मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
पंचदश विधान सभा द्वितीय सत्र
फरवरी,2019 सत्र
बुधवार, दिनांक 20 फरवरी, 2019
(1 फाल्गुन, शक संवत् 1940 )
[खण्ड- 2 ] [अंक- 2 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 20 फरवरी, 2019
(1 फाल्गुन, शक संवत् 1940 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.07 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
औचित्य का प्रश्न एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है. संवैधानिक संकट इस तरह से है कि हमारे माननीय मंत्रि-मंडल के सदस्य हैं उन्होंने संविधान की शपथ, पद तथा गोपनीयता की शपथ लेकर इन्होंने मंत्री पद ग्रहण किया है. विधान सभा में प्रश्नों के उत्तर इनके विभाग के लोग तैयार करते हैं उसका उत्तर यह लोग देते हैं. कल देखने में यह आया है कि तीन चार मंत्रियों के प्रश्नों के उत्तर थे उनके बारे में संविधान से इतर व्यक्तियों ने हस्तक्षेप करने का प्रयास किया है और उन्होंने मंत्रियों को बुलाकर डांटा और यह कहा कि पी.सी.सी. से उत्तर तैयार होकर के जायेंगे उसके बाद आप उसको एप्रूव करेंगे, क्या यह सही है? अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय--गोपाल भाई आप विराजिये.
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर विषय है. यह विशेषाधिकार तो है, विशेषाधिकार का उल्लंघन है. डॉ. गोविन्द सिंह जी मैं अपनी बात पूरी कर लूं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.गोविन्द सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सूचना समाचार पत्र या किसी ने भी आपको सूचना दी है तो गलत सूचना दी गई है. वहां पर न तो कोई मीटिंग हुई है, न ही पी.सी.सी. में कोई बैठा है, न ही इस प्रकार की कोई बात हुई है.
श्री गोपाल भार्गव--(XXX) माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्नकाल से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय--माननीय नेता प्रतिपक्ष जी मैं समझ रहा हूं. यह रिकार्ड में नहीं आयेगा.
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, इस कारण से मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं. माननीय सदन के नेता माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं. इस बारे में पहले से कोई व्यवस्था है. पहले तो मैं यह कहूंगा कि यदि कोई उत्तर सही नहीं आया है तो उसका संशोधन भी दे सकते हैं. लेकिन संविधान का इत्तर व्यक्ति बुलाकर यदि कमरे में बुलाकर यदि डाटेंगे और यदि कहेंगे तो मैं मानकर चलता हूं कि वह मंत्री के पहले सदस्य भी हैं.
श्री लक्ष्मण सिंह --माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. जो व्यक्ति इस सदन का सदस्य नहीं है. उसका सदन में नाम लेना असंवैधानिक है.
श्री गोपाल भार्गव--यह मैं वापस लेता हूं.
डॉ.गोविन्द सिंह-- जब वहां डांट रहे थे तो आप वहां पर क्या मौजूद थे क्या ? आप कह रहे हैं कि डांटा तो आप वहां पर क्या कर रहे थे.
अध्यक्ष महोदय-- मैं खड़ा हुआ हूं.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन सुन लीजिये. मंत्री सकते में हैं, मंत्री भौचक हैं. हाउस में एक उत्तर आ गया है, और हाउस के बाहर मंत्री को डांटा जा रहा है.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, इस तरह का रवैया उनकी पार्टी का कार्य है. कांग्रेस पार्टी पूरी प्रजातांत्रिक पार्टी है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, बाहर मंत्री कह रहे हैं उत्तर सही नहीं था, अंदर कह रहे सही था. यह कैसी व्यवस्था है. यह अभूतपूर्व स्थिति है. ऐसी स्थिति कभी आज तक उत्पन्न नहीं हुई और एक नहीं चार-चार मंत्रियों के विभागों के प्रश्नों के बारे में.
अध्यक्ष महोदय - मैंने आपको सुन लिया.
डॉ गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह पूर्णत: असत्य है.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, एक एक करके सुन लेते हैं, दोनों का उत्तर साथ साथ आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय - मैं अब खड़ा हूं, आप लोग बैठ जाए.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आपने आदेश किया तो मैं बैठ गया हूं.
अध्यक्ष महोदय - हम परम्पराओं का निर्वहन करें, अभी मैं खड़ा हूं. कृपया आप बैठने का कष्ट करें. नरोत्तम जी मैंने बोला था, दो में से किसी एक को सुनूं, मैंने एक को सुन लिया.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आप सुन लेते उसके बाद आप व्यवस्था दे देते. अध्यक्ष जी, आप तो सर्वशक्तिमान है. आपकी बात मानेंगे हम. हमारी सिर्फ व्यवस्था सुन लीजिए.
अध्यक्ष महोदय - आप मेरी बात तो सुनिए, एक मिनट, एक मिनट बैठिएगा. मैंने नेता प्रतिपक्ष को सुना. प्रश्नकाल के पहले वैसे सुना नहीं जाता है. प्रश्नकाल ही शुरू किया जाता है, लेकिन उन्होंने बात उठाई, मैंने सुनी. संसदीय मंत्री ने अपनी बात कही. अब मैं आप सबसे अनुरोध करता हूं, कृपापूर्वक अब प्रश्नकाल चलने दें.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, यह सच है कि प्रश्नकाल में नहीं उठाया जाता. प्रश्नकाल में व्यवस्था का प्रश्न ही नहीं उठाया जाता, लेकिन आप सर्वाधिकार सुरक्षित है. आपकी अनुमति से नेता प्रतिपक्ष बोले हैं. मैं आपकी अनुमति से कह रहा हूं कि मेरे प्रश्न को भी सुनिए.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल के बाद.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, नियम प्रक्रिया को तो सुन लीजिए. हमें आप प्रश्नकाल के बाद इस विषय पर बोलने देंगे?
अध्यक्ष महोदय - नरोत्तम जी, प्रश्नकाल में कोई विषय नहीं उठाया जाता.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, यह सच है लेकिन क्या प्रश्नकाल के बाद शून्यकाल में इस विषय पर हमें बोलने की अनुमति देंगे?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, इसका उत्तर अभी इसलिए आना मौजूं है क्योंकि प्रश्नकाल शुरू हो रहा है और यह प्रश्नकाल से ही जुड़ा हुआ विषय है और मैं विनम्र निवेदन करता हूं कि आप देखिए मंत्रीगण ने जो शपथ ली है यह संवैधानिक व्यवस्था है. अध्यक्ष महोदय, मैं अमुक ईश्वर की शपथ लेता हूं सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि हम विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा एवं निष्ठा रखूंगा एवं भारत की प्रभुता एवं अखंडता अक्षुण रखूंगा.
वित्त मंत्री(श्री तरूण भनोत) - माननीय भार्गव जी, आप अनुमति से बोल रहे हैं. (व्यवधान)
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, बार बार रिपीट हो रहा है. बार बार एक बात को रिपीट करके सदन का समय नष्ट किया जा रहा है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, इस संबंध में अपनी बात स्पष्ट कर चुके हैं. कृपापूर्वक अब सदन को चलने दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मैं बात की बात नहीं कर रहा हूं, मैं बात कर रहा हूं कि मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, इस विषय को लेकर मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया. अकेले मंत्रियों की बात नहीं है. मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया और उन्होंने ने भी इस विधानसभा के प्रश्न का उन्होने भी खंडन किया है. यह हमारा विशेषाधिकार है, अगर हम असत्य कहेंगे तो हम कहेंगे, अगर हम सत्य कहेंगे तो हम कहेंगे. अगर इस प्रदेश का मुख्यमंत्री ट्वीट करके यह बात कहते हैं तो यह बहुत गंभीर संवैधानिक संकट है. अध्यक्ष जी, हम मंत्रियों की बात नहीं कर रहे हैं, हम मुख्यमंत्री की बात कर रहे हैं. आप उसको गंभीरता से लीजिए, आप इस संवैधानिक संस्था के सर्वोच्च है. आपसे मेरी प्रार्थना है. मैं नियम प्रक्रिया की बात कर रहा हूं. अध्यक्ष जी हम विशेषाधिकार भंग की सूचना देंगे, मुख्यमंत्री के खिलाफ भी और दिग्विजय सिंह जी के खिलाफ भी. हम आज सूचना देंगे आपको विशेषाधिकार भंग की. आप सूचना ग्राह्य करेंगे? हम मुख्यमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार भंग की सूचना देंगे आप ग्राह्य करेंगे?
अध्यक्ष महोदय - नहीं. (व्यवधान)
पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री (श्री आरिफ अकील) - माननीय अध्यक्ष महोदय पर आप दबाव डाल रहे हो. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह - आपको विशेषाधिकार का अधिकार है, दीजिए न आप, आपको जवाब मिल जाएगा, दीजिए न आप, कौन रोक रहा आपको. (व्यवधान)
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष जी, ये जबर्दस्ती की बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - नरोत्तम जी, आपकी बात आ गई न.
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मेरी बात नहीं आई, आप अनुमति तो दें.
अध्यक्ष महोदय - एक तो प्रश्नकाल में आपको बुला लिया. आप मेरी बात कृपापूर्वक समझिएगा. मैंने केवल गोपाल भार्गव जी को परमीशन की थी.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यह उससे जुड़ा हुआ विषय था.
अध्यक्ष महोदय - मेरी बात सुन लीजिएगा. यह होगा, मैंने आपसे कृपापूर्वक कहा एवं आपको सुना, स्नेहपूर्वक सुना. आपको विधिवत् मौका दिया और मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हूँ कि जो विद्यमान नियम-प्रक्रियाएं हैं. अब कृपया प्रश्नकाल चलने दीजिए. जो मुझे सुनना था, मैंने सुन लिया. यह हस्तक्षेप का ज्यादा कारण नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं आपका बहुत आभारी हूँ लेकिन विषय ऐसा था.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल को बाधित न करें. अब मैं किसी को अनुमति नहीं दे रहा हूँ.
श्री गोपाल भार्गव - आप मेरे ही नहीं, यहां के भी संरक्षक हैं. आप माननीय मंत्रियों को संरक्षण देते हैं और हमें भी देते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप मेरी बात सुनिये. वैसे भी समाचार के आधार पर कोई चर्चा नहीं होती है. उसके बाद भी मैंने कृपापूर्वक आपको सुना. प्रश्नकाल चलने दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा - वैसे भी यहां प्रश्नकाल हो कहां रहा है ? (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्रा - माननीय अध्यक्ष महोदय, विधानसभा के बाहर प्रेस वार्ता बुला रहे हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, कार्यवाही को आगे बढ़ाएं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - प्रश्नकाल बाधित करना जनता का अपमान है.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, सदन के नेता खड़े हैं. सब बैठ जाइये.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं समझ रहा हूँ कि मेरे साथी क्या कह रहे हैं ? बहुत दिनों के बाद इन्हें विपक्ष में बैठने का मौका मिला है (मेजों की थपथपाहट). आपकी यात्रा सुखद एवं लम्बी रहे, मैं यह कामना करता हूँ. मुझे संविधान की समझ है, आवश्यकता नहीं है कि कोई मुझे संविधान का पाठ पढ़ाए. मैं तो बड़ी गम्भीरता से संविधान को लेता हूँ, अपने राजनीतिक जीवन में संविधान का हम सबने केवल शपथ ही नहीं ली बल्कि सम्मान किया है तो संवैधानिक बात और संविधान का पाठ मुझे कोई पढ़ाए, इसकी आवश्यकता नहीं है. जो यह बात उन्होंने उठाई तो यह गैर संवैधानिक है. मैं इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं करता हूँ क्योंकि यह अखबारों की खबरों और टिप्पणियों में, इन सबके आधार पर इस सदन की गंभीरता हम सबका कर्तव्य है. हम सबका कर्तव्य है कि हम मध्यप्रदेश की विधानसभा को पूरे देश में उदाहरण बनाएं, जो हम देखते हैं और सब प्रदेशों में क्या हो रहा है ? हम उन सबकी नकल न करें. हम अपना उदाहरण बनाएं, यही मेरी आप सबसे प्रार्थना है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, यह सही है कि मुख्यमंत्री जी को संविधान की समझ है. बहुत लम्बा राजनीतिक अनुभव है. मैं अखबार की कटिंग की नहीं, ट्वीट की बात कर रहा हूँ. जो उन्होंने ट्वीट किया है, मैं उसकी बात कर रहा हूँ.
(....व्यवधान....)
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, ये प्रश्नकाल बाधित कर रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, ये अपनी बात से मुकर रहे हैं.
(....व्यवधान....)
अध्यक्ष महोदय - माननीय नरोत्तम जी, आप अनुभवी व्यक्तित्व के धनी हैं, आप नियमों-प्रक्रियाओं से ओत-प्रोत रहे हैं. आप कृपापूर्वक अब अध्यक्ष महोदय की आसंदी को सहयोग करें. प्रश्नकाल चलने दें ताकि जिन माननीय विधायकों ने प्रश्न लगाए हैं, उनकी बातें सदन में आने दें, आप सभी से अनुरोध है.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, प्रश्न का उत्तर यहां से आएगा कि वहां से आएगा. यह बता दें. प्रश्न तो पूछ लेंगे, उत्तर कहां से आएगा ?
11.19 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रश्न संख्या.1- अनुपस्थित
प्रश्न संख्या.2- अनुपस्थित
पन्ना में शास. इंजीनियरिंग महाविद्यालय की स्थापना
[तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोज़गार]
3. ( *क्र. 225 ) श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा जिला मुख्यालय पन्ना एवं रायसेन में नवीन शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय खोले जाने के आदेश प्रसारित किये हैं? (ख) यदि हाँ, तो पन्ना में शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय कब से प्रारंभ हो जायेगा? शैक्षणिक कार्य किस शिक्षा सत्र से प्रारंभ होगा एवं कौन-कौन से संकाय महाविद्यालय में स्वीकृत किये गये हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री कमलनाथ ) : (क) जी हाँ। (ख) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने एक इंजीनियरिंग कॉलेज को जिसके संबंध में मंत्रिपरिषद से एक निर्णय हुआ था और उसी के तहत माननीय गर्वनर जी ने इंजीनियरिंग कॉलेज के लिये आदेश प्रसारित किये थे उसमें उन्होंने यह तो स्वीकार किया है कि यह आदेश हुये थे लेकिन समय सीमा बताना संभव नहीं है यह माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब है. मैं यह चाहता हूं कि मुख्यमंत्री कोई भी रहे यदि उनकी कोई घोषणायें हैं और गर्वनर के ऐसे आदेश हुये हैं तो यदि आप उसकी समय सीमा नहीं बतायेंगे तो कौन बतायेगा ? इसलिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से पूछना चाहता हूं आप इसकी समय सीमा निश्चित करे कि कितने समय के अंदर इसको संचालित करेंगे ?
गृह मंत्री( श्री बाला बच्चन) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न पूछा है मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी की जानकारी में लाना चाहता हूं कि आपने रायसेन और पन्ना में शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय खोलने से संबंधित जो प्रश्न पूछा है, उस संबंध में मैं आपके माध्यम से बता देना चाहता हूं कि 04 अक्टूबर, 2018 को इसकी एक सैद्धांतिक स्वीकृति पूर्व की सरकार ने दी है और उसके दो दिन बाद में आचार संहिता लग गई थी, अब यह प्रश्न आ गया है, इसकी डी.पी.आर. तैयार होना है, प्रशासकीय अनुमोदन लगना है फिर मंत्रिपरिषद की जो स्वीकृति होना है इस प्रकार इसमें जितना जो भी वक्त लगेगा उसके बाद हम जो पूर्व की सरकार ने जैसा प्रस्ताव किया है, उसके अनुसार हम आपकी भी भावनाओं को ध्यान में रखते हुये इस पर अगली कार्यवाही करेंगे और अतिशीघ्र महाविद्यालय खोलेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो शीघ्र की बात है उसकी समय सीमा निश्चित कर दी जाये क्योंकि यह छात्र, छात्राओं का मामला है और आजकल वैसे भी शैक्षणिक क्षेत्र में सभी सरकारें ध्यान दे रही हैं, इसलिये आप इसकी समय सीमा तय कर दें.
श्री बाला बच्चन - माननीय विधायक जी, आप भी पूर्व मंत्री रहे हैं, मैंने जितनी प्रक्रिया से आपको अवगत करवाया है और बताया है, इसमें जो समय लगना है, उसके अनुसार हम इसको स्वीकृत करेंगे और अतिशीघ्र करेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - आप अतिशीघ्र की समय सीमा तय कर दें.
श्री बाला बच्चन - अतिशीघ्र का मतलब आने वाले समय में.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आने वाले समय में नहीं आप एक समय सीमा तय करा दें कि आप कितने समय के अंदर यह कर पायेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, आपकी प्रक्रिया लगभग कब तक पूरी हो जायेगी ?
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक जी चाहते हैं मैं उस संबंध में यह अवगत करा देना चाहता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश में शासकीय और अशासकीय सब मिलाकर 160 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं और 62 हजार विद्यार्थियों के एडमीशन होना था परंतु मात्र 29 हजार विद्यार्थियों के एडमीशन हुये हैं, इस प्रकार इस पूरी रिपोर्ट की जानकारी सरकार के पास आ जाये, क्योंकि बहुत सारे इंजीनियरिंग कॉलेज लगभग 50 प्रतिशत इंजीनियरिंग कॉलेजों में और पॉलीटेक्निक कॉलेजों में एडमीशन नहीं हो रहे हैं, इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुये, और इस बात को ध्यान में रखते हुये कि आचारसंहिता लगने के दो दिन पहले पूर्व की सरकार ने जो इसकी सैद्धांतिक स्वीकृति दी है हम इसको डी.पी.आर. बनाकर प्रशासकीय अनुमोदन लेकर मंत्रिपरिषद से स्वीकृति लेने में जितना समय लगेगा, हम अतिशीघ्र महाविद्यालय खोलेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ पन्ना की बात कर रहा हूं मैं बाकी जहां एडमीशन खाली हैं, वहां की बात नहीं कर रहा हूं. पन्ना में आज भी ओवर क्राउड चल रहा है और वहां पर एडमीशन हो रहे हैं इसलिये मैं चाहता हूं कि एक समय सीमा तय की जाये नहीं तो यह तो काल्पनिक बातें हैं क्योंकि अगर यह समय सीमा तय नहीं करेंगे तो आप कभी भी करते रहें, यह तो कोई निश्चित बात नहीं हुई.
श्री बाला बच्चन - मेरे पास पन्ना की भी जानकारी है मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि पन्ना के आसपास जो इंजीनियरिंग कॉलेज हैं जैसे छतरपुर है, सतना है, रीवा है, नौ गांव है और दमोह है इस प्रकार 20 इंजीनियरिंग कॉलेज है और 5110 प्रवेश होना था, उसमें से मात्र 2138 विद्यार्थी ने एडमीशन लिये हैं.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अभी पन्ना में तो इंजीनियरिंग कॉलेज खुला भी नहीं है मैं तो यह कह रहा हूं. माननीय मंत्री महोदय आप उसे खोलने की समय सीमा तय कर दें, जब खुला ही नहीं है तो एडमीशन कैसे चालू होंगे ?
श्री बाला बच्चन - अतिशीघ्र करेंगे.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अतिशीघ्र की कोई परिभाषा नहीं है. मेरा यह कहना है कि आप उसकी समय सीमा एक साल, दो साल, छ: माह आप क्या तय कर रहे हैं. (व्यवधान).......
अध्यक्ष महोदय - अब आप बैठ जायें प्रश्न क्रं-4 श्री संजीव सिंह(संजू).
श्री रामपाल सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, रायसेन का भी इसमें मामला है आप समय सीमा बता दें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इसकी समय सीमा तय करवायें, यह मैं आपसे आग्रह कर रहा हूं और मैं आपका संरक्षण चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - आप इस संबंध में माननीय मंत्री जी से अलग से जाकर चर्चा कर लें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अलग से कोई बात नहीं होगी जब यहां पर नहीं कर रहे हैं तो अलग से क्या चर्चा करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह जी आप बैठ जायें.
श्री रामपाल सिंह - आसंदी के निर्देश के बाद समय सीमा तो बताईयें मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय - देखिये मूल प्रश्नकर्ता खड़ा हुआ है, आप दोनों से प्रार्थना है कि बैठ जायें. श्री रामपाल जी आप व्यवस्था को सहयोग करें और मेहरबानी करें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय आपसे प्रार्थना है कि एक समय सीमा निर्धारित करवा दें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय विधायक जी मैंने आपको इशारा कर दिया है आप जाकर चर्चा कर लीजिये मेरा इशारा पर्याप्त है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक शब्द हमेशा उपयोग होता है अतिशीघ्र. मैं सोचता हूं कि अब इस शब्द के लिये विधानसभा में माननीय ट्रेजरी की बैंचे जो हैं वह विचार करें.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने आईना दिखाया तो बुरा मान गये. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय - ठीक बात है, ठीक बात है आरिफ भाई बिल्कुल ठीक बोल रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय एक व्यवस्था आसंदी से दे दें.
अध्यक्ष महोदय - क्या करें गोपाल भाई आप लोग भी सब मंत्री रहे हो आप लोग भी यही शब्द उपयोग करते रहे हो.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, इसीलिये मैं ऐसा कह रहा हूं कि कुछ शब्द ऐसे होते है जो हर जगह उपयोग होते हैं मैं चाहता हूं कि ऐसे शब्दों का विधानसभा में उपयोग न किया जाये.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अतिशीघ्र का मतलब अगले सत्र के पहले हो जायेगा कि नहीं हो जायेगा.
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण,मंत्री(श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) माननीय अध्यक्ष महोदय,जब इनकी सरकार थी तब इन्होंने मुझे आश्वासन दिया था कि जे.सी. मिल के श्रमिक और मजदूर जो भूख से चिल्ला रहे हैं उनको गरीबी की रेखा के कार्ड बनाये जायेंगे, अध्यक्ष महोदय आज तक उस पर अमल नहीं हो पाया है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय तोमर जी भूल गये हैं कि अब यह मंत्री हैं.
अध्यक्ष महोदय- अरे कोई बात नहीं, होता है.
जिला भिण्ड में सैनिक स्कूल की स्थापना
[सामान्य प्रशासन]
4. ( *क्र. 114 ) श्री संजीव सिंह (संजू) : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा मुख्यालय भिण्ड में सैनिक स्कूल खोले जाने की घोषणा की गई थी? यदि हाँ, तो कब एवं इस संबंध में क्या-क्या कार्यवाही पूर्ण कर ली गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या भिण्ड मुख्यालय के करीब ग्राम डिडि में सरकार द्वारा सैनिक स्कूल के लिए भूमि आरक्षित की गई है? यदि हाँ, तो विवरण सहित बतावें? यदि नहीं, तो भिण्ड जिले में किस स्थान पर भूमि चयनित कर आरक्षित की गई? भूमि रकबा सहित कितनी भूमि आरक्षित की गई? (ग) क्या औद्योगिक क्षेत्र जहां प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा होता है, ऐसे वातावरण में सैनिक स्कूल जैसा संस्थान खोला जा सकता है?
सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जी हाँ। दिनांक 27.02.2016 को भिण्ड जिले में सैनिक स्कूल खोले जाने की घोषणा क्रमांक बी-1747 की गई है। घोषणाओं का क्रियान्वयन एक सतत् प्रक्रिया है। क्रियान्वयन किया जा रहा है। (ख) जी हाँ। (1) ग्राम डिडि में कुल किता 9 कुल रकबा 22.70 हैक्टर भूमि कलेक्टर भिण्ड के प्रकरण क्र. आदेश 12/16-17/अ-59, दिनांक 18.02.2017 से आरक्षित की गई थी। (2) औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर में उदयोग विभाग की हॉटलाईन लिमिटेड ईकाई के समीप 50 एकड़ भूमि का निरीक्षण किया गया था तथा उक्त भूमि को सैनिक स्कूल की टीम द्वारा सैद्धांतिक आवंटन हेतु उपयुक्त बताया था। (ग) औद्योगिक इकाइयां मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा अनुमति प्रदाय उपरांत ही क्रियाशील होती हैं। अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संजीव सिंह(संजू)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका ध्यान बहुत ही महत्वपूर्ण विषय की तरफ आकर्षित करना चाहता हूं .27 फरवरी, 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने भिंड में सैनिक स्कूल की स्थापना की मांग जो बहुत अर्से से चलती आ रही थी, उसकी घोषणा भिंड में आकर के की थी. चूंकि भिंड वीरों की भूमि है वहां प्रत्येक घर से एक सैनिक इस देश की रक्षा में अपनी जान लड़ा देता है तो ऐसी भूमि पर सैनिक स्कूल की स्थापना की मांग पर 27 फरवरी, 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सैनिक स्कूल की स्थापना की घोषणा की थी. इसके बाद भिंड के कलेक्टर के द्वारा भूमि का आवंटन किया गया 23 फरवरी 2017 को , डिडि गांव है भिंड मुख्यालय में. 22 हैक्टेयर भूमि का आरक्षण इसके लिये किया गया. लेकिन उसके बाद समाचार पत्रों के माध्यम से मुझे पढ़ने में आय़ा है कि प्रदेश का दूसरा सैनिक स्कूल मालनपुर में शुरू होगा. मिनिष्ट्री आफ डिफेंस की तरफ से जो सैनिक स्कूल सोसायटी है उसका पत्र आया है 3 अक्टूबर, 2018 को कि इसी साल हमें सैनिक स्कूल प्रारंभ करना है और मालनपुर में प्रारंभ करना है. मेरा प्रश्न है कि जब भिंड में इसको डिडि में खोले जाने की घोषणा हुई थी उसके बाद में स्थान परिवर्तित कर मालनपुर कैसे हो गया, सरकार ने इसकी सैद्धांतिक स्वीकृति कैसे दे दी. अध्यक्ष महोदय, मालनपुर एक औद्योगिक क्षेत्र है वहां पर प्रदूषण का वातावरण है, वहां प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है सैनिक स्कूल जैसा संस्थान जिसमें इस देश की रक्षा करने वाले वीर लोग पढेंगे ऐसे संस्थान का वहां पर होना कितना जायज है ? अध्यक्ष महोदय, मैं इस मामले में आपका संरक्षण चाहता हूं और मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आखिर सैनिक स्कूल कहां पर बनेगा. क्योंकि घोषणा हुई थी भिंड मुख्यालय के डिडि में बनेगा, तो कहां पर बनेगा यह बताने का कष्ट करें.
डॉ. गोविंद सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी की घोषणा का हम सम्मान करते हैं और उनकी घोषणा का सम्मान करते हुये भिंड में सैनिक स्कूल की स्थापना बात की गई है, तो भिंड में ही बनेगा. दूसरी बात मैं सदस्य को बताना चाहता हूं कि मुरैना में जो डी.आर.डी. DRDO, डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गैनाइज़ेशन) को जमीन दी गई थी उसमें वर्तमान रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन जी ने कहा था कि अगर भिंड में जमीन मिल जाती है तो सैनिक स्कूल की स्थापना हेतु 100 करोड़ रूपये भारत सरकार देगी. हम भारत के 100 करोड़ रूपये आने का इंतजार कर रहे हैं जिस दिन भी यह राशि मिल जायेगी, चूंकि अभी राशि आई नहीं है इसलिये सैनिक स्कूल बनना इस वर्ष संभव नहीं हो रहा है. जैसे ही राशि आ जायेगी भवन बना देंगे और भवन बनाने के लिये भिंड के सभी जनप्रतिनिधियों ने, प्रभारी मंत्री जी ने और सभी की यह मांग है, मालनपुर में प्रदूषण का स्तर जानने के लिये, प्रदूषण निवारण मंडल की रिपोर्ट अभी नहीं मिली है, जब तक यह रिपोर्ट हमें नहीं मिलती तब तक ऐसे स्थान पर जहां औद्योगिक क्षेत्र है वहां पर सैनिक स्कूल को बनाना संभव नहीं है, इसलिये छात्रहित में प्रदूषण को देखते हुये भिंड के डिडि में ही बनाने की मैं घोषणा करता हूं लेकिन तब जब भारत सरकार से पैसा आ जायेगा.
श्री संजीव सिंह (संजू) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि अभी जो मिनिष्ट्री आफ डिफेंस से पत्र आया है कि इसी सत्र में वह स्कूल प्रारंभ करना चाहते हैं भले ही आप रेंट पर भवन ले लें. मालनपुर में वह एक बंद पड़ी हुई फैक्ट्री की बिल्डिंग देखने आये, एक प्रायवेट बिल्डिंग है उसको भी वह किराये पर लेना चाहते हैं तो भिंड में नंबर-2 स्कूल है, सरकारी स्कूल है फ्री आफ कास्ट में वह मिल सकता है तो उसको क्यों नहीं देखा जा रहा है. इस बात को मैंने कलेक्टर के माध्यम से भी कहा और मंत्री जी को भी बताया लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. जब वहां पर जगह है, बिल्डिंग है, वहां स्पेस है और फ्री आफ कास्ट है तो उस पर सैनिक स्कूल क्यों चालू नहीं करना चाहते हैं. जहां तक भारत सरकार के पैसे की बात है तो भवन तो बनता रहेगा 2-4 साल में जब पैसा आयेगा.
श्री अरविंद भदौरिया-- अध्यक्ष महोदय, यह मेरी विधानसभा का प्रश्न है इसलिये मैं इस पर बोलना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- मूल प्रश्नकर्ता अभी प्रश्न कर रहे हैं.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस प्रश्न के संबंध में बोलना चाहता हूं, यह वास्तव में मेरी विधान सभा का विषय भी है, हमारे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने घोषणा भी की थी कि भिण्ड में संजीव सिंह संजू ने जो विषय उठाया है, पहले भी भिण्ड के साथ धोखा हो चुका है. इंडस्ट्री एरिया मालनपुर 95 प्रतिशत भिण्ड से पूरी तरह अछूता रहता है, इसलिये 50 करोड़ रूपये मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी से मैं विनम्र प्रार्थना करना चाहता हूं, छात्रों के हित में, सैनिकों के हित में, सैनिकों के बच्चों के हित में कि 50 करोड़ रूपये अगर आप स्वीकृत करेंगे तो इसी सत्र से उसकी शुरूआत हो जायेगी. दूसरा अगर किराये की बिल्डिंग लेकर भी शुरूआत करते हैं तो भी इस सत्र से शुरूआत हो जायेगी, केन्द्र सरकार अभी से शुरूआत करने के लिये तैयार है.
श्री संजीव सिंह (संजू)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सही बात है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने इसकी घोषणा की थी, लेकिन इसकी घोषणा के तत्काल बाद निर्मला सीतारमन जी जो रक्षा मंत्री हैं उन्होंने मुरैना के लिये इसी घोषणा कर दी, भिण्ड के साथ विश्वासघात करने का उस वक्त भी आप ही लोगों के द्वारा प्रयास किया गया. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि भिण्ड के डिडि गांव में ही यह स्कूल बनना चाहिये, उसमें जमीन का भी आवंटन हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य जी, मंत्री जी बोल चुके हैं कि भिण्ड में ही खुलेगा.
श्री संजीव सिंह (संजू)-- लेकिन रेंटेड, जो अभी खुलने वाला है, इस सत्र में खुलने वाला है वह भिण्ड में ही खोला जाये. नंबर 2 स्कूल की बिल्डिंग फ्री ऑफ कास्ट है, सरकारी बिल्डिंग है, वहां पर जगह भी है, उसमें खोला जाये.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, अभी इस सत्र में खुलना इसलिये संभव नहीं है क्योंकि जो जमीन मध्यप्रदेश सरकार ने भारत सरकार के रक्षा विभाग को दी है उसमें केन्द्र सरकार ने 100 करोड़ की राशि देने का वचन दिया है वह राशि जैसे ही मिल जायेगी या अभी आप खोलना चाहें तो पूरी व्यवस्था जैसे फंड है, टीचर्स हैं, स्टॉफ है यह सारी व्यवस्था भारत सरकार के फंड से होगी और फंड अभी मिला नहीं है तो इस साल यह कार्य संभव नहीं है. मैं माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि आप इसके लिये प्रयास करें, आप कुछ फंड दिलवा दें तो हम इसी साल से कार्य प्रारंभ कर देंगे.
श्री गिर्राज डण्डौतिया-- माननीय अध्यक्ष जी, एक सेकेण्ड चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनट मेरी बात सुनियेगा, आप जो नये विधायकगण आये हैं, कृपापूर्वक जब मूल प्रश्नकर्ता खड़ा रहता है और उसकी बात पूरी नहीं होती है और जब तक अध्यक्ष महोदय किसी को नहीं कहते हैं, कृपापूर्वक सिर्फ ऐसा करियेगा जब मैं परमीशन दूं तभी खड़े होइएगा ताकि आगे के भी प्रश्न को न्याय मिल सके. आप लोगों से प्रार्थना है कि कृपापूर्वक बैठियेगा.
श्री संजीव सिंह (संजू)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या डिडि गांव में ही सैनिक स्कूल खुलेगा जो पहले से निर्धारित किया जा चुका है ?
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका मैं पहले उत्तर दे चुका हूं जैसे ही फंड उपलब्ध होगा प्रारंभ किया जायेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बार-बार तत्कालीन मुख्यमंत्री की बात हो रही है, यह बात सही है कि भिण्ड, मुरैना वीरों की और शूरों की भूमि है. देश की सीमाओं की सुरक्षा करने सबसे ज्यादा नौजवान सेना में भर्ती भिण्ड, मुरैना जिले से होते हैं. हमारे प्रदेश के बाकी जिलों से भी होते हैं ऐसा मेरा कहना नहीं है और इसलिये एक सैनिक स्कूल खुले यह हम सबकी भावना थी, डीआरडीए को जमीन देना थी, हमारा रक्षा मंत्रालय अगर जमीन किसी प्रदेश से मांगता है तो हम अपने देश की सीमाओं की सुरक्षा के खातिर कोई मोल भाव नहीं करते कि तुम यह दोगे तो हम वह देंगे, लेकिन हमने यह जरूर आग्रह किया था कि हम डीआरडीए को जमीन देंगे, मुरैना जिले में काफी सारी जमीन उपलब्ध थी लेकिन हमने प्रार्थना यह की थी कि उसके बदले एक सैनिक स्कूल आम तौर पर एक प्रदेश में ही था, एक सैनिक स्कूल और खोला जाये, बात यह हुई थी, उन्होंने आश्वस्त किया था कि हम सैनिक स्कूल एक और देंगे, लेकिन सैनिक स्कूल खोलने में प्रदेश को भी कुछ योगदान देना पड़ेगा, भवन का और बाकी दूसरी चीजों का. उसका अपना एक फार्मूला है जैसे रीवा में सैनिक स्कूल है, समय-समय पर राज्य सरकार उसको वित्तीय मदद करती है और इसलिये यह कहना कि वह 100 करोड़ रूपया उन्होंने कह दिया था और वह जब तक नहीं आयेगा तब तक हम बिलकुल नहीं करेंगे. राज्य सरकार एकदम इस जिम्मेदारी से न बचे. केन्द्र सरकार हो, राज्य सरकार हो दोनों की ड्यूटी है आप चर्चा करके, अभी तो वर्तमान मुख्यमंत्री जी बैठे हैं तत्कालीन मुख्यमंत्री उनसे यह आग्रह करता है कि केन्द्र और राज्य के बीच के वजाय सैनिक स्कूल खुलना चाहिये और बातचीत करके केन्द्र जो दे सकता है वह केन्द्र देगा, हम भी पहल करेंगे, हमारा प्रदेश है हम पहल करने में प्रदेश के हित में कभी भी नहीं चूकेंगे, लेकिन राज्य सरकार भी गोविंद सिंह जी एकदम हाथ खड़े न करे कि हम कुछ नहीं, हम कुछ नहीं, वह तो जब पैसा आयेगा तभी देखेंगे, यह न किया जाये, जिस सहयोग की आवश्यकता होगी वह हम भी करेंगे.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कोई शक नहीं है कि इस प्रदेश में दूसरा सैनिक स्कूल खुलना चाहिये. मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूं. इस पर जरूर विचार किया जायेगा. मेरा और मेरे मंत्रिमण्डल का प्रयास रहेगा मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि जल्दी से जल्दी खुले पर मैं भी आपसे आग्रह करूंगा कि केन्द्र से जो आप अपने प्रभाव से मदद करवा सकें आप करवाएं. आप तो जानते हैं कि प्रदेश के खजाने की क्या हालत है. किस प्रकार का खजाना आपने हमें दिया था तो मुझे पूरा विश्वास है कि इसका महत्व समझकर और भावनाओं की कदर करते हुए आप भी पूरा जोर केन्द्र सरकार पर लगाएंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान - रेवेन्यू सरप्लस छोड़कर गये हैं लेकिन प्रदेश के हित का और सहयोग का सवाल है पूरा सहयोग करेंगे.
श्री अरविन्द भदौरिया - मेरे विधान सभा क्षेत्र में में सैनिक स्कूल खोलने के लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं और डॉ.गोविन्द सिंह का भी हृदय से आभार व्यक्त करता हूं.
श्री ओ.पी.एस.भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हमारे जिले से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपापूर्वक विराजिये.
श्री ओ.पी.एस.भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरे लिये बहुत महत्वपूर्ण है.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपापूर्वक विराजिये.
श्री ओ.पी.एस.भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, नये सदस्यों को क्या बोलने का अधिकार नहीं है. जनता ने हमें चुनकर भेजा है.
अध्यक्ष महोदय - यह अच्छा तरीका नहीं है. आपको अपने जिले की इतनी चिंता है तो आपको खुद प्रश्न लगाना था. यह अच्छा तरीका नहीं है. आप विराजिये.
प्रश्न संख्या - 5 अनुपस्थित.
प्रश्नकर्ता के पत्र पर कार्यवाही
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
6.
( *क्र.
585 ) श्री
जालम सिंह पटेल
(मुन्ना भैया) : क्या लोक
स्वास्थ्य
परिवार
कल्याण
मंत्री महोदय
यह बताने की
कृपा करेंगे
कि (क) विगत दो
माह के
दरमियान जिला
अस्पताल
नरसिंहपुर के
सिविल सर्जन
द्वारा भ्रष्टाचार
एवं
अनियमितताएं
किये जाने के
संबंध में प्रश्नकर्ता
सदस्य
द्वारा कलेक्टर
नरसिंहपुर को
प्रेषित
पत्रों के
संबंध में क्या
कार्यवाही की
गई है? (ख) प्रश्नकर्ता
सदस्य
द्वारा
पत्रों में
उल्लेखित
बिंदुओं के
संबंध में
बिंदुवार की
गई कार्यवाही से
अवगत करावें।
लोक
स्वास्थ्य
परिवार
कल्याण
मंत्री ( श्री
तुलसीराम
सिलावट ) : (क) जानकारी
संलग्न
परिशिष्ट अनुसार
है। (ख)
जानकारी
उत्तरांश (क) अनुसार
है।
श्री जालम सिंह पटेल(मुन्ना भैया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिला अस्पताल नरसिंहपुर का मामला है. सिविल सर्जन ने जो भ्रष्टाचार एवं अनियमितता की थीं उसकी जांच कलेक्टर महोदय ने की थी और उसमें अनियमितताएं पाई गईं हैं. मेरे प्रश्न के उत्तर में भी माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि अनियमितताएं हैं. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जो अनियमितताएं हैं, उसमें कब तक कार्यवाही होगी और क्या कार्यवाही होगी ?
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो हमारे सम्माननीय सदस्य ने 3 पत्र सम्मानित जिलाधीश महोदय को दिये थे उसकी गंभीरता को देखते हुए आपकी भावनाओं के अनुरूप कार्यवाही की जा रही है.
श्री जालम सिंह पटेल(मुन्ना भैया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या कार्यवाही हुई है और क्या हो रही है यह मंत्री जी बता दें. अध्यक्ष महोदय, जो अभी सिविल सर्जन पदस्थ किये गये हैं वे पूर्व में सी.एम.एच.ओ. जिला नरसिंहपुर में थे और अनियमितता और भ्रष्टाचार के कारण उनको हटा दिया गया था और पुन: एक व्यक्ति को हटाकर दूसरे को फिर बना दिया गया. बनाने की कोई गाईडलाईन होती है क्या मुझे नहीं मालूम कि एक भ्रष्टाचारी को हटाकर दूसरे को बना दिया. सी.एम.एच.ओ. के चलते उसने भ्रष्टाचार किया था उसको हटाया गया था फिर उसे सिविल सर्जन बना दिया गया.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, जो माननीय सदस्य कह रहे हैं वहां यह कृत्य पिछले पांच साल से चल रहे हैं. यह गंभीर विषय है. ऐसे व्यक्तियों को तत्काल हटाईये. नये पदस्थ कीजिये ताकि वहां मानव सेवा चल सके. माननीय मंत्री जी ध्यान रखियेगा.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय ने जो व्यवस्था दी है उस पर पूरी कार्यवाही की जायेगी,समुचित कार्यवाही की जायेगी. मैं सम्मानित सदस्य को यह अवगत करा दूं कि जो पहला पत्र आपने सम्माननीय जिलाधीश महोदय को दिया था तो अमित तिवारी को भी आपकी शिकायत पर निलंबित कर दिया और राजकुमार त्रिवेदी,प्रभारी स्टोर कीपर को भी हमने निलंबित कर दिया. आयुक्त,जबलपुर द्वारा 6 जनवरी,2019 को डॉ.विजय मिश्रा,तत्कालीन सिविल सर्जन को भी निलंबित किया जा चुका है क्योंकि आपकी बात को इतनी गंभीरता से हम लोग ले रहे हैं और दूसरी जो आपने शंका व्यक्त की है तो स्वास्थ्य आयुक्त द्वारा जांच गठित कर दी गई है. डॉ.विजय मिश्रा एवं डॉ.सागरिया को भी आरोपपत्र हमने जारी कर दिये हैं.
श्री जालम सिंह पटेल (मुन्ना भैया) - अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि वर्तमान में जो अभी श्री प्रदीप धाकड़, सिविल सर्जन बनाए गये हैं, वह पहले सीएमएचओ थे. भ्रष्टाचार और अनियमितता के कारण उनको हटाया गया था. अब पुनः उनको सिविल सर्जन बना दिया गया है. मैं इस पर आपत्ति कर रहा हूं तो क्या उनको हटाया जाएगा, किसी दूसरे व्यक्ति को सिविल सर्जन बनाया जाएगा?
श्री तुलसीराम सिलावट -सम्माननीय अध्यक्ष महोदय, जब व्यवस्था दे दी है, आप निश्चिंत रहें, आपकी भावनाओं के अनुरूप कार्य किया जाएगा.
श्री जालम सिंह पटेल (मुन्ना भैया) - अध्यक्ष महोदय, एक भ्रष्टाचारी को हटाकर पुनः दूसरे भ्रष्टाचारी को बना दिया गया है? और जो अभी हैं, व्याभिचार का भी उन पर आरोप था.
श्री तुलसीराम सिलावट -सम्माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई भी भ्रष्टाचारी को प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा, यह हमारे स्वास्थ्य विभाग का संकल्प है. आप निश्चिंत रहें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी. देखिए, बिन्दु बिल्कुल साफ है. जिस व्यक्ति ने पूर्व में ऐसे कृत्य किये हैं, उस व्यक्ति को पुनः उसका चार्ज दिलाया जाय, यह कहीं न कहीं प्रश्न-चिह्न लगाता है? मैंने पहले भी आपसे कहा, यह मामला मेरे जिले का है, वहां पर ये चीजें चल रही हैं. कलेक्टर द्वारा जांच करवा ली गई, जिनको दोषी पाया गया, उनको हटाइए, नये व्यक्तियों को लाइए, स्पष्ट करिए.
श्री तुलसीराम सिलावट -माननीय अध्यक्ष महोदय, जब एक बार आपने व्यवस्था दे दी. मैंने कहा कि उस व्यवस्था को दोबारा दोहराने की आवश्यकता नहीं है. सशब्द उसका पालन किया जाएगा. कोई भी भ्रष्टाचारी व्यक्ति को वहां नहीं रखा जाएगा.
अध्यात्म विभाग में संचालित योजनायें
[अध्यात्म]
7. ( *क्र. 25 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा अध्यात्म विभाग का गठन किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो इस विभाग में कौन-कौन सी जनहितैषी योजनायें सम्मिलित की गईं हैं? (ग) क्या विभाग द्वारा तीर्थदर्शन योजना एवं मंदिर मस्जिद के पुजारियों को वेतन भत्ते का भुगतान किया जायेगा तथा इसी क्रम में साधु-संतों की सुरक्षा के संबंध में निर्णय लिये जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री कमलनाथ ) : (क) जी हाँ। (ख) मध्यप्रदेश शासन अध्यात्म विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) तीर्थ दर्शन योजनान्तर्गत एवं मस्जिद में मानदेय भुगतान का कोई प्रावधान नहीं है। पुजारियों को मानदेय भुगतान किया जाता है। शेष के संबंध में कोई योजना विचाराधीन नहीं है।
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि उन्होंने उत्तर में कहा है कि अध्यात्म विभाग का गठन किया गया है. मैं पूछना चाहता हूं कि किन-किन विभागों को तोड़कर, मरोड़कर यह विभाग बनाया गया है और ऐसा क्या हुआ कि इस विभाग को बनाने में इतनी जल्दी की गई? दूसरा, उन्होंने कहा है कि पुजारियों को वेतन दिया जा रहा है. अध्यक्ष महोदय, कुछ पुजारियों की सूची मेरे पास में है, जो विजयराघौगढ़ विधान सभा के हैं तो क्या उन पुजारियों को भी वेतनमान देने में सम्मिलित किया जाएगा?
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, किसी भी विभाग को तोड़ा नहीं गया है, न किसी को मोड़ा गया है. यह अध्यात्म विभाग का गठन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग और आनन्द विभाग को मिलाकर किया गया है क्योंकि इसमें खास बात यह थी कि इन दोनों के बीच में जो पूरकताएं हैं और अन्तःनिर्भरताएं हैं वह पहचानी गई और उसमें एक चीज और मैं बताना चाहूंगा कि आनन्द विभाग अलग से होने की आवश्यकता नहीं है. "अध्यात्म से ही आनंद आएगा." (मेजों की थपथपाहट)..और एक खास बात बताना चाहूंगा कि हमारे जो मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी हैं, वर्ष 1985 में पॉर्लियामेंट में आपने कहा था कि अध्यात्म विभाग का गठन होना चाहिए, वहां तो हुआ नहीं, लेकिन यहां उनके मुख्यमंत्री बनते ही, इसका गठन किया गया है और यह धर्म की, अध्यात्म की जितनी चीजें हैं इन सबका परिपालन करेगा. जो आपने पुजारियों के बारे में कहा है तो पुजारियों को इस विभाग से पूरा मानदेय दिया जाता है और कमलनाथ जी की सरकार ने 3 गुना अभी उनकी राशि भी बढ़ाई है. (मेजों की थपथपाहट)..
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने इस बात का जिक्र नहीं किया, जो मैंने कहा है कि बाकी पुजारियों की जो लिस्ट है क्या उनको भी सम्मिलित किया जाएगा? दूसरा, माननीय मंत्री जी ने यह भी नहीं बताया कि ऐसा क्या कारण था कि सब विभागों को मिलाकर आनन-फानन में यह बनाया गया, इसका भी जवाब मुझे नहीं मिल पाया है?
श्री पी.सी. शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैंने इसका जवाब दिया है कि धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग और आनन्द विभाग, ये दो अलग विभाग जो हैं, इनका जो काम है. मैंने यह कहा है कि अध्यात्म का काम है, अध्यात्म से ही आनन्द आएगा, इन दोनों विभागों को मर्ज करके मैं समझता हूं कि ज्यादा अच्छे तरीके से जो हम चाहते हैं, जो सरकार चाहती है, जो आम-जन चाहते हैं, उसको पूरा किया जा सकेगा. दूसरी बात जो पुजारियों के बारे में उन्होंने कही है तो पुजारियों का जो शासकीय उसमें नाम है, उसमें अगर ये छूट रहे होंगे तो उनको निश्चित तौर पर लिया जाएगा.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अपने प्रश्न के उत्तर में बताया है आध्यात्म विभाग में तीर्थ दर्शन योजना भी शामिल की गई है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि पिछले दो माह में, हमारी तीर्थदर्शन योजना के जो स्थान थे चाहे वह रामेश्वरम हो, चाहे वह पुरी हो, चाहे वह वैष्णो देवी हो या द्वारिका हो, दो माह में एक भी ट्रेन , या एक भी यात्री इन स्थानों पर भेजा गया है. यदि भेजा गया है तो वह तारीख बता दें, और यात्रियों की संख्या कितनी थी वह बतायें.
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्न इसमें उद्भूत हो रहा है क्या ?
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय इसमें लिखा है कि क्या विभाग द्वारा तीर्थदर्शन योजना एवं मंदिर मस्जिद के पुजारियों के वेतन के बारे में है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, इसमें केवल वेतनमान की बात है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय इसमें शतप्रतिशत उद्भुत होता है. क्योंकि इस योजना को इस विभाग के अंतर्गत किया गया है.
श्री पी. सी. शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय अगर नेता प्रतिपक्ष चाहते हैं तो मैं इसका भी जवाब दे देता हूं. इन दो माह में, मैं समझता हूं कि महाकुंभ से बढ़कर कोई तीर्थ आज की तिथि में नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय यह हमारी सूची के स्थान नहीं थे..(व्यवधान).. अब जैसे उज्जैन में कुंभ लगेगा तो कहने लगेंगे कि हमने वहां पर ट्रेन चला दी है...(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मेरा आप दोनों से निवेदन है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय यह पुण्य का काम है, इस सरकार को उसका पुण्य मिलेगा, यह योजना बंद नहीं करना चाहिए, यह योजना यथावत चालू रहना चाहिए. हमारे 18 स्थान सूचीबद्ध थे, उन 18 स्थानों के लिए यह योजना चालू रखना चाहिए.
श्री पी सी शर्मा -- अध्यक्ष महोदय यह प्रयाग, बनारस भी इस सूची में है, जहां पर यह ट्रेनें गई हैं और जा रही हैं. एक 26 तारीख को फिर से ट्रेन जा रही है, अभी एक परासिया से गई है, बुरहानपुर से गई है और शिवपुरी, ब्यावरा से जा रही है, आप कहेंगे तो आपको भी इसमें शामिल किया जायेगा.
श्री गोपाल भार्गव -- मेरा कहना है कि आप इन बातों का जवाब दे दें, क्या पुरी, रामेश्वरम, वैष्णो देवी साथ ही हमारे अनेक स्थान हैं , वहां पर हमारे प्रदेश के वृद्ध लोग जाते थे,धार्मिक लोग जाते थे.
श्री पी. सी. शर्मा -- अभी हमारी प्राथमिकता प्रयागराज की थी और बनारस इस सूची में शामिल है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- अभी नेता प्रतिपक्ष जी ने बार बार मंत्री शब्द बोला है, सदन की यह गरिमा, परंपरा रही है चाहे छोटा सदस्य हो या मंत्री हो माननीय मंत्री जी या माननीय सदस्य बोलते हैं. नेता प्रतिपक्ष जी ने दो बार सीधा मंत्री बोला है. तो क्या इसमे सुधार करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- आदरणीय मंत्री जी सम्माननीय मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय -- यहां पर मैं भी हूं बीच में.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय मंत्री जी ने अभी कहा है कि प्रयागराज से बड़ा कोई कुंभ नहीं है. अभी तीर्थ दर्शन योजना का मामला है तो उसका उत्तर आप दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- आप देखें कि मूल प्रश्न क्या है. वेतनमान से संबंधित है. हमारी चर्चा किस बिंदू पर हो रही है, हम कहां पर जा रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग -- यह मंत्री जी जा रहे हैं, हम नहीं जा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय आप उनको सलाह दें, आप उन लोगों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम रखिये.
अध्यक्ष महोदय -- मूल प्रश्न तो आपने ही उठाया है.
श्री विश्वास सारंग -- हम नहीं जा रहे हैं, मंत्री जी ही इधर से उधर जा रहे हैं, हम तो सीधी लाइन पर चल रहे हैं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अभी नेता जी और विधायक जी जुड़े हैं. आपने संजय पाठक का प्रश्न अपने ऊपर लिया है. मूल प्रश्न पर जाइये उसमें वेतनमान से संबंधित बात कही गई है. अब मैं अगला प्रश्न लेता हूं.
शैक्षणिक पदों पर भर्ती में प्राप्त शिकायतों पर कार्यवाही
[चिकित्सा शिक्षा]
8. ( *क्र. 464 ) श्री के.पी. सिंह "कक्काजू" : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय शिवपुरी में शैक्षणिक, पैरा मेडिकल स्टाफ एवं अन्य पदों पर नियुक्तियां की गई हैं? यदि हाँ, तो किन-किन पदों पर नियुक्तियां की गई हैं? पदवार, नामवार जानकारी दें। क्या उक्त नियुक्तियां म.प्र. चिकित्सा महाविद्यालय आदर्श सेवा भर्ती नियम, 2018 के तहत की गई हैं? (ख) क्या आदर्श सेवा भर्ती नियमों में लिखित/साक्षात्कार अथवा दोनों का प्रावधान है? यदि हाँ, तो क्या सीधी भर्ती के पदों पर उक्त प्रावधान अनुसार भर्ती की गई है? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, शिवपुरी में विभिन्न पदों पर की गई भर्ती के लिए अपनाई गई सम्पूर्ण प्रक्रिया संबंधी दस्तावेजों की छायाप्रतियां उपलब्ध करावें? (घ) क्या गैर शैक्षणिक पदों की भर्ती के संबंध में आपत्तियां चयन उपरांत प्राप्त हुईं हैं? यदि हाँ, तो क्या इन शिकायतों/आपत्तियों के निराकरण हेतु कोई कार्यवाही की गई है?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। जी हाँ। (ख) जी हाँ। जी हाँ। दोनों विकल्प उपलब्ध हैं। पैरामेडिकल एवं अन्य स्टाफ की नियुक्ति मेरिट सूची के आधार पर की गई है। पैरामेडिकल एवं अन्य स्टाफ के पदों पर नियुक्ति हेतु अत्यधिक आवेदन प्राप्त होने से निर्धारित मापदण्डों के अनुसार मेरिट सूची बनाकर भर्ती की गई है। (ग) छायाप्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (घ) शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनकी जाँच महाविद्यालय की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष एवं संभागायुक्त, ग्वालियर द्वारा कराई जा रही होना प्रतिवेदित है।
श्री के पी सिंह"कक्काजू" -- अध्यक्ष महोदय मेरा आपसे अनुरोध है कि 49 मिनट हो गये हैं और 3 या 4 प्रश्न ही हो पाये हैं, और इनके जमाने में अध्यक्ष महोदय बैठे हैं. एक प्रश्न से ज्यादा नहीं करने देते थे. मेरी आपसे प्रार्थना है कि थोड़ा सा आप लिबरल रहेंगे तो बाकी सदस्य के प्रश्न आ ही नहीं पायेंगे. तो मेहरबानी करके आगे ध्यान रखें कि ये लोग जो बेवजह का समय व्यतीत करते हैं, उसमें आपको सख्त होना पड़ेगा, नहीं तो सदन के अन्य सदस्यों के प्रश्न इसी तरह से गुम होते रहेंगे. अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न शिवपुरी चिकित्सा महाविद्यालय को लेकर है और बड़ी मुश्किल से जब हमारे केंद्र के मंत्री आदरणीय गुलाम नबी आजाद जी इसका शिलान्यास करने आये. तो यहां बैठे हुए लोगों ने उसका बड़ा हंसी मजाक उड़ाया और कई वक्तव्य आये कि एक कागज के टुकड़े पर कहीं कॉलेज खुलता है क्या. ले-देकर किसी तरह से जब नये चुनाव की संभावना बनी आचार संहिता के पहले आनन-फानन में, इसकी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया. उसी प्रक्रिया के तहत मेरा यह प्रश्न है कि जो आनन-फानन में ऐसे- ऐसे काम हुए और उसकी शिकायतें भी हुईं, लेकिन आचार संहिता का हवाला देकर वह सारे गलत काम किये गये, जिनको नहीं होना चाहिये था. तो मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि एक तो इस प्रश्न के उत्तर में यह बता दें कि कुल पद कितने थे और आपके द्वारा कितनी भर्तियां उसमें की गई हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं सारे सवाल एक बार में ही कर लूं कि अलग अलग करुं.
अध्यक्ष महोदय -- एक-एक प्रश्न करिये.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- जी हां. एक एक प्रश्न करता हूं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है, मैं धन्यवाद करना चाहती हूं श्री गुलाम नबी आजाद जी का कि मध्यप्रदेश में हमें इतने मेडिकल कॉलेजेस मिले, जिसकी आवश्यकता है, प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य की सुविधा के लिये. अलग अलग संवर्ग में अलग अलग पदों का विज्ञापन जारी किया गया था. शैक्षणिक संस्था में कुल पद 155 थे, क्योंकि मेडिकल कॉलेज का हर वर्ष एलओपी जारी होता है और पांच वर्षों तक के पदों की भर्ती होती है. तो कुल शैक्षणिक पद 155 थे, जिसमें विज्ञप्ति 153 पर जारी हुई. फर्स्ट एलओपी जब देनी होती है, उसमें 59 पद थे और फर्स्ट एलओपी से जो फिफ्थ एलओपी तक आते हैं 96 पद उसके भरे जाते हैं. कुल पद जो अभी भरे गये शैक्षणिक इसमें 74 पद भरे गये हैं. जिसमें से फर्स्ट एलओपी में 48 और सैकण्ड एलओपी में जो हमें अतिरिक्त भी 26 पद मिले, उसको भी हमारे द्वारा भर दिया गया. यह तो हो गया शैक्षणिक. इसके साथ चिकित्सीय परिचिका और सह चिकित्सीय पद हमारे 503 पद थे. 503 के विरुद्ध विज्ञप्ति हमारी 214 की जारी हुई और 2014 की विज्ञप्ति के बाद कुल पद भरे गये 52 और 52 पदों में से 47 लोगों ने ज्वाइन किया. तीसरा जो संवर्ग आता है, वह गैर-शैक्षणिक आता है. गैर-शैक्षणिक में हमारे 35 पद थे, विज्ञप्ति हमने जारी की 29, चूंकि यह अभी ऑनगोइंग प्रोसेस है ,इसमें स्क्रूटनिंग चल रही है और स्क्रूटनिंग खत्म होने के बाद हम इन पदों की भर्ती करेंगे.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अपने जवाब में खुद स्वीकार किया है और अभी कुछ बताया जा रहा है. इन्होंने जो मुझे उत्तर भेजा है, उसमें जो टोटल संख्या दी है, उसमें शैक्षणिक है 74 और 52 हैं बाकी. टोटल 126 की भर्ती की है, जो मुझे आपने जवाब दिया है. अब जवाब भर्ती का 126 का है, जो मेरे पास गया है और मंत्री जी संख्या कुछ दूसरी बता रही हैं. मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि मुझे जो जवाब भेजा गया है, वह सही है या यह सही है. इसको जरा आप देख लें कि सही क्या है. अब चूंकि आपको ज्यादा जानकारी नहीं है, तो इसलिये मैं ज्यादा आपको कुछ नहीं कहना चाहूंगा. मैं आपसे सीधी सीधी एक बात कहना चाहता हूं कि आदर्श सेवा भर्ती के जो नियम हैं, उसमें सीधा सीधा लिखा गया है कि या तो परीक्षा मौखिक होगी या लिखित होगी या फिर दोनों होंगी. इस भर्ती प्रक्रिया में आपने कौन सी प्रक्रिया अपनाई दोनों में से, जो आदर्श सेवा भर्ती नियम में है.
डा. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्य शासन द्वारा स्थापित स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों के संबंध में चिकित्सालयों में चिकित्सकीय संवर्ग के लिए जो आदर्श सेवा भर्ती नियम बनाए गए हैं, उसके क्लॉज-6 में पैरा 6.2 में यह दर्शाया गया है कि सीधी भर्ती के रिक्त पदों की पूर्ति के लिए कार्यकारिणी समिति संकल्प पारित कर यथावश्यक लिखित परीक्षा अथवा साक्षात्कार अथवा दोनों नियत कर सकेगी. पैरा 6.3 में यह दर्शाया गया है कि चयन समिति मेरिट के आधार पर एवं मेरिट क्रम में अभ्यर्थियों के चयन हेतु अनुशंसा देगी, तो मेरिट के आधार पर भी ये नियुक्तियां की जा सकती हैं. इसमें यह दर्शाया गया है.
श्री के.पी. सिंह ''कक्काजू'' -- अध्यक्ष महोदय, न तो लिखित परीक्षा हुई, न मौखिक परीक्षा हुई, सीधे-सीधे मेरिट बना ली गई और मेरिट बनाने का अंदाज मैं एक उदाहरण के द्वारा आपको बताता हूँ. मंत्री जी, इस उदाहरण से आपको प्रक्रिया का अंदाजा लग जाएगा कि आपके विभाग में हुआ क्या है ? एक प्रोफेसर थीं ऋतु चतुर्वेदी आई डिपार्टमेंट में, उनका जो अनुभव प्रमाण पत्र था, आप इसको नोट कर लेना, गुना में साक्षी चिकित्सा महाविद्यालय है, जो अभी प्रारंभ ही नहीं हुआ है, इस महाविद्यालय का है. जो महाविद्यालय अभी चालू ही नहीं हुआ है, उसके अनुभव का लाभ उनको दिया गया. नंबर दो, उसी दौरान वे उत्तर प्रदेश में चंदौसी में सोहन लाल मेडिकल कॉलेज है, जो रोटरी द्वारा चलाया जाता है, उन्हीं तिथियों में वे वहां काम कर रही हैं और अनुभव प्रमाण पत्र पेश हो रहा है साक्षी चिकित्सा महाविद्यालय, गुना का, जो आज तक चालू ही नहीं हुआ है. मेरिट में आपके विभाग में जो बेईमानी हुई है, उसका मैं यह उदाहरण दे रहा हूँ. इसमें एक तमाशा और क्या हुआ, जब शिकायतें हुईं, तो शिकायतों के लिए सिर्फ दो दिन का समय दिया गया और आवेदन कहां आमंत्रित किए गए, ग्वालियर में जो एक मानसिक चिकित्सालय है, मानसिक चिकित्सालय में आवेदन पत्र लिए गए. शिवपुरी में आवेदन ही नहीं लिए गए. ऑनलाइन आवेदन लेने की जो प्रक्रिया थी, उसके बजाय आवेदन ले लिए. अध्यक्ष महोदय, इसके बाद क्या हुआ कि यह जो मेरिट बनी थी, उसकी शिकायतों के लिए दो दिनों का समय दिया गया था, बीच में एक रविवार भी पड़ गया, एक तो लोगों को पता ही नहीं लगा कि शिकायत कहां करना है, फिर भी लोगों ने आनन-फानन में किसी तरह से शिकायतें कीं, शिकायतें मिलीं और शिकायतों की जांच का अधिकार किसको दिया गया, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि शिकायतें जो टोटल प्राप्त हुई थीं, एक तो समय नहीं मिला, और उन शिकायतों की जांच कौन कर रहा है, उस अधिकारी का नाम बताएंगी ?
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट.
श्री के.पी. सिंह ''कक्काजू'' -- मेरे प्रश्न का जवाब आ जाए, उसके बाद आप प्रश्न कर लीजिएगा. केवल दो मिनट का समय बचा है, नहीं तो जवाब ही नहीं आ पाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- मेरे ख्याल से माननीय सदस्य जो कह रहे हैं, बात सही है, और माननीय मंत्री जी से मैं यह कहना चाहता हूँ कि माननीय सदस्य को बुला लें. विस्तृत इसकी जानकारी ले लें और तद्नुसार अगर परीक्षण हो जाएगा तो शायद जो विधायक जी चाह रहे हैं..
श्री के.पी. सिंह ''कक्काजू'' -- अध्यक्ष जी, मैं मंत्री जी के ध्यान में लाना चाहता हूँ कि कमिश्नर्स के अनुमोदन से जो नियुक्तियां हुईं, वे उस समिति के चेयरमेन हैं, और जांच करने करने वाले अधिकारी का नाम मैंने पूछा, पता नहीं मंत्री जी के पास वह नाम है या नहीं, परंतु यह मेरी जानकारी में है, इसलिए मैं आपको बता देता हूँ कि कमिश्नर के अनुमोदित समिति की जांच कर रहे हैं एडीएम. कमिश्नर के खिलाफ कोई एडीएम क्या जांच करेगा ? एडीएम जांच कर रहे हैं. (विपक्ष के माननीय सदस्यों द्वारा शेम-शेम के नारे लगाने पर) शेम की बात नहीं है, यह आप ही के जमाने का मामला है. यह आपने ही किया है, यह सारी भर्तियां आपने की हैं और एडीएम जांच कर रहे हैं, कमिश्नर ने कलेक्टर को जांच के लिए कहा, कलेक्टर ने एडीएम को दे दिया. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि क्या एडीएम किसी कमिश्नर के खिलाफ कोई जांच कर सकता है. अध्यक्ष महोदय, समय खत्म हो रहा है, इसलिए मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि इस पूरी प्रक्रिया में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है, बहुत लोग इसमें शामिल हैं, तो मैं आपसे यह चाहता हूँ कि मेरी उपस्थिति में या मेरे प्रतिनिधि की उपस्थिति में आपके विभाग के पीएस और डायरेक्टर या जिसको आप उचित समझें, भोपाल स्तर से कमेटी बनाएं और मेरी उपस्थिति में यह जांच हो, तब आपको सही स्थिति का पता लग पाएगा कि हुआ क्या है ?
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया -- नए सिरे से भर्तियां हों.
श्री के.पी. सिंह ''कक्काजू'' -- पहले पुरानी भर्ती निरस्त होंगी, तभी तो नए सिरे से भर्तियां होंगी.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सारी भर्तियों को नष्ट करके पुरानी भर्तियां फिर से हों.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- सारी भर्तियों को आप निरस्त करेंगे तो इससे अच्छा क्या होगा.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ -- यह सब आपके जमाने में ही हुआ है, आपकी सरकार में ही हुआ है. जब हमें बाद में पता चला तो हमने माननीय मुख्यमंत्री जी को और मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखी है.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- आपने माननीय मुख्यमंत्री जी को किस समय पत्र दिया था ?
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ -- जब हमें पता चला तब 5 जनवरी को ही हमने जांच समिति बिठायी है. प्रश्न तो बाद में आया है उसके पहले ही हम जांच करवा रहे हैं.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- मैं दिसम्बर में माननीय मुख्यमंत्री जी को इस संबंध में पत्र भी दे चुका हॅूं. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि क्या उसकी कमेटी बनाकर उस संबंध में जांच करवाएंगे ? क्या मैंने जो प्रमाण दिए हैं उस आधार पर सारी भर्तियां निरस्त करेंगे ?
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी से आदेश प्राप्त हुआ है. आपने कहा कि संबंधित विधायक महोदय ने यहां पर पाइंट आउट किया है उसके ऊपर जो सक्षम अधिकारी हैं उनसे हम लोग इसका परीक्षण करवा लेंगे और इसकी जांच करवा लेंगे और संबंधित विधायक जी को उससे अवगत करवा देंगे.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- माननीय मंत्री जी, यदि उसमें मैं या मेरा प्रतिनिधि रहे तो उसमें क्या परेशानी है. इसमें क्या दिक्कत है. मेरे जिले का मामला है. मेरे सामने जांच कराने में क्या आपत्ति है ? हमारे विधायक भी कह रहे हैं उनको भी आप साथ में रख लें, अगर आपको कोई परेशानी है तो. क्या दिक्कत है.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ -- माननीय विधायक जी ने जो मामला उठाया है एक व्यक्ति विशेष के बारे में पर्टिकुलर पाइंट आउट किया है और हम लोग माननीय विधायक जी की उपस्थिति में उसको दिखवा लेंगे. भोपाल से वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर जांच करा लेंगे.
श्री के.पी.सिंह "कक्काजू" -- धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
( प्रश्नकाल समाप्त )
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे निवेदन है.
अध्यक्ष्ा महोदय -- शून्यकाल हो जाने दीजिए. माननीय सदस्यों ने जो शून्यकाल की सूचनाएं दी हैं उनको पढ़ लेने दीजिए. तदोपरांत हम ले लेंगे. श्री शरदेन्दु तिवारी आप अपनी शून्यकाल की सूचना पढे़ं.
12.02 बजे नियम 267 क के अधीन विषय
1. चुरहट विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत भितरी को भितरी डांडी टोला मार्ग निर्माण प्रारंभ किया जाना
श्री शरदेन्दु तिवारी (चुरहट) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट सत्र 2018-19 में सीधी जिले की चुरहट विधानसभा के अंतर्गत ग्राम पंचायत भितरी की मुख्य मार्ग भितरी डांडी टोला मार्ग स्वीकृत किया गया था. बजट स्वीकृति के बाद इस मार्ग के संबंध में विभाग द्वारा आज तक कोई प्रक्रिया अपनाई नहीं गई. जबकि डांडी टोला से हरिजन बस्ती एवं शासकीय रास्ता अमरही टोला होते हुये सड़क बन जाना थी. प्रस्तावित मार्ग की लम्बाई 5 कि.मी. के लगभग है. इस मार्ग से दलित एवं पिछडे़ वर्ग के लोग लाभांवित होंगे. सड़क के बिना इनका आवागमन ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है. जनता में उक्त सड़क को लेकर आक्रोश व्याप्त है.
2. होशंगाबाद जिले के इटारसी में रेल्वे स्टेशन से न्यूयार्ड जाने वाला मार्ग चौड़ीकरण किया जाना
डॉ.सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यगण, जो आप माननीय नेता जी के पास आ गए हैं कृपया अपनी-अपनी व्यवस्था बनाएं. अपनी-अपनी कुर्सियों पर जाएं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष जी, बाहर भी मेला और अंदर भी मेला है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यगण, मेरी तरफ तो पीठ मत दिखाइए. कृपया, आप लोग अपनी-अपनी जगह पर जाइए, व्यवस्था बनाइए. जो असेम्बली का डेकोरम है उसको बरकरार रखिएगा.
3. सिवनी में ऑडिटोरियम भवन का निर्माण कराये जाने संबंधी
श्री दिनेश राय मुनमुन (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि-
4. मऊगंज विधान सभा क्षेत्र में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे
लोगों को विभिन्न योजनाओं का लाभ न मिलना
श्री प्रदीप पटेल (मऊगंज) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि-
5. जनपद पंचायत फंदा जिला भोपाल में बीपीएल धारकों को राशन, मेडिकल
एवं स्कूलों में एडमीशन की सुविधाएं न मिलना
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा (सतना) - अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि कार्यालय जनपद पंचायत फंदा जिला भोपाल के पत्र क्रमांक ज.पं./ग्रा.उ.से.मा. उ./2016 दिनांक 06.05.16 के द्वारा ग्रामोदय से भारत उदय अभियान में आयोजित ग्राम संसद में ग्राम पंचायत बरखेड़ी बाज्यारन के बीपीएल की सूची जिसमें 59 हैं, उन्हें न्यायालय, तहसील हुजूर के 25.05.16 के आदेश के बाद भी पात्रता पर्ची नहीं मिल रही है जिससे राशन, मेडिकल की सुविधा, स्कूलों में एड. एवं अन्य सभी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. तत्काल उक्त आदेश का पालन हो. पात्रता पर्ची का वितरण हो. जनहित में इस सूचना को ग्राह्य किया जाए.
6. महिदपुर विधानसभा क्षेत्र झारड़ा स्थित बड़ा राम मंदिर प्रकरण में
विभाग द्वारा कार्यवाही न किया जाना
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - अध्यक्ष महोदय मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि-
7. सागर जिले के बम्होरी तिगड्डा से मकरोनिया शनि मंदिर गढ़पहरा
सड़क मार्ग कार्य धीमी गति से होना
इंजीनियर प्रदीप लारिया (नरयावली) - अध्यक्ष महोदय,
8. मुरैना जिले की दतहरा नल जल योजना को प्रारंभ न किया जाना.
श्री गिर्राज डण्डौतिया(दिमनी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र दिमनी दतहरा की नल जल योजना जो लम्बे समय से स्वीकृत होकर निर्माणाधीन है. इस
श्री राहुल सिंह लोधी-- (अनुपस्थित)
जिला नरसिंहपुर, दमोह एवं छतरपुर क्षेत्र के किसानों का पंजीयन न होना एवं खरीदे गए अनाज का भुगतान न किया जाना.
श्री जालम सिंह पटेल(नरसिंहपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ नरोत्तम मिश्र(दतिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. 12 दिन हो गए बन्दूक की नोक पर दिन दहाड़े स्कूल के दो बच्चों का अपहरण हो गया. आपका ध्यानाकर्षित करने के लिए हमने स्थगन भी दिया है, हमने ध्यानाकर्षण भी दिया है. पूरे प्रदेश में अपहरण उद्योग पनप रहा है, अपराधी पनप रहे हैं, दिन दहाड़े हत्याएँ हो रही हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि पूरे प्रदेश में स्थानान्तरण उद्योग के बाद में अपहरण उद्योग प्रारंभ हो गया है. एक उद्योगपति मुख्यमंत्री बने तो उम्मीद थी उद्योग आएँगे...(व्यवधान)..
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री(श्री सुखदेव पांसे)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX)...(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा आप से निवेदन है..(व्यवधान)..जिसमें 12 दिन से..(व्यवधान)..एक माँ अपने बच्चों का इन्तजार कर रही है. 12 दिन हो गए लेकिन...
अध्यक्ष महोदय-- मैं इसको देखता हूँ.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण भी दिया है, स्थगन भी दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- मेरी बात पर ध्यान दें, मैं इसको देखूँगा. बाकी जो मुख्यमंत्री जी के बारे में बोला वह विलोपित किया जाता है. माननीय गोपाल जी, आप बोलिए.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष जी, 12 दिन हो गए, बहुत गंभीर विषय है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने विषय उठा दिया है, मैं बिल्कुल ध्यान दूँगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)---अध्यक्ष महोदय, महत्वपूर्ण विषय है इसे किसी रुप में ले लीजिए.
अध्यक्ष महोदय--मैं जब धैर्यता से सुन रहा हूँ तो आप भी तो धैर्य रखें.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मेहरबानी. मैं एक बहुत ही लोक महत्व के प्रश्न पर सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. इसके बारे में मैंने स्थगन प्रस्ताव एवं ध्यानाकर्षण की सूचना भी दी है. यह विषय प्रश्नोत्तरी में भी आया है, लेकिन पीछे आया है इसलिए समाधानकारक उत्तर नहीं मिला है, चर्चा नहीं हो सकी है.
अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार ने संविधान में संशोधन करके जो कि 103 वां संशोधन था. देश के सामान्य वर्ग के जो गरीब लोग हैं उनके लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है. इस आरक्षण की विशेषता यह है कि किसी दूसरे वर्ग को छुए बिना, उसका आरक्षण कम किए बिना, देश का ऐसा निर्धन वर्ग जो कि सामान्य वर्ग का है और आज तक सारी सुविधाओं से वंचित है. उस वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था भारत सरकार ने की है. गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, असम, बिहार, महाराष्ट्र जैसे अनेकों राज्यों ने इसे लागू कर दिया है. भारत सरकार ने संविधान में संशोधन के साथ ही पदों की संख्या में भी 10 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है. अब कोई दिक्कत नहीं है. बहुत बड़ी संख्या में सामान्य वर्ग के ऐसे लोग हैं जो निर्धन हैं, गरीब हैं, भिक्षावृत्ति भी करते हैं. पढ़े लिखे हैं लेकिन फिर भी चतुर्थ श्रेणी की नौकरी भी उन्हें नहीं मिली है. ऐसे दर्जनों युवक आत्महत्या कर चुके हैं या फिर आत्महत्या के लिए उद्यत हैं. यह बहुत ही मानवीय संवेदना का विषय है. मुख्यमंत्री जी सदन में नहीं हैं लेकिन डॉ. गोविन्द सिंह जी ने उत्तर दिया था. मैं सदन से बहुत विनम्र आग्रह करता हूँ जैसा कि दूसरे राज्यों ने इसको गरीबों के हित में अपनाया है. गरीब की कोई जाति नहीं होती है, गरीब का कोई धर्म भी नहीं होता है, गरीब का कोई पंथ भी नहीं होता है, कोई सम्प्रदाय नहीं होता है. मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि भारत सरकार ने जो संविधान संशोधन किया है, माननीय मुख्यमंत्री जी भी आ गए हैं. (माननीय मुख्यमंत्री जी के सदन में आने पर) उनसे भी अपेक्षा करूंगा. लम्बे समय से युवक हम लोगों से कह रहे हैं, वे व्यथित हैं, झुब्ध हैं. जब भारत के संविधान में संशोधन हो गया है. माननीय मुख्यमंत्री जी मैं आपसे एक विनम्र निवेदन करना चाहता हूँ, भारत सरकार ने संविधान में संशोधन करके जो कि 103 वाँ संशोधन था. इसके द्वारा 10 प्रतिशत आरक्षण सामान्य वर्ग के ऐसे लोग जो बेरोजगार हैं, जो गरीबी रेखा के नीचे हैं, जो विपन्न हैं जो भिक्षावृत्ति भी कर रहे हैं, शिक्षित हैं लेकिन उन्हें चतुर्थ श्रेणी तक की नौकरी नहीं मिल रही है, उनके परिवार में किसी को नहीं मिल रही है. यदि इसको आप संविधान संशोधन की मंशा के अनुसार लागू करेंगे तो आपको पुण्य मिलेगा. ऐसे बेरोजगार नौजवानों का धन्यवाद आपको मिलेगा, आपको कीर्ति मिलेगी, यश मिलेगा. अनेकों राज्य इसे लोगू कर चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से बहुत ही विनम्र निवेदन करना चाहूँगा. मैंने जो प्रश्न दिया था डॉ. गोविन्द सिंह जी ने उसका उत्तर भी दिया है, उस उत्तर में उन्होंने लिखा है कि यह "विचाराधीन" है. मैं कहना चाहता हूँ कि अनेकों राज्यों ने इसे तत्काल लागू कर दिया है. भारत सरकार ने भी पदों में वृद्धि कर दी है. इसमें किसी प्रकार की कोई अड़चन नहीं है. मुख्यमंत्री जी से आग्रह करूंगा कि इसके बारे में जल्दी से जल्दी विचार कर गरीब नौजवानों के हित में इसे लागू करने का आदेश जारी करें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)--माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय सदस्य का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि कांग्रेस के घोषणा-पत्र में कई दफे गरीबी के आधार पर आरक्षण का मुद्दा हमने भी रखा था. सैद्धांतिक रुप से हम सहमत हैं. हमने यह तय किया है कि मंत्रिमंडल की एक सब-कमेटी बनाकर उसका कैसे क्रियान्वयन किया जाए, इसका क्या रुप-स्वरुप होगा इस पर कार्यवाही करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव--मुख्यमंत्री जी निवेदन है कि अनेकों राज्यों ने इसे लागू कर दिया है उन्होंने कोई कमेटी नहीं बनाई है. आपका बड़प्पन है आप घोषणा कर दें, आपको इसमें वोट भी मिलेंगे. घोषणा कर दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, घोर आपत्ति है. इस पर हमारी घोर आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय--आपत्ति मत करो भाई. मिश्र जी आपके ऊपर बाबूलाल गौर कब से आने लगे हैं ? घोर आपत्ति क्या है. बाबूलाल गौर कब से आने लगे हैं आपके ऊपर. (हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने जो कथन किया है. हमारी आपत्ति इसलिए है कि हिन्दुस्तान के जिन राज्यों...
श्री सुखदेव पांसे--आप हर बार नेता प्रतिपक्ष की बात काटते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--यह कांग्रेस में होता है हमारे यहां ऐसी परम्परा नहीं है.
श्री सुखदेव पांसे--मेरा आपसे निवेदन है कि आप भार्गव जी को विपक्ष का नेता बने रहने दीजिए. आप हमेशा कॉम्पिटीशन में लगे रहते हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--देखिए, दिग्विजय सिंह जी ने कमलनाथ गुट के बाला बच्चन जी पर आपत्ति की, आपने सिंधिया गुट के वन मंत्री पर आपत्ति की. हमारे यहां इस तरह से नहीं होता है.
अध्यक्ष महोदय-- नरोत्तम जी विषय कुछ और चल रहा था जो नेता प्रतिपक्ष ने कहा था. (व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैं उसी बात को कह रहा हूं. कि उन्होंने समिति बनाने का कहा है यह आपत्तिजनक है. इससे यह लंबे समय के लिए टल जाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं टलेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- टल जाएगा. आप समय सीमा बता दीजिए. आप उस समिति की रिपोर्ट की समय सीमा बता दें तो मैं बैठ जाऊंगा. अध्यक्ष जी सिर्फ समय सीमा आ जाए.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय मुख्यमंत्री जी मैं आपसे बहुत ही विनम्र निवेदन करता हूं कि आप समय सीमा तय कर दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, आप समय सीमा तय कर दें लोकसभा चुनाव के पहले लागू हो जाएगा. आचार संहिता के पहले आ जाएगा क्या बता दें?
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय मुख्यमंत्री जी ने सहमति दी है और हमारी कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में भी इस बात का उल्लेख है कि हम आरक्षण देंगे इसमें गरीबी के आधार पर सवर्णों को भी आरक्षण दिया जाएगा. हम इससे अलग नहीं हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- आज एक शब्द की घोषणा कर दें. आपको एक वाक्य बोलना है.
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, थोड़ी देर पहले नेता प्रतिपक्ष महोदय कह रहे थे कि शब्दकोष में कुछ शब्द बदलने चाहिए तो सबसे पहला शब्द तो घोषणा बदलना चाहिए. पिछली बार की घोषणा 16, 18 हजार थी. हम घोषणा पर भरोसा नहीं करते हैं हम वचन पूरा करने में विश्वास रखते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- हमने तो दृष्टिपत्र किया है हम तो दृष्टि पत्र कर चुके हैं. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी मैं मुख्यमंत्री जी से सहमत हूं. मैं तो इतनी सी बात कह रहा था कि मंत्री जी क्या आचार संहिता के पहले.. (व्यवधान) ....
अध्यक्ष महोदय-- शून्यकाल में प्रश्नोत्तर नहीं होता है. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- पूरे प्रदेश के नौजवानों का मामला है. बहुत ही गंभीर विषय है. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव-- इतना बड़ा घोषणा पत्र है पूरी शताब्दी में लागू नहीं हो सकता इतना बड़ा घोषणा पत्र है.
अध्यक्ष महोदय-- जानकारी मांगी गई है आप दोनों कृपया मेरे कमरे में आ जाइए.इस बारे में चर्चा कर लूंगा इसकी जानकारी मांगी गई है. आपको कृपापूर्वक उल्लेख किया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--जानकारी की बात ही नहीं कर रहे हैं. मुख्यमंत्री जी ने समिति की घोषणा की है उस समिति की रिपोर्ट आचार संहिता के पहले आ जाएगी क्या. यह इस मामले को भटकाने की कोशिश है, षड्यंत्र है. यह गंभीर किस्म का षड्यंत्र है. सवर्णों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. पूरे प्रदेश के नौजवान सवर्णों के साथ भेदभाव होगा. यह ऐसा विषय नहीं है, यह बहुत ही गंभीर विषय है. (व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- यह दबाव बनाकर गलत काम करवाने की कोशिश कर रहे हैं. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- क्या शून्यकाल में ऐसा होता है क्या शून्यकाल में माननीय सदस्यों के प्रश्नों के उत्तर दिए जाते हैं. (व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- आप चर्चा करवा लें, यही निवेदन है. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मैंने कहा है आप आ जाइएगा. मैं आपसे कह रहा हूं. इस रूप में इसका क्या किया जा सकता है आप आकर मेरे से चर्चा कर लीजिए. निर्णय ले लेंगे मैं कह तो रहा हूं
श्री गोपाल भार्गव-- बहुत-बहुत धन्यवाद. आप कल चर्चा करवा लें. बड़ी मेहरबानी.
अध्यक्ष महोदय-- कृपा. आप कृपा पूर्वक विराजिए. शून्यकाल में आपकी सूचना नहीं आई है. माफ करिएगा मैंने नेता प्रतिपक्ष को सुन लिया है. शून्यकाल में न तो प्रश्न होते हैं न तो जवाब होता है.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- यह विषय नहीं है दूसरा विषय है.
अध्यक्ष महोदय-- विषय की गंभीरता को देखते हुए मैंने यह कर लिया लेकिन शून्यकाल में यह नहीं है 12, 13 शून्यकाल पढ़ चुके हैं मेरा शासकीय कार्य भी बहुत है मेरे को आगे बढ़ने दीजिए.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय वही विषय है आपने आज कार्यसूची में सारे विषय ले लिए और अभी आप बोल रहे हैं कि आप अपहरण पर चर्चा कराने का विचार कर रहे हैं. सरकार की नीयत क्या है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कार्यमंत्रणा समिति में जो निर्णय होते उनकी कृपया यहां पर चर्चा न करें. (व्यवधान)...
12:23 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम (जबलपुर) लिमिटेड का 32 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं वार्षिक लेखा वित्तीय वर्ष 2013-2014
(2) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
(3) मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2017-2018 एवं मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2015-2016
12.25 बजे
विशेष उल्लेख
वेतन एवं वेतन भत्तों का समर्पण किया जाना
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्य श्री चेतन्य कुमार काश्यप जी अपनी सूचना पढ़ना चाहते हैं. इन्होंने पिछली बार भी अपना वेतन नहीं लिया था और ये इस बार भी पूरे पांच साल का वेतन राजकोष में जमा करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य, अपनी सूचना, अपने स्थान पर जाकर पढ़ लें.
श्री चैतन्य कुमार काश्यप (रतलाम-सिटी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, राष्ट्र हित एवं जनहित मेरा ध्येय है. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैं राजनीति में आया हूं. मैं किशोर अवस्था से ही समाज सेवा के कार्यों में अग्रसर हूं तथा कई सेवा प्रकल्पों का संचालन कर रहा हूं. ईश्वर ने मुझे इस योग्य बनाया है कि मैं जनसेवा में थोड़ा सा योगदान कर सकूं. इसी तारतम्य में, मैंने विधायक के रूप में प्राप्त होने वाले वेतन-भत्तों एवं पेंशन को नहीं लेने का निश्चय किया है. पिछली विधान सभा में भी मैंने वेतन-भत्ते ग्रहण नहीं किए थे. मैं चाहता हूं कि मुझे प्राप्त होने वाले वेतन-भत्तों एवं पेंशन की राशि का राजकोष से ही आहरण न हो, ताकि उस राशि का सदुपयोग प्रदेश के विकास एवं जनहित के कार्यों में हो सके. मेरा अनुरोध है कि आप मेरे निवेदन को स्वीकार कर मुझे अनुग्रहित करने की कृपा करेंगे. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- संबंधित विभाग इसको देख लेगा.
12.27 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना (क्रमश:)
4. (क) मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 के नियम 18 (3) की अपेक्षानुसार –
(i) जिला खनिज प्रतिष्ठान झाबुआ, अलीराजपुर, सागर, बैतूल, बालाघाट, जबलपुर, नीमच, पन्ना, छिन्दवाड़ा, दमोह, शहडोल एवं धार के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017,
(ii) जिला खनिज प्रतिष्ठान रीवा एवं अलीराजपुर के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, तथा
(ख) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मैग्नीज ओर इंडिया लिमिटेड (मॉयल लिमिटेड) की 56 वीं वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2017-2018
5. मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम अधिनियम, 1982 (क्रमांक 37 सन् 1982) की धारा 27 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016 एवं 2016-2017
6. मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 258 की उपधार (4) की अपेक्षानुसार अधिसूचना क्रमांक एफ 2-13-2018-सात-शा.7, दिनांक 28 जनवरी 2019
7. (क) विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 104 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के वर्ष 2017-2018 के अंकेक्षित लेखे,
(ख) विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 105 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018,
(ग) विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 182 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की :-
(i) अधिसूचना क्रमांक 1030-म.प्र.वि.नि.आ-2018, दिनांक 17 जुलाई, 2018 एवं
(ii) अधिसूचना क्रमांक 1052-म.प्र.वि.नि.आ.-2018, दिनांक 20 जुलाई, 2018, तथा
(घ) कम्पनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार एम.पी. पावर मेनेजमेंट कम्पनी लिमिटेड, जबलपुर का एकादश वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017
(8) मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित का पांचवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017.
(9) मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का 34वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
(10) मध्यप्रदेश वित्त निगम का 63 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
11.33 बजे
राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना.
11.34 बजे
12.35 बजे सभापति तालिका की घोषणा
12.36 बजे समितियों का निर्वाचन
(1)
(2)
12:40 बजे वर्ष 2018-19 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन.
अध्यक्ष महोदय - वर्ष 2018-19 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदया के निदेशानुसार वर्ष 2018-19 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं, इस तृतीय अनुपूरक अनुमान पर चर्चा और मतदान के लिए आज दिनांक 20 फरवरी, 2019 को 2 घंटे का समय नियत करता हूं.
12:40 बजे वर्ष 2004-2005 के आधिक्य व्यय के विवरण का उपस्थापन.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदया, के निर्देशानुसार वर्ष 2004-2005 के दत्तमत अनुदान और भारित विनियोग पर आधिक्य के विवरण का उपस्थापन करता हूं.
12:41 बजे वर्ष 2019-2020 के वार्षिक वित्तीय विवरण का उपस्थापन.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - अध्यक्ष महोदय, मैं, वर्ष 2019-2020 के वार्षिक वित्तीय विवरण का उपस्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं, वर्ष 2019-2020 के वार्षिक वित्तीय विवरण पर चर्चा के लिए आज 2 घंटे का समय नियत करता हूं.
12:41 बजे वर्ष 2019-2020 के आय-व्ययक(लेखानुदान) का उपस्थापन.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत)) - अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदया के निर्देश के अनुसार वर्ष वर्ष 2019-2020 के आय-व्ययक(लेखानुदान) का उपस्थापन करता हूं.
12:42 बजे ध्यान आकर्षण
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
(1.)हरदा एवं होशंगाबाद जिला सहकारी बैंक द्वारा कृषकों के नाम पर फर्जी ऋण निकाला जाना.
श्री कमल पटेल (हरदा)- धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है.
सहकारिता मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय,
श्री कमल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बहुत विस्तृत में और तथ्यात्मक उत्तर दिया है, मैं इसके लिये उनका धन्यवाद देता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन आप देखें कि 2 करोड़ 77 लाख रूपये बैंक में जमा है परंतु किसानों को पांच- पांच हजार रूपये भी नहीं देते हैं, इन्होंने 2 करोड़77 लाख रूपये बैंक से निकाल लिये हैं और ब्याज पर बाजार में चला दिये हैं और धन्ना सेठों को दे दिये हैं. इस तरह का यह गोरखधंधा चल रहा है और आपने उत्तर में आखिर में यह लिख दिया है कि विभाग की कोई मिली भगत नहीं है. अगर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मिली भगत न हो तो क्या कैशियर या ब्रांच मैनेजर की इतनी हिम्मत है कि वह 2 करोड़ 77 लाख रूपये बैंक से निकाल ले और उसके बाद में वर्षों तक वह पैसा ब्याज से चलता रहे और इसको कोई देखने वाला नहीं है. इसलिये इसमें पूरा बैंक, सिर्फ हरदा, होशंगाबाद जिले का बैंक ही नहीं बल्कि भोपाल के वरिष्ठ अधिकारी प्रमुख सचिव स्तर, सहकारिता कमिश्नर सभी मिले हुये हैं. अब उत्तर में दे रहे हैं कि इसमें 91-91 कर्मचारी दोषी पाये गये हैं, 62 कर्मचारी दोषी पाये गये हैं, चार मर गये हैं, एक सेवानिवृत्त हो गया परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2011 से 26 लोगों पर ई.ओ.डब्ल्यू. में जांच चल रही है, जांच अभी तक जारी है न चालान पेश किया गया है और न ही जांच का कुछ किया गया है. (XXX) इस प्रकार पूरा विभाग भ्रष्टाचार में लिप्त है और इसलिये मैं माननीय मंत्री जी आपसे बहुत उम्मीद करता हूं कि आप इनकी जांच मेरे समक्ष करायें. मैं आपको एक एक प्रमाण दूंगा और प्रमाण के साथ समय सीमा निश्चित करें कि एक माह के अंदर ये जितने दोषी अधिकारी हैं जो वर्षों से बचे हुये हैं, उन सबके खिलाफ कार्यवाही करके उनको जेल भेजें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सहायक प्रबंधक जिसकी तनख्वाह तीन हजार रूपये है और एक-एक करोड़, दो-दो करोड़ रूपये के बंगले हरदा में, भोपाल में, इंदौर में और मुंबई तक मैं फ्लैट हैं, इन्होंने किसानों का खून चूसकर इतनी संपत्ति अर्जित की है. गरीब किसान जिन्होंने ऋण लिया ही नहीं है. मैं प्रश्न करना चाहता हूं कि उनको कर्जदार बना दिया है, उनको डिफाल्टर बना दिया है. वह न खाद ले सकते हैं न बीज ले सकते हैं न खेती कर सकते हैं, वह आत्महत्या करने के लिये उतारू हैं. इसलिये माननीय मंत्री महोदय, मैं आपसे प्रश्न करना चाहता हूं और मेरी आपसे उम्मीद भी है कि आप तत्काल एक समिति बनायें और वह समिति सहकारिता विभाग की न हो वह राजस्व विभाग की हो और उसमें आईएएस अधिकारी भोपाल से या आप कमिश्नर होशंगाबाद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर एक माह के अंदर जांच कर उस कमेटी में हरदा जिले के और होशंगाबाद जिले के जनप्रतिनिधियों को रखें, सभी 6 विधायकों को रखें और उसके बाद दूध का दूध और पानी का पानी होगा तब जाकर सहकारिता के बैंक बचेंगे नहीं तो यह दीमक की तरह पूरा खा गये हैं. क्या माननीय मंत्री महोदय कार्यवाही करेंगे ?
श्री गिर्राज डण्डौतिया (दिमनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब यह विषय आ गया है मैंने ध्यानाकर्षण लगाया था, इस संबंध में मैं भी कुछ बोलना चाहता हूं मेरी विधानसभा दिमनी उसमें इसी तरह का बहुत बड़ा घोटाला हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - श्री डण्डौतिया जी मेहरबानी करिये हर चीज की एक प्रक्रिया होती है.
श्री गिर्राज डण्डौतिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब विषय आ ही गया है इसलिये यदि आपका आदेश होगा तो मैं भी थोड़ा बोल लूं.
अध्यक्ष महोदय - श्री डण्डौतिया जी ऐसा नहीं होता है यह विषय अलग है. श्री के.पी.सिंह जी आप माननीय सदस्य को नियम एवं प्रक्रिया समझाईये मेहरबानी होगी.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप इस संबंध में अलग से लगा दें.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री डण्डौतिया जी आपका संरक्षण चाहते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी तरह से माननीय विधायक जी द्वारा उठाये गये प्रश्नों से सहमत हूं. वास्तव में पिछले 10-12 वर्षों में पूरा सहकारी आंदोलन भ्रष्टाचार के गर्त में रहा, सहकारी संस्थाओं में बैठे हुये अध्यक्ष, कर्मचारी और अधिकरियों की मिली भगत से यह हुआ है.जहां तक ई.ओ डब्ल्यू. का सवाल है, प्रकरण दर्ज है. मैं आर्थिक ब्यूरो अनुसंधान को निर्देशित करता हूं कि उन्होंने प्रकरण दर्ज किया है उस प्रकरण में तीन माह के अंदर पूरी जांच करके कार्यवाही करें, चालान प्रस्तुत करें.
श्री कमल पटेल-- धन्यवाद.
डॉ.गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात जहां तक सवाल अन्य कर्मचारियों के दोषी होने का है, जो कर्मचारी दोषी थे और संचालक मंडल, यह संचालक मंडल तो आपकी पार्टी के सब जगह थे, उन संचालक मंडल ने जो गड़बड़ी की है, संचालक मंडल के विरूद्ध भी जितनी कानूनी, वैधानिक रूप से कार्यवाही हो सकती है वह करेंगे और साथ ही हमने अपने उत्तर में इस बात को स्वीकार किया है कि जांच की आवश्यकता हुई तो अलग से भी जांच करायेंगे और जो भी दोषी होगा जो कर्मचारी और अधिकारी विभाग के हैं, चूंकि विभाग को यह जानकारी नहीं है,प्रमाण नहीं है तब तक कोई कार्यवाही करना संभव नहीं है. अगर विभाग की जानकारी में कोई प्रमाण देता है तो विभाग के जिन अधिकारियों ने जांच नहीं कराई, जो मौन समर्थन रहकर के भष्टाचार में शामिल रहे उनके विरूद्ध भी उस कार्यकाल की जांच करवाकर के कार्यवाही की जायेगी और कार्यवाही निष्पक्ष और बिना भेदभाव के होगी. हम आपसे यह भी कहना चाहते हैं कि सहकारी समितियों से लेकर के जो पिछले कई वर्ष में, इसमें 2008 का भी ऋण माफी का मामला है उस समय भी इन्होंने ऐसे ही किया था. बाद में इस संबंध में मैंने भी प्रश्न लगाये थे और आपने भी लगाये थे. मामले को विधानसभा में उठाया था तो कई लोगों के द्वारा जो राशि गबन की गई थी वह जमा की गई थी.ऐसे लोगों की आदत बिगड़ रही है . हम इस संबंध में सदन से और आप सभी सदस्यों से राय लेना चाहते हैं कि इस संबंध में आप अपने महत्वपूर्ण सुझाव दें, ताकि जो सहकारी क्षेत्र में अधिकारी और कर्मचारी दीमक की तरह चाट रहे हैं उनको भी प्रतिबंधित करने के लिये नियमों में संशोधन करना पड़ा तो हम वह भी करेंगे, यदि कानून में संशोधन करना पड़ा तो वह भी किया जायेगा. यह हमारी निष्पक्ष राय है. मैं भी पूरी तरह से सहकारी आंदोलन के भ्रष्टाचार से व्यथित हूं.
श्री कमल पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- (विपक्ष के एक दो सदस्यों द्वारा प्रश्न के लिये हाथ उठाने पर ) मैंने जब ध्यानाकर्षण पढ़े उसके पहले नियम प्रक्रिया के बारे में उल्लेख किया था. मैं नियमों को शिथिल करके यह ध्यानाकर्षण ले रहा हूं मूल प्रश्नकर्ता को ही मैं प्रश्न करने की अनुमति दूंगा. माफी चाहूंगा. समय सीमा को ध्यान में रखते हुये मैं किसी को अनुमति नहीं दूंगा.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, होशंगाबाद जिले का नाम लिया, वहां का मामला है इसलिये एक प्रश्न पूछने की अनुमति दे दें.
अध्यक्ष महोदय--मूल प्रश्नकर्ता को तो आप प्रश्न करने दीजिये.
डॉ.सीतासरन शर्मा- अध्यक्ष जी, मूल प्रश्नकर्ता के प्रश्न के बाद एक प्रश्न सिर्फ.
अध्यक्ष महोदय- अभी केवल मूल प्रश्नकर्ता .
श्री कमल पटेल -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सहकारिता मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है उसी आधार पर मैं कह रहा हूं कि इसमे 31 लोगों को चेतावनी देकर के छोड़ दिया है. 62 कर्मचारियों को चेतावनी देकर के छोड़ दिया , यह कोई सजा है क्या ? और इसलिये माननीय मंत्री जी मेरा कहना है कि जितने लोग दोषी पाये गये हैं उनको चेतावनी न देते हुये उनको निलंबित किया जाये, नौकरी से बर्खास्त किया जाये क्योंकि इन्होंने किसानों को बर्बाद कर दिया है. और इसलिये मेरी मांग है कि अभी सदन में आप घोषणा करे कि जितने भी लोग दोषी पाये गये हैं, जांच का विषय तो बाद का है , जो दोषी पाये गये हैं जिनको चेतावनी देकर के पहले छोड़ा गया था क्या मंत्री उन लोगों को तत्काल इसी समय निलंबित करने की आप घोषणा करेंगे ? और जिन अधिकारियों ने उनको संरक्षण दिया उनके खिलाफ जांच बैठायेंगे ? जांच में जनप्रतिनिधियों को शामिल रखें , हम जांच नहीं करेंगे किंतु हम जांच में सहयोग करेंगे . हम तथ्य देंगे, हम प्रमाण देंगे . हम चाहते हैं कि दोषी के विरूद्ध कार्यवाही हो तब जाकर के सहकारिता से भ्रष्टाचार खत्म होगा.
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने वक्तव्य में स्पष्ट कर दिया है कि अधिकारी और कर्मचारी के विरूद्ध प्रमाण मिलने पर दुबारा जांच भी हो सकती है. आप प्रमाण देंगे हम दुबारा जांच करायेंगे और जो भी दोषी है.
श्री कमल पटेल -- माननीय मंत्री जी आपने अपने उत्तर में ही इस बात को लिखा है कि दोषी पाये गये हैं लेकिन उनको चेतावनी देकर के छोड़ दिया है, उनको दंडित करना चाहिये. उनको निलंबित करना चाहिये.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उनका अपराध देखा जायेगा, आपने पढ़ा नहीं है, उसमें लिखा है कि जरूरत हुई तो दोबारा जांच भी हम करायेंगे और आप बतायेंगे कि कौन-कौन दोषी हैं, हो सकता है कि बैंक में बैठे हुये संचालक मंडल के सदस्य, यह सब मिलीभगत करके, भ्रष्टाचार करके किसानों को लूटते रहे और किसानों को लूटने वाले संचालक मंडल के सदस्य अगर वह भी अध्यक्ष सहित इसमें शामिल थे या इन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की, चेतावनी देकर छोड़े गये तो हम प्रयास करेंगे और विभाग को निर्देशित करेंगे कि इनके विरूद्ध भी जिन लोगों ने संरक्षण दिया चाहे अधिकारी हों, चाहे बैंक के सदस्य हों और चाहे सहकारिता विभाग के हों, उनके खिलाफ भी 120 की कार्यवाही कर एफआईआर दर्ज कराई जाये.
श्री कमल पटेल-- यह सब ठीक है, बिलकुल करें लेकिन यह 208.28 लाख राशि वसूली हेतु शेष है अभी कुल 1 करोड़ 30 लाख ही वसूल किये गये हैं और जिन अधिकारियों ने वसूल नहीं किये हैं उन्होंने उनसे माल ले लिया है तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही करें न, क्यों नहीं अभी तक वसूल किये गये और किसानों को मैंने बीमा दिलवाया, वह बीमा भी अधिकारी हड़प कर गये, एक किसान को बीमा नहीं मिला और उसकी भी वर्ष 2011 से जांच चल रही है और टीआई ने जांच में क्या बोला है, साक्ष्य नहीं मिलने के कारण कोर्ट को खात्मा भेज दिया पैसा लेकर और इसलिये जिन अधिकारियों ने चाहे कोई भी हो, चाहे संचालक मंडल हो, चाहे अधिकारी कर्मचारी हों, कितना ही बड़ा अधिकारी क्यों न हो सबके खिलाफ एफआईआर कराई जाये और आज उन अधिकारियों को निलंबित करने की घोषणा करें तब जाकर मैं मानूंगा कि मंत्री जी कार्यवाही कर रहे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे होशंगाबाद जिले का सवाल है और उन्होंने नाम भी लिया है होशंगाबाद, हरदा जिला सहकारी बैंक एक ही है. इस घोटाले से बड़ा घोटाला यह है कि ऋण को तो कागज में जोड़ दिया, आप कागज दे देंगे माफ हो जायेगा, किंतु सेविंग एकाउंट में अपनी मेहनत का पैसा जिन्होंने 5 लाख, 10 लाख, 15 लाख जमा किया था वह पैसा बैंक के अधिकारियों ने निकाल लिया अब किसान भटक रहे हैं, क्या मंत्री जी उनको पैसा वापस दिलवायेंगे, रायपुर सोसायटी का प्रकरण है ?
अध्यक्ष महोदय-- अब आप दोनों कृपापूर्वक बैठ जाइये, मंत्री जी को जवाब देने दीजिये.
डॉ. गोविंद सिंह-- पहले तो आपने जो कहा है आप प्रमाण देते जायें, लिखकर दें, अगर सही होगा तो कठोर कार्यवाही होगी, कोई पक्षपात नहीं किया जायेगा. हमारी ओर से न मंशा खराब है और न ही नीयत खराब है, जो दोषी हैं मैं स्वयं अपनी तरफ से भी प्रयास कर रहा हूं, लेकिन एक बात और देखो आप 12-15 वर्षों से सरकार चलाते रहे, आपके ही लोग बैंकों में बैठे रहे, तब आपने कोई कार्यवाही नहीं की, उस समय भी तो आपको कुछ करना था. (सत्तापक्ष द्वारा मेजो की थपथपाहट) मैं तो करूंगा.
श्री पी.सी.शर्मा-- मंत्री जी, हरदा, होशंगाबाद में इन्हीं के लोग हैं जो फंसे हुये हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- माननीय मंत्री जी, कार्यवाही की है, सस्पेंड पड़े हैं, किंतु पैसा तो वापस दिलवाइये.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी जब बोल रहे हैं तो उनको बोलने दीजिये, जब आप बोल रहे थे तब मंत्री जी चुपचाप सुन रहे थे और जब मंत्री बोल रहे हैं तो उनको बोलने दीजिये.
डॉ. गोविंद सिंह-- माननीय शर्मा जी, आपने संज्ञान में यह बात लाई है कि पैसा नहीं मिला है, उन पर कार्यवाही होगी. अब मान लीजिये कोई गबन कर जाता है तो जेल में भी तो डाले जाते हैं, पुलिस कार्यवाही करेगी और अगर आवश्यक हुआ तो पुलिस को निर्देशित करेंगे कि इनकी सम्पत्ति जप्त करने के नियमों में प्रावधान होंगे तो वह भी किया जाये और जांच बिलकुल होगी, आप बतायें अगर आप सहकारिता विभाग से अतिरिक्त जांच चाहते हैं तो वह जांच कराने के भी हम निर्देश देंगे.
श्री कमल पटेल-- कमिश्नर को आप जांच अधिकारी बना दें और हमारे समक्ष जांच करें. दूसरा माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन किसानों का, मैंने ऋण लिया ही नहीं और मेरे ऊपर 15 लाख रूपये निकाल दिये, किसान ने ऋण लिया नहीं उसके ऊपर 5 लाख रूपये निकाल दिये, उनको न तो बैंक से ऋण मिल रहा, तो क्या पहले उनके ऊपर जीरो ऋण करेंगे ताकि उनको खाद, बीज मिल सके, वह खेती कर सके, वह आत्महत्या न करे, वह देश के उत्पादन में अपना योगदान दे सके. क्या माननीय मंत्री महोदय, यह निर्देश देंगे कि जितने किसानों की शिकायत है और जांच में दोषी पाये गये उनको ऋणमुक्त करेंगे, उनको डिफाल्टर घोषित कर दिया है, वह वर्षों से खाद, बीज नहीं ले पा रहे.
अध्यक्ष महोदय-- चलिये कमल भाई हो गया, आपको मैंने चौथा प्रश्न अलाऊ कर दिया है, अब प्लीज बैठ जाइये.
(1.05 बजे) अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय - आज भोजनावकाश नहीं होगा. सदन की लाबी में भोजन की व्यवस्था की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि अपनी सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
ध्यानाकर्षण(क्रमश:)
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैं प्रश्न नहीं पूछ रहा हूं. मैं यह कह रहा हूं कि प्रश्नकाल और ध्यानाकर्षण बड़ा महत्वपूर्ण होता है. हमारी आपसे प्रार्थना है कि एक बार माननीय उपाध्यक्ष महोदया आसंदी पर आएं.
अध्यक्ष महोदय - इसके बाद.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - हम ध्यानाकर्षण पर ही चाहते थे. एक ध्यानाकर्षण उनके द्वारा भी होता तो सदन को अच्छा लगता.
अध्यक्ष महोदय - आपकी भावनाओं की कद्र करता हूं.
गैस राहत एवं पुनर्वास मंत्री(श्री आरिफ अकील) - देर आए दुरुस्त आए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - देर से तो आप आए हो. हम तो पंद्रह साल से यहीं थे.
डॉ.गोविन्द सिंह - मैंने पूरा विस्तार से जवाब दे दिया है. आप प्रमाण सहित दीजिये हम उस पर कार्यवाही करेंगे. निर्देश देंगे.
अध्यक्ष महोदय - मैंने आप लोगों से प्रार्थना की कि कृपापूर्वक सदन के संचालन में उतना ही हस्तक्षेप करें जिससे कि अन्य सदस्यों के भी प्रश्न हैं वह रुकावट का कारण न बने. आपको मैं पर्याप्त समय दे रहा हूं. माननीय मंत्री जी जब बोल रहे हैं कि वे हर प्रकार की जांच करूंगा. आप साक्ष्य लाकर दें. बात वहीं समाप्त हो जाती है कमल भाई,
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरा इतना आग्रह मंत्री जी से कि हर जिले में यह जांच करा लें.
अध्यक्ष महोदय - विषय वस्तु पर ही जांच होगी.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - आलरेडी एफ.आई.आर.रजिस्टर्ड है उस पर कार्यवाही नहीं हो रही है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी विराजिये, जो विषयवस्तु होती है उसी दायरे में बात करें. आप लोगों की मेहरबानी होगी. यह जिस जगह का प्रश्न है वहीं तक सीमित रहे.
श्री हर्ष विजय गेहलोत(गुड्डू) - अनुपस्थित
(1.07 बजे) (3)उज्जैन जिले के महिदपुर तहसील अंतर्गत अवैध उत्खनन के प्रकरण में अर्थदण्ड की वसूली न किये जाने
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - अध्यक्ष महोदय, यह प्रकरण 3 विभागों विधि और विधायी कार्य, खनिज साधन और राजस्व विभाग से जुड़ा हुआ है. मैं विधि और विधायी कार्य विभाग को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने दिनांक 10.1.19 को परिरक्षण आदेश जारी कर दिया और अब जो यह मामला है वह राजस्व विभाग और खनिज साधन विभाग के बीच में हैं. एसडीएम न्यायालय से दिनेश पिता मांगीलाल के विरुद्ध आदेश पारित हुआ. कमिश्नर न्यायालय से, राजस्व मंडल से आदेश पारित हुआ. हाईकोर्ट की सिंगल बैंच से और हाईकोर्ट की डबल बैंच से आदेश पारित हुआ. किसी भी न्यायालय के आदेश का पालन दिनेश पिता मांगीलाल द्वारा नहीं किया गया है. अंतिम आदेश डबल बेंच ने यह किया है कि दिनेश पिता मांगीलाल ने राहत मांगी और माननीय न्यायालय ने केस को रिमांड करके कहा कि इसकी 20 प्रतिशत राशि अर्थात् 6 करोड़ 5 लाख 85 हजार 120 रूपये जमा करायें और जमा कराने पर ही कलेक्टर उज्जैन सुनेंगे. लेकिन आज दिनांक तक दिनेश पिता मांगीलाल के द्वारा शासकीय खजाने में कोई राशि जमा नहीं की गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय जब जब भी न्यायालय के आदेश हुए हैं. लेकिन विभाग के अधिकारियों के द्वारा स्टे के लिए अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है. तीन माह चार माह करके इस तरह से चार साल व्यतीत कर दिये हैं. अब विधि विभाग के द्वारा 10-1-2019 को यह आदेश दिया गया है कि एसएलपी क्रमांक28983/2018 के विरूद्ध आप सुप्रीम कोर्ट में जवाब पेश करें. लेकिन आज 40 दिन हो गये हैं लेकिन खनिज साधन विभाग के द्वारा आज दिनांक तक जवाब इसलिए पेश नहीं किया है कि उसको स्टे मिल जाय और इधर 30 करोड़ 29 लाख 25 हजार 600 रूपये की वसूली नहीं हो सके. यह दोनों विभाग के बीच में चल रहा है. तहसीलदार महिदपुर के द्वारा कहा गया कि दिनेश पिता मांगीलाल को अंतिम सूचना पत्र दिया जाता है कि 10-9-2018 तक राशि जमा करें. यदि वह जमा नहीं करते हैं तो उनकी चल अचल संपत्ति कुर्क कर ली जायेगी. मैं आपके माध्यम से सीधा सीधा प्रश्न करना चाहता हूं इसमें मुझे आपका पूर्ण संरक्षण चाहिए और आपकी बड़ी दया है. मैं चाहता हूं कि खनिज विभाग के दोषी अधिकारी जिन्होंने 40 दिन तक एसएलपी का जवाब पेश नहीं किया है. उसके खिलाफ 15 दिन में निलंबित कर कार्यवाही करेंगे, नंबर दो राजस्व विभाग के तहसीलदार के द्वारा 6 माह तक कुर्की का आदेश जारी करने के बाद में भी आज तक राजस्व विभाग के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है. मुझे पता है कि तीन तहसीलदारों को निलंबित करने के कारण प्रदेश में क्या स्थिति है. मैं इतना चाहता हूं कि क्या मंत्री जी आप भोपाल स्तर से एक समिति बनाकर खनिज साधन विभाग के अधिकारी, या राजस्व विभाग के जो भी दोषी अधिकारी हैं उन पर 15 दिवस में जांच करके उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करेंगे.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय आरिफ अकील जी को बैठे बैठे बोलने की अनुमति दे दी जाय.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- आप दोनों से समय मिल जाय तब ना. माननीय गोपाल भार्गव और नरोत्तम मिश्रा जी से समय मिल जाय तब आरिफ अकील जी बोलें.
अध्यक्ष महोदय -- गोविंद जी आप आरिफ अकील और नरोत्तम मिश्रा जी के बीच में बिल्कुल न आयें. आप तो उत्तर दें.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं प्रस्ताव करता हूं कि एक जेसीबी मशीन लगाई जाय.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य ने जो तहसीलदार द्वारा इस प्रकरण में देरी होने के कारण जांच की बात की है. मैं कमिश्नर के स्तर पर समिति बनाकर एक माह में जांच करा दूंगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- यह तो अधिकारियों के खिलाफ में कार्यवाही हो गई है. मेरा मूल प्रश्न है कि 30 करोड़ 29 लाख 25 हजार 600 रूपये की वसूली अगर सरकार करेगी तो यह किसानों की ऋण माफी में काम आयेंगे. मेरा आग्रह आपके माध्यम से यह है कि यह बड़ी मछली है और इसके खिलाफ में कार्यवाही करने के लिए मुझे क्या क्या तकलीफें उठाना पड़ रही हैं उसके बारे में तो मैं आपको अकेले में आकर बताऊंगा. मेरा आपके माध्यम से यह प्रश्न है कि क्या मंत्री जी आपके तहसीलदार जिसने 6 माह से नोटिस जारी कर रखा है 30 करोड़ 29 लाख 25 हजार 600 रूपये का क्या एक माह में दो माह में तीन माह में जिसकी कुर्की का आदेश जारी है इसकी वसूली 3 माह के अंदर करवा लेंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, उत्खननकर्ता जो था, उसकी सम्पत्ति कुर्क की जा चुकी है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, यह असत्य जानकारी है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य शांति रखिये, विचलित न हों.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय सदस्य मैं जवाब दे रहा हूं. कुर्क सम्पत्ति की नीलामी का जब प्रयास किया गया, तो कोई बोलीदार नहीं आया. जब बोली लगाने वाला नहीं आता है, तो जमीन को शासकीय घोषित किया जाता है..
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मेरी आपत्ति है. बोली लगाने के लिये हजारों लोग तैयार हैं. यह असत्य बात है. अध्यक्ष महोदय, राजसात कैसे करेंगे, कुर्की का आदेश आलरेडी है और बोली लगाने के लिये हजारों लोग तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, आप सुन लें. एक बार उत्तर आने दीजिये. उसके बाद मैं भी बैठा हूं ना. आप जरा धीरज रखेंगे. शासन के कोष का विषय है. मैं भी समझ रहा हूं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, मैं सदस्य की भावनाएं समझ रहा हूं. पहले मुझे पूरा उत्तर तो देने दीजिये. अध्यक्ष महोदय, शासकीय जमीन जब घोषित हो जायेगी, शासकीय जमीन घोषित होने के उपरांत कार्यवाही की जाकर वसूली की जायेगी. आप समय सीमा चाहते हैं, शासकीय जमीन घोषित होने के उपरांत थोड़ा समय लग सकता है. आप 3-4 माह कह रहे हैं, मैं कह रहा हूं कि एक माह के अंदर कुर्की की कार्यवाही कर इसकी जांच प्रारम्भ कर दी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय -- आखिरी प्रश्न.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मैं 2003 से विधायक हूं और मंत्री जी के साथ विधायक बनकर हम पहली बार आये थे. मैं इतना आग्रह कर रहा हूं कि कुर्की का चल, अचल सम्पत्ति का आदेश तो विभाग ने कर रखा है. यह राजसात करने का नया नियम कहां से ले आये. मंत्री जी, आप अच्छे मंत्री जी हैं. आप 247(2) को पढ़ लें, उसमें यह राजसात करने का कहां प्रावधान है. आप सीधा -सीधा देख लें कि गरीब पर यदि 20 हजार का लोन हो, तो उसकी मोटर साइकिल उठा लेते हैं और इतने बड़े मगरमच्छ, जिन्होंने अरबों में भ्रष्टाचार किया है, क्या उसकी चल,अचल सम्पत्ति जो आपने आदेश किया है, मेरा कहना है कि राजसात करने की बजाये एक महीने के अन्दर इसकी चल अचल सम्पत्ति कुर्क करके इस राशि को जमा कर लिया जाये, मैं यह चाहता हूं एक माह में.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है, माननीय सदस्य समझने का प्रयास करें. माननीय न्यायालय के आदेश के अधीन रहते हुए, मैंने कहा ना कि एक माह के अंदर कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जायेगी.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मैं जो चाह रहा हूं और यह तहसीलदार का जो..
अध्यक्ष महोदय -- आप एक मिनट रुकेंगे. मंत्री जी, माननीय सदस्य की सिर्फ यह पीड़ा है कि राज्य शासन के कोष का जो घाटा हो रहा है, आपकी नियम प्रक्रिया ऐसी हो, ताकि एक महीने में जितने यह प्रश्न इतने वर्षों से उठ रहे हैं, उनका समाधान हो जाये, ऐसी कार्यवाही करियेगा.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, गोपाल भार्गव जी कह रहे थे कि यथाशीघ्र विलोपित कर दिया जाये. मैंने यथाशीघ्र न बोल करके एक महीने का समय माननीय सदस्य को दे दिया. अब तो उन्हें धन्यवाद देना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- चलिये. आप मंत्री जी को धन्यवाद दीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मैं धन्यवाद दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री संजय यादव, अपने ध्यान आकर्षण की सूचना पढ़ें.
1.24 बजे (4) प्रदेश में रेत खदानों में पर्यावरण संरक्षण हेतु स्थानीय समितियों का गठन न किया जाना.
श्री संजय यादव (बरगी)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
खनिज साधन मंत्री (श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री संजय यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप भी नर्मदा किनारे के हैं, मैं भी नर्मदा किनारे का हूँ और (XXX)
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी, यह विलोपित करवाएं.
अध्यक्ष महोदय -- विलोपित कर दें.
श्री संजय यादव -- अध्यक्ष महोदय, मैं नर्मदा से संबंधित बात कर रहा हूँ. पूर्व की जो खनिज नीति थी, आज भी बाहुबलियों का कब्जा माँ नर्मदा की रेत खदानों पर है. राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल का आदेश है, माननीय उच्च न्यायालय का आदेश है कि पूरे प्रदेश में मशीनों से उत्खनन नहीं किया जाएगा और बड़े-बड़े हाईफाई डिवाइस से रेत नहीं खोदी जाएगी, लेकिन सबसे ज्यादा यह हो रहा है. आपको याद होगा कि पिछले साल पूर्व मुख्यमंत्री जी के भतीजे के 8 डम्पर पकड़े गए थे क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय ने आदेश किया था कि रेत का खनन हाईवा से, बड़ी-बड़ी मशीनों से नहीं होगा. बड़ी मशीनों से रेत का खनन होने से जलीय जीव-जन्तु मारे जा रहे हैं, जिसमें नर्मदा के स्तर का विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. आज पूरे प्रदेश में रेत माफिया इस कदर हावी हैं ..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, फिर एक विषय आया, मेरी आपत्ति है कि ये फ्री स्टाइल भाषण माननीय सदस्य न करें.
श्री संजय यादव -- पहली बार आया हूँ, दादा आपसे सिखूंगा ना.
अध्यक्ष महोदय -- सीखने दो, सीखने दो, गोपाल भाई, सीखने दो.
श्री संजय यादव -- अध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार बोल रहा हूँ. मैंने आपकी बात स्वीकार कर ली है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने कहा है पूर्व मुख्यमंत्री के भतीजे, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ, एक तो वे सदस्य सदन में भी नहीं हैं. दूसरी बात, कोई ऐसी नामजद रिपोर्ट, शिकायत, जप्ती, राजसात होना, ऐसा कुछ हुआ है क्या.
श्री संजय यादव -- हुआ था, गाड़ियां पकड़ी गई थीं.
श्री गोपाल भार्गव -- कोई प्रमाण है क्या, क्या आपने पटल पर रखकर पूछा ? क्या आपने अनुमति मांगी ?
श्री संजय यादव -- इसी विषय से संबंधित है.
श्री गोपाल भार्गव -- यादव जी, आप अनुमति ले लें, फिर इसके बाद आप बोलें.
श्री संजय यादव -- अगली बार ले लेंगे दादा.
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल भार्गव जी, आपको दादा बोल रहे हैं.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, हमारे सदस्य महोदय ने पूर्व मुख्यमंत्री का उल्लेख किया, नाम तो नहीं लिया, आप कौन से पूर्व मुख्यमंत्री के बारे में इंगित कर रहे हैं कि न बोलें ?
श्री गोपाल भार्गव -- देखो, एक वे भी हैं जिन्होंने आप लोगों को कल डांट लगाई है हाऊस के बाहर. मैं चर्चा नहीं करना चाहता, इन सब विषयों की, आप मुद्दे पर आ जाएं.
अध्यक्ष महोदय -- मूल विषय चलने दीजिए.
श्री संजय यादव -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि हमें नर्मदा जी को बचाना है. उसके लिए जो राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियम हैं, रेत में हाईवा चलने से, डम्पर चलने से स्थानीय मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है. माननीय उच्च न्यायालय का आदेश भी है कि प्रदेश में रेत का खनन हाइवा डंपर से नहीं होगा. माननीय उच्च न्यायालय का आदेश है कि प्रदेश के अंदर नदियों से या नर्मदा नदी से हाईफाई डिवाइस, बड़ी मशीनों से रेत का उत्खनन नहीं होगा. लेकिन पिछले 5, 10 सालों में जितना तांडव नर्मदा नदी के साथ हुआ है और जितनी क्रूरता नर्मदा नदी के साथ बरती गई है. इस संबंध में मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा कि वर्तमान में अगर जनप्रतिनिधि किसी शिकायत से परेशान हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पर आइए.
श्री संजय यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे इसमें निवेदन है कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करवाते हुए तत्काल नदियों से यदि 24 घण्टे के अंदर चोरी रुकवाना है तो वह खनिज मंत्री जी रुकवा सकते हैं. क्योंकि हाइवा भरने के लिए मशीन की जरुरत होती है. उस 6 चका ट्रक भरने के लिए मजदूरों की जरुरत होती है. हाइवा मजदूरों से नहीं भरा जाता. हाइवा नदी के अंदर जाएगा तो मशीन उसको लोडिंग करने जाएगी और मशीन लोडिंग करने जाएगी तो स्वाभाविक रुप से रेत निकालेगी. अगर 6 चका ट्रक जो फुल बॉडी रहता है मजदूरों को काम मिलता है जब रेत भरते हैं खाली करने में भी मजदूरों का उपयोग होता है. श्रमिकों को रोजगार मिलता है. मशीनें नदी के अंदर एलाउ नहीं हैं. लेकिन आज भी बिना मशीनों के नहीं निकाली जा रही है.
अध्यक्ष महोदय -- यादव जी, प्रश्न करिए.
श्री संजय यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि शासन को राजस्व की जो क्षति हो रही है जल्द से जल्द पुरानी नीति बदलते हुए तत्काल स्टेट निगम के अंतर्गत खदानों का ठेका करवाएं. रेत में हाइवा का प्रयोग बंद करवाएं और मशीनों का प्रयोग रेत में बंद करवाएं. माननीय मंत्री जी, आप कब इसका पालन करवाएंगे ?
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं श्री संजय यादव जी की भावनाओं से अवगत हॅूं. मेरी अपनी भावनाएं भी उनसे जुड़ी हुई हैं और माता नर्मदा जी के बारे में पिछले 15 वर्षों में राजनीतिकरण हुआ, उसको देखते हुए माननीय उच्च न्यायालय से कहें या एनजीटी से, इस बात का आदेश हुआ है कि नर्मदा नदी में खदानों पर मशीनों के खनन पर प्रतिबंधित किया गया है. बाकी अन्य नदियों पर जब पर्यावरण की अनुमति लेने जाते हैं तब उस अनुमति में मशीनों की अनुमति का उल्लेख होता है कि वहां किन मशीनों का उपयोग किया जाए लेकिन माँ नर्मदा नदी के बारे में स्पष्ट है कि वहां किसी भी प्रकार की मशीनों का उपयोग नहीं होगा. यह बात सही है कि इतने प्रतिबंध के बावजूद आज भी जो पिछले 15 वर्षों से लगातार इन कार्यों में लगे हैं वह आज भी किसी न किसी राजनीतिक संरक्षण से हट चुका है. चूंकि 15 वर्षों का नेटवर्क है कहीं न कहीं उनका संपर्क है इसलिए मात्र सवा महीने की सरकार है उसके बावजूद नर्मदा नदी में शिकार करते हैं. आज भी नाव का उपयोग जब पहले होता रहा, चोरी छिपे अभी भी कहीं न कहीं हो रहा है और हाइवा के उपयोग के बारे में जैसा कहा गया है तो निश्चित रुप से...(व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य -- तो उसके जिम्मेदार कौन हैं, आप हैं.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल -- 15 वर्ष तो आप लोग रहे. हमें तो सवा महीने हुए हैं. हम तो सुधारने के लिए आए हैं. आप अपना काम कर चुके हैं....(व्यवधान)...
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय मंत्री जी. ....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- यह तरीका ठीक नहीं है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय,...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- यह तरीका ठीक नहीं है. मूल प्रश्नकर्ता अपना प्रश्न कर रहा है. मंत्री जी जवाब दे रहे हैं. आप बीच में हस्तक्षेप कर रहे हैं. यह अच्छी बात नहीं है.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जनता ने सरकार को 15 साल बहुत दे दिए. अब हमें काम करने दीजिए, कुछ सोचने दीजिए. मैं माननीय संजय यादव जी की भावनाओं का सम्मान करता हॅूं. यादव जी ने स्वयं माननीय उच्च न्यायालय तक याचिका के माध्यम से प्रयास किया कि नर्मदा नदी पर अवैध उत्खनन न हो. वहां पर माता नर्मदा का महल रहे और माता नर्मदा का सम्मान बना रहे. इस बात का माननीय यादव जी ने प्रयास किया, मैं उनकी भावनाओं का सम्मान करता हॅूं और मैं उनके साथ ही सभी से यह निवेदन करता हॅूं कि अवैध उत्खनन शब्द जो खनिज विभाग से जुड़ा हुआ है इसको हटाने के लिए आने वाले समय में जो नई रेत नीति के बारे में उन्होंने उल्लेख किया है मैं चाहूंगा कि यादव जी का भी बहुमूल्य सुझाव हमको प्राप्त हो और सदन में बैठे हर सदस्य जो भी अपनी राय देना चाहते हैं क्योंकि आप लोग 15 साल में रहे हैं तो कुछ राय मुझे दें तो निश्चित रुप से नई रेत नीति हम लाएंगे जो जनहित में होगी और उसमें जो बाहुबली, जन और धनबली शब्द का इस्तेमाल किया गया है ऐसे सारे व्यक्तियों का एकाधिकार समाप्त करके एक के बदले 10 लोगों को काम दिया जाए. स्थानीय लोगों को काम दिया जाए, युवाओं को काम दिया जाए और जो जरुरतमंद हैं उनको काम दिया जाए.(मेजों की थपथपाहट) एकाधिकार समाप्त हो, ऐसी नीति बनाने का हम प्रयास कर रहे हैं और हम चाहेंगे कि दलगत राजनीति से उठकर आप लोग भी अपना सुझाव दें, अपना अनुभव दें. उसका इस्तेमाल करके हम जनता के हित में, प्रदेश के हित में ऐसी नीति बनाएंगे जिससे सरकार का राजस्व बढे़गा, स्थानीय पंचायतों को भी राजस्व प्राप्त होगा और स्थानीय लोगों को काम मिलेगा. उत्तरप्रदेश और राजस्थान के लोगों ने बहुत काम कर लिया.
श्री संजय यादव - अध्यक्ष महोदय, धारा 133 के अंतर्गत 28.03.2011 को रेत उत्खनन एवं व्यापार के संबंध में कुछ आदेश पारित किए गए थे. याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी.11704/2015 में माननीय उच्च न्यायालय ने लिखा है कि पूर्व में पारित आदेश 28.03.2011 को सही पाया है एवं यह कहा कि मंडला जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश दिनांक 28.03.2011 पूर्णत: उचित है. इसमें श्री विनोद सिसौदिया, अधिवक्ता द्वारा याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी.10489/2016 दायर की गई थी, जिसमें मंडला जिले के कलेक्टर के आदेश को सही पाया था. वह आदेश पूरे प्रदेश के हर जिले में पारित किया जाना चाहिए, किंतु मंडला जिले को छोड़कर पूरे प्रदेश में 10 चका ट्रक, हाईवा एवं डम्पर से रेत का उत्खनन हो रहा है. जिस पर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने डब्ल्यू.पी.10489/2016 में दिनांक 10.04.2017 को आदेश पारित कर पूरे प्रदेश के जिला दण्डाधिकारियों को पालन करने हेतु निर्देश प्रदान किया था. उस आदेश में 10 चका ट्रक, हाईवा, डम्पर, पोकलेन एवं जे.सी.बी. मशीन से होने वाले नुकसान बताए गए थे. माननीय उच्च न्यायालय के उक्त आदेश का पालन नहीं हो रहा है. आज भी प्रदेश में 10 चका ट्रक, हाईवा और डम्पर से रेत उत्खनन हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप मंत्री जी से यह बोलिए कि इसका पालन कब करवाएंगे. आप प्रश्न करिये और उत्तर लीजिये.
श्री संजय यादव - मंत्री जी, आप उस आदेश का पालन करवाइए क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय ने मशीनें पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी हैं.
श्री प्रदीप जायसवाल - अध्यक्ष महोदय, मैंने सबकी भावनाओं से अवगत होते हुए कहा कि जैसा माननीय उच्च न्यायालय ने नर्मदा नदी के बारे में आदेश दिया है आज उसका पालन हो रहा है और अन्य नदियों के बारे में जैसा उन्होंने कहा कि हाईवा और बड़ी मशीनों का प्रयोग नहीं होना चाहिए, तो जैसा आप सबका सुझाव होगा, हम नई रेत नीति में इन सारी चीजों को समाहित करेंगे.
श्री संजय यादव - अध्यक्ष महोदय, आप आज आदेश कर दें कि रेत में हाईवा और डम्पर नहीं चलेंगे तो कल 24 घण्टे में चोरी रुक जाएगी. क्या माननीय मंत्री जी इस पर विचार करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, माननीय सदस्य का जो प्रश्न है क्या इस पर विचार होगा ?
श्री प्रदीप जायसवाल - अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से इस पर विचार किया जाएगा और इसका परीक्षण कराकर हमें लगेगा तो हम इसे लागू करेंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है इस प्रश्न के बारे में केवल इतना ही कहना चाहूंगा कि ग्रीन ट्रिब्यूनल, उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट से भी समय-समय पर आदेश होते रहे हैं. प्रदेश की नर्मदा जी सहित विभिन्न नदियों के अवैध उत्खनन के ऊपर समय-समय पर दर्जनों ध्यानाकर्षण, स्थगन, सूचनाएं, तारांकित, अतारांकित प्रश्न विधानसभा में लगे. कई बार इस उत्खनन के बारे में पालिसी भी बनी. मुझे स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है कि वह सटीक और सफल पालिसी नहीं बनी. पिछली बार पंचायतों के जिम्मे भी यह काम दिया गया था लेकिन हमने यह देखा कि गरीब सरपंच, सचिव इन सबको बड़े-बड़े रेत माफिया ने दबा लिया और उसके बाद यह हाईवा, डम्पर वगैरह सब चल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मेरी चिंता इस बात की है कि 10 साल, 5 साल या 15 साल की बात मैं नहीं करता. उसके पहले भी यह सब होता होगा और अभी भी जो हो रहा था इसमें भी मैं बहुत विनम्रता पूर्वक कहना चाहता हूं, हम कोई दलगत बात नहीं कहते, सारी पार्टियों के लोग इसमें शामिल थे और ऐसे लोग जिनकी कोई पार्टी नहीं है वह भी शामिल थे. यह सारे के सारे सुविधा के साथ चलते हैं. कल हो सकता है हमारे साथ हों और आज आपके साथ हो गए हों. मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि लगभग दो महीने आपकी सरकार के हो गए. माननीय सदस्य की जो चिंता है वह पूरे सदन की पूरे प्रदेश की चिंता है. अभी दो महीने के अंदर आपने कितने हाईवा, कितने डम्पर, कितनी यंत्रगत मशीनें जप्त की हैं, इसके बारे में आप अपने अधिकारियों से पूछें और यदि आपको उनके पास समाधानकारक रिकार्ड नहीं मिलता तो आप मान के चलिये यह सारे लोग वही काम कर रहे हैं जो पहले भी होता था. इस कारण से जैसा माननीय सदस्य ने कहा कि आज आप आदेश जारी करें रेवेन्यू अधिकारियों के लिए, जिला प्रशासन, पुलिस अधिकारियों के लिए और जो भी संबंधित हों उन सबसे कि जितने भी हाईवा, डम्पर इत्यादि चल रहे हैं, अवैध रूप से उत्खनन कर रहे हैं उनका रिकार्ड देखें. अब यह समझ में नहीं आ रहा है कि अवैध उत्खनन किसको कहा जाए. वहीं ट्रांजिट पास 10 जगह उपयोग होता है और फर्जी तरीके से भी बना लिया जाता है. उसके लिए जब आप कमेटी बनाएंगे. जब उसका प्रतिवेदन आएगा, जब सिफारिशें आएँगी, फिर उसको आप लागू करेंगे और इसी सिस्टम को लागू करना है, जो सिस्टम अभी काम कर रहा है तो इस कारण से मैं कहना चाहता हूँ कि यदि आप व्यापक रूप से, सारे विभागों का समन्वय करके, यदि आप इस काम को अभी इस महीने कर लेंगे, व्यापक पैमाने पर जप्ती का काम आप करेंगे, तो हो सकता है कि जो हमारी पवित्र नदियाँ हैं, हमारी श्रद्धा का वह एक प्रकार से स्थान है, केन्द्र है, उनकी शुद्धता बनी रहेगी और वे सलामत रहेंगी, तो मैं यही कहना चाहता हूँ कि आप रिकार्ड दिखवा लें कि दो महीने में कितने जप्त किए गए. यदि नहीं किए गए तो इसका अर्थ यह है कि वह माफिया आज भी इस प्रदेश में काम कर रहा है, उस माफिया को रोकने का दायित्व आपका है, यदि आपके मन में वास्तव में मंशा है, इस काम को करने की तो, आज ही आप आदेश जारी करें और मैं मानकर चलता हूँ कि अगले महीने हमें अखबारों में पढ़ने को मिलेगा कि इतनी इतनी मशीनें और हाइवा वगैरह जप्त हो गए. धन्यवाद.
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री(श्री कमलेश्वर पटेल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी एक आपत्ति है माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने सारी पार्टियों के लोगों का अवैध कारोबार में शामिल होने की बात कही है, हम यह कह सकते हैं हमारी पार्टी के लोग कोई अवैध कारोबार नहीं कर रहे हैं. कोई भी मायनिंग के कारोबार में शामिल नहीं है. पिछली सरकार का कारोबार था.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं नाम लूँगा तो आपको आपत्ति होगी. सारे भिण्ड मुरैना से लेकर और आपके पूरे जबलपुर संभाग से लेकर, मैं इसलिए इसको नहीं फैलाना चाहता.
श्री कमलेश्वर पटेल-- पिछली सरकार का कारोबार था हमारी सरकार नहीं कर रही है न हमारी पार्टी के लोग कर रहे हैं इसलिए इस पर हमारी आपत्ति है.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष जी, निवेदन है कि एक बार मंत्रियों का प्रबोधन तो करवा दीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल-- पिछला प्रबोधन हम लोगों ने खूब देखा है इसलिए सारी चीजें बहुत अच्छे से जानते हैं इसलिए प्रबोधन की आवश्यकता विपक्ष को है.
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री(श्री पी.सी.शर्मा)-- हम लोग ट्रेण्ड हैं. आप जैसे लोगों को हमने ट्रेनिंग दी है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संजय भाई के प्रश्न का इसलिए समर्थन करता हूँ कि जो दस चक्के...(व्यवधान)..
श्री शरदेन्दु तिवारी-- काँग्रेस के जिला महामंत्री के ऊपर कई प्रकरण दर्ज हैं...(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा-- उन पर तत्काल प्रतिबंध लगाएँगे तो मंत्री जी हम आपको धन्यवाद देंगे क्योंकि दस चक्के...(व्यवधान)..
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो सेकण्ड के लिए बात करना चाहती हूँ. प्लीज, मेरा आप से निवेदन है...
अध्यक्ष महोदय-- राम बाई जी, आप बैठ जाइये. अभी अनुपूरक पर चर्चा होगी तब मैं आपको मौका दूँगा. आप बैठ जाइये. अभी इस पर चर्चा होगी.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- मैं इस पर चर्चा नहीं करना चाहती.
श्री गोपाल भार्गव-- उनका दमोह जिले का भी एक प्रश्न था इसलिए उनको बोलने दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- भार्गव जी, आप और राम बाई दोनों से मैं हाथ जोड़ूँ. (हँसी)
श्री गोपाल भार्गव-- राम, गोपाल.
अध्यक्ष महोदय-- राम और गोपाल, क्या बात है? बोल लीजिए.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी जो हमारे यहाँ एक बहुत बड़ी घटना हुई है, हमारे यहाँ जो जवान शहीद हुए हैं, हमारे सदन में उपस्थित सभी विधायकों और मंत्रियों से मेरा निवेदन है कि अश्विनी कुमार जो शहीद हुए हैं उनके यहाँ हम सभी विधायकों की एक महीने की सैलरी पहुँचाई जाए.(मेजों की थपथपाहट) जिसके हृदय में देश भक्ति होगी वह कोई ना नहीं बोलेगा. मेरा सभी विधायकों से निवेदन है, हमारे प्रतिपक्ष के नेता गोपाल दादा हैं, उनसे भी, अध्यक्ष जी हैं, उनसे भी, सभी विधायकों से मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि उस परिवार के लिए एक महीने की सैलरी दी जाए.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, आपकी बात आ गई, बहुत बहुत धन्यवाद. विराजिए.
वित्त मंत्री(श्री तरूण भनोत)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि एक विषय पर माननीय सदस्या ने चर्चा रखी है, मैं बताना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश सरकार ने पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार किसी शहीद परिवार को जो कि हमारे जबलपुर जिले का ही है तत्काल एक करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई है और यह बहुत अच्छी भावना सदस्य महोदया ने यहाँ रखी है कि हमें ऐसा करना चाहिए. यदि सभी सदस्य इस पर विचार करेंगे..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- मैं सोचता हूँ इस पर चर्चा नहीं होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- अब क्या यह प्रश्न ध्यानाकर्षण के बीच में जरूरी है? कम से कम आप वरिष्ठ हैं.
श्री तरूण भनोत-- आपने एलाऊ किया.
अध्यक्ष महोदय-- मैं समझ गया, मैंने एलाऊ कर दिया इसका मतलब क्या है कि सब लोग बोल पड़ें...(व्यवधान)..अगर नई सदस्य हैं और नई सदस्य की भावनाओं को रखने के लिए अगर मैंने एलाऊ कर दिया, वरिष्ठ सदस्य तो समझें इस बात को कम से कम. माननीय गोपाल भार्गव जी ने कोई बात की है मंत्री जी जवाब दीजिए. फिर मैं आगे बढ़ूँगा.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय मंत्री तरूण जी ने जो बात कही है, पहले ही हम लोगों ने अपनी सरकार में प्रावधान करके रखा था कि जो ऐसी मृत्यु होगी, शहीद होंगे, उनके लिए, एक करोड़ रुपया, एक फ्लैट और उनके परिवार में एक नौकरी हम देंगे. आप सब ने यह काम किया, आपके लिए धन्यवाद क्योंकि पहले से नियम बना हुआ था इसलिए धन्यवाद देता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- क्या मैं ध्यानाकर्षण से आगे बढ़ जाऊं ?
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ यह कहना चाहता था कि पूरा सदन इस बात से सहमत है कि हमारी नदियों का जो छेदन हो रहा है, हमारी नदियों का उत्खनन हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय--वे समझ गए हैं उनको उत्तर देने दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव--उत्तर आ गया है मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूँ कि माननीय विधायक ने जो कहा है उससे भी सदन सहमत है. वैसे भी हमारे एक विधायक ने तो पांच साल का पूरा का पूरा वेतन 60 लाख रुपए दे दिया है.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी आप जवाब दीजिए.
श्री प्रदीप जायसवाल--अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष भार्गव जी ने और अन्य सदस्यों ने उनके अनुभव के आधार पर सुझाव दिए हैं, उसके अनुरूप इस विषय को समझकर एक महीने के अन्दर जो संभव हो सकेगा वह कार्यवाही करुंगा. इसके अलावा जो नीति बनेगी उसमें सारी चीजों का समावेश किया जाएगा. जिस कार्यवाही की बात माननीय भार्गव जी ने की है, आपने देखा होगा कि सभी जगह चाहे हाइवा हो, चाहे ट्रक हों, चाहे मशीनें हों, चाहे नावें हों, चाहे पनडुब्बी हों सभी की जप्ती की गई है सभी पर कार्यवाही की गई है. करोड़ों रुपयों का जुर्माना किया गया है. सारी कार्रवाई अखबारों में छप रही है. लेकिन इस बीमारी को दूर करने में थोड़ा सा समय लगेगा, आप सभी समझते हैं. आप सब के जो सुझाव आए हैं उनके अनुरुप कार्यवाही करने का मेरा पूरा प्रयास रहेगा. धन्यवाद.
श्री कमल पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हरदा जिले का विधायक हूँ, कुछ कहना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--मैं अनुमति नहीं दूंगा. यह अच्छी परम्परा नहीं है. मेरे लिबरल होने का कृपापूर्वक फायदा न उठाएं. मैं आप लोगों को सुन रहा हूँ. कृपा करके आगे की कार्यवाही चलाने में सहयोग करिए.
1.47 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019
नगरीय विकास और आवास मंत्री (श्री जयवर्द्धन सिंह)--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
नगरीय विकास और आवास मंत्री (श्री जयवर्द्धन सिंह)--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन करता हूँ.
(2) मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहयिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री पी. सी. शर्मा)--अध्यक्ष महोदय, मैं. मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहयिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहयिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री पी. सी. शर्मा)--अध्यक्ष महोदय, मैं. मध्यप्रदेश आधार (वित्तीय और अन्य सहयिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन करता हूँ.
(3) मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल)--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल)--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम-स्वराज (संशोधन) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन करता हूँ.
1.48 बजे अध्यक्षीय घोषणा
अनुमान तथा लेखानुदान की मांगों को आज ही उपस्थापन, विचार एवं पारण
किया जाना.
अध्यक्ष महोदय--मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन सम्बन्धी नियमावली के नियम 150 में यह प्रावधान है कि आय-व्ययक पर उस दिन चर्चा नहीं होती है जिस दिन कि वह सभा में उपस्थापित किया जाए. किन्तु सदन में कार्य की स्थिति एवं विषय के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए मेरे द्वारा कार्यसूची में शामिल तृतीय अनुपूरक अनुमान तथा लेखानुदान की मांगों को आज ही उपस्थापन, विचार एवं पारण हेतु अनुज्ञा प्रदान की गई है.
मैं, समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
1.49 बजे वर्ष 2018-2019 की तृतीय अनुपूरक मांगों पर मतदान
अध्यक्ष महोदय--अब, अनुपूरक अनुमान की मांगों पर चर्चा होगी. सदन की परम्परा के अनुसार सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत की जाती हैं और उन पर एक साथ चर्चा होती है.
अत: वित्त मंत्री जी सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत कर दें. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत)--अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदया की सिराफिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूँ कि--
“ दिनांक 31 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1, 3, 5, 6, 8, 10, 12, 14, 22, 24, 27, 47, 48 तथा 51 के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदया को कुल मिलाकर बहत्तर करोड़, तीन हजार, दो सौ रुपये की अनुपूरक राशि दी जाये. ”
अध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले कार्यकाल, पिछले सत्र और इस सत्र का यह पहला दिन है जब चर्चा हो रही है जिसमें विपक्ष की भागीदारी हो रही है. यह हमारे लोकतंत्र की खूबसूरती है कि जनादेश किसी को मिला, वोट किसी को ज्यादा आए, सीट किसी की ज्यादा आई लेकिन बहुतमत किसी को नहीं मिला. माननीय अध्यक्ष महोदय खंडित जनादेश के साथ यह सत्र चल रहा है. यह पंद्रहवीं विधान सभा लगी हुई है.
1:52 बजे {उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय उपाध्यक्ष जी मैं आपका बहुत स्वागत करता हूं. बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
उपाध्यक्ष महोदया-- धन्यवाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदया, आपके यशस्वी होने की और सदन के सफल संचालन की और मेरा सौभाग्य है कि 15 वीं विधान सभा में आपके संरक्षण में मैं बोलने जा रहा हूं और इसलिए आपसे प्रार्थना करूंगा कि मुझे आपका संरक्षण भी मिले. अभी एक सम्मानित सदस्य हमारे साथी आदरणीय विश्वास सारंग जी ने एक विषय उठाया उन्होंने कहा कि मंत्रियों का प्रबोधन करा दें. उधर से हमारे पटेल साहब और आदरणीय पी.सी. शर्मा जी बोले हम तो ट्रेंड हैं. मुझे नहीं मालूम वह ट्रेंड हैं कि नहीं हैं और किस में ट्रेंड हैं मैं उसकी गहराई में भी नहीं जाना चाहता हूं लेकिन माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं आपका ध्यान जरूर आकर्षित करना चाहता हूं अगर यह ट्रेंड हैं तो इनको टी.व्ही. के माध्यम से क्यों ट्रेनिंग दी जा रही है. इनकी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कल टी.व्ही. से इनको ट्रेनिंग दे रहे थे कि इनको ऐसा जबाव देना चाहिए ऐसा नहीं देना चाहिए. शायद पी.सी. शर्मा उस गुट को बिलांग करते होंगे अब प्रबोधन की आवश्यकता किसको है उपाध्यक्ष महोदय, संसदीय मर्यादाओं को अगर इस तरह से तार-तार किया जाएगा, सदन के अंदर जो जवाब आए उपाध्यक्ष जी आप उन्हें देख लें मंदसौर गोलीकाण्ड का जवाब हो, चाहे वन मंत्री के द्वारा नर्मदा पर पेड़ लगाने का जवाब हो उस पर सदन के बाहर टिप्पणी आती है और फिर गृहमंत्री दौड़ते हैं. कल तीन जवाब आए थे मैं इस पर भी आपका ध्यानाकर्षित करूंगा. एक सिंहस्थ का भी आया था लेकिन जिस नेता ने बयान दिया, उस नेता ने वन मंत्री पर बयान दिया क्योंकि वह सिंधिया गुट के थे, गृहमंत्री पर बयान दिया क्योंकि वह कमलनाथ गुट के थे लेकिन जयवर्द्धन सिंह ने जो जवाब दिया था उस पर उनने बयान नहीं दिया. (XXX) वह वरिष्ठ हैं लेकिन ऐसा क्यों इसलिए प्रबोधन की आवश्यकता है. पहले दिन से यह सरकार किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में काम कर रही है. अभी तक के आदेश आप देखेंगे, तो उसमें इतने ज्यादा यू-टर्न लिए गए हैं. इनके नेता मध्यप्रदेश में विधान सभा चुनाव के दौरान आये और कहा कि हम 10 दिनों के अंदर किसानों का कर्जा माफ कर देंगे और असत्य पर असत्य बोलकर बहुमत प्राप्त करने की कोशिश की गई. बड़े दल के रूप में ये स्थापित हो गए. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, असत्य बोलकर इस प्रदेश की जनता को गुमराह किया गया और आदेश क्या निकला, पहले दिन आदेश निकाला गया कि जो पात्र हितग्राही किसान होंगे, उनका कर्जा माफ किया जायेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरे पास इनका वचन पत्र है और कांग्रेस के वचन पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि सभी किसानों का, हर किसान का दो लाख रुपये तक का कर्जा माफ किया जायेगा. या तो प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी असत्य बोल रहे हैं या फिर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष (XXX) जी ने असत्य कहा था. दोनों में से किसी ने तो असत्य कहा था कि दस दिनों के अंदर कर्जा माफ करेंगे.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जो इस सदन के सदस्य नहीं हैं उनके बारे में चर्चा न की जाये. क्या अनुपूरक बजट में सदन के माननीय वरिष्ठ सदस्य इसी प्रकार बात करते हैं ?
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग (श्री कमलेश्वर पटेल)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, 15 लाख रूपये आज तक नहीं दिए गए उस पर भी चर्चा कर ली जाये. आज तक 15 लाख रूपये किसके खाते में आये हैं ? आप अपने प्रधानमंत्री जी को भी समझाईये कि ऐसी बयानबाजी न करें. फिर केन्द्रीय मंत्री जी को कहना पड़ता है कि गले की फांस बन गई. अच्छे दिन आये क्या ? दो करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात कही गई थी, रोजगार दिया क्या ? फिर आप इधर-उधर की बातें न करें. अपनी कमियां छुपाने के लिए ऐसी बातें न करें. उपाध्यक्ष महोदया, आप कृपया व्यवस्था दीजिये कि जिस विषय पर चर्चा हो रही है उससे ही संबंधित बात हो.
उपाध्यक्ष महोदया- कृपया आप सभी बैठ जायें.
श्री विनय सक्सेना- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हम इस सदन में पहली बार आये हैं. हम आज सुबह से देख रहे हैं कि जब कोई पहली बार वाला विधायक कुछ कहता है तो आसंदी से निर्देश आते हैं कि आप नियमों का पालन करें. जब गोपाल भार्गव जी बोलते हैं तो बीच में नरोत्तम जी जरूर बोलते हैं. उपाध्यक्ष महोदया, सदन के जो वरिष्ठ सदस्य हैं जिनके बारे में हम सुनते थे कि वे बड़ा अच्छा बोलते हैं वे ही नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. अभी सदन में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज जी की बात आई तो इन्हें दिक्कत हो रही थी. उन्हें टाइगर बोला तो आपत्ति आ रही थी, तो फिर ये हमारे पूर्व मुख्यमंत्रियों के बारे में यहां क्यों बात कर रहे हैं. माननीय नरोत्तम जी को अपनी पार्टी की चिंता करनी चाहिए. इन्हें इस सदन में कांग्रेस पार्टी की चिंता क्यों हो रही है. क्या पार्टियों का चिंतन इस सदन का विषय है ? यह सदन जनता के लिए बात करने का स्थान है. यहां पर इन्हें पार्टी की गुटबाजी की चिंता क्यों हो रही है. आप अपने यहां की गुटबाजी देखें. जब भार्गव जी बात कहते हैं तो नरोत्तम जी उसे जरूर काटते हैं. यह सदन नियमावली पर चलना चाहिए.
(...व्यवधान...)
श्री विश्वास सारंग (नरेला)- क्या आप सिखायेंगे नियमावली ? आप अपने वरिष्ठ सदस्यों से कहें. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सक्सेना जी अपनी सीट से नहीं बोल रहे हैं. आप उन्हें नियम तो बतायें. आप नियम से बोलिये. आप मंत्री जी की सीट से बोल रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया- सभी माननीय सदस्यों से निवेदन है कि कृपया वे आसंदी की तरफ से बात करें.
(...व्यवधान...)
श्री विश्वास सारंग- उपाध्यक्ष महोदया, आप इन्हें आदेश दें कि वे अपनी सीट से बोलें. इन्हें प्रबोधन की अत्यंत आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदया- कृपया आप सभी बैठ जायें और आसंदी का ध्यान रखें.
(...व्यवधान...)
श्री विनय सक्सेना- यहां नियमों को कौन मानता है ? आप लोग भार्गव जी की बात नहीं मानते हैं और नियमों की बात कर रहे हैं. हम अपनी सीट पर आ गए हैं. आप अपनी बातों का ध्यान रखें.
उपाध्यक्ष महोदया- आप सभी से मेरा निवेदन है कृपया सदन की कार्यवाही चलने दें. आप लोग बिना अनुमति के अपनी बात सदन में रख रहे हैं. आपकी कोई बात रिकॉर्ड नहीं होगी.
श्री रामेश्वर शर्मा- (XXX)
श्री हरिशंकर खटीक- (XXX)
इंजीनियर प्रदीप लारिया- (XXX)
श्री मनोहर ऊंटवाल- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया- माननीय सदस्यों से निवेदन है कि उनकी कोई बात रिकॉर्ड नहीं हो रही है. कृपया सदन में शांति बनाये रखें.
श्री आरिफ अकील- आज तो मदद करो.
श्री नरोत्तम मिश्र- मैं तो खामोश खड़ा हूं.
श्री मनोहर ऊंटवाल:- उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपसे केवल दो सेकंड का निवेदन करना चाहता हूं कि ....
उपाध्यक्ष महोदया:- आप निवेदन करिये जब आपको बोलने का अवसर मिले तब. आप पहले मेरा निवेदन मान लीजिये, उसके बाद में विचार करूंगी.
श्री मनोहर ऊंटवाल:- उपाध्यक्ष महोदया, क्या विपक्ष की भूमिका भी सरकार निभायेगी ? क्या सरकार विपक्ष की बातों को सुनना पसंद नहीं करती है ?
उपाध्यक्ष महोदया:- माननीय नरोत्तम मिश्र जी अपनी बात रखेंगे और मेरा आपसे अनुरोध है कि जो इस सदन के सदस्य नहीं हैं, उनके विषय में यहां सदन में चर्चा न हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:-. जो सदस्य हैं और दूसरी सीट से बोलते हैं, आप उन्हें तो बेंच पर खड़ा करो.
उपाध्यक्ष महोदया:- जब ऐसा अवसर आयेगा तो खड़ा करेंगे. अभी तो आप अपनी बात जारी रखिये. (व्यवधान) आप अपनी बात जारी रखिये.
2.01 बजे { अध्यक्ष महोदय, (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति) (एन.पी)पीठासीन हुए}
श्री आरिफ अकील:- अध्यक्ष महोदय, आपको पानी भी नहीं पीने दिया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप आ गये, आपकी बड़ी जरूरत महसूस हो रही थी.
अध्यक्ष महोदय:- आरिफ भाई, हमें मालूम नहीं था कि हमारे अपने भी हमसे ऐसा व्यवहार करेंगे कि पानी भी न पीने देंगे, हमें नहीं मालूम था. होता है ऐसा अक्सर, हमारे अपने ऐसा व्यवहार करेंगे. नरोत्तम जी बोलिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब आप गये थे उस समय भी मैंने आप से कहा था कि पहली बार ऐसा समय आया है, पिछली बार अनुपूरक पर चर्चा नहीं हुई, इस बार दोनों पर एक साथ चर्चा हो रही है. इसलिये मैंने उपाध्यक्ष महोदया से भी प्रार्थना की थी और आपसे भी की थी कि आप यह देखें कि मध्यप्रदेश में जो आदेश निकला कि पात्र हितग्राही होंगे, उनके लिये, ऊहापोह में सरकार, यू-टर्न वाली सरकार की तरफ जा रहा हूं. दूसरा आदेश फिर निकाल दिया और दूसरे आदेश में फिर किसान की कर्जमाफी के साथ में एक मखौल उड़ाया गया, 56 हजार किसानों को पात्र माना. जबकि यह वचन पत्र जो कांग्रेस पार्टी का है इसमें स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि सभी किसानों के 2 लाख रूपये तक के कर्जे माफ होंगे और अध्यक्ष महोदय, बजट में प्रावधान कितने का किया सिर्फ 5 हजार करोड़ रूपये का, जबकि उसमें चाहिये थे 56 हजार करोड़ रूपये. अब ये 2 लाख रूपये तक का कर्ज माफ कैसे होगा ? अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के अंदर सरकार के बनते ही किसानों पर खाद के लिये लाठी चार्ज होने लगा. पूरे प्रदेश के अंदर किसान हा-हाकार कर रहा था. पहली बार लाइनें लग गयी, पहली बार पिछले पांच साल में हमारा मुख्यमंत्री खाद रेडियो में बेचता था कि आप खाद ले जाओ, खाद रखने का ब्याज हम देंगे. लेकिन लाठी चार्ज हुआ और वह निपट भी नहीं पाया था कि लाल, नीले,पीले और हरे फार्म भरने चालू हो गये और फिर किसान लाईन में लग गया. उसके बावजूद आज दिनांक तक 60 दिन हो गये, वह नेता जिसने कहा था कि 10 दिन के अंदर मुख्यमंत्री बदल देंगे, अगर किसान का कर्जा माफ नहीं हुआ तो. 60 दिन हो गये तो अभी तक 6 मुख्यमंत्री बदल जाने थे. अभी तक एक मुख्यमंत्री नहीं बदला और एक पैसा किसी मध्यप्रदेश के किसी किसान के खाते में नहीं आया.
श्री प्रताप ग्रेवाल :- आज तक भावांतर के प्याज और लहसुन के पैसे नहीं डले.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) :- अब ये मुख्यमंत्री परमानेंट हो गये हैं. अब हम कभी नहीं बदलेंगे. अब 6 मुख्यमंत्री छोडि़ये, हम एक मुख्यमंत्री भी नहीं बदल सकते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- बाला भाई तुम्हारा मुख्यमंत्री बोल रहा था कि गृह मंत्री को ढ़ूढंने के लिये रिपोर्ट डालनी पड़ेगी.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री कमलेश्वर पटेल):- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह इधर-उधर की बात कर रहे हैं. पहले आप पिछले 15 साल का हिसाब दो. इधर-उधर की बात मत करो. हमारी सरकार ने वचन पत्र में जिन बातों का उल्लेख किया था उनमें से एक-एक बात को कर के बतायेंगे और कर रहे हैं. इसलिये इधर-उधर की बात मत करिये आप तो अपना बताइये.
श्री विश्वास सारंग:- आप वरिष्ठों का भी तो ध्यान रखिये, (श्री के.पी.सिंह सदस्य के खड़े होने पर)
श्री के.पी.सिंह:- अध्यक्ष महोदय, वरिष्ठ भी तो ध्यान नहीं रखते हैं. आप एक वरिष्ठ हैं. अरे भाई बालने दो आप हर दो मिनट में तो खड़े हो जाते हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- के.पी. सिंह जी यह आपको मंत्री नहीं बनायेंगे, मैं आपको विश्वास दिला रहा हूं. आप मेरे पर विश्वास करो. मैं आपका पड़ोसी विधायक हूं. यह कभी नहीं बनायेंगे. 6 बार के नहीं 8 बार के विधायक हो जाओ.
श्री के.पी.सिंह--आप मेरी चिन्ता मत करों अपनी चिन्ता करो. आप तो सुन लो वह क्या बोल रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--बाला भाई कुछ बोल रहे हैं उनका जवाब दे दूं.
श्री के.पी.सिंह--बाला भाई का नहीं आप पहले कमलेश्वर पटेल जी का जवाब दे दो. उन्होंने पूछा है कि तू इधर उधर की बात न कर, बता कारवां लुटा कैसे.
श्री विश्वास सारंग--हम भी तो यही पूछ रहे हैं कि आपका कारवां कैसे लुट गया.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आप अगर पूरी शायरी बोल देंगे तो मैं बता दूंगा.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल)--अध्यक्ष महोदय,आप लोग 1 लाख 78 हजार करोड़ रूपये का कर्जा मध्यप्रदेश पर छोड़ के गये हैं. उसके बाद भी हमारी सरकार अपने वचन पत्र पर काम कर रही है. किसानों की कर्ज माफी की बात कही थी तो वह भी करके देंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय,ऐसे ही यह बोलेंगे तो मैं किन किन के जवाब दूं. मैं विपक्ष में हूं. यह लोग मंत्री हैं. मैं जवाब क्यों दूंगा, जब मैं मंत्री था तो जवाब देता था. पटेल साहब की माननीय के.पी.सिंह जी की 6 बार वकालत की है. 6 बार का विधायक है विपक्ष की स्थिति में है उसका भी जवाब दें.
अध्यक्ष महोदय--हमारा भाई है उनकी आपको क्यों चिन्ता है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष जी मेरे भी बड़े भाई हैं.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर)--अध्यक्ष महोदय, आप भी पहले नंबर पर आने वाले थे आप खुद ही नहीं पहुंच पाये आप खुद तीसरे नंबर पर आ गये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आपकी वजह से के.पी.सिंह जी मंत्री नहीं बने.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--आप पहले नंबर पर क्यों नहीं आये. आप लोगों ने गोपाल भार्गव जी को क्यों छोड़ा.
श्री विश्वास सारंग--आप वहां कैसे रहे वह तो बता दो. आप चाहते हैं. आप समर्थन करो तो हो जाएगा. आप और के.पी.सिंह जी समर्थन कर दें तो पहुंच जाएंगे पहले नंबर पर.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--अध्यक्ष महोदय, जनता ने आप लोगों को भेज दिया उधर अब आप उधर से पहले नंबर पर आकर के बताओ, बात वह हो रही ही.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, आदरणीय पटेल साहब कह रहे थे कि हमने खजाना खाली छोड़ा है. आदरणीय पटेल साहब हमने खजाना सरप्लस में छोड़ा है. अगर हमने सरप्लस में नहीं छोड़ा होता तो मुख्यमंत्री आवास पर 18 करोड़ रूपये की डेंटिंग पेंटिंग नहीं हो रही होती. आप मंत्रियों के बंगलों पर करोड़ो रूपये खर्च नहीं हो रहे होते. यह जो पूंजी आप लोग खर्च कर रहे हो खजाना खाली खाली के नाम पर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे हो. पी.डब्ल्यू.डी. के अधिकारी से क्या रिपोर्ट मंगाई कि दीमक लग गई. कल तक शिवराज सिंह जी रहते थे तो सही था. शिवराज सिंह जी हटे तो उस बंगले पर दीमक लग गई. बरसों से जो फर्नीचर लगा था उस पर दीमक लग गई. यह कार्पोरेट कल्चर के मुख्यमंत्री हैं, यह उद्योगपति मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये हैं. आप फिर रिनोवेशन देखिये कि किस तरह का हो रहा है. वह पैसा कहां से आ रहा है जब हमने खजाना खाली छोड़ा है तो. आपके बंगले पर जो करोड़ो रूपये खर्च हो रहे हैं वह पैसा कहां से आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं विषय पर आना चाहता हूं कि प्रदेश के अंदर खाद की कमी हो गई है. खाद की कमी हो गई तो कह दिया कि केन्द्र से खाद नहीं आ रही है. अगर केन्द्र से खाद नहीं आ रही थी तो ब्लैक में कहां से खाद आ रही थी. दुकानों पर खाद ब्लैक में कैसे मिल रही थी ? खाद तो थी उसमें सिर्फ व्यवस्थाओं की कमी थी और व्यवस्थाओं की कमी इसलिये थी. आप मंत्री जी आपको अवसर मिले तो आप भी खूब छीलना आप लोगों ने 15 साल तक छीला तो हम लोगों ने सुना कि नहीं सुना.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल--अध्यक्ष महोदय, पहले जैसी ब्लैक मार्केटिंग नहीं हो रही है. हमने कुछ बदला नहीं है, वैसा ही चल रहा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय,भईया अब बदलों ना कब बदोलोगे अब तो 60 दिन हो गये हैं.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल--अध्यक्ष महोदय, हम एक एक करके सबको बाहर कर रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय,आप तो सठिया जाओगे. सब वैसा ही चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय--नरोत्तम जी एक मिनट मैं कुछ अनुरोध करना चाहता हूं. ऐसा है अगर चर्चा में भाग लेने वाला वरिष्ठ सदस्य बोल रहा है. आप लोग तो ठीक है, लेकिन आप लोग भी धीरज रखिये. आपके दल का वरिष्ठ सदस्य बोल रहा है तो आपके दल के सदस्य भी बीच बीच में खड़े हो रहे हैं. इस तरफ से भी मेरा अनुरोध है कि आप लोग भी जरा धैर्य रखिये जब आपकी बारी आये तो बोल लीजिये. अभी वित्तमंत्री जी आप जरा ध्यान लगाईये, आप ध्यान से सुनिये आपको सम्पूर्ण विषयों पर कोई टिप्पणी करनी हो तो जब आप अपनी बात करें तब कहें. हम लोगो यहां पर प्रश्नोत्तर का विषय क्यों बना रहे हैं. अच्छी चर्चा सदन में चलने दीजियेगा. प्रश्नोत्तर न बनाईयेगा. हर सदस्य को बोलने दीजिये उसमें ही लाभ है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, तहेदिल से शुक्रिया.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर विषय से हटकर बात होगी तो बोलना तो पड़ेगा ही.
अध्यक्ष महोदय - क्या आप मेरी व्यवस्था पर व्यवस्था देंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय राहुल गांधी का नाम भी लिया था, विलोपित कराइए इसको.
अध्यक्ष महोदय - यह तरीका ठीक नहीं है, यह गलत बात है, मेरी व्यवस्था पर आप व्यवस्था नहीं दे सकते. यह तरीका ठीक नहीं है. मैं कोई व्यवस्था दे रहा हूं, आप मेरी व्यवस्था पर व्यवस्था देंगे, यह कौन सा तरीका है. सभी सम्मानित सदस्यों से अनुरोध है, जब ऊपर से कोई व्यवथा आ जाती है, पराम्परा रही है, उसका अनुसरण हुआ है. आप धीरज रखिए और उनको बोलने दीजिए, ऐसा नहीं होता है. मानकर चलिए, मैं सहमत हूं अगला जब वित्तीय पूर्ण बजट आएगा उसमें तीन दिन नहीं कम से कम 6 दिन का प्रबोधन कार्यक्रम करना पड़ेगा. (मेजो की थपथपाहट)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, बहुत धन्यवाद. लेकिन उस समय तक सरकार कौन सी रहेगी.
अध्यक्ष महोदय - हम ही रहेंगे, चिन्ता मत करो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - जलते घर को देखने वालों, फूंस का छप्पर आपका है, और आपके पीछे तेज हवा है, आगे मुकद्दर आपका है. (मेजो की थपथपाहट)
वाणिज्यिक कर विभाग मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) - पैसा लुटा लो लेकिन कुछ होने वाला है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी प्रार्थना सिर्फ इतनी है कि यह सरकार पहले दिन से यू-टर्न ले रही है, हर आदेश को पलटा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, कर्ज माफी पर यू-टर्न, वंदे मातरम् पर यू-टर्न, मीसबंदी के आदेश पर यू-टर्न, भावांतर पर यू-टर्न, तबादलों पर यू-टर्न. माननीय अध्यक्ष महोदय, 42 स्थानांतरण एक दिन में हुए 42 में से 38 कैंसिल हो गए, यू-टर्न. उद्योगपति मुख्यमंत्री बना तो सोचा कि कोई उद्योग नए लगेंगे. अध्यक्ष महोदय स्थानांतरण उद्योग प्रारंभ हो गया. भोपाल भरा पड़ा है, अटा पड़ा है होटलों में, रोजगार दे दिया है दलालों को. अपराध उद्योग, इस प्रदेश के अंदर दूसरा उद्योग प्रारंभ हुआ. सतना में दिन दहाड़े बंदूक की नोक पर दो मासूम बच्चों को डकैत उठा ले गए 12 दिन हो गए, 12 दिन. आज तक पता नहीं है माननीय अध्यक्ष महोदय, उन दोनों मासूम बच्चों का, उनकी मां बिलख रही है, बिलख बिलखकर उस मां क्या हाल होगा, उसकी आंखें पथरा गई रास्ता देखते देखते, लेकिन मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को स्थानांतरणों से फुर्सत नहीं है. ऐसा एक दिन नहीं है, एक दिन, हमने 5 साल में जितने स्थानांतरण नहीं किए उतने 2 महीने के अंदर ट्रांसफर कर दिए गए. स्थानांतरण उद्योग की यह हालत हो गई कि अधिकारी और कर्मचारी का काम में मन नहीं लग रहा है, इसलिए अपराध बढ़ रहे हैं. दिन दहाड़े बलात्कार हो रहे हैं, दिन दहाड़े हत्या हो रही है, दिनदहाड़े डकैती हो रही है और फिरौती हो रही है, इनका बजट किस हिसाब से पास कर रहे हैं, (XXX)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी) - आदरणीय अध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध यह है कि माननीय सदस्य सम्मानित भी हैं, वरिष्ठ भी हैं और विषय के अंतर्गत जो बातें कहे आप देखों की सरकार वसूली में लग गई है, यह भाषा बोलना मैं समझता हूं विलोपित करने जैसी बात है.
अध्यक्ष महोदय - यह विलोपित किया जाए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - ये बातें क्यों नहीं बताएंगे जी, बजट मांग रहे हैं खर्च करने को. कानून व्यवस्था में बजट खर्च हो न, किसान पर बजट खर्च हो. मैं भी मानता हूं अध्यक्ष महोदय कि दुर्घटनावश सरकार बन गई है यह, ये एक एक्सीडेंटल गवर्मेंट है. आपको बहुमत नहीं दिया, इतना न इतराए कम से कम बहुमत की सरकार आपकी आज भी नहीं है. हम तो विपक्ष में बैठे हैं, आप तो सरकार में हो, हमारी चिन्ता क्यों कर रहे हों, हम तो विपक्ष वाले हैं. इन ऊंची हवाओ में इतना न उड़ो, पराग न कट जाए, कहीं तीखी हवाओ से, ये चिन्ता आपको करनी पड़ेगी, हमको चिन्ता नहीं करनी है. ट्रेजरी चेंज पर आप बैठे हैं, हम नहीं बैठे हैं. हमको तो जनता ने यहां बैठा दिया है. हमने गलती की होगी, हम तभी यहां आए. हम आपकी तरह नहीं बोल पाए, असत्य नहीं बोल पाए. आपने ऊपर से नीचे तक बोला, आपका राष्ट्रीय नेतृत्व अगर असत्य बोल जाएगा तो हम क्या करेंगे ?
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, यह सारा देश जान चुका है कि किसके नेता असत्य बोलते हैं ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप तो एक किसान का नाम बता दें ? जिसका कर्जा आपने माफ कर दिया हो तो हम मान जाएंगे. आप सिर्फ एक नाम बता दो. हम मान जाएंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - 22 तारीख से सरकार कार्यक्रम शुरू कर रही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आपने घोषणा-पत्र में जिक्र किया कि 4,000 रुपये नौजवान को बेरोजगारी भत्ता देंगे. किसी एक के खाते में मध्यप्रदेश में आया हो तो उसका उल्लेख माननीय वित्त मंत्री जी या मुख्यमंत्री जी बजट का जवाब देते समय जरूर करें.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री जयवर्द्धन सिंह) - अध्यक्ष महोदय, ये बिन्दु मेरे विभाग से संबंधित है, उसकी कार्यवाही चालू हो गई है और लगभग 10 दिन में पैसा आ जाएगा.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्नोत्तर है क्या ?
श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, आरोप लगाया है तो हम कह सकते हैं न. यह स्पष्टीकरण है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, कल कांग्रेस के एक मंत्री ने गृह मंत्री और वन मंत्री से प्रश्न पूछा. उसी में सिंहस्थ के जो मंत्री थे माननीय जयवर्द्धन सिंह.....
श्री प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न रिपीट किया जा रहा है, यह प्रश्न पहले भी रिपीट हो चुका है. माननीय वरिष्ठ सदस्य बार-बार इसी बात को दोहरा रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - जब जयवर्द्धन सिंह जी बोले तब मैं बोला. मैं बोल नहीं रहा था. यह बात मैं जानता था कि जयवर्द्धन का भाई आ गया है. आप लोग यह तय मानकर चलना कि जयवर्द्धन जब तक मुख्यमंत्री की केटेगिरी में नहीं आ जाएगा.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) - अध्यक्ष महोदय, आपने मेरा नाम लिया है. अभी मुझसे किसी ने कोई प्रश्न नहीं किया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मैंने कल आपको प्रेस कॉन्फ्रेंस में जवाब देते हुए देखा है. क्या आप ऊपर से नीचे तक सभी असत्य बोलते हो ? गंगा जब गंगोत्री पर ही अपवित्र हो जाएगी और मैं आपसे सफाई की उम्मीद क्या करता हूँ ?
श्री बाला बच्चन - आप और हम 25 वर्ष से इस सदन के सदस्य हैं. आप जब इस तरफ थे तो मैं उधर था. ऐसा दो-तीन बार हो चुका है. हम एक-दूसरे को पच्चीस वर्ष से सुनते चले आ रहे हैं. मुझे जिस तरह से आपने कोड किया है, मुझसे किसी ने कोई प्रश्न नहीं पूछा है और न ही इस संबंध में कोई बात हुई है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, आप अनुमति दें तो मैं यहां सुना सकता हूँ. (मोबाइल फोन दिखाते हुए)
अध्यक्ष महोदय - नहीं, नहीं, मत सुनाइये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, इनसे प्रश्न किया है कि नहीं, गृह मंत्री का नाम लिया है.
अध्यक्ष महोदय - नरोत्तम जी, मत सुनाइये. क्या हो गया आपको ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैं नहीं सुना रहा हूँ. मैं आपकी बात मान रहा हूँ. मैं अक्षरश: आपकी बात का पालन करूँगा.
अध्यक्ष महोदय - आपसे एक अनुरोध है कि आप धीरे से इतना बढि़या रिवर्स स्विंग मार रहे हैं, न चाहते हुए भी लोग बोलने लगते हैं. आप स्विंग जो रिवर्स मार रहे हो, जरा सीधी गेंद डालो न.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, 'आज जो मशहूर हो गए हैं, वे कभी काबिल न थे और मंजिलें उनको मिलीं, जो दौड़ में शामिल न थे'. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, मतलब आप जो गोपाल भार्गव जी, नेता प्रतिपक्ष बने हैं, उनसे खुश नहीं हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, उनको हाथ जोड़ना पड़ रहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैं आपकी अक्षरश: मानूँगा, मुझे बोलने तो दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - मुझे नहीं मालूम था कि राघव जी आपके ऊपर आ रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैं तो यह कह रहा था कि (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह विलोपित किया जाए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह रिकार्ड में रह जाएगा तो बड़ी दिक्कत आएगी. अध्यक्ष महोदय, विकास के नाम पर आप पूरा बजट पढ़ लें. अभी मेरे माननीय पूर्व विधानसभा अध्यक्ष जी पढ़ रहे हैं. मैंने अभी सरसरी नजर मारी है चूँकि हमें यह अभी मिला है. उसमें विकास के लिए तो कहीं कुछ भी नहीं दिया है. आप कह रहे हैं कि हम इसको पास कर दें. हम इसमें 'हां' कर दें. आप साक्षी हैं, मैं उस वाकये का साक्षी हूँ, चर्चा में नहीं था. कल मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी से कार्य मंत्रणा समिति की बैठक के बाद अनौपचारिक चर्चा में कह रहे थे जिसके आप भी साक्षी है कि शिवराज जी आपने खेती में इतना उत्पादन बढ़ा दिया कि उत्पादन ही एक समस्या बन गई है. रहीम का दोहा है कि
'' रहिमन सांचे वीर की बैर करे बखान''
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल ) - आपने ऐसा उत्पादन बढ़ाया है कि अभी अमीर लोगों को आदेश देकर रकबा बढ़वा रहे हैं जो सिंचित नहीं है वह भी, तब माननीय सिंचाई मंत्री जी ने जांच के जब आदेश दिये हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय कमलेश्वर जी को हर बात पर टीका टिप्पणी करने के लिये अधिकृत कर दिया गया है. आप हर बात में बोल रहे हैं आप मंत्री हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जायें. (व्यवधान)
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री (श्री जितू पटवारी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा एक अनुरोध है. (व्यवधान)
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी भी इनकी आदत वही है कि जैसे वह विपक्ष में बैठे हों. (व्यवधान)
वित्त मंत्री ( श्री तरूण भनोत) - डॉ. नरोत्तम मिश्र जी पहले यहां रहते थे अब वहां हैं तो कमलेश्वर जी की भीतर वो वाली आत्मा जो इनके ऊपर यहां थी वहां आ गई है. (व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - श्री कमलेश्वर अभी ऐसा आचरण कर रहे हैं जैसा इधर करते थे. श्री कमलेश्वर जी ऐसा ही आचरण कर रहे हैं जैसा प्रतिपक्ष में बैठकर करते थे (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यहां पर कमलेश्वर जी के पिताजी जहां पर बैठते थे मैं वहां पर बैठा हूं (हंसी).. मैं उनके पिताजी के साथ भी रहा हूं आप ऐसा मत बोलिये. कमलेश्वर मेरे भतीजे जैसा है और मेरा बहुत प्रिय है. (व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - श्री कमलेश्वर जी आपको बड़ा मंत्रालय मिला है, आपको ग्रामीण मंत्रालय बड़ा मंत्रालय मिला होता है. आप उधर बैठ गये हो और फिर आप केबिनेट भी हो. (हंसी)
02.22 बजे {उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं चाहूंगा कि आपकी कृपा मुझ पर बनी रहे. श्री कमलेश्वर जी, मेरे सौभाग्य से सिंचाई मंत्री भी आ गये और श्री कमलेश्वर जी ने सिंचाई की बात भी कर दी है कि हमने अमीरों से रकबा बढ़वा लिया और 40 लाख हेक्टेयर कर दिया है. आदरणीय श्री हुकुमसिंह कराड़ा जी सिंचाई मंत्री जी यहां बैठे हैं, उनके विभाग की वेबसाईट पर इस साल घनघोर सूखे में 36 लाख हेक्टेयर रकबा एनबीडीए का, जल संसाधन का और व्यक्तिगत सिंचाई के माध्यम से मध्यप्रदेश का सिंचित हुआ है, यह सूखे के साल में हुआ है. हमने अगर साढ़े 7 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 40 लाख हेक्टेयर कर दिया है तो क्या कोई गुनाह कर दिया था ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसानों के लिये जो काम इस सरकार ने किया है मैं उसी का जिक्र कर रहा था कि कल जब आसंदी पर अध्यक्ष जी बैठे थे और उस समय माननीय कमलनाथ जी और नेता प्रतिपक्ष भी थे और आप भी थे उन्होंने कहा कि आपने सिंचाई का रकबा बढ़ाकर फसल का उत्पादन इतना कर दिया है कि अब मुख्य समस्या उत्पादन हो गई है उस समय 50 विधायक बैठे थे. माननीय उपाध्यक्ष जी यह काम होता है. वो सरकार थी जिसने इस विधानसभा के अंदर. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं एक मिनट बोलना चाहता हूं. (व्यवधान)
जल संसाधन मंत्री( श्री हुकुम सिंह कराड़ा) - मैं यह कह रहा हूं कि मैं उसकी जांच करा रहा हूं कि क्या सही है और क्या गलत है. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप आज्ञा दें तो मैं कुछ कहना चाहता हूं मैं भी उस घटना में था जिसमें मुख्यमंत्री जी का जिक्र किया है, उन्होंने ऐसा नहीं कहा है यह असत्य बोल रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अच्छा तो बता दें कैसा कहा. आप सदन को बता दें कैसा कहा है ?
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय- भाई उस समय हम 50 विधायक थे, आप भी पटवारी जी उस समय थे. आप असत्य बोल रहे हैं(व्यवधान)
श्री जितू पटवारी - आप असत्य भाषा नहीं बोलेंगे. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - चलो मैं मान लेता हूं कि उन्होंने नहीं कहा है. (व्यवधान)
डॉ. मोहन यादव- जितू भाई सबके सामने बात हुई है, हम भी वहां पर बैठे थे. अकेले एक के सामने बात नहीं हुई है.(व्यवधान)
श्री जितू पटवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पूरी बात स्पष्ट करना चाहता हूं चूंकि मैं इंटरप्ट नहीं करना चाहता था परंतु आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने यह कहा था कि शिवराज सिंह जी आप और हम कृषि के क्षेत्र में किसानों की आय दोगुनी कैसे करें, राजनीति भूलकर, सर्वदलीय बात करके, पॉजीटिविटी से, सकारात्कमता से मिलकर एक कोई कार्य योजना बनायें, जैसे सेना के लिये राष्ट्र एक होता है, ऐसे किसानों के लिये राष्ट्र कैसे एक हों, राजनीतिक दल एक कैसे हों इसके लिये पहल की है, यह माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा था.
श्री विश्वास सारंग - तुम कसम खाकर यह बोल दो कि यह बोला था, तुम इतने सत्यवादी हरीशचंद्र हो तो कसम खाकर बोल दो कि यह बात हुई थी.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) - माननीय सारंग जी आप जब मंत्री थे तो आप कसम खाकर बोलते थे. आपने कभी कसम खाकर बोला.
उपाध्यक्ष महोदय - डॉ. नरोत्तम मिश्र जी आप अपनी बात पूरी करें.
श्री तरूण भनोत - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जहां की बात माननीय नरोत्तम जी कर रहे हैं वहां पर मैं भी उपस्थित था. माननीय मुख्यमंजी ने आप सबको आमंत्रित किया कि आप सब आईये, हम सब बैठकर किसानों के बारे में चर्चा करेंगे. आपके सुझाव बतायें, यह कहा कि नहीं कहा आप कसम खाकर बोल दीजिये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--हां, हां. अरे भैया तुम तो हां करो मैंने हां किया है हिम्मत से तुम भी तो हां बोलो.
उपाध्यक्ष महोदया-- आप दोनों से अनुरोध है कि कृपया आसंदी की तरफ संबोधित करके बात करें.
श्री तरूण भनोत -- नहीं, कसम खाकर के उन्होंने क्या कहा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- यही कहा उन्होंने जो आपने कहा. लेकिन मैं जो कह रहा हूं वह भी कहा.
उपाध्यक्ष महोदय- आप दोनों आसंदी की तरफ संबोधन करके बात करें. आपस में बात नहीं करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--उन्होंने यह भी कहा कि खेती का उत्पादन आपके कारण बढ़ा. यह उन्होंने कहा. उन्होंने यह भी कहा कि कर्जा माफी कोई हल नहीं है किसान का, यह भी कहा उन्होंने कर्जा माफी के बारे मे भी कहा. कर्जा माफी से कुछ नहीं होगा. अब तो हां कह दो. मैंने हां कहा है हिम्मत से, आप कहो कि उन्होंने कहा था कि कर्जा माफी कोई निदान नहीं है. खाओ कसम.
उपाध्यक्ष महोदया- आप आसंदी की तरफ संबोधित करके बात कहें.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर)-- आप भी कसम खाकर के कहें कि आपके देश के बड़े नेताओं ने कहा था कि हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रूपये डालेंगे. बाद में कह दिया कि चुनावी जुमला था. कहा था कि नहीं बोलो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय, ऐसा तो मैंने कहीं भी नहीं देखा कि विपक्ष को ही नहीं बोलने दिया जाये. सत्ता पक्ष को नहीं बोलने दिया जाये यह तो मैंने सुना था.
श्री तरूण भनोत -- 15 साल तक आपने नहीं देखा लेकिन हम लोगों ने देखा है विपक्ष को बोलने नहीं दिया गया.
उपाध्यक्ष महोदय- कृपया विषय तक सीमित रहें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- आप पूरा भाषण देख लें मैंने कितने मिनट बोला है. आपको अवसर मिलेगा. अगर मैं असत्य बोलता हूं तो आप मेरी बात का खंडन करें, आप मेरी बात का तीखा विरोध करिये प्रजातांत्रिक तरीके से कौन रोकता है आपको. भैया हमने भी 15 साल आलोचना झेली है. आज तो पहला ही दिन है. मैंने यह कहा है कि प्रजातंत्र की यह खूबसूरती है इसको स्वीकारो. अभी भी आप अपने आपको निकाल ही नहीं पा रहे हो कि सत्ता में हो. हमने कैसे निकाल लिया अपने आपको. (श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह जी के खड़े होने पर) राजा बिराजो तो आप. बैठो तो आप राजा. अरे मान तो जा मेरे भाई. मान जा आर्य पुत्र.
श्री हरिशंकर खटीक -- आप तो मात्र अंग्रेजी और देशी की चिंता करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- उपाध्यक्ष महोदय, यह कैसी खूबसूरती है. मैं मजाक में कह रहा था कि देखो वो कैसे - कैसे थे, ऐसे वैसे हो गये, और जो ऐसे वैसे थे वो कैसे कैसे हो गये. (हंसी) यही तो लोकतंत्र की खूबसूरती है और उसका आप आनंद नहीं ले रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं विषय पर अपनी बात रख रहा हूं कि इस सरकार ने सिंचाई के लिये बजट कम कर दिया है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री कमलेश्वर पटेल) -- उपाध्यक्ष महोदय, लोकतंत्र की व्यवस्था है. जनता ऐसे तैसे को ऐसे तैसे भी कर देती है और वैसे को ऐसे तैसे भी कर देती है. यह व्यवस्था है इसमें कोई चिंता करने की बात नहीं है. प्रदेश की जनता हमें भी वहां भेज सकती है, आपको भी इधर भेज सकती है यह संवैधानिक व्यवस्था है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- अरे बैठो आर्य पुत्र. माननीय उपाध्यक्ष महोदय आपका थोडा संरक्षण चाहता हूं. थोड़ा तो समय आप मुझे दें. मैं बोलना शुरू करता हूं और टोका टाकी करने लगते हैं.
उपाध्यक्ष महोदया- ठीक है आप अपनी बात को पूरा करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय, अब वो मेरी बहन यहां रही नहीं , नहीं तो मैं उनका नाम लेकर के उल्लेख करता. वैसे आज दर्शक दीर्घा का भी मैं उल्लेख नहीं कर सकता. वहां मेरा एक भाई बैठा था.
उपाध्यक्ष महोदय- कृपया विषय तक सीमित रहें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा था कि सिंचाई के लिये बजट को कम कर दिया. यह उत्पादन इसीलिये बढ़ता है. अभी वित्त मंत्री जी जो कह रहे थे कि ऐसी योजना बनायें, ऐसा मुख्यमंत्री जी ने कहा यह सच है. लेकिन अगर किसान को बिजली और पानी नहीं मिलेगा तो वैसी योजना बनाने से किसान को क्या लाभ होगा. सिंचाई का बजट कम हो गया है. इनकी सरकार प्रदेश में कुल साढ़े सात लाख हेक्येटर भूमि सिंचित छोड़ कर के गई थी, उसमें हमारी सरकारें भी शामिल थीं, राजा-रजवाड़े भी शामिल थे, कुल साढ़े सात लाख हेक्टेयर को बढ़ाकर 40 लाख हेक्टेयर बढ़ाकर के इस प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ाकर के पांच पांच बार हिन्दुस्तान में कृषि कर्मण पुरस्कार जीतने वाली हमारी सरकार रही है. दो बार तो केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी उस पांच बार में से हमने वह काम किया है. जितनी डीपी और खंबे फीडर सेपरेशन की व्यवस्था में पूरे आजादी के बाद से आज तक नहीं लगे उतने हमने पांच साल के अंदर फीडर सेपरेशन में किसान को मिलने वाली बिजली अलग , गांव को मिलने वाली बिजली अलग, यह काम हमने करके दिया था. उपाध्यक्ष महोदय, इस सदन के अंदर कृषि के लिये अलग से बजट पास हुआ, पहली बार अगर किसी ने किया तो वह शिवराज सिंह जी की सरकार ने किया हिन्दुस्तान में कोई सरकार ने ऐसा नहीं किया. हिन्दुस्तान में कोई सरकार जो नहीं कर पाई वह हमने कर के दिया. कृषि कैबिनट का गठन हिन्दुस्तान में किसी ने नहीं किया अगर किया तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार और शिवराज सिंह चौहान ने किया, जीरो परसेंट ब्याज पर अगर किसी ने ऋण दिया तो वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दिया. माननीय उपाध्यक्ष जी, कृषि कर्मण आयोग का गठन अगर किसी ने किया तो हमारी सरकार ने किया, वित्त मंत्री जी ऐसे काम होते हैं ? एकाध काम ऐसा कर दिया होता, हम हां करते, ऐसे जैसे अभी बोले, लेकिन करो तो कुछ, सिर्फ असत्य बोलकर जनता से छलावा करना इससे बड़ा (XXX) कोई नहीं होता. वोट लेने के लिये असत्य पर असत्य बोलते चले जायें.
श्री के.पी. सिंह-- आपने क्या किया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- के.पी. सिंह जी हमने वह किया जो आप कर ही नहीं सकते, आप जिस इलाके से आते हो उस इलाके के अंदर रामबाबू दयाराम गड़रिया की गिरोह रहती थी, मैं आपको थोड़े ही कह रहा हूं. आप भले आदमी हो.
श्री के.पी. सिंह-- हां, आप मुझे नहीं कह रहे. जो आप कर सकते हो वह हम कभी कर ही नहीं सकते.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- हम दोनों मित्र हैं, आप बैठो तो.
श्री के.पी. सिंह-- क्या बात है मित्र हैं, पड़ोसी हैं, साथी हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अरे बैठो तो, यह आपको मंत्री नहीं बनायेंगे, मैं जानता हूं. अरे गोविंद सिंह जी जब तक हैं, आपको मंत्री नहीं बनने देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप आसंदी की तरफ अपनी बात रखिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय उपाध्यक्ष जी, इस प्रदेश के अंदर रामबाबू की गैंग, दयाराम की गैंग, इस प्रदेश के अंदर नक्सली आतंक, उपाध्यक्ष जी वह नक्सली दंश आपने झेला है, मैं उसकी चर्चा नहीं करूंगा, लेकिन सिमी की गतिविधियां इस प्रदेश के अंदर थीं और आप देखो माननीय उपाध्यक्ष जी, शांति का टापू इस प्रदेश को छोड़कर गये, शांति का टापू. इन 15 सालों के अंदर कोई नक्सली और हमारे पड़ोस के राज्य में गतिविधि होने के बाद एक गतिविधि मध्यप्रदेश के अंदर नहीं हुई, सिमी का नेटवर्क ध्वस्त हुआ. एक चिन्हित गैंग नहीं थी, चाहे वह रामबाबू की हो, दयाराम की हो, ठोकिया की हो, ददुआ की हो, निर्भय गूजर की हो या जगजीवन परिहार की, एक गैंग नहीं बची थी इस मध्यप्रदेश के अंदर, लेकिन दिनदहाड़े डकैती और उसके बाद आप बजट में हमसे पैसा मांग रहे हो. ट्रांसफर का उद्योग अलग चल रहा है, अपहरण का उद्योग अलग चल रहा है और हमसे बजट में कहा जा रहा है कि हम बजट पास कर दें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम ऐसे बजट को पास नहीं कर सकते. ... (व्यवधान).....
श्री रघुराज सिंह कंषाना-- तो फिर धारा 11(13) 15 सालों से क्यों लगा रखी है, उसे क्यों नहीं हटाया गया है. ... (व्यवधान).....
श्री गिर्राज डण्डौतिया-- उस धारा को जीवित क्यों रखा गया है, निर्दोष लोग जेल में बंद हैं, इसका बजट कहां जा रहा है. इस धारा को क्यों नहीं हटाया जा रहा है. ... (व्यवधान).....
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- डण्डौतिया जी, अब आप हटावा लो. को रोक रओ है तुम्हें. हमने ग्वालियर, चंबल संभाग में अगर कछु नहीं कर पाओ तो इते आ गये, तुम बिते आ गये, जा में का है लला. ...(हंसी)... माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसानों के लिये सरकार बनी, पाला पड़ गया, इन साठ दिनों में पाला पड़ गया, ओला पड़ गया, पड़ते रहते हैं, प्राकृतिक आपदा है, लेकिन दुर्भाग्य इस प्रदेश का यह कि इस प्रदेश का मुखिया एक दिन किसान के आंसू पोंछने नहीं गया. माननीय उपाध्यक्ष जी, यहां इतनी बड़ी संख्या में मंत्रिमंडल के सदस्य बैठे हैं, एक आदमी नहीं गया, एक आदमी. पाला पड़ा कोई देखने वाला नहीं, ओला पड़ा कोई देखने वाला नहीं, किसान के आंसू पोंछने वाला, इनमें से एक भी नहीं माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अपनी चकाचौंध में, सिर्फ ट्रांसफर में लगे हैं .... (व्यवधान)... 50-50 करोड़ एक दिन की वसूली ट्रांसफरों में, मैं दावे से कह सकता हूं. .... (व्यवधान)...
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- आप गलत बोल रहे हैं मिश्रा जी, आप इस तरह से आरोप नहीं लगा सकते, हम लोगों ने दौरा किया है. आपका काम है असत्य बात करना, गुमराह करना .... (व्यवधान)... हम दौरा करके आये हैं, जहां पाला प्रभावित किसान हैं, वहां दौरा किया है, जहां ओला प्रभावित किसान हैं वहां दौरा किया है. .... (व्यवधान)... आप यह असत्य बात कर रहे हैं. .... (व्यवधान)...
खेल एवं युवक कल्याण मंत्री(श्री जितू पटवारी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया,मेरा अनुरोध यह था कि फ्रंट पेज का विज्ञापन देकर किसानों के दर्द और आंसू को नहीं जिया हमने. पूरे-पूरे पेज के विज्ञापन देना और आंसू दिखाना. 300 करोड़ रुपये प्रति महीने के विज्ञापन इस सरकार ने नहीं दिये. इसलिये आपको नहीं दिखा. जिनको देखना था उनको दिखा दिया जिनके लिये करना था उनके लिये कर दिया.
श्री रामेश्वर शर्मा - हमारे यहां भी तो पंचायतें हैं. अपनी विधान सभा नहीं घूमिये. हमारे यहां भी तो पंचायतें हैं उनमें आईये.
(..व्यवधान..)
श्री ओमकार सिंह मरकाम - (..व्यवधान..)कभी आपने रोपा लगाया है.
श्री अनिरुद्ध(माधव)मारू - हमारे यहां सारी फसलें नष्ट हो गईं. चना नष्ट हो गया,ईसबगोल नष्ट हो गया. कोई देखने नहीं आया.
(.व्यवधान..)
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय सदस्यों से मेरा निवेदन है महत्वपूर्ण चर्चा अनुपूरक पर चल रही है. प्रश्नोत्तर नहीं है. केवल नरोत्तम मिश्रा जी बोलें. अन्य किसी सदस्य को अनुमति नहीं है. आप कितना समय और लेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, मुझे बोलने नहीं देते नहीं तो दस मिनट में समाप्त कर दूं.
उपाध्यक्ष महोदया - आप शुरू करिये.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री कमलेश्वर पटेल) - उपाध्यक्ष महोदय, माननीय नरोत्तम मिश्रा जी ने जो पचास करोड़ की वसूली की बात कही है. ट्रांसफर,पोस्टिंग में उद्योग लगा हुआ है. यह उद्योग पिछली सरकार में लगा था. पैसे देकर पोस्टिंग पिछली सरकार में होती थी. आपके (XXX) हम ढोएं.ऐसी बात विलोपित कराएं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, जितू भाई, जब वित्त मंत्री जी जवाब दें तो आप उनसे सिर्फ इतना बुलवा देना कि पाले,ओले में फलाने जिले में मुख्यमंत्री जी गये थे. हम तो आभार व्यक्त करेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल - असत्य दिखावा नहीं करते हमारे मुख्यमंत्री जी, काम करके दे रहे हैं.
श्री जितू पटवारी - नरोत्तम जी, आपकी बात से मैं सहमत हूं. मुख्यमंत्री जी ने भी इसका जिक्र किया था. मैंने कहा कि पुराने मुख्यमंत्री थे वे तो हेलिकाप्टरउठाया और चल देते थे सब जगह आप क्यों नहीं जाते हो. तो उन्होंने यह कहा कि जितू पुराने मुख्यमंत्री को 5-6 अधिकारियों ने घेर लिया था और टिफिन देकर दौरे पर भेजते थे. मैं किसान के दर्द को जीता हूं. किसान के लिये पूरी ताकत से काम करूंगा,सहयोग करूंगा और उसका असर भी दिखेगा. चिंता मत करो.
श्री विश्वास सारंग - यह मुख्यमंत्री जी ने कहा क्या. जितू भाई,रिकार्ड हो रहा है. ऐसा बोला क्या.
(..व्यवधान..)
श्री अनिरुद्ध(माधव)मारू - जितू पटवारी जी, जो आपने शब्द बोला है कि किसानों के लिये तफरी करने जाते थे.आपको ये शब्द वापस लेना चाहिये
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय नेता प्रतिपक्ष कुछ बात रख रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव) - नरोत्तम जी, बहुत बड़ी बात नहीं है. एक कव्वाली थी उसकी दो लाईनें हैं " उनके पैरों में मेंहदी लगी है आने-जाने के काबिल नहीं "
डॉ.नरोत्तम मिश्र - लेकिन स्विटजरलैंड जाने के तो काबिल थे किसानों के बीच जाने के काबिल नहीं थे. वे ओलों में जाने के काबिल नहीं थे दावोस जाने के काबिल थे. वह कैसी मेंहदी थी पता नहीं.
गृह मंत्री(श्री बाला बच्चन) - मध्यप्रदेश के किसानों ने उनको मुख्यमंत्री जी के रूप में स्वीकार किया है और उनका कर्ज माफ भी करेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - सिर्फ दो-दो लाख तक.
(.व्यवधान..)
श्री बाला बच्चन - वे सारे वचनों पर काम करेंगे और आज तक के सारे रिकार्ड तोड़ेंगे.
(..व्यवधान..)
श्री हरीशंकर खटीक - एक भी किसान का कर्ज माफ नहीं हुआ. यह असत्य बोलते चले जा रहे हैं.
उपाध्क्ष महोदया - मेरा सभी सदस्यों से निवेदन है कि समय-सीमा में सभी चीजें पूरी करनी हैं. आप पांच मिनट में अपनी बात पूरी करें.
खनिज साधन मंत्री(श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल) - आप अनुपूरक पर बोलें.प्वाइंटेड बोलें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदया, वे कह रहे थे कि किसान के नेता हैं. (XXX)
जिनके आंगन में अमीरी के सजर लगते हैं,
उनके हर ऐब जमाने को हुनर लगते हैं.
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) - यह विलोपित कराएं, हमें आपत्ति है. यह राजा-महाराजा का काम नहीं चलेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह महाराजा ग्वालियर वाले महाराज के लिए नहीं कहा.
(व्यवधान)..
श्री तुलसीराम सिलावट - राजा-महाराजा शब्द विलोपित कराएं.
श्री प्रियव्रत सिंह - यह आम जनता की सरकार है. किसानों की यह सरकार है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैंने ग्वालियर महाराज का जिक्र नहीं किया.
(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग - उनको बनाया क्यों नहीं?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - महाराज का जैसे ही नाम आया, तुलसी भाई उठ गये.
जनजातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम) - उपाध्यक्ष महोदया, यह चुनी हुई सरकार है. यह जनादेश को अस्वीकार कर रहे हैं और यह असत्य आरोप लगा रहे हैं. यह राजा-महाराजा की सरकार नहीं है, यह आदिवासियों की सरकार है, गरीबों की सरकार है और प्रदेश की जनता की सरकार है, यह मैं आपको बताना चाहता हूं. आप दर्द नहीं समझते हैं, यह गरीबों की सरकार है.
एक माननीय सदस्य - यह उद्योगपति की सरकार है, आदिवासियों की नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदया - 2.45 बजे तक आपको समाप्त करना है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदया, आप जब कहेंगी तब मैं बैठ जाऊंगा. आपकी बात को नहीं टालूंगा, मैं आसंदी का सम्मान करता हूं. मैं सर्वाधिक समय तक मध्यप्रदेश का संसदीय कार्यमंत्री रहा हूं. मैं टालूंगा नहीं, परन्तु मुझे बात तो कहने दो. मैंने इतना सारा बंच तैयार किया, वह पूरा रखा है. मैं कह रहा था कि जिन लोगों को किसान की पीड़ा नहीं मालूम, गरीब की पीड़ा नहीं मालूम. कहावत है कि -
जाके पांव न फटी बिवाई,
वह क्या जाने पीर पराई.
एक ऐसी गरीबों की योजना संबल योजना, जो मध्यप्रदेश की सरकार, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने शुरू की थी, उस योजना पर ग्रहण लगने लगा. मध्यप्रदेश के सारे पोर्टल बंद कर दिये गये. गरीब कोई एक्सीडेंट में मरता था तो उसे 4 लाख रुपए मिलते थे, उसकी विधवा को एक सहारा हो जाता था, यह कांग्रेस की सरकार वह सहारा छीनने जा रही है.
श्री ओम प्रकाश सखलेचा (जावद) - उपाध्यक्ष महोदया, 2 लाख की क्या बात है, 5000 रुपया अंतिम संस्कार के नहीं दे पा रहे हैं. जिला योजना समिति में एक घंटा चर्चा हुई, उसके बाद भी अभी तक पैसे नहीं पहुंचे हैं और कलेक्टर को मैंने यहां तक निवेदन कर दिया कि अगर पैसे नहीं है तो घोषणा कर दीजिए, हम निजी पैसे से दे देंगे, इससे ज्यादा क्या हालत हो सकती है इस सरकार की कि वह 5000 रुपया न दे पाए.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) - इससे संबंधित हमारे घोषणा पत्र में 15 लाख रुपए देने की बात है.
श्री ओम प्रकाश सखलेचा - जो प्रस्तावित है, जब तक उसको बजट से विड्रा नहीं करते तब तक आपको अधिकार नहीं है. (XXX)
श्री प्रियव्रत सिंह - उपाध्यक्ष महोदया, इसे विलोपित करें.
उपाध्यक्ष महोदय - यह शब्द विलोपित किया जाय.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदया, 5000 रुपया? हम नहीं कहते, जमाना कहता है.
उपाध्यक्ष महोदय - आप अपनी बात जल्दी खत्म करिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - गरीब का 5000 रुपया तो छोड़ो, भजनमंडलियां जिनसे कीर्तन-भजन करते थे, हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे. (XXX), उसको भी तुमने वापस ले लिया, ध्यान करो.
उपाध्यक्ष महोदया - पापियों शब्द विलोपित कर दीजिए.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) - उपाध्यक्ष महोदया, यह शब्द गलत है, किसके लिए यह (XXX) यानी कौन? यह (XXX) किसको बोल रहे हो? (XXX) वह है जिसे जनता ने नकार दिया, वह (XXX). माफी मांगो.
श्री जितू पटवारी- उपाध्यक्ष महोदया, माफी मंगवाओ. (XXX) किसको बोला? माफी मांगो.
(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया - मैं सभी सदस्यों से आग्रह करती हूं कि अपना स्थान ग्रहण करें.
श्री गोपाल भार्गव - इन लोगों के आदेश से भजनमंडली का पैसा वापस हुआ, गांव-गांव में भजन कीर्तन होते थे, आपने पैसा वापस लिया, ऐसी सरकार को माफ नहीं किया जा सकता.
श्री लक्ष्मण सिंह ( चाचौड़ा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, अभी हमने एक बहुत ही क्रोध से भरा हुआ भाषण नरोत्तम मिश्र जी का सुना, खीज से भरा हुआ भाषण सुना, कैसी खीज थी कि 114 सीट आयी हैं कांग्रेस की, अब कैसे मैं सरकार गिराकर मुख्यमंत्री बन जाऊं और खीज इसी बात की है कि वह सफल नहीं हो पाये हैं. मैं यहां पर दावे से कहता हूं कि मेरा 40 साल का अनुभव है यह कभी सफल नहीं होंगे, कभी सफल नहीं होंगे. यह सरकार 5 साल तो क्या 20 साल तक चलेगी और 20 साल तक आप इस सरकार को हटा नहीं पायेंगे, यह पहली बात थी और दूसरी बात...(व्यवधान)... यह एक पंडित जी और खड़े हो गये हैं..बैठ जाओ आप.
श्री गोपाल भार्गव -- छोटे राजा ज्योतिषी कब से हो गये आप.
श्री लक्ष्मण सिंह -- आप लोगों की संगत में आकर हो गये हैं,( एक माननीय सदस्य के अपने आसन पर खड़े होकर कुछ कहने पर) सुनो,अरे मेरी बात सुनो.
उपाध्यक्ष महोदया -- मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया आसंदी की तरफ देखकर बोलें.--(व्यवधान)..
श्री लक्ष्मण सिंह -- उपाध्यक्ष महोदया अनुपूरक बजट पर चर्चा हो रही है.
श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया क्या हमारे नरोत्तम मिश्र जी का भाषण समाप्त हो गया है.
उपाध्यक्ष महोदया -- जी. मैंने दो बार उनका नाम आसंदी से लिया गया था और आप बैठ गये थे इसलिए मैंने अगले माननीय सदस्य को पुकार लिया है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- मैं तो अभी बोल ही रहा था....(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- आप बैठ गये थे इसलिए मैंने अगले सदस्य को पुकार लिया है.
श्री लक्ष्मण सिंह -- उन्होंने मेरा नाम पुकार लिया है चर्चा शुरू हो गई है...(व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आपने मुझे बैठने के लिए कहा तब मैं बैठा हूं. आपने कहा कि मैं बैठ जाऊं तो मैं बैठ गया...(व्यवधान)..
श्री लक्ष्मण सिंह -- अब आप लोग 15 साल में इतना नहीं सीखे हैं तो प्रबोधन हमें देना होगा आपको.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- बड़े भैया से ही पूरा प्रदेश परेशान है, वह अलग विधान सभा चला रहे हैं....(व्यवधान).. मेरा भाषण तो पूरा हो जाय.
श्री लक्ष्मण सिंह -- उपाध्यक्ष महोदया अनुपूरक बजट पर चर्चा हो रही थी और हम सोच रहे थे कि अच्छे सुझाव आयेंगे. वह मेरा नाम ले चुकी हैं, मैं बोल रहा हूं. आप बैठेंगे तो मैं बोलूंगा ना,...(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्रा -- आप बोलें मैं रोक नहीं रहा हूं, लेकिन उपाध्यक्ष महोदया बोलें तो सही कि मैं नहीं बोलूंगा.
श्री लक्ष्मण सिंह -- मेरा नाम ले लिया है, मैंने बोलना शुरू कर दिया है, रिकार्ड में आ गया है....(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- आपका नाम दो बार पुकारा गया था लेकिन आप बैठ गये थे तब अगला नाम लिया गया है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- मतलब मैं बैठ जाऊं.
उपाध्यक्ष महोदया -- जी.
श्री लक्ष्मण सिंह -- उपाध्यक्ष महोदया अनुपूरक बजट पर चर्चा हो रही है ओर हमें उम्मीद थी कि बहुत अच्छे गंभीर सुझाव आयेंगे....(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- भाई साहब एक मिनट.
श्री लक्ष्मण सिंह -- नहीं मेरा नाम ले लिया गया है मैं बोल रहा हूं मैं नहीं बैठूंगा.
श्री गोपाल भार्गव -- यह व्यवस्था तो आसंदी देगी,
श्री लक्ष्मण सिंह -- नहीं, आसंदी ने मुझे बोलने के लिए कहा है, आसंदी का आदर आप करें. माननीय प्लीज आप बैठ जायें मुझे बोलने दें मेरा नाम लिया गया है. उपाध्यक्ष महोदया मेरा नाम ले चुकी हैं, इसलिए मैं खड़ा हुआ हूं नहीं तो मैं खड़ा नहीं होता.
श्री गोपाल भार्गव -- यह पिछले सत्र से इसी तरह से हो रहा है, इस सत्र में भी इसी तरह से होगा मैं इसका विरोध करता हूं. इस तरह से नहीं चलेगा.
डॉ नरोत्तम मिश्रा -- नाम ही नहीं है उनका, जिनको आप बुलवा रहे हैं.
श्री लक्ष्मण सिंह -- उन्होंने मेरा नाम लिया है.
उपाध्यक्ष महोदया -- उनका नाम आया है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- उनका नाम ही नहीं है सूची में.
श्री लक्ष्मण सिह -- मेरा नाम है संसदीय कार्य मंत्री जी ने मेरा नाम दिया है...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय सदस्य अपना भाषण जारी रखें.
श्री लक्ष्मण सिंह -- धन्यवाद् उपाध्यक्ष महोदया, अब तो बोल लूं. यहां पर अनुपूरक बजट पर चर्चा हो रही है और मुझे आशा थी कि विपक्ष की तरफ से बहुत अच्छे सुझाव आयेंगे, लेकिन थोड़ा मुझे दुख हुआ है निराशा भी हुई है. नरोत्तम जी ने भाषण की शुरूवात में कहा कि दिग्विजय सिंह जी धृतराष्ट्र हैं,
डॉ नरोत्तम मिश्र -- मैंने तो नहीं कहा.
श्री लक्ष्मण सिंह -- कहा है आपने.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- रिकार्ड दिखवा लें.
श्री लक्ष्मण सिंह -- रिकार्ड क्या यहां पर सभी ने सुना है, सबके कान हैं. ये असंवैधानिक तो है ही लेकिन आपकी तरफ से भी एक आदेश जाय कि जो व्यक्ति इस सदन का सदस्य नहीं है उनका उल्लेख न हो.
उपाध्यक्ष महोदया -- मैने जब आसंदी संभाली थी उसी समय कहा था कि जो सदस्य इस विधान सभा के सदस्य नहीं हैं उनकी बात यहां पर न की जाय.
श्री लक्ष्मण सिंह -- धन्यवाद उपाध्यक्ष जी.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- उपाध्यक्ष महोदया, यह धृतराष्ट्र बोल रहे हैं. इधर मामा शकुनि भी तो हैं.
श्री लक्ष्मण सिंह -- उपाध्यक्ष महोदया, अब चलो धृतराष्ट्र की बात करें. आपने दिग्विजय सिंह जी को धृतराष्ट्र कहा है, तो अब दिग्विजय सिंह जी की बात करते हैं. ..(व्यवधान).. मैं एज ए मुख्यमंत्री, जब उनका वह मुख्यमंत्री का काल था, चलिये मैं दिग्विजय सिंह जी का नाम नहीं लेता. जब उनका मुख्यमंत्री का काल था, अब आप लोग मुझसे मत कहलवाओ. जब वे मुख्यमंत्री थे, तो भारतीय जनता पार्टी के एक नहीं, कई नेता, मैं उनके नाम नहीं लेता हूं, रात में कम्बल ओढ़कर चुपचाप मेरे से टाइम लेकर और मैं उनको उस समय जो मुख्यमंत्री थे, धृतराष्ट्र जो थे, उनसे मिलवाता था, मेरे से पोल मत खुलवाओ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं आपके पास अगर एक बार भी आया हूं और आपने मुझे उनसे मिलवाया हो तो बोल दो आप.
श्री लक्ष्मण सिंह -- मेरे से पोल मत खुलवाओ. उसी धृतराष्ट्र ने जब उमा भारती जी का एक्सीडेंट हुआ था, उसी धृतराष्ट्र ने हेलीकॉप्टर देकर उनको उपचार कराने के लिये दिल्ली भेजा था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदया, वह हेलीकॉप्टर दिग्विजय सिंह जी का नहीं था, मध्यप्रदेश सरकार का था.
श्री लक्ष्मण सिंह -- सुनिये, यह मैं मानवता की बात कर रहा हूं. उसी धृतराष्ट्र ने जब शिवराज सिंह जी का एक्सीडेंट हुआ था, उनके उपचार के लिये हेलीकॉप्टर दिया था. ..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष महोदया, क्या यह अनुपूरक बजट पर चर्चा हो रही है.
..(व्यवधान)..
श्री लक्ष्मण सिंह -- अब आप आगे से ध्यान रखना. अगर कोई भी बात करें,किसी के बारे में आरोप लगायें, किसी की बेइज्जती करें, तो सोच समझ कर करना, नहीं तो जवाब हमारे पास एक नहीं सैकड़ों हैं, यह आप आगे से ध्यान रखना.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आप दो न जवाब, आप जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आप विषय पर आइये.
श्री लक्ष्मण सिंह -- अभी बहुत समय है, आपको यहां 20 साल बैठना है, हमें बहुत समय मिलेगा जवाब देने का. उपाध्यक्ष महोदया, अब मैं अनुपूरक बजट पर आ रहा हूं. आपने यह कहा कि यह सरकार कुछ नहीं कर रही है. सरकार को बने 50 दिन हुए हैं. 15 साल आपकी सरकार रही. हम बार-बार आपके नेताओं का भाषण जब सुनते हैं, मोदी जी का, किसी का. तो कहते हैं कि कांग्रेस ने 50 साल में कुछ नहीं किया, हमने 4 साल में किया. अरे भाई, 15 साल में आपने क्या किया, नहीं किया, हमें तो 50 दिन ही हुए हैं. अभी इस सरकार को अवसर दीजिये और बार-बार यह कहना हमारे माननीय मुख्यमंत्री, कमलनाथ जी के बारे में, वह एक ऐसा व्यक्ति है, जिसकी बेदाग छबि है और आज उनका अनुभव इतना है कि देश में बहुत कम ऐसे राजनेता होंगे, जितना अनुभव कमलनाथ जी को है और वे जनता की वर्षों से सेवा कर रहे हैं. उनका एक विजन,दृष्टिकोण है और मध्यप्रदेश के विकास के बारे में उनकी प्लानिंग एवं सोच हैं. जरा सब्र रखिये. कृषि पर आधारित उद्योग लगेंगे और किसानों का कर्जा माफ होगा, हुआ है, थोड़ी बहुत कमी है, तो यह सरकार है, उसको पूरा करेगी. थोड़ी घबराहट, खीज इसलिये भी है कि जो 15 वर्ष के घोटाले हुए हैं, वह उजागर होने की स्थिति में हैं, उजागर होने वाले हैं. संजय पाठक जी ने हाथ यूं किया, मैं समझा कि वे ताली बजाने वाले हैं. अब आप यही आ जाओ, वहां क्या बचा है, यहीं आ जाओ. ..(हंसी)..
श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया, माननीय सदस्य विषयान्तर न हों. माननीय लक्ष्मण सिंह जी, आपसे बड़ा मौसम विज्ञानी कौन होगा. आपका मैंने प्रचार किया है बीजेपी के केंडीडेट के तौर पर., आपके राजगढ़़ लोक सभा क्षेत्र में.
श्री लक्ष्मण सिंह -- आपके यहां भी कई मौसम वैज्ञानिक है और अभी भी कई मौसम वैज्ञानिक हैं, आप जरा उनको बचाकर रखना, वह इस पाले में आ सकते हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया, जिस सरकार के बारे में आप कह रहे हैं, उस समय आप सांसद थे बीजेपी से. मैंने आपका प्रचार किया है राजगढ़ में.
श्री लक्ष्मण सिंह -- मुझे मालुम है आपने कैसा प्रचार किया है.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया विषय पर आयें. माननीय सदस्य अपना वक्तव्य जारी रखें.
श्री गोपाल भार्गव -- लक्ष्मण सिंह जी, मैंने माननीय शम्भू सिंह जी के खिलाफ आपका प्रचार किया, सभाएं लीं, यह रिकार्ड में है.
श्री लक्ष्मण सिंह -- यह इस विषय से संबंधित नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव -- आप चूंकि कह रहे थे, इस कारण से मैंने उत्तर दिया है.
श्री लक्ष्मण सिंह -- उपाध्यक्ष महोदया, अनुपूरक बजट में हम यह जानना चाह रहे हैं और खासकर विपक्ष के हमारे साथियों से कि इतना अरबों रुपया विज्ञापन में कैसे खर्च हुआ? क्या कारण रहा कि एक लाख अस्सी हजार करोड़ रुपये का कर्जा आज मध्यप्रदेश के ऊपर है? और आप आशा करते हैं कि 50 दिनों में वह कर्जा धुल जाएगा. उस कर्जे को पूरा करने के लिए, उससे उबरने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए, एक सकारात्मक सहयोग चाहिए और यह सकारात्मक सहयोग तब होगा जब हम एक-दूसरे को धृतराष्ट्र आदि इस तरह की बातें करना बंद कर दें. आइये, एक समृद्ध मध्यप्रदेश बनाने के लिए, एक शक्तिशाली मध्यप्रदेश बनाने के लिए हम सब मिलकर काम करें. आप सुझाव दीजिए, हमारी सरकार सुनने को तैयार है और ये नवजवान मंत्री बने हैं, इनका हौसला बढ़ाइये. ये मध्यप्रदेश के मंत्री हैं, किसी पार्टी के मंत्री नहीं हैं. यही बातें मुझे आपसे कहनी हैं. मैं ज्यादा समय नहीं लूंगा, लेकिन बस यही विनती करूंगा कि ... (..व्यवधान..)
प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय प्रतिपक्ष नेता जी ने भजन मण्डली के बारे में जो कहा है, भजन मण्डली के बारे में इनको इतना अनुभव है कि अभी बजट सत्र चल रहा है, अभी कोई भी फण्ड रिलीज नहीं हुआ है, तो भजन मण्डली का पैसा कहां से देंगे. आपको 15 साल का अनुभव है, बताइये आप ? (..व्यवधान..)
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय लक्ष्मण सिंह जी, आप अपना भाषण जारी रखिए.
श्री लक्ष्मण सिंह -- उपाध्यक्ष महोदया, बस मैं दो-चार मिनट में भाषण समाप्त करूंगा. (..व्यवधान..)
श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया, चूँकि मेरे बारे में कहा गया है, चूँकि मुझको इंगित करके कहा गया है तो मैं कहना चाहता हूँ कि जो पैसा पंचायतों में जमा था वह वापस लीजिए.
श्री लक्ष्मण सिंह -- उपाध्यक्ष महोदया, मेरा यही कहना है कि भनोत जी ने, कमलनाथ जी की सरकार ने जो बजट पेश किया है, इस नवजवान का हौसला बढ़ाइये. इस नवजवान की मदद करिए. कितने वित्तीय संकट से आज हम जूझ रहे हैं, कैसे उबरेंगे, इस पर हम चर्चा करें, इस पर विचार करें. इसी आशा के साथ एक सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा के साथ मैं आशा करता हूँ कि सरकार इस मध्यप्रदेश को बहुत आगे ले जाएगी. आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमल पटेल (हरदा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय वित्त मंत्री जी ने जो बजट प्रस्तुत किया है, इस अनुपूरक बजट का विरोध करने के लिए मैं खड़ा हुआ हूँ. मैं विरोध इसलिए कर रहा हूँ कि चुनाव के पहले कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए ऐसे-ऐसे सपने दिखाए प्रदेश की जनता को, इनको यह मालूम था कि सरकार तो अपनी आना नहीं है, ईमानदारी से बता रहा हूँ, क्यों भाई जितू, माननीय मंत्री महोदय, किसी को भी नहीं था, और इसलिए ... (..व्यवधान..)
श्री सुखदेव पांसे -- 15 साल शोषण किया यार आपका, मेरे से आप व्यक्तिगत दिल की पीड़ा बताते थे, यारी-दोस्ती संसदीय क्षेत्र होने के नाते, क्यों आप फालतू इनके लिए (..व्यवधान..)...15 साल शोषण किया, आपने इनके खिलाफ आवाज उठाई, अभी भी वही काम करो मेरे मित्र.
श्री कमल पटेल -- देखो, सुनो, कोई शोषण नहीं किया. कमल पटेल कोई ऐसी वैसी चीज नहीं, जिसका कोई शोषण कर ले. (हंसी)
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय सदस्य, आसंदी को संबोधित करें.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं इतना सक्षम हूँ कि मैं न किसी के साथ अन्याय करता हूँ, न अन्याय सहता हूँ. चाहे अन्याय कोई भी करे, उसके खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए मैं सक्षम हूँ. लड़ाई लड़ी है.
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय सदस्यों से मेरा निवेदन है कि कृपया अनुपूरक अनुदान की मांगों पर ही चर्चा सीमित रखें.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, बिल्कुल अनुदान मांगों पर ही बोलूंगा. कांग्रेस को यह पता था कि अपनी सरकार तो आना नहीं है, चौथी बार शिवराज सिंह जी की सरकार बनेगी क्योंकि इस सरकार ने 15 वर्षों में बहुत विकास किया है. अगर मैं एक-एक शब्द में बताऊं जैसे बिजली, जब दिग्विजय सिंह जी ने हमको सरकार सौंपी, तब बिजली 2990 मेगावाट थी, आज जब हम आपको सरकार दे रहे हैं तब बिजली सरप्लस है. दूसरे राज्य को बेच रहे हैं. 24 घंटे बिजली मिल रही थी, लेकिन इन दो महीने के अंदर ही बिजली गुल होने लगी है. वही दिग्विजय सिंह जी का बंटाधार मुख्यमंत्री का कार्यकाल याद आने लगा है. कमलनाथ जी भी महा बंटाधार साबित होंगे. इस अनुपूरक बजट में बिजली के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- पूरा विषय बजट का है, बजट पर बात कीजिए.
श्री कमल पटेल -- बजट पर ही बात कर रहा हूँ.
श्री सुखदेव पांसे -- बंटाधार तो शिवराज सिंह ने किया है. पूरे मध्यप्रदेश को कर्जे में कर दिया है.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय जयवर्द्धन सिंह जी को बुरा नहीं लगना चाहिए. माननीय दिग्विजय सिंह जी ने कांग्रेस कमेटी हाईकमान को कहा कि मुझे अगर प्रचार करने ले गए तो कांग्रेस को वोट मिलने वाले नहीं हैं क्योंकि हमने तो कोई काम नहीं किया था इसलिए मुझे घर पर रखिए और इसलिए इनका जो वचनपत्र है ऐसा वचनपत्र बनाया जिसने हर वर्ग को प्रलोभित किया, भ्रमित किया. किसानों से कहा कि किसानों के दो लाख रुपये तक के सारे कर्जे माफ किए जाएंगे, चाहे वह कोई भी किसान हो, किसी भी बैंक का हो. वह चाहे प्राइवेट बैंक हो, चाहे नेशनलाइज्ड बैंक हो.
श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदया, माननीय सदस्य यह कह रहे हैं कि प्रलोभित किया. आपका कहना यह है कि जो चुनाव हुए हैं जिसमें मध्यप्रदेश के सम्मानीय मतदाताओं ने वोट डाला वह प्रलोभित होकर डाला. आपने प्रलोभित शब्द यूज किया, रिकॉर्ड में है. आपने प्रलोभन शब्द का यूज किया, तो क्या आप यह कह रहे हैं कि मध्यप्रदेश के जिन मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया, क्या वह प्रलोभन के कारण मत दिया. आप क्या प्रश्न उठा रहे हैं मध्यप्रदेश के मतदाता के ऊपर ?
श्री कमल पटेल -- हां, मैं बिल्कुल कह रहा हॅूं. हां, आपने मतदाताओं को भ्रमित किया, प्रलोभित किया कि हम ये करेंगे, वो करेंगे. हां, मैं यह कह रहा हॅूं.
श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, प्रलोभित होकर वोट डालने वाला शब्द तो हटाया जाना चाहिए.
श्री कमल पटेल -- अरे, यह प्रलोभन नहीं है तो क्या है कि हर किसान का दो लाख रूपये का कर्जा माफ करेंगे लेकिन चुनाव जीतने के बाद. माननीय उपाध्यक्ष जी, वचनपत्र का एक.....(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष्ा महोदया -- आपकी पूरी बात आ गई है.
श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आदरणीय कमल पटेल जी, हमारे विपक्ष के सदस्य भी मेरी पूरी बात हो जाने दीजिए. उसी जनता ने चुनकर भेजा है. तो क्या आपने भी प्रलोभन दिया था जिन्होंने आपको आपके क्षेत्र में चुनकर भेजा है. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कमल पटेल -- कोई प्रलोभन नहीं दिया.
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय वित्त मंत्री जी से मैं कहना चाहती हॅूं कि आपको जवाब देने का अवसर मिलेगा तब आप अपनी पूरी बात रखिए.
श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, अभी तो मतदाताओं के ऊपर सवाल उठाया जा रहा है.
श्री कमल पटेल -- मैं इनके वचनपत्र पर चर्चा कर रहा हॅूं.
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि सदस्य की बात रखने दीजिए.
श्री कमल पटेल -- इन्होंने यह कहा किसानों से ..(व्यवधान)...
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) -- माननीय उपाध्यक्ष्ा जी, मेरा अनुरोध है कि बार-बार कमल भाई अपने विषय से भटक जाते हैं. 15 साल से भटक गए थे.
श्री कमल पटेल -- नहीं, आप भटक रहें हैं. आप बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी आपसे किसी ने नहीं पूछा.
श्री प्रियव्रत सिंह -- यह भाषण है. यह वित्तीय अनुदान की मांगों पर दें. अननेसेसरी इधर-उधर की बातें प्रलोभित, लोभित, शोभित करने से कोई मतलब नहीं है.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष जी..
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय सदस्य से मेरा निवेदन है कि कृपया मैं अपनी बात पूरी कर दूं. अनुपूरक मांगों पर चर्चा के लिए अगर आप समय का ध्यान रखें, विषय तक ही सीमित रखें.
श्री कमल पटेल -- मैं व्यक्तिगत किसी पर कोई आरोप नहीं लगाऊंगा. लेकिन बीच में कोई डिस्टर्ब न करे. कृपया करके मुझे आप संरक्षण दें.
उपाध्यक्ष महोदया -- आप विषय पर रहिए. कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा.
श्री कमल पटेल -- कांग्रेस ने किसानों से कहा था इनके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर सारे नेताओं ने कि किसानों का सारा कर्जा माफ करेंगे और डंके की चोट पर और अगर 10 दिन में ...(व्यवधान)....
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2008 के घोषणा पत्र में शिवराज सिंह जी ने और भारतीय जनता पार्टी ने घोषणा की थी कि 50,000 रूपये का कर्जा माफ किया जाएगा. वर्ष 2008 भी निकल गया, 2013 भी निकल गया और एक कौड़ी भी माफ नहीं किया गया. आप इतने असत्य लोग हैं और डेढ़ महीने में माननीय कमलनाथ जी से पूछ रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया -- मेरा आपसे निवेदन है कि तीन मिनट का समय है आप अपनी बात पूरी कर लीजिए.
श्री कमल पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष जी, इन्होंने सारे किसानों का दो लाख रूपये तक कर्जा माफ करने के लिए कहा था. चाहे वह किसी भी बैंक का हो चाहे वह नेशनल बैंक का हो या प्राइवेट बैंक या कोऑपरेटिव बैंक हो. लेकिन चुनाव जीतने के बाद जब सरकार बन गई तो उन्होंने कहा अब क्या करें. तो पहले सारे किसानों का कर्जा माफ करेंगे फिर 31 मार्च निकाल लिया. इन्होंने एक सर्वे करके सभी जिला कोऑपरेटिव बैंक और सभी बैंकों को निर्देश दिए थे कि आप यह बताएं 31 मार्च 2018 तक कितने किसानों का कर्जा कितना होगा. फिर जून 2018 में कितना होगा. नवम्बर 2018 में कितना होगा. तीन प्रकार के पत्र यहां के प्रमुख सचिव ने सभी जिलों को भेजे. अब उसमें जब सूची आयी कि अगर 12 नवम्बर तक सरकार बनी तब तक का किसानों का कर्जा माफ करेंगे तो 60-70 हजार करोड़ से ऊपर आएगा. अगर हम जून 2018 तक का करेंगे तो 56 हजार करोड़ का कर्जा आएगा. और अगर हम 31 मार्च 2018 को करेगे तो कर्जा कम माफ करना पडे़गा और इसलिए इन्होंने 31 मार्च 2018 चुना. अगर आप किसानों के हितैषी होते और जो आपने अपने वचनपत्र में वचन दिया अगर उसको निभाना होता तो वाकई में जो तीसरा प्रश्न था उसमें सबसे ज्यादा लाभ होता. दो लाख रुपये में अगर किसान ने प्रायवेट बैंक से कर्जा लिया है तो वह भी कर्ज है. मैं किसान हूं. अगर मुझे प्रायवेट बैंक ने कर्ज दिया है और मैं दो लाख तक का कर्जदार हूं तो मेरा कर्ज माफ होना चाहिए. उस समय तो आपने यह नहीं कहा था कि प्रायवेट बैंक से कर्ज लेने वालों का माफ नहीं करेंगे. यह तो नहीं कहा था कि हम 31 मार्च के पहले का कर्ज माफ करेंगे.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) - उपाध्यक्ष महोदया, आपने हमारे वचनपत्र को पढ़ा ही नहीं है. हम दिसम्बर तक का कर्ज माफ कर रहे हैं. अभी मार्च तक का 25 लाख है, दिसम्बर तक का 54 लाख किसानों का 59 हजार करोड़ रुपये माफ कर रहे हैं. आप स्वयं क्लियर नहीं हैं. यह प्रोसेस जारी रहेगी. हम दिसम्बर तक का कर्ज माफ कर रहे हैं.
श्री कमल पटेल - उपाध्यक्ष जी, आपने यह पत्र भेजा है कि जो अविवादित कर्जदार हैं उनका कर्ज ही माफ करेंगे और उसमें एक-एक सोसायटी में 10-10, 12-12 आ रहे हैं. मैं हरदा का उदाहरण दे रहा हूं. मैंने अधिकारी, कर्मचारियों से पूछा कि कितना हो रहा है तो उन्होंने कहा पहले तो अधिक हो रहा था लेकिन अब अविवादित कर्ज ही माफ हो रहा है. अविवादित कर्ज के बारे में मैं बताना चाहता हूं. मैं किसान हूं और मैंने को-ऑपरेटिव बैंक से एक लाख रुपये का कर्ज लिया, मैंने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से एक लाख रुपये का कर्ज लिया. अब मेरा कौन सा कर्ज माफ होना चाहिए, तो को-ऑपरेटिव बैंक वाले कह रहे हैं कि मेरा पहले माफ करो, दूसरा कह रहा है कि पहले मेरा माफ करो, तो उसमें एक बैंक दूसरे की आपत्ति ले रहे हैं उसमें विवाद डल जाएगा, वह मामला विवादित हो गया तो उनको कर्ज नहीं मिलेगा और इस प्रकार यह सरकार सिर्फ टाइम पास कर रही है. आचारसंहिता का इंतजार कर रही है. जैसे ही आचारसंहिता लगेगी उसके बाद कोई कर्ज माफ नहीं होना है. किसानों के साथ धोखा किया है. इसलिए हम इस अनुपूरक मांग का विरोध करते हैं.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - आपने कितने लोगों का कर्ज माफ किया है ? मध्यप्रदेश में 15 साल तक आपकी सरकार रही आपने कितने किसानों का कर्ज माफ किया ? इस बारे में आप बताइए. आप अपने गिरेबान में झांकिए.
श्री कमल पटेल - उपाध्यक्ष जी, हमने किसानों का कर्ज माफ नहीं किया लेकिन 18 परसेंट से हमने 0 परसेंट पर कर्ज दिया है, हमने माईनस 10 परसेंट पर कर्ज दिया है.
श्री प्रियव्रत सिंह - उपाध्यक्ष महोदया, आपने प्रदेश को खोखला कर दिया अपने चेहरे छपवाकर, अपने विज्ञापन छपवाकर, अरबों रुपया खर्च कर दिया. उसके बारे में आप बात करिए.
श्री कमल पटेल - उपाध्यक्ष जी, आपने भी एक रुपये का कर्ज माफ नहीं किया और जगह-जगह पर गाडि़यां भेज दी हैं. वह गाडि़यां पेट्रोल पम्प पर खड़ी हुई हैं. कहीं प्रचार नहीं कर रही हैं क्योंकि गांव में जनता मारेगी. अभी कमलनाथ जी ने अपने पोस्टर छपवाए कि वादा किया पूरा, किसानों का कर्जा किया माफ. अब वह गाडि़यां गांव में इसलिए नहीं जा रही हैं कि किसान उनको मारेंगे, भगाएंगे. मंत्री जी, आप और कृषि मंत्री जी, इस बात की जांच करा लीजिए कि कोई गाड़ी गांव में नहीं घूम रही है, सब पेट्रोल पम्पों पर खड़ी हुई हैं. आज मैं यहां आ रहा था, तीन गाडि़यां हरदा पेट्रोल पम्प पर खड़ी हैं. कहीं भी नहीं घूम रही हैं. कोई विधायक इस बारे में बता दे कि उनके यहां गांव में किसानों के कर्ज माफ हो गए हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय सदस्य, आप अपनी बात कृपया समाप्त करें.
श्री कमल पटेल - उपाध्यक्ष जी, सिर्फ किसानों के साथ धोखाधड़ी की गई, युवाओं के साथ धोखाधड़ी की है. यहां तक कि भजन मंडलियों का पैसा भी नहीं दिया गया. मैंने कल जिला पंचायत सीईओ से पूछा कि कितने पंचायतों में भजन मंडलियों का पैसा है तो उन्होंने बताया कि जो पैसा आया था वह वापस बुला लिया है. आपने भजन मंडलियों का 25 हजार रुपया भी वापस ले लिया है. कहां से प्रदेश का विकास करेंगे ? मैंने पूछा कि पैसा क्यों वापस बुला लिया है तो उन्होंने बताया कि सरकार के पास पैसा नहीं है. बंगले में खर्च करने के लिए पैसा है लेकिन गरीब किसान, गरीब मजदूर और गरीब बीमार और यहां तक कि भजन करने वालों के भी पैसे वापस ले लिए हैं. शर्म आनी चाहिए.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - उपाध्यक्ष जी, बंगलों का कार्य इसलिए करना पड़ा क्योंकि आप लोग टोंटी तक उखाड़कर ले गए. आपके मंत्री लोग टोंटी, खूटियां सब ले गए इसलिए बंगले रिपेयर कराना पड़ा.
श्री कमल पटेल - उपाध्यक्ष जी, आपने किसानों के साथ धोखा किया है. अब आप क्षेत्र में जाना तो जनता इसका जवाब देगी. आप किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहेंगे.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल) - उपाध्यक्ष जी, मैं सबसे पहले आपका धन्यवाद देना चाहूंगा कि मुझे पहली बार इस सदन में बोलने का मौका मिला और इतने दिनों में जबसे सदन में बैठा हूं, सीखने की कोशिश कर रहा था कि किस प्रकार से बार-बार बोला जा रहा था कि नये लोगों को सीखना चाहिए. मैं बड़ी देर से विपक्ष की बातों को चाहे वह किसान की जिस गंभीरता के साथ, जिस तड़प के साथ बात की जानी चाहिए थी वह सुन रहा था. इस अनुपूरक बजट पर अभी दो-तीन भाषण दिए गए, किसान के ऊपर भाषण दिए गए, तो जो तड़प दिखी उसके बारे में वैसे कहना तो नहीं चाहिए पर कहना जरूरी है तो कहूंगा कि ''सर्कस का तम्बू उखड़ गया तो सर्कस का टाइगर मोटर साईकिल लेकर निकल गया''. जो अपने आपको किसान परिवार के पुत्र कहते थे उनकी सरकार में पिछले 15 साल में लगभग 18 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की और वह किसान के दर्द के प्रति बात करते थे. एक माननीय सदस्य उठ कर बार बार किसान की बात कर रहे थे. जिनके टेलिविजन पर विचार रहते थे कि किसान सब्सिडी चाटने के लिए आत्महत्या करता है, वे सदस्य यहाँ पर किसान की बात कर रहे थे. माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में, एक ऐसे अनुभवी नेतृत्व में जो सरकार बनी, खजाना खाली होने के बावजूद लगातार बार बार कहा जा रहा है कि खजाना खाली था तो कैसे कोशिश करके यहाँ पर कर्जा माफ किया गया. उसका उदाहरण मैं पहले दिन से देना चाहूँगा कि जिस दिन माननीय मुख्यमंत्री जी ने शपथ ली, पिछली सरकार होती तो सौ करोड़ के लगभग विज्ञापन उस दिन के देती, लेकिन हमारी सरकार में कोई विज्ञापन नहीं दिया गया. जो एनेक्सी, लगभग 650 करोड़ रुपये की, जिसमें कितना घोटाला हुआ वह पता पड़ेगा, उसका अगर फीता काटने का पिछली सरकार का अनुभव होता तो वह 10 करोड़ का फीता काटने का काम होता, जो हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने आकर सिर्फ एक कैंची से फीता काटकर उसका उद्घाटन करने का काम किया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, अभी लगातार बार बार कहा गया कि इसका कर्जा माफ हो रहा है, उसका कर्जा माफ हो रहा है, इन्तजार करिए. 22, 25 तारीख से जो खातों में पैसा जाएगा, हर बैंक का, हर किसान का, दो दो लाख तक का कर्जा माफ होगा, यह बात मुख्यमंत्री जी स्पष्ट कर चुके हैं. (मेजों की थपथपाहट) जो बात कही कि किसान कर्जा माफी की वह मात्र एक बात ही नहीं है, स्पष्ट बात कही, यही बात माननीय कमलनाथ जी ने कही कि कर्जा माफी तो सिर्फ एक कदम है, इस मध्यप्रदेश के किसान को, जो आत्महत्या की तरफ पिछली सरकार ने प्रेरित करने के लिए रखा था, उसकी तरफ एक कदम है कि आप निश्चिन्त रहिए कि पिछली सरकार, चाहे किसानों की बात करती होगी पर किसान के साथ यह सरकार खड़ी है और आपका कर्जा माफ हुआ है, आगे कर्जे माफी के साथ फसलों के दाम दुगने हो जाएँगे और जो सोयाबीन की कीमतें पिछली सरकार में बाईस सौ पहुँच गई थी वह बयालीस सौ रुपये क्विंटल तक तो कमलनाथ जी के आने के बाद ही पहुँच चुकी है. (मेजों की थपथपाहट) इस बात को मंडियों में जाकर देखिए, मंडियों में जाना...
श्री कमल पटेल-- भाव मुख्यमंत्री जी तय करते हैं क्या?
श्री कुणाल चौधरी-- आपके मैं रेट की भी बात करूँगा...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- आप बैठ जाइये...(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी-- मुख्यमंत्री जी के उससे ही तय होता है, यही तो भरोसा, व्यापारी, किसान को है. दावोस की बात कर रहे थे...(व्यवधान)..हमारे मोटर सायकल वाले मामा...
एक माननीय सदस्य-- कुणाल भाई, एमएसपी मुख्यमंत्री तय करते हैं क्या? आपके मनमोहन सिंह ने, आपकी यूपीए सरकार ने, कृषि कर्मण पुरस्कार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान को दिया है.
श्री कुणाल चौधरी-- रुकिए, उसका भी मैंने अभी सवाल डाला है. उसका भी अभी जवाब आ जाने दो, कितने गलत गलत...
उपाध्यक्ष महोदया-- आप आसन्दी की तरफ देख कर बात करिए.
श्री कुणाल चौधरी-- उपाध्यक्ष महोदया, येआँकड़ों की बाजीगरी हमें न सिखाए. ये आँकड़ों की बाजीगरी में बहुत माहिर हैं. यह कई सालों से मैं सड़क पर संघर्ष करते देखते आ रहा हूँ. बात करते हैं कभी किसानों की, कभी नौजवानों की, जिसकी सरकार में किसान के पेट पर लात और छाती पर गोली मारी गई हो, वह किसान हितैषी होने की बात करते है? (मेजों की थपथपाहट) वह किसान हित की बात करते हैं. नंगा करके किसानों को मारा गया हो, वह किसान की बात करते हैं. आज जब दो लाख का कर्जा किसानों का माफ हो रहा है, तो पेट में दर्द पहले दिन से ही शुरू हो रहा है कि एक पूर्व वित्त मंत्री जो बयान देता है कि हमने लूट लूट के खजाना खाली करके छोड़ा है, देखते हैं कि ये कर्जा कैसे माफ करेंगे? यह बयान, उनका 11 तारीख को रिजल्ट आता है, और 14 तारीख, जब तक सरकार, जब तक मुख्यमंत्री जी शपथ नहीं लेते उसके पहले बयान आता है कि घृणित सोच के साथ किसानों के प्रति इनकी है, इस बात से समझ में आता है. मैं धन्यवाद देना चाहूँगा यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को और उनकी दूरदृष्टा सोच के साथ कि जिस प्रकार से किसानों को एक अधिकार दिया है और ये बात कर रहे हैं कि अभी लोकसभा चुनाव में पता पड़ेगा, जिस दिन 29 की 29 सीटें काँग्रेस जीतेगी तब समझ में आएगा, तब कर्जे माफी का असर समझ में आएगा. ये बात युवाओं की कर रहे थे इस प्रदेश के युवाओं में पिछले 15 साल से एक सोच खतम हो चुकी थी कि मध्यप्रदेश में नौजवानों को रोजगार मिल सकता है. सिर्फ यह सोच हो चुकी थी कि मध्यप्रदेश के नौजवान का सिर्फ रोजगार बेचा जा सकता है और मध्यप्रदेश के नौजवान के सिर्फ रोजगार बेचने का काम किया जा सकता है. जिन्होंने योग्यताओं का बेहरम कत्ल किया, जिनके राज में पढ़ने वालों का सामूहिक नरसंहार किया. आज मुख्यमंत्री जी ने एक युवा स्वाभिमान के नाम से नौजवानों के स्वाभिमान को बढ़ाने के लिए जो बजट में प्रावधान किया है, मैं उसका स्वागत करता हूँ (मेजों की थपथपाहट) कि नौजवानों में आज एक आस जगी है कि वह स्वाभिमान के साथ जी सकता है और शहर के नौजवान को भी आज रोजगार मिल सकता है. यही दूरदृष्टा की सोच पहले कमलनाथ जी की थी और दिल्ली में जब वे सरकार में थे तो ग्रामीण नौजवानों के लिए मनरेगा जैसी योजना लाए थे. यह सही है कि 100 दिन का रोजगार एक प्रारंभिक स्टेप है इसका स्वागत करना चाहिए, न कि इस पर नकारात्मक होने की जरुरत है.
उपाध्यक्ष महोदया--मेरा माननीय सदस्य से अनुरोध है कि एक मिनट में अपनी बात समाप्त कर दें.
श्री कुणाल चौधरी--उपाध्यक्ष महोदया, मैं पहली बार बोल रहा हूँ इसलिए मुझे आपके संरक्षण की आवश्यकता है. मैंने अभी सत्य की और असत्य की बातें सुनीं. असत्य के ऊपर चलने वाले लोग जो हर मुद्दे पर आंकड़ों की बाजीगरी करते थे. एक पूर्व मंत्री जी कह रहे थे. स्वास्थ्य की बात कर रहे थे जिनके कार्यकाल में बड़वानी में 60-60 आँखें फोड़ दी गईं. जिनके कार्यकाल में हास्पिटल के अंदर चूहे बच्चों को खाने लगे. कई जगह शव को चीटियाँ खाने लगीं. वे लोग स्वास्थ्य की बात करते हैं. संबल की बात की गई थी. मैं ध्यान दिलाना चाहूँगा कि कमलनाथ जी ऐसे मुख्यमंत्री हैं, ऐसी सरकार चल रही हैं जिसमें लगभग 300 करोड़ रुपए सरकार आने के बाद गरीबों के इलाज से लेकर, अंत्येष्टि में हो सकता है कि इनकी किसी की सेटिंग वहां के सीईओ से हो जो डायरेक्ट पैसा ले लेते होंगे लेकिन हमारे क्षेत्रों में तो सारे काम चल रहे हैं उसकी बात मैं नहीं करना चाहूँगा.
उपाध्यक्ष महोदया, जीरो प्रतिशत ब्याज की बात करने वाले लोग. पिछली सरकार ने बजट में प्रावधान किया था कि 2000 करोड़ रुपए का ब्याज माफ किया. अगर जीरो प्रतिशत पर ब्याज देते थे तो 2000 करोड़ रुपए का ब्याज माफ करने का काम कैसे किया था. बेटियों की शादी के लिए जो 51000 रुपए का प्रावधान किया था. आज जनता के अन्दर एक खुशी की लहर है कि पहले बारह हजार, साढ़े बारह हजार रुपए नगद मिलते थे. नकली बर्तन और नकली चांदी के सामान मिला करते थे. यहां तक कि मंगलसूत्र भी नकली मिला करते थे. आज 48000 रुपए सीधे खाते में उन्हें मिल रहे हैं उससे जनता के अन्दर एक खुशी की लहर है. चाहे शादी की बात हो, चाहे युवा स्वाभिमान की बात हो, नये-नये आयाम यह सरकार गढ़ेगी. आखिरी बात कहना चाहता हूँ कि--
उन बेपनाह अंधेरों को सुबह कैसे कहूं,
मैं उन अंधेरों का अंधा तमाशबीन नहीं.
युवाओं को लाठी मारी है, किसान को गोली मारी है. ऐसे लोग अभी इंतजार करें. यह फार्म की बात करते हैं कि फार्म क्यों भरवाए जा रहे हैं वह इसलिए क्योंकि इनके समय में इनके नेताओं ने, इनके अधिकारियों ने जीरो प्रतिशत पर पैसा निकाला होगा और बाद में फिर ब्याज पर चलाया और किसान के नाम पर जो लूटा. अभी उसका एक-एक आदमी का हिसाब आएगा. किसान खुद लिख रहा है कि मुझ पर कितना कर्ज है और कितना माफ हुआ है. धन्यवाद.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह--उपाध्यक्ष महोदया, किसान कल भी परेशान थे और आज भी परेशान हैं. बीजेपी के शासन में भी परेशान थे और आज कांग्रेस के शासन में भी परेशान हैं.
उपाध्यक्ष महोदया--कृपया आप बैठ जाएं जब आपका समय आए तब बोलिए.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह--उपाध्यक्ष महोदया, किसानों की सुनवाई न कल होती थी न आज हो रही है. किसानों की उड़द कल भी वापस जाती थी आज भी वापस जा रही है. किसानों के साथ अत्याचार कल भी हो रहा था और आज भी हो रहा है.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)--माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं थोड़ा सा विषय से बाहर जाऊंगा. अनुपूरक में जो बात कही है किन्तु लेखानुदान में है ही, लेखानुदान पर चर्चा होगी नहीं. जब से प्रदेश की नई सरकार आई है, लोकतंत्र पर एक संकट छा गया है. सबसे पहले माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की कि अब मंत्री घोषणाएं नहीं करेंगे, कलेक्टर करेंगे. अब उत्तरदायी कलेक्टर होंगे. छिन्दवाड़ा में एक घोषणा भी करवा दी. तो फिर यह जो 28-30 मंत्री बने हैं यह क्या करेंगे ? बजट यहां से पास होगा, योजना यहां से पास होंगी और उत्तरदायी वे रहेंगे. लोकतंत्र पर पहला हमला. मैं आसंदी से क्षमा चाहता हूँ. लोकतंत्र पर दूसरा हमला हुआ अध्यक्ष के चुनाव के समय अध्यक्ष के चुनाव के समय लोकतंत्र पर दूसरा हमला हुआ. मैंने पहले ही अनुरोध कर लिया था कि मैं थोड़ा सा विषय के बाहर जाऊंगा.
श्री तरूण भनोत-- कोई नया सदस्य उठाए तो समझ में आता है आप तो खुद आसंदी पर रहे हों आप अगर बाहर जाएंगे तो....(व्यवधान)..
डॉ. सीतासरन शर्मा-- मैंने पहले ही अनुरोध कर लिया था कि मैं अनुपूरक के थोड़ा सा बाहर जाऊंगा.
श्री तरूण भनोत-- लेखानुदान पर चर्चा हो रही है.
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया अनुपूरक अनुदान की मांगों पर ही चर्चा करें.
श्री तरुण भनोत-- तीन महीने पहले आप वही पर थे. आपका बाहर जाना अच्छा नहीं लगता बाकी जाएं तो समझ में आता है. आप न भटकें.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- मैं आपसे सहमत हूं, परंतु मैंने पहले ही यह कह दिया था कि थोड़ा सा विषय से बाहर जाऊंगा.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय पूर्व अध्यक्ष महोदय बहुत सारे नए सदस्यगण आए हैं आप उनको क्या मैसेज दे रहे हैं क्योंकि आप अध्यक्षीय आसंदी को गृहण कर चुके हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- मैसेज बिलकुल सही दे रहे हैं खतरा आप पर ही है.
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया अनुपूरक अनुमान की मांगों पर ही चर्चा करें.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- लोकतंत्र पर ही खतरा उत्पन्न होगा तो उसका करेंगे क्या? लोकतंत्र ही समाप्त हो जाएगा तो इसका करेंगे क्या? यहां किस पर बात करेंगे? प्रतिपक्ष ने जो विधिवत प्रस्ताव रखा यहां पर उसको यहां पढ़ा ही नहीं गया.
श्री जितू पटवारी-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मुझे एक बात गंभीर लगी और बिलकुल गंभीरता से लिया कि जबसे आप दो महीने से बाहर हुए हैं और आसंदी से उतरे तबसे लोकतंत्र पर खतरा आ गया. मैं आपकी इस बात को मानता हूं मैं आपके इस अहसास को जी सकता हूं और हम सब जी सकते हैं. यह खतरा जायज़ है थोड़े दिन में समाप्त हो जाएगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- आपके कर्मों से आया है. पूत के पांव पालने में दिखते हैं. अभी तो दो ही महीने हुए हैं. तीसरा खतरा अभी उत्पन्न हो गया आज सुबह प्रतिपक्ष के नेता जी ने चर्चा भी की कि अब प्रश्नों के उत्तर मंत्री जी नहीं देंगे बाहर से आएंगे. पूछे जाएंगे यहां और उत्तर पता नहीं कहां से आएगा. उपाध्यक्ष जी, यह बड़ी चिन्ता का विषय है. मैंने अनुपूरक से बाहर जाकर सदन का ध्यान इस ओर इसीलिए आकृष्ट किया. अब अनुपूरक पर आते हैं. दो, तीन बिंदु हैं सभी पर चर्चा हो चुकी है. संबल योजना क्यों बंद कर दी. आपने इसमें प्रावधान रखा है प्रदेश के अभी सब पोर्टल बंद पड़े हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह-- पोर्टल आपके बंद पड़े हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- सबसे बड़ा खतरा यही तो है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- जून 2018 से पोर्टल बंद पड़े हैं.
उपाध्यक्ष महोदया--कृपया आपसे निवेदन है कि माननीय सदस्य को अपनी बात रखने दीजिए जब आपका अवसर आएगा तब आप बताइए.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- पोर्टल बंद पड़े हैं. संबल का एक कार्ड नई सरकार के आने के बाद नहीं बना क्यों नहीं बना? आप तो कह रहे थे कि हम तो 200 रुपए में दे रहे थे आपने कहा हम 100 रुपए में देंगे अरे किसको? नए लोगों को किसी को नहीं देंगे? जो कार्ड नहीं बन सके उनको किसी को नहीं देंगे. अनुपूरक में ऐसी कोई बात लिखी नहीं है. आगे बढ़ते हैं स्वरोजगार, कहा था हम बेरोजगारी भत्ता देंगे, 4000 रुपए महीने देंगे. 100 दिन की कह दी कितने रुपए रोज? आपके राष्ट्रीय अध्यक्ष जी रुपए रोज गिनते थे किसान के. 34 रुपया माननीय मंत्री जी 34 रुपया. अरे शर्म आ रही है शर्म हमें कहने में.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- दिल्ली में मोदी जी कितना दे रहे हैं. मोदी जी के द्वारा किसानों को कितना मिल रहा है. कितना मिल रहा है किसानों को केन्द्र सरकार के द्वारा. 6000 रुपए साल दे रहे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- उसको 32 रुपया दे रहे हो. काहे के लिए नाम कर रहे हो.
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया आप आसंदी की तरफ अपनी बात रखें.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- 34 रुपया रोज बेरोजगारी भत्ता. धन्य है री सरकार. मजदूर को पौने दो सौ मिलते हैं. बेचारे नौजवानों को 34 रुपए. इसलिए तो हमारे सदस्य कह रहे थे कि आप असत्य बोलते हैं. किसान सम्मान योजना बहुत बात हो चुकी मैं सिर्फ एक गुजारिश करना चाहता हूं आपसे स्वसहायता समूहों ने लोन लेकर के खेती की है और महिलाओं के हैं उनके लोन माफ नहीं हो रहे हैं जो कंडीशन एप्लाई लगा दिया है ना आपने. 500 रुपए मिलेगा कंडीशन एप्लाई उसमें 300, 400 टैक्स भर दिया ऐसे ही आपने किसान एडी योजना में कंडीशन एप्लाई लगा दिया जिन्होंने भी खेती की है आपसे अनुरोध है वित्त मंत्री जी आप माननीय मुख्यमंत्री जी से बात करके स्वसहायता समूहों की भी ऋण माफी करें. आयुष्मान योजना में राज्य बीमारी सहायता योजना मर्ज़ हो गई थी. अनुपूरक में स्वास्थ्य का नाम ही नहीं है. क्या सब कुछ ठीक चल रहा है ? क्या डॉक्टर पूरे हो गए हैं ? स्वास्थ्य विभाग के विषय में अनुपूरक में एक भी लाईन नहीं है. स्वाईन फ्लू हो रहा है. उपाध्यक्ष महोदया, मैंने इस विषय में ध्यानाकर्षण लगाया था. दुर्भाग्य से वह चर्चा में नहीं आया, किंतु कोई जरूरत नहीं है. जनता जाये तो जाये. आयुष्मान योजना के बारे में यहां कोई बात नहीं है.
चिकित्सा शिक्षा विभाग (डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ)- आयुष्मान योजना के संबंध में मैं आपको इंदौर का एक उदाहरण देना चाहूंगी. हमने केंद्र से एक करोड़ रुपये मांगे थे और हमें केवल एक लाख रुपये मिले हैं. माननीय मंत्री जी आप कृपया आसंदी से अनुमति लें. बीच में कहना उचित नहीं.
डॉ. सीतासरन शर्मा- आपको आयुष्मान योजना को मध्यप्रदेश में किस प्रकार लागू करना है, किस प्रकार से आगे ले जाना इसकी कोई चर्चा यहां नहीं की गई है क्योंकि आपको मध्यप्रदेश की जनता के स्वास्थ्य की कोई चिंता नहीं है.
मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान में कोई दिक्कत नहीं है केवल पांच करोड़ मांगे हैं. किंतु मेरा अनुरोध है कि चीन्ह-चीन्ह के न दें. कृपया जरूरतमंदों को ही दें. पहले भी आपने उस बजट में 20 करोड़ रुपया लिया था. अभी उसका कोई हिसाब-किताब नहीं आया लेकिन उस मद में 5 करोड़ और आ गए. हमें इसमें कोई एतराज नहीं है आप मरीजों को दीजिये.
छात्रों के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने छात्रवृत्ति योजना शुरू की थी लेकिन अब छात्र, छात्रवृत्ति के लिए भटक रहे हैं. उनकी फीस जमा नहीं हो रही है. कॉलेजों से नोटिस आ रहे हैं. अनुपूरक में इसका कोई प्रावधान नहीं है. 300 रुपया, शिक्षा अनुदान के लिए है जो कि भारत सरकार की योजना है. आपने किसानों का 2 लाख रुपये का ऋण माफ कर दिया. हमने पिछले साल गेहूं का प्रति क्विंटल 2 हजार रुपया दिया था और उसके पिछले साल का गेहूं और धान दोनों का 2-2 सौ रुपया दिया था. हमने किसान को 665 रुपये अतिरिक्त दिए थे. वर्तमान में केंद्र सरकार की ओर से 1840 रुपये की घोषणा है. क्या आप किसान को 2100 रुपये देंगे ? हमने 2000 रुपये तो पिछले साल ही दिए थे. आपने किसान को दो लाख का लॉलीपॉप तो दिखा दिया लेकिन क्या अब किसान गेहूं 1840 रुपये में बेचे ? क्यों भाई, किसी बोनस की घोषणा तो करो. इस विषय पर अनुपूरक में कुछ नहीं है. गेहूं की खरीदी का समय आ गया है. वित्त मंत्री जी आप गेहूं कितने रुपये में लेंगे ? इस प्रदेश के किसानों को आप साफ बता दीजियेगा कि पूर्व सरकार ने 2000 रुपये में लिया था.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी करती है. भारत सरकार ने समर्थन मूल्य पर बोनस देने के लिए प्रतिबंध लगाया है. आप छूट दिलवा दें हम 200 रुपये बोनस देंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने प्रोत्साहन योजना बनाकर 1735 रुपये के समर्थन मूल्य के ऊपर 265 रुपये दिया था. आप भी किसान प्रोत्साहन नीति के नाम पर राशि दे सकते हैं. आप घोषणा कीजिये. इस तरह से किसान को छला नहीं जा सकता कि आपने 2 लाख माफ कर दिये और अब आप सभी किसानों को 1840 रुपये में ही टिका देंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया- गोंविद सिंह जी, यह प्रोत्साहन राशि है जो कि समर्थन मूल्य से अलग है और समर्थन मूल्य से ज्यादा भी दिया जा सकता है. इसमें अनुमति की आवश्यकता नहीं है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, चुनाव के पहले हमने समर्थन मूल्य 2100 रुपया घोषित किया था. जिसमें 1840 रुपया केंद्र सरकार का एवं शेष राशि राज्य मद से दी गई थी. आपकी तरफ से तो कोई वक्तव्य ही नहीं आया कि आप देंगे कि नहीं देंगे, कि आप 1840 रुपये में ही खरीदेंगे. यह प्रदेश में पहली बार हो रहा है कि रिवर्स लग रहा है. हम अभी 2000 रुपया दे चुके हैं और आप 1840 रुपये देंगे. मतलब 160 रुपये तो उसमें से कम हो गए और 100 रुपया 2100 में से कम हो गया. कुल मिलाकर मैं यह कहना चाहता हूं कि राज्य को ये कृषि कर्मण अवॉर्ड क्यों मिले हैं. ये इसलिए मिले हैं कि बार-बार बात होती है कि हम कृषि को लाभ का धंधा बनायेंगे और कृषक को प्रोत्साहन के रूप में अतिरिक्त राशि दी जायेगी. अब आप यह कहते हैं कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करें. कमेटी की रिपोर्ट में भी यही रिकमण्डेशन है, भारत सरकार ने भी यही कहा है कि लागत की जितनी कीमत आयेगी, उससे डेढ़ गुना हम आपको देंगे. इसलिये मैं आज आपसे यह कहना चाहता हूं यदि आज अधिकारिक घोषणा माननीय वित्त मंत्री जी या कृषि मंत्री जी कर दें कि हम किसान के लिये जो घोषित है 2100 रूपये वह हम देंगे, हम उतना देंगे. इस साल रकबा भी बढ़ा है और मैं चाहता हूं कि किसान की जेब में ज्यादा से ज्यादा पैसा जाये.ऋण माफी का भी जाये, हमारे प्रधानमंत्री की जो सम्मान योजना है उसका भी पैसा जाये और इसका भी जाये तो कम से कम यह आत्महत्या का दौर तो खत्म हो जायेगा.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- माननीय मंत्री जी, आप किसान पुत्र हैं, आज इसकी घोषणा कर दीजिये.
डॉ. सीतासरण शर्मा:- आज मण्डी में 550 किसानों की धान पड़ीवनखेड़ी में, वहां के विधायक जी बैठें हैं, उन्होंने ध्यानाकर्षण भी लगाया है.
श्री ठाकुरदास नागवंशी:- 550 किसान हैं उनका 52 हजार क्विंटल माल खुले आसमान में रखा है. किसान में टी.व्ही चैनलों में बोल रहे हैं कि हम आत्महत्या कर लेंगे. मैं यह चाह रहा हूं कि सरकार अभी जग जाये, क्या जब किसान आत्महत्या करेगा तब उनका माल उठेगा ?
डॉ. सीतासरण शर्मा:- कृपा करके माल उठा लें. यहां पर कृषि मंत्री जी भी बैठे हैं. कृषि मंत्री वह 52 हजार क्विंटल माल पिपरिया की मण्डी में और किसानों से कह रहे हैं कि वापस ले जाओ. डूब की डूब गओ, उतराई की उतराई लग गई, एक कहावत है. लेकर आ गये पैसा तो मिला नहीं, तुला नहीं और अब कह रहे हैं, अब खर्चा और आने- जाने का लगाओ. कृपा करके धान के लिये कोई निर्देश जारी करें. पोर्टल बंद हो गया है. 500-500 रूपये जो प्रोत्साहन राशि....
श्री गोपाल भार्गव:- सचिन जी तो जरूरे करेंगे. आपके पिता तो इतने कृषक हितैषी थे, भारत कृषक समाज के अध्यक्ष भी थे, इसलिये मैं कहना चाहता हूं कि आप उदारतापूर्वक...
श्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी(जबेरा):- दमोह जिले में 15 हजार क्विंटल धान पड़ी है, जो तुली नहीं है. किसान वास्तव में बहुत परेशान है.
डॉ. सीतासरण शर्मा:- लॉ एण्ड ऑर्डर की स्थिति बहुत खराब है. काम्प्टीशन नहीं करना है. किन्तु अपहरण हो रहे हैं. मैंने,डॉ. नरोत्तम मिश्र जी ने स्थगन प्रस्ताव दिये थे और अन्य सदस्यों भी दिये होंगे.अभी तक दो महीने की सरकार में चार अपहरण हो चुके हैं. आप जरा एवरेज निकालना, पन्द्रह साल पहले अपहरण एक उद्योग बन गया था और हम लोग तो नारे ही लगाते थे, यहीं थे.(XXX)....(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय:- माननीय सदस्य, आप कृपया अपना भाषण समाप्त करें. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल:- आपने जो अव्यवस्था फैला कर रखी थी. यदि कोई पांच साल से दस साल से कहीं कोई पदस्थ था तो यह प्रशासनिक व्यवस्था बनाने का सरकार का अधिकार होता है. यह उद्योग आपकी सरकार में चला है. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय :- इसको कार्यवाही से विलोपित किया जाये.
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री जितू पटवारी):- आप तो अध्यक्ष रहे हैं और इस प्रकार की भाषा का उपयोग कर रहे हैं. यह क्या बात हुई. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल:- जब आप वहां पर बैठते थे और वहां से इशारा दिखा कर किसी को बोलने नहीं देते थे. (व्यवधान) यह हमारी सरकार और अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की उदासीनता है कि आप इतना बोल रहे हैं.
डॉ.सीतासरण शर्मा :- आप इतना गुस्सा क्यों हो गये. भाई मैंने वापस ले लिया.
श्री तरूण भनोत :- पिछले पंन्द्रह साल कम से कम आपसे तो उम्मीद नहीं थी. आज इतनी जल्दी बदल गये.
उपाध्यक्ष महोदया:- मेरा माननीय सदस्य से अनुरोध है कि कृपया अपनी बात समाप्त करें.
डॉ.सीतासरण शर्मा :- मैं अपनी बात समाप्त कर रहा हूं कि ट्रांसफरों से यह हुआ कि प्रशासनिक व्यवस्था फैल हो गयी है. किसी को मालूम ही नहीं है कि हम कब कहां पर रहेंगे आज जायेंगे, कल चले जायेंगे, जायेंगे फिर कैंसिल हो जायेगा. इसलिये अपहरण बढ़ रहे हैं. प्रदेश में एडमिनिस्ट्रेटिव पैरालिसिस हो गयी है.यह अनुपूरक अनुमान को बिल्कुल मंजूरी नहीं देना चाहिये, धन्यवाद.
3.35 बजे {श्री यशपाल सिंह सिसोदिया सभापति महोदय पीठासीन हुए}
श्री प्रवीण पाठक--(ग्वालियर दक्षिण)--माननीय सभापति महोदय, बार बार लोकतंत्र के खतरे, सरकार के खतरे पर बात आ रही है. मैं आपकी अनुमति से अदब से दो लाईनें पढ़ना चाहता हूं. हर सुबह भाजपा की सरकार बनाने के नये ख्वाब लेकर उठते हैं. और ख्वाब टूट जाते हैं शाम तक भाजपा सरकार के वायदों की तरह.
सभापति महोदय, इस सदन में आने के पूर्व चूंकि मेरी आदत नहीं है पीठ पीछे बात करने की. हम लोग अक्सर समाचार पत्रों के माध्यम से पढ़ा करते थे सम्माननीय अनुभवशाली सदन के सदस्य हैं उनके विषय में पढ़ा करते थे. इस पन्द्रहवीं विधान सभा में लगभग 90 सदस्य ऐसे हैं जो कि पहली बार विधायक बनकर आये हैं. मैं बहुत ही दुःख एवं अदब के साथ दो लाईनों का शेर अर्ज करना चाहता हूं.
खाके बैठे हैं अपने किरदार को जो, लोग कहते हैं कि हम उनकी भी इज्जत करें.
सभापति महोदय, चूंकि मुझसे पूर्व भी सम्माननीय सदस्य ने आपसे अनुमति ली थी विषय से अलग बात करने की. हम तो वही सीखते हैं जो हमारे बुजुर्ग और हमारे मुखिया हमको सिखा देते हैं. मुझे लगता है कि यहां पर जितने भी नये सदस्यगण बैठे हैं वह मेरी बात से सहमत भी होंगे. माननीय नरोत्तम मिश्र जी ने कहा कि मुझे इस बात का दुःख है कि मैं जानता हूं कि कई सदस्य यहां पर ऐसे बैठे हैं, जिनके अनुभव मेरी उम्र से भी ज्यादा है. मुझे इस बात का दुःख है कि उन्होंने कई शब्द ऐसे कहे जिसके लिये हम लोगों को माननीय अध्यक्ष महोदय से निवेदन करना पड़ा उन शब्दों को विलोपित करने के लिये. मैं आपसे बोलना चाहता हूं कि जो शब्द उन्होंने कहे कि यह खंडित जनादेश है. यह पूरे मध्यप्रदेश के जनादेश का अपमान है.
सभापति महोदय--दो मिनट आपको भूमिका में हो गये हैं. अब आप विषय पर बोलें.
श्री प्रवीण पाठक--सभापति महोदय, मैं माननीय बड़े भाई तरूण भनोत वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि जिन परिस्थितियों में उन्होंने जो अनुपूरक बजट पेश किया है वह वास्तव में बधाई के पात्र हैं. इसके पहले जो स्थितियां प्रदेश में थीं वह लगभग इस तरीके की थीं कि छोड़िये शिकायत शुक्रिया अदा कीजिये जितना है पास पहले उसका मजा लीजिये. माननीय नरोत्तम जी कह रहे थे कि हम लोग सरप्लस बजट छोड़ करके गये हैं. सरप्लस बजट सिर्फ आंकड़ों का खेल है, यह कागजी खेल है. मैं सदन को बताना चाहता हूं कि राज्य शासन के ऊपर लगभग 1 लाख 86 हजार करोड़ रूपये का कर्ज पुरानी सरकार छोड़ करके गई है. उस कर्ज का जो ब्याज प्रत्येक वर्ष का है वह लगभग 13 हजार करोड़ रूपये का है. प्रतिव्यक्ति मध्यप्रदेश के ऊपर ऋण का जो भार है वह 22 हजार 600 रूपये है. सभापति महोदय जो वर्षों से कपास की खेती कर रहे हैं आज उन्हीं को कमी है पहनने को लिबास की. मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि लोकतंत्र में हमारे सदन के नेता ने पूरे देश में जो उदाहरण पेश किया है कि सरकार बनने के बाद मुझे लगता है कि 24 घंटे से भी पूर्व समय में अपने वायदे किये उसमें किसानों का कर्जा उन्होंने माफ किया है, यह पूरे देश में एक उदाहरण पेश किया है.
श्री विजय पाल--किसी का माफ नहीं किया है.पूरे दो लाख रूपये आप एकाध किसान का नाम तो बता दो जरा.
श्री प्रवीण पाठक--सभापति महोदय, फिर से विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि जैसा उदाहरण आप लोग पेश करेंगे, हम लोग 90 लोग पहली बार चुनकर आये हैं. जैसे आप लोग उदाहरण पेश करेंगे, वैसा ही सीखेंगे. मैं चाहता हूं कि हम लोगों को भी बहुत लंबा चलना है इस सदन में, जैसा आप लोग सिखाएंगे, वैसा ही हम लोग सीखेंगे, चूंकि हमने भी आपको विनम्रतापूर्वक अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया.
श्री भारत सिंह कुशवाह - पहली बार वाले असत्य नहीं बोलते हैं, आप जिस तरह से असत्य बोल रहे हैं.
श्री प्रवीण पाठक - एक विषय आप ऐसा बता दीजिए, माननीय भारत सिंह कुशवाह जी कि हमने असत्य बोला हो, असत्य तो आपकी सरकार से 15 साल से बोला, असत्य आपकी सरकार ने केन्द्र में बोला. पहले कहा 15 लाखा खातों में देंगे, काला धन लेकर आएंगे, एक बात ऐसी बताइए जो आपकी सरकार ने किया हो.
श्री भारत सिंह कुशवाह - आपने कर्ज माफी की बात कही है, एक भी किसान को यदि प्रमाण पत्र दिया गया हो तो बताइए.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य आपस में चर्चा न करें, सीधे मुझसे संवाद कर अनुमति लेकर बात करें.
श्री प्रवीण पाठक - सभापति महोदय, मैं धन्यवाद देना चाहता हूं, हमारे माननीय वित्त मंत्री जी को कि उन्होंने ऐसी स्थिति में ऐसा बजट पेश किया. जहां किसानों के कर्ज माफ करने की बात है तो पूरे मध्यप्रदेश में रजिस्ट्रेशन चालू है और धीरे धीरे सबका कर्जा माफ करने की प्रक्रिया की शुरूआत हो चुकी है.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य जी, आपके 6 मिनट हो चुके हैं, अपनी बात को तत्काल समाप्त करें.
श्री प्रवीण पाठक - सभापति महोदय, चूंकि युवा हूं तो युवाओं की बात करूंगा. युवाओं के लिए भी जो माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया, वित्त मंत्री जी ने किया, हृदय से सभी मध्यप्रदेश के युवाओं की तरफ से मैं उनको धन्यवाद देता चाहता हूं. पिछले 15 साल से जो मुख्यमंत्री कन्यादन योजना चल रही थी, उसकी राशि भी माननीय मंत्री जी ने 21 हजार से बढ़ाकर 51 हजार रूपए किया है यह भी बहुत बधाई के पात्र का मुझे लगता है उन्होंने कदम उठाया है और मुझे लगता है कि हमारी जो बहनें है उन्हें भविष्य में निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा.
श्री गिरीश गौतम - माननीय सभापति जी सबसे पहले तो मैं आपको बधाई दे दूं कि इस सदन में पहली बात आपको वहां पर बैठने का मौका मिला उसके लिए बधाई.
सभापति महोदय - बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री विश्वास सारंग - आप वहां पर अच्छे भी लग रहे हैं.
सभापति महोदय - बहुत बहुत धन्यवाद, पूरे सदन का धन्यवाद.
श्री विश्वास सारंग - आगे भविष्य उज्ज्वल है.
श्री गिरीश गौतम - सभापति जी, मैं काफी कम समय में अपनी बात को रखना चाहूंगा.
सभापति महोदय - गिरीश जी अपनी बात प्रारंभ करें.
श्री गिरीश गौतम - माननीय सभापति जी, आपने राशि मांगा है इस अनुपूरक अनुदान के भीतर किस बात के लिए अपको मंजूरी दी जाए कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बनाए गए संबल कार्ड की योजना को बंद करना चाहते हैं. यह संबल कार्ड इसलिए था कि गरीब के घर में किसी 18 से 59 साल के व्यक्ति का एक्सीडेंट हो जाए, उसके निराश्रित परिवार को 4 लाख नकद भुगतान किया जाता था. सामान्य मौत हो जाए तो 2 लाख दिया जाता था. परमानेंट अपंगता हो जाए तो 2 लाख, टेम्परेरी अपंगता हो जाए 1 लाख और प्रसूता को 16 हजार दिया जाता था. मैंने जब पूछा अधिकारियों से कि इसको क्यों बंद किया जा रहा है तो बताया गया गया कि इसका शायद नामकरण चेंज होना है, संबल की जगह पर नाम चेंज होना है, भैया नाम बदल लो मुझे कोई आपत्ति नहीं है. (XXX) के नाम से कर लो, (XXX) के नाम से कर लो, और किसी के नाम से कर लो, किसी (XXX) के नाम से कर लो और नाती पोता ढूंढ लो उनके नाम से योजना का नाम कर लो, पर यह गरीबों का पैसा मत बंद करों में आपसे कहना चाहता हूं.
श्री कमल पटेल - सभापति महोदय, इस तरह की बात नहीं होनी चाहिए और जिन लोगों का नाम यहां पर उल्लेखित कर रहे हैं उनका नाम विलोपित करा दीजिए.
सभापति महोदय - नाम विलोपित किया जाए.
श्री प्रियव्रत सिंह - सभापति जी, संबल का पोर्टल तो आपके समय से बंद हुआ है.
श्री गिरीश गौतम - अभी बंद हुआ है, आचार संहिता लगने से पहले 4 लाख कच्चे कपड़े अपने हाथ से देकर आया हूं.
श्री प्रियव्रत सिंह - सभापति जी, ये असत्य तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं, कुछ भी कह रहे हैं.
सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी आपके दल को आपके सदस्यों को बात रखने का मौका मिलेगा. गौतम जी आप बोलिए.
श्री गिरीश गौतम - सभापति जी, कई लोगों को 1 लाख रूपए, 2 लाख रूपए कोई मायने नहीं रखता, हो सकता है आपको 200 रूपए दिखता हो, पर गरीब लोगों के लिए 1 लाख रूपए हिमालय पर्वत की ऊंचाई है. उसको जिन्दगी में उतना पैसा प्राप्त नहीं हो सकता है, सरकार से वह मदद की जा रही थी. आपने उसको बंद करने का काम किया है तो मेरा आग्रह यह है कि यदि आप पैसा मांगते हैं तो पोर्टल तत्काल खोलिए. जैसा मैंने अभी कहा, मैं नाम नहीं ले रहा हूँ, आप उसको किसी के नाम से भी कर दीजिए पर यह जो गरीबों का हक है, इसको बंद मत कीजिये एवं आचार संहिता लगने के पहले अंत्येष्टि के 5,000 रुपये जाना चालू हो जाएं, 2 लाख रुपये जाना चालू हो जाएं, 4 लाख रुपये जाना चालू हो जाएं. वित्त मंत्री जी आप यह शुरू करवाइये, मैं आपसे यह आग्रह करना चाहता हूँ. दूसरा, आपने बिजली के बारे में कहा कि 100 यूनिट का एक रुपया लगेगा. यही तो है आपके वचन पत्र में. 100 यूनिट का एक रुपया है.
सभापति महोदय - आप आपस में चर्चा न करें, गिरीश जी को अपनी बात पूरी रखने दें. आप बैठ जाइये. आप वाद का प्रतिवाद न करें.
श्री तरुण भनोत - सभापति महोदय, 1 रुपया यूनिट है. आप कह रहे हैं कि 100 यूनिट का एक रुपया है.
श्री गिरीश गौतम - सभापति महोदय, 100 यूनिट का एक रुपये के हिसाब से 100 रुपया होता है. मैं पहले भी सही कह रह रहा था, आप समझ नहीं रहे थे. अब आपको समझ में नहीं आ रहा है तो हम क्या करें ? एक रुपये के हिसाब से 100 यूनिट का 100 रुपये है, बाकी का रीडिंग से आएगा. पूरे प्रदेश के भीतर कहीं मीटर हैं ? इतने उपभोक्ताओं को पहले मीटर लगवाना पड़ेगा, आप तब तय करेंगे कि 100 यूनिट कैसे चलेगा ? सन् 2003 के पहले भी एक बार मीटर लगे थे और मीटर में क्या-क्या हुआ था ? यह सब लोगों को पता है. आपको भी पता है एवं प्रदेश की पूरी जनता को पता है. यह मीटर लगवाने वाला काम तो कम से कम न करें. एक फ्लैट रेट तय कर दें. आपको ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार की योजनाओं को बदलना है.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - सभापति महोदय, मीटर नहीं लगे थे तो 200 रुपये में 100 यूनिट कैसे माप रहे थे ?
श्री गिरीश गौतम - 200 यूनिट हम नहीं माप रहे थे, 200 रुपये फ्लैट रेट में दे रहे थे. उसको 200 रुपये देना है, वह 200 रुपये में बिजली चलाये. हमने कह दिया था वह पंखा चलावे, कूलर चलावे, टीवी चलावें, चार पंखे चलावे, हम उससे 200 रुपये ले रहे थे. आपने मीटर के हिसाब से कर दिया, अब मीटर कहां से लायें ?
ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल) - सभापति महोदय, आपने जब साढ़े 14 वर्ष लूटा, उसके बाद जब चुनाव नजदीक आए तब यह सरल संबल लेकर आए.
श्री गिरीश गौतम - सभापति महोदय, हमने साल भर चलाया, छ: महीने चलाया, उसके 200 रुपये लिये. हमने आपकी तरह नहीं किया कि 2 लाख रुपये की घोषणा कर दी और मुश्किल तो यह है कि आप 50,000 रुपये भी लोगों को दे दें, कानून और व्यवस्था में, मैं ज्यादा डिटेल में नहीं जाना चाहता हूँ कि परन्तु एक चीज है. मैंने गृह मंत्री जी को आज ही एक ज्ञापन दिया है कि रीवा के भीतर एक बड़े अधिकारी श्री अभिषेक सिंह का कत्ल हो गया, वे आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत अधिकारी थे. अभिषेक सिंह की हत्या की गई है. वह भी अधिकारी है, जिसका नाम कत्ल में आ रहा है, आरोपी है. उसकी जमानत सेशन कोर्ट से एवं हाई कोर्ट से खारिज हो गई है, उसको पुलिस नहीं पकड़ रही है. आखिर वह कौन सी वजह है ? सरकार बदल गई तो क्या अपराधी नहीं पकड़े जाएंगे ? किस बात के लिए पैसा चाहते हैं, हम पुलिस को मजबूत करें, हम पुलिस को सारे साधन मुहैया कराएं. इसके लिए हम बजट विधानसभा से दें. वे एक अपराधी को इसलिए न पकड़ें कि वह बड़ा अधिकारी है तो मेरा आग्रह यह है कि इसको देखने की आवश्यकता है. लॉ एण्ड ऑर्डर की जो व्यवस्था गड़बड़ है, उसको भी ठीक करने की आवश्यकता है. आपने पीडब्ल्यूडी की सड़कों को जिनका टेण्डर हो गया है एवं जिनमें वर्क ऑर्डर हो गया है, उनके कामों को बंद कर दिया है. रीवा जिले के भीतर 20 से 25 सड़कों का टेण्डर होकर, उनका वर्क ऑर्डर हो गया, उन पर आंशिक तौर पर काम भी शुरू हो गया एवं आपने पैसा ही पीडब्ल्यूडी से निकालना बंद कर दिया. क्या आप इसके लिए पैसा चाहते हैं ?
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) - सभापति महोदय, हमारे यहां उल्टा है 50 प्रतिशत से ज्यादा काम हो गया है और ठेकेदारों को नोटिस दे दिए हैं, उन्होंने काम छोड़ दिये हैं और बैंक करप्ट हो गए हैं. मेरे यहां की 29 सड़कें हैं.
सभापति महोदय - आप कितना समय लेंगे.
श्री आशीष गोविंद शर्मा - पूरा काम अधूरा पड़ा हुआ है, कई सारी सड़के प्रदेश में अधूरी पड़ी हुई हैं, उनका काम एकदम बीच में रोक दिया गया है.
श्री गिरीश गौतम - अभी रोका गया है. सवाल यह है कि मैं आपसे यह कहना चाहता हूं. (व्यवधान)
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय सभापति महोदय, नीमच जिले में भी सारे काम रूक गये हैं.
श्री गिरीश गौतम - माननीय सभापति महोदय, मैं अपने सत्ता पक्ष के ट्रेजरी बैंच के लोगों से निवेदन करना चाहता हूं कि आपने चुनाव के पहले यही तो नारा दिया था कि हम सब गड़बड़ कर रहे हैं. हम आयेंगे तो सब ठीक कर देंगे. अलादीन का चिराग लेकर आयेंगे और पूरे प्रदेश को ठीक ठाक कर देंगे. अब क्यों रोते हो भईया कि पैसा नहीं है. आपने पहले क्यों नहीं यह बात बताई थी कि पैसा नहीं है हम नहीं लेंगे इन्हीं को रहने दो हमको जरूरत नहीं है पर उस समय तो आपने खूब हल्ला मचाया हम आयेंगे सब ठीक कर देंगे, सारी सड़कों को ठीक कर देंगे, बिजली को ठीक कर देंगे, सिंचाई को ठीक कर देंगे, पानी को ठीक कर देंगे, अस्पताल को ठीक कर देंगे, पुलिस को ठीक कर देंगे, लॉ एण्ड आर्डर को ठीक कर देंगे और आज आपने सारे विषयों में रोना चालू कर दिया है, आप इसलिये पैसा चाहते हैं.
सभापति महोदय जी, ज्यादा आपको टोकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी इसलिये मैं यहां यह कहना चाहता हूं खासतौर पर मैं 90 नये विधायकों को यह कहना चाहता हूं और उनसे आग्रह करना चाहता हूं. इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष का संबंध नहीं है क्योंकि हमारे तरफ से भी नये विधायक आये हैं. उन्हें यह याद रखना होगा कि उन्हें ग से गमला सीखना है ग से (XXX) मत सीखना.
सभापति महोदय - इसको रिकार्ड न किया जाये. बस इतना सीख लेना और इतना सीख लोगे तो हम इस संसद की गरिमा को बनाये रखेंगे, पंरपराओं को बनायें रखेंगे और इस देश के लोकतंत्र को ठीक करने में हम सब अपना योगदान कर सकेंगे. इसलिये मैं इन तमाम सारी बातों को लेकर आपकी अनुपूरक अनुमान मांगों का विरोध करता हूं.
श्री आरिफ मसूद (भोपाल मध्य) - माननीय सभापति महोदय, मैं बहुत देर से चर्चा में भाग ले रहा हूं और सुन भी रहा हूं. मैं बजट का स्वागत करता हूं इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह बहुत अच्छा बजट है और इस लेखानुदान में अल्पसंख्यकों के लिये जो दो-ढाई करोड़ रूपये रखा गया है वह भी ठीक है. निश्चित रूप से हमारे मुख्यमंत्री और सरकार जब अगला बजट आयेगा तो इसमें बढ़ोत्तरी करेगी.
माननीय सभापति महोदय, मैं चंद बातें इस बीच में सुबह से देख रहा हूं कि संविधान की बात चल रही है, लॉ एण्ड आर्डर की बात चल रही है. मंदसौर के मंजर को भी हमने अपनी आंखों से देखा है, हमने अपनी आंखों से लाशों को गिरते हुये भी देखा, इन आंखों ने किसानों को मरते हुये देखा है और वह लोग आज किसान हितैषी बात कर रहे हैं. संविधान की धज्जियां जलाने वाले लोग संविधान का पाठ भी पढ़ा
रहे हैं. अभी फिर कहा गया और बहुत अच्छी सीख दी कि ग से गमला और आगे मैं नहीं कहूंगा. अब कौन गमला और कौन वो है बाकी सब समझ ही जायेंगे. यह समझने की बात है. लेकिन सभापति महोदय जी हम लोग भी नयें हैं और हम लोग भी बहुत सीखना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि हमको जनता से जिस उम्मीद के साथ सदन में भेजा गया है उस पर हम लोग खरे उतरें और उनकी उम्मीदों को हम पूरा कर सकें.
3.53 बजे {सभापति महोदय (श्री गिरीश गौतम)पीठासीन हुए.}
माननीय सभापति महोदय, हमको 15 साल लगातार कहीं कोई गुंजाईश नहीं मिली और तमाम तबका परेशान रहा आज पहली बार ऐसा लग रहा है कि सरकार आने के बाद वो तबका जो परेशान था, चाहे वह किसान का हो, चाहे वह गरीब का हो, चाहे नौजवान हो, उसको रोजगार मिलेगा और उनको जो बार-बार किसानों की बात हुई है कि कर्जा किसानों का डला नहीं, जिन किसानों के खातों में 15 लाख रूपये नहीं डले हैं मैं समझता हूं कि सरकार की तरफ से 23 तारीख को इन लोगों को भी आमंत्रण पहुंच जाना चाहिये ताकि पता चल जाये कि किसानों को पैसा मिलने लगा.
माननीय सभापति महोदय, हम जुमले वाले लोग नहीं है हमारी सरकार काम करने वाली सरकार है. मैं इस सरकार को बधाई देता हूं और उम्मीद करूंगा कि जब अगली बार पूरा बजट आयेगा तो योजनाओं में अल्पसंख्यकों के लिये अगर कुछ कमी रही होगी तो उसको भी पूरा किया जायेगा. मेरी तरफ से बजट की बहुत बधाई और उम्मीद करूंगा कि सदन में जो पाठ पढ़ाने वाले लोग हैं, वह यह याद रखें कि हमें अगर संविधान का पाठ पढ़ा रहे हैं तो उससे वह भी बंधे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया(मंदसौर) -- माननीय सभापति महोदय, अल्पवर्षा और ओलावृष्टि को लेकर के सिर्फ निर्देश दिये गये हैं जमीनी हकीकत कुछ और है. मैं जिस जिले का प्रतिनिधित्व करता हूं . वहां पर अफीम उत्पादक किसानों के बारे में जो उनके ऊपर कहर बरपा है उस कारण से खेतों में सन्नाटा है. किसानों के चेहरे मुरझाये हुये हैं, सरकार के नुमाईंदे सरकार की पहली प्राथमिकता क्या है इस पूरे एक माह के दौरान चाहे अल्पवर्षा हो चाहे अतिवर्षा हो चाहे ओलावृष्टि हो उसकी तरफ ध्यान कम है. मुझे जानकारी यहां तक मिली है कि पिछले एक माह में वल्लभ भवन में अधिकतम पास बने हैं, पांच हजार से अधिक के पास लोगों के बने हैं, पांव रखने की जगह नहीं है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री कमलेश्वर पटेल) -- वल्लभ भवन प्रदेश की जनता के लिये खोल दिया गया है. इसमें क्या बुराई है. पास का उल्लेख करना उचित नही है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - पास का उल्लेख इसलिये किया क्योंकि यह विकास के लिये नहीं है. स्थानांतरण करना-करवाना, निरस्त करना, तेरी गोटी फीट कर दूंगा तुझे यहां से वहां फीट कर दूंगा. अभी तो मुझे आश्चर्य हो रहा है कि चाहे विधानसभा का प्रवेश परिसर हो या वल्लभ भवन ऐसा आकर्षण , किस बात का आकर्षण है.
माननीय सभापति महोदय, कर्जमाफी पर अनेक माननीय सदस्यों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये हैं लेकिन मैं पिछले तीन दिन की घटना सदन में बता रहा हूं कि अभी तक कहीं चर्चा में नहीं आई है. न मीडिया में आई है न सत्ता पक्ष की ओर से और न ही हमारी अपनी तरफ से आई है. लेकिन मैं संसदीय कार्य और सहकारिता मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि लोड हो गये हैं, जानकारी की तालिका बन गई है, कर्ज माफी को लेकर के पैक्स वृत्ताकार सोसायटियां 1 अप्रैल 2007 से लेकर के 31 मार्च 2017 तक जो कालातीत डिफाल्टर किसान है उनका भुगतान समायोजित वृत्ताकार सोसायटी पैक्स 50 प्रतिशत सोसायटी को वहन करने पड़ेंगे ऐसी जानकारी में आया है और इस संबंध में कलेक्टर को निर्देश भी जारी कर दिये गये हैं . अगर यह निर्णय सरकार करने जा रही है या यह स्थिति निर्मित हो रही है तो मैं और आप सबको चिंतित होना पडेगा पैक्स पर ताला लग जायेगा. सोसायटियां बर्बाद हो जायेंगी, वह अंश पूंजी है. वह किसानों की धरोहर राशि है . आप उसको किस प्रकार से कर्जमाफी में मीट-आउट कर सकते हैं या किस प्रकार से किसी दूसरे खाते से सरकार के खाते में राशि डाली जा सकती है. चिंता की लकीरें हैं उन सोसायटियों के प्रबंधकों के ऊपर, उन सोसायटियों के अध्यक्ष के ऊपर ,उन बोर्ड के डायरेक्टरों के ऊपर और किसानों के ऊपर . आप किसानों के पैसे का ही खेल खेल रहे हैं. तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा. 25 प्रतिशत की राशि 1 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च, 2018 तक पिछले 12 माह के जो कालातीत डिफाल्टर हैं उनको 25 प्रतिशत की राशि अंशपूजीं में से सरकार के निर्देशों के अंतर्गत किसानों के खातों में डाले जाने की रणनीति बन रही है. मुझे अनेक सोसायटियों के प्रबंधकों ने फोन किया . कलेक्टरों को निर्देश गये हैं . अगर ऐसा हो रहा है तो बहुत चिंता का विषय है. 50 लाख से एक-एक करोड़ तक की राशि इन वृताकार सोसायटियों की, किसानों की अंशपूंजी से कर्ज माफी में डायवर्ड हो जायेगी माननीय वित्त मंत्री महोदय और शायद इसीलिये यह सरकार कर्जमाफी को लेकर के किंतु परंतु इफ एंड बट लगातार करती चली आ रही है. मैंने एक ट्वीट किया था. कर्जा किस प्रकार से माफ किये जाने की बात कर रहे हैं. यहां एक .युक्ति सार्थक होती है कि किराने की दुकान पर एक ने किराने का सामान उधार लिया और उधारी के सामान की लिस्ट जिसमें उधारी कितनी पटानी है कितनी चुकानी है यह रिकार्ड किराने की दुकान पर है लेकिन हिसाब किताब नाई की दुकान पर पूछा जा रहा है. अब पंचायतों पर सूचना पत्र लगाना, पंचायतों पर किसानों के नाम रेखांकित करना गुलामी फार्म, पीला फार्म, सफेद फार्म पोर्टल का जमाना है किस किसान का कितना कर्ज किस सोसायटी पर है और कितना नेश्नल बैंक में है एक क्लिक करते ही मालूम पड़ जाता है.
माननीय सभापति महोदय, मेरा यह महत्वपूर्ण विषय था, सहकारिता को लेकर के अगर यह खेल हो रहा है तो बहुत गंदा खेल हो रहा है. हां मैं मानता हूं कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली, कमलनाथ जी के नेतृत्व वाली सरकार में जो माननीय मंत्रियों ने भी अपने वक्तव्य दिये हैं, प्रेस कांफ्रेंस में दिये हैं उनकी प्राथमिकतायें, उन तमाम मुद्दों के साथ-साथ, वचनपत्रों के साथ-साथ अन्य भी और इनके वचन हैं जो अनआफीशियल हैं, मसलन कांग्रेस के नेताओं पर लगे केस खत्म कर दिये जायेंगे, दंगाईयों के केस समाप्त कर दिये जायेंगे, धर्म परिवर्तन करने वालों के केस समाप्त कर दिये जायेंगे, सिमी एनकाउंटर की पुन: जांच की जायेगी, हिंदुओं की हत्याओं का दौर शुरू, सिमी आतंकवादियों की रिहाई शुरू. माननीय सभापति महोदय, 5 रूपये से लेकर के 30 रूपये तक के कर्जमाफी के किसानों के नाम लिस्टेड हो रहे हैं. हमें किसान कह रहा है कि 5 रूपये की तो बीड़ी भी नहीं आती, बीड़ी का बंडल भी नहीं आता. माननीय सभापति महोदय, यहां दिलीप सिंह जी परिहार नीमच के विधायक बैठे हैं इनके विधान सभा क्षेत्र में रूबेला का इंजेक्शन लगने से फैल हुआ है. माननीय सीतासरन जी शर्मा वरिष्ठ सदस्य हैं उन्होंने जिक्र किया है.
श्री तरूण भनोत-- माननीय सभापति महोदय, यशपाल जी बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं और अभी चंद मिनटों पहले वहीं बैठे थे जहां विराजमान हैं, यह कागज पढ़कर कह रहे थे कि कांग्रेस के मंत्रियों ने यह वक्तव्य दिये. मैं आपसे यह अनुरोध करना चाहता हूं कि जो वक्तव्य आप पढ़ रहे थे, जो यहां पर रिकार्ड किये गये हैं यह कौन से मंत्री ने कब वक्तव्य दिया. सदन में अगर ऐसा किसी ने कहा है तो आप जिम्मेदारी के साथ नाम लीजिये और अगर ऐसा न कहा होगा और उसका आप उदाहरण नहीं रखेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय सभापति महोदय, यह सारे के सारे वक्तव्य आये हैं.
श्री तरूण भनोत-- कहां आये हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- इंदौर में आये हैं, भोपाल में आये हैं, गृह मंत्री जी कुछ बोलते हैं, अन्य मंत्री कुछ और बोलते हैं. ... (व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत-- क्या आप इन्हें पटल पर रखेंगे ?
4.03 बजे अध्यक्ष महोदय (श्री एन.पी. प्रजापति) पीठासीन हुये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दिलीप सिंह परिहार जी की बात कर रहा था, रूबेला के इंजेक्शन से एक 8 वर्ष का बच्चा काल के गाल में समा गया जिसके बारे में किसी ने चिंता नहीं की है. रूबेला के इंजेक्शन लग रहे हैं, वह फैल हो रहे हैं, रिएक्शन हो रहे हैं, स्वास्थ अमले ने उसकी चिंता नहीं की है. माननीय सभापति महोदय, 64 पॉजीटिव आये हैं स्वाइन फ्लू को लेकर के, 24 लोगों की मौत हुई है, इस बात की चिंता करनी चाहिये.
कुंवर विक्रम सिंह (नाती राजा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह दवाइयां लाया कौन है, जब सरकार में आप लोग बैठे थे तब आप ही लोग तो यह दवाई लेकर आये. ...(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिर्फ नाम बदलने का काम हो रहा है. मैं गिरीश गौतम जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. आखिर सम्बल योजना का होगा क्या. एक काम जरूर कर दिया ऊर्जा मंत्री जी ने इंदिरा गृह ज्योति नाम बदल दिया, जो संबल योजना का पाठ था, हम सदन में मांग करते हैं कि संबल योजना को बंद नहीं किया जाना चाहिये. 2 लाख रूपये, 4 लाख रूपये, गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली राशियां, सब कांग्रेस की सरकार बैठते ही समाप्त कर दी गई हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के अनुपूरक बजट की मैं आलोचना करता हूं, इसकी निंदा करता हूं.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जो अनुपूरक अनुमान रखा गया है उसके समर्थन में मैं खड़ा हुआ हूं. जो यहां खेती,युवा,महिलाओं पर जो यहां चर्चा हो रही है. यशपाल सिंह जी ने जो अफीम की खेती की बात यहां रखी है. अफीम की खेती वर्तमान में ओलावृष्टि से बर्बाद हुई है वह केन्द्र सरकार से ताल्लुक रखती है. मैं निवेदन करना चाहूंगा कि आप केन्द्र सरकार को अवगत कराएं कि वह बीमा या हर्जाना वहां दें तो तुरंत दें. वहां 100 प्रतिशत ओलावृष्टि से अफीम की खेती बर्बाद हुई है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - अध्यक्ष महोदय,अफीम की खेती अकेले केन्द्र सरकार के अंतर्गत नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - यह कोई प्रश्नोत्तर का विषय नहीं है. आप वरिष्ठ सदस्य हैं. कोई भी सदस्य कोड करता है तो इसका यह मतलब नहीं है कि आपको तत्काल खड़े होकर जवाब देना है. यह प्रश्नोत्तर नहीं है. यह जो तरीका मैं देख रहा हूं. जिसका नाम लिया जिसने किया और बीच में खड़े हो जाते हैं. यह परंपरा नहीं रही है. इसका पटाक्षेप करें. अब ऐसा व्यवहार कोई न करे. जैसा चलता था वैसा चलाए मेहरबानी होगी आप लोगों की.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय,यह परंपरा रही है कि जिस सदस्य के बारे में नाम लेकर बोला जाता है तो सदस्य के लिये उस बात का उत्तर देने की,स्पष्टीकरण देने की परंपरा रही है. यदि वह सदस्य यहां पर उपस्थित है. सैकड़ों की संख्या में ऐसे उदाहरण पिछले कार्यकालों में मिल जायेंगे. कोई किसी के बारे में कुछ भी कहेगा और वह हाऊस में बैठा रहेगा और स्पष्टीकरण नहीं दे पाएगा तो ठीक नहीं रहेगा.
अध्यक्ष महोदय - लेकिन इस परंपरा का दुरुपयोग हो रहा है. मेरी चिंता का विषय यह नहीं है. मैं खड़ा हूं और आप लोग खड़े हो जाते हैं. क्या परंपरा रही है,क्या विधान सभा के विद्यमान नियम हैं. हम सब लोग भूल रहे हैं. मैं सिर्फ कोशिश कर रहा हूं आपको याद दिलाने की. अगर किसी का नाम ले रहे हैं और वह तत्काल खड़े होकर जवाब दे रहे हैं तो कहीं न कहीं उसका दुरुपयोग हो रहा है. मैं सिर्फ यह अनुरोध कर रहा हूं. उस व्यवहार को व्यवहार कुशलता में लाईये कि वह दुरुपयोग की श्रेणी में न आए. मैं इतना चाहता हूं.
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय,यहां पर खेती की बात हुई तो अभी जो दो लाख रुपये का कर्जा माफ हो रहा है तो सबसे ज्यादा मंदसौर और नीमच जिले के किसानों को मिलेगा. मैं मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा क्योंकि किसानों के हित के लिये अभी तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आज तक जो काम किया था वह सिर्फ करोड़पतियों,अंबानी जैसे लोगों के लिये किया है और कांग्रेस ने 72 हजार करोड़ का कर्ज किसानों का माफ किया् और दो लाख रुपये तक के कर्ज माफी के प्रमाणपत्र किसानों को मिल जायेंगे और मेरा मानना है कि बी.जे.पी. के जो समर्थित किसान हैं उन्हीं ने सबसे ज्यादा फार्म भरे हैं. मध्यप्रदेश के युवाओं के लिये जो बात कही गई है. आंकडे देखे जाएं तो विगत 15 सालों में मध्यप्रदेश के युवाओं के साथ जो छलकपट हुआ है. कमलनाथ जी को हम धन्यवाद देते हैं कि ऐसे युवा जो मध्यप्रदेश के निवासी हैं तो उनको 70 प्रतिशत रोजगार हम देंगे बाद में दूसरे राज्यों के युवाओं को. अभी तक व्यापम के माध्यम से दूसरे राज्यों के युवाओं को यहां रोजगार दिया जा रहा है. बुजुर्गों की पेंशन जो इन्होंने 300 रुपये रखी थी और उसमें विधवाओं को गरीबी रेखा का कूपन प्रतिबंधित किया जाता था. तो हमारी सरकार ने बुजुर्गों की पेंशन 1000 रुपये की है उसके लिये धन्यवाद. मेरा तो मानना है अगर इन पेंशनधारियों की और भी राशि बढ़ाई जाये तो इस हाऊस में प्रस्ताव रखना चाहिये. एक हजार की राशि के लिये कमलनाथ जी को धन्यवाद. अगर इन पेंशनधारियों की और भी राशि बढ़ाई जाय तो इस सदन में प्रस्ताव करना चाहिए क्योंकि एक हजार रुपए भी अगर यदि यह हो गये हों तो उसके लिए कमलनाथ जी को धन्यवाद. उससे भी ज्यादा बढ़ा सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - श्री बहादुर सिंह चौहान..
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय - दो-दो मिनट दूंगा. डंग साहब हो गया. इसके बाद जो अगले प्रस्ताव आएंगे उन पर भी आप चर्चा कर सकते हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग - धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, बड़ा विरोधाभास हो रहा है. माननीय सदस्यों की जानकारी में बताना चाहता हूं कि यह प्रश्नोत्तरी में है. माननीय समाज कल्याण मंत्री जी ने उत्तर दिया है. मैंने पूछा था कि क्या एक हजार रुपए महीना सामाजिक सुरक्षा पेंशन देने की बात है, उसमें उत्तर में आया है कि जी नहीं. मंत्री जी का ही यह उत्तर है. कोई घोषणा एक हजार रुपए की नहीं की गई है आप क्यों भाषण दे रहे हैं? यह अभी का दस्तावेज है.
श्री हरदीप सिंह डंग - एक अप्रैल से छह सौ रुपए कर रहे हैं.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर उत्तर) - अध्यक्ष महोदय, जो कहा जा रहा है कि 90 नये विधायक आए हैं लेकिन सुबह से हम लोग यहां पर अपने सीनियर्स को देख रहे हैं, सीखना तो उनसे ही पड़ता है. जिन-जिन के बहुत बड़े-बड़े नाम सुने थे. माननीय श्री गोपाल भार्गव जी, माननीय डॉ. नरोत्तम मिश्र जी, लेकिन जो हमें देखने को मिलता है तो लगता है कि जब श्री गोपाल भार्गव जी बोलना शुरू करते हैं तो डॉ. नरोत्तम मिश्र जी बीच में जरूर खड़े होते हैं. हम लोग यहां पर क्या सीखेंगे?
श्री गोपाल भार्गव - मैं तो तथ्यों पर ही बोल रहा हूं.
श्री विनय सक्सेना - आप तो बहुत अच्छा बोल रहे हैं. मैं तो हाथ जोड़कर आपका सम्मान करता हूं.
श्री गोपाल भार्गव - आप जरा पढ़ा करें. मैं यह कह रहा हूं कि प्रश्नोत्तरी में आया है.
श्री विनय सक्सेना - नहीं, नहीं. मैं आपको कुछ नहीं बोल रहा हूं. मैं तो आदरणीय नरोत्तम मिश्र जी की तरफ ध्यान आकर्षित कर रहा था. उन्होंने दुनिया का कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसको आज छोड़ा नहीं हो.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत)- उन्होंने यह नहीं कहा कि आप तथ्यों पर नहीं कह रहे हैं उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि जब आप बोलने को खड़े होते हैं तो नरोत्तम मिश्र जी जरूर बीच में खड़े होते हैं. आप ध्यान दीजिए.
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि कहीं न कहीं पीड़ा है जो बीच-बीच में उभरकर आती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, जो यह बजट आया है, वह स्वागत योग्य है, माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय वित्त मंत्री जी को और सभी विभाग के मंत्री जिनका इसमें अंश जोड़ा गया है, उन सबको धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने जनहित में एक अच्छा बजट पेश किया है. सुबह कहा जा रहा था कई बार माननीय मुख्यमंत्री, लेकिन आप सभी जो आदरणीय हैं उनसे पूछना चाहता हूं कि उनके बराबर संसदीय अनुभव किसका है? आज जो लोग बातें कर रहे थे, ऐसा लगता था कि सूर्य को दीया दिखाने वाले लोग थे और शब्दावली ऐसी कि हम लोग अपनी नगर निगम में कभी उपयोग नहीं कर पाए. किसी ने कहा कि (XXX) लोग हैं. मैं सुनता था कि हिन्दू धर्म का ठेका किसी एक पार्टी ने लेकर रखा है, लेकिन क्या (XXX) सिद्ध करने का काम भी हमारे नेता तय कर देंगे, पार्टियां तय कर देंगी? मैं तो सोचता था कि नगर निगम और विधान सभा में बहुत अंतर है.
अध्यक्ष महोदय - यह पापी शब्द विलोपित किया जाय.
श्री विनय सक्सेना - लेकिन मैंने देखा कि जब यहां पर नेता प्रतिपक्ष बोलने के लिए खड़े होते हैं तो सबको (XXX) सिद्ध कर देते हैं. सर्टिफिकेट भी वही दे देते हैं. आदरणीय नेता प्रतिपक्ष से हाथ जोड़कर निवेदन करना चाहता हूं कि हम लोग बहुत छोटे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - पच्चीस हजार रुपया जो ग्राम पंचायतों को दिया था भजन मंडली की सामग्री के लिए, क्या वह सरकार ने वापस नहीं लिया है? यदि आपके पास जानकारी नहीं हो तो मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं कि वह राशि वापस ले ली है, इसलिए मैंने कहा था कि सुबह सुबह ब्रह्म मुहुर्त में भजन मंडलियां निकलती हैं क्या कर्णप्रिय ध्वनि आती है क्या आनंद आता है भजन कीर्तन का, आपको नहीं लेने देना है तो आप नहीं लेने दें.
श्री विनय सक्सेना - आदरणीय नेता प्रतिपक्ष से आदर के साथ कहना चाहता हूं कि कभी कभी कुछ तथ्य हम बगैर देखे भी कह देते हैं. अभी सरकार को बने हुए 50-60 दिन नहीं हुए, सपने दिखाने वाली जो सरकारें थीं, जिस शहर में जाते थे पूर्व मुख्यमंत्री, मेरे शहर में आते थे, कहते थे मेरे सपनों का शहर है जबलपुर. एक बार कांग्रेस पार्षद दल उनसे मिलने के लिए गया कि 300 करोड़ रुपया जबलपुर के विकास के लिए दे दो तो वह कान में आकर बोलते हैं कि बस 300 करोड़ रुपए मांगते हो, अरे 500 करोड़ रुपए दिये हैं कंधे पर हाथ रखकर कहते हैं. वह 500 करोड़ रुपए क्या, 5 करोड़ रुपए आज तक नहीं दिये. ऐसी तो हमारी सरकार नहीं है. सपनों की बाजीगिरी दिखाने वाली सरकार थी.
श्री दिलीप सिंह परिहार - अध्यक्ष महोदय,बजट पर बोलें. इधर उधर की बात वे बोल रहे हैं.
श्री विनय सक्सेना - सुबह से मैं आप लोगों की इधर उधर की बात सुन रहा हूं. माननीय नरोत्तम मिश्र जी किसी को भी असत्य साबित कर रहे थे, शेर और शायरी में समय व्यतीत कर रहे थे और बार-बार क्या कह रहे थे कि 5 मिनट भी तो मुझे अभी तक बोलने नहीं दिया. जब तथ्य की बात बोलेंगे तब तो 10 मिनट होंगे. इधर उधर की बात कहेंगे तो 5 मिनट ही होंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मुख्यमंत्री जी के लिए कहना चाहता हूं. मुख्यमंत्री जी वह मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने एक शब्द कहा कि मैं ऐसे सपने नहीं दिखाऊंगा जो पूरे न हो पायें और पूर्व की सरकार ने तो ऐसे सपने दिखाये जो कभी पूरे ही नहीं हो सकते हैं. मैं यहां पर मुख्यमंत्री जी के लिए एक शब्द कहना चाहता हूं-- सपने वह नहीं जो नींद में आयें, सपने वह हैं जिनको पूरा किये बिना नींद न आये, ऐसा काम हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ जी कर रहे हैं. कांग्रेस की अपनी सरकार के लिए कहना चाहता हूं कि अभी तो चंद दिन हुए हैं, क्यों खीझ निकल रही है, क्यों पेट में दर्द हो रहा है, अरे आप आगे आगे देखिये कोई इस उम्मीद में लगा है कि यह सरकार गिर जायेगी.
मैं यहां पर जब शुरू में आया तो मैंने देखा कि जब वोटों की बात आयी तो लोग सदन छोड़ कर चले गये. अरे लोकतंत्र में तो वोट की संख्या गिनी जाती है तो फिर वोट गिनाने की बजाय सदन छोड़कर क्यों भागते हैं. बजट की बात तो मैंने आज सुबह से आपके आदरणीयों से सुनी है, हम तो यहां पर सीखने आये थे, बड़े बड़े नाम सुने थे मैंने. मैं भी 20 - 25 साल से राजनीति कर रहा हूं लगातार पिछले 10 साल एमआईसी रहा हूं और नेता प्रतिपक्ष भी रहा हूं. थोड़ा बहुत संसदीय अनुभव है एक भी शब्द ऐसा नहीं कहूंगा जो आप लोगों को तकलीफ दे. लेकिन आज मुझे दुख हो रहा है, मुझे आज दुख तकलीफ है पेट में दर्द है आपकी भाषा को देखकर, बार बार अध्यक्ष जी कह रहे हैं कि नियमों से बात करें. नये विधायक नहीं बोल सकते हैं लेकिन हमारे जो पुराने विधायक हैं जो कि पूर्व मंत्री रहे हैं, जो संसदीय मंत्री रहे हैं वह तो बार बार खड़े हो रहे थे. अध्यक्ष महोदय मैं आग्रह करना चाहता हूं कि जब भी आप नियमावली तय करें तो कृपया करके इधर वाले नये लोगों को भी वैसा ही मौका दें जैसा उन लोगों को मौका मिलता है यह सब क्योंकि आपके पुराने मित्र हैं. लेकिन जब संसदीय बात आयेगी तो आपका जो डर है ऐसा ऐसा ( हाथ के इशारे से कुछ कहते हुए )वह हमको भी लगने लगा है, कोई पहले के अध्यक्ष थे वह ऐसा ऐसा करते थे ( हाथ के इशारे से कुछ कहते हुए) यह क्या क्या आपको कोड वर्ड हैं. हम लोग यहां पर पहली बार आये हैं तो डर और दहशत बनी रहती है. लेकिन आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि इस बजट को देखकर आप परेशां मत हो, अभी तो कांग्रेस की सरकार के लिए एक शब्द कहना चाहता हूं कि मेरी जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है मेरे आसमानों का अभी अरमान बाकी है, अभी तो नापी है मुट्ठीभर जमीन हमने अभी तो पूरा आसमान बाकी है. अभी से क्यों पेट में दर्द हो रहा है. अभी से क्यों तकलीफ हो रही है. हमारे देश के नेता के लिए बोल रहे हैं उसके बराबर कद तो करो. माननीय मुख्यमंत्री जी के लिए बार बार एक शब्द का उपयोग करते हैं उद्योगपति. मैं कहना चाहता हूं कि उद्योगपति होना कोई अपराध है. उ द्योगपति जब उद्योग लगाता है तो हजारों लोगों को नौकरी मिलती है, जब किसान खेती करता है तो वह 10 - 50 लोगों को नौकरी देता है. अगर किसान अन्नदाता है तो क्या उद्योगपति नौकरी देकर अन्नदाता नहीं है, अरे आपके लोगों की तरह (XXX) तो नहीं करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह शब्द विलोपित करें.
श्री विनय सक्सेना -- मैं चाहता हूं कि यह शब्द आज विलोपित हो जाय. माननीय नेता प्रतिपक्ष का शब्द आज विलोपित हो गया, जो कि मुझे बहुत देर से कष्ट दे रहा था. जब से यह शब्द बोला गया था, मैं भी सनातन हूं हिंदू धर्म में पैदा हुआ हूं जब से आपने मुझे पापी बोला है, आपने को भोजन कर लिया होगा लेकिन मैं तो बहुत देर से भोजन करने गया, मुझे ऐसा लगा कि जब तक
यह शब्द विलोपित नहीं होगा तब तक ऐसा लगेगा कि अधर्मी हो गये हैं हम लोग. लेकिन अध्यक्ष महोदय मैं आग्रह करना चाहता हूं अगला जब सदन हो तो हमारे सभी आदरणीय लोग जिनका हम लोग अनुकरण करने यहां पर आये हैं, मुझे लगता है कि एक बढ़िया अध्यक्ष हमें मिले हैं जो आंखों आंखों में ही बहुत सी बातें कह देते हैं. उनके हाथ के इशारे वह जब करते हैं तब बहुत सा संसदीय समझ में आ जाता है कि क्या कहना है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य ने बजट के ऊपर एक भी शब्द नहीं बोला है और कह रहे हैं कि हमें बड़ों से सीखना है.
श्री विनय सक्सेना -- भैया जो आपने आज सुबह से किया है वह मैं कर रहा हूं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आंखों आंखों में बात करना बजट की बात नहीं है.
श्री विश्वास सारंग -- हमने आंखों आंखों में लोकसभा में देखा था कि क्या हुआ है, एक आंखों आंखों में यहां पर देख रहे हैं.
श्री विनय सक्सेना -- यह पहली बार है कि गोपाल भार्गव जी के पक्ष में विश्वास सारंग जी खड़े हुए हैं. सुबह से तो नरोत्तम मिश्र जी के समर्थन में खड़े हो रहे थे.
श्री गोपाल भार्गव -- भैया अब एक काम करें कि अनुपूरक बजट पर दो लाइन बोल दें.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी यह ज्ञानी जी को कहां से लाये हैं आप.
श्री विनय सक्सेना -- जबलपुर से आया हूं आपके मंत्री को हराकर आया हूं. अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य विभाग की कुछ बात कर लूं. अब विश्वास जी ने कहा है कि कहां से आये. बता दूं, जिस बीमारी की अभी आपके साथी आग्रह कर रहे थे और बता रहे थे, आदरणीय सिसौदिया जी या गिरीश गौतम जी कि स्वाइन फ्लू हो रहा है, डेंगू हो रहा है, बीमारी के प्रमाण मिल रहे हैं. हमारे जबलपुर में भी स्वाइन फ्लू से बहुत मौतें हुईं. लेकिन शर्मनाक यह था कि हमारे जबलपुर शहर के ही स्वास्थ्य मंत्री जी थे. जिस गली में जाते थे, लोग कहते थे स्वाइन फ्लू आ गये. विश्वास जी, उनको मैं हराकर आया हूं और छात्र राजनीति से आया हूं, पार्षद हूं छोटा, इसलिये आप छोटा समझ रहे होंगे, क्योंकि मैं आप लोगों जैसे बड़े परिवार में पैदा होकर राजनीति में नहीं आया हूं. लेकिन मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि आज अगर यहां आया हूं, तो जबलपुर
के साथ साथ मध्यप्रदेश की जनता की सेवा अगर कर सकूंगा, तो मुझे लगता है कि अपने देश और अपने समाज के लिये कुछ कर सकूंगा. लेकिन सारंग जी, जिस तरह से आप समर्थन में खड़े होते हैं, मैं किसी के इस तरह से समर्थन में खड़ा नहीं होऊंगा. अगर मेरा एक समर्थन होगा, तो सिर्फ जनता के लिये होगा और जनता के लिये अगर सही बात करनी पड़े और उसके लिये किसी हद पर भी जाना पड़े, तो मैं करुंगा. मेरा आग्रह है कि इस स्वागत योग्य बजट को, जो आंकड़ों का बजट नहीं है, नहीं तो पिछली सरकारें तो आंकड़ों की बाजीगिरी करती थीं. आंकड़ों की बाजीगिरी में बजट पास हो जाते थे. मैंने बहुत से बजट देखे हैं छोटे, पहला इस बार बड़ा बजट देख रहा हूं. मैं इस अनुपूरक बजट का स्वागत करता हूं और हमारे पूरे कांग्रेस के साथी, इस बात को समझ रहे हैं. जिनको नहीं समझ में आ रहा है बजट या जो समझदार होकर भी नहीं समझ रहे हैं, उनके लिये जरुरयह आलोचना का पात्र हो सकता है. धन्यवाद,जयहिन्द.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव) -- अध्यक्ष महोदय, मैं इस अनुपूरक बजट की मांगों का विरोध करता हूं. निश्चित तौर पर यह जो अनुपूरक बजट पेश किया गया है, इस पर लोकसभा के चुनाव की भी छाया स्पष्ट प्रतीत होती है. इस सरकार ने, जब चुनाव के मैदान में पार्टी के लोग गये थे, तब बहुत सारे वचन मध्यप्रदेश की जनता से किये थे और उन वचनों के पालन में सरकार कितनी गंभीर है और धरातल पर उसके कितने परिणाम हमको देखने के लिये मिल रहे हैं, यह हम में से अधिकांश लोग जानते हैं. सिर्फ चार माह के लिये बजट अनुदान प्रस्तुत करना यह बताता है कि सरकार उन्हीं कामों को प्राथमिकता दे रही है, जो कहीं न कहीं उसके वचन पत्र में दिये हुए थे. उसमें भी मुझे शत प्रतिशत काम होने की संभावना नहीं लगती है. हम पिछले कुछ समय से सदन में सुन रहे हैं कि अभी सरकार को आये हुए कुछ समय हुआ है. जहां पर काम करने की वचनबद्धता होती है और जहां पर काम करने वाले लोगों में जुनून होता है, वहां समय कोई मायने नहीं रखता है. सरकार बदली हैं, लेकिन अधिकारियों का और प्रशासन का एक पूरा सिस्टम आपके पास मौजूद है. इसलिये हमें अच्छा लगता कि इस बजट में उन कामों को भी आगे बढ़ाने के विषय में चर्चा की जाती, जिन्हें इस मध्यप्रदेश की जनता पिछले कई वर्षों से होते हुए देख रही है. आज महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र,छात्रा पूछते हैं कि हमें स्मार्ट फोन कब मिलेगा. कई स्कूलों में अभी साइकिल्स नहीं बंटी हैं. गणवेश का वितरण भी ठीक से नहीं हो पा रहे है. और तो और कई जगह पर 108 एम्बूलेंस जैसी सुविधायें भी बजट के अभाव में बंद पड़ी हैं. अगर स्वास्थ्य को लेकर इस सरकार में संजीदगी नहीं है, तो कहीं न कहीं यह हम सबके लिये चिंता का विषय है. मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान, जिसमें हमारे पूर्व मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान के समय में प्रदेश के करोड़ों मरीजों का इलाज होता था. आज कहीं न कहीं उसमें काम नहीं हो पा रहा है. सरकार की जिम्मेदारी है कि मध्यप्रदेश में कोई भी बीमार आदमी इलाज के अभाव में दम नहीं तोड़ेगा. इसलिये चाहे सत्ता पक्ष के विधायक आवेदन लेकर जायें या विपक्ष के विधायक आवेदन लेकर जायें, इस दिशा में सरकार की तरफ से सराहनीय पहल होनी चाहिये. कई मामलों में मरीज जब गंभीर रुप से घायल हो जाता है, बीमार हो जाता है, तो उसके परिजन यह नहीं देख पाते हैं कि वह चिह्नित अस्पताल में पहुंच पायेगा या नहीं. इसलिये जिन अस्पतालों की उनको निकटता प्रतीत होती है, वहां पर उस मरीज की जान बचाने के लिये ले जाते हैं. इसलिये गंभीर बीमारियों में और दुर्घटना के मामलों में मैं सरकार से यह आग्रह करुंगा कि इस नियम को शिथिल करते हुए पूर्ववर्ती व्यवस्था को लागू किया जाये. इस सरकार के द्वारा गेहूं के कई उपार्जन केंद्र बन्द कर दिये गये हैं. पिछली सरकार की यह मंशा थी कि जहां पर गेहूं का प्रचुर उत्पादन होता है, वहां पर 5-5,10-10 किलोमीटर में गेहूं के उपार्जन केन्द्र खोले जायें, ताकि किसान को अपने गेहूं का परिवहन का ज्यादा लम्बी दूरी तक नहीं करना पड़े. लेकिन देवास जिले में ही गेहूँ के कई उपार्जन केन्द्र बंद कर दिए गए हैं. इनको प्रारंभ होना चाहिए, ताकि किसान अपनी उपज को समय से बेच सकें. साथ ही साथ पिछले वर्ष की सोयाबीन और मक्का की भावान्तर भुगतान की राशि का भी प्रावधान इस अनुपूरक बजट में होना चाहिए था. हजारों किसान जिन्होंने अपनी सोयाबीन और मक्के की फसल बेची थी, 500 रुपये तक के भावान्तर भुगतान की राशि उनको मिलने का कहा गया था.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- माननीय विधायक जी, अभी रजिस्ट्रेशन केन्द्र खुल रहे हैं और जितने रजिस्ट्रेशन केन्द्र पहले थे उतने ही रजिस्ट्रेशन केन्द्र की अनुमति सरकार ने दे दी है. सारे किसानों की फसल खरीदी जाएगी, किसानों को निराश नहीं करेंगे.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- मैं आपकी बात से स्वीकार्यता रखता हूँ, पंजीयन केन्द्र आपके जितने हैं, उतने चल रहे हैं, लेकिन उपार्जन केन्द्र ...(..व्यवधान..)
श्री देवेन्द्र वर्मा -- खण्डवा में 15 से 20 खरीदी केन्द्र बंद कर दिए हैं.
श्री आशीष गोविन्द्र शर्मा -- एक पंजीयन केन्द्र पर कई तुलाई सेन्टर बने हुए थे, अगर किसान पंजीयन केन्द्र पर लेकर आएगा तो 20-20, 25-25 किलोमीटर दूर तक उसको लेकर आना पड़ेगा, इस दिशा में आपकी सरकार ने अतिशीघ्र कोई निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि किसान वास्तव में अभी असमंजस में है कि उसके गेहूँ की तुलाई समय पर हो पाएगी कि नहीं. साथ ही साथ सोयाबीन और मक्के की फसल जिन किसानों ने पिछले वर्ष में बेची थी, उनके भावान्तर भुगतान की राशि अभी तक अटकी हुई है. भावान्तर भुगतान की राशि की व्यवस्था इस बजट में करनी चाहिए थी, सबसे बड़ी बात कि अगला बजट सत्र कब आएगा, हमें पता ही नहीं है. मालवा समेत पूरे मध्यप्रदेश में अवर्षा की स्थिति के कारण गंभीर पेयजल संकट की स्थिति निर्मित हुई है. 500-500, 600-600 फिट बोर करने के बाद भी पानी नहीं निकल रहा है. कई-कई गांवों में महिलाएं दो-दो किलोमीटर दूर से पानी लेकर आ रही हैं. पेयजल संकट पर चिंता निश्चित तौर पर होना चाहिए, पेयजल संकट से निपटने के प्रावधान भी इस अनुपूरक बजट में होना चाहिए. आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्री तरूण भनोत, वित्त मंत्री.
श्री आरिफ अकील – (XXX)
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) -- अध्यक्ष महोदय, फिल्म तो बहुत पुरानी थी, पर आज बड़ी प्रासंगिक लग रही थी. हम सबने और कई सम्माननीय सदस्यों ने देखी होगी.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, नाम और भी थे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- हां, और भी नाम थे.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, हमारे कई वरिष्ठ सदस्य हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने आप सबकी बात सुन ली, अब मेरी बात सुनेंगे. आपके माननीय सदस्यों ने समय का ध्यान न रखते हुए इतना बोल गए, इतना बोल गए कि जो सीमा निर्धारित की गई थी. (श्री मोहन यादव द्वारा कुछ कहने पर) भैया, धीरे बोलो यार. श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हम सभी अवगत हैं कि ....
अध्यक्ष महोदय -- ये कौन सी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष जी, आप खुद देख लीजिए पहले.
श्री तरूण भनोत -- ये नई सरकार की गाड़ी है, जब एक बार आगे बढ़ती है तो फिर पीछे नहीं लौटती.
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी, पहले आप चर्चा कर लीजिए, यह तरीका नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आप स्वयं अवगत है.
अध्यक्ष महोदय -- पहली बात इस प्रकार की भाषा मैं पसंद नहीं करूंगा.
श्री मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, आपके संरक्षण में सबको मौका मिलना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- आपके नेता खड़े हैं, आप शांत रहिए.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में समय निर्धारित करते हैं. सामान्यत: यह चर्चा होती है कि 2 घंटे में हम चर्चा कर लें, फिर इसके बाद में सभी की सहमति बनती है कि ठीक है समय ज्यादा हो जाएगा, लेकिन हम सबको एलाऊ कर देंगे, तो कृपा करके आप थोड़ी सी उदारता दिखाएं. दो-दो मिनट में सब सदस्य बोल लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आदरणीय आपकी बात मैंने सुन ली, इसके बाद विनियोग विधेयक है, उस पर भी माननीय सदस्यों को बोलना है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, सीमित कर देंगे.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, विनियोग पर नहीं बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- पक्का विनियोग पर कोई नहीं बोलेगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, जहां तक मेरा विचार है.
अध्यक्ष महोदय -- आप तय कर लें विनियोग पर कोई नहीं बोलेगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, ठीक है.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए, दो-दो मिनट दे रहे हैं, विनियोग पर कोई नहीं बोलेगा, क्योंकि नियम 139 की चर्चा मुझे चालू करनी है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, जो लेखानुदान के विषय हैं, जो सप्लीमेंट्री बजट के विषय हैं और जो विनियोग से संबंधित हैं, उन सारे विषयों पर समेकित चर्चा लगभग हो रही है. इस कारण से आपके समय का पूरा ध्यान हम रखेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- ढाई घंटे से ज्यादा चर्चा हो गई, दो घंटे निर्धारित थी.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, पांच-पांच घंटे तक चर्चा चली है, आपने खुद देखा होगा.
अध्यक्ष्ा महोदय -- लेकिन आपने जो एजेंडा आगे का बोला है. फिर आज 139 की चर्चा नहीं आएगी.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष जी, आगे के एजेंडे के लिए हम लोग कम कर लेंगे. हमारे सभी माननीय सदस्य तैयारी करके बोल लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है कल ले लेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- श्री मनोहर उंटवाल जी को कह देंगे. वे सांसद भी रहे हैं और विधायक भी रहे हैं और मंत्री भी रहे हैं.
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद देना चाहता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, कृपया बैठ जाइए. एक मिनट बाद. आपके सहयोग के लिए धन्यवाद.
श्री तरूण भनोत -- जी अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय -- अब मैं जिनको कह रहा हॅूं ये आप स्वयं तय कर लें कि आपके दो मिनट आपको तय करने हैं. मैं नाम बुला रहा हॅूं. स्वयं आप तय कर लें. आप सबकी मेहरबानी होगी.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी इच्छानुसार, आपके आदेशानुसार. हम विनियोग विधेयक पर चर्चा नहीं करवा रहे हैं. इसलिए मैं कह रहा हॅूं कि उस समय के लिए समय समायोजित कर लें.
डॉ. राजेन्द्र पांडेय -- (अनुपस्थित)
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुदान मांगों पर चर्चा करने के लिए हमें आपने मौका दिया, उसके लिए धन्यवाद. वास्तव में आज जो बजट पेश किया गया, वह बिल्कुल घटिया किस्म का बजट है. आपके बीच में हम बुन्देलखण्ड की भाषा में बोल रहे हैं और आप संस्कारधानी शहर के निवासी हैं. वर्ष 1992 से जबलपुर शहर से हमारा भी नाता है और हमारे प्रतिपक्ष के नेता जी के लिए विधायक जी अभी बोल रहे थे कि मुझे आज यहां कुछ सीखने के लिए नहीं मिला. हम लोग प्रतिपक्ष में हैं हम लोग बोल रहे हैं और आपको ध्यान से सुनना चाहिए. यहां माननीय जितू पटवारी जी बोलते थे लेकिन अब बिल्कुल शांत हो गए. माननीय बाला बच्चन जी हमसे प्रश्न पूछते थे लेकिन अब बिल्कुल शांत हो गए. सतना में दो बच्चों का अपहरण हुआ और आज तक उनका अता-पता नहीं है. लेकिन उस संबंध में चर्चा करने के लिए कोई तैयार नहीं है. मध्यप्रदेश के हमारे यशस्वी तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने प्रदेश की जनता को 24 घंटे बिजली देने का काम किया था लेकिन आज ग्रामीण क्षेत्र में और नगरीय क्षेत्र में बिजली की कटौती जारी हो गयी है. क्षेत्रों के ट्रांसफॉर्मर बदले नहीं जा रहे हैं. जनता परेशान हो रही है. किसानों के लिए आपने जो वचनपत्र दिए थे कि हम 10 दिन के अंदर यह काम कर देंगे किसानों का कर्जा माफ करा देंगे, नहीं तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को बदल देंगे. आज तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथ जी को बदला नहीं गया. यह आप लोगों को चिन्ता होना चाहिए. आप लोगों को भी ग्रामीण क्षेत्रों में जाना है. आप लोगों को भी फील्ड में जाना है. आप किस हिसाब से फील्ड में जाएंगे और क्या चर्चा करेंगे. वचनपत्र की आज तक एक भी मांग आप लोगों ने स्वीकार नहीं की है. यह बजट आपका है. बजट में आप खुद देख सकते हैं. आप लोगों ने 3000 लोगों को कुंभ में भेजकर क्या दिखा दिया कि हम वृद्धों के लिए बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. तीर्थदर्शन यात्रा करा रहे हैं. यह बिल्कुल कुछ नहीं है. अगर अभी भारतीय जनता पार्टी की सरकार होती तो कम से कम 50 हजार लोग तीर्थयात्रा में मध्यप्रदेश की धरती से जाते और मध्यप्रदेश की जनता की दुआएं मिलती.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर अभी चुनाव हो जाए तो कांग्रेस को भी समझ में आ जाएगा कि अभी तक कांग्रेस ने क्या किया. दो महीने होने वाले हैं. लोकसभा चुनाव के लिए सत्ता पक्ष के लोग सिर्फ टाइमपास कर रहे हैं. एक भी उपलब्धि नहीं गिना सकते. आज मध्यप्रदेश की विधानसभा में हम आपको बोल कर बता सकते हैं. मध्यप्रदेश की विधानसभा में आज तक की एक भी उपलब्धि नहीं है. बुन्देलखण्ड क्षेत्र की भी उपेक्षा हो रही है और पूरे मध्यप्रदेश की भी उपेक्षा हो रही है. हमारे माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने टीकमगढ़ जिले के लिए सुजारा बांध स्वीकृत किया था. धसान नदी का पूरा पानी उत्तरप्रदेश में चला जाता था. उसका भी काम आप लोगों ने बंद करा दिया है. उसमें 183 गांवों के किसानों को पानी देने का प्रावधान किया गया था. 75 हजार हेक्टेयर भूमि उससे सिंचित होना थी लेकिन वह काम भी बंद करा दिया गया है, कैसे आप सरकार चलाएंगे ? जब आपके पास पैसा नहीं है तो आप कैसे सरकार चलाएंगे ? हम चाहते हैं कि इस सरकार में बैठे हुए हमारे भाई हैं इनसे हमारा अनुरोध है कि जिसको जिस विभाग की जिम्मेदारी दी गई है हमारे जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री हैं हम भी आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री रहे हैं. वर्ष 2008 से 2013 तक व्यवस्थित तरीके से काम किया है लेकिन आज जनजातीय कार्य विभाग के मंत्री हैं वे छात्रावास में जाते हैं और (XXX). यह मंत्री पद की गरिमा नहीं होती. अधिकारियों को निर्देश देना चाहिए कि ऐसा काम होना चाहिए. यह हमारे जनजातीय कार्य विभाग मंत्री जी की विशेषता है. अभी गृह मंत्री जी, वाणिज्य कर मंत्री जी और इसके साथ-साथ खेल एवं युवा कल्याण मंत्री जी बैठे हुए थे.
जनजातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम) - अध्यक्ष महोदय, आप जिस तरह से आरोप लगा रहे हैं, पहले आप जब मंत्री थे तब कुछ नहीं किया और आज मैं काम कर रहा हूं तो आपको दर्द हो रहा है.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, हम लोगों ने जो किया आप जीवन में कभी नहीं कर सकते. चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो, हर प्रकार से हम लोगों ने काम किया है. हमने तीन मंत्रियों के बारे में बोला. एक मंत्री जी बुंदेलखण्ड से आते हैं. बहुत कद्दावर मंत्री हैं. आपको वाणिज्यिक कर विभाग दे दिया. अभी गृह मंत्री जी हैं, उनको जिम्मेदारी दी गई कि हम सुरक्षा का काम नहीं करेंगे. खेल और युवा कल्याण मंत्री माननीय जितू पटवारी जी हैं. उनका काम है युवाओं को खूब पढ़ाने का काम करो और गृह विभाग कोई सुरक्षा नहीं करेगा.
…………………………………………………………………………………………
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) - अध्यक्ष महोदय, जितना भी भ्रष्टाचार 15 साल में हुआ है उसकी पूरी जांच कराएंगे. जो आप लोगों के द्वारा भ्रष्टाचार हुआ है उसे भुगतना पड़ेगा.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, गृह मंत्री जी से हम चाहते हैं कि मध्यप्रदेश की जनता की सुरक्षा की जाए, अपहरण जैसी जो घटनाएं बढ़ रही हैं उनको रोका जाए.
डॉ. मोहन यादव (उज्जैन) - अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं निवेदन करना चाहूंगा कि कहीं मेरे व्यवहार से या बोलने में आपको कहीं ऐसी चीज लगी हो तो माफी चाहूंगा. जब सदस्य तैयारी करके आते हैं और बजट पर बात करने के लिए नाम तय होकर बैठते हैं तो उम्मीद करते हैं कि उन सबको मौका मिलना चाहिए. आपका आभार. मैं अपनी बात स्टार्ट कर रहा हूं. तृतीय अनुपूरक बजट 2018-19 पर जो सरकार ने धनराशि चाही है मैं इसका विरोध करता हूं और विरोध करने के पीछे कुछ तथ्यात्मक कारण मेरे ध्यान में आ रहे हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि मेरी बातों से सदन सहमत होगा. हमने मुम्बई के अंदर आवासीय यूनिट के लिए तो पैसा दिया है लेकिन भावांतर भुगतान के लिए 500 रुपये प्रति क्विंटल की राशि देने के लिए हमारे पास पैसे की कमी है. दिल्ली में आवासीय परिसर के लिए, शंकर धाम नाम से हमने धनराशि देने की गुंजाइश की है. मुझे इस बात का दु:ख है कि युवाओं के लिए, खासकर जितू पटवारी जी से मुझे उम्मीद थी कि इस अनुपूरक बजट में वे खिलाडि़यों के लिए जरूर धनराशि रखवाते, लेकिन इसमें एक रुपया उसके लिए नहीं रखा गया है. मैं प्रदेश का रेसलिंग एसोसिएशन का अध्यक्ष, ओलंपिक संघ का प्रदेश उपाध्यक्ष हूं. मैं आपके माध्यम से उम्मीद कर रहा था कि ग्रीष्मकालीन सत्र में इसकी गुंजाइश होती तो ज्यादा बेहतर होता. मैंने इसको पूरा पढ़कर देखने की कोशिश की तो देखा कि साइंस एण्ड टेक्नालॉजी के माध्यम से एक रुपये की धनराशि की मांग नहीं की गई. अगर वह होती तो मैं आगे बढ़कर इसका समर्थन करता.
अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि वह अलग प्रकार से इस सदन को पूरे देश में दिखाना चाहते हैं, लेकिन मैं अत्यंत दु:ख के साथ कहना चाहता हूं कि हमारे पास बाकी चीजों के लिए पैसा है लेकिन खोज अनुसंधान के लिए इसमें पैसा नहीं रखा है. हम उम्मीद कर रहे थे कि हमारे पास गंभीर, कालीसिंध, पार्वती, नर्मदा जल प्रदाय एवं सिंचाई योजना के लिए राशि मांगी जाएगी, लेकिन इसमें बदनावर के लिए पैसा है, खालदा नदी के लिए पैसा है किंतु जो ऑलरेडी योजनाएं चल रही हैं उनके लिए कोई धनराशि की मांग नहीं की गई. जो योजनाएं पहले से कार्यरत हैं उन योजनाओं के लिए जो धनराशि दी गई है वह धनराशि भी वापस लेने की बात की जा रही है. हमारे नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव जी ने बात रखी थी कि भजन मंडलियों के लिए राशि देकर हमने अपने सामने सामग्री दिलवाई, पैसा भी वहां रखा हुआ था, हर जिले में पैसा दिया गया था लेकिन दिये हुए पैसे को भी वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. अब जो छोटे-छोटे मंदिर हैं, उनमें भजन मंडली के लोग हैं वह वापस चंदा इकट्ठा करके सरकार का पैसा पहुंचाना चाह रहे हैं. सरकार की इतनी स्थिति खराब हो गई कि सरकार को भजन मंडलियों की सामग्री जो उनकी योजना के हिसाब से रखी गई थी वह वापस बुला ली. सरकार तो आएगी जाएगी लेकिन किसी सरकार की योजनाओं को एकदम से ऐसे पलटा देना यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं उम्मीद कर रहा था कि सरकार के बाकी कामों के साथ खासकर सम्बल योजना की बात आयी है, सम्बल योजना के माध्यम से निश्चत रूप से सरकार ने योजना बंद नहीं की है लेकिन पंजीयन बंद कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय, आपने तो कहा कि हम 100 रुपये में गरीबों के लिए बिजली का कनेक्शन उपलब्ध कराएंगे लेकिन आप तो 200 रुपये में भी नहीं दे रहे हैं. कुछ आगे बढ़ ही नहीं रहे हैं. जिस प्रकार से वर्तमान में हालात बन रहे हैं, हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले समय में वह सुधरेंगे. मैं दो-तीन बातें कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा. अध्यक्ष महोदय, आपने गुंजाइश दी है खासकर आपने स्मार्ट सिटी के लिए जो धनराशि देने की बात की है अकेले मैं उज्जैन की बात करूंगा कि हमारे यहां पूरे शहर के लिए, अकेले उज्जैन की बात करूँगा कि हमारे यहाँ पूरे शहर के लिए क्षिप्रा की पवित्रता की बात माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी रखी थी. लेकिन सात सौ करोड़ के बजाय मात्र चार सौ करोड़ रुपये वहाँ दिए गए. तीन सौ करोड़ रुपये रोक दिए गए तो न नर्मदा का पानी शुद्ध रहेगा न क्षिप्रा का पानी बचेगा. नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना की आपने बात की है, इस आधार पर कलेक्टर कमिश्नर को वहाँ से हटाया भी था लेकिन मुझे लगता है कि पहले जो कार्यरत योजना है उनके लिए पर्याप्त धनराशि रखी जाए. तभी हमारी बाकी सरकार की योजनाओं के साथ इनका संचालन हो पाएगा. माननीय अध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. माननीय मंत्री जी....
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष जी, बहादुर सिंह जी को भी मौका दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने बहुत उमदा आज ध्यानाकर्षित किया है. वे अपनी पारी खेल चुके हैं.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो मिनट का आप से निवेदन है.
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप बार बार वापस आ रहे हैं बेकफुट पर.
अध्यक्ष महोदय-- मेरे ऊपर मंत्री जी नाराज हो रहे हैं.
श्री तरूण भनोत-- नाराज होने की मेरी हिम्मत नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव-- नहीं, उनकी समस्या हल हो गई. लेखानुदान पर चर्चा नहीं होना, विनियोग पर चर्चा नहीं कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- बिराजिए, मंत्री जी धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, कार्यमंत्रणा में लेखानुदान पर हम लोगों ने समय रखा था....
अध्यक्ष महोदय-- हो गया, मैं आपकी बात समझ गया. बहादुर सिंह चौहान जी बोलिए.
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुपूरक मांगों का विरोध करते हुए संक्षेप में अपनी बात रखना चाहता हूँ. बजट पर काफी चर्चा हो गई. मैं इस बजट में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहता हूँ. मुझे सिर्फ संबल योजना पर बात करना है. पूर्व की सरकार में माननीय शिवराज जी ने संबल योजना जो बनाई है 18 से 60 साल की उम्र में किसी की दुर्घटना में मृत्यु हो जाए तो तत्काल उसको चार लाख रुपये मिलते थे. खेती में काम करते समय एक हाथ कट जाए तो उसको एक लाख रुपये मिलते थे. एक आँख चली जाए तो उसको एक लाख रुपये मिलते थे. अध्यक्ष महोदय, यह संबल योजना के अंतर्गत 12 विभाग आते थे मैं आपके माध्यम से सरकार को यह सुझाव देना चाहता हूँ कि संबल योजना के लिए आप एक कमेटी बना लें और एक बार उस पर अध्ययन कर लें. इस अनुपूरक बजट में इस महत्वपूर्ण योजना में कोई पैसे का प्रावधान नहीं रखा है. एक कमेटी बनाकर आप पता करें कि योजना कैसी है. यदि आपके मन में यह बात है कि यह माननीय शिवराज जी ने, पूर्व सरकार ने, बनाई है तो इसका तो कोई हल नहीं है परन्तु गरीबों, किसानों के लिए, गाँव वालों के लिए, इससे महत्वपूर्ण योजना कोई दूसरी हो नहीं सकती. मेरा आग्रह है कि इस योजना पर एक बार गंभीरता से विचार करके इसमें बजट का प्रावधान आप लोगों को करना चाहिए था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो यह किसान ऋण माफी योजना, कहा जा रहा है कि 55 लाख किसानों के 40 हजार करोड़ रुपये हम माफ करेंगे. हरे फार्म भरवाए जा रहे हैं, गुलाबी फार्म भरवाए जा रहे हैं, सफेद फार्म भरवाए जा रहे हैं और अभी तक कितने पैसे माफ हो गए, आप और हम सब जानते हैं और 40 हजार करोड़ रुपये कितनी बड़ी राशि है और आप कहोगे कि खजाना पहले ऐसे छोड़कर आप चले गए थे. 2003 में बिजली इस मध्यप्रदेश में मात्र तीन हजार मेगावॉट थी और पूर्व सरकार ने इन 15 वर्षों में 18 हजार मेगावॉट से अधिक बिजली का उत्पादन किया है और 2003 में सिंचाई का रकबा मात्र साढ़े सात लाख हैक्टेयर था और 15 साल में शिवराज सिंह जी की सरकार ने 40 लाख हैक्टेयर में सिंचाई की है उसके कारण हिन्दुस्तान में जितने भी राज्य हैं उसमें सिर्फ मध्यप्रदेश को एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन बार नहीं, चार बार नहीं, पाँच बार कृषि कर्मण पुरस्कार इस सरकार को मिला हो और आपने सिंचाई में भी पैसा कम कर दिया. अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद...(व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य-- कर्जा माफी हो चुकी है, सिर्फ बैंकों के नो ड्यूज सर्टिफिकेट बँटना बाकी हैं. ये भ्रम न फैलाएँ...(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान-- आप पहली बार आए हों. 10 दिन में कर्जा माफी होती है?..(व्यवधान)..
श्री संजीव सिंह "संजू" (भिण्ड)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद जो आपने मुझे इस अनुपूरक बजट पर बोलने का मौका दिया.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे आग्रह करना चाह रहा था कि कांग्रेस और भाजपा के अलावा कुछ अन्य दल के सदस्य भी हैं जो यह अपेक्षा करते हैं कि उनको भी यहां बोलने का मौका मिले. हम लोगों का संरक्षण भी आपको करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत देर से हमारे वरिष्ठ सदस्य हैं उनको एवं हमारे साथी लोग हैं उनको भी सुन रहा था. किसान ऋण माफी का बड़ा ही महत्वपूर्ण मुद्दा चल रहा था. हमारे कुछ सदस्यों ने यह भी मुद्दा उठाया कि किसानों की ऋण माफी हो नहीं रही है. उनसे तरह-तरह के फॉर्म भरवाए जा रहे हैं. मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ कि उनकी पीड़ा ऋण माफी कराने की है या फार्म न भराने की है. फॉर्म भरवाए जा रहे हैं इससे उनको क्या पीड़ा हो रही है. अध्यक्ष महोदय, मैं पूरे प्रदेश की स्थिति तो नहीं जानता लेकिन मेरे क्षेत्र में ऐसा हुआ है तो पूरे प्रदेश में हुआ होगा. जिन किसानों ने कभी बैंक की सीढ़ी नहीं चढ़ी, जिन किसानों ने कभी बैंक का बोर्ड नहीं देखा. उन किसानों के नाम पर लाखों रुपए निकाले गए. देरी इसमें नहीं हो रही है. नीयत खराब नहीं है. सरकार की नीयत यह नहीं है कि उसे किसानों को पैसा नहीं देना है या उनका ऋण माफ नहीं करना है. देरी इसमें हो रही है कि पूर्ववर्ती सरकार ने किसानों की आड़ में जो घोटाले किए हैं उनको देखकर उनकी छंटनी करके, उन अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही करके, जो किसान जिसने ऋण लिया है और उसका ऋण माफी योग्य है उस किसान का ऋण माफ किया जाएगा. चाहे लाल फार्म भराया जा रहा हो या सफेद फार्म भराया जा रहा हो यह व्यवस्था है. देरी हो सकती है, सरकार बदली है, समय कम मिला है. जो हमारा अन्नदाता है उसके लिए यह बड़ी बात है. हमारे एक सदस्य ने कहा था कि किसान पर एक रुपए का भी ऋण हो तो उसे पहाड़ सा दिखाई देता है. मैं निश्चित तौर पर उनकी बात से सहमत हूँ, लेकिन जिस किसान ने ऋण लिया ही न हो उस किसान के नाम के आगे 2 लाख रुपए का ऋण लिखा हो, तो आप समझ सकते हैं उसको कैसी पीड़ा हो रही होगी.
अध्यक्ष महोदय, अभी संबल योजना की बात हो रही थी. अभी एक वरिष्ठ सदस्य ने बात कही थी कि यह सूचियां पंचायतों पर क्यों भेजी जा रही हैं. पोर्टल खुला है अपना नाम डालकर देखा जा सकता है. मैं इस सदन को बताना चाहता हूँ कि अगर यह सूचियां पंचायत में नहीं भेजी जा रही होतीं तो यह ऋण माफी इस प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा घोटाला होता. पहला घोटाला तो सर्वविदित है. कई घोटाले हुए हैं लेकिन बहुत बड़ा घोटाला होता. पंचायतों में जब वह सूची गई, किसानों ने जब वह सूची देखी तो उनके होश उड़ गए. उन्होंने कहा कि मैंने तो कभी ऋण लिया ही नहीं है. मैं तो कभी बैंक गया ही नहीं हूं. मैंने तो कहीं हस्ताक्षर किए ही नहीं है, मैंने तो कहीं अंगूठा लगाया ही नहीं है. लेकिन मेरे नाम पर लाखों रुपए निकाले गए हैं. देरी इसलिए हो रही है सरकार की नीयत भी सही है और नीति भी सही है. सरकार द्वारा पूरी तरह से जांच कराने के बाद जो योग्य किसान हैं जिन्होंने ऋण लिया है उनके खाते में सही समय पर पैसा पहुंच जाएगा. उनका ऋण माफ कर दिया जाएगा. दूसरी बात संबल योजना की चल रही थी कि इस योजना में गरीब लोगों को बहुत फायदा हुआ है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--संजू आपको इन लोगों ने भ्रमित कर दिया है. मैं बता रहा हूँ सुनो. अभी सिर्फ को-आपरेटिव सोसायटी की बात हो रही है. को-आपरेटिव सोसायटियों की आप जो बात कर रहे हैं. अभी ग्रामीण बैंकों की बात आएगी, अभी राष्ट्रीयकृत बैंकों की बात आएगी. यह समय-सीमा बताएं की कितने वर्षों में, कितनी शताब्दियों में ऋण माफी हो पाएगी. यह अभी छोटे-मोटे ऋण हैं दस-पांच हजार के इनपुट्स के खाद के, बीज के, छोटी-मोटी तकाबी है.
श्री जितू पटवारी--आपने कम से कम मान तो लिया कि ऋण माफी हो रही है. अभी तक तो सारे कह रहे थे कि ऋण माफी हो ही नहीं रही है.
श्री संजीव सिंह "संजू"-- मैंने मनवा दिया है.
श्री जितू पटवारी--संजू आपको धन्यवाद. संजीव जी आपको बधाई.
श्री गोपाल भार्गव-- पचास हजार करोड़ में पांच हजार करोड़ का प्रावधान करो क्या बात है. आप लोग बहुत बड़े दयालू हो.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' -- निश्चित तौर पर अच्छी योजना थी गरीबों को उसका लाभ मिलना चाहिए था और कुछ गरीबों को मिला भी होगा लेकिन गरीबों की आड़ में माननीय अध्यक्ष महोदय, भाजपा के मंडी अध्यक्ष ने सत्रह लाख के बिल अपने घर के माफ करवाए. यह कहां का न्याय था. मैं भिण्ड जिले की बात करना चाहता हूं. अभी सिर्फ 200 लोगों की जांच हुई हैं, पूरे भिण्ड जिले की जांच अभी नहीं हुई है. सिर्फ 200 लोगों का ऋण कोई भी डॉक्यूमेंट बगैर कोई दस्तावेज लिए न हीं संबल कार्ड बनाया, न ही गरीबी रेखा का कार्ड उसमें लगाया करीब दो करोड़ रुपया माफ कर दिया गया. ऊर्जा मंत्री जी यहां पर बैठे होंगे जब जांच पूरी हो जाएगी तो यह राशि करीब बीस से पच्चीस करोड़ के बीच में होगी. यह है संबल योजना. आप कह रहे हैं कि हमने गरीबों के बिल माफ किए, निश्चित तौर पर किए, लेकिन आपने गरीबों के कौन से बिल माफ किए आप जिस व्यक्ति के घर पर पंख नहीं, कूलर नहीं, ए.सी. नहीं, फ्रिज नहीं उसको पंद्रह सौ, दो हजार, तीन हजार, पांच हजार का बिल, वह पांच हजार रुपए कमा नहीं रहा है. वह एक लट्टू लगाकर, एक बल्व लगाकर वह अपने घर में रह रहा है आप उसको पांच-पांच हजार का बिल दे रहे हो. जब सालों तक उसने बिल जमा नहीं किया और आपको लगा कि इसकी स्थिति बिल जमा करने की नहीं है तो आपने कहा कि हम गरीबों को संबल प्रदान करेंगे, हम इनका बिल माफ करेंगे तो वह बिल आपके द्वारा ही जनरेट किया हुआ था आपके ही द्वारा पैदा किया हुआ था और वही बिल जब चुनाव आया तो आपने संबल योजना लेकर माफ कर दिया और उसकी आड़ में आपने अपने भी कई उद्योगपति, नेता और जो आपके लोग थे, कार्यकर्ता थे लाखों करोड़ों के बिल उनके भी माफ कर दिए. तो मुझे इस योजना की नीयत पर भी शक पैदा होता है. अब बात करते हैं आप गरीबों की आपकी सरकार बनी जब तो आपने कहा कि हम गरीबी हटाएंगे. क्या गरीबी हटाएंगे आपने गरीबी तो हटाई नहीं गरीबों को हटाने का काम किया. आपने सर्वे कराया जो हमारे गरीबी रेखा के राशन कार्ड होते थे उनका सर्वे कराया कि कार्ड बहुत बने हुए हैं और गरीब कम करेंगे, आपने सर्वे कराया और उस सर्वे की आड़ में आपने लाखों गरीब जो आज दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, दो वक्त की रोटी के लिए मजबूर हैं, उनके कार्ड काट दिए गए उनके नाम गरीबी रेखा से हटा दिए गए तो आपनी गरीबी हटाई या गरीबों को हटाया यह भी तो बताएं? आपने जो राशन कार्ड बनाए उन पर खाद्यान्न पर्ची तीन-तीन साल से नहीं आई हैं. अब आप यह बताइए गरीबी रेखा का राशनकार्ड लेकर जो व्यक्ति बैठा है और तीन साल से उसको खाद्यान्न पर्ची नहीं मिलेगी तो वह क्या करेगा कैसे अपना जीवन यापन करेगा. मैं आपके माध्यम से एक बात और कहना चाहता हूं वल्ल्भ भवन की बात की गई कि वल्लभ भवन में पांच-पांच हजार लोग जाते थे. वल्लभ भवन में पांच-पांच हजार लोग इसीलिए जा रहे हैं कि साढ़े छ: सौ करोड़ में आपने कैसा महल बनाया है यह देखने के लिए लोग उसमें जा रहे हैं. आपकी जो उपलब्धियां हैं या जो भी आप उनको कहें.
श्री हरिशंकर खटीक-- आप तो बना के बताओ.
श्री संजीव सिंह ''संजू''-- बनाएंगे ना. बनाएंगे जब उसकी जांच होगी तब ही हवाले आएगा. माननीय मंत्री जी कह चुके हैं..
अध्यक्ष महोदय-- आपको किसने बोला मेहरबानी करिए. ऊंटवाल जी आप कृपा करके बोलिए. संजीव जी आप समाप्त करें.
श्री संजीव सिंह ''संजू''-- जब हम बनाएंगे तो गरीब का जो झोपड़ा है उसको सुंदर बनाएंगे अपने रहने के लिए इतना बड़ा महल नहीं बनाएंगे. मेरा आपसे निवेदन है कि मैं इस अनुपूरक बजट का समर्थन करता हूं इसको तत्काल पारित किया जाए इतनी बुरी बजट की स्थिति होने के बावजूद भी यह हम नहीं कह रहे हैं आपके पूर्व वित्त मंत्री ने कहा था, प्रेस कॉफ्रेंस लेकर कहा था कि हम नई सरकार बनाकर करेंगे क्या हम तो कुछ छोड़कर ही नहीं जा रहे हैं. इतनी बुरी स्थिति होने के बावजूद भी इतना सुंदर बजट इस प्रदेश के विकास को निरंतर आगे ले जाने के लिए पेश किया गया मैं इसका समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री मनोहर ऊंटवाल (आगर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया मैं अपने नेता प्रतिपक्ष जी का भी धन्यवाद देता हूं, मैं हमारे नेता शिवराज सिंह जी को भी धन्यवाद देता हूं और माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपको इंगित करते हुए यह निवेदन करना चाहता हूं कि मैं लगातार मध्यप्रदेश की विधान सभा एवं लोकसभा को मिलाकर छ: बार चुनाव जीतकर आया हूं. मेरे इन चुनावों का अनुभव यह कहता है कि इतनी स्तरहीन चर्चा बजट जैसे महत्वपूर्ण विषय पर हो, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बोलने का काम विपक्ष का होता है और विपक्ष का काम आरोप लगाना भी होता है. यदि उन आरोपों से सरकार में सुंदरता आती है, तो सरकार को वे आरोप सुनने चाहिए. सरकार को उसका प्रतिकार नहीं करना चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इस सदन के विद्वान सदस्य रहे हैं. मैंने आपके भाषणों को बहुत अच्छे से सुना है. माननीय दिग्विजय सिंह जी की सरकार के कार्यकाल को हमने देखा है. विपक्ष को उस समय जो महत्व मिलता था आज वह महत्व कहां चला गया है ? मुझे आश्चर्य इस बात का हो रहा है कि मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री हर बार किसी प्रश्न का उत्तर दें, आप तो स्वयं मालिक हैं. आप अंत में सभी के जवाब दे सकते थे. आप अपनी डायरी में नाम लिखते और अंत में जिन-जिन लोगों ने आपके खिलाफ बोला था आप उनके नाम लेकर उन्हें जवाब देते. आपके सुझाव यदि वास्तविक होते तो हम उन्हें स्वीकार करते कि हमने गलतबयानी की है. आप यह कह सकते थे कि हमने समाज को भ्रमित करने का कार्य किया है, परंतु माननीय वित्त मंत्री जी अगर एक सामान्य सा विधायक कुछ कहे, तो भी खड़े हो जाते हैं, स्पष्टीकरण देने लगते हैं. आपके साथ तो समय-सीमा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सरकार के पक्ष में ही कुछ बोलने के लिए आते हैं. यह सदन सरकार का है. सरकार की गलतियों को सुधारने का एक घटक है-विपक्ष. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से प्रार्थना करना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश के अंदर गरीबों के मकान भारत सरकार बना रही है. आप इसके संबंध में अपना जवाब दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2.5 लाख रुपये उस गरीब को मिलते थे जो बिना झोपड़ी के अपना जीवन व्यतीत करता था. वह व्यक्ति जब बारिश होती थी तो वृक्षों के नीचे अपना जीवन बिताता था. अगर उसका घर सरकार बनाकर देती है तो यह आपका धर्म बनता है कि बतायें इन 2-3 महीनों में वे मकान कहां गए ? इन 2-3 महीनों में उन मकानों की स्थिति क्या है, आपको आज इस विधान सभा के माध्यम से समाज को बताना होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री सड़क कहां गई ? इन 2-3 महीनों में प्रधानमंत्री सड़क हमारे सामने क्यों नहीं आई ? यह सरकार के पोर्टल बंद होने की स्थिति आज समाज के सामने क्यों आई है ? इसके बारे में हमें विचार करना चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्य से निवेदन करना चाहता हूं कि एक सरपंच मुझे फोन करता है. एक गरीब मालवीय समाज का व्यक्ति मुझे फोन करता है कि मेरे पिता मर गए हैं. मुझे उनका दाह संस्कार करना है. मैंने सुना है सरकार 5 हजार रुपये देती है. आप 5 हजार रुपये दे दीजिये, पिता का शव घर में पड़ा है उनका अंतिम संस्कार हो जायेगा, लेकिन सरपंच उसे मना करता है कि पैसे कहां है. तू जला, चंदा कर, कुछ भी कर. अंत तक वह शव पड़ा रहता है और गांव के लोग चंदा करते हैं. यह मेरी अपनी विधान सभा का किस्सा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से प्रार्थना करना चाहता हूं कि मेरी अपनी विधान सभा में ओले पड़े. 23 गांव ओलों में संपूर्ण रूप से नष्ट हो गए. उस दिन इनके प्रभारी मंत्री उसी विधान सभा के अंदर उद्घाटन कर रहे थे. उनके वहां रहते हुए ओले गिरे लेकिन उन्होंने क्षणिक यह नहीं सोचा कि मैं 2 घंटे के लिए उस गांव को जाकर देख आऊं जहां ओलावृष्टि से पक्षी मरे हैं, जहां गेहूं की खड़ी फसल, जो किसान के मुंह का निवाला होती है वह उसके मुंह से चली गई है, तो मैं जाकर उस किसान को सांत्वना दे दूं. हर गरीब किसान आसमान की ओर आंख उठाकर देखता है कि अब शिवराज जी का हेलीकॉप्टर आयेगा. अरे नहीं, कमलनाथ जी का हेलीकॉप्टर आयेगा. वाह रे, कमलनाथ जी, आपका हेलीकॉप्टर किस दिशा में उड़ रहा है. आप गरीब किसानों के खेतों में भी उतरकर देखिये, आपको उनका दर्द समझ में आयेगा. सरकार ने गरीब को मकान बनाने के लिए आश्वासन दिया. हम मानते हैं कि सरकार ने बहुत अच्छा काम किया. लेकिन मैं यह पूछना चाहता हूं कि मुझे एक व्यक्ति का नाम बतायें. अभी इतनी शादियां हुई हैं. सामूहिक विवाह भी हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य जी, धन्यवाद. सदन में दो-दो मिनट देने की बात हुई थी. अभी जो शुरूआत हुई है, उस बीच आप नहीं थे, तो माननीयों को केवल दो-दो मिनट बोलने के लिए आपके नेता जी ने ही कहा था और मैंने उसे एलाऊ किया.
श्री मनोहर ऊंटवाल- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप हमें बोलने दें. आप कृपया हमें संरक्षित करें. मैं वित्त मंत्री जी से केवल एक और निवेदन करना चाहता हूं कि आपने मांग संख्या 51 के संख्या 2250 में राम पथगमन के अंचलों के विकास की बात की है और आपने उसमें बजट मात्र 300 रुपया रखा है. मेरा आपसे निवेदन है कि राम इस देश की आत्मा है. राम इस देश का आदर्श है. व्यक्ति जब इस देश में जन्म लेता है तो राम का नाम होता है और मरता है तो राम नाम सत्य होता है. उसको आप कब, कितने दिनों में और किस तरीके से बनाने का काम करेंगे यह भी आपको आज बताना पड़ेगा. हालांकि मैंने सभी मांग संख्याओं पर तैयारी की थी परंतु समय का अभाव है, मेरे पास समय नहीं है, मैं बोलना चाहता था. लेकिन अध्यक्ष महोदय मैं आपको बोलना चाहता हूं कि आपने मुझे इतना बोलने का समय दिया धन्यवाद. अगली बार फिर हम सरकार से दो-दो हाथ करेंगे, फिर इनकी हर कमजोरी को समाज के बीच में उजागर करेंगे क्योंकि जनता ने हमको सम्मान के साथ में यहां पर भेजा है कि हम आपकी कमियों को पकड़ें और उसको दूर करने का काम आपको करना ही पड़ेगा. धन्यवाद.
श्री राजवर्द्धन सिंह(दत्तीगांव):-माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ आधा मिनट लूंगा, इस तृतीय अनुपूरक अनुमान वर्ष 2018-19 का समर्थन करते हुए, वित्त मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई देते हुए,सारी अच्छी बातों को पुन: न दोहराते हुए. मैं सिर्फ सारे बजट के साथ-साथ बदनावर माइक्रो उद्वहन लघु सिंचाई परियोजना को शामिल करने के लिये विशेष तौर पर माननीय मंत्री जी को और मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत आभार प्रदर्शित करना चाहता हूं. इससे लाखों किसानों का भला होगा, बाकी बहुत सी बातें बाद में की जा सकती हैं. मैं पुन: बहुत-बहुत मुख्यमंत्री जी का और वित्त मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं.
वित्त मंत्री श्री (तरूण भनोत) :- माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, बड़ी सार्थक चर्चा सदन में होगी,अनुपूरक के ऊपर, प्रस्तावों के ऊपर ,ऐसी मैं उम्मीद कर रहा था. पर यह भी नहीं कहूंगा कि नहीं हुई. समझदारों को ईशारा काफी है. यहां पर सभी सम्मानीय बैठे हैं. बात अगर यह होती कि सभी साथियों का सदन में एक सहयोग का वातावरण होता, यह बात सही है कि एक बहुत लंबे समय तक हम सत्ता में रहे तो यह जल्दी ही एहसास नहीं होता कि हम सत्ता से हट गये हैं और एडजेस्ट करने में थोड़ा समय भी समय लगता है. परन्तु हमारे देश और प्रदेश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है, चुनाव हुए उस जनता ने जिसने हमें 15 साल विपक्ष में सामने बैठाया था, उसने यह तय किया कि आप अगले पांच साल के चुनाव तक कम से कम वहां बैठिये और हमें सरकार चलाने दीजिये और मैं यही सोचकर सदन में आया भी था कि जब इतने वरिष्ठ सदस्य विपक्ष के रूप में सामने बैठे हैं. उनका सहयोग मिलेगा, प्रदेश की परिस्थितियां अगर हम सही तरीके से देखें और सोचें और सिर्फ अपनी राजनीतिक परम्पराओं को न निभायें, अगर हम अपनी पाटिर्यों के बंधनों को थोड़ी देर के लिये खोल दें तो हमारे प्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी तो नहीं है. यदि चर्चा में ऐसे सुझाव आते कि राजस्व कैसे बढ़ाया जा सकता है. कैसे राजस्व बढ़ाये जाने के लिये नये उपाये बताये जा सकते हैं, उद्योग लगाये जा सकते हैं, आम जनता के ऊपर करों का बोझ न आये तो बहुत अच्छा लगता. मैं उनको नोट भी करता और आपको आमंत्रित भी करता कि आओ हम और चर्चा करें. कैसे इस प्रदेश को हम वापस पटरी पर लेकर आयें, जिससे हमारे प्रदेश का संपूर्ण विकास भी होता रहे और साथ-साथ जो जन कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं, चाहे वह किसी भी सरकार ने चलायी हो और सही में वास्तविक रूप में मध्यप्रदेश के लोगों को लाभ हो रहा हो तो वह चलना चाहिये. ऐसा एक भी सुझाव नहीं आया है. हर बार पर सिर्फ परम्पराओं को निभाते हुए, पक्ष और विपक्ष, हमें उम्मीद भी यही थी कि हमारे साथी हमारा समर्थन करेंगे और क्योंकि हम सही दिशा में काम कर रहे हैं और अगर हम सही दिशा में काम भी कर रहे हैं तो भी वह हमारा समर्थन नहीं करेंगे और हुआ भी वही. कमियां ढूंढी जा रही हैं और कमियां ढूंढते समय इस बात का ख्याल नहीं रखा जा रहा था कि उसके पीछे पूरी सच्चाई क्या है. मैं बड़े दावे के साथ कह सकता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने आज से तीन दिन पूर्व जब वह जबलपुर के दौरे पर थे तो एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा भी, जब किसी ने उनसे पूछा कि आपने तो शिवराज जी के कार्यकाल की जो योजनाएं थी उनको बंद कर दिया तो उन्होंने बड़े दावे के साथ कहा और हम सब भी गवाह हैं कि एक भी ऐसी योजना का नाम बताइये जो पहले चल रही थी और उसको हमने बंद कर दिया. क्या एक भी ऐसी योजना इस सरकार ने बंद की जो इसके पहले चल रही थी ? हां, मैं यह भी नहीं कर रहा हूं कि हम बंद नहीं करेंगे. हम जल्दबाजी में काम नहीं करना चाहते और सिर्फ इसलिये कि आपने किसी योजना को चालू किया था और हम उसको बंद कर दें, अगर वह लाभकारी भी मध्यप्रदेश की जनता के लिये है, यह कदम भी हम नहीं उठाने जा रहे हैं. पर अगर किसी योजना में अगर कोई कमी होगी. यह महसूस किया जाएगा कि सही प्रकार से योजना पर व्यय हो रहा है लोगों को उतना लाभ नहीं हो रहा है, जितना होना चाहिये था उन योजनाओं को बंद करने का सरकार को अधिकार है. आपने भी किया जब आप सरकार में थे. योजनाओं की समीक्षा करने का अधिकार सरकार को है कि नहीं है ? सरकार को 2 माह से भी कम का समय हुआ है आप तमाम गलतियां सरकार की निकाल रहे हैं. आदरणीय सदस्य श्री यशपाल सिंह जी सहकारिता ऋण की चिन्ता कर रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि बैंक ऋण की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध है. माननीय संजू जी चले गये हैं उन्होंने भी रेखांकित किया तथा कई अन्य माननीय सदस्यों ने भी चिन्ता जताई. हमको अधिकारियों ने भी सूचित किया कि बहुत जगह पर जय किसान ऋण माफी योजना के तहत ऐसी शिकायतें मिलीं आपके जिले तथा क्षेत्रों में भी मिलीं. मैं यह नहीं कहूंगा कि आपने किया या पूर्ववर्ती सरकार ने किया मैं इस स्तर पर जाना भी नहीं चाहता. परन्तु कुछ गड़बड़ियां तो हुई हैं. अगर गड़बड़ियां हुई हैं, गलत नामों से पैसा निकाला गया है तो क्या उस गड़बड़ी को दोबारा दोहरायें. बिना जांच किये उस पैसे को उनके खातों में डाल दें, जो कि सही नहीं है. इसीलिये हरे,पीले,नीले, गुलाबी फार्मों का जिक्र करके आप मजाक उड़ा रहे थे वह इसलिये भरवाये गये थे. आप कह रहे थे कि किसान कर्ज माफी कब होगी, आपके पास तो प्रावधान ही नहीं है ? मैं आपको बताना चाहता हूं ध्यान से सुनिये जिस दिन माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने शपथ ली उसके एक घंटे के अंदर किसानों का कर्जा तो माफ हो चुका है. किसी किसान को 2 लाख रूपये का अपना कर्जा किसी बैंक को चुकाना नहीं है, उसकी जिम्मेदारी सरकार की है. 22 तारीख से हम बैंकों से किसानों को अनापत्ति प्रमाण पत्र दिलवा रहे हैं. अगर किसान को अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल रहा है तो आपको सरकार की तारीफ करना चाहिये या आलोचना करना चाहिये आप खुद सोचकर देखिये. अभी से 48 घंटे से भी कम समय बचा है जब मध्यप्रदेश के किसानों को बैंक से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने लगेंगे कि आपको कर्जा नहीं चुकाना है. यहां पर चर्चा हो रही थी कि यह असत्य है, फरेब है, प्रावधान नहीं है, पैसा कहां से आयेगा ? हम सरकार चला रहे हैं हमें चिन्ता है कि पैसा कहां से आयेगा. साथ में हमें यह भी चिन्ता है कि जो पैसा आ रहा है वह गलत ढंग से पहले की तरह नहीं जायेगा, वह भी उतना ही महत्वपूर्ण है. यह तो चिन्ता तो हमें करने दीजिये और उसमें आप सहयोग भी कीजिये. सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप से मध्यप्रदेश का सम्पूर्ण विकास नहीं हो सकता है. हां यह बात सही है कि कलेक्टर बदल गये हैं. जब हम वहां बैठते थे आप लोग यहां पर बैठते थे तो बहुत सारी ऐसी बातें हम समझते हुए भी नासमझ बनने की कोशिश करते थे, आज आप लोग कर रहे हैं. दिल में तो आप लोग भी जानते हैं कि यह नयी सरकार ने इतने कम समय में प्रतिकूल परिस्थितियों में बड़ी तेजी के साथ काम किया है. हां मुझे पता है कि दिल में यही है कि यह सरकार इतना अच्छा काम कैसे कर रही है और इतनी तेजी से कैसे कर रही है. यह अपने वचनों को पूरा क्यों कर रही है. लोकसभा के चुनावों में इनसे ज्यादा दुर्गति हमारी तो नहीं होगी. हर चीज को आप राजनीतिक चश्मे से मत देखिये मध्यप्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता पर हम लोगों को विश्वास करना पड़ेगा कि अलग अलग समय पर अलग अलग चुनावों में वह अपने मुताबिक मत देती है और सरकार को चुनती है. मैं एक बात और सुन रहा था कि बिजली का उत्पादन बहुत बढ़ गया है. पहले इतना था अब इतना है वर्ष 2003 में मध्यप्रदेश की आबादी कितनी थी भईया हमारा छोटा भाई छत्तीसगढ़ हमसे अलग होकर के चला गया. कितना बिजली का उत्पादन वहां पर होता था उसके आंकड़े सदन में चर्चा करके बताये हैं वहां खपत कितनी थी और यहां पर खपत कितनी है ? बिजली का उत्पादन कहां पर ज्यादा होता था उस पर कोई चर्चा नहीं. हमें तो सरकार की आलोचना करना है. हमारा दायित्व है हम लोग विपक्ष में बैठे हैं सरकार ने जो अनुपूरक वर्ष 2018-19 का सामने रखा है उसका विरोध करें. 44 पैसे प्रति यूनिट बिजली कौन से राज्य में मिल रही है और कौन से देश में मिल रही है आप बताइए? 10 हॉर्स पावर तक के किसानों को 44 पैसे प्रति यूनिट बिजली मिल रही है. माननीय बहुत सारी सरकारों के नाम गिना रहे थे कि इस राज्य की सरकार ने यह किया वह किया. हम भी समझ रहे थे कि आप कौन सी सरकार का नाम ले रहे थे. जरा सूची में यह भी पूछिए उन सरकारों से कि 44 पैसे प्रति यूनिट बिजली कहां पर किसानों को मिल रही है, मिल रही है कहीं? तो तारीफ कीजिए बजाइए एक बार, नहीं बजाएंगे (मेजों की थपथपाहट...) इधर तो बजेगी लेकिन मैं अपेक्षा कर रहा था कि उधर से भी बजेगी. बड़े शेर और शायरी के दौर चले, सही बात भी है हमारे वरिष्ठ हमारे आदरणीय हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप भी एकाध शेर पढ़ लीजिए.
श्री तरूण भनोत - देखिए अंतर यही है, मैं स्वीकार कर रहा हूं कि मुझे पढ़ना पडे़गा, मुझे बहुत ज्यादा याद नहीं है, पर कोशिश जरूर करूंगा, मैं तो आपसे सिर्फ चार लाइनें कहना चाहता हूं.
''मेरी आरजू यही है कि मैं सभी के काम आऊं.
मैं चिराग-ए-रहगुजर हूं, मुझे शौक से जलाओ, मुझे शौक से जलाओ'' (मेजों की थपथपाहट...)
अगर आपको यह जरा सा भी पता है कि यहां स्थितियां बहुत अनुकूल नहीं है और हम प्रयास कर रहे हैं, तो हम अपेक्षा करते हैं कि रचनात्मक सहयोग हमें आपसे मिले और यह परम्परा पहले भी रही है. मुझे याद है पूर्व मुख्यमंत्री जी यहां सदन में मौजूद हैं, वे सदन के नेता थे, हम विपक्ष में थे, उन्होंने यहां पर चलते सदन में घोषणा की थी कि मैं नर्मदा यात्रा निकालने जा रहा हूं और मैं आप सभी को आमंत्रित करता हूं कि अपने अपने राजनीतिक मतभेदों को भूलकर आप सभी इस पुण्य के काम में हम सब शामिल हो. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने जो अभी सदन में मौजूद हैं, यह बात यहां से कही थी, तब हम वहां बैठे थे जहां आज आप बैठे हो, तो हम लोगों ने सदन में खड़े होकर कहा था कि हम लोग आपका सहयोग करेंगे, स्वागत करेंगे और जब आप आएंगे तो आपका अभिनंदन भी करेंगे कि आप अच्छे काम पर निकले हो उद्देश्य तो आपका अच्छा है और किया भी. मुझे लगा कि शायद यह परम्परा भी आपको याद होगी, सभी को नहीं होगी लेकिन एकाध को तो होगी, लेकिन बड़ा दु:ख सा लगता है, अफसोस होता है, किसी ने भी कोई, अब उन शब्दों का मैं उपयोग भी नहीं करना चाहता हूं नहीं तो फिर से मैं उसी परिपाटी में आ जाउंगा, जो पुरानी चलती चली आ रही है. कुल राशि 122 करोड़ रूपए की हमने अनुपूरक में मांगें रखीं. हमारे सम्मानीय अभी रामगमन पथ की बात कह रहे थे कि इतनी छोटी राशि में यह कैसे हो जाएगा, तो मैं आपको बताना चाहता हूं. हमने प्रतीक प्रावधान किए हैं. हम कोशिश यह कर रहे हैं और हमारा प्रयास है जिसमें हमें सफलता भी बहुत हद तक मिली है. आप हमें समय तो दीजिए कि हम फाईनेंशियल डिसिप्लिन वित्तीय अनुशासन मध्यप्रदेश में ला सके. मैं वित्तीय कटौती की बात नहीं कर रहा हूं. मैं वित्तीय अनुशासन की बात कर रहा हूं कि मध्यप्रदेश में हम इसे लागू करें. हम प्रयास यह कर रहे हैं कि हम पैसों को बचाए और बचाकर हम उसका सदुपयोग करें तो मुझे विश्वास है कि बहुत सारी राशि जो हमने सेकेण्ड सप्लीमेंट्री में आपके सामने रखी थी, उसमें से हम बचा लेंगे और हमने जो नए प्रावधान किए हैं, इसमें उनका उपयोग करेंगे. सही कर रहे क्या गलत कर रहे हैं, बताइए आप? अगर सही कर रहे तो बजाओ ताली, नहीं बजा रहे. (मेजों की थपथपाहट...)
माननीय, हमने प्रयास यह किया कि किसी भी योजना को न करें, हां यह बात सही है कि जब सरकार बदलती है तो, आपने भी दौर देखा होगा थोड़ा समय लगता है एडजस्टमेंट का, और वह इसलिए होता है कि हर व्यक्ति जो नए पद पर जाकर बैठता है, हमारे नए मंत्री भी जब शपथ लेते हैं तो सबका काम करने का तरीका अपना होता है. हर व्यक्ति ये चाहता है कि मैं जो काम कर रहा हूं, उसमें मैं अपनी पॉजीटिव छाप भी छोडूं और अच्छे से काम करूं. इसलिए कुछ समय के लिए स्थितियां परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि काम धीरे होते हैं और कौन सी सरकार यह चाहेगी कि विकास के चलते हुए काम रुक जाए और वह योजनाएं जिनसे लोगों को लाभ हो रहा है, और उनको हम बिना सोचे-समझे बंद कर दें. हम हर चीज को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखने वाले लोग हैं. हम सबको साथ में लेकर चलना चाहते हैं और बंटवारा नहीं चाहते हैं और चाहते हैं कि सबको बराबर से जो जिसका हक है, वह मिले भी. मैं कुछ और बातों पर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ, मैं प्रयास तो यह कर रहा हूँ कि मैं बहुत सारे ऐसे मुद्दों को न लूँ, जो मैंने लिखे थे. माननीय सदस्य महोदय कह रहे थे कि वित्त मंत्री जी हर बात में खड़े होकर टोक रहे हैं. अगर जहां भी अनुपूरक मांगों के ऊपर चर्चा हुई, मैंने कहीं भी खड़े होकर किसी बात को नहीं कहा. मैं तो तब खड़ा हुआ और मैंने माननीय अध्यक्ष महोदय से आज्ञा मांगकर आपका ध्यान उस ओर आकर्षित करने का प्रयास किया, यह इन मांगों से जुड़ी हुई बातें नहीं हैं, जो आप यहां पर कर रहे हैं, इन्हें नहीं किया जाना चाहिए. यह अच्छी परम्परा भी नहीं है. अनुपूरक बजट की हम मांग कर रहे हैं, बात कर रहे हैं, उसकी मांगों पर चर्चा कर रहे हैं और बात वल्लभ भवन में 5000 लोगों की भीड़ की हो रही है. अगर मैं आपसे कहूँ कि राजनीतिक रूप से आपको कितना बुरा लगेगा कि जिन लोगों की आप बात कर रहे थे, उसमें बहुत सारे मेरे मित्र और सहयोगी जो आपकी विचारधारा और आपके राजनीतिक दल के हैं, वे मुझसे मिलने आ रहे थे, मुझे बधाई देने आ रहे थे और अपने काम भी मुझे बता रहे थे तो क्या आप उन्हें दलाल कह रहे थे ? (मेजों की थपथपाहट) बहुत सारे लोग मुझसे मिलने आए. जो भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे, अलग-अलग राजनीतिक दलों के लोग थे, जो पूर्व में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके थे और आज भी सदन के सदस्य हैं. अगर वे हमने आकर मिल रहे थे और वे अपने-अपने क्षेत्र की समस्याएं बता रहे थे या उनके क्षेत्र में उन्हें कुछ ट्रांसफर के मामले लग रहे थे, मेरे पास लेटर पैड में लेकर आए तो क्या यह शोभा देता है कि मैं उनके नाम लेकर सदन में बताऊँ कि भारतीय जनता पार्टी के फलां-फलां पदाधिकारी मेरे पास आए थे और मुझसे कह रहे थे कि इसका ट्रांसफर यहां से यहां कर दीजिये तो क्या वे दलाली करने आए थे ? तो हम वहां बैठकर उनसे दलाली खा रहे थे. (मेजों की थपथपाहट) क्या आपको इस प्रकार की भाषा का उपयोग करना अच्छा लगता है ? आप जन प्रतिनिधि हैं, जिम्मेदार हैं, हमको भी जनता ने चुना है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, तरुण जी मैं सोचता हूँ कि हम विषय पर रहें. सप्लीमेंट्री पर रहें. यदि आप अन्य विषय उठाएंगे तो फिर हम लोग भी चर्चा करेंगे. अब 100 ट्रांसफर हुए, आपने उसमें से 70 कैन्सिल कर दिए, इसके पीछे क्या समझा जाए ? आप खुद बताएं.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, मैं वही तो समझाने का प्रयत्न कर रहा था.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं टोका-टाकी में नहीं पड़ना चाहता हूँ. आप तो अपना भाषण निरन्तर करें और सिर्फ अनुपूरक पर चर्चा करें. आप डिमाण्ड मांग लें.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, मैंने तो शुरू में कहा था कि मैं राजनीतिक चर्चा करना ही नहीं चाहता हूँ. अभी तक मैंने एक भी विषय पर यहां चर्चा नहीं की है. जिसकी वहां से कम से कम 3 बार चर्चा न हुई हो. हमने डिमाण्ड तो आपके सामने रख दी. मैं सदन के सामने जो अपनी भावनाएं रखना चाहता था, रख दी. अगर आप सहमत है और मुझे विश्वास है कि आप सर्वसम्मति के साथ इन डिमाण्ड मांगों को पूरा करें. मैं अपने उद्बोधन को यहीं समाप्त करता हूँ. धन्यवाद, जय हिन्द, जय भारत.
श्री राजवर्धन सिंह 'दत्तीगांव' (बदनावर) - अध्यक्ष महोदय, यदि आपकी अनुमति हो तो वित्त मंत्री जी के लिए एक लाईन कह दूँ.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
श्री राजवर्धन सिंह 'दत्तीगांव' - 'जब से चला हूँ मेरी मंजिल पर नजर है, मैंने मील का पत्थर कभी नहीं देखा', इनके हौसले को दाद देता हूँ एवं सदन से निवेदन करता हूँ एक बार समर्थन कर दें. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ कहना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - यदि आप 'शेर' बोलेंगे तो अलाउ करूँगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैं 'शेर' नहीं कहूँगा. आप उस प्रक्रिया को पूरा करवा दें, तरुण जी, कम से कम यह तो कह दें कि इन मांगों को पास कर दें.
श्री गोपाल भार्गव - तरुण जी, आप पूरा तो पढ़ लें कि मैं इसको पुर:स्थापित कर इसकी स्वीकृति दी जाये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, उसे पूरा तो कर दें.
अध्यक्ष महोदय - वे पहले पढ़ चुके हैं, उसके बाद चर्चा हुई है, चर्चा के बाद उन्होंने पुन: निवेदन किया है, अब मैं पढ़ रहा हूँ.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, वे आपका सम्मान करते हुए बैठे हैं. जैसे ही आपने उनको टोका, कोड किया तो वे तुरन्त बैठ गए.
श्री गोपाल भार्गव - यह सम्मान बना रहे. इसके लिए धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि -
''दिनांक 31 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1, 3, 5, 6, 8, 10, 12, 14, 22, 24, 27, 47, 48 तथा 51, के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदया को कुल मिलाकर बहत्तर करोड़, तीन हजार, दो सौ रुपये की अनुपूरक राशि दी जाये.
अनुपूरक मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
5.19 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन एवं पारण
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग(क्रमांक-3) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
5.22 बजे. वर्ष 2004-2005 के आधिक्य व्यय की अनुदान की मांगों पर मतदान.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदया की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि-
''दिनांक 31 मार्च, 2005 को समाप्त हुये वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 6,19,24,30,59,66,67,78,84,86,92 एवं 94 के लिये स्वीकृत राशि के अतिरिक्त किये गये समस्त आधिक्य व्यय की पूर्ति के निमित्त राज्यपाल महोदया को तिरासी करोड़, उनसठ लाख, बानवे हजार, दो सौ चौहत्तर रूपये की राशि दिया जाना प्रार्थिकृत किया जाये.''
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि ''दिनांक 31 मार्च, 2005 को समाप्त हुये वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 6,19,24,30,59,66,67,78,84,86,92 एवं 94 के लिये स्वीकृत राशि के अतिरिक्त किये गये समस्त आधिक्य व्यय की पूर्ति के निमित्त राज्यपाल महोदया को तिरासी करोड़, उनसठ लाख, बानवे हजार, दो सौ चौहत्तर रूपये की राशि दिया जाना प्रार्थिकृत किया जाये.''
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
5.23 बजे. शासकीय विधि विषयक कार्य.
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन एवं पारण
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत) - अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-2) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री तरूण भनोत, वित्त मंत्री-- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग(क्रमांक-2) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग(क्रमांक-2) विधेयक, 2019 पारित किया जाये.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग(क्रमांक-2) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
5.25 बजे
वर्ष 2019-2020 के वार्षिक वित्तीय विवरण पर चर्चा
अध्यक्ष महोदय- अब, वर्ष 2019-2020 के वार्षिक वित्तीय विवरण पर चर्चा होगी.
अच्छा सहमति अनुसार चर्चा रहने दें.अगला विषय ले लेते है.
5.26 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
लेखानुदान तथा उससे संबंधित विनियोग विधेयक बिना किसी चर्चा के पारित करने संबंधी
अध्यक्ष महोदय- मैं, सदन को यह सूचित करना चाहता हूं कि यह परम्परा रही है कि लेखानुदान तथा उससे संबंधित विनियोग विधेयक बिना किसी चर्चा के पारित कर दिये जाते है, क्योंकि संपूर्ण बजट के आने पर चर्चा का अवसर सदस्यों को मिलता ही है. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति दी गई.)
5.27 बजे
वर्ष 2019-2020 के लेखानुदान की मांगों पर मतदान
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत)-- अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदया की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि -
"दिनांक 1 अप्रैल, 2019 को प्रारंभ होने वाले वित्तीय वर्ष 2019-2020 के एक भाग अर्थात प्रथम चार माह तक की अवधि के प्राक्कलित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदया को राज्य की संचित निधि में से कुल सतहत्तर हजार एक सौ छियासी करोड़, तेईस लाख, चौहत्तर हजार रूपये की धनराशि जो पृथकत: वितरित लेखानुदान की मांगों के स्तम्भ 6 में दी गई राशियां विनियोगों की अनुसूची के स्तम्भ 2 में निर्दिष्ट सेवाओं से संबंधित मांगों के लिये सम्मिलित है, लेखानुदान के रूप मे दी जाएं."
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, चूंकि नवासी हजार करोड़ का लेखानुदान आपका है. थोड़ा सा वित्त मंत्री जी सदन को बता देते कि आपको प्राप्तियां कहां से इतनी राशि की होंगी जिसमें यदि आप एक्चुवल बजट बनाते तो मुझे लगता है कि उसकी सार्थकता ज्यादा होती. वैसे स्वीकार करने में हमें दिक्कत नहीं है हम लोग तो हां की जीत हुई कर ही रहे हैं.
श्री तरूण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा था इसीलिये मैनें पढ़ भी दिया और हां की जीत हो भी गई. लेकिन मैं आपके कमरे में आकर के आपको जरूर बता दूंगा (हंसी)
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि :-
"दिनांक 1 अप्रैल, 2019 को प्रारंभ होने वाले वित्तीय वर्ष 2019-2020 के एक भाग अर्थात प्रथम चार माह तक की अवधि के प्राक्कलित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदया को राज्य की संचित निधि में से कुल सतहत्तर हजार एक सौ छियासी करोड़, तेईस लाख, चौहत्तर हजार रूपये की धनराशि जो पृथकत: वितरित लेखानुदान की मांगों के स्तम्भ 6 में दी गई राशियां विनियोगों की अनुसूची के स्तम्भ 2 में निर्दिष्ट सेवाओं से संबंधित मांगों के लिये सम्मिलित है, लेखानुदान के रूप मे दी जाएं."
लेखानुदान की मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
5.28 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग (लेखानुदान) विधेयक,2019 (क्रमांक 7 सन् 2019)
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश विनियोग (लेखानुदान) विधेयक, 2019 (क्रमांक 7 सन् 2019) का पुर: स्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (लेखानुदान) विधेयक, 2019( क्रमांक 7 सन् 2019) पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (लेखानुदान) विधेयक, 2019( क्रमांक 7 सन् 2019) पर विचार किया जाए.
डॉ.सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जो प्रश्न विनियोग पर उठाया है क्या वित्त मंत्री जी उसका उत्तर दे सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय- क्या कर रहे हैं आप. वह दोनों आपस में संतुष्ट हो गए. दो पंडित सहमत हो गये तो बड़े पंडित खड़े हो गये.
श्री गोपाल भार्गव- ठीक है हम दोनों संतुष्ट हो जायेंगे कमरे के अंदर लेकिन पूरे हाउस को और प्रदेश को कैसे मालूम पड़ेगा कि संतुष्टि कैसे हुई.
अध्यक्ष महोदय- वह आप दोनों बता देंगे. (हंसी)
श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- अध्यक्ष महोदय, सदन में सभी के सामने उत्तर आना चाहिये, सभी को जानकारी होनी चाहिये. श्री रवि.....
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से इसलिये कह रहा था, सदन जानना चाह रहा था, इतना ह्यूज एमाउंट है कि हम इसके बारे में कल्पना नहीं कर सकते कि इतना रेवेन्यू आप कहां से और कैसे कलेक्ट करेंगे, लेकिन मैंने कमिटमेंट किया था इस कारण मैं चर्चा नहीं कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ मध्यप्रदेश विनियोग (लेखानुदान) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (लेखानुदान) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री तरूण भनोत, मंत्री (वित्त)-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (लेखानुदान) विधेयक, 2019 पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (लेखानुदान) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (लेखानुदान) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
5.33 बजे अध्यक्षीय घोषणा
(1) सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 20 की चर्चा प्रारंभ होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये.
मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई).
(2) विधायक विश्रामगृह परिसर में माननीय सदस्यों की सुविधा हेतु नवनिर्मित
भोजनालय का शुभारंभ
अध्यक्ष महोदय-- आज दिनांक 20 फरवरी 2019 को सायं 6.00 बजे विधायक विश्रामगृह परिसर में माननीय सदस्यों की सुविधा हेतु नव निर्मित भोजनालय का शुभारंभ किया जा रहा है, सभी सदस्यों से अनुरोध है इस अवसर पर कार्यक्रम स्थल पर पधारने का कष्ट करें.
5.34 बजे नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा
प्रदेश में फसलों को पाले से हुये नुकसान के बावजूद राज्य सरकार द्वारा कृषकों को सर्वेवार मुआवजा तथा फसलों का उचित मूल्य व भावांतर भुगतान न किये जाने से उत्पन्न स्थिति
अध्यक्ष महोदय-- प्रदेश में पाला से फसलों का नुकसान होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा कृषकों को सर्वे कर मुआवजा तथा फसलों का उचित मूल्य व भावांतर भुगतान न किये जाने से उत्पन्न स्थिति के संबंध में माननीय सदस्यों से नियम-139, स्थगन, ध्यानाकर्षण एवं शून्यकाल के अंतर्गत अनेक सूचनाएं प्राप्त हुई हैं. विषय की गंभीरता एवं माननीय सदस्यों के अनुरोध को देखते हुये इन सूचनाओं को समामेलित करते हुये नियम-139 के अंतर्गत एकजाई चर्चा ली जा रही है.
मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई).
अब माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान, सदस्य चर्चा प्रारंभ करेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुदनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले आपको धन्यवाद देता हूं कि इस अविलंबनीय लोक महत्व के विषय को आपने चर्चा के लिये स्वीकार किया है. बेहतर होता कि इस चर्चा के दौरान माननीय मुख्यमंत्री जी यहां उपस्थित होते. वैसे परंपरा यह रही है कि जब बजट या लेखानुदान पारित होता है तब माननीय मुख्यमंत्री जी सदन में उपस्थित रहते हैं क्योंकि वह चर्चा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है. चर्चा प्रारम्भ करने के पहले मैं हृदय से यह कहना चाहता हूं कि यह चर्चा केवल चर्चा के लिये नहीं है. केवल चर्चा करके हम संतुष्ट हो जाएं कि हमने मुद्दा उठा लिया. इसलिये मैं चर्चा नहीं कर रहा हूं. यह सदन लोकतंत्र का मंदिर है. एक तरफ विधायी कार्य हम यहां करते हैं तो दूसरी तरफ जनहित से संबंधित मुद्दों को उठाते हैं. विकास के कामों को गति देने की कोशिश भी यह सदन करता है और मैं जिस भावना से किसानों से संबंधित चर्चा को यहां प्रारम्भ कर रहा हूं वह भावना यही है केवल हंगामा नहीं है. केवल आरोप-प्रत्यारोप नहीं है. समस्या को उठाकर उसके समाधान के लिये ठोस प्रयास किये जायें. मैं सामने बैठे सत्ता पक्ष के लोगों से भी यह कहना चाहता हूं कि वह हर चर्चा को इस रूप में न लें कि सामने वाले तो केवल आलोचना ही करेंगे और आज आलोचना आपको सुनना ही पड़ेगी लेकिन अगर वह सकारात्मक है, उसमें तथ्य है, उसमें तर्क है तो फिर उस दिशा में सकारात्मक और सही कदम भी उठाने की तैयारी आपको दिखानी पड़ेगी. " निंदक नियरे राखिये,आंगन कुटी क्षबाय,बिन साबुन पानी बिना निर्मल करे सुभाय " मैं आज जो बातें कह रहा हूं. केवल मैंने अखबार में पढ़कर या किसी से सुनकर इस चर्चा को नहीं उठाया है. मुख्यमंत्री नहीं रहने के बाद भी आधे से ज्यादा प्रदेश को मैंने घूमा है. हालांकि जब मैं जबेरा गया और वहां के किसानों ने कहा कि जरा मंडी देख लीजिये. धान के ढेर लगे हैं, सड़ रहा है. उठा नहीं रहे. पोर्टल बंद है. जब मैंने इस विषय को उठाया तो मेरे किसी मंत्री मित्र ने कहा कि वह अभी तक अपने को मुख्यमंत्री समझ रहे. मैं जानता हूं कि अब मैं मुख्यमंत्री नहीं हूं. मुख्यमंत्री आते रहते हैं,जाते रहते हैं. सरकारें आएंगी,जाएंगी लेकिन प्रदेश का हित और जनता का कल्याण हमेशा जारी रहेगा. पद पर नहीं रहने से हमें कोई अंतर नहीं पड़ा और सामने भी कोई विराट बहुमत के साथ जीते हुए स्थिति नहीं है. वोट हमें ज्यादा मिले,सीट आपको ज्यादा मिल गई. हमने संख्या बल के आगे शीष झुकाया और आपने सरकार बनाई. मुख्यमंत्री नहीं हैं लेकिन जनता की सेवा का संकल्प है. मध्यप्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता से भावनात्मक रिश्ते हैं. कोई जरूरी नहीं कि किसी पद पर रहकर ही सेवा की जाए. मुख्यमंत्री नहीं रहते हुए जनता की लड़ाई लड़ी जा सकती है. मुद्दे उठाए जा सकते हैं और मैं इस सदन में यह कहना चाहता हूं कि जब तक सांस रहेगी और हाथ-पांव चलेंगे हम जनता की सेवा करते रहेंगे. लड़ाई लड़ते रहेंगे. पहले कलम की ताकत से करते थे. अब जनता के मुद्दे उठाएंगे. इस भाव से उठाएंगे कि सही है तो आप स्वीकार कीजिये. समाधान कीजिये. हम भी रचनात्मक सहयोग करेंगे और उसके बाद भी समाधान की दिशा में कदम नहीं उठाया गया तो हम संघर्ष के लिये भी तैयार रहेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, दो महीने इस सरकार को बने हो गये. सपने बड़े देखे थे. आते ही स्वर्ग जमीन पर उतर आएगा. किसानों की जय-जय हो जायेगी. चारों तरफ आनंद की वर्षा होगी लेकिन दो महीने में यह सरकार किसान के धान की ठीक तरीके से खरीदी भी नहीं कर पाई. एक खरीदी की बेहतर व्यवस्था हम बनाकर गये हैं. गेहूं कि खरीदी हो,धान की खरीदी हो, अगर दिल से स्वीकार करेंगे तो यह मानेंगे कि मध्यप्रदेश की खरीदी की व्यवस्था ऐसा मापदण्ड थी कि जिसकी चर्चा पूरे देश के राज्य करते थे लेकिन मैं कई जिलों में गया. मैं अभी जबेरा की चर्चा कर रहा था. दमोह जिले में कांग्रेस भी जीती है भारतीय जनता पार्टी भी जीती है. 2 सदस्य आपके भी हैं. कल मैं जबलपुर में था. मैं बालाघाट गया,मैं सिवनी गया. मैं आगर गया,शाजापुर गया. मैं सीहोर गया,उज्जैन गया, मैं राजगढ़ गया.किसानों से बात की,जनता से बात की. अध्यक्ष महोदय, लाखों टन धान आज भी खरीदी नहीं गई है. खरीदी में ऐसी अव्यवस्था? एक तो लाइन लगाकर किसान कई दिनों तक खड़े रहे. बारदानों का इंतजाम नहीं है. धान खरीदी का पोर्टल बंद हो गया. जिन किसानों ने धान बेची, उनका डाटा अपडेट ही नहीं हुआ. 19 तारीख का दिन आ गया. जबेरा में मुझे बताया गया. जबलपुर के किसानों ने, सिवनी, बालाघाट के किसानों ने बताया. बालाघाट से तो माननीय उपाध्यक्ष महोदया भी हैं. अध्यक्ष महोदय, धान के ढेर लगे थे, धान सड़ रहा था. 19 तारीख को खरीदी बंद हुई. किसानों को टोकन दे दिये गये कि टोकन ले लो. लाओ धान ले आओ, जिसके पास टोकन होगा. किसान धान लेकर पहुंचे तो कहा कि बारदान नहीं हैं तो किसानों के बारदाने में ही धान तुल गई, कहा कि बाद में चढ़ा दी जाएगी. धान को तुले हुए कई दिन हो गये, कोई उसको उठाने वाला नहीं है, कोई पूछने वाला नहीं है. बरसात आई, वह धान सड़ गया. कई जगह धान ऊग गया. किसान आंखों में आंसू लिये घूम रहा है, कोई सुनने वाला नहीं है. जो धान खरीदी हुई, मैं जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं इस सदन के सामने, इधर के सदस्य भी बैठे हैं. दिल पर हाथ रखकर बात करना, केवल असत्य प्रशंसा ही मत करना, नहीं तो मारे जाओगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -अभी का बता रहे हैं कि पहले का बता रहे हैं?
श्री शिवराज सिंह चौहान - पहले वाले भी मारे जाएंगे और अभी वाले भी मारे जाएंगे, चिंता मत करना.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - पहले किसान टोकन लेता था, अभी भी ले रहा है. किसानों ने प्याज रोड पर फेंका, यह भी बताइए.
श्री शिवराज सिंह चौहान - 19 तारीख को किसानों को टोकन दिये. जबलपुर में दिये, सिवनी में दिये. मैं जबलपुर जिले की बात कर रहा हूं.
श्री संजय यादव - मध्यप्रदेश में आज तक कहीं व्यवस्था नहीं थी.
श्री शिवराज सिंह चौहान - हिम्मत है तो मेरे साथ में चलना किसानों के बीच, मैं कल ही किसानों के बीच से आ रहा हूं. आज भी धान का भुगतान नहीं हुआ है..
श्री संजय यादव - मैं भी ग्रामीण सीट से हूं. (व्यवधान)..
श्री मनोहर ऊंटवाल - यह इस लायक सदस्य हैं कि शिवराज सिंह जी बात कर सकें.
अध्यक्ष महोदय - आप मुझे व्यवस्था देने देंगे?
श्री मनोहर ऊंटवाल - माननीय सदस्य, क्या शिवराज सिंह जी के कद के सदस्य है जो बहस कर रहे हैं? बोलने से पहले यह तो देखना चाहिए कि किस व्यक्ति का भाषण चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय - ऊंटवाल जी, व्यवस्था आप देंगे कि मैं दूंगा? आप सभी बैठ जाएं. (सुश्री रामबाई गोविंद सिंह के अन्य स्थान से अपनी बात कहने पर) रामबाई, आप अपनी जगह पर चलें. रामबाई आप अपनी जगह से बोलें, यह व्यवस्था है. देखिए, मैं जो व्यवस्था दे रहा हूं. मेहरबानी करके पालन करिएगा. अच्छी परंपरा डालिएगा. हो-हल्ला से हाऊस को खत्म मत करिएगा. स्वस्थ, अच्छी चर्चा होने दीजिएगा. जब तक विषय निकलकर नहीं आएगा, तब तक बात भी निकलकर नहीं आएगी. विषय को निकलने दीजिए, बात को आने दीजिए. स्वस्थ चर्चा होने दीजिए. जितना आप बोल रहे हैं आप कागज में नोट करके रखिएगा. जब आपकी बारी आए, आप बोलिए. लेकिन परंपरा को हटाकर अब नयी स्वस्थ परंपरा लानी पड़ेगी, ऐसा आप सबसे अनुरोध है. आदरणीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी..(मेजों की थपथपाहट)..
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मैंने पहले ही कहा कि मेरे मन में अगर चर्चा उठाई है तो भाव यही है कि अगर व्यवस्था गड़बड़ है तो आप व्यवस्था ठीक करें. हम बैठे-बैठे केवल यह कहेंगे कि सब बेहतर है. मैं समझता हूं कि वह ठीक नहीं होगा और इसलिए धान उत्पादक जिले वहां मंत्रीगण जाएं, चर्चा करें. अब मैं जाता हूं तो कई बार दिक्कत होती है कि अभी भी अपने आपको मुख्यमंत्री समझ रहे हैं. आप ही जाओ भैया. आप मंडियों में देखें, मुख्यमंत्री निकलें. स्थिति देखें और लगे कि गड़बड़ है तो ठीक करे. यही मेरा निवेदन है, यही मेरा आग्रह है, यही मेरा कहना है और मैं आज कह रहा हूं, पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं. अधिकांश किसानों को जबलपुर जिले में, सिवनी जिले में, बालाघाट जिले में धान का भुगतान नहीं हुआ है. वे चक्कर लगा रहे हैं. यह भी आप नोट कर लें, बाद में मुझे उत्तर दे देना, अभी तैयारी न हो तो 19 तारीख को जिन किसानों को टोकन दिये गये, जो धान बेच नहीं पाए थे क्योंकि वह अंतिम तिथि थी. उनको कहा गया था कि आप बेच दीजिये बाद में पोर्टल पर अप डेट हो जायेगा, आपकी धान बिकी हुई मानी जायेगी. लेकिन उसके बाद में पोर्टल खुला ही नहीं, पोर्टल स्थायी रूप से बंद हो गया, वह किसान परेशान घूम रहा है. मेरा आपसे आग्रह है किसानों की तरफ से मैं आपसे कहना चाहता हूं कि अगर किसानों से धान खरीदा गया है, पोर्टल बंद था तो पोर्टल खुलवाइये और जिन किसानों का धान -- क्योंकि बीच में पानी आ गया था -- को रखने की व्यवस्था नहीं थी, बारदाने मैंने खुद आंखों से जाकर देखे वह सिले तक नहीं थे बारदाने में से धान नीचे गिर रहा था, कई जगह पर किसानों ने धान हाथ में रखकर बताया वह धान उग गया था. अब उन किसानों का जो नुकसान हुआ है. अध्यक्ष महोदय उनकी भरपाई कौन करेगा, धान का भुगतान होना चाहिए, और अभी तो 1750 रूपये क्विंटल की बात हो रही है और यह मिनीमम समर्थन मूल्य है जो कि भारत सरकार ने घोषित किया है. लेकिन आपने वचन पत्र में बड़े जोर शोर से कहा था कि कांग्रेस सरकार किसानों को गेहूं, ज्वार, धान, चावल, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, सरसों, कपास, अरहर, मूंग और चना, मसूर, उड़द, लहसन, प्याज, टमाटर तथा गन्ने पर बोनस देगी. यह बात आपने अपने वचन पत्र में लिखा है मैं यहां पर आपको याद दिलाना चाहता हूं कि बगल में लगी हुई छत्तीसगढ़ की सरकार धान को बोनस देकर 2500 रूपये क्विंटल खरीद रही है, जब छत्तीसगढ़ की सरकार 2500 रूपये क्विंटल में धान खरीद रही है किसानों को बोनस दे रही है तो मध्यप्रदेश के किसानों ने क्या पाप किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय मैं यहां पर यह आग्रह करना चाहता हूं, मैं मांग करता हूं आपने वचन पत्र में वचन दिया है. आप तो वचन निभाने वाले हैं, निभाइये वचन मुखयमंत्री जी यहां पर नहीं है. आज उनसे जाकर कहिये कि वह आज जाकर घोषणा करें कि मध्यप्रदेश में भी धान उत्पादक किसानों को 2500 रूपये क्विंटल दिये जायेंगे, बोनस का वचन भी पूरा किया जायेगा. मैंने आपको यहां पर उदाहरण दिया है, आपकी पार्टी की ही सरकार है लेकिन यहां पर तो जो बिका हुआ धान है उसको 1750 रूपये क्विंटल भी नहीं मिल रहे हैं. दमोह जिले में मुझे वहां पर किसानों ने बताया कि वहां पर एक किलो 200 ग्राम ज्यादा तौला गया है, वहां पर परिवहन की ठीक से व्यवस्था नहीं थी, अब यह जो वहां पर ज्यादा तौला गया है तो क्यों तौला गया है, कोई वहां पर पूछने वाला क्यों नहीं है, हम्मालों का पैसा किसानों ने क्यों दिया है, बारदाना किसानों का लगा है इसको आप अव्यवस्था क्यों नहीं मानते हैं. क्या किसानों को भगवान भरोसे छोड़ दिया जायेगा ? इसलिए मेरी सीधी सिंपल बात है धान का तत्काल भुगतान कीजिये, 2500 रूपये क्विंटल धान खरीदिये, जिन किसानों का पोर्टल बंद होने के कारण, आंकड़े अपडेट नहीं हुए हैं और जो अपना धान बेच चुके हैं उनके धान को खरीद लिया है यह आप स्वीकार करें और उनके खाते में भी पैसे पहुंचाइये और जिन्होंने गड़बड़ की है उनके खिलाफ में कार्यवाही कीजिये, लेकिन सवाल केवल धान का नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बुंदेलखंड के हमारे विधायक भाई यहां पर बैठे होंगे. उड़द के क्या हाल हैं आज , उड़द के किसानों के हाल पूछने वाला कोई नहीं है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- आपने बुंदेलखंड का नाम लिया है आपके दर्द में हम भी शामिल हैं लेकिन हकीकत यह है कि बुंदेलखंड के किसानों को आपके ही समय का सूखे का पैसा आज तक नहीं मिला है अगर यह दर्द आपका होता तो हमें और अच्छा लगता.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चर्चा में विषयांतर नहीं करना चाहता हूं. लेकिन बार बार यह बात कही गई है. खजाना खाली है सरकार के पास में पैसा नहीं है. मैं पूरे दावे के साथ में कहता हूं खजाना खाली नहीं है सरप्लस रेवेन्यू छोड़कर हम गये हैं,केवल किसानों को माननीय मंत्री महोदय 32701 करोड़ रूपये अलग अलग योजनाओं के तहत दिया गया था तो हमारी सरकार ने दिया था जिसमें उड़द और मूंग पर भी भावांतर की राशि शामिल थी.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- खजाना खाली होने का बयान तो आपके वित्त मंत्री का ही था.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मैं आज दावे के साथ में कह रहा हूं कि खजाना खाली नहीं था, रेवेन्यू सरप्लस में हम छोड़कर गये, यह तो जुमला आपने बना लिया है, अरे कुछ है ही नहीं, अरे हम मर गये, अरे मर गये तो क्यों आ गये कह देते कि तुम ही चलाओ, कौन कह रहा था सरकार चलाने को, कोई खजाना खाली नहीं है पौने दो लाख करोड़ रूपये का बजट होता था. आप तो कर्मचारियों को केन्द्र के समान महंगाई भत्ता भी नहीं दे रहे हैं दो - दो ड्यू हो गये हैं दो प्रतिशत पहले का और तीन प्रतिशत अभी का. एक बार जब पहले आपकी सरकार थी तब केन्द्र के समान महंगाई भत्ता नहीं देते थे हमने सरकार बनने के बाद में एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि एक बार भी महंगाई भत्ता केन्द्र के समान नहीं दिया हो. हमने सरकार बनने के बाद एक बार भी एक साल का यह नहीं हुआ कि केंद्र के समान महंगाई भत्ता तत्काल नहीं दिया हो. आप तो ओले पाले का पैसा नहीं दे पा रहे हैं. मैं तत्कालीन मुख्यमंत्री था एक साल में 9-9 हजार करोड़ रुपये सूखे के, ओला वृष्टि के अगर दिये थे, तो इस तरफ हम लोग जो बैठे हैं, जब सरकार में थे, तब हमने दिये थे. अब कुछ नहीं बनता है, तो खजाना खाली है. खजाना कहां से खाली है. कभी भी हमने, हां भजन मंडलियों के पैसे और उसमें झांझ, मंजीरे,ढोलक तक के पैसे तो आपने वापस बुलवा लिये और आप केवल टोका-टाकी करते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि उड़द के भावांतर के पैसे बाकी हैं. उड़द खरीद ली, उड़द खरीदने के बाद..
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) -- अध्यक्ष महोदय, कृपया एक मिनट की इजाजत दें दें. धान खरीदने के मेटर पर बात हो रही थी..
अध्यक्ष महोदय -- ऐसा नहीं होता है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय दे दें. अगर आप सहमत हों तो.
अध्यक्ष महोदय -- आपको कल अवसर मिलेगा ना.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात कहना चाहता हूं..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, बस मैं एक बात कहना चाहता हूं. एक बार इजाजत दे दें. माननीय शिवराज सिंह जी ने अभी कहा..
अध्यक्ष महोदय -- देखिये, यह परस्पर प्रश्नोत्तरकाल नहीं है. ..(व्यवधान).. प्लीज बैठ जाइये. भाई यह प्रश्नोत्तरकाल नहीं है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्नोत्तरकाल नहीं है, लेकिन आप मेरी एक मिनट बात तो सुन लीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं सुनूंगा. नहीं सुनूंगा. ऐसा थोड़ी ना. हर चीज उद्भूत होगी, हर चीज टोकेंगे. फिर जैसा आप करेंगे, वैसे ही वे करेंगे. ऐसे में चल गया हाउस.यह क्या है. कृपया सहयोग करिये.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी)-- अध्यक्ष जी, संबंधित विभाग के मंत्री जी हैं,कोई बयानी हुई, इसलिये अनुरोध कर रहे हैं, जैसा आपका मन.
अध्यक्ष महोदय -- ऐसा होता ही नहीं है. मंत्री हैं, मैं मानता हूं. नोट करिये ना. नोट करिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, वे विषय से हटकर बोल रहे हैं. हम लोगों की भावना के बारे में कुछ भी बोला जायेगा, ऐसा नहीं है. जो आपने विषय रखा है, उसी पर बोलेंगे या विषय से कुछ हटकर भी बोलेंगे.
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) -- अध्यक्ष महोदय, इसमें फेक्ट्स आ जायेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, इसमें उड़द और धान की बात कहां से विषयान्तर हो गया.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि एक मिनट की इजाजत दे दें. अध्यक्ष महोदय, हमारे तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री जी ने बात रखी. किसानों के बारे में वे जो बोल रहे हैं, मैं उनको यह बोलना चाहता हूं कि आपने कहा कि किसानों से माल ज्यादा तोला जा रहा है. ..(व्यवधान).. आप लोग सुन लीजिये. आप लोगों को गुमराह मत करिये. आपको हमारी बात सुननी होगी. आप इसलिये नहीं कि जोर से, चिल्ला करके असत्य बात को बार-बार बोलना चाहेंगे. यह आप सदन को गुमराह मत करिये. यह सदन लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है. आप गलत जानकारी देकर सदन को गुमराह मत करिये. हमारी बात आपको सुननी होगी. ऐसा नहीं है कि आप अनर्गल कोई भी बात कहेंगे. ..(व्यवधान).. आप अनर्गल बात नहीं कहेंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- आप रुक तो जाओ. पहले नोट करो, फिर बोलो.
..(व्यवधान)..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- हम सही जवाब देंगे, उसको आप नहीं सुनेंगे. आप लोग सुनिये. हम वास्तविकता बता रहे हैं.
श्री कमल पटेल -- मंत्री जी, जब आपका समय आयेगा, तब बोलिये ना.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, हम इस बात को इस तरीके से नहीं सुनेंगे. हम सदन को गुमराह नहीं होने देंगे. किसानों के लिये हमारे मुख्यमंत्री जी ने जो किया है, वह हम आपको बताना चाहेंगे. उसको आपको सुनना होगा. आपको हमारी बात को सुनना होगा. ..(व्यवधान).. हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने वर्तमान में किसानों के हित में जो निर्णय किये हैं, उनको सुनिये. आप लोग घबराइये मत.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- नहीं-नहीं, जब अवसर आयेगा, तब आप बोलिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- तो आप सुनिये ना फिर.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- पहले आप अध्यक्ष जी से अनुमति लीजिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, आप मेरी बात को सुन लें.
अध्यक्ष महोदय -- शिवराज सिंह जी, आप अपना उद्बोधन कंटीन्यू रखें और जो मेरी बिना अनुमति के बोलें, वह न लिखा जाये.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि उड़द की ढंग से खरीदी नहीं हुई. जो खरीदी हुई, पहले खरीद लिया और बाद में खरीदे हुए उड़द को रिजेक्ट कर दिया गया. जिन किसानों ने उड़द बेची थी, वह दर- दर की ठोकरें खाते हुए घूम रहे हैं. मुझे शौक नहीं है कोई असत्य झूठ बात कहने का, पर मैं जो बात कह रहा हूँ, वह किसानों से चर्चा करने के उपरांत कह रहा हूँ और जो मैंने तौलने की बात कही, मैं फिर दोहराता हूँ कि एक किलो 200 ग्राम, जबेरा मण्डी में ही सारे किसानों ने मुझे बताया कि ज्यादा तौला गया है. अब अगर यह बात मैं उठाता हूँ तो आप तथ्य और तर्कों के साथ खण्डन कर दो कि ऐसा नहीं है. नहीं तो मेरे साथ किसानों के बीच में चलो, वहां बात कर लेते हैं, लेकिन केवल टोका-टाकी करना उचित नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सरकार से निवेदन करना चाहता हूँ, हमारे माननीय मंत्री महोदय, जितू पटवारी जी, जब वे इधर बैठते थे तो किसानों के लिए बड़े संवेदनशील थे. हमने एक बार एक वीडियो देखा, आओ रे, पूरे उत्साह में वे रहते थे, कोई दिक्कत नहीं है, उत्साह में रहना चाहिए, और अगर इधर भी हम किसानों के मुद्दे उठाते हैं तो सुनने का माद्दा भी होना चाहिए. मैं कह रहा हूँ कि इस सरकार ने मक्के पर बोनस की बात कही, सोयाबीन पर बोनस की बात कही. मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ कि जब हम सरकार में थे, दो महीने दस दिन पहले तक, तब हम लोगों ने सरकार में रहते हुए चुनाव के पहले, आचार संहिता लागू होने के पहले यह व्यवस्था की थी कि सोयाबीन पर 500 रुपये क्विंटल और मक्के पर 500 रुपये क्विंटल किसान को अतिरिक्त दिया जाएगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, छिंदवाड़ा जिले में कांग्रेस ने यह प्रचार किया था कि 500 रुपये क्विंटल नहीं, अगर सरकार बनी तो हम मक्के पर 800 रुपये क्विंटल बोनस के रूप में किसान को देंगे. एक भी किसान के खाते में 500 रुपये क्विंटल सोयाबीन के नहीं डले हैं. उधर के मित्र भी जानते हैं, स्वीकार करें न करें, बोलें न बोलें, अगर वे न भी बोलें तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन यह सच्चाई है कि 500 रुपये क्विंटल सोयाबीन का ....
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) -- अध्यक्ष महोदय, मैं भी छिंदवाड़ा जिले से हूँ, 800 रुपये क्विंटल मक्के की कोई बात नहीं हुई है. यह गलत चीज है. ये जो बात बोल रहे हैं, एकदम गलत बात बोल रहे हैं. मैं इसलिए विरोध कर रहा हूँ.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी टोका-टाकी का तो कोई अर्थ नहीं है, ये जब बोलेंगे, तब बोल लें.
अध्यक्ष महोदय -- आपको जब बोलने का मौका देंगे, मेहरबानी करके नोट कर लीजिए, पूरा मौका देंगे, फिर इनको नहीं टोकने देंगे. आप लिखो तो. ठीक है. सुनिएगा पहले.
श्री आरिफ अकील -- पूत के पांव पालने में ही दिख रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- सही कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- पालने के बाहर नहीं जाएंगे, पालने के अंदर ही रहेंगे. वे हमको टिप्पणी कर रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- आप सही कह रहे हैं दो महीने में ही पूत के पांव पालने में दिखाई दे रहे हैं. अरे भैया, 500 रुपये क्विंटल मक्के के डाल दो, 500 रुपये क्विंटल सोयाबीन के डाल दो. हम अभिनन्दन करने आएंगे, टेबल बजाएंगे, स्वागत करेंगे, किसान स्वागत करेंगे. इसमें कौन सी गलत बात है. यह हम फैसला करके गए, कैबिनेट की बैठक में यह हम निर्णय लेकर गए, लेकिन आज तक किसानों के खातों में 500 रुपये क्विंटल सोयाबीन के नहीं डाले जा रहे हैं. 500 रुपये क्विंटल मक्के के नहीं डाले जा रहे हैं. आपने हर चीज पर बोनस देने की बात कही थी. वह बात अगर हम कहते हैं तो टोका-टाकी करने का आप काम करते हैं. पाले के कारण, ओले के कारण पूरे मध्यप्रदेश के कई जिलों में, इसको भी आप स्वीकार करें न करें, मैं तो इंदौर जिले की बात करता हूँ. इंदौर जिले के भी कई गांवों में पाले के कारण फसलों का नुकसान हुआ है. इंदौर जिले में 16 गांव हैं, जहां फसलों को नुकसान हुआ है, सिमरोल, दनोदा, बलगरा, अपनोद. आप अगर कहते हैं कि नुकसान नहीं हुआ तो इन गांवों के नाम मैं आपको गिना रहा हूँ. मैं तो छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा की बात कर रहा हूँ. छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा तहसील में ओले से नुकसान हुआ है, छिंदवाड़ा में चौरई, मोहखेड़ा, परासिया के कुछ गांवों में पाले से नुकसान हुआ है. हरदा में मूंग का भुगतान किसानों को नहीं हुआ है. किसानों ने आकर मुझसे शिकायत की है. माननीय अध्यक्ष महोदय, नरसिंहपुर के, चूँकि ये टोका-टाकी कर रहे हैं, जांच करवाई जाए. चिचली विकासखण्ड के आड़ेगांव, सिंगपुर, रहेमा, झामर, इनमें गन्ने का पेमेंट नहीं हुआ है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- आपको गलत जानकारी है, मैं परासिया विधानसभा से हूँ. मेरे क्षेत्र में पाला नहीं पड़ा है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मैं अमरवाड़ा की बात कर रहा हूँ मेरे भाई, मैं यही तो कह रहा हूँ कि किसानों को नुकसान हुआ है, इसमें क्या आपत्ति है. मैं गांवों के नाम इसलिए ले रहा हूँ कि वहां के विधायक भी अगर क्षेत्र में नहीं गए हों तो लिख लें. एक बार किसानों से बात कर लें, उसमें दिक्कत क्या है. तेंदूखेडा में ओले से बिजौरा, मानकपुर, बांसखेड़ा, पाले से घघरौला, पटना, मुड़ियाकोठिया, बिलथारी, भौरगढ़, सौंसर, सोकलपुर....
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) -- माननीय अध्यक्ष जी, सदन में मेरा आपसे आग्रह है कि पूर्व मुख्यमंत्री जी लंबे समय रहे हैं. हम आपकी भावनाओं का सम्मान कर रहे हैं, पर सदन को गुमराह न करें. (मेजों की थपथपाहट) मैं आपसे निवेदन कर रहा हॅूं कि अगर आप सदन को यह बोल रहे हैं मैं कहता हॅूं आप स्वागत करिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री कमलनाथ जी का. आपने जो पिछली बार धान खरीदी की थी. आप पहले सुन लीजिए. आप सदन को गुमराह कर रहे हैं. हम तथ्यों के आधार पर बात कर रहे हैं. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- माननीय संसदीय मंत्री जी.
श्री गोपाल भार्गव -- डॉ. साहब, माननीय अध्यक्ष जी कुछ कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय संसदीय मंत्री जी, मेरा आपसे अनुरोध है. मैं इस विषय में दो बार, तीन बार व्यवस्था दे चुका. मेरी ही व्यवस्था के ऊपर कृपापूर्वक आप ध्यान दें और माननीय सदस्यों को परम्पराओं से अवगत कराएं, मैं आपसे पुन: अनुरोध कर रहा हॅूं. भैया, एक मिनट रुक जाओ. सदन चलाने के लिए मैं कुछ अनुरोध कर रहा हॅूं. कुछ व्यवधान बार-बार हो रहे हैं. चर्चाएं अवरूद्ध हो रही हैं. जितना टोका-टाकी होगी आप लोग न विषय जाने देंगे, न लंबाई नाप पाएंगे और चर्चा होती रहेगी.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष जी, एक मिनट मेरी बात सुन लीजिए. आज जो सदन को बताया जाएगा, कल प्रेस मीडिया में छपेगा. पूर्व मुख्यमंत्री जी आंकडे़ दे रहे हैं. मेरा कहना है कि आप एक बार मेरा पक्ष तो सुन लीजिए.
डॉ. गोविन्द सिंह -- बैठ जाओ आप.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष जी, हमने ऐतिहासिक धान खरीदी की है. आपको यह मालूम होना चाहिए. आपने क्या खरीदा. आप मेरी बात सुन लीजिए. हम सदन को गुमराह नहीं होने देंगे. यह मेरा भी दायित्व है...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष जी, ये किसकी सुनेंगे. आपकी नहीं सुन रहे हैं. संसदीय कार्यमंत्री जी की नहीं सुन रहे हैं. ये किसकी मानेंगे. जो हैं नहीं, क्या उसकी मानेंगे...(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- तीन-तीन, चार-चार मंत्री उठकर के गये, उनकी नहीं मान रहे हैं, तो किसकी मानेंगे. उनको सदन में बुला लें. ये जानबूझकर सरकार को परेशान कर रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नई भूमिका में सेट होने में कुछ समय लगता है क्योंकि अभी तक धरना देना, भूख हड़ताल करना, प्रदर्शन करना ग्वालियर में इसी में लगे रहते थे. इसलिए मैं उनका दोष नहीं मानता. अब स्वभाव बदलने में थोड़ा समय लगता है. अब वे जल्दी सेट हो जाएं यह माननीय मुख्यमंत्री जी कोशिश करेंगे. वे मंत्री की भूमिका में आ जाएं. आज वे प्रदर्शनकारी की भूमिका में ज्यादा दिखाई दे रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हुए हैं मैं फिर पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हॅूं कि मैं यह बात दोहराने पर मजबूर हॅूं. मैं जिम्मेदारी के साथ कह रहा हॅूं किसानों को बड़ी संख्या में अधिकांश किसानों को धान का भुगतान नहीं हुआ है. सदन में यह जिम्मेदारी के साथ कह रहा हॅूं और अगर मैं यह मांग करता हॅूं कि किसानों को धान का भुगतान समय पर किया जाए तो इसमें आपत्ति क्या हो सकती है मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हॅूं. मैं जवेरा में गया वहां किसानों ने बताया कि 1 किलो 200 ग्राम ज्यादा खरीदा गया. टोकन दे दिए गए. धान खरीद लिया गया. पोर्टल बंद कर दिया गया. आज तक उन किसानों का पोर्टल पर जो उन्होंने धान बेचा है वह चढ़ा ही नहीं है, उनको भुगतान नहीं हो पा रहा है. अगर यह चीजें हम कह रहे हैं तो आप परीक्षण करवा लें, आप जांच करवा लें. अगर हम सही हैं तो हमने यही तो कहा कि हम सकारात्मक चर्चा करना चाहते हैं. किसानों को पेमेन्ट होना चाहिए. 1 किलो 200 ग्राम ज्यादा अगर किसी ने खरीदा है, तुलवाया है तो उसके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए. इसमें क्या आपत्ति हो सकती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिए मैंने पाले, ओले की बात गांवों के नाम लेकर कहना शुरू किया. आपके मन में अब दर्द नहीं है तो मैं क्या करूं. इधर आप बैठते थे तब आपके मन में दर्द होता था. मैं घूमकर आया हॅूं. किसानों से बात करके आया हॅूं. मैं देवास जिले में गया. मैं राजगढ़ जिले में गया. मैं आगर, शाजापुर जिले में गया. लोग अनाज लेकर आये. चना लेकर आये. चना, धनिया, टमाटर, आलू, बैंगन, सब्जियां पूरी तरह से तबाह और चौपट हो गईं. अभी मंदसौर, नीमच जिले में हुई. मेरे पास नामों की पूरी सूची है. अगर आप देखें तो उज्जैन में बड़नगर, खाचरोद, महिदपुर, घट्टिया, बदनावर में चना, आलू, गेहूं की फसल बर्बाद हुई. देवास में पाले के कारण बागली, हाट पीपल्या से लोग चना लेकर आए. मैंने चना की घेंटी दबा-दबाकर देखा तो वह फट-फट फूटती है. उसमें एक भी दाना नहीं है, टिकली जैसी फूटती है. आप जाकर किसानों से बात कर लें, लेकिन इसके बाद भी हम किसानों का दर्द न समझें और हम यह कहें कि अब तो स्वर्ग जमीन पर उतार दिया है, सब कुछ ठीक है, हुजूर की जय हो.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि अगर ऐसी बिरदावली आपने सुनी और उसी पर विश्वास किया तो कब जमीन नीचे से खिसक जाएगी पता ही नहीं चलेगा. इसलिए मैंने पहले ही कहा कि कड़वा भी सुनना चाहिए. उसमें सच्चाई है तो आप मानिए. आप कार्यवाही कीजिए. इसलिए अगर मैं इसे उठा रहा हूं कि पाले और ओले के कारण फसलों का नुकसान हुआ है तो उसमें बार-बार टोंकने की क्या बात है ? आपत्ति क्यों आ रही है ? धनिया, मसूर, चना में भयानक नुकसान हुआ है. शाजापुर जिले में आलू की फसल बर्बाद हुई है. बरेली में अलग-अलग गांव में पाले से फसल बर्बाद हुई है. होशंगाबाद के विधायक अगर बैठे हों, तो वहां धान की तुलाई संपूर्ण नहीं हुई है. कई किसानों की धान की तुलाई के बाद भी पोर्टल पर नहीं चढ़ाया गया. उनके खाते में पैसा नहीं आया, पैसे का भुगतान नहीं हुआ. अध्यक्ष महोदय, वनखेड़ी में चौमल, उमरदा, मघनवारा, गढ़ाकोटा में किसान की धान की तुलाई नहीं हुई, भुगतान का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. मंदसौर विधायक बैठे हैं. मंदसौर जिले की सीतामऊ तहसील में दुधिया, मुंगला, फौजी, सबरी, बावरा, खाटखेड़ी, मुबाला, रामगढ़, लाईमा, राजनगर, दलवा, हलोनी, दीपाखेड़ी, टाटका, चापल्या, साताखेड़ी, मोहैया खेड़ी, धतूरिया, मऊखेड़ी, झागरिया, बलौदा में ओलावृष्टि के कारण फसल बर्बाद हुई है. मलारगढ़ तहसील में सरसों की फसल बर्बाद हुई है. नीचम, जावद तहसील में मसूर, धनिया, अलसी, गेहूं, मेथी, लहसुन और चना में भारी नुकसान हुआ है. वहां के विधायक भी यहां उपस्थित होंगे. आप उनसे चर्चा कर लीजिए. अशोक नगर में 13 फरवरी को ओला गिरे. सोनेरा, दुवाधरी, रातीखेड़ा, महाना, तरावली, फुटेरा, चंदेरी की पोरू खेड़ी, अखाई घाट, घूंखार कला आदि गावों में फसलें बर्बाद हुई हैं. कटंगी में मैंने बताया, बारिस के कारण धान सड़ा. तुरोई क्षेत्र में ओलावृष्टि के कारण गेहूं, चना, अलसी, सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा है. बैतूल जिले में 49,268 किसानों को भावांतर की राशि प्राप्त नहीं हुई है. मुलताई में भी ओलावृष्टि और पाले से नुकसान हुआ है. सागर जिले की खुरई में अलग-अलग गावों के मेरे पास नाम हैं. मैं केवल निवेदन करना चाहता हूं कि पूरी सूची मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, संबंधित मंत्री जी को भेज दूंगा.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) - माननीय अध्यक्ष जी, इसमें कोई शक नहीं कि पाला, ओला पड़ा है. इसका हम सर्वे करा रहे हैं और माननीय सदस्य का मैं धन्यवाद देता हूं कि वह हमारा ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है, परंतु सर्वे कराने में, सर्वे की कार्यवाही जिससे आप अच्छी तरह से परिचित हैं. इस कार्यवायी में जो समय लगता है वह तो लगेगा. ओला पड़े, पाला पड़ा, यह तो अखबारों में ही है. कोई ऐसी बात नहीं है. यह सब जगह हुआ है. इसका हम सर्वे करा रहे हैं. मैं तो आपको यही कहना चाहता हूं कि जहां भी ओला या पाले से पीडि़त किसान हैं उनको क्या राहत पहुंचानी है, उसके भी नियम हैं. कोई नई चीज नहीं है. आरबीसी 40 में जो रूल्स हैं उसके अनुसार किया जाएगा और जो राज्य सरकार कर सकती है, वह करेगी. साथ-साथ चूंकि आप किसानों का जिक्र कर रहे हैं, आपने जगह-जगह कर्ज माफी के बारे में बयान दिए हैं, यह सरकार जो है किसानों के हित की सरकार है. यह सरकार मानती है कि अगर मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने की आवश्यकता है और जब तक किसानों की आर्थिक मजबूती न बने हमारी आर्थिक व्यवस्था प्रदेश में कभी सही नहीं हो सकती. यह हमारा विश्वास है. इसलिए हमने कर्ज माफी का फैसला किया था. आज मैं सदन को बताना चाहता हूं कि मेरा और इस सरकार का प्रयास है कि अगले 16 दिनों में हम लगभग 25 लाख किसानों का कर्जा माफ करेंगे. (मेजों की थपथपाहट)
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, गाँव के नामों की बात इसलिए शुरू हुई थी कि माननीय मंत्री महोदय कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थे. वे यह कह रहे थे कि मैं सदन को गुमराह कर रहा हूँ इसलिए मैंने गाँवों के नाम पढ़कर सुनाए कि इन इन गाँवों में नुकसान हुआ है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय, मेरी भी सुन लें.....
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष जी, यह तो ठीक नहीं है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरे को....
श्री शिवराज सिंह चौहान-- यह कोई तरीका होता है?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- आप मेरी बात तो सुन लें. माननीय, मेरा निवेदन है, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान कर रहा हूँ और आप कर रहे हैं बार बार गुमराह करने की बात.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- यह कोई बात होती है?
अध्यक्ष महोदय-- आप तो अपनी बात जारी रखिए.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों का हित आप चाहते हैं और किसानों के लिए बेहतर काम करेंगे तो हम सदैव उसका स्वागत करेंगे. (श्री आरिफ अकील जी के श्री प्रद्युम्न सिंह जी तोमर के पास जाकर बैठने पर) लेकिन मेरा यह निवेदन है....
अध्यक्ष महोदय-- आप आरिफ भाई को धन्यवाद दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं आरिफ भाई को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- आरिफ भाई पकड़ कर रखना.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं आभार व्यक्त करता हूँ और यह व्यवस्था आगे भी लागू रखी जाए.(हँसी)
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने गंभीर चर्चा प्रारंभ की थी और इसी भावना के साथ मुख्यमंत्री जी के आने के पहले मैंने यह कहा था कि हंगामा खड़ा करने के लिए मैं नहीं कह रहा हूँ. अगर किसान परेशानी में है तो हमारी ड्यूटी है कि तो हम उसके मुद्दों को उठाएँ....
श्री कमलनाथ-- हम स्वागत करेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- लेकिन वे स्वागत नहीं कर रहे हैं वे यह मान रहे हैं कि अभी भी विपक्ष में बैठे हुए हैं. (हँसी) वह बाहें चढ़ाकर तैयार है भाई. लेकिन अब वे मंत्री हैं.
श्री कमलनाथ-- माननीय अध्यक्ष जी, जो विपक्ष है उनको एहसास नहीं हो रहा है कि वे विपक्ष हैं और जो पक्ष हैं उनको एहसास नहीं हो रहा है कि वे पक्ष में हैं. (हँसी)
श्री गोपाल भार्गव-- अच्छा है यह एहसास बनाए रखें तो हम सबको खुशी रहती है.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक दिक्कत और हुई कि जब हम लोग सरकार में थे और मैं मुख्यमंत्री होता था और अगर रात में ओले गिरते थे तो सुबह मैं खेत में पहुँच जाता था क्योंकि आँखो देखी अलग होती है और कानों सुनी अलग होती है. अब हालत बीच में यह हुई कि सरकार खेतों में नहीं पहुँची. माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से यह आग्रह करना चाहता हूँ कि जब ऐसी परिस्थिति पैदा हो तो खेतों में जरूर पहुँचना चाहिए, उनके दर्द का सही एहसास जब तक उनके बीच में हम नहीं जाते तब तक पूरा एहसास होता नहीं है इसलिए अफसर भी कई जगह नहीं गए, लापरवाही की, कलेक्टर तो छोड़ो, कई जगह पटवारी तक नहीं पहुँचे इसलिए मेरा आग्रह है कि अगर सक्रियता के साथ हम जाएँगे तो वह तकलीफ हमें पता चलेगी. माननीय मुख्यमंत्री जी ने अभी कर्जा मुक्ति की बात कही, मैं इस विषय को छेड़ना नहीं चाहता था लेकिन लेखानुदान के एक एक शब्द को हम पढ़ कर देख रहे थे, मैंने जितना कृषि कल्याण और सहकारिता में बजट देखा, कृषि कल्याण की मद में केवल लगभग छःहजार करोड़ रुपये अभी दिए गए हैं और सहकारिता में तो तीन सौ करोड़ रुपये, अब मुझे यह समझ में नहीं आ रहा कि किसानों का कर्जा, आपने दावे के साथ कहा कि हम माफ करेंगे, करिए, कोई दिक्कत नहीं हम भी आपके साथ हैं. लेकिन इतने पैसों में होगा कैसे? बात हो रही है 56 हजार करोड़ की, अब छः हजार करोड़ देकर कैसे कर्जा माफ होगा? क्या केवल कागज के टुकड़े पर कर्जा माफ होगा? क्या केवल बैंकों को पैसा नहीं देंगे, केवल किसानों को नो ड्यूज सर्टिफिकेट दे देंगे, उससे कर्जा माफ हो जाएगा? फिर बैंकों को अगर पैसा नहीं मिलेगा तो फिर किसानों को री-फायनेंस कैसे होगा? क्या अभूतपूर्व संकट की स्थिति पैदा नहीं हो जाएगी? और इसलिए इस मामले में भी बात साफ होना चाहिए, केवल लिख कर आदेश देने से कर्ज माफ नहीं होगा, जितना कर्ज दो लाख रुपये तक का, किसानों ने लिया है, जब तक हम बैंकों को या बैंक के अलावा जो फायनेशियल इंस्टिट्यूशंस हैं उनको वह पैसा नहीं देंगे तब तक कर्जा माफ सही अर्थों में नहीं हो पाएगा. इसलिए इस बात को भी स्पष्ट करना चाहिए नहीं तो सवाल निश्चित तौर पर उठेंगे. पैसा न धैला बटेसुर का मेला. आपके (मुख्यमंत्री) आने के पहले सब यह कह रहे थे कि खजाना खाली छोड़ गए, खजाना खाली छोड़ गए.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)--अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य व पूर्व मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूँ कि खजाना खाली था यह तो इन्होंने खुद स्वीकार किया. हम जानते थे कि आप कैसा खजाना छोड़कर जाओगे. जब हमने इसकी घोषणा की थी तो ऐसे ही नहीं कर दी थी यह चुनावी घोषणा नहीं थी. एक विश्वास की थी एक भावना के साथ थी. इस पर मैंने खुद बहुत विचार किया था कि इतने बड़े बोझ को हम उठाएंगे कैसे ? मैं माननीय सदस्य और सदन को कहना चाहता हूँ कि यह किसानों का कर्ज गर्वमेंट का कर्ज नहीं है. यह कर्ज तो बैंकों का है और किसानों का कर्ज तभी माफ माना जाएगा जब बैंक उनको नो-ड्यूज सर्टिफिकेट दें और नो-ड्यूज सर्टिफिकेट, यह बात मैं आज आपको नहीं बताना चाहता. लेकिन 5 मार्च को आपको जरुर बताऊंगा, सदन को जरुर बताऊंगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान--तब तक आचार-संहिता लग जाएगी.
श्री कमलनाथ--उसके पहले हम कर देंगे. मैंने कहा है कि अगले 16 दिनों की बात मैं कर रहा हूँ कि कैसे यह कर्ज माफ किया गया. बहुत सोच-समझकर मैंने 6 माह पहले तय कर लिया था. आप कह रहे हैं 53-55 हजार करोड़ रुपए है. मैं मानता हूँ कि यह 53-55 हजार करोड़ रुपए है. हमें कोई शक नहीं है यह आंकड़े तो खुले हैं. हमने इस पर बहुत अध्ययन किया था. मैंने खुद बड़ा अध्ययन किया था. क्योंकि गैर-जिम्मेदारी वाली बात करना हमारी परम्परा नहीं है, मेरी परम्परा नहीं है. (मेजों की थपथपाहट) बड़े सोच-समझकर हमने यह घोषणा की थी. हमारे अध्यक्ष राहुल गाँधी जी ने यह घोषणा की थी. 16 दिनों बाद हम, आप सबको बता पाएंगे कि कैसे किसानों को यह नो-ड्यूज सर्टिफिकेट मिल रहा है. तभी तो किसानों को विश्वास होगा. केवल मेरे कहने से या आपके कहने से या सरकार के कहने से कर्ज माफ, ऐसे नहीं होने वाला है. यह तो तब होगा जब किसानों को यह विश्वास हो कि उनका कर्ज माफ हुआ है. जब किसानों को विश्वास हो जाएगा कि उनका कर्ज माफ हुआ है, मुझे कोई शक नहीं तब आपको भी विश्वास हो जाएगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, उस समय तो हमने यह सुना था. सभा में तो हम नहीं गए थे कि 10 दिन में अगर कर्ज माफ नहीं हुआ तो हम मुख्यमंत्री बदल देंगे. उस समय यह हमने पढ़ा था. मुख्यमंत्री जी विश्वास के साथ कह रहे हैं संदेह मेरे मन में है, मैंने सवाल उठाए हैं. एक बात बार-बार आती है कि खजाना खाली, खजाना खाली. मैं यह दोहराना चाहूँगा कि मध्यप्रदेश की वित्तीय स्थिति हम कई राज्यों से बेहतर छोड़कर गए थे. मध्यप्रदेश हमेशा रेवेन्यू सरप्लस राज्य रहा है. हमने जो कर्ज भी उठाया, आप तो केन्द्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री भी रहे हैं. प्रधानमंत्री के नजदीकी सहयोगी भी रहे हैं. भारत सरकार एक सीमा निर्धारित करती है. कुल जीडीपी का पहले तीन प्रतिशत था, मध्यप्रदेश के फायनेंशियल मैनेजमेंट को देखते हुए भारत सरकार ने उसे साढ़े तीन प्रतिशत किया. उस सीमा तक राज्य सरकार कर्ज ले सकती है. इस सीमा से ज्यादा हमने कभी कर्ज नहीं लिया. इसलिए बार-बार यह कहना कि खजाना खाली कर दिया था इस बात का मैं खंडन करता हूँ. भरा-पूरा छोड़कर गए हैं. चिंता की कोई स्थिति हम छोड़कर नहीं गए हैं.
श्री कमलनाथ--अध्यक्ष महोदय, मुझे तो पता नहीं था कि खजाने की क्या हालत है क्योंकि आप ही सरकार में थे. आपके तरफ से बयान आते थे, आपके मंत्रिमंडल के सदस्यों के बयान आते थे. मैं तो उस आधार पर यह बात कह रहा हूँ.
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, हमने तो यह कभी नहीं कहा. खजाना भरा पूरा था. मैं अब मुद्दे की बात करके मेरी बात समाप्त करूंगा. माननीय मुख्यमंत्री जी मैंने आपके आने के पूर्व जो निवेदन किया वह निवेदन दोहराकर मैं अपनी बात समाप्त करुंगा. किसान का जो धान का पैसा बकाया है वह तत्काल उनके खाते में जमा करवाया जाए. दूसरी बात कई किसान ऐसे हैं जिनको टोकन देकर धान खरीद लिया गया था लेकिन धान उठा नहीं रहे हैं. भीगने के कारण भी धान खराब हुआ है उनका कोई दोष नहीं है. उनका धान खरीदा जाए, खरीदा माना जाए और उनको पैसे का भुगतान किया जाए. तीसरी बात एक किलो दो सौ ग्राम कई जगह किसान का ज्यादा तौल लिया गया है यदि ज्यादा तौल लिया गया है तो उस पैसे का भी भुगतान किया जाए. धान की खरीदी के मामले में फिर मुख्यमंत्री जी से जोर देकर आग्रह करना चाहूँगा कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में 2500 रुपए क्विंटल मय बोनस के जो आपने वचन-पत्र में कहा है कि हम गेहूँ पर बोनस देंगे धान पर बोनस देंगे चने पर, आलू पर, प्याज पर, लहसुन पर, टमाटर पर यह आपने वचन पत्र में कहा है और इसीलिए जब एक राज्य सरकार पच्चीस सौ रुपया क्विंटल किसान को दे रही है तो कृपया करके आप तो किसानों पर बडे़ दयालू हैं, आप तो बडे़ उदार मन के हैं. आज ही घोषणा कर दीजिए कि पच्चीस सौ रुपए क्विंटल धान पर किसानों को दिया जाएगा. उस पर साढ़े सत्रह सौ रुपए क्विंटल तो मिनिमम सर्पोट प्राइज़ है. मेरा एक और निवेदन यह है कि जब हम सरकार में थे सोयाबीन और मक्के को पांच सौ रुपया क्विंटल तय करके गए थे कि किसान को बोनस दिया जाएगा वह बोनस की राशि उनके खाते में नहीं पहुंची है वह राशि भी किसानों के खाते में डाली जाए. उड़द और मूंग का पैसा भी काफी बकाया है वह किसानों को दिया जाए और इसके साथ ही मैं निवेदन करना चाहता हूं कि पिछले साल गेंहू खरीदा था हमने दो हजार रुपए क्विंटल, दो सौ पैंसठ रुपए क्विंटल अतिरिक्त किसान को दिया था इस साल मिनिमम सपोर्ट प्राइज़ बढ़ी है. भारत सरकार माननीय प्रधानमंत्री जी ने बढ़ाकर 1840 रुपए की है अब उस पर दो सौ पैंसठ तो हमने दिया है तो अब तो आप आए हैं तो दो सौ पैंसठ के बजाय थोड़ा बढ़ाकर उस पर भी आप बोनस दे दीजिए गेहूं का रजिस्ट्रेशन तत्काल प्रारंभ करवाइए और कई जगह से यह खबर आ रही है कि गेहूं के खरीदी केन्द्र कम किये जा रहे हैं, बंद किये जा रहे हैं मेरा आपसे आग्रह है कि किसानों की सुविधा के लिए जितने खरीदी के केन्द्र पिछले वर्ष थे उससे कम किसी भी हालत में न किए जाएं ताकि गेहूं बेचने में किसान को किसी दिक्कत का, परेशानी का सामना न करना पड़े मैं फिर अंत में यह कहना चाहता हूं कि उठाने के लिए मैंने यह चर्चा नहीं उठाई मैंने चर्चा इसलिए उठाई है कि किसानों की इन समस्याओं का समाधान होना चाहिए और इसको इसी भाव से लिया जाना चाहिए कि प्रतिपक्ष कोई सवाल किसानों के या जनता के उठाता है, अच्छे मन से उठाता है, सकारात्मक भाव से उठाता है तो आप यह मानिए कि आपको वह सहयोग ही कर रहा है आगर आप ढ़ंग से किसानों के हित चिंतक हैं, हितैषी हैं अगर आप केवल यह कहेंगे कि विरोध में होने के कारण मैं कुछ भी कह रहा हूं तो यह सच नही होगा जमीनी सच्चाई का अगर आंकलन करना है तो कुछ जगह माननीय मुख्यमंत्री जी जाएं और माननीय मुख्यमंत्री जी मेरे पास तो सरकारी हेलीकॉप्टर था आपके पास तो प्राईवेट भी है एक दो माननीय मंत्रीगणों को भी दे दें तो वह भी दो चार जगह हो आएं जिन गांव के नाम मैंने बताए हैं और एक बार जनता से बात करके, समझ के जो सच्चाई है उसके आधार पर किसानों को राहत पहुंचाए. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलनाथ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने ध्यानाकर्षित किया, प्रयास किया ध्यानाकर्षित करने का आपके जो भी सुझाव हुए हैं हम उसका स्वागत करते हैं हम उसका खण्डन या आलोचना नहीं करना चाहते हैं. यह बात सही है कि व्यवस्था में कुछ परिवर्तन हुआ था, सरकार बनने के पहले हुआ था जिसका क्रियान्वयन अभी होना था जो आप कह रहे हैं खरीदी केन्द्र में एक नई व्यवस्था बना ली गई थी जिसकी जानकारी भी मुझे नहीं थी अब हमने पिछले सात, दस दिन में इसमें परिवर्तन करने का प्रयास किया है शुरू में यह कठिनाइयां आती हैं और जब तक यह कठिनाइयां सामने न आएं हमें इसकी जानकारी जरा फौरन पहुंचती नहीं है. आपने गेहूं के बोनस की बात कही आपका जो बयान था कि पांच सौ रुपए तक आपने यह नहीं कहा था कि पांच सौ रुपए आपने कहा था पांच सौ रुपए तक शायद मैं गलत हूं आपने गेहूं का कुछ कहा था. दूसरी बात आपने कही कि कोई पहुंचे नहीं मैं यह नहीं मानता कि केवल पहुंच जाने से, अपनी फोटो खिंचा देने से टी.व्ही. पर आ जाने से किसानों का समाधान हो सकता है. इसमें सही जानकारी प्राप्त हो अगर पाला पड़ा है आप और मैं एकाध जगह जा सकते हैं, सब जगह नहीं जा सकते हैं पर मैं नहीं गया मैं स्वीकार करता हूं क्योंकि मैं व्यस्त था, यह जानकारी प्राप्त करने में और इसका क्या उपाय है कैसे उनको राहत पहुंचा सकते हैं मंत्रीमण्डल के सदस्यों के अपने क्षेत्र में हुआ है हमारे विधायकों के क्षेत्र में ऐसा हुआ है. उस तरफ के विधायकों के क्षेत्र में भी ऐसा हुआ है और उन्होंने मुझे खुद जानकारी दी है. पूरे सदन के विधायकों ने मुझे जानकारी दी है. यह जानकारी आवश्यक है. केवल एक-दो जगह पहुंच जाने से यह जानकारी प्राप्त नहीं होती है. मैं आपके सुझावों का स्वागत करता हूं और मैं आपसे यह अनुरोध भी करता हूं कि भविष्य में भी आप जो सुझाव देंगे, हमारा ध्यान आकर्षित करेंगे उस पर हम पूरी कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय- नियम 139 के अधीन चर्चा जारी रहेगी.
विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनांक 21 फरवरी, 2019 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 6.26 बजे विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनाँक 21 फरवरी, 2019 (2 फाल्गुन, शक संवत् 1940) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह,
दिनांक : 20 फरवरी, 2019 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा