मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसम्बर, 2019 सत्र
गुरुवार, दिनांक 19 दिसम्बर, 2019
(28 अग्रहायण, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 4 ] [अंक- 3]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 19 दिसम्बर, 2019
(28 अग्रहायण, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.05 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
बड़वानी क्षेत्र के माननीय सदस्य,श्री प्रेमसिंह पटेल को जन्म दिन की शुभकामनाएं
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, अध्यक्षीय दीर्घा में मामला कुछ ज्यादा रौनक वाला है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, आज अपने बड़वानी से विधायक जी, माननीय प्रेमसिंह पटेल जी का जन्म दिन है, उनको जन्म दिन की शुभकामानाएं हैं. आज उनका जन्म दिन है.
अध्यक्ष महोदय -- नरोत्तम जी, नन्हा मुन्ना राही हूं देश का सिपाही हूं. ..(हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, मैं तो आपकी ड्रेस एवं जैकेट देखकर समझ गया था कि आज भाभी जी जरुर आई होंगी.
अध्यक्ष महोदय -- भैया सबकी जो स्थिति घर में है..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, क्या है कि एक शायरी है कि हुस्न के कसीदे तो पढ़ती रहेंगी महफिलें, झुर्रियां प्यारी लगें, तो मान लेना इश्क है. ..(हंसी)..
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) -- अध्यक्ष जी, मैं अपनी ओर से और इस पूरी साइड की ओर से भी प्रेमसिंह जी को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं. (मैजों की थपथपाहट)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मुख्यमंत्री जी, आप एक साइड के नहीं हैं, आप पूरे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, सदन के नेता हैं.
श्री कमलनाथ -- क्योंकि आप खड़े हो गये थे वहां और आपने तो उस साइड का कर दिया, मैंने कहा कि बाकी बचे रहे गये, मैं उनका कर दूं.
श्री शिवराज सिंह चौहान --नहीं, आप सदन के नेता हैं, यह आप ध्यान रखना.
अध्यक्ष महोदय -- मैं समूचे सदन की ओर से आपको जन्म दिन की शुभकामनाएं देता हूं. (मैजों की थपथपाहट) नरोत्तम जी, आपका बहुत बहुत शुक्रिया, अच्छा शेर पढ़ने का. शेर यहां बैठा है, शेरनी वहां बैठी है. ..(हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, आप आते ही दहशत में दिखे तो मैं समझ गया था कि शेरनी है. ..(हंसी)..
11.06 बजे स्वागत उल्लेख
श्री विवेक तन्खा , राज्य सभा सांसद का अध्यक्षीय दीर्घा में उपस्थित होने पर स्वागत.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत)-- अध्यक्ष महोदय, अध्यक्षीय दीर्घा में सांसद महोदय, श्री विवेक तन्खा जी भी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय विवेक तन्खा जी, राज्यसभा सांसद आज सदन में अध्यक्षीय दीर्घा में उपस्थित हैं, उनका हम स्वागत करते हैं. (मैजों की थपथपाहट)
11.07 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
रीवा जिलान्तर्गत खरीफ फसल का सर्वे
[राजस्व]
1. ( *क्र. 1242 ) श्री राजेन्द्र शुक्ल : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले में कंडो रोग से धान की फसल व भारी बारिश से दलहनी फसलों को हुये नुकसान का सर्वे कार्य क्यों नहीं कराया गया? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में फसलों की नुकसानी का सर्वे तीन माह बीत जाने के बावजूद क्यों नहीं कराया गया? स्पष्ट करें कि क्या फसल नुकसानी का सर्वे कराया जावेगा? यदि हाँ, तो सर्वे की समयावधि सहित विवरण स्पष्ट करें।
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) रीवा जिले में कंडो रोग से धान की फसल व भारी बारिश से दलहनी फसलों के हुए नुकसान का सर्वे कार्य कराया गया। फसल नुकसानी 25 प्रतिशत से कम पायी गयी। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में फसलों की नुकसानी का सर्वे रीवा जिले में कराया जा चुका है। शेष प्रश्न उदभूत नहीं होता।
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, रीवा जिले में और रीवा संभाग में धान में कंडो रोग लगा, जिसके कारण बहुत बड़ी मात्रा में धान की फसल नष्ट हुई है. स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री जी रीवा गये थे और कई खेतों में जाकर के उन्होंने धान की फसलों को लाकर जो प्रदर्शन किया था, उसमें गांव-गांव से लोग धान की फसल लेकर आये थे और पूरी धान सफेद कुर्ते में जब उन्होंने धान को झाड़ा तो पूरा कुर्ता काला पड़ गया था, इतना गंभीर कंडो रोग लगा. मेरे प्रश्न के जवाब में मंत्री जी ने कहा है कि सर्वे हुआ है और 25 प्रतिशत से कम की नुकसानी हुई है और इसलिये कोई भी राहत देने का प्रावधान आरबीसी में नहीं है. मेरा यह कहना है कि प्रामाणिक सर्वे का प्रमाण क्या है. आपने सर्वे कराया नजरी तरीके से, सर्वे उन राजस्व के लोगों से आपने कराया, जो यह कहते घूम रहे थे कि हमें निर्देश हैं कि 25 प्रतिशत से ज्यादा शो ही नहीं करना है. आमतौर पर जब प्राकृतिक आपदा आती है, तो एक टीम बनाई जाती है. जिसमें पटवारी होता है,ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी होता है, सरपंच, सचिव होता है और फिर उसके बाद प्रामाणिक सर्वे होता है और फिर यह तय होता है कि 25 प्रतिशत से कम नुकसानी है कि ज्यादा नुकसानी है. सिर्फ नजरी तरीके से खेतों में, किसानों को मालूम ही नहीं पड़ा कि सर्वे हो गया. व्यापक नुकसान हुआ, 40 से 50 प्रतिशत का नुकसान हुआ त्यौंथर तहसील में. तो पूरी तरीके से 60 प्रतिशत से ज्यादा धान नष्ट हो गई कंडो रोग के कारण. इसलिये मेरा मंत्री जी से कहना है कि आपका यह जवाब कि सर्वे हुआ है, 25 प्रतिशत से कम की नुकसानी हुई है. यह सर्वे बिलकुल नहीं हुआ है. कोई प्रामाणिक सर्वे नहीं हुआ है, कोई टीम नहीं बनाई गई है. इसलिये किस प्रकार से किसानों को राहत देने की योजना आपके पास है. हमारी जब सरकार थी, तो धान में 200 रुपये का बोनस देने का प्रावधान किया था. समय रहते आपने सर्वे नहीं कराया, किसानों का नुकसान हुआ. पानी गिरा, जिससे धान गीली हो गई. आज खरीदी केन्द्रों में किसान धान लेकर जा रहे हैं, उनकी खरीदी नहीं हो पा रही है. धान इसलिये लौटाया जा रहा है कि गीला है, इसको अभी नहीं खरीदेंगे. तो दोनों तरफ से किसानों को मार हो रही है. अब किसानों को राहत देने के लिये, अब मुख्यमंत्री जी भी यहां पर उपस्थित हैं, राजस्व मंत्री जी भी हैं, किस तरीके से आप किसानों की क्षति की भरपाई करेंगे, मेरा यह प्रश्न है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि रीवा में धान में कंडो रोग लग गया था, लेकिन वहां, जैसा कि माननीय सदस्य ने कहा कि सर्वे नहीं कराया गया है. सर्वे विधिवत कराया गया और जो सर्वे की टीम बनती है, उसमें राजस्व के अधिकारी होते हैं, कृषि के अधिकारी होते हैं, पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अधिकारी होते हैं. इन सभी अधिकारियों की टीम गयी, लेकिन 25 प्रतिशत से कम नुकसान पाया गया. इसलिए वहां मुआवजा देने की स्थिति नहीं बनी. जैसा कि माननीय सदस्य ने कहा कि पानी अधिक गिर गया होगा, पानी अधिक गिरने से कंडो रोग लगा तो पानी तो अधिक वहां गिरा नहीं है. यह सच है कि पूर्व मुख्यमंत्री जी वहां गए थे, कमिश्नर भी वहां आए थे, लेकिन सरकार ने गंभीरता से सर्वे कराया और आरबीसी 6(4) के प्रावधान के अनुसार जहां नुकसानी 25 प्रतिशत से कम होती है, वहां मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस जवाब से तो कुछ मतलब निकला नहीं. मैंने यह कहा था कि आपका जो सर्वे हुआ है, उसमें क्या दो, चार, पांच, दस पंचायतों में भी उस टीम के सामूहिक रूप से संयुक्त हस्ताक्षर हैं, जिसमें पटवारी हो, सचिव हो, सरपंच हो और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी हो. मैंने तो प्रशासनिक अधिकारियों से पूछा कि कैसा सर्वे कराया है तो उन्होंने कहा नजरी सर्वे कराया है और नजरी सर्वे में 25 प्रतिशत से कम आया, पता नहीं उनकी कौन सी नजर है कि उस नजरी सर्वे में उनको 25 प्रतिशत से कम दिखा. जहां पर हम लोग गए, वहां पर पूरे के पूरे गांवों में नजरी हिसाब से पूरा का पूरा खेत साफ दिखा तो इस प्रकार से यह तो खानापूर्ति है. इससे तो यह समझ में आता है कि सरकार की राहत देने की मंशा ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न क्या करना चाहते हैं ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह सवाल है कि अब चूँकि खेत में गेहूँ की बोवाई का काम चल रहा है. जो धान नष्ट होनी थी, वह हो गई. अब उनको राहत की राशि आप बेक डेट में नहीं कर सकते, तो कम से कम आप किसानों को 200 रुपये प्रोत्साहन राशि, जो हमारी सरकार में दी जाती थी, क्या वह प्रोत्साहन राशि देकर कंपनसेट करेंगे ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य बहुत वरिष्ठ मंत्री रहे हैं. ये समझते हैं कि आरबीसी 6(4) में जो प्रावधान होता है, उस प्रावधान के अनुसार ही मुआवजा दिया जाएगा. यह स्पष्ट है कि आपके यहां सर्वे हुआ, सर्वे की टीम गई, सारी टीम के सदस्य गए, पूरा दल गया और उसमें कंडो रोग हो या अतिवृष्टि हो, 25 प्रतिशत से कम नुकसानी पाई गई. अध्यक्ष महोदय, वैसे भी देखा जाए तो इनके यहां जो धान का उत्पादन हुआ है, वह 12.15 क्विंटल प्रति एकड़ हुआ है, तो धान का उत्पादन भी औसतन अच्छा हुआ है. इतना खराब भी नहीं हुआ है. ....(व्यवधान)....
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि सम्माननीय विधायक राजेन्द्र शुक्ल जी के साथ, रीवा जिले के विधायकों और सांसद जी के साथ मैं स्वयं उन खेतों में गया था. गोविन्द सिंह जी, कंडो रोग में धान के बालों में पूरा काला-काला लग जाता है, हम खेत में घुसे तो जैसा माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी ने कहा पूरे कपड़े काले हो गए. फसल पूरी तरह से नष्ट थी. माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी बैठे हुए हैं, अपनी सरकार रहते हुए हमने एक व्यवस्था बनाई थी कि सर्वे में निष्पक्षता रहे, इसलिए केवल एक विभाग सर्वे नहीं करेगा, राजस्व विभाग, कृषि विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, ये तीन विभाग और वहां के सरपंच और बाकी लोग मिलकर सर्वे करेंगे और जो सर्वे में आंकलन होगा, वह सूची नुकसान सहित पंचायत के कार्यालय में टांगेंगे ताकि किसी को आपत्ति अगर हो तो वह बता भी सके कि मेरे खेत का सर्वे ठीक हुआ है या नहीं हुआ है और वह आपत्ति भी सुनकर अंतिम फैसला करते थे. अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ, सचमुच में धान की फसल को बहुत नुकसान हुआ है. मालवा के हमारे साथी यहां बैठे हुए हैं, जानते हैं एक बार सोयाबीन में फसल अच्छी दिखती थी, लेकिन जब उसका उत्पादन हुआ तो पता चला 50 किलो और 1 क्विंटल निकला. सर्वे नहीं हुआ था, फसल कट गई थी, उस समय आऊट ऑफ वे जाकर हमने यह तय किया था कि 5 पंचों की कमेटी बनाकर, और वे जो लिखकर दे देंगे कि नुकसान हुआ, उसके आधार पर ही हमने राशि बांटी थी. देवास जिले में लगभग 400 करोड़ रुपये बांटे थे, उज्जैन जिले में लगभग 360 करोड़ रुपये बांटे थे और इंदौर जिले में भी बांटे थे. ऐसी स्थिति में जहां नुकसान हुआ है, सर्वे प्रामाणिक नहीं है, वहां के किसानों ने प्रदर्शन और आंदोलन किया था. मैं आग्रह करना चाहता हूँ कि किसानों के साथ अन्याय न हो और मुख्यमंत्री जी के रहते हुए तो अन्याय किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए, उन किसानों को न्याय दें और जो व्यवस्था हमने मालवा के सोयाबीन किसानों के लिये बनायी थी कि सर्वे न होने के बावजूद भी उनको राहत राशि दी थी उनको राहत राशि प्रदान करें, यही मेरा निवेदन है. माननीय मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हैं, मैं उनसे निवेदन करना चाहूंगा कि वह किसानों को न्याय दें.
मुख्यमंत्री (श्री कमल नाथ) -- माननीय अध्यक्ष जी, हमारी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता हमारा कृषि क्षेत्र है क्योंकि कृषि क्षेत्र से ही मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है. आपने किसानों के न्याय की बात की, मैं इतिहास में जाना नहीं चाहता हॅूं क्योंकि इस प्रकार की बहस से कुछ निकलने वाला नहीं है पर इसमें कोई शक नहीं कि हमारे किसानों के साथ न्याय हो और मुझे तो खुशी होगी. आप मेरा ध्यान आकर्षित करते रहिये जहां आपकी नजर में किसानों के साथ अन्याय हो रहा है. हमें जो भी पहल करनी है इसमें हम अवश्य करेंगे. जहां तक रीवा का मामला है मुझे इसकी जानकारी नहीं है पर अगर आवश्यक है तो हम फिर से इसमें जॉंच कराने के लिये तैयार हैं दूसरे तरीक से, क्योंकि यह तो नहीं है कि एक दफा सर्वे हो गया कि यह अंतिम सर्वे है. तरह-तरह की सूचनाएं/जानकारी मिल सकती हैं. उसके बाद भी इसमें हम अवश्य करने को तैयार हैं क्योंकि अगर ऐसा हुआ है, ऐसी गलत रिपोर्ट या गलत सर्वे हुआ है तो यह परम्परा गलत सर्वे की अभी की नहीं है, बहुत समय से चलती रही है तो इसमें यह परम्परा हमें समाप्त करनी है यह कोई अच्छी बात नहीं है. (मेजों की थपथपाहट) इसमें हम फिर से जॉंच करने को तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद. प्रश्न क्रमांक 2
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ इतना कहना है कि आप कह रहे हैं कि सर्वे हुआ है, हम कह रहे हैं कि सर्वे नहीं हुआ है. मेरी तो सिर्फ इतनी मांग है कि जो प्रोत्साहन राशि किसानों को धान पर...
अध्यक्ष महोदय -- वह बाद में आयेगी माननीय विधायक जी, जब माननीय मुख्यमंत्री जी ने कह दिया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से यह निवेदन कर रहा हॅूं कि प्रोत्साहन राशि की घोषणा यदि आप कर देंगे, तो सारी चीजें जो सर्वे में...
अध्यक्ष महोदय -- वह उसके बाद में आएगी. (माननीय नागेन्द्र सिंह नागौद जी के खडे़ होने पर) माननीय नागेन्द्र सिंह जी दादा भाई.
( कई सदस्यों के खडे़ होकर बोलने पर) भई, यह क्या चीज है. आप लोगों को किसने आज्ञा दी खडे़ होने की.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, फसल कटने के बाद सर्वे कैसे होगा ?
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. यह प्रश्नोत्तर काल है. मूल प्रश्नकर्ता प्रश्न कर रहा है आपको किसने आज्ञा दे दी. बैठ जाइए अपनी जगह पर. ऐसा मत करिएगा. आपका प्रश्न आए और दस लोग खडे़ हो जाएं फिर आपको कैसा लगेगा.
श्री नागेन्द्र सिंह नागौद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हॅूं कि सर्वे का केन्द्र बिन्दु क्या है ? सर्वे का केन्द्र बिन्दु किसान है, गांव है, पंचायत है या तहसील है. जब तक हम केन्द्र बिन्दु निश्चित नहीं करेंगे, तब तक हम उसको सही सर्वे नहीं मान सकते हैं क्योंकि मेरे क्षेत्र में भी यह हुआ है कई किसानों की पूरी फसल नष्ट हो गई है और उसी के पड़ोस के गांव में वह कंडो रोग नहीं लगा है और इसलिए हम किसानों के साथ न्याय नहीं करेंगे, जब तक हम यह निश्चित नहीं करेंगे कि सर्वे का केन्द्र बिन्दु क्या होगा. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हॅूं कि क्या वह किसान को केन्द्र बिन्दु बनाकर के उन्होंने यदि सर्वे किया है तो बता दें और यदि नहीं किया है तो क्या अब करवाएंगे ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आरबीसी 6(4) में प्रावधान हैं उसके तहत सर्वे किया गया है और कहीं शंका है तो हम उसको, जो माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा है, उस शंका का समाधान कर देंगे.
श्री नागेन्द्र सिंह नागौद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें किसान केन्द्र बिन्दु है उसी की बात कर रहा हॅूं कि किसान केन्द्र बिन्दु है न कि गांव या पंचायत.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए, प्रश्न क्रमांक 2 श्री विष्णु खत्री जी. एक प्रश्न के लिये मैंने दस मिनट दे दिए हैं, कृपया बैठिएगा.
बैरसिया विधान सभा क्षेत्रांतर्गत अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई फसल का मुआवजा
[राजस्व]
2. ( *क्र. 24 ) श्री विष्णु खत्री : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2019 में अतिवृष्टि से हुई फसल क्षति का आंकलन किया गया अथवा नहीं? कितनी राशि का आंकलन किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित आंकलन का मुआवजा वितरण कितने कृषकों को प्रश्न दिनांक तक किया गया है?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) जी हाँ। विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत कुल राशि रूपये 60,71,51,166/- का आंकलन किया गया है, (ख) प्रश्न दिनांक तक विधानसभा क्षेत्रांतर्गत कुल 13072 कृषकों को राहत राशि वितरण 10.12.2019 तक किया गया है।
श्री विष्णु खत्री -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने बैरसिया विधानसभा में अतिवृ़ष्टि के कारण फसलों को जो क्षति पहुंची है उसके आंकलन से संबंधित माननीय मंत्री जी से प्रश्न किया था. उसके उत्तर में मुझे बताया गया कि कुल 60,71,51,166/- राशि का आंकलन किया गया है. इसमें मैं यह जानना चाहता हॅूं कि यह राशि कितने किसानों को वितरित की जाएगी. दूसरी बात यह है कि साथ में 13072 किसानों को राशि वितरित की जा चुकी है, यह कुल कितनी राशि वितरित की जा चुकी है ? सम्राट अशोक डेम बैरसिया विधानसभा से लगा हुआ डेम है और इसमें अतिवृष्टि के कारण जो इसका वाटर लेविल बढ़ गया था हमने 1508 तक का मुआवजा किसानों को दिया है लेकिन इस बार यह 1518 के आसपास तक 16 और 18 के बीच में रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी भी उस जल भराव क्षेत्र का भ्रमण करने के लिये फसल का आकलन करने के लिए, नुकसान का आंकलन करने के लिए मेरे साथ गए थे. क्या इसके अंतर्गत आने वाले जो 15 गांव हैं इसमें विशेष रूप से मोमनपुरा, करोंद, छीरखेड़ा, कोटरा, चोपड़ा, पिपलिया, जुन्नारदार, बर्री, बगराज, ऊंटखेड़ा, बरोड़ी, पीपलखेड़ी इन गांवों के अंदर फसलों की क्षति का आंकलन करके क्या राशि का वितरण किया गया है ?
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, विधान सभा क्षेत्र में 60 करोड़, 71 लाख, 51 हजार 166 आंकलन किया गया था. इसमें अभी तक हमने कुल 13,072 किसानों को दिनांक 10.12.2019 तक वितरण किया गया है. इसमें आज तक की स्थिति में लगभग 24 हजार किसानों को लगभग 5 करोड़ रुपया बांटा जा चुका है.
श्री विष्णु खत्री - अध्यक्ष महोदय, सम्राट अशोक डेम में अति जल भराव के कारण जो किसानों की फसलें बरबाद हुई हैं उसका जवाब माननीय मंत्री जी ने नहीं दिया है और कुल 60 करोड़ रुपये की राशि में...
अध्यक्ष महोदय - खत्री जी, विराजिए. प्रश्न क्रमांक 2 उनका डेम के जल भराव के बारे में है. उसका जवाब सदस्य चाह रहे हैं.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, जहां तक राशि की बात है तो राशि बांटी जा चुकी है और जो शेष राशि है वह बंटने में प्रचलित है और अगर ऐसी कोई विधायक जी की मंशा है तो वह मुझसे बात कर लें मैं उनको पूरी जानकारी दे दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - खत्री जी, आप बात कर लीजिएगा.
श्री विष्णु खत्री - अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि 60 करोड़ रुपये की राशि आंकलन की गई है उसमें केवल 5 करोड़ रुपये की राशि बांटी है ऐसा मंत्री जी ने कहा है दूसरा, जो डेम के जल भराव के कारण 5 हजार एकड़ से अधिक की फसल बरबाद हुई है और 100 प्रतिशत नुकसान हुआ है उस क्षेत्र में आज तक एक रुपये की राशि का वितरण नहीं हुआ है, कल भी मेरा प्रश्न था कि हमारे बैरसिया विधान सभा क्षेत्र में 2 लाख रुपये की राशि किन-किन किसानों को दी गई है तो आज तक एक भी किसान को माननीय मुख्यमंत्री जी बैठे हैं 2 लाख रुपये की राशि का कर्जा माफ नहीं हुआ है. यह सरकार 2 लाख तक का कर्जा माफ और आधा बिल माफ कहकर बनी है.
अध्यक्ष महोदय - खत्री जी, मैं आगे बढ़ जाऊंगा. प्रश्न के बाहर मत जाइए. अपने दायरे में रहिए. आप अपना सवाल करिए रामायण मत पढि़ए.
श्री विष्णु खत्री - मेरा सवाल यही है कि जो जल भराव हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, सदस्य तालाब के जल भराव की बात कर रहे हैं उसके बारे में आपका क्या वक्तव्य है ?
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, किसानों का जो भी नुकसान हुआ है उसका पैसा पहुंच चुका है. मैंने माननीय सदस्य से कहा कि जल भराव की बात है, जल भराव में जहां-जहां नुकसान हुआ है उसको भी हम दिखवाएंगे और जहां यह लोग बात करते हैं मैं आपके सामने स्पष्ट कर दूं कि अभी तक यह सरकार करीब 1,550 करोड़ रुपया किसानों को राहत राशि में बांट चुकी है और ऐसा नहीं है केन्द्र सरकार की जो राशि 1,000 करोड़ रुपये हमको मिली है वह हमको 23 नवम्बर को मिली है और 22 नवम्बर को ही कम से कम 680 करोड़ रुपया मध्यप्रदेश सरकार से किसानों को बांटा जा चुका था. यह सरकार संवेदनशील है. यह सरकार किसानों की है और यह सरकार किसानों के साथ अहित होते नहीं देखना चाहती है इसलिए यह कहना गलत है. यह सरकार पूरी तरह से जहां-जहां किसानों का नुकसान हुआ है वहां-वहां हमने 25 प्रतिशत की राशि के अनुसार पैसा डालना शुरू कर दिया है.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, 80 करोड़ के बदले केवल 5 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - जिसको मैं परमीशन न दूं वह नहीं लिखा जाएगा.
श्री कमल पटेल - अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न ..
अध्यक्ष महोदय - नहीं, जिसको खड़े होकर बोलना है मैं जब तक परमीशन नहीं दूं बिलकुल नहीं लिखा जाएगा.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी)-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, विराजिए.
श्री जितु पटवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, विराजिए. प्रश्न क्रमांक 3 श्री राजेश कुमार प्रजापति.
श्री कमल पटेल-- अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न.
अध्यक्ष महोदय-- मैं एक प्रश्न पर 10 मिनिट से ज्यादा नहीं दे सकता. कमल जी, आप बैठ जाइये. प्रश्न क्रमांक 3.
श्री कमल पटेल-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जाएगा. कमल जी, यह हस्तक्षेप मत करिए. आप इतने वरिष्ठ सदस्य हैं, आपको अच्छा नहीं दिखता है.
श्री कमल पटेल-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, बिल्कुल नहीं. मैंने परमीशन नहीं दी है. आप बैठ जाइये. राजेश जी, आप प्रश्न करिए नहीं तो मैं आगे बढ़ जाऊँगा. प्रश्न करिए.
श्री कमल पटेल-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- भैय्या सब जानते हैं. आपने नहीं किया है पहले से बनी है 6 (4). राजेश जी, प्रश्न करिए.
श्री कमल पटेल-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 4 देवेन्द्र वर्मा. मैं आगे बढ़ते जाऊँगा, आप लोग खड़े रह जाएँगे.
श्री राजेश कुमार प्रजापति-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बोल रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- बोलिए. माननीय सदस्यगण अपने ही दल के प्रश्नकर्ता को अगर प्रश्न करने देना नहीं चाहते हैं तो यह मेरी आसन्दी की गलती नहीं है. श्री राजेश प्रजापति.
तत्कालीन अनुभागीय अधिकारी पर कार्यवाही
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
3. ( *क्र. 1286 ) श्री राजेश कुमार प्रजापति : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 1019, दिनांक 10.07.2019 को खाद्य मंत्री द्वारा उत्तर दिया था कि तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रकरण में विभागीय कार्यवाही की जा रही है? यदि हाँ, तो क्या उक्त विभाग द्वारा उक्त अधिकारी पर विभागीय कार्यवाही को पूर्ण कर लिया गया है? यदि हाँ, तो संपूर्ण दस्तावेजों की प्रति उपलब्ध करायें। यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या प्रशासनिक अधिकारी द्वारा पद एवं शक्ति का दुरूपयोग कर अधिकारिता विहीन आदेश जारी करने वाले अधिकारी के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के प्रावधान हैं? यदि हाँ, तो क्या विभाग तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के आदेश जारी करेगा? यदि हाँ, तो समय-सीमा बतायें? यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें। (ग) क्या प्रश्न क्रमांक 1019, दिनांक 10.07.2019 के संबंध में प्रेम गुप्ता के नाम से सूचना के अधिकार का आवेदन लोक सूचना अधिकारी प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन (कार्मिक) सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल में विचाराधीन है? यदि हाँ, तो क्या आवेदक को जानकारी प्रदाय कर दी गयी है? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो क्यों?
खाद्य मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। सामान्य प्रशासन विभाग में प्रकरण प्रचलित है। (ख) जी नहीं, मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश, 2009 में ऐसा प्रावधान नहीं था। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) द्वारा मूल आवेदन पर आदेश दिनांक 07.11.2019 को पारित कर आवेदक को दिनांक 08.11.2019 को अवगत कराया गया है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री राजेश कुमार प्रजापति-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने पहली बार मुझे बोलने का मौका दिया इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ और आपका संरक्षण भी चाहता हूँ. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी जो बिजावर के थे उनके ऊपर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए आयुक्त महोदय के द्वारा कलेक्टर को लिखा गया कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट 24 जून 2019 को अपनी रिपोर्ट सागर कमिश्नर को प्रस्तुत की. इनके विरुद्ध आरोप-प्रत्यारोप और विवरण पत्र अभिलेख एवं साक्ष्य सूची आदि सागर आयुक्त को यदि प्रस्तुत कर दी गई है तो इनके ऊपर अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं की गई है?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं सदस्य को बताना चाहूँगा कि उनके खिलाफ विभागीय जाँच शुरू हो गई है और उसका आरोप पत्र भी जारी कर दिया गया है. कार्यवाही प्रचलन में है.
श्री राजेश कुमार प्रजापति-- अध्यक्ष महोदय, यह 2012 का प्रकरण है और 2012 से लगाकर अभी तक इनके ऊपर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई जबकि आरोप पत्र भी 24 जून 2019 को सागर कमिश्नर को प्राप्त हो चुका है तो मैं यह जानना चाहता हूँ कि यह कार्यवाही कब तक चलेगी, कब तक इनके ऊपर कार्यवाही की जाएगी?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, जैसे ही सदस्य ने हमारी जानकारी में दिया, अध्यक्ष महोदय, 2012 से 2018 तक तो माननीय सदस्य की पार्टी सत्ता में विराजमान थी. हमें तो अभी मात्र एक साल ही हुआ है और जैसा ही दिया वैसे ही हमने उसमें कार्यवाही की है...(व्यवधान)..मेरी बात प्रेम से सुन लें.
अध्यक्ष महोदय-- उनको मत छेड़ो भाई. आप समझा करो.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि हमारी कार्यवाही प्रचलन में है और हमने उसको विभागीय जाँच.....
श्री राजेश कुमार प्रजापति-- माननीय, एक समय सीमा निर्धारित कर दें. नहीं तो ऐसे अधिकारी आगे भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते रहेंगे. ऐसे अधिकारी को बचाने की कोशिश की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है. राजेश जी, विराजिए. माननीय जीएडी मंत्री जी, इस प्रश्न में जाँच सामान्य प्रशासन विभाग कर रहा है तो जो सदस्य प्रश्न कर रहे हैं इसमें मैं ऐसा मानता हूँ कि आप सामान्य प्रशासन विभाग को जरा आगाह कर दीजिए ताकि इसमें जो कार्यवाही त्वरित होना है वह हो जाए. ठीक है भैय्या, आपकी बात पूरी कर दी है.
सामान्य प्रशासन मंत्री(डॉ.गोविन्द सिंह)-- आप पूरा मामला डिटेल में लिखित में दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- राजेश जी, आप दे दीजिए त्वरित कार्यवाही हो जाएगी. धन्यवाद.
11.24 बजे
स्वागत उल्लेख.
सदन की दीर्घा में अमेरिका के मुंबई स्थित दूतावास से उपायुक्त रॉबर्ट पॉल्सन हाउज़र का स्वागत उल्लेख.
अध्यक्ष महोदय-- आज सदन की दीर्घा में अमेरिका के मुंबई स्थित दूतावास से उपायुक्त रॉबर्ट पॉल्सन हाउज़र उपस्थित हैं. सदन की ओर से उनका स्वागत है.
(मेजों की थपथपाहट)
11.30 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
खण्डवा जिले में अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त फसलों का मुआवजा
[राजस्व]
4. ( *क्र. 142 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के कितने जिलों में इस वर्ष औसत से अधिक वर्षा होने से अतिवृष्टि की स्थिति निर्मित हुई है? (ख) क्या अतिवृष्टि प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में आती है? यदि हाँ, तो खण्डवा जिले में अतिवृष्टि से प्रभावित खरीफ फसलों का रकबा कितना है एवं कितने किसानों की फसलों के नुकसान का सर्वे शासन द्वारा कराया गया है? (ग) किसानों को फसल नुकसान के सर्वे में कितनी राशि का मुआवजा शासन द्वारा अब तक भुगतान किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) प्रदेश के किसानों को अतिवृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा एवं गत वर्ष के देय गेहूँ का बोनस का भुगतान कब तक किया जाएगा? (ड.) क्या किसानों ने कर्जा माफ होने के भ्रम में फसलों का मुआवजा नहीं कराया एवं जिन किसानों ने बीमा कराया है उन्हें बीमा राशि आज दिनांक तक प्राप्त नहीं हुई है? इन किसानों को कब तक राहत दी जाएगी?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) मानसून वर्ष 2019-20 में बाढ़/अतिवृष्टि से 41 जिले प्रभावित हुए हैं। (ख) जी हाँ। खण्डवा जिले में खरीफ फसल का कुल 233845.97 हेक्टेयर रकबा प्रभावित है एवं समस्त प्रभावित क्षेत्र के किसानों की फसल का सर्वे कराया गया। (ग) खण्डवा जिले में किसानों को नुकसान के सर्वे में राशि रूपये 44,38,84,575/- (रूपये चवालीस करोड़ अड़तीस लाख चौरासी हजार पाँच सौ पिचहत्तर) का भुगतान किया गया है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) अतिवृष्टि से हुए नुकसान के मुआवजा वितरण की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। गत वर्ष गेहूँ का बोनस का प्रावधान नहीं था। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) जी नहीं। फसल बीमा एवं राहत का मुआवजा भुगतान पृथक प्रक्रिया है। मुआवजा भुगतान फसल बीमा से संबंधित नहीं है। अतिवृष्टि से प्रभावित समस्त पात्र किसानों को राहत स्वीकृत है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न भी मध्यप्रदेश के किसानों से संबंधित है जिनके साथ प्रदेश सरकार भेदभाव कर रही है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि खण्डवा जिले में केन्द्रीय दल द्वारा कहां पर सर्वे किया गया. प्रभारी मंत्री द्वारा कहां पर सर्वे किया गया. कलेक्टर व स्थानीय प्रशासन द्वारा कहां पर सर्वे किया गया. खण्डवा जिले में प्रत्येक विकासखण्डवार या तहसीलवार प्रति हेक्टेयर कितना मुआवजा दिया जा रहा है. कितने किसानों को मुआवजे में छोड़ा गया है उसकी जानकारी माननीय मंत्री जी दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- आपका बड़ा व्यापक प्रश्न है. बहुत लम्बा प्रश्न है, मंत्री जी जवाब दें. प्रभारी मंत्री जी आप बैठ जाएं अभी माननीय मंत्री जी को बोलने दीजिए. {श्री तुलसीराम सिलावट, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (प्रभारी मंत्री, खण्डवा) के उत्तर देने के लिए खड़े होने पर}
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, पहले तो माननीय सदस्य को बताना चाहूंगा कि प्रभारी मंत्री सर्वे नहीं करते हैं, प्रभारी मंत्री सर्वे करवाते हैं. सर्वे की प्रक्रिया के बारे में मैंने पहले ही बोला है कि कृषि विभाग के लोग, पंचायत विभाग के लोग, उद्यानिकी विभाग के लोग सारी टीम मिलकर सर्वे करने जाती है. जहां तक खण्डवा की बात है यहां पर 300 करोड़ रुपए का वितरण होना है जिसमें से आज दिनांक तक 70 करोड़ रुपए वितरित किया जा चुका है.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा-सा प्रश्न था. मैंने माननीय मंत्री जी से यह पूछा था कि केन्द्रीय दल को कहां पर लेकर गए, प्रभारी मंत्री को कहां पर लेकर गए, स्थानीय प्रशासन और कलेक्टर कहां पर फसलें देखने गए.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने आपके प्रश्न का आगे तक का जवाब दे दिया.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, केन्द्रीय दल आया था. मैं सदस्य की जिज्ञासा खत्म कर दूं. यह सच है कि केन्द्रीय दल एक बार नहीं दो बार आया. केन्द्रीय दल मुझसे व माननीय मुख्यमंत्री जी से मिला. केन्द्रीय दल कहीं-कहीं हम लोगों को बताकर गया. बहुत सी जगह वे सीधे कलेक्टर से मिले और उन्होंने दौरा किया. केन्द्रीय दल से हम लोगों का समन्वय भी होता रहा. केन्द्रीय दल खण्डवा में जहां-जहां बहुत नुकसान हुआ वहां पर भी गया. जहां-जहां कम नुकसान हुआ वहां पर भी गया. अब माननीय सदस्य क्या पूछना चाहते हैं. जहां तक मेरी जानकारी में है करीब 20 जिलों का दौरा केन्द्रीय दल ने किया है.
श्री देवेन्द्र वर्मा--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि सिर्फ एक ही क्षेत्र में और एक ही जगह पर ले जाकर इनके द्वारा सर्वे कराया गया है. पूरे जिले में किसी भी प्रकार का कोई सर्वे नहीं किया गया. किसी गांव में न तहसीलदार गया, न पटवारी गया. जैसा माननीय शुक्ला जी ने बताया है सिर्फ नजरी सर्वे किया गया है. एक ही क्षेत्र में जहां पर 25 प्रतिशत से कम नुकसान हुआ है वहां पर मुआवजा दिया गया है जबकि उसके अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में ज्यादा नुकसान हुआ है वहां पर अभी तक मुआवजे की राशि का वितरण नहीं किया गया है. इस बारे में माननीय मंत्री जी बताएं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, सदस्य महोदय यह भूल रहे हैं कि केन्द्र में भाजपा की सरकार है, उस पर आरोप मत लगाइए.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, भाजपा की सरकार का इससे क्या मतलब है.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है. मंत्री जी उत्तर नहीं दे पा रहे हैं कि केन्द्रीय दल सर्वे के लिए कहां गया था. आप इस तरह से राजनीति कर रहे हैं माननीय अध्यक्ष जी. पहले आप उत्तर तो दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- विश्वास जी, आप बोल रहे थे माननीय अध्यक्ष जी, मैं नहीं कर रहा हूँ भैय्या (हंसी).
श्री विश्वास सारंग -- आप नहीं कर सकते, माननीय अध्यक्ष महोदय आपकी तो कृपा है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, केन्द्रीय दल आया, केन्द्रीय दल पर हम लोगों ने पूरा विश्वास किया, केन्द्रीय दल को पूरा सहयोग किया, सम्मान किया. दल ने 20 जिलों का दौरा किया. जैसा माननीय सदस्य कह रहे थे कि केन्द्रीय दल वहीं-वहीं गया जहां हमने दिखाया, ऐसा नहीं था. केन्द्रीय दल अपने मन से गया और उसने सर्वे किया. सर्वे से हम लोग संतुष्ट थे वह अलग बात है कि हमें उतनी राशि नहीं मिल पाई जितनी अपेक्षा हमको थी.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी तरफ से मैं बोल लूं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- करीब 67 करोड़ रुपए का आंकलन केन्द्रीय दल ने किया है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी विराजिए.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि सभी दलों ने कहां पर सर्वे किया?
अध्यक्ष महोदय-- आप विराजिए. मैं संबंधित विभाग के अधिकारियों से कहना चाहता हूं कि जब आप मंत्रियों की ब्रीफिंग करें तो जो प्रश्न पूछा जा रहा है आप वैसी ही ब्रीफिंग करवाया करें. प्रश्न बिलकुल प्वाइंटेड है कि कहां-कहां गए. खामखेड़ा गए, आमखेडा़ गए, नीमखेड़ा गए कहां गए? धन्यवाद. देवेन्द्र जी आप मेरी बात सुनिए कि आपके मन में जो जिज्ञासा है जिन-जिन गांव में जो सर्वे नहीं गए उन सभी गांव की सूची आप क्रमबद्ध तरीके से जमाकर आज दो घण्टे बाद माननीय मंत्री जी को दे दीजिए. विधायक जी मैं आपकी बात बोल रहा हूं. मैं आपको सहयोग कर रहा हूं. आपको मतलब आपकी क्षेत्र की जनता को जिनको नुकसान हुआ है मैं उनकी बात कर रहा हूं. कृपा पूर्वक मंत्री जी उन सभी जगह का आप दोबारा सर्वे करवाइए. अधिकारी यहां भोपाल से जाना चाहिए और दो दिन बाद आपको आकर रिपोर्ट दें आप विधायक जी को बुलाकर जो प्रश्न है उसका समाधान कर दीजिए.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, अब सर्वे कहां से होगा, परंतु जो इनकी जिज्ञासा है कि केन्द्रीय दल कहां-कहां गया वह सूची इनको दे देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- दे देंगे बस ठीक है. देवेन्द्र जी दस मिनट से ज्यादा हो गए हैं गोपाल जी आपका अंतिम प्रश्न है.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मैंने इसमें प्रश्न किया था कि गेहूं का बोनस देने के लिए आपने प्रावधान किया था. मेरे प्रश्न में जवाब दिया है कि किसी प्रकार का प्रावधान नहीं किया गया था जबकि पिछले सत्र में सोलह सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जवाब दें कि सोलह सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया था कि नहीं किया?
श्री शिवराज सिंह चौहान-- यह सीधे नकार रहे हैं बोनस देंगे कि नहीं देंगे. आपने अपने उत्तर में कहा है कि बोनस का कोई प्रावधान नहीं है और सरकार ने एक सौ साठ रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने का वचन दिया. इस उत्तर में आप साफ नकार रहे हैं कि बोनस का कोई प्रावधान ही नहीं है. अध्यक्ष महोदय, यह क्या है? इसका उत्तर देना चाहिए.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत--अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि किसान समृद्धि योजना के अंतर्गत हमने उसको लिया है और इसकी कार्यवाही प्रचलित है और शीघ्रातिशीघ्र यह वितरण किया जाएगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है इससे दो प्रश्न जुड़े हुए थे. एक तो राहत राशि का है और दूसरा बोनस का है. मामला थोड़ा विषयांतर हो गया कि केन्द्रीय दल आए कि नहीं आए. प्रश्न में कहीं केन्द्रीय दल का उल्लेख नहीं है. माननीय सदस्य ने प्रश्न किया था कि कौन-कौन से कर्मचारी किस-किस हल्के में गए और उसकी रिपोर्ट क्या है. जो आनावारी हुई, जो क्षति का आंकलन हुआ उसकी रिपोर्ट क्या है इसके बारे में कोई जानकारी माननीय मंत्री महोदय ने नहीं दी. मैं मंत्री जी से यही जानना चाहता हूं कि क्या प्रदेश में इसी प्रकार की आनावारी हुई है और यदि हुई है तो क्या दोबारा उसका आंकलन करवाएंगे? दूसरी बात यह है कि जो पिछले वर्ष हमने बोनस की राशि घोषित की थी उसकी कितनी राशि का वितरण आप किसानों में जो गेहूं उत्पादक किसान हैं उनके लिए करेंगे इसकी जानकारी आप दे दें और कब तक कर देगे?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, मुझे इस मेटर पर बोलने के लिए एक मिनट का समय दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आप विराजिए.
(खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री) श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, किसानों का मामला है आप एक बार मेरी बात सुन तो लें माननीय नहीं सुनना चाहते हैं तो ठीक है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न अठारहवें नंबर पर है क्या मेरा प्रश्न आएगा? एक ही प्रश्न पर यदि बीस मिनट लग जाएंगे तो फिर कैसे काम चलेगा.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल 2 मिनट में उत्तर आ जाये. मंत्री जी, हमारा प्रश्न साधारण सा बोनस के बारे में है. किसान समृद्धि योजना के तहत आप कितनी राशि देंगे, पिछले वर्ष के शेष बोनस की, जो आपने बिल्कुल नहीं दिया है. आप किसानों को कितनी राशि देंगे और कब तक देंगे और देंगे कि नहीं देंगे ? इसकी जानकारी दे दीजिये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत- माननीय अध्यक्ष महोदय, खण्डवा जिले में खरीफ फसल का कुल 2 लाख 33 हजार 845 हेक्टेयर रकबा प्रभावित है.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सभी 52 जिलों का है, पूरे प्रदेश का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय- पहले उनको सुन लीजिये.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत- समस्त जिलों में पैसा बांटा गया है. जहां तक आपका प्रश्न है तो 70 करोड़ रुपया बांट दिया गया है. मैंने पूर्व में भी कहा कि किसान समृद्धि योजना प्रचलित है और सरकार किसानों को पैसा देगी.
(...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, यहां बोनस की बात हो रही है. हमारे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है. किसानों को बोनस दिया जायेगा कि नहीं ? माननीय कृषि मंत्री जी बतायें.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह किसान विरोधी सरकार है. बोनस नहीं दे रहे, यूरिया नहीं दे रहे, कर्ज माफ नहीं किया, ये किसान विरोधी सरकार है.
श्री जालम सिंह पटेल- बोनस कब दिया जायेगा ? गेहूं की दुबारा बुआई हो गई है. (...व्यवधान...)
श्री गोविन्द सिंह राजपूत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है, 160 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जायेगा, जिसे हमने किसान समृद्धि योजना का नाम दिया है. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक नजर इधर भी. मेरे पास इस वर्ष के अनुपूरक बजट की पुस्तक है और पिछले आम बजट की भी पुस्तक है, (पुस्तक दिखाते हुए) जो माननीय वित्त मंत्री जी ने पढ़ी थी, वह भी है. यहां बार-बार मंत्री जी जिस किसान समृद्धि योजना का जिक्र कर रहे हैं, मैं केवल उसका जिक्र करना चाह रहा हूं. इस पुस्तकों में राजस्व और कृषि विभाग में कहीं भी किसान समृद्धि योजना में बोनस का जिक्र नहीं है. ये आसंदी को गुमराह कर रहे हैं और सदन को गुमराह कर रहे हैं. अगर मैं गलत कह रहा हूं तो ये उठें और बतायें कि किस पेज और किस कॉलम में बोनस का जिक्र है. मैं पेज नंबर 61 देख के बता रहा हूं. (प्रतिपक्ष की ओर से शेम-शेम की आवाज)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने दोनों पुस्तके पढ़ने के बाद आपसे अनुमति ली है. यहां सदन को गुमराह किया जा रहा है. इस मध्यप्रदेश में किसान के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है, उसे बोनस नहीं दिया जा रहा है.
(...व्यवधान...)
श्री गोविन्द सिंह राजपूत- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब सदन में अनुपूरक बजट पर चर्चा होगी तब वित्त मंत्री जी जवाब देंगे.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार का किसानों के प्रति वादा था कि 160 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जायेगा.
श्री जितु पटवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न को विषयांतर करने की आवश्यकता नहीं है. जब बजट पर बहस होगी, तब यह प्रश्न निकलेगा अभी कौन सा प्रश्न है और ये उसे कहां लेकर जा रहे हैं ? बजट की जब बात आयेगी, तब यह सवाल खड़ा कीजियेगा.
(...व्यवधान...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी के सम्मुख लगातार असत्य बोलने की इनको आदत पड़ी हुई है.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट में बोनस का कोई प्रावधान नहीं है.
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(11.45 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.53 बजे (विधान सभा पुन: समवेत हुई.)
{अध्यक्ष महोदय, श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) पीठासीन हुए. }
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश के किसान आपकी तरफ बड़ी हसरत भरी निगाह से देख रहे हैं. इतनी हसरत भरी निगाह से आपकी तरफ देख रहे हैं, क्योंकि अब इनसे तो कोई उम्मीद नहीं बची है, जिस तरह की अकर्मण्य सरकार है उससे उम्मीद नहीं है. अब हम आसंदी से उम्मीद कर रहे हैं. मैं जो बोल रहा हूं वह वापस थोड़े ही ले रहा हूं.
लोक निर्माण और पर्यावरण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा):- यह क्या बोल रहे हैं.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बीच में जरा ना बोलें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- अध्यक्ष जी, यह किसानों का बोनस..
अध्यक्ष महोदय:- देवेन्द्र जी, पांसे जी आप जरा बैठ जायेंगे ना, यह क्या है.
लोक स्वास्थ्य मंत्री(श्री सुखदेव पांसे):- (XX) इसलिये हसरत भरी नजरों से देखते हैं, लोग आपको.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव):- माननीय अध्यक्ष जी, चार नंबर पर जो प्रश्न था वह बहुत ही सुस्पष्ट प्रश्न था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- एक तो आप वह विलोपित करवा दो, जो आपके बारे में बोला है..
अध्यक्ष महोदय:- क्या बोला है ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- आपके बारे में उन्होंने जो बोला है वह टिप्पणी आसंदी के लिये ठीक नहीं है. अध्यक्ष जी, आप कोई हास्य की वस्तु नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय:- पांसे जी आप बैठ जायें. उन्होंने जो शब्द बोला है उसको विलोपित किया जाये.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत):- मैं सदन के सभी माननीय से बोलना चाहता हूं कि अनुपूरक मांगों पर चर्चा होनी है. हमारे विद्वान साथी नरोत्तम जी ने अभी उसकी चर्चा भी छेड़ी, अभी प्रश्नकाल हो जाये, जब अनुपूरक पर चर्चा होगी तो हम उसका जवाब भी देंगे. जहां तक बोनस की बात है....
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय वित्त मंत्री जी...
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- अध्यक्ष जी, आपसे तो उम्मीद है, लेकिन इनसे उम्मीद ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय:- आप सब लोग बैठ जाइये, माननीय मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)--अध्यक्ष महोदय, बोनस का विषय उठा, पर मैं सदन को जानकारी देना चाहता हूं कि पिछले साल जो बोनस दिया गया था उसका परिणाम क्या था कि केन्द्र सरकार ने हमें पत्र लिखा कि आपने बोनस दिया है इसलिये हम आपकी 7 लाख टन खरीदी घटा रहे हैं और अगर हम बोनस का इसमें लिख देते तो यह साफ सबूत हो जाता कि हम बोनस दे रहे हैं यह केन्द्र सरकार ने मुझे लिखित में दिया है. मैंने इस बारे में दिल्ली में बात की, यह बोनस नहीं आप बोनस के कारण आप खरीदी घटा रहे हैं 7 लाख टन. पता नहीं इस साल हम बोनस देते तो कितना घटा देते. मैं तो आप सबसे निवेदन करूंगा कि आप भी केन्द्र सरकार से टेकअप करिये कि अगर जो बोनस मध्यप्रदेश में दिया गया उसके पत्र की कापी मुझे दे दीजियेगा तब बात स्पष्ट होगी और यह बात पूरे प्रदेश को समझ आयेगी कि आप केवल सदन में ही नहीं आप बाहर भी केन्द्र सरकार से भी चर्चा करने को तैयार हैं. दूसरी चीज हमारे यहां कितने सांसद हैं. आज अतिवृष्टि हुईम अतिवृष्टि में क्या किसी सासंद ने यहां पर 28 सांसद हैं. क्या 28 सांसदों में से किसी एक ने भी यह विषय उठाया हो कि हमें जो 8 हजार करोड़--
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, जी इसमें आप हमको भी सुनिये.
अध्यक्ष महोदय--सदन के नेता को बोलने दीजिये उसके बाद. आप लोग विराजिये सदन के नेता खड़े हैं आप लोग विराजिये उनको सुन लीजिये.
श्री कमलनाथ--अध्यक्ष महोदय, यहां पर सदन में खड़े होकर यह बात कह देंगे और कर देंगे एक बात याद रखियेगा कि मुंह चलाना और सरकार चलाने में अंतर होता है. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष जी यह आपत्तिजनक है. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष जी यह घोर आपत्तिजनक है. (व्यवधान)
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष जी माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अगर हम लिख देते. लिखने का हमने जिक्र नहीं किया है इनके मंत्री जी ने जिक्र किया है कि किसान समृद्धि योजना के मद से दिया है. दूसरी बात इन्होंने कहा केन्द्र सरकार ने कहा था तो इन्होंने घोषणा क्यों की. यह बात बिल्कुल सच है कि मुंह चलाने में और सरकार चलाने में अंतर है. (व्यवधान) इनसे सरकार नहीं चल रही है सिर्फ इनका मुंह चल रहा है और कुछ नहीं चल रहा है, क्यों मुंह चलाया 160 का (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी--अगर आपकी पीड़ा जायज है तो नरेन्द्र मोदी जी के खिलाफ धरना दो, आंदोलन करो. (व्यवधान) राजनीतिकरण करेंगे, राजनीतिक रोटियां सेकेंगे. मुख्यमंत्री जी ने संकल्प किया कि मैं किसानों का 2 लाख रूपये तक का कर्जा माफ करूंगा. आज माफ करने की स्थिति में हैं, परिस्थिति में हैं, बजट नहीं हैं, फिर भी लगे हुए हैं. आप लोग किसानों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--एक सवाल करना चाहता हूं कि बोनस देना हैं तो हां करों नहीं देना है तो ना करो. आप लोगों को बोनस देना या नहीं देना हैं. एक लाइन का स्पेसिफिक प्रश्न है. (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी--आप लोगों ने केन्द्र सरकार को एक पत्र भी नहीं लिखा है. आप लोगों को मध्यप्रदेश के हितों की रक्षा करनी चाहिये, यह तो क्लियर कर देते. शिवराज सिंह जी मैं बोल रहा हूं अध्यक्ष जी की अनुमति से.(व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बोलने दें मैं अध्यक्ष जी की अनुमति से बोल रहा हूं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--मैंने दोनों को खड़े होने की अनुमति नहीं दी है. मैंने दो दो खड़े नहीं किये हैं. मैं ऐसा नहीं कर सकता. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, हमने भी मुंह नहीं चलाया, सरकार ही चलायी. जब भी हमने...(व्यवधान)
श्री जितु पटवारी--इतना मुंह चलाया कि किसी ने नहीं चलाया. (व्यवधान) आपके पास मुंह चलाने के अलावा कुछ था ही नहीं. आपने जितना मुंह चलाया उतना किसी ने नहीं चलाया.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी)- बिना इधर-उधर की बात कर, सीधा बताओ 160 रूपए देंगे कि नहीं देंगे, एक ही सवाल है. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, ये कांग्रेस का घोषणा पत्र है, आप मुझे घोषणा पत्र की एक लाइन पढ़ लेने दीजिए (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - रूक, जाइए, नरोत्तम जी, कृपापूर्वक विराजिए. माननीय नेता प्रतिपक्ष भी एक मिनट विराजिए. प्रश्नकाल समाप्त हो गया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, समाप्त हो जाए प्रश्नकाल और हो जाए पूरा सत्र. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं यदि इस सदन ने यदि हमारे बोलने के लिए यह कहा जाए कि बोलने में और सरकार चलाने में अंतर है इसका अर्थ यह है कि हमारी स्वतंत्रता पर हमला हुआ है, हमारे बोलने पर हमला हुआ है, यह हमारी अभिव्यक्ति पर हमला हुआ है. (..व्यवधान)
लोक निर्माण मंत्री(श्री सज्जन सिंह वर्मा) - आप अपने ऊपर क्यों ले रहे हों.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हम इसको बर्दाश्त नहीं कर सकते, मुख्यमंत्री जी को इस पर खेद व्यक्त करना चाहिए. (..व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, घोषणा पत्र की एक लाइन पढ़ लेने दो. उसके बाद मुख्यमंत्री जी बोलेंगे. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आप इसको बजट में पढ़ लेना. (..व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं पढ़ लूंगा अध्यक्ष जी, मुख्यमंत्री जी खड़े हैं. मुख्यमंत्री जी बोल रहे है, इसलिए.
अल्पसंख्यक मंत्री(श्री आरिफ अकील) - घर से पढ़कर आया करो..
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, मुख्यमंत्री जी इस सदन के नेता है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष जी, 160 रूपए देंगे कि नहीं देंगे, यह तो बता दें. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - विराजो, विराजो. (..व्यवधान)
डा. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, कांग्रेस का घोषणा पत्र में बिन्दु क्रमांक 4
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, जो अभी बात हुई यह मर्माहत करने वाली बात हुई. अध्यक्ष महोदय, हम सभी यहां पर मूक दर्शक, मूक श्रोता, मूक वक्ता बनकर नहीं बैठ सकते हैं. हम बोलते हैं, यहां भी बोलते हैं, आमसभाओं में भी बोलते हैं, कार्यक्रमों में भी बोलते है. अध्यक्ष महोदय, आप भी केबिनेट में बोलते हैं. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं हम यदि यहां बोलते हैं और उसके लिए यह कहा जाए एक हास्य के रूप में कि आप बोलते हैं और हम सरकार चलाते हैं, सरकारें तो सभी चला रहे, केन्द्र में भी चल रहे हम भी चला रहे. आप सदन के नेता है, आप इतने वरिष्ठ सदस्य है. अध्यक्ष महोदय मैं सोचता हूं कि शायद इस प्रकार की शब्दावली का उपयोग माननीय सदन के नेता को नहीं करना चाहिए था, क्योंकि अभिव्यक्ति के बिना तो संभव ही नहीं है. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाओ, बैठ जाओ, जब नेता खड़े हैं तो आप बैठ जाओ.
मुख्यमंत्री (श्री कमल नाथ) - माननीय अध्यक्ष जी, जब मैंने मुंह चलाने की बात की, मैंने किसी को टारगेट नहीं किया, अगर आप टारगेट बनना चाहते हैं, उसका मेरे पास कोई उपाय नहीं है और .. (..मेजों की थपथपाहट)
श्री शिवराज सिंह चौहान - ये तो बता दो 160 देंगे कि नहीं.
श्री कमल नाथ - शिवराज राज जी, मैं खत्म कर लूं, शिवराज जी को बड़ा एतराज हुआ, जैसे कि मैं उन्हें टारगेट कर रहा हूं. मैंने टारगेट नहीं किया, क्योंकि अगर आपके दिल में कुछ है तो मैं नहीं बता सकता.
श्री गोपाल भार्गव - मुख्यमंत्री जी, 160 का बता दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - ''तू इधर उधर की बात न कर, यह बता कि काफिला क्यों लुटा, तेरी रहजनी से गिला नहीं, तेरी रहवरी पर सवाल है''(..व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - किसान क्यों लुटा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - प्रदेश का किसान क्यों लुटा, अध्यक्ष जी मुझे घोषणा पत्र का बिन्दु क्रमांक 4 पढ़ने दो. (..व्यवधान) माननीय अध्यक्ष जी, एक अनुमति उसके बाद माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब आ रहा है. मेरा यह कहना है, उसमें लिखा है बिन्दु क्रमांक 4 पर गेहूं, धान, कपास, अरहर, सरसों, सोयाबीन, लहसून, प्याज, टमाटर और गन्ने पर बोनस देंगे, जब इन्होंने अपने घोषणा पत्र में लिखा तो केन्द्र सरकार से पूछकर लिखा था क्या, कि यह बोनस देंगे(..व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, वोट लेने के लिए लगातार असत्य बोला. (..व्यवधान)
श्री सोहन बाल्मीक - 15 साल का हिसाब तो दो. (..व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हर चीज का हिसाब देने के लिए तैयार है, कोई ले तो सही. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप लोग बैठ जाए, नरोत्तम जी आप भी बैठ जाइए. (..व्यवधान) बाल्मीकी जी बैठ जाइए. ये सदन चलने देंगे या नहीं, भाई एक तरीका होता है.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - जब सीएम खड़े थे तब....
अध्यक्ष महोदय - आप रुक जाइये. प्रियव्रत जी आप भी बैठ जाइये. मखौल बनाकर रख दिया है. This is not done. यह ठीक तरीका नहीं है. मैंने प्रश्नकाल समाप्त बोला, ठीक है न. उसके बाद अगर कोई बात उठानी है तो आप शून्यकाल में उठा सकते थे. दूसरा, हम सदन की गरिमा बनाये रखने के लिए मुद्दे जरूर उठायें. लेकिन एक साथ 10-10 सदस्य मुद्दे उठायेंगे, इधर (विपक्ष) से 10 माननीय सदस्य खड़े हो गये, उधर से (सत्ता पक्ष) 10 सदस्य खड़े हो गये. घड़ी चलती जा रही है, वह तो रुकने का नाम नहीं ले रही है. आप प्रश्नकाल में देखिये कि जब माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी अकेले बोल रहे थे और वहां से माननीय मंत्री जी अकेले बोल रहे थे, तब हाउस बढि़या चल रहा था. जहां राजेन्द्र शुक्ल जी के पीछे चार सदस्य खड़े हो गये, तो वहां (सत्ता पक्ष से) से भी चार सदस्य खड़े हो गये, हाउस गड़बड़ा गया. मेरा आपसे अनुरोध है कि आप तीनों माननीय सदस्य (श्री गोपाल भार्गव, श्री शिवराज सिंह चौहान एवं डॉ. नरोत्तम मिश्र को देखते हुए) भी आपस में यह तय कर लिया करें कि पहले किसको बोलना है ? जितु भाई, प्रियव्रत जी या प्रद्युम्न सिंह जी आप भी तय कर लें, अगर मंत्री जवाब दे रहा है तो आपको बीच में खड़ा नहीं होना चाहिए. इस व्यवस्था को बनाकर आप चलेंगे तो अच्छा रहेगा. हाउस आपका है, मुझे तो सिर्फ संचालक बनाकर बैठा दिया है. आपको अपना हाउस कैसे चलाना है ? यह आप पर निर्भर करेगा. आपकी कार्यप्रणाली पर निर्भर करेगा. हां, हम कोई प्रश्न करते हैं, आपको भी मालूम है नरोत्तम जी, आप संसदीय कार्यमंत्री रहे हैं, आपने कई मर्तबा यहां कहा था कि आप मंत्री को विवश नहीं कर सकते है. ठीक है. यह हमारी परिपाटी रही है, प्रचलन रहा है. हम जो करें, प्रश्न जरूर करें, मैं उसको मना नहीं कर रहा हूँ. मंत्री जी जितना जवाब दे दें, अच्छी बात है. हां, कोई बात आई है, मैंने तीन बार कहा कि बजट आयेगा, आप उसमें उल्लेख कर लेना और हम भी चाहेंगे, जो आप उल्लेख कर रहे हैं, उसका माननीय वित्त मंत्री जी जवाब दें. लेकिन मंत्री जी, जब जवाब दें, उसके अन्दर क्या चीज छिपी हुई है, उसको भी जरा अच्छे से ध्यान दे देना. अब अनुरोध है, हाउस को चलने दीजियेगा. अभी हमारे और भी ऐसे चर्चा के विषय आ रहे हैं, उसमें आप उठा लीजिये और माननीय मंत्रियों से अनुरोध है कि उसका न्यायोचित उत्तर दे दें. कभी -कभी आप भी चोंटियां ले देते हैं, यहां से भी चोंटियां ले देते हैं. उस पर आप दिल पर मत लिया करो. दूसरी और अंतिम महत्वपूर्ण बात जो इस सदन की हमेशा गरिमा रही है, जब सदन में नेता खड़े होते हैं, चाहे पक्ष के सदस्य हों या विपक्ष के सदस्य हों, आप कृपया बैठ जाइये, उनको अपनी बात कहने दीजिये, ठीक इसी प्रकार जब सदन में नेता प्रतिपक्ष खड़े हों, चाहे पक्ष के सदस्य हों या विपक्ष के सदस्य हों, कृपापूर्वक बैठ जाइये. यही परिपाटी रही है और यही हमारे हाउस का डेकोरम रहा है, उसको सुचारू रूप से चलने दीजिये ताकि व्यवस्थाएं भी बनी रहें, प्रश्न-उत्तर भी चलते रहें, समाधान भी आते रहें, जिज्ञासा भी बढ़ती रहे, यही तो हमारा हाउस है. माननीय शिवराज जी, अब प्रश्नकाल समाप्त हो गया है (श्री शिवराज सिंह चौहान के खड़े होने पर). आप सुनिये, आप मेरा अनुरोध सुन लीजियेगा. (श्री करण सिंह वर्मा जी के बैठे-बैठे कुछ बोलने पर) वर्मा जी, मैंने आपको नहीं बोला है, आपको मैं न बुलाऊँ. वर्मा जी, माननीय शिवराज जी और आपके शरीर में ढाई गुना का अन्तर है, मैं आपको कैसे भूल जाऊँगा और कैसे नहीं बुलाऊँगा ? मैं इतने बढि़या शरीर को कैसे अनदेखा कर सकता हूँ. मुझे शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ने दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा कितना भी मजाक उड़ा लें ? लेकिन पूरे प्रदेश का किसान जानना चाहता है, आज यह विषय आया है. हम केवल माननीय मुख्यमंत्री जी से यह जानना चाहते हैं कि 160 रुपये प्रति क्विंटल गेहूँ का बोनस देंगे कि नहीं देंगे. यह छोटा सा लेकिन बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है, इसका उत्तर आना चाहिए. मेरा निवेदन है. पूरा प्रदेश जानना चाहता है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. आप रुकिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान - पूरे प्रदेश का किसान जानना चाहता है.
...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने आसन पर खड़े होकर कहने पर) आप सभी बैठ जायें. आपने इस भीड़ में इस प्रश्न की प्रतिध्वनि नहीं सुनी थी. अगर इसको अंकित करते हैं और इसको सार्वजनिक करते हैं तो ऊपर से जो राशि मिलना है, उस पर रोक लग जायेगी.(श्री शिवराज सिंह चौहान के अपने आसन पर खड़े होकर कहने पर) आप मेरी बात सुन लीजिये श्री शिवराज जी मैं चाहूंगा कि इस संबंध में आप और माननीय मुख्यमंत्री जी साथ में बैठ जायें.(श्री राजेन्द्र शुक्ल के अपने आसन पर खड़े होकर कहने पर) श्री राजेन्द्र जी कृपया आप बैठ जायें. हमको भी भगवान ने कान दिये हैं, हमको भी भगवान ने कृपा पूर्वक थोड़ी सी बुद्धि दी है, जब बंट रही थी तो लाईन में हम भी खड़े थे. हमने प्रश्न सुन लिया है.
वित्तमंत्री(श्री तरूण भनोत) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने अपने वचन पत्र में जो-जो लिखा है, वह हम किसानों को देंगे.(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय -- बस अब बात खत्म हो गई, वित्तमंत्री जी ने बोल दिया है कि हम देंगे तो बात अब खत्म हो गई है. नेताजी आप बोलें.
मुख्यमंत्री( श्री कमलनाथ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्योंकि यह बात यहां पर उठी है और आप यहां पर यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि हमने यह मांग रखी है, यह बात सही नहीं है. मैं आपके माध्यम से यह बात श्री शिवराज जी को यह कहना चाहता हूं कि हमने पहले ही इसकी घोषणा कर दी थी (मेजों की थपथपाहट). श्री शिवराज सिंह चौहान जी मैं आज आपको और आपके साथियों को जो इसकी मांग कर रहे थे, उस पत्र की कॉपी भेजूंगा जहां केंद्र सरकार ने कहा है कि अगर आप बोनस देंगे या आपने बोनस दिया है तो जो आपकी खरीदी थी, वह हम नहीं कर रहे हैं और सात लाख टन घटा रहे हैं, इसकी कॉपी आप पढ़ लेना उसके बाद हम इस पर चर्चा करेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- आप नुकसान राशि ही दे दें. माननीय मुख्यमंत्री जी हमने भी दी है और 265 रूपये प्रति क्विंटल हमने भी दिया है. आप देंगे कि नहीं देंगे यह बता दें.
श्री कमलनाथ -- यह आपने दिया है इसलिये यह सात लाख टन घट गया है. मैं उसी का पत्र आपको देने वाला हूं.
....(व्यवधान)...
श्री सीतासरण शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे किसान को क्या करना है ....(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय मुख्यमंत्री जी किसान को मिलेगा कि नहीं मिलेगा आप यह बता दें. आप किसी और नाम से दे दें, किसान प्रोत्साहन राशि के नाम से ही दे दें, ....(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक साल हो गया है नई फसल आने में, एक साल हो गया है. ....(व्यवधान)..
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वचन पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख है और अगर वचन पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख है तो इसमें न तो भारत सरकार, न अन्य कोई सरकार, न अन्य कोई व्यवस्था ....(व्यवधान)..
लोक निर्माण एवं पर्यावरण मंत्री(श्री सज्जन सिंह वर्मा) -- आप यहां पर बैठकर किसानों का नुकसान करवा रहे हैं. ....(व्यवधान)..
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मुख्यमंत्री जी को विवश करेंगे. ....(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- किसानों का नुकसान हो रहा है. ....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित की जाती है.
(12.13 बजे से सदन कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित की गई)
12.18 बजे विधान सभा की कार्यवाही पुन: समवेत हुई.
(अध्यक्ष महोदय, श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुये)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, एक विषय को लेकर दो बार व्यवधान हुआ, वह है किसानों को बोनस की मांग को लेकर. अध्यक्ष महोदय, चुनाव के वक्त, जब विधान सभा चुनाव हुये थे कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में कहा था कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेंगे एवं गेहूं, धान, कपास, अरहर, सरसों, सोयाबीन, लहसुन, प्याज, टमाटर, गन्ने पर बोनस देंगे. .... (व्यवधान).... अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है.... .... (व्यवधान)....
जनजातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम)-- आप अपने घोषणा पत्र को देखें .... (व्यवधान).... नेता प्रतिपक्ष जी, आप अपना घोषणा पत्र देखें. हमने अपना घोषणा पत्र बहुत जिम्मेदारी के साथ जारी किया है, आप अपना घोषणा पत्र देखिये, आप नरेन्द्र मोदी का घोषणा पत्र देखिये. .... (व्यवधान).... आप हर जगह गलत लिख रहे हैं. आपने 2 करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का बोला था, आपने कहां दिया. .... (व्यवधान).... आप असत्य बात करते हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- जब आपके घोषणा पत्र में, आपके वचन पत्र में यह बात कही गई थी उस समय कहीं भी यह बात नहीं दर्शाई गई थी कि जब भारत सरकार अनुमति दे देगी तब हम देंगे. .... (व्यवधान)....
12.19 बजे बहिर्गमन
(भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन)
नेता प्रतिपक्ष, श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यह घोषणा पत्र किसान विरोधी है, यह किसानों को बोनस नहीं दे रहे इसलिये हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(नेता प्रतिपक्ष, श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में किसानों को बोनस न दिये जाने के कारण भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया).
12.20 बजे नियम-267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी :-
1. श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह
2. श्री हीरालाल अलावा
3. डॉ.मोहन यादव
4. श्री देवेन्द्र वर्मा
5. श्री जालम सिंह पटेल
6. श्री श्यामलाल द्विवेदी
7. श्री शैलेन्द्र जैन
8. श्री के.पी.त्रिपाठी
9. श्री हरदीप सिंह डंग
(10)जिला सिवनी के ग्राम सोनाडोंगरी में 6 वर्ष की मासूम के साथ हुए बलात्कार की घटना को स्थानीय पुलिस द्वारा छुपाया जाना
श्री दिनेश राय मुनमुन(सिवनी) - विगत दिनों सिवनी जिला सिवनी में दि.13.12.19 को थाना क्षेत्र शहडोल के ग्राम सोनडोंगरी में 6 वर्ष की मासूम बच्ची के साथ दुष्कृत्य(बलात्कार) की घटना हुई है. उक्त घटना के संबंध में पुलिस द्वारा जानकारी को छुपाया गया. यहां तक कि जिला कलेक्टर को भी तत्संबंध में तुरंत जानकारी नहीं दी गई. यहां तक कि मुझ को भी अन्य सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई. पुलिस ने बच्ची के माता-पिता एवं पारिवारिक जनों तथा स्वयं मुझे भी पीड़ित बच्ची से मिलने नहीं दिया. पीड़ित मासूम बच्ची आदिवासी समाज की है. इस घिनौनी घटना से आदिवासी समुदाय में रोष व्याप्त है. आदिवासी समुदाय द्वारा पीड़ित बच्ची का उपचार विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा कराये जाने की मांग की गई है. इस संवेदनशील घटना पर संज्ञान न लेने वाले अधिकारियों पर कठोर दण्डात्मक कार्यवाही होनी चाहिये तथा पीड़ित परिवारजनों को शासन की तरफ से 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जावे साथ ही पीड़ित परिवार व मासूम बच्ची को सुरक्षा प्रदान की जावे और आरोपित को मृत्युदण्ड(फांसी) की सजा दी जावे. आरोपी कोई भी हो किसी भी उम्र का हो आरोपी तो आरोपी ही होता है.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में बनी सरकार का सफलतापूर्वक एक वर्ष पूर्ण हो चुका है. इस दौरान सरकार द्वारा कई नयी योजनाएं एवं प्रशंसनीय कार्य किये हैं इसलिये मैं सदन में यह प्रस्ताव रखता हूं कि सदन सरकार द्वारा किये गये कार्यों की सराहना करता है मुख्यमंत्री जी को बधाई देता है और उनका अभिनंदन करता है.
श्री कुणाल चौधरी - एक साल बेमिसाल.
(..व्यवधान..)
श्री कमल पटेल - अध्यक्ष महोदय...
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - कमल पटेल जी अब अगर बीच में बोलें उनको बिल्कुल नहीं लिखा जायेगा. ये क्या तरीका है आपका.
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले पंद्रह वर्षों तक हमने भी सरकार चलाई. लगातार 15 वर्षों तक मैं सरकार में मंत्री रहा. मुझे स्मरण नहीं कि कभी इस प्रकार का प्रस्ताव किसी वर्ष के पूर्ण होने के बाद इस सदन में रखा गया हो. मत-विमत होते हैं और यह कोई परंपरा नहीं है.
(..व्यवधान..)
डॉ.नरोत्तम मिश्र - संसदीय कार्य मंत्री जी ने जो मत रखा है वह कांग्रेस पार्टी का मत है.सदन का नहीं है. हम उसके खिलाफ है.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
डॉ.गोविन्द सिंह - सर्वसम्मति से पास करते हैं.
( भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्यगणों द्वारा हाथ उठाया गया.)
(..व्यवधान..)
12.24 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
जबलपुर जिले में धान खरीदी के केन्द्र खोले जाना
श्री अजय विश्नोई(पाटन) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जबलपुर में पिछले साल से इस बार धान ज्यादा पैदा हुई है परंतु तुलाई के केन्द्र कम बने हुए हैं. कई गांव के गांव छूट गये हैं. जबलपुर जिले के सरकारी अधिकारियों ने एक प्रस्ताव भेजा है कि और केन्द्र खोले जाएं. समितियों को अनुमति दी जाय. किसान मझौली के बरगी में और पाटन के परलीखेड़ा में धरने पर बैठे हैं. अनेकों स्थान पर किसान धरना दे रहे हैं. धान तुलाई नहीं जा रही है. आपसे अनुरोध है कि मंत्री जी को निर्देशित करें कि वह केन्द्रों को अनुमति दें. समितियों को अनुमति दें और धान की तुलाई सुनिश्चित करें.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, ध्यान दीजिएगा. अगर धान खरीदी में दिक्कत है. (खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के खड़े होने पर) नहीं, आपको बोलना नहीं है. आपको सिर्फ सुनना है, कृपया अपने विभाग से यह बात कर लें जो नियम प्रक्रिया है, अगर वहां के अधिकारी केन्द्र खोलने के लिए लिख रहे हैं तो उसके ऊपर आप लोगों को ध्यान देना चाहिए, ऐसा मेरा अनुरोध है.
श्री अजय विश्नोई - अध्यक्ष महोदय, उसका जवाब तो आ जाय.
अध्यक्ष महोदय - वह मैंने बोल दिया, आप चिंता मत करिए.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा (जावद) - अध्यक्ष महोदय, अभी परसों नीमच में जावद विधान सभा की 7 नगर पंचायतों में से 6 भाजपा की हैं. इन 6 नगर पंचायतों के लिए एक आदेश निकाला कि काम बंद करके सब पैसा रोक दिया जाय. यह प्रजातंत्र में किसी भी चुने हुए जनप्रतिनिधि के अधिकार का हनन का मामला है. यह कौन-सी नीति के तहत किसने आदेश किये? मैंने कल नगरीय विकास मंत्री जी, प्रभारी मंत्री जी से सबसे कहा है. इन्होंने ऐसे ही एक चीज और की, प्रधानमंत्री आवास की भी दो बार जांच के बाद सब पेमेंट रोक दी गई, लिखित में कलेक्टर आदेश देता है कि माननीय प्रभारी मंत्री जी के निर्देशानुसार सभी प्रधानमंत्री आवास की नयी कोई पेमेंट न की जाय. सदन के नेता माननीय मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हैं, मैं पूछना चाहता हूं कि क्या ऐसे नियम उनकी नॉलेज में हैं, क्या वह इस सबको स्वीकारते हैं और अगर ऐसी सहमति है तो सड़कों की लड़ाई के लिए वह खुद जिम्मेदार होंगे.
श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी (जबलपुर केन्टोनमेंट) - अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो आपको धन्यवाद कि आपने वर्ष में पहली बार मुझे बोलने का मौका दिया.
अध्यक्ष महोदय - अशोक भाई, आपको पूरा मौका दिया जाएगा. आपको देखता हूं तो मैं जहां बैठा हूं उनकी याद आती है.
श्री अशोक ईश्वरदास रोहाणी - यह विधायकों के मान-सम्मान की बात है. अध्यक्ष महोदय, विगत माह आप लैब के भूमि पूजन में मेरी विधान सभा में आए थे. आपको मैं जानकारी दे दूं कि अध्यक्ष महोदय, उस कार्यक्रम की मुझे कोई सूचना नहीं थी, लेकिन मुझे लगा कि प्रोटोकॉल के हिसाब से विधान सभा अध्यक्ष अगर हमारी विधान सभा में आ रहे हैं तो उनका स्वागत करना चाहिए और मैं आपके स्वागत के लिए उस कार्यक्रम में पहुंचा लेकिन जब मैं वहां पहुंचा तो सभी विधायकों के फोटो थे, मेरा फोटो जानबूझकर उसमें नहीं था, लेकिन मैंने आपसे उसकी शिकायत नहीं की. यह क्रम लगातार जारी रहा. ओशो महोत्सव का कार्यक्रम जबलपुर में हुआ, हमको दूसरे दिन फोन करने के बाद आमंत्रण पत्र मिले. अध्यक्ष महोदय, विपक्ष के विधायकों की उपेक्षा का यह क्रम लगातार चल रहा है. विधान सभा अध्यक्ष को विधायकों के संरक्षण के लिए जाना जाता है. आज मैं आपसे इस आसंदी के माध्यम से निवेदन करता हूं कि ऐसी व्यवस्था दीजिए कि विधायकों की उपेक्षा न की जाय. उनको सम्मान मिले, उनका अपमान न किया जाय.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, यह बडा गंभीर विषय है. हम चाहते हैं कि इस पर आपकी व्यवस्था आए.
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी) - अध्यक्ष महोदय, यह सदन केवल ईंट और गारों का भवन नहीं है. लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है और इसमें बैठे हुए जनप्रतिनिधि विधायक चाहे वह सत्ता पक्ष के हों और चाहे वह विपक्ष के हों. लाखों लोग उनको चुनकर यहां पर भेजते हैं, उनके संवैधानिक और विधायी दायित्व होते हैं. मैं आपके माध्यम से आपसे निवेदन करना चाहता हूं क्योंकि मुख्यमंत्री भी पूरे सदन के नेता हैं. एक पार्टी के नेता नहीं हैं. मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश का होता है, पूरे सदन के होते हैं और अध्यक्ष महोदय भी न पक्ष के हैं, न विपक्ष के हैं, वह निष्पक्ष हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय, कई जगह ऐसी घटनाएं हुई हैं कि विधायक को अपमानित होना पड़ा है, विधायक को सूचना नहीं दी जाती. कार्यक्रम अगर आयोजित होता है तो जो हारा हुआ मित्र है, उसका नाम कार्ड में छपता है, उसका भाषण होता है. विधायक टुक-टुक देखता रहता है, या तो वह जाय ही नहीं और वह जाय तो वह अपमानित न हो तो यह सत्ता पक्ष और विपक्ष का सवाल नहीं है, सरकारें आती जाती हैं. हम उधर थे, अब इधर आ गये, यह होता रहता है. लेकिन विधायक किसी भी पक्ष का हो, उसका सम्मान रहना चाहिए, उसकी गरिमा रहनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - (श्री रामलाल मालवीय सदस्य के खड़े होने पर) श्री रामलाल मालवीय जी, यह गलत बात है.
श्री कृणाल चौधरी - आपको बड़वानी की घटना याद है कि नहीं? बड़वानी में वर्तमान गृह मंत्री के साथ धक्का-मुक्की की थी.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपकी अनुमति से बोल रहा हूं.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल -- ( X X X )
अध्यक्ष महोदय -- यह हनी बघेल जी जो बोल रहे हैं वह नहीं लिखा जायेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- आपकी अनुमति हो तो मैं अपनी बात पूरी कर लूं.(--व्यवधान) (श्री सुरेन्द्र सिह बघेल जी लगातार जोर जोर से बोलते रहे )
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय एक मंत्री सदन का इस तरह से मजाक उड़ा रहा है.
अध्यक्ष महोदय --अब ऐसा है कि हम स्वयं ही तो नियम तोड़ रहे हैं. हम किसी दूसरे को क्या बोलें. ( एक माननीय सदस्य के बैठे बैठे बोलने पर ) यह देखें यह बैठे बैठे बोल रहे हैं. यह आप नियम तोड़ रहे हैं. मैं एक एक को निकालना शुरू करूं क्या. ताकि जो सदन को चलने देना चाहते हैं, वह चलने दें, और बाकी निकल जायें. हनी जी आप बिना पूछे ही बोलना शुरू कर दिये थे. आप आवेश में आ गये कम से कम इधर भी तो देख लिया करें. ऐसा है कि शिवराज जी आपकी बात आ गई है. माननीय मंत्री जी आपका जो नियम है उसका आप उल्लेख कर दीजिये ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों. कृपापूर्वक आप बता दीजिए.
डॉ गोविन्द सिंह -- माननीय शिवराज सिंह जी और माननीय विधायक जी ने...
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी एक बात मैं बोल लूं उसके बाद मंत्री जी बोल लें.
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल जी, मैं मंत्री को नहीं बैठाल सकूंगा कैसा कर रहे हैं आप, उनका पूरा उत्तर आ जायेगा.
संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ गोविन्द सिंह ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य रोहाणी जी और पूर्व मुख्यमंत्री जी ने जो अपनी बात कही है. वास्तव में हमारी विधान सभा लोकतंत्र का मंदिर है. मैं स्वीकार करता हूं कि अगर ऐसी घटना घटी है, वैसे अभी हमने 15 दिन पहले अपने विभाग की ओर से समूचे प्रदेश के अधिकारियों के लिए इस प्रकार के निर्देश जारी किये हैं कि शासकीय कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं तो इसमें पक्ष और विपक्ष का भेद न किया जाय, सभी माननीय निर्वाचित सदस्यों को सम्मान दिया जाय. उनके नाम कार्ड में छपें, उनके लिए मंच पर बैठने की व्यवस्था की जाय. यह समूचे निर्देश हमने जारी किये हैं. इसके बाद भी अगर यह घटना घटी है तो मैं माननीय सदस्य श्री रोहाणी जी से अनुरोध करता हूं कि आप पूरी घटना लिखित में हमें दें, जो भी अधिकारी दोषी होंगे उऩके विरूद्ध भी अनुशासनहीनता की कार्यवाही करूंगा, ताकि आपका और इस सदन का सम्मान रहे, इसमें हम आपसे अलग नहीं हैं, पक्ष - विपक्ष, सरकारें आती जाती रहती हैं, लेकिन अगर यह परंपरा प्रजातंत्र में, लोकशाही में, अगर नौकरशाही हावी रहती है तो फिर हमारा यहां पर निर्वाचित होकर बैठने का कोई मतलब नहीं रहता है. आपकी बात से हम पूरी तरह से सहमत हैं, आपसे प्रार्थना करते हैं अनुरोध करते हैं कि आप लिखित रूप में दीजिये मैं एक्शन लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद्.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय मेरी बात सुन लें. सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा समय समय पर इस प्रकार के परिपत्र जारी किये गये हैं. पूर्व में भी किये गये हैं.अध्यक्ष महोदय आज भी बहुत अच्छी बात, आप हमारे संरक्षक हैं, मैं नहीं मानता कि शासन संरक्षक होता है हम सभी लोगों के इस सदन में आप संरक्षक हैं, तो अध्यक्ष महोदय इस कारण से आपसे ही निवेदन कर सकते हैं. मंत्री जी ने बहुत सकारात्मक उत्तर दिया है. लेकिन मैं जब देखता हूं कि परिपत्र नीचे पहुंचते हैं, तो जो भी ब्यूरोक्रेसी है..
अध्यक्ष महोदय -- आप शिकायत दे दीजिये. मंत्री जी ने कहा कि उस अधिकारी पर कार्यवाही की जायेगी.
श्री गोपाल भार्गव -- नहीं, एक व्यक्ति विशेष के बारे में आपने कहा.
अध्यक्ष महोदय --एक बात और कह दूं गोपाल जी. गोपाल जी, एक चीज और बोल दूं. जिन माननीयों के नाम निमंत्रण पत्र में छपते हैं, उनसे भी कहिये कि वे भी आया करें.
श्री गोपाल भार्गव -- बिलकुल जाया करें.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. जो जाते हैं, मैं उनसे नहीं बोल रहा हूं, जो नहीं जाते हैं, मैं उनसे बोल रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आपने बात कही है. इसका भी एक प्रोटोकाल जो है, जो सीक्वेंस है, जो क्रम है, यदि वह सम्मानजनक रहेगा, तो मैं नहीं सोचता कि हमारे विधायक दल में से कोई भी सदस्य अनुपस्थित रहेगा.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, सम्मान पूर्वक बुलाने की व्यवस्था की जाये.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. पत्रों का पटल पर रखा जाना. श्री तरुण भनोत, वित्त मंत्री जी.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय,एक मिनट का समय दें. बहुत आवश्यक है.
अध्यक्ष महोदय -- (प्रतिपक्ष के सदस्यों के खड़े होने पर) अपने सदस्यों को तो समझाओ, खड़े हो रहे हैं. आप खड़े हैं और वह खड़े हो रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में युवा आंदोलन कर रहे हैं, भारतीय युवा मोर्चा के नेतृत्व में लाखों की संख्या में छात्र आंदोलन कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, 4 हजार रुपये महीना बेरोजगारी भत्ता देने का इस सरकार ने अपने वचन पत्र में वादा किया था...
अध्यक्ष महोदय -- भनोत जी, आप बोलिये.
..(व्यवधान)..
12.37 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(1) (क) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का राज्य के वित्त पर लेखा परीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च, 2018 को समाप्त हुए वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2019 का प्रतिवेदन संख्या-1,
(ख) मध्यप्रदेश सरकार के वित्त लेखे वर्ष 2017-2018 के खण्ड I एवं II , एवं
(ग) विनियोग लेखे वर्ष 2017-2018,
(घ) त्रिस्तरीय पंचायतराज संस्थाओं का संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा का वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015 एवं 2015-2016, तथा
(ङ) नगरीय निकायों का संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा म.प्र. का वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015 एवं 2015-2016.
..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आज युवाओं के साथ अतिथि विद्वानों के साथ, अतिथि शिक्षकों के साथ मध्यप्रदेश की पूरी नौजवानों की पीढ़ी के साथ मजाक हो रहा है.
..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, 4 हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता देना चाहिये,यह युवाओं के साथ धोखा है, छल है. यह उनकी पीठ में छुरा घोपना है. पूरा प्रदेश का युवा परेशान है. 7 लाख बेरोजगार एक साल में बढ़ गये हैं और इसलिये 4 हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता दें या नौजवानों को रोजगार दें.
..(व्यवधान के मध्य भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा नारे लगाये गये.) ..
अध्यक्ष महोदय - डॉ. गोविन्द सिंह जी.
(2)
(क) |
मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2018-2019, |
(ख) |
मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2017-2018, |
(ग) |
मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2017-2018, एवं |
(घ) |
मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित, भोपाल का संपरीक्षित |
वित्तीय पत्रक वर्ष 2016-2017.
(3) (क) मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्लपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 33वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-17,
(ख) जबलपुर इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का प्रथम वार्षिक प्रतिवेदन (दिनांक 18/01/2016 से 31/03/2017), तथा
(ग) भोपाल इलेक्ट्रॉनिक्स मेन्युफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का प्रथम वार्षिक प्रतिवेदन (दिनांक 18/01/2016 से 31/03/2017)
(4) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर का सोलहवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-18
(5) मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम मर्यादित का 38वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16
(6) (क) मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, एवं
(ख) नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक लेखा वित्तीय वर्ष 2018-2019
12.43 बजे ध्यान आकर्षण
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
(1) सागर जिले की गढ़ाकोटा पुलिस द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के साथ अत्याचार की घटनाओं पर कार्यवाही न किया जाना
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) (रहली) -- अध्यक्ष महोदय,
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का जो मज़मून है प्रश्न संभवत: छोटा हो सकता है आपकी नजर में, इसके फलतार्थ बहुत दूर तक जाएंगे. मैं माननीय गृह मंत्री जी से इतना ही जानना चाहता हॅू कि क्या इस राज्य में दो कानून चल रहे हैं ? एक कानून ऐसा है जिसमें कोई भी गरीब आदमी यदि इन धाराओं के अंतर्गत आरोपित होता है उसके खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस थाने में दर्ज की जाती है. 24 घंटे के अंदर आप उसको गिरफ्तार कर लेते हैं, तत्पश्चात् आप विवेचना करते हैं. इस प्रकरण में लगभग 3 महीने होने को है और वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है बल्कि एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट है जो अनुसूचित वर्ग से आता है बुजुर्ग है, एक प्रकार से अनुभवी है. उसका कैरियर भी कभी इस प्रकार का नहीं रहा. आप उसकी इमेज़ देख सकते हैं. उसके बावजूद भी और एक ऐसे विषय को लेकर जो उससे संबंधित नहीं है यदि जैसा इसमें कहा गया है कि राशन से संबंधित जो तहसीलदार का विषय भी नहीं है वह फूड कंट्रोलर, फूड इंस्पेक्टर से संबंधित विषय है, उसको लेकर उसका वीडियो बना हुआ है. मैं इतना ही कहना चाहता हॅूं कि दो नियम, दो कानून यदि आप चलाएंगे तो राज्य में अनुसूचित वर्ग के लोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोग सुरक्षित नहीं रह पाएंगे. मैं बहुत लंबा प्रश्न नहीं करना चाहता. इसलिए मैं माननीय मंत्री महोदय से यह कहना चाहता हॅू कि लगभग तीन महीने हो गए और इस वर्ग के जो भी कर्मचारी हैं, वह भय से ग्रसित हैं. वह कह रहे हैं कि जब हमारे साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है तो फिर अन्य लोगों के साथ छोटे समाज से आने वाले अन्य व्यक्ति के साथ भी हो सकता है. इसलिए मैं माननीय मंत्री जी से जाना चाहता हूं कि आप इसमें कार्यवाही करेंगे कि नहीं करेंगे ? 3 महीने हो गए सामान्यत: एक दो दिन में कार्यवाही हो जाती है क्योंकि इसमें नियम है. सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के बाद जो अमेंडमेंट भारत सरकार ने किया है जिस एक्ट में आपने जिन धाराओं में आरोपित किया है धारा 3(1)(द), 3(1)(ध), 3(2)5(क) इसमें पहले गिरफ्तारी बाद में इन्वेस्टीगेशन होता है. मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या मंत्री जी इसमें गिरफ्तारी करने के बाद इस प्रकरण में आरोपित करके चार्जशीटेड करने का काम करेंगे ? और यदि नहीं करेंगे तो क्यों नहीं करेंगे ? यदि करेंगे तो इसको आप कब तक कर लेंगे ?
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो इस सदन के नेता प्रतिपक्ष भी हैं और मैं समझता हूं कि बहुत लंबा तजुर्बा और अनुभव उनका इस विधान सभा का है. वह इस हाऊस के सीनियर मोस्ट सदस्य हैं और बहुत लंबे समय से विधायक चुनते आए हैं. यह मामला सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत खाद्यान्न से जुड़ा हुआ है. इसमें जिनको आरोपी बनाया गया है उन आरोपियों के पास उस गांव के जिन लोगों को पिछले तीन महीने से राशन नहीं मिला था उसको लेकर आए थे और जिनको आरोपी बनाया गया है उन दोनों आरोपियों ने कलेक्टर, एस.डी.एम. को भी आवेदन दिए और कलेक्टर, एस.डी.एम. ने जांच के लिए तहसीलदार को डेप्यूट किया था. तहसीलदार ने जांच करने के बाद भी जो तीन महीने का खाद्यान्न लोगों को नहीं मिला इससे संबंधित कोई कार्यवाही नहीं की तो लोग तहसीलदार के पास आए और तहसीलदार के पास आने के बाद यह बातचीत और चर्चा हुई जिसमें वीडियो तैयार हुआ. वीडियो की सी.डी. हमारे पास है. माननीय नेता प्रतिपक्ष ने जो प्रकरण उठाया है उसमें कहीं पर भी ऐसा स्पष्ट नहीं होता है कि उनके ऊपर कोई अपराध बनता है. इसकी विवेचना जारी है और अगर कहीं भी जो फरियादी है जो खुद भी तहसीलदार है अगर कहीं थोड़ा बहुत तो साक्ष्य में कोई बात स्पष्ट आ जाए कि आरोपियों ने कोई अपराध किया है, ऐसी कोई साक्ष्य नहीं है और विवेचना जारी है. मैं आपके माध्यम से माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को बताना चाहता हूं कि मेरी तरफ से मेरे विभाग को साफ निर्देश दे दिए गए हैं कि बहुत जल्द विवेचना पूर्ण कर वैधानिक कार्यवाही तत्काल करें.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं पुन: मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आप विषयांतर हो गए. आप राशन के विषय पर आ गए. राशन एक अलग विषय है. अधिकारी के साथ में दुर्व्यवहार करना, मारपीट करना, शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करना और भी अनेकों विषय इसके साथ जुड़े हुए हैं उसके साथ जाति सूचक शब्दों का उपयोग करना. आपके पास में जो कुछ भी होगा हो सकता है उसमें टेम्पिरिंग की गई हो, मैं आपको ओरिजनल दे दूंगा. मैं इतना ही जानना चाहता हूं कि क्या दो नियम, दो कानून चल रहे हैं ? क्या आपके विधान में यह सुस्पष्ट रूप से नहीं कहा गया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के किसी आरोप पर यदि एफ.आई.आर. होती है तो उसके लिए तत्काल गिरफ्तार करके उसके बाद अनुसंधान होना चाहिए ? यह कार्य क्यों नहीं हो रहा है इसके बारे में दो नियम, दो कानून, दो विधान क्यों चलाये जा रहे हैं ? क्या किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए किसी राजनीतिक कारण से यदि हो तो मैं प्रश्न बंद कर दूंगा मुझे पूछने की कोई आवश्यकता नहीं है. बहुत स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं क्योंकि इससे फर्क नहीं पड़ना है. फर्क पड़ेगा तो आपके लोगों के लिए और जिन लोगों को आप बचाना चाहते हैं वह तो पहले हमारे आर.एस.एस. में रहे हैं अब आपके साथ में हो गए हैं इससे क्या फर्क पड़ना है ? मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि एक बहुत बड़े वर्ग के लिए संदेश जाना चाहिए कि यदि इस प्रकार का उनका अपमान किया जाता है, एक एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट का जो आदेश पारित करता है, तो मैं मानकर चलता हूं कि फिर इस राज्य में दो प्रकार के नियम, कानून चल रहे हैं. इसलिए बहुत ही आग्रह के साथ मंत्री महोदय से कहना चाहता हूं कि इसमें जल्द से जल्द गिरफ्तारी की कार्यवाही करें ताकि दोबारा इस प्रकार की घटनाएं राज्य में घटित नहीं हों, यहां घटित नहीं हों, कहीं नहीं हों. मैं इसलिए कहना चाहता हूं मैं कोई आरोप-प्रत्यारोप में नहीं पड़ना चाहता, मैं वाद-प्रतिवाद में भी नहीं पड़ना चाहता.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष ने स्टार्टिंग में भी यह बात कही है कि मध्यप्रदेश में क्या दो कानून चल रहे हैं, ऐसा बिलकुल भी नहीं है आप ध्यान रखना. जो कानून बना है वह एक ही कानून है और उसका शख्ती से पालन कराया जा रहा है. दूसरी बात, जहाँ तक आपने जो बोला है, जो फरियादी है उन्होंने अभी तक इतने समय की जाँच में, विवेचना में, अभी तक इससे संबंधित जो घटना घटी है, अपराध जो हुआ है, अपराध जो किया है, उससे संबंधित कोई साक्ष्य नहीं दिया है और जिनको आरोपी बनाया है उन्होंने वह फिर से कलेक्टर, एसडीएम, एसपी, आईजी, इनको सबको आवेदन दिया है. वीडियो की सीडी भी प्रस्तुत की है और यह बोला है कि हम जो खाद्यान्न वितरण की मांग कर रहे थे, जो नहीं किया जा रहा था, वही जनता जनार्दन के साथ, तहसीलदार के पास गए, तहसीलदार से एक सौम्य वातावरण में बातचीत चल रही है, उसका वीडियो और उसकी सीडी बनी हुई है. एकदम किसी के ऊपर आरोप इस तरह के रोप देना और उनके खिलाफ गिरफ्तारी कर लेना, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि ऐसा निर्णय हो चुका है, एक अर्नेश कुमार जो है, अर्नेश कुमार वर्सेस स्टेट आफ बिहार सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय है कि कोई सा भी अगर ऐसा अपराध है, सात साल तक जिसमें दण्ड का प्रावधान है. उसको नोटिस देकर सुनकर कार्यवाही करना, ऐसा कानून आ चुका है. यह बिहार की सर्वोच्च न्यायालय ऐसा निर्णय दे चुकी है. अगर कोई अपराध किया नहीं और उसको हम अपराधी बना देंगे और उसको हम गिरफ्तार कर लेंगे और कार्यवाही कर देंगे तो माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूँ कि न्यायसंगत नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय-- आखरी प्रश्न कर लीजिए.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, कुल मिलाकर यह किसी को बचाने के लिए, किसी को संरक्षण देने के लिए, यह सारा का सारा उत्तर है. अध्यक्ष महोदय, क्या पुलिस के अधिकारी या कोई कर्मचारी जो अनुसंधान कर रहे हैं वह एग्जिकेटिव मजिस्ट्रेट के पास में कथन लेने के लिए, बयान लेने के लिए, साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए, कभी गए, तो आप उन उन तारीखों का बता दें, रोजनामचे में दर्ज हुईं, कब गए, कितने समय गए और क्या वहाँ पर वे उपस्थित मिले या नहीं मिले? आप इसकी जानकारी दे दें.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी जानकारी आपको उपलब्ध करा दूँगा. दूसरा, मैं आपको बताना चाहता हूँ, आप मेरी बात को सुन लीजिए. यह तहसीलदार के साथ जिस समय ऑफिस में जो बैठे थे, जो घटना हो रही थी, बातचीत जो चल रही थी, उस समय वहाँ, घटना के समय, पटवारी सुशील कुमार, ऑपरेटर विराट पटेरिया, स्वतंत्र साक्षी, शत्रुघ्न दुबे, ये सब भी थे और इन्होंने अपने बयान में भी यह बात कही है कि कोई गाली-गलौच और फरियादी को कोई अपमानित नहीं किया गया है.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं उनके बयान दे दूँ आपके लिए? सारे लोगों ने कहा है, थाने से जो लिखकर आ गया और एसपी के मार्फत आ गया आप उस पर विश्वास न करें और यदि यही सब करना है तो प्रदेश की जैसी लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति है, लगातार रेप हो रहे हैं...
अध्यक्ष महोदय-- चलिए, चलिए.
श्री गोपाल भार्गव-- गुंडागर्दी हो रही है, अपराध बढ़ रहे हैं, अनुसूचित जाति पर और अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार हो रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- इसे आप जानना, मैं जवाब दूँगा...
महिला एवं बाल विकास मंत्री (श्रीमती इमरती देवी)-- माननीय, आप यह शब्द न कहें.
श्री बाला बच्चन-- जब इससे संबंधित बात उठाएंगे, इसका जवाब देने के लिए मैं तैयार हूँ, आपकी सरकार में जितने अपराध इससे संबंधित होते थे, उसमें गिरावट आई है. अध्यक्ष महोदय, जब ये जानना चाहेंगे मैं सारे आँकड़े इस सरकार के एक साल के कार्यकाल के उपलब्ध करा दूंगा.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार के संरक्षण से प्रदेश में अपराध बढ़ रहे हैं और मध्यप्रदेश अपराधों का एक प्रकार से टापू बन गया है.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, आपकी 15 साल की सरकार में जो अपराध होते थे, उनकी जो संख्या थी उसमें काफी गिरावट हुई है. हमारी सरकार ने कंट्रोल किया है. पहले मध्यप्रदेश अपराधियों का गढ़ बन चुका था.
श्री गोपाल भार्गव-- मंत्री जी, आप तो एक लाइन में उत्तर दे दीजिए.....
अध्यक्ष महोदय-- भार्गव जी, आपके पास जो जो साक्ष्य उपलब्ध हैं, आप कृपया गृहमंत्री जी को उपलब्ध करा दें और उसके बाद फिर हम देख लें.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, एससी, एसटी एक्ट में स्पष्ट प्रोविजन है.....
अध्यक्ष महोदय-- वह सब समझ गया. आप बोल रहे हैं कि मेरे पास साक्ष्य हैं, वे कह रहे हैं मेरे पास साक्ष्य हैं. मैं यह अनुरोध कर रहा हूँ कि आपके पास जो जो साक्ष्य हैं आप उपलब्ध करा दीजिए कार्यवाही तुरन्त हो जाएगी.
श्री गोपाल भार्गव-- आप मुझे यह बता दीजिए एससी, एसटी, एक्ट में मामला दर्ज होने के बाद पहले अनुसंधान का प्रावधान है या फिर बाद में अनुसंधान का प्रावधान है?
श्री भूपेन्द्र सिंह(खुरई)-- माननीय मंत्री जी, आपने अपने उत्तर में कहा है कि राशन को लेकर यह शिकायत हुई थी....
12.54 बजे
अध्यक्षीय घोषणा.
भोजनावकाश न होने संबंधी.
अध्यक्ष महोदय-- भूपेन्द्र भाई, एक मिनिट. आज भोजन अवकाश नहीं होगा माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. जिससे यह सिद्ध हो कि कोई इस तरह का एट्रोसिटी का मामला हुआ है. अब जब आप स्वयं इस बात को कह रहे हैं कि ऐसी कोई घटना होनी प्रतीत नहीं होती है तब इसके बाद, गृह मंत्री के उत्तर के बाद इसमें क्या जांच होगी ? यह मेरा पहला प्रश्न है. जब आप स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि कोई ऐसा अपराध घटित होना नहीं पाया गया है. दूसरा प्रश्न, मैं आपसे पूछना चाहता हूँ क्या इसमें जो एक आरोपी है क्या वह उस विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस का प्रत्याशी था या नहीं था. यह दो उत्तर मुझे दे दें.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस आरोपी कमलेश साहू का नाम आ रहा है वह कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार था.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- क्या इसका मतलब यह है कि कोई कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी है तो उसको आपने यह अधिकार दिया हुआ है कि वह अनुसूचित जाति के लोगों के साथ मारपीट करे, अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ मारपीट करे और उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी. अगर ऐसा कोई नियम आपने बनाया है तो स्पष्ट करें.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य पूर्व गृह मंत्री रहे हैं. वे इन सब बातों को जानते हैं. ऐसा अधिकार किसी भी प्रत्याशी तो क्या चुने हुए जनप्रतिनिधियों को या बड़े से बड़े ओहदों पर हैं उनको भी इस तरह का अधिकार नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव -- तो फिर क्या कारण है.
अध्यक्ष महोदय-- गोपाल भाई मैं आपसे वही बोल रहा हूँ. मंत्री जी का कहना है कि उन्होंने 2-2 बार, 3-3 बार पूछ लिया है कोई साक्ष्य नहीं दिए गए हैं, बयान नहीं दिए गए हैं. आपके पास जो साक्ष्य हैं वे आप उपलब्ध करा दें आगे बात हो जाएगी.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मैं नहीं कहना चाहता था भूपेन्द्र जी ने बहुत सी बातें स्पष्ट कर दी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मैं समझ गया हूँ. मैं इसलिए बोल रहा हूँ कि साक्ष्य मंत्री जी को दे दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, कितने ऐसे लोग हैं जो हार चुके हैं और उन्हें मारने पीटने का अधिकार मध्यप्रदेश में दे दिया जाएगा. जो हार गए हैं उन्हें आप अनुसूचित जाति के लोगों को, जनजाति को लोगों को पीटने का..
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता है.
श्री गोपाल भार्गव -- इनको मारो, इनको पीटो, क्यों रह रहे हैं मध्यप्रदेश में, क्यों रह रहे हैं इस राज्य में. (XX)
अध्यक्ष महोदय -- यह विलोपित किया जाए.
श्री गोपाल भार्गव -- (XX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- यह विलोपित किया जाता है. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विलोपित कराइए यह आपत्तिजनक है. यह आपके कार्यकाल में होता था...(व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें क्या आपत्तिजनक है. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग -- पार्टी देखकर कार्यवाही हो रही है. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव -- क्या आपकी तरफ से व्यवस्था दे दी गई है, क्या आपकी तरफ से स्थायी आदेश हो गए हैं कि कांग्रेस पार्टी का जो सदस्य होगा उस सदस्य को मारने का, पीटने का, लूटने का, रेप करने का सारा अधिकार मिल जाएगा क्या अध्यक्ष महोदय .. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल भार्गव जी आप हल्के हो गये हैं क्या ? आपका पद हल्का हो गया है क्या ?
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का उत्तर कतई संतोषजनक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूँ. मैंने पूरे सदन को बोला कि नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं, उनका प्रश्न है. आपको आपके दल के लोगों ने इतना हल्का बना दिया, 10-10 खड़े हो गए, चिल्लाने लगे. यह प्रश्न करने का तरीका नहीं है. मैं बार-बार बोल रहा हूँ कि यदि आप संतुष्ट नहीं हैं, कृपया मंत्री जी आप इनके साथ बैठ जाइए. जो-जो यह साक्ष्य बता रहे हैं उस पर पुनर्विचार कर लीजिए.
श्री गोपाल भार्गव -- कोई सार नहीं निकलना है, न मैं बैठूंगा, न मैं बताऊंगा आपको.
अध्यक्ष महोदय-- मत बैठिएगा.
श्री गोपाल भार्गव – (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह कुछ भी नहीं लिखा जाएगा.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा आपने निर्देश दिया है उसके अनुसार मैं और सरकार तैयार है.
श्री गोपाल भार्गव -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- दिलीप सिंह गुर्जर अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें.
1.04 बजे (2)नागदा स्थित ग्रेसिम उद्योग के ठेका श्रमिकों का वर्गीकरण न किये जाने से उत्पन्न स्थिति
श्री दिलीप सिंह गुर्जर (नागदा-खाचरोद)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
1:05 बजे {उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं }
श्रम मंत्री (श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया)--उपाध्यक्ष महोदया,
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--उपाध्यक्ष महोदया, सर्वप्रथम मैं हमारे सम्माननीय सदस्य को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने श्रमिकों के हित में आज ध्यानाकर्षण प्रस्ताव उठाया. मैंने अपने पत्र के जवाब में जो एडवाइजरी जारी की गई थी जिसमें 6 बिंदु लिये गए थे उसके संदर्भ में उल्लेख किया है. चूंकि इसमें वर्गीकरण भी होना है और साथ में जो सत्यापन की स्थिति बनी है जो हमारे ठेका श्रमिक थे उन्हें जो जानकारी देनी थी वह प्रपत्र के माध्यम से सही समय पर नहीं दी है. इसमें यह देरी मैं स्वीकार करता हूं और अब हमारे विभाग ने दिनांक 17.12.2019 से सत्यापन का कार्य प्रारंभ कर दिया है. अगर आप चाहेंगे तो एक शिविर के माध्यम से हम खुले रूप से आपकी अध्यक्षता में एक सत्यापन का कार्यक्रम रख सकते हैं. उसमें जो आपकी सभी परेशानी हैं हम उसको दूर करने का प्रयास करेंगे.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर-- उपाध्यक्ष महोदया, मेरा अनुरोध है कि जो एडवाइजरी की बात यहां कर रहे हैं इसी प्रकार यह एडवाइजरी दिनांक 18.12.2014 में भी जारी की गई थी उसका पालन आज तक नहीं हुआ है. जो बिंदु आज है वह बिंदु वर्ष 2014 में भी थे. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि ठेकेदार श्रमिकों द्वारा जो जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है आप शिविर के माध्यम से जानकारी ले लें और जब उनका भौतिक सत्यापन करें तो उद्योग अधिकारी उनके समक्ष नहीं रहना चाहिए.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- उपाध्यक्ष महोदय, सदस्य जी की मंशा अनुसार हम शिविर में इसका सत्यापन करेंगे.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर-- उपाध्यक्ष महोदया, भौतिक सत्यापन करना है. भौतिक सत्यापन करें.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--उपाध्यक्ष महोदया, भौतिक सत्यापन करेंगे, शिविर लगाकर करेंगे जो शायद प्रथम बार होगा और उसके बाद माननीय सदस्य की जो भी परेशानी होगी उनको दूर किया जाएगा.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर-- उपाध्यक्ष महोदया, मेरा दूसरा प्रश्न है कि एडवाइजरी में 20 प्रतिशत जो ठेका श्रमिक हैं जो कि पांच-पांच, दस-दस, पंद्रह-पंद्रह, बीस-बीस साल से ठेका श्रमिक के रूप में काम कर रहे हैं उनको स्थाई काम करने का जो श्रम नियमों के अधीन भी है उनको स्थाई करने की प्रक्रिया अभी तक प्रारंभ नहीं हुई है. दिनांक 18.12.2014 में समझौता हुआ उसमें भी यह प्रक्रिया अपनाई गई थी परंतु आज तक उसका पालन नहीं हुआ. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि दिनांक 18.12.2014, 12.10.2019, 9.10.2012 को जो एडवाइजरी जारी की है क्या उसका सख्ती से पालन करवाएंगे?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--उपाध्यक्ष महोदया, मैं हमारे माननीय सदस्य जी को विश्वास दिलाता हूं कि उस पर सख्ती से पालन किया जाएगा.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा--उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक मिनट का समय चाहता हूं. इसी कंपनी का एक सीमेंट प्लांट जो जावद में भी है वहां पर भी पिछले पंद्रह दिन से 250 मजदूरों को बाहर बैठा रखा है और विवाद में पूरे दिन पूरा नगर भी बंद रहा. उनके पक्ष में वहां पर भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है वहां पर भी ऐसे ही वर्गीकरण में वर्कर्स को डालकर ठेकेदारों के माध्यम से प्रताडि़त किया जा रहा है. क्या मंत्री जी वहां पर भी यह सेम नियम लागू करवाकर वहां पर भी आप उनकी कमेटी को, प्रबंधन को यह आदेश कि वह बैठकर इस व्यवस्था को लागू करें और मजदूरों के प्रति हो रहे अन्याय को रोकने में सहयोग करेंगे.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--उपाध्यक्ष महोदया, हमारे पूर्व सदस्यगण ने जो मामला उठाया है ठेका श्रमिकों को स्थाई करने का प्रावधान हमारे पास नहीं है. प्रावधान करने के पश्चात ही उसको कर पाएंगे. दूसरा जो मामला माननीय सकलेचा जी ने उठाया है निश्चित रूप से उस पर भी हम कार्यवाही करवाएंगे.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर-- उपाध्यक्ष महोदया, श्रम संगठनों और उद्योग प्रबंधक के बीच में जो समझौता हुआ उसमें स्पष्ट प्रावधान है उसकी मेरे पास आदेश की कॉपी भी है. वहां उद्योग प्रबंधक और यूनियन में जो समझौता कराया उसका पालन होना चाहिए.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया--उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय सदस्य जी से सदन के बाहर मिल लूंगा और उनकी जो भी परेशानियां हैं उनको हम नियमों के तहत निश्चित रूप से करेंगे.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर-- उपाध्यक्ष महोदया, जो एडवाइजरी जारी की गई है उसका पालन होना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदया-- मंत्री जी बोल रहे हैं कि वह पालन करेंगे. आप उनसे अलग से मिल लीजिए.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा-- यही स्थिति वहां पर भी ठेके मजदूरों में है.
उपाध्यक्ष महोदया-- सकलेचा जी, अब इसको खत्म करते हैं.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा-- धन्यवाद.
1.10 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
(3) कटनी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में किये जा रहे विकास कार्यों में अनियमितता होना
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक (विजयराघवगढ़)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक- माननीय अध्यक्ष महोदय, उपरोक्त राशि परफॉरमेंस ग्रांट की राशि है. जिसकी राशि लगभग 300 करोड़ के ऊपर पूरे प्रदेश में होती है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि उन्हें जो ब्रीफिंग की गई है, वह पूर्णत: असत्य पर आधारित है. परफॉरमेंस ग्रांट की राशि ग्राम पंचायतों को दिए जाने के कुछ नियम बनाये गए हैं. उन नियमों के अंतर्गत ही यह राशि दी जाती है. जिस ग्राम पंचायत ने सौ प्रतिशत टीकाकरण पूर्ण कर लिया हो, जो कर की वसूली घटते से बढ़ते क्रम में कर रहे हों, जो ग्राम पंचायत सौ प्रतिशत ओ.डी.एफ. (ओपन डेफिकेसन फ्री) हो गई हो, इन सारी चीजों को देखा जाता है और देखा जाता है कि पंचायत का परफॉरमेंस कैसा रहा है और उसके आधार पर ही पंचायतें चिह्नित की जाती है. फिर उन्हें परफॉरमेंस ग्रांट की राशि दी जाती है. मेरा आग्रह है कि इस प्रकार की बहुत सी शिकायतें मंत्री जी के पास भी आई हैं. कटनी में जो शिकायत की जांच हो रही है, उस जांच को करने वाले अधिकारी ने ही पूर्व में परफॉरमेंस ग्रांट की राशि को वितरित किया है. उनसे लेनदेन करके ऐसी पंचायतों को पैसा दिया है जो न उस समय तक ओ.डी.एफ. हुई थीं, न सौ प्रतिशत टीकाकरण हुआ था और न ही वे बढ़ते क्रम में कर की वसूली कर रही थीं. केवल मिली-भगत करके पंचायतों को पैसा दे दिया गया है. मैं यहां केवल कटनी जिले की तीन जनपदों की बात कर रहा हूं. अगर इसे पूरे प्रदेश के स्तर पर देखा जाए तो यह 300 करोड़ रुपये से ऊपर का घपला और घोटाला है. इसकी गहन और सूक्ष्मता से इन्हें जांच करनी चाहिए और कटनी में जो जिला अधिकारी बैठा है. उस अधिकारी ने जिसने इस प्रकार से राशि बांटी है और वही अधिकारी आज जांच कर रहा है, उसी अधिकारी ने सारे रिकार्ड गायब कर दिये हैं तो क्या माननीय मंत्री जी ऐसे अधिकारी को जिसने बगैर परफार्मेंस को देखे हुए, नियमों का पालन न करते हुए राशि वितरित की है, लेन-देन करके तो क्या आप उस अधिकारी को निलंबित करके जांच करेंगे और क्या जांच पूरे प्रदेश स्तर पर होगी ?
श्री कमलेश्वर पटेल:- अध्यक्ष महोदय, यह बात सच है कि परफार्मेंस ग्रांट की राशि जारी करने के लिये केन्द्र सरकार ने कुछ नियम बनाये थे और जो नियम थे उसमें वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायत के स्वयं के स्त्रोत के राजस्व की मात्रा में वृद्धि. दूसरा, कार्य-निष्पादन, अनुदान, दावा, वित्तीय वर्ष की तुलना में चौदहवें वित्त आयोग अंतर्गत पिछले वर्ष मूल अनुदान के संदर्भ में स्वयं के स्त्रोत के राजस्व का प्रतिशत जीरो से अधिक 10 प्रतिशत तक, 10 प्रतिशत से अधिक 20 प्रतिशत तक और 20 प्रतिशत से अधिक 30 प्रतिशत तक, इस तरह का क्राइटेरिया था. तीसरा क्राइटेरिया था- कार्य निष्पादन, अनुदान, दावा वित्तीय वर्ष की तुलना में पिछले वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायत की खुले में शौच मुक्त, यह बाद में दो शर्तें जोड़ी. पहले भारत सरकार ने चार शर्तें निर्धारित की थीं और दो पुरानी शर्तों को हटाकर दो नयी शर्तें जोड़ दी. जब वर्ष 2018 में इसका प्रपोजल तैयार हुआ था तो ग्राम पंचायतों से सर्वेक्षण होकर जनपद और जिला पंचायतों के माध्यम से यह सूचियां तैयार हुई थीं. उस समय जो नीति थी उस नीति ने परिवर्तन तो केन्द्र सरकार ने किया पर पूरे प्रदेश की ग्राम पंचायतों को इसमें शामिल होने का मौका नहीं दिया. उसकी वजह से जैसा कि माननीय सदस्य जी बोल रहे हैं, विसंगतियां तो हुई हैं और इसकी शिकायत भी पूरे प्रदेश से आयी है. केन्द्र सरकार ने जो नयी नीति बनायी थी ग्राम पंचायत ओडीएफ होने की और दूसरी शिशुओं का पूर्ण टीकाकरण होने की. यह दो नयी शर्तें जोड़ी और दो शर्तें हटा दीं. जिसकी वजह से बहुत सारी पंचायतें इससे वंचित हो गयी, जिस समय यह सर्वे कराया गया था उस समय कुछ और नियम था और जो राशि जारी हुई है वह पुराने नियम के तहत जो सर्वे हुआ था, उसके तहत जारी हुई है. इसमें अनियमितता होने की शिकायत तो पूरे प्रदेश से आयी है. परन्तु आपके जिले में कोई ऐसा विषय है तो उसकी जांच करा लेंगे.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक:- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का धन्यवाद देता हूं कि इन्होंने स्वीकार किया है कि विसंगतियां हुई हैं. अब गड़बड़ी इतनी गहरी है कि जिस अधिकारी ने पैसा दिया, वही अधिकारी जांच भी कर रहा है और उसी अधिकारी ने पूरे रिकार्ड भी गायब कर दिये हैं और मंत्री जी स्वयं स्वीकार भी कर रहे हैं कि विसंगतियां हैं,गड़बडि़यां हुई हैं तो मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि उस अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करें और जिले से हटायें और इसकी जांच निष्पक्षता से करायें, इसकी व्यापक जांच होनी चाहिये, प्रदेश स्तरीय जांच होनी चाहिये, यह 300 करोड़ रूपये का घोटाला है. एक तरफ मैं माननीय मुख्यमंत्री का बयान रोज पेपर में पढ़ रहा हूं कि माफिया राज समाप्त किया जायेगा तो माफिया क्या केवल जनता में बैठे हैं, नेताओं में बैठे हैं, अधिकारियों के अंदर भी तो थोड़े-बहुत माफिया होंगे जो करोड़ो रूपये का घोटाला कर रहे हैं, उनको हम माफिया की संज्ञा क्यों नहीं दे सकते हैं ? ऐसे माफिया जो सरकार को बदनाम कर रहे हैं, मध्यप्रदेश को बदनाम कर रहे हैं, गरीब जनता का करोड़ो रूपये खा रहे हैं उनके ऊपर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है?
श्री कमलेश्वर पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह कि जो पहले सर्वे हुआ था और पहले केन्द्र सरकार को जो प्रपोजल गया था वह 10 जनवरी, 2018 के निर्धारित प्रपत्र के अनुसार गया था. यह जो भी विसंगति और गड़बड़ी हुई है यह पूर्व सरकार की है, हमारी सरकार की नहीं है. (व्यवधान)
श्री अजय विश्नोई:- यह ना पूर्व सरकार की है ना आपकी सरकार की, यह है अधिकारियों की और जांच मांग रहे हैं अधिकारियों के विरूद्ध, आप अधिकारियों को क्यों बचाना चाह रहे हैं ? (व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान:- आप उस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं. हमने गलती की है तो आप क्यों कर रहे हैं ?
श्री कमलेश्वर पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय:- जो विसंगति आयी है वह जो केन्द्र सरकार ने जो संशोधित परिपत्र जारी किया है, वह अधिसूचित किया है क्रमांक-109, दिनांक 7.3.2019 इसमें दो नये सब्जेक्ट को जोड़कर, पुराने दो सब्जेक्ट को मायनस कर दिया है उसकी वजह से यह विसंगति आयी है और हम यह मानते हैं कि अगर वहां से यह सब्जेक्ट मायनस किये थे तो दोबारा से पूरे मध्यप्रदेश की ग्राम पंचायतों को एक मौका देना था कि फिर से सर्वे होता और इस परिपत्र के अनुरूप जो पंचायतें शामिल होती तो उनको सबको मौका मिल जाता, पर कहीं न कहीं यह विसंगति केन्द्र सरकार की नीति की वजह से हुई है.
श्री अजय विश्नोई--वहां से चिट्ठी आ जानी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय--विश्नोई जी आप विराजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान--(XX)
श्री कमलेश्वर पटेल --जिसने भी लिया है यह पहले चलता था, यह हमारी सरकार में 10 प्रतिशत अथवा 15 प्रतिशत नहीं चल रहा है, यह हम आपको बता रहे हैं. (व्यवधान)
श्री जालम सिंह पटेल--(XX) (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--भईया यह बीच में परसंटेज कहां से आ गया एक बात. दूसरी जितनी बात आयी है उसको विलोपित किया जाये. दूसरी बात माननीय मंत्री जी एक बात बता दीजिये जिस अधिकारी ने पैसे बांटे, क्या वही जांच कर रहा है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--जी माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय--मैं मंत्री जी से पूछ रहा हूं. आप बैठ जाईये.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष जी इनको गलतफहमी है कि अभी भी वह मंत्री हैं.
श्री तरूण भनोत--यह गलतफहमी अकेले को नहीं है और भी हैं. आप लोगों का दर्द समझ में आ रहा है.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय वित्तीय अनियमितता करने का किसी को अधिकार नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--मैंने प्रश्न किया है जिस अधिकारी ने राशि बांटी है क्या वही जांच कर रहा है. मैं सीधा पाइंटेड प्रश्न कर रहा हूं कि जिस अधिकारी ने राशि बांटी है क्या वही जांच कर रहा है. यह प्रश्न प्रश्नकर्ता ने पूछा है वही प्रश्न मैं दोहरा रहा हूं, ऐसा है क्या ?
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय फरमार्मेंस ग्रांट की राशि सीधे पंचायतों के खाते में गई है, न किसी अधिकारी ने बांटा है.
अध्यक्ष महोदय--आप ही ने बोला कि पहले नीति कुछ और थी उसके बाद बदल गई है. जिस समय यह राशि गई है उस समय डायरेक्ट खातों में राशि नहीं जाती थी और अगर जाती भी थी तो ऐसे खाताधारियों का चयन किसने किया, ऐसे ब्लाकों का चयन किसने किया जो वहां की निधि में ज्यादा आगे थे उन ब्लाकों को देना चाहिये था उनको न देकर यह मैं बैठे बैठे सुन रहा था अब मुझे गुमाइये मत. मैं सिर्फ इतना बोल रहा हूं कि क्या वही अधिकारी जांच कर रहा है.
श्री विश्वास सारंग--मंत्री जी जवाब नहीं दे पा रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय ऐसा नहीं है मंत्री जवाब देने के लिये सक्षम है. हम इस बात से बिल्कुल सहमत नहीं हैं. मैं आपको बताना चाहूंगा कि जो हमने विसंगति की बात की है, यह सारी की सारी समस्या हुई है.
श्री विश्वास सारंग--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप लोग बैठ जाईये.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय माननीय विधायक जी ने जिस अधिकारी के बारे में शंका जाहिर की है, उसको निलंबित करके निष्पक्ष जांच कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय‑-निलंबित करना ही पर्याप्त नहीं है निलंबित करके उनको स्थानांतरित वहां से करिये उसके बाद जांच कराइये.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय ठीक है.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मैं यही तो कह रहा था.
श्री तरूण भनोत-- अध्यक्ष महोदय इतना समय यह दोनों बहस करते रहे अंतिम व्यवस्था जो आपने दी वह पहले दे देते तो समय ही सदन का खराब नहीं होता.
अध्यक्ष महोदय--उन्होंने मौका ही नहीं दिया.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, इसलिये घोषणा कर दी, (XX)
अध्यक्ष महोदय--यह बात नहीं थी यह विलोपित किया जाये. आप लोग बैठ जायें. मैंने इसलिये व्यवस्था दी कि जो पहले कांग्रेसी विधायक था अब बीजेपी का हो गया है इसलिये मैंने व्यवस्था दी है.
श्री संजय सत्येन्द्र पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय पंचायत मंत्री कमलेश्वर जी को, आपको, सदन को धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय - चलिए धन्यवाद -
(4) प्रदेश में सहारा इंडिया सहित अनेक चिटफंड कंपनियों पर कार्यवाही न होना.
श्री मनोज चावला (आलोट)- माननीय अध्यक्ष जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपको. आज पहली बार मुझे ध्यानाकर्षण के माध्यम से बोलने का मौका मिला,
श्री मनोज चावला - अध्यक्ष महोदय, दिनांक 01.01.2019 से दिनांक 20.11.2019 तक ग्वालियर में 4 शिकायतें प्राप्त हुई, अशोकनगर में 1, देवास में 1, शाजापुर में 4, रतलाम में 46, मंदसौर में 2, नीमच जिले में 1, जबलपुर में 34, कटनी में 17, नरसिंहपुर में 10, सागर में 7, टीकमगढ़ में 2, शहडोल में 3, भोपाल में 1 और विदिशा में 2, कुल 135 शिकायतें प्राप्त हुईं, सहारा इंडिया के खिलाफ और प्रकरण केवल 3 में दर्ज हुआ, ऐसा क्यों? और जो राशि 57,25,448 रूपए जो उपभोक्ताओं को दी है, वह किन किन शिकायतकर्ताओं को दी गई हैं और बाकी जो शिकायतकर्ता हैं उनको राशि कब मिलेगी?
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जैसा जो जानना चाहा है कि किन-किन को 57,25,448 रूपए की राशि जो वापस की गई है, उनके जो नाम चाहिए वह मैं उपलब्ध करवा दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - एक सौ कितने बताए हैं?
श्री बाला बच्चन - 135 में दो. दिनांक 1/1/2019 से 20/11/2019 तक 135 शिकायतें आई हैं, जिसमें से 2 शिकायतों पर प्रकरण कायम हुए हैं और यह सहारा कंपनी का है और उसके बाद दूसरे जो केसेस हैं. मैं आपको बताना चाहता हूँ, इसमें जो निराकरण हो चुका है. वह मैं आपके माध्यम से माननीय सदन को एवं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि कुल 135 शिकायतें हुई थीं, दिनांक 1/1/2019 से 20/11/2019 तक, इसमें 29 शिकायतों को थाना आलोट, जिला रतलाम में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक 430/2018 धारा 420, 406, 409, 120(बी) भारतीय दण्ड विधान एवं म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम, 2000 की धारा 6(1) के अंतर्गत पंजीबद्ध किया गया है और प्रकरण विवेचनाधीन है. दूसरा, 34 शिकायतों को थाना रांझी, जिला जबलपुर में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक 255/2019 अंतर्गत धारा 420, 406 भारतीय दण्ड विधान एवं म.प्र. निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 की धारा 6(1) के अंतर्गत पंजीबद्ध किया गया है और प्रकरण विवेचनाधीन है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, तीन शिकायतों को थाना सिंहपुर, जिला शहडोल में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक 343/2019 धारा 420 भारतीय दण्ड विधान के अंतर्गत पंजीबद्ध किया गया है और प्रकरण विवेचनाधीन है. जो 12 शिकायतें थीं, उनमें शिकायकर्ता जिला रतलाम का राजीनामा हो चुका है, 5 शिकायतों में माननीय न्यायालय में जाने की समझाइश दी गई है. और ऐसे कुल 135 शिकायतों में 83 शिकायतों का निराकरण किया जा चुका है, केवल 52 शिकायतें बची हैं, इनका भी हम बहुत जल्दी ही रास्ता और उपाय निकाल लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - आप नरसिंहपुर भी जल्दी ले लीजिये.
श्री बाला बच्चन - जी हां.
श्री मनोज चावला - माननीय अध्यक्ष जी, जो छोटे-छोटे गरीब मजदूर लोग हैं, जो चाय के ठेले लगाते हैं, जो सब्जी के ठेले लगाते हैं, उनका रोज का कलेक्शन 50 रुपये, 100 रुपये है, उन्होंने उस राशि को इकट्ठा करके सहारा इंडिया में पैसा जमा किया था और उनको पैसा लेने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. उनको पुलिस वाले रोज तारीख पर बुलाते हैं और उनको ऐसा लगता है कि हम लोग फरियादी नहीं हैं, हम लोग आरोपी हैं और लगातार जो अधिकारी वहां पर उपस्थित हैं, जो अधिकारी इन चीजों को देख रहे हैं, वे सहारा इंडिया वाली कंपनी से मिले हुए हैं और उन पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है और उनका पैसा उनको वापस नहीं किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप क्या चाहते हैं ?
श्री मनोज चावला - अध्यक्ष महोदय, जितने भी उपभोक्ता हैं, जितने भी शिकायतकर्ता हैं, उनका पैसा तुरन्त या जल्दी से जल्दी उनको दिलाया जाये. समय-सीमा बता दें.
श्री बाला बच्चन - जी, माननीय अध्यक्ष महोदय. बिल्कुल हमारी कार्यवाही चल रही है, कन्टिन्यू आगे भी जारी रहेगी.
अध्यक्ष महोदय - कार्यवाही और कड़ी कर दीजिये.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, इस तरह की पुनरावृत्ति मध्यप्रदेश में न हो. ऐसा हमारा सख्त कानून है, इसको सख्ती से पालन भी करवायेंगे और शिकायतकर्ताओं की राशि, माननीय सदस्य जैसा जो जानना चाह रहे हैं, हम उनको राशि वापस लौटायेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा ही ध्यानाकर्षण मैंने भी दिया था. इस तरह की घटनाएं सागर में भी हुई हैं और भिन्न-भिन्न नामों से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं.
अध्यक्ष महोदय - मूल प्रश्नकर्ता को प्रश्न करने दें. सागर में जांच करवा लीजिये.
श्री बाला बच्चन - जी.
श्री मनोज चावला - माननीय अध्यक्ष जी, सहारा के अलावा जो चिटफंड कंपनियां हैं, उसमें 53 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, 41 शिकायतों पर प्रकरण दर्ज हुआ है और 25 शिकायतों पर चालान पेश हुए हैं. उन पर चालान तो पेश हो गए हैं लेकिन जो शिकायतकर्ता उपभोक्ता है, उसको राशि नहीं मिल रही है. आपने जो समिति मध्यप्रदेश में बनाई है. मेरा यह सदन से निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य, आप एक मिनट रुकें. माननीय मंत्री जी, इस सम्पूर्ण विषय में स्पेशल कुछ टास्क फोर्स बना दीजिये क्योंकि स्वाभाविक है कि बहुत गरीब लोगों का पैसा है, सब्जी के ठेले एवं पान के ठेले वालों का पैसा इसमें लगा होता है और उसमें तुरन्त कार्यवाही होनी भी चाहिए. आपकी भी यही मंशा है, आपके विभाग की भी यही मंशा है तो जो विधायक जी चाह रहे हैं, इसमें जितनी तेजी से और कड़ाई से पालन होगा तो गरीबों के हित की रक्षा हो जायेगी.
श्री मनोज चावला - बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, पैसे लेकर कंपनी वाले भाग गये और एजेन्टों की जान पर आ पड़ी है.
अध्यक्ष महोदय - शैलेन्द्र जी, मैंने सागर का कह दिया है.
श्री शैलेन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तीन दिन से लगातार शून्यकाल, ध्यानाकर्षण और स्थगन के माध्यम से निवेदन कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय - इनका ध्यानाकर्षण आया था न. आपका ध्यानाकर्षण आ चुका है.
श्री उमाकांत शर्मा - नहीं, यह राष्ट्रीय महत्व का बिन्दु है.
अध्यक्ष महोदय - अभी वह छोडि़ये. अभी यह उठाने का समय नहीं है.
श्री उमाकांत शर्मा - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री उमाकांत शर्मा - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - (साउंड रूम की ओर देखकर) इनका माइक बन्द कर दीजिये.
श्री अजय विश्नोई - माननीय अध्यक्ष महोदय, विषय गंभीर है. इसमें भारत की अस्मिता शामिल है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं. उनके कमरे में मैंने कुछ बोल दिया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, इस पर तो व्यवस्था देनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, कोई व्यवस्था नहीं दूँगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - यह गंभीर मामला है.
अध्यक्ष महोदय - यह कोई विषय नहीं आयेगा.
1.34 बजे
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के
कल्याण संबंधी समिति का पंचम प्रतिवेदन
1.35 बजे
2. महिलाओं एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति का प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय (कार्यान्वयन) प्रतिवेदन.
1.36 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकायें प्रस्तुत की गई मानी जायेंगी.
1.37 बजे
1.38 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची के पद 7 के उपपद 8 एवं 9 में उल्लेखित विधेयकों को क्रमश: 30 एवं 15 मिनट का समय चर्चा हेतु आवंटित किया गया है. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमति है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
1.38 बजे
1. मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2019 (क्रमांक 37 सन् 2019) का पुर:स्थापन
1.39 बजे
2. मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 32 सन् 2019) का पुर:स्थापन
1.40 बजे
3. मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2019 (क्रमांक 37 सन् 2019)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री( श्री जयवर्द्धन सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2019 (क्रमांक 37 सन् 2019) पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2019 (क्रमांक 37 सन् 2019) पर विचार किया जाये.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) --- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक, 2019 के विषय में जो प्रावधान उन्होंने प्रस्तावित किया है, ऐसे अभ्यार्थियों के संबंध में जो जानबूझकर मिथ्या के आधार पर अपने फैक्ट, फिगर्स को छिपाते हैं इन सारे विषयों को लेकर उसमें 6 माह तक की अवधि तक का कारावास अथवा 25 हजार रूपये तक जुर्माना अथवा दोनों से दंडित करने का प्रावधान है. मैं मूलत: इससे सहमति व्यक्त करता हूं लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय साथ में यह बात भी कहना चाहता हूं कि जैसे कि विधायकों/सांसदों के लिये उनकी सदस्यता समाप्त करने के संबंध में भी प्रावधान है. मैं चाहता हूं कि स्थानीय समितियों, स्थानीय निकायों में भी जो चुने हुए प्रतिनिधि हैं अगर यह सिद्ध होता है कि उनके द्वारा यह तथ्यात्मक जानकारियां छिपाई गई हैं, मिथ्या कहा है तो उनकी सदस्यता भी समाप्त की जाये ऐसा भी प्रावधान इसमें आप जोड़ेंगे ऐसा मैं मंत्री जी से चाहता हूं. इससे शुद्धता और सुचिता की राजनीति का श्रीगणेश होगा लेकिन साथ में यह भी कहना चाहता हूं कि इसमें किसी तरह का राजनीतिकरण न हो, बिल्कुल निष्पक्षता के साथ अगर विचार इसमें किया जायेगा तो निश्चित रूप से यह स्वागत योग्य है मैं इस संशोधन विधेयक का स्वागत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - कुं. विजय शाह जी..श्री नीरज दीक्षित
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय शैलेन्द्र जी का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने इस विधेयक पर चर्चा की और अपने सुझाव दिये. जैसा कि इस विधेयक में उल्लिखित है कि कोई भी ऐसा प्रत्याशी जो उनके नामांकन के समय पूरी जानकारी नहीं देंगे या ऐसी जानकारी देंगे जो सत्य नहीं है तो उनको 6 माह के कारावास के साथ-साथ 25 हजार का जुर्माना हो सकता है या फिर 6 माह का कारावास या फिर जुर्माना. इसमें मूल बात यह है कि यह जो संशोधन किया गया है. स्टेट इलेक्शन कमीशन ने ही रिकमंड किया था और साथ में पीपुल्स रीप्रजेंटेटिव एक्ट 1959 के आधार पर ही किया गया है जो कि वर्तमान में विधान सभा चुनाव और लोक सभा चुनाव में लागू है उस आधार पर ही हम यह संशोधन सदन में लाये हैं. जो एक बात माननीय सदस्य ने कही थी कि इस पनिशमेंट के साथ-साथ उस व्यक्ति की मेंबरशिप भी समाप्त होनी चाहिये. वह स्वाभाविक है कि अगर उनको 6 महीने का जेल टर्म मिलेगा तो साथ में जो उनकी सदस्यता है वह भी समाप्त की जायेगी.
श्री अजय विश्नोई - अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि विधेयक जो लाये हैं उसमें यह प्रावधान नहीं है कि सदस्यता समाप्त हो जायेगी. यह संशोधन जोड़ा जाना चाहिये ऐसा निवेदन हमारी तरफ से सदस्य ने कहा है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब उनकी गल्ती प्रूव होगी तो आटोमेटिकली सदस्यता समाप्त हो जायेगी.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक में लिखा नहीं है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, निरर्हता में पहले से लिखा हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - आपकी शंका समाधान हो गई. लिखा हुआ है.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण(निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक,2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 तथा 3 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
नगरीय विकास और आवास मंत्री(श्री जयवर्द्धन सिंह) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण(निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक,2019
पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण(निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक,2019 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण(निर्वाचन अपराध) संशोधन विधेयक,2019 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
1.45 बजे (4) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 39 सन् 2019) का पुरःस्थापन
1.46 बजे (5) मध्यप्रदेश विद्युत प्रदाय उपक्रम (अर्जन) निरसन विधेयक, 2019 (क्रमांक 36 सन् 2019) का पुरःस्थापन
1.47 बजे
(6)
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - अध्यक्ष महोदय, पता नहीं कौन-से मुहुर्त में यह मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 लाया गया?
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - पंडित जी, मुहुर्त वाले तो आप हो, आप दोनों ही मुहुर्त निकालने वाले हैं. हम लोग तो मुहुर्त का पालन करने वाले हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा - वह हमारे प्रभारी मंत्री भी हैं, उनसे मुहुर्त दिखवाकर सब करना ही पड़ता है. अध्यक्ष महोदय, पहले यह पास हो गया. फिर पता नहीं कौन-सी खबर आई? और खबर आने के बाद में फिर रिवर्स गियर लग गया, फिर रिवर्स गियर लगकर पास हुए-हुए विधेयक को फिर से ले लिया? फिर उसको पास किया तो फिर उसमें रिवर्स गियर लग गया, इसलिए माननीय मंत्री जी मैंने यह कहा कि पता नहीं कौन-से मुहुर्त में आपने इसको लाया.
अध्यक्ष महोदय, आपत्तियां तो हमारी कई थीं. महामहिम ने इसको वापस भेजा है और उसके आधार पर एक संशोधन भी किया है, किन्तु मैं कुछ और बात भी कहना चाहता हूं, उस समय भी ये आपत्तियां उठाई गई थीं. मेरा तो अनुरोध है कि फिर से रिवर्स गियर आप लगा दें. जैसे, मध्यप्रदेश राज्य का एक संसद सदस्य, जो राज्य सरकार द्वारा नाम-निर्देशित किया जाएगा. पहले यह था - "लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा नॉमिनेट किया जाएगा." आपने इसको राज्य सरकार कर दिया. इसी प्रकार से "राजसभा का सदस्य, राजसभा के सभापति द्वारा नॉमिनेट किया जाएगा," पूर्व में यह था. आपने उसको राज्य सरकार कर दिया तो कल जो बात हो रही थी, विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक के समय वही बात फिर परिलक्षित हो रही है कि राज्य सरकार शिक्षा के हर क्षेत्र में अपना दखल जारी रखना चाहती है. कल मुझे मेरे साथियों ने बोला इसमें आपने उद्देश्यों, कारणों और कथन में बड़ी विचित्र बात रखी है मंत्री जी आज यहां पर हैं नहीं, उसमें आपने प्रबंधकारिणी की जगह राज्य सरकार क्यों लिखा है उसका कारण आपने यह लिखा है कि चूंकि वित्तीय साधन उपलब्ध कराती है, वित्तीय साधन तो आप हाई कोर्ट को भी उपलब्ध कराते हैं, इस विधान सभा में भी बजट से ही पैसा आता है, तो क्या इस पर भी आप अपना नियंत्रण कर लेंगे. इसलिए यह बात बिल्कुल बेमानी है कि जिनको आप वित्तीय साधन उपलब्ध कराते हैं, उनमें आप अपना दखल भी रखें,इसीलिए अब आप शिक्षा के पीछे पड़े तो पड़े, अब पत्रकारिता को भी नहीं छोड़ रहे है, अरे इसको तो स्वतंत्र रहने दो कम से कम. लेकिन इसमें भी लोक सभा का अध्यक्ष नामिनेट नहीं करेगा, राज्य सभा का सभापति नामिनेट नहीं करेगा, राज्य सरकार ही करेगी, और आपने कुलाधिपति की जगह भी अपना ही नाम रख दिया था, तो यह वापस हुआ था .
अध्यक्ष महोदय कल एक विषय और उठा था. वह विधेयक के बाहर का है, नहीं तो, आप बहुत जल्दी टोक देते हैं, इसलिए मैं पहले ही कह दूं, कल एक विषय छात्रों के बारे में उठा था. माननीय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने और नेता प्रतिपक्ष जी ने यह मुद्दा उठाया था. उसके बारे में माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने भी कोई आश्वासन दिये थे, किंतु अभी तक उस पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है. पत्रकारिता के छात्र हैं, पत्रकारिता उच्छृंखल तो नहीं हो सकती, लेकिन स्वतंत्र तो हो सकती है.
श्री कुणाल चौधरी -- पूरे देश में आपातकाल लगा हुआ है दिल्ली में फिर इंटरनेट सेवा बंद है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया इसे प्रश्नोत्तरकाल न बनायें.
डॉ सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय मेरा अनुरोध है कि उस पर भी आप विचार करें. कुल मिलाकर चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या पत्रकारिता का क्षेत्र हो राज्य शासन की दखलंदाजी उचित नहीं है. अध्यक्ष महोदय कल भी हम लोगों ने इसी बात का विरोध किया था और आज पुन: आपने एक संशोधन और कर दिया है कि कुलाधिपति द्वारा नाम निर्देशित एक सदस्य रखा जायेगा, किंतु इसके बाद में भी आपने इसमें अनेक ऐसे संशोधन किये हैं जिससे आपका दखल बढ़ रहा है. मैं इसी कारण से इस संशोधित विधेयक का यद्यपि यह संशोधन स्वीकार है किंतु इसमें अन्य और विषय थे उनका मैं समर्थन नहीं करता हूं. मैं ऐसा विश्वास करता हूं कि आप राज्य सरकार का दखल धीरे धीरे कम करेंगे और इस पत्रकारिता विश्वविद्यालय को कम से कम एक स्वतंत्र रूप में काम करने की स्थिति बनायेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा. अध्यक्ष महोदय इसके संशोधन को स्वीकार करते हुए अन्य विषयों पर मेरी आपत्ति मैं दर्ज करता हूं.
डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय माननीय पूर्व विधान सभा अध्यक्ष जी ने कहा कि आश्वासन दिया, आश्वासन दिये हुए अभी 24 घंटे नहीं हुए हैं. मैंने कहा था कि कार्यवाही होगी तो कार्यवाही हो रही है आप विश्वास रखिये, सकारात्मक कार्यवाही करने की हमारी सोच है और करेंगे.
डॉ सीतासरन शर्मा -- आप पर भरोसा हैं हमको.
श्री विनय सक्सेना ( जबलपुर उत्तर ) -- अध्यक्ष महोदय आदरणीय पीसीशर्मा जी द्वारा राज्यपाल को लौटाये गये मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक11 सन् 2019) पर पुनर्विचार का मैं समर्थन करता हूं. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि कल भी मैंने बहुत सुना है विश्वविद्यालय के बारे में, हमारे जिम्मेदार नेताओं ने सदन में कहा कि राज्य सरकार का शिक्षा में दखल नहीं होना चाहिए. अध्यक्ष महोदय मेरा तो आपसे आग्रह है कि क्या राज्य सरकार जिसमें विपक्ष भी शामिल होता है क्या वह अपने आपको इस लायक या जिम्मेदार नहीं मानते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में उनका दखल रखा जाय. मेरा तो आपसे आग्रह है कि क्या राज्य सरकार जिसमें विपक्ष भी शामिल होता है, क्या वह अपने आपको इस लायक या जिम्मेदार नहीं मानते कि शिक्षा के क्षेत्र में उनका दखल रखा जाये. सरकारें इन्होंने भी चलाईं और अभी सदन में जब विपक्ष की हैसियत से हमारे आदरणीय नेता प्रतिपक्ष और जिम्ममेदार लोग हैं, तो क्या राज्य सरकार के दखल होने से शिक्षा का क्षेत्र दूषित हो जायेगा. मेरा आपसे आग्रह है कि कल विश्वविद्यालय वाले मामले में भी जो आपत्ति लगाई जा रही है और एक बात और कहना चाहता हूं कि एक सदस्य के निर्दिष्ट होने से बहुमत तो फिर भी हर हालत में जो सदस्य अन्य हैं, उन्हीं का रहता है. लेकिन कम से कम वह पक्ष तो आना चाहिये, जो शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव या क्रांति ला सकता है. इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में दूसरे पक्ष की न सुनना यह भी कहना चाहिये कि उचित नहीं होगा. इसलिये जो आज बात आदरणीय शर्मा जी ने भी की, उससे भी मैं सहमत नहीं हूं. मैं तो चाहता हूं कि लोकतांत्रिक परम्पराओं में हर हालत में दूसरे पक्ष का सुनने का माद्दा होना चाहिये. इसलिये मैं इस विधेयक का समर्थन करता हूं और आपसे आग्रह करता हूं कि इसको सर्वसम्मति से सब सदस्यगण सहमति दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल (रीवा) -- अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक में जो संशोधन प्रस्तुत हुआ है. इसमें माननीय सीतासरन शर्मा जी ने जो बात कही है कि लोकसभा के सदस्य का नाम लोक सभा अध्यक्ष की ओर से आना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको इस बात के लिये बधाई देना चाहता हूं कि आप ही के हस्तक्षेप से पहले इस कार्य परिषद् में कोई विधायक नहीं होता था. लेकिन आपने हस्तक्षेप किया था और मध्यप्रदेश विधान सभा के एक सदस्य को आपने इसमें समावेश कराया था, जो संशोधन में दिखाई दे रहा है. उसके साथ ही यह भी दिख रहा है कि उस विधान सभा के सदस्य का नाम विधान सभा अध्यक्ष देंगे. तो जब विधान सभा के सदस्य का नाम विधान सभा के अध्यक्ष दे रहे हैं, तो फिर लोक सभा के सदस्य का नाम राज्य सरकार दे, यह समझ में नहीं आता है. इसलिये लोकसभा के अध्यक्ष के द्वारा और राज्य सभा के सभापति के द्वारा वह जो सदस्य के नाम आने हैं, जो पुरानी परम्परा पहले से रही है, उसका परिवर्तन अनावश्यक रुप से किया गया है. तो इसलिये उसको परिवर्तित नहीं किया जाये, यही मेरा सुझाव है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विधान सभा द्वारा दिनांक 24 जुलाई,2019 को यथापारित मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक,2019 (क्रमांक 11 सन् 2019) में राज्यपाल द्वारा उनके दिनांक 13 दिसम्बर,2019 के संदेश के आलोक में निम्नलिखित संशोधन पर विचार किया जाए :-
"खण्ड 2 में,- उपखण्ड (उनतीस) के स्थान पर, निम्नलिखित उपखण्ड स्थापित किया जाए, अर्थात् :-
(उनतीस) मध्यप्रदेश के किसी एक विश्वविद्यालय का कुलपित, जो कुलाधिपति द्वारा नामनिर्देशित किया जाएगा;" ..
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मुझे तो बोलने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- अब चलो भाई हो गया.
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इसमें दो तीन चीजें मुझे बोलना है.
अध्यक्ष महोदय -- राजेन्द्र जी आपकी जगह ज्यादा बोल दिये, इसलिये अब आप बैठ जाइये. मंत्री जी, आप बिराजिये.
श्री अजय विश्नोई -- शर्मा जी, हमारे अध्यक्ष जी अन्तर्यामी हैं, आपकी बात समझ गये. आपके अन्तर्मन की बातचीत कार्यवाही में शामिल भी हो गई.
अध्यक्ष महोदय -- (श्री पी.सी.शर्मा के खड़े होने पर) अभी आप जरा बैठिये तो. आप बैठिये, मैं आपको बोलने का मौका दूंगा. अभी आप जल्दबाजी में आ गये मेरे सामने, जरा आप पढ़ने दीजिये, फिर मैं आपको मौका दूंगा.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) -- अध्यक्ष जी, यह मन की बात की बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है.
अध्यक्ष महोदय -- वित्त मंत्री जी, यहां दिल की बात चल रही है.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, यह दिल की बात सार्वजनिक नहीं होनी चाहिये.
श्री जालम सिंह पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मन की बात प्रधानमंत्री जी हर महीने के आखिरी इतवार में बोलते हैं. सही बात बोलते हैं. वित्त मंत्री जी सुनिये आप.
अध्यक्ष महोदय -- जालम भाई, ये प्रियव्रत जी दिल पर उतर आये हैं.
जो प्रस्ताव के पक्ष में हों, वे कृपया "हां" कहें.
जो प्रस्ताव के विपक्ष में हों, वे कृपया "ना" कहें.
"हां" की जीत हुई,
"हां" की जीत हुई.
संशोधन स्वीकृत हुआ.
श्री पी.सी. शर्मा-- अध्ययक्ष महोदय, जो माननीय सीतासरन शर्मा जी और आदरणीय शुक्ल जी ने कहा एवं हमारे साथी सक्सेना जी ने जो बात रखी. मैं यह कहना चाहता हूं कि पहली बात तो यह है कि इस पूरे विधेयक को महामहिम राज्यपाल जी बाकी सब चीजों को पहले ही मंजूरी दे चुके हैं. उन्होंने उसको मंजूरी दे दी थी और उसके बाद फिर आप उसका विरोध कर रहे हैं. राज्यपाल जी ने सब प्वॉइंट पास कर दिए थे, एक बिंदु था, उस बिंदु पर उनका यह कहना था कि कुलपति जो भी हो, क्योंकि वह इसलिए रखा गया था कि कुलपति सभी उनके द्वारा अप्वॉइंटेड होते हैं. उसमें से एक, यह संशोधन किया गया था और जहां तक राज्य सभा और लोक सभा की बात आपने की है, तो यह मध्यप्रदेश के ही राज्य सभा और लोक सभा का कोई न कोई सदस्य इसमें जाएगा. एक विधायक को विधान सभा के अध्यक्ष जी नॉमिनेट करेंगे. एक राज्यपाल जी करेंगे. बाकी यह मुख्यमंत्री के तरफ से आया है, शासन की तरफ से आया है. यह केवल इसलिए किया गया था कि इसमें बहुत समय लगता था और महापरिषद् के गठन में दिक्कत आती थी और वहां से नाम आ नहीं पाते थे, इसलिए इसको संशोधित करके किया गया है. राज्यपाल जी ने एक बिंदु को छोड़कर सब बिंदुओं को पहले ही अनुमति दे दी थी, पास कर दिया था. मैं समझता हूँ कोई इसमें बात बनती नहीं है. दूसरा, मैं कहना चाहूँगा, जो उन्होंने विद्यार्थियों की बात की है, जैसा अभी हमारे सामान्य प्रशासन मंत्री जी ने कह दिया है, वहां जो कुछ भी हुआ, जिस तरह से तोड़-फोड़ हुई, जिस तरह से वहां हंगामा हुआ और जिस तरह से उसको एक राजनीतिक स्टंट बनाया गया है, इस वजह से यह सब स्थिति पैदा हुई है, लेकिन वहां विद्यार्थी जैसे-जैसे अपना माफीनामा लिखकर दे रहे हैं, सबको अनुमति दी जा रही है और मैं समझता हूँ कि एक-एक करके सब आ जाएंगे और सब परीक्षा में बैठेंगे. यह आदरणीय मुख्यमंत्री ने आदेश दिए हैं और उस हिसाब से वहां पर कार्यवाही हो रही है.
कुँवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट, आधा मिनट...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं भाई, यह विधेयक है, कैसा कर रहे हो ? हम एक सेकण्ड नहीं देंगे, आधा सेकण्ड नहीं देंगे, पाव सेकण्ड नहीं देंगे.
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि आपने कहा है कि राज्य सभा और लोक सभा से एक-एक प्रतिनिधि ....
अध्यक्ष महोदय -- अरे भाई, छोड़ो ना ये.
कुँवर विजय शाह -- यहां से तो लोकसभा में केवल एक ही प्रतिनिधि, क्या माननीय मुख्यमंत्री जी छिंदवाड़ा के सांसद को छोड़कर ....
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय महामहिम राज्यपाल जी ने ...
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट जरा, कुँवर विजय शाह जी, जिस विधेयक पर आपको बोलना था, तब आप एबसेंट थे, अब जिस पर नहीं बोलना है, जिस पर शर्मा जी बोल रहे हैं, उस पर आप बीच में कथा पढ़ने आ गए.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, आपके जूनियर हैं..(हंसी)
श्री पी.सी. शर्मा -- डॉ. सीतासरन शर्मा जी, ये जब विधेयक हमने रखा तो मैं नर्मदा जी के दर्शन करके आया था. उसके बाद ही रखा है, इसलिए उसमें गड़बड़ नहीं होगी.
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, अब प्रस्ताव पढ़ दीजिए.
जनसंपर्क मंत्री (श्री पी.सी. शर्मा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि यथासंशोधित रूप में मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 11 सन् 2019) पुन: पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि यथासंशोधित रूप में मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 11 सन् 2019) पुन: पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि यथासंशोधित रूप में मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 11 सन् 2019) पुन: पारित किया जाए.
विधेयक पुन: पारित हुआ.
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मुझे अपने विभाग से संबंधित एक बात सदन को सूचित करना है.
अध्यक्ष महोदय -- जी.
श्री पी.सी. शर्मा -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को बताना चाहता हूँ कि जिस तरह से आदरणीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने मध्यप्रदेश में आईटा (इंडियन टेलीविजन एकेडमी) अवार्ड, जो 18 साल तक मुम्बई में हुआ, इंदौर में पिछले महीने संपन्न हुआ, जिसमें पूरे देश के टेलीविजन कलाकार आए थे. वहां पर मध्यप्रदेश के कलाकारों ने स्टेज पर गायन, नृत्य का प्रदर्शन किया, जिससे हमारे प्रदेश के युवा कलाकारों को मौका मिला और इंटरनेशनल लेवल पर टेलीविजन के माध्यम से हमारे कलाकार वहां जा सके, इसका वहां पर वंचन हुआ और अब इस मार्च, अप्रैल में इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवार्ड का फेस्टीवल इंदौर और भोपाल में आयोजित होगा जो अभी तक हिंदुस्तान के केवल मुम्बई में हुआ है. बाकी लंदन, न्यूयार्क और दुनिया भर में जिस तरह से ऑस्कर एवार्ड होता है, उस तरह की यह एवार्ड सेरेमनी होती है, जिसको प्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन डील करते हैं. यह भोपाल और इंदौर में होगा. यह एक ऐसा एवार्ड है जिसमें 100 यूएस मिलियन डॉलर टोटल होता है, 700 करोड़ रुपये ...(व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी, ये क्या है.. ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, ये किस नियम से बोल रहे हैं ...(व्यवधान)...
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष जी की अनुमति से. ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, सब मंत्री अपनी-अपनी इस तरह से .... ...(व्यवधान)...
...(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय विश्वास सारंग जी, प्रदेश में पैसा आ रहा है, उससे तकलीफ क्या हो रही है.
श्री विश्वास सारंग -- अरे किस बात पर बोल रहे हैं भई.
श्री कुणाल चौधरी -- पैसा आ रहा है आपको तकलीफ क्या है, प्रोग्राम हो रहा है...(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- यह कुछ ऐसा नहीं कि उठकर आए जब मौका मिला, कुल भी बोल रहे हैं...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- महत्वपूर्ण प्रदेश में अगर कुछ होगा, बढि़या पैसा आ रहा है तो तकलीफ क्या है.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन नियम कायदे से चलेगा.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में इस पर चर्चा नहीं हो रही है. आप फेस्टीवल करें. वह इंदौर में करें, भोपाल में करें. आप तो यह बतायें कि उसमें कितने मंत्री एक्टिंग करेंगे. आपके बहुत अच्छे मंत्री हैं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष की बुलेट की...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- (कई सदस्यों के अपने आसन पर एक साथ बोलने पर) इतने सारे लोग एक साथ खडे़ हो जाएंगे....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सांरग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान परेशान है...(व्यवधान)..
हास-परिहास
श्री गोपाल भार्गव -- (डॉ.गोविन्द सिंह के खडे़ होने पर) माननीय गोविन्द सिंह जी खड़े हो गए है. अध्यक्ष जी, माननीय गोविन्द सिंह जी अभी खडे़ हुए, आपने एक व्यवस्था बनाने का प्रयास किया था कि किसी एक दिन या पहले दिन इस विधानसभा सत्र में सभी सदस्यगण खादी का कुर्ता, पजामा, जैकेट पहनकर आएंगे. मैं तो पहनकर आ गया लेकिन आप इनकी जैकेट देखिए. (श्री गोविन्द सिंह राजपूत, राजस्व मंत्री की तरफ इशारा करते हुए) इनकी जैकेट ऐसी लग रही है जैसे पूरा बगीचा, पूरी फुलवारी है.(हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- (श्री गोविन्द सिंह राजपूत, राजस्व मंत्री के खडे़ होने पर) आप बैठ जाइए. श्री गोपाल भार्गव जी, मैं तो आपकी अच्छी बात से धन्यवाद देता हॅूं कि आपने मुझे याद दिला दिया. मैं इस लघु सत्र में यह चीज चाहता था. महात्मा गांधी जी की 150 वीं जयंती चल रही है और मेरी ऐसी मंशा थी कि इस छोटे लघु सत्र में मैं चांपा की बढि़या खादी और कोसे का कपड़ा सभी माननीय सदस्यों को पजामा, कुर्ता, जैकेट के साथ और माननीय सदस्यायों को बढि़या साड़ी वहां की दूं और सभी लोग एक साथ उस दिन पहनकर आएं, एक साथ पूरी फोटोग्राफी फिर से हो जिसमें हम पूरे 40 सांसदों को भी न्यौता देंगे, पर भार्गव जी ने उसका पालन पहले से ही कर लिया, मैं उसके लिए आपको धन्यवाद देता हॅूं.
श्री अजय विश्नोई -- माननीय अध्यक्ष जी, धन्यवाद. आप 40 को बुला रहे हैं मतलब छत्तीसगढ़ को वापस जोड़ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं भई 29 और 11. केलकुलेशन में हो सकता है.
श्री गोपाल भार्गव -- लेकिन यह कौन सा ड्रेस कोड है पूरी फुलवारी, पूरा बगीचा इनकी जैकेट पर लगा हुआ है. यह समझ में नहीं आ रहा है. मंत्रियों के लिये कुछ आचार संहिता तो होना चाहिए.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- गोपाल जहां खेले हैं ना, जहां कान्हा खेले हैं वहीं की तो यह ड्रेस है.(हंसी)
श्री पी.सी.शर्मा -- यह साउथ फिल्म के हीरों की तरह हैं. फिल्मों की बात हो रही है..(हंसी)
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि खादी देंगे तो क्या यह साड़ी पहनकर आएंगे..(हंसी).
अध्यक्ष महोदय -- यह माननीय महिला विधायकों के लिए है. गोपाल भाई, मैंने सिर्फ नाम पुकारा बृजेन्द्र सिंह राठौड़, सिर्फ नाम भर पुकारा और असर देखिए सब यहां वहां हो गए. (हंसी) चलिए श्री बृजेन्द्र सिंह राठौड़, मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार का प्रस्ताव पढ़ दीजिए.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, पाइंट ऑफ ऑर्डर है. दो दिन पहले प्रति देना था. कल रात में हमें इसकी प्रति मिली है.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) -- अरे, विद्वान लोगों के लिये तो 5 मिनट बहुत हैं आप तो विद्वान हैं शर्मा जी.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- यह कर वाले विधेयक बहुत कठिन होते हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- अरे, यह कोई कठिन नहीं है. यह तो वही का वही है.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अंग्रेजी और देशी का कमाल है.
अध्यक्ष महोदय -- यह पंडित जी को बताओ. (हंसी)
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, आप ऐसी बातों हर समय को अलाउ कर देते हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- पंडित जी बहुत दूर हैं इससे. अभी भी बहुत दूरी है.
श्री विश्वास सारंग -- एक्साइज मिनिस्टर भी दूर हैं.
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, एक मिनट विराजिए. मैंने इसकी पूर्व में ही घोषणा कर दी थी. पुन: पढ़कर बता देता हॅूं. इसके पहले मैं इसकी घोषणा कर चुका था. "आज की कार्यसूची के पद 7 शासकीय विधेयक विषयक कार्य उपपद (1) से (4) में उल्लिखित विधेयकों की महत्ता एवं उपादेयता के दृष्टिगत रखते हुए मैंने, मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालनसंबंधी नियमावली के नियम 65 (1) में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं को शिथिल कर आज ही पुर:स्थापना हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत करने एवं उसे विचार में लिये जाने की अनुमति प्रदान की है". यह मैं पहले ही कर चुका था, आदरणीय.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- आपने भोजन की व्यवस्था की थी.
अध्यक्ष महोदय - मैं कोशिश करता हूं कि मेरे पूर्व अध्यक्षों ने जो काम किया है मैं उसी पर चल सकूं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं इससे सहमत नहीं हूं. पूर्व अध्यक्षों ने किया नहीं किया मैं अभी रिकार्ड नहीं देखना चाहता न दिखाना चाहता लेकिन अध्ययन करने के लिए कम से कम रिफ्रेंस एक्शन में जाकर हम लोगों को यदि एक दिन पहले विधेयक की प्रति मिल जाए तो सार्थक चर्चा होगी, प्रामाणिक होगी, तथ्य परक होगी और इस कारण से आज मानकर चलें कि इसके बाद यदि कल चर्चा करवा लें तो और बेहतर होगा. आज बजट पर चर्चा शुरू हो जाए. आप तो सारे नियम शिथिल कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - कल भी लंबी लाईन है. वह तो करेंगे हम. भार्गव जी, अगर यह आपत्ति पहले आती तो कर सकते थे.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, इतने सीनियर विधायक हाऊस के सबसे सीनियर विधायक यह बात कहें यह गले नहीं उतरती. आपको तो कंठस्थ पूरी रामायण याद रहती है. कहां क्या बोलना है आप कभी भी बोल सकते हैं. सरस्वती आपकी जिह्वा में विराजमान हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, रामायण भी याद रहती है, गीता भी याद है लेकिन यह विधेयक याद नहीं है. यह कलियुगी विधेयक याद नहीं है. मुझे त्रेता और द्वापर का सब याद है अभी कलियुग का नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - नेता प्रतिपक्ष जी, कृपया सहयोग प्रदान करें ऐसा मेरा आपसे अनुरोध है.
शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)
2.12 बजे मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019
(क्रमांक 39 सन् 2019)
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 39 सन् 2019) पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 39 सन् 2019) पर विचार किया जाय.
श्री अजय विश्नोई (पाटन) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 का समर्थन करने के लिए हम खड़े हुए हैं क्योंकि यह जो मध्यप्रदेश का जी.एस.टी. है यह और कुछ नहीं केन्द्र सरकार के जी.एस.टी. की प्रतिध्वनि है. केन्द्र सरकार ने यह जी.एस.टी. लगाई है और इस किताब में आपने लिखा भी है कि इस अधिनियम से करदाताओं को एक अच्छे वातावरण में कार्य करने की सुविधा प्राप्त हुई है. इस नियम को माननीय मोदी जी की सरकार ने लागू करवाया था और तब से लगातार व्यापार में बहुत से इजाफे़ होते जा रहे हैं. कर का संग्रहण ऑल इंडिया का बहुत अच्छा बढ़ रहा है. मोदी जी की सरकार प्रगतिशील भी है और संवेदनशील भी है इसलिए लगातार वह इस बात की चिंता करते हैं कि यदि हमारा कोई जी.एस.टी. कानून लागू हुआ है तो उसके कारण किसी प्रकार की असुविधा व्यापारियों को या प्रशासन को हो रही है तो उन दोनों विषयों को संभालते हुए और उसमें जो नियमित सुधार की जरूरत है वह सुधार करते हुए चलते हैं. उन्होंने जी.एस.टी. के नियम में एक सुधार प्रस्तावित किया है तो अब जो नियम कहता है कि मध्यप्रदेश सरकार को मध्यप्रदेश की विधान सभा में भी इसका अनुमोदन कराना आवश्यक है और इसलिए इस संशोधन को यहां पर सरकार लेकर आई है. केन्द्र सरकार जो संशोधन इस बार लेकर आई है कि जिनका टर्न ओवर 50 लाख तक का होता है उन व्यापारियों को एक कम्पोजिशन की सुविधा की अनुमति है कि वह एक बार में एक निश्चित दर पर कर जमा कर दें तो उनको बार-बार रिटर्न नहीं देना पड़ेगा परंतु यह सुविधा उन्हीं लोगों को प्राप्त थी जो गुड्स में डील करते हैं पर यदि गुड्स के साथ-साथ वह सर्विसेज में भी डील करते हैं तो उनको यह सुविधा प्राप्त नहीं थी. उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति ए.सी. बेचता है तो ए.सी. बेचने वाले को तो यह सुविधा प्राप्त है पर ए.सी. बेचने वाला यदि बाद में उसके सर्विस की भी सुविधा उपलब्ध कराता है और उसका थोड़ा सा भी अंश सर्विस का शामिल है तो उसको यह सुविधा प्राप्त नहीं है. इस असुविधा को समझते हुए केन्द्र सरकार ने जी.एस.टी. में इस प्रकार का परिवर्तन किया है कि अब जो आंशिक रूप से सर्विस देते हैं उनको भी यह कंपोजिशन की सुविधा उपलब्ध होगी और वह एक बार में इस प्रकार का रिटर्न भर देंगे और रिटर्न उनको बार-बार देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. यह सुधार इसमें चूंकि आप दे रहे हैं इसलिए मैं इसका समर्थन करता हूं. परंतु इस मौके पर मैं सदन का ध्यान इस ओर भी दिलाना चाहता हूं कि सारी प्रगति प्रदेश की हो या देश की हो वह अर्थ पर डिपेंड है और जो जी.एस.टी. का कलेक्शन है उसका कलेक्शन करने की जिम्मेदारी प्रदेश की सरकारों की भी है. मध्यप्रदेश में जब भाजपा की सरकार थी लास्ट हमने तब छोड़ा था तो जी.एस.टी. के कलेक्शन की ग्रोथ 14 परसेंट की थी और अपेक्षित यह था कि इस एक साल में यह ग्रोथ बढ़कर 20 परसेंट पहुंच जाएगी. पर दुःख के साथ मुझको कहना पड़ रहा है कि यह ग्रोथ 20 परसेंट तो छोड़ो, 14 परसेंट से भी नीचे आ गई और जो रिकार्ड आज की तारीख में आया है, देश भर की राज्य सरकारों में जो जीएसटी कलेक्शन का रिकार्ड है उसमें मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा पीछे है, सबसे ज्यादा फिसड्डी साबित हुआ है, इसके कारण न सिर्फ मध्यप्रदेश की ग्रोथ पर असर पड़ेगा बल्कि इसके साथ साथ देश की ग्रोथ पर भी असर पड़ेगा. माननीय मंत्री जी से मैं अनुरोध करना चाहता हूँ कि वह अपने विभाग की चोरियों को रोके और विभाग को इस बात के लिए चुस्त-दुरुस्त करें कि वह चोरियाँ रोके, कलेक्शन बढ़ाए ताकि वह प्रदेश और देश की व्यवस्था से विकास में सहभागी बन सकें. मैं अपने इस सुझाव के साथ साथ इस संशोधन विधेयक का समर्थन करता हूँ.
श्री कुणाल चौधरी(कालापीपल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश माल और सेवा कर द्वितीय संशोधन विधेयक 2019 का समर्थन करता हूँ क्योंकि पूरे देश और मध्यप्रदेश में जीएसटी की व्यवस्था 01 जुलाई 2017 से प्रारंभ की गई थी. जिसके अंतर्गत जीएसटी काउंसिल द्वारा जो व्यवस्था करों के सुझाव प्राप्त और उसके आधार पर देश में भी कानून को पारित किया गया है. मध्यप्रदेश की विधान सभा में भी इसे पारित करके क्योंकि कहीं न कहीं एक बेहतर विधेयक के रूप में और बेहतर सेवा कर प्रदाताओं, जो सर्विस सेक्टर के लोग हैं उन्हें भी यह सुविधा जो कंपोजिट की है, वह पूर्व में जो नहीं दी जाती थी, उसको देने का इसमें दिया है और 50 लाख तक के छोटे करदाताओं को भी जो यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है, इसमें जो पहले हर महीने, मासिक में दिया जाता था, उसे त्रैमासिक में हम लोगों को, एक बेहतर रूप से, व्यापारी अपना व्यापार कर पाएँगे वह समय सीमा का एक संशोधन का प्रावधान उसमें नहीं था और जो आयुक्त अनुशंसा करके इसके प्रावधान को बढ़ा सकते हैं. मैं इसका समर्थन करता हूँ और सदन से भी आग्रह करता हूँ कि इसका समर्थन करे. पर जो बात अभी कही कि केन्द्र सरकार पूरी तरह से संवेदनशील है, पर मध्यप्रदेश के मुद्दे पर, मुझे नहीं लगता कि कहीं बहुत संवेदनशील है. लगभग 63 हजार 751 करोड़ रुपये जो हम लोगों को कर के विरुद्ध में मिलने थे उसमें से सिर्फ 31 हजार 892 करोड़ रुपये हमारे को अभी तक दिए गए. जो लगभग कुल का आधा पैसा है. जो मध्यप्रदेश के विकास के लिए हम सबको मिलकर यह काम करना है, मेरा आग्रह है, क्योंकि 29 सांसद भी हमारे यहाँ से गए जिसमें 28 हमारे सम्मानित साथियों के भी हैं, उनसे भी आग्रह है कि मध्यप्रदेश के विकास के लिए जो एक सोच माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने, जो हमारे मंत्रीगणों ने सोची है, उसके लिए अर्थ की जरुरत होती है, जो अभी हमारे माननीय सदस्य ने भी कही, तो उसको बेहतर रूप से जो हमारा हिस्सा है, जो हमारा व्यावसायिक हिस्सा है, जो हमें करों में मिलना चाहिए क्योंकि केन्द्रीय कर द्वारा जो दिया जाता है उसमें कहीं न कहीं बहुत कटौती की गई है. मध्यप्रदेश के हितों का ध्यान केन्द्र की सरकार के द्वारा नहीं रखा जा रहा है तो आग्रह है कि उसको भी साथ में हम लोग ध्यान दें और कैसे हमारे सारे करों का पैसा हमें मिले और मैं मध्यप्रदेश माल और सेवा कर द्वितीय संशोधन विधेयक 2019 का समर्थन करता हूँ और सभी से आग्रह करता हूँ कि इसका समर्थन करे.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय विश्नोई जी और कुणाल चौधरी जी ने अपनी बातें रखीं हैं. मैं इसको राजनीति में तो नहीं ले जाना चाहता लेकिन विश्नोई जी ने थोड़ा सा छेड़ा है तो मेरी मजबूरी है कि मुझे भी थोड़ा सा छेड़ना पड़ेगा. यह जीएसटी की जो शुरुआत हुई वह तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय मनमोहन सिंह जी के समय पर शुरुआत हुई थी. उसके बाद वह सरकार बदली और इतने हड़बड़ी में उस जीएसटी को लाने की कोशिश की गई, केवल श्रेय लेने के लिए, मोदी जी प्रधानमंत्री बने, रातोंरात जीएसटी लागू हो गया, उस पर सदन में विचार विमर्श हो ही नहीं पाया और वही कारण है कि हर जीएसटी काउंसिल में नये नये संशोधन हमको करना पड़ते हैं. यहाँ जो आपने केन्द्र सरकार की बात की, तो केन्द्र सरकार की तरफ से नहीं जीएसटी काउंसिल की तरफ से ये संशोधन हुए हैं. वैसे तो इसमें कोई चर्चा का बहुत बड़ा बिन्दु नहीं है. केन्द्र सरकार की जीएसटी काउंसिल के द्वारा जो भी समय समय पर 2017 से अभी तक सुधार हुए हैं. वही आज 1 जनवरी 2020 से लागू करने के लिए यह विधेयक हम सदन में लाए हैं. बहुत सारी मध्यप्रदेश की भी समस्याएं थीं. मैं कई शहरों में जाकर व्यापारी बंधुओं से मिला देश और प्रदेश के उद्योगपतियों से मिला, चार्टेड एकाउंटेंट और उससे संबंधित वकीलों से मिला और उनके जो सुझाव आए समय-समय पर जी.एस.टी. काउंसिल में हम लोगों ने वह रखे भी हैं. जैसा हमारे मित्र ने कहा कि केन्द्र की तरफ से तो बहुत अच्छा कलेक्शन हो रहा है मध्यप्रदेश फिसड्डी है तो मैं केवल संक्षेप में अपनी बात रखूंगा. वर्ष 2018, 2019 में जब आपकी सरकार थी दस हजार आठ सौ अठत्तर करोड़ रुपए का कलेक्शन था. आज हम कह सकते हैं कि हमारा बारह हजार तीन सौ सत्यासी करोड़ रुपए का कलेक्शन हुआ है. हमारी 13.5 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है और देश के जो प्रमुख पांच राज्य हैं उसमें मध्यप्रदेश का नाम भी है. हमारी कोशिश इस बात की है कि हमें मध्यप्रदेश के विकास की तरफ बढ़ना है. मध्यप्रदेश के हमारे व्यापार जगत से जुड़े हुए जो लोग हैं उनकी तरफ बढ़ना है तो समय-समय पर जी.एस.टी. काउंसिल में मध्यप्रदेश की तरफ से भी उनका पूरा पक्ष रखा जाता है और जैसा हमारे मित्रों ने कहा जो सुविधाएं अभी संशोधित हुई हैं विधेयक में आईं हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप कहें तो मैं बिंदुवार पढ़कर सुना दूं और वैसे मुझे लगता है कि बहुत ज्यादा चर्चा की आवश्यकता नहीं है सारे लोग इसमे सहमत हैं इसीलिए मैं निवेदन करना करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
2:24 बजे (8) मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019
परिवहन मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत):- अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय:- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा--अध्यक्ष महोदय, कराधान में मोटर कराधान द्वितीय संशोधन विधेयक, 2019 में जो टेक्स बढ़ाने का प्रावधान रखा गया है पुराने और नए व्हीकल पर वह पूरे क्षेत्र में इस मंदी के दौर में और मंहगाई बढ़ाएगा. इसमें कोई दोराय नहीं है. मंदी का दौर है तो है. पूरी दुनिया का मंदी का दौर है. उस समय आप और टैक्स बढ़ा रहे हैं. पहले ही परिवहन लागत भारत में, पूरी दुनिया के मुकाबले प्रति किलोमीटर बहुत ज्यादा है. इसे आप और बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. जब परिवहन लागत बढ़ती है तो उसके कारण हर चीज़ की कीमत बढ़ती है, इससे मंहगाई और बढ़ेगी. हमारी बहुत सीधी सोच है कि पुराने वाहनों पर आप इतना टैक्स बढ़ाकर क्या सिद्ध करना चाह रहे हैं ? हमें तो आज के समय में यह बात करनी चाहिए कि पुराने वाहनों को कम से कम करके खत्म किया जाये लेकिन आप पुराने वाहनों पर टैक्स बढ़ाकर उन्हें काम करने की छूट दे रहे हैं. इस वजह से पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है, प्रदूषण बहुत बढ़ रहा है. आज की सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण का बढ़ना है. इसलिए मेरा आपसे पुन: आग्रह है कि टैक्स बढ़ाने का यह काम न किया जाये और नए वाहनों पर टैक्स में कमी करके उन्हें उत्साहित करें. जिससे नए वाहनों पर कम टैक्स लगे और प्रदूषण कम हो. यदि आप सभी को ध्यान हो तो मैं कहना चाहूंगा कि दिल्ली के प्रदूषण की भी चर्चा आई थी. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि पूरी दिल्ली को भट्टी में भर दो. राज्य सरकार केवल टैक्स कलेक्शन के लिए यह चीज़ कर रही है, इसका पर्यावरण पर कितना असर पड़ेगा ? पुराने वाहनों को कम करने के लिए हमें प्रोत्साहन देकर नए वाहन बढ़ाने चाहिए, जिससे प्रदूषण कम हो. हमें तो Next Generation Vehicles पर ध्यान देना चाहिए, ऐसा मेरा सुझाव है. मैं इस विधेयक का विरोध करता हूं धन्यवाद.
श्री सुनील सराफ (कोतमा)- अनुपस्थित.
परिवहन मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सदस्य श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी की भावनाओं का मैं सम्मान करता हूं. मैं बताना चाहूंगा कि पहले पुराने वाहनों पर 500 रुपये प्रति टन के हिसाब से टैक्स था. हमने सुविधा की दृष्टि से इसे कम कर दिया है. पहले नए-पुराने वाहनों पर एक ही प्रकार का टैक्स था परंतु हमारे सम्मुख यह बात आई कि जैसे-जैसे वाहन पुराने होते जाते हैं उनकी कीमत कम होती जाती है. इसलिए वाहन की कीमत के हिसाब से टैक्स दर तय करने की आवश्यकता थी और हमने इसे तीन स्लैब में बांटा है. हमने निर्णय लिया कि 5 वर्ष तक के पुराने वाहनों पर हम 500 रुपया प्रति टन टैक्स लेंगे. 5 वर्ष से 8 वर्ष तक के वाहनों पर 300 रुपया टैक्स लिया जायेगा. 8 वर्ष से अधिक पुराने मालयानों पर 200 रुपया प्रति टन टैक्स लिया जायेगा. यह सुविधा इस बार दी गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2014 में 5 टन के माल वाहनों पर Life Time Tax लगता था. वर्ष 2017 में 12 टन के माल वाहनों पर Life Time Tax लगाया गया. वर्ष 2019 में 28 टन के माल वाहनों पर Life Time Tax लगाया गया. हमारे पास बहुत सारे ट्रांसपोर्टर आये, ट्रांसपोर्टरों द्वारा हड़ताल भी की गई थी. वे माननीय मुख्यमंत्री जी के पास गए, अधिकांश ट्रांसपोर्टरों का यह कहना था कि उनसे एक-मुश्त टैक्स न लिया जाये. हमने उनको सुना और सुनकर समझने के बाद निर्णय लिया गया कि आप Life Time Tax भी भर सकते हैं और यदि उनको टैक्स भरने में परेशानी आ रही है तो वे ऐच्छिक भी भर सकते हैं. अब यह तय किया गया है कि आपकी सुविधानुसार तिमाही या Life Time Tax भरा जा सकता है. यह सुविधा हमारे द्वारा दी गई है. मैं समझता हूं कि हमने टैक्स को कम ही किया है इसलिए इस विधेयक को ध्वनि मत से पारित किया जाये.
2.31 बजे
मध्यप्रदेश विद्युत् प्रदाय उपक्रम (अर्जन) निरसन विधेयक, 2019 (क्रमांक 36 सन् 2019)
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह):- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विद्युत् प्रदाय उपक्रम (अर्जन) निरसन विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय:- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विद्युत् प्रदाय उपक्रम (अर्जन) निरसन विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.
श्री राजेन्द्र शुक्ल:- अध्यक्ष महोदय, जिन उपक्रमों के अर्जन के लिये यह विधेयक लाया गया था, उस उद्देश्य की पूर्ति हो जाने के कारण अब उसका निरसन प्रस्तावित किया गया है, मैं इसका समर्थन करता हूं.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह):- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 1974 का यह विधेयक है, इसके उद्देश्यों की पूर्ति हो चुकी है और 1974 का जो नियम है अब इसकी कोई उपयोगिता नहीं बची है, इस 1974 के अनुपयोगी अधिनियम को समाप्त करने के लिये हम लोग प्रस्ताव कर रहे हैं कि इसको समाप्त किया जाये.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विद्युत प्रदाय उपक्रम (अर्जन) निरसन विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय:- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
2.34 बजे
अध्यक्ष महोदय--माननीय दोनों दल के सचेतकों से अनुरोध है कि अनुपूरक पर चर्चा तथा 139 पर चर्चा कृपया कष्ट करियेगा कि सदस्य को दोनों जगहों पर विभाजित करियेगा ताकि दोनों दल के अपने अपने सदस्य बोल भी लें और हर विषय पर संख्या जरा कम हो जाये.
हास-परिहास
डॉ.नरोत्तम मिश्र--बहिना है मेरी नजर बाग में, नजर में हम नजर को हमने नजर पर पड़ते देखा था और नजर पड़ी तो नजर के ऊपर नजर को झुकते देखा था. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय--शून्यकाल में बैठा हूं. (हंसी)
श्री बाला बच्चन--हमको आज भी लगा कि कल भी आपको नियम 139 की चर्चा में आपका नाम था. हमको आज भी लगा कि ऐसा नहीं है कि आज आपका नाम है और बोलन और कोई लग जायेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय हम लोग मिल-जुलकर चलते हैं आप लोगों की तरह बंटे हुए नहीं हैं. हमारे यहां गुट का कोई नहीं है. कमलनाथ गुट का. इसके गुट का.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--आप लोग एक का बोलते हैं तो दो तीन खड़े हो जाते हैं.
सुश्री विजय लक्ष्मी साधो--तीन तीन खड़े हो जाते हैं तो पता ही नहीं चलता है कि कौन बोलेगा.
श्री तरूण भनोत--कोई भी खड़ा हो आखिर में नरोत्तम जी बिठा सबको देते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--खेल सब उधर ही है और किसी भ्रम में मत रहना.
श्री तरूण भनोत--खेल तो आपने ऊपर भी साधा हुआ है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--यह जान जाओगे तो फिर जान से जाओगे. (हंसी) अध्यक्ष जी आपकी नजर इनायत बनी रही आप बाद में जाना.
अध्यक्ष महोदय--अच्छा रूक जाते हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह--यह बात दिल की है अध्यक्ष जी.
अध्यक्ष महोदय--यह खा-पीकर के आ गये तो मैंने समझ लिया कि मैं खा-पीकर आ गया.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय मैं खा लेता हूं तो सो जाता हूं, मेरे साथ यह दिक्कत है.
श्री तरूण भनोत--सिर्फ खाने का इंतजाम बाहर है यह क्या कर के आये कहां से आये हमको पता नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--पंडित अफर के और घोड़ा सपर के अगर लोटे नहीं तो समझो कि खोट है. (हंसी) राजतंत्र के जमाने से पंडित पेट से और राजा गेट से पहचाना जाता था. (हंसी) गेट का मतलब आपको भी समझाया तो मैं गया काम से (हंसी) फिर कुछ बचा ही नहीं (हंसी)
2.39 बजे वर्ष 2019-2020 के प्रथम अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान (क्रमशः)
डॉ.नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बजट के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं माननीय वित्तमंत्री जी का पिछली पुस्तक का और इस पुस्तक का दोनों का मिलान करके आपके सामने रखना चाहता हूं. इसमें मेरे विद्वान दोस्त ने 2019 -20 का जो आम बजट रखा है उसमें कोटिल्य का उदाहरण दिया है. लिखा है प्रजा सुखेम सुखम राजा राग्यप्रजानामतुहिते हितम नातिमप्रियम हितम राग्य प्रिग्यानामु प्रियम हितम अर्थातु प्रजा के सुख में राजा का सुख एक चोपाई इन्होंने और भी कही थी जासो राज प्रिय प्रजा दुखारी सो नर होय नरक अधिकारी आपको नरक नहीं मिलेगा. लेकिन चौपाई है, इसलिये कह रहा हूं. 132 करोड़ रूपया उस आम बजट में लिया है गऊशाला खोलने के लिये पेज नम्बर 12 उसमें 132 करोड़ का प्रावधान है और हम इस गौवंश के लिये इनकी व्यवस्था करेंगे गऊशालाएं खोलेंगे. मेरे प्रदेश के अंदर एक साल में खोल देंगे. पीछे ही बैठे हैं आपके गऊमंत्री.
पशुपालन मंत्री (श्री लाखन सिंह यादव) - मैं यह बताना चाहा रहा हूं कि आप पिछले 15 साल सरकार में रहे, फुल मेजोरिटी में रहे और आप हमेशा गौ-माता और भगवान राम के नाम पर राजनीति करते रहे. आपने पिछले 15 साल में कोई भी मध्यप्रदेश में निराश्रित गौ-वंश के लिए कोई गौशाला नहीं खोली. हमने प्रथम चरण में मध्यप्रदेश में 1 हजार गौशाला खोलकर यह सिद्ध किया है कि हम लोग गौ-माता के सच्च हितैषी हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, 12 महीने में 12 गौशाला नहीं खुली है. (...व्यवधान)
श्री दिव्यराज सिंह - एक भी गौशाला में गौवंश नहीं है. एक भी गौशाला आपकी अभी तक खड़ी नहीं हुई है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल) - हर विकासखंड में तीन तीन गौशाला प्रारंभ हो गई है. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय इतने सारे लोग बोलते हैं, आप देख ही नहीं पाते.
श्री शरदेन्दु तिवारी - गौ अभ्यारण्य भी खोल दिया.
श्री कुणाल चौधरी - आपका कालापीपल में स्वागत है. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैं मान लेता हूं, अब आप मेरी बात तो सुन लो (...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - गौशाला आपने क्यों नहीं खोली. हम खोल तो रहे हैं (...व्यवधान)
श्री के.पी. त्रिपाठी - देखना हो, कुणाल भाई तो आइए रीवा, वन्यविहार और लक्ष्मण बाग गौशाला दिखाएंगे. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -अध्यक्ष जी, अगर इनकी बात सही है तो इनके नेता ने ट्वीट किया उनका नाम मानननीय दिग्विजय सिंह जी है, सड़क पर गाय घूम रही है और एक्सीडेंट हो रहे है.
श्री गिरीश गौतम - ये उसी को गौशाला कहते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अच्छा ये उसी को गौशाला कहते हैं, फिर तो आप सही है ही, फिर तो आप गलत नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - नरोत्तम भाई, मुझे मालूम है आप रोज गाय की पूजा करते हैं, घर में गाय पाली है, घर में गौशाला है न, उपाध्यक्ष जी आप आ जाइए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, वह 15 साल वाली है. मैं एक साल वाली बात कर रहा हूं. अध्यक्ष जी कोई तो, कहीं तो, अगर हम कहेंगे, कहीं तो सच हो, आपके पेज नंबर 23 में आपने पंचायतों को पैसा देने की बात की. अभी पैसा वापस बुला लिया आपने सभी पंचायतों से वित्त मंत्री जी हर पंचायत से पैसा वापस आ गया आपके पास बजट नहीं थी, इसलिए वापस बुलाया गया, यहां तक कि भजन मंडली जो गांवों में होती थी, उसका पैसा वापस बुला लिया गया.
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष जी, कहीं से भी पैसा वापस नहीं बुलाया. (..व्यवधान)
2:43 बजे {उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
श्री गिरीश गौतम - संगीत मंडली का पैसा बुला लिया है. (..व्यवधान)
श्री भारत सिंह कुशवाह - आज वित्त आयोग का जनपद पंचायत और जिला पंचायत अध्यक्षो को ..; (..व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल - कोई राशि वापस नहीं बुलवाई.
श्री कुणाल चौधरी - सदन में गुमराह करते हैं, गौशालएं देखने नहीं जाते और गुमराह करते हैं. गौशालाएं देखने नहीं जाते और गुमराह करते हैं, सबसे ज्यादा गौशालाएं शाजापुर में ही बन रही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, ये पंचायत मंत्री जी अभी व्यवधान कर रहे थे, हालांकि मैं नहीं चाहता था, पंचायत मंत्री जी ने 2 लाख मकान दिल्ली में सरेण्डर कर दिए हैं. ग्राम पंचायतों को जो मकान मिलने थे 2 लाख मकान सरेण्डर कर दिए हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, केन्द्र सरकार ने 40 प्रतिशत मध्यप्रदेश सरकार को राशि देती है मकान बनाने के लिए और नाम सिर्फ प्रधानमंत्री आवास एक ही जन का नाम हो. (..व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप तो यह बोलो 2 लाख सरेण्डर किए क्या हां या न?
श्री कमलेश्वर पटेल - सरकार के पास जितना प्रावधान था 6 लाख मकान बनवा रही है, आपने 40 प्रतिशत कर दिया. (..व्यवधान) पिछले वर्षों में जो आपने बनाया था, उससे ज्यादा बना रहे हैं. (..व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया - मंत्री जी कृपया बैठ जाइए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप हां या न में बता दो कि 2 लाख मकान सरेण्डर किए हैं. आप हां या न में बता दो?
श्री रामेश्वर शर्मा - नरोत्तम भाई साहब, 2,32,000 मकान वापस किये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - वे मना तो कर ही नहीं सकते, वे आज सुबह से ही फंसते जा रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपकी केन्द्र में सरकार है. आप उनसे बोलिये. वहां से जो पहले 20 प्रतिशत राशि राज्यांश होता था, जो 40 प्रतिशत कर दिया गया है, उसको आप कम करवाइये, तो इसलिये वे 8 लाख 32 हजार मकान बन सके.
श्री रामेश्वर शर्मा - यह इन्हीं के एसीएस का पत्र है.
श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदया, यह जो विसंगतियां केन्द्र सरकार ने पैदा की हैं, सभी विभागों में राज्यांश 40 प्रतिशत कर दिया है, पहले 10 प्रतिशत, 20 प्रतिशत लगता था.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय मंत्री जी, कृपया बैठ जाइये.
श्री अजय विश्नोई - माननीय मंत्री जी, जो आपने 6 लाख मकान बनाने के लिये हां कहा है. उसके पैसे तो भिजवाइये, गांव में वह 6 लाख मकान भी नहीं बन पा रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जिस दिन से सरकार बनी है, एक रोना सुनते-सुनते कान पक गये हैं, वह कल भी सुना और आज भी सुना कि खजाना खाली मिला. अगर खजाना खाली मिला था तो 2 लाख 29 हजार करोड़ रुपये का बजट कहां से पास हो गया था ? और अगर बजट पास हुआ तो वह पैसा कहां गया ?
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी - यह क्यों नहीं कहते कि जितनी आय हो रही है, उससे ज्यादा काम हो रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी - यह पिछले वित्त मंत्री जी से पूछते कि किसने लूटकर भेजा था.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) - उपाध्यक्ष महोदया, वह भी 2 लाख 35 हजार करोड़ रुपये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं तो आपकी बात को ही हां कर रहा हूँ. मैं बोलूँगा ही आप पर. यही तो मैं कह रहा हूँ कि खजाना खाली नहीं मिला था, आप वही कह रहे हो. मैंने तो आधा बोला, आपने उसे डबल कर दिया. आपके मुख्यमंत्री कल असत्य बोल रहे थे कि खजाना खाली मिला, आज आपने सत्य बोला.
श्री कुणाल चौधरी - जयंत मलैया जी, क्या कह रहे थे ? जयंत मलैया जी के शब्द क्या थे ? लूट-लूटकर खजाना खाली करके छोड़ा, यह जयंत मलैया जी के शब्द थे.
श्री बाला बच्चन - जयंत मलैया जी सही कह रहे थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदया, यहां से 2 लाख 33 हजार 605 करोड़ रुपये का बजट पास हुआ. वह बजट कहां चला गया ? मैं तो उसको ढूँढ़ रहा हूँ. केन्द्र सरकार का रोना दूसरे नम्बर पर है. केन्द्र से पैसा नहीं आ रहा है, केन्द्र सहयोग नहीं कर रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, 1800 करोड़ रुपये इन पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री जी के विभाग में केन्द्र का आया हुआ पड़ा है, यह राशि आज तक इन्होंने खर्च नहीं की है. यह सामने पंचायत मंत्री बैठे हैं. 1800 करोड़ रुपये पड़ा है. वित्त मंत्री जी, आप बताओगे, यहां पर अर्बन डेव्हलपमेंट मिनिस्टर भी बैठे हैं, 1200 करोड़ रुपये उनके यहां पर पड़ा हुआ है. आपने खर्च क्यों नहीं किया है. केन्द्र की तरफ आप बार-बार देखते हो कि केन्द्र पैसा नहीं दे रहा है और केन्द्र पैसा देता है. हम नाम लेकर बोल रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, ये सदन को गुमराह कर रहे हैं. .....(व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदया, 1,000 करोड़ रुपये ....(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया- माननीय मंत्री जी, आप बैठ जाइये.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी - 6,000 करोड़ रुपये चाहिये था, 16,000 करोड़ रुपये .....(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया - आप लोग बातें न करें. माननीय मंत्री जी, जब आपका अवसर आए, तब आप जवाब देते समय अपनी बात रखियेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, 1,000 करोड़ रुपये अभी अतिवृष्टि का आया है. अभी तात्कालिक आया है, उसको ज्यादा दिन भी नहीं हुए हैं. अभी ठोर भी नहीं सूखा है. वित्त मंत्री जी आप बताइये कि आपने वह 1,000 करोड़ रुपये कहां खर्च किया ? क्या वह अतिवृष्टि के नाम पर आया पैसा अनावृष्टि के नाम पर बाढ़ के नाम पर आया हुआ पैसा, आने के 15 दिन बाद भी क्या किसी 15 किसान के खातों में पहुँचा है ?
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी - उपाध्यक्ष महोदया, इनसे 6,621 करोड़ रुपये की मांग की गई थी.
उपाध्यक्ष महोदया - आप बैठ जाइये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदया, जब बाढ़ आई तो पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगा दिया और एक मंत्री जी कहते हैं कि वह इसलिए लगाया है कि हम बाढ़ का पैसा बांटेंगे, जो प्रदेश के अन्दर तबाही आई है, उसमें पैसा बांटेंगे. किसानों के हित में यह राशि खर्च की जायेगी, वित्त मंत्री जी, जब जवाब दें तो बतायें कि पेट्रोल से आपको कितनी आमदनी हुई और किसान के खाते में कितनी राशि गई ? तब तो इस बजट की प्रासंगिकता होगी, तब तो इस बजट को रखने का कोई उद्देश्य हो अथवा आप कहें कुछ और बतायें कुछ और. मेरा वित्त मंत्री जी से एक प्रश्न है, आपने जो आज बजट की पुस्तक हमें दी है. इस बजट की पुस्तक में कृपा करके मुझे यह बता दें कि उस जय किसान योजना की कितनी राशि का कहां पर उल्लेख है और वह किस पेज पर है ? मैं उस पर बोलना चाहता था. आज आपने जो बजट दिया है, उसमें कहां पर उल्लेख है, वह कहां से आप बांटेंगे. मैं उस संबंध में वित्तमंत्री जी बोलना चाहता हूं, आप मेरी प्रार्थना स्वीकार करें, इसमें उसका उल्लेख कहां पर है ? मैं आपसे उस संबंध में पूछ रहा हूं. इनकी खामोशी यह बताती है कि इस प्रदेश के किसान के साथ यह सरकार कितना बड़ा धोखा कर रही है. एक पैसे का इस पूरी पुस्तक के अंदर कोई उल्लेख नहीं है, जैसा मैंने सुबह राजस्व मंत्री के सामने कहकर बताया था, वैसा-वैसा का इस पुस्तिका के अंदर है .एक पैसा कर्ज माफी के लिये और किसान के लिये इसमें नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- (डॉ.गोविन्द सिंह के अपने आसन पर खड़े होने पर) हां आप ही बता दीजिये, आप यह बता दें कि इसमें क्या सहकारिता विभाग का कहीं पर उल्लेख है ? क्या सहकारिता शब्द पूरी किताब के अंदर कहीं पर लिखा गया है? अगर लिखा गया होगा तो मैं आपको मान जाउँगा.
2.51 बजे हास-परिहास
संसदीय कार्य मंत्री( डॉ.गोविन्द सिंह) -- आप पहले मेरा जवाब सुन लें. आप पढ़कर लिखकर पास हुये हैं, या नकल से पास हुये हैं ?( हंसी).
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं पढ़कर लिखकर ही पास हुआ हूं (हंसी)
डॉ.गोविन्द सिंह -- जब पिछला बजट पास हुआ था, उस पैसे की उसमें साढ़े छ: हजार करोड़ रूपये की मंजूरी है.आप सुन लीजिये कि अभी हमने इसलिये नहीं दिया था क्योंकि बाढ़ आ गई थी, लोगों के घर डूब गये और 38 जिलों में मकान, जमीन खेती सब बर्बाद हो गई, हमने उसमें पैसा दे दिया. अब हमने इस माह से सेकेंड किश्त चालू कर दी है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अब आप बैठ जायें (हंसी). माननीय उपाध्यक्ष महोदय 56 हजार करोड़ रूपये का कर्जा माफ होना था, सहकारिता मंत्री मुझसे पूछ रहे थे कि पढ़े लिखे है कि नहीं है. मेरा इनसे सवाल है कि क्या आपने यह बजट की पुस्तक पढ़ी है ? आपने पढ़ी है क्या आप धर्म और ईमान से बोलना क्योंकि आप असत्य बोलते नहीं हो, इसमें कहीं पर भी क्या सहकारिता विभाग का उल्लेख है ? आप धर्म ईमान से बोलना, मैं नहीं पढ़ा हूं, यह ठीक बात है. (डॉ.गोविन्द सिंह के अपने आसन पर खड़े होने पर) अब आप हर बात पर उठोगे तो दिक्कत है.
डॉ.गोविन्द सिंह -- हमारे पास पहले का पैसा रखा है, उसको हम बांट रहे हैं और जो शेष बचेगा, उसको अगली बार बाटेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- काहे का पैसा कहां पर बांट रहे हो (हंसी)
डॉ. गोविन्द सिंह -- हमने बांटना चालू कर दिया है, आ जाना लहार.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- मैं वहीं तो पूछ रहा हूं, इसमें कहां पर है वह पैसा.
डॉ. गोविन्द सिंह -- 23 तारीख को आप आ जाना और देख लेना.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- कहीं का पैसा, कहीं दे रहो हो, कहीं जा रहा है, दिये जाओ राजा, मजा आ रहा है (हंसी) सरकार की क्या स्थिति कर दी है. कल मेरे भाई विश्वास सारंग ने आपसे एक सवाल किया था. होशंगाबाद का सवाल था और यह पूछा था कि अगर कर्जा माफ कर दिया है तो नया कर्जा किसान को कितना दे दिया है. खाद बीज के लिये कितना कर्जा दे दिया है. खाद बीज को तो तब देते, जब इसमें सहकारिता विभाग का उल्लेख होता, एक पैसा ही नहीं दिया है. सहकारिता विभाग की पूरी पुस्तक में नाम ही नहीं छपा है. इन्होंने कहा कि मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं, हो सकता है कि मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं, पर सहकारिता विभाग ढूंढते-ढूंढते मेरे चश्में का नंबर बदल गया है, लेकिन आप कहीं पर नहीं दिखे. बड़ी विचित्र स्थिति इन मंत्री जी की है, यह मेरे दोस्त हैं और जान से प्यारे हैं. मैं क्या बताऊं आपको इनको ऐसे-ऐसे विभाग दिये हैं, कल जी.ए.डी. से दो तीन आर्डर निकल गये, आप धर्म ईमान से पूछ लो क्या इनको मालूम है, यह जी.ए.डी. मंत्री हैं (हंसी), इनको नहीं मालूम है, इनकी हालत खराब है (हंसी) . इनको किस काम पर लगा दिया है (हंसी) गोपाल भार्गव बोले कि हम उस विधेयक पर वोटिंग करवा लेंगे तो भईया दौड़कर चैंबर तक आया कि सबको जल्दी-जल्दी बुलाओ. (हंसी)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- मैंने तो जानबूझकर किया था(हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- (हंसी) आपने तो जानबूझकर किया लेकिन अगला 70 साल की उम्र भागता फिर रहा है, इनकी भजन गाने की उम्र है और इनसे गजल गवा रहे हैं (हंसी). यह बट्टी देते फिर रहे हैं (हंसी) कई विधायक तो सो रहे थे (हंसी)
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय नरोत्तम मिश्र जी के साथी जब वह हैं तो वह गजल ही तो गायेंगे (हंसी) वह गजल ही गायेंगे और आपसे क्या सीखेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- हां वह मेरे साथी हैं, मैं कह तो रहा हूं कि वह मेरे साथी हैं(हंसी) (श्री तरूण भनोत जी के अपने आसन पर खड़े होने पर) अब वित्तमंत्री जी उठ रहे हैं.
2.54 बजे हास-परिहास क्रमश:
वित्तमंत्री (श्री तरूण भनोत) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नरोत्तम जी जैसे विद्वान सदस्य अनुपूरक की मांगों पर चर्चा कर रहे थे, मुझे लग रहा था कि कोई ठोस बात निकलकर आयेगी पर यहां गायकी,नाचने की, गजल की और कविताओं की बातें बहुत हो रही हैं, कोई ठोस बात अनुपूरक मांगों के ऊपर नहीं हो रही है. सदन में ऐसा लग रहा है कि भोजन के बाद हास-परिहास का दौर चल रहा है. गंभीरता के साथ जिन मांगों के ऊपर मैं सोच रहा था कि हमें आपसे कुछ सकारात्मक जवाब और सुझाव मिलेंगे, वह तो कुछ मिले नहीं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैंने तो आपसे पूछा आप जब खामोश हो गये थे, तो मैंने कहा था कि आप बोलो, मैं कहता हूं कि याद रखना राजनीति के अंदर वित्तमंत्री....
श्री तरूण भनोत -- एक तरफ आप उन्हें अपना मित्र बताते हैं और एक तरफ यह भी बताते हैं कि दोनों ने मिलकर षड़यंत्र किया कि हमारे 70 वर्षीय चाचा के साथ में उनको यह दुड़वा रहे थे, यह कैसी मित्रता आप निभाते हैं ? (हंसी)....
डॉ.नरोत्तम मिश्र - यह हास-परिहास आप कर रहे हो या मैं.
श्री तरुण भनोत - ये कैसी मित्रता आप निभाते हो. मित्र होने का दावा करते हो और दोनों मिलकर षड़यंत्र यह करते हैं कि उनको परेशान करें.
उपाध्यक्ष महोदय - कृपया बैठें
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अब मलाई वाले विभाग ले लिये भईया ने और चाचा खींसे निपोर रहा है सहकारिता में. जी.ए.डी. दे दिया. पता ही नहीं चलता कब आर्डर निकल जाते हैं और जी.ए.डी. के लिये पैसे बजट में पैसे मांग रहे हैं. अब बजट में क्या बोलूं मैं. चाचा को संसदीय कार्य दे दिया. मेरे पास भी संसदीय कार्य रहा. संसदीय कार्य में पूरे साल में एक फाईल आती है. हिन्दुस्तान में सर्वाधिक समय तक रहने वाला संसदीय कार्य मंत्री हूं मैं.
श्री तरुण भनोत - आपके बारे में तो कहा जाता था कि आप रेत में से भी तेल निकाल लेते हो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अभी भी तेल निकाल लेता हूं विपक्ष में रहते हुए भी. वह कला हमसे सीख भाई उसके लिये इधर आना पड़ेगा.
श्री तरुण भनोत - मित्र को कुछ ज्ञान दीजिये.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री कमलेश्वर पटेल) - आप जो बार-बार बोल रहे हैं कि आदेश निकल जाता है मंत्री जी को पता नहीं लगता.(..व्यवधान..) हमारी सरकार सभी विभागों के मंत्रियों से चल रही है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्वायत्ता दी है और कोई भी अधिकारी,कर्मचारी गुमराह करते हैं, गलती करते हैं उनको तत्काल सजा देने का प्रावधान मुख्यमंत्री जी ने किया है.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह - विधायकों की जरूरत ही नहीं है मंत्रियों के दम पर हीयह सरकार चल रही है. विधायक भी बैठे हैं भईया और दोनों पार्टी बोलती हैं. उपाध्यक्ष महोदया,
उपाध्यक्ष महोदया - आप अपनी सीट से बोलें.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह - आज तीसरा दिन है बी.जे.पी. और कांग्रेस बोलती रहती है हम लोग आसमान से टपके हैं क्या. न हम लोगों के प्रश्न आते हैं न हम लोगों का ध्यानाकर्षण आता है तो क्या हम लोग आसमान से टपके हैं. जनता के प्रतिनिधि हम भी हैं. कोई सुनता ही नहीं है बिल्कुल. मैं अध्यक्ष महोदय के यहां ध्यानाकर्षण के लिये गई. इस साईड के बोलते हैं इस साईड के बोलते हैं बसपा,सपा निर्दलीय बैठे ही रहते हैं उनको कोई सुनता ही नहीं. ठीक है आपको जरूरत नहीं है जनता को तो है हमारी जरूरत. हम अपनी जनता की समस्या तक कोई आप लोगो को नहीं सुना सकते. न ध्यानाकर्षण आता है न कोई सुनता है ऐसा कैसे हो सकता है. हम लोग भी जनप्रतिनिधि हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदय, इतनी प्रार्थना है कि मैं जितनी बार बोला हूं उतना समय जरूर काउंट कर लें बाकी जो सम्मानित मंत्रीगण,सदस्यगण बोले हों वह मेरे में मत जोड़ना. मेरे काबिल दोस्त कंसाना जी यहां नहीं है कि गोविन्द सिंह जी की कमर लचक गई. वह होते तो मैं गीत बताता लेकिन वित्त मंत्री जी यह सच है लेकिन वित्त मंत्री जी का यह कह ना सही है कि बजट पर बोलें. उस पर भी बोलूंगा. आज सुबह यह बात तय हो गई मैंने पुस्तक के माध्यम से बताया कि 160 रुपये बोनस का कोई उल्लेख नहीं है और इन्होंने जवाब नहीं दिया तो इससे साबित हो गया कि यह किसान का 160 रुपये अब देने वाले नहीं है. यह भी तय हो गया कि बीमा जिस किसान को मिलना था 6 हजार करोड़ रुपये. माननीय वित्तमंत्री जी जवाब देंगे तो मैं ध्यान से सुनूंगा. वह 6 हजार करोड़ रुपया सिर्फ इस राज्य सरकार की हठधर्मिता के कारण से इस मध्यप्रदेश के किसान को नहीं मिला, इनकी जेब से सिर्फ अंशपूंजी जाना थी. केन्द्र सरकार का पैसा जमा हो गया. किसानों का बीमा में पैसा जमा हो गया, लेकिन राज्य सरकार ने पैसा जमा नहीं किया. 6 हजार करोड़ रुपया मध्यप्रदेश के किसानों का इस सरकार ने रोक कर रखा है, लूटकर रखा है. (शेम-शेम की आवाज)...
उपाध्यक्ष महोदया, 6 हजार करोड़ रुपया आता तो मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति अच्छी होती. किसान की हालत अच्छी होती कि नहीं होती. आज किसान आत्महत्या करने को मजबूर इस शासन के कारण से हो रहा है, 150 किसान प्रदेश के इस 12 महीने में आत्महत्या करके मर गये. क्या कारण था? कराड़ा जी मैं असत्य नहीं बोल रहा हूं. मैं तो आंकड़े लूंगा, आप पूछोगे तो दूंगा. मैं कह रहा हूं हां, जो प्राकृतिक आपदा आई वह जल संसाधन विभाग की गलती से आई, वह कोई प्राकृतिक आपदा नहीं थी, वह प्रशासन की आपदा थी.
जल संसाधन मंत्री (श्री हुकुम सिंह कराड़ा) - उसके लिए अलग से चर्चा का समय आप मांग लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदया, मैं तैयार हूं. आप उपाध्यक्ष महोदया से अभी कहलवा दो. आप तो अभी कहलवाओ. आपने बोला है तो चर्चा करवाओ. अगर शासन इसके लिए तैयार है तो उपाध्यक्ष महोदया, आप अभी कल की दो घंटे की चर्चा मुकर्रर कर दें. यह मेरी प्रार्थना है, सरकार तैयार है. संसदीय कार्यमंत्री आप खड़े तो हों. अभी मैं साबित करूंगा. अगर मैं साबित नहीं कर पाया, जो सजा देगी आसंदी, वह कबूल करूंगा. (व्यवधान)..जो आपदा आई, भिंड, मुरैना से लेकर मंदसौर, रीवा तक इनकी गलती से आई. (व्यवधान)..
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन ) - उपाध्यक्ष महोदया, आप असत्य आंकड़ें दे रहे हैं. 150 किसानों की कर्ज के कारण कोई मौत नहीं हुई है. एक किसान के आत्महत्या कर्ज के कारण करने की बात आई है. आपकी सरकार में औसतन एक दिन में 4 से 5 किसान आत्महत्या करते थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं वह भी कह दूंगा कि एक भी नहीं करता था, इससे कुछ नहीं होगा, मेरे दोस्त.
श्री बाला बच्चन - यह पिछले 10-11 महीने का रिकॉर्ड आप गलत बोल रहे हैं. आपके पास असत्य आंकडें हैं .
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू (मनासा) - अभी 8 दिन पहले हमारे मनासा में कर्जा माफी को लेकर आत्महत्या की है. (व्यवधान)..
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - आपने मेरे प्रश्न के उत्तर में बताया है. आपने गलत आंकड़ें दिये हैं. (व्यवधान)..किसानों ने आत्महत्या की है और आप किसानों के मामले में लिख रहे हो कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय सदस्यगण कृपया बैठ जाइए.
(व्यवधान)..
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू - लालराम कुशवाह ने आत्महत्या की, मनासा तहसील के हासपुर गांव में 25 साल के लड़के ने, उसका कर्ज माफ नहीं हुआ इसलिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदया, मेरी प्रार्थना है कि जब ट्रेजरी बेंच से कोई बात आती है और विपक्ष से आती है, जब दोनों एक मत हो जाते हैं तो आसंदी उस पर व्यवस्था देती है. इसे आप मेरा व्यवस्था का प्रश्न मान लें. मैं यह साबित करने में सक्षम हूं ऐसा मैं मानता हूं कि मंदसौर, नीमच में जो बाढ़ आई, वह प्राकृतिक नहीं थी, प्रशासन की थी. वह शासन की वजह से बाढ़ आई और उन्होंने स्वीकार किया है कि वह चर्चा को तैयार हैं. हम तैयार हैं आप समय आवंटित करिए.
उपाध्यक्ष महोदया - मंत्री जी जवाब में इस बात का जवाब देंगे. वे आपकी सारी बातें नोट कर रहे हैं और निश्चित रूप से आपका जवाब भी आएगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं वित्त मंत्री जी की बात नहीं कर रहा हूं.मैंने बाढ़ की बात जल संसाधन मंत्री जी से की और उपाध्यक्ष महोदया उन्होंने उसको स्वीकार किया है. प्रदेश को यह बात जानने का तो हक है कि जिनके मकान बह गये, दुकान बह गई, खेत बह गये, खलिहान, फसल बह गई, मवेशी बह गये, वह आपदा प्राकृतिक नहीं थी, वह बांध के गेट नहीं खोले गये, इसलिए मायापुर गांव में पानी भरा.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा - यह सरासर असत्य है. डेम के, तालाब के गेट बराबर समय से खुले, यह असत्य बात आप बोल रहे हैं. (व्यवधान)..
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू - सबसे ज्यादा मंत्री जी के प्रभार के जिले में मनासा तहसील में बाढ़ आई, वहां गेट यदि समय पर खुल जाते तो यह बाढ़ नहीं आती. 20-20 फीट पानी वहां रामपुरा कस्बे में पानी भरा हुआ था. यदि गांधी सागर के गेट समय पर खुल जाते तो यह बाढ़ नहीं आती.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - उपाध्यक्ष महोदया, आप एक व्यवस्था दे दें. अलग-अलग मंत्रियों से संबंधित हमारे वक्ता नरोत्तम जी, वह विषय दे रहे हैं, विभाग पर चर्चा कर रहे हैं, उनकी कमियां बता रहे हैं और किस कारण से बजट में प्रावधान किया जाना चाहिए. इसके बारे में वह कह रहे हैं. सारे मंत्री बोलेंगे, ऐसे प्रश्नोत्तरकाल जैसा हो जाएगा. आप माननीय वित्तमंत्री जी को लिखित में दे दें और वित्तमंत्री जी ही आपके उत्तर को पढ़ देंगे, जब भी आपका उत्तर होगा. मैं मानकर चलता हूं कि सुचारू रूप से कार्यवाही चलती रहेगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदय, और वही विसंगति बाद में देखने को मिली. बाढ़ के बाद के लिए किसान की क्षतिपूर्ति की राशि की घोषणा कर दी गई, इस बजट में प्रावधान नहीं है. उपाध्यक्ष महोदया, उस पर सितम क्या था कि पेट्रोल डीजल के पैसे बढ़ा दिये यह कहकर कि हम उसमें पैसे देंगे, कोई बात नहीं. उसके बाद में वह मेरा काबिल दोस्त श्री जितु पटवारी यहां पर है नहीं. किस तरह से इस प्रदेश को गुमराह करके विषयांतर किया, उसने तो बजट पढ़ा ही नहीं था. वह सवेरे से मुझसे आकर ही कह रहा था कि तुम असत्य बोल रहे हो, बजट तो पेश ही नहीं हुआ. वह आएं तो जरूर कहना कोई लोग कि वह जवाब देंगे. मुझसे आकर बोले बजट पेश ही नहीं हुआ, तुम गलत किताब पढ़ रहे हो. मैंने उनको एक कापी दे दी थी सुबह. उन्होंने जानबूझकर एक बयान दिया कि मध्यप्रदेश के पटवारी चोर हैं और हुआ क्या उस ब्यान की प्रतिक्रिया में मध्यप्रदेश के पटवारी हड़ताल पर चले गये. राजस्व मंत्री जी ने अपनी मेहनत से उस हड़ताल को 15-20 दिन में समाप्त करवाया तो आर आई हड़ताल पर चले गये, यह प्रायोजित करके हड़ताल करवायी गई,
श्री तरूण भनोत -- मेरा कहना है कि यह जो उल्लेख किया गया कि पटवारी चोर हैं माननीय मंत्री जी ने ऐसा कहा, उन्होंने ऐसा नहीं कहा था उनका वक्तव्य भी आया था तो इसको कम से कम कार्यवाही से निकलवा दें.
उपाध्यक्ष महोदया -- इसे कार्यवाही से विलोपित किया जाय.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- उनका वक्तव्य आया या नहीं लेकिन उन्होंने अपने शब्द वापस नहीं लिये, मेरे पास तो कटिंग रखी है..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- वह इसलिए रिफरेंस दे रहे हैं कि एक बार पटवारी,एक बार आर आई और उसके बाद में तहसीलदार आपको स्मरण होगा कि राजस्व विभाग से जुड़े हुए तीनों वर्गों ने हड़ताल की.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय वह हड़ताल भी प्रायोजित थी इसलिए की गई कि किसान के खेत सूख जायें और वह अपने खेत को जोत दें और फिर सर्वे की बात हम करेंगे तो सर्वे हो ही नहीं पायेगा, और इस तरह से मध्यप्रदेश में किसानों का सर्वे नहीं होने दिया है. पटवारियों को बेइमान जितु पटवारी ने बताया, इनके पटवारी ने उन पटवरियों को बेईमान बताया, मुझे पता है आपकी तकलीफ आप बार बार खड़े नहीं हो सकते हैं( माननीय मंत्री आरिफ अकील जी को देखते हुए)
श्री कमलेश्वर इन्द्रजीत कुमार -- उपाध्यक्ष महोदया असत्य बयानबाजी में तो हमारे नरोत्तम मिश्र जी माहिर हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदया आप यहां पर गीता रखवा दें मैं यहां पर गीता पर हाथ रखकर कसम खाने को तैयार हूं. मैं अपने विषय पर ही बोल रहा हूं. मैं अतिवृष्टि पर ही बोल रहा हूं जिसका उल्लेख नहीं है बजट में मैं वह ही तो बोलूंगा. बाकी बातें तो वह कर रहे हैं वह कह रहे हैं कि विलोपित करवा दो.
श्री गिरीश गौतम -- आप गीता की कसम मत खाइये आप गोविंद जी की खा लीजिए उतने से ही काम चल जायेगा. ......
हास परिहास
डॉ नरोत्तम मिश्र‑- उपाध्यक्ष महोदय जब से मैंने कहा कि गोविन्द जी को कि इस बजट की किताब में सहकारिता शब्द का उल्लेख नहीं है तो वह तब से इक बजट की किताब को छोड़ नहीं पा रहे हैं और तब से अभी तक सहकारिता शब्द को ढूंढ नहीं पाये हैं. आप देख लें अगर उन्होंने किताब छोड़ी हो, ( डॉ गोविंद सिंह जी के बोलने के लिए खड़े होने पर ) पहले तो आप यह कहो कि मैं पढ़ा लिखा हूं, आप क्या इस किताब में सहकारिता शब्द ढूंढ पाये हैं क्या. पढ़कर सुनाओ मान जाऊंगा....(व्यवधान).. ......( हंसी )
श्री गोपाल भार्गव -- वह पढ़े लिखे हैं वह वेटनरी डॉक्टर हैं आपने पीएचडी की है.
डॉ गोविन्द सिंह -- अकेला उतना बजट हमारे यहां हैं. लहार पढ़ लो ना इसमें.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- मैं मान जाऊंगा आप पढ़कर बता दो कि सहकारिता कहां पर लिखा है. मैं मान जाऊंगा अगर इस पूरी किताब में सहकारिता कहीं पर लिखा होगा. अरे वह तो मालूम है इनको आपकी जरूरत नहीं है वह कह रहा हूं.( डॉ गोविन्द सिंह जी की ओर देखते हुए) ......( हंसी )
डॉ गोविन्द सिंह -- पहले यह ज्ञान होना चाहिए कि ऋण मुक्ति का पैसा कृषि विभाग देता है या सहकारिता विभाग देता है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अरे कोई भी दे, इस बजट की किताब में सहकारिता शब्द का उल्लेख है क्या. ......( हंसी )
डॉ गोविन्द सिंह -- अरे हम अकेले ही सहकारिता हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- दूध मलाई भतीजा खाये और काम करावे चाचा जाय यह वाली दिक्कत है मुझे तो, मुझे आपत्ति उसकी नहीं है कि कौन देगा कौन नहीं देगा. मुझे तो आपत्ति इस बात की है कि इस प्रदेश के किसान का जितना बुरा हाल पिछले एक साल में हुआ है, यह बड़े गर्व से कहते थे कि वक्त है वदलाव का, अगर कांग्रेस पार्टी जीत जायेगी तो वक्त है वदलाव का, क्या बदलाव आया है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- महसूस नहीं हुआ आपको.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- डॉक्टर आ गये आप. बहुत खराब हालत है सिंधिया समर्थकों की, मैं देख रहा हूं प्रद्युम्न सिंह से लेकर गोविंद राजपूत तक की जो हालत मैंने देखी है, दर्जे बन गये हैं, यह पहले दर्जे का, यह दोयम दर्जे का, यह तीसरे दर्जे का, मैं 14 साल मंत्री रहा ऐसी हालत मैंने कभी नहीं देखी.
श्री कमलेश्वर इन्द्रजीत कुमार -- यह सब कांग्रेस पार्टी के सिपाही हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- हां, मैं वह ही तो कह रहा हूं कि इनको थानेदार मत बनने देना......( हंसी )
श्री कमलेश्वर इन्द्रजीत कुमार -- यह थानेदार नहीं यह सिपाही बनकर ही देश को आजादी दिलायी...(व्यवधान).. यहां पर असत्य ब्यान बाजी नहीं करते हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- पंडित जी आप कहां फंसे जा रहे हैं. ( श्री पीसी शर्मा जी के खड़े होने पर ).. ......( हंसी )
श्री पी सी शर्मा -- वह शिवराज जी से कहा था कि आप ज्यादा मत बोलो तो आज बेचारे हैं नहीं तो आज आपको मौका मिल गया.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- वह हमारे नेता हैं वह बेचारे नहीं हो सकते हैं. हमेशा ध्यान रखना शिवराज शिवराज रहेगा और वह ऐतिहासिक मुख्यमंत्री हैं 14 साल लगातार इस मध्यप्रदेश के इतिहास में कोई मुख्यमंत्री नहीं रहा है..( व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- नरोत्तम जी, गीता बुलवा लें, आप कहेंगे कि हमारा नेता है. आप गीता पर हाथ नहीं रखेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मेरे भाई मैं गीता पर हाथ रखकर बोलूंगा.
3.10 बजे वर्ष 2019-2020 की प्रथम अनुपूरक मांगों पर मतदान (क्रमशः)
उपाध्यक्ष महोदया -- मेरा मंत्रीगण से निवेदन है कि कृपया माननीय सदस्य को अपना भाषण पूरा करने दें. कृपया आप समाप्त करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी, मुझे खत्म करने की कह रहे हैं, मुझे शुरु तो करने दें. इनसे आप कहें.
उपाध्यक्ष महोदया -- आपके द्वारा भाषण समाप्त करने का समय आ गया है.
श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष जी, हमारे ओपनिंग वक्ता हैं. ये लम्बा बोलेंगे.
उपाध्यक्ष महोदया -- आप बैठें, वे अपना पक्ष रखने के लिये सक्षम हैं. आप बैठ जाइये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी, यह वक्त बदलाव का आया, किसान रात रात भर बच्चों के साथ लाइन पर लगा हुआ है. हमारे समय में 4 महीने पहले एडवांस खाद दी जाती थी, लेकिन इस प्रदेश के अन्दर हालात यह हुई..
श्री कुणाल चौधरी --मैं आपके समय के सारे पेपर लाया हूं, कितना आपने दिया है, आप चिंता मत करिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, आप मेरी मदद करिये.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदया-- यह कोई बात नोट नहीं होगी, जो बीच में बोल रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी, जितनी बातें कही हैं इन्होंने घोषणा पत्र में, बजट में उसका उल्लेख नहीं है और आज वित्त मंत्री जी छाती ठोक रहे थे, मैंने सुना कि हमने जितनी बातें कहीं हैं, सब पूरी कर देंगे. ऐसा कहा था न सवेरे. ऐसे ही छाती ठोक गया था एक फटी जेब में हाथ डालने वाला एक नेता कि 2 लाख तक का कर्जा 10 दिन में माफ कर देंगे हम...(व्यवधान).. बोला था कि नहीं बोला था,उसको भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं.
..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया बैठ जायें.
..(व्यवधान)..
श्री महेश परमार -- उपाध्यक्ष महोदया, इन्होंने कहा था कि 15-15 लाख रुपये आयेंगे, उसका क्या हुआ.
..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी, मैंने तो किसी का नाम नहीं लिया , इनको कैसे पता चला कि वो ही है.
श्री विनय सक्सेना -- उपाध्यक्ष जी, माननीय सदस्य विषय पर भी तो चर्चा कर लें. इधर उधर घूम रहे हैं आप. आप उस पर चर्चा कर लें, जिस पर बोलने के लिये आपने समय लिया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं आप वाले विषय पर भी चर्चा करुंगा, इंतजार तो आप करिये.
श्री विनय सक्सेना -- बिलकुल करना. मैं भी तैयार हूं.
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया इस तरह से आपस में बात न करें.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- उपाध्यक्ष जी, विषय पर चर्चा नहीं हो रही है, बाकी सारी बातें हो रही हैं. थोड़ा सा आप ध्यान दें.
उपाध्यक्ष महोदया -- अशोक जी, आप बैठें. आपका नम्बर आयेगा, तब बोल लीजियेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी, ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं कि कर्जा माफ नहीं हुआ. ऐसा इनके विधायक लक्ष्मण सिंह जी ने कहा कि राहुल गांधी जी को मध्यप्रदेश में आकर माफी मांगना चाहिये. मैंने नहीं कहा, मैं कब कह रहा हूं इनसे कि मैंने कहा.
श्री विनय सक्सेना -- उपाध्यक्ष जी, सुबह अध्यक्ष जी ने कहा था कि जो नेता इस सदन के सदस्य नहीं हैं, उनका नाम नहीं लिया जायेगा. लेकिन इतने वरिष्ठ सदस्य हैं, वे क्यों बोल रहे हैं. राहुल गांधी जी का नाम क्यों बोल रहे हैं.
..(व्यवधान)..
श्री कमलेश्वर पटेल -- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदया -- यह सब कोई रिकार्ड में बात नहीं आयेगी. ..(व्यवधान)..कृपया बैठ जायें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी, मैं नहीं कह रहा हूं, मेरे बारे में क्यों कह रहे हैं. मैं कह रहा हूं कि लक्ष्मण सिंह जी ने कहा, मैंने कब कहा. आप बोलो कि लक्ष्मण सिंह जी ने नहीं कहा, तो मैं दिखाऊं कि कहा कि नहीं कहा. कहा कि नहीं कहा, मैंने सदन और बाहर की कहा ही नहीं.
श्री विनय सक्सेना -- फिर आप क्यों कह रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं इसलिये कह रहा हूं कि मैं बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं, आप खड़े नहीं हुए हैं और मैं आपकी वजह से भूल नहीं जाऊंगा.
..(व्यवधान)..
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- पंडित जी, यह बजट का विषय है क्या. यह इसमें शामिल हो तो बातें करें.
..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया बैठ जायें.
श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष जी, यह आपत्तिजनक है. इस तरह से व्यवधान करेंगे, तो कैसे कार्यवाही चलेगी.
उपाध्यक्ष महोदया -- विश्वास जी, आप कृपया बैठ जाइये. मेरा सभी माननीय मंत्रीगण से निवेदन है कि आप सारी बातें नोट कर लीजिए और जब आपका उत्तर देने का समय आए, तब आप सारी बातों को बोलिए. कृपया सहयोग करें. डॉ. नरोत्तम मिश्र जी, कृपया अपनी बात जल्दी समाप्त करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय उपाध्यक्ष जी, जल्दी समाप्त नहीं करूंगा, अभी तो मैंने शुरू किया है. इनका समय मेरे में क्यों जोड़ रहे हैं. माननीय उपाध्यक्ष जी, अनिल अंबानी की कंपनी को 451 करोड़ रुपये की राहत मध्यप्रदेश सरकार देगी. कांग्रेस की केबीनेट की सब-कमेटी ने, शासन प्रोजेक्ट के निवेश संवर्धन की सब-कमेटी ने, 451 करोड़ रुपये की राहत उसको दे रहे हैं. उपाध्यक्ष जी, राज्य सरकार ने कोका-कोला के करोड़ों रुपये माफ कर दिए. 800 करोड़ रुपये के लगभग ट्रांसफर के, स्थानांतरण के आने-जाने पर खर्च हो गए. मैं उसके लेन-देन की बात नहीं कर रहा हूँ. ये सब भले लोग हैं. 100 करोड़ रुपये में राज्य सरकार हवाई-जहाज खरीद रही है. मध्यप्रदेश में विधान परिषद् पर 100 करोड़ रुपये साल के खर्च होंगे, विधान परिषद् बनाई जा रही है. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- शिवराज सिंह जी तो किराए पर ही 43 करोड़ रुपये के प्लेन ले लेते थे. ...(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया -- कुणाल जी, कृपया बैठ जाइये, आपको अवसर मिलेगा बोलने का. ...(व्यवधान)... कृपया बैठ जाइये.
श्री हुकुम सिंह कराड़ा -- नरोत्तम जी, आप यह कहना चाहते हैं कि प्रतिवर्ष 43 करोड़ रुपये खर्च करते थे शिवराज सिंह जी प्राइवेट प्लेन पर, यही कहना चाहते हो ना.. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- 3-3 लाख रुपये घंटे का लेते थे. ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदया, मैं जो कहना चाहता हूँ, वह सुनने की क्षमता करो. सच को स्वीकारने की क्षमता पैदा करो कुणाल. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- मैं सही में स्वीकार कर रहा हूँ क्योंकि इतने पैसे किराए में उड़ा दिए. 80 हजार रुपये घंटे आ जाता था, उन्होंने 3 लाख रुपये घंटे के लिए. प्लेन जो खरीद रहे थे जेट, वह मध्यप्रदेश की किसी पट्टी पर नहीं उतरता था और वे कहते थे खेतों में उतर जाता है. ...(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया -- कुणाल जी, कृपया बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष जी, क्या आपने उनको बोलने का अलाउ किया है ?
उपाध्यक्ष महोदया -- बिलकुल नहीं, उनकी कोई बात रिकार्ड नहीं हो रही है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- उनको बोलने का अलाउ नरोत्तम जी ने किया है. ...(व्यवधान)...
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) -- उपाध्यक्ष जी, नरोत्तम जी के बोलने का समय पूरा समाप्त हो चुका है. जितना समय था, वह पूरा समाप्त हो चुका है, आप देख लें. अगर और माननीय सदस्य नहीं बोलेंगे, आपको ही बोलना है तो आप बोलते रहें. दूसरा, हमारा यह निवेदन है कि बजट पर भाषण दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं बजट पर ही बोल रहा हूँ. सुबह से कहते हो कि खजाना खाली है तो पैसा आ कहां से रहा है, जो 451 करोड़ अंबानी का माफ कर रहे हो. भ्रष्टाचार कर रहे हो, प्रदेश को आप लूट रहे हो, और हमसे कह रहे हो कि बजट पर बोलिए. 451 करोड़ रुपये माफ कर दिए. कोका-कोला कंपनी के करोड़ों रुपये माफ कर दिए. अरे भैया, आपको हवाई जहाज खरीदना है, खरीदो, लेकिन कहो ना कि खजाने में पैसा है. अरे, उस गरीब किसान का कर्जा माफ कर दो, जो आपने घोषणा की थी.
...(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- आपको यह जानकारी है तो यह भी जानकारी होगी कि भारत शासन ने अंबानी को क्या-क्या फायदा पहुँचाया, यह भी बता दीजिए. ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- जरूर बताएंगे, सुनो तो सही. ...(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- भारत शासन का भी बता दें कि कितने उपक्रम नीलाम होने वाले हैं, कितने उपक्रम बंद होने वाले हैं. बीएसएनएल की क्या हालत है, बीपीसीएल का क्या होने वाला है. ...(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया -- नरोत्तम जी, आप अपनी बात जल्दी समाप्त करें. ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- यह भी बता रहा हूँ, बैठ तो सही मेरे भाई. ...(व्यवधान)... उपाध्यक्ष जी, मंत्रियों को आप रोकती नहीं हैं, मुझसे टाइम का कहती हैं, मुझे बड़ी पीड़ा होती है. हर बात, हर प्वॉइंट पर मंत्री खड़े होते हैं.
उपाध्यक्ष महोदया -- मंत्रीगण, कृपया सहयोग करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी, अब भारत सरकार और राज्य सरकार, एक को चुने हुए 6 महीने हुए, एक को एक साल हो गया. एक के घोषणा पत्र पर हम अभी भी बहस कर रहे हैं कि कर्जा माफ हुआ कि नहीं हुआ. ये 5 सौ से 5 हजार रुपये का कर्जा माफ करके कह रहे हैं कि 2 लाख रुपये तक का कर्जा हमने माफ कर दिया और बंडल हमारे घर पर ले-लेकर भेज देते हैं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को, ठीक है भेजो. एक नौजवान को 4 हजार रुपए आज तक नहीं मिला. 48 हजार रुपए उसको एक साल में उसको बेरोजगारी भत्ते के रुप में मिलने थे. वित्त मंत्री जब जवाब दें तो उल्लेख करें कि इस अनुपूरक अनुमान में कहीं भी उस बेरोजगारी भत्ते का जो कांग्रेस के घोषणा पत्र में था, उसका उल्लेख नहीं है. क्यों नहीं है ? उस भारत सरकार से तुलना करोगे, जिसने अपने घोषणा पत्र में कहा कि धारा 370 समाप्त कर देंगे तो पहले महीने में धारा 370 समाप्त किया.
...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- दो करोड़ रोजगार का बोला था, उसका क्या हुआ ? रोजगार की बात हो रही है....(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- यह बोले मैं चुप हुआ न. मैं चुप हुआ कि नहीं हुआ. ..(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया -- (कई सदस्यों के एक साथ खडे़ होने पर) कृपया, बैठ जाइए...(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी....(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय -- मुनमुन जी, कृपया बैठ जाइए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय उपाध्यक्ष जी, उन्होंने कहा 35 ए समाप्त कर देंगे, कर दिया. हमने अपने घोषणा पत्र में कहा कि तीन तलाक समाप्त कर देंगे, कर दिया. हमने कहा राम मंदिर बनवाएंगे..(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- दो करोड़ रोजगार का बता दो...(व्यवधान)...
...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय नरेन्द्र मोदी की होड़ करेंगे. नरेन्द्र मोदी का नाम ले रहे हैं यहां पर.
...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- 900 रुपए गैस की टंकी की या नहीं की.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) -- उपाध्यक्ष महोदय, नरोत्तम मिश्र जी यह बता दें..(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया -- प्रियव्रत जी, जब आपका नंबर आए तब आप बोलिए. फिलहाल अभी नरोत्तम जी को अपनी बात खत्म करने दीजिए.
...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- रोजगार चाहिए युवाओं को, जो वादा किया था...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- कुणाल जी, कृपया बैठ जाइए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी..
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया, पांच मिनट में आप अपनी बात खत्म करिए. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- (कई सदस्यों के खडे़ होकर बोलने पर) मुझे चैन से पांच मिनट तो बोलने दो....(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया -- आप औरों का जवाब मत दीजिए. कृपया, आप बोलिये. आप आसंदी की तरफ देखकर बोलिये...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी, कुल पांच मिनट बिना रुके हुए तो बोलने दो...(व्यवधान).. अरे मैंने कभी बेरोजगारी भत्ते का वादा ही नहीं किया है मेरी सरकार में. मेरी सरकार ने नहीं कहा. यह बताएं एक भी नौकरी मध्यप्रदेश में इस एक साल में किसी नौजवान को दी हो...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- आपका एक मिनट बीत गया, चार मिनट और बचे हैं. आप अपनी बात बोलिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- मोदी जी की बात कर रहे हैं कोहनी पे टिके लोग, खूंटी पे टके लोग और बरगद की बात करते हैं गमले में लगे लोग. माननीय उपाध्यक्ष जी, मोदी की बात कर रहे हैं. क्या होड़ करेंगे एक विश्व के नेता की आप लोग. एक विश्व का नेता जिसने भारत माता के माथे को विश्व में गौरवान्वित करने का काम किया है. (मेजों की थपथपाहट) यह कांग्रेस के लोग हैं जो ...(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया, बैठ जाइए. (डॉ.अशोक मर्सकोले एवं श्री फुन्देलाल सिंह मार्को, माननीय सदस्य के खडे़ होने पर)...(व्यवधान)..
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- वह सारे आप बोल चुके हैं. कई बार पलटा चुके हैं अब उसमें कोई तथ्य नहीं है. इसलिए मैं कहता हॅूं कि..
उपाध्यक्ष महोदय -- कृपया, मार्को जी बैठ जाइए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- फुन्देलाल जी, मैं कागज देखता बोलता नहीं, बैठ तो जाइए. कागज तो मैं सहारे के लिए रखे रहता हूं. फुंदेलाल जी, मैं कागज देखकर नहीं बोलता. बैठ तो जाओ. इन्होंने जितने वचन दिए हैं एक भी वचन पूरा नहीं किया. वित्त मंत्री जी कहां चले गए ? उपाध्यक्ष जी, संसदीय कार्य मंत्री और वित्त मंत्री जी दोनों ही नहीं हैं. गोविंद सिंह जी, यहां आओ.
उपाध्यक्ष महोदया - वे बताकर गए हैं. कृपया विषय पर आ जाइए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - वह तो अच्छा है. संसदीय कार्य मंत्री जी से तो कहिए अपनी सीट पर बैठें.
श्री गोपाल भार्गव - अब 70 साल की उम्र है कुछ आवश्यकताएं भी होती हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मुझे तो अनावश्यकता लग रही है.
उपाध्यक्ष महोदया - आपके दो मिनट और शेष हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, मैं बोल पाऊं तब तो आप मिनट गिनो. वह बोलते हैं और आप मेरे मिनट गिनते हैं. यह बड़ी दिक्कत है.
उपाध्यक्ष महोदया - आप शुरू तो करिए सब शांत हैं अभी. आप बोलिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, 5 रुपया इन्होंने कहा कि दूध पर बोनस देंगे. वह अपना सिलावट है और सिलावट के जमाने में मिलावट नहीं. शुद्ध के खिलाफ युद्ध और युद्ध के खिलाफ शुद्ध और शुद्ध के बाद भी सिलावट की मिलावट. अब तो सरकारी में सांची में यूरिया पकड़ गया. अब सरकारी में ही मिलावट.
श्री तुलसीराम मिलावट - आपकी जानकारी के लिए कि जो मिलावट करेगा उसको छोड़ेंगे नहीं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, सरकार में मिलावट, बैठा है तुलसी सिलावट. जवाब कोई और दे रहा है सवाल किसी से है और हालात यह हुआ इस सरकार का कि (XX)
श्री प्रियव्रत सिंह - क्या यह भी बजट में लिखा है ?
उपाध्यक्ष महोदया - यह हटवा दीजिए.
श्री के.पी. सिंह - उपाध्यक्ष जी, भूरिया जी यह कह रहे हैं कि अभी तो अकेला यूरिया गायब हुआ है अगली बार नरोत्तम जी, आप न निपट जाओ.
श्री बाला बच्चन - उपाध्यक्ष जी, भूरिया जी के जीतने के कारण केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश के हिस्से का यूरिया देना बंद कर दिया. मिश्रा जी, आपने बिलकुल सही बोला है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, बाला भाई, के.पी. सिंह जी बोले हैं उनका जवाब एक बार दे दूंगा लेकिन आपकी बात का जवाब नहीं दूंगा.
श्री कमल पटेल - उपाध्यक्ष जी, पकड़ो आप अब तो यूरिया दूध में मिल रहा है.
उपाध्यक्ष महोदया - आप लोग बैठ जाइए. ..(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन - उपाध्यक्ष जी, भूरिया जी की जीत आपको बर्दाश्त नहीं हुई है. आप लोगों ने झाबुआ में बहुत कोशिश की. आपने सारी बातें बोलीं लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार का और माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व को झाबुआ के लोगों ने स्वीकार किया और रिकार्ड वोटों से भूरिया जी जीतकर आए केन्द्र सरकार ने इसलिए यूरिया बंद कर दिया है.
श्री जितु पटवारी - उपाध्यक्ष जी, भैया नरोत्तम जी, आगे की लाईन यह है कि जब से जीता भूरिया, केन्द्र ने नहीं भेजा यूरिया.
उपाध्यक्ष महोदया - जितु जी, कृपया बैठ जाइए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, के.पी. सिंह जी और लक्ष्मण सिंह जी अभी आए हैं मजा नहीं आएगा आपके बिना. बहुत पुराने साथी हैं. मेरे को एक बात बताओ वह जो आपने शायरी अभी ट्वीट की थी वह क्या थी ? सही-सही बोलो.
श्री लक्ष्मण सिंह - उपाध्यक्ष जी, समझने वाले समझ गए और जो न समझे वो अनाड़ी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, राजा हम तो अनाड़ी हैं. हम तो मान रहे हैं तभी तो इधर हैं लेकिन राजा आपने उधर पहुंच कर हालत क्या कर दी. आप देखो तो सही आपके आगे जो बैठा है यह 6 बार का विधायक रहा है और आप तो जाने कितनी बार सांसद, कितनी बार विधायक रहे और इसलिए खाद की पर्ची काट रहा है. आप कह रहे हैं कि खाद है कि नहीं. अच्छा ईमान धर्म से बोलना, आप असत्य नहीं बोलते राजा. खाद बांटी कि नहीं ? आप हां या न बोलिए. खाद बांटी की नहीं बांटी ?
श्री लक्ष्मण सिंह - उपाध्यक्ष जी, मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं मेरे किसानों की मदद कर रहा था, खाद की पर्ची काट रहा था. खाद दिला रहा था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यस, मैं भी कह रहा हूं. ऐसे सब लोग हो जाएं.
श्री लक्ष्मण सिंह - उपाध्यक्ष जी, अब आप और खाद भेजो तो जरा जल्दी मिल जाएगा. आप खाद तो भेज नहीं रहे हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप सही बात कह रहे हो और इसलिए मैं कह रहा हूं कि अगर इन्होंने कहा है कि राहुल गांधी को मध्यप्रदेश आकर माफी मांगना चाहिए तो इनकी बात मानो, माफी मंगवाओ उनसे. मैं नहीं कह रहा लक्ष्मण सिंह जी ने कहा. खुद गोविंद सिंह जी बोले कि हम माफी मांगते हैं.
श्री लक्ष्मण सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट लूंगा. पंडित जी महराज, हमारी पार्टी प्रजातांत्रिक पाटी है और हमारी पार्टी में हम कुछ भी कहते हैं हमारा नेतृत्व सुनता है, समझता है. आपकी पार्टी में तो आप नेता के सामने बोल नहीं सकते.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- बिल्कुल सही बात है. इस बात से एक बात प्रमाणित हो गई कि उनको माफी मांगना चाहिए और हम आपके साथ हैं. आपकी पार्टी में कोई आपके साथ नहीं है लेकिन हम आपके साथ हैं.
“राजा हुस्न हाजिर है मोहब्बत की सजा पाने को, आप तो बोलो क्या करना है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, गोविन्द सिंह जी कहते हैं इस प्रदेश के अन्दर कि हम माफी मांगते हैं कि हम अवैध मायनिंग नहीं रोक पाए. एक विधायक कहता है जो इनकी मिलावटी सरकार को समर्थन देते हैं हमारे शुक्ला जी सपा के विधायक हैं, हैं कि नहीं हैं, विराजे हैं. बिना लिफाफा दिए काम नहीं होता भोपाल में किसी का, मैं नहीं कह रहा, वे कह रहे थे, मेरी बात कोई मत मानना. राहुल गाँधी की माफी मांगने की बात मैं नहीं कह रहा, उन्होंने कहा था, अरे आपके उमंग सिंघार हैं कि नहीं....
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया समाप्त करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष जी, कर रहा हूँ. उमंग सिंघार हैं कि नहीं हैं, उन्होंने कहा कि पर्दे के पीछे से सरकार कोई और चला रहा है, रिमोट किसी और के हाथ में है, मैं नहीं कह रहा, मेरे ऊपर दोष मत देना. उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में शराब माफिया कौन है, उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश का मायनिंग माफिया कौन है. इस प्रदेश किसान क्यों परेशान है. इस प्रदेश में बेरोजगारी भत्ता क्यों नहीं मिल रहा. मध्यप्रदेश की जनता क्यों हैरान परेशान है. लूट मची है, लूट. मैं नहीं कह रहा. मैं तो कहता हूँ कि,
“राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट, अंतकाल पछताएगा जब प्राण जाएँगे छूट”
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)-- 15 साल इतना लूटा है, बचा ही कहाँ है लूटने के लिए. आपने छोड़ा ही कहाँ है.
उपाध्यक्ष महोदया-- माननीय मंत्री जी, कृपया बैठ जाइये...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- गोविन्द भाई, “चमन को सींचने में पत्तियाँ कुछ झड़ गई होंगी, यही इल्जाम हम पर लग रहा है बेवफाई का, पर कलियों को जिनने अपने हाथों से मसल डाला वही दावा कर रहे हैं रेहनुमाई का.” उपाध्यक्ष जी, यह है सोचने वाली बात. यह है बात 15 साल की, हमारी बात क्या करते हैं गोविन्द भाई. हम तो 15 साल (श्री प्रियव्रत सिंह जी के खड़े होने पर) प्रियव्रत, एक मिनिट.
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया बैठ जाइये. कृपया समाप्त करें. आप इधर से टिप्पणी बंद करवा दीजिए...(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह-- ये एक घंटे से कवि सम्मेलन चल रहा है. उपाध्यक्ष जी, मेरी आप से अपील है....
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- प्रियव्रत जी बैठो तो, गोविन्द भाई, हमने 15 साल राज किया. उसके बाद चुनाव में गए और उसके बाद भी तुम्हारा बहुमत नहीं आ पाया और तुम अभी चुनाव में चले जाओ तो 15 आ जाओ तो बहुत बड़ी बात मानना, तुमने प्रदेश की जनता की यह हालत कर दी है.
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया बैठ जाइये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- 15 साल के बाद भी तुम बहुमत नहीं ला पाए और यदि एक दो विषय नहीं होते विश्वास करना गोविन्द भाई....(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया बैठें...(व्यवधान)..
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- आपको मुबारक हो आप वहीं बैठो हम यहीं बैठेंगे आने वाले 5 साल बाद फिर यहीं मिलेंगे.
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया समाप्त करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- “होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिए”(हँसी)
उपाध्यक्ष महोदया-- इस शेर के बाद समाप्त करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- माननीय उपाध्यक्ष जी, मेरी अपनी शैली है बात कहने की और उसी शैली में मैं कह रहा हूँ.....
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- मैं कह रहा हूँ कि इन्होंने मध्यप्रदेश के किसान के साथ धोखा किया. इन्होंने मध्यप्रदेश के नौजवान के साथ धोखा किया. उपाध्यक्ष जी, इन्होंने मध्यप्रदेश की बेटियों के साथ में धोखा किया. इसमें उल्लेख नहीं है 51....(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया सहयोग करें, बैठ जाइये.
श्री कुणाल चौधरी-- कितना सहयोग चाहिए इनको मतलब भाषण ही दिए जा रहे हैं....
उपाध्यक्ष महोदया-- बाकी सदस्यों के नंबर कट जाएंगे आप चिन्ता मत करिए. आप बैठ जाइये कुणाल जी.
श्री कुणाल चौधरी-- फिर मैं भी भाषण दूंगा.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे)-- प्रतिभावान छात्रों का सरेआम गला घोंटने का काम आपकी सरकार ने किया प्रतिभा का. सरेआम प्रतिभाओं की हत्याएँ की हैं आपने. इतना बुरा कृत्य आपकी सरकार ने किया है और बात करते हों किसानों की. 50 हजार कर्जा माफी की घोषणा की थी 2008 के चुनाव में शिवराज सिंह जी ने. एक कौड़ी माफ नहीं की और बातें करने लग गए बड़ी बड़ी.
उपाध्यक्ष महोदया-- पांसे जी, कृपया बैठ जाइये. कोई बात नोट नहीं होगी. आप अपनी बात जल्दी खत्म करिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- मैं खत्म तो तब करूँ जब बोलने दें.
उपाध्यक्ष महोदया-- काफी लम्बा समय हो गया कृपया सहयोग करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- माननीय उपाध्यक्ष जी, ये जहाँ गोली की बात कर रहे हैं वहाँ पर आपका कुल एक विधायक जीता है. समझ में आ गई इसलिए आप गलत थे आपने जनता में भ्रम फैलाया और आप 50 हजार की बात कर रहे हों उसके बाद बहुमत में आए और 15 साल राज करने के बाद तुमको इस मध्यप्रदेश में बहुमत नहीं मिल पाया और आज चुनाव हो जाए तो आपका सूपड़ा साफ हो जाएगा. यह धोखा देने वाली सरकार, यह किसान विरोधी सरकार...
श्री जितु पटवारी-- नरोत्तम जी, धन्यवाद आपको कि आपने स्वीकार किया कि गोली हमने ही मारी थी किसानों को.....(व्यवधान)......इनकी सच्चाई के लिए इनका स्वागत करो.
उपाध्यक्ष महोदया-- कुणाल जी इसके बाद आपका नंबर है. कृपया आप तब ही बोलिए जब आपका नंबर आए. नरोत्तम जी कृपया आप खत्म कीजिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री कुणाल चौधरी-- आपको बहुत समय मिल गया, बहुत देर हो गई है. अब तो बैठ जाएं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--यह अपने मित्र से कहो, अपने रिश्तेदार से कहो मेरे से क्यों कह रहे हो.
उपाध्यक्ष महोदया-- नरोत्तम जी कृपया बैठ जाइए आपने समाप्त कर दिया है. मैंने कुणाल जी का नाम ले लिया है.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- यह एक ऐसा आदमी है जिसको यह नहीं मालूम कि बजट पेश हो गया और बजट की किताब है कि नहीं इस आदमी को यह नहीं मालूम.
उपाध्यक्ष महोदया-- कुणाल जी आप शुरू कीजिए.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल)-- उपाध्यक्ष महोदया, बहुत अच्छा समय,बहुत अच्छी बात माननीय पूर्व मंत्री जी की मैं सुन रहा था और अनुपूरक बजट के ऊपर, इतने अच्छे बजट के ऊपर क्या बात करना चाहिए थी और किस तरह की बात की है. कल भी बड़े पेपर हिला-हिला कर जवाब दिए गए. किसानों पर बात की गई. आज भी बड़ी-बड़ी बातें की. मैं कल से पेपर ढ़ूंढ रहा था कि यह पेपर किस के हैं. यह किस तारीख के पेपर लाए है. यह सारे पेपर वर्ष 2014 2015, 2016, 2017 और वर्ष 2018 तक के पेपर गलती से ले आया था कल से आज तक के वह पेपर चेक करवाना पडे़ंगे.
3:37 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति) (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, कृपा कीजिएगा. उपाध्यक्ष महोदया ने उन पर बहुत कृपा की है . थोड़ी बहुत कृपा आप मेरे पर भी कीजिएगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइए.
श्री कुणाल चौधरी-- बैठ जाऊं.
अध्यक्ष महोदय-- जी.
श्री कुणाल चौधरी-- अभी तो मैंने बोलना शुरू ही नहीं किया है आप पहले ही बैठा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप एक मिनट के लिए बैठिए. अगर मैं कुछ बोल रहा हूं तो अध्यक्ष के इशारे भी समझा करो. आपको परमानेंट बैठने के लिए नहीं बोल रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, एक रहस्य समझ में नहीं आया आप समझा दें. जब बहुत पीकअवर्स चल रहे थे उस समय...
अध्यक्ष महोदय-- मैंने जानबूझकर छूट दी थी.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं यही समझने की कोशिश कर रहा था.
अध्यक्ष महोदय-- अब मैं यही बताने की कृपा कर रहा हूं. कृपा कर इसको आप सभी बडे़ धैर्य से, चिंतन से सुन लीजिएगा. कार्यमंत्रणा समिति में बजट के ऊपर तीन घंटे का निर्धारण हुआ था. नरोत्तम जी आपने लगभग साढ़े त्रेपन मिनट बोल दिया.
श्री गोपाल भार्गव-- आपकी कृपा है.
अध्यक्ष महोदय--आप लोग जरा शांत रहेंगे. शांत रहिए. मेरी तो कृपा है ही. सभी के ऊपर है. और इसमें मेरे पास श्रीमती यशोदा राजे सिंधिया, ओमप्रकाश सकलेचा जी, डॉ. सीतासरन शर्मा जी, मनोहर ऊंटवाल जी, जालम सिंह पटेल जी, दिनेश राय ''मुनमुन'' जी, हरिशंकर खटीक जी, बहादुर सिंह चौहान जी, दिलीप सिंह गुर्जर जी, गिरीश गौतम जी, कमल पटेल जी, संजय शाह ''मकड़ाई'' जी, दिव्यराज सिंह जी, शरदेन्दु तिवारी जी, विजय शाह जी, आशीष गोविन्द शर्मा जी, देवेन्द्र वर्मा जी मेरे पास लगभग 20 नाम हैं. सिर्फ तीन घंटे दिए गए थे. कार्यमंत्रणा समिति में निर्धारित किया था. दल के विभाजन के हिसाब से देख लें तो आधा-आधा डेढ़-डेढ़ घंटे मिलते हैं. हमें नही मालूम था कि आपकी क्रीज में जो प्रथम बल्लेबाज आया है वह आखिरी गेंद भी खुद खेलकर जाना चाहता है. मैं आप सदस्यों से माफी चाहूंगा. मैंने नाम पढ़कर सुना दिए हैं. आपके दल ने नाम दिए थे लेकिन समय सीमा है मुझे उसका पालन करना है इसलिए जो रह जाए वह 139 की चर्चा में अपने आपको समाहित कर लेंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, 139 की चर्चा का चरित्र अलग है. सप्लीमेंट्री बजट पर चर्चा का चरित्र अलग है. उसके विषय अलग हैं.
अध्यक्ष महोदय-- मैं माफी चाहूंगा.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, मैं निेवेदन करूंगा कि जिन सदस्यों के नाम आपने पढे़ सभी अपने-अपने..
अध्यक्ष महोदय--मैं माफी चाहूंगा. यह नेता प्रतिपक्ष को अपने दल के सदस्यों को स्वयं सुझावित करना चाहिए कि कौन कितना बोले, कितने मिनट बोले, क्या बोले. समयसीमा का निर्धारण आपने और हम सबने कार्यमंत्रणा में किया है इसका पालन हो.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, आप अंदर से सुन रहे होंगे. नरोत्तम जी जब बोल रहे तो मुश्किल से एक चौथाई समय में बोल पाए हैं बाकी तीन चौथाई समय इंट्रप्शन में चला गया.
अध्यक्ष महोदय- मैंने अपनी भावना यहां रख दी है. मैं केवल उतने ही सदस्यों को समय-सीमा में बुला पाऊंगा. कोई इसे अन्यथा न ले या अपने दल के सचेतक को अन्यथा न ले या अपने दल के नेता प्रतिपक्ष को अन्यथा न ले. सत्तापक्ष के लोग अपने सचेतक को अन्यथा न लें. कृपया मुझे सहयोग करें.
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, अन्यथा की व्यथा बड़ी है.
अध्यक्ष महोदय- नेता प्रतिपक्ष जी, यदि मैं दिन भर की कार्यवाही को देखूं तो नेता प्रतिपक्ष जी इतनी बार खड़े हो जाते हैं, जितनी बार कोई और खड़ा नहीं होता.
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, यह मेरा कर्त्तव्य है, मेरा धर्म है. मैं इसी के लिए यहां बैठा हूं. आप यदि हमारे 20 वरिष्ठ में से भी कटौती करेंगे, तो क्या होगा?
अध्यक्ष महोदय- हमने यहां पटवा जी को देखा, अर्जुन सिंह जी को भी देखा, हमने यहां गौर साहब और विक्रम वर्मा जी को भी देखा है लेकिन हमने कभी नेता प्रतिपक्ष को इतना उठते नहीं देखा.
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, आपने तो फिर जमुना देवी जी को भी देखा होगा, कटारे जी को भी देखा होगा.
अध्यक्ष महोदय- जी हां, दोनों को देखा है. आपको जमुना देवी जी कैसे याद आयीं ? और कोई क्यों नहीं याद आया ?
श्री गोपाल भार्गव- हम लोग लगभग 30-40 वर्षों से इस विधान सभा में बैठ रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- अध्यक्ष महोदय, आपने मेरे नाम का उल्लेख किया इसलिए केवल दो मिनट.
अध्यक्ष महोदय- हम उसे वापस ले रहे हैं. हमने उल्लेख नहीं किया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- अध्यक्ष महोदय, मुझे केवल दो बातें कहनी थीं. आपने बोला है, मैं उसी को मान रहा हूं. मैं जितनी देर यहां बोला हूं, उतना समय आप काउण्ट कर लीजिये. मैं बोला हूं, आप रिकॉर्ड देख लीजिये और दूसरी बात यह है कि आपने कहा था कि रात तक बैठेंगे, देर तक बैठेंगे, सबको बिठायेंगे.
अध्यक्ष महोदय- बैठेंगे, आज 12 बजे तक बैठेंगे. 12 बजे तक बैठने के लिए आप तैयार हैं ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र- अध्यक्ष महोदय, आप जब तक चाहें तब तक हम बैठने को तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय- फिर ठीक है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- लेकिन मेरा एक संशोधन है, इसमें जो बोल लेंगे वे 139 की चर्चा में नहीं बोलेंगे. मंजूर है क्या ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र- मंजूर है.
अध्यक्ष महोदय- ठीक है. सचेतक जी अब आप बैठ जाईये.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि 23 दिसंबर तक सदन चलना है.
अध्यक्ष महोदय- अब आप सभी मेरी बात सुनिये. नरोत्तम जी, जब 20-20 का मैच होता है तो जितनी देर गेंदबाज गेंद को घिसता है, फेंकता है, वह पूरा समय बल्लेबाज के हिस्से में काउण्ट होता है. ऐसे ही पूरा समय आपके में काउण्ट हो रहा है, भले ही कोई टोक रहा हो. (हंसी)
मेरा दोनों पक्षों से अनुरोध है कि कृपया सीमित बोलें, कम बोलें, मुद्दे की बात बोलें, उतनी ही चूटियां लें, जिससे गर्माहट न बढ़े.
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, मैं इस व्यवस्था से सहमत नहीं हूं. बहुत से ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने पूर्व में कहकर रखा था कि वे 139 की चर्चा में किसानों के मुद्दे पर अपनी बात रखेंगे.
अध्यक्ष महोदय- यह आप लोग तय कीजिये. गोपाल जी, मेरी बात सुनिये. आपकी गेंद मेरे सिर पर मत डालिये. आप लोग खुद सदस्यों को सीमित नहीं कर सकते, उनसे बुराई नहीं ले सकते, पूरी बुराई मेरे ऊपर डलवाना चाहते हैं.
श्री गोपाल भार्गव- आप अपनी गेंद मेरे सिर पर डाल रहे हैं और यह केवल बुराई का प्रश्न नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- समय-सीमा होती है, कोई आज से नहीं हो रही है. पहले से जब से हाऊस शुरू हुआ है, तब भी समय-सीमा रही है. समय अलग-अलग बटें हैं घण्टे और मिनट अलग-अलग बटें हैं. उसी समय-सीमा में पक्ष और विपक्ष ने चर्चायें की हैं.
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, यह कार्यसूची है (कार्यसूची सदन में दिखाते हुए) 23 तक विधान सभा चलनी है, कार्य निपट जायेगा. सारे लोग बोल लेंगे.
अध्यक्ष महोदय- मैं घण्टों के अंदर सीमित रहूंगा.
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, क्या विधान सभा जल्दी खत्म करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय- बात यह नहीं है लेकिन मैं घण्टों के अंदर सीमित रहूंगा.कुणाल जी आप बोलिये.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल)- अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात रखूं उससे पहले कहना चाहूंगा कि आपने मुझे उठते ही बिठा दिया तो ऐसा लग रहा है कि ''अपनों पे सितम और गैरों पर रहम'' वाली स्थिति है. 53 मिनट उधर और थोड़ी कमी इधर कर दी है तो यह कहावत अब समझ आ रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे प्रथम अनुपूरक बजट अनुदान पर बोलने का मौका दिया है. मैं सबसे पहले दुष्यंत जी का एक शेर कहना चाहूंगा-
''कि कौन कहता है आसमान में छेद नहीं हो सकता
एक पत्थर तो जरा़ तबीयत से उछालो यारों''
श्री विश्वास सारंग- अध्यक्ष महोदय, इनको सही से शेर पढ़ना तो सीखा दो.
(...व्यवधान...)
श्री कुणाल चौधरी- मैं पत्थर के बारे में भी बता रहा हूं. पिछली सरकार ने जब पत्थर उछाला था, तब शायद पूर्व मुख्यमंत्री जी की तबीयत ठीक नहीं थी.
(...व्यवधान...)
श्री विश्वास सारंग- जितु भाई, ये पत्थर उछालने लग गये, अपना सिर बचा के रखना. ये कौन सी भाषा है ? बजट पर बोलो भाई.
(व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी-- मैं बजट पर ही बोल रहा हूँ. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आप सभी लोग बैठ जाइए. या तो हम लोग चर्चा कर लें या हो हल्ला करके चर्चा को खत्म कर लें. बजट पास कर दें. मेरी बात सुनिए, आप कौन होते हैं उसके बोलने पर बीच में टोकने वाले.
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, जब आप नहीं थे तो इन्होंने नहीं बोलने दिया हमको. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- यह तरीका गलत है.
श्री कुणाल चौधरी-- अरे आप तो महिलाओं पर अत्याचार करो, आप समानता की बात नहीं करते हो (व्यवधान)
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, जब यह परम्परा डाली जाएगी तो हम भी उसी परम्परा का पालन करेंगे. जब पक्ष के लोग यह परम्परा डालेंगे तो हम भी नहीं बोलने देंगे.
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, मैं चुनकर आया हूँ यह मुझे बोलने नहीं देंगे यह मेरे अधिकारों का हनन कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- या तो आप लोग तय करके आए हैं कि कोई न बोले इस तरफ का और उस तरफ का और हल्ला करते रहें. ऐसे बजट पर चर्चा होती है. अगर ऐसा ही करना है तो एक सदस्य पक्ष से बोल ले और एक विपक्ष से बोल ले, बाकी दोनों तरफ के लोग हल्ला कर लें और बजट पास कर लें. आप क्या करना चाह रहे हैं. हम सब पढ़े लिखे विद्वान लोग हैं. अब यह क्या तरीका है बैठे-बैठे बोलने का (श्री दिनेश राय, सदस्य के बैठे-बैठे बोलने पर)
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष महोदय, आप नहीं जानते हैं कि आपके सूने में क्या हुआ है. अध्यक्ष महोदय, हमने उपाध्यक्ष महोदया से बार-बार निवेदन किया कि हमें विषय पर बोलने नहीं दिया जा रहा है, आप इनको रोकिए परन्तु उन्होंने उनको नहीं रोका.
अध्यक्ष महोदय -- अब मैं एक-एक करके बाहर निकालना शुरु कर दूंगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी जब आप आसन पर नहीं थे.
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल जी मेरी बात सुनिए, अगर यही तरीका चला तो मैं एक-एक करके बाहर निकालना शुरु कर दूंगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी मेरी बात तो सुन लें.
श्री दिनेश राय -- अध्यक्ष जी हम बिलकुल तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह देखो यह खड़े हो गए, यह क्या तरीका है. मैं खड़ा हूँ. क्या तरीका है यह ?
श्री गोपाल भार्गव -- आप अध्यक्ष हैं आप ऐसा क्यों कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह क्या तरीका है, ऐसा नहीं होता है, यह लोग तो मुझे खिलौना बनाए हुए हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी ऐसी बातें नहीं करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह तरीका बहुत गलत है. आप लोग जितने खड़े हो रहे हैं गोपाल जी मैं यहां पर इंगित कर लूंगा और मैं यहां पर एक्शन ले लूंगा. आप अपने सदस्यों को समझाइए.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आप एक्शन ले लें, आप सारे लोगों को एक्सपेल कर दें, आप हमें अयोग्य साबित कर दें.
अध्यक्ष महोदय-- हाउस चलने दीजिए, विधिवत् डिस्कशन होने दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव -- यह कोई विषय नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है आप पेशंस में रहिए, मैं आपसे रिक्वेस्ट कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आप जब इम्पेशंस होते हैं तब, आज सुबह जब इम्पेशंस हुए. आपने क्या कुछ नहीं कह दिया.
श्री गोपाल भार्गव -- कतई नहीं हुआ अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय -- आपने क्या कुछ नहीं कह दिया.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, आपकी आसंदी बड़ी है.
अध्यक्ष महोदय -- और यह जो जानते हैं पहली बार के आए हैं. यह तरीका नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव -- आप आम विधायक नहीं हैं आप खास हो गए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह बार-बार बोलने का तरीका है इन लोगों का. हर बार खड़े हो जाते हैं. मैं मना कर रहा हूँ.
श्री गोपाल भार्गव -- साढ़े तिरेपन मिनिट में कितना इंटरप्शन हुआ है आपने नहीं देखा है.
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही पांच मिनिट के लिए स्थगित.
(3.49 बजे सदन की कार्यवाही 05 मिनट के लिए स्थगित की गई)
4.01 बजे (विधान सभा पुन: समवेत हुई.)
{अध्यक्ष महोदय, श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) पीठासीन हुए. }
अध्यक्ष महोदय:- चलिये कुणाल जी बोलिये.
श्री कुणाल चौधरी:- अध्यक्ष महोदय, इस मध्यप्रदेश के अंदर प्रथम अनुपूरक बजट आया है. जिसकी शुरूआत मैंने चंद लाइनों से की थी कि-
'' कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता
एक पत्थर तो जरा तबियत से उछालो यारों''
पर पिछली बार जब यह सरकार में थे तो इनकी तबियत खराब थी तो दुष्यंत जी ने तबियत का लिखा था, तो खराब तबियत थी, जब उन्होंने पत्थर उछाला तो खराब तबियत के कारण कभी किसान को, कभी नौजवान को, कभी गरीब को ऐसे पत्थर सर के ऊपर पड़े की मध्यप्रदेश के किसान को आत्म-हत्या पर मजबूर कर दिया, मध्यप्रदेश के भविष्य को अंधकार कर दिया, मध्यप्रदेश के गरीब को लूटने का कामकर दिया.
श्री दिनेश राय 'मुनमुन':- अरे, यह पत्थर क्या जाने, पहली बार का विधायक असत्य बोल रहा है. (व्यवधान) असत्य जानकारी दे रहा है.
श्री कुणाल चौधरी:- अध्यक्ष जी यह डराने का काम कर रहे हैं, प्रतिपक्ष को पता है कि मैं यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष हूं. ( व्यवधान)..
श्री दिनेश राय 'मुनमुन':- गुमराह कर रहा है. यहां सिर्फ भ्रामक जानकारी पढ़ने के लिये खड़ा किया है, जो महिलाओं की इज्जत नहीं कर सकता, जो महिलाओं का सम्मान नहीं कर सकता. ( व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी:- अध्यक्ष जी, यह गरीब किसान के बेटे को संरक्षण चाहिये. यह डराने का काम कर रहे हैं, यह माफिया के लोग हैं. (व्यवधान)..
श्री दिनेश राय 'मुनमुन':- आप ऐसे लोगों को बोलने का मौका दे रहे हैं... (व्यवधान).. बिल्कुल नहीं बोलने देंगे. (व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी:- यह माफिया हैं.... (व्यवधान).. अध्यक्ष जी, आपका संरक्षण चाहिये. यह माफिया दबाने की कोशिश कर रहे हैं. परन्तु यह भूल रहे हैं कि यह कमलनाथ जी की सरकार है, माफियाओं का राज नहीं चलेगा. (व्यवधान)..माफियाओं को उखाड़ फेंका जायेगा. (व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य:- यूरिया पर बोलिये. (व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी:- यूरिया पर भी बोल रहा हूं, आप चिन्ता मत करो. (व्यवधान)..एक नौजवान विधायक को सदन के अन्दर डराने की कोशिश हो रही है. मैं डरने वाला नहीं हूं. यहां पर कमलनाथ जी की सरकार है, यह मोदी की सरकार नहीं है जो मैं डरूंगा. (व्यवधान)..
श्री दिनेश राय 'मुनमुन':- सरकार किसानों के बारे में सोचे, चार हजार रूपये दो. . (व्यवधान)..तुमने किसानों का कर्जा माफ नहीं किया.. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय--श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया जी.
श्री कुणाल चौधरी--अध्यक्ष जी यह अधिकारों का हनन है. (व्यवधान)
श्री दिनेश राय मुनमुन--तुमने किसानों के 2 लाख मकान लौटा दिये.
अध्यक्ष महोदय--(श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया से) आप नहीं बोल रही हैं.(व्यवधान)
श्री दिनेश राय मुनमुन--हम भी अपनी विधान सभा से जीतकर आये हैं आसंदी को लगे तो निष्कासन कर दें. आसंदी जो चाहे कर दे,आपसे पहले जो आसंदी पर बैठे थे उनकी जवाबदारी थी मैंने 10 बार टोका कि आप उनको रोकिये-रोकिये (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, मैं 10 चुनाव जीता हूं 5 लोक सभा के और 5 विधान सभा के और 1990 से लगातार या तो लोक सभा में रहा हूं या इस सदन में रहा हूं. ऐसा दृश्य मैंने कभी नहीं देखा कि हम बोलना चाहें मैं 13 साल से मुख्यमंत्री रहा हूं. आप सदन के वरिष्ठ सदस्य हैं. जब भी हम बोलने के लिये खड़े होते हैं लगातार रोका-रोकी एवं टोका-टाकी होती है. टोकने वालों में माननीय मंत्रिगण रहते हैं. आसंदी से हम निष्पक्षता की अपेक्षा करते हैं. आखिर सहने की भी कोई सीमा होती है. नेता प्रतिपक्ष माननीय गोपाल भार्गव जी उनका कर्तव्य है, उनकी ड्यूटी है कि अगर माननीय सदस्य प्रतिपक्ष के बोलना चाहते हैं तो उनको अवसर मिले. कहीं अगर ऐसा विषय आता है जिसमें इनट्रप्ट करना हो तो वह अपनी बात रखें, लेकिन आज इस सदन में जैसा व्यवहार हुआ है. मैं आसंदी का सम्मान करता हूं, लेकिन जिस ढंग से आसंदी की तरफ से भी निकाल दिये जायेंगे, उठा दिये जायेंगे, यह बात कही गई है, यह अपमानजनक है, असहनीय है और इस तरफ के भी हमारे कुछ मित्र मैं सबकी बात नहीं करता थोड़ी बहुत रोका टोकी चलती है, लेकिन आप लगातार रोका टोकी आप करेंगे तो लोकतंत्र है बहुमत है आज आपके पास, लेकिन बहुमत की आवाज वह भी पूरा नहीं है. यह प्रतिपक्ष को दबा नहीं सकती है और बड़े होकर के विनम्र होना चाहिये आज सचमुच में आहत हैं, मन से दुःखी हैं. मैंने कभी 30 साल के अपने संसदीय जीवन में ऐसा दृश्य नहीं देखा. माननीय आसंदी को भी कम से कम प्रतिपक्ष को और अवसर देने का प्रयास करना चाहिये. आज जिस ढंग से बात हुई है प्रतिपक्ष के सदस्य मेरे सहित अपमानित महसूस कर रहे हैं. हमको लगता है कि हमारी आवाज दबाई जाती है इसलिये हम सबकी आज चर्चा करने की कोई इच्छा ही नहीं है, हम लोग बुरी तरह से मरमाहत हैं. सत्तापक्ष अगर यह व्यवहार करेगा आपको पास करना है कर लो, लेकिन आप विपक्ष को नकारना चाहते हैं आपकी मर्जी है, आप नकारिये, लेकिन यह सहन करने के लायक नहीं है. रोज अपमान हम सहन नहीं करेंगे न ही हमारे सदस्य ही अपमान सहन करेंगे. अगर ऐसी स्थिति है तो फिर हम सदन में बैठेंगे ही नहीं तो इस चर्चा का कोई अर्थ ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--नहीं ऐसा नहीं है माननीय शिवराज सिंह जी.
डॉय गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय--आप रूकिये मुझे बोलने दीजिये. न मेरे मन में न ही मेरे दिलो-दिमाग में ऐसी बात है कि मैं किसी सदस्य के साथ ऐसा व्यवहार करूं या मैं उनका दिल तोड़ू, यह मेरे कर्म वचन में नहीं है. कभी कभी ऐसी बात हो जाती है जो मैं भी नहीं सोच रहा था कि आसंदी के प्रति इतनी उत्तेजना बताएंगे या इस हाव-भाव से उल्लेखित करेंगे, क्योंकि मैं खुद आहत हुआ हूं. मेरे को यह बोलना अच्छा नहीं लग रहा था, यह मैं आपको स्पष्ट कर रहा हूं. यह क्रिया की तत्काल में प्रतिक्रिया हो गई थी आप उसको अन्यथा न लीजिये न ही ऐसी दुःखी होने की बात है. हम सब यहां पर अच्छी भावनाओं से आये हैं और अच्छा काम करने आये हैं मेरे मन में ऐसा नहीं है मैं इतना भर चाहता हूं कि चर्चा हों, स्वस्थ हों. हां यह बात भी सही है कि इधर से नरोत्तम जी बोल रहे थे जितनी टोका-टाकी उनको की गई जब आप बोलोगे तो यहां से भी टोका-टाकी सुनने के लिए तैयार रहिए. ये परस्पर क्रिया प्रतिक्रिया है और ऐसी स्थिति दोबार निर्मित न हो, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूं, मेरी आपके प्रति ऐसी भावना न रही है न मैं कभी सोचना हूं और हम लोग बहुत पुराने वर्ष 1985 के मित्र हैं हम कभी ऐसा सोच भी नहीं सकते आपके प्रति. मैं सिर्फ इतना चाहा रहा हूं कि अच्छी स्वस्थ चर्चा हो जाए. आप लोग बोल लीजिएगा, मुझे कुछ नहीं मैं चुपचाप होकर बैठा रहूंगा, जिसको जितना बोलना है, बोलिए, मैं चुपचाप होकर बैठा रहूंगा, मुझे क्या लेना देना है. इतना भर निवेदन है कि जब कोई बोलता है, सामने वाला न टोके न, अगर आप बोल रहे हों, उतना ही बोलो, ताकि सामने वाले की प्रतिक्रिया ज्यादा न आए, तो वह न आपको टोकेंगे न आपको बोलने से कोई रोकेगा. मेहरबानी करके हम दोनों अच्छी बात कर लें बड़ी कृपा होगा. चर्चा होने दीजिए, ऐसी बात न करिएगा, शिवराज जी हम बिलकुल नहीं चाहते हैं. अगर आप सभी आहत् होते हैं तो आप क्या सोचते हैं, मैं आहत नहीं होता हूं, आप लोग सभी आहत् होंगे तो उससे ज्यादा मैं आहत् होउंगा, क्योंकि मेरी भी कुछ ड्यूटियां हैं. इसलिए कृपापूर्वक सदन चलने दीजिएगा. मैं, श्रीमती यशोधरा राजे जी को पुकारा हूं.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने पक्ष के भी सभी माननीय सदस्यों से यह आग्रह करता हूं कि अब सदन की कार्यवाही में हम भाग लें, सदन को चलने दें और सत्तापक्ष से भी अपेक्षा है कि स्वस्थ बहस हो, रोकाटोकी न हो, ताकि हम लोकतंत्र को और पुष्ट और स्वस्थ बना सके और मध्यप्रदेश की गौरवशाली परम्परा को कायम रख सके.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष जी, अभी जो वार्तालाप् हुआ, मैं उस समय सदन में उपस्थित नहीं था, लेकिन वास्तव में यह प्रजातंत्र का मंदिर है और सदन चलाना विपक्ष से ज्यादा सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी है. मैं तो यह देख रहा हूं कि वास्तव में मैं स्वीकार करता हूं अब भविष्य में ऐसी कोई घटना नहीं होगी, ऐसा मुझे विश्वास है और अपने साथियों से कहूंगा और खासकर अपने मित्रों से, जो मंत्री हैं, मंत्रियों को तो टोका टाकी में बोलना ही नहीं चाहिए. आप लोगों से जब सवाल है, जवाब देने का आपको अवसर मिलता है. यह बात सच है मैंने देखा है कि कि कई हमारे माननीय मंत्री जी अभी भी समझते हैं कि हम विधायक ही हैं (...मेजो की थपथपाहट) इसलिए आप सबसे अनुरोध है खासकर मंत्रीमंडल के माननीय सदस्यों से कृपा करके भविष्य में आप जब कोई सदन में पक्ष के या विपक्ष के नेता बोलते हैं तो आप कृपा कर धैर्य बनाकर सुनिए और आपका जवाब देने का आपका अधिकार है, आप अपने पक्ष को बता दें कि मैं बोलना चाहता हूं, आपको भी अवसर मिलेगा और खासकर अपने साथियों को कहना चाहता हूं, विधायक बंधुओं को कि आपकी जवाबदारी ज्यादा है. हम भी वर्षों तक विपक्ष में रहे हैं लेकिन ऐसी घटनाएं नहीं घटीं, हालांकि एक दो बार टोका टाकी हो जाए वह बात अलग है, लेकिन लगातार बोलने न दो तो सदन नहीं चलेगा. इसलिए आप सभी से अनुरोध है कृपया कर भविष्य में हम अपना अपना आचरण सुधारें और माननीय नेता प्रतिपक्ष जी को और आपको जो कष्ट हुआ है, उसके लिए मैं सभी की तरफ से खेद व्यक्त करता हूं. (...मेजो की थपथपाहट)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे 38 वर्ष हो गए लगभग इस विधान सभा में लगातार बिना किसी ब्रेक के आज जो प्रसंग सामने आया, शायद यज्ञदत्त शर्मा जी, राजेन्द्र शुक्ला जी, श्रीनिवास तिवारी जी, ईश्वर रोहाणी जी और भी बाद में जितने लोग रहे. मुझे बड़ा कष्ट है. हम यहां प्रतिष्ठ और सम्मान के लिए आए, लोगों की आवाज उठाने के लिए आए. प्रदेश के जो दुखी लोग है, मुफलिस है, बदहाल है, बेबश है, लाचार है, उनकी आवाज उठाने के लिए यहां आए हैं, प्रदेश के विकास के लिए आए हैं. मेरा कोई निजी स्वार्थ नहीं है. मैं कसम खाकर कहता हूं, मेरे अड़ोस-पड़ोस के विधायक भी है, मैंने अपनी जिंदगी में न कोई व्यवसाय किया, राजनीति के अलावा, शुद्ध राजनीतिक रहा हूं. मैंने खदानें कूटा, परमिट लायसेंस, शराब इत्यादि सारी चीजें से मैंने कभी असाक्ति नहीं पाली. मैं शुद्ध राजनीतिक रहा हूं और मैं अपनी लाइन पर चल रहा हूं. मैं अपने विधायकों के संरक्षण के लिए यहां पर बैठा हूं, पार्टी ने मुझे विधायक दल का नेता बनाया यह मेरा सौभाग्य है और यदि मैं अपने कर्तव्यों की रक्षा नहीं कर सकूँ, दायित्वों की रक्षा नहीं कर सकूँ, ठीक है नये विधायक भी हैं और भी हमारे कुछ विधायक ऐसे हैं, जो उतना नहीं जानते हैं. लेकिन अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत दु:खी हूँ. मैं फिर क्षमा चाहता हूँ, आज आपका व्यवहार ऐसा रहा, जो मर्म आहत कर गया. मैं पेशेवर राजनीतिज्ञ नहीं हूँ, मैं सेवा करने वाला राजनीतिज्ञ हूँ.
अध्यक्ष महोदय - गोपाल जी, मेरा आपसे अनुरोध है कि आप बिल्कुल उसको उस तरीके से न लें.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हम अपने स्वाभिमान के लिये, सम्मान के लिये यहां पर बैठते हैं.
अध्यक्ष महोदय - मैं आपका विधिवत् मान-सम्मान करता हूँ.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हम स्वाभिमान के लिए बैठते हैं और जनता के स्वाभिमान की रक्षा के लिये भी बैठते हैं, हम अपने विधायकों के स्वाभिमान की रक्षा के लिये बैठते हैं, एक-दूसरे से परस्पर स्वाभिमान होता है. मैं फिर निवेदन करना चाहता हूँ कि ऐसी अप्रिय स्थिति कभी नहीं आये, आप ऐसी व्यवस्था करें, आप नियम बनायें, आप प्रक्रिया बनायें, आप जो कुछ भी करें. आप स्वत: स्फूर्त तरीके से संचालन करें लेकिन मैं आज फिर कहना चाहता हूँ कि आपने मुझे जैसे डांटा.
अध्यक्ष महोदय - मैं आपको नहीं डांट सकता.
श्री गोपाल भार्गव - नहीं, आपने आसन्दी पर खड़े होकर, जिस तरह आक्रोशित होकर कहा.
अध्यक्ष महोदय - ईमानदारी से मेरी ....
श्री गोपाल भार्गव - अब इन बातों को रिपीट नहीं करना चाहता हूँ. लेकिन अध्यक्ष महोदय, हम लोग राजनीति में आये हैं, तो जितने वर्षों तक और हैं या रहेंगे, हम आपसे यह कहना चाहते हैं कि हम किसी निजी स्वार्थ के लिये नहीं आये हैं. हम लोगों की आवाज मुखरित करने के लिये, प्रदेश के करोड़ों लोगों की आवाज मुखरित करने के लिये यहां पर बैठे हैं. इसलिए मैं कहना चाहता हूँ कि हमारे स्वाभिमान और सम्मान की रक्षा आप करेंगे, शासन नहीं करेगा.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
श्री गोपाल भार्गव - इसलिए मैं कहना चाहता हूँ कि हम लोग आशा भरी नजरों से, उम्मीद भरी नजरों से आपको देखते हूँ और वही उम्मीद हमारी अगर टूट जाये तो बहुत तकलीफ होती है. आगे आप समझदार हैं, विचार करें.
श्री दिनेश राय 'मुनमुन' (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट लूँगा. आपने मुझे डांटा. इसलिए मुझे थोड़ा सा तो बोलने का मौका दे दीजिये. आप हमारे संरक्षक महोदय हैं. आप एक कोने में बुलाकर हमारे कान खींच लें, सबके सामने न खींचे. मेरा आपसे आग्रह है.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया (शिवपुरी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया, मैं इसके लिये धन्यवाद देना चाहती हूँ. मैं आप लोगों का ज्यादा समय नहीं लूँगी क्योंकि बहुत समय निकल गया है. मेरे इस बजट से संबंधित दो-तीन प्वाइंट हैं. मैं माननीय मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित कराना चाहती हूँ. उद्योग विभाग में, मैं मानती हूँ कि हमारे समय में उद्योग और एमएसएमई के बीच में विभाजन हुआ था, पर जो सेन्टर की पॉलिसी है कि सेन्टर में एमएसएमई डिपार्टमेंट है और उद्योग का विभाग है तो वह दोनों विभाग चलते हैं क्योंकि पॉलिसी डिस्जंस होती हैं. इस प्रदेश में मेरा मानना है कि उन दोनों को विभाजित नहीं किया जाये और उसके तर्क भी हैं. आपने उन दोनों को अभी तक विभाजित रखा हुआ है. आज बजट में पैसों की किल्लत है, पर अगर आप उन दोनों को समायेंगे & you will make the one department the growth will be much better. आपके आज जो डीटीआईसी हैं, वह डीटीआईसी, डिस्ट्रिक्ट ट्रेड अपने इण्डस्ट्रीज़ सेन्टर्स हैं. वह डीटीआईसी, आपके एमएसएमई में चली गईं और आपकी एकेव्हीएन, इण्डस्ट्री में रह गई. अब कई चीजें डीटीआईसी में आनी चाहिए, जो इण्डस्ट्री वालों को चाहिए और कई चीजें एकेव्हीएन के दायरे में आती हैं, जिससे एमएसएमई में दिक्कत आ रही है. अगर आप दोनों को एमलगमेट करोगे तो दोनों में जो अभी दिक्कतें आ रही हैं, वह नहीं आएंगी क्योंकि आज की तारीख में जो इन्फ्रास्ट्रक्चर रिक्वायरमेंट है, जो आज लैंड के इश्यूज़ हैं, जो आज बिल्डिंग परमिशन हैं, वह सब इण्डस्ट्रियल ग्रोथ सेन्टर में है और इण्डस्ट्रियल ग्रोथ सेन्टर एमएसएमई के लिए नहीं है तो ऐसी जो आज दोनों के लिये विडम्बना चल रही है, वह सारी चीजें हैं, आप इसके ऊपर नजर डालें. यह माननीय मुख्यमंत्री जी का विभाग है. वह थोड़ा-सा इसके ऊपर कॉन्सन्ट्रेट करें और दोनों को एक बार फिर से बनायें और जो समस्याएं आज बड़े-बड़े उद्योगों को आ रही हैं या छोटे-छोटे एमएसएमई वालों को आ रही हैं, वे सब आज मिट जाएंगी. हमने Ease of doing business को सारे प्रदेशों में लागू किया है. Ease of doing business एक पाइंट की एक योजना है. वह एक पाइंट तो है ही नहीं क्योंकि हमारे पास एम.एस.एम.ई. अलग विभाग है और इंडस्ट्री डिपार्टमेंट अलग है, दोनों को अगर आप करोगे तो Ease of doing business भी अच्छे से चलेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने खेल विभाग पर आना चाहती हूं. वह अब अपना विभाग तो नहीं रहा है, अब वह श्री जितू पटवारी जी का विभाग है (हंसी). हमारी सरकार ने और हमारे मुख्यमंत्री जी ने जब हम पहले-पहले आये थे तो चार करोड़ रूपये का बजट था और धीरे-धीरे मुख्यमंत्री से आग्रह करते-करते वह साढ़े चार साल में 2 सौ 24 करोड़ रूपये का बजट बन गया. अब इनके यहां भी दिक्कत थी क्योंकि कई चीजें थीं, किसानों की समस्या चल रही थी, इनको बजट्री प्रोवीजन बोनस के लिये भी बनाना था, पर फिर भी वह हमारे लिये और इस छोटे से विभाग के लिये हमेशा प्राथमिकता से पैसा निकाल देते थे. यह छोटा सा पैसा है, आपके बड़े-बड़े विभाग हैं. ग्रामोद्योग विभाग, इंडस्ट्री विभाग, दो-दो हजार करोड़ रूपये, चार-चार हजार करोड़ रूपये, दस-दस हजार करोड़ रूपये और आज यह खेल विभाग जो आज पटवारी जी के पास है, इसके लिये केवल दो सौ करोड़ रूपये, ट्रायबल डिपार्टमेंट से तो तीन सौ करोड़ हर साल वापस ही आ जाते हैं और आप दो सौ करोड़ रूपये से चौबीस करोड़ निकाल रहे हो, साठ करोड़ रूपये निकाल रहे हो. मेरा सुझाव है कि आप पूरी छानबीन करो, आप सारी इंडस्ट्री, सारे विभागों में जांच करो आपको एक ऐसा विभाग नहीं मिलेगा जो दो सौ करोड़ रूपये वाला विभाग आज इतनी उपलब्धियां मध्यप्रदेश के लिये ला रहा हो. हर महीने हम नेशनल अवार्ड नहीं जीत रहे हैं, आपकी सरकार इंटरनेशनल अवार्ड जीत रही है. मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि दूसरे विभागों से आपको क्या उपलब्धियां मिल रही हैं ? यह एक छोटा सा विभाग है. आप कटौती इस आधार पर करो कि उस विभाग में क्या हो रहा है, तब बात बन सकती है. आप उस विभाग से कटौती नहीं करें जहां से आज आप शायद एक ओलपिंक योजना बना रहे हैं.उस ओलपिंक योजना में आप कैसे करने वाले हो, जब हमारे जो खेल गांव हैं, जो खेल के मैदान हैं, उसमें हम इंफास्ट्रक्चर डालेंगे ही नहीं, आपका विभाग वहां पर इंफास्ट्रक्चर डाल ही नहीं पायेगा. आज 2 सौ 24 करोड़ रूपये से आप 24 करोड़ रूपये निकालकर, 2 सौ करोड़ रूपये पर आ गये हैं. मैं आपको एक पूरी दो सौ पन्ने की सूची दे सकती हूं, जिसमें पटवारी जी के खेल विभाग की इतनी उपलब्धियां हैं. चाहे वह जूनियर वर्ल्ड रिकार्ड हो, वह हमारे ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर ने जीता हो, चाहे वह हर्षिता तोमर की ऐशियन मैडल हो. पांच साल शिवराज सिंह चौहान जी के पहले खेल में मध्यप्रदेश कहां पर था ? कोई दूरबीन लगाकर देखे, तब भी मध्यप्रदेश में कोई भी खेल का व्यक्ति नहीं मिलता था और आज हम उस मुकाम पर आ गये हैं, जब आपकी सरकार इसको ओर प्रोत्साहित करे. हम नेशनल की तरफ न देखें, हम इंटरनेशनल की तरफ देखें, जहां हमारे बच्चे पहुंच गये हैं. अब आप उसमें कटौती करोगे तो वह बच्चा कहां पर जायेगा. आज अगर किसी सैलिंग के बच्चे को जाना है, ओलपिंक अगले साल है. आपके पास एक ऐसे अनुभवी ए.सी.एस. वित्त विभाग में अनुराग जी हैं, वह खुद खिलाड़ी हैं. मैं तो कहती हूं कि अगर आप और कटौती करोगे तो जो शिवराज सिंह जी की सरकार में हमने अरेरा कॉलोनी टेनिस कोर्टस के लिये पैसा दिया था, तो उसे ही आप निकालकर वापस बेचकर कुछ करो क्योंकि वह तो आफिसर्स का था. हमने यहां तक अपने समय में किया था. यह एक प्रथा है कि खेल विभाग एक लूप लाईन विभाग होता है. मंत्री के लिये क्या - क्या करें, कौन सा विभाग दें, तो उसे खेल विभाग दे देते हैं. मैं सही कह रही हूं (हंसी).
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मुझसे तो आपने मांग कर खेल विभाग लिया था (हंसी) श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया - शिवराज जी के लिये मैं कहूं जब उन्होंने मुझसे पूछा कि आपकी क्या रुचि है तो मैंने उनसे कहा कि मैं दो मंत्रालय लेना चाहता हूं. आप मुझे देंगे तो वे थोड़े से संकोच में हो गये कि भईया अब क्या मांगने वाली हैं मुझसे. तो मैंने कहा कि खेल विभाग तो उनका चेहरा खिल गया और फिर मैंने कहा दूसरा विभाग धर्मस्व, तो और भी खिल गये और टेंशन उनका जो था वह निकल गया. उन्होंने कहा कि नहीं..नहीं..नहीं.. हम इन दोनों विभागों के साथ-साथ ये दोनों विभाग भी देंगे. मैंने कहा आप जो भी करो लेकिन मुझे ये दोनों विभाग चाहिये. पूरा सदन यह मानेगा कि जो शिवराज जी की सरकार ने खेल विभाग के लिये किया वह आज पूरे भारत में पटवारी जी का खेल विभाग छा रहा है और मैं ये भी कहूं इस मंत्री के लिये कि इन्होंने देखा कि अच्छा संचालन हो रहा है. एक मिनिट भी उनका इंटरफियरेंस उस खेल विभाग में नहीं आया. 40 फुट की दीवार पर चढ़ रहे हैं हमारे खेल मंत्री आजकल. हम मजाक छोड़ें लेकिन हमने इतने बच्चों को गांव-गांव से निकालकर एक मछुआरे की बच्ची हो, एक इलेक्ट्रीशियन की बेटी हो हमने ऐसी-ऐसी गांव से प्रतिभाएं निकाली हैं कि हमारा खेल विभाग का आपकी सरकार में इतनी अच्छी तरह संचालन हो रहा है. तो आप ये कटौती मत करिये. कितने ऐेसे विभाग हैं जो 200-200 करोड़ के हैं परंतु उनमें क्या कोई ऐसा विभाग है जिसने इतनी उपलब्धियां दीं. अगले साल ओलंपिक वर्ष है. आपको पता है कि हमारे कई बच्चे इंटरनेशनल नहीं जा पाये अपने अध्ययन के लिये और इसी वजह से मेरे कार्यकाल में जब मैंने मुख्यमंत्री जी को प्रामिस किया था कि हमारे बच्चे ओलंपिक में जायेंगे और वह वादा पूरा हुआ क्योंकि आधी हमारी लड़कियों की ओलंपिक हाकी टीम हमारी थी. इस बार हमारे माननीय खेल मंत्री के अंडर अभी से ही ओलंपिक तो अगले साल अगस्त में हैं. अभी से इनको 2 ओलंपिक कोटा प्लेस शूटिंग के लिये मिल गये. बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि शूटिंग में पहले आपको दस कांपटीशन करने पड़ते हैं तब आपका नाम आता है अलाउड होता है आपको ओलंपिक में जाने के लिये. इंडिया से नहीं आपको कम्पलीट करना पड़ता है वर्ल्ड स्तर पर और जब आपको ओलंपिक कोटा मिलता है तो आपके देश को मिलता है और आज इनको आठ महीने पहले अभी से ही ओलंपिक कोटा मिल गया है. इसीलिये मैं आग्रह करती हूं कि इतनी सारी चीजें हैं जहां आप कटौती कर सकते हो परंतु 20-24-60 करोड़ कहां लगते हैं थोड़ा सा तो रहम करो हमारे खिलाड़ियों पर और इंटरनेशनल स्तर पर हमारे बच्चे पहुंच चुके हैं. अब इनका काम है उसको आगे पहुंचाना ओलंपिक जीतना. मध्यप्रदेश सरकार के लिये ही बड़ी बात होगी कि ओलंपिक में आप मेडल जीतकर आये.
श्री तरुण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, स्पोर्ट्स से आपका प्रेम देखते हुए. जीतू तो वैसे भी संगठन का व्यक्ति है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से जरूर बोलूंगा कि अगर आप तैयार हों तो इस सरकार में भी आपको यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष जी, मैं यह कहना चाहता हूं कि जितनी तड़फ यशोधरा जी के मन में खेल और खिलाड़ियों के लिये है वित्त मंत्री जी उस भावना को समझें और जितनी कटौती सोची होगी वह बिल्कुल समाप्त करके जो जरूरी हो वह पूरा दे दें तो सार्थक चर्चा होगी. यशोधरा जी ने बहुत सार्थक चर्चा की है. टू द प्वाइंट बोली हैं इसके लिये मैं उनको बधाई भी देता हूं प्रशंसा भी करता हूं उनके दिल में तड़फ है. न कोई व्यंग्य न कोई इधर-उधर की बात सीधे उन्होंने अपनी बात कही है.
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष जी, भतीजे को तो सम्मान दे नहीं पा रहे, भुआजी को कहां से सम्मान देंगे, इतना बड़ा आपका दिल हो रहा है? आपकी कांग्रेस पार्टी में भतीजे को तो सम्मान दे नहीं पा रहे हैं और उनको सम्मान देने की बात कर रहे हैं ?
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - आप भी आइए, आपका भी सम्मान है.
श्री रामपाल सिंह - आदरणीय श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया उनका सम्मान आप कर नहीं पा रहे हैं. हिन्दी में बात यह है.
अध्यक्ष महोदय - वित्त मंत्री जी, श्री शिवराज सिंह चौहान जी जो बोल रहे हैं, मैं भी पक्षधर हूं कि खेलकूद की कटौती मत करो, जैसा वह बोल रही हैं, वैसा ही करो. (मेजों की थपथपाहट)..
श्री तरुण भनोत - जितु को मैं मान गया, मैं इस बारे में मुख्यमंत्री जी से जरूर चर्चा करूंगा.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया - अध्यक्ष महोदय, चर्चा फिर होगी ही नहीं? अध्यक्ष जी की बात सुन लें. धन्यवाद अध्यक्ष जी. दो और छोटी बातें हैं मेरे क्षेत्र की. वित्त मंत्री जी मैं आपके पास में आई थी और मैंने संकटा डेम के लिए आपसे आग्रह किया था. माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी के मुख्यमंत्रित्व काल में यह डेम की सारी जो प्रक्रिया करनी थी, इसके लिए प्रिपरेशन और डीपीआर, वह सारी प्रक्रिया कर दी गई थी. अब आपके समय में बार-बार क्वेरिज़ आ रही हैं और संकटा का क्षेत्र बहुत ड्रॉय है, जिसको वह पानी देगा. यह हम जनता की पुकार आपके पास में ला रहे हैं शिवपुरी से ओर नदी जो हमारी है वह नदी पानी दे रही है पिछोर और करैरा को, जब मैंने श्री शिवराज सिंह चौहान जी के पास यह बात लाई थी तो उन्होंने कहा कि नहीं, ऐसा नहीं होगा और हम आपके लिए भी करेंगे तो इसीलिए वह सारी डीपीआर वगैरह में कम से कम हमें दो ढाई साल लगे. नरोत्तम जी ने भी कहा था कि हां, हो जाएगा. आपने भी कहा था कि हां, हो जाएगा. जुलाई में हम बजट से वंचित रह गये. अब इस अनुपूरक बजट में भी हम वंचित रह गये तो आप कृपया अध्यक्ष जी, आपका संरक्षण चाहती हूं कि हम जो ऑनेस्ट लोग हैं जो बहुत मेहनत करके ये चीजें लाते हैं तो हमारा दिल बहुत पीड़ित हो जाता है जब बार-बार कहा जाता है कि नहीं, I promise you, it will come और फिर वह नहीं आता है. अब वह दो प्रॉमिसेस हो गये और वह अभी तक नहीं हुआ है. अब उसका फरवरी बजट के लिए इंतजार करना पड़ेगा.
चौथी बात वित्त मंत्री जी, हमारा शिवपुरी मेडिकल कॉलेज, आपने 5 मेडिकल कॉलेज को 50 करोड़ रुपये दिये हैं, मतलब हमारे कॉलेज के लिए 10 करोड़ रुपये दिये हैं. परन्तु जितना पैसा लोगों ने दिया है भर्ती के लिए और अध्यक्ष जी मुझे कहना नहीं चाहिए, परन्तु हम सब लोग फ्रस्ट्रेटेड हो रहे हैं. माननीय श्री के.पी. सिंह जी ने भी कई बार यह बात उठाई है कि बहुत ही ज्यादा भ्रष्टाचार भर्तियों में हुआ है और जहां कई लोगों की शिवपुरी से ही भर्ती होनी चाहिए, आप आज मेडिकल कॉलेज शुरू कर रहे हो, मतलब कि जॉब के लिए इतना पीएचडी, बीए, एमए, एमडी जो भी करना है, करते हैं, उसके हिसाब से जॉब मिलता है. भगवान जाने पैसे के हिसाब से हम जब यह भर्तियां कर रहे हैं तो कैसे यह मेडिकल कॉलेज अच्छी होगी?
आज स्वास्थ्य के लिए मध्यप्रदेश में बहुत काम अभी भी करना है. अगर आज हम पैसों पर भर्ती करेंगे तो फिर कैसे मेडिकल कॉलेज अच्छी होगी? हमने स्वास्थ्य मंत्री जी से जांच मांगी है. दो बार यह प्रश्न अटका हुआ है विधान सभा में, आपके संरक्षण से आपने जांच कमेटी बैठाई. परन्तु जांच कमेटी बैठाई उन लोगों के साथ जो इसी में ही शामिल हैं तो कैसे अच्छे से जांच होगी? और जांच रिपोर्ट पूरी हो गई, खत्म हो गई, खानापूर्ति हो गई और आज के.पी. सिंह जी और हम वैसे ही बैठे हैं ठन-ठन गोपाल. मजाक तो दूसरी बात है अध्यक्ष जी. यह भी पीड़ा है कि इतना बड़ा मेडिकल कॉलेज शिवराज जी ने केन्द्र सरकार के सहयोग से हमें दिया, बहुत ही भव्य रूप उसने लिया है. हमारी छोटी शिवपुरी है. परन्तु इतना बढ़िया मेडिकल कॉलेज दिया है और उसके बाद पैसे के आधार पर हर जॉब आज हो रहा है. कृपया इस पर मैं आपका संरक्षण चाहती हूं अध्यक्ष जी, इसकी जांच रिपोर्ट जब भी आएगी, वित्त मंत्री जी इसको भी देखें, मुख्यमंत्री जी देखें. अध्यक्ष महोदय, कृपया आप संरक्षण चाहती हूं इतना ही कहते हुए आपने मुझे बोलने का समय दिया. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री राजवर्द्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव( बदनावर ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत कुछ कहा सुना जा चुका है. मैं वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत इस बजट का समर्थन करता हूं. मैं पूरी चर्चा तो नहीं सुन पाया हूं बीच में बाहर गया था लेकिन अभी हम सब ने जो भाषण सुना वह बहुत ही हृदय को छू जाने वाला था. इसका सबसे पहले समर्थन करूंगा, तरूण भनोत जी आप खुद भी खिलाड़ी रहे हैं, मैंने भी कुछ नेश्नल किया है.इसमें कुछ जरूर करें. नरोत्तम जी का थोड़ा बहुत भाषण सुनकर मैं गया था. दो तीन दिन से हम सुन ही रहे हैं, काफी सारी बातें हुई हैं, कुछ कुछ देर के बाद में एक व्यंग्य कसा जाता है. मुख्यमंत्री जी पर, सरकार पर, वादों पर, हां हमने वचन पत्र जारी किया. इस वचन पत्र के ऊपर कमलनाथ जी का फोटो था हम क्योंकि पार्टी में हैं और उस मेनीफेस्टो के तहत चुनाव भी लड़े, यह भी सत्य है कि हमारे राष्ट्रीय नेता ने आकर एक वादा किया. लेकिन अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से सदन से एक बात पूछना चाहता हूं. क्या हमारी नीयत खराब थी. क्या अगर वचन पत्र में हमने कुछ कहने का साहस किया है जो साहस पूर्ववर्ती सरकारें नहीं कर पायीं तो हमने क्या गलत किया है. विगत कई वर्षों में 22 हजार किसानों की आत्महत्या, पीड़ा, वेदना वह सड़कों पर उतरे और उससे ज्यादा उग्र आंदोलन मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा. मुझे इस बात का दुख है यह कहते हुए कि जब वह आंदोलन हो रहा था तो उसमें भी हमारे मित्रों को साजिश नजर आ रही थी, बहुत से नेताओं ने ब्यान दिया कि इसमें तो कांग्रेसियों का हाथ है. वह आंदोलन करवा रहे हैं तो जब उस समय वह ब्यान दिये गये मैं अपने मित्रों से कहना चाहता हूं कि आज आप हम पर उंगली उठा रहे हैं. हां, वचन पत्र हमने जारी किया, घोषणा पत्र जारी नहीं किया है.
अध्यक्ष महोदय मुझे बचपन का एक नारा याद है भाजपा का कहना साफ हर किसान का कर्जा माफ. उसी दौर में मेरे पिता जी के मित्र वह हमारे जिले के नेता थे और बाद में मंत्री बने, और सुई से लेकर ट्रेक्टर तक का कर्जा माफ होगा, इस नारे पर इस वादे पर सरकार बनी, और सरकार चली गई मुख्यमंत्री जी भी चले गये कुछ लोग उस वक्त के बाकी हैं कुछ नहीं हैं. एक सुई का भी कर्जा माफ नहीं हुआ है.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- पटवा जी की सरकार ने कर्जा माफ किया था.
श्री राजवर्द्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव-- पता नहीं आप उस समय किस उम्र के थे, सुन लीजिए मैं तो उस समय बहुत छोटा था, हो सकता है कि मेरी स्मरण शक्ति में कोई खोट हो, लेकिन फिर भी जब आप हम पर आरोप लगा रहे हैं तो एक उंगली किसी की तरफ उठाते हैं तो तीन उंगली हमारी तरफ आती हैं. मैं केवल उ स बात का वर्णन कर रहा हूं. इसमें संधि विच्छेद बाद में कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय उसके बाद फिर से एक चुनाव में हमने बात सुनी. शायद एक बड़े राष्ट्रीय नेता ने अगर मैं गलत नहीं हूं तो मेरे ख्याल से खरगौन में एक सभा में एक घोषणा की थी कि 50 हजार तक का किसानों का कर्जा माफ होगा और मैं भी विश्वास नहीं कर पाया चुनाव के बाद और आप भी नहीं कर पाये, एक हमारे बहुत ही कद्दावर नेता, सहकारिता के नेता जिन्होंने गांव गांव नहरों के द्वारा सिंचाई का प्रावधान किया हमारे सुभाष यादव जी का स्मरण करना चाहूंगा. कितना उस आदमी ने वहां पर काम किया ऐसे नेता पराजित हुए सिर्फ इस घोषणा के कारण, 50 हजार तो क्या शायद किसी किसान का 50 रूपये का भी कर्जा माफ नहीं हुआ होगा.
अध्यक्ष महोदय एक और बड़े राष्ट्रीय नेता ने, यह बात मैं इसलिए कह रहा हूं कि नरोत्तम जी की कुछ बातें मुझे याद हैं पंडित जी आप सीख दे जाते हैं कृपा है आपकी, 15 लाख रूपया, कालाधन आना चाहिए या नहीं आना चाहिए, इससे खातों में 15 लाख रूपये आयेगा पूरा देश साथ हो गया, 15 लाख तो क्या 15 रूपया भी नहीं आया, यह सब घोषणा पत्र की बात हैं. मुझे विश्वास है कि बजट के आंकड़ो की बातें, जितनी भी वचन पत्र की बातें हैं उसके लिए कमलनाथ जी प्रतिबद्ध हैं. एक साल पूरा हुआ है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव -- अध्यक्ष महोदय, जो वचन पत्र में बातें हैं, उसके लिये कमलनाथ जी प्रतिबद्ध हैं. एक साल पूरा हुआ, हां लक्ष्मण सिंह जी ने कुछ बातें कही हों, कुछ बातें मैंने भी कहीं. हम भी क्षेत्र में जाते हैं, हम स्वीकार करते हैं. अभी तक सारा माफ नहीं हो पाया है. लेकिन क्यों नहीं हो पाया, आपको पता है. जब मुझे पता लगा चुनाव के बाद, जब लोग आने लगे, क्योंकि जो आपने लाखों, करोड़ों रुपये बिजली के बिल माफ करने की घोषणा की थी, वह नहीं कर पाये, हम उसको कर रहे थे. क्योंकि भावान्तर में आप प्याज, लहसुन, गेहूं का पैसा पुराना नहीं दे पाये, हम उसको दे रहे थे. हमारे यहां का रिकार्ड है, ऑन रिकोर्ड है. मैं आपको लाकर दे सकता हूं. आप देख लीजिये. आप जिस विकास खण्ड का चाहे, देख लीजिये, पूरे जिले का ..(व्यवधान)..
श्री हरिशंकर खटीक -- आप यह जो आरोप लगा रहे हैं, यह गलत है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव -- अध्यक्ष महोदय, मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं.
..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, आप गलत बयानी कर रहे हैं, आप हाउस को मिस लीड कर रहे हैं.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव -- अध्यक्ष महोदय, अगर मैं गलत बोल रहा हूं, तो आप रिकार्ड उठा लीजिये. हमने पेमेंट किया, कब का किया,कब किया.
..(व्यवधान)..
डॉ. गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, अब आपने तय कर लिया कि टोका-टाकी नहीं होगी, तो अब आप जितना बोल सकते हैं, धड़ाके से बोलिये. मैंने अध्यक्ष जी से निवेदन कर लिया है कि इन्हें ज्यादा समय दो.
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय सदस्य असत्य तो मत बोलिये, सदन में जो कभी आज तक न बोले कोई.
श्री के.पी. सिंह (पिछोर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक उदाहरण दे रहा हूं, शिवराज सिंह जी आपकी सरकार का. आप कह रहे हैं कि ये गलत बयानी कर रहे हैं, मिस लीड कर रहे हैं. शिवपुरी जिले में यशोधरा जी भी यहां विराजमान हैं, सूखा पड़ा था. वह सूखा का पैसा आज दिनांक तक पूरा नहीं बंट पाया आपकी सरकार का. यह मैं ऐसे नहीं बोल रहा हूं, आप रिकार्ड मंगवा लीजिये. आप भी सरकार में मुख्यमंत्री रहे हैं, पूर्व राजस्व मंत्री, वर्मा जी यहां बैठे हुए हैं, इन्होंने इसी सदन में एक बयान दिया था कि कोई भी पट्टा अमल होने से नहीं रह गया. याद है वर्मा जी. सारे पट्टे अमल हो चुके हैं. आज मैंने एक हजार पट्टों की सूची दी है 2002 के पट्टे हैं. यह आपके जमाने में हुआ और अब राजवर्धन सिंह जी बोल रहे हैं, तो थोड़ा सा उनको और सुन लीजिये. अगर आपके पास प्रमाण हैं कि वे असत्य बोल रहे हैं, अब यहीं से बात शुरु होती है, उधर से टोका-टोकी होती है, फिर कहते हैं कि इधर क्यों बोल रहे हैं. मैं अगर गलत बोल रहा हूं , तो आप सिर्फ आज की बात करो, मैं कल की बात नहीं कर रहा हूं. आपके जमाने का सूखा राहत का पैसा मेरी विधान सभा में, मैं विधान सभा से बाहर बहुत कम जाता हूं, इसलिये कह रहा हूं. मेरी विधान सभा में उन कृषि किसानों को आज तक नहीं मिला, जिनको उस समय मिल जाना चाहिये था, आज से 2 साल पहले.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, कोई टोका-टाकी का इरादा नहीं है, एक मिनट में बात समाप्त करुंगा.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, हमारी इसमें आपत्ति है. यही नरोत्तम मिश्र जी जब असत्य बयानी कर रहे थे, तब हम लोग बोल रहे थे, तो हमें मना किया जा रहा था, तो ये बीच बीच में क्यों सवाल जवाब कर रहे हैं. जब हमारे विधायक जी बोल रहे हैं, तो बोलने दीजिये, आप अपनी बात कर लीजियेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इतना निवेदन कर रहा हूं कि दत्तीगांव जी यह कह रहे हैं कि आलू,प्याज का, इसका, उसका सबका दे रहे हैं. हमने अपने समय का एक एक पैसा किसान के खाते में डाला है,खाते में. जो घोषणा की थी, एक एक पूरी करके दी है, ऐसी कोई घोषणा नहीं थी कि जो आपको पूरी करनी पड़ी हो. आप योजनाएं बंद कर रहे हैं. हाउस को मिस लीड न करें, मेरा इतना कहना है और के.पी. सिंह जी, अगर सूखा राहत की बात थी, तो एक साल में 9-9 हजार करोड़ रुपया हमने बांटे. आप तब कह देते, कहीं चूक रह गई थी, तो हम तब कर देते.
श्री के.पी. सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैंने इसी विधान सभा में ध्यान आकर्षण लगाया और बोला, उदाहरण दिये. आप कह रहे हैं कि कह देते, किससे कह देता. अब सदन में कह सकता हूं और कहां कहने जाता.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- जब हम मुख्यमंत्री थे, तब कह देते.
श्री के.पी. सिंह -- आपको भी लिखकर दिया, मैंने दिया. मैं आपको कॉपी लाकर दे दूं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, ऐसा कभी नहीं हुआ कि कहीं सूखा पड़ा हो और हमारी सरकार ने नहीं दिया हो.
श्री के.पी. सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको कॉपी लाकर दूंगा. मैं ऐसे ही नहीं लिखता. आज भी बकाया है. मैं गलत बयानी नहीं करता.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे) -- शिवराज सिंह जी, जो 50 हजार की घोषणा की थी, वह पूरी की क्या आपने.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- हमने कोई 50 हजार रुपये की घोषणा नहीं की, उस समय वर्ष 2008 का आप हमारा संकल्प-पत्र देख लीजिए. उसकी एक-एक चीज हमने पूरी की है. मेरा केवल इतना निवेदन है ज्यादा टोका-टाकी का इरादा नहीं है. ...(व्यवधान)...
श्री सुखदेव पांसे -- वह तो आप जुमला बोल देते हैं, फिर 15 लाख रुपये को भी जुमला बोल दिया. अभी फिर पलट गए...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- 15 लाख रुपये का भी हम साफ कह रहे हैं कि कोई घोषणा 15 लाख रुपये की अपने वचन-पत्र में, घोषणा-पत्र में भारतीय जनता पार्टी ने केन्द्रीय स्तर पर कभी नहीं की. अपनी बात हमारे मुंह में डालने का काम आप कर रहे हैं, यह गलत है.
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं ऑन रिकार्ड कह रहा हूँ, धार जिले के भावान्तर के पेमेंट्स की आप जांच करा लें कि कितना पेमेंट किस-किस चीज का कितने समय से लंबित था और कब हुआ तो आपको पता लग जाएगा कि शिवराज सिंह जी जो कह रहे हैं, वह सत्य है या जो मैं कह रहा हूँ, वह सत्य है, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. बहस का कोई मुद्दा ही नहीं.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, न पहले बंटा है, न आज बंटा है, आज भी नहीं बंटा है, ये बोल रहे हैं कि हमने बांटा, वे बोल रहे हैं कि हमने बांटा, किसी ने नहीं बांटा, आज भी वह नहीं बंटा है.
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव -- अध्यक्ष महोदय, मैं पूर्व मुख्यमंत्री जी का बहुत सम्मान करता हूँ. घोषणाओं की बात आप कर रहे थे, मुझे याद है, आपको भी याद होगा, माननीय एक आशीर्वाद यात्रा के लिए निकले थे. उस वक्त जब मेरे विधान सभा क्षेत्र में ये आशीर्वाद यात्रा के लिए पधारे तब मैं विधायक था, सड़क के बीच में, क्योंकि आशीर्वाद सबसे ही प्राप्त करना था, हम भी मध्यप्रदेश के मतदाता थे और मुख्यमंत्री सबके थे. दलगत राजनीति से परे हटकर एक तिलगारा गांव है मेरी विधान सभा में, तिलगारा के बच्चे और हम सब गए, रास्ते में माननीय मुख्यमंत्री जी को निवेदन किया और बस में सब थे. उसमें प्रभात झा जी भी थे, बाकी तमाम लोग थे. हमने इनसे रास्ते में निवेदन करके प्रतिवेदन दिया और कहा कि माननीय यह आवश्यकता है और आपसे अपेक्षा है. आप हमारे मुख्यमंत्री हैं. माननीय ने सबके समक्ष, उसकी वीडियो रिकार्डिंग भी है, घोषणा की कि स्कूल के लिए हम करेंगे. उसके बाद कितना संघर्ष मुझे करना पड़ा, वह स्कूल कराने के लिए, या तो अर्चना चिटनीस जी जानती हैं या मैं जानता हूँ. बाकी घोषणाओं की बात हालांकि मुझे करनी नहीं चाहिए, कुक्षी उपचुनाव में हम थे, उमंग सिंघार जी भी विराजमान है, जमुनादेवी हमारी नेता थीं, शांत हो गई थीं. वहीं मेरे ख्याल से करीबन, आप मुख्यमंत्री के नाते जब चुनाव प्रचार करने पधारे तो करीब 3 हजार करोड़ रुपये की घोषणाएं तो शायद हुई होंगी. उमंग जी को भी स्मरण होगा. ऐसे कई उपचुनावों में, शिवपुरी का उपचुनाव, उसमें भी हम थे, हमारे सम्माननीय के.पी. सिंह जी भी थे और आशीर्वाद मुझे सदा प्राप्त रहे, बुआ जी का, बड़ा प्रेम रखती हैं मुझसे, कृपा भी रखती हैं, आपको भी सारी बातें याद होंगी. आपने मुझे डांटा भी था बहुत, कई बार तो, फिर भी मैं डांट सुनकर सब हम काम करते थे. उसमें नरोत्तम जी भी थे, उसमें तमाम घोषणाएं हुई होंगी और बुआ जी, आप तो विधायक हैं शिवपुरी की, आपको तो रिकार्ड में होगा, उनमें से कितनी घोषणाएं पूरी हुईं, बुआ जी हमें कभी बता देंगी, चाहे तो सदन में बता दें, चाहे अलग से बता दें, आज भी विधायक हैं, तब भी उन्हीं का क्षेत्र था और उन्हीं के मुख्यमंत्री थे. अध्यक्ष महोदय, ऐसे तमाम उपचुनावों की तो आप लिस्ट निकाल लें. मैं कहना यह चाह रहा हूँ, हालांकि बहुत समय हो गया है, सबको जाना भी है, तमाम सारी बातें हैं, बजट की बात भी कर रहा हूँ. किसानों की बातें हो रही थीं बार-बार, किसान पंचायतें बुलाई गईं, उसमें सबके केस वापिस लिए जाने की बात कही गई, आज तक नहीं हुए. यूरिया की बात कर रहे थे, मुझे स्मरण है संगीन के साये में यूरिया बंटा था अध्यक्ष जी, इनके जमाने में, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, चंबल, पुलिस खड़ी रहती थी, लट्ठ मारती थी. फोटो है, रिकार्ड है, आर्काइज में है. उस समय तो इनकी सरकार थी. उस समय थोड़ी-थोड़ी बात पर कभी साइकिल यात्रा, कभी पद यात्रा, बड़े भावुक रूप से उन्होंने बातें कीं.
श्री शिवराज सिंह चौहान (बैठे-बैठे) -- बजट में साइकिल दिलवा रहे हो क्या ?
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव -- नहीं नहीं, मैं तो याद दिला रहा हूँ कि आपकी एक साइकिल हुआ करती थी, जिस पर बैठकर आप निकल पड़ते थे, जब भी भाव बढ़ते-घटते थे, तब केन्द्र में हमारी सरकार थी और जब आपकी सरकार बन गई, भाव घटे-बढ़े, माननीय अध्यक्ष महोदय, उस साइकिल पर धूल लग गई. फिर नहीं बैठे उस पर कभी. हिम्मत नहीं थी अपनी केन्द्र सरकार पर उंगली उठाने की और मैं आज भी कह रहा हूँ, 28 सांसद मध्यप्रदेश ने केन्द्र सरकार को दिए हैं, 28 सांसद, हमारा हक है, 16 हजार करोड़ रुपये की नुकसानी का आंकलन मध्यप्रदेश में किया गया तो उसके एवज में हमें 1 हजार करोड़ रुपये दे रहे हैं. मध्यप्रदेश में लगभग साढ़े चार हजार किलोमीटर की सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं, उसके बदले में कुछ भी नहीं, तमाम बातें हैं. हमने क्या किया, यूपीए सरकार ने कितना पैसा कब-कब दिया, रिकार्ड में है, राघव जी से पूछ लीजिए, वे नहीं हैं, मैं माफी चाहता हूँ. लेकिन उनका वित्तीय प्रबंधन बहुत अच्छा था, उनकी तारीफ करना चाहूँगा. हर मेचिंग ग्रांट पर पैसा लाए. मुझे याद है उमा जी ने कहा था, उस समय उनका पहला भाषण था. उनके भाषण का एक-एक शब्द मुझे तो याद है, मैं बहुत प्रभावित था. उन्होंने कहा था कि मैंने विशेष तौर पर राघव जी को यहां वित्त मंत्री बनाया और उनका अच्छा प्रबंधन था. लेकिन तत्पश्चात यह सब बातें मैं इसलिए कह रहा हॅूं क्योंकि कहीं गईं हैं और जो बातें हुईं वह 160 रुपए बोनस की बात हुई. मैंने आपसे कह ही दिया है कि पुराने भावांतर के पैसे बाकी रहे और किसानों की बात करने का तो हक मेरे ख्याल से इनको इसलिए नहीं होना चाहिए क्योंकि यह कभी 70 किसान, 120 किसान, 150 किसान बोल रहे थे और कितना मजाक उड़ाया गया माननीय अध्यक्ष जी, जिस व्यक्ति को सस्पेंड किया गया उस पूरे मंदसौर कांड में और फिर उसी को बहाल कर दिया गया. आज तक जैन कमीशन की रिपोर्ट सदन में नहीं आयी. यह पता ही नहीं चला कि उस पूरे घटनाक्रम का दोषी कौन है और मंदसौर, नीचम की बात बहुत ही भावुक होकर सदन में नेता कर रहे थे. मैं ज्यादा समय नहीं लूंगा. लेकिन इतना जरुर कहूंगा कि आपने जितु पटवारी जी पर भी ऊंगली उठायी. जितु पटवारी जी नौजवान हैं, वह एक अच्छा काम करने की कोशिश कर रहे हैं. आपके एक माननीय सदस्य ने भी उनकी तारीफ की. उस वक्त क्या-क्या नहीं हुआ. पटवारी भी हड़ताल पर थे, आंगनवाड़ी के कार्यकर्ता हड़ताल पर थे, शिक्षक हड़ताल पर थे, तहसीलदार हड़ताल पर थे और तो और कोटवार भी हड़ताल पर थे और उनके वरिष्ठ मंत्री क्या करते थे उनके साथ. कोई जूते पहनवा रहा है, कोई जूते के लेस बंधवा रहा है, कोई गालियां दे रहा है, कोई गोलियां चलवा रहा है. (मेजों की थपथपाहट) आज आप उस किसान के आत्मसम्मान की बात करते हैं. सब रिकार्ड में है. सब मिल जाएगा. आपके मीडिया के मित्र दे देंगे. आपके दूसरे मित्र दे देंगे. जो भी बातें मैं कह रहा हॅूं यह हुई थीं, घटनाएं हुई थीं.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट पर दो शब्द बोल चुके आप. वह आपको मंत्री नहीं बनाएंगे. कितना ही भाषण करो.
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव -- बजट पर मुझसे पूर्व आपके वक्ताओं ने कहा था, उसी का जवाब दे रहा हॅू. जैसा उन्होंने बोला था.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) -- वह मंत्री से कम हैं क्या. जब वह मंत्री बन जाएंगे तब आप लोगों का क्या होगा ? अभी जो बोल रहे हैं उसका तो जवाब आगे दीजिएगा आप.
श्री विश्वास सारंग -- देखना भैया, पड़ोस वाले हैं वह बने तो आप हटोगे.
श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव -- हां, सिपाही तो हम हैं. आजादी के आंदोलन के सिपाही हम रहे, देश के नवनिर्माण के सिपाही हम रहे, (मेजों की थपाथपाहट) भ्रष्टाचार की लड़ाई के सिपाही हम रहे. (मेजों की थपथपाहट) हमारे पास ऐसा कोई स्कूल, कालेज नहीं कि डायरेक्ट थानेदार बनाकर पोस्टिंग कर दे, हम तो नीचे से सिपाही के रुप में ही काम करते हैं, संतुष्ट हैं. सुख-चैन की नींद तो मिलती है. थानेदार को तो टेंशन रहती है काफी इधर-उधर व्यवस्थाएं देखनी पड़ती है तो कितने थानेदार थे आपके पास में. कहां-कहां, क्या-क्या रख गये, क्या-क्या कर गये, उसमें मैं नहीं जाना चाहता लेकिन मैं यह जरुर कहना चाहता हॅूं कि माफिया के खिलाफ लड़ाई की हिम्मत हमारे मुख्यमंत्री जी ने दिखाई. (मेजों की थपथपाहट) आगे कदम बढ़ाया. कार्यवाही हो रही है. मिलावटखोरों के खिलाफ कार्यवाही हो रही है. बिल्डिंगें तोड़ी जा रही हैं. आपके कार्यकाल में क्या आप कभी यह करने का साहस जुटा पाए ? पता नहीं, क्यों नहीं जुटा पाए.इसका जवाब मेरे पास नहीं है लेकिन मैं तो यही कहना चाहता हॅूं कि जो भी हमारे वचन पत्र में है मुझे पूरा विश्वास है कि माननीय कमल नाथ जी उसको पूरा करेंगे. वह बहुत अनुभवी हैं. उनके पास एक लंबा अनुभव है. वह हर प्रकार से सक्षम हैं और यह भी मैं कहना चाहूंगा कि बाकी जितने भी इंफ्रास्ट्रक्चर में जहां-जहां पैसे की आवश्यकता थी, वहां दिया जा रहा है और प्रावधान किये जा रहे हैं. पहले सत्रों में बात हो चुकी है किस रुप में हमें प्रदेश मिला, विरासत में क्या मिला, कितना कर्जा था, पहले कितना था, यह सब बातें मैं दोहराना नहीं चाहता. उसका कोई मतलब नहीं है यह हम सब जानते हैं. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलना का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस अनुपूरक बजट के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हॅूं. थोड़ा-सा वातावरण सदन का भावनात्मक हो चला है. उस भावनात्मक वातावरण में मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि केवल एक-दूसरे की कमी या इसने यह नहीं किया, उसने वह नहीं किया, यह कहकर क्या हम मुक्त होना चाह रहे हैं. हम सबका दायित्व एक ही है कि 70 प्रतिशत जनसंख्या मध्यप्रदेश की कृषि के ऊपर आधारित है. कृषि अगर ठीक है तो व्यापार भी चलेगा तो सब काम-धंधे चलेंगे और अगर कृषि कमजोर हो गई तो कुछ भी नहीं चलेगा. किसान को कृषि के ऊपर क्या जरूरतें हैं. मुझे तो बहुत पुराना नहीं पता मैंने जब 1999 में पहली बार राजनीति शुरू की पिता जी के स्वर्गवास के बाद, उस समय तक मैं दिल्ली में रहता था मुझे कहा गया कि नहीं आपको आना पड़ेगा. उस समय माननीय प्रधान मंत्री जी के विशेष आग्रह पर माननीय अटल जी ने विशेष आग्रह किया तो नीमच में मैंने पार्टी ज्वाईन करके काम शुरू किया. उस जमाने में मुझसे किसान मात्र 4 चीज मांगता था. भरपूर बिजली दे दो, समय पर लोन दे दो पठानी ब्याज से मुक्ति दिला दो, 18 परसेंट से लेकर 36 परसेंट तक का ब्याज लगता था और एक खेत तक जाने का रास्ता बनवा दो कि समय-बे-समय हम चले जाएं. खाद, बीज समय पर मिल जाए. इसमें से मुझे नहीं लगता कि आज एक भी चीज पर चिंता हो रही है. ऋणमाफी पर जानकारी दी कि एक दिन में पैसे नहीं दे सकते. बहुत आसान तरीका था चर्चा में एक बार पहले भी कहा था शॉर्ट टर्म लोन को लॉंग टर्म लोन में कन्वर्ट करके. कोई भी तरीका लगाते बहुत बड़े ज्ञानी व्यक्ति हैं मैं भी मानता हूं. बहुत अनुभव है माननीय मुख्यमंत्री को, बहुत व्यक्तिगत उन्होंने पूरी एसेट्स क्रियेशन की है लेकिन क्या वह जनता के लिए इस शॉर्ट टर्म लोन का लॉंग टर्म लोन में कन्वर्ट करके एन.पी.ए. होने से बचा सकते थे या कोई और रास्ता ढूंढते ? कभी कोई कुछ भी कमेंट करे लेकिन किसान को वायदा तो किया था. किसान तकलीफ में तो था और नहीं था तो आप बोल देते कि एक साल में, चार साल में हम लोन बदलेंगे. 20-20, 50-50 हजार हर साल कम करते जाएंगे और उतनी लिमिट बढ़ा देते. कितना आसान तरीका था. बाईफरकेशन भी होता है न. पहले भी दो टाईप के लोन होते थे शॉर्ट टर्म और लॉंग टर्म. किसान एन.पी.ए. नहीं होता तो उसको तकलीफ नहीं होती. आज उसके ऊपर दो साल का ब्याज लगाकर उसको चुकाना पड़ रहा है. उसकी रिकव्हरी कट रही है. रिकव्हरी रोकी नहीं गई है. उसको बिजली समय पर नहीं मिल रही है.
अध्यक्ष महोदय, अभी कुछ देर पहले हम भोजन कर रहे थे तो बिजली मंत्री जी से मैं व्यक्तिगत आग्रह कर रहा था कि क्यों इन्ट्रेप्शन इतनी आ रही है. 250-270 डी.पी. एक साल पहले स्वीकृत हुईं थीं. ओव्हरलोड के कारण 3-3 बार वह डी.पी. जल रही है. 270 डी.पी. बदलने के लिए एक साल से ज्यादा समय स्वीकृत हुए हो गया. अगर डी.पी. नहीं होगी तो किसान को यह तय किया गया कि अगर वह डी.पी. लेकर आएगा, अपने ट्रेक्टर में जाएगा तो उसका किराया दिया जाएगा. एक का किराया नहीं दिया. मैंने सुप्रीटेन्डेंट इंजीनियर से व्यक्तिगत रूप से 4 बार आग्रह किया कि एक या दो डी.पी. दे दो तो उन्होंने बोला कि चलो हमारे पास तो है नहीं आप किराये की ले लो. किराये के पैसे मैंने दिलवाकर भेजा अपनी जेब से कि अभी ले लो और आज तो तुम खेती करो. एक बार उसे प्रकृति की मार पड़ गई. दूसरी मार सरकार ने डाल दी. कोई चर्चा का विषय नहीं है. यह चर्चा क्यों आ रही है. हम इस समय यहां इसी चीज के लिए बैठे हैं कि जिन्होंने भी हमको चुना है उनकी आवाज यहां तक सबके बीच में आ जाए. इस सदन में आ जाए कि यह बात क्यों है. मैं बात कर रहा था डी.पी. नहीं देना चाहते हैं. मैं यह बात करूं कि उसकी सड़क के सब काम रोक दिए. जो सड़कें स्वीकृत थीं जिनके टेण्डर हो गए उन सड़कों को रोक दिया गया. मैं एक बात बताना चाहता हूं कि जो डेम स्वीकृत हो गए उनका काम रोक दिया गया, उनके टेण्डर रोक दिए, सिंचाई विभाग में नये टेण्डर होने नहीं दे रहे. प्रभारी मंत्री जी से मैंने आग्रह किया. वहां पर एक माण्डव डेम था. उसका भूमि पूजन माननीय दिग्विजय सिंह जी करके आए थे. दिग्विजय सिंह जी का शासन कितने समय पहले था ? उसके बाद वापस काफी लंबी प्रोसेस से माननीय शिवराज जी ने तीन साल पहले स्वीकृत किया. उसके कागज रुकवा दिए साढ़े तीन सौ गाँवों की उससे सिंचाई होती थी. प्रभारी मंत्री जी के पास भी काँग्रेस के नेता गए, स्थितियाँ क्या हैं. अगर नीमच जिले में एक भी विधायक नहीं दिया तो नीमच जिले के लिए पूरी नकारात्मक सोच. एक स्कूल नहीं दिया, एक सड़क नहीं दी, पिछली बार बजट के समय मैंने बोला, वित्त मंत्री जी ने व्यक्तिगत रूप से मुझे कहा कि सखलेचा जी, आपकी बात जायज है, ऐसा अन्याय नहीं होना चाहिए. लेकिन अभी भी कुछ नहीं. एक सड़क नहीं, एक स्कूल नहीं, एक बाँध नहीं, एक नई ग्रिड की बात नहीं कर रहे हैं. क्या नीमच की जनता....
श्री दिलीप सिंह परिहार-- ओम जी, एक साल में नीमच जिले में एक ईंट भी नहीं लगी.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- स्थिति यह है कि सम्मान की बात करें तो हमारे दिलीप जी तो बोले कि पुलिस के क्वार्टर्स बनते हैं.....
कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा)-- माननीय सखलेचा जी, 15 साल में आप सरकार में रहे 15 साल में नहीं करा पाए....
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- नहीं, हमने करवा दिया. हमने उसकी सेंग्शन और उसका बजट में प्रावधान भी किया. लेकिन माननीय मंत्री जी, उसे टेंडर पर रोक दिया. सब हँस सकते हैं, जनता पर इतनी हँसी उड़ाना अच्छी बात नहीं है. मेरा विशेष आग्रह है मैं कोई उस दृष्टि से बात नहीं कर रहा हूँ. बहुत प्वाईंटेड और बहुत भावनात्मक रूप से बात कर रहा हूँ. नीमच में पुलिस के क्वार्टर्स बनते हैं, नीमच के स्थानीय विधायक को नहीं बुलाते हैं, वहाँ के हारे हुए प्रतिनिधि से एसपी उद्घाटन करवाता है. (शेम शेम की आवाज) क्या है यह? शर्म आती है...(व्यवधान)..नहीं आप झेलते रहें तो अच्छा है. यह आप भी करिए, अगर आपको उसमें मजा आ रहा है तो करिए. लेकिन अगर यह संस्था का, ना पक्ष का, ना विपक्ष का, अगर विधायक या सांसद जन प्रतिनिधि का सम्मान नहीं किया और अधिकारियों के माध्यम से यह कराया तो वह चीज आपको भी झेलनी पड़ेगी. कोई भी परमेनेंट नहीं होता, सबकी व्यवस्था टैंपररी होती है. कभी कोई इधर बैठा है, कभी कोई उधर बैठा है. यह सब ऐसे ही चलेगा. मैं बात कर रहा था कि हमारे क्षेत्र में मध्यप्रदेश में सबसे पहले सोलर की स्टार्टिंग की....
अध्यक्ष महोदय-- श्री फुन्देलाल सिंह मार्को.....
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कितने मिनिट में समाप्त करना है, आप मुझे बता दीजिए, आप बोलेंगे तो मैं अभी भी बैठ जाऊँगा. 4-5 मिनिट अगर मिल जाएँ तो कृपा रहेगी. 2-4 बातें मुझे क्षेत्र की करनी हैं, 2-3 मिनिट मिल जाए, मैं थोड़ी सी कुछ और बातें करना चाहता हूँ. मेरे जावद विधान सभा के, सभी के प्रधानमंत्री आवास के नगर पालिका ने एसडीएम और कलेक्टर से जाँच दो बार करवा ली. 10-15 नाम काट भी दिए, बाकी जो चयनित नाम जो इन्होंने एप्रुव किए, अपलोड कर दिए. उनके पेमेंट जमा कराने से लिखित में आदेश कलेक्टर देता है कि प्रभारी मंत्री के निर्देशानुसार कोई प्रधानमंत्री आवास में पैसा नहीं जमा कराना चाहिए. आप ले लीजिए बदला, उस गरीब आदमी से बदला लेकर अगर आपको खुशी मिलती है तो मैं सिर्फ यही कहूँगा कि कभी न कभी हर व्यक्ति को जवाब देना पड़ेगा. मुझे उस दिन बड़ी पीड़ा हुई, मैंने कलेक्टर से बात की, कलेक्टर ने बोला गलत हो गया, मैं 5-7 दिन में कैसे भी उन्हें मनाकर स्वीकृति लेकर दे दूँगा. कलेक्टर, कलेक्टर हो गया या क्या हो गया? कोई नियमावली नहीं, कोई व्यवस्था नहीं, सुबह मैंने जीरो अवर में बात रखी, एक आदेश में 6 की 6 नगर पंचायतों के काम रुकवा दिए और कौन आदेश देता है. पीओ, डूडा, कि सब काम बन्द कर दीजिए भारतीय जनता पार्टी की एक भी नगर पंचायत, 7 में से 6 अगर भाजपा की हैं तो सब के सब काम की एक भी पेमेंट मत करिएगा. अरे भाई, आपके पास जाँच है, आपके पास अधिकारी है, आपका सीएमओ है, आपके कर्मचारी हैं, आप बात कर रहे हैं तोड़फोड़ वाली कि भैय्या माफिया के खिलाफ बात करना चाहते हैं. अभी मेरे यहाँ आज भी अभी आए हुए हैं नीमच से कुछ लोग, एक दुकान पर, एक व्यक्ति की दुकान पर बोला, उसकी दूसरी दिशा में 20 दुकानें बनी हुई हैं. इस दिशा में 20 दुकानें बनी हुई हैं, एक को नोटिस देकर रातों रात खाली करवाया.
श्री दिलीप सिंह परिहार--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको रुकवाना चाहिए चिन्हित कर करके बीजेपी के लोगों के ही तोड़ रहे हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर यह माफिया की बात करें, अगर यह नियम की बात करें तो एक साइड से लेकर दूसरी साइड तक जो भी अतिक्रमण है या जो भी अतिरिक्त है वह सब तोड़ें, हम सबसे पहले साथ होंगे. नियम का पालन करने के लिए हम साथ होंगे, लेकिन यह क्या हो रहा है पिक एंड चूस और उसमें भी नाम किसका लेना माफिया का. इतना कमजोर क्यों महसूस करते हैं, हिम्मत हो तो बोलो कि हम केवल तुम्हारा तोड़ेंगे. आप तो माफिया की आड़ में अपना शिकार कर रहे हैं. ऐसी राजनीति जीवन में किसी को कहीं नहीं पहुंचाती है. मैं सीएसआर फण्ड की बात करना चाहता हूँ. 250 मजदूर बाहर बैठे हुए हैं. पूरा गांव मजदूरों के पक्ष में बंद हो गया लेकिन एक कम्पनी को आजादी है कि जिस दिन चाहे वह मजदूर को निकाल दे, जैसे चाहे ठेके पर चलाए. आप उद्योग की बात करना चाह रहे थे, हम उद्योग देंगे. दो साल पहले बड़ी मुश्किल से..
अध्यक्ष महोदय -- फुन्देलाल मार्को.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- अध्यक्ष महोदय, घड़ी से मिलाकर सिर्फ एक मिनिट दे दीजिए, मेरा वादा है एक मिनिट से ज्यादा नहीं लूंगा. मैं यह कहना चाह रहा हूँ कि दो-दो इंडस्ट्री हमारी स्वीकृत हुई थीं जिससे उस टेक्सटाइल मिल में 2000 हजार लोगों को रोजगार मिलना था. कांग्रेस के नेताओं ने वहां जाकर काम रुकवा दिया. एक साल से काम शुरु नहीं होने दे रहे हैं. इसी तरह एक फेक्ट्री लगने वाली थी. आप यदि बिलकुल बंद करना चाहते हैं तो घोषणा कीजिए कि हम जावद में एक भी इंडस्ट्री नहीं आने देंगे.
अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, उसके लिए धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रदेश में सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रथम अनुपूरक अनुमान के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मैं बताना चाहता हूँ कि यशस्वी मुख्यमंत्री जी को राजनीति का लम्बा अनुभव है. उनकी प्रशासनिक क्षमता का लाभ पूरे मध्यप्रदेश को मिल रहा है. जिससे हमारा प्रदेश चहुंमुखी विकास की ओर बढ़ रहा है. वित्त मंत्री जी की लगनशीलता के कारण आज मध्यप्रदेश की अधोसंरचना और निर्माण कार्यों के लिए अनुपूरक अनुमान लगभग 23 हजार करोड़ रुपए से अधिक का ला सके हैं. आज अधोसंरचना और आवश्यकताओं को महसूस करते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी ने इस प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए और किसानों के लिए सिंचाई की क्षमता बढ़े, नहरों का मजबूतीकरण हो, उनका विस्तार हो, किसानों में खुशहाली हो इसको ध्यान में रखते हुए जल संसाधन विभाग के लिए 1 हजार 500 करोड़ रुपए की राशि की व्यवस्था की है. आज भी ऐसे गांव, कस्बे और टोले हैं जहां पर अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग झिरिया, नाला से पानी पी रहे हैं इसके लिए आपने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के लिए 29. 50 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है जिससे ऐसे लोगों तक शुद्ध पानी पहुंचाने का काम किया जाएगा. लोक निर्माण विभाग के लिए करीब 600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है ताकि जो छोटे-छोटे कस्बे हैं जो मुख्य मार्ग से नहीं जुड़े हैं ऐसे टोले-मजरों में आंतरिक मार्ग का निर्माण किया जाएगा इससे यहां रहने वाले जनजाति के भाइयों को इसका लाभ मिलेगा. इससे प्रदेश का विकास होगा और लोगों को आवागमन की सुविधा भी प्राप्त होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति होगी तो थोड़ा सा नर्मदा जी के बारे में बोलना चाहता हूँ. मैं चाहता हूं कि मां नर्मदा जी को सभी लोग मानते हैं, सभी लोग उन पर आस्था रखते हैं. मां नर्मदा का अमरकंटक से उद्गम हुआ है. तीन-तीन नदियां वहां से प्रवाहित हो रही हैं. पिछली सरकार ने पंद्रह साल में मां नर्मदा की इस तरीके से सेवा यात्रा की, आज पूर्व मुख्यमंत्री जी भी बैठे हुए हैं लेकिन मैं दुख के साथ भारी मन से कहना चाहता हूं कि आपने अमरकंटक से सेवायात्रा प्रारंभ की, माननीय प्रधानमंत्री जी ने आकर उसका समापन किया. दुख की बात है कि आज भी अमरकंटक वार्षिक केलेण्डर में शामिल नहीं किया गया और न ही वहां जयंती के आयोजन के लिए हमें पैसा मिल रहा है और न महाशिवरात्री के मेले के लिए हमें पैसा मिल रहा है. आज हमारे माननीय मंत्रीगण बैठे हैं चाहे वह धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग हो चाहे सांस्कृतिक विभाग के हों. मैं उनसे चाहता हूं कि अमरकंटक में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मुझे पैसा उपलब्ध कराया जाए. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- मैं आप सभी सदस्यों से अनुरोध करना चाहता हूं और मैं यह अनुरोध कर रहा हूं कि हम पॉलिसी मेटर छोडे़ं, सिर्फ अपने क्षेत्र की बात करें तो ज्यादा न्यायोचित होगा और आपको भी लाभ मिलेगा. समय भी कम लगेगा और बात भी हो जाएगी.
श्री कमल पटेल (हरदा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रथम अनुपूरक अनुमान 2019 का विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूं क्योंकि यह सरकार किसानों के नाम पर आई कि दो लाख का कर्जा माफ करेंगे, युवाओं को चार हजार बेरोजगारी भत्ता देंगे लेकिन आज पूरे प्रदेश का युवा सड़कों के ऊपर है, लाठी खा रहा है, जेल जा रहा है. एक भी युवा को चार हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया. बोला था कि ढोर चराने वालों को भी देंगे, अनपढ़ को भी देंगे लेकिन नहीं दिया. इस अनुपूरक बजट में भी उसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है. इसकी हम घोर निंदा करते हैं. यहां तक कि गरीब महिलाओं के समूहों का कहा था क्योंकि मध्यप्रदेश में लाखों समूह हैं जिन्होंने प्राइवेट और सरकारी बैंकों से लोन लिया है और वचन पत्र में वचन दिया था कि अगर हमारी सरकार बनी तो पहली तारीख में हम शपथ लेते से ही सारी समूह की महिलाओं का कर्जा माफ कर देंगे. एक भी समूह का कर्जा माफ नहीं किया गया बल्कि वह समूह और कर्जे में डूब गए घरों से, गांवों से महिलाएं पलायन कर रही हैं क्योंकि बैंक के और प्राईवेट बैंक के अधिकारी उनके घर पर जाते हैं उनके दरवाजे पर लात मारते हैं, गालियां देते हैं, अपमानित करते हैं और इसीलिए महिलाएं गांव छोड़कर भाग रही हैं. मेरे वारंगा गांव की तीन महिलाएं गांव छोड़कर चली गई हैं. वह मुझसे मिलीं की साहब वह बहुत बुरी तरह से अपमानित करते हैं. हमने तो सोचा था कि कांग्रेस की सरकार बन जाएगी तो हमारा कर्जा माफ हो जाएगा लेकिन कर्जा माफ नहीं हुआ हम जो किश्त रेग्यूलर देते थे साप्ताहिक वह भी नहीं देते हैं. अब महिलाएं कहती हैं विधायक जी गुरुवार को जब किश्त आती है बाइयों को बुधवार को बुखार आ जाता है, घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है. आपने मध्यप्रदेश की और महिलाओं की यह स्थिति कर दी है. विधवा जिन्हें शिवराज जी ने कल्याणी कहा था आपने विकलांग और बुजुर्गों को कहा था कि हमारी सरकार बनते से ही पहली तारीख से एक हजार रुपए पेंशन कर देंगे. अस्सी साल से ऊपर वालों को तीन सौ और पांच सौ मिल रही है. उनके लिए बजट में एक रुपया नहीं है. गांव में किसानों की सड़कें अधूरी हैं. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क, मुख्यमंत्री खेत सड़क और पी.डब्ल्यू.डी. की सड़कें जिनके टेंडर हो गए हैं ठेकेदारों ने ठेके ले लिए हैं अब मध्यप्रदेश के किसान आत्महत्या कर रहे हैं और मध्यप्रदेश के ठेकेदार भी आत्महत्या कर रहे हैं. दीवाला निकल रहा है, उनका सामान बिक रहा है. छोड़कर जा रहे हैं क्योंकि जो काम उन्होंने कर दिया है उसका दस प्रतिशत पेमेंट भी नहीं हो रहा है और इसलिए आपने मध्यप्रदेश में एक साल पूरा किया. एक साल बेमिसाल. बदलाव यह हुआ कि मध्यप्रदेश के ठेकेदार या तो बर्बाद हो गए या तो दीवाला निकाल दिया या प्रदेश छोड़कर दूसरे राज्यों के अंदर ठेका ले रहे हैं. आप पता कर लीजिए क्या आपके क्षेत्र में भी कहीं विकास हुआ है? क्या कांग्रेस के विधायकों के रोड़ के काम चल रहे हैं? कहीं नहीं चल रहे हैं. पूरे प्रदेश के ठेकेदार प्रदेश छोड़कर चले गए हैं और इसीलिए इस बजट में कहीं प्रावधान नहीं है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ)--मेरे मेडिकल एज्यूकेशन में जितने मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं उसमें सब गुजरात के ठेकेदार हैं.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी नहीं टोकेंगे.
श्री कमल पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मेरे हरदा और होशंगाबाद जिले में अभी भयंकर ओले गिरे हैं और कई गांवों की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है लेकिन कोई अधिकारी सर्वे करने नहीं पहुंचा है. अधिकारियों से बोलते हैं तो वह कहते हैं कि साहब जाकर करेंगे क्या? कलेक्टर बोलता है करेंगे क्या? मैंने कहा क्यों. उन्होंने बोला सरकार के पास तो पैसा ही नहीं है, दिवाला निकला है और इसलिए जाकर समय क्यों बर्बाद करें ? हम सर्वे भेज भी देंगे तो भी कुछ नहीं होना है इसलिए अधिकारी भी हाथ पर हाथ धर के बैठे हैं क्योंकि सरकार के पास पैसा ही नहीं है. 2 लाख 33 हजार करोड़ से अधिक का मुख्य बजट आपने पास किया. एक साल हो गया लेकिन उसके ऊपर कोई खर्च नहीं हुआ और अब ये 23 हजार करोड़ आपको क्यों चाहिए ? हर महीने सरकार कर्ज लेकर तनख्वाह दे रही है और चल रही है. यदि सरकार कर्ज लेना बंद कर दे तो सरकार तनख्वाह ही नहीं दे पायेगी. इसलिए हर वर्ग इस सरकार से त्रस्त है. मैं कहना चाहता हूं एक रुपये का भी बजट पास नहीं करना चाहिए. मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने शपथ ली और नए वल्लभ भवन में आकर पहला आदेश निकाला कि सारे किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ कर दिया गया. आदेश निकाल गया लेकिन उसके बाद भी कर्ज माफ नहीं हुआ इसलिए धारा 420 और धारा 130 का मुकदमा मुख्यमंत्री और विभाग के मंत्री के ऊपर लगना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय- कमल जी अब जो बोलेंगे वह नहीं लिखा जायेगा.
श्री कमल पटेल- XXX
डॉ. अशोक मर्सकोले (निवास)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रदेश के इस प्रथम अनुपूरक बजट के समर्थन में अपना पक्ष रखना चाहता हूं. जैसा कि हमारे मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने कहा है हमारी टेलीविजन की नहीं, विज़न की सरकार है. यही वजह है कि 1 साल में 365 दिनों के पश्चात् हम आज इतना अच्छा संदेश जनता के बीच देना चाह रहे हैं. हमारे विपक्ष के बहुत ही वरिष्ठ साथी चीख-चीखकर इस बात को कह रहे हैं कि कर्ज माफ नहीं हुआ है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके समय अन्नदाता परेशान थे, आत्महत्या कर रहे थे, जब उन्होंने आवाज उठाई तो आपने उनको गोली मारी. इस दर्द को समझते हुए मध्यप्रदेश की सरकार ने अपने वचन-पत्र में इस बात को रखा था कि जब हमारा अन्नदाता परेशान नहीं होगा, सुखी होगा, सम्पन्न होगा, तब हम एक अच्छी व्यवस्था लेकर आ पायेंगे और हमारे किसान जब अपने खेतों में अच्छा काम करेंगे, तब एक खुशहाली का माहौल आयेगा और हमारे यहां अच्छा अन्न उत्पन्न होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में सरकार बनने के एक घण्टे के अंदर मुख्यमंत्री जी ने किसानों का कर्ज माफ किया, उस पर साईन किया. आज 20 लाख से ज्यादा किसानों का कर्ज माफ हुआ है. आज जब आप बोल रहे हैं तो आप ये भूल रहे हैं कि कितने किसानों ने आपके समय मे आत्महत्यायें की. जब हम आपको ये आंकड़े दे रहे हैं कि 20 लाख से ऊपर किसानों का कर्ज माफ किया गया है तो पता नहीं क्यों, आप इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, गौ-शाला की भी आपने बात की. हमने 1 हजार गौ-शालायें खोलने की बात की थी. उनमें से बहुत सारी गौ-शालायें पूर्ण हो गई हैं और बहुत सी गौ-शालायें लगभग पूर्ण होने को हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जिस प्रकार से जल के अधिकार की बात हो, स्वास्थ्य के अधिकार की बात हो, चाहे औद्योगिकीकरण के माध्यम से बेरोजगारी दूर करने की बात हो, चाहे कौशल विकास की बात हो. कृषि और कृषक पर जिस हिसाब से सरकार ने ध्यान दिया है, उसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में एक बहुत बड़ा कैम्प हुआ था. अध्यक्ष जी जिसमें आप स्वयं भी 3-4 दिन रहे थे, आपने उनकी पीड़ा देखी. करीब 10 हजार लोगों का ऑपरेशन हुआ था. मुझे लगता है वह शायद दुनिया में सबसे बड़ा कैम्प था. उस कैम्प के माध्यम से हम जो विश्लेषण कर पा रहे हैं कि वहां जो कमियां हैं, उनका हम अध्ययन करेंगे और उस हिसाब से आप वहां की व्यवस्थाओं में सुधार करेंगे, ऐसा मेरा विशेष निवेदन है. केवल एक बात और मैं बोलना चाहूंगा कि आपने हमारे क्षेत्र को इस अनुपूरक बजट में एक वेटनरी कॉलेज दिया है, उसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी एवं तरूण भईया का बहुत-बहुत धन्यवाद. अध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री संजीव सिंह 'संजू' (भिण्ड):- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने मुझे जो बोलने के लिये समय दिया. बॉय डिफाल्ट, मैं यहां पर इस अनुपूरक बजट के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सुबह से इस सदन में हूं और पहली बार इस सदन में चुनकर आया हूं. हमारे काफी वरिष्ठ लोग यहां पर बोलते हैं और सभी को यहां पर बोलते हुए सुना है. सुबह से यह बात सुनने में आ रही है कि यह सदन कोई ईट-गारे का बना हुआ भवन नहीं है, यह लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है और प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता की उम्मीदें इस भवन पर टिकी हुई हैं. हम अपने क्षेत्र से चुनकर आते हैं, क्षेत्र की समस्याओं को यहां लेकर आते हैं और उन समस्याओं को इस सदन में रखते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही कहा है कि मैं बॉय डिफाल्ट इसका समर्थन कर रहा हूं. लेकिन मैं इसका समर्थन कैसे करूं यह समझ में नहीं आ रहा है. सुबह से चर्चा चल रही है, नाराजगी भी हुई, हंसी-ठहाके भी हुए, सत्ता पक्ष ने कहा कि केन्द्र सरकार ने पैसा नहीं दिया है, केन्द्र सरकार से साढ़े सात या 7 हजार करोड़ रूपये मांगे थे, उसमें से सिर्फ एक हजार करोड़ रूपये ही मिला है. कई समस्याएं केन्द्र सरकार की तरफ से बतायी गयीं, हमारे प्रतिपक्ष के लोगों ने कहा कि हमें केन्द्र सरकार से पैसा दिलवाओ. लेकिन इन सब बातों में अभी साढ़े पांच बज गये हैं, क्या इस बात का हल निकला कि बाजरे की तुलाई कब चालू होगी, यूरिया का संकट कब खत्म होगा, किसान को मुआवजा कब मिलेगा, गेहूं का बोनस कब मिलेगा, हमारे क्षेत्र के विकास के लिये पैसा कब मिलेगा, क्या इस बात का हल निकला ? मुझे नहीं लगता कि इस बात का हल अभी तक निकला है. पिछली बार भी जब अनुपूरक बजट और बजट की चर्चा में भाग लिया था तो अपने क्षेत्र की समस्याओं की भी बात हुई थी, यह अनुपूरक बजट की इतनी बड़ी किताब है इसमें 23 हजार करोड़ से ज्यादा अनुपूरक बजट की मांग की गयी है. लेकिन हम इसका समर्थन कैसे कर दें, इसमें कोई भी विभाग उठा लो, पीडब्ल्यूडी उठा लो तो उसमें भिण्ड का नाम नहीं है, पीएचई विभाग निकालों तो उसमें भिण्ड का नाम नहीं है, लोक स्वास्थ्य विभाग उठा लो तो उसमें भिण्ड का नाम नहीं है, खेल विभाग उठा लो तो भिण्ड का नाम नहीं है इसलिये मैंने पहले कहा था कि बॉय डिफाल्ट मैं समर्थन करने के लिये खड़ा हुआ हूं.(हंसी)
अध्यक्ष महोदय, यह हंसने की बात नहीं है. जैसा कि मैंने कहा कि जब हम यहां पर आते हैं और विधान सभा सत्र शुरू होने वाला होता है, उसकी सूचना अखबारों के माध्यम से लोगों को होती है तो वह कहते हैं कि आप विधान सभा में जा रहे हो तो अपने क्षेत्र की यह मांग उठाना, अपने क्षेत्र के लिये यह लेकर आना,अपने क्षेत्र के लिये यह विकास काम कराना. मेरे पास किसान इकट्टा होकर आये कि बाजरे की तुलाई होगी या नहीं ? हमको ही नहीं पता की होगी की नहीं. आप कहते हैं कि केन्द्र सरकार ने पैसा रोक रखा है, यह लोक कहते हैं कि आप बाजरा नहीं तोल रहे हो. मेरा निवेदन है कि इसमें दो चीजें हैं, हमारे क्षेत्र में बाजरे की तुलाई के बीच में एक क्वालिटी कंट्रोलर लगा दिया गया है. हांलाकि जब सरसों की तुलाई शुरू हुई थी तो उसमें भी समस्या आयी थी कि पीली और काली दो प्रकार की सरसों होती है. उन्होंने कहा कि ज्यादा पीली सरसों होगी तो नहीं लेंगे,ज्यादा मिली हुई होगी तो नहीं लेंगे, लेकिन उस वक्त यह समस्या माननीय मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में लाये तो उन्होंने इसको दूर किया और जिस भी प्रकार की सरसों थी उसको उन्होंने तुलवाया. अब बाजरा हमारे यहां पर अतिवर्षा की वजह से थोड़े कालेपन पर है, अब बहाना यह है कि हमारा जो ग्रेडिंग वाला है वह इससे मेच नहीं करता है इसलिये हम इसको नहीं लेंगे. यह हमारे क्षेत्र और पूरे प्रदेश की बहुत बड़ी समस्या है. हमारे यहां का किसान लगातार परेशान है, मैंने पिछली बार भी यहां पर बताया था, हमारा किसान बाजरे कि तुलाई नहीं हो रही है उससे भी परेशान है, गेहूं का बोनस नहीं मिल रहा है उससे भी परेशान है और किसान यदि सबसे ज्यादा परेशान है तो गौवंश से. मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि सरकार बने 12 महीने हो गये हैं और लगातार गौशाला पर चर्चा भी हुई, लेकिन गौशाला बनकर आज दिनांक तक तैयार नहीं हो पायी हैं. उसमें गलती किसी की भी हो, हम यहां पर जनता की तकलीफों की चर्चा करने के लिये यहां पर आये हैं, यदि हम उनकी बात यहां पर सही ढंग से नहीं रखेंगे तो हमारा यहां रहने का कोई औचित्य नहीं है. गौशाला निर्माण की जो प्रक्रिया अपनायी गयी वह त्रुटिपूर्ण थी.
श्री संजीव सिंह संजू--हमने ग्राम पंचायतों के माध्यम से उनका कराना चाहा. ग्राम पंचायतों के सरपंचों के माध्यम से जो निर्माण कराने का सिस्टम रखा, लेकिन ग्राम पंचायत के सरपंच का कार्यकाल समाप्त होने वाला था, ऐसा उनके दिमाग में था तो सरपंचों ने दिलचस्पी नहीं ली. आज कोई भी गौशाला पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हो पायी हैं. किसान रात रात भर लाठी लेकर, टार्च लेकर गायों को भगाने का काम अपने खेत पर करता है. गाय बेचारी क्या करे उनको भी पेट भरने के लिये कहीं पर जाना है और खाना है. इस खेत में घुसते हैं तो इधर से डंडा मारता है, उस खेत में घुसते हैं तो उधर से डंडा मारते हैं और हम यहां गायों की सबसे ज्यादा चिन्ता करते हैं. तो कहीं न कहीं इसकी मंजूर, निर्माण करने की प्रक्रिया है, उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. आपने कहा कि 132 करोड़ रूपये गौशालाओं के लिये मंजूर किये, लेकिन 132 करोड़ रूपये मंजूर किये उसका फायदा क्या मिला. आज पूरा किसान हमारा परेशान है. मैं यही कहना चाहता हूं कि मैं इस अनुपूरक बजट का समर्थन तो करता हूं, लेकिन आप इतना तो ध्यान रखें कि हम जो भी बजट पास करते हैं यह सारी बातें जनता के बीच में जाती हैं. जब हम अपने क्षेत्र में जाते हैं तो लोग हमसे पूछते हैं कि आप अपने क्षेत्र के लिये लेकर क्या आये हैं ? तो मेरा आपसे निवेदन यही है कि गौवंश का प्रबंध जल्द से जल्द करें. किसानों से जो बाजरा नहीं खरीदा जा रहा है उस पर कोई दिशा-निर्देश देने का काम करें आपने समय दिया धन्यवाद.
5.27 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय--आज की कार्य सूची में उल्लेखित सभी कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
5.28 बजे वर्ष 2019-2020 की प्रथम अनुपूरक मांगों पर मतदान (क्रमशः)
श्री मनोहर ऊंटवाल (अनुपस्थित)
डॉ.सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)--अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. हमारे धन्यवाद से आपको अच्छा लगता होगा पर जब आप धन्यवाद बोलते हैं तो हमको घबराहट होने लगती है.
अध्यक्ष महोदय--अभी तो शाम के 5 बजकर 27 मिनट हुए हैं,
डॉ.सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय आपका धन्यवाद कब पटका जाये हमारे ऊपर अध्यक्ष महोदय--हम नहीं पटकेंगे.
डॉ.सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय मैं थोड़ी बात करूंगा सारी बातें आ चुकी हैं. जब हम विधान सभा के सत्र में आये तो बहुत से लोगों को आश्वासन देकर के आये थे कि अनुपूरक बजट आ रहा है उसमें 160 रूपये का प्रावधान होगा. अब कर्ज माफी के बाकी पैसे मिलेंगे, विद्यार्थियों को उनकी स्कालरशिप मिलेगी और जो 51-51 हजार रूपये विवाहित बेटियों का रूक गया है, वह भी मिलेगा, किन्तु इस बजट में कोई प्रावधान नहीं है. वचन पत्र भी बहुत लंबा है और अनुपूरक भी बहुत लंबा है उसमें से दो तीन विषयों पर आपका ध्यान दिलाऊंगा जो कि यहां नहीं आये हैं. एक अतिथि विद्वान आपने वचन पत्र में कहा कि अतिथि विद्वानों को हटाया नहीं जायेगा उनको सिस्टम से नियमित किया जायेगा. अभी माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी घोषणा की और शिक्षामंत्री जी ने भी पत्र दिया कि किसी को हटाया नहीं जायेगा. अभी 12 दिसम्बर के पत्र से 200 अतिथि विद्वानों को हटाना प्रारंभ कर दिया, क्योंकि वहां पी.ए.सी.सिलेक्ट लोग आ गये. वह आये उनका भी अधिकार है. किन्तु आपने कहा था और अभी भी आप कह रहे हैं कि आप उसको कार्यान्वित क्यों नहीं कर रहे हैं. वह 10 दिन से हड़ताल पर बैठे हैं अब जाकर माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी और माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी उनसे मिलने गये तब शासन के भी कुछ लोग उनसे मिले. मेरा वित्तमंत्री जी से अनुरोध है कि उनकी समस्याओं को हल करने के लिये आप बजट दें. आपने शासन संधारित मंदिरों के लिये नियम बनाया उसमें आपने बड़ी विचित्र बात लिखी है. अभी जिले में बैठक हुई थी हमने उसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि मंदिर की आय में से 10 प्रतिशत आय शासन के खाते में ली जायेगी. इससे आप संस्कृति की रक्षा करेंगे.
इधर तो गौ-पालन की बात करते हैं, बैठकें सभी जिलों में हुई होगी, हमने विरोध भी किया था, मंदिर संस्कृति की बहुत बड़ी पहचान है और आप उस पर भी सरकारी कब्जा करना चाहते हैं, शासन संधारित मंदिरों को स्वतंत्रता नहीं देना चाहते और प्रायवेट मंदिरों पर भी आपकी नजर हैं. आप कह रहे हैं, 10 प्रतिशत दे देंगे और मदरसों को 1 करोड़ रूपए और भोजनालयों के लिए दे देंगे. मदरसों को दीजिए, एतराज नहीं है, पर कौन सी संस्कृति को दबाकर देना चाहते हो, आप इस निर्णय पर पुनर्विचार करें. अध्यक्ष महोदय, महामहिम के पते में एक बात आई थी, जब सत्र प्रारंभ हुआ था कि हमारी सरकार शासन और प्रशासन से एक हारमॅनी बनाकर चलेगी. आप अब पहले प्रशासन की सुन लीजिए. हमारा होशंगाबाद जिला, वहां कलेक्टर, एसडीएम कुश्ती लड़ रहे हैं. 12 बजे रात को कलेक्टर ने एसडीएम को घर बुलाया और कहा अभी हाल तुमसे प्रभार लिया जाता है और पैदल वापस किया, 12 बजे रात को, उस समय, पानी भी गिर रहा था, ये हारमॅनी है और शासन ने आयुक्त से जांच करवाई. चीफ सेक्रेटरी ने भी उसको देखा, किन्तु अभी तक पता नहीं है कि 12 बजे रात को किस कारण से बुलाया गया था, मेरा विधान सभा प्रश्न भी है. शासन में यह क्या हो रहा है. 12 बजे रात को कलेक्टर, एसडीएम को क्यों बुलाते हैं. अध्यक्ष महोदय, मामला यह है, मैं शासन की जानकारी में लाना चाहता हूं, वहां आफिसर्स क्लब की एक जमीन है, करोड़ों की हैं, उसमें लेन देन में अकेला एसडीएम हिसाब किताब कर रहा था, कलेक्टर को मालूम पड़ गया शैलेन्द्र सिंह जी आपने दोनों को अभी हटाया बड़ी मुश्किल से, भैया आपको कुछ मिल जाए तो हमें भी दे देना. उन्हें अगले दिन हाईकोर्ट में उत्तर देना था, ऐसा नहीं कि ये हाईकोर्ट में उत्तर बनाकर दे दे तो इसी के पास रकम चली जाए. रेत बगैरह की कोई बात नहीं थी, एसडीएम की तो बाढ़ के लिए ड्यूटी लगाई थी,. अध्यक्ष महोदय, यह हाल हारमॅनी का है. कलेक्टर के गले में हाथ डालकर के 420 का अपराधी बैठता है. मैंने चीफ सेक्रेटरी के पास इसकी फोटो भेजी थी. यह प्रशासन चल रहा है, इनसे लॉ एंड आर्डर चलेगा.
अध्यक्ष महोदय, अपराध अनुसंधान के लिए माननीय गृहमंत्री जी आपने राशि ली है, तैयार है, लेकिन लॉ एंड आर्डर बहुत खराब हो रहा है. अभी सिर्फ एक बात कर रहा हूं अनुसंधान की, बट प्रिवेंशन आफ बेटर देन क्योर, आपने सीसीटीव्ही लगाने की एक योजना बनाई. अभी तक सीसीटीव्ही का कोई प्रावधान बड़े शहरों में नहीं किया गया, आपसे अनुरोध है आप इस विषय को लें, एक आखिरी बात और हमारे पूर्व वक्ता भिण्ड के थे, उन्होंने कहा था कि इसमें भिण्ड तो कहीं है ही नहीं, तो होशंगाबाद जिला भी लिस्ट में सिर्फ रेत के लिए ही रहेगा और किसी चीज के लिए नहीं रहेगा. नर्मदा ब्रिज माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने स्वीकृत किया था, टेण्डर भी हो गए थे, आपकी सरकार में रि-टेण्डर हुए, टेण्डर मंजूर हो गए, काम क्यों नहीं करते? कहते हैं खजाना खाली हो गया. अच्छा खजाना खाली हो गया था तो आपने 25 हजार रूपए के 51 हजार रूपए क्यों करें, जब खजाना खाली था तो क्यों किया. पहले तो आप कहते थे कि आपको मालूम नहीं था, इसलिए हमने घोषणाएं की, पर आपने यह तो सरकार में आने के बाद किया और वह भी नहीं दे रहे और हर बार कहते हैं कि खजाना खाली था, तो घोषणाएं क्यों करते हों, अभी क्यों घोषणाएं कर रहे हों. राजवर्द्धन सिंह जी की एक बात और वैसे मैं उत्तर देना नहीं कभी, पर जब वे छोटे से थे, उनके पूज्य पिता जी के साथ मैं एमएलए रहा हूं, उन्हें मालूम नहीं है, उन्होंने कर्जा माफ किया था, पर 10 हजार करने की, 50 हजार करने का, अच्छा हमने नहीं दिया तो आप भी नहीं दोगे क्या, यह बता दो आप, गजब आदमी हो.
श्री राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव - माफी चाहता हूं, हमने यह नहीं कहा कि हम नहीं देंगे. मैं तो उदाहरण दे रहा था कि ऐसा हुआ था, आपकी स्मृति पटल पर वह चिन्हित कर रहा था.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, ऐसी सरकारी पार्टी नहीं देखी हमने कि तुमने नहीं दिया तो हम भी क्यों दें(..हंसी) अरे आपने घोषणा की है, देना पड़ेगा.
श्री राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव - हमने यह नहीं कहा कि हम नहीं देंगे, हमने कहा कि आपने क्या किया सिर्फ वह याद दिला रहा था.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, बातें बहुत हैं, पर थोड़ी देर में आपका धन्यवाद आ जाएगा, सिलावट जहां है वहां मिलावट नहीं है और शुद्ध के लिए युद्ध, अरे युद्ध बगैरह करने की जरूरत नहीं है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय अध्यक्ष महोदय, पैसे के लिये युद्ध है.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, ऑर्डर कलम से होता है, पर पैसे की वसूली की जा रही है ट्रेडर्स से. शुद्ध के लिये युद्ध नहीं है, पैसे के लिये युद्ध है. सांची का 35 हजार लीटर दूध रोज बिक रहा है. हमारे प्रतिपक्ष के नेता जी कह रहे हैं कि केवल एक माफिया है प्रदेश में. वह है तबादला माफिया. ऐसी बहुत सी बातें हैं, परन्तु अध्यक्ष जी तीन बार सिर हिला चुके हैं और मैं भी उनकी मर्यादा का पालन करता हूँ. मैं इस 23 हजार करोड़ रुपये के बजट का विरोध करता हूँ. आपको धन्यवाद.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर) - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रदेश सरकार द्वारा प्रथम अनुपूरक बजट अनुमान के समर्थन में अपना पक्ष रखता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, यह प्रदेश का सौभाग्य है कि हमको एक बहुत ही दीर्घ और अनुभवी मुख्यमंत्री माननीय कमलनाथ जी के रूप में मिले हैं. जिनका अनुभव मुझे लगता है कि आज हिन्दुस्तान के वरिष्ठतम नेताओं से भी ज्यादा है और उनके काम करने के तरीके से, प्रदेश जो पिछले 15 वर्षों से बुरे हालात में था, उसको धीरे-धीरे पटरी में लाने का काम शुरू हो गया है और हमारे करूणाई के प्रतीक भाई जबलपुर के तरूण भनोत भी कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दे रहे हैं, मैं उनके द्वारा प्रस्तुत इस बजट का स्वागत करता हूँ, जो तेईस हजार तीन सौ नवासी करोड़ इनक्यानवे लाख चौरानवे हजार दो का अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया गया है.
यह सर्वविदित और मान्य तथ्य भी है कि पिछली सरकार द्वारा हमारी सरकार को विरासत में खाली तिजोरी दी गई थी. अब यह बात चाहे सुबह से कितने ही वरिष्ठ नेता कह लें कि खाली तिजोरी नहीं दी गई थी, तो ऐसा नहीं है. अगर खाली तिजोरी नहीं दी गई थी, फिर 2 लाख करोड़ रुपये से ऊपर का बजट कैसे प्रस्तुत हो गया था ? तो सरकार तो जब साल भर चलेगी तो टैक्स तो आयेगा ही, तो क्या बजट बनाना बन्द कर दिया जायेगा ? लेकिन जब इस तरह के तर्क दिये जाते हैं तो मुझे लगता नहीं है कि वरिष्ठ लोग फिर उसके बाद नये लोगों की तरफ देखकर कहते हैं कि टोका-टोकी भी होती है. मैं आपसे यह भी आग्रह करना चाहता हूँ कि इस बजट में कुछ बातों की ओर इंगित किया गया है कि उसका इसमें कहीं उल्लेख ही नहीं है. लेकिन जो मुख्य बजट पेश किया गया था, उसमें तो हर बात का उल्लेख था, यह तो अनुपूरक बजट है. सरकार की मंशा पर एक वर्ष के अन्दर आप लोगों द्वारा इतने ज्यादा प्रश्नचिन्ह लगाना, जो आपने 15 वर्ष से नहीं किया, उसको एक वर्ष में सरकार करने जा रही है. 365 वचनों को पूरा करने के काम को हमारी सरकार ने किया है और उस पर अविश्वास करने की कोई आवश्यकता नहीं है. मैं आज माननीय हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी बैठे हैं, मैं जब नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष था तो मैं उनकी कुछ घटनाएं याद दिलाना चाहता हूँ कि वे जब जबलपुर शहर पधारे थे, तो मैंने जब उनसे 300 करोड़ रुपये की मांग की तो उनमें एक बात तो बहुत अच्छी है. वे इतने अपनेपन से बातें करते हैं और उन्होंने इतने प्यार से गले में हाथ डाला और वह बोले कि ऐसी क्या बात है ? मैं तुमको 500 करोड़ रुपये देता हूँ. आज तक वह 500 करोड़ रुपये हमें नहीं मिले और हमारी सरकार पर आप बार-बार आरोप लगाते हैं. मुख्यमंत्री अधोसंरचना का पिछली सरकार में उन्होंने जो वादा किया था, कभी किसी को कुछ नहीं मिला. किसानों के बारे में पिछली सरकार का क्या रवैया था ? वह बात इस सदन में आज बार-बार गूँजी है तो मेरा यह कहना है कि पिछली सरकार की जो गलतियां रही हैं, इसीलिये तो नई सरकार को मौका मिला है तो अपनी गलतियों को इस सरकार के ऊपर डालने का प्रयास, जो लगातार विपक्ष कर रहा है, उसको भी अपनी बात बदलनी चाहिए. मुझे खुशी है कि खेल के बारे में एक अच्छा सुझाव आया है, अगर इस तरह के सार्थक सुझाव सदन में आयें तो हम जो पहली बार सदन में आये हैं, मुझे राजनीति का अनुभव जरूर है, तो हम लोगों को लगेगा कि वास्तव में यहां पर बड़ी अच्छी-अच्छी बातें करने वाले हैं, जो कहते हैं कि 'न इधर की बात कर, न उधर की बात कर, कारवां क्यों लुटा, यह बता' मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि सुबह से अब तक जितनी बार भी विरोधाभास की स्थिति हुई है, वह तो वचनों से ही हुई है, जुबान से ही हुई है, अगर वे खरी-खरी ऐसी बातें हमारे वरिष्ठ नेताओं के लिये नहीं बोलते.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि आज सुबह आपने कहा था कि सदन में राष्ट्रीय नेताओं के नाम नहीं लिये जायेंगे और न ही जो इस सदन के सदस्य हैं, उसके बारे में बोला जायेगा लेकिन जब आप उपाध्यक्ष महोदया को कुर्सी सौंपकर गये तो लगातार उन नेताओं के बारे में बातें हुईं और जो कल कह रहे थे कि झूठ शब्द उपयोग नहीं कर सकते, असत्य बोलो. उनके मुँह से झूठ शब्द बार-बार निकला. मैं आज आपसे इस बजट को जो प्रस्तुत किया गया है, उसके बारे में अपना न सिर्फ समर्थन के लिये कहता हूँ बल्कि विपक्ष से भी कहना चाहता हूँ कि इस तरह से एक-दूसरे की कमजोरी दिखाने की बजाए विपक्ष का काम भी है कि बड़ी ईमानदारी के साथ क्योंकि आप भी सरकार का एक हिस्सा हैं. आदरणीय शर्मा जी, जब अपनी तकलीफ बता रहे हैं कि वहां के कलेक्टर और एसडीएम का झगड़ा हुआ था, यह बात भी सत्य है कि सरकार ने उन अधिकारियों का भी वहां से स्थानांतरण कर दिया है.लेकिन पंन्द्रह साल में जिन अधिकारियों की आदतें खराब हो गई हैं, जो इस बात को भूल ही गये हैं कि वह जनता के लिये काम कर रहे हैं और उन्हें तो लगता था कि वह सरकार के नुमाइंदे हो गये हैं, उन्हें भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई और गलत काम करने के तरीकों के आदत पड़ गई, उनको सुधारने में एक साल के समय का आप बहुत कम आंकलन कर रहे हैं. आप हमें थोड़ा और समय दीजिये हर उस अधिकारी पर कार्यवाही होगी, जिसकी उम्मीद प्रदेश की जनता को इस सरकार से है. मैं इस बजट का समर्थन करता हूं और माननीय अध्यक्ष महोदय को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे बोलने का मौका दिया है.
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो अनुपूरक बजट आया है, यह सरकार द्वारा और वित्तमंत्री जी द्वारा कई ऐसे किसानों और युवाओं के लिये और जो कांग्रेस का घोषणा पत्र है, उसके हिसाब से बजट में यह ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर इसमें व्यवस्था की गई है. हमारे यहां एक कहावत है कि दोंदा बड़ा की लवाद, ऐसी है कमलनाथ सरकार. हमारे बहुत सारे माननीय सदस्यों ने बड़ी-बड़ी तारीफ की है. किसान जो चिल्ला रहा है और मैंने अभी तीन दिन का धरना गन्ने का रेट बढ़ाने के लिये किया था, उसमें अपने जिले के एक किसान आये थे, वह कांग्रेस के थे, उन्होंने उस आंदोलन में एक नारा दिया था कि अपनी इज्जत अपने हाथ जय-जय कमलनाथ सरकार, जय-जय कमलनाथ. माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सारे वायदे हुये थे, मैंने विधानसभा में पिछली बार बजट सत्र में कुछ प्रश्न लगाये थे, उसमें जो घोषणा पत्र, वचन पत्र है, उसमें उन्होंने कुछ प्रश्न के जवाब दिये थे, वह मेरे पास है, मैं उसकी जानकारी देना चाहता हूं. अभी सम्माननीय राजवर्धन सिंह जी ने कहा कि हमने कोई वचन नहीं दिया, हमने तो अपना घोषणा पत्र दिया था. वह अभी बात भी कर रहे थे तो मैं उनको रामायण की एक चौपाई बताना चाहता हूं कि ''रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन नहीं जाई'' वह अभी कह रहे थे कि हमने आजादी के समय और देश को बनाने में बहुत सारे काम किये हैं और किये भी होंगे. घोषणा पत्र में इनके 246 वचन हैं, इसमें आपने कहा था कि आप स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करेंगे, अपने जवाब में इन्होंने कहा है कि वह केंद्र सरकार करेगी. दूसरा इन्होंने कहा था कि गेहूं, धान,कपास, अरहर, सरसों, सोयाबीन, लेहसुन, प्याज, टमाटर और गन्ने पर बोनस देंगे. मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे नरसिंहपुर जिले में मध्यप्रदेश का पचास प्रतिशत गन्ना होता है. नरसिंहपुर जिले में 71 हजार हेक्टेयर में गन्ना है और पूरे प्रदेश में 143 लाख हेक्टेयर में गन्ना है, इस संबंध में भी मेरे प्रश्न के जवाब में दिया है कि हम किसी प्रकार का न गेहूं में, न धान में, न कपास में, न गन्ने में कोई बोनस की राशि नहीं देंगे, यह इन्होंने 1716 नंबर प्रश्न के जवाब में कहा है और इसी प्रकार से इसमें बजट का प्रावधान भी किसी प्रकार से नहीं रखा गया है. सामाजिक पेंशन सुरक्षा, एक व्यक्ति को एक पेंशन सिद्धांत, छोटे किसान, छोटे व्यापारी, कलाकार, साहित्यकार, कारीगर, शिल्पी और श्रमिकों को एक हजार रूपये प्रति दर से पैसा देंगे इसमें इन्होंने कहा है कि अभी प्रचलन में है और हम प्रयास करेंगे. इसी प्रकार से घोषणा पत्र में कहा था कि अधिमान्य प्राप्त पत्रकारों को 25 वर्ष की सेवा और 60 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर दस हजार रूपये प्रति माह निधि देंगे.
दुर्घटना में मृत्यु होने पर 5 लाख की अनुग्रह राशि देंगे. इसमें कहा कि इसका प्रावधान नहीं है पिछले में भी नहीं था. इसी प्रकार अन्त्योदय परिवारों के लिये भी कुछ नहीं दिया है. उन्हें पुरानी व्यवस्था से ही अनाज मिल रहा है उसमें कुछ नहीं किया है. निजी क्षेत्र के स्कूल और महाविद्यालय शिक्षकों एवं कर्मचारियों की वेतनवृद्धि पर विचार करेंगे. अतिथि विद्वानों एवं अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण की नीति बनाएंगे यह इनके घोषणापत्र में था और मेरे प्रश्न के जवाब में कहा है कि इसमें ऐसा प्रावधान नहीं है. महिलाओं के स्वसहायता समूह का कर्ज माफ करेंगे. रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराएंगे. सिलाई स्वसहायता समूहों को दस-दस सिलाई मशीन निशुल्क देंगे इसका भी अनुपूरक में कोई प्रावधान नहीं है. इसी प्रकार क्रीमीलेयर 10 लाख करेंगे इसमें उन्होंने कहा कि 8 लाख का प्रावधान है इसकी बजट में कोई घोषणा नहीं है. होम्योपैथी और यूनानी पद्धति को बढ़ावा देंगे इनके घोषणापत्र में चूंकि पहले मैं इस विभाग का मंत्री था निजी क्षेत्र को बढ़ावा देंगे अनेक प्रकार की और भी घोषणाएं कीं उनका पालन नहीं हुआ न उसके लिये बजट में प्रावधान किया गया है. पर्यटन की नीति बनाएंगे और पर्यटन की नीति में शिक्षित बेरोजगारों को जोड़ेंगे. धार्मिक पर्यटक स्थलों के अनुकूल बनाएंगे. लेकिन प्रश्न के जवाब में कोई संतोषजनक सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई. मैं ऐसा मानता हूं कि जिस प्रकार से यह सरकार चल रही है और जैसी मेरी कहावत है तो मैं कह सकता हूं कि बजट में प्रावधान नहीं किया जा रहा है. हम सब देख रहे हैं कि बजट का रोना रोया जा रहा है. मैं बताना चाहता हूं कि 2003 में जब हम लोग पहली बार विधायक बने थे तब दिग्विजय सिंह जी ने जो हमें खजाना दिया था मात्र 22 हजार करोड़ का जब शिवराज सिंह चौहान ने 2017-18 में जो खजाना दिया है 2 लाख 19 हजार करोड़ का. 2 लाख करोड़ की बजट में बढ़ोत्तरी हुई है. इसके बाद भी आप लगातार रोना रो रहे हैं.
श्री बाला बच्चन - यह तो हम लोगो ने कर्ज छोड़ा था 22 हजार करोड़ और आपने अभी छोड़ा है 1 लाख 85 हजार करोड़ का. वह बजट नहीं कर्ज छोड़ा था हमने.
श्री जालम सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिले की बात कुछ मुझे करनी है. 2015-16 में चिनकी उद्वहन सिंचाई योजना के लिये बजट प्रावधान किया गया था उसमें नरसिंहपुर जिले,रायसेन जिले और सागर जिले को पानी पहुंचना था. 1495 करोड़ की राशि बजट में प्रावधानित की गई थी. इसमें 30 मेगावाट बिजली भी बनना है. माईक्रो इरीगेशन है. हजारों लोगों को इसमें रोजगार मिलेगा इसकी टेंडर प्रक्रिया चल रही थी इसे रोक दिया गया है. जिले का मामला है दूसरे नरसिंहपुर जिले में शक्कर नदी पर हसनापुर पुल पर माईक्रो ईरीगेशन के लिये उसकी डीपीआर तैयार हो गई है उसमें वित्त मंत्री जी से और आपसे नि वेदन है कि उसके लिये बजट प्रावधान कराएंगे. दूसरा, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि जिस प्रकार से गन्ना उत्पादित किया जा रहा है जब हमारी सरकार थी मैं उस समय मंत्री था उस समय 310 रुपये क्विंटल गन्ना हमारे जिले में किसानों को रेट मिला है लेकिन जब से कांग्रेस की सरकार बनी मैं दावे से कह सकता हूं समर्थन मूल्य से नीचे गन्ना खरीदा जा रहा है. अभी भी 275 रुपये क्विंटल के हिसाब से गन्ना खरीदा जा रहा है. इस बार अतिवृष्टि के कारण खरीफ और बाकी फसलें प्रभावित हुई हैं. उसमें गन्ने की फसल भी प्रभावित हुई है. एक एकड़ में 400 क्विंटल तक हमारे जिले में गन्ना निकलता था. अब 100-150 क्विंटल ही निकल रहा है. किसान का जो लागत मूल्य है एक एकड़ में वह गन्ना अगर लगाता है तो उस पर लगभग 60 से 65 हजार रुपये का खर्च आता है. अगर हम 100 क्विंटल का जोड़े तो लगभग 27-28 हजार रुपये मिलते है. यदि यह 150 क्विंटल है तो उससे बढ़कर यह आता है. इस प्रकार से लगातार किसान परेशान है. मैं माननीय अध्यक्ष जी से भी निवेदन करता हूं कि जब चुनाव के पहले मुख्यमंत्री जी हमारे जिले में गये थे तो उन्होंने वहां पर घोषणा की थी हम 350 रुपये क्विंटल आपका गन्ना खरीदेंगे और 50 रुपये क्विंटल बोनस देंगे, यह घोषणा करके आए थे. किसी प्रकार का वहां गन्ना किसानों को लाभ नहीं पहुंचा है. मैं ऐसा मानता हूं कि जिस प्रकार से सरकार, सरकार के सम्मानीय मंत्रिगण गैर-जिम्मेदाराना जो बहुत सारी बातें कर रहे हैं मैं ऐसा मानता हूं कि उससे न किसानों का, न प्रदेश का भला होने वाला है. आपने बोलने का जो अवसर दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, दो मिनट का समय दे दें.
श्री दिव्यराज सिंह - अध्यक्ष महोदय, दो मिनट का समय दीजिए. कम से कम अपने क्षेत्र की बात रख लें.
श्री गिरीश गौतम - केवल क्षेत्र की बात कह लें.
अध्यक्ष महोदय - क्षेत्र की बात कर लीजिए. पीछे से शुरू कीजिए. क्षेत्र की बात बोलिए.
श्री दिव्यराज सिंह (सिरमौर) - अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय वित्तमंत्री जी से मैं इस बजट पर अपने क्षेत्र की कुछ मांगें रखना चाहता हूं. मंत्री जी ने इस बजट में सेतु निर्माण के लिए कुछ बजट दिया है लेकिन मेरे क्षेत्र में भी ऐसे कई सारे पुल-पुलिया बकाया हैं जो बनने योग्य हैं. कई गांव उन पुलियों के कारण रास्तों से जुड़ नहीं पाए हैं. एक हमारे चोखंडी में तोमरनपुरवा गांव है उसको कृपया जोड़ने का कष्ट करें. दूसरा, हमारे क्षेत्र में एक गाढ़ा-138 में खटीकानटोला है उसको भी जोड़ें. मंत्री जी से यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि आपकी बहुमूल्य योजना है जो गौशाला आप बना रहे हैं. गौशालाओं के लिए आपने मुख्य बजट में बजट तो आवंटित कर दिया था लेकिन इस बजट में अभी तक आपने गौशाला का संचालन करने के लिए कोई बजट का प्रावधान नहीं किया है. मेरे क्षेत्र में पढ़री और दो तीन जगहों पर गौशालाएं बन गई हैं उनके संचालन करने के लिए भी उसमें आप कुछ बजट आवंटित कर दें. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय मुनमुन (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र की जो लिफ्ट इरिगेशन की परियोजना स्वीकृत थी, उसमें राशि न देकर पड़ोसी जिले में राशि दी है. एक मेडिकल कॉलेज भी स्वीकृत था और अभी आज जो प्रश्न लगा था उसमें आपने कहा कि पूरी बाउंड्री वॉल बन गई है, लेकिन आज भी वह बाउंड्री वॉल नहीं बनी है, न उसका काम प्रारंभ किया गया है.
अध्यक्ष महोदय - इसको लिखित में जरूर दो. इसको लिखित में आप दीजिए क्योंकि मैंने भी आज उसमें पढ़ा है.
श्री दिनेश राय मुनमुन- नहीं, वह गलत जानकारी है.
अध्यक्ष महोदय - उसको आप लिखित में दीजिए कि यह जानकारी गलत दी गई है.
श्री दिनेश राय मुनमुन - जी हां. मैं देता हूं.अध्यक्ष महोदय, मेरा यह भी कहना है कि आप कहते हैं कि अनुसूचित क्षेत्रों में साहूकारों से आदिवासी दलित लोगों को कर्ज नहीं लेना पड़ेगा, लेकिन आपकी घोषणा को 8 माह हो गये हैं, जब उन साहूकारों के पास हमारे आदिवासी भाई जाते हैं तो उनको वह सामान वापस नहीं करते हैं, वह कहते हैं कि शासन का ऐसा कोई आदेश दिखाओ जब हम सामान वापस करेंगे तो 8 माह हो गये हैं. उन्होंने पूरा सोना चांदी गला लिया है. आपकी जो घोषणा है वह कोई मकसद की नहीं है.
अभी माछागोरा बांध का पानी जो पहले निर्विघ्न हमारे यहां पर आता था लेकिन नयी सरकार बनने के बाद उस पानी को समय पर छोड़ा नहीं जा रहा है. पेंशन नहीं मिल रही है. सोसाइटी में जो अनाज है वह बहुत खराब स्थिति का आपके द्वारा दिया जा रहा है. हमारे यहां जो सड़क बननी थीं कोई सड़क नयी नहीं बन रही है. बारिश में जिन सड़कों में गड्ढे हो गये हैं उनको भी आप भर नहीं रहे हैं और जो सड़कें बन गई हैं, ठेकेदार ने उसका पूरा काम कर दिया है उसका भी भुगतान आप नहीं कर रहे हैं. मैं सदन में यह कहना चाहता हूं कि यह सरकार पूरे प्रदेश के लिए बनी है और आपसे आग्रह है कि यह सरकार पूरे प्रदेश के जिलों के लिए काम करें न कि एक जिले के लिये. मेरा आपसे कहना है कि हम सभी विधायक जीतकर अपने क्षेत्रों से आए हैं तो मेरा कहना है कि और भी विधायकों ने जैसा बताया, हम सब प्रोटोकॉल का सम्मान करें, ऐसा मेरा आसंदी से निवेदन है बाकी हम लोग सक्षम हैं, ढाई लाख वोटों से चुनाव जीतकर आते हैं. ऐसा न हो कि हम लोगों के सम्मान में कोई भी जिले में ऐसी अप्रिय घटना घटे तो हम विधायक कहीं भी उसमें दोषी नहीं होंगे, इसके लिए आपसे आग्रह है कि आप हमारे मुखिया हैं, संरक्षक हैं और आप संरक्षण प्रदान करें. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री गिरीश गौतम ( देवतालाब ) -- अध्यक्ष महोदय मैं भाषण न देते हुए सीधी बात करना चाहता हूं. रीवा जिले में आरबीसी 6-4 के तहत सर्पदंश से पानी में डूबने से और अन्य कारणों से जो चार लाख का प्रावधान है. वहां पर सारे आवेदन जांच होकर पड़े है उनका भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. संबल योजना जिसको आपने नया सबेरा कर दिया है उसमें भी पहले 18 से 60 के बीच में सामान्य मौत में दो लाख, एक्सीडेंट में चार लाख और 16 हजार प्रसूता को मिलता था. अब उसको आपने 18-50 कर दिया है इसके भी प्रकरण रीवा जिले में बहुत सारे लंबित हैं उनका भी निराकरण हो जाना चाहिए. मैं यह निवेदन कर रहा हूं कि बिजली के बिल में आपने आधा कर दिया है. हमारी सरकार ने 200 रूपये किया है, आपकी सरकार ने 100 रूपये कर दिया है. उसमें आपने अंतर क्या कर दिया है. शिवराज जी की सरकार ने 1 हजार वाट पर किया था और आपकी सरकार ने 500 वाट पर कर दिया है. कृपा पूर्वक उसको 1 हजार वाट ही करें क्योंकि अगर एक पंखा और एक कूलर चलायेंगे तो 500 वाट से ऊपर अपने आप चला जायेगा. हमारे यहां पर नई गढ़ी माइक्रो एरिगेशन प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ था पैसा पहले से आवंटित था उसका काम रूका हुआ है जब वहां पर बात करते हैं तो कहते हैं कि बजट में पैसा आना बंद हो गया है. कृपा पूर्वक उसको चालू करवा दें. एक हमारी सड़क और है रायपुर से सीतापुर पन्नी रोड यह 100 करोड़ की है पैसा पहले से एलाटेड है काम इतना धीमा है उसका कि हमारी सरकार के समय ही 10 प्रतिशत बन गया था अब बिल्कुल नहीं बन रहा है उसको भी पूरा करा दें.अंत में मैं एक लाइन कहना चाहता हूं अभी जो विवाद हुआ है पक्ष विपक्ष दोनों जरा सुन लीजिए एक बात का ख्याल रखें - जिव्हा ऐसी बाबरी कहे स्वर्ग पाताल, अपनी कह भीतर गई जूता खात कपाल, इसी लाइन के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं.
श्री बहादुर सिंह चौहान ( महिदपुर ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आरबीसी 6-4 को लेकर मेरे क्षेत्र में जो सर्वे किया जा रहा है वह संतोषप्रद नहीं है. वह सर्वे भेदभावपूर्ण तरीके से किया जा रहा है. मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि चूंकि अतिवृष्टि से मेरे विधान सभा क्षेत्र में 50 से 80 प्रतिशत फसलें नष्ट हो गई हैं. एक महत्वपूर्ण सुझाव देकर अपनी बात को समाप्त करूंगा. माननीय वित्त मंत्री जी आपने जो राहत राशि बांटने का कैडर बनाया है. 0 से 31 आरए जमीन है उसको 5 हजार रूपये, जो सीमांत कृषक है एक हेक्टेयर वाला उसको आप 16 हजार रूपये दे रहे हैं, जो लघु कृषक है जिसके पास में दो हेक्टेयर जमीन है उसको आप 32 हजार रूपये दे रहे हैं और उसके ऊपर जो कृषक है उसको एक लाख 32 हजार रूपये दे रहे हैं. आप कुल मिलाकर 20 प्रतिशत राशि दे रहे हैं. अध्यक्ष महोदय 5 हजार वाले को 1250 रूपये दे रहे हैं, 16 हजार वाले को 4 हजार दे रहे हैं, 32 हजार वाले को 8 हजार दे रहे हैं और 1 लाख 32 हजार वाले को 30 हजार दे रहे हैं. मेरा यह आग्रह है कि प्रदेश के सब काम रोककर किसानों की यह राहत राशि एक मुश्त दे दें. बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इस बजट का विरोध करते हुए अपनी बात रखना चाहते हैं. हमारे टीकमगढ़ जिले में संबल योजना का सर्वे हुआ है और यह सर्वे कर्मचारियों ने घर बैठकर कर दिया है कोई मजदूर अगर बाहर मजदूरी करने के लिए दिल्ली पंजाब गया है तो उसका आधार और मोबाइल नंबर न होने के कारण उसको संबल योजना से अपात्र घोषित कर दिया है इसलिए हमारी प्रार्थना है कि टीकमगढ़ जिले का पुन: सर्वे कराया जिससे वहां के जो लाखों लोग इस योजना से वंचित हो रहे हैं वे वंचित न हो सकें. टीकमगढ़ जिले में अतिवृष्टि हुई जिसके कारण लाखों किसान परेशान हो गये हैं और उऩको जो राशि मिलना चाहिए, अध्यक्ष महोदय जो बड़े किसान हैं उनको 13 हजार रूपये और जो छोटे किसान हैं उनको 16 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर के मान से दिये जाने का शासन के आरबीसी के 6-4 में प्रावधान है. अध्यक्ष महोदय प्रदेश का ग्लोबल बजट खुला हुआ है लेकिन उसमें से केवल 25 प्रतिशत राशि किसानों को दी जा रही है. किसानों में जबरदस्त तरीके से टीकमगढ़ जिले में आक्रोश व्याप्त है. जल संसाधन विभाग से संबंधित ही हम अपनी बात रखना चाहते हैं. हमारे जल संसाधन मंत्री जी यहां बैठे हुए हैं. टीकमगढ़ जिले में धसान नदी पर सुजारा बांध बनाया गया था, जिसमें 183 गांव के किसानों को पानी देने का प्रावधान था, उसमें बजट का प्रावधान भी किया गया था, लेकिन उसमें 183 गांव में से लगभग 20-25 गांव छोड़ दिये गये हैं, जिससे वह गांव रुके हुए हैं. वहां पर पाइप लाइन बिछवाकर के वहां पर पुनः सुजारा बांध का काम प्रारम्भ कराया जाये. एक निवेदन है कि हरपुर सिंचाई परियोजना, जो देश और दुनिया की पहली एक ऐसी स्कीम है, जो नदी का पानी तालाब में डालने की योजना बनाई गई थी. उसमें हरपुर सिंचाई परियोजना में उसके फेज वन का काम तो समाप्त हो गया है, लेकिन फेज 2 का काम, जो राशि स्वीकृत भी है, 38 करोड़ 10 लाख रुपये स्वीकृत है, हमारी विनम्र प्रार्थना है कि वह हरपुर सिंचाई परियोजना का काम जो बंद हो गया है, उसको पुनः चालू करने का कष्ट करें. मंत्री जी को भी मालूम है, हमारे सम्मानीय राठौर साहब को भी मालूम है कि हरपुर सिंचाई परियोजना का काम प्रारम्भ कराया जाये. आपने बोलने के लिये समय दिया, इसके लिये बहुत- बहुत धन्यवाद.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया)-- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. जो अनुपूरक बजट पेश हुआ है, उसका मैं समर्थन करती हूं, पर मैं आपका संरक्षण चाहती हूं और आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे बुन्देलखण्ड में, मैं बुन्देलखण्ड से जीतकर आई हूं, एक ऐसी विधान सभा पथरिया से, जहां बहुत समय तक एस.सी. सीट रही है, तो पहले भी उधर कोई काम नहीं हो पाया. आज भी देश को 70 साल आजाद हुए हो गये, पर वहां रोड,पानी और बिजली के लिये लोग आज भी सुविधा से वंचित हैं. मैं चाहती हूं कि जो बजट पेश हुआ है, उसमें हमारी पथरिया विधान सभा की रोड,बिजली,पानी और सभी चीजों को जोड़ा जाये. बहुत से किसानों को ऐसी समस्याएं हैं, रोड्स की हैं और पानी की हैं. तो मैं मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि मेरे पथरिया विधान सभा के लिये क्या उसमें जोड़ा गया है, कुछ ऐसा हो, जो जनता के हित के लिये हो. तो मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं कि मेरे पथरिया विधान सभा के लिये रोड,बिजली एवं पानी मुहैया कराया जाये, क्योंकि वहां उससे आज भी लोग बहुत परेशान हैं. धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं इस अनुपूरक बजट का विरोध करता हूं. मेरे क्षेत्र की छोटी छोटी समस्याएं हैं. लगभग एक वर्ष इस सरकार को हो गया है, लेकिन आज भी मेरे क्षेत्र में अधूरे मांगलिक भवन, अधूरे पंचायत भवन, इसके साथ ही साथ इस प्रकार के अनेक निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं, उनके लिये राशि जल्दी से जल्दी जारी हो. साथ ही साथ पूरे मध्यप्रदेश में 3 मॉडल रविन्द्र भवन, जिस प्रकार का एक हमारे भोपाल में बना है, उसी तर्ज पर एक खण्डवा में, क्योंकि खण्डवा एक सांस्कृतिक नगरी है. किशोर कुमार एवं दादा माखनलाल जी की जन्म भूमि है. इस प्रकार की एक ऐतिहासिक भूमि है. पूर्व मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान जी के आशीर्वाद से इस प्रकार का रविन्द्र भवन स्वीकृत हुआ था, लगभग पूर्ण है. उसमें कुछ राशि अगर जारी हो जायेगी, तो वह भवन लगभग एक वर्ष से अधूरा पड़ा है, वह पूर्ण हो जायेगा, तो शहर की एक सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने का काम वह भवन करेगा. इसी प्रकार से मेरे क्षेत्र में सिहाड़ा-जावर उद्वहन सिंचाई योजना एवं छैगांवमाखन उद्वहन सिंचाई योजना स्वीकृत हो चुकी है, उसका कार्य शुरु हो चुका है, उसमें कुछ गांव छूट रहे हैं. अगर उन गांवों को शामिल कर लेंगे, तो 100 प्रतिशत गांव खण्डवा जिले के सिंचित हो जायेंगे. इसी प्रकार लगभग पूरे मधय्प्रदेश में 30 हजार कन्यादान योजना के माध्यम से विवाह हुए हैं. उन 30 हजार कन्याओं को आज तक कन्यादान की राशि नहीं मिली है. इसमें से 1100 कन्याएं मेरे क्षेत्र की हैं. मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि एक वर्ष होने को आया है, अब आप मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की राशि जल्दी से जल्दी जारी करें. इसी प्रकार मैं बताना चाहता हूं कि पूर्व मुख्यमंत्री जी ने हमारे खण्डवा जिले को मेडिकल कॉलेज की सौगात दी थी और साथ ही साथ उसमें प्रस्तावित था कि लगभग 300 बेड का मेडिकल हॉस्पीटल भी होगा. लेकिन मेडिकल हॉस्पीटल की अभी तक उसकी स्वीकृति के बाद किसी प्रकार की उसमें राशि नहीं पहुंची है. मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि अगर मेडिकल कॉलेज के साथ हास्पीटल हो जायेगी, तो एक पूरे निमाड़ को अच्छी सौगात होगी. अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री संजय यादव (बरगी) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रदेश सरकार द्वारा प्रथम अनुरपूरक बजट के समर्थन में अपनी बात रख रहा हूं. मैं यशस्वी मुख्यमंत्री जी एवं प्रदेश के युवा एवं कर्मठ वित्त मंत्री जी का हृदय से इस बात के लिये अभिनन्दन करना चाहता हूं कि प्रतिकूलतम् वित्तीय स्थितियों एवं विरासत की खाली तिजोरी की त्रासदी में भी आपके द्वारा लगभग 23 हजार तीन सौ करोड़ रुपये का अनुपूरक अनुमान प्रस्तुत किया गया है. यह अभूतपूर्व कार्य आप दोनों के सुदृढ़ निश्चय, कर्तव्यपरायण कार्यशैली, लगन, कर्मठता तथा प्रदेश की जनता से प्रतिबद्धता का द्योतक है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, संस्कृति विभाग के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसमें संस्कारधानी जबलपुर में पावन पुण्य सलीला नमामि देवी नर्मदा के समीप अर्द्धकुंभ का आयोजन प्रस्तावित है. इसी प्रकार आध्यात्मिक विभाग के लिए कुल 1100 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है, जिसमें तीर्थ योजना के लिए सिक्ख संग्रहालय और शोध केन्द्र की स्थापना के लिए प्रस्ताव किया गया है, इसके लिए मैं माननीय वित्त मंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ और मैं इस बात के लिए भी आभार व्यक्त करना चाहता हूँ कि बरगी विधान सभा क्षेत्र के लिए एक साल बड़े बेमिसाल रहे. पिछले 15 सालों में बरगी विधान सभा क्षेत्र में विकास की ललक नहीं देखी गई थी, विकास क्या होता है, वहां के लोग जानते ही नहीं थे. नर्मदा के किनारे के बसने वाले माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी और माननीय प्रभारी मंत्री जी के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने गरीबों और पिछड़ों के उत्थान के लिए काम किया, उनका ख्याल रखा. जबलपुर का विशेष ख्याल रखा, उसके लिए बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ.
श्री शरदेन्दु तिवारी (चुरहट) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये जो 23 हजार करोड़ रुपये की अनुदान मांग पेश हुई है, इसका विरोध करने के लिए मैं खड़ा हुआ हूँ. केन्द्र सरकार ने 11 मेडिकल कॉलेज मध्यप्रदेश के लिए दिए थे. उसमें से एक कॉलेज सिंगरौली में भी आना था. वह कॉलेज रोका गया है, कुल 6 की ही मंजूरी हुई है. इस बजट में अन्य 5 बचे हुए कॉलेजेस के लिए चूँकि कोई प्रावधान नहीं है, हमारी जो चिकित्सा शिक्षा मंत्री हैं, उन्होंने भी बड़े जोर-शोर से कहा था कि हर जिले में मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे. चूँकि सीधी, सिंगरौली के लिए यह एक लाइफ लाइन हो सकती थी, इस विषय पर इस बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है, मेरी इस पर चिंता है.
अध्यक्ष महोदय, माफिया की बात हो रही थी. सीधी जिले में सोन घड़ियाल सेंक्चुरी है. उसमें जबरदस्त रेत माफिया हैं. मैं उम्मीद कर रहा हूँ कि जो उमंग सिंघार जी ने रेत माफिया और शराब माफिया को लेकर सोर्स कहां से है, यह बात कही थी, उस पर कड़ी कार्यवाही सरकार की तरफ से होगी, अच्छा कदम है और कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए. तीसरा एक महत्वपूर्ण विषय अतिथि विद्वानों की हड़ताल से संबंधित है.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, डॉ. हीरालाल अलावा.
डॉ. हीरालाल अलावा -- (अनुपस्थित)
श्री जजपाल सिंह ''जज्जी'' (अशोकनगर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा कि अशोकनगर जिले की बहुत महत्वपूर्ण समस्या है. वहां रेलवे लाइन शहर के मध्य से निकली है, और एक अण्डर ब्रिज की बात मैं कर रहा हूँ. हमारे तत्कालीन सांसद सिंधिया जी द्वारा प्रयास करने के बाद लगभग 2 वर्ष पूर्व अण्डर ब्रिज स्वीकृत हो गया, लेकिन रेलवे विभाग ने इस शर्त पर वह अण्डर ब्रिज स्वीकृत किया कि उसमें रेलवे विभाग एक रुपया भी व्यय नहीं करेगा. उसके लिए हमको और कहीं से व्यवस्था करनी पड़ेगी. तत्कालीन मध्यप्रदेश की सरकार थी, सिंधिया जी ने इस सरकार से निवेदन किया लेकिन इस सरकार ने मना कर दिया था. उसके बाद सिंधिया जी ने अपनी सांसद निधि से रेलवे विभाग को डेढ़ करोड़ रुपये दिए. 50 लाख रुपये नगरपालिका ने दिए. बकाया 1 करोड़ 62 लाख रुपये मैंने माननीय वित्त मंत्री जी से अनुरोध किया था और मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने 1 करोड़ 62 लाख रुपये रेलवे विभाग को देने का आश्वासन दिया था, वित्तीय समिति ने स्वीकृति भी दे दी थी और सैद्धांतिक सहमति हमने रेलवे विभाग को दे दी है, मंत्री जी, रेलवे ने टेंडर काल कर लिया है, लेकिन निर्माण कार्य वे तभी शुरू करेंगे, जब हम 1 करोड़ 62 लाख रुपये रेलवे विभाग को दे देंगे. मंत्री जी ने आश्वासन दिया था, लेकिन इस बजट में उसका प्रावधान नहीं हो पाया, तो मैं निवेदन करूंगा. अध्यक्ष जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामखिलावन पटेल (अमरपाटन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में अप्रैल, मई में किसानों से चना, मसूर खरीदी गई है. 9 महीने से आज तक किसानों को उसका पेमेंट नहीं हुआ है, किसान भटक रहे हैं तो मेरा निवेदन है कि उनका पेमेंट करा दिया जाए. दूसरी बात यह है कि अमरपाटन में एक बाइपास बन गया है, शहर के अंदर 5 किलोमीटर रोड अधूरी है और उसमें इतनी धूल है कि पूरा शहर परेशान है, सबको टीबी हो जाएगी. इसलिए माननीय वित्त मंत्री जी वह 5 किलोमीटर रोड मंजूर कर दें. अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत कम समय आपने मुझे दिया है. वैसे इस सरकार से मांग इसलिए बेमानी है क्योंकि जो अनुपूरक बजट दिया है वह केवल कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों के क्षेत्रों को ध्यान में रखकर बनाया गया है लेकिन फिर भी अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए मैं कुछ विषय इस अनुपूरक बजट में शामिल करने के लिये देना चाहता हॅूं. बहुत सारे किसानों के यहां लगभग 25 से 30 गांवों में अभी 5-6 दिन पहले ओलावृष्टि हुई है. वहां ठीक से सर्वे नहीं हो पाया है. जिन किसानों की खरीफ की फसल पहले सोयाबीन की फसल बरबाद हो गई, फिर उनकी रबी की फसल भी बरबाद हो गई. न पिछला मुआवजा मिला है और न इस मुआवजे के मिलने की कोई आशा है. सरकार यदि वचन का पालन करने में अपने आपको अच्छा समझती है तो मैं यह कहना चाहता हॅूं कि चूंकि आप अपने पुराने वचन पूरे नहीं कर पाए हैं लेकिन जनता और किसानों के इस दर्द को आप समझिए और सर्वे कराइए. किसान भाईयों को मुआवजा दिलाने का कष्ट करिए. मैं अपने विधान सभा क्षेत्र में माननीय वित्त मंत्री जी से व्यक्तिगत रुप से मिला था. फरवरी 2018 में लगभग 52 गांवों में ओलावृष्टि हुई थी और उस का बीमा अभी तक नहीं मिला है. माननीय कृषि मंत्री जी का ऐसा कहना है कि अगर वित्त विभाग यह बीमा की राशि जमा करेगा तो किसानों को बीमा राशि मिल पाएगी. इसे आप देखिए. इस अनुपूरक बजट में गेहॅूं के नये खरीदी केन्द्र कराने का प्रावधान भी कीजिए. साथ ही साथ मॉडल स्कूल के छात्रावास जो सरकार ने खोले हैं लेकिन उसमें पढ़ने वाले बच्चों के लिये छात्रावास की व्यवस्था नहीं है यदि बजट में इसकी भी व्यवस्था की जाएगी, तो मुझे लगता है कि उन बच्चों को, जो मॉडल स्कूल में पढ़ रहे हैं उनको लाभ मिल सकेगा. साथ ही साथ मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के अंतर्गत एक नियम बनाया गया है कि 6 लाख रुपए से अधिक आय वाले लोगों को प्रतिवर्ष अपना प्रमाण पत्र इस बाबत देना पडे़गा जिसके कारण कई सारे बच्चों को मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना का पैसा नहीं मिल पा रहा है. चाहे वह दिल्ली हो, मुंबई हो, जहां भी हो, जो छात्र आईआईटी या अन्य विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं, उनको वह पैसा नहीं मिल रहा है. इस कारण उनका भविष्य अधर में पड़ गया है. यह मध्यप्रदेश के भविष्य से जुड़ा हुआ मामला है, इस पर ध्यान दिया जाए और पूर्व खेल मंत्री जी ने, हमारी सरकार ने विधायक कप प्रारंभ किया था उस विधायक कप के लिये भी राशि दी जाये. देवास जिले का तीर्थ दर्शन यात्रा का कोटा बढ़ाया जाए. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद.
श्री राहुल सिंह (दमोह) -- माननीय अध्यक्ष जी, आज जो यह अनुपूरक बजट पेश हुआ है, मैं इसका समर्थन करता हॅूं. साथ ही साथ माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी दोनों को हृदय की गहराइयों से साधुवाद देना चाहता हॅूं कि उन्होंने इस पूरे एक वर्ष चाहे वह गौशाला का विषय हो, चाहे वह शिक्षा का विषय हो, चाहे रोजगार का विषय हो, हर फील्ड में पूरी इच्छाशक्ति के साथ में सरकार ने काम किया है और मुझे भरोसा है कि आने वाले समय में सरकार निरंतर इसी तरह से काम करेगी. धन्यवाद.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप (रतलाम-सिटी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात की तरफ आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा. मैंने वित्तीय स्रोत के बारे में प्रश्न किया था जिसमें माननीय वित्त मंत्री जी ने जवाब दिया है कि पूरे देश के अंदर जीडीपी ग्रोथ कम हुई है अत: हम आपको आंकड़ा उपलब्ध नहीं करा सकते हैं कि 23 प्रतिशत वृद्धि के खिलाफ हमारा कितना राजस्व इकट्ठा हुआ है. दूसरा आबकारी पर आपने बजट में 4500 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा था. उसके अक्टूबर तक के आंकड़े के भी संबंध में आपने कहा है कि हमारा बजट होगा मतलब एक साल बाद सदस्यों को यह जानकारी देंगे तो यह जो स्थिति है अगर जीडीपी कम हो रही है तो 3 परसेंट की जो आदर्श स्थिति है उसके हिसाब से मध्यप्रदेश के 7 लाख करोड़ रुपए के जीडीपी के अगेंस्ट में 21 हजार करोड़ रुपए लिया जा सकता है तो यह 23 हजार करोड़ रुपए का जो अनुपूरक दिया है इसकी पूर्ति में कौन-कौन सी कल्याणकारी योजनाओं को काटा जाएगा, इससे भी सदन को अवगत कराना चाहिए. मैं जिले की बात पर आ रहा हॅूं. आपने समय सीमित जरुर कर दिया कि हम जिले पर हमारी सीमा में रहें परन्तु जो मुद्दे हैं जो जवाब दिये जा रहे हैं. नगरीय निकायों का रतलाम जिले में अवैध कालोनियों का नियमितीकरण प्रारम्भ हुआ था. पिछली बार ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में हमारे युवा मंत्री जी ने यह कहा था कि हम अधिनियम लाकर इस विधान सभा सत्र के अंदर ही अवैध कालोनियों के काम प्रारंभ करेंगे. रतलाम में 20 करोड़ के टेंडर हो चुके हैं. सारे काम बंद पडे़ हुए हैं. 12 कालोनियों के अंदर आधे-अधूरे काम रुके हुए हैं. शहरों के नालों के पक्काकरण करने के लिये 10 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान है. 26 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत थी, वह राशि भी अभी तक नहीं दी गई है. उद्योग विभाग के द्वारा हमारी माननीय यशोधरा जी ने बहुत महत्वपूर्ण विषय रखा था. उद्योग क्षेत्रों के संधारण का कार्य देखें तो रतलाम का औद्योगिक क्षेत्र इस साल से पूरा कच्चा पड़ा हुआ है उसका बजट में प्रावधान नहीं है तो इन सारी चीजों पर ध्यान दिया जाए और यह जो विसंगतियां हैं यह राशि कहां से आएगी, इस पर विशेष ध्यान दिया जाए. धन्यवाद.
श्री हरदीपसिंह डंग (सुवासरा) - अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहते हुए कहना चाहता हूं कि मंदसौर जिला वह जिला है जहां पर अतिवृष्टि बहुत ज्यादा हुई और बाढ़ की स्थिति बनी. गोलीकांड की बार-बार बातें आती हैं. बाढ़ की और अतिवृष्टि की जो बात हुई है मंदसौर जिले में न तो मकान और न पहनने के लिए कपड़े और न खाने के लिए अनाज बचा था, उसके बाद मैं कमल नाथ जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने वहां पर आकर देखा और हमने उनसे मांग की कि यहां पर पूरी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं तो उन्होंने इतिहास में पहली बार जो कदम उठाया कि बिना सर्वे कराये प्रत्येक किसान को मुआवजा दिया गया. एक भी किसान का वहां पर सर्वे नहीं हुआ और किसानों को 350 करोड़ का वितरण हो चुका है जिसमें 300 करोड़ फसलों का और 50 करोड़ मकानों का वहां पर दे चुके हैं. मैं तरुण भनोत जी से भी कहना चाहता हूं...
अध्यक्ष महोदय - अपने क्षेत्र की बात कर लीजिए और समाप्त करिए.
श्री हरदीपसिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि वहां पर जो किसान अभी वंचित रह गए हैं, मंदसौर जिले में अभी आप वंचितों को जो 25 परसेंट दे रहे हैं मेरा निवेदन है कि मंदसौर और नीमच के किसानों को 100 परसेंट दिया जाए क्योंकि वहां पर बाढ़ की स्थिति ज्यादा थी और जय किसान योजना में भी 78,500 को वहां पर मिल चुका है. आखिरी गोलीकांड की बात करना चाहता हूं जो बार-बार आती है, वहां पर जो 5 किसानों की मृत्यु हुई थी, जो किसान संघर्ष कर रहे थे उस कारण हुई थी. इसलिए जो किसानों पर राजनीति करता है या किसानों की बात करते हैं तो मंदसौर में सिर्फ किसानों पर जो कर्ज था, उनके साथ अत्याचार हो रहा था उसके कारण उनकी हत्या हुई है. आखिरी बात जो निवेदन करना चाहता हूं कि सिंचाई योजना के लिए हमारे प्रभारी मंत्री भी हैं और उस विभाग के मंत्री भी हैं, वहां पर सीतामऊ-क्यामपुर सिंचाई योजना को अतिशीघ्र मंजूरी दी जाए जिससे किसानों को पानी मिल सके और सभी विभागों से निवेदन है कि मंदसौर जिले पर ज्यादा ध्यान दें जिससे वहां पर जो कुछ भी बर्बाद हुआ है वह वापस पटरी पर आ सके.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष जी, मैं अपने क्षेत्र की बात दो मिनट में रख दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - नहीं. मैं इसलिए नाम नहीं ले रहा था. कृपया करके क्षेत्र की बात करें तो मेहरबानी होगी. विजय शाह जी, सिर्फ क्षेत्र की दो मिनट में बात करें. सभी माननीय विधायकों ने अनुरोध किया था कि दो-दो मिनट बोलने दें. मैंने दो मिनट की आपको अनुमति दी है. मुझे भी आप को-ऑपरेट करिए.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष जी, मैं अपने क्षेत्र की बात एक मिनट में समाप्त कर दूंगा. बहुत लोग बोल चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं-नहीं अब छोडि़ए मत बोलिए. यही तो आप लोगों के साथ दिक्कत है. मैं किसी को अब नहीं बोलने दूंगा. मेहरबानी करिए. विजय शाह जी, आप दो मिनट बोल लीजिए.
कुँवर विजय शाह (हरसूद) - अध्यक्ष महोदय, इस सरकार को 23,303 करोड़ रुपये छोड़ो एक ढेला, कौड़ी भी नहीं देना चाहिए. इसलिए नहीं देना चाहिए कि जितनी भी योजनाएं जो जनहित की थीं वह न लेते हुए इसमें जितना भी कुछ लिखा हुआ है वह सब अपने-अपने क्षेत्र की कोई छिंदवाड़ा जा रहा है, कोई नरसिंहपुर जा रहा है, कुछ जबलपुर भी जा रहा है, खैर मैं उसकी बात नहीं करता. यह तो अंधा बांटे रेवड़ी और चीन्ह-चीन्ह के दे. मैं केवल अपनी बात पर आ रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - क्यों हमारे यहां जा रहा है तो तकलीफ हो रही है ?
कुँवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, आपकी तरफ सब जाय तकलीफ नहीं है लेकिन बाकी लोगों की तरफ और कुछ इधर भी आना चाहिए. जैसा आपका निर्देश है मैं उसमें सीमित करते हुए अपनी विधान सभा की ओर इसको ले जाता हूं. पिछले बजट में और इस बजट में भी हमारे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज जी बैठे हैं आदिवासी क्षेत्र है और वहां 147 गांव की 2 हजार करोड़ की योजना जो माननीय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज जी ने तत्काल आदिवासियों के 147 गांवों में जहां पर सिंचाई योजना की मंजूरी दी थी. न सिर्फ मंजूरी दी थी बल्कि प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति भी दी थी. लेकिन आज तक उसके टेण्डर होकर के और काम शुरू नहीं हुआ है और मुझे जानकारी मिली है कि 147 गाँवो में से भी हमारे 85 गाँव इस वर्तमान सरकार ने काट दिए हैं, क्यों काटे हैं मेरी समझ के बाहर है. उन योजनाओं से हरसूद विधान सभा क्षेत्र के गरीब अनुसूचित जनजाति के लोगों का भला होगा, दो फसल लेंगे. खेत को पानी मिलेगा उनको क्यों काटा है? अब यह तो आप लोग जानें लेकिन माननीय शिवराज जी ने जो दिया था उसको भी आप लोगों ने काट दिया. माननीय अध्यक्ष जी, केवल इतना ही नहीं हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी हमारे जिले के प्रभारी मंत्री हैं, जिले की स्वास्थ्य सुविधाएँ बहुत बुरी तरह बिगड़ी हुई हैं. हमने पहले भी कहा था कि एंबुलेंस दो, ये लोग नहीं दे पाए. हमने दो एयर कंडीशंड एंबुलेंस, किसी तरह कहीं से जुगाड़ करके गिफ्ट करा दी. अब माननीय प्रभारी मंत्री सिलावट जी उनके लिए ड्रायवर और डीजल नहीं दे पा रहे हैं. एक साल से दोनों एंबुलेंस धूल खा रही हैं. (शेम शेम की आवाज)
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)-- वह जुगाड़ कौन थी?
अध्यक्ष महोदय-- बिल्कुल बीच में न बोलें, कोई मंत्री नहीं बोलेगा.
कुँवर विजय शाह-- अनुसूचित जनजाति के लोगों की भलाई के लिए हमने कहीं से दिलवाई थी. माननीय अध्यक्ष जी, मुझे कहते हुए शर्म आ रही है कि ये अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति की जो बात करते हैं. उन लोगों के लिए दी गई एयर कंडीशंड एंबुलेंस के लिए एक साल से ड्रायवर और डीजल नहीं है, वे एंबुलेंस धूल खा रही हैं. लोग मर रहे हैं लेकिन आपको चिन्ता नहीं है.
माननीय अध्यक्ष जी, इसी तरह हम लोगों ने, जब हमारी सरकार थी, जितनी भी अनुसूचित जाति और जनजाति की जो हमारी बहनें हैं, उनकी सुरक्षा के लिए होस्टल्स में सीसी टीवी कैमरा, फैंसिंग, दीवार बनाने की व्यवस्था की थी. बजट पास किया था लेकिन अभी हमने पिछले दिनों सुना, माननीय मुख्यमंत्री जी यहाँ बैठे हैं, अनुसूचित जनजाति के छात्रावासों में असामाजिक तत्व घुसे और हमारी बहन के साथ गड़बड़ हुई. मैं यहाँ कहना नहीं चाहता. माननीय मुख्यमंत्री जी, अगर सारे होस्टल्स में सीसी टीवी कैमरे लगा दिए जाएँ, बाउंड्री वॉल बनाई जाए और असामाजिक तत्व, मैं उस चीज को ज्यादा लंबा नहीं ले जाना चाहता क्योंकि मुझे कहने में भी शर्म आती है. यह सरकार निश्चिंत बैठी हुई है. माननीय मुख्यमंत्री जी, छिंदवाड़ा का भी मामला है और छिंदवाड़ा को ध्यान में रखते हुए पूरे मध्यप्रदेश के जो अनुसूचित जाति, जनजाति के होस्टल्स हैं वहाँ सीसी टीवी कैमरे लगाए जाएँ, बाउंड्री वॉल बनाई जाए. उसके लिए इसमें कोई प्रावधान नहीं है. हमने कुछ प्रावधान किया था.
अध्यक्ष महोदय-- विजय शाह जी, धन्यवाद.
कुँवर विजय शाह-- यह काम आपने बन्द कर दिया. इसी तरह अनुसूचित जाति और जनजाति पर सुबह भी माननीय भार्गव जी ने यह मामला ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाया था. मैंने भी एक प्रकरण दर्ज करवाया. आज 9 महीने हो गए, 3 महीने में एट्रोसिटी एक्ट में चालान हो जाना चाहिए. मैं भी एसटी वर्ग से आता हूँ. 9-10 महीने हो गए मेरे प्रकरण पर भी आज तक पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश नहीं किया. जब विधायक के साथ यह हो रहा है एट्रोसिटी एक्ट में तो पूरे प्रदेश में क्या हो रहा होगा. मैं विधान सभा में अन्दर हूँ, विधान सभा के बाहर नहीं हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- विजय भाई, आप अपना वादा भूल रहे हैं.
कुँवर विजय शाह-- मैं बस दो मिनिट में समाप्त कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, 5 मिनिट हो गए. 2 मिनिट तो छोड़ो.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, खेलकूद के लिए स्टेडियम हर विधान सभा में माननीय हमारी दीदी यहाँ बैठी हुई है, पूर्व मंत्री यशोधरा जी, हर विधान सभा में एक स्टेडियम दिया गया था माननीय वित्त मंत्री जी, हरसूद के साथ आप भेदभाव क्यों कर रहे हैं? केवल इसलिए कि वहाँ 30 साल से विजय शाह जीतकर आता है. केवल इसलिए कि वह अनुसूचित जनजाति का क्षेत्र है. सब जगह स्टेडियम बन गए. मेरे साथ भेदभाव क्यों हो रहा है? मुझे आज तक समझ में नहीं आया. मेरे विधान सभा में आपने स्टेडियम ही गोल कर दिया. मेरा कोई दोष नहीं है, वहाँ की जनता पूछ रही है कि क्या हम आपको 30 साल से जिता रहे हैं यह हमारा दोष है? हमारा खेल स्टेडियम कहाँ है? इसमें कोई प्रावधान नहीं है.
माननीय अध्यक्ष जी, मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएँ हमारे मुख्यमंत्री जी ने बनवा कर दी थीं. लेकिन आप लोग मशीन नहीं खरीद पा रहे हों. धूल खा रही हैं. असामाजिक तत्वों का अड्डा बनी पड़ी हुई हैं. आप मिट्टी परीक्षण करवाइये ताकि पूरे किसानों को उसका लाभ मिले.
अध्यक्ष महोदय-- अब 10 मिनिट हो गए भैय्या.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, आखरी बात कह रहा हूँ. आपने निकाह का पैसा, शादी का पैसा, माननीय मुख्यमंत्री जी जो सिर्फ मामा के नाम से फेमस ही नहीं हैं बल्कि मामा का फर्ज भी निभाया है. उन्होंने इस आशा और उम्मीद से भाईजान, दी थी कि गरीब बच्चे की शादी में माँ बाप अपने गहने गिरवी न रखें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- माननीय अध्यक्ष जी, मैंने दो मिनिट मांगे थे. इनको दस मिनिट हो रहे हैं. मुझे दो मिनिट नहीं दिए जा रहे हैं.
कुँवर विजय शाह-- और यह शुरुआत माननीय मुख्यमंत्री जी ने की थी आज साल भर हो गया. वह जो हमारी बहनें माँ बन गईं, डिलेवरी हो गई, बच्चा हो गया आपके पैसे नहीं आए. मेरा आपसे निवेदन है कि मुख्यमंत्री निकाह योजना, मुख्यमंत्री शादी योजना का नाम बदलें अब तो हमारी बहनों को डिलेवरी भी हो गई है उसका नाम अब मामेरा योजना रख दें. साल भर बाद तो मामेरा लेकर जाएंगे. उस योजना का नाम मामेरा योजना रख दें ताकि जो बच्चा होगा या बहुत जगह पर हो भी गए हैं. वह 51हजार रुपए कहाँ गए हैं वे हमसे पूछते हैं. शादी-ब्याह, निकाह योजना बंद, मामेरा योजना चालू की जाए ताकि हम उनको कुछ दे सकें. आज तक पैसा नहीं मिला है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी विधायकों ने अपनी-अपनी बात रखी है. पिछले बजट में भी माननीय मुख्यमंत्री जी के सामने सभी विधायकों की एक बात आई थी और मुख्यमंत्री जी ने यह कहा था कि कोई भी विधायक निराश नहीं होगा. इस पूरे बजट में विधायक निधि की कोई भी चर्चा नहीं है. जनप्रतिनिधियों की भावना या जनता की तत्कालीन आवश्यकता की पूर्ति कोई निधि करती है तो वह विधायक निधि करती है. मैं समझता हूँ पक्ष विपक्ष सभी इससे सहमत हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि कोई निराश नहीं होगा, पर इस बजट में नहीं दिखा. अब मुख्यमंत्री जी फिर सदन में उपस्थित हैं हम उम्मीद करते हैं कि 5 करोड़ रुपए की विधायक निधि विधायकों को क्षेत्र के विकास के लिए दी जाए.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट पर चर्चा करते हुए सम्माननीय सदस्य डॉ. नरोत्तम मिश्र जी, श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया जी, ओमप्रकाश सखलेचा जी, डॉ. सीतासरन शर्मा जी, श्री कमल पटेल जी, श्री जालम सिंह पटेल जी, श्री दिव्यराज सिंह जी, श्री दिनेश राय जी, श्री गिरीश गौतम जी, श्री बहादुर सिंह चौहान जी, श्री हरिशंकर खटीक जी, श्री देवेन्द्र वर्मा जी, श्री शरदेन्दु तिवारी जी, श्री रामखिलावन पटेल जी, श्री आशीष शर्मा जी, श्री चेतन काश्यप जी, कुंवर विजय शाह जी, श्री रामेश्वर शर्मा जी ने अनुपूरक बजट के खिलाफ अपनी बात रखी.
अध्यक्ष महोदय, बजट के समर्थन में आदरणीय श्री राजवर्धन सिंह जी, श्री फुन्देलाल सिंह मार्को जी, श्री कुणाल चौधरी जी, श्री विनय सक्सेना जी, ड़ॉ अशोक मर्सकोले जी, श्री संजय यादव जी, श्री जज्जी जी, श्री राहुल सिंह जी, श्री हरदीप सिंह डंग जी, श्री संजीव सिंह कुशवाह जी और रामबाई जी ने पक्ष में अपनी बात रखी.
6.28 बजे {उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं}
श्री तरुण भनोत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सदन में बहुत लम्बे समय से चर्चा हो रही थी. इस चर्चा को विपक्ष के विद्वान सदस्य आदरणीय नरोत्तम मिश्र जी के द्वारा शुरु किया गया था. सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहता हूँ कि जब सदन में चर्चा हो रही थी तो यह अनुपूरक बजट के बारे में हो रही थी न कि मुख्य बजट पर और अनुपूरक बजट में हम उन्हीं आवश्यक मदों के लिए प्रावधान प्रस्तावित करते हैं जहां मुख्य बजट में प्रावधान को बढ़ाने की जरुरत होती है. यह बात सही है कि चर्चा में अधिकांश सदस्यों ने जिनको विपक्ष में बोलना था उन्होंने किसान कर्जमाफी की बात की. सुबह जब सदन में चर्चा शुरु हुई तो हमारे विद्वान सदस्य ने कहा कि जब प्रावधान ही नहीं है तो आप अतिरिक्त राशि कैसे देंगे. डॉ. नरोत्तम मिश्र जी यहां पर बैठे हुए हैं. जब अनुदान की मांगों का वर्ष 2019-2020 का मुख्य बजट हमने पेश किया था उसमें हमने बड़े स्पष्ट रुप से कृषक समृद्धि योजना के अन्तर्गत 1600 करोड़ रुपए का प्रावधान बोनस की राशि के रुप में किया था. अध्यक्ष महोदय, मैंने बड़ी जवाबदारी के साथ कल भी कहा था और आज भी कह रहा हूँ.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ ) -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं इसमें इंटरविन करना चाह रहा था. मैं सदन में नहीं था पर मुझे लगभग जानकारी है कि सबने क्या बातें रखी हैं. वरिष्ठ सदस्य भी यहां पर हैं जिन्होंने बहुत सारे बजट देखे हैं. ऐसा कोई बजट नहीं होता है जिसमें सब सदस्य संतुष्ट हों और यह स्वाभाविक है. सभी चाहते हैं कि हमारे क्षेत्र के लिए या प्रदेश के विकास के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध कराई जाए. यह कुछ सीमाओं तक संभव होता है यह आप भी जानते हैं. शिवराज सिंह जी बैठे हैं इन्होंने भी बहुत सारे बजट बनाए हैं. उनमें कोई सीमाएं होती हैं. मेरा सदन से इस तरफ के हों या उस तरफ के मेरा सदन से निवेदन है कि इन चर्चाओं में हमें इसे आलोचना का रूप नहीं देना चाहिए, सुझाव का रूप देना चाहिए. जब हम सुझाव का रूप दें तो सुझाव अवश्यक हैं. हमेशा सरकार को सुझाव की आवश्यकता रहती है. इसमें कोई खराबी नहीं है पर जब इसे आलोचना का रूप दिया जाता है तो यह एक दूसरा मोड़ ले लेता है. इस मौके पर मुझे कहना तो नहीं चाहिए पर अगर उपाध्यक्ष महोदया की अनुमति हो और सदन की अनुमति हो तो मैं जो सुबह चर्चा हुई मैंने कहा था कि जो केन्द्र सरकार से चिट्ठियां और जो मैंने प्रधानमंत्री जी से चर्चा की प्रधानमंत्री जी से चर्चा सदन में नहीं करना चाहिए पर क्या मैंने उन्हें लिखा? क्या मैंने इस विषय में चर्चा की? सोचता हूं कि समय आया कि मुझे यह बात कहनी पड़ेगी. मैं पत्र लाया हूं और माननीय शिवराज सिंह जी मैं यह पत्र की कॉपी आपको सदन से जाने के बाद दूंगा. मुझे तो जानकारी थी मैंने सोचा मुझमें कोई भूल हो गई हो क्योंकि आप सब इतनी तेजी से बोल रहे थे मैं देख रहा था कि मामला गर्म हो रहा है तो शायद मेरे से कोई भूल न हो गई हो मैंने इसकी मीटिंग की कि फरवरी से लेकर अब तक क्या हो रहा था यह बोनस की बात तो मैं जनता हूं कि बजट में प्रावधान नहीं है बोनस का क्यों नहीं है. इसमें मैं यह जानकारी देना चाहता हूं कि सबसे पहले 75 लाख टन का एलोकेशन प्रदेश को मिला उसके बाद हमें पत्र आया कि यह प्रोत्साहन राशि जो आपने घोषणा की है इसके कारण हम काटकर इसे जो आपका पी.डी.एस. में उपयोग होगा 36 लाख टन कर रहे हैं. उसके बाद में 4 जून को मैंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी. मैं उनसे मिलने गया कि बाकी की खरीदी कैसे होगी? फिर से एक चिट्ठी आई रामविलास पासवान जी ने मुझे लिखी. रामविलास पासवान जी ने मुझे लिखा मैं पढ़ देता हूं. चिट्ठी अंग्रेजी में लिखी है. रामविलास पासवान जी आजकल अंग्रेजी में चिट्ठी लिखते हैं. उन्होंने लिखा कि हम 36 लाख टन को बढ़ाकर लगभग 67 लाख टन कर रहे हैं परंतु शर्त यह है ''You shall not allow any bonus direct or indirect'' यह चिट्ठी लिखी उसके बाद मैंने उन्हें चिट्ठी लिखी कि जो जल किसान समृद्धि योजना है इसको आप समझे नहीं हैं. यह न तो बोनस है न तो उस प्रकार का कुछ है. मैंने कहा कि आपने इनकरेक्टली इसको लेबल किया है इसको बोनस का रूप दे रहे हैं. यह सब चर्चा चलती रही इसीलिए जब उन्होंने कहा कि डायरेक्ट या इनडायरेक्ट आप नहीं कर सकते. अभी अगर हम बजट में किसी भी नाम से इसे कहते तो फिर से हमें चिट्ठी आती कि हम आपका 36 लाख टन कर रहे हैं. इतनी सारी चिट्ठियां लिखीं कि उनको भी ताज्जुब हुआ. मैं मानता हूं कि उनको ताज्जुब हुआ उन्होंने कहा कि कैसे घटा दिया. यह जो एलोकेशन थी कैसे घट गई तब उसके बाद यह बढ़ा तो यह मैं आपकी जानकारी में इस मौके पर लाना चाहता हूं. यह तो बजट पर चर्चा है पर क्योंकि इस पर आपने इतनी गंभीरता से यह मामला उठाया था. मैंने कहा कि यह मैं दे देता हूं और जैसा मैंने कहा था शिवराज जी मैं इन सबकी कॉपी आपको दे दूंगा और उम्मीद करूंगा कि आप भी केन्द्र से यह टेकअप करिए कि यह बोनस हो, किसी नाम पर हो अगर हम किसानों की मदद कर रहे हैं हमारा कोटा नहीं काटना चाहिए.
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं. केंद्र सरकार की चिट्ठी, प्रधानमंत्री की चर्चा, उसे यहां सदन में रखने का क्या औचित्य है ? लेकिन मैं एक बात कहना चाहता हूं कि अगर मुख्यमंत्री चाहे तो पुरूष को स्त्री और स्त्री को पुरूष बनाने के अलावा बाकी सब फैसला कर सकता है.
श्री कमल नाथ- आपको इसका ज्ञान होगा, मैं अभी सीख रहा हूं कि पुरूष को स्त्री और स्त्री को पुरूष कैसे बनाते हैं. (हंसी)
श्री कमल पटेल- उन्होंने अलावा कहा है.
श्री शिवराज सिंह चौहान- मेरा निवेदन यह है कि हमें किसान को प्रोत्साहन राशि देनी है, कोई नियम-कानून हमें नहीं रोक सकता. हमने 265 रुपये प्रति क्विंटल दिये, उसके पहले 200 रुपये प्रति क्विंटल दिये. यह राशि हमने मुख्यमंत्री रहते हुए दी है. अब बोनस की जगह समृद्धि लिख दो, समृद्धि की जगह प्रगति लिख दो. मुख्यमंत्री चाहे, सरकार चाहे तो किसानों के खाते में पैसा डालने से कोई रोक सकता है क्या ? नीयत देनी की होनी चाहिए, बहाना बनाने की नहीं.
श्री कमल नाथ- हमारी नीयत थी इसलिए हमने मुख्य बजट में 16 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
श्री शिवराज सिंह चौहान- आप सीधे ये बात कहिये कि आप देंगे. माननीय मुख्यमंत्री जी हमने सुबह भी यह कहा था कि आप देंगे कि नहीं देंगे, यह बतायें. ऐसे तो कई अड़चनें और बाधायें बता सकते हैं. सीधी बात यह है कि आपने जो वादा किया उस वादे को निभायें. जो वादा किया, वो निभाना पड़ेगा. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कमल नाथ- अगर हम अपना वादा नहीं निभाना चाहते तो हम 16 सौ करोड़ का प्रावधान अपने मुख्य बजट में नहीं करते.
श्री शिवराज सिंह चौहान- मुख्यमंत्री जी, मैं दो बातें कहना चाहूंगा कि अगर आप दे रहे थे तो इस सदन के अंदर यह चिट्ठी बताने की क्या जरूरत थी ? आप सीधे कहें की हम दे रहे हैं, हम इसका स्वागत करेंगे. अब तो आप बता दें कि दे रहे हैं न ?
श्री कमल नाथ- दे रहे हैं. मुझे मध्यप्रदेश की भी रक्षा करनी है केवल किसानों की नहीं. अगर केंद्र ने फिर से एलोकेशन घटा दिया तो ? उन्होंने मुझे चिट्ठी लिखी. आप उसे पढ़ लीजिये. हम ऐसी कोई चीज़ न कहें, न करें जिससे हमें ही ज्यादा नुकसान हो जाये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया)- माननीय मुख्यमंत्री जी, यह आपके घोषणा-पत्र में है. क्या आपने घोषणा-पत्र में यह लिखा था कि यदि केंद्र सहयोग करेगा तो ही बोनस देंगे, तो ही कर्ज माफ करेंगें ?
श्री कमल नाथ- केंद्र तो बोनस के लिए एक कौड़ी भर सहयोग नहीं कर रहा है. नरोत्तम जी, यह बात आप जानते हैं और सभी जानते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- ठीक बात है. आप देंगे कि नहीं देंगे ?
श्री कमल नाथ- सदन में केवल यह कह देना कि हम बोनस देंगे, हमने तो मुख्य बजट में 16 सौ करोड़ का प्रावधान किया है, आप मुख्य बजट पढ़ लीजिये.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने कहा, ये नागरिक संशोधन विधेयक को लागू नहीं कर रहे हैं तो इस चिट्ठी को क्यों मान रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय- इसका कोई अंत नहीं है. विश्वास जी मैं आपको परमिट नहीं कर रहा हूं. आपमें से कोई खड़ा न हो. यह प्रश्नोत्तर काल नहीं है. सभी ने अपनी-अपनी बात कह दी है. वित्त मंत्री जी आप कहें.
श्री विश्वास सारंग- XXX
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत)- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक छोटी सी बात है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने जब सदन में अपना वक्तव्य रखा तो पूर्व मुख्यमंत्री जी ने उनसे पूछा कि इन पत्रों का उल्लेख आपको सदन में करने की जरूरत नहीं थी ? मुझे लगा कि मैं उस बात का जवाब दे दूं कि मुख्यमंत्री जी आपको थोड़ा ताव दिला रहे थे कि आप इन पत्रों को संज्ञान में लेकर दिल्ली में ज़रा बजायें कि टाइगर अभी जिंदा है. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय- वित्त मंत्री जी, एक बार फिर से बोलिये कि टाइगर अभी जिंदा है.
श्री तरूण भनोत- टाइगर को तो मेरी भी आयु लग जाये.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा बोलकर टाइगर आप बन गये. (हंसी)
श्री कमल नाथ- ये तो Tiger को Tigress बना दें. (हंसी)
श्री तरूण भनोत- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में अनुपूरक की हमारी मांगों के बारे में जब चर्चा हो रही थी तो बार-बार यह आ रहा था कि किसानों के हित में जो फैसले लिए जाने थे, वे सरकार ने नहीं लिए. मैं बड़े दावे के साथ कहना चाहता हूं, जिम्मेदारी के साथ इस सदन में कहना चाहता हूं कि ''जय किसान ऋण माफी योजना'' के तहत माननीय कमलनाथ जी की सरकार ने प्रथम चरण में 20 लाख से भी ज्यादा किसानों के ऋण खाते माफ किये. (मेजों की थपथपाहट) जिसमें हमारे बहुत सारे किसान ऐसे थे जिनके 2 लाख तक के एन.पी.ए. खाते थे. बहुत सारे किसान साथी ऐसे थे जिनके पचास हजार तक के चालू खाते थे और हमने मुख्य बजट में आठ हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया है, जिसके तहत कल ही माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह घोषणा की है कि हम सेकेण्ड फेज़ में जो हमारे एक लाख रूपये तक परफार्मिंग एकाउंट हैं, उन खातों का ऋण माफी का काम चालू करने जा रहे हैं, उसके बाद जो शेष बचेंगे उसको भी योजनाबद्ध तरीके से पूरा करेंगे. हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि हमने जो वचन दिये थे, हमने अपने वचन-पत्र में जो कहा था, हमारे मुख्यमंत्री जी ने शपथ लेने के बाद पहली बात, जिस बात के ऊपर दस्तखत किये थे, वह पूरा करना हमारा कर्तव्य है और उस बात को हम अपना धर्म समझते हैं और किसानों के हित में हम उस कार्य को हम जरूर पूरा करेंगे.
माननीय यह कहा गया कि किसानों के लिये, यह बात बिल्कुल सही है कि जब आपदा आती है तो किसी का भी शासन हो, शासन देखकर नहीं आती है. यह देखकर भी नहीं आती है मुख्यमंत्री कौन है और किस पार्टी की सरकार है. प्राकृतिक आपदा तो कभी भी और कहीं भी आ सकती है. हमने अतिवृष्टि के लिये प्रावधान किया है, छ:हजार छ: सौ करोड़ रूपये का प्रावधान हमारे इस अपुनूरक बजट में शामिल है. हां यह बात जरूर है कि हमारे पास संसाधनों की कमी है, उसके भी सारे कारण बहुत बार चर्चा में भी आ चुके हैं. केन्द्र सरकार का दल दो-दो बार प्रदेश में सर्वे करने के लिये आया और हमें उम्मीद थी कि केन्द्र सरकार से तो कम से कम साढ़े छ: हजार करोड़ रूपये मिलेंगे. परन्तु हमें आज तक जो राहत राशि केन्द्र सरकार से प्राप्त हुई है वह एक हजार करोड़ रूपये मात्र है और हम किसानों के हित में उससे ज्यादा पैसा राज्य सरकार के अंश में लाकर भी खर्च कर चुके हैं.
माननीय 2019-20 में भारत की अर्थ-व्यवस्था गंभीर संकट से गुजर रही है. हम सब जानते हैं और केन्द्रीय वित्त मंत्री महोदया ने भी इस बात को माना है, केन्द्र सरकार ने भी माना है और बड़े-बड़े जो अर्थ का ज्ञान रखने वाले लोग हैं उन्होंने भी इस बात को माना है. आंकड़ों के अनुसार देश की आर्थिक वृद्धि 2018-19 के प्रथम त्रैमास में 8 प्रतिशत थी, जो कि लगातार प्रत्येक त्रैमास में कम होते हुए वर्ष 2019-20 के द्वितीय त्रैमास में मात्र 4.5 प्रतिशत हो गयी है. अर्थ-व्यवस्था की स्थिति इतनी खराब है कि सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर, 2019 के अंत में पूंजीगत वस्तुओं के औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक 21.9 प्रतिशत गिर चुका है. कमोडिटीज, उसका प्रोडक्शन गिरा है यह साफ जाहिर करता है कि अर्थ-व्यवस्था में गिरावट आयी है और पूरे हिन्दुस्तान में आयी है. केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर, 2019 के अंत में बिजली उत्पादन 12.8 प्रतिशत गिरा है. अगर पूरे हिन्दुस्तान में बिजली का उत्पादन गिरा है तो आप समझ सकते हैं कि कारखानों में भी पहिये घूमना बंद हुए हैं, आर्थिक मंदी और आर्थिक गिरावट आयी है. मैं इस बात को इसलिये भी कह रहा हूं कि अगर आप मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जायें तो एमएसएसओ की वर्ष 2017-18 की जो उपभोक्ता कर सर्वे रिपोर्ट सिर्फ इस कारण से जारी नहीं हो रही है, क्योंकि उपभोक्ता खर्च में कमी दर्ज हुई है. कन्ज्यूमर प्रोडक्ट, जो हर आम आदमी इस देश में इस्तेमाल करता है, उसके उत्पादन में भी कमी दर्ज की गयी है, यह भी इंगित करता है हिन्दुस्तान की जो आर्थिक स्थिति (फायनेंसियल स्टेटस) है वह गड़बड़ाया है, देश में आर्थिक मंदी आयी है.
माननीय वित्तीय वर्ष 2019-20 में केन्द्र सरकार की जो कर राजस्व प्रात्पियों में अभी तक मात्र 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है, जबकि वर्ष 2018-19 की प्राप्तियों की अपेक्षा लेखानुदान में राजस्व 22 प्रतिशत तथा मुख्य बजट में यह वृद्धि 18 प्रतिशत अनुमानित की गयी थी, यह बात मैं यहां पर क्यों कर रहा हूं. आप यह कहेंगे कि केन्द्र सरकार की बात आप यहां क्यों कर रहे हैं, जीएसटी लागू होने के बाद हमारी अर्थ-व्यवस्था का पहिया आप सबको पता है कि केन्द्र सरकार से ही मिलकर चलता है, हम एक गाड़ी के दो पहिये बन चुके हैं.
माननीय यह बात भी सही है कि यदि हमें इस विषम आर्थिक परिस्थिति से अगर निकलना है तो केन्द्र और राज्य सरकार को साथ में मिलकर काम करना होगा. केन्द्र सरकार को तो अपने बजट की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु आरबीआई से धनराशि प्राप्त हो रही है, आरबीआई का रिजर्व फण्ड भी केन्द्र सरकार ने ले लिया है. केन्द्र सरकार शासकीय उपक्रमों को बेचने की तैयारी भी कर रही है, परन्तु आज राज्य अवमूल्यन ( State devaluation) का पैसा है, जो हमारे शेयर का पैसा है उसको देने में केन्द्र सरकार जरूर कहीं न कहीं कतरा रही है. केन्द्र सरकार के द्वारा केन्द्रीय करों में जो मध्यप्रदेश का हिस्सा जो लेखानुदान में प्रोजेक्ट किया गया था, वह था 63 हजार 750 करोड़ रूपये जिसे जुलाई में घटाकर 61 हजार 73 रूपये कर दिया गया. इस प्रकार पहले ही हमें 2 हजार 677 करोड़ रूपये कम कर दिये गये. उसके बाद 61 हजार 73 करोड़ की प्रावधानित राशि को भी जो नियम के अनुसार हमारी किस्त बनती है जो कि हमें प्राप्त होना चाहिये वह केन्द्र सरकार के द्वारा उसका समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा है. यह आंकड़े कहते हैं. आप उसको उठाकर देख भी सकते हैं. समानुपातिक आधार पर जो कि अभी तक हमें दिख रहा है उसके प्रोजेक्टेड फिगर आ रहे हैं उसके अनुसार इस वर्ष हमें विगत् वर्ष की अपेक्षा लगभग 2 हजार 747 करोड़ रूपये कम प्राप्त हुए हैं इस प्रकार से कुल-मिलाकर 5 हजार 4 सौ करोड़ रूपये केन्द्रीय करों में अब तक हमें कम दिये गये हैं. यह मध्यप्रदेश जैसे राज्य के लिये जो प्राकृतिक आपदा से अभी जूझ रहा है संसाधनों की कमी भी हमारे पास में हैं, उसके लिये बहुत बड़ी राशि होती है. मैं केन्द्रीय सहायता अनुदान के बारे में भी सदन को बताना चाहूंगा कि केन्द्रीय अनुदान में 36 हजार 3 सौ 61 करोड़ रूपये के बजट प्रावधान में सम्मिलित योजनाओं के विरूद्ध केन्द्र सरकार द्वारा मात्र 17 हजार 43 करोड़ रूपये जारी किये गये हैं. जो कि पिछले वर्ष की समानकालीन अवधि में प्राप्त राशि से लगभग 2 हजार करोड़ रूपये कम हैं. नवम्बर अंत तक जी.एस.टी. कम्पनसेशन की राशि जो कि राज्यों का वैधानिक अधिकार है उसे भी केन्द्र के द्वारा हमें पूरी तरह से नहीं दिया गया है. जब हमको जी.एस.टी में शामिल कराया गया था तो उसका आधार सबसे बड़ा यह था और इसी को आधार मानकर राज्यों को कहा गया था कि आप जी.एस.टी. में शामिल होइये और उस आधार के ऊपर केन्द्र सरकार उसके वायदे से पीछे हट रही है. केन्द्र सरकार की ऐसी नीतियों एवं विषम आर्थिक परिस्थितियों में राज्य के विकास एवं किसानों के साथ के लिये हमारी सरकार द्वारा राशि फिर भी उपलब्ध करायी गई है जो कर सकते थे उससे बेहतर करने का प्रयास किया है. सदन में बार बार बात हो रही थी इस सरकार की पिछली सरकार के 15 साल के कार्यकाल की तथा 1 साल की इस सरकार की उपलब्धियों के कार्यकाल की तो मैं उस ओर भी आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. अगर हम पिछली सरकार की बात करें तो बोलने में अच्छा तो नहीं लगता और मैं इस प्रकार की राजनीति में विश्वास भी नहीं करता पर शब्द अपने आप अनायास ही मुंह में आते हैं कि पिछली सरकार घोषणावीर सरकार थी परन्तु उन घोषणाओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त वित्तीय साधन उपलब्ध नहीं कराती थी और मैं यह बात इस सदन में राजनीतिक रूप से नहीं कह रहा हूं. तथ्यों के साथ आपके सामने रख रहा हूं. मक्का एवं सोयाबीन हमारे विद्वान सदस्य बार बार इस बात को उठा रहे थे उसको जरूर सुनेंगे. मक्का एवं सोयाबीन हेतु प्रोत्साहन राशि की घोषणा की गई थी मक्का हेतु 6 सौ 37 करोड़ एवं सोयाबीन के लिये 1 हजार 33 करोड़ की संभावित आवश्यकता के विरूद्ध वर्ष 2018-19 के मूल अथवा प्रथम अनुपूरक बजट में कोई भी प्रावधान नहीं किया गया था, यह उठाकर आप देख सकते हैं, यह रिकार्ड में भी है. लगभग 2 हजार करोड़ की घोषणा के विरूद्ध न मूल बजट 2018-19 में न ही अनुपूरक में कोई भी किसी प्रकार का प्रावधान नहीं किया गया था. संबल योजना की बात बार बार होती है.
श्री जालम सिंह पटेल-- जो भी घोषणाएं मुख्यमंत्री जी ने की हैं वह पूरी की हैं.
श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय, आप कहां दे रहे थे आप लोग तो घोषणाएं करके चले गये थे. संबल योजना की बार बार बात होती है, पर मुझे ऐसा लगता है कि सर्दियों में संबल तो ठीक है कम्बल औढ़ाना चाहिये, पर इस बार संबल का कम्बल उतारने की जरूरत इस सदन के अंदर इस सर्दी में पड़ रही है. संबल योजना के अंतर्गत पंजीकृत श्रमिकों एवं कर्मकारों के घरेलू संयोजन हेतु अधिकतम रूपये 200 में विद्युत प्रदाय की घोषणा की गई थी जिसके लिये वर्ष 2018-19 में रूपये 999 करोड़ अनुदान की आवश्यकता थी जिसके विरूद्ध ऊर्जा कम्पनियों को मात्र 50 करोड़ रूपये उपलब्ध करवाये गये. बात की गई हम संबल के माध्यम से हम गरीबों को हम 200 रूपये में बिजली देंगे पर जहां 999 करोड़ रूपये का प्रावधान किया जाना था वहां प्रावधानित राशि मात्र 50 करोड़ रूपये थी. हमारी सरकार उसको पूरा कर रही है. पंजीकृत श्रमिकों, कर्मकारों एवं बी.पी.एल.उपभोक्ताओं के घरेलू संयोजन पर जून 2018 की स्थिति में बकाया बिजली बिल माफ करने हेतु मुख्यमंत्री बकाया बिल माफी स्कीम की घोषणा की गई जिसके लिए 2431 करोड़ रूपए की आवश्यकता थी, इस योजना के तहत 2431 करोड़ रूपए की आवश्यकता थी. पर इसके विरूद्ध प्रावधान मात्र 80 करोड़ रूपए का किया गया, इसको हमारी सरकार अब पूरा कर रही है. आप पूछ रहे है कि हमें काम करने में तकलीफ क्यों हो रही है, इसलिए हो रही है कि अब आपकी गलतियों की सजा हम भुगत रहे हैं. अभी बात हो रही थी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बहुत सारे सम्मानीय सदस्य यहां कह रहे थे, आपने भरी नहीं, आपने योजना का सही ढंग से संचाल नहीं किया. किसानों का बहुत नुकसान हो गया. मैं सदन को बड़ी गंभीरता के साथ यह बता बताना चाहता हूं, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत पर्याप्त आवंटन उपलब्ध नहीं था, वर्ष 2017-18 में रबी हेतु 165 करोड़ एवं खरीफ हेतु 2018 में 1695 करोड़, इस प्रकार योजना के अंतर्गत कुल 1860 करोड़ रूपए की देनदारियां बाकी है. वर्तमान सरकार ने वर्ष 2019-20 में रूपए 2200 करोड़ का बजट प्रावधान योजना के अंतर्गत किया है. आप 1860 करोड़ रूपए की लायबिलिटी छोड़कर गए, आपने उसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया, हमने वर्ष 2019-20 के बजट में रूपए 2200 करोड़ का बजट प्रावधान इस योजना के अंतर्गत किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, शिक्षा की बात हो रही थी, हमारे सम्माननीय सदस्य जिनका मैं बड़ा आदर करता हूं, पूर्व में विपक्ष के रूप में हमने उनको आसंदी पर भी बैठे हुए देखा है और कोई शब्द मैं नहीं बोलूंगा(..हंसी) आप शिक्षकों की बात कर रहे थे, शिक्षा के उंचे स्तर की बात कर रहे थे. मैं इस सदन को बताना चाहता हूं
उच्च शिक्षा विभाग के अतिथि शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि की घोषणा की गई, लेकिन घोषणा पूर्ति हेतु प्रतिवर्ष आवश्यक लगभग 225 करोड़ के विरूद्ध मात्र रूपए 45 करोड़ का प्रावधान किया गया. हमें आप ज्ञान दे रहे थे, हम स्वीकार भी कर रहे थे, सुन भी रहे थे, पर यह जो हुआ है यह भी इस सदन के सामने आना जरूरी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अध्यापक संवर्ग को सातवें वेतनमान दिए जाने की घोषणा की गई, जिसके लिए लगभग 775 करोड़ एरियर, प्रथम किश्त भुगतान हेतु आवश्यक थे, पर आश्चर्य होगा इस सदन को जानकर इसके विरूद्ध कोई भी राशि आवंटित नहीं की और वर्तमान सरकार ने आवश्यक आवंटन इस मद में किया है. 775 करोड़ रूपए चाहिए थे, घोषणा कर दी गई एरियर्स की और एक रूपए की राशि का भी प्रावधान नहीं किया गया. आप 15 साल और 1 साल की तुलना कर रहे थे, इसलिए हम कहते हैं, ''कमलनाथ सरकार का एक साल बेमिसाल'' (..मेजों की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन का ध्यान इस ओर भी आकर्षित करना चाहता हूं कि सिंहस्थ में लगाए गए होमगार्ड्स को घोषणा की गई कि हम निरंतर रखेंगे.
श्री देवेन्द्र वर्मा - 4 महीने से वेतन नहीं मिला है. (बैठे-बैठे बोला गया)
श्री तरूण भनोत - सुन लीजिए क्यों नहीं मिला है, आपके (XX) है यह. आप भी सहभागी है इसमें. सिंहस्थ में (XX) हुआ, घोषणा की गई, सबको रेगुलर कर देंगे, सबको रख लेंगे, किया क्या? एक भी रूपए का आवंटन ....
श्री देवेन्द्र वर्मा - माननीय, सिंहस्थ में कौन से (XX) हुआ, सिंहस्थ को लेकर बदनाम...
कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, इस तरह की भाषा, माननीय वित्तमंत्री जी द्वारा, आपके (XX) हैं, इसको विलोपित किया जाए, ये आपके (XX) है क्या इस तरीके की भाषा विधानसभा में वित्त मंत्री जी बोलेंगे, यह सबका अपमान है. आप खेद व्यक्त करिए.
अध्यक्ष महोदय - यह शब्द विलोपित किया जाए.
श्री तरुण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने वक्तव्य सुधार लेता हूं, मैं इनकी आत्म संतुष्टि के लिए अपने वक्तव्य सुधान लेता हूं, ये इनके अच्छे पुण्य के काम हैं, ये इनके बड़े पुण्य के काम हैं, अब आप संतुष्ट है, इतनी ईगो थोड़ी होना चाहिए, ये इनके बड़े पुण्य के काम हैं, जिनका मैं उल्लेख यहां कर रहा हूं और इस पर इनको बड़ा गर्वित और गौरवान्वित अपने आपको महसूस करना चाहिए, कर भी रहे होंगे. (...व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष जी, अनुमति है बोलने की, एक मिनट केवल, माननीय वित्तमंत्री जी, बीच में टोका-टाकी न हो, हम लोगों ने यह सोचा है, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि जितनी हमने घोषणाएं की थीं, प्रावधान किया था, सिंहस्थ में अगर होमगार्ड को नियमित किया था, तो पूरी प्रक्रिया के अंतर्गत उनको नियमितीकरण करने का काम किया था और हर योजना जो हमने घोषित की थी उसके लिए बजट में प्रावधान था, यह आप भी जानते हैं कि पहले प्रावधान कम होता था, जब मुख्य बजट आता है, क्योंकि हमने तो यह सोचा था कि हम ही आने वाले हैं, नहीं आए, अलग बात है. यदि आते तो हम एक एक काम करते, पहले कम किया था, इसके बाद ज्यादा करते, यह हमेशा होता है. यह पहली बार नहीं है इसलिये मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ. मैं बीच में भी टोक सकता था लेकिन मैंने नहीं टोका और न मैं टोकूँगा. एक-एक वचन एवं 13 वर्षों में जो-जो घोषणाएं की थीं, वह पूरी कीं और यह भी हम पूरा कर रहे थे. हमने जो योजना बनाई थी, वह पूरे वित्तीय प्रबंधन देखते हुए बनाई थी और हम एक-एक चीज पूरी करते. यह रिकॉर्ड में आना जरूरी था, नहीं तो आप लोग जो कहते, लोग वही सच मानते. मैंने इसलिये आपको टोका.
श्री तरूण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, भोपाल एवं इन्दौर में मेट्रो रेल चलाये जाने की घोषणा हुई. लेकिन घोषणा तो हुई पर इसके लिये राज्य के हिस्से की अंशपूजी का कोई भी प्रावधान बजट में नहीं किया गया था. हमारी वर्तमान सरकार ने कार्यभार संभालते ही 100 करोड़ रुपये का प्रावधान इन्दौर और भोपाल की मेट्रो के लिये अंशपूंजी के रूप में किया. 1,000 करोड़ रुपये की लागत से श्रीधरन कोष बनाने की घोषणा भी हुई, लेकिन दो वर्षों में मात्र 80 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान उपलब्ध कराया गया. माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी, मैं इस बात का उल्लेख इसलिये कर रहा हूँ कि यह बात बिल्कुल सही है कि मुख्य बजट में प्रावधान किया जाता है, शुरू में कम किया जाता है. पर यहां पर तो ही प्रावधान नहीं हुआ, यह मैं नहीं कह रहा हूँ, यह रिकॉर्डर्स् कह रहे हैं कि मुख्य बजट के बाद, सप्लीमेंट्री बजट में भी प्रावधान नहीं किया गया. मैं उन्हीं बातों का उल्लेख कर रहा हूँ, जो जरूरी हैं और अगर हम वह लिस्ट उठा लें तो लिस्ट तो बहुत लम्बी थी, पर उसके बारे में सदन में चर्चा भी नही करना चाहता हूँ. अभी यहां बात हो रही थी, डॉ. नरोत्तम जी यहां कह रहे थे कि गौ-संवर्धन के लिये क्या काम किया ? गौ-शालाओं के लिए ...
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अगर हमारा नाम लें तो आप एक मिनट बोलने के लिए दे देना.
अध्यक्ष महोदय - आपने उनको क्यों छेड़ दिया ?
श्री तरूण भनोत - अब मेरा उनको छेड़ने का हक भी नहीं है क्या ? मैं तो सोचता था कि मैं उनको छेड़ सकता हूँ. वह बोल दें, मैं नहीं छेड़ूँगा.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. उनको एक मिनट बोलने दें.
श्री तरूण भनोत - मैं आगे से आपको नहीं छेड़ूँगा. आप अगर मना कर देंगे तो मैं नहीं छेड़ूँगा. आपको पता है कि छेड़ने से तो और नाम छपता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, मैंने तो वित्त मंत्री जी से बहुत स्पेसिफिक प्रश्न पूछा था क्योंकि मैं प्रथम वक्ता था कि इस बजट में आपने कर्ज माफी के लिये प्रावधान कहां किया है ? वह पेज बता दें. मैंने बस इतना पूछा था. अभी भी वह कोई जवाब नहीं दे रहे हैं. छात्रों के लिये, बेरोजगारों के लिये आपने बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान कहां किया है ? अभी मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमने आम बजट में 1,600 करोड़ रुपये का किया था तो वह 1,600 करोड़ रुपये बांटे हैं कि नहीं बांटे. बंट जाएंगे, मान लिया, तो मतलब अभी तक तो आपने किसान का कर्जा नहीं बांटा न. अभी तक नहीं बांटा है, तो क्यों नहीं बांटा ? इतनी सी तो बात है. वह बता दें, बेरोजगारी और कर्ज माफी का इस पुस्तक में कहां पर लिखा है ?
श्री तरूण भनोत - आदरणीय इनको शेर-ओ-शायरी में इतनी महारथ हासिल है कि हम तो उनके कायल हैं और सोच भी नहीं सकते, पर मुझे इनका हसीन चेहरा देखकर एक शेयर याद आ रहा है, 'कोई ताबीज़ ऐसा दो कि मैं चालाक हो जाऊँ, बहुत नुकसान देती है मुझे ये सादगी मेरी,' (हंसी) अब देखिये, मैंने फिर छेड़ लिया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, 'कातिल की यह दलील मुनसिफ ने मान ली....... मकतूल खुद गिरा था खंजर की नोक पर ......'
श्री तरूण भनोत - वाह, क्या बात है ? मैं सदन के बाहर आपको इसका जवाब जरूर दूँगा. मैं सदन में नहीं बोल सकता हूँ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - पर मुस्कुराते रहा करो.
श्री तरूण भनोत - वह थोड़ा सा असंसदीय है, इसलिए बाहर बताऊँगा. (हंसी) माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार की बहुत सारी बातें हैं, जो सदन के सामने रखनी जरूरी होती हैं क्योंकि सुबह से यह चर्चा हो रही थी, बहुत से आरोप सरकार के ऊपर लगे, पर किसी ने यह नहीं कहा कि कितनी विषम परिस्थितियों में भी माननीय मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में सरकार कार्य कर रही है, हमें अभाव था, यह बात सही है और हमारे साथी भी जानते हैं. जो आज विपक्ष में बैठे हैं कि उनके विपक्ष में जाने का सबसे बड़ा कारण भी यही था कि बातें इतनी ज्यादा की गई थीं और काम जब नहीं हुए क्योंकि साधन ही नहीं थे. काम होते भी कैसे, जब हमें उन जटिल चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ा तो हमने बेहतर प्रबंधन करके यह प्रयास किया कि मध्यप्रदेश की जनता की सेवा अधिक से अधिक एक वर्ष के कार्यकाल के अन्दर सीमित साधनों के बावजूद भी कर सकें, उसमें हमें माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में सफलता भी मिली. अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट के जो मुख्य प्रावधान हैं, उनके बारे में मैं जरूर कहना चाहूँगा. जैसा मैंने पूर्व में कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था में आई मंदी तथा राज्य की पिछली सरकार, यह कहने में तो अच्छा नहीं लगता है पर कहना तो पड़ता है कि राज्य की पिछली सरकार द्वारा खाली खजाना देने के बावजूद राज्य के विकास तथा किसानों के हित हेतु 23 हजार 319 करोड़ रूपये का अनुपूरक बजट अनुमान प्रस्तावित किया जा रहा है, इसमें 13 हजार 652 करोड़ रूपये भारत सरकार एवं अन्य स्त्रोतों से उपलब्ध होगा, 2850 करोड़ रूपये समर्पित होने वाली राशि से प्राप्त किया जायेगा, 172 करोड़ रूपये पुनर्वियोजन द्वारा प्राप्त किया जायेगा तथा 6 हजार 816 करोड़ रूपये का भार राज्य सरकार पर आयेगा. अनुपूरक अनुमान में अतिवृष्टि से हुई फसलों की हानि हेतु राजस्व विभाग के अंतर्गत रूपये 6 हजार 6 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, जो कि केंद्र सरकार से प्राप्त होना है परंतु अभी मात्र एक हजार करोड़ रूपये केंद्र सरकार से प्राप्त हुये हैं. मुझे उम्मीद है कि किसानों के हित हेतु मेरे विपक्ष के सारे साथी दिल्ली चलकर यह राशि प्राप्त करने में हमें सहयोग करेंगे.
श्री कमल पटेल (हरदा) -- अगर केंद्र सरकार पैसा नहीं देगी तो क्या आप किसानों को पैसा नहीं दोगे ?
श्री तरूण भनोत -- हम तो प्रतिबद्ध हैं कि हम तो कुछ भी करें परंतु किसानों की मांगों को सबसे पहले पूरी करेंगे.
श्री कमल पटेल -- किसानों को तो प्रदेश सरकार को पैसा देना चाहिये, आप पैसा दीजिये, हम आपको केंद्र सरकार से पैसा दिलवायेंगे.
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री कमल पटेल जो कि खुद एक किसान हैं, उनके जैसे चुने हुये जन प्रतिनिधि के मुख से यह बात अच्छी नहीं लगती है कि केंद्र सरकार अगर पैसा नहीं देगी तो क्या आप पैसा नहीं दोगे ? केंद्र सरकार क्यों पैसा नहीं देगी ? यह मध्यप्रदेश की जनता की हक की लड़ाई है, हमारे किसानों की हक की लड़ाई है. अगर हम और आप एक होकर इस लड़ाई को लड़ने के लिये तैयार है तो केंद्र सरकार क्यों पैसा नहीं देगी, क्या आपको अपनी ताकत पर भरोसा नहीं है?
श्री कमल पटेल -- माननीय मंत्री जी हम आपको पैसा दिलवायेंगे, लेकिन आप पहले किसानों को पैसा दीजिये. आपने अगर अपने बजट में प्रावधान किया है तो आप किसानों को पैसा दिलवाईये और फिर हम आपको केंद्र सरकार से पैसा दिलवायेंगे. केंद्र सरकार का हिस्सा हम दिलवायेंगे यह हम दावे से कह रहे हैं. पहले राज्य सरकार पैसा देती थी और फिर केंद्र से लेती थी.
श्री तरूण भनोत -- आप केंद्र सरकार से पैसा दिलवाईये, मैं आपको एक अपनी ओर से और एक मुख्यमंत्री जी की ओर से इस प्रकार दो मालायें पहनाऊंगा. मैंने बड़ी जिम्मेदारी के साथ कहा है कि हमने केंद्र सरकार के पैसे के आने का अभी तक इंतजार नहीं किया है कि वहां से पैसा आयेगा तो हम पैसा देंगे. केंद्र सरकार से हमें एक हजार करोड़ रूपये की राशि प्राप्त हुई है और वह भी जब आयेगी, उसके पहले उससे अधिक राशि हम किसानों के लिये खर्च कर चुके हैं. आप मंदसौर जिले के किसानों को और बाकी जिलों के पीडि़त किसानों को हम लोगों ने, जैसा माननीय मुख्यमंत्री जी ने सर्वे के पहले भी....
श्री कमल पटेल -- आपने झाबुआ में दिया है, उसके अलावा कहीं पर भी नहीं दिया है.
श्री तरूण भनोत -- अगर हम राजनीतिक रूप से इस चर्चा को करते रहेंगे तो चर्चा होती रहेगी. अभी सबसे बड़ी बात यह है कि आपने बहुत अच्छा प्रस्ताव रखा है मैं उसका तहेदिल से पूरी सत्ता पक्ष की ओर से आपका शुक्रिया अदा करता हूं. आपने खुले दिल से कहा है कि आप हमारे साथ दिल्ली चलकर लड़ाई लड़ने को तैयार हैं, आप यह पैसा दिलवाईये, हम आपका सदन में मध्यप्रदेश की जनता की ओर से स्वागत करेंगे.
श्री कमल पटेल -- जितना भी पैसा होगा केंद्र सरकार देगी.
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे द्वारा अनुपूरक अनुमान के मुख्य प्रावधान हैं, वह निम्नानुसार हैं, राजस्व विभाग के अंतर्गत प्रदेश में अतिवृष्टि से हुई हानि के एवज में मुआवजे के वितरण हेतु राष्ट्रीय आकस्मिक आपदा राहत निधि में प्राप्ति योग्य राशि 6 हजार 6 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. ऊर्जा विभाग के अंतर्गत इंदिरा गृह ज्योति योजना हेतु 15 सौ करोड़ रूपये एवं उदय योजना अंतर्गत विद्युत वितरण कंपनियों को पूर्व वर्षों की हानि प्रतिपूर्ति हेतु 630 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत वृहद वित्त पोषित योजनाओं एवं न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के तहत सड़क निर्माण हेतु दो सौ करोड़ रूपये एवं सड़कों की मरम्मत हेतु 150 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. केंद्रीय सड़क निधि के अंतर्गत व्यय हेतु 200 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. नवीन सड़क एवं पुल निर्माण हेतु प्रतीक प्रावधान भी प्रस्तावित है.जल संसाधन विभाग के अंतर्गत छिंदवाड़ा सिंचाई काम्पलेक्स परियोजना हेतु 800 करोड़ रूपये एवं पार्वती रिंसी परियोजना हेतु 500 करोड़ रूपये तथा गढ़ा एवं जिला सिंगरौली की गौण परियोजना हेतु 100-100 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अंतर्गत नगरीय निकायों में शहरी अधोसंरचना एवं सुदृढ़ीकरण तथा शहर के सुनियोजित विकास के उद्देश्य से मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास फेस-3 योजना प्रारंभ करते हेतु 10 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है. प्रदेश के सबसे स्वच्छ बीस शहरों में कार्यरत सफाई कर्मचारियों को मुख्यमंत्री जी द्वारा घोषित 5 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि भुगतान करने हेतु भी 7.87 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) -- माननीय केवल दस करोड़ रूपये. अगर एक-एक करोड़ रूपये भी देंगे तो आप संख्या गिन लीजिये.
श्री तरूण भनोत -- क्या आपने सुबह से किताब नहीं पढ़ी थी, आपने बोल लिया है, अब सुन भी लीजिये. अब आपका सुनने का समय है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- सुबह से किताब पढ़ ली थी, लेकिन आप कुछ बढ़ाकर भी तो दीजिये. श्री तरुण भनोत - आमजन को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने हेतु दीनदयाल रसोई योजना के संचालन हेतु रुपये 10 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. स्मार्ट सिटी योजना के सुचारू संचालन हेतु रुपये 225 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. नगरीय निकायों को चौदहवें वित्त आयोग की अनुशंसा से प्राप्त होने वाली अनुदान राशि की प्रतिपूर्ति हेतु रुपये 375 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत स्वास्थ्य क्षेत्र में मूलभूत सेवाओं की पूर्ति हेतु राज्य स्तरीय रोगी सहायता कोष हेतु रुपये 60 करोड़, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र योजना हेतु रुपये 20.98 करोड़ तथा समस्त स्वास्थ्य संस्थाओं में निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट हेतु चिकित्सा अवशिष्टों के विनिष्टीकरण एवं सफाई व्यवस्था हेतु रुपये 11.95 करोड़ के प्रावधान प्रस्तावित हैं. आयुष विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय मिशन एवं आयुष मेडिसिनल प्लांट मिशन हेतु रुपये 76.38 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के अंतर्गत औद्योगिक इकाईयों के उत्पादों के परिवहन की सुगमता हेतु इन्दौर-महू-मनमाड रेलवे परियोजना में राज्य हिस्से की अंशपूंजी की प्रथम किश्त भुगतान हेतु रुपये 36.89 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग के अंतर्गत सामाजिक क्षेत्र में प्रचलित योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह हेतु रुपये 60 करोड़ एवं मुख्यमंत्री निकाह योजना हेतु रुपये 5 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय पोषण मिशन के अंतर्गत बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने हेतु प्रचलित योजना के लिये रुपये 89 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत चिकित्सा महाविद्यालयों के निर्माण हेतु रुपये 50 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत जनभागीदारी समिति द्वारा नियुक्त शिक्षकों के मानदेय भुगतान हेतु रुपये 860 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत नियुक्त अतिथि शिक्षकों के मानदेय हेतु रुपये 124.75 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. सरकारी प्राथमिक,माध्यमिक शालाओं की मूलभूत न्यूतनतम सेवाओं की योजना के लिये रुपये 1433.82 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है.
डॉ.सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, लिखा हुआ है उसको पढ़ने की कोई जरूरत नहीं है वह तो लिखा है सब इसमें.
श्री तरुण भनोत - जो भाषण बोल लिये उन्होंने भी नहीं पढ़ा. मैं याद दिला रहा हूं.
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने इसलिये बोला था 16 नगर निगम हैं और हमें एक बार में मुख्यमंत्री अधोसंरचना के लिये अकेली मेरी विधान सभा में 10 करोड़ दिये थे. इसलिये आपसे बोला था. कुछ जगह आपके भी महानगर,नगरपालिका क्षेत्र से विधायक चुनकर आए होंगे. अगरअधोसंरचना में आप इनको 5-5 लाख रुपये भी देंगे तो भी10 करोड़ की राशि कम पड़ेगी. आग्रह है मुख्यमंत्री जी बैठे हैं तो आग्रह भी नहीं करें क्या नहीं तो आपका जो लिखा था तो आपको पढ़ने की जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री जी कहें कि हमने जो लिखकर दिया हम कहेंगे ओ.के.
श्री तरुण भनोत - मेरा तो सिर्फ यह कहना था कि आपने बजट पर बोला तो आपने नहीं पढ़ा.
नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री(श्री जयवर्द्धन सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक छोटा प्वाइंट है उसमें. C.M. इंफ्रा फण्ड में 20 प्रतिशत जो राशि है वह सरकार का अंश होता है शेष लोन की किश्त होती है. तो यह औपचारिक निधि है बाकी इसमें C.M. साहब के कहने पर 250 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं.
श्री तरुण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने अपनी डिमांड रखी है. मुझे पूरा विश्वास है पूरा सदन एक मतेन रूप से हमारे सप्लीमेंट्री बजट को पास करेगा. एक बात और कहना चाहूंगा आज दिन भर से सभी माननीय सदस्यों ने इस बारे में बात कही. माननीय मुख्यमंत्री जी ने पिछली बार जब सदन में चर्चा हुई थी तब वित्त विभाग के अधिकारियों को और मुझे भी कहा था और मुख्य बजट के पहले हम जरूर यह जो मांग है उस पर मुख्यमंत्री जी की राय के मुताबिक जरूर फैसला करेंगे और आपको विश्वास दिलाते हैं कि आपकी विधायक निधि की जो राशि है उसमें सम्मानपूर्वक बढ़ोत्तरी की जायेगी. मुख्य बजट में ले आयेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -सारे विधायकों की तरफ से कह रहा हूं. एक शायरी है कि -
"उसने हमारे जख्म का कुछ यूं किया इलाज,
मरहम भी लगाया तो खंजर की नौंक से."
अध्यक्ष महोदय - पता नहीं भैया, नरोत्तम जी कौन-कौन सा मरहम कौन-कौन सी जेब में रखते हैं मैं ढूंढते फिरता हूं.
प्रश्न यह है कि -
अनुपूरक मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
7.11 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-7) विधेयक, 2019 (क्रमांक 33 सन् 2019)
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत ) - अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-7) विधेयक, 2019 का पुरःस्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-7) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-7) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-7) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-7) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-7) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-7) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
7.13 बजे अध्यक्षीय घोषणा
(1) महात्मा गांधीजी की 150वीं जयंती के अवसर पर मध्यप्रदेश विधान सभा का कस्टमाईज्ड स्टेम्प जारी किया जाना
अध्यक्ष महोदय - महात्मा गांधीजी की 150वीं जयंती पर कल शुक्रवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2019 को सभी आदरणीय सदस्यों से निवेदन है कि प्रातः 10.30 बजे विधान सभा के ऑडिटोरियम में मध्यप्रदेश विधान सभा पर कस्टमाईज्ड स्टेम्प जारी करने का कार्यक्रम आयोजित किया गया है. विधान सभा का हमारा जो चित्र है, वह स्टेम्प के माध्यम से आ रहा है, विस्तृत तरीके से जो सभी माननीय विधायकों को भी दिया जाएगा. कृपया अनुरोध है कि प्रातः 10.30 बजे आधे घंटे पहले ऑडिटोरियम में आने का कष्ट करें. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि इस कार्यक्रम में अवश्य पधारने का कष्ट करें.
(2) माननीय सदस्यों के लिए भोजन व्यवस्था विषयक
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
07.15 बजे.
प्रतिवेदन प्रस्तुति एवं स्वीकृति
गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति के
तृतीय प्रतिवेदन की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2019 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 07.17 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 20 दिसम्बर, 2019 ( अग्रहायण 29, शक संवत् 1941) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 19 दिसम्बर, 2019 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा.