मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसम्बर, 2019 सत्र
बुधवार, दिनांक 18 दिसम्बर, 2019
(27 अग्रहायण, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 4 ] [अंक- 2]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 18 दिसम्बर, 2019
(27 अग्रहायण, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.05 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
हास-परिहास
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल जी,नेता प्रतिपक्ष जी,नरोत्तम जी आज किस रंग की बण्डी पहनकर आये हैं,यह मुझे समझ में नहीं आ रहा है .
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, जो बे-रंग हैं, उस पर क्या क्या रंग जमाते लोग.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष जी, वह हमारे मुख्य सचेतक हैं. हमेशा सचेत भी रहते हैं और नाना प्रकार के रंग भी और उसमें बण्डियां जो उसमें शामिल हैं, वह बदलते रहते हैं. ..(हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, यह पक्का है कि मैं बण्डा नहीं हूं.. ..(हंसी)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष महोदय, सारंग जी हमारे साथ हैं.
अध्यक्ष महोदय -- ये तो कल से शांत हैं.
11.06 बजे
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
नियमित पद पर पदस्थापना
[वित्त]
1. ( *क्र. 980 ) कुँवर विक्रम सिंह : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वित्त विभाग ने वर्ष 2015 में सेवानिवृत्त श्री अजय चौबे, उप सचिव को सा.प्र.वि. के परिपत्र क्रमांक सी-3-12/2011/3/1 दिनांक 03.09.2011 के तहत संविदा पर नियुक्त किया है? (ख) यदि हाँ, तो इसी परिपत्र के साथ संलग्न संक्षेपिका में उल्लेखित अनुसार जिस पद पर संविदा नियुक्ति दी गई है, उस पद को भरने में राज्य शासन को क्या कठिनाई है? वित्त विभाग द्वारा विगत 5 वर्षों में इनके विकल्प तलाशने/तैयार करने से संबंधित अभिलेख उपलब्ध करावें। (ग) क्या श्री अजय चौबे को वित्त विभाग ने निर्माण विभागों से संबंधित बजट कार्य एवं निगम संबंधित कार्य सौंपे हैं? यदि हाँ, तो श्री चौबे निर्माण कार्यों का बजट का कार्य कब से देख रहे हैं? इनके कार्यों में परिवर्तन अभी तक नहीं करने के क्या कारण हैं?
वित्त मंत्री ( श्री तरूण भनोत ) : (क) जी हाँ। (ख) श्री अजय चौबे को वर्ष 2015 में अपर संचालक, वित्तीय प्रबंध सूचना प्रणाली एवं पदेन उप सचिव के पद पर संविदा नियुक्ति दी गई थी। श्री चौबे को नियमों के विशुद् ज्ञान एवं अनुभव एवं तत्समय फीडर कैडर में समकक्ष अधिकारियों की अनुपलब्धता के दृष्टिगत नियुक्ति प्रदान की गई थी। वर्ष 2018 में मध्यप्रदेश वित्त सेवा संवर्ग के लिये स्वीकृत पदीय संरचना के युक्तियुक्तकरण पश्चात् अपर संचालक या समकक्ष स्तर के अधिकारी उपलब्ध होने से अब पद पूर्ति में कठिनाई नहीं है। (ग) वित्त विभाग अंतर्गत मूल रूप से 11 शाखायें कार्यरत हैं, जिनमें स्थापना, नियम, आर्थिक विश्लेषण इकाई एवं आठ बजट शाखायें हैं। इन बजट शाखाओं में विभिन्न विभागों एवं उनसे संबंधित निगम/ मण्डल/बोर्ड आदि से संबंधित बजटीय कार्य संपादित होते हैं। सामान्यत: एक उप सचिव को 02 शाखाओं का कार्यभार सौंपा गया है, जो उन शाखाओं के अंतर्गत आवंटित विभागों एवं उनसे संबंधित निगम/मण्डल/बोर्ड संबंधी कार्य संपादित करते हैं। श्री चौबे को वर्ष 2013 में उप सचिव बजट के रूप में नियम शाखा एवं बजट शाखा-9 का कार्य सौंपा गया है। बजट-9 के अंतर्गत कुछ निर्माण विभागों का कार्य संपादित होता है। श्री चौबे द्वारा इन शाखाओं का कार्य कुशलतापूर्वक संपादित किये जाने के परिप्रेक्ष्य में कार्य परिवर्तन की प्रशासनिक आवश्यकता महसूस नहीं किये जाने से परिवर्तन नहीं किया गया है।
कुँवर विक्रम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बहुत गंभीर है और मैं आपका इसमें संरक्षण चाहूंगा. विभाग ने प्रश्नांश (ख) के उत्तर में दिया है कि श्री अजय चोबे को वर्ष 2015 में अपर संचालक, वित्तीय प्रबंध सूचना प्रणाली एवं पदेन उप सचिव के पद पर संविदा नियुक्ति दी गगई थी. अध्यक्ष महोदय, श्री अजय चौबे, संयुक्त संचालक के पद से सेवा निवृत्त हुए थे. यह अनियमितता है. यह एक पद ऊपर की पदस्थापना देना यह गलत है और उनके समकक्ष के अधिकारी उस पद पर जो नियुक्ति होना थी, उस समय पर विभाग में 50 अधिकारी थे. यदि 50 अधिकारियों में से कोई भी सक्षम नहीं था, तो इसका मतलब विभाग सक्षम नहीं था. मेरा मंत्री जी से सीधा-सीधा यह प्रश्न है कि यदि यह नियुक्ति दी गई थी, उस समय पर आउट ऑफ द टर्न जाकर उसको फेवर करने के लिये, तो यह किस वजह से दी गई थी, इसकी जांच करवायेंगे क्या.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, तत्कालीन सरकार में जब यह व्यवस्था की गयी थी, तो निश्चित तौर पर समकक्ष अधिकारी उस पद पर रहने लायक उस समय कोई व्यक्ति केडर में नहीं था, इसलिये उनको संविदा नियुक्ति दी गई थी और नियमों के तहत दी गई थी वर्ष 2015 में.
कुँवर विक्रम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्ननांश (ग) में विभाग ने बताया है कि वर्ष 2013 में उप सचिव बजट के रुप में नियम शाखा एवं बजट शाखा-9 का कार्य देख रहे थे. विभाग ने यह नहीं बताया कि उप सचिव के रुप में यही शाखा का काम देख रहे थे. इसके साथ ही श्री अजय चौबे का विकल्प तलाशने से संबंधित अभिलेख उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था. उत्तर में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विभाग ने इनका विकल्प तलाशने की कोशिश ही नहीं की. मैं एक और बात कहना चाहूंगा कि तत्कालीन समय पर वर्ष 2016-17 के बजट में हमारे साथी विधायक, श्री सुन्दरलाल तिवारी, जो आज इस दुनिया में मौजूद नहीं हैं, उन्होंने इस प्रश्न को उठाया था और यह उसी समय का जो पत्रक है, इसमें भी त्रुटियां हुई थीं, जिससे तत्कालीन वित्त मंत्री जी को सदन में पुनर्पुष्टि, मतलब दूसरा सुधार करके प्रतिवेदन देना पड़ा था. ऐसे अधिकारी को उस पद पर रहने की क्या आवश्यकता है, जो वह व्यक्ति वहां पर रह करके अपने सीनियर ऑफिसर्स को दबा रहा है, काम में व्यवधान पैदा कर रहा है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा और इसमें मंत्री जी से निवेदन है कि वे इसकी जांच करायें और उनको तत्काल प्रभाव से उस पद से रिक्त किया जाये.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, अगर ऐसी कोई स्पेसीफिक बात है, शिकायत है कि उनके द्वारा उनके सीनियर ऑफिसर्स पर दबाव बनाया जा रहा है, तो मेरी जानकारी में आप जरुर लायें. मैंने तो उनके सीनियर ऑफिसर्स से बात की थी और उन्होंने स्पष्ट रुप से यह कहा कि जिस समय उनकी नियुक्ति की गई थी, संविदा की अवधि बढ़ाई गई थी, उस समय उनकी जगह पर और कोई उस केडर का अधिकारी नहीं उपलब्ध था. अब हमने यह व्यवस्था कर ली है और यह अंतिम बार संविदा नियुक्ति उनकी बढ़ाई गई है. वर्ष 2020 में उनकी आयु भी 65 वर्ष हो जायेगी और समकक्ष हमारे अधिकारी भी तैयार हो गये हैं, मैंने पहले ही यह नोटिंग कर दी है कि इसके बाद संविदा नियुक्ति पर उनको नहीं रखा जायेगा, अन्य अधिकारियों को मौका मिलेगा. धन्यवाद.
कुँवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2006 से एक ही पद पर एक व्यक्ति है. वर्ष 2006 से लगातार सेवावृद्धि की जा रही है. उनको किस तरीके से उपकृत किया जा रहा है, मुझे आपसे यह पूछना है ?
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, किसी को उपकृत नहीं किया जा रहा है. जैसा मैंने बताया, जैसे ही वर्ष 2018 में विभाग के मंत्री के रूप में मैंने शपथ ली तो मैंने भी यह प्रश्न उठाया था, संबंधित अधिकारियों ने यह बताया कि वे संविदा पर हैं और 65 वर्ष की उम्र तक वे काम कर सकते हैं. उनका अनुभव मैंने भी देखा, काम करने की शैली अच्छी थी, पर उसके बाद भी हमने यह प्रावधान कर दिया है कि इसके बाद नहीं बढ़ाया जाएगा. अध्यक्ष महोदय, जहां तक एक ही पद पर रहने की बात है कि वर्ष 2006 से हैं, मैं तो चाहता हूँ कि अनंतकाल तक आप विधायक रहें, वर्ष 2003 से विधायक हैं, आगे भी रहें, इसमें तो कोई बात नहीं कि एक ही पद पर वे लगातार क्यों हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, ये इतने सक्षम अधिकारी हैं कि इनके द्वारा वर्ष 2017-18 में 16 शुद्धि-पत्र दिए गए हैं. ये लाखों करोड़ों के शुद्धि-पत्र हैं. दूसरी बात, इनके ही मंत्रालय में दिनांक 17.11.2009 में कण्डिका विलोपित की जाती है, क्या कण्डिका विलोपित की जाती है कि दिनांक 1.4.2006 के पूर्व जिन संवर्गों में सीधी भर्ती की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है, उन संवर्गों का समयमान वेतनमान का लाभ सीधी भर्ती मानते हुए नहीं दिया जाएगा. उसमें शुद्धि-पत्र आपके विभाग के मिलिन्द वायकर करते हैं, दिनांक 1.4.2006 में किसी शासकीय सेवा में भर्ती नियमों में प्रावधान अनुसार यदि किसी संवर्ग पर सीधी भर्ती के नियमानुसार अधिकारी कर्मचारी सेवारत है तो उक्त संवर्ग के नियुक्त सभी अधिकारी कर्मचारियों को भी समयमान वेतनमान का लाभ प्राप्त होगा. यानि वहीं के वहीं ये शुद्धि-पत्र, मतलब यह है कि माननीय मंत्री जी, क्या आपके विभाग में और इनसे अच्छे आदमी नहीं हैं ? दूसरी बात, 5 साल से इनका समयकाल बढ़ाते जा रहे हैं, क्या आपके विभाग में कोई लिमिट नहीं है ? हम लोगों के बजट की अगर कोई संख्या थोड़ी ज्यादा चली जाती है तो ये लोग कटौती कर देते हैं, इनकी कटौती कब करोगे ?
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष जी, मैं आपकी भावनाओं को समझ रहा हूँ और आपकी भावनाओं के अनुरूप ही मैंने व्यवस्था पहले कर दी है कि उनकी यह अंतिम सेवावृद्धि है, इसके बाद उनको सेवावृद्धि नहीं दी जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, इसमें तो मेरी सोच है कि यह 31 दिसम्बर मेरे ख्याल से इनका आखिरी होना चाहिए. अब इनको एक्सटेंशन नहीं मिलना चाहिए. प्रश्न क्रमांक 2.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, जवाब...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, आपकी भावनाओं के अनुरूप हम काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, हमने आसंदी से निर्देश जारी कर दिए हैं, निर्देश का मतलब होता है, उसका पालन करिए,
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, दिक्कत सिर्फ इतनी सी है कि...
अध्यक्ष महोदय -- विराजिए, आप लोग शक, शिकवा में मत पड़िए, विराजिए. अब माननीय शिवराज सिंह जी का प्रश्न आ रहा है, जरा धीरज रखिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, उनका प्रश्न तो कोई भी नहीं रोकेगा, मैं यह आसंदी की व्यवस्था के बारे में कह रहा था, आज मेरा 11 नंबर का प्रश्न है, जो आपने व्यवस्था दी थी, उसी पर है, वह कर्मचारियों के प्रमोशन से संबंधित था, आपकी कृपा हो जाए, अगर वहां तक चर्चा हो जाए तो मैं बताऊंगा कि आपकी आसंदी का पालन नहीं कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आने दीजिए. प्रश्न क्रमांक 2, श्री शिवराज सिंह चौहान जी.
मेधावी छात्रवृत्ति योजना का लाभ
[तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोज़गार]
2. ( *क्र. 279 ) श्री शिवराज सिंह चौहान : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री मेधावी छात्रवृत्ति योजना अंतर्गत मेधावी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने के लिये योजना सत्र 2018-19 में कितने विद्यार्थियों की राशि शुल्क के रूप में मध्यप्रदेश शासन ने वहन की है? (ख) लाभार्थियों को देय शुल्क की राशि सहित स्पष्ट जानकारी दें। (ग) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में कितने विद्यार्थियों का चयन उक्त अवधि में किया गया? कितने आवेदन प्राप्त हुए? उनमें कितने लाभान्वित हुए?
मुख्यमंत्री ( श्री कमल नाथ ) : (क) मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजनांतर्गत मेधावी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने के लिये योजना सत्र 2018-19 में 58201 विद्यार्थियों की राशि, शुल्क के रूप में मध्यप्रदेश शासन द्वारा वहन की गई है। (ख) लाभार्थियों को देय शुल्क के रूप में राशि रू. 128,39,64,466/- मध्यप्रदेश शासन द्वारा वहन की गई है। (ग) सत्र 2018-19 में कुल 60005 आवेदन प्राप्त हुये एवं 58201 विद्यार्थी लाभान्वित हुये।
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. गरीब बच्चों में भी प्रतिभा होती है, क्षमता होती है. अगर पढ़ाई के लिए उनको सुविधाएं मिल जाएं तो वे भी शीर्ष पदों तक पहुँच सकते हैं. इसी भावना को दृष्टिगत रखते हुए जब हमारी सरकार थी, तब हम लोगों ने मुख्यमंत्री मेधावी छात्रवृत्ति योजना बनाई थी. इससे कई नए बच्चों को नवजीवन मिला, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, आईआईटी, आईआईएम, क्लेट आदि की परीक्षाओं में वे उत्तीर्ण हुए और उनको प्रवेश दिए गए और उनकी फीस सरकार के द्वारा भरी गई.
माननीय मंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपने उत्तर में यह बताया है कि वर्ष 2018-19 में 58201 विद्यार्थियों को राशि रुपए 128,39,64,466/- की फीस की प्रतिपूर्ति की गई. उस समय हमारी सरकार थी. मैं आपसे यह जानना चाहता हॅूं कि इस शिक्षा सत्र में क्योंकि यह योजना 12वीं की बोर्ड परीक्षा में जो बच्चे 70 परसेंट से ज्यादा अंकों से उत्तीर्ण होते हैं या इससे ज्यादा अंक लाए हैं या सीबीएसई की परीक्षा में 85 परसेंट से ज्यादा नंबर लाए हैं तो उनके लिए यह योजना लागू होती है. इस शिक्षण सत्र में कितने विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ दिया गया है. निजी विद्यालयों में, महाविद्यालयों में या शासकीय महाविद्यालयों में और कितनी फीस की प्रतिपूर्ति की गई है ?
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के बारे में जो जाना है देखिए वर्ष 2017-18 में जो योजना शुरु हुई थी, उसको हमने कन्टीन्यू रखा है.वर्ष 2017-18 में जो एडमीशन हुए थे और जिनको इस योजना का लाभ मिला था, वह 30197 विद्यार्थी थे और उनको जो राशि दी गई थी वह 61 करोड़ 83 लाख 14 हजार 102 रुपए थी. जहां तक इस सत्र की बात है तो मैं आपको बताना चाहता हॅूं कि इस योजना का लाभ वर्ष 2018-19 में जो नवीन विद्यार्थी हैं जिनको इस योजना का लाभ मिला है वह 35 हजार 570 हैं और वह राशि रुपए 71 करोड़ 77 लाख 4 हजार 55 है और पिछले वर्ष 2017-18 में जिस समय योजना शुरु हुई थी, उन विद्यार्थियों को भी द्वितीय वर्ष के अध्ययन के लिए जो लाभ मिला है उन विद्यार्थियों की संख्या 22 हजार 695 है और वह राशि रुपए 56 करोड़ 93 लाख 93 हजार 345 है. यह वर्ष 2017-18 और वर्ष 2018-19 की अब तक की मिलाकर जो राशि है वह रुपए 128 करोड़ 70 लाख 93 हजार 400 है. यह आंकडे़ हैं. इतने विद्यार्थियों की संख्या है, जिन्होंने इस योजना का लाभ लिया है और इतनी राशि हमने उन विद्यार्थियों को दी है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय मंत्री महोदय, यह वर्ष 2017-18 और वर्ष 2018-19 की फीस की प्रतिपूर्ति जब हम इधर वाले उधर थे, तब की गई थी. मैं इस शिक्षा सत्र की बात कर रहा हॅूं. अप्रैल 2019 में जिन बच्चों ने 12 वीं की परीक्षा चाहे माध्यमिक शिक्षा मंडल के माध्यम से या सीबीएसई के माध्यम से उत्तीर्ण की है उन कितने विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ दिया गया और कितनी राशि उनके खातों में फीस के रुप में जमा की गई है ?
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मैंने वर्ष 2017-18, 2018-19 के आंकडे़ बता दिए हैं और अब वर्ष 2019-20 के आंकड़े भी बता देता हॅूं. इसमें जो 11 हजार 248 नवीन छात्र हैं उनको लाभ मिला है और 11 हजार 248 छात्रों को इस योजना का जो लाभ मिला है वह राशि रुपए 34 करोड़ 84 लाख 11 हजार 794 है. अब आप वर्ष 2017-18, 2018-19 और वर्ष 2019-20 का टोटल आंकड़ा पूछेंगे तो इसमें हम 77015 छात्रों को इसका लाभ दे चुके हैं और वह लाभ 251 करोड़ 97 लाख 45 हजार 838 का है. इतनी राशि हम अभी तक दे चुके हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री अपने उत्तर में बता रहे हैं कि 58 हजार छात्रों को पहले लाभान्वित किया गया. अब यह संख्या बढ़नी थी क्योंकि इस योजना का और सरलीकरण किया गया. हमने इसमें यह प्रावधान किया था पहले 75 परसेंट था अब 70 परसेंट कर दिया कि 70 परसेंट या उससे ज्यादा अंक जो विद्यार्थी लेकर आएंगे, उनको इस योजना का लाभ दिया जाएगा तो यह 58 हजार 35 हजार से घटकर इस साल 11 हजार कैसे हो गए ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि विद्यार्थियों को लाभ से वंचित किया जा रहा है गरीब विद्यार्थी, जो प्रतिभाशाली हैं उनको इस योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है सरकार धीरे-धीरे इस योजना को खत्म करने की दिशा में कदम उठा रही है. (विपक्ष द्वारा शेम-शेम) और यह गरीब विद्यार्थियों के साथ अन्याय है नहीं तो विद्यार्थियों की संख्या बढ़नी चाहिए थी. यह संख्या बढ़ने के बजाय घट क्यों गई ? केवल 11 हजार को क्यों ? ऐसे कितने विद्यार्थी हैं जिन्होंने 12 वीं की परीक्षा में 70 प्रतिशत से ज्यादा अंक प्राप्त किए हैं? सी.बी.एस.ई. के कितने विद्यार्थी हैं जो 12 वीं में 85 परसेंट से ज्यादा अंक लेकर आए हैं उनको इस योजना का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है ? माननीय मुख्यमंत्री जी बैठे हैं. मेरे पास यह सैकड़ों आवेदन हैं मेधावी विद्यार्थियों के जो रोज मेरे पास आते हैं जो यह आरोप लगा रहे हैं कि मेधावी छात्रवृत्ति का लाभ हमें नहीं मिल रहा है. हम दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि क्या इनको लाभ देंगे और यह संख्या घटी कैसे ? यह तो बढ़नी चाहिए थी क्योंकि विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, संख्या घटी नहीं है. अभी समय बचा है. यह जो आंकड़े मैंने बताए हैं यह आंकड़े 15.12.2019 तक के हैं. अब यह जुलाई 2020 तक के एडमिशन और बढ़ेंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अब तो वह समाप्त ही हो गया. अब तो नया साल आ जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - क्या आपको माननीय शिवराज सिंह चौहान पर भरोसा नहीं है जो आपको सपोर्ट करने के लिए खड़ा होना पड़ रहा है ? शर्मा जी विराजिए. प्रश्न शिवराज जी ने पूछा है.
डॉ. सीतासरन शर्मा - उन्होंने योजना बनाई और आप उसका कुण्डा किए दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - शर्मा जी, एक तो प्रश्न वर्ष 2018-19 का पूछा है, वर्ष 2019-20 नहीं पूछा है, मैं परिधि के बाहर जाकर पूछने दे रहा हूं. मूल प्रश्न आपका 2018-19 तक का है 2019-20 का नहीं है. उसके बाद भी 2019-20 का प्रश्न किया जा रहा है, मैं पूछने दे रहा हूं इसलिए कृपया टोंका-टाकी न करें.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, यह जो आपने योजना शुरू की है आपको जानकारी है, 1 जुलाई 2017-18 से शुरू की है और उसका समय जो 15 जून 2019 तक का था और अब उसका समय 15 जून 2020 तक का है. अभी 6 महीने और बचे हैं आपने जो स्टार्ट किया है इससे और डबल एडमिशन होंगे. हमारी सरकार और हमारे मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व पर स्टूडेंट्स को विश्वास है.
मुख्यमंत्री (श्री कमल नाथ) - अध्यक्ष महोदय, माननीय शिवराज जी ने अभी कहा कि लगता है कि सरकार यह योजना समाप्त करने जा रही है. मैं माननीय सदस्य को यह कहना चाहता हूं कि इस योजना को समाप्त करने की कोई कार्यवाही में या कोई सोच नहीं है. हम इस योजना को चालू रखेंगे. आप तो इससे परिचित हैं. माननीय सदस्य परिचित हैं खासकर यही सबसे ज्यादा परिचित हैं कि किस प्रकार आज हमारी वित्तीय स्थिति है इसके बावजूद जो माननीय सदस्य की शंका है कि इसमें कोई कटौती होगी, तो यह नहीं होगी.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी, मेरा निवेदन केवल इतना है कि अप्रैल में पास होने के बाद जुलाई में बच्चे एडमिशन ले लेते हैं और जुलाई, अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर, नवम्बर और दिसम्बर जा रहा है अब आप यह जो बात कर रहे हैं, माननीय मंत्री जी ने जैसी कही कि नहीं हम तब दे देंगे. तब कब दोगे ? बच्चे तो कहीं न कहीं चले गए होंगे. परंतु इसलिए माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने कहा है मैं धन्यवाद देता हूं कि योजना बंद नहीं कर रहे लेकिन जो मंशा दिखाई दे रही है 11,000 को लाभ क्यों मिला ? बच्चे रोज मेरे पास आते हैं क्योंकि मैं मिलता हूं और इसलिए रोज आवेदन देते हैं कि हमें मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है और इसलिए एक तो यह काम है कि योजना बंद नहीं करेंगे लेकिन लाभ नहीं देंगे, तो लाभ मिलेगा नहीं. जहां तक माननीय मुख्यमंत्री जी, वित्तीय स्थिति का सवाल है, देखिये यह केवल कहने की बात है कि खजाना खाली है. (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह विलोपित किया जाए.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, हर महीने टैक्स खजाने में आता है और उसको हम लगातार खर्चा करते हैं. यह यह केवल कहने की बात है. 2 लाख, 35 हजार करोड़ का बजट आपने पारित किया है. आपने शराब पर कर कैसे बढ़ाए ? आपने पेट्रोल और डीजल पर कैसे बढ़ाए ? पैसा जाता कहां है यह मुझे बताएं ? यह तो जुमला हो गया. ..(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है. यह कौन सी बात हुई ?
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, खजाना खाली छोड़कर गए, लूटकर ले गए. ..(व्यवधान)..
श्री कमलनाथ - अध्यक्ष महोदय, खजाना खाली होने की बात केवल मैंने नहीं कही यह तो आपके वित्त मंत्री ने कही थी जब हमारी सरकार भी नहीं बनी थी, पर साथ-साथ अभी बजट पर डिबेट आएगा उसमें हम सदन के सामने रखेंगे कि पिछले साल किस प्रकार की घोषणाएँ की गईं. जिनका कोई बजट में प्रावधान नहीं था. उसका बोझ हमें उठाना पड़ा, इस सरकार को उठाना पड़ा. यह आँकड़े बताते हैं, मैं नहीं बता रहा, कि किस प्रकार की योजनाएँ, आज बीमा की बात करें, कितने बजट का प्रावधान था? आप मक्का के बोनस की बात करें, घोषणा तो हो गई, पर बजट का क्या प्रावधान था? ये बहुत सारे ऐसे हैं, इसका जो टोटल है, हम सदन के सामने रखेंगे, आप कल परसों तक इन्तजार कर लीजिए.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी, 13 साल मैं मुख्यमंत्री रहा हर साल घोषणाएँ कीं, घोषणा पूरी करने के लिए पर्याप्त वित्त की व्यवस्था की. आप तो कहीं जाकर किसानों से पूछ लेना जब-जब जितनी घोषणा की एक एक घोषणा हमने पूरी की है...(व्यवधान)..
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी)-- (xxx)
श्री शिवराज सिंह चौहान-- हमारी सरकार होती तो अब तक एक दर्जन बार किसानों के खातों में पैसे डल जाते. ..(व्यवधान)..खजाना खाली है यह कहना बन्द कीजिए. घोषणा भी करते थे और पूरी भी करते थे. अध्यक्ष महोदय, कोई पैसे की कमी नहीं आई...(व्यवधान)..
श्री जितु पटवारी-- (xxx)
श्री शिवराज सिंह चौहान-- इतने कंगाल कैसे हो गए. कभी खजाने में कमी नहीं थी.
अध्यक्ष महोदय-- दोनों तरफ से यह जो भी कहा जा रहा है कुछ भी नहीं लिखा जाएगा. कृपा पूर्वक शांति से बैठिए. प्रश्न क्रमांक 3 श्री के.पी.त्रिपाठी..... ..(व्यवधान)..मंत्री जी, ऐसा ठीक नहीं बिना ब्रेक की साइकिल मत चलाइये, ब्रेक मारिए. आप बैठ जाइये.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- जो मेरे से पूछे बिना कुछ कहे वह कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, मेरा पूरा उत्तर नहीं आया. विषय बदल गया था. मेरा निवेदन यह है कि केवल 11 हजार छात्रों को लाभ दिया गया है और धीरे धीरे, चाहे स्मार्ट फोन देने की योजना हो, लेपटाप देने की योजना हो, यहाँ तक कि मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति योजना का पैसा भी नहीं दिया जा रहा है, छात्रवृत्ति भी नहीं दी जा रही. अध्यक्ष महोदय, विद्यार्थी परेशान हैं. सरकार आश्वासन दे कि विद्यार्थियों को इसका लाभ देंगे. ..(व्यवधान).. मेरा उत्तर नहीं आया. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, उत्तर दीजिए. आपको मैंने पुकारा क्या? एक मिनिट उत्तर दे देने दीजिए.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके प्रश्न के जवाब में आँकड़े स्पष्ट किए हैं कि आपने जो योजना स्टार्ट की थी, उसको हमने कंटीन्यू रखा, उसको हमने बन्द नहीं किया है, आपने जो स्टार्ट की थी 30,197 छात्रों को आपने इसका लाभ दिया था, हमने अब उसको बढ़ाकर 77,115 कर दी है (मेजों की थपथपाहट) और हमने 251 करोड़ 65 लाख 45,838 रुपये की राशि कर दी. आप सुन क्या रहे हैं? एक तो आपने जो योजना स्टार्ट की हमने उसको बन्द नहीं किया, हमने उसको कंटीन्यू रखा, 30,197 से आपने स्टार्ट की थी हमने अभी तक 77,115 छात्रों को लाभान्वित किया है.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, मैं जो निवेदन कर रहा हूँ इस साल केवल 11 हजार विद्यार्थियों को लाभ दिया. 51 हजार को मिलता था यह क्या हो रहा है इसका उत्तर दें केवल 11 हजार क्यों, बाकी विद्यार्थी क्यों नहीं?
अध्यक्ष महोदय-- दे दिया.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- मैंने आपको उदाहरण सहित बताया कि लोग भटक रहे हैं. उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. मेरा निवेदन है कि उन गरीब विद्यार्थियों को योजना का लाभ दें. अध्यक्ष महोदय, योजना का लाभ नहीं मिल रहा है यह मेरा निवेदन है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनट आप लोग बैठेंगे.....
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है उसे कृपया ग्राह्य कीजिए. हम किसी मंत्री को विवश नहीं कर सकते हैं.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, हम विवश नहीं कर रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- विद्यार्थियों को लाभ नहीं मिला है. यह प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत है.
अध्यक्ष महोदय-- "लाभ नहीं मिला" का उत्तर आ गया है. मंत्री जी ने आपके प्रश्न का उत्तर दिया है. वे तीन बार उत्तर दे चुके हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि कार्यवाही को आगे बढ़ने दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, एक ही निवेदन करना है कि जो पात्र विद्यार्थी दर-दर भटक रहे हैं क्या उनको इस योजना का लाभ दे देंगे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, हम किसी भी विद्यार्थी को दर-दर नहीं भटकने देंगे. मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि दिनांक 10.12.2019 को उन्होंने प्रश्न लगाया था. उस दिन से अभी उत्तर देने की तारीख तक 64 विद्यार्थी और बढ़ गए हैं. लगभग 30 लाख रुपए की राशि और बंट चुकी है. कंटीन्यू एडमीशन जारी हैं और स्टूडेंट्स को लाभ दिया जा रहा है. उनको राशि दी जा रही है, किसी को भी दर-दर नहीं भटकने दिया जाएगा.
श्री कमल पटेल-- अध्यक्ष महोदय, इस बार कितने विद्यार्थी 70 प्रतिशत व 85 प्रतिशित से अधिक अंक लेकर आए हैं उनकी संख्या कितनी है ?
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग विराजें. कमल जी विराजें.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, 60005 विद्यार्थियों ने आवेदन किया था. हमने 58265 विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ दिया है. इस योजना में हमने 128 करोड़ रुपए वितरित किए हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल एक प्रश्न कि कब तक दे देंगे. (व्यवधान)
श्री जितु पटवारी -- सर, दूसरों को भी स्पेस दें..(व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल यह निवेदन है कि मंत्री जी किस तारीख तक लाभ दे देंगे यह बता दें. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मैं खड़ा हूँ. आप लोग विराज जाएं. आप लोगों को फिर से ध्यान दिलाने की कोशिश कर रहा हूँ कि मूल प्रश्नकर्ता जब तक प्रश्न खत्म न करे किसी दूसरे सदस्य को उसके सपोर्ट में खड़े नहीं होना चाहिए और जो परिपक्व सदस्य हैं उनके सपोर्ट में तो किसी सदस्य को खड़ा होना ही नहीं चाहिए. इस तरह हम अगले प्रश्नकर्ताओं के प्रश्न का समय जाया कर रहे हैं. आप लोगों की आदत होती जा रही है, वरिष्ठ सदस्यों की भी मैं उनका नाम नहीं लेना चाहूंगा, बीच-बीच में क्यों खड़े होते हैं ? आप बिना मेरी अनुमति के खड़े हो जाते हैं और बिना अध्यक्ष को संबोधित किए सीधे-सीधे बात करने लगते हैं. मेहरबानी करके यह नई परिपाटी मत डालिए.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, शिवराज जी के प्रश्न का पूरा उत्तर नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल जी हो गया है. मंत्री जी ने उत्तर दे दिया है. हम एक ही प्रश्न पर...
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, एक लाइन का प्रश्न है. माननीय मंत्री महोदय, यह बताने की कृपा करें जैसा शिवराज जी ने अभी पूछा है कि...(व्यवधान) मंत्री जी आप बैठ जाएं आप महान हैं.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- आप हमारी भी बात सुन लो, आप गरीब की भी बात सुन लो. जिस गरीब की बात आज आप कर रहे हैं वह गरीब आज आपके कारण रो रहा है. जिसके बिजली के बिल के बारे में आपने घोषणा की, आपको सुननी पड़ेगी.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, आपको सुनना पड़ेगी. गरीब की बात हो तो पूरी हो.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी. (अध्यक्ष महोदय द्वारा डॉ. गोविन्द सिंह, संसदीय कार्य मंत्री को श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, खाद्य मंत्री जी को बैठाने हेतु इशारे से कहा गया)
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- मेरे क्षेत्र में इनके कार्यकाल के कारण जनता रो रही है. जे.सी. मिल का मजदूर आज भीख मांग रहा है उसको न्याय नहीं मिला है, यह मैं किससे कहूं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग बैठ जाइए. एक मिनट बैठिएगा. माननीय खाद्य मंत्री जी मैं आपको आखिरी वार्निंग दे रहा हूँ. मैं खड़ा हुआ था जिस भाषा का, जैसे आपके चेहरे पर भाव थे वे आसंदी को प्रिय नहीं हैं. आप ऐसी हरकत दोबारा न करें. यह कोई आमसभा नहीं हो रही है. यह सदन है इसकी गरिमा है, परिपाटी है. यह तरीका सही नहीं है, मैं खड़ा हूँ आप बोल रहे हैं. यह आपकी गलत आदत है. संसदीय कार्य मंत्री जी मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि ऐसे सदस्य जो आपके मंत्री हैं उनको व्यवस्थित करने का कष्ट करें.
सामु. स्वा. केन्द्र सेमरिया में स्टॉफ की पदपूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
3. ( *क्र. 773 ) श्री के.पी. त्रिपाठी : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा जिले के विधान सभा क्षेत्र सेमरिया अन्तर्गत संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सेमरिया में संरचनागत स्टाफ की कमी है तथा शासन द्वारा जो पद स्वीकृत किये गये हैं, उसके हिसाब से नियुक्तियां नहीं की गईं हैं। (ख) क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सेमरिया में दो डॉक्टरों को अटैच किया गया है एवं एक आयुष चिकित्सक की पोस्टिंग की गई है जबकि यहाँ पर मेडिकल स्पेशलिस्ट मिलाकर कुल 7 डॉक्टरों की पदस्थापना होनी चाहिये? (ग) क्या तीन फार्मासिस्ट की जगह एक है, तीन लैब/अटेण्डेंट की जगह दो, तीन वार्ड वाय की जगह एक, दो ड्रेसर की जगह एक, 6 स्टाफ नर्स की जगह 4 ही हैं? क्या पर्याप्त स्टाफ न होने की वजह से मरीजों का समुचित उपचार हो पाना संभव नहीं हो पाता? (घ) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) के प्रकाश में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सेमरिया में आमजन को चिकित्सकीय सुविधा प्रदाय कराने हेतु उपरोक्त समस्त पदों को स्वीकृत कर कब तक समस्त नियुक्तियां कर दी जावेंगी?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी नहीं। विधानसभा क्षेत्र सेमरिया अन्तर्गत संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सेमरिया में 02 चिकित्सा अधिकारी, 01 लैब टेक्नीशियन, 01 फार्मासिस्ट (संविदा), 05 स्टाफ नर्स, 01 वार्डवाय, 01 ड्रेसर, 01 स्वीपर (अनुबंध पर) कार्यरत हैं। प्रदेश में विशेषज्ञों की कमी है एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति संबंधी प्रकरण लंबित होने के कारण पदोन्नति संबंधी कार्यवाही नहीं हो सकी है, जिसके कारण भर्ती नियमों में प्रावधानित अनुसार पदोन्नति के पदों की पूर्ति नहीं हो सकी है। (ख) जी हाँ। (ग) सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सेमरिया में फार्मासिस्ट ग्रेड-2 के 02 पद के विरूद्ध 01, वार्डवाय के 01 पद के विरूद्ध 01 ड्रेसर के 01 पद के विरूद्ध 01 तथा स्टाफ नर्स के 06 पद के विरूद्ध 05 कर्मचारी पदस्थ हैं एवं लैब अटेण्डेंट का 01 पद स्वीकृत होकर रिक्त है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सेमरिया में पदस्थ स्टाफ द्वारा जन सामान्य को यथा संभव चिकित्सा सेवायें प्रदाय की जा रही हैं। विभाग द्वारा लोक सेवा आयोग एवं प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड, मध्यप्रदेश के माध्यम से सीधी भर्ती के रिक्त पदों पर चयन उपरांत नियुक्ति की कार्यवाही निरंतर जारी है। साथ ही बंध-पत्र चिकित्सकों एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से संविदा आधार पर पद पूर्ति की कार्यवाही निरंतर जारी है। (घ) उत्तरांश (क) एवं (ग) के अनुक्रम में समस्त नियुक्तियों की समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है।
श्री के.पी. त्रिपाठी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहला सुख निरोगी काया है ऐसी हमारे सनातन धर्म की परम्परा रही है और मैं अपने आपको सौभाग्यशाली समझता हूं कि आपने मुझे पहला प्रश्न ही स्वास्थ्य से जुड़े हुए मुद्दे पर करने का दिया इसके लिए मैं आपका सरंक्षण चाहता हूं और सदन का धन्यवाद करता हूं. क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या रीवा जिले के विधान सभा क्षेत्र सेमरिया अंतर्गत संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सेमरिया में संरचनागत स्टॉफ की कमी है तथा शासन द्वारा जो पद स्वीकृत किए गए हैं उसके हिसाब से नियुक्तियां नहीं की गई हैं. क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सेमरिया में दो डॉक्टरों को अटैच किया गया है एवं एक आयुष चिकित्सक की पोस्टिंग की गई है?
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य जी यह संपूर्ण जानकारी लिखित में आ चुकी है. आपको जो प्रश्न करना है आप सीधे वह प्रश्न करने का कष्ट करिए.
श्री के.पी. त्रिपाठी-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी यह बताने का कष्ट करेंगे कि यहां सात डॉक्टरों की पदस्थापना होनी चाहिए थी लेकिन, अभी तक केवल एक डॉक्टर पदस्थ है और दो डॉक्टरों को यहां अटैच किया गया है. यहां अभी तक एक साल के अंदर पचास हजार लोगों की ओ.पी.डी. हो चुकी है. एवरेज निकाला जाए तो एक माह में चार हजार लोगों की ओ.पी.डी. होती है. क्या एक डॉक्टर इतनी ओ.पी.डी. कर सकता है? मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि जब यहां सात स्पेशलिस्ट पद मंजूर हैं तो यह पद कब तक भरे जाएंगे?
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सम्माननीय सदस्य की भावनाओं को जानता हूं. मध्यप्रदेश में कई वर्षों से डॉक्टरों की कमी है. मैं सम्माननीय सदस्य को यह आश्वस्त करता हूं कि आपकी जो भावना है, आपकी इच्छा है, आपकी अभिलाषा है कि स्वास्थ्य की सेवाएं आपके विधान सभा क्षेत्र में सुचारू रूप से चलें और जो कमी है उसको अतिशीघ्र भर दिया जाएगा.
श्री के.पी. त्रिपाठी-- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूं कि कोई एक निश्चित समयसीमा बता दें. जैसे हमने इसमें सभी ड्रेसर, लैब अटेंडेंट, स्टॉफ नर्स, वॉर्ड वाय, स्वीपर की मांग की थी जैसे स्वीपर का पद है, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर सुरक्षा के लिए गार्ड होना चाहिए यह रोगी कल्याण समिति रख सकती थी लेकिन, वर्तमान सरकार ने रोगी कल्याण समिति के द्वारा जो ऐसा स्टॉफ भर्ती किया जाता था क्या उस पर रोक लगा दी है? मैं यह जानना चाहता हूं कि यदि रोक लगाई है तो उससे लोकल लेवल पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की...
श्री तुलसीराम सिलावट-- अध्यक्ष महोदय, मैं सम्माननीय सदस्य को आश्वस्त करता हूं कि आपकी जो-जो भी बिंदुवार समस्याएं हैं आप व्यक्तिगत रूप से मेरे से चर्चा कर सकते हैं. उसका समाधान किया जाएगा.
श्री के.पी. त्रिपाठी-- धन्यवाद.
11:37 बजे स्वागत उल्लेख
श्री ढालसिंह बिसेन, सांसद का अध्यक्षीय दीर्घा में उपस्थित होने पर सदन द्वारा स्वागत
अध्यक्ष महोदय-- आज सदन की दीर्घा में माननीय सांसद डॉ. ढालसिंह बिसेन उपस्थित हैं. सदन की ओर से उनका स्वागत है.
11:37 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
प्रश्न संख्या 4 श्री नागेन्द्र सिंह (अनुपस्थित)
शा. चिकित्सालयों में चिकित्सकों की पदपूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
5. ( *क्र. 1365 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र धरमपुरी, जिला धार में नालछा, धरमपुरी और धामनोद सरकारी हास्पिटल में कितने डॉक्टर पदस्थ हैं और कितने डॉक्टरों के पद रिक्त हैं? (ख) अगर रिक्त पद हैं तो कब तक इन्हें भरा जायेगा? (ग) क्या इन हॉस्पिटलों में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं, जिसकी वजह से मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है? यदि हाँ, तो यह कब तक उपलब्ध कराई जायेंगी?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित संस्थाओं में द्वितीय श्रेणी चिकित्सकों के सभी पदों पर चिकित्सक पदस्थ हैं। प्रथम श्रेणी के पद रिक्त हैं, प्रथम श्रेणी के पद 100 प्रतिशत पदोन्नति के पद हैं वर्ष 2016 से पदोन्नति प्रकरण माननीय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन होने से पदोन्नति/पदपूर्ति नहीं की जा सकी। (ग) नालछा, धरमपुरी और धामनोद सरकारी हॉस्पिटल में मूलभूत सुविधायें उपलब्ध हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री पांचीलाल मेड़ा-- अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र धरमपुरी में मुंबई आगरा रोड निकलता है और उस बम्बई आगरा रोड पर गणेश घाट एक खतरनाक घाट है जहां पर आए दिन एक्सीडेंट होते रहते हैं और यह रोड जब से चालू हुआ है तब से लेकर अभी तक कम से कम पांच सौ मौतें हो चुकी हैं और यह मौतें इसलिए हुईं कि कहीं न कहीं टेक्निकल समस्या की वजह से रोड गलत बना है और उसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत जो इलाज होना चाहिए उसके लिए धामनोद के अस्पतालों डॉक्टरों की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से यह समस्या होती है क्योंकि वहां से मरीज को इंदौर रेफर करना पड़ता है तो वहां पर ट्रामा सेंटर होना चाहिए. मैं मंत्री जी से यह निवेदन करता हूं.
श्री तुलसीराम सिलावट-- अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदस्य ने जो कहा है कि मुंबई आगरा रोड है और मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि जो पीड़ा और जो कष्ट एक सजग जागरुक विधायक को होना चाहिए वह है परंतु मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि आपने जो प्रश्न किया था उसमें से बहुत सारे उत्तर तो मैं दे चुका हूं कि आपकी विधान सभा में जो धरमपुरी से लेकर नालछा, धरमपुरी, धामनोद शासकीय चिकित्सालयों में द्वितीय श्रेणी के 14 डॉक्टर पदस्थ हैं.
और कोई भी द्वितीय श्रेणी के चिकित्सक का पद वहां रिक्त नहीं है. विधान सभा धरमपुरी के शासकीय चिकित्सालयों में 3 पी.जी. चिकित्सक पदस्थ हैं. डॉक्टर जोशी विशेषज्ञ के रूप में कार्य कर रहे हैं. जहां तक प्रथम श्रेणी के चिकित्सकों की बात है तो हम सभी जानते हैं कि उच्चतम न्यायालय में यह प्रकरण लंबित है और प्रथम श्रेणी के पद 100 प्रतिशत पदोन्नति पर आधारित है. जैसे ही उच्चतम न्यायालय में इस प्रकरण का निराकरण हो जायेगा, अतिशीघ्र इन पदों की पूर्ति की जायेगी. इसके अतिरिक्त मैं आपकी जानकारी के लिए यह बताना चाहता हूं कि धार जिले में अभी तक के इतिहास में 70 चिकित्सकों की पदस्थापना आपकी सरकार के द्वारा की गई है. जिनमें 19 चिकित्सक पी.एस.सी. के माध्यम से, 22 बंध-पत्र के माध्यम से और 29 चिकित्सकों की पदस्थापना एन.एच.एम. के माध्यम से की गई है. विधायक जी, द्वारा ट्रामा सेंटर की बात कही गई है, उस पर भी विचार किया जायेगा.
श्री पांचीलाल मेड़ा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि माण्डू मेरे विधान सभा क्षेत्र में आता है और माण्डू एक ऐतिहासिक नगरी होने के वजह से देश-विदेश के पर्यटक वहां आते हैं. वहां केवल एक चिकित्सक की पदस्थापना है. मैं चाहता हूं कि वहां एक और चिकित्सक की व्यवस्था की जाये जिससे कि वहां से मरीजों को धार अथवा इंदौर रेफर न करना पड़े.
दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में नालछा ब्लॉक एक आदिवासी ब्लॉक है लेकिन वहां कोई महिला चिकित्सक नहीं है. जिसके कारण वहां के आदिवासियों को प्रसूति हेतु धार जाना पड़ता है. महिला चिकित्सक की व्यवस्था बगड़ी में भी नहीं है. इसलिए मेरा निवेदन है कि माण्डू और नालछा में चिकित्सकों हेतु आवास की व्यवस्था होनी चाहिए और विशेषकर प्रसूति हेतु, महिला चिकित्सक की आवश्यकता है. अत: वहां महिला चिकित्सक की व्यवस्था की जाये.
श्री तुलसीराम सिलावट- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की आत्मा आदिवासी है. ''मुख्यमंत्री सुषेण योजना'' मध्यप्रदेश के इतिहास में हमने पहली बार प्रारंभ की. 89 आदिवासी ब्लॉक में आदिवासियों को सुविधायें देने के लिए यह योजना प्रारंभ की गई है. विधायक जी की जैसी मंशा है, जो उनकी इच्छा है, जो आपकी अभिलाषा है, उसके लिए हम कोशिश करेंगे कि मिल-जुल कर किस प्रकार से इस कमी को दूर किया जाये क्योंकि माण्डू वाकई में एक पर्यटक स्थल है, उसका अपना एक मान-सम्मान है.
श्री पांचीलाल मेड़ा- धन्यवाद.
परासिया विधानसभा क्षेत्रांतर्गत शास. इंजीनियरिंग महाविद्यालय की स्वीकृति
[तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोज़गार]
6. ( *क्र. 974 ) श्री सोहनलाल बाल्मीक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या परासिया विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत एकमात्र शास. पॉलिटेक्निक महाविद्यालय परासिया (खिरसाडोह) में संचालित होने से आवश्यकता की दृष्टि से विद्यार्थियों की सुविधा हेतु शास. पॉलिटेक्निक महाविद्यालय परासिया (खिरसाडोह) के परिसर में राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से वित्त पोषित शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय की स्थापना कराई जायेगी? (ख) प्रश्नांश (क) में शासकीय इंजीनियर महाविद्यालय की स्थापना कराये जाने के संबंध में प्रश्नकर्ता द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी को प्रेषित पत्र पर विभाग द्वारा अभी तक क्या-क्या कार्यवाही की गई है? (ग) क्या विद्यार्थियों की अध्ययन संबंधी सुविधाओं को देखते हुए, उक्त इंजीनियरिंग महाविद्यालय की स्वीकृति प्रदान की जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री कमल नाथ ) : (क) वर्तमान में कोई प्रस्ताव स्वीकृत नहीं है। (ख) प्रकरण में निर्णय विचाराधीन है। (ग) निर्णय उपरान्त कार्यवाही की जायेगी।
श्री सोहनलाल बाल्मीक- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मेरे विधान सभा क्षेत्र से संबंधित है. वहां एक शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय संचालित है. वर्तमान में इसमें लगभग 1200 छात्र-छात्रायें अध्ययनरत् हैं. पॉलिटेक्निक महाविद्यालय में अध्ययन करने के पश्चात् वे आगे पढ़ना चाहते हैं, जिसके कारण उन्हें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहां इंजीनियरिंग कॉलेज न होने के कारण वे आगे पढ़ने के लिए जिले से बाहर या प्रदेश से बाहर जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं. मेरा प्रश्नांश (क) यह था कि क्या पॉलिटेक्निक महाविद्यालय के बाद वहां पर इंजीनियरिंग कॉलेज खोला जायेगा ? जिसका मुझे जवाब मिला कि वर्तमान में कोई प्रस्ताव स्वीकृत नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैं भी यह जानता हूं कि वर्तमान में कोई प्रस्ताव स्वीकृत नहीं है इसलिए मैंने यह प्रश्न लगाया है कि क्या इस प्रस्ताव को स्वीकृत किया जायेगा ?
मेरे प्रश्नांश (ख) पर मुझे मंत्री जी से जवाब प्राप्त हुआ है कि प्रकरण में निर्णय विचाराधीन है और इसी तरीके से मेरे प्रश्नांश (ग) में जवाब दिया गया है कि निर्णय उपरांत कार्यवाही की जायेगी. मेरा प्रश्न यह है कि वर्तमान में प्रस्ताव स्वीकृत नहीं है तो क्या प्रस्ताव स्वीकृत कराये जायेंगे ? प्रकरण विचाराधीन है तो कब तक विचार करके इस प्रकरण को स्वीकृति प्रदान की जायेगी ?
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि विधायक जी ने पूछा है कि उनके विधान सभा क्षेत्र परासिया के खिरसाडोह में पॉलिटेक्निक महाविद्यालय है और वे उसी परिसर में इंजीनियरिंग कॉलेज चाहते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज छिंदवाड़ा में है जो कि 300 छात्रों की क्षमता वाला कॉलेज है लेकिन उसमें मात्र 91 छात्रों का एडमिशन हुआ है. अब इंजीनियरिंग कॉलेजों में लगभग 50 प्रतिशत भी एडमिशन नहीं हो रहे हैं. छिंदवाड़ा हेतु एक और इंजीनियरिंग कॉलेज प्रस्तावित है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि छिंदवाड़ा माननीय मुख्यमंत्री जी का जिला है और परासिया पॉलिटेक्निक परिसर में जो इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रस्ताव माननीय सदस्य सोहनलाल बाल्मीक जी के द्वारा आया है तो हम इस पर विचार करेंगे और इस कार्यवाही को आगे बढ़ायेंगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक:- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी थोड़ा समय-सीमा बता देंगे कि कब तक विचार करके निर्णय ले लिया जायेगा, ताकि मैं भी इस बात से संतुष्ट हो जाऊं, ऐसा कुछ विचार है ?
अध्यक्ष महोदय:- विचार का कोई समय नहीं होता है. विचार असीमित होते हैं, पता नहीं कहां तक चले जायें, फिर भी बच्चन जी देख लीजिये.
श्री बाला बच्चन:-अध्यक्ष महोदय, बहुत जल्द विचार कर लिया जायेगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक:- जल्दी की भी तारीख तय कर लीजिये ?
अध्यक्ष महोदय:- चलिये बैठ जाइये, धन्यवाद.
जिला सह. बैंक होशंगाबाद के कालातीत/माफ किए गए ऋण
[सहकारिता]
7. ( *क्र. 530 ) श्री विश्वास सारंग : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्न दिनांक को जिला सहकारी बैंक होशंगाबाद का कालातीत ऋण लगभग 243 करोड़ रूपये हो गया है? यदि हाँ, तो इसमें से कृषि ऋण और अकृषि ऋण कितना-कितना है? (ख) प्रश्नांश (क) के तहत क्या पिछले वर्ष 2018 तक लगभग 50 करोड़ रूपये अकृषि ऋण था जिसमें से लगभग 12 करोड़ रूपये की वसूली हो चुकी थी? शेष लगभग 38 करोड़ रूपये ऋण था? (ग) प्रश्नांश (क) व (ख) के तहत क्या कालातीत किसानों का वर्ष 2009 से मार्च 2017 तक का कृषि ऋण लगभग 260 करोड़ रूपये था और पिछली सरकार ने वर्ष 2017-18 में ब्याज का लगभग 70 करोड़ रूपया माफ कर समितियों द्वारा किसानों को प्रमाण-पत्र दिये गये थे? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) व (ग) के तहत क्या सरकार ने कालातीत किसानों का कर्ज और वित्तीय वर्ष 2018-19 का रेग्युलर किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी? यदि हाँ, तो क्या कर्ज माफ हो गया है? यदि हाँ, तो बैंक का वसूली योग्य ऋण प्रश्न दिनांक को कितना है?
सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित, होशंगाबाद का दिनांक 31.03.2019 की स्थिति पर कालातीत ऋण राशि रू. 34,279.82 लाख है, जिसमें से कृषि ऋण राशि रू. 24,759.57 लाख, अकृषि ऋण राशि रू. 2840.75 लाख तथा संस्थाओं की साख सीमा राशि रू. 6679.50 लाख है। (ख) जी नहीं। गत वर्ष दिनांक 31.03.2018 की स्थिति पर अकृषि ऋण राशि रू. 3298.68 लाख शेष था, जिसमें से दिनांक 31.03.2019 तक राशि रू. 74.10 लाख की वसूली होकर राशि रू. 3224.57 लाख शेष है। वर्तमान स्थिति दिनांक 29.11.2019 पर अकृषि ऋणों में राशि रू. 204.18 लाख की वसूली होकर राशि रू. 3020.39 लाख बकाया शेष है। (ग) जी नहीं। दिनांक 31.03.2017 पर कुल 30,226 कालातीत कृषक सदस्यों पर राशि रू. 3950.00 लाख कृषि ऋण शेष था। मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना के अंतर्गत वर्ष 2017-18 में 14,333 सदस्य किसानों को ब्याज माफी राशि रू. 2724.00 लाख का लाभ दिया गया। (घ) जी नहीं। जय किसान फसल ऋण माफी योजना के अंतर्गत बैंक कार्य क्षेत्र के कुल 46,606 कृषक सदस्यों का राशि रू. 13258.34 लाख का ऋण माफ हुआ है। दिनांक 30.11.2019 पर राशि रू. 32245.32 लाख का ऋण बकाया है।
श्री विश्वास सारंग:- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि इन्होंने प्रश्न के उत्तर में कहा है कि होशंगाबाद बैंक में 132 करोड़ रूपये का किसानों का कर्जा माफ हुआ है. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि 1 अप्रैल, 2019 से 30 नवम्बर, 2019 तक बैंक ने कितना ऋण बांटा ?
डॉ. गोविन्द सिंह:- आपने पहले प्रश्न में तो यह पूछा ही नहीं था कि कितना ऋण बांटा. आपने पूछा था कि 31 दिसम्बर तक.. वैसे हमने पहले ही लिख दिया है. (हंसी)
श्री विश्वास सारंग:- अध्यक्ष महोदय, मैंने जो पूछा वही सुनूंगा. अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आपने 132 करोड़ रूपये का ऋण माफ किया तो मैं आपसे यह निवेदन करना चाहता हूं कि उसके बाद 1 अप्रैल, 2019 से 30 नवंबर , 2019 तक आपने बैंक से ऋण बांटा तो कितने किसानों का बांटा ? क्योंकि 132 करोड़ रूपये यदि माफ हो गये तो सभी किसान पात्र हो गये और यदि पात्र हो गये तो फिर आपने ऋण बांटा या नहीं बांटा ?
डॉ. गोविन्द सिंह:- अध्यक्ष महोदय, विधायक जी ने जो प्रश्न किया है, मैं उसका पूरा उत्तर दे रहा हूं. पहली बात तो यह है कि आप भी सहकारिता मंत्री रहे हैं तो आपको यह ज्ञान होना चाहिये कि जो वित्तीय पत्रक बनते हैं वह 31 मार्च तक के बनते हैं न कि 31 दिसम्बर या 31 नवम्बर तक के बनते हैं. इसलिये पहले तो सही आंकड़े नहीं आ पाते हैं, लेकिन फिर भी....
श्री विश्वास सारंग:- माननीय मंत्री जी, मैं तो स्पेसिफिक पूछ रहा हूं कि 1 अप्रैल, 2019 से 30 नवम्बर, 2019 तक कितना ऋण बांटा. अध्यक्ष महोदय, सीधी-सीधी बात है कि इस मध्यप्रदेश में कर्ज माफी के नाम पर सरकार ने किसानों के साथ छलावा किया है, कहीं कर्ज माफी नहीं हुई है, यह केवल आंकड़ों की बाजीगरी हुई है. कभी नीला फार्म, कभी पीला फार्म, कभी हरा फार्म, केवल पात्र हैं कि अपात्र हैं की सूची. (व्यवधान)
श्री जीतू पटवारी:- विश्वास सारंग के घर कर्ज माफी की सूची पहुंचायेंगे.. (व्यवधान).. आपका प्रश्न क्या और आप बोल क्या रहे हैं. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- अध्यक्ष महोदय, यह केवल होशंगाबाद बैंक का मामला नहीं है, पूरे प्रदेश में यही हुआ है, झूठ और फरेब की सरकार चल रही है. केवल किसानों के साथ छलावा हो रहा है. एक भी किसान का कर्जा माफ नहीं हुआ है, इसीलिये मंत्री जी जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि एक भी किसान का कर्जा मध्यप्रदेश में माफ नहीं हुआ है, कांग्रेस की सरकार अपने वचन-पत्र का एक भी वादा पूरा नहीं किया है. कांग्रेस की सरकार ने किसान के साथ छलावा किया है. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह:- आप एक बात सुनो, आप बैठ जायें आप मेरी बात सुनना नहीं चाहते हैं.
श्री जीतू पटवारी:- आपके घर और ऑफिस में पूरा पत्रक जायेगा... (व्यवधान) .... उसको जवाब दिया जायेगा.
श्री विश्वास सारंग:- अध्यक्ष महोदय, जीतू पटवारी को बैठा दीजिये. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप रूक जाइये, मंत्री जी खड़े हैं मंत्री जी को जवाब देने दीजिये.
डॉ.गोविन्द सिंह:-अध्यक्ष महोदय, 1 अप्रैल, 2019 से अभी तक 122 करोड़ रूपये का ऋण बंटा है. मैं आपको पूरी होशंगाबाद जिले की पूरी स्थिति बता देता हूं, आप कह रहे हैं कि ऋण माफ नहीं हुआ है. अब आप सुनिये 31.3. 19 तक कुल 342 करोड़ रूपये का ऋण था. कालातीत ऋण था आपने पूछा है 247.49 लाख. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, घड़ी आगे चल रही है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप मंत्री जी का उत्तर सुन तो लो. (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, आपने समाधान योजना में जो ऋण माफ किया था वह भी किसानों को नहीं दिया था. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--सारंग जी आप बैंठे तो. मंत्री जी मैं सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध कर रहा हूं प्रश्नकर्ता को प्रश्न करने दीजिये. उत्तर देने वाले मंत्री जी को उत्तर देने दीजिये. माननीय गोविन्द सिंह जी पहली, दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवीं ही नहीं आठवीं बार के विधायक रहे हैं वह परिपक्व मंत्री हैं. आप लोग जरा धीरज तो रखिये मंत्री जी का उत्तर न तो मैं सुन पा रहा हूं न ही आप लोग सुन पा रहे हैं बीच में पता नहीं कौन कौन सी बातें होने लगती हैं और जो मूल प्रश्नकर्ता हैं उनसे भी मेरा अनुरोध है कि आप धैर्य रखिये. यशपाल जी आप सीट चेक करिये. पहले प्रश्न का पूरा उत्तर आ जाने दीजिये, फिर दूसरा प्रश्न करिये. धीरज से करिये कोई दिक्कत नहीं है. हम सब लोग यहां पर बैठे हैं. चलिये मंत्री जी.
डॉ.गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, आप जो पूछ रहे हैं कि होशंगाबाद जिले में 132 करोड़ 58 लाख का कर्ज हमने माफ किया है. आपका कहना यह है कि आपने पूरा कर्जा माफ नहीं किया है इसको मैं स्वीकार करता हूं, लेकिन पूरा किसान का कर्जा माफ करेंगे. आज से 1 लाख रूपये तक का ऋण करेंगे.
11.52 बजे बहिर्गमन
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का सटीक उत्तर नहीं आ रहा है इन्होंने अपने घोषणा पत्र में जो वायदा किया था 2 लाख रूपये तक का कर्ज माफ करने का आपने असत्य वायदा किया था आपका उत्तर सत्य नहीं है हम इसके विरोध में सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(माननीय नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में माननीय मंत्री जी के उत्तर से असंतुष्ट होकर भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया.)
अध्यक्ष महोदय--आप मंत्री जी प्रश्न का जवाब दें.
डॉ.गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने समाधान योजना के तहत किसानों का कर्जा माफ किया था वह ऋण भी आप लोगों ने नहीं चुकाया. समाधान योजना का ऋण भी हमने 11 करोड़ रूपये चुकाया है, हम उसको दे रहे हैं. अभी हम लोग पांच साल के लिये हैं हम बांटेंगे. क्या एक दिन में दे दें आप लोग खजाना खाली करके चले गये. अब हम किसानों को पहले 1 लाख रूपये तक का देंगे.
अध्यक्ष महोदय--गोविन्द सिंह जी, जहां तक मैं सुन पा रहा हूं आपने कहा है कि हमने अभी 50 हजार के नीचे के कर दिये हैं आज से आप 1 लाख रूपये के कर्ज माफ करने जा रहे हैं मैंने ऐसा सुना है.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, सही सुना है. हां 1 लाख रूपये तक के माफ करेंगे और अप्रैल के बाद हम लोग 2 लाख रूपये की प्रक्रिया को चालू करेंगे. 1 अप्रैल 2020 से आप लोगों को तो अखबारों में छपवाने की लगी थी तो इसको छपवाओ.
अध्यक्ष महोदय--ठीक है. प्रश्न क्रमांक 8 डॉ.साहब आप विराजिये.
डॉ.गोविन्द सिंह--आपने तो समाधान योजना का ऋण भी नहीं दिया उसको भी हमने चुकाया है.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न क्रमांक 8 माननीय भार्गव जी.
प्रदेश में स्थापित उद्योगों की संख्या
[औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन]
8. ( *क्र. 1295 ) श्री गोपाल भार्गव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में 1 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक कितने उद्योग स्थापित हुए हैं? ब्यौरा दें एवं इन उद्योगों में कितने लोगों को रोजगार दिया गया है? (ख) क्या प्रदेश में निवेश लाने की दृष्टि से जनवरी 2019 में मान. मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ प्रदेश के अधिकारियों के साथ दावोस यात्रा पर गए थे? उक्त यात्रा के बाद प्रश्न दिनांक तक इस यात्रा के माध्यम से कितने उद्योग स्थापित हुए एवं कितना निवेश मध्यप्रदेश में आया है? (ग) इंदौर में अक्टूबर 2019 में मैग्निफिसेंट मध्यप्रदेश का इंदौर में आयोजन किया गया था, इस आयोजन में कितनी राशि व्यय हुई एवं इस आयोजन में कितने निवेशकों के एम.ओ.यू. निष्पादित हुए हैं? विवरण दें। एम.ओ.यू. में उद्योग धंधे लगाने की समय-सीमा क्या है?
मुख्यमंत्री ( श्री कमल नाथ ) : (क) प्रदेश में 01 जनवरी, 2019 से माह अक्टूबर, 2019 तक कुल 25 वृह्द उद्योग स्थापित हुए हैं एवं इन उद्योगों में कुल 13740 व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ, मध्यप्रदेश में निवेश प्रोत्साहन एवं प्रदेश के संसाधनों की देश एवं विदेशों में मार्केटिंग तथा मध्यप्रदेश की ब्रांडिग एवं प्रदेश में उपलब्ध निवेश के अवसरों से निवेशकों को अवगत कराये जाने के उदे्दश्य से जनवरी 2019 में माननीय मुख्यमंत्रीजी के नेतृत्व में उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मण्डल द्वारा दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के वार्षिक सम्मेलन में भाग लिया गया था। माननीय मुख्यमंत्रीजी के नेतृत्व में प्रतिनिधि मण्डल एवं अन्य की यात्राएं विदेश में मध्यप्रदेश ब्रांड स्थापित करने तथा उद्योग स्थापना के लिए मध्यप्रदेश राज्य को आकर्षक गंतव्य के रूप में प्रचारित करने के प्रयोजन से की जाती है। इसके अंतर्गत सम्भावित निवेशकों के साथ सेमीनार तथा वन टू वन मीटिंग का आयोजन किया जाता है। प्रदेश में पूंजी निवेश आना निरंतर प्रक्रिया है, अत: किसी यात्रा विशेष के परिप्रेक्ष्य में निवेश के बारे में ठोस आंकड़े दिया जाना संभव नहीं है। (ग) मैग्नीफिसेंट मध्यप्रदेश 2019 के आयोजन में हुये व्यय के संबंध में नेशनल पार्टनर-सीआईआई द्वारा लेखा परीक्षित विवरण प्रस्तुत किये जा रहे हैं। सीआईआई द्वारा लेखा परीक्षित विवरण प्रस्तुत किये जाने के उपरांत ही आयोजन में हुये व्यय के संबंध में विवरण दिया जा सकेगा। उक्त आयोजन में औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग द्वारा किसी निवेशक के साथ एमओयू निष्पादित नहीं हुये हैं।
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह कहा है कि 1 जनवरी, 2019 से अक्टूबर 2019 तक 25 वृहद उद्योग स्थापित हुए हैं इन उद्योगों में 13 हजार 740 व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त है. मैं जानना चाहता हूं कि क्या यह नये उद्योग हैं या उद्योगों का ही विस्तार किया है ? इसके बारे में जानकारी दें.
श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय, उद्योग एक दिन में नहीं लगता उद्योग लगाने की निरंतर प्रक्रिया होती है. आपका प्रश्न बड़ा स्पेसिक था कि 1 जनवरी, 2019 से अक्टूबर 2019 तक नये कितने उद्योग लगे उसमें 25 वृहद उद्योग लगे हैं उसमें 13 हजार 740 लोगों को रोजगार मिला है.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, स्थापित हुए हैं नये उद्योग.
श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय जी हां नये उद्योग.
श्री गोपाल भार्गव--आपने एक्सटेंशन के बारे में परिशिष्ट में लिखा है. इनको हमने एक्सटेंशन किया है.
वित्त मंत्री(श्री तरूण भनोत) - एक्सटेंशन का मतलब ही नया उद्योग होता है, जो निवेश आता है, किसी उद्योग में यही तो परिपाटी रही है कि अगर कोई उद्योग स्थापित हुआ है, उसमें एक राशि लगी, उसके बाद अगर वह एक्सटेंशन करना चाहते हैं और सरकार की योजनाओं का लाभ लेना चाहते हैं तो उनको नये उद्योग की श्रेणी मे ही माना जाता है. एक्सटेंशन नया स्टेबलिशमेंट ही है.
श्री गोपाल भार्गव - ये एक्सटेंशन की प्रक्रिया कब से शुरू हो गई थी, इसकी जानकारी दे दीजिए.
श्री नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, आप बता दें न्यू और एक्सटेंशन में कोई अंतर है क्या, अध्यक्ष जी आप ही कृपा कर दें.
अध्यक्ष महोदय - नरोत्तम जी, जब दो विद्वान आपस में चर्चा करते हैं तो हमें बीच में नहीं पड़ना चाहिए. (...हंसी)
श्री तरूण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, चाहे दो विद्वान हो या चार विद्वान हो, अंत में व्यवस्था तो आप ही की होती है, सारी विद्वता रखी रह जाती है. आप तो तय कर ही देते हैं(...हंसी) माननीय नेता प्रतिपक्ष ने जो पूछा है मैं उनकी भावना को समझ रहा हूं, लेकिन आपने जो स्पेसिफिक प्रश्न पूछा था, उसका जवाब यही है कि मध्यप्रदेश में 25 वृहद उद्योग 1 जवरी 2019 से अक्टूबर 2019 तक अस्तित्व में आए और इससे 13740 लोगों को रोजगार मिला है और इनकी पूरी जानकारी हमने आपको उपलब्ध कराई. किस उद्योग के माध्यम से किन किन लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है वह जानकारी भी आपको उपलब्ध करा दी है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यह बताएं कि कितने राशि तक के उद्योग को वृहद उद्योग की श्रेणी में लाया जाता है.
श्री तरूण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की जो इंडस्ट्रियल पालिसी है उसके तहत अभी हम लोगों ने जो निर्णय लिए हैं उसमें 400 करोड़ रूपए तक के जो उद्योग थे, मैं आपको सिर्फ उसकी जानकारी दे रहा हूं जो मध्यप्रदेश शासन की उद्योग नीति है, उसके तहत जिन उद्योगों को हम लाभ देते हैं, उसकी हमने जानकारी दी है, जो नीति के मुताबिक सरकार से समय समय पर नीति के अंतर्गत जो प्रावधान है, उसमें लाभ लेते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, मेरे प्रश्न के 'ख' के उत्तर में माननीय मुख्यमंत्री जी ने बताया है, जिसका उत्तर हमारे वित्तमंत्री जी दे रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैंने पूछा था कि मध्यप्रदेश में निवेश लाने की दृष्टि से वर्ष 2019 में माननीय मुख्यमंत्री जी ने अधिकारियों के साथ दावोस की यात्रा की थी. इसके बारे मे यह ब्यौरा नहीं दिया गया कि इस यात्रा में कितना व्यय हुआ, न ही आपने जो इंदौर में जो मैग्निफिसेंट जिसके बड़े बड़े होर्डिंग, बैनर, पब्लिसिटी, मध्यप्रदेश और मध्यप्रदेश के बाहर भी देश में और देशान्तर भी आपने प्रचारित की थी. मैं यह जानना चाहता हूं कि इस आयोजन पर कितना व्यय हुआ और आपके मुख्यमंत्री जी के और उनके साथ जो भी अधिकारी गए हो उनकी दावोस यात्रा पर कितनी राशि व्यय हुई और उसके व्यय करने के फलतार्थ क्या हुए, कितनी राशि के उद्योग मध्यप्रदेश में आए, कितने उद्योग लगे, कितनी राशि के इंदौर में एमओयू हुए, कितनी राशि के दावोस जाने पर एमओयू हुए.
श्री तरूण भनोत - अध्यक्ष जी, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जो पूछा है, उसके प्रश्न में दावोस यात्रा के बारे में पूछा है,
अध्यक्ष महोदय - नहीं पूछा.
श्री तरूण भनोत - उस यात्रा में कौन कौन गए थे यह भी हमने आपको जानकारी दी है, उस पर कितना खर्च हुआ दावोस के ऊपर.
अध्यक्ष महोदय - नहीं उसमें उद्भूत नहीं हो रहा.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, समय कम है. दोनों के व्यय के बारे में बता दें.
श्री तरूण भनोत - मैं आपको जवाब दे दूंगा, सुन लीजिए. दावोस यात्रा के बारे में स्पेसिफिक कितना व्यय हुआ यह प्रश्न में नहीं पूछा गया, फिर भी इस यात्रा में कितना व्यय हुआ मैं इसकी जानकारी आपको उपलब्ध करवा दूंगा. जहां तक मैग्निफिसेंट मध्यप्रदेश की आपने बात की कि कितने उद्योग इसके माध्यम से हुए, कितने एमओयू हुए, तो बड़ा स्पष्ट हमारी सरकार ने किया था, माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया था, पद भार ग्रहण करते ही कि हम किसी भी प्रकार के कोई एमओयू साइन करने वाले नहीं है, हम तो धरातल पर रहकर कार्य करेंगे. समय समय पर जिस प्रकार की जो उद्योगों की संभावना मध्यप्रदेश में होगी, उनसे चर्चा करके और उनको स्थापित करेंगे. इसमें सीआईआई हमारा पार्टनर था मैग्निफिसेंट मध्यप्रदेश में, उनका लेखा परीक्षण अभी नहीं हुआ है, वह आ जाए उनकी ऑडिट के पूरे खर्चें की रिपोर्ट तो वह भी रख देंगे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, अखबार भरे पड़े हैं कि 30 हजार करोड़ रूपए का निवेश, एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा, प्रोजेक्ट लाओ, शुरू करों, तीन साल मंजूर, नहीं देखेंगे सी.एम. सीमेंट, आईटी, फार्मा, फूड प्रोसेसिंग, सेक्टर में 74 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा के निवेश के 52 प्रस्ताव. ये कहां से, किसके प्रकाशन से, किसके एमओयू से, आप स्वीकार करें न कि कोई एमओयू नहीं हुआ. 1 लाख करोड़ रूपए की बात की गई थी कि इंदौर की मैग्निफिसेंट में आपने 1 लाख करोड़ रूपए के एमओयू किए हैं, आज तक धरातल पर एक रूपए का भी नहीं आया, और दावोस के बारे में चर्चा करूंगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, 5 मिनट देर से शुरू हुआ था. (...हंसी) अध्यक्ष महोदय, इसके लिए सप्लीमेंट होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - इस पर विचार करूंगा, धन्यवाद नेता प्रतिपक्ष जी (...हंसी)
प्रश्नकाल समाप्त
12.00 बजे नियम-267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्न माननीय सदस्यों की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
क्र. सदस्य का नाम
1. श्री सुभाष रामचरित्र
2. श्री आशीष गोविंद शर्मा
3. श्री विक्रम सिंह
4. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया
5. श्री दिलीप सिंह गुर्जर
6. श्रीमती सुमित्रा देवी कास्डेकर
7. श्री कुंवर जी कोठार
8. इंजी. प्रदीप लारिया
9. डॉ. सीतासरन शर्मा
10. श्री विश्वास सारंग
12.01 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय देश में पत्रकारिता के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय है. हमें गर्व है कि इस विश्वविद्यालय से पढ़े हुए विद्यार्थी, आज समाचार-पत्रों एवं न्यूज चैनलों में बड़े प्रमुख पदों पर हैं. लेकिन मैं बड़ी तकलीफ के साथ कह रहा हूँ कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने जब अपनी मांगों को लेकर पहले शांतिपूर्वक ज्ञापन दिया था, उनकी मांग पूरी नहीं हुईं तो उन्होंने 13 दिसम्बर को धरना दिया था और धरने में वे कोई तोड़-फोड़ नहीं कर रहे थे, अशांति नहीं फैला रहे थे, अपनी मांगों की तरफ ध्यान आकर्षित करने का काम कर रहे थे. पुलिस ने उनको निर्जीव वस्तु की तरह बर्बरतापूर्वक पीटा, उनको उठा-उठाकर सीढि़यों से नीचे फेंक दिया गया, एक विद्यार्थी के हाथ में फ्रैक्चर हो गया, एक विद्यार्थी की अंगुली टूट गई, एक विद्यार्थी की नाक से खून बह रहा था, यहां तक कि उनको अस्पताल भी नहीं ले जाया गया. अध्यक्ष महोदय, बाद में पुलिस ने परिसर खाली कराने की चेतावनी दी और विद्यार्थियों को वहां पर मार-मार कर खदेड़ा और वहां से 20 किलोमीटर दूर बिलखिरिया थाने ले गये.
अध्यक्ष महोदय - शिवराज जी, एक मिनट. माननीय मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट जी, श्री सुनील सराफ जी, मर्सकोले जी एवं माननीय मंत्री श्री सज्जन सिंह जी कृपापूर्वक अपने स्थान पर बैठें.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, उन विद्यार्थियों से आतंकवादियों की तरह सलूक किया गया, जो भविष्य में पत्रकार बनने वाले हैं. उनको आतंकवादियों की भांति चैक किया गया, 20 किलोमीटर दूर थाने में ले जाया गया और बाद में देर रात्रि उनको छोड़ा गया. अगर कुछ विद्यार्थी माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में जायज मांगें उठाते हैं तो क्या उनकी आवाज दबाई जाएगी, क्या उनको क्रूरतापूर्वक क्रश किया जायेगा ? उनकी जायज मांगों की आवाज उठाने के कारण 25 विद्यार्थियों पर एफआईआर दर्ज करा दी गई. हम पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों पर एफआईआर दर्ज करवाएंगे और अन्याय की अति तो तब हो गई, जब 23 विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया, बाहर निकाल दिया गया, उनके भविष्य को बर्बाद और चौपट कर दिया गया. यह अन्याय की अति है, यह जुल्म की पराकाष्ठा है, आखिर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की अपनी साख है, वहां के विद्यार्थियों के साथ इस तरह का व्यवहार पूरी तरह से असहनीय है और इसलिए मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ कि उन पर दर्ज एफआईआर वापस ली जाये और सभी विद्यार्थियों का निष्कासन समाप्त करके, फिर से उनकी मांगें सुनी जाये और उन्हें विश्वविद्यालय में पढ़ने दिया जाये. वे पत्रकारिता के क्षेत्र में भविष्य बनाएंगे, उनके साथ इस तरह का अन्याय किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए. यही मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया) - अध्यक्ष महोदय, मैं आधा मिनट लूँगा.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, हमें भी सुन लें. जामिया मिलिया ......
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हम उसका भी जवाब देंगे आपको. माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश के अन्दर किसानों में खाद के लिए हाहाकार मचा हुआ है. अगर प्रदेश में खाद नहीं है तो ब्लैक में कैसे मिल रही है ?
अध्यक्ष महोदय - डॉ. नरोत्तम जी, नरोत्तम जी....
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, अगर ब्लैक में मिल रही है तो किसानों को कैसे नहीं मिल रही है ?
अध्यक्ष महोदय -- डॉ. नरोत्तम मिश्र जी आपने सूचना दे दी थी, आप आज की कार्य सूची पढि़ये नियम 139 के अधीन हमने इस विषय को चर्चा के लिये रखा है, जब चर्चा होगी, तब आप इस पर बोलियेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, आप मेरी बात सुने नियम 139 की चर्चा और स्थगन दोनों का अपना अलग-अलग महत्व होता है. आज प्रदेश के अंदर किसान लाठी खा रहा है, वह बीबी-बच्चों के साथ लाईन में बैठा हुआ है और हम 139 की चर्चा करेंगे. किसान पिट रहा है और किसान को पीट रही है और खाद्य की (XXX) सरकार करा रही है, यह मेरा आरोप है. सरकार (XXX) करा रही है.(व्यवधान).......
खेल और युवा कल्याण मंत्री (श्री जितू पटवारी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX) या 20 और 80 के दशक से सरकारी समितियों पर 80 प्रतिशत ....(व्यवधान).....50 प्रतिशत से प्रायवेट सेक्टर से बिकता था, यह आप करते थे, (XXX) आपका काम है .......(व्यवधान).......
अध्यक्ष महोदय -- इस शब्द को विलोपित कर दिया जाये. नेता प्रतिपक्ष जी आप बोलें. (व्यवधान).......
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो हमारे वरिष्ठ नेता आदरणीय नरोत्तम जी ने यूरिया के संबंध में और दूसरे फर्टिलाइजर्स के संबंध में बात की है, वह बहुत ही लोक महत्व का प्रश्न है. इस समय यह किसानों के लिये बहुत ही लोक महत्व का विषय है. यह किसानों के लिये सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला लोक महत्व का विषय बन गया है. इस पर हम चाहते हैं कि तात्कालिक रूप से स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा कराई जाये. अध्यक्ष महोदय, आपने इस संबंध में 139 के अधीन चर्चा कराने के लिये स्वीकार किया है, लेकिन जिस प्रकार से यह विषय है और जिस प्रकार से इस विषय की गंभीरता है और जिस प्रकार से यह तात्कालिक परेशानी है और इसके महत्व को देखते हुये हम चाहते हैं कि इस पर स्थगन सूचना के माध्यम से ही चर्चा कराई जाये. दूसरा विषय जो हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी और हमारे वरिष्ठ नेता आदरणीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के बारे में कहा है, वह बहुत ही गंभीर बात है राजधानी में यहां पर छात्रों के लिये ऐसे छात्र जो बुद्धिजीवी छात्र हैं, ऐसे छात्रों के लिये जो देश और संसार के बारे में दुनिया को जानकारियां देने के लिये तैयार हो रहे हैं, उन छात्रों के ऊपर लाठी चार्ज कराना, उनके साथ में अमानवीय कृत्य करना और उनके ऊपर फौजदारी दफायें लगाकर उनको जेल में भेजना, जेल में बंद करना और दस छात्रों के ऊपर तो धारायें लगाई हैं, साथ में सत्ताईस छात्रों को भी आरोपित किया जा रहा है, यह बहुत ही ज्यादा, बहुत ही ज्यादा आपत्तिजनक है. मुझे जो जानकारी है कि वहां के शिक्षण विभाग के एक दो लोग देश विरोधी, समाज विरोधी गतिविधियों में संलग्न हैं, उनकी जांच न कराकर उन निर्दोष छात्रों की जांच कराई जा रही है और इसलिये मैं कहना चाहता हूं कि इसकी पूरी की पूरी जांच करवाई जाये और उन छात्रों के ऊपर से मामले वापस लिये जायें. वह पत्रकारिता विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश की नाक है, मध्यप्रदेश की इज्जत है और पूरे मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष में उसका नाम है और वहां पर विदेशों से छात्र अध्ययन करने के लिये आते हैं. ऐसी संस्थाओं को बदनाम करने का जो प्रयास किया जा रहा है, मैं चाहता हूं कि सदन की कार्यवाही रोककर इस पर चर्चा अभी करवाई जाये. स्थगन सूचना पर अभी चर्चा करवाई जाये.
संसदीय कार्य मंत्री( डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नरोत्तम मिश्र जी ने कहा कि खाद पर लाठियां चल रही हैं, आप पीताम्बरा माई की कसम खाकर सही-सही बता दें कि प्रदेश में कहां-कहां किसानों पर लाठियां चल रही हैं. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- मैं एक मिनट व्यवस्था दे दूं. (व्यवधान)...(इंजी. प्रदीप लारिया और श्री रामेश्वर शर्मा जी के अपने आसन पर खड़े होकर कुछ कहने पर) श्री लारिया जी मैं खड़ा हूं, श्री रामेश्वर जी मैं खड़ा हूं, आप बैठ जायें. ....(व्यवधान)...
श्री दिनेश राजय ''मुनमुन'' -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना है, आप मुझे भी मौका दे दें. ....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- शून्यकाल की सूचनायें पढ़ी हुई मानी जा चुकी हैं. मैं पहले व्यवस्था दे दूं. आपने जो बात उठाई है, उसे मैं पहले से ही कार्यसूची में समाहित कर चुका हूं. अब कौन सी चीज कहां पर समाहित करना है, कष्ट करें कि इतना आप मेरे ऊपर छोड़ दें. मैंने नियम 139 के अधीन उसे शामिल कर लिया है, मैं इस विषय पर नियम 139 के अधीन चर्चा करवाऊंगा. अध्यादेशों का पटल पर रखा जाना श्री पी.सी.शर्मा जी आप बोलें. (व्यवधान)....
इंजी. प्रदीप लारिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में यूरिया के संबंध में हाहाकार मच रहा है. (व्यवधान)....
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के बारे में आप व्यवस्था दे दें. आसंदी की तरफ से व्यवस्था आ जाये.
अध्यक्ष महोदय -- वह बात आ गई है. (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के विषय में आज ही स्थगन सूचना पर चर्चा करवा लीजिये. (व्यवधान)....
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी सारी बाते आ गई हैं, आपने जानकारी दी है, हम पूरे तथ्य मंगा रहे हैं और मंगाने के बाद आपको बता देंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- भोपाल का ही मामला है, दो मिनट में आपके पास सब आ जायेगा. (व्यवधान)....
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एफ.आई.आर. वापस ली जाये और निष्कासन रद्द करवायें, बच्चों का निष्कासन रद्द करवायें उनके भविष्य को चौपट न होने दें. (व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप आश्वासन दे दें... (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- मुझे व्यवस्था देने दीजिये न. ... (व्यवधान)... माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, शून्यकाल में विषय उठाया जाता है वह प्रश्नकाल नहीं होता है इसके बावजूद भी विषय की गंभीरता को देखते हुये माननीय वरिष्ठ सदस्य ने प्रश्न उठाया, माननीय संसदीय मंत्री जी ने अपनी तरफ से उसमें क्या समाधान हो सकता है अपनी बात कह दी. कृपया अब आगे बढ़ें, व्यवस्थाओं के तहत आगे बढि़येगा. ... (व्यवधान)... अब मैं किसी को परमिट नहीं करूंगा. ... (व्यवधान)...
डॉ. सीतासरन शर्मा-- हम मुद्दा नहीं उठायेंगे तो क्या करेंगे, हम किसलिये यहां आते हैं. ... (व्यवधान)... आपसे अनुमति मांग रहे हैं, आप अनुमति नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय पूर्व अध्यक्ष जी, कृपया अपने शब्दों को ध्यानपूर्वक देखिये, सुनिये और खुद सुनकर फिर बोलिये. आपकी बड़ी मेहरबानी होगी. आप क्या बोल पड़ते हैं पंडित जी, पहले उस संकल्प को देख लीजिये कि सिक्का रखा है, चावल रखे हैं, फूल रखा है, सुपाड़ी रखी है, पहले संकल्प को देख तो लीजियेगा. आप कैसा कर रहे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष जी, बैठ जायें जरा.
अध्यक्ष महोदय-- मैं आगे निकल गया हूं, आपकी बात आ गई.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- दो मिनट बैठ जायें.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात का उन्होंने जवाब दे दिया.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अतिथि विद्वानों का क्या हुआ.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष जी, यह महत्वपूर्ण मामला है. ... (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आपको विधिवत सुना है और उस पर संसदीय कार्य मंत्री जी ने विधिवत उत्तर दिया है. ... (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, यह बच्चों के भविष्य का सवाल है. ... (व्यवधान)...
12.12 बजे अध्यादेशों का पटल पर रखा जाना.
(क) मध्यप्रदेश स्थानीय प्राधिकरण (निर्वाचन अपराध) संशोधन अध्यादेश, 2019 (क्रमांक 6 सन् 2019), तथा
(ख) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2019 (क्रमांक 7 सन् 2019).
श्री गोपाल भार्गव-- पहले जवाब दिलवा दें. ... (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- तरूण भनोत जी को बोल लेने दें फिर आपका उत्तर मिल जायेगा. ... (व्यवधान)... चलिये तरूण जी. गोपाल जी, उनको बोल लेने दो फिर आप बोलना.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, एक मिनट, मेरा विनम्र अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय-- गोपाल जी, रूक जाइये जरा. ... (व्यवधान)... उनको पढ़ तो लेने तो इसके बाद आपको बोल रहा हूं न.
12.13 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(क) डीएमआईसी विक्रम उद्योगपुरी लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, एवं
(ख) म.प्र.औद्योगिक केन्द्र विकास निगम (उज्जैन) लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018,
12.14 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख (क्रमश:)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविंद सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने एवं माननीय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने जो मुद्दा उठाया है, अगर वास्तव में यह विश्वविद्यालय का निर्णय है और मैं जानकारी ले रहा हूं, आपकी भावना से मैं भी सहमत हूं मैं भी छात्रों के साथ अगर अन्याय हुआ है तो मैं भी बर्दाश्त नहीं करने वाला और मुझे समय दीजिये, हम पूरी जानकारी ले लें क्या सच्चाई है और अगर मनमाना निर्णय किया होगा तो उसमें शासन जो कर सकता है, छात्रों के प्रति हमारी संवेदनायें हैं और मैं छात्रसंघ के माध्यम से ही यहां विधान सभा में आया हूं इसलिये हम छात्रों का पूरी तरह से संरक्षण करेंगे, उनकी मदद करेंगे. आप हमें मौका तो दीजिये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- मंत्री जी आप जानकारी ले लें, बहुत अच्छी बात आपने कही. अध्यक्ष महोदय, कल किसी रूप में इस पर चर्चा करवा लें.
अध्यक्ष महोदय-- आप लिखकर दो न. ... (व्यवधान)...
12.14 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना (क्रमश:)
(क) दि मध्यप्रदेश स्टेट माईनिंग कारपोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 55 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, तथा
(ख) मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 के नियम 18 (3) की अपेक्षानुसार-
(i) जिला खनिज प्रतिष्ठान कटनी, छतरपुर, रीवा, सीधी, नरसिंहपुर, उमरिया, ग्वालियर एवं सतना के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017,
(ii) जिला खनिज प्रतिष्ठान बैतूल, ग्वालियर, नरसिंहपुर, सागर, सतना, धार, सिंगरौली के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018, एवं
(iii) जिला खनिज प्रतिष्ठान रीवा, अनूपपुर, सीधी, धार, ग्वालियर, छतरपुर, सिंगरौली के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019,
12.15 बजे
(3) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्रमांक 20 सन् 1959) की धारा 258 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार अधिसूचनाएं -
(क) क्रमांक एफ 2-2-2019-सात-शा-7, भोपाल, दिनांक 18 जुलाई, 2019,
(ख) क्रमांक एफ 2-7/2019/सात/शा.7, भोपाल, दिनांक 18 जुलाई, 2019, एवं
(ग) क्रमांक एफ-2-11-2018-सात-शा.-7, भोपाल, दिनांक 14 जून, 2019,
राजस्व मंत्री(श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्रमांक 20 सन् 1959) की धारा 258 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार निम्न अधिसूचनाएं -
(क) क्रमांक एफ 2-2-2019-सात-शा-7, भोपाल, दिनांक 18 जुलाई, 2019,
(ख) क्रमांक एफ 2-7/2019/सात/शा.7, भोपाल, दिनांक 18 जुलाई, 2019, एवं
(ग) क्रमांक एफ-2-11-2018-सात-शा.-7, भोपाल, दिनांक 14 जून, 2019,
पटल पर रखता हूं.
(4) नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (क्रमांक 35 सन् 2009) की धारा 38 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार निम्न अधिसूचनाएं -
(क) क्रमांक एफ 44-23-2015-बीस-2, दिनांक 01 अक्टूबर, 2019, एवं
(ख) क्रमांक एफ 44-23-2015-बीस-2, दिनांक 02 मार्च, 2019,
स्कूल शिक्षा मंत्री(डॉ. प्रभुराम चौधरी) - अध्यक्ष महोदय, मैं, नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (क्रमांक 35 सन् 2009) की धारा 38 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार निम्न अधिसूचनाएं -
(क) क्रमांक एफ 44-23-2015-बीस-2, दिनांक 01 अक्टूबर, 2019, एवं
(ख) क्रमांक एफ 44-23-2015-बीस-2, दिनांक 02 मार्च, 2019,
पटल पर रखता हूं.
(5) विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 105 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019, एवं
कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 12 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018,
ऊर्जा मंत्री(श्री प्रियव्रत सिंह) - अध्यक्ष महोदय, मैं,
(क) विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 105 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019, एवं
(ख) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 12 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018,
पटल पर रखता हूं.
(6) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित का छठवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री(श्री सुखदेव पांसे) - अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित का छठवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.
(7) मध्यप्रदेश राज्य जैवविविधता नियम, 2004 के नियम 21 (3) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य जैवविविधता बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
वन मंत्री(श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश राज्य जैवविविधता नियम, 2004 के नियम 21 (3) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य जैवविविधता बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.
(8) कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का 35 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-17
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री(श्री हर्ष यादव) - अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का 35 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017 पटल पर रखता हूं.
(9) दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (क्रमांक 49 सन् 2016) की धारा 83 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार आयुक्त, नि:शक्तजन, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018
सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री (श्री लखन घनघोरिया) अध्यक्ष महोदय, मैं, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (क्रमांक 49 सन् 2016) की धारा 83 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार आयुक्त, नि:शक्तजन, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 पटल पर रखता हूं.
(10) राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 (क्रमांक 4 सन् 2009) की धारा 42 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) की वैधानिक आडिट रिपोर्ट वर्ष 2017-2018
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री सचिन सुभाष यादव) - अध्यक्ष महोदय, मैं, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 (क्रमांक 4 सन् 2009) की धारा 42 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) की वैधानिक आडिट रिपोर्ट वर्ष 2017-2018 पटल पर रखेंगे.
4. जुलाई,2019 सत्र निर्धारित अवधि के पूर्व स्थगित हो जाने के फलस्वरूप दिनांक 25 एवं 26 जुलाई,2019 की प्रश्नोत्तर सूची तथा फरवरी,2019 एवं जुलाई,2019 सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-2 पटल पर रखा जाना
अध्यक्ष महोदय - जुलाई, 2019 सत्र निर्धारित अवधि के पूर्व स्थगित हो जाने के फलस्वरूप दिनांक 25 एवं 26 जुलाई,2019 की प्रश्नोत्तर सूची तथा फरवरी,2019 एवं जुलाई,2019 सत्र के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-2 पटल पर रखा गया.
श्री दिनेश राय "मुनमुन" - अध्यक्ष महोदय, बहुत आवश्यक है 6 वर्ष की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ है. मुझे एक बार बोलने का मौका दें.
अध्यक्ष महोदय - कल आप शून्यकाल में बोलियेगा. मैं बोलने का मौका दूंगा. आप लिखकर दे दीजिये.
12.20 बजे
नियम 267-क के अधीन जुलाई, 2019 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा उनके उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना
अध्यक्ष महोदय - नियम 267-क के अधीन जुलाई, 2019 सत्र में सदन में पढ़ी गई सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा गया.
12.21 बजे
सभा द्वारा यथापारित मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 11 सन् 2019) के संबंध में राज्यपाल महोदय की ओर से प्राप्त संदेश का पढ़ा जाना
12.22 बजे
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, आपने कार्यमंत्रणा समिति का प्रतिवेदन पढ़ा.
अध्यक्ष महोदय - अभी यह पूरा तो हो जाने दो.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, चूंकि आपने उस विषय का उल्लेख किया, यूरिया खाद के बारे में नियम 139 की चर्चा ली है. अध्यक्ष महोदय, लेकिन यह तात्कालिक महत्व का विषय है और बहुत ही ज्यादा लोग परेशान है, पुलिस थानों में लाइनें लगी हैं, महिलाएं भी लाइनों में लगी हैं. यूरिया की कालाबाजारी हो रही है, किसान हाहाकार कर रहे हैं. इस कारण से इस पर स्थगन सूचना लेकर आज अभी ही चर्चा शुरू करवा दें. निश्चित रूप से उसका हल निकलेगा, किसानों की परेशानी कम होगी, इसलिए यह बहुत आवश्यक है. हम सभी लोगों ने स्थगन सूचनाएं दी है. आपसे आग्रह है कि इस स्थगन सूचना पर आप चर्चा करवाएं.
वर्तमान में जो यूरिया की कालाबाजारी पूरे राज्य में हो रही है. मेरा निवेदन है कि इस पर स्थगन सूचना के माध्यम से आप चर्चा करवाएं.
अध्यक्ष महोदय - अब, इसके संबंध में डॉ. गोविन्द सिंह, संसदीय कार्यमंत्री प्रस्ताव करें.
डॉ गोविन्द सिंह - हमारा आपसे अनुरोध है कि इसके बाद में आप कर लें. हम यहां पर यह कहना नहीं चाहते हैं लेकिन आपकी सहमति से ही. आप सभी की मंजूरी से ही.
श्री गोपाल भार्गव -- आज उसकी गंभीरता और ज्यादा बढ़ गई है. जगह जगह से खबरें आ रही हैं पुलिस थानों में लूटमार हो रही है, लाठीचार्ज हो रहे हैं कालाबाजारी में अधिकांश यूरिया...
डॉ गोविन्द सिंह -- आपकी सहमति से ही यह चर्चा रखी गई है. आपने सहमति दी थी और उसके बाद में आपने उन दोनों विषयों का कहा था.
अध्यक्ष महोदय -- मैं इस विषय पर चर्चा नहीं कर रहा हूं. मैंने व्यवस्था दे दी है. डॉ गोविन्द सिंह जी अपना प्रस्ताव पढ़ें....(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- विषय की तात्कालिकता को देखें...(व्यवधान)..
डॉ गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय मैं प्रस्ताव करता हूं कि अभी अध्यक्ष महोदय द्वारा जिन शासकीय विधेयकों, वित्तीय कार्यों एवं अन्य विषयों के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़ कर सुनाई गई, उन्हें सदन स्वीकृति देता है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि
शासकीय विधेयकों, वित्तीय कार्यों एवं अन्य विषयों के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़कर सुनाई गई, उन्हें सदन स्वीकृति देता है.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- यूरिया की व्यवस्था ठीक करवाने के लिए यहां पर बात हो रही है. इसके लिए किसान बहुत परेशान हैं.
अध्यक्ष महोदय -- देखिये मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि सदन में किसी विषय को उठाने के लिए माननीय सदस्य अध्यक्ष से कहते हैं. जब जो विषय पहले ही मैंने नियम 139 के तहत ग्राह्य कर लिया है तो हम बार बार उसको उठायें, हो सकता है कि आज शाम को ही 139 की चर्चा शुरू हो जाय. आपसे अनुरोध है कि आप लोग नियम प्रक्रिया के ज्ञाता हैं, नेता प्रतिपक्ष जी उन्हीं नियम प्रक्रियाओं के तहत मैं यहां पर संचालन कर रहा हूं. जो विषय ग्राह्य कर लिया गया है आपकी भावनाएं उसमें समाहित हैं, संपूर्ण सदन की भावनाएं समाहित हैं, जो लोग बाहर से सोच रहे हैं उनकी भावनाएं भी उसमें समाहित हैं. कृपा पूर्वक चर्चा आगे होने दें. आपकी भावनाएँ इसमें समाहित हैं.
12.26 बजे. प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
लोक लेखा समिति का प्रथम से सत्रहवां प्रतिवेदन
डॉ नरोत्तम मिश्र(सभापति) -- अध्यक्ष महोदय, मैं लोक लेखा समिति का प्रथम से सत्रहवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
12.27 बजे सभापति तालिका की घोषणा
अध्यक्ष महोदय -- मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 9 के उपनियम(1) के अधीन, मैं, निम्नलिखित सदस्यों को सभापति तालिका के लिए नाम निर्दिष्ट करता हूं :-
1. श्री बिसाहूलाल सिंह
2. श्री लक्ष्मण सिंह
3. श्रीमती झूमा सोलंकी
4.श्री संजय सत्येन्द्र पाठक
5. श्री जगदीश देवड़ा,तथा
6. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया
12.28 बजे. राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा के विगत सत्रों में पारित 16 विधेयकों को माननीय राज्यपाल महोदय की अनुमति प्राप्त हो गई है. अनुमति प्राप्त विधेयकों के नाम दर्शाने वाले विवरण की प्रतियां माननीय सदस्यों को वितरित कर दी गई हैं. इन विधेयकों के नाम कार्यवाही में मुद्रित किये जायेंगे.
12.29 ध्यान आकर्षण
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा नियमावली के नियम 138(3) के अनुसार किसी एक बैठक में दो से अधिक ध्यान आकर्षण की सूचनाएं नहीं ली जा सकती हैं, परंतु सदस्यों की ओर से प्राप्त ध्यान आकर्षण की सूचनाओं में दर्शाये गये विषयों की अविलम्बनीयता तथा महत्व के साथ ही माननीय सदस्यों के आग्रह को देखते हुए, नियम को शिथिल कर, मैंने आज की कार्यसूची में चार सूचनाएं सम्मिलित किये जाने की अनुज्ञा प्रदान की है, लेकिन इसके साथ ही मेरा अनुरोध है कि जिन माननीय सदस्यों के नाम सूचनाओं में हों केवल वे ही प्रश्न पूछकर इन ध्यान आकर्षण सूचनाओं पर यथा शीघ्र चर्चा समाप्त हो सके, इस दृष्टि से कार्यवाही पूरी कराने में सहयोग प्रदान करें.
मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
(1) सीधी जिले में ग्राम सड़क निर्माण में लगे मजदूरों की मजदूरी का भुगतान न होना.
श्री कुंवर सिंह टेकाम (धौहनी) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा ध्यान आकर्षण कल आपने ग्राह्य किया था, उस पर कल चर्चा नहीं हो पाई थी, आज इसकी आपने पुनः अनुमति प्रदान की है, इसलिये मैं आपको धन्यवाद देते हुए बहुत बहुत आभारी हूं. अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
12.32 बजे {उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल) -- उपाध्यक्ष महोदया,
श्री कुंवर सिंह टेकाम -- उपाध्यक्ष महोदया, मंत्री जी ने जो जवाब दिया है, वह बिलकुल असत्य है. वहां मनरेगा योजना के अंतर्गत सुदूर ग्राम संपर्क में सड़क का निर्माण हुआ है और उसके बाद दूसरी योजना से पीडब्ल्यूडी के माध्यम से उसकी फिर स्वीकृति हो गई. स्वीकृति होने के बाद वहां पर पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा काम शुरु किया जा रहा था. लोगों ने कहा कि हमारी मजदूरी जब तक नहीं मिलेगी, हम सड़क का निर्माण कार्य पीडब्ल्यूडी के माध्यम से नहीं होने देंगे. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि क्या आप इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराके जिन मजदूरों ने काम किया है, उनकी मजदूरी का भुगतान कराएंगे ?
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, चूँकि यह विषय गरीबों से, मजदूरों से जुड़ा हुआ है, माननीय विधायक जी की चिंता भी बहुत उचित है, पहली बात तो जो विभाग की तरफ से जवाब आया है, उसमें तो सुदूर सड़क के निर्माण का जितना काम मनरेगा योजना के तहत किया गया था, उसकी लगभग पूरी राशि जारी हो चुकी है. माननीय विधायक जी ने शंका जाहिर की है, क्योंकि निर्माण कार्य पीडब्ल्युडी विभाग द्वारा कराया जा रहा है, विधायक जी ने गरीबों के हित में जो चिंता जाहिर की है, माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हम आश्वस्त करते हैं कि अगर गरीबों का मनरेगा योजना के तहत मजदूरी भुगतान बाकी है तो परीक्षण कराकर उसका भुगतान करा देंगे.
श्री कुँवर सिंह टेकाम -- माननीय मंत्री जी, वैसे आप संवेदनशील मंत्रियों में से हैं, आपने जो उच्चस्तरीय जांच कराके शेष मजदूरी को भुगतान कराने का आश्वासन दिया है, उसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ.
12.37 बजे 2. प्रदेश में तेंदूपत्ता संग्राहकों को स्मार्ट कार्ड प्रदाय न किया जाना
श्री प्रवीण पाठक (श्रीमती सुमित्रा देवी कास्डेकर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया,
12.38 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
श्री तरूण भनोत (वित्त मंत्री) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री प्रवीण पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के उत्तर से पूर्णत: सहमत नहीं हॅूं. लघु वनोपज संघ जो आज मध्यप्रदेश में लाभ में है उसके पीछे कई सारे, कई लाखों तेंदूपत्ता संग्राहकों का अथक परिश्रम ही है जिसके कारण उनको साल में लाभांश प्राप्त होता है. शासन ने वर्ष 2009 में एक सकुर्लर जारी किया था जिसमें व्यापार के लाभांश की 10 प्रतिशत राशि बैंकों में जमा है. यह राशि करीब 300 से 400 करोड़ रुपए के लभभग है. इस राशि के ब्याज से तेंदूपत्ता संग्राहकों का कैशलेस मेडीक्लेम योजना लागू की जा सकती है. इसके पहले भी जो पूर्ववर्ती सरकार थी उन्होंने इस राशि का उपयोग जूते-चप्पल बांटने में कर दिया. चूंकि अभी यहां विभाग के मूल मंत्री जी भी सदन में मौजूद नहीं हैं मैं इसके पहले भी कई बार लिखकर उनको यह अनुरोध कर चुका हॅूं कि ऐसी कोई व्यवस्था दी जाए कि जिसकी वजह से वनोपज संघ को लाभ होता है तो उनके हितों की भी हमको रक्षा करनी चाहिए. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हॅूं कि आप इस विषय पर कोई ऐसी व्यवस्था दें, जिससे समयसीमा के अंदर हम लोग तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम मध्यप्रदेश में उठा पाएं.
श्री तरुण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने यहां पर स्पष्ट जवाब दिया है और विभाग की तरफ से यह भरोसा भी दिलाया है कि दो माह के अंदर हम इन दोनों योजनाओं को, जिनका उल्लेख मैंने उत्तर में किया है, लागू कर देंगे.
श्री प्रवीण पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि मूल विभाग के मंत्री यहां सदन में नहीं हैं यदि आप आसंदी से व्यवस्था दे देंगे, तो मुझे पूरा विश्वास है कि इस पर कार्यवाही हो जाएगी.
श्री तरुण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि आप ही को व्यवस्था देना है तो जो व्यवस्था आप दें देंगे..
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, यह मेडीक्लेम वगैरह की जो बात की गई है इसके प्रस्ताव कितने दिन, कितने महीनों से विभाग के पास विचाराधीन हैं, क्या इसकी जानकारी है ?
श्री तरुण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात बिल्कुल सही है कि विभाग के मूल मंत्री जी यहां पर उपस्थित नहीं हैं, पर मैं मध्यप्रदेश शासन का मंत्री होने के नाते और विभागीय अधिकारियों से चर्चा करने के बाद बडे़ भरोसे के साथ सदन में यह कह रहा हॅूं कि जो पहले प्रचलित था, उससे मुझे मतलब नहीं है पर दो माह के अंदर हम इन दोनों योजनाओं को लागू कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- मैं फिर से मूल बात कर रहा हॅूं कि कितने माह से यह प्रस्ताव विभाग के अधिकारियों के पास लंबित है ?
श्री तरुण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मैंने आपसे स्पष्ट रुप से कहा है कि मुझे जानकारी नहीं है. सदस्य महोदय भी यह कह रहे हैं और वह तो आसंदी से व्यवस्था मांग रहे हैं मंत्री से तो व्यवस्था मांग ही नहीं रहे हैं. वह तो सीधे यह कह रहे हैं कि अध्यक्ष जी, आप यह व्यवस्था दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, बैठिए सदस्य जी. मैं ही व्यवस्था दे दे रहा हूँ.
श्री तरुण भनोत -- मुझे अपेक्षा यही थी.
अध्यक्ष महोदय -- विराजिए, मैं बोल देता हॅूं. अगर ऐसी व्यवस्थाएं विभाग के अधिकारी ज्यादा देर लंबित रखते हैं जो उन तेंदूपत्ता तोड़ने वालों के हितकर हैं, उनके स्वास्थ्य के हितकर हैं और ऐसी योजनाओं में विभाग के अधिकारियों द्वारा इतना लंबा समय लगाया जाता है तो पहली बात यह है कि किस अधिकारी के स्तर पर यह मांग लंबित है उसकी जांच रिपोर्ट मुझे दो दिन के अंदर पटल पर चाहिए कि उन्होंने क्यों देरी लगाई ? दूसरी बात, यह दो माह के अंदर के नहीं, सात दिन के अंदर इसका निर्णय करकर मेरे कार्यालय में सूचित किया जाए.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, आपने जो व्यवस्था दी है उसका पालन करेंगे पर जहां तक तेंदूपत्ता संग्राहकों के हित की बात है जबसे हमारी सरकारी आई है हमने कई निर्णय उनके हित को ध्यान में रखते हुए लिए हैं. चाहे नगद भुगतान की बात हो.
अध्यक्ष महोदय - मैं सहमत हूं मंत्री जी, परंतु इस मामले में आपसे अनुरोध है, आपके स्तर पर नहीं, ध्यानाकर्षण के अनुसार इसे विभागीय अधिकारियों को लंबित करने की क्या जरूरत है ? उनको आपके पास आना चाहिए था. क्यों लंबित किए हुए हैं ? इसलिए मैंने निर्देशित किया है कि जिन विभागीय अधिकारियों ने लंबित किया है उसके संबंध में जांच प्रतिवेदन 2 दिन में चाहिए. दूसरा, 7 दिन के अंदर इसकी पूरी रिपोर्ट मेरे पी.एस. के पास प्रस्तुत करें कि इसको 7 दिन में तय करें कि इसको कब लागू कर रहे हैं ? किस तारीख से लागू कर रहे हैं.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, आप धन्य हैं. आपकी आज्ञा को शिरोधार्य करने के लिए काम करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, बस एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय - माननीय शैलेन्द्र जी, मैंने ध्यानाकर्षण लेने के पूर्व यह पढ़कर बोल दिया था कि चूंकि दो की जगह चार ले रहा हूं मैं पूरक प्रश्न दूसरे माननीय सदस्यों को नहीं करने दूंगा. मुझे आप आगे बढ़ने की गुंजाइश दीजिए.
श्री शैलेन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, यह कहना उचित नहीं है कि जो संग्राहक हैं वह गरीब नहीं हैं. अप्रैल और मई के महीने में जो भरी धूप में जाते हैं वह गरीब ही होंगे. उनको आवश्यक रूप से गरीबी रेखा के नीचे ही रखा होगा.
अध्यक्ष महोदय - शैलेन्द्र जी, मैंने उसी के तहत तो निर्देश दिया है.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, पूरा उत्तर माननीय सदस्य ने नहीं पढ़ा है. हमने यह नहीं कहा कि वह गरीब नहीं हैं. गरीबी रेखा की सूचीधारक में नहीं आते हैं.
अध्यक्ष महोदय - वह जरा दूसरे तरीके से सोच लिए थे. कोई बात नहीं है.
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, जो तेंदूपत्ता संग्राहकों को सुविधा दे रहे थे वह आप बंद तो नहीं कर रहे हैं ?
3. प्रदेश के प्रतिभावान छात्रों को छात्रवृत्ति का लाभ न दिया जाना
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज) - अध्यक्ष महोदय,
स्कूल शिक्षा मंत्री (डॉ.प्रभुराम चौधरी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
12.51 बजे
अध्यक्षीय घोषणा.
भोजनावकाश न होना.
अध्यक्ष महोदय-- आज भोजन अवकाश नहीं होगा भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में रखी गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12.52 बजे
ध्यानाकर्षण (क्रमशः)
श्री उमाकांत शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, छात्रवृत्ति, मेधावी छात्रवृत्ति, गणवेश, साइकिल खरीदी, इनमें अनेक प्रकार की अनियमितताओं से अखबार भरे पड़े हुए हैं अगर श्रीमान् मंत्री महोदय चाहें तो मैं उनको यह जानकारी दे सकता हूँ. एक अखबार में छपा हुआ है कि 3 करोड़ का भ्रष्टाचार गणवेश और साइकिल वितरण में किया गया, तो क्या मंत्री महोदय ऐसी अनियमितताओं की जाँच प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी से कराने का कष्ट करेंगे और एक निश्चित समय सीमा देंगे?
डॉ.प्रभुराम चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो गणवेश की राशि है हमने विभाग के द्वारा सीधे बच्चों के खाते में पहली बार डाली है इसके पहले तो राशि विभाग के द्वारा ग्रामीण विकास विभाग को देते थे. हमने राशि सीधी बच्चों के खाते में डाली है इसमें कोई भ्रष्टाचार का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता.
श्री उमाकांत शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, अफसरों ने साइकिलों के भंडारण के नाम पर सरकार को लगाई 3 करोड़ की चपत, यह पत्रिका में 13 नवंबर को छपा है, क्या आप इसकी जाँच कराएंगे?
डॉ.प्रभुराम चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने तो इस बार यह सुनिश्चित किया है, जब हम सरकार में आए थे तो 6-6, 8-8 महीने....
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य जी, आप स्वयं खोजी बनिए और खोज कर लाइये कि कहाँ पर भ्रष्टाचार हुआ है. समाचार पत्र के आधार पर यहाँ पर प्रश्न न करें. आप से ऐसा सुझाव है. आप खुद खोज कर के लाइये, अपना उल्लेख कीजिए. आपको हमने मौका दिया है आप अपनी खोजी खबर पर यहाँ भ्रष्टाचार की बात करिए.
श्री उमाकांत शर्मा-- जी अध्यक्ष महोदय. वर्ष 2019-20 में कंप्यूटर, लैपटॉप और दो पहिया वाहन खरीदने के लिए कितना कितना बजट आवंटित किया गया एवं कितने छात्र, छात्राएँ पात्र पाए गए यह बताएँ और अभी तक वितरण नहीं हुआ, जबकि दिसंबर चल रहा है. जुलाई से लेकर अभी तक मेधावी छात्रों के लिए वितरण क्यों नहीं किया गया? कोई समय सीमा देंगे कि कब तक वितरण कर दिया जाएगा?
डॉ.प्रभुराम चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में ही बताया कि यह प्रक्रियाधीन है और शीघ्र ही हम उसको करेंगे.
श्री उमाकांत शर्मा-- छात्रवृत्ति कब मिलेगी जब सत्र निकल जाएगा ?
डॉ. प्रभुराम चौधरी-- सत्र के पूर्व ही कर देंगे.
श्री उमाकांत शर्मा -- अभी कौन सा महीना चल रहा है फरवरी से परीक्षा होने वाली हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहूंगा कि छात्रों के हित में निर्देश जारी करने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी प्रश्न करने के बाद कृपया बैठ जाया करें ताकि मंत्री जी खड़े होकर अपना जवाब दे दें. जब मंत्री जी का जवाब खत्म हो जाए और उसके बाद भी आपका प्रश्न हो तो फिर से खड़े होकर पूछ लिया करें.
श्री उमाकांत शर्मा -- जी अध्यक्ष महोदय.
डॉ. प्रभुराम चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, पहले तो माननीय सदस्य ने बताया कि साइकिल वितरण में भ्रष्टाचार हो गया है. मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि सरकार ने और हमारे विभाग ने पहली बार यह सुनिश्चित किया है कि जैसे ही स्कूल खुले वैसे ही हमने जुलाई माह में भी छात्रों को हमने साइकिलें उपलब्ध कराई हैं. जो व्यवस्था हमें मिली है उसमें 100 बच्चों में से 34 बच्चे उत्तीर्ण होते हैं. 66 बच्चे फेल हो जाते हैं. इस व्यवस्था को सुधारने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं कि समय पर साइकिल मिले, समय पर किताबें मिलें, बच्चों को यूनिफार्म मिले. इस तत्परता के साथ हम काम कर रहे हैं. माननीय सदस्य ने लेपटॉप व दुपहिया वाहन की बात की है वह भी विचाराधीन है उसकी भी जल्दी व्यवस्था करेंगे.
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय मंत्री जी इसकी समय-सीमा तो तय कीजिए सत्र ही निकला जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आपको ध्यान से सुनना चाहिए, सत्र के पहले हो जाएगा माननीय मंत्री जी कह दिया है.
श्री उमाकांत शर्मा -- धन्यवाद.
12.57 बजे
(4) मंडला एवं डिण्डोरी जिले में सौभाग्य योजना के तहत किये गये विद्युतीकरण के कार्य में अनियमितता होना.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है--
श्री विनय सक्सेना --अध्यक्ष महोदय, यह बिलकुल सत्य है कि जनमानस में भारी आक्रोश है क्योंकि जिनकी भलाई के लिए एक बत्ती कनेक्शन होने थे यह सौभाग्य योजना उनके लिए दुर्भाग्य योजना बन गई है और चोरी के ट्रांसफॅार्मर लग गए हैं. दस करोड़ रुपए की वसूली तो अभी अधिकारी खुद ही मान रहे हैं. 31 लाख रुपए की, 1 करोड़ 68 लाख रुपए की, दो, ढाई करोड़ रुपए की इस तरह से मेरे पास कागजात हैं जिसमें अधिकारी यह स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि इतने करोड़ रुपए का घपला तो हो गया. पूरे मध्यप्रदेश में पांच हजार करोड़ रुपए सौभाग्य योजना के तहत खर्च किए गए. मैं माननीय मंत्री जी से चाहता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश की जांच करा लें क्योंकि माननीय मंत्री जी एक तरफ तो हमारी सरकार के ऊपर आरोप लग रहा है कि ट्रिपिंग हो रही है. एक तरफ आरोप लग रहा है कि हवा चलते ही पोल गिर जाते हैं. इसमें यह भी अनियमिततायें पाई गई हैं कि जो आर्मर्ड केबल का प्रयोग होना था उसके स्थान पर दूसरे घटिया केबल प्रयोग किए गए. इसमें यह भी आरोप सिद्ध हुए हैं कि बिजली के पोलों में कांक्रीट नहीं की गई ऐसे में हवा चलेगी तो पोल गिरेंगे कि नहीं गिरेंगे ? इसका मतलब यह है कि पिछली सरकार में जो घोटाले और भ्रष्टाचार थे वे अब सामने आ रहे हैं. मध्यप्रदेश में बिजली की जो ट्रिपिंग होती है और पोल गिर जाते हैं उसका असली कारण सामने आ रहा है. मैं अध्यक्ष जी का संरक्षण चाहते हुए मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि दोषी अधिकारियों को हम निलंबित करेंगे और कुछ दिनों बाद वे करोड़ो-अरबों का घोटाला करके विदेश भाग जायेंगे. इनका मध्यप्रदेश से बाहर जाना प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और इन्हें निलंबित करने के बजाय इनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति की जानी चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन अधिकारियों ने आदिवासियों के साथ छल किया है, उनके पैसे में डाका डाला है. हमारी मध्यप्रदेश की सरकार आदिवासियों के हितैषी के रूप में काम कर रही है. माननीय कमलनाथ जी की पहली प्राथमिकता में आदिवासी हैं. ऐसे अधिकारियों को तत्काल जेल भेजा जाना चाहिए, उनको वहां से हटाना चाहिए जिससे कि वे जांच को प्रभावित न कर सकें. मेरे संज्ञान में यह है कि कुछ बड़े अधिकारी अभी-भी उनका सहयोग कर रहे हैं. उनका कहना है कि निकोसे जी काम के व्यक्ति हैं. टी.के.मिश्रा जी के बारे में कहना चाहूंगा कि जब उनके खिलाफ विद्युत मण्डल और मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी स्वीकार कर रही है कि करोड़ो रुपये का घपला हो चुका है तो उन्हें निलंबित करने में इतना इंतजार क्यों किया जा रहा है ? क्या जनता इस हेतु जूलुस निकालेगी तब माना जायेगा कि जन आक्रोश है, क्या जनता धरने में बैठेगी तब माना जायेगा कि जन आक्रोश है, क्या जनता मंत्री जी के घर पर बैठेगी तब माना जायेगा कि जन आक्रोश है, क्या जनता एम.डी. साहब के घर पर बैठेगी तब माना जायेगा. मैं पूछना चाहता हूं कि आप मुझे ही बता दें तो हम जबलपुर के लोग एम.डी. साहब और शक्ति भवन पर धरने में बैठ जायें. मेरा आपसे निवेदन है कि हमारी सरकारी की पहली प्राथमिकता थी कि पारदर्शितापूर्ण सरकार रहेगी. मैं कहना चाहता हूं कि ये अधिकारी किसी माफिया से कम नहीं हैं जो मध्यप्रदेश सरकार में आदिवासियों के पैसे में लूट मचा रहे हैं. मैं चाहता हूं कि ऐसे अधिकारियों को तत्काल जेल भेजना चाहिए इसके लिए किस बात का इंतजार हो रहा है ? क्या उन्हें जांच में हेरा-फेरी करने का मौका दिया जा रहा है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे भी घटिया बात क्या हो सकती है कि अखबारों में छपने के बाद हमारे मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत मण्डल ने इस बात को संज्ञान में लेकर चीफ इंजीनियर को पत्र लिखा कि वहां चोरी के ट्रांसफार्मर लगाये गये. यह मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का पत्र है (माननीय सदस्य द्वारा सदन में पत्र प्रदर्शित किया गया.) कि चोरी के ट्रांसफार्मर लगा दिए गए. इसके बाद और बचा क्या है ? निलंबन करने के लिए सोचने की क्या जरूरत है ? उनको अनिवार्य सेवानिवृत्ति क्यों न दी जाये ? उनके खिलाफ एफ.आई.आर. क्यों न की जाये ?
श्री प्रियव्रत सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं स्वीकार करता हूं कि घोर अनियमिततायें हुई हैं. इसमें कहने में कोई दो-राय नहीं है कि जो उपकरण इस्तेमाल किए गए, वे भी घटिया स्तर के थे. हम तत्काल प्रभाव से श्री टी.के.मिश्रा और श्री निकोसे को निलंबित करते हैं. इसके अतिरिक्त मैं कहना चाहता हूं कि अभी जांच प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई है. मेरा मानना है कि जांच प्रक्रिया में और भी तथ्य सामने आने की संभावनायें हैं. जांच प्रक्रिया पूर्ण होते ही इनके खिलाफ आगे विधिवत् कार्यवाही होनी है अगर आवश्यकता होगी तो पुलिस में जाकर एफ.आई.आर. दर्ज की जायेगी. परंतु यह सब जांच प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही संभव है. जैसे ही जांच प्रक्रिया पूर्ण होगी हम इसमें एफ.आई.आर. दर्ज करने की कार्यवाही भी करवायेंगे.
श्री विनय सक्सेना- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे विशेष अनुरोध है कि जब मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने यह बात स्वीकार की है कि चोरी के ट्रांसफार्मर लगाये गए हैं तो उस चोरी के ट्रांसफार्मर को तत्काल जब्त किया जाना चाहिए और जिन्होंने चोरी करके, अधिकारी तक पहुंचाया क्योंकि हमारे देश का कानून कहता है कि चोरी करने वाला और चोरी में सहयोग करने वाला दोनों अपराधी है, इस मामले में उस अधिकारी को तत्काल जेल जाना चाहिए. उनसे चोरी का ट्रांसफार्मर मध्यप्रदेश सरकार के नाम पर खरीद लिया. यह एक बड़ी अनियमितता स्पष्ट रूप से है और यह बात अधिकारियों ने स्वयं अपने पत्रों में स्वीकार की है. इसमें श्री टी.के.मिश्रा के खिलाफ तत्काल कार्यवाही हो सकती है.
दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि स्टे वायर में गड़बड़ी हुई है. कई जगहों पर कनेक्शन हुए ही नहीं और बिलों का भुगतान हो गया. ऐसे लाखों-करोड़ो के बिल है, जिन्हें कंपनी द्वारा स्वयं स्वीकार किया गया कि जिनका काम ही नहीं हुआ और उसका भुगतान हो गया. मैंने एक गाना सुना था कि ''मध्यप्रदेश अजब है, गजब है''. मगर पिछली सरकार में मध्यप्रदेश इतना अजब-गजब है, यह मैं कागजों में और पत्रों में पढ़ रहा हूं कि इतनी खुली छूट थी. अधिकारी अजब बना दें, गजब बना दें, चोरी के ट्रांसफार्मर लगा दें. सरकार मूकदर्शक बनी रहे. मैं तो कहना चाहता हूं हमारे पूर्व मंत्री जी से जो यहां पर बैठे हुए हैं उनके समय में यह सब होता रहा ऐसा नहीं है कि यह मध्यप्रदेश की और हिन्दुस्तान की जनता का पैसा आया उसमें 60 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार ने दी और 40 प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश के लोगों ने भी राशि दी. यह सरकार की बजाय जनता का भी पैसा है. मैं कहना चाहता हूं कि चोरी के ट्रांसफार्मर हैं तो उनको जेल भेजिये.
श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय, सौभाग्य योजना में अनियमितता की शिकायत हमें पायी गई. हमने उसकी जांच भी करवायी है और उसमें कार्यवाही भी करेंगे, वह पूरी कार्यवाही की जायेगी. जांच के दो भाग हैं एक अधोसंरचना विस्तार के कार्य की जांच होनी है. दूसरा नये कनेक्शनों का सत्यापन होना है. दोनों मामलों में जांच होनी है. अधोसंरचना विस्तार में कुछ जगहों से जांच आ गई है. अभी भी मैंने पूर्व के उत्तर में कहा कि हमारे दो तीन जांच दल हैं. दो मंडला की जांच कर रहे हैं मंडला वृत्त को हमने आधा-आधा डिवाइड किया है दो जांच दलों में और एक डिंडोरी वृत्त की जांच दल जांच कर रहा है इसमें मैंने अपने उत्तर में स्पष्ट उल्लेख किया है कि अभी इसमें नवीन कनेक्शनों में अनियमितताएं हुई हैं, क्योंकि इतना बड़ा कोंटम है नवीन कनेक्शन लाखों की तादाद में हैं और हरेक कनेक्शन के सत्यापन करने में समय तो लगता है. जब इसमें पूरी जांच की कार्यवाही कम्पलीट हो जायेगी उसमें पूरा प्रतिवेदन आ जायेगा तो उसमें और भी अधिकारी दोषी हैं, क्योंकि प्रथम-दृष्टिया इसमें 18 अधिकारी मंडला में तथा 7 अधिकारी डिंडोरी में हमने दोषी पाये हैं उनके खिलाफ भी कार्यवाही करेंगे, साथ साथ ही उसमें एफ.आई.आर की आवश्यकता पड़ेगी तो वह भी करेंगे. चोरी के ट्रांसफार्मर के मामले में हमारे पास अभी स्पष्ट तथ्य हमें नहीं बताये गये हैं अगर माननीय विधायक जी स्पष्ट तथ्य देंगे तो उस पर भी अलग से जांच करवा लेंगे.
श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, यह पत्र है मध्यप्रदेश शासन ऊर्जा मंत्रालय का जो 10 जुलाई 2019 को लिखा गया प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी यह पत्र लिखा गया उप सचिव आदरणीय व्ही.के.गौड़ साहब का इसमें लिखा गया कि सौभाग्य योजना में चोरी के ट्रांसफार्मर लगाये जाने की सूचना प्राप्त हुई है और इसमें यह भी लिखा है कि 5 दिवस के अंदर विभाग को जानकारी उपलब्ध करवायें यानि 10 जुलाई 2019 से 5 दिन तो छोड़िये उसको 5 महीने हो गये. 5 महीने में हमारे अधिकारियों की जिम्मेदारी देखिये कि वह 5 कदम भी नहीं चले तो इसका मतलब स्पष्ट है कि यह मामला बहुत बड़ा है घोटाला छोटा-मोटा नहीं है. इसमें राशि नीचे से ऊपर तक गई है इसलिये ऊपर से नीचे तक के अधिकारी या तो इस घटना को दबाने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि जब शासन लिख रहा है कि पांच दिन के अंदर जानकारी उपलब्ध करवायें माननीय मंत्री जी इसको संज्ञान में लें. व्ही.के.गौड़ उप सचिव मध्यप्रदेश शासन ऊर्जा विभाग का पत्र है और वह लिख रहे हैं प्रबंध संचालक जी को मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं 5 दिन की कार्यवाही पर आज 5 महीने निकल गये 5 कदम सरकार के अधिकारी नहीं चले इसको हम किस तरह से ले जायें.
श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूं कि घोर अनियमितताएं हैं मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आज ही मध्यप्रदेश फॉर मैनेजमेंट कम्पनी के एम.डी.को लिखकर उनके यहां भोपाल से जबलपुर के हमारे अधिकारियों की एक टीम इस मामले की जांच के लिये गठित करेंगे और एक महीने के अंदर इसका जांच प्रतिवेदन आप तक प्रस्तुत करवाएंगे.
श्री विनय सक्सेना--अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात की खुशी है कि माननीय मंत्री जी वैसे तो संवेदनशील हैं. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी कहा है कि कहीं पर भी पारदर्शिता में कमी नहीं होना चाहिये. मैं चाहता हूं कि इन्होंने जो समिति गठित की है इसके बहुत सारे तथ्य मेरे पास भी हैं. क्या ऐसी कृपा आपके माध्यम से होगी कि हम भी हमारे पास में जो आधार है पत्र तथा जानकारियां हैं उस समिति में आप मुझको रखें तो मैं समिति में प्रस्तुत कर सकूं ताकि इनको संज्ञान में लिया जाये नहीं तो आज तक सरकार को पत्र ही अधिकारियों ने नहीं दिखाये हैं कि चोरी के ट्रांसफार्मर में 5 दिन की छूट दी गई.
श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य चाहते हैं कि जो भी उनके तथ्य हैं, क्योंकि इस प्रकार की अनियमितता आदिवासी अंचल में हुई और घोर अनियमितता हुई है सौभाग्य योजना का मजाक बनाया गया है, यह मैं मानता हूं यह जो पूरे काम हुए हैं इसको संवेदनशीलता से लेते हुए जो भी तथ्य माननीय सदस्य या मंडला, डिंडोरी जिले के अन्य माननीय सदस्य हम तक प्रस्तुत करेंगे उनको एम.डी. फॉर मेनेजमेंट कंपनी के माध्यम से समिति गठित करके उनके हरेक पत्र एवं हरेक बिन्दु की विस्तृत जांच एक महीने के अंदर करवायेंगे.
श्री नारायण सिंह पट्टा(बिछिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि यह संगीन मामले को संज्ञान में लेकर के उन्होंने जो जांच टीम बनाई है सबसे पहले सरकार आने के बाद.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न करिए.
श्री नारायण सिंह पट्टा - जी प्रश्न कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं यह प्रश्न नहीं है, प्रश्न करिए.
श्री नारायण सिंह पट्टा - मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि यह सौभाग्य योजना में इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई है कि यह 10 करोड़ नहीं बल्कि जो मंडल जिले में भारी मात्रा में पचासों करोड़ की गड़बड़ी हुई है, जिसकी मैंने शिकायत की थी, उसमें जांच हुई और जांच में गड़बड़ी सामने निकलकर आई. मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या मंडला जिले के ऐसे सैकड़ों ग्रामों के मंजरे-टोले हैं जो सौभाग्य योजना के नाम से विद्युतीकरण रिकार्डों में कर दिया है, लेकिन आज भी वस्तुस्थिति यह है कि वहां न बिजली पहुंच पाई है न ही लोगों को बिजली की सुविधा मिल पा रही है. ऐसे गांवों में कब तक विद्युतीकरण हो जाएग, उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही होगी, मंत्री जी ने आश्वस्त किया है, लेकिन इस कार्यवाही क्या उन विद्युत विहीन गांवों को संतुष्टि होगी, उन आदिवासियों को क्या विद्युत का लाभ मिल पाएगा. मैं यह बात माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं.
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य चूंकि मंडला जिले के हैं और आप ही ने मुझे पत्र लिखकर इस जांच के लिए कहा था और हमने जांच पूरी करवाई भी थी, और हमारे वचन पत्र का हिस्सा भी है कि जो आदिवासी मजरा टोला जो अविद्युतिकृत सौभाग्य योजना के बाद भी छूट गए हैं, उनके लिए हम एक समग्र योजना तैयार करें तो उसके लिए तीनों कंपनियां, पश्चिम क्षेत्र, मध्य क्षेत्र और पूर्व क्षेत्र तीनों कंपनियों को मैंने निर्देश दिए हैं कि इसमें जो भी मजरे टोले छूटे हैं हमारे आदिवासी अंचल के उनको विद्युतीकरण करने के लिए योजना तैयार की जाए, योजना तैयार करके आने वाले समय में उसको जो भी उचित प्रावधान है वह करके हम उसे लागू कराएंगे. साथ साथ ही जो आपको एक और विषय था कि कौन कौन अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जाएगी तो जो भी अधिकारी इसमें दोषी पाए जाएंगे, प्रथम दृष्टया उन लोगों को हम मंडला से हटा भी देंगे, डिण्डोरी से हटाकर जैसे ही जांच पूर्ण होगी, जांच के आधार पर उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.
श्री नारायण सिंह पट्टा - माननीय अध्यक्ष महोदय धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी से मैं दो निवेदन कर लूं.
श्री आरिफ अकील - वही हम सोच रहे थे कि अभी तक मामला आया क्यों नहीं.
अध्यक्ष महोदय - बिजली का मामला है. मंत्री जी यह 5-10 करोड़ रूपए का मामला नहीं है, यह 100 करोड़ के आसपास का है. दूसरा, निलंबन करना इतने बड़े घोटाले में सजा नहीं होती है. धारा 11(ए) का उपयोग करिए. एफआईआर भी करिए, सेवाएं समाप्त करने की बात करिए, तब निकलकर आएगी, तब बात निकलेगी कि ऐसे भ्रष्टाचार में क्या होना चाहिए. जिन अधिकारियों की आपने यहां घोषणा की है, जानकारी अनुसार ये बड़े वजनदार लोग है, इसलिए पांच महीनों में मंत्रालय द्वारा लिखी गई चिट्ठी का भी असर वहां नहीं हो पाया. वह असर कैसे बरकरार आप करेंगे, यह आपके ज्ञान के ऊपर छोड़ता हूं, धन्यवाद.
श्री जालम सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां ठेकेदार भी बहुत सारे सौभाग्य योजना के काम अधूरे छोड़कर चले गए हैं. माननीय मंत्री जी ने कहा कि एससी-एसटी के क्षेत्र में भर आदेश कर रहे हैं. मेरा निवेदन है कि जो भी छूट गए हैं नरसिंहपुर जिले में भी बहुत सारे मजरे टोले छूट गए हैं, सौभाग्य योजना के तहत तो वहां के लिए भी निर्देशित करेंगे ऐसा मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, माननीय मंत्री जी नरसिंहपुर को भी देख लीजिए और तीसरी बात मैं भूल गया था, जो ठेकेदार ने गलत माल सप्लाई किया है उसको ब्लैक लिस्ट भी करिए.
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो प्रावधानों के अनुसार जो उपकरणों की खरीदी में और जिन्होंने उपकरण सप्लाई किया है उनके विरूद्ध भी हम ब्लैक लिस्ट की कार्यवाही कर देंगे और नरसिंहपुर को तो हम कभी त्याग नहीं सकते. मां नर्मदा को प्रणाम और आपको भी प्रणाम.
अध्यक्ष महोदय - आपकी मेहरबानी होगी.
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष जी, एक चीज और जोड़ दें. एक मिनट मेरी बात सुन लें. सिंगरौली में भी 200 करोड़ रुपये का काम हुआ है, वहां भी घोटाला है. इसी सौभाग्य योजना में सिंगरौली को भी जांच में जोड़ा जाय.
अध्यक्ष महोदय - यह मंत्री जी के विवेक पर छोड़िएगा.
1.21 बजे
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति (क्रमशः)
(2) सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का पन्द्रहवां से उन्नीसवां प्रतिवेदन
श्री लक्ष्मण सिंह (सभापति) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अहं शासकीय उपक्रमणाम् संबंधी समितिः पंचदशेन् नवदश प्रतिवेदनम् सदन समक्षे प्रस्तुतः करोमि.
एक माननीय सदस्य - धन्यवाद, राजा साहब, संस्कृत में आज आपने इसे प्रस्तुत किया.
1.22 बजे
(3) प्रश्न एवं संदर्भ समिति का प्रथम (कार्यान्वयन) प्रतिवेदन
कुंवर विक्रम सिंह (सभापति) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रश्न एवं सदंर्भ समिति का प्रथम (कार्यान्वयन) प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूं.
1.23 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में सम्मिलित माननीय सदस्यों की सभी याचिकाएं प्रस्तुत की गई मानी जाएंगी.
1.24 बजे संकल्प
मध्यप्रदेश विधान सभा का प्रत्येक सदस्य स्वयं की तथा परिवार के आश्रित सदस्यों की आस्तियों तथा दायित्वों का विवरण, चुनाव में उम्मीदवार द्वारा जानकारी देने हेतु निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित प्रपत्र में अथवा चार्टर्ड एकाउन्टेंट द्वारा प्रमाणित वार्षिक विवरणी के रूप में, दिनांक 31 मार्च की स्थिति में प्रति वर्ष 30 जून तक प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश विधान सभा को प्रस्तुत करेगा और इस प्रकार प्रस्तुत विवरण मध्यप्रदेश विधान सभा की वेबसाईट पर प्रदर्शित किया जाना
श्री विश्वास सारंग (नरेला) - अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्यमंत्री जी ने जो संकल्प प्रस्तुत किया है हम उसका समर्थन करते हैं. अध्यक्ष महोदय, सार्वजनिक क्षेत्र में जो व्यक्ति काम कर रहा है. राजनीतिक क्षेत्र में जो व्यक्ति काम कर रहा है, जनप्रतिनिधि है, निश्चित रूप से वह जनता के प्रति उत्तरदायी है और उसकी जिंदगी के हर पहलू की पारदर्शिता समाज के सामने आनी चाहिए, जनता के सामने आनी चाहिए. इसका भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से समर्थन करती है और इसीलिए हमारी पार्टी ने पूरे देश में, मध्यप्रदेश में हर जगह किसी भी जनप्रतिनिधि की निजी जिंदगी की पारदर्शिता के विषय में जब भी कोई विषय आया है उसका समर्थन किया है.
अध्यक्ष महोदय, परन्तु मुझे लगता है कि सरकार द्वारा यह जो संकल्प प्रस्तुत किया गया है वह छुई-मुई सा है. केवल छूकर हम निकल जायं, इससे मुझे लगता है कि बहुत परिस्थिति में परिवर्तन नहीं आएगा. हम इसके हिमायती हैं कि पारदर्शिता आए, हर व्यक्ति को पता लगे कि मेरे जनप्रतिनिधि का या उसके परिवार की क्या संपत्ति है, उसने क्या कुछ अर्जित किया है. परन्तु मुझे लगता है कि यह केवल संकल्प तक सीमित न रहे. इसको कानून का रूप दिया जाय. यह विधान सभा में सरकार कानून लेकर आए कि जो भी इस विधान सभा में सदस्य के रूप में निर्वाचित होता है, जनता उसको अपने प्रतिनिधि के रूप में इस विधान सभा में भेजती है, वह कानूनी रूप से उस पर यह नियम लगे कि वह अपनी संपत्ति हर साल सदन में प्रस्तुत करे, पटल पर रखे. अध्यक्ष महोदय, हम इसका समर्थन करते हैं . परन्तु मुझे ऐसा लगता है कि यह केवल संकल्प से इसकी अवधारणा पूरी नहीं होगी. इसको कानून के रूप में सरकार लेकर आए, हम उसका भी पूरी तरह से समर्थन करेंगे. धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष( श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने जो संकल्प प्रस्तुत किया है मैं उसके लिए धन्यवाद दूंगा. हमारी भाजपा का प्रत्येक सदस्य इस संकल्प की प्रतिपूर्ति के लिए और इस संकल्प पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन देखा नहीं गया बल्कि यह बात प्रमाणित है और सभी लोग जानते हैं कि संपत्ति का जो ब्यौरा दिया जाता है. वह किस तरह से बनाया जाता है चाहे वह सीए बनाये या वकील या कोई सलाहकार बनाये कोई भी बनाये. अध्यक्ष महोदय सही पूछा जाय तो यह एक कर्मकाण्ड है जो हम जनता को एक मुखौटा पहनकर ठगने की कोशिश करते हैं. मैं बहुत ईमानदारी के साथ में इस बात को कहना चाहता हूं कि हिन्दुस्तान में बहुत कम राजनीतिक लोग ऐसे होंगे, बहुत कम व्यवसायी ऐसे होंगे, बहुत कम अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले ऐसे लोग होंगे, बहुत कम शासकीय सेवक ऐसे होंगे जो शतप्रतिशत वास्तविक संपत्ति का ब्यौरा देते होंगे.
अध्यक्ष महोदय लेकिन इस सबके बावजूद भी मैं चूंकि माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने संकल्प प्रस्तुत किया है इसलिए मैं इसका समर्थन करता हूं लेकिन इसके साथ ही यह भी कहना चाहता हूं जैसा कि हमारे साथी विश्वास सारंग जी ने कहा कि इसके बारे में आप एक कानून बनायें कि यदि यह फर्जी है या इसमें कोई चीज छिपाई गई है, या आपकी आय या संपत्ति आपके दिये हुए ब्यौरे से अधिक है तो इसमें ऐसे दण्ड का प्रावधान करें कि झूठा ब्यौरा देने की कोई हिम्मत नहीं कर सके और इस प्रकार का जब आप प्रावधान करेंगे तब ही इसका उद्देश्य सही माना जायेगा अन्यथा नहीं.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय हमारे चुनाव के समय हमारी पार्टी के नेता माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी के निर्देश से हमारा जो वचन पत्र था उसका बिंदू क्रमांक 38.8 में माननीय विधायकों की संपत्ति घोषित कर उसका प्रतिवेदन सदन के पटल पर रखने का वचन दिया गया था, उसकी पूर्ति के लिए हम यह संकल्प लाये हैं.
अध्यक्ष महोदय जहां तक हमारे विश्वास सारंग जी या हमारे नेता प्रतिपक्ष भार्गव जी ने संकल्प के संबंध में कहा है कि इसको कानूनी रूप से प्रावधान करके लाना चाहिए था. अगर इसमें गलत जानकारी दी जाती है तो दण्ड का प्रावधान भी होना चाहिए. अध्यक्ष महोदय जिस बात का उल्लेख माननीय नेता प्रतिपक्ष और माननीय सदस्य ने किया है हमने पूरा संकल्प की जगह कानून बनाने का प्रावधान करने की राय अपने संसदीय कार्य विभाग के माध्यम से भेजी थी. परंतु जो संसदीय साधिकार समिति है उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस प्रकार का प्रावधान कहीं भी नहीं है और कहीं पर लागू भी नहीं है लेकिन फिर भी जिन प्रदेशों में लागू है उनमें सबसे पहले तमिलनाडू में 1969 में संकल्प पारित करने के लिए संकल्प विधान सभा के पटल पर रखा गया था. उसमें भी कानूनी बाध्यता नहीं थी और भी प्रदेशों से हमने विधान सभा से जानकारी मंगायी उसमें सभी का यह कहना था कि कानूनी रूप से हम जनता के प्रतिनिधि हैं. हम समाज में जनता की सेवा के लिए आये हैं. हम अपनी गरीबी दूर करने के लिए नहीं आये हैं. वास्तव में जब हम समाज में जाते हैं और समाचार पत्रों में देखने को मिलता है और आम जनता में यह बात देखने को मिलती है कि हमारे विधायक जी जब पहली बार विधायक बनकर आये थे तब वह टूटी सायकिल पर चलते थे फिर विधायक बनने के बाद में एक एक करोड़ की गाड़ी में चल रहे हैं, तो यह समाज में लोक राज है इसलिए लोक राज में लोक लाज भी होना चाहिए और इसी लोक लाज के तहत हम इस पर अमल करना चाहते थे.
अध्यक्ष महोदय मैं चाहता था कि कानूनी प्रावधान हो लेकिन जब हमें सलाह दी गई कि जब कर्नाटक में प्रावधान किया गया कि 30 जून 1984 के पहले लोकायुक्त में अपनी संपत्ति प्रस्तुत करेंगे लोकायुक्त उनको मुख्य रूप से तीन समाचार पत्रों में उनके परिवार की आय को घोषित करेंगे और समाचार पत्रों में छपवायेंगे. यह भी है कि हर साल अगर सम्पत्ति बढ़ती है, तो प्रति वर्ष जो सम्पत्ति बढ़ती है, उसका आंकड़ा आ जाना चाहिये. कई जनप्रतिनितियों की तो यहां हमें भी जानकारी है कि विधायक बनने के पहले उनकी क्या हालत थी और 5 वर्ष में कहां से कहां पहुंच जाते हैं. यह इसलिये जरुरी था. मैं यह भी कहना चाहूंगा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड में प्रमुख सचिव, विधान सभा के यहां 30 जून तक प्रतिवर्ष विवरण अपना रखने का प्रावधान है और विधान सभा के द्वारा गजट नोटिफिकेशन भी होता है. बिहार में भी यह संकल्प सर्व सम्मति से पारित हुआ था और उसमें भी सदस्यगण अपने परिवार की और अपनी जो आश्रित लोग हैं, उनकी सम्पत्ति प्रति वर्ष 31 दिसम्बर तक सदन में, अपने विधान सभा के सचिवालय में प्रस्तुत करने का जो आयोग द्वारा प्रोफार्मा है, उसमें करने का प्रावधान है. अतः बिहार सचिवालय में भी यही प्रावधान किया है कि उसमें केवल अपनी वेब साइट में जारी करेंगे, परन्तु कहीं भी इसमें दण्ड का प्रावधान किसी भी विधान सभा में नहीं किया गया है और यही सोचकर साधिकार समिति ने जो दिया है, हम आपकी इस बात से सहमत हैं. अगर आपने कहा है, तो मैं मुख्यमंत्री जी से चर्चा करुंगा. मैं तो चाहता हूं कि इस प्रकार का प्रावधान बने, ताकि जन प्रतिनिधियों पर भी अंकुश लगे. जो जन प्रतिनिधि समाज के लिये आते हैं. जब एक क्षेत्र के विधायक बन जाते हैं, तो फिर उनका घर परिवार नहीं रहता है, पूरा क्षेत्र घर परिवार बन जाता है और हम विधायक बनने के बाद या जन प्रतिनिधि बनने के बाद अगर हम सम्पत्ति इकट्ठा करने लगते हैं, अपनी गरीबी दूर करने में लग जाते हैं, 3-4 पीढ़ियों की व्यवस्था करते हैं, तो इसलिये यह कानून बनना चाहिये. आपने जो विचार रखा है, मैं इस संबंध में मुख्यमंत्री जी से चर्चा करुंगा, चूंकि कहीं भी, किसी भी प्रदेश की विधान सभा में इस प्रकार का प्रावधान नहीं था, इसलिये साधिकार समिति ने भी इसी प्रकार का निर्णय दिया और वह हमारे सामने आया है. मैं तो यह भी कहना चाहता हूं कि..
श्री केदारनाथ शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, इसमें केवल शपथ पत्र जोड़ दीजिये तो यह कानूनी परिधि में आ जायेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, विधान सभा में जब आयेगा, तो आपको लोकायुक्त , आर्थिक अपराध ब्यूरो और आय से अधिक सम्पत्ति के कानून पूर्व से हैं, उसमें कर सकते हैं. अगर आप कहो, तो मैं जब से विधायक बना हूं, हम तो जानकारी देने को तैयार हैं, आप भी तैयार हो जाओ. जब से हम एमएलए बने थे, तब से सम्पत्ति की जानकारी देने के लिये तैयार हैं.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, हमने तो पहले से ही कहा कि सर्वसम्मति से, हम तो तैयार हैं.
श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष महोदय, उसमें कोई दिक्कत नहीं है. आप यह तय कीजिये कि आईएएस एवं आईपीएस अफसर आपके जो प्रदेश के हैं, वह भी हर साल दें. कानून बनाना है विधान सभा में, तो सबके लिये बनाइये. पारदर्शिता हमारे लिये जरुरी है, तो उनके लिये भी जरुरी है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय,उनके लिये पूर्व से ही है. यह कानून नहीं है, यह तो संकल्प है...
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह तो बहुत जरुरी है. अधिकारी को भी जोड़ा जाये.
डॉ. गोविन्द सिंह -- .. अध्यक्ष महोदय, यह आपके विवेक पर है, चूंकि आप जनता के प्रतिनिधि हैं. हम और आपको समाज में दर्पण के सामने चेहरा जैसा बिलकुल साफ दिखता है, उसी प्रकार से साफ नजर आना चाहिये. इसलिये हमारा आपका दायित्व भी रहता है.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इसमें अधिकारियों का भी जोड़ियेगा. हम जनता के सेवक 5 साल के लिये हैं, हम करेंगे. वह भी जनता के सेवक नहीं हैं क्या.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री जी आप कुछ भी कहें ट्रांसपोर्ट के नाके, रेत माफिया, शराब माफिया, तमाम प्रकार की बातें हैं, मैं कहना नहीं चाहता था इन बातों को, देखो अभी बहुत बातें आगे जायेंगी..
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय,जो आयेंगे, वह करेंगे...
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, फिर आप कागज का टुकड़ा लिये हो, फिर क्या मतलब.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय,जहां जहां आपकी सरकार हैं, उन्होंने भी यही किया है. अगर आपमें नैतिकता है, तो आप स्पष्ट करिये. अतः मैं सभी सम्मानीय सदस्यों निवेदन करना चाहता हूं, वैसे आपने कह दिया है, इसको सर्वसम्मति से पारित करें.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, बिना दांत का, बिना नाखुन का ऐसा संकल्प है. ..
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय,मैंने कह तो दिया है कि चर्चा करुंगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, लाइये आप. आप आजीवन कारावास का प्रावधान करें, आजीवन कारावास का प्रावधान. मैं कह रहा हूं आप इसका प्रावधान करें. यदि आप में शक्ति है और यदि आप कह रहे हैं कि आपका चुनाव घोषणा पत्र है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, 15 वर्ष में तो आप यह भी नहीं कर पाये.
श्री गोपाल भार्गव -- गोविन्द सिंह जी, आप पजामा कुर्ता पहिनते थे, आप बण्डी पहनने लगे तो क्या यह गड़बड़ हो गया क्या. ...(हंसी)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं बात करुंगा, ऐसा मैंने कह दिया है. अगर अनुमति मिलेगी, तो हम जरुर लायेंगे. हम आपके विचार से सहमत हैं. हमारा निवेदन है कि सर्वसम्मति से इसको पास करें.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, सर्वसम्मति से.
अध्यक्ष महोदय -- लेकिन यह बात जरूर है कि बीच में जो जबलपुर से आवाज आई है और उदयपुरा से आवाज आई है, डॉक्टर साहब, हम अपने आपको तो बांधने जा रहे हैं, लेकिन लोकतंत्र के अगर दो-तीन स्तंभ हैं तो उनको क्यों नहीं बांध रहे हैं ? उनकी भी तो एकाउंटेबिलिटी के पेपर यहां पर आने चाहिए, जनप्रतिनिधि ही क्यों, हम इससे सहमत हैं, लेकिन ये प्रतिध्वनि भी निकल रही है कि जो-जो लोकतंत्र के स्तंभ माने जाते हैं, वे भी आगे आएं. संसदीय कार्य मंत्री जी, वे आपके पास आएं और वे स्वयंमेव बोलें कि हमको भी इस दायरे में लाइये.
श्री अजय विश्नोई -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध यह है कि इसमें आप आसंदी से निर्देश दें कि विधान सभा में पटल पर वे विषय हर साल रखे जा सकते हैं. वे अपना एकाउंट, अपना हिसाब हर साल विधान सभा में दें.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, शासकीय अधिकारियों, आईएएस, राज्य सेवा के अधिकारियों, कर्मचारियों के सेवा नियमों में यह प्रावधान है कि वे प्रतिवर्ष अपनी संपत्ति सरकार को प्रस्तुत करेंगे.
श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी से अनुरोध यह है कि उनको विधान सभा के माध्यम से पटल पर लाएं.
अध्यक्ष महोदय -- यह मैं संबंधितों के विवेक पर छोड़ रहा हूँ.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, हमें तो एक वर्ष हुआ है, क्या ये 15 साल सोते रहे ?
श्री अजय विश्नोई -- अब तो जग गए हो ना.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, नहीं, सोने का सवाल नहीं है, हम लोगों ने पहले दिए हैं, आप रिकार्ड में देख लें. यहीं विधान सभा में दिए हैं. परम्परा रही है और अनेक बार दिए गए हैं. मैं माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूँ कि आप रिकार्ड देख लें, हम लोगों ने, शत-प्रतिशत मंत्रियों ने, विधायकों ने यहां पर अपनी संपत्तियों के ब्यारे दिए हैं. इलेक्शन कमीशन के लिए भी दिए हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं इतना ही कहना चाहता हूँ, जैसा कि अजय विश्नोई जी ने भी कहा कि और भी वर्ग ऐसे हैं जो इससे जुड़े हुए हैं, हमारी व्यवस्था को प्रभावित करते हैं. उन्होंने अकूत संपत्ति अर्जित कर ली है और राजनीति को भी प्रभावित करते हैं, अन्य बातों को भी प्रभावित करते हैं, राजनेताओं को भी प्रभावित करते हैं, ऐसे लोगों को तो नग्न करना चाहिए और वह नग्न होगा विधान सभा के पटल पर आने के बाद, इसलिए पब्लिक डोमेन में उसको आना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक बात है, इस पर बिल्कुल विचार होना चाहिए.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, जिन्होंने करोड़ों की सम्पत्ति अर्जित की है, उनको आप टिकट देकर सांसद और विधायक बना रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, यह पार्टी का मामला थोड़ी है.
अध्यक्ष महोदय -- संसदीय कार्य मंत्री जी, विश्वास जी, आपस में चर्चा न करें. यह किसी पार्टी का मामला नहीं है. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी, हम लोग खुद अपने आपको नागपाश में बांध रहे हैं, हम खुद अपने ऊपर नियम बना रहे हैं. अगर हम किसी तीसरे की बात करते हैं तो उसमें हम क्यों बहस करते हैं. सोचिए ना.
1.38 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
अध्यक्ष महोदय -- दिनांक 17 दिसंबर, 2019 की कार्यसूची में पुर:स्थापन हेतु सम्मिलित विधेयक सभा की कार्यवाही स्थगित हो जाने के फलस्वरूप मैंने उन विधेयकों को आज पुर:स्थापन एवं विचार में लिए जाने की अनुज्ञा प्रदान की है.
मैं समझता हॅूँ सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति दी गई.
1. मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019
(क्रमांक 27 सन् 2019) का पुर:स्थापन
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहती हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाये.
अनुमति प्रदान की गई.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन करती हूँ.
2. मध्यप्रदेश सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 28 सन् 2019) का पुर:स्थापन
3. मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय, (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 29 सन् 2019) का पुर:स्थापन
4. महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 30 सन् 2019) का पुर:स्थापन
5. महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 31 सन् 2019) का पुर:स्थापन
1.43 बजे वर्ष 2019-2020 के प्रथम अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन
1.44 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
1. मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 27सन् 2019)
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करती हॅूं कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
श्री अजय विश्नोई (पाटन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेडीकल एजूकेशन मिनिस्ट्री की तरफ से मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद मेडीकल काउंसिल ऑफ मध्यप्रदेश कह सकते हैं.उसके अपने अधिनियमों में एक परिवर्तन उन्होंने संशोधित करना चाहा है. मंशा बहुत अच्छी है. मंशा बहुत स्पष्ट है हम उसका स्वागत करते हैं. यह सच्चाई है कि मध्यप्रदेश के जिला अस्पतालों में, सीएससी में विशेषज्ञों की निहायत ही कमी है और उसके कारण सामान्य गरीब लोगों के जो वर्ग हैं उसकी चिकित्सा प्रभावित होती है.
1.45 बजे { उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कांवरे) पीठासीन हुईं }
श्री अजय विश्नोई ..(जारी)..
मजबूरी में महंगी चिकित्सा के लिए प्रायवेट चिकित्सकों के पास जाने के लिए मजबूर होती है. दूसरी तरफ हमारे जो इनसर्विस कैंडीडेट हैं, हैल्थ डिपार्टमेंट के अंदर जो डॉक्टर्स काम कर रहे हैं उनको भी जितना उनका कोटा था डिप्लोमा और डिग्री का तो धीरे धीरे चूंकि डिप्लोमा के कोर्सेज बंद होते चले गए इसलिए डिप्लोमा कोर्सेज के अभाव में भी हमारे इनसर्विस कैंडीडेट सिर्फ डिग्री कोर्सेज कर पाते हैं और उतना कोटा हमारा कम हो जाता है. ऐसी स्थिति में एक अच्छा अभिनव प्रयास हुआ है जिसमें हम कॉलेज ऑफ फिजीशियन एण्ड सर्जन मुम्बई जो अपने आप में एक ऐसी संस्था है जो कई प्रदेशों में इस तरीके के प्रावधान चला रही है. उस प्रावधान को चलाते हुए हम मध्यप्रदेश के शासकीय चिकित्सालयों में इसके प्रैक्टिस की व्यवस्था कर पाएंगे इसकी ट्रेनिंग की व्यवस्था कर पाएंगे और उसका लाभ मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों, मध्यप्रदेश के गरीब नागरिकों को आने वाले समय में मिलेगा यह बात अपने आप में ही स्पष्ट हो रही है इसलिए इसका समर्थन करने में हमको कोई परेशानी नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदया, साथ-साथ मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान इस ओर भी आकर्षित करना चाहता हूं कि जिस समय हम इन शासकीय चिकित्सालयों में इस व्यवस्था की शुरुआत कराएंगे तो यह जो कॉलेज ऑफ फिजीशियन एण्ड सर्जन हैं यह जब आपके पास आएंगे तो यह समझ लीजिए आपके लिए एम.सी.आई. हो जाएगी, यह आपसे चाहेंगे कि अस्पतालों के अंदर इस-इस प्रकार का अपग्रेडेशन करिए या इस प्रकार के वहां पर डॉक्टर्स पदस्थ कीजिए जो इसको पढ़ा पाएं या उसके योग्य हों. उसके लिए आपको हैल्थ डिपार्टमेंट के साथ में समन्वय करना होगा और इसके अपग्रेडेशन के लिए फायनेंशियल व्यवस्थाएं भी करनी होंगी. इस प्रकार से हम इसका समर्थन करते हैं परंतु एक आपत्ति सहित हम यह सुझाव दे रहे हैं कि जब आप इसको लेकर आए हैं तो नियमों का पूरा पालन होना चाहिए. यह मध्यप्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 61 को हम पढ़ें. विधेयक के साथ एक वित्तीय ज्ञापन होगा ऐसा नियम में लिखा हुआ है. जिसमें व्यय अंतर्गत होने वाले खण्डों की ओर विशेषत: ध्यान दिलाया जाएगा और उसमें उस आवर्तक तथा अनावर्तक व्यय का भी प्राक्कलन दिया जाएगा जो विधेयक के विधि के रूप में पारित होने की अवस्था में अंतर्ग्रस्त हों. इसमें तय बात है कि फायनेंशियल इम्प्लीकेशन होने वाले हैं. यदि फायनेंशियल इम्प्लीकेशन तय हैं तो इस विधेयक के साथ में एक वित्तीय ज्ञापन भी होना चाहिए था. इस प्रकार से आपने यह अधूरा प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, इसका पूरा प्रस्ताव प्रस्तुत करें और प्रदेश के हित में आगे बढ़ें.
डॉ. अशोक मर्सकोले (निवास) - उपाध्यक्ष महोदया, धन्यवाद. निश्चित रूप से जब मध्यप्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य के अधिकार की बात की है और मध्यप्रदेश की जनता को इस सोच के साथ में हम उच्च क्वालिटी की स्वास्थ्य सुविधाएं देंगे जहां पर सामान्य स्वास्थ्य सुविधाएं देना अलग बात है और एक स्पेशलाइज सुविधा देना एक अच्छी बात है और उसी के परिपेक्ष में मध्यप्रदेश सरकार को, माननीय कमल नाथ जी को, हमारी चिकित्सा शिक्षा मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री जी को मैं बधाई देना चाहूंगा कि एक बहुत अच्छी सोच के साथ में हम अच्छी सुविधाएं देने के लिए आगे बढ़ रहे हैं. अब तक क्या होता था कि लिमिटेड सर्विसेज स्पेशलाइज की थीं जिसमें हमारे यहां पर लिमिटेड सीटें होने की वजह से हम अच्छी सुविधाएं नहीं दे पा रहे थे कि गांव-गांव तक हम विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध करवा सकें. कुछ में तो ठीक है लेकिन हमारे यहां पर कुछ ऐसे विषय हैं जिसमें मनोरोग चिकित्सक, रेडियोलॉजिस्ट, आज हमारे कई ऐसे जिले हैं जहां पर रेडियोलॉजी, सोनोग्राफी की सुविधा, सीटी स्केन के लिए हमारे पास डॉक्टर्स उपलब्ध नहीं हैं, सायकोलॉजिस्ट उपलब्ध नहीं हैं और इस परिप्रेक्ष्य में अगर हम यह देखते हैं कि इन असुविधाओं को देखते हुए साथ में एनेस्थीसिया के डॉक्टर नहीं होने की वजह से ऑपरेशन नहीं हो पाते हैं और इमरजेंसी मेडिसिन के लिए जिस प्रकार से मध्यप्रदेश की सरकार ने इसमें 6 कोर्सेज को शामिल करने की बात की है निश्चित रूप से इससे जो सेवारत् चिकित्सक हैं जो कि ऑलरेडी मध्यप्रदेश सरकार की सर्विस में हैं. उनको इस कोर्सेस के माध्यम से जब इसमें हम एमसीआई के माध्यम से जब इनको डिप्लोमा में हम शामिल करके उनको जब पीजी कराएंगे और उनके बाद में जब अलरेडी वे सर्विसेस कर रहे हैं, वहाँ पर एक विशेषज्ञ चिकित्सा उपलब्ध करा पाएँगे तो एक बड़े शहर से लेकर गाँव तक में अच्छी सुविधाएँ मिल पाएँगी, यह एक बहुत अच्छी मंशा है, मैं इसका स्वागत करता हूँ. साथ में एक बात और कहना चाह रहा हूँ चूँकि मैं खुद भी एक चिकित्सक हूँ और इस गंभीरता को समझता हूँ, अब तक जो होता आया था कि जैसे ये कोर्स जो है सिर्फ कॉलेज आफ फिजिशियन एंड सर्जन मुंबई सीपीएस के नाम से यहाँ पर दो वर्षीय डिप्लोमा होता था और करीब 40 कोर्सेस उनके माध्यम से चलाए जा रहे थे. बहुत सारे ऐसे थे कि एमसीआई ने उनको परमीशन तो दे दी थी, अब बाकी जो विषय चल रहे हैं कई बार ऐसा होता था कि चलते चलते बीच में एमसीआई के अपने नॉर्म्स के हिसाब से अपनी पूर्ति नहीं कर पाने के कारण वह बीच में बंद हो जाते थे, तो एक बहुत अच्छा विकल्प है हम कह सकते हैं कि इन डिप्लोमा कोर्सेस को अगर शामिल करने से उसके पैरलली अगर हम इन सर्विस कैंडिडेट्स को अगर इसमें देते हैं तो निश्चित रूप से बहुत अच्छी सुविधाएँ मिल पाएँगी और जो हमारी मंशा है, स्वास्थ्य का अधिकार, जिसको हम चरितार्थ करते हुए, एक बेहतर सुविधा देने के लिए जो कटिबद्ध हैं, प्रतिबद्ध हैं, उसको हम पूरा कर पाएँगे और इसके लिए जिस प्रकार से उसकी जो धारा में परिवर्तन करते हुए मध्यप्रदेश आयुर्वेद परिषद् अधिनियम 1987 की धारा 2 घ में इसको कॉलेज आफ फिजिशियन सर्जन्स सीपीएस को शामिल करने का मैं स्वागत करता हूँ. धन्यवाद.
श्री कमल पटेल(हरदा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री को बधाई देता हूँ कि वे एक बहुत अच्छा विधेयक लेकर आई हैं, उसका हम समर्थन करते हैं. इससे जो मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र हैं, जिला मुख्यालय हैं, तहसील मुख्यालय हैं, ब्लाक्स पर हॉस्पिटल्स हैं, वहाँ चिकित्सकों की पूर्ति हो सकेगी और एक विशेषज्ञ चिकित्सक मिल सकेंगे जिससे मध्यप्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलेंगी. मैं इसका समर्थन करते हुए धन्यवाद देता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया-- धन्यवाद.
डॉ.हिरालाल अलावा(मनावर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, बहुत बहुत धन्यवाद. सबसे पहले मध्यप्रदेश सरकार, हमारे माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी, चिकित्सा शिक्षा मंत्री साधौ मैडम जी को तहे दिल से धन्यवाद देना चाहूँगा कि जिस प्रकार मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में जो कदम उठाया है और मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् अधिनियम 1987 की धारा 2 घ में संशोधन करके जो 5 डिप्लोमा कोर्सेस के लिए तैयारियाँ चल रही हैं इससे सबसे ज्यादा प्रदेश के गरीब वर्ग की जनता, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की जनता को फायदा मिलेगा. आज प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टर्स की बहुत ज्यादा कमी है आप इससे भलीभांति परिचित हैं और आज ये जो 5 डिप्लोमा कोर्स, जिसमें जनरल मेडिसिन, मैं खुद भी एक जनरल मेडिसिन डॉक्टर हूँ, जनरल मेडिसिन में अगर एक डिप्लोमा होता है और अगर उस विशेषज्ञ डॉक्टर को प्रायमरी हैल्थ सेंटर या कम्यूनिटी हैल्थ सेंटर पर हम पोस्ट करते हैं तो उस क्षेत्र की जनता को कितना फायदा होगा यह हम समझ सकते हैं क्योंकि आज भी प्रायमरी और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से जो रेफरल सिस्टम है, कई बार डॉक्टर्स को यही नहीं पता होता है कि इमर्जेंसी में उनको रेफर करना चाहिए तो अगर जनरल मेडिसिन का डिप्लोमा कराकर अगर वहाँ पर हम लोग सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लेवल तक एक मिनी आईसीयू की भी व्यवस्था करवाते हैं तो कम से कम उनको जो इमर्जेंसी ट्रीटमेंट मिलना चाहिए तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर उनको हम बेहतर सुविधा और बेहतर इलाज दे सकेंगे. जो सेकण्ड कोर्स है जो सायकोलाजिकल मेडिसिन, आजकल ज्यादातर सायकेट्रिक की प्रॉब्लम्स हैं, चाहे स्कूलों में, चाहे बिजनेसमेन में, चाहे अधिकारी, कर्मचारी में सायकोलॉजिकल डिजीज से पीड़ित हैं, ज्यादातर डिप्रेशन के शिकार होते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में तो दूर दूर तक सायकेटिस्ट नहीं मिलता है. अगर सायकोलॉजिकल मेडिसिन के माध्यम से हम मनोचिकित्सक तैयार करके, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अगर हम लोग उनको पोस्ट करेंगे तो उस क्षेत्र की जनता को काफी फायदा मिलेगा. साथ में डिप्लोमा इन एनेस्थीसिया ऑलरेडी मध्यप्रदेश में होता है यदि सीपीएस कोर्स के माध्यम से हम एनस्थेटिक्स को सीएससी लेवल तक पोस्ट करने में कामयाब होते हैं तो मेटरनल मोर्टेलिटी, इनफेंट मोर्टेलिटी दर को कम करने में हमें सफलता मिलेगी. जनरल सर्जरी, मेडिकल साइकोलॉजी और इमरजेंसी मेडिसिन यह बहुत ही महत्वपूर्ण डिप्लोमा कोर्सेस हैं. इससे डिग्री कोर्स जो तीन साल के होते हैं उसके मेडिकल स्टूडेंट्स को भी इससे फायदा मिलेगा. इसमें सभी का एडमीशन नहीं हो पाता है. इससे ज्यादा से ज्यादा डॉक्टर हम प्रदेश को दे सकेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा उच्च शिक्षा मंत्री जी से यह भी अनुरोध है कि स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में हमें शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान देने की जरुरत है. खासकर धार, झाबुआ, बड़वानी, अलीराजपुर जैसे आदिवासी बाहुल्य इलाकों में आजादी के 70 साल बाद भी एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं है. अगली बार जब भी मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए तो धार, झाबुआ जिले के लिए भी प्रस्ताव भेजा जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए जो डिप्लोमा कोर्सेस शुरु किए जा रहे हैं यह हमारे लिए एक वरदान हैं. यह आने वाले समय में मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे.
धन्यवाद.
श्री केदारनाथ शुक्ल (सीधी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इस विधेयक में मेरा यह कहना है कि इसमें वित्तीय ज्ञापन नहीं है, विश्नोई जी ने आपत्ति भी की है. बिना वित्तीय ज्ञापन के आप इस विधेयक को पारित नहीं कर सकते हैं. इसको वैधानिकता नहीं मिलेगी इसलिए आज इसे वापिस लें और इसमें वित्तीय ज्ञापन जोड़ें. मेरा आग्रह है वित्तीय ज्ञापन इसके साथ बहुत अनिवार्य है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, ऐसे बहुत कम क्षण आते हैं जब सदन में कोई विधेयक या अन्य कोई विषय लिया जाता है और उसमें पक्ष और विपक्ष सामूहिक रुप से धन्यवाद करें. इसके लिए मैं सदन के सभी सम्माननीय सदस्यों का जिन्होंने इस विधेयक पर चर्चा में भाग लिया उनका धन्यवाद करती हूँ. जो विधेयक में लेकर आई हूँ जो कि आज की आवश्यकता है उस पर उन्होंने राजनीति न करते हुए प्रदेश की जनता की जो आवश्यकता है...
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)-- उपाध्यक्ष महोदया, वित्तीय ज्ञापन के बारे में कोई व्यवस्था दे दें. इसमें खर्च इलवाल्मेंट है, खर्च होगा. नए कोर्सेस प्रारंभ हो रहे हैं, कायदे से वित्तीय ज्ञापन देना चाहिए. श्री केदारनाथ शुक्ला जी ने विषय उठाया है. आपका विधेयक ठीक है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, विधेयक की स्थापना में कोई वित्तीय भार नहीं आएगा.
उपाध्यक्ष महोदया-- फिर ठीक है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं कह रही थी कि मैं सभी का धन्यवाद करती हूँ कि सदस्यों ने इसको एप्रीसिएट किया. इस प्रदेश की जनता की स्वास्थ्य की सुविधाओं के लिए एक अच्छा विधेयक मैं यहां लेकर आई हूँ. आज प्रदेश ही नहीं देश के अन्दर डाक्टरों की कमी महसूस की जा रही है. मध्यप्रदेश अनुसूचित, जनजाति बाहुल्य इलाका है. आज भी कई दूरस्थ अंचल ऐसे हैं जहां पर डॉक्टर्स की कमी महसूस की जाती है. दूरस्थ अंचल जहां पर हमारी सीएससी और पीएससी हैं वहां पर प्लेन एमबीबीएस डाक्टर मिलना भी मुश्किल होता है, विशेषज्ञ तो बहुत दूर की बात है इन परिस्थितियों में अगर हम यह व्यवस्था करते हैं. इन परिस्थितियों में अगर हम यह व्यवस्था करते हैं कि किसी संस्था जो संस्था कॉलेज ऑफ फिजीशियन एण्ड सर्जन सी.पी.एस. मुंबई की सन् 2012 से महाराष्ट्र में सेवाएं देती आ रही है और जिसको अन्य प्रदेशों ने भी अंगीकार किया है जिसमें पंजाब, गुजरात, महाराष्ट, राजस्थान, उड़ीसा और अन्य प्रदेश भी इसको अंगीकार कर रहे हैं. इन परिस्थितियों में हम उन लोगों के साथ एम.ओ.यू. कर रहे हैं और इसके द्वारा विशेषज्ञ डॉक्टर प्राप्त होंगे. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने जो पहले डिप्लोमा कोर्सेज थे जिसमें इन सर्विस के लोग जो सर्विस में रहते हुए अपना डिप्लोमा करते थे और हायर एज्यूकेशन प्राप्त करते थे लेकिन कई सालों से डिप्लोमा कोर्स पी.जी. में डिग्री कोर्स में बदल दिए गए हैं तो उन परिस्थितियों में यह कमियों बहुत महसूस की गई हैं. यह आने से डिप्लोमा कोर्स इन सर्विस के जो हमारे डॉक्टर हैं उनको मिल जाएंगे और उसके माध्यम से यह डिप्लोमा लेकर आज की जो नई टेक्नोलॉजी आ रही हैं, नई ड्रग्स आ रही हैं और नए-नए इक्विपमेंट आ रहे हैं उनसे हमारे रिमोट एरिया में जो डॉक्टर सेवारत रहते हैं वह अछूते रहते हैं. वह कई सालों से उन अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं लेकिन अपग्रेड नहीं होने के कारण उन सुविधाओं का लाभ वह न तो खुद अपग्रेड होकर ले पाते हैं न वह प्रदेश की जनता को दे पाते हैं. इन परिस्थितियों में वह डिप्लोमा करते हैं तो वह अपग्रेड भी रहेंगे और प्रदेश की जनता को लाभ भी दे सकेंगे.
2:01 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति) (एन.पी.) पीठासीन हुए}
जब से आदरणीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में यह सरकार बनी है आदरणीय कमलनाथ जी का निर्देश है कि किसी भी सुविधाओं में समझौता नहीं करना चाहिए और स्वास्थ्य सुविधाएं यह जो अतिआवश्यक सुविधाएं हैं यह बहुत जरूरी हैं. इसमें कहीं भी समझौते की गुंजाइश नहीं है. प्रदेश के दूरस्थ अंचल में बैठा हुआ व्यक्ति भी चाहता है कि उसको सही रूप में स्वास्थ्य मिले और जिस तरह से झोलाछाप डॉक्टर इधर-उधर फैले हुए हैं उससे उसको निजात प्राप्त हो. मैं समझती हूं कि इस विधेयक पर हमारे सम्माननीय विधायकों ने अपने सुझाव भी दिए और धन्यवाद भी प्रस्तुत किया. आदरणीय विश्नोई जी का मैं धन्यवाद करती हूं. आदरणीय डॉ. अशोक मार्सकोले जी ने अपनी बात कही आदरणीय कमल पटेलजी, आदरणीय डॉ. हिरालाला अलावा जी और आदरणीय शुक्ल जी ने जो वित्तीय व्यवस्थाओं की बात की है इसमें वित्तीय भार बिलकुल नहीं के बराबर है. इसे केवल मान्यता प्रदान करने का उद्देश्य जिसमें कुछ तो हमारे कोर्स चल रहे हैं और कुछ कोर्स को इसमें मान्यता की आवश्यकता है जिसमें अभी स्त्री रोग में डी.जी.ओ चल रहा है, शिशु रोग में डी.सी.एस. चल रहा है. पैथोलॉजी एवं माइक्रोलॉजी में यह चल रहा है. हम जिसके लिए आए हैं इसमें जनरल मेडीसिन सायक्लॉजी जो अभी सम्माननीय सदस्यों ने बात उठाई थी कि जो स्ट्रेस हो रहा है और कदम दर कदम लोगों के अंदर जो मानसिक तनाव उत्पन्न हो रहा है इसमें जरूरी है कि इसमें यह चीजें आएं. इसके बाद एनेस्थीसिया की भी बहुत जरूरत है. जनरल सर्जरी, मेडिकल रेडियोलॉजी, इलेक्ट्रोलॉजी, इमरजेंसी मेडीसिन इन सब की बहुत बहुत आवश्यकता है और मैं चाहती हूं कि सभी लोग सामूहिक रूप से इसको सर्वसम्मति से स्वीकार करें तो एक अच्छी व्यवस्थाएं हम प्रदेश की जनता को दे पाएंगे और जो डॉक्टरों की कमी हमें दिन प्रतिदिन खलती जा रही है इसमें सुविधा मिल पाएगी. हमारे मुख्यमंत्री जी ने भी कहा कि सबको स्वास्थ्य मिलना जरूरी है. हमारा मिशन भी है तो हम इसमें कामयाब होंगे ऐसा मैं चाहती हूं और सभी माननीय सदस्यों से निवेदन है कि इसे सर्वानुमति से पारित करें.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ)- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करती हूं कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाय लेकिन मेरी सदन से अपेक्षा है कि इसे सर्वानुमति से पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाय.
श्री अजय विश्नोई (पाटन)- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें सर्वानुमति है, हम सभी की सहमति है, मैंने उसका समर्थन किया था लेकिन एक छोटा सा सुझाव है कि आप अगला एक और प्रस्ताव लेकर आयें कि जो आयुष की महिला चिकित्सक मध्यप्रदेश में हैं, उन्हें 6-8 माह का एक छोटा सा इन-हाऊस कोर्स करवाया जाये. जिसमें डिफिक्लट लेबर और गायनिक में उन्हें विशेषज्ञ बनाया जाये, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को चिकित्सा की सुविधा सहजता के साथ मिल पाये. यह हमारा अनुरोध है अगले प्रस्ताव में कृपया इसे लाया जाये.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह (पथरिया)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी इस प्रस्ताव पर अपना समर्थन देना चाहती हूं लेकिन मैं भी आपसे कुछ समय लेकर कहना चाहती हूं कि जैसा कि हमारी मंत्री महोदया ने कहा कि हमारे यहां झोलाछाप डॉक्टर हैं, यह बिल्कुल सही है. पूरे मध्यप्रदेश में चिकित्सकों की बहुत अधिक कमी है, उसकी पूर्ति की जाये. दूसरी बात मैं यह कहना चाहती हूं कि इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास गांव के मजदूर जो 50-200 रुपये प्रतिदिन मजदूरी प्राप्त करते हैं वे जाते हैं. शहरों में बैठे डॉक्टर 400-500 रुपये फीस लेते हैं. इस पर भी लगाम लगाई जानी चाहिए. चिकित्सकों की पर्याप्त संख्या होनी चाहिए और वे सही फीस लें. गरीब मजदूर को मजदूरी मिलती है 200 रुपये लेकिन डॉक्टर फीस 400 रुपये की लेता है. मेरा आपसे अनुरोध है कि चिकित्सकों की संख्या बढ़ाई जाये और उनकी फीस पर लगाम लगाई जाये. धन्यवाद.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ- श्री अजय विश्नोई जी ने जो बात रखी है वह बहुत ही अच्छा सुझाव है. एन.एच.एम. के माध्यम से हमारे आदरणीय तुलसी भईया आयुर्वेदिक चिकित्सकों की नियुक्तियां सी.एस.सी. और पी.एस.सी. में कर रहे हैं. विश्नोई जी के मैटरनिटी की सुविधाओं से संबंधित सुझाव पर सरकार बिल्कुल ध्यान देगी.
श्री अजय विश्नोई- इसका एक कोर्स डिजा़ईन किया हुआ पड़ा है, तुलसी जी वह आपको दिया जा सकता है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है विधेयक सर्वानुमति से पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाये.
प्रस्ताव सर्वानुमति से स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद)- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विधेयक में दो-तीन बातें प्रमुख हैं. प्रथम इसका कार्य क्षेत्र बढ़ाया गया है. इसमें दबावयुक्त पाईप सिंचाई प्रणाली को जोड़ा गया है. अब यह प्रणाली उपयोग में आने लगी है इसलिए इसमें कोई एतराज़ नहीं है. दूसरा यह कहना चाहता हूं कि पहले यह 6 साल के लिए होती थी और परपेचुअल बॉडी थी. परपेचुअल बॉडी को समाप्त कर अब इसे 5 साल का कर दिया गया जिससे 2-2 साल के चुनाव समाप्त हो जायेंगे. हमें इससे भी कोई एतराज़ नहीं है. आपके द्वारा तीसरा जो महत्वपूर्ण संशोधन किया गया है वह यह है कि आपने नहर के अपराधों पर दण्ड बढ़ा दिया है. मुझे लगता है कि यह भी आवश्यक था क्योंकि इससे संबंधित बहुत-सी परेशानियां होती थीं और कार्यवाही नहीं होती थीं और होती भी थीं तो वे बहुत उपयुक्त नहीं होती थीं. परंतु यह ज्युडिशियस होना चाहिए क्योंकि हम जब भी दण्ड बढ़ाते हैं, दण्ड की बात करते हैं तो वह ज्युडिशियस हो और जो बाकी के संशोधन हैं, वे इन्हीं पर आधारित हैं. क्योंकि जब आप इस विधेयक को पास कर देंगे तो बॉडी समाप्त हो जायेगी और उनकी प्रबंध समितियां भी समाप्त हो जायेंगी. तो वह संशोधन इन्हीं संशोधनों पर आधारित है. संशोधनों में ऐसी कोई बात नहीं है कि जिनका विरोध किया जाये, किन्तु एक दो अनुरोध आपसे जरूर हैं. एक तो इन संस्थाओं को बहुत अधिकार नहीं हैं तो यदि इन संशोधनों के माध्यम से इनको और अधिकार सम्पन्न बनाया जाता तो ज्यादा उपयुक्त होता. दूसरी बात यह है कि वित्तीय साधन भी इनके पास बहुत ज्यादा नहीं हैं और इसलिये नहरों के रख-रखाव में खासकर जो ट्रिब्युटिरीज जाती हैं उनमें व्यवस्था ठीक से नहीं हो पाती है. मैं सोचता हूं कि आप इन दोनों बातों पर ध्यान देंगे इनको आप प्रशासनिक रूप से भी दोनों को कर सकते हैं विधेयक में लाने की बहुत आवश्यकता नहीं है. अभी पिछली सरकार ने हमारे यहां की नहरों में लायनिंग का कार्य प्रारंभ किया है. मुझे नहीं मालूम कि पूरे प्रदेश में इस बारे में क्या स्थिति है, किन्तु तवा नहर में लायनिंग का कार्य प्रारंभ हो रहा है. मेन केनाल का काम चल रहा है. कमल पटेल जी ने कहा कि हमने स्वीकृति करवाई थी इसके लिये आपको धन्यवाद. उसके कारण अब सीपेज कम होगा तो उसमें पानी का वेस्टेज भी कम हो जायेगा और खेती का रकबा भी बढ़ जायेगा. किन्तु लायनिगं के कार्यों की मॉनिटरिंग ठीक से हो उसकी भी आप व्यवस्था करने की कृपा करेंगे. एक विषय मैंने पहले उठाया था आज यद्यपि आपने उस वक्त आश्वस्त किया था आप उन दोनों बातों पर ध्यान देंगे, यह बजट सत्र में बात हुई थी आपने बड़े ही कृपापूर्ण कहा था कि मैंने आपकी दोनों बातें नोट की हैं, किन्तु दोनों बाते अभी बढ़ी नहीं हैं, ठीक है कि अब बरसात आ गई है तो सिल्ट की सफाई अभी नहीं हो सकती है. किन्तु मेरा अनुरोध है क्योंकि मैंने अखबारों में आपके माध्यम से पढ़ा और मुझे अच्छा भी लगा कि उसके टेन्डर किये जायेंगे और उसकी जो सिल्ट निकलेगी उसको बेचकर के उससे कुछ पब्लिक अक्ट्राय कर भी बढ़ेगा, किन्तु वह प्रक्रिया अभी से प्रारंभ करनी पड़ेगी, क्योंकि दो तीन महीने के बाद सिंचाई जैसे ही समाप्त हो जायेगी जब पानी जलाशयों में कम हो जायेगा तो सिल्ट निकालने का काम होना चाहिये इस चीज में टेंडरिंग की प्रक्रिया चाहे प्रदेश में हो मैंने तो तवा बांध की बात की थी क्योंकि हमारे यहां पर सबसे बड़ी समस्या होती है कि सारणी के बांध की रेत भी और उसका कचरा भी बहकर के आता है. तो उसका केचमेंट एरिया है वह कम होता जा रहा है, यह सारे प्रदेश में यह स्थिति होगी, यह ऐतिहासिक काम होगा जो पहले कभी हुआ नहीं है. दूसरा जो मैंने विषय उठाया था कि उसको अभी आपने भी प्रेस में गांधी सागर बांध के बारे में कहा था कि यदि उसमें और दबाव बढ़ता है तो वह टूट जाता, पर यह बात सिर्फ दबाव की नहीं है उसकी सुरक्षा की भी है. मेरा आपसे अनुरोध है कि दैनिक वेतन भोगी इन बांधों की सुरक्षा करते हैं न तो उनके पास इसके हथियार रहते हैं न ही अधिकार रहते हैं आपने व्यक्तिगत चर्चा में तब आश्वस्त किया था कि आधुनिक संसाधनों के माध्यम से इन बांधों की निगरानी की जायेगी. मेरा आपसे अनुरोध है कि इसकी प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ करें इसमें बहुत राशि भी नहीं लगना है, क्योंकि बड़े बांध इतने ज्यादा नहीं हैं कि आधुनिक संसाधन लगाने में बहुत वित्तीय आवश्यकता हो तो मेरा आपसे अनुरोध है कि एक्सपर्ट से राय लेकर के इन बांधों की सुरक्षा की व्यवस्था करें. आप इस विधेयक को लाये हैं इसमें बहुत बड़े परिवर्तन नहीं है, किन्तु जिन बातों पर मैंने आपसे चर्चा की है. मैं विश्वास करता हूं कि आप उन पर ध्यान देंगे और अपनी बात इसके साथ ही समाप्त करता हूं.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल(उदयपुरा) -. माननीय अध्यक्ष महोदय, जो विधेयक लाए हैं, उसका मैं बहुत सम्मान करता हूं, मेरा एक निवेदन है कि जो पांच साल के लिए हमारे जल उपभोक्ताओं के अध्यक्ष जो बनाए जा रहे हैं, इससे पहले दो साल का कार्यकाल था. 5 साल के कार्यक्रम में उन्हें अनुभव होगा एवं हमारी नहरों का ठीक ढंग से संचालन होगा, लेकिन मेरा निवेदन है कि मेरे क्षेत्र में वारना कमान और होशंगाबाद जिले में तवा है. निश्चित तौर पर नहरों में दो साल की जो अध्यक्षीय प्रणाली थी, उसमें लोग समझ नहीं पाते थे, लेकिन इसकी मॉनीटरिंग बहुत आवश्यक है. हमने देखा है, जब हम छोटे थे, जब नहरों पर जाते थे, तो उस समय नहरों की हालत यह थी, जब हम खेती करते थे, उस समय नहरों से चलकर जाते थे और बरसात में भी चले जाते थे, बहुत अच्छी होती थी, लेकिन अध्यक्षीय प्रणाली होने के बाद में निश्चित है कहीं न कहीं जो हम चाहते हैं वह नहरों का सुदृढ़ विकास या उनकी मजबूती नहीं हो पाई. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इसकी मॉनीटरिंग बहुत आवश्यक है. क्योंकि पंचायती राज में जल उपभोक्ता की जो अध्यक्षीय प्रणाली हुई इससे कहीं न कहीं नुकसान हुआ है, सिर्फ मानीटरिंग नहीं होने से. हम उस समय देखते थे कि नहरें बहुत अच्छी थी मवेशी का रख रखाव होता था. मैं मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि पांच साल की प्रणाली के साथ साथ इसमें अध्यक्षीय प्रणाली में बहुत अच्छी तरह से मॉनीटरिंग हो, तो निश्चित है हमारी होशंगाबाद की तवा नहर जो हमारे क्षेत्र में आती है और वारना की सभी नहरें हमारे क्षेत्र में आती है, उनका अच्छी तरह से रख रखाव हो, इसी के साथ में हमारे लिए माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में जो कि पौने एक करोड़ रूपए की योजना हमारे मंत्री महोदय ने स्वीकृत कराई और एक योजना पांच करोड़ रूपए की स्वीकृत कराई, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री के.पी. त्रिपाठी (सेमरिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो मध्यप्रदेश सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी विधेयक द्वितीय संशोधन 2019 प्रस्तुत किया है, इसमें विभाग में जो उद्वहन सिंचाई के पश्चात दबाओ युक्त पाइप सिंचाई प्रणाली द्वारा शब्द जोड़ने का काम किया है यह हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का जो कहना है 'वन ड्राप-मोर क्राप' के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और सिंचाई विभाग के बारे में मेरा ऐसा मानना है कि ''पड़ जाती इसकी दृष्टि जिधर, हंसने लगती है सृष्टि उधर'' इसलिए मैं माननीय मंत्री से कहना चाहता हूं कि जो जल उपभोक्ता संस्थाओं के विषय में पांच वर्ष का कार्यकाल किया गया है, इसका मैं स्वागत करता हूं. साथ ही हमारे रीवा में जो माइक्रो ऐरिगेशन है, बाणसागर के द्वारा दो लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी, जिसको शिवराज जी की सरकार ने इसको 2 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 4 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने की बात की थी. उसी में 40 हजार हेक्टेयर की एक सिंचाई परियोजना थी नाईगढ़ी माइक्रो ऐरिगेशन, और 50 हजार हेक्टेयर की थी त्यौंथर फ्लो ऐरिगेशन लेकिन मानीटरिंग के अभाव में यह परियोजनाएं, इनका काम बंद पड़ा है. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि तत्काल इनका निरीक्षण करें. यदि इन दोनों परियोजनाओं के काम में गति दी जाएगी तो एक लाख हेक्टेयर में सिंचाई का रकबा बढ़ेगा और किसानों को इसका लाभ मिल पाएगा. इसी तरह हमारे सेमरिया विधान सभा के क्षेत्र में एक जरमोहरा बांध है, जिसमें दो संस्थाएं है, बायीं तट संस्था और दायीं तट संस्था, जिस तरह अन्य संस्थाओं को बजट मिलता है और वहां से जल उपभोक्ता संस्थाएं काम करती हैं. मैं चाहता हूं उनको और मजबूत किया जाए इससे सत्ता का विकेन्द्रीकरण होकर किसानों के हाथ में वह ताकत पहुंचती है और वह अपने हिसाब से योजनाओं को लागू करते हैं तो उनका और बजट बढाया जाए और उनकी ताकत बढ़ाई जाए. हमारे जरमोहरा बांध के जो बायीं और दायीं तट पर जो संस्थाएं हैं, उनको कोई बजट नहीं मिलता है, जरमोहरा बांध 1977 में बना था.
इनकी नहरों में बहुत ज्यादा गाद जमा हो चुकी है इसलिये मैं चाहता हूं कि जरमोहरा की बाईं और दाईं तट की जो नहरें हैं उनको भी इसमें जोड़ा जाये और उनके लिये बजट का इंतजाम किया जाये. हमारे सिमरिया विधान सभा क्षेत्र और चित्रकूट के लिये एक चचाई माईक्रो इरीगेशन प्रोजेक्ट है इसको यदि बनाया जाये तो इससे 29500 हेक्टेयर भूमि जिससे हमारे सिमरिया क्षेत्र के 130 गांव और चित्रकूट के लगभग 80 गांव सिंचित होंगे. धन्यवाद.
श्री कमल पटेल(हरदा) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है और सिंचाई के मामले में पिछले 15 वर्षों में बहुत ही ऐतिहासिक कार्य किया है जहां साढ़े सात लाख हेक्टेयर सिंचाई थी वहां आज चालीस लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचाई हुई है. सिंचाई की सुविधा जो किसानों को दी जा रही है उसके लिये मैं शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद देना चाहूंगा इससे मध्यप्रदेश को लगातार कृषि कर्मण पुरस्कार भी मिले हैं. इसमें जो आप संशोधन लेकर आये हैं उसका स्वागत है लेकिन मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि हमारी जो नहरें हैं उसमें वाटर कोर्स से हम पानी देते हैं. पहले नहर, उप नहर, शाखाओं के माध्यम से लेकिन वाटर कोर्स के राजस्व रिकार्ड में दर्ज न होने के कारण जिन किसान के खेत ऊपर होते हैं उसके खेत में से नीचे वाले किसान के खेत में पानी देता है वह उसको खत्म कर देता है फिर झगड़े,विवाद होते हैं. मेरा सुझाव है कि जितने भी वाटर कोर्स हैं वह नक्शे के रिकार्ड में आयेगा और ऊपर वाला किसान यदि नीचे वाले किसान को पानी नहीं लेने देता है तो उसके खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही होगी तब तो हम जो करोड़ों,अरबों रुपये किसान के अंतिम छोर के किसान के लिये खर्च करते हैं वह उस तक पहुंच जाये. मैं हरदा से आता हूं जो मिनी पंजाब कहलाता है. माननीय शिवराज जी के आशीर्वाद से हमें इतने डैम और सिंचाई नहरें मिली हैं और ये लाईनिग का काम जो बंद हो चुका था हमें रोज आंदोलन करना पड़ता था हमें यहां मिट्टी लानी पड़ती थी फसल सूखी लानी पड़ती थी इसीलिये शिवराज जी ने तवा नहर को लाईनिंग का काम दिया था 1 हजार करोड़ का, उसके कारण नयी-नयी लाईनिंग हुईं तो अंतिम छोर तक पानी जा रहा है लेकिन किसान के खेत तक पानी पहुंचाने के लिये हमें वाटर कोर्स को रिकार्ड में लाना पड़ेगा और उनको पक्का बनाना पड़ेगा. उनकी भी लाईनिंग करनी पड़ेगी ताकि ऊपर वाला किसान पानी रोक न सके नीचे वाले किसान तक को मिल सके. अगर यह व्यवस्था कर दी तो जिस उद्देश्य के लिये नहरों का निर्माण हुआ है अंतिम छोर तक पानी पहुंचेगा. सिंचाई में नियम है सबसे पहले अंतिम छोर के किसान को पानी मिले फिर ऊपर वाले को मिले. होता यह है कि ऊपर तो सिंचाई 3-4 बार हो जाती है नीचे के किसान को एक बार भी पानी नहीं मिलता. फसल तो वह बो देता है पलेवा करके लेकिन पानी नहीं मिलने से असंतोष होता है तो यह नियम निश्चित किया जाये कि हम अंतिम छोर के किसान को पहले पानी देंगे फिर ऊपर के किसान को पानी देंगे इससे शतप्रतिशत सिंचाई होगी और हमारा लक्ष्य पूरा होगा. आप चुनाव तो करा देंगे लेकिन उनको अधिकार होना चाहिये. आप जो सिंचाई का कमाण्ड ऐरिया लेकर आये,सिंचित कमाण्ड. कई गांव ऐसे हैं जिनके नाम से नहरें हैं. कमाण्ड क्षेत्र में आते हैं लेकिन वहां पानी नहीं पहुंच पाता है. तो उसकी भी व्यवस्था करें कि जितना भी हमारा कमाण्ड क्षेत्र है उसको हम शतप्रतिशत वाटर कोर्सों के माध्यम से सिंचाई कर सकें. लेकिन होता क्या है कि उसके नीचे वाले किसान मोटरों से पाईप लाइन से पानी ले जाते हैं. जो कमांड क्षेत्र है, वहां एक तो ट्यूबवेल की अनुमति नहीं मिलती है क्योंकि वह कमांड एरिया में है और वहां नहर से पानी भी नहीं मिलता है तो यह निश्चित किया जाय कि शत-प्रतिशत कमांड क्षेत्र को हम वाटर कोर्स के माध्यम से नहरों के माध्यम से किसानों को पानी देंगे तो निश्चित रूप से हम किसानों को बहुत बड़ी सुविधाएं दे सकेंगे और जिनके उद्देश्य के लिए नहरें बनी हैं उनको हम पूरा कर पाएंगे. इससे सिंचाई रकबा भी बढ़ेगा और हमारे देश का कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा. आपने जो मुझे समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामलाल मालवीय (घट्टिया) - अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. अध्यक्ष महोदय, हमारे जल संसाधन मंत्री माननीय श्री हुकुम सिंह कराड़ा जी द्वारा लाए गए इस संशोधन विधेयक का मैं समर्थन करता हूं. माननीय मंत्री जी को बधाई देता हूं. जिस प्रकार पंचायतों का 5 वर्ष का कार्यकाल रहता है ऐसा कार्यकाल आप जल उपभोक्ता समिति का भी करें ताकि जो किसान के प्रतिनिधि चुनकर आते हैं जो अध्यक्ष, सदस्य बनते हैं उनको कम से कम समझने का और अपने क्षेत्र में जो जलाशय होते हैं नहरें होती हैं उनमें काम करने का उनको अधिकार मिले, वहां वह काम करें. मैं इसके लिए आपको बधाई देता हूं और स्वागत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, दो मिनट में अपने क्षेत्र की बात करूंगा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र घट्टिया में साहेबखेड़ी, सिलारखेड़ी, उंडासा और कोयलखेड़ी, यह 4 बड़े जलाशय हैं. पिछले कई वर्षों से उन नहरों की मरम्मत नहीं हो पाई है. जो हम चाहते हैं कि किसानों को उसकी सिंचाई का लाभ मिले, वह नहीं मिल पा रहा है तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से भी आग्रह करूंगा कि जो हमारे जलाशय हैं जिनकी नहरें हैं, जिनमें वर्षों से नहरों की मरम्मत नहीं हुई है जिससे कई किसान सिंचाई से वंचित रह रहे हैं . मैं यह आग्रह करना चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी उन नहरों की मरम्मत कराएं ताकि आने वाले समय में हम लोग किसानों को उसकी सुविधा दे सकें. जिस प्रकार की जवाबदारी जल उपभोक्ता समितियों को दे रहे हैं तो जो ठेका पद्धति से भी काम होते हैं मेरा आग्रह है कि उन जल उपभोक्ता समितियों को भी कुछ शक्तियां दें, काम करने का अधिकार दें ताकि वे उस क्षेत्र में काम कर सके. अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा ( हुजूर ) - अध्यक्ष महोदय, मैं तो खेत के लिए भी बोलूंगा और आदमी के लिए भी बोलूंगा. आप कहें तो एक मिनट बोल दूं क्योंकि केरवा डेम से हमारे कोलार क्षेत्र को पानी मिलता है और केरवा डेम पर चारों तरफ अतिक्रमण हैं उसको रोकने का प्रयत्न करें.
जल संसाधन मंत्री (श्री हुकुम सिंह कराड़ा) - अध्यक्ष महोदय, आपका प्रश्न आ रहा है उस पर मैं जवाब दूंगा.
श्री जालम सिंह पटेल (नरसिंहपुर) - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी जो यह संशोधन विधेयक लाए हैं इसके हिसाब से मैं नरसिंहपुर जिले की बात करता हूं, वह एशिया की सबसे उपजाऊ भूमि है. लगभग लगभग 100 प्रतिशत सिंचाई हो भी रही है चाहे ट्यूबवेल से हो, चाहे कुएं से हो, हमारे यहां कुछ छोटे छोटे बांध भी हैं. एक रानी अवन्तीबाई नहर परियोजना है, वह बहुत पुरानी है, उसमें टूट-फूट हुई है, उसके बाद भी उससे सिंचाई हो रही है. वर्ष 2016-17 में चिनकी माइक्रो इरिगेशन परियोजना स्वीकृत हुई है, उसमें 1500 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया गया था, उस पर माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं. मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि अगर नहरों के किनारे ट्रांसफार्मर्स लग जाएंगे तो पानी की एक एक बूंद का उपयोग हो जाता है. कई बार पानी रिस जाता है. इसके लिए आपसे निवेदन करता हूं. दूसरा, नहरों के किनारे से सड़क बन जाएं, सरकारी भूमि अधिग्रहण हो गई है लेकिन कब्जे के कारण वहां पर कई प्रकार के विवाद होते हैं. हमारे यहां कीरपानी, दाताडोंगरी, चिरचिटा, कुंडा, भामा, डुंगरिया, आलौद बांध है, रातामाटी है, इनमें भी नहरों की कमी है. मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि लाइनिंग की और समुचित पानी खेतों तक पहुंचाने की व्यवस्था करेंगे. यह हतनापुर का शक्कर नदी पर डेम का प्रस्ताव हुआ है. मै माननीय अध्यक्ष महोदय और माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि नरसिंहपुर तहसील, करेली और गाडरवारा तहसील के लिए जो अभी वहां पानी नहीं पहुंच पा रहा है वहां तक पानी पहुंचेगा. मैं यह आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवदेन करता हूं बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री संजय शर्मा(तेंदूखेड़ा)-- अध्यक्ष महोदय मंत्री जी ने जो संशोधन विधेयक यहां पर रखा है आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि ऐसे जिले जहां पर आधे जिले में नहर है और आधे जिले में नहर नहीं है. मैं नरसिंहपुर जिले की बात करूंगा कि नरसिंहपुर जिले में बरगी की नहर है लेकिन तेंदूखेड़ा और गाडरवारा विधान सभा लंबे समय से आजादी के बाद से आज तक वंचित है. इसके लिए लगातार हम पिछली सरकारों में भी बात रखते रहे हैं लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है. माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि उन्होंने पिछले सत्र के दौरान भी आश्वासन दिया था कि यहां पर स्टापडेम के माध्यम से सिंचाई की व्यवस्था करायेंगे. हमारे विधान सभा क्षेत्र में ऐसे बहुत से गांव हैं जहां पर पानी का विकराल संकट है, पीने के पानी के लिए तेंदूखेड़ा क्षेत्र में दिक्कत है. वहां पर बीसों गांव में स्टापडेम और बरगी की नहर अगर नर्मदा जी को क्रास करके और शक्कर नदी को क्रास करके गाडरवारा विधान सभा में और तेंदूखेड़ा विधान सभा में बरगी का पानी आ जाय तो बहुत मेहरवानी होगी . अध्यक्ष महोदय आपका धन्यवाद आपने समय दिया.
श्री सोहनलाल बाल्मीक(परासिया) -- अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने मुझे बोलने के लिए अवसर दिया. हमारे माननीय कमलनाथ जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद में लगातार किसानों की चिंता करते हुए ऐसे अनेक अनेक काम कृषि के क्षेत्र में किये जा रहे हैं ताकि किसान सुख और समृद्धि की ओर बढ़े.
माननीय अध्यक्ष महोदय जी कुछ ही समय में मैं अपने क्षेत्र की बात कहना चाहता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक लाख पच्चीस हजार हेक्टेयर भूमि है. उस भूमि का केवल 7 प्रतिशत हिस्सा ही सिंचित है जिसके चलते किसानों को बहुत आर्थिक नुकसान होता है और किसानी खेती के काम करने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. मैंने इसके पहले भी मंत्री जी को अपने प्रस्ताव दिये हैं. जहां पर मेरे क्षेत्र में डेम बनना है. मैं मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि यह कुछ डेम मेरे लिए जरूरी हैं आप उनकी स्वीकृति प्रदान करेंगे तो निश्चित रूप से मेरे विधान सभा क्षेत्र में जो सिंचित का रकबा है वह बढ़ेगा बुधलापठा जलाशय है, एक जौनबर्रा जलाशय नहर रहित है, जलहरीघाट बैराज, लहरी बांदरी पानीढार जलाशय नहर रहित है, पगारा बैराज है, इटावा के खोदरी ढाना पर जलाशय नहर रहित है, छानाबीटा कला ढोंगरखापा नदी पर जलाशय है, तुमडी स्टाप डेम है और बैलगांव बैराज है एक बागबरदिया जलाशय नहर रहित है. ऐसे लगभग 10 डेम हैं और बैराज हैं जिनकी स्वीकृति मिलेगी तो निश्चित रूप से किसानों की खेती का रकबा बढ़ेगा जमीन और खेती सिंचित होगी.
अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि जल संसाधन विभाग के द्वारा जो 3.5 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर का स्टीमेट बनता है और यदि इससे ऊपर कास्ट जाती है तो उन प्रोजेक्ट को स्वीकृत नहीं किया जाता है. मेरा यहां पर मंत्री जी से निवेदन है कि आपने जो 3.5 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर का स्टीमेट में निर्धारित किया है, क्योंकि जल संरक्षण करने की बहुत आवश्यकता है, उस स्टीमेट की लागत बढ़ायी जाय ताकि जो इस परिधि में नहीं आ पा रहे हैं आगे भी उनको मौका मिले ताकि वह 3.5 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर से ज्यादा राशि हो जायेगी तो वह सारे जलाशय जो कि अभी लंबित पडे हुए हैं आने वाले समय में उनकी स्वीकृति प्रदान कर दी जायेगी. बहुत बहुत धन्यवाद्.
जल संसाधन मंत्री( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय इस बिल पर सभी माननीय सदस्यों ने अपने अमूल्य विचार रखे हैं. डॉ सातीसरन शर्मा जी ने जो बात कही, देवेन्द्र सिंह पटेल, के.पी. त्रिपाठी, कमल पटेल, रामलाल मालवीय, जालम सिंह पटेल, संजय शर्मा जी और सोहनलाल बाल्मीक जी ने चर्चा में अलग अलग अपनी चिंता और सिंचाई के क्षेत्र में सुधार के लिए जो सुझाव दिये हैं उसके लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं. उसमें से बहुत सारी बातों का जवाब भी मैं देना चाहूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय सिंचाई प्रबंधन व्यवस्था में मध्यप्रदेश में 1999 से जनभागीदारी का प्रावधान है. और उसमें संशोधनन आवश्यकतानुसार वर्ष 2013 में हुआ. वर्ष 2013 में जब संशोधन हुआ, तो उसमें यह प्रावधान किया गया कि एक तिहाई सदस्य उन संस्थाओं के प्रति 2 वर्ष में रिटायर हो जायेंगे. तो यह प्रक्रिया चुनाव की निरन्तर प्रदेश में चलती रहती थी. इसके बारे में इस सदन के कई सदस्यों के सुझाव मिले और जनप्रतिनिधियों ने भी कहा, ग्रामीण अंचल के लोगों के भी प्रस्ताव आये और इन संस्थाओं के लोग भी मुझसे मिले. सबका यह सुझाव था कि यह प्रति 2 साल में एक तिहाई सदस्य रिटायर होते हैं, इस व्यवस्था को थोड़ा परिवर्तित किया जाना चाहिये. मैंने उनसे सुझाव भी लिये. कुल मिलाकर बात सामने यह आई कि पंचायत की तर्ज पर सिंचाई पंचायतों का भी संधारण करने के लिये चुनाव की प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिये, यह प्रावधान होना चाहिये और उसी परिप्रेक्ष्य में यह बिल लाया गया है. इसमें हमने परिवर्तन किया, कृषकों की भागीदारी अधिनियम, 2013 की धारा 4 की उपाधारा 2,3,6,8,17,23 एवं 25 में संशोधन प्रस्तावित किया गया है. अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे सदस्य कह रहे थे कि इनका कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिये और यह सभी लोगों की एक मत से आवाज थी. हमने इसमें यह प्रावधान किया कि पंचायत की तर्ज पर सिंचाई पंचायतों का कार्यकाल भी 5 वर्ष का हो, उसमें जो उसके सदस्य चुने जायें, वे उनके जो मतदाता हैं, वह प्रत्यक्ष प्रणाली से हों और वह सब मिलकर उनके अध्यक्ष को निर्वाचित करें 5 साल के लिये. डॉक्टर साहब ने कहा था कि इनको वित्तीय अधिकार दिये जायें. डॉक्टर साहब हमने आपकी बात का सम्मान किया है. आपकी चिंता को समझा है और इस पर हम कार्यवाही करने जा रहे हैं. इन सिंचाई पंचायतों को सक्षम बनाने के लिये जो वर्तमान में व्यवस्था है, इसमें बढ़ोतरी करने का निर्णय हमने ले लिया है. आपने सिल्टिंग की बात कही थी, उस पर हमारे मुख्यमंत्री जी भी काफी दिनों से चिंतित थे. एक योजना बनाई गई, एक नीति बनाई गई, जिसमें छोटे बड़े सभी जलाशयों को शामिल किया गया और उसका दोहन करके सिल्टिंग तो कर ही दी जायेगी, उसमें से कंकड़ पत्थर को अलग करके उसका वाणिज्यिक उपयोग हो सके, रेती को भी निकालने का कार्य उसमें किया जायेगा .लाइनिंग की बात आपने की है. बारना और तवा में कार्य चल रहा है, जैसा आप जानते हैं, हमारा प्रयास है, हमने कुछ और प्रपोजल्स भेजे हैं वित्तीय संस्थाओं को, उनमें स्वीकृति मिलने के तत्पशाचत् वह काम भी हम लोग चालू करेंगे. बांध की सुरक्षा के बारे में जो आपने बात कही थी, उस पर प्रतिवर्ष खर्च करते हैं और भी हम लोग इस साल की स्थिति को देखने के बाद इसकी और बेहतरी के लिए विशेषज्ञों की राय के अनुसार अच्छे काम करने का निर्णय ले रहे हैं. देवेन्द्र सिंह पटेल जी ने जो मॉनिटरिंग की बात कही थी, वैसे तो जनप्रतिनिधियों पर बहुत ज्यादा नियंत्रण नहीं किया जा सकता है, पर फिर भी अधिकारियों के माध्यम से उनका समय-समय पर निरीक्षण कराया जाएगा, उनकी गुणवत्ता को परखा जाएगा और उस पर ध्यान दिया जाएगा. त्रिपाठी जी ने संस्थाओं को सशक्त बनाने की बात कही थी, उसमें भी हम लोग वही विचार कर रहे हैं जो डॉक्टर साहब की चिंता थी. उनको सक्षम बनाने का निर्णय ले लिया गया है. कमल पटेल जी ने कहा था, जो सबसे ज्यादा दिक्कत उनकी थी, हेड की और टेल की, उस पर मैं आपको कहना चाहता हूँ कि इस सरकार का निर्णय है कि हम लोग हेड वालों के पहले टेल वालों को पानी देंगे और आपने जो कहा कि यह रेवेन्यू रिकार्ड में दर्ज हो जाए, वे निर्देश दे दिए जाएंगे, ताकि वह दर्ज हो जाए. कमाण्ड एरिया के बारे में भी आपने बात कही थी. रामलाल मालवीय जी ने अपने क्षेत्र की बात कही, जालम सिंह पटेल जी ने कही, संजू भाई ने कही, वाल्मिक जी ने वाइबिलिटी की बात की, वाल्मिक जी, इस पर हम विचार कर रहे हैं, और हम शीघ्र निर्णय लेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इस योजना में इस बिल के साथ में इस बात को ला रहे हैं, कड़े प्रावधान कर रहे हैं कि इन जलाशयों पर और नहरों पर कोई क्षति न हो. जहां क्षति की बात आएगी, जहां कानून को हाथ में लिया जाएगा, वहां कारावास और दण्ड, दोनों का प्रावधान हमने इसमें कड़ाई के साथ किया है. हम इसको बेहतर और युक्तियुक्त बनाने का काम कर रहे हैं. दाबयुक्त सिंचाई प्रणाली योजना को भी इसमें हम शामिल कर रहे हैं और तमाम लघु सिंचाई से लेकर मध्यम और वृहद तक हम जा रहे हैं, सभी क्षेत्रों पर हम काम करेंगे और इस पर मैं आप सब लोगों से अनुरोध करता हूँ कि यह एक अच्छा काम है. पूरे सदन से मैं आग्रह करता हूँ कि किसानों के हित में और बेहतर तरीके से हम लोग सिंचाई की सुविधा को संपन्न कर सकें, आप सब लोग इसे सर्वानुमति से स्वीकार करेंगे, ऐसा मैं आप सबसे निवेदन करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
2.45 बजे
3. मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हॅूं कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.
श्री विश्वास सारंग (नरेला) -- माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 का हम विरोध करते हैं. देश में शिक्षा को लेकर और खासकर उच्च शिक्षा को लेकर बहुत अच्छी परम्पराएं रही हैं. इस संशोधन के माध्यम से सरकार सीधे-सीधे अपने अधिकारों में वृद्धि करना चाहती है और राज्य सरकार के जो पालक हैं जिनकी सरकार है महामहिम राज्यपाल जी के अधिकारों को कट करना चाहती है, कम करना चाहती है. यदि इस संशोधन की भाषा को हम गौर से पढे़ं तो सरकार की मंशा भी इससे सीधे-सीधे प्रकट होती है. जो संशोधन यहां प्रस्तावित किया गया है उसके उद्देश्य और कारणों के कथन में जो लिखा गया है उसमें यह बात इंगित होती है कि सरकार का इंटेंशन क्या है, उसकी अवधारणा क्या है. वह किस मंतव्य के साथ इस संशोधन को लाना चाहती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें लिखा है. मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 13 की उपधारा 2 में समिति के माध्यम से नियमित कुलपति की नियुक्ति का उपबंध है. उक्त अधिनियम के अधीन स्थापित विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति की नियुक्ति में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है जबकि राज्य सरकार विश्वविद्यालयों के सफल संचालन के लिये नीति के अवधारण के लिये प्रत्यक्ष रुप से उत्तरदायी है और विश्वविद्यालयों के लिये वित्तीय उपबंध भी करती है. राज्य सरकार विश्वविद्यालयों में संबंधित मामलों के लिये जनता के प्रति प्रत्यक्ष रुप से उत्तरदायी है. विश्वविद्यालयों में सुशासन सुनिश्चित करने के लिये उक्त अधिनियम की धारा 13 में यथोचित संशोधन किया जाना प्रस्तावित है. सीधे-सीधे लिखा है कि राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है. मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में कार्य परिषद् को लेकर क्या लिखा हुआ है.
2.48 बजे { उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इसमें जो परिवर्तन किया गया है उसमें परिवर्तन तो केवल एक पेज में इंगित कर दिया गया है, केवल एक शब्द हटाया गया है. कुलपति नियुक्त करने की जो समिति है अभी तक उसमें तीन सदस्य होते हैं. उसमें से एक सदस्य कार्य परिषद् द्वारा निर्वाचित किया जाता है. एक सदस्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष द्वारा नाम निर्देशित किया जाता है और एक सदस्य कुलाधिपति द्वारा, जिसका नाम दिया जाता है वह होता है. सरकार ने बड़ी स्मार्टली पीछे के दरवाजे से इस पूरी समिति में अपना अधिकार जमाने के लिए यह संशोधन लाने का काम किया है. मैं सदन को बताना चाहता हॅूं कि कुछ दिनों पहले जब हमारे उच्च शिक्षा मंत्री जी नये-नये मंत्री बने थे और संबंधित पेपरों में बड़ी-बड़ी न्यूज छपी थी क्योंकि उच्च शिक्षा मंत्री जी इंदौर से आते हैं. इंदौर में देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय है. देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय के कुलपति को लेकर माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी का कुछ मामला राज्यपाल जी को लेकर था. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा इस सदन में पूरी तरह से आरोप है. माननीय उच्च शिक्षा मंत्री की जिद के कारण यह संशोधन लाया जा रहा है क्योंकि वह चाहते हैं कि कुलपति की नियुक्ति में राज्य सरकार और उनका हस्तक्षेप हो सके. जो परिवर्तन किया जा रहा है उसमें कार्यपरिषद के स्थान पर राज्य सरकार लिखा जा रहा है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में कार्यपरिषद क्या है. इसमें इंगित है कार्यपरिषद का गठन, कार्यपरिषद का उद्देश्य और संचालन क्या है. इसमें कार्यपरिषद विश्वविद्यालय की कार्यपालिक निकाय होगी और उसमें निम्नलिखित व्यक्ति होंगे- कुलपति, कुलाधिसचिव, संकायों के 4 संकायाध्यक्ष जो कुलाधिपति द्वारा नाम निर्देशित किए हों, सभादार अपने सदस्यों में से एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित किए गए 3 व्यक्ति, विश्वविद्यालय अध्यापन विभागों या प्राध्यापन केन्द्रों के 2 आचार्य जो कुलाधिपति द्वारा ज्येष्ठता के अनुसार बारी-बारी से नाम निर्देशित किए जाएं, संबद्ध महाविद्यालयों के 4 प्राचार्य जिनमें से कम से कम 2 प्राचार्य उन महाविद्यालयों में से होंगे जो राज्य सरकार के हों.
उपाध्यक्ष महोदया, मैं बार-बार इंगित कर रहा हूं कि यह 4 प्राचार्य कुलाधिपति द्वारा ज्येष्ठता के अनुसार बारी-बारी से नाम निर्देशित किए जाएंगे. सचिव मध्यप्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग या उसका नाम निर्दिष्ट व्यक्ति जो उपसचिव के पद से निम्न न हो. सचिव, मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग या उसका नाम निर्दिष्ट व्यक्ति जो उपसचिव के पद से निम्न न हो. जो संशोधन किया गया है उसमें लिखा गया है क्योंकि वित्तीय पोषण सरकार करती है तो कार्यपरिषद में इंगित है कि वित्त सचिव इसमें ऑलरेडी है. आठवें नंबर पर जो बहुत महत्वपूर्ण है कुलाधिपति द्वारा नाम निर्देशित 6 व्यक्ति जिनमें से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछडे़ वर्ग में से प्रत्येक का एक-एक व्यक्ति होगा. इन 6 व्यक्तियों में से 2 महिलाएं होंगी. उपाध्यक्ष जी, कार्य परिषद के सदस्य वे सदस्य जो पदेन सदस्यों से भिन्न हों 3 वर्ष की कालावधि के लिए पद धारण करेंगे.
उपाध्यक्ष जी, अब मुद्दा यही आता है सरकार ने संशोधन में एक छोटी सी लाईन लिख दी कि कार्यपरिषद की जगह राज्य सरकार. हमारा विरोध इसी बात पर है. कार्यपरिषद का मतलब सीधा-सीधा है कि राज्यपाल जी और उसमें कुछ सदस्य तो पदेन हैं और 6 सदस्य राज्यपाल जी के द्वारा नामित किए जाते हैं. यदि इस सदन में हम लोग बैठकर इस प्रस्ताव को पारित कर देंगे, विधेयक बना देंगे तो '' लम्हों ने खता की थी और सदियों ने सजा पाई '' क्या हम राज्यपाल महोदय से ऊपर हो गए ? क्या हम राज्यपाल महोदय के अधिकारों को कट करेंगे, उनके अधिकारों पर हस्तक्षेप करेंगे ? देश में कहीं ऐसा नहीं है और यदि हम बात करें इस देश में यदि सबसे बड़े शिक्षाविद् की जो राजनीति में आए, राष्ट्रपति बने, राधाकृष्णन जी उन्होंने यह कहा था कि शिक्षा केन्द्रों को राजनीति से दूर रखना चाहिए, सरकारों को उसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. उपाध्यक्ष जी, हम कहां जा रहे हैं ? हम केवल इसलिए कि मेरे शहर के विश्वविद्यालय में मेरा कुलपति मैं बना सकूं इसलिए मंत्री की हठधर्मिता के कारण यदि यह संशोधन आएगा तो क्या यह सही संदेश जाएगा ? मुझे लगता है कि इस तरह के संशोधन को पूरी तरह से अस्वीकार करना चाहिए. राज्यपाल जी के किसी भी अधिकार को लेकर यदि इस तरह से सरकार की कोई शरारत है तो वह स्वीकार नहीं की जाएगी.
उपाध्यक्ष जी, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है. इस मध्यप्रदेश के वह संस्थान जिनसे मध्यप्रदेश के भविष्य का निर्माण होता है विश्वविद्यालय केवल छात्रों को पढ़ाता नहीं है बल्कि इस प्रदेश, इस देश के अच्छे और सच्चे नागरिकों का निर्माण करता है. यदि उस कैम्पस में राजनीति आएगी, यदि उस कैम्पस में राजनीतिक हस्तक्षेप होगा तो मुझे नहीं लगता है कि आगे मध्यप्रदेश में अच्छी तरह से शिक्षा दे सकते हैं. पिछले सत्र की बात है एक तरफ तो इस सरकार ने 4-4 प्रायवेट विश्वविद्यालयों को यहां से मान्यता देने की बात की, एक तरफ आप प्रायवेट सेक्टर में विश्वविद्यालय लेकर आ रहे हैं और दूसरी तरफ जो विश्वविद्यालय ऑटोनार्मस हैं उसमें पीछे के दरवाजे से अपना हस्तक्षेप करना चाहते हैं ? यह कदापि यहां सहन नहीं किया जाएगा. मैं आपसे निवेदन करूंगा. आसन्दी से निवेदन करुँगा कि सरकार को कहे कि इस प्रस्ताव को वापस ले और यदि उपाध्यक्ष जी, ऐसी कोई स्थिति है तो इसको प्रवर समिति में दिया जाए, इस पर विचार हो क्योंकि यह केवल कानून नहीं बना रहे हमारे जो पालक हैं, जिनकी यह सरकार है, हम उन्हीं के अधिकारों पर हस्तक्षेप करने की बात कर रहे हैं. माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से सरकार से, मंत्री जी से, निवेदन करना चाहूँगा कि आपको यदि अपने शहर में, अपनी यूनिवर्सिटी में अपना कुलपति बनाना है तो उसकी प्रोसेस अलग कर लीजिए परन्तु इस तरह से आप पीछे के दरवाजे से माननीय राज्यपाल जी के अधिकारों पर हस्तक्षेप न करिए. माननीय उपाध्यक्ष जी, हम इसका पूरी तरह से पुरजोर विरोध करते हैं और मैं आपके माध्यम से यह भी मांग करता हूँ कि सरकार को इस बिल को या तो वापस लेना चाहिए नहीं तो उपाध्यक्ष जी, कम से कम प्रवर समिति में तो इसको भेजा जाना चाहिए. धन्यवाद.
श्री शिवराज सिंह चौहान(बुधनी)-- सम्माननीय उपाध्यक्षा जी, अभी माननीय सदस्य विश्वास सारंग जी ने तथ्यों और तर्कों के साथ अपनी बात रखी है. मैं विद्वान उच्च शिक्षा मंत्री जी से, माननीय मुख्यमंत्री जी से, यह विनम्र निवेदन करना चाहता हूँ कि कम से कम हम अपने विश्वविद्यालयों को राजनैतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखें. विश्वविद्यालय राजनीति से मुक्त रहने चाहिए यह दुनिया का मान्य सिद्धान्त है इसलिए सरकार के हाथ में कुलपति की नियुक्ति नहीं दी गई, महामहिम राज्यपाल महोदय सर्च कमेटी बनाएंगे, वह करेंगे, यह व्यवस्था हुई थी. अब मुझे समझ में नहीं आता कि इस व्यवस्था को आप क्यों तोड़ना चाहते हैं. सरकार के पास बहुत काम हैं, वह काम करे, लेकिन कम से कम विश्वविद्यालयों को राजनैतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखें. मैं समझता हूँ कि अगर आप काँग्रेस पार्टी में भी उच्च स्तर पर यह बात करोगे तो वहाँ भी यह बात कही जाएगी कि विश्वविद्यालय परिसर राजनीति से मुक्त रहने चाहिए इसलिए मेरा विनम्र निवेदन है कि जल्दबाजी में इस विधेयक को पारित न करें. इसको कृपा करके प्रवर समिति में भेज दें ताकि और विचार विमर्श का मौका मिल जाए तब तक आप भी सोच लें जल्दबाजी में इस विधेयक को पास न करें. यह मेरी प्रार्थना है और नहीं तो यह सरकार का बड़ा गलत कदम होगा और मुझे विश्वास है कि जब तथ्यों और तर्कों के साथ बात आई है तो सरकार मानेगी. आप या तो इसको वापिस लीजिए या प्रवर समिति में भेजिए.
श्री कुणाल चौधरी(कालापीपल)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, एक बड़ा महत्वपूर्ण संशोधन विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में आया है इसका मैं समर्थन करता हूँ क्योंकि प्रदेश में उच्च शिक्षा का जो विषय है, एक महत्वपूर्ण जो भविष्य से जुड़ा, बड़ा और गंभीर मुद्दा है, बड़ी बातें दूसरी ओर से भी रखी गईं, पर अगर हम लोग जाएंगे कि इसमें बदलाव क्या हो रहा है, जो बात कही कि जो एक कमेटी होती है, जिसमें एक राज्यपाल के प्रतिनिधि होते हैं, उनके ऊपर कहीं कोई बात नहीं है. यूजीसी का प्रतिनिधित्व होता है उसमें कहीं कोई बात नहीं है पर राज्य शासन की एक जवाबदेही होती है कि कैसे उच्च शिक्षा को नये पायदान की ओर लेकर जाएँ, नये भविष्य के निर्माण की ओर लेकर जाएँ, एक बदलाव, अगर इस दुनिया में जरूरी है तो कहीं न कहीं कुछ परिवर्तनों के साथ हमें बेहतर रूप से काम करने की जरुरत है. परिवर्तन को अगर यह लिया जाए कि हर परिवर्तन खराब होता है तो मैं कुछ उदाहरण भी देना चाहूँगा कि यह जो व्यवस्था है यह हमारे जो दूसरे विश्वविद्यालय हैं, चाहे कृषि विश्वविद्यालय हो, उसमें भी यही व्यवस्था है, चाहे हमारे मेडिकल यूनिवर्सिटी के विश्वविद्यालय हों, उसमें भी यही व्यवस्था है, आज राज्य शासन की एक जवाबदेही और जिस प्रकार का एक युग आ चुका है, जो कम्प्यूटर युग, जिसे हम कहते हैं एक बेहतर भविष्य के नौजवान अपने अधिकारों की बात जो करते हैं जो राज्य शासन से जवाबदेही चाहते हैं कि इसमें जवाबदेही की क्या बात है. जो उन्होंने एक उदाहरण दिया कि इन्दौर विश्वविद्यालय का एक बड़ा मुद्दा इन्दौर विश्वविद्यालय का बना, चाहे उज्जैन विश्वविद्यालय की बात हो, जिन मुद्दों के ऊपर कई दिनों तक कुलपति की नियुक्ति न होना, एक बड़ा गंभीर विषय है क्योंकि कहीं न कहीं युवाओं के भविष्य से एक जुड़ा मुद्दा होता है जिसमें कुलपति के न होने से कई चीजें रुकती हैं. जब एक शासन का प्रतिनिधि भी रहेगा, जिनकी जवाबदेही रहेगी, तो कहीं न कहीं एक बेहतर रूप से जवाबदेही के साथ बेहतर चयन प्रक्रिया में अगर सरकार का भी एक व्यक्ति आता है तो मुझे नहीं लगता है कि इसमें कोई दिक्कत होना चाहिए. एक राजनीतिक दल के वरिष्ठ सदस्यों ने यह कहा कि विश्वविद्यालयों को राजनीति से दूर रखा जाए. यह खुद इस नर्सरी से निकले हैं. मुझे लगता है माननीय शिवराज जी, माननीय विश्वास सारंग जी छात्र राजनीति से ही निकले होंगे. विश्वविद्यालयों में छात्र राजनीति बेहतर रुप से होना चाहिए. पिछले कई सालों से विश्वविद्यालयों में चुनाव भी बंद हैं वह एक अलग मुद्दा है. इस संशोधन के माध्यम से एक बेहतर भविष्य की परिकल्पना की गई है. मध्यप्रदेश का नौजवान पिछले कुछ समय से एक बेहतर शिक्षा उसे कैसे मिले इस ख्वाब को वह भूल चुका है. अच्छी शिक्षा चाहिए तो आप पुणे और बैंगलुरु की ओर देखते हैं दूसरे विश्वविद्यालयों की ओर देखते हैं. मध्यप्रदेश का कोई भी ऐसा विश्वविद्यालय नहीं है जिसे उस स्तर तक पहुंचाया गया हो. कहीं-न-कहीं कुछ खामियां रही होंगी. राज्यपाल महोदय के अधिकार में हम कोई कमी नहीं कर सकते हैं, उनके पास यह संशोधन जाएगा, बेहतर रुप से विचार जाएगा. मुझे नहीं लगता है कि राज्यपाल महोदय इसमें कोई कमी करने की बात करेंगे. बेहतर भविष्य के लिए जिनकी जवाबदारी है, सरकार को वित्तीय व्यवस्था करनी है, बेहतर रुप से उसे चलाने का काम करना है. पिछली सरकारों द्वारा विश्वविद्यालयों को चलाने की बजाए बिगाड़ने का ज्यादा काम किया जा रहा था. संस्थाओं को बनाना मुश्किल काम है पर बिगाड़ने में कम समय लगता है. मेरा आग्रह है कि इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया जाए. मध्यप्रदेश के नौजवानों के भविष्य का बेहतर निर्माण हो, दूरदृष्टा के रुप में हम काम करें. यह एक बेहतर निर्णय लिया गया है. इस संशोधन का हम समर्थन करते हैं. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, उच्च शिक्षा मंत्री जी को और राज्यपाल महोदय को धन्यवाद देना चाहूंगा. मुझे लगता है इस विधेयक को सभी सदस्य मिलकर पारित करें. परिवर्तन से घबराने की जरुरत नहीं है. परिवर्तन के माध्यम से ही बेहतर भविष्य का निर्माण होगा. मैं इस विधेयक का पुरजोर तरीके से समर्थन करता हूँ.
श्री दिनेश राय (सिवनी)-- उपाध्यक्ष महोदया, माननीय मंत्री जी द्वारा जो बिल प्रस्तुत किया गया है इसका मैं विरोध करता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया, यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना चाहते हैं. राज्यपाल महोदय के अधिकारों को कम करना चाहते हैं. मैं एक छोटा सा उदाहरण बताना चाहूंगा कि जहां महिला कॉलेज है वह जनभागीदारी का अध्यक्ष आप पुरुष बना देते हैं और जहां पुरुष है वहां महिला को बैठा देते हैं. फिर हम कैसे मानें कि विश्वविद्यालय में कुलपति किसको बना देंगे. मैं कहना चाहूँगा कि जो काम जिसका है उसे करने दें. माननीय मंत्री जी आपको भी बहुत अच्छे से मालूम है.
श्री कुणाल चौधरी -- बेटा-बेटी एक समान हो चुका है. बेटियां, बेटों से पीछे नहीं हैं. आपका यह कहना कि कौन बन सकता है इसमें कोई बहुत बड़ी बात नहीं है. हम पूरे देश में बेटे-बेटियों के समान अधिकार की बात करते हैं. आपकी यह बात गलत है. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया-- कुणाल जी कृपया बैठ जाइए.
सुश्री कलावती भूरिया (जोबट)-- उपाध्यक्ष महोदया, यह महिलाओं का अपमान है. (व्यवधान)
श्री दिनेश राय -- आप जनभागीदारी अध्यक्ष से डोनेशन करवाइए.
श्री कुणाल चौधरी -- वह तो हो रहा है परन्तु आपने यह कहा कि महिला पुरुष, यह कौन सी बात है. मैं इस बात का बिलकुल विरोध करता हूँ. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया--कुणाल जी कृपया बैठ जाइए.
श्री दिनेश राय -- उपाध्यक्ष महोदया, मैं बताना चाहूंगा कि जिस बात का माननीय सदस्य उल्लेख कर रहे हैं उसी कॉलेज में महिलाएं और बच्चियां पढ़ती हैं वहां पर पुरुषों ने जाकर कब्जा कर लिया है. जनभागीदारी अध्यक्ष की पदस्थापना के लिए..(व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी -- यह जनभागीदारी के अध्यक्ष का काम कब्जा करने का होता है, यह आपके जमाने में होता होगा. (व्यवधान)
श्री दिनेश राय -- आप अगर किसी को अध्यक्ष बना रहे हैं तो आपमें क्षमता होना चाहिए. आपके कार्यकर्ताओं पर, आपकी वानर सेना पर न कि वहां पर बच्चियों का अनादर करें वहां पर, कॉलेजों में घुसकर...
उपाध्यक्ष महोदया-- मुनमुन जी कृपया विषय पर आइए.
श्री कुणाल चौधरी -- पिछली सरकार की बातें बंद कर दें...(व्यवधान)
श्री दिनेश राय-- उपाध्यक्ष महोदया, इतनी ही चिंता है मंत्री जी को और उनके विधायको को तो मैं आग्रह करता हूं कि आज आपके इसी शहर में हमारे अतिथि विद्वान नियमितीकरण को लेकर बैठे हैं. जो आपके वचनपत्र में हैं.
उपाध्यक्ष महोदया--कृपया विषय पर बोलिए.
श्री दिनेश राय-- विषय पर ही बोल रहा हूं. वचन पत्र में हैं तो आप उसे तो पूरा कर दें.
उपाध्यक्ष महोदया--कृपया संशोधन पर बोलिए. बाद में जब अवसर मिले तब बोलिए.
श्री दिनेश राय-- उपाध्यक्ष महोदया, जो बिल माननीय मंत्री जी ने पेश किया है इस बिल का विरोध मैं इसीलिए करता हूं क्योंकि यहां पर जो बच्चे पढ़ते हैं वह जब कॉलेज में आते हैं तो उनको अपने भविष्य का निर्णय लेने का समय होता है और वहां पर आप कहीं न कहीं राजनीतिक प्रतिद्वंदिता रखते हुए अपने कुलपति अपनी क्षमता से बैठालेंगे तो कहीं न कहीं उन बच्चों पर अच्छा असर नहीं पड़ेगा. मेरा आग्रह है कि आप ऐसे बिल को वापस लें, पुनर्विचार करें और उसके बाद ही इस बिल पर निर्णय लें. इंदौर की बात आई. आप इंदौर के लिए, अपने जिले के लिए इतने व्यथित हो रहे हैं. क्या पूरे प्रदेश के कॉलेजों के साथ आप ऐसा ही व्यवहार करेंगे? इस बिल का मैं घोर विरोध करता हूं और मैं अपनी जो बात करना चाहता हूं बहुत कम शब्दों में कम ही समय मिला है.अतिथि विद्वान को लेकर इसी शहर में बैठे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया विषय पर आएं. आप अतिथि विद्वान की बात बाद में कर लेना जब उनका विषय आएगा.
श्री दिनेश राय -- आपने बोला वचन पत्र पूरा करने का तो नियमितीकरण क्यों नहीं करना चाहते. आज बच्चे-बच्चियों को लेकर बैठे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया-- आप अभी केवल संशोधन पर बोलें. संशोधन से रिलेटेड कोई बात हो तो आप बोलिए.
श्री दिनेश राय-- वहां के नेता कहां गए. उनको आग जलाने की व्यवस्था पुलिस से आप छिनवा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया-- मेरा आपसे निवेदन है कि संशोधन पर आपको कोई बात रखनी है तो आप रखिए.
श्री दिनेश राय-- उपाध्यक्ष महोदया, संशोधन बिल के बारे में राज्यपाल महोदय के जो अधिकार हैं उनको आप कहीं न कहीं जो कम करने जा रहे हैं उन पर मुझे घोर आपत्ति है और मैं इस बिल का विरोध करता हूं.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया (अटेर)-- उपाध्यक्ष महोदया, जो हमारे शिक्षा मंत्री महोदय माननीय जितु जिराती जी ने.
उपाध्यक्ष महोदया-- जितु पटवारी जी.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया-- हमारे तो जिराती हैं इनका रिश्तेदार हैं (हंसी) जितु जिराती जितु पटवारी जी दोनों भाई हैं. माननीय जितु पटवारी जी ने जो यूनिवर्सिटी अमेंडमेंट एक्ट में संशोधन लेकर आए हैं इसका मैं घोर विरोध करता हूं मैं इसका इसलिए भी विरोध करता हूं और सदन को जानकारी देता हूं कि सन् 2001 में माननीय दिग्विजय सिंह जी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे. उस समय भी यूनिवर्सिटी अमेंडमेंट एक्ट आया था. उस समय भाई महावीर जी मध्यप्रदेश के राज्यपाल महोदय थे जो सन् 1973 का विश्वविद्यालय अधिनियम है वह सन् 2001 के पहले कुलपति चयन का अधिकार जो हमारे माननीय विद्वान सदस्य विश्वास सारंग जी ने पूरा विषय रखा है उसमें कुलपति चयन का अधिकार होता था और कुलसचिव का भी अधिकार राज्यपाल महोदय के हाथ में होता था तो यह दोनों एक गाड़ी के दो पहिए हुआ करते थे बड़ी गति से गाड़ी को दोड़ाया करते थे. इसी विधान सभा से वह पारित हुआ और पारित होने के बाद मैं स्टूडेंट लीडर था ए.बी.वी.पी. मध्यप्रदेश का संगठन मंत्री था बड़ा आंदोलन हुआ. मैं जितु पटवारी जी को बताना चाहता हूं कि पचार हजार विद्यार्थियों ने इसका विरोध किया मैंने भी विरोध किया. मेरे को बहुत लाठीचार्ज हुआ मेरे कान का एक परदा फटा हुआ है मुझे अभी भी उसके कारण सुनाई नहीं देता है. इस देश के राष्ट्रपति उस समय ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहब थे. पूरे देश की मीडिया में विषय भी गया. पूरे देश के विद्वानों ने इसका विरोध किया और जितु भाई वह बिल राष्ट्रपति जी के यहां से निरस्त हुआ. मैं आपकी जानकारी के लिए बोलना चाहता हूं और विधान सभा की कार्यवाही में भी होगा. माननीय शिवराज सिंह चौहान साहब ने जो बोला की शिक्षा को राजनीतिकरण से दूर रखिए. राज्यपाल पर अधिकार क्या होते हैं वास्त्ाव में जो कुलाधिपति होते हैं, जो राज्यपाल होते हैं कुलपति चयन कमेटी में जैसा बताया पूरा सिस्टम में सभी लोगों का इनवॉल्वमेंट करके मैं भी उस चयन कमेटी में एक बार रहा हूं. एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज़ में स्टेट गवर्मेंट का एग्रीकल्चर विभाग का जो प्रिंसीपल सेकेट्री होता है वह भी उस कमेटी में सरकार के एक मेम्बर होते हैं इसलिए शिक्षा की राजनीतिकरण से इस बिल को दूर रखिए. क्योंकि देश में सरकारें बदलती रहती हैं. कभी कांग्रेस की सरकार होती है. हमारी भी सरकार 15 साल तक रही. शिवराज सिंह जी 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे. तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. राज्य में बलराम जाखड़ जी, रामेश्वर ठाकुर जी, यादव जी जैसे कई राज्यपाल यहां रहे. हमारी सरकार ने कभी कोशिश नहीं की कि शिक्षा में किसी प्रकार का हस्तक्षेप हो या शिक्षा का राजनीतिकरण हो. हम यह कर सकते थे. हम भी चाहते थे कि हमारे लोग वहां बैठें लेकिन हमने नहीं किया. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारे कुणाल भाई बोल रहे थे. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि हम सभी छात्र राजनीति से यहां आये हैं और मैं चाहता हूं कि छात्र राजनीति से यहां ऊपर तक नेता आयें लेकिन कुलपति चयन में राजनीति से दूर होकर निर्णय करना चाहिए. यह राज्यपाल के अधिकारों को छीनने का प्रयास है. पूरे देश में कहीं ऐसी व्यवस्था नहीं है. माननीय श्री जितु पटवारी जी से मैं विनम्र प्रार्थना के साथ कहना चाहता हूं कि आप विद्वान व्यक्ति हैं. भविष्य में कांग्रेस के बड़े नेता होंगे क्योंकि आप सोचते हैं, विचार करते हैं, अध्ययन करते हैं. यदि कोई कुलपति सिस्टम में गलत नियुक्त हो गया तो धारा 52 लगाने का अधिकार भी जितु भाई आपके पास है. आप धारा 52 लगाकर उसे हटा सकते हैं. मेरे भाई आप शिक्षा के राजनीतिकरण को रोकिये. सरकार आपकी-हमारी सभी की होंगी. आज आपकी है, कल हमारी होगी इसलिए इस पर गहन अध्ययन होना चाहिए. मैं यह दलगत राजनीति के नाते नहीं कह रहा हूं, मैं समाज के एक सामान्य नागरिक होने के नाते यह कह रहा हूं. मैंने अध्ययन किया है, मैं पढ़ा-लिखा हूं. शिक्षा के विषय में अध्ययन करता हूं. इस विषय पर जैसा कि हमारे माननीय शिवराज सिंह जी और विश्वास सारंग जी ने कहा है कि इस विषय को, इस संशोधन को वापस लिया जाये या प्रवर समिति में डालकर एक बार इस पुन: मंथन किया जाये. समिति में आपके कुछ विद्वान लोग हों, कुछ हमारे यहां के लोग हों, अधिकारी भी हों और चिंतन-मंथन पश्चात् इस पर कोई नया रास्ता हो उसे तो निकाला जाये, यह मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है, धन्यवाद.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, सदन में चर्चा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातें सामने आयी हैं कि शिक्षा में किसी प्रकार की दुर्भावना, राजनीतिकरण या पक्ष-विपक्ष की बात नहीं होती है. शिक्षा में सकारात्मक सुझाव के साथ देश और प्रदेश के उज्जवल भविष्य की बात होती है. युवाओं के भविष्य की बात होती है. शिक्षित समाज हमेशा एक सकारात्मक देश का निर्माण करता है. मैं विश्वास भईया की दो-तीन बातों पर कहना चाहता हूं कि जैसे कि यह विधेयक किसी एक शहर या विश्वविद्यालय के लिए है, मैं मानता हूं कि यह बात सही नहीं है. हमारे प्रायवेट विश्वविद्यालयों या सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में नए नवाचार इस सरकार के आने के बाद हो रहे हैं. मैं आप सभी को ध्यान दिलाना चाहता हूं कि कुछ समय पूर्व राज्यपाल जी ने प्रेस को एक वक्तव्य दिया चूंकि राज्यपाल जी का जिक्र छिड़ा है इसलिए मैं यह कह रहा हूं. राज्यपाल महोदय ने कहा कि किसी प्रकार की धारा 52, किसी विश्वविद्यालय में अब नहीं लगेगी. इसके बाद मेरे पास प्रेस आई तो मैंने प्रेस से यही कहा कि राज्यपाल जी इस विभाग के मुखिया है और महामहिम का उद्देश्य शिक्षा को लेकर सदैव सकारात्मक रहता है, चाहे कोई भी महामहिम हो. यदि महामहिम ने धारा 52 के संबंध में कहा है तो उनके शब्दों का सम्मान है. यदि उन्होंने कुछ कहा है तो अब यह धारा नहीं लगेगी. यह वक्तव्य अखबारों में है, आप चाहें तो मैं सदन के पटल पर रखने को तैयार हूं.
श्री विश्वास सारंग- माननीय उपाध्यक्ष जी, यह थोड़ा-सा आपत्तिजनक है. माननीय मंत्री जी और राज्यपाल जी की क्या बात हुई है, इस ढंग से यहां उल्लेखित करना ठीक नहीं है.
श्री जितु पटवारी- माननीय उपाध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध है कि जब बात सकारात्मक है, आप लोगों ने अच्छे विचार रखे हैं. विश्वास जी आपने बहुत विश्वास के साथ अच्छी बात कही है, मैं भी कहना चाहता हूं. मेरा अनुरोध है कि नीयत क्या है और नीति क्या है ? नीयत यह है कि जो आपने कहा वह सब हो. जो समाज की आवश्यकता है शिक्षा के क्षेत्र की आवश्यकता है, दलगत राजनीति तेरा-मेरा ऊंचा-नीचा, अच्छा-बुरा सबसे ऊपर शिक्षा इस भाव को जीने की है. यह कोई महामहिम के अधिकारों की कटौती और किसी प्रकार की ऐसी भावना किसी रूप में सरकार की नहीं है. मेरा आप लोगों से आग्रह है कि चूंकि सरकार का दायित्व होता है चूंकि जवाबदेही आने वाले जन-प्रतिनिधियों की होती है. तो स्वाभाविक प्रक्रिया है कि उसमें चयन प्रक्रिया में एक व्यक्ति ऐसा बैठना चाहिये जैसा आपने कहा कि सरकारें आयेंगी और जायेंगी आज हम हैं कल फिर और होगा यह तो समय का चक्र है कि यहां पर भी कोई बदल सकता है, वहां पर भी कोई बदल सकता है तो वह विषय नहीं है विषय सिर्फ यह है कि चयन सही तरीके से हो, एकतरफा न हो और सही दिशा में जाये. शिवराजसिंह जी ने बहुत अच्छी बात कही कि चूंकि वह मुख्यमंत्री रहे हैं मैं उनकी बात का सम्मान करता हूं, पर पूर्व मुख्यमंत्री जी आपके रहते हुए पांच विश्वविद्यालयों का गठन हुआ एक हुआ अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय हिन्दी का उसमें शासन का प्रतिनिधि चयन प्रक्रिया में रहता है, यह आपने किया है. एक तरफ आपने किया है और दूसरी तरफ आप कहते हैं कि यह आपके बड़ो से पूछो और आप भी कांग्रेस के उच्च स्तर के लोगों से मिलेंगे तो वह भी आपको मना करेंगे. आपने ही निर्णय लिया है और आप ही उसको काट रहे हो, यह तो ठीक नहीं है. बेसिक बात छोटी सी बात एक नहीं आपने और भी विश्वविद्यालयों में ली है. आपने लिया चित्रकूट का आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश का बना, उसमें लिया, आपने कृषि विश्वविद्यालय बना, उसमें लिया, राजमाता विजयराधे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय फिर हुआ उसमें लिया. आपने पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय बना उसमें लिया. मेरा आपसे यह अनुरोध यह है कि यह भावना आपकी कोई गलत उस समय नहीं थी. आपने भी सोचा की सरकार की मान्यता बनती है कि जवाबदेही सरकार की है, जनप्रतिनिधि की है, मुख्यमंत्री की है. आपकी, हमारी सबकी इस सदन की है तो इसमें किसी बहस, तर्क की आवश्यकता नहीं है, न ही आपकी बात को काटना चाहता हूं पर इतना विश्वास दिलाना चाहता हूं कि यह भावना सकारात्मक है. अच्छी शिक्षा एवं मजबूत भाव के साथ मध्यप्रदेश समृद्ध मध्यप्रदेश बने इस विषय की है. कोई किसी प्रकार की किसी भी नकारात्मक बात की इसमें जगह नहीं है. मैं आग्रह करता हूं कि चूंकि राज्यपाल जी के अधिकारों की कटौती की बात आयी है उनके पास ही जाना है उनको पता है कि क्या होना है और क्या नहीं होना है. तो मेरा आपसे अनुरोध है कि सदन की तथा आप सबकी मंशा है क्योंकि शिक्षा की भावना है इसलिये एकरूपता से और सर्वसम्मति से इस विधेयक को पास करें. चूंकि शिवराज सिंह जी ने पहले किये हैं या आप विरोध करेंगे तो आप यह कहोगे कि शिवराज सिंह जी ने पहले गलत काम किया था और समर्थन करोगे तो उन्होंने अच्छा काम किया था, तो उसी का हम समर्थन करते हैं, यह मैं मानता हूं.
श्री शिवराज सिंह चौहान--उपाध्यक्ष महोदय, आप हर विश्वविद्यालय को मुझसे मत जोड़ें देखिये जो नियमित विश्वविद्यालय हमारे चल रहे हैं जहां पर पहले से ही यह व्यवस्था है उसको आप क्यों बदलना चाहते हैं उसको हमने कभी नहीं बदला.
श्री जितु पटवारी--उपाध्यक्ष महोदय, शिक्षा में भी दो तरह के विचार जो विश्वविद्यालय बाद में मेरी सरकार के अंतर्गत बने उसमें अलग नियम बनेंगे और जो दूसरे पहले बन गये थे उसमें अलग नियम बनेंगे, यह भी आपका विचार ठीक नहीं है. आप तो 12 साल मुख्यमंत्री रहे हैं. आप कहते हैं कि जो मैंने काम किया है, वह ठीक था और अब वही काम तुम करोगे तो ठीक नहीं है, मतलब आपका यह कैसा न्याय है ? यह समझ से परे है.
श्री शिवराज सिंह चौहान--उपाध्यक्ष महोदय, जो भावना मैंने व्यक्त की थी आपने अपने कुतर्क के द्वारा विषय को बदलना चाहते हैं. हमने मध्यप्रदेश की यूनिवर्सिटीज में गवर्नर साहब की जो व्यवस्था थी वही व्यवस्था लागू रखी उसमें कभी कोई परिवर्तन हमने नहीं किया है, यही मेरा निवेदन है कि इसमें आप परिवर्तन मत कीजिये इसमें और विचार-विमर्श के लिये इसको प्रवर समिति को भेज दीजिये.
श्री जितु पटवारी--उपाध्यक्ष महोदय, आदरणीय शिवराज सिंह जी आप जैसा कहेंगे हमें आपकी बात का भरोसा होना चाहिये मैंने इसमें कोई कुतर्क तो दिये ही नहीं हैं, सब तर्क हैं और सहीसाट हैं उसमें एक भी गलत बात नहीं है, इसमें कुतर्क कहां से हो गये. रही बात इसकी कि आप यहां पर खड़े होकर के कहें कि मैंने जो पहले काम किया था वह सही था अब आप काम कर रहे हैं तो गलत है. इस बात में क्यों संबंध नहीं है, आपने ही जिन पांच विश्वविद्यालयों में नियम बनाये उसी विश्वविद्यालयों में शिवराजसिंह जी काम किया.
श्री विश्वास सारंग (नरेला)- उपाध्यक्ष जी, बड़ा हास्यास्पद है, इनको यही नहीं मालूम है, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय, कभी बोल रहे है महाविद्यालय, कभी बोल रहे हो विश्वविद्यालय, जरा सोच समझकर बोलिए जीतु भाई.
श्री जितु पटवारी - कोई बात नहीं
श्री विश्वास सारंग - हो सकता है अभी कांग्रेस में आपकी स्थिति ठीक न हो, जिस प्रकार से आप बात कर रहे हो यह बात करने का तरीका नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदया - विश्वास जी आप बैठ जाइए.
श्री जितु पटवारी - मेरा अनुरोध इतना है कि इस पूरे विषय का मैं कोई राजनीतिकरण नहीं करना चाहता हूं, पूरे सदन के सामने अपना पक्ष यह है कि (माननीय सदस्य मनोहर ऊंटवाल जी के खड़े होने पर) माननीय उपाध्यक्ष जी व्यवस्था दे दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदया - ऊंटवाल जी कृपया बैठ जाइए, उनको बात खत्म करने दीजिए.
श्री मनोहर ऊंटवाल - जितु जी यह बात बताइए, दो मिनट दे दीजिए उपाध्यक्ष महोदया, यह शिक्षा का मामला है, महत्वपूर्ण विषय है. केवल दो मिनट चाहिए. जितु जी आप सीधे उपाध्यक्ष जी को बोल रहे हो, हम तो केवल इतना पूछना चाहते हैं.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) - उपाध्यक्ष महोदया, आपसे बैठने के लिए अनुरोध कर रही हैं, आप उनकी बात न मानकर हमें जवाबतलब कर रहे हों.
उपाध्यक्ष महोदया - आपके दल से बाद में एक नाम आया था, वह भी मैंने बुलवा दिया है, कृपया आप बैठ जाइए.
श्री मनोहर ऊंटवाल - मैं केवल दो मिनट चाहता हूं, क्या माननीय शिवराज सिंह जी ने राज्यपाल जी के अधिकारों में कोई कटोत्रा करवाया था, यह कैसा भ्रम फैला रहे हो.
श्री जितु पटवारी - जी धन्यवाद.
03:21 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय - हो गया जवाब कि अभी जवाब दे रहे हो.
श्री जितु पटवारी - एक मिनट, मेरा मानना है कि यह पूरा विषय शिक्षा से जुड़ा हुआ है यह तर्क-कुतर्क का विषय नहीं होता है. अभी हमने जो निर्णय लिया है वह भी सकारात्मक है और जो शिवराज सिंह जी ने बात कही थी हम उसको भी सकारात्मक मानते हैं. मैं सदन से अनुरोध करता हूं कि पूरे सर्वभाव से यह विधेयक पास हो और राज्यपाल जी का जहां तक प्रश्न है उनके पास यह जाएगा और वे निर्णय लेंगे इसमें कि उनका क्या अधिकार है और क्या अधिकार नहीं है. मैं मानता हूं कि हमारे उच्च शिक्षा में महामहिम के निर्देशों के अनुसार हम काम करते हैं और मैं सदन में, पटल पर, विश्वास के साथ, भरोसे के साथ यह कह रहा हूं कि जब तक मैं यह विभाग चलाऊंगा महामहिम के निर्देशों के अनुसार ही चलाऊंगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय द्वितीय संशोधन विधेयक...
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी ने अपने वक्तव्य में जो कहा है इसमें बहुत सी बातें स्पष्ट नहीं हुई है. राज्यपाल साहब क्या चाहते हैं, क्या नहीं चाहते, उनके पास जब यह बिल दस्तखत होने के लिए जाएगा, मुझे नहीं मालूम लेकिन आपका जो यह प्रयास है विश्वविद्यालय में अपने प्रतिनिधि बैठाने का, मैं मानकर चलता हूं कि हमारे राज्य की उच्च शिक्षण संस्थाएं जो हैं शनै:-शनै: धीरे -धीरे शासन उनको अपने नियंत्रण में लेना चाहती है उन पर कब्जा करना चाहती है और इस कारण से हमारा पक्ष इससे कतई सहमत नहीं है. हम चाहते हैं कि यह विधयेक प्रवर समिति के लिए प्रेषित कर दिया जाए, उसको भेजा जाए. सभी विद्वानों की राय ली जाए. मैं तो चाहता हूं कि राज्यपाल साहब से भी हम एक बार अनुरोध कर लें और भी दूसरे जो मंच है उस पर चर्चा कर लें. इसके बाद ही इस बारे में फायनल किया जाए, अन्यथा में इसके समर्थन में नहीं हूं, हमारा दल भी इसके समर्थन में नहीं है. मैं नहीं चाहता कि कोई इस प्रकार की स्थिति यहां पर बने जिसमें हम डिवीजन की मांग करें या अन्य कोई मांग करें हम यह नहीं चाहते हैं, लेकिन हम फिर आपसे अनुरोध करते हैं कि आप इसको बड़ा मन करके और जो राज्य के शैक्षणिक क्षेत्र में, खासतौर से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जो आशंका है, इस आशंका को दूर करने के लिए मैं चाहता हूं कि इसके लिए आप प्रवर समिति को भेजेंगे या फिर इस बिल को वापस ले लेंगे.
श्री केदारनाथ शुक्ल(सीधी) - आगे आने वाले दोनों विधेयक भी लगभग इसी भावना के हैं, तीनों को देख लिया जाए और तीनों के बारे में एक साथ निर्णय लिया जाए.
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि इस संशोधन में चयन प्रक्रिया में अंतिम निर्णय फिर राज्यपाल महोदय को लेना है, इसमें चयन प्रक्रिया एक प्रोसेस होती है, उसकी समिति जो बनती है, उसमें मेरे से सब बेहतर विद्वान जानते हैं, अंतिम निर्णय कुलपति चयन में राज्यपाल महामहिम महोदय को ही लेना पड़ता है तो बिना राजनीतिकरण करके अपनी बात कहने के लिए कोई विषय करना हो तो अलग बात है, नहीं तो इसमें ऐसी कोई घटना या कोई भावना नहीं है कि इसका कोई राजनीतिकरण किया जाए. मेरा आग्रह है नेता प्रतिपक्ष और सभी से कि इसको सकरात्मक और सर्व सम्मति से पारित किया जाए.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हमारे सदस्यों के बार बार आग्रह करने के बाद माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी इस विषय को नहीं समझ रहे, इसकी गंभीरता को नहीं समझ रहे, यह दोधारी तलवार है यह हमेशा लोगों को काटेगा, सभी तरफ के लोगों को और इस कारण से मैं पुन: आग्रह करना चाहता हूं कि आप इसको प्रवर समिति के सुपुर्द कर दें.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, कल भी इस पर चर्चा के दौरान स्थिति स्पष्ट हो गई थी. इसमें दो सदस्य तो यथावत् हैं, एक सदस्य जो चुना जाएगा, जो चयन समिति का है, उस पर भी अंतिम फैसला महामहिम जी को ही करना है. उसमें जो विश्वविद्यालय की कार्य-परिषद् थी, वह एक नाम भेजती थी. उसकी जगह एक नाम शासन भेजेगा जबकि दो नाम तो पूर्व से ही हैं. फिर अगर महामहिम जी को स्वीकार नहीं हैं तो चयन समिति का निर्णय वापस कर सकते हैं, उनको अधिकार हैं, कानून में प्रावधान है. इसलिए हमारा निवेदन है कि इसको प्रतिष्ठा का विषय न बनाएं.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रदेश के राज्यपाल महोदय जी, महामहिम जी की प्रतिष्ठा का प्रश्न है. हम उनकी प्रतिष्ठा कायम रखना चाहते हैं. आप उनके ही पास, उनके ही अधिकार भेजेंगे तो वे क्यों मना करेंगे ? मैं इसलिए कह रहा हूँ कि इसके पहले कि वे मना करें या वे इससे असहमत हों, मैं यह मानकर चलता हूँ कि राज्यपाल जी की प्रतिष्ठा, हमारे राज्य की प्रतिष्ठा, हमारी सबकी प्रतिष्ठा है और इस कारण से आप कहेंगे कि वह यदि स्वीकार कर लेंगे, तब भी ठीक है और यदि नहीं स्वीकार करेंगे तब भी आप लोग कहेंगे कि ठीक है. मैं इस कारण से बड़ा मन करके कह रहा हूँ कि आप इसको प्रवर समिति को सौंप दें.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष जी, आधा-पौन घण्टे की चर्चा में न ही उच्च शिक्षा मंत्री यह बता पाए और न ही संसदीय कार्यमंत्री यह बता पाए कि इसके पीछे सरकार की मंशा क्या है ? आप कह रहे हैं कि कुछ होना ही नहीं है, जब कुछ होना नहीं है तो आप संशोधन क्यों ला रहे हैं ? जब आप कह रहे हैं कि इससे कोई परिवर्तन नहीं आएगा तो हम संशोधन क्यों ला रहे हैं ?
श्री कुणाल चौधरी - व्यवस्थाएं बेहतर होंगी.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट भी यह नहीं बता पाये कि उच्च शिक्षा मंत्री जी ने बहुत सारे कागज बुलवा लिये, लेकिन ये जस्टिफाई ही नहीं कर पा रहे हैं कि परिवर्तन करना क्यों चाहते हैं ? जब कोई अंतर नहीं आयेगा तो फिर आप परिवर्तन क्यों कर रहे हो ? जब यहां पर बात आई तो नेता प्रतिपक्ष जी एवं पूर्व मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि राज्यपाल जी की प्रतिष्ठा पर कोई प्रश्नचिन्ह् लग रहा है तो क्या सदन इस बात से सहमत होगा ? माननीय अध्यक्ष जी, मेरा निवेदन है कि इसको प्रवर समिति को भेजें.
श्री जितु पटवारी - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो सवाल उठाया है कि क्या कारण है कि इस संशोधन का ? मैंने अपने वक्तव्य में कहा कि उत्तरदायित्व इस लोकतंत्र में, हमेशा शासन में चुने हुए जन-प्रतिनिधियों का होता है, सरकार का होता है, मुख्यमंत्री जी का होता है. इसका उद्देश्य यह है कि हमें हमारे दायित्व के अनुसार काम करना चाहिए. दूसरा, वही काम आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी के मुख्यमंत्री रहते हुए किया, तो अब आप उसको मना कर रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष जी, यह जस्टिफिकेशन थोड़े ही है. यहां पर राजनीतिक बातें कर रहे हैं. आप मंत्री के नाते बातें करें, पार्टी के कार्यकर्ता के नाते बातें मत करो.
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष जी, बोलते हैं, सुनते नहीं हैं. कृपया कर व्यवस्था बनाएं.
अध्यक्ष महोदय - बोल लेने दीजिये.
श्री जितु पटवारी - जबर्दस्ती खड़े होकर, आपकी उपयोगिता दर्शाना हो तो मैं बैठ जाता हूँ. I don't know.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - अध्यक्ष महोदय, अब नेता प्रतिपक्ष बोल रहे हैं कि इसके उद्देश्य बताएं, माननीय सदस्य, मंत्री जी उद्देश्य बता रहे हैं, उसे आप धैर्य से सुनें.
श्री जितु पटवारी - चयन समिति के अंतिम निर्णय अध्यक्ष का होता है, वह भी महामहिम तय करते हैं और अंतिम निर्णय भी महामहिम लेते हैं, तो आपने जितने तर्क दिये, वे अपने आप समाप्त हो जाते हैं कि महामहिम के अधिकारों .....
श्री गोपाल भार्गव - फिर आप क्यों कर रहे हो ? सब वही करते हैं तो उनको करने दो.
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष जी, सरकार का उत्तरदायित्व जो होता है, वह निभाने के लिए कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - देखिये. आप लोग बैठ जाइये. एक विधेयक के बारे में, मैंने चर्चा की है. जिसको फिर से बुलाया गया है और मैंने उसको माखनलाल चतुर्वेदी का पढ़कर सुनाया. आप लोगों ने उसको शायद पढ़ा नहीं है, उसमें कितना ज्यादा सम्मान राज्यपाल जी का करना चाहिए, इसलिए उसको वापस बुलाया है और जो उन्होंने सुझाव दिया है, हम उसको मान रहे हैं. यह मैं आपको इन्डायरेक्टली बता रहा हूँ. विश्वास जी, आप एक मिनट रुक जाइये. आप चाहें तो उसका अवलोकन कर लें. जो राज्यपाल जी का आदर-सम्मान होना चाहिए, वह हम कर रहे हैं, वह शीघ्र ही आ रहा है और आपको उससे अवगत भी करा दिया है. जो चीज पहले नहीं थी, वह अधिकार हम उनको देने जा रहे हैं. यह तो परस्पर विचारों का आदान-प्रदान है, मैं जहां तक समझता हूँ, फाइनली अंतिम निर्णय जैसा मंत्री जी कह रहे हैं, वह राज्यपाल जी को ही लेना है. सदस्य कोई भी हों और तीन सदस्य हैं, उसमें से दो पहले से ही प्रॉपर चैनल आते हैं, सिर्फ एक सदस्य की ही बात है और अगर एक में कोई बात रखने की बात हो रही है, दो-तीन की बात आयेगी तो भी वही रहेगी और फायनली नेता प्रतिपक्ष जी, उस पर अंतिम निर्णय न हमको लेना है, न ही आपको लेना है, महामहिम राज्यपाल जी को लेना है.
3.30 बजे भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बर्हिगमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है मैं अपना फैसला खुद करूं. मैं जज बन जाऊं. मैं खुद अपना फैसला सुनाऊं. मुझे लगता है यह व्यवहारिक नहीं है. नैसर्गिक भी नहीं है और सरकार की इस हठधर्मिता के खिलाफ हम लोग बर्हिगमन करते हैं. ये घोर अलोकतांत्रिक है और शिक्षण संस्थाओं पर सरकार के कब्जे का प्रयास है. इसीलिये हम लोग बर्हिगमन करते हैं.
( श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों द्वारा शासन द्वारा शिक्षण संस्थाओं पर सरकार के कब्जे का प्रयास करने एवं हठधर्मिता करने के विरोध में सदन से बर्हिगमन किया गया. )
शासकीय विधि विषयक कार्य(क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2019 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री जीतू पटवारी) - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2019 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2019 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(द्वितीय संशोधन) विधेयक,2019 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
3.32 बजे (4) महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2019(क्रमांक 30 सन् 2019)
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री जीतू पटवारी) - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2019 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2019 पर विचार किया जाय.
प्रश्न यह है कि महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2019 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जीतू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2019 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2019 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2019 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
3.34 बजे
(5)महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय(संशोधन)विधेयक,2019(क्रमांक 31 सन् 2019)
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री जीतू पटवारी) - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय(संशोधन)विधेयक,2019 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय(संशोधन)विधेयक,2019 पर विचार किया जाय.
डॉ.मोहन यादव(उज्जैन दक्षिण) - माननीय अध्यक्ष महोदय, पाणिनि के संबंध में अभी हाल में आपने विषय रखा है तो इसमें विचार तो आना चाहिये ना.
अध्यक्ष महोदय - वह तो पारित हो गया.
डॉ.मोहन यादव - पारित कैसे हो गया. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ऐसे कैसे पारित हो गया.
(माननीय सदस्य अपने आसन से अलग हटकर अपनी बात कहते रहे.)
(व्यवधान)..
डॉ.गोविन्द सिंह - आप कहां थे.
डॉ.मोहन यादव - विषय तो आना चाहिये. ऐसा नहीं चलेगा.
डॉ.गोविन्द सिंह - नाम बोला गया था. आप कहां थे.
अध्यक्ष महोदय - अरे भाई, यादव जी, आप जब यहां थे ही नहीं, जब पारित हो चुका था. (डॉ. मोहन यादव, सदस्य के अपने स्थान हटकर नेता प्रतिपक्ष के आसन के समीप आकर बोलने लगे ) यह क्या व्यवहार है? (व्यवधान)..नाम आया होगा. लेकिन यह पारित हो चुका. अरे, आप सुन ही नहीं रहे हो.
(व्यवधान)..
डॉ. गोविन्द सिंह - आप बोलने के लिए थे कहां? आपका जब नाम बोला गया था तब आप कहां थे? आप मौजूद ही नहीं थे.
अध्यक्ष महोदय - यह क्या तरीका है आपका? पूरी कार्यवाही उठाकर पढ़ लीजिए, आपको नहीं मालूम है. (डॉ. मोहन यादव के बोलते रहने पर) यह तरीका नहीं है, आप अपनी सीट पर से बात करिए.
एक माननीय सदस्य - यह धमकी कैसे दी है?
डॉ. गोविन्द सिंह - आप इनको निकालिए.
श्री आरिफ अकील - अध्यक्ष महोदय, यह क्या तरीका है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप थे नहीं जब नाम बोला गया.
(व्यवधान)..
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - यह आसंदी का घोर अपमान है. यह तरीका गलत है.
(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - यह तरीका बिल्कुल गलत है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - सब विलोपित कराएं अध्यक्ष महोदय.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - यह आसंदी का घोर अपमान है.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, वह माफी मांगे. माननीय सदस्य को माफी मांगना चाहिए. यह आसंदी का घोर अपमान है.
अध्यक्ष महोदय - दूसरा विधेयक पारित हो गया, जब ये नहीं थे. अरे, नहीं थे भई. दूसरा विधेयक पारित हो चुका, आप रिकॉर्ड देख लो.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माफी मांगो. माफी मांगो.
डॉ. सीतासरन शर्मा - यह निकलवाकर देख लें.
(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - नहीं, इन्होंने उस समय हाथ भी दिखाया. (व्यवधान)..
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माफी मांगे. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - व्यवहार जरा ठीक रखें. मुझे ऊंगली न दिखाएं. व्यवहार ठीक रखें. सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(3.37 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
03.46 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
श्री गोपाल भार्गव --अध्यक्ष महोदय आपके आदेश से विधान सभा की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई. प्रसंगवश मैं यह नहीं कहता हूं लेकिन मैं और माननीय सदस्य यहां पर उपस्थित थे, हो सकता है कि आपके देखने में चूक हुई हो. लेकिन पहले विधेयक के बाद में जो कि उच्च शिक्षा विभाग का था दूसरा विधेयक आया. माननीय सदस्य ने अपना नाम दिया सचिवालय में उनका नाम भी है सारी बाते हैं. इसी कारण से उनका यह आक्रोश था अध्यक्ष महोदय यदि उनके भाव में आपको कोई अंतर समझ में आया हो तो हम सभी लोग खेद व्यक्त करते है लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि उनको अपनी भावना व्यक्त करने का और तथ्यात्मक तरीके से पूरे विधेयक पर चर्चा करने की अनुमति देने का काम करें.
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी आप बैठे थे मैंने देख लिया था. मेरी आंखें ऊपर से लगी हुई हैं, आप बैठे थे लेकिन वह नहीं थे. रिकार्ड मौजूद है.
डॉ मोहन यादव -- मैं इसी समय, अगर मैं इसमें नहीं होता तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय --यह फिर से उंगली दिखायी इन्होंने.
डॉ मोहन यादव -- मैं अपनी चेयर पर बैठा था, अध्यक्ष महोदय मैं कहां जाऊंगा, मैं अपने स्थान पर बैठा हूं मैं मना नहीं कर रहा हूं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- यह कौन सा तरीका है.
डॉ मोहन यादव -- मेरा निवेदन यह है कि
अध्यक्ष महोदय -- भार्गव जी मैं आपसे अनुरोध कर रहा था. अब यह कौन सा तरीका हुआ अब फिर उंगली दिखाई, अब मैं अगर आपको भार्गव जी कहूं तो कैसा लगेगा ( नेता प्रतिपक्ष को हाथ से इंगित करके बोलते हुए)
श्री गोपाल भार्गव --- अध्यक्ष महोदय मैं फिर से खेद व्यक्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप क्यों करें. आप मेरी बात पूरी सुन लें, जैसे आपने कहा है वैसे मेरी बात भी सुन लें
श्री गोपाल भार्गव -- यहां पर कोई वीडियो रिकार्डिंग नहीं हो रही है.
अध्यक्ष महोदय -- हो रही है. वह हो रही है सामने.
श्री गोपाल भार्गव -- तो आप दिखवा लें.
अध्यक्ष महोदय -- मेरे पास में हर चीज की रिकार्डिंग है,
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय मैं मत मतांतर में नहीं पड़ना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, मत मतांतर की बात नहीं है कृपा पूर्वक अध्यक्ष की चेयर को चैलेंज न करें. मैंने पूरी की पूरी कार्यवाही कर दी कार्यवाही पारित होने के बाद में कोई सदस्य बोले कि मेरा नाम है यह कैसे संभव है जब कोई विधेयक पारित हो चुका है और कोई बोले कि मेरा नाम है उसको पलटाया नहीं जा सकता. नम्बर दो यह कि मैंने उऩको कहा कि विधेयक पारित हो चुका है अब आपको नहीं बुला सकता. तदुपरांत माननीय सदस्य मेरी तरफ उंगली उठाकर बोलें आपके बाजू में आकर बोलें कि आप क्या कर लेंगे मेरा, आप बाजू में सुन रहे हैं, आप बाजू में सुन रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- आप साक्षी हैं अध्यक्ष महोदय मैंने...(व्यवधान)..
डॉ मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आपने यह बात आसंदी से गलत कही है, आप हमारे आश्रयदाता हैं, मैं यहां फिर आपसे निवेदन करता हूं कि अगर आप ऐसी बात कहेंगे तो फिर इसके बाद में कुछ बचता नहीं है...(व्यवधान).. सदस्य के लिए अध्यक्ष तो पिता के बराबर होते हैं. लेकिन उम्मीद करते हैं कि अगर आपने एक बार नाम बोला होता और हम नहीं बोलते तो हम अपराधी थे...(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय इसी सदन में जिन सदस्यों की सदस्यता समाप्त कर दी गई उनकी सदस्यता तक बहाल की गई है. इस कारण से मैं कहना चाहता हूं कि आप अपना निर्णय वापस ले लें 5-10 मिनट सदस्य को बात रखने का अवसर दे दें.
डॉ. मोहन यादव -- (श्री जितु पटवारी के खड़े होने पर) मंत्री जी, आपसे निवेदन है कि आप तो बैठिये. जिनसे बात चल रही है, वहीं से सुन लेने दें. मैंने निवेदन किया है..
अध्यक्ष महोदय -- अब आप देखिये. ..(व्यवधान).. कृपया सदस्य गण बैठ जायें. मैं आपके नेता प्रतिपक्ष और आपके वरिष्ठ सदस्यों से अनुरोध करुंगा, कृपया नये सदस्यों को आप लोग पाठ सिखायें. क्या व्यवहार होना चाहिये विधान सभा के अन्दर (डॉ. मोहन यादव, सदस्य के खड़े होने पर) आप बैठ जाइये, मैं खड़ा हूं. आप बैठ जाइये, मैं खड़ा हूं. ये इनकी पहली बार नहीं दूसरी बार धृष्टता है मेरे साथ. पहली बार नहीं दूसरी बार धृष्टता की है. अब तीसरी बार करेंगे, तो मैं कोई भी निर्णय ले लूंगा. यह आप लोगों को मैं आगाह कर रहा हूं. (डॉ. सीतासरन शर्मा, सदस्य के खड़े होने पर) कृपा करके पूर्व अध्यक्ष जी बिराज जाइये. मेरी प्रार्थना है कि आप वरिष्ठ सदस्य कृपा पूर्वक जो पहली बार सदस्य आये हैं, उनका सदन के अन्दर क्या व्यवहार होना चाहिये, आप स्वयं निर्णय लें और स्वयं सिखायें. तो मेरे ख्याल से इस सदन की परम्परा, इस सदन की परिपाटी व्यावहारिकता से परिपूर्ण रहेगी और हम लोग सब मिलकर जो भी कार्य यहां पर करने हैं, आराम से कर पायेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, पहली बात तो वे पहली बार के सदस्य नहीं हैं, सीनियर सदस्य हैं. अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात, अगर आप आवेश में आयेंगे, तो ये सदस्यों का क्या होगा. यहां से ताकत मिल रही है. स्वाभाविक रुप से आप आगे बढ़ गये, दो कदम बढ़ गये होंगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- नरोत्तम जी, अध्यक्ष महोदय आवेश में नहीं आये, यह आपने गलत बात कर दी. जब माननीय सदस्य आवेश में आये, तब उन्होंने व्यवस्था बनाई. इस तरीके से बोलकर आप विभाजित मत करिये, आप विषय को डायवर्ट मत करिये. जो तकलीफ आज अध्यक्ष जी को हुई है इस सदन के अन्दर में, यह एक व्यवस्था बिगड़ रही है इस सदन की, इस तरीके का व्यवहार होगा तो. यह आप विषय को मत भटकाओ.
कुंवर विक्रम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह घोर निन्दनीय है.
अध्यक्ष महोदय -- (डॉ. मोहन यादव, सदस्य के खड़े होने पर) नरोत्तम जी, आप खड़े हो, उसके बाद सदस्य फिर खड़े होकर बोल रहे हैं. आप खड़े हो, वह फिर पीछे खड़े होकर बोल रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, यह जो सीनियर लोग बैठे हैं..
अध्यक्ष महोदय -- वह देखो बैठे बैठे बोल रहे हैं. अब उनको सिखाओ तो भाई. मेरे को क्या सिखा रहे हो आप.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, आपको कोई नहीं सिखा रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं देखो बहुत अप्रिय निर्णय ले लूंगा फिर.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, आपको कोई नहीं सिखा रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं बोल रहा हूं, बहुत अप्रिय निर्णय ले लूंगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, आपको कोई नहीं सिखा रहा है. आपको कोई सिखा भी नहीं रहा है. कोई कुछ कह भी नहीं रहा है.
(श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष द्वारा बैठे बैठे कुछ कहने पर)
अध्यक्ष महोदय -- किसको, हमको, हम चले जायेंगे, उसमें क्या है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, नहीं नहीं, इनको जाना पड़ेगा. अध्यक्ष जी, आपको क्या हो गया है. आप पहले नीचे तो देखो.
3.53 हास-परिहास
अध्यक्ष महोदय -- भैया देखो, नेता प्रतिपक्ष जी के तो हम वैसे ही कायल हैं. जब ये गोटेगांव आते हैं, तो पता नहीं मुझे कौन सा निर्णय लेना पड़ता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, इसलिये तो कह रहा हूं कि आप 80 फेरन हीट से नीचे तो आओ, वह कुछ कह रहे हैं, आप कुछ सुन रहे हैं. ..(हंसी).. वह अपने आने की कह रहे थे. ..
अध्यक्ष महोदय -- ईमान से आप जैकेट बदलकर आये,इसलिये यह सब हरकत हो रही है. ..(हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, आसंदी बड़ी उदार रही है और इसलिये प्रार्थना है कि आपको उदारता दिखानी चाहिये थी.
अध्यक्ष महोदय --गोपाल भार्गव जी, गोरे-गोरे चांद से मुख पर काली काली आंखें हैं, यह इस टाइप के जो धनी व्यक्तित्व हैं, ये बीच में गायब होते हैं, लोगों को छेड़ जाते हैं और आपको हमको, बोलकर जाते हैं कि आप दिलीप कुमार बोलो इनको.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, इनको दोपहर में भी ख्याल आते हैं, तो 2 घण्टे उन ख्यालों में खो जाते हैं. ..(हंसी)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, आप तो वह क्या है कि, वह एक गाना है कि दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिये, बस एक बार मेरा कहा मान लीजिये. ..(हंसी)..
अध्यक्ष महोदय --ठीक है.चलिये, श्री जितु पटवारी जी.
3.54 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमशः)
(5) महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 31 सन् 2019) पर विचार.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक,2019 पर विचार किया जाय.
श्री केदारनाथ शुक्ल (सीधी) -- अध्यक्ष महोदय, यह विधेयक भी जो सामान्य रुप से विश्वविद्यालयों के मामले में था, उसी तरह की भावना को प्रतिबिम्बित कर रहा है. श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोला, उसका अर्थ हम लोगों ने यह लगाया कि आप मोहन यादव जी को बोलने की अनुमति देने की कृपा कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- इस विधेयक पर बोल लें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष जी, किसी बात का पटाक्षेप हो गया, फिर क्या ....(व्यवधान)....
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, आसंदी सर्वोपरि है. हम आसंदी का सदैव सम्मान करते हैं, सम्मान करेंगे, लेकिन आसंदी ने प्रसन्न होकर अंत में जो आपने कहा, मोहन यादव जी को, इसका पटाक्षेप कीजिए. मोहन यादव जी को बोलने का अवसर दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- जो प्रचलित प्रक्रिया में अभी विधेयक है, वे इस पर बोल सकते हैं, जो पहले हो गया, उस पर नहीं बोल सकते.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी, क्या है, फिर हम लोगों को नहीं बोलना है.
अध्यक्ष महोदय -- ये भी उच्च शिक्षा का विधेयक है.
श्री गोपाल भार्गव -- जैसा एकतरफा पारित होता जाएगा, करते जाएं, कोई फर्क नहीं पड़ता ?
अध्यक्ष महोदय -- यह भी उच्च शिक्षा पर है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, वह विषय नहीं है, विषय यह है कि आपकी उदारता की आज परीक्षा है. आप देख लें.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट रूक जाओ, बच्चे को दूध भी पिलाओ और नीचे से चिकोटी भी लो, तो बच्चा दूध पिएगा कि रोएगा ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, आप बड़े हैं, शास्त्रों में लिखा है कि बड़ों ने क्षमा कर देना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- मैं अपने आपको छोटा ही मानता हूँ...(व्यवधान) ...मेरी बात सुनिए, जो प्रस्ताव चल रहा है, उस पर पर बोलें वे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, मान लो वह दो मिनट बोल लेगा तो उसमें कौन सी प्रलय आने वाली है.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष जी, वह उज्जैन का मामला है..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, वहीं से उन्होंने डॉक्टरेट की है. अब वहीं से डॉक्टरेट की है, वहीं का विधेयक है.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने अपने आप पूरा मामला डायल्यूट करके और हंसी का माहौल ले आया हूँ. इसका मतलब यह नहीं है. भाई, ऐसा मत करिए. केदारनाथ शुक्ल जी बोलें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- वे दरअसल उज्जैन से विधायक हैं.
अध्यक्ष महोदय -- तो हो गए होंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उनको बोलने दें.
अध्यक्ष महोदय -- तो न जाते आपके साथ बाहर.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- नहीं गए थे, अगर गए हैं तो मत बोलवाना. आपकी बात मानेंगे, अगर वे गए हैं तो मत बोलवाना.
अध्यक्ष महोदय -- देखिए, उन्होंने ऐसे-ऐसे शब्दों का प्रयोग कर दिया है..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, उसके लिए माफी मांग रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, वह छोड़िए, शिवराज जी मांग रहे हैं, गोपाल जी मांग रहे हैं, ये गलत बात है, मत मांगिए आप लोग. ऐसा कृत्य आप लोगों ने नहीं किया है. इसलिए आप लोग मत मांगिए. मैंने अपने आपको हल्का कर लिया. मैं आपको हंसी के माहौल में ले आया. मैंने हाऊस को हल्का कर दिया, नहीं तो बाबूलाल गौर और रत्नेश सालोमन होते तो आपकी और मेरी जरूरत नहीं पड़ती. वे लोग ऐसा करते थे. अब हम विषय और नियम कानून को समझें. वरिष्ठजन कृपया ध्यान रहे, जो पारित हो चुका है, उस पर चर्चा नहीं. हां, अभी विश्वविद्यालय का तीसरा विधेयक चल रहा है, वे अपनी बात इस पर कह सकते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- इसमें संस्कृत में बोलें, उर्दू में बोलें, फारसी में बोलें, बोलवाओ ना उन्हें.
श्री विश्वास सारंग -- वह उज्जैन का मामला है, यह चित्रकूट का मामला है.
अध्यक्ष महोदय -- छोड़िए. चलिए, केदारनाथ शुक्ल जी, आप बोलें.
श्री केदारनाथ शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में जो संशोधन किए जा रहे हैं, बड़े घातक हैं और विश्वविद्यालय में जो संशोधन किया गया, ठीक उसी रास्ते पर हैं. यहां राज्य सरकार कितना अधिकार चाहती है. उसमें केवल एक सेक्शन में धारा-3 में जो खण्ड स्थापित किया गया, राज्य सरकार द्वारा नामर्निदिष्ट व्यक्ति, प्रबंध बोर्ड के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा स्थापित व्यक्ति. अभी एक आरोप लगाया गया था कि माननीय शिवराज सिंह जी ने परिवर्तन कर दिया था. जहां तक मेरी व्यक्तिगत जानकारी है, यह चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के एक्ट में संशोधन आया है. अगर उन्होंने इस तरह का कोई संशोधन किया होता, तो क्या इसको लाने की जरूरत पड़ती. ग्वालियर विश्वविद्यालय में अगर उन्होंने कोई संशोधन किया होता तो क्या वहां जो प्रमुख सचिव के प्रतिनिधि बैठते हैं या प्रमुख सचिव बैठते हैं, क्या उनको लाने की जरूरत पड़ती. मतलब आप सारे अधिकार अपने पास रख लेना चाहते हैं. मतलब किसी को अपनी अभिव्यक्ति का मौका नहीं देना चाहते. कायदे से चाहिए तो यह कि विश्वविद्यालयों में, जिस तरह से कृषि विश्वविद्यालयों में हमारे विधान सभा से तीन-तीन सदस्य होते हैं. वे समानुपातिक ढंग से चुने जाते हैं, सत्ताधारी दल से ज्यादा होते हैं, विपक्ष से कम होते हैं और वे अपनी बात कहते हैं. सरकार का भी एक प्रतिनिधि बैठता है, प्रमुख सचिव. उसी तरह से सारे विश्वविद्यालयों में, अगर पूरे मध्यप्रदेश में एकरूपता ला दी जाए तो मैं समझता हॅूं विश्वविद्यालयों का यह झगड़ा सब खत्म हो जाएगा. उसमें एकरूपता आ जाएगी. सारे विश्वविद्यालयों में प्रबन्ध मंडल के गठन में एकरुपता ला दी जाए. एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ग्वालियर और जबलपुर में बोर्ड के गठन में एकरुपता है. बाकी विश्वविद्यालयों में भी इसी तरह से बोर्ड का गठन हो. लेकिन राज्य सरकार का एक ही प्रतिनिधि होता है. इसमें आपने राज्य सरकार के दो-दो प्रतिनिधि कर दिये. प्रबन्ध बोर्ड के स्थान पर भी राज्य सरकार को कर दिया और राज्य सरकार द्वारा नाम निर्दिष्ट कर दिया. परिस्थिति यह है कि जब सब कुछ राज्य सरकार को ही करना है तो विश्वविद्यालय को राज्य सरकार के अधीन कर दीजिए, फिर बचा क्या. अगर राज्य सरकार के अंदर इतनी कृपणता आ गई है कि राज्य सरकार उदार होकर यह नहीं सोच सकती कि शैक्षणिक जगत की संस्थाएं ठीक ढंग से सोच सकें.उनमें स्वतंत्र विचार मंथन हो सकें. लोग अपने विचार रख सकें. विश्वविद्यालय को ठीक से चलाने की कोशिश कर सकें तो अगर ऐसा नहीं होगा, तो कैसे काम बनेगा ? बोर्ड क्यों बैठेगा. जब सब राज्य सरकार के प्रतिनिधि बैठ जाएंगे तो जैसा राज्य सरकार का हुकुम आयेगा तो सारे प्रतिनिधि वही कर देंगे. चाहे वह विश्वविद्यालय का अधिनियम रहा हो, चाहे वह पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय का अधिनियम रहा हो, चाहे चित्रकूट विश्वविद्यालय का अधिनियम रहा हो, मेरा आपके माध्यम से सदन से आग्रह है कि विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को बहाल रखा जाए. विश्वविद्यालयों के प्रबन्ध मंडल के गठन में एकरुपता लाई जाए और विश्वविद्यालयों का प्रबन्ध मंडल पूरे मध्यप्रदेश मे जब एकरुप बनेगा, मैं तो कहता हॅूं कि इससे हमारे विधायकों को फायदा होगा. अगर सबमें विधायकों को बोर्ड में जाने का अवसर मिल गया तो चाहे इधर के लोग हों, चाहे उधर के लोग हों, दो उधर के जाएंगे तो एक इधर का जायेगा. हमारे विधायक भी यूनिवर्सिटीस के कामों में भाग ले सकेंगे. यदि इस तरह से यह बातें आ जाएं तो सभी विश्वविद्यालयों में एकरुपता आ जाएगी और मेरा निवेदन है कि इस विधेयक को राज्य सरकार वापस ले और चाहे वह प्रवर समिति को भेजे. बाकी विधेयक जो भीड़ में पारित हो गए, उनको भी प्रवर समिति में भेजने के बारे में विचार करे. मेरा निवेदन है कि कम से कम विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता बरकरार रहे, इस बात के लिए मैं सदन से निवेदन करता हॅूं.
श्री सुनील सराफ (कोतमा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति का उपबंध है चूंकि इस विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है जबकि राज्य सरकार विश्वविद्यालय के सफल संचालन के लिये, नीति की अवधारणा के लिये प्रत्यक्ष रुप से उत्तरदायी है और विश्वविद्यालय के लिए वित्तीय उपबंध भी करती है. राज्य सरकार विश्वविद्यालय से संबंधित मामलों के लिये जनता के प्रति प्रत्यक्ष रुप से उत्तरदायी है इसलिए कुलपति की नियुक्ति में राज्य सरकार का भी दखल होना चाहिए, ऐसा मेरा मानना है. धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र शुक्ल (रीवा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस संशोधन का विरोध करता हॅूं क्योंकि यह संशोधन न तो ग्रामोदय विश्वविद्यालय के विकास से संबंधित है और न छात्रों के कल्याण से संबंधित है और न वहां शैक्षणिक गतिविधियां बेहतर हो सके, इससे जुड़ा हुआ है. जैसा कि पहले के संशोधनों में पूर्व वक्ताओं ने कहा है कि शिक्षा में राजनीति का प्रवेश नहीं होना चाहिए. उसको एक तरीके से शिक्षा में राजनीति को प्रवेश करने की मंशा से यह संशोधन लाया गया है, इसलिए मैं इसका विरोध करता हॅूं. चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय एक महान व्यक्ति नानाजी देशमुख जी के द्वारा स्थापित किया गया था. बाद में उन्हें भारत रत्न की उपाधि भी मिली और मैं यह बताना चाहता हॅूं कि बहुत ही सक्रिय राजनीति में काम करने के बावजूद जब उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में और समाज के कल्याण के क्षेत्र में काम करने का संकल्प लिया तो उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया था. इसका मतलब यह है कि इस भावना के साथ उन्होंने इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी कि राजनीति से शिक्षा को अलग रखते हुए शिक्षा के विकास के क्षेत्र में वह काम करेंगे और इसलिए जैसा कि विश्वास जी ने विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक में बोला, संस्कृत पाणिनी विश्वविद्यालय में भी आपने संशोधन इसी मंशा से लाने का काम किया है तो यदि कोई नया विश्वविद्यालय आप ला रहे होते और उसमें आपने इस प्रकार से सर्च कमेटी के गठन में राज्य सरकार का समावेश किया होता जैसा कि आपने उदाहरण दिया कि माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने जो नये विश्वविद्यालय लेकर आये थे उसमें इस प्रकार की व्यवस्था की थी, लेकिन पहले की व्यवस्थाओं में परिवर्तन करने का काम उसमें किया नहीं गया इसलिए वह कुतर्क के रूप में हम लोग यह मानते हैं कि यह चलती हुई व्यवस्था को आगे बढ़ाने के बजाय और आज आप देखिये कि यू.जी.सी. में मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों में सबसे बड़ी समस्या ग्रेडिंग की है. ग्रेडिंग के मामले में हम सबसे ऊपर नहीं पहुंच पा रहे हैं. उसका कारण यह है कि जो स्वीकृत पद हैं उनकी भर्ती करने के मार्ग में क्या अड़चनें हैं, कहां रोस्टर परेशानी पैदा कर रहा है. यदि इन अड़चनों को दूर करने में अपनी ऊर्जा लगाएं तो विश्वविद्यालय की ग्रेडिंग सुधरेगी. ग्रेडिंग सुधरेगी तो ग्रांट बढ़ेगा, ग्रांट बढे़गा तो विश्वविद्यालय का इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक होगा और विश्वविद्यालय जिस मंशा के लिए स्थापित किए गए हैं कि वहां पर रिसर्चेस हों, वहां पर नये-नये काम शुरू हों जिसके माध्यम से विश्वविद्यालय की गुणवत्ता बेहतर हो सके. उसकी बजाय आप पूरी ऊर्जा एक वर्ष के बाद एक उपलब्धि मध्यप्रदेश की जनता के सामने जो रखने की कोशिश कर रहे हैं और वह उपलब्धि क्या है कि सर्च कमेटी में महामहिम राज्यपाल महोदय के अधिकारों में कटौती करना. आखिर जो यह प्रबंध बोर्ड है या एक्जीक्यूटिव काउंसिल है उसमें राज्यपाल महोदय के द्वारा नॉमिनेशन के 4-5 लोग रहते हैं और उन्हीं में से ई.सी. के मेम्बरों का चयन होता है जिसमें शिक्षाविद भी रहते हैं तो पहले के जो हमारे पूर्व वक्ता हैं मैं उनसे अपनी बात को जोड़ते हुए एक बार फिर से क्योंकि बहुत बड़ी गहमा-गहमी हो गई है और अध्यक्ष महोदय, अब आप भी समझ गए हैं कि विषय इतना साधारण नहीं है जिसको इतनी आसानी से पारित कर दिया जाए. इसमें आपको भी बहुत पीड़ा पहुंची है, आपको भी बड़ा पेन लेना पड़ा है इसलिए कम से कम अब मेरा आपसे निवेदन है कि पूर्व मुख्यमंत्री जी के प्रस्ताव पर विचार करते हुए हमारे नेता प्रतिपक्ष के प्रस्ताव पर विचार करते हुए इसको प्रवर समिति में भेजने से विश्वविद्यालय के विकास में कोई बहुत बड़ा संकट नहीं आने वाला है इसलिए इसको प्रवर समिति में भेजें और उसके बाद यदि निर्णय होता है कि यही करना है तो आगे आज इस हड़बड़ी में इसको पास करने की गलती हम लोग न करें यही मेरा निवेदन है.
श्री सुनील उईके (जुन्नारदेव) - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मैं सबसे पहले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री आदरणीय कमल नाथ जी और जितु पटवारी जी को धन्यवाद और बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने बहुत सालों बाद एक ऐसा संशोधन उच्च शिक्षा में करने का निर्णय लिया जिसे बहुत पहले हो जाना था. बहुत सारे तर्क और वितर्क बहुत देर से चल रहे थे और मैं बड़े धैर्य से सुन रहा था. मेरे समझ से परे है कि जिस विश्वविद्यालय को बनाने में सरकार की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है, उसकी नीति निर्धारण करने में सरकार की भूमिका होती है, हर प्रकार की नीति निर्धारण चाहे वह अच्छे और जब गलत चीजें होती हैं तो उसका भी दोषारोपण सरकार के ऊपर होता है तो ऐसे विश्वविद्यालय में अगर कुलपति की नियुक्ति होती है तो सरकार की भागीदारी क्यों नहीं होनी चाहिए ? यह बड़ा दुर्भाग्य का प्रश्न है कि सम्मानीय सदस्य जो कह रहे हैं कि राज्यपाल महोदय के अधिकारों का हनन किया जा रहा है मैं ऐसा समझता हूं क्योंकि मैं यहां पहली बार चुनकर आया हूं और राज्यपाल महोदय की शक्तियों का हनन करना इस सदन के बस का काम नहीं है. हो सकता है मैं गलत समझता हूं क्योंकि मेरा ज्ञान और मेरी समझ कम हो. मैं जितु पटवारी जी के विवेक का और उन्होंने जो एक संशोधन बिल यहां पर लाया है कि विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति में मध्यप्रदेश शासन की भूमिका होनी चाहिए मैं उसका पुरजोर समर्थन करता हूं और मैं सम्माननीय समस्त सदस्यों से यही निवेदन करना चाहता हूं कि इसे सर्व सहमति से हम लोग पास करें क्योंकि कहीं न कहीं बहुत सारे हमारे मध्यप्रदेश में ऐसे उदाहरण हैं जहां पर कुलपति की नियुक्ति में पारदर्शिता नहीं देखी गई. बहुत सारे ऐसे उदाहरण हैं जो देखने को मिल सकते हैं. मैं उन विश्वविद्यालयों का जिक्र नहीं करना चाहता, नाम लेना नहीं चाहता. लेकिन मैं ऐसा समझता हूँ कि अगर सरकार की भूमिका या सरकार का एक प्रतिनिधि उस चयन समिति में होगा तो मैं पूरी जवाबदारी के साथ यह कहना चाहता हूँ कि जब कुलपति की नियुक्ति होगी तो उसमें एक पारदर्शिता होगी और पूरी ईमानदारी के साथ, पारदर्शिता के साथ, वहाँ पर नियुक्तियाँ होंगी और हमारे छात्रों का हित होगा. यही मैं कहना चाहता हूँ. अभी धारा 52 का भी जिक्र हुआ, सम्माननीय नेता जी कह रहे थे कि धारा 52 का अधिकार सरकार का होता है ऐसी परिस्थिति क्यों बने, बहुत सारी जगह जब अव्यवस्था फैलती है तो सरकार उन अधिकारियों को हटाने का काम करती है और उस व्यवस्था को दुरुस्त करके सुधारने का काम करती है, तो वह अधिकार सरकार के पास क्यों नहीं होना चाहिए. सरकार के मैंबर वहाँ पर क्यों नहीं होना चाहिए. मैं ऐसा समझता हूँ कि जीतू पटवारी जी ने उच्च शिक्षा के लिए एक अच्छा कदम उठाया है. मैं सदन की ओर से उन्हें बधाई देता हूँ कि उन्होंने एक अच्छा कदम उठाया है और मैं पुरजोर इसका समर्थन करता हूँ और यही कहना चाहता हूँ कि इस बिल से बेशक ही हमारी उच्च शिक्षा में एक गति आएगी, प्रगति होगी और हमारे जो छात्र छात्राएँ हैं उनके भविष्य के साथ एक अच्छा व्यवहार होगा और कहीं न कहीं सरकार के मध्यस्थ होने से सरकार के प्रतिनिधि उसमें होने से पारदर्शिता के साथ उनकी नियुक्ति होगी. बहुत बहुत धन्यवाद.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी)-- माननीय अध्यक्ष जी, अभी इससे पूर्व में भी मैंने अपना वक्तव्य दिया वही बातें हैं पलट कर वापिस सम्माननीय सदस्य कहते हैं कि एकरूपता विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों में, आनी चाहिए, यूनिवर्सिटीज़ में आनी चाहिए. यह एक कारण क्यों है, 16 महाविद्यालय शासन द्वारा चलते हैं उसमें 8 में एक व्यवस्था है जिसमें सरकार का एक प्रतिनिधि होता है और दूसरे 8 में वह व्यवस्था विसंगति है, तो इसी को एक रूप करने के लिए यह व्यवस्था बनाई गई है. दूसरा, नेक की ग्रेडिंग की बात की. मैं आपको धन्यवाद देता हूँ, नेक की ग्रेडिंग सुधरे कैसे और पिछले वर्ष तथा इस वर्ष की तुलना में अपग्रेडेशन कैसे हो इस पर विचार करके ही निर्णय लिया गया राजेन्द्र भैय्या. मैं आपको बता दूँ कि इस बार जो नेक के रिजल्ट आए, पिछली बार की तुलना में बेहतर आए. मैं शिक्षा में कोई नकारात्मकता और नफरत की बात नहीं कर सकता हूँ और नवाचार की बात भी वह समय आएगा जब बताऊँगा कि एक साल में क्या किया अवसर आएगा जब वह कोशिश होगी, पर मूल भावना है जैसा मैंने कहा कि यह एकरूपता आए जैसा केदारनाथ जी ने कहा उसका यही उद्देश्य था. दूसरा इसके कुछ में अलग है और कुछ में एक है. अलग तरह का है. यह विसंगति है. इसको सही तरीके से तर्क, कुतर्क नहीं हो, तर्कसंगत मैंने कहा और तीसरी जो सबसे महत्वपूर्ण बात है जैसा कि नेक की ग्रेडिंग का ध्यान रखेंगे. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे अनुरोध करता हूँ कि इसको सर्वसम्मति से पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जितु पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(मेजों की थपथपाहट)
4.14 बजे
नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा.
प्रदेश में यूरिया खाद के गंभीर संकट तथा प्रदेश में अतिवृष्टि से फसलों को हुए नुकसान से उत्पन्न स्थिति.
अध्यक्ष महोदय-- विषय की गंभीरता तथा सदस्यों की मांग को देखते हुए नियम 139 के अधीन दी गई किसानों के हित की दोनों सूचनाओं को एकजाई ग्राह्य करते हुए आज प्रथम अवसर पर ही चर्चा के लिए कार्यसूची में लिया गया है. अब प्रदेश में यूरिया खाद के गंभीर संकट तथा प्रदेश में अतिवृष्टि से फसलों को हुए नुकसान से उत्पन्न स्थिति के संबंध में श्री शिवराज सिंह चौहान, सदस्य चर्चा प्रारंभ करेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के किसानों से लुभावने वादे करके और सुहाने सपने दिखाकर...
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हो रही है और जिस विषय पर दो दिन से लगातार पूरा सदन और प्रदेश आंदोलित है. मैं सोचता हूँ कि यहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति होती तो यह चर्चा बहुत ही समाधानकारक होती और इसका उत्तर भी आता.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज सुबह माननीय मुख्यमंत्री जी ने आपके, नेता प्रतिपक्ष के और मेरे समक्ष यह कहा था कि दो-तीन डेलीगेशन हिन्दुस्तान के बाहर से आ रहे हैं . हम आप सभी से निवेदन करते हैं कि कल जवाब के अंतिम समय पर मुख्यमंत्री जी उपस्थित रहेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा विनम्रता के साथ निवेदन है मुख्यमंत्री जी प्राकृतिक आपदा में भी किसानों के बीच खेतों में नहीं जाते हैं. उनसे सीधे चर्चा नहीं होती है और आज जब जनप्रतिनिधियों के माध्यम से..
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)-- माननीय मुख्यमंत्री जी दो तीन जगह गए थे. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल -- आप सिर्फ फोटो खिंचवाते रहे..(व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- आज जब जनप्रतिनिधि किसानों के दर्द को अभिव्यक्त करना चाहते हैं तो जनप्रतिनिधियों के मुँह से सुनने के लिए भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पास किसानों का दर्द सुनने के लिए वक्त नहीं है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- मेरा सभी माननीय मंत्रियों से अनुरोध है कि वे बैठ जाएं आप लोग बहुत हैं, बैठ जाइए.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सच है कि माननीय मुख्यमंत्री जी खेतों में जाकर नकली आंसू नहीं बहाते हैं. (मेजों की थपथपाहट) मुख्यमंत्री जी किसानों के हित में निर्णय लेकर उनको राहत पहुंचाने का काम करते हैं, उनकी खुशहाली के लिए निर्णय लेते हैं और राहत पहुंचाते हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि इस फोटो खिंचवाने वाले ने केवल फोटो नहीं खिंचवाए एक साल में 32-32 हजार करोड़ रुपए किसानों के खातों में डाला था. आपने तो फूटी कौड़ी नहीं दी है. आज पूरे प्रदेश में...(व्यवधान)
4.18 बजे { उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखिराम कावरे) पीठासीन हुईं }
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल)-- पचास हजार रुपए किसानों का कर्ज माफ करने का बोला था. पन्द्रह साल सरकार चलाई पता ही नहीं चला. फोटो ही खिंचवाते रह गए. फसल बीमा योजना का कोई लाभ नहीं मिला.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मंदसौर में जैसे तैसे 230 वोट से एक सीट जीते हैं, बाकी जगह किसानों ने साफ कर दिया. असत्य आपने बोला था. (व्यवधान)
श्री संजय यादव-- इधर वालों को साफ नहीं किया उधर वालों को साफ किया है. चिंता मत कीजिए यहां से वहां चले गए, किसानों ने ही साफ किया है..(व्यवधान)
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)--बाकी जिलों का भी बता दीजिए जहाँ आपका सूपड़ा साफ हो गया है..(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आमने-सामने बात न करें. (व्यवधान)
डॉ. सीतासरन शर्मा -- हम तो चारों सीट जीतकर आए हैं. हमारे जिले में चारों सीटें जीते हैं (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आमने-सामने बात न करें. कृपया बैठ जाइए. संजय जी जब आपका नंबर आएगा तब बोलिएगा. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, अब मैं प्रारंभ से प्रारंभ करना चाहता हूँ. मैं बोलना नहीं चाहता था उस विषय पर लेकिन मध्यप्रदेश के किसानों को आश्वस्त किया गया था कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो दस दिन के अंदर और दस दिन नहीं एक बड़े राष्ट्रीय नेताओं ने गिनते हुए कहा था. एक, दो, तीन, चार, पांच, छ:, सात, आठ, नौ, दस. दस दिन में किसानों का कर्जा माफ नहीं किया तो ग्यारहवें दिन वित्त मंत्री (व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- किसानों का कर्जा माफ हुआ है. (व्यवधान)... किसानों का कर्जा माफ करने का निर्णय लिया गया. (व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया--कृपया बैठ जाइए (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा--उपाध्यक्ष महोदया, अभी 21 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ. (व्यवधान)... तीन बार तुम्हारी सरकार बनी 50 हजार का कर्जा माफ करेंगे एक फूटी कोड़ी आपने माफ नहीं की. हजारों किसान मरे. शिवराज जी किसी के भी घर गए? वह किसी भी किसान के घर नहीं गए. (व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया बैठ जाइए. (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की शिवराज जी एक भी किसान के घर नहीं गए. (व्यवधान)..
श्री जालम सिंह पटेल-- अभी तो बोलते हुए दो मिनट हुए हैं. आप लोगों में शिवराज जी को सुनने की ताकत नहीं है. (व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया सीधे आपस में बात न करें. कोई भी चर्चा नोट नहीं होगी. शिवराज सिंह चौहान जी जो बोलेंगे केवल वही बात नोट होगी.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केवल एक बात बताओ कि दस दिन में कर्जा माफ करने का कहा था कि नहीं कहा था.
उपाध्यक्ष महोदया-- शिवराज जी आप कृपया आसंदी की तरफ बात करिए ऐसे आप सीधे बात न करें.
श्री आरिफ अकील-- (XXX) व्यवधान...
उपाध्यक्ष महोदया--कृपया आसंदी की तरफ बात करें. सीधे बात न करें. (व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- सरकार में हो, सच सुनने का साहस रखो. विपक्ष में नहीं हो आप. (व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया- कृपया बैठ जाइए. (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- (XXX) (व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- वह सूची भी फर्जी निकली है. (व्यवधान)...
डॉ. गोविन्द सिंह-- (XXX) (व्यवधान) ...
उपाध्यक्ष महोदया-- सभी सदस्यों से मेरा निवेदन है कि कृपया बैठ जाइए.
सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- (XXX) (व्यवधान) ...
उपाध्यक्ष महोदया-- माननीय मंत्री जी कृपया बैठ जाइए. माननीय सदस्यों से मेरा निवेदन है कि कृपया बैठ जाइए. (व्यवधान) ...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- उपाध्यक्ष महोदया, यह असत्य बोल रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- उपाध्यक्ष महोदया, जो कुछ भी माननीय सचिन जी आपको माननीय देवेन्द्र सिंह जी आपको कृषि और सहकारिता दोनों विभाग उत्तर देंगे आप अपने उत्तर में सारी बातों का उल्लेख कर दें. शिवराज जी बोलेंगे आप उनके प्रत्येक वाक्य पर प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे. (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- (XXX) (व्यवधान) ...
श्री गोपाल भार्गव-- मुकाबला नहीं हो रहा है. (व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- कृपया बैठ जाइए.
श्री गोपाल भार्गव-- उपाध्यक्ष महोदया, प्रत्येक वाक्य पर यदि इसी तरह होगा तो ऐसे में तो बात ही करना मुश्किल है. (व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया-- मैं नेता प्रतिपक्ष जी से भी निवेदन करती हूं कि कृपया वह बैठ जाएं. (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव-- जो कुछ भी सटीक उत्तर दे सकते हों. असत्य जो भी उत्तर दे सकते हों उत्तर में आप दे दें. (व्यवधान)...
उपध्यक्ष महोदया-- माननीय मंत्री जी मेरा आपसे निवेदन है कि कृपया बैठ जाइए. (व्यवधान)...
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- (XXX) (व्यवधान) ...
उपाध्यक्ष महोदया-- माननीय मंत्री जी कृपया बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी मैं खड़ी हूं आप बैठ जाइए. (व्यवधान)..
श्री सुरेन्द्र पटवा--(XXX) (व्यवधान) ...
उपाध्यक्ष महोदया-- शशांक भार्गव जी कृपया आप बैठ जाइए. आपका नंबर भी आएगा अभी आप बैठ जाइए. शिवराज जी आप अपनी बात रखें. भार्गव जी की कोई बात नोट नहीं होगी.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, पता नहीं क्यों पहले जब मैं मुख्यमंत्री था तब भी इनके सपने में दिखाई देता था, अब मुख्यमंत्री नहीं हूं तब भी सपनों में दिखाई देता हूं. मैं बोलता हूं तो सभी के सभी खड़े हो जाते हैं.
(...व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदय- कृपया विषय पर आईये और आप सभी माननीय सदस्य भी सहयोग करें.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आप जब विपक्ष में थे, आप अपनी बात रखते थे और हम सुनते थे और जवाब देते थे लेकिन अब कृषि मंत्री जी को इतना धैर्य नहीं है कि उनको जवाब देना है. हम जो बात कहेंगे, वे एक-एक बात का जवाब दें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- आपको अपनी बात रखने का अधिकार है लेकिन बात सत्य रखें, इतना अनुरोध है.
श्री शिवराज सिंह चौहान- मैं पुन: कह रहा हूं कि 10 दिन में 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने का वचन दिया था, जो आपने पूरा नहीं किया.
(...व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदय- बहुत समय हो गया है, सभी माननीय सदस्यों से निवेदन है कि वे कृपया बैठ जायें.
श्री अजय विश्नोई- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरे विधान सभा प्रश्न के जवाब में इन्होंने जवाब दिया है कि एक भी किसान का 2 लाख रुपये का कर्ज माफ नहीं हुआ है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यहां 139 के अधीन लोक महत्व पर चर्चा हो रही है. यहां केवल यूरिया की बात होनी चाहिए. कर्ज माफी पर कोई बात नहीं होनी चाहिए.
(...व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदय- कृपया आप सभी बैठ जायें और सहयोग करें. उन्हें कर्ज माफी से आगे तो बढ़ने दीजिये.
(...व्यवधान...)
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, कर्ज माफी के वचन के कारण ऐसे कई किसान जो डिफॉल्टर नहीं थे नियमित रूप से पैसा देते थे, वे भी डिफॉल्टर हो गए. डिफॉल्टर होने के कारण उन्हें शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज मिलना बंद हो गया. किसानों को यूरिया सोसायटी के माध्यम से मिलता था, खाद सोसायटी के माध्यम से मिलती थी लेकिन डिफॉल्टर होने के कारण वे अपने इस अधिकार से वंचित हो गए. किसान जो शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लेकर खाद उठा लेता था, उसे नकद पैसा देकर खाद लेने के लिए विवश होना पड़ा है. यह सच्चाई है आप इसे स्वीकार करें या न करें. आप डिफॉल्टर किसानों से पूछिये. आज मध्यप्रदेश में 23 लाख किसान डिफॉल्टर हैं जिन्हें नकद पैसा देकर यूरिया खरीदना पड़ रहा है और दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है. यह मैं नहीं कह रहा हूं, यह अखबार कह रहे हैं.
श्री सुनील उईके (जुन्नारदेव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं कहना चाहता हूं कि किसान डिफॉल्टर नहीं है. किसान एन.पी.ए.(नॉन पेमेंट अकाउण्ट) है. किसानों को यहां डिफॉल्टर कहा जा रहा है, यह बड़े दुर्भाग्य की बात है. किसान डिफॉल्टर नहीं हो सकता है. आपने किसानों को डिफॉल्टर बोला है इसलिए आप वहां बैठे हैं.
(...व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदय- सुनील जी, कृपया बैठ जाईये. शिवराज जी के अलावा किसी की बात रिकॉर्ड नहीं की जायेगी. शिवराज जी आप अपनी बात जारी रखें.
श्री हरिशंकर खटीक- XXX
श्री सोहनलाल बाल्मीक- XXX
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इस महान सदन में हमने कई बार बहसों को देखा और सुना है. प्रतिपक्ष अपनी बात रखता है और सत्तापक्ष उसका जवाब देता है. सत्तापक्ष के पास पर्याप्त अवसर होता है. जब आपका उत्तर आये, आप एक-एक बात कहियेगा. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश विधान सभा की एक परंपरा रही है. आप सत्ता में हैं तो प्रतिपक्ष को सुनिये. प्रतिपक्ष का अधिकार है कि वह अपनी बात कहे. जनता को तकलीफ़ है तो उस तकलीफ़ को यहां अभिव्यक्त करे.
उपाध्यक्ष महोदय- कृपया विषय पर आयें.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, किसानों के संबंध में मैं नहीं कह रहा हूं, मध्यप्रदेश के अखबार कह रहे हैं-
''यूरिया की किल्लत से प्रदेश भर में किसान परेशान कई जगह पुलिस के साये में बंटा यूरिया''
''किसान ट्रक पर चढ़कर ले गए यूरिया की बोरी''
''विदिशा, शिवपुरी और धार में अफरा-तफरी पुलिस के साये में यूरिया बंटा''
''खाद नहीं मिलने की आशंका से लूटी बोरियां किसानों का गुस्सा फूटा पत्थर बरसाये''
''मुरैना में आंसू गैस के गोले छोड़े, छतरपुर में हंगामा''
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यदि इस सच को आप नहीं स्वीकार करते तो मत स्वीकार कीजिये, मुझे कोई तकलीफ़ नहीं है लेकिन सच्चाई यह है कि आज पूरे प्रदेश में त्राहि-त्राहि मची है. मैं सत्तापक्ष के मित्रों से भी कहना चाहता हूं कि यह पक्ष और प्रतिपक्ष का मामला नहीं है. यह किसानों की तकलीफ़ को अभिव्यक्त करने का मामला है. अगर आपके क्षेत्रों में किसान सुखी है, यूरिया की कोई दिक्कत नहीं है, दिन-रात उनको यूरिया मिल रहा है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर आप यहां सच नहीं सुनेंगे और सरकार पर भी व्यवस्था ठीक करने का दबाव नहीं डालेंगे तो जनता और किसान आपको भी माफ नहीं करेंगे, देख लेना (मेजों की थपथपाहट). माननीय सभापति महोदया, पूरे प्रदेश में रात-रात भर किसान 48-48 घण्टे इस कड़कड़ाती ठण्ड में लाइन में लगे हुए हैं और केवल किसान नहीं कई ने तो बच्चों को तो लाइन में लगा दिया है, महिलाएं लाइन में लगी हैं जिनकी फोटो के वीडियो क्लीपिंग्स मौजूद है.
श्री शंशाक श्रीकृष्ण भार्गव:- ( XXX)
उपाध्यक्ष महोदया:- आप लोग इस तरह टोका-टाकी न करें, आप बैठ जाइये. इस तरफ से आप लोग कृपया सहयोग करें.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- उपाध्यक्ष महोदय, क्या इस तरह से बात-बात में टोका-टाकी होगी ? अगर संसदीय कार्य मंत्री इसको ठीक मानते हैं कि हर लाइन बोलने के बाद टोका-टाकी होगी तो मुझे कुछ नहीं बोलना है. (व्यवधान) क्या हम किसान की तकलीफ भी व्यक्त नहीं करें, क्या उनके दर्द को, उनकी आवाज को सदन में अभिव्यक्त करने का भी अधिकार नहीं है.
श्री आलोक चतुर्वेदी:- ( XXX)
उपाध्यक्ष महोदया:- आलोक जी कृपया सहयोग करें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह):- अब आप लोग बैठ जाइये ना, बार-बार क्यों खड़े हो रहे हो. (सत्ता पक्ष के सदस्यों की ओर इशारा करते हुए)
…………………………………………………………
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- जगह-जगह लाइन लगी है, किसान को एक, दो बोरी यूरिया मिल रहा है और मैं जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि अगर आप यूरिया ब्लैक में खरीदना चाहो तो 265 रूपये की बोरी 500 रूपये में सरेआम में कई जगह बिक रही है, यूरिया की कमी नहीं है, व्यवस्था की कमी है, यूरिया की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है. केवल इतना ही नहीं कई जगह किसानों को बेबस किया जा रहा है कि यूरिया की बोरी के साथ एक डीएपी की बोरी भी खरीदो, अब 500 रूपये में यूरिया की बोरी खरीदें और 1200 रूपये में डीएपी की बोरी खरीदें और एक बोरी किसान को 1700 रूपये में पड़े, कहां सरकार सो रही है, हम यह कहना चाहते हैं. आप केन्द्र सरकार की बात कर रहे थे. उपाध्यक्ष महोदया, 15.4 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 18 लाख मीट्रिक टन खाद का आवंटन किया गया है. खाद के आवंटन में कोई कमी नहीं है. मैं अपने सत्ता पक्ष के मित्रों से भी कहना चाहता हूं कि जब हम सरकार में थे तो हम एडवांस में प्लानिंग करते थे, वर्षा अगर ज्यादा होती थी तो रबी की फसल में कितना गेहूं, चना और मसूर बोयी जायेगी इसका हम आंकलन करते थे और उस आंकलन के हिसाब से फिर सरकार से खाद आवंटित करने की मांग करते थे, केवल इतना ही नहीं आप भी गवाह हैं कि हम अग्रिम यूरिया का भंडारण करके रखते थे. हम तीन महीने पहले किसान को कहते थे कि आपको कोई दिक्कत न हो इसलिये आप तीन महीने पहले यूरिया खरीद कर ले जाओ और किसान यूरिया खरीदकर अपने घर में रख लेता था और तीन महीने का ब्याज भी सरकार अपने खजाने से भरती थी, ताकि किसान को दिक्कत न हो, समय पर किसान को यूरिया मिल जाये.
यहां पर सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के अनेकों साथी किसान हैं. हम लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि यदि समय पर खाद नहीं मिली तो फसल का उत्पादन कितना प्रभावित होता है. अब इस हाड़तोड़ सर्दी में रात-रात भर खड़े रहकर किसान अपने खेतों में पानी देता है और उसके बाद यूरिया की लाइन में लगता है इसलिये मैं निवेदन करना चाहता हूं कि यूरिया की यह व्यवस्था कुप्रबंध है, इसमें व्यवस्था की कमी है. प्रदेश में यूरिया की कमी नहीं है इसलिये कृपा करके मैं अगर बोलूं तो टोका-टाकी कर लीजिये, मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन किसान को समय पर यूरिया की सप्लाई सुनिश्चित कीजिये नहीं तो मैं अच्छा और तू बुरा कहकर और सदन समाप्त करके चलें जायेंगे और किसान को कुछ नहीं मिलेगा.
मेरा यहां पर निवेदन है कि सवाल केवल यूरिया का नहीं है. प्रदेश में प्राकृतिक आपदा में किसान की फसलें तबाह और बर्बाद हो गयी, अतिवृष्टि के कारण, भयानक बाढ़ के कारण जिले के जिले तबाह हो गये. आप मंदसौर,नीमच, मुरैना और रतलाम वालों से पूछिये, आप अलग-अलग जिले में चले जाइये, वहां पर ऐसी वर्षा कई सालों में नहीं हुई थी, वहां पर किसानों फसलें नष्ट हो गयी, गल गयी, तबाह हो गयी, बर्बाद हो गयी और केवल फसलें नष्ट नहीं हुई हैं, अगर आपने उन जिलों को दौरा किया हो तो मंदसौर जिले में जाकर देखिये वहां पर गांव के गांव, घर के घर ठह गये, बह गये और केवल घर नहीं बह गये, उनके साथ ट्रेक्टर-ट्राली बह गयी, मोटर साइकिल बह गयी,घरेलू सामान बह गया, कपड़े-लत्ते बह गये, जेवर गहने बह गये, जमा पूंजी बह गयी, उनके पास कुछ भी नहीं बचा.
श्री शिवराज सिंह चौहान--केवल खुद मुश्किल से बच पाये, यह स्थिति पैदा हुई है माननीय कराड़ा जी यहां बैठे थे वह प्रभारी मंत्री हैं मंदसौर और नीमच के, मैं गया था हमारे विधायक साथी वहां थे उसके बाद उन्होंने भी दौरा किया था. हाथ कंगन को आरसी क्या मुख्यमंत्री जी भी मंदसौर गये थे वहां के हालात जानने की उन्होंने कोशिश की होगी. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि मुरैना जिले में भयंकर बाढ़ आयी माननीय गोविन्द सिंह जी यहां पर बैठे हैं भिंड जिले में कई दिनों तक पानी नहीं उतरा. भिंड एवं मुरैना में तो ऐसी स्थिति बनी कि एक तरफ बाढ़ का पानी घुसा और दूसरी समय उस समय सूखे से लोग परेशान हुए, क्योंकि गांधी सागर बांध का पानी छोड़ा गया. गांधी सागर बांध में भी जो पानी भरा वह आपदा केवल प्राकृतिक नहीं थी, वह मानव निर्मित थी. समय पर अगर गांधी सागर बांध से पानी छोड़ दिया जाता तो इतनी भयानक बाढ़ नहीं आती. समय पर आंकलन नहीं किया गया, नजर नहीं रखी गई, पानी भरता रहा जब पानी इतना भर गया इसमें भगवान का शुक्र है कि गांधी सागर बांध टूटा नहीं, नहीं तो तबाही मच जाती. भिंड, मुरैना जिले में कैसी तबाही आयी कि कई घर कई दिनों तक पानी में डूबे रहे. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे बाढ़ पीड़ित किसानों को क्या हम राहत नहीं देना चाहते ? केवल किसानों का सवाल नहीं है. अगर गरीबों के घर डूब गये, उनके पास जो कुछ भी था वह बह गया तो क्या उनकी मदद नहीं करनी चाहिये. इस सरकार के बनने के बाद ओले से, पाले से, कई जिलों में फसलें नष्ट और बर्बाद हो गई. मैं जब मुख्यमंत्री था मैं दम्भ एवं अहंकार की भाषा नहीं बोल रहा हूं. मैं जानता हूं कि आज मुख्यमंत्री नहीं हूं, लेकिन मन में तकलीफ एवं पीड़ा होती थी. रात में अगर ओले गिरते थे तो सबेरे मेरा हेलीकाप्टर किसान के खेतों में उतर जाता था और हम अफसरों से एक ही बात कहते थे भाई नुकसान लिखना ज्यादा लिख दो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन कम लिख दिया तो नौकरी करने के लायक नहीं रहने दूंगा यह बात ओपनली कहता था. नुकसान लिखना ताकि हम किसानों को राहत दे सकें, लेकिन मुझे कहते हुए तकलीफ होती है कि यहां पर नारे लगाये जा रहे हैं उम्मीदें मुस्काई. कहां पर उम्मीदें मुस्काईं हैं? कांग्रेस आयी उम्मीदें मुरझाईं और तरक्की रुकवाई. चारों तरफ हा-हाकार मचा हुआ है. किसानों को तो आपने कहीं पर नहीं रहने दिया कर्जा माफ किया नहीं, डिफाल्टर अलग हो गये, यूरिया आप दे नहीं रहे, न खुदा ही मिला न मिसाले. सनम न इधर के रहे न उधर के रहे. आज मजबूर किसान आत्म हत्याएं कर रहा है. आत्म हत्या की बात आप कर रहे थे कि 7 महीने में आपकी सरकार के 71 किसानों ने आत्म-हत्याएं की हैं, यह आंकड़े हैं. मरने वाले किसानों में बघेलखण्ड में सबसे ज्यादा, उसके बाद बुंदेलखंड, 14 किसानों ने सीधी में की, 13 किसानों ने कर्ज के कारण सागर में आत्म-हत्या की, पर अब उनको यूरिया नहीं मिल रहा है. प्राकृतिक आपदा में जो फसलें नष्ट हुई हैं सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई. कई जगह मक्के की फसल तबाह हो गई, ओला गिर गया तो मूंग बचा नहीं उस समय जब यह सरकार होती थी हमने तय किया था कि किसान की फसल को सिंचित रकबे में अगर 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान होगा तो 30 हजार रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से राहत की राशि देंगे. जब 2003 में कांग्रेस की सरकार थी तब 800 रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से दिये जाते थे, लेकिन हमने उसको बढ़ाकर 30 हजार रूपये प्रति हैक्टेयर किया उसमें कई फसलों को सम्मिलित किया जिनके नष्ट होने पर राहत की राशि नहीं मिलती थी. ईसबगोल जैसी फसलें भी उसमें सम्मिलित की गईं. पाले के नुकसान को नुकसान नहीं माना जाता था. हमने उसको नुकसान मानकर पाले के नुकसान को भी प्राकृतिक आपदा में सम्मिलित करवाया और उसी बुरहानुपुर में गन्ना जब हमारी सरकार के समय में नष्ट हुआ था आपको पता है कि शेरा जी और बाकी मित्र बैठे हैं पूरी तरह से चोपट और बर्बाद हो गया था. 1 लाख रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से किसानों को राहत की राशि बंटवाने का काम हम लोगों ने उस समय किया था. मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि किसानों की फसल अगर तबाह हुई है, गरीबों के घर नहीं रहे, हमारे समय में जब गरीबों के घर नष्ट होते थे हम उनको सवा लाख रूपये की राशि देते थे. अगर फसलें बर्बाद होती थीं तो किसानों को 30 हजार रूपये प्रति हैक्टेयर की दर से राहत की राशि देते थे. अगर गाय बेल मरते थे तो 30 हजार रूपये देते थे, बकरा-बकरी मरते थे तो 800 रूपये देते थे. कांतिलाल जी अगर मुर्गा-मुर्गी मरते थे उसके भी 80 रूपये देते थे.
हमने कोशिश की कि गरीब का यदि छोटा भी नुकसान हुआ तो उसकी भरपाई कम से कम होनी चाहिए. लेकिन आज कहते हुए तकलीफ है, मंदसौर के, नीमच के, भिण्ड के, मुरैना के, सारे प्रतिनिधि इधर भी बैठे हैं, उधर भी बैठे हैं. पहले तो अधिकारियों से यह कहा गया, कि नुकसान मत लिखना, 25 प्रतिशत से ज्यादा मत लिखना नहीं तो देना पड़ेगा. अधिकारियों ने 25 प्रतिशत से कम नुकसान लिखने की कोशिश की और जहां नुकसान लिखा गया.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय कितना समय और लेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान - मैंने अभी तो शुरूआत ही की है.
उपाध्यक्ष महोदया - 22 मिनट हो चुके हैं, आप देख लीजिए.
श्री जितु पटवारी - अभी शुरूआत है तो आखिरी कब करेंगे. (...हंसी)
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मैं और कम बोलने की कोशिश करूंगा, लेकिन रोकाटोकी न करें, उसी में समय चला गया.
उपाध्यक्ष महोदया - जितु जी, बैठ जाइए, कृपया बैठ जाइए.
श्री शिवराज सिंह चौहान - आप किसानों पर कृपा करवा दो गोविन्द सिंह , (राजस्व मंत्री, श्री गोविंद सिंह राजपूत के खड़े होने पर)आपका यश बढ़ेगा और आपकी जय जयकार होगी, हम तो चाहते हैं कि लोग आपकी जय बोले, उसमें कोई दिक्कत नहीं है, बढि़या काम करें, जय बुलवाए. लेकिन जो सच है, उसको न झुठलाए, कई बार हम यहां बैठकर कितना भी झुठलाए, लेकिन उसके बाद अगर सच को झुठलाने की कोशिश होती है तो फिर कई बार पांव के नीचे से जमीन ऐसी खिसकती है कि पता नहीं चलता, वह स्थिति न बनने दें, यह मेरा आपसे कहना है (...हंसी) यहां तो हां की जीत हुई, हां की जीत करवा लेंगे, जब जनता में जाएंगे तब असली बात पता चलेगी. इसलिए मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि जो नुकसान हुआ है प्राकृतिक आपदा में मकान के नुकसान की राशि दीजिए. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं. माननीय गोविन्द सिंह जी केन्द्र सरकार ने 8 लाख प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान स्वीकृत किए थे. हम लोगों ने, मैंने भी जाकर ग्रामीण विकास मंत्री जी से चर्चा की थी, उनसे निवेदन किया था कि जिन गरीबों के और किसानों के मकान पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं, चौपट हो गये हैं, उनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना का कोई विशेष पैकेज दे दिया जाए, लेकिन मुझे तब आश्चर्य हुआ कि 8 लाख प्रधानमंत्री आवास जना के मकान घटाकर के मध्यप्रदेश सरकार ने 6 लाख कर दिए, यह नहीं होना चाहिए. हम सब मांग कर सकते हैं और तैयार थे मंत्री जी.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री कमलेश्वर पटेल) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, राज्यांश और केन्द्रांश का कितना अंतर हो गया है और पहले के लक्ष्यों से इस बार ज्यादा मकान बने हैं, प्रधानमंत्री आवास का जो आरोप सरकार के ऊपर लगा रहे हैं, यह बिलकुल निराधार है.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय मंत्री जी, कृपया बैठ जाइए.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, रिकार्ड में यह बात है कि केन्द्र सरकार ने 8 लाख प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान का लक्ष्य मध्यप्रदेश सरकार को दिया था, मध्यप्रदेश सरकार ने मना किया और कहा कि 6 लाख काफी है. मैं यह निवेदन कर रहा हूं कि एक तरफ बाढ़ में इतने मकान ढह गए हैं, ध्वस्त हो गए हैं, गरीबों के पास कुछ नहीं बचा, उनके आंसू नहीं थम रहे, उनका दर्द हम जाकर देखें और दूसरे तरफ हम मकान सरेण्डर कर रहे हैं, हम मकान वापस करने का काम कर रहे हैं. मेरा निवेदन है कि क्षति का आंकलन पूरी ईमानदारी के साथ होना चाहिए. उड़द, मूंग में तो कुछ बचा ही नहीं, सौ प्रतिशत चली गई, ज्वार चली गई और अभी भी जो राहत की राशि स्वीकृत की है वह ऊंट के मुंह में जीरे जितनी भी नहीं है और उसमें भी यह कहा गया है कि इसमें से केवल 25 प्रतिशत ही देंगे, जिनका सब कुछ तबाह हो गया, उनको 2 हजार रूपया, 4 हजार रूपया, 5 हजार रूपया यह देने की पेशकश हो रही है और वह भी सब जगह मिला ही नहीं है और इसलिए मेरा निवेदन है, जब मुख्यमंत्री जी मंदसौर गए थे और उन्होंने घोषणा की थी कि बिजली के बिलों की 6 महीनों तक वसूली नहीं होगी, वहां के प्रतिनिधि यहां बैठे हैं, बिजली के बिलों की निर्दयतापूर्वक वसूली करने का काम भी वहां हो रहा है, हजारों रूपए के बिजली के बिल वसूले जा रहे हैं, क्षति का जो आंकलन करना चाहिए था, वह आंकलन ढंग से हुआ ही नहीं है और इसीलिए मेरा निवेदन है कि इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम हम कोई राजनीति न करें और अपने किसानों को चाहे वह ओले का हो, चाहे वह पाले का हो, कई जगह सूखा रह गया था उसका हो. लेकिन केवल इतना ही नहीं है, उसको राहत की राशि दें. मवेशी अगर मरे हैं तो उसकी राहत की राशि दें, उसका मुआवजा भी आप दें. मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि अभी तक यह पैसा तो सरकार ने राहत के दिए ही नहीं, उल्टे 160 रुपये प्रति क्विंटल आपने वचन दिया कि गेहूँ खरीदेंगे. 160 रुपये प्रति क्विंटल किसानों के खाते में अलग से डालेंगे. हम तो 200 रुपये डालते थे, आपने 160 रुपये की बात कही थी.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा) - आप कितना बोलेंगे, बहुत बोल लिये हैं. अब दूसरे लोग भी बोलने वाले हैं. (हंसी) शताब्दी एक्सप्रेस को लाल झण्डी दिखाई, वह रुकने वाली नहीं है, वह सीधे दिल्ली पहुँचेगी. (हंसी)
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया समाप्त कीजिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान - लक्ष्मण सिंह जी, आप बिल्कुल सही बोलते हैं. अब प्राकृतिक आपदा की घड़ी में गेहूँ का भी 160 रुपये प्रति क्विंटल बोनस नहीं दिया किसानों को. अब मैं बोलूँ नहीं तो क्या करूँ ?
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया बैठ जाइये, जल्दी समाप्त कीजिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान - मेरा चुप रहना असंभव है.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने बहुत बढि़या बात की है, इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए. प्राकृतिक आपदा का विषय है. मेरा आपके माध्यम से निवेदन है एवं जो हमारे विपक्ष के साथी है, वे केन्द्र सरकार से जरूर आग्रह करें, जो केन्द्रीय दल आया था, जो प्रस्ताव दिया था एवं 7,000 करोड़ रुपये की जो डिमाण्ड की थी, वहां से आप राशि दिलवाने में मदद करें. इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए, हम सभी लोग सामूहिक रूप से चलें और प्रयास करें. हम आपको साधुवाद देते हैं, आपने जो बातें कहीं हैं, इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए. हम लोग भी यही चाहते हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - मंत्री जी, आपकी बात आ गई है, आप बैठ जाएं.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री महोदय, भारत सरकार ने एसडीआरएफ की राशि, जिसमें 75 प्रतिशत राशि भारत सरकार की होती है और 25 प्रतिशत राशि प्रदेश की सरकार की होती है. उसकी राशि 1,000 करोड़ रुपये भारत सरकार ने प्रदेश को आवंटित किये. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि जब श्रीमान् मनमोहन सिंह जी, जिनका मैं बहुत आदर करता हूँ, एक बार प्रदेश में पाले से फसलें नष्ट हुई थीं, पूरे मालवा की फसलें नष्ट हुई थीं, तबाह हो गई थीं, तब हम वहां गए थे, उपवास पर भी बैठे थे, तब मुश्किल से 350 करोड़ रुपये 6 महीने के बाद दिए गए थे. यहां तो मोदी जी ने 1,000 करोड़ रुपये पहले ही भेज दिए. एसडीआरएफ की राशि भेज दी और मैंने कभी उस समय यह नहीं कहा कि वहां से राशि नहीं आएगी तो राशि नहीं दूँगा. हम तो एक वर्ष में 8-8, 10-10 बार किसानों के खातों में पैसा डालते थे और एक वर्ष में 32,801 करोड़ रुपये तक हमने किसानों के खाते में डाले हैं. मैं एक ही वर्ष में सोयाबीन की फसल की एवं मालवा की बात कर रहा हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया जल्दी समाप्त कीजिये.
श्री महेश परमार - जब मालवा में किसान भाइयों की फसल 2,200-2,400 रुपये प्रति क्विंटल भावांतर के नाम पर बिकती थी.
श्री शिवराज सिंह चौहान - मैं अंतिम बात कहकर समाप्त करूँगा क्योंकि लम्बे समय तक मुझे सहन करना कठिन काम है.
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) - आप 15 वर्ष से लगातार बोल रहे हो. श्री भार्गव, डॉ. नरोत्तम मिश्र जी इन लोगों को भी बोलने दीजिये, इनको भी मौका दीजिये. इनके लिये भी जरूरी है. (हंसी)
श्री शिवराज सिंह चौहान - श्री पी.सी.शर्मा जी, आप तो भोपाल से लेकर होशंगाबाद के रेतघाट तक इस समय छाए हुए हो. आप किस बात की चिंता कर रहे हो ? आप चिंता मत करो, मुझे मत बुलवाओ. (हंसी)
श्री गोपाल भार्गव - इनको किसानों से लेना क्या है ?
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया बैठ जाइये.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपकी अनुमति से बोलना चाहता हूँ. श्री शिवराज सिंह जी, आपका जो व्यक्तित्व है, बहुत सकारात्मक है. आप जब सवाल का उत्तर ऐसे देंगे तो वह आपका ही विरोध करेगा, आपको अंतरात्मा से यह सोचना है कि आपने क्या उत्तर दिया है. कई बार हमारे यहां पर शिवराज सिंह जी स्पेशियली भी होते हैं तो इनके बोलने के कारण हमारा नम्बर ही नहीं लगता है. आप उनको भी बोलने में जगह दो, हम तो उनकी मांग को ही कह रहे हैं (विपक्ष के सदस्यों को देखकर) मंत्री जी ने गलत नहीं कहा है.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - अध्यक्ष महोदय, आपने होशंगाबाद में जो थोड़ा बहुत छोड़ा है, उसको ही समेट रहे हैं, ज्यादा नहीं समेट रहे हैं. (हंसी)
श्री शिवराज सिंह चौहान - मैं अंतिम बात कहकर बोलना खत्म करूँगा.
श्री विश्वास सारंग - बहुत अच्छा है. सज्जन सिंह जी ने मोहर लगा दी है कि समेट तो रहे हैं. आपने बहुत अच्छी बात कही है. आप सीनियर हो. आपने बहुत अच्छा कहा है. सज्जन जी ने सज्जनता का परिचय दिया है.
उपाध्यक्ष महोदया - आप बैठ जाइये.
4.50 बजे {अध्यक्ष महोदय श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) } पीठासीन हुए.
जनसंपर्क मंत्री(श्री पी.सी.शर्मा) - माननीय अध्यक्ष जी, शिवराज जी ने कहा है तो मैं कहना चाहता हूं कि 15 साल तक तो हम चौहान लिखे डम्पर से ही लड़ते रहे लेकिन कुछ नहीं कर पाये.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष जी, मैं अंतिम बात कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा. इस समय धान उत्पादक किसान,बाजरा उत्पादक किसान बुरी तरहपरेशान हैं. आप मानें ना मानें धान की खरीद प्रारम्भ नहीं हुई है. रजिस्ट्रेशन पूरे नहीं हुए हैं. खरीदी केन्द्रों की संख्या घटा दी गई है. मानो ना मानो छत्तीसगढ़ में 2500 रुपये क्विंटल धान खरीद रहे हैं आप 1840 रुपये क्विंटल ही नहीं खरीद रहे. अगर मुंह देखी करोगे तो बहुत घाटे में रहोगे मेरे मित्र, अभी अन्दर बैठे हो जब जनता में जाओगे तब पता चलेगा यह सच्चाई है कि आन रिकार्ड किसानों के पास भी जा रही है रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, पोर्टल नहीं खुला है. किसान परेशान है. पिछली साल की धान का कई जगह का पेमेंट नहीं हुआ. दमोह जिले के अगर विधायक यहां बैठे हों. मैं कांग्रेस के विधायक मित्रों से भी कहना चाहता हूं. जो धान मंडियों में था पड़ा रहा पहले तुलवा लिया और तुलवाने के बाद कहा उठाकर ले जाओ भीग गया. अब नहीं खरीदते धान में अंकुर निकल आये. ये आपकी ड्यूटी है कि धान की खरीदी ठीक से हो. खरीदी केन्द्रों की संख्या कम ना हो. जब छत्तीसगढ़ 2500 रुपये क्विंटल दे रहा है तो मध्यप्रदेश क्यों कंजूसी करे. मध्यप्रदेश तो छत्तीसगढ़ का बड़ा भाई है. मध्यप्रदेश तो छत्तीसगढ़ का बड़ा भाई है. छत्तीसगढ़ वाले 2500 रुपये पा रहे हैं और आप यहां धान नहीं खरीद रहे हो. तबाह और बर्बाद किसान सड़कों पर आंसू बहा रहा है. हमारे कंसाना जी यहां बैठे हुए हैं. ईमानदारी से बताना मुरैना में बाजरा खरीदा जा रहा है,भिण्ड में खरीदा जा रहा है. गोविन्द सिंह जी भी बैठे हैं. मैं सच कह रहा हूं.
गृह मंत्री(श्री बाला बच्चन) - माननीय शिवराज जी, हम भी तो बैठे हैं और भी तो दूसरे सदस्य बैठे हैं. ये बात तो आपने झाबुआ में भी बोली थी लेकिन उसका परिणाम क्या हुआ. कांतिलाल भूरिया जी यहां बैठे हुए हैं रिकार्ड वोटों से.
श्री शिवराज सिंह चौहान - बाला बच्चन जी, आप झाबुआ को ही गाते रहना. अगली बार आपका पता चल जायेगा परिणाम क्या आयेगा. हमारा काम चेताने का है. चेतो तो ठीक है अगर नहीं चेतो तो फिर जनता देखेगी और इसीलिये मैं निवेदन कर रहा हूं. बाजरा खरीदिये, धान खरीदिये, गेहूं का बोनस दीजिये, सोयाबीन का 500 रुपये क्विंटल दीजिये, धान पर बोनस दीजिये. उड़दा का दीजिये, मूंग का दीजिये, राहत की राशि दीजिये. मुआवजे की राशि दीजिये, यूरिया खाद ढंग से उपलब्ध करा दीजिये. ये प्रार्थना है मेरी. मुझे रोकने-टोकने से कुछ नहीं होगा. किसान को कम से कम राहत दे दीजिये. किसान आपकी जय-जय करेगा और ईमानदारी से कर्जा माफ कर दीजिये. अब बाकी सदस्यों को भी बोलना है इसीलिये मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. धन्यवाद.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी आदरणीय शिवराज जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि नीमच और मंदसौर में खूब वर्षा हुई यह आपकी वजह से हुआ. आपने जब 10-15 दिन पानी नहीं गिरा तो आपने कहा कि कमलनाथ के पैर ऐसे पड़े हैं कि पानी नहीं गिर रहा है. भगवान नाराज हो गये कि शिवराज सिंह जी असत्य कह रहे हैं खूब पानी गिरा दिया.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अब सज्जन सिंह वर्मा जी तो बड़े साइंटिफिक तरीके से सोचने वाले व्यक्ति हैं. अब इसलिये अगर बारिश हुई है तो आपका विज्ञान और प्रोद्योगिकी विभाग बंद कर दीजिये उसकी जरूरत ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - लेकिन शिवराज जी आप बार-बार ऐसे मत बोलना कि इनके पैर पड़े तो पानी नहीं गिर रहा है अब बंद ही नहीं हो रहा है. बहुत अच्छा लगा आपने इतने बढ़िया माहौल में अपनी बात कही.
श्री संजय यादव(बरगी) - अध्यक्ष महोदय, शरदचन्द्र जी ने कहा है कि असत्य को इज्जत देकर जितना ऊंचा उठाया जाता है उतना ही कीचड़ उतना ही अनाचार इकट्ठा होता है. मेरा मतलब जैसे पूर्व मुख्यमंत्री ने असत्य बोलकर पूरे प्रदेश में जो कीचड़ इकट्ठा किया है उसे साफ करने में कम से कम पांच साल लगेंगे. यह पूरा असत्य बोल रहे थे. मुझे इतना नहीं मालूम था कि ये इतना असत्य बोलते हैं. आपने कहा पिछली बार फसलों को जो नुकसान हुआ था, हमने पैसे दिये. नर्मदा किनारे जो गरीब आदमी सरकारी जमीन में फसल लगता है, ओला, पाला पड़ा तो मैंने कहा कि मेरी जमीन का मुआवजा उनको दे देना आज तक मैं इंतजार कर रहा हूं, एक रुपये का मुआवजा नहीं मिला, जो चैक इनके समय मिलते थे, 65-65 रुपये के चैक मिलते थे, शुद्ध असत्य और शुद्ध फर्जीवाड़ा, असत्य बोलने का काम माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी करते आ रहे और करते रहे. मैं धन्यवाद देता हूं..
श्री विश्वास सारंग - चैक मिलते ही नहीं थे, खाते में राशि डालते थे. संजय भाई को थोड़ा-सा ज्ञान कम है.
श्री संजय यादव - मुझे बहुत ज्ञान है. आपसे ज्यादा है. क्योंकि मैंने इनसे सीखा है, हम लोगों को असत्य बोलना आता नहीं है.
श्री विश्वास सारंग - इनकी जिंदगी में असत्य ही असत्य है.
श्री संजय यादव - आपने असत्य के अलावा आज तक सत्य बोला ही नहीं है.
श्री कमल पटेल - संजय भाई बोल रहे हैं कि असत्य बोलते नहीं आता है. (XX)
श्री संजय यादव - (XX)
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट रुक जाइए. माननीय सभी सदस्यों से अनुरोध है जो इस सदन के सदस्य नहीं हैं, न आप - न आप, ऐसा कुठाराघात मत करिए जो अच्छा नहीं लगता है, जो चीजें बोली गई हैं वह विलोपित की जाती हैं.
श्री संजय यादव - अध्यक्ष महोदय, किसानों को गोली किसने मारी थी? मंदसौर की घटना किसके समय हुई थी? इन बातों का जवाब दिया जाना चाहिए. आप अभी असत्य कह रहे थे कि हाहाकार मचा है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - मंदसौर की जनता ने जवाब दे दिया है.
श्री रामेश्वर शर्मा - जितु पटवारी जी से पूछो कि मंदसौर की घटना कैसे हुई?
श्री संजय यादव - किसके कार्यकाल में हुई? आपके कार्यकाल में मारा जा रहा था.
श्री रामेश्वर शर्मा - जितु पटवारी जी बताएंगे मंदसौर की घटना कैसे हुई? ट्रक जलाने की किसने कही, आग लगाने की किसने कही?
(व्यवधान)..
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जितु पटवारी) - आप बैठो, मैं बताता हूं मंदसौर की घटना कैसे हुई. मंदसौर के विधायक बैठे हैं मैं सब बताता हूं. मंदसौर की घटना इस नाते हुई आदरणीय विधायक जी कि (XX)
श्री रामेश्वर शर्मा - (XX)
अध्यक्ष महोदय - इसको विलोपित किया जाय. आप दोनों बोल लिये? मैं फिर से अनुरोध कर रहा हूं आप दोनों वरिष्ठ हो. अध्यक्ष बीच में बैठे हैं. सीधी बातें न करें. सीधी सीधी बात करते हैं क्या अच्छा लगता है? यह मत करें. आप दोनों सीधे सीधे दिये जा रहे हो, दिये जा रहे हो. एक पर एक ऐसी यानी नो बॉल कर रहा हूं, साइड गेंद फेंक रहे हो, सुर्री गेंद फेंक रहे हो, अरे, कुछ तो देखें.
श्री संजय यादव -अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र से एक भी किसान का पहली बार यूरिया को लेकर न फोन आया, न वह परेशान हुआ, पूरे किसानों को जबलपुर जिले में पूरे मध्यप्रदेश में जो भी आप फोटो बता रहे थे, जो लाइन बता रहे थे वह नोटबंदी की लाइन बता रहे थे. पिछली लाइन बता रहे थे. अभी की कोई लाइन नहीं थी. पुराना पेपर उपयोग करना...
श्री विश्वास सारंग - आप कहां से आए भैया? दिव्यज्ञानी जी. बहुत अच्छा आपका दिव्य ज्ञान है.
श्री संजय यादव - आपको क्या मालूम है किसानों का दर्द, भैया. आप असत्य बोलते हैं. आप अभी बोल रहे थे कि हाहाकार मचा है किसानों में, किसानों में हाहाकार नहीं मचा है, जो रेत माफियाओं के ऊपर होशंगाबाद, बुधनी और पूरे प्रदेश में नकेल कसी गई उसमें उन माफियाओं के लिए हाहाकार मचा है. क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी ने रेत नीति लाकर स्पष्ट कर दिया है, हाहाकार उस बात का मचा है. कहीं भी पहली बार ऐसा हुआ होगा कि जिस तरीके से माननीय मुख्यमंत्री जी ने पारदर्शिता के साथ..
श्री ठाकुरदास नागवंशी - नाम बता दूं, किसकी तरफ जा रहा है, नम्बर सहित.
एक माननीय सदस्य - किसानों को माफिया कहा जा रहा है.
05.00 बजे.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, किसानों के लिए नहीं बोला है, रेत वालों को बोला है...(व्यवधान)..
श्री संजय यादव -- अध्यक्ष महोदय पूरे किसानों की फसलें हाइवा ने, डम्परों ने उजाड़ दी थी. जिस खेत में रेत रखी जाती है उसमें बाद में फसल नहीं होती है. पूरे मध्यप्रदेश में 13 साल में , हम लोग वह नहीं है कि बंजर जमीन में , पूर्व मुख्यमंत्री जी जैसे नहीं कि बंजर जमीन में आम उगायें और फूलों की खेती होने लगे. हम वह लोग नहीं हैं. जिस तरह से रेत के डम्परों ने किसानों का नुकसान किया था. रेत जिस खदान से निकलती थी उस खदान में चाहे चना की फसल हो या गेहूं की फसल हो जब वहां पर धूल के कण उड़ते रहे तो किसान खून के आंसूं रोता रहा. आपने जो किसानों के बारे में बात की वह पूरी असत्य बात की है. किसानों के लिए उर्वरा उपलब्ध कराने हेतु अग्रिम उर्वरा योजना संचालित है इस योजना में रबी 2019-20 के लिए विपणन संघ के द्वारा 4 लाख 12 हजार मैट्रिक टन यूरिया का अग्रिम भण्डारण किया गया, जबकि विगत वर्ष 2018-19 में 2 लाख 62 हजार मैट्रिक टन यूरिया का अग्रिम भण्डारण किया गया था. रबी 2017-18 में 2 लाख 53 हजार मैट्रिक टन यूरिया का अग्रिम भण्डारण किया गया था, रबी 2018-19 की तुलना में रबी 2019-20 में डेढ लाख मैट्रिक टन यूरिया का अधिक अग्रिम भण्डारण कराया गया. किसानों द्वारा रबी 2019-20 के अग्रिम भण्डारण अवधि में 95 हजार मैट्रिक टन यूरिया का उठाव किया गया. जबकि 2018-19 में रबी अग्रिम भण्डारण की अवधि में 72 हजार मैट्रिक टन यूरिया का उठाव किया गया था. मेरा आपसे निवेदन है कि जिस तरह से माननीय मुख्यमंत्री जी कमलनाथ सरकार का उद्देश्य है कि प्रदेश का किसान गरीब का भला, शिवराज जी जैसे ढोल पीटकर फर्जीवाड़ा, और रायता फैलाने नहीं. वे खुद भूल गये होंगे कि इन्होंने कितनी घोषणाएं की, 13 साल में अराजकता, भ्रष्टाचार, मां नर्मदा का सीना छलनी, व्यापम, डम्पर, किसान आत्महत्या, बेरोजगारी इंवेस्टरमीट के नाम पर जिस तरह से छलावा असत्य बोलकर गुमराह और भ्रमित कर दिया. इसी कारण आज आप विपक्ष में बैठे हैं.
मैं माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को, माननीय सचिव यादव जी को बधाई देता हूं कि किसान मध्यप्रदेश में जितना अभी सुखी हुआ है इन 15 साल में कभी सुखी नही रहा है. बहुत बहुत धन्यवाद्.
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनांक 19 दिसम्बर, 2019 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 05.03 बजे विधान सभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनांक 19 दिसम्बर, 2019( अग्रहायण 28, शक संवत् 1941 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 18 दिसम्बर, 2019 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा.