मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसम्बर, 2019 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2019
(29 अग्रहायण, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 4 ] [अंक- 4]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2019
(29 अग्रहायण, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.06 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
(माननीय सदस्यों द्वारा अध्यक्ष महोदय की तरफ पीठ करते हुए मुख्यमंत्री जी से चर्चा करने पर.)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, आप पधारें.
अध्यक्ष महोदय -- मैं बैठ गया. नरोत्तम जी, सुबह सुबह कुछ लोग मेरी तरफ पीठ करके खड़े हैं, बताओ.
प्रश्नकाल में उल्लेख
खण्डवा की घटना संबंधी स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य किया जाना.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, इनको मालूम नहीं है कि आसंदी के अधिकार, इसलिये ऐसी गलती हो रही है. अध्यक्ष महोदय, मैं एक थोड़ा सा, एक सैकण्ड में आपका ध्यान इस समय देश की मूलभूत समस्या की तरफ आकर्षित करना चाहता हूं. मेरा मानना है कि पार्टियों से ऊपर देश, राष्ट्र होता है. आज हिन्दुस्तान के अन्दर, अनेक प्रदेशों के अन्दर जो आंच उठ रही है, वह धीरे धीरे भ्रम की स्थिति के कारण हमारे मध्यप्रदेश की तरफ भी बढ़ रही है. खण्डवा में कल इस तरह की पुनरावृत्ति हुई. मैंने इसके लिये स्थगन भी दिया. यह एक ऐसा ज्वलंत मुद्दा है, जब भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है और एक पार्टी विशेष के द्वारा की जा रही है, इस प्रदेश के अन्दर की जा रही है, मुखिया के द्वारा की जा रही है और उसके कारण मेरा कहना है कि आप स्थगन पर चर्चा करायें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) -- नरोत्तम जी, आप यह शून्यकाल में उठायें. अध्यक्ष महोदय, प्रश्ननकाल में उठाना यह कौन सी परम्परा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, यह बहुत खराब स्थिति है.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- अध्यक्ष महोदय, इन्हें बात करना है, तो शून्यकाल में बात करें और यह आपके द्वारा निर्मित है, जो वातावरण बन रहा है, वह आप लोगों की वजह से बन रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- हो गया. धन्यवाद.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- यह पूरे देश में आपके द्वारा फैलाया जा रहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, यह देश के अन्दर रहने वाले सभी मुसलमानों के खिलाफ विषय नहीं है. (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जायेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि उस स्थगन पर आप चर्चा करायें.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आपका नहीं लिखा जा रहा है. हमारा निवेदन यह है कि प्रश्नकाल चलने दें, उसके आप बाद उठायें.
अध्यक्ष महोदय -- आप बिराजें. कम से कम आप दो तीन लोग जरा धीरज रखो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री जी कह रहे हैं, मैं बैठ जाता हूं, उसके बाद उठा लेने देना.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आपने सब तो बोल दिया, अब क्या रह गया है बोलने को.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--डॉक्टर साहब, आप ही कह रहे हैं कि प्रश्नकाल चलने दें. हम आपकी बात बोल रहे हैं, अध्यक्ष जी का आदेश मान रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप दोनों वरिष्ठ जनों से अनुरोध है कि कृपा करके आप दोनों अपने अपने स्थान को ग्रहण करने का कष्ट करें. आपने अपनी अपनी बात उठा दी. मैंने सुन ली. अब प्रश्न संख्या 1.
11.08 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
बालाघाट जिले में सौभाग्य योजना का क्रियान्वयन
[ऊर्जा]
1. ( *क्र. 177 ) श्री रामकिशोर कावरे : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा महाप्रबंधक म.प्र.पू.क्षे.वि.वि.क. जबलपुर को जानकारी हेतु पत्र क्रमांक/811/2019, दिनांक 11.11.2019 को लेख किया? यदि हाँ, तो क्या जानकारी दी गई? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) प्रश्नकर्ता द्वारा विगत एक वर्ष में कितने पत्र प्रमुख सचिव/सचिव ऊर्जा विभाग म.प्र. को जाँच एवं अन्य कार्य के लिए लेख किये गये, उन पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) बालाघाट जिले में कब से सौभाग्य योजना प्रारंभ हुई? कितना बजट आया? कितना खर्च आज तक हुआ? (घ) बालाघाट जिले में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना कब से प्रारंभ हुई? कितना बजट आया? कितना खर्च अब तक किया? क्या दोनों योजनाओं में एक ही कार्य एक ही स्थान पर बताया गया? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही करेंगे?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जी हाँ। माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय को उनके पत्र क्रमांक 811, दिनांक 11.11.2019 के माध्यम से चाही गई जानकारी मुख्य महाप्रबंधक (ग्रा.यो.), म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के पत्र क्रमांक 2139, दिनांक 06.12.2019 के माध्यम से प्रेषित की गई है। (ख) माननीय प्रश्नकर्ता विधायक महोदय द्वारा विगत 1 वर्ष (दिनांक 01.12.2018 से प्रश्न दिनांक तक) में विभाग को प्रेषित पत्रों एवं विभाग द्वारा उक्त पत्रों पर की गई कार्यवाही की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) बालाघाट जिले में सौभाग्य योजना दिनांक 11.10.2017 से प्रारंभ हुई। उक्त योजनान्तर्गत बालाघाट जिले हेतु राशि रू. 42.89 करोड़ का प्रावधान विस्तारित कार्य-योजना (डी.पी.आर.) में किया गया है। योजनान्तर्गत प्रश्न दिनांक तक कुल अनुमानित राशि रू. 36.06 करोड़ का व्यय हुआ है। (घ) बालाघाट जिले में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के कार्य हेतु दिनांक 30.06.2017 को मेसर्स कोर एनर्जी सिस्टम प्रा.लिमि. को कार्यादेश जारी किया गया। योजना अंतर्गत बालाघाट जिले हेतु राशि रू. 44.45 करोड़ की स्वीकृति आर.ई.सी. लिमिटेड से प्राप्त हुई। योजनान्तर्गत प्रश्न दिनांक तक कुल राशि रू. 25.80 करोड़ का व्यय किया जा चुका है। जी नहीं, अत: प्रश्न नहीं उठता। तथापि उल्लेखनीय है कि बालाघाट जिले में सौभाग्य योजना के क्रियान्वयन में कथित रूप से हुई अनियमितताओं की जाँच की जा रही है तथा जाँच निष्कर्ष के आधार पर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
श्री रामकिशोर कावरे -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने (क) उत्तर में जो जानकारी मुझे दी है कि मुख्य महाप्रबंधक (ग्रा.यो.), म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर के पत्र क्रमांक 2139, दिनांक 6.12.2019 के माध्यम से मुझे जानकारी प्रेषित की गई है. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि वह जो जानकारी है, वह किस माध्यम से पहुंचाई है, ईमेल,पोस्ट,फैक्स से पहुंचाई है या मेरे हाथ में पहुंचाई है. मैं यह जानकारी मंत्री जी से जानना चाहता हूं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय,जो सदस्य द्वारा चानकारी चाही गई है, वह पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड, जबलपुर के पत्र क्रमांक 2139, दिनांक 6.12.2019 को उनको प्रेषित कर दी गई है.
श्री रामकिशोर कावरे -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि किस माध्यम से जानकारी प्रेषित की गई. ईमेल से, फैक्स से या पोस्ट से.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय,डाक से, पोस्ट से.
श्री रामकिशोर कावरे -- मंत्री जी, इसको एक बार दिखवा लीजिये. मुझे अभी तक यह जानकारी अप्राप्त है. अधिकारियों ने जो आपको जानकारी दी है, गलत जानकारी दी है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य चाहते हैं, मैं इसको दिखवा भी लूंगा और जो अपेक्षित जानकारी है, वह पहुंचा भी दूंगा व्यक्तिगत रुप से.
श्री रामकिशोर कावरे -- अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न है कि मंत्री जी ने (ख) एवं (ग) में इस बात को स्वीकार किया है कि सौभाग्य योजना में अनियमितताएं हुई हैं. जब प्रथम दृष्टया अनियमितताएं हुई हैं तो क्या माननीय मंत्री जी ने उन पर कोई कार्यवाही की है ? यदि बालाघाट जिले में इस प्रकार से किया गया है कि योजना का नाम दो, और एक ही काम को दो योजनाओं में बता दिया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि जिस प्रकार से सौभाग्य योजना से 36 करोड़ रुपये का खर्च बताया गया है और 25 करोड़ दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना से खर्च बताया गया है. जानकारी स्थल जो है, वह एक ही स्थल है और एक ही स्थल पर खर्च किया गया है, मैं माननीय मंत्री जी से सिर्फ इतना चाहता हूँ कि क्या उसकी जांच कराएंगे ? क्या स्थल पर जांच कराएंगे ? क्या भोपाल की टीम से जांच कराएंगे ?
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने अपने पत्रों में उल्लेख किया है और हमने सौभाग्य योजना की बालाघाट में जांच करने के लिए, जो इनका पत्र क्रमांक 811, दिनांक 11.11.2019 है, उसके लिए भी हम लोगों ने जांच दल गठित कर दिया है और जांच दल गठित करके दो माह के अंदर-अंदर सौभाग्य योजना में जो अनियमितताएं हुई हैं, उनकी जांच भी कराएंगे और जो अधिकारी उसमें दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्यवाही भी करेंगे.
श्री रामकिशोर कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक आखिरी प्रश्न है. आपने जो जांच की बात कही है, वह जबलपुर की टीम है, मैं चाहता हूँ कि इसमें सौभाग्य योजना में जिन्होंने काम किया है, चाहे वह चीफ इंजीनियर से लेकर नोडल अधिकारी तक हों, उन सारे अधिकारियों को सबसे पहले वहां से हटाया जाए. उसके बाद भोपाल की टीम को भेजकर वहां जांच कराई जाए.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो सौभाग्य योजना है, इसमें मध्यप्रदेश में 2017 में कार्य प्रारंभ किया गया था. इस सौभाग्य योजना में अनियमितता की घटनाएं हमें बहुत सारे जिलों से प्राप्त हो रही हैं. दो दिन पहले इसी सदन में ध्यानाकर्षण के माध्यम से भी यह बात उठाई गई थी और आज इस प्रश्न के बाद वाले प्रश्न में भी यही विषय आया है. सौभाग्य योजना की व्यापक जांच कराने के लिए जहां-जहां से शिकायतें प्राप्त हो रही हैं, वहां पर हम व्यापक जांच करवा रहे हैं. मैं माननीय सदस्य को यह आश्वस्त करता हूँ कि निष्पक्ष जांच हम संपादित कराएंगे क्योंकि सौभाग्य योजना मध्यप्रदेश का एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य है जो पिछली सरकार में इतना बड़ा घोटाला किया गया है, जिस घोटाले के कोई पैमाने नहीं हैं.
श्री रामकिशोर कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप जांच उन्हीं से करवा रहे हैं, जो जबलपुर के अधिकारी इसमें लिप्त हैं, मैं चाहता हूँ कि चीफ इंजीनियर से लेकर नोडल अधिकारी तक उनको हटाकर जांच करवाइये, उनको वहां से हटाइये.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के माध्यम से एक टीम गठित करके जांच करा दूंगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष जी, जैसा मंत्री जी ने स्वयं स्वीकार किया कि इस योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ियां हुई हैं, मैं मंत्री जी से इतना ही जानना चाहता हूँ, अभी भुगतान हो रहे हैं, आपका एक इंजीनियर 15 लाख रुपये लेते हुए अभी पकड़ा गया. मैं जानना चाहता हूँ कि यह कौन-सा भुगतान था, कब का भुगतान था और इसी तरह से यदि आप जांच कराएंगे तो मैं सोचता हूँ कि स्थिति सुधरने वाली नहीं है. अब होता क्या है कि यदि तेज हवा चलती है, आंधी चलती है तो सारे के सारे खंबे लटक जाते हैं. आपने खुद देखा होगा कि सैकड़ों की संख्या में खंबे नीचे पड़े हैं, तार लाइन पड़ी है. मैं व्यवस्था को सुधारने की बात कर रहा हूँ, आरोप-प्रत्यारोप की बात नहीं कर रहा हूँ. जब इतनी बड़ी राशि उसमें व्यय हुई है और भुगतान अभी भी शेष है तो उस भुगतान को आप रोक कर रखें, जब तक खंबे फिर से खड़े न हो जाएं, दुरुस्त न हो जाएं और जब तक उनका सुदृढ़ीकरण न हो जाए. यदि मंत्री जी चाहें तो इस काम को कर सकते हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी जो यह बात कह रहे हैं, इसमें कुछ तथ्य भी हैं. सौभाग्य योजना में खंबा लगाते समय कांक्रीटीकरण करने का प्रावधान ही हटा दिया गया है. उनमें कांक्रीट नहीं लगाया है, मात्र गिट्टी के साथ खंबे को गाड़ दिया गया है. जो इतनी सारी लाइनों में दिक्कतें आई हैं, वह सौभाग्य योजना में और दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना में कहीं न कहीं कमियां रहीं, इस वजह से आई हैं. जो अभी भुगतान की बात हो रही है, मध्यप्रदेश में वर्ष 2018 में सौभाग्य योजना का कार्य पूर्ण हो चुका है, कोई भी मामला सौभाग्य योजना का अभी लंबित नहीं है. जो कार्यपूर्णता प्रमाण पत्र थे, सारी हमारी तीनों कंपनियों ने वर्ष 2018 में प्रस्तुत कर दिए. यह कहना उचित नहीं है कि जो अभी घटनाक्रम हुआ है, उसमें सौभाग्य योजना से था, परंतु यह तथ्य है कि सौभाग्य योजना में जो व्यापक कार्य का स्तर था और इक्यूपमेंट की जो खरीदी थी उसमें बहुत ज्यादा शिकायतें हैं. हमने मंडला, डिण्डौरी की जांच कराई है, बालाघाट की जॉंच भी हम अभी करा रहे हैं और भी जहां से माननीय विधायकों की, माननीय मंत्रीगण की चिट्ठियां आ रही हैं, उसमें भी निष्पक्ष जॉंच कराएंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- यह जो डेढ़ करोड़ रुपए के रिश्वत की बात थी, जो अखबार में आयी है कि डेढ़ करोड़ रुपए में सौदा हुआ है. कोई चालीस करोड़ रुपए का भुगतान था, तो यह कौन-सी योजना का भुगतान था ?
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्योंकि यह इस प्रश्न का अंग नहीं है. यदि आप चाहेंगे, तो मैं अलग से आपको इसकी पूरी जानकारी उपलब्ध करा दूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद. प्रश्न क्रमांक 2
सीधी व सिंगरौली जिले में संपूर्ण विद्युतीकरण
[ऊर्जा]
2. ( *क्र. 1517 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी-सिंगरौली जिले के अन्तर्गत किन-किन योजनाओं के माध्यम से विद्युतीकरण किया जाना है? क्या अभी तक सीधी व सिंगरौली जिले के समस्त घरों में विद्युतीकरण किया जा चुका है? यदि हाँ, तो जानकारी उपलब्ध करायें, यदि नहीं, तो कब तक शेष घरों में विद्युतीकरण किया जा सकेगा? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या पूर्व में किये गये विद्युतीकरण के कार्य आधे- अधूरे/ शेष हैं, क्या उसको भी पूर्ण किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा? क्या जले हुए ट्रांसफार्मरों को समय-सीमा के अन्दर नहीं बदला जाता? क्या कारण है? समय-सीमा में बदलने हेतु क्या निर्देश हैं। (ग) क्या सीधी-सिंगरौली जिले के अन्तर्गत घोरबंधा, डिघरा एवं बेंदों में विद्युत केबिल के द्वारा विद्युत प्रदाय किया जाता था, विगत चार वर्षों से विद्युत सप्लाई केबिल क्षतिग्रस्त होने के कारण बंद पड़ी हुई है? विद्युत सप्लाई शुरू करने के लिये विभाग के द्वारा आज दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं की गई तो क्या कारण है? विद्युत सप्लाई नहीं होने के कारण दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की गई तो क्यों? (घ) क्या सीधी-सिंगरौली जिले के उपभोक्ताओं को 24 घंटे एवं किसानों को 10 घंटे विद्युत आपूर्ति नहीं की जाती है? इसका क्या कारण है? अघोषित बिजली कटौती कब तक जारी रहेगी? कितने उपभोक्ताओं को 100 रूपये प्रतिमाह में राज्य सरकार की नीति के तहत विद्युत प्रदाय की जाती है? विद्युत वितरण केन्द्रवार उपभोक्ताओं की संख्या की जानकारी उपलब्ध करायें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) जिला सीधी में वर्तमान में ग्रामीण विद्युतीकरण की कोई योजना संचालित नहीं है, पूर्व में संचालित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना एवं सौभाग्य योजना के अंतर्गत योजना के प्रावधानों के अनुसार समस्त कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं। जिला सिंगरौली में संचालित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना अंतर्गत योजना के प्रावधानों के अनुसार समस्त कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं तथा सौभाग्य योजना में कार्य शेष रहने के संबंध में जाँच की जा रही है, जिन्हें भविष्य में वित्तीय उपलब्धता अनुसार किया जा सकेगा। सौभाग्य योजना के प्रावधान अनुसार जिला सीधी में 58744 एवं सिंगरौली में प्रश्न दिनांक तक 48929 अविद्युतीकृत घरों का विद्युतीकरण किया जा चुका है। (ख) जी नहीं, पूर्व में जिला सीधी एवं सिंगरौली में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत किया गया कोई भी कार्य अपूर्ण/अधूरा नहीं है। किये गये सभी कार्य पूर्ण हैं। जिला सिंगरौली में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के समस्त कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं, किन्तु सौभाग्य योजना में उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार कार्यों के शेष रहने की जाँच कराई जा रही है। जले/खराब हुए वितरण ट्रांसफार्मरों को निर्धारित समय-सीमा में बदला जाता है। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित समय-सीमा अनुसार संभागीय मुख्यालय में 12 घंटे, शहरी क्षेत्र (संभागीय मुख्यालय के अलावा) में 24 घंटे एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून सीजन के अलावा 3 दिवस तथा मानसून सीजन (जुलाई से सितम्बर) में 7 दिवस की अवधि में जला/खराब ट्रांसफार्मर बदले जाने के निर्देश हैं। (ग) जिला सीधी के ग्राम घोरबंधा, डिगरा एवं बेंदों वन क्षेत्र में स्थित होने के कारण इन्हें विद्युत प्रदाय करने हेतु ग्राम भुईमाड़ से घोरबंधा तक 11 के.व्ही. लाईन का निर्माण उच्चदाब ए.बी. केबिल पर किया गया था। जी नहीं, विगत 4 वर्ष से नहीं अपितु दिनांक 05.01.2019 से अज्ञात लोगों द्वारा पोल क्षतिग्रस्त कर उच्चदाब केबिल चोरी कर लेने के कारण ग्राम घोरबंधा, डिगरा एवं बेंदों का विद्युत प्रदाय बंद है। क्षतिग्रस्त पोल बदलकर एवं पुनः केबिल लगाकर विद्युत प्रदाय चालू करने हेतु निर्माण संभाग को कार्यादेश जारी किया गया है। उक्त सभी ग्राम सघन वन क्षेत्र में होने के कारण इन्हें विद्युत प्रदाय करने वाले केबिल के क्षतिग्रस्त होने/चोरी होने की संभावना बनी रहती है। उक्त चोरी की घटना के पूर्व विद्युत लाईनों का समय-समय पर रख-रखाव कर विद्युत प्रदाय सुचारू रूप से किया जा रहा था। अतः वर्तमान में विद्युत प्रदाय बाधित होने के लिये कोई अधिकारी/कर्मचारी दोषी नहीं है, अतः किसी के विरुद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) जिला सीधी एवं सिंगरौली के अंतर्गत तकनीकी कारणों/प्राकृतिक आपदा से आए आकस्मिक विद्युत व्यवधानों तथा संधारण कार्य हेतु अत्यावश्यक होने जैसी अपरिहार्य स्थिति को छोड़कर समस्त घरेलू फीडरों से संबद्ध उपभोक्ताओं को 24 घंटे एवं कृषि फीडर से संबद्ध उपभोक्ताओं को 10 घंटे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। किसी भी प्रकार की विद्युत कटौती नहीं की जा रही है। जिला सीधी एवं सिंगरौली में राज्य शासन की इंदिरा गृह ज्योति योजना के अंतर्गत 100 यूनिट तक की खपत होने पर जारी 100 रूपये के बिलों के उपभोक्ताओं की विद्युत वितरण केन्द्रवार संख्यात्मक जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री कुँवर सिंह टेकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न विद्युतीकरण के संबंध में है कि शत-प्रतिशत घरों में विद्युतीकरण सौभाग्य योजना और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत होना था लेकिन मेरे प्रश्न के जवाब में माननीय मंत्री जी ने संख्या बता दी कि इतने घरों में विद्युतीकरण का काम हुआ लेकिन अभी भी मेरी विधानसभा क्षेत्र की 132 पंचायतों में साढ़े चौदह हजार घरों में विद्युतीकरण अभी तक नहीं हुआ है. इन्होंने इस चीज को हमें बताया नहीं कि इतने घरों में विद्युतीकरण शेष है. यदि विद्युतीकरण शेष है तो मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हॅूं कि उनका विद्युतीकरण का काम कब तक पूरा किया जाएगा ?
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ा आश्चर्य होता है. माननीय सदस्य मुझसे प्रश्न पूछ रहे हैं और आप ही की सरकार ने सौभाग्य योजना में शत-प्रतिशत मध्यप्रदेश के घर विद्युतीकृत हो चुके हैं, यह घोषणा की है तो आश्चर्य तो होता है परन्तु आपका प्रश्न है और मैं मानता हूँ और यह सही भी है. यह हमारे वचन पत्र का हिस्सा है कि जितने भी आदिवासी क्षेत्र के मजरे-टोले हैं जिन्हें सौभाग्य योजना में दावा कर दिया गया था कि हमने उनको विद्युतीकृत कर दिया है परन्तु असलियत यह है कि वहां तक लाईट नहीं पहुंची है, उसका हम व्यापक सर्वे करवा रहे हैं और आने वाले समय में बजट उपलब्धि की परिस्थिति में निश्चित रुप से सारे घरों को विद्युतीकृत करवाएंगे. यह हमारे वचन पत्र का हिस्सा है और हमारा लक्ष्य है.
श्री कुँवर सिंह टेकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किस सरकार ने क्या किया, मैं यह नहीं पूछ रहा था. आपकी सरकार ने तो कुछ किया नहीं था. यदि पिछली सरकार के द्वारा कुछ काम हुआ और यदि कुछ काम छूट गए हैं, मैंने उसके बारे में प्रश्न किया था और छूटे हुए घरों में विद्युतीकरण का काम कब तक करेंगे, मैंने यह पूछा था. आप यह स्पष्ट करें कि उन घरों में विद्युतीकरण का काम कब तक होगा ? आपने लिखा है कि अधूरी सौभाग्य योजना के तहत सभी कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं. मुझे जितनी जानकारी है कि ग्राम चरहाई आदिवासी बस्ती में डिवहली, धूमा, सिरौला बैगान में, धूमरीकलां, जमुहा, उरटोला यहां पर विद्युतीकरण का काम पूरा नहीं हुआ है. खंबे गाड़ दिए गए हैं, तार नहीं लगे हैं. यदि वहां तार लगे हैं लेकिन ट्रासंफॉर्मर नहीं लगा है. बिजली की सप्लाई नहीं हुई है और इस तरह की असत्य जानकारी देकर या तो आप विभाग को बचा रहे हैं या अपनी कमियों को छुपा रहे हैं, मुझे नहीं पता. इसी तरह से जौबा, परसी, दूबरीकलां, कोटमा, जूरी, नौवडि़या, गांजा, ददरिया में उन घरों का विद्युतीकरण दिखाना और बिजली का बिल भेजना शुरु कर दिया, जहां पर बिजली के कनेक्शन अभी तक जारी नहीं किए गए हैं तो संपूर्ण जितनी भी घटनाएं हैं, क्या आप उनकी जॉंच कराएंगे ?
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी अपना उत्तर बहुत ही गंभीरता से और स्पष्ट रुप से दिया था. मैं कहीं पर भी यह दावा नहीं कर रहा हॅूं कि किसने काम कराया, किसने काम नहीं कराया. यह पूर्णत: प्रमाण पत्र सौभाग्य योजना में आपकी सरकार द्वारा जारी किया गया था, हमारे द्वारा जारी नहीं किया गया था. चलिए, यह बात छोड़ दें आपका उत्तर भी मैंने स्पष्ट रुप से दिया है कि हम इसमें सर्वे करवा रहे हैं. सौभाग्य योजना में जो दावे गलत हैं, जो गलत दावे किए गए थे, उसके अंतर्गत जो गांव छूट गए हैं जो मजरे-टोले छूट गए हैं, मैं उनका सर्वे करवाने का निर्देश दे चुका हॅूं. हमारा सर्वे चल रहा है. एक बार योजना तैयार होकर उसमें जैसे ही बजट के प्रावधान होंगे, हम उसके अनुसार कार्य करवाएंगे.
श्री कुँवर सिंह टेकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उनदौर, घोरबंधा, डिघरा और बेंदों यह आदिवासी क्षेत्र होने के कारण जंगली क्षेत्र में यह गांव बसे हुए हैं यहां पर केबल के माध्यम से विद्युतीकरण किया गया था और चार साल से इन ग्रामों में विद्युत सप्लाई अवरुद्ध है. आपने जानकारी दी है कि विद्युत सप्लाई चालू है. एक में लिखा है कि जनवरी 2019 से बंद है. यह असत्य जानकारी है. मेरा यह कहने का आशय है कि जहां पर केबल के माध्यम से विद्युतीकरण का काम हुआ है, केबल बदलवार अच्छी गुणवत्ता युक्त केबल लगवाकर कब तक विद्युत सप्लाई का काम करवा देंगे ? समय सीमा बताएं.
अध्यक्ष महोदय - (श्री रामेश्वर शर्मा के खड़े होने पर) मैं मूल प्रश्नकर्ता को ही अभी पूछ रहा हूं रामेश्वर जी.
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, रामेश्वर जी का मेरे ऊपर असीम प्रेम है.
अध्यक्ष महोदय - इसलिए एकदूसरे से खिच रहे हैं. चिपक रहे हैं. बिजली का काम ही चिपकाना है.
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, करंट लगता है तभी आदमी चिपकता है. मुझे प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 05.01.2019 से यहां पर विद्युत सप्लाई बंद है परंतु माननीय सदस्य ने मेरा भी ज्ञानवर्द्धन कर दिया कि 4 वर्षों से बंद है. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि इसमें हमने कार्यवाही भी की है और क्योंकि दिनांक 05.01.2019 से हमारी जिम्मेदारी थी और इसमें अनियमितता हुई है इसको दृष्टिगत रखते हुए फरवरी में आदेश भी जारी कर दिए गए थे कि यहां पर केबल लगा दी जाए परंतु तत्कालीन कार्यपालन यंत्री के खिलाफ हम कार्यवाही कर रहे हैं उसको निलंबित कर रहे हैं. साथ ही वैढ़न के जो ओ. एण्ड एम. के कार्यपालन यंत्री हैं उनको कारण बताओ नोटिस भी दे रहे हैं और माननीय सदस्य को विश्वास दिलाते हैं कि दिनांक 30.12.2019 तक केबलीकरण का कार्य पूर्ण करके गांव में लाईट चालू करवा दी जाएगी.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद दीजिए टेकाम जी.
श्री कुँवर सिंह टेकाम - एक ट्रांसफार्मर का है. आपने लिखा है. छोटा सा है एक सेकेण्ड लगेगा बाकी ज्यादा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - टेकाम जी, सुनो तो पहले धन्यवाद तो दे दो.
श्री कुँवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, मैंने धन्यवाद दे दिया है. अब कितना धन्यवाद दूंगा, जब चालू हो जाएगा तो फिर अलग से धन्यवाद दे दूंगा. अब यह आश्वासन से थोड़े होगा. जिस दिन चालू हो जाएगा मैं व्यक्तिगत रूप से आकर के आपको भी और मंत्री जी को भी धन्यवाद दूंगा.
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, मुद्दे की बात यह है कि हम तो दिनांक 05.01.2019 कह रहे थे और यह बोल रहे हैं कि 4 साल से बंद है.
श्री कुँवर सिंह टेकाम - सहीं बात है. आपने असत्य जानकारी दी है. इसीलिए मैंने बोल दिया है. दूसरी बात ट्रांसफार्मर की जो आपने बोली है कि 3 दिन से 7 दिन के अंदर लग जाता है. अभी बताऊं कि डांगा हॉस्पिटल के पास, धुपखड़, ददरी ऐसे और कई ट्रांसफार्मर महीनों से जले हैं उनको नहीं बदला गया है, तो मेरा आपसे निवेदन है कि जितने भी ट्रांसफर जले हैं उनको शीघ्रातिशीघ्र बदलवाने की व्यवस्था करें.
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, मुझे सूची दे देंगे तो मैं उनको बदलवा दूंगा.
श्री कुँवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, दूसरा किसानों को अस्थाई पम्प कनेक्शन देने की जो योजना थी अभी पूरी तरह से बंद है. टेम्परेरी कनेक्शन जो देते हैं उसमें ज्यादा से ज्यादा 8 हजार से 10 हजार, 20 हजार रुपया लेते हैं..
अध्यक्ष महोदय - आपने इसमें पूछा है क्या ?
श्री कुँवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, किसानों के बारे में लिखा है बिजली के लिए.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, बिजली के लिए लिखा है पम्पों के लिए कहां पूछा है ?
श्री कुँवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, पम्पों का कनेक्शन साथ में आ गया. इसी में पूछ लिए तो अलग से कितना पूछें ? इसलिए पम्पों का स्थाई कनेक्शन क्या दिलाएंगे ?
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, वैसे इस प्रश्न से यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है परंतु फिर भी जवाब दे देता हूं. हमने सरकार में आने के बाद ऊर्जा प्रभार आधा किया है, तो पूरे मध्यप्रदेश में जो अस्थाई पम्प कनेक्शन थे वह राशि लगभग 40 से 45 प्रतिशत कम इस सरकार ने की है. साथ-साथ जो मुख्यमंत्री कृषि अनुदान योजना बंद है उसके लिये हम लोग मुख्यमंत्री सोलर कृषि पम्प योजना लेकर आ रहे हैं उसके माध्यम से उनको विद्युतीकृत किया जाएगा. सोलर पम्प उन किसानों के खेतों में स्थापित किए जाएंगे.
श्री कुँवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, सोलर पम्प कनेक्शन पहले से चल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - टेकाम जी, अब मेरे को पूछने देंगे ?
श्री कुँवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, आप पूछ लीजिए.
अध्यक्ष महोदय - विराजिए. मंत्री जी, जांच के दायरे में जो-जो मटेरियल उपयोग हुआ है, चाहे केबल हो, चाहे डोर खिंचकर गई है कृपया उसका भी परीक्षण करवा लीजिए. जो मापदण्ड से पेश किया गया था मेरी जानकारी में लाया गया है वैसी केबल सप्लाई नहीं की गई है. कृपया केबल की जांच करवा लें. दूसरा, जो खम्भों में कॉंक्रीटिंग नहीं की गई है अगर नियम किसी ने बदला है तो जिन्होंने बदला है तो उनके ऊपर कार्यवाही करिए और अगर नियम वही था कॉंक्रीटिंग का और सिर्फ गिट्टी में भर दिया गया है तो ऐसे अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही सुनिश्चित करिए.
श्री प्रियव्रत सिंह - जी, अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 3 जयसिंह मरावी….
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न तो जनहित का है. पिछली बार राजेन्द्र शुक्ला जी मंत्री थे तब तय हुआ था कि सड़क के किनारे या सड़क पर.....
अध्यक्ष महोदय-- यह इसमें उद्भूत नहीं होता.
श्री रामेश्वर शर्मा-- एमपीईबी, पीडब्ल्यू़डी, सीपीए या नगर निगम से अनुमति बिना खंभे नहीं गाड़ेगी.
अध्यक्ष महोदय-- रामेश्वर जी, बैठ जाएँ.
श्री रामेश्वर शर्मा-- इसके कारण से हमारी सड़कों का काम रुक गया है. लंबी-लंबी राशि हमें एमपीईबी में खंभे हटाने के लिए पीडब्ल्यू़डी को, नगर निगम और सीपीए को देना पड़ती है. इसी हाउस ने तय किया था…..
अध्यक्ष महोदय-- नहीं लिखा जाएगा.
श्री रामेश्वर शर्मा-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- ऐसा नहीं है भैय्या, आप वरिष्ठ हों, आप अच्छे जानकार हों. कृपया प्रश्न के दायरे में प्रश्न कर लीजिए तो बड़ी मेहरबानी होगी. आपको धन्यवाद.
प्रश्न संख्या-- 3 (अनुपस्थित)
पंधाना विधानसभा क्षेत्रांतर्गत वितरिका की स्वीकृति
[जल संसाधन]
4. ( *क्र. 1718 ) श्री राम दांगोरे : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पंधाना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत पंधाना बलखड़ वितरिका या बलखड़ माइनर का काम पिछले 30 वर्षों से अधूरा पड़ा है, गैस गोडाउन के पास आकर क्यों समाप्त हो गया? क्या यह वितरिका स्वीकृत नहीं है? यदि हाँ, तो क्यों वहां लगभग 250 किसान सिंचाई के पानी से वंचित हैं? (ख) यदि स्वीकृत है तो आज तक वह किन कारणों से रुकी पड़ी है? इसके रुकने में दोषी कौन हैं? क्या विभाग उस पर कोई कार्यवाही करेगा? (ग) इस वितरिका का कार्य कब तक प्रारंभ किया जायेगा व इन 250 किसानों को सिंचाई के लिए कब तक पानी मिल सकेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) जी नहीं, परियोजना प्रतिवेदन में पंधाना वितरिका का निर्माण गैस गोडाउन तक ही प्रस्तावित होकर कार्य पूर्ण किया जाना प्रतिवेदित है। बलखड़ वितरिका या बलखड़ माइनर के नाम से कोई प्रस्ताव परियोजना में शामिल नहीं होने से स्वीकृति का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। प्रश्नांश में उल्लेखित किसान परियोजना के मूल प्रस्तावित कमाण्ड क्षेत्र के बाहर के हैं। किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। (ग) वितरिका स्वीकृत करने का कोई प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित नहीं है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
श्री राम दांगोरे-- अध्यक्ष जी, धन्यवाद. मेरा प्रश्न जल संसाधन को लेकर के है. इसके पहले मैं किसान की एक पीड़ा शहरी के रूप में बताना चाहता हूँ. किसान कहता है,
“ऐ खुदा बस एक ख्वाब सच्चा दे दे, अब के बरस बस एक मॉनसून अच्छा दे दे.”
आदरणीय मंत्री जी का एक अच्छा व्यक्तित्व है और जनहित के लिए आपको जाना जाता है. मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि घर के सामने एक कुँआ हो उसमें लिमिटेड पानी हो और घर के सामने के उस सार्वजनिक पानी को अगर किसी अगले गाँव भेज दिया जाए और उस कुँए के पास रहने वाले व्यक्ति को, बाहर भेजे गए पानी को डिस्टर्ब किए बिना, अगर पानी दे दिया जाए या उसमें पानी की उतनी उपलब्धता हो तो उसमें कोई दिक्कत है क्या? माननीय मंत्री जी, मैं यह कहना चाहता हूँ कि हमारी विधान सभा में खंडवा जिले की एक वृहद् और बहुत महत्वपूर्ण भगवन्त सागर सुक्ता परियोजना है, हमारी विधान सभा से वह पानी खंडवा नगर निगम के लिए जाता है, अभी वहाँ पर नर्मदा जल परियोजना आ गई है और रोज 4 घंटे पीने के लिए पानी उनको उस योजना से मिल जाता है इसके अतिरिक्त पंधाना के सुक्ता डैम से 8 से 10 एमसीएम पानी खंडवा नगर निगम पीने के लिए ले जाती है. गत वर्ष इसमें कमी आई है और वह 4 से 5 एमसीएम बचा है. यहीं पास में लगी हुई बलखड़ और छिलट्या नहर परियोजना, 2017 में उसकी अनुमानित राशि लगभग 60े रुपये थी, जो सीएसआर फंड से दी जानी थी लेकिन वह परियोजना वैसी की वैसी रुकी रह गई. मेरा मंत्री जी से यह निवेदन है कि क्या आप इस योजना को जल्द से जल्द प्रस्तावित करवा करके काम चालू करने की कृपा करेंगे? ताकि इससे उस क्षेत्र की लगभग 207 हैक्टेयर भूमि सिंचित हो पाए और लगभग 250 किसान परिवारों को इसका लाभ मिले और खंडवा के पानी को बिना डिस्टर्ब किए सिर्फ एक एमसीएम पानी, जो अनुमानित माना गया है जल संसाधन विभाग द्वारा, बिना उसको डिस्टर्ब किए आसानी से उनको पानी उपलब्ध करवाया जाएगा.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सुक्ता बाँध आज से 40 वर्ष पूर्व ड्राइंग किया था, उस समय इसमें जो माननीय सदस्य ने बलखड़ मायनर की बात की, वह उसमें प्रॉविजन नहीं था. गोडाउन तक ही प्रॉविजन था. इनकी यह बात सच है कि नर्मदा का पानी आने के बाद से खंडवा को जो हम पानी दे रहे थे उसमें कमी आई है पर फिर भी 5 से 7 एमसीएम पानी अभी भी हम लोग खंडवा को देते हैं जब तक वह लाइन व्यवस्थित न हो जाए. मैं इस बात से पूर्णतः सहमत हूँ कि अभी पानी हमारे पास सरप्लस है और मेरी जानकारी में अभी लाया गया है कि इससे करीब 207 हेक्टेयर जमीन में अतिरिक्त सिंचाई हो सकती है तथा 250 परिवारों को पानी का लाभ मिल सकता है. इसकी औपचारिकताएं पूर्ण करके मैं तत्काल स्वीकृति दूंगा. अगले साल आपको पानी दिया जाएगा.
श्री राम दांगोरे -- मंत्री जी आपका बहुत-बहुत आभार.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद.
लेबड़-जावरा फोरलेन का मरम्मतीकरण
[लोक निर्माण]
5. ( *क्र. 1687 ) श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता द्वारा वर्ष 2019 में जिलाधीश धार को लेबड़-जावरा फोरलेन की दयनीय दुर्दशा और सरकार से किये गए अनुबंध का उल्लंघन करने की वजह से टोल टैक्स वसूली बंद की जाकर टोल कम्पनी के विरुद्ध कार्यवाही करने हेतु पत्र लिखा गया था, उस पर क्या कार्यवाही की गयी है? पत्र की प्रतिलिपि सहित की गयी कार्यवाही की समस्त जानकारी देवें? (ख) वर्ष 2010 से 31 नवम्बर, 2019 तक लेबड़-जावरा फोरलेन में कितना राजस्व एकत्रित हुआ और संधारण में कितना व्यय किया गया? प्रमुख चौराहे पर बिजली क्यों बंद है और वृक्षारोपण अधूरा क्यों है? कई गांव में ड्रेनेज लाइन और सर्विस रोड भी अधूरे क्यों पड़े हैं और अब तक इस मार्ग पर कितने लोगों की, इस ठेका होने के बाद, मृत्यु हो चुकी है? (ग) पूर्व में विधानसभा की समिति द्वारा फोरलेन का अवलोकन कर क्या-क्या सुझाव दिए गए थे? विधायकों की समिति की सिफारिशों पर अब तक क्या कार्यवाही की गई? (घ) अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बदनावर द्वारा जनशिकायत उपरांत किन बिन्दुओं पर लेबड़-जावरा मार्ग के ठेकेदार के विरुद्ध आदेश पारित किया गया था, आदेश की प्रतिलिपि सहित की गयी कार्यवाही की संपूर्ण जानकारी प्रदान करें? क्या विधायकों की समिति गठित कर संपूर्ण मार्ग की वर्तमान स्थिति की जाँच रिपोर्ट बनाकर कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ, पत्र पर की गई कार्यवाही एवं पत्र की प्रतिलिपि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। (ख) लेबड़-जावरा फोरलेन पर टोल प्रारंभ दिनांक से 30 नवम्बर, 2019 तक 12,02,08,20,936/- टोल राशि प्राप्त हुई संधारण पर हुए व्यय की जानकारी संधारित नहीं की जाती है। अनुबंध में मरम्मत के व्यय की जानकारी रखे जाने का कोई प्रावधान नहीं है। प्रमुख चौराहे पर बिजली चालू है, बिजली बिल जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ख'' अनुसार एवं वृक्षारोपण अनुबन्धानुसार तथा प्राप्त स्वीकृति अनुसार किया गया है, साथ ही पर्यावरण के दृष्टिकोण से कन्सेशनायर द्वारा प्रतिवर्ष अतिरिक्त वृक्षारोपण किया जाता है। वृक्षारोपण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ग'' अनुसार स्वीकृति अनुसार सर्विस रोड एवं ड्रेन उपलब्ध भूमि में मार्ग निर्माण के दौरान बना दी गई थी। पुलिस अधीक्षक, जिला धार/रतलाम जिले से प्राप्त जानकारी अनुसार टोल प्रारम्भ से अब तक इस मार्ग पर कुल 982 मृत्यु हो चुकी है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''घ'' अनुसार है। (ग) विधायकों की समिति द्वारा दिये गये सुझाव एवं की गई कार्यवाही की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (घ) अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बदनावर द्वारा जनशिकायत उपरांत लेबड़-जावरा मार्ग पर ठेकेदार के विरूद्ध पारित किये गये आदेश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ड.'' अनुसार है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा यह बहुत गंभीर विषय है. जब से यह टोल बना है तब से मेरे ख्याल से सभी दलों के विधायकों ने निरन्तर प्रश्न पूछे हैं और वे संतुष्ट नहीं हुए हैं. मेरा निवेदन है कि यदि आप प्रश्न को ठीक से देखेंगे तो इसकी लागत करीब 700-800 करोड़ रुपए थी. इनको 1200 करोड़ रुपए मिल चुका है. संभवत: मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ होगा कि किसी टोल रोड पर एफआईआर हुई है. एफआईआर की दिनांक 24.9 है. इसका एक छोटा सा अंश पढ़ना चाहता हूँ इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि "टोल कम्पनी द्वारा जो पेंचवर्क किया जा रहा है वह पूर्णरुपेण गुणवत्ताहीन कार्य है, सड़क उखड़ने से, जगह-जगह मिट्टी व पत्थर से पट चुकी है और गुजर रहे वाहन आए दिन असंतुलित होकर पलट रहे हैं तथा वाहनों को क्षति होकर वाहन चालक भी घायल हो रहे हैं. तकनीकी दल द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत है उसमें उल्लेखित है कि आवागमन में काफी कठिनाई है. 750 सेंटीमीटर से लेकर 30 सेंटीमीटर तक के गड्ढे हैं."
अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के जवाब से असंतुष्ट हूँ. मैं मंत्री जी से एक साथ प्रश्न पूछ लेता हूँ कि यह कब बना, इन्होंने जवाब दिया है इन्हें पता नहीं है कि इस पर रिपेयरिंग में कितना खर्च हुआ है. एक तो यह बता दें. लगभग एक हजार लोग काल के ग्रास में जा चुके हैं. प्रश्न के (क) भाग के जवाब में इन्होंने कहा है "जी हाँ". इन्होंने मुझे जानकारी भी नहीं दी है. मैं लायब्रेरी में जाकर जानकारी लेकर आया हूँ. मैंने विधायकों की समिति बनाने की मांग की है. पहले भी नागेन्द्र सिंह जी मंत्री थे हम उनके साथ सभी विधायक इस पूरे रुट पर गए थे, परीक्षण किया था. अगर आपको हकीकत जानना है तो टोल की पर्ची होती है जितने वाहन वहां से निकलते हैं आप उनको बुला लीजिए उनकी साक्ष्य ले लीजिए. एक भी आदमी अगर कह दे मुझे मिलाकर कि वह संतोषजनक है तो मैं अपने कथन के लिए क्षमा मांग लूंगा.
अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि वह बता दें कि यह कब बना था और यहां पर क्या-क्या मरम्मत की गई. मेरे पास इसका अनुबंध भी है मैं पढ़कर सुना सकता हूँ इसमें 3.5 Routine Maintenance में क्लियर लिखा है कि-- "In order to ensure smooth and uninterrupted flow of traffic during normal operating conditions for all 24 hours of a day, routine maintenance of the Project Facilities shall include but not be limited to."
अध्यक्ष महोदय, सब स्पष्ट है. हमारी सरकार को यह अधिकार है कि यदि किसी ने शासन से अनुबंध किया है और वह अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर रहा है तो उसको सस्पेंड किया जाए, उस पर कार्यवाही की जाए. शासन उसको टेकओवर करे. जो राशि आप टोल से वसूलें उसे अपने एकाउन्ट में डालें और उससे मरम्मत करें. अगर मेरे आरोप सही हैं तो इसको हटाएं. किसी ने कहा कि यदि उसको हटाएंगे तो सरकार को 700 करोड़ रुपए देना पड़ेगा. क्यों देना पड़ेगा ? चोरी और सीनाजोरी. एक हजार जानों की कीमत क्या है ? उन्होंने कहा है हमने बिजली के मीटर लगा रखे हैं, जबकि नहीं लगा रखे हैं. जब से चालू हुआ है तब से आप बता दीजिए. उन्होंने कहा है कि वृक्षारोपण किया है, जबकि वृक्षारोपण नहीं हुआ है.
श्री रामपाल सिंह --अध्यक्ष महोदय, आप माननीय सदस्य को अलग से समय दे दें, इसको आधे घंटे की चर्चा में अलग से ले लें. बहुत महत्वपूर्ण विषय है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि माननीय मंत्री जी मुझे बता दें कि जब से यह बना है तब से क्या-क्या कार्य हुआ है दूसरा अनुबंध के अनुसार आपके पास अधिकार है. आप इसका परीक्षण करवाकर जिन अधिकारियों ने गलत रिपोर्ट्स दी हैं कि मरम्मत हो रही है उन पर भी कार्यवाही की जाए और जो मैंने मांग की है कि सभी दल के लोगों को लेकर उसका परीक्षण कर लिया जाए. तत्काल उस पर कार्यवाही होनी चाहिए. आप एफआईआर देख लीजिए. आपके प्रशासन का एसडीएम और पुलिस असत्य नहीं बोल रही है. प्रतिवेदन है, टेक्नीकल रिपोर्ट है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- जी हाँ इसमें लिखा है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ा गंभीर प्रश्न है मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा प्रश्न है और आदरणीय पूर्व मंत्री रामपाल सिंह जी ने बजा़ फर्माया है कि इसके लिए अलग से आधा घण्टा दे दें क्योंकि कृत्य वही सामने आएंगे जिनने कृत्य किया है.(XX)
अध्यक्ष महोदय-- इसको विलोपित करें.
श्री रामपाल सिंह-- आपने पूरा विभाग निपटाया है और इस तरह की बात कर रहे हो. वर्मा जी आपका भाषण सुधारिए. (व्यवधान)...
कुंवर विजय शाह-- अध्यक्ष महोदय, लगातार मंत्रियों का यह आचरण... (व्यवधान) ....
श्री सज्जन सिंह वर्मा--सुनने की ताकत तो रखो. (व्यवधान)..
अध्यक्ष्ा महोदय-- मैंने हटा दिया है. (व्यवधान)...
कुंवर विजय शाह-- मेरा आपसे निवेदन है, लगातार ऐसा आचरण अगर मंत्री जी करेंगे. कल उनने किया था आज इनने किया है. परसों कोई और करेगा. (व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- आप सज्जनता से बात करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- नागेन्द्र सिंह जी जैसे वरिष्ठ व्यक्ति. कुंवर विजय शाह सुन लो जरा सुनने का माद्दा रखो. आगे सुनो तो सही. आगे क्या क्या आएगा. (व्यवधान)...
कुंवर विजय शाह-- मंत्री जी खेद व्यक्त करें. यह रोज-रोज की घटनाएं हो रही हैं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी का उत्तर आने दीजिए. सभी बैठ जाइए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- पूरा उत्तर तो सुन लो.
अध्यक्ष महोदय-- संजू भाई बैठ जाइए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- इनके गवाह वरिष्ठ विधायक आदरणीय नागेन्द्र सिंह जी हैं. सुन लो.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय मंत्री जी, आप एक जिम्मेवार मंत्री हैं और आपके पास पर्याप्त वरिष्ठता है. मैं नहीं सोचता कि कोई मंत्री इस शब्दावली का उपयोग करेगा.
अध्यक्ष महोदय-- मैंने इसको विलोपित कर दिया है.
श्री गोपाल भार्गव-- आपकी आत्मा, आपका मन बोलता हो तो आप बोलो.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- पूर्व मंत्री बोल रहे हैं कि बड़ा गंभीर प्रश्न है. आधे घण्टे की चर्चा अलग से चाह रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- यह आपके काले कपड़ों का असर है. आप काले कपड़े पहनकर आए हो उसका असर है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- इस प्रश्न के बाद संतुष्ट हो जाना, फिर अपन बात करेंगे आधे घण्टे की क्या एक घण्टे की चर्चा करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- यह जो डामर जैसे काले कपडे़ पहनकर आए हो, यह उसी का असर है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- यह तो तुम जैसे लोगों की नजर नहीं लगे इसलिए पहनकर आना पड़ता है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- मैं चाहता हूं आसंदी से इस पर कुछ कहा जाए.
अध्यक्ष महोदय-- विजय भाई, मंत्री जी को बोलने दीजिए. आपके दल की तरफ से नेता प्रतिपक्ष जी ने अपनी बात कह दी. मैंने उसको विलोपित कर दिया मंत्री जी को जवाब देने दीजिए.
कुंवर विजय शाह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे एक ही निवेदन है कि रोज की घटनाएं हो रही हैं और जिस तरीके का आचरण हमारा मंत्री पक्ष कर रहा है विधान सभा की परम्परा के खिलाफ है. केवल विलोपित करना इसका हल नहीं है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- ''आइना हमने दिखाया तो बुरा मान गए''
श्री गोपाल भार्गव-- ऐसा काला आइना भी मत दिखाओ.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- यह तो चमकता हुआ आइना है. आपकी नजरों का फेर है.
श्री गोपाल भार्गव-- आपकी आत्मा बोले, आपकी आत्मा कहे कि आप सही हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--आपकी नजरों का दोष है. आइना चमकता हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव--आप तथ्यात्मक जवाब दो.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- आपके सदस्य सुनते ही नहीं हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- आप भूमिका मत बनाओ. आप तो तथ्यात्मक जवाब दो.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- इधर-उधर स्प्रिंग लगा रखी है. सुनते ही नहीं हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- सज्जन भाई नाम बहुत अच्छा रखा है लेकिन (XX)
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- गोपाल दादा, माता-पिता ने बहुत सोच समझकर रखा है. जिस तरह आपका गोपाल नाम रखा है कृष्ण कन्हैया. बुन्देलखण्ड में कृष्ण कन्हैया की किवदन्तियां गूंजती रहती हैं.
श्री तरुण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, इसको विलोपित करवाएं. सज्जन मंत्री हैं.
अध्यक्ष महोदय-- वह सज्जन ही रहेंगे.
श्री तरुण भनोत-- नेता प्रतिपक्ष जी जो कह रहे हैं इसको विलोपित करवाएं.
अध्यक्ष महोदय-- गोपाल, गोपाल रहेंगे. सज्जन, सज्जन रहेंगे.
श्री तरुण भनोत-- इसको तो रिकार्ड से हटाएं.
अध्यक्ष महोदय-- इसको विलोपित करें. इसको विलोपित कर दिया है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--अध्यक्ष महोदय, वरिष्ठ सदस्य पूर्व मंत्री नागेन्द्र सिंह जी इन सारी घटनाओं के गवाह हैं. पिछले समय जब यह प्रश्न आया था मंत्री जी का आश्वासन था कि एक विधायकों की कमेटी बनाकर मंत्री जी खुद उस सड़क के निरीक्षण पर जाएंगे. मैं साधुवाद देता हूं मंत्री जी स्वयं गए. बीस विधायकों की कमेटी लेकर गए और उन्होंने जो रिकमेन्डेशन दी वह पूरी नहीं हुई. आप उसम समय मंत्री थे. वह रिकमेन्डेशन उसी समय पूरी हो जाना थी पर नहीं हुई. हमने अपने जवाब में इस बात को स्वीकार किया है कि इस सड़क का निर्माण जिसने किया है उसकी नेग्लीजेंसी है. वह अपने कर्त्तव्य पर खरी नहीं उतरी है. मैं माननीय सदस्य से कहना चाहता हूं कि वे मुझसे स्पेसिफिक प्रश्न कर लें, जिसका मैं जवाब निश्चित रूप से देना चाहता हूं क्योंकि वास्तव में यह संवेदना से जुड़ा हुआ प्रश्न है, कई लोग काल कवलित हो गए हैं. इसलिए ऐसी सड़क का संधारण बहुत अच्छे ढंग से होना चाहिए और यह भी सही है कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा टोल उसी सड़क से वसूला जाता है, जबर्दस्त टोल वसूला जाता है और इस तरह की कई कंपनियां इस मध्यप्रदेश में पिछले 15 वर्षों से काम कर रही हैं. जिन्होंने बैंक से पैसा ले लिया, टोल से भी पैसा कमा लिया. मैं अगले प्रश्न में इसका जवाब दूंगा कि हम क्या करने जा रहे हैं, मैं चाहता हूं कि माननीय सदस्य स्पेसिफिक प्रश्न कर लें, मैं जवाब दे दूंगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह 260 किलोमीटर लंबी सड़क है.
अध्यक्ष महोदय- आप स्पेसिफिक प्रश्न कर लें.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बिंदुवार मेरे पत्र में वर्णन किया है कि किस-किस क्लॉज़ के अंतर्गत इन पर एक्शन हो सकता है. मैं मंत्री जी से कहूंगा कि सर्वप्रथम पुरानी समिति के जो कार्य नहीं हुए हैं, उन पर एक्शन लिया जाये. दूसरी बात यह कहना चाहूंगा कि क्या वे पुन: समिति बनाकर उसका पुनरावलोकन करके मूलत: वहां क्या-क्या कमी है, वह सदन के सम्मुख आ जाये और जिन लोगों ने गलत जानकारी दी है उन पर कार्यवाही हो जाये. तीसरी बात यह है कि अनुबंध में हमारे पास प्रावधान है, जिसके अंतर्गत हम उस पर कार्यवाही कर सकते हैं, तत्काल कार्यवाही कर सकते हैं. मेरा आग्रह है कि तत्काल उसका टोल सस्पेंड करके, शासन उसे टेकओवर करे जिससे शासन के खाते में राशि आये, संपूर्ण सड़क का संधारण हो. इसके अतिरिक्त तमाम प्रावधानों के अंतर्गत शासन को उसे कायदे से टर्मिनेट करना चाहिए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायकों की कमेटी बनाने की आवश्यकता इसलिए नहीं है क्योंकि जब नागेन्द्र सिंह जैसे व्यक्ति और हमारे 20 विद्वान विधायक उस सड़क का निरीक्षण करके आये हैं और जो रिपोर्ट उन्होंने दी है, वह अक्षरश: सत्य है. माननीय अध्यक्ष महोदय, उन बिंदुओं पर मैं आज यहां आपके सामने निर्णय ले रहा हूं कि वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम अतिशीघ्र उन बिंदुओं को लेकर उस सड़क पर जायेगी और जितनी जल्दी हो सकता है, हम उस कंपनी पर दबाव डालेंगे. यदि कंपनी ने समिति की सिफारिशों को मेरे ख्याल से माना तो है ही नहीं, यदि माना होता तो फिर आज यह प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता. हमारी कोशिश रहेगी कि निवेशकर्ता को क्योर पीरियड का नोटिस दिया जाये एवं टोल के निलंबन की कार्यवाही पर तत्काल जब अधिकारी निरीक्षण कर लौटेंगे तो उस पर विचार करके कार्यवाही की जायेगी.
(श्री अजय विश्नोई एवं श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी के खड़े होने पर)
अध्यक्ष महोदय- मूल प्रश्नकर्ता अभी खड़े हुए हैं, मेरा आप सभी सदस्यों से अनुरोध है, कृपया बैठ जायें.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि पूरे सदन में इस बात पर किंचित संदेह नहीं है. चाहे सखलेचा जी हों, श्रीमती नीना विक्रम वर्मा जी हों, प्रत्येक विधायक इस बात को मानेगा. क्षेत्र में भी पंच, सरपंच, जनपद-जिला पंचायत सदस्य, पूर्व, वर्तमान, भूतपूर्व सभी विधायक एवं सांसद इस बात को मानेंगे कि वह डिफॉल्टर है. मेरा आग्रह है कि इस पर तत्काल एक्शन लेकर उसे तत्काल सस्पेंड किया जाये क्योंकि हमारे पास पर्याप्त साक्ष्य हैं और रिपोर्ट आने के बाद उस पर आगे की कार्यवाही कर दीजियेगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, MPRDC द्वारा नीति आयोग के माध्यम से अनुबंध की शर्तें निर्धारित की गई हैं. एकदम से उसे सस्पेंड नहीं किया जा सकता. मैंने स्पष्ट उत्तर दिया है कि हम निवेशकर्ता को क्योर पीरियड का नोटिस देंगे. यह प्रथम चरण है, उसके तत्काल बाद जो माननीय सदस्य की मंशा है, उसकी ओर कदम बढ़ायेंगे. माननीय सदस्य आप आश्वस्त रहें.
श्री संजीव सिंह,संजू (भिण्ड)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी इसमें एक प्रश्न था जो अभी इसमें नहीं आ पाया है. हमारे यहां भी प्रतापपुरा-उमरी मार्ग है. उस मार्ग पर पुल टूटा हुआ है और जब से वह मार्ग बना है उस पर मरम्मत का कार्य नहीं हुआ है. उस पर अभी तक तो टोल चालू नहीं था लेकिन अभी 15 दिनों से उस पर टोल चालू कर दिया गया है. 15-20 बंदूक वाले उस पर खड़े हो जाते हैं और टोल वसूली करते हैं जबकि पुल टूटा हुआ है. रोड मोटरेबल नहीं है, रोड थ्रू नहीं है और आपने प्रश्न में जवाब दिया है..
अध्यक्ष महोदय:- मैंने बीच में संजू आपको प्रश्न करने का मौका दिया, आप प्रश्न पाइंटेड करो, आप निरमा जैसे कपड़े पहन कर आये हो, वैसे पाइंटेड प्रश्न करो. भार्गव जी यह कांबिनेशन है.
श्री गोपाल भार्गव:- ब्लैक एण्ड वाईट.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा भी तारांकित प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय:- आप जरा एक मिनट रूक जाओ.
श्री संजीव सिंह 'संजू':- माननीय अध्यक्ष जी, अभी मंत्री जी ने कहा कि (XX) अभी तक उस पर टोल वसूली नहीं हुई, जबकि 6 साल हो चुके हैं उसको बने हुए...
अध्यक्ष महोदय:- आप क्या चाहते हैं ? आपका प्रश्न क्या है.
श्री संजीव सिंह 'संजू':- आपने अपने जवाब में कहा कि आज दिनांक तक वहां पर टोल वसूली नहीं हुई, यह है टोल वसूली 305 रूपये की रसीद. (मोबाइल फोन पर टोल वसूली की रसीद दिखाते हुए.) आप कह रहे हैं कि आज तक टोल वसूली नहीं हुई है. वहां पर जबरदस्ती टोल वसूली की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय:- आप विराजें, आपकी बात आ गयी है. मंत्री जी, विधायक जी का गंभीर प्रश्न है, वह टोल की रसीद बता रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- अध्यक्ष जी, जब विभाग से जवाब जाता है तो हमारे विभाग ने अधिकृत रूप से स्वीकृति नहीं दी इसीलिये विभाग से जवाब नहीं जायेगा. चूंकि आपने सदन के माध्यम से इस बात की जानकारी दी है, मैं अपने अधिकारी को निर्देशित करता हूं कि तीन दिन के अंदर इस बात की पूरी इन्क्वायरी करके, जो कार्यवाही हो सकती है वह सुनिश्चित करें.
श्री संजीव सिंह 'संजू' :- अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि जब तक रोड नहीं बन जाये, जब तक रोड थ्रू नहीं हो जाये उस पर वसूली नहीं होनी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं होगी.
श्री संजीव सिंह 'संजू' :- आप माननीय मंत्री जी से कहलवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय:- अरे भाई, अभी उन्होंने स्वीकृति दी नहीं है तो टोल वसूली नहीं होगी.
श्री संजीव सिंह 'संजू' :- अध्यक्ष जी, वहां टोल लगा दिया है, वहां पर एक तरह से लूट कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी, आप बोल दें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हमने स्वीकृति दी नहीं, हमें जानकारी नहीं. अब अधिकारियों को तीन दिन का समय दे दिया है कि आप वहां जाकर पता लगायें और क्या कार्यवाही सुनिश्चित की जा सकती है.
श्री संजीव सिंह 'संजू' :- जिन्होंने यह रसीद काटी है उन पर एफआईआर करवायें.
अध्यक्ष महोदय:- हो जायेगी.
श्री संजीव सिंह 'संजू' :- धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष जी, यह जो लबड़-जाबरा मार्ग का जो माननीय सदस्य ने प्रश्न किया उससे एक नीतिगत विषय पैदा हुआ है, इससे शायद मंत्री जी भी सहमत होंगे. मैं पिछली सरकार और इस सरकार के बारे में नहीं जाना चाहता हूं. ऐसी सड़कें जो बीओटी के अंतर्गत बनी हैं जिनमें टोल-नाके हैं और टैक्स ले रहे हैं तो वॉक थ्रू सर्वे करके ऐसी सारी सड़कों का, मैं किसी एक सड़क के बारे में नहीं कह रहा हूं आप सारी सड़कों का अवलोकन करा लें, दिखवा लें कि उनका मेंटेनेंस हो रहा है या नहीं या फिर टोल वैसे ही वसूल किया जा रहा है और ठेकेदार मजे में हैं वह बैंक का पैसा भी भर रहे हैं, पैसा रख भी रहे हैं और शासन की गारण्टी भी वह खा रहे हैं.
अध्यक्ष जी, इस कारण से मैं चाहता हूं कि पूरे प्रदेश की ऐसी सड़कें जो बीओटी के अंतर्गत बनी हैं आप उनका वॉक थ्रू सर्वे करा कर यदि वह जर्जर हो चुकी हैं तो या तो उन पर टोल बंद करवायें या फिर उनको मेंटेनेंस करने के लिये बाध्य करें. यदि आप यह करेंगे तो कितने समय में कर लेंगे, इसकी जानकारी दे दें ?
अध्यक्ष महोदय:- जब आपके नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं, यशपाल जी आप लोग पीछे से क्या करते हैं. (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया सदस्य के खड़े होने पर.)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- इसी बात पर मेरा भी तारांकित प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय:- क्या इनका उत्तर न आये, उन्होंने प्रश्न पूछा है तो उत्तर आ जाने दीजिये.
श्री गोपाल भार्गव:- आप पॉलिसी बनायेंगे तो कितने दिन में बनायेंगे और कितने दिन में क्रियान्वित कर लेंगे, इतना बता दीजिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- पॉलिसी बनी हुई है, बनाने की जरूरत नहीं है. आपने कहा हम अधिकारी को निर्देशित करते हैं कि एक-एक सड़क का जो बीओटी में है और टोल ले रहे हैं, सड़कों का संधारण नहीं हो रहा है. यह तो अच्छी बात है, आपका सुझाव तो निश्चित रूप से मान्य करने योग्य है. हमने लगभग सर्वे करा लिया है और इस तरह की कई सड़कें जिनका टोल खत्म हो गया है, सड़कों का संधारण नहीं हो पा रहा है, हमने ओएमटी योजना में ऐसी 20 सड़कें चिन्ह्ति कर ली है, इसके बाद 20 सड़कों का एक फेज़ और हम ओएमटी योजना में लेंगे, जिसमें सड़क का संधारण करेंगे और किसी प्रायवेट व्यक्ति से टोल नहीं लेंगे, सिर्फ कर्मिशियल व्हीकल से टैक्स लेकर उनका संधारण करेंगे. चार पहिया वाले जो व्यक्तिगत वाहन हैं उनसे किसी से टोल नहीं लेंगे तो यह सारी जानकारी हम एकत्रित करवा रहे हैं, धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी सड़क से संबंधित मेरा प्रश्न है.
श्री राजवर्धन प्रेमसिंह दत्तीगांव--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बहुत अच्छी बात कही जो फोर व्हीलर होते हैं उनको हम टोलफ्री क्यों नहीं कर सकते बड़े कमर्शियल व्हीकल चल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--वह दूसरी बात कर रहे हैं.
श्री राजवर्धन प्रेमसिंह दत्तीगांव--अध्यक्ष महोदय, मुझे पता है आपसे मैं यह निर्देश चाह रहा हूं कि आप उनको समय सीमा के निर्देश दे दें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- अध्यक्ष महोदय इसी संदर्भ में एक प्रश्न की अनुमति दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय--देखिये एक बात मूल निश्चित कर दूं कि मूल प्रश्नकर्ता के अलावा एक सदस्य या दो को बोलने देता हूं, वह मैंने कर लिया है. गोपाल जी भी बोल चुके हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय एक प्रश्न करने की अनुमति दे दें.
अध्यक्ष महोदय--यह कौन सी नियम प्रक्रिया में आता है बता दें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय इसी सड़क का मामला है.
अध्यक्ष महोदय--होगा. लेकिन इस प्रश्न में नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय एक प्रश्न की अनुमति दे दें.
अध्यक्ष महोदय--कौन सी नियम प्रक्रिया के अंदर दूं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय जब आप देंगे तो नियम प्रक्रिया हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठें. जब मैंने नेता प्रतिपक्ष को प्रश्न पूछने की अनुमति दी उन्होंने पूरे विस्तार से पूरी नीति के बारे में बात कर ली तो हमको भी जरा धैर्य रखना चाहिये. मूल प्रश्नकर्ता का आखिरी उत्तर आया नहीं और हम लोग वार पर वार करते जा रहे हैं. मूल प्रश्नकर्ता वहीं का वहीं दबा रह जाये, ऐसा मत करो. माननीय मंत्री जी मूल प्रश्नकर्ता जी समय सीमा की बात कर रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय मैंने कहा कि उसकी प्रक्रिया है हम एक नोटिस दे रहे हैं. हमारे अधिकारियों की एक टीम चली जायेगी वहां से वस्तुस्थिति लेकर के आ जायेगी उसके बाद जो अगला स्टेप है माननीय सदस्य का जो मंतव्य है हम उसी की और बढ़ेंगे इसमें मैं बहुत देर लगाने की आवश्यकता को नहीं समझता, जब आपने प्रश्न किया है और नागेन्द्र सिंह जैसे सीनियर व्यक्ति ने खुद देखा है तो इसमें किन्तु परन्तु की आवश्यकता मैं नहीं समझता हूं.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय मेरा निवेदन है इस संबंध में.
अध्यक्ष महोदय--रामबाई जी एक मिनट आप बैठ जायें.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय उसी पर चर्चा चल रही है मेरी प्रार्थना सुन लीजिये.
अध्यक्ष महोदय--मेरी भी सुन लीजिये सीनियर विधायक नीना वर्मा जी खड़ी हो गई हैं.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय वह सीनियर हैं हम तो पहली बार चुनकर के आये हैं हम लोगों को तो मौका दीजिये.
अध्यक्ष महोदय--उनका प्रश्न है.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय इसी से संबंधित है.
अध्यक्ष महोदय--नहीं.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय दमोह से जबलपुर के लिये जो रोड़ गया है.
अध्यक्ष महोदय--यह इसमें उद्भूत नहीं होता. यह किसी विशेष सड़क के बारे में चर्चा है.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय हमें तो कभी जोड़ा ही नहीं जाता है.
अध्यक्ष महोदय--चलिये नीना वर्मा जी बोलिये.
बी.ओ.टी. मार्गों पर टोल वसूली
[लोक निर्माण]
6. ( *क्र. 109 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इन्दौर संभाग में मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास निगम लिमिटेड द्वारा बी.ओ.टी. योजना अन्तर्गत कौन-कौन से मार्गों का निर्माण करवाया गया है तथा उनमें से कौन-कौन से मार्गों पर किस-किस कंपनी द्वारा टोल वसूली की जाती है? (ख) इन मार्गों पर टोल वसूली उपरांत कौन-कौन से मार्ग घाटे में चल रहे हैं तथा कौन-कौन से मार्ग लाभ में चल रहें है? पिछले तीन वर्षों के वार्षिक टोल वसूली के आंकड़े देवें। (ग) एम.पी.आर.डी.सी. अंतर्गत बी.ओ.टी. निर्मित सड़कों पर संबंधित कंपनियों से प्रीमियम वसूली के संबंध में क्या प्रावधान हैं? क्या घाटे वाली सड़कों पर शासन द्वारा क्षतिपूर्ति का भी प्रावधान है? (घ) एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा पिछले दस वर्षों में उक्त मार्गों पर टोल वसूली कर रही कंपनियों से कंपनीवार वर्षवार कितना प्रीमियम आरोपित किया गया, उसमें से कितनी धनराशि प्राप्त की व कितनी धनराशि लेना शेष है? साथ ही क्षतिपूर्ति के रूप में पिछले तीन वर्षों में कंपनीवार वर्षवार कितनी धनराशि दी गई? (ड.) क्या कारण है कि एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा प्रीमियम वसूली में शिथिलता बरतते हुए क्षतिपूर्ति का तत्काल भुगतान किया गया? क्या इससे शासन को राजस्व की हानि हुई? यदि हाँ, तो क्या जिम्मेदारी का निर्धारण किया जाकर दोषियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास निगम लिमिटेड नहीं अपितु म.प्र. सड़क विकास निगम लिमिटेड अंतर्गत बी.ओ.टी. योजना अंतर्गत निर्माण कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) बी.ओ.टी. मार्गों पर टोल वसूली उपरांत लाभ या घाटे का आंकलन एम.पी.आर.डी.सी. द्वारा नहीं किया जाता है। विगत 3 वर्षों की वार्षिक टोल वसूली की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) बी.ओ.टी. योजना अंतर्गत निर्मित सड़कों पर प्रीमियम का निर्धारण एवं वसूली निविदा आमंत्रित की जाकर तदनुसार अनुबंध में प्रावधान किया जाता है। जी नहीं। (घ) म.प्र. सड़क विकास निगम संभाग अंतर्गत बी.ओ.टी. योजना में निर्मित मार्गों के प्रीमियम की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। क्षतिपूर्ति के रूप में म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा कोई भी राशि किसी भी कंपनी को नहीं दी गई। अत: शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा प्रीमियम वसूली में कोई शिथिलता नहीं बरती गई। जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि बीओटी के अंदर जो लाभ एवं घाटे का आंकलन होता है वह किसके द्वारा किया जाता है. मैंने पूछा था कि एम.पी.आर.डी.सी.करता है इन्होंने कहा कि नहीं करता. तो वह कौन करता है ? क्योंकि बहुत सारे जो सवाल उठते हैं वह घाटे एवं लाभ के कारण उठते हैं मैं पहले भी अभी जो सदस्य का प्रश्न था उनके पहले प्रश्न लगा चुकी हूं उसके अंदर अधिकारियों की जांच की बात हो रही है, लेकिन वह जांच पहले भी हो चुकी थी. अब बात आती है पिछली सरकार की तो पिछली सरकार ने जो किया उसके बाद आपके पास पर्याप्त एक साल का समय था आप उसको सुधार सकते थे. लेकिन ऐसी सड़क जिसके ऊपर लगातार प्रश्न पर प्रश्न लगे चले जा रहे हैं उसमें हम केवल जांच करेंगे, यह कहकर पल्ला झाड़ देना मैं समझती हूं कि मंत्री का कहना ठीक नहीं है. उस पर तत्काल कार्यवाही की जानी चाहिये. उनका टोल सस्पेंड करना चाहिये. जब तक कि वह टोल पर पूरा काम अथवा पूरी सड़क नहीं बनाता. मैंने जो बी.ओ.टी. पर प्रश्न लगाया था वह इसी से संबंधित था. हालांकि मैंने इन्दौर संभाग पर ही सीमित किया. मगर इससे पूरा प्रदेश पीड़ित है और सभी दूर इस तरह की टोल पर घटनाएं हो रही हैं. प्रीमियर की राशि मैंने पूछी, क्योंकि प्रीमियर की राशि का पूछना इसलिये जरूरी था कि सरकार का बहुत सारा बकाया पैसा इन टोल कम्पनियों पर बाकी है. यह प्रश्न ऐसे ही उद्भूत नहीं हुआ. पत्रिका के अंदर भोपाल से 6 कॉलम की न्यूज लगी थी, वह प्रासंगिक नहीं होती, पर उसके अंदर हमारे एम.डी. का जब कमेंट्स है तो उसके अंदर आने के बाद यह लगता है कि करोड़ो रूपये का जो प्रीमियर का टोल अभी बाकी है उस पर हम लोगों का ध्यान क्यों नहीं गया. हम पैसे की बात करते हैं और जब कम्पनियों से रिपेयरिंग की बात होती है तो वह कहते हैं कि हम घाटे में जा रहे हैं तो यह सारा का सारा इंदौर संभाग का क्लियर आ गया, लेकिन उसके बाद पूरे प्रदेश में बी.ओ.टी की सड़कों की जो स्थिति है वह आपके सामने है. मैं इन सब पर न जाकर के सीधा सीधा मंत्री जी से कहती हूं कि इसके लाभ-घाटे का जो आंकलन करते हैं वह कौन करता है? दूसरा अगर प्रीमियर बाकी है तो कब तक कम्पनियों से वसूल लेंगे ? तीसरा माननीय मंत्री जी बतायें कि जो कंपनियां प्रीमियर भी नहीं दे रही हैं तथा रिपेयरिंग भी नहीं कर रही हैं उनके ऊपर आप क्या कार्यवाही करेंगे. राजस्थान एवं गुजरात कई जगहों पर टोलफ्री हो चुके हैं. क्या मध्यप्रदेश में भी इस तरह के छोटे टोलों को जल्दी से फ्री करेंगे. उसके बाद मेरे जो धार विधानसभा के अंदर पीथमपुर एरिया है उसके अंदर कम्पनी लगातार टोल वसूल कर रही है वह प्रीमियर भी नहीं दे रही है सड़क की वहां यह हालत है कि चार महीने तो एक लाईन बंद रहती है.
शायद मैन्युफेक्चर डिफेक्ट हो, आप इंडस्ट्रियां ला रहे हैं, लेकिन इंडस्ट्री की कनेक्टिवटी आप पीथमपुर में ठीक से नहीं देंगे तो इंडस्ट्रियां कैसे आएंगी? आपका पहला इम्प्रेशन सड़क से जाता है. मैं हर बार इस विषय पर प्रश्न लगाती हूं, इसी पर मैंने पहले भी लगाया था पीथमपुर घाटा विलोद मऊ वाली रोड़ का उसमें भी ठीक से जवाब नहीं दिया और आज तक वह रिपेरिंग नहीं हुई. समय सीमा- 20-20, 30-30, 40-40 साल दे दी जाती है, तो क्या इस समय सीमा को कम करेंगे, या सस्पेंड करेंगे या रिपेरिंग करेंगे?
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष जी, मैंने राजवर्धन सिंह जी के प्रश्न के जवाब में बात स्पष्ट की है कि एक प्रक्रिया है. आप कोई अनुबंध करते हैं, उन अनुबंध की शर्तों को शासन नहीं तोड़ता, कोशिश ये लोग यही करते हैं, जो कंपनी है, कांन्ट्रेक्ट कि हम उनका टोल सस्पेंड करें, ताकि जो अनुबंध में यह नियम, योजना आयोग से बनाए हुए नियम हैं ये, ताकि वह पैसा जो उस पीरियड का बचा है, जितना 30 साल का टोल है, हमने 5 साल में सस्पेंड कर दिया तो 25 साल का पैसा सरकार देना पड़ता है, यह नियम है, नागेन्द्र सिंह जी को भी पता है, रामपाल सिंह जी को भी पता है, ये साजिश, ये कान्ट्रेक्टर जो कंपनियां हैं यही साजिश करती हैं, बैंक से भी लोन ले लेती है और इधर उधर से लोन लेकर अपने घर पर रख लेती है और सरकार पर इधर उधर से दबाव डालते हैं कि हमारा टोल तो सस्पेंड कर दो. मैं आपसे अनुरोध करता हूं, जिस तरह माननीय कमल नाथ जी ने भू-माफिया, रेत माफिया पर कार्यवाही है, मैं इस सदन में घोषणा कर रहा हूं, माननीय मुख्यमंत्री जी की तरफ से कि टोल माफियाओं को अब हम छोडे़ंगे नहीं, जो आपकी मंशा है, मैं उन्हें टोल माफिया का नाम देता हूं, उनके खिलाफ तत्काल कार्यवाही करेंगे. इसका उदाहरण मैं दे रहा हूं, भोपाल बायपास हमने अभी सस्पेंड किया है, इसी तरह का टोल माफिया वहां भी सक्रिय है. कमल पटेल जी सुन लीजिए जरा आप जवाब आने दीजिए उसके बाद आप बोलना(सदस्य कमल पटेल के खड़े होने पर).
श्री कमल पटेल - आप यह कह रहे हैं कि सस्पेंड करने की मांग कर रहे, इसका मतलब टोल वाले इनको गुमराह कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य मंत्री जी अपना जवाब दे रहे हैं, कृपया करके उनको जवाब देने दीजिए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - आपको टोल माफिया पर भी कार्यवाही से एतराज है क्या ? रेत माफिया पर कार्यवाही हो वहां एतराज करो, वहां तो ठीक है, टोल माफिया पर क्यों एतराज कर रहे हो? (..मेजो की थपथपाहट)
श्री कमल पटेल - अध्यक्ष जी, जो मंत्री जी ने कहा कि टोल वाले सस्पेंड करवाकर इधर उधर से एप्रोज लगाते हैं, तो विधायकों ने सस्पेंड करने का कहा, इसका मतलब ठेकेदारों को...
श्री सज्जन सिंह वर्मा - कमल भैया, अच्छा काम सरकार कर ही है, करने दो, जरा सुन लो, पहली बार भोपाल में टोल माफिया पर कार्यवाही हुई है. पहली बार कार्यवाही हुई है, भोपाल बायपास का हमने टोल निरस्त किया है.
श्री कमल पटेल- वह भी मैंने ही पत्र लिखा था, (बैठे बैठे बोला)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - धन्यवाद आपका.
अध्यक्ष महोदय - यशपाल जी,
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अभी पूरा जवाब नहीं आया.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - यशपाल जी मेरा जवाब आ जाने दीजिए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - नीना भाभी का प्रश्न बड़ा है, उनकी पीड़ा है, पीथमपुर से उनके विधान सभा में आता है, वहां पर रोड की बड़ी बुरी अवस्था है. तो इसलिए ऐसे टोल माफियाओं पर कार्यवाही करना आवश्यक है. मैं एक बात नीना वर्मा जी आपको बता दूं, हम किसी को छोड़ेंगे नहीं, इतने साल जो चल गया चल गया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी. प्रश्न लगा लगाकर थक गए हैं, यह मौत का मार्ग है.
अध्यक्ष महोदय - यशपाल जी इनको पूछ लेने दो, प्रश्न करो.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - मंत्री जी आप पत्रिका को देख सकते हैं, पत्रिका में पूरा ब्यौरा लिखा है. अध्यक्ष महोदय मेरा तो जवाब पूरा कर दें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, जयवर्धन दत्तीगांव ने जो प्रश्न लगाया है, इसी सड़क का मेरा तारांकित है, माननीय अध्यक्ष महोदय, मरम्मत की क्या बात कर रहे. 12 पुल पुलियां अभी भी कंसेस्नर ने नहीं बनाई है, पृष्ठ क्रमांक 23 पर आपके विभाग ने इस बात को स्वीकार किया है, वह संकीर्ण पुलिया है, वे कब बनेगी माननीय मंत्री जी,
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा समय समाप्त होता जा रहा है, फिर आप बंद कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय - वहां से वह बोल रही है भाभी.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मंत्री जी से निवेदन करूंगी कि आप मंत्री है, आप इस तरह के जो आवेदन आते हैं, जिस तरह के टर्म्स एंड कंडीशन फॉलो किए जाते हैं, क्या आप उसमें संशोधन करेंगे, क्योंकि 30-30, 40-40 साल का..
अध्यक्ष महोदय - समय खत्म हो गया.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - अध्यक्ष जी, मेरे को रिपेरिंग करवानी है यह कब तक रिपेरिंग हो जाएगी. अध्यक्ष जी, मेरा जवाब तो दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न काल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा तो जवाब ही नहीं आया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष जी, अब हो गया.
अध्यक्ष महोदय - नेता जी, एक मिनट. मैं आप सभी माननीय विधायकों से अनुरोध करता हूँ कि जब आप प्रश्न करते हैं तो घड़ी के कांटे की तरफ भी देखते रहिये. आप इतना लम्बा प्रश्न करते हैं, अपने प्रश्न को खुद गायब कर लेते हैं इसलिए उत्तर नहीं आ पाता है.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) - अध्यक्ष महोदय, (XX) कि नहीं. हम लोग निर्दलीय हैं, सपा एवं बसपा के हैं.
अध्यक्ष महोदय - अब मैं इनका क्या करूँ ?
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह - यह देखिये सब, इन दोनों पार्टियों के प्रश्न हो गये, उत्तर हो गये, सब हो गये और हम लोग फालतू ही बैठे हैं, कोई सुनवाई नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न लगाना सीखें.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह - (XX)
श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह ठाकुर (बुरहानपुर) - अध्यक्ष महोदय, मैं बड़े खेद के साथ आपसे एक निवेदन करना चाहता हूँ कि पिछले तीन दिन से मेरे प्रश्न आ रहे हैं, एक बार भी हमारी आवाज आप तक पहुँचने का मौका नहीं दिया जा रहा है. हम बार-बार आपसे निवेदन कर रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय
अध्यक्ष महोदय - मैं पहले शून्यकाल पढ़ दूँ, फिर आप बोलना.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह - बीएसपी पार्टी के दो विधायक हैं, दोनों विधायकों को मौका नहीं दिया जाता है.
श्री सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह ठाकुर - माननीय अध्यक्ष महोदय, हम लोग फर्स्ट टाइमर हैं. हम यह चाहते हैं कि हमारी आवाज आपके कान तक जाये.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह - हम दो विधायकों को मौका नहीं दिया जाता है. दोनों पार्टियां बिल्कुल ऐसे समझती हैं कि वे यह समझ लें कि हम दो नहीं हैं, हम 200 के बराबर हैं.
12.02 बजे नियम-267-क के अधीन विषय
12.04 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने पिछले वर्ष तक प्रदेश के गरीबों के कल्याण के लिये जनकल्याण योजना, जिसको हमने संबल योजना का नाम दिया था, शुरू की थी. इस योजना के अंतर्गत साधारण मृत्यु पर आश्रित के परिवार के लिये 2 लाख रुपये, जहां एक्सीडेंट हो जाये, दुर्घटना हो जाये वहां पर 4 लाख रुपये, कफन-दफन के लिये यदि पैसा नहीं हो तो 5,000 रुपये (अंतिम संस्कार के लिये), महिलाओं के लिये, प्रसव के लिये 16,000 रुपये, बिजली के बिल आधे करने जैसे यह तमाम प्रकार की गरीबों के हित की उसके अन्दर की योजनाएं थीं.
अध्यक्ष महोदय, एक वर्ष हो गया है, तरह-तरह की बहानेबाजी करके इस योजना को बन्द करने का काम कर दिया गया है. प्रदेश का गरीब तड़प रहा है, हाहाकार मचा हुआ है, जब किसी की मृत्यु होती है तो हम उसके घर बैठने के लिये जाते हैं तो हम देखते हैं कि उसके पास संबल का कार्ड है लेकिन उसको सुविधा नहीं मिली है. परिवार निराश्रित हो गये हैं, भीख मांगने के लिये बाध्य हो गये हैं, इसके लिये आज पूरे प्रदेश में हम लोग आन्दोलन कर रहे हैं. मैं चाहता हूँ कि सरकार आज तत्काल घोषणा करे कि वह संबल योजना पुन: चालू करेगी और एक वर्ष का जो बैकलॉग है, इसके हितग्राहियों के लिये वह राशि प्रदान करेगी. दूसरी बात, कड़ाके की ठण्ड में हजारों की संख्या में हमारी बहनें एवं भाई अतिथि विद्वानों के रूप में यहां पर हड़ताल कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री गोपाल भार्गव जी एक मिनट मैं व्यवस्था दे दूं. (एक साथ कई माननीय सदस्यों के मंत्रीगण के आसन के पास खड़े होकर चर्चा करने पर) माननीय विधायक जी कृपया अपना - अपना स्थान ग्रहण करने का कष्ट करें, सदन का डेकोरम मेन्टेन करने का कष्ट करें.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले 15 दिन से प्रदेश के लगभग सभी महाविद्यालयों में जो अतिथि विद्वान काम करते थे, उनके बारे में कोई स्पष्ट नीति न होने के कारण से, कोई राज्य शासन के द्वारा स्पष्ट आदेश जारी न किये जाने के कारण से, जहां एक तरफ वह यहां पर 15 दिन से कड़ाके की ठंड में अनशन कर रहे हैं, धरना दे रहे हैं, भूख हड़ताल कर रहे हैं और तो और हमारी बहनें जो हैं, वह मुंडन करा रही हैं, जिनके पति जीवित हैं, जिनके परिवार के लोग जीवित हैं. ( शेम-शेम की आवाज) ऐसे नौजवान जो अतिथि विद्वान के रूप में कार्य करते थे, वह भी अपना मुंडन करा रहे हैं. वह हमारी संस्कृति के विरूद्ध है, लेकिन सरकार की आंखे नहीं खुल रही है, सरकार पसीज नहीं रही है. मैं यह चाहता हूं कि सरकार की तरफ से सकारात्मक और प्रमाणिक उत्तर आये कि उनके बारे में सरकार क्या सोच रही है ? दूसरी बात जिनका चयन हो चुका है, उनके लिये भी आप नियुक्ति नहीं दे रहे हैं, इसके अलावा हजारों की संख्या में अतिथि शिक्षक जो स्कूलों में काम करते थे, वह अभी भी काम कर रहे हैं, लेकिन उनके लिये जो कांग्रेस पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र था, जिसमें अतिथि विद्वानों के लिये, अतिथि शिक्षकों के लिये कहा गया था कि हम सभी का नियमितीकरण करेंगे लेकिन इन दोनों वर्गों के लोगों का, दोनों वर्गों के बेरोजगारों का आज की तारीख तक कोई नियमितीकरण नहीं हुआ है. दूसरी अंतिम बात यह है कि संविदा शिक्षकों की नियुक्ति हो गई, एक वर्ष पहले उनकी परीक्षा पूरी हो गई है, लेकिन संविदा शिक्षकों के लिये नियुक्ति पत्र नहीं दिये जा रहे हैं, उनकी ज्वाइनिंग नहीं करवाई जा रही है. जबकि हजारों की संख्या में ऐसे स्कूल हैं जो शिक्षक विहीन हैं, इसलिये इन लोक महत्व के विषयों की और मैं माननीय मंत्री महोदय का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी यही विषय है, इसलिये मैं एक सेकेंड में अपनी बात पूरी कर दूंगा. इनके जो वचन पत्र में 17.22 बिंदु पर इन्होंने नियमितीकरण का कहा था. मंत्री जी जब जवाब दें तो इसका बता दें कि यह कहा था कि नहीं कहा था.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.(एक माननीय सदस्य के अपने आसन पर खड़े होकर कहने पर) एक मिनट आप बैठ जायें मैं व्यवस्थित व्यवस्था के तहत हाउस चला रहा हूं, धीरज रखिये. मैंने बोला है कि मैं शून्यकाल में मैं पांच माननीय सदस्यों को मौका दूंगा, अब इसमें जिनके भी नाम निकल आयें.
खेल, युवा कल्याण एवं उच्च शिक्षा मंत्री( श्री जितु पटवारी) -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं हर बार कहता हूं कि जब शिक्षा की बात हो, तो किसी प्रकार की नकारात्मकता और राजनीतिक दुर्भावना और आरोप प्रत्यारोप से बचना चाहिये. यह बिल्कुल सही है, सत्य है और स्वीकार्य है. शर्त यह है कि हमने अपने वचन पत्र में जो अतिथि विद्वान, अतिथि शिक्षक और ऐसे कर्मचारी जिनके लिये आपने पंद्रह साल से ऐसी व्यूह रचना बनाई जिससे इस तरह की पूरे प्रदेश में व्यवस्था निर्मित हुई, उसको लेकर नीति बनाने की बात कही है. हमने एक जी.ए.डी. के पी.एस. की अध्यक्षता में कमेटी की पहल की है, जो इस पूरे विषय पर आगे बढ़ेगी. रही बात अतिथि विद्ववानों के धरने की उस पर भी नीति स्पष्ट है. मैंने, मुख्यमंत्री जी ने और खासकर मुख्यमंत्री जी की मंशा अनुसार एक भी अतिथि विद्वान फालेन आउट होने के बाद अपने काम से मुक्त नहीं होगा. हमने उसके लिये और पद सृजन हो इसके लिये विभागीय कार्यवाही आलरेडी प्रारंभ कर दी है और वह कम्पलीट होने वाली है. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मंत्री जी हम यह पूछ ही नहीं रहे हैं. हमारे एक सवाल का जवाब बता दें कि आप करेंगे या नहीं करेंगे, अगर नहीं करेंगे तो बता दें. इनके घोषणा पत्र में इन्होंने कहा था, यह बात जो कर रहे है, वह शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार कर चुकी है. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय मंत्री जी डेढ़ हजार अतिथि विद्वानों को निकाल दिया गया है, यह आपकी जानकारी में होगा. क्या आप उनको वापस लेंगे.
