, किसी भी काम के लिए जाते हैं, उन बुजुर्गों का अंगूठा नहीं लगता है, इस कारण से उनको उस चीज का फायदा नहीं मिल पाता है और दूरदराज में जाकर बड़े निराश होकर आते हैं. इसी प्रकार आधार में जिन लोगों का थंब नहीं लग रहा है, उसका रेटिना के माध्यम से या किसी अन्य माध्यम से  निराकरण करना अत्यन्त आवश्यक है ताकि हम, जो आम आदमी है, जो गरीब आदमी है, जो मध्यप्रदेश में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति है, उसको उसका सीधा लाभ दिला सकें. हमारे माननीय सदस्य जी ने जो बोला है कि आधार हिन्दुस्तान की पहचान है. आधार के माध्यम से एक सिंगल कार्ड होना चाहिए, भारत के मध्यप्रदेश के प्रत्येक नागरिक का कार्ड होना चाहिए. उसमें वह सारी जानकारी होनी चाहिए, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के बारे में आधार नंबर से पूरी उसकी हिस्ट्री, पूरा मेडिकल और जो भी उसकी जानकारी है, वह उस कार्ड के माध्यम से वह प्रस्तुत हो जाए, एक आधार कार्ड भारत का कार्ड होना चाहिए, प्रदेश का कार्ड होना चाहिए, उसके बाद उसको किसी भी अन्य प्रमाण पत्र या सर्टिफिकेट देने की आवश्यकता न पड़े, उसे यह बताने की आवश्यकता न पड़े कि मैं यहाँ का मूल निवासी हूँ या अन्य चीजें हैं, तो इस आधार कार्ड का जो यह विधेयक है, इसका मैं समर्थन करता हूँ. धन्यवाद.

          विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी. शर्मा)--  आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले तो यह बताना चाहूँगा कि यह भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, यूनिक आयडेंटिफिकेशन अथार्टी आफ इंडिया, भारत सरकार के द्वारा देश के रहवासियों की विशिष्ट पहचान के लिए आधार पंजीयन राज्य सरकारों के सहयोग से यह होता है और राज्यों में घोषित स्टेट रजिस्ट्रार के माध्यम से यह पंजीयन होता है. इसमें अभी तक जितने भी काम चल रहे थे उसमें जो आधार कार्ड बनते हैं और केन्द्र सरकार के द्वारा इसको शुरू किया गया था उसके माध्यम से चल रहे थे.  बहुत से राज्यों में यह हुआ है कि स्टेट भी इससे जुड़ गए हैं, उसका उद्देश्य यही है कि व्यक्ति की वास्तविक पहचान हम कर सकें. इस संशोधन के माध्यम से भारत सरकार के विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा राज्य सरकारों को निर्देश, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का यह था कि राज्य सरकारें भी इससे जुड़ें उसके लिए यह एक्ट यहां पर लाया गया है. भारत सरकार द्वारा जारी आधार टारगेटेड डिलेवरी एक्ट फायनेंशियल एण्ड अदर सबसिडी बेनिफिट एण्ड सर्विसेस एक्ट 2016 की धारा में प्रावधान है कि केन्द्र सरकार की संचित निधि में से किसी व्यक्ति को इससे लाभ मिल सकता है. इस एक्ट के आने से मध्यप्रदेश की जो संचित निधि है इससे आम लोगों को भी लाभ मिल सकेगा. इससे कोई भी फर्जी व्यक्ति इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएगा. मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि आधार इनेबल्ड पेमेंट ब्रिज के माध्यम से लोगों के एकाउन्ट में आसानी से पैसा जा सके और उसकी विधिवत् पहचान हो सके उसके लिए इस एक्ट को लाने की आवश्यकता थी. इससे मध्यप्रदेश की संचित निधि से मिलने वाले लाभ ज्यादा वैधानिक तरीके से मिलने लगेंगे, वैधानिक तो थे ही और वैधानिक हो जाएंगे.

          अध्यक्ष महोदय, आदरणीय सदस्य श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी, श्री हरदीप सिंह डंग एवं आदरणीय चतुर्वेदी जी ने बहुत अच्छे से अपनी बातें रखी हैं. नेता प्रतिपक्ष जी ने भी अपनी बात यहां पर रखी है. मैं सखलेचा जी को बताना चाहता हूँ कि सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय है जिसके तहत कहा गया है कि किसी की प्रायवेसी घोषित न हो इसलिए इसमें खासतौर से यह बात कही गई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत यह व्यवस्था है कि बीमारी के मामले में किसी की प्रायवेसी दूसरों को मालूम न चल सके. दूसरी बात आपने संशोधन की कही है. आपको बताना चाहूंगा कि इसमें जब भी संशोधन होगा तो वह विधान सभा में आए बिना नहीं होगा. यह टेक्नालॉजी का युग है, आईटी का युग है. बहुत सी चीजें नई आती हैं और नए प्रावधान लाना पड़ते हैं. जब इसमें संशोधन लाना पड़ा तो यह मध्यप्रदेश की विधान सभा में आएगा,यहां चर्चा होगी उसके बाद ही संशोधन होगा.

          अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा है कि आँखों के रेटिना से भी वेरीफिकेशन हो. इसकी भी मशीनें आ रही हैं आगे चलकर इसको भी किया जाएगा. मोबाइल के माध्यम से भी पहचान की जा सकती है. थम्ब की बात आई है, निश्चित तौर पर यह परेशानियाँ हैं. रिमोट एरिया में जहां पर आधार बनाने की मशीनें नहीं पहुंच पा रही हैं. इसका पूरा प्रयास किया जाएगा कि रिमोट से रिमोट जगह पर भी यह मशीनें पहुंचें और वहां पर लोग इसका लाभ ले सकें, उनका आधार कार्ड बन सके. इसका प्रयास निश्चित तौर पर सरकार और विभाग करेगा. थम्ब की समस्या निश्चित तौर पर है. राशन के मामले में मंत्री जी ने यहां पर और पहले भी कहा है कि जब राशन दिया जाता है तो पहले 15 दिन तो थम्ब से दिया जाता है. उसके बावजूद अगर लोगों को राशन नहीं मिलता है तो पर्टिकुलर पहचान से भी उनको राशन दिए जाने की भी व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है. मुझे इसकी जानकारी है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय मंत्री जी जैसा आपने बताया है कि पहले 15 दिन थम्ब इम्प्रेशन के आधार पर राशन दिया जाता है उसके बाद में वैसे ही दे दिया जाता है. लेकिन यह हो नहीं रहा है. मेरा आपसे आग्रह है कि आप खाद्य मंत्री, सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री और अधिकारियों से चर्चा कर लें. क्योंकि पेंशन का और राशन  का विषय है. दो विभागों में समन्वय करके आप कह दें कि इस छूट को इसी सप्ताह से लागू कर दें तो मेरा विचार है कि लाखों लोगों का भला हो जाएगा. क्योंकि मेरी जानकारी में अभी तक यह नहीं हो रहा है. आपके उत्तर में आपने जरुर बताया है लेकिन व्यावहारिक रुप से आपके उत्‍तर में आपने जरूर बताया है लेकिन व्‍यावहारिक रूप से अभी नहीं हो रहा है. दोनों विभाग परिपत्र जारी कर दें कि जिनके थम्‍ब इंप्रेशन नहीं आ रहे हैं उनके लिए वैकल्पिक व्‍यवस्‍था मैन्‍युअली है जो किसी तरह से दस्‍तखत करवाकर उसका कर दें और दूसरा यह है कि जो सामाजिक सुरक्षा पेंशन है वह 60 वर्ष से ऊपर की आयु के लोगों को मिलती है या 90, 100 वर्ष की आयु के लोगों को मिलती है तो उनकी हाथों की उंगलियों और अंगूठों में सिकुड़न आ जाती है. कभी-कभी जो मजदूर वर्ग रहता है अधिक मजदूरी के कारण उसके भी फिंगरप्रिंट नहीं आ पाते हैं, घिस जाते हैं और इस कारण से आप जरूर इन दो विभागों में दिखवा लेते.

          श्री पी.सी. शर्मा-- अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा है कि मंत्री जी से बात करके दिखवा लें लेकिन जो अभी तक जानकारी है उस हिसाब से यह है, लेकिन उसको और एक्‍सप्‍लाइट कर दिया जाएगा. 5 दिन, 15 दिन बाद कोई बचे नहीं राशन सबको मिले सरकार यह व्‍यवस्‍था करेगी और जो आपने दोनों विभागों की बात की है दोनों विभागों से समन्‍वय करके इसको करा दिया जाएगा.

          श्री चैतन्‍य कुमार काश्‍यप (रतलाम सिटी)-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि इसमें आपने प्रावधान रखा है कि जिनके आधार नहीं बने उसके लिए वैकल्पिक व्‍यवस्‍था होगी. अभी नेता प्रतिपक्ष जी ने जो कहा दोनों विभागों का अब इस अधि‍नियम के अनुसार ही कोई स्‍पष्‍ट नियमावली बना दें कि जिनका आधार नहीं है या उनका अंगूठे का निशान नहीं लग रहा है उनके लिए क्‍या प्रक्रिया रहेगी नहीं तो हर विभाग अपनी-अपनी प्रक्रिया बनाएगा और हर व्‍यक्ति उसके अंदर अलग-अलग विभाग में परेशान होते रहेंगे.

          श्री पी.सी. शर्मा-- अध्‍यक्ष महोदय, जो काश्‍यप जी ने कहा है उसको निश्चित तौर पर इमप्‍लीमेंट करने की कोशिश की जाएगी.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- अध्‍यक्ष महोदय, अभी आपत्ति है.

          श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि आधार व्‍यवस्‍था प्रारंभ होने के पहले मेरे मन में कुछ प्रश्‍न हैं मैं उनका समाधान चाहता हूं. यदि आधार व्‍यवस्‍था फेल हो गई तो उसके विकल्‍प में आपने क्‍या व्‍यवस्‍था दी है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- माननीय शर्मा जी, आप बड़ी कृपापूर्वक खड़े हुए इसके लिए धन्‍यवाद परंतु संबंधित विषय के लिए आपके दल की तरफ से नाम मांगे गए थे नाम आ गए हैं.

          श्री उमाकांत शर्मा-- दल यदि कृपा नहीं करें तो माननीय अध्‍यक्ष जी कृपा कर सकते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप मेरी बात को सुन लीजिए उसके बाद मंत्री जी का जवाब आ चुका, बात आगे बढ़ चुकी है.

          श्री उमाकांत शर्मा-- मैं कई बार हाथ उठा चुका हूं, मुझे कोई देख ही नहीं रहा है.

          श्री गोपाल भार्गव-- अध्‍यक्ष महोदय, जब इस सत्र में अपन ने हर चीज में छूट दे ही दी है तो एक बार यह छूट भी दे दीजिए उनकी बात रिवर्स नहीं करना है क्‍योंकि जो कुछ भी होना था वह तो हो ही गया है. लेकिन यदि वह दो बातें कहना चाहते हैं तो मैं सोचता हूं कि कह लेने दें.

          अध्‍यक्ष महोदय-- यह पहली और आखिरी बार छूट दे रहा हूं.

          श्री गोपाल भार्गव-- धन्‍यवाद.

          श्री उमाकांत शर्मा-- धन्‍यवाद. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से जानना चाहता हूं कि अगर आधार व्‍यवस्‍था फेल हो गई तो उसके विकल्‍प में सरकार ने क्‍या व्‍यवस्‍था दी है य‍ह जानकारी आना चाहिए. दूसरा बिंदु आधार की व्‍यवस्‍था का उपयोग कहा-कहां किया जाएगा और कहां- कहां नहीं किया जाएगा इस संबंध में स्‍पष्‍ट किया जावे. तीसरा बिंदु जिनका आधार नहीं बना है उनका क्‍या होगा. बुजुर्ग और अनपढ़ व्‍यक्ति इस संबंध में क्‍या करें इस संदर्भ में मार्गदर्शन मिलना चाहिए. इस   आधार व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से प्राईवेसी खत्‍म नहीं होगी इसकी क्‍या गारंटी है और मध्‍यप्रदेश में अभी तक कितने प्रतिशत आधार का निर्माण हुआ है तथा कितना बनना शेष है यह भी माननीय मंत्री महोदय के द्वारा बताया जाना चाहिए. वैसे माननीय कांग्रेस और कांग्रेस के नेतागण आधार का विरोध करते रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय- आपको हम लोगों ने कृपापूर्वक सुन लिया यह प्रश्‍नोत्‍तर का या लिखित में पढ़ने का आपने जो कृपापूर्वक क्रम कर दिया क्‍योंकि कुछ माननीय वरिष्‍ठ सदस्‍यों ने कहा था. मैंने परमिट कर दिया कृपापूर्वक अब अगले पायदान पर जब भी विधेयक पर चर्चा होगी हम आपको समय देंगे.

           गोपाल भार्गव-  अध्‍यक्ष महोदय उमाकांत शर्मा जी, पी.सी.शर्मा जी के कक्ष में जाकर जानकारी ले लें.

          अध्‍यक्ष महोदय-  ये ठीक है. दोनों शर्मा एक-दूसरे की पूर्ति कर लें और कृपया दोनों शर्मा जी विराजिये.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वास्‍तव में एक नियम- अधिनियम की जरूरत है. जिससे बिना परिचय के अपनी सुविधाओं का वितरण हो सके इसलिए यह बनाया गया लेकिन जैसे आधार में ही बैंकों के डिटेल्‍स आ जाते हैं परंतु खाते की पूरी बैलेंस शीट नहीं आती है. ऐसे ही उसका मेडिकल रिकॉर्ड जब तक वो न चाहे न ज्ञात हो. माना किसी व्‍यक्ति की कहीं दुर्घटना हो जाये तो मूल आधार से उसका परिचय जानकर उसे तुरंत इलाज हेतु यदि उसका मेडिकल रिकॉर्ड उसकी ही सहमति से देखने की अनुमति हो तो सही रहेगा क्‍योंकि आधार में दो हिस्‍से होते हैं. पहला होता है, जिसे हर कोई देख सकता है और दूसरा, जिसे हर कोई नहीं देख सकता है. क्‍या हम इसे अलग-अलग कर सकते हैं ? क्‍योंकि कहीं न कहीं इस नियम- अधिनियम के बनने पर बाद में इसमें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ेगा क्‍योंकि यदि कोई सुविधा उपलब्‍ध है तो उसमें सारी सुविधायें उपलब्‍ध होना अनिवार्य करना चाहिए. बैंक खाते में भी ऐसा ही नियम है. खाते का पूर्ण विवरण नहीं आता लेकिन यह तो ज्ञात हो जाता है कि किस-किस बैंक में खाते हैं, कितनी संपत्ति है, उसकी कीमत भले ही न ज्ञात हो, संपत्ति कितनी जगह प्‍लेज़ड है, ये सारी जानकारी सेकण्‍ड इंफर्मेशन में रहेगी ये सारी जानकारी आधार में उपलब्‍ध नहीं रहेगी लेकिन बेसिक जानकारी तो रहेगी. इसमें आपत्ति क्‍या है ? सिर्फ यह बोलकर कि माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय की गाईड लाईन में कहीं ऐसा कोई स्‍पष्‍ट निर्देश मेरी जानकारी में नहीं है. मेरा पुन: आग्रह है कि इस पर थोड़ा बारीकी से ध्‍यान दिया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय-  निश्चित तौर पर सखलेचा जी ने यह बात पहले भी कही थी और मंत्री जी ने उसका उत्‍तर भी, माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय का हवाला देते हुए दिया. मंत्री जी आप इस पर ज़रा और गहराई से अध्‍ययन कर लीजिये.

          प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश आधार (वित्‍तीय और अन्‍य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.

प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ

          अध्‍यक्ष महोदय-  अब विधेयक के खण्‍डों पर विचार होगा.

          अध्‍यक्ष महोदय-  प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 2 से 9 इस विधेयक का अंग बने.

          खण्‍ड 2 से 9 इस विधेयक का अंग बने.

          अध्‍यक्ष महोदय-  प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

          खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

          अध्‍यक्ष महोदय-  प्रश्‍न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

                   पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

 

          विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा)- आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हूं कि मध्‍यप्रदेश आधार (वित्‍तीय और अन्‍य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय-  प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्‍यप्रदेश आधार (वित्‍तीय और अन्‍य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 परित किया जाए.

                                    प्रश्न यह है कि मध्‍यप्रदेश आधार (वित्‍तीय और अन्‍य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 परित किया जाए.

          प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ

 

विधेयक पारित हुआ

 

(3) मध्‍यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्‍वराज (संशोधन) विधेयक, 2019

 

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्‍वर पटेल)-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हूं कि मध्‍यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्‍वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय-  प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्‍यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्‍वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.

 

          डॉ. सीतासरन शर्मा(होशंगाबाद):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस विधेयक का हम समर्थन करते हैं. धारा 22, 23 और 30 परिसीमन के संबंध में है. इसमें कोई ऐसी बात नहीं है, जिसका विरोध किया जाये. धारा 17, 25 और 32 इसमें एक व्‍यक्ति और एक पद, यह अच्‍छी बात है. लोकतंत्र में जितने अधिक लोग इस प्रक्रिया में शामिल हो जायें,जितने अधिक लोगों को अवसर मिल जाये, यह अच्‍छा विषय है. जैसे-जैसे आदमी बड़े पद पर जाये, पीछे के पद वह लालच के कारण छोड़ता नहीं है. किन्‍तु अब वह स्‍वत: रिक्‍त हो जायेंगे और फिर स्‍वत: रिक्‍त होकर आवश्‍यकता के अनुसार उनकी पूर्ति भी कर दी जायेगी. उसमें कोई बड़ी प्रक्रिया भी नहीं अपनानी पड़ेगी, यह स्‍वागत योग्‍य है. इसका हम समर्थन करते हैं. आपने प्रथम सम्‍मेलन का समय भी घटा दिया है, इसके लिये भी आपके प्रति आभार. जितने जल्‍दी चुने हुए प्रतिनिधियों को कार्यभार मिल जाये, उतना अच्‍छा है. प्रकाशन के पहले 30 दिन थे, अब आपने 15 दिन कर दिये हैं और धारा 49 के लिये आपको धन्‍यवाद और बधाई, किन्‍तु मैं एक दो बात कहना चाहता हूं कि एक तो आप देर आये दुरूस्‍त आये, आप इस रास्‍ते पर तब आये, आपको गौ-माता की याद तब आयी, जब आप 150 से 38 हो गये और आपने 15 साल यहां बैठकर तपस्‍या करी.तब आपको याद आयी कि विपक्ष यह जो वैतरणी है, यह गौ-माता की पूंछ पकड़े बिना पास नहीं होगी और आपने 15 साल पहले क्‍या किया था, जरा उसको भी माननीय मंत्री जी याद कर लें. यह समस्‍या क्‍यों हुई ? यह जानवर, मवैशी सड़क पर कैसे आ गये, यह गौ-माताएं सड़क पर कैसे आ गयीं, सड़क पर ट्रकों से कैसे मरने लगीं. यहां पर राजस्‍व मंत्री जी बैठे हैं, पहले 5 प्रतिशत चरनोई की जमीन थी, तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी ने इस चरनोई की जमीन को मुख्‍यमंत्री जी ने इस 5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत कर दिया. हमने तब भी कहा था कि मेहरबानी करो मत करो. परंतु नहीं माने, गौ- ग्रास छीन लिया, गौ-ग्रास. उसी के (XXX) से दिल्‍ली से लेकर ग्राम पंचायत तक बाहर बैठ गये आप. किन्‍तु ठीक है, आप आये.

मैं आपसे दो बात पूछना चाहता हूं. एक बात तो यह कि क्‍या आप वापस चरनौई की जमीन 2 प्रतिशत से वापस 5 प्रतिशत करेंगे ? या अन्‍य कोई उपाय करेंगे कि चरनौई की जमीन बढ़े, इसके लिये और क्‍या उपाय करेंगे. आप ग्राम पंचायत में कांज़ी हाऊस तो बना देंगे, किन्‍तु....

          अध्‍यक्ष महोदय:- इस शब्‍द को विलोपित करें.

          श्री सुनील उईके :-आप इतने वरिष्‍ठ सदस्‍य होने के बाद भी आप ऐसे शब्‍द का उपयोग करेंगे. वैसे अध्‍यक्ष महोदय ने तो विलोपित करा दिया.

          डॉ. सीतासरन शर्मा:- विलोपित कर दिया भाई.

          श्री सुनील उईके :- हम तो आप लोगों से सीख रहे हैं. अब वह कौन सा पुण्‍य करके आप उस तरफ बैठ गये, वह भी हमको बताने का कष्‍ट करें.

          डॉ. सीतासरन शर्मा:- गाय की रक्षा का संकल्‍प लेकर. एक तो गांव में जगह नहीं है. अभी जगह जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने स्‍टेडियम के लिये ग्रामीण स्‍टेडियम के लिये जगह मांगी तो कई गांव में जगह नहीं थी, क्‍योंकि आपने चरनोई की जगह कम कर दी थी.

          श्री गोपाल भार्गव:- (अपनी जगह पर बैठे-बैठे) 20 विधान सभा क्षेत्रों में स्‍टेडियम नहीं बन पाये.

          डॉ. सीतासरन शर्मा:- नहीं बन पाये. हमारे विधान सभा में भी नहीं बन पाया क्‍योंकि जगह ही नहीं थी. अब कांज़ी हाऊस के लिये भी जगह की जद्दो-जहद हो रही है. छोटी जगह चाहिये, उतनी जगह है किन्‍तु कब्‍जे हैं. आपको यह कब्‍जे हटाने पडेंगे तब यह कांज़ी हाऊस बन पायेंगे, तो एक प्रश्‍न तो मेरा यह कि आप चरनोई की जमीन बढ़ायेंगे ? दूसरी बात यह है कि आपने ग्राम पंचायत के सिर पर उसके कर्तव्‍यों में एक कर्तव्‍य और जोड़ दिया. किन्‍तु ग्राम पंचायतों के पास पैसा कहां है. आप कोई प्रावधान करते, इसके साथ कोई वित्‍तीय ज्ञापन लगा देते, आपके पास पैसा नहीं है, आप कागज में गौशाला खोलेंगे और कागज में कांजी हाऊस खोलेंगे. इनके चारे के लिये पैसा कहां से आयेगा. एक बाड़ा बनाने से क्या मवेशी पल जायेंगे. किन्तु आपने उसकी कोई व्यवस्था नहीं की है इसलिये इस विधेयक का कोई अर्थ नहीं है. यह मन समझाने का विधेयक है खास करके धारा 49 का संशोधन है. आप इस विधेयक को सच्चे मन और ईमानदारी से लाईये. ग्राम पंचायतों को एक अस्सिसमेंट करके कि इस एरिये में कितने मवेशी हैं. एक नजरिया आंकलन किया जा सकता है. उसके लिये बजट प्रावधान करिये जब आप यह विधेयक ला रहे थे तब आपने कब तय किया, तब कायदे से अनुपूरक में ले आना था, किन्तु आप अभी से शासन स्तर से कर सकते हैं इसको बजट में लाने की आवश्यकता नहीं है. मैं मंत्री जी ऐसा विश्वास करता हूं यदि आप सच्चे मन एवं सच्ची भावना से लाये होंगे तो आप उसमें बजट का प्रावधान करेंगे ताकि ग्राम पंचायतें इस भार को वहन करने में सक्षम हो सकें. मैं इस विधेयक का समर्थन करता हूं.

          श्री राजवर्धन सिंह (बदनावर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 की धारा 12, 17, 20, 23, 25, 27,30, 32, 34, 38, 49, 125, 126, 127 का समर्थन करता हूं. माननीय शर्मा जी ने दो तीन बातें कहीं उनका भी धन्यवाद कि कम से कम पूरे संशोधन का नहीं तो इन्होंने 23, 25 एवं 30 का समर्थन तो किया और यह बताया कि यह संशोधन विधेयक उपयोगी है. यह बताया कि इसमें समय सीमा कम होगी. रिक्त पदों की पूर्ति से फायदा होगा. माननीय शर्मा जी दो तीन बातें कह रहे थे उसके बाद वह गौवंश पर आ गये. कई सरकार आयीं और कई सरकारें गईं, चुनाव आये, वायदे किये गये. मुझे माननीय उमा जी का समय अभी भी याद है उन्होंने प्रभावी पहला उद्बोधन माननीय मुख्यमंत्री जी के नाते दिया था तथा तमाम सारी बातें कहीं थीं. माननीय शर्मा जी के संज्ञान में नहीं है कि माननीय दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में ही गौसेवा आयोग का गठन किया गया था उसमें मेरी माताजी भी प्रतिनिधि रही थीं. दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में मंडी निधि से गौशालाओं के लिये राशि निश्चित की गई थी मैं आपको याद दिला दूं. चरनौई भूमि की आप बात कर रहे हैं उन्होंने जमीन का एक हिस्सा देने की बात कही थी, दलित समुदाय के लिये उन्होंने कही थी उससे इस प्रदेश के असंख्य दलितों का भला भी हुआ. सिक्के के दो पहलू होते हैं. गौवंश की आपने बात कही माननीय मोदी जी प्रधानमंत्री हैं पूरा सदन इनका स्वागत करेगा अगर देश में वह गौवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगा दें. अभी तो आपकी सरकार कुछ दिन और है. तो समूचे देश में गौवंश की पूजा होगी तथा जय-जयकार होगी और तमाम चीजें चलती रहेंगी. जहां इन्होंने एक और बात कही कि पंचायतों को एक और काम दे दिया है. मेरे ख्याल से यह नवीन काम नहीं होगा. आपको याद होगा कि माननीय दिग्विजय सिंह जी के कार्यकाल में समस्त पंचायतों की परिसम्पतियों का पंचायतों को अधिकारी 26 जनवरी को बना दिया गया. वैसे भी माननीय कमलनाथ जी ने इस बात की घोषणा की है तथा वचन पत्र में भी है कि गौशालों का विस्तार कर रहे हैं. मैं मंत्री जी से भी निवेदन करूंगा मैंने भी एक प्रश्न पूछा था माननीय शर्मा जी की एक बात काफी उचित है, लेकिन हमारे पास कंवर्जन है, हमारे पास मनरेगा है, हमारे पास वित्त आयोग है. यह तमाम जो निधियां हैं इनका एक पाईंट वह दे दें कि पंचायतों को उसके प्रति अधिकार सम्पन्न कर दें. ताकि वह इसको मेंटेन कर पाये. धारा 12 की बात हुई है जिसमें ग्राम पंचायत आ रही है 23 की बात हुई है, उसमें 30 की बात हुई है उसमें जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत आ रही है. इन पंचायतों के वार्ड के विभाजन के क्षेत्रों का जब परिसीमन होगा तो इसमें छः महीने के कार्यकाल की बात कही गई है. इससे फायदा यह होने वाला है कि आरक्षण के समय की जो सीमा होती है उसको उचित समय मिल जाएगा. अधिकांशतः यह होता है कि आरक्षण कई बार समय पर नहीं हो पाता है इसमें काफी समय से विसंगति रही है. मेरे ख्याल से इस संशोधन से निश्चित तौर से लाभ मिलने वाला है. इसी प्रकार से धारा 17, 25, 32 की हम बात करें तो तीनों स्तरों पर पंचायतों के पदाधिकारी जब किसी न किसी दूसरी संस्था में निर्वाचित हो जाते हैं उससे जो कठिनाई होती है उससे वह दो जगहों पर दो दो पद पर बैठ जाते हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - आपकी सीट तो सही है, लेकिन आपका नाम गलत डिस्‍प्‍ले हो रहा है.

          श्री राजवर्धन सिंह - आज ही संशोधन हुआ है, मैं अक्‍सर मेरी जगह पर सही होता हूं. आपकी कृपा बनी रहे.

          अध्‍यक्ष महोदय - यशपाल जी, हमें मालूम था, आप सूक्ष्‍म हैं, लेकिन इतने ज्‍यादा सूक्ष्‍म हैं, यह आज पता चला.

          श्री राजवर्धन सिंह - अध्‍यक्ष जी, इन्‍हें बाल की खाल निकालने में महारत है. (हंसी..)जिन धाराओं का मैंने आपसे उल्‍लेख किया है, इसमें कई बार यह होता था कि एक ही प्रतिनिधि कई बार दो स्‍थानों पर होता था और वे एक जगह इस्‍तीफा नहीं देते थे तो समस्‍या आती थी, तो यह विसंगति इसमें निश्चित तौर पर दूर हो जाएगी. 15 दिवस की बात भी सही और शर्मा जी और पूरा सदन इस बात का समर्थन करेंगे, मेरे ख्‍याल से इसमें कहीं किसी को कोई दिक्‍कत नहीं आएगी. होता यह था कि जो 30 दिनों का सम्‍मेलन हुआ करता था, उसमें हर जो टेन्‍योर होता था, उसके बाद में उसका समय बढ़ा जाता था, तो वह कार्यकाल आगे बढ़ता जा रहा था, इसमें भी हम समय बचाएंगे. धारा 49(क) जिस पर विशेष तौर पर शर्मा जी ने जोर भी दिया, लेकिन आप इसमें यह भी तो देखिए कि जब हमने पंचायतों को यह अधिकार दिया है तो सरपंच और पंचायत यह निर्णय त्‍वरित लेगी और जो हम गौवंश की दुर्गति कई अरसे से देखते आ रहे हैं, कि सड़कों पर, जहां तहां, विशेष तौर पर बड़े शहरों के इर्दगिर्द जो पंचायतें आती हैं वहां पर यह समस्‍या सबसे ज्‍यादा आती है. शर्मा जी ने कहा कांजी हाउस, तो उसको हम कांजी हाउस का नाम भी न दे, तो हम पंचायतों को कांजी हाउस नहीं बना रहे हैं. हम पंचायतों को उस दिशा में ले जा रहे हैं, जिस दिशा में हमने हमारे वचन पत्र में जो हमने वर्णन किया है गौशालाओं का तो उसकी पूर्ति आने वाले समय में हो जाए तो पंचायतें पहले से ही उसके लिए तैयार हो जाएंगी और हर बार आपको ग्राम सभा में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, तो जब ग्राम पंचायत प्रस्‍ताव लेगी, जब पंच बैठेंगे, जब चर्चाएं होगी, जिस प्रकार से बाकी ठहराव प्रस्‍ताव लिए जाते हैं और माननीय जनप्रतिनिधियों से जो पंचायत के पास जब राशि की कमी हो जाती है तो वह विधायक से मांग पाएंगे, सांसद से मांग पाएंगे, उनके प्रभारी मंत्री से मांग पाएंगे, तो उनके प्रस्‍ताव पानी की तरह, सड़क की तरह, बिजली की तरह तमाम जो दूसरे प्रस्‍ताव पंचायतें लेती हैं, उसी प्रकार से पंचायत गौशालाओं के लिए भी प्रस्‍ताव बना लेगी और कहीं भी अगर हमें कमी दिखेगी या उनको राशि की कमी होगी तो शासन और विधायक और सांसद उसमें योगदान दे पाएंगे. चाहे वह विधायक पक्ष का हो चाहे विपक्ष का हो. मेरे ख्‍याल से गौ-सेवा के प्रति पूरा सदन संकल्पित है, पूरा देश संकल्पित है. हमारा समाज और हमारा धर्म हमें इस बात पर, शूरू से बचपन से जब हम बड़े होते हैं तो इस प्रकार के संस्‍कार हमें दिए गए हैं. मेरे ख्‍याल से यह एक बहुत ही अच्‍छा कदम है, इसको हम राजनीतिक रूप में न लें. इसको हम इस रूप में ले कि यह एक ऐसी आवश्‍यकता थी जो नितांत काफी समय से लंबित थी और इसमें सरलीकरण किया गया है और पंचायतों को और अधिकार संपन्‍न बनाया गया है. मेरे ख्‍याल से इस माध्‍यम से कमलनाथ जी का वह संकल्‍प भी पूरा होने में आसानी होगी. जब सरपंच अपने आप, जिस प्रकार से ब्‍लू प्रिंट बनता है, तमाम दूसरी योजना उसमें शरीक होती है, उसी प्रकार जिला पंचायत सीईओ को मैं मंत्री जी से यह भी निवेदन करूंगा अध्‍यक्ष जी आपके माध्‍यम से कि चाहे जनपद सीईओ, चाहे हमारे जिला पंचायत सीईओ चाहे हमारे मंडी के लोग हो, उनके माध्‍यम से यह सुनिश्चित किया जाए और वापस से वह सेल्‍फ ऑफ प्रोजेक्‍ट बगैरह जो पूरी टेक्‍नीकल एक आस्‍पेक्‍ट रहता है पंचायती राज का उसमें इसको विशेष तौर से अध्‍यक्ष जी मेरा आपसे निवेदन है कि आप मंत्री जी को आदेशित करें कि इसको इन्‍क्‍लूड करें और यह निर्देश चला जाए पूरे प्रदेश में जिला पंचायत सीईओ और जनपद सीईओ को कि विशेष रूप से इसमें ध्‍यान दें और सरपंचों से भी सुझाव लें और उस सेल्‍फ ऑफ प्रोजेक्‍ट में जो पूरा प्‍लानिंग है उसके अंदर गौवंश के नाम पर विशेष तौर पर इसको सम्‍मलित करें. बाकी मेरे ख्‍याल से तमाम जो दूसरे बिन्‍दु है, उस पर करीब करीब सभी पर शर्मा जी ने भी सहमति व्‍यक्‍त की है और सभी बिन्‍दु उपयोगी है. मेरे ख्‍याल से इसमें ऐसा कोई बिन्‍दु नहीं है जिसको हमने संशोधन में लिया है जो अनुपयोग हो या जिसकी आवश्‍यकता नहीं थी. अगर ऐसा आपको प्रतीत हुआ हो, पता नहीं इन्‍होंने तीन चार धाराओं का ही समर्थन क्‍यों किया और बाकी का क्‍यों नहीं किया. मुझे तो इसमें एक भी धारा ऐसी नहीं दिखी, चाहे 125 रही हो, 126 रही हो या 127 रही हो.

          श्री सीतासरण शर्मा - मैंने पूरे विधेयक का समर्थन किया है.

            श्री राजवर्धन सिंह - लेकिन जब अंत में आप बैठने लगे तो कहीं न कहीं आपने थोड़ा सा इसमें नकारात्‍मक नमक मिर्च डाल दिया तो मुझे लगा, इसलिए आपसे कहा. आप तो बड़े ज्ञाता है हम आपसे सीखते हैं, हमारे वरिष्‍ठ है और पूजनीय है. निस्‍संदेह आपने इस सदन को 5 वर्ष तक चलाया है और अच्‍छा चलाया है. अभी आपने कुछ दिनों में जरूर डायवर्जन्‍स प्रदर्शित किए, जिस पर हमारे प्रथम बार के सदस्‍यों ने अध्‍यक्ष जी कुछ कहा था लेकिन मैं तमाम सारे बिन्‍दुओं को परीक्षित करते हुए वापस यही कहूँगा और निवेदन करूँगा कि मेरे प्रतिपक्ष के साथियों से की यह अच्‍छा संशोधन है, मंत्री जी ने अच्‍छा प्रयास किया है, हम सुचारु व्‍यवस्‍था करने का प्रयास कर रहे हैं तो एक मत होकर, समूचे सदन को इस संशोधन को सर्वानुमति से पारित करना चाहिए. यही मेरा विनय और निवेदन है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्‍यक्ष जी, मध्‍यप्रदेश पंचायती राज ग्राम संशोधन विधेयक, 2019. इस विधेयक का हम आधा हिस्‍सा देखें तो यह लगता है कि लोकसभा चुनाव की छाया इस विधेयक के ऊपर है. गौ संवर्द्धन, गौपालन, गौ वंश का व्‍यवस्‍थापन यह सारी की सारी बातें इसमें कही गई हैं. विशेषकर धारा 49 (क) का जो संशोधन है, मैं मानकर चलता हूँ कि प्रत्‍येक विधेयक के साथ में वित्‍तीय प्रावधान का इसमें उल्‍लेख होता है, वित्‍तीय प्रावधान का इसमें कहीं कोई उल्‍लेख नहीं किया गया है. अपने स्‍वत: की कमाई या स्‍वत: की आय से या फिर कन्‍वर्जन से ये सारी की सारी काल्‍पनिक बातें इसमें कही गई हैं, प्रज्‍युम किया गया है, सब हाइपोथेटिक है. मैं इसलिए भी कहना चाहता हूँ कि माननीय राजवर्धन सिंह जी जो कह रहे हैं, आपकी बात बहुत अच्‍छी है. इसके पीछे मंशा क्‍या है ? वह मुझे दिख रही है. डॉक्‍टर साहब जो कह रहे थे.  हमारी पहले साढ़े 7 प्रतिशत आरक्षित भूमि थी, शासकीय कामों के लिए रिजर्व भूमि थी साढ़े 7 प्रतिशत. सन् 2001 और 2002 में, उसमें से 5 प्रतिशत भूमि आपने आवंटित कर दी, बची ढाई प्रतिशत गांव में. ढाई प्रतिशत भी बड़े लोगों के कब्‍जे में है, आज हमारी अधिकांश ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन बनाने के लिए, शाला भवन बनाने के लिए, आंगनवाड़ी भवन के लिए, कहीं तालाब के लिए आपको खुद अनुभव होगा, अधिकांश विधायकों को इस बात का अनुभव होगा. खेल मैदान बनाने के लिए, खेल स्‍टेडियम बनाने के लिए कहीं जगह नहीं बची है. हम गौ शालाएं बनाएंगे.

          श्री राजवर्धन सिंह ''दत्‍तीगांव'' - अध्‍यक्ष महोदय, मुझे बोलना तो नहीं चाहिए. मैं क्षमापूर्वक नेता प्रतिपक्ष और माननीय अध्‍यक्ष महोदय से अनुमति लेकर खड़ा हो रहा हूँ. आप पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कई वर्षों तक रहे, आपका 15 वर्षों तक शासन रहा. आप जो भी समाधान करना चाहते तो वह कर सकते थे, आपके पास बहुत समय था. (मेजों की थपथपाहट)

          राजस्‍व मंत्री (श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत) - अध्‍यक्ष महोदय, आप 2 प्रतिशत से 5 प्रतिशत कर देते.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्‍यक्ष महोदय, स्‍टेडियम हाथ पर बनाते क्‍या ? हथेली पर बनाते क्‍या ?  

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, लोगों को आश्‍वासन दिया जाये. सुना है कर्ज माफी का आश्‍वासन, बेरोजगारों को 4,000 रुपये देने का वचन, वृद्धों की पेंशन 1,000 रुपये  करने का वचन. आपने आदमियों के लिए जितना किया, उतना तो ठीक है, आप कम से कम बेचारी गायों के लिए तो छोड़ देते. मूक गायों के लिए छोड़ देते.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत - अध्‍यक्ष महोदय, यह कांग्रेस पार्टी ही है, जो गायों के लिए सोच रही है. भाजपा ने गाय के बारे में सोचा नहीं, गाय के नाम का राजनीतिकरण बहुत किया है. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, आप इसमें डीपीआर बता दें. कितनी जगह कहां पर उपलब्‍ध है ? बता दें. एक सर्वे करवाते. हम एक हजार गौ शालाएं खोलेंगे. आपने कुछ भी कह दिया. कहां पर क्‍या स्‍थान है ?

          पशुपालन मंत्री (श्री लाखन सिंह यादव) - अध्‍यक्ष महोदय, आपको शायद जानकारी में नहीं है कि मध्‍यप्रदेश में 1,000 गौशालाओं का जो माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने घोषणा की है. उसको सारे प्रदेश के कलेक्‍टरों को निर्दे‍शित कर दिया है कि जितनी भी मध्‍यप्रदेश में जो गोचर जमीन थी, उस जमीन को चिन्ह्ति कर युद्ध स्‍तर पर इसका काम शुरू करवा दिया है और आपको कुछ दिनों में रिजल्‍ट्स दिखने को मिलेंगे.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, आप अतिक्रमण हटाएंगे.

          श्री लाखन सिंह यादव - हम अतिक्रमण भी हटा रहे हैं. उसका हमने सीमांकन कराने के लिए भी निर्देश दे दिए हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी शाला भवन बनाने के लिए जगह नहीं बची है.

(....व्‍यवधान....)

          श्री गोपाल भार्गव - यदि आपके मन में गौ वंश के प्रति तड़प है.

          श्री लाखन सिंह यादव - अध्‍यक्ष महोदय, आप तो सिर्फ और सिर्फ गौ माता के नाम पर डिंडोरा पीटते रहे पूरे मध्‍यप्रदेश में. यदि आपको तड़प होती तो मध्‍यप्रदेश में यह 7 लाख गौ वंश के ऐसे हाल नहीं होते.

(....व्‍यवधान....)

 

              श्री गोपाल भार्गव - माननीय मंत्री जी आप उस विभाग के मंत्री हैं, मैं आज आपको सादर आमंत्रित करता हूं. मेरे जिले के विधायक के बैठे हुये हैं. जितनी गौशालाएं मध्‍यप्रदेश में हैं और हिंदुस्‍तान में हैं, सबसे शानदार गौशालाएं गोपाल भार्गव की हैं क्‍योंकि मेरा नाम गोपाल है. मैं 21 हजार गायों का पालन कर रहा हूं. मेरे विधानसभा क्षेत्र में आप चलें और आप सरकार की बात कर रहे हैं. (व्‍यवधान)....

          श्री तरूण भनोत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय (व्‍यवधान)....

          श्री लाखन सिंह यादव - पर्टिकुलर आपकी गौशाला हो सकती है, पर्टिकुलर आपकी गौवंश हो सकती है. मैंने आपकी 15 साल की सरकार की बात है. 15 सालों में आपने क्‍या किया है? ऐसे बहुत सारे किसान हैं जो अपने खुद के मिल्‍क प्रोडक्‍शन के लिये गौ पाल रहे हैं. मध्‍यप्रदेश में यह गौवंश जो निराश्रित गौवंश है मैं उसकी बात कर रहा हूं(व्‍यवधान)....

          अध्‍यक्ष महोदय -  मैं आगे बढूं. (व्‍यवधान)....

          वित्‍त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - अध्‍यक्ष महोदय, मैंने अनुमति ली है. (व्‍यवधान)....

          डॉ. सीतासरण शर्मा -  कांजी हाऊस नहीं गौ अभ्‍याराण्‍य बनायें हैं, जहां गौ फ्री चरे. हमने सैकड़ों एकड़ जमीने दी हैं, जरा आप याद कर लो (व्‍यवधान)....

          श्री लाखन सिंह यादव  - पंडित जी जरा हमारा निवेदन सुन लें. ये आपने जो 8 अभ्‍यारण्‍य बनायें थे, इनकी जो हालत है, वह आपसे छिपी नहीं है. ये सारे के सारे जीर्ण शीर्ण जैसी स्थिति में है. सिर्फ सुसनेर वाला अभ्‍यारण्‍य को छोड़कर सबकी हालत बहुत खराब है और जो सुसनेर वाला भी है उसके शेडों की हालत शायद आपने देखी नहीं है, मैं देख कर आया हूं. बड़ी बुरी स्थिति है. चूंकि आपका तो सिर्फ कागज और टेबल वर्क का काम रहा है और गौवंश की ही देन है कि आप उधर बैठे हुये हो.

          श्री गोपाल भार्गव - ऐसा नहीं है आप चले और देखें मैं आपको दिखा सकता हूं. मेरा सिर्फ इतना ही कहना है.

          श्री तरूण भनोत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय एक मिनट मैं कुछ कहना चाहता हूं. (व्‍यवधान)....

          अध्‍यक्ष महोदय - नेता जी आप चलिये जल्‍दी कर लें.

          श्री तरूण भनोत - माननीय नेता प्रतिपक्ष जी मैं आपका बहुत आदर करता हूं. अभी चर्चा में नेता प्रतिपक्ष महोदय यह कह रहे थे कि भूमि कहां से आयेगी, कहां आप खोलेंगे, सब जगह अतिक्रमण है. हमारे यहां तो कहते है कि सारी भूमि गोपाल की, जब सारी भूमि गोपाल की और अगर गौ के लिये गोपाल की जमीन न मिले, यह आपकी सरकार में होता था, हमारी सरकार में नहीं होगा (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय - देखिये तरूण भाई जी अगर गोपाल जी गौ की चिंता कर रहे हैं तो करने दीजिये न वह गोपाल हैं. (हंसी)

          श्री तरूण भनोत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं यही तो कह रहा हूं कि भूमि की चिंता भी मत कीजिये, सारी भूमि गोपाल की है. आपसे भूमि ले लेंगे.

          श्री गोपाल भार्गव - आप आगर देखें गौशालाएं कैसे चलती है. अंत में मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि आपके पास में कितने पशु चिकित्‍सक हैं. यहां पर बीमार और बूढ़ी गाय आती हैं. ऐसी गाय आती हैं, जो जख्‍मी रहती हैं और इस कारण से मैं कहना चाहता हूँ कि आपके आधे से ज्‍यादा पशु चिकित्‍सालयों में पशु चिकित्‍सक नहीं है, वी.एफ.ए. नहीं है. आप पहले इनकी व्‍यवस्‍थायें करें. आपके पास में चारे की व्‍यवस्‍था नहीं है. जब से हारवेस्‍टर चले हैं, तब से भूसे की व्‍यवस्‍था नहीं है.

          श्री लाखन सिंह यादव - माननीय पंडित जी जरा एक मिनट मेरा निवेदन सुन लें. आपकी 15 साल सरकार रही. जब आपने बात छेड़ी है तो मेरी पूरी बात सुन लें. 15 साल आपकी सरकार रही, गाय के नाम पर समूचे प्रदेश में और देश में भारतीय जनता पार्टी डिंडोरा पीटती रही है कि गाय हमारी माता है और (XXX) कि आज उस तरफ आप वहां पर बैठे हुये हो. एक चीज और बता दूं कि आपकी सरकार में गौवंश के नाम पर जो निराश्रित गौवंश है उसके नाम पर 1 रूपये 45 पैसे पर कैटल के नाम से आप लोग देते थे और पिछले साल से आपने साढे़ चार रूपये पर कैटल किया. हमारी सरकार आई और सरकार के पहले केबिनेट में हमने बीस रूपये प्रति कैटल के हिसाब से दिया है, यह एक बड़ा रिकार्ड है.(मेजों की थपथपाहट)

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गौ के सही सेवक तो हम है आप लोग तो सिर्फ टेबल वर्क करने वाले लोग थे और इसलिये मैं आपको फिर से यह कहना चाहता हूं कि यह गौवंश और भगवान राम के नाम पर छलावा करना बंद कर दो, नहीं तो इधर जीवन में कभी आओगे, वहीं बैठे बैठे सारा खेल खत्‍म हो जायेगा.

          श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं तथ्‍यात्‍मक बात कर रहा हूं. हम पालक हैं, हम ये हैं, हम वो हैं मैं दुनिया भर की बातों में नहीं जाना चाहता हूं. आपके पास क्‍या यह पूरा का पूरा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर है. मैं यह सिर्फ इसलिये कहना चाहता हूं देखो कि लोगों को तो आपने बुद्धि बना लिया है परंतु बेचारी मूक गायों को बुद्धि मत बनाओ. जिनकी पूंछ पकड़कर लोग बेतरणी पार करते हैं, स्‍वर्ग जाते हैं बैकुंठ जाते हैं, कम से कम उनके लिये आप (XXX) बाकी तो ठीक है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्‍यक्ष जी मैं लगातार तीसरी बार का विधायक हूं.(व्‍यवधान).......

          अध्‍यक्ष महोदय - आप तीन चार विषय पर बोल लिये हैं, अब यशपाल जी सब बातें आ गई हैं. (व्‍यवधान).......

          श्री राजवर्धन सिंह - श्री यशपाल जी मंदसौर की गौशाला की काफी जानकारी है, उसके बारे में जरा सदन को बता दें. (व्‍यवधान).......

          श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप -  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं भी कुछ कहना चाहता हूं. (व्‍यवधान).......

          अध्‍यक्ष महोदय - मेहरबानी करके बैठ जायें. मैं आप लोगों से अनुरोध करना चाहता हूं कि आप सभी बैठ जायें. अरे भाई ऐसा नहीं होता है कि आप जब चाहे मैं सुनता रहूं. आप बैठ जायें.श्री कमलेश्‍वर पटेल जी आप बोलें.

            पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री कमलेश्वर पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 और संशोधित करने हेतु विधेयक की धारा 12, 17, 20, 23, 25, 27, 30, 32, 34, 38,49-क,125,126, और 127 में जो संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई इस संशोधन विधेयक में नेता प्रतिपक्ष आदरणीय गोपाल भार्गव जी, डॉ.सीता सरन शर्मा जी और हमारे पक्ष के विधायक श्री राजवर्धन सिंह जी ने हिस्सा लिया. सबसे पहले हम सभी आदरणीय सदस्यों को बहुत बहुत धन्यवाद करते जिन्होंने अपने महत्वपूर्ण सुझाव इस विषय पर रखे हैं . डॉ.सीतासरन शर्मा जी ने और आदरणीय नेता प्रतिपक्ष ने धारा 49 के अलावा सभी संशोधन विधेयक पर बधाई दी है इसके लिये हम आपका आभार व्यक्त करते हैं . आपकी मंशा अच्छी है. अगर हमने अच्छा काम करने का प्रयास किया है तो आपने उसको स्वीकार किया है इसके लिये हम आपको बधाई देते हैं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा 49 जो गो सेवा केन्द्र से और कांजी हाउस से संबंधित है उस पर स्वाभाविक है कि जब कोई काम हम नहीं कर पाते हैं और कोई सरकार, कोई पार्टी अगर उस काम को मूर्त रूप देती है तो हम अपनी कमियां छुपाने के लिये कुछ न कुछ तो हमको बोलना ही होता है वही काम माननीय नेता प्रतिपक्ष और डॉ. सीतासरन शर्मा जी ने अपनी पीड़ा जाहिर करके यहां पर किया है. हम इसके लिये भी इनको बधाई देते हैं कि आदरणीय नेता प्रतिपक्ष स्वयं तो गो सेवा केन्द्र संचालित कर रहे हैं पर उनके अंदर कहीं न कहीं पीड़ा रही क्योंकि कई वर्षों तक आप पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री भी रहे हैं, जो वह नहीं कर पाये उनकी पीड़ा उनके अंदर झलकते हुये मुझे दिखाई दे रही थी. जो कमियां गो शाला को लेकर के कही गई है इसके लिये मैं कहना चाहता हूं कि स्वाभाविक है क्योंकि बड़ा महत्वपूर्ण विषय है. हमारी पार्टी, हमारी सरकार, हमारे नेता जो कहते हैं वह करते हैं और वही वचन पत्र में जिन बिंदुओं का उल्लेख था वही काम हम लोग करने जा रहे हैं. इसी संदर्भ में आज जो संशोधन विधेयक आया है वह भी हमारे वचन पत्र का बिंदु था. हम आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी को और डॉ.सीतासरन शर्मा जी  विश्वास दिलाना चाहते हैं कि आपने जो शंकायें जाहिर की हैं हम लोग कोई भी इस तरह की विसंगति गो सेवा केन्द्र संचालन करने में नहीं आने देंगे, हमारे मुख्यमंत्री जी काफी संजीदगी से इस विषय पर तीन बार समीक्षा बैठक कर चुके हैं और पांच विभागों को मिलाकर के कमेटी भी बनाई है जिसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, किसान कल्याण विभाग, पशुपालन विभाग, वन विभाग, राजस्व विभाग के अधिकारी शामिल हैं ताकि जो गो शाला केन्द्र खुले उसमें किसी भी प्रकार की कोई अव्यवस्था नहीं हो. हम लोग पूरी संजीदगी से काम कर रहे हैं , हम वैसा काम नहीं करेंगे कि गोकुल ग्राम हम खोल दें और फिर गोकुल ग्राम का पता ही नहीं चले. ऐसा काम हम नहीं करेंगे.

          आदरणीय डॉ.सीतासरन शर्मा जी ने इसको राजनैतिक रूप देने की कोशिश की थी परंतु हमारी सरकार की मंशा बड़ी स्पष्ट है कि हम पंचायतों को अधिकार संपन्न भी बनायेंगे और जो विसंगतियां हैं, जो कमियां थी उसको हम दुरूस्त भी करेंगे. उसी लाईन पर हम लोग काम भी कर रहे हैं. आने वाले समय में आप देखेंगे...

          श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी कहना चाहता हूं कि यदि वास्तव में आपके मन के अंदर जो हमारा ग्रामीण लोकतंत्र है जिसके शुद्धिकरण की बात आप कर रहे हैं तो ग्राम पंचायतों में सरपंच के चुनाव तो सीधे होते हैं. जनपद के और जिला पंचायत के चुनाव सीधे नहीं होते हैं तो क्या आप सीधे चुनाव करवाने की प्रकिया संबंधी कानून यहां पर लायेंगे. यदि आप परोक्ष भी चुनाव करवाते हैं सदस्यों से तो उसकी समय सीमा एक माह होती है ,खरीद फरोख्त होती है, पकड़ा धकड़ी होती है, बंधक बनाये जाते हैं यदि इसको रोकना है तो जैसे ही जनपद सदस्य का निर्वाचन हो, जिला पंचायत के सदस्य का निर्वाचन हो आप तीन या पांच दिन में अध्यक्ष का चुनाव तय करवायें तो निश्चित रूप से इसमें शुद्धता भी आयेगी और लोकतंत्र में इसका लाभ भी होगा.

            श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय नेता प्रतिपक्ष ने जो सुझाव दिया है.

          अध्यक्ष महोदय - इस पर बाद में विचार करना अभी जिस पर विचार चल रहा है उसको कर लें.

          श्री कमलेश्वर पटेल - दो सुझाव उन्होंने दिये हैं आने वाले समय में  उस पर भी और यह जो संशोधन विधेयक लाए हैं धारा-49 छोड़कर, बाकी सारे संशोधन विधेयक को राज्य निर्वाचन आयोग से चर्चा करने के उपरांत ही लेकर आए हैं और आने वाले समय में जो आपने चिंता जाहिर की है. आप समाधान नहीं कर पाए परंतु हम लोग पूरी तरह से सजग हैं और पूरी सजगता से हमारी लोकतंत्र की जो प्रणाली है उसको हम भ्रष्ट नहीं होने देंगे इसीलिये समय-सीमा घटाने का काम किया है और जहां-जहां अव्यवस्थाएं होंगी. जो हमारी पंचायती राज व्यवस्था है ग्राम पंचायों को हम महत्वपूर्ण बनाएंगे.उनको जिम्मेदार बनाएंगे. चुने हुए जनप्रतिनिधियों का सम्मान करेंगे. हमारे सभी सम्मानित सदस्य जिन्होंने इस चर्चा में भाग लिया. जो दो-तीन आशंकाएं जाहिर की गई हैं हम उन्हें गंभीरता से लेते हुए,सारे विभाग के जो प्रमुख अधिकारी हैं और यहां तक कि खण्ड स्तर पर जो आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे थे कि लोक सभा चुनाव को लेकर किया है, तो लोक सभा चुनाव से इसका कोई मतलब नहीं है सिर्फ गौसंवर्द्धन से है. धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश पंचायती राज एवं ग्राम स्वराज(संशोधन) विधेयक,2019 पर विचार किया जाय.

प्रस्ताव स्वीकृत हुआ

          अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 15 इस विधेयक का अंग बने.

खण्ड 2 से 15 इस विधेयक का अंग बने.

          प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

          प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

         

पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

          श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश पंचायती राज एवं ग्राम स्वराज(संशोधन) विधेयक,2019 पर पारित किया जाय.

          अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश पंचायती राज एवं ग्राम स्वराज(संशोधन) विधेयक,2019 पर विचार किया जाय.

          प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश पंचायती राज एवं ग्राम स्वराज(संशोधन) विधेयक,2019 पारित किया जाय.

प्रस्ताव स्वीकृत हुआ

विधेयक पारित हुआ

(2.49 बजे)                                     

                                        अध्यक्षीय घोषणा

मानव अंग प्रतिरोपण(संशोधन)अधिनियम,1994 को मध्यप्रदेश राज में

अंगीकृत किये जाने संबंधी संकल्प

 

          अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 6 का संकल्प प्रस्ताव मंत्री द्वारा अपरिहार्य कारण बताते हुए किए गए अनुरोध पर नियम-139 की चर्चा के बाद आज लिया जाएगा. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.

सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई

 

 

2.50 बजे       नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर            चर्चा का पुनर्ग्रहण (क्रमशः)

प्रदेश में फसलों को पाले से हुए नुकसान के बावजूद राज्य सरकार द्वारा कृषकों को सर्वेवार मुआवजा तथा फसलों का उचित मूल्य व भावांतर भुगतान न किये जाने से उत्पन्न स्थिति

 

अध्यक्ष महोदय - डॉ. नरोत्तम मिश्र..

डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया) - अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत आभार. आभार इसलिए भी है कि अध्यक्ष महोदय, कई मामलों में आप गजब कर रहे हो. आज 11 बजे से आप बैठे हो और अभी तक बैठे हैं.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - मैं भी बधाई देना चाह रहा था, साढ़े 3 घंटे से ज्यादा आपको हो गये हैं.

अध्यक्ष महोदय - मैं क्या बताऊं? एक तरफ नरों को उत्तम में फंसा हूं, दूसरी तरफ गोपाल में फंसा हूं. अब मैं क्या करूं?

डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप गोविन्द की भूल गये?

अध्यक्ष महोदय - हां, गोविन्द भी हैं. एक नहीं, दो-दो गोविन्द हैं.

डॉ. नरोत्तम मिश्र - "बर्बाद गुलिस्तां करने को जब एक ही गोविन्द काफी है, दो-दो गोविन्द बैठे हैं, अंजाम गुलिस्तां क्या होगा."

अध्यक्ष जी, मैं आपका आभार व्यक्त करते हुए कहना चाहता हूं कि नियम 139 की चर्चा पर बोलने की आपने अनुमति दी है. वैसे सारे विषय हमारे नेता ने कल रख दिये थे, इसलिए 5-7 मिनट ही आपसे मागूंगा. अध्यक्ष जी, आज मैं सुबह एक अखबार पढ़ रहा था, प्याज का समाचार मैंने देखा. एक किसान बैठा हुआ है अपने सिर पकड़े. उसको उधर कांदा बोलते हैं,  क्या बोलते हैं? प्याज की कीमत बहुत डाऊन हो गई है. मुझे एकदम एक दृश्य ध्यान आया कि एक विधायक आज से 1-2 साल पहले कांदे को कांधे पर रखे विधान सभा आया था. आपको मालूम है क्या, आप क्यों हंसे? आलू भी था और प्याज भी था, दोनों लाया था, (डॉ. गोविन्द सिंह जी की ओर देखते हुए) आप तो मुंह फेरकर पूछो, वह सब बताएगा.

2.51 बजे          {सभापति महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

सभापति जी, आपका स्वागत है.

सभापति महोदय - धन्यवाद.

डॉ. नरोत्तम मिश्र - सभापति जी, आप इस बार के सत्र में पहली बार आसंदी पर आए हैं. आपका बहुत स्वागत है. आपसे संरक्षण की अपेक्षा भी करता हूं कि आपकी कृपा बनी रहेगी. हम विपक्ष के सदस्य हैं. सभापति जी, मैं तब से उस विधायक को ढूंढ रहा हूं जब से प्याज की कीमत गिरी है कि वह गया कहां? मुझे मिल नहीं रहा है. जब मैंने दो तीन लोगों से पूछा तो पता चला कि मंत्री बन गया है, अब नहीं मिलेगा. किसान के लिए तो चाहे इस पक्ष में हों, चाहे उस पक्ष में हों, हम सबको निष्पक्ष होकर सोचना चाहिए. यह ओले-पाले में इसीलिए किसान की तरफ ध्यान इंगित कर रहा था कि कल भी मैंने जब चर्चा हुई तब चर्चा में कहा कि एक जिले में मुख्यमंत्री जी नहीं गये. कोई बात नहीं, मुख्यमंत्री जी बुजुर्ग हैं, 74 साल के हैं, मुख्यमंत्री की अपनी व्यस्तताएं होती हैं . परन्तु राजस्व मंत्री जी आप तो नौजवान थे, आपको तो यह विभाग इसीलिए दिया था कि आप पहले युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हो, प्रदेश भर को जानते हो. आपको दो- दो विभाग दिये. दो विभाग इसलिए दिये कि एक विभाग में आपको कुछ करना नहीं पड़ेगा, उसमें तो सब कक्कड़ जी करेंगे, आपके सहयोग के लिए कक्कड़ जी दिये. दिये कि नहीं दिये? उसमें रोस्टर से लेकर आपको नीचे तक कुछ नहीं करना पड़ेगा, लिस्ट आएगी, दस्तखत करना पड़ेगा बाकि समय तो आप गांव में जाने में दे सकते थे ? आप भी नहीं गये. निमाड़ की बात चलो, वे कहीं नहीं गये. कुछ बोले बाला भाई? आपकी स्थिति भी वही है. मैं समझता हूं आपकी पीड़ा.  आपको भी अखबार से ही मालूम  चलता है कि कितने ट्रांसफर हुए.

श्री विश्वास सारंग - और डांट अलग पड़ जाती है.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - नरोत्तम जी, आपको इसलिए देख रहे हैं कि मेरा भी उल्लेख कर दो.

डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं तो जानता हूं. कई पीड़ाओं से हम भी गुजरे हैं. (हंसी)..तो वह पीड़ाएं होती है तो अपने को कई चीजों में दिक्कतें आती हैं. सबका एक-सा ही हाल है. जब प्रदेश में ओला पड़ा तो हमारे मुख्यमंत्री जी स्विट्ज़रलैंड में बैंक के अधिकारियों से मिल रहे थे, कौन-सा वह शहर था राजस्व मंत्री जी? दावोस, अब लेने गये, देने गये, यह वह जाने और आप जानो,  वह नेता हैं, आप नेता प्रतिपक्ष हो.

श्री गोविन्द सिंह राजपूत - मुख्यमंत्री जी पहली बार गये हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जी तो हर 6 महीने में जाते थे.

डॉ. नरोत्तम मिश्र - आपके मुख्यमंत्री पहली बार नहीं, आपके मुख्यमंत्री जी के बराबर तो विदेश कोई गया ही नहीं है.

श्री गोविन्द सिंह राजपूत - कमलनाथ जी गये हैं, मुख्यमंत्री जी होकर पहली बार गये हैं. आपके माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी हर 4 महीने में जाते थे, 15 साल में कुछ आज तक लाए हैं क्या? कुछ दूरबीन से दिख ही नहीं रहा है?

          डॉ नरोत्तम मिश्र -- राजपूत साहब, हमेशा ध्यान रखें कि हमारे मुख्यमंत्री और आपके मुख्यमंत्री में दो बुनियादी फर्क हैं. हमारे मुख्यमंत्री जी के लिए यह सच है कि वे कई बार गये थे क्योंकि वह कई सालों तक मुख्यमंत्री रहे थे, आपके तो उतने महीने भी नहीं हुए हैं और आप उतने महीने रहने वाले भी नहीं है...(व्यवधान)..

          श्री गोविंद सिंह राजपूत -- नरोत्तम जी आप वरिष्ठ सदस्य हैं आपके कुछ लोग कहते हैं कि फूंक देंगे तो उड़ जायेंगे, आप लोग रावण और कुंभकरण हैं कि आपकी फूंक से सरकार उड़ जायेगी, अरे दिन में सपने देखना बंद करें, अहंकार बंद करें, जनता ने जनादेश दिया है हम 5 साल रहेंगे.

          डॉ नरोत्तम मिश्र -- हमारे मुख्यमंत्री और आपके मुख्यमंत्री में दो फर्क हैं...(व्यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- आदरणीय डॉक्टर साहब वरिष्ठ सदस्य हैं कई साल तक मंत्री भी रहे हैं, संसदीय कार्य का तो उनसे अच्छा बड़ा ज्ञाता इस सदन में बहुत कम होंगे. आप कह रहे थे कि माननीय मुख्यमंत्री जी दाबोस गये, दाबोस का नाम आप भूल गये थे वह स्विटजरलैंड में है. दाबोस से लौटकर आये अभी उनको एक माह भी पूरा नहीं हुआ है, परसों हिन्दुस्तान के जाने माने 50 उद्योगपति बिना किसी इंवेस्टर मीट के, बिना करोड़ों रूपये के विज्ञापन के शहरों की धुलाई के झूठे आश्वासनों और वादों के एमओयू के, मुख्यमंत्री जी दाबोस गये थे यह उसकी परिणीति थी. उसके बाद में उन्होंने बैठकर माननीय मुख्यमंत्री जी से चर्चा की. वह चर्चा के बारे में यहां पर कहना अच्छा नहीं लगता है फिर राजनीतिक चश्मे से देखेंगे कि मध्यप्रदेश का तो माहौल ही नहीं था.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- 3600 से ज्यादा होर्डिंग लगे हैं  पूरे शहर में 3600 यात्री भेज रहे हैं आप...(व्यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- सभापति महोदय मेरा आपसे निवेदन है कि यह जानना जरूरी है कि वह क्यों गये थे. केवल यह कह देना कि कोई विदेश गया था. बहुत से लोग तो विदेश में इलाज कराने भी जाते हैं और जनप्रतिनिधि भी जाते हैं वह वहां पर इसलिए गये थे कि मध्यप्रदेश के बारे में जो एक सोच लोगों के मन में थी उसको बदला जाय और वह बदली, उनके जाने के एक माह के अंदर यहां पर एक कार्यक्रम हुआ जिसमे उद्योगपति मिले, क्या उद्योगपतियों से राज्य के मुख्यमंत्री का मिलना गलत है, क्या उद्योगों को अपने यहां पर बुलाना गलत है....(व्यवधान)..

          डॉ नरोत्तम मिश्र -- हमारी बात आयी ही नहीं है हम एक बात कह रहे थे, ये विषयांतर करना चाहते थे तो अब मैं उनकी बात का जवाब जरूर दूंगा मेरी तो यहां पर दो बातें हैं.

          सभापति महोदय -- अभी नेता प्रतिपक्ष खड़े हो गये हैं बाकी सदस्य बैठ जायें.

          श्री गोपाल भार्गव -- यह दाबोस की बात हम यहां पर न करें तो ज्यादा बेहतर होगा.

          श्री तरूण भनोत -- नरोत्तम जी अब उस पर बात नहीं करियेगा.

          डॉ नरोत्तम मिश्र --दाबोस में बैठकर मध्यप्रदेश की राजनीति के बारे में चर्चा करना कि इतने विधायक हमारे पास में हैं इतने हम खरीद लेंगे इतने बेच देंगे यह सब करेंगे. मैं यह मानकर चलता हूं कि यह उचित नहीं है.

          श्री गोविंद सिंह राजपूत -- सभापति महोदय प्रधानमंत्री जी हमेशा विदेश में बैठकर देश की बात करते हैं और देश के बारे में क्या क्या बताते हैं यह भी सोच लो आप लोग.

          डॉ नरोत्तम मिश्र --राजपूत जी आपने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री जी कई बार विदेश गये यह तो पहली बार गये हैं, सच है. लकिन हमारे मुख्यमंत्री जी कभी किसान को बिलखता हुआ छोड़कर दाबोस नहीं गये हैं ये तब गये हैं जब प्रदेश में ओले पड़े थे. जब ओला पड़ा पाला पड़ तो मेरा मुख्यमंत्री एक एक खेत की मेड़ मेड़ तक गया है, जब ओला पड़ा पाला पड़ा तब हमारे मुख्यमंत्री जी खेत की मेड़ मेड़ तक गया है मध्यप्रदेश के एक एक  जिले की कोई मेड उन्होंने नही छोडी है. आपके मुख्यमंत्री वल्लभ भवन छोड़कर बाहर नहीं निकले हैं.

                        सभापति महोदय --  आपका नम्बर आयेगा, तो जवाब दे दीजियेगा.               

श्री सुनील  उईके -- सभापति महोदय,  मैं आपका आशीर्वाद चाह रहा था.  सम्मानीय मिश्र जी ने एक बात कही थी..

                   सभापति महोदय --  आपके पक्ष का, आपका नम्बर आयेगा, तब आप बोल  दीजियेगा.  नरोत्तम जी, आप  अपनी बात  कहें.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र --(वित्त मंत्री जी के सदन से जाने पर) सभापति महोदय,  माननीय वित्त मंत्री जी की बात का जवाब देना है और  वित्त मंत्री जी जा रहे हैं, सवाल करने वाला ही जायेगा, तो  जवाब कहां जायेगा.  मेरी प्रार्थना सिर्फ इतनी सी है कि  मैंने राजपूत साहब का जवाब दिया.  मैं वित्त मंत्री जी का भी जवाब दे रहा हूं कि  ये उद्योगपति यहां  एक जगह,  एक मीटिंग में उद्योग  लगाने नहीं आये हैं.  ये चुनाव का चंदा  इकट्ठा करने के लिये एक जगह बुलाये गये थे, जिससे  एक ही दिन में  उनसे बात हो जाये, दूसरा  कुछ नहीं करने के लिये बुलाये गये थे.

3.01 बजे     {उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुई.}

 इनवेस्टर मीटिंग होती, तो धरातल पर कुछ विषय  आते. स्वागत उपाध्यक्ष जी.

                   गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)--  नरोत्तम जी, आप ऐसी बेबुनियाद  बात कर रहे हैं.

                   श्री गोविन्द सिंह राजपूत --  नरोत्तम जी, आप लोगों ने अरबों  की कमाई की है, वह उद्योगपतियों से चंदे की थी  और यह सच है कि  उद्योगपतियों को जो भगाया आप लोगों ने देश से, वह भी  इसी बत से उद्भूत होता है, आप लोगों का चाल, चरित्र उजागर हो गया.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- राजपूत साहब, आपको जवाब देने का अवसर मिलेगा.  उपाध्यक्ष महोदया, यह जो राजस्व मंत्री जी हैं, यह जवाब इकट्ठा देंगे या किश्तों में देंगे.  अगर आप आसंदी से तय कर देते,  तो ये अगर किश्तों में जवाब देंगे, तो मैं वैसे लेने लगूं एक सवाल, एक जवाब.

                   उपाध्यक्ष महोदया -- आप अपनी बात पूरी कर लीजिये.  मंत्री जी का  जब अवसर आयेगा, तब वे जवाब देंगे.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदया, आप कल जैसा मेरे साथ  मत कर देना. लक्ष्मण सिंह जी को अपनी भड़ास निकालनी थी,  उन्होंने मेरे को निपटा दिया.   उनका नाम ही नहीं दिया था गोविन्द सिंह जी ने  और उन्होंने मेरे को निपटा दिया.   ..(हंसी).. उपाध्यक्ष महोदया,  पहले ओला पड़ा, फिर  पाला पड़ा. आज पाला पड़े हुए  डेढ़ महीना होने को आया है.   मैं यह कह रहा हूं कि पाले का पैसा नहीं मिला.  किसान परेशान है. मैं  ग्रामवार नाम  लेकर आया हूं,   अब एक मंत्री जी कह रहे थे कि  मुख्यमंत्री  जी जाते नहीं हैं,  वे काम में विश्वास  रखते हैं. इसलिये मैं आज गांव के नाम भी लाया हूं और किसानों के नाम भी ले आया हूं. वैसे कल  हमारे मुख्यमंत्री जी ने भी पढ़े थे.  ओले-पाले से निपटे नहीं थे कि  राजस्व मंत्री जी, आपने जो धान खरीदी थी तथाकथित  थोड़ी बहुत, वह  धान सड़ रही है मण्डियों के अंदर,पानी से भीगकर.  आप भी  कहीं नहीं जा रहे थे, तो  आप भोपाल में ओले  पड़े थे, किसी पेड़ के किनारे  खड़े होकर फोटो ही छपवा  देते.  मैं आपकी पीड़ा समझता हूं, जो कक्कड़ जी आपको दे रहे हैं.

                   खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) --  उपाध्यक्ष महोदया,  ऐसा इसका मतलब यह मानें कि  आपके पूर्व मुख्यमंत्री जी  और आप ऐसे ही  फोटो खिचवाकर  प्रेस में देते थे, जो आप ऐसी सलाह दे रहे हैं.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- प्रद्युम्न भैया, हमारे बारे में तो आप कुछ भी मान ले.  हमें कोई दिक्कत नहीं है.   आप अपनी बतायें.  हम  जानी कि  तुम जानी, सुन ले भैया रमजानी. ..(हंसी)..  उपाध्यक्ष महोदया, भावान्तर  का  पैसा किसानों को अभी तक  नहीं मिल पाया है. आखिर  यह सरकार नहीं देखेगी, तो कौन देखेगा.  हम जब सरकार में थे, मैंने कल विस्तार से वर्णन किया कि  इस प्रदेश के अंदर  हमारी  सरकार जब रही तो  हमने  किसान को आंखों में आंसू नहीं आने दिये.  उसके पहले पूरा पैसा दिया.

                   श्री सुनील उईके -- गोलियां भर चलवाईं, आसूं  नहीं आने दिया.

                   डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदया,  गोलियों वाला जवाब तो कल आ गया. जनता ने भी दिया, वहां की सारी सीटें हम जीते. जनता का जवाब आ गया, सरकार का जवाब आ गया. भैया, सरकार में हो, सोच के बोला करो. हम लोग कुछ भी बोल सकते हैं, हम विपक्ष में हैं और आपको अगर ज्‍यादा बोलने की खुजली है तो इधर आ जाओ.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- जगदीश देवड़ा जी जीते हैं, मैं जीता हूँ, डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय जी जीते हैं. 8 में से 7 सीटें जीते हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- 8 में से 7 सीटें जीते हैं. ऐसा नहीं बोलो, कुछ तो भी मत बोलो. दूसरी बात, उपाध्‍यक्ष जी से पूछ के खूब बोलो. जितनी देर बोलना है, उतनी देर बोलो.  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, आज पाले का पैसा नहीं पहुँचा, आज भावान्‍तर का पैसा नहीं पहुँचा, आज धान खरीदी का पैसा नहीं पहुँच रहा है. आज प्रदेश का किसान खून के आंसू रो रहा है लेकिन सरकार देखने के लिए तैयार नहीं है. उपाध्‍यक्ष महोदया, ये चाहते यह हैं कि ये सत्‍ता के मद में ऐसे चूर हो जाएं कि ये जो कह दें, वही सही हो जाए. ये जो बताएं, वही कानून बन जाए. आज बजट कम किया जा रहा है, वह सब किसानों से संबंधित योजनाओं पर कम किया जा रहा है. सिंचाई विभाग का बजट कम हो गया, कृषि विभाग का बजट कम हो गया, सहकारिता विभाग का बजट कम हो गया. गोविन्‍द सिंह जी, आपको कुछ मालूम है कर्जा माफ किसान का कैसे हो रहा है. सहकारिता विभाग में आदेश दिए गए, आदेश देकर यह कहा है कि लिखो 50 परसेंट आप भरपाई करोगे. 25 और 50 का कहा गया है क्‍योंकि गोविन्‍द सिंह जी पहले सहकारिता मंत्री रहे हैं, अब फिर बन गए हैं. उनकी दहशत पहले की थी अब फिर है. सरकार नहीं भर रही है, सरकार ने माफ करने का वादा किया था. किसान का ही पैसा किसान को दिया जा रहा है, अंशपूंजी. मैं गलत नहीं कह रहा हूँ, मैं विश्‍वास के साथ, दावे के साथ और प्रमाण के साथ बात करने के लिए खड़ा हुआ हूँ. उपाध्‍यक्ष महोदया, अगर सहकारिता मंत्री इस बात का खण्‍डन करेंगे तो मैं यहां प्रमाण रखूंगा आपके सामने कि सोसाइटियों से लिखवा-लिखवा कर मंगवाया जा रहा है. ये जो घोटलों की बात कही गई थी कि सोसाइटियों में घोटाला हो गया, इनने कहा कि हम कार्यवाही करेंगे. अरे, कानून आपके पास है, कलम आपके पास है, क्‍यों नहीं कार्यवाही कर रहे हैं. किसान का पैसा किसी ने भी खाया हो, अधिकारी हो, कर्मचारी हो, इस दल का हो, उस दल का हो, आप तो जेल भेजो, हम तैयार हैं आपके साथ में जेल जाने के लिए.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- दतिया में भी 6 गिरफ्तार किए गए.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अरे दतिया नहीं, लंदन हो, कहीं भी हो, जिसने किसान का पैसा खाया हो, वह कहीं हो, आप सरकार में हो, पुलिस आपके पास में है. भेजो और हथकड़ी डालकर जेल भिजवाओ. हम आपका समर्थन करेंगे गोविन्‍द सिंह जी, लेकिन हमने जो सवाल उठाए हैं, उसका जवाब दो कि आप संस्‍थाओं से क्‍यों लिखवा रहे हो. जवाब देना है तो इस बात का दो, लिखवा रहे हो या नहीं ? (...व्‍यवधान...)

           डॉ. गोविन्‍द सिंह -- भारतीय जनता पार्टी के लोग अध्‍यक्ष से लिखवा रहे हैं, अध्‍यक्ष आपके बैठे हैं. उनसे गलत तरीके से आप लोग लिखवा रहे हो. (...व्‍यवधान...)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- उपाध्‍यक्ष जी, एक छोटा सा सवाल मैंने उठाया. हमने कैसे लिखवाया, हम यहां आ गए. आप बताओ आप सही तरीके से लिखवा रहे हो क्‍या ? आप यह बताइये सहकारी संस्‍थाओं से लिखवा रहे हो या नहीं. माननीय, किसान की अंशपूंजी का पैसा उसको दिया जा रहा है और कर्जा माफी का नाम लिया जा रहा है. यह बहुत निंदनीय कृत्‍य है. (...व्‍यवधान...)

            डॉ. गोविन्‍द सिंह -- आज आप बता दो, मैं आपसे कह रहा हूँ. उपाध्‍यक्ष जी, मैं दावा कर रहा हूँ अगर दबाव और जिस अधिकारी ने लिखाया है, आज आप बताओ, शाम तक कार्यवाही होगी. (...व्‍यवधान...)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- दबाव की बात नहीं कर रहा, लिखवा रहे हो या नहीं ?

            डॉ. गोविन्‍द सिंह -- नहीं लिखवाया. (...व्‍यवधान...)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- माननीय उपाध्‍यक्ष जी, मैं नाम बोल रहा हूँ. (...व्‍यवधान...)

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- 20 फरवरी, 2019 का पत्र है, अपर आयुक्‍त... (...व्‍यवधान...)

          श्री गोपाल भार्गव -- (पत्र दिखाते हुए) माननीय मंत्री जी, डॉक्‍टर साहब, यह पत्र है आपका. (...व्‍यवधान...)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- इसमें क्‍या लिखा है. (...व्‍यवधान...)

          श्री गोपाल भार्गव -- जय किसान फसल ऋण माफी योजना के अंतर्गत राशि बैंकों को उपलब्‍ध कराई जाने के प्रस्‍ताव का संचालन ... (...व्‍यवधान...)

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- पत्र क्रमांक 573 (...व्‍यवधान...)

          एक माननीय सदस्‍य -- माननीय उपाध्‍यक्ष जी, ये पटल पर रखें पत्र को, उसके बाद बात करें. (...व्‍यवधान...)

(श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष द्वारा डॉ. गोविन्‍द सिंह, संसदीय कार्य मंत्री को पत्र दिया गया)

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय सदस्‍यों से मेरा निवेदन है कि नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं, कृपया बैठ जाएं.           (...व्‍यवधान...)

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, हमारे वरिष्‍ठ नेता जो भाषण दे रहे हैं डॉ.नरोत्‍तम मिश्र जी ने जो तथ्‍य सामने रखा है मुझे आश्‍चर्य इस बात का..(व्‍यवधान)...

          जनजातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम) -- मोबाइल में देखकर क्‍या पढ़ रहे हैं उसमें चल क्‍या रहा है.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष जी को अपनी बात पूरी करने दीजिए.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया जी, नेता प्रतिपक्ष जी मोबाइल पर क्‍या उपलब्‍ध करा रहे हैं. माननीय मिश्र जी, आपके मोबाइल पता है आप क्‍या क्‍या..(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- कॉपी है.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष जी की बात पूरी हो जाने दीजिए.

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, सबसे बड़ा आश्‍चर्य तो, अरे आप बैठ जाइए...(व्‍यवधान)...

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया जी, क्‍या मोबाइल में देखकर बात करने का नियम है. मैं कहना चाहूंगा कि मोबाइल में देख-देखकर नेता प्रतिपक्ष जी बता रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जी, मेरा आपसे निवेदन है कि कृपया नेता प्रतिपक्ष जी की बात पूरी हो जाने दीजिए. जब आपका अवसर आएगा तब आप जरुर बोलिएगा.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, यह कौन से नियम में है कि मोबाइल में देखकर बता रहे हैं. हमारे इधर भी स्‍क्रीन लगा दो.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया जी, आदेश की कॉपी है...(व्‍यवधान)..

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मोबाइल में देख-देखकर बता रहे हैं.मोबाइल में देखकर कौन-सी प्रक्रिया चालू..(व्‍यवधान)..     

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जी, आप कृपया बैठ जाइए...(व्‍यवधान)... 

          श्री विश्‍वास सारंग -- आप गरिमा तो रखिए. आप मंत्री हो गए हैं..(व्‍यवधान)...

          श्री ओमकार‍ सिंह मरकार -- माननीय श्री विश्‍वास सारंग जी, मंत्री हो गए हैं तो वह आपकी कृपा से हो गए हैं. आप सोने की चम्‍मच लेकर पैदा हुए हैं. हम जैसों को राहुल गांधी जी ने मंत्री बनाया है...(व्‍यवधान)...

          श्री गोपाल भार्गव -- अरे, यहां सोने चांदी की चम्‍मच कहां से आ गई?...(व्‍यवधान)...

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, पहली बात तो आप आसंदी की तरफ देखकर बोलिए...(व्‍यवधान)...

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय सारंग जी, आप लोग सोने की चम्‍मच लेकर आए हैं. कांग्रेस ने यहां हम जैसे गरीब को इधर मंत्री बनाकर भेजा है. हम यह पूछ रहे हैं कि यह जो मोबाइल में देख-देखकर नेता प्रतिपक्ष जी बता रहे है.

          श्री गोपाल भार्गव -- अरे, उसी की हॉर्ड कॉपी डॉ.गोविन्‍द सिंह जी को दी है...(व्‍यवधान)..

          श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, आपने मोबाइल में देख-देखकर बता रहे हैं...(व्‍यवधान)..

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि कृपया वे आसंदी की तरफ देखकर बात करें.

          श्री गोपाल भार्गव -- डॉ.साहब, हम वह कॉपी वापिस दे दीजिए.(हंसी)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- वह कॉपी दे दीजिए. मोबाइल पढ़ने पर आपके मंत्री जी को आपत्ति है. कागज को पढ़ देंगे. माननीय मरकाम जी, अब आप बैठ जाइए.

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जी, आप मोबाइल का उपयोग न करें.

          श्री गोपाल भार्गव -- डॉ. साहब, आप कॉपी हमें दे दीजिए.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- कर्जा माफ करेंगे. उससे संचालक मंडल...

          श्री गोपाल भार्गव -- अरे हमने आपको दोस्‍ती में कागज दिया था. हम वापस कर दीजिए. (हंसी)

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- पूर्णत: असत्‍य. कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा.

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया...

           डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- डॉ. साहब, असत्‍य हो नहीं रहा.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- असत्‍य है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अगर संस्‍थाओं से सरकार ने नहीं लिया होगा, सरकार ने अगर संस्‍थाओं से लिखाकर नहीं लिया होगा.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- क्‍या प्रस्‍ताव नहीं मांगे जाएंगे ?

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- मांग रहे हैं. यही तो हम कह रहे हैं और कौन सी बात कह रहे हैं. हम भी तो यही कह रहे हैं. आप कहिए न, कि हां हम मांग रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- जांच प्रस्‍ताव मांगेंगे. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- किसानों की अंशपूंजी का प्रस्‍ताव कैसे मांग लेंगे आप ? आप कैसे मांग लेंगे जब किसानों की जमापूंजी है...(व्‍यवधान)...

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय सदस्‍यों से मेरा निवेदन है कि आप लोग बैठ जाइए...(व्‍यवधान)...

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- किसान का पैसा लेकर किसान का माफ करना चाहते हो. यह प्रमाण है हमारे पास. आप अन्‍याय कर रहे हो. पूरे प्रदेश को धोखा दे रहे हो...(व्‍यवधान)...

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय मंत्री जी पूरी बात तो सुन लें. ...(व्‍यवधान)...

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी  से मेरा निवेदन है कि अपने सदस्‍यों को समझाइए. ...(व्‍यवधान)...

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया जी, ठहराव प्रस्‍ताव मंगवा लें. ...(व्‍यवधान)...

 

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय सदस्‍य से मेरा निवेदन है कि कृपया नेता प्रतिपक्ष तह की बात आ जाने दीजिए.आसंदी की तरफ देखकर बात करिए ...(व्‍यवधान)...माननीय नेता प्रतिपक्ष जी आप अपने सदस्‍यों को समझाइए. पहले आप अपने सदस्‍यों को बिठाइए. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- प्रस्‍ताव मंगाएंगे. जिनको पैसा देना है उनसे कहिए कि प्रस्‍ताव मंगाएं. कृपया अपना प्रस्‍ताव दें कि इतनी राशि चाहिए, इतनी माफ करना है. क्‍या बिना मांगे ही दे देंगे. ...(व्‍यवधान)...

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय उपाध्‍यक्ष  महोदया, मुझे सबसे ज्‍यादा दुख इस बात का है कि जो भारसाधक मंत्री हैं, विभाग के मंत्री हैं उनके लिए भी क्‍या यदि वास्‍तव में आपको जानकारी नहीं है और आपने जानकारी के लिए इसको दिया तो मुझे बहुत आश्‍चर्य है कि सरकार कैसे चल रही है. बहुत बड़ा आश्‍चर्य है कि सरकार कैसे चल रही है. यह स्‍पष्‍ट इसमें लिखा है कि जय किसान फसल ऋण माफी योजना के अंतर्गत राशि बैंकों को उपलब्‍ध करायी जाने के प्रस्‍ताव का संचालक मंडल/प्रशासक से अनुमोदन बाबत और फिर इसमें लिखा है 75 प्रतिशत डाउटफुट 50 प्रतिशत की राशि बैंकों के माध्‍यम से उपलब्‍ध करायी जाना प्रस्‍तावित है. अतं में यह लिखा है कि सभी पैक संस्‍थाओं से प्रस्‍ताव, ठहराव प्राप्‍त होने के संबंध में हस्‍ताक्षरित प्रमाण पत्र मुख्‍यालय को दिनांक 21.02.2019 अनिवार्यता प्रेषित करें. कार्य को सर्वोच्‍च प्राथमिकता दें. इसमें यह लिखा है कि 50 प्रतिशत सोसायटी जमा करेगी. यदि जमा नहीं करेगी तो 50 प्रतिशत सरकार जमा करेगी. यह किसान की अंशपूंजी है. किसान की राशि है. किसान की खून पसीने का पैसा है.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह -- आपको 22 फरवरी से लेकर 30 फरवरी तक जब किसानों खाते में पैसा पहुंच जाएगा तब आप सबकी आंखें खुल जाएंगी.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- अरे, यह हो ही नहीं सकता. फंड ही नहीं है. बजट पास ही नहीं किया आपने.

          श्री गोपाल भार्गव - उपाध्‍यक्ष जी, मैं यही बात कह रहा हूं कि कल जो यहां पर मुख्‍यमंत्री जी द्वारा बात कही गई थी कि पैसे की जुगाड़ हम कहां से कर रहे हैं हम नहीं बताएंगे. यह रिकॉर्ड में है. पैसे की व्‍यवस्‍था हम कहां से करेंगे यह गुप्‍त है. यही गुप्‍त बात है. यह सारा का सारा आपका गुप्‍त है. इस तरह से आप किसानों को ठगेंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदया - आप लोग आसंदी की तरफ देखकर बात करें.

          डॉ. गोविंद सिंह - उपाध्‍यक्ष जी, आपकी बात असत्‍य पर आधारित है. आप सच्‍चाई पता कर लेना. प्रस्‍ताव मांगा गया है उसके आधार पर ही तो उनको पैसा देंगे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - यह सच्‍चाई है. अगर हमारी यह बात असत्‍य साबित हो जाएगी तो माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी, आप जो सजा आप देंगे वह सजा हम भुगतेंगे. गर्दन दबाकर पैसे लिए जा रहे हैं. ..(व्‍यवधान)...

          उपाध्‍यक्ष महोदया - माननीय सदस्‍यों से निवेदन है कि कृपया आमने-सामने बात न करें.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - उपाध्‍यक्ष जी, यह बात समझ में आ गई कि आप कर्जमाफी के नाम पर किसान का पैसा किसान को लौटा रहे हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदया - माननीय सदस्‍य कृपया आसंदी की तरफ देखकर ही बात करें. नरोत्‍तम मिश्रा जी, आप अपनी बात शुरू करिए.

          श्री गोपाल भार्गव - उपाध्‍यक्ष महोदया, मुझे आश्‍चर्य है कि माननीय सहकारिता मंत्री जी को इस विषय की जानकारी नहीं है और यदि जानकारी है तो आप जानबूझकर यह कर रहे हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - उपाध्‍यक्ष जी, इनको अपने पद पर रहने का कोई हक नहीं है.

          श्री गोपाल भार्गव - उपाध्‍यक्ष महोदया, यह बहुत गंभीर विषय है. किसानों का 50 प्रतिशत पैसा लेकर आप उन्‍हीं के लिए ऋण माफी के प्रमाणपत्र बनाएंगे. परसों से आप मेले लगाएंगे. आपने 10 लाख रुपया प्रत्‍येक तहसील को आवंटित करने की बात कही है कि तहसील में हम मेले लगाएंगे. किसानों का पैसा किसानों पर खर्च करेंगे.

          डॉ. गोविंद सिंह - उपाध्‍यक्ष जी, यह बिल्‍कुल असत्‍य बात माननीय नेता प्रतिपक्ष कर रहे हैं. इसमें किसानों से कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है. प्रत्‍येक किसान का दो लाख रुपये तक का कर्ज जो उसमें पात्रता में है, उनका माफ किया जाएगा. जिन अपात्र लोगों ने नकली फार्म भरे हैं उनको नहीं दिया जाएगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - किसान का पैसा किसान को लौटाया जाएगा यह प्रमाण है. आप राजौरा जी की बातों पर मत आना.

          श्री विश्‍वास सारंग - उपाध्‍यक्ष जी, एक-एक सोसायटी पर 50 लाख से डेढ़ करोड़ तक का भार पड़ रहा है.

          उपाध्‍यक्ष महोदया - माननीय सदस्‍यों से निवेदन है कि अगर नेता प्रतिपक्ष जी की बात पूरी हो गई हो तो समाप्‍त करें एवं आप विषय पर ही बोलिए.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - आप लोग किसानों का 37 हजार 500 रुपया किसानों के खाते से ले रहे हैं. गोविंद सिंह जी आप तो रिकार्ड में कराओ कि आप संस्‍थाओं से लिखवाकर नहीं ले रहे हैं. आप बोलिए. मैं आपको इस बात का प्रमाण दूंगा.

          डॉ. गोविंद सिंह - उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं शपथपूर्ण रूप से कहता हूं कि दो लाख रुपये तक का कर्ज किसान का माफ किया जाएगा.किसी किसान से कोई भी पैसा नहीं लिया जा रहा है.

          उपाध्‍यक्ष महोदया - माननीय सदस्‍यों से मेरा निवेदन है कि कृपया आमने-सामने बात न करें. आसंदी की तरफ देखकर ही बात करें. नेता प्रतिपक्ष जी खड़े हैं. उनको कृपया बात पूरी करने दें. ..(व्‍यवधान).. आप इतने सीनियर सदस्‍य हैं. नेता प्रतिपक्ष जी खड़े हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - उपाध्‍यक्ष महोदय, इससे हटकर मैं एक बात और कहना चाहता हूं. आप को-ऑपरेटिव सेक्‍टर, बैंकों, सोसायटियों के लिए यह बाध्‍य कर रहे हैं, लेकिन आपके ग्रामीण बैंकों ने, आपके राष्‍ट्रीयकृत बैंकों ने साफ मना कर दिया है कि हम कोई 50 प्रतिशत की राशि आपके लिए छूट में नहीं देंगे, पूरा का पूरा पैसा आपको भरना पड़ेगा. यह बात सही है कि नहीं है ?

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - उपाध्‍यक्ष जी, मध्‍यप्रदेश के अंदर सहकारी आंदोलन को तबाह करने की कोशिश की जा रही है. एक-एक सहकारी सोसायटी पर डेढ़ से दो करोड़ रुपये का भार आने वाला है. यह संस्‍था और कर्मचारी तबाह हो जाएंगे.

          श्री गोपाल भार्गव - उपाध्‍यक्ष महोदया, किसानों के खून पसीने की कमाई की राशि जो सहकारी सोसायटियों में, बैंकों में जमा है, उसकी लूट के खिलाफ किसानों के ही पैसों के लिए, आप जमा करके, उनके लिए आहरित करके और उनके लिए फर्जी...(व्यवधान)...

          डॉ. गोविन्द सिंह--  आपके जो संचालक मण्डल के सदस्य हैं...(व्यवधान)...

          श्री गोपाल भार्गव--  उपाध्यक्ष महोदया, सारा का सारा (XXX) इनका घोषणा पत्र है, इनकी कर्ज माफी है..(व्यवधान)...

          उपाध्यक्ष महोदया--  माननीय सदस्यों से मेरा निवेदन है कि आप दोनों अपने विषय पर बात कहें...(व्यवधान)..

3.21 बजे

गर्भगृह में प्रवेश.

डॉ. नरोत्तम मिश्र, सदस्य सहित भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा गर्भ गृह में प्रवेश.

(सरकार द्वारा फर्जी ऋण माफी के विरोध में डॉ.नरोत्तम मिश्र सहित भारतीय जनता पार्टी के अनेक सदस्य गर्भगृह में आ गए)

        उपाध्यक्ष महोदया--  कृपया सभी माननीय सदस्य अपने अपने स्थान पर जाएँ..(व्यवधान)..

 

3.22 बजे

 

बहिर्गमन.

नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन.

          श्री गोपाल भार्गव--  माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह जो फर्जी ऋण माफी का काम है...(व्यवधान)..हम इसके खिलाफ सदन से बहिर्गमन करते हैं...(व्यवधान)...

(सरकार द्वारा फर्जी ऋण माफी और किसानों की सहकारी सोसायटी एवं बैंकों में जमा राशि की लूट  के विरोध में नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया)

 

          जनजातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम)--  माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी, ये नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी के लोग सरकार द्वारा किसानों का कर्जा माफ करने से आहत हैं. इससे ये परेशान हैं...(व्यवधान)..

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव--  माननीय उपाध्यक्ष महोदया, नेता प्रतिपक्ष ने असंसदीय शब्द  का प्रयोग किया है. उसको विलोपित किया जाए.

          उपाध्यक्ष महोदया--  इसे विलोपित किया जाए.

          डॉ गोविन्द सिंह--  माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जो ये बोल रहे हैं यह पूरी तरह असत्य है. भारतीय जनता पार्टी किसानों के विरोध में काम करती रही और उनके पेट में दर्द हो रहा है. किसी भी किसान से एक रुपया भी उनसे वसूली नहीं की जाएगी. दो लाख तक का कर्जा जो माफ करने का वचन दिया है (मेजों की थपथपाहट) पूरा कर्जे का जो पत्र है वह फर्जी दिखा रहे हैं. संस्थाओं से जो प्रस्ताव हैं कितना पैसा आपको किस संस्था में जरुरत है, कितना माफ करना है. उसका प्रस्ताव मांगा है. ये प्रदेश की जनता और सदन  को  गुमराह करके अपनी खीझ मिटाना चाहते हैं और इसीलिए वे रोजाना एक न एक नौटंकी करने का काम कर रहे हैं. इससे न तो कोई दबाव में आएगा. न आपके कहने से कर्ज माफ करने की जो योजना है उसमें बाधा आएगी. पूरी तरह से 22 फरवरी से लेकर 2 मार्च तक हर किसान के खाते में, जो पात्रता में हैं, उनके लिए, अभी 25 लाख किसानों का कर्जा, 2 मार्च तक उनके खातों में जाएगा,  नकद जाएगा. मैं चुनौती देता हूँ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को, नेता प्रतिपक्ष हैं और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी को कि आप जाकर देख लेना, जो ये प्रस्ताव की बात कर रहे हैं, इन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में बैठ कर जो फर्जी तरीके से नॉमिनेट किए गए थे और उनके निर्वाचित किये गए अध्यक्ष, उनके यहाँ बैठकर यह षड्यंत्र रच कर, यह षड्यंत्र तय किया भारतीय जनता पार्टी के आरएसएस के समिधा में, इस तरह से सरकार को बदनाम करने के लिए यह साजिश रची है. पत्र पूरी तरह से सही है और सच्चाई है, नियम कायदों के तहत, अगर ऐसा कोई करेगा, एक भी प्रमाण मिलेगा तो किसी भी अधिकारी को  2 घंटे में उसको सबक सिखा देंगे, उसके खिलाफ कार्यवाही करने से नहीं चूकेंगे.

          श्री कुणाल चौधरी(कालापीपल)--  माननीय उपाध्यक्ष महोदया, अभी बड़ी देर से मैं सुन रहा था कि सामने वाले सदस्य किस ताकत के साथ कर्ज माफी का विरोध कर सकते हैं क्योंकि किसान विरोधी जो सरकार है और जिस तरीके से नियम, कायदे, कानून, किसानों के हितैषी बताने के लिए, तो एक शेर याद आता है कि-- 

कैसे कैसे मंजर, सामने आने लगे, लोग गाते गाते चिल्लाने लगे,

वो सलीबों के करीब आए तो हमको कायदे कानून सिखाने लगे.

ये वे लोग हैं जो किसान के पेट पर लात, छाती पर गोली और नंगा करके किसानों को मारने वाले लोग, आज एक सरकार बनी,  पिछली सरकार किसान के प्रति एक सरकार चलाया करते थे. वे लोग आज किसान की हितैषी एक सरकार का विरोध करने का काम करते हैं. बड़ी बात चल रही थी कि फोटो की बात, अखबार की और खेत के अन्दर जाने की तो मुझे एक बड़ा वाकया 3-4 साल पहले का याद आता है कि एक किसान का नाम भी ये लाए थे. गाँव के नाम भी ये लाए थे तो धार के अन्दर एक गाँव है,  तहसील धार के अन्दर एक डेडला गाँव है. जिसमें पिछली बार 3 साल पहले ओला पड़ा. रात को ओले पड़े अगले दिन हमारे उस समय के मुख्यमंत्री को बड़ा दर्द हुआ और उस किसान के खेत में एक हेलिपेड को तैयार करवाया गया. जितनी फसल पहले वहाँ पर थी वह आधी ओले से नष्ट हुई और आधी जो बची थी वह हेलीपेड के कारण नष्ट हुई. उस किसान का नाम सोहन निहाल सिंह राजपूत था. उस किसान के खेत में हेलीकॉप्टर उतरता है और उसके साथ फोटो खिंचवाकर पूरे प्रदेश के अखबारों में दिया जाता है कि किसान का दर्द बांटते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री और कहा जाता है कि सबके मुआवजे मिलेंगे. उस समय ऐसा लगा कि कम से कम इस किसान को तो ओले और पाले का मुआवजा पक्की तौर पर मिल जाएगा. धार के कई विधायक भी यहां पर बैठे होंगे. एक साल बाद वह किसान मेरे पास आया कि माननीय अध्यक्ष जी अभी तक मुझे ओले और पाले का पैसा नहीं मिला है और जो खेती थी उसके ऊपर भी हेलीकॉप्टर उतार दिया. जिसके खेत में हेलीकॉप्टर उतारा जिसके नाम के करोड़ों रुपए के विज्ञापन दिए उसका एक रुपया माफ नहीं किया. जब विधान सभा के अन्दर आन्दोलन किया और जब धारा 353 मुझ जैसे नौजवानों पर लगाई गई तब जाकर बड़ी मुश्किल से दो साल बाद उसका नाम जुड़ा.

          उपाध्यक्ष महोदय, उस किसान ने उस समय कहा था कि हमें उनसे थी वफा की उम्मीद, जो जानते ही नहीं की वफा क्या है. वे लोग किसानों की बात करते हैं जिनको न किसानों के प्रति दर्द है न किसानों के प्रति संवेदना है. सिर्फ असत्य और लूट की जिन्होंने सरकार चलाई है. आज वह किसान सरकार आई है जिसके मुखिया माननीय कमलनाथ जी का मानना है कि देश का भाग्य विधाता सिर्फ किसान और मजदूर है. कल माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि इस देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी अगर कोई है तो वह किसान है. वे यह भी कहते हैं कि जिस दिन किसान और मजदूर के पास पैसा आ जाएगा उस दिन हिन्दुस्तान के अन्दर हर वर्ग का व्यवसाय चलेगा. मूल खरीददार अगर कोई है तो वह किसान है. यह वह सरकार बनी है जो जमीं से आसमां तक सिर्फ किसान कल्याण की बात नहीं करती है किसान के कल्याण का कार्य भी करती है. बात चाहे कर्ज माफी की हो, चाहे बिजली के बिल कम करने की बात हो, चाहे फसल बीमे की बात देखें. चाहे आसमानी या तूफानी ओले की बात हो. पिछली जो सरकारें 15 साल से चल रहीं थीं. वह सरकार हवाई आंकड़ों से अपनी पीठ तो थपथपाती तो थी लेकिन किसानों का गला घोंटकर पीठ थप-थपथपाने का काम करती थी.

          उपाध्यक्ष महोदया--आप थोड़ा जल्दी खत्म करेंगे और भी सदस्य बोलने वाले हैं. दो मिनट में आप अपनी बात खत्म कीजिए.

          श्री कुणाल चौधरी--उपाध्यक्ष महोदया, आपका संरक्षण चाहिए. हम लोगों ने बहुत आन्दोलन किये, केस लगवाए तब यहां पहुंचे हैं. किसान के दर्द की बात है. जिस प्रकार से हमारे प्रदेश में चाहे कल गिरे ओले की बात हो या पिछले समय जो ओला पाला पड़ा. मैं यशस्वी मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूँगा कि अगले दिन सुबह मैं मंत्रालय में गया तो उससे पहले वे सर्वे के आदेश दे चुके थे. असत्य सर्वे पिछले समय हुआ करते थे. दावोस से इन्हें समस्या है. हमारे मुख्यमंत्री वो मुख्यमंत्री हैं जो रियल टाइम सर्वे पर वैज्ञानिक तकनीक के साथ काम करवाते हैं, जो जीआईएस का सर्वे है उसके माध्यम से साथ में जो मैदानी अमला है उससे बड़ी तकलीफ उन्हें होती है. वे कहते हैं कि हम क्षेत्र में नहीं जाते हैं. मुझे लगता है कि एसी कमरों में बैठने की आदत उन लोगों की है. हमारे यहां के चाहे विधायक हों चाहे मंत्री हों हर व्यक्ति क्षेत्र में घूमने का काम करता है.

          उपाध्यक्ष महोदया, मुझे याद है कि पिछले सालों में जब ओले पड़ा करते थे तो किसान को महीनों तक कलेक्ट्रेट के चक्कर काटने पड़ते थे. हम जैसे आंदोलनकारियों को कई बार आन्दोलन करने पड़ते थे. किसानों को धरने देने पड़ते थे, जुलूस निकालना पड़ता था उसके कई महीनों बाद सर्वे के आदेश हुआ करते थे. आज वह मुख्यमंत्री हैं कि ओला पड़ा नहीं कि उसके तुरंत बाद सर्वे के आदेश हो जाते हैं. सब लोगों को निर्देश होते हैं कि किसी भी अधिकारी ने अगर इसमें गड़बड़ करने की कोशिश की तो कई अधिकारियों के हश्र भी सरकार के अंदर आकर देखे हैं. पहले सरकार नहीं सर्कस चला करता था. एक पूर्व मुख्‍यमंत्री बस के अंदर खाना और टिफिन बांधकर सिर्फ (XXX) की बातें करते थे. कल में सुन रहा था कि हमने यह वादा किया था आपने तो 22 हजार घोषनाएं की थी. घर से निकलते थे और (XXX) बोलते थे तो हम इतने (XXX) को कब तक पूरा करने का काम करेंगे.  मैं कल माननीय मुख्‍यमंत्री जी के पास भी गया था कि साहब इनके (XXX) की घोषणाओं को हम पूरा करने लगे तो सालों निकल जाएंगे. पिछली सरकार तो (XXX) के रूप में सरकार चलाती थी.

          उपाध्‍यक्ष महोदया-- कुणाल जी आप असत्‍य शब्‍द का उपयोग करें.

          श्री कुणाल चौधरी-- उपाध्‍यक्ष महोदया जी लूट की सरकार कह लीजिए. (XXX) और लूट में जो पसंद हो. उनकी लूट की सरकार चला करती थी.

          उपाध्‍यक्ष महोदया--  यह शब्‍द हटा दीजिए.     

           श्री कुणाल चौधरी-- उपाध्‍यक्ष महोदया, जो आसमानी, सुलेमानी ओलों की बात है उसके ऊपर तो कार्य किया गया पर माननीय कमलनाथ जी के आने के बाद किसान को सम्‍मान के साथ स्‍वाभिमान भी दिया गया. जो दर्द इनका है कि कैसे किसान का कर्जा माफ हो रहा है और जो बात-बात में उठकर बात कर रहे हैं. अभी सहकारिता में जब पूरा घोटाला निकलेगा तो जब नीचे से ऊपर तक आंच आने लगी है तो लोग चिल्‍लाने लगे हैं और खड़े होकर गाने लगे हैं. मेरा यह कहना है कि किसान की फसल का अगर एक भी फूल मुर्झाने का काम होगा तो कमलनाथ जी की सरकार इस प्रदेश के हर किसान का दर्द बांटेगी. ऐसा नहीं करेगी कि जो पिछली सरकार में दर्द की बात होती थी और किसान हक मांगता था तो गोलियों से भून दिया जाता था, बिजली के बिल की माफी की जगह जेलों की सलाखों के अंदर भेज दिया जाता था. क्‍योंकि हम यह जानते ही नहीं बल्कि यह मानते भी हैं कि किसान देश का भाग्‍य विधाता है. जन-गण-मन- अधिनायक है. प्राकृतिक आपदा हो या विपदा हो अकेला किसान ही नहीं पूरे प्रदेश को उस आपदा का दर्द बांटना होगा. हम पुरानी सरकारों की तरह किसानों को अकेले प्रकृति की मार से मरने के लिए नहीं छोडे़ंगे.  हम किसानों के साथ ,खुशहाली का काम करेंगे. हमने सपने नहीं दिखाए हैं हमने एक भरोसा दिलाया है कि किसान की आय दो से तीन गुना करेंगे और बड़ी आंकड़ो की बाजीगरी करते हैं बहुत कहते हैं कि पिछली सरकार ने कृषि को लाभ का धंधा बना दिया. एक बार उस समय के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री बयान दे रहे थे बच्‍चों को कह रहे थे कि खेती अब लाभ का धंधा नहीं बचा है अडानी, अंबानी के धंधे सीखने का काम करो और किसानों के प्रति जो बात यह कहते हैं. लगातार आंकड़ें तो मैं भी बताना चाहूंगा कि जब वर्ष 2004 में 43 प्रतिशत किसान थे और खेतिहर मजदूर 28 प्रतिशत हुआ करते थे. आज जब इन लोगों ने सरकार को छोड़ा है तो सिर्फ 27 प्रतिशत किसान बचे हैं और लगभग 44 प्रतिशत खेतिहर मजदूर हो चुके हैं. असत्‍य और असत्‍य के साथ जिस प्रकार से इन्‍होंने चीजों को चलाया है और जो दर्द किसान के कर्जा माफी के खिलाफ है. इंतजार करें कि कर्जा माफ हो चुका है और बैंकों से निगोसियेशन करने का अधिकार है. क्‍या बैंकें सिर्फ अडानी और अंबानी का कर्जा माफ करेंगी या उसके जो नौ-नौ हजार करोड़ के, चार लाख करोड़ के उघोगपतियों के कर्जे माफ करेगी. क्‍या बैंक किसान का कर्जा माफ नहीं कर सकती जब इनकी सरकार केन्‍द्र में आई तो चार लाख करोड़ के एन.पी.ए. माफ किये गए हैं तो हमारा भी अधिकार है कि अगर किसी किसान का लाख दो लाख रुपया हमने माफ करा दिया तो इनको इतना दर्द क्‍यों हो रहा है. किसान के साथ आएं और मैं तो कहता हूं कि अगर इनके पास भी कोई व्‍यवस्‍था है तो आएं हम सब मिलकर किसानों के प्रति और बेहतर व्‍यवस्‍था बनाने का काम करें. किसानों से घृणा मत करिए क्‍योंकि इनके पूर्व कृषि मंत्री जी यदि कोई किसान आत्‍महत्‍या कर लेता था तो कहते थे कि घर-परिवार की कलह से की है. मैं माफी चाहते हुए आपसे अंतिम बात यही कहूंगा कि यह सरकार किसान को पूरा मुआवजा देगी चाहे बीमे के साथ हो, चाहे प्राकृतिक आपदा के साथ हो असत्‍य उपवास पर नहीं बैठेगी कि नौ बजे खाना खाओ और चार बजे फिर जाकर घर पर खाना खा लो ऐसे (XXX) नहीं करेगी. स्‍पष्‍ट रूप से ओले और पाले से पीडि़त किसान के साथ न्‍याय होगा वह भी वैज्ञानिक तकनीक के साथ होगा. आपने बोलने का मौका दिया बहुत-बहुत धन्‍यवाद जयहिन्‍द.

            श्री लक्ष्‍मण सिंह (चाचौड़ा)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, यह बहुत ही गंभीर विषय है. ओला-पाला से जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई शासन कब और कैसे करे. लगभग प्रतिवर्ष ओला-पाला से किसान जूझ रहा है और इसमें कुछ व्‍यावहारिक एवं कुछ प्रशासनिक समस्‍यायें हैं और हमें कुछ नियमों में फेर-बदल करने की भी आवश्‍यकता है. सदन में राजस्‍व मंत्री जी उपस्थित हैं. मैं उनसे अपेक्षा करता हूं कि राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र 6(4) के अनुसार ओला-पाला से यदि 25 प्रतिशत से ज्‍यादा नुकसान होता है तो उसका आंकलन किया जाता है और किसानों को हर्जाना दिया जाता है. इस 25 प्रतिशत को घटाकर कम से कम 15 प्रतिशत कर दिया जाये जिससे यदि 15 प्रतिशत भी नुकसान हुआ है तो उसकी भरपाई की जायेगी.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरे निर्वाचन क्षेत्र में भी ओला गिरा है. मैं वहां किसानों के बीच में गया. मुझे वहां एक अद्भुत बात देखने को मिली. मैंने वहां पटवारी से पूछा कि क्‍या आप सर्वेक्षण कर रहे हैं तो उन्‍होंने कहा कि हम तो नहीं कर रहे हैं लेकिन असि‍स्‍टेंट पटवारी कर रहे हैं. मैंने अपने 40 सालों के राजनैतिक जीवन में असि‍स्‍टेंट पटवारी शब्‍द कभी नहीं सुना. अभी नरोत्‍तम जी बहुत चिंता जता रहे थे. बहुत बातें हो रही थीं. दावोस तक बात पहुंच गई थी. हम दावोस को छोड़ देते हैं हम मधुसूदनगढ़ की बात करते हैं. मधुसूदनगढ़ में मैंने पूछा कि असि‍स्‍टेंट पटवारी कब से नियुक्‍त हुए हैं. तो पता चला कि 10-15 सालों से असि‍स्‍टेंट पटवारी सर्वे करते हैं. मैं राजस्‍व मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि क्‍या असि‍स्‍टेंट पटवारी का कोई पद है ? इन्‍होंने असि‍स्‍टेंट पटवारी का जो पद बनाया है इसे आप जल्‍द समाप्‍त करें और जो लोग असि‍स्‍टेंट पटवारी से सर्वे करवा रहे हैं उनके खिलाफ कार्यवाही कीजिये.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, अभी सदन में भावांतर पर बहुत चर्चा हो रही थी. मैंने भावांतर से संबंधित ये जानकारी नेट से डाऊनलोड की है. (माननीय सदस्‍य द्वारा सदन में कागज दिखाते हुए) स्‍वाभाविक है, जिस तरह आप लोगों ने प्रचार पर करोड़ो रुपया खर्च किया है. इसमें पहले पृष्‍ठ पर माननीय शिवराज सिंह जी एवं मोदी जी की तस्‍वीर है. अब इसके आगे देखते हैं. जिसमें लिखा है कि ''मैं किसान पुत्र हूं और मुख्‍यमंत्री बनने के बाद भी अपने खेतों पर कृषि फसलों के साथ सब्‍जी, फल एवं फूलों की खेती भी करता हूं. जब किसान की फसलों का दाम, समर्थन मूल्‍य से नीचे चला जाता है तो मेरे दिल में बड़ा दर्द होता है.'' स्‍वाभाविक है सभी के दिल में दर्द होता है. यदि यह दर्द शिवराज सिंह जी को है और स्‍वाभाविक है कि होगा, मैं नहीं कहता कि नहीं है, तो जब यह सरकार बनी और शिवराज जी मुख्‍यमंत्री बने तब क्‍यों नहीं हुआ और भावांतर योजना उस समय लागू क्‍यों नहीं हुई ? भावांतर योजना बीच में लागू क्‍यों हुई ? यह एक बहुत बड़ा प्रश्‍न है. अगर आप भावांतर योजना की शुरूआत का समय और शिवराज सिंह जी के गिरते हुए ग्राफ का समय देखें तो ये दोनों मैच करते हैं. जब शिवराज सिंह जी का ग्राफ नीचे गिर रहा था तब उनके कुछ चाहने वाले, चहेते अधिकारियों ने, जिन्‍होंने 15 साल तक मध्‍यप्रदेश का कबाड़ा किया है, उन अधिकारियों ने सुझाव दिया कि किसान पुत्र मुख्‍यमंत्री, किसान के हितों की रक्षा करने वाले, हम एक ऐसी योजना बनायें जिससे कि सारे मध्‍यप्रदेश को गुमराह किया जा सके और वह योजना बनी- ''भावांतर योजना''. मैं यह जानना चा‍हता हूं कि इसकी क्‍या आवश्‍यकता थी. कांग्रेस ने इतने वर्षों तक भावांतर योजना क्‍यों नहीं बनाई क्‍योंकि यदि किसान को आप समर्थन मूल्‍य का उचित दाम दे देंगे तो भावांतर की जरूरत ही नहीं है और इतना सारा संशय भी उत्‍पन्‍न नहीं होता इतना पैसा भी बर्बाद नहीं होता. अब यदि हम भावांतर योजना का बिंदु क्रमांक 4.2 देखें तो उसमें लिखा है कि मुख्‍यमंत्री भावांतर भुगतान योजना का पोर्टल पर निशुल्‍क पंजीयन कराया जा सकेगा. पोर्टल की क्‍या हालत है, मैं स्‍वयं कुमराज की मण्‍डी में गया, वह मेरे निर्वाचन क्षेत्र में आती है और कुमराज की मण्‍डी पूरे मध्‍यप्रदेश में क्‍या पूरे हिन्‍दुस्‍तार में धनिये के मशहूर है. वहां करोड़ो रूपये का धनियां कुमराज की मण्‍डी में खरीदा जाता था, लेकिन आज कुमराज की मण्‍डी का क्‍या हाल है, वह भी सिर्फ भावांतर योजना में जो भ्रष्‍टाचार हुआ है उसके कारण. मैं वहां एक दिन गया तो देखा कि वहां पर सैंकड़ों , हजारों किसान परेशान हो रहे हैं, भावांतर की खरीद नहीं हो रही है, मण्‍डी के अधिकारी गायब हैं, गायब हैं मैंने पूछा भाई की खरीद क्‍यों नहीं हो रही है तो बताया की साहब पोर्टल नहीं खुल रहा है. पोर्टल क्‍यों नहीं खुल रहा है तो उन्‍होंने बताया कि साहब भोपाल से पासवर्ड आयेगा तो पोर्टल खुलेगा, मैंने कहा कि अभी बुलाते हैं तुम्‍हारा पासवर्ड, मैं बाहर गया और हजार, दौ हजार किसान इकट्ठा करके जो हम मण्‍डी में घुसे  तो पासवर्ड भी आ गया, पोर्टल भी खुल गया और खरीदी भी होने लगी. हमें क्‍यों ऐसा करना पड़ रहा है, क्‍योंकि इसमें इन्‍होंने बहुत सारी विसंगतियां रखी थीं. फिर हम चलें पाईंट नंबर-7 पर, इसमें लिखा है कि कुल 11 फसलों की कृषकवार, राजस्‍व विभाग को जानकारी प्राप्‍त हो सकेगी, इनमें से कितनी भूमि पर कौन सी फसल उपरोक्‍त 11 में से बोयी गयी है, का कलेक्‍टर द्वारा राजस्‍व अमले से भौतिक सत्‍यापन कराया जायेगा. अब फिर वही राजस्‍व विभाग का भौतिक सत्‍यापन तो वह भौतिक सत्‍यापन कौन करेगा, असिस्‍टेंट पटवारी तो हमें कहीं भी गंभीरता नहीं दिखी इसीलिये इतनी विसंगतियां हुई.

          एक पाईंट मैं और कहूंगा कि भावांतर योजना को चलाने के लिये एक प्रदेश स्‍तरीय समिति बनी, पाईंट नंबर-17 पर- योजना के क्रियान्‍वयन हेतु राज्‍य स्‍तरीय क्रियान्‍वयन समिति का गठन मुख्‍य सचिव की अध्‍यक्षता में होगा. इस समिति में कौन-कौन होगा, मुख्‍य सचिव, कृषि उत्‍पादन आयुक्‍त, अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव, प्रमुख सचिव, प्रमुख सचिव उद्यानिकी और यह सारे के सारे जो 13 से लेकर 17 सदस्‍य जो राज्‍य स्‍तरीय समिति के सदस्‍य हैं, इसमें से एक किसान नहीं है, एक विधायक नहीं है, उस समय के नेता प्रतिपक्ष नहीं, उस समय के सत्‍ता के विधायक नहीं, कोई नहीं केवल इन अधिकारियों की राज्‍य स्‍तरीय समिति जो भावांतर योजना को संचालित करेगी, वह बनी. इसके बाद जिले में जो 18 नंबर का पाईंट है- यह भावांतर योजना है, देख रहे हैं सारंग जी, आपकी भावांतर योजना, जिसमें जिला स्‍तर पर निम्‍नानुसार जिला स्‍तरीय क्रियान्‍वयन समिति का गठन किया जाता है. इस समिति में कौन  है, इसका अध्‍यक्ष जिला कलेक्‍टर, मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, सदस्‍य, उप संचालक, किसान कल्‍याण तथा कृषि विकास, सदस्‍य इस प्रकार ऐसे करके 10 अधिकारी सदस्‍य. अच्‍छा जो विधायक हैं, वह विशेष आमंत्रित होंगे. जिले के विधायक विशेष आमंत्रित और क्रियान्‍वयन समिति में केवल अधिकारी. उसके बाद एक और मजेदार बार है, उसमें लिखा गया है कि चार किसानों को प्रभारी मंत्री के द्वारा नॉमिनेट किया जायेगा. अब प्रभारी मंत्री किसकों करेगा, जो आपकी सरकार में मंत्री है वह अपने चार कार्यकर्ताओं को नॉमिनेट करेगा तो मॉनिटरिंग करेंगे या तो उस समय की सरकार के लोग, सरकार के अफसर. जनप्रतिनिधियों की कहीं कोई आवश्‍यकता इस भावांतर योजना में नहीं रखी गयी.

          श्री विश्‍वास सारंग:- उपाध्‍यक्ष जी, जो विषय है उसमें भावांतर की बात ही नहीं है.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह:- इसमें भावांतर हैं, 139 की चर्चा में भावांतर आपने ही दिया है. नरोत्‍तम जी ने भावांतर दिया है, भावांतर तो बोल रहा हूं.

          श्री विश्‍वास सारंग:- इसमें भावांतर के भुगतान की बात है. वही तो मैं बोल रहा हूं कि भावांतर के भुगतान की बात है. विषय लिये जाने की बात नहीं है.

          श्री लक्ष्‍मण सिंह:- मेरी आदत विषय से हटकर बोलने की बात नहीं है. मुझे आपसे ज्‍यादा संसदीय प्रणाली का अनुभव है. (व्‍यवधान) भावांतर लिखा हुआ है.

          श्री विश्‍वास सारंग:- भाई साहब, बिल्‍कुल है, आपने भावांतर भुगतान की तो आपने बात ही नहीं की है. (व्‍यवधान)

          उपाध्‍यक्ष महोदया:- मेरा माननीय सदस्‍यों ने अनुरोध है कि आप माननीय सदस्‍य को अपना भाषण पूरा करने दीजिये.

             श्री लक्ष्मण सिंह-- आपने 139 के विषय पर जो नोटिस दिया है उस पर मैं बोल रहा हूं. (व्यवधान)

          श्री विश्वास सारंग--आप तो भावान्तर योजना की बात कर रहे हैं.(व्यवधान)

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत--उसमें भावान्तर है. (व्यवधान)

          श्री विश्वास सारंग--आपने तो किसकी फोटो और किसकी नई फोटो निकाली, अब तो यह मामला गया. (व्यवधान)

          श्री लक्ष्मण सिंह--मामला गया और आप भी गये. (व्यवधान)

          श्री विश्वास सारंग--अब तो मुद्दा यह है कि भावान्तर योजना का भुगतान कराईये.(व्यवधान)

          डॉ.गोविन्द सिंह--आप तो अब भी भावान्तर में रो रहे हो. (व्यवधान) आपको विषय पढ़ने के पहले पढ़ लेना चाहिये कि आपके नेताओं ने क्या लिखा है (व्यवधान)

          श्री विश्वास सारंग--भाई साहब मैं यही बोल रहा हूं भावान्तर भुगतान की बात उसमें हो रही है. भाई साहब बात कर रहे हैं उसकी फोटो इसकी फोटो की.(व्यवधान)

          श्री लक्ष्मण सिंह--भावान्तर भुगतान की ही बात हो रही है. (व्यवधान)

          श्री विश्वास सारंग आप भावान्तर के भुगतान की बात पर बोलें.

          श्री लक्ष्मण सिंह--फोटो क्या मैंने छपवाये थे. (व्यवधान)

          श्री विश्वास सारंग--आपको 15 मिनट हो गये हैं. आपने किसानों के हित की एक भी बात नहीं की. आप तो भावान्तर योजना को लेकर के आ गये. आप योजना के भुगतान की बात तो कर नहीं रहे हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय--आप लोग कृपया बैठें.

          श्री लक्ष्मण सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट में अपनी बात को समाप्त करता हूं. मेरा सिर्फ यही कहना है कि किसान के हितों की रक्षा करना हम सबकी जवाबदारी है. भावान्तर योजना में जो बहुत सारी विसंगतियां हैं. उनको हम लोग दूर करें यही मेरी माननीय कमलनाथ जी से तथा हमारी पूरी सरकार से अपील है. यह सुनिश्चित करें कि इस योजना को जिस तरह से पहले चलाया गया था उस तरह से न चलायें उसमें जो भी परिवर्तन करना हैं करें और यह सुनिश्चित करें कि किसानों को फसलों का सही दाम मिले. ओला-पाला के लिये केलेविटी फंड बनाईये, जिले में पैसा रखिये. ओला गिरा उसका प्रमाणीकरण हो वहीं के वहीं किसानों को पैसा मिले, यही मुझे कहना है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अविलंबनीय लोक महत्व का यह विषय पर कल पूर्व मुख्यमंत्री जी ने विस्तार से अपनी बात रखी. पक्ष एवं विपक्ष दोनों को इस अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा में अपनी बात करने का अधिकार मिला है. यह बात ठीक है कि निर्देश जारी हुए हैं, लेकिन एक हफ्ता पूरा शीत प्रकोप का, एक हफ्ता पूरा ओलावृष्टि का, एक हफ्ता फिर शीत प्रकोप का. इस मध्यप्रदेश में लगभग 15-17 दिनों तक शीत लहर, ओलावृष्टि एवं असामयिक वर्षा का प्रकोप रहा. जब वल्लभ-भवन से निर्देश गये कृषि विभाग के अधिकारियों ने अपने ज्ञान का परिचय देते हुए कृषक को यह अपील जारी कर दी अपने खेत के चारों कोनों पर धुंआ लगायें, स्प्रिंकलर करें, खेत को पानी पिलायें ताकि कल, परसों, तरसों तीन दिन के अंदर मौसम विभाग ने जो चेतावनी दी है उससे कहीं फौरी राहत मिलेगी. मैं खुद मेरी विधान सभा के क्षेत्र ग्राम देहरी में प्रभुलाल पिता नन्हा पाटीदार के खेत पर गया उसका अफीम का खेत है. उसने अपने हाथ से नली से उस बर्फ की पर्त पिघालने के लिये रात भर पानी की बौछारे उस पर फेंकी ताकि बर्फ पिघल जाये और अफीम बच जाये, लेकिन उस छिड़काव का कोई असर नहीं पड़ा. वैज्ञानिक एवं कृषि विभाग के अधिकारी कहते हैं कि पानी पिला दो तो पानी है कहां. कुएं एवं ट्यूबवेल में पानी नहीं है. तो प्राकृतिक मार का असर इन व्यवस्थाओं के आगे टिक नहीं पायेगा. मैं ग्राम ताजखेड़ी में कृषक चमन पिता रतनलाल राठौर के खेत पर गया. उपाध्‍यक्ष जी, मैंने पटवारी जी को खेत से ही फोन किया, सुनील कैथवास पटवारी है. मैं खेत में किसानों के साथ था और भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष चन्‍द्रशेखर मंडलोई जी भी थे. मैंने खेत से फोन किया पटवारी जी ने उत्‍तर दिया कि विधायक जी मेरे साले की शादी में व्‍यस्‍त हूं इसलिए दो दिन से गांव में नहीं हूं, दो दिन बाद आऊंगा. मैंने कहा कैसे व्‍यवस्‍था करेंगे, जब निर्देश प्राप्‍त हो गए हैं, सरकार की तरफ से वल्‍लभ भवन से कि आप सर्वे कीजिए. पटवारी ने जो उत्‍तर दिया उस उत्‍तर ने मुझे चौंका दिया, पटवारी ने कहा कि मैंने बीमा अधिकारी को कह दिया है कि वह जाकर के निरीक्षण करें. उपाध्‍यक्ष महोदया, बीमा का किसी अधिकारी का रेवेन्‍यु से क्‍या लेना देना, लेकिन उस पटवारी ने बीमा अधिकारी का नाम भी बताया दीपक बैरागी. अब इस प्रकार का काम चल रहा है. मुझे पहली बार क्षेत्र में राजस्‍व के अधिकारियों का किसानों के माध्‍यम से जो संवाद हुआ, वह आश्‍चर्य पैदा कर रहा है. गांव में किसानों से राजस्‍व के अधिकारी कह रहे हैं आपकी फसल में ओला-पाला से, आपकी फसल में प्राकृतिक आपदा से नुकसान हुआ है. आप राजस्‍व विभाग से बात मत कीजिए, आपकी फसल का बीमा है, आप बीमा कंपनी में जाइए.यह टालमटोल करने वाली बातें माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया की जा रही है. समय वह भी था, जब वल्‍लभ भवन से और तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी ने निर्देशित किया था, अगर 25 प्रतिशत नुकसान हुआ तो 50 मान लिया जा, अगर 50 प्रतिशत का नुकसान हुआ तो 100 प्रतिशत कर लिया जाए.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, एक अधिकारी का बयान है कि प्रदेश के 18 जिलों में फसलों को नुकसान पहुंचा है. तीस प्रतिशत से अधिक नुकसान पर मुआवजा दिया जाए. फौरी राहत देने की भी बात नहीं है, पाले से 18 जिलों में 1 हजार करोड़ रूपए की फसलें बर्बाद हुई हैं, कोई छोटा मोटा नुकसान नहीं हुआ. कहीं कहीं 10 प्रतिशत, कहीं कहीं 40 प्रतिशत नुकसान हुआ है. आप और हम सब जानते हैं कि रबी की फसल आर्थिक फसल है, किसानों के लाभ की फसल है इसमें गेहूं, चना, मसूर, अफीम, रायडा होता है, खरीफ की फसल से भी ज्‍यादा आर्थिक लाभान्वित करने वाली किसानों को यह रबी की फसल होती है. इसलिए इस विषय की गंभीरता को लेकर हम सब यहां चर्चा करने के लिए हैं. उपाध्‍यक्ष महोदय, शाजापुर जिले के एक किसान ने अपनी फसल को काटकर के कि अब थ्रेशर करूंगा, कटाई के पैसे लगेंगे, तो चने की फसल को काटकर के गाय को चारे के रूप में खिलाने का काम किया था. पूर्व मुख्‍यमंत्री जी ने भी कहा कि शंकर चना, डब्‍बू चना जिसको बोलते हैं, हाथ लगाओ और उसको फोड़ो तो दीपावली के समय जैसे टिकड़ी फूटती है, वैसे फूटता है, उसमें दाना ही नहीं है. इस प्रकार का नुकसान हुआ है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, किसान सुरेश पाटीदार, औबेदुल्‍लागंज बयान देते हैं मीडिया को कि चना बर्बाद हो गया, देशराज सिंह तोमर सुलतानागंज, तुअर और मसूर बर्बाद हो गया, किसान रूद्रराज सिंह बारोदा, सागर जिला पाला से बचने के लिए खेतों में पानी भी नहीं बचा उसको कैसे सुरक्षित करें, किसान प्रताप मीणा, खिलचीपुर राजगढ़, धुआं करने के लिए लकड़ी और घास-फूंस कहां से लाया जाए. यह बयान अखबारों के माध्‍यम से छपे है और किसानों ने अपने वक्‍तव्‍य दिए हैं. हम अफीम उत्‍पादक जिले से आते हैं, यह बात ठीक है अगर हरदीप सिंह जी ने कहा कि अफीम भारत सरकार का विषय है और लाइसेंस भारत सरकार देती है मैं भी इस बात को स्‍वीकार करता हूं, मैं भी तीसरी बार का विधायक हूं, लेकिन उस अफीम की खेती को पालने के लिए, उसको बढ़ाने के लिए मध्‍यप्रदेश की सरकार से सोसायटी से जो किसान कर्ज लेकर के उसमें बीज डालता है, खाद डालता है, बिजली का बिल भरता है तो कुल मिलाकर के राज्‍य सरकार की भी इसके लिए जवाबदारी बनना चाहिए. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, पोस्‍ता दाना मंडियों में बिकता है, उसका राजस्‍व मंडियों को मिलता है, बाय प्रोडक्‍ट है. सिर्फ अफीम की बात भारत सरकार पर नहीं छोड़ना चाहिए. डोडा चूरा जिसको हम छिलका बोलते हैं, उसको खरीदने का काम भी आबकारी विभाग करता है, तो दो फसल तो हम ले रहे हैं. राज्‍य की सरकार किसानों से दो फसलों का टैक्‍स ले रही है, मंडी में उसकी खरीद बिक्री होती है. जब डोडाचूरा बेचा और खरीदा जाता था तो उसके लाइसेंस दिए जाते थे, आबकारी विभाग उसके लिए बकाया ठेकेदार तैयार करते थे. इसलिए मेरा कहना है कि अफीम के बारे में भी जो नुकसान हुआ है, भारत की सरकार सर्वे करेगी उसमें अगर आंशिक या औसत में छूट देना होगी तो उसका एनाउंस करेगी. कई बार चीरा लग जाता है, औसत में छूट दी जाती है, वह एक अलग विषय है. लेकिन हरदीप जी, किसान हमारा भी है और किसान बाय-प्रोडक्‍ट दो फसल हमारी भी पैदा करके मध्‍यप्रदेश की कृषि मण्डियों को देता है और आबकारी विभाग को भी देता है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, पिछले दिनों में, माननीय मुख्‍यमंत्री जी के एक ट्वीट को देखकर मुझे बहुत प्रसन्‍नता हुई, मुझे बहुत अच्‍छा लगा कि उस किसान का उत्‍साहवर्धन करने के लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने ट्वीट किया है. वह पेटलावद का एक किसान है, जिसने टमाटर को पाकिस्‍तान भेजने से मना किया. हाल ही में जो घटना हुई है, उसको लेकर उसका मन इतना कुंठित था कि भले ही पाला गिर जाए, ओलावृष्टि हो जाए, भले ही शीत लहर का प्रकोप हो जाए लेकिन मेरा टमाटर, मैं पाकिस्‍तान नहीं भेजूँगा. उस किसान ने इतनी हिम्‍मत और इतनी संवेदना दिखाई तो मैं माननीय कृषि मंत्री जी से आग्रह करूँगा, आज माननीय मुख्‍यमंत्री जी सदन में नहीं हैं. उस किसान और जिन-जिन किसानों ने इस प्रकार का संकल्‍प लिया है, टमाटर में भावांतर भुगतान देना चाहिए और जो उस किसान को आर्थिक नुकसान टमाटर को पाकिस्‍तान न भेजने से हुआ है, उसकी भरपाई करने के लिए मध्‍यप्रदेश की सरकार, उन किसानों को जिन किसानों ने इस देश की अस्मिता के लिए अपनी फसल को पाकिस्‍तान न भेजने का संकल्‍प लिया और यदि उनको आर्थिक नुकसान हो रहा है तो मैं समझता हूँ, उस किसान का उत्‍साहवर्द्धन करने के लिए हमको उसको कहीं न कहीं प्रोत्‍साहन देना चाहिए. केवल ट्वीट करने मात्र से काम नहीं चलेगा, उसकी भरपाई करनी पड़ेगी. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्‍यवाद. 

          उपाध्‍यक्ष महोदया - धन्‍यवाद.

          श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यानसिंह सोलंकी (भीकनगांव) - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं अपनी 139 की चर्चा पर अपनी बात रख रही हूँ. आज किसान कितनी समस्‍याओं का सामना कर रहा है और उसी विषय को लेकर यहां चर्चा हो रही है लेकिन विपक्ष में जो गंभीरता नजर आ रही है, वास्‍तव में किसान उनको देखकर बहुत दु:खी होता होगा. हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी बहुत गंभीर हैं. उन्‍होंने जैसे ही शपथ ली और किसानों के कर्ज माफ करने का जो निर्णय लिया, वह विपक्ष सहन नहीं कर पा रहा है. इसलिए तमाम तरह की और अलग-अलग तरह की जो हरकतें दिखा रहा है, बहुत विद्वान एवं पुराने सदस्‍य हैं, उनको वर्षों का इस सदन का अनुभव है. महिलाएं भी अपनी बातें रखती हैं और इस सदन में गंभीरता से हम अपनी बात रखते हैं और सुनते हैं तो बड़ा दु:ख होता है कि हमारे जय जवान, उनके लिए हमारा इतना सम्‍मान, पूरा देश उनके कामों के लिए, उनके आगे हमारा शीश झुकता है. वैसे ही हमारा किसान भी सम्‍माननीय है. यदि हमें अर्थव्‍यवस्‍था को चलाना है तो किसान को आगे बढ़ाये बगैर हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं. इसी बात को लेकर चर्चा है और मैं अपनी बात से पुरानी सरकार को बताना चाह रही हूँ कि मैंने भी यहां इस सदन में बहुत बार कहा है कि मेरे जिले में ओलावृष्टि हुई और इतनी हुई कि किसान पूरी तरह से तबाह हो गया तथा खरगौन और खण्‍डवा के बीच मेरा विधानसभा क्षेत्र है, उसकी एक ही बाउण्‍ड्री है. एक किसान पूरी तरह से तबाह हुआ, उसको एक रुपये का मुआवजा नहीं दिया गया. दूसरी तरफ खण्‍डवा जिले में जहां पर किसान ने अपनी फसलें ही नहीं बोईं, उनको चारे का मुआवजा दिया गया. यह इतना बड़ा भेद-भाव हुआ, यह मैंने अपनी आंखों से देखा है और आज यह बात कर रहे हैं कि सरकार यह करे, वह करे. अभी सरकार को केवल 2 माह हुए हैं और यह तो शुरुआत है. शुरुआत में ही जय जवान ऋण मुक्ति योजना लागू की है, इससे बड़ी योजना प्रदेश की किसी सरकार ने लागू नहीं की है. पहली सरकार ने जो भेदभाव किसानों के साथ किया है, जितना कर्ज दिया है, कांग्रेस पार्टी तो उस कर्ज को उतार रही है और इतना बड़ा पुण्‍य का कार्य हमारे मुख्‍यमंत्री जी ही कर सकते हैं और हमारे राहुल जी पूरे देश के किसानों की चिन्‍ता करते हैं, आने वाले दिनों में भी उनको इसी तरह का आशीर्वाद पूरे देश में मिलने वाला है. (मेजों की थपथपाहट)

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, हम लोग कहते थे कि किसान इतनी तकलीफ में हैं और आत्‍महत्‍याएं कर रहे हैं तो उनकी जो-जो समस्‍याएं हैं, उनको दूर किया जा सकता है ? तो इन्‍हीं के मंत्री जवाब देते थे कि किसान अपने कर्मों के कारण मर रहे हैं. यह बकायदा समाचार-पत्रों में छपता था, इनका जवाब यह भी आया था कि इनके कर्मों के साथ भूत-प्रेतों की वजह से भी इनकी मौतें हो रही हैं. इतना शर्मनाक जवाब आता था और उसके बावजूद भी हम लोग इनकी बातें सुनते थे. आज हमारी सरकार है और ऐसे जवाबों की वजह से ही हमारी सरकार बनी है. जनता ने यह सब जाना है. निश्चित ही आने वाले दिनों में हमारी सरकार किसानों के प्रति बहुत ज्‍यादा गंभीर है और माननीय मुख्‍यमंत्री जी विशेष तौर से कर्ज माफी के बाद यदि कोई बड़ी बात आयेगी किसानों को सिंचाई के साधन उपलब्‍ध कराना है, इसके प्रति भी मुख्‍यमंत्री जी बहुत गंभीर है और आने वाले दिनों में बहुत सिंचाई के साधन उपलब्‍ध कराने वाले हैं.      

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, एक जो कमी मुझे महसूस हो रही है वह मैं आपको बताना चाह रही हॅूं. वचन पत्र में भी संकल्‍प के रूप में हमने इसको शामिल किया हुआ है वह यह है कि नुकसानी के दिनों में जब भी ओला, पाला या सूखा पड़े उसका जब सर्वे हो, वह उसकी खेत इकाई मानी जाये क्‍योंकि हल्‍का इकाई में सारे किसानों को इसका फायदा नहीं मिलता है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, साथ ही आपदा का कोष जो जिला स्‍तरीय होना चाहिये और बहुत ज्‍यादा प्रक्रियाओं को न अपनाते हुये उसमें इतनी राशि हो कि   सीधे जिले में ही जितना जल्‍दी हो सके इन सारे नुकसान का वहीं का वहीं उसका उनको फायदा दिया जा सके और सबको उसका लाभ मिले.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय,  इसके साथ ही किसानों के बच्‍चों को छात्रवृत्ति दिया जाना. अभी तक इसमें सभी वर्गो को लिया जा रहा है और कहीं न कहीं उनको फायदा दे रहे हैं पर किसान ऐसा शब्‍द है कि उनके बच्‍चों को स्‍कूल शिक्षा, उच्‍च शिक्षा हर क्षेत्र में उनको फायदा देने की एक व्‍यवस्‍था होनी चाहिये.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, साथ ही आखिरी बात मैं अपनी कह रही हूं वह यह है कि किसानों को उचित दाम मिले, दाम के साथ-साथ में उनका नकदी भुगतान हो. नकदी भुगतान के लिये हम लोग बार बार अपनी बात यहां रखते थे अब समय आ गया है कि हमारी सरकार इस बात को बहुत ज्‍यादा प्राथमिकता के साथ करे. माननीय मुख्‍यमंत्री जी सदन में नहीं है लेकिन मैं आपके माध्‍यम से उनको बताना चाह रही हूं कि उनको नकदी भुगतान की व्‍यवस्‍था जल्‍दी से जल्‍दी हो. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिये बहुत- बहुत धन्‍यवाद.

          श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, अविलम्‍बनीय लोक महत्‍व के विषय पर किसानों की फसलों को लेकर पक्ष विपक्ष में चर्चा चल रही है. 15 दिसंबर, 2018 से 15 जनवरी, 2019 के बीच में लगभग एक माह पूरे प्रदेश में अलग अलग स्‍थानों पर कहीं शीत लहर का प्रकोप हुआ है, कहीं पर ओलावृष्टि का प्रकोप हुआ है, यानि कुल मिलाकर पूरे प्रदेश में शीतलहर से और ओलावृष्टि से किसानों की फसलों का बड़ा नुकसान हुआ है.

           माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, शीत लहर हो, पाला हो, ओलावृष्टि हो, कीट से नुकसान हो, टिंडी से नुकसान हो, इल्लियों से नुकसान हो, आग लगने से नुकसान हो, भूकंप आने से नुकसान हो, अतिवृष्टि से अल्‍पवर्षा से किसी भी कारण यदि फसल में नुकसानी होती है तो उसके लिये राजस्‍व विभाग के द्वारा राजस्‍व पुस्‍तक परिपत्र की धारा 6 (4) को बनाया गया है, उसके तहत इस विभाग को कार्यवाही करना चाहिये. मेरा अपना यह मानना है मैं स्‍वयं कृषक हूं और मैं राजस्‍व मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूं कि प्रदेश में किसान फसल दो तरह की बोता है. एक खरीफ की फसल बोता है जो वर्षा पर आधारित होती है, एक रबी की फसल बोता है जो सिंचाई पर आधारित होती है. अब भू-राजस्‍व परिपत्र की धारा 6(4) में स्‍पष्‍ट प्रावधान  है और इसमें तीन प्रकार के क्‍लॉज इसमें किये गये हैं. इसमें तीन प्रकार के कृषकों के लिये प्रावधान बनाया गया है, ऐसे कृषक जिनके पास एक हेक्‍टेयर और दो हेक्‍टेयर भूमि है, उनको सीमांत और लघु किसान कहा गया है. अब उसमें नुकसानी के भी तीन क्‍लॉज दिये गये हैं, 25 से 33 प्रतिशत नुकसान होगा. लघु और सीमांत किसान के लिये यदि खरीफ की फसल है तो उसको 5,000 रूपये प्रति हेक्टेयर देंगे यदि रवि फसल है तो उसको 9,000 रूपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देंगे. अब यह नुकसानी 25 प्रतिशत से 33 प्रतिशत तक हो गई. इसके बाद यदि 33 प्रतिशत से 50 प्रतिशत का नुकसान होता है तो उसी सीमांत और लघु कृषक को उठाकर के हम 9,000 रूपये खरीफ फसल में देंगे और रवि में 15,000 देंगे और यही नुकसानी यदि 50 प्रतिशत से अधिक की हो जाती है तो उस किसान को खरीफ के लिये हम 15,000 रूपये देंगे और रवि के लिये 30,000 रूपये देंगे.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय मंत्री जी से मैं राजस्व पुस्तक की धारा 6(4) का उल्लेख करना चाहता हूं और कहना चाहता हूं कि आपके राजस्व विभाग , कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों का एक संयुक्त दल बनाकर के सर्वे करेगा. लेकिन यह सर्वे हुआ नहीं है.आदेश जिला कलेक्टर के माध्यम से तहसील स्तर पर चले गये हैं लेकिन देखने में आया है कि कहते हैं  अधिकारीगण कहते फिरते है कि प्रधान मंत्री ग्रामीण फसल बीमा योजना से लाभ मिलेगा तो यह अलग विषय है. राजस्व परिपत्र के हिसाब से किसानों को राहत राशि और मुआवजा राशि लेना किसानों का हक है, अधिकार है. लेकिन इन नियमों का जमीनी स्तर पर पालन नहीं हो रहा है. पटवारी को जो सर्वे करना चाहिये, नायब तहसीलदार, तहसीलदार और एसडीएम को जो सर्वे करना चाहिये वह नहीं हो रहा है. एक कमरे में बैठकर के सर्वे रिपोर्ट तैयार कर लेते हैं और जो प्रभावशाली लोग हैं उनको 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान लिख दिया ताकि उनको एक हेक्टेयर पर 30 हजार रूपये राशि मिल जाये लेकिन दलित, शोषित पीड़ित किसान जिसका कोई नहीं है उसको 25 से 33 प्रतिशत कर दिया तो उसको 9,000 रूपये ही मुआवजा मिल पायेगा.

          उपाध्यक्ष महोदया, मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि आप युवा है और कृषक भी हैं. आपने तीन तहसीलदारों को निलंबित भी किया है, आप पांच से दस को और निलंबित करिये इनकी हड़ताल से आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है. यह दवाब बनाते है और काम नहीं करते हैं, नामांतरण नहीं करते हैं. इनकी यूनियन है उसके माध्यम से हड़ताल पर बैठ जाते हैं. इस समय हड़ताल पर बैठे हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि पूर्व की सरकार ने एक प्रावधान किया था आरबीसी 6(4) में कि यदि फसल कट गई तो वहां का पंच और गांव के चार प्रतिष्ठित लोग यह पंचनामा बना देते हैं कि हां इसकी इतनी फसल संभावित थी और चस्पा कर दें तो उसको भी राजस्व की धारा 6(4) में मुआवजे का अधिकार है.मेरा आग्रह है कि जमीनी स्तर पर राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा जो कार्यवाही इस संबंध में होना चाहिये वह नहीं हो रही हैं. प्रभावशील लोग इसका फायदा ले लेंगे लेकिन कमजोर किसान इससे वंचित रहेंगे. मैं चाहता हूं कि आपके ऐसे निर्देश जिलों में जायें कि आप रेंडमली संभाग स्तर पर जाकर के चेक कर लेंगे तो आपको हकीकत पता चल जायेगी. इस माध्यम से आप गरीब के आंसू पोंछ सकेंगे. पाला गिरने से ओलावृष्टि से किसानों का जो नुकसान हुआ है उनको उसका उचित मुआवजा मिलना चाहिये.

          उपाध्यक्ष महोदय, अंत में कहना चाहता हूं कि एक हेक्टेयर का व्यक्ति जिसकी पूरी फसल नष्ट हो गई है. उसको कर्जा मिलने वाला नहीं है इसीलिये राजस्व की धारा 6(4) बनाई गई है कि यदि किसी किसान की फसल खराब हो जाये तो उसको तत्काल मुआवजा राशि , राहत राशि दी जाये. फसल बीमा के बारे में कहना चाहता हूं कि आपके जिला कलेक्टर और एसडीएम इस बात को कहते हैं कि बीमा दिलवा रहे हैं, प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना अलग है वह तो किसान का हक है क्योंकि वह बीमे की किश्त भरता है लेकिन राजस्व की धारा 6(4) के आधार पर उसको जो मुआवजा राशि, राहत राशि मिलना चाहिये यह नहीं दी जा रही है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अंत में मैं कहना चाहता हूं कि वर्ष 2017-18 का रिकार्ड उठाकर के आप देख लें 416 करोड़ की राहत राशि 5 हजार करोड़ रूपये इस प्रकार 9,000 करोड़ रूपये से अधिक इस प्रदेश में किसानों को बांटा गया था लेकिन आज तक इस सरकार ने एक भी पैसा नहीं बांटा है.जय किसान ऋण माफी योजना में आप ऋण माफ करें.लेकिन ऋण के पहले उस किसान का अधिकार है कि सबसे पहले आप जाकर उसको राहत राशि और मुआवजा राशि दें ताकि वह अपना जीवन यापन कर सके. बहुत-बहुत धन्यवाद.

          श्री बैजनाथ कुशवाह(सबलगढ़) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया,ओला,पाला के विषय पर यहां चर्चा हो रही है. गंभीर विषय है. कांग्रेस ने एक नारा लगाया था जय जवान जय किसान. निश्चित तौर पर इस देश में अगर किसान और जवान खुशहाल रहेगा तो पूरा देश खुशहाल रहेगा क्योंकि यह देश किसान और जवान के ऊपर निर्भर है. किसान की मेहनत से ही यह  देश खुशहाल है. जिस दिन किसान कमजोर होगा निश्चित ही यह देश कमजोर होगा. किसान तभी समृद्धशाली बन सकता है जब किसान कर्जदार नहीं होगा. अगर किसान कर्जदार होगा तो मैं कह सकता हूं कि कर्ज से बुरी नरक की जिंदगी कोई दूसरी जिंदगी नहीं होती है. जो कर्जदार होता है उसका न दिमाग काम करता है, न हाथ काम करते हैं, न पांव काम करते हैं न शरीर काम करता है. कांग्रेस ने जो किसानों को राहत राशि देने की बात कही है. जो कर्ज माफी की बात कही है. इससे पहले भी कांग्रेस ने 72 हजार किसानों का कर्जा माफ किया था. किसान आज अगर खुश है तो देश खुश है. बहुत सारी बातें हमारे तमाम सदस्यगणों ने कहीं हैं लेकिन विपक्ष की तरफ से बहुत सारी रुकावट डालने की कोशिश की. आज किसान के कर्ज माफी की बात आई तो उनको बड़ा बुरा लग रहा है. यह बात बुरी नहीं लगनी चाहिये क्यों कि किसान फ सल पैदा नहीं करेगा तो देश के खजाने खाली बने रहेंगे. कल कारखाने सारे बंद हो जाएंगे. इस मौके पर मैं कहना चाहूंगा कि कल शोर शराबा सुना था कि भोपाल में ट्रांसफरों में भीड़ लग रही है. एक ट्रांसफर उद्योग चल रहा है. पहले सत्ता का विकेन्द्रीकरण था. सारे अधिकार जिला सरकारों को दे रखे थे. जनपदों को दे रखे थे. ग्राम पंचायतों को दे रखे थे लेकिन आज पिछली सरकार ने सत्ता के विकेन्द्रीकरण का केन्द्रीकरण कर लिया. आज पंचायत के सचिवों के ट्रांसफर यहीं  से हो रहे हैं. मास्टरों के ट्रांसफर भी यहीं  से हो रहे हैं, तो यहां भीड़ तो होगी ही लेकिन जो 10 साल पहले सरकार थी उस समय भोपाल का मंत्रालय खाली पड़ा रहता था. यह ट्रांसफर उद्योग की बात गलत कही जा रही है. यहां ओला,पाला की जो  बात कमलनाथ जी ने कही है तो किसानों को ओला,पाला का पैसा मिलना चाहिये. इससे पहले हमारे यहां भी ओले पड़े थे. यह कहते हैं कि प्रदेश की जनता को भरोसा नहीं है कि यह कर्ज माफ करेंगे कि नहीं क्योंकि इन्होंने पूरे प्रदेश की जनता का विश्वास खो दिया है. इन पर  पूरे प्रदेश की जनता को भरोसा नहीं रहा तो यह सोचते हैं कि कांग्रेस पर भी इनका भरोसा नहीं रहेगा. निश्चित तौर पर मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस जो कहती है,करती है. हमारे मुख्यमंत्री जी जो कहते हैं वह करेंगे. हमारे यहां पिछले चार साल से लगातार ओला पड़ रहा था. हमारे क्षेत्र में गांव सूरजपुरा,चेतपुरा,हलालपुरा,इटौरा,शहदपुर,चौकी,पालीखेड़ी,बघौरा,सौमई,राघौगढ़,

आसनपुर,बृजगढ़ी,खेरला,वेधपुरा,रजपुरा,नरैना,किशनगढ़,हरीपुरा,किरावनी में पिछले तीन सालों में ओले पड़े हैं लेकिन पैसा नहीं मिला है. आज हमें भरोसा है कि इनको पैसा मिलेगा. धन्यवाद.

श्री जालम सिंह पटेल (मुन्ना भैया) (नरसिंहपुर) - उपाध्यक्ष महोदया, प्रदेश में फसलों को पाले से हुए नुकसान के बावजूद राज्य सरकार द्वारा कृषकों को सर्वेवार मुआवजा तथा फसलों का उचित मूल्य व भावांतर भुगतान न किये जाने के संबंध में नियम 139 के अंतर्गत अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा के लिए मैं खड़ा हुआ हूं. जैसा कि हम सभी जानते हैं जो कृषि है, जो किसान है वह गांव में रहता है. हमारे पूर्वज और पुरखे बिना किसी सुविधा के गांवों में बसे, किसी नदी के किनारे, जंगल के किनारे बसे और उन्होंने इस पृथ्वी पर रहने वाले जितने जीव-जंतु मानव हैं, उनको जिंदा रखने के लिए अपने हिकमत से बैल के माध्यम से, लकड़ी के औजार बनाकर, जमीन को समतल करके खेती की होगी. आज की अगर हम बात करें तो मशीनरी का युग है. आज गांव-गांव सड़क भी है, सिंचाई के साधन भी हैं और लगातार उस पर चर्चा भी हो रही है.

सम्माननीय उपाध्यक्ष महोदया, अभी जो वर्तमान सरकार बनी है. छिंदवाड़ा के मॉडल पर बनी है. एक कार्यक्रम में मैं था तो एक माननीय मंत्री जी कह रहे थे कि यह छिंदवाड़ा का मॉडल है. सही बात है सरकार बनी भी है. एक नारा दिया कि बटन दबाओ, दो लाख रुपए माफ हो जाएंगे, उसके कारण सरकार भी बनी. मैं ऐसा मानता हूं. किसान परेशान है, फिर किसान की कई समस्याएं हैं. किसान की कभी पूर्ति नहीं हो सकती है, मैं ऐसा मानता हूं. मैं मूलतः किसान हूं. किसान जो पैदा करता है 70 परसेंट की उसमें लागत आती है. एक लाख रुपए का पैदा करेगा तो 70 हजार रुपए की उसमें लागत आएगी. जब आपदा आती है तो गांठ का भी चला जाता है. दूसरा अगर कोई है, गाय है, जानवर है, वही स्थिति उसकी भी है. लगभग 70 परसेंट लागत होती है, कई बार जानवर बैठता है तो उसकी लागत चली जाती है.

उपाध्यक्ष महोदया, जहां तक छिंदवाड़ा मॉडल की बात कर रहा हूं. मंत्री जी ने मुझे याद दिलाया. आपको भी जानकारी होगी. छिंदवाड़ा का 50 परसेंट आदिवासी भाई पूरे देश में काम करने जाता है. नरसिंहपुर तो आता ही है. हमसे लगा हुआ जिला है. अगर यह मॉडल बनाना चाहते हैं तो बात अलग है. मैं अपनी बात कहना चाहता हूं नरसिंहपुर जिला, एशिया की सबसे उपजाऊ भूमि में रहने वाला जिला है, यहां गन्ना पैदा होता है. मध्यप्रदेश का लगभग 50 परसेंट, 70 हजार हेक्टेयर में गन्ना होता है. हमारे यहां अरहर होती है, चना होता है और 12 महीने फसल होती है. अंतर्वर्षीय फसलों की अगर बात करें तो 12 महीने फसलें होती हैं, नुकसान भी बारह महीने होते हैं.

            उपाध्यक्ष महोदया, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि जिस प्रकार से अभी ओला और पाला पड़ा है. दिनांक 31.12.18 को भी मैंने कलेक्टर को एक पत्र लिखा था. इसमें अरहर, चना, मसूर, मटर, हमारे यहां मटर भी बोया जाता है जो टूटता है. मौसमी सब्जी में भंयकर नुकसान हुआ था. नर्मदा जी के दोनों तरफ दोनों क्षेत्रों में बहुत अरहर होती है और अभी तक जो सर्वे हुआ, मगर मुआवजे की राशि अभी तक प्राप्त नहीं हुई है. एक और मैं निवेदन करना चाहता हूं कि गन्ने की अगर हम बात करें तो गन्ने में बहुत भंयकर विसंगतियां हमारे जिले में चल रही हैं. पिछले वर्ष जो गन्ने का रेट था, 300 रुपए क्विंटल मिला था. अगर हम वर्तमान की बात करें तो वर्तमान में 275 रूपये क्विंटल गन्ना के रेट हैं. अभी हम सब लोगों ने कलेक्टर से  बुरहानपुर की नवल शुगर मिल की चर्चा करवाई थी. उसमें 11 प्रतिशत के आस पास रिकवरी आयी है, उस हिसाब से 294 रूपये प्रति क्विंटल के रेट मिलना चाहिए, लेकिन अगर हम शुगर मिल की बात करें. सभी शुगर मिल हमारे कांग्रेस के भाईयों की है. माननीय संजय शर्मा जी नहीं है पिछली बार वह हमारे साथ में थे. उन्होंने सबसे पहले 300 रूपये प्रति क्विंटल किया था, उसके बाद में सबने वही रेट कर दिया था. इस बार रेट नहीं बढ़ाये गये हैं लगातार किसान के आंदोलन हो रहे हैं. शुगर मिल वाले हाई कोर्ट चले गये हैं. कलेक्टर की  भी रिपोर्ट को वह लोग मानने को तैयार नहीं है. मैं यहां पर यह बात इसलिए कह रहा हूं कि मैंने एक विधान सभा प्रश्न लगाया था तो उसके माध्यम से बहुत सारी जानकारी मेरे पास है. अगर बिजली की बात करें तो गन्ने के लिए 24 घंटे पानी की आवश्यकता होती है. गन्ने की फसल के लिए केवल 7 से 8 घंटे बिजली मिल रही है. शुगर मिल वाले इस बार जिस तरह से व्यवहार कर रहे हैं. उनका कहना है कि गन्ना बेचना है तो बेचिये, पहले साल का गन्ना पहले ले रहे हैं, पहले कलेण्डर सिस्टम लागू था लेकिन वह अब लगभग समाप्त हो चुका है जिससे किसान परेशान है. 24 - 24 घंटे किसान वहां पर पड़ा रहता है तीन चार दिन में उसका नम्बर आता है. उनके रूकने के लिए वर्तमान में अभी कोई सुविधा नहीं है.

          उपाध्यक्ष महोदया वहां पर स्थानीय प्रशासन को समस्या बताते हैं तो उनका कहना होता है कि वह नहीं मान रहे हैं तो हम क्या करें. कलेक्टर ने भी जवाब दिया है और कई प्रकार के वहां पर प्रदर्शन हो रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदया भावांतर की यहां पर बात हो रही थी 32700 करोड़ की राशि एक वर्ष में हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने  दी हैं. अगर हम चना, मसूर और गेहूं की बात करें तो उसमें बहुत राशि पिछली सरकार के द्वारा दी गई है. अभी हमारे एक सम्माननीय सदस्य बात कर रहे थे तो हमारे यहां पर पटवारी का एक सहपटवारी होता है.

          उपाध्यक्ष महोदया मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि एक टीम बनती है उसमें हमारा एक कृषि मित्र होता है, पता नहीं अब वह उस टीम में है या नहीं, पटवारी और सचिव तथा गांव का कोटवार भी उसमें होता है. चार लोगों की टीम रहती है सर्वे करने के लिए सर्वे के बाद में तहसीलदार और एसडीएम उसमें मुआवजा की राशि तय करते हैं तब मुआवजा मिलता है. उपाध्यक्ष महोदया अभी वर्तमान में खरीफ की फसल की जो खरीदी हुई हैं उसमें भी बहुत सारी विसंगतियां हैं. मैंने अभी शून्यकाल मे बताया था नरसिंहपुर जिले के 2100 केन्द्रों में पंजीयन का काम बंद कर दिया गया है. दमोह जिले में भी पंजीयन के केन्द्र बंद कर दिये गये हैं साथ ही छतरपुर के आज 6 स्थानों के नाम बताये थे और पिछले वर्ष खरीफ की फसल सरकार के बदलते ही धान और उड़द खरीदी का जो काम हुआ था उसमें 50 किलोमीटर दूर जाकर  किसान को अपनी फसल को बेचना पड़ा था. जहां पर मैं रहता हूं उसके आसपास  बेहड़ा गांव है उसका केन्द्र कनकवेल पहुंचा दिया गया, हमारी विधान सभा का एक गांव है उसको भी बदल दिया गया है. मैं यहां पर यह बात इसलिए कह रहा हूं कि अगर आपने पंजीयन नहीं किया, और अगर दूसरी समिति से पंजीयन किया है तो मेपिंग नहीं होगी, मेपिंग नहीं होती है मेपिंग बदलने के लिए पैसे का लेनदेन होता है कि हम आपको इस केन्द्र के पास पहुंचा देंगे. इसके पहले केन्द्र बदलने के लिए गड़बड़ हुई है इस पर मैं आपका ध्यानाकर्षण कराना चाहता हूं.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदया मैं यहां पर किसानों की बात कर रहा हूं मैं राजनीतिक बात नहीं कर रहा हूं जो भी समस्या हैं उनके बारे में ही आपको जानकारी दे रहा हूं. मैं यहां पर एक सोसायटी का भी नाम ले रहा हूं एक श्रीनगर सोसायटी है वह माननीय विधान सभा अध्यक्ष जी के विधान सभा क्षेत्र का है. वहां पर श्रीनगर सोसायटी,उमरिया और सर्रा सोसायटी है आज भी वहां पर धान और उड़द रखा हुआ है. मेरी विधान सभा में भी लगभग 4 - 5 सोसायटियों में भी धान और उड़द रखा हुआ है उसका भुगतान भी नहीं हुआ है और वह उठाया भी नहीं जा रहा है.  यह  समस्या आज वर्तमान में है. अगर धान में पानी पड़ गया है, वह खरीदी नहीं जायेगी.  इस प्रकार  की समस्याएं आज हैं.  सरकार बनी है, अच्छी बात है, सब लोग  उत्साह में हैं,  होना भी चाहिये, मगर वर्तमान में  जो आज  किसान की हालत है,  इस पर जरुर हमको विचार करना चाहिये. मैं सहकारिता मंत्री जी से  एक बात का निवेदन करना चाहता हूं कि  एक नरसिंहपुर मार्केटिंग सोसायटी है. उस मार्केटिंग सोसायटी में  अभी रबी   की फसल में  चना और मसूर की खरीदी हुई थी,  उसके संबंध में मैंने विधान सभा में भी प्रश्न लगाया था,  उसमें जानकारी आई कि  उसके  समिति सेवक और   बाकी लोगों  पर   एफआईआर दर्ज हुई है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि उसमें जो घोटाला हुआ है..

                   श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष जी,  सहकारिता मंत्री जी  सदन में नहीं हैं, तो कोई और  मंत्री  बात सुन ले. ताकि माननीय सदस्य की बात  उन तक पहुंच जाये.

                   उपाध्यक्ष महोदया --  राजस्व  मंत्री जी बात सुन रहे हैं.

                   श्री जालम सिंह पटेल -- उपाध्यक्ष महोदया, 1 करोड़ 87 लाख  34 हजार 475  रुपये की राशि ..

                   चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ. विजयलक्ष्मी  साधौ) --  सारंग जी,  आप भी मंत्री रहे हैं, यह मंत्रिमंडल की  सामूहिक जवाबदारी है.  हम सब लोग सुन रहे हैं.

                   श्री विश्वास सारंग -- मंत्री जी,  माननीय सदस्य की बात किसी ने सुनी नहीं.  मैंने कहा कि वह कोई बात बोल रहे हैं,  पर्टीकुलर उन्होंने  सहकारिता मंत्री जी  के लिये बोला,  इसलिये लिख लें.

                   श्री जालम सिंह पटेल-- उपाध्यक्ष महोदया, 293 किसानों का भुगतान  अभी शेष है  और जो जवाब में आया कि   इसमें बाकी लोगों पर एफआईआर हो चुकी है.  पैसे की उपलब्धता होने के बाद  पैसा दिया जायेगा. मेरा निवेदन है कि  लगभग 8-9  महीने हो गये हैं,  किसान भटक रहे हैं,  सरकार अपने फण्ड से पैसा दे दे.  उनसे जब वसूली  होती रहेगी, होगी.  सारे किसान बहुत परेशान हैं, ऐसा  मैं  मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं.  गन्ने के किसानों की  जरुर  एक विशेष समस्या है,  जो कि  रेट की समस्या है. बुरहानपुर  में  लगभग  मैं ऐसा मानता हूं कि 300 रुपये  क्विंटल शुरु से लेकर  आगे तक दिया जाता है. पिछले  वर्ष  नरसिंहपुर जिले में भी दिया गया था.  मगर इस वर्ष  मेरी समझ से परे है कि सब प्रकार  की चर्चा  होने के बाद, मैंने ध्यान आकर्षण भी लगाया था, ध्यान आकर्षण चर्चा में आया नहीं.  इसके बाद भी यह समस्या जस की तस है और लगातार किसान उसमें  परेशान है.  इसलिये मैं  निवेदन करना चाहता हूं कि  इस पर जरुर विचार करेंगे.  यह किसानों की सरकार है, इसके बाद भी नरसिंहपुर  जिले में ऐसा  मैं मानता हूं कि  किसान  के ट्रेक्टर में अगर गिट्टी,मिट्टी या रेत है, लगभग सैकड़ों  की संख्या में राजसात कर दिये गये हैं.  मैं यह भी  निवेदन  करना चाहता हूं कि  अभी एक आर्डर हुआ है कि रात में  आप चला नहीं सकते, दिन  में चलायेंगे.  मुख्यमंत्री जी नहीं हैं.  कमलेश्वर पटेल जी भी  नहीं हैं. वे कल बात कह रहे थे कि  कोई कांग्रेस का व्यक्ति अवैध उत्खनन   नहीं कर रहा है.  मेरे खिलाफ जो व्यक्ति चुनाव लड़ा था,  उनकी दो  जेसीबी  अभी नर्मदा जी में जप्त हुई है.  चेन वाली मशीन, डम्पर और  बाकी  जो  पानी से निकालने वाली बोट   है, वह राजसात नहीं  हो रही है.  मैं यह  बात इसलिये कह रहा हूं कि  अगर कोई बात हो तो  फिर  आमने सामने होना चाहिये.  मैं सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि प्रदेश में जो  ओला-पाला और भावान्तर की राशि के  भुगतान  में जो परेशानी हुई है,  उसका शीघ्र भुगतान करें,  ऐसा मैं निवेदन करता हूं.  बहुत बहुत धन्यवाद. भारत माता की जय.

                   श्री जजपाल सिंह (जज्जी) {अशोक नगर} --  उपाध्यक्ष महोदया,  आज किसान की  ओलावृष्टि  और अतिवृष्टि से जो दशा हो रही है,  उस पर चर्चा हो रही है,  क्योंकि किसान  का जीवन तो प्रकृति पर ही निर्भर है.  प्रकृति के बाद यदि किसान किसी  की तरफ  उम्मीद की नजरों से देखता है,  तो वह होती है सरकार.  किसान का ईश्वर के बाद  सरकार ही सहारा है,  क्योंकि किसान की फसल   एक बार नष्ट होती है, तो उसकी भरपाई  पूरे जीवन में दोबारा से नहीं होती है.  अन्य व्यापार धंधों  में ऐसा होता है कि एक बार घाटा  लगा, अगली बार उसकी भरपाई आप कर सकते हैं, लेकिन किसान का जो गया, सो गया.  बहुत सारी बातें यहां  हम तो पहली बार आये हैं. निश्चित  रुप से  यहां पर जितने सदस्य बैठे हैं, हमसे विद्वान हैं.  ज्यादा जानकार हैं. मैं देख रहा हूं कि केवल  आरोप,प्रत्यारोप, जो 15 साल से  इस प्रदेश  के और  किसान के भाग्य विधाता थे. 15 साल में वह सुधार नहीं कर पाये.  लेकिन  इस सरकार से  दो महीने में वह सारे सुधारों की अपेक्षा कर रहे हैं. कल हमारे परम सम्मानीय पूर्व मुख्यमंत्री जी  यहां  जानकारी  दे रहे थे कि किन गांवों में ओलावृष्‍टि, अतिवृष्‍टि हुई है. उन्‍होंने कुछ गांव कोट किए थे, उनमें मेरी विधानसभा क्षेत्र के भी उन्‍होंने तीन गांव कोट किए थे सोनेरा, दियाधारी, सिजाओ, लेकिन मैं सदन को बताना चाहता हूँ कि ईश्‍वर की कृपा से मेरी विधान सभा में कोई नुकसान नहीं हुआ. 16 तारीख को उन्‍होंने जो सोनेरा गांव का कोट किया है, तो मैं 16 तारीख को सोनेरा गांव में ही था. इस तरह की वहां कोई बात नहीं हुई है. माननीय नेता जी जो भी जानकारी अपने कार्यकर्ताओं से मंगवाते हों, वे गलत जानकारी दे रहे हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदया, दूसरी बात, मैं सुन रहा था कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी किसी क्षेत्र में नहीं पहुँचे, तो इसमें मैं जानकारी दूँ कि मेरे पास उस समय के अखबारों की कटिंग है कि हमारे अशोकनगर जिले में वर्ष 2014 में 26 फरवरी, 2014 को ओलावृष्‍टि हुई थी और भारी नुकसान हुआ था. 2 मार्च, 2014 को तत्‍कालीन माननीय मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी वहां आए थे, म्‍यापौर, मुंडरा और करैख्‍या, इन 3 गांवों के सेंटर में खेतों में वे पहुँचे थे. जिन खेतों में खुद मुख्‍यमंत्री जी पहुँचे हुए थे, जिस किसान के खेत में खड़े थे, जब मुआवजे की सूची आई तो उस किसान का उस सूची में नाम नहीं था. वहां पर विपक्षी पार्टी में हम थे, हमने ज्ञापन दिया, किसान संघ द्वारा आंदोलन हुए, तब जाकर 6 महीने बाद उस किसान का नाम जुड़ पाया. मेरा कहने का आशय यह है कि यह अच्‍छी बात है कि जनप्रतिनिधि हम जाएं, सरकार जाए किसानों के बीच, हमदर्दी होना चाहिए, लेकिन केवल दिखावे के लिए नहीं. उसका परिणाम भी होना चाहिए कि आप जा रहे हैं तो शासकीय अमला जो भी कार्यवाही करे, किसानों को तत्‍काल उपलब्‍ध होना चाहिए. मैं बता रहा हूँ कि 2 मार्च, 2014 को मुख्‍यमंत्री जी जिन गांवों में पहुँचे थे, उसके बाद 23 दिसंबर, 2014 की नई दुनिया की खबर है. इसमें यह छपा है कि अशोकनगर जिले में ओलावृष्‍टि होने की वजह से जो मुआवजा मिलना था, उसके लिए किसान दर-दर भटक रहे हैं. उन ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 500 किसान आज कलेक्‍ट्रेट में आए और ज्ञापन दिया कि उन्‍हें आज तक मुआवजे की राशि नहीं मिली है. ये हालत पिछली सरकार के समय रही है कि मार्च में जिन गांवों में तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी जाते हैं, उन गांवों के किसान 8 महीने बाद दिसंबर में दर-दर की ठोकरें खाते फिर रहे हैं, उनको मुआवजा नहीं मिल रहा. यह स्‍थिति थी तत्‍कालीन समय में और वर्तमान की मैं बात करूं तो मैं हमारे मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूँ कि जिस दिन नुकसान हुआ, अगले दिन सुबह ही कलेक्‍टर ने मुझे बताया कि रात में ही निर्देश आ गए हैं, हमारे यहां ईश्‍वर की कृपा है, लेकिन उसके बावजूद सारे पटवारियों को मैंने हलकों में भेजा है और शाम तक हम हर गांव की रिपोर्ट मंगवा रहे हैं. यह फर्क है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि सरकार कोई भी हो, पूरे देश की अर्थव्‍यवस्‍था किसानों पर निर्भर है, लेकिन सबसे ज्‍यादा दयनीय स्‍थिति में किसान हैं. पिछली बार जो हुआ, माननीय मुख्‍यमंत्री जी सिहोर में गए, यह वहां की मैं खबर पढ़कर बता रहा हूँ, गलत नहीं बता रहा हूँ. किसान का नाम भी है. बीमे की बात मैं कर रहा हूँ. तत्‍कालीन सरकार 15 साल में यह निर्णय नहीं कर पाई कि हलका या तहसील को यदि हम इकाई रखेंगे तो किसानों की क्‍या हालत होने वाली है. यह न्‍यूज 18 इंडिया की खबर है सिहोर जिले में 4 बीघा जमीन वाले किसान, जिसका नाम कल्‍याण सिंह है, इन्‍होंने 710 रुपये बीमा प्रीमियम की राशि जमा की थी, 4 बीघे में पूरी फसल नष्‍ट हो गई थी, उसको क्‍लैम में 18.99 रुपये का चेक दिया गया था. हम लोगों को इस पर विचार करना है. इसमें राजगढ़, सिहोर, रायसेन, हरदा, अशोकनगर, गुना में भी इसी तरह हो रहा है. साकलखेंड़ा के किसान बिहारी कुशवाहा को 8 बीघा में पूरी फसल नष्‍ट होने पर बीमा भुगतान के रूप में 266 रुपये का चेक मिला. इन सब पर हमें विचार करने की जरूरत है और हमें विश्‍वास है कि पिछली सरकार ने पिछले 15 सालों में किसानों की तरफ ध्‍यान नहीं दिया, और किसानों को इस हालत में छोड़ा है, परंतु हमें विश्‍वास है कि हमारे सम्‍माननीय मुख्‍यमंत्री श्री कमलनाथ जी और हमारी सरकार किसानों को निश्‍चित रूप से, जो पिछली सरकार सुधार नहीं कर पाई, व्‍यवस्‍थाओं में सुधार करेगी और किसानों के अच्‍छे दिन आएंगे. धन्‍यवाद, जय हिंद.

          इंजीनियर प्रदीप लारिया (नरयावली) -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, 139 लोक महत्‍व के विषय पाले से फसलों को नुकसान और भावांतर भुगतान विषय पर बोलने के लिए मैं खड़ा हुआ हॅूं. आपने उस पर बोलने के लिए अवसर दिया, उसके लिए धन्‍यवाद ज्ञापित करता हॅूं. बहुत देर से चर्चा चल रही है. हम सब जानते हैं कि किसान हमारा अन्‍नदाता है और किसानों के संबंध में पहले भी बातचीत होती रही है. अभी सत्‍ता पक्ष के कई विधायक बोल रहे थे कि पूर्ववर्ती सरकारों ने किसानों के हित में कोई काम नहीं किया है. शायद जानकारी का अभाव है. पूरा सदन इस बात को जानता है. पिछले 15 वर्षों में कृषि के क्षेत्र में बहुत उल्‍लेखनीय काम हुए हैं. किसानों के लिए दो चीजों की अति आवश्‍यकता होती है. एक तो बिजली और दूसरा खेतों के लिए पानी की आवश्‍यकता होती है. हम सब जानते हैं कि वर्ष 2003 में बिजली की क्‍या स्थिति थी. दो घंटे, तीन घंटे, चार घंटे बिजली मिला करती थी. किसान बिजली के लिए परेशान होता था. हमारे पूर्व ऊर्जा मंत्री श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल जी भी बैठे हैं. मध्‍यप्रदेश की बिजली की स्थिति वर्ष 2003 में केवल 3 हजार मेगावाट थी और पिछले 15 वर्षों में इसको बढ़ाने का काम 18 हजार मेगावाट करने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. 10 से 12 घंटे किसानों के लिए बिजली मिलती थी. यह देने का काम भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. किसानों को दूसरी आवश्‍यकता सिंचाई की होती है. मध्‍यप्रदेश में कुल साढे़ सात लाख हेक्‍टेयर जमीन सिंचित होती थी. पिछले 15 वर्षों में इसको 5 गुना बढ़ाने का काम किया गया. 40 लाख हेक्‍टेयर आज सिंचाई मध्‍यप्रदेश की धरती पर हो रही है. कृषि के क्षेत्र में अनेक काम हुए. पूरा मध्‍यप्रदेश और मध्‍यप्रदेश के किसान इस बात को जानते हैं. लेकिन अभी आपको भी मालूम है और सबको मालूम है. 15 दिसम्‍बर से लेकर फरवरी तक कड़ाके की ठंड पड़ी. शीतलहर चली, उसके कारण पाला पड़ा, तुषार लगा. सागर जिले में भी अनेक गांवों में पाला और तुषार लगा. मेरे विधानसभा क्षेत्र की यदि बात करें तो सागर विकासखण्‍ड के लगभग 30 गांवों में, राहतगढ़ विकासखण्‍ड के भी 30 गांवों में पाला और तुषार पड़ा. उसके कारण किसान बहुत निराश हुआ. हम लोगों ने कलेक्‍टर को ज्ञापन दिया. किसानों ने कमिश्‍नर को ज्ञापन दिया. 12 तारीख को प्रभारी मंत्री आए उनको ज्ञापन दिया. लेकिन आज तक किसी भी किसान के सर्वे का काम न तो कलेक्‍टर के कहने से, न तो कमिश्‍नर के कहने से और न ही प्रभारी मंत्री के कहने से हुआ है. माननीय राजस्‍व मंत्री जी हमारे जिले के हैं. उनके पड़ोस के ग्राम नगना में जैसे ही तुषार पड़ा किसान ने दो दिन बाद देखा, दो एकड़ उसकी जमीन है, नंदकिशोर अहिरवार, उम्र 45 वर्ष, जैसे ही वह खेत पर जाता है तो फसल देखकर, क्‍योंकि उसकी आजीविका का साधन वही दो एकड़ कृषि भूमि है, उसे हार्ट अटैक आ जाता है. परंतु एक भी अधिकारी उस किसान की मृत्‍यु में नहीं पहुंचता है. न उसको मुआवजा दिया जाता है. इसलिए मैं सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि जल्‍द से जल्‍द वहां पर तुषार, पाले का सर्वे करा दें और कल 20 तारीख को लगभग पूरे सागर जिले में खासतौर पर सागर जिले की मेरे नरयावली विधान सभा क्षेत्र के सागर एवं राहतगढ़ विकासखण्‍ड के 40-50 गांवों में सौ-सौ, डेढ़-डेढ़ सौ ग्राम के ओले पड़े. ओले खेतों में बिछ गए, लेकिन कोई भी अधिकारी अभी सर्वे के लिए नहीं पहुंचा. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि यदि हम बात करें, अभी बात आ रही थी कि यह किसानों की सरकार है, किसानों के हित में निर्णय लेने वाली सरकार है.

          उपाध्‍यक्ष महोदया - कृपया जल्‍दी समाप्‍त करें.

          इंजीनियर प्रदीप लारिया - उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं दो मिनट का समय लूंगा. किसानों के हित में इस सरकार ने दो महीने में क्‍या काम किए हैं ? अभी किसान ऋण पर चर्चा हो रही थी. किसानों के पैसे से ही ऋण की भरपाई करने की बात हो रही है. अभी हमारे जालम सिंह जी कह रहे थे कि पूरे प्रदेश में जो खरीदी केन्‍द्र थे, अभी 60 प्रतिशत खरीदी केन्‍द्र बंद कर दिए गए. मेरे विधानसभा क्षेत्र में 16 खरीदी केन्‍द्र थे उसमें से 9 बंद कर दिए गए. खरीदी केन्‍द्रों पर एक-दो-तीन दिन किसानों को अपनी उपज तुलाने हेतु लगता था. माननीय मंत्री जी जब उत्‍तर देंगे तो जरूर इस बात का उल्‍लेख करें कि अब 25 से 30 किलोमीटर तक वह खरीदी केन्‍द्र हो गए और जो खरीदी केन्‍द्र कम हुए हैं उसके कारण 5 दिन, 6 दिन, 7 दिन हमारे किसानों को खरीदी केन्‍द्रों पर खड़ा रहना पड़ेगा.

          उपाध्‍यक्ष महोदया, दूसरा पिछले वर्ष गेहूं इसी मध्‍यप्रदेश की धरती पर दो हजार रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा गया था, केन्‍द्र सरकार ने जो समर्थन मूल्‍य पिछले वर्ष 1735 था उसको 105 रुपये बढ़ाकर 1840 रुपये कर दिया. पिछले वर्ष 1735 केन्‍द्र का समर्थन मूल्‍य था और 265 रुपये राज्‍य सरकार ने बोनस दिया थ. अभी  1840 रुपये केन्‍द्र सरकार ने समर्थन मूल्‍य दिया है, लेकिन इस बार एक भी ढेला राज्‍य सरकार ने बोनस देने की घोषणा नहीं की है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि यदि आप किसान हितैषी और किसानों की सरकार की बात करना चाहते हैं, आप खरीदी केन्‍द्र बंद कर रहे हैं, आप बोनस नहीं दे रहे हैं, आप ऋण चुकाने का काम किसानों की अंश पूंजी से कर रहे हैं यह कैसी किसान हितैषी सरकार हो सकती है ? मैं आपके माध्‍यम से मंत्री से यह निवेदन करना चाहता हूं कि जो खरीदी केन्‍द्र बंद हो गए हैं वह पुन: उनको खोलने का आदेश करें कि उन्‍हीं खरीदी केन्‍द्रों पर तुलाई होगी और दूसरा बोनस की राशि का उल्‍लेख भी सरकार को करना चाहिए और जो ओला, तुषार, पाला से नुकसानी हुई है, उस नुकसानी का सर्वे कराकर मुआवजा देने का उल्‍लेख आज माननीय मंत्री जी अपनी बात में निश्चित तौर पर करेंगे. आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्‍यवाद.

          श्री प्रवीण पाठक (ग्‍वालियर दक्षिण) -  उपाध्‍यक्ष महोदया, सदन के सम्‍मानित सदस्‍य प्रदीप लारिया जी की किसानों के प्रति चिंता को देखकर इसके पूर्व सम्‍मानित सदस्‍य जालम सिंह पटेल जी की किसानों के प्रति चिंता को देखकर और जो अवैध उत्‍खनन चल रहा है उन पर मशीनों की चिंता देखकर मुझे एक कवि की दो लाइनें याद आ गईं और मैं आपकी अनुमति से सदन के सामने वह दो लाइनें पढ़ना चाहता हूँ

कि वक्त के साथ हालात बदल जाते हैं, पल भर में ही ये दिल के जज्बात बदल जाते हैं और हम पर बेवफाई का इल्जाम मत लगाओ, आप खुद ही मौसम की तरह बदल जाते हों. (मेजों की थपथपाहट)

उपाध्यक्ष महोदया, आज जो भी परेशानी मध्यप्रदेश में अन्नदाता भोग रहा है. वह पिछले 15 साल की सरकार के पुण्य कर्म हैं. पुण्य इसलिए बोल रहा हूँ क्योंकि संसदीय प्रक्रिया में (XXX) शब्द को आपने विलोपित कर दिया है.

          उपाध्यक्ष महोदया--  इसको भी विलोपित कर दिया जाए.

          श्री प्रवीण पाठक--  मध्यप्रदेश में जो भी अन्नदाता भुगत रहा है. यह सब पिछले 15 साल के सरकार के पुण्य कर्मों का प्रताप है. 15 साल कम नहीं होते हैं. मध्यप्रदेश में क्या पूरे देश में किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए. 15 साल कम नहीं होते हैं किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए, जिनके राज्य में बीस हजार से अधिक किसानों ने आत्महत्या की हो वे लोग आज किसानों के हित की बात करते हैं तो दुःख होता है, हास्यास्पद लगता है और आपकी अनुमति हो तो फिर दो लाइनें अर्ज करना चाहता हूँ-- 

          उपाध्यक्ष महोदया--  दो लाइन बोलकर आप अपनी बात समाप्त कर सकते हैं.

          श्री प्रवीण पाठक--  नहीं, समाप्त नहीं करूँगा, उपाध्यक्ष महोदया, आप सबका संरक्षण बहुत आवश्यक है. यह बताना चाहता हूँ कि ये लोग यहाँ से वहाँ कैसे बैठे.

          किसानों की आँख का एक आँसू भी हुकूमत के लिए खतरा होता है और गुजरा साल         सब ने देखा है कि उनकी आँख में समन्दर होना. (मेजों की थपथपाहट)

          हमको याद है मन्दसौर भी, उपाध्यक्ष महोदया, अभी पूर्व मुख्यमंत्री जी यहाँ पर नहीं हैं कल बड़े बड़े दावे वे कर रहे थे वे बोल रहे थे कि किसानों की हमारी सरकार ने बत्तीस हजार सात सौ एक करोड़ रुपये अलग अलग योजनाओं के तहत दिए. मैं बहुत ही विनम्रता के साथ सदन के सामने इस बात को बोलना चाहता हूँ कि वास्तव में यदि इतना पैसा किसानों के खाते में चला गया होता तो आज विपक्ष को किसानों के प्रति चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं पड़ती अध्यक्ष महोदय.

          उपाध्यक्ष महोदया--  उपाध्यक्ष महोदया संबोधित करिए.

          श्री प्रवीण पाठक--  जी माफ कीजिएगा, उपाध्यक्ष महोदया, चूँकि नये हैं तो धीरे धीरे सीखेंगे. आप ही के नेतृत्व में काम किया है यूथ काँग्रेस में. यह पैसा किसकी जेब में गया? यह तब पता लगा जब अभी हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने कर्जा माफी के लिए जो रजिस्ट्रेशन कराए तो उसमें कई सारी जानकारियाँ निकल कर आईं कि जो किसान हैं ही नहीं, जो किसान मर चुके, उनके खातों में पैसा डाला गया और उस पैसे को फिर भारतीय जनता पार्टी के नीचे के कार्यकर्ताओं ने अपने उपयोग में लिया. कई जगह एफआईआर दर्ज हुईं पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. इससे यह पता चलता है कि यह बत्तीस हजार सात सौ एक करोड़ रुपये वास्तव में किनकी जेबों में गए हैं. मैं विपक्ष के सभी सम्मानित सदस्यों को भी यह बताना चाहता हूँ कि वे अब किसान की बिल्कुल चिन्ता न करें. किसान की चिन्ता करने के लिए मध्यप्रदेश में हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की अब सरकार आ गई है. (मेजों की थपथपाहट) जब हम इस सदन में बैठते हैं तो दो शब्द  बहुत सुनते हैं एक तो जब भी माननीय नरोत्तम मिश्रा जी खड़े होते हैं उनको हमेशा लोकतंत्र का संकट गहराया दिखता है. मुझे इस बात की खुशी है कि जब इस सदन का सत्र समाप्त हो जाएगा तो विपक्ष ने इस बात के लिए मुझे प्रेरित किया है कि मैं भी एक बार जाकर अब छिंदवाड़ा को देखकर आऊंगा. जब भी हम सदन में होते हैं तो विपक्ष के द्वारा छिंदवाड़ा मॉडल की बात की जाती है और छिंदवाड़ा के विकास की बात की जाती है. मैं यशस्वी मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ कि उन्होंने एक ऐसा मापदण्ड पूरे मध्य प्रदेश और देश में तय किया है कि जिसका नाम लेने के लिए विपक्ष भी बार-बार मजबूर होता है. (मेजों की थपथपाहट)

          माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह सरकार ढोल-मंजीरों वाली सरकार नहीं है, यह सरकार फोटो खिंचाने वाली सरकार नहीं है. यह सरकार वास्तव में किसान हितैषी सरकार है. किसानों के लिए काम करने वाली सरकार है. पूर्व मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि जब रात में ओले गिरते थे तो मैं आधी रात को उठकर किसान के खेत में चला जाता था. मैं उन्हें सदन की तरफ से हृदय से धन्यवाद देता हूँ, व्यक्तिगत रुप से धन्यवाद देता हूँ. वे रात में किसान के खेत पर चले तो जाते थे परन्तु सुबह करोड़ों रुपए के विज्ञापन अखबारों में होते थे. यदि वह पैसा विज्ञापनों पर खर्च नहीं किया गया होता, वह पैसा वास्तव में अपनी ब्रांडिंग पर खर्च नहीं किया गया होता. वह पैसा वास्तविक तौर पर यदि किसानों को दिया गया होता तो मध्यप्रदेश में किसानों की यह स्थिति नहीं होती.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदया, खाली खजाने के बीच में कमलनाथ जी ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन के साथ प्रदेश के 25 लाख किसानों के कर्ज माफी का जो ऐतिहासिक कदम उठाया है उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं. मुझे मालूम है कि आप फिर से टोकने वाली हैं इसलिए मैं अपनी बात दो लाइनों में कहकर समाप्त करना चाहता हूँ कि--

          तंज करते रहो तुम उम्र भर धुंए की कालिख पर,

        हमारी सरकार तो एक चिराग है,

        जिसकी फितरत है हमेशा रोशनी देना.

          उपाध्यक्ष महोदया, धन्यवाद.

 

          श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- (अनुपस्थित)

 

          श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज)--सम्माननीया उपाध्यक्ष महोदया,

          गगन में गड़गड़ाहटें, धरा पर चक्रवात है,

        सम्हालो मध्यप्रदेश को कांग्रेसियों की घात है.

        उपाध्यक्ष महोदया, आज नियम-139 के अधीन ओला, पाला, तुषार, भावान्तर पर भुगतान नहीं, किसान समस्याओं से पीड़ित है इस विषय पर चर्चा हो रही है. जब तेज शीतलहर चलती है किसान खेत में बैठकर रात भर सोता नहीं है उसे चिन्ता रहती है मेरी यह फसल कैसे बचेगी ?  घन घमन्डन नवगरजत घोरा. जब आसमान में बादल गड़गड़ाते हैं बिजलियां चमकती हैं तो किसान का दिल धड़कता है और वह परमात्मा की ओर देखता है, हे भगवान दया करो मेरे मुँह के निवाले को मत छीनो. लेकिन ओले गिर जाते हैं. वज्र छाती जिस किसान की कही गई है उस पर तुषारापात हो जाता है, वज्रपात हो जाता है. वह आसमान की तरफ बेबस देखता रहता है, प्रतीक्षा करता है. वह भूल जाता है अपने उन सपनों को, बेटी के ब्याह को, सेठ के कर्ज को, सरकार के कर्ज को, पड़ोसी के कर्ज को. वह सोचता है अब मेरा क्या होगा ?  पीड़ित दुखी किसान के लिए जब हमारे माननीय सदस्य, हमारे आदरणीय नेता, सत्तापक्ष से यह आग्रह करते हैं कि आप जाइए और किसानों से मौके पर पहुंचकर मिलें ताकि उन्हें कुछ राहत मिल जाए, उनको ढांढस बंध जाए, तो हमारे सत्तापक्ष के मंत्री मान्‍यवर बीच-बीच में टोककर हमारे वरिष्‍ठ माननीय सदस्‍यों का अपमान करते हैं. (XXX) आज अभी एक सदस्‍य कह रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी की पंद्रह साल की सरकार ने किसानों के लिए लिए कुछ नहीं किया.

          उपाध्‍यक्ष महोदया-- इस शब्‍द को विलोपित कर दिया जाए.

          श्री उमाकांत शर्मा-- मैं कहना चाहता हूं कि वर्ष 2004, 2005 के पहले कांग्रेस की, मध्‍यप्रदेश की किसी भी सरकार ने, किसी भी मुख्‍यमंत्री ने पाला और तुषार का एक भी पैसा राहत का दिया हो तो यहां मुझे चेलेंज कर दें. यह शिवराज सिंह चौहान की सरकार थी, यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी. 50 साल में आप किसानों की पीड़ा को नहीं समझ सके और शिवराज जी ने किसान के बेटे ने किसान की पीड़ा को समझते हुए पाला और तुषार की राहत सबसे पहले, देश के पहले मुख्‍यमंत्री के रूप में वितरित की. उन पर आरोप लगाना, भाजपा की किसान संरक्षक सरकार पर आरोप लगाने की ऐसी निन्‍दा और स्‍तुतियों का मैं विरोध करता हूं. जब शिवराज सिंह चौहान ने विधान सभा के सदस्‍य के रूप में यह निवेदन मुख्‍यमंत्री जी से किया, मंत्री महोदय से किया कि आप किसानों की प्रत्‍यक्ष में जाकर पीड़ा देखिए तो उनका उपहास उडा़या गया हमें फोटो खिंचवाने का शौक नहीं है.   मैं आज माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय से आग्रह करता हूं कि जनसंपर्क विभाग बंद करा दें. न दावोस के फोटो छपें और न किसानों के साथ में फोटो छपें. जो आज मंत्रीगण बनकर बैठे हैं वह शुद्ध गाली बक-बककर, चिल्‍ला-चिल्‍लाकर किसानों को एकत्रित करते थे. अपने नेता को मोटरसाइकल पर बैठाकर ले जाते थे और आज उन्‍हें किसानों के बीच जाने में क्‍यों दर्द हो रहा है. जब आपने कर्ज की माफी की घोषणा की, किसानों के बीच में आंदोलन किया तो किसान बहुत खुश हो गए. उन्‍होंने समझा हमारे साथ अच्‍छा व्‍यवहार होगा लेकिन आज ''दिल के अरमा आंसुओं में बह गए, ''हम वफा होकर के भी तन्‍हा रह गए'' किसानों ने इतनी वफा की कि आपको सरकार में बैठाया और आज आप उनकी मजाक उड़ा रहे हैं, आप उनकी पीड़ा में सहभागी नहीं होना चाहते हैं. अगर आपके मन में आपको किसानों की फोटुओं के साथ इतनी घृणा है तो एक भी मंत्री का फोटो किसी भी कार्यक्रम में, किसी भी अखबार में किसी भी चीज का नहीं छपना चाहिए. माननीय राजस्‍व मंत्री महोदय से आग्रह करना चाहता हूं कि एक पीड़ा से किसान और पीडि़त है. जिसे अभी तक पहचाना नहीं गया. माननीय सदन में बहुत से किसान और कृषक नेता बैठे हैं जहां पाला और तुषार शिवराज जी ने पहली बार स्‍वीकृत किया. प्राकृतिक आपदा मानी. चने के अंदर एक उभरा रोग लगता है और उस उभरा रोग लगने के कारण चने की फसल नष्‍ट हो जाती है, किसान को कुछ नहीं मिलता है इसलिए राजस्‍व मंत्री महोदय उसे भी आप प्राकृतिक आपदा में लेने का कष्‍ट करें. किसानों का सर्वे नहीं हो रहा है. मैंने एस.डी.एम. से आग्रह किया, कलेक्‍टर से आग्रह किया लेकिन 10 प्रतिशत लिखकर किसानों को वंचित किया गया. इसलिए मैं आग्रह करना चाहता हूं कि शीघ्र सर्वे करवाया जाए एवं किसानों को भावांतर की राशि दी जाए और ओला पीडि़तों को शीघ्र राहत राशि दी जाए. सर्वे सही ढंग से विधायकों की उपस्थिति में करवाया जाए. धन्‍यवाद.

(...व्‍यवधान...)

          श्री कुणाल चौधरी-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, जब किसानों की हत्‍या हो रही थी तब ये कहां थे ? आपकी सरकार ने किसानों को गोली मारी थी, जब लोगों को जेल भेजा गया था तब ये कहां थे ?

            श्री सुनील उईके-  (अनुपस्थित).

          श्री संजय यादव-  (अनुपस्थित).

          श्री हरदीपसिंह डंग (सुवासरा)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, नियम 139 के अधीन लोक महत्‍व के इस विषय पर मुझे बोलने का अवसर दिया गया इसके लिए धन्‍यवाद. यह बहुत ही गंभीर विषय है. अभी कुछ दिन पूर्व पूरे क्षेत्र में विशेषकर मंदसौर जिले में और जिले के सुवासरा विधान सभा क्षेत्र में जो ओलावृष्टि हुई है उसमें एक-दूसरे पर हम आरोप लगायें, इनकी बातों का जवाब मैं दूं, मेरी बातों का जवाब वे दें, यह एक अलग बात है, परंतु मैं यहां अपने क्षेत्र की बात करना चाहता हूं. अभी हुई ओलावृष्टि में, मैं सुबह सात बजे उठकर खेतों को देखने गया और वहां जो दृश्‍य मैंने देखा तो वहां चारों ओर बर्फ के डल्‍ले फसलों पर पड़े थे और किसानों की आंखों में आंसू थे. मैंने करीब सुबह 7 बजे से शाम के 8 बजे तक 25 गांवों का दौरा बिना भोजन किए हुए किया. वास्‍तव में मैंने किसानों की पीड़ा देखी. यशपाल जी ने भी कुछ गांवों के नाम यहां लिए है.

            माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं सदन को बताना चाहूंगा कि डाबरी गांव में लक्ष्‍मण सिंह जी के खेत में, मैं गया वहां 75-80 प्रतिशत तक फसल बर्बाद हो चुकी थी. दलखेड़ी, डंडेरा, दलौदा, साताखेड़ी, दलौदा गुड़बेली, रलायता, राजनगर, इशाकपुर और पूरे क्षेत्र में जब मैं घूमा तो मुझे लगा कि वहां इतना नुकसान हुआ है कि उसे हम यहां शब्‍दों में व्‍यक्‍त ही नहीं कर सकते हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-  आप क्षेत्र में 4 दिन तक घूमे हैं मुझे इसकी जानकारी है.

          श्री हरदीपसिंह डंग-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, रही बात सर्वे की तो मैं कमलनाथ जी की सरकार को धन्‍यवाद देना चाहूंगा कि जिन्‍होंने उसी दिन कलेक्‍टर को ट्वीट करके लिखा और कहा कि आप तुरंत खेतों पर जायें. मैं मानता हूं कि मैं तो खेतों में, बाद में सुबह 7 बजे पहुंचा था लेकिन मुझसे पहले जिस दिन शाम को ओलावृष्टि हुई उसी समय वहां पटवारी, तहसीलदार और स्‍वयं कलेक्‍टर गांव में पहुंच चुके थे. मैं कहना चहूंगा कि यदि बिना मांग किए, सर्वे हुआ है, तो पहली बार हुआ है. सर्वे तो ठीक हुआ है लेकिन मेरी व्‍यक्तिगत राय है कि सर्वे में प्रतिशत का खेल खेला जाता है. 33 से 50 प्रतिशत और 50 प्रतिशत के ऊपर को 100 प्रतिशत माना जाता है. अब जो आंकड़े आने वाले है यदि उनमें कहीं गलती हो तो मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि पक्ष-विपक्ष चलता रहेगा, आरोप-प्रत्‍यारोप लगते रहेंगे यदि कोई गड़बड़ी करके प्रतिशत कम लिखता है, तो मैं मानता हूं कि उसकी तुरंत जांच की जाए क्‍योंकि मैंने अपनी आंखों से देखा है कि वहां 100 प्रतिशत अफीम एवं रायडा नष्‍ट हो चुकी है. गेहूं, चना, धनिया, प्‍याज, लहसुन की फसलें बर्बाद हो चुकी है. वहां हालत यह है कि एक वाल्‍मीकि समाज का व्‍यक्ति जो साफ-सफाई करके अपना पेट भरता है, वह रो रहा था कि मुझे कल सुबह ये लोग कैसे रोटी देंगे क्‍योंकि पूरा अनाज बर्बाद हो चुका है. यह बहुत गंभीर विषय है. इसमें मंत्री जी पूरा ध्‍यान दें.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं पुन: निवेदन करूंगा कि जो सर्वे रिपोर्ट आये और उसमें जो भी गड़बड़ी हो तो उसे ध्‍यान में रखें और मेरी एक और मांग है कि जिन किसानों की 100 प्रतिशत फसलें बर्बाद हुई हैं उन्‍हें राशन उपलब्‍ध करवाया जाए. इसके साथ ही उनके आने वाले बिजली बिलों में भी कमी की जाए और उनके पशुओं के लिए भी चारे की व्‍यवस्‍था कहीं न कहीं से होगी तो उनको बहुत बड़ी मदद मिलेगी. यशपाल जी ने जब मेरा नाम लेकर बोला था कि अफीम की खेती, मैं मानता हूं कि अफीम की खेती में यहां कोई पर केन्‍द्र और राज्‍य सरकार की लड़ाई नहीं है. हमारे यहां मंदसौर जिले की अफीम की खेती पूरे भारत और पूरे विश्‍व में फैमस है. वहां पर अफीम की पूरी 100 प्रतिशत खेती बर्बाद हुई है. मेरा आपसे निवेदन है यहां सदन से एक प्रस्‍ताव पास करके केन्‍द्र सरकार को भेजा जाये कि जितनी भी  अफीम की फसल बर्बाद हुई है, क्‍योंकि शायद अफीम की फसल का कोई बीमा नहीं होता है. किसान जब एक अफीम की फसल पैदा करता है तो जैसे अपने बच्‍चे को माता-पिता पालते हैं, वैसे ही अफीम की खेती  जब कोई करता है तो उसकी एक-एक क्‍यारी पर पूरी जाली ढकी जाती है. एक-एक क्‍यारी पूरी तार फेंसिंग की जाती है, रोज़ड़ों से बचने के लिये की जाती है और एक किसान के कम से कम एक पट्टे पर जो 70 से 80 हजार रूपये खर्च होते हैं, उनको किसी भी हालत में केन्‍द्र शासन से या राज्‍य शासन से कुछ न कुछ मदद मिलेगी तो हम कहीं न कहीं उनसे न्‍याय कर पायेंगे, रही बात किसानों की तो एक  भावांतर योजना का अभी बार-बार नाम आ रहा है. मैं बोलना चाहूंगा कि वह भावांतर योजना नहीं वह गरीब किसान के लिये छू-मंतर योजना थी. क्‍योंकि गरीब किसान को भावांतर योजना का लाभ नहीं मिला. भावांतर योजना का लाभ उनको मिला जिन्‍होंने एक प्‍लाट को भी एक खेत बनाकर कई बीघा लहसुन की खेती बतायी और मंत्री जी मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं पिछले दो साल में जितनी भी लहसुन की खरीदी हुई है, अगर आप उसकी जांच करायेंगे तो कितने ही व्‍यक्ति जेल के अंदर नजर आयेंगे. क्‍योंकि करोड़ों रूपयों का खेल जो लहसुन खरीदी में हुआ है. यदि किसी किसान के पास 20 बीघा जमीन है तो वह क्‍या 20 बीघा जमीन में लहसुन ही बोयेगा ? वह उसमें 4-5 फसल बोता है. 10 बीघा में लहसुन और 2-5 बीघा में दूसरी फसल बोता है, इस प्रकार वह 4-5 फसल बोता है. परंतु जब पंजीयन हुआ तो उनका 20-20 बीघा का लहसुन की फसल का पंजीयन हुआ और भावांतर के नाम पर जो असत्‍य खेल जो मध्‍यप्रदेश में खेला गया, एक लखपति को करोड़पति बनाने का काम और एक गरीब को गरीब बनाने का काम जो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. मेरा मानना है कि यहां भारतीय जनता पार्टी के जितने भी प्रतिनिधि बैठें हैं यह भी अच्‍छी तरह से जानते हैं कि भावांतर में जो लूट हुई है और राजस्‍थान के ट्रक हमारे नीमच, मंदसौर में आर जे के नाम से ट्रक के पीछे जो नंबर प्‍लेट लगी रहती है, वहां की लहसुन मध्‍यप्रदेश की मंडियों में बिकने के लिये आयी है. यदि इसकी निष्‍पक्ष रूप से जांच होगी तो बड़े-बड़े व्‍यक्ति जेल में जायेंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदया:- हरदीप जी कृपया समाप्‍त करें.

          श्री हरदीप सिंह डंग:- मेरा निवेदन है कि रही मंदसौर गोलीकांड की बात, जो अभी किसानों की बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं. उन लाशों के पास जिस दिन उनको गोली लगी थी, पूरी रात अगर उन किसानों की लाशों के पास  बैठा था तो हरदीप सिंह डंग बैठा था.  पूरी रात उनके साथ बैठकर और उनके दाग में जाने के बाद में फिर घर गया. आज उन किसानों को स्‍मगलर, तस्‍कर बताया गया.आज मंदसौर जिले के किसानों का नाम आता है तो वहां पर तस्‍करों का नाम किसानों से जोड़ दिया जाता है. मेरा निवेदन है कि वहां का किसान बहुत मेहनती है. यहां पर जो गोलीकांड की बात आयी है और जो उत्‍तर की प्रक्रिया चली है तो सरकार ने जो दोषी अधिकारी थे उनको अभी निर्दोष साबित नहीं किया है. हमारे किसानों के ऊपर जो भी केस चल रहे हैं, यशपाल जी, यदि हम सब किसानों की बात करते हैं तो मैं विपक्ष से भी कहना चाहूंगा, अभी आपने कहा था कि जो कांग्रेस के पदाधिकारी हैं उनके केस हटाये जा रहे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि किसान उसमें प्रत्‍येक पार्टी का था, चाहे वह कांग्रेस का हो, बीजेपी का हो जितने भी केस चलाये जा रहे हैं, आपने अभी एक शब्‍द कहा था..

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- मैंने तो अभी कुछ कहा ही नहीं, कांग्रेस के संबंध में.

            श्री हरदीप सिंह डंग:- आपने कहा था कि कांग्रेस के पदाधिकारियों के केस हटाये जा रहे हैं.

            श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- कब कहा मैंने.

            श्री हरदीप सिंह डंग:- अब आप अपना बयान दे देना.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- मैं तो आज बोला ही नहीं इस मामले में. मैंने तो आपकी अभी तारीफ करी है. आप तो अभी ओलावृष्टि में चार दिन क्षेत्र में घुमें.

            श्री हरदीप सिंह डंग:- बिल्‍कुल आपका धन्‍यवाद. मैं यह कह रहा हूं कि किसानों का कैसे भला हो. मेरा कहना है कि किसानों को उड़द की फसल का आज तक भुगतान नहीं हुआ है, उसकी भी जांच करायी जाये कि क्‍यों नहीं हुआ है. लहसुन के रूप में उसका पंजीयन हुआ है उसमें जिनको रूपये मिलने थे. अब तो जिनको मिलने थे मिल गये अब तो ढाई से तीन सौ किसान बचे हैं इनको भी दिलाया जाये. मैं मानता हूं कि हमारे कमलनाथ जी बढ़िया मुख्यमंत्री हैं. आप लोग पूर्व मुख्यमंत्री जी की भी तारीफ करें इसमें दिक्कत नहीं है. वह भी 15 वर्ष मुख्यमंत्री रहे हैं. मैं मानता हूं कि दो महीने में जो कदम माननीय कमलनाथ जी ने उठाये हैं इससे बढ़िया मुख्यमंत्री प्रदेश के लिये हो ही नहीं सकता है.

          श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगांव)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा में मैं अपनी बात रखना चाहता हूं. निश्चित रूप से जो बेमौसम की बारिश, ओलावृष्टि होती है. ओले जो धरती पर गिरते हैं कहीं न कहीं ओले फसल को चौपट करने के साथ ही साथ किसानों के अरमानों पर भी पानी फेरते हैं जो आने वाले भविष्य के सपने संजोये हुए रहता है. मैं पिछली बार भी इस सदन का सदस्य था. मैंने एक जनप्रतिनिधि के रूप में ओले और पाले के कारण फसलों पर हुए नुकसान को बहुत ही नजदीकी से देखा है. पिछले दो तीन दिनों से यह चर्चा भी आयी कि माननीय मुख्यमंत्री एवं मंत्रिगणों ने खेत पर जाना मुनासिब नहीं समझा. मैं ऐसा मानता हूं कि हम कहीं एक किसान के खेत पर पहुंच जाते हैं उसके कारण किसान को एक भावनात्मक संबल मौके पर मिलता है. साथी ही साथ राजस्व से जुड़े अधिकारी रहते हैं उनको भी इस बात का गंभीरता का अंदाजा रहता है कि सरकार भी इस मामले पर बहुत ही संजीदा है. किसान दुनिया के लिये पेट भरने का काम करता है उसकी चिन्ता सभी सरकारें करती हैं. इस समय पूरे भारत में चाहे केन्द्र सरकार हो, चाहे राज्यों की सरकारें हों किसानों पर केन्द्रित होकर बनने का काम वास्तव में हमको देखने के लिये मिल रहा है. खेती लाभ का धन्धा बने इसके लिये हमारी पूर्ववर्ती सरकार ने बहुत दूरगामी उपाय किये थे जिसके कारण किसान का खेती पर से भरोसा उठने लगा था उसने खेती की ओर वापस अपने कदमों को बढ़ाया. आज किसान के बेटा बेटी आ रहे हैं वह भी खेती करने में अपनी रूचि दिखा रहे हैं, क्योंकि आज उनको बिजली मिल रही है, समय पर खाद मिल रहा है तथा उसकी उपज का भी ठीक-ठाक दाम मिल रहा है. जहां पर प्राकृतिक आपदाएं हैं, इन पर किसी का भी बस नहीं है, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं पर सरकार यदि मदद करती है तो किसान का प्रशासन पर विश्वास कायम रहता है. कल रात को मेरे विधान सभा क्षेत्र के कई गांवों में विभिन्न हिस्सों में ओलावृष्टि हुई है. मेरे विधान सभा क्षेत्र के गांव संदलपुर, बिलोदा, बरछा, कांजीपुरा, भीलखेड़ी, बहेड़ी, बड़दा, पांदा, पुरोनी, तिवड़िया, रीची, सनोद, मनासा, निंबोरा, कण्हा जैसे और भी चार पांच गांव हैं. जहां पर रात्रि को ओलावृष्टि हुई है. चूंकि इस समय गेहूं की फसल आने के लिये 15 से 20 दिन का समय शेष है. रात को बारिश भी हुई है, हवाएं भी तेज चली हैं. गेहूं की खड़ी फसल पर जब तेज हवा की मार पड़ती है उसका पौधा जमीन से टूट जाता है. एक बार जब पौधा जमीन में बिछ जाता है तो फिर खड़ा नहीं हो सकता है. जिसके कारण उत्पादन भी प्रभावित होता है. साथ ही साथ चने की जो फलियां हैं. कई किसानों ने चने की फसल को काटकर अपने खेत पर ही उसका ढेर बनाकर रख दिया है. ताकि सूखने की स्थिति में उसको थ्रेशर से निकलवाकर उपज के रूप में मंडी में ले जा सके. ऐसे सभी किसानों की फसलें जो खेतों में पड़ी हुई थीं तथा जो उग रही थीं उनको भारी नुकसान हुआ है. गत वर्ष भी हमारे मध्यप्रदेश में बहुत ओलावृष्टि हुई थी जिसमें किसानों को मुआवजा तो मिला था, लेकिन फसल बीमा की राशि अभी तक किसानों को नहीं मिली है. मैं कहना चाहता हूं कि जहां कहीं पर भी कल रात को ओलावृष्टि हुई हैं. हम सब भोपाल में हैं. भोपाल में भी ओलावृष्टि हुई है यहां पर हुए नुकसान की जानकारी नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पर भी किसानों का फसलों का नुकसान हुआ है उस पर तात्कालिक रूप से सर्वे के आदेश प्रशासन को देने चाहिये. पिछली बार ओला-पाला से फसलों का जो नुकसान हुआ था उसका सर्वे तो हुआ है, लेकिन कृषि विभाग के पास ऐसे कोई आदेश नहीं पहुंचे हैं कि सरकार उनको किस हिसाब से मुआवजा राशि देगी. इसलिये किसान पूछ रहा है कि सर्वे हमारा होकर के चला गया है, लेकिन उसका मुआवजा मिलेगा या नहीं मिलेगा. इस बारे में कोई भी सक्षम अधिकारी उत्तर देने की स्थिति में नहीं है. जो फसलें रात को खराब हुई हैं उनका अतिशीघ्र सर्वे इसलिये होना चाहिये. चाहे किसान अथवा कोई भी व्यक्ति हो.जिनकी फसल का थोड़ा बहुत नुकसान हुआ है वह फसल अगर खेत में एक दो दिन और भी पड़ी रहती तो वह फसल इस काबिल भी नहीं रह सकती कि उसको पशु भी खा सके. इसलिए उसका तात्‍कालिक रूप से सर्वे होना चाहिए. छोटे मोटे क्षेत्रों में ओलावृष्टि हुई है, इसलिए हम यह भी नहीं कह सकते कि इस सर्वे के लिए हमें एक बड़ा अमला चाहिए. 20-25 गांव का सर्वे एक दो दिन में सम्‍पन्‍न हो सकता है. हमारे कृषि मंत्री जी यहां बैठे हैं, किसान भाईयों को उनसे बड़ी उम्‍मीद है क्‍योंकि मंत्री जी भी एक किसान हैं और मैं राजस्‍व मंत्री जी से भी आग्रह करना चाहता हूं कि आगामी 24 घंटे में 2 दिन में इन फसलों के विधिवत सर्वे के आदेश आप प्रदान करें, जो नुकसान है, उसका विधिवत आंकलन हो, जितना नुकसान हुआ है, उतना आंकलन दर्ज करें और अतिशीघ्र किसानों को मुआवजा दिए जाने के लिए जो आरबीसी 6(4) के नियम हैं, मध्‍यप्रदेश सरकार के जो पुराने नियम बने हुए हैं, उसके अनुसार किसानों को मुआवजा राशि का प्रावधान करें, नुकसान बहुत ज्‍यादा है तो उस स्थिति में उन किसान भाइयों फसल बीमा की राशि प्राप्‍त हो सके. इसके लिए भी सरकार को अपने स्‍तर पर कदम उठाना चाहिए. पिछली बार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्‍लेम की राशि लगभग 30 गांव के किसानों के खाते में जमा नहीं हुई है देवास जिले में, इसके विषय में भी आप पहल करेंगे.

05:16 बजे   {अध्‍यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}

          श्री आशीष गोविन्‍द शर्मा - अध्‍यक्ष महोदय, दो विषय किसानों से जुड़े हुए हैं आधा-आधा मिनट में रख देता हूं. भावांतर का भुगतान नहीं हुआ है तो उसके विषय में भी कृषि मंत्री महोदय, जब अपना वक्‍तव्‍य दें तो बताएं कि भावांतर का भुगतान किसानों को हो पाएगा या नहीं हो पाएगा. साथ साथ ही जो गेहूं के खरीदी केन्‍द्र बंद हुए हैं, 5-5, 10-10 किलोमीटर की दूरी में सरकार ने गेहूं उपार्जन केन्‍द्र खड़े किए थे, उसके पीछे मंशा यह थी कि किसानों को ज्‍यादा लंबी दूरी पर फसल नहीं ले जाना पड़े. सड़कों का विकास हुआ है पहले जहां कच्‍चे मार्गों से फसल ले जाया करती थी आज वहां प्रधानमंत्री सड़कें बन चुकी है, सड़क और परिवहन की भी अच्‍छा व्‍यवस्‍था है. इसलिए कोई गेहूं उपार्जन केन्‍द्र बंद नहीं किया जाए, क्‍योंकि यह किसानों से जुड़ा हुआ मामला है. आप चाहे तो उसमें और कुछ सुधार करना चाहे तो कर सकते हैं. लेकिन गेहूं उपार्जन केन्‍द्र कम से कम मध्‍यप्रदेश में जितने चल रहे थे, उनको यथावत रखा जाए. आपने बोलने का मौका दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          श्री गिर्राज डण्‍डौतिया (दिमनी) - अध्‍यक्ष जी, जो पाला और ओलावृष्टि पर चर्चा है, मेरा मन नहीं माना मैंने भी एक पर्ची दी, मैं भी बोलना चाहता हूं. मुझे आपने अनुमति दी है उसके लिए मैं आपका बहुत बहुत धन्‍यवाद करता हूं. किसानों के लिए जो चर्चा यहां पर हुई, उस चर्चा को समझकर मुझे ऐसा लग रहा था कि किसानों के साथ न्‍याय नहीं हुआ है. हमारे विपक्ष के साथियों ने दो चार बातें ऐसी कही वह चुभने लगी है हमारे दिल में, जब उनकी सरकार थी, तब हमने उनके साथ लाठियां भी खाईं, किसानों ने गोलियां भी खाईं और किसानों ने भूखे पेट रहकर रात भी गुजारी. (XXX) यह बात हमें समझ नहीं आती.

          अध्‍यक्ष महोदय - इसको विलोपित किया जाए.

          श्री गिर्राज डण्‍डौतिया - आदरणीय अध्‍यक्ष जी, ओला और पाले से मेरा क्षेत्र तो बच गया है, लेकिन पूर्व में जब ओला पाला पड़ा था, जब हम लोगों को सड़क पर उतरना पड़ता था, खेत में रातें गुजारनी पड़ती थीं किसानों के साथ और कई दिनों तक हम भूखे प्‍यासे आंदोलन करते थे और पुलिस की लाठियां खाते, लेकिन पटवारी और एसडीएम नाम के लिए खेतों पर जाते थे और उनका सही सर्वे नहीं करते थे. सर्वे भारतीय जनता पार्टी के उन नेताओं के घर पर बैठकर हुआ करता था, उन कार्यकर्ताओं को वह पैसा मिला करता था किसानों के हक का जो उनके कार्यकर्ता हुआ करते थे. भारतीय जनता पार्टी की जब सरकार थी उनके कार्यकर्ताओं को खेतों में पैसा मिला करता था. सचमुच जो पैसा किसानों को मिलना था, वह जो सरकार गई है, जो सरकार विदा हो चुकी है, जिसके बारे में एक माननीय सदस्‍य ने बोला था कि पूर्व की सरकार घर घर जाकर सर्वे करती है. आदरणीय सरकार सर्वे नहीं करती है, आपके भी संज्ञान में भी है, सर्वे अधिकारी और कर्मचारी करते हैं, पटवारी और तहसीलदार करते हैं, वह कार्य कांग्रेस के शासन में घर-घर जाकर हो रहा है. उस पर सतत् निगरानी बनी हुई है. लेकिन इनको चिन्‍ता है, जो इनकी सरकार हुआ करती थी. मैं समर्थन मूल्‍य पर दो बातें करना चाहूँगा, समर्थन मूल्‍य पर किसान उस बोनस के लिए 3-3 दिन तक मण्डियों में पड़ा रहता था और मण्डियों में पड़े रहने के बाद कई रातें वहां गुजारता था लेकिन उस मण्‍डी में किसान का अनाज नहीं बिक पाता था. एक वह दिन था, वे भूल गए हैं. इस तरह की बातें उन्‍हें याद नहीं हैं. मुझे लगता है कि वह मजाक साबित हो रही हैं. हम जो कर रहे हैं, वह तुम कभी नहीं कर पाए हो. आप जो बिजली की बात करते हैं, 10 घण्‍टे बिजली की कटौती कर दी, कांग्रेस के शासनकाल में 18-18 घण्‍टे बिजली किसानों को मिला करती थी. मेरे ताऊ हैं, मैं खुद किसान हैं. 

          श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी - अध्‍यक्ष महोदय, कांग्रेस के शासनकाल में 18 घण्‍टे बिजली कभी नहीं मिली.

          श्री गिर्राज डण्‍डौतिया - अध्‍यक्ष महोदय, 18 घण्‍टे नहीं, 24 घण्‍टे बिजली मिलती थी. हम आपकी तरह असत्‍य नहीं बोलते हैं.

          श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी - माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि 18 घण्‍टे बिजली कब मिली ?

          श्री गिर्राज डण्‍डौतिया - अध्‍यक्ष महोदय, मैंने सहकारिता पर ध्‍यानाकर्षण लगाया था.

          श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी - 18 घण्‍टे बिजली कभी नहीं मिली.

          श्री गिर्राज डण्‍डौतिया - अध्‍यक्ष महोदय, आप रिकॉर्ड दिखवा लो. माननीय अर्जुन सिंह जी के जमाने के रिकॉर्ड दिखवा लें. कांग्रेस ने जितनी बिजली दी है और बिजली का जो स्‍ट्रक्‍चर खड़ा किया है. भारतीय जनता पार्टी ने तो माननीय राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना का नाश कर दिया. ये हमारी पूरी योजनाओं को खा गए हैं, पी गए हैं. कांग्रेस ने, केन्‍द्र सरकार की उस योजना को इन्‍होंने नेस्‍तनाबूद कर दिया है. आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय की अनुमति से मैंने भी सहकारिता के लिए ध्‍यानाकर्षण लगाया था. (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय - (श्री धर्मेन्‍द्र भाव सिंह लोधी की ओर देखते हुए) क्‍या मैंने आपका नाम पुकारा है ? आप कृपापूर्वक बैठिएगा. आप हस्‍तक्षेप न करें. मैंने जिन माननीय सदस्‍य को बुलाया है, कृपा उन्‍हें बोलने दीजिए.

          श्री गिर्राज डण्‍डौतिया - अध्‍यक्ष महोदय, शासन और प्रशासन की जब बात आई है तब मैं यह बोल रहा हूँ. मैं नहीं चाहता हूँ कि सदन का महत्‍वपूर्ण समय ऐसी व्‍यर्थ बातों में चला जाए कि हम एक-दूसरे की बुराइयों में और कटाक्ष में लगे रहें. हमें योजनाएं तैयार करना चाहिए, हमें किसानों के प्रति जागरूक होकर उनकी समस्‍याओं को उठाना चाहिए और आप एक-दूसरे पर छींटाकशी कर रहे हैं. सरकारें आती हैं, जाती हैं. सरकार आने-जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है, हम यहां नहीं आते तो भी किसानों की लड़ाई सड़कों पर लड़ने वाले लोग हैं. हम सत्‍ता के लालच में नहीं हैं, हमने कोई सत्‍ता नहीं खरीदी, हमने वोट नहीं खरीदा है, हमने जात-पात नहीं फैलाया है, हमने धर्मवाद नहीं फैलाया है, हमने कभी मंदिर और मस्जिद की बात नहीं कही है, हमने जनता की लड़ाई लड़ी है और जनता ने हमें पसन्‍द किया है, जब हम इस सदन में आए हुए हैं और सदन में आए हैं तो उस किसान और मजदूर की बातें करेंगे, हमें कोई ताकत रोक नहीं सकती है. हम असत्‍य नहीं बोलते हैं. अगर आपको मेरी बातें असत्‍य लगती हैं तो आप पता लगवाइये कि अर्जुन सिंह के शासनकाल से लेकर कांग्रेस ने बिजली का कितना स्‍ट्रक्‍चर तैयार किया एवं इंदिरा जी के जमाने के लेकर आज तक किसानों को कितनी बिजली दी ? मैं यह कहना चाहूँगा कि ऋण माफी पर मैंने ध्‍यानाकर्षण लगाया था लेकिन मुझे बोलने का मौका नहीं मिला, कोई बात नहीं. मैं तो पहली बार इस सदन में आया हूँ एवं नया हूँ. प्रथम बार में सभी माननीय सदस्‍य नए ही रहे होंगे, आदरणीय अध्‍यक्ष जी भी नए बने हैं. मैं थोड़ा ऋण माफी पर बोलना चाहता हूँ, किसानों के साथ जो घोर अन्‍याय हुआ है, इस विश्‍व के अन्‍दर कहीं नहीं हुआ है एवं जो सरकार गई है, उसने मुरैना जिले की ऋण माफी को चौपट किया है. इनका (XXX) उसमें धुल कर आ जाएगा कि इन्‍होंने क्‍या खेल किया है ?

          अध्‍यक्ष महोदय - यह शब्‍द विलोपित करें.

          श्री गिर्राज डण्‍डौतिया - अध्‍यक्ष महोदय, मुरैना के जो सहकारिता के अध्‍यक्ष है, वे भारतीय जनता पार्टी के हैं, वहां के मैनेजर और डीआर ने मिलकर उन किसानों पर कर्जा निकाल दिया, जिन किसानों की जेब में एक पैसा नहीं है. उन्‍होंने कभी सहकारिता का मुँह नहीं देखा. उन पर 4-4 लाख रुपये का कर्जा मेरे पास विथ रिकॉर्ड है, उन किसानों पर 4-4 लाख रुपये का कर्जा निकल आया, जिनके पास दो बीघा जमीन नहीं है. जो गरीब किसान अपने लिए खाद के दो कट्टे लेने गए थे, उन्‍हें खाद के कट्टे के नाम पर बोला गया कि आपको कल कट्टा देंगे. आप अपना आई.डी. कार्ड मुझे जमा कर दो और आई.डी. कार्ड जमा करने के नाम पर उससे दस्‍तखत करवा लिये और उन पर 2-2 लाख रुपये और 3-3 लाख रुपये कर्जा डाल दिया. जिस किसान ने केसीसी के नाम पर और जिस किसान ने 60,000 रुपया निकाला और वे पर्ची भरकर आए कि राशि जमा कर लो तो कहा गया कि आप कल रसीद ले जाना. उसकी जेब में पैसा चला गया कि किसान पर, धन्‍य है यह कांग्रेस की सरकार.              

            मैं आदरणीय श्री राहुल गांधी जी को, आदरणीय सिंधिया जी को और आदरणीय मुख्‍यमंत्री श्री कमलनाथ जी को धन्‍यवाद देता हूं, जिन्‍होंने ऋण माफी की है. अगर यह ऋण माफी नहीं करते तो मैं कहता हूं जिस तरह से मेरे प्रवीण भाई ने कहा था बीस हजार किसानों ने आत्‍महत्‍या की थी. मैं कहता हूं यदि यह ऋण माफी नहीं होती तो हमको क्‍या पता पड़ता. यह ऋण माफी का खुलासा, यह विश्‍व का सबसे बड़ा खुलासा हमारी कांग्रेस की सरकार ने किया है. मैं धन्‍यवाद देता हूं इस सरकार को इसने हजारों किसानों को आत्‍महत्‍या करने से बचा लिया है, नहीं तो इनकी सरकार ने तो किसानों को बिल्‍कुल कुंआ में पटककर गई थी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बाजरा की खरीदी का आज तक पैसा नहीं आया है. किसानों की जमीन पर इनके लोगों ने कब्‍जा कर रखा है. कांग्रेस की सरकार में जो गरीब लोगों को पट्टे दिये गये थे, जो कांग्रेस की सरकार ने गरीबों को, दलितों को और जो एस.सी. वर्ग के लोगों को पट्टे दिये गये थे, उनके कब्‍जे तक नहीं दिलवा पाये और आप बात करते हो इंसाफ की. इंसाफ की बात आप जब करो, जहां पर इंसाफ हो, जब हम खुद गलत तो हम इंसाफ की बात नहीं कर सकते हैं.

           माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मुरैना की अपनी दिमनी विधानसभा क्षेत्र की बात कर रहा हूं.

………………………………………………………………………………………...

XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

आप पता कर लेना और इसको रिकार्ड करवाईये. मैं आपसे ही कह रहा हूं दुग्‍ध संघ हुआ करता था, वह खत्‍म हो गया है.भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने मुरैना के अंदर दुग्‍ध संघ खत्‍म कर दिया है. दूसरा वहां पर किसानों के लिये तिलहन संघ हुआ करता था, उसको खत्‍म कर दिया है. आपने व्‍यापारियों के सारे कारखाने बहुत चौगुने कर दिये. किसानों का शक्‍कर कारखाना खत्‍म, दुग्‍ध संघ खत्‍म और इन्‍होंने तिलहन संघ खत्‍म कर दिया. यह तीनों संस्‍थायें हमारे किसानों की हुआ करती थी, इन्‍होंने इन तीनों संस्‍थाओं को व्‍यापारियों को सौंप दिया गया है, धन्‍य है इनकी सरकार और आप बातें करते हो किसानों के हित की. तुम्‍हारे पास कुछ नहीं किसानों के लिये असत्‍य बातें हैं और जो आप असत्‍य बातों का पुलिंदा मैं यहां पर देख रहा हूं. 

          अध्‍यक्ष महोदय - (श्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी सदस्‍य के बैठे-बैठे, बार-बार कुछ कहने पर) यह जो आप बैठे - बैठे सीधी बात कर रहे हैं, यह अच्‍छी परिपाटी नहीं है. आप मेरी तरफ देखकर बात करें, सीधे-सीधे बात न करें.

          श्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वह मेरी तरफ देखकर बात कर रहे हैं.

           नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - आज संजय भईया जी और उमाकांत जी के बीच में परशुराम संवाद हो रहा है. (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय- हमें यह बतायें डण्‍डौतिया जी और उमाकांत जी. डण्‍डौतिया जी और उमाकांत जी जब वह बोल रहे थे और जब आप बोल रहे हैं तो ऐसा लग रहा है जैसे परशुराम संवाद चल रहा हो. बहुत-बहुत धन्‍यवाद डण्‍डौतिया जी अब मैं  अगले लोगों को बुलाता हूं.

          श्री गिर्राज डण्‍डौतिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे दो प्‍वाइंट और  हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - चलिये बोलिये.

          श्री गिर्राज डण्‍डौतिया - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसानों के साथ 30 लाख 66 हजार रूपये का जो घोटाला हुआ है, उसकी मैं न्‍यायिक जांच चाहता हूं. जांच के बाद मुरैना जिले के अंदर पता चल जायेगा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार कितनी किसानों की हितैषी है. सहकारिता किसानों का मूल्‍य है. हमारे आदरणीय सहकारिता मंत्री जी बैठे हैं मैने ध्‍यानाकर्षण में भी लगाया था. आप उसकी जांच करा लें और ऋण माफी जो हुई है उसे मुरैना में रूकवा दें, ऋण माफी का पैसा मुरैना में नहीं जाये उसको रोको और उसकी जांच कराओ फिर हम भारतीय जनता पार्टी के लोगों से कुछ बतलायेंगे और बात करेंगे. आपने बोलने के लिये मुझे मौका दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय- नियम 139 की चर्चा पर निम्‍नलिखित माननीय मंत्रीगण उत्‍तर देंगे. माननीय श्री जितू पटवारी जी.

          नेताप्रतिपक्ष( श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले इसको कनक्‍लुड कर लें. मेरे दो तीन प्रश्‍न थे जिनको मैं बताना चाहता हूं. मैं बहुत लंबा भाषण नहीं दे रहा हूं. नियम 139 की चर्चा का उत्‍तर आये उसके पहले दो तीन बातें जिनके कारण से यह बहिर्गमन हुआ था. एक तो वही विषय है जो सोसायिटियों के लिये आपके विभाग की ओर से पत्र गये हैं. उसके बारे में कि कितनी राशि वह समायोजित करेंगे, जमा करेंगे और बाद में कितनी राशि आप मिलायेंगे और उनके लिये ऋण मुक्ति के आप प्रमाण पत्र देंगे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी बात आपकी ग्रामीण बैंकों के बारे में है और नेशनलाईज बैंकों के बारे में है उनकी अभी चर्चा भी नहीं हो रही है, उनकी अभी चर्चा भी नहीं हो रही है. उनके बारे में जहां तक मुझे यह जानकारी है कि यह बात चली थी कि वह भी इसी प्रकार की कोई छूट दें और और शेष राशि आप उनके लिये मिलायें लेकिन वह सहमत नहीं हुये हैं. ऐसे में आपकी ऋण माफी की योजना जो माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कल कहा था कि हम 25 लाख किसानों का 16 दिन के अंदर ऋण माफ कर देंगे प्रमाण पत्र दे देंगे तो क्‍या सिर्फ यह कोऑपरेटिव बैंक के ही लोगों के लिये जो ऋणी हैं और जो लोनी कृषक हैं, उनके लिये माफी की छूट है. या फिर नेश्नलाईज बैंक और हमारे रूरल बैंक जो हैं उनके लिये भी क्या उनकी नो ड्यूज के शर्टिफिकट दिये जायेंगे थोडा इसके बारे में भी सदन को जानकारी दे दें. बाकी आरबीसी 6(4) और जितनी भी राहत राशि है क्योंकि कल मैंने लेखानुदान देखा, सप्लीमेन्टरी बजट देखा उसमें रेवेन्यू की मद में इतना प्रावधान सरकार ने किया नहीं है जितनी ओले, पाले और सभी चीजों से क्षति हुई है. तो कृपया इसके बारे में भी सदन में जानकारी दे दें कि किस तरह से आप कलेक्टर्स को राशि देंगे ताकि वह प्रभावित किसानों को राशि उपलब्ध करा सकें. हमारे यहां पर प्रधान मंत्री सड़कों से लगभग शत प्रतिशत गांव कवर हो रहे है तो मैं मानकर के चलता हूं कि परिवहन की दिक्कत नहीं है तो निकटवर्ती स्थान पर ही हम ज्यादा से ज्यादा खरीदी केन्द्र बढ़ाकर के क्योंकि मुझे सूचना मिली है कि केन्द्र काफी कम कर दिये गये हैं और जब केन्द्रों पर भीड़ लगेगी तो सदन में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री भी हैं, किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री भी हैं और भी सभी मंत्री हैं, केन्द्रों पर जब भीड़ होती है तो मैंने हमेशा देखा है कि जब भीड़ होती है तो वहां पर फिर किसानों से पैसा ऐंठा जाता है उनके माल को सब स्टेन्डर्ड का बताया जाता है, उनके माल का जो एफएक्यू है वह एफएक्यू भी उनका अधिक बताया जाता है और उनका माल रिजेक्ट कर दिया जाता है और रिजेक्ट माल को सिलेक्ट करने के लिये उनसे पैसा लिया जाता है, पहले जो दूसरी एजेंसियों के मार्फत खरीदी होती थी उसमें भी काफी पैसा सर्वेयरों ने लिया है तो मैं यह जानना चाहता हूं कि अब जो एनएएन के मार्फत खरीदी होगी या एफसीआई खरीदी करेगा मैं सिर्फ इतना ही जानना चाहता हूं कि यदि हमने सेन्टर बढ़ा दिये ,ज्यादा से ज्यादा हमने सेन्टर कर दिये क्योंकि मैंने देखा है और प्रयोग भी किया है. मेरे ही विधानसभा क्षेत्र में आधे सेन्टर कर दिये गये तो मैं सोचता हूं कि मैंने पहले काफी सेन्टर इसलिये बढ़वा दिये थे कि जितनी सोसायटी थीं मैंने सभी से कहा था कि सारी सोसायटियां खरीदी करें और एक जगह यदि 10,000-20,000 या 50,000 क्विंटल माल आयेगा तो फिर मानकर के चलें कि किसान के साथ में ब्लैक मेलिंग भी होगी अन्याय भी होगा, उसका माल भी घटिया बताया जायेगा तो जो इस 139 का जो सार है यह सारे विषय आरबीसी 6(4) की पूर्ति  कैसे होगी.जो मुआवजा निर्धारित हो गया है उसकी राशि समय पर पहुंचना और उसके बाद में ज्यादा से ज्यादा केन्द्र खोलना चाहिये और नेश्नलाइज बैंक और रूरल बैंक हैं इनके नो-ड्यूज आप कब देंगे.

5.32 बजे                                    अध्यक्षीय घोषणा

सदन के समय में वृद्धि की जाना

 

          अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में वर्णित कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.

          (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)

5.33 बजे

नियम 139 के अधीन अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा (क्रमश:)

 

          मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय नेता प्रतिपक्ष की बात को गंभीरता से सुना. इनकी चिंता ऋण माफी की है तो आपसे ज्यादा चिंता ऋण माफी की हमारी भी है. मैंने कल इसी सदन में बयान दिया था कि हमारा प्रयास है कि अगले 15-16 दिन में हम 25 लाख किसानों का कर्जा माफ करेंगे( सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा मेजों की थपथपाहट) इसमें शेड्यूल बैंक भी हैं ,को-आपरेटिव्ह बैंक भी हैं ,आरआरबी (Regional Rural Bank)  भी हैं और 15 दिन का समय कोई ज्यादा समय नहीं है, परेशान होने के लिये किसी को. इसमें हर प्रकार का कर्जा है. हमने यह वचन दिया था कि हम 2 लाख रूपये तक का कर्जा माफ करेंगे .  2 लाख रूपये तक का कर्जा माफ करेंगे अगले 15 दिनों में. यह बात सामने आ जायेगी. कोई लंबी अवधि की बात मैं नहीं कर रहा हूं कि आप तीन माह रूकिये, चार माह रूकिये, छे माह रूकिये. जो इसकी नीति है हमने बनाई है. मंत्रालय में बनाई हुई है. और मुझे विश्वास है कि 15-20 दिन में मध्यप्रदेश के 25 लाख किसान खड़े होकर के कह सकेंगे शेड्यूल बैंक के, को-आपरेटिव्ह बैंक के और आरआरबी (Regional Rural Bank) के कि हमारा कर्जा माफ हुआ है .( सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा मेजों की थपथपाहट) जहां तक आपने पाले की बात की, यह कोई नई बात नहीं है कि पाला पड़ा, ओले गिरे और समय समय पर प्रकृति की तरफ से ऐसी घटनायें हुआ करती हैं. पहले जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में थी उस समय भी ऐसी घटनायें हुआ करती थी और मैं खुद मंत्रियों से बात करता था. मुख्यमंत्रियों से बात करता था. जो चिंता आप व्यक्त कर रहे हैं. मैं भी चिंता व्यक्त करता था कि सर्वे नहीं हुआ,सही सर्वे नहीं हुआ. सही मुआवजा नहीं मिला. इसको हम मानीटर कर रहे हैं. पिछले दो दिन में ओले पड़े, कल रात को ओले पड़े. इसके सर्वे की जानकारी मैं आज तो दे नहीं सकता. हमें अनुभव है क्योंकि हम इतने समय विपक्ष में थे तो हमें पता है कि क्या कमियां होती हैं. तो इन कमियों का राज्य के बारे में हमें अनुभव है. आप लोग तो इस तरफ बैठते थे. आप लोगों को अनुभव नहीं था. आप हवा में थे या नहीं मैं उस पर नहीं जाना चाहता लेकिन इस पर हमारा पूरा प्रयास है कि पूरा मुआवजा दिया जाये. जहां तक सेंटर्स की बात है. जहां तक मुझे जानकारी है यह सही है कि सेंटर्स घटने,घटाने की इस प्रकार की नीति बन गई थी जिससे सेंटर्स घट रहे थे. इसमें हमने परिवर्तन किया है और पिछली बार से सेंटर्स घटेंगे नहीं. अगर हमारे पास समय होता तो हम सेंटर्स बढ़ा देते क्योंकि उत्पादन बढ़ा है तो स्वाभाविक है कि सेंटर्स भी बढ़ने चाहिये. ये सेंटर्स पिछली बार से कम नहीं होंगे यह सूचना मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष को देना चाहता हूं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - सहकारिता वाले मूल विषय का उत्तर नहीं आया.

          अध्यक्ष महोदय - अभी नहीं.

          श्री गोपाल भार्गव - माननीय मुख्यमंत्री जी,आपने जो अभी मेरे कुछ सवालों का समाधान किया.मुख्यमंत्री जी आपकी अनुपस्थिति में माननीय सहकारिता मंत्री जी थे, एक विषय सामने आया था.सहकारिता विभाग से एक पत्र जारी हुआ है कि 50 प्रतिशत पैसा किसान के खाते से लिया जायेगा और 50 प्रतिशत सरकार मिलाएगी उसके बाद उनका कर्ज मुक्ति या नोड्यूज का प्रमाणपत्र दिया जायेगा. यह मैंने माननीय मंत्री जी को पत्र भी दिखाया था. मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि अगर यह पत्र सही है तो ऐसी ऋण माफी का अर्थ क्या हुआ ?

            श्री कमलनाथ - मैंने कोई पत्र नहीं देखा है परंतु एक बात मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह कोई फर्जी कर्ज माफी नहीं है,बनावटी नहीं है,दिखावे के लिये नहीं है. जब हम कर्ज माफी की बात करते हैं. हम सही में कर्ज माफी की बात करते हैं. जहां तक कापरेटिव्ह बैंक की बात है.इसमें कई चीजें हैं . कितना पैसा राज्य सरकार कापरेटिव्ह बैंक्स को देगा कौन से अकाउंट्स में. अंत में तो पैसा राज्य सरकार से जायेगा. कापरेटिव्ह बैंक्स हों या शेड्यूल बैंक हों. किसानों का कर्जा राज्य सरकार से नहीं है किसानों का कर्जा कापरेटिव्ह बैंक से है या शेड्यूल बैंक से है. किसानों को तभी तसल्ली होगी जब उसे नोड्यूज सर्टिफिकेट बैंक से मिले. आपके या मेरे सर्टिफिकेट से इसे कोई स्वीकार नहीं करेगा तो कापरेटिव्ह बैंक में हम कैसे उनकी फंडिंग करेंगे. यह बहुत विस्तार की चर्चा है. जिस प्रकार की हमने योजना बनाई है. किस प्रकार से हम केपीटल अकाउंट्स में करेंगे.हम रेवेन्यू अकाउंट्स में करेंगे. यह सब बातें हमने सोच विचार कर की हैं परंतु किसानों के 50 प्रतिशत कर्जे की बात नहीं है. पूरा कर्ज माफ करने की बात है.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय,

          अध्यक्ष महोदय - पहले मेरी बात सुन लें. दूसरे माननीय मंत्रियों का भी जवाब आ जाने दीजिये. आप दोनों प्रश्नोत्तर करेंगे तो मेरी कार्यवाही यहीं अटक कर रह जायेगी. सभी सदस्यों का कहना है तो मुझे अन्य विभागों के मंत्रियों से भी जवाब दिलवाने हैं. आप एक ही बात पर अटके हुए हैं. सदन के नेता ने तीन-चार प्रश्नों के उत्तर दे दिये हैं. अब इसको प्रश्नकाल न बनाएं. मेरा आपसे अनुरोध है. अब माननीय मंत्रियों को भी अपने-अपने जवाब देने दें. प्रतिपक्ष के नेता जी आप परिपक्व हैं.

श्री गोपाल भार्गव -  खरीफ की इनपुट्स की सप्लाई और उसके बाद लोन देना यह तत्काल जरूरत पड़ेगी और बैंकों की लिक्विडिटी में इतनी कमी आ जाएगी, इसको सरसरे तरीके से हम इसलिए नहीं ले सकते. बैंकें दिवालिया हो जाएंगी. बैंकों के लिक्विडिटी इतनी कम हो जाएगी कि पुनर्वित्त नहीं हो पाएगा, फिर से किसानों के लिए ऋण प्रदाय नहीं हो पाएगा. मैं यही कहना चाहता हूं कि इस राशि की व्यवस्था आप कहां से करेंगे. मंत्री जी अपने उत्तर में बता दें?

श्री कमलनाथ - आप परेशान मत होइए कि हम कैसे करेंगे. मैंने जब कहा है..

श्री गोपाल भार्गव - माननीय मुख्यमंत्री जी, यह परेशानी हमें तो भोगना ही पड़ेगी.

श्री कमलनाथ - 15 दिन जितना आपको परेशान होना है, आप परेशान होइए, कल 22 तारीख से कर्ज माफी की योजना शुरू हो रही है.

श्री गोपाल भार्गव - मैं करोड़ों लोगों के कारण परेशान हूं.

श्री कमलनाथ - इसकी शुरुआत करने मैं कल खुद रतलाम जा रहा हूं और इसके बाद यह चलती रहेगी.

श्री गोपाल भार्गव - मैं करोड़ों लोगों की परेशानी की बात कर रहा हूं. मैं परेशान हूं?

श्री कमलनाथ - मैंने कहा कि मैं आपकी परेशानी समझता भी हूं कि कैसे होगा, कैसे नहीं होगा. परन्तु इस पर बड़ी गंभीरता से जैसे मैंने कल कहा था कि 6 महीने से हम इस सोच में थे कि कैसे होगा तो कल से इसकी शुरुआत है और 15 दिन बाद मुझे पूरा विश्वास है कि जो आपका शक और परेशानी आज के दिन है वह शक और परेशानी 15 दिन में आपको नहीं रहेगी. मैं उम्मीद करता हूं कि 15 दिन बाद आप मुझे और हमारी सरकार को बधाई देंगे.

श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, विषय नहीं आ पा रहा है. विषय का मूल तत्व है कि सोसाइटियों से जो पैसा लिया जाएगा..

अध्यक्ष महोदय - मैं आपसे फिर बोल रहा हूं अब कि आप किसी विषय पर बाध्यता न लाएं.

श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, बाध्यता नहीं है. सिर्फ जिज्ञासा है, बाध्यता नहीं है. 

अध्यक्ष महोदय - तीन बार, चार बार प्रश्न हो गये. कृपा कर सहयोग करें. कार्यवाही को आगे बढ़ने दें.

किसान कल्याण तथा कृषि विकास (श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव)- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने इस गंभीर विषय को लेकर सदन में बड़े विस्तार रूप से चर्चा कराई और इस चर्चा में आदरणीय सत्तापक्ष के साथियों ने, विपक्ष के बहुत सारे साथियों ने अपनी भावनाएं व्यक्त की और अपने सुझाव दिये.

अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के किसानों ने, मध्यप्रदेश के अन्नदाताओं ने 15 साल तक आपको सरकार चलाने का मौका दिया, आपको शासन चलाने का मौका दिया. 15 साल आपने सरकार चलाई और जब इन 15 सालों में आप अन्नदाताओं की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए तो उन्हीं अन्नदाताओं ने आपको शासन से, आपको सत्ता से बाहर करने का फैसला किया है. आज इस सदन के माध्यम से मैं हमारे प्रदेश के अन्नदाताओं को, हमारे किसान भाइयों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर विश्वास किया और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यही कारण है कि आज कहीं न कहीं हमारे जो विपक्ष के साथी है उन विपक्ष के साथियों को यह बात कहीं न कहीं हजम नहीं हो रही है. लगातार हम जब देख रहे हैं कि जब से हमारी सरकार बनी है, तब से असत्य कथन, भ्रामक प्रचार-प्रसार किसानों को लेकर, किसानों को गुमराह करने का काम हमारे विपक्ष के आदरणीय साथी कर रहे हैं.

            अध्यक्ष महोदय, हमारी जो सरकार है, यह कथन से चलने वाली सरकार नहीं है, यह वचन से चलने वाली सरकार है. हमने हमारे वचन पत्र में जो वचन दिये हैं उन वचनों को सअक्षर पूरा करने का काम हमारी सरकार अगले पांच सालों में करेगी. हमारे माननीय मुख्यमँत्री जी ने हमारी सरकार के लिए एक और मूल मंत्र तय किया है और वह मूल मंत्र है "प्रचार  कम और काम ज्यादा." इस मूल मंत्र पर हमारी सरकार अगले 5 साल तक काम करने वाली है. जो लोग आज किसानों के नाम पर राजनीति कर रहे हैं जो घडियालू आंसू बहा रहे हैं. हमारे किसान साथी अपनी कर्ज माफी की समस्या और अन्य समस्याओं के लेकर आंदोलन करते थे यही हमारे विपक्ष में बैठे भाजपा के साथी जब इनकी सरकार थी तो यह उनकी आवाज को दबाने का काम करती थी, उनके सीने पर गोली चलाने का काम करती थी.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत ज्यादा विस्तार में नहीं जाना चाहता हूं. मैं विषय पर आना चाहता हूं. किसानों की फसलें जिनका पाले के कारण नुकसान हुआ, भावांतर और उपार्जन को लेकर के जो विषय इन्होंने उठाये हैं. हमारे अन्य साथी खाद्य मंत्री जी और राजस्व मंत्री जी इस विषय पर अपना जवाब देंगे. मैं आपको दुबारा धन्यवाद इसलिए देना चाहूंगा कि लगातार भावांतर को लेकर के, हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी लगातार असत्य कथन यहां पर कर रहे हैं और किसानों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं. मैं आपकी अनुमति से कहना चाहता हूं कि जो पिछली सरकार थी, पिछली सरकार ने भावांतर को लेकर के विशेषकर के सोयाबीन और मक्का को लेकर जो आदेश उन्होंने जारी किया था. कैबिनेट की मीटिंग में जो प्रस्ताव पारित किया था आपकी अनुमति से उस आदेश को मैं यहां पर पढ़ना चाहता हूं. तत्कालीन सरकार के द्वारा 1 अक्टूबर,2018 को लिये गये निर्णय अनुसार प्रदेश में  खरीफ वर्ष 2018 सोयाबीन एवं मक्का के उत्पादक कृषकों को लाभांवित किये जाने हेतु फ्लेट भावांतर भुगतान योजना लागू की गई है. फ्लेट भावांतर योजनांतर्गत 10 अगस्त 2018 से 29 सितम्बर, 2018  तक  ई उपार्जन पोर्टल www.mpuparjan.nic.in पर कृषकों के द्वारा सोयाबीन में 13.19 लाख किसानों का  30.74 लाख हेक्टेयर  एवं मक्का में 3 लाख 73 हजार किसानों का 6 लाख 83 हजार हेक्टेयर रकबा पंजीयन कराया गया है जिसमें से राजस्व विभाग के द्वारा सोयाबीन के 11 लाख 82 हजार किसानों का 26 लाख हेक्टेयर एवं मक्का का 3 लाख किसानों का 5 लाख हेक्टेयर रकबे का सत्यापन पोर्टल पर किया गया. उपार्जन 20 अक्टूबर से लेकर 19 जनवरी तक इसकी समय सीमा निर्धारित की गई थी.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मैं अब मूल चीज पर आना चाहता हूं. इसमें जो आदेश पारित हुआ है उस आदेश में यह लिखा गया कि योजनांतर्गत खरीफ 2018 में सोयाबीन एवं मक्का के पंजीकृत पात्र किसानों को पात्रतानुसार  500 रूपये प्रति क्विंटल तक फ्लेट भावांतर की प्रोत्साहन राशि दिये जाने का निर्णय लिया जाता है. यहां पर पिछली सरकार ने कहीं पर भी यह स्पष्ट नहीं किया कि कितनी राशि फ्लेट भावांतर योजना के अंतर्गत हमारे किसान साथियों को दी जायेगी. लगातार हमारे पूर्व मुख्यमंत्री 500 रूपये 500रूपये कहकर हमारे किसानों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं. इस 500 रूपये के कई अर्थ निकाल सकते हैं, इसकी कई सारी परिभाषाएं हो सकती हैं. 500 रूपये तक में अगर इनकी सरकार होती जो इनके सपने थे जो इनकी आदत है असत्य बोलने की लोगों को गुमराह करके अमूल्य वोट लेने का इनका राजनीति करने का सिद्धांत है. लेकिन इ स बार अन्नदाता इनके भ्रामक प्रचार प्रसार में नहीं आया. यह 500 रूपये में 5 रूपये भी हो सकता था 10 रूपये हो सकता था 15 रूपये भी हो सकता था 50 रूपये भी हो सकता था इसको इन्होंने कहीं पर भी क्लीयर नहीं किया है और यही नहीं जो इन्होंने आदेश  जारी किया है इन्होंने कहीं भी इसके भुगतान के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया है. जीरो बजट का प्रावधान किया, लेकिन  अपने स्वार्थ, राजनैतिक फायदे के लिये  इन्होंने इसको बढ़ा-छाड़ाकर  प्रस्तुत करने का काम किया है.  मैं पूरी जिम्ममेदारी के साथ में इस  सदन को बताना चाहता हूं कि  वर्तमान सरकार ने  इस योजना में  वित्तीय  अनुपूरक बजट में  1500 करोड़ रुपये का प्रावधान  करने का काम  किया है.  राज्य सरकार योजना के प्रावधान अनुसार सोयाबीन एवं मक्का पर प्रति क्विंटल प्रोत्साहन  राशि  की गणना का कार्य  प्रक्रियाधीन है और  मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यह कहना चाहता हूं कि  1 मार्च,2019 के  पूर्व हमारे किसानों  के खातों में  योजना के प्रावधान अनुसार  प्रोत्साहन राशि का भुगतान कर दिया जायेगा.

                    अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद मंत्री जी.  समय सीमा के कारण मैं जल्दबाजी में हूं.

                   श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- जी अध्यक्ष महोदय.  मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं और सिर्फ  दो मिनट में अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं.  जिस प्रकार  से हमारे मुख्यमंत्री जी ने  जो  वचन हमारे मध्यप्रदेश के अन्नदाताओं को दिया था कि  सरकार बनेगी तो  हमारे अन्नदाताओं का  2 लाख रुपये तक का  कर्ज माफ करने का काम  हमारी सरकार करेगी.  बतौर मुख्यमंत्री,  आदरणीय कमलनाथ  जी ने शपथ ली और शपथ लेने के  मात्र डेढ़ घण्टे के अन्दर   उस वचन को पूरा करने का काम   हमारी सरकार  और हमारे मुख्यमंत्री जी ने किया.  जिस प्रकार से  जो प्रक्रिया  मुख्यमंत्री जी ने अपनाई,  एक सरल प्रक्रिया,  एक पारदर्शी प्रक्रिया, उस प्रक्रिया  के माध्यम से   हर ग्राम पंचायत एवं नगर पंचायत में  हमारे किसानों की जो  सूचियां  थीं, उन सूचियों को चस्पा  करने का काम  हमारी सरकार ने किया और उसी का परिणाम हुआ कि  जब हमारे किसान साथियों  ने  वह  सूचियां देखीं, तो  पिछले 15 साल से  जो भाजपा के लोगों के नेतृत्व में,  उनके मंत्रियों  के नेतृत्व में, उनके अधिकारियों के  संरक्षण में, उनके कार्यकर्ताओं के संरक्षण में  किसानों के नाम जो  फर्जीवाड़ा एवं घोटाला किया जा रहा था,  उसका पर्दाफाश  होने का काम हमारी ऋण माफी योजना के माध्यम से हुआ.  न सिर्फ योजना को  पारदर्शी बनाया,सरल बनाया,  बल्कि एक  कम, अल्प समय में  हम हमारे वचन के अनुसार  2 तारीख, मतलब कल से  हम हमारे किसानों के खातों में  ऋण माफी की राशि  जमा करने का काम  हम लोग करने वाले हैं. अध्यक्ष महोदय,  मैं बहुत ज्यादा वक्त न लेते हुए  आपको धन्यवाद देना चाहता हूं  और आशा एवं उम्मीद करता हूं कि  हमारे जो विपक्ष के साथी हैं,  वह हमारे किसानों की उन्नति, तरक्की के लिये  हमारी सरकार के साथ मिल करके   काम करेंगे. धन्यवाद.

                   खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं  उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) --  अध्यक्ष महोदय,  मैं आपका आभार एवं धन्यवाद  करता हूं कि  आपने लोकहित के मुद्दे पर चर्चा कराई और उसमें  सदन में,  इस लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में   सत्य जानकारी  सदन में हमारे मित्रों को मिले और साढ़े सात करोड़  जनता को मिले.  आज मुझे अच्छा लगता, जिन आदरणीय तत्कालीन  मुख्यमंत्री जी ने   इस सदन में  अपनी बात रखी थी, जिस  तरीके से सदन को एवं प्रदेश की जनता को भ्रमित किया, अगर आज वे यहां होते, सत्य सुनते  तो  उनको  बहुत अच्छा लगता. मैं  सदन में किसी की आलोचना करने के लिये नहीं खड़ा हुआ हूं.   किसानों की  समस्या  उठाई, उसमें  हमारी सरकार  क्या कर रही है, वह जानकारी देना मैं उचित समझता हूं और  जनता को मालूम होना भी चाहिये.  आज सदन में हमारे तत्कालीन  मुख्यमंत्री  जी अपने आपको किसानों, गरीबों का  हितैषी बताते हैं. बड़ा जोरदार प्रचार-प्रसार करते हैं पर उन्‍होंने यथार्थ में अन्‍नदाताओं के साथ क्‍या किया ? मैं यह बताना चाहता हूँ कि जब वे मुख्‍यमंत्री थे, तब प्रदेश के अन्‍नदाताओं को, किसानों को देश के अन्‍य प्रदेशों की तुलना में महंगा डीजल कौन देता था ? हमारे सामने बैठे हुए मित्र देते थे. मैं अगर गलत कह रहा हूँ तो मुझे बता दें. उन किसानों को महंगी बिजली कौन देता था ? वे कहते थे मैं किसान का पुत्र हूँ. मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि खाद, यूरिया में टैक्‍स ज्‍यादा कौन लेकर उन अन्‍नदाताओं को महंगा देता था ? मैं आपसे यह जानना चाहता हूँ कि आलोचना करने से पहले सोचना चाहिए, अपना गिरेबान झांकना चाहिए. माननीय अध्‍यक्ष जी, इससे किसानों की उपज में लागत बढ़ गई. वह हमारा गरीब अन्‍नदाता किसान कर्जदार बन गया. उसके जो पारिवारिक उत्‍तरदायित्‍व थे, उन पारिवारिक उत्‍तरदायित्‍वों को निभाने में वह असहाय महसूस करने लगा. वह अपनी बेटी के पीले हाथ करना चाहता था, पर वह नहीं कर पा रहा था. वह अपनी बेटे को भी पढ़ाकर डॉक्‍टर और इंजीनियर बनाना चाहता था पर माननीय पूर्व तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी ने नहीं बनने दिया. हमारा किसान, अन्‍नदाता कर्जदार बन गया, जब वह अपने उत्‍तरदायित्‍वों का निर्वहन नहीं कर पाया, तब उसने फांसी का फंदा झूलना उचित समझा और वह आत्‍महत्‍या के लिए मजबूर हुआ. यह तत्‍कालीन सरकार ने किया था. यह बात मैं बताना चाहता हूँ जो अपने आपको किसानों का हितैषी बताते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, आपको एक बात और बताना चाहता हूँ जो तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी अपने आपको किसान का पुत्र कहते हैं, उन्‍होंने तो यह किया. मैं दूसरी तरफ जाना चाहता हूँ कि हमारे नेता माननीय राहुल गांधी जी और हमारे प्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री, इन्‍होंने कभी नहीं कहा कि मैं किसान पुत्र हूँ. पर उन्‍होंने उन किसानों की भावनाओं का सम्‍मान किया और सत्‍ता की कुर्सी पर बैठते ही चंद घंटों में ऋण माफी के आदेश जारी किए. आदेश ही जारी नहीं किए, उन अन्‍नदाताओं को बैंक का नो-ड्यूज प्रमाण-पत्र हम देने जा रहे हैं और 16 दिन के अंदर 25 लाख लोगों को नो-ड्यूज प्रमाण-पत्र देंगे. यह हमारे यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री माननीय कमलनाथ जी की अगुवाई में होने जा रहा है. यह हम आपको और इस सदन को बताना चाहते हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष जी, आपको हम यह भी बता दें कि हमने किसानों के लिए, किसानों की उपज में लागत कम आए, उसका भी फैसला किया है. हमारे किसानों को कैसे फायदा हो, उसके लिए हमने क्‍या किया है, हमने बिजली का बिल हॉफ किया है, जिससे हमारे अन्‍नदाता की इन्‍कम बढ़े. वह अपने परिवार के उत्‍तरदायित्‍वों का निर्वहन करे. यह काम हमारी सरकार ने किया है. आपको मालूम है खाद और यूरिया पर जो टैक्‍स ज्‍यादा लगता था, पहले वर्ष 2017-18 में 295 रुपये में यूरिया का कट्टा आता था, लेकिन जब जीएसटी लागू हुआ, समान कर हुआ, तो वही कट्टा 265 रुपये का हो गया. ये 30 रुपये किसान के हितैषी माननीय मुख्‍यमंत्री जी अपने ऐशो-आराम हवाई-जहाज और विज्ञापन के लिए खर्च करते थे, पर उस किसान के लिए आपने कभी नहीं सोचा. अगर सोचा होता तो किसान आत्‍महत्‍या नहीं कर रहा होता. तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी ने कल कहा और धान खरीदी के संबंध में उन्‍होंने सदन को गुमराह किया था, मैं यह बात उस समय भी कह रहा था, क्‍योंकि इलैक्‍ट्रानिक मीडिया जनता को बताएगी, मैंने सोचा कि जनता गुमराह हो जाएगी, पर उस समय सदन ने नहीं बोलने दिया. अध्‍यक्ष जी, इजाजत नहीं दी, पर नियम के अनुसार आपने इजाजत नहीं दी, उसके लिए भी धन्‍यवाद. मैं आपको बता दूँ कि जब तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी की सरकार थी तो वर्ष 2018 और 2019 में मात्र 16 लाख 59 हजार मीट्रिक टन धान खरीदा और हमारे माननीय कमलनाथ जी की सरकार बनी, तब हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि हमने 21 लाख 25 हजार मीट्रिक टन धान खरीदा है और वह भी हमने 3 लाख 68 हजार किसानों से खरीदा है यह बात हम आपको बता दें. एक चीज और बताना चाहता हॅूं कि पहले किसानों को समितियों से भुगतान होता था. हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी, हमारी सरकार ने तय किया कि अब किसानों को डायरेक्‍ट भुगतान  होगा और हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने यही तय नहीं किया, हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने चिन्‍ता व्‍यक्‍त की कि वह किसान धूप में चलकर के उपार्जन केन्‍द्रों पर आएगा तो उन उपार्जन केन्‍द्रों पर हम मुख्‍यमंत्री केंटीन में उसको सस्‍ता भोजन देंगे हमने यह भी तय किया है. हम आपको यह बता दें कि आप गुमराह मत करिए. उपार्जन केन्‍द्र पिछली बार 3036 थे, इस बार हम उपार्जन केन्‍द्र भी ज्‍यादा बना रहे हैं. पंजीयन के केन्‍द्र भी हैं. कुछ दिक्‍कतें आपके कारण आयीं लेकिन समय का अभाव है. मैं सारे तथ्‍य रखूंगा, उजागर करूंगा तो आपको मालूम होगा कि किसानों का सही हितैषी कौन है. मैं अपने विभाग के सरकारी अमले को धन्‍यवाद दूंगा. धान खरीदी में जो सहयोग मिला और हम सदन को आश्‍वस्‍त कर रहे हैं कि हम उपार्जन केन्‍द्र भी ज्‍यादा खोलेंगे. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          राजस्‍व मंत्री (श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अविलम्‍बनीय लोक महत्‍व की चर्चा में हमारे बहुत से वरिष्‍ठ पक्ष और विपक्ष के सदस्‍यों ने भाग लिया जिसमें मुख्‍य रुप से पूर्व मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी, डॉ.नरोत्‍तम मिश्र जी, श्री लक्ष्‍मण सिंह जी, श्रीमती झूमा सोलंकी जी, श्री बहादुर सिंह चौहान जी, श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी, श्री जालम सिंह पटेल जी, श्री जजपाल सिंह (जज्‍जी) जी, इंजी.प्रदीप लारिया जी, श्री प्रदीप पाठक जी, श्री उमाशंकर गुप्‍ता जी, हमारे दबंग नये विधायक आदरणीय श्री उमाकांत शर्मा जी, हमारे मंत्री श्री सचिन यादव जी और हमारे विद्वान मंत्री श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर जी. अच्‍छा होता अगर इस सदन में आज पूर्व मुख्‍यमंत्री जी भी होते. मैं यह इसलिए कह रहा हॅूं कि उन्‍हें किसानों की बहुत चिन्‍ता होती थी. सोते जागते, हर समय वे किसानों को याद करते थे. कल उन्‍होंने कहा कि जैसे ही विपदा आयी तो मैं तुरंत भागा. डॉ.नरोत्‍तम मिश्र जी कह रहे थे कि मुख्‍यमंत्री जी मेड़-मेड़, खेत-खेत गए. यदि पूर्व मुख्‍यमंत्री जी यहां होते तो मैं उनसे पूछना चाहता था कि क्‍या मेड़-मेड़, खेत-खेत गए. गांव-गांव आप जाते हैं पहले भी गए, अब भी गए. पहले आप जाते थे तब तो लोग शायद नहीं बोलते होंगे क्‍योंकि आप मुख्‍यमंत्री थे. उनको अपेक्षा थी, आशा थी . दो महीने अब आप यदि गए थे तो कई किसानों ने उनसे यह भी कहा होगा कि माननीय शिवराज सिंह जी पिछले 15 साल में हमारे लिए आपने क्‍या किया. आप किसानों की बात होर्डिंग्‍स में करते रहे, आप किसानों की बात पोस्‍टर्स में करते रहे, आप किसानों की बात टेलीविजन में हर पांच मिनट में प्रकट होते हुए करते रहे पर 15 साल में किसानों की क्‍या दुर्दशा हुई, इस दुर्दशा की बात भी किसानों ने जरुर की होगी. मगर मुख्‍यमंत्री जी ने बतायी नहीं. हमारी इच्‍छा थी कि हम उनसे आज यहां इस बात को जरूर पूछते. बहुत सारी बातें उन्‍होंने कीं. उनका जिक्र मैं नहीं करना चाहता था. प्‍याज का हाल क्‍या था, टमाटर का हाल क्‍या था, आलू का हाल क्‍या था. अरे टमाटर, आलू, प्‍याज सड़कों में पडे़ रहते थे. ट्रॉलियों से कुचलते थे. वह बात हम पूर्व मुख्‍यमंत्री महोदय से पूछते लेकिन आज वे यहां नहीं हैं. इसलिए हम यह चाहते हैं कि यह बात सदन के विपक्ष के नेता के द्वारा उन तक जरुर पहुंचे.

            अध्‍यक्ष महोदय, मैं सीधा टू द प्‍वाइंट अपनी बात पर आता हूं. मैंने अविलंबनीय लोक महत्‍व के विषय की चर्चा में देखा कि पूर्व मुख्‍यमंत्री महोदय ने कहा था कि सरकार ने इसको गंभीरता से नहीं लिया. हमने 25 प्रतिशत् से अधिक जहां नुकसान हुआ है वहां 30 करोड़ रुपये की राशि स्‍वीकृत कर दी और केवल राशि स्‍वीकृत नहीं की गई, यह कांग्रेस की सरकार है, माननीय कमलनाथ जी की सरकार है, यहां मात्र काम स्‍वीकृत नहीं होता, आदेश जारी होते हैं और आदेश का पालन भी होता है. 25 फरवरी तक जहां भी पाले से नुकसान हुआ है उसकी राशि का भुगतान शुरू भी हो जाएगा और 25 तारीख परसों है. अध्‍यक्ष महोदय, जहां-जहां नुकसान हुआ, खासकर के भोपाल, बुरहानपुर, सिवनी, मंडला, शहडोल, अनूपपुर, सीधी, डिण्‍डौरी, छिंदवाड़ा, उमरिया में फसल 25 प्रतिशत् नुकसान होना पाया गया. आरबीसी की धारा 6(4) के अनुसार सीधी में 745.54 लाख रुपये भेज दिया गया, सिंगरौली में 400 लाख रुपये, उमरिया में 401.41 लाख रुपये, छिंदवाड़ा में 688.26 लाख रुपये, सिवनी में 40 लाख रुपये, मंडला में 36 लाख रुपये, डिण्‍डौरी में 355.62 लाख रुपये, शहडोल में 276.76 लाख रुपये, अनूपपुर में 110.95 लाख रुपये, बुरहानपुर में 110.65 लाख रुपये, भोपाल में 00.71 लाख रुपये की राशि भेज दी गई है. 

          अध्‍यक्ष महोदय, यह कांग्रेस की सरकार है. पूत के लक्षण पालने में दिखने लगते हैं. यह बात कल भी आई थी. यह सच है. इस सरकार को बने अभी दो महीने हुए हैं और पूत के लक्षण पालने में दिखने लगे हैं. हर काम शुरू हो गया है. बार-बार यह लोग कहते हैं. अभी हमारे नेता प्रतिपक्ष जी बड़े चिंतित हैं कि क्‍या होगा, कैसे ऋण बंटेगा, कैसे ऋण माफ होगा, तो ''हाथ कंगन को आरसी क्‍या'' आज तारीख है 21, कल 22 तारीख और 22 तारीख से पैसा बंटना शुरू हो जाएगा. अध्‍यक्ष महोदय, 25 तारीख को रेहली के गढ़ाकोटा में नेता प्रतिपक्ष जी के यहां के किसान बल्‍ले-बल्‍ले करेंगे कि जय-जय कमलनाथ. जब किसान के खाते में पैसा जाएगा तो आप कहेंगे क्‍या हो गया.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्‍यक्ष महोदय, किसानों ने पहले से ही नोट रखने के लिए थैले खरीद लिए हैं.

          श्री गोविंद सिंह राजपूत - जब किसानों के खातों में पैसा जाएगा तब माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, आप उनसे पूछना कि पैसा आ गया कि नहीं आया. पैसा जाएगा, नो ड्यूज जाएगा और वह कमलनाथ जी के लिए धन्‍यवाद देने आपको आएंगे. यह कांग्रेस सरकार है. हमारे विभाग ने गांव-गांव में भाजपा के 15 साल में, नरोत्‍तम जी आप सुन लीजिए, आपके एक-एक पटवारी के पास 4-4, 5-5 हलकों का चार्ज था. पटवारी आपको और किसान को मिलता नहीं था. हमने हर गांव में पटवारी की नियुक्ति करने की बात कही है. तीन महीने बाद हर एक-दो हलके में आपको पटवारी मिलेगा. हमने 8 हजार पटवारियों की नियुक्ति की है जो आपके गांव में पहुचेंगे. हमने समीक्षा बैठक शुरू की. नेता प्रतिपक्ष जी, आप सुनिए, आपके जमाने में गांव-गांव में आदमी घूमता था, गांव का किसान खसरा के लिए, खतौनी के लिए, सीमांकन के लिए, बटांकन के लिए घूमता था उससे पूछने वाला कोई नहीं था. हमने, काँग्रेस की सरकार ने, वचन दिया था, अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश पहला राज्य है जहाँ राजस्व की लोक अदालत शुरू हुई है, राजस्व की लोक अदालत के माध्यम से यहाँ प्रकरणों का निपटना शुरू हुआ है. अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष भी सुन लें खास करके आपके यहाँ भी जो लोग परेशान रहे होंगे, आदरणीय गोपाल भार्गव जी, हमने राजस्व की लोक अदालतें लगाई हैं ढाई लाख प्रकरण आए और उन ढाई लाख प्रकरणों में से डेढ़ लाख प्रकरणों का निपटारा हुआ. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश पहला राज्य है जहाँ राजस्व की लोक अदालतों की शुरुआत हुई है. अध्यक्ष महोदय, हमने समीक्षा बैठकें भी शुरू की हैं ताकि इन सब चीजों का निपटारा शुरू हो.

माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सारी बातें हमारे माननीय मंत्री लोग ला चुके हैं लेकिन बार बार बात भावान्तर की होती है तो भाजपा इतनी होशियार पार्टी रही है. अध्यक्ष महोदय, पाँच सौ रुपये की बात तो की पर पीछे लगा दिया तक वह तककी बात  हमारे मुख्यमंत्री जी ने की थी, वह तक की बात अभी हमारे कृषि मंत्री जी ने की. इन्होंने पाँच सौ रुपये तक के बंधन में बाँध दिया और हम लोगों को गुमराह करने के लिए ऐसी बात करते हैं.

माननीय अध्यक्ष महोदय, फ्लेट भावान्तर योजना इस वित्तीय वर्ष के लिए, आपकी जो भाजपा की सरकार थी, इन्होंने कोई राशि का प्रावधान नहीं किया था. इतनी बड़ी  भावान्तर योजना जो पूर्व मुख्यमंत्री का सपना थी. पर उसके लिए आपने वित्तीय प्रावधान नहीं किया था. यह काँग्रेस सरकार है, यह कमलनाथ जी की सरकार है. इसने फ्लेट भावान्तर योजना के लिए पन्द्रह सौ करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है. अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत कुछ बोलना चाहता था लेकिन आपका इशारा हो रहा है, अन्त में मैं यही कहना चाहूँगा कि यह काँग्रेस सरकार है. यह काम करने वाली सरकार है. यह शिवराज सिंह जी जैसी होर्डिंग, पोस्टर्स की सरकार नहीं है. (मेजों की थपथपाहट) अगर किसान का पैसा केन्द्र से आता था आधा पैसा आप लोग दिखाने में खर्च करते थे.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय मंत्री जी, यातायात सप्ताह में आपके फोटो पूरे प्रदेश में लग रहे हैं.

श्री गोविन्द सिंह राजपूत--  अध्यक्ष महोदय, मुझे पूर्व मुख्यमंत्री का याद है पाँच करोड़ का तंबू, बड़े बड़े होर्डिंग, बड़े बड़े पोस्टर, जितना पैसा आता था प्रचार प्रसार में खुद की ब्रॉण्डिंग में माननीय पूर्व मुख्यमंत्री खर्च करते थे. हम लोग ब्रॉण्डिंग नही करते.

          श्री विश्वास सारंग--  मंत्री जी, आप यातायात सप्ताह के मामले में तो बता दो. यातायात सप्ताह में आपके फोटो क्यों लगे हैं?

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत--  आपके बंगले में आपके भी बहुत फोटो लगते हैं, हमने देखे हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  आपने यातायात सप्ताह में ही लगा दिए. इतना छोटा सा काम यातायात सप्ताह चार दिन का.

          श्री गोविन्द सिंह राजपूत--  अध्यक्ष महोदय, पुनः मैं आपको बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ और मैं आपके माध्यम से सारे पक्ष के साथियों को, सारे विपक्ष के साथियों को, नेता प्रतिपक्ष को, सबको, बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने चर्चा में भाग लिया. आपका बहुत बहुत धन्यवाद. बहुत बहुत नमस्कार.

 

 

 

 

6.13 बजे

विधान सभा की सदस्यता से त्यागपत्र.

निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 126- छिंदवाड़ा से निर्वाचित सदस्य, श्री दीपक सक्सेना का त्यागपत्र.

        अध्यक्ष महोदय--  निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 126- छिंदवाड़ा से निर्वाचित सदस्य, श्री दीपक सक्सेना ने विधान सभा के अपने स्थान से त्यागपत्र दे दिया है, जिसे मेरे द्वारा दिनाँक 20 फरवरी, 2019 को स्वीकृत किया गया है.

 

(मेजों की थपथपाहट)

 

 

 

 

 

 

6.17 बजे                                        संकल्प

 

मानव अंग प्रतिरोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 (2011 का 16) मध्यप्रदेश राज्य में अंगीकृत किया जाना.

 

 

 

                                                                                               

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदया से सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि यह जो संकल्‍प भारत सरकार ने किया है, हमने अंगीकृत किया है इसे थोड़ा सा स्‍पष्‍ट कर दें कि इसका राज्‍य के नागरिकों के लिए क्‍या लाभ होगा क्‍योंकि इसके बारे में भी आपको यहां नीचे लिखना था कि जिस प्रकार से हम विधेयकों में कारणों, उद्देश्‍यों का विवरण लिखते हैं इस कारण से मैं थोड़ा सा जानना चाहता हूं.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-- अध्‍यक्ष महोदय, सन् 1994 में लागू किया गया था. सेन्‍ट्रल एक्‍ट है और राज्‍य इसके लिए बाध्‍य नहीं थे क्‍योंकि हेल्‍थ राज्‍य का मेटर होता है और राज्‍य का मेटर होने से राज्‍य सरकारें बाध्‍य नहीं होती हैं. कोई एडॉप्‍ट करें, ना करना चाहे लेकिन सन् 1995 में राज्‍य सरकार ने इसको अंगीकार किया उस समय हमारी कांग्रेस की सरकार थी. सन् 1995 में इसको अंगीकार किया और सन् 2011 में इसमें संशोधन किया गया. संशोधन में दो, तीन प्‍वाइंट थे पहले आर्गन था, आर्गन के इसमें टिशू भी लिये गये. टिशू के साथ परिवार की जो परिभाषा होती है उसमें भी कई अमेन्‍डमेंट किये गये और जो एक रिट्रीट सेंटर होता है जो अंगदान करते हैं अंगदान की प्रोसेस में किसी डेडबॉडी या किसी जीवित व्‍यक्ति से अंग लेते हैं तो उसकी बीच की प्रोसेस होती है. जब अंग लेते हैं तो इसके लिए भी इसमें कुछ संशोधन किये गये हैं तो एक तो यह था .  यह सन् 2011 में आया.

          श्री गोपाल भार्गव-- मैं इतना जानना चाहता हूं कि इससे कोई कठिनाई तो नहीं बढ़ जाएगी.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-- कठिनाई क्‍यों बढ़ेगी. अंगदान सबसे बड़ा दान होता है और आपको तो इसको एप्रीशियेट करना चाहिए.

          श्री गोपाल भार्गव-- आप मेरी पूरी बात तो सुन लें कि वह प्रक्रिया जिससे आपका यह सारा का सारा संकल्‍प प्रभावी होगा वह प्रक्रिया इतनी जटिल तो नहीं हो जाएगी कि प्रदेश के लोगों को परेशानी हो. सिर्फ इतना ही जानना चाहता हूं कि आपने इसके गुण दोषों पर विचार तो कर लिया है. कर लिया हो तो ठीक बात है.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-- माननीय विपक्ष के नेता जी ने अपनी बात कही. सन् 2011 में यह संशोधन आया था. आठ साल हो गए हैं वर्ष 2019 चल रहा है. यह चीज तो आप ला सकते थे, आपकी सरकार थी लेकिन आप नहीं लाए. मेरे सामने यह चीज आई. माननीय पूर्व अध्‍यक्ष महोदय भी यहां बैठे हुए है. पंद्रह साल पहले पिछली सरकार में भी जब मैं मेडिकल एज्‍यूकेशन मंत्री थी आपको शायद याद होगा पेरामेडिकल काऊं‍सिल पूरे हिन्‍दुस्‍तान में किसी भी राज्‍य में नहीं थी और मेरी नजरों से आया था और मैं ही एक अकेली मंत्री थी जो पेरामे‍डिकल काऊंसिल लाई. जो पहली बार सिर्फ मध्‍यप्रदेश में आया और यह फाईल भी अभी मेरी नजरों से आयी है तो मैं लेकर आई कम से कम आपको मेरी थोड़ी सी तो तारीफ करनी चाहिए कि एक अच्‍छा संकल्‍प इस सदन के अंदर मैं लेकर आई. माननीय पूर्व अध्‍यक्ष महोदय यह मेरे ही कॉलेज के मेरे सीनियर हैं. इनको मेरी और ज्‍यादा तारीफ करना चाहिए. मैं उम्‍मीद करती हूं विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष ने जो आश्रय उठाया, जो प्रश्‍न उठाया इसमें मैं कहना चाहूंगी की नोटो, रोटो, सोटो यह कमेटियां हैं. नोटो नेश्‍नल कमेटी है, रोटो रीज़नल कमेटी है जिसमें दो, तीन प्रदेश आते हैं और सोटो हमारी स्‍टेट की कमेटी है. जिसमें इसका नाम होता है. स्‍टेट आर्गन एण्‍ड टिशू ट्रांसप्‍लांटेशन आर्गेनाइजेशन इसमें जो हमारे पी.एस. रहेंगे मेडिकल एज्‍यूकेशन के दो मेडिकल एक्‍सपर्टस रहेंगे, लीगल एक्‍सपर्ट रहेगा. दो एमीनेन्‍ट सोशल वर्कर रहेंगे इसके साथ ही एक एन.जी.ओ. रिप्रजेंटेशन एन.जी.ओ. का रहेगा. ह्यूमन आर्गन ट्रांसप्‍लांट के जो स्‍पेशिलिस्‍ट रहेंगे उनको रखा जाएगा और यह एक कमेटी बनाई जाएगी जो स्‍टेट लेवल की होगी. यह बनी हुई है इसके साथ ही मेडिकल लेवल पर जो हमारे मेडिकल कॉलेजेस हैं उस लेवल पर भी एक कमेटी बनाई जाएगी जो कमेटी हमारी रहेगी जो एथोराईजेशन कमेटी उसका नाम रहेगा. इसके साथ जिला स्‍तर पर भी एप्रोप्रियेट अथॉरिटी रहेगी. एप्रोप्रियेट अथॉरिटी को सिविल कोर्ट के पॉवर रहेंगे. सिविल कोर्ट के अगर पॉवर रहेंगे तो वह किसी को भी समन जारी कर बुला सकता है तो मैं समझती हूं कि विपक्ष के नेता इस बात से सहमत होंगे कि सिविल के पॉवर देने से किसी को भी समन करे वह बुला सकते हैं कि इसमें क्‍या कमियां हैं, खामियां हैं और एक अच्‍छी चीज आ रही है इसीलिए मैं चाहूंगी इसके साथ ही.. 

          श्री गोपाल भार्गव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी जिज्ञासा सिर्फ इतनी है कि यदि किसी को किडनी दान करनी हो तो लोग महीनों घूमते हैं और इस बीच जरूरतमंद की मृत्‍यु भी हो जाती है. आपके इस संशोधन से उस पर कोई प्रभाव तो नहीं पड़ेगा. लीवर, किडनी और जिन भी अंगों को दान किया जाता है और उनका प्रत्‍यारोपण होता है, आप इसका परीक्षण करके देख लें कि कहीं ऐसा न हो कि इससे राज्‍य के हाथ बंध जायें.

          डॉविजयलक्ष्मी साधौ-  इससे अंगों के दान एवं प्रत्‍यारोपण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, अपितु इसे रेग्‍यूलर करने के लिए यह किया जा रहा है और मैं निवेदन करना चाहती हूं कि इंदौर, रीवा, जबलपुर, ग्‍वालियर में जो मेडिकल कॉलेज हैं उनमें सुपर स्‍पेशलिस्‍ट की स्‍थापना की जा रही है और इन सभी स्‍थानों पर अंगों के प्रत्‍यारोपण का कार्य प्रारंभ किया जायेगा. हम 6 माह से 1 वर्ष के भीतर इस कार्य को प्रारंभ करवा देंगे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्‍त मेरा एक और निवेदन है कि भोपाल हमारी राजधानी है. विश्‍वास सारंग जी, भी यहां बैठे हुए हैं परंतु पता नहीं क्‍यों ये चुप बैठे रहे और भोपाल के राजधानी होने के बावजूद भी सारंग जी यह कार्य यहां प्रारंभ नहीं करवा पाये, लेकिन मैं आपको विश्‍वास दिलाती हूं कि किडनी प्रत्‍यारोपण यूनिट की स्‍थापना की स्‍वीकृत हमारे द्वारा दे दी गई है और 6 माह के अंदर किडनी प्रत्‍यारोपण का कार्य भोपाल में भी प्रारंभ हो जायेगा. हमारे द्वारा फैकल्‍टी की भर्ती प्रारंभ कर दी गई है और मैं समझती हूं कि इससे भोपाल की जनता को फायदा होगा. इसके कुछ उपकरण भी आ गए हैं और हमारा यह कार्य लगातार जारी है.

          अध्‍यक्ष महोदय- धन्‍यवाद, मंत्री जी.

           

          श्री विश्‍वास सारंग-  माननीय मंत्री महोदया जी, को उनकी पहल पर बहुत-बहुत बधाई. मैंने बधाई दी है, अगली बार मत बोलियेगा कि मैंने कुछ नहीं किया.

          श्री गोपाल भार्गव-  अध्‍यक्ष महोदय, कृपया नोट करवा दें कि संकल्‍प सर्वसम्‍मति से स्‍वीकृत हुआ.

          अध्‍यक्ष महोदय-  संकल्‍प सर्वसम्‍मति से स्‍वीकृत हुआ.

6.29 बजे

सत्र का समापन

 

          अध्‍यक्ष महोदय-  मध्‍यप्रदेश की पन्‍द्रहवीं विधान सभा का दूसरा सत्र अब समाप्ति की ओर है. 4 दिवसीय इस सत्र में सदन की 3 बैठकें हुई. इस सत्र में विधायी, वित्‍तीय तथा लोक महत्‍व के अनेक महत्‍वपूर्ण कार्य संपन्‍न हुए.

          इस सत्र में सदन ने वर्ष 2018-19 के तृतीय अनुपूरक अनुमान वर्ष 2004-05 के अधिकाई अनुदान, वर्ष 2019-20 के आय-व्‍ययक (लेखानुदान) तथा वर्ष 2019-20 के वार्षिक वित्‍तीय विवरण को अपनी स्‍वीकृति प्रदान की. वहीं 6 शासकीय विधेयक भी पारित किये गए.

          नियम-139 के अधीन प्रदेश में फसलों को पाले से हुए नुकसान के संबंध में कृषकों को सर्वेवार मुआवजा तथा फसलों का उचित मूल्‍य व भावांतर भुगतान संबंधी लोक महत्‍व के विषय पर विस्‍तार से चर्चा की गई, जिसमें दोनों पक्षों के माननीय सदस्‍यों द्वारा प्रभावी ढंग से भागीदारी की गई. इस सत्र में माननीय सदस्‍यों के 727 प्रश्‍न प्राप्‍त हुए, जिसमें से 391 तारांकित, 336 अतारांकित प्रश्‍न थे. ध्‍यानाकर्षण की कुल 278 सूचनाएं प्राप्‍त हुई, जिसमें 29 सूचनाएं ग्राह्य हुई और 08 पर सदन में चर्चा हुई. स्‍थगन प्रस्‍ताव की कुल 12 सूचनाएं प्राप्‍त हुई, साथ ही कार्यमंत्रणा समिति का प्रतिवेदन भी प्रस्‍तुत हुआ. इस प्रकार यह सत्र प्रभावी रहा.

          यह पवित्र सदन प्रजातंत्र का मंदिर है, जिसमें प्रदेश की जनता का विश्‍वास और आशाएं पल्‍लवित होती हैं. इस मंदिर से जन-कल्‍याण की धाराएं निकलें और जन-जन तक पहुंचे, हम सब इसी उद्देश्‍य की पूर्ति के लिये यहां आए हैं. चाहे हम किसी भी दल से हों, किसी भी विचारधारा के हों, लेकिन हमारा लक्ष्‍य एक ही है और वह है जनकल्‍याण और प्रदेश का विकास. अत: पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों को सहिष्‍णुता और सामंजस्‍य के साथ अपने-अपने कर्तव्‍यों एवं भूमिका का निर्वहन करना होगा.

          इस सत्र के सुचारू संचालन में सहयोग के लिये मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी, माननीय नेता प्रतिपक्ष, माननीय उपाध्‍यक्ष, माननीय संसदीय कार्य मंत्री सहित सभी माननीय मंत्रीगणों, माननीय सदस्‍यों, प्रिंट और इलेक्‍ट्रानिक मीडिया से जुड़े महानुभावों, विधान सभा सचिवालय तथा शासन के अधिकारियों/कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों को धन्‍यवाद देता हूं.

          मैं अपनी और पूरे सदन की ओर से प्रदेशवासियों को महाशिवरात्रि और होली की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए उनकी और प्रदेश की समृद्धि तथा खुशहाली की कामना करता हूं.

          अगले सत्र में हम सब पुन: समवेत होंगे, धन्‍यवाद.

          मुख्‍यमंत्री (श्री कमलनाथ):- माननीय अध्‍यक्ष जी, मैं सदन के हर सदस्‍य को धन्‍यवाद देना चाहता हूं. मुझे खुशी होती अगर उपस्थिति इससे अधिक होती. सदन में सदस्‍यों की उपस्थिति बहुत आवश्‍यक है, जो मेरा अनुभव है लोक सभा में संसदीय कार्य मंत्री रहने का. मुझे भी इस बात की खुशी है कि जिस सदन का मुझे कोई अनुभव नहीं था, मुझे भी कुछ अनुभव मिलने का यह मौका मिला.

          मैं प्रतिपक्ष के नेता को भी धन्‍यवाद देना चाहता हूं. साथ ही अध्‍यक्ष महोदय, आपको तो देना ही है कि किस प्रकार से और कैसे व्‍यवस्थित रूप से आपने सदन का संचालन किया, आप ही रक्षक हैं, रक्षक केवल इस सदन के नहीं,पर हमारे प्रजातंत्र के भी हैं, इसलिये आपको धन्‍यवाद देते हुए मैं यह कामना करता हूं कि हमारा अगला सत्र जो शुरू होगा, इसमें भी इस माहौल में सदन चलेगा. बहुत आवश्‍यक है कि पक्ष भी होता है और विपक्ष भी होता है, पर हम सबका लक्ष्‍य एक है. यह सही है कि राजनीति में विपक्ष को भी कुछ करना पड़ता है, कहना पड़ता है, पर यह सीमा में रहे. हम अपना लक्ष्‍य न भूलें, अपने लक्ष्‍य को नजर अंदाज न करें कि मध्‍यप्रदेश के साढ़े सात करोड़ लोगों का हम प्रतिनिधित्‍व करते हैं. जिनकी आशाएं, आकांक्षाएं भविष्‍य के लिये, हम सब पर हैं. हम सबने संकल्‍प लिया था कि मध्‍य प्रदेश के विकास का और मध्‍य प्रदेश के उद्धार का एक नया नक्‍शा बनायेंगे. मुझे इसमें कोई शक नहीं कि दोनों पक्ष का यह लक्ष्‍य है और आगे आने वाले सदन में हम मिल कर इस लक्ष्‍य की ओर आगे बढ़ेंगे. आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव):-  माननीय अध्‍यक्ष जी, चार दिवसीय यह लघु सत्र उसमें एक दिन का अवकाश भी था और संयोग से हमारा पहला दिन शोक- श्रद्धांजलि में गया. अध्‍यक्ष महोदय, कुल दो दिन हमको काम करने के लिये मिले, इन दो दिनों में मुझे लगता है कि हम लोगों ने आपसी परस्‍पर और समझ के द्वारा और  कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में हमने जैसा तय किया था, उसके अनुपालन में बल्कि उससे भी बढ़कर आपसी सौम्‍यता, सौहाद्रता के साथ में दो दिवसीय कार्यवाही का संचालन आपके मार्गदर्शन में, आपके निर्देशन में और आपके संरक्षण में किया.

          अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा यह बात सही है कि हो सकता है कि राज्य के बारे में उनका उतना अनुभव नहीं हो, जितना कि बाकी सदस्यों का है. विधायी कार्यों में उनका अनुभव है, लेकिन उन्होंने परिपक्व व्यक्ति की तरह नेता के रूप में प्रश्नों के उत्तर दिये और भी कार्यवाहियों में भाग लिया. इसके साथ ही उन्होंने अपने शासकीय कार्यों का भी निष्पादन किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका तो आभारी हूं ही कि आपने अपने कुशल नेतृत्व में सब कुछ संभव हो सका. माननीय सदन के नेता का भी आभारी हूं, साथ ही उनके मंत्रि-मण्डल के सहयोगियों का भी आभारी हूं. मैं प्रतिपक्ष के हमारे सारे साथियों का भी आभारी हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदया का आभारी हूं. विधान सभा के माननीय प्रमुख सचिव, श्री ए.पी.सिंह जी का भी आभारी हूं उनके सारे सहयोगी, उनके रिपोर्टर्स सभी का हृदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूं. हमारे प्रिन्ट मीडिया, हमारे इलेक्ट्रानिक मीडिया के जो भी हमारे संवाददाता हैं वह बहुत ही अच्छी रिपोर्टिंग करते हैं, यही प्रतिबिम्ब है. हमारा हमेशा लोकसभा तथा राज्यसभा की तरह लाईव टेलीकास्ट नहीं चलता. इनके माध्यम से पूरे प्रदेश में किस तरह की कार्यवाही विधान सभा में संचालित कर सके. लोक हित में, राज्य हित में, किसानों के हित में, मजदूरों तथा गरीबों के हित में प्रदेश के हित में क्या क्या चर्चाएं कीं, क्या काम हुए, क्या फैसले हुए तथा क्या निर्णय हुए? विधान सभा में जो विधेयक आये उन पर क्या चर्चा हुई. यह सारी बातें हम लोग उनके द्वारा मिलती है. वह लोग भी प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता तक पहुंचाते हैं इनके लिये भी धन्यवाद व्यक्त करता हूं. बाहर ड्यूटी पर तैनात तमाम कर्मचारी जो राज्य के कौने कौने से आते हैं चाहे वह पुलिस के कर्मचारी अधिकारी हों या अन्य विभागों के अधिकारी कर्मचारी हों. उन सबका भी हम आभार व्यक्त करते हैं, क्योंकि वह लोग लगातार हमारी सुरक्षा में लगे रहते हैं. विधान सभा की कार्यवाही दो दिन चली, यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. विधान सभा की शुरूआत 11.00 बजे से हुई है, अभी लगभग पौने सात बज रहे हैं. लगभग पौने आठ घंटे हमारी विधान सभा की कार्यवाही चली है. यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है. यह हमारे सुनहरे भविष्य का और बेहतर कार्यवाही का हमारा छोटा सा एक प्रकार से एक नमूना है.

          अध्यक्ष महोदय--आप सहयोग दीजिये फिर देखें कि विधान सभा की कार्यवाही कितनी लंबी चलाता हूं.

          श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, आपको पूरा सहयोग मिलेगा. कभी किसी भी प्रकार की शिकायत का अवसर आपको नहीं मिलेगा, मेरी ओर से नहीं प्रतिपक्ष की ओर से मैं सभी के बारे में तो नहीं कह सकता हूं. मैं सबसे आग्रह ही कर सकता हूं, लेकिन अपने साथियों से प्रबलता से आग्रह कर सकता हूं कि आपको किसी भी प्रकार से और कभी भी न सदन के नेता को न आपको हमारी तरफ से कभी शिकायत का अवसर नहीं मिलेगा बशर्ते हम राज्य हित में काम करें. हमें लोगों ने बड़ी आशा और उम्मीदों के साथ यहां पर भेजा है. पक्ष विपक्ष तो चलता रहता है. मैं भी 15 साल तक मंत्री रहा हूं. 35 साल की अवधि मेरी इस सदन में हो गई है मिन्टो हॉल से लेकर यहां तक. कई बार ऐसे दौर आते हैं लंबे लंबे सत्र, बजट सत्र डेढ़ महीने तक चलते हैं. पहले सदन में हास-परिहास भी सदन में होता था, लेकिन दुर्भाग्य आज यह परम्परा समाप्त हो गई है. पूर्व में हास परिहास की विधान सभा में एक किताब भी निकलती थी. मैं चाहता हूं कि जब कोई टेंशन होता है वाद-प्रतिवाद होता है, बहुत ही गर्मागर्मी होती है उस समय हमारे द्वारा कोई ऐसी बात कही जाये या कोई ऐसा प्रसंग आ जाये जिसमें हम लोग कोई पिक्चर देखते हैं तनावपूर्ण पिक्चर देखते हैं उसमें यदि कादर खान और इसरानी जैसे हास्य कलाकार आ जाते हैं तो निश्चित रूप से वह पिक्चर लाईट हो जाती है.

          अध्यक्ष महोदय--स्वर्गीय रत्नेश सॉलोमन जैसा व्यक्ति ढूंढना पड़ेगा.

          श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, माननीय रत्नेश भाई तथा अनेकों लोग थे जो आज हमारी यादगार में हैं. मैं मानकर चलता हूं कि यह भी एक विधा है. यह वातावरण को हल्का करने के लिये है. कभी कभी तनाव इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि हम मन में शत्रुभाव पैदा कर लेते हैं. उस शत्रुभाव के कारण प्रश्नोत्तर में भी कभी कभी एक दो प्रश्न ही हो पाते थे इससे पूरा सदन बाधित हो जाता था सदन दिन भर के लिये समाप्त हो जाता था. आपने भी यह देखा होगा अध्यक्ष महोदय यह स्थिति आज इस सत्र में देखने के लिये नहीं आयी है. बहुत सुखद और बहुत ही आनंददायक बात है. मैं भविष्‍य में उम्‍मीद करूंगा जब भी आहुत होगा सत्र, तो मैं मानकर चलता हूं कि बड़ा सत्र होगा और सभी हमारे मंत्रीगण के लिए भी प्रश्‍नों के उत्‍तर देने में सुविधा होगा. मैं मानकर चलता हूं कोई पेट से सीखकर नहीं आता, जन्‍मजात विद्वान नहीं होता, इस कारण से यह भी आवश्‍यक है वे भी अध्‍ययन करके आएंगे और प्रश्‍नों के समाधानकारक उत्‍तर देंगे और हम लोग भी उनसे प्रश्‍न करेंगे, उनसे पूछेंगे तो इससे प्रदेश का भला होगा. जैसे आज 139 की चर्चा हुई आज यह लगभग 4 से 5 घंटे की चर्चा हुई. कल लगभग एक घंटे की चर्चा में हमारे पूर्व मुख्‍यमंत्री जी अपनी बात कह गए तो उस चर्चा को आपने एलाउ किया. कार्यमंत्रणा में सदन के नेता जी ने स्‍वीकार किया, इससे जो निष्‍कर्ष निकलकर आया है. अध्‍यक्ष महोदय मैं मानकर चलता हूं कि राज्‍य के किसानों के हित में है, गरीब वर्ग के हित में है, उस वर्ग के हित में है जिसके लिए हम सभी लोग काम कर रहे हैं. निश्चित रूप से लाभदायक होंगे. आपने कृपा करके ध्‍यानाकर्षण की 6-6 सूचनाएं ली, उसके बाद आग्रह मेरा कुछ भी हो सकता है. लेकिन आपने जो भी लिया तो यह निश्चित रूप से हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. उसके माध्‍यम से हम लोगों के सामने, प्रदेश के सामने उनको लगता है  समस्‍या से ग्रसित लोगों को लगता है कि उनकी बात की चर्चा सदन में उठी और चर्चा हुई और उनको तसल्‍ली होती है, उनको सुख मिलता है, उनको लगता है कि उनकी बात की सुनवाई हो रही है. यही प्रजातंत्र एवं लोकतंत्र की खूबसूरती है. हम इस खूबसूरती के लिए और ज्‍यादा आगे बढ़े, और ज्‍यादा इसको खूबसूरत बनाए, और ज्‍यादा इसको परिणामदायक बनाए, और ज्‍यादा हम इसके लिए ऐसे निष्‍कर्ष पर पहुंचाए, मैं चाहता हूं कि मध्‍यप्रदेश विधानसभा का जो शानदार इतिहास रहा, इस इतिहास को हम और ज्‍यादा ऐसी ऊंचाई पर पहुंचाए कि जिसके लिए हमारी पीढि़यां याद करें, बाद में जो लोग आए, ठीक है. मुझे भी काफी वक्‍त इस सदन में हो गया तो इस कारण से मैं चाहता हूं कि पीछे आने वाले जो सदस्‍य कह रहे हैं थे कि हम इसमें कुछ सीखने आए थे, हम चाहते थे कि हम नए नए आए हैं, हम कुछ सीखें. अध्‍यक्ष महोदय, लेकिन शायद उनकी मंशानुसार कुछ हुआ नहीं. लेकिन उन सदस्‍यों से मैं कहना चाहता हूं आगे आने वाले सत्र में वह पूरी तैयारी करके आए हम लोग भी पूरी तैयार करके आएंगे और जिस चीज से वह वंचित रहे जिस जानकारी से वे वंचित रहे इस सदन के अंदर वे जो गुण देखना चाहते हैं वे जो आनंद लेना चाहते हैं यदि वह उससे वंचित रहे तो आगे आने वाले सत्र में उन्‍हें वह सब बातें जो हम सम्‍पूर्ण रूप से हम नहीं दे सके, हो सके कहीं अपूर्णता रही हो, उन्‍हें हम संपूर्णता तक पहुंचाएंगे. किसी प्रकार की समस्‍या इस सदन में उनके सामने नहीं आएगी.

          अध्‍यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट, लेखानुदान, ध्‍यानाकर्षण, याचिकाएं, शून्‍यकाल की सूचनाएं और 139 की सूचनाएं और अभी जो एक संकल्‍प के रूप में आया वह सारी की सारी बातें निश्चित रूप से इस राज्‍य के लोगों के लिए एक बहुत ही लाभ का विषय बनेगी, एक विधानसभा की जो ऊंचाई है उसके लिए एक नया आयाम देगी. मैं आज के दिन जैसे कि आपने कहा, हमारे त्‍यौहार भी आने वाले हैं, महाशिवरात्रि का भी त्‍यौहार है आगे हमारा होली का भी त्‍यौहार होगा, रंगपंचमी भी आएगी, इन सभी त्‍यौहारी की मैं अपनी सभी मित्रों के लिए, सभी सदस्‍यों को बधाई देना चाहता हूं. यह त्‍यौहार एक नई उमंग लेकर मध्‍यप्रदेश की सभी जनता के, सभी नागरिकों के मन में आए, जीवन में आए और हमारे सभी सदस्‍यों के जीवन में आए, बहुत बहुत धन्‍यवाद.

राष्‍ट्रगान

06:44 बजे              राष्‍ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान

          अध्‍यक्ष महोदय - अब राष्‍ट्रगान जन गण मण होगा.

(सदन में माननीय सदस्‍यों द्वारा खड़े होकर राष्‍ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान किया गया)

06:45 बजे

        विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित की जाना.

          अध्‍यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित.

          अपराह्न 06:46 बजे सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित की गई.

भोपाल :

दिनांक :- 21 फरवरी, 2019                                                   अवधेश प्रताप सिंह

                                                                            प्रमुख सचिव,

                                                                       मध्‍यप्रदेश विधानसभा