मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा चतुर्थ सत्र
दिसम्बर, 2019-जनवरी , 2020 सत्र
गुरूवार, दिनांक 16 जनवरी, 2020
(26 पौष, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 4] [अंक- 5]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 16 जनवरी, 2020
(26 पौष, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.07 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्" का समूह गान
अध्यक्ष महोदय--अब, राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्" होगा. सदस्यों से अनुरोध है कि वे कृपया अपने स्थान पर खड़े हो जाएं.
(माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्" का समूह गान किया गया.)
11.08 बजे निधन का उल्लेख
(1) श्री बनवारी लाल शर्मा, सदस्य, विधान सभा तथा
(2) श्री रूगनाथ सिंह आंजना, भूतपूर्व सदस्य, विधान सभा.
मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ):- अध्यक्ष जी, बनवारी लाल शर्मा जी हमारे इस सदन में साथी रहे . समाजसेवक थे और एक ऐसे व्यक्ति जिन्होंने अपना राजनीतिक जीवन सरपंच से शुरू किया था. सरपंच से वह जनपद में पहुंचे, सहकारिता के क्षेत्र में उनका बड़ा योगदान रहा, वह सहकारिता से जुड़े हुए थे. पिछले साल बीमारी के बावजूद वह एक ऐसे विधायक थे, अगर मैं गिनती करूं कि कौन सबसे ज्यादा मुझे मिलते थे, उनका स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद वह अपने आवेदन ले आते थे, अपने क्षेत्र की चिंता करते थे और मैं, उनसे हमेशा कहते था कि आप मत आइये, आप अपने किसी प्रतिनिधि को भेज दीजिये. मुझे दु:ख होता था जब वह आते थे, क्योंकि उनसे चला नहीं जाता था. शुरू में तो वह थोड़ा चल लेते थे, उसके बाद उनके दो साथी, दो रिश्तेदार उनको पकड़कर लाते थे. ऐसे एक साथी, ऐसे एक जन-सेवक, जिनकी अपने क्षेत्र के प्रति इतनी चिंता थी, आज हमारे बीच में नहीं रहे. आपने तो उनके जीवन के बारे में तो उल्लेख कर दिया है, मैं दोहराना नहीं चाहता हूं, पर मैं यह जरूर कहना चाहता हूं कि हम सबका कर्तव्य अपने क्ष्ोत्र के प्रति, जिन्होंने विश्वास से हमें यहां पर बैठाया है, होता है और एक ऐसे व्यक्ति जो चल भी न पाये, बोल भी न पाये, आप लोग संपर्क में आते होंगे ,पूरा सदन उनके संपर्क में आता था. अंत तक वह बोल भी न पायें और वह लिखकर ले आते थे तो आज मैं उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले.
श्री रुगनाथ सिंह जी भी हमारे सदन के सदस्य रहे. मेरा उनसे परिचय नहीं था, पर उन्होंने राजनीतिक जीवन में अपना स्थान बनाया, संसदीय जीवन में अपना स्थान बनाया. मैं उनके प्रति भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव):- माननीय अध्यक्ष जी, इसी विधान सभा के कार्यकाल के सदस्य और ऐसे व्यक्ति जो सामान्य परिवार में रहकर, जमीन से ऊपर उठकर यहां विधान सभा तक आये. मुश्किल से उनका एक साल का कार्यकाल हुआ होगा, वह हमारे बीच में नहीं रहे. ईश्वर की इच्छा है, ईश्वर का विधान है कोई दुर्घटना में मृत्यु होती है, कोई बीमारी से मृत्यु होती है, कोई सामान्य मृत्यु होती है. लेकिन बनवारी लाल जी का जाना निश्चित रूप से एक ऐसे व्यक्ति का जाना है, जैसा कि सदन के नेता और मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह एक आम आदमी का जाना था, भले ही वह विधायक थे.
अध्यक्ष महोदय, जिस आसंदी पर आप बैठे हैं, इस आसंदी पर पिछले वर्षों में मैंने देखा है कि जब श्रीनिवास तिवारी जी 10 वर्षों तक इस आसंदी पर बैठे और उसके बाद में रोहाणी जी, और भी हमारे अनेकों माननीयों ने इस आसंदी को सुशोभित किया. समय-समय पर इस विषय पर चर्चा होती है कि ऐसा आखिर होता क्या है और होता क्यों है ? हम यहां 230 लोग हैं और कभी-कभी इन पांच वर्षों में यह संख्या 8 से लेकर 10 तक पहुंच जाती है. हमने कई समाजशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों से चर्चा की. हमारी जिंदगी आपा-धापी और अनिश्चितता से भरी है. मेरा मानना है कि राजनीति में रहकर चाहे विधायक हों, सांसद हों, पक्ष के हों, विपक्ष के हों जितना कठोर परिश्रम और मानसिक-शारीरिक तनाव होता है, इस कारण से भी कभी-कभी आयु का क्षरण होता है और बीमारियां भी होती है. हमारी अनिश्चित दिनचर्चा होती है, रात्रि 2-3 बजे तक जागते हैं, शादियों में शामिल होते हैं, शोक में भी शामिल होते हैं. कहीं भी, कभी भी जाते हैं, दौरे पर भी रहते हैं. बनवारी लाल जी के लिए हमें बहुत दु:ख है, वे असमय हमारे बीच नहीं रहे. अध्यक्ष महोदय, वे आयु में मुझसे भी कम थे. मैं सोचता हूं कि इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए कि आखिर किस कारण से यह होता है, यदि कहीं कुछ ऐसा हो सके जैसा कि मैंने पूर्व में कहा कि यह सब कुछ ईश्वर का विधान है, हम इसमें कुछ नहीं कर सकते लेकिन जब यह संख्या बढ़ जाती है तो इसके लिए, इसी भवन में कुछ प्रयोग भी हुए हैं. इस संबंध में कुछ लोगों की मान्यता है और कुछ लोगों की नहीं भी है. कोई इस विषय को मानता है और कोई नहीं भी मानता है. इस संबंध में कुछ अनुष्ठान भी हुए, कुछ लोगों ने उसका हास्य भी बनाया, कई लोगों ने मजाक भी बनाया और कई लोगों ने उसे माना. मैं अपने सभी साथियों से कहना चाहता हूं कि हम इतने मानसिक तनाव में न रहें. परिश्रम करना ठीक है, परिश्रम करना पड़ता है, हमें आगे का भविष्य देखना होता है कि आगे हम क्या करेंगे, कहां जायेंगे, दुबारा चुनाव लड़कर आना है, चुनाव जीतना है.
अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि हम राजनीतिज्ञ एक प्रकार से दो रूपों में जीते हैं. एक तो हमारा स्वयं का व्यक्तिगत जीवन होता है और दूसरा सार्वजनिक जीवन. बाहर के लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं, वे सोचते हैं कि विधायक, मंत्री बहुत अच्छी जिंदगी जीते हैं लेकिन वास्तव में जो लोग यह जीवन जीते हैं, आप उनसे पूछें. यदि राजनीतिज्ञों के वास्तविक जीवन की जानकारी यथार्थ में लोगों को होगी तो निश्चित रूप से हमारे प्रति वे सहानुभूति रखेंगे. मैं आज के इस अवसर पर समाज से यही अपेक्षा करूंगा कि वे हमारे प्रति भी वही भाव रखें जो उनका अन्य लोगों के प्रति होता है तो यह हमारे प्रति समाज की बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय, नौंवी विधान सभा में दिवंगत विधायक श्री रूगनाथ सिंह आंजना जी मेरे साथ रहे हैं. ये भी जमीन से जुड़े हुए विधायक थे. वे विधान सभा में बहुत कम बोलते थे लेकिन अपने क्षेत्र के प्रति बहुत अधिक सक्रिय रहते थे. इन दोनों शख्सियतों के लिए मेरी ओर से विनम्र श्रद्धांजलि. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. उनके परिवार को यह गहन दु:ख वहन करने की शक्ति दे. मैं इनके लिए पुन: अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. ओम शांति.
अध्यक्ष महोदय- मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
अध्यक्ष महोदय- दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 17 जनवरी 2020 को प्रात: 11 बजे तक के लिए स्थगित.
पूर्वाह्न 11.20 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनाँक 17 जनवरी, 2020 (27 पौष, शक संवत् 1941) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह,
दिनांक : 16 जनवरी, 2020 प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश विधानसभा