(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, आप इनको शांत करें तो मैं अपनी बात करूं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- देखिये, आप लोगों की तरफ से भी मेरा अनुरोध है कि जब नेता प्रतिपक्ष खड़े होकर प्रश्न कर रहे हैं तो आप लोग सामूहिक रूप से न खड़े हों ताकि मंत्री को भी सुविधा हो. मैंने यह एक अतिरिक्त व्यवस्था प्रारंभ की है. मैंने एक नई व्यवस्था दी है, उसको सुचारू रखने के लिये मुझे आप सहयोग दीजियेगा. मंत्री जी आप बोलें.
श्री जितु पटवारी-- मैं वह भाषा नहीं बोल सकता.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, हम स्पेसिफिक उत्तर चाह रहे हैं कि नियमितीकरण करेंगे या नहीं.
श्री जितु पटवारी-- नरोत्तम जी जरा सुनो, मैं सज्जन भैया जैसा (XX)
अध्यक्ष महोदय-- इसको विलोपित करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- (XX)..(व्यवधान).. हम गरीबों की बात कर रहे हैं. ..(व्यवधान)..(XX). ..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, यह (XX) बोल रहे हैं. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मैंने वह शब्द विलोपित करवा दिये हैं. ..(व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य-- अध्यक्ष महोदय, बार-बार विलोपित करवायेंगे क्या ? ..(व्यवधान).. माननीय मंत्री जी को समझायें, कितनी बार विलोपित करेंगे.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, माफी मंगवायें. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, यह तरीका गलत है.
कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, (XX)..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- यह विलोपित कर दें. कृपया विराजियेगा. ..(व्यवधान).. मैं माननीय मंत्रियों से अनुरोध करता हूं कि कृपया ऐसे शब्दों का बार-बार रिपीटीशन न करें जिससे मुझे हाउस संचालित करने में दिक्कत हो. मेरा आप लोगों से अनुरोध है, उसमें दूसरे शब्दों का भी उपयोग किया जा सकता है, जो संसदीय हैं. कृपया ऐसे शब्द हम प्रयोग न करें तो बहुत अच्छा रहेगा.
श्री जितु पटवारी-- अध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध यह है कि सवाल उठते हैं और आप व्यवस्था देते हैं हमें जवाब देने के लिये, शून्यकाल में उसके बाद जवाब सुनने की तैयारी नहीं होती उससे यह उद्भूत होती है. अभी बात अतिथि विद्वानों की है, हमारे वचन के अनुसार एक-एक अतिथि विद्वान पूर्ववत कार्य करता रहेगा. हम नये पद क्रियेट करने की प्रोसेस कर रहे हैं, नंबर वन. दूसरा मेरी अतिथि विद्वानों से लगातार बात चल रही है. विपक्ष का राजनीतिक धर्म है कि उनके पास जाकर जितना आप अपना काम कर सकते हो करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- (XX)...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- यह विलोपित कर दें.
श्री जितु पटवारी-- यह हमारी संस्कृति नहीं है कि हम धमकी दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, हमारा स्पेसिफिक सवाल है, आप स्पेसिफिक जवाब दो, आप नियमितीकरण करेंगें या नहीं, हां या न. ..(व्यवधान)..
श्री जितु पटवारी-- संविधान के अनुसार जो हमने बोला है वह हम करेंगे.
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष जी, यह जवाब मिल गया, लेकिन अब शून्यकाल में प्रश्नोत्तर नहीं होगा, यह नियम है. ऐसा नहीं होना चाहिये. अगर नियमानुसार आप उठायें तो जवाब मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद, संसदीय कार्य मंत्री जी. मैंने पिछले सत्र के दौरान एक नई व्यवस्था दी थी कि शून्यकाल के बाद मैं कुछ प्रश्न पूछने की अनुमति दिया करूंगा, वह कारण है, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी, कुछ ऐसे ज्वलंत मुद्दे होते हैं जिन्हें हमें परमिट करना चाहिये, ताकि वह चीज व्यवस्थित आ जाये, मेरा ऐसा सोच था.
श्री बहादुरसिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय ....
अध्यक्ष महोदय-- अब बहादुर जी आज आपको क्या हो गया.
श्री बहादुरसिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र का मुद्दा उठा रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं उठाने दूंगा. प्रश्न करियेगा, शून्यकाल करियेगा. बस हो गया.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष जी, प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है, तबादला माफिया हाबी है और हालत यह है कि तबादला माफियाओं के कहने पर एसीएस जैसे वरिष्ठ अफसर का भी ट्रांसफर कर दिया जाता है. (XX) और मानननीय अध्यक्ष महोदय, इस्तीफा इसलिये दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- यह इसमें नहीं आता है. इसको विलोपित करें.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पोषण आहार माफिया ने इस सरकार से फैसला करवाया कि पोषण आहार जिसकी व्यवस्था हमनें सरकार में रहते हुये की थी कि पोषण आहार महिला सेल्फ हेल्फ ग्रुप बनायेंगे, सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार 7 पोषण आहार प्लांट हमने तैयार किये. सरकार ने फैसला कर लिया कि एम.पी. एग्रो बनायेगा और एम.पी. एग्रो बनायेगा मतलब उसमें ठेकेदार घुसेंगे. उस आईएएस अफसर ने केवल यह लिखा था कि ठेकेदारों से एम.पी. एग्रो पोषण आहार नहीं बनवायेगा और इसलिये उस अफसर का ट्रांसफर कर दिया गया.
श्री शिवराज सिंह चौहान - आज ईमानदार अफसर प्रताड़ित है और अपनी बात नहीं बोल पा रहा है. बागी खुलकर खेल रहे हैं भ्रष्टाचार की बात यह सरकार माफियाओं की करती है. आज तबादला माफिया हावी है और ईमानदार अफसर नौकरी छोड़-छोड़कर जा रहे हैं ये मुगालते में हैं कि उन्हें अच्छा आफर मिला है और इसलिये यह अभूतपूर्व स्थिति है..(.व्यवधान..) उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. बागी अफसर खुलकर खेल रहे हैं और पूरे मध्यप्रदेश को भ्रष्टाचार की आग में इस सरकार ने झोंक दिया है. (XX) छिन्दवाड़ा में एक सहायक भू-अभिलेख अधिकारी ने आत्महत्या कर ली(..व्यवधान..) क्योंकि कलेक्टर के कहने पर उसने अवैध नियुक्ति नहीं की और इसलिये मैं नहीं कह रहा हूं(..व्यवधान..) ये अभूतपूर्व स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय - शिवराज जी, धन्यवाद.
वित्त मंत्री ( श्री तरुण भनोत ) - माननीय अध्यक्ष महोदय,पूर्व मुख्यमंत्री जी ने एक अभी वक्तव्य दिया कि (XX) हमने पूर्व में भी यह बात सदन में चर्चा आई वल्लभ भवन में तो सारे लोग आते हैं प्रशासकीय अधिकारी भी बैठते हैं, मंत्री भी रहते हैं विधायक भी आते हैं पक्ष-विपक्ष के साथी भी आते हैं और अगर अपने काम बताते हैं तो क्या वहां (XX) करने आते हैं . ये घोर आपत्तिजनक है. इसको हटाया जाना चाहिये. दूसरी बात अधिकारियों के बारे में बात कही जा रही है. मुझे वह दौर भी याद है जब आई.ए.एस. अधिकारियों से रिकवरी हुई. उन पर जान लेवा हमला भी हुआ.(..व्यवधान..) किसी एक अधिकारी विशेष की बात सदन में करना उचित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - इन शब्दों को विलोपित कर दें.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव) - मंत्री जी आप यह बता दें कि गौरी सिंह जी ने अपने इस्तीफे में क्या-क्या लिखा और जो नोटशीट थी जो फाईल थी, जो आंगनवाड़ी के लिये जो भोजन प्रदाय करना था सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से उस फाईल पर क्या लिखा था यह बता दें आप.
अध्यक्ष महोदय - गोपाल जी, ये अकेली बात नहीं थी. मैंने पेपर में पढ़ा है. इसके अलावा कोई और बात भी थी जो बात आप नहीं बता पा रहे हैं.
(..व्यवधान..)
12.18 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 39 की उपधारा (2) एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 35 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
पर्यावरण मंत्री(श्री सज्जन सिंह वर्मा) - अध्यक्ष महोदय, मैं, जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 39 की उपधारा (2) एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 35 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019 पटल पर रखता हूं.
(..व्यवधान..)
(2) (क) मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 35 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग का वार्षिक लेखा प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016, तथा
(ख) सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 25 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन (01 जनवरी 2016 से 31 दिसम्बर 2016),
सामान्य प्रशासन मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, मैं,
(क) मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 35 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग का वार्षिक लेखा प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016, तथा
(ख) सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 25 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन (01 जनवरी 2016 से 31 दिसम्बर 2016),पटल पर रखता हूं.
(3) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (क्रमांक 19 सन् 2017) की धारा 166 एवं मध्यप्रदेश वेट अधिनियम, 2002 (क्रमांक 20 सन् 2002) की 71 अधिसूचनाएं-
वाणिज्यिक कर मंत्री(श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) - अध्यक्ष महोदय, मैं,
मध्यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (क्रमांक 19 सन् 2017) की धारा 166 एवं मध्यप्रदेश वेट अधिनियम, 2002 (क्रमांक 20 सन् 2002) की धारा 71 की उपधारा (5) की अपेक्षानुसार निम्न अधिसूचनाएं पटल पर रखता हूं :-
(1) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-55-2017-1-पांच-(01), भोपाल, दिनांक 21 जनवरी, 2019,
(2) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-12-2018-1-पांच-(02), भोपाल, दिनांक 21 जनवरी, 2019,
(3) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-26/2018/1/पांच (04 से 19 तक), भोपाल, दिनांक 8 फरवरी, 2019,
(4) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-44-2018-1-पांच-(22), भोपाल, दिनांक 15 फरवरी, 2019,
(5) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-61-2017-1-पांच-(21), भोपाल, दिनांक 11 फरवरी, 2019,
(6) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-41/2017/1/पांच-(23), भोपाल, दिनांक 6 मार्च, 2019,
(7) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-08-2019-1-पांच (24), भोपाल, दिनांक 6 मार्च, 2019,
(8) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-09-2019-1-पांच-(25), भोपाल, दिनांक 6 मार्च, 2019,
(9) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-10-2019-1-पांच (26), भोपाल, दिनांक 6 मार्च, 2019,
(10) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-11-2019-1-पांच (27), भोपाल, दिनांक 6 मार्च, 2019,
(11) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-05-2019-1-पांच (28), भोपाल, दिनांक 7 मार्च, 2019,
(12) अधिसूचना क्रमांक F A-3-42-2017-1-V (68) भोपाल, दिनांक 22 अप्रैल, 2019,
(13) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-16-2019-1-पांच (31), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(14) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-13-2019-1-पांच (32), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(15) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-14-2019-1-पांच (33), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(16) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-15-2019-1-पांच (34), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(17) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-17-2019-1-पांच (35), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(18) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-23/2017/1/पांच (36), भोपाल, दिनांक 17/05/2019,
(19) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-32-2017-1-पांच (37), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(20) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-42/2017/1/पांच (38), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(21) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-47/2017/1/पांच (39), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(22) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-18-2019-1-पांच (40), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(23) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-19-2019-1-पांच (41), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(24) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-33-2017-1-पांच (42), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(25) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-20-2019-1-पांच (43), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(26) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-21/2019/1/पांच (44), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(27) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-22/2019/1/पांच (45), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(28) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-02-2017-1-पांच (48), भोपाल, दिनांक 20 जून, 2019,
(29) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-25-2019-एक-पांच-(49), भोपाल, दिनांक 29 जून, 2019,
(30) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-05-2019-1-पांच-(50), भोपाल, दिनांक 29 जून, 2019,
(31) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-32-2017-1-पांच-(51), भोपाल, दिनांक 29 जून, 2019,
(32) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-27-2019-1-पांच-(52), भोपाल, दिनांक 29 जून, 2019, (शुद्धि पत्र)
(33) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-26-2019-1-पांच-(53), भोपाल, दिनांक 29 जून, 2019,
(34) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-24-2019-एक-पांच-(54), भोपाल, दिनांक 29 जून, 2019,
(35) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-28-2019-1-पांच(56 से 61), भोपाल, दिनांक 7 अगस्त, 2019,
(36) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-31-2019-1-पांच-(58), भोपाल, दिनांक 21 अगस्त, 2019,
(37) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-26-2019-1-पांच-(65), भोपाल, दिनांक 27 सितम्बर, 2019,
(38) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-26-2019-1-पांच-(66), भोपाल, दिनांक 27 सितम्बर, 2019,
(39) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-26-2019-1-पांच-(67), भोपाल, दिनांक 27 सितम्बर, 2019,
(40) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-26-2019-1-पांच-(68), भोपाल, दिनांक 27 सितम्बर, 2019,
(41) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-18-2018-1-पांच-(20), भोपाल, दिनांक 11 फरवरी, 2019,
(42) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-61-2017-1-पांच-(21), भोपाल, दिनांक 11 फरवरी, 2019,
(43) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-44-2018-1-पांच (22), भोपाल, दिनांक 15 फरवरी, 2019,
(44) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-41/2017/1/पांच (23), भोपाल, दिनांक 6 मार्च, 2019,
(45) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-08-2019-1-पांच (24), भोपाल, दिनांक 6 मार्च, 2019,
(46) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-09-2019-1-पांच (25), भोपाल, दिनांक 6 मार्च, 2019,
(47) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-10-2019-1-पांच (26), भोपाल, दिनांक 6 मार्च, 2019,
(48) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-11-2019-1-पांच (27), भोपाल, दिनांक 6 मार्च, 2019,
(49) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-05-2019-1-पांच (28), भोपाल, दिनांक 7 मार्च, 2019,
(50) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-20/2013/1/पांच (29), भोपाल, दिनांक 8 मार्च, 2019,
(51) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-18-2018-1-पांच (30), भोपाल, दिनांक 23 अप्रैल, 2019,
(52) अधिसूचना क्रमांक F A-3-42-2017-1-V (68) भोपाल, दिनांक 22 अप्रैल, 2019,
(53) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-16-2019-1-पांच (31), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019
(54) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-13-2019-1-पांच (32), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(55) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-14-2019-1-पांच (33), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(56) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-15-2019-1-पांच (34), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(57) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-17-2019-1-पांच (35), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(58) अधिसूचना क्रमांक एफए 3-23/2017/1/पांच (36), भोपाल, दिनांक 17.05.2019,
(59) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-32-2017-1-पांच (37), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(60) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-42/2017/1/पांच (38), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(61) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-47/2017/1/पांच (39), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(62) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-18-2019-1-पांच (40), भोपाल, दिनांक 17 मई 2019,
(63) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-19-2019-1-पांच (41), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(64) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-33-2017-1-पांच (42), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(65) अधिसूचना क्रमांक एफ ए-3-20-2019-1-पांच (43), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(66) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-21/2019/1/पांच (44), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(67) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-22/2019/1/पांच (45), भोपाल, दिनांक 17 मई, 2019,
(68) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-20-2013-1-पांच (46), भोपाल, दिनांक 4 जून, 2019
(69) अधिसूचना क्रमांक एफ ए 3-40-2018-1-पांच (47), भोपाल, दिनांक 4 जून, 2019,
(70) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-02-2017-1-पांच (48), भोपाल, दिनांक 20 जून, 2019, एवं
(71) अधिसूचना क्रमांक एफ-ए-3-25-2019-एक-पांच-(49), भोपाल, दिनांक 29 जून, 2019
(4) (क) जिला खनिज प्रतिष्ठान अनूपपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017,
(ख) जिला खनिज प्रतिष्ठान बालाघाट एवं जबलपुर के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, तथा
(ग) जिला खनिज प्रतिष्ठान झाबुआ, बालाघाट, अलीराजपुर, जबलपुर एवं सतना के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
(व्यवधान)..
(5) (क) क्रमांक एफ-3-26-2019-तेरह, भोपाल, दिनांक 1 अगस्त, 2019, एवं
(ख) क्रमांक एफ-3-26-2019-तेरह, दिनांक 1 अगस्त, 2019,
(व्यवधान)..
(6) मध्यप्रदेश वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन का 14वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं हिसाब पत्रक वित्तीय वर्ष 2016-2017
(व्यवधान)..
12.22 बजे गर्भ गृह में प्रवेश
भारतीय जनता पार्टी के माननीय सदस्यगण द्वारा गर्भ गृह में प्रवेश
(व्यवधान के बीच भारतीय जनता पार्टी के माननीय सदस्यगण द्वारा गर्भ गृह में प्रवेश किया गया एवं नारेबाजी करने लगे.)
पत्रों का पटल पर रखा जाना (क्रमशः)
(7) (क) मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 (क्रमांक 18 सन् 2005) की धारा 11 की उपधारा (1) की अपेक्षानुसार-
(i) वित्तीय वर्ष 2018-2019 की द्वितीय छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण, एवं
(ii) वित्तीय वर्ष 2019-2020 की प्रथम छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण, तथा
(ख) मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 एवं मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन नियम, 2006 के अंतर्गत अनुपालन एवं पुनर्विलोकन रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2015-2016 एवं 2016-2017
(व्यवधान के बीच भारतीय जनता पार्टी के माननीय सदस्यगण द्वारा गर्भ गृह में नारेबाजी की जाती रही.)
12.23 बजे ध्यान आकर्षण
आपकी सब चीजें आ गई हैं, कृपया अपने स्थान पर जायं.
12.24 बजे (1) नरसिंहपुर जिले में कृषकों से खरीदे गये चने एवं मसूर का भुगतान न किया जाना
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर) - अध्यक्ष महोदय,
सहकारिता मंत्री ( डॉ गोविन्द सिंह ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में नारेबाजी की जाती रही.)
अध्यक्ष महोदय -- मैं आप सबसे से अनुरोध करुंगा कि आप लोगों की बात आ गई है,कृपा पूर्वक अपने स्थान पर बैठने का कष्ट करें. मुझे सुचारु रुप से कार्यवाही चलाने में सहयोग प्रदान करें. आज की कार्य सूची में अनेक विधेयक तथा महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं. माननीय सदस्य गण, कृपया कार्यवाही में सहयोग प्रदान करें तथा शांतिपूर्वक कार्यवाही चलने दें. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से मेरा अनुरोध है, माननीय शिवराज सिंह जी से मेरा अनुरोध है कि अब इस गतिरोध को विराम दें. कृपया कार्यवाही सुचारु रुप से चलने दें. नेता प्रतिपक्ष जी से,शिवराज सिंह जी, आप दोनों से अनुरोध है कि कृपया गतिरोध समाप्त करके कार्यवाही को आगे बढ़ाने में सहयोग प्रदान करने की कृपा करें. माननीय जालम सिंह पटेल जी.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही गंभीर विषय है. मध्यप्रदेश आईएएस एसोसिएशन की अध्यक्ष, श्रीमती गौरी सिंह जी थीं और अतिथि शिक्षक. एक तरफ एक वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी ... (व्यवधान)..
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- अध्यक्ष महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री जी को बोलने दिया जाये. ..(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय, कमलेश्वर पटेल जी को जवाब देने का अवसर दिया जाये. उनकी बात का जवाब ग्रामीण विकास मंत्री देंगे, इनका पर्दाफाश हो जायेगा.
..(व्यवधान)..
12.32 बजे बहिर्गमन
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, अतिथि शिक्षकों के बारे में नरोत्तम जी ने कहा है. अध्यक्ष महोदय, अतिथि विद्वान और अतिथि शिक्षकों के बारे में कांग्रेस के घोषणा पत्र के अनुसार कभी एक्शन नहीं लिया गया. उनका नियमितिकरण नहीं किया गया. इस सबके विरोध में हम लोग बहिर्गमन करते हैं.
(श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा अतिथि विद्वान शिक्षकों के नियमितिकरण नहीं करने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया.)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- उनकी (XX) कर लो. किसी नेता की (XX) करते तो ठीक रहता. एक अधिकारी की (XX) कर रहे हैं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल) --अध्यक्ष महोदय, जो आरोप लगाये हैं सरकार के ऊपर, उसके बारे में हम जरुर बताना चाहते हैं, क्योंकि यह हमारे विभाग से संबंधित है. हम आपसे अनुमति चाहेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- इतनी देर में तो आप बोल देते.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी, सरकार के ऊपर जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान, जो माननीय सदस्य हैं एवं नेता प्रतिपक्ष जी ने जो आरोप लगाये हैं, वह पूरी तरह से निराधार हैं. सरकार नियम प्रक्रिया से चलती है और नियम प्रक्रिया को तोड़ने का किसी को अधिकार नहीं है. जो कानून व्यवस्था की खिल्ली उड़ाये, संवैधानिक व्यवस्था की खिल्ली उड़ाये..
अध्यक्ष महोदय --चलिये हो गया, बिराजिये. कमलेश्वर जी, आप बैठ जाइये. जालम सिंह पटेल जी प्रश्न करिये.
12.33 बजे ध्यान आकर्षण (क्रमशः)
श्री जालम सिंह पटेल -- अध्यक्ष महोदय, यह किसानों से जुड़ा हुआ बहुत गंभीर मामला है और मंत्री जी का जवाब मेरे पास तो नहीं आया है, उन्होंने पढ़कर सुना दिया. मेरे पास सिर्फ ध्यान आकर्षण की सूचना की प्रति है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि लगभग दो वर्ष पहले जो सोसायटी में घोटाला हुआ है, 400 से अधिक किसान हैं, उनका भुगतान नहीं हुआ है. एफआईआर वगैरह कर्मचारियों पर हो गई है और वसूली के बाद भुगतान हो गया, मैंने प्रश्न लगाया था, उसका जवाब आया है. अब जब तक वसूली नहीं होगी, तब तक क्या सैकड़ों किसानों का भुगतान नहीं होगा. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि उसमें क्या सरकार उन किसानों का भुगतान करा देगी और कर्मचारियों से जो वसूली होगी, वह अपने खजाने में जमा कर लें, ऐसा मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय --ठीक बात है. मंत्री जी.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, वैसे तो सच्चाई यह है कि आपने वर्ष 2016-17 का पूछा था. वर्ष 2016-17 में खरीदी नहीं हुई, तो भुगतान का सवाल ही नहीं है. लेकिन किसानों के हित की बात थी, इसलिये चर्चा में, अपने जवाब में आपको जानकारी दी है. अन्यथा आपका जवाब एक लाइन का था कि वर्ष 2016-17 में खरीदी नहीं हुई, इसलिये जवाब देने का कोई मतलब नहीं है. लेकिन किसानों का मामला है. अब मैं आपको स्पष्ट करना चाहता हूं कि भुगतान हम वसूल कर रहे हैं, वसूली होगी, कुछ हो चुकी है. उनके पास जितनी सम्पत्ति है, कुछ लोग गिरफ्तार हो गये हैं और कुछ लोगों की गिरफ्तारी करना है. अब गिरफ्तारी के बाद न तो आपकी मार्केटिंग सोसाइटी के पास इतनी संपत्ति है कि उस संपत्ति को बेचकर भुगतान किया जा सके. दूसरी बात यह है कि अगर कोई दोषी, अगर कोई चोर चोरी करके चला जाए, पकड़ा जाए तो ऐसा कोई कानून-नियम नहीं है कि उसके पैसे सरकार दे. मैं इसलिए ऐसा कहना चाहता हूँ कि अकेली एक सोसाइटी का मामला नहीं है. पूरे मध्यप्रदेश में लगभग ऐसे डेढ़ सौ करोड़ के आसपास का मामला है, जो हर जिले में हुआ है. अब हम नहीं कहना चाहते कि बदले की भावना से बोल रहे हैं, लेकिन ज्यादातर जितनी गड़बड़ियां हैं, वह एक साल के ऊपर की हैं. अभी इसलिए मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि डेढ़ सौ करोड़ रुपये देने की स्थिति में सरकार नहीं है. हम वसूली कर रहे हैं, कुर्की करा रहे हैं, सहकारिता अधिनियम की धारा के तहत उनकी प्रॉपर्टी, खेती, जमीन-जायदाद, पांच अधिकारी कर्मचारी हैं, आपके प्रशासन, जो नॉमनेट रहे अध्यक्ष, उनकी भी प्रॉपर्टी से वसूल करने के लिए हमने डिक्री कराई है. एक-सवा करोड़ की डिक्री हो चुकी है. उनसे वसूली कराके किसानों को भुगतान कराएंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- कल बजट में आपके सहकारिता विभाग का नाम तक तो था नहीं.
श्री जालम सिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों ने अपना अनाज बेचा, उनकी क्या गलती है और मान लो किसी कर्मचारी ने गड़बड़ की है. इस प्रकार के जवाब से किसानों का थोड़ी भला हो जाएगा. किसानों ने गलती तो की है कि अनाज पैदा कर रहे हैं. आप भी तो किसान हैं. अनाज कैसे पैदा होता है, क्या हालत है आज किसान की, इसके बाद भी गैर-जिम्मेदाराना जवाब आप दे रहे हैं कि एक साल पहले की बात है, दो साल पहले की बात है, क्या अभी घोटाले नहीं हो रहे हैं. अभी यूरिया नहीं मिल रहा है तो मैं यह थोड़ी कह रहा हूँ कि आप दोषी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- जालम जी, अपने प्रश्न तक सीमित रहें. मैं भी आपको सपोर्ट कर रहा हूँ, जरा धीरज रखकर प्रश्न तो करें.
श्री जालम सिंह पटेल -- अध्यक्ष महोदय, धीरज है, लेकिन जो मंत्री जी जवाब दे रहे हैं, वह जान भी रहे हैं, घोटाला हुआ है, यह सही है, घोटाला करने वाले घोटाले कर रहे हैं. मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि कोई 4 सौ किसान हैं, और उनमें छोटे-छोटे किसान हैं और बड़े-बड़े किसान भी हैं. किन्होंने घोटाला किया है, कौन प्रशासक हैं, वे कौन हैं, मुझे इससे मतलब नहीं, मेरा तो केवल निवेदन इतना ही है कि उन किसानों का भुगतान हो जाए. मैंने योजना मण्डल की बैठक में प्रभारी मंत्री जी से भी निवेदन किया था कि कहीं से उनका भुगतान हो जाए. जिला मुख्यालय की वह सोसाइटी है. इसके पहले कभी नहीं हुआ था, पहली बार ऐसा हुआ है, तो मेरा निवेदन है और माननीय मंत्री जी से पुन: मैं निवेदन करता हूँ कि कहीं न कहीं से उनका भुगतान हो जाए. भले ही यह पूरे प्रदेश की बात है, पूरे प्रदेश के किसानों को भुगतान किया जाए, ऐसा मैं निवेदन करता हूँ, लेकिन नरसिंहपुर जिले के किसानों का भी भुगतान किया जाए.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही जिक्र कर दिया है. जो कर्मचारियों ने गबन किया है, सोसाइटी के अधिकारियों ने और निर्वाचित प्रतिनिधियों ने, जिन्होंने घोटाला किया है, जिन्होंने गबन किया है, उन पर कार्यवाही हो रही है. गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं, दो लोग और बचे हैं, उनको भी गिरफ्तार किया जाएगा. सहकारिता अधिनियम के हिसाब से उनसे, उनकी जमीन-जायदाद से हम वसूली कर रहे हैं, एक-सवा करोड़ की डिक्री भी हो गई है. बाकी की और करेंगे और ऐसा करके हम उनका भुगतान करेंगे. डेढ़ सौ करोड़ के करीब पूरे प्रदेश में घोटाला है. हम यह नहीं कह रहे हैं कि आज का है, यह सब हमारे पहले का है. लेकिन हम हमेशा किसानों के पक्ष में रहे हैं और बेईमानों के विरोध में रहे हैं. लेकिन अब मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि दोषी कोई हो, चोरी कोई करे तो सरकार कैसे भुगतान करेगी ? या तो बजट में इतना प्रावधान रखना पड़ेगा तो हम मांग कर सकते हैं अपने वित्त मंत्री से कि अगले बजट में करें. यदि उनकी मंजूरी हो जाएगी तो हम दे देंगे लेकिन अभी हम भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं. हम दोषियों से वसूल करेंगे तभी दे पाएंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय मंत्री जी, इतना तो बताएं कि कब तक वसूल कर लेंगे. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, एक मिनट.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- पूरे प्रदेश भर का मामला है. हमारे रायपुर सोसाइटी के जमा पैसे खा गए. ...(व्यवधान)...
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपके होशंगाबाद के...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- अरे नहीं भाई, मैं यह एलाउड नहीं करता हूँ, मैं नरसिंहपुर के अलावा एलाउड नहीं करूंगा. ...(व्यवधान)...मंत्री जी, मैं नरसिंहपुर के अलावा एलाउड नहीं कर रहा हूँ. मेरा आपसे अनुरोध है कि जो विधायक, नरसिंहपुर ने प्रश्न किया है, मैं भी अपनी बात उसमें रखना चाहता हूँ. (डॉ. सीतासरन शर्मा के अपनी बात कहते रहने पर) शर्मा जी, नहीं, नहीं, आप क्या कर रहे हैं. ...(व्यवधान)...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- हम कुछ नहीं कर रहे हैं. हम बोल रहे हैं. बोलने के लिए ही तो आए हैं यहां. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मैंने अनुमति नहीं दी.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- मेरा अनुरोध यह है कि वही विषय है नरसिंहपुर का भी और होशंगाबाद का भी.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं है, नहीं है. यह प्रश्न नहीं है.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- यदि वहां के साथ-साथ यहां के किसानों का भला हो जाएगा तो क्या बिगड़ जाएगा किसी का.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह प्रश्न नहीं है.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- प्रश्न तो यही है.
अध्यक्ष महोदय -- सिर्फ नरसिंहपुर का है.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- प्रश्न नरसिंहपुर का है पर समस्या पूरे प्रदेश की एक सी है.
अध्यक्ष महोदय -- क्या आप इस कुर्सी पर बैठकर ऐसा ही करते थे ?
डॉ.सीतासरन शर्मा -- माननीय अध्यक्ष जी, अब रहने दीजिए. वह बात रहने दीजिए, अच्छा नहीं लगेगा.
अध्यक्ष महोदय -- आदरणीय, मैं आपसे अनुरोध कर रहा हॅूं. मैं कोई हल अपने नरसिंहपुर का निकाल रहा हॅूं और आप वह निकालने नहीं दे रहे हैं. आप होशंगाबाद डाल रहे हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, होशंगाबाद का डालना पडे़गा क्योंकि होशंगाबाद में भी मध्यप्रदेश की जनता रहती है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं.विषय अलग-अलग हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- होशंगाबाद डालना पडे़गा. सरकार पर ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी..
श्री रामपाल सिंह -- रायसेन में 1671 किसानों का रुका है...(व्यवधान)..
डॉ.सीतासरन शर्मा -- वह उत्तर दे रहे हैं, उनको वह उत्तर नहीं देने दे रहे हैं. यदि साथ में उत्तर दे रहे हैं तो कौन-सी तकलीफ है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं फिर आगे बढ़ जाऊंगा.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- संजू भाई का बिल्कुल इर्रिलेवेंट क्वेश्चन था.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष जी..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, विषय अलग-अलग था.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि विषय पूरे राज्य से संबंधित है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं है, नहीं है. विषय अलग-अलग हैं बन्धु. आप समझिए तो.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- एक ही विषय हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यहां पर कर्मचारियों ने पैसा जीम लिया.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- होशंगाबाद में भी ऐसा ही हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, कई बैंकों में हुआ है.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- कर्मचारियों ने पैसा जीम लिया, मंत्री जी जानते हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, अधिकांश बैंकों में हुआ है.
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग अलग-अलग प्रश्न उठा लिया करिए न. नियम प्रक्रिया..(व्यवधान)...
डॉ.सीतासरन शर्मा -- न शून्यकाल हो रहा है न कुछ हो रहा है फिर क्या उठाएं ? ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- यह शून्यकाल नहीं है ध्यानाकर्षण चल रहा है.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- शून्यकाल कितने दिन से चला ही नहीं है. आज आपने एक लिस्ट पढ़ दी. चार दिन से शून्यकाल चला ही नहीं, कब उठाएं प्रश्न ?
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, शून्यकाल रोज चल रहा है, रोज चल रहा है. मैं फिर दूसरे सदस्यों से प्रश्न नहीं करने दूंगा, सिर्फ शून्यकाल चलने दूंगा.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अरे आधा-पौन घंटा तो चलाएं आप.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. ठीक है नेता प्रतिपक्ष जी. अबकी बार से मैं सिर्फ शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ना एलाउ करुंगा, बाकी की फिर नहीं करा करुंगा. ऐसा सुझाव आ रहा है...(व्यवधान)..
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष जी, पूरी प्रक्रिया करना पड़ती है यह कोई बात हुई क्या. यह करुंगा, यह नहीं करुंगा. नहीं, यह इस तरह से नहीं चलेगा. मंत्री जी उत्तर देने के लिए तैयार हैं आप उनको रोक रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी, आपको स्मरण होगा. माननीय राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला जी के कार्यकाल में शून्यकाल की एक व्यवस्था ऐसी थी कि यदि किसी नियम के अंतर्गत वह नहीं आए..(व्यवधान)...
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) -- ऐसी विधानसभा चलाई है क्या ?
डॉ.सीतासरन शर्मा -- उनसे पूछिए, जो आपके साथ बैठै हैं...(व्यवधान)..
श्री तुलसीराम सिलावट -- क्या आपने ऐसी चलाई है ? ऐसा नहीं चलेगा, यह आसंदी का अपमान है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- यह ध्यानाकर्षण चल रहा है...(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी, आपने अभी जो नियम बनाया 5 लोगों के बोलने का...(व्यवधान)...
डॉ.सीतासरन शर्मा -- क्या यह कोई तरीका है ? ..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, अच्छा नियम है.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष जी, आप सत्ता पक्ष को ज्यादा बोलने का अवसर दे रहे हैं. हमारे अध्यक्ष ने, हमारी सरकार में कांग्रेस को लोगों को ज्यादा अवसर दिया. शून्यकाल में ही सारे विषय आते हैं..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- अब यह लो.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- दोनों प्रश्नों का एक ही उत्तर है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मुझे दिक्कत यह होती है कि मूल प्रश्नकर्ता अपने प्रश्न करके जवाब नहीं ले पाता है जिनने प्रश्न नहीं किया, वह उस पर दाग देते हैं. मूल प्रश्नकर्ता की भावनाएं वहीं की वहीं रह जाती हैं. उसकी अपनी जिज्ञासाएं वहीं की वहीं रह जाती हैं और वह जो लाभ उन किसानों को दिलाना चाहता है मंत्री जी, नरसिंहपुर का मामला है, मैं भी उसमें समाहित हो रहा हॅूं. (डॉ.गोविन्द सिंह, सहकारिता मंत्री की तरफ देखकर) उन किसानों की कोई गलती नहीं थी. हम मानते हैं.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी -- अध्यक्ष जी, मेरे यहां भी 354 किसानों का भुगतान नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय -- अब, यह क्या है. अब हमने पूरा आपके लिए प्रबोधन करवा दिया, सब करवा दिया प्रभु जी.
श्री सुनील सराफ -- अध्यक्ष महोदय, हम भी शुरु कर देंगे, यदि यह लोग बार-बार ऐसा-वैसा करेंगे...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- अब आप भी खडे़ हो गए. आपको किसने परमिट किया ?
श्री सुनील सराफ -- अध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार खड़ा हुआ हॅूं. कुछ बोलने ही नहीं दे रहे हैं. वहां से कोई खड़ा हो रहा है, हम लोग भी फिर इधर से खडे़ होंगे. फिर क्या होगा. यह क्या तरीका है जब ठीक से चल रहा है ..(व्यवधान)...
डॉ.सीतासरन शर्मा -- क्या आप खडे़ होने की धमकी देंगे? ..(व्यवधान)..
श्री सुनील सराफ -- अध्यक्ष महोदय, धमकी नहीं दे रहे हैं. यदि आप बोल रहे हैं तो आप ही बोलें. पीछे से कई सदस्य क्यों खडे़ हो रहे हैं...(व्यवधान)..
डॉ.सीतासरन शर्मा -- विधान सभा चलाने की सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी है. यह कोई तरीका नहीं है. ...(व्यवधान)..
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी -- आदरणीय माननीय सदस्य महोदय, आप वरिष्ठ हैं. लेकिन हम पहली बार आए हैं हमें भी बोलने का मौका मिले. आप शुरु हो जाते हैं.एक-एक घंटे तक चलते रहते हैं.आपके सब साथी खडे़ हो जाते हैं...(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्ता पक्ष के विधायक बीजेपी के एक-एक विधायक को डरा रहे हैं. देख लेने की धमकी दे रहे हैं. यह क्या तरीका है. हम इस सदन के अंदर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं..(व्यवधान)..
श्री सुनील सराफ -- आप गलत परम्परा जोड़ रहे हैं. हम आपकी गलत परम्परा का विरोध कर रहे हैं. हम डरा नहीं रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा -- जब देखो तब आस्तीन चढ़ा कर खडे़ हो जाते हैं. देख लेंगे. अरे भैया क्या करोगे, मारोगे, गोली चलाओगे...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - मैंने कल भी निवेदन किया था कृपया दोनों पक्ष शांतिपूर्वक विषय को चलने दें. जिस विधायक की भावना है अगर वह पूरी नहीं होगी तो कहीं न कहीं क्वेश्चन मार्क लगता है. आप लोग भी संयम रखें तो बड़ी मेहरबानी होगी. मंत्री जी, मेरा अनुरोध यह है कि हां यह सहकारी सोसायटी के अधिकारियों के द्वारा घपला किया गया जिसमें किसानों का कोई दोष नहीं है. वित्तमंत्री जी आप प्रभारी मंत्री नरसिंहपुर हैं कृपया आप और माननीय मंत्री जी दोनों मिलकर इसमें कुछ रास्ता निकालें. उसमें बहुत से ऐसे गरीब किसान हैं जिनको बहुत कम-कम अनाज दिया गया है. निश्चित रूप से उनके जीवन यापन में तकलीफ आती है. इसमें आप दोनों मिलकर कोई रास्ता निकालें तो मेरे ख्याल से उन किसानों का भला हो जाएगा ऐसी मंशा नरसिंहपुर विधायक जी की और मेरी भी है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, यह अतिथि विद्वानों का मामला बहुत मानवीय मामला है. छिंदवाड़ा में उन्होंने ध्यानाकर्षित करने की कोशिश की तो बसों में भर- भरकर पिपरिया के जंगलों में छोड़ दिया गया. मंत्री स्पष्ट उत्तर नहीं दे रहे हैं. अतिथि विद्वान परेशान हैं. वह मुण्डन करा रहे हैं. महिला अतिथि विद्वान मुण्डन करा रही हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने उनको धमकी दी है.
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष महोदय, यह क्या तरीका है आपका ? इतने छोटे स्तर पर आप राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं ? आपने 15 साल क्या किया ? ..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान - अतिथि विद्वानों को आप नियमित करेंगे कि नहीं करेंगे ?
...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी - आप क्या कर रहे थे 15 साल ? यह समस्या आई कैसे ? शिवराज जी, आपने 15 साल क्या किया ? ..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, अतिथि शिक्षकों का और अतिथि विद्वानों का दोनों का नियमितीकरण करें और आज ही इसकी घोषणा करें. ..(व्यवधान)..
12.47 बजे गर्भगृह में प्रवेश
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा अतिथि विद्वानों के
नियमितीकरण की मांग को लेकर नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में
गर्भगृह में प्रवेश किया गया एवं नारे लगाए गए)
अध्यक्ष महोदय - श्री कुणाल चौधरी अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ेंगे.
2. भोपाल दुग्ध संघ के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से
मिलावटी दूध की बिक्री किया जाना
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, यह बड़ा ही महत्वपूर्ण और गंभीर विषय है. मध्यप्रदेश के अंदर यह दूध माफिया पिछले 15 सालों से सक्रिय है. दूध माफिया के ऊपर यह मेरा ध्यानाकर्षण है जो बच्चों का पोषण आहार होता है...
अध्यक्ष महोदय - आप अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल), (श्रीमती कृष्णा गौर) - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी का जवाब पढ़ा हुआ माना जाएगा.
पशुपालन मंत्री (श्री लाखन सिंह यादव) - अध्यक्ष महोदय,
...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, हमेशा से सुना था कि दूध का दूध और पानी का पानी और दूध में पानी तो चलता था पर कई सालों से एक नया नारा और चल रहा है कि दूध का दूध और यूरिया का यूरिया. एक महत्वपूर्ण और मार्मिक बात है जो दूध का मामला है जिस प्रकार से पहले भी इसमें कई सालों से जो घोटाले चले रहे हैं एक टैंकर कांड हुआ था वर्ष 2016 में जिसमें जांच अधिकारी की लगभग हत्या कर दी गई थी.
(गर्भगृह में भारतीय जनता पार्टी के अनेक माननीय सदस्यों द्वारा नारेबाजी की जाती रही)
...(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी-- और उसके अन्दर भी जाँच में, मेरा माननीय मंत्री महोदय से आग्रह है कि जिस व्यक्ति के पहले भी टैंकर चला करते थे 2016 में उस जाँच काण्ड का क्या हुआ और अभी जो यूरिया के हम लोगों के यहाँ पर सैंपल पकड़े गए. वह भी उन्हीं का मामला है. इसके अन्दर क्या कार्यवाही करेंगे? ..(व्यवधान)..
पशुपालन मंत्री (श्री लाखन सिंह यादव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर पर माननीय सदस्य ने जो बात रखी है. 2016 में जिस व्यक्ति के यहाँ टैंकर संचालित होते थे वही टैंकर संचालक के द्वारा अभी 14 तारीख की जो घटना है, 14 तारीख को जो बताया गया है कि वहाँ दूध में खाद यूरिया मिलाया जा रहा था. निश्चित तौर पर माननीय अध्यक्ष महोदय, इस तरह का वहाँ कोई प्रूफ नहीं मिला है. लेकिन तमाम मीडिया के माध्यम से यह पूरे प्रदेश में छपा कि वहाँ पर टैंकर में दूध के साथ यूरिया मिलाया जा रहा है लेकिन अध्यक्ष महोदय, मैं आप से यह जरूर कहना चाहता हूँ कि हमने तत्काल 7 तारीख को हमारे जो गुप्तचर हैं, हमारे गुप्तचरों द्वारा हमें वाट्सएप मैसेज यह मिला कि फलां-फलां नंबर का ट्रक आ रहा है और उसमें, उस होटल पर यूरिया मिलाया जाएगा, तो हमने यह सारा का सारा प्रोसेस करके यह पूरा क्राइम ब्रांच को सौंपा.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. कुणाल जी, दूसरा प्रश्न करिए. ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय मुख्यमंत्री जी का “शुद्ध के लिए युद्ध” है इसके अंतर्गत जो 2016 में भी काण्ड हुआ था उसमें कौन अधिकारी थे, उनकी जाँच करके उन पर क्या कार्यवाही होगी और अभी जो लोग हैं अगर इसमें जाँच में वही अधिकारी सम्मिलित हैं तो उन्हें हटाकर क्यों न इसमें कार्यवाही की जाए...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. ..(व्यवधान).. गिरीश गौतम जी अपने ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें...(व्यवधान)..
12.52 बजे
रीवा जिले के रायपुर कर्चुलियान से सीतापुर मार्ग का निर्माण न किया जाना.
श्री गिरीश गौतम(देवतालाब)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, आपका वक्तव्य पढ़ा हुआ माना गया. गिरीश जी, प्रश्न करिए. ...(व्यवधान)..
लोक निर्माण मंत्री(श्री सज्जन सिंह वर्मा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री गिरीश गौतम-- माननीय अध्यक्ष जी, यह पूरी सड़क दो विधान सभा से निकलती है. गुढ़ में माननीय नागेन्द्र सिंह जी विधायक हैं उनके क्षेत्र से निकलती है. बाकी मेरे क्षेत्र में जाती है. इसमें मेरा कहना यह है कि पूरी सड़क के भीतर ठेकेदार ने सड़क को खोद दिया अब उसमें पानी की सिंचाई करनी चाहिए, वह पानी की सिंचाई नहीं करता तो क्या माननीय मंत्री जी पूरी सड़क में पानी की सिंचाई की व्यवस्था करेंगे? ..(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी जानकारी के अनुसार समय समय पर उस खुदी हुई सड़क पर ठेकेदार के द्वारा पानी का छिड़काव किया जाता है इसलिए यह प्रश्न उपस्थित नहीं होता. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- गिरीश जी, दूसरा प्रश्न पूछिए. ..(व्यवधान)..
श्री गिरीश गौतम-- माननीय अध्यक्ष जी, गलत उत्तर है. मैं कहना यह चाहता हूँ कि कहीं भी एक भी टैंकर नहीं चलता. पूरी सड़क को दिखवा लिया जाए किसानों की पूरी फसल पर एक तरफ से धूल की परत जम गई है, घरों में धूल की परत जम गई है. साँस लेने में तकलीफ हो रही है. माननीय, यह कोई उत्तर नहीं हुआ इसलिए मेरा आग्रह यह है कि इसकी ठीक से जाँच कराकर सिंचाई की व्यवस्था कराकर उसमें कार्य में तीव्रता कर दें...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, इस विषय पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर लीजिए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष जी, जैसा आसन्दी का आदेश. शीघ्र निर्देश दे दिए जाएंगे. ..(व्यवधान)..
(गर्भगृह में भारतीय जनता पार्टी के अनेक माननीय सदस्यों द्वारा नारेबाजी की जाती रही)
श्री गिरीश गौतम--माननीय अध्यक्ष महोदय, नागेन्द्र सिंह जी का भी क्षेत्र है. (व्यवधान)
श्री नागेन्द्र सिंह (गुढ़)--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सड़क मेरे विधान सभा क्षेत्र गुढ़ से भी गुजरती है. यह दो विधान सभा क्षेत्रों का सवाल है. माननीय मंत्री जी कृपया यह बताएं कि निविदा कब हुई और इस सड़क को बनाने की समय-सीमा क्या थी. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे ध्यानाकर्षण के जवाब में एक-एक चीज क्लियर है कि अनुबंध कब हुआ, सड़क का निर्माण कब हुआ और कितना समय बाकी है. हर चीज मैंने मेरे ध्यानाकर्षण के जवाब स्पष्ट दी है. (व्यवधान)
श्री नागेन्द्र सिंह --आपका जवाब तो पढ़ा हुआ माना गया है वह हमें नहीं मिला है. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- आप एक कॉपी ले लेना. (व्यवधान)
श्री नागेन्द्र सिंह -- हम ले लेंगे. लेकिन उसमें कब तक सुधार होगा. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा--देखिए एक बात समझ लीजिए अभी निर्माण कार्य की समय-सीमा बाकी है. दिनांक 30.4.2021 तक का समय अभी कांट्रेक्टर के पास है. (व्यवधान)
श्री नागेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह चलने लायक रोड रहे यह लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी है. वह सड़क धूल के कारण चलने लायक नहीं है, पूरे किसान बीमार हो रहे हैं, सिंचाई नहीं हो पा रही है उसकी व्यवस्था माननीय मंत्री जी करें. इतना आश्वासन दें. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, धन्यवाद. हो गया.
श्री नागेन्द्र सिंह -- मंत्री जी का आश्वासन तो आ जाए. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आ गया, आ गया. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- यह आश्वासन की सरकार नहीं है, यह काम करने वाली सरकार है. (व्यवधान)
श्री नागेन्द्र सिंह -- कुछ करोगे भी नहीं और आश्वासन भी नहीं दोगे. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अभी समय बाकी है उन्होंने काम नहीं किया तो दण्डित करेंगे. (व्यवधान)
12.57 बजे (4) एम.पी. ऑन लाईन को अवैध रूप से निजी कम्पनी को दिया जाना
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री का वक्तव्य पढ़ा हुआ माना गया. (व्यवधान)
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री पी.सी. शर्मा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री विनय सक्सेना -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि 89 प्रतिशत इस टाटा कम्पनी को जो हक दिया गया है उसका आधार क्या था ? किस आधार पर उसको 89 प्रतिशत की भागीदारी दे दी गई. (व्यवधान)
श्री पी.सी. शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह केबिनेट का निर्णय था और केबिनेट के माध्यम से एमओयू हुआ था. सरकार और टीसीएस कम्पनी के बीच में एमओयू हुआ था. इस एमओयू के आधार पर टीसीएस कम्पनी को यह काम दिया गया था. यह भी केबिनेट का निर्णय था कि 89 प्रतिशत शेयर टीसीएस के होंगे और 11 प्रतिशत शेयर विभाग के होंगे. इसके चेयरमैन आईटी डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव होते हैं. यह एक प्रायवेट लिमिटेड कम्पनी है. यह कम्पनी एक्ट के तहत काम कर रही है. (व्यवधान)
श्री विनय सक्सेना -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह था कि 89 प्रतिशत की हिस्सेदारी के पीछे आपका आधार क्या है. आखिर में प्रदेश सरकार का खजाना खाली था तो कम्पनी को 89 प्रतिशत कमाई देने का, हिस्सेदारी देने का निर्णय क्यों लिया गया. एक लाख रुपए का कार्य भी बिना निविदा के नहीं होता है तो क्या इसके लिए कोई मूल्यांकन किया गया था. (व्यवधान)
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, जो जानकारी है उस जानकारी के हिसाब से उस समय टीसीएस कम्पनी आईटी के सेक्टर में सबसे अग्रणी कम्पनी थी. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं बिना टेण्डर के अगर कोई बात आई है. वित्त मंत्री जी आप इसकी जांच करवाइए. बिना टेण्डर के अगर कोई स्वीकृति दी गई है तो इसकी गंभीरता से जाँच होनी चाहिए. जब से टेण्डर दिया गया है तब से जाँच होनी चाहिए. कोई वरिष्ठ लोगों से इसकी जाँच करवाइए, सूक्ष्म जाँच करवाइए. इतनी बड़ी राशि में कहीं-न-कहीं दाग दिख रहा है इसलिए इसकी पूरी जाँच होनी चाहिए. (व्यवधान)
श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कियोस्क के माध्यम से 23000 लोगों को इसमें काम मिला है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मुझे उससे मतलब नहीं है. बिना टेण्डर के इतनी बड़ी राशि दे रहे हैं. इतने वर्षों से दे रहे हैं. इसकी जाँच होना चाहिए. गंभीर जाँच होना चाहिए. (व्यवधान)
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत)-- अध्यक्ष महोदय, जैसा आपका निर्देश होगा उसका पालन किया जाएगा. (व्यवधान)
श्री विनय सक्सेना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि आप विधायकों की तीन सदस्यीय एक समिति बना दें और माननीय वित्त मंत्री जी से अंकेक्षण की टीम भेजकर इसकी जांच करवा दें. मेरा आपसे यही आग्रह है. (व्यवधान)
(गर्भगृह में भारतीय जनता पार्टी के अनेक माननीय सदस्यों द्वारा नारेबाजी की जाती रही)
(व्यवधान)...
(व्यवधान)...
1.01 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
(व्यवधान)...
1.02 बजे वक्तव्य
दिनांक 25 जुलाई, 2019 को पूछे गये तारांकित प्रश्न संख्या 08 (क्रमांक 4018) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में जल संसाधन मंत्री का वक्तव्य
(व्यवधान)...
1.04 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
(व्यवधान)...
(गर्भगृह में भारतीय जनता पार्टी के अनेक माननीय सदस्यों द्वारा नारेबाजी की जाती रही.)
1.05 बजे
(1) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 38 सन् 2019) का पुर:स्थापन
(...व्यवधान...)
1.06 बजे
(2) मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 35 सन् 2019) का पुर:स्थापन
(...व्यवधान...)
1.06 बजे
(3) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 40 सन् 2019) का पुर:स्थापन
(...व्यवधान...)
1.07 बजे
(4) मध्यप्रदेश जिला योजना समिति (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 41 सन् 2019) का पुर:स्थापन
(...व्यवधान...)
1.07 बजे
(5) मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक, 2019 (क्रमांक 42 सन् 2019) का पुर:स्थापन
(...व्यवधान...)
1.08 बजे
(6) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2019
(...व्यवधान...)
(...व्यवधान...)
1.09 बजे
(7) मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक, 2019
(...व्यवधान...)
(...व्यवधान...)
(...व्यवधान...)
1.10 बजे
(8) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2019
(...व्यवधान...)
..(व्यवधान)..
1.11 बजे
(9) मध्यप्रदेश जिला योजना समिति (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 41 सन् 2019)
..(व्यवधान)..
..(व्यवधान)..
..(व्यवधान)..
1.13 बजे
10. मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट मंदिर विधेयक, 2019 (क्रमांक 42 सन् 2019)
..(व्यवधान)..
..(व्यवधान)..
..(व्यवधान)..
1.14 बजे
वर्ष 2003-2004 के आधिक्य व्यय की अनुदान मांगों पर मतदान.
..(व्यवधान)..
1.15 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-8) विधेयक, 2019 (क्रमांक 34 सन् 2019)
1.17 बजे
सदन की कार्यवाही का अनिश्चितकाल के लिये स्थगनःप्रस्ताव
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह)--अध्यक्ष महोदय, विधान सभा के वर्तमान सत्र के लिये निर्धारित समस्त शासकीय, वित्तीय एवं अन्य आवश्यक कार्य पूर्ण हो चुके हैं. अतः मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 12-ख के द्वितीय परंतुक के अंतर्गत, मैं, प्रस्ताव करता हूं "सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाए."
अध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि "सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाए."
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
(व्यवधान)
1.18 बजे
राष्ट्रगान ''जन गण मन" का समूहगान
अध्यक्ष महोदय--अब राष्ट्रगान होगा.
(सदन के माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगान ''जन गण मन" का समूहगान किया गया)
1.19 बजे सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित किया जानाःघोषणा
अध्यक्ष महोदय--विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित.
अपराह्न 01.19 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की गई.
भोपालः अवधेश प्रताप सिंह
दिनांकः 20 दिसम्बर 2019 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा.