मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसम्बर, 2019-जनवरी, 2020 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 17 जनवरी, 2020
(27 पौष, शक संवत् 1941)
[खण्ड- 4 ] [अंक- 6 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 17 जनवरी, 2020
(27 पौष, शक संवत् 1941)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.05 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया) -- अध्यक्ष महोदय, कल दतिया में, ग्वालियर में भारी भीषण ओलावृष्टि हुई है.
श्री कांतिलाल भूरिया (झाबुआ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एम.पी. पी.एस.सी. के चेयरमेन और सेक्रेट्री ने आदिवासी समाज को अपमानित किया है. एम.पी. पी.एस.सी. में पूरे आदिवासी समाज के ऊपर लेकर जो प्रश्न पूछे गए उनको अपमानित करने का तरीका है. उनके ऊपर सख्त कार्यवाही कर तत्काल आयोग के अध्यक्ष को हटाया जाए और इसके जो सेक्रेट्री हैं इसके खिलाफ कार्यवाही की जाए मैं यह मांग करता हूं. यह बहुत ही मतत्वपूर्ण बात है. यह पूरे आदिवासी समाज का मामला है. पूरे प्रदेश में आदिवासियों मे भयंकर आक्रोश है. आज सदन के सारे आदिवासी विधायक भी अपमानित महसूस कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया विराजिए
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- भूरिया जी जो कह रहे हैं दो बार पी.एस.सी. ऐसी गलती कर चुकी है.
अध्यक्ष महोदय-- भूरिया जी, कृपया विराजिए आप मुझे कार्यवाही तो शुरू करने दीजिए. तरुण जी जरा बताइए कि मुझे कार्यवाही शुरू करने दें. कृपापूर्वक आप सभी विराजिए.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे एक मिनट का समय चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- मुझे सदन की कार्यवाही तो शुरू करने दीजिए.
डॉ. गोविन्द सिंह-- भूरिया जी की बात का जवाब तो दे दूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप जवाब दे देना. मुझे सदन की कार्यवाही तो शुरू करने दीजिए. अखाड़ा खुदा नहीं और पहलवान लोग चालू हो गए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, यहां पर बिना बारिश के मगर कुलाचे भरने लगते हैं.
विशेष उल्लेख
11.08 बजे नववर्ष पर सदन को शुभकामना उल्लेख
अध्यक्ष महोदय--
11.09 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख (क्रमश:)
डॉ. गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, हमारे वरिष्ठ सदस्य माननीय कांतिलाल भूरिया जी ने जो पी.एस.सी. का मुद्दा उठाया है हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि इसमें जो दोषी सदस्य हैं उनके विरुद्ध अतिशीघ्र कार्यवाही की जाएगी. माननीय मुख्यमंत्री जी ने पूर्व में भी घोषणा कर दी है कि इस प्रक्रिया में जो भी लोग दोषी हैं उन पर कठोर कार्यवाही होगी. मुख्यमंत्री जी द्वारा अतिशीघ्र जांच के निर्देश दे दिए गए हैं. हमें कुछ तथ्य मिले हैं हम अतिशीघ्र इसमें कदम उठाएंगे और निर्णय लेंगे. मुख्यमंत्री जी ने इसमें जांच के आदेश कर दिए हैं.
श्री कांतिलाल भूरिया-- धन्यवाद.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ)-- अध्यक्ष महोदय, जांच के आदेश दे दिए गए हैं और जांच में जो भी इसमें दोषी पाया गया उस पर भी सख्त कार्यवाही करेंगे. इसमें कोई शक नहीं है कि यह एक बहुत बड़ी गलती है. इसे गलती कहें कुछ भी कहें परंतु यह बहुत ही गलत हुआ है. इसमें कोई पक्षपात की बात नहीं है, कोई दल की बात नहीं है यह अब इंसाफ की बात है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, कल दतिया ग्वालियर, चंबल संभाग में ओले पड़े हैं किसान का बहुत नुकसान हुआ है. इसी तरह से जो धान खरीदी केन्द्र थे उन पर धान भीग गई. किसान की धान का भुगतान तो हो ही नहीं रहा है अब उस धान में भी मलाल लगाकर उस धान को खरीदा नहीं जा रहा है. मैंने कल भी आपसे प्रार्थना की थी. यह विषय सर्वानुमति का विषय है परतु मध्यप्रदेश में ऐसे बहुत सारे विषय हैं जो किसान से जुड़े हुए हैं, नौजवान से जुड़े हुए हैं. अतिथि विद्वान यहां पर बैठे हुए हैं उनकी कोई सुनने वाला नहीं है, किसान की सुनने वाला नहीं है. टेंट में आग लग रही है आप किसी भी विषय पर चर्चा कर लें विधायक अपना क्षेत्र छोड़कर आया है. गन्ने की गाढ़ी कमाई लगी है मैंने कल भी प्रार्थना की थी, मेरी प्रार्थना है कि जनहित के मुद्दे पर आप चर्चा जरूर कराएं.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, ओलावृष्टि के बारे में पूरी जानकारी ले ली गई है. दतिया जिले में व कुछ मेरे विधान सभा क्षेत्र में ओले गिरे हैं. दोनों जिलों के कलेक्टर्स को निर्देशित कर दिया गया है. कल शाम को ही ओले गिरे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धान का पेमेंट किसानों को नहीं हो रहा है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- ओले गिरे हैं उसके तत्काल बाद निर्देश दे दिए गए हैं. कल ही ओले गिरे हैं उसकी जानकारी ले ली गई है. कोई जादू नहीं होता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं. रात में ओले गिरे हैं और इनको जानकारी कैसे आ गई. सर्वे कैसे हो गया, यह कह रहे हैं सर्वे करा लिया है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मैंने फोन से जानकारी ले ली है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- यह कह रहे हैं कि सर्वे हो गया है. जो भयानक बाढ़ आई थी उसका सर्वे आज तक नहीं हुआ है और यह कह रहे हैं कि ओले का सर्वे करा लिया है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य असत्य बोल रहे हैं. मैंने सर्वे का नहीं कहा है. सर्वे नहीं कराया है. मैंने कहा है कि जानकारी ले ली गई है.
अध्यक्ष महोदय -- नरोत्तम जी, मंत्री जी कुछ और कह रहे हैं और आप कुछ और सुन रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मैंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल पूरी जानकारी दें कि कितना नुकसान हुआ है. मैंने जानकारी प्राप्त करने के बारे में कहा है, यह नहीं कहा है कि सर्वे हो गया है. अभी जानकारी इकट्ठी कर रहे हैं. नुकसान हुआ होगा तो उसका भुगतान किया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- शून्यकाल कर लें क्या ? शर्मा जी विराजिए.
डॉ. गोविन्द सिंह -- इसे राजनीति के लिए मुद्दा बनाना ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है विराजिए. धन्यवाद. नेता प्रतिपक्ष जी संक्षिप्त में कृपया अपनी बात रखें.
इंजीनियर प्रदीप लारिया -- सागर जिले के नरयावली विधान सभा क्षेत्र में भी ओले गिरे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा हमारे माननीय सदस्य ने कहा और हमारे विधायक दल की भी राय है कि विधान सभा का सत्र चल ही रहा है, सभी विधायकों को आपने राज्यपाल महोदय के आदेश से यहां पर आमंत्रित किया है. इस सत्र को हम और ज्यादा उपयोगी बना सकते हैं. जो तात्कालिक विषय हैं जैसे अतिथि विद्वानों की समस्या, अतिविृष्टि, ओलावृष्टि और धान के समर्थन मूल्य का भुगतान न होने की समस्या, कई जगह तुलाई नहीं हो रही है. मैंने स्वयं कई जगह जाकर देखा है. इन विषयों पर मुख्यमंत्री जी की तरफ से जवाब आ जाए. मुख्यमंत्री जी की और हम सभी की यह इच्छा है, संविधान के अनुच्छेद 334 के खण्ड (ख) का तो हम सभी सर्वसहमति से समर्थन करेंगे ही. यदि मुख्यमंत्री जी की तरफ से इन विषयों का संक्षेप में उत्तर आ जाए तो मैं मानकर चलता हूँ कि इस सत्र की उपयोगिता और ज्यादा हो जाएगी. अब आगे आपकी इच्छा है. मैं मानकर चलता हूँ कि इसमें आसंदी का ही सम्मान है.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) -- माननीय सदस्यों ने धान की खरीदी और ओलावृष्टि की ओर ध्यान आकर्षित किया है.
श्री गोपाल भार्गव -- मुख्यमंत्री जी अतिथि विद्वान भी पिछले 40-50 दिनों से ठंड में ठिठुर रहे हैं, आप मानवीय दृष्टिकोण से एक बार उनके बारे में सोच लें. महिलाएं मुण्डन करा रही हैं उनके छोटे-छोटे से नौनिहाल बच्चे हैं. उन पर आपकी मेहरबानी हो जाए.
श्री कमलनाथ -- मैं अतिथि विद्वानों पर बाद में आउंगा. पिछले 4-6 महीनों में ऐतिहासिक अतिवृष्टि हुई है. इसमें करीब 8 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. 2 हजार करोड़ रुपए का नुकसान तो जो पुल-पुलिया, सड़क और मकान डूब गए, टूट गए उनका हुआ है. हमने केन्द्र सरकार से निवेदन किया है, फिर से कर रहे हैं. केन्द्र सरकार ने मदद की है मुझे उम्मीद है और भी मदद करेगी. मैंने खुद प्रधानमंत्री जी से गृह मंत्री जी से बात की है. अभी दस दिन पहले मैंने गृह मंत्री जी से बात की है. अभी 27 या 28 तारीख को रायपुर में गृह मंत्री के साथ इन विषयों को लेकर हमारी बैठक है. जो अतिवृष्टि हुई है उसमें वे हमारी अधिक से अधिक मदद करेंगे. हम उम्मीद करते हैं मदद होगी. जहां तक ओलावृष्टि की बात है जैसा माननीय सदस्य ने कहा है यह कल की बात है. हम इस पर आवश्यक सर्वे कराएंगे. आप सब परिचित हैं कि इसका सर्वे होता है उसके बाद मुआवजा दिया जाता है. जहां तक खरीदी और पेमेंट की बात है जैसा अभी माननीय सदस्य ने कहा है. मैंने तीन दिन पहले इस विषय पर बैठक की थी. हमने यह तय किया था कि पांच दिनों के अन्दर पैसा दिया जाएगा. यदि खरीदी के नए केन्द्र खोलने की आवश्यकता है तो आप भी मुझे सूचित कर दें हम अवश्य खोलेंगे. कई केन्द्र बदले गए हैं. उनकी लोकेशन बदली गई है. एक को सुविधा होती है, एक को असुविधा होती है. सबको इसमें संतुष्ट नहीं किया जा सकता. पर मोटा-मोटी संतुष्टि हो जाए, इसमें जो भी आपके सुझाव हैं, इसमें हमारी भी मदद होगी, आप हमारा ध्यानाकर्षित करिए और जहाँ 5 दिन के अन्दर इनको पेमेंट नहीं मिल रहा, कृपा करके आप मुझे फौरन सूचित कर दीजिए या फोन करके सूचित कर दीजिए कि इस स्थान में, इस इस केन्द्र में, नहीं हो रहा है, इस पर हम अवश्य ध्यान देंगे. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय-- पत्रों का पटल पर रखा जाना......
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष जी, अतिथि विद्वान, माननीय मुख्यमंत्री जी...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- रामेश्वर जी, बिराजिए. लारिया जी, बिराजिए.
इंजी.प्रदीप लारिया-- अध्यक्ष महोदय, 10 दिन पहले ओले गिरे हैं लेकिन आज तक राजस्व का अमला वहाँ पर नहीं पहुँचा है. अभी माननीय मुख्यमंत्री जी कह रहे थे....
अध्यक्ष महोदय-- आपके दल की ओर से आपके नेता प्रतिपक्ष जी ने संपूर्ण विषय रख दिए हैं. कृपया बिराजिए. पटवारी जी.....
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी)-- धन्यवाद अध्यक्ष जी. अभी नेता प्रतिपक्ष जी ने...
नेता प्रतिपक्ष(श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, थोड़ा कन्फ्यूज़न हो जाता है, आप तो नाम लेकर बुलाइये. (हँसी)
अध्यक्ष महोदय-- जीतू भाई....अब ठीक है? प्रिय जीतू भाई, और ठीक है अब? प्रिय उच्च शिक्षा मंत्री, अब तो ठीक है? (हँसी)
श्री जितु पटवारी-- आदरणीय अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष जी ने, बहुत दिनों से अतिथि विद्वानों की जो एक समस्या है, बहुत दिनों से हमारे अतिथि विद्वान शाहजहाँनी पार्क में बैठे हैं, उनको लेकर चिन्ता जाहिर की और चिन्ता वाजिब है. जहाँ तक प्रश्न है कि क्यों बैठे हैं और सरकार ने भी अभी तक सकारात्मक रूप से उनसे बात भी की, शासन, प्रशासन की, चूँकि नकारात्मक बात मैं करता ही नहीं हूँ, स्वभाव में ही नहीं है और कोई ऐसी सख्ती की बात नहीं की, वे बैठे हुए हैं, इसका कारण है कि उनकी मंशा से सरकार की मंशा सहभागी बनती है और उनके निराकरण की ओर है.
नेता प्रतिपक्ष जी, मैं थोड़ा सा पीछे जाना चाहता हूँ. पिछले साल लगातार सभी विधायकों ने रेग्यूलर प्रोफेसर्स की डिमांड, अलग अलग तरीके से, लिखकर, बोलकर, मुख्यमंत्री जी से भी, मुझसे भी, हमेशा की और जब हम गुणवत्तायुक्त शिक्षा की बात करें और रेग्युलर प्रोफेसर्स हमारे पास थे ही नहीं तो मतलब बात अलग, भाषण अलग और काम अलग, दोनों एक साथ नहीं हो सकते थे. यह चुनौती थी कि 30 साल से पीएससी के रेग्युलर प्रोफेसर्स की भर्ती ही नहीं हुई. अब उन प्रोफेसर्स को लाना था तो कुछ न कुछ तो व्यवस्था में चेंज होना था और कुछ न कुछ परेशानियाँ भी आनी थीं. हमने उसको दृढ़ता से और हिम्मत से तथा निर्णय लेकर यह किया कि जो पीएससी से चयनित प्रोफेसर्स आएँ उनको लें, तो नेचुरल है फॉलेन आउट होने थे. अब नीयत सरकार की है कि हमारे अतिथि विद्वानों को, चूँकि कई सालों से वे पढ़ा रहे हैं, उनको भी जगह मिलना चाहिए और उसको लेकर जो च्वाईस फिलिंग की प्रोसेस है, न्यायसंगत, वे चल रही है. मैं मानता हूँ कि 20 से 25 तारीख के बीच में लगभग अतिथि विद्वानों को अपने अपने कॉलेज अलाट हो जाएंगे और वे चले जाएंगे. उसके बाद क्या संख्या थोड़ी बहुत बचती है उसको लेकर शासन गंभीर है. एक भी अतिथि विद्वान हमारा बाहर न हो, यह हमारी नीयत है. (मेजों की थपथपाहट) रही बात, रही बात, (श्री विश्वास सारंग जी के खड़े होने पर) विश्वास जी, एक मिनिट पूरी बात होने दो. पहली बात, जैसे पहले से प्रक्रिया चल रही थी फॉलेन आउट की, जो पहले की सरकारें थीं, उसके अनुसार उनको पॉजिटिविटी से साथ दिया जा रहा है. अब नियमितीकरण का जहाँ तक प्रश्न है, आपने बात कही, यह बिल्कुल सही है, उसको लेकर एक कर्मचारी आयोग बना है और कर्मचारी आयोग, इस तरह के जितने भी विषय होते हैं, उनको लेगा. मैं मानता हूँ कि मैंने जो बात कही पूरी सकारात्मक है और यह मैं मानता हूँ कि सब परिवार के लोग इससे सहमत होंगे. इसमें राजनीतिक पुट डालना और हम तुम्हारे साथ खड़े हैं और यह विरोध में खड़े हैं, अध्यक्ष जी, इसकी गुंजाईश नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी......
अध्यक्ष महोदय-- नेता प्रतिपक्ष जी, अब आगे बढ़ने दें. आप लोगों की पूरी बात आ गई.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, मुझे लगता है कि माननीय मंत्री जी का जवाब बहुत सटीक नहीं है. आपका जवाब गोलमोल है. मैं आप से आग्रह करना चाहता हूँ कि एक मानवीय दृष्टि से आप विचार करिए.
अध्यक्ष महोदय-- विचार कर रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- और अध्यक्ष जी, दूसरी बात यह है कि अभी आप ट्रेंड कर रहे हैं. अभी जो आपके सिलेक्ट हो गए हैं और जो अलरेडी 15 सालों से पढ़ा रहे हैं, आप उनको बाहर कर रहे हैं और अभी इनके लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं. अभी आप इनका ओरिएंटेशन का प्रोग्राम चलाएंगे.
अध्यक्ष महोदय-- नेता प्रतिपक्ष जी, यह चर्चा का विषय नहीं है.
श्री जितु पटवारी-- नेता प्रतिपक्ष जी, मैंने नहीं कहा कि बाहर कर रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, आपके पास पूरे राज्य में 8 हजार पद रिक्त थे. आप चाहें तो तीन हजार, ढाई हजार आप उनको कहीं भी समायोजित कर सकते हैं. बहुत ही मानवीय मामला है.
अध्यक्ष महोदय - चर्चा का विषय न बनाएं आगे बढ़ने दीजिये.
श्री जितु पटवारी - जैसा आपका सजेशन है मैं आकर आपसे मिल लूंगा और फिर जो सजेशन व्यक्तिगत भी देंगे उनको भी आत्मसात कर लेंगे.
श्री गोपाल भार्गव - मेरा आपसे आग्रह है कि अतिथि शिक्षक और अतिथि विद्वान लंबे समय से यहां पर बैठे हुए हैं ठंड में ठिठुर रहे हैं, मानवीय दृष्टि से इनका नियमितीकरण और आपके इलेक्शन मेनीफेस्टो के आधार पर उसका पालन करते हुए करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - यह तो उन्होंने बोला है.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, अतिथि विद्वान भाजपा के कार्यकाल से बैठे हैं.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, वचन पत्र में कहा था. माननीय मुख्यमंत्री जी इसका जवाब दें. कोई कमेटी थोड़ी बना दी है.
11.21 बजे बहिर्गमन
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, आपने वचन पत्र में कहा है. मुझे बहुत खेद है कि यह शासन अमानवीय हो गया है, नहीं सुन रहे हैं इसके विरुद्ध हम बहिर्गमन करते हैं.
(नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव के नेतृत्व में उच्च शिक्षा मंत्री के उत्तर से असंतुष्ट
होकर भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया)
11.22 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन)
विधेयक 2019, लोक सभा एवं राज्य सभा की कार्यवाहियां तथा उक्त संशोधन के अनुसमर्थन के लिए प्राप्त राज्य सभा सचिवालय की सूचना
श्री पी.सी. शर्मा (विधि और विधायी कार्य मंत्री) - अध्यक्ष महोदय, मैं संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक 2019, लोक सभा एवं राज्य सभा की कार्यवाहियां तथा उक्त संशोधन के अनुसमर्थन के लिए प्राप्त राज्य सभा सचिवालय की सूचना पटल पर रखता हूं.
11.23 बजे संकल्प
''यह सभा, भारत के संविधान के उस संशोधन का निम्नलिखित शर्त के अध्यधीन रहते
हुए अनुसमर्थन करती है जो संविधान के अनुच्छेद 368 के खण्ड (2) के परन्तुक के खण्ड (घ) की व्याप्ति के अंतर्गत आता है और संसद के दोनों सदनों द्वारा यथापारित संविधान
(एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक, 2019 द्वारा किए जाने हेतु प्रस्तावित है, अर्थात :-
संविधान के अनुच्छेद 334 के खण्ड (ख) के प्रावधान की अवधि
10 वर्ष और बढ़ाई जाए.''
श्री पी.सी. शर्मा (विधि और विधायी कार्य मंत्री) - अध्यक्ष महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि ''यह सभा, भारत के संविधान के उस संशोधन का निम्नलिखित शर्त के अध्यधीन रहते हुए अनुसमर्थन करती है जो संविधान के अनुच्छेद 368 के खण्ड (2) के परन्तुक के खण्ड (घ) की व्याप्ति के अंतर्गत आता है और संसद के दोनों सदनों द्वारा यथापारित संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक, 2019 द्वारा किए जाने हेतु प्रस्तावित है, अर्थात :-
संविधान के अनुच्छेद 334 के खण्ड (ख) के प्रावधान की अवधि 10 वर्ष और बढ़ाई जाए.''
अध्यक्ष महोदय - संकल्प प्रस्तुत हुआ. मेरी आप लोगों से प्रार्थना है कि अन्यथा न लें मेरी शब्दावली को कृपा पूर्वक अगर हम संक्षेप में कर दें तो बड़ी मेहरबानी होगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया) - अध्यक्ष महोदय, आपकी कोई शब्दावली अन्यथा नहीं ली जाती है. आप हमारे संरक्षक हैं लेकिन बहुत समय है विस्तार से चलने दीजिये इसमें संक्षेप का क्या है.
अध्यक्ष महोदय - लोक सभा एवं राज्य सभा में चर्चा हो चुकी है. अब तो सिर्फ इस प्रस्ताव की बाइंडिंग है कि हमको पास करना है. बाकी सभी सदस्यों ने लोक सभा, राज्य सभा में सब चर्चा कर ली.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, उसके बाद भी विचार व्यक्त करने के लिए इससे अच्छा फ्लोर मध्यप्रदेश में कहां है.
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, हम लोग कम से कम धन्यवाद तो प्रेषित कर लें.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद दे दीजिये न. नरोत्तम जी, आप मेरी तरफ मुखातिब हो, आप नूरानी चेहरा देखकर जब मुस्कुराते हो मैं बाकी विषय भूल जाता हूं. शर्मा जी को बोलने दीजिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा - धन्यवाद अध्यक्ष जी.
श्री गोपाल भार्गव - (मुख्यमंत्री जी के समक्ष अनेक सदस्यगण के खड़े होकर चर्चा करने पर) अध्यक्ष जी, बहुत महत्वपूर्ण विषय का अनुमोदन होना है.
मुख्यमंत्री (श्री कमल नाथ) - अध्यक्ष महोदय, मैं क्या करूं ? कोई उपाय है तो आप बताइये.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, आप क्या इतने मजबूर हैं मुझे नहीं लगता आप इतने मजबूर होंगे.
श्री कमल नाथ - अध्यक्ष महोदय, अगली दफा मैं उस तरफ भेज दिया करूंगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी यह कहना चाह रहे हैं कि कितने विधायकों के आप दबाव में हैं ?
श्री कमल नाथ - अध्यक्ष महोदय, मैं तो सबके दबाव में हूं मुसीबत तो यह है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आप रात को इसीलिये डिनर में नहीं गए ऐसा लग रहा है ? कोई डिनर था आप नहीं गए, ऐसी चर्चा है कि आप दबाव में हैं ?
श्री कमल नाथ - अध्यक्ष महोदय, नहीं ऐसी बात नहीं है. आई.ए.एस. का डिनर मैं होस्ट कर रहा था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मैं तो गोविंद सिंह राजपूत जी की कसम खाकर आपको कह सकता हूं.
श्री कमल नाथ - अध्यक्ष महोदय, मैं इस विषय पर कोई लंबी बात नहीं करना चाहता. सदन से यही प्रार्थना करता हूं कि यह जो संकल्प है यह हमारे लोक सभा और राज्य सभा ने पास किया है. सब दलों ने मिलकर विचार करके इसे पास किया है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यगण से अनुरोध है कि अपने स्थान पर विराजें. सदन के नेता अपनी बात बोल रहे हैं. व्यवस्था को व्यवस्थित करें. (कई सदस्यों के खडे़ होने पर)
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, हमारे संविधान के निर्माता ने 10 साल के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के आरक्षण का प्रावधान किया था उनकी मंशा, सोच थी कि इन 10 सालों में इनका उद्धार होगा. जो हमारा सबसे पिछड़ा, सबसे गरीब वर्ग है इनको उससे फायदा पहुंचेगा. पर यह किसी सरकार की या किसी पार्टी की बात नहीं है 70 साल हम सब मिलकर 10 साल इसे बढ़ाते रहे. 10 साल पूरे होते हैं. 10 साल बाद भी हम यहां बैठेंगे, आप होंगे मैं तो यहां नहीं होऊंगा.
श्री रामेश्वर शर्मा -- आप आइए, ऐसी क्या बात है.
अध्यक्ष महोदय -- अरे, वह विषय नहीं है. वह बोल रहे हैं कि हम यहां नहीं, दिल्ली में रहेंगे. (हंसी)
श्री कमल नाथ -- आप असली मायने तो समझे नहीं.(हंसी)
श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, बहुत से लोग दिल्ली भेजना चाहते हैं पर अभी क्यों दिल्ली जाएं, मध्यप्रदेश में आएं हैं तो मध्यप्रदेश में रहें.
अध्यक्ष महोदय -- अभी की नहीं, 10 साल बाद की बात हो रही है. (हंसी)
श्री कमल नाथ -- अध्यक्ष महोदय, सर्वसम्मति से हर 10 साल हम बढ़ाते गए. सबने महसूस किया कि इसकी आवश्यकता है और फिर से यह प्रस्ताव लोक सभा और राज्य सभा ने सर्वसम्मति से, बहुत कम चीजें होती हैं जो सर्वसम्मति से पास होती हैं. यह हमारे संविधान में संशोधन का ऐसा प्रस्ताव था कि सर्वसम्मति से पास हुआ. सबका मन, सबकी मंशा यही थी तो मेरा भी इस सदन से निवेदन है कि सर्वसम्मति से इसे पारित करें पर इस मौके पर एक बात जरुर कहना चाहूंगा कि जो हमारे ट्राइबल सब प्लान की योजना थी, जो इससे जुड़ी हुई थी इसे समाप्त किया गया. ट्राइबल सब प्लान और एससी सब प्लान. हम प्रस्ताव तो पास करेंगे पर साथ ही साथ हम केन्द्र सरकार से यह भी निवेदन करें कि मध्यप्रदेश पूरे देश भर में सबसे बड़ा हमारा ट्राइबल प्रदेश है. (मेजों की थपथपाहट) अगर सबसे ज्यादा कोई प्रदेश प्रभावित होता है यह ट्राइबल सब प्लान समाप्त होकर, तो यह मध्यप्रदेश होता है. हरियाणा को कोई फर्क नहीं पड़ता, पंजाब को फर्क नहीं पड़ता, अन्य प्रदेशों को फर्क नहीं पड़ता पर हमें बहुत फर्क पड़ता है तो हम केन्द्र सरकार से निवेदन करेंगे कि ऐसी कुछ योजना इस प्रकार की अगर नहीं हो सकती है तो कोई ऐसी योजना बनाएं जो ट्राइबल सब प्लान के मुकाबले में हो. अगर तब भी नहीं होता है तो मैं सदन को यह आश्वासन देना चाहता हॅूं कि हम राज्य में यह ट्राइबल सब प्लान लाएंगे, एससी सब प्लान लाएंगे (मेजों की थपथपाहट) ताकि हमारे यह दो वर्गों के साथ न्याय हो. मुझे पूरा विश्वास है कि पूरा सदन इससे सहमत होगा. (मेजों की थपथपाहट)
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो संविधान संशोधन हुआ है 10 वर्ष के लिये कार्यकाल बढ़ाया गया है जैसा कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने इसके पक्ष में अपना मत व्यक्त किया है, भारतीय जनता पार्टी और हमारा पूरा विधायक दल पुरजोर तरीके से इसके समर्थन में है. (मेजों की थपथपाहट) मुख्यमंत्री जी ने ट्राइबल सब प्लान के बारे में कुछ किन्तु, परन्तु लगाया, कुछ कहा. मैं सोचता हॅूं कि यह फ्रंट नहीं खुलता क्योंकि यह सिर्फ अनुमोदन ही होना था लेकिन यदि आपने इस बात को कहा है तो इस बात का संक्षिप्त उल्लेख मेरे कुछ सदस्य भी करेंगे. इसके अलावा जो भी इससे रिलिवेंट बातें हैं वह भी हमारे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के और सभी वर्गों के लोग अल्प समय में अपना विचार व्यक्त करेंगे और उसके बाद में हम सभी आम सहमति के साथ में इसका अनुमोदन करेंगे. इसका अवसर दें.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) -- धन्यवाद अध्यक्ष जी, सरकार को भी धन्यवाद कि उन्होंने भारत सरकार द्वारा पारित संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक, 2019 के अनुसमर्थन में यह संकल्प लाया है. अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हमारे प्रतिपक्ष के नेताजी ने भी कहा कि हम सब इसके समर्थन में हैं. हम सब इसका समर्थन करने के लिए यहां आए हैं, समर्थन करेंगे, किंतु अध्यक्ष महोदय, जो विधि और विधायी कार्य मंत्री जी ने संकल्प प्रस्तुत किया है, उससे इनकी नीयत और सरकार की नीयत साफ नहीं दिखती. आप कह तो रहे हैं कि संकल्प हम लाए हैं और अनुसूचित जाति और जनजाति के हमारे भाइयों का आरक्षण दस साल और बढ़ाने के लिए लाए हैं, किंतु क्या शर्त लगाकर, ऐसा होता नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि जरा इस संकल्प को पढ़िए, यह सभा, भारत के संविधान के उस संशोधन का निम्नलखित शर्त के अध्यधीन रहते हुए अनुसमर्थन करती है, गजब कर दिया, आपकी नीयत क्या है, तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री और विधि और विधायी कार्य मंत्री, डॉ. नरोत्तम मिश्र जी ने वर्ष 2009 में इसको प्रस्तुत किया था, मैं उसको पढ़ता हूँ, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूँ कि यह सदन भारत के संविधान में उस संशोधन का अनुसमर्थन करता है जो संविधान के अनुच्छेद 368 के खण्ड (2) के परन्तुक के खण्ड (घ) की व्याप्ति के अंतर्गत आता है और संसद के दोनों सदनों द्वारा यथापारित संविधान (एक सौ नौवां संशोधन) विधेयक, 2009 द्वारा किए जाने हेतु प्रस्तावित है. इतना ही पढ़ा जाना था, आपने इसमें परंतु लगा दिया. आपने शर्त लगा दी. आखिरकार सरकार चाहती क्या है, सरकार की नीयत क्या है, अध्यक्ष महोदय, यह आर्टिकल 368 का (2) (घ) है, इसमें बात बड़ी स्पष्ट लिखी है. जरा इसको मैं पढ़ता हूँ, यह अनुसमर्थन के बजाय दूसरा शब्द जो अंग्रेजी में है, वह ज्यादा क्लियर करेगा, The amendment shall also require to be ratified by the Legislature, ratification होगा, Yes or No में होगा. शर्तों से ratification नहीं होता. यदि ratify कर रहे हैं तो जैसा आया है वैसा ही संशोधन आपको मंजूर करना पड़ेगा. यह संकल्प एब-इनिशियो गलत है, प्रारंभिक रूप से ही गलत है और इससे आपकी मंशा समझ में आती है कि वास्तव में आप हमारे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भाइयों को 10 साल का जो आरक्षण, भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने सर्वसम्मति से पारित कराया है, उसको आप नहीं देना चाहते. (प्रतिपक्ष के माननीय सदस्यों द्वारा शेम-शेम के नारे लगाए गए). आप टालना चाहते हैं. आप उसमें कंडीशन लगा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, इसका इनको अधिकार नहीं है. जैसा कि अनुसमर्थन करना चाहिए, सीधा-सीधा, मंत्री जी आप भी बोल लीजिएगा, जब आप खड़े होंगे, मैं बैठ जाऊंगा, किंतु आप उत्तर के समय बोल लें. अब ये शर्त लगाकर क्या आप संविधान में संशोधन करना चाहते हैं ? कुल मिलाकर इस कानून को ठीक से पढ़ा नहीं गया है और बिना पढ़े यह संकल्प प्रस्तुत कर दिया. अत: मेरा पहला अनुरोध तो यही है कि इसमें से शर्त हटाकर दूसरा संकल्प लाएं. मैं एक बात कहना चाहता हूँ, अब थोड़ा विषयान्तर होगा, आप टोक देंगे. इसलिए अभी से मैंने भूमिका, जैसे आपने बनाई थी कि भैय्या, कम बोलना, ऐसे ही मैंने भी अध्यक्ष जी, भूमिका बना ली.
अध्यक्ष महोदय -- पर विषय तक सीमित रहना.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- विषय तक रहेंगे, पर वह थोड़ा घूम के आएगा. आएगा वही. यह सरकार कन्फ्यूज करती है, यह जनता को जान-बूझकर गुमराह करती है, जैसे नागरिकता संशोधन अधिनियम.
अध्यक्ष महोदय -- उसको क्यों ?
डॉ. सीतासरन शर्मा -- नहीं, मैं क्लियर करना चाहता हूँ, उसी से संबंधित है वह, उसमें कहीं भारत के नागरिक का उल्लेख ही नहीं है. वह तो बाहर के नागरिकों के लिए है. वह नागरिकता देने के लिए है, नागरिक के लिए नहीं है. यहां देश भर में चिल्ला रहे हैं कि तुमको बाहर कर देंगे, बाहर कर देंगे. अद्भूत हैं ये सामने बैठे लोग, ये समझते ही नहीं कुछ, अरे भई, पढ़ा लिखा करो. ...(व्यवधान)...
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल) -- अध्यक्ष महोदय, मतलब पूरे देश के लोग, पूरे नौजवान, जो आंदोलन कर रहे हैं, पूरे देश में तबाही जैसा माहौल बना हुआ है, क्या कोई पढ़ा-लिखा नहीं है? क्या वह देश के संविधान को नहीं समझता है?...(व्यवधान)...
पिछड़ा वर्ग एवं अल्प संख्यक कल्याण मंत्री (श्री आरिफ अकील) -- अध्यक्ष महोदय, जो विषय है..(व्यवधान)...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- आरिफ जी, विषय पर आ गया.
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री (श्री आरिफ अकील) -- शर्मा जी, आप सब को बुलाओ ना. चिह्न- चिह्न कर मत बुलाओ.
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, गुलेल मत चलाओ. विषय वस्तु पर रहने दीजिये मेहरबानी करिये. आपने धीरे से गुलेल चला दी असल में.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो सिर्फ यह बता रहा था कि ये कैसे घुमाते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- वह तो ठीक है, पर वह गुलेल मत चलाइये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही यह समर्थन के बहाने से आपने कैसा घुमा दिया, शर्त लगा दी इसमें. मंत्री जी, इसको संशोधित कराइये. अच्छा, आपने शर्त लगा दी, तो आपने क्या दिल्ली वालों से पूछा था. यह बहस रखी है वहां की. लोकसभा में तो कोई संशोधन पेश ही नहीं हुआ इसमें. अधीर रंजन जी से पूछ लेते, अपने नेता से.
श्री विश्वास सारंग -- उनसे कैसे पूछ लेते. नेता वे कहां हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- तो कौन है नेता.
श्री विश्वास सारंग -- यह तो ये बतायेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- जितनी चाबी भरी.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- राज्यसभा में पीएल पुनिया साहब ने, मैं उसको पूरा पढ़ नहीं पाया हूं, इसलिये कहीं मिस्टेक हो, तो अध्यक्ष जी क्षमा करेंगे. यह एक एंग्लो इण्डियन के संबंध में किया था, वह है तो (ख), जो आप लाये हो. शर्त आपने जो लगाई है, वह यही है ना, 334 की (ख) की.
श्री पी.सी. शर्मा -- आपने जो इंग्लिश में कहा..
डॉ. सीतासरन शर्मा -- रेटीफाइड.
श्री पी.सी.शर्मा -- रेटीफाइड, तो यह अब आप ही समझाओ.
..(हंसी)..
श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, विधि मंत्री जी को समझ में ही नहीं आ रहा है, वे पूछ रह हैं कि आप ही समझाओ, उसका अर्थ.
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी विद्वान हैं, आप लोगों को सपोर्ट करने की जरुरत नहीं है. वह हर चीज को रेक्टीफाई कर देंगे.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष जी, आप किस शर्मा जी की बात कर रहे हैं. उस शर्मा जी की या इस शर्मा जी की. आप किस शर्मा की बात कर रहे हैं, उनकी या इनकी.
अध्यक्ष महोदय -- विश्वास जी, आप रेक्टीफाई छोड़िये, वह रेक्टीफिकेशन कर देंगे. आप बिराजिये.
श्री विश्वास सारंग -- विधि मंत्री जी शर्मा जी से पूछ रहे हैं कि आप ही बताओ.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, सीतासरन जी तो कांस्टीट्यूशन के मामले में भी डॉक्ट्रेट किये हुए हैं.
श्री विश्वास सारंग -- सीतासरन जी, बताइये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, जरा सा फर्क है रेक्टीफिकेशन और रेटीफिकेशन में.
श्री पी.सी.शर्मा -- विश्वास जी, यह दो शर्माओं के बीच में आप मत बोलो. ..(हंसी)..
श्री विश्वास सारंग -- अब दो होशंगाबाद वालों के बीच में मामला है. आज कल आप भी वहीं हो और ये भी वहीं के हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, रेटीफिकेशन यानि जैसा की तैसा. अन कंडीश्नल रेटीफिकेशन होता है. आप जरा सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले देख लीजिये. जब वह पिछले फैसले के पक्ष में लिखते हैं, तो लिखते हैं कि रेटीफाइड. यदि संशोधन करते हैं तो नहीं लिखते हैं. यदि परन्तुक या शर्त लगाते हैं, तो नहीं लिखते हैं रेटीफिकेशन. फिर वह उनका अपना फैसला हो जाता है. तो आप यह भारत के संविधान 126वें का समर्थन करने बैठे हैं या उसको संशोधित करने बैठे हैं. आप इसको टालना तो नहीं चाहते हैं. आप क्या चाहते हैं. अध्यक्ष महोदय, अब मैं 2-3 विषय और छोटे छोटे हैं. यह बात सही है कि 70 वर्षों में..
(श्री आरिफ अकील द्वारा बैठे बैठे अध्यक्ष महोदय से कहने पर कि इनको कितना मौका देंगे. )
डॉ. सीतासरन शर्मा -- आरिफ भाई, अभी 4-5 मिनट तो हुए हैं. कभी कभी तो मौका मिलता है.
अध्यक्ष महोदय -- आरिफ भाई, देखो होशंगाबाद के पंडित जी बोल रहे हैं. संक्रांति पर्व गया है. आप शांति से बैठियेगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष जी, अब थोड़ी सी बात है. अब ज्यादा बात नहीं है.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष जी, हम खाली बैठे रहें. पंडित जी अकेले संक्रांति के लड्डू खा रहे हैं. यह भी तो अन्याय है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं,नहीं,आप सबको पंडित जी तिल्ली के लड्डू बांटेंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- आरिफ भाई , आपको भी समय मिलेगा लड्डू खाने का भी और लड्डू बांटने का भी.
श्री आरिफ अकील -- नहीं नहीं, लड्डू बांटने का. आप संक्रांति का बोल रहे हैं ना उसका कह रहा हूं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं लम्बी बात नहीं करुंगा. यह बात सही है कि 70 वर्षों में हमारे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के भाइयों ने प्रगति की है, किन्तु हर 10 वर्ष बाद जब इसकी समीक्षा करने का अवसर आया, यह पाया गया कि अभी भी हम बराबरी पर नहीं आये हैं. इसलिये बीच- बीच में और व्यवस्थाएं भी कीं. लोकसभा और विधान सभाओं में तो 10-10 साल का 1950 से चला आ रहा है. किन्तु जब यह देखा गया कि यह सिर्फ लोकसभा और विधानसभा में रिप्रजेंटेशन देने से काम नहीं चलेगा,तो उसको नगरपालिकाओं में और ग्राम पंचायतों में भी लाये. वहां भी रिप्रेजेंटेशन हो, इसकी व्यवस्था अनेक सरकारों ने अपने-अपने टाइम में की. इससे यह बात जाहिर हुई कि सारा समाज या सारा राष्ट्र हमारे उन भाइयों को, जो किसी कारण से पूछे छूट गये थे, उनको बराबरी पर लाने के लिये कृतसंकल्पित है. अध्यक्ष महोदय किंतु यह बात भी चिंता की है कि 35 साल में बम गिरने के बाद में जापान बन गया लेकिन हम 70 साल में अपने साथियों को बराबरी पर नही ला पाये हैं और इस कारण से कवि नीरज को लिखना पड़ा कि तेरी पीड़ा का मुझ पर हो कुछ असर ऐसा कि तू भूखा रहे तो मुझसे भी न खाया जाय. यह हमारा समाज तो ऐसा है, हम सोचते हैं, किंतु हम 70 साल में बराबरी पर नहीं ला पाये हैं. मेरा कहना है कि कहीं न कहीं पर सिस्टम में गड़बड़ी है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी उस ओर इंगित किया है. हम सबको इस सभा में विचार करना चाहिए कि यह क्या कारण हैं कि आज भी इसको लाने की आवश्यकता पड़ रही है. वह दिन कब आयेगा कि जब यह हमारे भाई खुद बोलेंगे कि नहीं, अब हमें जरूरत नहीं है, हम तुमसे आगे हो गये हैं. आखिर यह समय कब आयेगा, 100 साल आजादी को होने वाले हैं, आजादी की पूरी शताब्दी बीतने वाली है, इस पर हमें विचार करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि हमारी संस्कृति आजकल वामपंथियों का बहुत जोर है, संस्कृति को मानते नहीं है. अभी लोक सभा में जो डिबेट हुई है उसमें एक सज्जन कहते हैं कि मैं तो नास्तिक हूं, होंगे, नास्तिक भी हमारे धर्म में मान्य हैं. हमारी संस्कृति में पहले से ही जो पीछे रह गये हैं उनको आगे लाने की व्यवस्था है. भगवान श्रीराम ने सबरी के झूठे बेर खाये थे, यह भारत की संस्कृति है, हम यह कोई नया काम नहीं कर रहे हैं, उस परंपरा को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आगे बढ़ाया है जब उन्होंने इलाहाबाद के कुंभ के मेले में सफाई कर्मचारियों के पैर धोये थे जिन्होंने टीवी पर देखा होगा वह आश्चर्यचकित हो गये होंगे. भारत के प्रधानमंत्री जी ने हमारे उन सफाई कर्मचारी भाईयों का सबसे बड़ा काम किया है, लेकिन उन्होंने नहीं किया है जो कथा कहकर चले गये हैं, उन्होंने नहीं किया है जो नहाकर चले गये या सुनकर चले गये, आपने इस जगह को स्वच्छ रखा, शुद्ध रखा है इसके लिए हम आपको नमन करते हैं, तो प्रधानमंत्री जी ने उनके पैर धोये और तौलिये से पोछे हैं, यह पूरे देश ने देखा है.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने भी इसलिए हमने अंत्योदय समिति बनाई थी मंत्री जी आपको मालूम है.
श्री कमलेश्वर इन्द्रजीत कुमार -- (X X X)
श्री रामेश्वर शर्मा -- (X X X)
अध्यक्ष महोदय -- यह कमलेश्वर जी और रामेश्वर जी जो बोल रहे है यह कुछ नहीं लिखा जायेगा. शर्मा जी कृपा पूर्वक अब समाप्त करें 5 - 6 नाम आ गये हैं आपकी तरफ से.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय आप बहुत अच्छा बोल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- तौ मैं बाकी नाम का क्या करूं.
श्री विश्वास सारंग -- दिन भर विधान सभा चलना है. इतना अच्छा ज्ञान वर्द्धक बोल रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- विश्वास भाई गोपाल भाई इतना अच्छा बोल रहे हैं वामपंथी से शुरू होकर नरेन्द्र मोदी जी सफाई कर रहे हैं वहां पर आ गये हैं, कोई तारतम्य नहीं है..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- तो सज्जन भइया इसमें बुराई क्या है, देखिये वह फेक्ट हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- (X X X )
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया --(X X X )
श्री सज्जन सिंह वर्मा --(X X X )
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया --(X X X )
श्री रामेश्वर शर्मा -- (X X X )
अध्यक्ष महोदय -- ये जो भी मेरी बिना अनुमति के बोले हैं वह कुछ भी रिकार्ड में नहीं आयेगा. शर्मा जी प्रार्थना है आपके दल से काफी लोगों के नाम हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा - रिलेवेंट है इररिलेवेंट नहीं है माननीय मंत्री जी. अध्यक्ष महोदय, अब आप जल्दी-जल्दी कर रहे हैं बात तो और थी.
अध्यक्ष महोदय - इतने लोगों के नाम हैं. फिर मेरी बात बुरी लग जायेगी. अच्छा हो एस.सी./एस.टी. सदस्य बोलें.
लोक निर्माण मंत्री(श्री सज्जन सिंह वर्मा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, ये किताब पटल पर रखवा लो.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मेरा जहां तक सोचना है यदि अन्य वर्ग के सदस्य भी बोलेंगे तो उसमें और ज्यादा मजबूती आयेगी.
अध्यक्ष महोदय - मुख्यत: वह बोलें.
श्री विश्वास सारंग - समरसता का भाव.
अध्यक्ष महोदय - अरे भाई, मुझे मत सिखाओ.(..व्यवधान..) कार्य मंत्रणा समिति में 1 घंटे का समय निर्धारित हुआ है. मेरे को वह चीज भी देखनी है. जो माननीय सदस्य मुझे बोल रहे हैं वे भी कार्यमंत्रणा समिति में थे. उन्होंने ही निर्धारित किया है. मेहरबानी करके अपने दायरे में रहिये. शर्मा जी, अब अंत करिये मुझे दूसरा नाम पुकारना है.
डॉ.सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं दो मिनट में अंत कर देता यदि यह परंतुक न लगाया होता आपने.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई शर्मा जी.
डॉ.सीतासरन शर्मा - यह शर्त क्यों लगाई आपने और इसीलिये समझाना पड़ेगा कि भईया हो जाने दो दादा. हो जाने दो यह दस साल मेहरबानी करो हम सब पर और इस राष्ट्र पर और उन भाईयों पर जो पीछे रह गये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - आपकी बात मंजूर. पूरा सदन मान रहा है काहे को भाषण दे रहो हो भाई.
डॉ.सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, विसंगतियों के बारे में कहना चाहूंगा. मैं बैठ जाता हूं अगर वह बोल दें कि वह शर्त वापस से रहे हैं. आपने यह शर्त लगाकर किया है .इस शर्त के साथ, इस शर्त के अध्यधीन, यह शर्त हटाईये आप. आप जैसा है वैसा पास करिये. कुछ विसंगतियां हैं. मैं, 2009 में रामनिवास रावत जी ने जो भाषण दिया था उस की बात करता हूं. हमारे रजक समाज,मीना समाज,कीर,कुम्हार कुछ क्षेत्रों में हैं कुछ में नहीं. सर्टिफिकेट कहीं का होता है चुनाव लड़ते कहीं से हैं. कई बार सर्टिफिकेट इधर-उधर से बनवाना पड़ता है चुनाव लड़ने के लिये. तो कुल मिलाकर इस विसंगति को दूर होना चाहिये. हमने इस विधान सभा में संकल्प भी पारित किये हैं. हमारे पड़ोस की बेटी होशंगाबाद आती है तो उसके बेटे को ओबीसी का सर्टिफिकेट मिलता है, कीर समाज की जनजाति को, रजक समाज में भी ऐसा ही है और यहां से वहां जाती है तो उसके बेटे को आरक्षण मिल जाता है क्योंकि अनुसूचित जनजाति में है. माझी, कुम्हार, रजक सबमें है. दो बार यह मामला हाईकोर्ट में आया है.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, प्रजापति समाज का भी वही मामला है.
अध्यक्ष महोदय - विश्वास जी, ऐसा है प्लीज, मैं आपसे अब प्रार्थना कर लूं. हम भी सुन रहे हैं. शर्मा जी, ये जितनी आपकी बात आ रही है यह भी हम ऊपर अग्रेषित कर देंगे तो उस शर्त में यह भी जुड़ जायेगा.
डॉ.सीतासरन शर्मा - नहीं, शर्त में नहीं जोड़ना है.
अध्यक्ष महोदय - जुड़ जायेगी.
डॉ.सीतासरन शर्मा - एंग्लो इंडियन के बारे में अपने भाषण में बोलते तो हमें ऐतराज नहीं था.
अध्यक्ष महोदय - अच्छा है आपका यह सुझाव भी चला जायेगा.
डॉ.सीतासरन शर्मा - सौगत राय जी ने दिल्ली में तो उसी पर भाषण दिया. उन्होंने तो अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति पर कुछ बोला ही नहीं. आप जरा लोक सभा की कार्यवाही पढ़ लीजिये.
अध्यक्ष महोदय - सब पढ़ लिया पंडित जी.
डॉ.सीतासरन शर्मा - आप यदि भाषण में कहते कि उनको देना है. "ख" को भी संशोधित करो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं आप तो संकल्प ही ले आये. यह गलत किया.
श्री गोपाल भार्गव - जब ट्रायवल सबप्लान की चर्चा सदन के नेता मुख्यमंत्री जी कर चुके तो थोड़ा सा इस तरफ भी छूट दे दें.
अध्यक्ष महोदय - पंडित जी तो गंगा तक पहुंच गये.
डॉ.सीतासरन शर्मा - बेकलाग के पद नही भरे गये हैं. इनकी ओर भी सरकार ध्यान देगी. एक आखिरी बात हमारे आदिवासी भाईयों के लिये और यह बात मैं मेरी ओर से नहीं कह रहा हूं. 1973 में कार्तिक ओराव ने और मध्यप्रदेश के ही मंगल उईके साहब ने जो बसंत राव उईके हैं शायद आपके अच्छे परिचित भी रहे हो उनके पिता थे, मंडला से सांसद थे. उन्होंने यह कहा था कि जो लोग अब यह शहर छोड़कर और कनवर्सन होकर शहरों में बस गये हैं उनको यह लाभ नहीं दिया जाना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, क्या इस पर विचार होगा ? लोक सभा में कांग्रेस के सांसद ने इसका विरोध किया था. आपसे अनुरोध है कि आप वह लोक सभा की डिबेट निकलवाकर तो देखिये. इसमें जो मूल लोग हैं, अनुसूचित जनजाति के लोगों को क्यों दे दो, जंगलों में पहाड़ों में, दुर्गम स्थानों में रहते हैं, वहां शिक्षा और स्वास्थ की व्यवस्था नहीं थी. अब जो लोग 2-2 पीढ़ी से रह रहे हैं वहां शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था हो गई तो फिर उनको क्यों ? मैं भारत सरकार को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने 126वां संविधान संशोधन विधेयक लाकर 10 वर्ष के लिये हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के भाईयों के लिये लोक सभा और विधान सभा में आरक्षण बढ़ाया है और मध्यप्रदेश की सरकार से जिन्होंने इस अनुसमर्थन के संबंध में यह संकल्प लाये हैं, यह अनुरोध करता हूं कि संकल्प में से यह शर्त हटायें और जैसा लोक सभा और राज्य सभा ने पारित किया है वैसा का वैसा यहां पारित करें, उसका समर्थन करें. धन्यवाद, अध्यक्ष जी.
श्री कांतिलाल भूरिया (झाबुआ)-- माननीय अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद. ...(शोरगुल)...
अध्यक्ष महोदय-- सभी लोग शांति रखें. माननीय सदस्य जो बोलते हैं उनको कृपापूर्वक सुने.
श्री कांतिलाल भूरिया-- माननीय अध्यक्ष जी, आपका आभार व्यक्त करता हूं क्योंकि मैं 22 साल बाद विधान सभा लौटा हूं. पुरानी विधान सभा में भी मैं रहा और इस विधान सभा में भी मैं रहा, इस पक्ष में, इधर ही बैठकर, उधर नहीं गया था, मैं आज भी इधर ही आया हूं, क्योंकि हमारे मुख्यमंत्री जी ने बहुत सारी चीजें क्लीयर कर दी हैं और इस बात को माननीय शर्मा जी ने घुमा फिराकर बहुत सारी बातें की हैं.
11.52 बजे उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कांवरे) पीठासीन हुईं.
मैं हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की प्रेरणा से जवाहर लाल जी नेहरू ने बाबा साहब अंबेडकर को संविधान निर्माता बाबा साहब को उन्होंने अध्यक्ष बनाकर संविधान का निर्माण करवाया और दूरदृष्टि और पक्के इरादे के साथ बाबा साहब ने हमारे शोषित, पीढि़त, दलित आदिवासी भाईयों को संविधान में हक दिया. अगर यह व्यवस्था नहीं होती तो यह XX इस समाज को कहां ले जाकर छोड़ते उसका अंदाजा नहीं लगा सकते थे.
उपाध्यक्ष महोदया-- इसको विलोपित करें.
श्री कांतिलाल भूरिया-- यह तो कांग्रेस की देन है कि इस संविधान में व्यस्था करके अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को व्यवस्था दी है, इस कारण मैं आज बाबा साहब के समर्थन में आज यहां खड़ा होकर बोल रहा हूं. जैसा कि शर्मा जी ने कहा कि पार्लियामेंट में, पार्लियामेंट में भी यह सारी चीजें हमने कीं हैं, आपने उसे मिटाने का काम किया है, आज जो हो रहा है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- लेकिन बाबा साहब को आपने लोक सभा में जीतकर नहीं आने दिया. जिन बाबा साहब की दुहाई दे रहे हो उन बाबा साहब को आपने जीतकर नहीं आने दिया.
श्री कांतिलाल भूरिया-- आपको मौका मिलेगा, आप बाद में बोलिये. आप इस तरह से टोका-टाकी न करें. ...(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदया-- आदरणीय भूरिया जी के अलावा किसी और का न लिखा जाये.
श्री कांतिलाल भूरिया-- आप सुनिये, हम इस विधान सभा में भी रहे हैं और देश की पार्लियामेंट में भी रहे हैं, पर इस तरह की हरकत हमने कभी नहीं देखी. नरोत्तम मिश्रा जी, आप उनकी (डॉ. सीतासरन शर्मा) कुर्सी को थोड़ा चेक करवाइये कि बार-बार क्यों उठ रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष जी, एक नारा किसानों का यूरिया के लिये आजकल चल रहा है, वह कहते हैं कि जब तक संकट दूर नहीं होगा भूरिया का, तब तक संकट दूर नहीं होगा यूरिया का. ...(हंसी)...
श्री कांतिलाल भूरिया-- मिश्रा जी, जब से कांतिलाल भूरिया आया है तो लोगों ने कहा कि खेत-खेत में यूरिया, गली-गली में भूरिया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- हम तो यह कह रहे हैं कि आपका संकट दूर हो जाये. आप तो अपना संकट दूर करवा लो बस. हम तो आपके साथ हैं, आप तो शपथ लो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- यह तो चुनावी नारा था, चुनाव गया, यूरिया गया.
श्री कांतिलाल भूरिया-- उपाध्यक्ष जी, बार-बार इशारा कर रही हैं. मेरा समय इधर बर्बाद हो रहा है. आज जो संविधान का प्रस्ताव यहां रखा है उसको पास करना है, यह सर्वसम्मति से हो गया है, यह बहुत अच्छी परंपरा के साथ हुआ है और इस बात को आप देखें कि हमारे कांग्रेस के नेताओं ने यह अधिकार दिया है और यह अधिकार निरंतर चल रहा है, आज 10 साल और बढ़ जायेगा. जब मैं पार्लियामेंट में था उस समय अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी. उसको खत्म करने के लिये हमने महात्मा गांधी के सामने धरना दिया था, वह सरकार इसे खत्म करने की बात कर रही थी, संविधान संशोधन करने की बात कर रही थी. हमने धरना किया कि हमारा दस साल और बढ़ेगा और आखिर में बढ़ाना पड़ा. वह परंपरा चली आ रही है, उसको बढ़ाना है, यह किसी ने कहीं कोई कृपा नहीं की है, यह तो हमारा अधिकार है और हम अधिकार के साथ इसको लेंगे. यह सारी चीजें हैं, आज इस तरह से होकर यह सारी चीजें हुई हैं.आज जिस तरह से मुख्यमंत्री जी ने कहा है आज ट्रायबल सब प्लान, ट्रायबल सब प्लान आदिवासी क्षेत्रों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिये बना है, पर केंद्र सरकार और वर्तमान सरकार ने उसको खत्म कर दिया है. जब मैं भी ट्रायबल वेलफेयर मिनिस्टर था, तब मैं हर राज्य में पांच सौ से हजार करोड़ रूपये भेजता था, उसमें रोड, स्टाप डेम, तालाब और आदिवासी क्षेत्रों का विकास होता था, परंतु यह ट्रायबल सब प्लान केंद्र सरकार ने जब से खत्म किया है, तब से आज आदिवासी क्षेत्रों में सड़कें रिपेयर नहीं हो पा रही हैं. आज पहाड़ी कोरबा जो उस समय था, वहां पर रोड नहीं था, हमने पहाड़ के ऊपर रोड ले जाकर स्वास्थ्य के मामले में उनको आत्मनिर्भर बनाया है, वह कांग्रेस पार्टी है. आज हमारी केंद्र सरकार ने ट्रायबल सब प्लान खत्म कर दिया है, आज हमारे गांव में कोई बिजली के बिल नहीं भर पा रहे हैं, यह हालत कर दी है, यह सारी चीज हैं. विपक्ष के नेता यहां पर बैठे हैं और श्री शर्मा जी आपसे अनुरोध करता हूं आपने बहुत सारी चीजें कहीं हैं, हम भी आपकी सरकार से कहेंगे कि आपके लोग कह रहे हैं उनको आप जोड़े जो मुद्दे जुड़वाना चाहिये और ट्रायबल सब प्लान फिर से शुरू करें, नहीं तो केंद्र सरकार ने आदिवासियों के साथ बहुत बड़ा घोर अन्याय किया है, इस बात को आपको समझना पड़ेगा, आपको बताना पड़ेगा. हम माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी से बात करेंगे कि इस प्रकार से (XXX). आज आप हमारे एम.पी.पी.एस.सी. में देखें, (XXX). एम.पी.पी.एस.सी. में किस तरह से आदिवासी समाज को अपमानित करने का काम किया है. इधर भी एम.पी. बैठ हैं, उधर भी बैठे हैं, आज जितने भी आदिवासी बच्चे एम.पी.पी.एस.सी. में बैठे थे, वह बेचारे बहुत शर्मिंदा हैं, बहुत आक्रोशित हैं, वह पेपर हल नहीं कर पाये, इतना गुस्सा आया लोगों में, इतना गुस्सा आया है. इस तरह से यह जो (XXX) आयोग के अध्यक्ष भास्कर चौबे और रेणु पंत हैं, उनके खिलाफ सरकार कार्यवाही करे (व्यवधान).....
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह (XXX) शब्द कहां से आ गया है, इसको आप विलोपित करवाईये.केंद्र सरकार ने वृद्धि की है, इसमें (XXX) कहां से आ गया.... (व्यवधान).....
श्री कांतिलाल भूरिया -- अनुसूचित जाति एक्ट है,एट्रोसिटी एक्ट है, उसको उनके ऊपर लागू करें, यह हमारी मांग है, पर मैं ज्यादा न कहते हुये संविधान के एक सौ छब्बीसवें संशोधन के समर्थन में खड़ा हुआ हूं..... (व्यवधान).....
श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया, आप व्यवस्था दे दीजिये. ..... (व्यवधान).....
उपाध्यक्ष महोदया -- भूरिया जी कृपया आप बैठ जाईये (व्यवधान).....
श्री कांतिलाल भूरिया -- यह हक हमारा है, उसको हम लेकर चलेंगे. (व्यवधान).. आप लोग हमारे ऊपर कोई मेहरबानी नहीं कर रहे हैं, कोई कृपा नहीं कर रहे हैं, यह हमारा अधिकार है, यह अधिकार संविधान ने बाबा साहब ने दिया है, .. (व्यवधान)..मैं आपसे अनुरोध करता हूं .. (व्यवधान).
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह समाज में विद्वेष घोलने का काम कर रहे हैं. आप इसका पूर्णतया विलोपन करवायें. .. (व्यवधान).
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारे आदिवासी नेता को बोलने नहीं दिया जा रहा है. इससे ज्यादा अपमान क्या हो सकता है ? आप इनको बोलिये यह सब बैठे जायें और उनकी बात सुने. .. (व्यवधान).
उपाध्यक्ष महोदया --(एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने आसन पर खड़े हो जाने पर) माननीय नेता प्रतिपक्ष जी खड़े हैं, आप सभी बैठ जाईये. .. (व्यवधान).
श्री कांतिलाल भूरिया -- हमको इनकी किसी प्रकार की कृपा नहीं चाहिये, इन्हीं शब्दों के बहुत-बहुत धन्यवाद .. (व्यवधान).
श्री विश्वास सारंग -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह आपत्तिजनक है इसको विलोपित करवाया जाये. .. (व्यवधान).
उपाध्यक्ष महोदया -- आप सभी बैठ जाईये नेता प्रतिपक्ष जी खड़े हैं. ( कई माननीय सदस्यों के एक साथ अपने आसन पर खड़े हो जाने पर नेता प्रतिपक्ष की ओर देखकर) यह आप सभी क्या कर रहे हैं, आप इन सभी को इशारा करके बैठाईये. .. (व्यवधान).
श्री रामेश्वर शर्मा -- (XXX) ... व्यवधान.
जनजातीय कल्याण मंत्री ( श्री ओमकार सिंह मरकाम) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह (XXX) बोलने नहीं दे रहे हैं.. (व्यवधान).
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री रामेश्वर शर्मा जी की कोई बात नोट नहीं होगी. श्री मरकाम जी आप बैठ जायें और इस शब्द को कार्यवाही से विलोपित कर दें.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, एक आदिवासी नेता को इस हाउस के अंदर बोलने नहीं दिया जा रहा है, यह इनकी कथनी और करनी है. .. (व्यवधान).
उपाध्यक्ष महोदया -- कृपया आप बैठ जायें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जी यह एकलव्य के समय से अन्याय करते आये हैं, यह बतायें कि वह कौन सा समय था, जब हम लोगों को स्कूल में घुसने नहीं दिया जाता था. .. (व्यवधान).
उपाध्यक्ष महोदया -- ओमकार भाई आप बैठ जायें. .. (व्यवधान).
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जैसा कि आसंदी से.. (व्यवधान).
श्री इंदर सिंह परमार -- माननीय मंत्री जी 70 साल से देश में कांग्रेस का राज रहा है. (XXX) जेल खोलने का काम आपकी पार्टी ने किया है. (व्यवधान).
श्री पांचीलाल मेड़ा - आपकी पार्टी ने समाज को बांटने का काम किया है, जेल खोलने का काम किया है.
उपाध्यक्ष महोदया - आप बैठ जाइये.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, ...(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया - मेड़ा जी, कृपया बैठ जाइये. मेड़ा जी आपकी कोई बात नोट नहीं होगी.
श्री पांचीलाल मेड़ा - (XXX)
श्री गोपाल भार्गव - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जैसे कि अपनी बात कार्यमंत्रणा में तय हुई थी, मैं उस पर नहीं जाना चाहता हूँ. यह तो विषय से भटक गए हैं. यह तो आरक्षण है, विधान सभा और लोक सभा में सदस्यों के लिये 10 वर्षों के लिये है. अब अगर हम इसमें एमपीपीएससी की बात करेंगे कि उसमें कौन है, कौन नहीं है, किस वर्ग का है, कब और किसके द्वारा नियुक्त किया गया है, जो वर्तमान में सरकार के द्वारा कहा गया. हम इसकी गहराई में नहीं जाना चाहते हैं, मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया - (श्री ओमकार सिंह मरकाम के खड़े होने पर) माननीय मंत्री जी, आप कृपया बैठ जाइये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - हमारे नेता को अधिकार है, अपनी बात रखने का. यदि एमपीपीएससी में हमारी एक जाति पर विशेष टिप्पणी अगर किसी ने की है तो हमारे लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार है.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय मंत्री जी, कृपया बैठ जाइये.
श्री गोपाल भार्गव - आप ऐसा वक्तव्य देकर यहां इसको पारित कराने में अड़ंगा लगाना चाहते हैं क्या ?
उपाध्यक्ष महोदया - (श्री ओमकार सिंह मरकाम के खड़े होने पर) नेताजी आपकी बात आ गई है. कृपया विषय पर रहें.
श्री गोपाल भार्गव - उपाध्यक्ष महोदया, भूरिया जी मेरे साथ लम्बे समय विधायक रहे हैं.
(..व्यवधान..)
श्री ओमकार सिंह मरकाम – (XXX)
श्री गोपाल भार्गव - और मुझे मालूम है कि भूरिया जी विषय से हटकर बोलते हैं. मुझे यह भी मालूम है, इसलिए जो भी विषय से हटकर बोले हैं, जो रिलेवेंट नहीं है, उसको आप कार्यवाही से निकलवाएं. यह घोर आपत्तिजनक है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, जब पूर्व विधान सभा अध्यक्ष ने नरेन्द्र मोदी जी के बारे में सफाई के बारे में बोला तो क्या एससी, एसटी कम्युनिटी के साथ एक दिन पैर-हाथ धोने से या उनके साथ फोटो खिंचवाने से इस समस्या का निदान हो जायेगा. क्या यह माननीय पूर्व विधान सभा अध्यक्ष को यहां बोलना जरूरी था ? और आरक्षण पर पुनर्विचार करने की बात इस देश के अन्दर कौन कर रहा है, यह किसने शुरू किया कि आरक्षण के ऊपर पुनर्विचार करना चाहिए ? नागपुर से इनका एजेण्डा चलता है कि आरक्षण के ऊपर पुनर्विचार करना चाहिए.
श्री गोपाल भार्गव - उपाध्यक्ष्ा महोदया, माननीय डॉ. साहिबा मंत्री जी, फिर लग रहा है कि आप विषयांतर हो रही हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - विषयांतर हम नहीं हुए हैं, बात तो करनी पड़ेगी. जब आप कहने की क्षमता रखते हैं तो सुनने की क्षमता भी रखिये.
श्री गोपाल भार्गव - उपाध्यक्ष महोदया, यदि इस पर चर्चा करवाना हो तो हम एक सप्ताह तक बैठकर चर्चा करवाने के लिए तैयार हैं. यदि यही सब होना है तो हम एक हफ्ते तक चर्चा करवाने के लिये तैयार हैं. यह किसने किया, क्या किया, इसकी पृष्ठभूमि में जाना है तो फिर हम इसके बारे में कहना चाहते हैं कि इस विशेष सत्र की अवधि बढ़ाकर इस पर चर्चा करवायें. हम इस पर चर्चा करवाएंगे. हम कटघरे में खड़ा करेंगे कि (XXX).
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - माननीय नेताजी इधर चर्चा कराने की आवश्यकता नहीं है. इसमें आप यह कमिट कर रहे हैं कि आपके नेताओं ने यह नहीं कहा कि संविधान की फिर से समीक्षा करें, आरक्षण की फिर से समीक्षा करें.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - जो बात नहीं कही हो, वह बोल दें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - आप आगे खड़े होकर बोल दो तो आपको ज्यादा चर्चा का...(व्यवधान) आपको ज्यादा बहस करने की जरूरत नहीं है.
श्री रामेश्वर शर्मा - आपको किसी ने नहीं कहा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मोहन भागवत से लेकर तमाम लोगों ने, नरेन्द्र मोदी, मोहन भागवत ने संविधान ....(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया - मंत्री जी, आप बैठ जाइये. आप लोग आपस में इस तरह से क्यों बात कर रहे हैं ?
श्री विश्वास सारंग - इधर असत्य की राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए कुछ नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदया - विश्वास जी, कृपया बैठ जाइये. श्री राम दांगोरे जी, आप कृपया संक्षेप में अपनी बात रखें, इसलिए आपको पहले ही बता दिया कि बीच में न टोकना पड़े.
श्री राम दांगोरे (पंधाना) - उपाध्यक्ष महोदया, धन्यवाद, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को लेकर के भारत सरकार ने जो प्रस्ताव पास किया है, उनको बहुत बहुत साधुवाद करता हूं और इस सदन में जो संकल्प प्रस्तुत हुआ है, एक आदिवासी नेता होने के नाते और सभी समाजजनों को समान दृष्टि से देखने वाली पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते मैं इसका समर्थन करता हूं. एक ऐसा समुदाय जो सैकड़ों नहीं, हजारों वर्षों से पिछड़ा हुआ है, उसको आगे लाने की आवश्यकता है. लोक अभियोजन के क्षेत्र, शिक्षा के क्षेत्र में हमारे अनुच्छेद 16 में उनका प्रावधान पहले से है. अनुच्छेद 366 के खंड 24 और खंड 25 में वर्णित जिन समुदायों को लेकर के आज हम लोग चर्चा करने के लिए आए हैं, उनका इस देश में एक गौरवशाली इतिहास रहा है. इसी तारतम्य में अगर आदिवासी समुदाय को देखा जाए तो इसमें सबसे प्राचीन जनजातियों में से एक है, भील जनजाति, जिसने इस देश की आजादी में, इस देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस देश की अग्रणी लड़ाका कौम में से एक कौम है, भील समुदाय, भील जनजाति. (...मेजो की थपथपाहट) चाहे प्राचीन राम जी के काल में जाकर के देख लिया जाए, तो एक रघुकुल के राजा जिन्होंने भील समुदाय की माता शबरी के झूठे बेर खाये हैं(...मेजो की थपथपाहट) आदिवासी समुदाय के वनवासियों के साथ में मिलकर के लंका पर चढ़ाई की है. आदिवासी क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. महाराणा प्रताप के साथ में मुगलों के खिलाफ युद्ध में सहभागी अगर कोई सी सबसे बड़ी जनजाति रही है तो वह भील जनजाति रही है. (...मेजो की थपथपाहट) हमारे निमाड़ में अगर देख लिया जाए तो रॉबिन हुड टंट्या मामा जिनके नाम से इस राज्य के और इस देश के आदिवासियों का सीना चौड़ा हो जाता है और रोंगटे खड़े हो जाते हैं, ऐसे भील समुदाय से टंट्या मामा आते हैं. एकलव्य जिसने चुपके से शिक्षा ग्रहण की थी, लेकिन जब उनके गुरूदेव को पता चला कि मुझे ट्यूशन फीस में तुम्हारा अंगूठा चाहिए तो उन्होंने बिना सोचे समझे अपना अंगूठा काटकर के उनके चरणों में रख दिया, ऐसे भील समुदाय के वे एकलौते हैं(...मेजो की थपथपाहट). आज हम उनसे संबधित संकल्प लेने के लिए जा रहे हैं. एक नाम और आता है, सोनू गोलकर जी का, पीएससी का पहला प्रश्न पत्र जो जी.के. का पहला प्रश्न पत्र था. मैं कोचिंग पढ़ाता हूं, आर्थिक रूप से गरीब बच्चों को मैं कोचिंग पढ़ाता हूं, मैं भी पेपर देने के लिए जाता हूं, मैं उस समय पेपर देने के लिए बैठा था, जब जी.के. का पहला पेपर देखा तो उसमें प्रश्न आया कि विक्रम अवॉर्ड 2018 किसको मिला, तो उसमें भील समुदाय के सोनू गोलकर जी का नाम था, सोनू गोलकर जी के नाम को सही किया गया. जिसमें भील समाज का एक गौरव पहले पेपर में आया और जब दूसरा पेपर, मैं पेपर लेकर के आया हूं.
उपाध्यक्ष महोदया - इस विषय पर सुबह भी चर्चा हो चुकी है, माननीय सदस्य से मेरा निवेदन है कि आप कृपया विषय पर रहे.
श्री राम दांगोरे - दीदी एक मिनट, मैं समय चाहता हूं. आज मुझे बोलने का मौका दिया जाए.
उपाध्यक्ष महोदया - बिलकुल आपको पूरा अवसर मिलेगा, लेकिन आप विषय पर रहे, इस विषय पर बात हो चुकी है.
श्री राम दांगोरे - मैं विषय पर ही आ रहा हूं, इसी संकल्प से संबंधित है. इस देश में ऐसे गौरवशाली भील समुदाय का जो इतिहास रहा है उसके ऊपर बड़ी तीखी और पूर्वागृह से ग्रस्त जो टिप्पणियां की गई हैं, रायटिंग में की गई है. एट्रोसिटी एक्ट में तो फिर भी बहुत सारे प्रावधान मौखिक हुए हो, उसमें भील समाज को आपराधिक प्रवृत्ति का बताया गया है, उसमें भील समाज को अनैतिक काम करने वाला बताया गया है, उसमें भील समाज को शराब में डूबा हुआ और भील समाज को आवश्यकता से अधिक खर्च करने वाला बताया गया है. मैं पूछना चाहता हूं. मुझे समय दिया जाये कारण यह है कि भूरिया जी को भी समय दिया है उन्होंने काउंटर अटैक किया है, XX इसलिये मैं बोल रहा हूं. नहीं तो मैं दो शब्द बोलकर के बैठ जाना चाहता था. यह पेपर मैंने दिया है मैं प्रताड़ित हूं इसलिये बोल रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--इसको विलोपित करें.
श्री विश्वास सारंग--उपाध्यक्ष महोदया, इनको बोलने नहीं दे रहे हैं. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा--उपाध्यक्ष महोदया, सरकार ने जांच के आदेश दे दिये हैं इसमें सदस्य महोदय क्या चाहते हैं? (व्यवधान)
श्री रामेश्वर शर्मा-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय--श्री रामेश्वर शर्मा जी जो बोल रहे हैं उनका नहीं लिखा जायेगा. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा--सरकार ने जब जांच के आदेश दे दिये तब यह और क्या हमसे चाहते हैं ?
श्री इंदर सिंह परमार--आप लोग नये सदस्य को बोलने नहीं देना चाहते हैं. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--एक आदिवासी भाई की आवाज को रोक रहे हैं अब आप क्यों नहीं बोल रही हैं.(व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा--वह असत्य बोल रहे हैं. सरकार ने जांच के आदेश दिये हैं. सरकार ने इसमें तत्काल संज्ञान लिया इसमें कड़े जांच के आदेश दिये हैं. (व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--कल ही संज्ञान में लिया है मैं भी इस पर बोलूंगा. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--अभी जो भूरिया जी बोले वह सही है. अभी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बोल रहे हैं तो उनको बोलने नहीं दे रहे हैं. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल--मैं भी आदिवासी हूं. मुझे भी बोलने दिया जाये, मेरी आवाज को न दबाया जाये. (व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी--तीन चार मंत्री भूरिया जी को स्टेपिनी लगाने के लिये खड़े हुए थे. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--कुणाल जी आप बैठिये. आप लोग इस तरह से बहस करेंगे तो मैं किसी को भी नहीं रोक पाऊंगी. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल--उपाध्यक्ष महोदया, मुझे भी बोलने दिया जाये मैं भी एक आदिवासी हूं. (व्यवधान)
श्री रामेश्वर शर्मा--उधर का आदिवासी आदिवासी है और इधर का आदिवासी, आदिवासी नहीं है, उनको क्यों नहीं बोलने दिया जा रहा है, उनको बोलने दिया जाये. (व्यवधान) उसने आदिवासियों के दर्द को भोगा है, उसको आप लोग सुनो. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया--अब नेता प्रतिपक्ष जी खड़े हैं. आप लोग कृपया करके बैठिये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--उपाध्यक्ष महोदया, नये सदस्य हैं, वह पहली बार यहां चुनकर के आये हैं, वह बहुत ही शिक्षित हैं, बहुत अच्छा एवं तथ्यात्मक भाषण दे रहे हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि ऐसे सदस्यों के लिये इनका एक्सपोजर होना चाहिये. सज्जन भाई आप मंत्री जी हैं आप भी लंबे समय तक यहां पर बैठे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- उपाध्यक्ष महोदया, सरकार ने जब संज्ञान लेकर के कड़े जांच के निर्देश दे दिये इसमें आप कोई नयी बात चाहते हैं तो माननीय सदस्य जी बोलें.
श्री गोपाल भार्गव-- उपाध्यक्ष महोदया, आप लोग एक अच्छे वक्ता को नहीं बोलने देना चाहते हैं. एक्सपोजर होना चाहिये आप उनको आगे बढ़ाइये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--इस विषय पर चर्चा हो गई है.
उपाध्यक्ष महोदय--आप लोग सब बैठ जाईये. विश्वास जी आप खड़े न हों नेता प्रतिपक्ष जी खडे़ हो गये हैं.
श्री गोपाल भार्गव--उपाध्यक्ष महोदया, उनको दो मिनट के लिये बोलने दें वह व्यवधान के कारण नहीं बोल पाये हैं. वह अच्छा बोल रहे हैं. एक्सपोजर होना चाहिये हमारे जनजाति के बंधु हैं. पहली बार के विधायक हैं उनको हतोत्साहित नहीं करना चाहिये. मेरा यही आग्रह है.
श्री राम दांगोरे--उपाध्यक्ष महोदया, मैं यह कहना चाहता हूं कि--
उपाध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्य कृपया आसंदी की तरफ देखिये. दो मिनट बोलें आपने जो बातें बोल दी हैं उसके अलावा और कोई बात हो तो बोलिये.
श्री राम दांगोरे--उपाध्यक्ष महोदया,जैसे भूरिया जी को मौका मिला वैसे मुझे भी मौका दिया जाये. भील समुदाय को जिस प्रकार से इस पेपर में राइटिंग में प्रदर्शित किया गया है, क्या भील समुदाय बलात्किारियों में से एक है, क्या भील समुदाय क्रिमीनल है, चोरी करता है, डकैतियां डालता है, मर्डर करता है, क्या भील समुदाय आतंकवादी है जो उसके लिये अनैतिक शब्द का प्रयोग किया गया है ? अनैतिक मतलब क्या, अनैतिक से तात्पर्य मतलब क्या ? यहां कई सारे आदिवासी नेता बैठे हुए हैं, थोड़ी देर पहले भूरिया जी ने भी काउंटर किया था. मैं पूछना चाहता हूं कि जब इसके पहले की सरकार थी तो कई दूसरे आदिवासी संगठन के नेता हैं जो कांग्रेस को सहयोग देकर के कांग्रेस में आये हैं, वह पांचवीं अनुसूची की बात करते थे, छठवीं अनुसूची की बात करते थे, पैसा कानून की बात करते थे, वनाधिकार पट्टा अधिनियम की बात करते थे, सरकार को बने एक साल से ज्यादा हो गया है, अब उनके मुंह बंद क्यों हो गये हैं, मुझे जवाब चाहिये ? (शेम-शेम) और सीएए को चेलेंज करने के लिये कि हम सीएए अपने राज्य में नहीं चलने देंगे, भूमाफियाओं पर कार्यवाही करेंगे... (व्यवधान)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह):- उपाध्यक्ष महोदया, सवाल इस बात का है कि जिस प्रकार का आरोप लगाया जा रहा है, पूरे के पूरे आपके समय के आपकी पार्टी के नियुक्त पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमेन हैं...(व्यवधान)
श्री राम दांगोरे:- आप कहते हैं कि हम कार्यवाही करेंगे, आपकी सरकार है. कौन सी जांच की बात कर रहे हैं, साहब पांच मिनट में कार्यवाही होती है...(व्यवधान)
श्री इन्दर सिंह परमार:-ट्रांसफर उद्योग इतने बड़े पैमाने पर चलाया तो यहां के अधिकारियों को भी बदल देते, किसने रोका था आपको... (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह:- जो इसके सदस्य हैं.. (व्यवधान)
लोक निर्माण विभाग मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा):- तुम्हारी सरकार में तो आदिवासियों के तो पट्टे निरस्त किये गये. (व्यवधान)..इसके लिये क्षमा मांगो...(व्यवधान)
श्री राम दांगोरे:- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मुझे बोलने का मौका तो दीजिये.
श्री विश्वास सारंग:- माननीय उपाध्यक्ष जी, एक युवा आदिवासी के साथ अन्याय हो रहा है, वह आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करता है...(व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह:- पेपर सेट कराये हैं..(व्यवधान)
श्री इंदर सिंह परमार:- पेपर सेटिंग का काम आपकी सरकार में हो रहा है, आपके लोगों ने पेपर सेटिंग का काम किया है...(व्यवधान).. आपके लोगों ने मंत्रियों के इशारे पर काम कराया है..(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदया:- दांगोरे जी बैठ जाइये... (व्यवधान)..
डॉ. गोविन्द सिंह:- पीएससी के चेयरमैन भारतीय जनता पार्टी ने नियुक्त किये. मेम्बर आपके बैठे हैं..(व्यवधान)
श्री राम दांगोरे:- साहब, आपकी सरकार है, आप कार्यवाही करो तो माने कि आप आदिवासियों के हितैषी हो.(व्यवधान)..अब तो आरक्षण देने के संकल्प में भी शर्त लिख दी है..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया:- श्री राम दांगोरे जी कोई बात नहीं लिखी जायेगी. श्री कुणाल चौधरी, कृपया शांति बनाये रखें. आप सब लोग बैठ जाइये, अब सिर्फ कुणाल चौधरी जी बोलेंगे.
12.18 बजे
{अध्यक्ष महोदय, श्री एन.पी.प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
श्री कुणाल चौधरी(कालापीपल) :- उपाध्यक्ष महोदया, मैं धन्यवाद देना चाहूंगा कि हम लोग यहां पर संविधान(एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक, 2019 पर चर्चा के लिये यहां पर खड़े हुए हैं. सामाजिक न्याय की स्थापना के लिये एक एतिहासिक कदम के रूप में हम लोगों को इस पल को, इस समय को देखना चाहिये. सामाजिक न्याय स्थापित करने का लक्ष्य जो कांग्रेस पार्टी का आजादी के समय से लगातार चलता रहा, जिसमें उनकी नीतियों में, वादों में और इरादों में हर बार हम लोगों ने सामाजिक न्याय की इस बात को लेकर आगे बढ़ाने का काम किया. एक बार फिर हम सब मिलकर इस ऐतिहासिक कदम की ओर बढ़ रहे हैं. मैं धन्यवाद देना चाहूंगा भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का, जिनकी एक नीति और जिन्होंने एक मार्ग दिखाया कि कैसे वंचित वर्ग के लोगों का सर्वांगीण विकास एक अलग तरह से कर सकते हैं, यह राह पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिखायी. मैं साथ में धन्यवाद देना चाहूंगा भीमराव आंबेडकर साहब का जो संविधान निर्माता थे, जिन्होंने 25 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा की अंतिम बैठक में जो कहा कि देश के भावी भविष्य और सामाजिक न्याय की बात करते हुए कहा था कि संवैधानिक संस्थाएं वंचित लोगों के लिये अवसरों का रास्ता खोले और उन्हें लोकतंत्र का हिस्सेदार बनाये. यह राष्ट्रीय एकता के लिये बेहद महत्वपूर्ण कदम है. हम सब लोग लगातार हर में इस वंचित वर्ग और वंचित समाज के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिये हम लोगों को मजबूती के साथ, देश के संविधान के साथ हमें खड़ा होना है. आज एससीएसटी समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हम खड़े हैं. वंचित वर्गों की लोकतंत्र में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने का, संवैधानिक प्रावधानों को आगे बढ़ाने के इस गौरवशाली पल का हिस्सेदार बनते हुए, मैं गर्व की अनुभूति महसूस कर रहा हूं और मैं एस.सी. एवं एस.टी. वर्ग के सभी सम्मानित सांसदों, विधायकों को बधाई देता हूं और कहना चाहता हूं कि इस विधान सभा के सभी सदस्य मिलकर इस विचार को आगे बढ़ा रहे हैं. देश के सामाजिक न्याय की स्थिति को दुरूस्त करने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू, स्वर्गीय इंदिरा गांधी एवं स्वर्गीय राजीव गांधी जैसे महान नेताओं ने यह सुनिश्चित किया कि देश की आबादी का एक प्रमुख भाग जो हमारे एस.सी. एवं एस.टी. वर्ग से आता है, उन्हें संविधान में पिछड़ना नहीं चाहिए और उन्हें एक सामाजिक न्याय की व्यवस्था मिलनी चाहिए. अभी हमारे पूर्व अध्यक्ष जी कह रहे थे कि इसके अंदर शर्त की क्या बात है ? क्योंकि यहां भगवान राम की बात चली, शबरी के बेर की भी बात चली तो यह सही बात है कि इसमें शर्त की जरूरत क्यों पड़ी ? क्योंकि ये राम को तो मानते हैं, पर राम की नहीं मानते. XX
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसे विलोपित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय- इसे विलोपित किया जाये.
श्री कुणाल चौधरी- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार से कई बार आरक्षण के ऊपर इन्होंने प्रहार करने की कोशिश की है और आज भी जब सदन के अंदर उस वर्ग के लिए बात चल रही है, उस वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाने की बात चल रही है और जिस प्रकार से इसके अंदर कहीं न कहीं, अलग-अलग तरह की बातें की जा रही हैं और फिर वही बात की, शर्त क्यों लगाई गई, ये बातें यहां क्यों की गईं ? क्योंकि इन्होंने जो बात कही कि महात्मा गांधी जिनके विचारों के साथ हम चले, जिन्होंने सामाजिक न्याय की सबसे बड़ी बात रखी, उनको भी हाथ जोड़कर गोली मारने का काम जिन लोगों ने किया और जिन्होंने इन विचारों के साथ इस देश के आदिवासी वर्ग के साथ, इस देश के एस.सी. एवं एस.टी. वर्ग के साथ हमेशा अन्याय करने की कोशिश की है, ये हमेशा कोशिश करते हैं कि कैसे उनके हितों को समाप्त किया जाये. चाहे 13 प्वाईंट के रोस्टर की बात हो, चाहे यहां पर ट्राइबल सब प्लान की बात हो, चाहे जो बात अभी यहां माननीय सदस्य कर रहे थे कि जिस विचार के लोगों को पहले पी.एस.सी. में भर्ती किया गया क्योंकि कभी-भी सरकार के द्वारा पेपर चेक नहीं किया जाता है. ऐसे विचार के लोगों की भर्ती जिन्होंने की, वे इस देश के आदिवासी समुदाय के साथ, इस देश के एस.सी. एवं एस.टी. वर्ग के साथ कहीं न कहीं अन्याय करना चाहते हैं. जिन विचारों को आगे बढ़ाने के लिए हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी एवं हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री और सभी लोगों को मैं इस संविधान के (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक, 2019 के लिए धन्यवाद देता हूं कि आज इस ऐतिहासिक पल के लिए हम सभी यहां आकर खड़े हुए हैं. आज हम सभी मिलकर इस संशोधन को पारित करें और इसके अंदर आपका जो हिडन एजेंडा है उसे समाप्त करें, यह हमारे लोकतंत्र की खूबी है. मैं धन्यवाद दूंगा, सामाजिक न्याय के उन व्यक्तियों को जो बाहर कुछ भी बात करें परंतु सदन में आकर सभी को इसका समर्थन करना चाहिए क्योंकि यह सामाजिक न्याय की लड़ाई है, ऐसे विचारों के लोगों के प्रति जो इसे समाप्त करना चाहते हैं लेकिन फिर भी सामने से ऐसा नहीं कर सकते. इस विचार के साथ मैं सभी को धन्यवाद दूंगा. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद. मैं चाहता हूं कि हम सभी मिलकर संविधान के इस संशोधन के साथ खड़े रहें.
इंजीनियर प्रदीप लारिया (नरयावली)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक, 2019 के समर्थन में, जिसे भारत सरकार ने पारित किया है, बोलने का अवसर दिया, उसके लिए धन्यवाद. माननीय अध्यक्ष महोदय, सन् 1950 में डॉ.भीमराव अंबेडकर जी ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के लिए राजनैतिक क्षेत्र में जो आरक्षण की व्यवस्था की थी और उसके बाद लगातार 10-10 वर्षों के लिए यह बढ़ता गया. मैं, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का भी धन्यवाद करता हूं और इसलिए भी धन्यवाद करता हूं क्योंकि चुनाव के पूर्व एवं कई बार यह बात उठाई जाती है कि भारतीय जनता पार्टी आरक्षण को समाप्त करने वाली है. एक भ्रम का जाल पूरे देश में बनाने का काम होता है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री ने आगामी 10 वर्षों के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति की सीटों का आरक्षण बढ़ाने का काम किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी यहां कई प्रकार की बातें हुईं. मैं यह कहना चाहता हूं कि आज देश में 20 करोड़ की आबादी अनुसूचित जाति की है एवं 10.50 करोड़ की आबादी हमारे अनुसूचित जनजाति के भाईयों की है. लोकसभा में 543 सीटों में से लगभग 84 सीटें सांसदों में और
4120 विधान सभा की सीटों में विधान सभा की अनुसूचित जाति के लिए 614 और अनुसूचित जाति की 554 सीटें आरक्षित हैं. अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी की सरकार, नरेन्द्र मोदी जी ने इस बात की चिंता की है कि अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए. जिस तरह का भ्रमजाल कांग्रेस के मित्र फैला रहे हैं. मैं तो यह कहना चाहता हूं कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए राजनैतिक क्षेत्र में, सामाजिक क्षेत्र में जो विषमता थी, अशिक्षा थी इसको ऊपर उठाने का काम किया है लेकिन XX डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने अनुसुचित जाति के हितों का संरक्षण किया.
अध्यक्ष महोदय-- इसे विलोपित किया जाए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय-- नहीं मत करो मैं आपको परमिट नहीं कर रहा हूं. यह जो कुछ भी बोलेंगे नहीं लिखा जाएगा. यह कुछ भी बोलेंगे नहीं लिखा जाएगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- (XXX)
इंजी. प्रदीप लारिया-- अध्यक्ष महोदय, यह सत्य है इसको झुठलाया नहीं जा सकता है. मैं यह कहना चाहता हूं कि डॉ. अम्बेडकर जी को भारत रत्न पहले भी मिल सकता था लेकिन डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को भारत रत्न मिले इसके लिए चिंता कभी नहीं की गई.....
अध्यक्ष महोदय-- लारिया जी एक मिनट रुक जाइए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह जो भी बोल रहे हैं नहीं लिखा जाएगा. लारिया जी आपसे अनुरोध है कि हम सिर्फ विषय पर रहें तो मेहरबानी होगी. कल जो कार्यमंत्रणा समिति में चर्चा हुई.
इंजी. प्रदीप लारिया-- अध्यक्ष महोदय, पूरे देश में भ्रम का वातावरण फैलाया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- लारिया जी यह क्या तरीका है. आप इतने वरिष्ठ हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह आपका क्या तरीका है. मैंने आपको मना कर दिया है.
इंजी. प्रदीप लारिया-- अध्यक्ष महोदय, हमारे वरिष्ठ सदस्य कांतिलाल भूरिया जी कह रहे थे कई प्रकार की बातें कीं. भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- मरकाम जी मुझे नहीं सुनना है. लारिया जी.
इंजी प्रदीप लारिया-- मैं केवल इतना निवेदन करना चाहता हूं कि जब संसद के सेंट्रल हॉल में डॉ. अम्बेडकर जी का शैल चित्र जब कांग्रेस के लोगों ने चिंता नहीं की इसकी चिंता भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने की.
अध्यक्ष महोदय-- लारिया जी मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हूं मेरी बात सुनिए. मैं लिखवाना बंद कर दूं क्या आप मेरी बात सुनिए. मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूं कि कृपया हम रिलेवेंट जो विषय वस्तु है बहुत ज्यादा उसी पर बोलें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- रामेश्वर जी कृपया बैठे-बैठे न बोलें. लारिया जी आप मेरी बात सुन लीजिए.
इंजी प्रदीप लारिया-- आज इस संसोधन की इसलिए भी आवश्यकता थी.
अध्यक्ष महोदय-- लारिया जी मेरी बात सुन लीजिए.
इंजी प्रदीप लारिया-- जी.
अध्यक्ष महोदय--लारिया जी आप इतने वरिष्ठ हैं. मैं आपसे यह अनुरोध कर रहा हूं कि हमारी जो विषयवस्तु है कृपया करके हम सभी अब इस पर सीमित रहें. बिलावजह दाएं-बाएं न जाएं. पूरा इतिहास न निकालें. आज जो विषयवस्तु लोकसभा, राज्यसभा में पूरे सांसदों ने चर्चा करके पहुंचाई है हम अपनी संक्षिप्त बात रखें और आगे बढे़ं, यह मेरा अनुरोध है. कृपया करके वरिष्ठ लोग इस बात को विशेष रूप से ध्यान रखें. भूरिया जी कृपा करके बैठ जाइए.
श्री कांतिलाल भूरिया-- इन्होंने मेरा नाम लिया था.
अध्यक्ष महोदय-- नाम लिया होगा आप बैठ जाइए. आपका नाम तो हमेशा लेते हैं आप बैठ जाइए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- मेरे से बिना पूछे जो भी सदस्य बोलें वह नहीं लिखा जाएगा. लारिया जी आप समाप्त करें.
श्री कांतिलाल भूरिया (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- लारिया जी समाप्त करें.
इंजी. प्रदीप लारिया -- आप हमें यह बताएं कि कांग्रेस के मित्रों ने जब यह आरक्षण की व्यवस्था लागू हो रही थी, उस समय धरने पर बैठे थे. डॉ. अम्बेडकर जी को हराने का काम किया. इसका जवाब दीजिए. आपने भारत-रत्न क्यों नहीं दिया, इसका जवाब दीजिए. डॉ. अम्बेडकर जी से जुड़े जितने भी स्थान थे चाहे उनकी जन्म भूमि हो, चाहे दीक्षा भूमि हो, चाहे परिनिर्वाण भूमि हो (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- श्री हरिशंकर खटीक जी बोलें. (व्यवधान)
इंजी. प्रदीप लारिया -- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक मिनट का निवेदन है. मैं तो कांतिलाल भूरिया जी की बात का जवाब दे रहा था.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- खटीक जी अपना भाषण प्रारंभ करें. (व्यवधान)
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)-- (XXX)
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (XXX)
श्री कमल पटेल -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह कोई तरीका है. मैंने तीन-चार बार मना कर दिया है. आप लोगों का काम है सदन चलाना. आप मुझसे क्या बुलवाना चाहते हैं. लारिया जी एक मिनट रुक जाइए. यह कांग्रेसी-वांग्रेसी मत करिएगा. कमल भाई मैंने आपको परमिट नहीं किया है. आप लोग सब सीधे-सीधे चालू हो जाते हैं. बिना मेरी परमीशन के जो भी बोलेगा वह नहीं लिखा जाएगा. जो परम्परा है वही चालू होगी.
श्री रामेश्वर शर्मा -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट रुक जाइए. डॉ. भीमराव अम्बेडकर, आजादी के बाद जिनकी सरकार थी उसी समय सब कुछ हुआ है. क्यों आपस में उलझ रहे हैं. संसद में चर्चा हो चुकी है. लारिया जी कृपापूर्वक एक मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
इंजी. प्रदीप लारिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी इसलिए भी आवश्यकता है यदि हम देखें की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की अन्य वर्गों से तुलना की जाए तो साक्षरता में जहां सामान्य वर्ग 74 प्रतिशत है वहीं अनुसूचित जाति 66 प्रतिशत है. अभी भी 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति के लोग गरीबी की रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे हैं. 65 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जिनकी आय आज 5 हजार रुपए से कम है. अनुसूचित जाति के 65 प्रतिशत लोग लेबर के रुप में काम कर रहे हैं. शासकीय नौकरी में यह केवल 4 प्रतिशत हैं. प्रायवेट सेक्टर में अनुसूचित जाति की भागीदारी केवल 2 प्रतिशत है. इसलिए आज भी हमारा अनुसूचित जाति का भाई, अनुसूचित जनजाति का भाई बराबर आने का लगातार प्रयत्न कर रहा है. उस समय जब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी यह विषय लाए थे तो उनकी यह मंशा थी कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक समान रुप में आ जाएं. मुझे लगता है आज भी इसमें काफी विषमता है. मैं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देता हूँ कि वे यह संशोधन लाए. मैं इसका समर्थन करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ. धन्यवाद.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे देश के प्रधानमंत्री जिन्होंने 126 वां संशोधन संकल्प अनुसमर्थन के लिए मध्यप्रदेश सरकार के समक्ष भेजा है. मैं देश के प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के कल्याण के लिए प्रदेश में और देश में लोक सभा और विधान सभा की सीटें हैं उन पर 10 वर्ष के लिए आरक्षण बढ़ाने के लिए यह संकल्प अनुसमर्थन के लिए भेजा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, लगातार 10-10 वर्षों का यह अनुसमर्थन बढ़ रहा है और बढ़ता ही चला जा रहा है. यह बढ़ना भी चाहिए क्योंकि अभी भी अनुसूचित जाति वर्ग की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है. अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए योजनाएं बनाई गईं. उन योजनाओं के माध्यम से जितना लाभ अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग को मिलना चाहिए था उतना नहीं मिल पा रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार तो हुआ है. लेकिन जो सम्पन्न है वह सम्पन्न होता चला गया और जो गरीब था वह आज भी गरीब है. अभी मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार है लेकिन अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग जो शासकीय सेवा में हैं. सिंगरौली के विधायक भी यहां पर बैठे हुए हैं उन्होंने बताया कि एक यज्ञसेन श्यामले नाम का एक माध्यमिक शिक्षक है उसको ब्लड कैंसर हो गया था तो उसका इलाज होना चाहिए बल्कि उसको सेवा से बाहर कर दिया गया. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह गलत है और हम अपने विधान सभा क्षेत्र की ही बात बोलना चाहते हैं क्योंकि हम भी अनुसूचित जाति वर्ग के हैं और अनुसूचित जाति हमारी विधान सभा है. अध्यक्ष महोदय, कल अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए वह सम्मान मिला है कि 22 वर्ष का एक लड़का जिसकी डेड बॉडी एक बोरे में रखी हुई पाई गई. यह कानून व्यवस्था हमारे मध्यप्रदेश की है. हमारे अनुसूचित जाति वर्ग के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है. हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने जो अनुसमर्थन के लिए यहाँ पर यह भेजा है, हम देश के प्रधानमंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और प्रदेश की सरकार से आव्हान करना चाहते हैं कि अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए आप कुछ कीजिए. हमारी सरकार ने तो किया हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया है लेकिन आप भी कीजिए. यह बोरे में जो लाशें भर भर कर मिल रही हैं, इस पर रोक होना चाहिए. कानून की व्यवस्था अच्छी होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- हरिशंकर जी, धन्यवाद.
डॉ. अशोक मर्सकोले(निवास)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सौ छब्बीसवें संविधान संशोधन विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विषय पर, जिसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, के प्रतिनिधित्व को दस साल बढ़ाने के लिए प्रावधान किया है मैं इसके समर्थन में खड़ा हूँ. अध्यक्ष महोदय, पाँच हजार सालों की इस विषमता और सामाजिक अन्याय को झेलते हुए जब हमारा देश आजाद हुआ, उस समय अंबेडकर जी ने, उस व्यवस्था को सुधारने के लिए, आज हम आरक्षण, आरक्षण, की बात कर रहे हैं लेकिन संविधान में कहीं भी आरक्षण का जिक्र नहीं है, सीधे सीधे एक प्रतिनिधित्व की बात कही थी और उसमें एक बात का ध्यान रखा था कि किसी भी वर्ग को उनके हक से वंचित न किया जाए. इसी आधार पर स्पष्ट रूप से जितनी उनकी संख्या है उस परसेंटेज में उनको उनका प्रतिनिधित्व मिले. इस बात का विशेष ध्यान रखा था और इसी आधार पर यह तो सीधे सीधे प्रतिनिधित्व की बात है, ये 10 साल बढ़ा रहे हैं, यह एक अलग विषय है. लेकिन वास्तव में उनका वह प्रतिनिधित्व होना ही चाहिए. लेकिन अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार से नौकरियों में, शिक्षा में और राजनीति में जो 10 साल बढ़ाने की बात कही थी, शिक्षा और नौकरी में, नौकरी में मैं कहूँ शासकीय नौकरी तक यह सीमित रह गया है उसमें......
अध्यक्ष महोदय-- डॉ. साहब, धन्यवाद.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- उसमें भी जहाँ पर बेकलॉग की जो संख्या है. अध्यक्ष महोदय, मुझे कम से कम एक मिनिट और दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- श्री देवेन्द्र वर्मा जी बोलिए.
डॉ.अशोक मर्सकोले-- अध्यक्ष महोदय, आज जिस प्रकार से वनाधिकार की बातें कहें या फिर....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- बस हो गया. देवेन्द्र वर्मा जी बोलिए, आपका समय जा रहा है...(व्यवधान)..
डॉ.अशोक मर्सकोले-- भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सीधे सीधे अनुसूचित जनजाति के साथ में अन्याय किया है.
श्री देवेन्द्र वर्मा(खण्डवा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस संकल्प का समर्थन करता हूँ. अध्यक्ष महोदय, हमारे देश की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गाँधी जी से एक बार एक पत्रकार ने पूछा कि आपका राजनीति का उद्देश्य क्या है तो उस समय इंदिरा गाँधी जी ने कहा था कि हमारा राजनीति का उद्देश्य है XX
अध्यक्ष महोदय-- यह विलोपित किया जाए.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- जब यही प्रश्न पत्रकार ने हमारे पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय जी से पूछा तो पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय जी ने कहा था हमारा राजनीति का उद्देश्य सत्ता प्राप्ति और सत्ता प्राप्ति के माध्यम से समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति का विकास करना.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एक विचारधारा का अंतर है और आज अगर हम सत्तर सालों के बाद देखते हैं तो ध्यान में आता है कि काँग्रेस प्रत्येक मंच पर इस प्रकार का श्रेय लेने का काम करती है कि हमने अनुसूचित जाति, जनजाति, को आरक्षण दिया है तो यह हमारी सरकार थी और हमारे द्वारा दिया गया है. इस प्रकार का देश में भ्रम फैलाने का काम वर्षों से काँग्रेस द्वारा और काँग्रेस के सभी नेताओं द्वारा किया जा रहा है. अध्यक्ष महोदय, मेरे पूर्व वक्ताओं ने जो बात रखी है. आज अगर हिन्दुस्तान में हमारे देश में आरक्षण है तो हम कह सकते हैं कि यह हमारा अधिकार है और उस समय भी यह अधिकार लेने का काम बाबा साहब अंबेडकर जी ने लड़कर इस आरक्षण को लेने का काम किया था. (मेजों की थपथपाहट) अध्यक्ष महोदय, अगर हम बात करें हमारी इस आरक्षण की व्यवस्था की तो प्रत्येक मंच पर हमारा नेता यही बात रखता है कि जनसंख्या में जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी. अध्यक्ष महोदय, इस बात को चरितार्थ करते हुए इस व्यवस्था को लागू किया गया था. अध्यक्ष महोदय, इतने वर्षों के बाद अगर हम देखें तो ध्यान में आता है कि इस आरक्षण की व्यवस्था के माध्यम से समाज का कितना विकास हुआ हुआ, समाज कहां तक बढ़ा, तो ध्यान में आता है कि सरकार द्वारा इसके लिये जितना बजट इन 70 सालों में दिया गया उस बजट को अगर इस वर्ग में बांट दिया जाता तो वर्ग का प्रत्येक व्यक्ति आज लखपति होता. इस बजट की बहुत बड़ी राशि हम देखते हैं कि कहीं न कहीं एक भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती गई और योजनाओं की अगर हम बात करें तो देश के 70 सालों में कभी इस प्रकार की योजना नहीं बनाई गई. हमारे वरिष्ठ इस प्रकार की बात रखते हैं कि पूर्व में अगर एक कुटीर दी जाती थी तो कुटीर की इस प्रकार की स्थिति होती थी..
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा - अध्यक्ष महोदय, दो मिनट ..
अध्यक्ष महोदय - नहीं-नहीं बस, धन्यवाद, सब लोगों ने चर्चा कर ली.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, श्री शैलेन्द्र जैन जी का नाम दिया था एक मिनट श्री शैलेन्द्र जी को बोल लेने दीजिये.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) - अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार के द्वारा, उसके मुखिया सम्माननीय प्रधान मंत्री जी के द्वारा लोक सभा एवं राज्य सभा के माध्यम से जो 126 वां संविधान संशोधन के माध्यम से अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के हमारे बंधु-बांधवों के लिये जो आरक्षण की व्यवस्था 10 वर्ष और बढ़ाने के लिये की गई है मैं उसका समर्थन करता हूं. मैं एक निवेदन आपसे करना चाहता हूं कि हम चाहते हैं सामंजस्य स्थापित हो, अकेला अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों द्वारा समर्थन किया जाए यह उचित नहीं होगा. हम सामान्य वर्ग के लोग हैं हम खुद समर्थन करना चाहते हैं और ऐसी व्यवस्था लागू होना चाहिये आरक्षण के साथ-साथ इस वर्ग के लिये संरक्षण की आवश्यकता है. उस संरक्षण के अभाव में मैं उदाहरण देकर अपनी बात समाप्त करूंगा. दो दिन पहले हमारे सागर विधान सभा क्षेत्र के अंदर एक धनीराम अहिरवार नामक व्यक्ति को सरेआम जिन्दा जलाने का काम किया गया. वह आज जीवन-मरण का संघर्ष कर रहा है. इस तरह के अगर मामले आते रहेंगे तो इस आरक्षण के बहुत मायने नहीं रह जाएंगे. इस तरह का संरक्षण होना चाहिये. उसने पुलिस प्रशासन में तीन दिन पहले लिखित बात कही थी कि हमारी जान को खतरा है लेकिन कोई भी कार्यवाही नहीं की गई. अगर संज्ञान ले लिया जाता तो उसके साथ ऐसा नहीं होता.
अध्यक्ष महोदय - शैलेन्द्र जी, धन्यवाद. जो बिना अनुमति बोल रहे हैं उनका नहीं लिखा जाएगा.
श्री विष्णु खत्री - (XXX)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. गोविंद सिंह) - अध्यक्ष महोदय, संविधान के अनुच्छेद 334 के खण्ड (ख) का मैं समर्थन करता हूं. यह संविधान संशोधन विधेयक 126 जो लोक सभा और राज्य सभा से पारित किया है उसका पूरी तरह से समर्थन करता हूं. इसके साथ ही यह भी कहना चाहता हूं कि यह संविधान संशोधन जो हुआ है वह 25 जनवरी तक समाप्त होना था और यह प्रावधान है कि राज्य सभा, लोक सभा में संविधान संशोधन के बाद आधे से ज्यादा 50 परसेंट विधान सभा अगर पास कर देती है तब यह कानून बन जाता है और राष्ट्रपति महोदय के हस्ताक्षर से पूरे देश में यह कानून लागू होता है.
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय, अगर मध्यप्रदेश विधान सभा इस संशोधन विधेयक को नहीं लाती तब भी यह पारित हो जाता लेकिन जानना हमारा दायित्व था कर्तव्य था कि 1950 में इसको पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने लागू किया, संविधान संशोधन के समय इसका प्रावधान किया लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि इसमें आपने केवल इतना तो पारित कर दिया, मुझे मालूम है कि अगर हम यहां कुछ कहें भी तो उसका कोई मूल्य नहीं है क्योंकि अब संविधान संशोधन हो चुका है, लेकिन यदि आप एक एंग्लो इंडियन सदस्य दिल्ली में लोक सभा में दो मेम्बरों का प्रावधान था और उस परिस्थिति में मध्यप्रदेश विधान सभा में एक सदस्य का नॉमिनेशन होता था, पता नहीं सरकार ने उसका प्रावधान क्यों नहीं किया है. सरकार को बड़ा दिल दिखाना चाहिये था. मैं केन्द्र सरकार को सुझाव देना चाहता हूं कि अगर आपने इसको नहीं किया है तो भविष्य में वह भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जाति के समान हिन्दुस्तान में, इस मुल्क में आज भी एंग्लो इंडियन के सदस्य हैं उनको पूरा अधिकार नहीं है. वह भी पिछडे़ हैं. उनको भी पूरी तरह से आरक्षण की आवश्यकता थी परन्तु मैं कहना चाहता हॅूं कि मध्यप्रदेश विधान सभा ने माननीय राज्यपाल महोदय को एक माननीय सदस्य का प्रस्ताव भेजा था लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिली है. मेरा आप से निवेदन है कि आप इसका प्रावधान करा दें और उसको भी जोड़ लें. एक सदस्य के बढ़ने से अगर यदि अल्पसंख्यक जाति के कमजोर वर्ग के लोग यदि इसमें शामिल हो जाते, तो इसमें आपका कोई बड़ा भारी नुकसान नहीं होना था. आपको बड़ा दिल दिखाना था....(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, पूरे देश में कुल 279 हैं...(व्यवधान)...
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इसमें एंग्लो इंडियन का भी सर्वसम्मति से पारित कराना था. वह नाम अलग से चला जाएगा. नेता प्रतिपक्ष से मेरा निवेदन है कि आप जरा अपना बड़ा दिल दिखाते हुए उनके लिए केन्द्र सरकार से निवेदन करें कि एंग्लो इंडियन के लिए अगर आगे प्रावधान ले आएं और उसको भी शामिल कर लें ताकि अल्पसंख्यक पिछड़े जो लोग हैं उनको भी न्याय मिल सके.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि "यह सभा भारत के संविधान के उस संशोधन का निम्नलिखित शर्त के अध्यधीन रहते हुए अनुसमर्थन करती है जो संविधान के अनुच्छेद 368 के खण्ड (2) के परन्तुक के खण्ड (घ) की व्याप्ति के अंतर्गत आता है और संसद के दोनों सदनों द्वारा यथापारित संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक, 2019 द्वारा किए जाने हेतु प्रस्तावित है, अर्थात् :-
संविधान के अनुच्छेद 334 के खंड (ख) के प्रावधान की अवधि 10 वर्ष और बढ़ाई जाए."
संकल्प सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
पारित संकल्प के साथ सदन में माननीय सदस्यों द्वारा दिये गये सुझाव सहित प्रतिवेदन कार्यवाही केन्द्र को प्रेषित की जाएगी.
12.47 बजे राष्ट्रगान "जन-गण-मन" का समूह गान
अध्यक्ष महोदय -- अब राष्ट्रगान "जन-गण-मन" होगा.
(सदन के माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगान "जन-गण-मन" का समूहगान किया गया)
12.48 बजे
सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाना: घोषणा
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित.
अपराह्न 12.48 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह,
दिनांक : 17 जनवरी, 2020 प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश विधानसभा